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विघ्नेश्वर पूजा

இரண்டு கைகளால் அக்ஷதையும், பவித்ரத்தையும் வாங்கி, அக்ஷதையை தனக்கும் தர்ம பத்தினிக்கும்


சிரசில் போட்டுக்கொண்டு பவித்ரத்தை கையில் போட்டுகொள்ளவும்.

पवित्रम् धृत्वा -- दर्भेष्वासीन: -- दर्भान्धारयमाण: |

शुक्लाम्बरधरं विष्णुं + शान्तये | ओं भू: + भूर्भुवस्सुवरोम् | ममोपात्त समस्त + प्रीत्यर्थं |

करिष्यमानस्य कर्मण: अविघ्नेण परिसमाप्त्यर्थं आदौ विघ्नेश्वर पूजाम् करिष्ये | करिष्यमानस्य कर्मण: अविघ्नेण परिसमाप्त्यर्थं आदौ विघ्नेश्वर पूजाम्
करिष्ये |

दर्भान् निरस्य | अपौपस्पृश्य |

தர்பையை வடக்கு பக்கம் போடவும். எந்த பொருளை வடக்கு பக்கம் போட்டாலும் கை அலம்ப
வேண்டும். மஞ்சள் பிள்ளையாரை கூம்பாக பிடித்து தட்டின் நடுவில் வைக்கவும். சந்தனம், புஷ்பம்,
அக்ஷதை, நிவேதனம் ( இரண்டாக உடைத்து வைக்கப்பட்ட தேங்காய், வாழைப்பழம், வெற்றிலை பாக்கு
இவை எல்லாம் ஒரு தாம்பாலத்தில்) தயாராக வைத்திருக்க வேண்டும்.

आवाहनम् & उपचारं :

ओं गणानांत्वा + शान्तये | ओं भूर्भुवस्सुवरोम् अस्मिन् हरिद्रा बिम्बे सपरिवारम् सुमुखम् विघ्नेश्वरम् ध्यायामि | आवाहयामि | विघ्नेश्वरस्य इदमासनम्
|
विघ्नेश्वराय नम: इदम् पाद्यम् | इदम् आचमनीयं | इदम् अर्ग्यं | इदम् आचमनीयं | इदम् स्नानं | इदम् आचमनीयं | विघ्नेश्वराय नम: वस्त्र, यज्ञोपवीत,
उत्तरीय, आभरणार्थे इमे अक्ष्ता: |

दिव्य परिमल गन्धान् धारयामि | हरिद्रा कु ङ्कु मम् समर्पयामि | अक्षतान् समर्पयामि |

पुष्प मालिकाम् समर्पयामि | पुष्पै: पूजयामि | ओं सुमुखाय नम:| ओं एकदन्ताय नम: | ओं कपिलाय नम: | ओं गजकर्णकाय नम: | ओं लंबोधराय नम: |
ओं विकटाय नम: | ओं विघ्नराजाय नम: | ओं विनायकाय नम: | ओं धूमके तवे नम: | ओं गणाध्यक्षाय नम: | ओं फालचन्द्राय नम: | ओं गजाननाय नम:
| ओं वक्रतुण्डाय नम: | ओं शूर्पकर्णाय नम: | ओं हेरंबाय नम: | ओं स्कन्दपूर्वजाय नम: | ओं सिद्धि विनायकाय नम: | ओं महागणपतये नम: |
नानाविधानि पत्रानि पुष्पानि समर्पयामि | धूप दीपार्थम् अक्षतान् समर्पयामि |

सर्वे महाजना: कर्मारम्भ मुहूर्त: सुमुहूर्त: अस्त्विति भवन्त: अनुग्रहणन्तु (सुमुहूर्तोस्तु)

ओं भूर्भुवस्सुव: + गायत्रि | - देव सवित: प्रसुव – सत्यम् त्वर्तेन परिषिञ्चामि |

अमृतोपस्तरणमसि |

प्राणाय स्वाहा॑ | अपणाय स्वाहा॑ | व्यानायस् स्वाहा॑ | उदानाय स्वाहा॑ | समानाय स्वाहा॑ | ब्रह्मने स्वाहा॑ | विघ्नेश्वराय नम: नालीके र खण्डद्वयम्
कदलीफलं निवेदयामि |

अमृतापिधानमसि | आचमनीयं समर्पयामि |

ओं भूर्भुवस्सुव: | पूगीफल समायुक्तं नागवल्ली दळैर्युतं | कर्पूर चूर्ण सय्युक्तं ताम्बूलम् प्रतिगृह्यताम् | विघ्नेश्वराय नम: कर्पूर ताम्बूलम् निवेदयामि |
आचमनीयं समर्पयामि |

विघ्नेश्वराय नम: समस्तोपचारान्समर्पयामि |

ப்ரார்த்தனை & நமஸ்காரம்


विघ्नेश्वर महाभाग सर्व लोक नमस्कृ तां |

मया आरब्धम् इदम् कर्म् निविघ्नम् कु रु सर्वदा ||

नमो नम गनेशाय नमस्ते शिव सूनवे |

निविघ्नम् कु रु मे देवेश नमामि त्वां गणाधिप ||

वेदोक्त मन्त्र्पुष्पम् समर्पयामि | स्वर्ण पुष्पम् समर्पयामि | समस्त राजोपचारान् समर्पयामि


கணபதி யதாஸ்தானம்

गणानांत्वा + शान्तये | ओ भूर्भुवस्सुवरोम् अस्मात् हरिद्रा बिम्बात् आवाहितम् सुमुखम् विघ्नेश्वरम् यथास्थानं प्रतिस्ष्ठापयामि (शोभनार्थे क्षेमाय
पुनरागमनाय च)

ப்ரஸாதம்.स्वीकरणम्
क्षत्रस्य राजा वरुणोधिराज: | नक्षत्राणाँ शतभिषग् वसिष्ठ: |

तौ देवेभ्य:कृ णुतो दीर्घमायु: | शतँ सहस्रा भेषजानि धत्त:

विघ्नेश्वर प्रसाद सिद्धिरस्तु

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