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जगत के नयम
(द लॉज़ ऑफ द प रट व ड)
“जीवा मा जगत म कोई धम नह होता। हम केवल एक ही ई र क पूजा करते ह”
जैको प ल शग हाउस
अहमदाबाद बगलोर भोपाल चे ई
द ली हैदराबाद कोलकाता मु बई लखनऊ
काशक
जयको प ल शग हाउस
ए-2 जश चबस, 7-ए सर फरोजशहा महेता रोड
फोट, मुंबई - 400 001
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© यामक दावर
बना काशक क ल खत अनुम त के इस पु तक का कोई भी भाग, कसी भी कार से इ तेमाल नह कया जा सकता, न
कॉपी कराई जा सकती है, न रका डग और न ही क यूटर या कसी अ य मा यम से टोर कया जा सकता है।
ीमती खोरशेद भावनगरी २७ सत बर, १९२५-१३ अग त, २००७
उस एकमा
ई र को,
जनके हम
सदै व ऋणी ह,
और
मेर े यारे बेट
व पी और रतू
को
सम पत
व पी क ाथना
तावना
आमुख
भाग १
खोरशेद भावनगरी क दै न दनी के अनुसार कये गए जीवा मा
संपक
ई र के स चे नयम
आ म व ेषण के ज रए सुधार लाना
याय
जीवा मा से संपक
बूढ़े और झरने क कहानी
ई र के नयम को समझना
हमारी मृ यु कैसे ई और जीवा मा जगत के लोक
७ लोक अथवा तल
हमारा असली घर
बोझ ढोने वाले पशु
या सबक मदद करना हमारा धम है?
नया म कए जाने वाले अपराध व पाप कम
मनु य को अपने पाप क सजा भोगनी पड़ती है
शैतान का अ त व नह होता
मनु य जो बोता है वही काटता है
पुनज म
ता से संघष
केवल स ची इ छाएं ही प रवतन लाती ह
जीवा मा जगत म सरे लोक क या ा
ई र का याय
जीवा मा से संपक
लोक का संचालन कस कार होता है
मनु य क आ मक वृ ही उसका असली व प होता है
पहली डोरी
न द म हम आरो य और मागदशन ा त होता है
व भ लोक म जीवन
न नवत लोक भर चुक ह
य कुछ लोग क छोट उ म ही मृ यु हो जाती है
अ छ आ माएं नकारा मक आ मा ारा वच लत क जाती ह
अपने मन को नयं त कर
जीवा मा जगत म हमारी भावनाएं
जमी क कहानीःपृ वी पर लोग जैस े दखते ह वैस े होते नह
जमी क कहानी, जारीः सवश मान ई र को छला नह जा सकता
जमी क कहानी, जारीः ई र हमेशा याय करते ह
जमी क कहानी, जारीः ई र सबकुछ दे ख रहे ह
पृ वी एक पाठशाला है
पुनज म का उ े य
एक भली आ मा क कहानी जसे एक ा मा ने बहका दया
अवचेतन मन सु त हो सकता है
अपने अवचेतन मन को जगाएं
सतीश क कहानीः आपम सुधार का साहस होना चा हए
सूरदास क कहानीः अपने यतम का साथ पाने के लए एक आ मा बड़ा जो खम उठाती है
सूरदास क कहानी..जारीः सूरदास के त नीलू के ेम क परी ा
सूरदास क कहानी...जारीः ी उ च भली आ मा का पृ वी पर आगमन
सूरदास क कहानी...जारीः सूरदास का और भी नीचे गरना
सूरदास क कहानी...जारी : बल आ मा को साहस क ा त
सूरदास क कहानी...जारीः अहंकार का पतन होता है
सूरदास क कहानी...जारीः अवचेतन मन का फर से जागृत होना
सूरदास क कहानी...जारीः ी उ च भली आ मा का कट होना
मनु य का असली प उसका अवचेतन मन है
पूवज म क बात य याद नह रहत
जीवा मा मागदशक
जुड़वां आ माएं
भलाई या ता का चयन आपक अपनी इ छा पर नभर है
जीवा मा संपक ारा जीवा माएं पृ वी पर अपने यजन क सहायता कर सकत ह
यादातर आ माएं न नतर लोक म नवास कर चुक ह
जीवा मा से संपक के बारे म ां तयां
य कुछ लोग जीवा मा के संपक से डरते ह
आप पृ वी पर ज म लेने का नणय य लेत े ह
आप मृ यु से य डरते ह
आ मह या पाप है
उ च भली आ माएं
स कम या है?
तशोध
सुरेश क कहानी
हर आदमी के साथ एक ही जैसा बरताव नह कया जा सकता
अपनी सम या का सामना इसी व , बहा री और मु कान के साथ कर
सर म कभी भी नकारा मकता को ो सा हत न कर
चीज को आ या मक नज़ रए से दे ख
रा शफल से आप भा वत न ह
श को अ छे और बुरे दोन काम म लगाया जा सकता है – ेपण और ा त क श यां
जीवा मा से मदद पाने के लए हमेशा शांत और थर रहना चा हए
ववाह
अपनी श का वकास सही तरीके से कर
ाथनाएं हमेशा सं त और स ची होनी चा हए
अहंकार मनु य को आ या मक अवन त क ओर ले जाता है
आप अपने पाप का हसाब चुकाने से बच नह सकते
भाग २
और उ र
वच लत लेखन
जीवा मा जगत
आ मा और अवचेतन मन
वतं इ छा
कम
पृ वी पर आपका जीवनकाय
आ मह या
ई र
ाथना
सकारा मक सोच
अहंकार और वन ता
अ का थानांतरण
आ म व ेषण प
खोरशेद मी भावनगरी के साथ एक सा ा कार
श दावली
अनुशं सत अ ययन
उपसंहार
ले खका का प रचय
तावना
म अपनी सारी ज़दगी सवाल पूछता रहा ं। मने चीज को हमेशा सर से अलग नज़ रए से
दे खा है, जो मेरी ान क यास का ही प रणाम था। जब म छोटा था, हमेशा तार क तरफ
टकटक लगाकर दे खा करता था और शायद मुझ े इस बात का एहसास था क हम इस ांड म
अकेले नह ह, और जीवा मा जगत म मेरे दो त ह-मेरे र क फ़ र ते, जो हमेशा मुझे यार करते
ह और मेरी दे खभाल करते ह।
मेरे प रवार ने मुझ े सभी धम के त आदर करना सखाया। एक ज मजात ज ासा, जो मुझे
एक या ा पर ले गई। इस दौरान म शड के सा बाबा * का परम भ हो गया, और मने उ ह
पृ वी पर आ या मक गु क तलाश करने क इस गहरी इ छा के बारे म बताया। इसके बाद म
एक म हला के स पक म आया, जनका नाम खोरशेद भावनगरी था। म पहले दन उनसे मला
और उनके दो दवंगत बेट व पी और रतू से बात क और जब उ ह ने मुझ े ‘छोटा भाई’ कहकर
पुकारा तो मुझे एहसास आ क मेरा उनसे कोई ब त गहरा संबंध है।
म उनके साथ ब कुल खुले दल से बात करता और सभी चीज पर चचा कया करता था-ई र,
मेरे स बंध के बारे म, मेरा काम, धम और आ या म के बीच का अंतर, कम, पछले ज म,
पुनज म का उ े य, पैग बर, फ़ र ते, आ मा से संबं धत सारे त य, अलौ कक श यां, य
मनु य जा त खुद का ही वनाश करती है, मृ यु, बुढ़ापा, अकेलापन, डर, म णय क उपचार
श , वतमान का मह व, वचार, सोच और ाथना क श , या ई र दयालु है या दं ड
दे नेवाला है, म कैसे इन सबका मतलब समझकर आगे बढ़ सकता था-और इस बात का अनुभव
कर सकता था क इस वराट व था और णाली म मेरा थान तथा काम या है।
खोरशेद आंट ने मेरे सभी सवाल का जवाब दया, ले कन आ ख़र म उ ह ने मुझ े हमेशा कहा है
क इस पृ वी पर एक अ छा इंसान बनकर रहना और हमेशा ई र क बनाई अ छ राह पर
चलना सबसे ज़ री है। उ ह ने मुझ े एहसास दलाया क मेर े कम के लए म अकेला ही
ज मेदार ं और जो भी मेरे रा ते म आए, उसके लए म ई र या कसी और को दोष नह दे
सकता। उ ह ने मुझे नः वाथ सेवा, मन पर काबू रखना, ई र के ान को फैलाने और जन
लोग ने अपने यजन को खोया है उ ह राह दखाने और दलासा दे न े का मह व सखाया।
जब मुझे सबसे यादा मागदशन क ज रत थी, तब खोरशेद आंट और उनके प त, मी
अंकल ने, जनके भी म काफ़ करीब था, मुझे हमेशा एक यार भरा, ान और हंसी-खुशी भरा
माहौल दया, जसमे मेरी आ मा का पालन-पोषण श ण आ और अंततः वह मु् ई।
यामक दावर
मी और खोरशेद भावनगरी अपने भायखला नवास म
आमुख
१९८० के नणायक साल म, व पी और रतू ने एक १६३२ मील लंबी ॉस-कं मोटर रैली म
भाग लया। रैली २३ फरवरी को शु होनी थी, और व पी और रतू ने इससे पहले अपनी गाड़ी
को मु बई से खोपोली तक जांचने का फैसला कया। या ा आरंभ करने से ठ क पहले अपने
दोन बेट के साथ घ टत घटना के बारे म खोरशेदजी कहती ह, “मुझसे कसकर लपटकर रतू ने
गुड बाय कहा और बाहर नकल गया। वह कुछ ही सी ढ़यां नीचे उतरा होगा (हम सरी मं जल
पर रहते थे) क भागता आ बारा मेरे पास लौटा। बारा मुझसे कसकर लपटकर उसने मुझे
चूमा। म समझ नह पाई। मुझ े अजीब लगा, य क रतू का ऐसा करना बड़ी असमा य बात थी।
एक मं जल नीचे उतरने के बाद वह एक बार फर भागता आ वापस आया और मुझसे कसकर
लपटकर मुझ े चूमा। तबतक व पी भी मुझसे वदा लेन े आ चुका था। मने उ ह संभलकर गाड़ी
चलाने क हदायत द । उ ह ने मुझसे कहा, ‘हमारी ती ा मत करना मां, हम खोपोली तक
जाकर लौट आएंग,े या फर रातभर ककर सुबह वापस लौटगे।”
फर, व पी और रतू ने अपने माता- पता से कहा क वे उनसे अकेले म बात करना चाहते ह।
इस लए ीमती कपा डया ने उ ह ीमती ऋ ष नामक एक अ य मा यम के बारे म बताया। कुछ
दन बाद भावनगरी दं प तय ने ीमती ऋ ष के ज रए अपने बेट से बात क । उ ह ने कहा,
“म मी और पापा हम, व पी और रतू ह। हां, मरने के कुछ ही मनट बाद हम जीवा मा जगत
म प ंच गए। यह ई र क इ छा है और वह जानते ह क हमारे लए या सबसे बेहतर है। ई र
अ छे ह। आप हमारे लए न रोएं और न ही हमारी कमी महसूस कर, हम यहां ब त खुश ह। हम
आपको हर व दे ख सकते ह और यहां से आपक दे खभाल कर रहे ह। हम आपसे तब तक
संपक नह कर सकते जब तक आप पूरी तरह न त और खुश न हो। आपको एका होने क
मता वक सत करनी होगी”। उ ह ने खोरशेद जी से यह भी कहा क उ ह पृ वी पर रहकर
अपने आ या मक जीवनकाय को पूरा करना है, अथात् उ ह लोग क मदद करनी है और
आ या मक जाग कता का सार करना है।
अगले कुछ महीन म खोरशेद और मी जी ने अपने बेट क मदद से पूण एका और शांत
होने क मता वक सत कर ली, जससे उनका अपने बेट के साथ ‘ वयं लेखन’ क व ध
ारा य संपक था पत करना संभव आ। एक पु तक पर वह ह के हाथ से कलम पकड़
कर रखत , मन को संपूणतया एका करत और धीरे-धीरे उनके मृत बेट क आ माएं उनके
हाथ का उपयोग कर कागज़ पर धीरे और टे ढ़े-मेढ़े तरीके से कलम चलाती थ । शु म केवल
लक र बनती थ , ले कन कई दन के यास के बाद श द उभरने लगे और वह मुखर होकर
पूछत जनके उ र कागज़ पर लखे ए मलते थे।
कुछ समय बाद, ‘ वयं लेखन’ ारा और फर रसंवेदनश ारा, व पी और रतू ने अपने
माता- पता को जीवा मा जगत के नयम के बारे म एक कताब लखवाने क अपनी इ छा का
संदेश दया, जसके लए उ ह ने उ चतर आ मा क वशेष अनुम त ा त क थी। उनका
वचार था, क पृ वी वा सय के लए ऐसी कताब ब त उपयोगी होगी जसम वे ई र और
जीवा मा जगत के नयम के बारे म जानगे, और अगर वे उन नयम का पालन करगे तो उनक
आ या मक उ त होगी। यह व पी और रतू क इ छा थी क कताब लखवाकर, उसे
का शत कर, उसका बड़े पैमाने पर वतरण कया जाए। बहरहाल, व पी और रतू का मत प
था क उनक श ा और मा यता से सहमत होने के लए कसी को बा य न कया जाए।
खोरशेद भावनगरी
क दै न दनी
के अनुसार
कये गए
जीवा मा संपक
१४-०४-१९८१
ई र के स चे नयम
मे रेआपक
यारे म मी-पापा, हम ह आपके व पी और रतू। हम जीवा मा जगत से पृ वी-वा सय को
े ज रए यह बताना चाहते ह क स ची राह पर-उस राह पर जो सवश मान ई र क
राह है-उस पर कैसे चलना चा हए। तो, मेरी यारी मां, आप हमारे लए यह कताब ल खये और
आपनी नया के लोग को जीवा मा जगत के बारे म बताना। उ ह ई र के नयम और कानून
के बारे म बताना ज ह पृ वी-वासी गलत समझते ह। उ ह बताना जीवा मा जगत के व भ
लोको १ के बारे म।
पुरो हत क कही हर बात का भरोसा कर लेना ब कुल गलत है। और इसी तरह, हमारे
सवश मान ई र के स चे याय के बारे म बड़े-बड़े दाश नक जो उपदे श दे त े ह, उनपर भी
भरोसा कर लेना गलत ह। वे सब कुछ नह जानते। वे या आप, सच तभी जान पाओगे जब आप
अपनी पृ वी क नया छोड़कर जीवा मा जगत म आओगे। हां, असली याय या है, इसे
बताने के लए कुछ प े या कुछ अ याय काफ़ नह और न ही इसे कुछ कताब से जाना जा
सकता है। कई युग लगगे आपको यह जानने म क हमारे ई र हमसे सचमुच या चाहते ह।
इस लए आपको बताने क हमारी यह को शश, हो सकता है पया त न हो।
च लए मानते ह क आप खूब सारे दान धम के काय करते ह। सबसे पहले अपने आप से पूछ
क आप ऐसा य करते ह? दान धम के काय के पीछे आपका या उ े य है? आपका उ े य
सवा धक मह वपूण है। य द आपका उ े य पूरी तरह से नः वाथ है-उदाहरण के लए य द
आपका उ े य केवल और क मदद करना हो और यह अपने आप आता हो– तो यक न जा नए
ई र खुश होते ह और वे जानते ह क आप जो दे त े ह, वह उ ह खुश करने के लए नह होता।
ह
म ई र के ब त शु गुज़ार ह य क हमारे सही और गलत काय को पहचानने के लए
उ ह कसी सबूत क ज़ रत नह होती, और उनका याय ही अं तम होता है। आपक
नया म होने वाले अ धकतर याय म, यहां तक क बड़े से बड़े यायाधीश के नणय
भी हमेशा सही नह हो सकते, पर ई र का फ़ैसला सदा सही होता है, य क वे आपको
अंदर से जानते ह। य द आप अपने लोग से कुछ छपाना चाहते ह, तो वह छप सकता है, पर
ई र से आप कुछ भी नह छपा सकते और उनका फ़ैसला हमेशा सही होता है। य द आपको
इसम भरोसा है, तो आप कभी गलत नह जाएंग।े आप इस बात का भरोसा रख सकते ह क
यह पूरी तरह से स य है और आप जो भी करते या कहते ह, हमेशा उसका रकॉड रखा जाता
है। इस लए एक नी तपूण, स चा तथा क णामय जीवन जएं।
हमने हंसते ए उनसे कहा, “सर, इस समय आप धरती पर नह , ब क जीवा मा जगत म ह।”
हमने उ ह बताया क जीवा मा जगत म अभी वे नए ह।
उ ह ने जवाब दया, “हे भगवान, वाकई ये लोग पागल ह, यहां से नकल लेना ही ठ क रहेगा।”
और वह वहां से भाग नकले। हम उनके बारे म का फ ःख आ, इस लए हमने अपनी एक
उ चतर आ मा को बुलाया और फर हम उस के पास प ंच।े
हम उनक बात पर हंसी आ गई। हमने उनसे कहा क हमने कभी यहां कसी दे व त को उड़ते
नह दे खा! इसपर उ ह ने कहा, “ओह, इसका मतलब ये है क हम वग म नह है? तो फर
वग कतना सुंदर होगा!”
अचानक एक भयानक सी चीज– काले रंग क , वशाल और डरावनी– मेरे रा ते म आ गई। मने
गाड़ी को जरा बा ओर लेनी चाही और ेक लगाना चाहा, ले कन ेक फेल थे और मेरे सामने
एक पेड़ था। गाड़ी जाकर पेड़ से जा टकराई।
इसके बाद मने खुद को अपने भौ तक शरीर के बाहर पाया। मने अपने भौ तक शरीर को घास
पर पड़ा पाया और मुझ े पता चल गया क अब म अपने भौ तक शरीर म नह , ब क ह के
जीवा मक शरीर म ।ं मने यह भी महसूस कया क मुझ े अब कोई दद या तकलीफ का
अनुभव नह हो रहा। तब मने जाना क पृ वी क नया के लए म मर चुका था। मने अपने
चार ओर दे खा। आस-पास मेरे कोई नह था। मेरे मुंह से एक चीख नकल गई, “हे भगवान,
जीवा मा जगत म मेरा वागत करने कोई नह आया”। कुछ ण बाद, मैन अपने बगल म एक
और आ मा को खड़ा पाया और मुझे इस बात से बड़ी खुशी ई क वह मेरे भाई रतू जैसा
दखता था। मैन,े उसे गले लगा लया और कहा, “रतू, कम से कम हम साथ तो ह।” उस आ मा
ने मु कुराकर कहा, “ व पी, म रतू नह ं। रतू तो उधर है, इस समय भी अपने भौ तक शरीर म
वह सांस ले रहा है।” मन रतू पर डाली, ले कन वह सरी आ मा इतनी मलती-जुलती लग
रही थी क मने उससे वनय पूवक ाथना क , “आप जो कोई भी ह , कृपया करके भगवान के
लए रतू को बचा लो-उसे धरती पर मरने से रोक लो य क मेर े म मी-पापा अकेले हो जाएंग।े
उनक दे खभाल कौन करेगा?” उस आ मा ने बड़ी वन ता से जबाव दया– “ व पी, मेरे यारे,
यह मेरे हाथ म नह , ई र के हाथ म है। और, व पी दरअसल म तु हारा नाना ”ं । तो, वह
मेरी म मी के पताजी थे ज ह हम प पा या पॉ सी कहा करते थे। म उ ह पहचान नह पाया
य क १९७४ म अपनी मृ यु के समय क तुलना म वह अब अ धक युवा दख रहे थे। अपनी
मृ यु के समय वह ९३ साल के थे, जब क १९८० म, हमारी मृ यु ई उस समय वह ३० साल के
दख रहे थे और ब त कुछ मेरे भाई रतू क तरह लग रहे थे। म उनसे लपट गया और फर से
उनसे वनती करने लगा क वह रतू को बचाने के लए कुछ कर।
तब इसके बाद उसक नज़र प पा पर पड़ी और उसने उ ह पहचान लया। “प पा, आप यहां? म
कहां ं? प पा, आप तो मर चुके थे, फर यहां या कर रहे ह?” फर, मेरी ओर दे खकर बोला,
“बोलो, या कर दया तुमने मेरी कार को?”
हमने उसे समझाया क पृ वी पर हमारी मृ यु हो चुक है। मेरी तरह, रतू ने भी कहा, “हे ई र,
म मी-पापा का या होगा?”
हम बैठे अपने भौ तक शरीर को गौर से दे ख रहे थे। सोच रहे थे क काश, कोई तो ऐसा तरीका
होता जससे अपने माता- पता और जना ( व पी क ढाई साल क बेट ) के लए हम अपने
शरीर म वापस जा सक। ले कन, हमारा तो बुलावा आ चुका था। हमारे कुछ दो त और र तेदार
भी आ गए थे और हम सब एकसाथ चलने को तैयार थे। एक उ च भली आ मा ३ भी हमारे
साथ थी ज ह ने कहा, “ व पी, रतू, अपनी आंख बंद कर लो,” हम लगा जैसे हम बड़ी तेज
र तार से ऊपर उठे जा रहे ह । जब हम अपनी मं जल पर प ंचे तो हमसे अपनी आंख खोल
लेन े को कहा गया और तब हमने नया क सबसे आ यजनक जगह –जीवा मा क
खूबसूरत नया को दे खा।
कुछ दे र बाद मेरी न द खुली और मने पलंग पर रतू को अपने बगल म लेटा आ पाया। उसे कुछ
करण द जा रही थ । एक उ च भली आ मा ने आकर मुझसे अपने पीछे आने को कहा। मने
कहा, “म यह र ंगा य क रतू ने अब तक ठ क से आराम नह कया है।” उ च भली आ मा ने
कहा, “नह , तु ह मेरे साथ आना होगा। तुम अब यहां नह क सकते। न द पूरी कर लेने के बाद
रतू तुमसे बाहर मलेगा।” मुझे बाहर ले जाया गया और वहां मने प पा को दे खा और मेर े सभी
दो त और र तेदार व ाम क से हमारे बाहर आने क ती ा कर रहे थे। कुछ दे र बाद, हमन
रतू को भी बाहर आते दे खा। तब हमने नणय लया क चूं क हम अपने म मी-पापा के पास
वापस नह जा सकते, हम उ ह इस भयानक सदमे से बहा रीपूवक बाहर नकलने म मदद
करगे।
२१-०४-१९८१
७ लोक अथवा तल
सरा लोक भी भयानक है ले कन यहाँ थम लोक जतना अंधेरा नह होता, न ही यहाँ रहने
वाली आ मा के शरीर उतने वकृत और भारी होते ह। वे भी पथरीली गुफा म रहते ह, एक
सरे से घृणा करते ह और घनौनी, भ भाषा का योग करते ह। उ ह रोशनी अथवा कोई भी
अ छ चीज नसीब नह होती।
चौथा लोक एक म य लोक है। यह पृ वी जैसा है जहां दन और रात दोन होते ह। यह ऐसा
लोक है जसम मनु य क आ मा अपनी जीवन या ा शु करती ह। उ ह चौथे लोक के पांचव
तर से उठने या नीचे गरने का अवसर दया जाता है और यह पूरी तरह हम पर नभर करता है।
पांचवा लोक से वग शु हो जाता है, जो धरती के कसी सुंदर थान जैसा होता है। आकाश म
हमेशा एक ह क -सी चमक रहती है। इस लोक क आ माएं एक- सरे क मददगार होती ह।
उनके शरीर काफ ह के होते ह और उनम कोई वकृ त कह होती।
छठा लोक ब त सुंदर है। यहां खूबसूरत चमक ली, हरी घास; पेड़ और ऐसे रंग- बरंग े फूल होते
ह जो पृ वी पर नह पाए जाते। यह लोक धूप खले दन क तरह हमेशा रौशन रहता है। यहां
आ माएं लगभग पूण होती ह, उनके शरीर ब त ह के होते ह और वे सब आपसी मेल-जोल
और ेम के साथ रहते ह, एक- सरे क मदद करते ह और अपनी पसंद के काम करते ह। य द
आप छठे लोक या उससे ऊपर ह और आपका अवचेतन मन ( जसे अंतरा मा कहा जाता है)
जो आपका वा त वक, आ या मक मन है, वह आपको पृ वी पर कए जाने वाले उन पाप को
नह करने दे ता जो आपको चौथे लोक से न नतर लोक म ले जाते ह।
सातवां लोक उ चतम लोक है। पृ वी के लोग इसक सु दरता क क पना भी नह कर सकते।
सातव लोक क सु दरता का, दे ख कर ही व ास कया जा सकता है। इसे श द म बयान नह
कया जा सकता। बेशक, यह लोक इतना सु दर है क इसके बारे म कोई सोच भी नह सकता।
इस लोक क आ मा के शरीर सबसे अ धक चमक ले, सबसे अ धक पूण और युवा
जीवा मक शरीर होते ह। वे बादल जैसे ह के होते ह। ये आ माएं पूण ताल-मेल और ेम के
साथ रहती ह। यह लोक वग से भी बढ़कर है।
ह
म सब जानते ह क पृ वी छोड़कर जीवा मा जगत म जाना अ छा है। जीवा मा जगत
हमारा वा त वक घर है। हम थोड़े समय के लए पृ वी पर जाते ह और वापस अपने घर
लौट आते ह। अनुभव हा सल करने के लए हम पृ वी पर जाते ह। पृ वी हमारी
पाठशाला है, जहां हम सीखते ह, अनुभव लेत े ह और उ च तर क ओर बढ़ने के लए
अपनी आ मा को शु करते ह।
जीवा मा जगत क याद रहने पर आप पृ वी पर रहने क बात से घृणा करगे, इसे लेकर ई र
इतने न त ह क उ ह ने आपके भौ तक मन से इन याद को पूरी तरह रोक दया है। ले कन,
आपका आ या मक मन, जसे अवचेतन मन भी कहते ह, जीवा मा जगत क याद से भरा
होता है। बहरहाल, अवचेतन मन इस याद को आपके भौ तक, ता कक मन तक नह प ंचने
दे ता है।
पृ हम अ
वी पर भली आ माएं ब त ःख झेलती ह जब क बुरी आ माएं बना रोक-टोक घूमती ह।
सर लोग का यह रोना सुनते ह, “ या यही ई र का याय है?”
भली आ माएं कभी पाप करना नह चाहती य क बुरी आ मा वाली जगह पर उ ह रहना
ब कुल पसंद नह है। यह जगह इतनी भयानक होती है क हम इसका श द म वणन नह कर
सकते। य द कर सक तो बुरी आ मा को सुधारने क को शश क जए ता क उ ह न नतम
लोक म न जाना पड़े। य द वे अपने कम म सफल रहते ह तो न त प से कुछ ही वष म
उनके लए थ त ब त बुरी होगी। इस लए यह आपका कत है क आप उ ह उनक स चाई
से प र चत कर उ ह सुधारने के ढ़ य न कर। उनके त अ छा बनकर उनके कम म कभी
भी उ ह ो साहन मत द जए, ब क उ ह यह बताइए क वे कतने ग़लत ह।
२४-०४-१९८१
या सबक मदद करना हमारा धम है?
स वश मान ई र के असली नयम को जानना बड़े सौभा य क बात है। आपने लोग को
यह कहते सुना होगा, “सबक मदद करना हमारा धम है।” हां, ब कुल, सर क मदद
करना हमारा धम है ले कन हर कसी क नह । अपने लोग क मदद करना अ छ बात है
ले कन आप अपने सभी लोग क मदद नह कर सकते, य क कुछ लोग न त प से
होते ह। यह आप पर नभर करता है क आप यह तय कर क कन लोग क मदद करनी है
और कनक नह , य क य द आप क मदद करते ह तो आप ता को बढ़ावा दे ते
ह। तो आप खुद ही सोच क या आपने सही कया है? या ई र आपसे यही करवाना चाहते
ह? वचार करने पर आप समझ जाएंग े क आप खुद के साथ-साथ उस आ मा को भी
नुकसान प ंचा रहे ह। आप कहगे, “म कसी क मदद कसी क ह या करने या कसी को
नुकसान प ंचाने म नह कर सकता।” हम भी समझते ह आप ऐसा नह करगे, ले कन य द
आप भोजन, धन या कपड़े दे कर भी, उस ा मा क मदद करते ह तो या यह ग़लत है? हां,
यह ब कुल ग़लत है। यह ग़लत है य क यह सब पाकर वह अपनी ताक़त बढ़ाता है और आगे
भी कम करना जारी रखता है। इस लए ऐसे लोग क मदद करना ई र के नयम के व
है, य क आपक मदद करने पर वह और को नुकसान प ंचाना जारी रखता है।
आप कहगे “ले कन वह भूख से बेहाल था, या ऐसी हालत म मुझ े उसे भूख से मरते ए दे खते
रहना चा हए?” नह , यह मानवता नह है, इस लए उसे खाना खलाइए ले कन कसी और
तरीके से उसक मदद तब तक मत क जए जब तक क वह अपने ग़लत काम के लए
प ाताप न करे। इसका अथ यह है क उसे अपने कए पर सचमुच पछतावा है और सही मायने
म पूर े मन से वह सुधरना चाहता है। उस थ त म, आप जैसे चाह वैस े उसक मदद कर सकते
ह। यह आपका कत है क आप ता से उबरने तथा उठने म उसक मदद कर। यही
वा त वक स कम है। ऐसा अगर स चे मन से प ाताप करता है और सचमुच सुधरना
चाहता है तो ही आपके ारा उसे भरपूर सहारा दया जाना चा हए।
नचले तर पर रहने वाले ब त से लोग कहते ह क “हमने कसी का कुछ नह बगाड़ा है; हम
ई र से डरने वाले लोग ह और हमने कभी अपराध नह कया है।” हो सकता है क आपने
कभी कोई अपराध नह कया हो ले कन आपने ब त से पाप कए हो सकते ह। पृ वी पर
लोग ारा बनाए गए नयम से ई र का कोई स ब ध नह । आपक नया म जसे अपराध
माना जाता है वह पाप हो यह ज री नह है। इसी तरह जो पाप है वह ज री नह क अपराध
भी हो। उदाहरण के लए वाथ होना अपराध नह है; न ही यह अपराध है क आप अ दर से
बुर े ह और नया के सामने यह दखावा कर क आप पु या मा ह। नह , यह अपराध नह
ब क यह ब त बड़ा पाप है।
अब, आइए सवश मान ई र के बारे म चचा कर। आपको ई र के बारे म बताने क कोई
आव यकता नह , य क हर आदमी उनके बारे म, अथात् हमारे वग के वामी और हमारे
व स हत अ य अनेक व के पता के बारे म जानता है।
जी वाभ वमा य क
जगत म हमारे लए भ व य क सभी घटना को जानना संभव नह होता।
कुछ घटना के बारे म हम पता होता है, ले कन हम उनके बारे म तबतक
कुछ नह बता सकते, जबतक हम उ चतर आ मा ारा पृ वी के लोग को बताने के नदश
या अनुम त न मले। य ही मनु य का संपक जीवा मा जगत से होता है, वे अपने भ व य के
बारे म सकडो सवाल पूछने लगते ह। केवल कुछ ही लोग होते ह जो ऐसे सवाल नह करते। हम
इसके लए आपको दोष नह दे त,े ले कन हम आपसे यह वनती करते ह क आप हमसे भ व य
के बारे म न पूछ।
जैसा क हम बताएंग,े सही-सही भ व य कोई नह जानता, य क सर के वहार के बारे म
कसी को पता नह होता। उदाहरण के लए, हम आपसे यह कह सकते ह क आप ९० साल
जएंगे, ले कन हो सकता है अगले ही दन आपक कसी घटना म मौत हो जाए या आपक
ह या कर द जाए। सब कुछ मनु य क अपनी वतं इ छा और नणय पर नभर करता है।
पृ वी पर, मनु य यह भ व यवाणी नह कर सकता क अगले पल या होने वाला है।
हम ायः हम यार करने वाली और जबतक हम खुद अपनी दे खभाल न करने लग तबतक
हमारी दे खभाल करने वाली मां को चुनते ह। हम ायः ऐसी मां का चयन करते ह जो हम ब त
यारी हो, ले कन कभी-अनुभव लेने के लए, कम का फल भोगने के लए और ग त करने के
लए हम मां के प म कसी बुरी या आ मा का चुनाव भी करते ह। ५
य द हमने अपने लए कसी मां का चयन कया है तो कोई हम कसी अ य मां के पास जाने के
लए बा य नह कर सकता। य द हम अपने पाप के लए कठोर वहार और सज़ा क ज़ रत
हो तो हम वाभा वक प से एक बुरी आ मा का चयन अपनी मां के प म करते ह, ता क हम
क भोग सक और क से भरा बचपन बताकर अ छे बन सक। उस थ त म, हम
बड़ा जो खम उठाना पड़ता है, य क वह मां य द ब त अ धक भावशाली ई तो हमारी
जदगी भी बगड़ सकती है और हम अपने मन को वश म कर पाने म असफल हो सकते ह।
बहरहाल, अपनी उ त और अपनी आ मा क शु के लए हम ऐसे जो खम उठाने पड़ते ह।
इससे आप समझ सकते ह क हम कतने वतं होते ह। जीवा मा जगत म हम जैसा चाहते ह
वैसा कर सकते ह। अगर कुछ ग़लत है तो हमारा अवचेतन मन कभी उसक अनुम त नह दे ता।
य द जीवा मा जगत म आप उ चतर लोक म ह तो नीचे गरने का डर नह होता।
हम, व पी और रतू, दोन ने अपनी मां का चयन कया था, ज ह हम सबसे बढ़कर यार करते
थे।
३०-०४-१९८१
ता से संघष
ह
म सभी, हमम से येक यहां कुछ न कुछ काम करते ह। जो भी करना हम सबसे
अ धक अ छा लगता है, हम उसे खुशी-खुशी करते ह। हमम से कुछ धरती के लोग को
संदेश भेजते ह, ता क उ ह उनके क से उबारा जा सके और उनक वतमान थ त से
उठने म उनक मदद क जा सके। ब त सी आ माएं ऐसा करती ह-कुछ सफल रहती ह
और कुछ नह ।
जी वालोक है
मा जगत म ७ लोक होते ह। उनम से न नतम थम लोक है और उ चतम सातवां
, इस लए आपके अ छे कम और पाप के अनुसार आपका अवचेतन मन आपको
उस लोक म ले जाता है जसके आप यो य होते ह। कोई भी मनु य उस लोक से ऊपर नह जा
सकता जसके वह यो य है, चाहे वह कतनी भी को शश य न कर ले।
हमने ऐसी या ाएं क ह। हमम से कुछ को सातव लोक म जाने का भ सौभा य और स मान
ा त आ है। बहरहाल, हम सभी न नतर लोक म जतनी बार चाह जा सकते ह और वहां क
आ मा को सुधार सकते ह।
ब त सी आ माएं कुछ सौ साल म न नतम लोक से उठकर उ चतम लोक म प ंची ह। कुछ
भली आ माएं भी ह ज ह ने अपने संपूण आ या मक जीवन म कभी थम, सरे और तीसरे
लोक नह दे खे।
उदाहरण के लए, हम आपको एक आ मा के बारे म बताते ह, जसे हम सुरेश नाम दगे। सुरेश
धरती पर ब त ही लोक य और व यात था। उसने व भ दान-पु य के काय म, हजार
पए का च दा दया था। उसने कई लोग को रोजगार दये और ज रतम द को भोजन, कपड़े
और घर दए। अपने इन काय क वजह से वह न त था क उसे उ चतम लोक ज र हा सल
होगा। जब पृ वी पर उसक मृ यु ई तो उसके लए भ समारोह के साथ उसक अं ये क
गई। लोग कहते रहे क वह ब त बड़ी पु या मा था। सुरेश क एक मू त उस धमाथ सं थान म
लगाई गई जसक थापना उसके सहयोग से ई थी।
सुरेश ने जवाब दया, “हां, यह सच है, ले कन या हमारे धमगु , पुरो हत और दाश नक हमसे
यह नह कहते क य द हम ग़रीब क मदद कर, उ ह खाना, कपड़ा, रोज़गार और रहने क
जगह द, तो हम वग मलेगा? ई र, पुरो हत और दाश नक ने मलकर मुझ े मूख बनाया”।
इस पर सुरेश ने ो धत होकर कहा, “यह ग़लत है। मेर े साथ भारी अ याय आ है। मुझे वग म
होना चा हए। म वग के लायक ं, य क मने अपने पाप धोने और वग का आनंद लेने के
लए कई सारे अ छे काम कए। इसके बदले, ई र ने मेरे साथ धोखा कया और मुझ े यहां नक
म रखा है।”
ऐसे न न लोक म आकर उसे इतना ध का लगा क वह ठ क से सोच भी नह पा रहा था। उसने
पुरो हत , धम गु और ई र को भला-बुरा कहा ले कन उसने यह नह जाना क जो पाप
उसने कए उसे हजार का दान दे कर वाथपूण उ े य ारा नह धोया जा सकता।
ह
म यहां ह और आप लोग वहां, ले कन फर भी हम आपको दे ख सकते ह, आपसे बात
कर सकते ह और अपने वचार का आदान- दान कर सकते ह। हालां क, पृ वी पर
यादातर लोग यह नह जानते और इसी कारण कुछ ही लोग हमसे संपक कर सकते ह।
जब पृ वी क आ माएं हमारे साथ संपक करने म सफल रहती ह तब हम बड़ी खुशी
होती है।
कुछ लोग यह व ास करने के लए बा य होते ह क जीवा मा जगत से संपक करना ग़लत है।
उ ह यह समझाया जाता है क इससे हम जीवा मा को बाधा प ंचती है और हम (हमारी
आ मा ) को पृ वी पर बुलाने से हमारी उ त कती है। ये ग़लत धारणाएं ह। सच तो यह है,
क य द हम पृ वी के लोग से संपक करने क अनुम त मांग तो सवश मान ई र और उ चतर
भली आ माएं ब त स होती ह।
पता है, हमम से कुछ जीवा माएं अपने यजन को ग़लत करने से रोकने के लए कुछ ‘संकेत’
७ दे ती ह, य क हम चाहते ह क जीवा मा जगत म आने पर वे भी हमारे साथ उ च लोक म
हमारे लए अपने यजन के साथ लगातार संपक करना आसान होता है। यह बस घर म
बैठकर टू -वे रे डयो पर बात करने जैसा है। हमारी संपक व ध और आपक टू -वे रे डयो व ध म
अ धक अ तर नह है।
इसी तरह, पृ वी के कुछ लोग म टू -वे रे डयो जैसी मता ई र द होती है। इसक मदद से वे
हमारे संदेश को हमारी ही तरह ा त कर सकते ह और हम बड़ी आसानी से जान पाते ह क
आप या कहते या सोचते ह। पृ वी के कुछ लोग भा यशाली ह क उनके पास यह मता है,
और के पास नह । हमेशा याद र खए क आपके और हमारे दोन के लए अपने अंतमन के इस
टू -वे रे डयो के ज रए संपक कायम करना सबसे अ छा है। उस क मदद ली जए जसे
यह वरदान मला आ है और फर दे खए क इससे आपके जीवन म कैसा फक आता है!
०५-०५-१९८१
लोक का संचालन कस कार होता है
अं तम उ े य होता है लोक ७ म प ंचना। इसे पाने के लए आपको कड़ी मेहनत करनी होगी।
ग त करने के आपके आंत रक सहजबोध पर सब नभर करता है। तब आप कभी ऐसे काम
नह करगे, जो आपको नीचा दखाए और ज द ही आप अपने ल य तक जा प ंचगे। कुछ
खुश क मत आ मा ने यह कर दखाया है। यह पूरी तरह से आपके हाथ म ह।
इन सात लोक म से येक लोक पर एक उ च भली आ मा का शासन चलता है। शासन करने
का अथ यहां यह है क वह उस लोक का मुख होता है।
उ चतर लोक म कोई कसी कार का पाप या कसी को नुकसान प ंचाने वाला काम नह
करता है। याय हमेशा हमारे अवचेतन मन ारा लागू कया जाता है, इस लए वहां पु लस
व था या पद वाले अ धका रय क ज़ रत नह रह जाती। हालां क, हम कुछ न त काय
करने क अनुम त लेन े क ज़ रत पड़ती है, और य द हम कसी सलाह या मागदशन क
आव यकता हो, तो हम अपने लोक क उ च भली आ मा के पास मदद के लए जाते ह।
लोक १, २ तथा ३ म येक लोक का संचालन एक उ च भली आ मा ारा कया जाता है;
लोक ४, ५, ६ तथा ७ म भी ऐसा ही होता है। पर लोक ७ क मुख, ी सव च भली आ मा
सभी लोक क धान होती है।
वे सभी इतने वन और दयालु होते ह क वे आपको कभी इस बात का एहसास नह होने दगे
क वे आपसे े ह। वे आपके साथ हंसगे, आपके साथ चुटकुले कहगे और ऐसा वहार
करगे, मानो आप उ ह के तर के ह । उनका काश इतना चमकदार और उनका अंगरखा इतना
झल मलाहट भरा होता है क उ ह दे खते ही तुरंत आपको पता चल जाएगा क वे शु , स ची
और उ च भली आ माएं ह।
उसी कार उ चतर लोक म वेश करने के लए भी हम सुर ा और अनुम त लेनी पड़ती है,
य क उनका काश अ यंत तेज होता है, वहां का वायुमंडल अ यंत हलका होता है और वहां
के पंद हमारे लए ब त श शाली होते ह। आप जस लोक म रहते ह, केवल उससे एक लोक
ऊपर ही जा सकते ह। एक लोक से अ धक कोई या ा नह कर सकता है (भगवान का शु है
क हम लोक ६ म गए थे; १९८५ म हम लोक ७ म जा प ंच)े हालां क सलाह दे ने, मागदशन दे ने
और कसी ऐसी आ मा को सुधारने के लए, जसने मदद क पुकार क हो, आप न नतम लोक
म जा सकते ह। हम अ त र सुर ा क ज़ रत होती है और सवा उस आ मा के ज ह ने हम
बुलाया होता है, सभी के सामने हम अ य रहना पड़ता है, अ यथा वह भयानक आ माएं हम
नुकसान प ंचा सकती ह, अथवा हम पर हमला बोल सकती ह। वे आ माएं बेहद बुरी होती है।
हमारे शरीर नह होते, इस लए वे शारी रक प से हमारा कुछ नह बगाड़ सकती, ले कन
कभी-कभी वे उ च आ मा को बंद बनाकर कैद म रखती ह और मान सक प से परेशान
करती ह। य द हम उनक कैद म चले जाएं, तो कई उ च भली आ माएं हम बचाने आती ह, इस
लए, ऐसी बुरी ताकत के सामने अ य रहना ही सबसे अ छा होता है। अ यथा, ऐसे थान पर
न जाना ही उ चत है।
पहली डोरी
हम जानते ह क कई बार चीज पर भरोसा करना आपके लए काफ क ठन हो जाता है।
उदाहरण के लए, हम जीवा माएं और आप पृ वी पर क आ माएं ायः हर दन एक- सरे से
मलत ह। आप पूछगे कैसे? जब आप गहरी नीदं म होते ह, तब पृ वी पर के लोग अपने शरीर
छोड़कर अपने बछड़े प रजन से मलने के लए एक न त ऊँचाई तक जा प ंचते ह। आप
तब अपने शरीर से केवल एक चुंबक य डोरी, जसे पहली डोरी कहते ह, उसके मा यम से
जुड़े होते है। जब आप न द से अचानक जागते ह, तो यही डोरी, आपको आपके शरीर म वापस
लाती है। यह केवल तभी होता है, जब आपक न द गहरी और व हीन होती है। आपको इसक
याद नह रहती, पर हम आपको भरोसा दलाते ह क आपक अपने यजन से लगभग हर
दन मुलाकात होती है।
आप अपने प रजन से कुछ मनट के लए मल सकते ह अथवा कुछ घंट के लए-यह नभर
करता है आपक न द पर, जो गहरी और बना सपन क होनी चा हए। लगभग सभी का कोई न
कोई प रजन होता है-भले ही इस जीवन म आपको उनके बारे म पता न हो। हम एक बार फर
कहते ह, ेम पार प रक होना चा हए न क एक तरफा।
ह
म यहां जीवा मा जगत म ब त खुश ह। लोक ५, ६ और ७ म हम कभी एक- सरे को
नुकसान नह प ंचाते। हम हंसते ह, हंसी-मजाक करते ह, एका- सरे को चड़ाते भी ह
और हमेशा काफ उ सा हत रहते ह; पर हम कभी परेशान या ःखी नह होते। हां, पर
धरती पर जब हमारे प रजन ःखी होते ह तो हम ःखी हो जाते ह।
लोक ४ क आ माएं कभी ःखी तो कभी खुश रहती ह, और कभी-कभी तो वे एक- सरे के
त ई यालू भी हो जाती ह, पर इन सबके बावजूद वे एक- सरे को इतना नुकसान नह
प ंचात ।
लोक ४ क आ माएं कभी-कभी एक- सरे को बेवकूफ़ बनाती ह, एक सरे से झूठ बोलती ह
और ज ह वे पसंद नह करत , उ ह ब त ःख प ँचाती ह। वे थोड़ी-थोड़ी अ छ और बुरी
दोन होती ह।
यहां तक क लोक ४ म भी आपको अपनी र ा करनी होती है, य क कोई आपको मान सक
प से परेशान कर सकता है। लोक ५, ६ और ७ म कसी सुर ा क ज़ रत नह होती, य क
कोई कसी को नुकसान प ंचाने क बात भी नह सोचता।
लोक ५, ६ तथा ७ म हमारे मु य नयम होते ह: एक- सरे क मदद करना, एक- सरे के बीच
खु शयां बांटना, जो भी पसंद हो वह काय करना और पृ वी पर रहने वाले अपने यजन क
मदद करना।
हम इन लोक म इतने ेम भाव से रहते ह क धरती पर से यहां आने वाली आ माएं पूरी तरह से
वतं महसूस करती ह। उ ह कसी कार का भय, ःख, शारी रक तकलीफ़ और पीड़ा नह
होती। हर कह ेम का वास होता है। सबसे अ धक मह व इस बात का है, के हम एक बेहद
खूबसूरत जगह म रहते ह। तो या यह उ चत नह है क हम ई र के बनाए नयम पर चल,
जससे हम उ चतम लोक तक प ँच पाएँ? तो पृ वी के लोग , ई र के नयम का पालन करने
का ढ़ संक प कर। इस बात का ढ़ संक प कर क कभी गलत राह पर न चल और हम
भरोसा है क ई र आप सभी का भला करगे!
०९-०५-१९८१
न नवत लोक भर चुक ह
ह
म पुनज म लेत े ह अ धक ग त करने के लए, पर पृ वी पर के अ धकतर लोग और
नीचे ही गरते चले जाते ह, य क ापक प से फैली बुराई, आपक नया पर हावी
रहती है। कई भली आ मा को यहां, आपक नया म फर ज म लेन े से पहले हजार
बार सोचना पड़ता है, य क सवाय वा त वक आ मा या न शैतान के, कोई
नीचे गरना पसंद नह करता।
कई भली आ माएं आपक नया म कुछ अ छा करने, ता से संघष करने एवं शां त,
भाईचारा और अ छाइय को बढ़ावा दे ने के लए पुनज म लेती ह, पर भा यवश ता का
भाव इतना गहरा होता है क उनके अवचेतन मन उ ह तुरंत वापस ले जाने के लए ई र से
ाथना कर बैठते ह। वे न नतर लोक म जाने से नफरत करते ह, और उनके अवचेतन मन उ ह
गलत या अ यंत बुरा करने से रोकते ह, इस लए इस कदर बुराइय से भरी नया म वे कहां मुड़,
यह उ ह समझ म नह आता। यही कारण है क भली आ माएं अ स और ःखी रहती ह।
इस लए बना उनके चैत य ान के उनके अवचेतन मन उ ह उनके असली, आ या मफ
घर म वापस बुलाने क सवश मान ई र से ाथना करते ह।
ऐसी भली आ माएं, जो अपने अवचेतन मन के कारण गलत काम नह कर सकत और आपक
नया म अ छाइय को नह फैला पात , उ ह समझ म नह आता क वे या कर। वे ई र
से लगातार यह पूछती रहती ह, “ या आपका याय यही है?” पर अवचेतन मन को पता होता
क गलत या है-उसे यह भी मालूम होता है क इस नया से भली आ माएं मुकाबला नह
कर पाएंगी और यही कारण है क उनम से कई पु या माएं अपने समय से पहले ही अपने घर
लौट जाती ह। केवल कुछ भली आ माएं ही ९० साल या अ धक तक जीती ह, और भा यवश
उ ह काफ क सहना पड़ता है।
भली आ माएं ई र से पुकार करे- “हे ई र, या यही आपका याय है?” उससे पहले यह
कताब उ ह कुछ अ त ज र दान करेगी। हमारी यह कताब उन भली आ मा तक इस
उ मीद के साथ प ंचेगी, क ताकत से उ ह बचाया जा सके ता क वे नीचे ना गर। हम
न त प से कह सकते ह क ब त कम बुरी या आ माएं इस कताब को पढ़गी और
शायद उ ह इस कताब म लखी बात फ़जूल ही लगगी।
ह
मारी भावनाएं भी वैसी ही होती ह जैसी पृ वी पर आपक होती ह- वही यार, वही
लगाव और वही दयालुता। ले कन, हम अपने यजन को अ धक सम ता और गहराई
से चाहते ह, चाहे वे जीवा मा जगत म या फर आपक नया म रहते ह ।
ह
म आपको अपने एक दो त जमी अंकल (उनके स मान म हमने उनका नाम बदल दया
है) क स ची कहानी सुनाना चाहते ह। पृ वी पर अपने समय म वह कमाल के व ा
आ करते थे और बड़े आकषक व के थे। वह नया को यह दखाते थे क वह
ब त भली आ मा ह और कसी को नुकसान नह प ंचाते। वे हमेशा हम यह दखाया
करते थे क उ ह ने ब त से लोग को खाना, कपड़े, पए-पैस े और रोज़गार दे कर मदद क है।
वह नय मत घंट ाथना करते थे। उनक प नी और उनके ब चे भी उ ह के जैस े थे। वह
अपनी प नी के हमेशा गुणगान कया करते थे। वह सु दर थ ले कन बु मान नह । उनके ब चे
कूल म तोता रटं त पढ़ाई कर, पास होते थे। अपने ब च से उ ह बड़ी उ मीद थी और वे उनके
बु मान होने क बड़ी शंसा करते थे।
कहावत है जैसा बाप वैसा बेटा। उनके ब चे उ ह के न शे कदम पर चलते थे और लोग उनक
बड़ी शंसा करते थे। वे ब त अमीर और त त थे, और बड़े लोक य भी। इस लए, लोग के
लए यह बात ब कुल तय थी क वे सीधे वग ही प ंचगे। हमलोग उ ह बड़ी अ छ तरह जानते
थे। जमी अंकल क मृ यु के समय हम पृ वी पर जी वत थे। हमने उनक आ मा के लए ाथना
क और उनक प नी और उनके ब च को यह कहकर ढाढस बंधाया क उ ह तो त काल ही
वग ा त आ होगा।
हम भी कतने मूख थे! पृ वी पर लोग कसी क स चाई जान ही नह पाते। जीवा मा जगत म
आने के कुछ ही समय बाद हम जमी अंकल क याद आई, सो हमने अपने लोक म उनक
तलाश शु कर द (१९८१ म हम छठे लोक म थे) जब हम उ ह नह ढूं ढ सके तो हम लगा क
उन जैसी भली आ मा को ज र सातव सव च लोक म होना चा हए। य क हम उ ह व मत
करना चाहते थे, इस लए हमने वचार श के ज रए उनसे संपक नह कया। ले कन, जब छठे
लोक म वे हम न मले तो हमने अपनी वचार श को सातव लोक क ओर े पत कया
और उ ह पुकारकर कहा, “ जमी अंकल, हम यहां जीवा मा जगत म ह, कृपया छठे लोक म
आकर हमसे म लए”। हम कोई जवाब नह मला।
जीवा मा जगत म नए होने के कारण हम उ ह न नतर लोक म जाकर ढूं ढने का वचार नह
आया। हम उ च भली आ मा के पास गए और जमी अंकल के बारे म पूछा। ी उ च भली
आ मा मु कुराए और बोले, “वह न तो छठे और न ही सातव लोक म है। जब तुम लोग न नतर
लोक म जाओगे तो वहां उ ह ढूं ढने क को शश करना”।
हम स रह गए। हमने कहा, “मा यवर, यह तो असंभव है, वह ब त ही भले मनु य थे, हमसे
कह यादा भले”। उ ह ने मु कुरा कर जवाब दया, “हां, हां, मने सुना, ले कन फर भी जब म
तु ह न नतर लोक म कसी काम से भेजूं, तो तुम लोग उ ह वह ढूं ढना।
तीसरे लोक म अपना काम ख म कर हमने जमी अंकल को पुकारा, ले कन कोई जवाब नह
मला। हम खुश ए, वापस अपने लोक म लौट आए और ी उ च भली आ मा को हमने
सबकुछ बताया।
“मेरे पता इन बात का मज़ाक उड़ाते थे और मेरी मां को पागल कहते थे। एक समय ऐसा
आया जब हम सभी भाई-बहन अपने पता से इतने भा वत ए क हम अपनी मां को
सचमुच पागल और बेवक़ूफ़ समझने लगे। वह चाहते थे क हम अपनी भली और दयालु मां का
स मान न कर और उसके त हमारा यार समा त हो जाए”।
“मेरी मां अपने ब च को उनके पता के रा ते पर चलता दे खकर ब त ःखी थी। एक दन मेरी
मां ने मुझसे कहा, ‘ जमी म चाहती ं क तुम अपने पता के बताए ए काम न करो य क वे
ग़लत ह। तुम अपने भाई-बहन म सबसे बड़े हो इस लए म चाहती ं क तुम अपने भाई-बहन
को ग़लत रा ते पर जाने से बचाने म मेरी मदद करो।”
“अगली सुबह पु लस आई। हमने अपनी मां के मृत शरीर को घर के पास नद के कनारे पाया।
म स रह गया, ले कन म अब भी उसे एक बेवक़ूफ़ और पागल म हला ही मान रहा था। मेरे
वचार से वह कमजोर थी य क उसम इतनी ताक़त नह थी क वह आ मह या जैसा पाप
करने से खुद को रोक सके। हमारे पता अब ब त खुश थे य क अब उनके काम म दखल दे ने
वाली मेरी मां नह रह थी”।
“अब हम हमारे पता बुर े से बुरा इंसान बनाने क श ा दे न े लगे। वह ब त बड़े चोर थे, ले कन
अपनी मां के मरने के बाद हम यह पता चला, य क हमारे पता से हम ब त अ धक भा वत
थे। हम सोचते थे क हमारे लए वे जतनी अ छ -अ छ चीज लाया करते थे वह सब उ ह उन
लोग ारा भट कया जाता था जनक वे मदद करते थे। उ ह ने हम सबको ऐसा ‘पाठ पढ़ा’
रखा था क हमारा उनपर अटू ट व ास था और हमने उनसे कभी कोई सवाल नह कया।”
“ये सभी कम सखाकर यहां तक क यह भी सखाकर क कैसे बना कोई सुराग छोड़े कसी
क ह या क जाए, पता इन काम से अलग होकर आराम का जीवन बताने लगे। उनका कहना
था क चूं क वही इस सब के मुख थे इस लए चोरी और लूट क कमाई पर उनका पहला
अ धकार था।”
“कु छ साल तक, हम वही करते रहे जो हमारे पता कहते थे। हम अपने पता को पूजते
रहे। वह हम अ धेर े नक क ओर ढकेलते रहे। उनसे भा वत होकर हम सचमुच ख़ुश
थे। उ ह ने हमारे दमाग को इस तरह अपने नय ण म कर रखा था क हम सीधे-सीधे कुछ
सोच ही नह पाते थे और न ही उन दन कभी हम यह जान पाए क हमलोग कतने बड़े शैतान
थे”।
“कुछ साल क खुशहाली के बाद पता को बुखार रहने लगा। डॉ टर ने कहा क उ ह कुछ
समझ म नह आ रहा क दरअसल उ ह या आ था। फर एक डॉ टर ने उनके खून क जांच
करवाने को कहा। उ ह लड शुगर था। हमसे उनके खान-पान पर कड़ी नगरानी रखने को कहा
गया। अपने वा थ को लेकर वे बड़े चौकस थे, इस लए उ ह ने वह सब कुछ कया जो डॉ टर
ने बताया था। कुछ महीन के बाद जब उनक सेहत थोड़ी ठ क ई तो वह अकेले ही कह बाहर
नकल पड़े, ले कन उनके साथ एक घटना हो गई। उनके दोन पैर और एक हाथ काटना पड़ा।
सरा कोई उपाय नह था”।
“यह सब सुनकर पुरो हत हैरान थे। वह मुड़े और बना कसी को कुछ बताए दबे पांव वापस
लौट गए। पुरो हत बु मान और धा मक आदमी थे। वे अ छ तरह समझ गए क मेर े पता एक
इंसान थे और ज र उ ह ने अपने ब च , अथात् हम भी कया होगा”।
१६-०५-१९८१
जमी क कहानी, जारी: ई र सबकुछ दे ख रहे ह
“पु रोबात क
हत सचमुच एक बु मान और प वाद थे। उ ह ने एक पु लस अ धकारी से
और उनसे कहा क वह हमारे प रवार के बारे म सबकुछ पता करे। थोड़े ही दन
म, पु लस ने सबकुछ पता कर लया। उ ह ने सारी जानका रयां हा सल कर ल , ले कन
अभा यवश से उनके पास कोई सबूत नह था।”
“उ ह सूझ नह रहा था क या कर। इस बीच, मेरे पता क हालत बगड़ती जा रही थी। अब
उ ह सारे शरीर म असहनीय दद होने लगा था और उनक डाय बट ज़ भी काफ़ बढ़ गई थी।
सारे शरीर म उनक वचा पर फुं सयां नकलने लगी थी। उनका गु सा भी काफ़ बढ़ गया था
और उनक हालत दे खी नह जाती थी। जो कुछ भी उनके हाथ आता, वह फकने लगते थे और
साथ ही हम गा लयां दे त े और कोसते थे।”
“उ ह ने इस बात का पूरा यान रखा था क आसपास कोई ऐसी चीज न हो जसे पता उठाकर
हमपर फक सक। फर उ ह ने हम सब को पता के आस-पास बैठने को कहा। य क हमारे
दमाग म यह बात बैठ थी क हमारे पता को जा ई तरीके से ठ क कया जा रहा है, इस लए
हम ब कुल यह नह सोच सके क पुरो हत हम— ज ह ने साल तक कई लोग को ठगा है,
मूख बनाकर एक अलग ही चम कार दखाने वाले ह।”
“ई र को दोष मत दो, बदमाश । तुम जैसे नदयी के लए यही सही सजा है। तु ह अपना फल
मल रहा है’, पुरो हत ने कहा। भगवान ही जाने अपने घोर पाप के लए तु ह नक म कतना
कुछ और भोगना पड़े। सवश मान ई र के साथ तुम छल नह कर सकते। तुमने अ छ तरह
से हम सब को धोखा दया, यहां तक क अपने ब च को भी। तुमने उ ह भी अपनी तरह पापी
बना डाला। तु ह ने अपनी प नी क जदगी बबाद क और उसे आ मह या करने के लए
मजबूर कया। तुम उसे रा ते से हटाना चाहते थे ता क वह तु हारे ब च को अ छा इंसान न बना
सके और तु हारे पाप को लेकर झगड़ा न कर सके। तुमने पूरा यान रखा क हम तु हारा कोई
सबूत न मले, ले कन सवश मान ई र को कसी सबूत क ज रत नह । यही उनका याय
है।”
“सुनो ब च , इससे पहले क ब त दे र हो जाए अपने सारे ग़लत काम छोड़कर, प ाताप कर
लो। हमेशा याद रखो क सवश मान ई र को सबूत क ज रत नह होती। उनक आंख म
कभी धूल नह झ क जा सकती और न ही कोई उनके याय से बच सकता है। इस लए, समय
रहते सही रा ते पर वापस लौट आओ। यारे ब च , अपने पता के बताए रा ते छोड़कर
ई र क स ची राह पर लौट आओ। इससे पहले क दे र हो जाए स चे मन से प ाताप कर
लो।”
“इसके बाद उ ह ने दरवाजा ब द कया और बाहर चले गए। पता के साथ-साथ हम सभी स
थे। लगभग एक घंटे बाद हमारे पता सदमे से बाहर आए और ब च क तरह फूट-फूट कर रोने
लगे। उ ह ने कहा, ‘हां, ई र, तुमने मुझ े ब कुल यो य सज़ा द है। म इसी के लायक था। मुझे
मा कर दे ना भु। म खुश ं क मेरा पापी जीवन अब ब त ज द ख म हो जाएगा और म
कसी का भी बुरा नह कर सकूंगा। हे ई र, मुझे ज द मृ यु दो।”
हमेशा याद रख क आप अपने समय को बरबाद न कर। पृ वी पर आपको कुछ वशेष काय के
लए, श ण के लए, अनुभव जमा करने के लए और कम के फल ा त करने के लए भेजा
गया है, इस लए अपना समय पूरा होने से पहले उन काय को पूरा कर जनके लए आप वहां
गए ह। अ यथा उसी काम के लए आपको फर से ज म लेना पड़ेगा और आपक एक और
जीवन-अव ध बेकार चली जाएगी अथवा आपका वतमान जीवन ःख-दद से भरे एक बीमार-
लाचार भौ तक शरीर म जारी रहेगा, जो आपके कम के लए आव यक समय से कह यादा
लंबा समय होगा। इस लए ब मू य समय को बरबाद न कर, अपना काम ज द पूरा कर ल। तो
हो सकता है क आपका समय पूरा होने से पहले ही आप लौट आएं (आप कभी नह जान
पाएंग े क आपका समय कब पूरा हो रहा है। केवल आपका अवचेतन मन ही यह जान पाएगा।)
पुनज म का उ े य
जी वाअथवा कभी-कभी
मा जगत म हम नए आने वाल के लए अ भभावक के प म भी काम करते ह,
ी सव च भली आ मा हम न नतर लोक म भेजती ह य द कसी
ऐसी आ मा क आपात पुकार हम सुनाई पड़ती है जो स चे मन से प ाताप करना चाहती है
और ऊंचा उठना चाहती है। हम उस आ मा का मागदशन करते ह क उ ह ने खुद को सुधारने
और ऊंचा उठाने के लए अपनी सजा सव म तरीके से कैसे वीकार करनी चा हए। हमारी
तरह सरे भी अनेक मददगार ह और हर रोज, हर मददगार को ऐसे क स का बोध होता है।
उ ह ने कहा, “नह , नह , मेरी मदद कोई नह कर सकता। कुछ नह हो सकता। चले जाइए।”
“म १९ साल क थी और अपने माता- पता और भाई के साथ गांव म खुशहाल रहती थी। कूल
क पढ़ाई पूरी कर लेन े के बाद मेरा सपना डॉ टर बनने का था, इस लए मने अपने माता- पता
से आ ह कया क मुझ े यु नव सट पढ़ाई के लए शहर भेज दया जाए। मेर े लए यह भा य
ही था क माता- पता ने मेरी जद मान ली। म शहर गई और उ मीद के साथ, हंसी-खुशी और
म ती के साथ म कॉलेज म पढ़ने लगी। म एक सु दर और शम ली लड़क थी। ब त से लड़के
मेरी ओर आक षत ए ले कन मने उनम से कसी को ो साहन नह दया। आ ख़रकार मुझे
ब त ही सु दर और नदयी लड़के से ेम हो गया। पहले तो, उसने मुझे टालने क को शश क
इस लए बेवक़ूफ़ क तरह, म उसक ओर और आक षत ई। म और भी अ धक उसके पीछे
पड़ गई और म पागल क तरह उससे ेम करने लगी और हमेशा चाहती थी क उसी के पास
र ं।”
“मुझे पता था क वह नदयी है और मने उसे अपना अ यास लखवाने और अपना काम
करवाने के लए लड़ कय पर ध स जमाते दे खा था। मेरे मन म उन लड़ कय के लए ई या पैदा
ई और मने उस लड़के से कहा क मुझे उसका अ यास लखने और उसके सारे काम करने म
खुशी होगी। म उसक ग़लाम बन गई। मूख क तरह, म अपनी इ छा से नक म कूद पड़ी थी।
वह बस एक श द कहता और म उसका काम कर दे ती। फैसला करने क मने अपनी मता खो
द थी। अब भी, म हैरान ं क मने ऐसा होने कैसे दया। वह मुझसे जो भी कहता था म करती
थी। म उसके लए स बेचती थी, यहां तक क उसक ऐ याशी के लए लड़ कयां लाती थी।
मुझ े सोचकर अजीब लगता है क ऐसा या था जस कारण म उसके लए एक यं क तरह
काम करती थी – बस उसका एक म और म चल पड़ती थी उसे पूरा करने और कुछ भी ऐसा
करने जससे वह ख़ुश हो।”
“मेरे लए बस इतना ही काफ़ था क वह मेरी सेवा के बदले कभी-कभार मुझे बाह म भरे
और मुझसे ेम करे। मुझे अब भी आ य होता है क म इतनी पागल य थी। यह जानते ए
भी क वह एक लड़का था, उसके लए म पूरी तरह पागल थी। वह स के धंधे करता था,
लड़ कय पर बला कार करता था, इसके बावजूद म उसका कहा मानने से खुदको रोक नह
पाती थी। म मूख थी और मुझे यह ान नह आ क वह मेरी ज़दगी बरबाद कर रहा था।”
“एक दन, उसने मुझसे एक ब त ही अमीर लड़क क सहेली बनने को कहा जो दे खने म
ब कुल भी सु दर नह थी। उसने ऐसा पहले भी कई बार कया था। म कसी लड़क क सहेली
बनती और मेरे ज रए वह उस लड़क क ज दगी म वेश करता, उसे अपने यार के जाल म
फंसाकर उसका इ तेमाल करता और उसके पैस े ठगकर उसे छोड़ दे ता। इस लड़क से दो ती
गांठने म मुझ े ब कुल भी समय नह लगा। ज द ही, मने अपने प रवार के ब त ही स मा नत,
अमीर और गांव के ऊंचे समाज से संबंध रखने वाले दो त के प म उस लड़के का प रचय
उससे करवाया। यह सब कुछ उसी तरह आ जैसा आमतौर पर पहले आ करता था, ले कन
एक दन, अपनी दो ती के कुछ ही समय बाद दोन ने शाद कर ली। मुझे सदमा लगा, ले कन म
अब भी उसके जबरद त भाव म थी। इस लए, म उसक ग़लाम बनी रही और वह जो कुछ भी
कहता, वह करती रही।”
हमने उसे वह राह दखाई जस पर चलकर वह चौथे लोक तक प ंच सकती थी, ले कन इसक
या, बेशक, ब त धीमी थी। अब हमारे मागदशन से वह धीरे-धीरे ग त करने लगी ह।
१९-०५-१९८१
अवचेतन मन सु त हो सकता है
ह
म जीवा मा के सामने कई कार क अजीबोग़रीब कहा नयां आती ह। हम आपको
ऐसी ब त सी कहा नयां सुनाना चाहगे, ले कन अगर सुनाने लग तो उनसे कई कताब
भर जाएंगी। इस लए हमने ऐसी कुछ कहा नयां चुनी ह जो आपक नया म रहने वाले
लोग क कृ त को दशाती ह। आपको ऐसे लोग ारा मूख बनाए जाने और उनक
पापी योजना म खुद को शा मल न करने को लेकर सावधान रहना चा हए। साथ ही, इस बात
का यान र खए क पृ वी पर रहने वाले कसी भी के त आपक अंध ा न हो। इ ह
कारण से हम चाहते ह क आप इनम से कुछ स ची कहा नय को पढ़।
जब अगली बार कोई कुछ ग़लत करे तो इस पर यह कहकर हैरान होने क कोई बात नह , क
“ या उसके पास अंतरा मा नह है?” आपको जवाब मालूम होगा क उस का अवचेतन
मन सोया आ है या न य है। म इसे फर से क ंगाः पांचव अथवा उससे नीचे के लोक क
आ मा क यह सम या है। यह सम या ऐसी है क आपके जीवन को सैकड़ वष तक बरबाद
कर सकती है और आपको भयानक क का सामना करना पड़ सकता है।
इसका अनुसरण रोज कर ले कन सूय दय से लेकर सूयादय के बीच ही। सूया त के बाद
ऐसा न कर। दो मनट के लए ई र से ाथना कर और फर सवश मान ई र से अपने सोए
ए अवचेतन मन को जगाने के लए मदद क ाथना कर!”
यह ाथना कर लेने के बाद अपने मन को सारे वचार से मु और पूरी तरह कोरा कर ल। कोई
भी वचार आपके दमाग म न आए। केवल एक मनट के लए यह पूरी तरह कोरा होना चा हए
(य द आप एक मनट से अ धक अपने मन को कोरा करते ह तो कसी नकारा मक अवकाशी
आ मा ारा आपको हा न प ंचाई जा सकती है)। ऐसा करने से आपको ब त फायदा होगा।
एका ता और यान के बाद ई र को ध यवाद द और फर अपने दै नक काम म लग।
हमने आपको अपने अवचेतन मन को जागृत करने के उपाय बताए। आप ने उसक बात नह
मानी और उसे सु त होने दया पर अब आपको इसे जागृत करने का समय आ गया है। इसम
थोड़ा व लगेगा, पर हमारे नदश का ईमानदारी से पालन कर। आपके अवचेतन मन को
जागृत रहना चा हए और उसे आपका मागदशन करना चा हए। कृपया आप उससे बात कर,
उससे याचना कर और फर से स य होने के लए उससे अनुरोध कर।
कुछ कहते ह यान, कुछ लोग कहते ह एका ता, पर आपको बस एक मनट के लए अपने मन
को खाली करना होता है। शु आत म तो यह क ठन अनुभव होगा, पर एक बार जब आप इसके
अ य त हो जाएंगे तो यह काफ आसान हो जाएगा। बस सोचना बंद कर द, और य द आपके
मन म वचार आएं तो उनक ओर यान ही न द, और अंत म वे अपने-आप क जाएंग।े
आपको कई तरह क आवाज़ सुनाई पड़गी, ऐसी भी आवाज़ आएंगी जो आपसे काफ र होती
ह। आप उ ह और अ धक से अ धक सुनगे, पर को शश कर क कोई वचार आपके मन म न
आ पाएं। आपका मन पूरी तरह से कोरा होना चा हए; सभी याल को हटा द। इससे आपक
ग त म काफ मदद मलेगी।
इस लए इससे पहले क दे र हो जाए, इसपर काफ गहराई से सोच। अपनी नया और अपने
भौ तक शरीर को छोड़ने से पहले आपके पास कई ऐसे अवसर आते ह, जनम आप बुरे से
अ छे बन सकते ह और य द आप इन मौक का बेहतर उपयोग करगे, तो आप यह सु न त
कर सकते ह क जीवा मा जगत म आपको ब त आसान सज़ा मलेगी। पहले, सरे या तीसरे
लोक म जाने क बजाए आप कम से कम चौथे लोक म तो प ंच ही सकते ह; इस लए गहराई से
वचार कर और आप पाएंग े क अपने-आप म तुरंत सुधार लाना अ धक बेहतर है।
२१-०५-१९८१
सतीश क कहानी: आपम सुधार का साहस होना चा हए
सतीश के बो डग कूल का माहौल काफ भयानक था। वह वहां बुरी संगत म पड़ गया और
गलत आदत का शकार हो गया। कूल छोड़ने तक सतीश के पता गुजर गए और उसक
सौतेली मां बना कुछ कहे-सुने सब कुछ समेट कर शहर छोड़कर चली गई। सतीश के पास न
पैस े थे, न कोई दे खभाल करने वाला। अब वह अपना जीवन कूल के आवारा दो त के संग
बताने लगा।
इधर लड़क क संगत म आकर सतीश अपने दोन दो त से र होना चाहता था और सुधरने
क को शश करना चाहता था। सतीश सही रा ते पर चलना तो चाहता था, पर अपनी दशा से
नकलने का कोई रा ता न पाकर वह काफ नराश हो जाता। लड़क के लए उसका यार
बढ़ता ही जा रहा था, इस लए वह उसे धोखे म नह रखना चाहता था। सरी तरफ लड़क इतनी
ईमानदार थी क य द वह उसे सारी स चाई बता दे ता तो वह उसे अपने प त के प म वीकार
नह करती।
सतीश क कायरता ने उसके जीवन को बरबाद कर डाला। य द उसने लड़क से खुल कर,
ईमानदारी से कहने क ह मत दखाई होती, तो यह जान पाता क उसके उ ह दो त के ज रए,
जो उसे लड़क से अलग करना चाहते थे, लड़क को उसके बारे म सब कुछ पता चल चुका था।
दरअसल वे पहले ही लड़क को सब कुछ बता चुके थे। पर इसके बावजूद लड़क ने मन ही मन
सतीश से शाद करके उसे सुधारने का फ़ैसला कर लया था। वह बस यह दे खना चाहती थी क
या सतीश उसे सचमुच स चा यार करता था या नह । पर सतीश तो उसे बना एक श द कहे
छोड़कर जा चुका था। सचमुच कतनी बड़ी गलती कर द थी उसने।
सूरदास तीसरे लोक म था, य क उसका पूव ज म बुराइय से भरा था। उसक यतम नीलू
पांचवे लोक म थी। इस लए उसने तीसरे लोक के अपने मुख, ी उ च भली आ मा से अपने-
आप को एक बार फर पृ वी पर भेजने के लए ई र से अनुमती लेन े का अनुरोध कया। उसने
यह वनती क क उसका ज म एक वृ क मां के यहां हो, ता क वह अपनी मां और
अपने-आप को सुधारकर पांचव लोक म जा सके। पांचव लोक म रहने वाली अपनी यतम
नीलू से मलने के लए वह ःख और सज़ा से भरा क ठन जीवन जीने के लए तैयार था।
इस लए सूरदास को जीवा मा जगत म रहने वाले उसके यजन ने एक साल के होने से पहले
वापस लौट आने का आ ह कया, य क उसक मां एक भयानक औरत थी। हालां क सूरदास
टस से मस नह आ। य क वह नीलू (जीवा मा जगत म उसक यतम) से बेहद यार करता
था और हमेशा के लए उसका साथ पाने को बेताब था।
सूरदास क मां अ यंत औरत थी। उसने अपने बेटे को गंद भाषा सखाई और हर कसी को
कोसना सखाया। सूरदास या उसक मां के मुंह से अ छे श द नकलते ही नह थे। सूरदास
जीवा मा जगत क धीमी ग त क अपे ा पृ वी पर तेज ग त ा त करने के लए आया था,
ता क वह ज द से ज द पांचव लोक म जा सके। इस लए उसने अपनी मां को यह सोचकर
चुना था क वह उसे सुधारेगा और अपनी आ मा क मदद कर पृ वी पर एक ही जीवन से
जीवा मा जगत के पांचव लोक म चला जाएगा। इस लए उसने अपने अवचेतन मन को ढ़ रहने
और उसे नराश न करने के लए श त कया था। येक आ मा यह कर सकती है। परंतु
इसम भारी जो खम है, य क हमारा अवचेतन मन अ यंत ता को शायद सह न पाए।
माग से अ चत होकर वह न ा म चला जा सकता है। अगर ऐसा आ, तो वह एक ब त बड़ी
वप है। कतना बड़ा जो खम-सूरदास क आ मा पांचवे लोक तक प ँचना चाहती थी, पर
य द उसका अवचेतन मन न य हो जाय, तो वह सरे या थम लोक तक भी गर सकती
थी।
ःखी नीलू असमंजस म पड़ी थी क अब या कया जा सकता है। वह पांचव लोक पर थी, जो
कोई ब त ऊंचा लोक नह था। पर वह एक भली आ मा थी जो छठे लोक क ओर बढ़ रही थी।
नीलू नचले तर म नह गरना चाहती थी। नराश होकर वह अपने लोक के मुख के पास गई
और इस सम या से बाहर नकलने के लए उनसे रा ता दखाने का अनुरोध कया।
उसने कहा, “म सूरदास से इतना ेम करती ं क मने मोहनदास को बुर े माग पर भेज दया।
कृपया हे ी उ च भली आ मा, उन दोन को बचा ल।”
“हां”, नीलू ने जवाब दया, “हे ी उ च भली आ मा, मुझ े अव य सज़ा द। मुझे नचले लोक म
जाना पसंद नह , पर म उस लोक म चली जाऊंगी जहां सूरदास और मोहनदास ह। बस आप
उन दोन को बचा ल और उ ह ऊंचे तर म ले आएं। म उनक सारी सज़ा भुगतने को तैयार ं।”
“हां ीमान, म तुरंत जाकर अपनी और उनक सज़ा लेना चाहती ं, हां पर इससे वे बच जाएं...
पांचव लोक नह तो कम से कम चौथे लोक म ज र आ जाएं,” नीलू ने कहा।
नीलू के नः वाथ, स चे और गहरे ेम को दे खकर ी उ च भली आ मा काफ ख़ुश ए और
उ ह पता चल गया क नीलू ईमानदारीपूवक उन दोन के लए सज़ाएं भुगतने को तैयार है। पर
इसके बावजूद ी उ च भली आ मा ने नीलू क प र ा लेनी चाही। वह दे खना चाहते थे क
सरे लोक म जाने के बाद नीलू या करती है? या वह अपना फ़ैसला बदल तो नह दे गी? इ ह
बात क जांच के लए उ ह ने नीलू को सरे लोक म जाने का म दे दया और वह बे झझक
चली गई।
ी उ च भली आ मा ने कहा, “नीलू, मेरी यारी ब ची, पांचव लोक म वापस लौट आओ। म
सूरदास और मोहनदास को बचाऊंगा। इसम कई महीने लगगे, पर वादा करो क इस बीच तुम
सूरदास या मोहनदास के लए कुछ नह करोगी, भले ही उनके साथ कुछ भी हो जाए। म वचन
दे ता ं क उन भयानक न न लोक से म उ ह बचाऊंगा।”
ी उलए, उनक
च भली आ मा ने नीलू से शांत होकर ई र से सूरदास और मोहनदास को बचाने के
मदद करने क ाथना करने को कहा। कई दन बाद ी उ च भली आ मा
ने एक फ़क र १० का वेश धारण कया और धरती पर उतर आए।
शराब और सफलता के नशे म चूर होकर दोन उस रात बड़े घमंड से घर लौट रहे थे। वे ब त
तेज र तार से गाड़ी चला रहे थे...तभी ी उ च भली आ मा उनके सामने कट हो गए। उ ह
अचानक सामने दे खकर सूरदास गाड़ी का संतुलन खो बैठा और वह एक खंभे से जा टकराई।
अपनी-अपनी सीट पर बेहोश पड़े सूरदास और मोहनदास को अ पताल ले जाया गया।
दयालु सी दखने वाली एक नस, जसका नाम पूनम था, उसके ब तर के पास आई और उसे
एक इंजे शन दया। मोहनदास ने उसे भगवद् गीता ११ लाने को कहा, य क वह सौगंध लेना
चाहता था क अब वह कभी बुरे माग पर नह जाएगा।
पूनम ने भगवद् गीता लाकर मोहनदास के हाथ म रख द । मोहनदास ने गीता पर हाथ रखकर
सौगंध खाई। मोहनदास और पूनम दो त बन गए। मोहनदास ने उसके सामने खुलकर वीकार
कया क उसने कुछ महीने तक कतनी भयानक ज़दगी जी थी। उसने पूनम को बताया क यह
ई र का याय था और उससे कहा, “पूनम, मने कभी बुरे माग पर न चलने क सौगंध खाई है।
अब म हमेशा ई र क बताई राह पर ही चलूंगा।”
अ पताल से छू टने के एक दन पहले, पूनम ने उससे पूछा, “मोहन, अब तुम कहां जाओगे?”
उसक बात सुनकर मोहनदास ने भी उसे अपने दल क बात बताई- क वह भी उससे उतना ही
यार करता था, ले कन उसपर बोझ बनना नह चाहता था। पूनम ने उससे कहा क य द वह
उससे शाद कर ले तो उसका जीवन पूण हो जाएगा। य क वह एक नस थी इस लए दोन का
जीवन आराम से कटे गा। कुछ समय के बाद मोहनदास शाद के लए तैयार हो गया और दोन ने
अपनी सगाई क घोषणा कर द ।
इसी अव था म उसे अ पताल से छु मली। उसने अपनी मां से बात क और उसके साथ
अपने घर प ंचा। अपने पैर गंवाने के कारण अब वह चल- फर नह सकता था। इस लए उसने
अपनी मां से ब त मीठे श द म अपने काय म साथ दे न े का अनुरोध कया। मां तो ा मा
थी ही, वह खुशी-खुशी इसके लए तैयार हो गई।
सूरदास एक तीर से दो शकार करना चाहता था। उसने एक वधुर क सारी संप को लूटकर
उसे कंगाल बनाने क योजना बनाई। उसने यह योजना इस तरह बनाई क वह अपनी मां से भी
बदला ले सके। य क अब वह उससे भी उतनी ही घृणा करने लगा था। लूट सफल रही। उसक
मां ने उस को खूब सताया और लूट के माल को घर ले आई।
जब उसक मां रात म गहरी न द म सो रही थी, सूरदास अपनी हील चेयर पर पैस से भरा बैग
लेकर रफुच कर हो गया। उसने कुछ ऐसे सबूत छोड़ दए थे, जससे लोग को उसक मां पर
शक होता। रात गहरी हो रही थी, इस लए सूरदास अपनी हीलचेयर पर सूनी सड़क पर इंतजार
करने लगा।
आधी रात के व उसने एक गाड़ी को अपनी तरफ आते दे खा। उसने गाड़ी को कने का इशारा
कया। कार फ लप नामक एक २० वष य नौजवान चला रहा था। “कृपया मेरी मदद क जए।
म एक अपा हज ।ं मेरे पैर नह ह। मुझे खबर मली है क मेरी मां के साथ घटना हो गई है
और उसे अ पताल म भत कराया गया है। मुझ े उसके लए कपड़े और दवाइयां प ंचानी है।
या आप इस अपा हज क मदद नह करगे?”
बेचारा फ लप! उसे सूरदास पर दया आ गई। घर जाने के बजाए वह उसे अपनी कार म
बठाकर अ पताल क ओर चल पड़ा। इसी बीच सूरदास ने अपनी प तौल नकाली और
फ लप क कनपट पर टका द । उसने फ लप को हाईवे क ओर गाड़ी चलाने का आदे श
दया।
फ लप बु मान लड़का नह था। वह शहर म नया-नया आया था। उसे एक नया काम मला
था, जसके लए वह कुछ दन पहले बगलोर आया था। धूत सूरदास ने यह अंदाजा लगा लया
क वह लड़का उसका ब ढ़या गुलाम बन सकता था।
“जी हां, ी उ च भली आ मा,” नीलू ने कहा। “अब म समझ गई। मुझ े समझाने के लए
आपका ब त-ब त ध यवाद! मुझ े आप पर और हमारे सवश मान ई र पर पूरा भरोसा है,
और अब मुझे उनके याय करने के रह यमयी तरीक का पता चल गया है।”
फ लप क आंख म आंसू आ गए, और वह बोला “बाबा, मुझे खेद है क मेरे पास इस समय
आपको दे ने के लए कुछ भी नह ... य क म पूण प से एक का गुलाम ं।”
“ या तुम अपनी कहानी मुझ े नह बताओगे? शायद म तु हारी कुछ मदद कर सकूं,” ी उ च
भली आ मा ने फ लप से कहा।
जैसा क फ लप को बताया गया था, गुफा के पीछे उसे बाहर नकलने का एक रा ता मला।
वह उस रा ते से बाहर नकला और एक सरे छोटे रा ते से अपनी गाड़ी तक प ंच गया। गाड़ी
से वह सूरदास के घर प ंचा...उसक अलमारी ज़ोर लगाकार खोली...उसम से तीन सौ पए
नकाले और उसी चुराई गाड़ी से शहर क ओर नकल पड़ा। कुछ दन बाद शहर म उसे एक
नौकरी भी मल गई और वह सरल और अ छा जीवन बताने लगा।
फ लप को गुफा म वेश कए काफ़ समय बीत चुका था...पर सूरदास लखप त बनने का
सपना दे खने म इतना रोमां चत था क उसे इस बात का अहसास ही न रहा। बाद म अचानक
उसका यान गया क फ लप तो एक घंटे से गायब था। वह फ लप को बाहर बुलाने के लए
चीखने- च लाने लगा और उसे जम कर कोसने लगा। पर कुछ ना आ।
“य द म म ं गा तो सीधा नक जाऊंगा।”
सूरदास गुफा क द वार के सहारे बैठा था... तभी भूलवश उसका हाथ प थर पर सरकते एक
सांप पर जा गरा। “हे भगवान, म कैसे ऐसी यातना सह पाऊंगा?” सौभा यवश सांप वहां से
रगता आ चला गया...उसी समय सूरदास को अहसास आ क उसने जन लोग पर जु म
कया था, उ ह कैसा महसूस आ होगा।
इस लए भ यास के साथ, वह रगकर गुफा के बीच म जाकर बैठ गया और सोचने लगा क
या करना चा हए। चार ओर सांप ही सांप भरे थे। य द वह गुफा के भीतर केगा तो सांप उसे
डंस सकते थे। और य द वह गुफा के बाहर जाएगा तो जंगली जानवर के हमले का खतरा था।
२८-०५-१९८१
सूरदास क कहानी...जारी: अवचेतन मन का फर से जागृत होना
“भ
गवान करे फ लप का अवचेतन मन उसे मुझ तक वापस भेज दे । कृपा कर
भु!” सूरदास रो पड़ा। पर उसे तुरंत एहसास आ- या उसका अवचेतन मन
उसे कभी भी सही राह पर लाने म सफल आ?
एक-एक कर उसे उन लोग के चेहरे याद आने लगे, ज ह उसने लूटा था, यातनाएं द
थ ...लड़ कय के साथ बला कार कया था...और यहां तक क अपनी मां को भी मुसीबत म
डाल दया था।
“हे ई र, अब मुझ े बोध हो रहा है क उन सभी को कतना कुछ झेलना पड़ा होगा। बदला लेने
क मेरी भावना के कारण, मेरे उ े य के कारण, मेरी लालच और वासना के कारण उन
सभी को नक क यातना भोगनी पड़ी। इससे पहले ऐसा मेरे साथ कभी नह आ था- इसका
वचार भी मेरे मन म नह आया था। मुझ े तो हमेशा यही लगता था क कोई मुझ े नुकसान नह
प ंचा सकता या मुझ े कोई सता नह सकता। म तो का सरदार था। मुझ े इतना भरोसा था
क कोई मुझे धोखा नह दे पाएगा। पर इस डरपोक और ज मजात कायर इंसान न मुझे मूख
बनाकर मेरी तो आंख ही खोल द ! बेशक, ई र का याय यही है। म इसी के लायक ँ।”
अपने जीवन म पहली बार उसने ई र को याद कया था। तो उसने पहली बार ई र से ाथना
क और कहा, “हे मेरे य ई र, कृपया मुझ े बचाओ...म वचन दे ता ं क म एक अ छा जीवन
जऊंगा और आपक राह पर चलूँगा। म यह भी वादा करता ं क म संभव हो उतने लोग को
खोजूंगा, ज ह मने नुकसान प ंचाया है.. उनक मदद क ं गा... और उनक जो भी चीज़
अबतक मेरे पास ह, उ ह लौटा ं गा। म उ ह ख़ुश रखने का भरपूर यास क ं गा। म जानता ं
ऐसी भयानक ज़दगी जीने के बाद म ब त अ धक माँग रहा ं...पर हे मेरे ई र, बस मुझ े एक
मौका और दे दो। सफ एक मौका...ता क म नक जाने से बच जाऊं और यहां पृ वी पर इन सांप
एवं जंगली जानवर के बीच रहकर नक झेलने से बच सकूं। हे ई र, म आपसे पहली बार
ाथना कर रहा ं। मुझ े पहली बार अहसास आ है और ता से अ छाइय क तरफ जाने का
मेरा ढ़ फ़ैसला है। कृपया मेरी मदद कर, मुझे बचाएं-और अपनी सही राह सुझाएं। हे ई र
आप मुझे अपनी सू ता का आ शवाद द, और मुझे एक अ छा जीवन जीने म मदद कर। कृपया
आप इस बार मुझ े बचा ल...इसके बाद म कभी बुराइय क राह पर नह चलूंगा।”
इसके बाद सूरदास ब च क तरह फूट-फूट कर रोने लगा। जब वह शांत आ तो उसे अनुभव
आ क उसके वचार और उसक भावनाएं कतनी प व और स ची थ । या यह कभी संभव
था क उस जैसे शैतान क ई र मदद करगे? उनके अलावा इस भयानक जंगल म उसे बचाने
कौन आ पाता? सुबह होने तक या वह उन सांप और जंगली जानवर से भरे जंगल म जदा
बच पाएगा? सूरदास को यह संभव नह लग रहा था।
“पर ई र! आप तो अपने चम कार के लए जाने जाते ह! ...तो हे भु, चम कार कर... कृपया
मुझ े बचा ल और म वादा करता ं म कभी गलत राह पर नह चलूंगा!”
उसी ण उसे जानवर के गुफा के पास आने क आहट सुनाई द । उसे अब अपना अंत नजर
आने लगा। घाव और खर च के बावजूद बड़ी मेहनत से रगकर वह गुफा के कुछ और अंदर
एक गहरे अंधेरे कोने म खसक गया। उसे यक न था क वहां कई सारे सांप थे... पर उसने
जंगली जानवर के हमले के बजाए सांप के काटने से मरना यादा उ चत समझा। गुफा के उस
अंधेरे कोने म जब वह बचने क को शश कर रहा था, उसी समय एक सांप उसक छाती पर से
होकर चला गया।
“हे भु, मुझ े बचा लो...अब म कभी गलत काम नह क ं गा ।” यह आवाज़ उसके दल क
गहराई से नकली थी।
उसे याद आने लगा क कैसे उसके शकार बने लोग भी इसी तरह उससे वनती करते थे...पर
वह, जो सबसे ू र इ सान था...उनपर हंसता और उ ह और अ धक ता ड़त करता। या उसने
कभी उन लोग के त जरा भी दया दखाई थी? नह , कभी नह । तो फर आज ई र उसके
त भला य दया दखाएंगे?
वह फर रोने लगा और उसे पूरा भरोसा हो गया क उसके बचने क अब कोई उ मीद नह थी।
“म अब कभी सवेरा नह दे ख पाऊंगा। हे ई र, मुझे ख म कर दो। मेरे दय क धड़कन को
रोक दो। मुझ े पता है म नक ही जाउंगा...पर मुझ े इन जंगली जानवर के हाथ मरने और सांप
के काटने से बचा लो। हे भु, अब मेरा जीवन समा त कर दो।” एक और सांप उसके शरीर पर
से गुज़रा और वह चीख उठा, “हे भु, मुझपर दया कजीए, कृपया मुझ े और ता ड़त नां कर।”
उसके नवजागृत अवचेतन मन ने उससे पूछा, “ या तुमने कभी अपने शकार य के त
दया दखाई थी?”
“हां, तुम सही कहते हो...मुझ े उनपर कभी दया नह आई। अब म समझ चुका ं... पर अब तो
ब त दे र हो चुक है। अब तो मुझ े क झेलना ही होगा। ई र मेरे त दया और हमदद य
दखाएंग े भला?” सूरदास स चे मन से पछताने लगा और सुधरने क इ छा करने लगा...पर उसे
कोई रा ता नज़र नह आ रहा था। उसे पता था उसका बचना अब मु कल हो चला था।
उसके अवचेतन मन ने एक बार फर उससे कहा, “ या तुमने कभी लोग को नुकसान प ँचाने
से खुदको रोका? तो ई र य चम कार कर तु ह बचाए? जब तु ह लगता था क तुम ख़ुश और
सफल हो, तब कभी तुमने ई र के बारे म सोचा था? तो अब य ई र को याद कर रहे हो?
अब उनक मदद के लए य पुकार लगा रहे हो?”
२९-०५-१९८१
सूरदास क कहानी...जारी: ी उ च भली आ मा का कट होना
“ई र हमेशा याय करते ह। मुझ े यह ब त दे र से समझ आया। ई र सदा याय संगत होते ह।
भले ही दे र से मले पर याय मलता अव य है। अब मुझ े अपनी सज़ाएं भुगतनी ही ह गी- मेरे
पास अब कोई रा ता नह बचा।”
उसका अवचेतन मन एक बार फर उसे कहने लगा, “तुम चाहते हो क ई र तु हारे लए कोई
चम कार करे; ठ क है... यह रहा चम कार-अब तुमम सुधार होगा...।” सूरदास को इन बात का
मतलब समझ म नह आया, ले कन उसने सोचना जारी रखा, “मने कम कए। अब मुझे
सज़ा भोगनी ही होगी। हे ई र, मुझे अपनी सज़ा भोगने के लए सही राह दखाइए-मुझे
अपनी आ मा को शु करने का उपाय बताइए। मुझ े बारा फर कभी बुरी राह पर न जाने द।
हे ई र, मुझे अंधःकार म काश दखाइए और म फर कभी आपक राह से मुंह नह मोडू ंगा। हे
ई र, मेरी आ मा को ता से बचाइए। य द मेरे भौ तक शरीर को यातना भी मले तो मुझे
इसक परवाह नह , ले कन मेरी आ मा को बचा ली जए।”
रात इसी तरह बीत गई और सुबह के समय उसे उस अंधेरी गुफा म रोशनी क एक करण
दखाई पड़ी। वह अ यंत हैरान रह गया।
“हे ई र, यह तो चम कार है। हां, यह चम कार ही है। आपने मुझ े बचा लया!”
सूरदास खुशी से उ े जत हो गया। यह सब कैसे आ, इसे समझना उसक क पना से परे था।
“इस घने जंगल म मेरे बचने का मौका अभी भी काफ कम है। यहां कोई आता-जाता नह ...
आ खर म कैसे यहां से बाहर नकल पाउंगा? हे भगवान, आपने मुझ े सभी जंगली जानवर से
बचाया...अब कृपया मुझ े इस जगह से भी बचा लो, ता क म एक अ छा जीवन जी सकूं और
अपनी सभी करतूत का प ाताप कर सकूं। हे ई र, एक बार फर मेरी मदद करो। मुझे
पता है क म कुछ यादा ही माँग रहा ँ, पर मेरी आ मा पर दया करो भु।”
“नह फ़क र बाबा, म अब कभी बुरे काम नह क ं गा। मुझ े कड़ी सज़ा मल चुक है और अब
मुझ े पूरा भरोसा है क ई र ने पछली रात मुझ े इस लए बचाया ता क मुझ े एक अ छा जीवन
जीने का मौका मल सके। य क ई र ने यह मौका मुझ े दया है, इस लए बदले म म भी ऐसी
राह चलूंगा क उ ह मुझपर गव हो।”
मां और बेटे, अब स चाई भरा, दयालु एवं नः वाथ जीवन जी रहे ह। पर सूरदास को यह पता
नह चला क ी उ च भली आ मा और नीलू ने कस कार उसक मदद क थी। जब
वह जीवा मा जगत म वापस लौटे गा तो उसे सब कुछ पता चल जाएगा।
पृ जीवा
वी पर हम अकसर यह सवाल सुना करते थे, “पृ वी पर हम अपने पछले ज म या
मा जगत के बारे म य नह जानते? य ई र हमारे मन से उन मृ तय को मटा
दे त े ह?”
आपका अवचेतन मन हर एक चीज़ जानता है। आपके साथ (या न आपक आ मा के साथ) जो
कुछ भी होता है, वह शु से ही आपके अवचेतन मन म अं कत होता है। भा य से, आपका
भौ तक मन यह सबकुछ नह संभाल पाता और यादातर मामल म यह आपके अवचेतन मन
के साथ संघषरत रहता है। केवल कुछ ही आ माएं, जो ब त उ च तर पर होती ह, अपने
अवचेतन मन ारा अपने भौ तक मन को नयं ण म रख पाती ह। इन आ मा म अ त र
संवेदना मक बोध होता है और इनम से कुछ आ माओ को पृ वी के अपने पछले ज म क
घटनाएं भी याद होती ह। उनम कभी कभी अपने वा त वक संसार अथात् जीवा मा जगत क
मृ तयां भी बनी रहती ह, ले कन ऐसा कभी-कभी ही होता है।
पृ वी के कुछ योगी १३ और धमा मा मनु य म लंबे समय तक यान करने क मता होती है।
उनका अवचेतन मन अ धक से अ धक जागृत होता जाता है और वे अपने भौ तक मन को
अपने अवचेतन मन ारा नयं त करते ह। आप जैसे यादातर लोग के वपरीत, वे अपने
भौ तक मन के ग़लाम नह होते। अपने भौ तक मन के गुलाम मत ब नए। य द आपने अपने
भौ तक मन को नयं त नह कया तो वह आपको बद से बदतर हालात क ओर ले जाएगा।
पृ जाते
वी के लोग जीवा मा जगत और अपने पूवज म क संजोयी ई सभी मृ तय को भूल
ह। अनुभव हा सल करने, खुद को श त करने और अपनी आ मा को शु करने
के लए हम पृ वी पर कई बार ज म ले चुके होते ह, ता क हम अ धक से अ धक ऊंचे तर पर
ग त कर सक। य द हम पृ वी के अपने सभी पूवज म को याद रख तो या इससे हम अ धक
ान हा सल करने म मदद मलेगी? ब त लोग कहगे ‘हां’, ले कन हमारा कहना है क ऐसा नह
होता, य क य द आप अपने पूवज म को याद रखगे तो या आप अपनी पछली ग़ल तय
को हराएंगे? कभी नह ।
यहां जीवा मा जगत म हम हर चीज याद रहती है। हमारी मृ तयां आपक तरह मट नह जाती,
इस लए हमारा वकास ब त धीमा होता है। आपका ज म धरती पर इस लए होता है क आप
तेज ग त से वकास कर सक, ले कन आपम से यादातर लोग नीचे गरते चले जा रहे ह।
हां, ब कुल ई र होते ह। य द ऐसा नह है, तो आपको कसने रचा? कसने पृ वी बनाई?
कसने पेड़-पौध , फूल , फल , सम दर , न दय और पहाड़ क रचना क ? कौन है, जो
रह यमय तरीके से आ मा के साथ याय करता है? कसने आपके मन म सु दर और
यारी भावनाएं भर ? कौन इतना दयालु है जो आपको आपके यजन के नकट रखता है?
ई र के अलावा, कौन इतना कुछ कर सकता है?
जी वाइस माएं
अपने यजन को उ च तर क ओर ले जाने के लए उ सुक रहती ह। वे हमेशा
बात क कड़ी को शश करती ह क अपने यजन को वे गलत राह पर कभी न
चलने क ेरणा दे सक, ता क उ ह क न भोगना पड़े।
ह
म पृ वी पर रहने वाले अपने यजन के साथ संपक करने के लए ब त उ सुक होते ह,
इस लए हम लगातार सवश मान ई र से ाथना करते ह, क वे हम इसका अवसर द।
यादातर पृ वी के लोग अपने काम-काज, मौज-म ती और पए कमाने म इतने त
रहते ह क वे अपने मृत प रजन क परवाह नह करते।
बहरहाल, हमारे माता- पता जैस े कुछ लोग अपने मृत प रजन से संपक करने के लए इ छु क
होते ह। हम ख़ुशी से उछल पड़े जब हमारे माता- पता ने हमारी बात सुननी चाह । उ ह भी ख़ुशी
ई क वे हमसे संपक करने म स म हो सके। जीवा मा क इ छा होती है क हमारे मॉम-
डैड जैसे और भी लोग ह ! हम उ ह शांत करने म और उनका इस बारे म मागदशन करने म
सफल रह सक क कौन लोग उ ह धोखा दे रहे ह, कौन उनके स चे दो त ह और कनपर उ ह
भरोसा कर मदद मांगनी चा हए। हमारे माता- पता आपक नया म ब त अकेले ह। उनके
कुछ ही र तेदार और अ छे दो त ह ज ह ने उनक मदद क है। हम उ ह ध यवाद दे ते ह और
उ ह आ शवाद दे त े ह।
हमारे माता- पता कभी-कभी हमारे बना इतने अकेले और ःखी हो जाते ह क बना
जीवा मक संपक के हमारे लए उ ह शांत करना और उ द ख़ुश करना ब त क ठन हो जाता।
हम उ ह समझाते क उ ह अपनी भावना को नयं त करना चा हए य क उनके ःख से
हम भी ःख होता है, और पृ वी पर होने क तुलना म हम आज उनके अ धक करीब ह। इस
जीवा मक संपक से हम सब (मॉम, डैड, व पी और रतू) एक सरे के साथ अपने सुख- ःख
बांटते ह और सबसे बड़ी बात यह है क इस कारण वे यह जान पाते ह, क हम उनके करीब ह
और उ ह भरपूर यार करते ह। जीवा मक संपक के ज रए ऐसा करना हमारे लए ब त आसान
हो जाता है।
एक लड़क थी जसे हम नीना नाम दगे। उसे यह वरदान ा त था ले कन उसक मां ने उसके
दमाग म गलत धारणा भर रख थ । वह उससे कहती थी, “जीवा मा के साथ संपक करना
बात है। ऐसा फर कभी नह करना वरना कोई जीवा मा तु हारे दे ह पर क जा कर लेगी
और तु ह बरबाद कर दे गी। तुम शैतान बन जाओगी और तु ह नक क आग म जलना पड़ेगा।”
कई वष बाद जब उसे सच पता चला और उसके प त ने उसे ऐसी कताब द जनम इस वरदान
का वणन था, तब ब त दे र हो चुक थी। मां क कही बात को भुलाकर उसने अपनी पुरानी
मता को वापस पाने क भरपूर को शश क , ले कन वह इसे बारा हा सल नह कर पाई
य क उसका डर ब त गहरा हो चुका था। अपनी मां का कहा मानने का उसे अफ़सोस था और
अपना खोया आ म व ास बारा पाना उसके लए असंभव हो गया था।
ह
म सभी धरती पर इस लए पुनज म लेत े ह ता क अपनी आ मा को शु कर सक और
उ चतर तर तक ऊंचा उठ सक, ले कन हमारी यह आकां ा हमेशा पूरी नह होती और
ऊपर उठने के बजाए हम अकसर नीचे चले जाते ह। इस लए हमम से यादातर लोग
ने सरे लोक से छठे लोक तक का अनुभव लया होता है। केवल कुछ ही ऐसे होते
ह जनको थम लोक का अनुभव आ होता है, य क थम लोक से बाहर आना ब त ही
मु कल है।
जैसा क हमने पहले कहा, उ चतर तर पर एक जुड़वां अपने सरे जुड़व के ऊंचे उठने क
ती ा करती है और उसे अपने उस जुड़व को नीचे गरने से बचाने के लए ब त प र म करना
पड़ता है। जब उ च तर पर थत जुड़वां पृ वी पर रहने वाले सरे जुड़व तक अपने
वचार प ंचाने क को शश करता है, तो हो सकता है क उसका पृ वी पर रहने वाला
जुड़वां वष तक इस ओर कोई यान ही न दे । ले कन जीवा मक संपक के ारा यह
आसानी से और तेज ग त से होता है। इस लए, हमारी ग त जीवा मक संपक के साथ तेज
ग त से होती।
वो लोग सोचते
दन बीत गए ह, जब हमारा जीवन अ ध व ास से संचा लत था। वे दन भी बीत गए जब
थे क केवल कोई पागल ही जीवा मा के साथ संपक करते ह। अब
वे दन भी नह रहे जब यह सा बत नह कया जा सकता क जो जीवा मक संपक का
दावा करता है, वह स चा है। अब पृ वी पर ब त से वै ा नक, मनो च क सक और
मनोवै ा नक ह जो जीवा मक संपक पर गहन शोध कर रहे ह और यह सा बत करने म स म
ह क उनका काम स चा है।
कुछ लोग सोचते ह क अलौ कक वषय म च लेना अथवा बुरी बात है, ले कन ऐसा
सोचना अ ानता क नशानी है। कुछ लोग इस बात से डरते ह क कह उनके अपराध और
पाप का जीवा मा ारा परदा फाश न कर दया जाए। इस लए वे सर को भी इस वषय म
हतो सा हत करते ह। लोग को पारलौ कक वचार पसंद नह आते और न ही वे उनम कोई
च लेते ह। कुछ लोग का दमाग उनके माता- पता, पुरो हत अथवा श क ारा इस तरह
कर दया जाता है क वे अपने सहजबोध को दबाकर कोई भी ज़ो खम लेन े से इनकार कर
दे त े ह।
नीचे गरी ई कुछ भली आ माएं ई र से ाथना करती ह क उ ह कड़ी से कड़ी सज़ा द जाए,
ले कन ब त कम समय म। य द वे आ माएं थम लोक पर ह तो पृ वी पर बोझ ढोने वाले
पशु के प म उनका पुनज म होता है। उ ह कड़ी मेहनत करनी पड़ती है और कभी-कभी
मनु य ारा द गई यातनाएं भी सहनी पड़ती ह। वे अपने कम का फल तेजी से भोग लेती ह।
ले कन उनम क सहने क भरपूर मता होनी चा हए य क उनम से यादातर आ मा को
यातनाएं द जाती ह, उ ह कोड़ से पीटा जाता है और भूखा रखा जाता है। उ ह सारा दन खेत
म प र म करना पड़ता है अथवा भारी बोझ ढोने पड़ते ह।
तीसरा लोक भी भयानक होता है। तीसरे लोक म आ मा को सूरदास क तरह जो खम लेना
पड़ता है ले कन सूरदास क तरह सबको बचाया नह जा सकता और ऐसी आ माएं ऊपर उठने
के बजाए नीचे थम या सरे लोक तक गर सकत ह।
चौथे लोक क थ त सहन करने यो य होती है। यहां क थ त लगभग पृ वी जैसी ही होती है।
फर भी, उ चतर लोक से नीचे आई ई आ मा के लए यह भयानक होता है। येक आ मा
चाहती है, क वह जतना ज द संभव हो सके, सबसे ऊंचे लोक म प ंच जाए, इस लए वे
अनुभव हा सल करने, कम समय म सजा भोगने और अपनी आ मा को शु करने के लए
बारा ज म लेने क को शश करती ह। आपके पृ वी पर पुनज म लेने के यही कारण होते ह।
आप मृ यु से य डरते ह
आ मह या पाप है
ई
र बस एक है — हमारे सवश मान ई र। ले कन हमारे सबसे यारे ई र के पास
अनेक आ माएं होती ह जो येक आ मा को शु , ईमानदार, ेमपूण, समझदार, कृत ,
भला और बु मान बनाने म उनक मदद करत ह। ई र के ये सहायक, हम सब क
तरह मनु य ही थे, और वे उ ह प र थ तय से होकर गुजरे ह, जनका पृ वी के लोग
और हम जीवा माएं अनुभव कर रह ह। उ ह ने सैकड़ बार पुनज म लया है और कई बार
ऊपर-नीचे आने-जाने के बाद वे इस तर तक प ंच पाए ह। ई र के इन सहायक को ी उ च
भली आ मा के नाम से जाना जाता है और इन सब म सबसे ऊपर ी सव च भली आ मा
होते ह।
जीवा मा जगत के आपके यजन भी आपक कई बार मदद करते ह। आपको इस बात पर
न त रहना चा हए क जीवा मा जगत के आपके यजन आपका ब त ख़याल रखते ह।
हमेशा याद र खए क स चा यार कभी नह मरता, पृ वी पर मनु य क मृ यु हो जाने के बाद
भी नह । ेम मृ यु से बड़ा होता है। ेम शा त होता है जब क मृ यु तो बस एक नया से
सरी नया म, एक शरीर से सरे शरीर म, पृ वी से वग या नक तक का थानांतरण
है।
यही पृ वी क नया और जीवा मा जगत के बीच का अ तर है। हमारे लोक के शासक इतने
वन , उदार और वचारवान होते ह क हम हमेशा उनके साथ बे झझक बात करने के लए
वतं महसूस करते ह। वे इतने ईमानदार, भले और यारे होते ह क हम उनका भय कभी
महसूस नह होता। वे इतने नः वाथ होते ह क हम उनपर पूरा व ास होता है। वे ेमपूवक
और वन तरीके से हम समझाते ह क कुछ चीज ग़लत ह और यह भी क वे ग़लत य ह।
सुरेश क कहानी
सुरेश क मां को इससे बड़ा आघात लगा और उसी रात वह चल बसी। सुरेश क प नी भी यह
झटका सह न पाई और अपनी सास क अं तम या के बाद वह अपने ब च को साथ लेकर
सुरेश को छोड़ कर चली गई।
सुरेश और उसके पता ःख से ाकुल थे। उनके लए खुद पर काबू पाना मु कल हो रहा था।
वे जे को मार डालना चाहते थे, जसने उनक जदगी बरबाद कर द थी और अब भी सुरेश से
घर और पय क मांग कर रही थी। सो, वे उसक ह या क योजना बनाने लगे। वे भले लोग थे,
ले कन इस अपमान और अपने यजन के वयोग ने उ ह बदले क बात सोचने पर मजबूर कर
दया था। सौभा य से उनका एक ब त ही धम न म उ ह सां वना दे ने उनके घर आया था।
सुरेश और उसके पता ने उसे सारी कहानी सुनाई, और यह भी बताया क वे उस औरत को
मारना चाहते ह।
उदाहरण के लए, मान ली जए बोमी आपसे मलने आता है। जब आप उसके लए पीने या
खाने का इंतजाम करने कमरे से बाहर गए, तब वह आपके घर से पए चुरा लेता है। वापस
लौटकर आपको बोध होता है क या आ है। आप उसे कुछ और पए दे कर कहते ह, “चोरी
करने के बजाए मुझसे पए मांग लेत।े म तु ह ज र दे ता।” उसे अपनी गलती का अहसास
होता है और वह कहता है क, “मुझे मा कर दो, म फ़र कभी चोरी नह क ं गा।” मुझे
ब कुल यक न है क वह अपने इस कथन का पालन करेगा, य क वह एक भली आ मा है जो
लालच म पड़ गई थी, अथवा हो सकता है क उसक कोई बड़ी ज़ रत रही हो। ले कन, यही
वहार कसी बुरी आ मा से कया जाए तो इससे उ ह ो साहन मलेगा और वे आप पर हंसते
ए आपको और सर को बार-बार मूख बनाना जारी रखगे जससे आप भी न न तर पर
प ंचगे। इस लए अ छे के लए कया आ अ छा काम, उसके और साथ-साथ आपके
लए भी अ छा होता है, ले कन यही अ छाई य द बुरे के त क जाए तो यह उसके और
आपके, दोन के लए बुरा होता है।
आ पक नया म पूरी तरह ख़ुशी और चैन से रहना ब कुल नामुम कन है। आपको
क ठनाइय , सम या , तकलीफ़ और बीमा रय का सामना करना पड़ता है, य क
बना इन बाधा के आप पृ वी पर नह जी सकते। हां, मगर सबसे अहम यह है क
इन बाधा का सामना आप करते कस तरह से ह। आपको इनका सामना बहा री और
मु कान के साथ करना चा हए, और कभी भी उनसे बचकर भागना नह चा हए। ब त
सी और मुसीबत हमेशा ज म लेती रहगी, इस लए बेहतर यही है क आप अपनी सभी मुसीबत
का सामना ह मत के साथ ख़ुशी-ख़ुशी कर। य द आप एक भली आ मा ह या फर स चे मन से
भले बनना चाहते ह, तो भरोसा र खए ई र हमेशा आपके साथ ह। उनपर आ था र खए, उनक
ाथना क जए, उनसे मागदशन क वनती क जए और आपक स ची ाथनाएं ज र सुनी
जाएगी।
ए
क बात, जसे हम प करना चाहते ह वह ज मप य से जुड़ी ई है। जब आप
अख़बार म अपना सा ता हक अथवा दै नक भ व यफल पढ़ते ह, तो इसका आपके मन
पर असर पड़ता है। आपके वचार बड़े ताकतवर होते ह और उन बात से भा वत हो
जाते ह ज ह आप पढ़ते ह, और इस तरह भ व यफल के अनुसार घटना का वाह
न त हो जाता है। इस लए आप कहने लगते ह क भ व यफल सही था।
ह
मेशा शांत, थर और च तामु रह। तनावमु र हए ता क जीवा माएं आपका
मागदशन कर सक। आपको हमेशा सवश मान ई र म भरोसा रखना सीखना चा हए
-ई र महान ह।
जी वापर यह श
मा जगत म और पृ वी पर भी व ुत् श होती है जसे आप दे ख नह सकते। पृ वी
आपक ब त मदद करती है, और यह फ़ोन, रे डयो अथवा ट वी के ज रए
संदेश ा त करने म आपक मदद करती है। इंसान का दमाग फ़ोन, रे डयो अथवा ट वी के
जैसा ही होता है। पृ वी पर कुछ लोग न संदेश ा त करने क श वक सत क है, कुछ लोग
ने केवल संदेश भेजने क श वक सत क है और कुछ लोग ने दोन श यां संतु लत प
से वक सत क ह। जनम संदेश भेजने क श अ धक वक सत है वे हमारे जीवा मक
संदेश को नह ा त कर सकते, य क उनक हण करने क श कम वक सत होती है।
पृ वी पर यादातर लोग म मान सक और अलौ कक श यां होती है ले कन उसे वक सत
करना उ ह के हाथ म होता है और यह वचार करना ब त मह वपूण है क उ ह वक सत कैसे
कया जाए। एक ही श को अ छे या दोन ही तरीक से योग कया जा सकता है।
इस लए, यह आप ही के हाथ म है क आप खुदको बरबाद कर अथवा खुद को ऊंचा उठाकर
ख़ुश रह।
कभी-कभी, आपको कुछ चीज के बारे म बताने, अथवा कुछ सवाल के जवाब दे न े क हम
अनुम त नह होती। इस लए, कृपया हम ऐसे सवाल बार-बार पूछकर जवाब दे न े के लए बा य
न कर।
पृ वी पर हर कोई पाप करता है। ऐसा कोई नह होता जसने पाप न कया हो, बस उनके तर
अलग-अलग होते ह। कुछ लोग ब त कम पाप करते ह, कुछ थोड़ा अ धक करते ह और कुछ
लोग पाप करने क सीमाएँ लांघ दे त े है। इस लए य द आपसे एक छोटा सा भी पाप हो जाए तो
आपको अपने कम के ज रए उसका हसाब चुकाना होता है। इस मामले म हम कुछ नह कर
सकते। आपको यह अ छ तरह समझ लेना चा हए क हम आपको सज़ा से बचा नह सकते।
इसी कारण कभी-कभी हम कुछ लोग क मदद करने से इनकार करना पड़ता है। हम ऐसे लोग
क मदद करने को सबसे यादा इ छु क होते ह जो भले और नद ष ह अथवा पृ वी पर बुरे
लोग ारा ता ड़त कए गए ह । इस लए, य द हम आपक मदद करने या आपका मागदशन
करने से इनकार कर, तो यह जानने का य न क जए क आपने कौन से पाप कए ह और फर
उनके लए स चे मन से प ाताप क जए ता क हम भ व य म आपका मागदशन कर सक।
आ प पूरी तरह से एका होने चा हए। आपक नया म, लंबी ाथना से आप कभी
एका नह हो पाते और न ही आपका उनम पूरी तरह मन लगता है। बना पूण भ ,
एका ता और न ा के जब आप कसी पु तक से ाथना को पढ़ते ह, तो यह बस
एक उप यास पढ़ने जैसा ही होता है।
ह
मेशा वन र हए। कभी यह मत सो चए क आपक मदद के बना कोई असहाय हो
जाएगा। हर ज़ रतम द क मदद के लए ई र होते ह। आप तो बस एक मनु य ह। य द
आप स हो जाते ह और अपने अ दर अहंकार का वेश होने दे त े ह, तो एक दन
यही अहंकार आपके पतन का कारण बनेगा। इस लए कभी अहंकारी मत ब नए। य द
आपके मन म अहंकार आ जाता है तो आप सरल तरीके से सोच नह सकते, आप ब त सी
ग़ल तयां करते ह और आ या मक प से नीचे गर जाते ह। य द आपका सर हवा म है तो
इसम बस हवा ही भरी रहेगी, और कुछ नह । आपम कोई समझदारी नह होगी। यक न
मा नए कोई आपके बना असहाय नह होता। असहाय तो सवश मान ई र के बना आप हो
जाएंगे।
जो भी यह सोचता है क उसके बना कोई बेसहारा हो जाएगा, वह सबसे बड़ा मूख है। य द
ई र ने आपको गव करने लायक कुछ दया है, तो वन ब नए, अ यथा आप ज र पतन क
ओर बढ़गे। समय से पहले कुछ भी नह होता, इस लए ती ा क जए और बे फ़ र हए।
आपके तनाव त होने से कुछ भी अपने समय से पहले होने वाला नह । उ टा, ऐसा करने पर
आपका नुकसान ही होता है। इस लए बे फ़ र हए और ाथना क जए। ई र महान ह।
जै सा आप बोएं ग,े वैसा ही काटगे। ई र का याय पूणतः सही होता है। संभव है क यह
त काल न हो, ले कन अंततः आपको अपने पाप का हसाब चुकता करना ही पड़ता है।
और उ र
खोरशेद भावनगरी के घर का वह थान जहां वे अपने बेट से संपक कया करती थ
वच लत लेखन
वच लत लेखन या है?
वच लत लेखन एक ऐसी या है, जसके ज रए जीवा माएं धरती पर इंसान से संपक करती
ह। इसके लए बस एक कलम, काग़ज़ और एक ाकृ तक योत क आव यकता होती है।
आसान श द म कह, तो जब आप काग़ज़ पर ह के हाथ से कलम पकड़े रखगे, तो जस
जीवा मा के साथ आपका संपक हो रहा है वह इस कलम को आगे बढ़ाएगी और जैस-े जैसे
समय बीतता जाएगा, धीरे-धीरे श द और बाद म वा य बनते जाएंगे। हम वच लत लेखन के
बारे म व तार से बताना नह चाहते, य क यह ऐसी या नह , जसे हँसी खेल म कया जा
स के । वच लत लेखन के दौरान नकारा मक ह त ेप हो सकता है, जैसे क कोई
अवकाशी आ मा या अनजानी नकारा मक श जो क आपको नुकसान प ंचा
सकती ह।
वच लत लेखन के व भ तर
तर १
तर २
तर ३
तर ४
तर ५ रसंवेदन
रसंवेदन स पक क मदद से खोरशेद भावनगरी को ा त ए संवाद, जो क उनके अपने अ र म लखे गए ह। इस या म,
जीवा माएं सीधे पृ वी क आ मा के मन पर वचार द् वारा भाव डालती ह। इसे रसंवेदन कहते ह।
हां, ऐसा कहना ब कुल सही है। ई र चाहते ह क जीवा माएं, इंसानी आ मा क मदद कर।
आपका मागदशन करना हमारा कत है। धरती पर आ मा क एक ग़लत धारणा बन गई है
क वच लत लेखन एक नकारा मक या है और वह हमारी उ त म बाधा प ंचाती है।
आ या मक वकास इसका सबसे बड़ा उ े य है। हालां क इंसान शु आत म अपने दवंगत
यजन के साथ सदमे और ःख क वजह से बात करता है, ले कन आ खरकार आपको पता
चलता है क ये यजन ही अब आपके आ या मक अ भभावक और संर क क भू मका
नभा रहे ह।
१. मानवीय शरीर
२. अवकाशी शरीर
३. जीवा मक शरीर
या वग और नक का अ त व है?
हमारे संवाद म, हमने ‘ वग’ और ‘नक’ जैसे श द का योग कया है, ले कन कृपया इसके
पीछे के स य को सम झए। ई र ने एक नयम बनाया ह, क जीवा मा जगत म एक नकारा मक
आ मा ठ क उसी जगह नह रह सकती जहां अ छ आ मा रहती हो। इस लए, जब मनु य ने
अपनी वतं इ छा का योग काश से र जाने के लए कया, तो उनके सामू हक पंदन से
एक नकारा मक थान का नमाण आ। सरे श द म कह तो, सात लोक क प र थती का
नमाण इन लोक म रहने वाली आ मा ारा ही कया गया है। केवल सात लोक का अ त व
है। वग और नक बस आ मा के वचार , श द और कम का त ब ब ह- न इससे यादा न
इससे कम। अगर आप सही राह पर ह, तो आपको डरने क ज रत नह । स य का उ े य यह
नह क मन म डर को बठा ल, इसका उ े य तो आपको जगाना है। जैस े सात लोक होते
ह, उसी तरह सात व भी ह। जब आप अपनी आ या मक या ा शु करते ह, तो आप सांतवे
व तक प ंचने का ल य लए पहले व से शु आत करते ह। हर व के अलग आयाम होते
ह। पृ वी तीन आयाम वाला और तीसरा व है।
मृ यु के बाद शरीर मर जाता है। हालां क, पृ वी पर मनु य ारा ा त कया गया ान, मृ त
और अनुभव नह मरते। आपक आ मा इनका याग नह करती। और आपके गुण अथवा
आ मक ल ण भी आपके साथ रहते ह। अवचेतन मन, जो आपक आ मा से जुड़ा होता है,
जीवा मा जगत क जानकारी और मृ तय के बारे म धीरे-धीरे, एक-एक कर आपको बताता
है। ले कन, य द आप वभाव से ज या फर भौ तक नया से कुछ यादा ही जुड़े ए ह, तो
जो भी आपको आपका अवचेतन मन कहता है, उसपर गौर करना आपके लए मु कल हो
जाता है। य - य आप आ या मक प से ग त करते ह, आपका अवचेतन मन जागृत होता
जाता है और आप जीवा मा जगत को अपने असली घर के प म आसानी से वीकार कर लेते
ह।
अगर आपक मृ यु कसी बीमारी से होती है, तो आपके दवंगत म और र तेदार जीवा मा
जगत म आपका वागत करने के लए उप थत ह गे। ऐसा इस लए, य क उ ह आपक
अं तम तारीख (मृ यु क त थ) के बारे म पता होता है और वे इस सच से अवगत रहते ह क
आप पृ वी को अल वदा कहने जा रहे ह। ले कन, अगर आपक मृ यु अचानक होती है- जैसा
क हमारे मामले म आ, जब हमारी अं तम तारीख़ नह , ब क एक घटना थी- जीवा मा
को आपका वागत करने म थोड़ा समय लग सकता है। य द आप एक भली आ मा ह तो आप
आ त रह क वे आपके वागत के लए ज र उप थत ह गे। आप बस कुछ ण के लए ही
अकेले रहगे, इससे यादा नह । अगर आप नकारा मक आ मा ह, तो अपने वागत के लए
आप अ छ आ मा के प ंचने क उ मीद न कर। यहां तक क अपने दवंगत यजन से भी
यह उ मीद न रख क आपका वागत करने के लए वे वहां मौजूद रहगे। ले कन नकारा मक
आ माएं आपको उस जगह ले जाने के लए आएंगी, जसके आप यो य ह।
आपने बताया क य ही आप जीवा मा जगत म प ंच,े आप को व ाम क म
ले जाया गया। या आप, इस जगह के बारे म हम और कुछ बता सकते हो?
फ़ र त के पंख नह होते, ले कन वे चोगे पहनते ह और तेजी से उड़ान भरने पर उनके चोगे पंख
जैसे दखाई पड़ते ह। बहरहाल, कभी-कभी फ़ र ते व भ प और अकार हण करते ह और
कभी-कभी वे मनु य के सामने पंखधारी व प म कट होते ह, य क मनु य उनक क पना
इसी प म करते ह। पंख का इ तेमाल फ र त को तीका मक प दे न े के लए कया जाता
है, ता क लोग जान पाएं क जीवा मा जगत का अ त व है और फ र ते उनक दे खभाल कर
रहे ह। धरती पर कुछ आ मा ने फ र त को दे खा है। येक आ मा को गत ज रत
के आधार पर एक चोगा दया जाता है और वे चोगे ऐसे पदाथ से बने होते ह जनम ऊजा को
हण करने क जबद त मता होती है। उ चतर लोक क आ मा के चोग म ऊजा हण
करने और उसे संजोने क मता न नतर लोक क आ मा के चोग क तुलना म अ धक
होती है। य - य हम उ चतर तर क ओर बढ़ते ह, पंदन बल होता जाता है और चोग क
चमक बढ़ती जाती है, और इस तरह उनम सकारा मक ऊजा का अवशोषण और भंडारण होता
है। सरी ओर जब भली जीवा माएं न नतर लोक म जाती ह तो उ ह अलग कार के चोग क
आव यकता होती है। ये चोगे अलग तरह के पदाथ के बने होते ह जो ऊजा को हण नह
करते, ब क उसका परावतन करते ह। आ मा को जतने न नतर लोक क या ा करने क
आव यकता हो, चोगे क परावतन श उतनी ही अ धक होती है। नकारा मक ऊजा को
पराव तत कर ये चोगे भली आ मा के पंदन को व पत होने से बचाते ह। इन चोग के
व भ रंग होते ह। इन रंग म से कुछ ऐसे होते ह जनका पृ वी पर अ त व नह है।
हां, ले कन ब त ही असाधारण प र थ तय म।
आका शक रकॉड या ह?
जहां तक हमारे काय का सवाल है, हम अपनी तभा के बारे म अपने लोक क उ च भली
आ मा से चचा करते ह और हम स पे गए े म काय चुनते ह। जीवा मा ारा कए जाने
वाले काम के कुछ उदाहरण इस कार ह:
जीवा माएं चाहे कोई भी काय चुन, ले कन हमारा ल य एक ही होता हैः सेवा। पृ वी पर, लोग
अपने रोज़गार को अपना काम समझते ह, ले कन हम जो कुछ भी करते ह उसे स चे मन से,
यार से करते ह और हम इसे सृ कता को ध यवाद दे ने का एक अवसर मानते ह। इससे हम
स ची खुशी और संतु मलती है। हमारे बीच कोई अहंकार, सर से आगे नकलने क
भावना, ई या, ववाद, आलोचना नह होते और हमम कोई े या नकृ नह होता। हम एक
सरे का स मान करते ह और मानवता क भलाई के लए संग ठत प से काम करते ह।
पहली डोरी अनेक काश करण से मलकर बनी होती है जो एकसाथ मलकर एक लंबी
करण बनाती ह। पहली डोरी शरीर पर, सर के ऊपरी भाग से जुड़ी होती है, ता क आ मा
सर के कोमल ह से से होकर अ दर या बाहर आ जा सके (ब च म, हमेशा सर पर एक
मुलायम थान होता है जहां पहली डोरी जुड़ी होती है।) न द म अ सर ऐसा होता है क आप
एक झटके के साथ अचानक जगते ह, आपके सीने म धक् सा होता है और आपको महसूस
होता है क आप गर रहे थे और अभी-अभी ज़मीन पर उतरे ह। यह तब होता है जब आ मा
अपने यजन को ाकृ तक तौर पर मल कर आने के बाद अपने भौ तक शरीर म लौटती है।
पहली डोरी टू ट जाने पर क मृ यु हो जाती है। जीवा मा जगत म आपके फ़ र ते
आपक पहली डोरी को भरपूर तेज सफेद रोशनी के ारा सुर त रखते ह, जससे एक
सुर ाकारी भामंडल का नमाण होता है, ता क कोई नकारा मक त व इस तक न प ंच पाए।
जब आप यान क अ वाभा वक व धय और सू मशरीरी अवकाशी या ा (अथात् जब आप
अपने शरीर को अपनी मज से छोड़ते ह) का अनुसरण करते ह, तो आप अपनी ज़दगी को
जो ख़म म डालते ह य क आपक पहली डोरी खतरे म पड़ती है और नकारा मक आ माएं
पहली डोरी को काटकर आपको अपने शरीर म बारा वेश करने से रोक सकती ह।
अवकाशी या ा तब होती है जब मनु य अ ाकृ तक प से और मान सक सजगता के साथ
शरीर छोड़ता है। इसम एक जो ख़म होता है य क य द पहली डोरी टू ट जाए तो समय से
पहले और पृ वी पर अपना जीवनकाय पूरा करने से पहले ही मनु य क मृ यु हो जाती है।
एक बार, जब पापा का ऑपरेशन होना था, वह सबसे कहने लगे थे क उनका अं तम समय आ
गया है। वह कहते थे, “यह आ खरी बार है क म आप सबसे मल रहा ।ं ” यह वाकई उनक
तीसरी अं तम तारीख़ थी। ऑपरेशन से एक दन पहले उ ह अ पताल म भत कराया गया और
शाम को माँ क चचेरी बहन गूला और मनी उनसे मलने आ । उ ह ने बात करते, हंसते-हंसाते
समय बताया और फर अपने घर लौट ग । अगले दन जब पापा ऑपरेशन टे बल पर थे हम
फ़ोन पर जानकारी मली क गूला क अचानक मौत हो गई। उस समय तो हम ऐसा कभी सोच
भी नह सके, ले कन अब, जब हम जीवा मा जगत म ह, हम पता चला क जीने के लए गूला
के पास कुछ खास वजह नह थी, जब क पापा को हमारे प रवार क खा तर जीना था और
अपना आ या मक जीवनकाय पूरा करना था। सभी आ मा क तरह, गूला के पास भी
अपना आ या मक जीवनकाय था, ले कन उ ह ने अपनी आ मा को इस तरह श त नह
कया था क वह पृ वी पर इस जीवनकाय को पूरा कर सके। इस लए उनके अवचेतन मन ने
महसूस कया क उनके लए जीवा मा जगत म लौट जाना बेहतर है जहां रहकर वह अपनी
आ मा को और यादा श त कर और तब धरती पर बारा ज म ल। उ ह ने महसूस कया
क जीवा मा जगत म रहकर वह बेहतर प से काय कर पाएंगी। उनके और पापा के अवचेतन
मन के बीच समझौता आ और पापा के अवचेतन मन ने गूला के पृ वी पर बाक बचे दन मांग
लए। आपके लए यह अजीब बात होगी, ले कन यह सच है। अगर आप इसके लए चेतन प
से को शश करगे तो ऐसा कभी संभव नह होगा, इस लए कसी सरे क ज़दगी के दन
उधार लेन े क को शश न कर।
जानवर के लए अपना अलग जीवा मा जगत होता है। ठ क जस तरह मनु य क आ माएं
व भ लोक म जाती ह उसी तरह जानवर क आ माएं भी व भ लोक म जाती ह, ले कन
उनके केवल तीन लोक होते है: न न, म यम और उ चतम। कुछ जानवर को, य द वे पृ वी पर
पालतू प म रहे ह , तो उ ह मनु य के जीवा मा जगत म रहने क अनुम त मलती है, ले कन
ऐसा ब त असाधारण थ तय म होता है। जानवर और मनु य दोन को ही उ च तर पर होना
चा हए और उनके बीच ब त मजबूत लगाव होना चा हए। दोन के बीच वशु ेम होना
चा हए।
“कभी भी अपने सहजबोध को दबाएं नह । लोग आपको पागल या सनक कहगे, इस बात से
कभी ड रए नह । सहजबोध ई र का दया एक वरदान है।”
“अपने भौ तक मन का मा लक ब नए-गुलाम नह ।”
या अवचेतन मन और आ मा एक ही ह?
मनु य क अंतरा मा उसे केवल तभी चेतावनी दे ती है जब उसका अवचेतन मन कायरत हो।
इसका एक साधारण उदाहरण है: जब आप कसी को ःख प ंचाते ह, अथवा कसी के बारे म
नकारा मक सोचते ह, तो आपका अवचेतन मन आपको चेतावनी दे ता है और आपको
अपराधबोध महसूस होता है। इसका यह मतलब है क आपका अवचेतन मन जागृत है। आप
अपराधबोध को अपने ऊपर हावी न होने द। उस अपराधबोध का एक व श उ े य है। इससे
आपके अ दर आपके ारा क गई गलती को सुधारने क इ छा जगती है। आपको इससे सीख
लेनी चा हए और बारा वह गलती कभी नह करनी चा हए। ऐसा होने पर अपराधबोध चला
जाता है। अपराधबोध से नपटने का यही सही तरीका है।
कभी-कभी यह जानते ए भी क आपने कुछ ग़लत कया है, अगर आप अपने अपराधबोध को
दबाकर इसे शु से ही अनदे खा कर दे त े ह, तो आप अपने अवचेतन मन को नजरअ दाज कर
इसक सलाह क अवहेलना करते ह। जब आप ऐसा बार-बार करते ह तो आपका अवचेतन मन
सु त हो जाता है। एक ऐसी थ त आ जाती है जब य द आप पाप कर तो भी अवचेतन मन
आपको चेतावनी नह दे ता। अपराधबोध खुलकर सामने नह आता और हो सकता है क आप
यह सोचकर खुद को धोखा दे द, क चूं क आपको अपराधबोध महसूस नह हो रहा, आपने
कुछ ग़लत कर दया ही नह । दरअसल, आपने अपने आ या मक राडार को ब द कर दया
होता है।
हां, आपके अवचेतन मन को आपक सभी तीन अं तम तारीख पता होती ह। हालां क आपक
मृ यु समय से पहले भी हो सकती है अथात् आपक अं तम तारीख़ से पहले, जैसा क घटना,
ह या जैस े मामल म होता है। अतः, एक और आ या मक नयम आपक र ा के लए बनाया
गया है। सातव अथवा छठे लोक क भली आ माएं नक म नह जाना चाहत , इस लए ई र ने
एक नयम बनाया है जसके अनुसार जो आ माएं सातव लोक पर ज म लेती ह, उ ह पृ वी से
वापस बुला लया जाएगा और वे पांचव लोक से नीचे नह गरगी। इसी कार, य द आप छठे
लोक पर ह, तो आपको केवल चौथे लोक तक गरने दया जाएगा। य द आप पाप करना जारी
रखते ह तो आपका अवचेतन मन जीवा मा जगत म वापस जाने क अनुम त माँग लेता है।
ले कन पांचव और उससे नीचे के लोक क आ मा को ऐसी सुर ा हा सल नह है। य द वे
पाप करना जारी रखते ह, तो उनका अवचेतन मन काम करना बंद कर दे ता है। वे न नतम लोक
( थम लोक) तक गर सकती ह। इसी कारण हम कहते ह क पृ वी पर जीवन एक जो ख़म
है, ले कन यह ऐसा जो ख़म है जो आ मा ारा अपनी आ या मक ग त के लए
उठाया जाता है।
नह । मृ यु होने पर सारे मनु य पहले अवकाशी प ही धारण करते ह। इसके बाद वे अपने
अवकाशी शरीर का याग कर जीवा मक व प म पांत रत होते ह। इस लए, जब क
मृ यु होती है, उसका ाकृ तक पांतरण इस कार होता है:
जब बुरी आ माएं मरती है, न नतर लोक से जीवा माएं उ ह लेन े आती ह। हसका
या उ े य होता है?
१. ाथना।
“मेरे सबसे यारे, हे सवश मान ई र, कृपया करके मुझम अपनी ग़लत इ छा
और भावना से छु टकारा पाने क श जगाएं। मुझ े अपना ान द। अपने
अवचेतन मन को जगाने म मेरी मदद कर, ता क हमेशा यह मेरा मागदशन करे।
ध यवाद, हे सवश मान ई र।”
आपके मन म कसी भी तरह के वचार नह होने चा हए। आपका मन ब कुल कोरा होना
चा हए। य द अपके मन म कोई वचार वेश करे, तो उसे अपने आप गुज़र जाने द-उनसे
छु टकारा पाने का संघष न कर और न ही उनम ल त ह । जहां सकारा मक पंदन ह , कसी
ऐसी जगह पर, अपने मन को अ धक से अ धक २ मनट तक कोरा कर। अपने सहजबोध से
यह महसूस करने क को शश कर क उस जगह के पंदन सकारा मक ह या नकारा मक।
नकारा मक पंदन वाली जगह पर अपने मन को अ धक से अ धक १ मनट तक कोरा कर।
केवल सूय दय से सूय त के बीच अपने मन को कोरा कर।
ऐसा कहा जाता है क हर कसी क मदद करना हमारा धम है। लोग क मदद करना अ छ
बात है, ले कन आप सभी लोग क मदद नह कर सकते, य क कुछ लोग संपूण प
से नकारा मक होते ह। आप सोच सकते ह क कोई नकारा मक ह या नह यह तय करने वाले
आप कौन होते ह, ऐसा करना तो नणायक का काम है। ठ क है, आप नणायक न बन, ले कन
अपने ववेक का उपयोग कर।
कम या है?
ई र ने ऐसे नयम बनाए ह जनके ारा उनके बनाए ांड का संचालन होता है और यह
उनक सभी रचना का कत है क वे उन नयम का पालन कर। यह उनका कत है,
ले कन उ ह कुछ भी करने के लए जबरद ती नह क जा सकती- वतं इ छा क यही कृ त
होती है। इस लए आप जो भी फैसला करते ह, वह ब कुल आप पर नभर करता है, ले कन
य द आप ई र के नयम को न मानने का फैसला करते ह, तब भी आप हमेशा उनके अंतगत
ही काम करते रहगे। कोई भी आ मा आ या मक नयम से बढ़कर नह होती।
नह । आपको अपने बुरे कम का हसाब चुकाना ही पड़ता है। इससे कोई फक नह पड़ता क
आप कतना दान-पु य करते ह। इस तरह आप कभी भी अपने कम को मटा नह सकते।
ब त से लोग ऐसे ह जनम यह ग़लत धारणा होती है क हजार का दान दे ने पर वे वग ा त
कर लगे। य द आप ऐसे उ े य के साथ कोई भी अ छा काम करगे तो आप वग दे खने क बात
तो भूल ही जाएं। आप क नया म सबसे बु मान यायाधीश ारा कया गया याय भी
कभी-कभी सही नह होता, ले कन ई र के नयम अपने आप म प रपूण होते ह और उन नयम
के कारण आपके साथ जो याय होता है वह ब कुल उ चत होता है। यह याय कम के प म
आपको ा त होता है। य द आप अपने लोग से कुछ छपाने क को शश करगे, तो यह छपा
रह सकता है, ले कन ई र से आप कुछ भी छपा नह सकते। येक वचार, श द और कम
आपके अवचेतन मन ारा आपके आका शक रकॉड म दज़ कए जाते ह। चाहे आप मान या न
मान, यही सच है।
आपने एक बात सबसे पहले कही थी, “बहा री और मु कान के साथ अपनी सभी
सम या का सामना क जए, “ले कन जब लोग क झेल रहे ह , तब यह कैसे संभव
हो सकता है?
हां, आपक बात हम समझ सकते ह। ले कन हम आपसे वयं क नदा करने को नह कह रहे।
हम तो बस यह कह रहे ह क आप आ या मक नयम को जान और यह समझ ल क मनु य
के साथ जो कुछ भी होता है वह उसके अपने फैसल के कारण होता है। इसका यह अथ नह
क आपके साथ जो कुछ बुरा होता है वह आपक ग़लती है। वह सब इस लए होता है य क
आपम जाग कता क कमी है। जस व त आप ग़लती करते ह, उस व त आप पूरी तरह
सजग नह होते, क यह गलत है। अथवा, य द आप सजग थे, तो हो सकता है क आपम जो
सही है, वह कम करने क ताक़त न रही हो। अतः, ऐसी भी प र थ तयां आती ह जब मनु य को
भयानक क से गुज़रना पड़ता है, जब क वह उनके अपने कम का फल नह होता। ऐसा तब
होता है जब कोई अ य मनु य अपनी वतं इ छा का ग़लत योग सर को क दे न े के लए
करता है। भा य से, मनु य जब पृ वी पर बारा ज म लेता है, तब उसे यह जो ख़म उठाना
पड़ता है। समाधान केवल एक ही है क आप बलता बनाएं रख और ई र पर नाराजगी न
जताएं। ई र से अपना बचाव करने और आपको व थ करने म मदद करने क ाथना कर।
अपने जीवन म मले सौभा य के लए कृत होने का तरीका यह है क आप इसे कसी सरी
भली आ मा के साथ बाँट। आपके जीवन म या कुछ घ टत हो रहा है इसे य प से कट
करने क कोई ज रत नह । हर बात व तार से करने क ज रत नह । वा तव म, अपने
जीवन क अ छाईय के वषय म, आपको शांत रहना चा हए, और कुछ भरोसेम द लोग के
अलावा, इसक चचा कसी से नह करनी चा हए, अ यथा इससे नकारा मक ऊजा आक षत
होगी। ले कन य द आप अपने साथ ई कसी अ छ घटना से खुश ह, तो अपनी इस ख़ुशी को
सर के साथ बां टए। सर को ख़ुशी द जए। और, य द आप एक बल ओहदे पर ह तो
इसका उपयोग सरे अ छे लोग क मदद करने म क जए। दरअसल ऐसा करने के उ े य से
ही, आपको उस ओहदे पर रखा गया है। खुद को मले आ या मक वरदान का आनंद ली जए
और उनका उपयोग अ य भली आ मा क सहायता करने म क जए।
या ‘परी ा’ और ‘ श ण’, कम ही ह?
१. कम का हसाब चुकाना।
२. परी ा और श ण का अनुभव करना।
३. अपने आ या मक जीवन काय को पूरा करना, जो पृ वी पर आपके होने का वा त वक
कारण है।
४. अपने यजन क र ा करना।
आपक राह म आने वाली सभी सम याएं कम से जुड़ी नह होत । मु कल आपक राह म
परी ा और श ण के प म आती ह, ता क आप अपनी कमज़ो रय अथवा नकारा मक
आ मक गुण से प र चत होकर सकारा मक आ मक गुण को वक सत कर सक। य द कम
आपका ऋण या आपको मलने वाला उपहार है, तो श ण आपक तैयारी है। आप इस
अनुभव को पाने का फैसला करते ह, ता क आप अपनी परी ा म सफल होने क तैयारी कर
सक। जीवा मा जगत म उ च भली आ मा क मदद से आप उस श ण को चुनते ह जसे
आप पृ वी पर अपने जीवन काल म पूरा करना चाहते ह। आप यह भी चुनते ह क आप कन
वशेष आ मक गुण क परी ा दे ना चाहगे। बहरहाल, परी ा क कृ त, उनका व तार
और उनका समय आपके ारा तय नह कया जा सकता, ब क आपके अवचेतन मन ारा
अपने आप तय कया जाता है। उदाहरण के लए, यु नव सट म आप अपनी पसंद के वषय
चुनते ह, हालां क साल के अंत म आप अपनी परी ा के प के लए का चयन नह
करते। जीवन के अलग-अलग दौर म ऐसी अनेक परी ाएं आपके सामने आएंगी और आपको
उनका सामना तब-तक करते रहना होगा जब-तक क आप उनम ब कुल अ छ तरह सफल न
ह । श ण आपक जीवा मा को सबल बनाता है और आपको कुछ स चाइय से प र चत
कराता है। श ण आपक आ मा को कुछ ऐसे गुण दान करता है जो आपके लए परी ा
म सफल होने और अपना जीवन काय पूरा करने म आपक मदद करते ह। श ण कई कार
क प र थ तय के प म होता है जनका आपको सामना करना पड़ता है और इससे आपको
सीखने और वकास करने म मदद मलती है। श ण कई प म हो सकता है, जो आपक
आ मा क ज़ रत के आधार पर आपके ारा चुन े गए वक प पर नभर करता है। तब
आपक इस बात के लए परी ा ली जाएगी क आपने उन स चाइय या श ा को सीखा है,
या नह और वे आपके जीवन के अंग बने ह, या नह ।
मान ल आपको अपनी सफलता पर घमंड है। आप ऐसे हालात से होकर गुजरगे जनम आप
असफलता का अनुभव करगे, और यही आपका श ण होगा। य द आप इस असफलता के
वभाव को समझ ल, क इसे आपके सामने इस लए रखा गया है ता क आप वन ता का पाठ
पढ़ सक, और आप वा तव म वन बनते ह, तो आपने सबक सीख लया होता है और इस
तरह आप परी ा म सफल होते ह। आप एक नकारा मक आ मक गुण (अहंकार) को हटाकर,
एक सकारा मक आ मक गुण ( वन ता) हण करते ह। जब यह प रवतन स चे प से होता
है तो आपक परी ा सही मायने म सफल होती है। इस तरह आपक आ मा श त होती है।
य - य आप आ या मक प से ग त करते ह, आपक परी ाएं और आपके श ण क
कृ त उ च प क होती जाती है और आपको जीवा मा जगत से अ त र मदद हा सल होती
है।
आ या मक परी ा अचानक होती है। आपने सचमुच आ या मक सबक सीख लया है, या
नह इसे जानने का केवल यही एक रा ता है। आ या मक प से सजग होने के लए अपने
अवचेतन मन से संचा लत ह ता क आप वाभा वक प से वही करगे जो सही है। य द आप
भौ तक मन से संचा लत होते ह तो आ या मक परी ा क घड़ी म आप ग़लत नायु (अथात्
भौ तक मन) का योग कर रहे होते ह। इस लए, हो सकता है क आप परी ा म बेहतर न कर
पाएं या पूरी तरह असफल ही हो जाएं। परी ा क घड़ी म डर से त ध रह जाते है या फर
ो धत और तनाव त होने से शु आत म ही अवचेतन मन से आपका संपक टू ट जाता है और
आपक दशा ग़लत हो जाती है। आप ग़लत पेशी अथात् भौ तक मन को स य कर लेत े ह।
आपक शु आत ही सबकुछ है। य ही आप ग़लत पेशी को स य करते ह आप इसी का
योग करते रह जाते ह। आ खरकार जब आप परी ा म असफल हो जाते ह तब आपको
अनुभव होता है क आपने या कर लया है। जब आप कसी परी ा म असफल होते ह,
आपको बारा इसका सामना करना पड़ता है, ले कन अब यह पहले से अ धक क ठन हो जाती
है। आपको सबक तो वही सीखना होता है, ले कन अब जो परी ा आपको दे नी होती है वह
अलग कार क होती है। इस तरह आ या मक परी ा अचानक होती है। जब तक आप सबक
सीख नह लेत,े वही सम याएं आपके सामने बार-बार तब तक आती रहती ह जब तक आप उन
पर वजय नह ा त कर लेत।े
परंत,ु यही नयम क परी ा और उसके श ण पर लागू नह होता है। मनु य अपनी
परी ा और श ण से बचकर नकलने का फैसला कर सकता है। य द आपका अवचेतन मन
सु त है तो इस कारण आप अपने आ या मक वकास के लए ज री अपनी परी ा और
श ण से वं चत रह जाते ह। साथ ही, आप कभी पृ वी पर अपने आ या मक जीवन काय
और उ े य को नह जान पाएंग।े जब आप आ या मक पथ पर नह होते, तब आपने खुद को
उसी रा ते से भटकाने के लए अपनी वतं इ छा का योग कया होता है, जसे आपने
जीवा मा जगत म चुना था। आपका अब ऐसी प र थ तय और ऐसे लोग से सामना नह होता
जो आपक आ मा के श ण के लए आव यक होते ह। इसके बजाए, आपको ऐसी
प र थ तयां और ऐसे लोग मलते ह जो आपके अहंकार का पोषण करते ह और आपको पूरी
तरह एक भौ तकवाद और सांसा रक बना दे त े ह। फर तो आप अपनी जीवा मा के
मह व को ही भूल जाते ह। आपक जीवा मा का पोषण पूरी तरह ठप पड़ जाता है और आप
इसी थ त म ख़ुश रहने लगते ह। ले कन यह ख़ुशी एक धोखा है, य क यह पूरी तरह भौ तक
मन क उपज है। आ या मक राह से र हटकर पृ वी पर कुछ लोग आराम का अनुभव करते ह
और भौ तक मन से आने वाली झूठ शां त का अनुभव पा कर संतु हो जाते ह, य क उ ह
प रवतन और सुधार के लए होने वाले संघष से होकर नह गुज़रना पड़ता। वे अपनी सम या
को सुलझाने के लए सही तरीके नह चुनना चाहते और उनसे बच नकलने के लए आसान
रा ते पर चल पड़ते ह। शां त का यह झूठा अनुभव आपको अपने ही अहंकार ारा कराया जाता
है, य क यह नह चाहता क मनु य ारा उसे न कया जाए।
सबसे पहले, अपने माग म आने वाली बाधा से कभी न डर; वे आपको मजबूत बनाती ह।
साथ ही यह भी सोच कर न बैठ क धरती पर आप केवल मु कल झेलने के लए आए ह। कम,
परी ा व श ण के अ त व का कारण आपम बदलाव लाना और आपक आ मा को नमल
करने म सहायता करना होता है। ले कन ई र ने पृ वी पर आपको कुछ अद् भुत करने का भी
एक अवसर दया हैः जो आपका आ या मक जीवनकाय है।
येक मनु य चाहता है क उसके जीवन का कुछ अथ हो, और यह तब होता है, जब आपको
अपने जीवन काय का पता चल जाए। उस उ े य को ही आपके जीवन काय के प म जाना
जाता है, जो आपक आ मा और ई र के बीच कया एक वचन होता है...एक शपथ होती है,
जो पृ वी पर आने से पहले जीवा मा जगत म आप लेत े ह। येक आ मा एक आ या मक
ख़ोज के माग पर चलती है। यही वह माग है, जसे आपने पृ वी पर पुनज म लेने से पहले चुना
है। जब आप पृ वी पर आते ह, तो अपनी जीवा मा के वकास के लए पुनज म लेने के उ े य
को भूल जाते ह।
इस लए यहां पहला चरण दया जा रहा हैः अपने-आप को बदलने के लए तथा ई रीय अ छे
माग पर चलने के लए, आपको वह ान होना चा हए, जो सही-गलत म फ़क करने म आपक
सहायता करे। आपको यह पहचानने क आव यकता होगी क आपको या बदलने क ज़ रत
है। इस लए पहले चरण म आ या मक ान ा त करना होता है। यह बात न त कर ल क
आप ान के उस ोत पर व ास करते ह। पृ वी पर आजकल ब त गलत ान क
आ या मकता के प म दे खा जाने लगा है...पर ई र ने आपको एक अवचेतन मन दया है,
जो आपको स चे ान क ओर ले जाएगा। य द आप कोई सरल तरीका ढूं ढ रहे ह, य द आप
बदलाव को रोकते ह, तो आप स चे ज ासु नह ह और आपका भौ तक मन आपको गलत
ान क ओर ले जाएगा। अधूरा ान होना एक खतरनाक चीज़ होती है। अपने अहं क
बजाए, अपनी आ मा के लए जो सव म हो, आप वह कर।
कम, तीसरा और सबसे मह वपूण चरण है। को अपने दोष के बारे म पता हो सकता है,
ले कन यह संभव है, क वह प रवतन क इ छा नह रखता। इसे अ वीकृ त कहते ह। दोष को
स चे मन से वीकार करने का अथ होता है, अपने-आप म इस हद तक बदलाव लाना, क
आपके उन दोष का अ त व ही न रहे। इसी कार के आ या मक कम क आव यकता होती
है। सर क सहायता करने के लए, सबसे पहले वयं खुदक सहायता करना आव यक होता
है। कसी अ य पर सकारा मक भाव ड़ालने के लए, पहेल े आपको वयं आ या मक
मज़बूती क अव था म होना चा हए। य द आप चाहते ह क आपका कोई यजन या म
वन बने और आप उनके दोष को वहार कुशल तरीके से इं गत करते ह, तो यह ठ क है।
पर य द आप एक घमंडी ह, तो कसी और के बदलने क अपे ा न कर। खुद को बदल।
अपना उदाहरण सामने रख। अपने-आप को बदलने से पहले सर के बदलने क अपे ा न
रख...और याद रख क न ता के बगैर कसी कार का प रवतन नह हो सकता । एक बार जब
आप उस दशा म कदम उठा लेत े ह, तो आप एक च पूरा कर लेत े ह, और उसक फर से
शु आत होती है। आपको और अ धक आ या मक ान मलेगा, ता क आप पुनः वयं का
व ेषण कर सक और अ धक यास कर सक। यह च ज म तक चलता रहता है।
भ या है?
जैसे आपके नकारा मक काय बुर े कम का नमाण करते ह, उसी कार आपके सकारा मक
काय अ छे कम का नमाण करते ह। इन अ छे कम के बदले म, आपको एक आ या मक
उपहार मलता है, जो एक ऐसा नर होता है, जससे आपको संतोष मलता है एवं आप सर
क मदद भी कर सकते ह। य द आप कसी चीज़ को लेकर वाभा वक प से अ छे ह , तो
आपक आ मा ने उस उपहार को कई ज म लेन े पर ा त कया होता है...पर आपके भौ तक
मन को इस जीवन म पहली बार इसका ान होता है। आप अपनी तभा क खोज़ नह करते
ब क आप उसे फर से पहचानते ह। आपको ई र से जो भी उपहार मले ह, आपको उनका
उपयोग अ छाइय के लए करना चा हए। तभा से संप अ धकतर दौलत और शोहरत
हा सल करने म जुटे रहते ह, जो आपका अं तम उ े य नह है। कुछ ऐसा नमाण कर जो
मानवता के लए एक सकारा मक योगदान स हो। य द आपको सौभा य से शोहरत भी मली
हो, तो आप उस मंच का उपयोग आ या मक ान फैलाने म कर। अपने त ा-पद का
उपयोग लोग के ःख-दद मटाने, उ ह खुश करने, उनका उ थान करने म कर। आपको ई र से
मले अपने उपहार का ववेकपूण तरीके से उपयोग करना चा हए...ई र का एक साधन बनकर
आप इसके त याय कर। पूरी मेहनत करके, आप अपने वसाय के शखर पर अव य प ंच,
पर अपने उपहार का उपयोग केवल सांसा रक उ े य के लए ही करके उ ह सी मत न कर।
अपने उ च आ या मक उ े य क शोध कर।
या हमारे पास अपने तीसरे जीवन काय को जानने का कोई तरीका है?
आपका तीसरा जीवन काय कुछ ऐसा है, जसक तरफ आप वाभा वक प से खचे चले जाते
ह और जसके त आपको भ लगाव होता है। आप हर रोज कसी द तर या कसी
कारखाने म काम कर जीवन गुज़ार सकते ह, पर इससे कोई फ़क नह पड़ता क आप कहां ह,
अपनी खू बय का उपयोग, एक सकारा मक भाव लाने के लए कर। सकारा मक भाव होता
है, कसी को े रत करना, उसक जीवा मा का उ थान करना और क णाभरे छोटे -छोटे काय
के ज रए उनके जीवन म आशा क करण जगाना। य द आप अहंकारी ह, भयभीत ह, या
भौ तकवाद ह, तो आपका भौ तक मन आपको आपके जीवन काय से र ले जाने का यास
करेगा। य द आप पृ वी पर अपने आ या मक जीवनकाय को पूरा नह करते, तो चाहे आप
कतनी भी उपल धयां य न पा ल, आपका जीवन थ माना जाएगा और आपक या ा
अधूरी रह जाएगी।
या कत और सेवा एक ही होते ह?
नह । यहां अंतर है। आपका पहला कत अपने खुदके वा य क दे खभाल करना है। आपका
शरीर आपक आ मा क पोशाक होती है, जो आपको ई र क ओर से मलता है। इसका यान
रखा जाना चा हए...इसक दे खभाल क जानी चा हए और इसे मान दया जाना चा हए। आ मा
के लए यह एक अ यंत ज री साधन होता है, जसक मदद से आप आगे बढ़ते ह और अपने
जीवन काय को पूरा करते ह। एक अ व थ शरीर एक अशांत मन को ज म दे ता है, और अशांत
मन एक अ व थ शरीर को। इससे आ मा नाखुश और अनअ वे षत बनकर रह जाती है, जो उस
उ े य को पूरा नह कर पाती, जसके लए उसने पुनज म लया है। आपका शरीर एक मं दर
है...इस लए आपको इसका स मान करना चा हए।
कसी क फ करना, जैसे माता- पता या दादा-दाद क दे खभाल करना अथवा अपने ब च
का अ छ तरह से पालन पोषण करना, आपका कत है। इसे आप इस तरह से कर मान
आपने कोई याग नह कया। मनु य इतना वाथ हो चुका है क जब कसी को दयालुता के
काय करते दे खता है, तो उसे आ य होता है। य द आप दयालु और क णामय वभाव के नह
ह, तो अपने-आप से पूछ क आप कहां गलत जा रहे ह। अपने प रवार और म क मदद
करने के अवसर को चूकने का अथ है क आपने अपना वचन तोड़ दया।
१. ब चे
२. माता- पता
३. प त-प नी
४. प रवार के अ य सद य
५. दो त
केवल उन लोग के त अपने कत को पूरा करने का यान रख, जो सही राह पर चलते ह ।
य द वे भटक रहे ह , तो उ ह मागदशन द। हालां क य द वे जान-बूझकर गलत माग पर चलना
जारी रखते ह, तो आपको अपने ववेक का उपयोग करना होगा। लोग को अपना फायदा न
उठाने द। याद रख क सर क मदद करना आपक ज मेदारी है। वा तव म ‘मदद’ जैसी कोई
चीज़ नह होती। आपने ‘मदद’ क ा या इस लए वक सत कर ली है य क आज यह
काफ लभ हो गई है। पुराने दौर म ‘मदद’ महज एक कत आ करता था। ‘मदद’ जैसी
कोई चीज़ नह थी। माता- पता, ब च तथा म के प म यह आपका कत है क आप वह
कर जसक ज़ रत है। यह एक ऐसा सामा य काय होना चा हए, जसपर सावधानीपूण वचार
करने क आव यकता न हो। भा यवश, इन दन आपको सावधान रहने क आव यकता है,
य क आजकल सहायता लेने तथा दे ने क या म लोग पर भरोसा नह कया जा सकता।
पर तब भी यह कुछ ऐसा है, जो मनु य म वाभा वक प से आना चा हए।
सेवा और मदद करना, महज का कत होता है...पर आजकल लोग इसम फ़क करते ह,
य क उ ह इस वा त वकता का जरा भी बोध नह होता। मनु य वाथ हो चुका है। जीवा माएं
सर क मदद करके ेरणा पाती ह। उनका उ े य पृ वी क आ मा के बीच ई र के नयम
के बारे म जागृती फैलाना है, और वे आशा करते ह क यह भली आ माएं इस ान को आपस म
बाँट और उसका उपयोग बदलाव लाने के लए कर।
या कोई ऐसा उपाय है, जसके ज रए कोई अपने जीवन काय क तैयारी
कर सके?
पर आपक परी ा ऐसे होती हैः अहं पर अ याय ब त जोर का आघात करता है। तो या आप
याय पाने के लए गलत या अनै तक तरीके अपनाएंगे? पु लस अ धकारी, वक ल या एक
यायाधीश बनने के बाद या आप ाचारी बन जाएंग? े य द आप अपने अवचेतन मन क
आवाज़ सुनगे, तो आप इस नकारा मक अनुभव का उपयोग सीख पाने के लए करगे और यह
आपको अपने जीवन काय तक प ंचा दे गा– अथात एक ईमानदार बनना, जो कानून-
शासन क बहाली करता हो।
हमेशा यान रख क आपक कमज़ो रय क परी ा होगी। जब अ धकतर लोग लोभन के बारे
म सोचते ह, तो वे भौ तक चीज़ के बारे म ही सोचते ह, जैस े स भोग, स, भोजन, शराब, धन
इ या द। इसम कोई शक नह क वे लोभन ह, पर लोभन सरे तर के भी होते ह, जैसे
अहंकार, संदेह, ोध, बदले क भावना तथा ई या इ या द। आपक आ मा के ये नकारा मक
गुण, जो आपको ई रीय प व राह से र ले जाते ह, आपके लोभन ह...और उन े म
आपको नरंतर श त कर आपक परी ा ली जाएगी, ता क आप अपने दोष को जान पाएं।
आप ईमानदारी और साहस के साथ नरंतर अपने अंदर झांक, और अपने गुण को वीकार
करने का हौसला बनाए रख। य द आपको अपने दोष के बारे म पता ही न हो, तो आप उ ह
ठ क कैसे कर पाएंग?े
इसके अलावा, केवल अपने दोष को नयं त करने के ही बारे म न सोच। उनसे छु टकारा पा
कर, उ ह बदलकर उ च कृ त के अ छे गुण का संचार कर। इस लए य द आपम अहंकार है,
तो आप न केवल उस पर काबू पाएं, ब क वन भी बन। यह भी सु न त कर क अपने अंदर
क अ छाई को भी आप वीकार कर। आ म-मह व तथा आ म- ेम ब त मह वपूण होता है,
जसका अथ होता है– अपनी जीवा मा के लए ेम और स मान क भावना। अपनी
कमज़ो रय के गुलाम बनने के बजाए अपने सदगुण का उपयोग कर। नकारा मक आ मल ण
से छु टकारा पाने के लए आप अपने अंदर क अ छाइय ... अपनी आ मा के सकारा मक
ल ण का अव य उपयोग कर।
आ मह या
कुछ ऐसे ब चे होते ह जो इस लए खड़क से कूद जाना चाहते ह य क वे अपने माता- पता
के लगातार दोषारोपण अथवा उनक असहनीय नदयता को बदा त नह कर पाते। ऐसी
थ तय म आ मा के लए शरीर म रहना बेहद मु कल हो जाता है। ढे र सारे ब च ने अपने
जीवन का अंत गैर-मह वपूण बात को लेकर कया है। जब वे जीवा मा जगत म आते ह तब
उ ह अहसास होता है क उ ह ने जो कया वह अधीरता म उठाया आ कदम था और उनका
डर कतना बेमतलब था। ऐसे लोग को यह जानना चा हए क असफलता णक होती है।
दरअसल, असफलता सफलता तक प ंचने का एक पायदान है। जस तरह सुख को महसूस
करने के लए आपको ःख का अनुभव करना ज री है, उसी तरह सफलता का आनंद लेने के
लए असफलता का वाद चखना भी ज री है। असफलता तो बस मनु य को सखाने वाला
एक अनुभव मा है। हर माता- पता क यह ज मेदारी है क वे अपने ब च को ेम सखाएं, न
क डर, और उ ह आ या मक ान दान कर। जब यह ान ब चे के अ दर रच-बस जाता है,
तब ब चा अ दर से खुलता है और उसके अंतर- वर फूट पड़ते ह। माता- पता सबसे अहम बात
भूल जाते ह: उ ह एक अ छा इंसान बनाना। इसके बदले, वे अपने ब च को यह श ा दे कर
क भौ तक जगत क उपल धयां ही सबसे मह वपूण ह, उ ह ग़लत दशा क ओर बढ़ने को
े रत करते ह। इस तरह वे अपने ब च को सफलता के बारे म झूठ धारणा दे कर उ ह ग़लत
राह दखाते ह।
“एक सरल, ईमानदार, नेक और नः वाथ कम बना एका ता के घंट कए जाने वाली
ाथना और लोग , तथा हमारे सवश मान ई र को छलने के उ े य से दए जाने वाले
हजार के दान से अ धक मह वपूण है।”
कभी-कभी मनु य क ई र म बड़े माण म आ था होती है। ले कन, अगर कुछ ब त ही ःखद
घ टत होता है, जैसे क ब चे अथवा प त या प नी को खो दे ना अथवा कोई ब त ही भयानक
अ याय, तो ई र को दोष दे ने लगता है और उसका उनपर से भरोसा उठ जाता है। हां,
इसम कोई शक नह क आप ःख का अहसास करते ह, ले कन इस ःख के कारण अपनी
आ था खोने के बजाए ई र से ाथना कर क वे आपको इसका सामना करने क ताकत द।
पृ वी एक ऐसी जगह है जहां कदम-कदम पर अ याय होता है। अ छे लोग ःख झेलते ह और
बुरे लोग ायः ताकतवर होते ह और सुख का उपभोग करते दखाई पड़ते ह। इस समय पृ वी
पर भारी असंतुलन क थ त है, ले कन यह असंतुलन हमारी परी ा है और संघष हमारा
श क। आपके साथ होने वाले सभी अ याय के बावजूद, या आपम अब भी इतना साहस है
क आप ई र और उनके याय म व ास करते ह?
सही वक प चु नए। तरोध सबसे पहली आव यकता है। लोभन का तरोध क जए। कम
करने क बात इसके बाद आती है। ई र हमारे सृजनकता ह। वह सव च स ा है जो ानी,
यायी और ेमल ह। आप उ ह अ छाइय के ारा जान सकते ह। आप ई र का व ेषण
जतना अ धक करगे उतना ही अ धक आप खुद को उनसे र पाएंगे और उतना ही आप उनके
ारा द जाने वाली शां त से खुदक वं चत रखगे। ई र केवल एक वचार या सोच नह है।
उनका भी एक प है, ले कन पृ वी पर वे वयं को खास कारण से अ य रखते ह। यही हमारी
परी ा है।
जब आप ाथना करते ह, तब ई र आपक ाथना सुन रहे होते ह। हालां क, ऐसा वे अपने
फ़ र त के ज रए करते ह जो उन ाथना का यु र दे त े ह। कभी-कभी लोग अपनी या
अपने यजन क ज़दगी के लए ाथना करते ह। य द वे भली आ माएं ह, तो उ ह
आरो यकारी श दान क जाती है ता क उनम व थ होने क श अथवा अगर यह उनका
कम फल हो, तो उनम शारी रक क को भोगने क मता आ जाए। कभी-कभी लोग इस लए
भी ाथना करते ह, य क उ ह कुछ समझ म नह आ रहा होता। वे नह जानते क अपनी खुद
क अथवा अपने करीबी क कस कार मदद क जाए। इस लए उनक ाथना का
यु र मागदशन अथवा उनके अवचेतन मन के ज रए मलने वाले संदेश के प म दया जाता
है। इस संदेश को ा त कर के सामने सबकुछ साफ हो जाता है और उसक वधा र
हो जाती है। मदद क कुछ पुकार इतनी अ धक आव यक और इतनी अ धक उलझी ई होती ह
क जीवा मा को अपने लोक क उ च भली आ मा क सलाह लेनी पड़ती है। ले कन कृपया
करके यह समझ ली जए, क आ ख़रकार ाथना के यु र दे ने वाली सारी आ मा को
चूं क ई र के ही मागदशन और आशीवाद के साथ काय करना होता है, इस लए बेशक, ई र
ही आपक ाथना को सुनते ह, बशत वे स ची और दय से नकली ह ।
५. य द आप सही रा ते पर चल रहे ह ।
येक ाथना म पंदन या ऊजा होती है। जब आप ाथना करते ह तो इससे सकारा मक
ऊजा उ प होती है। ये सकारा मक पंदन आप और आपके आसपास के लोग पर
आरो यकारी भाव डालता है। इस तरह आप अपने आसपास के नकारा मक पंदन को
ाथना के ज रए हटा रहे होते ह। जब नकारा मक लोग आपके आसपास ह तब उनक
ऊजा आपको भा वत करती है और आपको नुकसान प ंचाती है। इस लए, नकारा मक
ऊजा धारण करने वाले लोग के त, अ धक से अ धक सावधान र हए। य द आपम डर,
अहंकार, ोध, नराशा, जैस े नकारा मक भाव ह, तो इससे आप अपने ही पंदन को
कमजोर करते ह और अपनी जीवा मा को बल बनाते है। ाथना आपको अपने आस-पास
क नकारा मक ऊजा को हटाने म मदद करती है, ता क सकारा मक पंदन का नमाण हो
सके।
“सकारा मक ब नए।”
“समान व तुए ँ एक सरे को अक षत करती ह।”
नकारा मकता के न न ल खत ल ण ह:
१. डर
हालां क यह अजीब लग सकता है, ले कन कुछ लोग ऐसे होते ह जो सकारा मक होने से
डरते ह। शायद अतीत म उनका अनुभव बुरा रहा हो और वे आशावाद होने से डरते ह ।
इस लए, उ ह ने अपने मन को यह मानने के लए बा य कर लया होता है क जदगी बुरी
है और वे अपने जीवन म कुछ भी सकारा मक पाने के लायक नह ह। वे अपने आप को
नराशा से बांध लेते ह। उनका तक यह होता है क वे यथाथवाद ह, जब क असल म वे
नह होते। यथाथवाद कोण है-जीवन के उतार-चढ़ाव को अ छ तरह समझना।
इस लए अ छे समय क उ मीद करना ब कुल वाभा वक है। चाहे आपके अतीत का
अनुभव कुछ भी रहा हो, मनु य के अ त व के लए उ मीद ज री है। कभी-कभी
लोग प रवतन से डरते ह य क वे उस नकारा मक थ त म सुर त महसूस करते ह।
२. चता
३. संदेह
४. दोषारोपण या डांट-फटकार
७. ई या
८. सर पर दोषारोपण
१०. अधीरता
नकारा मक होने पर आपके फैसले ग़लत होते ह। इसका दै नक जीवन म आप जो फैसले करते
ह, उनपर भाव पड़ता है और आ या मक प से आप नीचे गरते ह।
६. ज रत से यादा व ेषण
जब आपका कोई अपना आपसे बछड़ता है, तो यह थ त आपके लए बड़ी ःखद हो सकती
है। ऐसे म टू ट जाना वाभा वक है, ले कन जीवा माएं नह चाहत क आप उनके लए वलाप
कर। य द वे भली आ माएं ह, तो वे अ छे थान म ह गी, इस लए आप अपने मन को व य
कर। यह यान रख क आप खुदको हर कार से व य रखने का हेतु रख, य क यही आपके
यजन चाहते ह। जीवा माएं नह चाहत क पृ वी क आ माएं जीवन भर शोक मनाती रह।
आपके हाथ कटने पर खून बहता है, ले कन समय के साथ घाव भर जाता है। ःख के साथ भी
ऐसा ही होता है। भले ही मनु य ःख का सामना करता है, ले कन समय के साथ, उसके घाव
भर जाते ह।
जब सबकुछ ठ क-ठाक चल रहा हो, तब सकारा मक होना आसान होता है। असली परी ा तो
तब होती है जब जीवन म क ठनाइयां आएं और चीज ग़लत होती जाएं। इसी तरह आपके
व का वकास होता है। प र थ त चाहे जो भी हो, सकारा मकता हर हाल म
अपनानी चा हए।
कभी-कभी आप अपने मन को नयं त करने म असफल होते ह अथवा कभी-कभी ऐसा करने
म सफल भी रहते ह, ले कन आप सकारा मक होना नह जानते। इसका एक बड़ा ही साधारण
सा कारण है, जो आपके फैसले पर नभर करता है। आपको प रवतन के त पूरी तरह तब
होना चा हए और अपनी इ छा श का उपयोग करना चा हए। इस लए, भौ तक मन को भी
आपके साथ सहयोग करना ही पड़ता है। के असफल होने का कारण यह है क उसक
तब ता कमजोर होती है। उनके य न अधूरे मन से कए गए होते ह और प रवतन के त वे
पूरी तरह सम पत नह होते। आप सकारा मक बनने का फैसला करते ह। आप कसी को माफ
करने का फैसला करते ह। आप वन रहने का फैसला करते ह। आप संतु रहने का फैसला
करते ह। सफलता या असफलता आपके चयन क श पर नभर करते ह। मान लेते ह क
आपको ऐसे कसी को माफ करने म मु कल हो रही है जसने आपको ब त ःख
प ंचाया हो। ान ा त होने के बावजूद य द आप उसे माफ नह करते, तो इसका अथ यह है
क आप माफ करना ही नह चाहते, न क यह, क आपको पता नह क माफ कया कैसे जाए।
जब जीवन म बुरा समय चल रहा हो, तब बहा री के साथ सकारा मक कोण अपनाना ही
स चे अथ म सकारा मक होना है। उ मीद का दामन कभी मत छो ड़ए, चाहे प र थ त कतनी
ही गंभीर य न हो।
अहंकार मनु य के सबसे आम दोष म से एक है। हर मनु य म कुछ न कुछ अहंकार या अहं
रहता ही है। य द वे तुरंत नयं त न कए जाएं, तो ये काफ खतरनाक हो सकता है। वन ता
के बगैर कोई आ या मक या ा शु नह होती। मनु य के जीवन म कसी न कसी पड़ाव पर
अहंकार लागू पड़ता है। कुछ लोग म धन को लेकर अहंकार आता है, तो कुछ म उनके सुंदर
शरीर, अपनी तभा इ या द को लेकर...पर आ य क बात यह है क अ धकतर लोग म यह
तब होता है, जब उनम गौरव करने जैसी कोई चीज़ नह होती। यह अर तता तथा मान सक
ं थय के कारण होता है। ऐसे लोग अपने बनाए झूठे बाहरी च को सुर त करने के लए
द वार खड़ी करते ह। वे स चे नह होते तथा स य के माग से र जा रहे होते ह। आज क नया
म के पतन का सबसे बड़ा कारण अहंकार है, य क सभी को यह लगता है क वे जो
कर रहे ह, वही सही है। लोग य द इस अहंकार पर नयं ण न रख, तो उनके फैसले गलत हो
जाएंगे... य क वे स ची समझदारी का अनुभव करने म स म नह ह गे। भले ही एक आम
इंसान का इस सांसा रक नया म कोई तबा न हो, पर य द वह वन है, तो भौ तक सफलता
वाले एक अहंकारी क तुलना म जीवा मा जगत म उसका स मान होगा। एक वन
अ छे लोग को आक षत करता है, न क चापलुस को। लोग उसके पास सही सलाह
पाने के लए आते ह। पर जो लोग अहंकारी होते ह, वे हमेशा अकेले रह जाते ह। वे अपने आस-
पास के लोग के त सशं कत रहते ह और कभी स चे अथ म लोग उ ह पसंद नह करते।
२. आ या मक पतन
३. न न पंदन
४. अ याय
५. ई या
यह आपका अहं ही होता है, जो आपक या ा क तुलना कसी और के साथ करवाता है।
ई र से आपको जो तभा मली है, उसे कृत होकर वीकार करने के बजाए, आपका
अहं आपका यान उस चीज़ पर क त कर दे गा, जो दरअसल आपके पास है ही नह ।
इतना ही नह , सर क तभा और उपल धीय को आप नापसंद करने लगगे। अहं
के कारण आप एक अशांत...ई यालु इंसान बन बैठगे।
६. असंतोष
पृ वी पर इंसान के सीखने के लए सबसे अहम सबक होता है- संतु रहना। अहं भौ तक
मन का प रणाम होता है। यह आपम अ धक से अ धक इ छा को उ प करता है। य द
आपम अहं है, तो आप हमेशा अपने भौ तक मन को उ े जत करते ह...और इसे कह
अ धक श दान कर दे त े ह। भौ तक मन आपक सांसा रक ज़ रत से अ धक के बारे
म सोचने लगता है और अ धक इ छाएं जगाने लगता है। आप तब उन इ छा के सामने
झुक जाते ह और धन-दौलत, तबा और स पाने म जुट जाते ह। यहां तक क उ ह
हा सल कर लेन े के बाद भी आप संतु नह हो पाते ह; आपको इ ह हासील करने के बाद
भी संतोष नह होता। अहं आपम और अ धक चीज़ क इ छा जगाता है, पर जब वे पूरी
हो जाती ह, तो नई इ छाएं जाग उठती ह। आप नरंतर प से उन इ छा को पूरा करने
म जुटे रहते ह। आप उ ह अ धक मह व और श दान करते चले जाते ह। पर य द
आप वन ह, तो आप अवचेतन मन का संचालन करते ह...और अवचेतन मन क
आव यकताएं क त और सरल ह, यह केवल आ या मक प से सही चीज़ के बारे म
ही सोचता है। इसके अलावा जब आप अपने अवचेतन मन को वन ता पूवक सुनते
ह, तो बदले म यह आपको शां त का अनुभव कराता है। संतोष, अवचेतन मन क
सलाह को मानने का नतीजा होता है।
७. श ु
८. संबंध क हा न
९. अपे ाएं
अहंकार से अपे ा का नमाण होता है। इसका अपना एक न त काय म होता है।
इसके सोचने का ढं ग इस कार होता है: चाहे कुछ भी हो, यह तो करना ही है; ऐसा तो
होना ही चा हए। इ या द। ःख का सही कारण यही है, य क जब अहं का उ े य पूरा
नह होता, तो वह इसे सहन नह कर सकता। यह बेचैन हो जाता है और यह नह समझ
पाता क समय क डोर उ च श के हाथ म होती है। इसके अलावा अपे ाएं चता
भी उ प करती ह, य क वे आप पर अनाव यक दबाव डालती ह। अहं के कारण आप
वयं और सर से अपे ाएं करने लगते ह व अ य य क झूठ अपे ा पर जीने
क गलत आव यकता को उ प करता है। अपे ाएं पालने का यास न कर, ब क
हमेशा अपनी उ मीद कायम रख। उ मीद के बारे म अहं को कुछ भी पता नह होता,
य क इसके लए आपको अपने अंतर से बाहर क कुछ चीज़ पर नभर रहना पड़ता है।
जसका अथ है नतीजा का पूण समपण करना तथा ई रीय योजना के लए थान रखना।
अहं यह नह कर सकता, य क यह केवल वयं और सर पर नयं ण करना जानता
है।
१. वयं का व ेषण कर
अहं क मा ा अलग-अलग होती है। कुछ लोग म यह यादा होता है, तो कुछ म कम।
हालां क सभी लोग म कमोबेश यह होता ही है। हां, अमीरी, स , श , सुंदरता,
उपहार, तभाएं इ या द ऐसी प चीज़ ह, जनसे अहंकार उ प होता है। पर
आ या मक अहंकार- वचार का अहंकार, ‘म’ का अहंकार सबसे बुरा अहंकार होता है,
जैसे- “म सही ं,” “म वन ,ं ” “यह मेर े कारण ही तो संभव हो पाया,” “इतने सारे
लोग मेरे पास मदद और मागदशन के लए आते ह,” “म कई सामा जक काय करता ,ं ”
“म लोग के ःख र करता ,ं ” “कई सारे लोग मेर े पास खचे चले आते ह,” “मने कई
अ पताल और पाठशाला का नमाण कया है” “म अ यंत धा मक वृ य वाला
इंसान ं,” “मुझे पता है,” “मुझे ब त सारी सफलताएं मल ह,” “म अपना काम/
नौकरी/ वसाय कुशलतापूवक करता ं।”
जस ण ‘म’ का एहसास होता है, वही अहं का संकेत होता है...और वही आपके
आ या मक पतन का पहला चरण होता है। आपको सभी सफलताएं, तभाएं इ या द
ई र क ओर से मलती ह। हम उनके साधन ह और उ ह ने हम यह सारे उपहार लोग के
साथ बांटने तथा सर क सेवा के लए दए ह। हम ई र का आभार मानना चा हए
और उ ह ध यवाद दे ना चा हए। उ ह ने हम जो दया है, उसे हम वन तापूवक वीकार
कर और कभी यह न सोच- ‘मने’ यह कया।
याद रख क अहं आपके वचार म होता है। जब आप कुछ अ छे काम करते ह या कुछ
उपल ध करते ह, तो आपम एक अहंकार क भावना उ प हो सकती है। ले कन आप
अपनी सोच और वहार म, अहंकार को जगह न द। अपने मन को कसी सरी ओर
क त कर, अहंकार से र ले जाएं। शु आत म आपको अपने-आप पर नयं ण करना
मु कल जान पड़ेगा-उसी तरह जैसे अपनी कसी बुरी आदत को छोड़ना क ठन जान
पड़ता है। आपका भौ तक मन इस बुरी आदत का इतना आद हो जाता है क आप
सोचना शु कर दे ते ह क आपका काम उसके बना नह चलेगा।
बदला लेना भी एक बड़ा पाप होता है, य क यह योजनाब तरीके से होता है। यह
नकारा मक उ े य से कया जाता है। आइए चौथे लोक के पांचवे तर के एक क थ त
पर वचार करते ह। वह बदला लेन े वाला इंसान नह है, इसका अथ है क उसक आ मा बदला
लेने वाली वृ क नह है, पर कसी कारणवश वह अहंकारी बन जाता है। उसक बाहरी
नया म कुछ ऐसी चीज़ घटती ह, जो शायद सांसा रक उपल ध रही हो, जो उसके अहं को
बढ़ावा दे ती है। उसका अवचेतन मन उसे संकेत दे ता है क उसम अहंकार उ प हो रहा है, पर
वह उसक बात पर यान नह दे ता, य क अहंकार क भावना से उसे आनंद मल रहा है।
अहंकार के साथ यही तो सम या है। यह आपको श शाली होने का अनुभव कराता है और
आपको इसक आदत पड़ जाती है। समय के साथ यह अहंकार और बढ़ता जाता है और
भयानक प धारण कर लेता है। अब यह अपने चार ओर क हर चीज़ पर, वशेषकर सर क
उपल धय पर अपना नयं ण रखना चाहता है। जब कोई कुछ अ छा करता है, तो अहं
उ े जत हो जाता है, य क वह तो हमेशा वयं को े दे खना चाहता है। लोग क म खुद
को अ यंत मह वपूण बनाना चाहता है। उसे इस बात का अनुभव नह होता क ई र ने सभी को
ख़ास और एक जैसा बनाया है। इस लए तुलना करना गलत होता है। अहं जब तुलना करना
आर भ करता है, ई या उ प होती है। तुलना करना य द आगे भी जारी रहा, तो अंदर से
जलने लगता है और उसम ोध उ प होता है। वह जलन एक अ यंत नकारा मक भावना होती
है और जंगल क आग क तरह फैलती है। यह इतनी अ धक फैल जाती है क घृणा म बदल
जाती है। जब आप उस तर पर प ंच जाते ह, जहां आपके अंदर घृणा भर जाती है, तब आप
अपने अवचेतन मन को सु त होने क अनुम त दे त े ह, इस लए आपके ऊपर इसका कोई असर
नह पड़ता और कोई भी तक आपको शांत नह करता। आप उस घृणा से अंधे हो जाते ह और
आपम बदला लेने क भावना आ जाती है। जब आप कसी से बदला लेत े ह, तब अवचेतन मन
सु त हो जाता है और आपके उबरने का मौका लगभग ख म ही हो जाता है। इस लए चौथे लोक
के पांचवे तर क उस आ मा म शु आत म बदले क भावना ज म नह लेती, पर चूं क वह
अपने अहं पर काबू नह रख पाया, इस लए उसका आ या मक पतन हो जाता है।
वन बनने का या अथ है?
१. आपको ई र के अ त व म व ास नह होता।
२. अपने दोष को वीकार करना आपके लए मु कल होता है।
३. जब आप यह अहसास करते ह क आप ग़लत थे और सरा सही, तो यह बात आप सह
नह पाते।
४. आप स चाई से भागते ह।
५. आपको लगता है क आप सर से बढ़कर ह।
६. आप मानते ह क केवल आप ही तभाशाली ह।
७. आपको यह लगता है क आपके बना कुछ नह हो सकता।
८. आप मानने लगते ह क आप सबकुछ जानते ह, और आ या मक ान पाने क आपको
आव यकता नह है।
९. आप केवल अपने ही कोण को सही मानते ह।
१०. आप लोग को लगातार नीचा दखाते ह और उ ह छोटे होने का अहसास दलाते ह।
११. आप इस बात क परवाह नह करते क आपने कसी क भावना को चोट प ंचाई है।
१२. आप अपनी सारी उपल धय का ेय खुद को दे ते ह।
१३. आप यह वीकार नह कर पाते क ब त से लोग ऐसे ह जो कसी न कसी मायने म
आपसे बढ़कर ह।
१४. आप ाथना को मह व नह दे त।े
१५. आप इस बात को नह समझते क दोष हर कसी म होता है और हर आदमी ग़ल तयां
करता है।
१६. आप केवल अपने बारे म सोचते ह।
१७. आप एक अधीर, ोधी ( सर क ग़ल तय से आप चढ़ते ह) और ब त अ खड़
ह।
१८. आप प रवतन का तरोध करते ह।
१९. सरे अगर आपसे असहमत ह तो आप बदा त नह कर पाते।
अ का थानांतरण या है?
ई र ने मनु य को अ छा-बुरा चुनने क वतं इ छा दे रखी है। इस लए, थानांतरण पूरी तरह
मानव- न मत होता है, य क यह मनु य के नकारा मक कम के फल व प उ प ऊजा के
कारण होता है। थानांतरण काय-कारण स ांत से संबं धत है और मनु य के याकलाप पर
यह कृ त क वाभा वक त या है। यह पूरी तरह मनु य के हाथ म है। अवचेतन मन के
मागदशन को अ दे खा कर मनु य आ या मक माग से पूरी तरह भटक गया है। यही मु य
कारण है क थानांतरण ब त ज द होगा। य द आप कृ त के चम कारी और नाजक संतुलन
को बगाड़गे, तो इसके प रणाम ब त भीषण ह गे।
थानांतरण क अव ध या होगी?
अ का थानांतरण कब होगा?
इसका समय पूरी तरह मनु य के हाथ म है। अपराध और पाप जतने अ धक ह गे, उतनी ही
ज द थानांतरण घ टत होगा।
महा लयकारी भूकंप के साथ थानांतरण एक साथ सारी नया म शु होगा जसके बाद
नया भर म, शु करण क या पूरी होने तक एक के बाद एक भीषण ाकृ तक आपदाएं
आती रहगी। पृ वी के कई ह से, जो आज जमीन ह, वे समु बन जाएंगे; बड़े पैमाने पर आग
लगने क घटनाएं ह गी; और जहां-जहां परमाणु ह थयार, गोले-बा द रखे गए ह वहां-वहां
भयानक व फोट ह गे। पृ वी को अ यंत भयानक वनाश से गुजरना होगा।
सकारा मक पंदन वाले थान सुर त रहगे जैस े कनाडा, यूजीलड और आ े लया के कुछ
ह से। जन थान के पंदन नकारा मक ह, उनके बचने क संभावना ब त कम होगी।
उ चतर लोक के मनु य सुर त रहगे। उड़नत त रयां (यूएफओ) पृ वी पर आकाशगामी करण
भेजकर उन भली आ मा को बचाएंगी जो खतरनाक थान म फंस ह । इन करण को हर
कोई दे खेगा और भयभीत होगा ले कन उ चतर लोक क भली आ माएं स चाई समझ जाएंगी
और उ ह मागदशन ा त होगा क उ ह या करना है। यहां तक क य द भली आ माएं मलबे के
नीचे दबी ह गी और कसी को दखाई नह पड़गी, तब भी उ ह ‘ढूं ढकर’ बचा लया जाएगा। ये
आ माएं करण क ओर नद शत ह गी जो उ ह अंत र यान म ले जाएंगी। जो मनु य उ चतर
लोक के नह ह गे और जनके पंदन बुरे ह गे, वे इन करण से डरगे और चाहकर भी उ ह छू
नह पाएंगे अथवा उनम जा नह पाएंग।े अंत र यान म, मनु य को जी वत रहने के तरीके
सखाए जाएंगे और फर उ ह समु म उभरे ए व भ प पर उतार दया जाएगा। मनु य
के लए यह सबसे क ठन परी ा होगी और थानांतरण से पहले, इसके दौरान और इसके बाद
उ ह ब त अ धक श और सकारा मक वृ धारण करने क ज रत होगी। अब तो आप
समझ गए ह गे क हम आपसे य ज द से ज द तर क करने क बात कर रहे ह?
ई र आप पर कृपा कर!
अपने दो त के साथ रतू (बाएं)
खोरशेद, रतू और मी
व पी अपने संपूण शरीर को दो कु सय के बीच अपने ए ड़य और सर के पछले ह से के सहारे मजबूती से संभाल सकता
था।
ब कुल, यह एक बड़ी ज मेदारी है। इसी वजह से लोग क मदद करने के लए यादा
आ या मक ान ज़ री है। शु आत म, म कसी को ग़लत संदेश दे न े से ब त डरती थी। कुछ
लोग ने मेरे दए संदेश पर भरोसा नह कया और मेरी एक न सुनी। बाद म संदेश न सुनने का
उनको अफसोस आ और यह एक सबूत था, जो मुझ े उस समय चा हए था जब मेर े लए संदेश
के सही होने का माण ज़ री था। शु आत म व पी मेरी कलम चलाता था, ले कन जैसे-जैसे
म आगे बढ़ने लगी, संदेश को रसंवेदन ारा लेन े लगी। अब म उनको अपने मन म सुन सकती
ं।
ब त सारे कारण ह, जनसे लोग को व ास नह होता। कुछ लोग उन चीज से भयभीत होते
ह, ज ह वे दे ख या समझ नह सकते; कुछ लोग का जबरन बचपन से ही मन बदल दया जाता
है; कुछ लोग बस यह दशाते ह क उ ह ई र के अ त व म व ास नह है; कुछ लोग इस लए
भी इसम व ास करने से कतराते ह, य क उ ह डर लगता है क उनके प रवारजन और म
उनपर हंसगे; कुछ लोग इस लए नह व ास करते ह, य क वे खुद दोषी होते ह: कुछ के लए
ग़लत रा ते पर टके रहना आसान है, य क वे कमज़ोर होते ह। मेरे पास आने वाले यादातर
लोग, २० से ३५ क उ वाले यूवा होते ह। वृ लोग ब त कम होते ह। वृ लोग अपनी सोच
पर अ डग रहते ह और मृ यु के बाद क ज़ दगी को नह मानते, और आमतौर पर जीवा मा
जग़त से डरते ह। जो लोग दोषी होते ह, वे नह आते, य क वे अपनी ग़ल तय को वीकारने
से डरते ह, य क उ ह पता होता है क उ ह ने या कया है; वे आमतौर पर ग़लत करना ज़ारी
रखते ह और नह चाहते क सर को इस बात का पता चले, इस लए वे इस ान से बचना
चाहते ह।
हमेशा याद रहे, जो व पी ने साल पहले मुझसे कहा था, ‘स चा और वा त वक यार कभी
नह मरता। धरती पर आपक मृ यु के बाद भी नह । ेम मृ यु से बढ़कर है। ेम शा त
है। मृ यु, बस एक पांतरण है– एक नया से सरी नया म, एक शरीर से सरे म।
मृ यु कोई बड़ी चीज़ नह होती, ले कन ेम अद् भुत होता है।’
श दावली
आका शक रकॉड
फ़ र ते
अवकाशी तल
अवकाशी आ माएं
भामंडल
भामंडल येक सजीव शरीर के चार ओर बनने वाला ऊजा े है। इसका रंग और इसक
बलता, जीव क त का लक मान सकता, उसक भावना मक और शारी रक अव था को
दशाते ह। कुछ मनु य म भामंडल दे ख सकने क मता होती है।
वच लत लेखन
कभी भी वयं वच लत लेखन क को शश न कर। बना कसी सुर ा कड़ी के, वयं वच लत
लेखन आरंभ करना ब त यादा खतरनाक होता है।
काला जा
काला जा एक रह यमय व ा है, जो पूरी तरह ई रीय नयम के व होता है जहां मनु य
बुरी अवकाशी आ मा और अपने बुर े वचार का अपने वाथ हत के लए योग करता है
और सर को नुकसान प ंचाता है।
वाह
अंतरा मा
अ त र संवेदना मक बोध
अ त र संवेदना मक बोध वह मता है जसक मदद से मनु य पांच संवेद बोध पश, वाद,
वण, और गंध से परे चीज को जान सकता है।
भूत
प ढ़ए अवकाशी आ मा।
समूह आ मा
दै नक क
श ा क
मृ त क
व ाम क
उ च भली आ मा
उ च भली आ मा छठे लोक के सातव तर या उससे ऊपर क जीवा माएं होती ह।
ी सव च भली आ मा
उ च व
अवचेतन मन प ढ़ए।
सहजबोध
कम
कड़ी
गु
गु आ या मक श क होते ह। जीवा मा जगत के उ चतर लोक से पृ वी पर आई ई ानी
आ माएं, जनका जीवनकाय पृ वी पर आ या मक ान फैलाना होता है, वे गु कहलाते ह।
मा यम
उ े य
के वचार , श द अथवा काय के पीछे काम करने वाली मंशा, कारण अथवा ेरक बल।
पछले जीवन क मृ त
पैग बर
लोक
आ मा-आ ान बैठक
आ मा-आ ान बैठक लोग के एक समूह क बैठक होती है जो अपने मृत प रजन अथवा अ य
अती य ा णय के साथ संपक करना चाहते ह। यह बैठक एक ऐसे मा यम द् वारा क जाती
है, जो उस समूह और जीवा मा का संपक करवाने म स म हो।
अ का थनांतरण
ई र के नयम इस तरह बने होते ह क जब आ या मक प से मनु य एक सीमा से अ धक
ग़लत जाते ह, कृ त उ ह चेतावनी दे ती है क वे ग़लत राह पर चल रहे ह। य द मनु य फर भी
नह बदलते, तो कृ त सफाई क या के ज रए असंतुलन को सुधारती है। य क सुधारने
क या कृ त ारा चलाई जाती है, इस लए इतनी भयानक ाकृ तक आपदाएं धरती पर
आती ह क पृ वी का अ झुक जाता है और इस कारण “ ुव का थानांतरण” होता है।
पहली डोरी
आ मा
आ मक ल ण
आ मक म
समूह आ मा पढ़।
आ मक नाम
येक आ मा को, उसक रचना होने पर, एक आ मक नाम दया जाता है। जस तरह आ मा
दो भाग म वभा जत होती है उसी तरह नाम भी दो भाग म बंटा होता है, जो आपके अ त व
के रहने तक रहता है। आपके कम आपके आ मक नाम के नीचे आका शक रकॉड म दज
कए जाते ह।
जीवा मा
जीवा मा जगत
अवचेतन मन
रसंवेदन
जुड़वां आ माएं
पंदन
वेशक
खोरशेद आंट ने हमेशा कहा है, “आ या मकता एक ‘ह का-फु का’ वषय है। इसक यादा
गहराई म न जाएं।” आ या मकता का मतलब पहाड़ म भाग जाना नह । ब क इसका मतलब
है-लोग के बीच म रहकर जीना, अपनी मु कल का सामना करना और आपके कत तथा
ज मेदा रय को नभाना है। इसका मतलब इस पृ वी पर अपने आ या मक जीवनकाय को
पूरा करना है। जब आप इसके सही संतुलन को समझ जाएंग े तो आपका जीवन आनंदमय हो
जाएगा।
खोरशेद आंट हमेशा अ छाई भरे छोटे -छोटे काम को पसंद करती थ । वे हमेशा कसी सम या
के त हम पूरी द् धा के साथ कदम दर कदम चलने के लए ो सा हत करती थ ।
आ या मकता एक धीमा पर न त प से होने वाला उ थान है। हम सभी म दोष होते ह, और
हम सभी गल तयां करते ह, पर हम अपने-आप और सर को मा करना चा हए। हम उ त
के लए नरंतर प से अपना सव म यास करना चा हए और अपने ल य तक प ंचना
चा हए। ई र और उनके फ़ र त क सहायता से हम ऐसा कर सकते ह।
ठ क जैस े क मयादा को तोड़कर पतंगे के ड भ बाहर नकलते ह... फर ततली बनकर
खुली हवा म उड़ान भरते ह, उसी कार, चाहे आप माने या न माने, आपक आ मा भी
शारी रक सीमा से मु होकर वकास के उ च लोक म जाती रहेगी, जबतक क वह अपने
सृजनकता तक न प ंच जाए।
यामक
ले खका का प रचय
खोरशेद भावनगरी (शाद से पहले ू वाला) का ज म भारत के मुंबई शहर म, सन् १९२५ म
आ था। बचपन से ही उनका सपना श क, मनोवै ा नक या जासूस बनने का था। उ ह
बागवानी, खाना पकाना और संगीत, खासकर हवाइयन गटार से बेहद यार था और उ ह
केट म ब त दलच पी थी। सन् १९४९ म उनक शाद मी भावनगरी से ई और उनके दो
बेटे ए, व पी और रतू। उ ह अनुभव आ क उनके प रवार वाल क ही तरह वाहन तथा
ाइ वग म उनक भी च है। सन् १९८० म एक कार घटना म बेट क मौत के बाद, उ ह ने
वच लत लेखन ारा उनसे स पक करना शु कया। उनके बेट ने उ ह बताया क पृ वी पर
आ या मक ान का सार करना उनका जीवनकाय था। सन् १९९८ म ७२ साल क उ म,
वह वैनकूवर, कनाडा चली ग , जहां उ ह ने बना थके ए लगातार अपने ल य क ओर काम
कया। वहां अग त २००७ म उनक मृ यु हो गई। यह ीमती भावनगरी क इ छा थी, क यह
कताब यादा से यादा लोग तक प ंच।े
अ वीकार
वेबसाइट: www.vrrpspirituallearning.com
ई-मेल: vrrp@vrrpspirituallearning.com
* शड के सा बाबा भारतीय संत थे, जनक मृ यु सन् १९१८ म ई थी। फ़ारसी भाषा म सा (सा’ ) एक प व आ मा या
संत को कहते ह और भारत क भाषा म बाबा का मतलब ‘ पता’ होता है, इस लए हम उ ह “साधु बाबा” या “संत बाबा” भी
कहते ह।
१. जीवा मा जगत म अ त व के सात लोक या तल होते ह, जनम एक सबसे नचला और सात सबसे ऊंचा होता है।
६. येक लोक के शासक, राजा अथवा मुख को उस लोक क उ च भली आ मा कहा जाता है।
७. जीवा मा ारा पृ वी क आ मा को रसंवेद वचार के ज रए दशा- नदश भेजा जाता है, ज ह े पत वचार कहते
ह। पृ वी क आ मा ारा अपने अवचेतन मन के ज रए इन वचार अथवा संकेत क ा या क जाती है।
८. पैसा एक भारतीय स का है। यह भारतीय मु ा ‘ पया’ के १/१०० व भाग के बराबर होता है।
१०. एक धमा मा भ ुक या धा मक ।
११. ह का एक प व धम ंथ