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जीवा मा

जगत के नयम
(द लॉज़ ऑफ द प रट व ड)
“जीवा मा जगत म कोई धम नह होता। हम केवल एक ही ई र क पूजा करते ह”

जैको प ल शग हाउस
अहमदाबाद बगलोर भोपाल चे ई
द ली हैदराबाद कोलकाता मु बई लखनऊ
काशक
जयको प ल शग हाउस
ए-2 जश चबस, 7-ए सर फरोजशहा महेता रोड
फोट, मुंबई - 400 001
jaicopub@jaicobooks.com
www.jaicobooks.com

© यामक दावर

THE LAWS OF THE SPIRIT WORLD


जीवा मा जगत के नयम
(द लॉज़ ऑफ द प रट व ड)
ISBN 978-81-8495-258-2

पहला जयको सं करण: 2011


सातवां जयको सं करण: 2016

बना काशक क ल खत अनुम त के इस पु तक का कोई भी भाग, कसी भी कार से इ तेमाल नह कया जा सकता, न
कॉपी कराई जा सकती है, न रका डग और न ही क यूटर या कसी अ य मा यम से टोर कया जा सकता है।
ीमती खोरशेद भावनगरी २७ सत बर, १९२५-१३ अग त, २००७
उस एकमा
ई र को,
जनके हम
सदै व ऋणी ह,
और
मेर े यारे बेट
व पी और रतू
को
सम पत
व पी क ाथना

मेरे सबसे यारे हे सवश मान ई र,


कृपया हे भु,
दे ना हम हर ता से बचने क ताकत
और से बचाना हम।
अपने हाथ म लेकर हम,
कृपया हमारा मागदशन करना।
हम तु हारे ह भु, सदा रहगे तु हारे।
भु, रखना हम अपनी शरण म हमेशा,
ता क आपका आशीवाद हम पर सदै व बना रहे
और केवल आप ही मदद करना हमारी
मागदशक बनकर हमारा।
हे सवश मान ई र, ध यवाद आपका।
वषयसूची

तावना
आमुख

भाग १
खोरशेद भावनगरी क दै न दनी के अनुसार कये गए जीवा मा
संपक
ई र के स चे नयम
आ म व ेषण के ज रए सुधार लाना
याय
जीवा मा से संपक
बूढ़े और झरने क कहानी
ई र के नयम को समझना
हमारी मृ यु कैसे ई और जीवा मा जगत के लोक
७ लोक अथवा तल
हमारा असली घर
बोझ ढोने वाले पशु
या सबक मदद करना हमारा धम है?
नया म कए जाने वाले अपराध व पाप कम
मनु य को अपने पाप क सजा भोगनी पड़ती है
शैतान का अ त व नह होता
मनु य जो बोता है वही काटता है
पुनज म
ता से संघष
केवल स ची इ छाएं ही प रवतन लाती ह
जीवा मा जगत म सरे लोक क या ा
ई र का याय
जीवा मा से संपक
लोक का संचालन कस कार होता है
मनु य क आ मक वृ ही उसका असली व प होता है
पहली डोरी
न द म हम आरो य और मागदशन ा त होता है
व भ लोक म जीवन
न नवत लोक भर चुक ह
य कुछ लोग क छोट उ म ही मृ यु हो जाती है
अ छ आ माएं नकारा मक आ मा ारा वच लत क जाती ह
अपने मन को नयं त कर
जीवा मा जगत म हमारी भावनाएं
जमी क कहानीःपृ वी पर लोग जैस े दखते ह वैस े होते नह
जमी क कहानी, जारीः सवश मान ई र को छला नह जा सकता
जमी क कहानी, जारीः ई र हमेशा याय करते ह
जमी क कहानी, जारीः ई र सबकुछ दे ख रहे ह
पृ वी एक पाठशाला है
पुनज म का उ े य
एक भली आ मा क कहानी जसे एक ा मा ने बहका दया
अवचेतन मन सु त हो सकता है
अपने अवचेतन मन को जगाएं
सतीश क कहानीः आपम सुधार का साहस होना चा हए
सूरदास क कहानीः अपने यतम का साथ पाने के लए एक आ मा बड़ा जो खम उठाती है
सूरदास क कहानी..जारीः सूरदास के त नीलू के ेम क परी ा
सूरदास क कहानी...जारीः ी उ च भली आ मा का पृ वी पर आगमन
सूरदास क कहानी...जारीः सूरदास का और भी नीचे गरना
सूरदास क कहानी...जारी : बल आ मा को साहस क ा त
सूरदास क कहानी...जारीः अहंकार का पतन होता है
सूरदास क कहानी...जारीः अवचेतन मन का फर से जागृत होना
सूरदास क कहानी...जारीः ी उ च भली आ मा का कट होना
मनु य का असली प उसका अवचेतन मन है
पूवज म क बात य याद नह रहत
जीवा मा मागदशक
जुड़वां आ माएं
भलाई या ता का चयन आपक अपनी इ छा पर नभर है
जीवा मा संपक ारा जीवा माएं पृ वी पर अपने यजन क सहायता कर सकत ह
यादातर आ माएं न नतर लोक म नवास कर चुक ह
जीवा मा से संपक के बारे म ां तयां
य कुछ लोग जीवा मा के संपक से डरते ह
आप पृ वी पर ज म लेने का नणय य लेत े ह
आप मृ यु से य डरते ह
आ मह या पाप है
उ च भली आ माएं
स कम या है?
तशोध
सुरेश क कहानी
हर आदमी के साथ एक ही जैसा बरताव नह कया जा सकता
अपनी सम या का सामना इसी व , बहा री और मु कान के साथ कर
सर म कभी भी नकारा मकता को ो सा हत न कर
चीज को आ या मक नज़ रए से दे ख
रा शफल से आप भा वत न ह
श को अ छे और बुरे दोन काम म लगाया जा सकता है – ेपण और ा त क श यां
जीवा मा से मदद पाने के लए हमेशा शांत और थर रहना चा हए
ववाह
अपनी श का वकास सही तरीके से कर
ाथनाएं हमेशा सं त और स ची होनी चा हए
अहंकार मनु य को आ या मक अवन त क ओर ले जाता है
आप अपने पाप का हसाब चुकाने से बच नह सकते

भाग २
और उ र
वच लत लेखन
जीवा मा जगत
आ मा और अवचेतन मन
वतं इ छा
कम
पृ वी पर आपका जीवनकाय
आ मह या
ई र
ाथना
सकारा मक सोच
अहंकार और वन ता
अ का थानांतरण
आ म व ेषण प
खोरशेद मी भावनगरी के साथ एक सा ा कार
श दावली
अनुशं सत अ ययन
उपसंहार
ले खका का प रचय
तावना

म अपनी सारी ज़दगी सवाल पूछता रहा ं। मने चीज को हमेशा सर से अलग नज़ रए से
दे खा है, जो मेरी ान क यास का ही प रणाम था। जब म छोटा था, हमेशा तार क तरफ
टकटक लगाकर दे खा करता था और शायद मुझ े इस बात का एहसास था क हम इस ांड म
अकेले नह ह, और जीवा मा जगत म मेरे दो त ह-मेरे र क फ़ र ते, जो हमेशा मुझे यार करते
ह और मेरी दे खभाल करते ह।

मेरे प रवार ने मुझ े सभी धम के त आदर करना सखाया। एक ज मजात ज ासा, जो मुझे
एक या ा पर ले गई। इस दौरान म शड के सा बाबा * का परम भ हो गया, और मने उ ह
पृ वी पर आ या मक गु क तलाश करने क इस गहरी इ छा के बारे म बताया। इसके बाद म
एक म हला के स पक म आया, जनका नाम खोरशेद भावनगरी था। म पहले दन उनसे मला
और उनके दो दवंगत बेट व पी और रतू से बात क और जब उ ह ने मुझ े ‘छोटा भाई’ कहकर
पुकारा तो मुझे एहसास आ क मेरा उनसे कोई ब त गहरा संबंध है।

मृ यु बाद क नया को लेकर खोरशेद भावनगरी या कह क खोरशेद आंट (जैसे म उ ह


बुलाया करता था) से मुझे जो जानका रयां मल , वह रह य से कह बढ़कर जानी पहचानी-सी
लग । कुछ ऐसा, जो मेरी आ मा को पहले से पता था। मेरे लए मौत केवल इसी ज़दगी का
व तार है। हम सभी ब कुल एक प हए के च क क तरह ह, जो एक ही जगह पर के त
होते ह– यानी एकमा ई र से जुड़े ह। हम सभी आपस म जुड़े ए ह।

सीख से भरे इन २५ वष म, खोरशेद आंट मेरे लए सफ आ या म के बारे म बताने वाली


श का से कह बढ़कर थ । वह मेरी सबसे अ छ दो त थ , जनपर म भरोसा कर सकता था।
एक ऐसी म हला, जो खुल े वचार वाली, आलोचना से परे, जानकार, हा य ान का अ छा
बोध रखने वाली थ और उनम एक अलग तेज तथा आरो य दान करने क एक अनोखी श
थी।

उ ह ने मुझे अनुभव का मू य समझने म मदद क । उ ह ने मुझ े बताया क मेरे सकारा मक


अनुभव, ई र से मले आशीवाद थे, जसके लए मुझ े उनका आभारी होना चा हए और
नकारा मक अनुभव से भयभीत होने क ज रत नह , य क वो मेरे असली श क ह। उनके
सामा य श द– “ई र तु ह आशीवाद दे ” और “सब अ छा होगा”, मेरी सभी परेशा नय को
समा त करने के लए काफ़ थे।

म उनके साथ ब कुल खुले दल से बात करता और सभी चीज पर चचा कया करता था-ई र,
मेरे स बंध के बारे म, मेरा काम, धम और आ या म के बीच का अंतर, कम, पछले ज म,
पुनज म का उ े य, पैग बर, फ़ र ते, आ मा से संबं धत सारे त य, अलौ कक श यां, य
मनु य जा त खुद का ही वनाश करती है, मृ यु, बुढ़ापा, अकेलापन, डर, म णय क उपचार
श , वतमान का मह व, वचार, सोच और ाथना क श , या ई र दयालु है या दं ड
दे नेवाला है, म कैसे इन सबका मतलब समझकर आगे बढ़ सकता था-और इस बात का अनुभव
कर सकता था क इस वराट व था और णाली म मेरा थान तथा काम या है।

खोरशेद आंट ने मेरे सभी सवाल का जवाब दया, ले कन आ ख़र म उ ह ने मुझ े हमेशा कहा है
क इस पृ वी पर एक अ छा इंसान बनकर रहना और हमेशा ई र क बनाई अ छ राह पर
चलना सबसे ज़ री है। उ ह ने मुझ े एहसास दलाया क मेर े कम के लए म अकेला ही
ज मेदार ं और जो भी मेरे रा ते म आए, उसके लए म ई र या कसी और को दोष नह दे
सकता। उ ह ने मुझे नः वाथ सेवा, मन पर काबू रखना, ई र के ान को फैलाने और जन
लोग ने अपने यजन को खोया है उ ह राह दखाने और दलासा दे न े का मह व सखाया।
जब मुझे सबसे यादा मागदशन क ज रत थी, तब खोरशेद आंट और उनके प त, मी
अंकल ने, जनके भी म काफ़ करीब था, मुझे हमेशा एक यार भरा, ान और हंसी-खुशी भरा
माहौल दया, जसमे मेरी आ मा का पालन-पोषण श ण आ और अंततः वह मु् ई।

हालां क वो अब जी वत नह ह, ले कन मुझे लगता है क मेरी दे खभाल के लए मेरे पास


जीवा मा जगत म और दो फ़ र ते ह। मुझ े उनके न होने का अफ़सोस नह है, य क मुझ े पता
है क वो मेर े साथ हर समय मौजूद ह। इसके अलावा उ ह ने मेर े लए इन सभी मागदशन म से
जो सबसे क मती चीज़ छोड़ी है, वह है-आ या मक ान। कृपया इस कताब को खुल े मन से
पढ़ और इस त य को समझ क सच कतना साधारण और श शाली है। व पी हमेशा से इस
बात पर जोर दे त े क ये ान एक ब चा भी आसानी से समझ सकता है औऱ सच हमेशा ही ब त
सरल होता है।

सौभा य से, सफ म ही वो अकेला इ सान नह , जसक ज़दगी खोरशेद आंट और मी


अंकल क वजह से बदली हो। २५ साल के दौरान हजार लोग उनके पास आए और
आ या मक ान, मागदशन, समाधान और उपचार ा त कये।

आशा है यह पु तक आपको यही सारी चीज़ दे गी!


ई र आपका भला करे!

यामक दावर
मी और खोरशेद भावनगरी अपने भायखला नवास म
आमुख

खो रशे द और मी भावनगरी भारत म मु बई के भायखला म अपने दोन बेट , व पी और


रतू के साथ रहते थे, जनका ज म मशः ९ अग त १९५० और १३ दसंबर १९५१ को
आ था। बड़े होने पर, मोट रग के व भ पहलु म दोन लड़क क गहरी च जागी।
अंततः, व पी और रतू ने गा ड़य क मर मत करने वाले एक गराज़ क थापना क । उ ह ने
कई मोटर रै लय म भी भाग लया।

१९८० के नणायक साल म, व पी और रतू ने एक १६३२ मील लंबी ॉस-कं मोटर रैली म
भाग लया। रैली २३ फरवरी को शु होनी थी, और व पी और रतू ने इससे पहले अपनी गाड़ी
को मु बई से खोपोली तक जांचने का फैसला कया। या ा आरंभ करने से ठ क पहले अपने
दोन बेट के साथ घ टत घटना के बारे म खोरशेदजी कहती ह, “मुझसे कसकर लपटकर रतू ने
गुड बाय कहा और बाहर नकल गया। वह कुछ ही सी ढ़यां नीचे उतरा होगा (हम सरी मं जल
पर रहते थे) क भागता आ बारा मेरे पास लौटा। बारा मुझसे कसकर लपटकर उसने मुझे
चूमा। म समझ नह पाई। मुझ े अजीब लगा, य क रतू का ऐसा करना बड़ी असमा य बात थी।
एक मं जल नीचे उतरने के बाद वह एक बार फर भागता आ वापस आया और मुझसे कसकर
लपटकर मुझ े चूमा। तबतक व पी भी मुझसे वदा लेन े आ चुका था। मने उ ह संभलकर गाड़ी
चलाने क हदायत द । उ ह ने मुझसे कहा, ‘हमारी ती ा मत करना मां, हम खोपोली तक
जाकर लौट आएंग,े या फर रातभर ककर सुबह वापस लौटगे।”

दोन के गाड़ी म बैठते ही उनक भट उनके पता से ई। मी ने भी उ ह संभलकर गाड़ी चलाने


क हदायत द । रतू ने जवाब दया, ‘ फ़ य करते ह डैडी? हमने इंजन ठ क कराया है,
इस लए कसी भी तरह हम ३० (मील त घंटा) से ऊपर जा ही नह सकते। सब ठ क-ठाक
रहेगा’। इस तरह, उस रात साढे आठ बजे व पी और रतू बड़े उ साह के साथ नकले। उनके
साथ दो मेकै नक और एक दो त थे।

जब अगली सुबह ८ बजे तक वे नह लौटे , खोरशेद और मी जी को चता होने लगी। ८.३०


बजे के करीब व पी और रतू के गराज से एक मेकै नक आया और उसने कहा खोपोली के पास
कह घटना ई है और वे दोन अ पताल म भत ह।

मी ने कुछ दो त को इकट् ठा कया और तुरंत घटना थल क ओर खोपोली रवाना हो गए।


वहां प ंचकर उ ह ने दे खा व पी और रतू क गाड़ी एक पेड़ से टकराकर चकनाचूर थी।
आसपास कोई नही था, परंतु उ ह बताया गया क दोन को करीबी अ पताल म ले जाया गया
था। जब मी अ पताल प ंच े तो उ ह बताया गया क व पी और रतू क मृ यु घटना थल पर
ही हो चुक थी, ले कन गाड़ी म सवार अ य लोग को मामूली चोट आई थ और वे सुर त थे।

मी ने मेकै नक से घटना का कारण पूछा। वे बस इतना बता सके, “एक ण के लए हमारी


आंख लग गई और अगले ही ण गाड़ी टकरा चुक थी”। मी को सबकुछ अवा त वक लग
रहा था। वह भा यशाली थे क अ पताल क औपचा रकताएं पूरी करने के लए उनके साथ
उनके दो त और पड़ोसी थे। भारी मन लए जब वह घर लौटे तो वे समझ नह पा रहे थे क उस
ःखद घटना क जानकारी प नी को कैसे द।

भारी ःख के साथ जब वे अपने घर क सी ढ़यां चढ़ रहे थे तो ख़ुश द जी ने सवाल क झड़ी


लगा द “इतनी दे र य ई? व पी और रतू कहां ह? आप इस तरह धीरे य चल रहे ह?” जब
खोरशेद जी को सब कुछ पता चला तो वह पूरी तरह टू ट ग । उ ह लगा अब जीने के लए कुछ
नह बचा।

ई र पर से खोरशेदजी का भरोसा उठ गया। उ ह ने कहा, “म ब त धा मक आ करती थी।


अब, पहली बार मेरे मन म यह सवाल उठ रहा है क ई र ह भी या नह । य द ई र ह तो उ ह ने
मेरे साथ ऐसा अनथ य कया, य मेरे बेट को मुझसे छ न लया जब क मने कसी को बाल
बराबर भी ःख नह प ंचाया? मैने ई र, धम और अपने जीवन का याग करने क ठान ली
थी।”

इसके बाद कुछ ऐसा घ टत आ जो आ यजनक था। अं ये के बाद २९ व दन पड़ोस म


रहने वाली ीमती द तूर ने खोरशेद और मी जी को एक हैरतअंगेज़ कहानी सुनाई। ीमती
द तूर क भाभी एक संगीत सभा म गई थी। म यांतर के दौरान उ ह ने एक म हला को हाल ही
म ई एक घटना म मारे गए दो लड़क के बारे म बात करते सुना जो अपने माता- पता को एक
संदेश भेजना चाहते थे। इस लए ीमती द तूर क भाभी ने उस म हला का फ़ोन न बर लया।

अगले दन खोरशेद और मी जी ने इस म हला से संपक कया। उ ह ने उन दोन को अपने घर


आमं त कया। उन म हला ने अपना भाई खोया था और वह ीमती कपा डया नामक एक
श शाली मा यम ारा आयो जत आ मा-आ ान बैठक के ज रए अपने भाई से संपक कया
करती थ । एक बार ऐसे ही एक अवसर पर, दो युवा लड़क क चीख ने बैठक को बा धत कर
दया। लड़क ने कहा क उनक मृ यु एक घटना म ई है और उनके माता- पता ःख से टू ट
चुके ह। वे चाहते थे क उनके माता- पता को पता चले क वे जीवा मा जगत म सुखी ह और
उ ह इस बारे म चता करने क ज रत नह य क वे दोन उ ह दे ख सकते ह।

२२ माच, १९८० को खोरशेद और मी जी ने ने पयनसी-रोड थत ीमती कपा डया के घर


पर आयो जत सामू हक आ मा-आ न बैठक म भाग लया। मा यम, ीमती कपा डया बीच म
बैठ थी और सरे लोग उनके चार ओर बैठे थे। वह एक-एक के पास जाकर उ ह उनके
मृत प रजन से संपक करने म मदद कर रही थ । जब ीमती कपा डया भावनगरी दं प त के
पास प ंच तो उनके मुंह से पहले श द नकले, “हेलो, म मी फॉटसो”। व पी अपनी मां को
अकसर ऐसा कहा करता था। कसी अजनबी के मुंह से इस तरह नजी जीवन का सू म वाकया
सुनकर खोरशेद और मी जी को इस बात का माण मला क ये उनके बेटे ही थे, और इस
घटना से उनका ई र म बारा व ास जगा।

फर, व पी और रतू ने अपने माता- पता से कहा क वे उनसे अकेले म बात करना चाहते ह।
इस लए ीमती कपा डया ने उ ह ीमती ऋ ष नामक एक अ य मा यम के बारे म बताया। कुछ
दन बाद भावनगरी दं प तय ने ीमती ऋ ष के ज रए अपने बेट से बात क । उ ह ने कहा,
“म मी और पापा हम, व पी और रतू ह। हां, मरने के कुछ ही मनट बाद हम जीवा मा जगत
म प ंच गए। यह ई र क इ छा है और वह जानते ह क हमारे लए या सबसे बेहतर है। ई र
अ छे ह। आप हमारे लए न रोएं और न ही हमारी कमी महसूस कर, हम यहां ब त खुश ह। हम
आपको हर व दे ख सकते ह और यहां से आपक दे खभाल कर रहे ह। हम आपसे तब तक
संपक नह कर सकते जब तक आप पूरी तरह न त और खुश न हो। आपको एका होने क
मता वक सत करनी होगी”। उ ह ने खोरशेद जी से यह भी कहा क उ ह पृ वी पर रहकर
अपने आ या मक जीवनकाय को पूरा करना है, अथात् उ ह लोग क मदद करनी है और
आ या मक जाग कता का सार करना है।

अगले कुछ महीन म खोरशेद और मी जी ने अपने बेट क मदद से पूण एका और शांत
होने क मता वक सत कर ली, जससे उनका अपने बेट के साथ ‘ वयं लेखन’ क व ध
ारा य संपक था पत करना संभव आ। एक पु तक पर वह ह के हाथ से कलम पकड़
कर रखत , मन को संपूणतया एका करत और धीरे-धीरे उनके मृत बेट क आ माएं उनके
हाथ का उपयोग कर कागज़ पर धीरे और टे ढ़े-मेढ़े तरीके से कलम चलाती थ । शु म केवल
लक र बनती थ , ले कन कई दन के यास के बाद श द उभरने लगे और वह मुखर होकर
पूछत जनके उ र कागज़ पर लखे ए मलते थे।

लड़क क मृ यु के कुछ ही दन बाद खोरशेद और मी जी के सामने एक भा यपूण


पा रवा रक सम या आ खड़ी ई और उ ह कानूनी या का सहारा लेना पड़ा। कुछ वक ल
क सलाह के वपरीत, जनका कहना था क उ ह केस नह लड़ना चा हए, खोरशेद और मी
जी ने उस वक ल का चयन कया जनक सलाह उनके मृत बेट ने रसंवेदनश के ज रए द
थी। आ यजनक प से, वरोधाभास के वपरीत मुकदम का फैसला उनके प म आ। यह
इस बात का एक और सबूत था क भावनगरी दं प त को सचमुच मागदशन और सुर ा ा त थे।

कुछ समय बाद, ‘ वयं लेखन’ ारा और फर रसंवेदनश ारा, व पी और रतू ने अपने
माता- पता को जीवा मा जगत के नयम के बारे म एक कताब लखवाने क अपनी इ छा का
संदेश दया, जसके लए उ ह ने उ चतर आ मा क वशेष अनुम त ा त क थी। उनका
वचार था, क पृ वी वा सय के लए ऐसी कताब ब त उपयोगी होगी जसम वे ई र और
जीवा मा जगत के नयम के बारे म जानगे, और अगर वे उन नयम का पालन करगे तो उनक
आ या मक उ त होगी। यह व पी और रतू क इ छा थी क कताब लखवाकर, उसे
का शत कर, उसका बड़े पैमाने पर वतरण कया जाए। बहरहाल, व पी और रतू का मत प
था क उनक श ा और मा यता से सहमत होने के लए कसी को बा य न कया जाए।

दो त , और यहां तक क अजन बय ने जब खोरशेद जी के अपने बेट के साथ संपक के बारे म


सुना, तो वे बड़ी सं या म भावनगरी दं प त के घर पर जुटने लगे। खोरशेद और मी जी धीरे-
धीरे यह महसूस करने लगे क नः वाथ भावना रखकर सर के ःख को कम करने से उनके
अपने ःख ब त हद तक कम होने लगे थे।

बेट क मृ यु के बाद उनके ःखी मन को इस तरह राहत मली। उ ह ने युवा और वृ दोन का


मागदशन कया और उ ह सां वना द । अपनी कहानी सुनाकर, उ ह ने अपनी तरह प रजन के
वयोग म तड़पते लोग को उदासी और नराश होकर टू टने से बचाया। नशे क लत से लेकर
शारी रक यं णा तक क सम या के लए उ ह ने लोग को परामश दया, ले कन अंततः
उ ह ने उन लोग क आ मा को राहत प ंचाई जनम आ या मक ान क असली यास थी
और जो सही मायने म आ मक प से उ त चाहते थे। लोग उनके सामने आ या मक और
गत दोन तरह के सवाल रखते थे। ऐसे ब त सारे सवाल इस कताब के भाग २ म दए
गए ह।

य क जीवा मा जगत म कोई व श धम नह होता, इस लए कसी धम वशेष से संबं धत


सवाल को इनम शा मल नह कया गया है।

मी और खोरशेद भावनगरी मशः १९९६ और २००७ म इस नया से वदा ए और


जीवा मा जगत म अपने बेट से जा मले।
खोरशेद आंट व पी के साथ दन म
कम से कम दो बार,
कभी-कभी तीन या चार बार,
केवल सूय दय और सूया त के
बीच संपक करती थ और वे ऐसा कसी वषय या
योजना को तय कये बना करती थ ।
उ ह व भ वषय के बारे म संदेश
ा त होते थे, जनके वातालाप के वर और भाषा
को -ब- उसी तरह सुर त रखा
गया है जैसे वे ा त ए थे।
यहां दए गए संदेश वे संदेश
ह जो उ ह अं ेजी म ा त ए थे,
जब क उनक मातृभाषा गुजराती थी।
रतू भावनगरी
१३ दस बर, १९५१ – २२ फरवरी, १९८०
व पी भावनगरी
९ अग त, १९५० – २२ फरवरी, १९८०
भाग १

खोरशेद भावनगरी
क दै न दनी
के अनुसार
कये गए
जीवा मा संपक
१४-०४-१९८१
ई र के स चे नयम

मे रेआपक
यारे म मी-पापा, हम ह आपके व पी और रतू। हम जीवा मा जगत से पृ वी-वा सय को
े ज रए यह बताना चाहते ह क स ची राह पर-उस राह पर जो सवश मान ई र क
राह है-उस पर कैसे चलना चा हए। तो, मेरी यारी मां, आप हमारे लए यह कताब ल खये और
आपनी नया के लोग को जीवा मा जगत के बारे म बताना। उ ह ई र के नयम और कानून
के बारे म बताना ज ह पृ वी-वासी गलत समझते ह। उ ह बताना जीवा मा जगत के व भ
लोको १ के बारे म।

पुरो हत क कही हर बात का भरोसा कर लेना ब कुल गलत है। और इसी तरह, हमारे
सवश मान ई र के स चे याय के बारे म बड़े-बड़े दाश नक जो उपदे श दे त े ह, उनपर भी
भरोसा कर लेना गलत ह। वे सब कुछ नह जानते। वे या आप, सच तभी जान पाओगे जब आप
अपनी पृ वी क नया छोड़कर जीवा मा जगत म आओगे। हां, असली याय या है, इसे
बताने के लए कुछ प े या कुछ अ याय काफ़ नह और न ही इसे कुछ कताब से जाना जा
सकता है। कई युग लगगे आपको यह जानने म क हमारे ई र हमसे सचमुच या चाहते ह।
इस लए आपको बताने क हमारी यह को शश, हो सकता है पया त न हो।

ले कन, हम जीवा मा जगत से अपने यजन और सभी पृ वी-वा सय को यह बताना चाहते ह


क सच या है। हम आप सबको यह बताना चाहते ह क आपसे ब त सारी गल तयाँ हो रही ह,
जनका कारण बेमतलब क कुछ धारणाएं ह, अथवा उन लोग क कही बात ह ज ह आप
प व और ानी (दाश नक) मान लेत े ह। कभी-कभी तो वे जो कहते ह, वह हमारे सवश मान
ई र के स चे नयम और कानून के ब कुल व होते ह।

इस समय जब पृ वी पर और बुरी आ मा का बोलबाला है और अ छे लोग तकलीफ़ से


घरे ह, हम लगता है क यह कताब आपको बताएगी क य -हां, य -बुर े लोग सफल होते ह
और अ छे लोग क झेलते ह। भले लोग हमारे सबसे य सवश मान ई र को इस बात का
दोष दे त े ह क वह उनके साथ याय नह करते। इस लए, हमारे यारे पाठक , आगे पढ़ ये, इसम
आपको ब त सारे सवाल के जवाब मल जाएंग।े
१५-०४-१९८१
आ म व ेषण के ज रए सुधार लाना

य द बुरी आ माएं चाह, तो सवश मान ई र उनक मदद कर सकते ह। बुरी आ मा म


सहज वृ होनी चा हए और उ ह अपने आप म बदलाव लाने के लए ई र से मदद के
लए ाथना करनी चा हए। न त प से सवश मान ई र उनक मदद करगे। अ छा
या बुरा होना पूरी तरह येक आ मा के अपने हाथ म होता है। ऐसी बुरी आ माएं जो अपने
आप को बदलना चाहती ह, वे णभर म भली आ मा म बदल सकती ह। पृ वी पर हमने
आपको कहते सुना है, “अपनी भूल वीकार कर लो, ई र तु ह माफ़ कर दगे।” यह सही है, पर
अपने पाप को आप वयं वीकार कर, न क कसी पुरो हत के सामने। कसी पुरो हत म
आपको मा करने क श नह होती। आपको मा करने वाला पुरो हत कौन होता है? वह
आपसे बड़ा पापी हो सकता है, इस लए कसी पुरो हत के सामने अपनी भूल वीकार न कर,
ब क यह अपने आप से कर। अपने आप से कह क आप बुर े ह, सवश मान ई र से कह क
वे आपक मदद कर, और आपको भरोसा रखना चा हए क वे ऐसा करगे। आपका यास
संपूण प से स चा होना चा हए। म फर हराता ं ‘संपूण प से स चा यास’। य द आप
सवश मान ई र से आधे- अधूरे मन से कहते ह, तो इससे कुछ नह होने वाला। पर अपने
प रवतन को लेकर य द आप पूण न कपट और सकारा मक ह, तो यक न मा नए, आपम
प रवतन लाने म ई र तुरंत आपक सहायता करगे।

अब मान ली जए, क एक सोचता है क वह एक भला है, पर वा तव म वह ऐसा


है नह । ऐसी आ मा का या होगा? कई लोग सोचते ह क वे जो कर रहे ह, ई र के बनाए
नयम के अनु प कर रहे ह। वे जरा भी यह नह सोचते क वे कतने बड़े पापी ह। वे कहगे,
“म ई र म व ास करता ।ं म धा मक कताब पढ़ता ं। म हर दन ाथना करता ं। म
त दन या हर ह ते मं दर या चच जाया करता ं। म ब त सारे दान-पु य के काय करता ं। म
गरीब और ज़ रतमंद को भोजन, कपड़े बांटता ं, उ ह रोजगार दे ता ं। लोग को और या
चा हए? म तो वग ही जाऊंगा।” ःख के साथ कहना पड़ता है क ये बेचारी आ माएं भले ही
यह सोच क वग का दरवाजा उनके लए पूरी तरह से खुला है, पर वे कभी उसक नचली
सीढ़ तक भी नह प ंच पाएंग।े दरअसल, पृ वी पर रहने वाली आ मा के लए यह समझना
ब त मु कल है, पर यह सच है, क वे कभी वग क सबसे नचली सीढ़ को भी दे ख नह
पाएंगी। इस लए खुल े मन से सु नए। हर दन वे पूजा थल पर य जाते ह? दरअसल, उनम से
कुछ अपने आस-पास के लोग को यह दखाने वहां जाते ह क वे इतने धमपरायण ह क ई र
के बारे म सोचते रहते ह।

अपने आप से पू छए, “ या ई र के साथ कभी छल कया जा सकता है?” आप अपने आस-


पास के लोग को मूख बना सकते ह, पर आप कभी सवश मान ई र को धोखा नह दे
सकते। आप खुद को ई र से डरने वाला कहते ह? पर वा तव म य द ऐसा होता तो या
कभी आप ई र को छलने का यास करते?

कुछ लोग पूजा थल पर हर दन या हर ह ते इस लए जाते ह ता क ई र से वे अ धक धन,


अ धक खु शयां और अ धक से अ धक सफलता मांग सक। आ खर या है यह? दरअसल,
आप वहां अपने वाथपूण उ े य के लए जाते ह-ई र के लए नह । आप वहां बस अपने आप
के लए जाते ह। तो या ऐसे वाथपूण उ े य के ज रए आप वग पा सकते ह?

च लए मानते ह क आप खूब सारे दान धम के काय करते ह। सबसे पहले अपने आप से पूछ
क आप ऐसा य करते ह? दान धम के काय के पीछे आपका या उ े य है? आपका उ े य
सवा धक मह वपूण है। य द आपका उ े य पूरी तरह से नः वाथ है-उदाहरण के लए य द
आपका उ े य केवल और क मदद करना हो और यह अपने आप आता हो– तो यक न जा नए
ई र खुश होते ह और वे जानते ह क आप जो दे त े ह, वह उ ह खुश करने के लए नह होता।

पर, क पना क जए, आपका उ े य य द ई र को खुश करना है, और आप कहते ह, “य द म


यह कसी गरीब को ं , तो ई र मुझ े वग भेजगे”, तो यक नन ई र को आपके उ े य का पता
चल जाता है और आपको कभी वग नह मल सकता। आप एक- सरे को मूख बना सकते
ह, अपने आप को मूख बना सकते ह, पर आप सवश मान ई र को कभी मूख नह
बना पाएंगे। इस लए उस दान धम के पीछे आपका उ े य ब त अ धक मह वपूण होता है।
आप जो भी करते ह उसम ईमानदार ब नये। य द आप ईमानदार ह, तो एक जरा-सी चीज़ भी
आपको वग प ंचा सकती है। पर य द आप वाथ ह, और सवश मान ई र को धोखा दे ने
का यास करते ह, तो बड़े से बड़ा दान भी आपको नरक म ही ले जाएगा। तो, यह पूरी तरह से
हमारे हाथ म है। ह ना?
१६-०४-१९८१
याय


म ई र के ब त शु गुज़ार ह य क हमारे सही और गलत काय को पहचानने के लए
उ ह कसी सबूत क ज़ रत नह होती, और उनका याय ही अं तम होता है। आपक
नया म होने वाले अ धकतर याय म, यहां तक क बड़े से बड़े यायाधीश के नणय
भी हमेशा सही नह हो सकते, पर ई र का फ़ैसला सदा सही होता है, य क वे आपको
अंदर से जानते ह। य द आप अपने लोग से कुछ छपाना चाहते ह, तो वह छप सकता है, पर
ई र से आप कुछ भी नह छपा सकते और उनका फ़ैसला हमेशा सही होता है। य द आपको
इसम भरोसा है, तो आप कभी गलत नह जाएंग।े आप इस बात का भरोसा रख सकते ह क
यह पूरी तरह से स य है और आप जो भी करते या कहते ह, हमेशा उसका रकॉड रखा जाता
है। इस लए एक नी तपूण, स चा तथा क णामय जीवन जएं।

अपने आप को सुधारने का यास कर। हो सकता है आप सोच क इस पृ वी पर एक भी


संपूण नह तो फर आप कैसे हो सकते ह? मेरे यारे पाठक , यहां तक इस उ चतर तल या
लोक म रहने वाले हम भी पूण नह , तो फर आप कैसे हो सकते ह?

हम अ छाई को पाकर और बुराई को र कर, अपने आप को संपूण बनाने का लगातार यास


कर रहे ह। येक आ मा का ल य आ म-उ त होना चा हए, ता क आप सवश मान ई र-
या न उस ‘संपूण ह ती’ तक प ंच सक, और ऐसा होने म ब त लंबा समय लग सकता है।
इस लए आप अपनी ज़दगी म अ छा बनने, अ छा बोलने का पूरा यास करते रह और इसका
भी यास जारी रख क लोग को कभी हा न न प ंच।े कभी नदयी मत ब नए और हमेशा
य न कर क आप ढ गी न बन। य द आप चाह तो ऐसा कर सकते ह, पर आपम वा त वक
इ छा होनी चा हए।

चूं क आप पृ वी पर ह, तो आप खुदको सुधारने के लए और अ धक यास कर सकते ह। एक


बार जब आप जीवा मा जगत म आ जाते ह, तो यह सुधार ब त धीरे-धीरे होगा। इस लए य द
सचमुच आप अपने आप को सुधारना चाहते ह तो इसे अभी क रए। हां, अभी करना सबसे
ज री है।
जीवा मा से संपक
पृ वी पर रहने वाले आप और जीवा मा लोक म रहने वाले हम सभी, अपने आप म सुधार करने
का य न कर रहे ह। पर हमारे बीच एक बड़ा अंतर है। आप, सभी स चाइय को नह जानते
और हम उनम से अ धकतर के बारे म पता है। आपको यह पता नह चल सकता क आपके
लोग कतने सही या कतने गलत ह, पर कोई आ मा कतनी सही या गलत है, इसका हम ठ क-
ठ क पता होता है।

आप एक- सरे के मन को नह पढ़ सकते। पर हम मन को एक सीमा तक पढ़ सकते ह। आप


हम नह दे ख सकते, पर हम आपको दे ख सकते ह, आपको सुन सकते ह और यहां तक क
आपके मन और वचार को पढ़ सकते ह। इस लए आप जतना अपने आप को जानते ह, उससे
कह बेहतर ढं ग से हम आपको जान सकते ह।

अगर आपको ये सब फ़जूल लग रहा हो, तो आइए हम आपको एक उदाहरण दे कर इसे


समझाते ह। हमारी यारी मां, जो क हमारे लए लख रही ह, उ ह कभी यह पता नह चल पाया
क उनके आस-पास के कुछ लोग कस तरह के ह। एक के बारे म उनका बुरा याल था,
जो वा तव म एक अ छ आ मा थी। और जन य के बारे म उनका वचार अ छा था,
हमने दे खा क वे सबसे बड़े ढ गी थे-बड़े ई यालु और खतरनाक थे। इस लए हमने उ ह सलाह
द । पहले तो उ ह हमारी बात पर व ास नह आ, पर जब उ ह ने और पापा ने खोज-बीन
शु क , तो वे हैरान रह गए क हमने जो कहा था, वह सही था। तब उ ह पता चला क य द
हमने उ ह न बताया होता, तो शायद वे नह जान पाते क उनके आस-पास क कुछ आ माएं
कस हद तक बुरी थ ।

इस लए, मेर े य पाठक , य द आप अपने उन यजन के साथ संपक कर सक, जो जीवा मा


जगत म रहते ह और उनका मागदशन पा सक, तो न त प से आप जान जाएंग े क कौन
अ छा है और कौन बुरा। इस तरह आप यह जान सकते ह क कस पर भरोसा करना है
और कस पर नह ।

आप सभी के मन म कई चीज़ के त एक न त राय होती है, जो आपको गलत राह पर


प ंचा दे ती है। यही कारण है क हम इस बातचीत के ारा आपको ये बाते समझा रहे ह।
आ मा को सुधारना काफ क ठन होता है, पर य द वे आप पर व ास रखते ह, तो कई
अवसर ऐसे मलगे जनके ारा उ ह सुधारा जा सकता है। जीवा मा के संपक से कई सारी
कमाल क चीज ई ह। यहां तक क पृ वी क आ मा को उनके दवंगत यजन के संदेश
प ंचाकर उ ह क से बाहर नकाल सकते ह। हर कोई जीवा मा जगत से संदेश नह ा त कर
सकता, पर हम व ास है क जो संपक कर सकते ह, वे सर क मदद करना चाहते ह। मुझे
यह कहने म ःख हो रहा है क पृ वी पर लोग कभी-कभी ब त मूख होते ह। यहां तक क
उनके पास आई खुशहाली उ ह ज़हर समान लगती है। वे जीवा मा क बातचीत, आ मा
और मृ यु बाद के जीवन म व ास न कर मूखता करते ह। हम ऐसी आ मा पर ःख होता है,
य क जब वे जीवा मा जगत म आते ह, तो त ध रह जाते ह।
१८-०४-१९८१
बूढ़े और झरने क कहानी

अ ब हम आपको एक ब त अ छ कहानी सुनाना चाहते ह। जो जीवा मा जगत म हमारे


साथ कुछ समय पहले घट थी। हमने अपने पसंद दा झरने के कनारे एक बूढ़े
बैठा दे खा। बूढ़े
को
यहां न के बराबर दखाई पड़ते ह, य क आ मा य ही बु मान
होती ह, वे यहां युवा होती जाती ह; इस लए हम उस को दे खकर काफ हैरान ए।
हमने उनसे पूछा, “ या आप नए आए ह, सर?”
उ ह ने कहा, “हां, नौजवान, तु ह यह कैसे पता?”
हमने कहा, “यह हमारा सहज बोध है!”
उ ह ने कहा, “तुम काफ बु मान लगते हो नौजवान , इस लए मुझ े प का भरोसा है क तुम
मुझे अपने घर का रा ता बता दोगे।”

हमने पूछा, “अ छा, आपका घर कहां है?” और उ ह ने हम पृ वी पर थत अपने घर का पता


बताया।

हमने हंसते ए उनसे कहा, “सर, इस समय आप धरती पर नह , ब क जीवा मा जगत म ह।”
हमने उ ह बताया क जीवा मा जगत म अभी वे नए ह।

उ ह ने हम इस तरह दे खा मानो हम कसी पागलखाने से भाग कर आए ह , और ब त धीरे से


कहा, “मुझे लगा तुम बु मान हो, य क म कसी तरह इस छु मनाने वाली जगह पर आ
गया ं। हां, म इस जगह के लए नया ।ं ”

“छु ?”, हमने कहा। “सर, आप छु से अपने घर वापस आए ह।”

उ ह ने जवाब दया, “हे भगवान, वाकई ये लोग पागल ह, यहां से नकल लेना ही ठ क रहेगा।”
और वह वहां से भाग नकले। हम उनके बारे म का फ ःख आ, इस लए हमने अपनी एक
उ चतर आ मा को बुलाया और फर हम उस के पास प ंच।े

हम दे खते ही उस का चेहरा पीला पड़ गया, और उ ह ने कहा “हे भगवान अब तो ये तीन


पागल मेरे पीछे पड़ गए। अब म या क ं ?” इसके बाद उ ह ने कसी का नाम लेकर बेतहाशा
च लाना शु कर दया। बाद म हम पता चला क यह, पृ वी पर उनके बेटे का नाम था। हमने
उ ह लाख समझाने क को शश क , के जीवा मा जगत इतना सुंदर हो सकता है क मरने के
बाद भी आप एक खूबसूरत सी जगह म रह सकते ह, पर वे मानने को तैयार नह ए।
हम कुछ और उ चतर आ मा को बुलाना पड़ा, जो प र थ तय को अ छ तरह से समझा
सकते थे। हम सभी इकट् ठा ए और उ ह हमने एक-एक चीज़ बताई, उनके आस-पास क
चीज़ को दखाया। थोड़े समय के बाद उ ह हम पर भरोसा हो गया, और उ ह इस बात पर
यक न हो गया क हम सच कह रहे थे। तब वे हमसे काफ घुल- मल गए, और कहा, “पृ वी पर
हमेशा मुझ े यह चता सताती थी क मरने के बाद हम एक अनंत शां त म सोना पड़ेगा, जो बंजर
बादल पर होगा जहां केवल दे व त ही उड़ सकते ह।”

हम उनक बात पर हंसी आ गई। हमने उनसे कहा क हमने कभी यहां कसी दे व त को उड़ते
नह दे खा! इसपर उ ह ने कहा, “ओह, इसका मतलब ये है क हम वग म नह है? तो फर
वग कतना सुंदर होगा!”

हम फर हंसे और उ ह फर समझाया, “यह उ च लोक है और यही वग है। पर न त प से


उ चतम लोक इतना सुंदर है, जो हमारी क पना से परे है।” वे अब कुछ कम बूढ़े दखने लगे
थे, य क उनका अवचेतन मन २ जागृत होने लगा था, और उसका ार खुलने लगा था। वे अब
कुछ ानी होने लगे थे, पर उ ह अब भी ब त कुछ सीखना था। वे काफ हैरान थे क “अनंत
शां त” वाला थान इतना सुंदर हो सकता है और वराम म रहने क बजाए यहां हम सभी जीते-
जागते, कतने उ साह से जी रहे ह।

इस कहानी से आप यह जान सकते ह क पृ वी पर लोग जीवा मा जगत के त कतने अ ानी


और भयभीत ह। और जब उ ह स चाई पता चलती है, तो अचं भत रह जाते ह। इस लए य
पृ वी लोक वा सयो, जीवा मा क बातचीत के ज रए अपने-आप को जीवा मा जगत के लए
तैयार कर ली जए, और अपने जीवन को ई रीय भले माग पर ले जाने का नणय कर ली जए,
ता क आप उ चतर लोक म प ंच सक।
१९-०४-१९८१
ई र के नयम को समझना

य हां नवास करने वाली हमारी साथी जीवा माएं चाहगी क हम पृ वी वा सय को ई र के


स चे नयम बताएं, य क वे इन नयम से अंजान ह। हम यह ान उ हे दे ना चाहते ह,
और हम पूरा व ास है क वे हम पर भरोसा रखगे और इस ान का उपयोग मानवता क
भलाई के लए करगे। ऐसी कई झूठ धारणाएं ह, जो आपको सवश मान ई र के रा ते से पूरी
तरह से अलग कर दे ती ह।

ई र के कई नयम को गलत तरीके से समझा गया है। आइए हम एक खेल खेलने क को शश


करते ह-बचपन म हम यह खेल पा टय म खेला करते थे। एक वृ म बैठ जाइए, और एक
अपने साथ बैठे सरे के कान म कोई वा य फुसफुसाएगा। वह उसे अपने
बाजू वाले के कान म फुसफुसाएगा। यह म तबतक जारी रहेगा, जबतक वह वा य
पहले के पास तक न प ंच जाए। जब यह वा य पहले के पास प ंचता है तो यह
पूरी तरह से बदल जाता है। इसी कार ई र के नयम उस थान से चले ह, जहां वे पूण प से
सही थे, पर स दय से चलते रहने के म म उनम बदलाव आ गया। पूरी तरह से नह पर
आं शक प से तो है ही।
२०-०४-१९८१
हमारी मृ यु कैसे ई और जीवा मा जगत के लोक

अ ब हम आपको जीवा मा जगत के बारे म और जानकारी दगे ता क आप समझ सक क


हम यहां कैसे जीते ह और य द आप सवश मान ई र के रा ते पर चलगे और एक
बेहतर जीवन जीएंग े तो आपको कतनी खूबसूरत नया मलेगी। हम आपको यह भी
बताना चाहगे क न न लोक या ह, बुरी आ मा का अंजाम या होगा और पु या माएं या
आशा कर सकती ह।

आइए हम हमारी मृ यु से आरंभ कर ता क आपको पता चले क या आ था, हम कैसे


जीवा मा जगत म प ंचे और जीवा मा जगत कहां होती है।

हम गाड़ी से धीमी ग त और एक समान र तार से या ा कर रहे थे, य क हम गाड़ी के इंजन


को करना था, जसपर हमने कुछ घंटे पहले ही काम कया था। हम हाईवे से होकर घर लौट
रहे थे, और चूं क म ( व पी) गाड़ी धीरे चला रहा था, तो मुझ े अहसास आ क गाड़ी म बैठे
सभी लोग सो रहे थे। चूं क सड़क पर गहरे गड् ढे थे, मने गाड़ी क र तार और धीमी कर द
ता क झटक से लोग जाग न जाएं।

हम पृ वी पर अपने घर क ओर जा रहे थे, पर उस समय मुझे यह कहां पता था क म और मेरा


भाई रतू, पारलौ कक जीवा मा जगत के अपने असली घर क ओर बढ़े चले जा रहे थे।

अचानक एक भयानक सी चीज– काले रंग क , वशाल और डरावनी– मेरे रा ते म आ गई। मने
गाड़ी को जरा बा ओर लेनी चाही और ेक लगाना चाहा, ले कन ेक फेल थे और मेरे सामने
एक पेड़ था। गाड़ी जाकर पेड़ से जा टकराई।

इसके बाद मने खुद को अपने भौ तक शरीर के बाहर पाया। मने अपने भौ तक शरीर को घास
पर पड़ा पाया और मुझ े पता चल गया क अब म अपने भौ तक शरीर म नह , ब क ह के
जीवा मक शरीर म ।ं मने यह भी महसूस कया क मुझ े अब कोई दद या तकलीफ का
अनुभव नह हो रहा। तब मने जाना क पृ वी क नया के लए म मर चुका था। मने अपने
चार ओर दे खा। आस-पास मेरे कोई नह था। मेरे मुंह से एक चीख नकल गई, “हे भगवान,
जीवा मा जगत म मेरा वागत करने कोई नह आया”। कुछ ण बाद, मैन अपने बगल म एक
और आ मा को खड़ा पाया और मुझे इस बात से बड़ी खुशी ई क वह मेरे भाई रतू जैसा
दखता था। मैन,े उसे गले लगा लया और कहा, “रतू, कम से कम हम साथ तो ह।” उस आ मा
ने मु कुराकर कहा, “ व पी, म रतू नह ं। रतू तो उधर है, इस समय भी अपने भौ तक शरीर म
वह सांस ले रहा है।” मन रतू पर डाली, ले कन वह सरी आ मा इतनी मलती-जुलती लग
रही थी क मने उससे वनय पूवक ाथना क , “आप जो कोई भी ह , कृपया करके भगवान के
लए रतू को बचा लो-उसे धरती पर मरने से रोक लो य क मेर े म मी-पापा अकेले हो जाएंग।े
उनक दे खभाल कौन करेगा?” उस आ मा ने बड़ी वन ता से जबाव दया– “ व पी, मेरे यारे,
यह मेरे हाथ म नह , ई र के हाथ म है। और, व पी दरअसल म तु हारा नाना ”ं । तो, वह
मेरी म मी के पताजी थे ज ह हम प पा या पॉ सी कहा करते थे। म उ ह पहचान नह पाया
य क १९७४ म अपनी मृ यु के समय क तुलना म वह अब अ धक युवा दख रहे थे। अपनी
मृ यु के समय वह ९३ साल के थे, जब क १९८० म, हमारी मृ यु ई उस समय वह ३० साल के
दख रहे थे और ब त कुछ मेरे भाई रतू क तरह लग रहे थे। म उनसे लपट गया और फर से
उनसे वनती करने लगा क वह रतू को बचाने के लए कुछ कर।

प पा ने फर समझाया, “ व पी, मेरे सबसे यारे, यह हमारे हाथ म ब कुल नह होता। आओ


हम बस ई र से ाथना कर। म भी ब त ःख महसूस कर रहा ं। मेरी यारी ब टया कैसे रहेगी
तुम दोन के बना?” य ही हमने अपने हाथ जोड़े और ाथना म कहा, “हे ई र..”, क रतू
भी अपने भौ तक शरीर के बाहर नकल आया। हम वहां खड़े थे, उदास और ःखी– मेरे माता-
पता के बारे म सोचते ए।

रतू ने मुझ े दे खा और तब चकनाचूर गाड़ी पर उसक पड़ी, ले कन उसने घास पर पड़े ए


अपने भौ तक शरीर को नह दे खा। वह पूरी ताकत से चीख पड़ा – उसक आवाज तेज और
खुरदरी थी – मने उसक वही आवाज सुनी जो धरती पर उसक आ करती थी, ले कन उससे
भी तेजः “ या कर दया तुमने मेरी गाड़ी को?”

तब इसके बाद उसक नज़र प पा पर पड़ी और उसने उ ह पहचान लया। “प पा, आप यहां? म
कहां ं? प पा, आप तो मर चुके थे, फर यहां या कर रहे ह?” फर, मेरी ओर दे खकर बोला,
“बोलो, या कर दया तुमने मेरी कार को?”

हमने उसे समझाया क पृ वी पर हमारी मृ यु हो चुक है। मेरी तरह, रतू ने भी कहा, “हे ई र,
म मी-पापा का या होगा?”

हम बैठे अपने भौ तक शरीर को गौर से दे ख रहे थे। सोच रहे थे क काश, कोई तो ऐसा तरीका
होता जससे अपने माता- पता और जना ( व पी क ढाई साल क बेट ) के लए हम अपने
शरीर म वापस जा सक। ले कन, हमारा तो बुलावा आ चुका था। हमारे कुछ दो त और र तेदार
भी आ गए थे और हम सब एकसाथ चलने को तैयार थे। एक उ च भली आ मा ३ भी हमारे
साथ थी ज ह ने कहा, “ व पी, रतू, अपनी आंख बंद कर लो,” हम लगा जैसे हम बड़ी तेज
र तार से ऊपर उठे जा रहे ह । जब हम अपनी मं जल पर प ंचे तो हमसे अपनी आंख खोल
लेन े को कहा गया और तब हमने नया क सबसे आ यजनक जगह –जीवा मा क
खूबसूरत नया को दे खा।

य क हम ब त ःखी थे और सदमे क थ त म थे इस लए हम कुछ उ च भली आ मा


ारा एक बड़े-से हॉल म ले जाया गया। उस हॉल को व ाम क कहते ह। हम एक मुलायम
और पंख जैसे हलके अथवा यूं कह क बादल जैसे पलंग पर लेट जाने को कहा गया जहां हम
न द आ गई।

कुछ दे र बाद मेरी न द खुली और मने पलंग पर रतू को अपने बगल म लेटा आ पाया। उसे कुछ
करण द जा रही थ । एक उ च भली आ मा ने आकर मुझसे अपने पीछे आने को कहा। मने
कहा, “म यह र ंगा य क रतू ने अब तक ठ क से आराम नह कया है।” उ च भली आ मा ने
कहा, “नह , तु ह मेरे साथ आना होगा। तुम अब यहां नह क सकते। न द पूरी कर लेने के बाद
रतू तुमसे बाहर मलेगा।” मुझे बाहर ले जाया गया और वहां मने प पा को दे खा और मेर े सभी
दो त और र तेदार व ाम क से हमारे बाहर आने क ती ा कर रहे थे। कुछ दे र बाद, हमन
रतू को भी बाहर आते दे खा। तब हमने नणय लया क चूं क हम अपने म मी-पापा के पास
वापस नह जा सकते, हम उ ह इस भयानक सदमे से बहा रीपूवक बाहर नकलने म मदद
करगे।
२१-०४-१९८१
७ लोक अथवा तल

य द आप यहां लघु अथवा द घकालीन बीमारी के बाद आए ह तो आपके आस-पास आपके


दवंगत दो त और र तेदार आपका वागत करने के लए तैयार ह गे, ले कन य द आपक
मृ यु अचानक ई हो तो आपके वागत म वे थोड़ी दे र से प ंचगे। ले कन आप भरोसा कर
क वे आएंग े ज र, बशत आप न नतर लोक म न ह । उस थ त म, कसी उ च भली आ मा
ारा वागत कए जाने क उ मीद न रख। बहरहाल, बुरी आ माएं आपको न न लोक म ले
जाने के लए तैयार मलगी।

जीवा मा जगत म ७ लोक अथवा तल होते ह। येक लोक म ०-९ तक १० तर होते ह।


इस लए लोक १-० का अथ होगा लोक-१ तर-०.

थम लोक (लोक-१) न नतम और सबसे अ धकारपूण होता है और यह पृ वी के सबसे


नज़द क भी होता है। यह सबसे भयानक जगह होती है। यहां बंजर च ाने होती ह जहां रगने
वाले जंतु होते ह, जो दरअसल वकृत शरीर, और कु वचार से भरे मन वाली मनु य
आ माएं होती ह। उनके शरीर हमारी तुलना म ब त भारी होते ह और वे बंजर इलाके म रहती ह
और अ या धक अंधेरे म च ान पर रगती रहती ह। वे कभी रोशनी क एक न ह करण भी नह
दे ख पात ।

सरा लोक भी भयानक है ले कन यहाँ थम लोक जतना अंधेरा नह होता, न ही यहाँ रहने
वाली आ मा के शरीर उतने वकृत और भारी होते ह। वे भी पथरीली गुफा म रहते ह, एक
सरे से घृणा करते ह और घनौनी, भ भाषा का योग करते ह। उ ह रोशनी अथवा कोई भी
अ छ चीज नसीब नह होती।

तीसरा लोक कुछ बेहतर है ले कन यहां भी रोशनी नह होती। यहां आ मा के शरीर थम


और सरे लोक क तुलना म ह के होते ह। वातावरण ब त ही भारी और कोहरे से भरा होता
है। आ मा के शरीर दे खने म मनु य क तरह ले कन बूढ़े और अधूरे नज़र आते ह। तीसरे
लोक क आ मा म एक सरे के त भावनाएं होती ह और वे हर चीज के लए एक सरे
पर आरोप लगाती ह। वे वहां, या न तीसरे लोक म, पहली बार आने वाली आ मा को
पकड़कर अपना ग़लाम बना लेती ह और अपने काम म मदद करने को उ ह मजबूर करती
ह।

चौथा लोक एक म य लोक है। यह पृ वी जैसा है जहां दन और रात दोन होते ह। यह ऐसा
लोक है जसम मनु य क आ मा अपनी जीवन या ा शु करती ह। उ ह चौथे लोक के पांचव
तर से उठने या नीचे गरने का अवसर दया जाता है और यह पूरी तरह हम पर नभर करता है।

पांचवा लोक से वग शु हो जाता है, जो धरती के कसी सुंदर थान जैसा होता है। आकाश म
हमेशा एक ह क -सी चमक रहती है। इस लोक क आ माएं एक- सरे क मददगार होती ह।
उनके शरीर काफ ह के होते ह और उनम कोई वकृ त कह होती।

छठा लोक ब त सुंदर है। यहां खूबसूरत चमक ली, हरी घास; पेड़ और ऐसे रंग- बरंग े फूल होते
ह जो पृ वी पर नह पाए जाते। यह लोक धूप खले दन क तरह हमेशा रौशन रहता है। यहां
आ माएं लगभग पूण होती ह, उनके शरीर ब त ह के होते ह और वे सब आपसी मेल-जोल
और ेम के साथ रहते ह, एक- सरे क मदद करते ह और अपनी पसंद के काम करते ह। य द
आप छठे लोक या उससे ऊपर ह और आपका अवचेतन मन ( जसे अंतरा मा कहा जाता है)
जो आपका वा त वक, आ या मक मन है, वह आपको पृ वी पर कए जाने वाले उन पाप को
नह करने दे ता जो आपको चौथे लोक से न नतर लोक म ले जाते ह।

सातवां लोक उ चतम लोक है। पृ वी के लोग इसक सु दरता क क पना भी नह कर सकते।
सातव लोक क सु दरता का, दे ख कर ही व ास कया जा सकता है। इसे श द म बयान नह
कया जा सकता। बेशक, यह लोक इतना सु दर है क इसके बारे म कोई सोच भी नह सकता।
इस लोक क आ मा के शरीर सबसे अ धक चमक ले, सबसे अ धक पूण और युवा
जीवा मक शरीर होते ह। वे बादल जैसे ह के होते ह। ये आ माएं पूण ताल-मेल और ेम के
साथ रहती ह। यह लोक वग से भी बढ़कर है।

सातव लोक के बाद या है यह हम नह जानते, ठ क उसी तरह जस तरह पृ वी पर रहने वाले


लोग जीवा मा जगत के बारे म यादा नह जानते। सातव लोक के नौव तर के बाद हम
आ माएं पृ वी पर पुनज म नह लेत । ले कन हमारी आ या मक या ा जारी रहती है।

सातव लोक क आ माएं लगभग पूण और शु आ माएं होती ह। ले कन य द वे पृ वी पर


पुनज म लेती ह और उनसे छोटा-सा भी पाप हो जाता है तो उ ह पांचव अथवा छठे लोक म
उतरना पड़ता है। इस लए यह हमेशा हर एक आ मा के अपने ही हाथ म होता है क वे ई र के
स चे रा ते पर चलते ए उठ या पाप और अंधकार क दलदल म गर।
२२-०४-१९८१
हमारा असली घर


म सब जानते ह क पृ वी छोड़कर जीवा मा जगत म जाना अ छा है। जीवा मा जगत
हमारा वा त वक घर है। हम थोड़े समय के लए पृ वी पर जाते ह और वापस अपने घर
लौट आते ह। अनुभव हा सल करने के लए हम पृ वी पर जाते ह। पृ वी हमारी
पाठशाला है, जहां हम सीखते ह, अनुभव लेत े ह और उ च तर क ओर बढ़ने के लए
अपनी आ मा को शु करते ह।

पृ वी के लोग को अपनी असली नया – जीवा मा जगत क कोई मृ त नह होती।


य द आपम वह मृ त हो तो आप पृ वी पर एक मनट भी रहना नह चाहगे। इस लए ई र ने
आपको आपक असली नया, आपके असली यजन और जीवा मा जगत क खूबसूरती क
याद से वं चत रखा है। ई र ने इस तरह सारा ब ध कया है जससे आप पृ वी पर अपना
श ण और श ा पूरी कए बना वापस लौटने क न सोच।

जीवा मा जगत क याद रहने पर आप पृ वी पर रहने क बात से घृणा करगे, इसे लेकर ई र
इतने न त ह क उ ह ने आपके भौ तक मन से इन याद को पूरी तरह रोक दया है। ले कन,
आपका आ या मक मन, जसे अवचेतन मन भी कहते ह, जीवा मा जगत क याद से भरा
होता है। बहरहाल, अवचेतन मन इस याद को आपके भौ तक, ता कक मन तक नह प ंचने
दे ता है।

य द पृ वी पर रहने वाले मनु य का अवचेतन मन सु त है तो वह ई र के असली नयम को नह


जान पाएगा। य क पृ वी पर लोग क थ त बद से बद्तर होती जा रही है, इस लए हम
चाहते ह क आप इस अस लयत को जान ता क आप अपने अवचेतन मन को जागृत कर सक।
हम चाहते ह क आप स य को जान और आपम स चे रा ते पर चलने का साहस हो।
२३-०४-१९८१
बोझ ढोने वाले पशु

पृ हम अ
वी पर भली आ माएं ब त ःख झेलती ह जब क बुरी आ माएं बना रोक-टोक घूमती ह।
सर लोग का यह रोना सुनते ह, “ या यही ई र का याय है?”

अ यंत भली आ मा को हर कार के श ण और अनुभव से होकर गुजरना चा हए। और


ग त करने के लए उ ह क भोगना ही पड़ता है। बुरी आ माएं पृ वी पर जतनी अ धक
सफलता ा त करती ह नक म उनको उतना ही नीचे गरना पड़ता है। और कोई रा ता नह ,
य क एक दन हर कसी को मरकर जीवा मा जगत म ही आना है। इस लए पृ वी पर बुरी
आ माएं जतनी सफलता और सुख हा सल करती ह जीवा मा जगत म आने पर उ ह उतने ही
खराब अनुभव से गुजरना पड़ता है।

य द या बुरी आ माएं सर को नुकसान प ंचाने म सफल रहती ह तो वे दया के पा ह,


य क जीवा मा जगत म वे न त प से न नतम लोक म जाएंग े और ब त यातनाएं झेलगे।
इस लए, उनसे ई या नह करनी चा हए और न ही उनके लए ऐसा कहना चा हए क “दे खो, वह
आदमी बुरा होकर भी खुशहाल और सफल है।” इसक बजाय ई र से ाथना करनी चा हए क
उस के लए जो े हो, वह कया जाए। एक न एक दन पृ वी पर उस आदमी क मौत
होगी ही और उसे आने वाले युग -युग तक न नतम लोक म रहकर भयानक क भोगना
पड़ेगा।

आप कभी यह मत क हए क ई र के याय जैसी कोई चीज नह होती। जब बुरी आ माएं


अपनी हद से आगे बढ़ती ह तब उ ह सबसे यादा क भोगना पड़ता है। न नतम लोक का
अथ है घु प अंधेरे म सीलन भरी, सद बंजर च ान जनपर चार ओर रगने वाले जंत ु रहते ह।
काश क एक न ह करण अथवा कसी भी अ छ चीज के दखाई पड़ने क कोई उ मीद नह
होती। इन ा णय के अंग वकृत होते ह और इस लए उ ह रगने के लए मजबूर होना पड़ता
है। उनके चेहरे भयानक होते ह और उनके कपड़े फटे -पुराने चीथड़े होते ह। वे आधे मनु य और
आधे पशु होते ह।

बुरी आ माओ के लए सजा भोगने का एक सरा रा ता भी है। ४ य द आप स चे प से


प ाताप करते ह और स चे मन से ई र को पुकारते ह तो आप बोझ ढोने वाले पशु के प म
ज म लेकर क सहन करते ह। यह न नतम लोक म जाने से तो कई अ छा है। बोझ ढोने वाले
पशु के प म, आपको पृ वी पर कए गए पछले ज म के पाप क संपूण मृ त रहती
है। अपने ारा कए गए येक पाप को याद करते ए और उसपर प ाताप करते ए आप
क भोगते रहते ह। एक बात याद रख, ऐसी आ माएं बोझ ढोने वाले पशु ही बनते ह, न क
पालतू जानवर जनके साथ दया का वहार होता है। (इसका यह अथ नह क मनु य को
कसी ाणी के साथ नदयी वहार करना चा हए।)

भली आ माएं कभी पाप करना नह चाहती य क बुरी आ मा वाली जगह पर उ ह रहना
ब कुल पसंद नह है। यह जगह इतनी भयानक होती है क हम इसका श द म वणन नह कर
सकते। य द कर सक तो बुरी आ मा को सुधारने क को शश क जए ता क उ ह न नतम
लोक म न जाना पड़े। य द वे अपने कम म सफल रहते ह तो न त प से कुछ ही वष म
उनके लए थ त ब त बुरी होगी। इस लए यह आपका कत है क आप उ ह उनक स चाई
से प र चत कर उ ह सुधारने के ढ़ य न कर। उनके त अ छा बनकर उनके कम म कभी
भी उ ह ो साहन मत द जए, ब क उ ह यह बताइए क वे कतने ग़लत ह।
२४-०४-१९८१
या सबक मदद करना हमारा धम है?

स वश मान ई र के असली नयम को जानना बड़े सौभा य क बात है। आपने लोग को
यह कहते सुना होगा, “सबक मदद करना हमारा धम है।” हां, ब कुल, सर क मदद
करना हमारा धम है ले कन हर कसी क नह । अपने लोग क मदद करना अ छ बात है
ले कन आप अपने सभी लोग क मदद नह कर सकते, य क कुछ लोग न त प से
होते ह। यह आप पर नभर करता है क आप यह तय कर क कन लोग क मदद करनी है
और कनक नह , य क य द आप क मदद करते ह तो आप ता को बढ़ावा दे ते
ह। तो आप खुद ही सोच क या आपने सही कया है? या ई र आपसे यही करवाना चाहते
ह? वचार करने पर आप समझ जाएंग े क आप खुद के साथ-साथ उस आ मा को भी
नुकसान प ंचा रहे ह। आप कहगे, “म कसी क मदद कसी क ह या करने या कसी को
नुकसान प ंचाने म नह कर सकता।” हम भी समझते ह आप ऐसा नह करगे, ले कन य द
आप भोजन, धन या कपड़े दे कर भी, उस ा मा क मदद करते ह तो या यह ग़लत है? हां,
यह ब कुल ग़लत है। यह ग़लत है य क यह सब पाकर वह अपनी ताक़त बढ़ाता है और आगे
भी कम करना जारी रखता है। इस लए ऐसे लोग क मदद करना ई र के नयम के व
है, य क आपक मदद करने पर वह और को नुकसान प ंचाना जारी रखता है।

के साथ ढ़ता से वहार कर। य द आप ढ़ नह ह गे तो इसका अथ है क आप


ऐसे लोग को बढ़ावा दे रहे ह। ऐसा करने से आप भी उसी पाप क ेणी म शा मल हो जाएंग।े
मान ली जए, आप सड़क कनारे कसी भूख से तड़पते मनु य के पास से गुजरते ह और
आपको लगता है क उसे कुछ पैस े दे ना या खाना खलाना आपका धम है। आप उससे यह नह
पूछ सकते क या वह कोई बुरा आदमी है और य द वह बुरा आ भी तो न त प से वह
आपसे सच नह कहेगा। इस लए आप यह नह जान सकते क वह बुरा है या भला और आपका
मन कहता है क उसे कुछ न कुछ दया जाए य क वह भूख से बेहाल है। य द आपका मन
ऐसा कहता है, तो आपको उसे कुछ ज़ र दे ना चा हए य क आप उस आदमी के च र से
पूरी तरह अंजान ह। ले कन य द आप जानबूझ कर कसी आदमी को दान दे त े ह या उसक
मदद करते ह तो इसका अथ है क आप खुद भी ह, अ यथा आप एक क कसी
कार क मदद नह करते।

आप कहगे “ले कन वह भूख से बेहाल था, या ऐसी हालत म मुझ े उसे भूख से मरते ए दे खते
रहना चा हए?” नह , यह मानवता नह है, इस लए उसे खाना खलाइए ले कन कसी और
तरीके से उसक मदद तब तक मत क जए जब तक क वह अपने ग़लत काम के लए
प ाताप न करे। इसका अथ यह है क उसे अपने कए पर सचमुच पछतावा है और सही मायने
म पूर े मन से वह सुधरना चाहता है। उस थ त म, आप जैसे चाह वैस े उसक मदद कर सकते
ह। यह आपका कत है क आप ता से उबरने तथा उठने म उसक मदद कर। यही
वा त वक स कम है। ऐसा अगर स चे मन से प ाताप करता है और सचमुच सुधरना
चाहता है तो ही आपके ारा उसे भरपूर सहारा दया जाना चा हए।

अ छे काम करने म अ छे लोग क मदद क जए। अ छे क मदद के लए अपनी सीमा से


बाहर भी जाना पड़े तो जाइए। ले कन, यह यान रहे क आप जो भी कर वह न: वाथ हो।
आपके कम शु प से वाथ र हत होने चा हए। लोग क मदद करने के बारे म ये बात
आपको जाननी चा हए, और हम व ास है क आप कभी ग़लत नह कहगे।
२५-०४-१९८१
नया म कए जाने वाले अपराध व पाप कम

क ई बार हम सुनते ह और अ सर कहते भी ह, “ई र उनक मदद करता है जो खुद अपनी


मदद करते ह।” यह ब कुल सच है। सवश मान ई र का यही असली नयम है।

मान ली जए आप न नतर लोक म ह ले कन आपम उ चतर तर पर जाने क स ची आकां ा


है और आप सही मायने म सुधरना चाहते ह, तो आपक मदद के लए ई र सब कुछ करगे।
सवश मान ई र आपक आ या मक उ त चाहते ह। वह चाहते ह क आप सचमुच खुश
ह , इस लए य द आप सुधार क थोड़ी भी इ छा कट करगे तो आपको भरपूर मदद मलेगी।

नचले तर पर रहने वाले ब त से लोग कहते ह क “हमने कसी का कुछ नह बगाड़ा है; हम
ई र से डरने वाले लोग ह और हमने कभी अपराध नह कया है।” हो सकता है क आपने
कभी कोई अपराध नह कया हो ले कन आपने ब त से पाप कए हो सकते ह। पृ वी पर
लोग ारा बनाए गए नयम से ई र का कोई स ब ध नह । आपक नया म जसे अपराध
माना जाता है वह पाप हो यह ज री नह है। इसी तरह जो पाप है वह ज री नह क अपराध
भी हो। उदाहरण के लए वाथ होना अपराध नह है; न ही यह अपराध है क आप अ दर से
बुर े ह और नया के सामने यह दखावा कर क आप पु या मा ह। नह , यह अपराध नह
ब क यह ब त बड़ा पाप है।

तो आपने दे खा, आपके ारा कए गए ब त से अपराध, अथात् मानव न मत कानून को


तोड़ना पाप नह है। पाप करने का अथ है ई र के बनाए नयम को तोड़ता। ब त से पाप ऐसे
होते ह ज ह आपक नया म ग़लत नह माना जाता, इस लए धरती के लोग सवश मान
ई र के असली नयम को समझने म भूल कर जाते ह। कई पाप ऐसे होते ह ज ह लोग
गंभीरता से नह लेत े और कुछ तो ऐसे होते ह ज ह पाप माना ही नह जाता। इस लए, धरती पर
रहने वाले लोग के लए या यह जानना अ छा नह क कौन से पाप उ ह उनके असली घर,
जीवा मा जगत के न न तर क ओर ले जाने वाले ह?
२६-०४-१९८१
मनु य को अपने पाप क सजा भोगनी पड़ती है

अ ब, जो म बताने जा रहा ं उस पर वशेष यान द जए, य क यह ब त मह वपूण है।


इसे समझने म आप ब कुल भी भूल न करना। कहते ह क य द लोग अपनी ता
छोड़कर स माग पर चल तो ई र उनक ज मेदारी उठा लेत े ह। हां, ब कुल ई र
ज मेदारी लेते ह और उ ह उठने म मदद करते ह, ले कन इसका यह मतलब नह क मनु य के
भला बनने क इ छा जा हर करते ही ई र उसे माफ कर वग म उसका वागत करगे। ब कुल
नह , चाहे जो भी हो, आपको अपने पाप का हसाब चुकाना पड़ता है। ले कन, य द खुद
को बदलने क आपम स ची लगन हो तो ई र आपक मदद अव य करगे। ऐसा केवल तब
होता है जब आप अपने पाप के लए स चे मन से प ाताप करते ह और ई र को यह भरोसा
हो क आप अपने पुराने रा त पर नह चलगे, केवल तभी वह आपको तेजी से ऊपर उठने म
मदद करगे। तेजी से उठने का अथ यह नह है क ई र आपको सीधे उ चतर लोक म ले जाएंग,े
ब क इसका यह अथ है क वह आपका मागदशन करगे और आपको सही तरीके से अपने
कम का हसाब चुकाना सखाएंगे। वह आपको इस तरह राह दखाएंगे जससे आप उ च तर
पर, कसी अ य तरीके क तुलना म, ज द प ंच पाएंगे।

आप ब कुल यह धारणा न पाल क य द आप इस पल ह और अगले ही पल ई र के बारे


म सोचने लग और उनक पूजा करने लग तो आप वग प ंच जाएंग।े पुरो हत के आगे अपराध
वीकार कर यह सोचना क ई र ने माफ कर दया है, अ ानता है। जैसा क मने पहले कहा,
पुरो हत आपसे अ धक पापी हो सकता है। आपको मा करने वाला वह कौन होता है? पाप के
लए मा तो केवल सवश मान ई र ही कर सकते ह, ले कन तब तक नह जब तक क आप
स चे मन से प ाताप न कर।

अ छाई के लए खुदको बदलने क आपक आंत रक अ भलाषा एकमा मह वपूण


चीज है। आपक आंत रक इ छा एक स चे, ईमानदार और भला जीवन जीते ए सवश मान
ई र तक प ंचने क होनी चा हए।

कोई ब त ही साधारण हो सकता है और हो सकता है कोई उसे बारा दे खना पसंद न


करे अथवा कसी को भी उसके मामूली लगने वाले सवाल के जवाब दे न े क ज रत महसूस न
हो। हो सकता है आपक नया म उसक कोई है सयत न हो ले कन जीवा मा जगत म उसका
थान पृ वी पर के बड़े स ह तय से भी अ धक ऊंचा हो सकता है। तो इस कार, पृ वी
पर आपके लए सचमुच क भली और आ मा के बीच फक करना मु कल होता है। इन
आ मा के बीच भारी अंतर होता है। आप उनके बीच अंतर कर पाने म सफल नह होते,
य क आप उनके पंदन और भामंडल से पूरी तरह अंजान होते ह। हां, कौन सी आ मा
भली है और कौन सी , यह समझ पाना आपके लए सबसे क ठन है।

कई बार पृ वी पर लोग कसी को ब त ही धा मक और प व मान लेत े ह, ले कन हो


सकता है वह ब त ही हो। हमारी सलाह आपके लए यह है क य द आप जीवा मा
जगत से सुर त संपक कर सक तो वहां से मागदशन ा त क जए, ता क आ मा क
नरंतर संग त आपको मत कर न न तर क ओर न ख च सके।
२७-०४-१९८१
शैतान का अ त व नह होता

क हा जाता है क नया म शैतान है जो लोग क बु कर उ ह बहला लेता है। तो,


हम आपको बताएं क हमारे संसार म कोई शैतान नह होता, ले कन यहां जीवा मा
जगत के न नतर तर पर और साथ ही आपक पृ वी पर, लोग के होने के
कारण शैतान का अ त व होता है। इन शैतान ने आपक नया को नक जैसा बना दया
है। पृ वी पर, आप सब भली, बुरी और आ माएं साथ मलकर रहती ह, ले कन यहां
जीवा मा जगत म भली आ माएं बुरी अथवा आ मा के साथ नह रहत ।

सारी भली आ माएं एकसाथ।

सारी बुरी आ माएं एकसाथ।

सारी आ माएं एकसाथ।

जीवा मा जगत म आपको इस बात से डरने क ज रत नह क कोई ा मा आपको नुकसान


प ंचाएगी अथवा कोई बुरी आ मा आपसे छल करेगी। यहां सभी भली आ माएं एकसाथ मल-
जुलकर ेम से रहती ह, एक सरे क मदद करती ह और कभी कसी को नुकसान नह
प ंचात ।

बुरी आ माएं साथ रहती ह और एक सरे को धोखा दे ती ह। उनम ई या, बेईमानी और एक


सरे के लए भावनाएं भरी होती ह। वे एक सरे को नुकसान प ंचाती ह, यहां तक क
मान सक प से एक सरे को क भी प ँचाती ह। ले कन जो बुरी आ माएं खुदको सुधारना
चाहती ह उ ह मदद के लए सफ पुकार लगानी होती है। य द उनक यह पुकार स ची है तो
उ चतर लोक से तुरंत उ ह मदद द जाती है। उ चतर लोक क अनेक दयालु आ माएं उनक
मदद के लए जाती ह और उ ह क से बाहर नकालने क को शश करती ह।

न नतम लोक क आ मा के लए आ या मक वकास क ठन होता है, य क उनके


आसपास रहने वाली आ माएं उ ह और भी बगाड़ने क को शश करती ह और उ ह सुधरने
नह दे त । य क आ माएं अ छाई को वक सत नह होने दे त , इस लए उन सुधार चाहने
वाली ा मा का प रवतन असंभव तो नह ले कन ब त मु कल ज र होता है। यहां तक
क बुरी से बुरी ा मा भी थोड़े समय म सुधर सकती ह, ले कन कुछ ा माएं न नतम लोक
म स दय तक रह जाती ह य क उनम अ छाई क ओर बढ़ने क इ छा ब कुल नह होती।
ऐसी आ माएं सुधार चाहने वाली आ मा को रोकने क को शश करती ह य क वे अकेले नही
रहना चाहत । इस कार न नतर लोक से उठना मु कल है, ले कन य द आप स चे प से
प ाताप कर तो यह असंभव भी नह ।

तो य पाठक , असली शैतान वे ही होते ह जो सर को अपनी तरह बनाने क पूरी


को शश करते ह। य द सरे उ चतर लोक तक उठना चाहते ह तो ऐसी बुरी आ माएं पूरी ताकत
के साथ उ ह हतो सा हत करती ह और यहां तक क य द संभव हो, उ ह नुकसान प ंचाने क
भी को शश करती ह ता क वे न उठ सक।

अब, आइए सवश मान ई र के बारे म चचा कर। आपको ई र के बारे म बताने क कोई
आव यकता नह , य क हर आदमी उनके बारे म, अथात् हमारे वग के वामी और हमारे
व स हत अ य अनेक व के पता के बारे म जानता है।

ई र ेम, क णा, याय और ान क खान ह। वह वग के यायशील वामी ह जो कभी कसी


भी आ मा के साथ अ याय नह करते। उनक एकमा इ छा हमेशा आपक उ त म मदद
करने क होती है। वह आपको अपने कु वचार से छु टकारा पाने, अपनी आ मा को शु करने
और खुद को खुशहाल बनाने म आपक मदद करते ह। उनके पास कई ऐसे मददगार होते ह जो
न नतम लोक क आ मा का भी मागदशन करते ह। इस लए, आप इस बात को लेकर
न त र हए क उनक क णा और ेम कभी थ नह जाते, और वे तम आ मा को भी
उ चतर लोक क ओर ले जा सकते ह।
२८-०४-१९८१
मनु य जो बोता है वही काटता है

पृ ववी पर ब त से लोग आमतौर पर मृ यु के बाद भी जीवन है, इस म व ास नह करते। जो


ास करते ह वे शा त शां त म भरोसा करते ह, और मानते ह क इसका अथ है हमेशा-
हमेशा के लए सोते रहना। कतना मूखता भरा न कष है, और कतना ांत वचार!

जीवा मा जगत म हम, पृ वी पर आपक तुलना म अ धक जीवंत होते ह, य क हम


शरीर के ःख-दद से मु होते ह। हम लगभग हमेशा ही स रहते ह और हम भौ तक शरीर
के बोझ से मु जीवा माएं होती ह। हम वह काय कर सकते ह जो हम पसंद है। हमारा आपस
म झगड़ा नह होता, हम एक सरे को ःख नह प ंचाते और हम कभी भी चोरी या एक सरे
का नुकसान नह करते। इस लए हम अपने घर क सुर ा करने क ज रत नह पड़ती। हम
पूरी तरह वतं ह और हमारी वतं ता सवश मान ई र ारा हम द गई है। य द हम पढ़ना
चाहते ह, तो हम पढ़ते ह; य द हम काम करना चाहते ह, तो हम काम करते ह; य द हम आराम
करना चाह तो हम आराम करते ह; य द हमारी इ छा अपने कसी दो त से मलने क है, तो हम
उससे मलते ह; य द हमारा मन ाथना करना चाहता हो, तो हम ाथना करते ह। हम जो भी
करने क इ छा होती है, हम वह करते ह। तो या इसका अथ यह नह क हम आप सबक
तुलना म अ धक वतं ह? या हम आपक तुलना म अ धक जीवंत और अ धक जानकार
नह ह? और, या हम आपको आपक तुलना म अ धक नह जानते? हम बस चाहते ह क
आप यह यान रख क हम जो कुछ आपसे कहगे, वह, आपके ान, और आपके वचार क
तुलना म अ धक बेहतर है, ले कन इसके बावजूद भी हम यह वीकारते ह क हम प रपूण नह
ह। हम भी सीख रहे ह। केवल ई र के पास प ंचकर ही हम अपने आपम पूण और शु हो
सकते ह। अब, जब क आप हम पूरी तरह समझने लगे ह, हम जीवा मा जगत के नवासी
आपके लए यह संदेश भेजना चाहते ह ता क हम आपका मागदशन कर सक। जीवा मा जगत
क तुलना म, आप पृ वी जगत ारा एक उ च आ या मक तर पर काफ़ तेज़ी से प ँच सकते
ह।

हमारे सवश मान ई र के कुछ नयम होते ह जनका सभी आ मा ारा ब त ही स ती से


पालन कया जाता है। सबसे मह वपूण है क “आप जो बोएंगे वही काटगे,” अथात् आप
जैसा करगे आपको वैसा ही फल मलेगा।

सवश मान ई र का दय बड़ा दयालु और ेमभरा है, इस लए मनु य उनके ेम और उनक


दया का फ़ायदा उठाने लगता है। ले कन ई र ने आपको एक अवचेतन मन अथवा अंतःकरण
दया है। यह अवचेतन मन इस स ांत पर काम करता है क “आप जैसा बोएंगे वैसा ही
काटगे।” अ छे के बदले अ छा और बुरे के बदले बुरा! कोई अ याय नह । य द आप अ छे ह,
तो जीवा मा जगत म आप स ता पाएंगे। य द आपने कसीको नुकसान प ंचाया है तो
आपको इसका हसाब चुकाना पड़ता है और आपका अपना अवचेतन मन आपको ःख
का अनुभव कराता है। यह आपका अपना अवचेतन मन ही है जो आपको स चा याय
दलाता है, कोई सरा नह । आपका अपना ही अवचेतन मन, बना आपक जानकारी के,
आपको याय दलाता है। आपका भौ तक मन तो यह भी नह जानता क आप ःखी य ह।
कम के अनुसार, आपको आपका ईनाम या आपक सज़ा अपने-आप मल जाती है। इससे
आप यह जान पाएंगे क सवश मान ई र अ यंत दयालु ह, ेम से प रपूण ह और वह कभी
कसी को सज़ा नह दे ते। आप जो बोते ह, वही काटते ह।
२९-०४-१९८१
पुनज म

जी वाभ वमा य क
जगत म हमारे लए भ व य क सभी घटना को जानना संभव नह होता।
कुछ घटना के बारे म हम पता होता है, ले कन हम उनके बारे म तबतक
कुछ नह बता सकते, जबतक हम उ चतर आ मा ारा पृ वी के लोग को बताने के नदश
या अनुम त न मले। य ही मनु य का संपक जीवा मा जगत से होता है, वे अपने भ व य के
बारे म सकडो सवाल पूछने लगते ह। केवल कुछ ही लोग होते ह जो ऐसे सवाल नह करते। हम
इसके लए आपको दोष नह दे त,े ले कन हम आपसे यह वनती करते ह क आप हमसे भ व य
के बारे म न पूछ।
जैसा क हम बताएंग,े सही-सही भ व य कोई नह जानता, य क सर के वहार के बारे म
कसी को पता नह होता। उदाहरण के लए, हम आपसे यह कह सकते ह क आप ९० साल
जएंगे, ले कन हो सकता है अगले ही दन आपक कसी घटना म मौत हो जाए या आपक
ह या कर द जाए। सब कुछ मनु य क अपनी वतं इ छा और नणय पर नभर करता है।
पृ वी पर, मनु य यह भ व यवाणी नह कर सकता क अगले पल या होने वाला है।

कभी-कभी हम आगे होने वाली न त घटना क जानकारी हो जाती है ले कन हम आपको


बताने क अनुम त नह होती। हम कुछ चीज के बारे म बताने क अनुम त होती है जनसे
आपका व और का भला होने वाला हो। ायः धरती पर भ व य के बारे म शायद ही कभी ठ क-
ठ क अनुमान लगाया जाता है, और य द हम कुछ जानते भी ह और हम आपको बताने क
अनुम त न हो, तो हमसे पूछना ही थ है। इस लए, कृपया ऐसा न कर।

जीवा मा जगत म हम अपने भ व य म घ टत होने वाली ब त सी बात के बारे म जान सकते ह,


य क हम अपनी उ त चाहते ह और उ चतर तर पर प ंचना चाहते ह। हम सवश मान
ई र से कह सकते ह क हम वापस पृ वी पर भेज द और हम वयं यह तय करते ह क हम
कहाँ पुनज म लेना है। हम हमेशा अपनी मां वयं चुनते ह। हमारे पता का चयन खुद ब खुद हो
जाता है य क ायः हम यह नह पता होता क हमारी मां का याह कससे होगा। हालां क,
कभी-कभी हम अपने पता का चुनाव भी कर सकते ह।

हम ायः हम यार करने वाली और जबतक हम खुद अपनी दे खभाल न करने लग तबतक
हमारी दे खभाल करने वाली मां को चुनते ह। हम ायः ऐसी मां का चयन करते ह जो हम ब त
यारी हो, ले कन कभी-अनुभव लेने के लए, कम का फल भोगने के लए और ग त करने के
लए हम मां के प म कसी बुरी या आ मा का चुनाव भी करते ह। ५

य द हमने अपने लए कसी मां का चयन कया है तो कोई हम कसी अ य मां के पास जाने के
लए बा य नह कर सकता। य द हम अपने पाप के लए कठोर वहार और सज़ा क ज़ रत
हो तो हम वाभा वक प से एक बुरी आ मा का चयन अपनी मां के प म करते ह, ता क हम
क भोग सक और क से भरा बचपन बताकर अ छे बन सक। उस थ त म, हम
बड़ा जो खम उठाना पड़ता है, य क वह मां य द ब त अ धक भावशाली ई तो हमारी
जदगी भी बगड़ सकती है और हम अपने मन को वश म कर पाने म असफल हो सकते ह।
बहरहाल, अपनी उ त और अपनी आ मा क शु के लए हम ऐसे जो खम उठाने पड़ते ह।

आप पूछगे क “ या उ त करने और उ चतर तर तक प ंचने का कोई सरा माग नह है?”


हां है, एक सरा माग भी है, ले कन उसम अपने ल य तक प ंचने म हम कई युग लग जाएंगे।
उ चतर लोक म आप पृ वी पर बारा ज म न लेने का नणय ले सकते ह और आपको
जीवा मा जगत म रहते ए उ त करने क को शश करनी पड़ती है, ले कन यह या
ब ता ही धीमी होती है।

उ त ा त करने के लए ब त सी आ माएं जो खम उठाती ह और बुरी मां क संतान बनकर


धरती पर ज म लेती ह। अ य आ माएं अपने यजन क मदद के लए पुनज म का चयन
करती ह। वे ऐसी आ माएं ह जो अपने यजन म से मां का चयन करती ह और अ छे रा ते पर
चलने क भरपूर को शश करती ह, य क वे आ या मक प से नीचे गरना कभी नह
चाहती।

इससे आप समझ सकते ह क हम कतने वतं होते ह। जीवा मा जगत म हम जैसा चाहते ह
वैसा कर सकते ह। अगर कुछ ग़लत है तो हमारा अवचेतन मन कभी उसक अनुम त नह दे ता।
य द जीवा मा जगत म आप उ चतर लोक म ह तो नीचे गरने का डर नह होता।

य द आप उ त के लए जो खम वाला रा ता अपनाते ह तो हो सकता है क आप सवश मान


ई र के नयम को न मानकर अपना जीवन न कर ल, य क पृ वी पर अपने अवचेतन मन
के पूर े व त काम नह करने के कारण आप यह नह जान सकते क या अ छा है और या
बुरा। जो उ च तर पर होते ह, केवल उ ह ही, पृ वी पर पुनज म लेने पर, अपने अवचेतन मन
का मागदशन ा त होता है।

हम, व पी और रतू, दोन ने अपनी मां का चयन कया था, ज ह हम सबसे बढ़कर यार करते
थे।
३०-०४-१९८१
ता से संघष


म सभी, हमम से येक यहां कुछ न कुछ काम करते ह। जो भी करना हम सबसे
अ धक अ छा लगता है, हम उसे खुशी-खुशी करते ह। हमम से कुछ धरती के लोग को
संदेश भेजते ह, ता क उ ह उनके क से उबारा जा सके और उनक वतमान थ त से
उठने म उनक मदद क जा सके। ब त सी आ माएं ऐसा करती ह-कुछ सफल रहती ह
और कुछ नह ।

पृ वी के लोग को दै नक भौ तक काम-काज से उपजे ःख और थकान से छु टकारा दलवाने


को हम ब त ही इ छु क होते ह, ले कन ऐसा केवल तभी कया जा सकता है जब आप अपने
भौ तक शरीर से छु टकारा पा ल, इस कार यह हमारे हाथ म नह होता। ले कन हमारे हाथ म
इतना ज र होता है क हम आपको सवश मान ई र के असली नयम का ान करा सक।

ई र के कुछ नयम को आप नह जानते और कुछ को ग़लत समझ बैठते ह। इस लए हम यहां


आपको सही रा ते पर कायम रखने के लए ह। य द आप आ मा के त अ छा वहार
करते ह तो आप उ ह ो सा हत करते ह। उनके त अ छे मत ब नए; कसी भी प म उनक
मदद मत क जए। य द वह आ मा सुधरना चाहती है तो पहले इस बारे म सु न त हो जाएं
और तब पूरे मन से उसक मदद कर। यह आपका फज़ है। ले कन उस क इ छा को
ठ क से जानकर न त कर ल। आप कस कार सु न त कर सकते ह? य द आपने पूरी तरह
सु न त कर लया है तो आपके मन म इस बारे म सवाल नह उठगे।

और, अगर सवाल उठते ह, तो इसका मतलब है क आप सु न त नह ह। इसका अथ है क


आप सही भी हो सकते ह और ग़लत भी। यह हम जीवा माएं आपका मागदशन करती ह। हम
इस बात म आपका मागदशन करते ह क आप कसी पर भरोसा कर या नह । ले कन
जन लोग का जीवा मा जगत से संपक नह है, उनके लए हमारी सलाह यह है क वे अपने
दय क गहराइय से सवश मान ई र को मदद के लए पुकार। आपको सही राह दखाने के
लए ई र कसी न कसी प म आपक मदद ज र करगे।

इस लए याद रख, बुर े लोग के त अ छे न ब नए अथवा उ ह बढ़ावा मत द जए। बुराई से


ल ड़ए। यह सवश मान ई र का एक मह वपूण नयम है।
०१-०५-१९८१
केवल स ची इ छाएं ही प रवतन लाती ह

स वश मान ई र ेम और क णा क खान ह। वह सव च और पूण यायाधीश ह। वह


चाहते ह क येक आ मा ऊँचे तर पर ग त करे, इस लए उनके पास कई सहायक
होते ह जो पा पय और बुरी आ मा क मदद करते ह। उनके सहायक उनक ही तरह
दयालु और ेम से भरे होते ह।

अब, मान ली जए कोई बुरी आ मा उ चतर तर क ओर बढ़ना चाहती है ले कन उसके अ दर


सुधरने क इ छा नह है, तो ऐसे म या होगा? वह आ मा उसी तर पर पड़ी रहेगी जस पर वह
है। वह कभी ग त नह करेगी य क उसम अपनी बुराइय को सुधारने क इ छा ही नह ।

आपक अपनी स ची इ छाश अक पनीय चम कार करती है। आप अपने आप से कह


सकते ह, “मुझम जबद त इ छाश है, ले कन मुझ े नह लगता क म ग त कर रहा ं”।
अपने बारे म सो चए और अपने आप से पू छए, “ या खुद को बदलने क मुझम स ची इ छा है,
या म बस यू ं ही सुधरने का ढ ग कर रहा ं?”

स ची इ छा और केवल मन को बहलाने और दलासा दे न े वाली इ छा म ब त बड़ा अ तर है।


खुद अपना व ेषण करने से इस बात क पूरी संभावना बनती है क आपको समझ म आ
जाए क दोन म से कौन सी इ छा आपक वा त वक भावनाएं ह। य द आप सचमुच ही अपने
आप को बदलना चाहते ह तो यक नन आप खुद को धोका दे ना ब द करगे और स ची भावना
के साथ बदलने क को शश करगे।

इन दन अ छे लोग कम ह और बुर े अ धक। इस लए हर अ छ आ मा का यह कत बनता है


क वह बुरी आ मा को सुधारने क को शश करे। ले कन कोई मनु य कसी सरे को बा य नह
कर सकता, यह भावना तो खुद अपने ही अ दर से उठनी चा हए। बुरी आ मा चाहे सैकड़ बार
यह य न कह क, “हां मुझ े बदलना है,” ले कन इससे कोई फायदा नह । हमारी द ई सलाह
और हमारे मागदशन से भी कोई मदद नह होग । केवल आपम ही वह श है जससे आप
खुदको ग़लत रा ते से अ छे रा ते क ओर ला सक।

इससे कोई फक नह पड़ता क हम जीवा मा जगत से आपके लए कतनी को शश करते ह।


यहां तक क वयं सवश मान ई र भी आपको आपके बुर े रा ते से नह हटा पाएंगे य क
उ ह ने तो आपके मागदशन के लए पहले ही एक अवचेतन मन दे रखा है। इस लए, ई र इस
मामले म कोई ह त ेप नह करते। य द आप ग़लत ह तो न त प से आपका अवचेतन मन
आपको सजा दे गा और आप उसी न न तर पर तब तक रहगे जब तक आप ग त करने के
लए स चे प से मेहनत न कर। ग त करने का केवल एक ही रा ता है और वह है स चे मन
से खुद को सुधारना। कोई भी अ य तरीका- ाथना या ई र को क ई वनतीयाँ, आपक मदद
तब तक नह कर सकता, जब तक क आपके अ दर स ची इ छाश न पैदा हो। तो, जतनी
ज द हो सके शु आत क जए, वना कह दे र न हो जाए।
०२-०५-१९८१
जीवा मा जगत म सरे लोक क या ा

जी वालोक है
मा जगत म ७ लोक होते ह। उनम से न नतम थम लोक है और उ चतम सातवां
, इस लए आपके अ छे कम और पाप के अनुसार आपका अवचेतन मन आपको
उस लोक म ले जाता है जसके आप यो य होते ह। कोई भी मनु य उस लोक से ऊपर नह जा
सकता जसके वह यो य है, चाहे वह कतनी भी को शश य न कर ले।

ऐसी आ मा के लए उ चतर लोक क या ा करना असंभव होता है य क वह लोक उसके


लए अ य होता है। वह केवल अपने ही लोक अथवा इससे नीचे के लोक को दे ख सकती है।
बहरहाल, य द कुछ ज री शत पूरी हो गई ह तो पांचवे लोक या उससे ऊपर क आ मा
उ चतर लोक क या ा करती है। ये शत इस कार ह:

१. य द उस आ मा को कोई उ चतर लोक से आमं त करता है।


२. य द उस उ च लोक क उ च भली आ मा ारा उस आ मा को अनुम त मल जाती है। ६
३. उस आ मा ने वशेष श ण ा त कर लया हो।
४. उस आ माने ने सुर ा अंगरखा पहनना चा हए, जससे अ त र प से चमक ली रोशनी
उसक आंख को च धया न सके और अ य धक ह के वातावरण से उसका दम न घुटे।
य क उसक आ मा उ चतर लोक क आ मा क तुलना म कुछ भारी होती है, उसे
अंगरखे क ज रत होती है जो उसे थोड़ा ह का बना दे ।

आप उस उ च लोक म अ धक समय तक नह रह सकते और वहां बार-बार जा भी नह सकते।


आप पांचव लोक से छठे म और छठे लोक से सातव म कभी-कभार ही जा सकते ह और वह
भी ब त कम समय के लए।

हमने ऐसी या ाएं क ह। हमम से कुछ को सातव लोक म जाने का भ सौभा य और स मान
ा त आ है। बहरहाल, हम सभी न नतर लोक म जतनी बार चाह जा सकते ह और वहां क
आ मा को सुधार सकते ह।

य द हम न नतर लोक , जैस े पहले, सरे अथवा तीसरे लोक क या ा कर तो भी हम एक


सुर ा करने वाले अंगरखे क आव यकता होती है। यह सुर ा अंगरखा हम सभी और
बुरी आ मा के लए अ य बनाता है, ता क वे और उनक बुरी तरंग हम हा न न
प ंचा सक।
थम, सरे और तीसरे लोक क आ माएं अपने-अपने लोक से नह नकल सकत , सवाय
तब, जब उ ह ने स चे मन से भरपूर प ाताप कया हो और उ ह उ चतर लोक क दयालु
आ मा ारा पथ दखाया गया हो। ऐसा केवल तब होता है जब भली आ मा को यह
भरोसा हो जाए क न नतर लोक क आ मा बारा कभी वह पाप नह करेगी। आ मा को तब
पृ वी पर पुनज म लेकर लोग के त कए गए कम के कम का फल भोगना पड़ता है।
इसम कभी-कभी सैकड़ साल लग जाते ह और कभी-कुछ ही साल। यह पूरी तरह येक
आ मा के अपने ही हाथ म होता है।

ब त सी आ माएं कुछ सौ साल म न नतम लोक से उठकर उ चतम लोक म प ंची ह। कुछ
भली आ माएं भी ह ज ह ने अपने संपूण आ या मक जीवन म कभी थम, सरे और तीसरे
लोक नह दे खे।

येक आ मा अपनी आ या मक या ा चौथे लोक के पांचव तर से आरंभ करती है।

ब त सी आ मा ने बड़ी तेजी से उ त क है, जब क और को हजार साल लगे ह, और अब


भी ब त सी आ माएं ऐसी ह जो कई युग से न नतम लोक म ही पड़ी ह। आ मा के लए
कोई न त नयम अथवा समय नह है; यह येक आ मा पर नभर करता है, और य द सुधार
क इ छा ढ़ और स ची हो तो आ या मक प से ग त करने म कम समय लगता है।
०३-०५-१९८१
ई र का याय

स वश मान ई र दया, ेम और याय के सागर ह। वे कसी के साथ अ याय नह करते।


ब त से लोग सोचते ह क ई र ने उनके साथ याय नह कया। उनके ऐसा सोचने का
कारण यह है क वे वा तव म यह जानते ही नह क सही या है और ग़लत या। लोग
ारा ई र को अ यायी मानने का यही असली कारण है।

उदाहरण के लए, हम आपको एक आ मा के बारे म बताते ह, जसे हम सुरेश नाम दगे। सुरेश
धरती पर ब त ही लोक य और व यात था। उसने व भ दान-पु य के काय म, हजार
पए का च दा दया था। उसने कई लोग को रोजगार दये और ज रतम द को भोजन, कपड़े
और घर दए। अपने इन काय क वजह से वह न त था क उसे उ चतम लोक ज र हा सल
होगा। जब पृ वी पर उसक मृ यु ई तो उसके लए भ समारोह के साथ उसक अं ये क
गई। लोग कहते रहे क वह ब त बड़ी पु या मा था। सुरेश क एक मू त उस धमाथ सं थान म
लगाई गई जसक थापना उसके सहयोग से ई थी।

जब सुरेश जीवा मा जगत म आया तो उसने अपने आप को न न लोक म पाया। वह ो धत


आ और च लाकर पूछा, “कहां है ई र का याय? मने इतने दान दए क धरती पर लोग मुझे
पूजते थे, और यहां ई र ने मुझ े इस नक म रखा है! आज कहां गया उसका याय? वह सबसे
बड़ा नदयी और अ यायी है। वह ू र है”।

ब त सी भली आ माएं उसके पास प ंची और उ ह ने उससे आ ह कया क वह शांत होकर


उनक बात सुन और यह जान क उसक इस थ त के या कारण ह। उ ह ने उससे कहा क
वह खुद से यह सवाल करे क वह दान-पु य य कया करता था? इसके पीछे उसका या
उ े य था?

सुरेश ने कहा, “मने वह सब इस लए कया ता क म वग म जा सकूं, ले कन दे खए म कहां ं”।

भली आ मा ने उसे समझाया, “तुमने जो कुछ भी कया वह नः वाथ होकर नह कया। या


यह सच नह क सब कुछ तुमने अपने लए वग म थान पाने के लए कया?”

सुरेश ने जवाब दया, “हां, यह सच है, ले कन या हमारे धमगु , पुरो हत और दाश नक हमसे
यह नह कहते क य द हम ग़रीब क मदद कर, उ ह खाना, कपड़ा, रोज़गार और रहने क
जगह द, तो हम वग मलेगा? ई र, पुरो हत और दाश नक ने मलकर मुझ े मूख बनाया”।

उ ह ने सुरेश को समझाया क सवश मान ई र ने उसके साथ धोखा नह कया है, ब क


धोखा तो खुद उस ही ने अपने साथ कया है, य क उसने जो भी पु य के काम कए उनम ेम
और उदारता नह थी। उसके कम स कम नह थे और न ही नः वाथ। उसने वे सब अपने ही
वाथपूण उ े य- पाप करने के बाद ई र को र त दे कर वग म जाने के उ े य से कए।
उसका मतलब केवल अपने पाप को छपाना था।

इस पर सुरेश ने ो धत होकर कहा, “यह ग़लत है। मेर े साथ भारी अ याय आ है। मुझे वग म
होना चा हए। म वग के लायक ं, य क मने अपने पाप धोने और वग का आनंद लेने के
लए कई सारे अ छे काम कए। इसके बदले, ई र ने मेरे साथ धोखा कया और मुझ े यहां नक
म रखा है।”

ऐसे न न लोक म आकर उसे इतना ध का लगा क वह ठ क से सोच भी नह पा रहा था। उसने
पुरो हत , धम गु और ई र को भला-बुरा कहा ले कन उसने यह नह जाना क जो पाप
उसने कए उसे हजार का दान दे कर वाथपूण उ े य ारा नह धोया जा सकता।

आप कतना दान करते ह, इससे कोई फक नह पड़ता। अपने पाप का फल आपको


भोगना ही पड़ता है। य द आप अपने कए पर स चे मन से प ाताप नह करते और चाहे जैसे
भी हो, जसका आपने नुकसान कया है उसक भरपाई नह करते, तो अपने पाप को आप धो
नह सकते। तो, इस तरह आप दे खते ह, क ब त से लोग क यह ग़लत धारणा होती है क वे
इस लए वग ा त कर सकते ह, य क उ ह ने हजार का दान कया है। य द आप ऐसे
वाथपूण उ े य लेकर अ छे काम करते ह, तो वग म जाना तो र आप वग के दरवाजे तक
भी नह प ंच सकते। आपको यह सच अपने मन म वीकार कर लेना चा हए।
०४-०५-१९८१
जीवा मा से संपक


म यहां ह और आप लोग वहां, ले कन फर भी हम आपको दे ख सकते ह, आपसे बात
कर सकते ह और अपने वचार का आदान- दान कर सकते ह। हालां क, पृ वी पर
यादातर लोग यह नह जानते और इसी कारण कुछ ही लोग हमसे संपक कर सकते ह।
जब पृ वी क आ माएं हमारे साथ संपक करने म सफल रहती ह तब हम बड़ी खुशी
होती है।

पृ वी पर ब त से लोग का व ास है क जीवा मा जगत से संपक रखने वाले शैतान होते ह


और ऐसा करना मनु य के लए बुरा और खतरनाक है। यह ब कुल ग़लत है। यह सोचना
एकदम ग़लत है इक जीवा मा जगत से संपक करना बुरा होता है।

कुछ लोग यह व ास करने के लए बा य होते ह क जीवा मा जगत से संपक करना ग़लत है।
उ ह यह समझाया जाता है क इससे हम जीवा मा को बाधा प ंचती है और हम (हमारी
आ मा ) को पृ वी पर बुलाने से हमारी उ त कती है। ये ग़लत धारणाएं ह। सच तो यह है,
क य द हम पृ वी के लोग से संपक करने क अनुम त मांग तो सवश मान ई र और उ चतर
भली आ माएं ब त स होती ह।

पता है, हमम से कुछ जीवा माएं अपने यजन को ग़लत करने से रोकने के लए कुछ ‘संकेत’
७ दे ती ह, य क हम चाहते ह क जीवा मा जगत म आने पर वे भी हमारे साथ उ च लोक म

रह। हम उन तक अपने वचार या संकेत प ंचाने म ब त क ठनाइय का सामना करते ह।

ायः पृ वी के लोग तक अपने संकेत प च


ं ाने के लए क ठन मेहनत करने के बाद भी हम
आपको जरा भी भा वत नह कर पाते, य क अपने संकु चत मन के कारण ब त से लोग
हमारे अ छे वचार और हमारी सलाह को वीकार नह करते।

पृ वी के लोग के साथ य संपक कर हम बड़ी आसानी से उ ह बता सकते ह क


उनके लए या अ छां है, और उ ह आ या मक प से नीचे गरकर न नतर लोक म
जाने से बचा सकते ह। हालां क, हम आ या मक परी ा के बारे म बताने क अनुम त नह है।
हम उनक मदद केवल उ ह संकेत और सलाह भेजकर कर सकते ह।

अपने वचार या संकेत को पृ वी पर भेजने का यास करने क तुलना म पृ वी के लोग के


साथ य संपक करना हमारे लए ब त आसान होता है, य क हमारे वचार उनक समझ
के बाहर होते ह। जो थोड़े से लोग हमारे साथ सुर त प से और आसानी से संपक कर सकते
ह उ ह अपने अनायास वचार को परे रखना चा हए। इससे हम आ मा और पृ वी के लोग ,
दोन को स लयत होती है।

य संपक के ज रए हमारी उ त तेजी से होती है, य क हम अपना कमती समय लोग के


दमाग म अ छ सोच, अ छे वचार और ान भरने क को शश म बरबाद नह करते। यह इस
कारण, क धरती के लोग के अवचेतन मन का एक ब त छोटा ह सा ही काम करता है।

अब आगे से, आप अपने मृत यजन के साथ संपक करने क को शश ज र कर। ले कन


शु आत आप अपने आप नह कर सकते। वच लत लेखन के ज रए आप अगर खुद से
आ मा के साथ संपक करने क को शश कर तो यह ब त खतरनाक हो सकता है।
आपको कसी ऐसे को मा यम बनाना पड़ेगा जो वच लत लेखन के लए अ धकृत और
अनुभवी है।

हमारे लए अपने यजन के साथ लगातार संपक करना आसान होता है। यह बस घर म
बैठकर टू -वे रे डयो पर बात करने जैसा है। हमारी संपक व ध और आपक टू -वे रे डयो व ध म
अ धक अ तर नह है।

हम कभी-कभी ही पृ वी पर आकर आपसे बात करते ह। आमतौर पर हम अपने घर म बैठकर


अपने व तृत अवचेतन मन के ज रए संपक करते ह। हमारे वचार असाधारण और ब त
अ धक ताकतवर होते ह। टू -वे रे डयो क तरह हम संदेश भेजते और ा त करते ह।

इसी तरह, पृ वी के कुछ लोग म टू -वे रे डयो जैसी मता ई र द होती है। इसक मदद से वे
हमारे संदेश को हमारी ही तरह ा त कर सकते ह और हम बड़ी आसानी से जान पाते ह क
आप या कहते या सोचते ह। पृ वी के कुछ लोग भा यशाली ह क उनके पास यह मता है,
और के पास नह । हमेशा याद र खए क आपके और हमारे दोन के लए अपने अंतमन के इस
टू -वे रे डयो के ज रए संपक कायम करना सबसे अ छा है। उस क मदद ली जए जसे
यह वरदान मला आ है और फर दे खए क इससे आपके जीवन म कैसा फक आता है!
०५-०५-१९८१
लोक का संचालन कस कार होता है

लो क १, २ और ३ को नक के प म जाना जाता है तथा लोक ५, ६ और ७ को वग के प


म। लोक ४ म य लोक होता है। यह न तो वग है और न ही नक। इसी लोक से मनु य
आ मा क शु आत होती है।

अं तम उ े य होता है लोक ७ म प ंचना। इसे पाने के लए आपको कड़ी मेहनत करनी होगी।
ग त करने के आपके आंत रक सहजबोध पर सब नभर करता है। तब आप कभी ऐसे काम
नह करगे, जो आपको नीचा दखाए और ज द ही आप अपने ल य तक जा प ंचगे। कुछ
खुश क मत आ मा ने यह कर दखाया है। यह पूरी तरह से आपके हाथ म ह।

इन सात लोक म से येक लोक पर एक उ च भली आ मा का शासन चलता है। शासन करने
का अथ यहां यह है क वह उस लोक का मुख होता है।

उ चतर लोक म कोई कसी कार का पाप या कसी को नुकसान प ंचाने वाला काम नह
करता है। याय हमेशा हमारे अवचेतन मन ारा लागू कया जाता है, इस लए वहां पु लस
व था या पद वाले अ धका रय क ज़ रत नह रह जाती। हालां क, हम कुछ न त काय
करने क अनुम त लेन े क ज़ रत पड़ती है, और य द हम कसी सलाह या मागदशन क
आव यकता हो, तो हम अपने लोक क उ च भली आ मा के पास मदद के लए जाते ह।

कभी-कभी हमारे लोक क उ च भली आ मा को भी हमारे लए ी सव च भली आ मा,


या न लोक ७ के मुख से अनुम त लेनी होती है, जो एक स ाट क तरह सभी लोक का मुख
होता है।

लोक १, २ तथा ३ म येक लोक का संचालन एक उ च भली आ मा ारा कया जाता है;
लोक ४, ५, ६ तथा ७ म भी ऐसा ही होता है। पर लोक ७ क मुख, ी सव च भली आ मा
सभी लोक क धान होती है।

वे सभी इतने वन और दयालु होते ह क वे आपको कभी इस बात का एहसास नह होने दगे
क वे आपसे े ह। वे आपके साथ हंसगे, आपके साथ चुटकुले कहगे और ऐसा वहार
करगे, मानो आप उ ह के तर के ह । उनका काश इतना चमकदार और उनका अंगरखा इतना
झल मलाहट भरा होता है क उ ह दे खते ही तुरंत आपको पता चल जाएगा क वे शु , स ची
और उ च भली आ माएं ह।

हम न नतर लोक क ओर नह जा सकते। य द हम ऐसा करना पड़े, तो हम सुर ा क ज़ रत


पड़ती है, य क वहां का वायुमंडल षत होता है, हमारी आंख को उन अंधेर म दे खने के
लए अ य त होना पड़ता है, साथ ही बुर े पंदन और बुरी ताकत हम पर भाव डाल सकती ह
एवं हम हतो सा हत और बेचैन कर सकती ह। इस लए हम कुछ सावधा नयां बरतनी पड़ती ह,
खास तौर पर लोक १, २ और लोक ३ क ओर जाने म। हम जब लोक १ या २ म जाते ह, तो
ायः हम एक अंगरखा पहनते ह, जो हम उन लोक क बुरी आ मा क नज़र से अ य कर
दे ता है।

उसी कार उ चतर लोक म वेश करने के लए भी हम सुर ा और अनुम त लेनी पड़ती है,
य क उनका काश अ यंत तेज होता है, वहां का वायुमंडल अ यंत हलका होता है और वहां
के पंद हमारे लए ब त श शाली होते ह। आप जस लोक म रहते ह, केवल उससे एक लोक
ऊपर ही जा सकते ह। एक लोक से अ धक कोई या ा नह कर सकता है (भगवान का शु है
क हम लोक ६ म गए थे; १९८५ म हम लोक ७ म जा प ंच)े हालां क सलाह दे ने, मागदशन दे ने
और कसी ऐसी आ मा को सुधारने के लए, जसने मदद क पुकार क हो, आप न नतम लोक
म जा सकते ह। हम अ त र सुर ा क ज़ रत होती है और सवा उस आ मा के ज ह ने हम
बुलाया होता है, सभी के सामने हम अ य रहना पड़ता है, अ यथा वह भयानक आ माएं हम
नुकसान प ंचा सकती ह, अथवा हम पर हमला बोल सकती ह। वे आ माएं बेहद बुरी होती है।
हमारे शरीर नह होते, इस लए वे शारी रक प से हमारा कुछ नह बगाड़ सकती, ले कन
कभी-कभी वे उ च आ मा को बंद बनाकर कैद म रखती ह और मान सक प से परेशान
करती ह। य द हम उनक कैद म चले जाएं, तो कई उ च भली आ माएं हम बचाने आती ह, इस
लए, ऐसी बुरी ताकत के सामने अ य रहना ही सबसे अ छा होता है। अ यथा, ऐसे थान पर
न जाना ही उ चत है।

कई ऐसी भली आ माएं ह ज ह ने अपना अ धकांश समय लोक १, २ और ३ म सर को


मागदशन और सलाह दे ते ए और उ ह सुधारते ए बताया है। यह काफ कम दे खने को
मलता है क लोक १ क आ माएं मदद के लए पुकारे। यहां तक क उ च भली आ माएं लोक
१ क आ मा क मदद करना चाहती ह, पर ये आ माएं गलत रा त पर इतनी खो चुक होती
ह और इतनी र जा चुक होती ह क उनका कोई ईलाज नह हो सकता। य द उनक गल तय
के एहसास और पछतावे के बगैर ही उनक मदद क जाए, तो वे फर पछले पाप को दोहरा
बैठगे। वे लोक १ म सैकड वष गुजारते ह। पर लोक २ और ३ क आ मा को ायः उन
पु या मा क मदद मल जाती है, जो वहां उनके सुधार के लए गए होते ह।

य द कसी आ मा को उसक गल तय का एहसास हो जाता है, और वह उसके बारे म पछतावा


करती ह एवं मदद क पुकार लगाती ह, तो कई भली आ माएं तुरंग उसक मदद के लए दौड़
पड़ती ह। इस कार लोक २ और ३ क कई आ मा को सुधार और उ थान का मौका मल
चुका है, पर लोक १ क आ मा को ऐसे अवसर न के बराबर मलते ह। उ ह उठने म ायः
सैकड़ साल लग जाते ह।

लोक ५, ६ तथा ७ क आ मा के लए उ त करना या उसी हालत म रहना, उनके अपने ही


हाथ म होता है। वे जीवा मा जगत म रह सकते ह, जहां नरंतर मगर धीमी ग त होती है। भले
ही ग त काफ धीमी हो, पर यह बात न त है क उनका कभी पतन नह हो सकता। यह पूरी
तरह से उनक इ छा पर नभर करेगा क वे या कर। कसी पर कोई दबाव नह होता। हर कोई
अपनी-अपनी इ छा के अनु प काम करने के लए वतं होता है। पर यह आ मा क मता के
भीतर होना चा हए, अ यथा उनका अपना अवचेतन मन उ ह अपने-आप ही रोक दे गा।
०६-०५-१९८१
मनु य क आ मक वृ ही उसका असली व प होता है

आ पको आपके अ थायी घर या पाठशाला जैसी इस पृ वी पर मले जीवन के मुकाबले


आपके अपने असली घर या न जीवा मा जगत म काफ लंबा जीवन जीना होगा। कोई
पाप करने से पहले कृपया आप अपने भ व य के बारे म सोच ली जए, य क हर
कसी को एक दन पृ वी से वदा लेनी होती है। तब आपका अवचेतन मन या अंतरा मा ही
आपको उ चत लोक म ले जाएगा, और वहाँ से आपको ग त करनी होगी। इस लए कभी अपने
अवचेतन मन या अंतरा मा क इ छा के व कुछ न कर।

जब आपक आ मा आपके भौ तक शरीर को छोड़ती है तो वह ऊपर उठती है। आपके भौ तक


शरीर क तुलना म वह काफ ह क होती है और य द आप लोक ५, ६ और ७ के लायक होते
ह, तो आपक सभी दद-तकलीफ़, पीड़ा और वकृ तयां आपके भौ तक शरीर के साथ ही गायब
हो जाती ह। आपक आ मा जतनी भली होगी आपका जीवा मक शरीर उतना ही हलका और
आकषक रंग वाला होगा। आप जतना अंदाजा लगा सकते ह, यह उससे कह अ धक ह क
होती है। यहां तक क आप कुछ मनट म सैकड़ मील का सफ़र तय कर सकते ह।

बुरी आ मा के शरीर भारी और वकृ तय से भरे होते ह। धरती तल पर बुरी आ मा भी दखने


म खूबसूरत हो सकती है, पर जब वह जीवा मा जगत म आती है, तो उसका आ मक शरीर
वकृ तय से भर उठता है।

वह इसके वपरीत पृ वी पर कसी भली आ मा का शरीर वकृ तय से भरा हो सकता


है, पर जब वह जीवा मा जगत म आता है, तो उसका जीवा मक शरीर पूण और सुंदर
हो जाता है।

जीवा मा जगत म आपको बस केवल आ मा पर डालनी होती है, और आपको तुरंत ही


पता चल जाता है क वह भली, बुरी या आ मा है। उससे नकलने वाला कंपन हमको सब
कुछ बता दे ता है। हालां क, पृ वी पर आप कसी को सफ दे खकर उसके बारे म फैसला
नह कर सकते। यहां, या न जीवा मा जगत म हम के गुण को पहचानने म कोई क ठनाई
नह होती।

पहली डोरी
हम जानते ह क कई बार चीज पर भरोसा करना आपके लए काफ क ठन हो जाता है।
उदाहरण के लए, हम जीवा माएं और आप पृ वी पर क आ माएं ायः हर दन एक- सरे से
मलत ह। आप पूछगे कैसे? जब आप गहरी नीदं म होते ह, तब पृ वी पर के लोग अपने शरीर
छोड़कर अपने बछड़े प रजन से मलने के लए एक न त ऊँचाई तक जा प ंचते ह। आप
तब अपने शरीर से केवल एक चुंबक य डोरी, जसे पहली डोरी कहते ह, उसके मा यम से
जुड़े होते है। जब आप न द से अचानक जागते ह, तो यही डोरी, आपको आपके शरीर म वापस
लाती है। यह केवल तभी होता है, जब आपक न द गहरी और व हीन होती है। आपको इसक
याद नह रहती, पर हम आपको भरोसा दलाते ह क आपक अपने यजन से लगभग हर
दन मुलाकात होती है।

आइए एक बात को प कर ल, य क यह काफ मह वपूण है। आप केवल उ ह यजन से


मल सकते ह, जो आपको भी यार करते ह । य द आपका यार एकतरफा है, तो यह संभव
नह होगा। आपके यजन म भी आपके त उतना ही यार या लगाव होना चा हए। क पना
क जए क पृ वी पर रहने वाली एक आ मा कहती है क वह आपसे यार करती है, पर
जीवा मा जगत म आने पर उसे लगता है क वह अब आपसे यार नह कर सकती, तो वह कभी
आपसे मलने नह आएगी य क वह आपसे कोई संपक नह रखना चाहती। केवल वे यजन
ही एक- सरे से मलते ह, जो आपस म ेम करते ह, भले ही वे मां-बेटा, प त-प नी, पता-पु ी,
पता-पु ह या फर केवल म ह । पर उनके बीच आपसी ेम अव य होना चा हए।

याद रख क आप अपने यजन से मलते ह। इस लए कभी उनके बछड़ने का ःख न


कर, य क आपके ःख से उनपर भी भाव पड़ता है। इससे वे भी उदास और ःखी हो
जाएंग।े
०७-०५-१९८१
न द म हम आरो य और मागदशन ा त होता है।

जी वामीलमा जगत आपसे और पृ वी से काफ र है। यह पृ वी के चार ओर घरी है, पर उससे


र है। न नतम लोक धरती के सबसे करीब है, इसके बाद सरा लोक है और
उसके बाद तीसरा, चौथा इ या द है।

आप अपने प रजन से कुछ मनट के लए मल सकते ह अथवा कुछ घंट के लए-यह नभर
करता है आपक न द पर, जो गहरी और बना सपन क होनी चा हए। लगभग सभी का कोई न
कोई प रजन होता है-भले ही इस जीवन म आपको उनके बारे म पता न हो। हम एक बार फर
कहते ह, ेम पार प रक होना चा हए न क एक तरफा।

यही वह कड़ी है, जसके ज रए आप ग तमान रहते ह, फर चाहे आपको जो भी तकलीफ़


झेलनी पड़े। उस या ा के बारे म आपको कुछ याद नह रहता, पर उसके भाव से आप अपनी
सम या से मुकाबला कर पाते ह और आपको अपने ःख से उबरने का हौसला मलता है।

या आपने कभी इस बात पर गौर कया है क एक अ छ गहरी न द लेन े के बाद आप शांत


और पहले से ह का महसूस करते ह? इसका कारण है-आपक अपने यजन से मुलाकात
होती है और वे आपको शां त दान करते ह, साथ ही आपके अवचेतन मन के ज रए आपको
दशा- नदश दे ते ह, पर आपके भौ तक मन को उसके बारे म कुछ भी पता नह रहता। आप
शांत हो जाते ह, पर यह आपके (अवचेतन मन पर नभर करता है क वह आपके भौ तक मन
पर असर डाले अथवा नह ।)

पृ वी पर हरेक को अ छ और गहरी न द क आव यकता होती है, भले ही थोड़ी दे र के


लए सही, य क इससे आप हम तक प ंच पाते ह और इससे हम आपको शां त दे ने और
दशा- नदश दे न े म मदद मलती है। जब आपका अवचेतन मन आपके भौ तक मन को दशा-
नदश और सलाह नह दे पाता, तो हम आपके भौ तक मन पर भाव डालने के लए क ठन
यास करना पड़ता है, और उसे यह समझाना पड़ता है क आपको या करना चा हए और या
नह । हालां क अ धकतर समय, आपका भौ तक मन हमारी सलाह और दशा- नदश को यह
सोचकर अलग हटा दे ता है क यह केवल एक वहम है और यह गलत हो सकता है। आप ायः
हमारे दशा- नदश को समझ पाने म असफल रहते ह और ायः आप वह कर बैठते ह, जो
आपको नह करना चा हए था। पृ वी पर आपके जीवन का यही एक सबसे बुरा भाग है, जो कई
बार आपको न नतर लोक म प ंचा दे ता है, य क आप हमारे दशा- नदश क परवाह नह
करते। आप सोचते ह- “पृ वी पर जबतक म सफल और अमीर बना र ंगा, तबतक कसे इसका
पता चलेगा, यही तो मेरी खुशहाली है।” पर या आपने सोचा क इस खुशहाली के कुछ साल
के बाद या होगा? पृ वी पर आप कुछ ही वष के लए ह, पर बाक समय आप जीवा मा जगत
म रहगे। धरती पर कुछ साल क अ थाई खु शय के लए या आप सकड़ साल तक
जीवा मा जगत के न नतर लोक म रहना चाहगे? इससे आप यह समझ पाएंगे क य
आपको धरती पर एक अ छा जीवन जीना चा हए।
०८-०५-१९८१
व भ लोक म जीवन


म यहां जीवा मा जगत म ब त खुश ह। लोक ५, ६ और ७ म हम कभी एक- सरे को
नुकसान नह प ंचाते। हम हंसते ह, हंसी-मजाक करते ह, एका- सरे को चड़ाते भी ह
और हमेशा काफ उ सा हत रहते ह; पर हम कभी परेशान या ःखी नह होते। हां, पर
धरती पर जब हमारे प रजन ःखी होते ह तो हम ःखी हो जाते ह।

लोक ४ क आ माएं कभी ःखी तो कभी खुश रहती ह, और कभी-कभी तो वे एक- सरे के
त ई यालू भी हो जाती ह, पर इन सबके बावजूद वे एक- सरे को इतना नुकसान नह
प ंचात ।

हमारा एक जीवा मक शरीर होता है, इस लए हम कोई मार नह सकता, न ही कोई हम


शारी रक प से ता ड़त कर सकता, पर मान सक प से यह संभव हो सकता है और लोक
१, २ और ३ म रहने वाली आ माएं इसम मा हर होती ह।

लोक ४ क आ माएं कभी-कभी एक- सरे को बेवकूफ़ बनाती ह, एक सरे से झूठ बोलती ह
और ज ह वे पसंद नह करत , उ ह ब त ःख प ँचाती ह। वे थोड़ी-थोड़ी अ छ और बुरी
दोन होती ह।

हमारी सुर ा के लए कसी पु लस या सेना क ज़ रत नह होती, पर लोक १, २ तथा ३ म


आपको खुद ही अपनी र ा करनी होती है, वरना जबतक आप स चे मन से अपनी गल तय को
नह वीकारते और मदद के लए नह पुकारते, तबतक आपको ताड़ना झेलनी पड़ती है, जसे
स दयां लग सकत ह।

यहां तक क लोक ४ म भी आपको अपनी र ा करनी होती है, य क कोई आपको मान सक
प से परेशान कर सकता है। लोक ५, ६ और ७ म कसी सुर ा क ज़ रत नह होती, य क
कोई कसी को नुकसान प ंचाने क बात भी नह सोचता।

लोक ५, ६ तथा ७ म हमारे मु य नयम होते ह: एक- सरे क मदद करना, एक- सरे के बीच
खु शयां बांटना, जो भी पसंद हो वह काय करना और पृ वी पर रहने वाले अपने यजन क
मदद करना।
हम इन लोक म इतने ेम भाव से रहते ह क धरती पर से यहां आने वाली आ माएं पूरी तरह से
वतं महसूस करती ह। उ ह कसी कार का भय, ःख, शारी रक तकलीफ़ और पीड़ा नह
होती। हर कह ेम का वास होता है। सबसे अ धक मह व इस बात का है, के हम एक बेहद
खूबसूरत जगह म रहते ह। तो या यह उ चत नह है क हम ई र के बनाए नयम पर चल,
जससे हम उ चतम लोक तक प ँच पाएँ? तो पृ वी के लोग , ई र के नयम का पालन करने
का ढ़ संक प कर। इस बात का ढ़ संक प कर क कभी गलत राह पर न चल और हम
भरोसा है क ई र आप सभी का भला करगे!
०९-०५-१९८१
न नवत लोक भर चुक ह

जै सा क हमने पहले कहा, आप अपनी मां का चयन करते ह। पर य आपको बार-बार


ज म लेना चा हए और कई जीवन से होकर गुजरना चा हए? पृ वी पर रहने वाले आप
सभी जानते ह क अ धक अनुभव पाने के लए ही आप बार-बार ज म लेत े ह, पर
इसका मु य उ े य होता है-आ या मक उ त करना और उ चतर लोक म ग त
करना। आपका पुनज म एक उ चतर तर म जाने के लए होता है। पर आप या करते ह?
ई र क इ छा के अनु प ग त करने क बजाए, आपम से अ धकतर नीचे गर जाते ह।
लोग आपक नया पर राज करते ह। यही कारण है क पृ वी क अव था बद से बदतर होती
जा रही है।

आ माएं कभी नह चाहत क अ छाई उसपर हावी हो, इस लए वे अ छाइय को दबाने का


पूरा यास करती ह और हर कह ता फैला दे ती ह। आपक नया अभी ऐसी ही हो गई है।

इस लए जब आप अपनी नया छोड़कर जीवा मा जगत म आते ह, तो बुरी और आ मा


का अवचेतन मन उ ह न नतर लोक म प ंचा दे ता है। न नतर लोक पूरी तरह से भर चुके ह।
ऊपरीय या उ चतर लोक क जनसं या कम है। एक शता द पहले इसका उ टा आ करता
था। आज कई भली आ माएं गर कर न नतर तर म आ गई ह, य क आपक नया म
नकारा मक श य और नकारा मक भाव का खूब बोलबाला है।

पृ वी के वे लोग जो मानते ह क वे काफ सफल ह, यह सोचकर खुश होते ह क, छल-कपट से


वे अमीर और स बन गए ह। वे दौलत, स भोग और तबा पाने के लए कसी भी हद तक
जाने से नह हच कचाते। जब वे जीवा मा जगत म आते ह, केवल तभी उ ह इस बात का
एहसास होता है क वे कस वग के लोग थे और पृ वी पर वे कतने गलत तरीके से जी रहे थे।
कसी ने उ ह सलाह नह द , कसी ने उनका मागदशन नह कया और तबतक तो इसम काफ
दे र हो चुक होती है।

कुछ अ यंत आ माएं तो न नतर लोक म जाने से भी नह घबरात , य क उनका दय इन


न न अंधेरे लोक क तरह ही काला हो चुका होता है। पर सबसे अ धक क उ ह झेलना पड़ता
है, जो के भाव म आकर बुर े हो जाते ह। हम उनपर ब त दया आती है और हम चाहते ह
क इससे पहले क ब त दे र हो जाए, वे इस कताब को ज र पढ़।
१०-०५-१९८१
य कुछ लोग क छोट उ म ही मृ यु हो जाती है


म पुनज म लेत े ह अ धक ग त करने के लए, पर पृ वी पर के अ धकतर लोग और
नीचे ही गरते चले जाते ह, य क ापक प से फैली बुराई, आपक नया पर हावी
रहती है। कई भली आ मा को यहां, आपक नया म फर ज म लेन े से पहले हजार
बार सोचना पड़ता है, य क सवाय वा त वक आ मा या न शैतान के, कोई
नीचे गरना पसंद नह करता।

कई भली आ माएं आपक नया म कुछ अ छा करने, ता से संघष करने एवं शां त,
भाईचारा और अ छाइय को बढ़ावा दे ने के लए पुनज म लेती ह, पर भा यवश ता का
भाव इतना गहरा होता है क उनके अवचेतन मन उ ह तुरंत वापस ले जाने के लए ई र से
ाथना कर बैठते ह। वे न नतर लोक म जाने से नफरत करते ह, और उनके अवचेतन मन उ ह
गलत या अ यंत बुरा करने से रोकते ह, इस लए इस कदर बुराइय से भरी नया म वे कहां मुड़,
यह उ ह समझ म नह आता। यही कारण है क भली आ माएं अ स और ःखी रहती ह।
इस लए बना उनके चैत य ान के उनके अवचेतन मन उ ह उनके असली, आ या मफ
घर म वापस बुलाने क सवश मान ई र से ाथना करते ह।

यही कारण है क पृ वी पर लोग कहते ह, “जो लोग कम उ म मरते ह, वे भगवान के लारे


होते ह” या “भगवान उ ह को कम उ म बुलाते ह, जनसे वे सबसे अ धक ेम करते ह।”

ऐसी भली आ माएं, जो अपने अवचेतन मन के कारण गलत काम नह कर सकत और आपक
नया म अ छाइय को नह फैला पात , उ ह समझ म नह आता क वे या कर। वे ई र
से लगातार यह पूछती रहती ह, “ या आपका याय यही है?” पर अवचेतन मन को पता होता
क गलत या है-उसे यह भी मालूम होता है क इस नया से भली आ माएं मुकाबला नह
कर पाएंगी और यही कारण है क उनम से कई पु या माएं अपने समय से पहले ही अपने घर
लौट जाती ह। केवल कुछ भली आ माएं ही ९० साल या अ धक तक जीती ह, और भा यवश
उ ह काफ क सहना पड़ता है।

आ माएं आपक नया को छोड़ना नह चाहत , इस लए वे अपने भौ तक शरीर


और पृ वी से ज क क तरह ही चपक रहती ह। यह सच है क उनके अवचेतन मन को
अ छ तरह से मालूम रहता है क आपक नया म उनक मृ यु के बाद वे कहाँ प ँचगे, य क
अवचेतन मन सब कुछ जानता है।
यह बड़े हैरानी क बात है क जब वे गलत काम करते ह, तो उनके अवचेतन मन उ ह नयं त
करने और रोकने क पूरी को शश करते ह, पर श य से घरे होने के कारण वे अंधे हो
चुके ह, और अपने अवचेतन मन क आवाज ही सुनना नह चाहते। ऐसे लोग कभी पृ वी
छोड़ना नह चाहते, य क उ ह डर लगता है क उ ह न नतर लोक म थान मलेगा; हां,
उनके अवचेतन मन को वहाँ के माहौल के बारे म भली-भां त पता होता है।

कुछ भली आ माएं पृ वी पर इस लए रहना चाहती ह, य क उ ह अपने यजन क र ा


करनी होती है, या उ ह अ छाइयां फैलाने का जीवनकाय स पा गया होता है। इस लए कतना
भी क य न सहना पड़े, वे अपने भौ तक शरीर से जुड़ी रहती ह और पृ वी पर बनी रहती ह।
कुछ जीवा माएं ऐसी ह, ज ह काफ तकलीफ़ झेलनी पड़ती ह, पर फर भी वे ई र के रा ते
पर से नह हटत । वे ता से मुकाबला करने क को शश करती ह, पर पृ वी पर जम कर बुराई
फैली होने के कारण उ ह कुछ ा त नह होता।

भली आ माएं ई र से पुकार करे- “हे ई र, या यही आपका याय है?” उससे पहले यह
कताब उ ह कुछ अ त ज र दान करेगी। हमारी यह कताब उन भली आ मा तक इस
उ मीद के साथ प ंचेगी, क ताकत से उ ह बचाया जा सके ता क वे नीचे ना गर। हम
न त प से कह सकते ह क ब त कम बुरी या आ माएं इस कताब को पढ़गी और
शायद उ ह इस कताब म लखी बात फ़जूल ही लगगी।

कई लोग पुनज म पर व ास नह करते, इस लए उनके लए हमारा यही कहना है क हरेक


आ मा अपने आप को शु , नमल करने के लए सकड बार ज म लेती ह, या कभी-कभी तो
हजार बार भी, पर इसके बजाए कई आ माएं नीचे ही गर जाती ह। एक भी ऐसी आ मा नह ,
जसने केवल १० या १०० जीवन जये ह , ब क आपको सैकड़ बार पृ वी पर ज म लेना
पड़ता है।

जीवन इस तरह जीना चा हए जो आपको ग त दे , न क आपका पतन करे। इस लए य


पाठक , अपना जीवन इस तरह से जएं, जससे सवश मान ई र खुश हो जाएं। यह न सोच
क य द आप घंट ई र क ाथना करगे तो वे स हो जाएंग।े न ही यह सोच क हर दन
मं दर, ग रजा या म जद जाने या हज़ारो के दान-पु य के काय से ई र खुश हो जाएंगे और वे
आपका वग म वागत करगे। ऐसा नह है। दरअसल य द आप ई र को र त दे न े के लए यह
सब करते ह, तो यह संभव नह । उ ह र त नह द जा सकती, पर य द आप काफ स चे ह
और दान-पु य के काय के लए अपना समय या अपने पए स ची दया के कारण सम पत
करते ह, य द आप ई र क पूजा थोड़ी दे र के लए ही सही, पर उनके त स चे ेम के उ े य
से करते ह तो न त प से सवश मान ई र आपसे स ह गे, आपको वग म थान दगे।
इस लए य पाठक , हम आपसे सरल, स चाई भरा, दया भरा और नः वाथ जीवन
जीने का अनुरोध करते ह। यह यादा मह वपूण है, न क बना एका ता के घंट ाथना
करना, सर को छलने और वग म जगह पाने के लए हजार का दान दे ना या लोग को यह
दखाना क आप कतने धा मक और प व है।
११-०५-१९८१
अ छ आ माएं नकारा मक आ मा ारा वच लत क जाती ह

ता के भाव और आपक नया के रा त के कारण कई भली आ मा ने गलत राह


चुन ली है, इस लए पृ वी के लोग के लए यह समय अ छे और बुर े के बारे म समझने और
उसपर व ास करने का है।

जीवा मा जगत म हम जानते ह क आप अपनी नया म कन- कन प र थ तय से गुजरते ह।


हम मालूम है क ता ने नया को इस कदर जकड़ रखा है क सीधे रा ते पर चलना आपके
लए ब त क ठन हो गया है।

इसके बाद भी कई ऐसे लोग ह, ज ह पता है क ई र के रा ते म चलने म उ ह काफ क


प ंचेगा, पर वे फर भी स ची राह पर चलते ह। उनके लए यह ब त शंसा क बात है।

कई भली आ माएं ऐसी भी ह, जो ई रीय माग पर चलना चाहती ह, पर य क उ ह इस बात


का डर रहता है क बुरी और आ माएं उनसे बदला लगी और उ ह क और नुकसान
प ंचाएंगी, वे सही माग से र रहती ह। इन आ मा को यह अव य पता होना चा हए क उ ह
एक मनु य से जस तरह का क पृ वी पर मलता है, वह न नतर लोक के क के
मुकाबले कुछ भी नह है। उ ह यह भी मालूम होना चा हए क पुनज म से पहले वे जीवा मा
जगत म जस तर पर थे, वहां प ंचने म उ ह कई स साल और कई ज म से होकर गुजरना
पड़ेगा।

य द उ ह केवल यह पता चल जाए क उनक ती ा कौन कर रहा है, तो हम भरोसा है क उ ह


कसी मनु य के बदले या ताड़ना का डर नह रहेगा। उनके लए यह जानना सबसे ज री
है। मेरी य भली आ माएं, आप नीचे न गर, इस बात का भरोसा रख क ऐसे य के
हाथ मलने वाला क , न नतर लोक म मलने वाले सैकड़ साल के क क तुलना म कह -
कह बेहतर है।

हम या बुरी आ मा से न नतर लोक के बारे म लखी बात को कई-कई बार पढ़ने का


अनुरोध करते ह। ऐसी अव था म कुछ दन तक रहना भी हंसी-खेल क बात नह है-तो फर
आप कैसे सैकड़ साल तक ऐसा ही जीवन जीएंग?े य द आप अभी भी ता क राह पर ही
चलना चाहते ह, तो आपका वागत है-यह आपक मूखता होगी, पर कृपया आप अपने साथ
सर को नीचे न ले जाएं। यह तो और भी बुरा होता है, य क ऐसा कर आप न नतर म भी
सबसे नीचले लोक म चले जाते ह। अपने वाथपूण उ े य के कारण सर को क दे ना
ब कुल गलत है। और बुरी आ मा को अब सुधरने क को शश करनी चा हए, साथ ही
उ ह अपने गलत कए पर स चे मन से पछताना चा हए, अ यथा न नतम लोक का ार उनके
लए हमेशा ही खुला रहेगा।

आपक नया का कोई स जीवा मा जगत म भी उतनी ही त ा पाए, यह ज़ री


नह ह। यहां, आपक नया के एक भखारी को कसी राजा या स से अ धक माना
जा सकता है। पृ वी पर मली स का जीवा मा जगत म कोई मह व या मोल नह
होता।

हम इस बात का भरोसा है क सही मन से सोचने वाला कोई इतना मूख नह होगा क


वह पृ वी पर कुछ साल क स पाने के लए न नतर लोक के भयानक अंधेर म हजार
साल नक भोगने को तैयार होगा। अ य आ मा को न नतर लोक म घसीट लाने के बजाए,
आपको उ ह ग त करने म मदद करने क को शश करनी चा हए। य द आप उ ह नीचे गराएंगे
तो सबसे अ धक क आपको ही प ंचेगा। जस आ मा को आप नीचे गराएंगे, उसे तो क
प ंचेगा ही, पर वह आपसे कम क भोगेगी। तो यह आप पर नभर करता है क आप हमारी
सलाह और मागदशन पर यान द या उसे अनदे खा कर द।
१२-०५-१९८१
अपने मन को नयं त कर

आ पके भौ तक शरीर के कारण पृ वी पर आपक संवेदना म कई तरीक से गरावट


आ चुक है। भौ तक शरीर आ या मकता म काफ बाधा प ंचाता है, य क यह
आपक आ मा और जीवा मा जगत के बीच क द वार होता है। यह सबसे बड़ी बाधा
है और आपक आ मा के लए कई सम याएं पैदा करता ह; इसक वजह से आप ई या, घृणा,
बेइमानी, पाखंड, दल तोड़ने, बदला लेने जैसे गलत काम अथवा रोग, पीड़ा और अपने शरीर
क तकलीफ़ से छु टकारा नह पा सकते। भौ तक शरीर एक कैद है और आपक आ मा कैद ।
यह कैद इतनी मज़बूत होती है क पृ वी पर रहने वाले कसी के लए इन सभी
नकारा मक भावना से मु होना ब त क ठन होगा जबतक क आप एक ब त ऊँचे तर पर
न प ंच जाएं, य क तब आपका अवचेतन मन आम लोग क तुलना म काफ यादा जागृत
होता है। य द आपम उ चतर तर तक उठने क एक स ची इ छा हो, तो आप अपने भौ तक
मन पर काबू पा सकते ह, और आप इसे गलत राह पकड़ने से रोक पाएंगे। य द आपम गहरी
इ छा श है, तो आप बुरी भावना पर नय ण कर सकते ह और आप पाप नह
करगे।

शु आत म यह आसान नह होता, पर य द आप एक बार ई रीय राह पर चल पड़गे, तो यह


अपने आप ही हो जाएगा और आप कभी बुरी राह पर नह जाएंग।े यारे पाठक , तो सबसे
पहले आप अपनी बुरी भावना पर हो सके उतना नय ण पाना सी खए। जब आप इसम
सफल हो जाते ह, तो यह काफ आसान हो जाता है और आप बुर े काम करने से नफ़रत करने
लगगे। हो सकता है कभी-कभी आप पर बुरी भावनाएं हावी हो जाएं, पर आपको तुरंत ही
इसका पता चल जाएगा एवं आप उसी समय अपने-आप पर नयं ण कर लगे। इस लए
शु आत म आपको बस बुरी भावना को अपने नयं ण म रखने का क ठन यास करना
होता है।

य क जीवा मा जगत म हमारा कोई भौ तक शरीर नह होता, इस लए हम अपने मन को ब त


अ छ तरह से काबू म रख सकते ह। उ चतर लोक म हरेक आ मा इस तरह क बुरी भावना
से मु रहती है, और हम बीमार नह पड़ते, हम दद या तकलीफ़ नह होती। पर य द आप
न नतर लोक म जाएं, तो आपको घृणा, ई या, ताड़ना, बदले क भावना जैसी बुरी भावना
से भरी जगह मलेगी। इन लोक क आ माएं एक- सरे को इस तरीके से नुकसान प ंचाती ह
क कभी-कभी यह हमारी क पना से परे होता है। उनक ता और बुरी इ छा क कोई
सीमा नह होती। सर को नुकसान प ंचाने म, खासकर अपने से कमजोर को हा न प ंचाकर
उ ह आनंद मलता है। कमजोर आ माएं न नतर लोक पर नक क यातना भोगती ह। तो वहां
सकड साल तक जीने क जरा क पना क जए। कुछ भी करने से पहले आप सोच-समझ ल।
१३-०५-१९८१
जीवा मा जगत म हमारी भावनाएं


मारी भावनाएं भी वैसी ही होती ह जैसी पृ वी पर आपक होती ह- वही यार, वही
लगाव और वही दयालुता। ले कन, हम अपने यजन को अ धक सम ता और गहराई
से चाहते ह, चाहे वे जीवा मा जगत म या फर आपक नया म रहते ह ।

य क हम अपराधबोध, घृणा और ई या जैसे मनोभाव से मु रहते ह, इस लए हमारा ेम


शु और स चा होता है। हम अपने यजन को नः वाथ भाव से, बना बदले म कुछ पाने क
चाह लए ेम करते ह। हम ेम केवल ेम के ख़ा तर करते ह।

हमारे लए स भोग का तो कोई सवाल ही नह उठता। इस लए, हमारा ेम शारी रक नह ब क


पूरी तरह आ या मक होता है और हम स भोग अथवा बदले म कोई इनाम पाने क इ छा नह
होती। तो इस कार, हम ज ह यार करते ह, उनके त हमारा यार स चा, गहरा, मा णक
और मजबूत होता है। पृ वी के लोग को हम आपक तुलना म अ धक आसानी से मा कर
सकते ह य क हमारे अ दर कोई वाथ क भावना नह होती। हम कसी से घृणा नह कर
सकते-उ चतर लोक म तो इसका सवाल ही नह उठता।

हम यहां ई या का अनुभव नह होता, यहां तक क तब भी नह जब हम कसी को वयं से


काफ बढ़कर पाते ह। ई यालु होने के बजाए हम ऐसी े आ मा क शंसा करते ह और
उनके जैसा बनने क को शश करते ह। भौ तक शरीर छोड़ते ही हम अपने सभी कु वचार से
मु हो जाते ह, ले कन हमारी अ छ भावनाएं हमारे साथ हमारे घर, या न जीवा मा जगत म
आती ह।

भौ तक शरीर को छोड़ने के बाद भी न नतर लोक क आ माएं पृ वी पर क अपनी सभी


भावना से चपक रहती ह। अपने न नतम और अ धकारमय लोक म होने के लए वे
कभी-कभी ई र को दोष दे त े ए और अ धक नफरत, ई या और बदले क भावना से भर जाती
ह।
जमी क कहानी:
पृ वी पर लोग जैस े दखते ह वैसे होते नह


म आपको अपने एक दो त जमी अंकल (उनके स मान म हमने उनका नाम बदल दया
है) क स ची कहानी सुनाना चाहते ह। पृ वी पर अपने समय म वह कमाल के व ा
आ करते थे और बड़े आकषक व के थे। वह नया को यह दखाते थे क वह
ब त भली आ मा ह और कसी को नुकसान नह प ंचाते। वे हमेशा हम यह दखाया
करते थे क उ ह ने ब त से लोग को खाना, कपड़े, पए-पैस े और रोज़गार दे कर मदद क है।
वह नय मत घंट ाथना करते थे। उनक प नी और उनके ब चे भी उ ह के जैस े थे। वह
अपनी प नी के हमेशा गुणगान कया करते थे। वह सु दर थ ले कन बु मान नह । उनके ब चे
कूल म तोता रटं त पढ़ाई कर, पास होते थे। अपने ब च से उ ह बड़ी उ मीद थी और वे उनके
बु मान होने क बड़ी शंसा करते थे।

कहावत है जैसा बाप वैसा बेटा। उनके ब चे उ ह के न शे कदम पर चलते थे और लोग उनक
बड़ी शंसा करते थे। वे ब त अमीर और त त थे, और बड़े लोक य भी। इस लए, लोग के
लए यह बात ब कुल तय थी क वे सीधे वग ही प ंचगे। हमलोग उ ह बड़ी अ छ तरह जानते
थे। जमी अंकल क मृ यु के समय हम पृ वी पर जी वत थे। हमने उनक आ मा के लए ाथना
क और उनक प नी और उनके ब च को यह कहकर ढाढस बंधाया क उ ह तो त काल ही
वग ा त आ होगा।

हम भी कतने मूख थे! पृ वी पर लोग कसी क स चाई जान ही नह पाते। जीवा मा जगत म
आने के कुछ ही समय बाद हम जमी अंकल क याद आई, सो हमने अपने लोक म उनक
तलाश शु कर द (१९८१ म हम छठे लोक म थे) जब हम उ ह नह ढूं ढ सके तो हम लगा क
उन जैसी भली आ मा को ज र सातव सव च लोक म होना चा हए। य क हम उ ह व मत
करना चाहते थे, इस लए हमने वचार श के ज रए उनसे संपक नह कया। ले कन, जब छठे
लोक म वे हम न मले तो हमने अपनी वचार श को सातव लोक क ओर े पत कया
और उ ह पुकारकर कहा, “ जमी अंकल, हम यहां जीवा मा जगत म ह, कृपया छठे लोक म
आकर हमसे म लए”। हम कोई जवाब नह मला।

रतू ने कहा, “ व पी, वह ज र सातव लोक से भी ऊपर चले गए ह य क वह ब त बड़े


धमा मा थे।” इस पर मने कहा, “ ब कुल, हो सकता है। हम अपनी उ च भली आ मा से
पूछगे”।

जीवा मा जगत म नए होने के कारण हम उ ह न नतर लोक म जाकर ढूं ढने का वचार नह
आया। हम उ च भली आ मा के पास गए और जमी अंकल के बारे म पूछा। ी उ च भली
आ मा मु कुराए और बोले, “वह न तो छठे और न ही सातव लोक म है। जब तुम लोग न नतर
लोक म जाओगे तो वहां उ ह ढूं ढने क को शश करना”।

हम स रह गए। हमने कहा, “मा यवर, यह तो असंभव है, वह ब त ही भले मनु य थे, हमसे
कह यादा भले”। उ ह ने मु कुरा कर जवाब दया, “हां, हां, मने सुना, ले कन फर भी जब म
तु ह न नतर लोक म कसी काम से भेजूं, तो तुम लोग उ ह वह ढूं ढना।

हम बुरा लगा और हमारी इ छा ई क ी उ च भली आ मा को जमी अंकल के बारे म बताएं–


पृ वी पर कए गए उनके स काय के बारे म बताएं, ले कन हम चुप रहे य क ी उ च भली
आ मा हमसे बेहतर जानते थे।

कुछ दे र बाद ी उ च भली आ मा न हम बुलाया और कहा, “म तुम दोन को अपने दो त जमी


अंकल क तलाश करने का अवसर दे रहा ं। म तु ह एक काम दे रहा ं। न नतर लोक म
जाओ, अपना काम पूरा करो और तब उ ह ढूं ढने क को शश करो”। न नतर लोक म जाकर
काम करने क बात से हम खुश ए।

तीसरे लोक म अपना काम ख म कर हमने जमी अंकल को पुकारा, ले कन कोई जवाब नह
मला। हम खुश ए, वापस अपने लोक म लौट आए और ी उ च भली आ मा को हमने
सबकुछ बताया।

ी उ च भली आ मा हंस पड़े और उ ह ने कहा, “ व पी और रतू, म चाहता ं क तुम लोग


उ ह ढूं ढो ता क तुम कुछ ऐसा सीख सको जो तु हारे बड़े काम आए। इस लए म तुम दोन को
इसक अनुम त दे ता ं और तु हारी सुर ा क भी व था करता ।ं अब सरे लोक म जाकर
उ ह ढूं ढो और उनसे पूछो क वे य वहां ह”।

हम बड़ी हैरानी ई और हम डर भी गए, य क कभी कसी काम से हम तीसरे लोक से नीचे


नह गए थे। ी उ च भली आ मा ने हम अपनी सुर ा का भरोसा दलाया और हम नीचे भेज
दया।

सुर ा क व था ब त ही ब ढ़या थी। कोई हम दे ख नह सकता था और न ही हम नुकसान


प ंचा सकता था। उस अंधेरे और डरावनी जगह म हम जमी अंकल क तलाश करते रहे।
आ खर वे हम मल गए। उ ह वहां उस थ त म हताश और ःखी पाकर हमारे मन को बड़ा
झटका लगा। हम केवल उ ह ही दखाई पड़ रहे थे और हम दे खकर वे हैरान ए। वे यह सोचकर
बड़े श मदा थे क वे हमारे सामने ब त बुरी आ मा सा बत ए। हम अपने आप को नह रोक
पाए और पूछ बैठे, “आपने ऐसा या कया जमी अंकल, क आपको यहां आना पड़ा?” तब
उ ह ने हम अपनी कहानी सुनाई। यह ब त भयानक कहानी थी। यह बात एकदम से हैरान कर
दे न े वाली थी क जमी अंकल जैस े , जो इतने लोक य, बाहर से इतने भ और भले,
वही अ दर से बड़े ही बुर े और न न तर के मनु य थे।
१४-०५-१९८१
जमी क कहानी, जारी: सवश मान ई र को छला नह जा
सकता

ज मी अं कल क कहानी बड़ी भयानक और अ व सनीय थी। हम इस पर व ास नह आ


य क जमी अंकल हमेशा से हमारे आदश रहे थे। उ ह ने हमेशा धमाथ सं था को
दान दया था, ग़रीब क मदद क थी और एक यारे और दो ताना थे। जमी अंकल के
अपने श द म उनक कहानी इस कार है:

“मेरे यारे म , व पी और रतू, तु ह लगता था म ब त भली आ मा ँ; तुम उन सब बात पर


व ास करते थे जो म नया को दखाया करता था। व ास तो खुद म भी करता था। मुझे
यक न था क मेरे सारे भयंकर पाप को ई र ने मा कर दया है, य क म अ छे काम करता
था और मुझे व ास था क मुझे मरने पर वग ा त होगा। मने धमाथ सं था को धन दया
और भलाई के काम कए यह सोचते ए क मुझ े मेरे पाप क सजा नह मलेगी, ले कन मुझे
वही मला जसके म लायक था। मने खुद को और पृ वी के लोग को बेवक़ूफ़ बनाया ले कन
कोई ई र को कैसे धोखा दे सकता है! ई र कभी छले नह जा सकते”।

“मेरा जीवन एक ब त ही भली और यारी सी म हला के बेटे के प म शु आ था। वह


इतनी भली थ क उनके मन म कभी कोई बुर े वचार नह आते थे। मेरे पता बुर े इंसान थे। वह
मेरी मां को सताते थे और उसे ग़लत करने को मजबूर करते थे। वह ब त ही वाथ इंसान थे
और हमारे त उनका वहार नदयी था। वह मेरी मां, मेरे भाइय , मेरी बहन और मुझ,े हम
सब को ग़लत काम करने के लए मजबूर कया करते थे। म अपनी मां को ःख से रोते ए
अ सर दे खता था। कई बार उसने हमसे कहा था क वह सब कुछ ग़लत था और हम पाप कर
रहे ह।”

“मेरे पता इन बात का मज़ाक उड़ाते थे और मेरी मां को पागल कहते थे। एक समय ऐसा
आया जब हम सभी भाई-बहन अपने पता से इतने भा वत ए क हम अपनी मां को
सचमुच पागल और बेवक़ूफ़ समझने लगे। वह चाहते थे क हम अपनी भली और दयालु मां का
स मान न कर और उसके त हमारा यार समा त हो जाए”।

“मेरी मां अपने ब च को उनके पता के रा ते पर चलता दे खकर ब त ःखी थी। एक दन मेरी
मां ने मुझसे कहा, ‘ जमी म चाहती ं क तुम अपने पता के बताए ए काम न करो य क वे
ग़लत ह। तुम अपने भाई-बहन म सबसे बड़े हो इस लए म चाहती ं क तुम अपने भाई-बहन
को ग़लत रा ते पर जाने से बचाने म मेरी मदद करो।”

“म अपनी मां पर हंसा और बोला, ‘य द तुम हम सबको सहन नह कर पाती तो य नह पहाड़


से नीचे कूद जाती’? हम एक गहरी घाट के पास एक कु टया म रहते थे और खड़क से मने
उसे घाट क एक गहरी खाई दखाई और कहा, ‘तु हारे लए ऐसी मौत ही बेहतर है। हमारे पता
एक होनहार और तभाशाली इंसान ह। तुम उनक प नी होने लायक ही नह हो। जाकर नद
म ही डू ब मरो’!

“...मेरी मां ने ब कुल ऐसा ही कया।”

“अगली सुबह पु लस आई। हमने अपनी मां के मृत शरीर को घर के पास नद के कनारे पाया।
म स रह गया, ले कन म अब भी उसे एक बेवक़ूफ़ और पागल म हला ही मान रहा था। मेरे
वचार से वह कमजोर थी य क उसम इतनी ताक़त नह थी क वह आ मह या जैसा पाप
करने से खुद को रोक सके। हमारे पता अब ब त खुश थे य क अब उनके काम म दखल दे ने
वाली मेरी मां नह रह थी”।

“अब हम हमारे पता बुर े से बुरा इंसान बनाने क श ा दे न े लगे। वह ब त बड़े चोर थे, ले कन
अपनी मां के मरने के बाद हम यह पता चला, य क हमारे पता से हम ब त अ धक भा वत
थे। हम सोचते थे क हमारे लए वे जतनी अ छ -अ छ चीज लाया करते थे वह सब उ ह उन
लोग ारा भट कया जाता था जनक वे मदद करते थे। उ ह ने हम सबको ऐसा ‘पाठ पढ़ा’
रखा था क हमारा उनपर अटू ट व ास था और हमने उनसे कभी कोई सवाल नह कया।”

“उ ह ने हम लोग को बहलाकर उ ह ठगने और उनके सामान उड़ाने म पारंगत बनाया। उ ह ने


हम मीठ बोली बोलकर, भोली सूरत बनाकर और प व धा मक च र दखाकर लोग को
ठगना सखाया। नया के लए हम सभी कत न , भले, दयालु और ईमानदार लोग थे ले कन
अ दर से हम अपने पता क तरह ही और शैतान थे।”

“ये सभी कम सखाकर यहां तक क यह भी सखाकर क कैसे बना कोई सुराग छोड़े कसी
क ह या क जाए, पता इन काम से अलग होकर आराम का जीवन बताने लगे। उनका कहना
था क चूं क वही इस सब के मुख थे इस लए चोरी और लूट क कमाई पर उनका पहला
अ धकार था।”

“उ ह ने हम सब को सखाया क कैसे बूढ़ , वधवा और अकेली म हला तक प ंच, उनका


व ास और ेम जीत, उ ह इ तमाल कर और उ ह लूटकर नराशा और ग़रीबी भरा जीवन
बताने को मजबूर कर द। बड़े गव के साथ वे बताया करते थे क अनेक म हला के साथ
उ ह ने ऐसा कया था और पु लस उ ह कभी पकड़ नह पाई। यहाँ तक क उनपर कभी कसी
ने अंगल
ु ी भी नह उठाई। उनके ऐसे कारनाम के बारे म जानकर हम सोचते थे वह बड़े महान,
बु मान और बहा र थे। हम लगता था हम उ ह क मसाल को लेकर आगे बढ़ना चा हए”।
१५-०५-१९८१
जमी क कहानी, जारी: ई र हमेशा याय करते ह।

“कु छ साल तक, हम वही करते रहे जो हमारे पता कहते थे। हम अपने पता को पूजते
रहे। वह हम अ धेर े नक क ओर ढकेलते रहे। उनसे भा वत होकर हम सचमुच ख़ुश
थे। उ ह ने हमारे दमाग को इस तरह अपने नय ण म कर रखा था क हम सीधे-सीधे कुछ
सोच ही नह पाते थे और न ही उन दन कभी हम यह जान पाए क हमलोग कतने बड़े शैतान
थे”।

“कुछ साल क खुशहाली के बाद पता को बुखार रहने लगा। डॉ टर ने कहा क उ ह कुछ
समझ म नह आ रहा क दरअसल उ ह या आ था। फर एक डॉ टर ने उनके खून क जांच
करवाने को कहा। उ ह लड शुगर था। हमसे उनके खान-पान पर कड़ी नगरानी रखने को कहा
गया। अपने वा थ को लेकर वे बड़े चौकस थे, इस लए उ ह ने वह सब कुछ कया जो डॉ टर
ने बताया था। कुछ महीन के बाद जब उनक सेहत थोड़ी ठ क ई तो वह अकेले ही कह बाहर
नकल पड़े, ले कन उनके साथ एक घटना हो गई। उनके दोन पैर और एक हाथ काटना पड़ा।
सरा कोई उपाय नह था”।

“ई र ने याय करना शु कर दया था, ले कन मूख क तरह हम अपने यारे पता को क


दे न े के लए ई र को कोसने लगे। कुछ दन बाद डॉ टर ने उनके फेफड़ म कसर पाया। जैसे
हम पहले ई र को कोसते थे उसी तरह अब भी कोसने लगे, ले कन अपने भयानक काम हमन
बंद नह कए। मेरी बहन बीमार पता क दे खभाल करती थ । उ ह असहनीय दद होता था और
वे ब त कमजोर हो गए थे। इतने पर भी, मेरी बहन को पता लंबे कोड़े से इस लए पीटते थे
य क उनसे दद सहन नह होता था। अपने क के लए पता ने हम सब को दोष दे ना शु
कया।”

“वे हम पर च लाते थे य क उ ह लगता था क हमने उनक दे खभाल नह क और हम बड़े


वाथ ह। हमारे पुरो हत ने जब पता क बीमारी और उनके असहनीय दद के बारे म सुना तो वे
हमारे घर आए। पहले क तरह पता ने उनका वागत कया और पूछा, ‘म इतना क य भोग
रहा ं जब क मने कसी को क नह प ंचाया और हमेशा अ छे कम ही कए ह?’ पुरो हत को
या पता क मेरे पता कतने बड़े थे। सो, उ ह ने ई र से पता के लए ाथना क और
सवश मान ई र से उ ह ठ क कर पाने म मदद करने क वनती क । इसके बाद वह रोज
शाम ५ बजे हमारे घर आते। हम सभी उनके आने क तैयारी करते और थोड़े समय के लए
नै तकता से भरे भले आद मय क तरह बताव करते”।
“एक दन, पुरो हत समय से जरा पहले प ंच गए। घर म वेश करते ही उ ह ने मेर े पता को
अ यंत गंद भाषा म मेरी बहन पर च लाते और अपने क के लए उ ह दोष दे त े सुना। उ ह ने
यह भी कहा क मरती ई एक बूढ़ औरत ने उ ह बद आ द थी क वे भयानक क भोगगे।
बदले म पता ने भी उस औरत और उन सब को बद आ द ज ह ने उ ह बद आ द थी।”

“यह सब सुनकर पुरो हत हैरान थे। वह मुड़े और बना कसी को कुछ बताए दबे पांव वापस
लौट गए। पुरो हत बु मान और धा मक आदमी थे। वे अ छ तरह समझ गए क मेर े पता एक
इंसान थे और ज र उ ह ने अपने ब च , अथात् हम भी कया होगा”।
१६-०५-१९८१
जमी क कहानी, जारी: ई र सबकुछ दे ख रहे ह

“पु रोबात क
हत सचमुच एक बु मान और प वाद थे। उ ह ने एक पु लस अ धकारी से
और उनसे कहा क वह हमारे प रवार के बारे म सबकुछ पता करे। थोड़े ही दन
म, पु लस ने सबकुछ पता कर लया। उ ह ने सारी जानका रयां हा सल कर ल , ले कन
अभा यवश से उनके पास कोई सबूत नह था।”

“उ ह सूझ नह रहा था क या कर। इस बीच, मेरे पता क हालत बगड़ती जा रही थी। अब
उ ह सारे शरीर म असहनीय दद होने लगा था और उनक डाय बट ज़ भी काफ़ बढ़ गई थी।
सारे शरीर म उनक वचा पर फुं सयां नकलने लगी थी। उनका गु सा भी काफ़ बढ़ गया था
और उनक हालत दे खी नह जाती थी। जो कुछ भी उनके हाथ आता, वह फकने लगते थे और
साथ ही हम गा लयां दे त े और कोसते थे।”

“पुरो हत इन सब के बारे म अ छ तरह जानते थे य क उ ह ने बना हमारी जानकारी के


हमपर बड़ी गहराई से नज़र रखी थी। एक दन, जब हम सब लोग घर पर थे, वह आए, य क
उस दन मेरे पता क हालत ब त खराब थी। हम सब पता के कमरे म थे, इस लए वह सीधे
वह प ंचे और उ ह ने धीरे से कहा, ‘जरा इधर दे खो, तुम सब एक चम कार दे खोगे,’ फर
उ ह ने पता क ओर दे खते ए कहा,’ शांत हो जाओ और इस चम कार को दे खो।”

“उ ह ने कमरे म इधर-उधर पड़ी सारी चीज को इक ा कया ज ह पता फक सकते थे, और


हमसे उन सब चीज को सरे कमरे म ले जाने का नदश दया। हमने सारी चीज उठाकर सरे
कमरे म रख द । हमने सोचा शायद पुरो हत पता को जा ई तरीके से ठ क करगे”।

“उ ह ने इस बात का पूरा यान रखा था क आसपास कोई ऐसी चीज न हो जसे पता उठाकर
हमपर फक सक। फर उ ह ने हम सब को पता के आस-पास बैठने को कहा। य क हमारे
दमाग म यह बात बैठ थी क हमारे पता को जा ई तरीके से ठ क कया जा रहा है, इस लए
हम ब कुल यह नह सोच सके क पुरो हत हम— ज ह ने साल तक कई लोग को ठगा है,
मूख बनाकर एक अलग ही चम कार दखाने वाले ह।”

“हम अपने पता के ब तर के चार ओर बैठे थे और पुरो हत दरवाजे पर खड़े थे। उ ह ने उ च


वर म प उ चारण के साथ अपनी ाथना शु क । इसके बाद उ ह ने ई र से ाथना क
क वे उनक मदद कर, ता क वे हमारी मदद कर पाएं। फर, वह के और पता क ता और
ू रता क कहानी सुनाने लगे। इस पर पता च ला उठे । वह पुरो हत को गंद भाषा म गा लयां
दे न े लगे। हमने उ ह रोकने का असफल यास कया। ठ क तभी हमने दे खा क पुरो हत के पीछे
से हाथ म बं क लए पु लस के कुछ जवान कट ए”।

“ई र को दोष मत दो, बदमाश । तुम जैसे नदयी के लए यही सही सजा है। तु ह अपना फल
मल रहा है’, पुरो हत ने कहा। भगवान ही जाने अपने घोर पाप के लए तु ह नक म कतना
कुछ और भोगना पड़े। सवश मान ई र के साथ तुम छल नह कर सकते। तुमने अ छ तरह
से हम सब को धोखा दया, यहां तक क अपने ब च को भी। तुमने उ ह भी अपनी तरह पापी
बना डाला। तु ह ने अपनी प नी क जदगी बबाद क और उसे आ मह या करने के लए
मजबूर कया। तुम उसे रा ते से हटाना चाहते थे ता क वह तु हारे ब च को अ छा इंसान न बना
सके और तु हारे पाप को लेकर झगड़ा न कर सके। तुमने पूरा यान रखा क हम तु हारा कोई
सबूत न मले, ले कन सवश मान ई र को कसी सबूत क ज रत नह । यही उनका याय
है।”

“सुनो ब च , इससे पहले क ब त दे र हो जाए अपने सारे ग़लत काम छोड़कर, प ाताप कर
लो। हमेशा याद रखो क सवश मान ई र को सबूत क ज रत नह होती। उनक आंख म
कभी धूल नह झ क जा सकती और न ही कोई उनके याय से बच सकता है। इस लए, समय
रहते सही रा ते पर वापस लौट आओ। यारे ब च , अपने पता के बताए रा ते छोड़कर
ई र क स ची राह पर लौट आओ। इससे पहले क दे र हो जाए स चे मन से प ाताप कर
लो।”

“इसके बाद उ ह ने दरवाजा ब द कया और बाहर चले गए। पता के साथ-साथ हम सभी स
थे। लगभग एक घंटे बाद हमारे पता सदमे से बाहर आए और ब च क तरह फूट-फूट कर रोने
लगे। उ ह ने कहा, ‘हां, ई र, तुमने मुझ े ब कुल यो य सज़ा द है। म इसी के लायक था। मुझे
मा कर दे ना भु। म खुश ं क मेरा पापी जीवन अब ब त ज द ख म हो जाएगा और म
कसी का भी बुरा नह कर सकूंगा। हे ई र, मुझे ज द मृ यु दो।”

“इसके बाद वह बेहोश हो गए। यह सब इतना अचानक आ क हम अवाक रह गए। पता को


फर होश नह आया। दो दन बाद वह गुज़र गए”।

“हमारी त या अजीब थी- ई र के याय को वीकारने क बजाए हम उ ह और भी दोष दे ने


लगे। हम एक सरे से नफरत करने लगे और एक सरे पर शक करने लगे। मेरा सबसे छोटा
भाई बना कुछ साथ लए घर छोड़कर चला गया। इसके बाद सारे पए-पैस े और गहने लेकर म
नकल गया। ये सारे पए-पैसे और गहने पता ने गु त थान पर छपा कर रखने को मुझे दए थे
य क म उनका सबसे बड़ा और लाडला बेटा था। फर, मुझ े नह मालूम मेरे बाक भाइय और
बहन का या आ”।
“मने अपना नाम बदला और सारी दौलत लेकर मु बई चला आया। मने एक पैसा ८ भी अपने
भाई बहन के लए नह छोड़ा। एक ब त अमीर आदमी क तरह म मु बई प ंचा जहां तुम सब
लोग मेरी बड़ी इ जत करते थे। मने एक ब त खूबसूरत लड़क से शाद क ले कन मने इस
बात का पूरा ख़याल रखा था क लड़क सु दर हो ले कन पूरी तरह बेवकूफ, ता क म अपनी
योजनाएं बना कसी बाधा के पूरी कर सकूँ। म ब कुल नह सुधर पाया जब क पुरो हत ने मुझे
इसके लए े रत कया था”।

“मुंबई म म गु त तरीके से और कभी-कभार अपने काय करता, जससे कसी को इस बात


का पता न चले। मेरे प रवार को कभी पता नह चला क म या करता था। यहां म ब त
इ ज़तदार, अमीर और सीधा-साधा आदमी बनकर रहता था, ले कन य ही अपने बुरे धंध के
लए मु बई से बाहर जाता अपने असली चेहरे म लौट आता। कोई सपने म भी सोच नह सकता
था क वह अमीर, इ ज़तदार, ईमानदार और दयालु जमी दरअसल ऐसा इंसान था”।

“यही मेरी कहानी है। अब तुम जान गए क म य इस क से भरी, अ धेरी मन स जगह म ं।


मने सारे दान-पु य और भलाई यह सोचकर कए क इससे मेरे पाप धुलगे। मुझ े यक न था क
म वग ही जाउंगा, ले कन ई र क आंख म कोई धूल नह झ क सकता। आज इसी लए म
यहां ”ं ।
१७-०५-१९८१
पृ वी एक पाठशाला है

जी वाजतनेमा जगत म हम जानते ह क पृ वी के लोग आपस म उतने यार से नह रह सकते,


क हम यहाँ रहते ह। आपको भली और आ मा के साथ रहना पड़ता है,
इस लए वहां कसी कार का मेल- मलाप नह रह सकता; और यह बात हम अ छ तरह से
समझते ह। इस लए शायद आप यह कह क चलो हम अपनी तरह क आ मा के साथ रह
और बुरी आ मा क अनदे खा कर द।

सवश मान ई र ऐसा नह चाहते ह। वे चाहते ह क आप उन लोग क मदद कर जो


मु कल म फंसे होते ह। वे चाहते ह क आप बुराइय से लड़ और धरती क नया म सुधार
लाएं। वे चाहते ह क आप उन आ मा तक प ंच जो कभी अ छ आ करती थ और कभी
उ चतर तर पर रहा करती थ , ले कन पृ वी के बुर े भाव के कारण अब गर चुक ह। आप
उ ह यह समझाएं, क उ ह अ छ राह नह छोड़नी चा हए, ब क उ ह हमेशा सही रा ते पर ही
चलना चा हए।

सवश मान ई र चाहते ह क आप उनक तरफ से काम कर और अपनी पृ वी को एक सु दर


और यारी जगह बनाए रख। वे यह नह चाहते क आप या बुरी आ मा से र भागकर
अ छ आ मा के बीच हाथ पर हाथ धरे चुपचाप बैठे रह और अपने ब मू य समय को न
कर। हम इसे ‘ब मू य’ इस लए कहते ह कय क पृ वी पर आपका जीवन ब त छोटा होता है।
पर जीवा मा जगत म आ माएं लंबे समय तक जीवन जीती ह।

हमेशा याद रख क आप अपने समय को बरबाद न कर। पृ वी पर आपको कुछ वशेष काय के
लए, श ण के लए, अनुभव जमा करने के लए और कम के फल ा त करने के लए भेजा
गया है, इस लए अपना समय पूरा होने से पहले उन काय को पूरा कर जनके लए आप वहां
गए ह। अ यथा उसी काम के लए आपको फर से ज म लेना पड़ेगा और आपक एक और
जीवन-अव ध बेकार चली जाएगी अथवा आपका वतमान जीवन ःख-दद से भरे एक बीमार-
लाचार भौ तक शरीर म जारी रहेगा, जो आपके कम के लए आव यक समय से कह यादा
लंबा समय होगा। इस लए ब मू य समय को बरबाद न कर, अपना काम ज द पूरा कर ल। तो
हो सकता है क आपका समय पूरा होने से पहले ही आप लौट आएं (आप कभी नह जान
पाएंग े क आपका समय कब पूरा हो रहा है। केवल आपका अवचेतन मन ही यह जान पाएगा।)

सवश मान ई र चाहते ह क पृ वी पर आप बुरी और हाल ही म गरी ई आ मा को


सुधार और नः वाथ प से ज रतम द तथा मु कल म पड़े लोग क मदद कर। ये ही मु य
कारण ह पृ वी पर आपके होने के। इस लए आप अपने कत का पालन कर ता क बाद म
आपको अफसोस न हो।

पुनज म का उ े य

उ च तर क ब त सी आ माएं पृ वी पर तीन कारण से ज म लेती ह:


१. अपने यजन क सुर ा और मदद के लए।
२. पछले ज म के बाक पड़े कम को पूरा करने के लए।
३. अपना आ या मक जीवन काय संप करने के लए।

बुरी आ मा को पृ वी पर कम का फल भोगने के लए भेजा जाता है। इसके पीछे का ता पय


यह है क वे इस सजा को बहा री और हंसी-खुशी से तीत कर, केवल तभी आप सुधर पाएंगे
और ऊंचे लोक क ओर उठ पाएंगे। आ मा को उनके काम को बदलने का मौका दे न,े
प ाताप करने, सुधरने और ऊंचा उठने के लए पृ वी पर भेजा जाता है। भले ही फर यह छोटे
अंश से य न हो।

पृ वी पर आपके अ त व के यही मु य कारण ह। सबसे मह वपूण कारण है अपनी आ मा


का शु करण करना और ऊंचे तर पर ग त करना।

पृ वी एक श ण के है जहां बुरी आ मा को अ छ बनना चा हए, अ छ आ मा को


और भी अ छा बनना चा हए और ा मा को अपनी ता छोड़कर, अ छे और ई रीय
कम को अपनाकर सुधार क ओर बढ़ना चा हए। ले कन इन दन धरती पर बुरी आ माएं और
भी बुरी हो रही ह, भली आ माएं बुरी हो रही ह और ता बड़े पैमाने पर फैल रही ह। हम
जीवा माएं इसके बारे म ब त बुरा महसूस करती ह।
१८-०५-१९८१
एक भली आ मा क कहानी जसे एक ा मा ने बहका दया

जी वाअथवा कभी-कभी
मा जगत म हम नए आने वाल के लए अ भभावक के प म भी काम करते ह,
ी सव च भली आ मा हम न नतर लोक म भेजती ह य द कसी
ऐसी आ मा क आपात पुकार हम सुनाई पड़ती है जो स चे मन से प ाताप करना चाहती है
और ऊंचा उठना चाहती है। हम उस आ मा का मागदशन करते ह क उ ह ने खुद को सुधारने
और ऊंचा उठाने के लए अपनी सजा सव म तरीके से कैसे वीकार करनी चा हए। हमारी
तरह सरे भी अनेक मददगार ह और हर रोज, हर मददगार को ऐसे क स का बोध होता है।

अपने काम के चलते हम अनेक ःखी आ मा से न न लोक म मलना पड़ता है ज ह इस


बात का आ य होता है क कैसे वे अ धेरे न न लोक म प ंचे। कभी-कभी हम उ ह समझाने म
ब त मु कल होती है।

हम आपको एक ऐसी ही कहानी सुनाएंग।े एक बार एक ब त ही आपात पुकार सुनने पर हम


ी सव च भली आ मा ने न न लोक म भेजा। वहां हमने दे खा क एक म हला सचमुच ब त
ही दयनीय हालत म पड़ी है। इस लए, हमने कहा, “हम आपक पुकार का उ र दे न े आए ह।”
उ ह ने हमारी और दे खा ओर कहा, “ या यह संभव है क कोई मेरी मदद कर सके?”

“जी हां, मैडम, हम यहां आपक मदद करने ही आए ह।”

उ ह ने कहा, “नह , नह , मेरी मदद कोई नह कर सकता। कुछ नह हो सकता। चले जाइए।”

“मैडम, लीज़ हमारा साथ द और आप ब त अ छा महसूस करगी। हम आपक मदद करने म


कोई कमी नह छोड़गे,” हमने उ ह आ त करना चाहा।

य क वह उस अंधेरी और भयानक जगह म नह रह पा रही थी, उ ह ने च लाकर कहा,


“ई र, दया कर मेरी मदद कर,” ले कन ई र के बजाए हम उसक मदद को प ंच े थे इस लए
वह नराश थी।

“म आपके साथ सहयोग क ं गी,” उ ह ने कहा, “य द आप मुझ े सताने वाली इन भयानक


आ मा से भरी ई इस डरावनी जगह से बाहर ले चल तो आप जो भी कहगे म क ं गी।”
हमने कहा, “आप एक भली आ मा दखती ह, तो फर ऐसा या था क आपने इतना बड़ा पाप
कया क आपको इस अ धेरे लोक म आना पड़ा?”

“हां, आप ठ क कहते ह। म एक भली आ मा थी, जो भा य से एक आ मा से ेम कर बैठ


और इसी कारण मुझे यहां आना पड़ा।”

उ ह ने अपनी कहानी शु क और हमसे आ ह कया क हम यह सुनने पर उनसे नफरत न


कर या उ ह छोड़कर चले न जाएं।

“हम आपसे कभी नफरत नह कर सकते, ब क हम आपक मदद करने क को शश करगे।


इसी लए तो हम यहां आए ह।”

“म १९ साल क थी और अपने माता- पता और भाई के साथ गांव म खुशहाल रहती थी। कूल
क पढ़ाई पूरी कर लेन े के बाद मेरा सपना डॉ टर बनने का था, इस लए मने अपने माता- पता
से आ ह कया क मुझ े यु नव सट पढ़ाई के लए शहर भेज दया जाए। मेर े लए यह भा य
ही था क माता- पता ने मेरी जद मान ली। म शहर गई और उ मीद के साथ, हंसी-खुशी और
म ती के साथ म कॉलेज म पढ़ने लगी। म एक सु दर और शम ली लड़क थी। ब त से लड़के
मेरी ओर आक षत ए ले कन मने उनम से कसी को ो साहन नह दया। आ ख़रकार मुझे
ब त ही सु दर और नदयी लड़के से ेम हो गया। पहले तो, उसने मुझे टालने क को शश क
इस लए बेवक़ूफ़ क तरह, म उसक ओर और आक षत ई। म और भी अ धक उसके पीछे
पड़ गई और म पागल क तरह उससे ेम करने लगी और हमेशा चाहती थी क उसी के पास
र ं।”

“मुझे पता था क वह नदयी है और मने उसे अपना अ यास लखवाने और अपना काम
करवाने के लए लड़ कय पर ध स जमाते दे खा था। मेरे मन म उन लड़ कय के लए ई या पैदा
ई और मने उस लड़के से कहा क मुझे उसका अ यास लखने और उसके सारे काम करने म
खुशी होगी। म उसक ग़लाम बन गई। मूख क तरह, म अपनी इ छा से नक म कूद पड़ी थी।
वह बस एक श द कहता और म उसका काम कर दे ती। फैसला करने क मने अपनी मता खो
द थी। अब भी, म हैरान ं क मने ऐसा होने कैसे दया। वह मुझसे जो भी कहता था म करती
थी। म उसके लए स बेचती थी, यहां तक क उसक ऐ याशी के लए लड़ कयां लाती थी।
मुझ े सोचकर अजीब लगता है क ऐसा या था जस कारण म उसके लए एक यं क तरह
काम करती थी – बस उसका एक म और म चल पड़ती थी उसे पूरा करने और कुछ भी ऐसा
करने जससे वह ख़ुश हो।”

“यह जानने के बाद भी क वह था और म ग़लत राह पर चल नकली थी, म उसक ग़लाम


बनी रही। बक म लक क नौकरी करने के लए मने कॉलेज छोड़ दया। मेर े माता- पता नाराज
ए। उ ह ने मुझसे खूब अनुनय- वनय कया, मुझे समझाया क म उस लड़के को छोड़कर
अपनी पढ़ाई जारी रखूं या फर गांव लौटकर उनके साथ र ं। ले कन, म नह मानी और उस
क ग़लामी करती रही।”

“मेरे लए बस इतना ही काफ़ था क वह मेरी सेवा के बदले कभी-कभार मुझे बाह म भरे
और मुझसे ेम करे। मुझे अब भी आ य होता है क म इतनी पागल य थी। यह जानते ए
भी क वह एक लड़का था, उसके लए म पूरी तरह पागल थी। वह स के धंधे करता था,
लड़ कय पर बला कार करता था, इसके बावजूद म उसका कहा मानने से खुदको रोक नह
पाती थी। म मूख थी और मुझे यह ान नह आ क वह मेरी ज़दगी बरबाद कर रहा था।”

“एक दन, उसने मुझसे एक ब त ही अमीर लड़क क सहेली बनने को कहा जो दे खने म
ब कुल भी सु दर नह थी। उसने ऐसा पहले भी कई बार कया था। म कसी लड़क क सहेली
बनती और मेरे ज रए वह उस लड़क क ज दगी म वेश करता, उसे अपने यार के जाल म
फंसाकर उसका इ तेमाल करता और उसके पैस े ठगकर उसे छोड़ दे ता। इस लड़क से दो ती
गांठने म मुझ े ब कुल भी समय नह लगा। ज द ही, मने अपने प रवार के ब त ही स मा नत,
अमीर और गांव के ऊंचे समाज से संबंध रखने वाले दो त के प म उस लड़के का प रचय
उससे करवाया। यह सब कुछ उसी तरह आ जैसा आमतौर पर पहले आ करता था, ले कन
एक दन, अपनी दो ती के कुछ ही समय बाद दोन ने शाद कर ली। मुझे सदमा लगा, ले कन म
अब भी उसके जबरद त भाव म थी। इस लए, म उसक ग़लाम बनी रही और वह जो कुछ भी
कहता, वह करती रही।”

“आ य होता है, म उससे इतना भा वत य थी। या उसने मुझपर स मोहन जा कर रखा


था? यह जानते ए भी क वह था और यह भी, क म ग़लत कर रही थी, म य उसका हर
कहा मानती थी? जब उसने उस लड़क से शाद क तो मुझे ब त ही ःख आ। वह लड़क
ब त ही अमीर थी और उसके वधुर पता उससे भी अमीर थे। अब इस लड़के ने मुझसे कहा
क म उस लड़क के पता से दो ती क ं और उसे अपने ेम जाल म फसाऊं। मने ऐसा ही
कया। उसका अगला म था क म उस आदमी से शाद क ं । य क म ख़ूबसूरत थी, वह
वधुर बड़ी आसानी से मेरे जाल म फंस गया और मने उससे शाद कर ली, बावजूद इसके क म
ऐसा चाहती नह थी। उस ने सारी योजना इस सफाई से बनाई थी क उसपर कसी को भी
संदेह नह आ।”

“ज द ही, उसने मुझसे कहा क म अपने बुजग और अमीर प त क ह या कर ं । मने इनकार


कया, तो उसने मुझे धमक द क स बेचने के मामले म वह पु लस को मेर े खलाफ़ सबूत
दे कर मुझ े जेल भजवा दे गा। म रोई, गड़ गड़ाई और उससे वनती क क वह मुझ े छोड़ दे ,
मुझसे ऐसे काम न करवाए य क ह या करना मेरे बस क बात न थी। ले कन, उस प थर- दल
इंसान पर कोई असर नह आ और वह मुझ े ऐसे-ऐसे फ़ोटो और सबूत दखाने लगा जो मुझे
जेल भेजने के लए काफ़ थे। तब मुझ े आभास आ क म कतनी बड़ी बेवक़ूफ़ थी जो उसका
कहा मानती रही। म कतनी बड़ी मूख थी क उस जैसे पापी से इस उ मीद म यार करती रही
क एक दन उसको भी मुझसे यार होगा और वह मुझसे शाद करेगा।”

“आ ख़रकार, वह मुझसे मेरे प त क ह या करवाने म सफल हो गया और म अब एक अमीर


वधवा थी। मेरे प त क आधी जायदाद मेरे नाम पर थी और आधी क माल कन उसक बेट
थी। मुझ े समझ म नह आ रहा था या क ं य क वह मुझे नक म घसीटता जा रहा था। ह या
करना मेरे बस क बात नह थी, और अब अपने प त क मौत के बाद न म सो पाती थी, न खा
पाती थी। अपने प त क जायदाद का अ धकांश ह सा उसक बेट के लए छोड़कर, उसम से
थोड़े से पैस े लेकर, म कसी ऐसी जगह भाग जाना चाहती थी जहां मुझ े वह लड़का न ढूं ढ सके।
ले कन इससे पहले क मेरी योजना कामयाब होती, उसने मुझसे कहा क म उसक प नी क
ह या कर ं । म स रह गई।”

“म फर रोई, गड़ गड़ाई, उससे वनती क , य क अब यह मेरे लए अस हो रहा था। मने


उससे भीख मांगी क वह मुझ े आज़ाद कर दे , ले कन उसके दय पर कोई असर नह आ। इस
सब के दौरान, इन सारे जघ य काय क योजना उसने इस तरह बनाई थी क सारे सबूत मेरे
खलाफ़ इशारा करते थे। उस पर कोई आंच आने वाली नह थी।”

“यह कहते ए क वह यह भी सा बत कर सकता है क मने अपने प त क ह या क है, वह


फ़ोन उठाकर पु लस को बुलाने लगा। बचने का कोई रा ता नह था। मुझे महसूस आ क मने
उसे अंधा यार कया और उसने जो कहा सो कया। म जान गई क म कतनी गहराई से फंस
चुक थी और कतने बड़े धोखे का शकार बनी थी। अब, कोई रा ता नह था। मुझ े पु लस के
सामने वीकारना पड़ेगा क मने अपने प त क ह या क थी। अपनी सौतेली बेट क ह या करने
से यह यादा अ छा था। मने उससे कहा क म उसे मारने को तैयार ं, और वह पु लस को फ़ोन
न करे। अ दर ही अ दर, मने सुबह सीधे पु लस के पास जाकर अपने सारे जम कबूल करने का
मन बना लया था। वह बोला, ‘ठ क है, मेरी योजना के अनुसार कल उसक ह या करना’।
पु लस से या- या कहना है, म यह सोचने म परेशान थी, इस लए मने उसक बात का जवाब
नह दया। इसपर उसने पूछा, ‘ या सोच रही हो? य द तु हारे पास दमाग है भी तो तु ह उसका
उपयोग करने क ज़ रत नह । तुम बस वही करो जो तुमसे कहा जाए’। इसके बाद वह चला
गया।”

“उस रात, उसने अपनी प नी को मार डाला और कसी तरह पु लस के सामने यह सा बत कर


दया क मने ही उसे और अपने प त को मारा है, य क उसे यह शक हो गया था क म अब
उसक ग़लाम नह रही। उसने अ दाजा लगा लया था क म उससे असहमत थी और हो सकता
है क म कुछ ऐसा कर ं जो उसक योजना के खलाफ़ हो। इस लए, उसने मुझे इस तरह
उलझाया क ऐसे सबूत बन जससे मुझ े ह या रन सा बत कया जा सके।”
“बजाए इसके क म पु लस के पास जाती, ठ क अगली सुबह पु लस मेरे घर आई और मुझे
गर तार कर ले गई। मुकदम के दौरान मुझे जेल से अदालत लाया गया और मुझ े छठ मं जल
से कूदकर खुदकुशी करने का मौका मल गया।”

“अब तो आप जान गए क म यहां य ।ं मेरी कहानी सुनकर या यह संभव है क आप मेरी


मदद कर? मेहरबानी करके, भगवान के लए मुझसे नफ़रत मत क जए।”

हमने कहा, “नह , हम आपसे नफ़रत नह करते, ले कन बताइए या आप स चे मन से


प ाताप करती ह?”

यह सवाल ज री नह था य क हम अ छ तरह जानते थे क उसे स चा प ाताप था, ले कन


हम उसे सीधे उ चतर लोक म नह ले जा सकते थे। हम वहां भेजा गया था ता क हम उसे
प ाताप करने म मदद कर सक, परंतु हमने दे खा क वह तो स चे मन से प ाताप कर रही थ ।

उ ह ने कहा, “हां, ब कुल, ले कन या ब त दे र हो चुक है? या आप मेरी मदद कर सकते


ह?”

हमने उसे वह राह दखाई जस पर चलकर वह चौथे लोक तक प ंच सकती थी, ले कन इसक
या, बेशक, ब त धीमी थी। अब हमारे मागदशन से वह धीरे-धीरे ग त करने लगी ह।
१९-०५-१९८१
अवचेतन मन सु त हो सकता है


म जीवा मा के सामने कई कार क अजीबोग़रीब कहा नयां आती ह। हम आपको
ऐसी ब त सी कहा नयां सुनाना चाहगे, ले कन अगर सुनाने लग तो उनसे कई कताब
भर जाएंगी। इस लए हमने ऐसी कुछ कहा नयां चुनी ह जो आपक नया म रहने वाले
लोग क कृ त को दशाती ह। आपको ऐसे लोग ारा मूख बनाए जाने और उनक
पापी योजना म खुद को शा मल न करने को लेकर सावधान रहना चा हए। साथ ही, इस बात
का यान र खए क पृ वी पर रहने वाले कसी भी के त आपक अंध ा न हो। इ ह
कारण से हम चाहते ह क आप इनम से कुछ स ची कहा नय को पढ़।

आपको इस बात के त भी जाग क रहना चा हए क य द आप यह सोचते ह क अ दर से


पापी और बाहर से अ छे दखने का ढ ग कर के आप सवश मान ई र के साथ छल कर
सकते ह, तो यह आपक भूल है। याद र खए क ई र सबके त याय करते ह, तो फर या
यह अजीब नह क लोग फर भी रा त पर चलना जारी रखते ह?

हम अकसर हैरानी होती है क मनु य क अंतरा मा उसे य नह रोकती? हम दे खते ह ब त से


लोग बड़े-बड़े कम करते ह और नया को यह भरोसा दलाते ह क वे ब कुल नद ष ह।
उनक अंतरा मा पर कसी बात का असर नह पड़ता। आपको ज र हैरानी होती होगी क ऐसा
होता कस तरह है। हम समझाते ह।

जब आप मासूम ब चे होते ह तब आपक अंतरा मा अथवा अवचेतन मन आपको मागदशन दे ने


के लए पूरी तरह वतं होता है। जब आप बुरे भाव के कारण अथवा कसी बुर े
ारा सखाए जाने पर ग़लत काम म ल त होने लगते ह, तब आपका अवचेतन मन
कठोर होकर न य होने लगता है, मौन पड़ जाता है, न ा म चला जाता है अथवा
सु त हो जाता है।

आपका अवचेतन मन कभी भी आपको बुरी चीज करने क अनुम त नह दे ता, ले कन आप


(आपका चेतन अथवा भौ तक मन) आपके अवचेतन मन का अनुसरण करने या उसक बात
सुनने से इनकार कर दे ता है और आप रा त पर बढ़ते रहते ह। आपका अवचेतन मन इसे
सहन नह कर पाता और इस लए यह सु त हो जाता है और आपके बुरे काम अथवा बुरी
आदत म दख़ल नह दे ता।
मान ली जए, आप छठे या सातव जैस े कसी उ चतर लोक म ह, तो आपका अवचेतन मन कभी
भी आपको एक सीमा के आगे गलत करने नह दे गा। य ही आप एक सीमा से बाहर जाने
लगते ह, यह आपको इसक जानकारी दे ता है और य द आप इसका कहा नह सुनते (अथात्
य द आप खुद म सुधार नह लाते), तो अवचेतन मन सवश मान ई र से आपको जीवा मा
जगत म लौटने क अनुम त के लए वनती करता है। छठे और सातव लोक क आ माएं कभी
भी पहले, सरे या तीसरे लोक म नह जात । इसका अथ है क वे एक सीमा तक ही गलत कर
सकत है, उससे आगे कभी नह । छठे अथवा सातव लोक क आ मा के अवचेतन मन
सतक होते ह जससे वे कभी भी यथा म चौथे अथवा पांचवे लोक से नीचे नह जा सकत
(छठे लोक म पैदा ई आ मा केवल चौथे लोक तक ही नीचे आ सकती ह और सातव लोक क
आ मा गरकर केवल पांचव लोक तक जा सकती ह)। परंत ु पांचव अथवा उससे नीचे के लोक
क आ मा के लए यह ब त ही अ धक जो खम भरा होता है, य क वे पृ वी पर अपने एक
ही ज म म गरकर थम लोक तक जा सकती ह।

इस लए यह उनके लए ब त ही अ धक खतरनाक होता है य द वे अपने अवचेतन मन क बात


न सुने और उसे सु त हो जाने द। पहले तो, आपका अवचेतन मन आपको ग़लत करने से रोकने
का भरपूर य न करता है, ले कन एक सीमा के बाद यह अ चत होकर तब तक के लए सु त
हो जाता है जब तक क आप अपने जीवन से बाहर नह नकल आते।

जब अगली बार कोई कुछ ग़लत करे तो इस पर यह कहकर हैरान होने क कोई बात नह , क
“ या उसके पास अंतरा मा नह है?” आपको जवाब मालूम होगा क उस का अवचेतन
मन सोया आ है या न य है। म इसे फर से क ंगाः पांचव अथवा उससे नीचे के लोक क
आ मा क यह सम या है। यह सम या ऐसी है क आपके जीवन को सैकड़ वष तक बरबाद
कर सकती है और आपको भयानक क का सामना करना पड़ सकता है।

या यह अ छा नह होगा क आप अपनी अंतरा मा के खलाफ़ ही न जाएं। आप कह सकते ह,


“दो या तीन बार तक ठ क है,” ले कन हम यह यक न से कह सकते ह क वह दो या तीन बार
आपको छः या आठ बार क ओर ले जा सकता है और इसके बाद तो ब त दे र हो जाती है। हम
इस बारे म ब कुल प ह और हम चाहते ह क आप भी इन चीज को समझ ल ता क य द
आपका पतन हो भी गया, तो आपको ऊपर उठाया जा सके।

य द आपका अवचेतन मन वतमान म सु त है और आप ग़लत काम कर रहे ह तो, हम यक न है


क आपम इतनी बु मानी ज र है क आप सही और ग़लत क पहचान कर सक। ग़लत रा ते
पर चलना ब द क जए। सवश मान ई र से ाथना क जए क वह आपके सोए ए
अवचेतन मन को एका ता और यान के ज रए जगाने म आपक मदद कर। ९

इसका अनुसरण रोज कर ले कन सूय दय से लेकर सूयादय के बीच ही। सूया त के बाद
ऐसा न कर। दो मनट के लए ई र से ाथना कर और फर सवश मान ई र से अपने सोए
ए अवचेतन मन को जगाने के लए मदद क ाथना कर!”

“हे य सवश मान ई र, मुझ े आप अपने स माग पर ले चलो। मुझे इतनी श दो क म


अ छे कम कर सकूं। बुरी इ छा और भावना को अपने मन से नकाल फकने म मेरी मदद
करो। मुझे आप अपना ान दो; अपने काश से रौशन राह दखाओ। मुझ े अपने अवचेतन मन
को जगाने म मदद करो ता क यह मुझे कभी ग़लत न करने दे । हे सवश मान ई र, कृपया मेरी
मदद करो।”

यह ाथना कर लेने के बाद अपने मन को सारे वचार से मु और पूरी तरह कोरा कर ल। कोई
भी वचार आपके दमाग म न आए। केवल एक मनट के लए यह पूरी तरह कोरा होना चा हए
(य द आप एक मनट से अ धक अपने मन को कोरा करते ह तो कसी नकारा मक अवकाशी
आ मा ारा आपको हा न प ंचाई जा सकती है)। ऐसा करने से आपको ब त फायदा होगा।
एका ता और यान के बाद ई र को ध यवाद द और फर अपने दै नक काम म लग।

आप न त रह सकते ह, क इससे आपको ब त फायदा प ंचेगा। इससे आपको धन-दौलत


अथवा सांसा रक सफलता तो नह मलेगी, ले कन आप शांत, बे फ़ और ख़ुश रहगे। सबसे
बड़ी बात, क इससे आपका अवचेतन मन वक सत होगा जससे आप उ चतर आ या मक
तर तक ग त कर पाएंग।े
२०-०५-१९८१
अपने अवचेतन मन को जगाएं

बु री राह पर चलने वाली आ मा का अवचेतन मन नराश हो जाता है और इतना ःखी हो


जाता है क वह न य हो जाता है और आ मा को रोकने म अ म हो जाता है। आपक
नया म आजकल ब त कम लोग ह, जनके अवचेतन मन जागृत होते ह, य क अ धकतर
लोग के अवचेतन मन तो न य ह और वे जागृत होने से इंकार कर दे ते ह।

हमने आपको अपने अवचेतन मन को जागृत करने के उपाय बताए। आप ने उसक बात नह
मानी और उसे सु त होने दया पर अब आपको इसे जागृत करने का समय आ गया है। इसम
थोड़ा व लगेगा, पर हमारे नदश का ईमानदारी से पालन कर। आपके अवचेतन मन को
जागृत रहना चा हए और उसे आपका मागदशन करना चा हए। कृपया आप उससे बात कर,
उससे याचना कर और फर से स य होने के लए उससे अनुरोध कर।

अवचेतन मन को फर से स य थ त म लाना एक क ठन काय है, पर आपको यह करना ही


होगा। आपने इसक अवहेलना कर, इसक अनदे खी कर और इसे बंद कर गलत कया है।
इसपर ज द से ज द काम करने से आप और अ धक गरने से केवल क ही नह जाएंग,े
ब क ये आपको उ चतर तर पर भी ले जाएगा।

कुछ कहते ह यान, कुछ लोग कहते ह एका ता, पर आपको बस एक मनट के लए अपने मन
को खाली करना होता है। शु आत म तो यह क ठन अनुभव होगा, पर एक बार जब आप इसके
अ य त हो जाएंगे तो यह काफ आसान हो जाएगा। बस सोचना बंद कर द, और य द आपके
मन म वचार आएं तो उनक ओर यान ही न द, और अंत म वे अपने-आप क जाएंग।े
आपको कई तरह क आवाज़ सुनाई पड़गी, ऐसी भी आवाज़ आएंगी जो आपसे काफ र होती
ह। आप उ ह और अ धक से अ धक सुनगे, पर को शश कर क कोई वचार आपके मन म न
आ पाएं। आपका मन पूरी तरह से कोरा होना चा हए; सभी याल को हटा द। इससे आपक
ग त म काफ मदद मलेगी।

एक बार आप अपनी नया और अपने भौ तक शरीर को छोड़ दे त े ह, तो जीवा मा जगत म


एक उ चतर तर पर उठना काफ क ठन और धीमा हो जाता है, पर पृ वी पर आप तेजी से
ग त कर सकते ह। आप अपनी राह से र जा सकते ह और णभर म भले बन सकते ह।
न त प से, आपको अपने कम क राह से होकर चलना होगा, पर यह ह का और आसान
हो जाएगा, य क क ठनाइय का सामना करने क ताकत और ह मत आपको ई र दगे।
हालां क, जीवा मा जगत म आपक ग त काफ धीमी, पर न त रहती है। आपके येक
पाप क सज़ा पाने से आप बच नह सकते।

इस लए इससे पहले क दे र हो जाए, इसपर काफ गहराई से सोच। अपनी नया और अपने
भौ तक शरीर को छोड़ने से पहले आपके पास कई ऐसे अवसर आते ह, जनम आप बुरे से
अ छे बन सकते ह और य द आप इन मौक का बेहतर उपयोग करगे, तो आप यह सु न त
कर सकते ह क जीवा मा जगत म आपको ब त आसान सज़ा मलेगी। पहले, सरे या तीसरे
लोक म जाने क बजाए आप कम से कम चौथे लोक म तो प ंच ही सकते ह; इस लए गहराई से
वचार कर और आप पाएंग े क अपने-आप म तुरंत सुधार लाना अ धक बेहतर है।
२१-०५-१९८१
सतीश क कहानी: आपम सुधार का साहस होना चा हए

क ई मामले ऐसे ह जनम आ माएं ब त कमजोर होती ह और अपनी दनचया बदलने से


डरती ह। उ ह अ छा बनने से भय लगता है और सोचती ह क ऐसा करने से उनके साथी
उनका मजाक उड़ाएंग े और धमक दगे, या भले लोग कभी उनका वागत नह करगे
और उनक अवहेलना व उनका अपमान करगे या फर उ ह लगता है क उनका जीवन नराशा
से भरा है।

यहां सतीश नामक एक आ मा क एक स ची कहानी द जा रही है। यह कहानी आपको यह


बताएगी क आप कतने गलत हो सकते ह। सतीश क आ मा भली थी, पर बचपन म उसे कई
बुरी संगत से गुजरना पड़ा था। सतीश जब केवल पांच वष का था, उसी समय उसक मां, जो
अपने जीवन के तीसरे दशक म थ , परलोक सधार ग । उसके पता ने उसे अकेले ही पालने
का फ़ैसला कया। पर वे ऐसा नह कर पाए और उ ह ने यह कहते ए सरी शाद कर ली, क
ऐसा करना उनके बेटे के लए आव यक था, पर यह सच नह था।

सौतेली मां को सतीश शु आत से ही पसंद नह था। वह पहले ही दन से सतीश से नफ़रत


करने लगी। पर उसने अपनी नफरत भरी भावना अपने प त के सामने ज़ा हर नह होने द ।
उसके अपने ब चे होने के बाद तो वह सतीश क पूरी तरह से उपे ा करने लगी। उसने यह
कहते ए सतीश को नचले वग और स ते बो डग कूल म दा खला दला दया क सतीश को
संभालना अब उसके बस क बात नह .... और उसके ब च पर उसक संगत का बुरा असर
पड़ रहा था।

सतीश के बो डग कूल का माहौल काफ भयानक था। वह वहां बुरी संगत म पड़ गया और
गलत आदत का शकार हो गया। कूल छोड़ने तक सतीश के पता गुजर गए और उसक
सौतेली मां बना कुछ कहे-सुने सब कुछ समेट कर शहर छोड़कर चली गई। सतीश के पास न
पैस े थे, न कोई दे खभाल करने वाला। अब वह अपना जीवन कूल के आवारा दो त के संग
बताने लगा।

अपने दो दो त क संगत म, वह सरे अमीर लड़के-लड़ कय के साथ दो ती करता और यह


जताने क को शश करता क वह भी एक अमीर घराने का लड़का था। वह उनक ज़दगी का
ह सा बन जाता। इसके बाद वह उनके साथ धोखा करता और उ ह धमक दे ना शु कर दे ता।
साथ ही उ ह उ पी ड़त भी करने लगता। सतीश और उसके दो त एक शहर से सरे शहर घूमते
और अमीर लड़के-लड़ कय का फायदा उठाते।
एक दन जब वह अपने दो त के संग े न से या ा कर रहा था, तो उसने एक अकेली लड़क को
दे खा। वेश-भूषा से वह लड़क अ छे घर क दख रही थी। इस लए सतीश और उसके दो त ने
उससे दो ती करनी शु कर द । लड़क बड़ी शम ली और संकोची वभाव क थी...इससे वे
उसके और पीछे पड़ गए। एक टे शन पर लड़क उतर गई और अपने घर के लए चल पड़ी।
उ ह ने उसका घर तक पीछा कया। वह अमीर नह थी, पर इसके बाद भी वे सभी उसे दो त
बनाने के लए सहमत करते रहे। कसी तरह सतीश उससे दो ती करने म सफल हो गया और
उन दोन म ेम हो गया।

सतीश के वभाव के वपरीत वह लड़क ब त ईमानदार और नेक दल थी- और सतीश उससे


गहरा यार करने लगा। पर उसे उससे शाद करने का कोई रा ता नह दख रहा था, य क
आदत न होने क वजह से वह सीधे-स चे रा ते पर नह चल सकता था। लड़क को यह बताने
म उसे डर लगता था क वह एक आवारा और धूत लड़का है, य क वह मानता था क लड़क
उसे एक बड़े घर का समझती थी। उसे इस बात का भी डर था क य द वह सीधे रा ते पर
चलना आर भ करता है, तो उसके दोन साथी उसका मजाक उड़ाएंगे। उसे इस बात क
आशंका थी क उसके दोन दो त, लड़क को सारी बात बता दगे और हो सकता है क ऐसा
करने क उसे धमक भी द।

इधर लड़क क संगत म आकर सतीश अपने दोन दो त से र होना चाहता था और सुधरने
क को शश करना चाहता था। सतीश सही रा ते पर चलना तो चाहता था, पर अपनी दशा से
नकलने का कोई रा ता न पाकर वह काफ नराश हो जाता। लड़क के लए उसका यार
बढ़ता ही जा रहा था, इस लए वह उसे धोखे म नह रखना चाहता था। सरी तरफ लड़क इतनी
ईमानदार थी क य द वह उसे सारी स चाई बता दे ता तो वह उसे अपने प त के प म वीकार
नह करती।

सतीश असमंजस म था क वह ता क राह कैसे छोड़े...कैसे अपने दोन सा थय से संबंध


तोड़े, कैसे एक ईमानदारी भरा जीवन जए, और एक भला इंसान बने। कायर सतीश उस
लड़क के यार म गहरा डू ब चुका था पर इतना गहरा यार होने के बावजूद उसम अपने बुरे
रा ते को छोड़ने क ह मत नह जुट पा रही थी। उसे पूरा यक न था क य द लड़क को सच
पता चलेगा, तो न त प से वह उससे नफ़रत करने लगेगी। अब वह अपने बुरे जीवन को
लेकर काफ पछताने लगा। पर फर भी उसम सुधरने क ह मत नह जुटती। यह सोचकर क
वह कभी उस लड़क को सुखी नह रख पाएगा और कभी स चाई के माग पर नह चल पाएगा,
एक दन बना कुछ कहे उसे छोड़कर चला गया। उसने एक अ छा मौका गंवा दया था। उसका
जीवन पूरी तरह से बदल गया होता। वह एक अ छा इंसान बन जाता और एक उ चतर तर म
चला जाता।

सतीश क कायरता ने उसके जीवन को बरबाद कर डाला। य द उसने लड़क से खुल कर,
ईमानदारी से कहने क ह मत दखाई होती, तो यह जान पाता क उसके उ ह दो त के ज रए,
जो उसे लड़क से अलग करना चाहते थे, लड़क को उसके बारे म सब कुछ पता चल चुका था।
दरअसल वे पहले ही लड़क को सब कुछ बता चुके थे। पर इसके बावजूद लड़क ने मन ही मन
सतीश से शाद करके उसे सुधारने का फ़ैसला कर लया था। वह बस यह दे खना चाहती थी क
या सतीश उसे सचमुच स चा यार करता था या नह । पर सतीश तो उसे बना एक श द कहे
छोड़कर जा चुका था। सचमुच कतनी बड़ी गलती कर द थी उसने।

आपम अपनी सम या का सामना करने और अपने-आप म सुधार लाने क ह मत


होनी चा हए। बुरे से अ छे बनने के कसी भी मौके को गंवाना नह चा हए। ऐसे मौके को
गंवाने के बाद इस बुरी नया म फर सरा मौका पाना असंभव के बराबर होता है। इस मामले
म सतीश को उस लड़क क मदद मल सकती थी, य द उसने लड़क से यह बताने क ह मत
जुटाई होती क वह उससे कतना गहरा और स चा यार करता था।
२२-०५-१९८१
सूरदास क कहानी: अपने यतम का साथ पाने के लए एक
आ मा बड़ा जो खम उठाती है

य हां एक और स ची घटना (नाम बदलकर) द जा रही है, ता क आप दे ख सक क उ चतर


तर पाने के लए कोई आ मा या कुछ कर सकती है। परंतु, इस मामले म वह नीचे गर
जाती है और तब उसक मदद के लए जीवा मा जगत से उसके यतम ारा ई र को
पुकार लगाई जाती है।

सूरदास तीसरे लोक म था, य क उसका पूव ज म बुराइय से भरा था। उसक यतम नीलू
पांचवे लोक म थी। इस लए उसने तीसरे लोक के अपने मुख, ी उ च भली आ मा से अपने-
आप को एक बार फर पृ वी पर भेजने के लए ई र से अनुमती लेन े का अनुरोध कया। उसने
यह वनती क क उसका ज म एक वृ क मां के यहां हो, ता क वह अपनी मां और
अपने-आप को सुधारकर पांचव लोक म जा सके। पांचव लोक म रहने वाली अपनी यतम
नीलू से मलने के लए वह ःख और सज़ा से भरा क ठन जीवन जीने के लए तैयार था।

सूरदास का ज म एक औरत के यहां आ। वह इतनी थी क पृ वी पर लोग उसे डायन


कहते थे। पृ वी क नया म वेश करते ही सूरदास को उस औरत ने अ भशाप दया। उसके
अवैध ब चे के प म सूरदास उसके लए बस एक बाधा ही था।

यहां हम आपको यह बताना चाहगे क न ह ब चे जबतक बोलना न शु कर द, जीवा मा


जगत से जुड़े रहते ह और जीवा मा जगत के अपने यजन के साथ लगातार संपक म
रहते ह। एक साल के होने तक शशु जीवा मा जगत म वापस लौट सकते ह। एक साल तक
आ मा उसके माता- पता और प र थती का अ ययन करती है...और य द वह चाहे तो जीवा मा
जगत म वापस लौटने का नणय ले सकती है।

इस लए सूरदास को जीवा मा जगत म रहने वाले उसके यजन ने एक साल के होने से पहले
वापस लौट आने का आ ह कया, य क उसक मां एक भयानक औरत थी। हालां क सूरदास
टस से मस नह आ। य क वह नीलू (जीवा मा जगत म उसक यतम) से बेहद यार करता
था और हमेशा के लए उसका साथ पाने को बेताब था।

सूरदास क मां अ यंत औरत थी। उसने अपने बेटे को गंद भाषा सखाई और हर कसी को
कोसना सखाया। सूरदास या उसक मां के मुंह से अ छे श द नकलते ही नह थे। सूरदास
जीवा मा जगत क धीमी ग त क अपे ा पृ वी पर तेज ग त ा त करने के लए आया था,
ता क वह ज द से ज द पांचव लोक म जा सके। इस लए उसने अपनी मां को यह सोचकर
चुना था क वह उसे सुधारेगा और अपनी आ मा क मदद कर पृ वी पर एक ही जीवन से
जीवा मा जगत के पांचव लोक म चला जाएगा। इस लए उसने अपने अवचेतन मन को ढ़ रहने
और उसे नराश न करने के लए श त कया था। येक आ मा यह कर सकती है। परंतु
इसम भारी जो खम है, य क हमारा अवचेतन मन अ यंत ता को शायद सह न पाए।
माग से अ चत होकर वह न ा म चला जा सकता है। अगर ऐसा आ, तो वह एक ब त बड़ी
वप है। कतना बड़ा जो खम-सूरदास क आ मा पांचवे लोक तक प ँचना चाहती थी, पर
य द उसका अवचेतन मन न य हो जाय, तो वह सरे या थम लोक तक भी गर सकती
थी।

आपके ज म के एक साल बाद अवचेतन मन कभी आपको यह नह बताएगा क आपका ज म


पृ वी पर य आ और आपने य एक मां के यहां ज म लया। इस लए इसक काफ
संभावना थी क ऊपर उठने क बजाए सूरदास और नीचे गर जाता, पर सूरदास ने यह खतरा
मोल लया। उसने सोचा क वह अपने अवचेतन मन को इस तरीके से श त कर चुका है, क
वह उसे कोई भी गलत काम करने से रोक दे गा।

उधर उसक मां इतनी वभाव क थी क उसम अ छाई के नशान र- र तक नह दखते।


सूरदास ने जब बोलना सीखा, उस समय तक वह अपना ल य और जीवनकाय भूल चुका
था...और अब वह अपनी मां क तरह ही बन चुका था। वह कभी अ छे ेम भरे श द नह
बोलता। उसे सर को सताने और परेशान करने और हा न प ँचाने म मज़ा आता। पया उसके
लए भगवान बन चुका था। अपने से कमजोर य को ताड़ने म उसे खूब आनंद मलने
लगा।

नीलू ने सूरदास के अवचेतन मन के ज रए उसे रोकने क पूरी को शश क , पर सूरदास का


अवचेतन मन तो पूरी तरह से सु त हो चुका था। नीलू को इस बात क आशंका थी...इस लए
उसने सूरदास से एक पा पन मां क कोख से ज म न लेने के लए अनुरोध कया था।

नीलू ने पृ वी पर अपने यजन और सूरदास के पूव ज म के यजन के मन पर भाव डालने


क को शश क जससे वे ह त ेप करके सूरदास को सही रा ते पर लाएं। यह एक क ठन काय
था। पर कुछ समय बाद वह उनम से एक को सूरदास के पास जाने के लए मनाने म सफल हो
गई। इस आ मा को हम मोहनदास के नाम से पुकारगे। मोहनदास मु बई म रहता था और
सूरदास बगलोर म। इस लए सूरदास के पास प ंचना और असंभव के बराबर हो गया। पर नीलू
सूरदास को बचाने के लए उ सुक थी, इस लए उसने मोहनदास के अवचेतन मन को े रत करने
क पूरी को शश क , और मोहनदास को कसी कार से बगलोर भेजने म सफल हो गई।
मोहनदास और सूरदास दोन को इस बात का जरा भी भान न आ। इसम कई साल लग गए।
आगे चलकर दोन म दो ती भी हो गई। य क मोहनदास एक भली आ मा था, इस लए नीलू
को इस बात का पूरा भरोसा था क वह सूरदास को सुधारने म सफल हो जाएगा। पर उसका
अंदाजा कतना गलत था! सूरदास को सही रा ते पर लाने क बजाए, मोहनदास खुद बुर े माग
पर चल नकला।
२३-०५-१९८१
सूरदास क कहानी..जारी: सूरदास के त नीलू के ेम क परी ा

नी लूसूर को अब कोई आशा नह बची और उसे अपराधबोध होने लगा... य क मोहनदास और


दास को एक सरे के करीब लाने क ज मेदार वही थी। और अब मोहनदास, जसक
आ मा भली थी, बुरा इंसान बन चुका था। उसक वजह से ही मोहनदास नचले तर पर गर
चुका था। नीलू ःखी हो गई। उसके पास उन दोन को बचाने का अब कोई रा ता न बचा था।
सवश मान ई र से ाथना करने के सवा अब कोई चारा न बचा था। नीलू ने उन दोन को
बचाने के लए ई र से वनती क ।

ःखी नीलू असमंजस म पड़ी थी क अब या कया जा सकता है। वह पांचव लोक पर थी, जो
कोई ब त ऊंचा लोक नह था। पर वह एक भली आ मा थी जो छठे लोक क ओर बढ़ रही थी।
नीलू नचले तर म नह गरना चाहती थी। नराश होकर वह अपने लोक के मुख के पास गई
और इस सम या से बाहर नकलने के लए उनसे रा ता दखाने का अनुरोध कया।

उसने कहा, “म सूरदास से इतना ेम करती ं क मने मोहनदास को बुर े माग पर भेज दया।
कृपया हे ी उ च भली आ मा, उन दोन को बचा ल।”

ी उ च भली आ मा ने कहा, “नीलू, तुमने मोहनदास को सूरदास के पास भेजकर...उसे ता


के माग पर डालकर एक ब त बड़ा गलत काम कया है। तु ह सज़ा तो अव य मलेगी।”

“हां”, नीलू ने जवाब दया, “हे ी उ च भली आ मा, मुझ े अव य सज़ा द। मुझे नचले लोक म
जाना पसंद नह , पर म उस लोक म चली जाऊंगी जहां सूरदास और मोहनदास ह। बस आप
उन दोन को बचा ल और उ ह ऊंचे तर म ले आएं। म उनक सारी सज़ा भुगतने को तैयार ं।”

नीलू नीचे नह जाना चाहती थी, यहां तक क लोक ४ म भी नह , पर सूरदास के लए उसका


स चा यार और उसक नः वाथ भावना ने उसे सरे लोक म जाने के लए तक तैयार कर
दया। सूरदास और मोहनदास य द अब भी नह कते, तो वे पहले लोक म भी प ंच सकते थे।

ी उ च भली आ मा ने कहा, “म इससे सहमत ं, पर या तुम तुरंत सरे लोक म जाओगी?”

“हां ीमान, म तुरंत जाकर अपनी और उनक सज़ा लेना चाहती ं, हां पर इससे वे बच जाएं...
पांचव लोक नह तो कम से कम चौथे लोक म ज र आ जाएं,” नीलू ने कहा।
नीलू के नः वाथ, स चे और गहरे ेम को दे खकर ी उ च भली आ मा काफ ख़ुश ए और
उ ह पता चल गया क नीलू ईमानदारीपूवक उन दोन के लए सज़ाएं भुगतने को तैयार है। पर
इसके बावजूद ी उ च भली आ मा ने नीलू क प र ा लेनी चाही। वह दे खना चाहते थे क
सरे लोक म जाने के बाद नीलू या करती है? या वह अपना फ़ैसला बदल तो नह दे गी? इ ह
बात क जांच के लए उ ह ने नीलू को सरे लोक म जाने का म दे दया और वह बे झझक
चली गई।

कुछ दन के बाद ी उ च भली आ मा ने नीलू से पूछा, “नीलू, या तुम अब भी कई सौ साल


तक सरे लोक म रहकर सूरदास और मोहनदास को बचाना चाहती हो?”

नीलू ने बे झझक उ र दया, “हां, ी उ च भली आ मा, म ऐसा ही करना चाहती ।ं ” यह


जानकर ी उ च भली आ मा ब त स ए क नीलू सचमुच ब त नः वाथ और स ची है
और अंदर से इतनी मजबूत है क अपने ेमी सूरदास और मोहनदास के लए अपनी खु शय
को यागने के लए तैयार है।

ी उ च भली आ मा ने कहा, “नीलू, मेरी यारी ब ची, पांचव लोक म वापस लौट आओ। म
सूरदास और मोहनदास को बचाऊंगा। इसम कई महीने लगगे, पर वादा करो क इस बीच तुम
सूरदास या मोहनदास के लए कुछ नह करोगी, भले ही उनके साथ कुछ भी हो जाए। म वचन
दे ता ं क उन भयानक न न लोक से म उ ह बचाऊंगा।”

नीलू के पास आभार कट करने के लए श द ही न थे। वह खुशी से च ला उठ , “हां, हे ी


उ च भली आ मा, म वादा करती ं क आप जैसा कहगे, म वैसा ही क ं गी।”

ी उ च भली आ मा ने कहा, “नीलू, बस अब उन दोन के लए ाथना करो और सवश मान


ई र से उ ह बचाने म मेरी मदद करने क वनती करना।”

नीलू तुरंत तैयार हो गई य क ी उ च भली आ मा पर उसका पूरा भरोसा था।

यह एक स ची कहानी है। केवल के नाम और शहर को बदल दया गया है। आप यह


जानकर काफ हैरान ए ह गे क लोक के मुख और ी सव च भली आ मा, कसी
ज रतमंद आ मा को बचाने के लए या कुछ कर सकते ह। यह एक ब त क ठन काय है। पर
य क उनके पास बड़ी श यां होती ह, इस लए वे चम कार कर सकते ह। अपने-आप म
सुधार करने और उ चतर तर म आने के लए सूरदास ने भी बड़ा जो खम उठाया, य क वह
एक भली आ मा थी। अपने बुर े दो त क संगत के कारण वह पूव ज म म गलत रा ते पर चल
पड़ा था। इस लए उसने यह जो खम उठाया, पर भा यवश इससे वह और भी नीचे गर गया।
२४-०५-१९८१
सूरदास क कहानी...जारी: ी उ च भली आ मा का पृ वी पर
आगमन

ी उलए, उनक
च भली आ मा ने नीलू से शांत होकर ई र से सूरदास और मोहनदास को बचाने के
मदद करने क ाथना करने को कहा। कई दन बाद ी उ च भली आ मा
ने एक फ़क र १० का वेश धारण कया और धरती पर उतर आए।

इस बीच सूरदास और मोहनदास पृ वी के कई लोग को लूटने और उ ह सताने म लगे थे। ी


उ च भली आ मा जस दन पृ वी पर पधारे, उसी दन दोन ने मलकर लूट क एक घटना को
सफतापूवक अंजाम दया था। उस लूट से दोन के पास हज़ार पये आए थे।

शराब और सफलता के नशे म चूर होकर दोन उस रात बड़े घमंड से घर लौट रहे थे। वे ब त
तेज र तार से गाड़ी चला रहे थे...तभी ी उ च भली आ मा उनके सामने कट हो गए। उ ह
अचानक सामने दे खकर सूरदास गाड़ी का संतुलन खो बैठा और वह एक खंभे से जा टकराई।
अपनी-अपनी सीट पर बेहोश पड़े सूरदास और मोहनदास को अ पताल ले जाया गया।

जब उ ह होश आया तो उ ह ने अपने-आप को अ पताल के ब तर पर पड़ा पाया। उ ह


भयानक दद हो रहा था। जब सूरदास को अनुभव आ क उसक दोन टांग गायब थ , तो वह
ब त नराश आ। वह मोहनदास ने अपनी एक टांग और एक हाथ खो दया था। उ ह ने
घटना के बारे म पूछा, तो उ ह बताया गया क वे शराब पीकर गाड़ी चला रहे थे। ट कर के
बाद गाड़ी के दरवाजे खुल गए थे और पय क बोरी लुढ़क कर पास क एक झाड़ी म जा
फंसी थी, जसका उ े य यह था क वे कसी ज रतमंद को मल जाए।

सूरदास और मोहनदास अपनी-अपनी हालत के लए एक- सरे को कोसने लगे और एक सरे


पर आरोप लगाने लगे। दोन का ब तर पास-पास ही था, इस लए दोन आपस म खूब लड़-
झगड़ रहे थे। नौबत यहां तक आ गई क डॉ टर को बीच-बचाव करना पड़ा और मोहनदास को
अलग वाड म रखना पड़ा। अब मोहनदास अकेला पड़ गया था। अब उसने अपने अतीत के बारे
म सोचना शु कया। उसे इस बात का अहसास आ क बुर े रा ते पर चलने के कारण ही उसे
अपने हाथ-पैर खोने पड़े। “अब मुझ े पूरी ज़दगी ःख भोगना पड़ेगा...,” मोहनदास ने सोचा।

इस सदमे से उसका अवचेतन मन फर से जाग उठा। अब वह जाग चुका था और अब


मोहनदास को ान आ क यही ई र का याय था। उसे गुमराह कर माग पर ले जाने के
लए उसने सूरदास को कोसा और उस ही ण, मोहनदास ने अ छाई के लए खुदको बदलने
का फ़ैसला कया।

दयालु सी दखने वाली एक नस, जसका नाम पूनम था, उसके ब तर के पास आई और उसे
एक इंजे शन दया। मोहनदास ने उसे भगवद् गीता ११ लाने को कहा, य क वह सौगंध लेना
चाहता था क अब वह कभी बुरे माग पर नह जाएगा।

पूनम ने भगवद् गीता लाकर मोहनदास के हाथ म रख द । मोहनदास ने गीता पर हाथ रखकर
सौगंध खाई। मोहनदास और पूनम दो त बन गए। मोहनदास ने उसके सामने खुलकर वीकार
कया क उसने कुछ महीने तक कतनी भयानक ज़दगी जी थी। उसने पूनम को बताया क यह
ई र का याय था और उससे कहा, “पूनम, मने कभी बुरे माग पर न चलने क सौगंध खाई है।
अब म हमेशा ई र क बताई राह पर ही चलूंगा।”

ई र ने मोहनदास क मदद क , और पूनम मोहनदास से ेम करने लगी। मोहनदास वकलांग


हो चुका था, इस लए वह पूनम के त अपने ेम के व लड़ने लगा। चूं क, पूनम भी उसक
कहानी जानती थी, इस लए उसे प का भरोसा था क वह कभी उससे शाद नह करेगी।

अ पताल से छू टने के एक दन पहले, पूनम ने उससे पूछा, “मोहन, अब तुम कहां जाओगे?”

“मेरे पास कोई जगह- ठकाना नह है, पूनम।”

“म अपने घर म अकेली रहती ं, और म तु हारी दे खभाल कर सकती ं।”

“पूनम, म तो ठहरा एक अपंग इंसान। म कैसे तुम पर बोझ बन सकता ँ?”

“मोहन, म तु ह बेहद चाहती ं। आओ हम शाद कर लेते ह। तु ह अपना प त बनाकर म ध य


हो जाऊंगी।”

उसक बात सुनकर मोहनदास ने भी उसे अपने दल क बात बताई- क वह भी उससे उतना ही
यार करता था, ले कन उसपर बोझ बनना नह चाहता था। पूनम ने उससे कहा क य द वह
उससे शाद कर ले तो उसका जीवन पूण हो जाएगा। य क वह एक नस थी इस लए दोन का
जीवन आराम से कटे गा। कुछ समय के बाद मोहनदास शाद के लए तैयार हो गया और दोन ने
अपनी सगाई क घोषणा कर द ।

अगले दन, मोहनदास को जैस े ही छु मली, वे दोन सीधा एक मं दर गए और वहां शाद कर


ली। यहाँ मोहनदास क कहानी समा त होती है। अब दोन का जीवन ब त ख़ुशहाल हो गया।
आगे चलकर दोन के तीन ब चे ए। मोहनदास ने नकली हाथ-पैर लगवा लए थे और अब वह
ईमानदारी क रोट कमाने लगा। ई र क बताई राह पर चलते ए, मोहनदास खुशी-खुशी
अपना जीवन बताने लगा।
२५-०५-१९८१
सूरदास क कहानी...जारी: सूरदास का और भी नीचे गरना

आ इए हम सूरदास क कहानी आगे बढ़ाते ह। उस घटना के बाद वह लंबे समय तक


अ पताल म रहा। उस थ त म वह कसी को न तो नुकसान प ंचा सकता था, न ही
कसी को लूट सकता था, और न ही कसी को परेशान कर सकता था। अ यथा वहां
उसक दे खभाल ठ क से न होती। हालां क वह मन ही मन लोग को हा न प ंचाने और उ ह
छलने, परेशान करने क योजना बनाने म जुटा आ था...ता क वहां से नकलने के बाद वह
अपनी करतूत को अंजाम दे सके। थोड़े म कह तो वह बद से बदतर बन चुका था। वह हर
कसी को...मोहनदास और ई र को कोसता रहता। उसके मन म घृणा भर चुक थी। यहां तक
क वह अपनी मां से भी घृणा करने लगा था।

इसी अव था म उसे अ पताल से छु मली। उसने अपनी मां से बात क और उसके साथ
अपने घर प ंचा। अपने पैर गंवाने के कारण अब वह चल- फर नह सकता था। इस लए उसने
अपनी मां से ब त मीठे श द म अपने काय म साथ दे न े का अनुरोध कया। मां तो ा मा
थी ही, वह खुशी-खुशी इसके लए तैयार हो गई।

सूरदास एक तीर से दो शकार करना चाहता था। उसने एक वधुर क सारी संप को लूटकर
उसे कंगाल बनाने क योजना बनाई। उसने यह योजना इस तरह बनाई क वह अपनी मां से भी
बदला ले सके। य क अब वह उससे भी उतनी ही घृणा करने लगा था। लूट सफल रही। उसक
मां ने उस को खूब सताया और लूट के माल को घर ले आई।

जब उसक मां रात म गहरी न द म सो रही थी, सूरदास अपनी हील चेयर पर पैस से भरा बैग
लेकर रफुच कर हो गया। उसने कुछ ऐसे सबूत छोड़ दए थे, जससे लोग को उसक मां पर
शक होता। रात गहरी हो रही थी, इस लए सूरदास अपनी हीलचेयर पर सूनी सड़क पर इंतजार
करने लगा।

आधी रात के व उसने एक गाड़ी को अपनी तरफ आते दे खा। उसने गाड़ी को कने का इशारा
कया। कार फ लप नामक एक २० वष य नौजवान चला रहा था। “कृपया मेरी मदद क जए।
म एक अपा हज ।ं मेरे पैर नह ह। मुझे खबर मली है क मेरी मां के साथ घटना हो गई है
और उसे अ पताल म भत कराया गया है। मुझ े उसके लए कपड़े और दवाइयां प ंचानी है।
या आप इस अपा हज क मदद नह करगे?”
बेचारा फ लप! उसे सूरदास पर दया आ गई। घर जाने के बजाए वह उसे अपनी कार म
बठाकर अ पताल क ओर चल पड़ा। इसी बीच सूरदास ने अपनी प तौल नकाली और
फ लप क कनपट पर टका द । उसने फ लप को हाईवे क ओर गाड़ी चलाने का आदे श
दया।

फ लप बु मान लड़का नह था। वह शहर म नया-नया आया था। उसे एक नया काम मला
था, जसके लए वह कुछ दन पहले बगलोर आया था। धूत सूरदास ने यह अंदाजा लगा लया
क वह लड़का उसका ब ढ़या गुलाम बन सकता था।

बगलोर छोड़ने से पहले सूरदास ने पु लस को कॉल कया और उ ह सूचना द क उसने कसी


औरत को एक धनवान को लूटते दे खा था। उसने यह भी बताया क उसने औरत का
पीछा कया और पु लस को उसके घर का पता भी लखवा दया और कहा क वह औरत शहर
छोड़ कर भाग जाए, इससे पहले वे उसे पकड़ ल। पु लस ने जब उसका नाम पूछा तो सूरदास ने
फोन काट दया। वाभा वक ही था... पु लस ने आनन-फानन म सूरदास क मां के घर को घेर
लया। घर क तलाशी लेन े पर उ ह सूरदास क मां के ख़लाफ़ कुछ सबूत भी मल गए। पु लस
ने सूरदास क मां को गर तार कर लया। लूट के पैस क जानकारी पाने के लए पु लस ने उसे
खूब ता ड़त कया।

पैस े तो सूरदास के पास थे। उसक मां ने पु लस को समझाने क को शश क पर उसक पुरानी


हरकत क वजह से पु लस को उसक बात पर जरा भी व ास नह आ। मां को जेल भेज
दया गया, जहां उसे कुछ साल तक क ठन प र म करने क सज़ा मली।

सूरदास ने फ लप का इ तेमाल कया और उसका दमाग यह कहकर कया क वह काले


जा क श रखता है। उसने फ लप को डराया क य द वह उसक बात नह मानेगा तो
अपनी चम कारी श से वह उसे जानवर बना दे गा। सूरदास ने उसे कुछ मामूली जा क
तकनीक भी दखा द ... जससे फ लप को भरोसा हो गया क सूरदास के पास कोई चम कारी
श थी। फ लप अनपढ़ था। उसने गांव के कूल म थोड़ी-ब त पढ़ाई कर गांव म ही ाइवर
क नौकरी क थी। कुछ समय बाद उसे बगलोर म ाइवर क यह नौकरी मली थी।

फ लप अब पूरी तरह से सूरदास क गर त म आ चुका था। रा ते म उन दोन ने गाड़ीयाँ


बदली.... फर एक गाड़ी चुराकर, पछली गाड़ी को पीछे छोड़ वे लाहौर जा प ंच।े सूरदास क
चतुराई से वे कसी तरह सीमा के पार प ंचने म सफल हो गए और भारत छोड़ दया। अब
सूरदास सुर त महसूस कर रहा था...वह अमीर था और फ लप के प म उसे एक गुलाम भी
मल गया था।
२६-०५-१९८१
सूरदास क कहानी...जारी: बल आ मा को साहस क ा त

जी वा रामा जगत म नीलू और उसके दो त काफ परेशान थे... य क सूरदास और भी अ धक


ते पर बढ़ चुका था। पर उ ह ी उ च भली आ मा पर पूरा भरोसा था...इस लए वे
जानते थे क कसी न कसी तरह से सूरदास अपने रा ते को छोड़ दे गा। ी उ च भली
आ मा को पता था क नीलू और उसके दो त परेशान थे। इस लए उ ह दलासा दलाने के लए
उ ह ने नीलू को बुलाया और कहा, “नीलू, म जानता ं तु ह मुझ पर पूरा भरोसा है..और तु ह
यह भी पता है क म अपने वचन से पीछे नह हटूं गा। पर सूरदास को और नीचे गरता दे ख तुम
तो अव य ही परेशान हो गई होगी। मेरी यारी ब ची, म तु ह अ छ तरह से समझता
ं...इस लए म तु ह समझाना चाहता ं। जस धनवान को लूटा गया था, वह एक पापी
इंसान था...इस लए उसे सबक सखाने क ज़ रत थी। और कंगाल हो जाने के बाद अब उसे
इस बात का एहसास हो गया है। सूरदास क मां भी बेहद औरत थी। इस लए उसे भी रोकना
ज़ री था...और यही कारण है क अब वह जेल म है। वह लड़का फ लप, एक कायर और
रीढ़- वहीन लड़का है और उसम भी सम या का सामना करने क ह मत होनी चा हए थी।
इसक बजाए वह गुलाम बन गया। वह एक भली आ मा है, पर उसम चेतना भी तो होनी
चा हए। इस लए कसी के साथ कोई अ याय नह आ। सबसे याय करने का ई र का अपना
एक रह यमयी तरीका होता है।”

“जी हां, ी उ च भली आ मा,” नीलू ने कहा। “अब म समझ गई। मुझ े समझाने के लए
आपका ब त-ब त ध यवाद! मुझ े आप पर और हमारे सवश मान ई र पर पूरा भरोसा है,
और अब मुझे उनके याय करने के रह यमयी तरीक का पता चल गया है।”

फ लफ, सूरदास का गुलाम बन चुका था। सूरदास एक करोड़प त इंसान बन चुका था और


अपनी सफलता पर बेहद ख़ुश था।

एक दन फ लप सूरदास के नए घर से कुछ री पर थ त एक च ान पर बैठा था। वह ःखी


होकर सोच रहा था क आ खर ई र ने य उसक मदद नह क । य उसे उन काम को करने
के लए मजबूर होना पड़ा है, जो उसक अंतरा मा वीकार नह कर रही थी। इन बात को
सोचकर वह इतना नराश हो गया क च ला उठा, “हे ई र, कृपया मेरी सहायता कर। अब म
सूरदास को और अ धक नह बरदा त कर सकता।” कुछ ही मनट बाद ी उ च भली आ मा
अपने फ़क र के वेश म वहां प ंच े और कहा, “मेरे ब चे, कृपया इस गरीब को कुछ खाने को दो।
म ब त भूखा ।ं ” फ लप को भूख-े यासे फ़क र पर दया आ गई और उसने उसे कुछ पैस े दे ने
के लए सहजता से अपनी जेब म हाथ डाला। पर वहां कुछ भी नह था। उसे याद आया क
सूरदास कभी उसे एक पैसा भी नह लेन े दे ता। वह उसे केवल खाना और कपड़े दे ता था।

फ लप क आंख म आंसू आ गए, और वह बोला “बाबा, मुझे खेद है क मेरे पास इस समय
आपको दे ने के लए कुछ भी नह ... य क म पूण प से एक का गुलाम ं।”

“मेरे ब चे, तुम गुलाम हो?”

“हां बाबा, आपको भरोसा नह होगा, पर यह सच है, क म एक गुलाम ।ं ”

“ या तुम अपनी कहानी मुझ े नह बताओगे? शायद म तु हारी कुछ मदद कर सकूं,” ी उ च
भली आ मा ने फ लप से कहा।

“बाबा, मुझ े नह लगता क आप मेरी कुछ मदद कर सकते ह, पर फर भी म अपनी कहानी


आपको सुनाऊंगा। इससे मेरे दल का बोझ ह का हो जाएगा। या आप मेरी दद भरी
अ व सनीय कहानी सुनना चाहगे?”

“हां-हां य नही, तुम अपनी कहानी सुनाकर अपने मन का बोझ ह का कर लो।”

फ लप ने उ ह सारा कुछ कह सुनाया और कहा, “मुझम उससे सामना करने क ह मत नह ।”

“पर तु ह इतना कायर और डरपोक नह होना चा हए। तु ह ता से मुकाबला करना चा हए


और इससे ई र ब त स ह गे।”

“हे फ़क र बाबा, दरअसल आप सूरदास को नह जानते। वह काला जा जानता है। आप नह


समझगे, मने उसक कुछ श य को अपनी आंख से दे खा है। वह मुझ े आसानी से एक
कु ा या ब ली बना सकता है। नह फ़क र बाबा नह , म उसके व नही जा सकता।

तब ी उ च भली आ मा ने कहा, “ फ लप, मेरे पास भी श है, पर यह अ छ श है। या


तुम मुझपर व ास करोगे? म कभी सूरदास को तु ह कु ा या ब ली नह बनाने ं गा। म तु ह
भरोसा दलाता ं क सूरदास तु ह जानवर नह बना सकता। आओ म तु ह वही जा दखाता
ं, जो उसने दखाया था...और तु ह समझाता ं क यह कैसे होता है। तब तुम मुझपर व ास
करोगे?”

“जी हां, मुझ े दखाइए क यह सब कैसे होता है।”


ी उ च भली आ मा ने फ लप को दखाया क कैसे सूरदास ने उसे बेवकूफ़ बनाया। यह सब
दे खकर फ लप इतना उ सा हत हो गया क वह उसी समय वहां से भाग जाना चाहता था। पर
ी उ च भली आ मा ने उसे रोका और उसे समझाते ए कहा, “ फ लप, सूरदास को सुधारने म
तु ह मेरी मदद करनी चा हए। चूं क मने तु ह इस दशा से बचाया है इस लए तु हारा भी कत
बनता है क तुम मेरी मदद करो।”

“हे फ़क र बाबा, आप भी अजीब इंसान ह। सूरदास के बारे म आप य चता कर रहे ह? उसे


नक म जाने द जए। हम उससे या मतलब? कृपया मुझे यहां से भाग जाने द जए और आप
भी ऐसी जगह से र चले जाएं।”

ी उ च भली आ मा ने कहा, “नह फ लप, म यहां अपना कत नभाने के लए आया ,ं


और तु ह भी अपना कत नभाना चा हए...अ यथा ई र अ स हो जाएंगे। या तुम
सवश मान ई र को नाख़ुश करना चाहते हो?”

“नह , ब कुल नह । मने ई र को पुकार लगाई थी और उ ह ने आपको मेरी सहायता के लए


भेजा है। इस लए क हए मुझे या करना है...म क ं गा। पर म आपसे वनती करता ं, कृपया
जतनी ज द हो सके, मुझे सूरदास से र चले जाने द जए।”

“ फ लप, बस एक दन और... फर तुम आज़ाद हो जाओगे। म जो क ंगा तु ह करना है और


फर तुम जा सकते हो। सफ तीन सौ पए लो और गाड़ी लेकर शहर चले जाओ। शहर म वेश
करने से पहले गाड़ी को छोड़ दे ना और अपने लए कोई नौकरी ढूं ढने क को शश करना। मुझे
लगता है रहन-सहन के लए तीन सौ पए तु हारे लए पया त ह गे। काम मल जाने के बाद तो
तु ह अपनी आमदनी होने लगेगी। अ धक पए मत लेना। सूरदास के पए अप व और
अ भश त ह। और हां, यह तु हारे नह ह। ये तीन सौ पए वो पए ह, जो तु ह काम के बदले
सूरदास से मलने चा हए थे। इस लए वचन दो क सूरदास क अलमारी से तुम इससे यादा
पये नह लोगे।”

“हे फ़क र बाबा, म वचन दे ता ;ँ आप तो कमाल के इंसान ह। ई र का लाख-लाख शु या क


हम मले...आपने मुझ े इस दशा से बचा लया और मुझ े ई र के रह यमयी तरीक के बारे म
पता चल गया। म आपसे वादा करता ं क म अब कभी बुरी राह पर नह चलूंगा, न ही पहले
जैसा कायर इंसान र ंगा।”

ी उ च भली आ मा यह जानकर काफ ख़ुश ए क फ लप ने भलाई के वा ते खुद को


बदला। अगले दन या करना था- फ लप को उ ह ने बताया। इसके बाद वे थोड़े समय के लए
फ लप और पृ वी को छोड़ कर वापस आ गए।
२७-०५-१९८१
सूरदास क कहानी...जारी: अहंकार का पतन होता है

प हली बार फ लप को एहसास आ क वह एक मनु य है, न क कोई न


कसी भी
लया।
य। उसने
का गुलाम न बनने और कसी गलत रा ते पर न चलने का संक प

ी उ च भली आ मा के नदश के अनुसार अगले दन फ लप सूरदास को गाड़ी म बठाकर


एक र-दराज के इलाके म लेकर गया, जो क उसके घर से ब त री पर था। उसने उसे यह
कहा क उसे एक गुफा क जानकारी मली थी, जहां ढे र सारे खजाने छु पे थे। हमेशा क तरह
सूरदास खुशी से फूला न समाया और फ लप को तुरंत उसे वहां ले चलने को कहा।

मील तक धूल भरी सड़क के बाद एक काफ संकरा रा ता आया। इस लए फ लप ने गाड़ी


रोक द और सूरदास को अपने कंधे पर बठा कर लगभग एक-डेढ़ मील तक चला। तब जाकर
उ ह एक गुफा मली। गुफा म छपे खजाने को दे खने के लए सूरदास बेस आ जा रहा था।
पर फ लप ने कहा, “मा लक, यह गुफा इतनी संकरी है क इसके अंदर जाना मु कल है। आप
इसी च ान पर बै ठए...म अंदर जाकर दे ख आता ं क कोई खजाना छपा भी है या नह ।”
फ लप ने सूरदास को नीचे रखा और गुफा के अंदर चला गया।

जैसा क फ लप को बताया गया था, गुफा के पीछे उसे बाहर नकलने का एक रा ता मला।
वह उस रा ते से बाहर नकला और एक सरे छोटे रा ते से अपनी गाड़ी तक प ंच गया। गाड़ी
से वह सूरदास के घर प ंचा...उसक अलमारी ज़ोर लगाकार खोली...उसम से तीन सौ पए
नकाले और उसी चुराई गाड़ी से शहर क ओर नकल पड़ा। कुछ दन बाद शहर म उसे एक
नौकरी भी मल गई और वह सरल और अ छा जीवन बताने लगा।

फ लप को गुफा म वेश कए काफ़ समय बीत चुका था...पर सूरदास लखप त बनने का
सपना दे खने म इतना रोमां चत था क उसे इस बात का अहसास ही न रहा। बाद म अचानक
उसका यान गया क फ लप तो एक घंटे से गायब था। वह फ लप को बाहर बुलाने के लए
चीखने- च लाने लगा और उसे जम कर कोसने लगा। पर कुछ ना आ।

सूरदास को लगा मानो फ लप वहां से गायब हो गया था...इस लए वह ऊबड़-खाबड़ प थर पर


रगकर गुफा के भीतर फ लप को ढूँ ढने जा प ंचा। वह कुछ और अंदर गया... फ लप के लए
उसक जुबान से बेहद बुर े श द नकल रहे थे और वह गु से से आग बबूला हो उठा था। उसके
दल म फ लप के लए घृणा भर आई थी। अचानक उसने अपने-आप को गुफा से बाहर पाया।
वह हैरान रह गया...उसे लगा कसी ने उसे एक करारा झटका दया हो। तब उसे इस बात का
एहसास आ क फ लप ने उसे मूख बनाया। पर उसे इस बात क क पना भी नह थी क
फ लप म उस जैसे ‘दादा’ १२ को धोखा दे ने क ह मत या चतुराई थी। सूरदास को पूरा यक न
था क फ लप उसका जीवन भर गुलाम बना रहेगा। उसे इस बात का काफ गव था क आज
तक उसे कोई मूख नह बना सका था। वह तो सर को धोखा दे न े म मा हर था, तो फर यह
कैसे आ? सूरदास को इस बात का पूरा यक न था क फ लप कभी उसके ख़लाफ़ जाने क
ह मत नह कर पाएगा। उसके लए यह एक बड़ा झटका था। वह इतना त ध रह गया क
चीखना- च लाना और भला-बुरा कहना भी भूल गया।

या यह संभव था क फ लप गायब हो गया था और सूरदास को अंधेरी..डरावनी गुफा म


अकेला छोड़ गया था? रात होने वाली थी। सूरदास ने सोचा क जंगल म जाने क बजाय गुफा
म ही रात बताना बेहतर होगा। वह डरा आ था और उसे इसका भान हो गया क जंगल म
जंगली जानवर भी थे...और उसके पास घर जाने का कोई रा ता नह था... य क इस व वह
घर से मील र था। आहार और पानी के बना वह या करेगा? य द कोई भयानक जानवर उस
गुफा म घुस आएं तो? वह अपने-आप को कैसे बचा पाएगा? या वह कल का सूरज दे ख
पाएगा? कुछ घंट म उसके साथ या होगा? वह तो मर ही जाएगा! उसे इसका अहसास आ
क फ लप क तरह ही वह भी तो उतना ही कायर और डरपोक है। अब उसे अहसास आ क
फ लप पर अबतक या बीती होगी।

“य द म म ं गा तो सीधा नक जाऊंगा।”

सूरदास गुफा क द वार के सहारे बैठा था... तभी भूलवश उसका हाथ प थर पर सरकते एक
सांप पर जा गरा। “हे भगवान, म कैसे ऐसी यातना सह पाऊंगा?” सौभा यवश सांप वहां से
रगता आ चला गया...उसी समय सूरदास को अहसास आ क उसने जन लोग पर जु म
कया था, उ ह कैसा महसूस आ होगा।

इस लए भ यास के साथ, वह रगकर गुफा के बीच म जाकर बैठ गया और सोचने लगा क
या करना चा हए। चार ओर सांप ही सांप भरे थे। य द वह गुफा के भीतर केगा तो सांप उसे
डंस सकते थे। और य द वह गुफा के बाहर जाएगा तो जंगली जानवर के हमले का खतरा था।
२८-०५-१९८१
सूरदास क कहानी...जारी: अवचेतन मन का फर से जागृत होना

“भ
गवान करे फ लप का अवचेतन मन उसे मुझ तक वापस भेज दे । कृपा कर
भु!” सूरदास रो पड़ा। पर उसे तुरंत एहसास आ- या उसका अवचेतन मन
उसे कभी भी सही राह पर लाने म सफल आ?

“मने अपने अवचेतन मन को अपनी ता पर य नह हावी होने दया? य मने अपने


अवचेतन मन को बंद कर रखा था और काम करता रहा? म इतना य था? ओह, मने
‘था’ कहा...तो या इसका मतलब यह है क म अब बदल चुका ? ं ”

एक-एक कर उसे उन लोग के चेहरे याद आने लगे, ज ह उसने लूटा था, यातनाएं द
थ ...लड़ कय के साथ बला कार कया था...और यहां तक क अपनी मां को भी मुसीबत म
डाल दया था।

“हे ई र, अब मुझ े बोध हो रहा है क उन सभी को कतना कुछ झेलना पड़ा होगा। बदला लेने
क मेरी भावना के कारण, मेरे उ े य के कारण, मेरी लालच और वासना के कारण उन
सभी को नक क यातना भोगनी पड़ी। इससे पहले ऐसा मेरे साथ कभी नह आ था- इसका
वचार भी मेरे मन म नह आया था। मुझ े तो हमेशा यही लगता था क कोई मुझ े नुकसान नह
प ंचा सकता या मुझ े कोई सता नह सकता। म तो का सरदार था। मुझ े इतना भरोसा था
क कोई मुझे धोखा नह दे पाएगा। पर इस डरपोक और ज मजात कायर इंसान न मुझे मूख
बनाकर मेरी तो आंख ही खोल द ! बेशक, ई र का याय यही है। म इसी के लायक ँ।”

अपने जीवन म पहली बार उसने ई र को याद कया था। तो उसने पहली बार ई र से ाथना
क और कहा, “हे मेरे य ई र, कृपया मुझ े बचाओ...म वचन दे ता ं क म एक अ छा जीवन
जऊंगा और आपक राह पर चलूँगा। म यह भी वादा करता ं क म संभव हो उतने लोग को
खोजूंगा, ज ह मने नुकसान प ंचाया है.. उनक मदद क ं गा... और उनक जो भी चीज़
अबतक मेरे पास ह, उ ह लौटा ं गा। म उ ह ख़ुश रखने का भरपूर यास क ं गा। म जानता ं
ऐसी भयानक ज़दगी जीने के बाद म ब त अ धक माँग रहा ं...पर हे मेरे ई र, बस मुझ े एक
मौका और दे दो। सफ एक मौका...ता क म नक जाने से बच जाऊं और यहां पृ वी पर इन सांप
एवं जंगली जानवर के बीच रहकर नक झेलने से बच सकूं। हे ई र, म आपसे पहली बार
ाथना कर रहा ं। मुझ े पहली बार अहसास आ है और ता से अ छाइय क तरफ जाने का
मेरा ढ़ फ़ैसला है। कृपया मेरी मदद कर, मुझे बचाएं-और अपनी सही राह सुझाएं। हे ई र
आप मुझे अपनी सू ता का आ शवाद द, और मुझे एक अ छा जीवन जीने म मदद कर। कृपया
आप इस बार मुझ े बचा ल...इसके बाद म कभी बुराइय क राह पर नह चलूंगा।”

इसके बाद सूरदास ब च क तरह फूट-फूट कर रोने लगा। जब वह शांत आ तो उसे अनुभव
आ क उसके वचार और उसक भावनाएं कतनी प व और स ची थ । या यह कभी संभव
था क उस जैसे शैतान क ई र मदद करगे? उनके अलावा इस भयानक जंगल म उसे बचाने
कौन आ पाता? सुबह होने तक या वह उन सांप और जंगली जानवर से भरे जंगल म जदा
बच पाएगा? सूरदास को यह संभव नह लग रहा था।

“पर ई र! आप तो अपने चम कार के लए जाने जाते ह! ...तो हे भु, चम कार कर... कृपया
मुझ े बचा ल और म वादा करता ं म कभी गलत राह पर नह चलूंगा!”

उसी ण उसे जानवर के गुफा के पास आने क आहट सुनाई द । उसे अब अपना अंत नजर
आने लगा। घाव और खर च के बावजूद बड़ी मेहनत से रगकर वह गुफा के कुछ और अंदर
एक गहरे अंधेरे कोने म खसक गया। उसे यक न था क वहां कई सारे सांप थे... पर उसने
जंगली जानवर के हमले के बजाए सांप के काटने से मरना यादा उ चत समझा। गुफा के उस
अंधेरे कोने म जब वह बचने क को शश कर रहा था, उसी समय एक सांप उसक छाती पर से
होकर चला गया।

“हे भु, मुझ े बचा लो...अब म कभी गलत काम नह क ं गा ।” यह आवाज़ उसके दल क
गहराई से नकली थी।

उसे याद आने लगा क कैसे उसके शकार बने लोग भी इसी तरह उससे वनती करते थे...पर
वह, जो सबसे ू र इ सान था...उनपर हंसता और उ ह और अ धक ता ड़त करता। या उसने
कभी उन लोग के त जरा भी दया दखाई थी? नह , कभी नह । तो फर आज ई र उसके
त भला य दया दखाएंगे?

वह फर रोने लगा और उसे पूरा भरोसा हो गया क उसके बचने क अब कोई उ मीद नह थी।
“म अब कभी सवेरा नह दे ख पाऊंगा। हे ई र, मुझे ख म कर दो। मेरे दय क धड़कन को
रोक दो। मुझ े पता है म नक ही जाउंगा...पर मुझ े इन जंगली जानवर के हाथ मरने और सांप
के काटने से बचा लो। हे भु, अब मेरा जीवन समा त कर दो।” एक और सांप उसके शरीर पर
से गुज़रा और वह चीख उठा, “हे भु, मुझपर दया कजीए, कृपया मुझ े और ता ड़त नां कर।”
उसके नवजागृत अवचेतन मन ने उससे पूछा, “ या तुमने कभी अपने शकार य के त
दया दखाई थी?”

“हां, तुम सही कहते हो...मुझ े उनपर कभी दया नह आई। अब म समझ चुका ं... पर अब तो
ब त दे र हो चुक है। अब तो मुझ े क झेलना ही होगा। ई र मेरे त दया और हमदद य
दखाएंग े भला?” सूरदास स चे मन से पछताने लगा और सुधरने क इ छा करने लगा...पर उसे
कोई रा ता नज़र नह आ रहा था। उसे पता था उसका बचना अब मु कल हो चला था।

उसके अवचेतन मन ने एक बार फर उससे कहा, “ या तुमने कभी लोग को नुकसान प ँचाने
से खुदको रोका? तो ई र य चम कार कर तु ह बचाए? जब तु ह लगता था क तुम ख़ुश और
सफल हो, तब कभी तुमने ई र के बारे म सोचा था? तो अब य ई र को याद कर रहे हो?
अब उनक मदद के लए य पुकार लगा रहे हो?”
२९-०५-१९८१
सूरदास क कहानी...जारी: ी उ च भली आ मा का कट होना

सू रदास को अब सब क ु छ साफ-साफ नज़र आने लगा...और उसे पूरा यक न हो गया क अब


काफ दे र हो चुक थी...और कुछ ही घंट म उसका नक जाना न त था।

“ई र हमेशा याय करते ह। मुझ े यह ब त दे र से समझ आया। ई र सदा याय संगत होते ह।
भले ही दे र से मले पर याय मलता अव य है। अब मुझ े अपनी सज़ाएं भुगतनी ही ह गी- मेरे
पास अब कोई रा ता नह बचा।”

उसका अवचेतन मन एक बार फर उसे कहने लगा, “तुम चाहते हो क ई र तु हारे लए कोई
चम कार करे; ठ क है... यह रहा चम कार-अब तुमम सुधार होगा...।” सूरदास को इन बात का
मतलब समझ म नह आया, ले कन उसने सोचना जारी रखा, “मने कम कए। अब मुझे
सज़ा भोगनी ही होगी। हे ई र, मुझे अपनी सज़ा भोगने के लए सही राह दखाइए-मुझे
अपनी आ मा को शु करने का उपाय बताइए। मुझ े बारा फर कभी बुरी राह पर न जाने द।
हे ई र, मुझे अंधःकार म काश दखाइए और म फर कभी आपक राह से मुंह नह मोडू ंगा। हे
ई र, मेरी आ मा को ता से बचाइए। य द मेरे भौ तक शरीर को यातना भी मले तो मुझे
इसक परवाह नह , ले कन मेरी आ मा को बचा ली जए।”

रात इसी तरह बीत गई और सुबह के समय उसे उस अंधेरी गुफा म रोशनी क एक करण
दखाई पड़ी। वह अ यंत हैरान रह गया।

“हे ई र, यह तो चम कार है। हां, यह चम कार ही है। आपने मुझ े बचा लया!”

सूरदास खुशी से उ े जत हो गया। यह सब कैसे आ, इसे समझना उसक क पना से परे था।

सूरदास के अवचेतन मन ने एक बार फर उसे समझाना शु कया, “सूरदास! जहरीले सांप


और भयानक जंगली जानवर को भी पैर कटे , लाचार इंसान पर दया आती है, पर तुम जैसे
इंसान को तो मासूम, लाचार और अ छे लोग पर भी दया नह आई।” सूरदास को अपने आप
पर ब त शम आई। उसने फर कभी बुरी राह पर न चलने क कसम खाई।

“इस घने जंगल म मेरे बचने का मौका अभी भी काफ कम है। यहां कोई आता-जाता नह ...
आ खर म कैसे यहां से बाहर नकल पाउंगा? हे भगवान, आपने मुझ े सभी जंगली जानवर से
बचाया...अब कृपया मुझ े इस जगह से भी बचा लो, ता क म एक अ छा जीवन जी सकूं और
अपनी सभी करतूत का प ाताप कर सकूं। हे ई र, एक बार फर मेरी मदद करो। मुझे
पता है क म कुछ यादा ही माँग रहा ँ, पर मेरी आ मा पर दया करो भु।”

बड़ी क ठनाई से रगकर वह गुफा के बाहर आया...और एक च ान पर बैठकर ई र से स चे मन


से ाथना करने लगा। कुछ घंट बाद सूरदास ने एक पु या मा फ़क र को दे खा। वह श थल
और थका-मांदा दख रहा था। उसे दे खकर सूरदास उ सा हत हो गया और उसने ऊंचे वर म
आवाज़ लगाई, “कृपया मेरी मदद करो बाबा!”

पु या मा फ़क र (हमारे ी उ च भली आ मा) उसके पास आए और कहा, “मेरे ब चे, तुम एक


इंसान हो या नेक इंसान? म कसी इंसान क कभी कोई मदद नह करता। इस लए मुझे
बताओ... तुम हो या नेक?”

फ़क र क बात सुनकर सूरदास यह कहने ही वाला था क वह एक भला इंसान था...पर उसने


ऐसा नह कहा... य क उसका अवचेतन मन अब जाग उठा था। वह तुरंत क गया और कहा,
“हे फ़क र बाबा, आइए यहां बै ठए और मेरी कहानी सुन ली जए। इसके बाद य द आपक
अंतरा मा आपको मेरी मदद करने के लए कहे तो मेरी मदद क जएगा, वना आप अपनी राह
चले जाइएगा... और ई र आपका भला कर!”

ी उ च भली आ मा एक शले पर बैठ गए और कहा, “ठ क है...तुम अपनी कहानी


सुनाओ...म सुन रहा ।ँ ”

सूरदास ने फ़क र को सारी स चाई बयां कर द । उसक बात को सुनकर ी उ च भली आ मा


काफ भा वत ए...पर वे अब भी उसक परी ा लेना चाहते थे। “तुम इस लए अपने-आप को
बचाना चाहते हो ता क तुम आगे भी काम कर सको।”

“नह फ़क र बाबा, म अब कभी बुरे काम नह क ं गा। मुझ े कड़ी सज़ा मल चुक है और अब
मुझ े पूरा भरोसा है क ई र ने पछली रात मुझ े इस लए बचाया ता क मुझ े एक अ छा जीवन
जीने का मौका मल सके। य क ई र ने यह मौका मुझ े दया है, इस लए बदले म म भी ऐसी
राह चलूंगा क उ ह मुझपर गव हो।”

इन बात से ी उ च भली आ मा भा वत ए...और उ ह ने दे खा क सूरदास का भामंडल


तथा पंदन भी बदल चुके थे। उ ह ने कहा, “ठ क है सूरदास, म तु हारी मदद क ं गा।” उ ह ने
सबसे पहले सूरदास को खाना और पानी दया। उसके बाद वे सूरदास को उसके घर प ंचा
आए, और उसे वहाँ छोड़कर जीवा मा जगत म लौट गए। अब उनका काम पूरा हो चुका था।
सूरदास अब भी पृ वी पर ही है। नकली पैर के सहारे वह एक भला अ छा, और नः वाथ
जीवन बता रहा है। उसक मां जेल से छू ट गई.. य क पु लस को उसके ख़लाफ़ कोई पु ता
सबूत नह मले। अदालत ने संदेह का लाभ दे त े ए उसे रहा कर दया। सूरदास ने इस बात के
बारे म सुना और उसने अपनी मां को अपने साथ रहने को कहा। समय के साथ उसने अपनी मां
को भी सुधार दया।

मां और बेटे, अब स चाई भरा, दयालु एवं नः वाथ जीवन जी रहे ह। पर सूरदास को यह पता
नह चला क ी उ च भली आ मा और नीलू ने कस कार उसक मदद क थी। जब
वह जीवा मा जगत म वापस लौटे गा तो उसे सब कुछ पता चल जाएगा।

नीलू बेहद ख़ुश ई और उसने ी उ च भली आ मा का तहे दल से शु या अदा कया। इसी


कार कई सारी जीवा मा ने पृ वी के लोग क मदद क है। आप इसे चम कार कहते ह... हां
यही तो चम कार है!
३०-०५-१९८१
मनु य का असली प उसका अवचेतन मन है

पृ जीवा
वी पर हम अकसर यह सवाल सुना करते थे, “पृ वी पर हम अपने पछले ज म या
मा जगत के बारे म य नह जानते? य ई र हमारे मन से उन मृ तय को मटा
दे त े ह?”

आपका अवचेतन मन हर एक चीज़ जानता है। आपके साथ (या न आपक आ मा के साथ) जो
कुछ भी होता है, वह शु से ही आपके अवचेतन मन म अं कत होता है। भा य से, आपका
भौ तक मन यह सबकुछ नह संभाल पाता और यादातर मामल म यह आपके अवचेतन मन
के साथ संघषरत रहता है। केवल कुछ ही आ माएं, जो ब त उ च तर पर होती ह, अपने
अवचेतन मन ारा अपने भौ तक मन को नयं ण म रख पाती ह। इन आ मा म अ त र
संवेदना मक बोध होता है और इनम से कुछ आ माओ को पृ वी के अपने पछले ज म क
घटनाएं भी याद होती ह। उनम कभी कभी अपने वा त वक संसार अथात् जीवा मा जगत क
मृ तयां भी बनी रहती ह, ले कन ऐसा कभी-कभी ही होता है।

आप शायद यह जानना चाहगे क आपका अवचेतन मन इन मृ तय को य सुर त नह


रखता। जैसा क हमने बताया, आपके भौ तक मन के लए इ ह संभाल पाना मु कल होता है।
इसके अलावा, आपका अवचेतन मन नह चाहता क आप वह सब जाने य क आप पृ वी पर
अनुभव हा सल करने, अपनी परी ाएं दे न,े श ण लेन े और कम का फल भोगने आए ह।
य द आप सबकुछ जान जाएंगे तो आपको उन सब बात के साथ तालमेल बठाना ब त
ही मु कल होगा और जीवन म कोई आनंद नह रहेगा। आप अपना जीवन एक यं क
तरह तत करगे। य द आपको अपने कम का पता चल जाए तो धरती पर आपका
जीवन नीरस हो जाएगा।

आपका अवचेतन मन हर बात जानता है और वह कभी ग़लती नह करता। इसम हर बात दज़


होती है। पृ वी पर ज मी उ चतर तर क आ मा का अवचेतन मन धरती क साधारण
आ मा क तुलना म थोड़ा अ धक ताकतवर होता है। हमने कहा ‘थोड़ा अ धक’, य क
जीवा मा जगत म भी हमारा अवचेतन मन पूरी तरह कायशील नह होता। हालां क, पृ वी के
मनु य क तुलना म यह अ धक जागृत होता है। जीवा मा जगत म केवल सातव लोक के
बाद ही आपका अवचेतन मन उ च मता के साथ काम करता है।

पृ वी के कुछ योगी १३ और धमा मा मनु य म लंबे समय तक यान करने क मता होती है।
उनका अवचेतन मन अ धक से अ धक जागृत होता जाता है और वे अपने भौ तक मन को
अपने अवचेतन मन ारा नयं त करते ह। आप जैसे यादातर लोग के वपरीत, वे अपने
भौ तक मन के ग़लाम नह होते। अपने भौ तक मन के गुलाम मत ब नए। य द आपने अपने
भौ तक मन को नयं त नह कया तो वह आपको बद से बदतर हालात क ओर ले जाएगा।

जब आप दे ह यागते ह, तो आपका भौ तक मन आपके भौ तक शरीर के साथ ही मर


जाता है। आपका भौ तक मन आपको अपने वश म करने और आपको अपने अनुसार
संचा लत करने के लए ाकुल रहता है। ले कन, आप अपनी इ छाश का योग कर और
इसे अपने ऊपर हावी न होने द।

आप अनंत काल तक के लए अपने अवचेतन मन से जुड़ी ई एक आ मा ह, फर आप कैसे


अपने कमजोर और अ श त भौ तक मन को अपना मा लक बनने दे सकते ह? या आप
इतने कमजोर और रीढ़ वहीन ाणी ह क आप इसे नय ण म नह रख सकते?

अब से यह याद र खएः आपका अवचेतन मन ही आपका वा त वक व प है। इस लए


अपने भौ तक मन को अपना मा लक बनने मत द जए। अपना मा लक खुद ब नए।
३१-०५-१९८१
पूवज म क बात य याद नह रहत

पृ जाते
वी के लोग जीवा मा जगत और अपने पूवज म क संजोयी ई सभी मृ तय को भूल
ह। अनुभव हा सल करने, खुद को श त करने और अपनी आ मा को शु करने
के लए हम पृ वी पर कई बार ज म ले चुके होते ह, ता क हम अ धक से अ धक ऊंचे तर पर
ग त कर सक। य द हम पृ वी के अपने सभी पूवज म को याद रख तो या इससे हम अ धक
ान हा सल करने म मदद मलेगी? ब त लोग कहगे ‘हां’, ले कन हमारा कहना है क ऐसा नह
होता, य क य द आप अपने पूवज म को याद रखगे तो या आप अपनी पछली ग़ल तय
को हराएंगे? कभी नह ।

इस लए अपनी ग़ल तय को सुधार कर, अपनी सम या को सुलझाकर और मुसीबत का


सामना कर आप अपनी आ मा का शु करण करते ह। बना ग़लती कए, बना सम या से
जूझे और बना दद महसूस कए आप अ छे और बुर े म अ तर नह कर पाएंगे। य द आप यही
न समझ सक, तो जीवन का या अथ है? जीवा मा जगत और पूवज म क याद को सुर त
रखकर मनु य का जीवन एक यं क तरह हो जाएगा। अपनी परी ा, श ण और कम के
त आपका रवैया वाभा वक नह रह जाएगा। जीवन म आप जो चुनगे, वह पहले से सोचा-
समझा आ होगा। ऐसा चुनाव आपक वा त वक मनो थ त के कारण कया गया नह होगा।

पृ वी पर हर कोई खुशी चाहता है, ले कन या वे जानते ह क खुशी असल म होती या है?


नह । धरती पर लोग सोचते ह क खुशी का अथ है ब त सारा पया-पैसा, ऐशो-आराम, मौज-
म ती और शोहरत। हम यह बताते ए अफ़सोस होता है क ये चीज स ची खुशी नह दे त ।
असली खुशी तो स चे यार, कृ त क सु दरता, दल से नकली ई हंसी और मु कान (जैसा
क ब त लोग करते ह, ये जबरन ओढ़ ई नह होनी चा हए), नः वाथ भाव से सर क मदद
करने और खुद को उ च तर तक उठाने के लए अपनी आ मा को शु करने से मलती है।

आप अपनी आ मा को शु करगे और उ चतर तर को हा सल करगे, और आप इसे गल तयां


कर, उ ह वीकारते ए करगे। यह इस बात पर भी नभर करता है क आप अपनी ग़ल तय को
कस तरह सुधारते ह, अपनी सम या को कस तरह सुलझाते ह और कस तरह अपनी
मु कल का सामना करते ह। ये सभी चीज़ आप पर ही नभर करती ह क आप अपनी
ग़ल तय को सुधारने, सम या को सुलझाने और मुसीबत का सामना करने म कस कार के
तरीके अपनाते ह-स चे, सीधे और ई रीय तरीके, अथवा बुराइय और ता से भरे तरीके।

उदाहरण के लए य द आपसे कोई ग़लती हो जाए और आप यह मानते ह क आपने ग़लती क


है, तो आपको उस ग़लती को ज र सुधारना चा हए। आपको धरती पर अनुभव हा सल करने,
खुद को श त करने और अपनी आ मा को शु करने के लए भेजा गया है। इससे आप
खुद को उ चतर तर तक उठा पाएंगे, इस लए आपको जीवन म सम या , मुसीबत और
अ याय का सामना करना ही चा हए।

यहां जीवा मा जगत म हम हर चीज याद रहती है। हमारी मृ तयां आपक तरह मट नह जाती,
इस लए हमारा वकास ब त धीमा होता है। आपका ज म धरती पर इस लए होता है क आप
तेज ग त से वकास कर सक, ले कन आपम से यादातर लोग नीचे गरते चले जा रहे ह।

आप हैरान ह गे क य आप अपने वा त वक संसार, जीवा मा जगत क बात याद नह रख


सकते। य द आपको जीवा मा जगत क बात याद रह जाएं तो आप भले लोग पृ वी पर
जीने से घृणा करगे। ले कन बुरी और आ माएं भा य से यह भूल गई ह क पहले,
सरे और तीसरे लोक कैसे होते ह।

कई बार जब नद ष होने के बावजूद आपको दोषी ठहराया जाता है तो ई र के ती आपक


आ था डगमगाने लगती है।

ऐसी हालात म आपके मन म सवाल उठते ह, “ या यह सच है क ई र ह? य द ऐसा है, तो


फर वह अपने आप को कट य नह करते? य उ ह ने कई बार मेरा साथ नह दया? जब
मुझ े उनक सबसे अ धक ज रत होती है, तब वह कह नह दखते। मुझ े याय य नह
मलता? य द इ र इतने ही भले, दयालु और यायशील है तो य वे लोग को सफलता क
ऊंचाइय तक प ंचने दे त े है? य लोग सफल होते ह और भले लोग को क भोगना पड़ता
है? आ ख़र य ?”

या आपने भी कभी ऐसे सवाल कए ह? ये रहे कुछ जवाब:

१. या ई र सचमुच होते है?

हां, ब कुल ई र होते ह। य द ऐसा नह है, तो आपको कसने रचा? कसने पृ वी बनाई?
कसने पेड़-पौध , फूल , फल , सम दर , न दय और पहाड़ क रचना क ? कौन है, जो
रह यमय तरीके से आ मा के साथ याय करता है? कसने आपके मन म सु दर और
यारी भावनाएं भर ? कौन इतना दयालु है जो आपको आपके यजन के नकट रखता है?
ई र के अलावा, कौन इतना कुछ कर सकता है?

२. आप नद ष थे, फर भी दोषी सा बत कए गए। कहां थे ई र उस व ? इसके भी कई


जवाब ह। उनम से एक आपके लए ज र सही रहेगा:
(क) या आप यक न से कह सकते ह क आपने कभी कसी को ःख या नुकसान नह
प ंचाया? हो सकता है आपको इसी बात क सजा मल रही हो।
(ख) हो सकता है आपने कसी को ःखी कया हो या आपने पूव ज म म पाप कए ह , और
यह उसी का फल हो।
(ग) वाभा वक प से आप अ धक से अ धक ऊंचा उठना चाहते ह, इस लए जरा सो चए,
या आप बना सम या का सामना कए ग त कर पाएँगे?
(घ) य द आप सोचते ह क आप ब त धा मक और भली आ मा ह, तो या आपने कभी
खुद का व ेषण कया है? जरा पता लगाइए क आपने जो भी काम कए या वे सही
थे, और या वे नः वाथ भाव से कए गए थे, या उनम पाखंड, वाथ या बेईमानी
ब कुल नह थी? या आपने कभी कोई अ छा काम कसी वाथ उ े य से कया है?
या आपको कभी ऐसा वचार भी आया क वह नेक काम करने से आपको वग
मलेगा, स हा सल होगी या फर ऐसा करने से आपके पाप धुल जाएंगे? ऐसे नेक
काम, नेक नह होते। आप केवल नया और खुद अपने आप को धोखा दे रहे होते ह।
पृ वी पर लोग हर समय खुद को धोखा दे त े रहते ह और ई र को भी धोखा दे न े क
को शश करते है, जो नामुम कन है। तो या आपको लगता है क आप पाप कर रहे ह?
हां, ब कुल आप पाप कर रहे ह।
(ड) पृ वी पर यादातर लोग के लए धन सबसे मह वपूण चीज है। कसी भी चीज का
ज रत से यादा होना, ठ क बात नह । आप यह भी जानते ह क सारी ता क जड़
पया है। पया मनु य को अ धा बना दे ता है। यह उसके कान को ऐसा बहरा बना दे ता
है क उन तक ग़रीब क वनतीयां नह प ंचती। पया आपके दय को प थर बना
दे ता है। आप दया, वफ़ादारी, यार (हमारा मतलब स चे यार से है) और अपने प रवार
तथा अ य लोग के त अपनी ज मेदारी और कत भूल जाते ह।
(च) या आपने कभी कसी को ग़लत आंका है अथवा कसी को गुमराह कया है? हो
सकता है यह उसी क सजा हो।
(छ) या आप कभी ब त स या लोक य होना चाहते थे? हो सकता है आपक उस
इ छा और मह वाकां ा ने कसी को नुकसान प ंचाया हो या कसी को गुमराह कया
हो।
(ज) य या परो प से, या आपने कभी अपने वाथ उ े य के लए कसी को क
दया है?
(झ) या आपने कभी कसी का साथ दया है, य द आप लोग के साथ
अ छा वहार करते ह, तो बने रहने के लए आप उ ह ो साहन दे त े ह और इस
कारण आप भी उसी वग म स म लत हो जाते ह।

या आपने यह महसूस कया है क सवश मान ई र कभी अ यायी नह हो सकते और वह


कभी कसी के त अ याय नह करगे? य द आप वा तव म नद ष ह तो चाहे आपके पास
सबूत हो, या न हो, वे आपको नद ष ही सा बत करगे, बशत आप ई रीय राह पर चलते
रह। हो सकता है ऐसा त काल न हो इसम महीन , वष अथवा दशक लग जाएं, ले कन वे याय
ज र करगे।

खुद का व ेषण क जए। अपने आप से यह सवाल पू छए और हम यक न है क उनम से


एक न एक आप अपने लए सही पाएंग।े जब भी आप कसी मु कल म पड़ जाएं अथवा
आपके सामने कोई सम या खड़ी हो जाए तब अपने आप से यही सवाल कर।

हम चाहते ह आप यह समझ ल: आप पृ वी पर ह और पृ वी आपक आ मा के लए एक


श ण के है, जहां आपको अनुभव ा त होता है। उ चतर लोक तक प ंचने के लए और
शा त ख़ुशी पाने का आपके लए यह एक अवसर है। पृ वी आपको अपने कम का फल
सहजता से भोगने, नेक काम करने, नः वाथ भाव से सर और अपने यजन क मदद करने
का मौका भी दे ती है। तो फर आप या आशा करते ह - बना मु कल वाला जीवन? बना
कांट के गुलाब क यारी? आप अपनी नया से या उ मीद कर सकते ह-लबालब भरी
ई अ छाई?

आपको अपनी सम या के साथ बहा री और ख़ुशी से संघष करना चा हए।

आपको बुराइय से लड़ना चा हए।

आपको अपनी आ मा को शु करना चा हए।

आप इ ह कारण से इस व पृ वी पर ह। हमेशा इसे याद र खए और बहा र, साहसी और


बु मान ब नए। आज आपको लग सकता है क ई र अ यायी ह ले कन एक दन आपको
ज र पता चलेगा क सवश मान ई र ने जो कया वह ब कुल सही था। वही आपके और
आपके यजन के लए सबसे े था। इसम कोई ग़लती नह हो सकती।
०३-०६-१९८१
जीवा मा मागदशक

पृ अलग-अलग ह। याद रख, पृ


वी पर आप सब और यहां जीवा मा जगत म हम - सभी मनु य ह, ले कन हमारे वभाव
वी पर आप अपनी आ मा को शु करने के उ े य से आए
ह।

इस लए, घृणा को छोड़ ेम अपनाइए।

ई या का याग कर समझदारी को अपनाईए।

दय क कठोरता रकर दयालुता अपनाईए।

बेईमानी और चाला कय को छोड़कर ान को अपनाईए।

वाथ को छोड़कर नः वाथता को गले लगाइए।

इ ह रा त पर चलकर आप अपनी आ मा को शु कर पाएंगे और वयं को उ च तर क ओर


ले जा पाएंगे।

पृ वी पर पुनज म एक कार का जुआ है। सूरदास क कहानी म आपने यह ज र दे खा होगा।


हालां क आप अपनी आ मा को शु करके एक उ च तर तक प ंच, यह ब त मह वपूण है।
इसी लए सवश मान ई र ने आपको भाव से बचने के लए दोहरी सुर ा दे रखी है
ता क आपका आ या मक पतन न हो। इसम से एक सुर ा तो आपका अपना ही श शाली
और सबसे उद् भुत अवचेतन मन है जो हमेशा आपको बुराई क ओर बढ़ने से रोकता है, बशत
क आपने उसका कहना न मानने का फौसला कर लया हो, और इसी कारण वह सु त हो गया
हो। सरी सुर ा आपका जीवा मक मागदशक है, जसे कुछ लोग अ भभावक फ़ र ता कहते
ह। पृ वी क सभी आ मा के पास जीवा मक मागदशक होते ह जो जीवा मा जगत
से उनपर नज़र रखते ह। ये मागदशक आपको यह बताते ह क आपने कहां ग़लती क है।

आपका जीवा मक मागदशक आपके बारे म सबकुछ जानता है और आपको सही रा ते पर


कायम रखने के लए संकेत दे न े क पूरी को शश करता है।
आपका अवचेतन मन सु त होने से पहले आपके जीवा मक मागदशक को पुकारता है और
उससे कहता है क, “अब मेरा कोई उपयोग नह रहा, इस लए तुम मेरे कत का भी अ त र
बोझ उठा लो।”

आपके भौ तक मन के ज रए आपको सही रा ते पर रखने म आपके मागदशक को ब त


क ठनाइयां होती ह। मागदशक को सीमाएं लांघनी पड़ती ह और आपके भौ तक मन को अपने
अनुसार काम करने के लए बा य करना पड़ता है। ऐसी थ तय म, पृ वी के कुछ लोग भौ तक
मन के ज रए भी सुन नह पाते। आपको दए गए दशा- नदश को आप अ वीकार कर दे त े ह
और सर को नुकसान प ंचाना जारी रखते ह।

आप सोचते ह गे क आप सर को नुकसान प ंचा रहे ह और आपम से कुछ को इसम आन द


भी आए, ले कन सच तो यह है क आप खुद को ही नुकसान प ंचा रहे ह, और वह भी
कसी अ य क तुलना म सैकड़ गुना अ धक।

अपने अहंकार को अपनी जेब म र खए और खुद से सवाल पू छए क सर को नुकसान


प ंचाकर हा सल क गई सफलता अथवा सर को नुकसान प ंचाने से मली ई खुशी से या
कभी आपको शा त आनंद मल सकता है? या इससे कभी आप उ च तर क ओर जा
सकगे? पृ वी पर कुछ वष क ख़ुशी के लए या आप अपने वा त वक और अनंत आनंद को
याग कर हजार साल तक नक म जीना पसंद करगे? या यह मूखता नह ?
०४-०६-१९८१
जुड़वां आ माएं

जी वाइस माएं
अपने यजन को उ च तर क ओर ले जाने के लए उ सुक रहती ह। वे हमेशा
बात क कड़ी को शश करती ह क अपने यजन को वे गलत राह पर कभी न
चलने क ेरणा दे सक, ता क उ ह क न भोगना पड़े।

येक आ मा क एक जुड़वां आ मा होती है। बड़ी मु कल हो जाती है जब एक जुड़वां आ मा


उ च तर पर और सरी न न तर पर हो। जो आ मा उ च तर पर होती है उसे अपनी जुड़वां के
समान तर तक प ंचने क ती ा करनी पड़ती है। इस कारण, जीवा मा जगत म उ च तर पर
थत आ मा को पृ वी पर रहने वाले न न तर पर थत आ मा को ो सा हत करना पड़ता है।
पृ वी पर क जुड़वां आ मा को उ च तर पर ले आना ब त ही मु कल काम होता है। सभी
जुड़वां एकसाथ रहना चाहते ह, चाहे उनक सरी जुड़वां आ मा बुरी हो या भली।

पृ वी के जो लोग अपने अवचेतन मन को सु त हो जाने दे ते ह और अपने जीवा मक मागदशक


ारा भेजे गए संकेत के अनुसार चलने से इनकार कर दे त े ह, वे हम जीवा मा के लए
वा तव म सम या बन जाते ह। कसी एक जुड़वां के लए अपने सरे साथी को सही रा ते पर
लाना ब त ही मु कल काम है।

ब त कम जुड़वां ऐसे होते ह जो समान तर पर ह , इस लए उ च तर पर थत जुड़वां को


अपने साथी के लए २-३ नह , २०-३० नह , न ही २०० या ३०० वष, ब क कभी-कभी तो
५०० या ६०० वष तक इंतजार करना पड़ता है। जब कोई आ मा पहले, सरे अथवा तीसरे
लोक म प ंच जाती है, तो उसे उ च तर पर प ंचने के लए सैकड़ पृ वी-वष का समय लगता
है। कुछ को तो हजार वष भी लग जाते ह।

अपने साथी के लए इंतजार करने वाली जुड़वां आ मा क इ छा इतनी बल और स ची होती


है क वह अपने साथी क मदद करने के लए पृ वी पर ज म लेती है।

कभी-कभी वे सफल हो जाती ह, ले कन यादातर क स म, वे भी न न तर पर गर जाती ह।


इस तरह जीवा मा जगत और पृ वी ग तमान रहते ह।

इस त य को हराने से हम अपने आप को रोक नह सकते: य द पृ वी के लोग इतने बु मान


होते क वे अपने लए या सही है और या गलत, यह समझ पाते, या फर जीवा मा जगत से
मलने वाले संदेश को ा त करने क को शश करते तो उनके लए चीज को समझना ब त
आसान होता। ले कन धरती पर यादातर लोग मृ यु-बाद के जीवन अथवा जीवा मा जगत पर
व ास ही नह करते और य द कुछ लोग व ास करते भी ह तो यह जानना उनक मता से
परे है क हम कैसे संदेश को भेज सकते ह अथवा धरती के लोग उन संदेश को कैसे ा त कर
सकते ह। आपक नया म कुछ ऐसे भी मूख ह जो यह कहते ह क “मृत आ मा से बात
नह करनी चा हए। ऐसा करने से उनक ग त क जाती है और वे परेशान हो जाती ह।”

कृपया हम ग़लत न समझ ले कन हम उन मूख को यह कहने से अपने आप को रोक नह सकते


क : य द आप सचमुच बु मान और ानी होते तो आप इस तरह नह सोचते। इसके अलावा,
ऐसे लोग जो जीवा मक संपक को रोकना चाहते ह, वे इतने पापी और होते ह क वे इस
बात से डरते ह क नया स चाई जान लेगी और वे सर को बेवक़ूफ़ बनाकर अपने बुरे काम
को जारी नह रख पाएंगे। कुछ लोग सोचते ह क उ ह यह पता है सही या है और वे को शश
करते ह क सरे भी उनक इस बात का व ास कर क जीवा मा जगत से संपक करनेवाले
झूठे या पागल होते ह।

य द पृ वी के लोग हमारे साथ सहयोग कर तो हमारे लए उन तक संदेश भेजना और उनक


मदद करना ब त आसान हो जाएगा। इसके बजाए वे यह गप हांकते ह क यह सबकुछ
बकवास है, धोखा है और इससे लोग क मदद होने के बदले उनका नुकसान होता है। इस लए
हम अपने संकेत भेजने के लए कड़ी मेहनत करनी पड़ती है और वष तक हम इन लोग के
पीछे भागना पड़ता है ता क वे सही रा ते पर आ सक। हमारी इतनी को शश के बाद भी कुछ
आ माएं अपनी धारणा नह बदलत । वे हमारी बात नह सुनत और अपनी बुरी राह पर
चलती रहती ह।

जब पृ वी क कोई आ मा अपने अवचेतन मन को सु त हो जाने दे ती है, और उसका


जीवा मक मागदशक भी उस आ मा को सही राह पर लाने म असफल हो जाता है, तब ऐसी
आ मा को सही राह पर लाने के लए उसक जुड़वां आ मा के अलावा और कौन बचता है?
पृ वी क कसी गरी ई जुड़वां आ मा को उ च तर तक उठाना और उसम सुधार लाने क
को शश करना जीवा मा जगत क जुड़वां आ मा के लए ब त क ठन काम होता है। इस लए,
जो ज री है, वह कर, खुदको सुधार और उ च तर तक तेज़ी से बढ़।

पृ वी पर च द वष क मौज-म ती और ख़ु शय के बारे म मत सो चए; शा त खु शय के बार


म सोच।
०५-०६-१९८१
भलाई या ता का चयन आपक अपनी इ छा पर नभर है

आ पने अ छे -बुर े के बारे म और आ म-सुधार के बारे म कताब पढ़ ह गी, उपदे श सुने


ह गे अथवा आपको इस बारे म पाठशाला म और आपके बुजग र तेदार अथवा
दो त के ारा सखाया गया होगा। ले कन आपम से कुछ ऐसे भी ह गे जो सुनने या
पढ़ने क परवाह नह करते। कुछ लोग कहगे, “मुझ े य यह सब करना चा हए? सर को
सताने से मुझे मज़ा आता है। सर को धोखा दे कर म ख़ुश होता ं और लोग का नुकसान
करने और उ ह लूटने म मुझे आन द मलता है।”

हम उन आ मा से पूछते ह, “जब आप कसी क मदद करते ह तो या आपको आन द नह


होता? जब आप कसी ऐसे को मा करते ह जसने आपका नुकसान कया हो, तब या
आप शां त नह महसूस करते? सरे को ख़ुशी दे कर या आप वयं ख़ुश नह होते?” य द ये
चीज आपको ख़ुशी नह दे त ब क आपको उन भयानक बुरी चीज से ख़ुशी मलती है, तो हम
आपके लए ःख होता है, आप पर दया आती है।

हर आदमी के भीतर अ छाई और ता दोन होती ह, ले कन यह पूरी तरह आपक


पसंद पर नभर करता है क आप अ छे या बन। यही असल बात है। बुराई को नयं त
रखकर अपने अ दर क अ छाई को वक सत करना अव य एक महान बात है।

य द आप सरे का बुरा कर ख़ुश होते ह, सर को मूख बनाकर आपको आन द मलता है या


फर सर को परेशान करने म आपको गव अनुभव होता है, तो या आपके सुधार के लए
सवश मान ई र से सहायता, मागदशन और आशीवाद मांगने का यही सही समय नह है?
०६-०६-१९८१
जीवा मा संपक ारा जीवा माएं पृ वी पर अपने यजन क
सहायता कर सकती ह


म पृ वी पर रहने वाले अपने यजन के साथ संपक करने के लए ब त उ सुक होते ह,
इस लए हम लगातार सवश मान ई र से ाथना करते ह, क वे हम इसका अवसर द।
यादातर पृ वी के लोग अपने काम-काज, मौज-म ती और पए कमाने म इतने त
रहते ह क वे अपने मृत प रजन क परवाह नह करते।

बहरहाल, हमारे माता- पता जैस े कुछ लोग अपने मृत प रजन से संपक करने के लए इ छु क
होते ह। हम ख़ुशी से उछल पड़े जब हमारे माता- पता ने हमारी बात सुननी चाह । उ ह भी ख़ुशी
ई क वे हमसे संपक करने म स म हो सके। जीवा मा क इ छा होती है क हमारे मॉम-
डैड जैसे और भी लोग ह ! हम उ ह शांत करने म और उनका इस बारे म मागदशन करने म
सफल रह सक क कौन लोग उ ह धोखा दे रहे ह, कौन उनके स चे दो त ह और कनपर उ ह
भरोसा कर मदद मांगनी चा हए। हमारे माता- पता आपक नया म ब त अकेले ह। उनके
कुछ ही र तेदार और अ छे दो त ह ज ह ने उनक मदद क है। हम उ ह ध यवाद दे ते ह और
उ ह आ शवाद दे त े ह।

ब त सी जीवा माएं ऐसी ह जो अपने यजन के साथ संपक करने को ब त अ धक इ छु क


ह। हमारी तरह वे पृ वी के अपने यजन को शां त दान कर उनक मदद करना चाहते ह
य क पृ वी पर उनका ःख और बदहाली यहां हम तक ता वत होती ह और हम भी ःखी
और उदास कर दे ती ह।

हम समझते ह क आप उस समय कैसा महसूस करते ह गे जब आपका कोई यजन आपक


नया छोड़ आपसे अलग हो जाता है, य क आप हम दे ख, सुन या छू नह सकते, ले कन हम
आपसे वनती करते ह क आप शांत रह, और हमारे लए शोक न कर य क हम वहां क
तुलना म यहां अ धक ख़ुश ह। पृ वी क तुलना म हम यहां अ धक जीवंत ह और हम यहां
से भी आपको दे ख, सुन और छू सकते ह, आपके गले मल सकते ह और आपको चूम
भी सकते ह।

य द आप और आपके मृत प रजन एक सरे के ब त करीब ह केवल तब ही हम आपके ःख


का बलता से अनुभव कर सकते ह। कसी माता या पता और उनके ब च , या भाई और बहन
अथवा एक सरे से गहरा यार करने वाले अ छे दो त और उनका लगाव हमपर गहरा असर
करता है। बहरहाल, इससे फक नह पड़ता क धरती पर उनका र ता या था, य द लोग म
स चा और पर पर यार न हो, तो जीवा मा जगत म आने के बाद हमारा उस आ मा के साथ
संबंध नह रहता।

हमारे माता- पता कभी-कभी हमारे बना इतने अकेले और ःखी हो जाते ह क बना
जीवा मक संपक के हमारे लए उ ह शांत करना और उ द ख़ुश करना ब त क ठन हो जाता।
हम उ ह समझाते क उ ह अपनी भावना को नयं त करना चा हए य क उनके ःख से
हम भी ःख होता है, और पृ वी पर होने क तुलना म हम आज उनके अ धक करीब ह। इस
जीवा मक संपक से हम सब (मॉम, डैड, व पी और रतू) एक सरे के साथ अपने सुख- ःख
बांटते ह और सबसे बड़ी बात यह है क इस कारण वे यह जान पाते ह, क हम उनके करीब ह
और उ ह भरपूर यार करते ह। जीवा मक संपक के ज रए ऐसा करना हमारे लए ब त आसान
हो जाता है।

इस लए हम पृ वी के लोग से उ ह के भले के लए, और इस लए भी क हम अपना कत


नभाने म आसानी हो, जीवा मक जगत के साथ सुर त संपक करने का अनुरोध करते ह।
जीवा मक संपक क मदद से हम आपका मागदशन करने और आपको गहरे अ धेरे म डू बने से
रोकने म आसानी होती है। आपका मागदशन करना हमारा कत है और इस लए हमारे साथ
संपक करना आप के लए उ चत है। य द आपके पास ऐसा वरदान है तो इसका वकास ज र
कर। सवश मान ई र क तरफ से हर एक आ मा को कसी न कसी कार का वरदान ज र
मला होता है, ले कन कुछ लोग को इसे वक सत करने के लए लंब े समय तक कड़ी मेहनत
करनी पड़ती है, जब क कुछ लोग को यह अपने आप मल जाता है।

अपने सहजबोध को कभी भी अनदे खा न कर। कभी भी यह मत सो चए क य द लोग आपके


इस वरदान के बारे म जानगे तो आपको पागल या सनक कहगे। यह ई र का दया आ
वरदान है और आपको इसके त कृत होना चा हए।

एक लड़क थी जसे हम नीना नाम दगे। उसे यह वरदान ा त था ले कन उसक मां ने उसके
दमाग म गलत धारणा भर रख थ । वह उससे कहती थी, “जीवा मा के साथ संपक करना
बात है। ऐसा फर कभी नह करना वरना कोई जीवा मा तु हारे दे ह पर क जा कर लेगी
और तु ह बरबाद कर दे गी। तुम शैतान बन जाओगी और तु ह नक क आग म जलना पड़ेगा।”

नीना अपनी मां क चेतावनी से इतना डर गई क उसे “जीवा मक संपक” श द कहने से भी


डर लगने लगा। वह एक बड़ा अवसर, एक अद् भुत वरदान और अपने आप म व ास खो बैठ ।

कई वष बाद जब उसे सच पता चला और उसके प त ने उसे ऐसी कताब द जनम इस वरदान
का वणन था, तब ब त दे र हो चुक थी। मां क कही बात को भुलाकर उसने अपनी पुरानी
मता को वापस पाने क भरपूर को शश क , ले कन वह इसे बारा हा सल नह कर पाई
य क उसका डर ब त गहरा हो चुका था। अपनी मां का कहा मानने का उसे अफ़सोस था और
अपना खोया आ म व ास बारा पाना उसके लए असंभव हो गया था।

नीना क कहानी क तरह ऐसी अनेक घटनाएं ई ह, इस लए हम पृ वी के लोग से यह आ ह


करते ह क वे स य को अ छ तरह जाने बना कसी को सलाह न द। अधूरा ान खतरनाक
होता है। सलाह सुनने वाले लोग को चा हए क वे यह न त कर ल क उ ह जस मा यम से
सलाह मल रही है, उसका मूल स चे जीवा मक ान के ोत पर आधा रत है।
०७-०६-१९८१
यादातर आ माएं न नतर लोक म नवास कर चुक ह।


म सभी धरती पर इस लए पुनज म लेत े ह ता क अपनी आ मा को शु कर सक और
उ चतर तर तक ऊंचा उठ सक, ले कन हमारी यह आकां ा हमेशा पूरी नह होती और
ऊपर उठने के बजाए हम अकसर नीचे चले जाते ह। इस लए हमम से यादातर लोग
ने सरे लोक से छठे लोक तक का अनुभव लया होता है। केवल कुछ ही ऐसे होते
ह जनको थम लोक का अनुभव आ होता है, य क थम लोक से बाहर आना ब त ही
मु कल है।

पृ वी पर येक आ मा १०० से लेकर २००० बार तक पुनज म ले चुक है और हर एक


को व भ कार के अनुभव मल चुके ह। येक आ मा को व भ कार क सम या
और प र थ तय का सामना करना पड़ता है।

हम आपको यह भी बताएं क जीवा मा को यह अनुम त नह होती क वे धरती के लोग को


अपने सारे भेद बता द। हम जीवा माएं आपको केवल कुछ ही बात बता सकत ह। य द हम
आपको आपके भ व य के बारे म बता द, तो जीवन क घटना के घ टत होने से पहले ही
आप उनके लए तैयार हो जाएंग े और आपका पुनज म कसी काम का नह रह जाएगा।
०८-०६-१९८१
जीवा मा से संपक के बारे म ां तयां

य द आप सोचते ह क आपके मृत प रजन क ग त बा धत होगी तो आप पूरी तरह ग़लत


ह। बना जीवा मक संपक के, आपको सही राह बताने के लए हम जीवा मा को
अपने वचार आप तक प ंचाने म कई दन, महीने, साल या कभी-कभी तो कई दशक
लग जाते ह। ले कन जीवा मक संपक ारा हम आपको कुछ ही घंट म अपनी बात समझा
सकते ह, जसम अ यथा वष लग सकते थे। इस लए, जीवा मक संपक से मृत आ मा क
ग त बा धत होने के बजाए और तेज ग त से होती है।

जैसा क हमने पहले कहा, उ चतर तर पर एक जुड़वां अपने सरे जुड़व के ऊंचे उठने क
ती ा करती है और उसे अपने उस जुड़व को नीचे गरने से बचाने के लए ब त प र म करना
पड़ता है। जब उ च तर पर थत जुड़वां पृ वी पर रहने वाले सरे जुड़व तक अपने
वचार प ंचाने क को शश करता है, तो हो सकता है क उसका पृ वी पर रहने वाला
जुड़वां वष तक इस ओर कोई यान ही न दे । ले कन जीवा मक संपक के ारा यह
आसानी से और तेज ग त से होता है। इस लए, हमारी ग त जीवा मक संपक के साथ तेज
ग त से होती।

लोग सोचते ह क जीवा मक संपक मृत आ मा क ग त को बा धत करता है और यही कारण


है क ब त से लोग अपने मृत यजन के साथ संपक करना नह चाहते। या यही सच है
अथवा सच यह है क अपराधबोध से सत उनक अंतरा मा उ ह संपक करने से
रोकती है?

स ची प व आ मा और संत के पास मृत आ मा और जीवा मा से संपक करने क


श होती है। य द संपक से जीवा मा क ग त बा धत होती, तो या ऐसी उ च आ मा
के पास यह श होती?

कुछ लोग कह सकते ह, “सावधान र हए अ यथा जीवा माएं आपके शरीर पर क जा कर


लगी और आप बरबाद होकर नक म चले जाएंगे।” ऐसे लोग के लए ये कुछ जवाब ह :

या आप ह? ही क ओर आक षत होता है। य द आप ह तो हां, आपको


जीवा मक संपक से डरना चा हए य क ता, आ मा को ही आक षत करती है, और
य द जीवा माएं आपक ओर आक षत हो जाती ह तो वे आपके भौ तक मन पर क जा कर
सकत ह। ले कन, य द आप भली आ मा ह और कसी भली दवंगत आ मा से संपक कर रहे ह
तो इसम ब कुल भी नुकसान नह है।

कभी भी वच लत लेखन क को शश अपने आप न कर। बना सुर ा मक


कड़ी १४ और उ चत नदश का पालन कए खुद वच लत लेखन क को शश
करना ब त ही खतरनाक हो सकता है। केवल एक अनुभवी और पहले से
म य थता कर रहे क मदद से ही आप जीवा मा से अपनी कड़ी
जोड़ सकते ह। इससे यह सु न त होता है क आपको कोई नकारा मक
बाधा नुकसान न प ंचाए।

ता, को आक षत करती है, और अ छाई, अ छे को। भली जीवा माएं न त तौरपर


आपका बचाव करती ह और एक भली आ मा के साथ लगातार जीवा मक संपक म (जहां
आपक कड़ी टू ट ई नह होती) आप पूरी तरह सुर त होते ह।

जस तरह आप अपने घर का दरवाजा लोग के लए ब द रखते ह और उ ह घर म घुसने


नह दे त,े उसी तरह आपको अपना मन जीवा मा के लए ब द रखना चा हए और उ ह
अपने मन म वेश करने से रोकना चा हए।
०९-०६-१९८१
य कुछ लोग जीवा मा के संपक से डरते ह

वो लोग सोचते
दन बीत गए ह, जब हमारा जीवन अ ध व ास से संचा लत था। वे दन भी बीत गए जब
थे क केवल कोई पागल ही जीवा मा के साथ संपक करते ह। अब
वे दन भी नह रहे जब यह सा बत नह कया जा सकता क जो जीवा मक संपक का
दावा करता है, वह स चा है। अब पृ वी पर ब त से वै ा नक, मनो च क सक और
मनोवै ा नक ह जो जीवा मक संपक पर गहन शोध कर रहे ह और यह सा बत करने म स म
ह क उनका काम स चा है।

ब त सी ऐसी व च घटनाएं होती ह जनक कोई वै ा नक ा या नह क जा सकती और


मनु य को अ त र संवेदना मक बोध, मनो व ान और आ मक घटना पर व ास करना
पड़ता है।

कुछ नादान लोग तो जीवा मा जगत के अ त व पर ही शंका कर बैठते ह या इसपर भी, क


या हम दरअसल आ माएं ह। कुछ हद दज़के मूख तो यह बेवक़ूफ़ाना सवाल करते ह, “ या
आप यक न से कह सकते ह क ई र ह?”

कुछ लोग जीवा मक संपक के बारे म अ धक जानने के लए ब त उ सुक होते ह और चाहते ह


क इस वषय म गहरे से गहरे उतरा जाए। कुछ लोग के लए यह जानना मजबूरी होती है
इस लए वे जीवा म जगत, मृ यु, ज म, पूवज म इ या द के बारे म सबकुछ जानने के लए कड़ा
प र म करते ह। पृ वी के लोग हमेशा हर चीज के लए ठोस सबूत चाहते ह। उनका सी मत
दमाग बना सबूत क चीज को नह वीकार करता, और ऐसे मामल म सबूत का होना
लगभग असंभव होता है, य क ब त थोड़े से लोग ऐसे होते ह जनके पास यह ई र द
मता होती है। हालां क, ब त से सरे लोग ऐसे होते ह जो उनक नकल करके और भोले-भाले
लोग को धोखा दे कर दौलत कमाते ह। इसी कारण कई लोग के लए ठग के बीच स चे लोग
क पहचान करना ब त मु कल हो गया है।

कुछ लोग सोचते ह क अलौ कक वषय म च लेना अथवा बुरी बात है, ले कन ऐसा
सोचना अ ानता क नशानी है। कुछ लोग इस बात से डरते ह क कह उनके अपराध और
पाप का जीवा मा ारा परदा फाश न कर दया जाए। इस लए वे सर को भी इस वषय म
हतो सा हत करते ह। लोग को पारलौ कक वचार पसंद नह आते और न ही वे उनम कोई
च लेते ह। कुछ लोग का दमाग उनके माता- पता, पुरो हत अथवा श क ारा इस तरह
कर दया जाता है क वे अपने सहजबोध को दबाकर कोई भी ज़ो खम लेन े से इनकार कर
दे त े ह।

आप पृ वी पर ज म लेन े का नणय य लेते ह

यह अजीब बात है, कतु सच है क आपम से अ धकतर लोग पृ वी पर ज म लेना नह चाहते


थे, य क यहां जीवा मा जगत म आप ब त ख़ुश थे (हम उ चतर तर क आ मा के बारे
म बात कर रहे ह)। ऊंचे उठने क आपक अधीरता, जो ख़म उठाने क आपक इ छा अथवा
पृ वी पर आ या मक प से पतनशील होने वाले अपने प रजन क मदद करने क इ छा के
कारण आप पृ वी पर बारा ज म लेत े ह। ले कन, आपम से अ धकतर मनु य (आपक आ मा
और आपका अवचेतन मन) यही चाहते थे क पृ वी पर आपका बारा ज म न हो। कभी-कभी
आप इसे सचेत प से महसूस करते ह और आपको हैरानी होती है क आप ऐसा य महसूस
कर रहे ह, ले कन आपको जीवा मा जगत के अपने संसार क कोई बात याद नह रहती। कुछ
दे र तक आपको हैरानी होती है और फर आप इसे भूल जाते ह। आपम से कुछ लोग को अपनी
आ मा और अवचेतन मन से यह अनुभव इतने भावी प से ा त होते ह क आपके भौ तक
मन को इसे सुनना ही पड़ता है।

आप जीवा मा जगत म श ण और अनुभव ा त कर सकते ह, ले कन उ चतर तर तक


प ंचने म हजार साल लग जाते ह। इस लए, इसक बजाए आप कुछ सौ साल म उ चतर तर
तक प ंचने क को शश करते ह। यही है पृ वी पर आपके बारा ज म लेने का कारण, अथात्
ज द नतीजे पाने क इ छा। बहरहाल, इसम जो ख़म यह है क आप और अ धक नीचे चले जा
सकते ह और आपको अपना ल य हा सल करने म अ धक लंबा समय लग सकता है।

न नतर लोक क आ माएं पृ वी पर पुनज म पाकर ख़ुश होती ह य क इससे उ ह


तेजी से ग त करने का मौका मलता है। उनके लए पुनज म लेना उ चत होता है, य क
य द वे सही माग पर रहने म सफल रह, तो इससे उ ह ब त फ़ायदा होता है। पहले, सरे और
तीसरे लोक के क इतने भयानक होते ह क पृ वी पर बारा ज म लेने का जो ख़म उनके लए
अ धक बेहतर होता है। बुर े और भाव के कारण न नतर तर तक गरी ई भली
आ मा के लए पृ वी वग समान होती है।

नीचे गरी ई कुछ भली आ माएं ई र से ाथना करती ह क उ ह कड़ी से कड़ी सज़ा द जाए,
ले कन ब त कम समय म। य द वे आ माएं थम लोक पर ह तो पृ वी पर बोझ ढोने वाले
पशु के प म उनका पुनज म होता है। उ ह कड़ी मेहनत करनी पड़ती है और कभी-कभी
मनु य ारा द गई यातनाएं भी सहनी पड़ती ह। वे अपने कम का फल तेजी से भोग लेती ह।
ले कन उनम क सहने क भरपूर मता होनी चा हए य क उनम से यादातर आ मा को
यातनाएं द जाती ह, उ ह कोड़ से पीटा जाता है और भूखा रखा जाता है। उ ह सारा दन खेत
म प र म करना पड़ता है अथवा भारी बोझ ढोने पड़ते ह।

इन आ मा को यह महसूस होता है क थम लोक म सैकड़ वष तक रहने क तुलना म यह


सजा काफ बेहतर है। इस लए आप यह क पना आसानी से कर सकते ह क पहला और सरा
लोक कतना भयानक होता होगा। वे अपनी इ छा से ख़ुशी-ख़ुशी यह सजा वीकार करते ह
ता क उन लोक से वे बच सक।

तीसरा लोक भी भयानक होता है। तीसरे लोक म आ मा को सूरदास क तरह जो खम लेना
पड़ता है ले कन सूरदास क तरह सबको बचाया नह जा सकता और ऐसी आ माएं ऊपर उठने
के बजाए नीचे थम या सरे लोक तक गर सकत ह।

चौथे लोक क थ त सहन करने यो य होती है। यहां क थ त लगभग पृ वी जैसी ही होती है।
फर भी, उ चतर लोक से नीचे आई ई आ मा के लए यह भयानक होता है। येक आ मा
चाहती है, क वह जतना ज द संभव हो सके, सबसे ऊंचे लोक म प ंच जाए, इस लए वे
अनुभव हा सल करने, कम समय म सजा भोगने और अपनी आ मा को शु करने के लए
बारा ज म लेने क को शश करती ह। आपके पृ वी पर पुनज म लेने के यही कारण होते ह।

आप मृ यु से य डरते ह

पृ वी पर ज म लेन े के बाद आप अपने जीवन का इतना आनंद लेत े ह क आप मृ यु से डरने


लगते ह। कुछ लोग तब भी धरती छोड़कर जाना नह चाहते, फर भले ही उनका बूढ़ा शरीर
ःख-दद से कराहने लगे।

ऐसा य होता है?

इसका कारण यह है क दल ही दल म वे जानते ह क आपक नया म मृ यु पाने के बाद, वे


कहां जा प ंचगे। उ ह मरने से डर लगता है, य क उ ह न त प से पता है क वे न नतर
अंधेरे लोक म ही ह गे। इस लए वे जीवन क डोर से बंध े रहना चाहते ह। ले कन जब आपका
भौ तक शरीर काय करने से इनकार कर दे ता है तब आ मा को उस न ाय, अ थायी भौ तक
घर को छोड़ दे ना पड़ता है। चाहे आप इसे पसंद कर या न कर, आपको पृ वी पर मरना ही
पड़ता है।

पृ वी पर कुछ ऐसे भी लोग ह जनके दमाग को ऐसे कर दया गया होता है क वे मृ यु को


एक भयानक घटना समझते ह। वे ‘मृ यु’ श द से भी डरते ह। इस डर से मु होना उनके लए
लगभग असंभव हो जाता है और वे पृ वी पर अ धक से अ धक समय तक जीने के लए संघष
करते ह। जब ऐसी भली आ माएं आपक नया छोड़कर जीवा मा जगत के उ चतर तर पर
प ंचती ह तो वे पांचव, छठे और सातव लोक क ऐसी सु दरता, सामंज य और ेम दे खकर
हैरान रह जाती ह और उ ह पृ वी पर मृ यु से डरने का अफ़सोस होता है।

आ मह या पाप है

आप को मृ यु से डरना नह चा हए और न ही समय से पहले अपनी मृ यु के बारे म सोचना


चा हए। यह फ़ैसला केवल ई र को ही करने द क आपको जीवा मा जगत म कब आना है।
आ मह या (ख़ुदकुशी) करना आ या मक से ग़लत है। ई र हम पृ वी पर पुनज म
लेने का अवसर दे त े ह और आ मह या कर हम ई र के व जाते ह। आ मह या एक पाप
है। आ मह या करने से आप न नतर लोक म गर जाएंगे और हम यक न है क आप ऐसा
कभी नह चाहगे। आपको आ मह या करने का य न कभी भी नह करना चा हए, य क
इससे आप अपने भौ तक शरीर से तो अ थायी छु टकारा पा लेते ह, ले कन आप अपनी आ मा
को हमेशा के लए नुकसान प ंचा दे त े ह।
११-०६-१९८१
उ च भली आ माएं


र बस एक है — हमारे सवश मान ई र। ले कन हमारे सबसे यारे ई र के पास
अनेक आ माएं होती ह जो येक आ मा को शु , ईमानदार, ेमपूण, समझदार, कृत ,
भला और बु मान बनाने म उनक मदद करत ह। ई र के ये सहायक, हम सब क
तरह मनु य ही थे, और वे उ ह प र थ तय से होकर गुजरे ह, जनका पृ वी के लोग
और हम जीवा माएं अनुभव कर रह ह। उ ह ने सैकड़ बार पुनज म लया है और कई बार
ऊपर-नीचे आने-जाने के बाद वे इस तर तक प ंच पाए ह। ई र के इन सहायक को ी उ च
भली आ मा के नाम से जाना जाता है और इन सब म सबसे ऊपर ी सव च भली आ मा
होते ह।

अ चतर तर पर हम उ ह अकसर दे खते ह, ले कन चौथे और उससे नीचे के लोक म वे कभी-


कभार ही दखाई पड़ते ह, य क वे यहां उ य रहना पसंद करते ह ता क उनका काम आसान
हो। बुरी और आ मा को अ छे -बुर े का ान कराते ए और यह बताते ए क कस
कार कम मु कल रा ते से ज द से ज द कम का हसाब चुकता कया जाए या कस कार
ज द से ज द उ चतर लोक म प ंचा जाए, वे उन आ मा को सुधारने के अपने काय म
भरपूर सफलता ा त करते ह।

जब भी वे हमारे करीब होते ह, तब हम ब त ख़ुश और फु लत महसूस करते ह। य द हम


कसी मदद क ज रत होती है, तो वे तुरंत हमारी मदद करते ह। य ही कोई आ मा, चाहे वह
थम लोक क ही य न हो, य द मदद के लए पुकारती है तो ये उ च भली आ माएं कुछ ही
ण म वहां प ंच जाती ह। पृ वी पर भी, य द कोई आ मा स चे मन और ईमानदारी से मदद
के लए पुकारे तो तुरंत उनक मदद क जाती है। यह मायने नह रखता क वह आ मा थम
लोक म है, पृ वी पर है या फर उ चतर तर पर, स चे मन से नकली ई मदद क पुकार
को अव य यु र ा त होता है।

आपने पृ वी क उन आ मा के बारे म ज र सुना होगा ज ह ने ई र से मदद के लए गुहार


लगाई और एक चम कार आ। आपने भी कभी कसी मु कल घड़ी म मदद के लए आवाज
लगाई होगी और कसी अनजाने तरीके से आपक मदद ई होगी जसे आप चम कार कहगे।

जीवा मा जगत के आपके यजन भी आपक कई बार मदद करते ह। आपको इस बात पर
न त रहना चा हए क जीवा मा जगत के आपके यजन आपका ब त ख़याल रखते ह।
हमेशा याद र खए क स चा यार कभी नह मरता, पृ वी पर मनु य क मृ यु हो जाने के बाद
भी नह । ेम मृ यु से बड़ा होता है। ेम शा त होता है जब क मृ यु तो बस एक नया से
सरी नया म, एक शरीर से सरे शरीर म, पृ वी से वग या नक तक का थानांतरण
है।

मृ यु कोई बड़ी चीज नह है, ले कन ेम अलौ कक प से महान है।

आइए, अब हम सवश मान ई र के सहायक के बारे म थोड़ी और बात कर। हम उ ह उ च


भली आ मा के नाम से जानते ह और आप उ ह फ़ र ते कहते ह। हम आपको बताना चाहगे
क फ़ र त के पंख नह होते , बहरहाल य क उनक ग त ब त तेज होती है उनके चोगे
पंख क तरह दखते ह। जस तरह वे मनु य का प धारण करने म समथ ह उसी तरह वे
अ व ा सय को भा वत करने के लए पंख का नमाण कर लेत े ह। इस तरह, धरती क
आ मा को उनके पंख दे खकर व ास होता है क कसी फ़ र ते ने उ ह संदेश दया है और
उनक मदद क है।

उ च भली आ माएं ब त ही वन , वचारवान और उदार होती ह। कुछ खास प र थ तय म वे


सवश मान ई र के कुछ नयम म भी छू ट दलवाते ह। इसके लए वे पहले ी सव च भली
आ मा से नवेदन करते ह ता क वे इसके लए पुनः सवश मान ई र से वनती कर। आपात
प र थ तय म यह अनुम त कुछ ही ण या मनट म ा त होती है। य द ब त आपात थ त
नह है तो इसम कुछ घंटे या अ धक से अ धक कुछ दन लगते ह।

जब कभी भी हम कुछ ऐसा चाहते ह, जसक सामा य थ तय म अनुम त नह होती, तो हम


अपने लोक के मुख से वनती करते ह। वह हमारी बात यान से सुनते ह और कुछ सवाल
करते ह, और य द उ ह लगता है क हमारी वनती सही है और इससे कसी को कोई नुकसान
नह होगा तो वह हमारी सव च भली आ मा से हमारे सवश मान ई र से अनुम त लेने क
ाथना करते ह।

यही पृ वी क नया और जीवा मा जगत के बीच का अ तर है। हमारे लोक के शासक इतने
वन , उदार और वचारवान होते ह क हम हमेशा उनके साथ बे झझक बात करने के लए
वतं महसूस करते ह। वे इतने ईमानदार, भले और यारे होते ह क हम उनका भय कभी
महसूस नह होता। वे इतने नः वाथ होते ह क हम उनपर पूरा व ास होता है। वे ेमपूवक
और वन तरीके से हम समझाते ह क कुछ चीज ग़लत ह और यह भी क वे ग़लत य ह।

वे कभी भी हमारी वनतीय को कठोरतापूवक ख़ा रज नह करते। य द उ ह लगता है क वह


ग़लत है, तो वे हम इसे समझाते ह और हम यह समझने म मदद करते ह क यह य संभव नह
है। वे ब त ही ववेकशील और दयालु होते ह। हम उनपर पूरी तरह व ास करते ह और उनका
स मान करते ह। उनके आदे श को हम ख़ुशी-ख़ुशी मानते ह य क हम जानते ह क वे हम
कभी गलत माग पर नह जाने दगे।

ये ह सवश मान ई र के सहायक-हमारी उ च भली आ माएं और आपके फ़ र ते।


१२-०६-१९८१
स कम या है?

अ छे कम वे होते ह जो पूरी तरह न: वाथ उ े य से कए जाते ह। य द उनम थोड़ा


सा भी वाथ हो तो उ ह स कम नह कहा जा सकता; वह वाथपूण कम
कहलाएगा।

ऐसे स कम जो नः वाथ भाव से कए जाते ह, वे आपक ग त के लए सचमुच एक बड़ा


वरदान होते ह। वे आपको कसी भी अ य चीज क तुलना म अ धक तेजी से ऊंचाई क ओर ले
जाएंगे। भा य से, धरती के लोग के सभी स कम के पीछे लगभग हमेशा यह भावना होती है
क इससे उ ह ऊंचा तर ा त होगा और उनके पाप को मा कर दया जाएगा।

हम आपको यह चेतावनी दे त े ह क ऐसी सोच आपको ऊपरी तर तक ले जाने के बजाए नीचे


ले जाती है। केवल ऐसे ही स कम जो वाभा वक प से और दयालुता के साथ कए जाते ह,
जनके पीछे आपके ऊपर उठने क कोई भावना नह होती, उ ह ही वाथहीन स कम माना जा
सकता है। अ छा कम करने के बाद उसे तुरंत भुला द। इसके बारे म जरा भी न सोच। य द आप
ऐसा करने म स म हो जाते ह, तो कोई भी वाथ वचार आपके मन म वेश नह करेगा। एक
वाथ प - वचार हमेशा आपको ग़लत रा ते पर ले जाता ह। इस लए य द आपने
वाभा वक प से और भलाई के वा ते कोई अ छा कम कया हो, तो उसे तुरंत भुला
द।

अ छे कम य द बना स चे प ाताप के, या पूरी तरह कम के फल भोगने से बचने और मा


ा त करने के उ े य से कए गए ह , तो वे नः वाथ स कम नह होते।

वे आपको कभी भी उ च तर क ओर नह ले जा सकते, यह बात हमेशा यान म रख।

अ छे कम करने से पहले, यह सु न त कर ल क आपका उ े य ब कुल भी वाथपूण न हो।


य द आप ऐसा करने म सफल होते ह तो आप इसे भुला दे न े म भी सफल होने चा हए। इसम
सफलता ा त करना पूरी तरह आपके अपने हाथ म है।

उदाहरण के लए, य द आप अपने यजन के लए कुछ करते ह, तो आप उस बात का चार


करने क परवाह नह करते, और न ही इसपर बारा सोच- वचार करते ह। उस य के
त अपने ेम क खा तर आप ऐसा करते ह। आपको उनक परवाह करना अ छा लगता है।
आप उ ह सुखी दे खना चाहते ह और आप उनके लए याग करना भी पसंद करते ह। इस लए,
आप जो कुछ भी अपने यजन के लए कर, उसम आन द ल और फर उस कम को इस तरह
भूल जाएं जैस े क वह एक वाभा वक बात हो, और जसम स चा ेम अ भ कया गया
हो। हां, इसके लए यह ज री है क आपका ेम स चा हो।

एक ही पल म आपका अ छा कम वाथपूण कम म बदल सकता ह – इस लए इससे पहले क


आपको यादा सोचने का मौका मले, इसे भुला द। तो याद रख, थोड़ी सी भी वाथपूण सोच
आपके अ छे कम पर पानी फेर दे गी।
१३-०६-१९८१
तशोध

तशोध एक ब त ही बुरी चीज होती है। पृ वी के लोग यह नह जानते क तशोध का


असली अथ या ह। तशोध के मन म तब आता है जब वह सरे के त ई या त
हो। उदाहरण के लए, मान ल पीटर कैट के त ई यालु है य क कैट ब त लोक य, यारी
और अ छ लड़क है। अतः पीटर उसे नीचा दखाना चाहता है। इस लए वह कैट के बारे म
अफ़वाह फैलाना शु कर दे ता है, अथवा वह उसके यजन को उसके ख़लाफ भड़काकर
उसे हा न प ंचाने क को शश करता है, अथवा ऐसे अ य तरीक से वह उसे सताने और चोट
प ंचाने क को शश करता है। यह पूरी तरह ग़लत है। पीटर क ऐसी करतूत उसे ब त ही न न
तर तक प ंचा दे गी। अब, मान ली जए कैट ने यह दे ख लया क पीटर ने उसके साथ ग़लत
कया है और कस तरह उसने उसे नुकसान प ंचाया है। पीटर के ऐसे वहार को दे खकर, य द
अपने बचाव म कैट पीटर का असली चेहरा नया को दखाना चाहे, तो यह ग़लत नह होगा।
कैट को चा हए क वह नया को दखाए क पीटर कतना बुरा है, ता क सरे लोग सावधान
हो जाएं और उसके तशोध का शकार बनने से बच जाएं। इस कार पीटर लोग को मूख नह
बना पाएगा। पीटर क नीचता के बारे म नया को सच दखाकर कैट को उ च तर ा त होगा,
ले कन उसका मन स चा होना चा हए और उसके इरादे शु होने चा हए। इसे तशोध नह
माना जाएगा, य क यहां आपका उ े य सर को उस मुसीबत से बचाना है जसका आप
शकार ए। अ य कोई भी पीटर का शकार नह बनेगा और यह एक अ छा काम होगा। एक
बात ज र यान रख क अपने यजन अथवा ख़ुद को नुकसान प ँचाकर ता का पदाफ़ाश
न कर। तो, इस तरह आपने दे खा, क पृ वी के लोग ायः अ छे और बुर े का अ तर नह
समझते।

सुरेश क कहानी

एक दन सुरेश का प रचय एक युवा वधवा जे से आ। वह न न च र क थी और उसने सुरेश


पर डोरे डालने शु कर दए, जो ववा हत और तीन ब च का पता था। जे ने सुरेश को अपने
पीछे इतना पागल कर दया क वह उसके झूठे यार के जाल म फंस गया और उसने उसे एक
घर तक दलाने का वचन दे दया। जे के ेम स ब ध सरे लोग के साथ भी थे, ले कन सुरेश
को इस बारे म कुछ भी पता नह था और वह पागल क तरह उसके ेम जाल म ऐसा पड़ा क
उसक थ त जे के ग़लाम जैसी हो गई। जे उससे पए-पैस े और गहने ठती रही। जब सुरेश
के पता को पता चला क सुरेश एक औरत पर पैस े बरबाद कर रहा है, तो उ ह ने सुरेश से बड़े
कड़क श दो म बात क और उसे होश म लाया, य क उ ह पता था क औरत उसक कमजोरी
होने के बावजूद सुरेश एक भला इंसान है। सुरेश ने अपनी ग़लती समझ ली औऱ उ ने जे के
साथ अपने सारे र ते तोड़ लए। जे ब त ही वाथ और बदले क भावना से त औरत थी।
इस लए उसने सुरेश और उसके प रवार से बदला लेना चाहा। जैसा क मने पहले बताया, उसके
कई चाहने वाले थे, और वह उनम से एक के ब चे क मां बनने वाली थी। जे ने एक जाने-माने
हॉ पटल म गभ क जांच करवाई और अपने गभवती होने का माणप तैयार करवाया। इस
माणप को वह सुरेश के घर ले गई और उसके माता- पता और उसक प नी से कहा क
सुरेश ने शाद का वचन दे कर उसके साथ धोखा कया है, और यह भी क उसके साथ सुरेश का
ेमस ब ध था और अब वह गभवती है। उसने उ ह कुछ अ य कागज़, जनसे यह सा बत होता
था क सुरेश ने उसके नाम पर एक घर लेन े क भी को शश क थी, के साथ हॉ पटल के कागज़
दखाए। सुरेश क मां इस बारे म कुछ नह जानती थी। कमज़ोर दल क होने के कारण उ ह
सुरेश के पता ने कुछ नह बताया था। सुरेश क प नी को भी कुछ मालूम नह था।

सुरेश क मां को इससे बड़ा आघात लगा और उसी रात वह चल बसी। सुरेश क प नी भी यह
झटका सह न पाई और अपनी सास क अं तम या के बाद वह अपने ब च को साथ लेकर
सुरेश को छोड़ कर चली गई।

सुरेश और उसके पता ःख से ाकुल थे। उनके लए खुद पर काबू पाना मु कल हो रहा था।
वे जे को मार डालना चाहते थे, जसने उनक जदगी बरबाद कर द थी और अब भी सुरेश से
घर और पय क मांग कर रही थी। सो, वे उसक ह या क योजना बनाने लगे। वे भले लोग थे,
ले कन इस अपमान और अपने यजन के वयोग ने उ ह बदले क बात सोचने पर मजबूर कर
दया था। सौभा य से उनका एक ब त ही धम न म उ ह सां वना दे ने उनके घर आया था।
सुरेश और उसके पता ने उसे सारी कहानी सुनाई, और यह भी बताया क वे उस औरत को
मारना चाहते ह।

उनके म ने कहा, “दे खए म , आपके साथ या आ है और आप कन प र थतीय से


गुज़र रहे ह, म अ छ तरह समझता ं, ले कन इस बूढ़े क बात पर यान द जए और अपनी
आ मा को बचाईए। उस औरत को मारना आपके हाथ म नह है। यह पूरी तरह सवश मान
ई र के हाथ म है, इस लए मेहरबानी कर सवश मान ई र के व मत जाइए। अपने भले
दमाग से उन वचार को नकाल द जए। ये बुरे वचार आपको उस औरत क तुलना म
अ धक नुकसान प ंचाएंगे। आप दोन इतने नीचे गर जाओगे क आप अपनी यारी मां को,
वग म नह मल पाओगे। कृपया करके इस भयानक तरीके से सोचना ब द क जए। इसके
बजाए, आप कुछ ऐसा कर सकते ह, जो सवश मान ई र को स करे। उस औरत को आप
पए दे न े से मना कर सकते ह। वह एक औरत है, इस लए आप लोग को सच बताकर
उसके असली चेहरे का पदाफ़ाश कर सकते ह। आप उसक र ता का भेद खोल सकते ह।
ई र इससे स ह गे य क उस औरत ारा आगे कसी को धोखा नह दया जा सकेगा और
शायद उस औरत को सुधरने का मौका भी मलेगा।”
इस नेक सलाह और मागदशन ने सुरेश और उसके पता को पापी आ माएं बनने से बचा लया।
१४-०६-१९८१
हर आदमी के साथ एक ही जैसा बरताव नह कया जा सकता

य द कोई भली आ मा कसी को ग़लत करते दे खती है, तो वह तुरंत उस


म बताती है, अथवा बड़ी कुशलता से उसे यह एहसास कराती है क वह कहां ग़लत है।
उसे इस बात से ख़ुशी होती है क उसने उस
को इस बारे

को सुधारा। ऐसी थ त म उसका


उ े य शु प से उस क मदद करना होता है। बुरी आ माएं भी लोग को उनक
ग़ल तयां बतलाने क को शश करत ह, ले कन उ ह इस बात म घमंड महसूस होता है क कैसे
उ ह ने लोग को उनके ग़लत होने के बारे म बताया और फर वे उनक ख ली भी उड़ाती ह।
यह तशोध का ही एक प है। भली आ मा यह सोचकर स होती है क उसने कसी के
सुधरने म मदद क ।

य द आप उ चतर तर पर ह तो आपका अवचेतन मन आपका मागदशन करेगा ले कन य द


आप न न तर पर ह तो सही फैसले लेन े म आपको मु कल होगी। अ छे कम के मामले म,
कसी भली आ मा के त कया गया अ छा कम उसे सुधरने म मदद करता है; बहरहाल, य द
वही अ छा कम कसी बुरी आ मा के लए कया जाए, तो इसका उ टा असर होता है। बुरी
आ मा अपने त कए गए अ छे कम को सामने वाले क कमजोरी मान लेती है और वह इस
प र थती का ग़लत फ़ायदा उठाती है।

उदाहरण के लए, मान ली जए बोमी आपसे मलने आता है। जब आप उसके लए पीने या
खाने का इंतजाम करने कमरे से बाहर गए, तब वह आपके घर से पए चुरा लेता है। वापस
लौटकर आपको बोध होता है क या आ है। आप उसे कुछ और पए दे कर कहते ह, “चोरी
करने के बजाए मुझसे पए मांग लेत।े म तु ह ज र दे ता।” उसे अपनी गलती का अहसास
होता है और वह कहता है क, “मुझे मा कर दो, म फ़र कभी चोरी नह क ं गा।” मुझे
ब कुल यक न है क वह अपने इस कथन का पालन करेगा, य क वह एक भली आ मा है जो
लालच म पड़ गई थी, अथवा हो सकता है क उसक कोई बड़ी ज़ रत रही हो। ले कन, यही
वहार कसी बुरी आ मा से कया जाए तो इससे उ ह ो साहन मलेगा और वे आप पर हंसते
ए आपको और सर को बार-बार मूख बनाना जारी रखगे जससे आप भी न न तर पर
प ंचगे। इस लए अ छे के लए कया आ अ छा काम, उसके और साथ-साथ आपके
लए भी अ छा होता है, ले कन यही अ छाई य द बुरे के त क जाए तो यह उसके और
आपके, दोन के लए बुरा होता है।

यही बात माशीलता के लए भी लागू होती है। य द आप कसी अ छ आ मा को मा करते


ह तो वह सुधरने क पूरी को शश करती है। उसका अवचेतन मन उसे यह अहसास दलाता है
क उसने या ग़लत कया है। ले कन, य द आप कसी बुरी आ मा को, बना उसक ग़लती
बताए, माफ़ करते ह तो वह आप पर हंसेगा, आपको मूख मानेगा और अपने बुरे काम करना
जारी रखेगा। य क आपने उसे ो सा हत कया, आप भी नीचे गरगे। तो, इस तरह, धरती पर
हर कोई एक जैसा नह होता।

आप येक के साथ एक समान वहार नह कर सकते।


१५-०६-१९८१
अपनी सम या का सामना इसी व , बहा री और मु कान के
साथ कर

आ पक नया म पूरी तरह ख़ुशी और चैन से रहना ब कुल नामुम कन है। आपको
क ठनाइय , सम या , तकलीफ़ और बीमा रय का सामना करना पड़ता है, य क
बना इन बाधा के आप पृ वी पर नह जी सकते। हां, मगर सबसे अहम यह है क
इन बाधा का सामना आप करते कस तरह से ह। आपको इनका सामना बहा री और
मु कान के साथ करना चा हए, और कभी भी उनसे बचकर भागना नह चा हए। ब त
सी और मुसीबत हमेशा ज म लेती रहगी, इस लए बेहतर यही है क आप अपनी सभी मुसीबत
का सामना ह मत के साथ ख़ुशी-ख़ुशी कर। य द आप एक भली आ मा ह या फर स चे मन से
भले बनना चाहते ह, तो भरोसा र खए ई र हमेशा आपके साथ ह। उनपर आ था र खए, उनक
ाथना क जए, उनसे मागदशन क वनती क जए और आपक स ची ाथनाएं ज र सुनी
जाएगी।

सर म कभी भी नकारा मकता को ो सा हत न कर

य द आपम ता से लड़ने क ह मत नह है तो आपके लए सबसे अ छा यही होगा क आप


और बुर े लोग से बच। उनसे र र हए, य क लोग और उनके भाव हमेशा आपको
नुकसान प ंचाएंगे। आपके पंदन को नुकसान प ंचेगा और आप न त प से नचले तर
क ओर गरगे। पृ वी के लोग कहगे, “हम ता से कस तरह बच, बुर े लोग तो हमारे चार ओर
फैले ह?” हम यह समझते ह क पृ वी पर ब त सी बुरी आ माएं ह और बेशक आप उनसे बात
कर सकते ह और उनके पड़ोस म रह सकते ह, ले कन उनसे कभी भी दो ती मत क जए। उनसे
ब त सं त बात क जए, जरा सा सर हलाकर मु कुरा द जए और चलते ब नए। मगर
पाखंडी मत ब नए। ज रत पड़ने पर उनक मदद ज र क जए, ले कन कुछ भी ऐसा मत
क जए जससे ता क ओर उनका हौसला बढ़े । य द आप उनके त दो ताना नह रहते, तो
वे भी ायः आपसे र ही रहगे। उ ह अपने से र ही र खए, य क एक आम भली आ मा के
लए ऐसे बुरे लोग को सुधारना संभव नह होता। बहरहाल, भली आ मा क या फर उनक
जो स चे मन से सुधरना चाहते ह, मदद अव य क जए। कुछ ऐसी भली आ माएं होती ह,
जनम खुद को बुर े भाव से बचाते ए आ मा को सुधारने क मता होती है। बुरी
आ मा को सुधारना इस लए मु कल होता है, य क भली आ माएं भी बुरे या भाव
क चपेट म आ जाती ह।
१६-०६-१९८१
च ज को आ या मक नज़ रए से दे ख

धू त या लोग कभी भी न सीधे-सीधे सोचते ह, न ही सीधे-सीधे कोई काम करते ह। भली


आ माएं कभी भी जान-बूझकर अपने लोग को ग़लत राह पर ले जाने वाली अनु चत सलाह
नह दे पात । या कसी को मलने वाली सजा पर ख़ुश होना पाप है? आइए दे खते ह :

१. यद आप यह जानकर ख़ुश होते ह क ने सबक सीखा, उसे लोग को नुकसान प ंचाने


से रोक दया गया है और उसे सुधरने का मौका मला है, और उसके सुधरने क संभावना है, तो
ख़ुश होना ब कुल वाभा वक है।

२. य द आपका ख़ुश होना बदले क भावना से भरा है, तो यह पाप है।

इस लए स के के हमेशा दो पहलू होते ह। यह पूरी तरह आप ही पर नभर करता है क चीज


को आप कस नज़ रए से दे खते ह, आपक त याएं कैसी ह और आपका उ े य या आपका
इरादा या है।
१७-०६-१९८१
रा शफल से आप भा वत न ह


क बात, जसे हम प करना चाहते ह वह ज मप य से जुड़ी ई है। जब आप
अख़बार म अपना सा ता हक अथवा दै नक भ व यफल पढ़ते ह, तो इसका आपके मन
पर असर पड़ता है। आपके वचार बड़े ताकतवर होते ह और उन बात से भा वत हो
जाते ह ज ह आप पढ़ते ह, और इस तरह भ व यफल के अनुसार घटना का वाह
न त हो जाता है। इस लए आप कहने लगते ह क भ व यफल सही था।

यह और कुछ नह ब क कमजोर मन के लोग के दमाग को एक कार से करना है। य द


आप चाहते ह क कुछ आपके मन-मुता बक हो, तो इसम ायः आपके सकारा मक वचार
न त प से मदद करगे। आपके अवचेतन मन को यह पता चल जाता है, क भ व यफल
ग़लत है, ले कन आपके भौ तक मन को लगेगा क यह सही है। आपका अवचेतन मन सच
जानता है। य द भ व यफल ग़लत है तो आपका अवचेतन मन आपको सहयोग नह दे गा,
इस लए नराश न ह । ऐसा सोच क सबकुछ ई र क मज से होता है और आपका यो य
मागदशन करने के लए सवश मान ई र को ध यवाद द। अपनी खुद क वतं इ छाश
का इ तेमाल क जए और यो त षय और उनके भ व यकथन ारा ठगे जाने से खुद को
बचाइए। यह सब आप पर और आपक पसंद पर नभर करता है।

श को अ छे और बुर े दोन काम म लगाया जा सकता है- ेपण


और ा त क श यां

आपक नया, जीवा मा जगत और संपूण ांड म श ा त रहती है। हालां क, यह श


कुछ थान पर बल होती है और कुछ थान पर कमजोर, ले कन यह हर जगह उप थत
रहती है। जीवा मा जगत म हम इसे उ प नह करना पड़ता, य क हमारा मन ही हमारा
श के होता है। हम बड़ी आसानी से इस श को खुद ही धारण कर लेत े ह। ले कन धरती
पर, लोग यह नह जानते क श को वे वयं कस तरह उ प कर सकते ह, इस लए आपको
बजली पर नभर रहना पड़ सकता है जो इसी श का एक न नतर प है।

कुछ मनु य हमारे संदेश ा त कर सकते ह य क उनम इ ह ा त करने क श होती है।


कुछ लोग म ेपण क श होती है। कुछ लोग के पास श अ धक होती है जब क कुछ
के पास कम, और कुछ भा यशाली ऐसे होते ह जनम े पत करने और ा त करने वाली दोन
श यां संतु लत मा ा म होती ह। इन दोन श य का य द सही उपयोग कया जाए तो यह
आपका और आपके आसपास के लोग का भला करती है। य क भली आ माएं सवश मान
ई र के करीब होती ह और उनका अवचेतन मन भी उनका मागदशन करता है, इस लए वे इस
श का उपयोग भलाई के लए करती ह। ले कन, यही श य द बुरे लोग म हो, तो वह ब त
खतरनाक होती है, य क वे इसका योग काम के लए कर सकते ह।

श तो एक ही होती है ले कन इसे अ छे या बुरे काम म लगाना के हाथ म


होता है। कमजोर मन के लोग के लए यह श खतरनाक होती है य क उसके इ तेमाल से
उनका जीवन आडंबरपूण और पाखंडी हो जाता है। इस कारण वे न न लोक म जाते ह जहां
नकारा मक आ मा क संग त म वे और अ धक ग़लत राह पर चले जाते ह। इस श से
संप भली आ मा को हम ाथना करने और एका ता हा सल करने क सलाह दे त े ह। हम
उ ह यह भी सलाह दे त े ह क वे वे छापूवक अपने मन को कसी भली जीवा मा (कोई
यजन) के हवाले कर जो उ ह सही राह दखाएंगी और पृ वी पर ब त ही अ छा जीवन जीने
म उनक मदद करगी। समानताएं एक सरे को आक षत करती ह-बुराई बुरे को आक षत
करती है, और अ छाई, अ छे को। इस श से संप बुरी आ मा के लए भी सुधरने का यह
एक अ छा अवसर है।

याद रख, एक आदमी के लए इस श का उपयोग करना ब त खतरनाक है। नकारा मक


आ माएं लोग को न नतर तर म ख च लाने को उ सुक होती ह। इस लए, कमजोर मन वाली
भली आ माएं, आप कृपया करके इस श को वक सत करने क को शश न कर। याद रख
य द एक बार कोई बुरी जीवा मा आपके मन को अपने वश म कर ले, तो उससे छु टकारा पाना
ब त मु कल होता है।
१८-०६-१९८१
जीवा मा से मदद पाने के लए हमेशा शांत और थर रहना
चा हए


मेशा शांत, थर और च तामु रह। तनावमु र हए ता क जीवा माएं आपका
मागदशन कर सक। आपको हमेशा सवश मान ई र म भरोसा रखना सीखना चा हए
-ई र महान ह।

यो त षय या उनके जैसे लोग क बात का व ास मत क जए-सवश मान ई र पर पूण


व ास रखना सी खए। सवश मान ई र पर आपका स चा और अटल भरोसा चम कार कर
दे गा। वह सवश मान ह, इस लए कोई भी उनके व नह जा सकता।

य द आप ःख झेल रहे ह और आपके जीवन म सम याएं उ प हो जाती ह, तो इसे अपना


कम, परी ा और श ण मा नए और उनका बहा री के साथ ख़ुशी-ख़ुशी। सामना क जए।
आपक स ची ाथना से आपको अपने जीवन म बड़ी सहायता मलती है। अपने मन को
त र खए और कसी को नुकसान मत प ंचाइए। ऐसा करने से, सीधे सवश मान ई र क
मदद और उनका मागदशन आपको जीवा मा के ज रए हा सल होना तय है।

आपक स ची ाथनाएं और ई र म आपका स चा व ास आपको कसी भी सम या से


जूझकर बाहर आने क श दे ता ह। य क आप पृ वी पर ह, वहां सम याएं आती ही रहगी,
ले कन आपको उनका सामना करना चा हए। इस लए उनका सामना साह सक मु कान के साथ
क जए। ई र पर आपक आ था और आपक ाथनाएं हमारी भी बड़ी सहायता करत है,
य क इससे हम आप तक आसानी से प ंचकर आपका मागदशन और आपक मदद कर
सकते ह।
१९-०६-१९८१
ववाह

जी वाक बुमा जगत म शा दयां नह होत -ले कन पृ वी पर ब च क खा तर और इस कारण भी


ढ़ापे म प त-प नी को एक सरे क ज रत होती है, हम टू ट ई शा दय को बारा
जोड़ने क को शश करते ह। पृ वी पर, ब च क सुर ा के लए ानी मनु य ने ववाह क
परंपरा चलाई , य क उ ह ने दे खा क लोग ब च क ज मेदारी नह ले रहे थे और उनक
दे खभाल नह कर रहे थे। इस लए उ ह ने ब चे पैदा करने के लए शाद को अ नवाय बनाया,
ता क अकेले होने के बजाए प त-प नी दोन मलकर ब चे का पालन-पोषण अ छ तरह कर
सक।

दो लोग के लए इक े रहना, एक सरे क मदद करना और अ छे नाग रक बनने के लए अपने


ब च को श त करना समझदारी क बात है। बुढ़ापे म प त-प नी एक सरे क दे खभाल कर
सकते ह, एक सरे का साथ दे सकते ह और सांसा रक सम या का सामना मलकर कर
सकते ह। इस कार शा दयां पहले से तय क ई नह होत । बहरहाल, हम यह बात कहते ए
डरते ह य क हो सकता है पृ वी पर ब त सारे लोग कहने लग क “जब शा दयां ई र ारा
तय नह क जाती, तो शाद य क जाए और सम याएं य खड़ी क जाएं? य न हम
वत रह।” हमारी पु तक म यह छापने से पहले, मेरी आपको इसपर खूब वचार करने क
सलाह है। हम उनक मदद करना पसंद करते ह जनक शा दयां टू ट गई ह , ता क वे सुखपूवक
रह सक य क यही उनके लए े है। ले कन, कभी-कभी प त या प नी म से कोई भी एक
ब कुल होता है और अपने सरे साथी तथा अपने ब च को शारी रक और मान सक प
से ता ड़त करता है। तब, सरे साथी के लए उसके साथ रहना असंभव हो जाता है। ऐसी
थ त म हम ई र से कुछ ऐसा करने क ाथना करते ह जो संबं धत सभी प के लए सबसे
े हो।

प त और प नी के लए एक सरे को यार करना, और अपने ब च के साथ एक प रवार के


प म सामंज य और हंसी-ख़ुशी के साथ रहना ही सबसे े बात है, ता क सांसा रक
सम या का सामना वे और भी अ छ तरह कर सक। पृ वी पर येक मनु य के लए घर
का सामंज य और ख़ुशहाल माहौल सबसे ज री है। आपसी आदान- दान और
सहनशीलता सभी शा दय के लए अ नवाय होता है।
१५-०१-१९८४
अपनी श का वकास सही तरीके से कर

जी वापर यह श
मा जगत म और पृ वी पर भी व ुत् श होती है जसे आप दे ख नह सकते। पृ वी
आपक ब त मदद करती है, और यह फ़ोन, रे डयो अथवा ट वी के ज रए
संदेश ा त करने म आपक मदद करती है। इंसान का दमाग फ़ोन, रे डयो अथवा ट वी के
जैसा ही होता है। पृ वी पर कुछ लोग न संदेश ा त करने क श वक सत क है, कुछ लोग
ने केवल संदेश भेजने क श वक सत क है और कुछ लोग ने दोन श यां संतु लत प
से वक सत क ह। जनम संदेश भेजने क श अ धक वक सत है वे हमारे जीवा मक
संदेश को नह ा त कर सकते, य क उनक हण करने क श कम वक सत होती है।
पृ वी पर यादातर लोग म मान सक और अलौ कक श यां होती है ले कन उसे वक सत
करना उ ह के हाथ म होता है और यह वचार करना ब त मह वपूण है क उ ह वक सत कैसे
कया जाए। एक ही श को अ छे या दोन ही तरीक से योग कया जा सकता है।
इस लए, यह आप ही के हाथ म है क आप खुदको बरबाद कर अथवा खुद को ऊंचा उठाकर
ख़ुश रह।

कभी-कभी, आपको कुछ चीज के बारे म बताने, अथवा कुछ सवाल के जवाब दे न े क हम
अनुम त नह होती। इस लए, कृपया हम ऐसे सवाल बार-बार पूछकर जवाब दे न े के लए बा य
न कर।

पृ वी पर हर कोई पाप करता है। ऐसा कोई नह होता जसने पाप न कया हो, बस उनके तर
अलग-अलग होते ह। कुछ लोग ब त कम पाप करते ह, कुछ थोड़ा अ धक करते ह और कुछ
लोग पाप करने क सीमाएँ लांघ दे त े है। इस लए य द आपसे एक छोटा सा भी पाप हो जाए तो
आपको अपने कम के ज रए उसका हसाब चुकाना होता है। इस मामले म हम कुछ नह कर
सकते। आपको यह अ छ तरह समझ लेना चा हए क हम आपको सज़ा से बचा नह सकते।
इसी कारण कभी-कभी हम कुछ लोग क मदद करने से इनकार करना पड़ता है। हम ऐसे लोग
क मदद करने को सबसे यादा इ छु क होते ह जो भले और नद ष ह अथवा पृ वी पर बुरे
लोग ारा ता ड़त कए गए ह । इस लए, य द हम आपक मदद करने या आपका मागदशन
करने से इनकार कर, तो यह जानने का य न क जए क आपने कौन से पाप कए ह और फर
उनके लए स चे मन से प ाताप क जए ता क हम भ व य म आपका मागदशन कर सक।

केवल नकारा मक आ माएं ही बहकाकर और ग़लत मागदशन दे कर आपको नराश कर दे ना


चाहती ह। ले कन, अ छाई क ओर अ छा और ता क ओर आक षत होता है, इस लए
अ छा बनने क पूरी को शश कर, और ई र ज र आपक मदद करगे।
२५-०१-१९८४
ाथनाएं हमेशा सं त और स ची होनी चा हए

आ प पूरी तरह से एका होने चा हए। आपक नया म, लंबी ाथना से आप कभी
एका नह हो पाते और न ही आपका उनम पूरी तरह मन लगता है। बना पूण भ ,
एका ता और न ा के जब आप कसी पु तक से ाथना को पढ़ते ह, तो यह बस
एक उप यास पढ़ने जैसा ही होता है।

त दन एक ही थान पर ाथना करने का यास कर, य क इससे आप उस थान


पर ऊजा के मजबूत और शु पंदन का नमाण करते ह। बेशक, ाथना आप कह भी
कर सकते ह, ले कन य द आप इसके लए एक थान चुन ल तो अ छे पंदन पराव तत होकर
आप तक प ंचगे और इससे आपको ब त मदद मलेगी।

हर जगह ई र क जगह है, इस लए आप सं त ाथनाएं कह भी कर सकते ह, यहां तक क


या ा करते ए भी। बस, आप म आ था होनी च हए। यहां तक क य द आप सड़क से एक
प थर उठाते ह, उसे धोते ह, और मेज पर रखकर स चे मन से उसक पूजा करते ह, तो आपक
ाथना से अ छे पंदन का नमाण होता है और ये पंदन प थर ारा अवशो षत कर लये
जाते ह। आपक स ची दै नक ाथना से उस प थर और थान के आस-पास अ छे पंदन
का नमाण होता है और आपक ओर पराव तत होकर ये पंदन आपको मान सक शां त,
बु म ा और आ मा क शु ता भी दान करते ह। बस, ई र म पूण आ था र खए और
संपूण प से एक स चा और नेक जीवन तत कर। और आपक ाथनाएं चम कार कर
दगी।
२६-०१-१९८४
अहंकार मनु य को आ या मक अवन त क ओर ले जाता है


मेशा वन र हए। कभी यह मत सो चए क आपक मदद के बना कोई असहाय हो
जाएगा। हर ज़ रतम द क मदद के लए ई र होते ह। आप तो बस एक मनु य ह। य द
आप स हो जाते ह और अपने अ दर अहंकार का वेश होने दे त े ह, तो एक दन
यही अहंकार आपके पतन का कारण बनेगा। इस लए कभी अहंकारी मत ब नए। य द
आपके मन म अहंकार आ जाता है तो आप सरल तरीके से सोच नह सकते, आप ब त सी
ग़ल तयां करते ह और आ या मक प से नीचे गर जाते ह। य द आपका सर हवा म है तो
इसम बस हवा ही भरी रहेगी, और कुछ नह । आपम कोई समझदारी नह होगी। यक न
मा नए कोई आपके बना असहाय नह होता। असहाय तो सवश मान ई र के बना आप हो
जाएंगे।

जो भी यह सोचता है क उसके बना कोई बेसहारा हो जाएगा, वह सबसे बड़ा मूख है। य द
ई र ने आपको गव करने लायक कुछ दया है, तो वन ब नए, अ यथा आप ज र पतन क
ओर बढ़गे। समय से पहले कुछ भी नह होता, इस लए ती ा क जए और बे फ़ र हए।
आपके तनाव त होने से कुछ भी अपने समय से पहले होने वाला नह । उ टा, ऐसा करने पर
आपका नुकसान ही होता है। इस लए बे फ़ र हए और ाथना क जए। ई र महान ह।

पृ वी पर आपको बुरी और आ मा के साथ रहते ए अपनी आ मा को शु , सबल और


सा वक बनाए रखना पड़ता है। यह ब त ही मु कल काम है, ले कन ई र भली आ मा के
साथ ही रहते ह और य द उ ह उनक र ा क आव यकता होती है तो वे उनक दे खभाल करते
ह। सर क परवाह क जए और उनके त मन म ेम र खए। पृ वी पर क झेलने के बाद
भी हमेशा अ छे बने रहने क स ची इ छा मन म र खए।
२८-०१-१९८४
आप अपने पाप का हसाब चुकाने से बच नह सकते

जै सा आप बोएं ग,े वैसा ही काटगे। ई र का याय पूणतः सही होता है। संभव है क यह
त काल न हो, ले कन अंततः आपको अपने पाप का हसाब चुकता करना ही पड़ता है।

ई र हमेशा भली आ मा को उनक छोट -मोट ग़ल तय पर संकेत दया करते ह। वह


आपको बताते ह क आप से कहां ग़लती ई है, ले कन धरती के लोग इसे समझते तक नह ।
इस लए कने और सुधरने क को शश करने के बजाए वे ता क ओर और भी गहरे धंसते
चले जाते ह। य द वे अपने कम म असफल हो जाते ह तो वे यह नह सोचते, क ऐसा होने
का अथ है क ई र नह चाहते क उनसे पाप हो। इसके बजाए, यह सोचते ए वे और भी
पापकम करने पर उता हो जाते ह क “म कतना हो शयार ं यह दखाकर र ंगा।” हम ऐसी
आ मा पर दया आती है। वे ता क राह पर इतने र नकल जाते ह, जहां से लौटना संभव
नह होता, और आ ख़रकार वे खुदको नक म पाएँगे।
भाग २

और उ र
खोरशेद भावनगरी के घर का वह थान जहां वे अपने बेट से संपक कया करती थ
वच लत लेखन

“अधूरा ान, खतरनाक होता है”

“ जतने जीवंत आप इस धरती पर ह, उससे कह यादा जीवंत हम जीवा मा जगत म ह। हम


आपको दे ख सकते ह, सुन सकते ह, छू सकते ह और महसूस कर सकते ह।”

“स चा यार कभी नह मरता, धरती पर आपक मृ यु के बाद भी नह । ेम अन त है।”

कभी भी वच लत लेखन करने का यास वयं न कर। र ा मक कड़ी, और


उ चत जानकारी के बना वच लत लेखन शु करना बेहद खतरनाक है।
सफ एक अनुभवी और पहले से म य थता करने वाला ही आपक
कड़ी जोड़ सकता है। ऐसा करने से आप आ त रहगे क आपको कसी भी
बुरी अवकाशी आ मा या नकारा मक श के ह त ेप ारा नुकसान नह
प ंचाया जा सकेगा।

जब हम कसी मृता मा से स पक साधते ह, तो या हम उसक आ मा को


परेशान नह कर रहे होते?

यह कहना ग़लत होगा क हम मर चुके ह। जतने सजीव आप पृ वी पर ह, उससे कह यादा


हम जीवा मा जगत म ह। पृ वी पर आपका जीवन इस अंतहीन या ा का केवल एक पड़ाव है।
जहां स चा यार हो, वहां स पक कैसे ख म हो सकता है? यह आ मा के बीच का स पक है
और आ माएं कभी मरती नह । इस लए मृ यु के बारे म आपको अपनी धारणा बदलनी होगी।
जो मरता है, वह आपका अहंकार है, आपका भौ तक शरीर है-जो बाक रहता है, वह आपक
आ मा है, और वह पृ वी के उस मनु य से यादा जीवंत, यादा पंदनशील और यादा ेम पूण
होती है जससे क वह संपक करती ह। हम जीवा मा को कोई शारी रक तकलीफ या दद
नह होता। अपने मानवीय और अवकाशी शरीर को याग दे ने के कारण, हम पूरी तरह वतं
होते ह। पृ वी क तरह जीवा मा जगत म भी, ई र ने हम अपने अ त व को आकार दे ने का
वक प दया है। हम कोई भी काय चुन सकते ह, जो हम पसंद ह , हम जब चाह तब ाथना
कर सकते ह, खुशी अनुभव कर सकते ह, जानका रयां और आ या मक ान ा त कर सकते
ह। हम आपक नया क भौ तकता से बंध े नह ह और हम पूरी तरह से अवचेतन मन ारा
संचा लत ह, जो क हमारा स चा और आ या मक मन है। इस लए, जब आप हमसे स पक
करते ह तो आप कसी ‘मृत को परेशान’ नह कर रहे होते, य क हम आपसे कह यादा
सजीव ह।

आजकल के युवा यादा खुल े मन वाले और समझदार ह। इस लए, वे जीवा मा स पक के


वषय म अपने माता- पता, जो क दमाग म पहले से ांत धारणाएं लए होते ह, के वपरीत
यादा हणशील होते ह। माता- पता के बार-बार तबं धत होते रहने क वजह से पहले से
उनक एक बंधी-बंधाई सोच होती है।

वच लत लेखन या है?

वच लत लेखन एक ऐसी या है, जसके ज रए जीवा माएं धरती पर इंसान से संपक करती
ह। इसके लए बस एक कलम, काग़ज़ और एक ाकृ तक योत क आव यकता होती है।
आसान श द म कह, तो जब आप काग़ज़ पर ह के हाथ से कलम पकड़े रखगे, तो जस
जीवा मा के साथ आपका संपक हो रहा है वह इस कलम को आगे बढ़ाएगी और जैस-े जैसे
समय बीतता जाएगा, धीरे-धीरे श द और बाद म वा य बनते जाएंगे। हम वच लत लेखन के
बारे म व तार से बताना नह चाहते, य क यह ऐसी या नह , जसे हँसी खेल म कया जा
स के । वच लत लेखन के दौरान नकारा मक ह त ेप हो सकता है, जैसे क कोई
अवकाशी आ मा या अनजानी नकारा मक श जो क आपको नुकसान प ंचा
सकती ह।

यह केवल तभी कया जा सकता है जब आपके, और, जीवा मा जगत क जस आ मा के साथ


आप स पक करना चाहते ह, उनके बीच एक सुर ा मक कड़ी मौजूद हो। सफ एक अनुभवी
जो पहले से ही इससे जुड़ा आ हो, आपक

वच लत लेखन के व भ तर
तर १

तर २
तर ३

तर ४
तर ५ रसंवेदन
रसंवेदन स पक क मदद से खोरशेद भावनगरी को ा त ए संवाद, जो क उनके अपने अ र म लखे गए ह। इस या म,
जीवा माएं सीधे पृ वी क आ मा के मन पर वचार द् वारा भाव डालती ह। इसे रसंवेदन कहते ह।

गुजराती म ा त संवाद (खोरशेद भावनगरी क मातृभाषा)

कड़ी जोड़ सकता है। इस लए, जब कभी वच लत लेखन के लए वनतीयां ा त होती ह, तो


सबसे पहले जीवा मा जगत से आ ा लेनी होती है। य द आ ा ा त हो, तो ही व तार से नदश
दए जा सकते ह, जसका पूरी तरह से पालन करना ब त ज री होता है। य द सही तरीके से
उ चत मागदशन के अनुसार यह कया जाए, तो जीवा मा से स पक करने का यह सबसे
सुर त तरीका है, य क आपके, और जस जीवा मा से आप स पक करगे, उसके बीच एक
सुर त कड़ी बन जाती है। इस कड़ी क सुर ा उ चतर जीवा मा ारा क जाती है, इस लए
कोई न न तर क या अवकाशी आ मा, कोई बाधा डालकर आपको बहका नह सकती। यहां,
जीवा मा जगत म हम बुरी आ मा से कड़ी जोड़ने क आ ा नह द जाती।

वच लत लेखन सवश मान ई र क ओर से धरती पर रहने वाली आ मा को मला आ


एक वरदान है, जसके ज रए वे अपने यजन के साथ स पक म रह सकती ह। केवल ऐसी
जीवा माएं, जो उ च आ या मक तर पर होती ह और पृ वी पर ऐसे लोग, जो सही राह पर
होते है, उ ह ही स पक करने क अनुम त द जाती है। वच लत लेखन सीखने का सबसे बड़ा
लाभ यह है, क आप अपने उन यजन के साथ स पक कर सकते ह जो दवगंत ह और
उनका मागदशन ले सकते ह। यह पृ वी के लोग को ब त राहत दे ता है। हालां क, जीवा मा
के मागदशन म वच लत लेखन का मु य उ े य, आपको आ या मक प से सुधार लाने म
मदद करना है, और अंततः सर क भी मदद करना है। जस समय आप लख रहे होते ह,
आपका अवचेतन मन स य हो उठता है और आप सुर ा ा त करते ह (इस लए नकारा मक
श आपको नुकसान नह प ंचा सकती) और आपको आरो य लाभ होता है। आ खरकार,
अगर आप सही राह पर ह, तो आप सर क मदद कर पाने म समथ ह गे। आप सर के लए
संदेश ा त करने और ज ह आ या मक जानकारी और मागदशन क ज रत है, उनक मदद
कर पाएंग।े भा यवश आज कई लोग इस वरदान का ग़लत इ तेमाल कर रहे ह। वच लत
लेखन क शु आत करते ही वे सर को संदेश दे ने लगते ह, जो हो सकता है क उनके अपने ही
भौ तक मन क उपज ह और संभव है क वह ब कुल ग़लत भी ह । कुछ लोग इस मता का
इ तेमाल अपने अहंकार को स तु करने, श ा त करने, सफलता और स हा सल
करने के लए या फर सर को काबू म रखने के लए करते ह। अगर ऐसा होता है तो वह
जीवा मा पृ वी पर रहने वाली आ मा से संपक करना बंद कर दे ती है। इसके प रणाम व प दो
बात हो सकती ह- पहली, पृ वी पर रहने वाला वह इंसान अपने भौ तक मन क उपज के
आधार पर संदेश लखना जारी रखेगा, जो ब कुल ग़लत होगा। सरी, कोई बुरी अवकाशी
आ मा पृ वी पर क आ मा को ग़लत संदेश भेजकर उसे पूरी तरह से गलत दशा म ले जाएगी।

या यह कहना सही होगा क वच लत लेखन एक आ या मक कया है?

हां, ऐसा कहना ब कुल सही है। ई र चाहते ह क जीवा माएं, इंसानी आ मा क मदद कर।
आपका मागदशन करना हमारा कत है। धरती पर आ मा क एक ग़लत धारणा बन गई है
क वच लत लेखन एक नकारा मक या है और वह हमारी उ त म बाधा प ंचाती है।
आ या मक वकास इसका सबसे बड़ा उ े य है। हालां क इंसान शु आत म अपने दवंगत
यजन के साथ सदमे और ःख क वजह से बात करता है, ले कन आ खरकार आपको पता
चलता है क ये यजन ही अब आपके आ या मक अ भभावक और संर क क भू मका
नभा रहे ह।

मृ यु के बाद सभी आ माएं अपने यजन से स पक य नह करत ? या सभी


आ माएं धरती पर रह रहे अपने यजन के दद औऱ पीड़ा को कम करना नह चाहत ?

पृ वी पर कुछ आ माएं तभाशाली मा यम होती ह, जनम जीवा मा जगत से संदेश ा त


करने क मता होती है। कुछ तो इस वरदान के साथ ही पैदा होती ह- उ ह ने इस वरदान को
कई ज म लेन े के बाद कमाया होता है, और यही उनका आ या मक जीवन काय होता है। साथ
ही, धरती पर सभी आ माएं ऐसी नह होत जनका मृ यु-बाद के जीवन या ई र म व ास हो।

लोग कहते ह क वे उन पर व ास करते ह, ले कन वे अपनी जदगी उनके अनु प नह जीते।


इस लए वे अपनी परी ा म असफल स होते ह और प रणाम व प उनके यजन को
उनसे स पक करने क अनुम त नह द जाती। पहली चीज जसक जीवा मा को
ज रत होती है, वह है व ास। अगर आप सबूत क तलाश म ह, तो वह आपको कभी नह
मलेगा। आप कह सकते ह क आप मनु य ह और आपको सबूत क ज रत है, ले कन
सच तो यह है क आप सबूत चाहते ह- आपको उसक ज रत नह होती। आपके दय
म आप जानते ह क ई र का अ त व है और जो लोग जीवा मा जगत म प ंचते ह, वह हमेशा
जी वत रहते ह। ले कन तक आपको इसे मानने से रोकता है। य द हमने आपको सबूत दे दया,
तो कोई प र ा नह रह जाएगी। अपने यजन को खो दे ने के बाद, कुछ लोग बेहद कठोर और
ो धत हो जाते ह और ई र को ज मेदार ठहराते ह। क ठन समय म उनक मदद मांगने के
बदले वे उनसे मुंह फेर लेत े ह। दद का एहसास वभा वक है, ले कन कठोर और ो धत बनने से
बच। भले ही यह ब त मु कल है, ले कन अपनी इस तकलीफ का इ तेमाल सर क मदद के
लए कर। उस तकलीफ म खुद को न न कर और ई र को दोषी न ठहराएं। स पक तभी हो
सकता है, जब इंसान और जीवा मा के बीच स चा यार हो। उनक आ माएं एक- सरे के
करीब आने को उ सुक होत ह। ाथ मक अव था म, वह जीवा मा पृ वी पर क आ मा क
मदद करना चाहती है, ले कन दोन ही आ मा का अं तम ल य आ या मक प से ग त
करना है। अतः अगर पृ वी पर क आ मा य द एक ब त ही न न लोक तक गर जाए, तो
स पक क अनुम त नह मलती, य क पृ वी पर क आ मा का अवचेतन मन सु त होने के
कगार पर होता है।

अगर आप मजबूत और खुले मन के इंसान ह, तो हम आप तक प ंचने क अनुम त है, ता क


आपका व ास पुनः जागृत हो सके। मेहरबानी करके, इस बात को सम झए क यहां एक
आ या मक नयम स य है। ये नयम न प होता ह- ये कसी के साथ प पात नह करता।
अगर आप सही राह पर ह, तो जीवा माएं आप तक प ंचने के लए अपनी ओर से पूरी को शश
करती ह।

भले ही आप तकलीफ म ह , आपको फर भी हणशील रहना चा हए। ऐसी कई जीवा माएं ह,


जो पृ वी पर अपने यजन को सां वना दे ने के लए उन तक प ंचने क को शश करती ह।
ता क वे उनक मदद कर सक, ले कन यह अकसर संभव नह हो पाता, य क पृ वी पर लोग
मृ यु के बाद के जीवन म व ास नह करते। उनके मन इस संभावना के ती हणशील नह
होते, और इस लए स पक का तो सवाल ही नह उठता। हम आपक तरफ कई कदम बढ़ाने के
लए तैयार होते ह, ले कन पहला कदम, जो क व ास रखने और मन को खुला रखने का है,
वह आपक ओऱ से बढ़ना चा हए। यही आ या मक नयम है।
वच लत लेखन के या- या फायदे ह?

१. अ छ जीवा मा और धरती के लोग को आ या मक वकास और नः वाथ सेवा


के लए यह वरदान दान कया गया है।
२. वच लत लेखन एक आ या मक या है, जसम जीवा माएं, पृ वी पर क
आ मा को मागदशन दान करती ह। हालां क, यह मागदशन केवल एक संकेत हो
सकता है, इस लए कसी को भी इस पर पूण प से आ त नह रहना चा हए।
३. अपनी परी ा , श ण और कम का बहा री और मु कान के साथ सामना करने
म ये जीवा माएं, पृ वी पर क आ मा क मदद करती ह। वे पृ वी पर क आ मा
को अपने आ या मक जीवनकाय क शोध करने म भी मदद करती ह।
४. जीवा माएं पृ वी पर क आ मा को सवश मान ई र के स चे नयम का प रचय
दे ती ह।
५. वच लत लेखन या के दौरान, जीवा मा पृ वी पर क आ मा को आरो य दान
करती है।
६. इस या से अवचेतन मन भी यादा और यादा जागृत होता जाता है।
जीवा मा जगत

“पृ वी हमारी पाठशाला है; हमारा असली घर जीवा मा जगत है।”


“केवल मदद क स ची पुकार का ही उ र दया जाता है”

जीवा मा क सही प रभाषा या है?

हम इसे आपके अ त व के संदभ म समझा सकते ह। सबसे पहले आपको यह समझने क


ज रत है क आप ‘मनु य’ नह ह। आप असल म मनु य के प म एक जीवा मा ह। पृ वी पर
हर का यही अ त व है। आपके पास केवल एक नह , ब क तीन शरीर ह :

१. मानवीय शरीर

२. अवकाशी शरीर

३. जीवा मक शरीर

जब आपक मृ यु होती है, तब आप मानवीय से अवकाशी और फर जीवा मक प म


प रव तत हो जाते ह। यह एक ाकृ तक ग त है। मृ यु के बाद आपके भौ तक शरीर और
भौ तक मन क मृ यु हो जाती है। आपके अवकाशी शरीर और जीवा मक शरीर क तुलना म
भौ तक शरीर काफ भारी होता है। आप अपने भौ तक शरीर और भौ तक मन का याग करने
के बाद एक अवकाशी आ मा बन जाते ह। एक अवकाशी आ मा वैसी ही दखती है, जैसा मृ यु
के समय वह इंसान दखता हो। अवकाशी शरीर मानवीय शरीर का त प होता है, ले कन वह
काफ ह का होता है। अवकाशी आ मा से, आ मा और अवचेतन मन जीवा मा प म
प रव तत हो जाते ह। यह जीवा मक शरीर, भौ तक शरीर और अवकाशी शरीर से काफ
ह का होता है। यह पंख जतना ह का होता है। उ च आ या मक तर क जीवा मा पृ वी क
अपे ा उ म का फ यूवा दखती है। साथ ही, उसका व प इस बात को दशाता है क वह
आ मा कतनी वक सत है। आ मा जतनी यादा वक सत होगी, उसका जीवा मक प
उतना ही चमक ला और यूवा होगा।

या वग और नक का अ त व है?

हमारे संवाद म, हमने ‘ वग’ और ‘नक’ जैसे श द का योग कया है, ले कन कृपया इसके
पीछे के स य को सम झए। ई र ने एक नयम बनाया ह, क जीवा मा जगत म एक नकारा मक
आ मा ठ क उसी जगह नह रह सकती जहां अ छ आ मा रहती हो। इस लए, जब मनु य ने
अपनी वतं इ छा का योग काश से र जाने के लए कया, तो उनके सामू हक पंदन से
एक नकारा मक थान का नमाण आ। सरे श द म कह तो, सात लोक क प र थती का
नमाण इन लोक म रहने वाली आ मा ारा ही कया गया है। केवल सात लोक का अ त व
है। वग और नक बस आ मा के वचार , श द और कम का त ब ब ह- न इससे यादा न
इससे कम। अगर आप सही राह पर ह, तो आपको डरने क ज रत नह । स य का उ े य यह
नह क मन म डर को बठा ल, इसका उ े य तो आपको जगाना है। जैस े सात लोक होते
ह, उसी तरह सात व भी ह। जब आप अपनी आ या मक या ा शु करते ह, तो आप सांतवे
व तक प ंचने का ल य लए पहले व से शु आत करते ह। हर व के अलग आयाम होते
ह। पृ वी तीन आयाम वाला और तीसरा व है।

ई र ने पृ वी पर अ छ और बुरी दोन आ मा को एक साथ रहने क अनुम त


य द है?

सभी भली आ मा का यह जीवन काय है क आ या मक तौर पर जो सही है, वह करते ए


वे नकारा मकता से संघष कर। अगर नकारा मकता का अ त व न होता, तो आपक
आ या मक तौर पर परी ा कैसे होती? भली आ मा को नकारा मक आ मा के बदलाव
म मदद करने का मौका दया जाता है, ता क वे ई र के दखाए सही माग पर चल। जब
नकारा मक आ माएं दयालुता भरा बताव या नः वाथ अ छे कम दे खती ह, तो संभव है क वे
सही राह पर चलने के लए े रत हो जाएं।

या ऐसी आ मा के लए कोई उ मीद है?

हां, ब कुल है। ले कन तभी, जब सुधार क इ छा वा तव म मन से जागी हो। जीवा मा जगत म


य द कसी जीवा मा को न नतर लोक से मदद के लए स ची पुकार सुनाई दे ती है, तो वे मदद
ज र करती ह। एक न न आ मा क ग त के लए यह पहला कदम उठाना होता है- सुधरने
का उ े य और इसक इ छा ब कुल स ची होनी चा हए। इस लए य द आप जीवा मा जगत के
नचले लोक म ह, तो नराश मत होइए। आपको वहां अनंत काल तक रहने के लए बा य नह
कया जाएगा। अन त नरक — यातना जैसा कुछ नह होता। वकास करने, अ छाई को चुनने
और आ या मक प से ग त करने का अवसर हमेशा मलता है।

हम पृ वी पर जीवा मा जगत य याद नह रहता?

य द एक ण के लए भी मनु य उस आलो कतता का अनुभव कर ले, जो जीवा मा को


ा त होता है, तो आप अपने भौ तक शरीर म नह रह पाएंग।े य द आपको जीवा मा जगत म
अपने अ त व क हर बात याद हो, तो आप पृ वी पर ण भर के लए भी जीना पसंद नह
करगे। इसी वजह से जीवा मा जगत के बारे म आपम कोई सचेतन मृ त नह होती। यह
आपक परी ा भी है क आप बना कसी य सबूत के ई र और मृ यु बाद के जीवन म
व ास करते ह या नह । जीवा मा जगत स य का े है। पृ वी श ण का े है।

य द जीवा मा जगत ही हमारा वा त वक घर है, तो हम मरने के बाद इसे पहचान


य नह पाते?

मृ यु के बाद शरीर मर जाता है। हालां क, पृ वी पर मनु य ारा ा त कया गया ान, मृ त
और अनुभव नह मरते। आपक आ मा इनका याग नह करती। और आपके गुण अथवा
आ मक ल ण भी आपके साथ रहते ह। अवचेतन मन, जो आपक आ मा से जुड़ा होता है,
जीवा मा जगत क जानकारी और मृ तय के बारे म धीरे-धीरे, एक-एक कर आपको बताता
है। ले कन, य द आप वभाव से ज या फर भौ तक नया से कुछ यादा ही जुड़े ए ह, तो
जो भी आपको आपका अवचेतन मन कहता है, उसपर गौर करना आपके लए मु कल हो
जाता है। य - य आप आ या मक प से ग त करते ह, आपका अवचेतन मन जागृत होता
जाता है और आप जीवा मा जगत को अपने असली घर के प म आसानी से वीकार कर लेते
ह।

आ मक ल ण कैसे उपल ध कए जाते ह?

आ मक ल ण वे गुण होते ह, जो आप कई ज म लेन े के बाद उपल ध करते ह। यह इस बात


पर नभर करता है क आपने अपनी जीवा मा को कस तरह का श ण दया है। आपक
आ मा के सकारा मक और नकारा मक दोन ल ण होते ह। उदाहरण के लए, आपक आ मा
के सकारा मक ल ण यह हो सकते ह क आप नः वाथ, सकारा मक और बहा र ह ।
नकारा मक ल ण भले ही आपके भौ तक मन क उपज ह , ले कन ब त लंबे समय तक
आपके साथ रहने क वजह से, वे आपका ह सा बन जाते ह। इस लए आप अ भमानी, ज
और ब त ता कक हो सकते ह। पृ वी पर आपके ारा अ जत नकारा मक ल ण जीवा मा
जगत म आपके साथ रहते ह। हां, पर ये उतने बल नह होते। ले कन याद रख, आप पूरी तरह
से संपूण नह ह। जीवा मा बनने के बाद भी आपम दोष होते ह। आप वकास करना जारी रखते
ह, यहां तक क जीवा मा जगत म भी। हालां क, अगर आप उ च लोक म ह, तो इसका मतलब
है क आपने धरती पर अपने जीवनकाल म इन गुण को हा सल करने के लए य न कए ह और
जो थोड़े अवगुण ह उनसे आसानी से छु टकारा पा सकते ह। उ चतर लोक म जीवा माएं
उ च तर क चीज सीखती ह।

मान ली जए कसी को मरने के बाद यह पता होता है क वह न नतम लोक


म जाने वाला है, तो वह वहां य जाएगा?

अ छ आ मा अपने आप ही अपने लोक म प ंच जाती है, य क अ छ आ मा को उस


शां त के बारे म पता होता है जो उनक त ा कर रही होती है। बहरहाल, न न तरीय आ मा
न न लोक म नह जाने का वक प चुन सकती है।

न नतर लोक म जाने से बचने के लए यह आ मा अपने अवकाशी प म रह सकती है- ज ह


आप ेता मा के प म जानते ह। वतं इ छा का नयम अवकाशी जगत म भी च लत है।
आप पूछ सकते ह क, “इसम याय कहां है?” कृपया यह समझ ली जए क ये नकारा मक
आ माएं कभी भी आ या मक प से उ त नह कर पात , या जब तक वे स य का सामना न
कर ल तब तक अपने कम का हसाब नह चुका पात । कभी न कभी, उ ह अपने कम का फल
भोगना ही पड़ता है और जीवा मा जगत म जाना पड़ता है। साथ ही, जतना अ धक समय वे
अपने अवकाशी प म गुज़ारती ह, उनके नकारा मक कम उतने ही अ धक बढ़ते जाते ह। तो
इस तरह, याय हमेशा कया जाता ह।

हमारी मृ यु होने पर या हमारे यजन हम लेन े आते ह?

अगर आपक मृ यु कसी बीमारी से होती है, तो आपके दवंगत म और र तेदार जीवा मा
जगत म आपका वागत करने के लए उप थत ह गे। ऐसा इस लए, य क उ ह आपक
अं तम तारीख (मृ यु क त थ) के बारे म पता होता है और वे इस सच से अवगत रहते ह क
आप पृ वी को अल वदा कहने जा रहे ह। ले कन, अगर आपक मृ यु अचानक होती है- जैसा
क हमारे मामले म आ, जब हमारी अं तम तारीख़ नह , ब क एक घटना थी- जीवा मा
को आपका वागत करने म थोड़ा समय लग सकता है। य द आप एक भली आ मा ह तो आप
आ त रह क वे आपके वागत के लए ज र उप थत ह गे। आप बस कुछ ण के लए ही
अकेले रहगे, इससे यादा नह । अगर आप नकारा मक आ मा ह, तो अपने वागत के लए
आप अ छ आ मा के प ंचने क उ मीद न कर। यहां तक क अपने दवंगत यजन से भी
यह उ मीद न रख क आपका वागत करने के लए वे वहां मौजूद रहगे। ले कन नकारा मक
आ माएं आपको उस जगह ले जाने के लए आएंगी, जसके आप यो य ह।
आपने बताया क य ही आप जीवा मा जगत म प ंच,े आप को व ाम क म
ले जाया गया। या आप, इस जगह के बारे म हम और कुछ बता सकते हो?

य द पृ वी पर कसी क मृ यु अ या शत और अचानक होती है, तो उस आ मा को


व ाम क म ले जाया जाता है। य क इन आ मा को आघात लगा होता है, इस लए
उनक ाकुलता को कम करने के लए उ ह वा यलाभकारी करण द जाती ह। ये करण
बस सूय क करण होती ह, ले कन जीवा मा जगत म ये ब त नमल होती ह। हमारी मृ यू के
बाद, हम अपने मॉम और डैड को लेकर काफ च तत थे, य क उनक दे खभाल करने वाला
कोई नह था और हम इस बात क फ़ थी क वे अब कैसे जी पाएंग,े इस लए हम शांत करने
के लए वा यलाभकारी करण का दया जाना ज री था।

इसी तरह, य द आघात त अथवा ाकुल आ माएं शांत नही ह तो वे इस स य को वीकार


नह कर पाती क वे अब पृ वी पर नह ह। य द वे सदमे म ही रह जाएं तो वे जीवा मा जगत के
बारे मे उन सूचना को हण कर उनका मतलब नह समझ पाएंगी, जनका दया जाना
ज री होता है। वे अपने नए प रवेश म हर चीज को वीकारने, उनक पहचान करने और उनके
अनुसार काम करने म स म नह हो पात । इस लए, व ाम क वह जगह है जहां आपक
आ मा का उपचार होता है और उसे फर से ऊजावान कया जाता है। जब आ माएं व ाम क
से बाहर आ त ह, तब वे बारा ऊजा से भर जाती ह और उ ह आन द का अलौ कक अहसास
होता है। हर लोक का अपना अलग व ाम क होता है।

ले कन, थम लोक से लेकर चौथे लोक के चौथे तर तक व ाम क नह होता। इस लए,


केवल वही आ माएं जो चौथे लोक के पांचव तर और उससे ऊपर होती ह, उ ह ही व ाम क
म ले जाया जाता है। वे ज रत से यादा समय के लए व ाम क म नह रह सकते।

जीवा मा जगत के अनुसार ढल जाने के बाद आ मा का या होता है?

एक बार जब जीवा माएँ, जीवा मा जगत के अनुकूल हो जाती है तो उ ह अपने नए प रवेश के


बारे म सीखना होता है। जो आ माएं हाल म जीवा मा जगत म प ंची होती ह, उनके मन म कई
सवाल होते ह। कुछ व श जीवा माएं होती ह, ज ह इन नई आ मा क मदद करने के लए
श त कया गया होता है। ले कन, यहां एक और थान है, जहां आ माएं जानका रयां ा त
कर सकती ह और इसे श ा क कहते ह। श ा क म ई र के नयम , ांड क कृ त
और ई र क हर एक रचना क जानकारी मौजूद होती है। हालां क, ये जानका रयां आ मा के
समझने क मता के आधार पर ही उ ह द जाती ह। जीवा मा जगत म, श ा क हर भली
आ मा के लए खुला रहता है। चौथे लोक के चौथे तर से ऊपर येक लोक म, जस तरह
व ाम क होता है, उसी तरह श ा क भी होता है। अ यंत वक सत जीवा माएं इन क
म आकर जीवा मा को ई र के ेम और ान के बारे म श त कर उनम ेरणा का संचार
करती ह। यह सारे क ऐसी उजा से भरे होते ह, जो आपको आ या मक स य को बेहतर
समझने म स म बनाती ह। आप अपने अवचेतन मन को और अ धक जागृत करना सीख
सकते ह और अपने अ दर पहले से मौजूद नपुणता को बढ़ा सकते ह। सम या को कैसे
सुलझाया जाए, इसके लए मागदशन मांगना और अपने आ या मक जीवनकाय का बेहतर
अनुकरण कस कार कया जाए, यह सीखने क सारी जानका रयां वहां मौजूद होती ह।
संभावनाएं अनंत ह और यह वा तव म भ सीख पाने क जगह है, जहां कई आ माएं आती ह
और अपने-अपने अनुभव बांटती ह और अ य ह और आयाम के बारे म जानका रय का
आदान- दान करती ह। श ा क क शु आती और सबसे अहम भू मका है- आपके अंदर
एक भ आ या मक जागृ त पैदा करना। जब आ मा को श ा क से जानका रयां
मलती ह, तब उ ह अहसास होता है क सांसा रक वचार कतने द कयानूसी ह। श ा क
आ या मक स य से भरे ए एक पु तकालय क तरह है।

या जीवा मा जगत म फ़ र ते होते ह?

हां। फ़ र ते वे भली आ माएं ह, जो मागदशन करती ह, मदद करती ह और सवश मान ई र


के संदेश लेकर आती ह। कभी-कभार वे इंसान के प म आती ह और कभी-कभी वे अ य
होती ह। ये पांचव लोक के सातव तर से ऊपर क भली आ माएं होती ह। ी सव च भली
आ मा क अनुम त मल जाने पर, सातव लोक के पांचव तर से ऊपर के फ़ र ते आपात
प र थ तय म आ मा क मदद करने के लए पृ वी पर कसी भी प म आ सकती ह।
फ़ र त के पास चम कार करने क मता और श होती है। पांचव और छठे लोक क
आ माएं भी पृ वी क आ मा क मदद करती ह, ले कन केवल जीवा मा जगत से ही। वे
पृ वी पर नह जात ।

फ़ र त के पंख नह होते, ले कन वे चोगे पहनते ह और तेजी से उड़ान भरने पर उनके चोगे पंख
जैसे दखाई पड़ते ह। बहरहाल, कभी-कभी फ़ र ते व भ प और अकार हण करते ह और
कभी-कभी वे मनु य के सामने पंखधारी व प म कट होते ह, य क मनु य उनक क पना
इसी प म करते ह। पंख का इ तेमाल फ र त को तीका मक प दे न े के लए कया जाता
है, ता क लोग जान पाएं क जीवा मा जगत का अ त व है और फ र ते उनक दे खभाल कर
रहे ह। धरती पर कुछ आ मा ने फ र त को दे खा है। येक आ मा को गत ज रत
के आधार पर एक चोगा दया जाता है और वे चोगे ऐसे पदाथ से बने होते ह जनम ऊजा को
हण करने क जबद त मता होती है। उ चतर लोक क आ मा के चोग म ऊजा हण
करने और उसे संजोने क मता न नतर लोक क आ मा के चोग क तुलना म अ धक
होती है। य - य हम उ चतर तर क ओर बढ़ते ह, पंदन बल होता जाता है और चोग क
चमक बढ़ती जाती है, और इस तरह उनम सकारा मक ऊजा का अवशोषण और भंडारण होता
है। सरी ओर जब भली जीवा माएं न नतर लोक म जाती ह तो उ ह अलग कार के चोग क
आव यकता होती है। ये चोगे अलग तरह के पदाथ के बने होते ह जो ऊजा को हण नह
करते, ब क उसका परावतन करते ह। आ मा को जतने न नतर लोक क या ा करने क
आव यकता हो, चोगे क परावतन श उतनी ही अ धक होती है। नकारा मक ऊजा को
पराव तत कर ये चोगे भली आ मा के पंदन को व पत होने से बचाते ह। इन चोग के
व भ रंग होते ह। इन रंग म से कुछ ऐसे होते ह जनका पृ वी पर अ त व नह है।

या फ़ र ते जीवा मक मागदशक से अलग होते ह?

हां दोन अलग ह। पृ वी क येक आ मा का जीवा मा जगत म एक संर क होता है जो


उसका मागदशन करता है। इस संर क को जीवा मक मागदशक कहते ह। यह उस
मागदशक का ल य है क वह आपको सही राह दखाए। आपके ज म लेते ही जीवा मा जगत
क एक आ मा को आपके ज म से लेकर मृ यु तक आपके जीवा मक मागदशक के प म
नयु कया जाता है। यह नयु उस लोक क उ च भली आ मा के ारा क जाती है। आप
कभी यह नह जान पाएंगे क आपका जीवा मक मागदशक कौन है। आपका जीवा मक
मागदशक जीवन भर आपके साथ रहता है। बहरहाल, जब आप ग़लत रा ते पर बढ़ते ह तो
आपका जीवा मक मागदशक आप तक नह प ंच पाता। जब कोई मनु य पाप करता है तो
उसका अवचेतन मन ब द होने लगता है, और आ ख़रकार एक ऐसी थ त आती है जब
अवचेतन मन पूरी तरह न य हो जाता है। ऐसा होने पर आपका जीवा मक मागदशक
आपको वा यलाभ, सुर ा और मागदशन दान करने म स म नह रह जाता। य क इन
चीज तक मनु य अपने अवचेतन मन ारा प ंचता है, जो जीवा मा जगत और आपके बीच क
मु य कड़ी है। जब आपका अवचेतन मन न य हो जाता है, तब आपके जीवा मक
मागदशक को आपके भौ तक मन के ज रए आप पर ‘ भाव’ डालकर आप तक संकेत भेजने
म अलग से कड़ा प र म करना पड़ता है। यह कसी भौ तक संकेत के प म हो सकता है, हो
सकता है पृ वी का ही कोई मनु य आपको सही राह दखा दे अथवा आपको कोई चेतावनी मल
सकती है। ले कन, य द आप फर भी नह बदले तो आपका जीवा मक मागदशक कुछ नह
कर सकता। इस लए, ई र ने येक मनु य को नकारा मक भाव से बचने के लए दोहरी
सुर ा दान कर रखी है। पहला आपका श शाली अवचेतन मन है, और सरा आपका
जीवा मक मागदशक है।

यह आपके जीवा मक मागदशक क ज मेदारी है क वह जीवन भर आपक दे खभाल करे,


आपको राह दखाए, आपक सुर ा करे और आपको पृ वी पर अपने जीवनकाय को पूण करने
म सहायता करे। जब आपको सलाह क आव यकता हो तब आपको स चे मन से ई र क
ाथना करनी चा हए और सहायता क वनती करनी चा हए। आपका जीवा मक मागदशक
आपको आव यक मागदशन दे न े के लए हर संभव य न करेगा, य क उ ह पृ वी क
आ मा का मागदशन करने के लए वशेष कार से श त कया गया होता है। जीवा मा
जगत म यही उनका मु य काय होता है, और इस या के ज रए वे भी सीख ा त करते ह,
और ग त करना जारी रखते ह। ब त क ठन प र थ तय म, जीवा मक मागदशक अ य
बु मान आ मा से संपक कर उनक सलाह लेता है। यह जानकारी आपको इस लए द जा
रही है, य क पृ वी पर ब त से लोग अपने आप को अकेला महसूस करते ह। उ ह लगता है
क उ ह सलाह दे न े के लए कोई नह है। ले कन य द आप अपने अवचेतन मन को वक सत
करते ह, तो आप ई र से ाथना कर सकते ह और अपने जीवा मक मागदशक क मदद माँग
सकते ह। कस तरह आपको सहायता ा त होगी, यह दे खकर आप हैरान रह जाएंगे, और
उससे भी मह व क बात यह है, क अपनी सम या का सामना करने के लए आपको श
मलेगी।

या पृ वी पर रहने वाली आ मा क जुड़वा आ मा, जीवा मा जगत म उसके


जीवा मक मागदशक के प म काम कर सकती है?

हां, ले कन ब त ही असाधारण प र थ तय म।

जुड़वां आ मा कसे कहते ह और या यही आ मक म है?

इस ांड (तीसरे ांड) क येक आ मा दरअसल एक पूण आ मा का आधा ह सा होती


है। जब एक आ मा चौथे लोक के पांचव तर से अपनी या ा आरंभ करती है, यह दो भाग म
वभा जत क जाती है: नर आ मा और नारी आ मा। इन मूल नर और नारी आ मा का अंत
म जाकर सातव लोक के नौव तर म मलकर फर से एक पूण आ मा बनना होता है। इन
आ मा को जुड़वां आ माएँ कहते ह। असं य ज म के बाद, जब दोन आ माएं पृ वी पर,
कभी पु ष प म और कभी ी प म, अपना-अपना श ण पूरा कर लेती ह, और अपने
कम के फल भोग लेती ह, तब जाकर ऐसा संभव होता है। इसके बाद ही सातव लोक के नौव
तर पर दोन आ मा का पुन मलन होता है। य ही आ मा सातव लोक के नौव तर म
प ंचती है, पुन मलन से ठ क पहले, पुनः वह पु ष और ी क मूल आ मा के प म आकर
अगले व क ओर थान करती है।

अतः, आपक जुड़वां आ मा पृ वी पर कहलाए जाने वाले आ मक म से ब त अलग होती


है। जब आप आ मक म श द का योग करते ह तो यह उसके लए होता है, जसे आप
वयं के ब त ही नकट महसूस करते ह, ले कन यह ज री नह क वह आपक जुड़वां
आ मा हो। वह एक समूह आ मा हो सकती है, जसके साथ आपके पछले ज म के
कई र ते हो सकते ह। ई र ने, एक बार म, एक न त सं या म आ मा का सृजन कया।
ज म-ज मांतर तक ये आ माएं, एक सरे के त ेम के कारण पृ वी पर एक साथ, एक ही
समूह म अवत रत होती ह, ता क वे एक सरे को आ या मक प से ऊपर उठने और एक
बेहतर जदगी जीने म मदद कर सक। इन आ मा को समूह आ माएँ कहते ह। कभी-कभी
जब आप कसी ऐसे से नकटता महसूस करते ह जससे आप कभी मले भी न ह , तो
इसका कारण यह हो सकता है क वह आपक समूह आ मा है। समूह आ माएं आपके
माता- पता, ब चे, पड़ोसी अथवा दो त हो सकते ह। एक क केवल एक ही जुड़वां
आ मा होती है, ले कन उसके अनेक आ मक म अथवा समूह आ माएँ हो सकती ह।

जब आप अपनी जुड़वां आ मा से मलते ह, तो यह ब त ही अमू य र ता होता है। य द दोन


आ माएं उ च तर पर ह , तो वे पृ वी पर एक सरे को आ या मक प से उ त करने म
मदद कर सकती ह और उनके बीच स चे व ास और स ची मै ी वक सत होती है, य क
उनक जीवा माएँ एक सरे को पहचान लेती ह। यह बात भौ तकता से परे है। यह दो
जीवा मा क बात है जो एक सरे से मलते ह और उ ह इस स य का अहसास होता है क वे
एक ह, समान ह। कुछ थ तय म, य द दोन म से कोई एक आ मा अथवा दोन आ माएँ
न नतर तर पर ह , तब हो सकता है क उनके आपसी संबंध शायद अ छे न ह । जुड़वां
आ मा का वकास अलग-अलग चरण पर हो रहा हो, यह संभव है।

ायः ऐसा होता है क एक आ मा पृ वी पर अवत रत होती है और सरी आ मा जीवा मा


जगत से पृ वी पर उस का मागदशन करती है। कोई आपक जुड़वां आ मा है, इसे
जानने का एक मा उपाय है ‘ वच लत लेखन’, और इसका कटन केवल ब त ही असाधारण
प र थ तय म -जब इसक ज रत होती है, तभी होता है। उदाहरण के लए, य द आप अपनी
जुड़वां आ मा से प र चत ह, और वह जुड़वां आ मा आ या मक प से पतनशील है, तो
आपसे कहा जा सकता है क आप यु पूवक उस आ मा क मदद कर।

येक आ मा को दो भाग म वभा जत करने के पीछे ई र का मु य उ े य है मनु य को सह-


अ त व क श ा दे ना। आप पर एक सरे क ग त क ज मेदारी होती है। संयु होकर
जुड़वां आ माएं बड़ी उपल धयां ा त कर सकती ह, ले कन य द उनम से एक लड़खड़ा जाए
तो दोन को आ या मक प से नुकसान होता है। इसका कारण यह है क जब आप सातव
लोक के नौव तर म प ँचते ह, तो आप अपनी जुड़वां आ मा के साथ संयु होकर एक संपूण
आ मा बन जाते ह। केवल इसके बाद ही आपको अगले व (चौथे व ) म जाने क अनुम त
मलती है। य द आप सातव लोक के नौव तर म ह और आपक जुड़वां आ मा आ या मक
प से न नतर है, तो आपको अपनी जुड़वां आ मा के सातव लोक के नौव तर म प ंचने क
ती ा करनी होती है। चाहे इसम कई ज म का समय य न लगे। यह कठोर और अनु चत
लग सकता है, ले कन वा तव म इसका मकसद आपक आ या मक उ त क र ा करना है।
इस वजह से चाहे जो भी हो जाए, कोई न कोई ऐसा अव य होता है जो आपके लए ाथना
करता है और आपक आ या मक उ त के लए अपनी ओर से सव म यास करता है।
इससे आपको ज मेदारी, सह-अ त व और नः वाथता क श ा मलती है।

या जीवा मा जगत म आप दोन के व पी और रतू के नाम से ही जाना जाता ह?


या फर आपके जीवा मक नाम होते ह?
दो भाग म वभा जत होने से पहले येक आ मा को एक व श नाम दया जाता है। इसे
आ मक नाम कहते ह। जुड़वां आ मा का समान आ मक नाम होता है- ठ क जस तरह
आ मा दो भाग म वभा जत होती है, उसी तरह उनका नाम भी वभा जत होता है, जो आ मा
का अ त व कायम रहने तक एक ही रहता है। जीवा मा जगत म आपको उसी नाम से जाना
जाता है जो नाम पृ वी पर आपको दया गया होता है। आपके कम आका शक रकॉड म
आपके आ मक नाम के नीचे दज होते ह। पृ वी पर कभी भी आप अपना आ मक नाम नह
जान पाएँग।े आपको अपने आ मक नाम का ान जीवा मा जगत म वापस लौटने पर ही होता
है।

आका शक रकॉड या ह?

आका शक रकॉड को मृ त क अथवा दै नक क भी कहते ह। येक लोक का अपना


क होता है, जहां पृ वी पर येक आ मा ारा जीये गए जीवन क एक दै नक होती है।
अ छा या बुरा येक कम आपके आ मक नाम के नीचे दज रहता है। रकॉड उसी लोक म
पाया जाता है जससे वह आ मा संबं धत होती है। आ मा क उ त या पतन म और उसके
उ चतर या न नतर लोक म जाने पर रकॉड साथ चलते ह। आका शक रकॉड म आपके ारा
पृ वी पर बताई गई ज़द गय क सभी मृ तयां दज रहती ह। जब पृ वी पर आ माएं गहरी,
व हीन न ा म लीन रहती ह, तब उनके अवचेतन मन आका शक रकॉड म मृ तयां दज
करते ह। जब पृ वी क आ मा का अवचेतन मन सु त हो जाता है तब उस मनु य का
जीवा मक मागदशक आका शक रकॉड म मृ तयाँ दज करना जारी रखता है। कोई भी आ मा
कसी सरे के रकॉड को नह पढ़ सकती, सवाय उस थ त म जब इससे आ मा क
आ या मक उ त को बल मले और जब उस लोक क उ च भली आ मा ारा अनुम त ा त
हो। जब एक आ मा अगले व क ओर थान करती है, उसके साथ उसका रकॉड भी जाता
है।

जीवा माएँ कस कार के काय करती ह?

सबसे पहले हम आपको यह बता द क जीवा मा क कोई ज रत या आकां ाएँ नह होती।


हम भूख, यास अथवा थकान का अनुभव नह होता, और हमारा एक मा ल य होता है सेवा
करना। अतः हम पोषण क आव यकता अव य होती है, ठ क उसी तरह जस तरह पृ वी पर
यह शरीर के लए आव यक होती है। आ मा के लए सूरज क रोशनी श वधक पोषण होती
है। कई तरह के सु दर फल भी होते ह जनके वाद क क पना भी नह क जा सकती।
आ मा को भोजन क ज रत नह होती, ले कन फल के अमृत-रस हम सकारा मक ऊजा
से भरपूर रखते ह। हम नरंतर आनंद क अव था म रहते ह। हम पूण आ या मक वा य का
उपभोग करते ह और इस कार अपने आ मक शरीर को ाथना एवं जल ारा शु करते ह।
जल म आरो यकारी गुण होता है और जब कभी हम ऊजा क ज रत होती है हम झील म एक
डु बक मार लेत े ह और जल ारा हमारी तरंग के पूरी तरह शु हो जाने पर हम सकारा मक
ऊजा से भरपूर, फर से तरोताजा होकर नकलते ह। जब हम जल से बाहर नकलते ह तब हम
पूरी तरह सूख े और ऊजा से भरे होते ह।

जहां तक हमारे काय का सवाल है, हम अपनी तभा के बारे म अपने लोक क उ च भली
आ मा से चचा करते ह और हम स पे गए े म काय चुनते ह। जीवा मा ारा कए जाने
वाले काम के कुछ उदाहरण इस कार ह:

१. पृ वी पर रहने वाले मनु य के साथ आ या मक ान बांटना और उ ह ई र के नयम को


समझने म मदद करना।
२. वच लत लेखन जैसी या के ज रए पृ वी क आ मा के साथ संपक करना।
३. जीवा मक मागदशक के प म काम करना।
४. जीवा मा जगत म हाल ही म आई आ माएं य द सदमे म ह , अथवा ांत ह , तो उनके
साथ काय कर उ ह उनक वा त वक थ त से प र चत करना।
५. पृ वी पर आ मा का मागदशन करना और उनके अवचेतन मन के ज रए उन पर
मह वपूण संदेश का ‘ भाव’ डालना। उदाहरण के लए, कसी जीवा मा ारा एक
वै ा नक को, उसके अवचेतन मन के ज रए उ र भेजकर कसी रोग का इलाज खोजने म
मदद करना।
६. मदद के लए पृ वी से आने वाली स ची पुकार का उ र दे ना। जीवा माएं इस काम म
खासतौर से श त होती ह और जीवा मा जगत म हाल म आई ई आ मा को इस
मामले म अ धक अनुभवी जीवा मा ारा श त कया जाता है।
७. व ाम क म काम करना और आका शक रकॉड संभालना।
८. आ मह या के करीब प ंचे लोग के लए ाथना करना और उ ह सही राह दखाना।
९. पृ वी पर रहने वाले यजन क र ा के उपाय करना।
१०. पृ वी पर रहने वाले यजन के लए ाथना करना। ाथना के लए ज री है क हमारे
मन म स चा ेम, उ क ठा, एका ता हो और हमारी ओर से स चा य न कया जाए।
११. न नतर लोक म रहने वाली नकारा मक आ मा के संचालन म श त होना।
१२. श ा क से अ धक ान ा त करना। अपने व तृत अवचेतन मन के साथ जीवा माएँ
भरपूर जानका रयाँ सनजो पाती ह, और वे उनपर अमल भी करती ह।
१३. उन आ मा का मागदशन करना जो पुनज म लेना चाहती ह।
१४. अपनी राह से भटक ए पृ वी क आ मा के लए चम कार करना। ऐसे छोटे -छोटे
चम कार भटक ई आ मा म फर से आ था जगाने म मदद करते ह।
१५. पृ वी पर मृ यु के नकट प ंची आ मा को शांती प ंचाने के लए आना और ाथना एवं
सकारा मक वचार ारा उ ह यथासंभव आराम के साथ जीवा मा जगत म थानांत रत
करना।
१६. जीवा मक ब च क दे खभाल करना।
१७. आरो य दान करने के नए तरीक को सीखना और उनक खोज करना।
१८. कला, नृ य, ओपेरा, संगीत, गीत, खेलकूद, वा तुकला, व ान इ या द के सृजन म भाग
लेना।
१९. पृ वी पर ाणी के सा ा य के साथ काय करना और ा णय क जीवा मा जगत के काय
म मदद करना।
२०. जीवा मा जगत के बगीच क दे खभाल म मदद करना।
२१. पृ वी और अ य ह के वा त वक इ तहास को जानकर इस ान का चतन करना।

जीवा माएं चाहे कोई भी काय चुन, ले कन हमारा ल य एक ही होता हैः सेवा। पृ वी पर, लोग
अपने रोज़गार को अपना काम समझते ह, ले कन हम जो कुछ भी करते ह उसे स चे मन से,
यार से करते ह और हम इसे सृ कता को ध यवाद दे ने का एक अवसर मानते ह। इससे हम
स ची खुशी और संतु मलती है। हमारे बीच कोई अहंकार, सर से आगे नकलने क
भावना, ई या, ववाद, आलोचना नह होते और हमम कोई े या नकृ नह होता। हम एक
सरे का स मान करते ह और मानवता क भलाई के लए संग ठत प से काम करते ह।

पुनज म य ज री है? जीवा मा जगत म ही हम आ या मक उ त य नह


करते?

समय-समय पर आप पृ वी पर अपनी आ मा के वकास के लए आते ह। आ या मक प से


उ त होने के लए एक ही जीवा मा पृ वी पर सैकड़ -हजार बार ज म लेती है। यह आ मा
पु ष अथवा ी प म हो सकती है, जो उसक पसंद और इस बात पर नभर करता है क
उसक उ त के लए या ज री है। वह पृ वी पर व भ दे श , भ धम म ज म ले सकती
है। पुनज म का अथ है एक ही जीवा मा का पृ वी पर कई ज म तक शरीर धारण करते रहना।
ऐसा नह है क आप पृ वी पर पहली बार आए ह; आपका यह ज म आपके कई पुनज म म से
एक है।

यादातर क स म, जीवा मा जगत के पांचव, छठे और सातव लोक क आ मा क उ त


धीमी होती है, य क वहाँ प दन अ छे होते ह। इस लए पृ वी के वपरीत, जहाँ बुराइय का
भु व है, अ छे कम करना मु कल नह होता। इस लए पृ वी पर एक भली आ मा छोटे से
छोटा स कम करके भी तेजी से उ त करती है। साथ ही पृ वी पर नकारा मक प दन और
भौ तक मन क सीमा के कारण आ मा के नणय ग़लत हो सकते ह और इस कारण उसक
परी ा उतनी क ठन होती है। पृ वी पर, अपने आ या मक वकास के लए आपको अपने
अवचेतन मन का भौ तक मन क तुलना म काफ यादा उपयोग करना होता है, ले कन एक
भली आ मा ारा पृ वी पर पुनज म लेन े म यह जो ख़म रहता है क आ या मक से
उसका अधःपतन हो सकता है। य द वह जीवा मा जगत म रहे तो उसका वकास ब त ही धीमी
ग त से होगा, ले कन उसका अधःपतन कभी नह होगा। जीवा मा जगत म रहकर धीमी कतु
नरंतर ग त करना, अथवा पृ वी पर आकर जो ख़म के साथ ती ग त से वकास करना, यह
येक आ मा क अपनी-अपनी वतं इ छा पर नभर करता है। पुनज म का च केवल तब
समा त होता है जब मनु य अपने सांसा रक जीवनकाय पूरा कर लेता है, अपने कम के फल
भोग लेता है और सातव लोक के नौव तर म प ंचता है। इस कार आप सही मायने म भौ तक
अनुभव से परे प ँचते है, अथात् तब आप पृ वी पर रहकर भी एक जीवा मा क तरह चतन
करना और रहना सीख लेते ह। हम पूणता क बात नह कर रहे। कोई भी मनु य अपने आप म
पूण नंही होता। हम केवल इतना कह रहे ह क मनु य को अपना सव म यास करना चा हए,
अपनी जीवा मा को इस तरह श त करना चा हए क वह अगले व क ओर जाने के लए
तैयार हो। पृ वी पर आप इसे पूरी तरह नह समझ पाएँग;े अपनी थ त के बारे म आप
जीवा मा जगत म जाकर ही जान पाएंगे।

पृ वी पर पुनज म लेने के लए सभी आ मा को पुनज म क या कही जाने वाली एक


वश या का अनुसरण करना पड़ता है।

१. पुनज म के लए आपको अपने लोक क उ च भली आ मा से अनुरोध करना पड़ता है।


२. पुनज म क इ छा के कारण भी बताने पड़ते ह। मु य कारण अकसर कम का हसाब
चुकाना, अपना जीवनकाय पूरा करना और आ या मक उ त करना होते ह। य द आ मा
के कम ब त अ धक ह तो जीवा मा जगत म उसके फल से मु होना संभव नह होता,
इस लए उसे पृ वी पर पुनज म लेना पड़ता है। कभी-कभी बना अ धक कम वाली आ मा
भी इस कारण धरती पर पुनज म चाहती है क वहां उसका कोई यजन राह भटक गया
है, जसक मदद के लए उसे पृ वी पर जाने क इ छा होती है।
३. आपको एक मां का चयन करना होता है। जो आ मा अ छे आ या मक तर पर नह
होती, उसका ज म ऐसी मां के गभ से हो सकता है जो आ या मक प से उ त हो, ता क
उस आ मा का वकास हो सके। कभी-कभी, एक भली आ मा कसी नकारा मक वभाव
वाली मां से ज म लेती है ता क वह अपनी मां को सुधार सके। इसके ज रए आ मा कम
का फल भी भोग सकती है और परी ा और श ण क या से भी गुजरती है।
बहरहाल, इसम ब त जो ख़म होने के कारण कई बार आ मा का आ या मक पतन हो
जाता है। कभी-कभी पता के नकट रहने के लए आ मा मां का चयन करती है। इस तरह,
दरअसल वह आ मा पता का ही चयन करती है।
४. आपको यह प करना पड़ता है क आप कस कार का श ण और परी ण हण
करना चाहते ह। उदाहरण के लए, आप उन लोग और अनुभव का चयन करते ह जो
आपको अपना जीवनकाय, जो पृ वी पर आपक ेरणा है, उसे सफलतापूवक पूरा करने
के लए आव यक सकारा मक गुण के वकास म मदद करते ह। य द आप अहंकार के
लए अपनी परी ा चाहते ह, तो आपको ऐसे सबक दए जाएंगे जो आपके अहंकार को
लगातार तोड़ते रहगे और आपको वन ता क श ा दगे।
५. आपको एक वेशक का चयन करना पड़ता है। य द पृ वी पर क थ त इतनी मु कल हो
जाती है, क आप उसे संभाल नह पाते। ले कन य द आप सही रा ते पर ह तो प र थ त
के अनुसार, जीवा मा जगत से वेशक कही जाने वाली एक भली आ मा आकर उस
अव ध के लए आपके शरीर म वेश कर लेगी। यह साधारण बात नह होती और केवल
आपात थ तय म ही ऐसा होता है, जब प र थ तयां पृ वी पर रहने वाली आ मा क
मता से बाहर ह । अथात् जब यह आपक परी ा, श ण अथवा कम का ह सा नह
होता। पृ वी पर रहने वाली आ मा के सं ान के बना उसका अवचेतन मन मदद के लए
पुकारता है।
६. आप अपने ज म और मृ यु क तारीख तय करते ह। आपक मृ यु क तारीख आपक
अं तम तारीख़ भी कहलाती है।

थम लोक से लेकर सातव लोक तक क सभी आ मा को पुनज म क इस या से होकर


गुजरने का अवसर मलता है। परंत ु थम लोक क आ मा के पास न नतर लोक म ठहरने,
अथवा अपने पूव ज म के पाप और थम लोक के अपने जीवन क संपूण मृ तय के साथ
बोझ ढोने वाले पशु के प म पृ वी पर वापस आने का वक प होता है। थम लोक क कुछ
आ माएं यह वक प चुनती है, य क वे अपने कम का हसाब तुरंत चुकता करना चाहती ह।
उ ह थम लोक और अपने पछले ज म क मृ तयां संजोए रखने क अनुम त मलती है ता क
वे यह समझ सक क बोझ ढोने वाले पशु के प म उनका ज म य आ और य उ ह
ःख झेलना पड़ रहा है। यह मृ त उ ह इस क ठन पुनज म म पृ वी पर उनके ारा भोगे जा रहे
क को सहने क ताकत दे ती है। उनके कम पूरी तरह मट नह जाते। य द उनके कम ब त
अ धक गंभीर ह तो उनका फल भोगने के लए उन आ मा को सैकड़ पुनज म लग सकते ह।

यह पूरी या चुनौतीपूण मालूम पड़ती है, ले कन ये सारे वक प आपको खुद ही नह चुनने


होते। आपको अपने लोक क उ च भली आ मा और उसी लोक क तीन ानी आ मा के
साथ बैठकर उ ह बताना होता है क आप या करना चाहते ह। आपके ारा चुन े गए वक प
म वे आपका मागदशन करगे। उदाहरण के लए य द आप आ या मक प से ऊपर उठने और
अपने कम का हसाब ज द चुकता करना चाहते ह, तो आप अपने लए ब त ही क ठन रा ता
चुन सकते ह- एक ऐसा रा ता जसपर हो सकता है आपके लए चलना संभव न हो। उ च भली
आ मा और तीन ानी आ माएं आपको ऐसा करने से मना करगी और आपको सरे वक प
सुझाएंगी। बहरहाल, य द आप फर भी पुनज म लेना चाहते ह तो यह आपक अपनी वतं
इ छा होगी और आपको इसके लए रोका नह जाएगा। यहां तक क पुनज म के लए आपका
नाम लखे जाने के बाद भी आपके पास पृ वी पर ज म नह लेने का वक प उपल ध होता है।
उदाहरण के लए मान ली जए क आपने एक मां का चयन कया है, ले कन उसका आ या मक
प से पतन होता है और अब आप उसक संतान बनना नह चाहते ह तो आप अपना नाम
वापस ले सकते ह। हो सकता है क आपने इस मां को इस लए चुना य क वह आ या मक
प से उ त थी और आप चाहते थे क आपको ान दे ने वाला कोई मले जो आपको
सही राह पर ले जाए, ले कन य द मां ग़लत रा ते पर चली गई हो और ांत हो जाए, तो आपके
लए उसके ब चे के प म ज म लेने का कोई मतलब नह रह जाता।

पृ वी पर रहने वाले ब चे कस कार जीवा मा जगत के संपक म रहते ह?

मां के गभ म थत शशु का जीवा मा जगत से पूरा संपक होता है। इस दौरान, य द ब चे को


यह महसूस होता है क प र थ तय के कारण उसका आ या मक वकास बा धत होगा तो वह
जीवा मा जगत म वापस लौट सकता है और उसके शरीर को कोई सरी आ मा अपना सकती
है। केवल इस कारण क ब चे को अब मां क ज रत नह है, इसका अथ यह नह क मां के
गभ से मृत शशु का ज म होगा। य द वह उसके कम का ह सा नह है तो शशु के शरीर म
सरी आ मा ारा वेश कर लया जाएगा। यह जान लेना मह वपूण है क गभ म पलने वाले
शशु क हणशीलता ती होती है, य क उसका अवचेतन मन जागृत रहता है। वह शशु अब
भी जीवा मा जगत के संपक म होता है और अपने माता- पता के याकलाप का व ेषण
करता है। सकारा मक और संतु र हए और यह यान र खए क हर कार क नकारा मक
चीज से शशु बचा रहे। उदाहरण के लए, जब मां :खी होती है, शशु ारा ःख क
नकारा मक ऊजा हण क जाती है। शशु मां के वचार और भावना के त ब त ही
संवेदनशील होता है। य द मां क वृ लगातार नकारा मक बनी रहे और वह ग़लत रा ते पर
हो, तो शशु क भली आ मा जीवा मा जगत म वापस लौट जाएगी और न नतर आ या मक
तर क आ मा उसका थान लेगी। य द शशु के शरीर के लए कोई आ मा नह आती तो ब चा
मरा आ पैदा होगा। ज म लेन े के बाद, बोलना आरंभ होने तक शशु जीवा मा जगत के संपक
म रहता है। इसके बाद शशु का अवचेतन मन उसके भौ तक मन को जीवा मा जगत क
मृ तयां रखने क अनुम त नह दे ता।

शशु के बोलना शु करने के बाद या उसके जीवा मा जगत से सारे संपक टू ट


जाते ह?
नह , ब कुल नह । अपनी गहरी व हीन न ा म आप ऐसे थान क या ा पर जाते ह जो
पृ वी और जीवा मा जगत के बीच थत होती है। आपक आ मा आपके शरीर से उठकर सरी
जीवा मा से मलने ऊपर क ओर बढ़ती है। आपक न द म, जीवा मा जगत म रहने वाले
आपके यजन आपसे आपके अवचेतन मन के ज रए बात करते ह और आपका मागदशन
करते ह। वे लगातार आपके संपक म रहते ह। जब आपक आ मा उनसे मलने ऊपर उठती है,
उस व भी वह पहली डोरी कही जाने वाली काश क एक करण ारा भौ तक शरीर से
जुड़ी रहती है। आपक पहली डोरी, आपक जीवा मा को आपके भौ तक शरीर से जोड़े
रखती है। जब आपक मृ यु होती है तब यह संपक टू ट जाता है। आप अपने यजन से कुछ
मनट अथवा कभी-कभी कुछ घंटो के लए मल सकते ह ले कन यह आपक न द पर नभर
करता है, जो गहरी और व हीन होनी चा हए। मलने वाल के बीच ेम पार प रक होना
चा हए, एकतरफा नह । व ास र खए, य द जीवा मा जगत म आपके यजन ह तो आप
उनसे नय मत प से अव य मलते ह। ये यजन केवल इसी ज म म बछड़ी ई आ माएं
नह ह, ब क इनम वे लोग भी हो सकते ह जो पछले ज म म आपके ब त करीब रहे ह और
जीवा मा जगत से आपक सहायता करने क को शश कर रहे ह ।

पहली डोरी अनेक काश करण से मलकर बनी होती है जो एकसाथ मलकर एक लंबी
करण बनाती ह। पहली डोरी शरीर पर, सर के ऊपरी भाग से जुड़ी होती है, ता क आ मा
सर के कोमल ह से से होकर अ दर या बाहर आ जा सके (ब च म, हमेशा सर पर एक
मुलायम थान होता है जहां पहली डोरी जुड़ी होती है।) न द म अ सर ऐसा होता है क आप
एक झटके के साथ अचानक जगते ह, आपके सीने म धक् सा होता है और आपको महसूस
होता है क आप गर रहे थे और अभी-अभी ज़मीन पर उतरे ह। यह तब होता है जब आ मा
अपने यजन को ाकृ तक तौर पर मल कर आने के बाद अपने भौ तक शरीर म लौटती है।
पहली डोरी टू ट जाने पर क मृ यु हो जाती है। जीवा मा जगत म आपके फ़ र ते
आपक पहली डोरी को भरपूर तेज सफेद रोशनी के ारा सुर त रखते ह, जससे एक
सुर ाकारी भामंडल का नमाण होता है, ता क कोई नकारा मक त व इस तक न प ंच पाए।
जब आप यान क अ वाभा वक व धय और सू मशरीरी अवकाशी या ा (अथात् जब आप
अपने शरीर को अपनी मज से छोड़ते ह) का अनुसरण करते ह, तो आप अपनी ज़दगी को
जो ख़म म डालते ह य क आपक पहली डोरी खतरे म पड़ती है और नकारा मक आ माएं
पहली डोरी को काटकर आपको अपने शरीर म बारा वेश करने से रोक सकती ह।
अवकाशी या ा तब होती है जब मनु य अ ाकृ तक प से और मान सक सजगता के साथ
शरीर छोड़ता है। इसम एक जो ख़म होता है य क य द पहली डोरी टू ट जाए तो समय से
पहले और पृ वी पर अपना जीवनकाय पूरा करने से पहले ही मनु य क मृ यु हो जाती है।

या पृ वी पर येक मनु य के जी वत रहने का समय नधा रत होता है?

जस तरह आप अपने ज म क तारीख़ चुनते ह, ठ क उसी तरह आप अपनी मृ यु क तारीख़


का भी चयन करते ह जसे अं तम तारीख़ भी कहते ह। अतः, येक मनु य क तीन अं तम
तारीख़ होती ह ज ह थान ब माना जा सकता है। थम दो अं तम तारीख़ को ऐसी कसी
बीमारी अथवा घटना से पार कया जा सकता है जससे आप सुर त बच गए ह । अतः, य द
आपका अवचेतन मन यह महसूस करता है क आप ग़लत रा ते पर ह और वापस सही रा ते पर
लौटने क संभावना ब त ही कम है, तो आप थम दो तारीख़ म से कसी एक तारीख़ को
धरती छोड़ दे ने का फैसला कर लेते ह। तीसरी तारीख़ नणायक होती है। ले कन अं तम तारीख़
से ठ क पहले मनु य कसी सरे मनु य से “अनु ह काल” क याचना कर सकता है। ऐसा उस
के चेतन ान के बना होता है। अवचेतन मन कसी दो त, संबंधी अथवा अजनबी के
अवचेतन मन से समझौता करता है और पृ वी पर उसका बचा आ समय अपने ह से कर लेता
है। इसके लए, आ मा को अपने लोक क उ च भली आ मा से अनुम त लेनी पड़ती है। यह
ब त ही असाधारण थ त है और ऐसा केवल व श आ या मक जीवन काय के लए ही
कया जाता है। ब त साल पहले ऐसा हमारे ही प रवार म आ था, जब हम जी वत थे।

एक बार, जब पापा का ऑपरेशन होना था, वह सबसे कहने लगे थे क उनका अं तम समय आ
गया है। वह कहते थे, “यह आ खरी बार है क म आप सबसे मल रहा ।ं ” यह वाकई उनक
तीसरी अं तम तारीख़ थी। ऑपरेशन से एक दन पहले उ ह अ पताल म भत कराया गया और
शाम को माँ क चचेरी बहन गूला और मनी उनसे मलने आ । उ ह ने बात करते, हंसते-हंसाते
समय बताया और फर अपने घर लौट ग । अगले दन जब पापा ऑपरेशन टे बल पर थे हम
फ़ोन पर जानकारी मली क गूला क अचानक मौत हो गई। उस समय तो हम ऐसा कभी सोच
भी नह सके, ले कन अब, जब हम जीवा मा जगत म ह, हम पता चला क जीने के लए गूला
के पास कुछ खास वजह नह थी, जब क पापा को हमारे प रवार क खा तर जीना था और
अपना आ या मक जीवनकाय पूरा करना था। सभी आ मा क तरह, गूला के पास भी
अपना आ या मक जीवनकाय था, ले कन उ ह ने अपनी आ मा को इस तरह श त नह
कया था क वह पृ वी पर इस जीवनकाय को पूरा कर सके। इस लए उनके अवचेतन मन ने
महसूस कया क उनके लए जीवा मा जगत म लौट जाना बेहतर है जहां रहकर वह अपनी
आ मा को और यादा श त कर और तब धरती पर बारा ज म ल। उ ह ने महसूस कया
क जीवा मा जगत म रहकर वह बेहतर प से काय कर पाएंगी। उनके और पापा के अवचेतन
मन के बीच समझौता आ और पापा के अवचेतन मन ने गूला के पृ वी पर बाक बचे दन मांग
लए। आपके लए यह अजीब बात होगी, ले कन यह सच है। अगर आप इसके लए चेतन प
से को शश करगे तो ऐसा कभी संभव नह होगा, इस लए कसी सरे क ज़दगी के दन
उधार लेन े क को शश न कर।

इस कार के उधार समय क व था पूरी तरह आपके जी वत रहने क स ची ज़ रत पर


नभर करती है। आपको अपना जीवन काय पूरा करने, अपने यजन क र ा करने अथवा
उ चतर लोक म जाने के लए खुदको काफ़ यादा सुधारने क आव यकता हो सकती है।
सबसे मह वपूण यह है क जो अपनी ज़दगी के दन दे ने वाला हो, उसने अपना जीवन
काय ज र पूरा कर लया हो और जीने के लए उसके पास कुछ न बचा हो अथवा उसने अपनी
जीवा मा को अपने आ या मक जीवन काय को पूरा करने लायक श त न कया हो। इस
कार के समझौते के लए जीवा मा जगत म खास अनुम त ा त करनी पड़ती है।

ब च क मृ यु हो जाने पर उनका या होता है?

पृ वी पर जन ब च क मृ यु हो जाती है वे वापस ब चे के प म ही जीवा मा जगत म आते ह


और वह वे बड़े होते ह। उनके वय क जीवा मा के प म वक सत होने तक जीवा मक
मां के ारा उनक दे खभाल क जाती है। इसम ब त कम व त लगता है। पूण वक सत
वय क हो जाने पर वे खुदबखुद अपने-अपने लोक म चले जाते ह। कुछ यूवाँ जो पृ वी पर मृ यु
पाकर जीवा मा जगत म आते ह, वे इस स य को वीकार नह करते क वे मर चुके ह। रतू इ ह
आ मा के बीच काम करता है। इसी तरह, ब च को जीवा मक मां क ज रत होती है
जो उ ह इस नए माहौल के बारे म बता सक। ज द ही, ये आ माएं बड़ी हो जाती ह और अपना
वाभा वक जीवा मक प धारण कर लेती ह।

मरने के बाद जानवर का या होता है?

जानवर के लए अपना अलग जीवा मा जगत होता है। ठ क जस तरह मनु य क आ माएं
व भ लोक म जाती ह उसी तरह जानवर क आ माएं भी व भ लोक म जाती ह, ले कन
उनके केवल तीन लोक होते है: न न, म यम और उ चतम। कुछ जानवर को, य द वे पृ वी पर
पालतू प म रहे ह , तो उ ह मनु य के जीवा मा जगत म रहने क अनुम त मलती है, ले कन
ऐसा ब त असाधारण थ तय म होता है। जानवर और मनु य दोन को ही उ च तर पर होना
चा हए और उनके बीच ब त मजबूत लगाव होना चा हए। दोन के बीच वशु ेम होना
चा हए।

या जीवा माएं हमेशा खुश रहती ह?

हम संतु क अव था म रहते ह, ले कन जब हम मनु य को ऩकारा मक राह पर चलते ए


दे खते ह तो हम ःख होता है। जीवा माएं भी ःख महसूस करती ह, ले कन केवल तभी जब
लोग आ या मक प से ग़लत राह पर चलते ह, अथवा जब पृ वी पर हमारे यजन याय के
लए तड़पते ह और नकारा मक आ मा के हाथ ःख झेलते ह। अ यथा, हम खुश और
सकारा मक रहते ह। साथ ही, हम स चे प से यह पता होता है क ई र का अ त व है और
हम लगातार उन तक पहँचने के लए आगे बढ़ रहे ह। इससे हम अपार खुशी मलती है।

या सभी जीवा मा ने ई र का सा ा कार कया है?


नह , उ चतर लोक क कुछ ही जीवा मा क ई र से भट ई है, ले कन, य क हम सभी
जीवा मा जगत म रहते ह, और हम उनक सृ के स दय और ान का दशन कर सकते ह,
इस लए हम यह जानते ह क ई र का अ त व है। हमारे अवचेतन मन यह जानते ह क ई र
का अ त व है, और यह भी क वे हमारी दे खभाल करते ह।
आ मा और अवचेतन मन

“पृ वी पर पुनज म लेना अपने आप म एक जो ख़म है। इस लए ई र ने आपको ता से बचने


के लए दोहरी सुर ा दे रखी है: आपका अवचेतन मन और आपका जीवा मक मागदशक।”

“कभी भी अपने सहजबोध को दबाएं नह । लोग आपको पागल या सनक कहगे, इस बात से
कभी ड रए नह । सहजबोध ई र का दया एक वरदान है।”

“अपने भौ तक मन का मा लक ब नए-गुलाम नह ।”

“आ या मक वकास का मूल कारण हमारे अंदर, अथात् हमारी अंतरा मा से उपजी ई स ची


इ छा होनी चा हए। इस लए नया को दखाने के लए खुद को न बदल, ब क इस लए बदल
क आपका बदलाव ही आपके लए आपक नया है।”

या अवचेतन मन और आ मा एक ही ह?

अवचेतन मन के बारे म पृ वी पर ब त सारे वणन और ग़लतफ़ह मयां ह, इस लए हम चाहते ह


क आप सब अपनी ग़लत धारणा से छु टकारा पाएं। अवचेतन मन को अपनी अंतरा मा
मान। इसे आप अपना उ चतर मन, उ च व या अंतवाणी भी कह सकते ह (आपका अवचेतन
मन आपको जो महसूस कराता है उसे ‘सहजबोध’ कहते ह।)

आप एक जीवा मा ह जो पृ वी पर भौ तक शरीर के अंदर नवास करती है। ई र ारा आपक


रचना पहले एक जीवा मा के प म क गई, न क मनु य प म। आपको एक आ मा के प
म रचा गया, और उस आ मा के पास एक अवचेतन मन होता है। आ मा आपका शा त
जीवा मक शरीर है। जस तरह पृ वी पर आपका एक भौ तक शरीर होता है उसी तरह आपका
जीवा मक शरीर आपक आ मा कहलाती है और यह अमर होती है। अवचेतन मन आपका
वा त वक, आ या मक मन है। जस तरह भौ तक मन शरीर का मागदशन करता है उसी तरह
अवचेतन मन आ मा का मागदशन करता है। आ मा और अवचेतन मन हमेशा के लए एक
साथ जुड़े होते ह।
अवचेतन मन क या भू मका होती है?

अवचेतन मन आपका संर क काश है और साथ ही यह आपक मागदशक रोशनी भी है। यह


आ या मक राडार के प म काम करता है। जब आप आ या मक प से ग़लत फ़ैसला लेने
को होते ह तब यह आपको सचेत करता है; इस तरह, यह आपक आ मा क सुर ा करता है।
ले कन आ या मक माग केवल लोभन क रोकथाम से भरा नह है। खुद को ग़लत करने से
केवल रोक लेना काफ नह । सबसे मह व क बात यह है, क ई र क राह पर चलने के लए
वही करना चा हए, जो आ या मक प से सही है। इस लए, ग़लत कम से रोककर आपक
आ मा क सुर ा करने के बाद अवचेतन मन आपको उस ओर ले जाने का मागदशन करता है
जो नै तक प से सही है।

या हमारा अवचेतन मन और चैतन मन एक ही है?

अवचेतन मन और चेतन अथवा भौ तक मन दो अलग चीज ह। मनु य का एक उ च प से


वक सत भौ तक मन हो सकता है ले कन उसका अवचेतन मन अ वक सत रह गया हो ऐसा
संभव है। सांसा रक ान हा सल कर आप अपने भौ तक मन को तेज बना सकते ह, ले कन
इससे आपका अवचेतन मन वक सत नह होता। यहां तक क सफ आ या मक ान ही
आपके अवचेतन मन के वकास म मदद नह कर सकता। अवचेतन मन का वकास केवल
तब होता है जब आप इस ान को वहार म उतार। इस लए, आ या मक वकास क कुंजी
शु कम है। आपका अवचेतन मन जतना अ धक जागृत होगा, उतना ही अ धक मागदशन
और सुर ा, जीवा मा जगत से आपको हा सल होगी। आपके अवचेतन मन ारा आपका
भौ तक मन नयं त होना चा हए। कभी भी खुद को अपने भौ तक मन का गुलाम न बनने द।
आपका अवचेतन मन जीवा मा जगत के साथ आपको जोड़ने वाली कड़ी है जसके ज रए आप
जीवा मा ारा द जाने वाली सुर ा और मागदशन ा त करते ह।

य द पृ वी पर हर मनु य के पास अवचेतन मन होता है, तो लोग यो ग़लत राह पर


चलते ह?

कई बार आपके भौ तक मन और अवचेतन मन के वचार के बीच टकराव होता है। इसका


कारण है क भौ तक मन ता कक होता है- यह ऐसी राह पर चलना, अथवा ऐसे काय करना
चाहता है जो तकपूण हो- ले कन हो सकता है अवचेतन मन इसके व हो। इस थ त म
ऐसा लगता है जैसे दोन मन के बीच यु छड़ा हो। यह एक अ छ बात है। य द भौ तक और
अवचेतन मन के बीच संघष न हो तो इससे प होता है क आपका अवचेतन मन काम नह
कर रहा और आप पूरी तरह अपने भौ तक मन के नयं ण म ह। पृ वी पर कोई भी मनु य पूरी
तरह केवल अपने अवचेतन मन का अनुसरण नह कर सकता। इसका कारण यह है क ऐक
साधारण मनु य का अवचेतन मन ब त कम (१% - २%) जागृत होता है। फर भी अवचेतन
मन इतना बलवान होता है क इसका एक छोटा ह सा जागृत होने पर भी यह मनु य के १००%
जागृत भौ तक मन को चेतावनी दे ने क मता रखता है।

य द दोन मन के बीच लगातर यु चल रहा हो, तो हम शांत कैसे रह सकते ह?

भौ तक मन और अवचेतन मन के बीच चलने वाले यु को वीकार कर तथा ाथना और


सकारा मक कम ारा अवचेतन मन क जीत सु न त कर आप शां त पाने क को शश कर
सकते ह। भौ तक मन हमेशा इस ताक म रहता है क वह कैसे आपको अपना गुलाम बनाए और
वह आपके सभी बुरे कम को सही ठहरा कर आपको आ या मक प से नीचे गरने वाले माग
पर ले जाता है। मन क शां त तभी ा त होती है जब आप अवचेतन मन क आवाज सुनकर
सही कदम उठाते ह।

अगर भौ तक मन अवचेतन मन के व काम करता है, तो हमारे पास यह होता


ही य है?

भौ तक मन को य द श त न कया जाए तो यह नकारा मक बन सकता है और अवचेतन


मन के ख़लाफ काम कर सकता है, ले कन य द सही योग कया जाए तो भौ तक मन
अवचेतन मन का बेहतरीन सहायक बन सकता है। जब भौ तक मन क बु अवचेतन मन के
मागदशन के अनु प चलती है, तो यह संयोजन ब त बलवान होता है। इस लए, य द आप
भौ तक मन का सही उपयोग करते ह, तो यह आपके लए एक उपहार बन जाता है। भौ तक
मन एक परी ा भी है। ई र चाहते ह आप अपनी वतं इ छा का उपयोग कर और अपने
अवचेतन मन के मागदशन का चयन कर। यही येक मनु य क परी ा है। आपको अपने
भौ तक मन को अपने नय ण म रखना चा हए, न क खुद उसके नय ण म रहना
चा हए। पृ वी पर मनु य आ या मक प से ग़लती कर बैठते ह, य क उनका अवचेतन मन
सु त हो जाता है। सरे श द म, अवचेतन मन बंद हो जाता है। अवचेतन मन मनु य को
आ या मक प से कुछ भी ग़लत करने से हमेशा और नरंतर रोकता है। ले कन लोग अवचेतन
मन क आवाज़ पर यान न दे कर अपने भौ तक, ता कक मन क बात अ धक सुनते ह। वे
इसके नदश को मानने से इनकार कर दे त े ह और अपने बुरे या काय को करना जारी रखते
ह। अवचेतन मन यह सह नह पाता और इस लए वह मौन होकर सु त हो जाता है और अंततः
पूरी तरह न य हो जाता है, जसके बाद वह मनु य को उनक ग़ल तय पर चेतावनी नह
दे ता। यह थ त बेहद ख़तरनाक होती है।

मनु य क अंतरा मा उसे केवल तभी चेतावनी दे ती है जब उसका अवचेतन मन कायरत हो।
इसका एक साधारण उदाहरण है: जब आप कसी को ःख प ंचाते ह, अथवा कसी के बारे म
नकारा मक सोचते ह, तो आपका अवचेतन मन आपको चेतावनी दे ता है और आपको
अपराधबोध महसूस होता है। इसका यह मतलब है क आपका अवचेतन मन जागृत है। आप
अपराधबोध को अपने ऊपर हावी न होने द। उस अपराधबोध का एक व श उ े य है। इससे
आपके अ दर आपके ारा क गई गलती को सुधारने क इ छा जगती है। आपको इससे सीख
लेनी चा हए और बारा वह गलती कभी नह करनी चा हए। ऐसा होने पर अपराधबोध चला
जाता है। अपराधबोध से नपटने का यही सही तरीका है।

कभी-कभी यह जानते ए भी क आपने कुछ ग़लत कया है, अगर आप अपने अपराधबोध को
दबाकर इसे शु से ही अनदे खा कर दे त े ह, तो आप अपने अवचेतन मन को नजरअ दाज कर
इसक सलाह क अवहेलना करते ह। जब आप ऐसा बार-बार करते ह तो आपका अवचेतन मन
सु त हो जाता है। एक ऐसी थ त आ जाती है जब य द आप पाप कर तो भी अवचेतन मन
आपको चेतावनी नह दे ता। अपराधबोध खुलकर सामने नह आता और हो सकता है क आप
यह सोचकर खुद को धोखा दे द, क चूं क आपको अपराधबोध महसूस नह हो रहा, आपने
कुछ ग़लत कर दया ही नह । दरअसल, आपने अपने आ या मक राडार को ब द कर दया
होता है।

हालां क, यान म र खए क अपराधबोध हमेशा अवचेतन मन से नह आता। ऐसे भी लोग होते


ह जो उन चीज के बारे म अपराधबोध पाल बैठते ह जनके लए वे ज मेदार नह होते।

ऐसा भी समय आएगा जब सब कुछ सही करने के बावजूद भी आपका भौ तक मन आपको


अपराधबोध महसूस कराएगा। आपको ऐसा लगेगा मानो आपने कुछ ग़लत कया हो, अथवा
आप अपनी पूरी को शश नह कर रहे। यह अपराधबोध वा त वक नह होता, इसे अपने खुद ही
अपने ऊपर भा वत कर लया होता है, अथवा यह सर ारा या नकारा मता ारा आरो पत
होता है। भौ तक मन से उपजने वाला अपराधबोध आपके वकास के लए उ चत नह होता।
आपम इतना ववेक होना चा हए क अवचेतन मन के नदश से उपजे अपराधबोध और भौ तक
मन से आने वाले अपराधबोध के बीच का अ तर आप जान सक। अवचेतन मन से आया
अपराधबोध एक संकेत है। भौ तक मन का अपराधबोध एक छलावा है, जो ग़लत सोच अथवा
ग़लत धारणा के कारण होता है और यह आपको वकास करने से रोकता है। इस लए जब
आप अपराधबोध को लेकर ांत ह तब आ म व ेषण कर और कसी ऐसे से बात कर
जसपर आप व ास करते ह । ऐसे लोग से चचा न कर जो आपको खुश करने के लए आपसे
ऐसी बात कहते ह जो आप सुनना चाहते ह। ऐसे लोग से चचा कर जनके पास स चा ान है,
और जो आपको स य का बोध कराएँ।

या अवचेतन मन का वकास मनु य क उ के साथ होता है?

नह , ऐसा ज री नह है। यह सब इस बात पर नभर करता है क आप उसके नदश को


कतना मानते ह। यह मांसपेशी क तरह होता है। आप जतनी कसरत करते ह यह उतना ही
व य और मजबूत बनता है। दरअसल, ब चे का अवचेतन मन ताकतवर होता है (बशत ब चे
का आ या मक तर ऊँचा हो) य क पृ वी पर ब चा अभी-अभी जीवा मा जगत से आया
होता है। ले कन य द ब चे को अपया त श ण मले और उसे ग़लत करने दया जाए तो
उसका अवचेतन मन शांत हो जाता है और लगातार कमज़ोर होता चला जाता है।

आपने कहा क पृ वी पर रहने वाली सभी आ माएं जीवा मा जगत के अपने


यजन से न द म मलती ह। ऐसा कस कार होता है?

जब आप गहरी और व हीन न द म होते ह, तब आपका भौ तक मन सु त हो जाता है और


केवल अवचेतन मन ही याशील होता है। अवचेतन मन से संचा लत आपक आ मा आपके
भौ तक शरीर से नकलकर पृ वी और जीवा मा जगत के बीच के दे श म वचरण करती है,
जहां आपके यजन आपसे मलते ह। वे आपको शां त दान करते ह और आपके अवचेतन
मन का मागदशन करते ह, ले कन य ही आप न द से जागते ह, आप इसे भूल जाते ह य क
न द के दौरान आपका भौ तक मन सु त था, जस कारण इसम कुछ भी दज नह हो पाता। हम
एक ऐसे अनुभव के बारे म बता सकते ह, जससे सारे मनु य प र चत ह: कभी-कभी आप न द
से एक अचानक झटके अथवा सीने म धक् के साथ जगते ह। यह आपक आ मा होती है जो
आपके अवचेतन मन के मागदशन से आपके भौ तक शरीर म बारा वेश करती है।

या का अवचेतन मन यह जानता है क उसक मृ यु कब होने वाली है?

हां, आपके अवचेतन मन को आपक सभी तीन अं तम तारीख पता होती ह। हालां क आपक
मृ यु समय से पहले भी हो सकती है अथात् आपक अं तम तारीख़ से पहले, जैसा क घटना,
ह या जैस े मामल म होता है। अतः, एक और आ या मक नयम आपक र ा के लए बनाया
गया है। सातव अथवा छठे लोक क भली आ माएं नक म नह जाना चाहत , इस लए ई र ने
एक नयम बनाया है जसके अनुसार जो आ माएं सातव लोक पर ज म लेती ह, उ ह पृ वी से
वापस बुला लया जाएगा और वे पांचव लोक से नीचे नह गरगी। इसी कार, य द आप छठे
लोक पर ह, तो आपको केवल चौथे लोक तक गरने दया जाएगा। य द आप पाप करना जारी
रखते ह तो आपका अवचेतन मन जीवा मा जगत म वापस जाने क अनुम त माँग लेता है।
ले कन पांचव और उससे नीचे के लोक क आ मा को ऐसी सुर ा हा सल नह है। य द वे
पाप करना जारी रखते ह, तो उनका अवचेतन मन काम करना बंद कर दे ता है। वे न नतम लोक
( थम लोक) तक गर सकती ह। इसी कारण हम कहते ह क पृ वी पर जीवन एक जो ख़म
है, ले कन यह ऐसा जो ख़म है जो आ मा ारा अपनी आ या मक ग त के लए
उठाया जाता है।

य द अवचेतन मन सु त हो जाए और क मृ यु हो जाए, तो ऐसी थ त म चाहे तो


अवकाशी प म रह सकता है। न केवल वे अपने लोक म नह जाना चाहगे ब क पृ वी को भी
वे नह छोड़ना चाहगे। आ या मक प से आप जतना नीचे गरगे धरती छोड़कर जाने क
इ छा उतनी ही कम होगी। आ माएं अपने भौ तक शरीर से ज क क तरह चपक रहती ह।
उन आ मा को पता होता है क मरने के बाद उनका थान कहाँ होगा और वे भौ तक जगत
छोड़ने से डरती ह। इस लए, वे अवकाशी जगत म रहना पसंद करती ह। कुछ थ तय म, जब
मनु य क मृ यु होती है, उसे यह पता नह होता क वह मर चुका है। ऐसा अब भी
जीवा मा नह बना होता; वह अवकाशी प म होता है।

या केवल बुरी आ माएं ही अवकाशी प म वेश करती ह?

नह । मृ यु होने पर सारे मनु य पहले अवकाशी प ही धारण करते ह। इसके बाद वे अपने
अवकाशी शरीर का याग कर जीवा मक व प म पांत रत होते ह। इस लए, जब क
मृ यु होती है, उसका ाकृ तक पांतरण इस कार होता है:

या उ चतर लोक क आ माएं अवकाशी प म रहना चाहती ह?

नह , उ चतर लोक क आ माएं आमतौर पर अवकाशी प म रहना नह चाहत । जतनी ज द


हो सके वे जीवा मा बनना चाहती ह। जीवा मा जगत म के यजन को यह पता होता है
क पृ वी पर उस क मृ यु होने वाली है, इस लए ये जीवा माएं उस के आगमन के
लए तैयार रहती ह। कुछ यजन जीवा मा जगत छोड़कर मरने वाले मनु य को लेने पृ वी पर
आते ह (यह थ त तब नह होती जब मृ यु अचानक ई हो, जैसे क घटना अथवा ह या जैसी
थ तयां; जो क ई र क योजना का ह सा कभी लह होत )। ये जीवा माएं उस का
अपने यो य लोक म प ँचने तक, उसका साथ दे ती ह। आ मा वाभा वक प से उसी लोक म
जाती है जो उसके यो य होता है। मरने वाले का अवचेतन मन उसक आ मा को उस
लोक म जाने के नदश दे ता है जसके अनु प उसने पृ वी पर कम कए ह । यह उस आ मा पर
नभर करता है क वह अपने अवचेतन मन क आवाज़ सुन;े इसम कोई जोर-जबरद ती नह क
जाती। अवचेतन मन क आवाज़ सुनने के बाद अपने उपयु लोक म प ंच जाने के बाद ही
आ मा पुनः जीवा मा का व प धारण करती है।

य द आ मा जीवा मा जगत म जाने से इनकार करती है, तो वह अवकाशी प म ही रह जाती


है, य क मर जाने के बाद भी ई र आपको वतं इ छा का उपयोग करने क छू ट दे त े ह।
पृ वी पर दखाई पड़ने वाली अवकाशी आ माएं भूत कहलाती ह। अवकाशी आ माएं भटक
ई आ माएं होती ह ज ह ने अपने अवचेतन मन क आवाज़ को अनसुना कर दया होता है
और जीवा मा बनने से इनकार कर दया होता है। ऐसा कर वे नकारा मक कम संजोती ह। आप
अवकाशी आ मा को नह दे ख सकते ले कन वे आपको दे ख सकती ह। अतः, ये अवकाशी
आ माएं जीवा मा जगत को नह दे ख सकत । जब वे अपने अवचेतन मन क सलाह को
अनसुना करती ह और जीवा मा जगत म नह जाने का न य कर लेती ह, तो जीवा मा जगत
उनके लए अ य हो जाता है। यही नयम है। जब वे जीवा मा जगत म जाने का न य करती
ह, तब ही जीवा मा जगत उ ह दखाई पड़ता है। यह भी एक परी ा ही है।

जब बुरी आ माएं मरती है, न नतर लोक से जीवा माएं उ ह लेन े आती ह। हसका
या उ े य होता है?

जब पृ वी पर कोई आ मा मरने क कगार पर होती है, तब उसक समूह आ माएँ, जो


संभवतः न न लोक म हो, उसे लेने आती ह। बहरहाल, चुंक ये आ माएं आ या मक प से
न न होती ह, उ ह इस काय के दौरान कठोर नगरानी के अंतगत रखा जाता है। इन आ मा
को, य द वे पृ वी क कसी न न आ मा को जीवा मा जगत म लाना चाहती ह, तो अपने लोक
क उ च भली आ मा से आ ा लेनी पड़ती है। उ च भली आ मा इस काम के लए एक
सहायक का चुनाव करती है, जो चौथे लोक के पांचव तर तथा पांचव लोक के पांचव तर के
बीच से होता है। यह सहायक इस बात क नगरानी करता है क नकारा मक आ माएं अपने
लोक म वापस चली जाएं। इसे एक परी ा के प म कया जाता है: इन आ मा को ऐसी
ज मेदारी स पी जाती है जसे संप कर वे अपने सुधार क इ छा जा हर करती ह। इस कार,
हर कदम पर उ ह श त कया जाता है और उनक परी ा होती है।

जब हम ज म लेते ह या यही ाकृ तक अनुसरण जारी रहता है? या हम


जीवा मा से शु कर अवकाशी प, और आ ख़रकार मनु य का प धारण करते ह?

नह । जब कोई जीवा मा पृ वी पर ज म लेती है, वह अवकाशी थ त से नह गुजरती। बस


उसक आ मा और उसका अवचेतन मन पृ वी पर मनु य का भौ तक शरीर हण कर लेत े ह।
इस कार, यह पांतरण जीवा मा से सीधे मनु य प म होता है।

आ माएं अवकाशी प म रहने का चयन य करती ह?

१. वे भौ तक जगत से ब त अ धक लगाव रखती ह।


२. वे पृ वी पर अपने कसी यजन क र ा करना चाहती ह और उनक यह ग़लत धारणा
होती है क अपने पुराने भौ तक प रवेश म रहकर वे उनक मदद कर सकत ह।
३. अवचेतन मन उ ह अहसास कराता है क उ ह न न आ या मक लोक म जाना होगा और
वे ऐसा करने से इनकार कर दे ती ह, य क वे क भोगना नह चाहत । वे ऐसा वक प
इस लए चुन पाती ह य क उनके पास वतं इ छा श होती है। बहरहाल, जब कोई
आ मा अवकाशी प म रहने का चयन करती है, तब उसका पतन होना जारी रहता है
और अपने अवचेतन मन क सलाह अनसुनी करने और आ या मक नयम तोड़ने के
कारण उसके नकारा मक कम सं चत होने लगते ह। वह मनु य से अवकाशी और
अवकाशी से जीवा मा तक क ाकृ तक या का अनुसरण नह करती।
४. य द वे नकारा मक आ माएँ ह तो वे अवकाशी प म रहते ए पृ वी पर लोग को क
दे ना चाहगी। एक बार फर अवकाशी आ मा का आ या मक प से पतन होगा और
नकारा मक कम सं चत ह गे।
५. पृ वी पर, उनके कुछ सन होते ह, जैसे स अथवा शराब, जनक अनुभू तय को वे
बार-बार महसूस करना चाहती ह। इसके लए वे पृ वी पर ऐसे सन के आद लोग के
साथ वयं को जोड़ लेती ह।

आप अपने भौ तक मन को अपने अवचेतन मन के साथ सहयोग करने के लए


कस कार े रत कर सकते ह?

आपको भौ तक मन क कृ त को जानना होगा। जस तरह आपका अवचेतन मन आपका


आ या मक और सकारा मक मन होता है उसी तरह भौ तक मन वभाव से पा थव और
नकारा मक होता है। य द नयं त न कया जाए तो यह आपके पतन का कारण बनता है। यह
आपको धोखे म रखता है, म पैदा करता है। उदाहरण के लए, जब आपसे पाप होता है, तब
आपका अवचेतन मन आपको चेतावनी दे ता है क आपने कुछ ग़लत कया है। जैसे ही आप
उस ग़लती को सुधारने और सबक सीखने का यास करते ह, आपका भौ तक मन अपने सबसे
बड़े ह थयार ‘अहंकार’ का योग करता है। अहंकार के कारण आप आपने गलत काम को भी
सही ठहराने लगते ह। आप खुद को यह कहकर धोखा दे न े लगते ह क भले ही आपने जो कया
वह ग़लत हो, ले कन ऐसा करना ज री था। आपका भौ तक मन आपके सम एक अ यंत
बु मान और ता कक कुतक रखता है, जससे आप बहक जाते ह। आपका अवचेतन मन
आवाज़ उठाता है, वह आपसे कुछ कहता है, ले कन आप उसे खामोश कर दे त े ह, य क
भौ तक मन ने आपको तक दे दया होता है। यह आपसे कहता है क ता कक कोण से आप
सही ह।

हमारा मतलब यह नह क तक बुरी चीज है, ले कन तक और स य एक ही चीज भी तो


नह है। भा य से, लोग तक का उपयोग सच से भागने के लए करते ह। भौ तक मन आपको
तक दे ता है; अवचेतन मन आपको स य से -ब- कराता है। उदाहरण के लए भौ तक मन
आपको यह कहता है क लोभन सही है। यह ऐसा तक दे गा क लोभन आपक इ छा क
बजाए आपक ज रत है। लोभन को ग़लत राह पर ले जाने वाली इ छा बताने के बजाए, वह
आपको समझाएगा क आ या मक से लोभन ग़लत नह होते।
भौ तक मन के पास एक सरा ह थयार ‘शक’ का होता है। भौ तक मन आपके अंदर शक के
बीज बोता है, जो आपके व ास और आपक सू ता को चुनौती दे ता है। अवचेतन मन स य
का के होता है और इस लए इसे सब पता होता है। यह आपको संदेह से परे जाने म मदद
करता है, ले कन केवल तभी जब आप इसे अपनी आ मा का संचालन करने द। य द आप शक
के बीज का पालन-पोषण करगे तो आप धीरे-धीरे जीवा मा जगत से अपने संबंध कमजोर करते
जाएँगे, य क संदेह अ नवाय प से आपके सामने एक खड़ा करेगा कः या म ई र म
व ास रखता ं? अवचेतन मन क आवाज़ सु नए य क यही आपका मा लक है, यही वह
कड़ी है जो आपको अपने भले व और ई रीय व से जोड़ता है। भौ तक मन म कमजो रयां
होती ह और जीवन म आपका उ े य अवचेतन मन के वकास ारा उन कमजो रय से परे
जाना है।

भौ तक मन क सबसे खतरनाक बात यह है क वह आपको गलत चीज क आदत डलवाता है


और उन आदत के साथ रहने म आपको सहज कर दे ता है। यह कहता है, “मुझे अहंकारी होना
पसंद है, तो म य बदलूं?” अवचेतन मन कभी भी हठ नह बनता ब क वह अपनी ग त
जारी रखता है। आप लोग को और अपने आप को भी बेवकूफ़ बना सकते ह। ले कन
आप कभी भी ई र के दए ए अवचेतन मन को छल नह सकते। वह अवचेतन मन ही है
जो के आका शक रकॉड म मृ तयाँ दज करता है। मनु य यह मानता है क ई र उसे
सज़ा दे ते ह। सच तो यह है क ग़लत राह का अनुसरण करने पर उसका अपना अवचेतन मन ही
उसे सज़ा दे ता है य क वह मनु य क आ म- कृ त को जानता है। जीवा मा जगत और
आपके पूव ज म क मृ त को आपके भौ तक मन म वेश करने से रोक दया गया है। आपके
अवचेतन मन म जीवा मा जगत क मृ त होती है और पृ वी पर आपने जतने भी जीवन जए
ह, उनम से हरेक का ववरण इसके पास सुर त रहता है। ले कन, इस जानकारी को आपके
भौ तक मन पर कट नह कया जाता। इसके कारण न नां कत ह:

१. य द आप अपने पूव ज म के पाप के बारे म जान लगे तो इससे आपका मन कचोटने


लगेगा और आपका वकास बा धत होगा। उदाहरण के लए, य द आपने पछले ज म म
कसी को बुरी तरह चोट प ंचाई है, तो हो सकता है क इस अपराधबोध को आप इस
जीवन म झेल न पाएं और आप खुद को मा न कर पाएं। ई र चाहते ह क सभी
आ माएं धरती पर ज म लेकर अपना पुनःज म, एक कोरे कागज़ क तरह शु कर।
२. आपका भौ तक मन सी मत होता है। ऐसी ब त सी चीज जनका अवचेतन मन को ान
होता है, वह भौ तक मन समझ नह पाता।
३. य द आपको जीवा मा जगत क मृ तयाँ, वहां आपको मली ई ख़ुशी और शां त याद रह
जाए, (य द आप उ च लोक से ह) तो आप एक ण के लए भी पृ वी पर जी नह पाएंग।े
जीवा मा जगत के लए आपक उ कंठा इतनी अ धक गंभीर हो जाएगी क आप पृ वी पर
असहाय महसूस करगे।
४. पृ वी पर आपका जीवन एक परी ा है। य द आप अपने उन कम , परी ा और
श ण से अवगत हो जाएं जनसे होकर आपको गुज़रना है, तो पृ वी पर आपक या ा
का कोई अ भ ाय नह रह जाएगा। साथ ही, य द आपको हर बात का ान हो तो फर यह
एक परी ा नह रह जाती। आप पृ वी पर इस लए आते ह ता क आप अनुभव हा सल कर
सक, और अपनी जीवा मा का श ण कर सक, ता क आपक आ मा का शु करण हो
और वह उ च से उ च तर क ओर ग त कर सके। य द आपको अपने पछले ज म क
बात याद रहगी तो आप अपनी पछली भूल को नह हराएँग,े य क आपको इसक पूव
चेतावनी मल चुक होगी। इस कार, आपका वकास वा त वक और वाभा वक प से
नह होगा। आपका जीवन तकनीक हो जाएगा, आपके फैसले बल होते जाएँग े और
आप मशीन क तरह जीवन जीएंग।े

पृ वी पर कुछ आ मा का अवचेतन मन और क तुलना म अ धक वक सत होता है। कभी-


कभी, इन आ मा को अपने पूव ज म क बात को पृ वी पर याद रखने क अनुम त भी
मलती है। और उनम जीवा मा जगत क मृ तयां भी होती ह, ले कन ऐसा कभी-कभार ही
होता है। लोग के मन म आ था और व ास जगाने तथा ई रीय ान को फैलाने के वशेष
उ े य से ही इसक अनुम त द जाती है।

य द का अवचेतन मन जागृत न हो, तो वह कैसे बदल सकता है?

आइए हम उदाहरण के तौर पर, सूरदास क कहानी लेते ह। उसके क से म, उसके कम के


कारण, उसका अवचेतन मन सो गया था। उसे जागृत करने के लए एक शारी रक झटके क
आव यकता थी, जो उसे कार घटना के प म लगा। उस घटना के बाद कई घटनाएं घटती
चली ग और अंततः वह उस गुफ़ा तक प ंचा जहां मृ यु को सामने दे खने पर, आ ख़रकार उसे
बोध आ और अपने बुरे कम का अहसास आ। उसके लए, यह क दायक झटका ज री था
य क उसका अवचेतन मन पूरी तरह सु त हो चुका था। ले कन य द का अवचेतन मन
जरा भी जागृत हो, तो आ मा को उससे बात करने और अपनी ग़ल तय को वीकारने के मौके
का लाभ लेना चा हए, जससे क दायक भौ तक झटके से बच जाता है। जब हम ‘ग़लती
वीकारने’ क बात करते ह तो हमारा मतलब बदलने क स ची इ छा से होता है। केवल जब ी
उ च भली आ मा को यह व ास हो गया क सूरदास अपनी अंतरा मा से बदलना चाहता है,
और उसका प ाताप स चा है, तब ही सूरदास क मदद क जा सक । उसने अपनी ग़ल तय
को वीकार कया और बदलने क इ छा क । उसने जंगली जानवर से भरे जंगल के बीच,
एक अंधेरी गुफ़ा म वयं अपने आपको अपनी गलतीय क वीकृती द । वह कोई पूजा- थल
नह था और वहां उसक वीकृती को सुनने के लए उसके अवचेतन मन के अलावा और कोई
नह था। पृ वी पर एक ग़लत धारणा है क य द आप पुरो हत के सम अपनी भूल वीकार
कर, तो आपको अपने पाप क मा मल जाती है। यह ब कुल गलत है। पुरो हत के पास
आपको मा करने क श नह होती। पुरो हत भी अ ख़रकार एक मनु य ही है। य द पुरो हत
के पास आ या मक ान है तो न त प से वह आपका मागदशन कर सकता है, ले कन
कृपया करके यह समझ ली जए क जब आप ‘गलती- वीकार’ कर रहे होते ह, तो इसका
मतलब यह है क आप अपने अवचेतन मन के सामने अपनी ग़लतीय को वीकार कर रहे ह
और खुद को बदलने के लए सहायता मांग रहे ह।

पृ वी पर लोग ‘प ाताप’ श द का भी त गलत अथ नकालते ह। प ाताप का अथ सफ


यही नह होता क आप केवल अपने कए पर खेद कट कर ल, इसका ही मतलब तो यह है क
आप अपनी ग़लती को सुधारकर स चे प से खुदको बदल और बारा फर कभी उस ग़लती
को न हराएं। मनु य के प म सुधरने का वक प केवल आ मा के अंतर से ही आ सकता है।
आ या मक प से ग त करना भले ही आ मा के अपने भले के लए है, ले कन कोई भी उस
आ मा को ऐसा करने के लए बा य नह कर सकता। यही वतं इ छा का नयम है। साथ
ही, ई र के सहायक के पास यह जानने क श होती है, क वह आ मा स चे मन से
प रवतन चाहती है या नह । अथात्, जीवा मा जगत क जीवा माएँ यह जान सकती ह क उस
आ मा के भीतर बदलने क इ छा कतनी कमजोर या कतनी बल है। आ या मक उ त का
मूल है बदलने क स ची इ छा; केवल तभी अवचेतन मन आ मा का ई रीय काश क ओर
मागदशन कर सकता है।

कोई अवचेतन मन को कैसे जागृत कर सकता है?

मनु य क आ या मक ग त के लए सबसे मह वपूण है अवचेतन मन को जागृत करना। यहां


हम कुछ ऐसे उपाय बता रहे ह ज ह अपनाकर आप अपने अवचेतन मन को जागृत कर सकते
ह:

१. ाथना।

अपने अवचेतन मन को जागृत करने म आपक मदद के लए ई र से यह वनती क जएः

“मेरे सबसे यारे, हे सवश मान ई र, कृपया करके मुझम अपनी ग़लत इ छा
और भावना से छु टकारा पाने क श जगाएं। मुझ े अपना ान द। अपने
अवचेतन मन को जगाने म मेरी मदद कर, ता क हमेशा यह मेरा मागदशन करे।
ध यवाद, हे सवश मान ई र।”

२. अपने मन को कोरा कर (पृ २०२ पर दे ख “मन को कोरा करने के उपाय”)।

आपके मन म कसी भी तरह के वचार नह होने चा हए। आपका मन ब कुल कोरा होना
चा हए। य द अपके मन म कोई वचार वेश करे, तो उसे अपने आप गुज़र जाने द-उनसे
छु टकारा पाने का संघष न कर और न ही उनम ल त ह । जहां सकारा मक पंदन ह , कसी
ऐसी जगह पर, अपने मन को अ धक से अ धक २ मनट तक कोरा कर। अपने सहजबोध से
यह महसूस करने क को शश कर क उस जगह के पंदन सकारा मक ह या नकारा मक।
नकारा मक पंदन वाली जगह पर अपने मन को अ धक से अ धक १ मनट तक कोरा कर।
केवल सूय दय से सूय त के बीच अपने मन को कोरा कर।

३. अपने अवचेतन मन से बात कर।

अवचेतन मन से बात कर आप इसके अ त व को वीकार करते ह। इसके बाद, अपने


आपको पूरी तरह से अवचेतन मन को सम पत कर और उसे अपना मागदशन करने क
ाथना कर।

४. अवचेतन मन क सलाह का पालन कर।

अवचेतन मन क सलाह का पालन करने का अथ है, उसके मागदशन पर अमल करना। हर


बार जब आप अपने अवचेतन मन क सलाह मानते ह, तब आप उसे बल दे त े ह। जतनी
बार आप उसक सलाह को नज़रअ दाज करते ह, और उसका कहना नह मानते, आप उसे
उतना ही कमजोर बनाते ह।

५.अपने भौ तक मन पर नयं ण र खए। उसे क हए क आप उसके मा लक ह, न क उसके


ग़लाम।

पृ वी पर, एक साधारण मनु य का भौ तक मन १००% जागृत होता है, जब क अवचेतन मन


केवल १%-२%। य द आप एक ब त अ छ आ मा ह तो पृ वी पर आपका अवचेतन मन
अ धकतम ७%-९% जागृत होता है। इस लए, य द आप चाह तो अवचेतन मन के एक छोटे
से अंश के जागृत रहने पर भी यह भौ तक मन पर आसानी से वजय ा त कर सकता है।
जब एक आ मा सातव लोक के नौव तर तक प ंच जाती है, तब भी उसके अवचेतन मन
का केवल २०% ह सा ही जागृत होता है। अगले ांड म भी आप अपना वकास जारी
रखते ह और सातव ांड के अं तम तर पर प ंचने पर ही आपका अवचेतन मन पूरी तरह
(१००%) जागृत हो जाएगा और तभी आप आ ख़रकार ई र को जानने म सफल ह गे और
उनका उनका सा य पाएंग।े

नीचे मन को कोरा करने के उपाय बताए गए ह:


यह अ यंत मह वपूण है क आप केवल सूय दय और सूया त के बीच ही अपने मन को कोरा
कर, य क सूरज डू ब जाने के बाद पृ वी पर पंदन बदल जाते ह और अ धक नकारा मक हो
जाते ह। य द आप इन सरल उपाय का पालन करगे तो आप अ धक से अ धक शां त ा त कर
पाएंग।े

१. आप अपने श द म ई र से आपक र ा करने और अपने अवचेतन मन को जागृत करने


के लए सहायता करने क ाथना क जए।
२. अपनी पसंद क कोई भी छोट ाथना दल से क जए।
३. अपने मन को कोरा क जए। अपने मन को कोरा करने के लए सबसे े है र क
व नय को सुननां कसी भी चीज का व ेषण न कर। य द कोई वचार आए तो च तत
न ह ; वह अपने आप ही चला जाएगा। उससे छु टकारा पाने के लए ज़ोर न लगाएँ। शांत
र हए।
४. करीब २ मनट तक ऐसी जगह पर अपने मन को कोरा कर जहां सकारा मक पंदन ह ।
नकारा मक पंदन वाली जगह पर १ मनट से अ धक मन को कोरा न कर। यह आपक
अपनी सुर ा के लए है।
५. सवश मान ई र को ध यवाद द जए। एक छोट और स ची ाथना के साथ अंत
क जए।
६. मन को कोरा करने के बीच, कम से कम तीन घंटे का अंतराल होना चा हए।
७. मन को कोरा करते समय द ण क ओर मुंह कभी न कर। उ र क ओर मुंह करना सबसे
अ छा है।
८. लोग क उप थती म मन को कोरा न कर, य क ऐसे म आप अनजाने म खुद को
नकारा मक पंदन के संपक म ले आते ह।
९. यह बात न त कर ल क आपके आसपास मोमब ी अथवा द ये जैसी एक ाकृ तक
योत हो। जब आप मन को कोरा करते ह तब काश आपक र ा करता है।

उ चत वक प चुनने के लए आपको मागदशन तथा स कम करने का बल न त प से


हा सल होगा और अपने वचार को सकारा मक, आ या मक कम म प रव तत करने क श
ा त होगी।

यहाँ एक बार फर, अवचेतन और भौ तक मन के अंतर को दशाया गया है। इन दोनो क कृ त


को समझ ली जए ता क आपको यह पता चले क कस मन क बात सुननी है और कस मन
को श त करना है।
अवचेतन मन भौ तक मन
अंतरा मा, उ च मन, उ च व भी कहलाता चेतन मन भी कहलाता है।
है।
आ या मक भौ तक
आंत रक और कत न मन बाहरी और य मन
असी मत समझ सी मत समझ
शा त णक
स य न और ढ़ हो सकता है क यह स य न न हो और
चंचल हो।
नः वाथ ायः वाथ
हमेशा शांत रहता है। च तत और अशांत हो सकता है।
ई र के अ त व का माण नह चाहता। ई र के अ त व का माण चाहता है, और
हमेशा ई र के अ त व पर संदेह करता है।
सही कम होने तक लगातार प र म करता बच नकलने का आसान रा ता खोजता है
है। और ग़लत वचार और कम को सही
ठहराता है।
जीवा मा जगत से जुड़ा होता है। पृ वी तक सी मत होता है।
आ त रक बल दान करता है। आपको कमजोर बनाता है।
लोभन पर वजय पाने म मदद करता है। लोभन के सामने झुक जाता है।
महसूस करता है, संवेदना हण करता है, पूरी तरह से भौ तक जगत पर नभर रहता
भौ तक जगत पर नभर नह रहता। है।
वतं इ छा

“आप खुद अपनी प र थतीय के सजक होते ह।”


“स ची वतं ता का अथ है आपको स कम करने क पूरी छू ट मलना।”

“आप पृ वी पर अपनी वतं इ छा का योग करके लोभन और नकारा मकता पर वजय


ा त करने का ल य लेकर आए ह।”
“ह र ने आपको वतं इ छा और चुनाव क आज़ाद द है, इस लए एक समझदार आ मा
अपनी वतं ता का उपयोग बुरी चीज क बजाए अ छ चीज को चुनने म करती है और
आ या मक य से ग त करना जारी रखती है।”

“पृ वी पर कुछ वष क अ थायी ख़ुशी के लए ग़लत राह पर मत जाइए, य क ऐसा करने पर


आपको जीवा मा जगत के न नतर लोक म सैकड़ वष तक क भोगने ह गे।”

पृ वी पर हमारे जीवन के संदभ म वतं इ छा का या अथ होता है?

आपक वतं इ छा का दरअसल यह अथ है, क आप अपने मन, शरीर और जीवा मा को


नयं त करते ह और आपको अपने कम का फल भुगतना ही पड़ता है। पृ वी एक पाठशाला
है, यह एक ऐसा थान है जहां आप जीवा मा जगत से अपने कम का हसाब चुकाने, परी ा
और श ण से गुज़रने और अपने आ या मक जीवन काय को पूरा करने के लए आते ह।
आप इन सब का सामना कैसे करते ह, यह पूरी तरह आप पर नभर करता है। आप चुनौ तय
का सामना बहा री और मु कान के साथ क जए या फर शकायत करते ए खुद को दयनीय
थ त म बनाए र खए। आप बल नै तक नणय लेकर अपनी आ मा को पो षत कर सकते ह
अथवा लोभन से हारकार, अहंकार को बढ़ावा दे कर अपनी जीवा मा को कमजोर बना सकते
ह। जो वक प आप चुनते ह वे आपको ई र क तरफ ले जा सकते ह और आपको उनसे र
भी कर सकते ह। आ मा को पो षत क जए या फर उसे कमजोर होते दे खएः आप जैसा चाह,
वैसा करने के लए वतं ह। आप या तो अपनी परी ा म खरे उतर या फर असफल हो जाएं।
आप खुद अपनी प र थतीय के सजक होते ह। पृ वी पर और जीवा मा जगत म सही वक प
चुनकर, केवल आप ही अपनी आ मा क उ त का नधारण कर सकते ह।

जस ण आ मा पृ वी पर पुनज म लेन े का फैसला करती है, उसी ण जीवा मा जगत म ही,


वतं इ छा भावी हो जाती है। पृ वी पर जीवन एक जो ख़म है, ले कन यह वह जो ख़म है
जसे आपने चुना है। हमारा मकसद आपको डराना नह है, ब क हम धरती क आ मा को
सतक करना चाहते ह। आप अपने आप को नकारा मक भाव से जतना अ धक संचा लत
होने दगे, आपके लए आ या मक माग पर आगे बढ़ना उतना ही मु कल होगा। पृ वी पर
नकारा मक भाव का अ त व इस लए है ता क आप उनसे संघष कर सक। इस तरह आप
अपनी आ या मक माँस-पेशी को बल दे त े ह। जब आप अपनी जीवा मा को पो षत करने म
असफल रहते ह, तो आप भौ तक मन से काम कर रहे होते ह और कमजोर नै तक फैसले करते
ह। जीवन का एक कमजोर ण सारे जीवन पर भारी पड़ सकता है। ग़लत दशा म उठाया आ
एक कदम आपको सही रा ते पर बारा लौटने म भारी क ठनाई पैदा कर सकता है। लोभन के
वशीभूत होकर रा ते से भटक जाना बड़ा आसान है। कुछ ऐसे भी लोग ह, ज ह ने ई र और
धम के नाम पर बड़े-बड़े भयंकर कम कए ह। ऐसी आ माएं भी होती ह ज ह ने अपने ही
प रवार को मुसीबत म डाला होता है और वे ऐसा करना जारी रखती ह। ऐसी भी आ माएं होती
ह जो ब च और बूढ़ को यातनाएं दे ती ह। ये आ माएं न नतम लोक से होती ह और उनके
लए दो मु य कारण क वजह से आ या मक ग त करना क ठन होता है। पहला, उनके कम
के कारण उनका अवचेतन मन सु त हो जाता है। सरा, य क वे न नतम लोक से होती ह, वे
पृ वी पर और जीवा मा जगत म खुद अपने ही जैसी आ मा से घरी होती ह। ये आ माएं न
खुद उ त करना चाहती ह, न ही वे सर को उ त करने दे ना चाहती ह, य क वे अपनी
सं या बढ़ाना चाहती ह। सर को, ताक़त या छल ारा नकार मक प से भा वत कर वे
अपने आस-पास के लोग क आ या मक उ त को बा धत करती ह और इस कार, वे वतं
इ छा के नयम को तोड़ती ह। पृ वी पर, ऐसी आ माएं ई र के नयम क पूरी तरह से
अवहेलना करती ह, य क वे उनपर व ास नह करत , अथवा आ या मकता के वषय म
उनक धारणाएँ गलत होती ह। ले कन, उ ह यह समझने क ज़ रत है क चाहे कुछ भी हो,
मनु य क मृ यु के बाद उसका अवचेतन मन इतना जागृत तो अव य हो जाता है, क वह उसे
अपने यो य थान तक ले जाए। यह ई र का याय है और यह अनंत है।

य द सारी आ माएं इ र ारा रची गई ह, तो कुछ आ माएं य होती ह?

जीने का अथ है आ या मक प से उ त करना, ई र क ओर कदम आगे बढ़ाना। अं ेजी म


‘EVIL’ ( ता) का अथ ‘LIVE’ (जीवन) के वप रत होता है। ता का अथ अधःपतन है;
यह आ मा क नकारा मक या ा को, ई र से र जाने क या को दशाता है, जो
नकारा मक वचार , श द और नकारा मक कम से उपजता है। आ मा अमर होती है और इसे
कभी न नह कया जा सकता, ले कन इसे ज़ र कया जा सकता है। जब आप अनै तक
फैसले करते ह और पृ वी पर अपनी परी ा म असफल होते ह तो इस पर का लमा पुत जाती
है। आप अपने वचार , श द और कम के योग के सवा और या ह? अपने कम को आप
अपनी आ मा से कैसे अलग कर सकते ह? आपके कम के अनुसार आपक आ मा स म
अथवा कमज़ोर होती है, इस लए आप अपनी आ मा को अपने कम से अलग नह कर सकते।

जब लोग गलत राह पर भटक जाते ह, तब वे अपने कम को सही ठहराते ह, अथवा वे यह


कहते ह क कसी बल ण के दौरान वे लोभन म फंस गए थे। वे यह भी कह सकते ह क,
“आप नह समझ पाएँग े क म कस थ त से गुज़र रहा ।ं ” ले कन प र थ तय को अनै तक
कम के लए बहाना नह बनाया जा सकता। आपको अपने सभी कम क ज मेदारी लेनी ही
होगी। आप वतमान म जीते ह और खुद को अपने वा त वक कम से अलग नह कर सकते।
य द आप इस व त ग़लत राह पर ह, तो आप अपने अतीत को दे खकर खुद से यह नह कह
सकते क आप कभी एक अ छे आदमी आ करते थे। आप वतमान म जीते ह और आपका
मू यांकन आपके अपने अवचेतन मन ारा कया जाएगा। आपने पहले भी कम कए थे, अब
भी कर रहे ह, और आपका अ त व आपक सोच, वाणी और कम के फल व प ह।

ऐसा कहा जाता है क हर कसी क मदद करना हमारा धम है। लोग क मदद करना अ छ
बात है, ले कन आप सभी लोग क मदद नह कर सकते, य क कुछ लोग संपूण प
से नकारा मक होते ह। आप सोच सकते ह क कोई नकारा मक ह या नह यह तय करने वाले
आप कौन होते ह, ऐसा करना तो नणायक का काम है। ठ क है, आप नणायक न बन, ले कन
अपने ववेक का उपयोग कर।

अंतर सरल है। जब आप व ेषण करते ह क कोई अ छा है या नह , तो यह नणय


उ ह नीचा दखाने के े भाव के कारण नह ब क सतकता के कारण है। सतकता एक ऐसा
आ या मक सहजबोध है जो ई र ने आपको अपनी जीवा मा और आपके आसपास के लोग
क जीवा मा क र ा के लए दान कया है। नकारा मक आ मा क मदद कर आप उ ह
बढ़ावा दे त े ह, जससे वे अपने बुर े कम जारी रखते ह। आप उ ह ो साहन दे त े ह। ऐसा करने
पर आपका आ या मक पतन होता है य क आप यह नै तक फैसला करने म असफल रहते
ह। कसी नकारा मक आ मा क मदद आपको केवल तभी करनी चा हए जब वह अपने कम
के लए प ाताप करे और स चे मन से सुधरना चाहे। इसके बाद, यह आपका कत होता है
क आप उसे नकारा मक भाव से बाहर नकाल और एक ऊँचे तर तक प ंचने म उसक
मदद कर। सही परख करना स य क पहचान है; कतु आलोचना करना अहंकार क
पहचान है। पृ वी पर आपके फैसले, जीवा मा जगत म आपके घर क न व तैयार करते ह।
पृ वी पर आप अपने भौ तक मन के गुलाम बनने का वक प चुन सकते ह अथवा अपने
अवचेतन मन का छा बनने का फैसला कर सकते ह। वतं इ छा का वरदान हम मला है।
हम इसका उपयोग बु मानी से करना चा हए।
कम

“जो आप बोते ह, वही काटते ह।”


“कम सज़ा नह , ब क सीखने क या है। यह ऐसा नयम नह जसका उ े य मनु य को
केवल सज़ा दे ना हो, ब क इसका उ े य तो ग़लती करने पर हम श ा दे ना है और आ मक
तर पर हम हमारी गलती के बारे म समझाना है।”

“खेद कट करने का कोई अथ नह ।”

“ई र का याय प रपूण होता है-


कोई भी इससे बच नह सकता।”

“य द आप सर क ख़ुशी नह दे ख सकते, तो आप वयं भी ख़ुश नह रह सकते।”

कम या है?

कम इस स ांत पर आधा रत होता है क आप जो बोएंगे वही काटगे, अथात् आप जैसा करगे


वैसा ही भरगे। इसे कम-फल के प म समझाया जा सकता है। कम आपके काय ह और फल
उन काय के प रणाम को दशाता है। इस कार कम या तो आप पर एक क़ज़ है अथवा
आपको ा त होने वाला वरदान है। दो कार के कम होते ह: नकारा मक और सकारा मक।
नकारा मक अथवा बुर े कम आपके नकारा मक काय के कारण होने वाले प रणाम को दशाते
ह। सकारा मक अथवा अ छे कम वो आ या मक वरदान ह, जो सकारा मक काय अथवा
नः वाथ भाव से कए गए अ छे काय के कारण आपको ा त होते ह।

ई र ने ऐसे नयम बनाए ह जनके ारा उनके बनाए ांड का संचालन होता है और यह
उनक सभी रचना का कत है क वे उन नयम का पालन कर। यह उनका कत है,
ले कन उ ह कुछ भी करने के लए जबरद ती नह क जा सकती- वतं इ छा क यही कृ त
होती है। इस लए आप जो भी फैसला करते ह, वह ब कुल आप पर नभर करता है, ले कन
य द आप ई र के नयम को न मानने का फैसला करते ह, तब भी आप हमेशा उनके अंतगत
ही काम करते रहगे। कोई भी आ मा आ या मक नयम से बढ़कर नह होती।

कम कस कार संचा लत होता है? या सकारा मक और नकारा मक कम एक


सरे को नर त कर सकते ह?

दोन कम एक सरे को नर त नह करते। इस लए आपको अपने अ छे कम के लए


आ या मक आशीवाद ा त होते ह और बुर े काम क सज़ा भी भुगतनी पड़ती है। अ छे और
बुर े कम एक सरे से ब कुल अलग होते ह। के कम उसके वचार के कारण भी न मत
होते ह। कम केवल काय के कारण ही उ प नह होते ब क आपके वचार और आपके श द
के कारण भी सं चत होते ह। काय, वचार और श द ये तीन साथ-साथ चलते ह।

नकारा मक कम कस कार भोगता है?

को अपने नकारा मक कम उसके मान सक, शारी रक अथवा वा य, प रवार, धन,


मुकदमे से संबं धत सम या से होने वाले भावना मक क के प म भोगने पड़ते ह। बीमारी
ऐसा वक प हो सकता है, जसे आपने अपने कम का ऋण चुकाने क या के प म चुना
हो। नकारा मक कम के पीछे यही त य है क आप इस पा थव जीवन का उपयोग अपना ऋण
चुकाने के लए कर रहे ह। यह ऋण न केवल आपके पछले ज म म उ प आ था ब क
आपके इस ज म म भी आ है। मन म यह धारणा न रख क आप केवल अपने पछले ज म के
बुर े कम का हसाब चुका रहे ह। हो सकता है क आप पृ वी पर एक ब त छोटा का मक ऋण
लेकर आए ह , ले कन य द आप इस व बुर े रा ते पर ह तो आप इस समय अपने जीवन के
दौरान नकारा मक कम का बोझ बढ़ाते रहते ह। कम क समझ, वा तव म मनु य के लए ब त
ही उपयोगी है य क कई बार जब आपको जीवन म ःख का सामना करना पड़ता है, तब
आप समझ नह पाते क उन ःख का कारण या है। यह ःख ऐसी चीज है जसे आपने खुद
चुना है, य क यह आपके आ या मक वकास के लए आव यक है। यह जानकर, आप इन
ःख का सामना ग रमा के साथ कर पाएँग।े कभी भी अपने कए ए बुरे कम को सुधारने का
मौका न गवाएं। अपने अ भमान के चलते, इसे टालने के बजाए, इसी जीवन म पछली
समय या को सुधारने का अवसर मलना, एक आशीवाद ही है। आप इसी जीवन म येक
के त कए ए अपने कम का हसाब चुका ल। इस तरह आप अपने कम का हसाब
अगले ज म म चुकाने का इंतजार करने क तुलना म इसी ज म म अ धक आसानी से और
ज द चुका पाएंगे। य द आप अपने ग़लत कम का हसाब अभी नह चुकाते तो आपके
नकारा मक कम बढ़ते जाते ह, य क आप ई र के दए ए अवसर क अवहेलना करने का
फैसला करते ह।

ब त से लोग मानते ह क दान-पु य करने से नकारा मक कम को मटाया जा


सकता है। या यह सही है?

नह । आपको अपने बुरे कम का हसाब चुकाना ही पड़ता है। इससे कोई फक नह पड़ता क
आप कतना दान-पु य करते ह। इस तरह आप कभी भी अपने कम को मटा नह सकते।
ब त से लोग ऐसे ह जनम यह ग़लत धारणा होती है क हजार का दान दे ने पर वे वग ा त
कर लगे। य द आप ऐसे उ े य के साथ कोई भी अ छा काम करगे तो आप वग दे खने क बात
तो भूल ही जाएं। आप क नया म सबसे बु मान यायाधीश ारा कया गया याय भी
कभी-कभी सही नह होता, ले कन ई र के नयम अपने आप म प रपूण होते ह और उन नयम
के कारण आपके साथ जो याय होता है वह ब कुल उ चत होता है। यह याय कम के प म
आपको ा त होता है। य द आप अपने लोग से कुछ छपाने क को शश करगे, तो यह छपा
रह सकता है, ले कन ई र से आप कुछ भी छपा नह सकते। येक वचार, श द और कम
आपके अवचेतन मन ारा आपके आका शक रकॉड म दज़ कए जाते ह। चाहे आप मान या न
मान, यही सच है।

आपने एक बात सबसे पहले कही थी, “बहा री और मु कान के साथ अपनी सभी
सम या का सामना क जए, “ले कन जब लोग क झेल रहे ह , तब यह कैसे संभव
हो सकता है?

अपनी सम या का सामना बहा री और मु कान के साथ करना ब त ही मह वपूण है, य क


आपको अपने कम का हसाब चुकाना है, इस लए आप इससे र न भाग। य द आप शकायत
करते ह और चढ़ते ह, खुद को दयनीय थ त और नराशा म डालते ह, अपनी तकलीफ को
एक ब त बड़ा मु ा बना दे त े ह और इस तरह अपने यजन और आपक मदद करने वाले
लोग को भी मु कल म डालते ह, तो आप अपने कम का हसाब ब कुल चुका नह रहे,
ब क आपके बुरे कम का बोझ और बढ़ सकता है। अथवा, य द आप इसे चुका रहे ह तो
चुकाने क ग त ब त ही धीमी होती है और आपक तकलीफ का कोई अंत नह है, ऐसा
आभास होता है। इस कार आप अपनी सम या को ःख का प दे रहे ह। ले कन य द
आप अपनी सम या का सामना बहा री के साथ करते ह, तो आप धैय और साहस के साथ
अपनी जीवा मा को बल दे त े ह। आप सम या क कृ त से वा क़फ़ होते ह और उनसे ऊंचे
तर पर आ या मक तरीके से नपटते ह। इस लए अपनी सम या के दौरान मु कुराते र हए,
सकारा मक बने र हए और अपनी तकलीफ का ग रमा के साथ सामना कर। ग रमा का
सामा य अथ यह है क आप अपना आ मस मान बनाए रख, ई र और उनके याय म आपका
पूरा व ास हो और आप म हा यबोध भी हो, और इन सब के बीच, प र थ त क गंभीरता और
उसके मह व का भी आपको अहसास हो। गंभीर से गंभीर प र थ त का सामना ह के मन से
कर। जब आप ऐसा करते ह, तब जीवा माएं आपको अपने कम का सामना करने म सहायता
कर पाती ह। जब आप साहस और ग रमा दखाते ह, तो आप ई र के सम यह तुत कर रहे
होते ह क आप अपनी राह म आई ई सम या का सामना, आ या मक तरीके से, बना
कसी को दोष दए, और बना ो धत या नकारा मक ए, कर सकते ह। आप अपने अवचेतन
मन से संचा लत होते ह और जीवा माएं आपके लए ाथनाएं करने म स म होती ह ता क
आपको अपनी सम या का सामना करने क श मले। जीवा माएं आपक सम या को
र नह कर सकत , ले कन जीवा मा जगत से अ त र ाथना और सुर ा हा सल कर आपको
अपनी सम याएं सुलझाने के लए अ धक श ा त होती है और आप अपने कम का हसाब
सहजता से और ज द चुका पाते ह। इसका यह अथ नह क आपके कम कम हो जाते ह;
ब क इसका अथ यह है क आपको उ ह अ धक अ छे तरीके से और ज द नपटाने क श
और बु ा त होती है।

ले कन कभी-कभी ऐसा व त भी आता है, जब मनु य को अक पनीय ःख


भोगना पड़ता है। उस समय ऐसा सोचना क “यह मेरा कम है। म इसी लायक ।ं ” यह
बड़ा मु कल होता है?

हां, आपक बात हम समझ सकते ह। ले कन हम आपसे वयं क नदा करने को नह कह रहे।
हम तो बस यह कह रहे ह क आप आ या मक नयम को जान और यह समझ ल क मनु य
के साथ जो कुछ भी होता है वह उसके अपने फैसल के कारण होता है। इसका यह अथ नह
क आपके साथ जो कुछ बुरा होता है वह आपक ग़लती है। वह सब इस लए होता है य क
आपम जाग कता क कमी है। जस व त आप ग़लती करते ह, उस व त आप पूरी तरह
सजग नह होते, क यह गलत है। अथवा, य द आप सजग थे, तो हो सकता है क आपम जो
सही है, वह कम करने क ताक़त न रही हो। अतः, ऐसी भी प र थ तयां आती ह जब मनु य को
भयानक क से गुज़रना पड़ता है, जब क वह उनके अपने कम का फल नह होता। ऐसा तब
होता है जब कोई अ य मनु य अपनी वतं इ छा का ग़लत योग सर को क दे न े के लए
करता है। भा य से, मनु य जब पृ वी पर बारा ज म लेता है, तब उसे यह जो ख़म उठाना
पड़ता है। समाधान केवल एक ही है क आप बलता बनाएं रख और ई र पर नाराजगी न
जताएं। ई र से अपना बचाव करने और आपको व थ करने म मदद करने क ाथना कर।

कभी-कभी लोग न केवल नकारा मक कम से ब क अपने जीवन म घ टत होने वाली अ छ


चीज से भी डरते ह। उ ह लगता है क कसी भी ण यह सब कुछ उनसे छन जाएगा। अपने
बुरे कम का सामना बहा री के साथ करना मह वपूण है, ले कन मह वपूण यह भी है क आप
अपने अ छे कम को ग रमा पूवक वीकार कर। यह वा तव म आ य क बात है क ब त से
लोग ऐसे भी ह ज ह यह नह पता होता क जीवन म आने वाली अ छ चीज को वीकार कैसे
कया जाए।

सबसे पहले तो, अपने जीवन म आने वाली हर अ छ चीज के लए ई र को ध यवाद द।


यह ब त ही मह वपूण बात है। पृ वी पर, लोग बुरे समय म ई र से मदद तो मांगते ह, ले कन
जब अ छा समय आता है तब वे बड़ी आसानी से ई र को भुला दे त े ह। य द आप ई र को
ःख क घड़ी म याद करते ह तो सुख के ण म भी उ ह याद करना मत भू लए। उनके साथ
रहने के आनंद का अनुभव कर। आ खर हम सब उ ह क तो संतान ह। जब हम आ या मक
प से गती करते ह, अथवा जब हम अपना जीवन काय पूण करते ह, तब वे स होते ह। वे
हमारी झोली म वह सारे आशीवाद और खुशीयां डालना चाहते ह ज ह हम संभाल सक।

सरी बात, आपक जीवन-या ा म जन लोग ने आपक सहायता क हो – आपके प रवार


जन, दो त या कोई भी अ य जसने आपक सहायता क हो, और जीवा मा जगत म
आपके फ़ र ते – उन सब का शु या अदा कर। उनके योगदान को वीकार करना मह वपूण
है। बना आपक जानकारी के, आपके फ़ र त ने कई बार मुसीबत से आपक र ा क है और
आपको उस समय ो साहन दया है जब आपको उसक ज रत सबसे अ धक थी। इस लए,
मन ही मन म, हमेशा उनके शु गुज़ार र हए और ई र से उनपर कृपा करने क ाथना
क जए। पृ वी क आ माएं सवश मान ई र से ज़ र ाथना कर सकती ह क वह जीवा मा
जगत म उनके यजन , उनके जीवा मक मागदशक और अ य फ़ र त पर कृपा कर।

तीसरी बात, अ छे कम क सराहना करने क राह म अपराधबोध भी आता ह। पृ वी पर


मनु य को ग़लत कारण से भी अपराधबोध का अहसास कराया जाता है। कुछ ऐसे भी लोग
होते ह ज ह सर के अ दर अपराधबोध पैदा करने म आनंद आता है। ऐसे लोग के सामने न
झुक, चाहे वे आपके कतने ही क़रीबी य न ह । वे हमेशा अपनी तुलना आपसे करगे और
आपके जीवन म जो कुछ भी आशीवाद व प है, उसके बारे म आपको बुरा सोचने पर मजबूर
कर दगे। यह ब कुल साफ-साफ समझ ल क य द आप स ची राह पर ह और आपको अपने
जीवन म अ छे अनुभव होते ह, तो यह इस लए क आप उस यो य ह। तो फर, आप अपने मन
म अपराधबोध य पाल? य द कसी को वह आशीवाद नह मला है, जो आपको ा त आ
हो, तो इसका भी कोई कारण होगा। हो सकता है क अपनी आ या मक या ा म वे ऐसे तर
पर ह , जहां वे अपने कम का हसाब चुका रहे ह। अथवा हो सकता है क यह उनके परी ा
और श ण से गुज़रने का समय हो। बेशक उनक मदद क जए और उ ह सहारा द जए,
ले कन उनक खुद के त दयनीयता भरी भावना के सामने मत झु कए और न ही
आपको अपने जीवन म मले ए आशीवाद पर सवाल खड़े कर। कुछ ऐसी आ माएं होती
ह जो ग़लत राह पर चल रही होती ह और उ ह अपने बुर े कम का हसाब चुकाना पड़ता है। एक
बार जब वे सही राह पर आ जाएंगी, तब उनका भी जीवन बदल जाएगा। आप यह नह जानते
क जीवा मा जगत म उ ह ने या चुना है। जो भी अ छे अनुभव आपको जीवन म मलते ह,
उनका आन द ल और उनके लए कृत बन।

अपने जीवन म मले सौभा य के लए कृत होने का तरीका यह है क आप इसे कसी सरी
भली आ मा के साथ बाँट। आपके जीवन म या कुछ घ टत हो रहा है इसे य प से कट
करने क कोई ज रत नह । हर बात व तार से करने क ज रत नह । वा तव म, अपने
जीवन क अ छाईय के वषय म, आपको शांत रहना चा हए, और कुछ भरोसेम द लोग के
अलावा, इसक चचा कसी से नह करनी चा हए, अ यथा इससे नकारा मक ऊजा आक षत
होगी। ले कन य द आप अपने साथ ई कसी अ छ घटना से खुश ह, तो अपनी इस ख़ुशी को
सर के साथ बां टए। सर को ख़ुशी द जए। और, य द आप एक बल ओहदे पर ह तो
इसका उपयोग सरे अ छे लोग क मदद करने म क जए। दरअसल ऐसा करने के उ े य से
ही, आपको उस ओहदे पर रखा गया है। खुद को मले आ या मक वरदान का आनंद ली जए
और उनका उपयोग अ य भली आ मा क सहायता करने म क जए।

वे कौन सी बात ह जो नकारा मक कम उ प करती ह?

१. खुद को नुकसान प ंचाना। उदाहरण के लए, आपका अपनी सेहत का ख़याल नह


रखना। स, धू पान, शराब पीना, ज रत से अ धक खाना, अ छा पोषण न लेना,
कसरत न करने जैसी बुरी आदत, और सबसे मह व क बात यह है क नकारा मक सोच
और ऐसे कम आपक आ मा को न करते ह।
२. सर को नुकसान प ंचाना। सर को शारी रक अथवा भावना मक प से नुकसान
प ंचाने के कारण नकारा मक कम उ प होते ह। भावना मक क भी उतना ही बुरा होता
है जतना शारी रक क ।
३. हालात क स चाइय का सामना न करना और उनसे मुंह छु पाकर वा त वक सम या से
अ छ तरह नह नपटना।
४. नकारा मक आ मा के बुर े आचरण को सहन करने से भी बुरे नकारा मक कम उ प
होते ह। उ ह यह ज र समझाइए क वे कहां ग़लत ह। य द वे आपक बात नह सुनते तो
यह उनक मज है, ले कन उ ह अपना फायदा उठाने क अनुम त न द। ता को कभी
भी बढ़ावा मत द जए। के त कभी भी अ छे मत ब नए। य द आप
के त अ छे बनते ह तो आप उसका हौसला बढ़ाते ह और आ मा का हौसला
बढ़ाने का मतलब है क आप भी उसी पाप क ेणी म शा मल हो जाते ह। इस लए अपने
अवचेतन मन को तेजी से उ त क जए ता क आप एक को आसानी से पहचान
सक।
५. ज मेदारी से मुंह मोड़ने के कारण भी नकारा मक कम पैदा होते ह। उदाहरण के लए
आपका अपने माता- पता, ब च और यजन के त अपने कत से मुंह मोड़ लेना।
६. सर को बुरा करने के लए उकसाना और उ ह बुरी राह, जैसे– स के धंध े इ या द, पर
ले जाना।
७. अपने ब च को बगाड़ना। इस कारण भी आप नकारा मक कम उ प करते ह य क
ब च को अ छ तरह श त करना आपक ज मेदारी होती है। माता- पता को चा हए
क वे अपने ब च क बात सुन, य क ब चे का अवचेतन मन जागृत होता है और ब चा
अपने सहजबोध ारा संचा लत होता है। ले कन यह ज र यान रख क अपने वाथपूण
उ े य के लए ब चा कह आपको बेवक़ूफ़ न बना रहा हो।
८. पृ वी पर अपने आ या मक जीवन काय को पहचानने और उसे पूरा करने म असफल
रहना।
९. आ मह या करना। य द आप अपनी आ मा को उसक या ा पूरी नह करने दे त,े तो आप
नकारा मक कम का एक अ बार खड़ा कर लेत े ह और आप एक पूरा लोक नीचे गर
जाते ह। उस जीवन और प र थ तय को आप समा त कर दे त े ह, जसे आपने खुद चुना
होता है। आपके ारा चुनी गई अं तम तारीख ई र के नयम के अनु प होती ह। आपको
जीवन दे न े वाला ई र है, इस लए इसे समा त करने का अ धकार आपको नह है।
१०. सही कदम नह उठाना। कभी-कभी लोग जो सही है उसके लए ज मेदारी नह लेते
अथवा उनम साहस क कमी होती है। वे ग़लत फैसले करते ह य क सही करने के लए
अपनी वतं इ छा का योग करने क बजाए वे एक मूक दशक बने रहते ह।
११. ‘मौज-म ती’ क इ छा रखना। नौजवान यह सोचते ह क जब तक वे युवा ह उ ह “जीवन
का अनुभव” लेना चा हए और इस बहाने का योग वे बुरे काम करने म करते ह। पृ वी
पर अपनी जीवन या ा का आनंद लेना मह वपूण है ले कन अपनी आ मा को दांव
पर लगा कर नह ।

हमेशा याद र खए क य द आ या मक ान रखते ए आप ग़लत नणय करते ह, तो


आ या मक ान न होते ए ऐसा करने क तुलना म आप अ धक नीचे गरते ह और अ धक
कम का नमाण करते ह।

कोई पृ वी पर अपने कम का हसाब कैसे चुकाता है?

कम का हसाब चुकाने के बारे म यहां कुछ नदश दए जा रहे ह:

१. सम या को वीकार क जए। जो कोई भी बाधा हो, उससे कसी भी हाल म पीठ


मोड़कर मत भा गए।
२. थ त को बदलने क स ची इ छा र खए और उसके साथ सही तरीके से नप टए।
३. इस बात को समझ ल जए क यह आपके ारा जीवा मा जगत म अपने वकास के लए
कए गए फैसल , अथवा पृ वी पर आपके इस जीवन म कए गए फैसल के प रणाम ह।
परी ा और श ण वकास के लए एक अवसर है जो आपको उ त करने म मदद
करते ह। जब आप यह जान लेत े ह क य कोई घटना घ टत होती है तो उसके लए
आपका वरोध कम हो जाता है और आप अपनी सम या क ओर नकारा मक ख़ नह
रखते।
४. हर एक बाधा को परी ा के प म दे खए। य द आप असफल हो जाते ह तो आपको फर
से परी ा दे नी होगी और यह हर बार अ धक क ठन होती जाएगी।
५. सकारा मक ब नए और ई र म व ास र खए। ाथना क जए। ई र से अपने लए बल
और बु मां गए।
६. को शश क जए क आपके कम म और यादा संचार न हो। समझदारी से काय कर। याद
र खए क छोटे से छोटे पाप क भी गनती होती है। जस तरह सागर के नमाण म छोट से
छोट बूंद का भी योगदान होता है, उसी तरह आपके कम म भी। छोटे से छोटा कम, चाहे
वह अ छा हो या बुरा, अपना प रणाम छोड़ता है।
७. जीवन या ा क तुलना न कर। यह सवाल मत उठाइए क आप य ःख भोग रहे ह,
सरे य नह । यह वचार ही अपने आप म ग़लत है और यह आपको वकास करने से
रोकता है।
८. भौ तक मन को नयं त र खए और अवचेतन मन क आवाज़ सु नए। मुसीबत के ण म
यह शांत रहता है और आपका मागदशन करता है।
९. अपने जीवन क प र थ तय के लए कभी भी सरे को दोष मत द जए। अपनी जदगी
क ज मेदारी आप खुद ली जए। आप जब भी चाह खुदको बदल सकते ह। यादातर,
लोग कमजोर होते ह य क वे यही चाहते ह।
१०. यहां तक क जब आप सम या से घरे ह , अथवा ःख का अनुभव कर रहे ह , तब भी
छोटे -छोटे भले कम के ज रए सर क मदद कर। आपक सम या क ओर से यान
हटाने वाले ये काय, आपके लए मददगार सा बत ह गे। यह ज र न त कर ल क
आपका उ े य शु हो। जब आप सर क मदद करते ह, ई र आपको आपक
सम या का सामना सहजता से करने क श दे त े ह और साथ ही आपको उन लोग
क आ भी मलती है जनक आपने मदद क हो।
११. कम क जए। आप जो कर सकते ह, अ छे से अ छा कर और बाक ई र पर छोड़ द।

या ‘परी ा’ और ‘ श ण’, कम ही ह?

वे कम नह ह, ले कन कम से जुड़े ज र ह। जीवा मा जगत म रहते ए आप न न ल खत


कारण से पृ वी पर आने का वक प चुनते ह:

१. कम का हसाब चुकाना।
२. परी ा और श ण का अनुभव करना।
३. अपने आ या मक जीवन काय को पूरा करना, जो पृ वी पर आपके होने का वा त वक
कारण है।
४. अपने यजन क र ा करना।

ये चार चीज़ एक साथ मलकर पृ वी पर आपके माग का नमाण करती ह।

आपक राह म आने वाली सभी सम याएं कम से जुड़ी नह होत । मु कल आपक राह म
परी ा और श ण के प म आती ह, ता क आप अपनी कमज़ो रय अथवा नकारा मक
आ मक गुण से प र चत होकर सकारा मक आ मक गुण को वक सत कर सक। य द कम
आपका ऋण या आपको मलने वाला उपहार है, तो श ण आपक तैयारी है। आप इस
अनुभव को पाने का फैसला करते ह, ता क आप अपनी परी ा म सफल होने क तैयारी कर
सक। जीवा मा जगत म उ च भली आ मा क मदद से आप उस श ण को चुनते ह जसे
आप पृ वी पर अपने जीवन काल म पूरा करना चाहते ह। आप यह भी चुनते ह क आप कन
वशेष आ मक गुण क परी ा दे ना चाहगे। बहरहाल, परी ा क कृ त, उनका व तार
और उनका समय आपके ारा तय नह कया जा सकता, ब क आपके अवचेतन मन ारा
अपने आप तय कया जाता है। उदाहरण के लए, यु नव सट म आप अपनी पसंद के वषय
चुनते ह, हालां क साल के अंत म आप अपनी परी ा के प के लए का चयन नह
करते। जीवन के अलग-अलग दौर म ऐसी अनेक परी ाएं आपके सामने आएंगी और आपको
उनका सामना तब-तक करते रहना होगा जब-तक क आप उनम ब कुल अ छ तरह सफल न
ह । श ण आपक जीवा मा को सबल बनाता है और आपको कुछ स चाइय से प र चत
कराता है। श ण आपक आ मा को कुछ ऐसे गुण दान करता है जो आपके लए परी ा
म सफल होने और अपना जीवन काय पूरा करने म आपक मदद करते ह। श ण कई कार
क प र थ तय के प म होता है जनका आपको सामना करना पड़ता है और इससे आपको
सीखने और वकास करने म मदद मलती है। श ण कई प म हो सकता है, जो आपक
आ मा क ज़ रत के आधार पर आपके ारा चुन े गए वक प पर नभर करता है। तब
आपक इस बात के लए परी ा ली जाएगी क आपने उन स चाइय या श ा को सीखा है,
या नह और वे आपके जीवन के अंग बने ह, या नह ।

आपने आ या मक पाठ सीखे ह, या नह , इसे तय करने के लए परी ाएं होती ह।

जब आप कोई पाठ अ छ तरह सीख लेते ह तो उसक परी ा बारा नह ली जाती। आप एक


वशेष प र थ त से गुज़रकर उसके पार नकल चुके होते ह, जसका यह अथ होता है क आप
इस संघष के उ चतर अ भ ाय को समझ चुके ह।

मान ल आपको अपनी सफलता पर घमंड है। आप ऐसे हालात से होकर गुजरगे जनम आप
असफलता का अनुभव करगे, और यही आपका श ण होगा। य द आप इस असफलता के
वभाव को समझ ल, क इसे आपके सामने इस लए रखा गया है ता क आप वन ता का पाठ
पढ़ सक, और आप वा तव म वन बनते ह, तो आपने सबक सीख लया होता है और इस
तरह आप परी ा म सफल होते ह। आप एक नकारा मक आ मक गुण (अहंकार) को हटाकर,
एक सकारा मक आ मक गुण ( वन ता) हण करते ह। जब यह प रवतन स चे प से होता
है तो आपक परी ा सही मायने म सफल होती है। इस तरह आपक आ मा श त होती है।
य - य आप आ या मक प से ग त करते ह, आपक परी ाएं और आपके श ण क
कृ त उ च प क होती जाती है और आपको जीवा मा जगत से अ त र मदद हा सल होती
है।

परी ा का अ त व इस लए भी होता है, ता क वे आपके नै तक बल को परख सक। या


आप इस त य को अ दे खा कर आसान रा ते को चुनगे, जब क ऐसा करना नै तक प से ग़लत
है, अथवा आप मु कल होते ए भी सही राह को ही चुनगे? कम, परी ा और श ण आपस
म जुड़े ए ह, ले कन वे एक ही बात नह ह। कहने का मतलब यह, क चाहे कोई भी प र थ त
आपके सामने आए, उसका साहसपूवक और ख़ुशी-ख़ुशी सामना कर, ले कन हर हाल म सजग
रह। परी ाएं आपके सामने तब आती ह जब आप र- र तक उनक उ मीद नह करते।

आ या मक परी ा अचानक होती है। आपने सचमुच आ या मक सबक सीख लया है, या
नह इसे जानने का केवल यही एक रा ता है। आ या मक प से सजग होने के लए अपने
अवचेतन मन से संचा लत ह ता क आप वाभा वक प से वही करगे जो सही है। य द आप
भौ तक मन से संचा लत होते ह तो आ या मक परी ा क घड़ी म आप ग़लत नायु (अथात्
भौ तक मन) का योग कर रहे होते ह। इस लए, हो सकता है क आप परी ा म बेहतर न कर
पाएं या पूरी तरह असफल ही हो जाएं। परी ा क घड़ी म डर से त ध रह जाते है या फर
ो धत और तनाव त होने से शु आत म ही अवचेतन मन से आपका संपक टू ट जाता है और
आपक दशा ग़लत हो जाती है। आप ग़लत पेशी अथात् भौ तक मन को स य कर लेत े ह।
आपक शु आत ही सबकुछ है। य ही आप ग़लत पेशी को स य करते ह आप इसी का
योग करते रह जाते ह। आ खरकार जब आप परी ा म असफल हो जाते ह तब आपको
अनुभव होता है क आपने या कर लया है। जब आप कसी परी ा म असफल होते ह,
आपको बारा इसका सामना करना पड़ता है, ले कन अब यह पहले से अ धक क ठन हो जाती
है। आपको सबक तो वही सीखना होता है, ले कन अब जो परी ा आपको दे नी होती है वह
अलग कार क होती है। इस तरह आ या मक परी ा अचानक होती है। जब तक आप सबक
सीख नह लेत,े वही सम याएं आपके सामने बार-बार तब तक आती रहती ह जब तक आप उन
पर वजय नह ा त कर लेत।े

सरा नयम है, आप य - य आ या मक प से ग त करते ह आपक परी ा क ठन होती


जाती है। यह ऐसा ही है क कूल म आप जैसे-जैसे ऊपर के दज़ म जाते ह, आपको कठ न
परी ा से गुज़रना पड़ता है। य द आपके पास आ या मक ान है और आप तब भी अपनी
सम या से भाग रहे ह, तो आपका पतन अ धक तेजी से होगा। भागने का आपका कारण
चाहे जो भी हो-डर, अहंकार या अ य कुछ भी, आ या मक नयम यह है क य द आपके पास
ान है, तो अपने कम को वीकारने, श ण से गुज़रने और अपनी आ या मक परी ा म
सफल होने क आपक ज मेदारी बढ़ जाती है।

पृ वी पर ऐसे ब त से लोग ह जो बड़े ानी ह ले कन वे न न लोक से संबं धत ह। ऐसा


इस लए य क ानी होने के बावजूद वे अपने ान का उपयोग अपने सुधार के लए नह
करते। य द वे बुरी राह पर चल तो उ ह कोई बचा नह सकता, यहां तक क य द वे अपने ान
को सर म बांट तब भी नह । इस लए, आ या मक ान वा तव म आपको अ धक नीचे भी
गरा सकता है। ान होने के बावजूद ग़लत करना यह दखाता है क आ या मक नयम क
आप पूरी तरह अवहेलना करते ह और इससे आपके कम का ऋण बढ़े गा। एक ही तरह के बुरे
काय करने वाले दो लोग का पतन अलग-अलग हो सकता है। जसके पास ान है, वह
आ या मक प से अ धक नीचे गरेगा और अ धक नकारा मक कम सं चत करगा।

या आप हम आ या मक परी ा के कुछ और उदाहरण दे सकते ह?

१. डर। आपके डर क परी ा होगी य क आपको साहसी होने क ज रत है।


२. श । आपके हाथ म कोई बड़ा पद और मता स पी जाती है, ता क यह दे खा जा सके
क आप इसका योग भलाई के लए करते ह या नह ।
३. धन। कभी-कभी आपको धनवान बनाया जाता है, ता क यह दे खा जा सके क इससे आप
एक इंसान के तौर पर कह बदल तो नह जाते, अथवा आपको कभी-कभी रपूर धन नह
दया जाता, ता क यह दे खा जा सके क आपके अ दर अब भी संतोष है या नह ।
४. वरदान। आपको कोई वरदान या तभा यह दे खने के लए द जाती है क आप इसका
उपयोग कैसे करते ह-अ छे के लए या बुरे के लए।
५. मा। आपका कोई क़रीबी आपको ःख प ंचा सकता है। ऐसे म नकारा मक बनकर उस
पर ो धत होने के बजाए या आप उ चत कदम उठाते ए, अथात् अपनी
अंद नी थ त को बदलकर और सकारा मक सोच के साथ, उसे मा कर सकते ह?

कम का हसाब चुकाने म अवचेतन मन क या भू मका होती है?

आप एक भली आ मा ह , तो इस लए आपके कम आप तक तेज़ ग त से प ंचते ह, य क


आपका अवचेतन मन जागृत होता है। इसका अथ यह है क य द आप थोड़ा भी ग़लत कर तो
आपको आपके कम के फल तुरंत मलगे और आप उसका हसाब भी ज द चुका पाएंगे।
ले कन, य द आपका अवचेतन मन सु त है, तो आपके कम जमा होने लगते ह और उनका
हसाब चुकाने म आपको दे र लगेगी। समय के साथ, बहरहाल, कसी न कसी प म आपके
कम आप तक ज र प ंचते ह। ऐसा न स च क आ मा को बुरा करने क छू ट मली
होती है। उनके कम सं चत हो रहे ह जनका भुगतान उ ह करना ही होगा।

परंत,ु यही नयम क परी ा और उसके श ण पर लागू नह होता है। मनु य अपनी
परी ा और श ण से बचकर नकलने का फैसला कर सकता है। य द आपका अवचेतन मन
सु त है तो इस कारण आप अपने आ या मक वकास के लए ज री अपनी परी ा और
श ण से वं चत रह जाते ह। साथ ही, आप कभी पृ वी पर अपने आ या मक जीवन काय
और उ े य को नह जान पाएंग।े जब आप आ या मक पथ पर नह होते, तब आपने खुद को
उसी रा ते से भटकाने के लए अपनी वतं इ छा का योग कया होता है, जसे आपने
जीवा मा जगत म चुना था। आपका अब ऐसी प र थ तय और ऐसे लोग से सामना नह होता
जो आपक आ मा के श ण के लए आव यक होते ह। इसके बजाए, आपको ऐसी
प र थ तयां और ऐसे लोग मलते ह जो आपके अहंकार का पोषण करते ह और आपको पूरी
तरह एक भौ तकवाद और सांसा रक बना दे त े ह। फर तो आप अपनी जीवा मा के
मह व को ही भूल जाते ह। आपक जीवा मा का पोषण पूरी तरह ठप पड़ जाता है और आप
इसी थ त म ख़ुश रहने लगते ह। ले कन यह ख़ुशी एक धोखा है, य क यह पूरी तरह भौ तक
मन क उपज है। आ या मक राह से र हटकर पृ वी पर कुछ लोग आराम का अनुभव करते ह
और भौ तक मन से आने वाली झूठ शां त का अनुभव पा कर संतु हो जाते ह, य क उ ह
प रवतन और सुधार के लए होने वाले संघष से होकर नह गुज़रना पड़ता। वे अपनी सम या
को सुलझाने के लए सही तरीके नह चुनना चाहते और उनसे बच नकलने के लए आसान
रा ते पर चल पड़ते ह। शां त का यह झूठा अनुभव आपको अपने ही अहंकार ारा कराया जाता
है, य क यह नह चाहता क मनु य ारा उसे न कया जाए।

या यही कारण है क पृ वी पर इतना अ धक अ याय दखाई पड़ता है – न न


आ मा का अवचेतन मन सु त होता है और इसी कारण, उनका अपनी परी ा और
अपने श ण क ओर मागदशन नह होता?

यह अ याय जैसा दखता है ले कन याद र खए क इन आ मा ने बुरे कम सं चत कर रखे ह।


वे अपने श ण और परी ा का सामना भी नह करते। यह सब कुछ दज होता जाता है। यह
सब कुछ सं चत होता है और नकारा मक आ मा को आ खरकार इस स चाई का सामना
करना ही पड़ता है। पृ वी पर, इन आ मा के पास ओहदा होता है और वे इससे ख़ुश दखाई
पड़ती ह। साथ ही, पृ वी पर पंदन अभी नकारा मक ह, इस लए यह नकारा मक पंदन
नकारा मक आ मा क मदद करते ह। भा य से, यह नकारा मक पंदन भली आ मा को
भी भा वत करता है। ये नकारा मक आ माएं अपनी वतं इ छा का उपयोग सर को
नुकसान प ंचाने म करती ह और फल व प भली आ मा को क भोगना पड़ता है, जब क
यह उनक परी ा, उनका श ण या कम का फल नह होता।

उदाहरण के लए, ह या कभी भी ई र क योजना का ह सा नह होती। यह ऐसी चीज नह


होती जसे आप जीवा मा जगत म कम का हसाब चुकाने अथवा परी ा और श ण से
गुज़रने के लए चुन सकते ह। जब कोई कसी क ह या करता है और यह आ मर ा के
लए नह क गई होती है, अथात् य द ह या पूव नयो जत है, अथवा बदले क भवना से क गई
है, तो प र थ त चाहे कुछ भी हो, ह यारे को सीधे जीवा मा जगत के न नतम लोक म जाना
पड़ता है और बड़े पैमाने पर उसके नकारा मक कम न मत होते ह। इस जीवन म कसी क
ह या करने का यह अथ नह क भ व य के जीवन म कोई आपक या आपके कसी क़रीबी क
ह या कर दे गा। ई र कभी भी ह या जैसे पाप को आ या मक योजना का ह सा नह बनने
दगे, य क ऐसी चीज जीवा मा जगत म चुनी ही नह जा सकत । न न तरीय आ मा को पृ वी
पर अगले ज म म बेहद क ठन परी ा और क से होकर गुज़रना पड़ता है और ऐसी आ मा
को चौथे लोक तक प ंचने म भी काफ लंबा समय लग जाता है।

ले कन ऐसी भली आ मा का या होता है ज ह ने नद ष होकर भी अपने


कसी यजन को खोया हो?

जब आप जीवा मा जगत म होते ह, तब आपको पता होता है क पृ वी कस कार क जगह


है। तब आपको पता होता है क पृ वी के जो ख़म या होते ह और आप यह भी जानते ह क
कोई नकारा मक आ मा अपनी वतं इ छा का उपयोग आपको नुकसान प ंचाने म कर
सकती है। यह सब जानकर भी आप पृ वी पर ज म लेने का फैसला करते ह य क आप
जीवा मा जगत क तुलना म पृ वी पर अ धक तेज़ ग त से उ त कर सकते ह। य द आप
जो ख़म नह उठाते तो आप जीवा मा जगत म ही रहगे और आपक ग त धीमी होगी (कुछ
असाधारण क स को छोड़कर)। यही कारण है क ब त सी आ माएं पुनज म लेना नह
चाहती और यह स पूण प से उन पर ही नभर करता है, य क जीवा मा जगत म भी वतं
इ छा च लत होती है। वतं इ छा का नयम येक ांड म च लत होता है।

मान ली जए एक नौजवान क ह या हो जाती है। यह उसक अं तम तारीख नह थी, ले कन


धरती पर उसक या ा पूरी होने से पहले ही उसके जीवन का अंत कर दया जाता है। मान
ली जए इस नौजवान के माता- पता अभी जी वत ह और उ ह ने ऐसा कोई कम नह कया है
क उ ह इस तरह का ःख भोगना पड़े। शारी रक रोग जैसे ाकृ तक कारण से ब चे को खोना
माता- पता के कम हो सकते ह, ले कन कसी अ ाकृ तक कारण से नह ।

य द माता- पता भली आ माएं ह, तो ई र अपने फ़ र ते भेजगे, जो ाथना के ज रए उ ह


राहत दगे और उ ह भरपूर बल दान कया जाएगा, ता क वे इस ःख को झेल सक। माता-
पता के ऐसे कम हो सकते ह जनका हसाब चुकाना बाक हो (पृ वी पर ऐसा कोई मनु य नह
जसके पास हसाब चुकाने के लए कोई कम न हो) और य द माता- पता इसके लए सहमत ह
तो इस क का उपयोग उनके कम के भुगतान म कया जा सकता है। यह समझौता बना उनके
चेतन ान के कया जाता है। यह समझौता उनके अवचेतन मन और उनके संबं धत लोक क
उ च भली आ मा के बीच होता है। वे अ त र ाथना और सुर ा के साथ जीते ह और
पृ वी पर अपनी जीवन या ा पूरी करते ह। य द वे इस जीवन या ा को अ छ तरह तत करते
ह, तो उनके कम का एक बड़ा ह सा मट जाता है।

अस मु कल क प र थ तय म, वेशक एक सरा वक प है।

आइए मान लेत े ह क आप पृ वी पर एक भली आ मा ह और आपक थ त आपक


सहनशीलता और आपक समझदारी से अ धक क ठन है। इसे इस तरह समझ क आप पांचव
दज म ह और आपको दसव दज का इ तहान दे ना पड़े तो यह आपके लए असंभव होता है।
ऐसी थ त म, जीवा मा जगत के पांचव अथवा उससे ऊंचे लोक क एक भली आ मा अथवा
वेशक पृ वी पर आकर आपके शरीर को हण कर लेता है। आपक मानवीय आ मा अ थाई
प से जीवा मा जगत म चली जाएगी और जब मु कल समय बीत जाएगा, तब यह आपके
शरीर म वापस लौट आएगी और वह जीवा मा वापस जीवा मा जगत म लौट जाएगी। केवल
आपका अवचेतन मन ही इसे जान पाएगा। आपके अवचेतन मन और वेशक के अवचेतन मन
के बीच आपसी समझौते के कारण ऐसा होता है। वेशक बड़े लभ होते ह और वे केवल ब त
मु कल प र थ तय म ही पृ वी पर आते ह। सावधानी के तौर पर, पृ वी पर ज म लेने से पूव
जीवा मा जगत म आप अपने लए एक वेशक चुन लेते ह, ता क मु कल घड़ी म आपको
उनक मदद मल सके।

या वेशक और भूतबाधा एक ही चीज है?

नह । भूतबाधा और वेशक एक ही चीज नह है। भूतबाधा वतं इ छा के व होती है।


जीवा माएं कभी भी पृ वी के मनु य वशीकरण नह करत । ऐसा केवल अवकाशी आ माएं ही
करती ह। अवकाशी आ माएं केवल नकारा मक लोग से ही आक षत होती ह और उनके शरीर
पर अपना नयं ण जमा लेती ह। यह आ या मक प से ग़लत है, य क ऐसा करने के लए
वे मनु य के अवचेतन मन से अनुम त नह लेत और यह वतं इ छा के ब कुल व है।

भा य या है? या कम, परी ा और श ण भा य से अलग होते ह?

जो लोग भा य म व ास रखते ह वे इस तरह जीते ह मान वे श हीन ह । उ ह लगता है क


चाहे वे कुछ भी कर “होगा वही जो पहले से तय है।” यह सोचने का सही तरीका नह है, य क
भ व य क प र थ तयां आपके वतमान कम से नधा रत होती ह। य द आप एक भली आ मा
ह, तो आप अपनी परी ा और अपने श ण से केवल तभी गुजरगे जब आपका अवचेतन मन
जागृत हो। आपके कम आपके पास अपने आप प ंचगे और आप उनका भुगतान ज द कर
पाएंग।े साथ ही, आपको अ त र परी ा और श ण क ओर केवल तभी ले जाया जाएगा
जब आप अपने वतमान श ण और परी ा म ब कुल सफल रहे ह । पहले से कुछ भी तय
होने का तो कोई ही नह उठता। सबकुछ आपके वतमान कम पर आधा रत होता है। कम
चाहे अ छे या बुरे ह , आपके पछले और वतमान काय के कारण उ प होते ह, ले कन आपके
पास यह वक प होता है क आप सम या का सामना अ छ तरह कर बुरी प र थ तय को
बीत जाने द। जीवा माएं आपको श दगी। भा य म व ास करने से आपके मन म यह धारणा
बैठ जाती है क चाहे आप कुछ भी कर ल आपक प र थ त म प रवतन नह आएगा। इससे
आपका संघष बढ़ता जाएगा और अंतहीन जान पड़ेगा।

आपका भा य नह , ब क आप खुद अपनी प र थ तय के नमाता होते ह। पृ वी पर


आपक राह म जो भी अ छा या बुरा आता है, वह वही होता है जसे आपने खुद जीवा मा
जगत म, अपने इस जीवन या पछले जीवन म कये अ छे या बुरे कम के फल के प म चुना
होता है। य द आप भा य म व ास रखते ह तो आप यह मानने लगते ह क आपको जो कुछ भी
मलेगा वह तय है और आपके कम का इससे कोई स ब ध नह ।

आशा है, क कम के बारे म यह ान कुछ हद तक उस ःख क ा या कर पाएगा जो मनु य


अपने जीवन म सहता है। कम को उदास भाव से, डर के साथ अथवा च तत होकर नह दे खा
जाना चा हए। यह आ या मक वकास के लए ज री है। य द आप कसी को मान सक,
शारी रक, भावना मक अथवा आ या मक प से चोट प ंचाते ह, तो यह चोट वापस आपक
ओर आएगी। इसी तरह शु मन से कए गए अ छाई भरे छोटे -छोटे काम के कारण मलने
वाले आशीवाद भी आपको मलगे।

आ या मक आशीवाद और वरदान कभी भौ तक कृ त के नह होते। वे – सुखी प रवार,


वफादार दो त, तभा, सुकून, पालतू जीव , स चे गु अथवा मागदशक (जो स चे ह , पाखंडी
नह ), उ चतर मान सक मता जैसे वच लत लेखन, तभाशाली संतान, अ छ
अभ , नरोगकारी श , मानवता क सेवा के लए आपके ारा कए गए अनुसंधान और
आ व कार, अ छा वा य, आपके और आपके यजन के लए नकारा मकता से सुर ा,
मागदशन और आ या मक ान, सम या से नपटने के लए ई र क ओर से द गई श ,
अपने कम के ज द भुगतान का अवसर और अपने जीवन काय को अ छ तरह पूरा करने तथा
सर क सहायता करने के लए तभा के प म आपको मलते ह।

ऋण चुकाने ही पड़ते ह। अपनी परी ा से बचकर, अपनी ज मेदा रय से मुंह मोड़कर


अथवा ग़लत राह पर चलकर, ऋण चुकाने क बात अगले जीवन पर न टाल। बीमारी के इलाज
के लए आपको दवा क आव यकता होती है, ले कन दवा कभी-कभी कड़वी भी हो सकती है।
ले कन दवा लेने के बाद आप राहत महसूस करते ह। इसी तरह, कम के ऋण आपको क
प ंचा सकते ह ले कन उनको चुकाने पर आप खुद को ह का और सबल महसूस करते ह और
आपक समझदारी उ च प क बनती है। हमेशा यह याद रख क आप उन सभी सम या से
नपटने म स म ह जो जीवन म आपके सामने खड़ी होती ह। जीवा मा जगत म आपने अपने
लोक क उ च भली आ मा और साथ ही तीन ानी आ मा क सलाह ा त क होती है,
ज ह ने आपको आपक मता के अनुसार राह चुनने म मदद क होती है। आपक मता के
अनुसार आपके लए परी ा, श ण और कम क व था क जाती है। आपक मता से
बाहर आपके जीवन म कोई भी सम याएं नह आ गी। य द आपको लगता है क आप कसी
प र थ त को संभाल नह पाएंग,े तो बारा सो चए। संभव है क आपको यह व ेषण करने
क आव यकता हो क आपसे कहां चूक हो रही है।
पृ वी पर आपका जीवनकाय

“हम सभी ने ई र के साधन के प म ज म लया है, पर उनके साधन के प म काय करना


जारी रखना या नह , यह फैसला स पूण प से हमारा है।”

“कभी भी टु लोग के त अ छाई न दखाएं या उ ह ो सा हत न कर। ता से संघष कर।”

पृ वी पर आपका जीवनकाय या है?

कई लोग सोचते ह क उनके जीवन का कोई अथ नह , या सम या के सवा उनके जीवन म


कुछ भी नह । ऐसी आ माएं कैसे अपने जीवन के अथ को समझ पाएंगी?

सबसे पहले, अपने माग म आने वाली बाधा से कभी न डर; वे आपको मजबूत बनाती ह।
साथ ही यह भी सोच कर न बैठ क धरती पर आप केवल मु कल झेलने के लए आए ह। कम,
परी ा व श ण के अ त व का कारण आपम बदलाव लाना और आपक आ मा को नमल
करने म सहायता करना होता है। ले कन ई र ने पृ वी पर आपको कुछ अद् भुत करने का भी
एक अवसर दया हैः जो आपका आ या मक जीवनकाय है।

येक मनु य चाहता है क उसके जीवन का कुछ अथ हो, और यह तब होता है, जब आपको
अपने जीवन काय का पता चल जाए। उस उ े य को ही आपके जीवन काय के प म जाना
जाता है, जो आपक आ मा और ई र के बीच कया एक वचन होता है...एक शपथ होती है,
जो पृ वी पर आने से पहले जीवा मा जगत म आप लेत े ह। येक आ मा एक आ या मक
ख़ोज के माग पर चलती है। यही वह माग है, जसे आपने पृ वी पर पुनज म लेने से पहले चुना
है। जब आप पृ वी पर आते ह, तो अपनी जीवा मा के वकास के लए पुनज म लेने के उ े य
को भूल जाते ह।

येक मनु य के तीन जीवन काय होते ह।


१. आ या मक प से सुधरना।
२. सर क नः वाथ प से मदद करना।
३. ई र क ओर से मले वशेष उपहार और तभा का सर के वकास के लए
उपयोग करना।

पृ वी पर मनु य भलाई के नाते खुद म प रवतन लाने के लए आते ह। आप भौ तक शरीर म


एक जीवा मा के प म अपनी पूरी मता को केवल तभी महसूस कर सकते ह, जब आप
अंदर से बदलते ह। आ म सुधार का अथ है, क चाहे जो भी प र थ तयां अथवा बाधाएं उ प
ह , आप अपने-आप को बदलकर ई रीय अ छे माग पर चल, और यही आपका पहला
जीवनकाय है। पृ वी पर हमेशा नकारा मक श यां मौजूद रहगी। पृ वी एक आ या मक
रणभू म है, और अपनी नै तक मज़बूती को स करने का एक मा तरीका होता है, घने अंधेर
म काशवान माग को चुनना। ता से लड़ने का अथ यह नह है क आप इसके बारे म वर
उठाएं...लोग क आलोचना कर या उनका अनावरण करने के लए कसी भी हद तक चले
जाएं । ता पर से पदा हटाना मह वपूण होता है, पर खुदको या अपने यजन को
खतरे म डाल कर ऐसा नह करना चा हए। हालां क आप इसका सहारा लेकर कायर भी नह
बन सकते। ता से लड़ने का सबसे े तरीका यह है क आप साहसी बन और हर बार जो
सही हो, बस वही कर। इसी को कहते ह, ई रीय अ छे माग पर चलना। बना प रवतन के
कसी भी कार का वकास नह हो सकता।

जब आप अपने अवचेतन मन के मागदशन का पालन करते ह, तो प रवतन आपके जीवन का


एक वाभा वक ह सा बन जाता है, तथा आप गरीमा के साथ कदम दर कदम खुदम प रवतन
करते ह। जब आपम गरीमा के साथ प रवतन होता है, तो आप अपनी परी ाएं और श ण
का सामना कर सकते ह, और आप अपने नकारा मक कम का हसाब चुकाने म स म होते
ह... य क तब आप अपने अवचेतन मन का उपयोग कर रहे होते ह। साथ ही आप अपने अ छे
कम, अथात अपने आ या मक उपहार तथा आशीवाद का उपयोग और अ धक भलाई के लए
कर सकते ह। यह आपको केवल तभी ा त होते ह, जब आप सही माग पर चलगे। जब आप
गरीमा के साथ खुदम बदलाव लाते ह, तो आप ई र क योजना को लागू करने म अपना
सव म यास कर रहे होते ह।

जब आप अपने अवचेतन मन के मागदशन का पालन करने म असफल रहते ह, तो आप अपने-


आप म होने वाले प रवतन को रोकते ह। आप प रवतन को इस लए रोकते ह, य क आप
भौ तक मन ारा द गई गलत ां तय के सामने हार मान लेते ह, जो आपको यह बताता है क
आपके साथ कुछ भी गलत नह है और आपको बदलने क कोई आव यकता नह । भौ तक मन
को प रवतन पसंद नह होता; इस लए य द आप अवचेतन मन के अनु प नह चलगे, तो
प रवतन वाभा वक प से आप तक नह प ंच सकता। तब आप गरीमा के साथ प रवतन
नह कर पाएंग।े पर चूं क आप बुरी आ मा नह ह और आपका अवचेतन मन अभी भी थोड़ा
जागृत है, तो आपको एक भौ तक झटका लगेगा। आपके जीवन म कुछ ऐसा घ टत
होगा...आपक आंख खोलने के लए कोई नुकसान झेलना होगा या आपको झटका लगेगा, जैसे
आ थक या वा य संबं धत नुकसान।

मनु य क सबसे खेद-जनक बात यह है क वे मागदशन, आनंद और आशीवाद को तो आसानी


से अनदे खा कर दे त े ह, पर वे दद को अनदे खा नह कर पाते। इस लए, दद आपको जगाने के
लए आता है। एक बार जब आप जाग जाते ह, तो आपको अहसास होता है क आप गलत
माग पर ह और इस लए आपको बदलने क ज़ रत है। य द आपने अपने अवचेतन मन क
बात सुनी होती, तो आपको दद पाकर जागने क ज़ रत नह पड़ती। य द भौ तक झटके के
बाद भी आप बदलने से इ कार कर दे त े ह, तो वे झटके भी लगने बंद हो जाएंगे... य क
आपका अवचेतन मन न य हो चुका होता है। इस लए यह मान कर मत च लए क चूं क
आपके बाहरी जीवन म सब कुछ अ छा है, इस लए आप सही रा ते पर चल रहे ह। सरे श द
म कहा जाए तो, संभव है क आप और भी अ धक बुरे हो चुके ह ।

यह तब होता है, जब आप जान-बूझकर गलत रा ते पर चले जाते ह। जब आपम बुराइयां आती


ह और आप एक सीमा को पार कर जाते ह, तो आपका अवचेतन मन पूरी तरह से बंद हो जाता
है...और आपको अपनी गलतीय का अहसास अपनी मृ यु के बाद ही होता है– या न जब आप
जीवा मा जगत के न नतम लोक म चले जाते ह। यह एक बड़ी भयानक चीज़ है क जो
आ माएं यह सोचती ह क वे पृ वी पर एक अ छ राह पर चल रही ह, जीवा मा जगत म
प ंचने पर, अपना थान दे खकर त ध रह जाती ह।

आ म-सुधार या प रवतन सही कारण के लए ही करना चा हए। कभी-कभी लोग कई काय


गलत कारण के लए कर बैठते ह...जैसे क सर से स मान पाने के लए; आ या मक माग
पर चलकर अपने अहं क संतु करने के लए, बु मान और ानी दखने के लए ान पाने
क इ छा क संतु के लए; या वग म जगह पाने के लए अथवा नक म जाने के भय से अ छे
काम करने के लए। ये बदलाव के सही कारण नह होते। आपको इस लए बदलना चा हए,
य क आप अ छाई पर भरोसा करते ह और एक बेहतर मनु य बनना चाहते ह। अ छाई के
वा ते ही अ छाई का माग चुन। आ या मक मह वाकां ा पालने और ल य पर क त होने
के बजाए, बदलाव इस लए लाएं क इससे आप अ छा महसूस करते ह। इस या ा का आनंद
ल। सातवां लोक, न वा तर केवल इसी ल य पर क त न ह । –आपका यान क त होना
चा हए इस माग, अथवा इस बदलाव पर।

कभी-कभी लोग कहते ह, “म बदलना चाहता ,ं पर म ऐसा करने म स म नह


हो पाता।” या वे ऐसा ईमानदारी से कहते है?
जो लोग ऐसा कहते ह, उनक भावनाएं अ छ होती ह...पर वे वधा म होते ह क य वे वयं
म प रवतन नह कर पा रहे। इसका एक सरल कारण है। स चा बदलाव अवचेतन मन से आता
है, पर इसम भौ तक मन को सहयोग करना होता है। लोग जब प रवतन लाने म असमथ होते ह,
तो इसका अथ यह होता है क वे बदलाव के त सम पत नह होते– उनम स ची इ छा नह
होती। उ ह ने प रवतन करने का फैसला कया, पर अधूरे मन से; आपको पूर े मन से, सही
कारण के साथ बदलने का यास करना होगा।

इस लए यहां पहला चरण दया जा रहा हैः अपने-आप को बदलने के लए तथा ई रीय अ छे
माग पर चलने के लए, आपको वह ान होना चा हए, जो सही-गलत म फ़क करने म आपक
सहायता करे। आपको यह पहचानने क आव यकता होगी क आपको या बदलने क ज़ रत
है। इस लए पहले चरण म आ या मक ान ा त करना होता है। यह बात न त कर ल क
आप ान के उस ोत पर व ास करते ह। पृ वी पर आजकल ब त गलत ान क
आ या मकता के प म दे खा जाने लगा है...पर ई र ने आपको एक अवचेतन मन दया है,
जो आपको स चे ान क ओर ले जाएगा। य द आप कोई सरल तरीका ढूं ढ रहे ह, य द आप
बदलाव को रोकते ह, तो आप स चे ज ासु नह ह और आपका भौ तक मन आपको गलत
ान क ओर ले जाएगा। अधूरा ान होना एक खतरनाक चीज़ होती है। अपने अहं क
बजाए, अपनी आ मा के लए जो सव म हो, आप वह कर।

कोई एक स चे गु क पहचान कैसे कर सकता है?

कुछ ही लोग को अपने जीवन म एक स चा गु पाने का सौभा य मलता है, पर आ या मक


ान सामा य तौर पर उपल ध हो जाता है। इस लए ान को अपना गु बनाएं और य द आप
स चाई पूवक खोज़गे तो आपको स चे ान क ा त हो जाएगी। जब एक गु को खोज़ने क
बात आती है, तो अपनी सामा य समझ का उपयोग कर। कई लोग के पास ान होता है...पर वे
उस ान का उपयोग गलत तरीके से करते ह। एक स चा गु , ान का उपयोग कभी भौ तक
लाभ के लए नह करता। स चे गु , नः वाथ होते ह तथा अपने ान का उपयोग केवल
अपने और सर के आ या मक वकास के लए करते ह। ऐसे गु कभी आपको बगाड़गे
नह ; वे आपक जीवा मा को श ण दगे। कई लोग अपने-आप को समझा लेते ह के
उनके पास सही गु ह, य क उनके गु उ ह जो ान दे त े ह, वह उ ह पसंद आता है। उस
ान को पचाना आसान है, इसके लए उ ह बदलने क ज़ रत नह ...और इसम भौ तक
वकास शा मल होता है। य द आप स य क खोज़ म ह, तो आपको यह समझना चा हए क
स य सामा य तौर पर आसानी से वीकार नह होता। य द आपम अहं है, तो स य को वीकार
करना हमेशा मु कल होगा... य क अहं आपको स ची समझ ा त करने से रोकता है।

एक स चा गु आपको कभी नबल नह बनाएगा। एक स चा गु आपको अपने अ दर के


गु को खोज़ने म मदद करेगा। आप कसी पर नभर नह रहगे; आप आ म नभर हो जाएंगे।
आप ऐसे गु से र न भाग, जो आपको स य का दशन कराता ह। ब क ऐसे गु से र भाग
जो आपके अहं को संतु करता है। उस गु से र रह, जो आपक जीवा मा को नबल करता
है, और आपके आ म-स मान एवं आ म-मू य को कम करता है। अपने ववेक और सहज बोध
का योग कर, तब आपको सही गु अथवा ान ा त हो जाएगा।

कभी-कभी मनु य सोचता है क य द वह जवा मक संपक करे, तो उसे भौ तक मदद या सर


के बारे म जानकारी मल सकती है। यह संभव नह है, य क जीवा माएं कभी सर क
जानकारी को नह करत ; न ही वे कभी भौ तक चीज़ क चचा करती ह, और न ही वे
कसी कार क भ व यवा णयां करती ह। हालां क अवकाशी आ माएं ऐसा ज र करती ह।
जीवा माएं केवल आ या मक मागदशन से वा ता रखत ह, इस लए ऐसे श क से सावधान
रह, जो आपको इसके अलावा और अ य चीज़े दान कर रहे ह । साथ ही जीवा मा का
अ त व होता है, या ई र होते ह, इसका माण पाने क को शश न कर। य द आप माण क
तलाश म ह, तो अपनी परी ा म आप असफल हो जाएंगे। य द आप व ास रखते ह, तो आपने
अपे ा भी न क होगी, उस प म, आपको यह माण ा त होता है।

अब हम आ म-सुधार के अगले चरण क ओर बढ़ते ह। ान ही पया त नह होता। सकारा मक


प रवतन क दशा म ान केवल पहला चरण होता है। अपने दोष को वीकार करना अगला
चरण है।

नीचे द गई च ारेख आ या मक ान और प रवतन के च को दशाती है।

नीचे क दशा म तीर के नशान जीवा मा जगत से पृ वी क ओर होने वाले ान के वाह को


दखाते ह। यह ान ई र ारा दया गया होता है; यह ई र से जीवा मा को मलता है, और
वहां से यह पृ वी क आ मा को ा त होता है। पृ वी पर इस ान को आ माएं वा हत
करती ह। पृ वी पर वे फर अवतार लेती ह, और अंधेरे युग म काश फैलाती ह। इस लए
आपको इन आ मा क पहचान करनी होगी, य क आपको उनसे स चा ान ा त होगा।
य द छा म स ची इ छा होगी, सरे श द म, य द वह तैयार है, तो आ या मक प से उसे
आगे बढ़ाने म मदद करने के लए गु कट ह गे। आपको जब यह आ या मक ान ा त हो
जाए, तो आपको इसका उपयोग अपने सही-गलत काय को परखने म करना चा हए। सरा
चरण है अपने दोष को वीकार करना। येक मनु य म दोष होते ह। आप उन दोष का
व ेषण कर, ता क आप उनपर वजय ा त कर सक...और उनपर वजय ा त करने का
एकमा रा ता है, कम करने का।

कम, तीसरा और सबसे मह वपूण चरण है। को अपने दोष के बारे म पता हो सकता है,
ले कन यह संभव है, क वह प रवतन क इ छा नह रखता। इसे अ वीकृ त कहते ह। दोष को
स चे मन से वीकार करने का अथ होता है, अपने-आप म इस हद तक बदलाव लाना, क
आपके उन दोष का अ त व ही न रहे। इसी कार के आ या मक कम क आव यकता होती
है। सर क सहायता करने के लए, सबसे पहले वयं खुदक सहायता करना आव यक होता
है। कसी अ य पर सकारा मक भाव ड़ालने के लए, पहेल े आपको वयं आ या मक
मज़बूती क अव था म होना चा हए। य द आप चाहते ह क आपका कोई यजन या म
वन बने और आप उनके दोष को वहार कुशल तरीके से इं गत करते ह, तो यह ठ क है।
पर य द आप एक घमंडी ह, तो कसी और के बदलने क अपे ा न कर। खुद को बदल।
अपना उदाहरण सामने रख। अपने-आप को बदलने से पहले सर के बदलने क अपे ा न
रख...और याद रख क न ता के बगैर कसी कार का प रवतन नह हो सकता । एक बार जब
आप उस दशा म कदम उठा लेत े ह, तो आप एक च पूरा कर लेत े ह, और उसक फर से
शु आत होती है। आपको और अ धक आ या मक ान मलेगा, ता क आप पुनः वयं का
व ेषण कर सक और अ धक यास कर सक। यह च ज म तक चलता रहता है।

कई बार आपको अनुभव होगा क आप अपनी ग त करने म स म नह हो पा रहे। आप


अपने-आप म प रवतन लाना चाहते ह, पर सुधरने क बजाए आपको लगेगा क आप कसी
दलदल म जा फंसे ह। यह इस लए होता है क आपके पास थोड़ा आ या मक ान है, पर
आपने अपने दोष को वीकार नह कया है। और चूं क आपने सुधार का कोई यास नह
कया, ई र के नयम के त आपक समझ सी मत रहती है। ान तो अपने-आप म एक
जानकारी है। जब उस जानकारी को सर के साथ बाँटा जाता है, तो यही ान बन जाता है।
और जब ान को आप अपने दै नक जीवन के वहार म उतार लेत े ह, तो आपको
आ या मक सीख और ववेक क ा त होगी, य क आप अपने आ या मक पाठ सीख लेते
ह। केवल तभी आपको जीवा मा से अ धक ान क ा त होगी, जसे अनुभव के ज रए
ववेक म बदला जा सकता है। इसी कार आप अपनी आ मा के वकास के लए जीते ह। ये
तीन चरण– ान, वीकृ त तथा कम, आपको अपने पहले जीवनकाय, अथात आ म-सुधार को
पूरा करने म मदद करगे।

आपका सरा जीवनकाय है– नः वाथ सेवा।


सेवा, संतोष क कुंजी है। पर आपके भौ तकवाद जगत म लोग इसे नह समझगे। स चा संतोष
नः वाथ सेवा से आता है। पृ वी पर ऐसे कई मनु य ह, जो भले लोग होते ह। वे कसी को
नुकसान नह प ंचाते...और अपने प रवार के साथ मलकर सरल..शांत जीवन जीते ह...व
अपने कत का पालन करते ह। ऐसी आ माएं, अपने-आप और सर को नुकसान
प ंचाने...और अंधकार को बढ़ावा दे न े वाली आ मा से कह बेहतर होती ह। पर इन भली
आ मा को अपनी स ची मता के बारे म पता नह होता।

केवल अपने कत को पूरा करने से आप आ या मक वकास नह कर सकते।

भा यवश नया इतनी नकारा मक थ त म है क कोई जो बस केवल अपने कत


का पालन करता है और कसी को कोई नुकसान नह प ंचाता, ई र का आदमी माना जाता है।
जब क ऐसा उस मं जल क राह के म यांतर तक भी नह प ंचा होता। आपको सर
तक प ंचकर उनक मदद करनी चा हए– या न नः वाथ सेवा के माग पर चलना चा हए। पृ वी
पर आप सर क शांत रहकर सहायता करने के लए ई र के एक साधन के प म आए ह।
सराहना मलने का इंतजार कए बना ही काम म जुट जाएं। काश का सेवक, एक शांत
सेवक होता है। ई र का साधन केवल वही काम करता है, जो सही होता है। अपने अ छे कम
से वह अंधेरे पर वजय ा त करता है, और कभी अपने अ छे काय के बारे म चचा नह करता।
यहां तक क गव उ प ना हो, इस लए वह कभी उनका व ेषण भी नह करता। याद रख क
ई र के फ़ र ते आप पर नज़र रखे ए ह और उ ह आपके कम के बारे म सब पता होता है।
य द आपको यह पता है, तो आपक आ मा कभी सराहना पाने क इ छा नह करेगी। केवल
आपका अहं ऐसा चाहता है। जस व त आप अपने कए कसी अ छे काम के बारे म चचा
करते ह, या उस वषय पर यादा सोचते ह, तो उसी व त उसक अह मयत ख म हो जाती है।
जस को सहायता क आव यकता थी, न त प से उसक मदद ई, पर आपक
ग त नह ई, य क आपने नः वाथ सेवा का सही अथ नह समझा। ‘ नः वाथ’ का अथ है,
आपने और के लए जो कया, उसके बारे म कम से कम सोचना। यही ई र के त स ची
भ है। सर क सेवा कर आप ई र क सेवा करते ह।

भ या है?

पृ वी पर ई र के त भ का संबंध कमकांड तथा री त- रवाज़ से होता है। काफ सारे पैसे


खच करना और भ समारोह एवं कमकांड का आयोजन करना सेवा १५ नह होती। ई र के
त आपक भ इस पर नभर नह करती क आप कतना धन परोपकार या र म म खच
करते ह। ई र के त आपक भ शांत और नः वाथ सेवा पर आधा रत होती है। जब आप
सर क मदद कर, तो बगैर कसी अपे ा के कर। जस ण आपने यह सोचा क सर क
मदद करने से आपको या मला, उसी व त आपका उ े य अप व हो जाता है। आपने जो
कया उसे भूल जाएं। बस आगे बढ़ जाएं। जब आप कोई अ छा काम करते ह, तो आपको
आनंद का अनुभव होता है। यह वाभा वक होता है क जब आप कसी के जीवन को बेहतर
बनाते ह, तो आपको स ता का अनुभव होता है। पर इसका यान रख क इस एहसास से
आप म अहंकार न आ जाए। इस स य के लए आभारी रह क इ र, अपने काय के लए
एक साधन के प म आपका उपयोग कर रह ह। इसी के कारण आपको आशीवाद मला
है। उस आशीवाद का उपयोग कर। सर क मदद करने म, उस प व अनुभव का उपयोग
कर। य द आप बस उस एहसास पर ही अटक जाते ह और अ धक सेवा काय नह कर पाते, तो
वह एहसास शी ही गायब हो जाएगा। आ या मक ग त क तरह सेवा भी कभी न ठहरने
वाला एक च होता है। य ही आपको यह अनुभव होगा क आपका काय पूरा हो चुका है,
और अब आप आराम लेना चाहते ह, उसी ण आप अपने आप को रोक। आपका काय कभी
ख म नह हो सकता। ब क करने के लए हमेशा कह यादा काय बचा होता है। अपने-आप म
फर से ऊजा संजोएं... पर आराम न कर। और जब भी कोई गत तकलीफ़ का अनुभव हो,
तो उस तकलीफ़ को सेवा काय म बदलने क को शश कर। यही वह सबसे नः वाथ चीज़ है, जो
आप कर सकते है।

आप ई र के दए उपहार तथा तभा का उपयोग, अपनी तकलीफ़ को सेवा के काय म


बदलने के लए कर सकते ह। यह आपका तीसरा जीवन-काय हैः या न आपको मले ई रीय
उपहार तथा तभा का सर क ग त के लए योग कर। पहले दो जीवन काय,
या न आ म-सुधार तथा नः वाथ सेवा सभी लोग के लए समान है। येक का एक
तीसरा जीवन काय भी होता है, पर तीसरे जीवन काय क कृ त अलग-अलग होती है। आपका
तीसरा जीवन काय ई र क तरफ से आपको मले उपहार से जुड़ा होता है। उपहार आपके
अंदर क कोई तभा हो सकती है...उदाहरण के लए गायन, नृ य, लेखन, अ भनय, खेल-कूद
क मता इ या द। ले कन आपका उपहार बुजग य से एक वशेष लगाव भी हो सकता
है। आपका शायद ब च और जानवर के साथ लगाव हो...आप शायद एक बेहतरीन रसोइए ह ,
या आपम बागवानी एवं सुतारी का नर हो सकता है। ये उस तरह के उपहार ह, जो आपके नर
होते ह और इसे कई ज म के बाद ा त कया जाता है। याद र खए क पृ वी के येक
मनु य म खूबीयाँ होती है। ई र कभी अपनी संतान को पृ वी पर अपने आशीवाद के
बना नह भेजते।

जैसे आपके नकारा मक काय बुर े कम का नमाण करते ह, उसी कार आपके सकारा मक
काय अ छे कम का नमाण करते ह। इन अ छे कम के बदले म, आपको एक आ या मक
उपहार मलता है, जो एक ऐसा नर होता है, जससे आपको संतोष मलता है एवं आप सर
क मदद भी कर सकते ह। य द आप कसी चीज़ को लेकर वाभा वक प से अ छे ह , तो
आपक आ मा ने उस उपहार को कई ज म लेन े पर ा त कया होता है...पर आपके भौ तक
मन को इस जीवन म पहली बार इसका ान होता है। आप अपनी तभा क खोज़ नह करते
ब क आप उसे फर से पहचानते ह। आपको ई र से जो भी उपहार मले ह, आपको उनका
उपयोग अ छाइय के लए करना चा हए। तभा से संप अ धकतर दौलत और शोहरत
हा सल करने म जुटे रहते ह, जो आपका अं तम उ े य नह है। कुछ ऐसा नमाण कर जो
मानवता के लए एक सकारा मक योगदान स हो। य द आपको सौभा य से शोहरत भी मली
हो, तो आप उस मंच का उपयोग आ या मक ान फैलाने म कर। अपने त ा-पद का
उपयोग लोग के ःख-दद मटाने, उ ह खुश करने, उनका उ थान करने म कर। आपको ई र से
मले अपने उपहार का ववेकपूण तरीके से उपयोग करना चा हए...ई र का एक साधन बनकर
आप इसके त याय कर। पूरी मेहनत करके, आप अपने वसाय के शखर पर अव य प ंच,
पर अपने उपहार का उपयोग केवल सांसा रक उ े य के लए ही करके उ ह सी मत न कर।
अपने उ च आ या मक उ े य क शोध कर।

या हमारे पास अपने तीसरे जीवन काय को जानने का कोई तरीका है?

आपका तीसरा जीवन काय कुछ ऐसा है, जसक तरफ आप वाभा वक प से खचे चले जाते
ह और जसके त आपको भ लगाव होता है। आप हर रोज कसी द तर या कसी
कारखाने म काम कर जीवन गुज़ार सकते ह, पर इससे कोई फ़क नह पड़ता क आप कहां ह,
अपनी खू बय का उपयोग, एक सकारा मक भाव लाने के लए कर। सकारा मक भाव होता
है, कसी को े रत करना, उसक जीवा मा का उ थान करना और क णाभरे छोटे -छोटे काय
के ज रए उनके जीवन म आशा क करण जगाना। य द आप अहंकारी ह, भयभीत ह, या
भौ तकवाद ह, तो आपका भौ तक मन आपको आपके जीवन काय से र ले जाने का यास
करेगा। य द आप पृ वी पर अपने आ या मक जीवनकाय को पूरा नह करते, तो चाहे आप
कतनी भी उपल धयां य न पा ल, आपका जीवन थ माना जाएगा और आपक या ा
अधूरी रह जाएगी।

पृ वी पर कुछ लोग को अपना जीवन-काय पता होता है जब क अ य को नह ।


ऐसा य ?

१. अपने जीवनकाय को जानने के लए आपको एक बेहतर आ या मक तर पर होना


चा हए। य द आप गलत माग पर ह, तो आप आ म सुधार के पहले जीवन काय से ही
ब त र ह...इस लए यहां सेवा का ही नह उठता।
२. आपको अपने अवचेतन मन को जागृत करना होगा, ता क आप अपने जीवनकाय को
पहचान सक। य द आप अ यंत ता कक ह और अपने सहज बोध को अनदे खा करते ह, तो
आप अपने स चे उ े य से र भाग रहे ह। आपका भौ तक मन य द ब त अ धक सवाल-
जवाब करता हो, तो वह एक बाधा स हो सकता है।
३. आपका जीवनकाय केवल तभी आपको बताया जाएगा, जब आप इसके लए तैयार हो
जाएंगे। य द आपको इसके बारे म ब त शी पता चल जाए, तो यह आप पर हावी हो
सकता है अथवा आपम अहंकार ज म ले सकता है। आपको इस जीवनकाय क
ज मेदा रय को वीकार करने के लए तैयार होना होगा तथा उसे संभालने के यो य बनना
होगा।
४. आपक वचनब ता का तर अहम होता है। आप अपने आ या मक माग के त कतने
सम पत ह? य द आप लगातार यास करते ह और आ या मकता का आपके जीवन म
मह व है, तो आपका मागदशन अपने स चे उ े य क तरफ होगा। कभी-कभी मनु य
अपने जीवनकाय को समझने का जो यास करता है, वह अधूरे मन से होता है। इस लए
उनम सुधार नह हो पाता, अथवा उनका वकास नह हो पाता।

पृ वी पर आप ई र के काय के लए एक मा यम के प म ह; य द आप गलत राह पर चलकर


वयं को षत कर लगे, तो आप अपने जीवनकाय को पूरा करने के अवसर क अवहेलना
करते ह, और ई र से मले उपहार को खो दगे। य द आप एक अप व मा यम ह, तो आप
जीवा मा जगत से मले मागदशन को नह पा सकगे, जो आपको आपके जीवन उ े य तक
प ंचाता है, और उसे पूरा करने म आपक सहायता करता है। येक आ मा एक उ े य के लए
ज म लेती है, पर वह उ े य का बोध उसे तभी कराया जाता है, जब वह अपनी आ या मक
या ा का आर भ करती है। और जब आपको वह उ े य मल जाता है एवं आप अपने
जीवनकाय को पूरा करने म जुट जाते ह, तो आप स चे अथ म खुश रहगे और आपको शां त
ा त होगी।

आपने कहा क कोई वाह वयं को षत कर सकता है। या अ छे वाह भी


गलतीयां कर सकते ह?

हां। उदाहरण के लए पृ वी पर कई लोग ह, ज ह आ मक मता का ई रीय वरदान ा त


आ है। पर य द वे लगातार अपने काय के लए भौ तक तफल क इ छा रखते ह, तो उनका
अपना वकास सी मत हो जाता है। वे अ छे काम करते ह, पर चूं क उ ह धन-संप चा हए, तो
उनका उस तरह का वकास नह हो पाता, जैसा क पूरी तरह से नः वाथ रहकर होता। अ छा
काय हो रहा है... उसे लेकर कोई शंका नह ... अवचेतन मन जीवनकाय को पहचानता है। पर
जब आपको सफलता मल जाती है, तो यह एक परी ा होती है और आपको उसे खुदको गलत
राह पर ले जाने क अनुम त नह दे नी चा हए। ई र के दए उपहार हमारी यह परी ा लेते ह,
क हम उनका उपयोग कैसे करते ह।

या कत और सेवा एक ही होते ह?

नह । यहां अंतर है। आपका पहला कत अपने खुदके वा य क दे खभाल करना है। आपका
शरीर आपक आ मा क पोशाक होती है, जो आपको ई र क ओर से मलता है। इसका यान
रखा जाना चा हए...इसक दे खभाल क जानी चा हए और इसे मान दया जाना चा हए। आ मा
के लए यह एक अ यंत ज री साधन होता है, जसक मदद से आप आगे बढ़ते ह और अपने
जीवन काय को पूरा करते ह। एक अ व थ शरीर एक अशांत मन को ज म दे ता है, और अशांत
मन एक अ व थ शरीर को। इससे आ मा नाखुश और अनअ वे षत बनकर रह जाती है, जो उस
उ े य को पूरा नह कर पाती, जसके लए उसने पुनज म लया है। आपका शरीर एक मं दर
है...इस लए आपको इसका स मान करना चा हए।

कसी क फ करना, जैसे माता- पता या दादा-दाद क दे खभाल करना अथवा अपने ब च
का अ छ तरह से पालन पोषण करना, आपका कत है। इसे आप इस तरह से कर मान
आपने कोई याग नह कया। मनु य इतना वाथ हो चुका है क जब कसी को दयालुता के
काय करते दे खता है, तो उसे आ य होता है। य द आप दयालु और क णामय वभाव के नह
ह, तो अपने-आप से पूछ क आप कहां गलत जा रहे ह। अपने प रवार और म क मदद
करने के अवसर को चूकने का अथ है क आपने अपना वचन तोड़ दया।

का कत न नां कत लोग के त होता हैः

१. ब चे

२. माता- पता

३. प त-प नी

४. प रवार के अ य सद य

५. दो त

केवल उन लोग के त अपने कत को पूरा करने का यान रख, जो सही राह पर चलते ह ।
य द वे भटक रहे ह , तो उ ह मागदशन द। हालां क य द वे जान-बूझकर गलत माग पर चलना
जारी रखते ह, तो आपको अपने ववेक का उपयोग करना होगा। लोग को अपना फायदा न
उठाने द। याद रख क सर क मदद करना आपक ज मेदारी है। वा तव म ‘मदद’ जैसी कोई
चीज़ नह होती। आपने ‘मदद’ क ा या इस लए वक सत कर ली है य क आज यह
काफ लभ हो गई है। पुराने दौर म ‘मदद’ महज एक कत आ करता था। ‘मदद’ जैसी
कोई चीज़ नह थी। माता- पता, ब च तथा म के प म यह आपका कत है क आप वह
कर जसक ज़ रत है। यह एक ऐसा सामा य काय होना चा हए, जसपर सावधानीपूण वचार
करने क आव यकता न हो। भा यवश, इन दन आपको सावधान रहने क आव यकता है,
य क आजकल सहायता लेने तथा दे ने क या म लोग पर भरोसा नह कया जा सकता।
पर तब भी यह कुछ ऐसा है, जो मनु य म वाभा वक प से आना चा हए।
सेवा और मदद करना, महज का कत होता है...पर आजकल लोग इसम फ़क करते ह,
य क उ ह इस वा त वकता का जरा भी बोध नह होता। मनु य वाथ हो चुका है। जीवा माएं
सर क मदद करके ेरणा पाती ह। उनका उ े य पृ वी क आ मा के बीच ई र के नयम
के बारे म जागृती फैलाना है, और वे आशा करते ह क यह भली आ माएं इस ान को आपस म
बाँट और उसका उपयोग बदलाव लाने के लए कर।

या कोई ऐसा उपाय है, जसके ज रए कोई अपने जीवन काय क तैयारी
कर सके?

य द आप आ या मक माग पर ह, तो यह वाभा वक प से होता है। परी ा तथा श ण ही


तो आपको अपने जीवन काय क ओर ले जाते ह एवं उसे स करने के लए, आपको स म
बनाने म आपक सहायता भी करते ह। उदाहरण के लए जब आप जीवा म जगत म थे, तब
आपने याय दे न े के जीवनकाय का चयन कया हो। पृ वी पर आपको अपने जीवन काय क
तैयारी के लए एवं उसे पहचानने के लए परी ा तथा श ण से होकर गुजरना पड़ता है।
इस लए एक ब चे या एक कशोर के प म हो सकता है क आपका सामना अ याय से कराया
जाए, ता क आपको पता चले क पृ वी पर अ याय का अ त व कतना बढ़ चुका है। ये
थ तयां आपके श ण के प म आती ह।

पर आपक परी ा ऐसे होती हैः अहं पर अ याय ब त जोर का आघात करता है। तो या आप
याय पाने के लए गलत या अनै तक तरीके अपनाएंगे? पु लस अ धकारी, वक ल या एक
यायाधीश बनने के बाद या आप ाचारी बन जाएंग? े य द आप अपने अवचेतन मन क
आवाज़ सुनगे, तो आप इस नकारा मक अनुभव का उपयोग सीख पाने के लए करगे और यह
आपको अपने जीवन काय तक प ंचा दे गा– अथात एक ईमानदार बनना, जो कानून-
शासन क बहाली करता हो।

आपक परी ा और श ण क गंभीरता आपके जीवन काय क कृ त पर नभर करती


है... य क इ ह पूरा करने के लए आपको कुछ वशेष गुण अथवा आ मा ल ण क
आव यकता होती है। सभी परी ा तथा श ण म अहं को कुचला जाता है... य क य द
आप अहं से संचा लत ह तो आप अपनी जीवा मा को श त नह कर पाएंगे।

आपको मलने वाले आ या मक श ण के दौरान यान म रखने यो य पहला चरण है क यह


सब आपको श ा दान करने के उ च उ े य से हो रहा है। आप को जसके लए श ण
मल रहा है, उसे समझ। आप जस क ठन प र थ त म ह, उसका व ेषण कर और ऐसी
कमज़ो रय का पता लगाएँ जो आपको नकारा मक और असंतु लत बनाती ह। आपको
सकारा मक होने से और उस थ त से बाहर नकलने से या रोक रहा है, इसके बारे म वयं से
पूछ। यह आपक कमज़ोरी है और यही ऐसा े है जहां आपक जीवा मा को श ण क
आव यकता होती है। यही सबक तो आपको सीखना है। इस लए उसी वषय पर आपक परी ा
होगी।

एक मुख े ऐसा है, जस पर पृ वी के हर मनु य क परी ा होती है। यह है दा क


परी ा– जो आपक सबसे बड़ी परी ा है। दा क परी ा ई र म आपका भरोसा दशाती
है। भले ही आप ई र को दे ख नह सकते, पर या आपम उनपर भरोसा रखने क वन ता
और साहस है? य द आप इस परी ा म खरे नह उतरगे, तो वा तव म स ची आ या मक या ा
नह हो सकती। पृ वी पर कई मनु य ह, जो ई र म व ास नह करते, पर वे तब भी सही राह
पर चलते ह। यह उससे तो कह बेहतर है क आप ई र म भरोसा करते ह , और ई र का नाम
लेकर सर और अपने-आप को भी नुकसान प ंचाते ह । पर याद रख, ई र म भरोसा करने म
असफल रहने का अथ है आप एक ब त बड़ी परी ा, अथात व ास क परी ा म असफल हो
गए। कई लोग कहते ह क य द ई र खुदको उनके सामने कट कर, या अपने अ त व का
माण द तो वे उनपर व ास कर सकते ह। पर यही तो परी ा है। यही कारण है क आपका
अवचेतन मन जीवा म जगत क मृ तय को भौ तक मन के सामने नह लाता।

व ास क परी ा म सफल होने के लए, आपको भौ तक मन क बजाए अवचेतन मन को


मह व दे ना होगा। जस ण आप अपने अवचेतन मन को जागृत करगे, आपको अनुभव होगा
क ई र का अ त व है, य क अवचेतन मन जानता है क ई र ह। यह तो केवल आपका
भौ तक मन है, जसे माण क ज़ रत पड़ती है। य द आप केवल अपने भौ तक मन का
वकास करते ह, तो आप दा क परी ा म वतः ही असफल हो सकते ह।

आपक कमज़ो रयां ही आपके लोभन ह।

हमेशा यान रख क आपक कमज़ो रय क परी ा होगी। जब अ धकतर लोग लोभन के बारे
म सोचते ह, तो वे भौ तक चीज़ के बारे म ही सोचते ह, जैस े स भोग, स, भोजन, शराब, धन
इ या द। इसम कोई शक नह क वे लोभन ह, पर लोभन सरे तर के भी होते ह, जैसे
अहंकार, संदेह, ोध, बदले क भावना तथा ई या इ या द। आपक आ मा के ये नकारा मक
गुण, जो आपको ई रीय प व राह से र ले जाते ह, आपके लोभन ह...और उन े म
आपको नरंतर श त कर आपक परी ा ली जाएगी, ता क आप अपने दोष को जान पाएं।
आप ईमानदारी और साहस के साथ नरंतर अपने अंदर झांक, और अपने गुण को वीकार
करने का हौसला बनाए रख। य द आपको अपने दोष के बारे म पता ही न हो, तो आप उ ह
ठ क कैसे कर पाएंग?े

इसके अलावा, केवल अपने दोष को नयं त करने के ही बारे म न सोच। उनसे छु टकारा पा
कर, उ ह बदलकर उ च कृ त के अ छे गुण का संचार कर। इस लए य द आपम अहंकार है,
तो आप न केवल उस पर काबू पाएं, ब क वन भी बन। यह भी सु न त कर क अपने अंदर
क अ छाई को भी आप वीकार कर। आ म-मह व तथा आ म- ेम ब त मह वपूण होता है,
जसका अथ होता है– अपनी जीवा मा के लए ेम और स मान क भावना। अपनी
कमज़ो रय के गुलाम बनने के बजाए अपने सदगुण का उपयोग कर। नकारा मक आ मल ण
से छु टकारा पाने के लए आप अपने अंदर क अ छाइय ... अपनी आ मा के सकारा मक
ल ण का अव य उपयोग कर।
आ मह या

“जीवन का अंत करना पूरी तरह ई रीय नयम के व है।”


“ई र ने यह जीवन आपको दया है; आपको इसे समा त करने का कोई अ धकार नह है।”

“आपको अपनी सम या से जूझना है। आपको ता से लड़ना है। आपको अपनी आ मा


को शु करना है।”

पृ वी पर ऐसे ब त सारे लोग ह, खासकर युवा, जो आ मह या कर लेत े ह। इन


आ मा का या होता है?

जब ये आ माएं जीवा मा जगत म आती ह तो वे ब त ःखी महसूस करती ह, य क उ ह


अहसास हो जाता है क उ ह ने ब त गलत फैसला लया है। पृ वी पर रहकर अपनी जीवन
या ा पूरी करने के बजाए वे इसे बीच म ही छोड़कर अपनी जदगी को समा त कर लेत े ह। पृ वी
पर यह आपके सबसे बुर े फैसल म से एक होता है। अपनी जदगी को अपने ही हाथ समा त
करना आपक आ मा को प ंचाया जाने वाला सबसे बड़ा नुकसान है।

लोग जस तक का उपयोग करते ह, वह यह है, क मनु य के पास वतं इ छा


होती है। या हम अपने जीवन को समा त करने के लए वतं नह ह?

अपने जीवन को समा त करने का फैसला आपका हो सकता है, ले कन आप ई र के नयम के


अधीन ही रहगे और जब आप उन नयम को तोड़ते ह तो उनके प रणाम भी आप ही को
भुगतने होते ह। आपका शरीर आपका मं दर है।

ई र ारा आपको यह शरीर इस लए दया गया है ता क यह आपक जीवा मा के लए एक


व थ वाहन के प म काम कर सके। जब आप इस मं दर को व त करते ह तो आप सृ के
मूल त व जीवन को ही नकार दे त े ह। आ मह या से असली नुकसान आपक जीवा मा को होता
है। आ या मक प से आप एक पूरा लोक नीचे गर जाते ह और अपनी आ मा के लए आप
बड़ी मा ा म नकारा मक कम सं चत कर लेत े ह। आपको पृ वी पर फर से आना होगा और
गुनी मु कल से भरी, उ ह प र थ तय का सामना फर से करना होगा। आपक परी ा और
आपका श ण भी गुने मु कल हो जाते ह। जब कोई आ मह या करता है, तो वह
ई र को द गई अपनी कसम तोड़ता है।

कभी-कभी मनु य जस ःख से गुजरता है वह उसके लए असहनीय होता है। हम सभी पृ वी


पर अपने कम का हसाब चुकाने और अपनी आ मा के वकास के लए परी ा और श ण
से गुज़रने के लए आते ह। कभी-कभी हम ढे र सारे कम का हसाब चुकाना होता है अथवा
हमने ब त मु कल परी ा को चुन लया होता है। जस क से होकर हम गुजरना पड़ता है,
और जन प र थ तय का सामना करना पड़ता है, वे ब त ही गंभीर और क ठन हो सकती ह,
ले कन हम हर हाल म अपनी जीवन या ा पूरी करनी चा हए। मनु य जो महसूस नह कर पाता
है, वह यह है क उसका ःख असहनीय होने के बावजूद भी जो ःख वह आ मह या के ारा
सर को दे ता है वह उतना ही असहनीय है। आ मह या एक वाथ कम भी है।

जस व त ःख से घरा होता है, वह सर के बारे म नह सोचता। जस ःख से होकर


आप गुजरते ह वह केवल आपको अपने बारे म सोचने के लए मजबूर करता है। ले कन जरा
सो चए आपके यजन का या होगा? जरा सो चए, उन सब का या होगा ज ह आप अपने
पीछे छोड़कर जाएंगे? आप न केवल अपने बुर े कम बढ़ाकर अपनी ही जीवा मा को नुकसान
प ंचाते है, ब क सर क जीवा मा को भी नुकसान प ंचाकर कम का बोझ बढ़ाते ह।
कुछ लोग कहगे क उनका कोई नह है, और इसी कारण उ ह लगता है क उ ह उपनी जान दे
दे नी चा हए। ले कन शायद यह उनके कम का फल है, अथवा शायद उ ह जांचा जा रहा है क
इस अकेलेपन के बावजूद भी वे कतने साहसी बने रह सकते ह। आपके वाथ के कारण
आपक सम याएं अपने वा त वक प से अ धक गंभीर दखाई पड़ती ह।

इन दन अकेलापन एक बड़ी सम या बन गया है। लोग के प रवार होने के


बावजूद वे अकेला महसूस करते ह। पृ वी पर इतना अकेलापन य है?

अकेलेपन क इस भावना के पीछे दो कारण ह। पहला, पृ वी पर आप एक पूण आ मा नह


होते। य क अब आप जुड़वां आ मा क अवधारणा से प र चत हो चुके ह, आप यह
महसूस करगे क आप पूण आ मा का केवल आधा ह सा ह, और जो अकेलापन आप महसूस
करते ह वह अपनी जुड़वां के लए होता है। बहरहाल, जब आप इसे समझ ल तो आपको इस
बात का पूरा ख़याल रखना चा हए क आपको पृ वी पर उस पूणता के अहसास को हा सल
करना है, य क यह आपक परी ा है। अपने आ या मक जीवन काय को पूरा करने से पृ वी
पर पूणता का अहसास करना ब कुल संभव है। एक बार जब आपको अपने जीवन का
सही उ े य पता चल जाएगा तो आप शां त का अनुभव करगे। खालीपन क भावना तब
उठती है जब आपका अवचेतन मन आपसे यह कहता है क आप धरती पर अपने जीवन काय
को पूरा नह कर रहे। सरी बात, आपका अवचेतन मन जानता है क पृ वी आपका असली घर
नह है। वह जीवा मा जगत, उ चतर लोक क शांतता और अपनी समूह आ मा और
यजन क संगत के लए ाकुल रहता है। असंतु ी का अनुभव करने के लए आप इसे
बहाना नह बना सकते। संतु महसूस करना पृ वी पर आपक सबसे बड़ी परी ा म से एक
है और इसम आपको कसी भी तरह असफल नह होना है। शां त ा त करने के लए मृ यु क
ती ा मत क जए। जीवा मा जगत म शां त पाने के लए आपको पहले पृ वी पर शां त ा त
करना सीखना होगा। अकेलापन इसी संघष का एक ह सा है और इससे अ छ तरह नपटा
जाना चा हए।

या इसका यह अथ है क पृ वी पर हम हमेशा अकेला महसूस करगे?

नह , ब कुल नह । ऐसा नह क आप पृ वी पर ख़ुश नह रह सकते और आपको हमेशा


अकेलापन का अनुभव करना होगा। ले कन अकेलापन ऐसी चीज म से एक है जो मनु य को
ःख और उदासी क ओर ले जाता है। य द यह उदासी लगातार बनी रही तो वह आपको
आ मह या क ओर ले जा सकती है।

या यह सच है क अपने हाथ से अपने जीवन का अंत करने के लए बल और


साहस चा हए?

यह सच नह है। अपने जीवन का अंत करने क आपक इ छा का मतलब यह है क आपको


अपनी जीवा मा को मज़बूत बनाने क आव यकता है। व ास र खए क यह ताकत
आपके अ दर है और यह भी जा नए क ई र आपको ऐसी थ त का सामना कभी नह करने
दे त े जसे आप संभाल न सक। आपम श है, इसका उपयोग क जए। सरी ग़लत अवधारणा
यह है क कभी-कभी आ मह या करना स मान जनक होता है। अपने जीवन का वयं अंत
करना कोई ‘स मान’ क बात नह है। आपक आ मा को पृ वी पर अपने कत और जीवन
काय पूर े करने के लए जस वाहन (शरीर) क ज रत है, उसी को न कर आप अपनी आ मा
का अपमान न कर। स मा नत मनु य बनने के लए ज मेदारी उठाइए और वही क जए जो
आ या मक प से सही है। ब त से लोग, ज ह ने अपने जीवन का अंत कया है, उ ह ने ऐसा
दबाव म आकर कया। उ ह ने ऐसा सरे लोग और समाज म च लत ग़लत धारणा के
भाव म आकर कया। ऐसा करना कौन सी स मान क बात है? बजाए इसके, आ या मक
जीवन अपनाइए और ई र का स मान क जए। केवल उ ह क राय है, जो वा तव म मायने
रखती है। पृ वी पर बेशक कभी-कभी ऐसा होता है क आ मा के लए शरीर म रहना असहनीय
हो जाता है, ले कन यह प रवतन क घड़ी को सू चत करता है। अपने आप को ख म कर लेना,
इस सम या का समाधान नह है।
ले कन जब मनु य अपने जीवन के सबसे अ धक हताशा भरे और कमज़ोर ण
का सामना करता है, तब उसे या करना चा हए?

जब आप ऐसी थ त से गुजर तो सम झए क ई र आपके बल क परी ा ले रहे ह। यह


दखाने के लए क आपम साहस है और आप हारगे नह , आपको बस एक सकारा मक कदम
उठाने क ज रत होती है। जब आप अपने कम का भुगतान कर अपनी परी ा म सफल हो
जाएँगे, तब आपक प र थ तयां बदल जाएंगी। ई र आपक सहायता के लए अपने फ़ र ते
भेजते ह। वे व श जीवा माएं होती ह जो आ मह या करना चाहने वाले लोग क सहायता
करने का चयन करती ह। ये जीवा माएं खासतौर पर श त होती ह और के
जीवा मक मागदशक के साथ मलकर काम करती ह और ेपण तथा ाथना के ज रए पृ वी
पर मनु य क सहायता करती ह। वे उ ह जीने का बल दान करने के लए उनके अवचेतन मन
के ज रए संदेश भेजती ह। यह व श जीवा मा का अ त व इस लए होता है, य क ई र
नह चाहते क पृ वी पर मनु य अपनी जान लेने जैसी ग़लती करे, य क इसका प रणाम
ब त गंभीर होता है। अपनी आंख खो लए और उन उ े य के बारे म सो चए जनके कारण
आपको पृ वी पर जीना हैः आपका आ या मक जीवन काय, सेवा और ग त। साथ ही यह भी
समझ ली जए क कभी-कभी तो अपनी जान लेन े का कारण पूरी तरह अथहीन होता है।
उदाहरण के लए, कूल, कॉलेज क परी ा म असफल होकर युवा अपने माता- पता का
सामना करने के डर से अपनी जान ले लेत े ह। इन दन ब त से माता- पता अपने ब च के त
ब त कठोर होते ह और उ ह इतना आतं कत कर दे त े ह क वे ग़लत फैसले कर बैठते ह। कुछ
ब च को ता ड़त कया जाता है, उनका बला कार कया जाता है और उ ह डराया-धमकाया
जाता है। ऐसी प र थ तय म अगर ब चे के पास ऐसा कोई नह जसपर वह व ास कर सके,
तो वह घबराहट म आ मह या जैसा कदम उठा सकता है। माता- पता के मागदशन का यह अथ
नह क वे अपने ब च के त कठोर ह । ब क उसका अथ है ब चे क भावना को समझना
और उसक आ मा के लए जो े हो, वही करना। कभी-कभी माता- पता क उपे ा, नदयता
और नासमझी के कारण ब चे आ मह या क ओर ख़ कर सकते ह।

कुछ ऐसे ब चे होते ह जो इस लए खड़क से कूद जाना चाहते ह य क वे अपने माता- पता
के लगातार दोषारोपण अथवा उनक असहनीय नदयता को बदा त नह कर पाते। ऐसी
थ तय म आ मा के लए शरीर म रहना बेहद मु कल हो जाता है। ढे र सारे ब च ने अपने
जीवन का अंत गैर-मह वपूण बात को लेकर कया है। जब वे जीवा मा जगत म आते ह तब
उ ह अहसास होता है क उ ह ने जो कया वह अधीरता म उठाया आ कदम था और उनका
डर कतना बेमतलब था। ऐसे लोग को यह जानना चा हए क असफलता णक होती है।
दरअसल, असफलता सफलता तक प ंचने का एक पायदान है। जस तरह सुख को महसूस
करने के लए आपको ःख का अनुभव करना ज री है, उसी तरह सफलता का आनंद लेने के
लए असफलता का वाद चखना भी ज री है। असफलता तो बस मनु य को सखाने वाला
एक अनुभव मा है। हर माता- पता क यह ज मेदारी है क वे अपने ब च को ेम सखाएं, न
क डर, और उ ह आ या मक ान दान कर। जब यह ान ब चे के अ दर रच-बस जाता है,
तब ब चा अ दर से खुलता है और उसके अंतर- वर फूट पड़ते ह। माता- पता सबसे अहम बात
भूल जाते ह: उ ह एक अ छा इंसान बनाना। इसके बदले, वे अपने ब च को यह श ा दे कर
क भौ तक जगत क उपल धयां ही सबसे मह वपूण ह, उ ह ग़लत दशा क ओर बढ़ने को
े रत करते ह। इस तरह वे अपने ब च को सफलता के बारे म झूठ धारणा दे कर उ ह ग़लत
राह दखाते ह।

इन आ मा क मदद कस कार क जा सकती है?

कभी-कभी तनाव और नराशा से कसी को बाहर नकालने के लए अ छाई भरा एक छोटा


काय भी काफ होता है, जो उनम सर और उनके खुद के त फर से व ास जगाता है।
य द आपको यह पता हो क कोई ब त बुरे समय से गुज़र रहा है तो उस तक प ंचने क
को शश क जए। य द आप कसी को उसक परेशा नय और उसके ःख का सामना
करने म मदद करते ह, तो आपको आशीवाद ा त होते ह। जो नकारा मक आ माएं सर को
अपना जीवन अंत करने के लए मजबूर करती ह उनका अंजाम क पना से भी परे होता है। जो
कसी सरे को आ मह या के लए े रत करता है, उसका पाप ह या के बराबर
होता है।

कभी-कभी लोग आ मह या का उपयोग कसी के साथ भावना मक प से छल करने के लए


करते ह। सर का यान अपनी ओर आक षत करने के लए, कुछ सा बत करने के लए या
कसी से बदला लेने के लए भी लोग आ मह या का यास करते ह, अथवा खुद अपनी जान ले
लेत े ह। वे ऐसा इस लए करते ह ता क सरे म अपराधबोध जगे। ऐसा करने से उनका
पतन होता है और पास ब त सारे नकारा मक कम सं चत हो जाते ह।

जब आपके मन म कोई नकारा मक वभाव के अथवा आ मह या के वचार आने लग तो उस


समय यान म रखने यो य कुछ बात यहां द जा रही ह। ये वचार त काल रोक दे ने चा हए
य क वे आ खरकार आपको ग़लत राह पर ले जाएंगेः

१. जब कोई नकारा मक वचार आपके मन म आए तो उससे तुरंत छु टकारा पाइए। अपना


यान उससे हटाकर सकारा मक काय म लगाइए। आप इसके बारे म जतना सोचगे,
उतना ही बल आप इस वचार को दगे। ऐसे वचार से छु टकारा पाने के लए अपने मन को
कसी सरी जगह क त क जए। भौ तक प से त र हए। कभी भी इतनी दे र नह
हो चुक होती, क खुद को बदला न जा सके।
२. अ ययन क जए। आ या मक ान ा त क जए। जब आप यह समझ लेत े ह क आपके
जीवन म कुछ घटनाएं य हो रही ह, और उनका कारण या है, तो आपके लए उ ह
वीकार कर उनसे नपटना आसान हो जाता है। उदाहरण के लए, जब आप कम के
स ांत से प र चत हो जाते ह तो आपके लए क ठन समय से गुज़रना आसान हो जाता
है।
३. अपने अवचेतन मन को जागृत क जए य क यही वह जगह है जहां आपक असली
श छपी होती है। मु कल समय के दौरान, अवचेतन मन आपको मागदशन और बल
दान करता है।
४. इसक चता मत क जए क लोग या कहते ह। उनक कही बात से खुद पर नकारा मक
भाव न होने द। य द जो आप कर रहे ह वह अ छा और सही कम है और आप ई र क
भली राह पर ह, तो भले आपके माता- पता भी आपके ख़लाफ य न ह , आप ढ़ बने
र हए। ले कन यह ज र न त कर ल क आप सही मायने म ई र क भली राह पर ह
और अपने आप को धोखा न दे रहे ह , अथवा आप जो कर रहे ह वह अपने अहंकार क
उपज न हो।
५. य द आपने ग़लती क हो, तो इसे वीका रए और सुधा रए, ले कन अपने अ दर
अपराधबोध को हावी न होने द। गल तयाँ इंसान से ही होती ह। मह वपूण तो यह है क
आप ग़ल तय से सबक ल और उ ह कभी भी न हराएं। साथ ही, ग़ल तय पर परदा
डालने क को शश भी न कर, अ यथा इससे आप और अ धक ग़ल तयां कर बैठगे। अपनी
ग़ल तय क ज मेदारी ल।
६. अपनी पूरी श लगाकर, दय क गहराई से, स चे मन से ाथना कर ई र से वनती
क जए क वह आपक मदद के लए फ़ र ते भेज। ई र से मागदशन और र ा क मांग
करना मह वपूण है।
७. सारा दन, २४ घंटे एक ाकृ तक योत जलाए रख। काश नकारा मक ऊजा को
अवशो षत कर लेता है ओर आपके आसपास के पंदन को व छ रखता है।
८. नकारा मक संगत और ग़लत राह पर ले जाने वाले लोग से र रह।
९. य द आपक कोई सम या है तो इसके बारे म अपने कसी भरोसेम द से चचा कर।
सरे के नज रए को जानकर आपको अपनी सम या को साफ-साफ समझने का अवसर
मल सकता है। य द पृ वी पर ऐसा कोई न हो जसपर आप भरोसा करते ह , तो
वह सबसे खूबसूरत जससे आप अपनी बात कह सकते ह, वह है आपका अवचेतन
मन, जो जीवा मा जगत से जुड़ा है।
१०. याद र खए क ःख णक होता है। अ छा व त भी हमेशा के लए नह रहता। आपक
मुसीबत एक दन गुज़र जाएंगी।
११. अपने भौ तक मन को त र खए। कुछ न कुछ रचना मक करते र हए, य क खाली
रहने पर आपका भौ तक मन आपको ग़लत राह क ओर ले जाता है। अपने आसपास
अ छे लोग को जुटाए रख।
१२. थोड़ा ायाम क जए। स य र हए, टहलने जाइए। ताजी हवा म सांस ली जए, हमेशा
घर के अ दर मत र हए। मन, शरीर और आ मा के लए योग बड़े कमाल क चीज है।

१३. औष ध सहायता लेने से ड रए मत। ाथना म बड़ी ताकत होती है ले कन कभी-कभी


आपको औष ध सहायता क भी आव यकता होती है। इस लए ऐसा करने से न शमाएं।
इसे असफलता के प म मत दे खए। सम या के बीत जाने पर आप पहले से अ धक
सबल हो जाएँगे। आप पहले से अ धक समझदार हो जाएँगे और फर प रवतन कर
सकगे। बहरहाल, औषध के आद भी मत ब नए।
१४. अपने वा य का खयाल र खए। पृ वी पर ब त सारे लोग अपने शरीर को शराब, स
और सगरेट से बरबाद कर रहे ह। अ धक खाना भी हा नकारक होता है। यह सब करना
एक तरह से आ मह या करने जैसा ही है य क इस तरह आप अपने शरीर को धीरे-धीरे
ख म और अपने जीवन को छोटा कर रहे होते ह, और इस वजह से आपक आ मा पृ वी
पर अपनी या ा पूरी नह कर पाती। जब आप स अथवा शराब के नशे म होते ह, तो
आप सही नणय नह कर पाते और मन से आप बेहद कमजोर हो जाते ह। आपके
नकारा मक ऊजा और े पत नकारा मक वचार के संपक म आने क संभावना बल
हो जाती है और आप ऐसे आवेग के तहत काम करने लगते ह जो आपके अ दर से नह
आता ब क नकारा मक श य ारा आप पर े पत कया गया होता है। सरी बात,
जसे आपको धरती पर ब त ही गंभीरता से लेनी चा हए, वह है यौन असावधानी। एक
कमजोर ण आपको जीवन भर क तकलीफ़ दे सकता है। मनु य अपनी इ छा के
आगे तुरंत झुक जाता है और अपने शरीर का खयाल रखने के मामले म ब त लापरवाह हो
जाता है। यौन असावधानी भी एक तरह से आ मह या है, य क आप पर इसके कारण
होने वाली बीमा रय क चपेट म आने का जो ख़म बना रहता है, जो आपके साथ-साथ
आपके संपक म आने वाले सरे लोग के लए भी जानलेवा हो सकता है। यह आपका
कम नह है। आप गैर- ज मेदारी से काय करने का वक प चुनते ह और इसके जो
प रणाम होते ह वह आपके चयन का ही नतीजा होता है।
१५. खुद ःख म होने के बावजूद भी सर क मदद करने का यास क जए। खुद तकलीफ म
होकर भी सर के त क णा रखकर आप खुद अपने आप को सबल बनाते ह। ऐसा
करने पर ई र आपक सहायता ज र करते ह, ले कन आपका हेतु ब कुल नः वाथ
होना चा हए।

मानव शरीर का स मान क जए और इसका लाभ ली जए। आपको एक मन, शरीर और


जीवा मा द गई है, ता क आप अ छ तरह जीवन जी सक और सर क सहायता कर सक।
कभी-कभी पृ वी पर ऐसा व त भी आ सकता ह जब आपको ब त अ धक तकलीफ़ उठानी
पड़े, खासकर तब जब आपने अपना यजन खोया हो। ई र को दोष दे न े अथवा “म ही
य ?” यह पूछने के बजाए बहा री दखाइए और जीवन के सुनहरे पहलू क ओर नज़र
डा लए।
आ मह या कसी भी सम या का हल नह है। जब आप जीवा मा जगत म जाते ह और अपने
जीवन पर नज़र डालते ह तब आपको हमेशा यह महसूस होता है क आपम अपने जीवन क
सम या को संभालने क ब त अ धक मता थी। आ मह या तो कोई समाधान ही नह था।
आपका जीवन ई र क अमानत है, और कसी को उसका अंत करने का अ धकार नह ।
आ मह या आ मा के लए अधःपतन का कारण होता है।

जीवन के उपहार के अलावा, ई र ने आपको एक सु दर अवचेतन मन और एक जीवा मक


मागदशक दया है। ई र ने आपको एक भौ तक मन भी दया है जो ान को हण करता है
और उसे इस कार श त कया जा सकता है क वह अवचेतन मन के अधीन काम करे और
सही-ग़लत को समझने म आपक मदद करे। आपको इतनी सहायता और इतनी सुर ा द गई
होती है क आपको यह व ास रखना चा हए क चाहे कतनी भी बाधाएं आपके जीवन म य
न आएं, आप उनका सामना कर सकते ह।
ई र

“हम खुदके अ त व का माण दे ने क , ई र को आव यकता नह होती। माण तो हम ई र


को दे ना है।”

“य द आप सबूत क मांग करगे, तो आपको यह नह मलेगा। ले कन य द आप इसक मांग न


करते ए मन म आ था रखगे, तो आपको सबूत मल जाएंगा।”

“ई र आपको सज़ा नह दे त;े सज़ा तो आपको अपना अवचेतन मन दे ता है।”

“आप लोग को बेवक़ूफ़ बना सकते ह, आप खुद अपने आप को धोखे म रख सकते ह ले कन


आप सवश मान ई र को कभी धोखा नह दे सकते।”

“एक सरल, ईमानदार, नेक और नः वाथ कम बना एका ता के घंट कए जाने वाली
ाथना और लोग , तथा हमारे सवश मान ई र को छलने के उ े य से दए जाने वाले
हजार के दान से अ धक मह वपूण है।”

शु आती संदेश म से एक थाः “जीवा मा जगत म कोई धम नह होता। हम केवल


एक ही ई र क आराधना करते ह।” तो फर, पृ वी पर इतने सारे व भ धम य ह?

हालां क पृ वी पर इतने सारे धम ह, ले कन वे सब अंततः हम उसी सवश मान ई र क ओर


ले जाते ह। आपक पृ वी को अ छे से बुरे और बुर े से फर अ छे के च से होकर गुजरना
पड़ता है। जब पृ वी पर नकारा मकता ब त बढ़ जाती है, तब ई र उ चतर ांड से एक
ब त ही उ च आ मा को पृ वी पर लोग का मागदशन करने के लए भेजते ह। वह पैग बर
कहलाता है। वह लोग म ान फैलाता है ता क वे उ त कर सक और भली आ माएं बन सक।
येक पैग बर के अनुयाइय को अलग-अलग नाम से पुकारा जाता है। भा य से, सैकड़
साल के दौरान ब त से पैग बर क श ा को मनु य ने तोड़-मरोड़ डाला है। बहरहाल,
जीवा मा जगत म कोई धम नह होता।

ई र म व ास करना सामा य तौर पर, मनु य के लए क ठन य होता है?


आपके जीवनकाल म ई र के त आपक धारणा बदलती रहती है। कुछ ऐसे लोग होते ह
जनका अपनी युवाव था के दन म ई र पर भरपूर व ास होता है, ले कन आयु बढ़ने के साथ
उनका यह व ास कम हो जाता है। ऐसा होने का एक कारण यह है, क य द आप कुछ पाने के
लए पूर े मन से ाथना करते ह और फर भी आपको वह नह मलता, तो आप यह मान लेत े ह
क ई र ने आपक बात नह सुनी, और यह भी क ई र का अ त व ही नह ह। ले कन, सच
तो यह है क जब ाथना का यु र न मले, तो इसका अथ है क आप जो पाने क ाथना
कर रहे थे, वह आपके आ या मक वकास के लए ठ क नह । ई र पर से आपका व ास तब
भी उठ जाता है, जब आपके साथ अ याय होता है और आप खुद से पूछते ह क य ई र
याय नह करते। उस अ याय के प म यह आपका कम, परी ा अथवा श ण हो सकता है।
कभी-कभी जब आपक सेहत खराब होती है और आप ठ क होने के लए ई र से ाथना करते
ह, ले कन आपक सेहत नह सुधरती और आपका ई र पर से भरोसा उठ जाता है। जो बात
आप नह समझ पाते वह यह, क बुरी सेहत क तकलीफ से गुजरकर, हो सकता है, क आप
अपने बुर े कम का हसाब चुका रहे ह ।

कुछ ऐसे भी लोग ह जनका अपनी युवाव था म ई र पर कोई व ास नह था, ले कन समय के


साथ होने वाले अनुभव के कारण उनके अ दर ई र के त व ास जगता है। चाहे आपके
अनुभव जो भी ह , यह यान म र खए क ई र को मानने, या न मानने का फैसला करना,
आपके जीवन का सबसे मह वपूण फैसला है। जब आप पृ वी पर होते ह, तब जीवा मा जगत
क आपक मृ त आपके भौ तक मन से मटा द जाती है। ले कन, अवचेतन मन के ज रए
जीवा मा जगत से आपका संबंध अब भी बना रहता है। यह आपका अवचेतन मन ही है जो
पृ वी पर आपका मागदशन करता है और ई र के अ त व म आपको भरोसा दलाता है।

आज क सबसे बड़ी सम या यह है क मनु य ई र के अ त व का माण पाने के लए, हमेशा


वै ा नक ा या, अथवा सबूत चाहता है। अवचेतन मन अन त होता है। ले कन मनु य क
बु क उपज होने के कारण व ान सी मत होता है। मानवीय बु ई र को समझने म स म
नह होती।

ई र को अपने आप को मा णत करने क आव यकता नह । मा णत तो हम अपने आप को


ई र के सम करना है।

पृ वी पर हम इसी कारण तो ह। हम यहां ई र क परी ा लेन े के लए नह आए ह। परी ा तो


हमारी इस बात पर हो रही है क भौ तक मन के बजाए हम अवचेतन मन के नदशो को मानते
ह या नह । कुछ लोग ब त अ धक ता कक होते ह और उ ह हर बात के लए ता कक जवाब
चा हए होता है। आ था और सहजबोध उनके दै नक जीवन म न के बराबर भू मका नभाते ह।
ये ऐसे लोग ह जो मु य प से अपने भौ तक मन ारा अथवा अपनी बु ारा संचा लत होते
ह। इसके वपरीत, ऐसे लोग भी होते ह ज ह हर बात के लए ता कक उ र क आव यकता
नह होती। वे ता ककता और सांसा रक बु क सीमा से परे जीवा मा क तरह सोचने क
मता रखते ह। मनु य य द ई र का अनुभव कर सकता है तो वह केवल अपने अवचेतन मन
के ारा ही। आप पृ वी पर ई र को पूरी तरह कभी नह समझ पाएंगे। ले कन अ छाई का
चयन करके आप ई र को महसूस ज र कर सकते ह। बु मता एक बड़ा वरदान है, ले कन
केवल तभी, जब इसका इ तेमाल अवचेतन मन के वरदान , अथात आ था और ववेक के साथ
कया जाए।

यह त य क आप ई र को दे ख नह सकते, यह स द नह करता क उनका अ त व नह है।


स य य द दखाई न पड़े, तो भी स य ही रहता है। पृ वी पर यह हमारी परी ा है क हम अपने
अंतमन क आवाज के आधार पर कुछ ऐसे त व पर व ास कर जो हम दखाई नह पड़ते।

कभी-कभी मनु य क ई र म बड़े माण म आ था होती है। ले कन, अगर कुछ ब त ही ःखद
घ टत होता है, जैसे क ब चे अथवा प त या प नी को खो दे ना अथवा कोई ब त ही भयानक
अ याय, तो ई र को दोष दे ने लगता है और उसका उनपर से भरोसा उठ जाता है। हां,
इसम कोई शक नह क आप ःख का अहसास करते ह, ले कन इस ःख के कारण अपनी
आ था खोने के बजाए ई र से ाथना कर क वे आपको इसका सामना करने क ताकत द।
पृ वी एक ऐसी जगह है जहां कदम-कदम पर अ याय होता है। अ छे लोग ःख झेलते ह और
बुरे लोग ायः ताकतवर होते ह और सुख का उपभोग करते दखाई पड़ते ह। इस समय पृ वी
पर भारी असंतुलन क थ त है, ले कन यह असंतुलन हमारी परी ा है और संघष हमारा
श क। आपके साथ होने वाले सभी अ याय के बावजूद, या आपम अब भी इतना साहस है
क आप ई र और उनके याय म व ास करते ह?

एक दन ऐसा आएगा जब अ छाई क ता पर जीत होगी, ले कन तब तक अंधेरा हमारे लए


चुनौती है। ई र अंधेरे के अ त व क अनुम त दे त े ह ता क भली आ मा क परी ा हो सके
और उ ह श ण मले। आ खरकार, जब पृ वी पर अ छाई का बोल-बाला होगा तब ई र म
व ास करना आसान होगा। उस समय, व ास क जए, आप ई र के अ त व का भरपूर
अनुभव करगे। ले कन य द आप इस व त ई र म व ास नह रखते तो आप अपनी परी ा म
सफल नह हो पाएंग।े

अपने जीवन म आप ब त सी चीज दे खगे। आपने ब च को बदहाली झेलते ए दे खा होगा,


नद ष लोग को यु पी ड़त के प म दे खा होगा और आपने यह भी दे खा होगा क ह यारे
छू ट जाते ह और नद ष को जेल जाना पड़ता है। आपने कभी भयंकर से भयंकर अपराध और
अ याय का सबसे घनौना प दे खा होगा। उस समय आपने अपने आप से यह पूछा होगा क:
कहां है ई र? य द ई र ह तो फर वे कुछ करते य नह ? वे यह सब य नह रोकते?

ले कन, यान द जए क यह सब ई र ने शु ही नह कया है, ब क इंसान ने कया है। ई र


ने मनु य को वतं इ छा द और मनु य ने अपनी वतं इ छा का उपयोग नकारा मक फैसले
करने म कया। इस लए इन दन नकारा मकता बढ़ती जा रही है और भली आ मा क
परी ा ली जा रही है। उनका व ास डगमगा जाता है। उ ह डर और ोध ने घेर रखा है। वे
ग़लत राह पर चलने के लोभन म फंस रहे ह। एक समय पेसा आएगा जब कृ त खुद ही
इस नकारा मकता को मटा दे गी। उस समय, अ धक से अ धक आ माएं आ या मकता क
ओर बढगी। ले कन उस ण के आने क ती ा मत क जए।

इसी व सकारा मक वक प चु नए ता क जब वह ण आए, तब तक आप अपनी परी ा म


सफल हो चुके ह ।

जब रोशनी भरपूर है तब उसक तरफ जाना ब त आसान है। उस समय लोभन भी ब त कम


होते ह। ले कन रोशनी क तरफ बढ़ना तब बड़ा मु कल होता है, जब पृ वी पर इसक कमी
हो। और बुरी आ माएं आपको इससे र ले जाने के लए अपनी पूरी श लगा दे त ह।

अपने आप को एक यो ा के प म दे खए और पृ वी को अपनी आ या मक रणभू म मा नए।

या आप इस लए अ धेरे के सामने झुक जाएंगे क ऐसा करना ब त आसान है? अथवा या


आप इस लए अ धेरे के सामने झुकगे क यह आपम ताक़त और मता का म पैदा करता है?
या फर आप डर के कारण ऐसा करगे? अथवा, या आपम वह ववेक है क आप जान सक
क यह अंधकार एक परी ा है और आपम इससे लड़ने और ई र और ई रीय काश को चुनने
का साहस होना चा हए, चाहे ऐसा करना कतना ही मु कल य न हो?

असली ज ासु क श उसके अवचेतन मन क श पर नभर करती है। यही कारण


है क आप इसके वकास के लए जीवा मा जगत म इतना अ धक समय तत करते ह,
य क आप जानते ह क आप कैसी जगह पर जाने वाले ह और वहां आप कन कारण से
जाएंगे। अ छाई और ता के अ त व का यही कारण है क आप ता से र जा सक और
अ छाई को चुन सक।

नकारा मकता का अ त व होता है, ता क आपक वतं इ छा क परख हो सके। य द


नकारा मकता न होती, तो लोभन भी न होता और तब वतं इ छा के उपयोग का अवसर
आपको नह मलता।

सही वक प चु नए। तरोध सबसे पहली आव यकता है। लोभन का तरोध क जए। कम
करने क बात इसके बाद आती है। ई र हमारे सृजनकता ह। वह सव च स ा है जो ानी,
यायी और ेमल ह। आप उ ह अ छाइय के ारा जान सकते ह। आप ई र का व ेषण
जतना अ धक करगे उतना ही अ धक आप खुद को उनसे र पाएंगे और उतना ही आप उनके
ारा द जाने वाली शां त से खुदक वं चत रखगे। ई र केवल एक वचार या सोच नह है।
उनका भी एक प है, ले कन पृ वी पर वे वयं को खास कारण से अ य रखते ह। यही हमारी
परी ा है।

हम सबक दे खभाल क णामय, ानी और यायी ई र ारा क जाती है। वे सचमुच


सवश मान ह, और वे अपनी संपूण सृ का पालन करते ह और चाहते ह क हम सब सही
राह पर चल। हम सब को उनके आशीवाद पाने का अवसर मलता है, ले कन उनके आशीवाद
पाने के लए हम सबसे पहले अ छाई का चयन करना होगा। ई र को जानने का अथ है खुद
अपने आप को जानना, अपने अ त व का अनुसंधान करना और अपने भीतर उनक महानता
और अ छाइय क शोध करना।
ाथना

“सबसे ताकतवर ाथना वह होती है जो कसी सरे के आ या मक वकास के लए क जाती


है।”

“लोग दखावे के लए ाथना करते ह, लोग सर को यह जताने के लए ाथना करते ह क वे


सचमुच धा मक ह। ाथना सं त और मधुर होनी चा हए। वह सकारा मक, स ची और पूण
नः वाथ भावना से भरी होनी चा हए।”

ाथना का उ े य या होता है?

ाथना आ या मकता का एक मह वपूण भाग है। ाथना के बना आप वकास नह कर


सकते। जस तरह मानव शरीर को भोजन क आव यकता होती है, उसी तरह आ मा को
ाथना क आव यकता होती है। हम सब के लए ई र क ाथना ज़ री है य क इससे हम
उनक कृपा ा त होती है और हम पृ वी तथा जीवा मा जगत म आ या मक उ त के लए
श और ववेक ा त होता ह। पृ वी पर नकारा मक श यां काफ़ बल होती ह और भली
आ मा के लए अ छे काम करना मु कल होता जा रहा है। ऐसा नह क भली आ माएं
अ छे और बुर े का अ तर नह कर सकत । वे ग़लत इस लए कर बैठती ह य क उनम लोभन
का तरोध करने क ताक़त नह होती। इस लए ाथना करना ज री है। ाथना हम
आ या मक ान को काय प दे न े म मदद करती है। यह आ या मक मांस-पेशी का नमाण
करती है। इस आ या मक मांस-पेशी के न मत हो जाने पर आप सही काम करने के लए
पया त प से सबल हो जाते ह और आप पर लोभन का असर नह होता। अंततः, ान को
वहार म उतारने के काय के य प रणाम के प म, आ मा को पोषण ा त होता है।

ाथना आ मा को पो षत करती है। ाथना स ची और दय से नकली ई होनी चा हए। केवल


ाथना करने क या से नह , ब क ाथना से नकलने वाली श को च य प से बार-
बार ा त करते रहने और फर सही काय करने से आपको शां त मलती है और आपक आ मा
को वक सत होने म सहायता मलती है।
लोग पृ वी पर जैसा सोचते ह उसके वपरीत सच यह है क ाथना अ य नह होती।

जब आप ाथना करते ह, आपके वचार, श द और आपक भावनाएं जीवा मा जगत क ओर


काश करण के प म वास करत ह। जीवा मा जगत म, हम पृ वी से अपनी ओर आने
वाली लाख करोड़ काश करण को दे ख सकते ह। येक काश करण क चमक या
उसक ताक़त, येक ाथना क स चाई और ाथना करने वाले क आव यकता पर नभर
करती है।

ई र ने जीवा मा जगत म भली आ मा को अपने साथ काय करने और ाथना के उ र


दे न े म उनक सहायता करने के लए चुना है। ये जीवा माएं मानवीय मदद क पुकार के उ र
दे न े के लए खासतौर पर श त होती ह। कसी ाथना का उ र दे न े के लए ये आ माएं
पृ वी पर उस क ओर सकारा मक काश करण वापस भेजती ह। यही कारण है क
ाथना के लए अं ेजी श द ‘ ेयर’ (prayer) म ‘रे’ (ray) श द न हत होता है। ाथनाएं,
वा तव म काश क सकारा मक करण ह।

या ई र हमारी ाथना सुनते ह?

जब आप ाथना करते ह, तब ई र आपक ाथना सुन रहे होते ह। हालां क, ऐसा वे अपने
फ़ र त के ज रए करते ह जो उन ाथना का यु र दे त े ह। कभी-कभी लोग अपनी या
अपने यजन क ज़दगी के लए ाथना करते ह। य द वे भली आ माएं ह, तो उ ह
आरो यकारी श दान क जाती है ता क उनम व थ होने क श अथवा अगर यह उनका
कम फल हो, तो उनम शारी रक क को भोगने क मता आ जाए। कभी-कभी लोग इस लए
भी ाथना करते ह, य क उ ह कुछ समझ म नह आ रहा होता। वे नह जानते क अपनी खुद
क अथवा अपने करीबी क कस कार मदद क जाए। इस लए उनक ाथना का
यु र मागदशन अथवा उनके अवचेतन मन के ज रए मलने वाले संदेश के प म दया जाता
है। इस संदेश को ा त कर के सामने सबकुछ साफ हो जाता है और उसक वधा र
हो जाती है। मदद क कुछ पुकार इतनी अ धक आव यक और इतनी अ धक उलझी ई होती ह
क जीवा मा को अपने लोक क उ च भली आ मा क सलाह लेनी पड़ती है। ले कन कृपया
करके यह समझ ली जए, क आ ख़रकार ाथना के यु र दे ने वाली सारी आ मा को
चूं क ई र के ही मागदशन और आशीवाद के साथ काय करना होता है, इस लए बेशक, ई र
ही आपक ाथना को सुनते ह, बशत वे स ची और दय से नकली ह ।

ऐसा य होता है क ब त सारी ाथना का यु र नह मलता? कुछ लोग


स चे मन से और अपने अ दर क गहराई से ाथना करते ह और तब भी उनक
ाथना को कोई उ र नह मलता। ऐसा य होता है?
आपक ाथना को यु र तभी ा त होता है जब:

१. आप ाथना ारा जो माँग रहे ह, वह आपके हत म हो।

ायः आप जस चीज के लए ाथना करते ह वह आपक म आपके लए सही होती है।


अकसर जब आप कसी चीज को अपने लए सही मानते ह तो इसके पीछे आपंका भौ तक
कोण होता है। ले कन, आपको उ ह आ या मक संदभ म दे खना चा हए। आप जस
चीज के लए ाथना करते है य द वह आपके आ या मक वकास म बाधक है तो आपक
ाथना का यु र कभी नह दया जाएगा। इस लए जब आप अगली बार ाथना कर और
उसका यु र न मले, तो समझ ल, क जस बात के लए आपने ाथना क वह आपक
आ मा के लए सही नह है। साथ ही, ाथना का सही समय पर यु र मलना भी
आपके नय ण म नह होता। यह केवल ई र के हाथ म होता है। जब आप पीछे मुड़कर
अपनी कसी अनसुनी ाथना पर डालते ह, तो आप अहसास करते ह क ई र ारा
आपक इ छा पूरी करने का वह सही समय नह था। कभी-कभी मनु य उस चीज को संभाल
पाने क थ त म नह होता जसके लए वह जी जान से ाथना कर रहा होता है। ई र से
क हए क वे आपके लए जो े हो, वही कर। इस तरह आप यह सु न त करगे क
आपके साथ जो भी होगा वह आपके आ या मक वकास के लए होगा। जब आप ई र से
अपने लए जो े हो, वह करने क ाथना करते ह, तो आप अपने जीवन क डोर को, एक
उ चतर श के हाथ म स प दे त े ह, जसे सबकुछ पता होता है। ऐसी ाथना वा तव म
समपण क ाथना होती है।

२. आपक ाथना स ची और दल से क गई हो।

यह ब त ही मह वपूण बात है। आपक ाथना स ची होनी चा हए। यह आधे मन से क ई


अथवा दखावट नह होनी चा हए। आपक ाथना क स चाई और दा ही वे त व ह जो
इसे श दान करते ह, और फ़ र त ारा आपक ाथना का यु र दया जाना, पूरी
तरह, सहायता के लए आपक पुकार क शु ता और उसके उ े य पर नभर करता है। य द
आपक ाथना स ची है और फर भी उसे यु र नह मलता, तो इसका अथ है क आप
जस चीज के लए ाथना कर रहे ह वह आपके आ या मक वकास के लए ठ क नह है।

३. आपक ाथना नः वाथ और भौ तकता से र हत होनी चा हए।

पृ वी पर आपके जीने के लए भोजन, व और आवास क आव यकता होती है, ले कन


वला सता क चीज क मांग करना ग़लत है। वला सता असंतुलन पैदा करती है जससे
आपक उ त बा धत होती है। ई र से आप इतना मांग सकते ह जो आपके आराम से जीने
के लए पया त हो। और, य द आप केवल भौ तक समृ क ाथना करने वाले ह,
तो आपक ाथना सुनी नह जाएगी। सबसे मह वपूण बात याद रख क आपको सर के
आ या मक वकास के लए ाथना करनी चा हए। इससे आपक ाथना नः वाथ होती है।

४. आपक ाथना आपके कम म ह त ेप न करती हो।

पृ वी पर आपके होने का मु य कारण है आपके ारा अपने कए ए कम का फल भोगना।


कभी-कभी लोग खुद से पूछते ह क ई र उनक मदद य नह करते, जब क वे पूर े मन से
ई र क ाथना करते ह। ले कन य द आपक ाथना आपके कसी ऐसे कम को भा वत
करती हो जसका फल भोगना आपके लए आव यक है, तो ऐसी ाथना सुनी नह जाएगी।
अपनी ाथना का यु र न मलने पर य द आप ाथना नह करते, अथवा ई र म अपना
व ास खो दे त े ह, तो फ़ र ते आप तक रोशनी नह प ंचा पाएंग,े और तब पृ वी पर
मु कल से होकर गुजरना आपके लए अ धक क ठन हो जाएगा। पृ वी पर ऐसे ब त से
लोग ह, जो तब ाथना शु करते ह, जब उनसे कुछ बुरा हो जाता है। उनक धारणा यह
होती है क ाथना के ज रए वे अपने पाप को मटा लगे। याद र खए, ाथना से आपके
कम कभी मटाए नह जा सकते। स ची ाथना आपको आपके कम का फल सही तरह
से भुगतने क श दे ती है, यह आपके कम के हसाब को मटा नह सकती।

५. य द आप सही रा ते पर चल रहे ह ।

पृ वी पर ऐसे ब त से लोग होते ह, जो ग़लत राह पर चलते ह। ले कन, जब वे कुछ पाना


चाहते ह तो ाथना करने लगते ह। ऐसी आ मा क ाथनाएं सुनी नह जा सकत । वा तव
म, ग़लत राह पर चलने वाली ऐसी आ मा को ई र से केवल ववेक दान करने के लए
ाथना करनी चा हए, ता क वे खुदको सुधार सक। आ या मक प से न न तरीय लोग
क केवल इसी एक ाथना का यु र जीवा मा ारा दया जाता है। ले कन, य द आप
ई रीय स माग पर ह, तो आपको सुर ा और आरो य ा त होगा, आपक ाथना का
यु र दया जाएगा।

य द आपको सचमुच यह व ास है क ई र के फ़ र ते आपक ाथना को सुन रहे ह, तो


आपको पूर े मन से ाथना करने म कोई मु कल नह होगी। आपके फ़ र ते, आपक ाथना
को सुन रहे ह, और ई र के नयम के अंतगत, वे आपके लए जो कुछ कर सकते ह, वह कर
रहे ह। इस लए एक बार फर, खुद को यह भरोसा दलाइए क कोई आपक ाथना को सुन
रहा है। व ास र खए क वे ानी ह, वे जीवा मा जगत से पूरा च दे ख सकते ह और वे वह
सब करगे जो आपके लए े है। सबसे बढ़कर, ाथना क श को पहचा नए। यह काश
क एक अ व सनीय श है और इसम जीवन को बदल दे न े क मता है। इस बात पर
आपको अपने संपूण दय से व ास करना चा हए।
मनु य ाथना के मामले म इतना अ नय मत य होता है?

मनु य ाथना के मामले म मु य प से इस लए अ नय मत होता है, य क जब उसके साथ


सबकुछ अ छा हो रहा होता है तब वह ई र को भूल जाता है और उसे लगता है क अब ाथना
करने क आव यकता नह है। केवल तभी उसक आँख खुलती ह, जब उसके साथ कुछ बुरा
होता है, और तब वह ई र को याद करता है। लगातार यास करने के वषय म, मनु य थोड़ा
कमज़ोर है। आप सही राह पर चलना चाहते ह और जीवन म आ या मकता को ाथ मकता
दे ना चाहते ह, ले कन आप अपनी आ या मक या म नय मत नह होते। बहरहाल,
इसके लए एक आसान उपाय है। आपके काय म सामंज य नह होता य क आप
आ या मकता के मू य और उसक श को नह समझते। य द आपको लगता है क
ाथना उबाऊ है, यह एक या है और इसम व त बरबाद होता है तो आपने इसके मू य को
नह समझा है। ाथना का अथ है क आप सवश मान ई र से बात कह रहे ह। तो फर,
इससे बढ़कर और या ज री हो सकता है? यह जानकर आपको खुशी मलनी चा हए। य द
आप आ था के साथ ाथना करते ह और आपको यह व ास है क ई र आपक बात सुन रहे
ह, तो आप कभी भी ाथना के मामले म आलसी नह बनगे और जब आपको पता है क
ाथना आपके लए या कुछ कर सकती है तो वाभा वक प से ाथना म आपक च
जगेगी।

ाथना हमारी कस कार मदद करती है?

ाथना के सकारा मक भाव, यहाँ न नां कत ह:

१. आपको शां त का अनुभव होगा।


चाहे आपके पास कतनी भी भौ तक संपदा य न हो, या पृ वी पर आपक पद- त ा चाहे
जो भी हो, मन क शां त केवल ई रीय स माग पर चलकर ही ा त हो सकती है। इस
भौ तक जगत म मनु य को अनेक उतार चढ़ाव का सामना करना पड़ता है। ले कन, जब
ाथना आपके जीवन का ह सा बन जाती है, तब आप अपने अवचेतन मन को स य करते
ह और आपका अवचेतन मन आपको उन उतार-चढ़ाव के पीछे क वा त वकता बताता है।
आप कसी भी सम या को, खुदको परा जत करने क अनुम त नह दगे और न ही आप
सफलता को अपने मन म अहंकार सं चत करने क अनुम त दगे।

ाथना आपको शांत रखती है और मुसीबत के ण म शां त क ज रत सबसे अ धक होती


है। य द आप शांत और सकारा मक ह, और मु कल घ ड़य म आप सही कदम उठाते ह, तो
आप अपनी परी ा म सफल होते ह। और जब आप परी ा म सफल हो जाते ह तब आपका
मु कल समय भी गुज़र जाता है। तो, इस कार आप अपनी आंत रक श (शां त) ारा
बाहरी त व (मु कल समय) को बदल दे त े ह।
य द आप मन को थर नह रखगे तो आपके अ दर क शां त मु कल समय म, अथवा
नकारा मक बाहरी श य ारा भंग कर द जाएगी। आप अधीर और ांत हो जाएंगे और
आपके अ दर इतनी थरता नह होगी क आप आ या मक परी ा म सफल हो पाएं और
जब तक आप परी ा म सफल नह होते तब तक मु कल समय बना रहेगा। वा तव म
परी ा म सफल होने म आपको जतनी दे र होगी आपक परी ा उतनी ही क ठन होती
जाएगी। मु कल समय और भी अ धक मु कल हो जाता है, य क आपने बाहरी श य
को अपने अ दर क शां त को भंग करने क छू ट दे द होती है।

२. आपके पंदन म सुधार होगा।

येक ाथना म पंदन या ऊजा होती है। जब आप ाथना करते ह तो इससे सकारा मक
ऊजा उ प होती है। ये सकारा मक पंदन आप और आपके आसपास के लोग पर
आरो यकारी भाव डालता है। इस तरह आप अपने आसपास के नकारा मक पंदन को
ाथना के ज रए हटा रहे होते ह। जब नकारा मक लोग आपके आसपास ह तब उनक
ऊजा आपको भा वत करती है और आपको नुकसान प ंचाती है। इस लए, नकारा मक
ऊजा धारण करने वाले लोग के त, अ धक से अ धक सावधान र हए। य द आपम डर,
अहंकार, ोध, नराशा, जैस े नकारा मक भाव ह, तो इससे आप अपने ही पंदन को
कमजोर करते ह और अपनी जीवा मा को बल बनाते है। ाथना आपको अपने आस-पास
क नकारा मक ऊजा को हटाने म मदद करती है, ता क सकारा मक पंदन का नमाण हो
सके।

३. आपके नणय क गुणव ा सुधरती है।

जब आप ाथना करते ह, तब आपके अपने पंदन व छ होते ह और नकारा मकता मटती


है। आपको घेर े रहने वाली नकारा मकता के काले बादल छं ट जाते ह और आपका उ च- व
स य हो जाता है, अथात् आपका अवचेतन मन जागृत होता है और आप अ दर से शांत,
थर और वमल हो जाते ह और आपके नणय क गुणव ा बढ़ जाती है। जब आपके
नणय क गुणव ा बढ़ती है, तब आप अ धक सकारा मक वक प चुनने म स म होते ह।
इस तरह, आप नः वाथ कम करने के लए बेहतर थ त म होते ह। प रणाम व प,
आ या मक प से आप उ त होते ह।

४. आपको जीवा मा जगत से सुर ा ा त होती है।

ाथना सृ कता से स पक करने का वषय है। आपको ई र से मागदशन और सुर ा क


मांग करनी चा हए। बना इनक मांग कए आपको ये नह मलगे। यहां तक क य द आपके
लए कोई चीज सही है और आप उसे पाने के हकदार ह, तब भी जीवा माएं बना मांगे
आपको ये नह दे सकत । वे आपक वतं इ छा के व नह जा सकत । इस लए
आपके लए जो े हो, वह करने क मांग आप ई र से ज र कर। जब आप ई र से र ा
करने क वनती करते ह, तो जीवा मा ारा भेजी गई वा थ लाभकारी ऊजा, आपक
ाथना के सकारा मक पंदन के साथ मलकर आपके इद- गद एक सुर ा कवच बना दे ती
है, जो नकारा मक श य से आपक र ा करता है।

५. आप बीमारी से मु होने का अनुभव करगे।

य द आप न ा और स चाई के साथ ाथना करते ह, तो आपको अपनी ाथना क वा थ


लाभकारी मता पर आ य होगा। दवा ज री है, ले कन इस भौ तक जगत म ाथना क
ताक़त के समान सरा कुछ नह । य द आप इसक ताक़त म व ास कर और य द आप
वा थ लाभ पाने के हकदार ह, तो यह आपको अव य दया जाएगा। यह बात न त कर
ल, क आपका भौ तक मन शांत और वरल हो, और अपने अवचेतन मन को अ धक से
अ धक जागृत करना सीख। इससे आपको वा य लाभ ा त करने म मदद मलेगी।

६. आपको अपने आ या मक ान को काय प दे न े क श मलेगी।

केवल आ या मक ान होना ही काफ नह । आपको सही-ग़लत का अ तर पता हो सकता


है, ले कन आपको उस श क आव यकता है, जो आपको लोभन का तरोध करने के
लए स म बनाए और आपको सही वक प चुनने म मदद करे। ाथना आपके लए यही
करती है। यह आपको अपने अवचेतन मन क इ छा को लागू करने क श दे ती है।

७. आपम आ था वक सत होती है।

हमेशा याद र खए क जस आ था के साथ आप ाथना करते ह वह अ यंत मह वपूण है।


य द आप आ था के साथ ाथना करते ह, तो आपक ाथना म श होगी और उसे
यु र अव य मलेगा। वह यु र आपके अंदर और अ धक आ था जगाएगा, तथा इससे
आपक ाथना म और अ धक श आएगी, और यह च इसी तरह चलता रहेगा।

८. काले जा से आपक र ा होगी।

पृ वी के पंदन का इतना न न होने का कारण यह है क ब त से लोग काला जा अथवा


अ य जा -टोन म लगे रहते ह। यह पूरी तरह ई र के नयम के ख़लाफ़ है, य क यह
क वतं इ छा के व होता है और इसम गत लाभ के लए, सर को
नयं त करने, उ ह नुकसान प ंचाने, अथवा ग़लत तरीके से बेवक़ूफ बनाने के लए अंधेरे
क ताक़त का योग कया जाता है। अ धक माण म े पत नकारा मक ऊजा को काला
जा कहते ह। आपके लए यह मानना बड़ा मु कल होगा क इसका अ तव होता है।
आपका ता कक मन आपसे कहेगा क इस तकनीक युग म ऐसी चीज संभव नह । य द हम
आज पृ वी पर होते, तो हमारे लए भी इन बात पर व ास करना क ठन होता। ले कन
काला जा खतरनाक होता है और यह पृ वी पर हजार साल से चला आ रहा है। हम लोग
को इसके बारे म जाग क करना होगा ता क वे ाथना और सकारा मक चतन के मा यम
से इससे अपनी र ा कर सक। सभी काले कम ई र के नयम के ब कुल व ह। जस
तरह ाथना भरपूर काश उ प करती है, उसी तरह काला जा भारी मा ा म नकारा मक
ऊजा उ प करता है। इससे डरने क ज़ रत नह है, ब क ज़ रत है जाग क होने और
यह समझने क , क ाथना आपको इस नकारा मक ऊजा से बचाने के लए आव यक है
और इस लए हम हर व , पूरी तरह सकारा मक और नडर रहना चा हए।

कतने समय के लए ाथना करनी चा हए?

ज री नह क आप घंट ाथना कर। ाथना सं त और स ची होनी चा हए। यह धारणा


ग़लत है क आप जतनी दे र तक ाथना करगे उतने ही धा मक ह गे। छोट ाथना कर ले कन,
स चे मन से और नय मत कर, ता क अपने दै नक जीवन म आप जो भी फैसले कर वह ाथना
से उ प होने वाली श का प रणाम हो। कुछ लोग लंबे समय तक ाथना करना पसंद करते
ह। यह अ छ बात है, बशत यह स चे मन से क गई हो। यान रख क जब आपके ह ठ ाथना
के श द बोल रहे ह , तब आपका मन इधर-उधर न भटक रहा हो। न त भाव से, एका होकर
और आनंद के साथ ाथना कर। जब आप डरे ए ह उस व त ाथना न ही कर तो अ छा।

या ाथना करने के लए कसी धा मक थान पर होना आव यक है?

ाथना कोई रीती- रवाज़ नह है। पूजा थल का नमाण इस लए आ ता क लोग ाथना के


लए एक साथ इकटठे हो सक और उनके अवचेतन मन साथ मलकर अ धक सकारा मक
ऊजा उ प कर सक। इसके अलावा, जब लोग समूह म ाथना करते ह, तो ाथना क श
बढ़ जाती है। ले कन य द आप पूजा थल नह जा सकते ह , तो मन म कोई अपराधबोध न
रख। घर म ाथना करना तो ब त ही लाभदायक है, य क आप ऐसी जगह के पंदन को
शु बना रहे होते ह, जहां आप अ धकतर समय बताते ह। इस लए आप जहां ह वह ाथना
कर – गाड़ी म, अपने वसाय क जगह पर, कूल म या फर कह भी। ले कन, जब ाथना
घर म कर तो कसी एक न त थान पर कर। उस थान को अपना म दर बनाएं। ऐसा केवल
पूजन साम य को उस थान पर जुटा कर नह ब क अपनी बल आ था और शु उ े य के
साथ कर। आपका पूजा थल तो आपक ाथना से ही बनता है।

कुछ ऐसी खास चीज ह ज ह हम आपको बताना चाहगे:


जब आप सुबह जगते ह तब ब तर छोड़ने से पूव, या न इससे पहले क आपके पैर
जमीन को छु एं, ाथना करना मह वपूण है ता क आपका भा मंडलीय े सुबह क उस
पहली ाथना को अपने भीतर समेट कर सारा दन इसे सुर त रख सके। एक बार जब
आपके पैर जमीन को छू लेत े ह, तो आपक सुर ा भू म क ओर वा हत हो जाती है।
ऐसा इस लए होता है य क पृ वी के पंदन नकारा मक ह, और जमीन पर पांव रखने से
पूव आपक ाथना आपके चार ओर एक सुर ा कवच बना दे ती है। आपक ाथना
सुर त रहती है, और वह शु और श शाली पंदन दन भर के लए आपके
भामंडलीय े म सं चत हो जाता है। अपने दन क शु आत इस तरह करना बड़ा
अहम है।

इसी तरह जब आप रात को सोने जाते ह, तब फर से अपनी र ा और मन क शां त के


लए ाथना कर और इस ाथना को भी आपका भामंडलीय े अपने अ दर समेट कर
सुर त रख लेता है। इसके बाद, सारा दन छोट -छोट स ची ाथनाएं करते रह। ाथना
धीरे-धीरे कर, इसम कोई ज दबाजी न कर। अपने कहे ए हर श द क भावना स ची
होनी चा हए। जो आप कह रहे ह , जस चीज क आप मांग कर रहे ह , ई र से जस
बात क आप वनती कर रहे ह , उसे ठ क से समझ। यह हमेशा याद रख क ाथनाएं
नः वाथ होनी चा हए। सबसे श शाली ाथना वह होती है जो कसी सरे के
आ या मक वकास के लए क जाती है।

हम आपको एक सं त और सरल ाथना के बारे म बता रहे ह जससे आपक र ा


होगी और आप शांत रहगे। याद र खए क जीवा मा जगत म कोई व श धम नह होता,
इस लए यह ाथना ऐसी है जसे कोई भी कर सकता है।

दन म तीन बार यह ाथना लगातार तीन बार दोहराई जानी चा हए।


ाथना म कह भी ‘म’ श द नह आया है। ऐसा इस लए य क अपने प रवार और दो त के
लए और पृ वी क भली आ मा के लए ाथना करना मह वपूण होता है।

“अपने हाथ म लेकर हम, कृपया हमारा मागदशन करना।” पं का अथ है क हम अपनी


वतं इ छा का योग ई र के त सम पत होने म कर रहे ह। पूण व ास के साथ, हम अपनी
इ छा से खुद को ई र के हाथ म स प रहे ह।

आप शायद अपने आप से यह पूछगे क ाथना जैसी सकारा मक चीज म ‘ ता’ श द का


उपयोग य कया गया है। पृ वी पर बुरी श यां हम आ या मक माग पर चलने से रोकती ह।
‘ ता’ (EVIL) का अथ ‘जीवन’ (LIVE) के वपरीत होता है। हर वह चीज जो हम
आ या मक उ त के रा ते से हटने के लए हम लोभन म डालती है, वह है। हम ई र से
यह कहना पड़ता है क वे हम नकारा मक श य से बचाएं।

आ खरकार, हम ई र से कहते ह क वे हम ‘हमेशा’ अपने साथ रख। संपूण दय से हम उनसे


कहते ह क वे हमारा इस ज म, अगले ज म और हमेशा के लए मागदशन और दे खभाल कर।

इस ाथना के अंत म, ई र से वनती कर क वे आपको सही काम करने का बल और ववेक


दे । इसके बाद अपने प रवार और यजन के लए ाथना कर। अंत म, अपना व तार करते
ए ऐसी भली आ मा के लए ाथना कर, जो अपके प रवार के सद य या आपके म न
ह , ब क सामा य तौर पर जन लोग को सहायता क आव यकता हो। ले कन ाथना का यह
सुनहरा नयम याद र खए। ई र से क हए क वे उस के लए वही कर, जो उसके
लए े हो। पृ वी पर आप कसी के कम, परी ा और श ण को नह समझ पाएंगे,
इस लए जो ई र को े लगता है, उनसे वह करने क ाथना कर आप संबं धत क
सहायता, बना उसके माग, अथात् उसक परी ा, श ण और कम म बाधा डाले,
सकारा मक ऊजा भेजकर करते ह। यह बात यान म रखना ब त ही मह वपूण है। चाहे कुछ
भी हो आप कसी सरे क जीवन या ा को पूरी तरह नह समझ सकते, इस लए ई र से
ाथना क जए क आपके, आपके प रवार, आपके यजन और वह हर , जसके लए
आप ाथना करते ह, उन सबके लए जो े हो, वे वही करे। जब आप ाथना कर, तब आशा
क करण जगाए रख। अपे ा आपको नराश कर सकती है, ले कन आशा आपको ग तशील
रखती है। यह जान ल क ई र आपके लए वही करगे, जो आपके लए सबसे े हो।
इसी लए तो आप ई र को अ म ध यवाद दे त े ह य क आपको पता होता है क उ ह ने
आपक ाथना सुन ली है और वे आपको कभी नराश नह करगे। ाथना केवल बुरे समय म ही
नह , ब क रोज़ाना कर। अ छे समय म ई र क ाथना करना और उ ह ध यवाद दे ना न भूल।
ाथना जतनी लगन के साथ कर सक, कर, ले कन हमेशा ई र क योजना का स मान कर,
उनके लए जगह रख। माग म बाधक बनने क बजाए, राह से हटकर वग को अपनी सहायता
करने द।
सकारा मक सोच

“सकारा मक ब नए।”
“समान व तुए ँ एक सरे को अक षत करती ह।”

“अपने मन पर नयं ण र खए और हर समय शांतता का अनुभव करने क को शश क जए।


धैयवान बने, शांत रह और अ छ न द कर।

वचार कस तरह ताक़तवर होते ह?

आपके सोचने का तरीका आपक आ मा के वकास के लए मह वपूण है। आपका व


आपके वचार , श द और कम का मेल है। वचार पहले उ प होते ह। फर, सकारा मक या
नकारा मक वचार से ही श द और कम उ प होते ह। इसी लए सकारा मक सोच होना ब त
मह वपूण है। अंततः सारे वचार ऊजा उ प करते ह, इस लए इस बात के त सतक र हए क
आप कस कार क ऊजा का नमाण कर रहे ह।

पहली बात, यह समझने क को शश क जए क पृ वी पर लोग नकारा मक य बन जाते ह।

नकारा मकता कसी आ मा का अपना ल ण हो सकता है अथवा यह वा त वक जीवन म


ग़लत श ण के कारण भी वक सत हो सकती है। ले कन मु य प से, मनु य तब
नकारा मक हो जाता है जब उसे वह नह मलता जो वह चाहता है।

सकारा मक चतन क ओर पहला कदम है इस त य को वीकार करना क सम याएं हर हाल


म ह गी ही। जन लोग को दे खकर ऐसा लगता है क उनक कोई सम याएं नह ह, वे या तो
सम या का सामना अ छ तरह कर रहे होते ह अथवा उनसे र भाग रहे होते ह। नकारा मक
चतन वह मु य कारण है जो ब त से लोग क आ या मक या ा को संप नह होने दे ता।

नकारा मकता एक ब त ही सामा य आ मक ल ण है। यह गलत समझ के कारण और एक


बल, अ नयं त एवं अ श त मन क उपज होती है। इसके अलावा, मनु य म
नकारा मकता इस लए भी बढ़ जाती है य क पृ वी के पंदन ब त नकारा मक हो चुके ह।
यह आप पर नभर करता है क आप इस पर वजय पाने के लए सकारा मक प से सोच,
य क आ खरकार आपके वचार भावना के प म कट होते ह। यही कारण है क वचार
ताक़तवर होते ह। वे शारी रक और भावना मक प से कट होते ह और उ ह से आपक
आ मा को आकार मलता है।

कोई यह कैसे जान पाएगा क वह नकारा मक हो रहा है?

नकारा मकता के न न ल खत ल ण ह:

१. डर

नकारा मक प से सोचने और व ास तथा समझ क कमी के कारण ही डर पैदा होता


है। य द आपक ई र म पूरी दा है, तो फर डर का कोई कारण ही नह होता। आप
इंसान ह और आपको मु कल प र थ तय का सामना करना पड़ेगा, ले कन य द आपम
आ था और व ास है तो इन प र थ तय से जूझने के लए आपम साहस पैदा कया
जाएगा। डर को जीतने के लए पहला काम यह कर क अपने व ास को मजबूत कर।
इन दन नकारा मकता मनु य के जीवन का ह सा बन चुक है। इसका एक कारण है।
भली आ मा को डर लगता है, य क पृ वी पर पंदन नकारा मक हो चुके ह और ये
नकारा मक पंदन मनु य को बेचैन करते ह। यह इस कारण क जस ऊजा से आप घरे
होते ह, वह आपक ऊजा से भ होती है। आपको ग़लत राह पर जाने का भी डर लगता
है। आपका अवचेतन मन इस डर को समझता है, ले कन आपका भौ तक मन नह ।
भौ तक मन केवल यह जानता है, क वह डरा आ है। बहरहाल. आपका अवचेतन
मन कभी भी डरता नह । वह सतक होता है।

य द आप कसी ऐसे थान पर रहते ह जहां का पंदन सकारा मक है तो आपको डर


महसूस नह होगा। अपने घर को सरल और साफ-सुथरा र खए। सूरज क रोशनी और
पौधे सकारा मक पंदन के नमाण म सहायता करते ह और इससे आप डर से बचगे। डर
बचावकारी सहजबोध से भी पैदा होता है, जो आपक अपनी सुर ा के लए ज री है।
उदाहरण के लए, यह वाभा वक है क आग पर हाथ रखने से आप डरगे। यह अपने
अ त व र ा का सहजबोध है।

हालां क यह अजीब लग सकता है, ले कन कुछ लोग ऐसे होते ह जो सकारा मक होने से
डरते ह। शायद अतीत म उनका अनुभव बुरा रहा हो और वे आशावाद होने से डरते ह ।
इस लए, उ ह ने अपने मन को यह मानने के लए बा य कर लया होता है क जदगी बुरी
है और वे अपने जीवन म कुछ भी सकारा मक पाने के लायक नह ह। वे अपने आप को
नराशा से बांध लेते ह। उनका तक यह होता है क वे यथाथवाद ह, जब क असल म वे
नह होते। यथाथवाद कोण है-जीवन के उतार-चढ़ाव को अ छ तरह समझना।
इस लए अ छे समय क उ मीद करना ब कुल वाभा वक है। चाहे आपके अतीत का
अनुभव कुछ भी रहा हो, मनु य के अ त व के लए उ मीद ज री है। कभी-कभी
लोग प रवतन से डरते ह य क वे उस नकारा मक थ त म सुर त महसूस करते ह।

२. चता

लगातार चता, आपको न न तर पर ले जाती है। लोग चता इस लए करते ह य क


उनका व ास खो गया होता है और वे प रणाम के साथ खुदको अ धक जोड़ लेत े ह।
आपके हाथ म प रणाम नह होता, ब क या होती है। इस लए आप जो कर सकते
ह, अ छे से अ छा क जए और सब कुछ ई र पर छोड़ द जए। पूण समपण का अथ है
यह जान लेना है, क आपके ारा अपना कत अ छ तरह नभा लेन े पर ई र वह
अव य करगे जो आपके लए सबसे े होगा। काय का फल ई र को सम पत कर द
और यह समपण लगातार करते रह। ई र म, फ़ र त म, अपने यजन म और खुद
अपने आप म व ास रखना ज री है। व ास वह ऊजा है जो आपको आगे क ओर
बढ़ने क ेरणा और शां त दान करती है। बना व ास का मनु य कुछ इस तरह है, जैसे
बना पे ोल क गाड़ी। अपना कत े प से नभाएं और बाक सब ई र पर
छोड़ द।

३. संदेह

जब आप खुद पर, अपने आ या मक श क पर, और सबसे मह वपूण क ई र पर


लगातार संदेह करते ह तो इसका अथ है क आप नकारा मक हो रहे ह। करना ठ क
है ले कन य द आप आ या मक माग पर ह तो आपको अपने संदेह क जगह मन म
व ास था पत करना चा हए। अपने मागदशक पर भरोसा रख। य द आप उनपर
संदेह करना जारी रखते ह और उनसे ान और समझ ा त करने के बाद भी आप उनसे
सबूत क मांग करते ह, तो आप नकारा मक हो रहे ह।

एक ऐसा है जो हर रात पूर े मन से ाथना करता है। अपनी ाथना के अंत म वह


हमेशा ई र से खुदके लए जो े हो, वही करने को कहता है। ले कन कसी कारणवश,
उसके जीवन म कोई बदलाव नह आता। वह समझ नह पाता क य ई र उसक
ाथनाएं नह सुनते। एक दन, एक फ र ता उसके सामने कट होता है और कहता है,
“मेरे पास तु हारे लए एक उपहार है।” बड़ा खुश होता है। फ़ र ता उससे अपनी
हथेली फैलाने को कहता है। उपहार वीकार करने के लए आदमी हथेली फैला दे ता है।
फ़ र ता आदमी क हथे लय क ओर दे खता है और उनपर फूंक मारता है। “तु हारा
वागत है।” फ़ र ता कहता है। कुछ समझ नह पाता य क उसक हथे लयां अब
भी खाली ह। वह पूछता है, “ले कन मेरा उपहार कहां है?” फ़ र ते ने कहा “वह तो तु ह
मल चुका है।” “तु हारी हथे लय म संदेह भरा था। मने उसे हटा दया।” कभी-कभी
आपको जो मलता है उससे बड़ा उपहार आपके पास से कुछ ले लया जाना होता है।”

यह सु न त कर क आपका ई र पर भरोसा हो, न क उनपर संदेह। जब आप लगातार


संदेह करते ह तो आपक जीवा मा कमजोर हो जाती है, य क आपक जीवा मा ई र
के व ास पर जदा रहती है।

४. दोषारोपण या डांट-फटकार

दोषारोपण या डांट-फटकार आ या मक प से ग़लत है। यह एक कार का मान सक


उ पीड़न है, श द का एकतरफा हार है। यह अहंकार से और समझ क कमी से पैदा
होता है और यह वाथपूण होता है य क इसम आदमी हर क मत पर अपनी ही बात
रखना चाहता है और चाहता है क चाहे जो भी हो, सबकुछ उसके अपने हसाब से ही
होना चा हए। जब माता- पता अपने ब च को फटकारते ह तो यह ब त ही हा नकारक
होता है, हालां क उनका उ े य ब चे का भला करना हो सकता है, ले कन जब आप डांट-
फटकार करते ह, तब आप ई र क द ई वतं इ छा के व जाते ह। डांट खाने
वाला आपक बात ब कुल नह सुनेगा और य द डांट-डपट जारी रही तो वह
आपके कहे का ठ क उलटा करता है।

५. लगातार शकायत करना और ःखी रहना

नकारा मक वृ के लोग ख़ुशी का मतलब नह जानते। य द आप जीवन भर शकायत


और वलाप करते रहते ह, आप अपनी ओर ःख को नमं ण दे त े ह। कुछ लोग
सहानुभू त दखाकर इस वृ को सर म बढ़ावा दे त े ह। अपने आशीवाद का स मान
करना मह वपूण है। सकारा मकता पर जोर डा लए, नकारा मकता पर नह ।

६. ज रत से यादा सम या का बोझ उठाना

कुछ लोग नया को यह दखाना चाहते ह क वे कतना कुछ करते ह, और उ ह कतनी


अ धक परेशानी है। ऐसे लोग केवल खुदका नुकसान करते ह। य द आप सर से
सहायता नह मांग पाते, तो इसका अथ है क आप अहंकारी और नकारा मक ह। आप
पृ वी पर सहअ त व सीखने के लए आए ह, न क सब कुछ अकेले हाथ , खुद अपने
आप करने। यह सा बत कए जाने क चाह क, आप हर काय को खुद से संभाल सकते
ह, आपके अहंकार क उपज है। यह अ वाभा वक है। कोई भी आपसे अ तमानव होने क
आशा नह करता।

७. ई या

मनु य से उसक ख़ुशी छ नने वाली चीज म से एक है ई या। जब आप लगातार अपनी


तुलना सर से करते ह, तो यह आपको ग त करने से रोकता है। अपने उपहर से संतु
र हए और सर क उपल धय से स ता और ेरणा पाने क वृ र खए।
जीवा माएं इसी तरह रहती ह और इससे हम स ची स ता मलती है। जो कुछ आपके
पास है, उसके लए ई र को ध यवाद द जए और संतु रहने क कला सी खए।

८. सर पर दोषारोपण

हमेशा अपने अ दर झां कए, आपको अपने ःख का ोत मल जाएगा। आपके ःख क


शु आत सर के हाथ केवल तभी हो सकती है, जब यह पहले से ही आपके अ दर हो।
इस लए ःख क जड़ तक प ं चए। सर पर यान के त मत क जए। वयं आपके
भीतर जो असंतुलन है, उसे र क जए, सबसे पहले खुद अपने आप म सुधार लाइए और
फर सर को बदलने म सहायता करने क को शश क जए।

९. नकारा मक वचार का आद होना।

जो लोग लगातार नकारा मक सोचते ह, वे समय के साथ इस तरह क वृ के इतने


आद हो जाते ह, क इसके बना उनका काम ही नह चलता। य द उनक कोई सम याएं
न ह , तो भी वे सम या म होने का दखावा कर लेत े ह। अकसर आदमी क दयनीयता
और उसक नरसता, उसक आदत बन जाती है। इसक शु आत छोटे तर पर होती है,
ले कन धीरे-धीरे यह काफ बड़ी और नुकसानदे ह सम या बन जाती है।

१०. अधीरता

जब आप अपने अ दर धैय वक सत करना सीखते ह, तो आपको अ धक शां त मलती


है। अधीरता से आप असंतु लत हो जाते ह। याद र खए क चीज हमेशा सही व पर ही
होती ह, और वह ई र के हाथ म होता है। जब आप अधीर होते ह, तब आप ई र को
नदश दे ने का असफल यास करते ह। ऐसा करने से, आप ई र को उनक योजना को
अलग रखकर, आपक अपनी योजना को कायरत करने को कहते ह। आपक योजना
हमेशा सी मत होती है, जब क ई रीय योजना अनंत।
नकारा मकता हम शारी रक, भावना मक और आ या मक प से कस कार
भा वत करती है?

नकारा मकता कई लोग क आदत, और उनक जीवनशैली बन जाती है। य द जीवन म सब


ठ क हो, तब भी वे नराश, सनक , कठोर और परा जत अनुभव करने के इतने आद हो जाते ह,
क वे लगातार ऐसी ही ऊजा को े े पत करते ह। समान चीज एक सरे को आक षत करती
ह। इस लए नकारा मक लोग नकारा मक लोग और प र थ तय को ही आक षत करते ह और
यह उनक आ मा के लए ब त ही बुरा होता है। नकारा मक वृ से छु टकारा पाइए और
इसक जगह पर सकारा मकता वक सत क जए। बदलाव से ड रए मत। नकारा मकता के
भाव इस कार ह:

१. आपके फैसले ग़लत होते ह

नकारा मक होने पर आपके फैसले ग़लत होते ह। इसका दै नक जीवन म आप जो फैसले करते
ह, उनपर भाव पड़ता है और आ या मक प से आप नीचे गरते ह।

२. आप छोट -छोट ख़ु शयां खो दे ते ह।

छोट -छोट ख़ु शय के साथ ज़दगी आपक ती ा कर रही है। जब आप नकारा मक होते ह,


तब इन ख़ु शय को आप दे खकर भी नह दे ख पाते और उ ह वीकार नह कर पाते। य द आप
नकारा मक ह, तो आप अपने अवचेतन मन के उन नदश को नह सुन पाते जो आपको इन
ख़ु शय क ओर ले जाना चाहते ह। समय के साथ आपक ऊजा इतनी याह हो जाती है, क
रोशनी क कृ त रखने वाली ये ख़ु शयां आप तक नह प ंच पात । समान चीज एक सरे को
आक षत करती ह, इस लए ऐसी थ त म आप ख़ु शय के बजाए सम या को अपनी ओर
आक षत करते ह।

३. लोग आपके असंतुलन को भांप लेते ह।

वन ता क तरह, सकारा मकता भी मनु य क एक वाभा वक अव था है। भले लोग आपके


चार ओर के नकारा मक पंदन को महसूस कर लेते ह, उ ह असहज महसूस होता है और वे
आपके साथ अ धक समय बताना नह चाहते। य क आपके नणय गलत होते ह, इस लए
आप यह समझने म असफल रहते ह क ऐसा य हो रहा है और आप अपने अ दर के
असंतुलन को समझने के बजाए सर के त नकारा मक बन जाते ह।

४. आपका वा थ भा वत होता है।


वचार ब त ही श शाली होते ह। आपके वचार और आपक भावनाएं हमेशा शारी रक तौर
पर कट होत ह। नकारा मक वचार और भावनाएं बीमा रय अथवा चोट के प म कट
होत ह। य द आपके अ दर कड़वाहट और गु सा भरा है, तो इसका भाव आपके शरीर पर
होगा। खुद को अथवा सर को मा कर पाने क आपक अ मता आपक अ व थता के प
म कट होती है। मा करने से आरो य ा त होता है। यह मता आपके भले के लए है और
आपके वकास के लए ज री है।

५. आप अपनी परी ा म असफल होते ह।

अ धकतर लोग को मु कल प र थ तय म सकारा मक बने रहने क मूल परी ा से गुजरना


पड़ता है। वे प र थ तयां के कम के कारण बनी ई न भी ह , ब क ये उसक जीवा मा
क परी ा अथवा उसका श ण हो सकती ह। य द वे नकारा मक प से त या द और
इस संपूण या से शकायत करते ए और खुद के बारे म अफसोस महसूस करते ए गुजर,
तो ऐसी प र थ तयां तब तक बार-बार बनती रहती ह, जब तक क मनु य सबक न सीख ले।
मु कल समय म सकारा मक बने रहने क या सीखना आपक परी ा है, न क वह
प र थ त।

आप इस या से होकर कस कार गुज़रते ह, यह मह वपूण है। उदाहरण के लए बीमार


होना कोई नह चाहता, ले कन य द आप ऐसे मनु य ह जो अपने बीमार होने पर शकायत करते
ह और इस कारण अपने आसपास के लोग को मु कल म डालते ह, तो आपको एक पाठ
सीखने क आव यकता है क अपनी बीमारी के दौरान आपको सकारा मक बने रहना चा हए
और सरे लोग ारा क गई सहायता के लए ध यवाद दे ना चा हए। बीमारी के दौरान
सकारा मक रहना आपक परी ा है। सरी परी ा डर को लेकर हो सकती है। य द आप
वा य माणप से भयभीत हो जाते ह, तो आप ऐसी प र थ तय म आते ह, जनम आपको
औष ध जांच बार-बार करवानी पड़ती है। आपके लए परी ा यह है क आप पूरी या के
दौरान नडर बने रह।

६. ज रत से यादा व ेषण

अपने अ दर झांकना अ छ बात है, ले कन जब आप अ त व ेषण करने लगते ह, तो आप


ग तशील नह रहते। आप मंथन ही करते रह जाते ह और वा तव म कुछ कर नह पाते।
प र थ त का आप ज रत से यादा व ेषण करते ह और आप उसे वीकार नह कर पाते।
न ही आप अगला कदम उठा कर आगे बढ़ पाते ह।

७. आप अपने अवचेतन मन को कमजोर बनाते ह।


नकारा मक वचार केवल भौ तक मन से ही आते ह। अवचेतन मन मु कल से मु कल
प र थ तय म भी सकारा मक कोण से चीज को दे खता है। इस लए जब आप नकारा मक
वचार को मह व दे त े ह, तो आप अपने अवचेतन मन के बचाए भौ तक मन का चयन करते ह।
भौ तक मन को वह मल जाता है जो वह चाहता है। इस तरह आप उसे बगाड़ते ह और
आपका अवचेतन मन उपे त रह जाता है।

नकारा मक अ छे के लए खुद को कस कार बदल सकता है?

एक बड़ा ही आसान श द है जो आपको जीवन के हर े म ग़लत करने से रोकने के लए,


आपका ब त साथ नभाता ह: नयं ण। अपने भौ तक मन को नयं त और श त कर
अपने वचार को नयं त कर। जस ण आपके मन म कोई नकारा मक वचार वेश करे,
उसका व ेषण न कर। इससे तुरंत छु टकारा पा ल। अपनी आदत के कारण आप ऐसे वचार
को अपना समय दगे, ले कन आपको यह आदत बदलनी होगी। शु म यह मु कल हो सकता
है। जब आप अपने नकारा मक वचार से छु टकारा पाने क को शश करगे, तब आपके अ दर
एक डर क भावना भी आ सकती है। “अगर मने इसका व ेषण नह कया तो या होगा?
अगर ऐसा आ तो या होगा? अगर? अगर? आप यह बताइए क चता मनु य को कौन सा
फायदा प ंचाती है? यह पूरी तरह हा नकारक है, इस लए नकारा मक वचार को नयं त रख।
आपका पहला कदम यही होना चा हए। अगला कदम, जो अ धक मह वपूण है, यह है क
नकारा मक वचार क जगह सकारा मक वचार को अपनाया जाए। सकारा मक होने का
अथ है चीज क उ चतर कृ त, उनके असली व प को समझना। आपका रा ता चाहे कोई
भी हो, इसे आ या मक कोण से दे खना सीख। इससे आपको सम या का सामना कर
पाने म सहायता मलेगी, य क आपम यह समझ आ जाएगी क वे मह वहीन ह। सम या से
सामना होने पर, मान सक और शारी रक तौर पर पूरी तरह त र हए।

सम याएं कभी आपका रा ता नह रोकत । वे तो खुद आपका रा ता ह।

खु शयां और सम याएं, दोन ही जीवन या ा के अंग ह।

जब आपको नराशा का सामना करना पड़े, उस समय आप सकारा मक कैसे रह सकते ह?


इसका उपाय है, क आप यह जान ल क नराशाएं श ा ा त करने क या के अंग ह।
इस लए मन म बना अपे ा पाले काय कर। आशा को जी वत रखना, बड़ी सुंदर चीज है, और
उसे हर हाल म जी वत रखना चा हए ले कन अपे ा एक मांग है, जो आपके अहंकार से पैदा
होती है। आशा प रणाम के वषय म नह होती। आशा का अथ है क आप संपूण या के
दौरान सकारा मक बने रह और यह भरोसा रख क प रणाम जो भी होगा आपके वकास के
लए े होगा। हम प रणाम ई र पर छोड़ दे ना चा हए और कम क संपूण या के दौरान
सकारा मक और आशावान रहना चा हए। आशा वह है जो आपक जीवा मा को जी वत रखती
है। अपे ा आपक जीवा मा पर दबाव डालती है।

य द आप ऐसे वसाय म ह जसे आप पसंद नह करते, तो यहां सकारा मक होने का अथ है


यह समझना क हो सकता है यह आपक परी ा हो और आप अपने कम का ऋण चुका रहे
ह । शायद आपको अपनी राह म आने वाली कसी अ छ चीज का स मान करने क
आव यकता हो, अथवा शायद आप उस वसाय म कुछ ही समय के लए ह, ता क आपके
ारा सर क मदद हो सके।

जब आपका कोई अपना आपसे बछड़ता है, तो यह थ त आपके लए बड़ी ःखद हो सकती
है। ऐसे म टू ट जाना वाभा वक है, ले कन जीवा माएं नह चाहत क आप उनके लए वलाप
कर। य द वे भली आ माएं ह, तो वे अ छे थान म ह गी, इस लए आप अपने मन को व य
कर। यह यान रख क आप खुदको हर कार से व य रखने का हेतु रख, य क यही आपके
यजन चाहते ह। जीवा माएं नह चाहत क पृ वी क आ माएं जीवन भर शोक मनाती रह।
आपके हाथ कटने पर खून बहता है, ले कन समय के साथ घाव भर जाता है। ःख के साथ भी
ऐसा ही होता है। भले ही मनु य ःख का सामना करता है, ले कन समय के साथ, उसके घाव
भर जाते ह।

जीवा मा जगत म आकर हम खुश ह। हम जी वत ह और ठ क ह। सबसे बड़ी बात यह


क हम अब भी आपके साथ ह। हम आपको इस बात का यक न दलाना है। जब ःख
हद से बढ़ जाए, तब इस स य पर मन के त कर और अ डग रह। ःखद नुकसान क
थ त म सकारा मक होने से हमारा यही मतलब है। इस स य से श ा त कर क हम
अब भी आपके साथ ह और य द आप अनुम त द तो हम आपका मागदशन कर सकते
ह। कभी-कभी हमारे माता- पता हमारे बना, इतना नराश और असहाय महसूस करते थे क
हमारे लए उ ह शांत करना और उ ह खुश करना, जीवा मक संपक के बना मु कल हो जाता।
हमने उ ह बताया क जब वे ःखी होते ह, तो इससे हम भी ःख होता है। सबसे मह वपूण बात
यह क, हमने उ ह यह समझाया क पृ वी पर हमारे होने क तुलना म हम आज उनके ब त
यादा करीब ह और हम उ ह ब त यार करते ह।

जब सबकुछ ठ क-ठाक चल रहा हो, तब सकारा मक होना आसान होता है। असली परी ा तो
तब होती है जब जीवन म क ठनाइयां आएं और चीज ग़लत होती जाएं। इसी तरह आपके
व का वकास होता है। प र थ त चाहे जो भी हो, सकारा मकता हर हाल म
अपनानी चा हए।

कभी-कभी आप अपने मन को नयं त करने म असफल होते ह अथवा कभी-कभी ऐसा करने
म सफल भी रहते ह, ले कन आप सकारा मक होना नह जानते। इसका एक बड़ा ही साधारण
सा कारण है, जो आपके फैसले पर नभर करता है। आपको प रवतन के त पूरी तरह तब
होना चा हए और अपनी इ छा श का उपयोग करना चा हए। इस लए, भौ तक मन को भी
आपके साथ सहयोग करना ही पड़ता है। के असफल होने का कारण यह है क उसक
तब ता कमजोर होती है। उनके य न अधूरे मन से कए गए होते ह और प रवतन के त वे
पूरी तरह सम पत नह होते। आप सकारा मक बनने का फैसला करते ह। आप कसी को माफ
करने का फैसला करते ह। आप वन रहने का फैसला करते ह। आप संतु रहने का फैसला
करते ह। सफलता या असफलता आपके चयन क श पर नभर करते ह। मान लेते ह क
आपको ऐसे कसी को माफ करने म मु कल हो रही है जसने आपको ब त ःख
प ंचाया हो। ान ा त होने के बावजूद य द आप उसे माफ नह करते, तो इसका अथ यह है
क आप माफ करना ही नह चाहते, न क यह, क आपको पता नह क माफ कया कैसे जाए।

जब जीवन म बुरा समय चल रहा हो, तब बहा री के साथ सकारा मक कोण अपनाना ही
स चे अथ म सकारा मक होना है। उ मीद का दामन कभी मत छो ड़ए, चाहे प र थ त कतनी
ही गंभीर य न हो।

सकारा मक चतन के मु य उपाय:

१. ई र म पूण व ास रख। याद र खए क वह वही करगे जो आपके लए े है।


२. अपने कम, परी ा और श ण को वीकार क जए। इनका तरोध मत क जए।
३. ाथना क जए। ई र से श मां गए। कसी प र थ त म सकारा मक बने रहने क
श केवल ाथना से ही मल सकती है और यह आपको केवल मांगने पर ही ा त होती
है। आपक ाथना आपके आस-पास सकारा मक पंदन का नमाण करती है और
आपके नणय क गुणव ा को बढ़ाती है जससे आप जीवन म सही कदम उठा सकगे।
४. अपने अवचेतन मन को स य क जए। सम या से जूझते समय इसका उपयोग
क जए। भौ तक मन क सी मत समझ का उपयोग न कर।
५. सम या को अपने वकास के अवसर के प म दे खए।
६. ायाम शारी रक याकलाप, जैसे योग (इसके लए अ छे श क क तलाश करना
मह वपूण है।), नृ य, तैराक और खेलकूद ज री होते ह। मन, शरीर और आ मा – तीन
को व थ होना चा हए।
७. ई र के त समपण क जए। ई र के त सम पत होने का अथ है ई रीय स माग पर
चलना, अपनी मता के अंतगत हर अ छे काम करना और अपने कम के प रणाम ई र
पर छोड़ दे ना।
८. अपनी पसंद के काम क जए। त र हए। वे ऐसे काय होने चा हए जो आपको मन क
शां त दे त े ह, जैस े अ ययन, संगीत, खाना पकाना, बागवानी, तैराक या ऐसा कुछ भी जो
आपके मन और आ मा को पो षत करे।
९. लोग के साथ मलकर जीना सी खए। अपना समय और अपने अनुभव उन लोग के साथ
बां टए जनपर आप व ास करते ह और आपको े रत करने वाले लोग के साथ समय
बताइए जनका आप पर सकारा मक भाव हो।
१०. सर क मदद क जए। कभी-कभी जब आप तकलीफ म होते ह, तब ऐसा करना सबसे
े होता है। अपने ःख से यान हटाने के लए ऐसा प रवतन आपके लए अ छा होता है
और साथ ही आप नः वाथ होना भी सीखते ह।
११. हं सए। ह के-फु के बने र हए।

अपने जीवन का आनंद उठाइए। पृ वी पर आप खुद को अथवा सर को नुकसान प ंचाए


बना अपने जीवन का आनंद उठाने के लए आए ह। आपको खुशी दे न े वाली चीज के बारे म
जा नए और उन चीज के बारे म भी सतक रह, जो आपको नराश करती ह। यह कोण न
अपनाएँ क पृ वी पर आप ःख झेलने के लए आए ह। हां, आपके कम के ऋण
अव य चुकाए जाने चा हए, ले कन पृ वी पर आपक जीवन या ा आनंददायक होनी
चा हए। जीवन को ब त गंभीरता से मत ली जए। हा यबोध वक सत क जए। ह के-फु के
र हए। एक बार फर से यान द जए क संतुलन सुखद जीवन क कुंजी है। प र थ तय के
त ब त गंभीर होने क को शश न कर, साथ ही नरथक होकर अपनी ज मेदा रय से न
भाग।

पृ वी पर अपने भौ तक जीवन को खुलकर जएं। हा यबोध और चुलबुल भावना ई रीय काश


का ब त ही मह वपूण ह सा है। जीवा मा जगत म हर कसी के पास हा यबोध होता है। हम
जो करते ह हम उससे यार होता है, हम अपने अ त व से यार करते ह और खूब हंसते ह। यहां
भी संगीत, नृ य और उ सव होता है। उ सव का सही मतलब आप जीवा मा जगत म आकर ही
जान पाएंग।े उ सव मनाने का अथ है यह अनुभव करना क आपका सृजन ई र ने कया है,
आप उ ह के काय को करने म लगे ह, और यह क अपार ान अब भी ा त होना बाक है,
जो हम जीवा मा को भी फलहाल हा सल नह आ। हां, हम अपनी या ा के उस अ ात का
उ सव मनाते ह, जो आगे हमारी ती ा कर रहा है। हम आन दम न होते ह, य क हम जानते
ह क य द हम अपने अ त व के हर तर पर खुश ह, तो ई र के और नकट प ंचने के म म
सातव ांड तक प ंचने पर हम कतने खुश ह गे। न त प से यह ऐसी बात है जसका
उ सव मनाया जाना चा हए।
अहंकार और वन ता

“अपने अहंकार को नकाल फेक।”


“ वन बनने का ढ ग न कर। वन बन।”

मनु य को अहंकार या अहं य होता है?

अहंकार मनु य के सबसे आम दोष म से एक है। हर मनु य म कुछ न कुछ अहंकार या अहं
रहता ही है। य द वे तुरंत नयं त न कए जाएं, तो ये काफ खतरनाक हो सकता है। वन ता
के बगैर कोई आ या मक या ा शु नह होती। मनु य के जीवन म कसी न कसी पड़ाव पर
अहंकार लागू पड़ता है। कुछ लोग म धन को लेकर अहंकार आता है, तो कुछ म उनके सुंदर
शरीर, अपनी तभा इ या द को लेकर...पर आ य क बात यह है क अ धकतर लोग म यह
तब होता है, जब उनम गौरव करने जैसी कोई चीज़ नह होती। यह अर तता तथा मान सक
ं थय के कारण होता है। ऐसे लोग अपने बनाए झूठे बाहरी च को सुर त करने के लए
द वार खड़ी करते ह। वे स चे नह होते तथा स य के माग से र जा रहे होते ह। आज क नया
म के पतन का सबसे बड़ा कारण अहंकार है, य क सभी को यह लगता है क वे जो
कर रहे ह, वही सही है। लोग य द इस अहंकार पर नयं ण न रख, तो उनके फैसले गलत हो
जाएंगे... य क वे स ची समझदारी का अनुभव करने म स म नह ह गे। भले ही एक आम
इंसान का इस सांसा रक नया म कोई तबा न हो, पर य द वह वन है, तो भौ तक सफलता
वाले एक अहंकारी क तुलना म जीवा मा जगत म उसका स मान होगा। एक वन
अ छे लोग को आक षत करता है, न क चापलुस को। लोग उसके पास सही सलाह
पाने के लए आते ह। पर जो लोग अहंकारी होते ह, वे हमेशा अकेले रह जाते ह। वे अपने आस-
पास के लोग के त सशं कत रहते ह और कभी स चे अथ म लोग उ ह पसंद नह करते।

लोग म अहंकार आने का सरा कारण यह होता है क वे सांसा रक स और सफलता


चाहते ह। कभी-कभी समान तभा वाले लोग सफलता के अलग-अलग तर पर होते ह। यह
उनक परी ा, श ण तथा कम पर नभर करता है। सफलता और असफलता, दोन ही
एक परी ा के बराबर होती ह। ता क आप उन दोन का सामना कैसे करते ह, इसक परख हो
सके। सफलता तथा असफलता से कोई बड़ा या छोटा नह होता। य द सही कोण से दे खा
जाए, तो असफलता एक तरह का आशीवाद होती है, य क यह आपके अहंकार को न कर
दे ती है और आपको वन ता का पाठ सखाती है। इसके अलावा, कई बार सफलता, उस समय
आपके लए अ छ नह हो सकती। जब आप वन होते ह, आप अपनी सफलता को अ छ
तरह से संभाल सकते ह। इस लए जब आपको कसी ल य क ा त हो जाए, तो अपने मन म
अहंकार को जड़ न जमाने द। इसके बजाए आप यह सोच क आपक मदद एक उ च श
ारा क गई है। इस स चाई से अवगत रह क जब आप कसी बड़े काय को पूरा करते ह, तो
हमेशा कुछ लोग आपका साथ पाने के लए आपको अनाव यक प से मह व दे न े लगगे। याद
रख क जब आपको सफलता दान क जाती है, तो वह आपके लए एक परी ा होती है।
कभी-कभी बगैर अ धक यास के ज द मल जाने वाली सफलता से आप वयं को अजेय
समझ बैठते ह। ज द मल जाने वाली सफलता भी एक तरह क परी ा होती है। इससे अहंकार
क भावना नह आनी चा हए। इस लए सफलता क सी ढ़यां चढ़ने के लए धीरे-धीरे, नरंतर
कदम बढ़ाने चा हए। स ची सफलता आ या मक सफलता होती है, न क भौ तक
सफलता। भले ही आप पृ वी क भौ तकवाद नया म रहते ह, पर आ या मक प से
वक सत होने का वचार रख। इस लए सांसा रक सफलता मलने के बाद भी आपका यान
आ या मक प से ऊंचा उठने म लगा होना चा हए और आपको अपनी सांसा रक सफलता
का उपयोग मानवता क भलाई के लए करना चा हए। यही वह तरीका है जससे आप पृ वी पर
एक संतु लत जीवन तीत कर सकते ह। अहंकार के कारण मनु य म उ प ए दोष का कोई
अंत नह । पर य द आप एक संवेदनशील इंसान ह, तो आप महसूस करगे क आपक ये
कमजो रयाँ खतरनाक होती ह... य क वे धीरे-धीरे ही सही, पर न त प से आपक
जीवा मा को न करती ह। अहंकार के कारण जब-जब आप वयं के अजेय होने का अनुभव
करते ह, तब अपने आप को याद दलाएं क आप मनु य ह और आपका जीवन ण भर म
बदल सकता ह। वयं को महान समझने के बजाए आप कृत ता का अहसास कर।

अहंकार कस कार हा नकारक होता है?

अहंकार से न न प रणाम उ प होते ह:

१. नणय मता समा त हो जाती है।

आप पर जब अहंकार हावी हो जाता है, तब आप पूरी तरह से अपने भौ तक मन के हाथ


संचा लत होने लगते ह...और भौ तक मन को तो सही आ या मक नणय से कुछ भी
लेना-दे ना नह होता। तब आपका नणय आ या मक प से असंतु लत हो जाता है,
य क आप अपने अवचेतन मन क बात नह सुनते और आपका अहं कसी सरे क
बात आपको सुनने नह दे ता। इससे आप एकमा अपने ही कोण को सही मान लेते
ह। साथ ही आप सर के वचार के त इतने च तत रहते ह, क आप खुद को उनके
वचार के अनु प बनाने म जुट जाते ह। आपके नणय का तब स चाई से कोई संबंध
नह रह जाता।

२. आ या मक पतन

अहंकार आपको ई र क स ा को मानने से रोकता है। इससे आप यह समझ बैठते ह,


क नया म कोई उ च श नह होती। यह आपको समझाता है क आप एक बौ क
ह और इस लए ई र म भरोसा करने के लए आपके पास एक उ चत और ता कक
कारण होने चा हए। आपका अहंकार, आपक बु को ब त अ धक मह व दे ता है, और
आपके अवचेतन मन को कोई मह व नह दे ता, जब क वह ई र के अ त व को
पहचानता है। सही कार से संतु लत मनु य क बु और अवचेतन मन सही तालमेल के
साथ काय करते ह।

३. न न पंदन

य द आप कुछ भी नकारा मक करते ह, तो उसका नतीजा भी नकारा मक ही होगा। इस


नकारा मक ऊजा को आप अपने सर के चार ओर छाए एक काले बादल के प म
सोच, जो आप तक काश आने नह दे गा। य द काश ( ववेक) नह आए, तो आपके
नणय और अ धक असंतु लत हो जाएँगे। इससे एक च का नमाण होता है, जहां आप
और भी अ धक कमज़ोर फ़ैसले लेत े ह। बुरे कम से नकारा मक पंदन उ प होते ह।
आपके न न पंदन आपको तथा आपके आस-पास के लोग को भा वत करते ह। वे
आपके चार ओर के इस नकारा मक बादल का अहसास कर लगे, और आपसे र हो
जाएंगे। इसके अलावा आपके चार ओर क नकारा मक ऊजा और अ धक नकारा मक
ऊजा को अपनी ओर आक षत करने लगती है।

४. अ याय

अहंकार के कारण आप हमेशा खुद को सही मानने लगगे, चाहे आप गलत ही य न ह ।


इस लए खुले दमाग के होने के बजाए प र थ तय को समझने क आपक मता
सी मत हो जाएगी...और आप अपनी राय सर पर थोपने लगगे। इस कार आप उनक
वतं इ छा के व चले जाते ह, जो एक बड़ा अ याय है। भा यवश आप इसे समझ
नह पाते, य क अपने अहं के कारण आप अंधे हो चुके होते ह।

५. ई या

यह आपका अहं ही होता है, जो आपक या ा क तुलना कसी और के साथ करवाता है।
ई र से आपको जो तभा मली है, उसे कृत होकर वीकार करने के बजाए, आपका
अहं आपका यान उस चीज़ पर क त कर दे गा, जो दरअसल आपके पास है ही नह ।
इतना ही नह , सर क तभा और उपल धीय को आप नापसंद करने लगगे। अहं
के कारण आप एक अशांत...ई यालु इंसान बन बैठगे।

६. असंतोष

पृ वी पर इंसान के सीखने के लए सबसे अहम सबक होता है- संतु रहना। अहं भौ तक
मन का प रणाम होता है। यह आपम अ धक से अ धक इ छा को उ प करता है। य द
आपम अहं है, तो आप हमेशा अपने भौ तक मन को उ े जत करते ह...और इसे कह
अ धक श दान कर दे त े ह। भौ तक मन आपक सांसा रक ज़ रत से अ धक के बारे
म सोचने लगता है और अ धक इ छाएं जगाने लगता है। आप तब उन इ छा के सामने
झुक जाते ह और धन-दौलत, तबा और स पाने म जुट जाते ह। यहां तक क उ ह
हा सल कर लेन े के बाद भी आप संतु नह हो पाते ह; आपको इ ह हासील करने के बाद
भी संतोष नह होता। अहं आपम और अ धक चीज़ क इ छा जगाता है, पर जब वे पूरी
हो जाती ह, तो नई इ छाएं जाग उठती ह। आप नरंतर प से उन इ छा को पूरा करने
म जुटे रहते ह। आप उ ह अ धक मह व और श दान करते चले जाते ह। पर य द
आप वन ह, तो आप अवचेतन मन का संचालन करते ह...और अवचेतन मन क
आव यकताएं क त और सरल ह, यह केवल आ या मक प से सही चीज़ के बारे म
ही सोचता है। इसके अलावा जब आप अपने अवचेतन मन को वन ता पूवक सुनते
ह, तो बदले म यह आपको शां त का अनुभव कराता है। संतोष, अवचेतन मन क
सलाह को मानने का नतीजा होता है।
७. श ु

उतावलेपन और वहार के कारण, आप अपने श ु पैदा कर लेते ह। उस व आपका


अहं आपसे कहेगा, “मुझे इसक कोई परवाह नह ।” पर बाद म, काफ दे र हो जाने पर
आपको इसका पछतावा होता है।

८. संबंध क हा न

संबंध सहअ त व पर आधा रत होते ह। पर अहं सहअ त व के व होता है, य क


यह वयं क े ता को मह व दे ता है। इस लए व थ संबंध का नमाण असंभव हो जाता
है, य क अहं इसम हमेशा बाधाएं उ प करता है।

९. अपे ाएं

अहंकार से अपे ा का नमाण होता है। इसका अपना एक न त काय म होता है।
इसके सोचने का ढं ग इस कार होता है: चाहे कुछ भी हो, यह तो करना ही है; ऐसा तो
होना ही चा हए। इ या द। ःख का सही कारण यही है, य क जब अहं का उ े य पूरा
नह होता, तो वह इसे सहन नह कर सकता। यह बेचैन हो जाता है और यह नह समझ
पाता क समय क डोर उ च श के हाथ म होती है। इसके अलावा अपे ाएं चता
भी उ प करती ह, य क वे आप पर अनाव यक दबाव डालती ह। अहं के कारण आप
वयं और सर से अपे ाएं करने लगते ह व अ य य क झूठ अपे ा पर जीने
क गलत आव यकता को उ प करता है। अपे ाएं पालने का यास न कर, ब क
हमेशा अपनी उ मीद कायम रख। उ मीद के बारे म अहं को कुछ भी पता नह होता,
य क इसके लए आपको अपने अंतर से बाहर क कुछ चीज़ पर नभर रहना पड़ता है।
जसका अथ है नतीजा का पूण समपण करना तथा ई रीय योजना के लए थान रखना।
अहं यह नह कर सकता, य क यह केवल वयं और सर पर नयं ण करना जानता
है।

उ मीद रखने का सही अथ या है?

उ मीद रखने का अथ ज करना नह , ब क समझदारी रखना है। यह आपके लए एक


अजीब सा वचार हो सकता है, य क आम बोलचाल म कहा जाता है, “उ मीद बनाए र खए.”
उ मीद गलत नह है, पर उसके प रणाम से बंध े मत र हए। उ मीद का अथ न त अपे ाएं
रखना नह । इसका अथ होता है- उ साहपूण तथा जोशपूण तरीके से आगे बढ़ना। एक अथ म
यह कसी का हर दन सकारा मक प से जीना और भ व य के त भरोसा रखना होता
है। ‘उ मीद जदा रखने’ के लए, आप कसी भी प र थ त को सकारा मक प से और
अ धक से अ धक अ छे तरीके से उसका सामना कर। आप यह जान क ई र वह करगे जो
आपके लए सव म होगा। इस कार आप प रणाम से बंध े नह होते, पर आपने या के
मह व को समझ लया है। अहं केवल प रणाम पर न ा रखता है। जब क समपण करना,
अवचेतन मन क वाभा वक या होती है।

अहं से कैसे नपट?

अहं और अवचेतन मन के बीच जीवन भर संघष चलता रहता है, पर आप तबतक आ या मक


या ा आर भ नह कर सकते, जबतक आप अपने अहं को समा त करने के लए जोरदार यास
नह करते। इस रा ते पर चलने के लए यहां तीन सरल उपाय दए जा रहे ह:

१. वयं का व ेषण कर

अहं क मा ा अलग-अलग होती है। कुछ लोग म यह यादा होता है, तो कुछ म कम।
हालां क सभी लोग म कमोबेश यह होता ही है। हां, अमीरी, स , श , सुंदरता,
उपहार, तभाएं इ या द ऐसी प चीज़ ह, जनसे अहंकार उ प होता है। पर
आ या मक अहंकार- वचार का अहंकार, ‘म’ का अहंकार सबसे बुरा अहंकार होता है,
जैसे- “म सही ं,” “म वन ,ं ” “यह मेर े कारण ही तो संभव हो पाया,” “इतने सारे
लोग मेरे पास मदद और मागदशन के लए आते ह,” “म कई सामा जक काय करता ,ं ”
“म लोग के ःख र करता ,ं ” “कई सारे लोग मेर े पास खचे चले आते ह,” “मने कई
अ पताल और पाठशाला का नमाण कया है” “म अ यंत धा मक वृ य वाला
इंसान ं,” “मुझे पता है,” “मुझे ब त सारी सफलताएं मल ह,” “म अपना काम/
नौकरी/ वसाय कुशलतापूवक करता ं।”

जस ण ‘म’ का एहसास होता है, वही अहं का संकेत होता है...और वही आपके
आ या मक पतन का पहला चरण होता है। आपको सभी सफलताएं, तभाएं इ या द
ई र क ओर से मलती ह। हम उनके साधन ह और उ ह ने हम यह सारे उपहार लोग के
साथ बांटने तथा सर क सेवा के लए दए ह। हम ई र का आभार मानना चा हए
और उ ह ध यवाद दे ना चा हए। उ ह ने हम जो दया है, उसे हम वन तापूवक वीकार
कर और कभी यह न सोच- ‘मने’ यह कया।

अब अपने-आप का व ेषण कर और इस स चाई को वीकार कर क आप एक


अहंकारी ह। कभी-कभी जब आप इसे सही तरह से सोचते ह, तो आपको अपने
अहंकार पर हंसी आएगी। ई र से वनती कर और उनसे मागदशन करने को कह। आप
अहंकारी ह और स चे अथ म बदलना चाहते ह, इसका एहसास करना और इसे
वीकार करना सबसे क ठन पायदान होता है। आ या मक माग पर चलना क ठन होता
है, य क इसके लए प रवतन क आव यकता होती है। अहं को यह पता होता है क
अंततः उसे हटना ही होगा...और वह यही तो नह चाहता। इस लए वह आपको बदलने से
रोकता है। इस लए आपका संक प आपके अहं से कही अ धक श शाली होना चा हए।

२. अपने अहंकार पर नयं ण रख

याद रख क अहं आपके वचार म होता है। जब आप कुछ अ छे काम करते ह या कुछ
उपल ध करते ह, तो आपम एक अहंकार क भावना उ प हो सकती है। ले कन आप
अपनी सोच और वहार म, अहंकार को जगह न द। अपने मन को कसी सरी ओर
क त कर, अहंकार से र ले जाएं। शु आत म आपको अपने-आप पर नयं ण करना
मु कल जान पड़ेगा-उसी तरह जैसे अपनी कसी बुरी आदत को छोड़ना क ठन जान
पड़ता है। आपका भौ तक मन इस बुरी आदत का इतना आद हो जाता है क आप
सोचना शु कर दे ते ह क आपका काम उसके बना नह चलेगा।

धीरे-धीरे ये वचार कम होने लगगे और ज द ही गायब हो जाएंगे। दबाव बना रहेगा, पर


आपके हार न मानने क ही तो परी ा होगी। भले ही आप शु आत म असफल हो जाएं,
पर गु सा न कर या नकारा मक न बन। इसके बजाए आप वन बन कर यह समझ
क शु आत म आपको असफलता मल सकती है। धैय रख और पुनः यास कर।
मु य बात यह है क सफलता मलने तक आप ईमानदारी पूवक यास करते रह। य द
आप ढ़ प से आगे बढ़ रहे ह और सकारा मक ह, तो आपको सफलता अव य
मलेगी। आप यान दगे क चीज़ आसान और प होती चली जाती ह..और आप सही
माग पर आगे बढ़ना शु कर दगे। सबसे अहम होता है- अपने-आप पर नयं ण बनाए
रखना।

३. अहंकार भरे वचार को अपने मन से हटाकर, वन ता भरे वचार को वहां थान


द।

अपने अ प वचार अथवा भावना को लख ल, ता क उ ह प कया जा सके और


सही वचार और सही समझ से बदला जा सके। इस तरीके से, वह छोटा-सा अहंकारी
वचार एक बड़े अहंकार म वक सत नह हो पाएगा। हालां क समय-समय पर अहं क
भावना तब भी आती रहेगी, पर आप अपने मन को नयं त करना सीख जाएंगे। अपना
यास लगातार जारी रख।

या मनु य म अहंकार ज म से ही होता है, या समय के साथ हण कया जाता


है?

मनु य के पास भौ तक मन होता है, जसका अथ है क पृ वी पर उसके संपूण प से अहंकारी


होने क काफ संभावना रहती है। कुछ लोग म सर के मुकाबले कम अहंकार होता है, और
कुछ म अ धक। ऐसा इस लए होता है य क कुछ आ मा ने अपने पूव ज म म अपने अहं
पर वजय पाने का यास कया होता है, और अब वे वन ह। जब क सरे, वन ता के गुण
को हण करने म असफल रहे होते ह और वे अहं को मटाने के उ े य से फर पुनज म लेकर
पृ वी पर आते ह। भा यवश पृ वी पर अहं को और बढ़ावा मलता है, जससे और अ धक
गुण उ प हो जाते ह।

यहां इसका एक सरल उदाहरण दया गया है:

बदला लेना भी एक बड़ा पाप होता है, य क यह योजनाब तरीके से होता है। यह
नकारा मक उ े य से कया जाता है। आइए चौथे लोक के पांचवे तर के एक क थ त
पर वचार करते ह। वह बदला लेन े वाला इंसान नह है, इसका अथ है क उसक आ मा बदला
लेने वाली वृ क नह है, पर कसी कारणवश वह अहंकारी बन जाता है। उसक बाहरी
नया म कुछ ऐसी चीज़ घटती ह, जो शायद सांसा रक उपल ध रही हो, जो उसके अहं को
बढ़ावा दे ती है। उसका अवचेतन मन उसे संकेत दे ता है क उसम अहंकार उ प हो रहा है, पर
वह उसक बात पर यान नह दे ता, य क अहंकार क भावना से उसे आनंद मल रहा है।
अहंकार के साथ यही तो सम या है। यह आपको श शाली होने का अनुभव कराता है और
आपको इसक आदत पड़ जाती है। समय के साथ यह अहंकार और बढ़ता जाता है और
भयानक प धारण कर लेता है। अब यह अपने चार ओर क हर चीज़ पर, वशेषकर सर क
उपल धय पर अपना नयं ण रखना चाहता है। जब कोई कुछ अ छा करता है, तो अहं
उ े जत हो जाता है, य क वह तो हमेशा वयं को े दे खना चाहता है। लोग क म खुद
को अ यंत मह वपूण बनाना चाहता है। उसे इस बात का अनुभव नह होता क ई र ने सभी को
ख़ास और एक जैसा बनाया है। इस लए तुलना करना गलत होता है। अहं जब तुलना करना
आर भ करता है, ई या उ प होती है। तुलना करना य द आगे भी जारी रहा, तो अंदर से
जलने लगता है और उसम ोध उ प होता है। वह जलन एक अ यंत नकारा मक भावना होती
है और जंगल क आग क तरह फैलती है। यह इतनी अ धक फैल जाती है क घृणा म बदल
जाती है। जब आप उस तर पर प ंच जाते ह, जहां आपके अंदर घृणा भर जाती है, तब आप
अपने अवचेतन मन को सु त होने क अनुम त दे त े ह, इस लए आपके ऊपर इसका कोई असर
नह पड़ता और कोई भी तक आपको शांत नह करता। आप उस घृणा से अंधे हो जाते ह और
आपम बदला लेने क भावना आ जाती है। जब आप कसी से बदला लेत े ह, तब अवचेतन मन
सु त हो जाता है और आपके उबरने का मौका लगभग ख म ही हो जाता है। इस लए चौथे लोक
के पांचवे तर क उस आ मा म शु आत म बदले क भावना ज म नह लेती, पर चूं क वह
अपने अहं पर काबू नह रख पाया, इस लए उसका आ या मक पतन हो जाता है।

तशोध मनु य का एक न नतम गुण होता है और आ या मक नयम म बदले क भावना


वाले लोग के लए कोई रयायत नह होती। इस लए अहंकार के त सचेत रह। य द समय पर
नयं त न कया जाए, तो यह एक ब त बल नकारा मक ताकत बन सकता है...जो जीवा मा
को हा न प ंचाता है। तशोध अलग-अलग तरीक से ले सकता है। तशोध का अथ
शारी रक नुकसान प ंचाना नह ; जो क इसका शा दक अथ है। आप कसी को नीचे गराकर,
उसे छोटे पन का अनुभव करवाकर या उसे गलत काम करवाने के लए तैयार कर भी तशोध
ले सकते ह। जब आप जानबूझ कर कसी को शारी रक, मान सक, भावना मक या
आ या मक प से नुकसान प ंचाते ह, तो आप उससे तशोध लेते ह।

वन बनने का या अथ है?

१. इस बात को यान म रखना क आपक रचना एक उ च श ारा क गई है।


आ या मक माग पर चलने वाला एक स चा ज ासु, एक वन ही होता है। सृजन
के बारे म, ऐसे क समझ प होती है और उसे पता रहता है क उसका सृजन ई र
ने कया है। वन होने का अथ, कभी इस स चाई को नह भूलना है। हम सभी का नमाण
ई र ारा कया गया है और हम सभी उनसे जुड़े ह। एक ानी, याय य और क णामय
ई र से जुड़ना एक आशीवाद है, और यह हमारे ऊपर नभर करता है क हम वन बने
रहकर इस र ते को सदै व बनाए रख।
२. य द अहंकार का अथ वाथ होना है, तो वह वन ता का अथ नः वाथ होना है।
ई र और उनक खू बय को जानने के लए उनक खू बय को जीवन म उतार। ई र का
सबसे पहला गुण है वन ता। वन ता वाभा वक प म होती है। य द आप कृ त पर
यान दगे, तो पाएंग े क ई र ने सुंदरता का नमाण कया है...और उनके सृजन को जो
चीज़ सुंदर बनाती है, वह न केवल प-रंग है ब क यह स चाई क कृ त म वनय होता
है। यह पूरी तरह से नः वाथ होती है। यह नः वाथता क खूबी ही तो आ या मकता का
मूल होता है। इसके अलावा कृ त सहजीवी होती है: जल-धाराएं न दयां बनती ह, न दयां
सागर बनती ह और सागर महासागर। कृ त म संतुलन, एकता, लयब ता मौजूद होती
ह... और उससे भी बड़ी बात है क इसम वन ता होती है। जल क धाराएं कभी खुदको
नह कहत क वह महासागर बनना चाहती ह। उसे इस संसार म अपनी जगह के बारे म
ान होता है। वह अपने काय को न तापूवक, खुशी-खुशी वीकार करती है और एक
महान उ े य के लए नरंतर काय करती रहती है। ई र मनु य से भी यही चाहते ह।
आ या मकता क स ची कला है, नः वाथ सेवा, जो कृ त क एक बड़ी वशेषता है।
३. वन होने का ढ़ ग न कर, ब क वा तव म वन बन।
जैसे अहंकार वचार म होता है, उसी कार वनय भी वचार म आता है। अहं अपनी
अप व भावना को सही और अ छे प म छपाए रखने म बल होता है... और आपको
इस बात को लेकर मूख बनाता है क आप जो कर रहे ह सही कर रहे ह। यह इस लए क
अहं वाथ होता है और उसे कसी भी क मत पर अपना उ े य पूरा करना होता है। यह
क मत आपका अपना अवचेतन मन और आ मा हो सकती है। कई सारे मनु य वनय का
मुखौटा लगाए रहते ह। उनके काय और वाणी से ऐसा तीत होता है क वे वनयशील
ह...पर उनके वचार म अहंकार और े होने क भावना कूट-कूट कर भरी होती है। वे
कुछ समय के लए लोग को मूख बना सकते ह, पर एक न एक दन इन लोग का भेद
खुल ही जाता है।
४. आप य द आ या मक माग पर ह, तो अहंकारी और सही होने के दं भ को न पाल।
य द आप आधा मक माग पर ह, तो इसे लेकर अहं न पाल। पृ वी पर जीने क खा तर
जब आपको सभी आव यक ान उपल ध ह , और तब भी आप गलत राह ही अपना ल,
तो आपका आ या मक पतन तेज और यादा गंभीर हो जाता है। पृ वी पर कई सारे लोग
ऐसे ह, ज ह लगता है, क वे ई र का काय कर रहे ह। उ ह लगता है क ान फैलाकर
और लोग को जीने का सही तरीका दखाकर, वे नया म काश फैला रहे ह। पर कई
सारे तथाक थत आ या मक गु को इस बात का घमंड होता है क वे ानी ह। यह
आ या मक अहंकार है, जो सबसे बुरा अहंकार होता है। यह जीवा मा का सबसे
अ धक तर का राचरण है। य द आप आ या मक ान ा त कर उ त होना चाहते ह,
तो सही गु चुनना सबसे अहम बात होती है। याद रख क ब त सारे गु स ा के इतने
भूख े होते ह क उ ह सही तरह से पता होता है क अपने श य को चालाक से कस कार
संचा लत कया जाए। वे अपने व ाथ के अहं को बढ़ावा दे त े ह, और उसके भय का
योग उसे चालाक पूवक संचा लत करने म करगे। आ या मक माग आसान नह होता।
इसम क ठन स य मौजूद रहते ह। इसपर चलने के लए आपको अपने-आप म झांकना
होगा और अपने गुण को वीकारना होगा। गलत गु आपको वही चीज़ दगे, जो आप
सुनना चाहते ह। वे आपको ऐसी चीज़ नह दगे जसक आपको वा तव म ज़ रत हो।
जब क स चा गु हमेशा एक व ाथ भी होता है। आपका गु वनयशील है या नह ,
इसे परखने क यह पहली नशानी है।
५. हमेशा याद रख क आप ई र के व ाथ ह।
आपके पास जतना भी ान ह, जतने गुण ह और आपके अंदर जतनी भी अ छाइयां ह,
वे आपक अपनी नह ह। ये सभी आपसे होकर बहती ह। आपका मन, शरीर तथा
जीवा मा सौभा यशाली होती ह क वे अ छाइयां उनसे होकर वा हत होती ह। यह वाह
आपको सही माग पर बनाए रखेगा। पर जब आप उस वाह को अपने नयं ण म करने
लगते ह..और यह सोचना शु कर दे त े ह क इन सारी चीज़ के लए आप खुद ज मेदार
ह, तो आप धीरे-धीरे ही सही पर न त प से उस वाह को बा धत करने लगते ह। और
एक दन वह वाह कमजोर होता जाएगा और आ खरकार समा त हो जाएगा। अ छाइय
के वाह ने आपको नह छोड़ा है... ब क आपने उसे छोड़ दया है। आपने उसे अहंकार
से त होकर छोड़ा है। आ या मक नयम के अनुसार, वह वाह वन ता क ओर
बहता है। इस लए अब वह एक सरे मा यम क ओर मुड़ जाएगा, जो राचारी जीवा मा
नह होती ...एक ऐसा मा यम जो सेवा क अवधारणा को समझने के लए खुला होता है।
मा यम के प म आप ही तो सेवाकता होते ह। सेवा काय कर आप सह-सृजनकता बन
जाते ह। पर जस ण आपम अहं आता है, आप अकेले चलना शु कर दे ते ह और अपने-
आप को ई र से अलग कर लेत े ह। तब आप अपने मन और शरीर के भरोसे रह जाते ह,
जो अ यंत सी मत होते ह। जा हर है आपक जीवा मा तब आपके मन और शरीर क
तुलना म तेजी से अवनत होने लगती है... य क यही वह चीज़ है जो ई र के बना जी वत
नह रह सकती। यह अपने ोत से पोषण लए बना नह रह सकती।
मू यवान होने के लए आपको आ या मक संप और श क आव यकता होती है।
अहं को चीज़ पर नयं ण करना अ छा लगता है...इस लए वह आपको कहेगा क ई र
क स ा वीकार करने पर आप श हीन हो जाएंगे। अहं आपको ई र से तोड़ कर
आपके सामने श क झूठ माया उ प करता है। यह आपको नरंतर प से भौ तक
संप और स ा त करने के पीछे लगाएगा। यह आपको बेचैन कर दे गा...और
आपको वह बेचैनी एक सकारा मक उ े य के जैसी महसूस होगी...और आप अपने
भौ तक नया म यादा से यादा पाने क तरफ दौड़ पड़गे। अहं को पालकर और अपने
अवचेतन मन क तुलना म अपने भौ तक मन को अ धक मह व दे कर, आप पूरी तरह से
अपनी जीवा मा को अनदे खा करने लगते ह और अहं के खतरनाक हाथ को और मजबूत
बना दे त े ह। वह म केवल तभी टू टता है, जब आपक मृ यु होती है। जब आपक
जीवा मा का मू यांकन होता है, तब आपका म टू ट जाता है। म टू टने क वा त वक
थ त दे र से आती है...और आपको एहसास होता है क आपक अमर जीवा मा ही एक
ऐसा त व है, जसका स चा मू य होता है। आप अपना पूरा जीवन उन चीज़ पर खच कर
डालते ह, जो अ थाई होती ह। आप अपनी सारी श को भौ तक तथा सांसा रक स ा
को अ जत करने म लगा दे त े ह। स ा के बारे म मत सो चए। आ या मक श के
बारे म सो चए। आप जन चीज़ को दे खते ह, वे अ थाई ह...आप ज ह नह दे ख पाते वे
अनंत ह। य द आप इस स य को यान म रखकर जीवन जएं, तो आप कभी न ख म होने
वाली धन-संप य और स क लालच नह करगे। दरअसल जब वह धन-संप और
स आप तक प ंचेगी, तो आप ई र के त कृत महसूस करगे। आपको इस बात
का एहसास होगा क आपको उस मजबूत थ त म इस लए रखा गया है, ता क आप
सर को े रत कर सक और ई र के काय कर सक। ई र के काय करने का अथ है,
अपनी थ त का उपयोग सर के वकास के लए करना। लोग को उनके ःख-
परेशा नय से बाहर नकालना, उ ह श दान करना, और आ खरकार कसी सरे क
जीवा मा को ऊंचा उठाने म मदद करना ही येक मनु य का अं तम ल य होना चा हए।

कुछ लोग को ऐसा य लगता है क वन ता एक कमजोरी है?

ऐसा उ ह इस लए लगता है, य क वे वन ता का असली अथ नह समझते। आ म-स मान


और वन ता साथ-साथ चलते ह। इसका अथ यह है क चाहे जो भी हो जाए, आप वही करगे
जससे आपक या कसी और क जीवा मा को क न प ंच।े इसका अथ है सही नणय
लेना, अपनी सीमा को जानना और कसी और को ःख न द, या उनका अपमान न करना।
वन ता को कभी कमज़ोरी के प म नह दे खना चा हए। ब क अहंकार तो आपक कमज़ोरी
है, जो आपको अपने गुण को वीकार करने से रोकता है। वन ता आपको अपने अवचेतन
मन से काम करने म मदद करती है...और अवचेतन मन प-रंग, बाहरी बनावट क बात नह
सोचता। यह आपके अहं को कुचलता है, और वही करता है, जो सही है। कभी-कभी आप
अपने गुण का वीकारते ह, पर आप तब भी अ स ता का अनुभव करते ह। अपने दोष को
वीकार करने से शां त मलनी चा हए, न क ःख। कुछ लोग को अपनी गल तय को वीकार
करने म लंबा समय लगता है। यह एक प संकेत है क आपका अहंकार अपने काम म जुटा
है। वन ता का सव च मू य है य क यह आपको अपने अंदर क नै तक स चाई तक जा
प ंचाती है और आपको अपना मागदशक बनने म मदद करती है। वह कमज़ोरी कैसे हो सकती
है? वन ता आपको अपने-आप के त ईमानदार बनाती है। आप ण भर म यह जान सकगे
क आपके अहं को चोट लगी है, या आप अपने व ास पर अ डग ह। नै तक नणय लेना एक
अ छ बात है, य क आप अपने आ या मक अंतमन से काय करते ह। व मता का अथ
ता को सहन न करना है। कई सारे लोग कायर बनकर वन ता को एक बहाना बना लेत े ह,
और न त प से यह एक कमज़ोरी है। वन ता का अथ है ता को हतो सा हत कर उससे
लड़ना..और यह जानना क ऐसा करने क श ई र के ार से ा त होती है।

कोई यह कैसे जान सकता है, क वह अहंकारी है?

अहंकार के ल ण इस कार है:

१. आपको ई र के अ त व म व ास नह होता।
२. अपने दोष को वीकार करना आपके लए मु कल होता है।
३. जब आप यह अहसास करते ह क आप ग़लत थे और सरा सही, तो यह बात आप सह
नह पाते।
४. आप स चाई से भागते ह।
५. आपको लगता है क आप सर से बढ़कर ह।
६. आप मानते ह क केवल आप ही तभाशाली ह।
७. आपको यह लगता है क आपके बना कुछ नह हो सकता।
८. आप मानने लगते ह क आप सबकुछ जानते ह, और आ या मक ान पाने क आपको
आव यकता नह है।
९. आप केवल अपने ही कोण को सही मानते ह।
१०. आप लोग को लगातार नीचा दखाते ह और उ ह छोटे होने का अहसास दलाते ह।
११. आप इस बात क परवाह नह करते क आपने कसी क भावना को चोट प ंचाई है।
१२. आप अपनी सारी उपल धय का ेय खुद को दे ते ह।
१३. आप यह वीकार नह कर पाते क ब त से लोग ऐसे ह जो कसी न कसी मायने म
आपसे बढ़कर ह।
१४. आप ाथना को मह व नह दे त।े
१५. आप इस बात को नह समझते क दोष हर कसी म होता है और हर आदमी ग़ल तयां
करता है।
१६. आप केवल अपने बारे म सोचते ह।
१७. आप एक अधीर, ोधी ( सर क ग़ल तय से आप चढ़ते ह) और ब त अ खड़
ह।
१८. आप प रवतन का तरोध करते ह।
१९. सरे अगर आपसे असहमत ह तो आप बदा त नह कर पाते।

मनु य वन ता कैसे हा सल करे?

१. अपने अवचेतन मन को जागृत क जए। जब आप अपने अवचेतन मन ारा संचा लत होते


ह, तब वन ता आपका वाभा वक गुण बन जाता है।
२. ाथना क जए। जब आप स चे मन से और नय मत ाथना करते ह, तो आपको हमेशा
इस सच का अहसास होता है क आप ई र ारा रचे गए ह। यह स य आपको वन
बनाए रखता है।
३. सह-अ त व और एकता को सम झए। ई र ने हर कसी को समान बनाया है। इस लए
जस ण आपको लगे क आप सर से बढ़कर ह, समझ ली जए क आपक सोच म
कोई दोष है। हम सभी पृ वी पर अपनी परी ा , श ण और जीवन काय पूरे करने के
लए अपनी-अपनी खू बयां लेकर आए ह। इस लए, एक का सरे से बढ़कर होने का तो
सवाल ही नह उठता।
४. सर क सेवा करना सीख। अहंकार चाहता है क केवल उसक ही इ छा पूरी हो, ले कन
वन ता आपको सेवा के माग पर ले जाती है।
५. खुले वचार र खए और सर के कोण को सम झए।
६. अपने दोष को वीकार क जए। ऐसा करने से ही आप खुदको बदल सकते ह।
७. आ या मक ान के लए अपने मन का ार हमेशा खुला र खए। एक वन हमेशा
एक व ाथ भी होता है। बहरहाल, आ या मकता म ब त अ धक गहरे भी मत
जाइए। हमारे कहने का अथ है क केवल ल खत ान म मत उल झए। व ाथ के प
म, मक प से अपनी सीखी ई चीज को लागू क जए। जब आप अपनी श ा को
अमल म लाते ह, तो आप अपनी जीवा मा को सबल बनाते ह, ले कन य द आप
ान म ही उलझे रहते ह और उसके ज रए खुदको भीतर से बदलने क को शश
नह करते, तो आप अपने अहंकार को श दान कर रहे ह।
८. दयालु और स दय ब नए। सर क भावना को यान म र खए। सर क परवाह
क जए और उनक प र थ तय को सम झए।
९. धैय र खए। याद र खए क लोग आ या मक वकास के अलग-अलग तर पर होते ह
और उनक परी ाएं, उनके श ण और कम भी अलग-अलग होते ह। उनके
आ या मक ान का तर भी समान नह होता। उ ह तौ लए मत, बस उनके वकास म
मदद क जए।
१०. जब आपके साथ कुछ अ छा होता है, या फर जब आप भौ तक जगत म कुछ उपल ध
करते ह, तो हमेशा इसके लए ई र को ध यवाद द और पृ वी पर आपक मदद करने वाले
आपके आसपास के लोग और जीवा मा जगत के अपने प रजन को भी ध यवाद द।
११. जब आप संदेह म ह , तो ऐसे से सलाह ल जसपर आपका भरोसा हो। आज क
एक सबसे बड़ी सम या यह है क लोग अपने अहंकार के कारण कसी से मदद या सलाह
मांगने म संकोच करते ह। वे इसे कमजोरी का ल ण मानते ह। आपको मदद क
आव यकता है, इस सच को खुलकर वीकारने के लए भी आपके अ दर श होनी
चा हए। ले कन मदद नह मांगना और अपने आप को यह भरोसा दलाना क आप बना
कसी क सहायता के अपनी सम याएं सुलझा लगे, यह अहंकार का ल ण है।
१२. ई र के आगे समपण क जए। सही रा ते पर कायम रहने के लए अपना पूरा यास
क जए, ले कन यह जान ली जए, क प रणाम केवल ई र के हाथ म है। जैसा आप
सोचते ह, ई र क योजना उसक तुलना म कह ऊंचे तर क होती है।
आ या मकता म अहंकार को न करना शा मल होता है और अहंकारी लोग के लए यह
एक डरावनी चीज होती है। इस लए य द आप ब त अहंकारी ह तो आपके लए
आ या मक या ा बड़ी मु कल होगी। अहंकारी मनु य के लए खुद को बदलना असंभव
नह होता, ले कन उसे बदलने के लए बड़ी मेहनत करनी होगी य क उसका अहंकार
अपनी पूरी ताक़त से उसे बदलने से रोकेगा। वष से अपने अहंकार के कारण आपक जड़
इस भौ तक और सांसा रक जगत म गहराई तक फैल चुक ह। आ या मकता का अथ है
उन जड़ को काटना और उ च तरीय ान क जड़ को रोपना। अहंकार का बोझ लए
कोई उड़ान संभव नह । वन ता आपको उड़ान भरने तथा जमीन पर पांव जमाए रखने,
इन दोन म ही एकसाथ मदद करती है।
अ का थानांतरण

“ थानांतरण पूरी तरह मानव- न मत है, जो मनु य ारा कए जाने वाले कम के फल व प


उ प ऊजा के कारण होगा। अपराध और पाप जतने अ धक ह गे, थानांतरण उतनी ही ज द
होगा।”

“ थानांतरण का सामना करने का एकमा उपाय है ई रीय स माग पर चलना।”

अ का थानांतरण या है?

कृ त सजीव होती है। इस लए, यह ऊजा के त ब त संवेदनशील होती है। चू क कृ त


तट थ होती है, इस लए जब मनु य बुरी राह पर चलते ह तो उनके कम ारा नकारा मक पंदन
उ प होते ह और ये नकारा मक पंदन कृ त ारा अवशो षत कर लए जाते ह। मनु य म
कृ त के म को अ छे या बुर े के लए बदलने क मता होती है। जब मनु य लगातार ग़लत
माग का अनुसरण करता है और ई र, अपने प रजन और कृ त के त स मान नह दशाता
है, तो भ माण म नकारा मक ऊजा सं चत होने लगती है। प रणाम व प कृ त क
त या नकारा मक होती है। इस कारण भूकंप, बाढ़, बवंडर, वालामुखी, आग इ या द जैसी
ाकृ तक आपदा क घटनाएं पृ वी पर बढ़ जाती ह। यह कृ त का अपना तरीका है मनु य
को चेतावनी दे ने, उसे रोकने, सोचने को मजबूर करने और बदलने का। इंसान ने भले ही
जबरद त तकनीक ग त कर ली हो, ले कन यह स ची ग त नह है। श का उपयोग
मानवता के क याण के लए कया जाना चा हए न क गत लाभ अथवा नकारा मक
उ े य के लए। अ छाई के मूलाधार ेम, नः वाथता और मै ी अब पृ वी से लगभग गायब हो
चुके ह। यह ग त के नह ब क पतन के संकेत ह।

कृ त मनु य क परछा है। यह वही दशाती है जो आपके अ दर है। सारे उतार-चढ़ाव जो


आपक नया म होते ह, वे मनु य के अ दर चलने वाली अशां त को दशाते ह। साथ ही,
आपक ऊजा को कृ त ारा अवशो षत कर लया जाता है। य द आप सकारा मक ऊजा
उ प करगे, तो कृ त इसे शां त और सामंज य के प म पराव तत करेगी। य द आप
नकारा मक ऊजा उ प करगे, तो कृ त क या भी नकारा मक होगी। य द आप एक
थान पर परमाणु परी ण करगे, तो कसी अ य थान पर भूकंप पैदा होगा। भा य से हम यह
भूल चुके ह क संपूण पृ वी हमारा घर है और यह भी क हम सब आपस म एक सरे से जुड़े
ह। इस समय मनु य भले माग से भटककर इतनी र नकल आया है क कृ त संकेत दे न े लगी
है। आप ऐसी नया म जी रहे ह जहां लोग ई र के बारे म बोलने अथवा आ या मक रा ते पर
चलने से भी डरते ह, या ल जत महसूस करते ह। कुछ ऐसे भी लोग ह जो कहते ह क उनका
ई र म व ास है, ले कन ण भर के लए भी वे ई र क श ा के अनु प जीवन नह
जीते। वे ई र क अ छाइय से इतने र होते ह क क पना से परे बुरे काम करते ह। कुछ
ऐसे भी लोग है जो केवल अहंकार क पु के लए अथवा अपनी ज मेदा रय से बचने के लए
आ या मक या ा पर नकल पड़ते ह और अपने आप को यह भरोसा दलाते ह क वे ई र को
ा त करने चले ह। ई र के नयम कुछ इस तरह बनाए गए ह, क जब मनु य एक सीमा से
आगे बढ़ जाता है, जब अ छाई के साथ मनु य का सामंज य पूरी तरह टू ट जाता है और एक
बड़ा असंतुलन पैदा होता है, तब कृ त उ ह चेतावनी दे ती है क वे ग़लत रा ते पर चल रहे ह।
य द मनु य बदलाव क ओर नह बढ़ता, तो कृ त हर असंतुलन को एक शु करण या के
ज रए बदलेगी य क आ ख़रकार ई र क रचना (मनु य तथा कृ त दोन ) को अपने अभी
प म, शु , उदार और शां त य होकर रहना है। इस शां त के फर से था पत कए जाने से
पहले नकारा मक ऊजा को हटाना होगा। शु करण क या शु हो चुक है, ले कन इस
बार कृ त तब तक नह केगी जब तक पृ वी फर से शु न हो जाए। पृ वी को फर से ऐसे
थान के प म वक सत होना होगा जहां मनु य आपस म ेमभाव और कृ त के साथ
सामंज य बठाकर जएं और सवश मान ई र के साधन के प म काय कर। ई र के स चे
साधन के प म काय करने का अथ है ई र म पूण आ था के साथ नः वाथ होकर उ चतर
अ छाई के लए जीना।
मनु य को कृ त के साथ सामंज य बठाकर चलना होगा और इ रीय स माग पर चलकर
आ या मक ग त करनी होगी। बहरहाल पृ वी पर जीवन च इस कार है क कभी-कभी
अ छाई का सार होता है और बुराई संकु चत होती है, अथवा कभी-कभी इसके वप रत होता
है। यह च लगातार चलता रहता है। कभी-कभी नकारा मकता ब त बढ़ जाती है और इसम
इतनी अ धक वृ के कारण शु करण क या अ नवाय हो जाती है य क बुराई अथात
नकारा मकता के एक बड़े ह से को हटाना ज री हो जाता है। य क सफाई क या
कृ त ारा चलाई जाएगी, इस लए ाकृ तक आपदा का व प इतना वशाल होगा क
‘ ुव के थानांतरण’ क थ त बनेगी। पृ वी का अ भौगो लक प से थानांत रत होगा।
महा लय लाने वाले भूक प क एक ृंखला चलेगी जसके कारण बड़ा असंतुलन पैदा होगा
जसके बाद बाढ़, वारीय तरंग, आग और अ धक भूकंप, वालामुखी व फोट जैसी बड़ी
ाकृ तक आपदा का ज म होगा। इनके कारण नकारा मकता का एक बड़ा भाग पृ वी से
मट जाएगा। इस जानकारी का मकसद आपको डराना नह है। इसका उ े य केवल आपको
प रवतन करने के लए सचेत करना है।

अ के थानांतरण को कौन न मत करता है? ई र या मनु य?

ई र ने मनु य को अ छा-बुरा चुनने क वतं इ छा दे रखी है। इस लए, थानांतरण पूरी तरह
मानव- न मत होता है, य क यह मनु य के नकारा मक कम के फल व प उ प ऊजा के
कारण होता है। थानांतरण काय-कारण स ांत से संबं धत है और मनु य के याकलाप पर
यह कृ त क वाभा वक त या है। यह पूरी तरह मनु य के हाथ म है। अवचेतन मन के
मागदशन को अ दे खा कर मनु य आ या मक माग से पूरी तरह भटक गया है। यही मु य
कारण है क थानांतरण ब त ज द होगा। य द आप कृ त के चम कारी और नाजक संतुलन
को बगाड़गे, तो इसके प रणाम ब त भीषण ह गे।

थानांतरण क अव ध या होगी?

कुछ ही घंट के अ दर वनाश का बड़ा ह सा घ टत हो चुका होगा। इसक ग त ब त तेज


होगी। उस समय, जब बड़े माण म लोग अपने यजन को खोएंगे, तब भले लोग ारा उ ह
मागदशन मलेगा और राहत प ंचाई जाएगी, जससे उनम जीने के लए और आशा कायम
रखने के लए श का संचार होगा।

अ का थानांतरण कब होगा?

इसका समय पूरी तरह मनु य के हाथ म है। अपराध और पाप जतने अ धक ह गे, उतनी ही
ज द थानांतरण घ टत होगा।

थानांतरण के बाद कौन बचेगा?

इससे बचना ब कुल आपके अपने हाथ म है। शु करण क या का अथ है क


नकारा मकता का एक बड़ा ह सा साफ कया जाएगा। बचे रहने के लए आपको यह सु न त
करना होगा क आप उस नकारा मकता का ह सा न बन, जसे हटाया जाना है। आ या मक
प से उ त बन।

नया म कतने तशत जनसं या बचेगी?

नया क जनसं या का २५% भाग बच पाएगा।

थानांतरण कहां से शु होगा?

महा लयकारी भूकंप के साथ थानांतरण एक साथ सारी नया म शु होगा जसके बाद
नया भर म, शु करण क या पूरी होने तक एक के बाद एक भीषण ाकृ तक आपदाएं
आती रहगी। पृ वी के कई ह से, जो आज जमीन ह, वे समु बन जाएंगे; बड़े पैमाने पर आग
लगने क घटनाएं ह गी; और जहां-जहां परमाणु ह थयार, गोले-बा द रखे गए ह वहां-वहां
भयानक व फोट ह गे। पृ वी को अ यंत भयानक वनाश से गुजरना होगा।

पृ वी के कौन-कौन से ह से थानांतरण के समय और उसके बाद सुर त बचगे?

सकारा मक पंदन वाले थान सुर त रहगे जैस े कनाडा, यूजीलड और आ े लया के कुछ
ह से। जन थान के पंदन नकारा मक ह, उनके बचने क संभावना ब त कम होगी।

थानांतरण के बाद या सुर त थान म औषध क आव यकता होगी?

शु आती तौर पर औषध क आव यकता पड़ेगी, इस लए घर म औषध को जमा रखना बेहतर


होगा। साथ ही, ाथ मक उपचार और आपदा ब धन पा म कर लेना ठ क रहेगा ता क
आपको यह पता हो क य द कोई घायल हो जाए, तो उसे बचाने के लए या कया जाना
चा हए।
थानांतरण का हमारे आ या मक वकास से या संबंध है?

आपने ऐसे समय म प रवतन करने के लए पृ वी पर ज म लया है, जब क अ या धक


नकारा मकता के कारण खुद को बदलना ब त मु कल है। मु कल समय म पृ वी पर आकर
और एक सकारा मक आ या मक जीवन जीते ए आप ग त करने क को शश करते ह।
सबसे पहला काम जो आपको करना है वह है खुद म प रवतन लाना। आपको यह प रवतन
ज द लाना होगा, अ के थानांतरण क घटना होने से पहले, य क यही आपक परी ा है।
यह वह परी ा है जसे आपने खुद चुना है। थानांतरण होने पर शु करण क या शु हो
जाएगी और पृ वी के पंदन बदलगे और पृ वी पर लोभन कम हो जाएंग।े इस लए, अभी इसी
व प रवतन लाना एक परी ा है। जीवा माएं प रवतन लाने म आपक मदद करना चाहती ह,
ले कन हम आपका सहयोग चा हए। य द आपम प रवतन क इ छा नह है, तो हम आपको
इसके लए मजबूर भी नह कर सकते। यह कभी न कह क आपके पास आ या मक प रवतन
के बारे म सोचने का समय नह है। जब आप भौ तक जीवन म ब त यादा उलझे जाते ह, तब
यह भूल जाते ह क पृ वी पर आप कस लए आए ह। अपने आप को भा यशाली सम झए क
आपका ज म मु कल घड़ी म आ है। आ या मक प से ग त करने पर भौ तक चीज के
साथ आपका लगाव कम होता जाएगा और आप अपने कत को नभा पाएंगे और पृ वी पर
अपना जीवन काय पूण कर पाएंग।े अंत म यह समझ ली जए क इस समय, जब क
नकारा मकता अपने चरम पर है, नः वाथ भाव से भला काम करना आपको ब त ज द ग त
क ओर ले जाएगा। य द यही भला काम आप थानांतरण के बाद करगे जब पृ वी पर पंदन
सकारा मक हो जाएंग े और अ छाई का बोलबाला होगा, तो आपक ग त उतनी तेजी से नह
होगी।

थानांतरण के वषय म जीवा माएं पृ वी क आ मा को कस कार मदद कर


रही ह?

इस समय हम पृ वी क आ मा के सुधार के लए ब त क ठन यास कर रहे ह, ता क वे


थानांतरण म सुर त बच सक। हम भली आ मा को सुर त थान म ले जाने का भी काय
कर रहे ह। पृ वी पर हर तरफ इतनी ग त व धयाँ चल रही ह, जनका आपको अंदाज़ा भी नह ।
हम इस समय ब त अ धक सतक ह और पृ वी पर होने वाले एक-एक प रवतन पर नज़र रख
रहे ह। थानांतरण शु करण क एक ज री या है। पृ वी के इ तहास म यह नय मत
अंतराल पर होता रहा है। बहरहाल इस बार, मनु य अपने ह को न करने के ब त करीब
प ंच चुका है। यही ह उसे जीवन और आ य दे न े के साथ उसके वकास म मदद करता है।
मनु य को कृ त के साथ पूरी एकता और सामंज य के साथ जीना सीखना होगा। इस तरह यह
आप पर नभर करता है क आप अपने जीवन को सरल बनाएं और स चे रा ते का अनुसरण
कर। एक बार फर हम आपको बताएं, क आपके लए बचने का केवल एक ही माग है, अ छाई
के नाते प रवतन लाना और स ची राह पर चलना।
थानांतरण के दौरान मनु य को कस कार मागदशन और सहायता ा त ह गे?

उ चतर लोक के मनु य सुर त रहगे। उड़नत त रयां (यूएफओ) पृ वी पर आकाशगामी करण
भेजकर उन भली आ मा को बचाएंगी जो खतरनाक थान म फंस ह । इन करण को हर
कोई दे खेगा और भयभीत होगा ले कन उ चतर लोक क भली आ माएं स चाई समझ जाएंगी
और उ ह मागदशन ा त होगा क उ ह या करना है। यहां तक क य द भली आ माएं मलबे के
नीचे दबी ह गी और कसी को दखाई नह पड़गी, तब भी उ ह ‘ढूं ढकर’ बचा लया जाएगा। ये
आ माएं करण क ओर नद शत ह गी जो उ ह अंत र यान म ले जाएंगी। जो मनु य उ चतर
लोक के नह ह गे और जनके पंदन बुरे ह गे, वे इन करण से डरगे और चाहकर भी उ ह छू
नह पाएंगे अथवा उनम जा नह पाएंग।े अंत र यान म, मनु य को जी वत रहने के तरीके
सखाए जाएंगे और फर उ ह समु म उभरे ए व भ प पर उतार दया जाएगा। मनु य
के लए यह सबसे क ठन परी ा होगी और थानांतरण से पहले, इसके दौरान और इसके बाद
उ ह ब त अ धक श और सकारा मक वृ धारण करने क ज रत होगी। अब तो आप
समझ गए ह गे क हम आपसे य ज द से ज द तर क करने क बात कर रहे ह?

या थानांतरण के बाद प रवार साथ रह पाएगा?

यह इस बात पर नभर करता है क प रवार का येक सद य कतना भला है। थानांतरण


के दौरान केवल आपके लोक को यान म रखा जाएगा और आपके लोक के अनुसार ही
आप अपने प रवार के साथ रहगे, या उनसे बछड़ जाएँग।े

य द कसी गभवती मां के पंदन नकारा मक ह और उसके पेट का ब चा भली


आ मा है तो उनका भा य कैसा होगा?

थानांतरण के दौरान कोई भी भली आ मा बुरी माता के गभ से ज म नह लेगी।


आ मव ेषण प
यहां एक आ म व ेषण प दया जा रहा है।

इसम मनु य के सभी संभा वत नकारा मक आ मक ल ण दए गए ह। एक मनु य के तौर पर


बदलने के लए, आपका यह जानना ज री है क या बदलना है। इस लए इस सूची को खुले
दमाग से प ढ़ए और उन सब ल ण पर नशान लगाइए जो आप पर लागू होते ह। व ेषण
दन के अंत म रोज करना चा हए और आपको उस दन खुद पर लागू होने वाले ल ण पर च ह
करना चा हए। यह याद र खए क यह व ेषण का वचार आपके त कठोरता नह है।
शालीन नज़ रए से और हणशील वन मन से यह आपक अपनी आ मा क जाँच-परख
करना है। यह आपक आ मा को समझदारी के काश से नहलाना है, ता क जो कुछ भी
नकारा मक है वह इस काश म धुल जाए। यह या शु म मु कल हो सकती है ले कन
कृपया करके भरोसा र खए क आ ख़रकार यह आपके सुधार के लए है।

जो कुछ भी आपम अ छा है, आपके सकारा मक आ मक ल ण, उ ह भी वन ता के साथ


वीकार करना मह वपूण है। इस लए उनक जानकारी र खए और उनसे श ा त क जए।
उनका उपयोग नकारा मकता पर वजय पाने म क जए ले कन अपनी खूबीय पर कभी घमंड
मत क जए। महानता का अनुभव करने के बजाए, कृत ता का अनुभव क जए।

ई र आप पर कृपा कर!
अपने दो त के साथ रतू (बाएं)

खोरशेद (बाएं से सरे) और मी (सबसे दाएं) अपने शु आती दन म


अपने दो त के साथ रतू (बीच म)
खोरशेद, व पी और मी अपने पालतू कु े चूचू के साथ

खोरशेद, रतू और मी
व पी अपने संपूण शरीर को दो कु सय के बीच अपने ए ड़य और सर के पछले ह से के सहारे मजबूती से संभाल सकता
था।

अभागी गाड़ी नं. MRF २०७


अपने नवजोत उ सव के बाद रतू भावनगरी, १ अ ैल, १९५९
अपने नवजोत उ सव के बाद व पी भावनगरी, १ अ ैल, १९५९
अपनी शाद के दन मी और खोरशेद ६ अ टू बर, १९४९
खोरशेद और मी भावनगरी जानवर , वशेषकर कु से ब त यार करते थे।
व पी भावनगरी ज म ९ अग त, १९५०
रतू भावनगरी ज म १३ दसंबर, १९५१
खोरशेद मी भावनगरी के साथ एक सा ा कार

लोग क मदद करना आपने कैसे शु कया?

जब हमारे बेट क मौत हो गई तब मेरे प त और मेरी ज़ दगी ब कुल दयनीय हो गई और हम


यह समझ नह आ रहा था क हम ज़ दगी का सामना कस तरह कर। तब, हमारे बेट ने हमसे
स पक था पत करके और हम आशा और साहस के संदेश दे कर हमारी मदद क । बाद म जब
मेरी वच लत लेखन क श अ छे से वक सत हो गई, तब उ ह ने हमसे कहा, “हमारा ल य
आप दोन के ज रए जीवा मा जगत से पृ वी पर लोग क मदद करना है।”

आपके बेट के संदेश मलने पर आपक पहली त या या थी? या आ मा


संबंधी चीज म आपका व ास था?

हम ब त उ े जत ए, और हां, हमने आ मा संबंधी चीज म हमेशा व ास कया है। उनक


मृ यु के पहले, व पी और म मृ यु के बाद क ज़ दगी और पुनज म के बारे म बात कया करते
थे। जब म सात साल क थी, तब से मुझ े उस वषय के ान क उ सुकता थी। मेरे साथ एक
वाक़या आ था, जसक याद आज भी मेरे साथ है। मी, ब चे और म शहर के बाहर कुछ
र तेदार के साथ एक या ा पर जा रहे थे। म हमेशा अपने साथ सफर के दौरान कुछ मठाइयां
लेकर चला करती थी, ले कन इस बार म भूल गई थी, तो मने मी को कार रोककर कुछ
मठाइयां लाने को कहा। म कार म अकेले बैठकर उनके वापस आने का इंतज़ार कर रही थी,
तभी मने एक रोते ए बैल को दे खा। मने उसके चेहरे पर आंस ू बहते दे खा और म सोच म पड़
गई क ऐसा य हो रहा है। या उसे कोई क है? उस बैल ने मेरी तरफ मुंह घुमाकर अपना
जबड़ा मेरी खड़क के पास रखा, जहां मने अपना हाथ रखा था। बैल ने मेरी तरफ ऐसे दे खा
जैस े मुझसे कहने क को शश कर रहा हो, ‘आपको पता है क म य रो रहा ं, मुझ े ब त क
हो रहा है।’ ठ क उसी समय मी, ब चे और मेरे संबंधी वापस आए और मुझ े बैल के साथ बात
करते दे ख हैरान रह गए ( व पी ने हमारे स पक के दौरान बताया था क बुरी आ माएं य द
ज द उ त चाहते ह, तो उनका धरती पर पुनज म भार ढोनेवाले जानवर के प म होता है)।
मुझे इस घटना से इतना पता लग गया क भार उठाने वाले जानवर ब त यादा क झेलते ह,
हालां क मने यह ब त बाद म जाकर समझा।
आपको लड़क क मौत के एक महीने बाद कैसा लगा और व पी ने आपके ःख
और उदासी को कैसे कम कया? आपको यह कैसे व ास आ क आप उनसे स पक
था पत कर रहे ह?

हमसे स पक के दौरान, व पी ने वो सारी बात बताई जो सफ उसे ही पता थ । उ ह ने मुझ े कुछ


अनजाने लोग के भी नाम दए और उ ह मलकर कुछ संदेश दे न े को कहा। हमने उन ब कुल
अनजाने लोग का पता लगाया और उ ह वो संदेश भी दए, जैसा क हम कहा गया था– यह
हमारे लए सबूत था क उन लोग का वा तव म अ त व है और व पी के संदेश सही थे। जब
हम उदास थे, हमारे बेट ने चुटकुले सुनाकर हम उ सा हत कया और कस तरह जदगी को
खुशी से जया जाए, उसका रा ता दखाया। उ ह ने हम हंसाया और हमारा मागदशन कया और
बताया क या करना है, कैसे करना है।

या लोग ने आपसे अकसर पूछा है क आप मृतक को य परेशान करते ह?

हां, अकसर। मने भी व पी से कई बार पूछा है क हम उनसे स पक था पत करके उनक


उ त म कोई बाधा तो नह डाल रहे, और या हम उ ह कसी तरह का कोई नुकसान प ंचा रहे
ह या फर उनक उ त रोक तो नह रहे। अगर हम ऐसा कर रहे होते, तो भले ही हम उनसे
यार हो, ले कन हम स पक था पत करना बंद कर दे ते। व पी ने कहा, “इसके वपरीत हम
सभी कह यादा तेजी से उ त कर सकते ह, य क हम स पक के दौरान आपका मागदशन
कुछ ण म ही कर सकते ह, चूं क हम आपक मदद कसी भी तरह करनी ही है। आप सुनने
के लए कुछ दन या कुछ महीने तक का समय ले सकते ह और फर भी जो सही है, वह नह
कर पाते, ले कन हमारे दो तरफा स पक से यह ब त अ छे से हो सकता है।” उसने हम यक न
दलाया क उनक उ त कसी भी तरह बा धत नह होगी। मने उसपर व ास कया और
स पक करना जारी रखा। उसने यह भी कहा क धरती पर जीवा मा जगत क तुलना म
आ या मक प से उ त करना कह अ धक आसान है और यह शी ता से कया जा सकता
है। यह इस पर नभर करता है क हम अपनी ज़ दगी कस तरह जीते ह।
तम बाग पैवे लयन म व पी भावनगरी

अपनी कार म रतू भावनगरी


आपको सर के लए संदेश लेना कैसा लगता है? या यह एक बड़ी ज मेदारी
नह ह?

ब कुल, यह एक बड़ी ज मेदारी है। इसी वजह से लोग क मदद करने के लए यादा
आ या मक ान ज़ री है। शु आत म, म कसी को ग़लत संदेश दे न े से ब त डरती थी। कुछ
लोग ने मेरे दए संदेश पर भरोसा नह कया और मेरी एक न सुनी। बाद म संदेश न सुनने का
उनको अफसोस आ और यह एक सबूत था, जो मुझ े उस समय चा हए था जब मेर े लए संदेश
के सही होने का माण ज़ री था। शु आत म व पी मेरी कलम चलाता था, ले कन जैसे-जैसे
म आगे बढ़ने लगी, संदेश को रसंवेदन ारा लेन े लगी। अब म उनको अपने मन म सुन सकती
ं।

एक सही है या ग़लत, इसका अनुमान लगाने वाले हम कौन होते ह?

‘अनुमान लगाना’ यह श द सही नह होगा। म कसी के बारे म अनुमान नह लगा रही, ले कन


व पी और रतू के सहयोग से म यह सहजता से बता सकती ं क कसी का पंदन
अ छा है या बुरा, या फर वह न न तरीय ह या नह । जैसे-जैस े आप आ या मक प से ऊपर
उठते ह, और अ धक ान ा त करते ह, आपका अवचेतन मन आपका अ धक से अ धक
मागदशन करता है और आप अपने सहजबोध पर यादा भरोसा करने लगते ह। आपको
नकारा मक श वाले लोग के साथ बेचैनी होती है और आप उनसे र जाना चाहते ह। अ छे
लोग के साथ इसक उलट थ त होती है, जो अपनी उ त के लए ब त क ठन यास करते
रहते ह– आप सहजता से उनक तरफ आक षत होते ह।

य कुछ लोग जीवा मा जगत म व ास नह करते और सोचते ह क जो लोग


व ास करते ह, वे पागल ह?

ब त सारे कारण ह, जनसे लोग को व ास नह होता। कुछ लोग उन चीज से भयभीत होते
ह, ज ह वे दे ख या समझ नह सकते; कुछ लोग का जबरन बचपन से ही मन बदल दया जाता
है; कुछ लोग बस यह दशाते ह क उ ह ई र के अ त व म व ास नह है; कुछ लोग इस लए
भी इसम व ास करने से कतराते ह, य क उ ह डर लगता है क उनके प रवारजन और म
उनपर हंसगे; कुछ लोग इस लए नह व ास करते ह, य क वे खुद दोषी होते ह: कुछ के लए
ग़लत रा ते पर टके रहना आसान है, य क वे कमज़ोर होते ह। मेरे पास आने वाले यादातर
लोग, २० से ३५ क उ वाले यूवा होते ह। वृ लोग ब त कम होते ह। वृ लोग अपनी सोच
पर अ डग रहते ह और मृ यु के बाद क ज़ दगी को नह मानते, और आमतौर पर जीवा मा
जग़त से डरते ह। जो लोग दोषी होते ह, वे नह आते, य क वे अपनी ग़ल तय को वीकारने
से डरते ह, य क उ ह पता होता है क उ ह ने या कया है; वे आमतौर पर ग़लत करना ज़ारी
रखते ह और नह चाहते क सर को इस बात का पता चले, इस लए वे इस ान से बचना
चाहते ह।

व पी, रतू और पॉ सी के या शौक थे?

हमारे प रवार को हमेशा से संगीत और ाइ वग का शौक रहा है और पु ष को खेल म च


थी। व पी और मुझे पढ़ने म च थी। उसे संगीत से लगाव था, खास तौर पर ज़म री स एवं
नैट कग कोल के संगीत से। व पी को कार और पानी के जहाज के मॉडल बनाना पसंद था
और उसने अपने पीकस भी बनाए थे। संगीत के कुछ रकॉ डग, जो उसने कए थे, वे अनोखे
थे और उनम से कुछ मेर े पास अभी तक ह। हम सबको जानवर से बेहद यार था, खासतौर पर
कु से और हमारे पास ब त सारे कु े थे– कोलीज़, पॉमरे नयन, अ से शयन और एक लहासा
ए सो, ज ह व पी ने ब त अ छ श ा द थी।

य रतू से यादा व पी को सुना जाता है और उसके बारे म यादा बात होती


ह?

हम व पी के बारे म यादा सुनते ह, य क रतू से अ धक वही पृ वी क आ मा को संदेश


दे कर उनक मदद करता है। सरी तरफ रतू का काम ायः उन आ मा का मागदशन कर
मदद करना है, जो अभी-अभी जीवा मा जगत म आए ह । वह पृ वी क आ मा के साथ
स पक था पत करके व पी क मदद भी करता है।

आपने कसी और के लए कब पहली बार स पक था पत कया था?

सन् १९८१ म, मने अपने कुछ संबं धय के लए स पक था पत कया था।

मु य प से कसके लए लोग आपके पास आते ह?

करीब ५० तशत लोग मेरे पास आ या मक मागदशन और संदेश ारा आ त होने के लए


आते ह। बाक के ५० तशत प रवार क अशां त, माता- पता और ब च क गंभीर सम या ,
शाद शुदा ज़ दगी क सम या से जूझने वाले लोग होते ह। इनम सबसे बुरी सम या होती है,
जब नकारा मकता को सर पर लादने वाले लोग होते ह। जीवन के हर े से लोग मागदशन
के लए मेरे पास आते ह और म इन सबक मदद करने क को शश करती –ं अगर वे वीकार
करने, सीखने और सुधरने के इ छु क ह तो।

अगर पाठक को आप कोई संदेश दे ना चाह, तो वह संदेश या होगा?


इस पृ वी पर ब त सी भली आ माएं ह, जो अपने यजन को खोने के बाद ःख नह झेल
पाते और ग़लत रा ते को चुन लेत े ह। हम उन लोग को आ ासन दे ना चाहते ह क वे अकेले
नह ह। उनके यजन अब भी उनके साथ ह और वे जीवा मा जगत से उनक दे खभाल कर रहे
ह।

हमेशा याद रहे, जो व पी ने साल पहले मुझसे कहा था, ‘स चा और वा त वक यार कभी
नह मरता। धरती पर आपक मृ यु के बाद भी नह । ेम मृ यु से बढ़कर है। ेम शा त
है। मृ यु, बस एक पांतरण है– एक नया से सरी नया म, एक शरीर से सरे म।
मृ यु कोई बड़ी चीज़ नह होती, ले कन ेम अद् भुत होता है।’
श दावली

आका शक रकॉड

आका शक रकॉड को मृ त क अथवा दै नक क भी कहा जाता है। आपके हर अ छे बुरे


कम को यहां आपके आ मक नाम के नीचे दज कया जाता है। आका शक रकॉड म आपके
ारा पृ वी पर बताए गए सभी ज म क मृ तयां दज रहती ह। जब धरती पर आ माएं गहरी
व हीन न द म होती ह, उनका अवचेतन मन आका शक रकॉड म सूचनाएं दज करता है।

फ़ र ते

फ़ र ते पांचव लोक के सातव तर और उससे ऊपर क भली आ माएं होती ह और उनम


चम कार करने क मता होती है। आपात थ तय म ी सव च भली आ मा क आ ा लेकर
वे मनु य क मदद करने के लए पृ वी पर भी आ सकते ह। न नतर तर क आ माएं फ़ र ते
नह बन सकत , य क उ ह पृ वी क आ मा का मागदशन करने के लए श ण तथा
और अ धक जानकारी ा त करने क ज रत होती है।

अवकाशी तल

अवकाशी तल पृ वी से ऊपर ले कन जीवा मा तल से नीचे का आयाम (पहलू) होता है। इस


अथ म यह धरती और जीवा मा जगत के बीच का थान है। अवकाशी तल म अवकाशी
आ माएं नवास करती ह। ये अवकाशी आ माएं पृ वी को तो अवकाशी तल से दे ख सकती ह,
ले कन जीवा मा तल अथवा जीवा मा जगत को नह दे ख सकत ।

अवकाशी आ माएं

वे भटक ई आ माएं होती ह ज ह ने अवचेतन मन क सलाह को नकार दया होता है और


जीवा मा बनने से इनकार कर दया होता है। अवकाशी आ मा ऐसी आ मा होती है जसने
सांसा रक, भौ तक शरीर को याग दया होता है ले कन जीवा मा का व प हा सल नह कया
होता है। मृ यु के बाद भी वे अपने मनु य- प जैसी ही दखती ह।

भामंडल

भामंडल येक सजीव शरीर के चार ओर बनने वाला ऊजा े है। इसका रंग और इसक
बलता, जीव क त का लक मान सकता, उसक भावना मक और शारी रक अव था को
दशाते ह। कुछ मनु य म भामंडल दे ख सकने क मता होती है।

वच लत लेखन

वच लत लेखन वह या है जसके ज रए जीवा माएं पृ वी पर रहने वाले मनु य के साथ


संपक था पत करती ह। जस दौरान आप कलम को कागज पर ह के हाथ से पकड़े होते ह
आपके संपक वाली जीवा मा उसे चलाती है। धीरे-धीरे श द, फर वा य बनते चले जाते ह।

कभी भी वयं वच लत लेखन क को शश न कर। बना कसी सुर ा कड़ी के, वयं वच लत
लेखन आरंभ करना ब त यादा खतरनाक होता है।

काला जा

काला जा एक रह यमय व ा है, जो पूरी तरह ई रीय नयम के व होता है जहां मनु य
बुरी अवकाशी आ मा और अपने बुर े वचार का अपने वाथ हत के लए योग करता है
और सर को नुकसान प ंचाता है।

वाह

वह मा यम जससे जीवा माएं पृ वी के लोग के साथ संपक था पत कर सकती ह।

अंतरा मा

इसे अवचेतन मन भी कहते ह। इसके बारे म जानने के लए अवचेतन मन प ढ़ए।

अ त र संवेदना मक बोध

अ त र संवेदना मक बोध वह मता है जसक मदद से मनु य पांच संवेद बोध पश, वाद,
वण, और गंध से परे चीज को जान सकता है।

भूत

प ढ़ए अवकाशी आ मा।

समूह आ मा

ई र एकसाथ कुछ आ मा क रचना करते ह। ये आ माएं पृ वी पर एकसाथ एक समूह म


ज म-ज मांतर तक अवत रत होती रहती ह, ता क वे कम का हसाब चुकाने म एक सरे क
मदद कर सक, अपने जीवनकाय पूर े कर सक और आ या मक प से ऊपर उठ सक। समूह
आ मा को आ मक म भी कहते ह।

दै नक क

आका शक रकॉड प ढ़ए।

श ा क

श ा क जीवा मा जगत म वह थान है जहां जीवा माएं ान ा त करने आती ह। यह


आ या मक स य से भरपूर पु तकालय क तरह होता है। इसम ई र के नयम , ांड क
कृ त और ई र क रचना के येक पहलू के बारे म जानकारी रहती है। आ मा क समझ के
अनुसार उसे जानकारी द जाती है।

मृ त क

आका शक रकॉड प ढ़ए।

व ाम क

य द पृ वी पर कसी आदमी क अचानक आकाल मृ यु हो जाए तो उस आ मा को व ाम क


म ले जाया जाता है। य क ये आ माएं सदमे म रहती ह उ ह शांत करने के लए वा य
लाभकारी करण द जाती ह।

उ च भली आ मा
उ च भली आ मा छठे लोक के सातव तर या उससे ऊपर क जीवा माएं होती ह।

कसी लोक क उ च भली आ मा

येक लोक का शासक, राजा अथवा मुख आ मा को उस लोक क उ च भली आ मा कहते


ह। यह अगले ांड क एक पूण आ मा होती है।

ी सव च भली आ मा

सातव लोक स हत् अ य सभी लोक के शासक, राजा और मुख आ मा को ी सव च भली


आ मा कहते ह। वह अगले ांड क एक पूण आ मा होती है।

उ च व

अवचेतन मन प ढ़ए।

सहजबोध

चीज के बारे म अनायास महसूस करने क अवचेतन मन क मता को सहजबोध कहते ह।


यह मता आपको अपने और अपने आसपास के मनु य क र ा करने के लए द जाती है।

कम

कम कसी आ मा के वचार , श द अथवा काय का प रणाम होता है। यह इस स ांत पर


काम करता है क आप जैसा बोएंग े वैसा काटगे। कमफल आपके लए कज भी हो सकता है,
या फर यह आपको ा त होने वाला वरदान हो सकता है।

कड़ी

वच लत लेखन के दौरान उ च तरीय जीवा मा ारा ाथना और सकारा मक ऊजा के


ज रए पृ वी क आ मा और भली जीवा मा के बीच संपक करने म आपको सुर ा दान
क जाती है। जीवा मा जगत से अनुम त मलने के बाद यह कड़ी केवल अनुभवी और अ धकृत
वच लत लेखक ारा ही जोड़ी जाती है।

गु
गु आ या मक श क होते ह। जीवा मा जगत के उ चतर लोक से पृ वी पर आई ई ानी
आ माएं, जनका जीवनकाय पृ वी पर आ या मक ान फैलाना होता है, वे गु कहलाते ह।

मा यम

मा यम पृ वी पर वह होता है जो जीवा मा जगत के साथ संपक करने म स म होता है।

उ े य

के वचार , श द अथवा काय के पीछे काम करने वाली मंशा, कारण अथवा ेरक बल।

पछले जीवन क मृ त

आ मा के पछले ज म म घ टत कसी घटना या घटना के कसी ह से क याद।

पैग बर

जब पृ वी पर नकारा मकता अपने चरम पर होती है, तब ई र एक ब त उ च आ मा को


उ चतर ांड से पृ वी पर भेजते ह जो मनु य को राह दखाता है। यह पैग बर पृ वी क
आ मा को ान दे त े ह ता क वे आ या मक प से उ त कर सक। पृ वी पर पैग बर का
अवतार कभी-कभार ही होता है, केवल तब, जब पृ वी पर आ या मक संकट क घड़ी उ प
हो जाए।

लोक

जीवा मा जगत म अ त व के सात लोक अथवा तल होते ह जसम एक न नतम और सातवां


उ चतम होता है।

आ मा-आ ान बैठक

आ मा-आ ान बैठक लोग के एक समूह क बैठक होती है जो अपने मृत प रजन अथवा अ य
अती य ा णय के साथ संपक करना चाहते ह। यह बैठक एक ऐसे मा यम द् वारा क जाती
है, जो उस समूह और जीवा मा का संपक करवाने म स म हो।

अ का थनांतरण
ई र के नयम इस तरह बने होते ह क जब आ या मक प से मनु य एक सीमा से अ धक
ग़लत जाते ह, कृ त उ ह चेतावनी दे ती है क वे ग़लत राह पर चल रहे ह। य द मनु य फर भी
नह बदलते, तो कृ त सफाई क या के ज रए असंतुलन को सुधारती है। य क सुधारने
क या कृ त ारा चलाई जाती है, इस लए इतनी भयानक ाकृ तक आपदाएं धरती पर
आती ह क पृ वी का अ झुक जाता है और इस कारण “ ुव का थानांतरण” होता है।

पहली डोरी

पहली डोरी एक काश- करण है जो आपक जीवा मा और आपके भौ तक शरीर को


जोड़ती है।

आ मा

आ मा आपका शा त जीवा मक शरीर है। जस तरह पृ वी पर आपके पास भौ तक मन से


संचा लत एक भौ तक शरीर होता है उसी तरह आ मा आपका अमर जीवा मक शरीर है, जो
आपके अवचेतन मन ारा संचा लत होता है।

आ मक ल ण

आ मक ल ण वे सकारा मक अथवा नकारा मक गुण होते ह, जो अनेक ज म के दौरान


कसी आ मा ारा सं चत कए जाते ह।

आ मक म

समूह आ मा पढ़।

आ मक नाम

येक आ मा को, उसक रचना होने पर, एक आ मक नाम दया जाता है। जस तरह आ मा
दो भाग म वभा जत होती है उसी तरह नाम भी दो भाग म बंटा होता है, जो आपके अ त व
के रहने तक रहता है। आपके कम आपके आ मक नाम के नीचे आका शक रकॉड म दज
कए जाते ह।

जीवा मा

जीवा मा के अंतगत आपक आ मा और आपका अवचेतन मन शा मल होते ह।


जीवा मक मागदशक

पृ वी पर येक आ मा के लए जीवा मा जगत म एक अ भभावक होता है, जो ज म से मृ यु


तक पृ वी क आ मा को राह दखाता है। यह अ भभावक आपका जीवा मक मागदशक
कहलाता है और आपको आ या मक मागदशन दे ना उसका कत होता है।

जीवा मा जगत

यह हमारा वा त वक घर है। यह सात व भ लोक म वभा जत होता है। येक लोक म १०


तर होते ह।

अवचेतन मन

अवचेतन मन को अंतरा मा, उ च मन, उ च व अथवा अंत व न भी कहते ह। यह आपका


वा त वक आ या मक मन है जो आपक आ मा को राह दखाता है।

रसंवेदन

े पत वचार के प म आपके अवचेतन मन ारा जीवा मा से संदेश ा त करने क


मता रसंवेदन है।

जुड़वां आ माएं

जब आ मा चौथे लोक के पांचव तर से अपनी या ा शु करती है तो यह दो भाग म


वभा जत हो जाती है। एक नर आ मा और एक नारी आ मा। ये दो आ माएं अलग-अलग रहती
ह और सातव लोक के नौव तर पर प ंचने तक अपनी-अपनी सांसा रक जीवनया ा जारी
रखती ह। वहां प ंचकर वे संयु हो जाती ह और एक पूण आ मा के प म अगले ांड क
ओर थान करती ह।

पंदन

येक सजीव या नज व व तु म पंदन होता है। पंदन ऊजा क आवृ होती है जो व भ


ग तय के साथ वा हत होती है। पंदन अ छे और बुर े दोन होते ह। अ छा पंदन आपको शांत
और सकारा मक बनाए रखता है, जब क बुरे पंदन से आप अशांत और नकारामक महसूस
करते ह (यह अनुभव आप तभी कर सकते ह जब आप एक भली आ मा ह और आपका
अवचेतन मन जागृत हो)।

वेशक

य द पृ वी पर प र थ तयां इतनी मु कल हो जाएं क आप उ ह संभाल न सक, और आपका


रा ता सही हो, तो एक भली आ मा जीवा मा जगत से आकर आपके शरीर म वेश कर जाती
है और मु कल घड़ी के बीतने तक वहां बनी रहती है। इस तरह क भली आ मा को वेशक
कहते ह। ऐसा कभी-कभी ही होता है और वह भी केवल आपात थ तय म।
अनुशं सत अ ययन

अ सच फॉर द टथः थ म टगोमरी


हयर एंड हयर आ टरः थ म टगोमरी
अ व ड बय डः थ म टगोमरी
द व ड बफोरः थ म टगोमरी
जस अमं ट असः थ म टगोमरी
बॉन टु हीलः थ म टगोमरी
ेशो ड टु टु मॉरोः थ म टगोमरी
क पै नयन अलॉ ग द वेः थ म टगोमरी
हेरा ड ऑफ द यू एज़ः थ म टगोमरी
ऐ लयंस अम ग असः थ म टगोमरी
द व ड टु कमः थ म टगोमरी
डू द डेड सफर? : लॉरस बट
ट च स ऑफ स वर बचः स वर बच
गाइडस ॉम स वर बच : स वर बच
फलॉसफ ऑफ स वर बच : स वर बच
म ऑफ लाइफ, डेथ एंड द बय डः एफ. तमजी
लाइफ आ टर लाइफ : रेमंड मूडी जू नयर, एमडी
डेथ एंड इट् स म बफोर डेथ : कै मले लैमे रयन
यू वल सवाइव आ टर डेथ : शेरवुड एडी
लाइफ इन द व ड अनसीन : एंथनी बॉ गया
अ लाइफ आ टर डेथ : डॉ. एस. रा फ हल
टट केसेज़ सजे टव ऑफ रीइनकानशन : इयान ट वसन, एमडी
फेथ इज़ द आंसर : नॉमन वसट पील
मेनी लाइ स, मेनी मा टस : ायन वेस, एमडी
मैसेजेज ॉम द मा टस : ायन वेस, एमडी
एडगर केयस : द ली पग ॉफेट : जेस टन
मेनी मश स : द एडगर केयस टोरी ऑफ रीइनकानशन : गना स मनारा
ऑन एटलां टस : एडगर केयस
अथ चजेज अपडेट : हफ लन केयस
वी द आक ू रयंस : डॉ. नोरमा मलानो वच ( वथ बे राइस ए ड स थया लो क )
उपसंहार

खोरशेद आंट ने हमेशा कहा है, “आ या मकता एक ‘ह का-फु का’ वषय है। इसक यादा
गहराई म न जाएं।” आ या मकता का मतलब पहाड़ म भाग जाना नह । ब क इसका मतलब
है-लोग के बीच म रहकर जीना, अपनी मु कल का सामना करना और आपके कत तथा
ज मेदा रय को नभाना है। इसका मतलब इस पृ वी पर अपने आ या मक जीवनकाय को
पूरा करना है। जब आप इसके सही संतुलन को समझ जाएंग े तो आपका जीवन आनंदमय हो
जाएगा।

कोई आ या मक सफ इससे नह बन जाता क उसने अ या म से जुड़ी हज़ार कताब


पढ़ ली ह या कसी आ या मक समूह से जुड़ा है... और फर इसके मु य ल य या न नः वाथ
सेवा और सही कम म ही असफल रह जाए। आपको अपने ान को परखना होगा और या
सही है तथा या ग़लत, इसका नणय आपको अपने सहजबोध पर छोड़ना होगा। कताबी ान
को लेकर क र होना और अपने अहं को यह सोचने क अनुम त दे ना क बना इसके वा त वक
अमल के भी आपको सब पता है, कोई मतलब नह होगा। इस छलावे म कई फंसते ह,
और अपने वचन को वहार म उतारे बना खुद को गु कह बैठते ह। अहं म अंध े होने के
कारण, साल -साल तक आ या मक ान ा त करने का कोई अथ नह होता य क आप
उसका वा तव म उपयोग नह करते...और इस आ या मक ान के अहंकार के कारण कोई
आ या मक उ त नह हो पाती। यह आ या मक अहंकार के कारण होता है, जो क मनु य के
पतन का सबसे बड़ा कारण है। आपके अपने आ या मक कम से ही आप आ या मक बनते
ह। केवल स चे नः वाथ कम से ही स चा बदलाव आता है।

खोरशेद आंट हमेशा अ छाई भरे छोटे -छोटे काम को पसंद करती थ । वे हमेशा कसी सम या
के त हम पूरी द् धा के साथ कदम दर कदम चलने के लए ो सा हत करती थ ।
आ या मकता एक धीमा पर न त प से होने वाला उ थान है। हम सभी म दोष होते ह, और
हम सभी गल तयां करते ह, पर हम अपने-आप और सर को मा करना चा हए। हम उ त
के लए नरंतर प से अपना सव म यास करना चा हए और अपने ल य तक प ंचना
चा हए। ई र और उनके फ़ र त क सहायता से हम ऐसा कर सकते ह।
ठ क जैस े क मयादा को तोड़कर पतंगे के ड भ बाहर नकलते ह... फर ततली बनकर
खुली हवा म उड़ान भरते ह, उसी कार, चाहे आप माने या न माने, आपक आ मा भी
शारी रक सीमा से मु होकर वकास के उ च लोक म जाती रहेगी, जबतक क वह अपने
सृजनकता तक न प ंच जाए।

ई र आपका भला कर!

यामक
ले खका का प रचय

खोरशेद भावनगरी (शाद से पहले ू वाला) का ज म भारत के मुंबई शहर म, सन् १९२५ म
आ था। बचपन से ही उनका सपना श क, मनोवै ा नक या जासूस बनने का था। उ ह
बागवानी, खाना पकाना और संगीत, खासकर हवाइयन गटार से बेहद यार था और उ ह
केट म ब त दलच पी थी। सन् १९४९ म उनक शाद मी भावनगरी से ई और उनके दो
बेटे ए, व पी और रतू। उ ह अनुभव आ क उनके प रवार वाल क ही तरह वाहन तथा
ाइ वग म उनक भी च है। सन् १९८० म एक कार घटना म बेट क मौत के बाद, उ ह ने
वच लत लेखन ारा उनसे स पक करना शु कया। उनके बेट ने उ ह बताया क पृ वी पर
आ या मक ान का सार करना उनका जीवनकाय था। सन् १९९८ म ७२ साल क उ म,
वह वैनकूवर, कनाडा चली ग , जहां उ ह ने बना थके ए लगातार अपने ल य क ओर काम
कया। वहां अग त २००७ म उनक मृ यु हो गई। यह ीमती भावनगरी क इ छा थी, क यह
कताब यादा से यादा लोग तक प ंच।े
अ वीकार

इस कताब म जो भी संदेश ह, वे वच लत लेखन क या ारा ा त कये गये ह और यह


कॉपीराइट धारक के मत या वचार नह ह, और न ही उनके, जो वीआरआरपी के आ या मक
श ण से जुड़े ह। वीआरआरपी आ या मक श ण (वीआरपी चुअल ल नग) अ वीकरण
क घोषणा करता है और इस बारे म कसी भी तरह क ज मेदारी और/ या दा य व नह लेता
एवं इस कताब के संदेश क वषय-व तु क यथाथता, संपूणता, साम यकता अथवा कसी भी
उ े य के लए, इसक संगतता से जुड़े कसी भी कार का त न ध व या आ ासन या भरोसा
नह दे ता है।

इस कताब को पढकर, पाठक ऊपर लखे अ वीकरण को मानते ह और यह पु करते ह क


उनके ारा कए जानेवाले कसी भी तरह के संभा वत याकलाप क ज मेदारी उनक होगी
और इस पु तक क साम य तथा/या कसी ऐसे याकलाप के लए, जो पाठक या
ारा अथवा उसके अंतगत कसी ारा दावा कया जाता है, वीआरआरपी आ या मक
श ण को ज मेदार नह ठहराएगा/ठहराएगी।

वीआरआरपी आ या मक श ण, उन य का एक समूह है जो “जीवा मा जगत के


नयम” म दए ान के सार के लए सम पत ह। वे उन लोग को सहायता दान करने म मदद
करते ह, ज ह ने अपने यजन को खो दया है और उ ह आ या मक मागदशन दे त े ह। कुछ
ऐसे मामले सामने आए ह, जसम कुछ जालसाज लोग ने वयं को वीआरआरपी आ या मक
श ण का त न ध बताया है, जसके लए वीआरआरपी आ या मक श ण ज मेदार नह ।
कृपया वीआरआरपी आ या मक श ण से संपक कर उन लोग क ामा णकता के बारे म
पु कर ल, जो वयं को वीआरआरपी आ या मक श ण का ह सा बताते ह। इसके बाद ही
उनके साथ आगे क बातचीत कर।

वच लत लेखन एक ऐसी या या ल खत साम ी होती है, जो कॉपीराइट धारक के चेतन


मन ारा नह संचा लत होता, ब क जीवा मा जगत से संचा लत कया जाता है। इसके लए
अ यास तथा नयं ण क आव यकता के साथ मागदशन तथा नगरानी क ज़ रत होती है।
केवल अ धकृत, अनुभवी तथा वतमान वीआरआरपी आ या मक श ण से जुड़े सद य ही
आपके वच लत लेखन क कड़ी जोड़ सकते ह। आप वयं वच लत लेखन करने का यास न
कर।

वेबसाइट: www.vrrpspirituallearning.com
ई-मेल: vrrp@vrrpspirituallearning.com
* शड के सा बाबा भारतीय संत थे, जनक मृ यु सन् १९१८ म ई थी। फ़ारसी भाषा म सा (सा’ ) एक प व आ मा या
संत को कहते ह और भारत क भाषा म बाबा का मतलब ‘ पता’ होता है, इस लए हम उ ह “साधु बाबा” या “संत बाबा” भी
कहते ह।

१. जीवा मा जगत म अ त व के सात लोक या तल होते ह, जनम एक सबसे नचला और सात सबसे ऊंचा होता है।

२. व पी के मुता बक अवचेतन मन ही आपका स चा आ या मक मन होता है। इसे उ च व या अंतरा मा भी कहते ह।


इस लए अवचेतन मन क अ य प रभाषा से मत नह होना चा हए।

३. छठे लोक के सातव तर से ऊपर क जीवा मा को उ च भली आ मा कहा जाता है।

४. यह आपके कम के फल क ओर इं गत करता है – आप जो बोएंगे वही काटगे। सज़ा दे ने वाला ई र नह होता। कम-फल


प रणाम है आ मा के अ छे -बुरे काय का। नकारा मक कम-फल से जीवा मा को केवल सज़ा ही नह मलती, ब क इसका
उ चतर उ े य श ा ा त करना होता है। सकारा मक कम-फल भी होते ह- नः वाथ भाव से कए गए अ छे काम के लए
मले ए आशीवाद।

५. माता तथा आ या मक उ त के लए पृ सं. ८८ पर सूरदास क कहानी पढ़।

६. येक लोक के शासक, राजा अथवा मुख को उस लोक क उ च भली आ मा कहा जाता है।

७. जीवा मा ारा पृ वी क आ मा को रसंवेद वचार के ज रए दशा- नदश भेजा जाता है, ज ह े पत वचार कहते
ह। पृ वी क आ मा ारा अपने अवचेतन मन के ज रए इन वचार अथवा संकेत क ा या क जाती है।

८. पैसा एक भारतीय स का है। यह भारतीय मु ा ‘ पया’ के १/१०० व भाग के बराबर होता है।

९. दे ख पृ २०१ पर “अपने अवचेतन मन को कस कार जगाएं।”

१०. एक धमा मा भ ुक या धा मक ।

११. ह का एक प व धम ंथ

१२. हद म “दादा” का अथ थानीय गुंडा या सड़क छाप बदमाश होता है।

१३. योगी ऐसा होता है जसने योग के व भ प पर महारथ हा सल कया हो।

१४. जीवा मा और पृ वी पर थत आ मा के बीच सुर त संपक के लए उ च जीवा मा क ाथना और सकारा मक


उजा के मा यम से दया गया संर ण।

१५. सेवा का अथ है नः वाथ सेवा


जयको प ल शग हाउस
जीवन म प रप वता लाए, आपके व को बदल

१९४६ म था पत जयको प ल शग हाउस, कुछ ल ध त त लेखक के काशक व व े ता


ह जनम शा मल है ी ी परमहंस योगानंद, ओशो, रॉ बन शमा, द पक चोपडा, ट फन
हॉ कग, एकनाथ ए रन, सवप ली राधाकृ णन, नीरद चौधरी, खुशव त सह, मु क राज आनंद,
जॉन मॅ सवेल, केन ला चड और ायन े सी. हमारी पु तक सूची २००० शीषक को पार कर
चुक है और दे श म सबसे यादा वै व यपूण है, जनम धम, आ या म, मन/शरीर/आ मा,
आ म सहायता, वसाय, हा य ान, पाक कला, क रयर संबंधी वषय, आ मकथाएं और
व ान शा मल है.

जयको ारा अपने काय का व तार इस कार से कया गया है क वे श ा के े म और


ब धन तथा इंजी नय रग के े क ावसा यक पु तक म े बन सके. हमारी
महा व ालय तरीय पु तक और स दभ शीषक का उपयोग संपूण दे श के व ा थय ारा
कया जाता है. हमारे शै णक व ावसा यक शीषक क सफलता खासकर हमारे शै णक
व कॉप रेट वभाग के कारण है.

व ी जमन शाह ने, जयको क थापना एक पु तक वतरण कंपनी के प म क थी. उस


समय, चूं क वतं ता ा त का समय था, उ ह ने अपनी कंपनी का नाम रखा “जयको” (भारत
म “जय” का अथ वजय या जीत होता है). उस समय क मांग के अनुसार कफायती पु तक
दान करने हेत ु ी शाह ने वयं का काशन ारंभ कया. जयको भारत म अं ेजी भाषा के
पेपरबैक पु तक के थम काशक थे.

वयं क पु तक के काशन व वतरण के साथ ही, जयको व भ अंतरा ीय काशक के


लये भी वतरक का काम करते ह जैसे मै ो हल, पयसन, सगेज ल नग, जॉन वली और
ऐल स वअर साई स. मुंबई म अपने मुख कायालय के साथ ही जयको के कायालय
अहमदाबाद, बगलोर, भोपाल, चे ई, द ली, हैदराबाद, कोलकाता व लखनऊ म भी थत ह.
हमारी व य ट म म ४० से भी यादा कायकारी ह, डायरे ट मेल ऑडर वभाग और वेबसाईट
ारा ये सु न त होता है क हमारी पु तक दे श के शहरी व ामीण भाग म भावी तरीके से
प ंच।

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