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हद अथ स हत
नम ते यै
रा धकायै
परायै
, नम ते
नम ते
मु
कुद यायै
।
ववासोपहारं
यशोदासु
तं
वा, वद या दचौरं
समाराधय तीम्
।
वदा नोदरे
या वब धाशु
नी ा, प े
नुदामोदर े
यस ताम्
।।२।।
वयं
नामक या हरौ े
म य छ प ाय मे
कृण पे
सम म्
।।३।।
ी राधे
! जनक आराधना क ठन है
, उन ीकृण क भी आराधना करकेअपने
महान े म स धु
क बाढ़ से
उ ह वश म कर लया। ीकृण क अराधना के कारण तु
म
राधानाम से
व यात ई। ीकृण व पे! अपना यह नामकरण वयंतु
मने कया है,
इससेअपनेस मु
ख आयेए मुझ शरणागत को ी ह रका े
म दान करो ।।३।।
मु
कुद वया े
मडोरे
ण ब ः, पत ो यथा वामनुा यमाणः।
उप डयन्
हाददमे
वानु
ग छन्
कृपावतते
कारयातो मयी म्
।।४।।
तु
हारी े
म डोर म बं
धेए भगवान ी कृण पतं ग क भाँत सदा तुहारेआस-पास ही
च कर लगाते रहतेह, हा दक े म का अनुसरण करके तु
हारेपास ही रहतेए डा
करतेह। दे
व! तुहारी कृपा सब पर है
, अतः मे
रेारा अपनी आराधना करवाओ ।।
४।।
ज त ववृ
दावने
न यकालं
, मु
कुदे
न साकंवधायाङ्
कमालम्
।
समामो यमाणाऽनु
क पाकटा ै
ः, यंच तये
स चदान द पाम्
।।५।।
मु
कुदानु
रागे
ण रोमा चता ै
रहं ा यमानां
तनु
वे
द- व म्
।
महाहादवृ ा कृ
पापा ा, समालोकय त कदा वांवच े
।।६।।
ी राधे
! तु हारे
मन- ाण म आन दक द ी कृण का गाढ अनु राग ा त ह ।
अतएव तु हारेी अ सदा रोमा च से वभूषत ह और अं
ग-अंग सू म वे
द- ब
से
सुशो भत होता है। तु
म अपनी कृ पा-कटा सेप रपू
ण ारा महान ेम क वषा
करती ई मे री ओर देख रही हो; इस अव था म मु
झेकब तु
हारा दशन होगा ? ।। ६।।
यदङ्
कावलोकं
महालालसौघंमु
कुदः करो त वयंये
यपादः।।
पदं
रा धके
तेसदा दशया त- े
द थं
नम तंकर ौ चषं
माम्
।।७।।
ु
तौ रा धकाक तर तः वभावे
, गु
णा रा धकायाः या एतद हे
।।८।।
मे
रो ज ा केअ भाग पर सदा ीरा धका का नाम वराजमान रहे
। मे
रे
ने केसम
सदा ीराधा का ही प का शत हो । कान म ीरा धका क क त-कथा गूज
ंती रहे
और अ तहदय म े य अ ध ा ी ीराधा के
ही असंय गुणगण का च तन हो, यही
मेरी शु
भकामना है।।८।।
इदंव कं
रा धकायाः यायाः, पठे
यु
ः सदै
वंह दामोदर य।
सु
त त वृ
दावने
कृणधा न, सखीमू
तयो यु
मसे
वानु
कू
लाः !||९।।
दामोदर या ी राधा क तु त से
सं
बंध रखनेवालेइन आठ ोक का जो लोग सदा
इसी प म पाठ करतेह, वेीकृणधाम वृ दावन म यु
गल सरकार क से
वा के
अनु कू
ल सखी-शरीर पाकर सु
ख सेरहतेह ।।९।।
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