You are on page 1of 3

जग गुआघ न बाकाचाय णीत ीराधा कम्

हद अथ स हत

नम ते यै
रा धकायै
परायै
, नम ते
नम ते
मु
कुद यायै

सदान द पेसीद वम तः, काशेफु


र ती मु
कुदे
न साधम्
।।१।

ी रा धके! तुह ेय माग क अ ध ा ी हो, तु


ह नम कार है
, तु
ह पराश रा धका
हो, तु ह नम कार है। तु
म मु
कुद क यतमा हो, तुह नम कार है। सदान द व पे
देव! तु ह मेरेअ त:करण के काश म यामसु दर ीकृण के साथ सुशो भत होती
ई मु
झ पर स होओ ।।१।।।

ववासोपहारं
यशोदासु
तं
वा, वद या दचौरं
समाराधय तीम्

वदा नोदरे
या वब धाशु
नी ा, प े
नुदामोदर े
यस ताम्
।।२।।

जो अपने व का अपहरण करने वालेअथवा अपनेध-दही, माखन आ द चु राने


वाले यशोदान दन ीकृण क साधना करती ह, ज ह ने अपनी नीवी ( े
म) केब धन
सेीकृण के उदर (रस) को शी ही बां
ध लया, जसकेकारण उनका नाम "दामोदर"
हो गया; उन दामोदर क यतमा ी राधा रानी क म न य ही शरण ले ता ।ँ
।२।।

रारा यामारा य कृणं


वशेवं
, महा े
मपू
रण
ेराधाऽ भधाऽभू
ः।

वयं
नामक या हरौ े
म य छ प ाय मे
कृण पे
सम म्
।।३।।
ी राधे
! जनक आराधना क ठन है
, उन ीकृण क भी आराधना करकेअपने
महान े म स धु
क बाढ़ से
उ ह वश म कर लया। ीकृण क अराधना के कारण तु

राधानाम से
व यात ई। ीकृण व पे! अपना यह नामकरण वयंतु
मने कया है,
इससेअपनेस मु
ख आयेए मुझ शरणागत को ी ह रका े
म दान करो ।।३।।

मु
कुद वया े
मडोरे
ण ब ः, पत ो यथा वामनुा यमाणः।

उप डयन्
हाददमे
वानु
ग छन्
कृपावतते
कारयातो मयी म्
।।४।।
तु
हारी े
म डोर म बं
धेए भगवान ी कृण पतं ग क भाँत सदा तुहारेआस-पास ही
च कर लगाते रहतेह, हा दक े म का अनुसरण करके तु
हारेपास ही रहतेए डा
करतेह। दे
व! तुहारी कृपा सब पर है
, अतः मे
रेारा अपनी आराधना करवाओ ।।
४।।

ज त ववृ
दावने
न यकालं
, मु
कुदे
न साकंवधायाङ्
कमालम्

समामो यमाणाऽनु
क पाकटा ै
ः, यंच तये
स चदान द पाम्
।।५।।

जो त दन नयत समय पर ी यामसु दर केसाथ उ ह अपने


अङ्क क माला
अ पत करके अपनी लीलाभू
म-वृद
ंावन म वहार करती ह, भ जन पर यु होने
वाले
कृपा-कटा से सु
शो भत उन स चदान द व पा ी ला ड़ली का सदा च तन
करे।।५।।

मु
कुदानु
रागे
ण रोमा चता ै
रहं ा यमानां
तनु
वे
द- व म्

महाहादवृ ा कृ
पापा ा, समालोकय त कदा वांवच े
।।६।।

ी राधे
! तु हारे
मन- ाण म आन दक द ी कृण का गाढ अनु राग ा त ह ।
अतएव तु हारेी अ सदा रोमा च से वभूषत ह और अं
ग-अंग सू म वे
द- ब
से
सुशो भत होता है। तु
म अपनी कृ पा-कटा सेप रपू
ण ारा महान ेम क वषा
करती ई मे री ओर देख रही हो; इस अव था म मु
झेकब तु
हारा दशन होगा ? ।। ६।।
यदङ्
कावलोकं
महालालसौघंमु
कुदः करो त वयंये
यपादः।।
पदं
रा धके
तेसदा दशया त- े
द थं
नम तंकर ौ चषं
माम्
।।७।।

ी रा धके ! य प यामसुदर ीकृण वयं ही ऐसे


ह क उनके चा -चरण का
च तन कया जाए, तथा प वे तुहारे
चरण- च के अवलोकन क बड़ी लालसा रखते
ह। दे व ! म नम कार करता ।ँइधर मे
रे
अ तः करण केदय-दे श म यो त-पु
बखे रतेए अपने च तनीय चरणार व द का मु
झेदशन कराओ ।।७।।

सदा रा धका-नाम ज ा तः यात्


सदा रा धका पम य मा ताम्


तौ रा धकाक तर तः वभावे
, गु
णा रा धकायाः या एतद हे
।।८।।

मे
रो ज ा केअ भाग पर सदा ीरा धका का नाम वराजमान रहे
। मे
रे
ने केसम
सदा ीराधा का ही प का शत हो । कान म ीरा धका क क त-कथा गूज
ंती रहे
और अ तहदय म े य अ ध ा ी ीराधा के
ही असंय गुणगण का च तन हो, यही
मेरी शु
भकामना है।।८।।

इदंव कं
रा धकायाः यायाः, पठे
यु
ः सदै
वंह दामोदर य।

सु
त त वृ
दावने
कृणधा न, सखीमू
तयो यु
मसे
वानु
कू
लाः !||९।।

दामोदर या ी राधा क तु त से
सं
बंध रखनेवालेइन आठ ोक का जो लोग सदा
इसी प म पाठ करतेह, वेीकृणधाम वृ दावन म यु
गल सरकार क से
वा के
अनु कू
ल सखी-शरीर पाकर सु
ख सेरहतेह ।।९।।

www.Youtube.com/c/NimbarkParikar

You might also like