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काय थ वंश इं टरनेशनल @ 2019

ी िच गु पू जा िविध (Chitragupta Pooja Vidhi)

भगवान िच गु जी के हाथों म कम की िकताब, कलम, दवात और जल


है . ये कुशल ले खक ह और इनकी लेखनी से जीवों को उनके कम के
अनु सार ाय िमलता है . काितक शु प ि तीया ितिथ को भगवान िच गु
की पू जा का िवधान है . इस िदन भगवान िच गु और यमराज की मूित
थािपत करके अथवा उनकी त ीर रखकर ा पूवक सभी कार से फूल,
अ त, कुमकुम, िस दू र एवं भां ित भां ित के पकवान, िम ान एवं नैवे सिहत
इनकी पूजा कर और िफर जाने अनजाने ए अपराधों के िलए इनसे मा
याचना कर . यमराज और िच गु की पूजा एवं उनसे अपने बुरे कम के
िलए मा मां गने से नरक का फल नहीं भोगना पड़ता है . इस संदभ म एक
कथा का यहां उ ेखनीय है .

ी िच गु जयं ती

काय थ भाई दू ज के िदन ी िच गु जयंती मनाते ह। इस िदन पर वे


कलम, दवात पूजा -कलम, ाही और तलवार पूजा_ करते ह, िजसम कलम,
कागज और पु कों की पूजा होती है । यह वह िदन है जब भगवान ी
िच गु और यमराज अपने कत ों से मु हो, अपनी बहन दे वी यमुना
से िमलने गये , इसिलए इस िदन पूरी दु िनया भैयादू ज मनाती है और काय थ
ी िच गु जयंती मनाते ह।

काय थ वंश इं टरनेशनल @ 2019


ी िच गु भगवान जी ुित
जय िच गु यमेश तव, शरणागतम शरणागतम।
जय पू पद प ेश तव, शरणागतम शरणागतम।। 2
जय दे व दे व दयािनधे, जय दीनब ु कृपािनधे।
कमश जय धमश तव, शरणागतम शरणागतम।। 2
जय िच अवतारी भो, जय लेखनी धारी िवभो।
जय ाम तन िच ेश तव, शरणागतम शरणागतम।। 2
पूवज भगवत अं श जय, काय थ कुल अवतंश जय।
जय श बु िवशे ष तव, शरणागतम शरणागतम।। 2
जय िव शा त धम के, ाता शुभाशुभ कम के।
जय शां ित ायाधीश तव, शरणागतम शरणागतम।। 2
जय दीन अनुरागी ह र, चाहे दया ि तेरी।
कीजै कृपा क णेश तव, शरणागतम शरणागतम।। 2
तव नाथ नाम ताप से, नर जाय छु ट भय ताप से।
हों दू र सव ेश तव, शरणागतम शरणागतम।। 2

काय थ वंश इं टरनेशनल @ 2019


भगवान ी िच गु पूजन िविध
ॐ नमो भगवते िच गु दे वाय का आवाहन करते ये धूप, दीप, च न, लाल पु से
पूजन कर ानुसार नै वै , खील, भुने चन, िमठाई, ऋतु फल का साद चढाय। एक
कलम िबना िचरी लेकर दवात म पिव जल िछडकते ये भु को ान कर।

ा थवाचन
ॐ गणना ां गणपित हवामहे , ि याणां ां ण ि यपत हवामह िनधीनां ां ल िनिधपते
हवामह वसो मम आहमजािन गभधामा मजािस गभधम ।
ॐ गणप ा्िद पंचदे वा नव हाM इ ािद िद पाषलाM दु गािद महादे M इहाग त कीयां
पूजां हीत भगवतM िच गु दे व पूजमं िव रिहतं कु त।

ान
त री रा रहाबा : ा म कमल लोचन:क ु।
ीवोगूढ िशरM पू ण च ो िनभाननM।।
काल द ो ोप वसो ह ेा ले खनी प सं युतM।
िन:म दशनेत थौद हमणो ुय ज नM।।
ले खनी खड् गह े ग च मिस भाजन पु कM।
काय थ कुल उ िच गु नमो नमM।।
मसी भाजन संयु प रोिस ं महीतले ।
ले खनी किठन ह े त िच गु नमो ुहते।।
िच गु नम ुत ं ले खका र दायक ।
काय थ जाित मासा िच गु मनो ु ते
् ।।
योषा पया ले खन जीिवकायेन िनिमता ।
ते षा च पालको य भा तM शा य मे।।

आवाहन
दोनो हाथ जोडकर भु िच गु जी से ाथना कीिजये के हे भु जब तक म आपकी
पूजा क ं तब तक भु आप यहां िवराजमान रिहये।
ॐ आग भगव े दव था्ने चा थरौ भव ।
याव ूजं क र ािम ताव ं सि धौ भव ।
ॐ भगव ंभ ी िच गु आवाहयािम थापयािम ।।

काय थ वंश इं टरनेशनल @ 2019


आसन
हे भु िच गु दे व आपका सेवक आपके सम यह आसन समिपत करता है , कृपया
इसे ीकार कर M
ॐ इदमासनं समपयामी । भगवते िच गु दे वाय नमM ।।
पा
हे भु िच गु आपके चरण कमल धोने के िलये म जल समिपत करता ं इसे
ीकार कर M
ॐ पादयोM पा ं समपयामी । भगवते िच गु दे वाय नमM ।।
आचमन
हे दे वािधदे व भु िच गु भगवान यह पिव जल आचमन के िलये ुत
् करता ं
इसे ीकार कर M
ॐ मुखे आचमनीयं समपयािम । भगवते िच गु ापय नमM ।।
ान
हे सनातन दे व आप ही जल है , पृ ी है , अि और वायु है यह सेवक जीवन पी
जल आपके ान हे तु समिपत करता है इसे ीकार कर M
ॐ ासनाथ जलं समपयािम । भगवते ी िच गु ाय नमM ।।

हे दे वािददे व, भु िच गु जी आपके चरणों म यह सेवक तु व भट करता है
इ ीकार कीिजय M
ॐ पिव ों व ं समपयािम । भगवते ी िच गु दे वाय नमM ।।
पु
हे परम उ म िद महापु ष भु िच गु भगवान आपके ी चरणों म यह सेवक
सुग त पु अिपत करता है इ े ीकार कीिजय M
ॐ पु रमालां च समपयािम । भगवते ी िच गु दे वाय नमM ।।
धूप
हे अ यामी दे व आपके ी चरणों म यह सेवक सुग त धूप ुत करता है , इसे
ीकार कीिजय M
ॐ धू पं माधापयािम । भगवते ी िच गु दे वाय नमM ।।

काय थ वंश इं टरनेशनल @ 2019


दीप
हे दे वािददे व उ म काश से यु अंधकार को दू र करने वाला धृत
एवं ब ीयु दीप आपके ी चरणों म काशमान है इसे ीकार कीिजये।
ॐ दीपं दशयािम । भगवते ी िच गु दे वाय नमM

नैवै
हे भु िच गु जी आपके ी चरणों म ािद शु , मधु र फलों से यु नै वै
समिपत करता ं, इ ीकार कीिजय ।
ॐ नैवै समपयािम । भगवते ी िच गु दे वाय नमM ।।

ता ूल -दि णा )
हे भु िच गु ाजी आपके ी चरणों म ता ूंल एवं दि णा समिपत करता ं, इ
ीकार कीिजये ।
ॐ ता ूरलं समपयािम । ॐ दि णा समपयािम।।
भगवते ी िच गु दे वाय नमM

लेखनी दवात पूजन


ले खनी दवात पर शु जल, रोली, चावल, पु जल आिद अिपत करते ये भु िच गु
जी एवं धमराज जी का ान कीिजये M
ॐ लेखनी दे वते इहाग । म पूजां हाण, आवाहनं करोिम।।

काय थ वंश इं टरनेशनल @ 2019


ी िच गु जी महाराज त कथा

ी नारायण जी चौथे अवतार ी द ा ेय जी महाराज ने ऋिष मुिनयों म े व पूजनीय मुिन पु िल


जी से पूछा िक हे मुिन कृपया िव ार से बताने की कृपा करे िक सं सार की उ ि कैसे ई,
काय थ जाित की उ ि कब और कैसे ई? भु िच गु की त कथा का ा िनयम है तथा
इसके करने से ा फल िमलता है ? यह जानने की मेरी ती इ ा ह। ी पु िल मुिन ने कहा
िक हे द ा ेय जी अपने ब त ही मह पूण िकया ह, यह भी िपतामह जी ने मुझसे
िकया था िच गु जी की त कथा के स म मैने जो िपतामह को बताया था तु म भी ानपू वक
सुनो। एक समय संसार म शौदास नाम का एक राजा था उसका सारे भू मंडल पर रा था उस
राजा ने सम रा म यह आ ा कर दी थी िक मेरी जा का कोइ भी मनु वे द शा को न
हवन या पूजा कर। वह जब भी िकसी को य हवन या पू जा करते दे खता तो उस मनु को भॉित
भॉित के द दे ता । उसके रा म जा राजा के अ ाय से ब त दु Mखी थी। चु नां चे जा के
संताप से राजा शौदास पागल हो गया । रा करने यो नही ं रहा तथा पागल होकर आवारा घु मने
लगा। एक समय काितक सुदी 2 को यम ि तीया के िदन नगर के सब लोग रोली, चावल, फूल,
चावल, पान, सुपाडी आिद पूजा की साम ी लेकर पूजा हे तु ी िच गु जी महाराज के म र म
इकटठा हो रहे थे। उसी समय पागल आ वह शौदास नामी राजा घूमता आ म र पर आ प चा।
राजा को दे ख उसके डर के मारे वह जा जो ी िच गु जी महाराज की पूजा को वहॉ इकटठी
हो रही थी वहॉ से भाग गई और वह पू जा की सब साम ी म र पर रही। उस शौदास नामी
पागल राजा ने म र पर आकर फूल चावल आिद उस पू जा साम ी को लेकर ी िच गु जी
महाराज के उपर चढाकर उनकी पूजा कर दी। कुछ समय बीतने पर वी शौदास नामी राजा मर
गया तो धमराज के दू त ने राजा शौदास के ाण जीव को बॉध कर ी िच गु जी महाराज जी
के शुभ अशुभ कम का िवचार कर िहसाब लगाया तो उस राजा का िसवाय उस िदन के िक वह
फूल, चावल आिद िजसको राजा के डर से अ लोग छोडकर भाग गये थे और राजा ने उ ी
िच गु जी महाराज जी के उपर छोड िदया था और कोई शुभ् कम नही ं पाया तब भी ी िच गु
ने यमदू तों को आ ा दी िक इस राजा के जीव को िव ुलोक म प चाएं , यह जीव ग म रहे न
यो है । ी िच गु जी महाराज की आ ा पाकर यमदू तों ने राजा के जीव को िव ु लोक म जा
प ँ चाया, पर ु उनको ी िच गु जी महाराज के ाय पर बडा अचरज आ िक उ ोने ऐसे पापी
राजा को िव ु लोक ो भेजा। ऐसा िवचार कर वह दू त ी धमराज के पास प चे और धमराज से
कहा िक महाराज शौदास नामी राजा ने जीवन भर कोई शुभ कम नही ं िकया वह नक म जाने
यो था, पर ु ी िच गु जी महाराज ने उसे िव ुलोक म िनवास िदया ह। ऐसा ाय करने से
तो महराज सब नक लोक खाली हो जायेगा और सं सारी जीव और अिधक कुकम करने लगगे। तब
ी धमराज ने ी िच गु जी महाराज से शौदास के जीव को िव ु लोक भे जने का कारण पू छा
और उसके कम का लेखा मालूम िकया। तब ी िच गु ने राजा के कम का स स हाल
बताया और कहा िक आपने और सब दे वताओं ने मुझे यह आश वाद िदया था िक जो कोई तु म्हारी
पूजा करे वह जीव िव ुलोक को ा करने यो है , चूं िक शौदास ने एक िदन मेरी पूजा की थी
इसिलये राजा शौदस को मैन िव ुलोक ् भेजा है 1 ी धमराज ी िच गु जी महाराज जी की पू जा
की बात सुनकर अित स ये। पुिल मुिन बोले िक हे द ा ेय भी िपतामह अकेले धूप दीप
से िच गु जी की पू जा करते थे और ी िच गु जी ने इनको यह आश वाद िदया था िक भी

काय थ वंश इं टरनेशनल @ 2019


जी तो तुम चाहते हो तु ारी इ ा पूण होगी और उसके पीछे आप धमलोक म वास करगे। ी
द ा ेय जी ने दु िनयां दारो की इ ा पूरी होने और उनके लाभ की कथा को सु न पुिल मुिन को
नम ार िकया और िफर वह ंय िच गु जी का पू जा म लीन हो गये । पु िल मुिन ने कहा िक
जो भी मनु भु िच गु जी का पूजन करता है वह न िसफ िव ुलोक का अिधकारी होता है
अिपतु सम सां सा रक क ों से छु टकारा भी पाता है ।

।। बोलो ी िच गु भगवान की जय ।।

ी नारायण के चौथे अवतार ी द ा ेय जी ने ी पुिल जी से पु छा िक हे मुिन े मेरी यह


जानने की ती इ ा् है िक काय थ् वण की उ ित कैसे ई? कृपया िव ार से बताने की कृपा
कर। ी पुिल मुिन ने ी द ा ेय जी से कहा िक आपने ब त ही े िकया ह, यही
एक बार गंगापु भी ने भी िकया था जों मै बताता ं , ान पू वक सु नो । दे वलोक म ा जी
को िच त मु ा म दे ख नारद जी ा जी के पास प चे और िच ा का कारण पू छा। ा जी
ने बताया िक सृि रचना के उपरा ा ण , ि य, वै एवं शू आिद को उनके कम के अनु सार
फल दे ने का काय धमराज जी को सौपा गया था, िक ु मृ ु लोक म िनर र आबादी बढन से धमराज
जी ने अब मुझे सकंट म डाल िदया ह, सृ ि बढ जाने से मनु के कम का लेखा जोखा रखना
अस व हो गया है । नारद अब तुम ही कोई उपाय सुझाओं तािक धमराज मृ ु लोक का काय
सुचा प से कर सक। नारद जी ने कहा िक हे भु आपकी इस सम ू का समाधान तो
महा भु िव ु जी के ही पास है , आपको उ ी ं का ान करना चािहये । ा जी महा भु िव ु जी
की घोर तप ा म लीन हो गये तथा उ ोने 11 हजार वष तक तप ा की । तदोपरा जब ा
जी ने अपने ने ों को खोला तो सामने पाया िक अ तेज ी्, ामवण, कमल नयन, चतुभज प,
पीता र व ों से सुशोिभत, गले म ा की माला को धारण िकये , हाथ म कलम दवात िलये,
च मा के समान स श मुख, अ बुि मान एक अलौिकक उ म पु ष खडा है । उ म पु ष को
सामने दे ख ा जी अ हिषत ये तथा उ ोने पू छा िक हे पु षो म आप कौन है , तब उ ोने
बताया िक हे ा जी आपकी तप ा् के दौरान ही मेरी उ ि आपकी काया से ई है । हे तात़
कृपया मेरा नामकरण कीिजये और मेरे यो जो सेवा हो उसकी आ ा दीिजये । ा जी अ स
ये और उस उ म पु ष से कहा िक चूं िक तु ारी उ ि मेरी काया अथात शरीर से ई है ,
अतM तुम काय थ वण से जाने जाओगे तथा हमने भगवान िव ु का ान अपने िच म गु रखकर
िकया था और मेरी तप ाकाल म ही तुम आ य प म कट ये हो इस कारण तु म िच गु
नाम से जाने जाओगे । ा जी ने कहा िक हे उ म पु ष आप चारों वे द, छहों, अठारह पु राणों
के ाता ह, आप भु, िशवजी एवं दु गाजी की आराधना कीिजये और वण के कम का िहसाब
र खए। ा जी से आ ा पाकर िच गु जी कुटनगर प ं चे और वहां जाकर उ ान मां दु गा जी की
उपासना की । दु गा जी ने ी िच गु जी को उनकी भ से स होकर उ लेखन कला की
जानकारी दी। लेखन कला की जानकारी ा करने के प ात़ ी िच गु जी अव कापु र गये जहां
उ ोने िशवजी की आराधना की तथा वही ं रहकर उ ोन िवधान तैयार िकया िजसे सभी दे वताओं तथा
ऋिषयों ने अंगीकृत िकया। ी िच गु जी ने काितक प की दु ज के िदन ाय करने का कायभार
धमराज के सहायक के प म हण िकया। इसी िदन यमराज अपनी बहन जमुना जी के घर गये
थे तभी से भाई दु ज की था चिलत ई। इसी ितिथ को यम ि तीया भी कहा जाता है ।

काय थ वंश इं टरनेशनल @ 2019


दु ज पव वष म दो बार मनाया जाता है , काितक प की दु ज एवं चै प की दु ज की ितिथयां
भगवान िच गु जी के पूजन की िवशेष ितिथ है । महिष पु िल ने कहा िक संसार को कोई भी
ाणी जो दु ज पव पर भु िच गु जी की पू जा करे गा वह इ त गलोक का अिधकारी होगा।
पुिल मुिन े काय थ वण उ ि का वृ ता सुनाते ये बताते है िक एक समय सूय नारायण
अपनी प ी तथा सुशमा ऋिष की पु ी शोभावती के साथ अव कापुर प ं चे जहां उ ान िच गु जी
को भगवान िशवजी की अराधना म ान म दे खा। शोभावती िच गु जी पर मोिहत हो गयी।
सूयदे व तथा उनकी प ी, शोभावती की इ ा श को भां प गये तब उ ोन शोभावती को
समझाया िक वह पावती का पूजन कर तभी उनको मन वां िछत फल ा होगा। ी
िच गु जी को अ यामी भी कहा गया ह ोिक मृ ु लोक के असं
ािणयों के ज मृ ु का लेखा जोखा रखना उनके कम के अनुसार फल
दे ना आिद इ ािद काय साधारण िलये स व नही ं था इसिलये ी िच गु जी
को महा भु िव ुजी का दू सरा प कहा गया है ।
एक समय की बात है िशवजी अपनी अधािगनी पावती के साथ्
िवचरण् करते ये सूयलोक प ं चे जहां उ ोने अ सुशील,
पवती, गुणवती, क ा को दे खकर सूयदे व से सारा वृ ता
कह सुनाया। भगवान िशव ने कहा के इस क ा के िलये
िच गु जी से अिधक उ म और कोई वर नही ं होगा,
वही ं शोभावती -इरावती_ के िलये े वर है । िशवजी
सूयदे व को साथ लेकर सुशमा ऋिष के पास गये
तथा उ ोंने सारा वृ ता बताया,
यह सुनकर सु शमा ऋिष
अ स ये तथा
सुशमा ऋिष, सू यदे व, ा
जी तथा सम
दे वताओं तथा अठासी हजार
ऋिषयों को लेकर
िच गु जी के पास गये
तथा िच गु जी का
िववाह शोभावती -
इरावती_ के साथ कराया। सभी ऋिषयों एवं िविधवत िच गु जी का य ोपवीत कराया सभी ऋिषयों
एवं दे वताओं ने हिषत होकर पु वषा की । िच गु जी के िववाह के अवसर पर सूयदे व की पौ ी
न नी -सुदि णा_ भी उप थत थी जो मन ही मन इस िववाह को दे खकर सोच रही थी िक काश
मेरा िववाह भी िच गु जी से हो जाता तो िकतना अ ा होता । भगवान िशवजी एवं ा जी
न नी की इ ा श को भां प गये तथा यह बात उ ोने सूय नारायण को बताई िक उ अपनी
पौ ी न नी का िववाह भी िच गु जी के साथ कर दे ना चािहये , तब ा दे व मनु की पु ी न नी
का िववाह भी सभी दे वताओं एवं ऋिषयों की उप थित म ी िच गु जी के साथ स कराया
गया तथा सभी दे वताओं ने हिषत होकर पु वष की ।

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ी िच गु जी की प ी न नी -सुदि णा_, शोभावती -इरावती_ से मशM पु

1. धम ज - ीवा व_
2. रामदयाल -स ैना_
3. योगाधर -माथुर_
4. भानु काश -भटनाकर_ ये।
शोभावती -इरावती_ से आठ पु मशM
1. ाम सु र -सु रज ज_
2. सुमित -िनगम_
3. सदान -कुल े _
4. दामोदर -कण_
5. धमद -गौण_
6. दीनदयाल -अ ाना_
7. शाड् गधर -अ _ एवं
8. राधौराम -बा ीिक_ ये ।

िच गु जी के सभी पु ों का उपनयन -य ोपवीत_ सं ार क प जी के ारा कराया गया तथा सभी


पु ों का िव ा यन 5 वष की आयु म शु आ। ी वृ ह ित जी की छ छाया म सभी यथासमय
सभी पु ों को बुलाकर उपदे श िदया िक हे पु ों तु म अपनी लेखन गणक वृि रखना शा को
अपनी जीिवका ही नही ं अिपतु यु आिद समय म शा धारण कर यु भी करना, अपने श तो
कभी न छोडना। िवधा के अभाव को अपने जीवन म कभी अंदर न आने दे ना, दे वताओं का पू जन,
ा णों का पो पझा तथा उनका आदर करना तािक तीनों लोकों का क ाण हो। इस कार उपदे श
दे कर सभी को िविभ े ों म मृ ु लोक भेजा जहां बारह भाई िविभ े ों म जाकर बस गये ।
ी िच गु जी गृह थ धम ाग कर परमे र की आ ा पाकर धमराज की सेवा म यमपु री प ं चे
जहां धमराज ने िसहां सन से उठाकर ेम से िच गु जी को हदय से लगा िलया तथा र जिडत
मुकुट पहनाकर िसंहासन पर बैठाया। तदोपरा ी िच गु जी अपने काय म त ीन हो गय।

।। बोलो ी िच गु जी भगवान की जय ।।

काय थ वंश इं टरनेशनल @ 2019

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