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प्रथम अध्याय :
जीण जीण भज बारम्बारा, हर संकट का हो निस्तारा ।
नाम जपे माँ खश
ु हो जावे, संकट हर लेती है सारा ।। 1 1।
द्वितीय अध्याय
जीण जीण भज बारम्बारा, हर संकट का हो निस्तारा ।
नाम जपे माँ खश
ु हो जावे, संकट हर लेती है सारा ।।
तति
ृ य अध्याय
जीण जीण भज बारम्बारा, हर संकट का हो निस्तारा ।
नाम जपे माँ खश
ु हो जावे, संकट हर लेती है सारा ।।
चतर्थ
ु अध्याय
जीण जीण भज बारम्बारा, हर संकट का हो निस्तारा ।
नाम जपे माँ खश
ु हो जावे, संकट हर लेती है सारा ।।
पंचम अध्याय
जीण जीण भज बारम्बारा, हर संकट का हो निस्तारा ।
नाम जपे माँ खश
ु हो जावे, संकट हर लेती है सारा ।।
षष्ठम ् अध्याय
जीण जीण भज बारम्बारा, हर संकट का हो निस्तारा ।
नाम जपे माँ खश
ु हो जावे, संकट हर लेती है सारा ।।
सप्तम ् अध्याय
जीण जीण भज बारम्बारा, हर संकट हा हो निस्तारा ।
नाम जपे माँ खश
ु हो जावे, संकट हर लेती है सारा ।
अष्टम ् अघ्याय
जीण जीण भज बारम्बारा, हर संकट का हो निस्तारा ।
नाम जपे माँ खश
ु हो जावे, संकट हर लेती है सारा ।।
नवम ् अध्याय
जीण जीण भज बारम्बारा, हर संकट का हो निस्तारा ।
नाम जपे माँ खश
ु हो जावे, संकट हर लेती है सारा ।।