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Drishti SSC Notes
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2. िह दी सािह य के इतहास के िन न ल खत चार काल क सािह यक वृ याँ
(क) आिदकालः ■स , नाथ और रासो सािह य।
मुख किवः चंदबरदाई, खुसरो, हेमच , िव ापत।
(ख) भि कालः संत का य धारा, सूफ का यधारा, कृ ण भि धारा और राम भि धारा। मुख किव : कबीर,
जायसी, सूर और तुलसी।
(ग) रीतकालः रीतका य, रीतब का य, रीतमु का य
मुख किव : केशव, िबहारी, पदमाकर और घनानंद।
(घ) आधुिनक कालः (क) नवजागरण, ग का िवकास, भारते द ु मंडल (ख) मुख लेखक : भारते द,ु बाल
कृ ण भ और ताप नारायण िम ।
(ड.) आधुिनक िह दी किवता क मु य वृ याँ। छायावाद, गतवाद, योगवाद, नई किवता, नवगीत,
समकालीन किवता और जनवादी किवता।
मुख किव : मैथलीशरण गु , जयशंकर साद, सूयका त ि पाठी ‘िनराला’, महादेवी वमा, रामधारी ↓सह
‘िदनकर’, स दानंद हीरानंद वा यायन ‘अ ेय’, गजानन माधव मुि बोध, नागाजुन।
3. कथा सािह यः
(क) उप यास और यथाथवाद
(ख) िह दी उप यास का उ व और िवकास
(ग) मुख उप यासकार : ेमच द, जैने , यशपाल, रेणु और भी म साहनी।
(घ) िह दी कहानी का उ व और िवकास।
(ड़) मुख कहानीकार : ेमच द, जयशंकर साद, स दानंद हीरानंद वा यायन ‘अ ेय’, मोहन राकेश और
कृ णा सोबती।
4. नाटक और रंगमंच :
(क) िह दी नाटक का उ व और िवकास
(ख) मुख नाटककार : भारते द,ु जयशंकर साद, जगदीश चं माथुर, रामकुमार वमा, मोहन राकेश।
(ग) िह दी रंगमंच का िवकास।
5. आलोचना :
(क) िह दी आलोचना का उ व और िवकास- सै ांतक, यावहा रक, गतवादी, मनोिव ेषणवादी आलोचना
और नई समी ा।
(ख) मुख आलोचक - रामच शु , हजारी साद ि वेदी, रामिवलास शमा और नगे ।
6. िह दी ग क अ य िवधाएँ : ल लत िनबंध, रेखाच , सं मरण, या ा वृ ा त।
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6. मैथलीशरण गु : भारत भारती
7. जयशंकर साद : कामायनी (चता और ा सग)
8. सूयकांत ि पाठी 'िनराला’ : राग-िवराग (राम क शि पूजा और कुकुरमु ा) सं. रामिवलास शमा
9. रामधारी ↓सह ‘िदनकर’ : कु े
10. अ ेय : आं गन के पार ार (असा यवीणा)
11. मुि बोध : रा स
12. नागाजुन : बादल को घरते देखा है, अकाल और उसके बाद, ह रजन गाथा।
खंड : ‘ख’ (ग सािह य)
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