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श्रीमती भीकाजी रूस्तम कामा (मैडम कामा )

नमस्कार ,

मैडम भीकाजी कामा का जीवन परिचय

मैडम भीकाजी कामा भारत की महान वीराां गना थीां, जजन्हांने जवदे श में रहकर पहली बार दे श का

जतरां गा झांडा फहराकर इजतहास रच जदया था। उन्ें भारतीय क्ाां जत की माता के रुप में भी जाना जाता है ।
उन्हांने जवदे श में रहते हुए दे श की आजादी के जलए न जसफफ कठहर प्रयास जकए, बल्कि अपनी क्ाां जतकारी

गजतजवजियहां से जिजिश हुकूमत के भी नाक में दम कर जदया था, जजसकी वजह से बाद में अां ग्रेज उन्ें
खतरनाक एवां अराजकतावादी क्ाां जतकारी, और असांगत मानने लगे थे, एवां जिजिश सरकार ने उन्ें भारत

आने तक पर रहक लगा दी थी। लेजकन मैडम कामा ने कभी हार नहीां मानी और अपने राष्ट्र के जलए
जनस्वाथफ भाव से मरते दम तक लगीां रहीां।

तह आइए जानते हैं दे श की इस महान स्वतांत्रता सेनानी और वीराां गना मैडम भीकाजी कामा की
जजांदगी से जुडे कुछ महत्वपूर्फ पहलुओां के बारे में-

भाितीय आजादी में अपना अमूल्य योगदान दे ने वाली मैडम भीकाजी कामा का जीवन परिचय –

मैडम भीकाजी कामा की जीवनी एक नजि में –

पूिा नाम भीकाजी रुस्तम कामा

जन्म 24 जसतांबर, 1861, मुांबई

माता जैजीबाई सहराब जी

पपता सहराब जी फरां जज पिे ल, प्रजसद्ध व्यापारी

पपत रुस्तम के. आर. कामा

पिक्षा अलेकझाां डा पारसी लडजकयहां के स्कूल मे उन्हांने जशक्षा ली. भारतीय और जवदे शी भाषा अवगत

मृत्यु 13 अगस्त, 1936, बम्बई, भारत

भीकाजी कामा का जन्म, परिवाि, पिक्षा एवं िुरुआती जीवन –

भारतीय स्वतांत्रता आां दहलन में अपनी महत्वपूर्फ भूजमका अदा करने वाली भीकाजी कामा 24

जसतांबर, 1861 कह मुांबई में एक सांपन्न पररवार में जन्ीां थी, उनके जपता सहहराब जी पिे ल एक प्रजसद्ध
व्यापारी थे , जबजक उनकी माता घरे लू मजहला थी, जह जक उच्च जवचारहां वालीां थी, जजन्हांने अपनी बेिी के

अांदर भी काफी अच्छे सांस्कार डाले थे।

मैडम कामा का पालन-पहषर् काफी अच्छे माहौल में हुआ था एवां शुरु से ही अच्छी जशक्षा भी

जमली थी। वे बचपन से ही काफी तेज बुजि की छात्रा थी, इसजलए उन्हांने अांग्रेजी भाषा पर अपनी कमाां ड
बेहद जल्दी अच्छी कर ली थी।

आपकह बता दें जक उन्हांने अलेक्जेंडर नेजिव गर्ल्फ इां ल्किश इां स्टीट्यूि से पढाई की थी। वहीां मैडम
कामा का झुकाव शुरु से ही दे श और समाज की तरफ था,अपने आस-पास की घिनाओां कह दे ख अपने

जीवन के शुरुआती जदनहां से ही समाज के प्रजत काफी सांवेदनशील थे और उनके मन में भारत के प्रजत
सच्ची जनष्ठा और सम्मान था। शायद इसी की बदौलत बाद में उन्हांने गुलाम भारत कह आजादी जदलवाने

की लडाई में अपना अमूल्य यहगदान जदया था।

मैडम कामा का पववाह –

साल 1885 में मैडम कामा जी का जववाह सामाजजक कायफकताफ एवां प्रजसद्ध जिजिश वकील श्री
रुस्तम के.आर.कामा के साथ हुआ था।

दहनहां ही समाज सेवा के जलए समजपफत थे लेजकन दहनहां के जवचार एक-दू सरे से काफी अलग थे।
दरअसल उनके पजत रुस्तम कामा उनकी अपनी सांस्कृजत कह महान मानते थे, जबजक मैडम कामा

भारतीय सांस्कृजत कह अजिक महत्व दे ती थीां एवां अपने राष्ट्र के जवचारहां से प्रभाजवत थीां।

वहीां उनकी वैचाररक जभन्नता का प्रभाव बाद में उनकी जनजी जीवन पर भी पडने लगा था और

िीमे-िीमे पजत-पत्नी के ररश्हां में कडवाहि भी आ गई थी।

हालाां जक शादी के बाद भी मैडम कामा जनस्वाथफ भाव से समाजजक कामहां में लगी रही और राष्ट्र

कल्यार् के काम में उन्हांने खुद कह पूरी तरह समजपफत कर जदया था।

वहीां उस दौरान मुांबई में प्लेग महामारी के रुप में फैल रहा था, इस दौरान सामाजजक कामहां में वे

इतनी व्यस्त थीां, जक अपने स्वास्थ्य की परवाह जकए जबना काम करती रहती थीां, जजसके चलते वे भी इस
रहग की चपेि में आ गईां।

जजसके बाद कुछ जदनहां तक तह उनका इलाज मुांबई में ही चला, लेजकन जफर जब उनकी हालत में
ज्यादा सुिार नहीां आया तह उनके घर वालहां ने उन्ें इलाज के जलए यूरहप भेज जदया।

इस दौरान उन्हनें फ्ाां स, जमफनी, और इां िैंड समेत तमाम दे शहां की यात्रा की। अपनी जवदे श यात्रा
के दौरन वे भारत की आजादी के जलए लड रहे तमाम भारतीयहां के सांपकफ में आई और वे उनसे इतनी
अजिक प्रभाजवत हुईां जक उन्हांने जफर खुद कह पूरी तरह दे श की आजादी की लडाई में समजपफत करने का

फैसला जलया।

दे ि की आजादी में मैडम कामा का योगदान –

भारत की आजादी कह अपने जीवन का लक्ष्य मानने वाली भारत की वीराां गना मैडम कामा ने
महान समाजजक कायफकताफ दादाभाई नौरहजी के यहाां सेक्ेिरी के पद पर ईमानदारी से काम जकया।

इस दौरान वे भारत के महान क्ाां जतकारी वीर सावरकर, हरदयाल, श्यामजी कृष्ण वमाफ जी के
सांपकफ में भी आईां। वहीां लांदन में रहते समय मैडम कामा ने यूरहप में भारतीय युवकहां कह इकट्ठा कर दे श

की आजादी प्राल्कि के जलए प्रहत्साजहत जकया और क्ूर जिजिश हुकूमत के बारे में जानकारी दी।

इस दौरान मैडम भीकाजी कामा जी अपने साजथयहां के साथ जमलकर कुछ क्ाां जतकारी रचनाएां भी

जलखीां और इन रचनाओां के माध्यम से लहगहां के जलए राष्ट्रप्रेम की भावना जागृत करने का प्रयास जकया।

इस दौरान मैडम कामा ने अांग्रेजहां से आजादी पाने के जलए क्ाां जतकाररयहां की तन-मन और िन से
सहायता की। साथ ही अपने ओजस्वी और प्रभावशील भाषर्हां के बल पर लहगहां के अांदर आजादी पाने की

अलख जागई थी।

वहीां मैडम कामा की क्ाां जतकारी गजतजवजियहां कह दे खते हुए जिजिश सरकार ने उनके भारत वापस

लौिने पर रहक लगा दी थी और उनकी भारतीय सांपजि कह भी जब्त कर जलया था।

पवदे ि की सिजमी ं में पहली बाि फहिाया भाितीय ध्वज –

‘भारतीय क्ाां जत की जननी’ के रुप प्रजसद्ध मैडम भीकाजी कामा ने अपने क्ाां जतकारी साजथयहां

जवनायक दामहदर सावरकर, श्यामजी कृष्ण वमाफ के साथ जमलकर भारतीय सांस्कृजत कह ध्यान में रखकर
भारतीय ध्वज की जडजाइन तैयार की थी और साल 22 अगस्त, 1907 में जमफनी में हुई इां िरनेशनल

सहशजलस्ट क ां फ्ेंस में भारत का पहला जतरां गा झांडा फहराकर इजतहास रचा था।

आपकह बता दें जक इस जतरां गे में केसररया, हरे एवां लाल रां ग के पट्टे थे। केसररया रां ग जवजय, हरा

रां ग, साहस एवां उत्साह जबजक लाल रां ग शल्कि का प्रतीक है ।

इसी तरह इस जतरां गे में 8 कमल के फूल थे, जह जक भारत के 8 राज्यहां के प्रतीक थे। इस जतरां गे के

मध्य में दे वनागरी जलपी में ”वेंदेमातरम” भी जलखा था।


जवदे शी सरजमीां पर भारतीय जतरां गा फहराने के बाद उन्हांने ओजस्वी और राष्ट्र प्रेम की भावना से

भरा हुआ ममस्पशी भाषर् भी जदया था और भारतीय सांस्कृजत के महत्व कह बताया था एवां भारत दे श के
प्रजत अपना अिू ि प्रेम और सम्मान व्यि जकया था।

इस तरह मैडम कामा ने भारतीय ध्वज कह अांतराष्ट्रीय स्तर पर ख्याजत जदलवाई थी।

मैडम कामा की उपलब्धियां एव सम्मान –

भारतीय क्ाां जत की माता मैडम कामा द्धारा दे श की आजादी के जलए जकए गए सांघषफ एवां महत्वपूर्फ
यहगदान के जलए भारतीय डाक ने साल 1962 में उनके सम्मान में उनके नाम पर डाक जिकि जारी जकया

था।

मैडम कामा के सम्मान में इां जडयन कहस्ट गाडफ (भारतीय तिरक्षक सेना) ने भी जहाजहां के नाम

उनके नाम पर रखे थे।

इसके अलावा भारतीय क्ाां जत की माता के रुप में जवख्यात मैडम कामा के सम्मान में भारत के कई

सडकहां के नाम भी रखे गए हैं ।

भीकाजी कामा से जुडे महत्वपूर्ण तथ्य –

मैडम कामा ने दे श की आजादी से पहले जवदे श में पहली बार भारतीय जतरां गा फहराया था, उसमें,
केसररया, हरे और लाल रां ग के पट्टे थे।

मैडम कामा के जवचार में अपने पजत से मेल नहीां खाते थे , उनके मन में बचपन से ही राष्ट्रप्रे म और
दे शभल्कि की भावना जनजहत थी।

भीकाजी रुस्तम कामा ने दे श के जहत के काम करने वाले महान स्वतां त्रता से नानी दादाभाई
नौरहजी के यहाां सेक्ेिरी के पद पर भी काम जकया था।

मैडम कामा जी ”भाितीय क्ांपत की माता” के रुप में भी जवख्यात हैं ।

जजस जतरां गे कह पहली बार मैडम कामा ने फहराया था, वह आज भी गुजरात के भावनगर में सुरजक्षत रखा

गया है ।

मैडम भीकाजी कामा की मृत्यु –


जवदे श में रहकर भारत की आजादी के पक्ष में माहौल बनाने वाली भारत माता की सच्ची वीराां गना

मैडम भीकाजी कामा जी जब अपनी वृद्धावस्था के दौरान भारत लौांिीां, तभी 13 अगस्त, 1936 के जदन
उनका दे हाां त हह गया।

वहीां कुछ साजहत्यकारहां और इजतहासकारहां के मुताजबक भीकाजी कामा के मुांह से आल्कखरी शब्द
”वांदे मातरम” जनकले थे।

इससे आप उनके ह्रदय में दे श के प्रजत प्रेम और सम्मान का अांदाजा लगा सकते हैं ।

मैडम भीकाजी कामा का जीवन हर जहन्दु स्तानी के जलए प्रेरर्ा स्त्रहत है , जजस तरह उन्हांने सुख

और जवलासपूर्फ जीवन का त्याग कर दे श की आजादी के जलए त्याग, सांघषफ और समपफर् की राहें चुनीां, वह
जसफफ मैडम कामा जैसी कहई सच्ची वीराां गना ही कर सकती हैं ।

मैडम कामा के प्रजत हर भारतवासी के ह्र्दय में अपूर्फ सम्मान है , उनके द्वारा दे श की आजादी के
जलए जदए गए अमूल्य यहगदान कह कभी नहीां भुलाया जा सकता है । यह हमारा दाजयत्व है की ऐसी

कुबाफ जनयहां कह जनस्मृजत में सांभालकर रखें और भावी पीढी कह उनसे अवगत कराए ।

धन्यवाद !

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