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साहिल शर्मा 

कक्षा बारहवीं
 विद्यालय:- GHSS BATOTE 

            ​प्लास्टिक प्रदूषण की समस्या 


भूमिका :-
             आधुनिक और वैज्ञानिक युग में मानव बहुत शक्तिशाली हो
गया है, मानव के जन्म लेते ही मानव को कु छ अधिकार मिल जाते हैं
इसी के साथ मानव के कु छ कर्तव्य भी होते हैं जिसे पूर्णता निभाना
मानव का  कर्तव्य होता है।  कर्तव्यों में से एक कर्तव्य प्रकृ ति और इस
धरती को स्वर्ग  बनाए रखना भी है परंतु इसी बीच पूरे विश्व को एक
धीमा विश अंदर ही अंदर से खा रहा है जिसे हम प्लास्टिक कहते हैं,
मानव की आवश्यकताओं में एक अहम भूमिका निभाता है प्लास्टिक
परंतु इसी के साथ दुखदायक बात यह है कि यही प्लास्टिक आज एक
शहर का रूप ले चुकी है जो कि हमारे प्रकृ ति और हमें विनाश की ओर
ले जा रही है।हमें शीघ्र से शीघ्र इस समस्या पर विजय प्राप्त करनी
होगी अन्यथा हमारे साथ इस प्रकृ ति का धीमा विनाश निकट है।

१: प्लास्टिक कचरे के लिए एक  अर्थव्यवस्था


-नागरिकों की भूमिका :- 

               किसी भी राष्ट्र की नीव होती है वहां के


लोग , वहां का समाज
। समाज और लोगों का भी एक अहम योगदान होता है इस प्लास्टिक
की समस्या से निपटने के लिए । हर छोटे से छोटे और बड़े से बड़े कार्यों
में प्लास्टिक का उपयोग होता है परंतु उपयोग होने के बाद यही एक
धीमा जहर बन कर जमीन पर, पानी में और आकाश में विश बंकर
फै ल जाता है, हमारे समाज को इस मुसीबत से जल्दी से जल्दी
निपटारा करना होगा।

 प्लास्टिक की आवश्यकता :- 

                प्लास्टिक का बाजारों में आसानी से उपलब्ध होने और सस्ता


होने के कारण अधिकतर कार्यों में इसी का प्रयोग किया जाता है हमें
और हमारे समाज को इस पर अपनी निर्भरता कम करनी चाहिए और
इसका उपयोग कम से कम हो इस पर जोर देना चाहिए। कई स्थानों
पर हम प्लास्टिक की जगह किसी दूसरे वस्तु का प्रयोग कर कार्य कर
सकते हैं।  प्लास्टिक के बैग्स को संभाल कर रखे। इन्हें कई बार प्रयोग
में लाएं। सामान खरीदने जाने पर अपने साथ कै री बेग  का प्रयोग कर
सकते हैं। इसके साथ ही हमें ऐसी  प्लास्टिक का उपयोग नहीं करना
चाहिए जो कि एक ही बार प्रयोग होती है । अपना स्मार्ट प्लास्टिक के
स्थान पर दूसरे विकल्पों की ओर जा सकता है जैसे के पानी पीने के
लिए बांस या मिट्टी के बोतलों का प्रयोग कर सकता है, प्लास्टिक के
लिफाफे के स्थान पर कपड़े से बने झोले का प्रयोग कर सकता है,
सामान खरीदते समय घर का बना हुआ झूला बार बार प्रयोग कर
सकता है। कचरे को भिन्न-भिन्न भागों में बांट कर उससे खाद आदि
बनाकर अर्थव्यवस्था भी अच्छी की जा सकती है।

समाज में जागरूकता :- 


  

                समाज को आपस में प्लास्टिक से निपटने के


बारे में चर्चा
करनी चाहिए इसके जुड़े दोस्तों और संकटों के बारे में एक दूसरे को
जानकारी देनी चाहिए, राष्ट्र की सरकार थी तब तक कु छ ना कर पाए
कि जब तक कि हमें इसके दुष्प्रभाव के बारे में बताना होगा।
जागरूकता से मानव के पैसे,समय तथा पर्यावरण तीनों की की बचत
की जा सकती है।

२: एकल उपयोग प्लास्टिक प्रदूषण को कम करना -


युवाओं की भूमिका:- 
                कहा जाता है कि देश का युवा ही देश की ताकत होती है तथा
इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए हमारे पास समय भी थोड़ा बचा है
इसलिए देश के युवा एक अहम और श्रेष्ठ आहुति दे सकते हैं ।  युवा
समाज का एक समझदार भाग भी होता है जिस कारण युवा शक्ति को
पता होता है कि वे इस से कै से निपटें।प्लास्टिक का उपयोग कम से
कम करना, बार-बार करना इसे रीसायकल करना जैसे कई कार्य युवा
कर सकता है तथा जागरूकता अभियान समाज के हर छोटे से छोटे
कोने तक इसकी जानकारी और किसके दुष्प्रभावों के बारे में
जागरूकता फै ला सकता है। प्लास्टिक के प्रदूषण को समाप्त करने के
लिए युवा अपने दैनिक समय में से कु छ समय निकालकर इसपे कार्य
कर सकता है, अनेकों पहल कर सकता है स्मारकों को साफ रखना
अपने नदी नालों को साफ रखना गांव को साफ रखना इसके संकटों
के बारे में जागरूकता छोटे से छोटे बच्चे और वृद्धि से वृद्ध तक
पहुंचाना युवा कर सकता है। विद्यालयों में प्राप्त किए हुए ज्ञान को युवा
हर गांव हर घर तक पहुंचा सकता है क्योंकि जानकारी होगी तभी
कार्य होगा।

३: नवाचार और रचनात्मकता के माध्यम से एकल


उपयोग प्लास्टिक उत्पादों के विकल्प को मुख्यधारा में
लाना :-
                 अपने राष्ट्र ने प्लास्टिक से लड़ने के
लिए कहीं सिद्धियां प्राप्त
करी है कई ऐसे प्रोजेक्ट प्राप्त कर लिए हैं जिससे आसानी से इस
संकट से निपटा जाए "प्लास्टिक के स्थान पर अन्य विकल्प" प्लास्टिक
के स्थान पर अन्य विकल्पों का प्रयोग कर इस से निपटा जा सकता
है।"प्रयोग की गई प्लास्टिक को सजावट तथा अन्य आवश्यकताओं में
प्रयोग लाना" ,"प्लास्टिक की सड़क" जैसे विकल्पों को अधिकतर ध्यान
देना। इसके साथ ही हम अपने दिनचर्या को ऐसी स्थिति में डालना
चाहिए कि जिसमें प्लास्टिक का प्रयोग कम से कम हो, रचनात्मक
तरीके से हो । "अपने से शुरुआत कर ओरो को जागरूकत करे",
समाज के हर भाग को साथ लेकर चलना आदि कई जैसे विकल्प
उपलब्ध हैं तथा हमें इन पर बस जोर देने की आवश्यकता है। सोचने
की क्षमता को बदलना "के वल मेरे करने से क्या होगा"ऐसी नकारात्मक
विचार को हमें बाहर निकालना चाहिए तथा"हम से ही सब
होगा"विचारों को डाल कर भी हम इस कार्य में सफलता प्राप्त कर
सकते हैं।

कार्य और हम :-
                   कार्य बड़ा तथा कठिन आवश्यक है परंतु असंभव नहीं छोटे
से छोटे प्रयास सदैव बड़े शक्ति का रूप ले लेते हैं साधन भी उपलब्ध है
रास्ता भी पता है बस चलना है। मानव को अधिकारों के साथ-साथ
कर्तव्य निभाने पर भी जोर देना चाहिए ।

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