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।। ॐ नम: सद् गुदेवाय ।।

।। ीम गव ता ।।
।। यथाथ गीता ।।
मानव-धमशा

यानुभूत याया :
परमपूय ी परमहंस महाराज का कृपा-साद
वामी ी अड़गड़ानद जी
ी परमहंस अाम
ाम-पालय- शेषगढ़, जला-मजापुर, उ००, भारत
फाेन : (०५४४३) २३८०४०
काशक :
ी परमहंस वामी अड़गड़ानदजी अाम ट ट
यू अपाेलाे टे ट, गाला नं– ५, माेगरा ले न (रे लवे सब
वे के पास)
अँधेर (पूव), मुबई - ४०००६९
गीता मानव मा का धमशा है।
–महष वेदयास
ीकृणकालन महष वेदयास से पूव काेई भी शा पुतक के प में
उपलध नहीं था। ुतान क इस परपरा काे ताेड़ते ए उहाेंने चार वेद,
 सू, महाभारत, भागवत एवं गीता-जैसे थाें में पूवसंचत भाैितक एवं
अायाक ानराश काे संकलत कर अत में वयं ही िनणय दया क–

गीता सगीता कतया कमयै: शासंहै:।


या वयं प नाभय मुखप ािन:सृता।।

(म.भा., भीपव अ० ४३/१)

गीता भल कार मनन करके दय में धारण करने याेय है, जाे प नाभ
भगवान के ीमुख से िन:सृत वाणी है; फर अय शााें के संह क ा
अावयकता मानव-सृ के अाद में भगवान् ीकृण के ीमुख से िन:सृत
अवनाशी याेग अथात् ीम गव ता, जसक वतृत याया वेद अाैर
उपिनषद् हैं, वृित अा जाने पर उसी अादशा काे भगवान ीकृण ने
अजुन के ित पुन: काशत कया, जसक यथावत् याया ‘यथाथ गीता’
है।

‘गीता’ का सारांश इस ाेक से कट हाेता है–

एकं शां देवकपु गीतम्


एकाे देवाे देवकपु एव।
एकाे मंतय नामािन यािन
कमायेकं तय देवय सेवा।।

—(गीता-माहाय)

अथात् एक ही शा है जाे देवकपु भगवान ने ीमुख से गायन कया–


गीता एक ही ा करने याेय देव है। उस गायन में जाे सय बताया–
अाा सवाय अाा के कुछ भी शा त नहीं है। उस गायन में उन
महायाेगे र ने ा जपने के लये कहा अाेम्। अजुन अाेम् अय परमाा
का नाम है, उसका जप कर अाैर यान मेरा धर। एक ही कम है गीता में
वणत परमदेव एक परमाा क सेवा। उहें  ा से अपने दय में धारण
करें ।अत, अार से ही गीता अापका शा रहा है। भगवान ीकृण के
हजाराें वष पात् परवती जन महापुषाें ने एक ई र काे सय बताया, गीता
के ही सदेशवाहक हैं। ई र से ही लाैकक एवं पारलाैकक सखाें क कामना,
ई र से डरना, अय कसी काे ई र न मानना– यहाँ तक ताे सभी महापुषाें
ने बताया; कत ई रय साधना, ई र तक क दूर तय करना– यह केवल
गीता में ही सांगाेपांग मब सरत है। गीता से सख-शात ताे मलती ही
है, यह अय अनामय पद भी देती है। देखये ीम गव ता क टका–
‘यथाथ गीता’।

य प व में सव गीता का समादर है फर भी यह कसी म़जहब या


सदाय का साहय नहीं बन सक; ाेंक सदाय कसी-न-कसी ढ़ से
जकड़े हैं। भारत में कट ई गीता व -मनीषा क धराेहर है, अत: इसे
रा ीय शा का मान देकर ऊँच-नीच, भेदभाव तथा कलह-परपरा से पीड़त
व क सपूण जनता काे शात देने का यास करें ।
।। ॐ ।।
धम-स ात — एक
१. सभी भु के पु–

ममैवांशाे जीवलाेके जीवभूत: सनातन:।

मन: षानीयाण कृितथािन कषित।। (गीता, १५/७)

सभी मानव ई र क सतान हैं।

२. मानव तन क साथकता–

अिनयमसखं लाेकममं ाय भजव माम्।। (गीता, ९/३३)

सखरहत, णभंगुर कत दुलभ मानव-तन काे पाकर मेरा भजन कर

अथात् भजन का अधकार मनुय-शररधार काे है।

३. मनुय क केवल दाे जाित–

ाै भूतसगाै लाेकेऽदैव अासर एव च।

दैवाे वतरश: ाे अासरं पाथ मे णु।। (गीता, १६/६)

मनुय केवल दाे कार के हैं– देवता अाैर असर। जसके दय में दैवी

सप काय करती है वह देवता है तथा जसके दय में अासर सप

करती है वह असर है। तीसर काेई अय जाित सृ में नहीं है।

४. हर कामना ई र से सलभ–

ैव ा मां साेमपा: पूतपापा

यैर ा वगितं ाथयते।

ते पुयमासा सरे लाेक-

मत दयादव देवभाेगान्।। (गीता, ९/२०)


मुझे भजकर लाेग वग तक क कामना करते हैं; मैं उहें देता ँ।

अथात् सब कुछ एक परमाा से सलभ है।

५. भगवान क शरण से पापाें का नाश–

अप चेदस पापेय: सवेय: पापकृ म:।

सव ानवेनैव वृजनं सतरयस।। (गीता, ४/३६)

सपूण पापयाें से अधक पाप करनेवाला भी ानपी नाैका ारा

िन:सदेह पार हाे जायेगा।

६. ान–

अयाानिनयवं त वानाथ दशनम्।

एतानमित ाेमानं यदताेऽयथा।। (गीता, १३/११)

अाा के अाधपय में अाचरण, त व के अथप मुझ परमाा का

य दशन ान है अाैर इसके अितर जाे कुछ भी है, अान है।

अत: ई र क य जानकार ही ान है।

७. भजन का अधकार सबकाे–

अप चेसदुराचाराे भजते मामनयभाक्।

साधुरेव स मतय: सययवसताे ह स:।। (गीता, ९/३०)

ं भवित धमाा श छातं िनगछित।

काैतेय ितजानीह न मे भ: णयित।। (गीता, ९/३१)

अयत दुराचार भी मेरा भजन करके शी ही धमाा हाे जाता है एवं

सदा रहनेवाल शा त शात काे ा कर ले ता है। अत: धमाा वह

है जाे एक परमाा के ित समपत है अाैर भजन करने का अधकार


दुराचार तक काे है।

८. भगवपथ में बीज का नाश नहीं–

नेहाभमनाशाेऽत यवायाे न व ते।

वपमयय धमय ायते महताे भयात्।। (गीता, २/४०)

इस अादशन क या का वप अाचरण भी ज-मरण के महान्

भय से उ ार करनेवाला हाेता है।

९. ई र का िनवास–

ई र: सवभूतानां  ेशेऽजुन ितित।

ामयसवभूतािन य ाढािन मायया।। (गीता, १८/६१)

ई र सभी भूताणयाें के दय में रहता है।

तमेव शरणं गछ सवभावेन भारत।

तसादापरां शातं थानं ायस शा तम्।। (गीता, १८/६२)

सपूण भाव से उस एक परमाा क शरण में जाअाे। जसक कृपा से

तू परमशात, शा त परमधाम काे ा हाेगा।

१०. य–

सवाणीयकमाण ाणकमाण चापरे ।

अासंयमयाेगा ाै जु ित ानदपते।। (गीता, ४/२७)

सपूण इयाें के यापार काे, मन क चेाअाें काे ान से काशत

ई अाा में संयमपी याेगा में हवन करते हैं।

अपाने जु ित ाणं ाणेऽपानं तथापरे ।

ाणापानगती ा ाणायामपरायणा:।। (गीता, ४/२९)


बत से याेगी ास काे  ास में हवन करते हैं अाैर बत से  ास

काे ास में। इससे उ त अवथा हाेने पर अय ास- ास क

गित राेककर ाणायामपरायण हाे जाते हैं। इस कार याेग-साधना क

वध-वशेष का नाम य है। उस य काे कायप देना कम है।

११. कम–

एवं बवधा या वतता  णाे मुखे।

कमजाव तासवानेवं ावा वमाेयसे।। (गीता, ४/३२)

इस कार बत से य जैसे ास का  ास में हवन,  ास का

ास में हवन, ास- ास का िनराेध कर ाणायाम के परायण

हाेना इयाद य जस अाचरण से पूण हाेता है, उस अाचरण का नाम

कम है। कम माने अाराधना, कम माने चतन याेग साधना प ित का

नाम य है।

वकम–

वकम का अथ वकपशूय कम है। ाि के पात् महापुषाें के

कम वकपशूय हाेते हैं। अाथत, अातृ , अा काम महापुषाें

काे न ताे कम करने से काेई लाभ है अाैर न छाेड़ने से काेई हािन ही है;

फर भी वे पीछे वालाें के हत के लए कम करते हैं। एेसा कम
वकपशूय

है, वश है अाैर यही कम वकम कहलाता है। (गीता, ४/१७)

१२. य करने का अधकार–

यशामृतभुजाे यात  सनातनम्।


नायं लाेकाेऽययय कुताेऽय: कुस म।। (गीता, ४/३१)

य न करनेवालाें काे दुबारा मनुय-शरर भी नहीं मलता अथात् य

करने का अधकार उन सबकाे है जहें मनुय-शरर मला है।

१३. ई र देखा जा सकता है–

भा वनयया श अहमेवंवधाेऽजुन।

ातं ु ं च त वेन वेुं च परतप।। (गीता, ११/५४)

अनय भ के ारा मैं य देखने, जानने तथा वेश करने के लये

भी सलभ ँ।

अायवपयित कदेन-

मायवदित तथैव चाय:।

अायव ैनमय: णाेित

ुवायेनं वेद न चैव कत्।। (गीता, २/२९)

इस अवनाशी अाा काे काेई वरला ही अाय क तरह देखता है,

अाय क याें उपदेश करता है अाैर काेई वरला ही इसे अाय क

याें सनता है अथात् यह य दशन है।

१४. अाा ही सय है, सनातन है–

अछे ाेऽयमदा ाेऽयमे ाेऽशाेय एव च।

िनय: सवगत: थाणुरचलाेऽयं सनातन:।। (गीता, २/२४)

यह अाा सवयापक, अचल, थर रहनेवाला अाैर सनातन है।

अाा ही सय है।

१५. वधाता अाैर उससे उप सृ न र है–


अा भुवना ाेका: पुनरावितनाेऽजुन।

मामुपेय त काैतेय पुनज न व ते।। (गीता, ८/१६)

 ा अाैर उससे िनमत सृ, देवता अाैर दानव दुःखाें क खािन,

णभंगुर अाैर न र हैं।

१६. देव-पूजा–

कामैतैतैताना: प तेऽयदेवता:।

तं तं िनयममाथाय कृया िनयता: वया।। (गीता, ७/२०)

कामनाअाें से जनक बु अाात है, एेसे मूढ़बु ही परमाा के

अितर अय देवताअाें क पूजा करते हैं।

येऽययदेवता भा यजते  यावता:।

तेऽप मामेव काैतेय यजयवधपूवकम्।। (गीता, ९/२३)

देवताअाें काे पूजनेवाला मेर ही पूजा करता है; कत वह पूजन

अवधपूवक है, इसलये न हाे जाता है।

शावध का याग–

यजते सा वका देवायरांस राजसा:।

ेताूतगणांाये यजते तामसा जना:।। (गीता, १७/४)

अजुन शावध काे यागकर भजनेवाले सा वक  ावाले देवताअाें

काे, राजस पुष य-रासाें काे अाैर तामस पुष भूत-ेताें काे पूजते

हैं; कत–

कशयत: शररथं भूताममचेतस:।

मां चैवात: शररथं ताव ासरिनयान्।। (गीता, १७/६)


वे शररप से थत भूतसमुदाय अाैर अतयामी प में थत मुझ

परमाा काे कृश करनेवाले हैं। उनकाे तू असर जान। अथात् देवताअाें

काे पूजनेवाले भी अासर वृ के अतगत हैं।

१७. अधम–

तानहं षत: ूरासंसारे षु नराधमान्।

पायजमशभानासरवेव याेिनषु।। (गीता, १६/१९)

जाे य क िनयत वध छाेड़ कपत वधयाें से यजन करते हैं वे

ही ूरकमी, पापाचार तथा मनुयाें में अधम हैं। अय काेई अधम

नहीं है।

१८. िनयत वध ा है –

अाेमयेकारं  याहरामनुरन्।

य: याित यजदेहं स याित परमां गितम्।। (गीता, ८/१३)

ॐ, जाे अय  का परचायक है उसका जप तथा मुझ एक

परमाा का रण, त वदशी महापुष के संरण में यान।

१९. शा–

इित गु तमं शामदमुं मयानघ।

एत ु ा बु मायाकृतकृय भारत।। (गीता, १५/२०)

इस कार यह अित गाेपनीय शा मेरे ारा कहा गया। प है क

शा गीता है।

ताछां माणं ते कायाकाययवथताै।

ावा शावधानाें कम कतमहाहस।। (गीता, १६/२४)


क य अाैर अक य के िनधारण में शा ही माण है। अत: गीता

में िनधारत वध से अाचरण करें ।

२०. धम–

सवधमापरयय मामेकं शरणं ज।। (गीता, १८/६६)

धामक उथल-पुथल काे छाेड़ एकमा मेर शरण हाे जा अथात् एक

भगवान के ित पूण समपण ही धम का मूल है, उस भु काे पाने क

िनयत वध का अाचरण ही धमाचरण है (अयाय २, ाेक ४०)

अाैर जाे उसे करता है वह अयत पापी भी शी धमाा हाे जाता है

(अयाय ९, ाेक ३०)।

२१. धम ा कहाँ से करें –

 णाे ह िताहममृतयाययय च।

शा तय च धमय सखयैकातकय च।। (गीता, १४/२७)

उस अवनाशी  का, अमृत का, शा त-धम का अाैर अखड

एकरस अानद का मैं ही अाय ँ अथात् परमाथत स 


ु ही

इन सबका अाय है।

नाेट- व के सारे धमाे क सयधारा ‘गीता’ का ही सारण है।


ाचीनकाल से ले कर अ तन मनीषयाें ारा दये गये
तैथक मानुसार सदेश
ी परमहंस अाम जगतानद, ा०पाे०–बरै नी, कछवा, जला–मजापुर
(उ००) में अपने िनवास क अवध में वामी ी अड़गड़ानद जी ने वेश-
ार के पास इस तालका काे गंगा दशहरा (१९९३ ई०) के पावन पव पर
बाेड पर अंकत कराया।

।। व गु भारत ।।
• सृ का अादशा–

‘इमं वववते याेगम्’ (गीता, ४/१) भगवान ीकृण ने कहा– इस


अवनाशी याेग काे मैंने अार में सूय से कहा, सूय ने इसे वयंभू अाद
मनु से कहा। जसके अनुसार एक परमाा ही सय है, परमत व है; वह
कण-कण में या है। याेग-साधना के ारा वह परमाा दशन, पश अाैर
वेश के लये सलभ है। भगवान ारा उपद वह अादान वैदक
ऋषयाें से ले कर अ ावध अण प से वाहत है।

• वैदक ऋष (अनादकाल-नारायण सू)–

कण-कण में या  ही सय है। उसे वदत करने के अितर मु
का काेई अय उपाय नहीं है।

• भगवान ीराम (ेता–लाखाें वष पूव–रामायण)–

एक परमाा के भजन के बना जाे कयाण चाहता है, वह मूढ़ है।

• याेगे र ीकृण (५००० वष पूव–गीता)–


परमाा ही सय है। चतन क पूित में उस सनातन  क ाि
सव है। देवी-देवताअाें क पूजा मूढ़बु क देन है।

• महाा मूसा (३००० वष पूव–यद धम)–

तमने ई र से  ा हटायी, मूित बनायी– इससे ई र नाराज है। ाथना


में

लग जाअाे।

• महाा जरथु (२७०० वष पूव–पारसी धम)–

अर-मदा (ई र) क उपासना ारा दय में थत वकाराें काे न


कराे, जाे दु:ख के कारण हैं।

• भगवान महावीर (२६०० वष पूव–जैनथ)–

अाा ही सय है। कठाेर तपया से इसी ज में जाना जा सकता है।

• गाैतम बु (२५०० वष पूव–महापरिन ान स )–

मैंने उस अवनाशी पद काे ा कया है, जसे पूव महषयाें ने ा


कया था। यही माे है।

• मसीह ईसा (२००० वष पूव–ईसाई धम)–

ई र ाथना से ा हाेता है। मेरे अथात् स 


ु के पास अाअाे, इसलये
क ई र के पु कहलाअाेगे।

• ह़जरत मुहद सल ा. (१४०० वष पूव–इलाम धम)–

‘ला इलाह इ ाह मुहदुर रसूल ाह’- जरे -जरे में या खदा (ई र)
के सवाय काेई पूजनीय नहीं है। मुहद अ ाह के सदेशवाहक हैं।

• अाद शंकराचाय (१२०० वष पूव)–


जगत् मया है। इसमें सय है केवल हर अाैर उनका नाम।

• सत कबीर (६०० वष पूव)–

राम नाम अित दुलभ, अाैरे ते नहं काम।

अाद अत अाै युग-युग, रामह ते संाम।।

राम से संघष कराे, वही कयाणकार हैं।

• गु नानक (५०० वष पूव)–

‘एक अाेंकार सतगु साद।’ एक अाेंकार ही सय है; कत वह स 



क कृपा का साद है।

• वामी दयानद सरवती (२०० वष पूव)–

अजर, अमर, अवनाशी एक परमाा क उपासना करें । उस ई र का


मुय नाम अाेम् है।

• वामी ी परमानद जी (सन् १९११–१९६९ ई०)–

भगवान जब कृपा करते हैं ताे शु म हाे जाते हैं, वप सप हाे
जाती है। भगवान सव से देखते हैं।

।। ॐ ।।
अनुमणका

वषय

ाथन

थम अयाय (संशय-वषाद याेग)

तीय अयाय (कम-जासा)

तृतीय अयाय (शुवनाश-ेरणा)

चतथ अयाय (यकम पीकरण)

प म अयाय (यभाेा महापुषथ महे र)

षम अयाय (अयासयाेग)

स म अयाय (सम जानकार)

अम अयाय (अर  याेग)

नवम अयाय (राजव ा-जागृित)


दशम अयाय (वभूित-वणन)

एकादश अयाय (व प-दशन याेग)

ादश अयाय (भयाेग)

याेदश अयाय (े-े वभाग याेग)

चतदश अयाय (गुणय वभाग याेग)

प दश अयाय (पुषाे म याेग)

षाेडश अयाय (दैवासर सपद् वभाग याेग)

स दश अयाय (ॐतसत् व  ाय वभाग याेग)

अादश अयाय (संयास याेग)

उपशम

।। ॐ ।।
ाथन
वतत: गीता पर टका लखने क अब काेई अावयकता तीत नहीं
हाेती; ाेंक इस पर सहाें टकाएँ लखी जा चुक हैं, जनमें पचासाें ताे
केवल संकृत में ही हैं। गीता काे ले कर पचासाें मत हैं, जबक सबक
अाधारशला एकमा गीता है। याेगे र ीकृण ने ताे काेई एक बात कही
हाेगी, फर यह मतभेद ाें वतत: वा एक ही बात कहता है; कत ाेता
यद दस बैठे हाें ताे दस कार के अाशय हण करते हैं। य क बु पर
तामसी, राजसी अथवा सा वक गुणाें का जतना भाव है, उसी तर से उस
वा ा काे पकड़ पाता है। इससे अागे वह समझ नहीं पाता। अत: मतभेद
वाभावक है।

वभ मतवादाें से, अाैर कभी-कभी एक ही स ात काे अलग-अलग


काल अाैर भाषाअाें में य करने से साधारण मनुय संशय में पड़ जाता है।
बत-सी टकाअाें के बीच वह सयधारा भी वाहत है; कत श अथवाल
एक टका हजाराें टकाअाें के बीच रख द जाय ताे उनमें यह पहचानना
कठन हाे जाता है क यथाथ काैन है वतमानकाल में गीता क बत-सी
टकाएँ हाे गयी हैं, सभी अपनी-अपनी सयता का उ ाेष करती हैं; कत
गीता के श अथ से वे बत दूर हैं। िन:सदेह कुछ महापुषाें ने सय का
पश भी कया; कत कितपय कारणाें से वे उसे समाज के सम तत न
कर सके।

ीकृण के अाशय काे दयंगम न कर पाने का मूल कारण है क वे एक


याेगी थे। ीकृण जस तर क बात करते हैं, मश: चलकर उसी तर पर
खड़ा हाेनेवाला काेई महापुष ही अरश: बता सकेगा क ीकृण ने जस
समय गीता का उपदेश दया था, उस समय उनके मनाेगत भाव ा थे
मनाेगत समत भाव कहने में नहीं अाते। कुछ ताे कहने में अा पाते हैं, कुछ
भाव-भंगमा से य हाेते हैं अाैर शेष पया याक हैं, जहें काेई पथक
चलकर ही जान सकता है। जस तर पर ीकृण थे, मश: चलकर उसी
अवथा काे ा महापुष ही जानता है क गीता ा कहती है। वह गीता
क पंयाँ ही नहीं दुहराता, बक उनके भावाें काे भी दशा देता है; ाेंक
जाे य ीकृण के सामने था, वही उस वतमान महापुष के सम भी है।
इसलये वह देखता है, दखा देगा; अापमें जागृत भी कर देगा, उस पथ पर
चला भी देगा।

‘पूय ी परमहंस जी महाराज’ भी उसी तर के महापुष थे। उनक


वाणी तथा अत:ेरणा से मुझे गीता का जाे अथ मला, उसी का संकलन
‘यथाथ गीता’ है। इसमें मेरा अपना कुछ भी नहीं है। यह ‘याक’ है।
साधन अपनानेवाले येक पुष काे इसी परध से गुजरना हाेगा। जब तक
वह इससे अलग है, तब तक प है क वह साधन नहीं करता, कसी-न-
कसी कार क लकर अवय पीटता है। अत: कसी महापुष क शरण लें ।
ीकृण ने कसी अय सय काे नहीं बताया, बक कहा– ‘ऋषभबधा
गीतम्’– ऋषयाें ने अनेकाें बार जसका गायन कया है, वही कहने जा रहा
ँ। उहाेंने यह नहीं कहा क उस ान काे केवल मैं ही जानता ँ या मैं ही
बताऊँगा, बक कहा– ‘‘कसी ‘त वदशी’ के पास जाअाे। िनकपट भाव से
सेवा करके उस ान काे ा कराे।’’ ीकृण ने महापुषाें ारा शाेधत सय
काे ही उ ाटत कया है।
गीता सबाेध संकृत में है। यद अवयाथ ही लें ताे गीता का अधकांश
अाप वयं दयंगम कर सकंे गे; कत अाप याें-का-याें अथ नहीं ले ते।
उदाहरण के लये; ीकृण ने प कहा क ‘‘य क या ही कम है।’’,
फर भी अाप कहते हैं क खेती करना कम है। य काे प करते ए
उहाेंने बताया क य में बत से याेगीजन ाण में अपान काे हवन करते हैं,
बत से अपान में ाण काे हवन करते हैं, बत से याेगी ाण-अपान दाेनाें काे
राेककर ाणायामपरायण हाे जाते हैं। बत से याेगी इयाें क सपूण
वृ याें काे संयमा में हवन करते हैं। इस कार ास- ास का चतन
य है, मनसहत इयाें का संयम य है। शाकार ने वयं य बताया,
फर भी अाप कहते हैं क वणु के िनम वाहा बाेलना, अ में जाै-ितल-
घी का हवन करना य है। उन याेगे र ने एेसा एक शद भी नहीं कहा।

ा कारण है क अाप समझ नहीं पाते बाल क खाल िनकालकर रटने


पर भी ाें वा-वयास ही अापके हाथ लगता है अाप अपने काे यथाथ
जानकार से शूय ही ाें पाते हैं वतत: मनुय ज ले कर मश: बड़ा
हाेता है ताे पैतृक सप (घर, दूकान, जमीन-जायदाद, पद-िता, गाय,
भैंस, य -उपकरण इयाद) उसे वरासत में मलती है। ठक इसी कार उसे
कुछ ढ़याँ, परपराएँ, पूजा-प ितयाँ भी वरासत में मल जाती हैं। तैंतीस
कराेड़ देवी-देवता ताे भारत में बत पहले गने गये थे, व में उनके
अनगनत प हैं। शश याें-याें बड़ा हाेता है, अपने माता-पता, भाई-बहन,
पास-पड़ाेस में इनक पूजा देखता है। परवार में चलत पूजा-प ितयाें क
अमट छाप उसके मतक पर पड़ जाती है। देवी क पूजा मल ताे
जीवनभर देवी-देवी रटता है, परवार में भूत-पूजा मल ताे भूत-भूत रटता है।
काेई शव ताे काेई कृण, ताे काेई कुछ पकड़े ही रहता है। उहें वह छाेड़
नहीं सकता।

एेसे ातपुष काे गीता-जैसा कयाणकार शा मल भी जाय ताे वह


उसे नहीं समझ सकता। पैतृक सपदा काे कदाचत् वह छाेड़ भी सकता है;
कत इन ढ़याें अाैर म़जहबी पचड़ाें काे नहीं मटा सकता। पैतृक सप
काे हटाकर अाप हजाराें मील दूर जा सकते हैं; कत दल-दमाग में अंकत
ये ढ़गत वचार वहाँ भी अापका पड नहीं छाेड़ते। अाप सर काटकर
अलग ताे रख नहीं सकते। अत: अाप यथाथ शा काे भी उहीं ढ़याें,
रित-रवाजाें, मायताअाें अाैर पूजा-प ितयाें के अनुप ढालकर देखना चाहते
हैं। यद उनके अनुप बात ढलती है, वा ा का म बैठता है ताे अाप उसे
सही मानते हैं अाैर नहीं ढलती ताे गलत मानते हैं। इसीलये अाप गीता का
रहय नहीं देख पाते। गीता का रहय, रहय ही बनकर रह जाता है। इसके
ु हैं। वही बता सकते हैं क गीता ा
वातवक पारखी सत अथवा स 
कहती है सब नहीं जान सकते। सबके लये सलभ उपाय यही है क इसे
कसी महापुष के सा य में समझें, जसके लये ीकृण ने बल दया है।

गीता कसी वश य, जाित, वग, पंथ, देश-काल या कसी ढ़त
सदाय का थ नहीं है, बक यह सावलाैकक, सावकालक धमथ है।
यह येक देश, येक जाित तथा येक तर के येक ी-पुष के लये,
सबके लये है। केवल दूसराें से सनकर या कसी से भावत हाेकर मनुय
काे एेसा िनणय नहीं ले ना चाहये, जसका भाव सीधे उसके अपने अतव
पर पड़ता हाे। पूवाह क भावना से मु हाेकर सयावेषयाें के लये यह
अाषथ अालाेक-त है। हदुअाें का अाह है क वेद ही माण है। वेद
का अथ है ान, परमाा क जानकार। परमाा न संकृत में है न
संहताअाें में। पुतक ताे उसका संकेतमा है। वह वतत: दय में जागृत
हाेता है।

व ाम चतन कर रहे थे। उनक भ देखकर  ा अाये, बाेले,


‘‘अाज से तम ऋष हाे।’’ व ाम काे सताेष नहीं अा, चतन में लगे
रहे। कुछ काल पात् देवताअाें सहत  ा पुन: अाये अाैर बाेले– ‘‘अाज से
तम राजष हाे’’; कत व ाम का समाधान न अा। वे अनवरत चतन में
लगे रहे।  ा दैवी सपदाअाें के साथ पुन: अाये अाैर बताया क अाज से
तम महष ए। व ाम ने कहा, ‘‘नहीं, मुझे जतेय  ष कहें।’’  ा
ने कहा, ‘‘अभी तम जतेय नहीं हाे।’’ व ाम पुन: तपया में लग गये।
उनके मतक से तपया क अाभा िनकलने लगी, तब देवताअाें ने  ा से
िनवेदन कया।  ा उसी कार व ाम से बाेले, ‘‘अब तम  ष हाे।’’
व ाम ने कहा, ‘‘यद मैं  ष ँ ताे वेद हमारा वरण करे ।’’ वेद
व ाम के दय में उतर अाया। जाे त व वदत नहीं था, वदत हाे गया।
यही वेद है, न क पाेथी। जहाँ व ाम रहते थे, वहाँ वेद रहता था।

यही ीकृण भी कहते हैं क ‘‘संसार अवनाशी पीपल का वृ है। ऊपर
परमाा जसका मूल अाैर नीचे कृितपयत शाखाएँ हैं। जाे इस कृित का
अत करके परमाा काे वदत कर ले ता है, वह वेदवत् है। अजुन मैं भी
वेदवत् ँ।’’ अत: कृित के सार अाैर अत के साथ परमाा क अनुभूित
का नाम ‘वेद’ है। यह अनुभूित ई रद है, इसलये वेद काे अपाैषेय कहा
जाता है। महापुष अपाैषेय हाेते हैं। उनके मायम से परमाा ही बाेलता
है। वे परमाा के सदेश-सारक (ट ांसमीटर) हाे जाते हैं। केवल शद-ान
के अाधार पर उनक वाणी में िनहत यथाथ काे परखा नहीं जा सकता। उहें
वही जान पाता है जसने याक पथ से चलकर इस अपाैषेय (Non-
Person) थित काे पाया हाे, जसका पुष (अहं) परमाा में वलन हाे
चुका हाे।

वतत: वेद अपाैषेय है; कत बाेलनेवाले साै-डे ढ़ साै महापुष ही थे।
उहीं क वाणी का संकलन ‘वेद’ कहलाता है। कत जब शा लखने में अा
जाता है ताे सामाजक यवथा के िनयम भी उसके साथ लख दये जाते हैं।
महापुष के नाम पर जनता उनका भी पालन करने लगती है, य प धम से
उनका दूर का भी सबध नहीं रहता। अाधुिनक युग में म याें के अागे-पीछे
घूमकर साधारण नेता भी अधकारयाें से अपना काम करा ले ते हैं, जबक
म ी एेसे नेताअाें काे जानते भी नहीं। इसी कार सामाजक यवथाकार
महापुष क अाेट में जीने-खाने क यवथा भी थाें में लपब कर देते
हैं। उनका सामाजक उपयाेग तसामयक ही हाेता है। वेदाें के सबध में भी
यही है। वेद के दाे भाग हैं– कमकाड अाैर ानकाड। कमकाड समाजशा
है, जैसे– वातशा, अायुवेद, धनुवेद, गधववेद इयाद। ानकाड उपिनषद्
हैं, उनका भी मूल याेगे र ीकृण क थम वाणी ‘गीता’ है। सारांशत ‘गीता’
अपाैषेय परमाा से समु त
ू उपिनषद्-सधा का सार-सवव है।

इसी कार येक महापुष, जाे परमत व काे ा कर ले ता है, वयं में
धमथ है। उसक वाणी का संकलन व में कहीं भी हाे, शा कहलाता है;
कत कितपय धमावलबयाें का यह कथन है क– ‘‘जतना कुरान में लखा
है उतना ही सच है। अब कुरान नहीं उतरे गा।’’, ‘‘ईसा मसीह पर व ास
कये बना वग नहीं मल सकता। वह ई र का इकलाैता बेटा था।’’, ‘‘अब
एेसा महापुष नहीं हाे सकता।’’– उनक ढ़वादता है। यद उसी त व काे
साात् कर लया जाय ताे वही बात फर हाेगी।
गीता सावभाैम है। धम के नाम पर चलत व के समत धमथाें में
गीता का थान अतीय है। यह वयं में धमशा ही नहीं, बक अय
धमथाें में िनहत सय का मानदड भी है। गीता वह कसाैट है, जस पर
येक धमथ में अनुयूत सय अनावृ हाे उठता है, परपर वराेधी कथनाें
का समाधान िनकल अाता है। येक धमथ में संसार में जीने-खाने क
कला अाैर कमकाडाें का बाय है। जीवन काे अाकषक बनाने के लये उहें
करने तथा न करने के राेचक अाैर भयानक वणनाें से धमथ भरे पड़े हैं।
कमकाडाें क इसी परपरा काे जनता धम समझने लगती है। जीवन-िनवाह
क कला के लये िनमत पूजा-प ितयाें में देश-काल अाैर परथितयाें के
अनुसार परवतन वाभावक है। धम के नाम पर समाज में कलह का यही
एकमा कारण है। ‘गीता’ इन णक यवथाअाें से ऊपर उठकर
अाकपूणता में ितत करने का याक अनुशीलन है, जसका एक भी
ाेक भाैितक जीवनयापन के लये नहीं है। इसका येक ाेक अापसे
अातरक यु ‘अाराधना’ क माँग करता है। तथाकथत धमथाें क भाँित
यह अापकाे वग या नरक के  में फँ साकर नहीं छाेड़ता, बक उस
अमरव क उपलध कराता है जसके पीछे ज-मृयु का बधन नहीं रह
जाता।

येक महापुष क अपनी शैल अाैर कुछ अपने वश शद हाेते हैं।
याेगे र ीकृण ने भी गीता में ‘कम’, ‘य’, ‘वण’, ‘वणसंकर’, ‘यु ’,
‘े’, ‘ान’ इयाद शदाें पर बार-बार बल दया है। इन शदाें का अपना
अाशय है अाैर पुनरावृ में भी इनका अपना साैदय है। हद पातरण में
इन शदाें काे उसी अाशय में लया गया है तथा अावयक थलाें क याया
भी क गयी है। गीता के अाकषण िन लखत  हैं, जनका अाशय
अाधुिनक समाज खाे चुका है। वे इस कार हैं, जहें ‘यथाथ गीता’ में अाप
पायेंगे–

१. ीकृण– एक याेगे र थे।

२. सय– अाा ही ‘सय’ है।

३. सनातन– अाा सनातन है, परमाा ‘सनातन’ है।

४. सनातन-धम– परमाा से मलानेवाल या है।

५. यु – दैवी एवं अासर सपदाअाें का संघष ‘यु ’ है। ये अत:करण क दाे


वृ याँ हैं। इन दाेनाें का मटना परणाम है।

६. यु -थान– यह मानव-शरर अाैर मनसहत इयाें का समूह ‘यु थल’


है।

७. ान– परमाा क य जानकार ‘ान’ है।

८. याेग– संसार के संयाेग-वयाेग से रहत अय  के मलन का नाम


‘याेग’ है।

९. ानयाेग– अाराधना ही कम है। अपने पर िनभर हाेकर कम में वृ हाेना
‘ानयाेग’ है।

१०. िनकाम कमयाेग– इ पर िनभर हाेकर समपण के साथ कम में वृ
हाेना ‘िनकाम कमयाेग’ है।

११. ीकृण ने कस सय काे बताया – ीकृण ने उसी सय काे बताया,
जसकाे त वदशयाें ने पहले देख लया था अाैर अागे भी देखेंगे।

१२. य– साधना क वध-वशेष का नाम ‘य’ है।

१३. कम– य काे कायप देना ही ‘कम’ है।


१४. वण– अाराधना क एक ही वध, जसका नाम कम है। जसकाे चार
ेणयाें में बाँटा है, वही चार वण हैं। यह एक ही साधक का ऊँचानीचा
तर है, न क जाित।

१५. वणसंकर– परमा-पथ से युत हाेना, साधन में म उप हाे जाना
‘वणसंकर’ है।

१६. मनुय क ेणी– अत:करण के वभाव के अनुसार मनुय दाे कार का


हाेता है– एक देवताअाें-जैसा, दूसरा असराें-जैसा। यही मनुय क दाे
जाितयाँ हैं, जाे वभाव ारा िनधारत हैं अाैर यह वभाव घटता-बढ़ता
रहता है।

१७. देवता– दय-देश में परमदेव का देवव अजत करानेवाले गुणाें का समूह
है। बा देवताअाें क पूजा मूढ़बु क देन है।

१८. अवतार– य के दय में हाेता है, बाहर नहीं।

१९. वराट् दशन– याेगी के दय में ई र के ारा द गयी अनुभूित है।
भगवान साधक में  बनकर खड़े हाें, तभी दखायी पड़ते हैं।

२०. पूजनीय देव ‘इ’– एकमा परापर  ही ‘पूजनीय देव’ है। उसे
खाेजने का थान दय-देश है। उसक ाि का ाेत उसी अय वप
में थत ‘ाि वाले महापुष’ के ारा है।

अब इनमें से याेगे र ीकृण का वप समझने के लये अयाय तीन


तक अापकाे पढ़ना हाेगा, अाैर अयाय तेरह तक अाप प समझने लगेंगे
क ीकृण याेगी थे। अयाय दाे से ही सय िनखर जायेगा। सनातन अाैर
सय एक दूसरे के पूरक हैं, यह अयाय दाे से ही प हाेगा, वैसे पूितपयत
चले गा। यु अयाय चार तक प हाेने लगेगा, यारह तक संशय िनमूल हाे
जायेगा; वैसे अयाय साेलह तक देखना चाहये। ‘यु थल’ के लए अयाय
तेरह बार- बार देखें।

‘ान’ अयाय चार से प हाेगा तथा अयाय तेरह में भल कार समझ
में अायेगा क य दशन का नाम ‘ान’ है। ‘याेग’ अयाय छ: तक अाप
समझ सकंे गे, वैसे पूितपयत याेग के वभ अंशाें क परभाषा है। ‘ानयाेग’
अयाय तीन से छ: तक प हाे जायेगा, अागे देखने क काेई वशेष
अावयकता नहीं है। ‘िनकाम कमयाेग’ अयाय दाे से अार हाेकर
पूितपयत है। ‘य’ अाप अयाय तीन से चार तक पढ़ंे , प हाे जायेगा।

‘कम’ का नाम अयाय २/३९ में थम बार लया गया है। इसी ाेक से
अयाय चार तक पढ़ लें ताे प हाे जायेगा क कम का अथ अाराधना,
भजन ाें है अयाय साेलह अाैर सह यह वचार थर कर देता है क
यही सय है। ‘वणसंकर’ अयाय तीन में अाैर ‘अवतार’ अयाय चार में प
हाे जायेगा। ‘वण-यवथा’ के लये अयाय अठारह देखना हाेगा, वैसे संकेत
अयाय तीन अाैर चार में भी है। मनुय क देवासर जाितयाें के लये अयाय
साेलह य है। ‘वराट् दशन’ अयाय दस से यारह तक प हाे गया है।
अयाय सात, नाै अाैर पह में भी इस पर काश डाला गया है। अयाय
सात, नाै अाैर सह में बा देवताअाें क अतवहीनता प हाे जाती है।
परमाा के पूजन क थल दय-देश ही है, जसमें यान, ास- ास के
चतन इयाद क याएँ, जाे एकात में बैठकर (मदर-मूित के सामने
नहीं) क जाती हैं–अयाय तीन, चार, छ: अाैर अठारह में प है। बत
साेचने-वचारने से ा याेजन है, यद अयाय छ: तक ही अययन कर लें
ताे भी ‘यथाथ गीता’ का मूल अाशय अापक समझ में अा जायेगा।
गीता जीवका-संाम का साधन नहीं अपत जीवन-संाम में शा त
वजय का याक शण है इसलये यु -थ है, जाे वातवक वजय
दलाता है; कत गीताे यु तलवार, धनुष, बाण, गदा अाैर फरसे से लड़ा
जानेवाला सांसारक यु नहीं है अाैर न इन यु ाें में शा त वजय िनहत है।
यह सदसत् वृ याें का संघष है, जनके पकाक वणन क परपरा रही
है। वेद में इ अाैैर वृ, व ा अाैर अव ा, पुराणाें में देवासर संाम,
महाकायाें में राम अाैर रावण, काैरव एवं पाडवाें के संघष काे ही गीता में
धमे अाैर कुे, दैवी सपद् एवं अासर सपद्, सजातीय एवं वजातीय,
ु एवं दुगुणाें का संघष कहा गया है।
स ण

यह संघष जहाँ हाेता है, वह थान कहाँ है गीता का धमे अाैर


कुे भारत का काेई भू-खड नहीं, बक वयं गीताकार के शदाें में– ‘इदं
शररं काैतेय ेमयभधीयते।’– काैतेय यह शरर ही एक े है, जसमें
बाेया अा भला अाैर बुरा बीज संकारप से सदैव उगता है। दस इयाँ,
मन, बु , च , अहंकार, पाँचाें वकार अाैर तीनाें गुणाें का वकार इस े
का वतार है। कृित से उप इन तीनाें गुणाें से ववश हाेकर मनुय काे
कम करना पड़ता है। वह णमा भी कम कये बना नहीं रह सकता।
‘पुनरप जननम् पुनरप मरणम्, पुनरप जननी जठरे शयनम्’ ज-जातराें
से करते ही ताे बीत रहा है। यही कुे है। स 
ु के मायम से साधना के
सही दाैर में पड़कर साधक जब परमधम परमाा क अाेर असर हाेता है,
तब यह े धमे बन जाता है। यह शरर ही े है।

इसी शरर के अतराल में अत:करण क दाे वृ याँ पुरातन हैं– दैवी
सपद् अाैर अासर सपद्। दैवी सपद् में हैं– पुयपी पाड अाैर
क यपी कुती। पुय जागृत हाेने से पहले मनुय जाे कुछ भी क य
समझकर करता है, अपनी समझ से वह क य ही करता है; कत उससे
क य हाेता नहीं– ाेंक पुय के बना क य काे समझा ही नहीं जा
सकता। कुती ने पाड से सबध हाेने से पूव जाे कुछ भी अजत कया, वह
था ‘कण’। अाजीवन कुती के पुाें से लड़ता रह गया। पाडवाें का दुधष शु
यद काेई था, ताे वह था ‘कण’। वजातीय कम ही कण है जाे बधनकार है,
जससे परपरागत ढ़याें का चण हाेता है– पूजा-प ितयाँ पड नहीं
छाेड़तीं। पुय जागृत हाेने पर धमपी ‘युधर’, अनुरागपी ‘अजुन’,
भावपी ‘भीम’, िनयमपी ‘नकुल’, ससंगपी ‘सहदेव’, सा वकतापी
‘सायक’, काया में सामयपी ‘काशराज’, क य के ारा भव पर वजय
‘कुतभाेज’ इयाद इाेुखी मानसक वृ याें का उकष हाेता है, जनक
गणना सात अाैहणी है। ‘अ’  काे कहते हैं। सयमयी काेण से
जसका गठन है, वह है दैवी सपद्। परमधम परमाा तक क दूर तय
करानेवाल ये सात सीढ़याँ ‘सात भूमकाएँ’ हैं, न क काेई गणना-वशेष।
वतत: ये वृ याँ अनत हैं।

दूसर अाेर है ‘कुे’, जसमें दस इयाँ अाैर एक मन यारह


अाैहणी सेना है। मनसहत इयमयी काेण से जसका गठन है, वह है
अासर सपद्। जसमें हैं अानपी ‘धृतरा ’ जाे सय जानते ए भी अधा
बना रहता है, उसक सहचारणी है ‘गाधार’– इय अाधारवाल वृ ।
इनके साथ हैं– माेहपी ‘दुयाेधन’, दुबु पी ‘दु:शासन’, वजातीय कमपी
‘कण’, मपी ‘भी’, ैत के अाचरणपी ‘ाेणाचाय’, अासपी
‘अ थामा’, वकपपी ‘वकण’, अधूर साधना में कृपा के अाचरणपी
‘कृपाचाय’ अाैर इन सबके बीच जीवपी वदुर है, जाे रहता है अान में
कत  सदैव पाडवाें पर है, पुय से वाहत वृ पर है; ाेंक अाा
परमाा का श अंश है। इस कार अासर सपद् भी अनत है। े एक
ही है– यह शरर, इसमें लड़नेवाल वृ याँ दाे हैं। एक कृित में व ास
दलाती है, नीच-अधम याेिनयाें का कारण बनती है, ताे दूसर परमपुष
परमाा में व ास अाैर वेश दलाती है। त वदशी महापुष के संरण में
मश: साधन करने पर दैवी सपद् का उकष अाैर अासर सपद् का सवथा
शमन हाे जाता है। जब काेई वकार ही नहीं रहा, मन का सवथा िनराेध अाैर
िन मन का भी वलय हाे जाता है ताे दैवी सपद् क अावयकता समा
हाे जाती है। अजुन ने देखा क काैरव-प के अनतर पाडव-प के याे ा
भी याेगे र में समाहत हाे रहे हैं। पूित के साथ दैवी सपद् भी वलन हाे
जाती है, अतम शा त परणाम िनकल अाता है। इसके पात् महापुष
यद कुछ करता है ताे केवल अनुयाययाें के मागदशन के लये ही करता है।

लाेकसंह क इसी भावना से महापुषाें ने सू मनाेभावाें का वणन उहें


ठाेस थूलप देकर कया है। ‘गीता’ छदाेब है, याकरणसत है; कत
इसके पा तीकाक हैं, अमूत याेयताअाें के मूतप मा हैं। गीता के
अार में तीस-चालस पााें का नाम लया गया है जनमें अाधे सजातीय हैं,
अाधे वजातीय; कुछ पाडव-प के हैं, कुछ काैरव-प के। ‘व प दशन’
के समय इनमें से चार-छ: नाम पुन: अाये हैं, अयथा सपूण गीता में इन
नामाें क चचा तक नहीं है। एकमा अजुन ही एेसा पा है, जाे अार से
अत तक याेगे र के सम है। वह अजुन भी केवल याेयता का तीक है,
न क य-वशेष। गीता के अार में अजुन सनातन कुलधम के लए
वकल है; कत याेगे र ीकृण ने इसे अान बताया अाैर िनदेश दया क
अाा ही सनातन है, शरर नाशवान् है, इसलये यु कर। इस अादेश से
यह प नहीं हाेता क अजुन काैरवाें काे ही मारे । पाडव-प के भी
शररधार ही ताे थे, दाेनाें अाेर सबधी ही ताे थे। संकाराें पर अाधारत
शरर ा तलवार से काटने पर समा हाे सकेगा जब शरर नाशवान् है,
जसका अतव है ही नहीं, ताे अजुन काैन था ीकृण कसक रा में
खड़े थे ा कसी शररधार क रा में खड़े थे ीकृण ने कहा, ‘‘जाे
शरर के लये परम करता है, वह पापायु मूढ़बु पुष यथ ही जीता है।’’
यद ीकृण कसी शररधार क रा में खड़े हैं, तब ताे वे भी मूढ़बु हैं,
यथ ही जीनेवाले हैं। वतत: अनुराग ही अजुन है।

अनुरागी के लये महापुष सदैव खड़े हैं। अजुन शय था अाैर ीकृण
ु थे। वनयावनत हाेकर उसने कहा– धम के माग में माेहतच
एक स  मैं
अापसे पूछता ँ, जाे ेय (परम कयाणकार) हाे, वह उपदेश मेरे ित
कहये। अजुन ेय चाहता था, ेय (भाैितक पदाथ) नहीं। केवल कहये ही
नहीं, साधये-सँभालये। मैं अापका शय ँ, अापक शरण में ँ। इसी कार
गीता में थान-थान पर प है क अजुन अात अधकार है अाैर याेगे र
ु हैं। वे स 
ीकृण एक स  ु अनुरागी के साथ सदैव रहते हैं, उनका
मागदशन करते हैं।

जब भावुकतावश काेई य ‘पूय महाराज जी’ के पास रहने का अाह


करने लगता था, तब वे कहा करते थे– ‘‘जाअाे, शरर से कहीं रहाे, मन से
मेरे पास अाते रहाे। ात:-सायं राम, शव, ॐ कसी एक दाे-ढाई अर के
नाम का जाप कराे अाैर मेरे वप का दय में यान धराे। एक मनट भी
वप पकड़ लाेगे ताे जसका नाम भजन है वह मैं तहें दूँगा। इससे अधक
पकड़ने लगाेगे ताे दय से रथी बनकर सदैव तहारे साथ रँगा।’’ जब सरत
पकड़ में अा जाती है ताे इसके बाद महापुष इतना ही पास में रहते हैं
जतना हाथ-पाँव, नाक-कान इयाद अापके पास हैं। अाप हजाराें कलाेमीटर
दूर ाें न हाें, वह सदैव समीप हैं। मन में वचाराें के उठने से भी पहले वे
मागदशन करने लग जाते हैं। अनुरागी के दय में वह महापुष सदैव अाा
से अभ हाेकर जात रहते हैं। अजुन अनुराग का तीक है।

गीता के यारहवें अयाय में याेगे र ीकृण का एे य देखने पर अजुन


अपनी  ुटयाें के लये मायाचना करने लगा। ीकृण ने मा कया
अाैर याचना के अनुप साैय वप में अाकर कहा, ‘‘अजुन मेरे इस
वप काे न पहले कसी ने देखा है अाैर न भवय में काेई देख सकेगा।’’
तब ताे गीता हमलाेगाें के लए यथ है; ाेंक उस दशन क याेयताएँ अजुन
तक सीमत रह गयीं, जबक उसी समय संजय देख रहा था। पहले भी
उहाेंने कहा, ‘‘बत से याेगीजन ानपी तप से पव हाेकर मेरे साात्
वप काे ा हाे चुके हैं।’’ अतत: वे महापुष कहना ा चाहते हैं
वतत: अनुराग ही ‘अजुन’ है, जाे अापके दय क भावना-वशेष है।
अनुरागवहीन पुष न कभी पूव में देख सका है अाैर न अनुरागवहीन पुष
भवय में कभी देख सकेगा– ‘मलहं न रघुपित बनु अनुरागा। कएँ जाेग तप
यान बरागा।।’ (रामचरतमानस, ७/६१/१) अत: अजुन एक तीक है। यद
तीक नहीं है ताे गीता का पीछा छाेड़ दें, गीता अापके लये नहीं है; ाेंक
उस दशन क याेयता अजुन तक ही सीमत रह गयी।

अयाय के अत में याेगे र िनणय देते हैं– ‘‘अजुन अनय भ अाैर
 ा ारा मैं इस कार य देखने के लये (जैसा तूने देखा), त व से
प जानने के लये अाैर वेश करने के लये भी सलभ ँ।’’ अनय भ
अनुराग का ही दूसरा प है अाैर यही अजुन का वप भी है। अजुन
पथक का तीक है। इस कार गीता के पा तीकाक हैं। यथाथान
उनका संकेत है।
रहे हाें काेई एेितहासक ीकृण अाैर अजुन, िनय ही अा हाे काेई
व यु ; कत गीता में भाैितक यु का चण कदाप नहीं है। उस
एेितहासक यु के मुहाने पर घबड़ाया ताे था अजुन, न क सेना; सेना ताे
लड़ने काे तैयार खड़ थी।

ा गीता का उपदेश देकर ीकृण ने सयसाची अजुन काे सेना क


याेयता का बनाया वतत: साधन लखने में नहीं अाता। सब कुछ पढ़ ले ने
के बाद भी चलना शेष ही रहता है। यही ेरणा ‘यथाथ गीता’ है।

स 
ु कृपायी, जग धु

वामी अड़गड़ानद

ी गु पूणमा

२४ जुलाई, १९८३ ई०
।। ॐ ी परमाने नम: ।।
।। अथ ीम गव ता ।।
।। यथाथ गीता ।।
।। अथ थमाेऽयाय: ।।
धृतरा उवाच

धमेे कुेे समवेता युयुसव:।


मामका: पाडवाैव कमकुवत स य।।१।।

धृतरा ने पूछा– ‘‘हे संजय धमे, कुे में एक यु क इछावाले


मेरे अाैर पाड के पुाें ने ा कया ’’

अानपी धृतरा अाैर संयमपी संजय। अान मन के अतराल में


रहता है। अान से अावृ मन धृतरा जाध है; कत संयमपी संजय के
मायम से वह देखता है, सनता है अाैर समझता है क परमाा ही सय है,
फर भी जब तक इससे उप माेहपी दुयाेधन जीवत है इसक  सदैव
काैरवाें पर रहती है, वकाराें पर ही रहती है।
शरर एक े है। जब दय-देश में दैवी सप का बाय हाेता है ताे
यह शरर धमे बन जाता है अाैर जब इसमें अासर सप का बाय
हाेता है ताे यह शरर कुे बन जाता है। ‘कु’ अथात् कराे– यह शद
अादेशाक है। ीकृण कहते हैं– कृित से उप तीनाें गुणाें ारा परवश
हाेकर मनुय कम करता है। वह णमा भी कम कये बना नहीं रह सकता।
गुण उससे करा ले ते हैं। साे जाने पर भी कम बद नहीं हाेता, वह भी वथ
शरर क अावयक खराक मा है। तीनाें गुण मनुय काे देवता से कटपयत
शरराें में ही बाँधते हैं। जब तक कृित अाैर कृित से उप गुण जीवत हैं,
तब तक ‘कु’ लगा रहेगा। अत: ज-मृयुवाला े, वकाराेंवाला े
कुे है अाैर परमधम परमाा में वेश दलानेवाल पुयमयी वृ याें
(पाडवाें) का े धमे है।

पुरात ववद् पंजाब में, काशी-याग के मय तथा अनेकानेक थलाें पर


कुे क शाेध में लगे हैं; कत गीताकार ने वयं बताया है क जस े
में यह यु अा, वह कहाँ है। ‘इदं शररं काैतेय ेमयभधीयते।’ (अ०
१३/१) ‘‘अजुन यह शरर ही े है अाैर जाे इसकाे जानता है, इसका पार
पा ले ता है, वह े है।’’ अागे उहाेंने े का वतार बताया, जसमें दस
इयाँ, मन, बु , अहंकार, पाँचाें वकार अाैर तीनाें गुणाें का वणन है। शरर
ही े है, एक अखाड़ा है। इसमें लड़नेवाल वृ याँ दाे हैं- ‘दैवी सपद्’
अाैर ‘अासर सपद्’, ‘पाड क सतान’ अाैर ‘धृतरा क सतान’,
‘सजातीय अाैर वजातीय वृ याँ’।

अनुभवी महापुष क शरण जाने पर इन दाेनाें वृ याें में संघष का


सूपात हाेता है। यह े-े का संघष है अाैर यही वातवक यु है।
व यु ाें से इितहास भरा पड़ा है; कत उनमें जीतनेवालाें काे भी शा त
वजय नहीं मलती। ये ताे अापसी बदले हैं। कृित का सवथा शमन करके
कृित से परे क स ा का ददशन करना अाैर उसमें वेश पाना ही
वातवक वजय है। यही एक एेसी वजय है, जसके पीछे हार नहीं है। यही
मु है, जसके पीछे ज-मृयु का बधन नहीं है।

इस कार अान से अाछादत येक मन संयम के ारा जानता है क


े-े के यु में ा अा अब जैसा जसके संयम का उथान है, वैसे-
वैसे उसे  अाती जायेगी।

स य उवाच

ा त पाडवानीकं यूढं दुयाेधनतदा।


अाचायमुपसय राजा वचनमवीत्।।२।।

उस समय राजा दुयाेधन ने यूहरचनायु पाडवाें क सेना काे देखकर


ाेणाचाय के पास जाकर यह वचन कहा–

ैत का अाचरण ही ‘ाेणाचाय’ है। जब जानकार हाे जाती है क हम


परमाा से अलग हाे गये हैं (यही ैत का भान है), वहाँ उसक ाि के
लये तड़प पैदा हाे जाती है, तभी हम गु क तलाश में िनकलते हैं। दाेनाें
वृ याें के बीच यही ाथमक गु है; य प बाद के स 
ु याेगे र ीकृण
हाेंगे, जाे याेग क थितवाले हाेंगे।

राजा दुयाेधन अाचाय के पास जाता है। माेहपी दुयाेधन। माेह सपूण
याधयाें का मूल है, राजा है। दुयाेधन– दुर् अथात् दूषत, याे धन अथात् वह
धन। अाक सप ही थर सप है। उसमें जाे दाेष उप करता है,
वह है माेह। यही कृित क अाेर खींचता है अाैर वातवक जानकार के लये
ेरणा भी दान करता है। माेह है तभी तक पूछने का  भी है, अयथा
सभी पूण ही हैं।

अत: यूहरचनायु पाडवाें क सेना काे देखकर अथात् पुय से वाहत


सजातीय वृ याें काे संगठत देखकर माेहपी दुयाेधन ने थम गु ाेण के
पास जाकर यह कहा–

पयैतां पाडपुाणामाचाय महतीं चमूम्।


यूढां पदपुेण तव शयेण धीमता।।३।।

हे अाचाय अपने बु मान् शय पद-पु धृ ु ारा यूहाकार खड़ क
ई पाडपुाें क इस भार सेना काे देखये।

शा त अचल पद में अाथा रखनेवाला ढ़ मन ही ‘धृ ु ’ है। यही


पुयमयी वृ याें का नायक है। ‘साधन कठन न मन कँ टे का।’
(रामचरतमानस, ७/४४/३)– साधन कठन नहीं, मन क ढ़ता कठन हाेनी
चाहये।

अब देखें सेना का वतार–

अ शूरा महेवासा भीमाजुनसमा युध।


युयुधानाे वराट पद महारथ:।।४।।

इस सेना में ‘महेवासा:’– महान् ईश में वास दलानेवाले , भावपी ‘भीम’,


अनुरागपी ‘अजुन’ के समान बत से शूरवीर, जैसे- सा वकतापी
‘सायक’, ‘वराट:’– सव ई रय वाह क धारणा, महारथी राजा पद
अथात् अचल थित तथा–
धृकेतेकतान: काशराज वीयवान्।
पुजकुतभाेज शैय नरपुव:।।५।।

‘धृकेत:’– ढ़क य, ‘चेकतान:’– जहाँ भी जाय, वहाँ से च काे


खींचकर इ में थर करना, ‘काशराज:’– कायापी काशी में ही वह
सााय है, ‘पुजत्’– थूल, सू अाैर कारण शरराें पर वजय
दलानेवाला पुजत्, ‘कुतभाेज:’– क य से भव पर वजय, नराें में े
‘शैय’ अथात् सय यवहार–

युधामयु वात उ माैजा वीयवान्।


साैभाे ाैपदेया सव एव महारथा:।।६।।

अाैर परामी ‘युधामयु:’– यु के अनुप मन क धारणा, ‘उ माैजा:’–


शभ क मती, सभापु अभमयु– जब शभ अाधार अा जाता है ताे मन भय
से रहत हाे जाता है– एेसा शभ अाधार से उप अभय मन, यानपी ाैपद
के पाँचाें पु– वासय, लावय, सदयता, साैयता, थरता सब-के-सब
महारथी हैं। साधन-पथ पर सपूण याेयता के साथ चलने क मताएँ हैं।

इस कार दुयाेधन ने पाडव-प के पह-बीस नाम गनाये, जाे दैवी


सपद् के मह वपूण अंग हैं। वजातीय वृ याें का राजा हाेते ए भी ‘माेह’
ही सजातीय वृ याें काे समझने के लये बाय करता है।

दुयाेधन अपना प संेप में कहता है। यद काेई बा यु हाेता ताे
अपनी फाैज बढ़ा-चढ़ाकर गनाता। वकार कम गनाये गये; ाेंक उन पर
वजय पाना है, वे नाशवान् हैं। केवल पाँच-सात वकार बताये गये, जनके
अतराल में सपूण बहमुखी वृ याँ व मान हैं। जैसे–
अाकं त वशा ये ता बाेध जाे म।
नायका मम सैयय साथ तावीम ते।।७।।

जाे म हमारे प में जाे-जाे धान हैं, उहें भी अाप समझ लें ।
अापकाे जानने के लये मेर सेना के जाे-जाे नायक हैं, उनकाे कहता ँ।

बा यु में सेनापित के लये ‘जाे म’ सबाेधन असामयक है। वतत:


‘गीता’ में अत:करण क दाे वृ याें का संघष है। जसमें ैत का अाचरण
ही ‘ाेण’ है। जब तक हम ले शमा भी अाराय से अलग हैं, तब तक कृित
व मान है, ैत बना है। इस ‘’ पर जय पाने क ेरणा थम गु
ाेणाचाय से मलती है। अधूर शा ही पूण जानकार के लये ेरणा दान
करती है। वह पूजाथल नहीं, वहाँ शाैयसूचक सबाेधन हाेना चाहये।

वजातीय वृ के नायक काैन-काैन हैं –

भवाी कण कृप समित य:।


अ थामा वकण साैमद तथैव च।।८।।

एक ताे वयं अाप (ैत के अाचरणपी ाेणाचाय) हैं, मपी पतामह


‘भी’ हैं। म इन वकाराें का उ म है। अत तक जीवत रहता है, इसलये
पतामह है। समूची सेना मर गयी, यह जीवत था। शरशया पर अचेत था,
फर भी जीवत था। यह है मपी ‘भी’। म अत तक रहता है। इसी
कार वजातीय कमपी ‘कण’ तथा संामवजयी ‘कृपाचाय’ हैं। साधनावथा
में साधक ारा कृपा का अाचरण ही ‘कृपाचाय’ है। भगवान कृपाधाम हैं अाैर
ाि के पात् सत का भी वही वप है। कत साधनकाल में जब तक
हम अलग हैं, परमाा अलग है, वजातीय वृ जीवत है, माेहमयी घराव
है– एेसी परथित में साधक यद कृपा का अाचरण करता है ताे वह न हाे
जाता है। सीता ने दया क ताे कुछ काल लं का में ायत करना पड़ा।
व ाम दया ए ताे पितत हाेना पड़ा। याेगसूकार महष पतंजल भी यही
कहते हैं– ‘ते समाधावुपसगा युथाने स य:।’ (याेगदशन, ३/३७)
युथानकाल में स याँ कट हाेती हैं। वे वातव में स याँ हैं; कत
कैवयाि के लये उतनी ही बड़ व हैं जतने काम, ाेध, लाेभ, माेह
इयाद। गाेवामी तलसीदास का भी यही िनणय है–

छाेरत थ जािन खगराया। ब अनेक करइ तब माया।।


र स ेरइ ब भाई। बु ह लाेभ दखावहं अाई।।

(रामचरतमानस, ७/११७/६-७)

माया अनेक व करती है, ऋ याँ दान करती है, यहाँ तक क स


बना देती है। एेसी अवथावाला साधक बगल से िनकल भर जाय, मरणास
राेगी भी जी उठे गा। वह भले ठक हाे जाय, कत साधक उसे अपनी देन
मान बैठे ताे न हाे जायेगा। एक राेगी के थान पर हजाराें राेगी घेर लें गे,
भजन-चतन का म अव हाे जायेगा अाैर उधर बहकते-बहकते कृित का
बाय हाे जायेगा। यद लय दूर है अाैर साधक कृपा करता है ताे कृपा का
अकेला अाचरण ही ‘समित य:’– समूची सेना काे जीत ले गा। इसलये
साधक काे पूितपयत इससे सतक रहना चाहये। ‘दया बनु सत कसाई, दया
कर ताे अाफत अाई।’ ले कन अधूर अवथा में यह वजातीय वृ का
दुधष याे ा है।
इसी कार अासपी अ थामा। सृ में कहीं भी वतअाें में लगाव
ही अास है। ैत का अाचरण ाेणाचाय है। ैत ही अास का जदाता
है। श हाथ में रहते अाचाय ाेण क मृयु नहीं हाे सकती थी, वह अजेय
थे। भगवान ीकृण ने कहा, ‘‘काैरव-प में एक हाथी का नाम अ थामा है।
भीम उस हाथी काे मारकर ‘अ थामा मारा गया’–एेसा उ ाेष करें । इस
अय सूचना से अाचाय ममाहत हाे शथल पड़ जायेंगे। उसी समय उनका
अत कर दया जाय।’’ भीम ने हाथी काे मार डाला, चार कया क
अ थामा मारा गया। अाचाय ाेण ने समझा क उनका पु अ थामा मारा
गया। वे शथल पड़ गये, धनुष हाथ से गर गया। वह हताश िने हाेकर
यु भूम में बैठ गये। उनका गला कट गया। पु में अयधक अास उनक
मृयु का कारण बनी। अ थामा दघजीवी था। िनवृ के अतम णाें तक
यह बाधा के प में व मान रहता है, इसीलये अमर कहलाया।

वकपपी वकण। साधना क उ त अवथा में वश कपनाएँ उठने


लगती हैं। मन में संकप-वकप हाेने लगता है क वप-ाि के साथ
भगवान क अाेर से काैन-सी स याँ, अलाैकक शयाँ दान क जायेंगी
भगवान के चतन के थान पर वभूितयाें का चतन हाेने लगता है। साधक
क  केवल कम पर हाेनी चाहये, उसे फल क वासनावाला नहीं हाेना
चाहये; कत जब वह ऋ याें-स याें का चतन करने लगता है, यह
वकप ही वकण है। ये कपनाएँ वश हैं, कत साधना में भयंकर बाधक
हैं।

ममयी ास ही भूरवा है। साधन का तर उ त हाेने पर उसक


शंसा हाेने लगती है क वह महाा है, स है, उसमें दय शयाँ हैं,
उसके सम लाेकपाल भी नतमतक हाे जाते हैं। इस अावभाव, शत से
साधक स हाेने लगे, ग द हाेकर बहकने लगे– यह ममयी ास ही
भूरवा है। पूय गुदेव का कथन था– ‘‘संसार पुपवृ करे , शंसा करे ,
व ु कहे– तहें कुछ भी नहीं मले गा, राेने काे अाँसू नहीं मले गा
जग 
यद भगवान तहें साधु कह दें ताे सब कुछ पा जाअाेगे। दुिनया कहे चाहे
कभी न कहे, फर भी तम सवव ा कर लाेगे।’’ इस कार सांसारक
शंसा में बह जाना ममयी ास है, यही भूरवा है। शंसा भूर-भूर है,
अयधक है, अितरं जत है; इससे साधना में ाव (घटाव, य) हाेने लगता
है। अत, ममयी ास भूरवा है। संयम का तर उ त हाेने पर अायी ई
वकृितयाें के ये नाम हैं, बा वृ के अंग-उपांग हैं।

अये च बहव: शूरा मदथे यजीवता:।


नानाशहरणा: सवे यु वशारदा:।।९।।

अाैर भी बत से शूरवीर अनेक शाें से यु मेरे लये जीवन क अाशा
काे यागकर यु में डटे हैं। सभी मेरे लये ाण यागनेवाले हैं; कत उनक
काेई ठाेस गणना नहीं है। अब काैन-सी सेना कन भावाें ारा सरत है इस
पर कहते हैं–

अपया ं तदाकं बलं भीाभरतम्।


पया ं वदमेतेषां बलं भीमाभरतम्।।१०।।

भी ारा रत हमार सेना सब कार से अजेय है अाैर भीम ारा
रत इन लाेगाें क सेना जीतने में सगम है। ‘पया ’ अाैर ‘अपया ’ जैसे
 शद का याेग दुयाेधन क अाशंका काे य करता है। अत: देखना है
क भी काैन-सी स ा है, जस पर काैरव िनभर करते हैं तथा भीम काैन-सी
स ा है, जस पर (दैवी सपद्) सपूण पाडव िनभर हैं। दुयाेधन अपनी
यवथा देता है क–

अयनेषु च सवेषु यथाभागमवथता:।


भीमेवाभरत भवत: सव एव ह।।११।।

इसलये सब माेचाे पर अपनी-अपनी जगह थत रहते ए अाप लाेग


सब-के-सब भी क ही सब अाेर से रा करें । यद भी जीवत हैं ताे हम
अजेय हैं। इसलये अाप पाडवाें से न लड़कर केवल भी क ही रा करें ।

कैसा याे ा है भी, जाे वयं अपनी रा नहीं कर पा रहा है, काैरवाें काे
उसक रा-यवथा करनी पड़ रही है यह काेई बा याे ा नहीं, म ही
भी है। जब तक म जीवत है, तब तक वजातीय वृ याँ (काैरव) अजेय
हैं। अजेय का यह अथ नहीं क जसे जीता ही न जा सके; बक अजेय का
अथ दुजय है, जसे कठनाई से जीता जा सकता हाे।

महा अजय संसार रपु जीित सकइ साे बीर।।

(रामचरतमानस, ६/८० क)

यद म समा हाे जाय ताे अव ा अतवहीन हाे जाय। माेह इयाद
जाे अांशक प से बचे भी हैं, शी ही समा हाे जायेंगे। भी क इछा-
मृयु थी। इछा ही म है। इछा का अत अाैर म का मटना एक ही बात
है। इसी काे सत कबीर ने सरलता से कहा–
इछा काया इछा माया, इछा जग उपजाया।
कह कबीर जे इछा ववजत, ताका पार न पाया।।

जहाँ म नहीं हाेता, वह अपार अाैर अय है। इस शरर के ज का


कारण इछा है। इछा ही माया है अाैर इछा ही जगत् क उप का कारण
है। ‘साेऽकामयत।’ (तै रय उप०,  ानद ब  अनुवाक् ६), ‘तदैत ब
यां जायेयेित।’ (छादाेय उप०, ६/२/३) कबीर कहते हैं– जाे इछाअाें से
सवथा रहत हैं, ‘ताका पार न पाया’– वे अपार, अनत, असीम त व में वेश
पा जाते हैं। ‘याेऽकामाे िनकाम अा काम अाकामाे न तय ाणा
उामत  ैव सन्  ायेित।’ (बृहदारयक उप०, ४/४/६)–जाे कामनाअाें
से रहत अाा में थर अावप है, उसका कभी पतन नहीं हाेता। वह
 के साथ एक हाे जाता है। अार में इछाएँ अनत हाेती हैं अाैर
अतताेगवा परमा-ाि क इछा शेष रहती है। जब यह इछा भी पूर हाे
जाती है, तब इछा भी मट जाती है। यद उससे भी बड़ काेई वत हाेती ताे
अाप उसक इछा अवय करते। जब उससे अागे काेई वत है ही नहीं ताे
इछा कसक हाेगी जब ा हाेने याेय काेई वत अाय न रह जाय ताे
इछा भी समूल न हाे जाती है अाैर इछा के मटते ही म का सवथा
अत हाे जाता है। यही भी क इछा-मृयु है। इस कार भी ारा रत
हमलाेगाें क सेना सब कार से अजेय है। जब तक म है, तभी तक अव ा
का भी अतव है। म शात अा ताे अव ा भी समा हाे जाती है।

भीम ारा रत इन लाेगाें क सेना जीतने में सगम है। भावपी भीम।
‘भावे व ते देव:’– भाव में वह मता है क अवदत परमाा भी वदत हाे
जाता है। ‘भाव बय भगवान सख िनधान कना भवन।’ (रामचरतमानस,
७/९२ख) ीकृण ने इसे  ा कहकर सबाेधत कया है। भाव में वह मता
है क भगवान काे भी वश में कर ले ता है। भाव से ही सपूण पुयमयी
वृ याें का वकास है। यह पुय का संरक है। है ताे इतना बलवान् क
परमदेव परमाा काे संभव बनाता है; कत साथ ही इतना काेमल भी है क
अाज भाव है ताे कल अभाव में बदलते देर नहीं लगती। अाज अाप कहते हैं
क महाराज बत अछे हैं, कल कह सकते हैं क नहीं, हमने ताे देखा
महाराज खीर खाते हैं।

घास पात जाे खात हैं, ितनह सतावे काम।


दूध मलाई खात जे, ितनक जाने राम।।

इ में ले शमा भी ुट तीत हाेने पर भाव डगमगा जाता है, पुयमयी
वृ याँ वचलत हाे उठती हैं, इ से सबध टू ट जाता है। इसलये भीम
ारा रत इन लाेगाें क सेना जीतने में सगम है। महष पतंजल का भी
यही िनणय है– ‘स त दघकालनैरतयसकाराऽऽसेवताे ढभूम:।’ (याेगदशन,
१/१४)– दघकाल तक िनरतर  ा-भपूवक कया अा साधन ही ढ़ हाे
पाता है।

तय स नयहष कुवृ : पतामह:।


संहनादं वन ाे ै: शं दाै तापवान्।।१२।।

इस कार अपने बलाबल का िनणय ले कर शंखविन ई। शंखविन पााें


के पराम क घाेषणा है क जीतने पर काैन-सा पा अापकाे ा देगा
काैरवाें में वृ तापवान् पतामह भी ने उस दुयाेधन के दय में हष उप
करते ए उ वर से संहनाद के समान भयद शंख बजाया। संह कृित के
भयावह पहलू का तीक है। घाेर जंगल के नीरव एकात में शेर क दहाड़
कान में पड़ जाय ताे राेंगटे खड़े हाे जायेंगे, दय काँपने लगेगा, य प शेर
अापसे मीलाें दूर है। भय कृित में हाेता है, परमाा में नहीं; वह ताे अभय
स ा है। मपी भी यद वजयी हाेता है ताे कृित के जस भयारय में
अाप हैं उससे भी अधक भय के अावरण में बाँध देगा। भय क एक परत
अाैर बढ़ जायेगी, भय का अावरण घना हाे उठे गा। यह म इसके अितर
अाैर कुछ नहीं दे सकेगा। अत: कृित से िनवृ ही गतय का माग है।
संसार में वृ ताे भवाटवी है, घाेर अधकार क छाया है। इसके अागे
काैरवाें क काेई घाेषणा नहीं है। काैरवाें क अाेर से कई बाजे एक साथ बजे;
कत कुल मलाकर वे भी भय ही दान करते हैं, इससे अधक कुछ नहीं।
येक वकार कुछ-न-कुछ भय ताे देता ही है, इसलये उहाेंने भी घाेषणा क–

तत: शा भेय पणवानकगाेमुखा:।


सहसैवायहयत स शदतमुलाेऽभवत्।।१३।।

तदनतर अनेक शंख, नगाड़े, ढाेल अाैर नरसंघाद बाजे एक साथ ही


बजे। उनका शद भी बड़ा भयंकर अा। भय का संचार करने के अितर
काैरवाें क काेई घाेषणा नहीं है। बहमुखी वजातीय वृ सफल हाेने पर
माेहमयी बधन अाैर घना कर देती है।

अब पुयमयी वृ याें क अाेर से घाेषणाएँ ◌इं, जनमें पहल घाेषणा


याेगे र ीकृण क है–

तत: ेतैहयैयुे महित यदने थताै।


माधव: पाडवैव दयाै शाै दत:।।१४।।

इसके उपरात ेत घाेड़ाें से यु (जनमें ले शमा कालमा, दाेष नहीं है–
ेत सा वक, िनमलता का तीक है) ‘महित यदने’– महान् रथ पर बैठे ए
याेगे र ीकृण अाैर अजुन ने भी अलाैकक शंख बजाये। अलाैकक का अथ
है, लाेकाें से परे । मृयुलाेक, देवलाेक,  लाेक, जहाँ तक ज-मरण का भय
है उन समत लाेकाें से परे पारलाैकक, पारमाथक थित दान करने क
घाेषणा याेगे र ीकृण क है। साेने, चाँद या काठ का रथ नहीं; रथ
अलाैकक, शंख अलाैकक, अत: घाेषणा भी अलाैकक ही है। लाेकाें से परे
एकमा  है, सीधा उससे सपक थापत कराने क घाेषणा है। वे कैसे
यह थित दान करें गे –

पा जयं षीकेशाे देवद ं धन य:।


पाैड ं दाै महाशं भीमकमा वृकाेदर:।।१५।।

‘षीकेश:’– जाे दय के सवाता हैं, उन ीकृण ने ‘पा जय शंख’


बजाया। पाँचाें ानेयाें काे पंच तााअाें (शद, पश, प, रस, गध) के
रसाें से समेटकर अपने जन (भ) क ेणी में ढालने क घाेषणा क।
वकराल प से बहकती ई इयाें काे समेटकर उहें अपने सेवक क ेणी
में खड़ा कर देना दय से ेरक स 
ु क देन है। ीकृण एक याेगे र, स 

थे। ‘शयतेऽहम्’– भगवन् मैं अापका शय ँ। बा वषय-वतअाें काे
छाेड़कर यान में इ के अितर दूसरा न देखं,े दूसरा न सनें, न दूसरे का
पश करें , यह स 
ु के अनुभव-संचार पर िनभर करता है।
‘देवद ं धन य:’– दैवी सप काे अधीन करनेवाला अनुराग ही अजुन
है। इ के अनुप लगाव– जसमें वरह, वैराय, अुपात हाे, ‘गदगद गरा
नयन बह नीरा।’ (रामचरतमानस, ३/१५/११)– राेमांच हाे, इ के अितर
अय वषय-वत का ले शमा टकराव न हाेने पाये, उसी काे ‘अनुराग’ कहते
हैं। यद यह सफल हाेता है ताे परमदेव परमाा में वेश दलानेवाल दैवी
सपद् पर अाधपय ा कर ले ता है। इसी का दूसरा नाम धनंजय भी है।
एक धन ताे बाहर सप है जससे शरर-िनवाह क यवथा हाेती है,
अाा से इसका काेई सबध नहीं है। इससे परे थर अाक सप ही
िनज सप है। बृहदारयकाेपिनषद् में याव ने मैेयी काे यही
समझाया क धन से सप पृवी के वामव से भी अमृतव क ाि नहीं
हाे सकती। उसका उपाय अाक सप है।

भयानक कमवाले भीमसेन ने ‘पाैड ’ अथात् ीित नामक महाशंख बजाया।


भाव का उ म अाैर िनवास-थान दय है, इसलये इसका नाम वृकाेदर है।
अापका भाव, लगाव ब े में हाेता है; कत वतत: वह लगाव अापके दय में
है जाे ब े में जाकर मूत हाेता है। यह भाव अथाह अाैर महान् बलशाल है।
उसने ीित नामक महाशंख बजाया। भाव में ही ीित िनहत है, इसीलये
भीम ने ‘पाैड ’ (ीित) नामक महाशंख बजाया। भाव महान् बलवान् है; कत
ीित-संचार के मायम से।

हर यापक सब समाना। ेम तें गट हाेहं मैं जाना।।

(रामचरतमानस, १/१८४/५)

अनतवजयं राजा कुतीपुाे युधर:।


नकुल: सहदेव सघाेषमणपुपकाै।।१६।।

कुतीपु राजा युधर ने ‘अनत वजय’ नामक शंख बजाया।


क यपी कुती अाैर धमपी युधर। धम पर थरता रहेगी ताे
‘अनतवजयम्’– अनत परमाा में थित दलायेगा। यु े थर: स:
युधर:। कृित-पुष े-े के संघष में थर रहता है, महान् दु:ख से
भी वचलत नहीं हाेता ताे एक दन जाे अनत है, जसका अत नहीं है वह
है परमत व परमाा, उस पर वजय दला देता है।

िनयमपी नकुल ने ‘सघाेष’ नामक शंख बजाया। याें-याें िनयम उ त


हाेगा, अशभ का शमन हाेता जायेगा, शभ घाेषत हाेता जायेगा। ससंगपी
सहदेव ने ‘मणपुपक’ नामक शंख बजाया। मनीषयाें ने येक ास काे
बमूय मण क संा द है– ‘हीरा जैसी वाँस बाताें में बीती जाय।’
(‘बदु’) एक ससंग ताे वह है जाे अाप सपुषाें क वाणी से सनते हैं;
कत यथाथ ससंग अातरक है। ीकृण के अनुसार अाा ही सय है,
सनातन है। च सब अाेर से समटकर अाा क संगत करने लगे, यही
वातवक ससंग है। यह ससंग चतन, यान अाैर समाध के अयास से
सप हाेता है। याें-याें सय के सा य में सरत टकती जायेगी, याें-याें
एक-एक ास पर िनयंण मलता जायेगा, मनसहत इयाें का िनराेध हाेता
जायेगा। जस दन सवथा िनराेध हाेगा, वत ा हाे जायेगी। वा य ाें क
तरह च का अाा के वर-में-वर मलाकर संगत करना ही ससंग है।

बा मण कठाेर है, कत ासमण पुप से भी काेमल है। पुप ताे
वकसत हाेने या टू टने पर कुहलाता है; कत अाप अगले ास तक जीवत
रहने क गारट नहीं दे सकते। कत ससंग सफल हाेने पर येक ास
पर िनयंण दलाकर परम लय क ाि करा देता है। इसके अागे पाडवाें
क काेई घाेषणा नहीं है; कत येक साधन कुछ-न-कुछ िनमलता के पथ में
दूर तय कराता है। अागे कहते हैं–

काय परमेवास: शखड च महारथ:।


धृ ु ाे वराट सायकापराजत:।।१७।।

कायापी काशी। पुष जब सब अाेर से मनसहत इयाें काे समेटकर


काया में ही केत करता है, ताे ‘परमेवास:’– परम ईश में वास का
अधकार हाे जाता है। परम ईश में वास दलाने में सम काया ही काशी है।
काया में ही परम ईश का िनवास है। ‘परमेवास’ का अथ े धनुषवाला नहीं
बक परम+ईश+वास है।

शखा-सू का याग ही ‘शखड’ है। अाजकल लाेग सर के बाल कटा


ले ते हैं अाैर सू के नाम पर गले क जनेऊ हटा ले ते हैं, अ जलाना छाेड़
देते हैं, हाे गया संयास उनका। नहीं, वतत: शखा लय का तीक है, जसे
अापकाे पाना है अाैर सू है संकाराें का। जब तक अागे परमाा काे पाना
शेष है, पीछे संकाराें का सूपात लगा अा है, तब तक याग कैसा
संयास कैसा अभी ताे चलनेवाले पथक हैं। जब ा य ा हाे जाय, पीछे
लगे ए संकाराें क डाेर कट जाय, एेसी अवथा में म सवथा शात हाे
जाता है। इसलये शखड ही मपी भी का वनाश करता है। शखड
चतन-पथ क वश याेयता है, महारथी है।

‘धृ ु :’– ढ़ अाैर अचल मन तथा ‘वराट:’– सव वराट् ई र का


सार देखने क मता इयाद दैवी सपद् के मुख गुण हैं। सा वकता ही
सायक है। सय के चतन क वृ अथात् सा वकता यद बनी है ताे
कभी गरावट नहीं अाने पायेगी। इस संघष में पराजत नहीं हाेने देगी।

पदाे ाैपदेया सवश: पृथवीपते।


साैभ महाबा: शादु: पृथपृथक्।।१८।।

अचल पददायक पद अाैर यानपी ाैपद के पाँचाें पु– सदयता,


वासय, लावय, साैयता, थरता इयाद साधन में महान् सहायक महारथी
हैं तथा बड़ भुजावाला अभमयु– इन सबने पृथक्-पृथक् शंख बजाये। भुजा
काय-े का तीक है। जब मन भय से रहत हाे जाता है ताे उसक पँच
दूर तक हाे जाती है।

हे राजन् इन सबने अलग-अलग शंख बजाये। कुछ-न-कुछ दूर सभी तय


कराते हैं। इनका पालन अावयक है, इसलये इनके नाम गनाये। इसके
अितर कुछ दूर एेसी भी है जाे मन-बु से परे है, भगवान वयं ही
अत:करण में वराजकर तय कराते हैं। इधर  बनकर अाा से खड़े हाे
जाते हैं अाैर सामने वयं खड़े हाेकर अपना परचय करा ले ते हैं।

स घाेषाे धातरा ाणां दयािन यदारयत्।


नभ पृथवीं चैव तमुलाे यनुनादयन्।।१९।।

उस घाेर शद ने अाकाश अाैर पृवी काे भी शदायमान करते ए धृतरा -


पुाें के दय वदण कर दये। सेना ताे पाडवाें क अाेर भी थी, कत दय
वदण ए धृतरा -पुाें के। वतत: पा जय, दैवी श पर अाधपय,
अनत पर वजय, अशभ का शमन अाैर शभ क घाेषणा धारावाही हाेने लगे
ताे कुे, अासर सपद्, बहमुखी वृ याें का दय वदण हाे जायेगा।
उनका बल शनै:-शनै: ीण हाेने लगता है। सवथा सफलता मलने पर
माेहमयी वृ याँ सवथा शात हाे जाती हैं।

अथ यवथता ा धातरा ाकपवज:।


वृ े शसपाते धनु य पाडव:।।२०।।
षीकेशं तदा वामदमाह महीपते।

अजुन उवाच

सेनयाेभयाेमये रथं थापय मेऽयुत।।२१।।

संयमपी संजय ने अान से अावृ मन काे समझाया क हे राजन्


इसके उपरात ‘कपवज:’– वैरायपी हनुमान, वैराय ही वज है जसका
(वज रा का तीक माना जाता है। कुछ लाेग कहते हैं– वजा चंचल थी,
इसलये कपवज कहा गया। कत नहीं, यहाँ कप साधारण बदर नहीं वयं
हनुमान थे, जहाेंने मान-अपमान का हनन कया था– ‘सम मािन िनरादर
अादरही।’ (मानस, ७/१३/छद) कृित क देखी-सनी वतअाें से, वषयाें से
राग का याग ही ‘वैराय’ है। अत: वैराय ही जसक वजा है) उस अजुन
ने यवथत प से धृतरा -पुाें काे खड़े देखकर श चलने क तैयार के
समय धनुष उठाकर ‘षकेशम्’–जाे दय के सवाता हैं, उन याेगे र
ीकृण से यह वचन कहा– ‘‘हे अयुत (जाे कभी युत नहीं हाेता) मेरे रथ
काे दाेनाें सेनाअाें के बीच खड़ा करये।’’ यहाँ सारथी काे दया गया अादेश
ु ) से क गयी ाथना है। कसलये खड़ा करें –
नहीं, इ (स 

यावदेता रेऽहं याे क


ु ामानवथतान्।
कैमया सह याे यमनरणसमु मे।।२२।।

जब तक मैं इन थत ए यु क कामनावालाें काे अछ कार देख न


लूँ क इस यु के उ ाेग में मुझे कन-कन के साथ यु करना याेय है–
इस यु -यापार में मुझे कन-कन के साथ यु करना है।

याेयमानानवेेऽहं य एतेऽ समागता:।


धातरा य दुबु ेयु े यचकषव:।।२३।।

दुबु दुयाेधन का यु में कयाण चाहनेवाले जाे-जाे राजा लाेग इस सेना


में अाये हैं, उन यु करनेवालाें काे मैं देखूँगा, इसलये खड़ा करें । माेहपी
दुयाेधन। माेहमयी वृ याें का कयाण चाहनेवाले जाे-जाे राजा इस यु में
अाये हैं, उनकाे मैं देख लूँ ।

स य उवाच

एवमुाे षीकेशाे गुडाकेशेन भारत।


सेनयाेभयाेमये थापयवा रथाे मम्।।२४।।
भीाेणमुखत: सवेषां च महीताम्।
उवाच पाथ पयैतासमवेताकुिनित।।२५।।

संजय बाेला– िनाजयी अजुन ारा इस कार कहे जाने पर दय के


ाता ीकृण ने दाेनाें सेनाअाें के बीच भी, ाेण अाैर ‘महीताम्’–
शररपी पृवी पर अधकार जमाये ए सपूण राजाअाें के बीच उ म रथ
काे खड़ा करके कहा– पाथ इन इक े ए काैरवाें काे देख। यहाँ उ म रथ
साेने-चाँद का रथ नहीं है। संसार में उ म क परभाषा न र के ित
अनुकूलता-ितकूलता से क जाती है। यह परभाषा अपूण है। जाे हमारे
अाा, हमारे वप का सदैव साथ दे, वही उ म है। जसके पीछे
‘अनु म’– मलनता न हाे।

तापयथतापाथ: पतॄनथ पतामहान्।


अाचायाातलाातॄपुापाैासखींतथा।।२६।।
शरासदैव सेनयाेभयाेरप।

इसके उपरात अचूक लयवाले , पाथव शरर काे रथ बनानेवाले पाथ ने


उन दाेनाें सेनाअाें में थत पता के भाइयाें काे, पतामहाें काे, अाचायाे काे,
मामाअाें काे, भाइयाें काे, पुाें काे, पाैाें काे, माें काे, सराें काे अाैर
सदाें काे देखा।

दाेनाें सेनाअाें में अजुन काे केवल अपना परवार, मामा का परवार,
ससराल का परवार, सद् अाैर गुजन दखायी पड़े। महाभारतकाल क
गणना के अनुसार अठारह अाैहणी लगभग चालस लाख के समक हाेता
है; कत चलत गणना के अनुसार अठारह अाैहणी साढ़े छ: अरब के
लगभग हाेता है, जाे अाज के व क जनसंया के समक है। इतने मा
के लये यदा-कदा व तर पर अावास एवं खा -समया बन जाती है। इतना
बड़ा जनसमूह अजुन के तीन-चार रतेदाराें का परवार मा था। ा इतना
बड़ा भी कसी का परवार हाेता है कदाप नहीं यह दय-देश का चण है।

तासमीय स काैतेय: सवाबधूनवथतान्।।२७।।


कृपया परयावाे वषीद दमवीत्।
इस कार खड़े ए उन सपूण बधुअाें काे देखकर अयत कणा से
अावृ वह कुतीपु अजुन शाेक करता अा बाेला। अजुन शाेक करने लगा;
ाेंक उसने देखा क यह सब ताे अपना परवार ही है, अत: बाेला–

अजुन उवाच

ेमं वजनं कृण युयुसं समुपथतम्।।२८।।


सीदत मम गााण मुखं च परशयित।
वेपथु शररे मे राेमहष जायते।।२९।।

हे कृण यु क इछावाले खड़े ए इस वजन-समुदाय काे देखकर मेरे


अंग शथल ए जाते हैं, मुख सूखा जाता है अाैर मेरे शरर में कप तथा
राेमा हाे रहा है। इतना ही नहीं–

गाडवं ंसते हता वैव परद ते।


न च शाेयवथातं मतीव च मे मन:।।३०।।

हाथ से गाडव गरता है, वचा भी जल रही है। अजुन काे वर-सा हाे
अाया। संत हाे उठा क यह कैसा यु है जसमें वजन ही खड़े हैं अजुन
काे म हाे गया। वह कहता है– अब मैं खड़ा रह पाने में भी अपने काे
असमथ पा रहा ँ, अब अागे देखने क सामय नहीं है।

िनम ािन च पयाम वपरतािन केशव।


न च ेयाेऽनुपयाम हवा वजनमाहवे।।३१।।
हे केशव इस यु का लण भी वपरत ही देखता ँ। यु में अपने
कुल काे मारकर परमकयाण भी नहीं देखता ँ। कुल काे मारने से कयाण
कैसे हाेगा

न काे वजयं कृण न च रायं सखािन च।


कं नाे रायेन गाेवद कं भाेगैजीवतेन वा।।३२।।

सपूण परवार यु के मुहाने पर है। इहें यु में मारकर वजय, वजय


से मलनेवाला राय अाैर राय से मलनेवाला सख अजुन काे नहीं चाहये।
वह कहता है– कृण मैं वजय नहीं चाहता। राय तथा सख भी नहीं चाहता।
गाेवद हमें राय या भाेग अथवा जीवन से भी ा याेजन है ाें इस
पर कहता है–

येषामथे कातं नाे रायं भाेगा: सखािन च।


त इमेऽवथता यु े ाणांया धनािन च।।३३।।

हमें जनके लये राय, भाेग अाैर सखादक इछत हैं, वे ही परवार
जीवन क अाशा यागकर यु के मैदान में खड़े हैं। हमें राय इछत था ताे
परवार काे ले कर; भाेग, सख अाैर धन क पपासा थी ताे वजन अाैर
परवार के साथ उहें भाेगने क थी। कत जब सब-के-सब ाणाें क अाशा
यागकर खड़े हैं ताे मुझे सख, राय या भाेग नहीं चाहये। यह सब इहीं के
लये य थे। इनसे अलग हाेने पर हमें इनक अावयकता नहीं है। जब तक
परवार रहेगा, तभी तक ये वासनाएँ भी रहती हैं। झाेपड़ में रहनेवाला भी
अपने परवार, म अाैर वजन काे मारकर व का सााय वीकार नहीं
करे गा। अजुन भी यही कहता है क हमें भाेग य थे, वजय य थी; कत
जनके लये थी, जब वे ही नहीं रहेंगे ताे भाेगाें से ा याेजन इस यु में
मारना कसे है –

अाचाया: पतर: पुातथैव च पतामहा:।


मातला: शरा: पाैा: याला: सबधनतथा।।३४।।

इस यु में अाचाय, ताऊ- चाचे, लड़के अाैर इसी कार दादा, मामा,
सर, पाेते, साले तथा समत सबधी ही हैं।

एता हतमछाम ताेऽप मधुसूदन।


अप ैलाेरायय हेताे: कं नु महीकृते।।३५।।

हे मधुसूदन मुझे मारने पर भी अथवा तीनाें लाेकाें के राय के लये भी


मैं इन सबकाे मारना नहीं चाहता, फर पृवी के लये कहना ही ा है

अठारह अाैहणी सेना में अजुन काे अपना परवार ही दखायी पड़ा।
इतने अधक वजन वातव में ा हैं वतत: अनुराग ही अजुन है। भजन
के अार में येक अनुरागी के सम यही समया रहती है। सभी चाहते हैं
क वे भजन करें , उस परमसय काे पा लें ; कत कसी अनुभवी स 
ु के
संरण में काेई अनुरागी जब े-े के संघष काे समझता है क उसे
कनसे लड़ना है, ताे वह हताश हाे जाता है। वह चाहता है क उसके पता
का परवार, ससराल का परवार, मामा का परवार, सद्, म अाैर गुजन
साथ रहें, सभी सखी रहें अाैर इन सबक यवथा करते ए वह परमा-
वप क ाि भी कर ले । कत जब वह समझता है क अाराधना में
असर हाेने के लये परवार छाेड़ना हाेगा, इन सबधाें का माेह समा
करना हाेगा ताे वह अधीर हाे उठता है।

‘पूय महाराज जी’ कहा करते थे– ‘‘मरना अाैर साधु हाेना बराबर है।
साधु के लये सृ में दूसरा काेई जीवत है भी; कत घरवालाें के नाम पर
काेई नहीं है। यद काेई है ताे लगाव है, माेह समा कहाँ अा जहाँ तक
लगाव है उसका पूण याग, उस लगाव के सहअतव मटने पर ही उसक
वजय है। इन सबधाें का सार ही ताे जगत् है, अयथा जगत् में हमारा
ा है ’’ ‘तलसदास कह चद-बलास जग बूझत बूझत बूझै।’
(वनयपिका, १२४) मन का सार ही जगत् है। याेगे र ीकृण ने भी मन
के सार काे ही जगत् कहकर सबाेधत कया है। जसने इसके भाव काे
राेक लया, उसने चराचर जगत् ही जीत लया– ‘इहैव तैजत: सगाे येषां
साये थतं मन:।’ (गीता, ५/१९)

केवल अजुन ही अधीर था, एेसी बात नहीं है। अनुराग सबके दय में है।
येक अनुरागी अधीर हाेता है, उसे सबधी याद अाने लगते हैं। पहले वह
साेचता था क भजन से कुछ लाभ हाेगा ताे ये सब सखी हाेंगे। इनके साथ
रहकर उसे भाेगंग
े े। जब ये साथ ही नहीं रहेंगे ताे सख ले कर ा करें गे
अजुन क  रायसख तक ही सीमत थी। वह िलाेक के सााय काे
ही सख क पराकाा समझता था। इसके अागे भी काेई सय है, इसक
जानकार अजुन काे अभी नहीं है।

िनहय धातरा ा : का ीित: या नादन।


पापमेवायेदाहवैतानाततायन: ।।३६।।
हे जनादन धृतरा के पुाें काे मारकर भी हमें ा स ता हाेगी जहाँ
धृतरा अथात् धृता का रा है, उससे उप माेहपी दुयाेधन इयाद काे
मारकर भी हमें ा स ता हाेगी इन अातताययाें काे मारकर हमें पाप ही
ताे लगेगा। जाे जीवनयापन के तछ लाभ के लये अनीित अपनाता है, वह
अाततायी कहलाता है; कत वतत: इससे भी बड़ा अाततायी वह है, जाे
अाा के पथ में अवराेध उप करता है। अादशन में बाधक काम, ाेध,
लाेभ, माेह अाद का समूह ही अाततायी है।

ता ाहा वयं हतं धातरा ावबाधवान्।


वजनं ह कथं हवा सखन: याम माधव।।३७।।

इससे हे माधव अपने बाधव धृतरा के पुाें काे मारने के लये हम


याेय नहीं हैं। व-बाधव कैसे वे ताे शु थे न वतत: शरर के रते
अान से उप हाेते हैं। यह मामा हैं, ससराल है, वजन-समुदाय है– यह
सब अान ही ताे है। जब शरर ही न र है, तब इसके रते ही कहाँ रहेंगे
माेह है तभी तक सद् हैं, हमारा परवार है, हमार दुिनया है। माेह नहीं ताे
कुछ भी नहीं। इसीलये वे शु भी अजुन काे वजन दखायी पड़े। वह कहता
है क अपने कुटब काे मारकर हम कैसे सखी हाेंगे यद अान अाैर माेह
न रहे ताे कुटब का अतव न हाे। यह अान ान का ेरक भी है।
भतृहर, तलसी इयाद अनेक महानुभावाें काे वैराय क ेरणा प ी से मल,
ताे काेई साैतेल माँ के यवहार से ख हाेकर वैराय-पथ पर असर अा
दखायी देता है।

य येते न पयत लाेभाेपहतचेतस:।


कुलयकृतं दाेषं माेहे च पातकम्।।३८।।

य प लाेभ से च ए ये लाेग कुलनाश के दाेष अाैर माेह के


पाप काे नहीं देखते हैं, यह उनक कमी है; फर भी–

कथं न ेयमाभ: पापादा वततम्।


कुलयकृतं दाेषं पय जनादन।।३९।।

हे जनादन कुलनाश से हाेनेवाले दाेषाें काे जाननेवाले हमलाेगाें काे इस


पाप से हटने के लये ाें नहीं वचार करना चाहये मैं ही पाप करता ँ,
एेसी बात नहीं, अाप भी भूल करने जा रहे हैं– ीकृण पर भी अाराेप
लगाया। अभी वह समझ में अपने काे ीकृण से कम नहीं मानता। येक
नया साधक स 
ु क शरण जाने पर इसी कार तक करता है अाैर अपने
काे जानकार में कम नहीं समझता। यही अजुन भी कहता है क ये भले न
समझें, कत हम-अाप ताे समझदार हैं। कुलनाश के दाेषाें पर हमें वचार
करना चाहये। कुलनाश में दाेष ा है –

कुलये णयत कुलधमा: सनातना:।


धमे ने कुलं कृमधमाेऽभभवयुत।।४०।।

कुल के नाश हाेने से सनातन कुलधम न हाे जाते हैं। अजुन कुलधम,
कुलाचार काे ही सनातन-धम समझ रहा था। धम के नाश हाेने पर सपूण
कुल काे पाप भी बत दबा ले ता है।

अधमाभभवाकृण दुयत कुलय:।


ीषु दुास वाणेय जायते वणसर:।।४१।।

हे कृण पाप के अधक बढ़ जाने से कुल क याँ दूषत हाे जाती हैं।
हे वाणेय याें के दूषत हाेने पर वणसंकर उप हाेता है। अजुन क
मायता थी क कुल क याें के दूषत हाेने से वणसंकर हाेता है; कत
ीकृण ने इसका खडन करते ए अागे बताया क मैं अथवा वप में
थत महापुष यद अाराधना-म में म उप कर दें, तब वणसंकर हाेता
है। वणसंकर के दाेषाें पर अजुन काश डालता है–

सराे नरकायैव कुल ानां कुलय च।


पतत पतराे ेषां ल पडाेदकया:।।४२।।

वणसंकर कुलघाितयाें अाैर कुल काे नरक में ले जाने के लये ही हाेता है।
ल ई पडाेदक यावाले इनके पतर लाेग भी गर जाते हैं। वतमान न
हाे जाता है, अतीत के पतर गर जाते हैं अाैर भवयवाले भी गरें गे। इतना
ही नहीं,

दाेषैरेतै: कुल ानां वणसरकारकै:।


उसा ते जाितधमा: कुलधमा शा ता:।।४३।।

इन वणसंकरकारक दाेषाें से कुल अाैर कुलघाितयाें के सनातन कुलधम


अाैर जाितधम न हाे जाते हैं। अजुन मानता था क कुलधम सनातन है,
कुलधम ही शा त है। कत ीकृण ने इसका खडन कया अाैर अागे
बताया क अाा ही सनातन-शा त धम है। वातवक सनातन-धम काे जानने
से पहले मनुय धम के नाम पर कसी-न-कसी ढ़ काे जानता है। ठक
इसी कार अजुन भी जानता है, जाे ीकृण के शदाें में एक ढ़ है।

उस कुलधमाणां मनुयाणां जनादन।


नरकेऽिनयतं वासाे भवतीयनुशुम।।४४।।

हे जनादन न ए कुलधमवाले मनुयाें का अनतकाल तक नरक में


वास हाेता है, एेसा हमने सना है। केवल कुलधम ही नहीं न हाेता, बक
शा त-सनातन धम भी न हाे जाता है। जब धम ही न हाे गया, तब एेसे
पुष का अनतकाल तक नरक में िनवास हाेता है, एेसा हमने सना है। देखा
नहीं, सना है।

अहाे बत महपापं कत यवसता वयम्।


यायसखलाेभेन हतं वजनमु ता:।।४५।।

अहाे शाेक है क हमलाेग बु मान् हाेकर भी महान् पाप करने काे तैयार
ए हैं। राय अाैर सख के लाेभ से अपने कुल काे मारने के लये उ त ए
हैं।

अभी अजुन अपने काे कम ाता नहीं समझता। अार में येक साधक
इसी कार बाेलता है। महाा बु का कथन है क मनुय जब अधूर
जानकार रखता है ताे अपने काे महान् ानी समझता है अाैर जब अाधे से
अागे क जानकार हासल करने लगता है ताे अपने काे महान् मूख समझता
है। ठक इसी कार अजुन भी अपने काे ानी ही समझता है। वह ीकृण
काे ही समझाता है क इस पाप से परमकयाण हाे– एेसी बात भी नहीं,
केवल राय अाैर सख के लाेभ में पड़कर हमलाेग कुलनाश करने काे उ त
ए हैं– महान् भूल कर रहे हैं। हम ही भूल कर रहे हैं– एेसी बात नहीं, अाप
भी भूल कर रहे हैं। एक धा ीकृण काे भी दया। अत में अजुन अपना
िनणय देता है–

यद मामतीकारमशं शपाणय:।


धातरा ा रणे हयुते ेमतरं भवेत्।।४६।।

यद मुझ शरहत, सामना न करनेवाले काे शधार धृतरा के पु रण


में मारें ताे उनका वह मारना भी मेरे लये अितकयाणकार हाेगा। इितहास
ताे कहेगा क अजुन समझदार था, जसने अपनी बल देकर यु बचा लया।
लाेग ाणाें क अाित दे डालते हैं क भाेले-भाले मासूम ब े सखी रहें, कुल
ताे बचा रहे। मनुय वदेश चला जाय, वैभवपूण ासाद में रहे; कत दाे दन
बाद उसे अपनी छाेड़ ई झाेपड़ याद अाने लगती है। माेह इतना बल हाेता
है। इसीलये अजुन कहता है क शधार धृतरा के पु मुझ न ितकार
करनेवाले काे रण में मार दें, तब भी वह मेरे लये अितकयाणकार हाेगा
ताक लड़के ताे सखी रहें।

स य उवाच

एवमुाजुन: सये रथाेपथ उपावशत्।


वसृय सशरं चापं शाेकसंव मानस:।।४७।।

संजय बाेला क रणभूम में शाेक से उ मनवाला अजुन इस कार


कहकर बाणसहत धनुष काे यागकर रथ के पछले भाग में बैठ गया अथात्
े-े के संघष में भाग ले ने से पीछे हट गया।

िनकष—

गीता े-े के यु का िनपण है। यह ई रय वभूितयाें से सप


भगवत्-वप काे दखानेवाला गायन है। यह गायन जस े में हाेता है,
वह यु े शरर है। जसमें दाे वृ याँ हैं– धमे अाैर कुे। उन
सेनाअाें का वप अाैर उनके बल का अाधार बताया, शंखविन से उनके
पराम क जानकार मल। तदनतर जस सेना से लड़ना है, उसका
िनरण अा। जसक गणना अठारह अाैहणी (लगभग साढ़े छ: अरब)
कही जाती है; कत वतत: वे अनत हैं। कृित के काेण दाे हैं– एक
इाेुखी वृ ‘दैवी सपद्’, दूसर बहमुखी वृ ‘अासर सपद्’। दाेनाें
कृित ही हैं। एक इ क अाेर उुख करती है, परमधम परमाा क अाेर
ले जाती है अाैर दूसर कृित में व ास दलाती है। पहले दैवी सपद् काे
साधकर अासर सपद् का अत कया जाता है, फर शा त-सनातन पर
के ददशन अाैर उसमें थित के साथ दैवी सपद् क अावयकता शेष हाे
जाती है, यु का परणाम िनकल अाता है।

अजुन काे सैय िनरण में अपना परवार ही दखायी पड़ता है, जसे
मारना है। जहाँ तक सबध है, उतना ही जगत् है। अनुराग के थम चरण में
पारवारक माेह बाधक बनता है। साधक जब देखता है क मधुर सबधाें से
इतना वछे द हाे जायेगा, जैसे वे थे ही नहीं, ताे उसे घबराहट हाेने लगती है।
वजनास काे मारने में उसे अकयाण दखायी देने लगता है। वह चलत
ढ़याें में अपना बचाव ढूँ ढ़ने लगता है, जैसा अजुन ने कया। उसने कहा–
‘कुलधम ही सनातन-धम है। इस यु से सनातन-धम न हाे जायेगा, कुल
क याँ दूषत हाेंगी, वणसंकर पैदा हाेगा, जाे कुल अाैर कुलघाितयाें काे
अनतकाल तक नरक में ले जाने के लये ही हाेता है।’ अजुन अपनी समझ
से सनातन-धम क रा के लये वकल है। उसने ीकृण से अनुराेध कया
क हमलाेग समझदार हाेकर भी यह महान् पाप ाें करें अथात् ीकृण भी
पाप करने जा रहे हैं। अतताेगवा पाप से बचने के लये ‘मैं यु नहीं
कँगा’– एेसा कहता अा हताश अजुन रथ के पछले भाग में बैठ गया।
े-े के संघष से पीछे हट गया।

टकाकाराें ने इस अयाय काे ‘अजुन-वषाद याेग’ कहा है। अजुन अनुराग


का तीक है। सनातन-धम के लये वकल हाेनेवाले अनुरागी का वषाद याेग
का कारण बनता है। यही वषाद मनु काे अा था– ‘दयँ बत दुख लाग
जनम गयउ हरभगित बनु।’ (रामचरतमानस, १/१४२) संशय में पड़कर ही
मनुय वषाद करता है। उसे सदेह था क वणसंकर पैदा हाेगा, जाे नरक में
ले जायेगा। सनातन-धम के न हाेने का भी उसे वषाद था। अत: ‘संशय-
वषाद याेग’ का सामाय नामकरण इस अयाय के लये उपयु है। अत:–

ॐ तसदित ीम गव तासूपिनषस  व ायां याेगशाे ीकृणाजुनसवादे


‘संशयवषादयाेगाे’ नाम थमाेऽयाय:।।१।।

इस कार ीम गव तापी उपिनषद् एवं  व ा तथा याेगशा


वषयक ीकृण अाैर अजुन के संवाद में ‘संशय-वषाद याेग’ नामक थम
अयाय पूण हाेता है।

इित ीमपरमहंसपरमानदय शय वामीअड़गड़ानदकृते ीम गव ताया:


‘यथाथगीता’ भाये ‘संशयवषादयाेगाे’ नाम थमाेऽयाय:।।१।।
इस कार ीमत् परमहंस परमानदजी के शय वामी अड़गड़ानदकृत
‘ीम गव ता’ के भाय ‘यथाथ गीता’ में ‘संशय-वषाद याेग’ नामक पहला
अयाय पूण हाेता है।

।। हर: ॐ तसत् ।।
।। ॐ ी परमाने नम: ।।
।। अथ तीयाेऽयाय: ।।
थम अयाय गीता क वेशका है, जसमें अार में पथक काे तीत
हाेनेवाल उलझनाें का चण है। लड़नेवाले सपूण काैरव अाैर पाडव हैं;
कत संशय का पा मा अजुन है। अनुराग ही अजुन है। इ के अनुप
राग ही पथक काे े-े के संघष के लये ेरत करता है। अनुराग
अारक तर है। ‘पूय महाराज जी’ कहते थे– ‘‘स हृ थ अाम में रहते
ए लािन हाेने लगे, अुपात हाेता हाे, कठ अव हाेता हाे ताे समझना
क यहीं से भजन अार हाे गया।’’ अनुराग में यह सब कुछ अा जाता है।
उसमें धम, िनयम, ससंग, भाव सभी व मान हाेेंगे।

अनुराग के थम चरण में पारवारक माेह बाधक बनता है। पहले मनुय
चाहता है क वह उस परम सय काे ा कर ले ; कत अागे बढ़ने पर वह
देखता है क इन मधुर सबधाें का उछे द करना हाेगा, तब हताश हाे जाता
है। वह पहले से जाे कुछ धम-कम मानकर करता था, उतने में ही सताेष
करने लगता है। अपने माेह क पु के लये वह चलत ढ़याें का माण
भी तत करता है– जैसा अजुन ने कया क कुलधम सनातन है। यु से
सनातन-धम का लाेप हाेगा, कुलय हाेगा, वैराचार फैले गा। यह अजुन का
उ र नहीं था, बक स 
ु के सा य से पूव अपनायी गयी एक कुरित मा
थी।

इहीं कुरितयाें में फँ सकर मनुय पृथक्-पृथक् धम, अनेक सदाय, छाेटे-
बड़े गुट अाैर असंय जाितयाें क रचना कर ले ता है। काेई नाक दबाता है,
ताे काेई कान फाड़ता है। कसी के ने से धम न हाेता है, ताे कहीं राेट-
पानी से धम न हाेता है। ताे ा अत या नेवालाें का दाेष है कदाप
नहीं दाेष हमारे मदाताअाें का है। धम के नाम पर हम कुरित के शकार हैं,
इसलये दाेष हमारा है।

महाा बु के समय में केश-कबल एक सदाय था, जसमें केश काे


बढ़ाकर कबल क तरह याेग करने काे पूणता का मानदड माना जाता था।
काेई गाेितक (गाय क भाँित रहनेवाला) था, ताे काेई कुुरितक (कु े क
तरह खाने-पीने, रहनेवाला) था।  व ा का इनसे काेई सबध नहीं है।
सदाय अाैर कुरितयाँ पहले भी थीं, अाज भी हैं। ठक इसी कार
कृणकाल में भी सदाय थे, कुरितयाँ थीं। उनमें से एकाध कुरित का
शकार अजुन भी था। उसने चार तक तत कये– १. एेसे यु से
सनातनधम न हाे जायेगा, २. वणसंकर पैदा हाेगा, ३. पडाेदक या ल
हाेगी, अाैर ४. हमलाेग कुलय ारा महान् पाप करने काे उ त ए हैं।

स य उवाच

तं तथा कृपयावमुपूणाकुले णम्।


वषीदतमदं वामुवाच मधुसूदन:।।१।।
संजय ने कहा– कणा से या , अुपूण याकुल नेाेंवाले उस अजुन के
ित ‘मधुसूदन’– मद का वनाश करनेवाले भगवान ने यह वचन कहा–

ीभगवानुवाच

कुतवा कमलमदं वषमे समुपथतम्।


अनायजुमवयमकितकरमजुन ।।२।।

अजुन इस वषम थल में तझे यह अान कहाँ से हाे गया वषम
थल अथात् जसक समता का सृ में काेई थल है ही नहीं, पारलाैकक है
लय जसका, एेसे िनववाद थल पर तझे अान कहाँ से अा अान
ाें, अजुन ताे सनातन-धम क रा के लये कटब है। ा सनातन-धम
क रा के लये ाण-पण से तपर हाेना अान है ीकृण कहते हैं– हाँ,
यह अान है। न ताे सावत पुषाें ारा इसका अाचरण कया गया है, न
यह वग ही देनेवाला है अाैर न यह कित काे ही करनेवाला है। साग पर
जाे ढ़तापूवक अाढ़ है, उसे अाय कहते हैं। गीता अायसंहता है। परवार
के लये मरना-मटना यद अान न हाेता ताे महापुष उस पर अवय चले
हाेते। यद कुलधम ही सय हाेता ताे वग अाैर कयाण क िन:ेणी अवय
बनती। यह कितदायक भी नहीं है। मीरा भजन करने लगी, ताे ‘लाेग कहें
मीरा भई बावर, सास कहे कुलनाशी रे ।’ जस परवार, कुल अाैर मयादा के
लये मीरा क सास बलख रही थी, अाज उस कुलवती सास काे काेई नहीं
जानता, मीरा काे व जानता है। ठक इसी कार परवार के लये जाे
परे शान हैं, उनक भी कित कब तक रहेगी जसमें कित नहीं, कयाण
नहीं, े पुषाें ने भूलकर भी जसका अाचरण नहीं कया ताे स है क
वह अान है। अत:–

ैयं मा  गम: पाथ नैत वयुपप ते।


ं दयदाैबयं याे  परतप।।३।।

अजुन नपुंसकता काे मत ा हाे। ा अजुन नपुंसक था ा अाप


पुष हैं नपुंसक वह है, जाे पाैष से हीन हाे। सब अपनी समझ से पुषाथ
ही ताे करते हैं। कसान रात-दन खून-पसीना एक करके खेत में पुषाथ ही
ताे करता है। काेई यापार में पुषाथ समझता है, ताे काेई पद का दुपयाेग
करके पुषाथी बनता है। जीवनभर पुषाथ करने पर भी खाल हाथ जाना
पड़ता है। प है क यह पुषाथ नहीं है। श पुषाथ है ‘अादशन’। गागी
ने याव से कहा–

नपुंसक: पुमान् ेयाे याे न वे द थतम्।।


पुषं वकाशं तमानदाानमययम्।। (अापुराण)

वह पुष हाेते ए भी नपुंसक है, जाे दयथ अाा काे नहीं पहचानता।
वह अाा ही पुषवप, वयंकाश, उ म, अानदयु अाैर अय है।
उसे पाने का यास ही पाैष है।

अजुन तू नपुंसकता काे न ा हाे, यह तेरे याेय नहीं है। हे परं तप


दय क  दुबलता काे यागकर यु के लये खड़ा हाे। अास का याग
कराे। यह दय क दुबलता मा है। इस पर अजुन ने तीसरा  तत
कया–
अजुन उवाच

कथं भीमहं सये ाेणं च मधुसूदन।


इषुभ: ित याेयाम पूजाहावरसूदन।।४।।

अहंकार का शमन करनेवाले मधुसूदन मैं रणभूम में पतामह भी अाैर
अाचाय ाेण से कस कार बाणाें से यु कँगा ाेंक अरसूदन वे दाेनाें
ही पूजनीय हैं।

ैत ही ाेण है। भु अलग हैं, हम अलग हैं–ैत का यह भान ही ाि
क ेरणा का अारक ाेत है। यही ाेणाचाय का गुव है। म ही भी
है। जब तक म है तभी तक ब े, परवार, रतेदार सभी अपने लगते हैं।
अपना लगने में म ही मायम है। अाा इहीं काे पूय मानकर इनके साथ
रहता है क यह पता हैं, दादा हैं, कुलगु हैं इयाद। साधन के पूितकाल में
‘गु न चेला, पुष अकेला।’

न बधुन मं गुनैव शय:।


चदानदप: शवाेऽहम् शवाेऽहम्।। (अाष , ५)

जब च उस परम अानद में वलन हाे जाता है, तब न गु ानदाता


अाैर न शय हणक ा ही रह जाता है। यही परम क थित है। गु का
गुव ा कर ले ने पर गुव एक-जैसा हाे जाता है। ीकृण कहते हैं,
‘‘अजुन तू मुझमें िनवास करे गा।’’ जैसे ीकृण वैसा ही अजुन, अाैर ठक
वैसा ही ाि वाला महापुष हाे जाता है। एेसी अवथा में गु का भी वलय
हाे जाता है, गुव दय में वाहत हाे जाता है। अजुन गु-पद क ढाल
बनाकर इस संघष में वृ हाेने से कतराना चाहता है। वह कहता है–

गुनहवा ह महानुभावान्
ेयाे भाेुं भैयमपीह लाेके।
हवाथकामांत गुिनहैव
भु ीय भाेगान् धरदधान्।।५।।

इन महानुभाव गुजनाें काे न मारकर मैं इस लाेक में भा का अ भी


ेयकर समझता ँ। यहाँ भा का अथ उदर-पाेषण के लये भीख माँगना
नहीं बक सपुषाें क टू ट-फूट सेवा ारा उनसे कयाण क याचना ही
भा है। ‘अ ं  ेित यजानात्।’ (तै रय उप०, भृगुब  २) अ एकमा
परमाा है, जसे ा करके अाा सदा के लये तृ हाे जाता है, कभी
अतृ नहीं रहता। हम महापुषाें क सेवा अाैर याचना ारा शनै:-शनै:
 पीयूष ा करें ; कत यह परवार न टे , यही अजुन के भा क
कामना है। संसार में अधकांश लाेग एेसा ही करते हैं। वे चाहते हैं क
पारवारक ेह-सबध न मारना पड़े अाैर मु भी शनै:-शनै: मल जाय।
कत चलनेवाले पथक के लये, जसके संकार इनसे ऊपर हैं, जसमें
संघष क मता है, वभाव में ियव वाहत है, उसके लये इस भा
का वधान नहीं है। वयं न करके याचना करना भा है। गाैतम बु ने भी
मझम िनकाय के धदायाद स (१/१/३) में इस भा काे अामष-
दायाद कहकर हेय माना है, जबक शररयापन से सभी भ थे।
इन गुजनाें काे मारकर मले गा ा इस लाेक में धर से सने अथ
अाैर काम के भाेग ही ताे भाेगने काे मलें गे। अजुन कदाचत् साेचता था क
भजन से भाैितक सखाें क माा में अभवृ हाेगी। इतना संघष झेलने के
बाद भी इस शरर के पाेषक अथ अाैर काम के भाेग ही ताे मलें गे। वह पुन:
तक देता है–

न चैत : कतर ाे गरयाे


या जयेम यद वा नाे जयेयु:।
यानेव हवा न जजीवषाम-
तेऽवथता: मुखे धातरा ा:।।६।।

यह भी िनत नहीं है क वह भाेग मले गा ही। यह भी हम नहीं जानते


क हमारे लये ा करना ेयकर है; ाेंक जाे कुछ हमने कहा, वह
अान माणत हाे गया। यह भी ात नहीं है क हम जीतेंगे अथवा वे ही
जीतेंगे। जहें मारकर हम जीना भी नहीं चाहते, वे ही धृतरा के पु हमारे
सामने खड़े हैं। जब अानपी धृतरा से उप माेह इयाद वजन-समुदाय
मट ही जायेंगे, तब हम जी कर ही ा करें गे अजुन पुन: साेचता है क
जाे कुछ हमने कहा, कदाचत् यह भी अान हाे; अत: ाथना करता है–

कापयदाेषाेपहतवभाव:
पृछाम वां धमसूढचेता:।
येय: या तं ूह ते
शयतेऽहं शाध मां वां प म्।।७।।
कायरता के दाेष से न वभाववाला, धम के वषय में सवथा माेहतच
अा मैं अापसे पूछता ँ। जाे कुछ िनत परम कयाणकार हाे, वह साधन
मेरे लये कहये। मैं अापका शय ँ, अापक शरण में ँ, मुझे साधये।
केवल शा न दजये, बक जहाँ लड़खड़ाऊँ वहाँ सँभालये। ‘लाद दे
लदाय दे अाैर लदानेवाला साथ चले – कदाचत् ग र गर पड़ा, तब काैन
लदवायेगा ’–एेसा ही समपण अजुन का है।

यहाँ अजुन ने पूण समपण कर दया। अभी तक वह ीकृण काे अपने


तर का ही समझता था, अनेक व ाअाें में अपने काे कुछ अागे ही मानता
था। यहाँ उसने अपनी बागडाेर ीकृण काे वतत: साैंप द। स 
ु पूितपयत
दय में रहकर साधक के साथ चलते हैं। यद वे साथ न रहें ताे साधक पार
न हाे। युवा कया के परवारवाले जस कार शाद-ववाह तक उसकाे संयम
क शा देते ए सँभाल ले जाते हैं, ठक इसी कार स 
ु अपने शय क
अतराा से रथी हाेकर उसे कृित क घाटयाें से िनकालकर पार कर देते
हैं। अजुन िनवेदन करता है क– भगवन् एक बात अाैर है–

न ह पयाम ममापनु ाद्


यछाेकमुछाेषणमयाणाम्।
अवाय भूमावसप मृ ं
रायं सराणामप चाधपयम्।।८।।

भूम पर िनकटक धन-धायसप राय काे अाैर देवताअाें के वामीपन


इपद काे पाकर भी मैं उस उपाय काे नहीं देखता, जाे मेर इयाें काे
सखानेवाले शाेक काे दूर कर सके। जब शाेक बना ही है ताे यह सब ले कर
ही मैं ा कँगा यद इतना ही मलना है ताे मा करें । अजुन ने साेचा,
अब इसके अागे बतायेंगे भी ा

स य उवाच

एवमुा षीकेशं गुडाकेश: परतप।


न याेय इित गाेवदमुा तूणीं बभूव ह।।९।।

संजय बाेला– हे राजन् माेहिनशाजयी अजुन ने दय के सव ीकृण से


यह कहकर क ‘गाेवद मैं यु नहीं कँगा’ चुप हाे गया। अभी तक अजुन
क  पाैराणक है, जसमें कमकाडाें के साथ भाेगाें क उपलध का
वधान है, जसमें वग ही सब कुछ माना जाता है– जस पर ीकृण काश
डालें गे क यह वचारधारा भी गलत है।

तमुवाच षीकेश: हस व भारत।


सेनयाेभयाेमये वषीदतमदं वच:।।१०।।

उसके उपरात हे राजन् अतयामी याेगे र ीकृण ने दाेनाें सेनाअाें के


बीच में उस शाेकयु अजुन काे हँसते ए-से यह वचन कहा–

ीभगवानुवाच

अशाेयानवशाेचवं ावादां भाषसे।


गतासूनगतासूं नानुशाेचत पडता:।।११।।

अजुन तू न शाेक करने याेयाें के लये शाेक करता है अाैर पडताें के-से
वचन कहता है; कत बु सप पडतजन जनके ाण चले गये हैं उनके
लये तथा जनके ाण नहीं गये हैं उनके लये भी शाेक नहीं करते; ाेंक वे
भी मर जायेंगे। तू पडताें-जैसी बातें भर करता है, वतत: ाता है नहीं;
ाेंक–

न वेवाहं जात नासं न वं नेमे जनाधपा:।


न चैव न भवयाम: सवे वयमत: परम् ।।१२।।

न ताे एेसा ही है क मैं अथात् स 


ु कसी काल में नहीं था अथवा तू
अनुरागी अधकार अथवा ‘जनाधपा:’– राजा लाेग अथात् राजसी वृ में
पाया जानेवाला अहं नहीं था अाैर न एेसा ही है क अागे हम सब नहीं रहेंगे।
ु सदैव रहता है, अनुरागी सदैव रहते हैं। यहाँ याेगे र ने याेग क
स 
अनादता पर काश डालते ए भवय में भी उसक व मानता पर बल
दया। मरनेवालाें के लये शाेक न करने के लये कारण बताते ए उहाेेंने
कहा–

देहनाेऽयथा देहे काैमारं याैवनं जरा।


तथा देहातराि धीरत न मु ित।।१३।।

जैसे जीवाा क इस देह में कुमार, युवा अाैर वृ अवथा हाेती है, वैसे
ही अय-अय शरराें क ाि में धीर पुष माेहत नहीं हाेता है। कभी अाप
बालक थे, शनै:-शनै: युवा ए, तब अाप मर ताे नहीं गये पुन: वृ ए।
पुष एक ही है, उसी कार ले शमा भी दरार नये देह क ाि पर नहीं
पड़ती। कले वर का यह परवतन तब तक चले गा, जब तक परवतन से परे
क वत नहीं मल जाती।
माापशात काैतेय शीताेणसखदु:खदा:।
अागमापायनाेऽिनयातांतितव भारत।।१४।।

हे कुतीपु सख, दु:ख, सद अाैर गमी काे देनेवाले इयाें अाैर वषयाें
के संयाेग ताे अिनय हैं, णभंगुर हैं। अत: भरतवंशी अजुन तू इनका याग
कर। अजुन इय अाैर वषय के संयाेगजय सख का रण करके ही
वकल था। कुलधम, कुलगुअाें क पूयता इयाद इयाें के लगाव के
अतगत हैं। ये णक हैं, झूठे हैं, नाशवान् हैं। वषयाें का संयाेग न सदैव
मले गा अाैर न सदैव इयाें में मता ही रहेगी। अत: अजुन तू इनका
याग कर, सहन कर। ाें ा हमालय क लड़ाई थी जाे अजुन सद
सहन करता अथवा ा यह रे गतान क लड़ाई है जहाँ अजुन गमी सहन
करे ‘कुे’ जैसा क लाेग बाहर बताते हैं, समशीताेण थल है। कुल
अठारह दन ताे लड़ाई ई, इतने में कहाँ जाड़ा-गमी बीत गया वतत: सद-
गमी, दु:ख-सख, मान-अपमान काे सहन करना एक याेगी पर िनभर करता है।
यह दय-देश क लड़ाई का चण है। बाहर यु के लये गीता नहीं कहती।
यह े-े का संघष है, जसमें अासर सपद् का सवथा शमन कर
परमाा में थित दलाकर दैवी सपद् भी शात हाे जाती है। जब वकार हैं
ही नहीं ताे सजातीय वृ याँ कस पर अामण करें अत: पूणव के साथ
वे भी शात हाे जाती हैं, इससे पहले नहीं। गीता अतदेश क लड़ाई का
चण है। इस याग से मले गा ा इससे लाभ ा है इस पर ीकृण
कहते हैं–

यं ह न यथययेते पुषं पुषषभ।


समदु:खसखं धीरं साेऽमृतवाय कपते।।१५।।
ाेंक हे पुषे दु:ख-सख काे समान समझनेवाले जस धीर पुष काे
इयाें अाैर वषयाें के संयाेग यथत नहीं कर पाते, वह मृयु से परे अमृत-
त व क ाि के याेय हाे जाता है। यहाँ ीकृण ने एक उपलध ‘अमृत’
क चचा क। अजुन साेचता था क यु के परणाम में वग मले गा या
पृवी; कत ीकृण कहते हैं क न वग मले गा अाैर न पृवी, बक अमृत
मले गा। अमृत ा है –

नासताे व ते भावाे नाभावाे व ते सत:।


उभयाेरप ाेऽतवनयाेत वदशभ:।।१६।।

अजुन असत् वत का अतव नहीं है, वह है ही नहीं, उसे राेका नहीं
जा सकता अाैर सय का तीनाें काल में अभाव नहीं है, उसे मटाया नहीं जा
सकता। अजुन ने पूछा– ा भगवान हाेने के नाते अाप कहते हैं ीकृण ने
बताया– मैं ताे कहता ही ँ, इन दाेनाें का यह अतर हमारे साथ-साथ
त वदशयाें ारा भी देखा गया है। ीकृण ने वही सय दाेहराया, जाे
त वदशयाें ने कभी देख लया था। ीकृण भी एक त वदशी महापुष थे।
परमत व परमाा का य दशन करके उसमें थितवाले त वदशी कहलाते
हैं। सत् अाैर असत् हैं ा इस पर कहते हैं–

अवनाश त त येन सवमदं ततम् ।


वनाशमयययाय न ककतमहित।।१७।।

नाशरहत ताे वह है, जससे यह सपूण जगत् या है। इस ‘अययय’–


अवनाशी का वनाश करने में काेई समथ नहीं है। कत इस ‘अवनाशी’,
‘अमृत’ का नाम ा है वह है काैन –

अतवत इमे देहा िनययाेा: शररण:।


अनाशनाेऽमेयय ता ुयव भारत।।१८।।

अवनाशी, अमेय, िनयवप अाा के ये सभी शरर नाशवान् कहे गये


हैं, इसलये भरतवंशी अजुन तू यु कर। अाा ही अमृत है। अाा ही
अवनाशी है, जसका तीनाें काल में नाश नहीं हाेता। अाा ही सत् है। शरर
नाशवान् है यही असत् है, जसका तीनाें काल में अतव नहीं है।

‘शरर नाशवान् है, इसलये तू यु कर’– इस अादेश से यह प नहीं


हाेता क अजुन केवल काैरवाें काे मारे । पाडव-प में भी ताे शरर ही खड़े
थे, ा पाडवाें के शरर अवनाशी थे यद शरर नाशवान् है ताे ीकृण
कसक रा में खड़े थे ा अजुन काेई शररधार था शरर जाे असत् है,
जसका अतव नहीं है, जसे राेका नहीं जा सकता, ा ीकृण उस शरर
क रा में खड़े हैं यद एेसा है ताे वे भी अववेक अाैर मूढ़ हैं; ाेंक
अागे ीकृण वयं कहते हैं क जाे केवल शरर के लये ही पचता है, म
करता है वह अववेक अाैर मूढ़बु है। वह पापायु पुष यथ ही जीता है।
(३/ १३) अतत: अजुन काैन था

वतत: अनुराग ही अजुन है। अनुरागी के लये इ सदैव रथी बनकर


साथ में रहते हैं। सखा क भाँित उसका मागदशन करते हैं। अाप शरर नहीं
हैं। शरर ताे अावरण है, रहने का मकान है। उसमें रहनेवाला अनुरागपूरत
अाा है। भाैितक यु , मारने-काटने से शरराें का अत नहीं हाेता। यह शरर
टे गा ताे अाा दूसरा शरर धारण कर ले गा। इसी सदभ में ीकृण कह
चुके हैं क जस कार बायकाल से युवा या वृ ावथा अाती है, उसी कार
देहातर क ाि हाेती है। शरर काटें गे ताे जीवाा नया व बदल ले गा।

शरर संकाराें के अात है अाैर संकार मन पर अाधारत हैं। ‘मन एव


मनुयाणां कारणं बधमाेयाे:।’ (पंचदशी, ५/६०) मन का सवथा िनराेध हाेना,
अचल-थर ठहरना अाैर अतम संकार का वलय एक ही या है।
संकाराें क सतह का टू ट जाना ही शरराें का अत है। इसे ताेड़ने के लये
अापकाे अाराधना करनी हाेगी, जसे ीकृण ने कम या िनकाम कमयाेग क
संा द है। ीकृण ने थान-थान पर अजुन काे यु क ेरणा द; कत
एक भी ाेक एेसा नहीं है जाे भाैितक यु या मारकाट का समथन करता हाे।
यह यु सजातीय-वजातीय वृ याें का है, अतदेश में है।

य एनं वे हतारं यैनं मयते हतम्।


उभाै ताै न वजानीताे नायं हत न हयते।।१९।।

जाे इस अाा काे मारनेवाला मानता है तथा जाे इस अाा काे मरा
अा समझता है, वे दाेनाें ही अाा काे नहीं जानते; ाेंक यह अाा न ताे
मारता है अाैर न मारा ही जाता है। पुन: इसी पर बल देते हैं–

न जायते यते वा कदाच-।


ायं भूवा भवता वा न भूय:।
अजाे िनय: शा ताेऽयं पुराणाे
न हयते हयमाने शररे ।।२०।।
यह अाा कसी काल में न ताे जता है अाैर न मरता है; ाेेंक यह
व ही ताे बदलता है। न यह अाा हाेकर अय कुछ हाेनेवाला है; ाेंक
यह अजा है, िनय है, शा त अाैर पुरातन है। शरर के नाश हाेने पर भी
इसका नाश नहीं हाेता। अाा ही सय है, अाा ही पुरातन है, अाा ही
शा त अाैर सनातन है। अाप काैन हैं सनातन-धम के अनुयायी। सनातन
काैन है अाा। अाप अाा के अनुयायी हैं। अाा, परमाा अाैर  एक
दूसरे के पयाय हैं। अाप काैन हैं शा त-धम के उपासक। शा त काैन है
अाा। अथात् हम-अाप अाा के उपासक हैं। यद अाप अाक पथ काे
नहीं जानते ताे अापके पास शा त-सनातन नाम क काेई वत नहीं है। उसके
लये अाप अाहें भरते हैं ताे याशी अवय हैं; कत सनातनधमी नहीं हैं।
सनातन-धम के नाम पर कसी कुरित के शकार हैं।

देश-वदेश में, मानवमा में अाा एक ही जैसा है। इसलये व में कहीं
भी काेई अाा क थित दलानेवाल या जानता है अाैर उस पर चलने
के लये य शील है ताे वह सनातनधमी है, चाहे वह अपने काे ईसाई,
मुसलमान, यद या कुछ भी ाें न कह ले ।

वेदावनाशनं िनयं य एनमजमययम्।


कथं स पुष: पाथ कं घातयित हत कम्।।२१।।

पाथव शरर काे रथ बनाकर  पी लय पर अचूक िनशाना


लगानेवाला पृथापु अजुन जाे पुष इस अाा काे नाशरहत, िनय,
अजा अाैर अय जानता है, वह पुष कैसे कसी काे मरवाता है अाैर
कैसे कसी काे मारता है अवनाशी का वनाश असव है। अजा ज
नहीं ले ता। अत: शरर के लये शाेक नहीं करना चाहये। इसी काे उदाहरण
से प करते हैं–

वासांस जीणािन यथा वहाय


नवािन गृाित नराेऽपराण।
तथा शरराण वहाय जीणा-
ययािन संयाित नवािन देही।।२२।।

जैसे मनुय ‘जीणािन वासांस’– जीण-शीण पुराने वाें काे यागकर नये
वाें काे हण करता है, ठक वैसे ही यह जीवाा पुराने शरराें काे यागकर
दूसरे नये शरराें काे धारण करता है। जीण हाेने पर ही नया शरर धारण
करना है ताे शश ाें मर जाते हैं यह व ताे अाैर वकसत हाेना चाहये।
वतत: यह शरर संकाराें पर अाधारत है। जब संकार जीण हाेते हैं ताे
शरर ट जाता है। यद संकार दाे दन का है ताे दूसरे दन ही शरर जीण
हाे गया। इसके बाद मनुय एक ास भी अधक नहीं जीता। संकार ही
शरर है। अाा संकाराें के अनुसार नया शरर धारण कर ले ता है। ‘अथ
खल तमय: पुषाे यथा तर ाेके पुषाे भवित तथेत: ेय भवित।’
(छादाेयाेपिनषद्, ३/१४) अथात् यह पुष िनय ही संकपमय है। इस
लाेक में पुष जैसा िनयवाला हाेता है, वैसा ही यहाँ से मरकर जाने पर
हाेता है। अपने संकप से बनाये ए शरराें में पुष उप हाेता है। इस
कार मृयु शरर का परवतन मा है। अाा नहीं मरता। पुन: इसक
अजरता-अमरता पर बल देते हैं–

नैनं छदत शाण नैनं दहित पावक:।


न चैनं ेदययापाे न शाेषयित मात:।।२३।।

अजुन इस अाा काे शाद नहीं काटते, अ इसे जला नहीं सकती,
जल इसे गीला नहीं कर सकता अाैर न वायु इसे सखा ही सकता है।

अछे ाेऽयमदा ाेऽयमे ाेऽशाेय एव च।


िनय: सवगत: थाणुरचलाेऽयं सनातन:।।२४।।

यह अाा अछे है– इसे छे दा नहीं जा सकता, यह अदा है– इसे


जलाया नहीं जा सकता, यह अे है– इसे गीला नहीं कया जा सकता,
अाकाश इसे अपने में समाहत नहीं कर सकता। यह अाा िन:सदेह
अशाेय, सवयापक, अचल, थर रहनेवाला अाैर सनातन है।

अजुन ने कहा क कुलधम सनातन है, एेसा यु करने से सनातन-धम न


हाे जायेगा; कत ीकृण ने इसे अान माना अाैर अाा काे ही सनातन
बताया। अाप काैन हैं सनातन-धम के अनुयायी। सनातन काैन है अाा।
यद अाप अापयत दूर तय करानेवाल वध-वशेष से अवगत नहीं हैं ताे
अाप सनातन-धम नहीं जानते। इसका कुपरणाम सादायकता में फँ से
धमभी लाेगाें काे भाेगना पड़ रहा है। मयकालन भारत में बाहर से अानेवाले
मुसलमान मा बारह हजार थे, अाज अ ाइस कराेड़ हैं। बारह हजार से
बढ़कर लाखाें हाे जाते, अधक-से-अधक कराेड़ के लगभग हाे जाते, अाैर
कतने हाे जाते यह अ ाइस कराेड़ से भी अागे बढ़ रहे हैं। सब हदू ही ताे
हैं। अापके सगे भाई हैं, जाे ने अाैर खाने से न हाे गये। वे न नहीं ए
बक उनका सनातन अपरवतनशील धम न हाे गया।
जब मैटर (Matter) े में पैदा हाेनेवाल काेई वत इस सनातन का
पश नहीं कर सकती, ताे ने-खाने से सनातन-धम न कैसे हाे सकता है
यह धम नहीं, एक कुरित-परथित थी, जससे भारत में सादायक
वैमनय बढ़ा, देश का वभाजन अा अाैर रा ीय एकता क अाज भी समया
बनी ई है।

इन कुरितयाें के कथानक इितहास में भरे पड़े हैं। हमीरपुर जले में
पचास-साठ परवार कुलन िय थे। अाज वे सब मुसलमान हैं। न उन पर
ताेप का हमला अा, न तलवार का। अा ा अ राि में दाे-एक माैलवी
उस गाँव के एकमा कुएँ के समीप छप गये क कमकाड ा ण सबसे
पहले यहाँ ान करने अायेगा। जहाँ वे अाये ताे उहें पकड़ लया, उनका मुँह
बद कर दया। उनके सामने उहाेंने कुएँ से पानी िनकाला, मुँह लगाकर पया
अाैर बचा अा पानी कुएँ में डाल दया। राेट का एक टकड़ा भी डाल दया।
पडतजी देखते ही रह गये, ववश थे। तपात् पडतजी काे भी साथ ले कर
वे चले गये। अपने घर में उहें बद कर दया।

दूसरे दन उहाेंने हाथ जाेड़कर पडतजी से भाेजन के लये िनवेदन


कया ताे वे बगड़ पड़े– ‘‘अरे , तम यवन हाे मैं ा ण, भला कैसे खा सकता
ँ ’’ उहाेंने कहा– ‘‘महाराज हमें अाप-जैसे वचारवान् लाेगाें क बड़
अावयकता है। मा करें ।’’ पडतजी काे छाेड़ दया गया।

पडतजी अपने गाँव अाये। देखा, लाेग कुएँ का याेग पूववत् कर रहे थे।
वे अनशन करने लगे। लाेगाें ने कारण पूछा ताे बाेले– यवन इस कुएँ क
जगत पर चढ़ गये थे। मेरे सामने उहाेंने इस कुएँ काे जूठा कया अाैर इसमें
राेट का टकड़ा भी डाल दया। गाँव के लाेग तध रह गये। पूछा– ‘‘अब
ा हाेगा ’’ पडत जी ने बताया– ‘‘अब ा धम ताे न हाे गया।’’

उस समय लाेग शत नहीं थे। याें अाैर शूाें से पढ़ने का अधकार न
जाने कब से छन लया गया था। वैय धनाेपाजन ही अपना धम मान बैठे थे।
िय चारणाें के शत-गायन में खाेये थे क अ दाता क तलवार चमक
ताे बजल काैंधने लगी, द  का तत डगमगाने लगा। सान वैसे ही ा
है ताे पढ़ंे ाें धम से उहें ा ले ना-देना धम केवल ा णाें क वत
बनकर रह गया था। वे ही धमसूाें के रचयता, वे ही उसके यायाकार अाैर
वही उसके झूठ-सच के िनणायक थे– जबक ाचीनकाल में याें, शूाें,
वैयाें, ियाें अाैर ा णाें काे, सबकाे वेद पढ़ने का अधकार था। येक
वग के ऋषयाें ने वैदक म ाें क रचना क है, शााथ-िनणय में भाग लया
है। ाचीन राजाअाें ने धम के नाम पर अाडबर फैलानेवालाें काे दड दया,
धमपरायणाें का समादर कया था। कत मयकालन भारत में सनातन-धम
क यथाथ जानकार न रखने से उपयु गाँव के िनवासी भेड़ क तरह एक
काेने में खड़े हाेते गये क धम न हाे गया। कई लाेगाें ने इस अय शद
काे सनकर अाहया कर ल; कत सब कहाँ तक ाणात करते। अटू ट
 ा के पात् भी ववश हाेकर अय हल खाेजना पड़ा। अाज भी वे बाँस
गाड़कर, मूसल रखकर हदुअाें क तरह ववाह करते हैं, बाद में एक माैलवी
िनकाह पढ़ाकर चला जाता है। सब-के-सब श हदू हैं, सबके-सब मुसलमान
बन गये।

अा ा था पानी पया था, अनजाने में मुसलमानाें का अा खा लया


था इसलये धम न हाे गया। धम ताे हाे गया ईमुई (लाजवती)। यह एक
पाैधा हाेता है। अाप  दें ताे उसक प याँ संकुचत हाे जाती हैं अाैर हाथ
हटाते ही पुन: वकसत हाे जाती हैं। यह पाैधा हाथ हटाने पर वकसत हाे
जाता है; कत धम ताे एेसा मुरझाया क कभी वकसत नहीं हाेगा। वे मर
गये, सदा के लये उनके राम, कृण अाैर परमाा मर गये। जाे शा त थे, वे
मर गये। वातव में वह शा त के नाम पर काेई कुरित थी, जसे लाेग धम
मान बैठे थे।

धम क शरण हम ाें जाते हैं ाेंक हम मरणधमा (मरने-जीनेवाले ) हैं


अाैर धम काेई ठाेस चीज है, जसक शरण जाकर हम भी अमर हाे जायँ।
हम ताे मारने से मरें गे अाैर यह धम केवल ने अाैर खाने से मर जायेगा, ताे
हमार ा रा करे गा धम ताे अापक रा करता है, अापसे शशाल है।
अाप तलवार से मरें गे अाैर धम वह ने से न हाे गया। कैसा है अापका
धम कुरितयाँ न हाेती हैं, न क सनातन। सनातन ताे एेसी ठाेस वत है
जसे श नहीं काटते, अ जला नहीं सकती, जल इसे गीला नहीं कर
सकता। खानपान ताे दूर, कृित में उप काेई वत उसका पश भी नहीं
कर पाती ताे वह सनातन न कैसे हाे गया

एेसी ही कितपय कुरितयाँ अजुनकाल में भी थीं। उनका शकार अजुन भी


था। उसने वलाप करते ए गड़गड़ाकर कहा क कुलधम सनातन है। यु से
सनातन-धम न हाे जायेगा। कुलधम न हाेने से हम अनतकाल तक नरक
में चले जायेंगे। कत ीकृण ने कहा– ‘‘तझे यह अान कहाँ से उप हाे
गया ’’ स है क वह काेई कुरित थी, तभी ताे ीकृण ने उसका
िनराकरण कया अाैर बताया क अाा ही सनातन है। यद अाप अाक
पथ नहीं जानते ताे सनातन-धम में अापका अभी तक वेश नहीं अा है।
जब यह सनातन-शा त अाा सबके अदर या है ताे खाेजा कसे
जाय इस पर ीकृण कहते हैं–

अयाेऽयमचयाेऽयमवकायाेऽयमुयते।
तादेवं वदवैनं नानुशाेचतमहस।।२५।।

यह अाा अय अथात् इयाें का वषय नहीं है। इयाें के ारा इसे
समझा नहीं जा सकता। जब तक इयाें अाैर वषयाें का संयाेग है, तब तक
अाा है ताे; कत उसे समझा नहीं जा सकता। वह अचय है। जब तक
च अाैर च क लहर है, तब तक वह शा त है ताे; कत हमारे दशन,
उपभाेग अाैर वेश के लये नहीं है। अत: च का िनराेध करें ।

पीछे ीकृण बता अाये हैं क असत् वत का अतव नहीं है अाैर सत्
का तीनाें काल में अभाव नहीं है। वह सत् है अाा। अाा ही
अपरवतनशील, शा त, सनातन अाैर अय है। त वदशयाें ने अाा काे
इन वशेष गुणधमाे से यु देखा। न दस भाषाअाें के ाता ने देखा, न कसी
समृ शाल ने देखा, बक त वदशयाें ने देखा। ीकृण ने अागे बताया क
त व है परमाा। मन के िनराेधकाल में साधक उसका दशन अाैर उसमें वेश
पाता है। ाि काल में भगवान मलते हैं अाैर दूसरे ही ण वह अपनी अाा
काे ई रय गुणधमाे से वभूषत देखता है। वह देखता है क अाा ही सय,
सनातन अाैर परपूण है। यह अाा अचय है। यह वकाररहत अथात् न
बदलनेवाला कहा जाता है। अत: अजुन अाा काे एेसा जानकर तू शाेक
करने याेय नहीं है। अब ीकृण अजुन के वचाराें में वराेधाभास दखाते हैं,
जाे सामाय तक है–
अथ चैनं िनयजातं िनयं वा मयसे मृतम्।
तथाप वं महाबाहाे नैवं शाेचतमहस।।२६।।

यद तू इसे सदैव जनेवाला अाैर सदा मरनेवाला माने तब भी तझे शाेक
नहीं करना चाहये; ाेंक–

जातय ह वाे मृयुवं ज मृतय च।


तादपरहायेऽथे न वं शाेचतमहस।।२७।।

एेसा मान ले ने पर भी जनेवाले क िनत मृयु अाैर मरनेवाले का


िनत ज स हाेता है। इसलये भी तू बना उपायवाले इस वषय में
शाेक करने लायक नहीं है। जसका काेई इलाज नहीं, उसके लये शाेक
करना एक अय दु:ख काे अाम त करना है।

अयादिन भूतािन यमयािन भारत।


अयिनधनायेव त का परदेवना।।२८।।

अजुन सपूण ाणी ज से पहले बना शररवाले अाैर मरने के बाद भी
बना शररवाले हैं। ज के पूव अाैर मृयु के पात् भी दखायी नहीं पड़ते,
केवल ज-मृयु के बीच में ही शरर धारण कये ए दखायी देते हैं। अत:
इस परवतन के लये यथ क चता ाें करते हाे इस अाा काे देखता
काैन है इस पर कहते हैं–

अायवपयित कदेन-
मायवदित तथैव चाय:।
अायव ैनमय: णाेित
ुवायेनं वेद न चैव कत्।।२९।।

पहले ीकृण ने कहा था क इस अाा काे त वदशयाें ने देखा है, अब


त वदशन क दुलभता पर काश डालते हैं क काेई वरला महापुष ही इस
अाा काे अाय क तरह देखता है। सनता नहीं, य देखता है अाैर वैसे
ही दूसरा काेई महापुष ही अाय क तरह इसके त व काे कहता है। जसने
देखा है, वही यथाथ कह सकता है। दूसरा काेई वरला साधक इसे अाय
क भाँित सनता है। सब सनते भी नहीं; ाेंक यह अधकार के लये ही है।
हे अजुन काेई-काेई ताे सनकर भी इस अाा काे नहीं जान पाते; ाेंक
साधन पार नहीं लगता। अाप लाख ान क बातें सनें, समझें– बाल क खाल
िनकालकर समझें, लालायत भी रहें; कत माेह ब़ड़ा बल है, थाेड़ देर बाद
ही अाप अपनी सांसारक यवथाअाें में ल मलें गे।

अत में ीकृण िनणय देते हैं–

देही िनयमवयाेऽयं देहे सवय भारत।


तासवाण भूतािन न वं शाेचतमहस।।३०।।

अजुन यह अाा सबके शरर में सदैव अवय है, अकाट है। इसलये
सपूण भूताणयाें के लये तू शाेक करने याेय नहीं है।

‘अाा ही सनातन है’– इस तय का ितपादन करके, इसका


भुतासहत वणन करके यह  यहीं पूरा हाे जाता है। अब  खड़ा हाेता
है क इसक ाि कैसे हाे सपूण गीता में इसके लये दाे ही माग हैं–
पहला िनकाम कमयाेग अाैर दूसरा ानयाेग। दाेनाें मागाे में कया जानेवाला
कम एक ही है। उस कम क अिनवायता पर बल देते ए याेगे र ीकृण
ानयाेग के वषय में कहते हैं–

वधममप चावेय न वकपतमहस।


धया यु ाेयाेऽयियय न व ते।।३१।।

अजुन वधम देखकर भी तू भय करने याेय नहीं है; ाेंक धमसंयु


यु से बढ़कर अय काेई परमकयाणकार माग िय के लये नहीं है।
अभी तक ताे ‘अाा शा त है’, ‘अाा सनातन है’, ‘वही एकमा धम है’
कहा गया है। अब यह वधम कैसा धम ताे एकमा अाा ही है। वह ताे
अचल थर है ताे धमाचरण ा वतत: इस अापथ में वृ हाेने क
मता हर य क अलग-अलग हाेती है। वभाव से उप इस मता काे
वधम कहा गया है।

इसी एक सनातन अाक पथ पर चलनेवाले साधकाें काे महापुष ने


वभाव क मता के अनुसार चार ेणयाें में बाँटा– शू, वैय, िय अाैर
ा ण। साधना क ारक अवथा में येक साधक शू अथात् अप
हाेता है। घटाें भजन में बैठने पर वह दस मनट भी अपने प में नहीं पाता।
वह कृित के मायाजाल काे काट नहीं पाता। इस अवथा में महापुष क
सेवा से उसके वभाव में स ण
ु अाते हैं। वह वैय ेणी का साधक बन जाता
है। अाक सप ही थर सप है। इसका वह शनै:-शनै: संह अाैर
गाेपालन अथात् इयाें क सरा करने में सम हाे जाता है। काम, ाेध
इयाद से इयाें क हंसा हाेती है तथा ववेक, वैराय से इनक सरा
हाेती है; कत कृित काे िनबीज करने क मता उसमें नहीं हाेती। मश:
उ ित करते-करते साधक के अत:करण में तीनाें गुणाें काे काटने क मता
अथात् ियव अा जाता है। इसी तर पर कृित अाैर उसके वकाराें काे
नाश करने क मता अा जाती है, इसलये यु यहीं से अार हाेता है।
मश: साधन करके साधक ा णव क ेणी में बदल जाता है। इस समय
मन का शमन, इयाें का दमन, धारावाही चतन, सरलता, अनुभव, ान
इयाद लण साधक में वाभावक वाहत हाेते हैं। इहीं के अनुान से
चलकर मश: वह  में वेश पा जाता है, जहाँ वह ा ण भी नहीं रह
जाता।

वदेह राजा जनक क सभा में महष याव ने चाायण, उषत,


कहाेल, अाण, उ ालक अाैर गागी के ाें का समाधान करते ए बताया
क अासााकार का पूणतया सपादन करनेवाला ही ा ण हाेता है। यह
अाा ही लाेक, परलाेक अाैर समत ाणयाें काे भीतर से िनयमत करता
है। सूय, चमा, पृवी, जल, वायु, अ , तारागण, अतर, अाकाश एवं
येक ण इस अाा के ही शासन में हैं। यह तहारा अाा अतयामी
अमृत है। अाा अर है, इससे भ सब नाशवान् हैं। जाे काेई इसी लाेक
में इस अर काे न जानकर हवन करता है, तप करता है, हजाराें वषाे तक
य करता है, उसका यह सब कम नाशवान् है। जाे काेई भी इस अर काे
जाने बना इस लाेक से मरकर जाता है वह दयनीय है, कृपण है अाैर जाे
इस अर काे जानकर इस लाेक से मरकर जाता है वह ा ण है।
(बृहदारयकाेपिनषद्, तृतीय अयाय, अम ा ण)

अजुन िय ेणी का साधक है। ीकृण कहते हैं क िय ेणी के
साधक के लये यु के अितर काेई कयाणकार राता है ही नहीं। 
उठता है क िय है ा ाय: लाेग इसका अाशय समाज में जना
उप ा ण, िय, वैय, शू जाितयाें से ले ते हैं। इहें ही चार वण मान
लया जाता है। कत नहीं, शाकार ने वयं बताया है क िय ा है,
वण ा है यहाँ उहाेंने केवल िय का नाम लया अाैर अागे अठारहवें
अयाय तक इस  का समाधान तत कया क वतत: ये वण हैं ा
अाैर कैसे इनमें परवतन हाेता है

ीकृण ने कहा, ‘चातवय मया सृम्’ (गीता, ४/१३)– चार वणाे क


सृ मैंने क। ताे ा मनुयाें काे बाँटा ीकृण कहते हैं– नहीं,
‘गुणकमवभागश:।’– गुणाें के मायम से कम काे चार भागाें में बाँटा। अब यह
देखना है क वह कम ा है, जसे बाँटा गया गुण परवतनशील हैं। साधना
क उचत या ारा तामसी से राजसी अाैर राजसी से सा वक गुणाें में
वेश मलता जाता है। अतत: ा ण वभाव बन जाता है। उस समय 
में वेश दला देनेवाल सार याेयताएँ उस साधक में रहती हैं। वण-सबधी
 यहाँ से अार हाेकर अठारहवें अयाय में जाकर पूण हाेता है।

ीकृण क मायता है– ‘ेयावधमाे वगुण: परधमावनुतात्।’ (गीता,


१८/४७) वभाव से उप इस धम में वृ हाेने क मता जस तर क
हाे, भले ही वह गुणरहत शू ेणी क हाे, तब भी परमकयाण करती है;
ाेंक अाप मश: वहीं से उथान करते हैं। उससे ऊपरवालाें क नकल
करके साधक न हाे जाता है। अजुन िय ेणी का साधक था, इसलये
ीकृण कहते हैं क– अजुन अपने वभाव से उप इस यु में वृ हाेने
क अपनी मता काे देखकर भी तू भय करने याेय नहीं है। इससे बढ़कर
दूसरा काेई कयाणकार काय िय के लये नहीं है। इसी पर काश डालते
ए पुन: याेगे र कहते हैं–
य छया चाेपप ं वगारमपावृतम्।
सखन: िया: पाथ लभते यु मी शम्।।३२।।

पाथव शरर काे ही रथ बनाकर अचूक लयवेधी अजुन वत: ा वग


के खले ए ारपी इस यु काे भायवान् िय ही ा करते हैं। िय
ेणी के साधक में तीनाें गुणाें काे काट देने क मता रहती है। उसके लये
वग का ार खला है; ाेंक उसमें दैवी सपद् पूणत: अजत रहती है, वर
में वचरने क उसमें मता रहती है। यही खला अा वग का ार है। े-
े के इस यु काे भायवान् िय ही पाते हैं; ाेंक उनमें ही इस
संघष क मता है।

दुिनया में लड़ाइयाँ हाेती हैं। व समटकर लड़ता है, येक जाित लड़ती
है; कत शा त वजय जीतनेवाले काे भी नहीं मलती। ये ताे बदले हैं। जाे
जसकाे जतना दबाता है, कालातर में उसे भी उतना ही दबना पड़ता है। यह
कैसी वजय है, जसमें इयाें काे सखानेवाला शाेक बना ही रहता है, अत
में शरर भी न हाे जाता है वातवक संघष ताे े अाैर े का है,
जसमें एक बार वजय हाे जाने पर कृित का सदा के लये िनराेध अाैर
परमपुष परमाा क ाि हाे जाती है। यह एेसी वजय है, जसके पीछे
हार नहीं है।

अथ चे वममं धयं सामं न करयस।


तत: वधम कित च हवा पापमवायस।।३३।।

अाैर यद तू इस ‘धमयु संाम’ अथात् शा त-सनातन परमधम


परमाा में वेश दलानेवाला धमयु नहीं करे गा ताे ‘वधम’ अथात् वभाव
से उप संघष करने क मता, या में वृ हाेने क मता काे खाेकर
पाप अथात् अावागमन अाैर अपकित काे ा हाेगा। अपकित पर काश
डालते हैं–

अकित चापभूतािन कथययत तेऽययाम्।


सावतय चाकितमरणादितरयते।।३४।।

सब लाेग बत काल तक तेर अपकित का कथन करें गे। अाज भी


पदयुत हाेनेवाले महााअाें में व ाम, पराशर, िनम,  इयाद क
गणना हाेती है। बत से साधक अपने धम पर वचार करते हैं, साेचते हैं क
लाेग हमें ा कहेंगे एेसा भाव भी साधना में सहायक हाेता है। इससे साधना
में लगे रहने क ेरणा मलती है। कुछ दूर तक यह भाव भी साथ देता है।
माननीय पुषाें के लये अपकित मरण से भी बढ़कर हाेती है।

भयाणादुपरतं मंयते वां महारथा:।


येषां च वं बमताे भूवा यायस लाघवम्।।३५।।

जन महारथयाें क िनगाह में तू बत माननीय हाेकर अब तछता काे


ा हाेगा, वे महारथी लाेग तझे भय के कारण यु से उपराम अा मानेंगे।
महारथी काैन इस पथ पर महान् परम से अागे बढ़नेवाले साधक महारथी
हैं। इसी कार इतने ही परम से अव ा क अाेर खींचनेवाले काम, ाेध,
लाेभ, माेहाद भी महारथी हैं। जाे तझे बत सान देते थे क साधक
शंसनीय है, तम उनक िनगाह से गर जाअाेगे। इतना ही नहीं, बक–

अवायवादां बवदयत तवाहता:।


िनदततव सामय तताे दु:खतरं नु कम्।।३६।।

वैर लाेग तेरे पराम क िनदा करते ए बत से न कहने याेय वचनाें
काे कहेंगे। एक दाेष अाता है ताे चाराें अाेर से िनदा अाैर बुराइयाें क झड़
लग जाती है। न कहने याेय वचन भी कहे जाते हैं। इससे बड़ा दु:ख ा
हाेगा अत:–

हताे वा ायस वग जवा वा भाेयसे महीम्।


तादु  काैतेय यु ाय कृतिनय:।।३७।।

इस यु में मराेगे ताे वग ा कराेगे– वर में वचरने क मता रहेगी।
ास के बाहर कृित में वचरने क धाराएँ िन हाे जायेंगी। परमदेव
परमाा में वेश दलानेवाल दैवी सपद् दय में पूणत: वाहत रहेगी
अथवा इस संघष में जीतने पर महामहम थित काे ा कराेगे। इसलये
अजुन यु के लये िनय करके खड़ा हाे।

ाय: लाेग इस ाेक के अथ में समझते हैं क इस यु में मराेगे ताे
वग जाअाेगे अाैर जीताेगे ताे पृवी का भाेग भाेगाेगे; कत अापकाे रण
हाेगा, अजुन कह चुका है– ‘‘भगवन् पृवी ही नहीं अपत ैलाे के
सााय अाैर देवताअाें के वामीपन अथात् इपद ा हाेने पर भी मैं उस
उपाय काे नहीं देखता, जाे इयाें काे सखानेवाले मेरे शाेक काे दूर कर
सके। यद इतना ही मलना है, ताे गाेवद मैं यु कदाप नहीं कँगा।’’
यद इतने पर भी ीकृण कहते क– अजुन लड़ाे। जीताेगे ताे पृवी पा
जाअाेगे, हाराेगे ताे वग के नागरक बन जाअाेगे, ताे ीकृण देते ही ा हैं
अजुन इससे अागे का सय, ेय (परमकयाण) क कामनावाला शय था,
ु देव ीकृण ने बताया क े-े के इस संघष में यद शरर
जसे स 
का समय पूरा हाे जाता है अाैर लय तक नहीं पँच सके ताे वग ा
कराेगे अथात् वर में ही वचरण करने क मता ा कर लाेगे, दैवी सपद्
दय में ढल जायेगी अाैर इस शरर के रहते-रहते संघष में सफल हाे जाते
हाे ताे ‘महीम्’– सबसे महान्  क महमा का उपभाेग कराेगे, महामहम
क थित ा कर लाेगे। जीताेगे ताे सवव; ाेंक महामहमव काे पाअाेगे
अाैर हाराेगे ताे देवव– दाेनाें हाथाें में ल ू रहेंगे। लाभ में भी लाभ अाैर हािन
में भी लाभ ही है। पुन: इसी पर बल देते हैं–

सखदु:खे समे कृवा लाभालाभाै जयाजयाै।


तताे यु ाय युयव नैवं पापमवायस।।३८।।

इस कार सख-दु:ख, लाभ-हािन, जय-पराजय काे समान समझकर तू


यु के लये तैयार हाे। यु करने से तू पाप काे ा नहीं हाेगा। अथात् सख
में सवव अाैर दु:ख में भी देवव है। लाभ में महीम् क थित अथात् सवव
अाैर हािन में देवव है। जय में महामहम थित अाैर पराजय में भी दैवी
सपद् पर अधकार है। इस कार अपने लाभ-हािन काे भल कार वयं
समझकर तू यु के लये तैयार हाे। लड़ने में ही दाेनाें वतएँ हैं। लड़ाेगे ताे
पाप अथात् अावागमन काे ा नहीं हाेअाेगे। अत: तू यु के लये तैयार हाे।

एषा तेऽभहता साये बु याेगे वमां णु।


बु या युाे यया पाथ कमबधं हायस।।३९।।
पाथ यह बु तेरे लये ानयाेग के वषय में कही गयी है। काैन-सी
बु यही क यु कर। ानयाेग में इतना ही है क अपनी हती काे
देखकर, लाभ-हािन का भल कार वचार करके क जीतेंगे ताे महामहम
थित अाैर हारें गे ताे देवव, जय में सवव अाैर पराजय में भी देवव– दाेनाें
तरह लाभ है। यु नहीं करें गे ताे सभी हमें बुरा कहेंगे, भय से उपराम अा
मानेंगे, अपकित हाेगी। इस कार अपने अतव काे सामने रखकर वयं
वचार कर यु में असर हाेना ही ानयाेग है।

ाय: लाेगाें में ात है क ानमाग में कम (यु ) नहीं करना पड़ता। वे
कहते हैं क ानमाग में कम नहीं है। मैं ताे ‘श ँ’, ‘चैतय ँ’, ‘अहं
 ा।’, ‘गुण ही गुण में बरतते हैं।’– एेसा मानकर हाथ पर हाथ रखकर
बैठ जाते हैं। याेगे र ीकृण के अनुसार यह ानयाेग नहीं है। ानयाेग में
भी वही ‘कम’ करना है, जाे िनकाम कमयाेग में कया जाता है। दाेनाें में
केवल बु का, काेण का अतर है। ानमागी अपनी थित समझकर
अपने पर िनभर हाेकर कम करता है, जबक िनकाम कमयाेगी इ के
अात हाेकर कम करता है। करना दाेनाें मागाे में है अाैर वह कम भी एक
ही है, जसे दाेनाें मागाे में कया जाना है। केवल कम करने के काेण दाे
हैं।

अजुन इसी बु काे अब तू िनकाम कमयाेग के वषय में सन, जससे
यु अा तू कमाे के बधन का अछ तरह नाश करे गा। यहाँ ीकृण ने
‘कम’ का नाम पहल बार लया, ले कन यह नहीं बताया क कम है ा
अब कम न बताकर पहले कम क वशेषताअाें पर काश डालते हैं–

नेहाभमनाशाेऽत यवायाे न व ते।


वपमयय धमय ायते महताे भयात्।।४०।।

इस िनकाम कमयाेग में अार का अथात् बीज का नाश नहीं हाेता।


सीमत फलपी दाेष नहीं है। इसलये इस िनकाम कम का, इस कम से
सपादत धम का थाेड़ा भी साधन ज-मृयुपी महान् भय से उ ार कर
देता है। धम परवितत नहीं हाेता। अाप इस कम काे समझें अाैर इस पर दाे
कदम चल भर दें (जाे स हृ थ अाम में रहकर ही चला जा सकता है,
साधक ताे चलते ही हैं।), बीज भर डाल दें, ताे अजुन बीज का नाश नहीं
हाेता। कृित में काेई मता नहीं, एेसा काेई अ नहीं क उस सय काे
मटा दे। कृित केवल अावरण डाल सकती है, कुछ देर कर सकती है; कत
साधन के अार काे मटा नहीं सकती।

अागे ीकृण ने बताया क सभी पापयाें से भी बड़ा पापी ही ाें न हाे,


ानपी नाैका ारा िन:सदेह पार हाे जायेगा। ठक उसी बात काे यहाँ कहते
हैं क– अजुन िनकाम कमयाेग का बीजाराेपण भर कर दें ताे उस बीज का
कभी नाश नहीं हाेता। वपरत फलपी दाेष भी इसमें नहीं हाेता क अापकाे
वग, ऋ याें या स याें तक पँचा कर छाेड़ दे। अाप यह साधन भले छाेड़
दें; कत यह साधन अापका उ ार करके ही छाेड़ेगा। इस िनकाम कमयाेग
का थाेड़ा-सा भी साधन ज-मृयु के महान् भय से उ ार कर देता है।
‘अनेकजसंस तताे याित परां गितम्।’ (गीता, ६/४५) कम का यह
बीजाराेपण अनेक जाें के पात् वहीं खड़ा कर देगा, जहाँ परमधाम है,
परमगित है। इसी म में अागे कहते हैं–

यवसायाका बु रे केह कुनदन।


बशाखा नता बु याेऽयवसायनाम्।।४१।।

अजुन इस िनकाम कमयाेग में याका बु एक ही है। या एक


है अाैर परणाम एक ही है। अाक सप ही थर सप है। इस
सप काे कृित के  से शनै:-शनै: अजत करना यवसाय है। यह
यवसाय अथवा िनयाक या भी एक ही है। तब ताे जाे लाेग बत-सी
याएँ बताते हैं, ा वे भजन नहीं करते ीकृण कहते हैं– ‘‘हाँ, वे भजन
नहीं करते। उन पुषाें क बु अनत शाखाअाेंवाल हाेती है, इसलये अनत
याअाें का वतार कर ले ते हैं।’’

याममां पुपतां वाचं वदयवपत:।


वेदवादरता: पाथ नायदतीित वादन:।।४२।।
कामाान: वगपरा जकमफलदाम्।
यावशेषबलां भाेगै यगितं ित।।४३।।

पाथ वे ‘कामाान:’– कामनाअाें से यु, ‘वेदवादरता:’– वेद के वााें


में अनुर, ‘वगपरा:’– वग काे ही परम लय मानते हैं क इससे अागे
कुछ है ही नहीं–एेसा कहनेवाले अववेकजन ज-मृयुपी फल देनेवाल एवं
भाेग अाैर एे य क ाि के लये बत-सी याअाें का वतार कर ले ते हैं
अाैर दखावट शाेभायु वाणी में य भी करते हैं। अथात् अववेकयाें क
बु अनत भेदाेंवाल हाेती है। वे फलवाले वा में ही अनुर रहते हैं, वेद
के वााें काे ही माण मानते हैं, वग काे ही े मानते हैं। उनक बु
बत-सी भेदाेंवाल है, इसलये अनत याअाें क रचना कर ले ते हैं। वे नाम
ताे परमत व परमाा का ही ले ते हैं; कत उसक अाेट में अनत याअाें
का वतार कर ले ते हैं। ताे ा अनत याएँ कम नहीं हैं ीकृण कहते
हैं– नहीं, अनत याएँ कम नहीं हैं। ताे वह एक िनत या है ा
ीकृण अभी यह नहीं बताते। अभी ताे केवल इतना कहते हैं क अववेकयाें
क बु अनत शाखाअाेंवाल हाेती है, इसलये वे अनत याअाें का
वतार कर ले ते हैं। वे केवल वतार ही नहीं करते अपत अालं कारक शैल
में उसे य भी करते हैं। उसका भाव ा हाेता है –

भाेगै यसानां तयापतचेतसाम्।


यवसायाका बु : समाधाै न वधीयते।।४४।।

उनक वाणी क छाप जन-जन के च पर पड़ जाती है, अजुन उनक


भी बु न हाे जाती है, न क वे कुछ पाते हैं। उस वाणी ारा हरे ए
च वालाें के अाैर भाेग-एे य में अासवाले पुषाें के अत:करण में
याका बु नहीं रह जाती। इ में समाधथ करनेवाल िनयाक
या उनमें नहीं हाेती।

एेसे अववेकयाें क वाणी सनता काैन है भाेग अाैर एे य में अासवाले


ही सनते हैं, अधकार नहीं सनता। एेसे पुषाें में सम अाैर अादत व में वेश
दलानेवाल िनयाक या से संयु बु नहीं हाेती।

 उठता है क ‘वेदवादरता:’– जाे वेद के वचनाें में अनुर हैं, ा वे


भी भूल करते हैं इस पर ीकृण कहते हैं–

ैगुयवषया वेदा िनैगुयाे भवाजुन।


िनाे िनयस वथाे िनयाेगेम अावान्।।४५।।
अजुन ‘ैगुयवषया वेदा:’– वेद तीनाें गुणाें तक ही काश करते हैं।
इसके अागे का हाल वे नहीं जानते। इसलये ‘िनैगुयाे भवाजुन।’– अजुन
तू तीनाें गुणाें से ऊपर उठ अथात् वेदाें के काये से अागे बढ़। कैसे बढ़ा
जाय इस पर ीकृण कहते हैं– ‘िन:’– सख-दु:ख के ाें से रहत,
िनय सय वत में थत अाैर याेगेम काे न चाहता अा अापरायण हाे।
इस कार ऊपर उठ।  उठता है क हम ही उठें या काेई वेदाें से ऊपर
उठा भी है ीकृण बताते हैं क अागे जाे भी उठता है,  काे जानता है
अाैर जाे  काे जानता है, वह व है।

यावानथ उदपाने सवत: सुताेदके।


तावासवेषु वेदेषु ा णय वजानत:।।४६।।

सब अाेर से परपूण जलाशय के ा हाेने पर मनुय का छाेटे जलाशय


से जतना याेजन रहता है, अछ कार  काे जाननेवाले ा ण का वेदाें
से उतना ही याेजन रहता है। तापय यह है क जाे वेदाें से ऊपर उठता है
वह  काे जानता है, वही ा ण है। अथात् तू वेदाें से ऊपर उठ, ा ण
बन।

अजुन िय था, ीकृण कहते हैं क ा ण बन। ा ण, िय इयाद


वण वभाव क मताअाें के नाम हैं। यह कमधान है, न क ज से
िनधारत हाेनेवाल काेई ढ़। जसे गंगा क धारा ा है, उसे  जलाशय
से ा याेजन काेई उसमें शाैच ले ता है, ताे काेई पशअाें काे नहला देता
है। इसके अागे काेई उपयाेग नहीं है। इसी कार  काे साात् जाननेवाले
उस व महापुष का, उस ा ण का वेदाें से उतना ही याेजन रह जाता
है। याेजन रहता अवय है, वेद रहते हैं; ाेंक पीछे वालाें के लये उनका
उपयाेग है। वहीं से चचा अार हाेगी। इसके उपरात याेगे र ीकृण कम
करते समय बरती जानेवाल सावधािनयाें का ितपादन करते हैं–

कमयेवाधकारते मा फले षु कदाचन।


मा कमफलहेतभूमा ते साेऽवकमण।।४७।।

कम करने में ही तेरा अधकार है, फल में कभी नहीं। एेसा समझ क
फल है ही नहीं। फल क वासनावाला भी मत हाे अाैर कम करने में तेर
अ ा भी न हाे।

अब तक याेगे र ीकृण ने उनतालसवें ाेक में पहल बार कम का


नाम लया; कत यह नहीं बताया क वह कम है ा अाैर उसे करें कैसे
उस कम क वशेषताअाें पर काश डाला क–

(१) अजुन इस कम ारा तू कमाे के बधन से अछ कार ट


जायेगा।

(२) अजुन इसमें अार का अथात् बीज का नाश नहीं है। अार कर
दें ताे कृित के पास काेई उपाय नहीं क उसे न कर दे।

(३) अजुन इसमें सीमत फलपी दाेष भी नहीं है क वग या ऋ याें-


स याें में फँ साकर खड़ा कर दे।

(४) अजुन इस कम का थाेड़ा भी साधन ज-मरण के भय से उ ार


करानेवाला हाेता है।

कत अभी तक उहाेंने यह नहीं बताया क वह कम है ा कया कैसे


जाय इसी अयाय के इकतालसवें ाेक में उहाेंने बताया–
(५) अजुन इसमें िनयाका बु एक ही है, या एक ही है। ताे
ा बत-सी यावाले भजन नहीं करते ीकृण कहते हैं– वे कम नहीं
करते। इसका कारण बताते ए वे कहते हैं क अववेकयाें क बु अनत
शाखाअाेंवाल हाेती है, इसलये वे अनत याअाें का वतार कर ले ते हैं। वे
दखावट शाेभायु वाणी में उन याअाें काे य भी करते हैं। उनक वाणी
क छाप जनके च पर पड़ जाती है, उनक भी बु न हाे जाती है। अत:
िनयाक या एक ही है; ले कन यह नहीं बताया क वह या काैन-सी
है

सैंतालसवें ाेक में उहाेंने कहा– अजुन कम करने में ही तेरा अधकार
है, फल में कभी नहीं। फल क वासनावाला भी मत हाे अाैर कम करने में
तेर अ ा भी न हाे अथात् िनरतर करने के लये उसी में लन हाेकर करें ;
कत यह नहीं बताया क वह कम है ा ाय: इस ाेक का उ रण देकर
लाेग कहते हैं क कुछ भी कराे, केवल फल क कामना मत कराे, हाे गया
िनकाम कमयाेग। कत अभी तक ीकृण ने बताया ही नहीं क वह कम है
काैन-सा, जसे करें यहाँ पर केवल कम क वशेषताअाें पर काश डाला क
कम देता ा है अाैर कम करते समय बरती जानेवाल सावधािनयाँ ा हैं
 याें-का-याें बना अा है, जसे याेगे र अागे अयाय तीन-चार में प
करें गे।

पुन: इसी पर बल देते हैं–

याेगथ: कु कमाण सं या धन य।


स यस याे : समाे भूवा समवं याेग उयते।।४८।।
धनंजय अास अाैर संगदाेष काे यागकर, स अाैर अस में
समान भाव रखकर याेग में थत हाेकर कम कर। काैन-सा कम िनकाम
कम कर। ‘समवं याेग उयते’– यह समव भाव ही याेग कहलाता है।
वषमता जसमें न हाे, एेसा भाव समव कहलाता है। ऋ याँ-स याँ वषम
बनाती हैं, अास हमें वषम बनाती है, फल क इछा वषमता पैदा करती
है, इसीलये फल क वासना न हाे; फर भी कम करने में अ ा न हाे।
देखी-सनी सभी वतअाें में अास का याग करके, ाि अाैर अाि के
वषय में न साेचकर केवल याेग में थत रहते ए कम कर। याेग से च
चलायमान न हाे।

याेग एक पराकाा क थित है अाैर एक ार क थित भी हाेती है।


ार में भी हमार  लय पर ही रहनी चाहये। अत: याेग पर 
रखते ए कम का अाचरण करना चाहये। समव भाव अथात् स अाैर
अस में समभाव ही याेग कहलाता है। जसकाे स अाैर अस
वचलत नहीं कर पातीं, वषमता जसमें पैदा नहीं हाेती, एेसा भाव हाेने के
कारण यह समव याेग कहलाता है। यह इ से समव दलाता है, इसलये
इसे समव याेग कहते हैं। कामनाअाें का सवथा याग है, इसलये इसे
िनकाम कमयाेग कहते हैं। कम करना है, इसलये इसे कमयाेग कहते हैं।
परमाा से मेल कराता है, इसलये इसका नाम याेग अथात् मेल है। इसमें
बाै क तर पर यान रखना पड़ता है क स अाैर अस में समभाव
रहे, अास न हाे, फल क वासना न अाने पाये इसलये यही िनकाम
कमयाेग बु याेग भी कहा जाता है।

दूरेण वरं कम बु याेगा न य।


बु ाै शरणमवछ कृपणा: फलहेतव:।।४९।।

धनंजय ‘अवरं कम’– िनकृ कम, वासनावाले कम बु याेग से अयत
दूर हैं। फल क कामनावाले कृपण हैं। वे अाा के साथ उदारता नहीं बरतते,
अत: समव बु याेग का अाय हण कर। जैसी कामना है वैसा मल भी
जाये ताे उसे भाेगने के लये शरर धारण करना पड़ेगा। अावागमन बना है ताे
कयाण कैसा साधक काे ताे माे क भी वासना नहीं रखनी चाहये; ाेंक
वासनाअाें से मु हाेना ही ताे माे है। फल क ाि का चतन करने से
साधक का समय यथ न हाे जाता है अाैर फल ा हाेने पर वह उसी फल
में उलझ जाता है। उसक साधना समा हाे जाती है। अागे वह भजन ाें
करे वहाँ से वह भटक जाता है। इसलये समव बु से याेग का अाचरण
करें ।

ानमाग काे भी ीकृण ने बु याेग कहा था क अजुन यह बु तेरे


लये ानयाेग के वषय में कही गयी अाैर यहाँ िनकाम कमयाेग काे भी
बु याेग कहा गया। वतत: दाेनाें में बु का, काेण का ही अतर है।
उसमें लाभ-हािन का रकाड रखकर उसे जाँच कर चलना पड़ता है, इसमें
बाै क तर पर समव बनाये रखना पड़ता है इसलये इसे समव बु याेग
भी कहा जाता है। इसलये धनंजय तू समव बु याेग का अाय हण कर;
ाेंक फल क वासनावाले अयत कृपण हैं।

बु युाे जहातीह उभे सकृतदुकृते।


ता ाेगाय युयव याेग: कमस काैशलम्।।५०।।
समव बु यु पुष पुय-पाप दाेनाें काे ही इसी लाेक में याग देता है,
उनसे लपायमान नहीं हाेता। इसलये समव बु याेग के लये चेा कर।
‘याेग: कमस काैशलम्’– समव बु के साथ कमाे का अाचरण-काैशल ही
याेग है।

संसार में कम करने के दाे काेण चलत हैं। लाेग कम करते हैं ताे
उसका फल भी अवय चाहते हैं या फल न मले ताे कम करना ही नहीं
चाहते; कत याेगे र ीकृण इन कमाे काे बधनकार बताते ए ‘अाराधना’
काे एकमा कम मानते हैं। इस अयाय में उहाेंने कम का नाम मा लया।
अयाय ३ के ९वें ाेक में उसक परभाषा द अाैर चाैथे अयाय में कम के
वप पर वतार से काश डाला। तत ाेक में ीकृण ने सांसारक
परपरा से हटकर कम करने क कला बतायी क कम ताे कराे,  ापूवक
कराे; कत फल के अधकार काे वेछा से छाेड़ दाे। फल जायेगा कहाँ
यही कमाे के करने का काैशल है। िनकाम साधक क सम श इस कार
कम में लगी रहती है। अाराधना के लये ही ताे शरर है। फर भी जासा
वाभावक है क ा सदैव कम ही करते रहना है या इसका कुछ परणाम
भी िनकले गा इसे देखें–

कमजं बु युा ह फलं या मनीषण:।


जबधविनमुा: पदं गछयनामयम्।।५१।।

बु याेग से यु ानीजन कमाे से उप हाेनेवाले फल काे यागकर


ज अाैर मृयु के बधन से ट जाते हैं। वे िनदाेष अमृतमय परमपद काे
ा हाेते हैं।
यहाँ तीन बु याें का चण है। (ाेक ३९) सांय बु में दाे फल हैं–
वग अाैर ेय। (ाेक ५१) कमयाेग में वृ बु का एक ही फल है ज-
मृयु से मु, िनमल अवनाशी पद क ाि । बस ये दाे ही याेगया हैं।
इसके अितर बु अववेकजय है, अनत शाखाअाेंवाल है, जसका फल
कमभाेग के लये बारबार ज-मृयु है।

अजुन क  िलाेक के सााय तथा देवताअाें के वामीपन तक ही


सीमत थी। इतने तक के लये भी वह यु में वृ नहीं हाे रहा था। यहाँ
ीकृण उसे नवीन तय उ ाटत करते हैं क अासरहत कम ारा
अनामय पद ा हाेता है। िनकाम कमयाेग परमपद काे दलाता है, जहाँ
मृयु का वेश नहीं है। इस कम में वृ कब हाेगी –

यदा ते माेहकललं बु यिततरयित।


तदा गतास िनवेदं ाेतयय ुतय च।।५२।।

जस काल में तेर (येक साधक क) बु माेहपी दलदल काे पूणत:
पार कर ले गी, ले शमा भी माेह न रह जाय– न पु में, न धन में, न िता
में– इन सबसे लगाव टू ट जायेगा, उस समय जाे सनने याेय है उसे तू सन
सकेगा अाैर सने ए के अनुसार वैराय काे ा हाे सकेगा अथात् उसे
अाचरण में ढाल सकेगा। अभी ताे जाे सनने लायक है, उसे न ताे तू सन
पाया है अाैर अाचरण का ताे  ही नहीं खड़ा हाेता। इसी याेयता पर पुन:
काश डालते हैं–

ुितवितप ा ते यदा थायित िनला।


समाधावचला बु तदा याेगमवायस।।५३।।
अनेक कार के वेदवााें काे सनकर वचलत ई तेर बु जब
परमावप में समाधथ हाेकर अचल-थर ठहर जायेगी, तब तू समव
याेग काे ा हाेगा। पूण सम थित काे ा करे गा, जसे ‘अनामय परमपद’
कहते हैं। यही याेग क पराकाा है अाैर यही अाय क ाि है। वेदाें से ताे
शा ही मलती है; कत ीकृण कहते हैं, ‘ुितवितप ा’– ुितयाें के
अनेक स ाताें काे सनने से बु वचलत हाे जाती है। स ात ताे अनेकाें
सने, ले कन जाे सनने याेय है लाेग उससे दूर ही रहते हैं।

यह वचलत बु जस समय समाध में थर हाे जायेगी, तब तू याेग
क पराकाा अमृत पद काे ा करे गा। इस पर अजुन क उकठा
वाभावक है क वे महापुष कैसे हाेते हैं जाे अनामय परमपद में थत हैं,
समाध में जनक बु थर है उसने  कया–

अजुन उवाच

थतय का भाषा समाधथय केशव।


थतधी: कं भाषेत कमासीत जेत कम्।।५४।।

‘समाधीयते च ं यन् स अाा एव समाध:’– जसमें च का


समाधान कया जाय, वह अाा ही समाध है। अनाद त व में जाे समव
ा कर ले , उसे समाधथ कहते हैं। अजुन ने पूछा– केशव समाधथ
थरबु वाले महापुष के ा लण हैं थत पुष कैसे बाेलता है वह
कैसे बैठता है वह कैसे चलता है चार  अजुन ने कये। इस पर भगवान
ीकृण ने थत के लण बताते ए कहा–

ीभगवानुवाच
जहाित यदा कामासवापाथ मनाेगतान्।
अायेवाना त: थततदाेयते।।५५।।

पाथ जब मनुय मन में थत सपूण कामनाअाें काे याग देता है, तब
वह अाा से अाा में ही सत अा थरबु वाला कहा जाता है।
कामनाअाें के याग पर ही अाा का ददशन हाेता है। एेसा अााराम,
अातृ महापुष ही थत है।

दु:खेवनु मना: सखेषु वगतपृह:।


वीतरागभयाेध: थतधीमुिनयते।।५६।।

दैहक, दैवक तथा भाैितक दु:खाें में जसका मन उ नहीं हाेता, सखाें
क ाि में जसक पृहा दूर हाे गयी है तथा जसके राग, भय अाैर ाेध
न हाे गये हैं, मननशीलता क चरम सीमा पर पँचा अा मुिन थत
कहा जाता है। उसके अय लण बताते हैं–

य: सवानभेहत ाय शभाशभम्।


नाभनदित न े तय ा ितता।।५७।।

जाे पुष सव ेहरहत अा शभ अथवा अशभ काे ा हाेकर न ताे
स हाेता है अाैर न ेष करता है, उसक बु थर है। शभ वह है जाे
परमावप में लगाता है, अशभ वह है जाे कृित क अाेर ले जानेवाला
हाेता है। थत पुष अनुकूल परथितयाें से न स हाेता है अाैर न
ितकूल परथितयाें से ेष करता है; ाेंक ा हाेने याेय वत न उससे
भ है अाैर न पितत करनेवाले वकार ही उसके लये हैं अथात् अब साधन
से उसका अपना काेई याेजन नहीं रहा।

यदा संहरते चायं कूमाेऽानीव सवश:।


इयाणीयाथेयतय ा ितता।।५८।।

जस कार कअा अपने अंगाें काे समेट ले ता है, ठक वैसे ही यह पुष
जब सब अाेर से अपनी इयाें काे समेट ले ता है, तब उसक बु थर
हाेती है। खतरे काे देखते ही कअा जस कार अपने सर अाैर पैर समेट
ले ता है, ठक इसी कार जाे पुष वषयाें में वचरती ई इयाें काे सब
अाेर से समेटकर दय-देश में िनराेध कर ले ता है, उस काल में उस पुष क
बु थर हाेती है। कत यह ताे एक ात मा है। खतरे का एहसास
मटते ही कअा ताे अपने अंगाें काे पुन: फैला देता है, ा इसी कार
थत महापुष भी वषयाें में रस ले ने लगता है इस पर कहते हैं–

वषया विनवतते िनराहारय देहन:।


रसवज रसाेऽयय परं ा िनवतते।।५९।।

इयाें ारा वषयाें काे न हण करनेवाले पुषाें के वषय ताे िनवृ हाे
जाते हैं ाेंक वे हण ही नहीं करते; कत उनका राग िनवृ नहीं हाेता,
अास लगी रहती है। सपूण इयाें काे वषयाें से समेटनेवाले िनकामकमी
का राग भी ‘परं ा’– परमत व परमाा का सााकार करके िनवृ हाे
जाता है।
महापुष कए क तरह अपनी इयाें काे वषयाें में नहीं फैलाता। एक
बार जब इयाँ समट गयीं ताे संकार ही मट जाते हैं, पुन: वे नहीं
िनकलते। िनकाम कमयाेग के अाचरण ारा परमाा के य दशन के
साथ उस पुष का वषयाें से राग भी िनवृ हाे जाता है। ाय: चतन-पथ में
हठ करते हैं। हठ से इयाें काे राेककर वे वषय से ताे िनवृ हाे जाते हैं
कत मन में उनका चतन, राग लगा रहता है। यह अास ‘परं ा’–
परमाा का सााकार करने के बाद ही िनवृ हाेती है, इसके पूव नहीं।

‘पूय महाराज जी’ इस सबध में अपनी एक घटना बताया करते थे।
गृहयाग से पूव उहें तीन बार अाकाशवाणी ई थी। हमने पूछा– ‘‘महाराज
जी अापकाे अाकाशवाणी ाें ई, हम लाेगाें काे ताे नहीं ई ’’ तब इस पर
महाराज जी ने कहा– ‘हाे ई शंका माें के भई रही।’ अथात् यह सदेह मुझे
भी अा था। तब अनुभव में अाया क मैं सात ज से लगातार साधु ँ। चार
ज ताे केवल साधुअाें-सा वेश बनाये, ितलक लगाये, कहीं वभूित पाेते, कहीं
कमडल लये वचरण कर रहा ँ। याेगया क जानकार नहीं थी। ले कन
पछले तीन ज से बढ़या साधु ँ, जैसा हाेना चाहये। मुझमें याेगया
जागृत थी। पछले ज में पार लग चला था, िनवृ हाे चल थी; कत दाे
इछाएँ रह गयी थीं– एक ी अाैर दूसर गाँजा। अतमन में इछाएँ थीं,
कत बाहर से हमने शरर काे ढ़ रखा। मन में वासना लगी थी इसलये
ज ले ना पड़ा। ज ले ते ही भगवान ने थाेड़े ही समय में सब दखा-सनाकर
िनवृ दला द, दाे-तीन चटकना दया अाैर साधु बना दया।

ठक यही बात ीकृण कहते हैं क इयाें ारा वषयाें काे न हण
करनेवाले पुष के भी वषय ताे िनवृ हाे जाते हैं; कत साधना ारा
परमपुष परमाा का सााकार कर ले ने पर वह वषयाें के राग से भी
िनवृ हाे जाता है। अत: जब तक सााकार न हाे, कम करना है।

उर क थम बासना रही। भु पद ीित सरत साे बही।।

(रामचरतमानस, ५/४८/६)

इयाें काे वषयाें से समेटना कठन है। इस पर काश डालते हैं–

यतताे प काैतेय पुषय वपत:।


इयाण माथीिन हरत सभं मन:।।६०।।

काैतेय य करनेवाले मेधावी पुष क मथनशील इयाँ उसके मन


काे बलात् हर ले ती हैं, वचलत कर देती हैं। इसलये–

तािन सवाण संयय यु अासीत मपर:।


वशे ह ययेयाण तय ा ितता।।६१।।

उन सपूण इयाें काे संयत करके याेग से यु अाैर समपण के साथ
मेरे अात हाे; ाेंक जस पुष क इयाँ वश में हाेती हैं, उसी क बु
थर हाेती है। यहाँ याेगे र ीकृण साधन के िनषेधाक अवयवाें के साथ
उसके वधेयाक पहलू पर जाेर देते हैं। केवल संयम अाैर िनषेध से इयाँ
वश में नहीं हाेतीं, समपण के साथ इ-चतन अिनवाय है। इ- चतन के
अभाव में वषय-चतन हाेगा, जसके कुपरणाम ीकृण के ही शदाें में देखें–

यायताे वषयापुंस: सतेषूपजायते।


सास ायते काम: कामााेधाेऽभजायते।।६२।।

वषयाें का चतन करनेवाले पुष क उन वषयाें में अास हाे जाती है।
अास से कामना उप हाेती है। कामना-पूित में यवधान अाने से ाेध
उप हाेता है। ाेध कसे ज देता है –

ाेधा वित साेह: साेहाृितवम:।


ृितंशाद् बु नाशाे बु नाशाणयित।।६३।।

ाेध से वशेष मूढ़ता अथात् अववेक उप हाेता है। िनय-अिनय वत
का वचार नहीं रह जाता। अववेक से रण-श मत हाे जाती है (जैसा
अजुन काे अा था– ‘मतीव च मे मन:।’ (१/३०) गीता के समापन पर उसने
कहा– ‘नाे माेह: ृितल धा।’ (१८/७३) ा करें , ा न करें – इसका
िनणय नहीं हाे पाता।), ृित मत हाेने से याेग- परायण बु न हाे जाती
है अाैर बु नाश हाेने से यह पुष अपने ेयसाधन से युत हाे जाता है।

यहाँ ीकृण ने बल दया है क वषयाें का चतन नहीं करना चाहये।


साधक काे नाम, प, लला अाैर धाम में ही कहीं लगे रहना चाहये। भजन
में ढल देने पर मन वषयाें में जायेगा। वषयाें के चतन से अास हाे
जाती है। अास से उस वषय क कामना साधक के अतमन में हाेने लगती
है। कामना क पूित में यवधान हाेने पर ाेध, ाेध से अववेक, अववेक से
ृित-म अाैर ृित-म से बु न हाे जाती है। िनकाम कमयाेग काे
बु याेग कहा जाता है; ाेंक बु -तर पर इसमें वचार रखना चाहये क
कामनाएँ न अाने पाएँ, फल है ही नहीं। कामना अाने से यह बु याेग न हाे
जाता है। ‘साधन करय बचारहीन मन स हाेय िनंह तैसे।’ (वनयपिका,
पद संया ११५/३) वचार अावयक है। वचारशूय पुष ेय-साधन से नीचे
गर जाता है। साधन-म टू ट जाता है, सवथा न नहीं हाेता। भाेग के पात्
साधन वहीं से पुन: अार हाेता है, जहाँ अव अा था।

यह ताे वषयाभमुख साधक क गित है। वाधीन अत:करणवाला साधक


कस गित काे ा हाेता है इस पर ीकृण कहते हैं–

रागेषवयुैत वषयािनयैरन्।
अावयैवधेयाा सादमधगछित।।६४।।

अाा क वध काे ा यदशी महापुष राग-ेष से रहत वश में


क ई अपनी इयाें ारा ‘वषयान् चरन्’– वषयाें में वचरता अा भी
‘सादमधगछित’– अत:करण क िनमलता काे ा हाेता है। वह अपनी
भाव  में रहता है। महापुष के लये वध-िनषेध नहीं रह जाते। उसके
लये कहीं अशभ नहीं रहता, जससे वह बचाव करे तथा उसके लये काेई
शभ शेष नहीं रह जाता, जसक वह कामना करे ।

सादे सवद:ु खानां हािनरयाेपजायते।


स चेतसाे ाश बु : पयवितते।।६५।।

भगवान के पूण कृपा-साद ‘भगव ा’ से संयु हाेने पर उसके सपूण


दु:खाें का अभाव हाे जाता है, ‘दु:खालयम् अशा तम्’।(गीता, ८/१५) संसार
का अभाव हाे जाता है अाैर उस स च वाले पुष क बु शी ही अछ
कार थर हाे जाती है। कत जाे याेगयु नहीं है, उसक दशा पर काश
डालते हैं–
नात बु रयुय न चायुय भावना।
न चाभावयत: शातरशातय कुत: सखम्।।६६।।

याेगसाधनरहत पुष के अत:करण में िनकाम कमयु बु नहीं हाेती।


उस अयु के अत:करण में भाव भी नहीं हाेता। भावनारहत पुष काे शात
कहाँ अाैर अशात पुष काे सख कहाँ याेगया करने से कुछ दखायी
पड़ने पर ही भाव बनता है– ‘जानें बनु न हाेइ परतीती।’ (रामचरतमानस,
७/८८ ख/७) भावना बना शात नहीं मलती अाैर शातरहत पुष काे सख
अथात् शा त, सनातन क ाि नहीं हाेती।

इयाणां ह चरतां यनाेऽनु वधीयते।


तदय हरित ां वायुनावमवास।।६७।।

जल में नाव काे जस कार वायु हरण करके गतय से दूर कर देती है,
ठक वैसे ही वषयाें में वचरण करती ई इयाें में जस इय के साथ
मन रहता है, वह एक ही इय उस अयु पुष क बु काे हर ले ती है।
अत: याेग का अाचरण अिनवाय है। याक अाचरण पर ीकृण पुन: बल
देते हैं–

ता य महाबाहाे िनगृहीतािन सवश:।


इयाणीयाथेयतय ा ितता।।६८।।

इससे हे महाबाहाे जस पुष क इयाँ इयाें के वषयाें से सवथा


वश में क ई हाेती हैं, उसक बु थर हाेती है। ‘बा’ काये का तीक
है। भगवान ‘महाबा’ एवं ‘अाजानुबा’ कहे जाते हैं। वे बना हाथ-पैर के
सव काय करते हैं। उनमें जाे वेश पाता है या जाे उसी भगव ा क अाेर
असर है वह भी महाबा है। ीकृण अाैर अजुन दाेनाें काे महाबा कहा
गया है।

या िनशा सवभूतानां तयां जागत संयमी।


ययां जाित भूतािन सा िनशा पयताे मुने:।।६९।।

सपूण भूताणयाें के लये वह परमाा राि के तय है; ाेंक दखायी


नहीं देता, न वचार ही काम करता है इसलये राि स श है। उस राि में
परमाा में संयमी पुष भल कार देखता है, चलता है, जागता है; ाेंक
वहाँ उसक पक़ड़ है। याेगी इयाें के संयम ारा उसमें वेश पा जाता है।
जन नाशवान् सांसारक सख-भाेग के लये सपूण ाणी रात-दन परम
करते हैं, याेगी के लये वही िनशा है।

रमा बलास राम अनुरागी। तजत बमन जम जन बड़भागी।।

(रामचरतमानस, २/३२३/८)

जाे याेगी परमाथ पथ में िनरतर सजग अाैैर भाैितक एषणाअाें से सवथा
िन:पृह हाेता है, वही उस इ में वेश पाता है। वह रहता ताे संसार में ही
है; कत संसार का उस पर भाव नहीं पड़ता। महापुष क इस रहनी का
चण देखें–

अापूयमाणमचलितं
समुमाप: वशत यत्।
तकामा यं वशत सवे।
स शातमााेित न कामकामी।।७०।।

जैसे सब अाेर से परपूण अचल ितावाले समु में नदयाें के जल


उसकाे चलायमान न करते ए बड़े वेग से उसमें समा जाते हैं, ठक वैसे ही
परमाा में थत थत पुष में सपूण भाेग वकार उप कये बना
समा जाते हैं। एेसा पुष परमशात काे ा हाेता है, न क भाेगाें काे
चाहनेवाला।

भयंकर वेग से बहनेवाल सहाें नदयाें के ाेत फसल काे न करते ए,
हयाएँ करते ए, नगराें काे डबाेते ए, हाहाकार मचाते ए बड़े वेग से समु
में गरते हैं; कत समु काे न एक इं च ऊपर उठा पाते हैं अाैर न गरा ही
पाते हैं, बक उसी में समाहत हाे जाते हैं। ठक इसी कार थत
महापुष के ित सपूण भाेग उतने ही वेग से अाते हैं, कत समाहत हाे
जाते हैं। उन महापुषाें में न शभ संकार डाल पाते हैं, न अशभ। याेगी के
कम ‘अश’ अाैर ‘अकृण’ हाेते हैं। ाेंक जस च पर संकार पड़ते हैं,
उसका िनराेध अाैर वलनीकरण हाे गया। इसके साथ ही भगव ा क थित
अा गयी। अब संकार पड़े भी ताे कहाँ इस एक ही ाेक में ीकृण ने
अजुन के कई ाें का समाधान कर दया। उसक जासा थी क थत
महापुष के लण ा हैं वह कैसे बाेलता है, कैसे बैठता है, कैसे चलता
है ीकृण ने एक ही शद में उ र दया क वे समुवत् हाेते हैं। उनके लये
वध-िनषेध नहीं हाेता क एेसे बैठाे अाैर एेसे चलाे। वे ही परमशात काे ा
हाेते हैं; ाेंक वे संयमी हैं। भाेगाें क कामनावाला शात नहीं पाता। इसी
पर पुन: बल देते हैं–
वहाय कामाय: सवापुमांरित िन:पृह:।
िनममाे िनरहार: स शातमधगछित।।७१।।

जाे पुष सपूण कामनाअाें काे यागकर ‘िनमम:’– मैं अाैर मेरे के भाव
तथा अहंकार अाैर पृहा से रहत अा बरतता है, वह उस परमशात काे
ा हाेता है जसके बाद कुछ भी पाना शेष नहीं रह जाता।

एषा ा ी थित: पाथ नैनां ाय वमु ित।


थवायामतकाले ऽप  िनवाणमृछित।।७२।।

पाथ उपयु थित  काे ा ए पुष क थित है। समुवत् उन


महापुष में वषय नदयाें क तरह समा जाते हैं। वे पूण संयमी अाैर
यत: परमादशी हैं। केवल ‘अहं  ा’ पढ़ ले ने या रट ले ने से यह
थित नहीं मलती। साधन करके ही इस  क थित काे पाया जाता है।
एेसा महापुष  िना में थत रहते ए शरर के अतकाल में भी  ानद
काे ही ा हाेता है।

िनकष–

ाय: कुछ लाेग कहते हैं क दूसरे अयाय में गीता पूण हाे गयी; कत
यद केवल कम का नाम मा ले ने से कम पूरा हाे जाता हाे, तब ताे गीता
का समापन माना जा सकता है। इस अयाय में याेगे र ीकृण ने यही
बताया क– अजुन िनकाम कमयाेग के वषय में सन, जसे जानकर तू
संसार-बधन से ट जायेगा। कम करने में तेरा अधकार है, फल में कभी
नहीं। कम करने में तेर अ ा भी न हाे। िनरतर करने के लये तपर हाे
जा। इसके परणाम में तू ‘परं ा’ (२/५९)– परमपुष का दशन कर
थत बनेगा, परमशात पायेगा। कत यह नहीं बताया क ‘कम’ है ा

यह ‘सांययाेग’ नामक अयाय नहीं है। यह नाम शाकार का नहीं,


अपत टकाकाराें क देन है। वे अपनी बु के अनुसार ही हण करते हैं ताे
अाय ा है

इस अयाय में कम क गरमा, उसे करने में बरती जानेवाल सावधानी
अाैर थत के लण बताकर ीकृण ने अजुन के मन में कम के ित
उकठा जागृत क है, उसे कुछ  दये हैं। अाा शा त है, सनातन है,
उसे जानकर त वदशी बनाे। उसक ाि के दाे साधन हैं–ानयाेग अाैर
िनकाम कमयाेग।

अपनी श काे समझकर, हािन-लाभ का वयं िनणय ले कर कम में वृ
हाेना ानमाग है तथा इ पर िनभर हाेकर समपण के साथ उसी कम में
वृ हाेना िनकाम कममाग या भमाग है। गाेवामी तलसीदास ने दाेनाें का
चण इस कार कया है–

माेरें ाैढ़ तनय सम यानी। बालक सत सम दास अमानी।।


जनह माेर बल िनज बल ताही। दु कहँ काम ाेध रपु अाही।।

(रामचरतमानस, ३/४२/८-९)

मेरे दाे कार के भजनेवाले हैं– एक ानमागी, दूसरा भमागी। िनकाम


कममागी या भमागी शरणागत हाेकर मेरा अाय ले कर चलता है।
ानयाेगी अपनी श सामने रखकर, अपने हािन-लाभ का वचार कर अपने
भराेसे चलता है, जबक दाेनाें के शु एक ही हैं। ानमागी काे काम, ाेधाद
शुअाें पर वजय पाना है अाैर िनकाम कमयाेगी काे भी इहीं से यु करना
है। कामनाअाें का याग दाेनाें करते हैं अाैर दाेनाेें मागाे में कया जानेवाला
कम भी एक ही है। ‘‘इस कम के परणाम में परमशात काे ा हाे
जाअाेगे।’’– ले कन यह नहीं बताया क कम है ा अब अापके भी सम
‘कम’ एक  है। अजुन के मन में भी कम के ित जासा ई। तीसरे
अयाय के अार में ही उसने कमवषयक  तत कया। अत:–

ॐ तसदित ीम गव तासूपिनषस  व ायां याेगशाे ीकृणाजुनसवादे


‘कमजासा’ नाम तीयाेऽयाय:।।२।।

इस कार ीम गव तापी उपिनषद् एवं  व ा तथा याेगशा


वषयक ीकृण अाैर अजुन के संवाद में ‘कम-जासा’ नामक दूसरा अयाय
पूण हाेता है।

इित ीमपरमहंसपरमानदय शय वामीअड़गड़ानदकृते ीम गव ताया:


‘यथाथगीता’ भाये ‘कमजासा’ नाम तीयाेऽयाय:।।२।।

इस कार ीमत् परमहंस परमानद जी के शय वामी अड़गड़ानदकृत


‘ीम गव ता’ के भाय ‘यथाथ गीता’ में ‘कम-जासा’ नामक दूसरा
अयाय पूण हाेता है।

।। हर: ॐ तसत् ।।
।। ॐ ी परमाने नम: ।।
।। अथ तृतीयाेऽयाय: ।।
अयाय दाे में भगवान ीकृण ने बताया क यह बु तेरे लये ानमाग
के वषय में कही गयी। काैन-सी बु यही क यु कर। जीताेगे ताे
महामहम क थित ा कर लाेगे अाैर हाराेगे ताे देवव है। जीत में सवव
है अाैर हार में भी देवव है, कुछ मलता ही है। अत: इस  से लाभ अाैर
हािन दाेनाें में कुछ-न-कुछ मलता ही है, क त् भी ित नहीं है। फर कहा–
अब इसी काे तू िनकाम कमयाेग के वषय में सन, जस बु से यु हाेकर
तू कमाे के बधन से अछ कार ट जायेगा। फर उसक वशेषताअाें पर
काश डाला। कम करते समय अावयक सावधािनयाें पर बल दया क फल
क वासनावाला न हाे, कामनाअाें से रहत हाेकर कम में वृ हाे अाैर कम
करने में तेर अ ा भी न हाे, जससे तू कमबधन से मु हाे जायेगा। मु
ताे हाेगा; कत राते में अपनी थित नहीं दखायी पड़।

अत: अजुन काे िनकाम कमयाेग क अपेा ानमाग सरल अाैर


ाि वाला तीत अा। उसने  कया– जनादन िनकाम कम क अपेा
ानमाग अापक  में े है ताे मुझे भयंकर कम में ाें लगाते हैं 
वाभावक था। मान लें , एक ही थान पर जाने के दाे राते हैं। यद अापकाे
वातव में जाना है ताे अाप अवय  करें गे क इनमें सगम काैन है यद
नहीं करते ताे अाप पथक नहीं। ठक इसी कार अजुन ने भी  रखा–

अजुन उवाच

यायसी चेकमणते मता बु जनादन।


तकं कमण घाेरे मां िनयाेजयस केशव।।१।।

जनाें पर दया करनेवाले जनादन यद िनकाम कमयाेग क अपेा


ानयाेग अापकाे े माय है, ताे हे केशव अाप मुझे भयंकर कमयाेग में
ाें लगाते हैं

िनकाम कमयाेग में अजुन काे भयंकरता दखायी पड़; ाेंक इसमें कम
करने में ही अधकार है, फल में कभी नहीं। कम करने में अ ा भी न हाे
अाैर िनरतर समपण के साथ याेग पर  रखते ए कम में लगा रह।
जबक ानमाग में हाराेगे ताे देवव है, जीतने पर महामहम थित है। अपनी
लाभ-हािन वयं देखते ए अागे बढ़ना है। इस कार अजुन काे िनकाम
कमयाेग क अपेा ानमाग सरल तीत अा। इसलये उसने िनवेदन
कया–

यामेणेव वाेन बु ं माेहयसीव मे।


तदेकं वद िनय येन ेयाेऽहमायाम्।।२।।

अाप इन मले ए-से वचनाें से मेर बु माेहत-सी करते हैं। अाप ताे
मेर बु का माेह दूर करने में वृ ए हैं। अत: इनमें से एक िनय करके
कहये, जससे मैं ‘ेय’– परमकयाण माे काे ा हाे जाऊँ। इस पर
ीकृण ने कहा–

ीभगवानुवाच

लाेकेऽवधा िना पुरा ाेा मयानघ।


ानयाेगेन सायानां कमयाेगेन याेगनाम्।।३।।

िनपाप अजुन इस संसार में सय-शाेध क दाे धाराएँ मेरे ारा पहले
कही गयी हैं। पहले का तापय कभी सययुग या ेता में नहीं, बक अभी
जसे दूसरे अयाय में कह अाये हैं। ािनयाें के लये ानमाग अाैर याेगयाें
के लये िनकाम कममाग बताया गया। दाेनाें ही मागाे के अनुसार कम ताे
करना ही पड़ेगा। कम अिनवाय है।

न कमणामनारा ैकय पुषाेऽते।


न च स यसनादेव स ं समधगछित।।४।।

अजुन मनुय न ताे कमाे काे न अार करने से िनकमता क अतम


थित काे ा हाेता है अाैर न अार क ई या काे यागने मा से
भगवाि पी परमस काे ही ा हाेता है। अब तझे ानमाग अछा लगे
या िनकाम कममाग, दाेनाें में कम ताे करना ही पड़ेगा।

ाय: इस थल पर लाेग भगवपथ में सं माग अाैर बचाव ढूँ ढ़ने लगते
हैं। ‘‘कम अार ही न करें , हाे गये िनकमी’’– कहीं एेसी ात न रह जाय,
इसलये ीकृण बल देते हैं क कमाे काे न अार करने से काेई िनकम-
भाव काे नहीं ा हाेता। शभाशभ कमाे का जहाँ अत है, परम िनकमता क
उस थित काे कम करके ही पाया जा सकता है। इसी कार बत से लाेग
कहते हैं, ‘‘हम ताे ानमागी हैं, ानमाग में कम है ही नहीं।’’– एेसा मानकर
कमाे काे यागनेवाले ानी नहीं हाेते। अार क ई या काे यागने मा
से काेई भगवसााकारपी परमस काे ा नहीं हाेता है; ाेंक–

न ह कणमप जात ितयकमकृत्।


कायते वश: कम सव: कृितजैगुणै:।।५।।

काेई भी पुष कसी भी काल में णमा भी कम कये बना नहीं रहता;
ाेंक सभी पुष कृित से उप ए गुणाें ारा ववश हाेकर कम करते हैं।
कृित अाैर कृित से उप गुण जब तक जीवत हैं, तब तक काेई भी पुष
कम कये बना रह ही नहीं सकता।

अयाय चार के तैंतीसवें अाैर सैंतीसवें ाेक में ीकृण कहते हैं क
यावा कम ान में समा हाे जाते हैं। ानपी अ सपूण कमाे काे
भ कर देती है। यहाँ वे कहते हैं क कम कये बना काेई रहता ही नहीं।
अतत: वे महापुष कहते ा हैं उनका अाशय है क य करते-करते तीनाें
गुणाें से अतीत हाे जाने पर मन के वलय अाैर सााकार के साथ य का
परणाम िनकल अाने पर कम शेष हाे जाते हैं। उस िनधारत या क पूणता
से पहले कम मटते नहीं, कृित पड नहीं छाेड़ती।

कमेयाण संयय य अाते मनसा रन्।


इयाथावमूढाा मयाचार: स उयते।।६।।
इतने पर भी वशेष प से मूढ़लाेग, जाे कमेयाें काे हठ से राेककर
इयाें के भाेगाें का मन से रण करते रहते हैं वे मयाचार हैं, पाखड
हैं, न क ानी। स है क कृणकाल में भी एेसी ढ़याँ थीं। लाेग करने
याेय या काे छाेड़कर इयाें काे हठ से राेककर बैठ जाते थे अाैर कहने
लगते थे क मैं ानी ँ, पूण ँ। कत ीकृण कहते हैं क वे धूत हैं।
ानमाग अछा लगे या िनकाम कमयाेग, दाेनाें ही मागाे में कम ताे करना ही
पड़ेगा।

यवयाण मनसा िनययारभतेऽजुन।


कमेयै: कमयाेगमस: स वशयते।।७।।

अजुन जाे पुष मन से इयाें काे वश में करके, जब मन में भी


वासनाअाें का फुरण न हाे, सवथा अनास अा कमेयाें से कमयाेग का
अाचरण करता है, वह े है। ठक है, समझ में अाया क कम का अाचरण
करें ; कत यह  खड़ा हाेता है क काैन-सा कम करें इस पर कहते हैं–

िनयतं कु कम वं कम यायाे कमण:।


शररयााप च ते न स येदकमणः।।८।।

अजुन तू िनधारत कये ए कम काे कर। अथात् कम ताे बत से हैं,
उनमें से काेई एक चुना अा है; उसी िनयत कम काे कर। कम न करने क
अपेा कम करना ही े है। इसलये क करते रहाेगे, थाेड़ भी दूर तय
कर लाेगे ताे जैसा पीछे बता अाये हैं– महान् ज-मरण के भय से उ ार
करनेवाला है, इसलये े है। कम न करने से तेर शरर-याा भी स नहीं
हाेगी। शरर-याा का अथ लाेग कहते हैं– ‘शरर-िनवाह’। कैसा शरर-िनवाह
ा अाप शरर हैं यह पुष ज-जातराें से, युग-युगातराें से शरराें क
याा ही ताे करता चला अा रहा है। जैसे व जीण अा ताे दूसरा-तीसरा
धारण कया, इसी कार कट-पतंग से मानव तक,  ा से ले कर यावा
जगत् परवतनशील है। ऊपर-नीचे याेिनयाें में बराबर यह जीव शरराें क ही
ताे याा कर रहा है। कम काेई एेसी वत है जाे इस याा काे स कर देती
है, पूण कर देती है। मान लें , एक ही ज ले ना पड़ा ताे याा जार है, अभी
ताे पथक चल ही रहा है। वह दूसरे शरराें क याा कर रहा है। याा पूण
तब हाेती है जब ‘गतय’ अा जाय। परमाा में थित के अनतर इस
अाा काे शरराें क याा नहीं करनी पड़ती अथात् शरर-याग अाैर शरर-
धारण वाला म समा हाे जाता है। अत: कम काेई एेसी वत है क इस
पुष काे पुन: शरराें क याा नहीं करनी पड़ती। ‘माेयसेऽशभात्’ (गीता,
४/१६)– अजुन इस कम काे करके तू संसार-बधन ‘अशभ’ से ट जायेगा।
कम काेई एेसी वत है जाे संसार-बधन से मु दलाती है। अब  खड़ा
हाेता है क वह िनधारत कम है ा इस पर कहते हैं–

याथाकमणाेऽय लाेकाेऽयं कमबधन:।


तदथ कम काैतेय मुस: समाचर।।९।।

अजुन य क या ही कम है। वह हरकत कम है, जससे य पूण


हाेता है। स है क कम एक िनधारत या है। इसके अितर जाे कम
हाेते हैं, ा वे कम नहीं हैं ीकृण कहते हैं– नहीं, वे कम नहीं हैं। ‘अय
लाेकाेऽयं कमबधन:’– इस य क या के अितर दुिनया में जाे कुछ
भी कया जाता है, सारा जगत् जसमें रात-दन यत है वह इसी लाेक का
एक बधन है, न क कम। कम ताे ‘माेयसेऽशभात्’– अशभ अथात् संसार-
बधन से टकारा दलानेवाला है। मा य क या ही कम है। वह
हरकत कम है, जससे य पूरा हाेता है। अत: अजुन उस य क पूित के
लए संगदाेष से अलग रहकर भल कार कम का अाचरण कर। संगदाेष से
अलग ए बना यह कम हाेता ही नहीं।

अब हम समझ गये क य क या ही कम है; कत यहाँ पुन: एक


नवीन  उप हाे गया क वह य ा है, जसे कया जाय इसके लये
पहले य काे न बताकर ीकृण बताते हैं क य अाया कहाँ से वह देता
ा है उसक वशेषताअाें पर काश डाला अाैर चाैथे अयाय में जाकर
प कया क य ा है, जसे हम कायप दें अाैर हमसे कम हाेने लगे।
याेगे र ीकृण क शैल से प है क जस वत का चण करना है, वे
पहले उसक वशेषताअाें का चण करते हैं जससे  ा जागृत हाे, तपात्
वे उसमें बरती जानेवाल सावधािनयाें पर काश डालते हैं अाैर अत में मुय
स ात ितपादत करते हैं।

रण रहे क यहाँ पर ीकृण ने कम के दूसरे अंग पर काश डाला क


कम एक िनधारत या है। जाे कुछ कया जाता है, वह कम नहीं है।

अयाय दाे में पहल बार कम का नाम लया, उसक वशेषताअाें पर बल
दया, उसमें बरती जानेवाल सावधािनयाें पर काश डाला, ले कन यह नहीं
बताया क कम ा है यहाँ अयाय तीन में बताया क काेई बगैर कम कये
नहीं रहता। कृित से पराधीन हाेकर मनुय कम करता है। इसके बावजूद भी
जाे लाेग इयाें काे हठ से राेककर मन से वषयाें का चतन करते हैं वे
दी हैं–द का अाचरण करनेवाले हैं। इसलये अजुन मन से इयाें काे
समेटकर तू कम कर। कत  याें-का-याें है क काैन-सा कम करे इस
पर याेगे र ीकृण ने कहा– अजुन तू िनधारत कये ए कम काे कर।

अब  उठता है क िनधारत कम ा है, जसे हम करें तब बताया


क य काे कायप देना कम है। अब  उठता है क वह य ा है
यहाँ य क उप , वशेषता बताकर शात हाे जायेंगे अाैर अागे अयाय
चार में य का िनखरा अा प मले गा, जसे करना कम है।

कम क यह परभाषा गीता काे समझने क कुंजी है। य के अितर


दुिनया में लाेग कुछ-न-कुछ करते ही रहते हैं। काेई खेती करता है ताे काेई
यापार, काेई पदासीन है ताे काेई सेवक, काेई अपने काे बु जीवी कहता है
ताे काेई मजीवी, काेई समाज-सेवा काे कम मानता है ताे काेई देश-सेवा काे
अाैर इहीं कमाे में लाेग सकाम अाैर िनकाम कम क भूमका भी बनाये पड़े
हैं। कत ीकृण कहते हैं, ये कम नहीं हैं। ‘अय लाेकाेऽयं कमबधन:’–
य क या के सवाय जाे कुछ भी कया जाता है वह इसी लाेक का
बधनकार कम है, न क माेद कम। वतत: य क या ही कम है।
अब य न बताकर पहले यह बताते हैं क य अाया कहाँ से –

सहया: जा: सृ ा पुराेवाच जापित:।


अनेन सवयवमेष वाेऽवकामधुक्।।१०।।

जापित  ा ने कप के अाद में यसहत जा काे रचकर कहा क


इस य ारा वृ काे ा हाेअाे। यह य तमलाेगाें क ‘इकामधुक्’–
जसमें अिन न हाे, वनाशरहत इ-सबधी कामना क पूित करे गा।
यसहत जा काे कसने रचा जापित  ा ने।  ा काैन ा चार
मुख अाैर अाठ अाँखाेंवाला देवता, जैसा क चलत है नहीं, ीकृण के
अनुसार देवता नाम क काेई अलग स ा है ही नहीं। फर जापित काैन है
वतत: जसने जा के मूल उ म परमाा में वेश पा लया है, वह
महापुष जापित है। उसक बु ही  ा है– ‘अहंकार सव बु अज, मन
सस च महान।’ (रामचरतमानस, ६/१५ क) उस समय बु य मा हाेती
है। उस पुष क वाणी में परमाा ही बाेलता है।

भजन क वातवक या ार हाे जाने पर बु का उ राे र उथान


हाेता है। ार में वह बु  व ा से संयु हाेने के कारण ‘ वद्’ कही
जाती है। मश: वकाराें का शमन हाेने पर,  व ा में े हाेने पर वह
‘ वर’ कही जाती है। उथान अाैर सू हाे जाने पर बु क अवथा
वकसत हाे जाती है। वह ‘ वरयान्’ कहलाती है। उस अवथा में
 वे ा पुष दूसराें काे भी उथान माग पर लाने का अधकार ा कर
ले ता है। बु क पराकाा है– ‘ वर’ अथात्  वद् क वह अवथा,
जसमें इ वाहत है। एेसी थितवाले महापुष जा के मूल उ म परमाा
में व अाैर थत रहते हैं। एेसे महापुषाें क बु मा यं है। वे ही
जापित कहलाते हैं। वे कृित के  का वे षण कर ‘अाराधना-या’ क
रचना करते हैं। य के अनुप संकाराें का देना ही जा क रचना है।
इससे पूव समाज अचेत एवं अयवथत रहता है। सृ अनाद है। संकार
पहले से ही हैं; कत अत-यत एवं वकृत हैं। य के अनुप उहें ढालना
ही रचना या सजाना है।

एेसे महापुष ने कप के अाद में यसहत जा क रचना क। कप
नीराेग बनाता है। वै कप देते हैं, काेई कायाकप कराता है। यह णक
शरराें का कप है। वातवक कप ताे तब है, जब भवराेग से मु मल
जाय। अाराधना का ार इस कप क शअात है। अाराधना पूण ई ताे
अापका कप पूरा हाे गया।

इस कार परमावपथ महापुषाें ने भजन के ार में यसहत


संकाराें काे ससंगठत कर कहा क इस य से तम वृ काे ा हाेअाे।
कैसी वृ ा मकान क े से पा बन जायेगा ा अाय अधक हाेने
लगेगी नहीं, यह य ‘इकामधुक्’– इ-सबधी कामना क पूित करे गा।
इ है परमाा, उस परमाा-सबधी कामना क पूितवाला है। 
वाभावक है क य सीधे उस परमाा क ाि करा देगा अथवा म-म
से चलकर –

देवाावयतानेन ते देवा भावयत व:।


परपरं भावयत: ेय: परमवायथ।।११।।

इस य ारा देवताअाें क उ ित कराे अथात् दैवी सपद् क वृ कराे।


वे देवता लाेग तम लाेगाें क उ ित करें गे। इस कार अापस में वृ करते
ए परमेय, जसके बाद कुछ भी पाना शेष न रहे, एेसे परमकयाण काे
ा हाे जाअाे। याे-याें हम य में वेश करें गे, (अागे य का अथ हाेगा–
अाराधना क वध) याें-याें दय-देश में दैवी सपद् अजत हाेती चल
जायेगी। परमदेव एकमा परमाा है, उस परमदेव में वेश दला देनेवाल
जाे सपद् है, अत:करण क जाे सजातीय वृ है उसी काे ‘दैवी सपद्’
कहते हैं। वह परमदेव काे सव करती है इसलये दैवी सपद् कही जाती है,
न क बाहर देवता-पथर-पानी, जैसा क लाेग कपना कर ले ते हैं। याेगे र
ीकृण के शदाें में उनका काेई अतव नहीं है। अागे कहते हैं–

इााेगाह वाे देवा दायते यभावता:।


तैद ानदायैयाे याे भुे तेन एव स:।।१२।।

य ारा संवधत देवता (दैवी सपद्) अापकाे ‘इान् भाेगान् ह


दायते’– इ अथात् अाराय-सबधी भाेगाें काे देंगे, अय कुछ नहीं। ‘तै:
द ान्’– वे ही एकमा देनेवाले हैं। इ काे पाने का अय काेई वकप नहीं
है। इन दैवी गुणाें काे बना बढ़ाये जाे इस थित का भाेग करता है वह
िनय ही चाेर है। जब उसने पाया ही नहीं ताे भाेगेगा ा कत कहता
अवय है क हम ताे पूण हैं, त वदशी हैं। एेसी डंग मारनेवाला इस पथ से
मुँह छपानेवाला है। वह िनय ही चाेर है, न क ाि वाला। कत पानेवाले
ा पाते हैं –

यशाशन: सताे मुयते सवकबषै:।


भु ते ते वघं पापा ये पचयाकारणात्।।१३।।

य से बचे ए अ काे खानेवाले सतजन सब पापाें से मु हाे जाते हैं।


दैवी सपद् क वृ करते-करते परणाम में ाि काल ही पूितकाल है। जब
य पूण हाे गया ताे शेष बचा अा  ही अ है। इसी काे ीकृण ने दूसरे
शदाें में कहा– ‘यशामृतभुजाे यात  सनातनम्।’– य जसक सृ
करता है उस अशन का पान करनेवाला  में व हाे जाता है। यहाँ वे
कहते हैं क य से शेष बचे ए अशन का ( पीयूष का) पान करनेवाला
सब पापाें से टकारा पा जाता है। सतजन ताे ट जाते हैं; कत पापी
लाेग माेह के मायम से उप शरराें के लये पचते हैं। वे पाप खाते हैं।
उहाेंने भजन भी कया, अाराधना काे समझा, असर भी ए; कत बदले में
एक मीठ-सी चाह पैदा हाे गयी क ‘अाकारणात्’– शरर के लये अाैर
शरर के सबधाें काे ले कर कुछ मले । उसे मल ताे जायेगा; कत उतने
़ ड़ा पायेगा, जहाँ से चलना ार कया
भाेग के पात् वह अपने काे वहीं ख
था। इससे बड़ ित ा हाेगी जब शरर ही न र है ताे इसके सख-भाेग
कब तक साथ देंगे वे अाराधना ताे करते हैं, कत बदले में पाप ही खाते हैं।
– ‘पलट सधा ते सठ बष ले हीं।’ (रामचरतमानस, ७/४३/२) वह न ताे
नहीं हाेगा; कत अागे नहीं बढ़ेगा। इसलये ीकृण िनकाम भाव से कम
(भजन) करने पर बल देते हैं। अभी तक ीकृण ने बताया क य परमेय
देता है अाैर उसक रचना महापुष ारा हाेती है। कत वे महापुष जा क
रचना में ाें वृ हाेते हैं इस पर कहते हैं–

अ ा वत भूतािन पजयाद सव:।


या वित पजयाे य: कमसमु व:।।१४।।
कम  ाे वं व  ारसमु वम्।
तासवगतं  िनयं ये िततम्।।१५।।

सपूण ाणी अ से उप हाेते हैं। ‘अ ं  ेित यजानात्।’


(तै रयाेपिनषद्, भृगुब  २) अ परमाा ही है। उस  पीयूष काे ही
उ ेय बनाकर ाणी य क अाेर असर हाेता है। अ क उप वृ से
हाेती है। बादलाें से हाेनेवाल वषा नहीं अपत कृपावृ। पूवसंचत य-कम ही
इस ज में, जहाँ से साधन टा था, वहीं से इकृपा के प में बरस पड़ता
है। अाज क अाराधना कल कृपा के प में मले गी। इसीलये वृ य से
हाेती है। वाहा बाेलने अाैर ितल-जाै जलाने से ही वृ हाेती ताे व क
अधकांश मभूम ऊसर ाें रहती, उवरा बन जाती। यहाँ कृपावृ य क
देन है। यह य कमाे से ही उप हाेनेवाला है। कम से य पूण हाेता है।

इस कम काे वेद से उप अा जान। वेद  थत महापुषाें क वाणी
है। जाे त व वदत नहीं है उसक य अनुभूित का नाम वेद है, न क
कुछ ाेक-संह। वेद अवनाशी परमाा से उप अा जान। कहा ताे
महााअाें ने; कत वे परमाा के साथ तूप हाे चुके हैं, उनके मायम से
अवनाशी परमाा ही बाेलता है इसलये वेद काे अपाैषेय कहा जाता है।
महापुष वेद कहाँ से पा गये ताे वेद अवनाशी परमाा से उप अा। वे
महापुष उसके तूप हैं, वे मा य हैं इसलये उनके ारा वही बाेलता है।
ाेंक य के ारा ही मन के िनराेधकाल में वह वदत हाेता है। इससे
सवयापी परम अर परमाा सवदा य में ही ितत है। य ही उसे पाने
का एकमा उपाय है। इसी पर बल देते हैं–

एवं विततं चं नानुवतयतीह य:।


अघायुरयारामाे माेघं पाथ स जीवित।।१६।।

हे पाथ जाे पुष इसी लाेक में मनुय-शरर ा कर इस कार चलाये


ए साधन-च के अनुसार नहीं बरतता अथात् दैवी सपद् का उकष,
देवताअाें क वृ अाैर परपर वृ के ारा अयधाम काे ा करना– इस
म के अनुसार जाे नहीं बरतता, इयाें का अाराम चाहनेवाला वह पापायु
पुष यथ ही जीता है।
बधुअाे याेगे र ीकृण ने अयाय दाे में कम का नाम लया अाैर इस
अयाय में बताया क िनयत कम का अाचरण कर। य क या ही कम
है। इसके सवाय जाे कुछ कया जाता है, वह इसी लाेक का बधन है।
इसीलये संग-दाेष से अलग रहकर उस य क पूित के लये कम का
अाचरण कर। उहाेंने य क वशेषताअाें पर काश डाला अाैर बताया क
य क उप  ा से है। जा अ काे उ ेय बनाकर उस य में वृ
हाेती है। य कम से अाैर कम अपाैषेय वेद से उप हाेता है, जबक
वेदम ाें के ा महापुष ही थे। उनका पुष ितराेहत हाे चुका था, ाि के
साथ अवनाशी परमाा ही शेष बचा था इसलये वेद परमाा से उप है।
सवयापी परमाा य में सवदा ितत है। इस साधन-च के अनुसार जाे
नहीं बरतता, वह पापायु पुष इयाें का सख चाहनेवाला है, यथ ही जीता
है। अथात् य एेसी वध-वशेष है, जसमें इयाें का अाराम नहीं है अपत
अय सख है। इयाें के संयम के साथ इसमें लगने का वधान है। इयाें
का अाराम चाहनेवाले पापायु हैं। अभी तक ीकृण ने नहीं बताया है क य
है ा परत ा य करते ही रहेंगे या इसका कभी अत भी हाेगा इस
पर याेगे र कहते हैं–

यवारितरे व यादातृ  मानव:।


अायेव च सततय काय न व ते।।१७।।

परत जाे मनुय अाा में ही रत, अातृ अाैर अाा में ही सत है,
उसके लये काेई क य नहीं रह जाता। यही ताे लय था। जब अय,
सनातन, अवनाशी अात व ा हाे गया ताे अागे ढूँ ढ़े कसे एेसे पुष के
लये न कम क अावयकता है, न कसी अाराधना क। अाा अाैर परमाा
एक दूसरे के पयाय हैं। इसी का पुन: चण करते हैं–

नैव तय कृतेनाथाे नाकृतेनेह कन।


न चाय सवभूतेषु कदथयपाय:।।१८।।

इस संसार में उस पुष का कम कये जाने से काेई लाभ नहीं है अाैर न
छाेड़ देने से काेई हािन है, जबक पहले अावयक था। उसका सपूण ाणयाें
में काेई वाथ-सबध नहीं रह जाता। अाा ही ताे शा त, सनातन, अय,
अपरवतनशील अाैर अय है। जब उसी काे पा लया, उसी से सत, उसी
से तृ , उसी में अाेताेत अाैर थत है, अागे काेई स ा ही नहीं ताे कसकाे
खाेजे मले गा ा उस पुष के लये कम छाेड़ देने से काेई हािन भी नहीं
है; ाेंक वकार जस पर अंकत हाेते हैं, वह च ही न रहा। उसका
सपूण भूताें में, बा जगत् अाैर अातरक संकपाें क परत में ले शमा भी
अथ नहीं रहता। सबसे बड़ा अथ ताे था परमाा, जब वही उपलध है ताे
दूसराें से उसका ा याेजन हाेगा

तादस: सततं काय कम समाचर।


असाे ाचरकम परमााेित पूष:।।१९।।

इस थित काे ा करने के लये तू अनास अा िनरतर ‘काय कम’–


जाे करने याेय कम है, उस कम काे अछ कार कर। ाेंक अनास
पुष कम के अाचरण से परमाा काे ा हाेता है। ‘िनयत कम’,‘काय कम’
एक ही हैं। कम क ेरणा देते ए वे पुन: कहते हैं–
कमणैव ह संस माथता जनकादय:।
लाेकसहमेवाप सपयकतमहस।।२०।।

जनक माने राजा जनक नहीं, जनक जदाता काे कहते हैं। याेग ही
जनक है जाे अापके वप काे ज देता है, कट करता है। याेग से संयु
येक महापुष जनक हैं। एेसे याेगसंयु बत से ऋष ‘जनकादय:’– जनक
इयाद ानीजन महापुष भी ‘कमणा एव ह संस म्’– कमाे के ारा ही
परमस काे ा ए हैं। परमस माने परमत व परमाा क ाि ।
जनक इयाद जतने भी पूव में हाेनेवाले महष ए हैं, इस ‘काय कम’ के
ारा, जाे य क या है, इस कम काे करके ही ‘संस म्’– परमस
काे ा ए हैं। कत ाि के पात् वे भी लाेकसंह काे देखकर कम करते
हैं, लाेकहत काे चाहते ए कम करते हैं। अत: तू भी ाि के लये अाैर
ाि के पात् लाेकनायक बनने के लये काय कम करने के ही याेय है।
ाें –

अभी ीकृण ने कहा था क ाि के पात् महापुष का कम करने से


न काेई लाभ है अाैर न छाेड़ने से काेई हािन ही है, फर भी लाेकसंह,
लाेकहत यवथा के लये वे भल कार िनयत कम का ही अाचरण करते हैं।

य दाचरित ेत देवेतराे जन:।


स यमाणं कुते लाेकतदनुवतते।।२१।।

े पुष जाे-जाे अाचरण करता है, अय पुष भी उसके अनुसार ही
करते हैं। वह महापुष जाे कुछ माण कर देता है, संसार उसका अनुसरण
करता है।
पहले ीकृण ने वप में थत, अातृ महापुष क रहनी पर काश
डाला क उसके लये कम कये जाने से न काेई लाभ है अाैर न छाेड़ने से
काेई हािन, फर भी जनकाद कम में भल कार बरतते थे। यहाँ उन
महापुषाें से ीकृण धीरे से अपनी तलना कर देते हैं क मैं भी एक
महापुष ँ।

न मे पाथात कतयं िषु लाेकेषु क न।


नानवा मवा यं वत एव च कमण।।२२।।

हे पाथ मुझे तीनाें लाेकाें में काेई क य नहीं है। पीछे कह अाये हैं– उस
महापुष का समत भूताें में काेई क य नहीं है। यहाँ कहते हैं– तीनाें लाेकाें
में मुझे कुछ भी क य शेष नहीं है तथा कंचा ा हाेने याेय वत
अा नहीं है, तब भी मैं कम में भल कार बरतता ँ। ाें –

यद हं न वतेयं जात कमयतत:।


मम वानुवतते मनुया: पाथ सवश:।।२३।।

ाेंक यद मैं सावधान हाेकर कदाचत् कम में न बरतूँ ताे मनुय मेरे
बताव के अनुसार बरतने लग जायेंगे। ताे ा अापका अनुकरण भी बुरा है
ीकृण कहते हैं– हाँ

उसीदेयुरमे लाेका न कुया कम चेदहम्।


सरय च कता यामुपहयाममा: जा:।।२४।।
यद मैं सावधान हाेकर कम न कँ ताे यह सब लाेक  हाे जायँ अाैर
मैं ‘संकरय’– वणसंकर का करनेवाला हाेऊँ तथा इस सार जा का हनन
करनेवाला, मारनेवाला बनूँ।

वप में थत महापुष सतक रहकर यद अाराधना-म में न लगे रहें
ताे समाज उनक नकल करके  हाे जायेगा। महापुष ने ताे अाराधना पूण
करके परम नैकय क थित काे पाया है। वे न करें ताे उनके लये काेई
हािन नहीं है; कत समाज ने ताे अभी अाराधना अार ही नहीं क।
पीछे वालाें के मागदशन के लये ही महापुष कम करते हैं, मैं भी करता ँ
अथात् ीकृण एक महापुष थे, न क बैकुठ से अाये ए काेई वशेष
भगवान। उहाेंने कहा क– महापुष लाेकसंह के लये कम करता है, मैं भी
करता ँ। यद न कँ ताे लाेगाें का पतन हाे जाय, सभी कम छाेड़ बैठेंगे।

मन बड़ा चंचल है। यह सब कुछ चाहता है, केवल भजन नहीं चाहता।
यद वपथ महापुष कम न करें ताे देखादेखी पीछे वाले भी तरत कम
छाेड़ देंगे। उहें बहाना मल जायेगा क ये भजन नहीं करते, पान खाते हैं,
इ लगाते हैं, सामाय बातें करते हैं फर भी महापुष कहलाते हैं– एेसा
साेचकर वे भी अाराधना से हट जाते हैं, पितत हाे जाते हैं। ीकृण कहते हैं
क यद मैं कम न कँ ताे सब  हाे जायँ अाैर मैं वणसंकर का क ा बनूँ।

याें के दूषत हाेने से वणसंकर ताे देखा-सना जाता है। अजुन भी इसी
भय से वकल था क याँ दूषत हाेंगी ताे वणसंकर पैदा हाेगा; कत
ीकृण कहते हैं– यद मैं सावधान हाेकर अाराधना में लगा न रँ ताे
वणसंकर का क ा हाेऊँ। वतत: अाा का श वण है परमाा। अपने
शा त वप के पथ से भटक जाना वणसंकरता है। यद वपथ महापुष
या में नहीं बरतते ताे लाेग उनके अनुकरण से यारहत हाे जायेंगे,
अापथ से भटक जायेंगे, वणसंकर हाे जायेंगे। वे कृित में खाे जायेंगे।

याें का सतीव एवं नल क श ता एक सामाजक यवथा है,


अधकाराें का  है, समाज के लये उसक उपयाेगता भी है; कत माता-
पता क भूलाें का सतान क साधना पर काेई भाव नहीं पड़ता। ‘अापन
करनी पार उतरनी।’ हनुमान, यास, वश, नारद, शकदेव, कबीर, ईसा
इयाद अछे महापुष ए, जबक सामाजक कुलनता से इनका सपक
नहीं है। अाा अपने पूवज के गुणधम ले कर अाता है। ीकृण कहते हैं–
‘मन: षानीयाण कृितथािन कषित।’ (१५/७)- मनसहत इयाें से जाे
काय इस ज में हाेता है, उनके संकार ले कर जीवाा पुराने शरर काे
यागकर नवीन शरर में वेश कर जाता है। इसमें जदाताअाें का ा
लगा उनके वकास में काेई अतर नहीं अाया। अत: याें के दूषत हाेने से
वणसंकर नहीं हाेता। याें के दूषत हाेने अाैर वणसंकर से काेई सबध नहीं
है। श वप क अाेर असर न हाेकर कृित में बखर जाना ही
वणसंकरता है।

यद महापुष सावधान हाेकर या (िनयत कम) में बरतते ए लाेगाें से
या न कराये ताे वह उस सार जा का हनन करनेवाला, मारनेवाला बने।
साधना-म में चलकर उस मूल अवनाशी क ाि ही जीवन है अाैर कृित
में बखरे रहना, भटक जाना ही मृयु है। कत वह महापुष इस सार जा
काे यद या-पथ पर नहीं चलाता, इस सार जा काे बखराव से राेककर
सपथ पर नहीं चलाता ताे वह सार जा का हनन करनेवाला हयारा है,
हंसक है अाैर मश: चलते ए जाे चला ले ता है वह श अहंसक है। गीता
के अनुसार शरराें का िनधन, न र कले वराें का िनधन मा परवतन है, हंसा
नहीं।

सा: कमयवांसाे यथा कुवत भारत।


कुयाांतथासकषुलाेकसहम्।।२५।।

हे भारत कम में अास ए अानीजन जैसे कम करते हैं, वैसे ही
अनास अा वान्, पूणाता भी लाेक-दय में ेरणा अाैर कयाण-संह
चाहता अा कम करे । य क वध जानते अाैर करते ए भी हम अानी
हैं। ान का अथ है य जानकार। जब तक ले शमा भी हम अलग हैं,
अाराय अलग है तब तक अान व मान है। जब तक अान है, तब तक
कम में अास रहती है। अानी जतनी अास से अाराधना करता है,
उसी कार अनास। जसे कमाे से याेजन नहीं है ताे अास ाें हाेगी
एेसा पूणाता महापुष भी लाेकहत के लये कम करे , दैवी सपद् का उकष
करे , जससे समाज उस पर चल सके।

न बु भेदं जनयेदानां कमसनाम्।


जाेषयेसवकमाण वायु: समाचरन्।।२६।।

ानी पुषाें काे चाहये क कमाे में अासवाले अािनयाें क बु में
म न पैदा करें अथात् वपथ महापुष यान दें क उनके कसी अाचरण
से पीछे वालाें के मन में कम के ित अ ा न उप हाे जाय। परमात व
से संयु महापुष काे भी चाहये क वयं भल कार िनयत कम करता
अा उनसे करावे।
यही कारण था क ‘पूय महाराज जी’ वृ ावथा में भी रात के दाे बजे
ही उठकर बैठ जायँ, खाँसने लगें। तीन बजे बाेलने लगें– ‘‘उठाे म  के
पुतलाे ’’ सब उठकर चतन में लग जायँ, ताे वयं थाेड़ा ले ट जायँ। कुछ देर
बाद फर उठकर बैठ जायँ। कहें– ‘‘तम लाेग साेचते हाे क महाराज साे रहे
हैं; कत मैं साेता नहीं, ास में लगा ँ। वृ ावथा का शरर है, बैठने में
क हाेता है इसी से मैं पड़ा रहता ँ, ले कन तहें ताे थर अाैर सीधे बैठकर
चतन में लगना है। जब तक तैलधारा के स श ास क डाेर न लग जाय,
म न टू टे, अय संकप बीच में यवधान उप न कर सकंे , तब तक सतत
लगे रहना साधक का धम है। मेर ास ताे बाँस क तरह थर खड़ है।’’
यही कारण है क अनुयाययाें से कराने के लये वह महापुष भल कार
कम में बरतता है। ‘जस गुन काे सखावै, उसे करके दखावै।’

इस कार वपथ महापुष काे भी चाहये क वयं कम करता अा


साधकाें काे भी अाराधना में लगाये रहे। साधक भी  ापूवक अाराधना में
लगें। कत चाहे ानयाेगी हाे अथवा समपण भाववाला िनकाम कमयाेगी हाे,
साधक में साधना का अहंकार नहीं अाना चाहये। कम कसके ारा हाेते हैं,
उसके हाेने में काैन कारण हैं इस पर ीकृण काश डालते हैं–

कृते: यमाणािन गुणै: कमाण सवश:।


अहारवमूढाा कताहमित मयते।।२७।।

अार से पूितपयत कम कृित के गुणाें ारा कये जाते हैं फर भी
अहंकार से वशेष मूढ़ पुष ‘मैं क ा ँ’– एेसा मान ले ता है। यह कैसे माना
जाय क अाराधना कृित के गुणाें ारा हाेती है एेसा कसने देखा इस पर
कहते हैं–

त वव ु महाबाहाे गुणकमवभागयाे:।


गुणा गुणेषु वतत इित मवा न स ते।।२८।।

हे महाबाहाे गुण अाैर कम के वभाग काे ‘त ववत्’– परमत व परमाा


क जानकारवाले महापुषाें ने देखा अाैर सपूण गुण गुणाें में बरत रहे हैं,
एेसा मानकर वे गुण अाैर कमाे के क ापन में अास नहीं हाेते।

यहाँ त व का अथ परमत व परमाा है, न क पाँच या पचीस त व–जैसा


क लाेग गणना करते हैं। याेगे र ीकृण के शदाें में त व एकमा परमाा
है, अय काेई त व है ही नहीं। गुणाें काे पार करके परमत व परमाा में
थत महापुष गुण के अनुसार कमाे का वभाजन देख पाते हैं। तामसी गुण
रहेगा ताे उसका काय हाेगा– अालय, िना, माद, कम में वृ न हाेने का
वभाव। राजसी गुण रहेंगे ताे अाराधना से पीछे न हटने का वभाव, शाैय,
वामभाव से कम हाेगा अाैर सा वक गुण कायरत हाेने पर यान, समाध,
अनुभवी उपलध, धारावाहक चतन, सरलता वभाव में हाेगी। गुण
परवतनशील हैं। यदशी ानी ही देख पाता है क गुणाें के अनुप कमाे
का उकष-अपकष हाेता है। गुण अपना काय करा ले ते हैं, अथात् गुण गुणाें में
बरतते हैं– एेसा समझकर वह य ा कम में अास नहीं हाेता। कत
जहाेंने गुणाें का पार नहीं पाया, जाे अभी राते में हैं उहें ताे कम में
अास रहना है। इसलये–

कृतेगुणसूढा: स ते गुणकमस।


तानकृवदाे मदाकृव वचालयेत्।।२९।।

कृित के गुणाें से माेहत ए पुष गुण अाैर कमाे में मश: िनमल गुणाें
क अाेर उ ित देखकर उनमें अास हाेते हैं। उन अछ कार न
समझनेवाले ‘मदान्’– शथल य वालाें काे अछ कार जाननेवाला ानी
चलायमान न करे । उहें हताेसाहत न करे बक ाेसाहन दे; ाेंक कम
करके ही उहें परम नैकय क थित काे पाना है। अपनी श अाैर थित
का अाकलन करके कम में वृ हाेनेवाले ानमागी साधकाें काे चाहये क
कम काे गुणाें क देन मानें, अपने काे क ा मानकर अहंकार न बन जायँ,
िनमल गुणाें के ा हाेने पर भी उनमें अास न हाें। कत िनकाम कमयाेगी
काे कम अाैर गुणाें के वे षण में समय देने क काेई अावयकता नहीं है।
उसे ताे बस समपण के साथ कम करते जाना है। काैन गुण अा-जा रहा है,
यह देखना इ क जेदार हाे जाती है। गुणाें का परवतन अाैर म-म
से उथान वह इ क ही देन मानता है अाैर कम हाेने काे भी उहीं क देन
मानता है। अत: क ापन का अहंकार या गुणाें में अास हाेने क समया
उसके लये नहीं रहती, जबक अनवरत लगा रहता है। इसी पर अाैर साथ ही
यु का वप बताते ए ीकृण कहते हैं–

मय सवाण कमाण स ययायाचेतसा।


िनराशीनममाे भूवा युयव वगतवर:।।३०।।

इसलये अजुन तू ‘अयाचेतसा’– अतराा में च का िनराेध करके,


यानथ हाेकर, सपूण कमाे काे मुझमें अपण करके अाशारहत, ममतारहत
अाैर सतापरहत हाेकर यु कर। जब च यान में थत है, ले शमा भी
कहीं अाशा नहीं, कम में ममव नहीं है, असफलता का सताप नहीं है ताे वह
पुष काैन-सा यु करे गा जब सब अाेर से च समटकर दय-देश में
िन हाेता जा रहा है ताे वह लड़ेगा कसलये, कससे अाैर वहाँ है काैन
वातव में जब अाप यान में वेश करें गे तभी यु का सही वप खड़ा
हाेता है, ताे काम-ाेध, राग-ेष, अाशा-तृणा इयाद वकाराें का समूह
वजातीय वृ याँ जाे ‘कु’ कहलाती हैं, संसार में वृ देती ही रहती हैं।
बाधा के प में भयंकर अामण करती हैं। बस, इनका पार पाना ही यु है।
इनकाे मटाते ए अतराा में समटते जाना, यानथ हाेते जाना ही यथाथ
यु है। इसी पर पुन: बल देते हैं–

ये मे मतमदं िनयमनुितत मानवा:।


 ावताेऽनसूयताे मुयते तेऽप कमभ:।।३१।।

अजुन जाे काेई मनुय दाेष  से रहत हाेकर,  ाभाव समपण से


संयु ए सदा मेरे इस मत के अनुसार बरतते हैं क ‘यु कर’, वे पुष भी
सपूण कमाे से ट जाते हैं। याेगे र का यह अा ासन कसी हदू,
मुसलमान या ईसाई के लए नहीं अपत मानवमा के लए है। उनका मत है
क यु कर इससे एेसा तीत हाेता है क यह उपदेश यु वालाें के लये है।
अजुन के सम साैभाय से व यु क संरचना थी, अापके सामने ताे काेई
यु नहीं है, अाप गीता के पीछे ाें पड़े हैं; ाेंक कमाे से टने का उपाय
ताे यु करनेवालाें के लये है कत एेसा कुछ नहीं है। वतत: यह अतदेश
क लड़ाई है। े अाैर े का, व ा अाैर अव ा का, धमे अाैर
कुे का संघष है। अाप याें-याें यान में च का िनराेध करें गे ताे
वजातीय वृ याँ बाधा के प में य हाेती हैं, भयंकर अामण करती
हैं। उनका शमन करते ए च का िनराेध करते जाना ही यु है। जाे
दाेष  से रहत हाेकर  ा के साथ इस यु में लगता है वह कमाे के
बधन से, अावागमन से भल कार टकारा पा जाता है। जाे इस यु में
वृ नहीं हाेता, उसक ा गित हाेती है इस पर कहते हैं–

ये वेतदयसूयताे नानुितत मे मतम्।


सवानवमूढांताव नानचेतस:।।३२।।

जाे दाेष वाले ‘अचेतस:’– माेहिनशा में अचेत लाेग मेरे इस मत के


अनुसार नहीं बरतते अथात् यानथ हाेकर अाशा, ममता अाैर सतापरहत
हाेकर समपण के साथ यु नहीं करते, ‘सवानवमूढान्’– ान-पथ में सवथा
माेहत उन लाेगाें काे तू कयाण से  अा ही जान। जब यही सही है ताे
लाेग करते ाें नहीं इस पर कहते हैं–

स शं चेते वया: कृतेानवानप।


कृितं यात भूतािन िनह: कं करयित।।३३।।

सभी ाणी अपनी कृित काे ा हाेते हैं। अपने वभाव से परवश हाेकर
कम में भाग ले ते हैं। यदशी ानी भी अपनी कृित के अनुसार चेा
करता है। ाणी अपने कमाे में बरतते हैं अाैर ानी अपने वप में। जैसा
जसक कृित का दबाव है, वैसा ही काय करता है। यह वयंस है। इसमें
िनराकरण काेई ा करे गा यही कारण है क सभी लाेग मेरे मत के अनुसार
कम में वृ नहीं हाे पाते। वे अाशा, ममता, संताप का; दूसरे शदाें में राग-
ेष का याग नहीं कर पाते, जससे कम का सयक् अाचरण नहीं हाे पाता।
इसी काे अाैर प करते हैं अाैर दूसरा कारण बताते हैं–

इययेययाथे रागेषाै यवथताै।


तयाेन वशमागछे ाै य परपथनाै।।३४।।

इय अाैर इयाें के भाेगाें में राग अाैर ेष थत हैं। इन दाेनाें के वश
में नहीं हाेना चाहये; ाेंक इस कयाण-माग में कमाे से ट जानेवाल
णाल में ये राग अाैर ेष दुधष शु हैं, अाराधना का अपहरण कर ले जाते
हैं। जब शु भीतर हैं ताे बाहर काेई कसी से ाें लड़ेगा शु ताे इय
अाैर भाेगाें के संसग में हैं, अत:करण में हैं, अत: यह यु भी अत:करण का
यु है। ाेंक शरर ही े है, जसमें सजातीय अाैर वजातीय दाेनाें
वृ याँ, व ा अाैर अव ा रहती हैं, जाे माया के दाे अंग हैं। इहीं वृ याें
का पार पाना, सजातीय वृ काे साधकर वजातीय का अत करना यु है।
वजातीय समा हाेने पर सजातीय का उपयाेग समा हाे जाता है। वप
का पश करके सजातीय का भी उसके अतराल में वलय हाे जाना, इस
कार कृित का पार पाना यु है, जाे यान में ही सव है।

राग अाैर ेष के शमन में समय लगता है, इसलये बत से साधक या
काे छाेड़कर सहसा महापुष क नकल करने लग जाते हैं। ीकृण इससे
सावधान करते हैं–

ेयावधमाे वगुण: परधमावनुतात्।


वधमे िनधनं ेय: परधमाे भयावह:।।३५।।
एक साधक दस वष से साधना में लगा अा है अाैर दूसरा अाज साधना
में वेश ले रहा है। दाेनाें क मता एक-जैसी नहीं हाेगी। ारक साधक
यद उसक नकल करता है ताे न हाे जायेगा। इसी पर ीकृण कहते हैं क
अछ कार अाचरण कये ए दूसरे के धम से गुणरहत भी अपना धम
अधक उ म है। वभाव से उप कम में वृ हाेने क मता वधम है।
अपनी मता के अनुसार कम में वृ हाेने से साधक एक-न-एक दन पार
पा जाता है। अत: वधमाचरण में मरना भी परम कयाणकार है। जहाँ से
साधन टे गा, शरर मलने पर वहीं से पुन: ार हाेगा। अाा ताे मरता
नहीं, शरर (व) बदलने से अापके बु , वचार बदल ताे नहीं जाते
अागेवालाें क तरह वांग बनाने से साधक भय काे ा हाेगा। भय कृित में
हाेता है, परमाा में नहीं। कृित का अावरण अाैर घना हाे उठे गा।

इस भगवपथ में नकल का बाय है। ‘पूय महाराज जी’ काे एक बार
अाकाशवाणी ई क अनुसइया में जाकर रहें, ताे जू से चकूट अाये अाैर
अनुसइया के घाेर जंगल में िनवास करने लगे। बत से महाा उधर से
अाते-जाते थे। एक ने देखा क परमहंस जी दगबर, नंग-धड़ंग िनवास करते
हैं, उनका सान है, ताे तरत उहाेंने काैपीन फंे का, दड-कमडल एक अय
महाा काे दे दया अाैर दगबर हाे गये। कुछ काल बाद अाये ताे देखा क
परमहंस जी लाेगाें से बातें भी करते हैं, गालयाँ भी देते हैं। महाराज जी काे
अादेश अा था क भाें के कयाणाथ कुछ ताड़ना दया करें , इस पथ के
पथकाें पर िनगरानी रखें। महाराज जी क नकल कर वे महाा भी गालयाँ
देने लगें; कत बदले में लाेग भी कुछ-न-कुछ कह बैठते थे। वे महाा कहने
लगे–वहाँ काेई बाेलता नहीं, यहाँ ताे जवाब देते हैं।
दाे-एक साल बाद लाैटे ताे देखा क परमहंस जी ग े पर बैठे हैं, लाेग
पंखा झल रहे हैं, चँवर चल रहे हैं। उहाेंने जंगल के ही एक खडहर में तत
मँगाया, ग े बछवाये, दाे अादमयाें काे चँवर चलाने के लये िनयु कर
दया। हर साेमवार काे भीड़ भी लगाने लगे क पु चाहये ताे पचास पये,
पुी चाहये ताे पचीस पये। कत ‘उघरं ह अत न हाेइ िनबा।’
(रामचरतमानस, १/६/६)– एक महीने में ही काैड़ के दाे हाेकर चल दये।
इस भगवपथ में नकल साथ नहीं देता। साधक काे वधम का ही अाचरण
करना चाहये।

वधम ा है अयाय दाे में ीकृण ने वधम का नाम लया क वधम


काे देखकर भी तू यु करने याेय है। िय के लये इससे बढ़कर
कयाणकार माग नहीं है। वधम में अजुन िय पाया जाता है। संकेत
कया क– अजुन जाे ा ण हैं, वेदाें का उपदेश उनके लये  जलाशय
के तय है। तू वेदाें से ऊपर उठ अाैर ा ण बन अथात् वधम में परवतन
सव है। वहाँ पुन: कहा क राग-ेष के वश में न हाे, इहें काट। वधम
ेयकर है– इसका यह अाशय नहीं है क अजुन कसी ा ण क नकल
करके उस-जैसी वेशभूषा बना ले ।

एक ही कमपथ काे महापुष ने चार ेणयाें में बाँट दया–िनकृ, मयम,


उ म अाैर अित उ म। इन ेणी के साधकाें काे मश: शू, वैय, िय
अाैर ा ण क संा द। शूवाल मता से कम का अार हाेता है अाैर
साधना-म में वही साधक ा ण बन जाता है। इससे भी अागे जब वह
परमाा में वेश पा जाता है, ताे ‘न ा णाे न िय: न वैयाे न शू:,
चदानदप: शवाेऽहं शवाेऽहम्।’ वह वणाे से ऊपर हाे जाता है। यही
ीकृण भी कहते हैं क ‘चातवय मया सृम्’– चार वणाे क रचना मैंने क।
ताे ा ज के अाधार पर मनुयाें काे बाँटा नहीं, ‘गुणकम वभागश:’–
गुणाें के अाधार पर कम बाँटा गया। काैन-सा कम ा सांसारक कम
ीकृण कहते हैं– नहीं, िनयत कम। िनयत कम ा है वह है य क
या, जसमें हाेता है ास में  ास का हवन,  ास में ास का हवन,
इय-संयम इयाद, जसका श अथ है याेग-साधना, अाराधना। अाराय
देव तक पँचानेवाल वध-वशेष ही अाराधना है। इस अाराधना-कम काे ही
चार ेणयाें में बाँटा गया। जैसी मतावाला पुष हाे, उसे उसी ेणी से
ार करना चाहये। यही सबका अपना-अपना वधम है। यद वह अागेवालाें
क नकल करे गा ताे भय काे ा हाेगा। सवथा न ताे नहीं हाेगा ाेंक
इसमें बीज का नाश ताे नहीं हाेता; हाँ, वह कृित के दबाव से भयाात,
दन-हीन अवय हाे जायेगा। शश का का व ाथी ातक का में बैठने
लगे ताे ातक ा बनेगा, वह ारक वणमाला से भी वंचत रह जायेगा।
अजुन  रखता है क मनुय वधम का अाचरण ाें नहीं कर पाता –

अजुन उवाच

अथ केन युाेऽयं पापं चरित पूष:।


अिनछ प वाणेय बलादव िनयाेजत:।।३६।।

हे ीकृण फर यह पुष बरबस घसीटकर लगाये ए के स श न


चाहता अा भी कसक ेरणा से पाप का अाचरण करता है अापके मत के
अनुसार ाें नहीं चल पाता इस पर याेगे र ीकृण कहते हैं–

ीभगवानुवाच

काम एष ाेध एष रजाेगुणसमु व:।


महाशनाे महापाा व ेनमह वैरणम्।।३७।।

अजुन रजाेगुण से उप यह काम अाैर यह ाेध अ के समान भाेग


भाेगने से कभी न तृ हाेनेवाले बड़े पापी हैं। काम-ाेध राग-ेष के ही पूरक
हैं। अभी मैंने जसक चचा क है, इस वषय में तू उनकाे ही शु जान। अब
इनका भाव बताते हैं–

धूमेनायते वि यथादशाे मले न च।


यथाेबेनावृताे गभतथा तेनेदमावृतम्।।३८।।

जैसे धुएँ से अ अाैर मल से दपण ढँ क जाता है, जैसे जेर से गभ ढँ का


अा है, ठक वैसे ही काम-ाेधाद वकाराें से यह ान ढँ का अा है। भींगी
लकड़ जलाने पर धुअाँ-ही-धुअाँ हाेता है। अ रहकर भी लपट का प नहीं
ले पाती। मल से ढँ के दपण पर जस कार ितबब प नहीं हाेता, झ 
के कारण जस कार गभ ढँ का रहता है, वैसे ही इन वकाराें के रहते
परमाा का य ान नहीं हाेता।

अावृतं ानमेतेन ािननाे िनयवैरणा।


कामपेण काैतेय दुपूरेणानले न च।।३९।।

काैतेय अ के समान भाेगाें से न तृ हाेनेवाले , ािनयाें के िनरतर बैर


इस काम से ान ढँ का अा है। अभी ताे ीकृण ने काम अाैर ाेध दाे शु
बताये। तत ाेक में वे केवल एक शु काम का नाम ले ते हैं। वतत: काम
में ाेध का अतभाव है। काय पूण हाेने पर ाेध समा हाे जाता है; कत
कामना समा नहीं हाेती। कामना-पूित में यवधान पड़ते ही ाेध पुन: उभर
अाता है। काम के अतराल में ाेध भी िनहत है। इस शु का िनवास कहाँ
है इसे ढूँ ढ़े कहाँ िनवास जान ले ने पर इसे समूल न करने में सवधा
रहेगी। इस पर ीकृण कहते हैं–

इयाण मनाे बु रयाधानमुयते।


एतैवमाेहययेष ानमावृय देहनम्।।४०।।

इयाँ, मन अाैर बु इसके वासथान कहे जाते हैं। यह काम इन मन,
बु अाैर इयाें के ारा ही ान काे अाछादत करके जीवाा काे माेह में
डालता है।

ता वमयायादाै िनयय भरतषभ।


पाानं जह ेनं ानवाननाशनम्।।४१।।

इसलए अजुन तू पहले इयाें काे ‘िनयय’– संयत कर; ाेंक शु ताे
इनके अतराल में छपा है। वह तहारे शरर के भीतर है। बाहर खाेजने से
वह कहीं नहीं मले गा। यह दय-देश क, अतजगत् क लड़ाई है। इयाें
काे वश में करके ान अाैर वान का नाश करनेवाले इस पापी काम काे ही
मार। काम सीधे पकड़ में नहीं अायेगा अत: वकाराें के िनवास-थान का ही
घेराव कर लाे, इयाें काे ही संयत कर लाे। कत इयाें अाैर मन काे
संयत करना ताे बड़ा कठन है, ा यह हम कर पायेंगे इस पर ीकृण
अापक सामय बताते ए ाेसाहत करते हैं–

इयाण परायारयेय: परं मन:।


मनसत परा बु याे बु े: परतत स:।।४२।।
अजुन इस शरर से तू इयाें काे परे अथात् सू अाैर बलवान् जान।
इयाें से परे मन है, यह उनसे भी बलवान् है। मन से परे बु है अाैर जाे
बु से भी अयत परे है, वह तहार अाा है। वही हाे तम। इसलये
इयाँ, मन अाैर बु का िनराेध करने में तम सम हाे।

एवं बु े: परं बु ा संतयाानमाना।


जह शुं महाबाहाे कामपं दुरासदम्।।४३।।

इस कार बु से परे अथात् सू अाैर बलवान् अपने अाा काे
जानकर, अाबल काे समझकर, बु के ारा अपने मन काे वश में करके
अजुन इस कामपी दुजय शु काे मार। अपनी श काे समझकर इस
दुजय शु काे मार। काम एक दुजय शु है। इयाें के ारा यह अाा काे
माेहत करता है, ताे अपनी श समझकर, अाा काे बलवान् समझकर
कामपी शु काे मार। कहने क अावयकता नहीं है क यह शु अातरक
है अाैर यु भी अतदेश का ही है।

िनकष–

बधा गीताेमी यायाताअाें ने इस अयाय काे ‘कमयाेग’ नाम दया है;


कत यह संगत नहीं है। दूसरे अयाय में याेगे र ने कम का नाम लया।
उहाेंने कम के मह व का ितपादन कर उसमें कमजासा जागृत क अाैर
इस अयाय में उहाेंने कम काे परभाषत कया क य क या ही कम
है। स है क य काेई िनधारत दशा है। इसके अितर जाे कुछ भी
कया जाता है, वह इसी लाेक का बधन है। ीकृण जसे कहेंगे, वह कम
‘माेयसेऽशभात्’– संसार-बधन से टकारा दलानेवाला कम है।
ीकृण ने य क उप काे बताया। वह देता ा है उसक
वशेषताअाें का चण कया। य करने पर बल दया। उहाेंने कहा, इस य
क या ही कम है। जाे नहीं करते वे पापायु, अाराम चाहनेवाले यथ जीते
हैं। पूव में हाेनेवाले महषयाें ने भी इसे करके ही परम नैकय स काे
पाया। वे अातृ हैं, उनके लये कम क अावयकता नहीं है, फर भी
पीछे वालाें के मागदशन के लये वे भी कम में भल कार लगे रहते थे। उन
महापुषाें से ीकृण ने अपनी तलना क क मेरा भी अब कम करने से काेई
याेजन नहीं है; कत मैं भी पीछे वालाें के हत के लये ही कम में बरतता
ँ। ीकृण ने प अपना परचय दया क वे एक याेगी थे।

उहाेंने कम में वृ साधकाें काे चलायमान न करने काे कहा; ाेंक
कम करके ही उन साधकाें काे थित ा करनी है। यद नहीं करें गे ताे न
हाे जायेंगे। इस कम के लये यानथ हाेकर यु करना है। अाँखंे बद हैं,
इयाें से समटकर च का िनराेध हाे चला ताे यु कैसा उस समय
काम-ाेध, राग-ेष बाधक हाेते हैं। इन वजातीय वृ याें का पार पाना ही
यु है। अासर सपद् कुे, वजातीय वृ काे शनै:-शनै: छाँटते ए
यानथ हाेते जाना ही यु है। वतत: यान में ही यु है। यही इस अयाय
का सारांश है, जसमें न कम बताया न य। यद य समझ में अा जाय ताे
कम समझ में अा जाय। अभी ताे कम समझाया ही नहीं गया।

इस अयाय में केवल थत महापुष के शणाक पहलू पर बल


दया गया। यह ताे गुजनाें के लये िनदेश है। वे न भी करें ताे उहें काेई
ित नहीं अाैर न एेसा करने में उनका अपना काेई लाभ ही है। कत जन
साधकाें काे परमगित अभी है उनके लये वशेष कुछ कहा ही नहीं, ताे यह
कमयाेग कैसे है कम का वप भी प नहीं है, जसे कया जाय; ाेंक
‘य क या ही कम है’– अभी तक उहाेंने इतना ही बताया। य ताे
बताया नहीं, कम का वप प कहाँ अा हाँ, यु का यथाथ चण
गीता में यहीं पाया जाता है।

सपूण गीता पर पात करें ताे अयाय दाे में कहा क शरर नाशवान्
है, अत: यु कर। गीता में यु का यही ठाेस कारण बताया गया। अागे
ानयाेग के सदभ में िय के लये यु ही कयाण का एकमा साधन
बताया अाैर कहा क यह बु तेरे लये ानयाेग के वषय में कही गयी।
काैन-सी बु यही क हार-जीत दाेनाें याें में लाभ ही है, एेसा समझकर
यु कर। फर अयाय चार में कहा क याेग में थत रहकर दय में थत
अपने इस संशय काे ानपी तलवार ारा काट। वह तलवार याेग में है।
अयाय पाँच से दस तक यु क चचा तक नहीं है। यारहवें अयाय में केवल
इतना कहा क ये शु मेरे ारा पहले से ही मारे गये हैं, तू िनम मा
हाेकर खड़ा भर हाे जा। यश काे ा कर। ये तहारे बना भी मारे ए हैं,
ेरक करा ले गा। तू इन मुदाे काे ही मार।

अयाय पह में संसार सवढ़ मूलवाला पीपल वृ-जैसा कहा गया,
जसे असंगतापी श ारा काटकर उस परमपद काे खाेजने का िनदेश
मला। अागे के अयायाें में यु का उ े ख नहीं है। हाँ, अयाय साेलह में
असराें का चण अवय है, जाे नरकगामी हैं। अयाय तीन में ही यु का
वशद चण है। ाेक ३० से ाेक ४३ तक यु का वप, उसक
अिनवायता, यु न करनेवालाें का वनाश, यु में मारे जानेवाले शुअाें के
नाम, उहें मारने के लये अपनी श का अा ान अाैर िनय ही उहें
काटकर फंे कने पर बल दया। इस अयाय में शु अाैर शु का अातरक
वप प है, जनके वनाश क ेरणा द गयी है। अत:–
ॐ तसदित ीम गव तासूपिनषस  व ायां याेगशाे ीकृणाजुनसंवादे
‘शुवनाशेरणा’ नाम तृतीयाेऽयाय:।।३।।

इस कार ीम गव तापी उपिनषद् एवं  व ा तथा याेगशा


वषयक ीकृण अाैर अजुन के संवाद में ‘शुवनाश-ेरणा’ नामक तीसरा
अयाय पूण हाेता है।

इित ीमपरमहंसपरमानदय शय वामीअड़गड़ानदकृते ीम वग ताया:


‘यथाथगीता’ भाये ‘शुवनाशेरणा’ नाम तृतीयाेऽयाय:।।३।।

इस कार ीमत् परमहंस परमानद जी के शय वामी अड़गड़ानदकृत


‘ीम गव ता’ के भाय ‘यथाथ गीता’ में ‘शुवनाश-ेरणा’ नामक तीसरा
अयाय पूण हाेता है।

।। हर: ॐ तसत् ।।
।। ॐ ी परमाने नम: ।।
।। अथ चतथाेऽयाय: ।।
अयाय तीन में याेगे र ीकृण ने अा त कया क दाेष  से रहत
हाेकर जाे भी मानव  ायु हाे मेरे मत के अनुसार चले गा, वह कमाे के
बधन से भल कार ट जायेगा। कमबधन से मु दलाने क मता याेग
(ानयाेग तथा कमयाेग, दाेनाें) में है। याेग में ही यु -संचार िनहत है। तत
अयाय में वे बताते हैं क इस याेग का णेता काैन है इसका मक
वकास कैसे हाेता है

ीभगवानुवाच

इमं वववते याेगं ाेवानहमययम्।


वववानवे ाह मनुरवाकवेऽवीत्।।१।।

अजुन मैंने इस अवनाशी याेग काे कप के अाद में वववान् (सूय) के
ित कहा, वववान् ने मनु से अाैर मनु ने इवाकु से कहा। कसने कहा
मैंने। ीकृण काैन थे एक याेगी। त वथत महापुष ही इस अवनाशी याेग
काे कप के अार में अथात् भजन के अार में वववान् अथात् जाे
ववश हैं, एेसे ाणयाें से कहता है। सरा में संचार कर देता है। यहाँ सूय एक
तीक है; ाेंक सरा में ही वह परम काशवप है अाैर वहीं उसके पाने
का वधान है। वातवक काशदाता (सूय) वहीं है।

यह याेग अवनाशी है। ीकृण ने कहा क इसमें अार का नाश नहीं


हाेता। इस याेग का अार भर कर दें ताे यह पूणव दलाकर ही शात हाेता
है। शरर का कप अाैषधयाें ारा हाेता है; कत अाा का भजन से हाेता
है। भजन का अार ही अा-कप का अाद है। यह साधन-भजन भी कसी
महापुष क ही देन है। माेहिनशा में अचेत अादम मानव, जसमें भजन का
काेई संकार नहीं है, याेग के वषय में जसने कभी साेचा तक नहीं, एेसा
मनुय कसी महापुष काे देखता है ताे उनके दशनमा से, उनक वाणी से,
टू ट-फूट सेवा अाैर सा य से याेग के संकार उसमें संचारत हाे जाते हैं।
गाेवामी तलसीदास जी इसी काे कहते हैं– ‘जे चतए भु जह भु हेरे।’,
‘ते सब भए परम पद जाेगू।’ (रामचरतमानस, २/२१६/१-२)।

ीकृण कहते हैं– यह याेग मैंने अार में सूय से कहा। ‘चाे: सूयाे
अजायत’– महापुष के -िनेप मा से याेग के संकार सरा में सारत
हाे जाते हैं। वयंकाश, ववश परमे र का िनवास सबके दय में है। सरा
( ास) के िनराेध से ही उसक ाि का वधान है। सरा में संकाराें का
सृजन ही सूय के ित कहना है। समय अाने पर यह संकार मन में फुरत
हाेगा, यही सूय का मनु से कहना है। मन में फुरत हाेने पर महापुष के
उस वा के ित इछा जात हाे जायेगी। यद मन में काेई बात है ताे उसे
पाने क इछा अवय हाेगी, यही मनु का इवाकु से कहना है। लालसा हाेगी
क वह िनयत कम करें जाे अवनाशी है, जाे कम-बधन से माे दलाता है–
एेसा है ताे कया जाय अाैर अाराधना गित पक़ड़ ले ती है। गित पकड़कर यह
याेग कहाँ पँचाता है इस पर कहते हैं–
एवं परपराा ममं राजषयाे वदु:।
स काले नेह महता याेगाे न: परतप।।२।।

इस कार कसी महापुष ारा संकाररहत पुषाें क सरा में, सरा से


मन में, मन से इछा में अाैर इछा ती हाेकर याक अाचरण में ढलकर
यह याेग मश: उथान करते-करते राजष ेणी तक पँच जाता है, उस
अवथा में जाकर वदत हाेता है। इस तर के साधक में ऋ याें-स याें का
संचार हाेता है। यह याेग इस मह वपूणकाल में इसी लाेक (शरर) में ाय:
न हाे जाता है। इस सीमा-रे खा काे कैसे पार कया जाय ा इस वशेष
थल पर पँचकर सभी न हाे जाते हैं ीकृण कहते हैं– नहीं, जाे मेरे
अात है, मेरा य भ है, अनय सखा है वह न नहीं हाेता–

स एवायं मया तेऽ याेग: ाे: पुरातन:।


भाेऽस मे सखा चेित रहयं ेतदु मम्।।३।।

वह ही यह पुरातन याेग अब मैंने तेरे लये वणन कया है; ाेंक तू मेरा
भ अाैर सखा है अाैर यह याेग उ म रहयपूण है। अजुन िय ेणी का
साधक था, राजष क अवथावाला था, जहाँ ऋ याें-स याें के थपेड़े में
साधक न हाे जाता है। इस काल में भी याेग कयाण क मुा में ही है;
कत ाय: साधक यहाँ पँचकर लड़खड़ा जाते हैं। एेसा अवनाशी कत
रहयमय याेग ीकृण ने अजुन से कहा, ाेंक न हाेने क अवथा में
अजुन था ही। ाें कहा इसलये क तू मेरा भ है, अनय भाव से मेरे
अात है, य है, सखा है।
जस परमाा क हमें चाह है, वह (स 
ु ) परमाा अाा से अभ
हाेकर जब िनदेशन देने लगे, तभी वातवक भजन अार हाेता है। यहाँ
ेरक क अवथा में परमाा अाैर स 
ु एक दूसरे के पयाय हैं। जस सतह
पर हम खड़े हैं उसी तर पर जब वयं भु दय में उतर अायें, राेकथाम
करने लगें, डगमगाने पर सँभालें , तभी मन वश में हाे पाता है– ‘तलसदास
(मन) बस हाेइ तबहं जब ेरक भु बरजै।’ (वनयपिका, ८९) जब तक
इदेव रथी हाेकर, अाा से अभ हाेकर ेरक के प में खड़े नहीं हाे
जाते, तब तक सही माा में वेश ही नहीं हाेता। वह साधक याशी अवय
है, ले कन भजन उसके पास कहाँ

पूय गुदेव भगवान कहा करते थे– ‘‘हाे हम कई बार न हाेते-हाेते बच


गये। भगवान ने ही बचा लया। भगवान ने एेसे समझाया, यह कहा।’’ हमने
पूछा– ‘‘महाराज जी ा भगवान भी बाेलते हैं, बातचीत करते हैं वे बाेले–
‘‘हाँ हाे भगवान एेसे बितयावत हैं जैसे हम-तम बितयाइ , घटाें बितयाइ अाैर
म न टू टे।’’ हमें उदासी ई अाैर अाय भी क भगवान कैसे बाेलते हाेंगे,
यह ताे बड़ नयी बात है। कुछ देर बाद महाराज जी बाेले– ‘‘काहे घबड़ात है
ताेँ से बितयैहैं।’’ अरश: सय था उनका कथन अाैर यही सयभाव है।
सखा क तरह वे िनराकरण करते रहें, तभी इस न हाेनेवाल थित से
साधक पार हाे पाता है।

अभी तक याेगे र ीकृण ने कसी महापुष ारा याेग का अार,


उसमें अानेवाले यवधान अाैर उनसे पार पाने का राता बताया। इस पर
अजुन ने  कया–

अजुन उवाच
अपरं भवताे ज परं ज वववत:।
कथमेतजानीयां वमादाै ाेवािनित।।४।।

भगवन् अापका ज ताे ‘अपरम्’– अब अा है अाैर मेरे अदर सरा का
संचार बत पुराना है, ताे मैं कैसे मान लूँ क इस याेग काे भजन के अाद में
अापने ही कहा था इस पर याेगे र ीकृण बाेले–

ीभगवानुवाच

बिन मे यतीतािन जािन तव चाजुन।


तायहं वेद सवाण न वं वेथ परतप।।५।।

अजुन मेरे अाैर तेरे बत से ज हाे चुके हैं। हे परं तप उन सबकाे तू
नहीं जानता; कत मैं जानता ँ। साधक नहीं जानता, वपथ महापुष
जानता है, अय क थितवाला जानता है। ा अाप सबक तरह पैदा हाेते
हैं ीकृण कहते हैं– नहीं, वप क ाि शरर-ाि से भ है। मेरा
ज इन अाँखाें से नहीं देखा जा सकता। मैं अजा, अय, शा त हाेते
ए भी शरर के अाधारवाला ँ।

अवधू जीवत में कर अासा।


मुए मु गु कहे वाथी, झूठा दे व ासा।।

शरर के रहते ही उस परमत व में वेश पाया जाता है। ले शमा भी कमी
है, ज ले ना पड़ता है। अभी तक अजुन ीकृण काे अपने समान देहधार
समझता है। वह अतरं ग  रखता है– ा अापका ज वैसा ही है, जैसा
सबका है ा अाप भी शरराें क तरह पैदा हाेते हैं ीकृण कहते हैं–
अजाेऽप स ययाा भूतानामी राेऽप सन्।
कृितं वामधाय सवायामायया।।६।।

मैं वनाशरहत, पुन: जरहत अाैर समत ाणयाें के वर में संचारत
हाेने पर भी अपनी कृित काे अधीन करके अामाया से कट हाेता ँ। एक
माया ताे अव ा है जाे कृित में ही व ास दलाती है, नीच एवं अधम
याेिनयाें का कारण बनती है। दूसर माया है अामाया, जाे अाा में वेश
दलाती है, वप के ज का कारण बनती है। इसी काे याेगमाया भी कहते
हैं। जससे हम वलग हैं उस शा त वप से यह जाेड़ती है, मलन कराती
है। उस अाक या ारा मैं अपनी िगुणमयी कृित काे अधीन करके
ही कट हाेता ँ।

ाय: लाेग कहते हैं क भगवान का अवतार हाेगा ताे दशन कर लें गे।
ीकृण कहते हैं क एेसा कुछ नहीं हाेता क काेई दूसरा देख सके। वप
का ज पडप में नहीं हाेता। ीकृण कहते हैं– याेग-साधना ारा,
अामाया ारा अपनी िगुणमयी कृित काे ववश करके मैं मश: कट
हाेता ँ। ले कन कन परथितयाें में –

यदा यदा ह धमय लािनभवित भारत।


अयुथानमधमय तदाानं सृजायहम्।।७।।

हे अजुन जब-जब परमधम परमाा के लये दय लािन से भर जाता


है, जब अधम क वृ से भावक पार पाते नहीं देखता, तब मैं अाा काे
रचने लगता ँ। एेसी ही लािन मनु काे ई थी–
दयँ बत दुख लाग, जनम गयउ हरभगित बनु।।

(रामचरतमानस, १/१४२)

जब अापका दय अनुराग से पूरत हाे जाय, उस शा त-धम के लये


‘गदगद गरा नयन बह नीरा।’ (रामचरतमानस, ३/१५/११) क थित अा
जाय, जब य करके भी अनुरागी अधम का पार नहीं पाता– एेसी परथित
में मैं अपने वप काे रचता ँ। अथात् भगवान का अावभाव केवल अनुरागी
के लये है– ‘साे केवल भगतन हत लागी।’ (रामचरतमानस, १/१२/५)

यह अवतार कसी भायवान् साधक के अतराल में हाेता है। अाप कट
हाेकर करते ा हैं –

पराणाय साधूनां वनाशाय च दुकृताम्।


धमसंथापनाथाय सवाम युगे युगे।।८।।

अजुन ‘साधूनां पराणाय’– परमसाय एकमा परमाा है, जसे साध


ले ने पर कुछ भी साधना शेष नहीं रह जाता। उस साय में वेश दलानेवाले
ववेक, वैराय, शम, दम इयाद दैवी सपद् काे िनव वाहत करने के
लये तथा ‘दुकृताम्’– जनसे दूषत कायप ले ते हैं उन काम, ाेध, राग,
ेषाद वजातीय वृ याें काे समूल न करने के लये तथा धम काे भल
कार थर करने के लये मैं युग-युग में कट हाेता ँ।

युग का तापय सययुग, ेता या ापर नहीं, युगधमाे का उतार-चढ़ाव


मनुयाें के वभाव पर है। युगधम सदैव रहते हैं। मानस में संकेत है–

िनत जुग धम हाेहं सब केरे । दयँ राम माया के ेरे।।


(रामचरतमानस, ७/१०३ ख/१)

युगधम सभी के दय में िनय हाेते रहते हैं। अव ा से नहीं बक व ा
से, राममाया क ेरणा से दय में हाेते हैं। जसे तत ाेक में अामाया
कहा गया है, वही है राममाया। दय में राम क थित दला देनेवाल राम
से ेरत है वह व ा। कैसे समझा जाय क अब काैन-सा युग काय कर रहा
है, ताे ‘स सव समता बाना। कृत भाव स मन जाना।।’
(रामचरतमानस, ७/१०३ख/२) जब दय में श स वगुण ही कायरत हाे,
राजस तथा तामस दाेनाें गुण शात हाे जायँ, वषमताएँ समा हाे गयी हाें,
जसका कसी से ेष न हाे, वान हाे अथात् इ से िनदेशन ले ने अाैर उस
पर टकने क मता हाे, मन में स ता का पूण संचार हाे– जब एेसी
याेयता अा जाय ताे सतयुग में वेश मल गया। इसी कार दाे अय युगाें
का वणन कया अाैर अत में–

तामस बत रजाेगुन थाेरा। कल भाव बराेध चँ अाेरा।।

(रामचरतमानस, ७/१०३ ख/५)

तामसी गुण भरपूर हाे, कंचत् राजसी गुण भी उसमें हाे, चाराें अाेर वैर
अाैर वराेध हाे ताे एेसा य कलयुगीन है। जब तामसी गुण काय करता है
ताे मनुय में अालय, िना, माद का बाय हाेता है। वह क य जानते
ए भी उसमें वृ नहीं हाे सकता, िनष कम जानते ए भी उससे िनवृ
नहीं हाे सकता। इस कार युगधमाे का उतार-चढ़ाव मनुयाें क अातरक
याेयता पर िनभर है। कसी ने इहीं याेयताअाें काे चार युग कहा है, ताे
काेई इहें ही चार वण का नाम देता है, ताे काेई इहें ही अित उ म, उ म,
मयम अाैर िनकृ चार ेणी के साधक कहकर सबाेधत करता है। येक
युग में इ साथ देते हैं। हाँ, उ ेणी में अनुकूलता क भरपूरता तीत हाेती
है, िन युगाें में सहयाेग ीण तीत हाेता है।

संेप में, ीकृण कहते हैं– साय वत दलानेवाले ववेक, वैराय इयाद
काे िनव वाहत करने के लये तथा दूषण के कारक काम-ाेध, राग-ेष
इयाद का पूण वनाश करने के लये, परमधम परमाा में थर रखने के
लये मैं युग-युग में अथात् हर परथित, हर ेणी में कट हाेता ँ– बशते
क लािन हाे। जब तक इ समथन न दें, तब तक अाप समझ ही नहीं
सकंे गे क वकाराें का वनाश अा अथवा अभी कतना शेष है वेश से
पराकाापयत इ हर ेणी में हर याेयता के साथ रहते हैं। उनका ाकट
अनुरागी के दय में हाेता है। भगवान कट हाेते हैं, तब ताे सभी दशन करते
हाेंगे ीकृण कहते हैं– नहीं,

ज कम च मे दयमेवं याे वे त वत:।


या देहं पुनज नैित मामेित साेऽजुन।।९।।

अजुन मेरा वह ज अथात् लािन के साथ वप क रचना तथा मेरा
कम अथात् दुकृितयाें के कारणाें का वनाश, साय वत काे दलानेवाल
मताअाें का िनदाेष संचार, धम क थरता, यह कम अाैर ज दय अथात्
अलाैकक है, लाैकक नहीं है। इन चमचअाें से उसे देखा नहीं जा सकता,
मन अाैर बु से उसे मापा नहीं जा सकता। जब इतना गूढ़ है ताे उसे देखता
काैन है केवल ‘याे वे त वत:’– त वदशी ही मेरे इस ज अाैर कम काे
देखता है अाैर मेरा साात् करके वह पुनज काे नहीं ा हाेता, बक
मुझे ा हाेता है।

जब त वदशी ही भगवान का ज अाैर काय देख पाता है ताे लाेग लाखाें
क संया में भीड़ लगाये ाें खड़े हैं क कहीं अवतार हाेगा ताे दशन करें गे
ा अाप त वदशी हैं महाा-वेष में अाज भी ववध तरकाें से, मुयत:
महाा-वेष क अाड़ में बत से लाेग चार करते फरते हैं क वे अवतार हैं
या उनके दलाल चार कर देते हैं। लाेग भेड़ क तरह अवतार काे देखने टू ट
पड़ते हैं; कत ीकृण कहते हैं क केवल त वदशी ही देख पाता है। अब
त वदशी कसे कहते हैं

अयाय २ में सत्-असत् का िनणय देते ए याेगे र ीकृण ने बताया–


अजुन असत् वत का अतव नहीं है अाैर सत् का तीनाें कालाें में कभी
अभाव नहीं है। ताे ा अाप एेसा कहते हैं उहाेंने बताया– ‘‘नहीं,
त वदशयाें ने इसे देखा।’’ न कसी भाषावद् ने देखा, न कसी समृ शाल
ने देखा। यहाँ पुन: बल देते हैं क मेरा अावभाव ताे हाेता है ले कन उसे
त वदशी ही देख पाता है। त वदशी एक  है। एेसा कुछ नहीं क पाँच त व
हैं, पचीस त व हैं– इनक गणना सीख ल अाैर हाे गये त वदशी। ीकृण ने
अागे बताया क अ◌ाा ही परमत व है। अ◌ाा परम से संयु हाेकर
परमाा हाे जाता है। अासााकार करनेवाला ही इस अावभाव काे समझ
पाता है। स है क अवतार कसी वरही अनुरागी के दय में हाेता है।
अार में उसे वह समझ नहीं पाता क हमें काैन संकेत देता है काैन
मागदशन करता है कत परमत व परमाा के दशन के साथ ही वह देख
पाता है, समझ पाता है अाैर फर शरर काे यागकर पुनज काे ा नहीं
हाेता।
ीकृण ने कहा क मेरा ज दय है, इसे देखनेवाला मुझे ा हाेता है,
ताे लाेगाें ने उनक मूित बना ल, पूजा करने लगे। अाकाश में कहीं उनके
िनवास क कपना कर ल। एेसा कुछ नहीं है। उन महापुष का अाशय
केवल इतना है क यद अाप िनधारत कम करें ताे पायेंगे क अाप भी दय
हैं। अाप जाे हाे सकते हैं, वह मैं हाे गया ँ। मैं अापक सावना ँ, अापका
ही भवय ँ। अपने भीतर अाप जस दन एेसी पूणता पा लें गे ताे अाप भी
वही हाेंगे जाे ीकृण हैं। जाे ीकृण का वप है, वही अापका भी हाे
सकता है। अवतार कहीं बाहर नहीं हाेता। हाँं, यद अनुरागपूरत दय हाे ताे
अापके भीतर भी अवतार क अनुभूित सव है। वे अापकाे ाेसाहत करते
हैं क बत से लाेग इस माग पर चलकर मेरे वप काे ा कर चुके हैं–

वीतरागभयाेधा मया मामुपाता:।


बहवाे ानतपसा पूता म ावमागता:।।१०।।

राग अाैर वराग, दाेनाें से परे वीतराग तथा इसी कार भय-अभय, ाेध-
अाेध दाेनाें से परे , अनय भाव से अथात् अहंकाररहत मेर शरण ए बत
से लाेग ान-तप से पव हाेकर मेरे वप काे ा हाे चुके हैं। अब एेसा
हाेने लगा हाे– एेसी बात नहीं है, यह वधान सदैव रहा है। बत से पुष इसी
कार से मेरे वप काे ा हाे चुके हैं। कस कार जन-जन का दय
अधम क वृ देखकर परमाा के लये लािन से भर गया, उस थित में
मैं अपने वप काे रचता ँ। वे मेरे वप काे ा हाेते हैं। जसे याेगे र
ीकृण ने त वदशन कहा, उसे ही अब ‘ान’ कहते हैं। परमत व है
परमाा, उसे य दशन के साथ जानना ान है। एेसी जानकारवाले ानी
मेरे वप काे ा करते हैं। यहाँ यह  पूरा हाे गया। अब वे याेयता के
अाधार पर भजनेवालाें का ेणी-वभाजन करते हैं–

ये यथा मां प ते तांतथैव भजायहम्।


मम वानुवतते मनुया: पाथ सवश:।।११।।

पाथ जाे मुझे जतनी लगन से जैसा भजते हैं, मैं भी उनकाे वैसा ही
भजता ँ। उतनी ही माा में सहयाेग देता ँ। साधक क  ा ही कृपा
बनकर उसे मलती है। इस रहय काे जानकर सधीजन सपूण भावाें से मेरे
माग के अनुसार ही बरतते हैं। जैसा मैं बरतता ँ, जाे मुझे य है वैसा ही
अाचरण करते हैं। जाे मैं कराना चाहता ँ, वही करते हैं।

भगवान कैसे भजते हैं वे रथी बनकर खड़े हाे जाते हैं, साथ चलने लगते
हैं, यही उनका भजना है। दूषत जनसे पैदा हाेते हैं, उनका वनाश करने के
लये वे खड़े हाे जाते हैं। सय में वेश दलानेवाले स ण
ु ाें का पराण करने
के लये वे खड़े हाे जाते हैं। जब तक इदेव दय से पूणत: रथी न हाें अाैर
हर कदम पर सावधान न करें , तब तक काेई कैसा ही भजनानद ाें न हाे,
लाख अाँख मूँदे, लाख य करे , वह इस कृित के  से पार नहीं हाे
सकता। वह कैसे समझेगा क वह कतनी दूर तय कर चुका, कतनी शेष है।
इ ही अाा से अभ हाेकर खड़े हाे जाते हैं अाैर उसका मागदशन करते
हैं क तम यहाँ पर हाे, एेसे कराे, एेसे चलाे। इस कार कृित क खाइ
पाटते ए, शनै:-शनै: अागे बढ़ाते ए वप में वेश दला देंगे। भजन ताे
साधक काे ही करना पड़ता है; कत उसके ारा इस पथ में जाे दूर तय
हाेती है, वह इ क देन है। एेसा जानकर सभी मनुय सवताेभावेन मेरा
अनुसरण करते हैं। कस कार वे बरतते हैं –

काङ् त: कमणां स ं यजत इह देवता:।


ं ह मानुषे लाेके स भवित कमजा।।१२।।

वे पुष इस शरर में कमाे क स चाहते ए देवताअाें काे पूजते हैं।
काैन-सा कम ीकृण ने कहा, ‘‘अजुन तू िनयत कम कर।’’ िनयत कम
ा है य क या ही कम है। य ा है साधना क वध-वशेष,
जसमें ास- ास का हवन, इयाें के बहमुखी वाह काे संयमा में
हवन कया जाता है, जसका परणाम है परमाा। कम का श अथ है
अाराधना, जसका वप इसी अयाय में अागे मले गा। इस अाराधना का
परणाम ा है ‘संस म्’– परमस परमाा, ‘यात  सनातनम्’–
शा त  में वेश, परम नैकय क थित। ीकृण कहते हैं– मेरे अनुसार
बरतनेवाले लाेग इस मनुय-लाेक में कम के परणाम परम नैकय स के
लये देवताअाें काे पूजते हैं अथात् दैवी सपद् काे बलवती बनाते हैं।

तीसरे अयाय में उहाेंने बताया क इस य ारा तम देवताअाें क वृ


कराे, दैवी सपद् काे बलवती बनाअाे। याें-याें दय-देश में दैवी सपद् क
उ ित हाेगी, याें-याें तहार उ ित हाेगी। इस कार परपर उ ित करते ए
परमेय काे ा हाे जाअाे। अत तक उ ित करते जाने क यह अत:या
है। इसी पर बल देते ए ीकृण कहते हैं– मेरे अनुकूल बरतनेवाले लाेग इस
मनुय-शरर में कमाे क स चाहते ए दैवी सपद् काे बलवती बनाते हैं,
जससे वह नैकय स शी हाेती है। वह असफल नहीं हाेती, सफल ही
हाेती है। शी का तापय ा कम में वृ हाेते ही तण यह परमस
मल जाती है ीकृण कहते हैं– नहीं, इस साेपान पर मश: चढ़ने का
वधान है। काेई छलांग लगाकर भावातीत यान-जैसा चमकार नहीं हाेता। इस
पर देखें–

चातवणय मया सृं गुणकमवभागश:।


तय कतारमप मां व कतारमययम्।।१३।।

अजुन ‘चातवणय मया सृम्’– चार वणाे क रचना मैंने क। ताे ा
मनुयाें काे चार भागाें में बाँट दया ीकृण कहते हैं– नहीं,
‘गुणकमवभागश:’– गुणाें के मायम से कम काे चार भागाें में बाँटा। गुण एक
पैमाना है, मापदड है। तामसी गुण हाेगा ताे अालय, िना, माद, कम में न
वृ हाेने का वभाव, जानते ए भी अक य से िनवृ न हाे पाने क
ववशता रहेगी। एेसी अवथा में साधन अार कैसे करें दाे घटे अाप
अाराधना में बैठते हैं, इस कम के लये य शील हाेना चाहते हैं कत दस
मनट भी अपने प में नहीं पाते। शरर अवय बैठा है, ले कन जस मन काे
बैठना चाहये वह हवा से बातें कर रहा है, कुतकाे का जाल बुन रहा है, तरं ग
पर तरं ग छायी है, ताे अाप बैठे ाें हैं समय ाें न करते हैं उस समय
केवल ‘परचयाकं कम शूयाप वभावजम्।’ (१८/४४)– जाे महापुष
अय क थितवाले हैं, अवनाशी त व में थत हैं उनक तथा इस पथ पर
असर अपने से उ त लाेगाें क सेवा में लग जाअाे। इससे दूषत संकार
शमन हाेते जायेंगे, साधना में वेश दलानेवाले संकार सबल हाेते जायेंगे।
मश: तामसी गुण यून हाेने पर राजसी गुणाें क धानता तथा सा वक
गुण के वप संचार के साथ साधक क मता वैय ेणी क हाे जाती है।
उस समय वही साधक इय-संयम, अाक सप का संह वभावत:
करने लगेगा। कम करते-करते उसी साधक में सा वक गुणाें का बाय हाे
जायेगा, राजसी गुण कम रह जायेंगे, तामसी गुण शात रहेंगे। उस समय वही
साधक िय ेणी में वेश पा ले गा। शाैय, कम में वृ रहने क मता,
पीछे न हटने का वभाव, सब भावाें पर वामभाव, कृित के तीनाें गुणाें काे
काटने क मता उसके वभाव में ढल जायेगी। वही कम अाैर सू हाेने
पर, मा सा वक गुण कायरत रह जाने पर मन का शमन, इयाें का दमन,
एकाता, सरलता, यान, समाध, ई रय िनदेश, अातकता इयाद  में
वेश दलानेवाल वाभावक मता के साथ वही साधक ा ण ेणी का
कहा जाता है। यह ा ण ेणी के कम क िन तम सीमा है। जब वही
साधक  में थत हाे जाता है, उस अतम सीमा में वह वयं में न ा ण
रहता है न िय, न वैय न शू; कत दूसराें के मागदशनहेत वही ा ण
है। कम एक ही है– िनयत कम, अाराधना। अवथा-भेद से इसी कम काे
ऊँची-नीची चार सीढ़याें में बाँटा। कसने बाँटा कसी याेगे र ने बाँटा,
अय थितवाले महापुष ने बाँटा। उसके क ा मुझ अवनाशी काे अक ा
ही जान। ाें –

न मां कमाण लपत न मे कमफले पृहा।


इित मां याेऽभजानाित कमभन स बयते।।१४।।

ाेंक कमाे के फल में मेर पृहा नहीं है। कमाे का फल ा है


ीकृण ने पीछे बताया क य जससे पूरा हाेता है, उस या का नाम कम
है अाैर पूितकाल में य जसक रचना करता है, उस ानामृत का पान
करनेवाला शा त, सनातन  में वेश पा ले ता है। कम का परणाम है
परमाा, उस परमाा क चाह भी अब मुझे नहीं है; ाेंक वह मुझसे
भ नहीं है। मैं अय वप ँ, उसी क थितवाला ँ। अब अागे काेई
स ा नहीं, जसके लये इस काय पर ेह रखूँ। इसलये कम मुझे
लपायमान नहीं करते अाैर इसी तर से जाे भी मुझे जानता है अथात् जाे
कमाे के परणाम ‘परमाा’ काे ा कर ले ता है, उसे भी कम नहीं बाँधते।
जैसे ीकृण, वैसे उस तर से जाननेवाले महापुष।

एवं ावा कृतं कम पूवैरप मुमुभ:।


कु कमैव ता वं पूवै: पूवतरं कृतम्।।१५।।

अजुन पहले हाेनेवाले माे क इछावाले पुषाें ारा भी यही जानकर


कम कया गया। ा जानकर यही क जब कमाे का परणाम परमाा
भ न रह जाय, कमाे के परणाम परमाा क पृहा न रह जाने पर उस
पुष काे कम नहीं बाँधते। ीकृण इसी थितवाले हैं इसलये वे कम में
लपायमान नहीं हाेते अाैर उसी तर से हम जान लें गे ताे हमें भी कम नहीं
बाँधेगा। जैसे ीकृण, ठक उसी तर से जाे भी जान ले गा, वैसा ही वह
पुष भी कमबधन से मु हाे जायेगा। अब ीकृण ‘भगवान’, ‘महाा’,
‘अय’, ‘याेगे र’ या ‘महायाेगे र’ जाे भी रहे हाें, वह वप सबके लये
है। यही समझकर पहले के मुमु पुषाें ने, माे क इछावाले पुषाें ने कम
पर कदम रखा। इसलये अजुन तू भी पूवजाें ारा सदा से कये ए इसी
कम काे कर। यही कयाण का एकमा माग है।
अभी तक याेगे र ीकृण ने कम करने पर बल दया; कत यह प
नहीं कया क कम ा है अयाय दाे में उहाेंने कम का नाम मा लया
क अब इसी काे तू िनकाम कम के वषय में सन। उसक वशेषताअाें का
वणन कया क यह ज-मरण के महान् भय से रा करता है। कम करते
समय सावधानी का वणन कया, ले कन यह नहीं बताया क कम ा है
अयाय तीन में उहाेंने कहा क ानमाग अछा लगे या िनकाम कमयाेग,
कम ताे करना ही पड़ेगा। न ताे कमाे काे यागने से काेई ानी हाेता है अाैर
न ताे कमाे काे न अार करने से काेई िनकमी। हठवश जाे नहीं करते, वे
दी हैं। इसलये मन से इयाें काे वश में करके कम कर। काैन-सा कम
करे ताे बताया– िनयत कम कर। अब यह िनधारत कम है ा ताे बाेले–
य क या ही िनयत कम है। एक नवीन  दया क य ा है, जसे
करें ताे कम हाे जाय वहाँ भी य क उप काे बताया, उसक वशेषताअाें
का वणन कया; कत य नहीं बताया, जससे कम काे समझा जा सके।
अभी तक यह प नहीं अा क कम ा है अब कहते हैं– अजुन कम
ा है, अकम ा है इस वषय में बड़े-बड़े वान् भी माेहत हैं, उसे भल
कार समझ ले ना चाहये।

कं कम कमकमेित कवयाेऽय माेहता:।


त े कम वयाम यावा माेयसेऽशभात्।।१६।।

कम ा है अाैर अकम ा है – इस वषय में बु मान् पुष भी माेहत


हैं। इसलये मैं वह कम तेरे लये अछ तरह से कँगा, जसे जानकर तू
‘अशभात् माेयसे’– अशभ अथात् संसार-बधन से भल कार ट जायेगा।
कम काेई एेसी वत है, जाे संसार-बधन से मु दलाती है। इसी कम काे
जानने के लये ीकृण पुन: बल देते हैं–

कमणाे प बाे यं बाे यं च वकमण:।


अकमण बाे यं गहना कमणाे गित:।।१७।।

कम का वप भी जानना चाहये, अकम का वप भी समझना चाहये


अाैर वकम अथात् वकपशूय वशेष कम जाे अा पुषाें ारा हाेता है, उसे
भी जानना चाहये; ाेंक कम क गित गहन है। कितपय लाेगाें ने वकम
का अथ ‘िनष कम’, ‘मन लगाकर कया गया कम’ इयाद कया है।
वतत: यहाँ ‘व’ उपसग वशता का ाेतक है। ाि के पात् महापुषाें
के कम वकपशूय हाेते हैं। अाथत, अातृ , अा काम महापुषाें काे न
ताे कम करने से काेई लाभ है अाैर न छाेड़ने से काेई हािन ही है, फर भी वे
पीछे वालाें के हत के लये कम करते हैं। एेसा कम वकपशूय है, वश है
अाैर यही कम वकम कहलाता है।

उदाहरणाथ गीता में जहाँ भी कसी काय में ‘व’ उपसग लगा है, उसक
वशेषता का ाेतक है, िनकृता का नहीं। यथा ‘याेगयुाे वश ाा
वजताा जतेय:।’ (गीता ५/७)– जाे याेग से यु है वह वशेष प से
श अाावाला, वशेष प से जीते अत:करणवाला इयाद वशेषता के ही
ाेतक हैं। इसी कार गीता में थान-थान पर ‘व’ का याेग अा है, जाे
वशेष पूणता का ाेतक है। इसी कार ‘वकम’ भी वश कम का ाेतक है
जाे ाि के पात् महापुषाें के ारा सपादत हाेता है, जाे शभाशभ संकार
नहीं डालता। अभी अापने वकम देखा। रहा कम अाैर अकम, जसे अगले
ाेक में समझने का यास करें । यद यहाँ कम अाैर अकम का वभाजन नहीं
समझ सके ताे कभी नहीं समझ सकंे गे–

कमयकम य: पयेदकमण च कम य:।


स बु मानुयेषु स यु: कृकमकृत्।।१८।।

जाे पुष कम में अकम देखे, कम माने अाराधना अथात् अाराधना करे
अाैर यह भी समझे क करनेवाला मैं नहीं ँ बक गुणाें क अवथा ही
चतन में हमें िनयु करती है, मैं गुणाें ारा ेरत हाेकर कम में बरतता ँ
अथवा ‘मैं इ ारा संचालत ँ’– एेसा देखे अाैर जब इस कार अकम
देखने क मता अा जाय अाैर धारावाहक प से कम हाेता रहे, तभी
समझना चाहये क कम सही दशा में हाे रहा है। वही पुष मनुयाें में
बु मान् है, मनुयाें में याेगी है, याेग से यु बु वाला है अाैर सपूण कमाे
काे करनेवाला है। उसके ारा कम करने में ले शमा भी ुट नहीं रह जाती।

सारांशत: अाराधना ही कम है, उस कम काे करें अाैर करते ए अकम
देखें क मैं ताे य मा ँ, करानेवाला इ है अाैर मैं गुणाें से उप अवथा
के अनुसार ही चेा कर पाता ँ। जब अकम क यह मता अा जाय अाैर
धारावाहक कम हाेता रहे, तभी परमकयाण क थित दलानेवाला कम हाे
पाता है। ‘पूय महाराज जी’ कहा करते थे क, ‘‘जब तक इ रथी न हाे
जाय, राेकथाम न करने लगे, तब तक सही माा में साधना का अार ही
नहीं हाेता।’’ इसके पूव जाे कुछ भी कया जाता है, कम में वेश के यास
से अधक कुछ भी नहीं है। हल का सारा भार बैलाें के कधाें पर ही रहता है,
फर भी खेत क जुताई हलवाहे क देन है। ठक इसी कार साधन का सारा
भार साधक के ऊपर ही रहता है; कत वातवक साधक ताे इ है जाे
उसके पीछे लगा अा है, जाे उसका मागदशन करता है। जब तक इ िनणय
न दें, तब तक अाप समझ ही नहीं सकंे गे क हमसे अा ा हम कृित में
भटक रहे हैं या परमाा में इस कार इ के िनदेशन में जाे साधक इस
अाक पथ पर असर हाेता है, अपने काे अक ा समझकर धारावाहक
कम करता है वही बु मान् है, उसक जानकार यथाथ है, वही याेगी है।

ीकृण के अनुसार जाे कुछ कया जाता है, कम नहीं है। कम एक
िनधारत क ई या है। ‘िनयतं कु कम वम्’– अजुन तू िनधारत कम
काे कर। िनधारत कम है ा तब बताया, ‘याथाकमणाेऽय लाेकाेऽयं
कमबधन:।’– य काे कायप देना ही कम है। ताे इसके अितर जाे कुछ
कया जाता है, ा वह कम नहीं है ीकृण कहते हैं, ‘अय लाेकाेऽयं
कमबधन:’– इस य काे कायप देने के सवाय जाे कुछ कया जाता है,
वह इसी लाेक का बधन है, न क कम। ‘तदथ कम’– अजुन उस य क
पूित के लये भल कार अाचरण कर। अाैर जब य का वप बताया ताे
वह श प से अाराधना क एक वध-वशेष है, जाे उस अाराय देव तक
पँचाकर उसमें वलय दलाता है।

इस य में इयाें का दमन, मन का शमन, दैवी सपद् का अजन


इयाद बताते ए अत में कहा– बत से याेगी ाण अाैर अपान क गित का
िनराेध करके ाणायाम के परायण हाे जाते हैं। जहाँ न भीतर से संकप
उठता है अाैर न बा वातावरण का संकप मन के अदर व हाे पाता है,
एेसी थित में च का सवथा िनराेध अाैर िन च के भी वलयकाल में
वह पुष ‘यात  सनातनम्’– शा त, सनातन  में वेश पा जाता है।
यही सब य है, जसे कायप देने का नाम कम है। अत: कम का श अथ
है ‘अाराधना’, कम का अथ है ‘भजन’, कम का अथ है ‘याेग-साधना’ काे
भल कार सपादत करना– जसका वशद वणन इसी अयाय में अागे अा
रहा है। यहाँ कम अाैर अकम का केवल वभाजन कया गया, जससे कम
करते समय उसे सही दशा द जा सके अाैर उस पर चला जा सके।

जासा वाभावक है क कम करते ही रहेंगे या कभी कमाे से टकारा


भी मले गा इस पर याेगे र कहते हैं–

यय सवे समारा: कामसपवजता:।


ाना दधकमाणं तमा: पडतं बुधा:।।१९।।

अजुन ‘यय सवे समारा:’– जस पुष के ारा सपूणता से अार


क ई या (जसे पछले ाेक में कहा क अकम देखने क मता अा
जाने पर कम में वृ रहनेवाला पुष सपूण कमाे का करनेवाला है। जसके
करने में ले शमा भी ुट नहीं है।) ‘कामसपवजता:’– मश: उथान
हाेते-हाेते इतनी सू हाे गयी क वासना अाैर मन के संकप-वकप से
ऊपर उठ गयी (कामना अाैर संकपाें का िनराेध हाेना मन क वजतावथा
है। अत: कम काेई एेसी वत है, जाे इस मन काे कामना अाैर संकप-
वकप से ऊपर उठा देता है।), उस समय ‘ाना दधकमाणम◌्’– अतम
संकप के भी शमन के साथ, जसे हम नहीं जानते, जसे जानने के लये
हम इक थे उस परमाा क य जानकार हाे जाती है। याक पथ
पर चलकर परमाा क य जानकार का नाम ही ‘ान’ है। उस ान के
साथ ही ‘दधकमाणम्’– कम सदा के लये दध हाे जाते हैं। जसे पाना था
पा लया, अागे काेई स ा नहीं जसक शाेध करें । इसलये कम करके ढूँ ढ़े
भी ताे कसे उस जानकार के साथ कम क अावयकता समा हाे जाती
है। एेसी थितवालाें काे ही बाेधवप महापुषाें ने ‘पडत’ कहकर
सबाेधत कया है। उनक जानकार पूण है। एेसी थितवाला महापुष करता
ा है रहता कैसे है उसक रहनी पर काश डालते हैं–

यकवा कमफलासं िनयतृ ाे िनराय:।


कमयभवृ ाेऽप नैव क कराेित स:।।२०।।

अजुन वह पुष सांसारक अाय से रहत हाेकर, िनयवत परमाा में


ही तृ रहकर, कमाे के फल परमाा क अास काे भी यागकर (ाेंक
परमाा भी अब भ नहीं है) कम में अछ कार बरतता अा भी कुछ
नहीं करता।

िनराशीयतच ाा यसवपरह:।


शाररं केवलं कम कुव ााेित कबषम्।।२१।।

जसने अत:करण अाैर शरर काे जीत लया है, भाेगाें क सपूण सामी
जसने याग द है, एेसे अाशारहत पुष का शरर केवल कम करता दखायी
भर पड़ता है। वतत: वह करता-धरता कुछ नहीं, इसलये पाप काे ा नहीं
हाेता। वह पूणव काे ा है, इसीलये अावागमन काे ा नहीं हाेता।

य छालाभसताे ातीताे वमसर:।


सम: स ावस ाै च कृवाप न िनबयते।।२२।।
अपने अाप जाे कुछ भी ा हाे उसी में सत रहनेवाला, सख-दु:ख,
राग-ेष अाैर हष-शाेकाद ाें से परे , ‘वमसर:’– ईयारहत तथा स
अाैर अस में समभाववाला पुष कमाे काे करके भी नहीं बँधता। स
अथात् जसे पाना था वह अब भ नहीं है अाैर वह कभी वलग भी नहीं
हाेगा, इसलये अस का भी भय नहीं है। इस कार स अाैर अस में
समभाववाला पुष कम करके भी नहीं बँधता। काैन-सा कम वह करता है
वही िनयत कम य क या। इसी काे दुहराते ए कहते हैं–

गतसय मुय ानावथतचेतस:।


यायाचरत: कम समं वलयते।।२३।।

अजुन ‘यायाचरत: कम’– य का अाचरण ही कम है अाैर सााकार


का नाम ही ान है। इस य का अाचरण करके सााकार के साथ ान में
थत, संगदाेष अाैर अास से रहत मु पुष के सपूण कम भल कार
वलन हाे जाते हैं। वे कम काेई परणाम उप नहीं कर पाते; ाेंक कमाे
का फल परमाा उनसे भ नहीं रह गया। अब फल में काैन-सा फल
लगेगा इसलये उन मु पुषाें काे अपने लये कम क अावयकता समा
हाे जाती है। फर भी लाेकसंह के लये वे कम करते ही हैं अाैर करते ए
भी वे इन कमाे में ल नहीं हाेते। जब करते हैं ताे ल ाें नहीं हाेते इस
पर कहते हैं–

 ापणं  हव ा ाै  णा तम्।


 ैव तेन गतयं  कमसमाधना।।२४।।
एेसे मु पुष का समपण  है, हव  है, अ भी  ही है
अथात्  प अ में  पी क ा ारा जाे हवन कया जाता है वह भी
 है। ‘ कमसमाधना’– जसके कम  का पश करके समाधथ हाे
चुके हैं, उसमें वलय हाे चुके हैं, एेसे महापुष के लये जाे ा हाेने याेय है
वह भी  ही है। वह करता-धरता कुछ नहीं, केवल लाेकसंह के लए कम
में बरतता है।

यह ताे ाि वाले महापुष के लण हैं; कत कम में वेश ले नेवाले
ारक साधक काैन-सा य करते हैं

पछले अयाय में ीकृण ने कहा– अजुन कम कर। काैन-सा कम
उहाेंने बताया, ‘िनयतं कु कम’– िनधारत कये ए कम काे कर। िनधारत
कम काैन-सा है , ताे ‘याथाकमणाेऽय लाेकाेऽयं कमबधन:।’ (३/९)–
अजुन य क या ही कम है। इस य के अितर अय जाे कुछ
कया जाता है, वह इसी लाेक का बधन है न क कम। कम ताे संसार-बधन
से माे दलाता है। अत: ‘तदथ कम काैतेय मुस: समाचर।।’– उस य
क पूित के लये संगदाेष से अलग रहकर भल कार य का अाचरण कर।
यहाँ याेगे र ने एक नवीन  दया क वह य है ा जसे करें अाैर कम
हमसे पार लगे उहाेंने कम क वशेषताअाें पर बल दया, बताया क य
अाया कहाँ से य देता ा है उसक वशेषताअाें का चण कया; कत
अभी तक यह नहीं बताया क य है ा

अब यहाँ उसी य काे प करते हैं–

दैवमेवापरे यं याेगन: पयुपासते।


 ा ावपरे यं येनैवाेपजु ित।।२५।।
गताेक में याेगे र ीकृण ने परमाथत महापुष के य का
िनपण कया; कत दूसरे याेगी जाे अभी उस त व में थत नहीं ए हैं,
या में वेश करनेवाले हैं, वे अार कहाँ से करें इस पर कहते हैं क
दूसरे याेगी लाेग ‘दैवम् यम्’ अथात् दैवी सपद् काे अपने दय में बलवती
बनाते हैं। जसके लये  ा का िनदेश था क इस य ारा तम लाेग
देवताअाें क उ ित कराे। याें-याें दय-देश में दैवी सपद् अजत हाेगी, वही
तहार गित हाेगी अाैर मश: परपर उ ित करके परमेय काे ा कराे।
दैवी सपद् काे दय-देश में बलवती बनाना वेशका ेणी के याेगयाें का य
है।

वह दैवी सपद् अयाय १६ के अारक तीन ाेकाें में वणत है, जाे है
ताे सबमें, केवल मह वपूण क य समझकर उसक जागृित करें , उसमें लगें।
इहीं काे इं गत करते ए याेगे र ने कहा– अजुन तू शाेक मत कर; ाेंक
तू दैवी सपद् काे ा अा है, तू मुझमें िनवास करे गा, मेरे ही शा त
वप काे ा करे गा; ाेंक यह दैवी सपद् परमकयाण के लये ही है
अाैर इसके वपरत अासर सपद् नीच अाैर अधम याेिनयाें का कारण है।
इसी अासर सपद् का हवन हाेने लगता है इसलये यह य है अाैर यहीं से
य का अार है।

दूसरे याेगी ‘ ा ाै’– पर परमाप अ में य के ारा ही य


का अनुान करते हैं। ीकृण ने अागे बताया– इस शरर में अधय मैं ँ।
याें का अधाता अथात् य जसमें वलय हाेते हैं, वह पुष मैं ँ। ीकृण
एक याेगी थे, स 
ु थे। इस कार दूसरे याेगीजन  पी अ में य
ु काे उ ेय बनाकर य का अनुान करते हैं,
अथात् यवप स 
ु के वप का यान करते हैं।
सारांशत: स 

ाेादनीयायये संयमा षु जु ित।


शदादवषयानय इया षु जु ित।।२६।।

अय याेगीजन ाेादक (ाे, ने, वचा, ज ा अाैर नासका) इयाें


काे संयमपी अ में हवन करते हैं अथात् इयाें काे वषयाें से समेटकर
संयत कर ले ते हैं। यहाँ अाग नहीं जलती। जैसे अ में डालने से हर वत
भसात् हाे जाती है, ठक इसी कार संयम भी एक अ है जाे इयाें के
सपूण बहमुखी वाह काे दध कर देता है। दूसरे याेगी लाेग शदादक
(शद, पश, प, रस अाैर गध) वषयाें काे इयपी अ में हवन कर
देते हैं अथात् उनका अाशय बदलकर साधनापरक बना ले ते हैं।

साधक काे संसार में रहकर ही ताे भजन करना है। सांसारक लाेगाें के
भले -बुरे शद उससे टकराते ही रहते हैं। वषयाे ेजक एेसे शदाें काे सनते ही
साधक उनके अाशय काे याेग, वैराय सहायक, वैरायाे ेजक भावाें में
बदलकर इयपी अ में हवन कर देते हैं। जैसा क एक बार अजुन
अपने चतन में रत था, अकात् उसके कण-कुहराें में संगीत-लहर झनझना
उठ। उसने सर उठाकर देखा ताे उवशी खड़ थी, जाे एक असरा थी। सभी
उसके प पर मुध हाे झूम रहे थे; कत अजुन ने उसे ेहल  से
मातृवत् देखा। उस शद, प से मलनेवाले वकार वलन हाे गये। इयाें
के अतराल में ही समाहत हाे गये।
यहाँ इय ही अ है। अ में डाल ई वत जैसे भसात् हाे जाती
है, इसी कार अाशय बदलकर इ के अनुकूल ढाल ले ने पर वषयाे ेजक
प, रस, गध, पश अाैर शद भी भ हाे जाते हैं, साधक पर कुभाव
नहीं डाल पाते। साधक इन शदादकाें में च नहीं ले ता, इहें हण नहीं
करता।

इन ाेकाें में ‘अपरे ’, ‘अये’ शद एक ही साधक क ऊँची-नीची अवथाएँ


हैं, एक ही यक ा का ऊँचा-नीचा तर है, न क ‘अपरे ’, ‘अपरे ’ कहने से
काेई अलग-अलग य।

सवाणीयकमाण ाणकमाण चापरे ।


अासंयमयाेगा ाै जु ित ानदपते।।२७।।

अभी तक याेगे र ने जस य क चचा क, उसमें मश: दैवी सपद्


काे अजत कया जाता है, इयाें क सपूण चेाअाें का संयम कया जाता
है, बलात् वषयाे ेजक शदादकाें के टकराने पर भी उनका अाशय बदलकर
उनसे बचा जाता है। इससे उ त अवथा हाेने पर दूसरे याेगीजन सपूण
इयाें क चेाअाें तथा ाण के यापार काे सााकारसहत ान से
काशत परमाथितपी याेगा में हवन करते हैं। जब संयम क पकड़
अाा के साथ तूप हाे जाती है, ाण अाैर इयाें का यापार भी शात हाे
जाता है, उस समय वषयाें काे उ  करनेवाल अाैर इ में वृ
दलानेवाल दाेनाें धाराएँ अासात् हाे जाती हैं। परमाा में थित मल
जाती है। य का परणाम िनकल अाता है। यह है य क पराकाा। जस
परमाा काे पाना था, उसी में थित अा गयी ताे शेष ा रहा पुन:
याेगे र ीकृण य काे भल कार समझाते हैं–

ययातपाेया याेगयातथापरे ।
वायायानया यतय: संशतता:।।२८।।

अनेक लाेग यय करते हैं अथात् अापथ में, महापुषाें क सेवा में
प-पुप अपत करते हैं। वे समपण के साथ महापुषाें क सेवा में य
लगाते हैं। ीकृण अागे कहते हैं– भभाव से प, पुप, फल, जल जाे कुछ
भी मुझे देता है, उसे मैं खाता ँ अाैर उसका परमकयाण-सृजन करनेवाला
हाेता ँ। यह भी य है। हर अाा क सेवा करना, भूले ए काे अापथ
पर लाना यय है; ाेंक ाकृितक संकाराें काे जलाने में समथ है।

इसी कार कई पुष ‘तपाेया:’– वधम पालन में इयाें काे तपाते हैं
अथात् वभाव से उप मता के अनुसार य क िन अाैर उ त
अवथाअाें के बीच तपते हैं। इसी पथ क अपता में पहल ेणी का
साधक शू परचया ारा, वैय दैवी सपद् के संह ारा, िय काम-
ाेधाद के उूलन ारा अाैर ा ण  में वेश क याेयता के तर से
इयाें काे तपाता है। सबकाे एक-जैसा परम करना पड़ता है। वातव में
य एक ही है। अवथा के अनुसार ऊँची-नीची ेणयाँ गुजरती जाती हैं।

‘पूय महाराज जी’ कहते थे– ‘‘मनसहत इयाें अाैर शरर काे लय के
अनुप तपाना ही तप कहलाता है। ये लय से दूर भागेंगे, इहें समेटकर
उधर ही लगाअाे।’’
अनेक पुष याेगय का अाचरण करते हैं। कृित में भटकती ई अाा
का कृित से परे परमाा से मलन का नाम ‘याेग’ है। याेग क परभाषा
अयाय ६/२३ में य है। सामायत: दाे वतअाें का मलन याेग कहलाता
है। कागज से कलम मल गया, थाल अाैर मेज मल गये ताे ा याेग हाे
गया नहीं, ये ताे पंचभूताें से िनमत पदाथ हैं। एक ही हैं, दाे कहाँ दाे
कृित अाैर पुष हैं। कृित में थत अाा अपने ही शा त प परमाा में
वेश पा जाता है ताे कृित पुष में वलन हाे जाती है। यही याेग है। अत:
अनेक पुष इस मलन में सहायक शम, दम इयाद िनयमाें का भल कार
अाचरण करते हैं। याेगय करनेवाले तथा अहंसाद तीण ताें से यु
य शील पुष ‘वायायानया’– वयं का अययन, वप का अययन
करनेवाले ानय के क ा हैं। यहाँ याेग के अंगाें (यम, िनयम, अासन,
ाणायाम, याहार, धारणा, यान अाैर समाध) काे अहंसाद तीण ताें से
िनद कया गया है। अनेक लाेग वायाय करते हैं। पुतक पढ़ना ताे
वायाय का अारक तर मा है। वश वायाय है वयं का अययन,
जससे वप क उपलध हाेती है, जसका परणाम है ान अथात्
सााकार।

य का अगला चरण बताते हैं–

अपाने जु ित ाणं ाणेऽपानं तथापरे ।


ाणापानगती  ा ाणायामपरायणा:।।२९।।

बत से याेगी अपानवायु में ाणवायु काे हवन करते हैं अाैर उसी कार
ाणवायु में अपानवायु काे हवन करते हैं। इससे सू अवथा हाे जाने पर
अय याेगीजन ाण अाैर अपान दाेनाें क गित राेककर ाणायामपरायण हाे
जाते हैं।

जसे ीकृण ाण-अपान कहते हैं, उसी काे महाा बु ‘अनापान’ कहते
हैं। इसी काे उहाेंने ास- ास भी कहा है। ाण वह ास है जसे अाप
भीतर खींचते हैं अाैर अपान वह ास है जसे अाप बाहर छाेड़ते हैं। याेगयाें
क अनुभूित है क अाप ास के साथ बा वायुमडल के संकप भी हण
करते हैं अाैर  ास में इसी कार अातरक भले -बुरे चतन क लहर फंे कते
रहते हैं। बा कसी संकप का हण न करना ाण का हवन है तथा भीतर
संकपाें काे न उठने देना अपान का हवन है। न भीतर से कसी संकप का
फुरण हाे अाैर न ही बा दुिनया में चलनेवाले चतन अदर ाेभ उप कर
पायें, इस कार ाण अाैर अपान दाेनाें क गित सम हाे जाने पर ाणाें का
याम अथात् िनराेध हाे जाता है, यही ाणायाम है। यह मन क वजतावथा
है। ाणाें का कना अाैर मन का कना एक ही बात है।

येक महापुष ने इस करण काे लया है। वेदाें में इसका उ े ख है–
‘चवार वाक् परमता पदािन’ (ऋवेद १/१६४/४५, अथववेद ९/१५/२७) इसी
काे ‘पूय महाराज जी’ कहा करते थे– ‘‘हाे एक ही नाम चार ेणयाें से
जपा जाता है– बैखर, मयमा, पयती अाैर परा। बैखर उसे कहते हैं जाे
य हाे जाय। नाम का इस कार उ ारण हाे क अाप सनें अाैर बाहर काेई
बैठा हाे ताे उसे भी सनायी पड़े। मयमा अथात् मयम वर में जप, जसे
केवल अाप ही सनें, बगल में बैठा अा य भी उस उ ारण काे सन न
सके। यह उ ारण कठ से हाेता है। धीरे -धीरे नाम क धुन बन जाती है, डाेर
लग जाती है। साधना अाैर सू हाे जाने पर पयती अथात् नाम देखने क
अवथा अा जाती है। फर नाम काे जपा नहीं जाता, यही नाम ास में ढल
जाता है। मन काे ा बनाकर खड़ा कर दें, देखते भर रहें क साँस अाती है
कब बाहर िनकलती है कब कहती है ा ’’ महापुषाें का कहना है क
यह साँस नाम के सवाय अाैर कुछ कहती ही नहीं। साधक नाम का जप नहीं
करता, केवल उससे उठनेवाल धुन काे सनता है। साँस काे देखता भर है,
इसलये इसे ‘पयती’ कहते हैं।

पयती में मन काे ा के प में खड़ा करना पड़ता है; कत साधन
अाैर उ त हाे जाने पर सनना भी नहीं पड़ता। एक बार सरत लगा भर दें,
वत: सनायी देगा। ‘जपै न जपावै, अपने से अावै।’– न वयं जपें, न मन काे
सनने के लए बाय करें अाैर जप चलता रहे, इसी का नाम है अजपा। एेसा
नहीं क जप ार ही न करें अाैर अा गयी अजपा। यद कसी ने जप नहीं
अार कया, ताे अजपा नाम क काेई भी वत उसके पास नहीं हाेगी।
अजपा का अथ है, हम न जपें कत जप हमारा साथ न छाेड़े। एक बार
सरत का काँटा लगा भर दें ताे जप वाहत हाे जाय अाैर अनवरत चलता
रहे। इस वाभावक जप का नाम है अजपा अाैर यही है ‘परावाणी का जप’।
यह कृित से परे त व परमाा में वेश दलाती है। इसके अागे वाणी में
काेई परवतन नहीं है। परम का ददशन कराके उसी में वलन हाे जाती है,
इसीलये इसे परा कहते हैं।

तत ाेक में याेगे र ीकृण ने केवल ास पर यान रखने काे कहा,
जबक अागे वयं अाेम् के जप पर बल देते हैं। गाैतम बु भी ‘अनापान
सती’ में ास- ास क ही चचा करते हैं। अतत: वे महापुष कहना ा
चाहते हैं वतत: ार में बैखर, उससे मयमा अाैर उससे उ त हाेने पर
जप क पयती अवथा में ास पकड़ में अाता है। उस समय जप ताे ास
में ढला मले गा, फर जपें ा फर ताे केवल ास काे देखना भर है।
इसलये ाण-अपान मा कहा, ‘नाम जपाे’– एेसा नहीं कहा, कारण क कहने
क अावयकता नहीं है। यद कहते हैं ताे गुमराह हाेकर नीचे क ेणयाें में
चर काटने लगेगा। महाा बु , ‘गुदेव भगवान’ तथा येक महापुष जाे
इस राते से गुजरे हैं, सभी एक ही बात कहते हैं। बैखर अाैर मयमा नाम-
जप के वेश-ार मा हैं। पयती से ही नाम में वेश मलता है। परा में
नाम धारावाही हाे जाता है, जससे जप साथ नहीं छाेड़ता।

मन ास के साथ जुड़ा है। जब ास पर  है, ास में नाम ढल


चुका है, भीतर से न ताे कसी संकप का उथान है अाैर न बा वायुमडल
के संकप भीतर वेश कर पाते हैं, यही मन पर वजय क अवथा है। इसी
के साथ य का परणाम िनकल अाता है।

अपरे िनयताहारा: ाणााणेषु जु ित।


सवेऽयेते यवदाे यपतकषा:।।३०।।

दूसरे िनयमत अाहार करनेवाले ाण काे ाण में ही हवन करते हैं।

‘पूय महाराज जी’ कहा करते थे क, ‘‘याेगी का अाहार ढ़, अासन ढ़
अाैर िना ढ़ हाेनी चाहये।’’ अाहार-वहार पर िनय ण बत अावयक है।
एेसे अनेक याेगी ाण काे ाण में ही हवन कर देते हैं अथात् ास ले ने पर
ही यान केत रखते हैं,  ास पर यान नहीं देते। साँस अायी ताे सना
‘अाेम्’, पुन: साँस अायी ताे ‘अाेम्’ सनते रहें। इस कार याें ारा न
पापवाले ये सभी पुष य के जानकार हैं। इन िनद वधयाें में से यद
कहीं से भी करते हैं ताे वे सभी य के ाता हैं। अब य का परणाम बताते
हैं–
यशामृतभुजाे यात  सनातनम्।
नायं लाेकाेऽययय कुताेऽय: कुस म।।३१।।

कुे अजुन ‘यशामृतभुजाे’– य जसक सृ करता है, जसे


अवशेष छाेड़ता है, वह है अमृत। उसक य जानकार ान है। उस
ानामृत काे भाेगने अथात् ा करनेवाले याेगीजन ‘यात  सनातनम्’–
शा त सनातन पर काे ा हाेते हैं। य काेई एेसी वत है, जाे पूण हाेते
ही सनातन पर में वेश दला देती है। य न करें ताे अाप ा है
ीकृण कहते हैं क यरहत पुष काे पुन: यह मनुयलाेक अथात् मानव-
शरर भी सलभ नहीं हाेता, फर अय लाेक कैसे सखदायी हाेंगे उसके लये
ताे ितयक् याेिनयाँ सरत हैं, इससे अधक कुछ नहीं। अत: य करना
मनुय मा के लये िनतात अावयक है।

एवं बवधा या वतता  णाे मुखे।


कमजाव तासवानेवं ावा वमाेयसे।।३२।।

इस कार उपयु बत कार के य वेद क वाणी में कहे गये हैं, 
के मुख से वतारत हैं। ाि के पात् महापुषाें के शरर काे पर धारण
कर ले ता है।  से अभ अवथावाले उन महााअाें क बु मा य
हाेती है। उनके ारा वह  ही बाेलता है। उनक वाणी में इन याें का
वतार कया गया है।

इन सब याें काे तू ‘कमजान् व ’– कम से उप अा जान। यही


पहले भी कह अाये हैं– ‘य: कमसमु व:’ (३/१४)। उहें इस कार
याक चलकर जान ले ने पर (अभी बताया था, य करके जनका पाप
न हाे चुका हाे, वही य के यथाथ ाता हैं) अजुन तू ‘वमाेयसे’– संसार-
बधन से पूणत: ट जायेगा। यहाँ याेगे र ने कम प कर दया। वह
हरकत कम है, जससे उपयु य पूण हाेते हैं।

ु का यान, इयाें का संयम,


अब यद दैवी सपद् का अजन, स  ास
का  ास में हवन,  ास का ास में हवन, ाण-अपान क गित का िनराेध
खेती करने से हाेता हाे; यापार, नाैकर या राजनीित करने से हाेता हाे ताे
अाप करये। य ताे एेसी या है, जाे पूण हाेते ही तण पर में वेश
दला देती है। बा कसी भी काय से अाप तण  में वेश पा जाते हाें
ताे कजये।

वतत: यह सब-के-सब य चतन क अत:याएँ हैं, अाराधना का


चण है, जससे अारायदेव वदत हाेता है। य उस अाराय तक क दूर
तय करने क िनधारत या-वशेष है। यह य ास- ास, ाणायाम
इयाद जस या से सप हाेते हैं, उस काय-णाल का नाम कम है।
कम का श अथ है– ‘अाराधना’, ‘चतन’।

ाय: लाेग कहते हैं क संसार में कुछ भी कया जाय, हाे गया कम।
कामना से रहत हाेकर कुछ भी करते जाअाे, हाे गया िनकाम कमयाेग। काेई
कहता है क अधक लाभ के लये वदेशी व बेचते हैं ताे अाप सकामी हैं।
देश-सेवा के लये वदेशी बेचें ताे हाे गया िनकाम कमयाेग। िनापूवक नाैकर
करें , हािन-लाभ क चता से मु हाेकर यापार करें , हाे गया िनकाम
कमयाेग। जय-पराजय क भावना से मु हाे यु करें , चुनाव लड़ंे , हाे गये
िनकमी। मराेगे ताे मु हाे जायेगी। वतत: एेसा कुछ भी नहीं है। याेगे र
ीकृण ने प शदाें में बताया क इस िनकाम कम में िनधारत या एक
ही है– ‘यवसायाका बु रे केह कुनदन।’ अजुन तू िनधारत कम काे
कर। य क या ही कम है। य ा है ास-  ास का हवन,
इयाें का संयम, यवप महापुष का यान, ाणायाम– ाणाें का
िनराेध। यही मन क वजतावथा है। मन का ही सार जगत् है। ीकृण के
ही शदाें में, ‘इहैव तैजत: सगाे येषां साये थतं मन:।’ (५/१९)– उन पुषाें
ारा चराचर जगत् यहीं जीत लया गया, जनका मन समव में थत है।
भला मन के समव अाैर जगत् के जीतने से ा सबध है यद जगत् काे
जीत ही लया ताे का कहाँ पर तब कहते हैं– वह  िनदाेष अाैर सम है,
इधर मन भी िनदाेष अाैर समव क थितवाला हाे गया, अत: वह  में
थत हाे जाता है।

सारांशत: मन का सार ही जगत् है। चराचर जगत् ही हवन-सामी के


प में है। मन के सवथा िनराेध हाेते ही जगत् का िनराेध हाे जाता है। मन
के िनराेध के साथ ही य का परणाम िनकल अाता है। य जसक सृ
करता है, उस ानामृत का पान करनेवाला पुष सनातन  में व हाे
जाता है। यह सभी य  थत महापुषाें क वाणी ारा कहे गये हैं। एेसा
नहीं क अलग-अलग सदायाें के साधक अलग-अलग कार के य करते
हैं, बक ये सभी य एक ही साधक क ऊँची-नीची अवथाएँ हैं। यह य
जससे हाेने लगे, उस या का नाम कम है। सपूण गीता में एक भी ाेक
एेसा नहीं है, जाे सांसारक काय-यापाराें का समथन करता हाे।

ाय: य का नाम अाने पर लाेग बाहर एक य-वेद बनाकर ितल, जाै


ले कर ‘वाहा’ बाेलते ए हवन ार कर देते हैं। यह एक धाेखा है। यय
दूसरा है, जसे ीकृण ने कई बार कहा। पशबल, वत-दाह इयाद से
इसका काेई सबध नहीं है।
ेयायमया ाानय: परतप।
सव कमाखलं पाथ ाने परसमायते।।३३।।

अजुन सांसारक याें से स हाेनेवाले य क अपेा ानय


जसका परणाम ान (सााकार) है, य जसक सृ करता है उस
अमृतत व क जानकार का नाम ान है, एेसा य ेयकर है,
परमकयाणकार है। हे पाथ सपूण कम ान में शेष हाे जाते हैं,
‘परसमायते’– भल कार समाहत हाे जाते हैं। ान य क पराकाा है।
उसके पात् कम कये जाने से न काेई लाभ है अाैर न छाेड़ देने से उस
महापुष क काेई ित ही हाेती है।

इस कार भाैितक याें से हाेनेवाले य भी य हैं; कत उस य क


तलना में, जसका परणाम सााकार है, उस ानय क अपेा अयत
अप हैं। अाप कराेड़ाें का हवन करें , सैकड़ाें यवेद बना लें , सपथ पर य
लगावें, साधु-सत-महापुषाें क सेवा में य लगावें; कत इस ानय क
अपेा अयत अप हैं। वतत: य ास- ास का है, इयाें के संयम
का है, मन के िनराेध का है, जैसा ीकृण अभी बता अाये हैं। इस य काे
ा कहाँ से कया जाय उसक वध कहाँ से सीखें मदराें, म दाें,
गरजाघराें में मले गा या पुतकाें में तीथयााअाें में मले गा या ान करने से
मले गा ीकृण कहते हैं– नहीं, उसका ताे एक ही ाेत है त वथत
महापुष।

त णपातेन परेन सेवया।


उपदेयत ते ानं ािननत वदशन:।।३४।।
इसलये अजुन तू त वदशी महापुष के पास जाकर भल कार णत
हाेकर (दडवत्-णाम करके, अहंकार यागकर, शरण हाेकर) भल कार
सेवा करके, िनकपट भाव से  करके तू उस ान काे जान। वे त व काे
जाननेवाले ानीजन तेरे लये उस ान का उपदेश करें गे, साधना-पथ पर
चलायेंगे। समपत भाव से सेवा करने के उपरात ही इस ान काे सीखने क
मता अाती है। त वदशी महापुष परमत व परमाा का य ददशन
करनेवाले हैं। वे य क वध-वशेष के ाता हैं अाैर वही अापकाे भी
सखायेंगे। यद अय य हाेता, ताे ानी-त वदशी क ा अावयकता थी

वयं भगवान के सामने ही ताे अजुन खड़ा था, भगवान उसे त वदशी के
पास ाें भेजते हैं वतत: ीकृण एक याेगी थे। उनका अाशय है क अाज
ताे अनुरागी अजुन मेरे सम उपथत है, भवय में अनुरागयाें काे कहीं म
न हाे जाय क ीकृण ताे चले गये, अब कसक शरण जायँ इसलये
उहाेंने प कया क त वदशी के पास जाअाे। वे ानीजन तझे उपदेश
करें गे। अाैर–

यावा न पुनमाेहमेवं यायस पाडव।


येन भूतायशेषेण ययायथाे मय।।३५।।

उस ान काे उनके ारा समझकर तू इस कार फर कभी माेह काे ा
नहीं हाेगा। उनसे द गयी जानकार के ारा उस पर चलते ए तू अपनी
अाा के अतगत सपूण भूताें काे देखेगा अथात् सभी ाणयाें में इसी अाा
का सार देखेगा। जब सव एक ही अाा के सार काे देखने क मता
अा जायेगी, उसके पात् तू मुझमें वेश करे गा। अत: उस परमाा काे पाने
का साधन ‘त वथत महापुष’ के ारा है। ान के सबध में, धम अाैर
शा त सय के सबध में ीकृण के अनुसार कसी त वदशी से ही पूछने
का वधान है।

अप चेदस पापेय: सवेय: पापकृ म:।


सव ानवेनैव वृजनं सतरयस।।३६।।

यद तू सब पापयाें से भी अधक पाप करनेवाला है, तब भी ानपी


नाैका ारा सभी पापाें से िन:सदेह भल कार तर जायेगा। इसका अाशय
अाप यह न लगा लें क अधक-से-अधक पाप करके कभी भी तर जायेंगे।
ीकृण का अाशय मा यही है क कहीं अाप म में न रहें क ‘हम ताे बड़े
पापी हैं’, ‘हमसे पार नहीं लगेगा’– एेसी काेई गुंजाइश न िनकालें , इसलये
ीकृण ाेसाहन अाैर अा ासन देते हैं क सब पापयाें के पापाें के समूह से
भी अधक पाप करनेवाला हाे, फर भी त वदशयाें से ा ानपी नाैका
ारा िन:सदेह सपूण पापाें काे अछ कार पार कर जायेगा। कस कार –

यथैधांस सम ाेऽ भसाकुतेऽजुन।


ाना : सवकमाण भसाकुते तथा।।३७।।

अजुन जस कार वलत अ इ धन काे भ कर देती है, ठक उसी
कार ानपी अ सपूण कमाे काे भ कर देती है। यह ान क
वेशका नहीं है जहाँ से य में वेश मलता है वरन् यह ान अथात्
सााकार क पराकाा का चण है, जसमें पहले वजातीय कम भ हाेते
हैं अाैर फर ाि के साथ चतन-कम भी उसी में वलय हाे जाते हैं। जसे
पाना था पा लया, अब अागे चतन कर कसे ढूँ ढ़े एेसा सााकारवाला
ानी सपूण शभाशभ कमाे का अत कर ले गा। वह सााकार हाेगा कहाँ
बाहर हाेगा अथवा भीतर इस पर कहते हैं–

न ह ानेन स शं पवमह व ते।


तवयं याेगसंस : काले नािन वदित।।३८।।

इस संसार में ान के समान पव करनेवाला िन:सदेह कुछ भी नहीं है।
इस ान (सााकार) काे तू वयं (दूसरा नहीं) याेग क परप अवथा में
(अार में नहीं) अपनी अाा के अतगत दय-देश में ही अनुभव करे गा,
बाहर नहीं। इस ान के लये काैन-सी याेयता अपेत है याेगे र के ही
शदाें में–

 ावाँ भते ानं तपर: संयतेय:।


ानं लवा परां शातमचरे णाधगछित।।३९।।

 ावान्, तपर तथा संयतेय पुष ही ान ा कर पाता है।


भावपूवक जासा नहीं है ताे त वदशी क शरण जाने पर भी ान नहीं ा
हाेता। केवल  ा ही पया नहीं है,  ावान् शथल य भी हाे सकता है।
अत: महापुष ारा िनद पथ पर तपरता से असर हाेने क लगन
अावयक है। इसके साथ ही सपूण इयाें का संयम अिनवाय है। जाे
वासनाअाें से वरत नहीं है, उसके लये सााकार (ान क ाि ) कठन है।
केवल  ावान्, अाचरणरत संयतेय पुष ही ान ा करता है। ान काे
ा कर वह तण परमशात काे ा हाे जाता है, जसके पात् कुछ भी
पाना शेष नहीं रहता। यही अतम शात है। फर वह कभी अशात नहीं
हाेता। अाैर जहाँ  ा नहीं है–

अा धान संशयाा वनयित।


नायं लाेकाेऽत न पराे न सखं संशयान:।।४०।।

अानी, जाे य क वध-वशेष से अनभ है एवं  ारहत तथा


संशययु पुष इस परमाथ पथ से  हाे जाता है। उनमें भी संशययु
पुष के लये न ताे सख है, न पुन: मनुय-शरर है अाैर न परमाा ही।
अत: त वदशी महापुष के पास जाकर इस पथ के संशयाें का िनवारण कर
ले ना चाहये अयथा वे वत का परचय कभी नहीं पायेंगे। फर पाता काैन
है –

याेगस यतकमाणं ानसछ संशयम्।


अावतं न कमाण िनब त धन य।।४१।।

जसके कम याेग ारा भगवान में समाहत हाे चुके हैं, जसका सपूण
संशय परमाा क य जानकार ारा न हाे गया है, परमाा से संयु
एेसे पुष काे कम नहीं बाँधते। याेग के ारा ही कमाे का शमन हाेगा, ान
से ही संशय न हाेगा। अत: ीकृण कहते हैं–

तादानसूतं थं ानासनान:।


छ वैनं संशयं याेगमािताे  भारत।।४२।।
इसलये भरतवंशी अजुन तू याेग में थत हाे अाैर अान से उप ए
दय में थत अपने इस संशय काे ानपी तलवार से काट। यु के लये
़ ड़ा हाे। जब सााकार में बाधक संशयपी शु मन के भीतर है ताे बाहर

काेई कसी से ाें लड़ेगा वतत: जब अाप चतन-पथ पर असर हाेते हैं,
तब संशय से उप बा वृ याँ बाधा के प में वाभावक हैं। ये शु के
प में भयंकर अामण करती हैं। संयम के साथ य क वध-वशेष का
अाचरण करते ए इन वकाराें का पार पाना ही यु है, जसका परणाम
परमशात है। यही अतम वजय है, जसके पीछे हार नहीं है।

िनकष—

इस अयाय के अार में याेगे र ीकृण ने कहा क इस याेग काे


अार में मैंने सूय के ित कहा, सूय ने मनु से अाैर मनु ने इवाकु के ित
कहा अाैर उनसे राजषयाें ने जाना। मैंने अथवा अय थितवाले ने कहा।
महापुष भी अय वपवाला ही है। शरर ताे उसके रहने का मकान मा
है। एेसे महापुष क वाणी में परमाा ही वाहत हाेता है। एेसे कसी
महापुष से याेग सूय ारा संचारत हाेता है। उस परम काशप का सार
सरा के अतराल में हाेता है इसलये सूय के ित कहा। ास में संचारत
हाेकर वे संकारप में अा गये। सरा में संचत रहने पर, समय अाने पर
वही मन में संकप बनकर अा जाता है। उसक मह ा समझने पर मन में
उस वा के ित इछा जागृत हाेती है अाैर याेग कायप ले ले ता है।
मश: उथान करते-करते यह याेग ऋ याें-स याें क राजषव ेणी तक
पँचने पर न हाेने क थित में जा पँचता है; कत जाे य भ है,
अनय सखा है उसे महापुष ही सँभाल ले ते हैं।
अजुन के  करने पर क अापका ज ताे अब अा है। याेगे र
ीकृण ने बताया– अय, अवनाशी, अजा अाैर सपूण भूताें में वाहत
हाेने पर भी अामाया, याेग-या ारा अपनी िगुणमयी कृित काे वश में
करके मैं कट हाेता ँ। कट हाेकर करते ा हैं साय वतअाें काे
पराण देने तथा जनसे दूषत उप हाेते हैं उनका वनाश करने के लये,
परमधम परमाा काे थर करने के लये मैं अार से पूितपयत पैदा हाेता
ँ। मेरा वह ज अाैर कम दय है। उसे केवल त वदशी ही जान पाते हैं।
भगवान का अावभाव ताे कलयुग क अवथा से ही हाे जाता है, यद स ी
लगन हाे; कत अारक साधक समझ ही नहीं पाता क यह भगवान बाेल
रहे हैं या याेंही संकेत मल रहे हैं। अाकाश से काैन बाेलता है ‘महाराज जी’
बताते थे क जब भगवान कृपा करते हैं, अाा से रथी हाे जाते हैं ताे खे
से, वृ से, प े से, शूय से हर थान से बाेलते अाैर सँभालते हैं। उथान
हाेते-हाेते जब परमत व परमाा वदत हाे जाय, तभी पश के साथ ही वह
प समझ पाता है। इसलये अजुन मेरे उस वप काे त वदशयाें ने देखा
अाैर मुझे जानकर वे तण मुझमें ही व हाे जाते हैं, जहाँ से पुन:
अावागमन में नहीं अाते।

इस कार उहाेंने भगवान के अावभाव क वध काे बताया क वह


कसी अनुरागी के दय में हाेता है, बाहर कदाप नहीं। ीकृण ने बताया–
मुझे कम नहीं बाँधते अाैर इस तर से जाे जानता है, उसे भी कम नहीं
बाँधते। यही समझकर मुमु पुषाें ने कम का अार कया था क उस तर
से जानेंगे ताे जैसे ीकृण वैसा ही उस तर से जाननेवाला वह पुष, अाैर
जान ले ने पर वैसा ही वह मुमु अजुन। यह उपलध िनत है, यद य
कया जाय। य का वप बताया। य का परणाम परमत व, परमशात
बताया। इस ान काे पाया कहाँ जाय इस पर कसी त वदशी के पास जाने
अाैर उहीं वधयाें से पेश अाने काे कहा, जससे वे महापुष अनुकूल हाे
जायँ।

याेगे र ने प कया क वह ान तू वयं अाचरण करके पायेगा, दूसरे


के अाचरण से तझे नहीं मले गा। वह भी याेग क स के काल में ा
हाेगा, ार में नहीं। वह ान (सााकार) दय-देश में हाेगा, बाहर नहीं।
 ाल, तपर, संयतेय एवं संशयरहत पुष ही उसे ा करता है। अत:
दय में थत अपने संशय काे वैराय क तलवार से काट। यह दय-देश क
लड़ाई है। बा यु से गीताे यु का काेई याेजन नहीं है।

इस अयाय में याेगे र ीकृण ने मुय प से य का वप प


कया अाैर बताया क य जससे पूरा हाेता है, उसे करने (काय-णाल) का
नाम कम है। कम काे भल कार इसी अयाय में प कया, अत:–

ॐ तसदित ीम गव तासूपिनषस  व ायां याेगशाे ीकृणाजुनसवादे


‘यकमपीकरणम्’ नाम चतथाेऽयाय:।।४।।

इस कार ीम गव तापी उपिनषद् एवं  व ा तथा याेगशा


वषयक ीकृण अाैर अजुन के सवाद में ‘यकम-पीकरण’ नामक चाैथा
अयाय पूण हाेता है।

इित ीमपरमहंसपरमानदय शय वामीअड़गड़ानदकृते ीम गव ताया:


‘यथाथगीता’ भाये ‘यकमपीकरणम्’ नाम चतथाेऽयाय:।।४।।

इस कार ीमत् परमहंस परमानद जी के शय वामी अड़गड़ानदकृत


‘ीम गव ता’ के भाय ‘यथाथ गीता’ में ‘यकम-पीकरण’ नामक चाैथा
अयाय पूण हाेता है।

।। हर: ॐ तसत् ।।
।। ॐ ी परमाने नम: ।।
।। अथ प माेऽयाय: ।।
अयाय तीन में अजुन ने  रखा क– भगवन् जब ानयाेग अापकाे
े माय है, ताे अाप मुझे भयंकर कमाे में ाें लगाते हैं अजुन काे
िनकाम कमयाेग क अपेा ानयाेग कुछ सरल तीत अा लगता है;
ाेंक ानयाेग में हारने पर देवव अाैर वजय में महामहम थित, दाेनाें ही
दशाअाें में लाभ ही लाभ तीत अा। अब तक अजुन ने भल कार समझ
लया है क दाेनाें ही मागाे में कम ताे करना ही पड़ेगा (याेगे र उसे
संशयरहत हाेकर त वदशी महापुष क शरण ले ने के लये भी ेरत करते
हैं; ाेंक समझने के लये वही एक थान है।) अत: दाेनाें मागाे में से एक
चुनने से पूव उसने िनवेदन कया–

अजुन उवाच

स यासं कमणां कृण पुनयाेगं च शंसस।


येय एतयाेरेकं ते ूह सिनतम्।।१।।

हे ीकृण अाप कभी संयास-मायम से कये जानेवाले कम क अाैर


कभी िनकाम-  से कये जानेवाले कम क शंसा करते हैं। इन दाेनाें में से
एक, जाे भल कार अापका िनय कया अा हाे, जाे परमकयाणकार हाे
उसे मेरे लये कहये। कहीं जाने के लये अापकाे दाे माग बताये जायँ ताे
अाप सवधाजनक माग अवय पूछेंगे। यद नहीं पूछते ताे अाप जानेवाले नहीं
हैं। इस पर याेगे र ीकृण ने कहा–

ीभगवानुवाच

स यास: कमयाेग िन:ेयसकरावुभाै।


तयाेत कमस यासाकमयाेगाे वशयते।।२।।

अजुन संयास-मायम से कया जानेवाला कम अथात् ानमाग से कया


जानेवाला कम अाैर ‘कमयाेग:’– िनकाम-भावना से कया जानेवाला कम– ये
दाेनाें ही परमेय काे दलानेवाले हैं; परत इन दाेनाें मागाे से संयास अथवा
ान  से कये जानेवाले कम क अपेा िनकाम कमयाेग े है। 
वाभावक है क े ाें है

ेय: स िनयस यासी याे न े न काित।


िनः ह महाबाहाे सखं बधामुयते।।३।।

महाबा अजुन जाे न कसी से ेष करता है, न कसी क अाकांा


करता है वह सदैव संयासी ही समझने याेय है। चाहे वह ानमाग से या
िनकाम कममाग से ही ाें न हाे। राग, ेषाद ाें से रहत वह पुष
सखपूवक भवबधन से मु हाे जाता है।

सा याेगाै पृथबाला: वदत न पडता:।


एकमयाथत: सयगुभयाेवदते फलम्।।४।।
िनकाम कमयाेग तथा ानयाेग इन दाेनाें काे वही अलग-अलग बताते हैं
जनक समझ इस पथ में अभी बत हक है, न क पूणाता पडत लाेग;
ाेंक दाेनाें में से एक में भी अछ कार थत अा पुष दाेनाें के फलप
परमाा काे ा हाेता है। दाेनाें का फल एक है, इसलये दाेनाें एक ही
समान हैं।

यसा ै: ायते थानं त ाेगैरप गयते।


एकं सा ं च याेगं च य: पयित स पयित।।५।।

जहाँ सांय-  से कम करनेवाला पँचता है, वहीं िनकाम-मायम से


कम करनेवाला भी पँचता है। इसलये जाे दाेनाें काे फल क  से एक
देखता है, वही यथाथ जाननेवाला है। जब दाेनाें एक ही थान पर पँचते हैं
ताे िनकाम कमयाेग वशेष ाें ीकृण बताते हैं–

स यासत महाबाहाे दु:खमा ुमयाेगत:।


याेगयुाे मुिन नचरे णाधगछित।।६।।

अजुन िनकाम कमयाेग का अाचरण कये बना ‘संयास:’– अथात्


सवव का यास ा हाेना दु:खद है। जब याेग का अाचरण ार ही नहीं
कया ताे असव-सा है। इसलये भगववप का मनन करनेवाला मुिन,
जसक मनसहत इयाँ माैन हैं, िनकाम कमयाेग का अाचरण करके
पर परमाा काे शी ही ा हाे जाता है।

प है क ानयाेग में िनकाम कमयाेग का ही अाचरण करना पड़ेगा;


ाेंक या दाेनाें में एक ही है– वही य क या, जसका श अथ है
‘अाराधना’। दाेनाें मागाे में अतर केवल क ा के काेण का है। एक अपनी
श काे समझकर हािन-लाभ देखते ए इसी कम में वृ हाेता है अाैर
दूसरा िनकाम कमयाेगी इ पर िनभर हाेकर इसी या में वृ हाेता है।
उदाहरणाथ, एक ाइवेट पढ़ता है दूसरा नाॅमनेट। दाेनाें का पाठ म एक है,
परा एक है, परक-िनरक दाेनाें में एक ही हैं। ठक इसी कार दाेनाें
ु त वदशी हैं अाैर डी एक ही है। केवल दाेनाें के पढ़ने का
के स  काेण
भ है। हाँ, संथागत छा काे सवधाएँ अधक रहती हैं।

पीछे ीकृण ने कहा क काम अाैर ाेध दुजय शु हैं, अजुन इहें तू
मार। अजुन काे लगा क यह ताे बड़ा कठन है; कत ीकृण ने कहा–
नहीं, शरर से परे इयाँ हैं, इयाें से परे मन है, मन से परे बु है, बु
से परे तहारा वप है। तम वहाँ से ेरत हाे। इस कार अपनी हती
समझकर, अपनी श काे सामने रखकर, वावलबी हाेकर कम में वृ
हाेना ‘ानयाेग’ है। ीकृण ने कहा है– च काे यानथ करते ए, कमाे काे
मुझमें समपण करके अाशा, ममता अाैर सतापरहत हाेकर यु कर। समपण
के साथ इ पर िनभर हाेकर उसी कम में वृ हाेना िनकाम कमयाेग है।
दाेनाें क या एक है अाैर परणाम भी एक है।

इसी पर बल देकर याेगे र ीकृण यहाँ कहते हैं क याेग का अाचरण


कये बना संयास अथात् शभाशभ कमाे के अत क थित का ा हाेना
असव है। ीकृण के अनुसार एेसा काेई याेग नहीं है क हाथ-पर-हाथ
रखकर बैठे-बैठे कहें क– ‘‘मैं परमाा ँ, श ँ, बु ँ, मेरे लये न ताे
कम है न बधन। मैं भला-बुरा कुछ करता दखायी पड़ता भी ँ ताे इयाँ
अपने अथाे में बरत रही हैं।’’ एेसा पाखड ीकृण के शदाें में कदाप नहीं
है। साात् याेगे र भी अपने अनय सखा अजुन काे बना कम के यह
थित नहीं दे सके। यद एेसा वे कर सकते ताे गीता क अावयकता ही ा
थी कम ताे करना ही पड़ेगा। कम करके ही संयास क थित काे पाया जा
सकता है अाैर याेगयु पुष शी ही परमाा काे ा हाे जाता है।
याेगयु पुष के लण ा हैं इस पर कहते हैं–

याेगयुाे वश ाा वजताा जतेय:।


सवभूताभूताा कुव प न लयते।।७।।

‘वजताा’– वशेष प से जीता अा है शरर जसका, ‘जतेय:’–


जीती ई हैं इयाँ जसक अाैर ‘वश ाा’– वशेष प से श है
अत:करण जसका, एेसा पुष ‘सवभूताभूताा’– सपूण भूताणयाें के
अाा के मूल उ म परमाा से एकभाव अा याेग से यु है। वह कम
करता अा भी उससे ल नहीं हाेता। ताे करता ाें है पीछे वालाें में
परमकयाणकार बीज का संह करने के लये। ल ाें नहीं हाेता ाेंक
सपूण ाणयाें का जाे मूल उ म है, जसका नाम परमत व है उस त व में
वह थत हाे गया। अागे काेई वत नहीं जसक शाेध करे । पीछे वाल वतएँ
छाेट पड़ गयीं ताे भला अास कसमें करे इसलये वह कमाे से अावृ
नहीं हाेता। यह याेगयु क पराकाा का चण है। पुन: याेगयु पुष क
रहनी प करते हैं क वह करते ए भी उससे ल ाें नहीं हाेता –

नैव क कराेमीित युाे मयेत त ववत्।


पय वपृश घ्र नगछवपवसन्।।८।।
लपवसृजगृ ष मष प।
इयाणीयाथेषु वतत इित धारयन्।।९।।
परमत व परमाा काे सााकारसहत जाननेवाले याेगयु पुष क यह
मन:थित अथात् अनुभूित है क मैं कंचत् मा भी कुछ नहीं करता ँ। यह
उसक कपना नहीं, बक यह थित उसने कम करके पायी है। यथा ‘युाे
मयेत’– अब ाि के पात् वह सब कुछ देखता अा, सनता अा, पश
करता, सूँघता, भाेजन करता, गमन करता, साेता, ास ले ता, बाेलता, याग
करता, हण करता, अाँखाें काे खाेलता अाैर मींचता अा भी ‘इयाँ अपने
अथाे में बरतती हैं’– एेसी धारणावाला हाेता है। परमाा से बढ़कर कुछ है ही
नहीं अाैर जब उसमें वह थत ही है ताे उससे बढ़कर कस सख क कामना
से वह कसका दशन, पश इयाद करे गा यद काेई े वत अागे हाेती
ताे अास अवय रहती। कत ाि के बाद अब अाैर अागे जायेगा कहाँ
अाैर पीछे यागेगा ा इसलये याेगयु पुष ल नहीं हाेता। इसी काे
एक उदाहरण के मायम से तत करते हैं–

 याधाय कमाण सं या कराेित य:।


लयते न स पापेन प पमवासा।।१०।।

कमल कचड़ में हाेता है। उसका प ा पानी के ऊपर तैरता है। लहरें रात-
दन उसके ऊपर से गुजरती हैं; कत अाप प े काे देखें, सूखा मले गा। जल
क एक बूँद भी उस पर टक नहीं पाती। कचड़ अाैर जल में रहते ए भी
वह उनसे ल नहीं हाेता। ठक इसी कार, जाे पुष सब कमाे काे परमाा
में वलय करके (सााकार के साथ ही कमाे का वलय हाेता है, इससे पूव
नहीं), अास काे याग करके (अब अागे काेई वत नहीं अत: अास नहीं
रहती, इसलये अास यागकर) कम करता है, वह भी इसी कार ल
नहीं हाेता। फर वह करता ाें है अापलाेगाें के लये, समाज के कयाण-
साधन के लये, पीछे वालाें के मागदशन के लये। इसी पर बल देते हैं–

कायेन मनसा बु ा केवलै रयैरप।


याेगन: कम कुवत सं याश ये।।११।।

याेगीजन केवल इय, मन, बु अाैर शरर ारा भी अास यागकर
अाश के लए कम करते हैं। जब कम  में वलन हाे चुके ताे ा
अब भी अाा अश ही है नहीं, वे ‘सवभूताभूताा’ हाे चुके हैं। सपूण
ाणयाें में वे अपनी ही अाा का सार पाते हैं। उन समत अााअाें क
श के लये, अाप सबका मागदशन करने के लये वे कम में बरतते हैं।
शरर, मन, बु तथा केवल इयाें से वह कम करता है, वप से वह
कुछ भी नहीं करता, थर है। बाहर से वह सय दखायी देता है; कत
भीतर उसमें असीम शात है। रसी जल चुक, मा एेंठन (अाकार) शेष है,
जससे बँध नहीं सकता।

यु: कमफलं या शातमााेित नैकम्।


अयु: कामकारे ण फले साे िनबयते।।१२।।

‘याेगयु’ अथात् याेग के परणाम काे ा पुष, जाे सब ाणयाें के


अाा के मूल परमाा में थत है, एेसा याेगी कम के फल काे यागकर
(कमाे का फल परमाा उससे भ नहीं है, इसलये अब कमफल काे
यागकर) ‘नैकम् शातम् अााेित’– शात क अतम अवथा काे ा
हाेता है, जसके अागे काेई शात शेष नहीं है, जसके पात् वह कभी
अशात नहीं हाेगा। कत अयु पुष, जाे याेग के परणाम से यु नहीं है,
अभी राते में है एेसा पुष फल में अास अा (फल है परमाा, उसमें
उसका अास हाेना अावयक है। इसलये फल में अास हाेने पर भी)
‘कामकारे ण िनबयते’–कामना करके बँध जाता है अथात् पूितपयत कामनाएँ
जागृत हाेती हैं, अत: साधक काे पूितपयत सावधान रहना चाहये। ‘महाराज
जी’ कहा करें – ‘‘हाे तिनकाै हम अलग, भगवान अलग हैं ताे माया कामयाब
हाे सकती है।’’ कल ही ाि हाेनी हाे कत अाज ताे वह अानी ही है।
अत: पूितपयत साधक काे असावधान नहीं हाेना चाहये। इसी पर अागे देखें–

सवकमाण मनसा स ययाते सखं वशी।


नवारे पुरे देही नैव कुव कारयन्।।१३।।

जाे सपूण प से ववश है, जाे शरर, मन, बु अाैर कृित से परे
वयं में थत है, एेसा वशी पुष िन:सदेह न कुछ करता है न कराता है।
पीछे वालाें से कराना भी उसक अातरक शात का पश नहीं कर पाता।
एेसा वपथ पुष शदाद वषयाें काे उपलध करानेवाले नाै ाराें (दाे
कान, दाे ने, दाे नासका छ, एक मुख, उपथ एवं पायु) वाले शररपी
घर में सब कमाे काे मन से यागकर वपानद में ही थत रहता है।
यथाथत: वह न कुछ करता है अाैर न कराता है।

इसी काे पुन: ीकृण दूसरे शदाें में कहते हैं क वह भु न करता है, न
कराता है। स 
ु , भगवान, भु, वपथ महापुष, यु इयाद एक- दूसरे
के पयाय हैं। अलग से काेई भगवान कुछ करने नहीं अाता। वह जब करता है
ताे इहीं वपथ इ के मायम से कराता है। महापुष के लये शरर एक
मकान मा है। अत: परमाा का करना अाैर महापुष का करना एक ही
बात है; ाेंक वह उनके ारा है। वतत: वह पुष करते ए भी कुछ नहीं
करता। इसी पर अगला ाेक देखें–

न कतृवं न कमाण लाेकय सृजित भु:।


न कमफलसंयाेगं वभावत वतते।।१४।।

वह भु न ताे भूताणयाें के क ापन काे, न कमाे काे अाैर न कमफलाें


का संयाेग ही बैठाता है, बक वभाव में थत कृित के दबाव के अनुसार
ही सभी बरतते हैं। जैसी जसक कृित– सा वक, राजसी अथवा तामसी है,
उसी तर से वह बरतता है। कृित ताे लबी-चाैड़ है, ले कन अापके ऊपर
उतना ही भाव डाल पाती है जतना अापका वभाव वकृत अथवा वकसत
है।

ाय: लाेग कहते हैं क करने-करानेवाले ताे भगवान हैं, हम ताे य मा
हैं। हमसे वे भला करावें अथवा बुरा। कत याेगे र ीकृण कहते हैं क न
वह भु वयं करता है, न कराता है अाैर न वह जुगाड़ ही बैठाता है। लाेग
अपने वभाव में थत कृित के अनुप बरतते हैं। वत: काय करते हैं। वे
अपने अादत से मजबूर हाेकर करते हैं, भगवान नहीं करते। तब लाेग कहते
ाें हैं क भगवान करते हैं इस पर याेगे र बताते हैं–

नाद े कयचपापं न चैव सकृतं वभु:।


अानेनावृतं ानं तेन मु त जतव:।।१५।।
जसे अभी भु कहा, उसी काे यहाँ वभु कहा गया है; ाेंक वह सपूण
वैभव से संयु है। भुता एवं वैभव से संयु वह परमाा न कसी के
पापकम काे अाैर न कसी के पुयकमाे काे ही हण करता है; फर भी लाेग
कहते ाें हैं इसलये क अान ारा ान ढँ का अा है। उहें अभी
सााकारसहत ान ताे अा नहीं, वे अभी जत हैं। माेहवश वे कुछ भी कह
सकते हैं। ान से ा हाेता है इसे प करते हैं–

ानेन त तदानं येषां नाशतमान:।


तेषामादयवानं काशयित तपरम्।।१६।।

जसके अत:करण का वह अान (जसने ान काे ढँ क रखा था)


अासााकार ारा न हाे गया है अाैर इस कार जसने ान ा कर
लया है, उसका वह ान सूय के स श उस परमत व परमाा काे काशत
करता है। ताे ा परमाा कसी अधकार का नाम है नहीं, वह ताे ‘परम
कास प दन राती।’ (रामचरतमानस, ७/११९/३)– परम काशप है। है
ताे, कत हमारे उपभाेग के लये ताे नहीं है, दखायी ताे नहीं देता जब ान
ारा अान का अावरण हट जाता है ताे उसका वह ान सूय के स श
परमाा काे अपने में वाहत कर ले ता है। फर उस पुष के लये कहीं
अधकार नहीं रह जाता। उस ान का वप ा है –

त ु यतदाानत ातपरायणा:।
गछयपुनरावृ ं ानिनधूतकषा:।।
१७।।
जब उस परमत व परमाा के अनुप बु हाे, त व के अनुप वाहत
मन हाे, परमत व परमाा में एकभाव से उसक रहनी हाे अाैर उसी के
परायण हाे, इसी का नाम ान है। ान काेई बकवास या बहस नहीं है। इस
ान ारा पापरहत अा पुष पुनरागमनरहत परमगित काे ा हाेता है।
परमगित काे ा , पूण जानकार से यु पुष ही पडत कहलाते हैं। अागे
देखें–

व ावनयसप े ा णे गव हतिन।


शिन चैव पाके च पडता: समदशन:।।१८।।

ान के ारा जनका पाप शमन हाे चुका है, जाे ‘अपुनरावती परमगित’
काे ा हैं, एेसे ानीजन व ा-वनययु ा ण तथा चाडाल में, गाय अाैर
कु े में तथा हाथी में समान वाले हाेते हैं। उनक  में व ावनययु
ा ण न ताे काेई वशेषता रखता है अाैर न चाडाल काेई हीनता रखता है।
न गाय धम है, न कु ा अधम अाैर न हाथी वशालता ही रखता है। एेसे
पडत, ाताजन समदशी अाैर समवती हाेते हैं। उनक  चमड़ पर नहीं
रहती, बक अाा पर पड़ती है। अतर केवल इतना है, व ावनयसप
वप के समीप है अाैर शेष कुछ पीछे हैं। काेई एक मंजल अागे है, ताे
काेई पछले पड़ाव पर। शरर ताे व है। उनक  व काे मह व नहीं
देती अपत उनके दय में थत अाा पर पड़ती है, इसलये वे काेई भेद
नहीं रखते।

ीकृण ने पया गाे-सेवा क थी। उहें गाय के ित गाैरवपूण शद कहना
चाहये था; कत उहाेंने एेसा कुछ भी नहीं कहा। ीकृण ने गाय काे धम में
काेई थान नहीं दया। उहाेंने केवल इतना माना क अय जीवााअाें क
तरह उसमें भी अाा है। गाय का अाथक मह व जाे भी हाे, उसका धामक
वैश परवती लाेगाें क देन है। ीकृण ने पीछे बताया क अववेकयाें क
बु अनत शाखाअाेंवाल हाेती है, इसलये वे अनत याअाें का वतार
कर ले ते हैं। दखावट शाेभायु वाणी में वे उसे य भी करते हैं। उनक
वाणी क छाप जनके च पर पड़ती है, उनक भी बु न हाे जाती है। वे
कुछ पाते नहीं, न हाे जाते हैं। जबक िनकाम कमयाेग में अजुन िनधारत
या एक ही है– य क या ‘अाराधना’। गाय, कु ा, हाथी, पीपल, नद
का धामक मह व इन अनत शाखावालाें क देन है। यद इनका काेई धामक
मह व हाेता ताे ीकृण अवय कहते। हाँ, मदर, म द इयाद पूजा के
थल अारक काल में अवय हैं। वहाँ ेरणादायक सामूहक उपदेश हैं ताे
उनक उपयाेगता अवय है, वे धमाेपदेश के हैं।

तत ाेक में दाे पडताें क चचा है। एक पडत ताे वह है जाे
पूणाता है अाैर दूसरा वह जाे व ा-वनयसप है। वे दाे कैसे वतत:
येक ेणी क दाे सीमाएँ हाेती हैं– एक ताे अधकतम सीमा पराकाा अाैर
दूसर वेशका अथवा िन तम सीमा। उदाहरण के लये भ क िन तम
सीमा वह है जहाँ से भ अार क जाती है; ववेक, वैराय अाैर लगन के
साथ जब अाराधना करते हैं अाैर अधकतम सीमा वह है जहाँ भ अपना
परणाम देने क थित में हाेती है। ठक इसी कार ा ण-ेणी है। जब 
में वेश दलानेवाल मताएँ अाती हैं, उस समय व ा हाेती है, वनय हाेता
है। मन का शमन, इयाें का दमन, अनुभवी सूपात का संचार, धारावाही
चतन, यान अाैर समाध इयाद  में वेश दलानेवाल सार याेयताएँ
उसके अतराल में वाभावक कायरत रहती हैं। यह ा णव क िन तम
सीमा है। उ तम सीमा तब अाती है, जब मश: उ त हाेते-हाेते वह  का
ददशन करके उसमें वलय पा जाता है। जसे जानना था, जान लया। वह
पूणाता है। अपुनरावृ वाला एेसा महापुष उस व ा-वनयसप ा ण,
चाडाल, कु ा, हाथी अाैर गाय सब पर समान वाला हाेता है; ाेंक
उसक  दयथत अा-वप पर पड़ती है। एेसे महापुष काे परमगित
में ा मला है अाैर कैसे इस पर काश डालते ए याेगे र ीकृण बताते
हैं–

इहैव तैजत: सगाे येषां साये थतं मन:।


िनदाेषं ह समं  ता ण ते थता:।।१९।।

उन पुषाें ारा जीवत अवथा में ही सपूण संसार जीत लया गया,
जनका मन समव में थत है। मन के समव का संसार जीतने से ा
सबध संसार मट ही गया, ताे वह पुष रहा कहाँ ीकृण कहते हैं,
‘िनदाेषं ह समं  ’– वह  िनदाेष अाैर सम है, इधर उसका मन भी
िनदाेष अाैर सम थितवाला हाे गया। ‘तात्  ण ते थता:’– इसलये
वह  में थत हाे जाता है। इसी का नाम अपुनरावती परमगित है। यह
कब मलती है जब संसारपी शु जीतने में अा जाय। संसार कब जीतने
में अाता है जब मन का िनराेध हाे जाय, समव में वेश पा जाय (ाेंक
मन का सार ही जगत् है)। जब वह  में थत हाे जाता है तब  वद्
का लण ा है उसक रहनी प करते हैं–

न येयं ाय नाेजेाय चायम्।


थरबु रसूढाे  व ण थत:।।२०।।
उसका काेई य-अय हाेता नहीं। इसलये जसे लाेग य समझते हैं,
उसे पाकर वह हषत नहीं हाेता अाैर जसे लाेग अय समझते हैं (जैसा
धमावलबी च लगाते हैं), उसे पाकर वह उेगवान् नहीं हाेता है। एेसा
थरबु , ‘असूढ:’– संशयरहत, ‘ वत्’–  से संयु  वे ा
‘ ण थत:’– परापर  में सदैव थत है।

बा पशेवसाा वदयािन यसखम्।


स  याेगयुाा सखमयमते।।२१।।

बाहर संसार के वषय-भाेगाें में अनास पुष अतराा में थत जाे
सख है, उस सख काे ा हाेता है। वह पुष ‘ याेगयुाा’– पर
परमाा के साथ मलन से यु अाावाला है इसलये अय अानद का
अनुभव करता है, जस अानद का कभी य नहीं हाेता। इस अानद का
उपभाेग काैन कर सकता है जाे बाहर के वषय-भाेगाें में अनास है। ताे
ा भाेग बाधक हैं भगवान ीकृण कहते हैं–

ये ह संपशजा भाेगा दुःखयाेनय एव ते।


अा तवत: काैतेय न तेषु रमते बुध:।।२२।।

केवल वचा ही नहीं, सभी इयाँ पश करती हैं। देखना अाँख का पश
है, सनना कान का पश है। इसी कार इयाें अाैर वषयाें के संयाेग से
उप हाेनेवाले सभी भाेग य प भाेगने में य तीत हाेते हैं; कत िन:सदेह
वे सब ‘दु:खयाेनय:’– दु:खद याेिनयाें के ही कारण हैं। वे भाेग ही याेिनयाें के
कारण हैं। इतना ही नहीं, वे भाेग पैदा हाेने अाैर मटनेवाले हैं, नाशवान् हैं।
इसलये काैतेय ववेक पुष उनमें नहीं फँ सते। इयाें के इन पशाे में
रहता ा है काम अाैर ाेध, राग अाैर ेष। इस पर ीकृण कहते हैं–

शाेतीहैव य: साेढं ाशररवमाेणात्।


कामाेधाे वं वेगं स यु: स सखी नर:।।२३।।

इसलये जाे मनुय शरर के नाश हाेने से पहले ही काम अाैर ाेध से
उप ए वेग काे सहन करने में (मटा देने में) सम है, वह नर (न रमन
करनेवाला) है। वही इस लाेक में याेग से यु है अाैर वही सखी है। जसके
पीछे दु:ख नहीं है, उस सख में अथात् परमाा में थितवाला है। जीते-जी
ही इसक ाि का वधान है, मरने पर नहीं। सत कबीर ने इसी काे प
कया– ‘अवधू जीवत में कर अासा।’ ताे ा मरने के बाद मु नहीं हाेती
वे कहते हैं– ‘मुए मु गु कहे वाथी, झूठा दे व ासा।’ यही याेगे र
ीकृण का कथन है क शरर रहते, मरने से पहले ही जाे काम- ाेध के
वेग काे मटा देने में सम हाे गया, वही पुष इस लाेक में याेगी है, वही
सखी है। काम, ाेध, बा पश ही शु हैं। इहें अाप जीतें। इसी पुष के
लण पुन: बता रहे हैं–

याेऽत:सखाेऽतरारामतथातयाेितरे व य:।
स याेगी  िनवाणं  भूताेऽधगछित।।२४।।

जाे अतराा में ही सखवाला, ‘अतराराम:’– अतराा में ही


अारामवाला तथा जाे अतराा में ही काशवाला (सााकारवाला) है, वही
याेगी ‘ भूत:’–  के साथ एक हाेकर ‘ िनवाणम्’– वाणी से परे  ,
शा त  काे ा हाेता है। अथात् पहले वकाराें (काम-ाेध) का अत,
फर दशन, फर वेश। अागे देखें–

लभते  िनवाणमृषय: ीणकषा:।


छ ैधा यताान: सवभूतहते रता:।।२५।।

परमाा का सााकार करके जनका पाप न हाे गया है, जनक


दुवधाएँ न हाे गयी हैं, सपूण ाणयाें के हत में जाे लगे ए हैं (ाि वाले
ही एेसा कर सकते हैं। जाे वयं ग े में पड़ा है, वह दूसराें काे ा बाहर
िनकाले गा इसीलये कणा महापुष का वाभावक गुण हाे जाता है) तथा
‘यताान:’– जतेय  वे ा पुष शात पर काे ा हाेते हैं। उसी
महापुष क थित पर पुन: काश डालते हैं–

कामाेधवयुानां यतीनां यतचेतसाम्।


अभताे  िनवाणं वतते वदतानाम्।।२६।।

काम अाैर ाेध से रहत, जीते ए च वाले , परमाा का सााकार


कये ए ानी पुषाें के लये सब अाेर से शात पर ही ा है। बार-बार
याेगे र ीकृण उस पुष क रहनी पर बल दे रहे हैं, जससे ेरणा मले ।
 लगभग पूण अा। अब वे पुन: बल देते हैं क इस थित काे ा करने
का अावयक अंग ‘ ास- ास का चतन’ है। य क या में ाण में
अपान का हवन, अपान में ाण का हवन, ाण अाैर अपान दाेनाें क गित का
िनराेध उहाेंने बताया है, उसी काे समझा रहे हैं–

पशाकृवा बहबा ांैवातरे वाे:।


ाणापानाै समाै कृवा नासायतरचारणाै।।२७।।
यतेयमनाेबु मुिनमाेपरायण: ।
वगतेछाभयाेधाे य: सदा मु एव स:।।२८।।

अजुन बाहर के वषयाें, याें का चतन न करते ए, उहें यागकर,


नेाें क  काे भृकुट के बीच में थर करके, ‘वाे: अतरे ’ का एेसा अथ
नहीं क अाँखाें के बीच या भाैंह के बीच कहीं देखने क भावना से 
लगाय। भृकुट के बीच का श अथ इतना ही है क सीधे बैठने पर 
भृकुट के ठक मय से सीधे अागे पड़े। दाहने-बायें, इधर-उधर चकपक न
देखं।े नाक क डाँड़ पर सीधी  रखते ए (कहीं नाक ही न देखने लगें)
नासका के अदर वचरण करनेवाले ाण अाैर अपान वायु काे सम करके
अथात्  ताे वहाँ थर करें अाैर सरत काे ास में लगा दें क कब ास
भीतर गयी कतना क (लगभग अाधा सेकड कती है, यास करके न
राेकें।) कब ास बाहर िनकल कतनी देर तक बाहर रही कहने क
अावयकता नहीं क ास में उठनेवाल नामविन सनायी पड़ती रहेगी। इस
कार ास- ास पर जब सरत टक जायेगी ताे धीरे -धीरे ास अचल,
थर ठहर जायेगी, सम हाे जायेगी। न भीतर से संकप उठें गे अाैर न बा
संकप अदर टकराव कर पायेंगे। बाहर के भाेगाें का चतन ताे बाहर ही
याग दया गया था, भीतर भी संकप नहीं जात हाेंगे। सरत एकदम खड़
हाे जाती है तैलधारावत्। तेल क धारा पानी क तरह टप-टप नहीं गरती,
जब तक गरे गी धारा ही गरे गी। इसी कार ाण अाैर अपान क गित
एकदम सम, थर करके इयाें, मन अाैर बु काे जसने जीत लया है;
इछा, भय अाैर ाेध से रहत, मननशीलता क चरम सीमा पर पँचा अा
माेपरायण मुिन सदा ‘मु’ ही है। मु हाेकर वह कहाँ जाता है ा पाता
है इस पर कहते हैं–

भाेारं यतपसां सवलाेकमहे रम्।


सदं सवभूतानां ावा मां शातमृछित।।२९।।

वह मु पुष मुझे य अाैर तपाें का भाेगनेवाला, सपूण लाेकाें के ई राें


का भी ई र, सपूण ाणयाें का वाथरहत हतैषी, एेसा साात् जानकर
शात काे ा हाेता है। ीकृण कहते हैं क– उस पुष के ास-  ास के
य अाैर तप का भाेा मैं ँ। य अाैर तप अत में जसमें वलय हाेते हैं,
वह मैं ँ। वह मुझे ा हाेता है। य के अत में जसका नाम शात है, वह
मेरा ही वप है। वह मु पुष मुझे जानता है अाैर जानते ही मुझे ा हाे
जाता है। इसी का नाम शात है। जैसे मैं ई राें का भी ई र ँ, वैसे ही वह
भी है।

िनकष—

इस अयाय के अार में अजुन ने  कया क कभी ताे अाप िनकाम


कमयाेग क शंसा करते हैं अाैर कभी अाप संयास-माग से कम करने क
शंसा करते हैं, अत: दाेनाें में एक काे, जाे अापका सिनत कया हाे,
परमकयाणकार हाे, उसे कहये। ीकृण ने बताया– अजुन परमकयाण ताे
दाेनाें में है। दाेनाें में वही िनधारत य क या ही क जाती है, फर भी
िनकाम कमयाेग वशेष है। बना इसे कये संयास (शभाशभ कमाे का अत)
नहीं हाेता। संयास माग नहीं, मंजल का नाम है। याेगयु ही संयासी है।
याेगयु के लण बताये क वही भु है। वह न करता है, न कुछ कराता है;
बक वभाव में कृित के दबाव के अनुप लाेग यत हैं। जाे साात् मुझे
जान ले ता है वही ाता है, वही पडत है। य के परणाम में लाेग मुझे
जानते हैं। ास- ास का जप अाैर य-तप जसमें वलय हाेते हैं, मैं ही ँ।
य के परणामवप मेरे काे जानकर वे जस शात काे ा हाेते हैं, वह
भी मैं ही ँ अथात् ीकृण-जैसा, महापुष-जैसा वप उस ाि वाले काे भी
मलता है। वह भी ई राें का ई र, अाा का भी अावपमय हाे जाता
है, उस परमाा के साथ एकभाव पा ले ता है (एक हाेने में ज चाहे जतने
लगें।)। इस अयाय में प कया क य-तपाें का भाेा, महापुषाें के भी
अदर रहनेवाल श महे र है, अत:–

ॐ तसदित ीम गव तासूपिनषस  व ायां याेगशाे ीकृणाजुनसवादे


‘यभाेामहापुषथमहे र:’ नाम प माेऽयाय:।।५।।

इस कार ीम गव तापी उपिनषद् एवं  व ा तथा याेगशा


वषयक ीकृण अाैर अजुन के सवाद में ‘यभाेा महापुषथ महे र’
नामक पाँचवाँ अयाय पूण हाेता है।

इित ीमपरमहंसपरमानदय शय वामीअड़गड़ानदकृते ीम गव ताया:


‘यथाथगीता’ भाये ‘यभाेामहापुषथमहे र:’ नाम प माेऽयाय:।।५।।

इस कार ीमत् परमहंस परमानदजी के शय वामी अड़गड़ानदकृत


‘ीम गव ता’ के भाय ‘यथाथ गीता’ में ‘यभाेा महापुषथ महे र’
नामक पाँचवाँ अयाय पूण हाेता है।

।। हर: ॐ तसत् ।।
।। ॐ ी परमाने नम: ।।
।। अथ षाेऽयाय: ।।
संसार में धम के नाम पर रित-रवाज, पूजा-प ितयाँ, सदायाें का
बाय हाेने पर कुरितयाें का शमन करके एक ई र क थापना एवं उसक
ाि क या काे शत करने के लये कसी महापुष का अावभाव हाेता
है। याअाें काे छाेड़कर बैठ जाने अाैर ानी कहलाने क ढ़ कृणकाल में
अयत यापक थी। इसलये इस अयाय के ार में ही याेगे र ीकृण ने
इस  काे चाैथी बार वयं उठाया क ानयाेग तथा िनकाम कमयाेग दाेनाें
के अनुसार कम करना ही हाेगा।

अयाय दाे में उहाेंने कहा– अजुन िय के लये यु से बढ़कर


कयाणकार काेई राता नहीं है। इस यु में हाराेगे ताे भी देवव है अाैर
जीतने पर महामहम थित है ही– एेसा समझकर यु कर। अजुन यह बु
तेरे लये ानयाेग के वषय में कही गयी। काैन-सी बु यही क यु कर।
ानयाेग में एेसा नहीं है क हाथ-पर-हाथ रखकर बैठे रहें। ानयाेग में केवल
अपने हािन-लाभ का वयं िनय करके, अपनी श समझकर कम में वृ
हाेना है, जबक ेरक महापुष ही हैं। ानयाेग में यु करना अिनवाय है।

अयाय तीन में अजुन ने  कया– भगवन् िनकाम कमयाेग क अपेा


ान अापकाे े माय है, ताे मुझे घाेर कमाे में ाें लगाते हैं अजुन काे
िनकाम कमयाेग कठन तीत अा। इस पर याेगे र ीकृण ने कहा क
दाेनाें िनाएँ मेरे ारा कही गयी हैं; कत कसी भी पथ के अनुसार कम काे
यागकर चलने का वधान नहीं है। न ताे एेसा ही है क कम काे न अार
करने से काेई परम नैकय क स पा ले अाैर न अार क ई या
काे याग देने से काेई उस परमस काे पाता है। दाेनाें मागाे में िनयत कम
य क या काे करना ही हाेगा।

अब अजुन ने भल कार समझ लया क ानमाग अछा लगे अथवा


िनकाम कमयाेग, दाेनाें याें में कम करना ही है; फर भी पाँचवें अयाय में
उसने  कया क फल क  से काैन े है काैन सवधाजनक है
ीकृण ने कहा– अजुन दाेनाें ही परमेय काे देनेवाले हैं। एक ही थान पर
दाेनाें पँचाते हैं, फर भी सांय क अपेा िनकाम कमयाेग े है; ाेंक
िनकाम कम का अाचरण कये बना काेई संयासी नहीं हाे सकता। दाेनाें में
कम एक ही है। अत: प है क वह िनधारत कम कये बना काेई संयासी
नहीं हाे सकता अाैर न काेई याेगी ही हाे सकता है। केवल इस पर चलनेवाले
पथकाें क दाे याँ हैं, जाे पीछे बतायी गयी हैं।

ीभगवानुवाच

अनात: कमफलं काय कम कराेित य:।


स स यासी च याेगी च न िनर न चाय:।।१।।

ीकृण महाराज बाेले– अजुन कमफल के अाय से रहत हाेकर अथात्


कम करते समय कसी कार क कामना न रखते ए जाे ‘कायम् कम’–
करने याेय या-वशेष काे करता है वही संयासी है, वही याेगी है। केवल
अ काे यागनेवाला तथा केवल या काे यागनेवाला न संयासी है न
याेगी। याएँ बत-सी हैं। उनमें से ‘कायम् कम’– करने याेय या, ‘िनयत
कम’– िनधारत क ई काेई या-वशेष है। वह है य क या। जसका
श अथ है अाराधना, जाे अाराय देव में वेश दला देनेवाल वध-वशेष
है। उसकाे कायप देना कम है। जाे उसे करता है वही संयासी है, वही
याेगी हाेता है। केवल अ काे यागनेवाला क ‘हम अ नहीं ते’ या कम
यागनेवाला क ‘मेरे लए कम है ही नहीं, मैं ताे अाानी ँ।’– केवल एेसा
कहे अाैर कम अार ही न करे , करने याेय या-वशेष न करे ताे वह न
संयासी है न याेगी। इस पर अाैर देखें–

यं स यासमित ायाेगं तं व पाडव।


न स यतसपाे याेगी भवित कन।।२।।

अजुन जसे ‘संयास’ एेसा कहते हैं, उसी काे तू याेग जान; ाेंक
संकपाें का याग कये बना काेई भी पुष न याेगी हाेता है अाैर न ही
संयासी हाेता है अथात् कामनाअाें का याग दाेनाें ही मागयाें के लये
अावयक है। तब ताे सरल है क कह दें क हम संकप नहीं करते अाैर हाे
गये याेगी-संयासी। ीकृण कहते हैं, एेसा कदाप नहीं है–

अााेमुनेयाेगं कम कारणमुयते।


याेगाढय तयैव शम: कारणमुयते।।३।।

याेग पर अाढ़ हाेने क इछावाले मननशील पुष के लये याेग क


ाि में कम करना ही कारण है अाैर याेग का अनुान करते-करते जब वह
परणाम देने क अवथा में अा जाय, उस याेगाढ़ता में ‘शम: कारणम्
उयते’– सपूण संकपाें का अभाव कारण है। इससे पहले संकप पड नहीं
छाेड़ते। अाैर–

यदा ह नेयाथेषु न कमवनुष ते।


सवसपस यासी याेगाढतदाेयते।।४।।

जस काल में पुष न ताे इयाें के भाेगाें में अास हाेता है अाैर न
कमाे में ही अास है (याेग क परप ावथा में पँच जाने पर अागे कम
करके ढूँ ढ़े कसे अत: िनयत कम अाराधना क अावयकता नहीं रह जाती।
इसीलये वह कमाे में भी अास नहीं है), उस काल में ‘सवसपस यासी’–
सवसंकपाें का अभाव है। वही संयास है, वही याेगाढ़ता है। राते में
संयास नाम क काेई वत नहीं है। इस याेगाढ़ता से लाभ ा है –

उ रे दानाानं नाानमवसादयेत्।
अाैव ानाे बधुराैव रपुरान:।।५।।

अजुन मनुय काे चाहये क अपने ारा अपना उ ार करे , अपने अाा
काे अधाेगित में न पँचावे; ाेंक यह जीवाा वयं ही अपना म है अाैर
यही अपना शु भी है। कब यह शु हाेता है अाैर कब म इस पर कहते
हैं–

बधुराानतय येनाैवाना जत:।


अनानत शुवे वतेताैव शुवत्।।६।।
जस पुष ारा मन अाैर इयाेंसहत शरर जीता अा है, उसके लये
उसी का अाा म है अाैर जसके ारा मन अाैर इयाेंसहत शरर नहीं
जीता गया है, उसके लये वह वयं शुता में बरतता है।

इन दाे ाेकाें में ीकृण एक ही बात कहते हैं क अपने ारा अपने
अाा का उ ार करें , उसे अधाेगित में न पँचावें; ाेंक अाा ही म है।
सृ में न दूसरा काेई शु है, न म। कस कार जसके ारा मनसहत
इयाँ जीती ई हैं, उसके लये उसी का अाा म बनकर मता में
बरतता है, परमकयाण करनेवाला हाेता है अाैर जसके ारा मनसहत
इयाँ नहीं जीती गयी हैं, उसके लये उसी का अाा शु बनकर शुता में
बरतता है, अनत याेिनयाें अाैर यातनाअाें क अाेर ले जाता है। ाय: लाेग
कहते हैं– ‘मैं ताे अाा ँ’। गीता में लखा है, ‘‘न इसे श काट सकता है,
न अ जला सकती है, न वायु सखा सकता है। यह िनय है, अमृतवप
है, न बदलनेवाला है, शा त है अाैर वह अाा मुझमें है ही।’’ वे गीता क
इन पंयाें पर यान नहीं देते क अाा अधाेगित में भी जाता है। अाा
का उ ार भी हाेता है, जसके लये ‘कायम् कम’– करने याेय या-वशेष
करके ही उपलध बतायी गयी है। अब अनुकूल अाा के लण देखें–

जतान: शातय परमाा समाहत:।


शीताेणसखदुःखेषु तथा मानापमानयाे:।।७।।

सद-गमी, सख-दुःख अाैर मान-अपमान में जसके अत:करण क वृ याँ


भल कार शात हैं, एेसे वाधीन अाावाले पुष में परमाा सदैव थत
है, कभी वलग नहीं हाेता। ‘जताा’ अथात् जसने मनसहत इयाें काे
जीत लया है, वृ परमशात में वाहत हाे गयी है, (यही अाा के उ ार
क अवथा है) अागे कहते हैं–

ानवानतृ ाा कूटथाे वजतेय:।


यु इयुयते याेगी समलाेामका न:।।८।।

जसका अत:करण ान-वान से तृ है, जसक थित अचल, थर


अाैर वकाररहत है, जसने इयाें काे वशेष प से जीत लया है, जसक
 में म , पथर अाैर सवण एक समान हैं– एेसा याेगी ‘यु’ कहा जाता
है। ‘यु’ का अथ है याेग से संयु। यह याेग क पराकाा है, जसे याेगे र
पाँचवें अयाय में ाेक सात से बारह तक चित कर अाये हैं। परमत व
परमाा का सााकार अाैर उसके साथ हाेनेवाल जानकार ान है। एक
इ भी इ से दूर है, जानने क इछा बनी है, तब तक वह अानी है। वह
ेरक कैसे सवया है कैसे ेरणा देता है कैसे अनेक अााअाें का एक
साथ पथ-दशन करता है कैसे वह भूत, भवय अाैर वतमान का ाता है
उस ेरक इ क इस काय-णाल का ान ही ‘वान’ है। जस दन से
दय में इ का अावभाव हाेता है, उसी दन से वह िनदेश देने लगता है;
कत ार में साधक समझ नहीं पाता। पराकााकाल में ही याेगी उसक
अातरक काय-णाल काे पूणत: समझ पाता है। यही समझ वान है।
याेगाढ़ अथवा युपुष का अत:करण ान-वान से तृ रहता है। इसी
कार याेगयु पुष क थित का िनपण करते ए याेगे र ीकृण पुन:
कहते हैं–

सायुदासीनमयथेयबधुषु।
साधुवप च पापेषु समबु वशयते।।९।।

ाि के पात् महापुष समदशी अाैर समवती हाेता है। जैसे पछले
अयाय (५/१८) में उहाेंने बताया क जाे पूणाता या पडत है, वह व ा-
वनयसप ा ण में, चाडाल में, गाय-कु ा-हाथी में समान वाला हाेता
है– उसी का पूरक यह ाेक है। वह दय से सहायता करनेवाले सदय,
म, बैर, उदासीन, ेषी, बधुगणाें, धमाा तथा पापयाें में भी समान
वाला याेगयु पुष अिते है। वह उनके कायाे पर  नहीं डालता
बक उनके भीतर अाा के संचार पर ही उसक  पड़ती है। इन सबमें
वह केवल इतना ही अतर देखता है क काेई कुछ नीचे क सीढ़ पर खड़ा
है, ताे काेई िनमलता के समीप; कत वह मता सबमें है। यहाँ याेगयु के
लण पुन: दुहराये गये।

काेई याेगयु कैसे बनता है वह कैसे य करता है यथल कैसी


हाे अासन कैसा हाे उस समय कैसे बैठा जाय क ा के ारा पालन कये
जानेवाले िनयम, अाहार-वहार, साेने-जागने का संयम तथा कम पर कैसी
चेा हाे – इयाद बदुअाें पर याेगे र ीकृण ने अगले पाँच ाेकाें में
काश डाला है, जससे अाप भी उस य काे सप कर सकंे ।

अयाय तीन में उहाेंने य का नाम लया अाैर बताया क य क


या ही वह िनयत कम है। अयाय चार में उहाेंने य का वप वतार
से बताया, जसमें ाण में अपान का हवन, अपान में ाण का हवन, ाण-
अपान क गित राेककर मन का िनराेध इयाद कया जाता है। सब मलाकर
य का श अथ है अाराधना तथा उस अाराय देव तक क दूर तय
करानेवाल या, जस पर पाँचवें अयाय में भी कहा। कत उसके लये
अासन, भूम, करने क वध इयाद का चण शेष था, उसी पर याेगे र
ीकृण यहाँ काश डालते हैं–

याेगी यु ीत सततमाानं रहस थत:।


एकाक यतच ाा िनराशीरपरह:।।१०।।

च काे जीतने में लगा अा याेगी मन, इयाें अाैर शरर काे वश में
रखकर, वासना अाैर संहरहत हाेकर एकात थान में अकेला ही च काे
(अााेपलध करानेवाल) याेग-या में लगावे। उसके लये थान कैसा हाे
अासन कैसा रहे –

शचाै देशे िताय थरमासनमान:।


नायुतं नाितनीचं चैलाजनकुशाे रम्।।११।।

श भूम में कुश, मृगछाल अथवा इससे भी उ राे र (रे शमी, ऊनी व,
तत इयाद कुछ भी) बछाकर अपने अासन काे न अित ऊँचा, न नीचा,
थर थापत करे । श भूम का तापय उसे झाड़ने-बुहारने, सफाई करने से
है। जमीन पर कुछ बछा ले ना चाहये– चाहे मृगछाल हाे या चटाई अथवा
काेई भी व, तत जाे भी उपलध हाे। अासन हलने-डलनेवाला न हाे। न
जमीन से बत ऊँचा हाे अाैर न एकदम नीचा। ‘पूय महाराज जी’ लगभग
पाँच इ ऊँचे अासन पर बैठते थे। एक बार भावकाें ने लगभग एक फट
ऊँचा संगमरमर का एक तत मँगा दया। महाराज जी एक दन ताे बैठे, फर
बाेले– ‘‘नहीं हाे बत ऊँचा हाे गया। ऊँचे नहीं बैठे के चाही साधू काे,
अभमान हाेइ जावा करत है। नीचे न बैठे के चाही, हीनता अावत है, अपने
से घृणा अावत है।’’ बस, उसकाे उठवाया अाैर जंगल में एक बगीचा था, वहाँ
रखवा दया। वहाँ न कभी महाराज जाते थे अाैर न अब ही काेई जाता है।
यह था उन महापुष का याक शण। इसी कार साधक के लये भी
बत ऊँचा अासन नहीं हाेना चाहये, नहीं ताे भजनपूित बाद में हाेगी, अहंकार
पहले चढ़ बैठेगा। इसके पात्–

तैकां मन: कृवा यतच ेयय:।


उपवयासने यु ा ाेगमावश ये।।१२।।

उस अासन पर बैठकर (बैठकर ही यान करने का वधान है) मन काे


एका करके, च अाैर इयाें क याअाें काे वश में रखते ए अत:करण
क श के लये याेगायास करे । अब बैठने का तरका बताते हैं–

समं कायशराेीवं धारय चलं थर:।


सेय नासकां वं दशानवलाेकयन्।।१३।।

शरर, गदन अाैर सर काे सीधा, अचल-थर करके (जैसे काेई पटर
खड़ कर द गयी हाे, इस कार सीधा) ढ़ हाेकर बैठ जाय अाैर अपनी
नासका के अभाग काे देखकर (नासका क नाेंक देखते रहने का िनदेश
नहीं है बक सीधे बैठने पर नाक के सामने जहाँ  पड़ती है, वहाँ 
रहे। दाहने-बायें देखते रहने क चंचलता न रहे) अय दशाअाें काे न देखता
अा थर हाेकर बैठे अाैर–

शाताा वगतभी चारते थत:।


मन: संयय म ाे यु अासीत मपर:।।१४।।
 चय त में थत हाेकर (ाय: लाेग कहते हैं क जननेय का संयम
 चय है; कत महापुषाें क अनुभूित है क मन से वषयाें का रण
करके, अाँखाें से वैसे य देखकर, वचा से पश कर, कानाें से वषयाे ेजक
शद सनकर जननेय-संयम सव नहीं है।  चार का वातवक अथ है–
‘ अाचरित स  चार’।  का अाचरण है िनयत कम य क या,
जसे करनेवाले ‘यात  सनातनम्’– सनातन  में वेश पा जाते हैं।
इसे करते समय ‘पशाकृवा बहबा ान्’– बाहर के पश, मन अाैर सभी
इयाें के पश बाहर ही यागकर च काे  -चतन में, ास- ास में,
यान में लगाना है। मन  में लगा है ताे बा रण काैन करे यद बा
रण हाेता है ताे अभी मन लगा कहाँ वकार शरर में नहीं, मन क तरं गाें
में रहते हैं। मन  ाचरण में लगा है ताे जननेय-संयम ही नहीं,
सकले य-संयम तक वाभावक हाे जाता है। अत:  के अाचरण में थत
रहकर) भयरहत अाैर अछ कार शात अत:करणवाला मन काे संयत
रखते ए, मुझमें लगे ए च से यु मेरे परायण हाेकर थत हाे। एेसा
करने का परणाम ा हाेगा –

यु ेवं सदाानं याेगी िनयतमानस:।


शातं िनवाणपरमां मसंथामधगछित।।१५।।

इस कार अपने अापकाे िनरतर उसी चतन में लगाता अा संयत
मनवाला याेगी मेरे में थितपी पराकाावाल शात काे ा हाेता है।
इसलये अपने काे िनरतर कम में लगाएँ। यहाँ यह  पूणाय है। अगले दाे
ाेकाें में वे बताते हैं क परमानदवाल शात के लये शाररक संयम,
युाहार-वहार भी अावयक हैं–

नायतत याेगाेऽत न चैकातमनत:।


न चाित वशीलय जाताे नैव चाजुन।।१६।।

अजुन यह याेग न ताे बत खानेवाले का स हाेता है अाैर न बकुल


न खानेवाले का स हाेता है, न अयत साेनेवाले का अाैर न अयत
जागनेवाले का ही स हाेता है। तब कसका स हाेता है –

युाहारवहारय युचेय कमस।


युवावबाेधय याेगाे भवित दु:खहा।।१७।।

दु:खाें का नाश करनेवाला यह याेग उचत अाहार-वहार, कमाे में उपयु


चेा अाैर संतलत शयन-जागरण करनेवाले का ही पूण हाेता है। अधक
भाेजन करने से अालय, िना अाैर माद घेरेंगे, तब साधना नहीं हाेगी।
भाेजन छाेड़ देने से इयाँ ीण हाे जायेंगी, अचल-थर बैठने क मता
नहीं रहेगी। ‘पूय महाराज जी’ कहते थे क खराक से डे ढ़-दाे राेट कम
खाना चाहये। वहार अथात् साधन के अनुकूल वचरण, कुछ परम भी
करते रहना चाहये, काेई काय ढूँ ढ़ ले ना चाहये अयथा र-संचार शथल
पड़ जायेगा, राेग घेर लें गे। अायु साेना अाैर जागना, अाहार अाैर अयास से
घटता-बढ़ता है। ‘महाराज जी’ कहा करते थे– ‘‘याेगी काे चार घटे साेना
चाहये अाैर अनवरत चतन में लगे रहना चाहये। हठ करके न साेनेवाले
शी पागल हाे जाते हैं।’’ कमाे में उपयु चेा भी हाे अथात् िनयत कम
अाराधना के अनुप िनरतर य शील हाे। बा वषयाें का रण न कर
सदैव उसी में लगे रहनेवाले का ही याेग स हाेता है। साथ ही–

यदा विनयतं च मायेवावितते।


िन:पृह: सवकामेयाे यु इयुयते तदा।।१८।।

इस कार याेग के अयास से वशेष प से वश में कया अा च


जस काल में परमाा में भल कार थत हाे जाता है, वलन-सा हाे
जाता है, उस काल में सपूण कामनाअाें से रहत अा पुष याेगयु कहा
जाता है। अब वशेष जीते ए च के लण ा हैं –

यथा दपाे िनवातथाे नेते साेपमा ृता।


याेगनाे यतच य यु ताे याेगमान:।।१९।।

जस कार वायुरहत थान में रखा गया दपक चलायमान नहीं हाेता, लाै
सीधे ऊपर जाती है, उसमें कपन नहीं हाेता, यही उपमा परमाा के यान में
लगे ए याेगी के जीते ए च क द गयी है। दपक ताे उदाहरण मा है।
अाजकल दपक का चलन शथल पड़ रहा है। अगरब ी ही जलाने पर
धुअाँ सीधे ऊपर जाता है, यद वायु में वेग न हाे। यह याेगी के जीते ए
च का एक उदाहरण मा है। अभी च भले ही जीता गया है, िनराेध हाे
गया है; कत अभी च है। जब िन च का भी वलय हाे जाता है, तब
काैन-सी वभूित मलती है देखें–

याेपरमते च ं िन ं याेगसेवया।


य चैवानाानं पय ािन तयित।।२०।।
जस अवथा में याेग के अयास से िन अा च भी उपराम हाे
जाता है, वलन हाे जाता है, मट जाता है, उस अवथा में ‘अाना’– अपने
अाा के ारा ‘अाानम्’– परमाा काे देखता अा ‘अािन एव’– अपने
अाा में ही सत हाेता है। देखता ताे परमाा काे है ले कन सत अपने
ही अाा से हाेता है। ाेंक ाि काल में ताे परमाा का सााकार हाेता
है, कत दूसरे ही ण वह अपने ही अाा काे उन शा त ई रय वभूितयाें
से अाेताेत पाता है।  अजर, अमर, शा त, अय अाैर अमृतवप है,
ताे इधर अाा भी अजर, अमर, शा त, अय अाैर अमृतवप है। है ताे,
कत अचय भी है। जब तक च अाैर च क लहर है, तब तक वह
अापके उपभाेग के लये नहीं है। च का िनराेध अाैर िन च के
वलयकाल में परमाा का सााकार हाेता है अाैर दशन के ठक दूसरे ण
उहीं ई रय गुणधमाे से यु अपने ही अाा काे पाता है, इसलये वह
अपने ही अाा में सत हाेता है। यही उसका वप है। यही पराकाा है।
इसी का पूरक अगला ाेक देखें–

सखमायतकं य ु ा मतीयम्।
वे य न चैवायं थतलित त वत:।।२१।।

तथा इयाें से अतीत केवल श ई सू बु ारा हण करने याेय
जाे अनत अानद है, उसकाे जस अवथा में अनुभव करता है अाैर जस
अवथा में थत अा याेगी भगववप काे त व से जानकर चलायमान नहीं
हाेता, सदैव उसी में ितत रहता है तथा–

यं लवा चापरं लाभं मयते नाधकं तत:।


यथताे न दु:खेन गुणाप वचायते।।२२।।

परमे र क ाि पी जस लाभ काे, पराकाा क शात काे ा कर


उससे अधक दूसरा कुछ भी लाभ नहीं मानता अाैर भगवाि पी जस
अवथा में थत अा याेगी भार दु:ख से भी चलायमान नहीं हाेता, दु:ख का
उसे भान भी नहीं हाेता; ाेंक भान करनेवाला च ताे मट गया। इस
कार–

तं व ा :ु खसंयाेगवयाेगं याेगसतम्।
स िनयेन याेयाे याेगाेऽिनवणचेतसा।।२३।।

जाे संसार के संयाेग अाैर वयाेग से रहत है, उसी का नाम याेग है। जाे
अायतक सख है, उसके मलन का नाम याेग है। जसे परमत व परमाा
कहते हैं, उसके मलन का नाम याेग है। वह याेग न उकताये ए च से
िनयपूवक करना क य है। धैयपूवक लगा रहनेवाला ही याेग में सफल हाेता
है।

सपभवाकामांया सवानशेषत:।
मनसैवेयामं विनयय समतत:।।२४।।

इसलये मनुय काे चाहये क संकप से उप हाेनेवाल सपूण


कामनाअाें काे वासना अाैर अास सहत सवथा यागकर, मन के ारा
इयाें के समुदाय काे सब अाेर से अछ कार वश में करके,

शनै: शनैपरमे ु ा धृितगृहीतया।


अासंथं मन: कृवा न क दप चतयेत्।।२५।।

म-म से अयास करता अा उपरामता काे ा हाे जाय। च का


िनराेध अाैर मश: वलय हाे जाय। तदनतर वह धैययु बु ारा मन काे
परमाा में थत करके अय कुछ भी चतन न करे । िनरतर लगकर पाने
का वधान है। कत अार में मन लगता नहीं, इसी पर याेगे र कहते हैं–

यताे यताे िनरित मन लमथरम्।


तततताे िनययैतदायेव वशं नयेत्।।२६।।

यह थर न रहनेवाला चंचल मन जस-जस कारण से सांसारक पदाथाे


में वचरता है, उस-उस से राेककर बारबार अतराा में ही िन करे ।
ाय: लाेग कहते हैं क मन जहाँ भी जाता है जाने दाे, कृित में ही ताे
जायेगा अाैर कृित भी उस  के ही अतगत है, कृित में वचरण करना
 के बाहर नहीं है; कत ीकृण के अनुसार यह गलत है। गीता में इन
मायताअाें का कंचत् भी थान नहीं है। ीकृण का कथन है क मन जहाँ-
जहाँ जाय, जन मायमाें से जाय, उहीं मायमाें से राेककर परमाा में ही
लगावें। मन का िनराेध सव है। इस िनराेध का परणाम ा हाेगा –

शातमनसं ेनं याेगनं सखमु मम्।


उपैित शातरजसं  भूतमकषम्।।२७।।

जसका मन पूणपेण शात है, जाे पाप से रहत है, जसका रजाेगुण
शात हाे गया है, एेसे  से एकभूत याेगी काे सवाे म अानद ा हाेता है,
जससे उ म कुछ भी नहीं है। इसी पर पुन: बल देते हैं–
यु ेवं सदाानं याेगी वगतकष:।
सखेन  संपशमयतं सखमते।।२८।।

पापरहत याेगी इस कार अाा काे िनरतर उस परमाा में लगाता


अा सखपूवक पर परमाा क ाि के अनत अानद क अनुभूित
करता है। वह ‘ संपश’ अथात्  के पश अाैर वेश के साथ अनत
अानद का अनुभव करता है। अत: भजन अिनवाय है। इसी पर अागे कहते
हैं–

सवभूतथमाानं सवभूतािन चािन।


ईते याेगयुाा सव समदशन:।।२९।।

याेग के परणाम से यु अाावाला, सबमें समभाव से देखनेवाला याेगी


अाा काे सपूण ाणयाें में या देखता है अाैर सपूण भूताें काे अाा में
ही वाहत देखता है। इस कार देखने से लाभ ा है –

याे मां पयित सव सव च मय पयित।


तयाहं न णयाम स च मे न णयित।।३०।।

जाे पुष सपूण भूताें में मुझ परमाा काे देखता है, या देखता है अाैर
सपूण भूताें काे मुझ परमाा के ही अतगत देखता है, उसके लये मैं
अ य नहीं हाेता ँ अाैर वह मेरे लये अ य नहीं हाेता। यह ेरक का
अामने-सामने मलन है, सयभाव है, सामीय मु है।

सवभूतथतं याे मां भजयेकवमाथत:।


सवथा वतमानाेऽप स याेगी मय वतते।।३१।।

जाे पुष अनेकता से परे उपयु एकव भाव से मुझ परमाा काे भजता
है, वह याेगी सब कार के कायाे में बरतता अा भी मेरे में ही बरतता है;
ाेंक मुझे छाेड़कर उसके लये काेई बचा भी ताे नहीं। उसका ताे सब मट
गया, इसलये वह अब उठता, बैठता जाे कुछ भी करता है, मेरे संकप से
करता है।

अााैपयेन सव समं पयित याेऽजुन।


सखं वा यद वा दु:खं स याेगी परमाे मत:।।३२।।

हे अजुन जाे याेगी अपने ही समान सपूण भूताें में सम देखता है, अपने-
जैसा देखता है, सख अाैर दु:ख भी सबमें समान देखता है, वह याेगी
(जसका भेदभाव समा हाे गया है) परमे माना गया है।  पूरा अा।
इस पर अजुन ने  कया–

अजुन उवाच

याेऽयं याेगवया ाे: सायेन मधुसूदन।


एतयाहं न पयाम च लवाथितं थराम्।।३३।।

हे मधुसूदन यह याेग जाे अाप पहले बता अाये हैं, जससे समव
भाव  मलती है, मन के च ल हाेने से बत समय तक इसमें ठहरनेवाल
थित में मैं अपने काे नहीं देखता।

च लं ह मन: कृण माथ बलव ढ


ृ म्।
तयाहं िनहं मये वायाेरव सदुकरम्।।३४।।

हे ीकृण यह मन बड़ा चंचल है, मथन वभाववाला है (मथन अथात्


दूसरे काे मथ डालनेवाला), हठ तथा बलवान् है, इसलये इसे वश में करना
मैं वायु क भाँित अितदुकर मानता ँ। तूफानी हवा अाैर इसकाे राेकना
बराबर है। इस पर याेगे र ीकृण कहते हैं–

ीभगवानुवाच

असंशयं महाबाहाे मनाे दुिनहं चलम्।


अयासेन त काैतेय वैरायेण च गृ ते।।३५।।

महान् काय करने के लये य शील अथात् महाबा अजुन िन:सदेह


मन चंचल है, बड़ कठनाई से वश में हाेनेवाला है; परत काैतेय यह
अयास अाैर वैराय के ारा वश में हाेता है। जहाँ च काे लगाना है, वहाँ
थर करने के लये बार-बार य का नाम अयास है तथा देखी-सनी वषय-
वतअाें में (संसार या वगाद भाेगाें में) राग अथात् लगाव का याग वैराय
है। ीकृण कहते हैं क मन काे वश में करना कठन है, कत अयास अाैर
वैराय के ारा यह वश में हाे जाता है।

असंयताना याेगाे दुाप इित मे मित:।


वयाना त यतता शाेऽवा ुमुपायत:।।३६।।

अजुन मन काे वश में न करनेवाले पुष के लये याेग ा हाेना कठन


है; कत ववश मनवाले य शील पुष के लये याेग सहज है, एेसा मेरा
अपना मत है। जतना कठन तू मान बैठा है, उतना कठन नहीं है। अत: इसे
कठन मानकर छाेड़ मत दाे। य पूवक लगकर याेग काे ा कर; ाेंक
मन वश में करने पर ही याेग सव है। इस पर अजुन ने  कया–

अजुन उवाच

अयित:  याेपेताे याेगा लतमानस:।


अाय याेगसंस ं कां गितं कृण गछित।।३७।।

हे ीकृण याेग करते-करते यद कसी का मन चलायमान हाे जाय,


य प अभी याेग में उसक  ा है ही, ताे एेसा पुष भगवस काे ा न
हाेकर कस गित काे पाता है

क ाेभयवछ ामव नयित।


अिताे महाबाहाे वमूढाे  ण: पथ।।३८।।

महाबा ीकृण भगवाि के माग से वचलत अा वह माेहत पुष


छ -भ बादल क भाँित दाेनाें अाेर से न- ताे नहीं हाे जाता छाेट-सी
बदल अाकाश में छाये, ताे वह न बरस पाती है न लाैटकर मेघाें से ही मल
पाती है; बक हवा के झाेंकाें से देखते-देखते नाय हाे जाती है। इसी
कार शथल य वाला, कुछ काल तक साधन करके थगत करनेवाला न
ताे नहीं हाे जाता वह न अापमें वेश कर सका अाैर न भाेग ही भाेग पाया।
उसक काैन-सी गित हाेती है

एते संशयं कृण छे ुमहयशेषत:।


वदय: संशययाय छे ा न ुपप ते।।३९।।
हे ीकृण मेरे इस संशय काे सपूणता से मटाने के लये अाप ही
सम हैं। अापके अितर दूसरा काेई इस संशय काे मटानेवाला मलना
सव नहीं है। इस पर याेगे र ीकृण ने कहा–

ीभगवानुवाच

पाथ नैवेह नामु वनाशतय व ते।


न ह कयाणकृक ग
ु ितं तात गछित।।४०।।

पाथव शरर काे ही रथ बनाकर लय क अाेर असर अजुन उस पुष


का न ताे इस लाेक में अाैर न परलाेक में ही नाश हाेता है; ाेंक हे तात
उस परमकयाणकार िनयत कम काे करनेवाला दुगित काे ा नहीं हाेता।
उसका हाेता ा है –

ाय पुयकृतां लाेकानुषवा शा ती: समा:।


शचीनां ीमतां गेहे याेगाेऽभजायते।।४१।।

मन चलायमान हाेने से याेग अा वह पुष पुयवानाें के लाेकाें में


वासनाअाें काे भाेगकर (जन वासनाअाें काे ले कर वह याेग अा था,
भगवान उसे थाेड़े में सब दखा-सना देते हैं, उहें भाेगकर) वह ‘शचीनां
ीमताम्’– श अाचरणवाले ीमान् पुषाें के घर में ज ले ता है। (जाे श
अाचरणवाले हैं, वही ीमान् हैं।)

अथवा याेगनामेव कुले भवित धीमताम्।


एत दुलभतरं लाेके ज यद शम्।।४२।।
अथवा वहाँ ज न मलने पर भी थरबु याेगयाें के कुल में वह वेश
पा जाता है। ीमानाें के घर में पव संकार बचपन से ही मलने लगते हैं;
कत वहाँ ज न हाे पाने पर वह याेगयाें के कुल में (घर में नहीं) शय-
परपरा में वेश पा जाता है। कबीर, तलसी, रै दास, बाीक इयाद काे
श अाचरण अाैर ीमानाें का घर नहीं, याेगयाें के कुल में वेश मला।
ु के कुल में संकाराें का परवतन भी एक ज है अाैर एेसा ज
स 
संसार में िन:सदेह अितदुलभ है। याेगयाें के यहाँ ज का अथ उनके शरर
से पुप में उप हाेना नहीं है। गृहयाग से पूव पैदा हाेनेवाले लड़के
माेहवश महापुष काे भी भले ही पता मानते रहे; कत महापुष के लये
घरवालाें के नाम पर काेई नहीं हाेता। जाे शय उनक मयादाअाें का अनुान
करते हैं, उनका मह व लड़काें से कई गुना अधक मानते हैं। वही उनके स े
पु हैं।

जाे याेग के संकाराें से यु नहीं हैं, उहें महापुष नहीं अपनाते। ‘पूय
महाराज जी’ यद साधु बनाते ताे हजाराें वर उनके शय हाेते। कत
उहाेंने कसी काे कराया-भाड़ा देकर, कसी के घर सूचना भेजकर, प
भेजकर, समझा-बुझाकर सबकाे उनके घर लाैटा दया। बत लाेग हठ करने
लगे ताे उहें अपशकुन हाे। भीतर से मना हाे क इसमें साधु बनने का एक
भी लण नहीं है। इसे रखने में भलाई नहीं है, यह पार नहीं हाेगा। िनराश
हाेकर दाे-एक ने पहाड़ से गरकर अपनी जान भी दे द; कत महाराज जी
ने उहें अपने यहाँ नहीं रखा। बाद में पता चलने पर बाेले– ‘‘जानत रहेउँ क
बड़ा वकल है ले कन ई साेचते क सचँ के मर जाई ताे रखी ले ते। एक ठाे
पिततै रहत, अउर का हाेत।’’ ममव उनमें भी वकट था, फर भी नहीं रखा।
छ:- सात काे, जनके लये अादेश अा क– ‘‘अाज एक याेग अा रहा है,
ज-ज से भटका अा चला अा रहा है, इस नाम अाैर इस प का काेई
अानेवाला है, उसे रखाे,  व ा का उपदेश कराे, उसे अागे बढ़ाअाे।’’ केवल
उहीं काे रखा।

त तं बु संयाेगं लभते पाैवदेहकम्।


यतते च तताे भूय: संस ाै कुनदन।।४३।।

वहाँ वह पूवशरर में साधन कये ए बु के संयाेग काे अथात् पूवज
के साधन-संकाराें काे अनायास ही ा हाे जाता है अाैर हे कुनदन उसके
भाव से वह फर ‘संस ाै’– भगवाि पी परमस के िनम य
करने लगता है।

पूवायासेन तेनैव ियते वशाेऽप स:।


जासरप याेगय शद ाितवतते।।४४।।

ीमानाें के घर वषयाें के वश में रहने पर भी वह पूवज के अयास से


भगवपथ क अाेर अाकषत हाे जाता है अाैर याेग में शथल य वाला वह
जास भी वाणी के वषय काे पार करके िनवाण पद काे पा जाता है। उसक
ाि का यही तरका है। काेई एक ज में पाता भी नहीं।

य ा तमानत याेगी संश कबष:।


अनेकजसंस तताे याित परां गितम्।।४५।।

अनेक जाें से य करनेवाला याेगी परमस काे ा हाे जाता है।


य पूवक अयास करनेवाला याेगी सभी पापाें से अछ कार श हाेकर
परमगित काे ा हाे जाता है। ाि का यही म है। पहले शथल य से
वह याेग अार करता है, मन चलायमान हाेने पर ज ले ता है, स 
ु के
कुल में वेश पाता है अाैर येक ज में अयास करते ए वहीं पँच जाता
है, जसका नाम परमगित परमधाम है। ीकृण ने कहा क ‘वपमयय
धमय’ (२/४०)– इस धम का वप अयास भी महान ज-मृयु के भय से
उ ार करनेवाला हाेता है। धम बदलता नहीं है। इस याेग में बीज का नाश
नहीं हाेता। अाप दाे कदम चल भर दें, उस साधन का कभी नाश नहीं हाेता।
हर परथित में रहते ए पुष एेसा कर सकता है। कारण क थाेड़ा साधन
ताे परथितयाें से घरनेवाला य ही कर पाता है; ाेंक उसके पास
समय नहीं है। अाप काले हाें, गाेरे हाें अथवा कहीं के हाें, गीता सबके लये
है। अापके लये भी है, बशते अाप मनुय हाें। उकट य वाला चाहे जाे हाे,
कत शथल य वाला गृहथ ही हाेता है। गीता गृहथ-वर, शत-
अशत, सवसाधारण मनुय मा के लये है। कसी ‘साधु’ नामक वच
ाणी के लये ही हाे, एेसा नहीं। अत में याेगे र ीकृण िनणय देते हैं–

तपवयाेऽधकाे याेगी ािनयाेऽप मताेऽधक:।


कमयाधकाे याेगी ता ाेगी भवाजुन।।४६।।

तपवयाें से याेगी े है, ािनयाें से भी े माना गया है, कमयाें से
भी याेगी े है; इसलये अजुन तू याेगी बन।

तपवी– तपवी मनसहत इयाें काे उस याेग में ढालने के लये तपाता
है, अभी याेग उसमें ढला नहीं।
कमी– कमी इस िनयत कम काे जानकर उसमें वृ हाेता है। न ताे वह
अपनी श समझकर ही वृ है अाैर न वह समपण करके ही वृ है,
करता भर है।

ानी– ानमागी उसी िनयत कम य क या-वशेष काे भल कार


समझते ए अपनी श काे सामने रखकर उसमें वृ हाेता है। उसके लाभ-
हािन क जेदार उसी पर है। उस पर  रखकर चलता है।

याेगी– िनकाम कमयाेगी इ पर िनभर हाेकर पूरे समपण के साथ उसी


िनयत कम ‘याेग-साधना’ में वृ हाेता है, जसके याेगेम क जेदार
भगवान अथात् याेगे र वहन करते हैं। पतन क परथितयाँ हाेते ए भी
उसके लये पतन का भय नहीं है; ाेंक जस परमत व काे चाहता है, वही
उसे सँभालने क जेदार भी ले ले ता है।

तपवी अभी याेग काे ढालने में य शील है। कमी केवल कम जानकर
करता भर है। ये गर भी सकते हैं; ाेंक इन दाेनाें में न समपण है अाैर न
अपनी हािन-लाभ देखने क मता; कत ानी याेग क परथितयाें काे
जानता है, अपनी श समझता है, उसक जेदार उसी पर है अाैर
िनकाम कमयाेगी ताे इ के ऊपर अपने काे फंे क चुका है, वह इ
सँभाले गा। परमकयाण के पथ पर ये दाेनाें ठक चलते हैं; कत जसका भार
वह इ सँभालता है, वह इन सबसे े है; ाेंक भु ने उसे हण कर
लया है। उसका हािन-लाभ वह भु देखता है। इसलये याेगी े है। अत:
अजुन तू याेगी बन। समपण के साथ याेग का अाचरण कर।

याेगी े है; कत उनसे भी वह याेगी सवे है, जाे अतराा से
लगता है। इसी पर कहते हैं–
याेगनामप सवेषां म तेनातराना।
 ावाजते याे मां स मे युतमाे मत:।।४७।।

सपूण िनकाम कमयाेगयाें में भी जाे  ावभाेर हाेकर अतराा से,


अतचतन से मुझे िनरतर भजता है, वह याेगी मुझे परमे माय है।
भजन दखावे या दशन क वत नहीं है। इससे समाज भले ही अनुकूल हाे
कत भु ितकूल हाे जाते हैं। भजन अयत गाेपनीय है अाैर वह
अत:करण से हाेता है। उसका उतार-चढ़ाव अत:करण के ऊपर है।

िनकष—

इस अयाय के अार में याेगे र ीकृण ने कहा क फल के अाय से


रहत हाेकर जाे ‘कायम् कम’ अथात् करने याेय या-वशेष का अाचरण
करता है, वही संयासी है अाैर उसी कम काे करनेवाला ही याेगी है। केवल
याअाें अथवा अ काे यागनेवाला याेगी अथवा संयासी नहीं हाेता।
संकपाें का याग कये बना काेई भी पुष संयासी अथवा याेगी नहीं हाेता।
हम संकप नहीं करते– एेसा कह देने मा से संकप पड नहीं छाेड़ते। याेग
में अाढ़ हाेने क इछावाले पुष काे चाहये क ‘कायम् कम’ करे । कम
करते-करते याेगाढ़ हाे जाने पर ही सवसंकपाें का अभाव हाेता है, इससे
पूव नहीं। सवसंकपाें का अभाव ही संयास है।

याेगे र ने पुन: बताया क अाा अधाेगित में जाता है अाैर उसका उ ार


भी हाेता है। जस पुष ारा मनसहत इयाँ जीत ल गयी हैं, उसका
अाा उसके लये म बनकर मता में बरतता है तथा परमकयाण
करनेवाला हाेता है। जसके ारा ये नहीं जीती गयीं, उसके लये उसी का
अाा शु बनकर शुता में बरतता है, यातनाअाें का कारण बनता है। अत:
मनुय काे चाहये क अपने अाा काे अधाेगित में न पँचावे, अपने ारा
अपनी अाा का उ ार करे ।

उहाेंने ाि वाले याेगी क रहनी बतायी। ‘यथल’, बैठने का अासन


तथा बैठने के तरके पर उहाेंने कहा क थान एकात अाैर वछ हाे। व,
मृगचम अथवा कुश क चटाई में से काेई एक अासन हाे। कम के अनुप
चेा, युाहार-वहार, साेने-जागने के संयम पर उहाेंने बल दया। याेगी के
िन च क उपमा उहाेंने वायुरहत थान में दपक क अकपत लाै से
द। अाैर इस कार उस िन च का भी जब वलय हाे जाता है, उस
समय वह याेग क पराकाा अनत अानद काे ा हाेता है। संसार के
संयाेगवयाेग से रहत अनत सख का नाम याेग है। याेग का अथ है उससे
मलन। जाे याेगी इसमें वेश पा जाता है, वह सपूण भूताें में सम वाला
हाे जाता है। जैसे अपनी अाा वैसे ही सबक अाा काे देखता है। वह
परम पराकाा क शात काे ा हाेता है। अत: याेग अावयक है। मन
जहाँ-जहाँ जाय, वहाँ-वहाँ से घसीटकर बारबार इसका िनराेध करना चाहये।
ीकृण ने वीकार कया क मन बड़ कठनाई से वश में हाेनेवाला है,
ले कन हाेता है। यह अयास अाैर वैराय ारा वश में हाे जाता है। शथल
य वाला य भी अनेक ज के अयास से वहीं पँच जाता है, जसका
नाम परमगित अथवा परमधाम है। तपवयाें, ानमागयाें तथा केवल कमयाें
से भी याेगी े है, इसलये अजुन तू याेगी बन। समपण के साथ अतमन
से याेग का अाचरण कर। तत अयाय में याेगे र ीकृण ने मुख प से
याेग क ाि के लये अयास पर बल दया है। अत:–
ॐ तसदित ीम गव तासूपिनषस  व ायां याेगशाे ीकृणाजुनसवादे
‘अयासयाेगाे’ नाम षाेऽयाय:।।६।।

इस कार ीम गव तापी उपिनषद् एवं  व ा तथा


याेगशावषयक ीकृण अाैर अजुन के सवाद में ‘अयास याेग’ नामक
छठाँ अयाय पूण हाेता है।

इित ीमपरमहंसपरमानदय शय वामीअड़गड़ानदकृते ीम गव ताया:


‘यथाथगीता’ भाये ‘अयासयाेगाे’ नाम षाेऽयाय:।।६।।

इस कार ीमत् परमहंस परमानदजी के शय वामी अड़गड़ानदकृत


‘ीम गव ता’ के भाय ‘यथाथ गीता’ में ‘अयासयाेग’ नामक छठाँ अयाय
पूण हाेता है।

।। हर: ॐ तसत् ।।
।। ॐ ी परमाने नम:।।
।। अथ स माेऽयाय: ।।
गत अयायाें में गीता के मुय-मुय ाय: सभी  पूण हाे गये हैं।
िनकाम कमयाेग, ानयाेग, कम तथा य का वप अाैर उसक वध, याेग
का वातवक वप अाैर उसका परणाम तथा अवतार, वणसंकर, सनातन,
अाथत महापुष के लये भी लाेकहताथ कम करने पर बल, यु इयाद
पर वशद चचा क गयी। अगले अयायाें में याेगे र ीकृण ने इहीं से
सदभत अनेक पूरक ाें काे लया है, जनका समाधान तथा अनुान
अाराधना में सहायक स हाेगा।

छठें अयाय के अतम ाेक में याेगे र ने यह कहकर  का वयं


बीजाराेपण कर दया क जाे याेगी ‘म तेनातराना’– मुझमें अछ कार
थत अत:करणवाला है, उसे मैं अितशय े याेगी मानता ँ। परमाा में
अछ कार थित ा है बत से याेगी परमाा काे ा ताे हाेते हैं फर
भी कहीं काेई कमी उहें खटकती है। ले शमा भी कसर न रह जाय, एेसी
अवथा कब अायेगी सपूणता से परमाा क जानकार कब अायेगी कब
हाेती है इस पर याेगे र ीकृण कहते हैं–

ीभगवानुवाच
मयासमना: पाथ याेगं यु दाय:।
असंशयं समं मां यथा ायस तणु।

पाथ तू मुझमें अास ए मनवाला, बाहर नहीं अपत ‘मदाय:’– मेरे


परायण हाेकर याेग में लगा अा (छाेड़कर नहीं) मुझकाे जस कार
संशयरहत जानेगा, उसकाे सन। जसे जानने के पात् ले शमा भी संशय न
रह जाय, वभूितयाें क उस सम जानकार पर पुन: बल देते हैं–

ानं तेऽहं सवानमदं वयायशेषत:।


यावा नेह भूयाेऽयातयमवशयते।।२।।

मैं तेरे लये इस वानसहत ान काे सपूणता से कँगा। पूितकाल में
य जसक सृ करता है, उस अमृत-त व क ाि के साथ मलनेवाल
जानकार का नाम ान है। परमत व परमाा क य जानकार का नाम
ान है। महापुष काे एक साथ सव काय करने क जाे मता मलती है,
वह वान है। कैसे वह भु एक साथ सबके दय में काय करता है कस
कार वह उठाता, बैठाता अाैर कृित के  से िनकालकर वप तक क
दूर तय करा ले ता है उसक इस काय-णाल का नाम वान है। इस
वानसहत ान काे सपूणता से कँगा, जसे जानकर (सनकर नहीं) संसार
में अाैर कुछ भी जानने याेय नहीं रह जायेगा। जाननेवालाें क संया बत
कम है–

मनुयाणां सहेषु क तित स ये।


यततामप स ानां कां वे त वत:।।३।।
हजाराें मनुयाें में काेई ही मनुय मेर ाि के लये य करता है अाैर
उन य करनेवाले याेगयाें में भी काेई वरला ही पुष मुझे त व (सााकार)
के साथ जानता है। अब सम त व है कहाँ एक थान पर पडप में है
अथवा सव या है इस पर याेगे र ीकृण कहते हैं–

भूमरापाेऽनलाे वायु: खं मनाे बु रे व च।


अहार इतीयं मे भ ा कृितरधा।।४।।

अजुन भूम, जल, अ , वायु अाैर अाकाश तथा मन, बु अाैर
अहंकार– एेसे यह अाठ कार के भेदाेंवाल मेर कृित है। यह अधा मूल
कृित है।

अपरे यमतवयां कृितं व मे पराम्।


जीवभूतां महाबाहाे ययेदं धायते जगत्।।५।।

‘इयम्’ अथात् यह अाठ काराेंवाल ताे मेर अपरा कृित है अथात् जड़
कृित है। महाबा अजुन इससे दूसर काे जीवप ‘परा’ अथात् चेतन
कृित जान, जसने सपूण जगत् धारण कया अा है। वह है जीवाा।
जीवाा भी कृित के सबध में रहने के कारण कृित ही है।

एत ाेनीिन भूतािन सवाणीयुपधारय।


अहं कृय जगत: भव: लयतथा।।६।।

अजुन एेसा समझ क सपूण भूत ‘एत ाेनीिन’– इन महाकृितयाें से,


परा अाैर अपरा कृितयाें से ही उप हाेनेवाले हैं। यही दाेनाें एकमा याेिन
हैं। मैं सपूण जगत् क उप तथा लय प ँ अथात् मूल कारण ँ।
जगत् क उप मुझसे है अाैर (लय) वलय भी मुझमें है। जब तक कृित
व मान है, तब तक मैं ही उसक उप ँ अाैर जब काेई महापुष कृित
का पार पा ले ता है, तब मैं ही महालय भी ँ, जाे अनुभव में अाता है।

सृ क उप अाैर लय के  काे मानव समाज ने काैतूहल से देखा


है। व के अनेक शााें में इसे कसी-न-कसी तरह समझाने का यास
चला अा रहा है। काेई कहता है क लय में संसार डू ब जाता है, ताे कसी
के अनुसार सूय इतना नीचे अा जाता है क पृवी जल जाती है। काेई इसी
काे कयामत कहता है क इसी दन सबका फैसला सनाया जाता है, ताे काेई
िनय लय, नैम क लय क गणना में यत है। कत याेगे र ीकृण के
अनुसार कृित अनाद है। परवतन हाेते रहे हैं, कत यह न कभी नहीं ई।

भारतीय धमथाें के अनुसार मनु ने लय देखा था। इसके साथ यारह
ऋषयाें ने मय क सींग में नाव बाँधकर हमालय के एक उ ुंग शखर क
शरण ल थी। ललाकार ीकृण के उपदेशाें एवं जीवन से सबधत उनके
समकालन शा भागवत में मृकड मुिन के पु माकडे य जी ारा लय का
अाँखाें देखा हाल तत है। वे हमालय के उ र में पुपभा नद के कनारे
रहते थे।

भागवत के ादश कध के अाठवें अाैर नाैवंे अयाय के अनुसार


शाैनकाद ऋषयाें ने सूत जी से पूछा क माकडे य जी ने महालय में वट के
प े पर भगवान बालमुकुद के दशन कये थे; कत वे ताे हमारे ही वंश के
थे, हमसे कुछ ही समय पूव ए थे। उनके ज के बाद न काेई लय अा
अाैर न सृ ही डू बी। सब कुछ यथावत् है, तब उहाेंने कैसा लय देखा
सूत जी ने बताया क माकडे य जी क ाथना से स हाेकर नर-
नारायण ने उहें दशन दया। माकडे य जी ने कहा क मैं अापक वह माया
देखना चाहता ँ, जससे ेरत हाेकर यह अाा अनत याेिनयाें में मण
करता है। भगवान ने वीकार कया। एक दन जब मुिन अपने अाम में
भगवान के चतन में तय हाे रहे थे, तब उहें दखायी पड़ा क चाराें अाेर
से समु उमड़कर उनके ऊपर अा रहा है। उसमें ‘मगर’ छलाँगे लगा रहे थे।
उनक चपेट में ऋष माकडे य भी अा रहे थे। वे इधर-उधर बचने के लये
भाग रहे थे। अाकाश, सूय, पृवी, चमा, वग, याेितमडल सभी उस समु
में डू ब गये। इतने में माकडे य जी काे बरगद का पेड़ अाैर उसके प े पर एक
शश दखायी दया। ास के साथ माकडे य जी भी उस शश के उदर में
चले गये अाैर अपना अाम, सूयमडलसहत सृ काे जीवत पाया अाैर
पुन: ास के साथ उस शश के उदर से वे बाहर अा गये। ने खलने पर
माकडे य जी ने अपने काे उसी अाम में अपने ही अासन पर पाया।

प है क कराेड़ाें वष के भजन के पात् उन मुिन ने ई रय य काे


अपने दय में देखा, अनुभव में देखा। बाहर सब कुछ याें-का-याें था। अत:
लय याेगी के दय में ई र से मलनेवाल अनुभूित है। भजन के पूितकाल
में याेगी के दय में संसार का वाह मटकर अय परमाा ही शेष बचता
है, यही लय है। बाहर लय नहीं हाेता। महालय शरर रहते ही अैत क
अिनवचनीय थित है। यह याक है। केवल बु से िनणय ले नेवाले म
का ही सृजन करते हैं, चाहे हम हाें या अाप।

इसी पर अागे देखें–

म : परतरं नायक दत धन य।


मय सवमदं ाेतं सूे मणगणा इव।।७।।

धनंजय मेरे सवाय कंचा भी दूसर वत नहीं है। यह सपूण जगत्
सू में मणयाें के स श मेरे में गुँथा अा है। है ताे; परत जानेंगे कब जब
(इसी अयाय के थम ाेक के अनुसार) अनय अास (भ) से मेरे
परायण हाेकर याेग में उसी प से लग जायँ। इसके बना नहीं। याेग में
लगना अावयक है।

रसाेऽहमस काैतेय भा शशसूययाे:।


णव: सववेदेषु शद: खे पाैषं नृषु।।८।।

काैतेय जल में मैं रस ँ, चमा अाैर सूय में काश ँ, सपूण वेदाें में
अाेंकार ँ– (अाे+अहं+कार) वयं का अाकार ँ, अाकाश में शद अाैर पुषाें
में पुषव ँ। तथा मैं–

पुयाे गध: पृथयां च तेजा वभावसाै।


जीवनं सवभूतेषु तपा तपवषु।।९।।

पृवी में पव गध अाैर अ में तेज ँ। सपूण जीवाें में उनका जीवन
ँ अाैर तपवयाें में उनका तप ँ।

बीजं मां सवभूतानां व पाथ सनातनम्।


बु बु मताम तेजतेजवनामहम्।।१०।।
पाथ तू सपूण भूताें का सनातन कारण अथात् बीज मुझे ही जान। मैं
बु मानाें क बु अाैर तेजवयाें का तेज ँ। इसी म में याेगे र ीकृण
कहते हैं–

बलं बलवतां चाहं कामरागववजतम्।


धमाव ाे भूतेषु कामाेऽ भरतषभ।।११।।

हे भरते अजुन मैं बलवानाें क कामना अाैर अासरहत बल ँ।


संसार में सब बलवान् ही ताे बनते हैं। काेई दड-बैठक लगाता है, ताे काेई
परमाणु इक ा करता है; कत नहीं, ीकृण कहते हैं– काम अाैर राग से परे
जाे बल है वह मैं ँ। वही वातवक बल है। सब भूताें में धम के अनुकूल
कामना मैं ँ। पर परमाा ही एकमा धम है, जाे सबकाे धारण कये ए
है। जाे शा त अाा है वही धम है। जाे उससे अवराेध रखनेवाल कामना
है, मैं ँ। अागे भी ीकृण ने कहा– अजुन मेर ाि के लये इछा कर।
सब कामनाएँ ताे वजत हैं; कत उस परमाा काे पाने क कामना
अावयक है अयथा अाप साधन कम में वृ नहीं हाेंगे। एेसी कामना भी
मेर ही देन है।

ये चैव सा वका भावा राजसातामसा ये।


म एवेित ताव न वहं तेषु ते मय।।१२।।

अाैर भी जाे स वगुण से उप हाेनेवाले भाव हैं, जाे रजाेगुण अाैर
तमाेगुण से उप हाेनेवाले भाव हैं, उन सबकाे तू मुझसे ही उप हाेनेवाले
हैं, एेसा जान। परत वातव में उनमें मैं अाैर वे मेरे में नहीं हैं। ाेंक न मैं
उनमें खाेया अा ँ अाैर न वे ही मुझमें वेश कर पाते हैं; ाेंक मुझे कम
से पृहा नहीं है। मैं िनले प ँ, मुझे इनमें कुछ पाना नहीं है। इसलये मुझमें
वेश नहीं कर पाते। एेसा हाेेने पर भी–

जस कार अाा क उपथित से ही शरर काे भूख-यास लगती है,


अाा काे अ अथवा जल से काेई याेजन नहीं है, उसी कार कृित
परमाा क उपथित में ही अपना काय कर पाती है। परमाा उसके गुण
अाैर कायाे से िनले प रहता है।

िभगुणमयैभावैरेभ: सवमदं जगत्।


माेहतं नाभजानाित मामेय: परमययम्।।१३।।

सा वक, राजस अाैर तामस इन तीन गुणाें के कायप भावाें से यह सारा
जगत् माेहत हाे रहा है इसलये लाेग इन तीनाें गुणाें से परे मुझ अवनाशी
काे त व से भल कार नहीं जानते। मैं इन तीनाें गुणाें से परे ँ अथात् जब
तक अंशमा भी गुणाें का अावरण व मान है, तब तक काेई मुझे नहीं
जानता। उसे अभी चलना है, वह राही है अाैर–

दैवी ेषा गुणमयी मम माया दुरयया।


मामेव ये प ते मायामेतां तरत ते।।१४।।

यह िगुणमयी मेर अ त
ु माया दुतर है; कत जाे पुष मुझे ही
िनरतर भजते हैं, वे इस माया का पार पा जाते हैं। यह माया है ताे दैवी,
परत अगरब ी जलाकर इसक पूजा न करने लगें। इससे पार पाना है।

न मां दुकृितनाे मूढा: प ते नराधमा:।


माययापताना अासरं भावमाता:।।१५।।

जाे मुझे िनरतर भजते हैं, वे जानते हैं। फर भी लाेग नहीं भजते। माया
के ारा जनके ान का अपहरण कर लया गया है, जाे अासर वभाव काे
धारण कये ए, मनुयाें में अधम, काम-ाेधाद दुकृितयाें काे करनेवाले
मूढ़लाेग मुझे नहीं भजते। ताे भजता काैन है –

चतवधा भजते मां जना: सकृितनाेऽजुन।


अाताे जासरथाथी ानी च भरतषभ।।१६।।

हे भरते अजुन ‘सकृितन:’– उ म अथात् िनयत कम (जसके परणाम


में ेय क ाि हाे, उसकाे) करनेवाले ‘अथाथी’ अथात् सकाम, ‘अात:’
अथात् दु:ख से टने क इछावाले , ‘जास:’ अथात् य प से जानने
क इछावाले अाैर ‘ानी’ अथात् जाे वेश क थित में हैं– ये चार कार
के भजन मुझे भजते हैं।

‘अथ’ वह वत है, जससे हमारे शरर अथवा सबधाें क पूित हाे।
इसलये अथ, कामनाएँ सब कुछ पहले ताे भगवान ारा पूण हाेती हैं। ीकृण
कहते हैं क मैं ही पूण करता ँ; कत इतना ही वातवक ‘अथ’ नहीं है।
अाक सप ही थर सप है, यही अथ है।

सांसारक ‘अथ’ क पूित करते-करते भगवान वातवक अथ अाक


सप क अाेर बढ़ा देते हैं; ाेंक वे जानते हैं क इतने ही से मेरा भ
सखी नहीं हाेगा इसलये वे अाक सप भी उसे देने लगते हैं। ‘लाेक
ला परलाेक िनबा।’ (रामचरतमानस, १/१९/२)– लाेक में लाभ अाैर
परलाेक में िनवाह ये दाेनाें भगवान क वतएँ हैं। अपने भ काे खाल नहीं
छाेड़ते।

‘अात:’– जाे दुःखी हाे, ‘जास:’– समता से जानने क इछावाले


जास मुझे भजते हैं। साधना क परप अवथा में ददशन (य दशन)
क अवथावाले ानी भी मुझे भजते हैं। इस कार चार कार के भ मुझे
भजते हैं, जनमें ानी े है अथात् ानी भी भ ही है। इन सबमें भी–

तेषां ानी िनययु एकभवशयते।


याे ह ािननाेऽयथमहं स च मम य:।।१७।।

अजुन उनमें भी िनय मुझमें एकभाव में थत अनय भवाला ानी
वश है; ाेंक सााकार के सहत जाननेवाले ानी काे मैं अयत य
ँ अाैर वह ानी भी मुझे अयत य है। वह ानी मेरा ही वप है।

उदारा: सव एवैते ानी वाैव मे मतम्।


अाथत: स ह युाा मामेवानु मां गितम्।।१८।।

य प ये चाराें कार के भ उदार ही हैं (काैन-सी उदारता कर द ा


अापके भ करने से भगवान काे कुछ मल जाता है ा भगवान में काेई
कमी है जसे अापने पूरा कर दया नहीं, वतत: वही उदार है जाे अपनी
अाा काे अधाेगित में न पँचाये, जाे उसके उ ार के लये असर है। इस
कार यह सब उदार हैं।) परत ानी ताे साात् मेरा वप ही है, एेसी मेर
मायता है; ाेंक वह थरबु ानी भ सवाे म गितवप मुझमें ही
थत है। अथात् वह मैं ँ, वह मुझमें है। मुझमें अाैर उसमें काेई अतर नहीं
है। इसी पर पुन: बल देते हैं–

बनां जनामते ानवाां प ते।


वासदेव: सवमित स महाा सदुलभ:।।१९।।

अयास करते-करते बत जाें के अत के ज में, ाि वाले ज में
सााकार काे ा अा ानी ‘सब कुछ वासदेव ही है’– इस कार मेरे काे
भजता है। वह महाा अितदुलभ है। वह कसी वासदेव क ितमा नहीं
गढ़वाता बक अपने भीतर ही उस परमदेव का वास पाता है। उसी ानी
महाा काे ीकृण त वदशी भी कहते हैं। इहीं महापुषाें से बाहर समाज में
कयाण सव है। इस कार के य त वदशी महापुष ीकृण के शदाें
में अितदुलभ हैं।

जब ेय अाैर ेय (मु अाैर भाेग) दाेनाें ही भगवान से मलते हैं, तब
ताे सभी काे एकमा भगवान का भजन करना चाहये, फर भी लाेग उहें नहीं
भजते। ाें ीकृण के ही शदाें में–

कामैतैतैताना: प तेऽयदेवता:।
तं तं िनयममाथाय कृया िनयता: वया।।२०।।

‘‘वह त वदशी महाा अथवा परमाा ही सब कुछ है।’’–लाेग एेसा


समझ नहीं पाते; ाेंक भाेगाें क कामनाअाें ारा लाेगाें के ववेक अथवा
ान अपहरण कर लया गया है, इसलये वे अपनी कृित अथात् ज-
जातराें से अजत संकाराें के वभाव से ेरत हाेकर मुझ परमाा से
भ अय देवताअाें अाैर उनके लये चलत िनयमाें क शरण ले ते हैं। यहाँ
‘अय देवता’ का संग पहल बार अाया है।

याे याे यां यां तनुं भ:  याचतमछित।


तय तयाचलां  ां तामेव वदधायहम्।।२१।।

जाे-जाे सकामी भ जस-जस देवता के वप काे  ा से पूजना


चाहता है, मैं उसी देवता के ित उसक  ा काे थर करता ँ। मैं थर
करता ँ; ाेंक देवता नाम क काेई वत हाेती तब ताे वह देवता ही  ा
काे थर करता।

स तया  या युतयाराधनमीहते।
लभते च तत: कामायैव वहताह तान्।।२२।।

वह पुष उस  ा से यु हाेकर उस देव-वह के पूजन में तपर हाेता


है अाैर देवता के मायम से मेरे ही ारा िनमत उन इछत भाेगाें काे
िन:सदेह ा हाेता है। भाेग काैन देता है मैं ही देता ँ। उसक  ा का
परणाम है भाेग, न क कसी देवता क देन। कत वह फल ताे पा ही ले ता
है फर इसमें बुराई ा है इस पर कहते हैं–

अतव ु फलं तेषां त वयपमेधसाम्।


देवादेवयजाे यात म ा यात मामप।।२३।।

परत उन अपबु वालाें का वह फल नाशवान् है। अाज फल है ताे


भाेगते-भाेगते न हाे जायेगा इसलये नाशवान् है। देवताअाें काे पूजनेवाले
देवताअाें काे ा हाेते हैं अथात् देवता भी नाशवान् हैं। देवताअाें से ले कर
यावा जगत् परवतनशील अाैर मरणधमा है। मेरा भ मुझे ही ा हाेता
है, जाे अय है ‘नैकं परमशात’ पाता है।

अयाय तीन में याेगे र ीकृण ने कहा क इस य ारा तमलाेग


देवताअाें अथात् दैवी सपद् क उ ित कराे। याें-याें दैवी सपद् क उ ित
हाेगी, वही तहार उ ित है। मश: उ ित करते-करते परमेय काे ा कर
लाे। यहाँ देवता उस दैवी सपद् का समूह है, जससे परमदेव परमाा का
देवव अजत कया जाता है। दैवी सपद् माे के लये है, जसके छ ीस
लणाें का िनपण गीता के साेलहवें अयाय में कया गया है।

‘देवता’ दय के अतराल में परमदेव परमाा के देवव काे अजत


ु ाें का नाम है। थी ताे यह अदर क वत; कत कालातर में
करानेवाले स ण
लाेगाें ने भीतर क वत काे बाहर देखना ार कर दया। मूितयाँ गढ़ लं,
कमकाड रच डाले अाैर वातवकता से दूर खड़े हाे गये। ीकृण ने इस
ात का िनराकरण उपयु चार ाेकाें में कया। गीता में पहल बार ‘अय
देवताअाें’ का नाम ले ते ए उहाेंने कहा क देवता हाेते ही नहीं। लाेगाें क
 ा जहाँ झकती है, वहाँ मैं ही खड़ा हाेकर उनक  ा काे पु करता ँ
अाैर मैं ही वहाँ फल भी देता ँ। वह फल भी न र है। फल न हाे जाते हैं,
देवता न हाे जाते हैं अाैर देवताअाें काे पूजनेवाला भी न हाे जाता है।
जनका ववेक न हाे गया है, वे मूढ़बु ही अय देवताअाें काे पूजते हैं।
ीकृण ताे यहाँ तक कहते हैं क अय देवताअाें काे पूजने का वधान ही
अयुसंगत है (अागे देखेंगे, अयाय ९/२३)।

अयं यमाप ं मयते मामबु य:।


परं भावमजानताे ममाययमनु मम्।।२४।।

य प जब देवताअाें के नाम पर देवता नाम क काेई वत है ही नहीं, जाे


फल मलता है वह भी नाशवान् है, फर भी सब लाेग मेरा भजन नहीं करते;
ाेंक बु हीन पुष (जैसा पछले ाेक में अाया क कामनाअाें ारा
जनका ान अपत हाे गया है वे) मेरे सवाे म, अवनाशी अाैर परमभाव
काे भल कार नहीं जानते, इसलये वे मुझ अय पुष काे यभाव काे
ा अा मानते हैं, मनुय मानते हैं। अथात् ीकृण भी मनुय शररधार
याेगी थे, याेगे र थे। जाे वयं याेगी हाें अाैर दूसराें काे भी याेग दान करने
क जनमें मता हाे, उहें याेगे र कहते हैं। साधना के सही दाैर में पड़कर
मश: उथान हाेते-हाेते महापुष भी उसी परमभाव में थत हाे जाते हैं।
शररधार हाेते ए भी वे उसी अय वप में थत हाे जाते हैं; फर भी
कामनाअाें से ववश मदबु के लाेग उहें साधारण य ही मानते हैं। वे
साेचते हैं क हमार ही तरह ताे यह भी पैदा ए हैं, भगवान कैसे हाे सकते
हैं उन बेचाराें का दाेष भी ा है पात करते हैं ताे शरर ही दखायी
पड़ता है। वे महापुष के वातवक वप काे देख ाें नहीं पाते इस पर
याेगे र ीकृण से ही सनें–

नाहं काश: सवय याेगमायासमावृत:।


मूढाेऽयं नाभजानाित लाेकाे मामजमययम्।।२५।।

सामाय मनुय के लये माया एक परदा है, जसके ारा परमाा सवथा
छपा है। याेग-साधना समझकर वह इसमें वृ हाेता है। इसके पात्
याेगमाया अथात् याेगया भी एक अावरण ही है। याेग का अनुान करते-
करते उसक पराकाा याेगाढ़ता अा जाने पर वह छपा अा परमाा
वदत हाेता है। याेगे र कहते हैं– मैं अपनी याेगमाया से ढँ का अा ँ। केवल
याेग क परप अवथावाले ही मुझे यथाथ देख सकते हैं। मैं सबके लये
य नहीं ँ इसलये यह अानी मनुय मुझ जरहत (जसे अब ज
नहीं ले ना है), अवनाशी (जसका नाश नहीं हाेना है), अय वप (जसे
पुन: य नहीं हाेना है) काे नहीं जानता। अजुन भी ीकृण काे अपनी ही
तरह मनुय मानता था। अागे उहाेंने  द ताे अजुन गड़गड़ाने लगा,
ाथना करने लगा। वतत: अयथत महापुष काे पहचानने में हमलाेग
ाय: अधे ही हैं। अागे कहते हैं–

वेदाहं समतीतािन वतमानािन चाजुन।


भवयाण च भूतािन मां त वेद न कन।।२६।।

अजुन मैं अतीत, वतमान अाैर भवय में हाेनेवाले सपूण ाणयाें काे
जानता ँ; परत मुझे काेई नहीं जानता। ाें नहीं जान पाता –

इछाेषसमुथेन माेहेन भारत।


सवभूतािन साेहं सगे यात परतप।।२७।।

भरतवंशी अजुन इछा अाैर ेष अथात् राग-ेषाद  के माेह से संसार
के सपूण ाणी अयत माेह काे ा हाे रहे हैं इसलये मुझे नहीं जान पाते।
ताे ा काेई जानेगा ही नहीं याेगे र ीकृण कहते हैं–

येषां वतगतं पापं जनानां पुयकमणाम्।


ते माेहिनमुा भजते मां ढता:।।२८।।
परत पुयकम (जाे संसृित का अत करनेवाला है, जसका नाम कायम्
कम, िनयत कम, य क या कहकर बारबार समझाया है, उस कम
काे) करनेवाले जन भाें का पाप न हाे गया है, वे राग-ेषाद  के माेह
से भल कार मु हाेकर, त में ढ़ रहकर मुझे भजते हैं। कसलये भजते
हैं –

जरामरणमाेाय मामाय यतत ये।


ते  तदु: कृमयां कम चाखलम्।।२९।।

जाे मेर शरण हाेकर जरा अाैर मरण से मु पाने के लये य करते
हैं, वे पुष उस  काे, सपूण अया काे अाैर सपूण कम काे जानते हैं।
अाैर इसी म में–

साधभूताधदैवं मां साधयं च ये वदु:।


याणकाले ऽप च मां ते वदुयुचेतस:।।३०।।

जाे पुष अधभूत, अधदैव तथा अधय के सहत मुझे जानते हैं, मुझमें
समाहत च वाले वे पुष अतकाल में भी मुझकाे ही जानते हैं, मुझमें ही
थत रहते हैं अाैर सदैव मुझे ा रहते हैं। छ ीसवें-स ाइसवें ाेक में
उहाेंने कहा–मुझे काेई नहीं जानता; ाेंक वे माेहत हैं। कत जाे उस
माेह से टने के लये य शील हैं, वे (१) सपूण  , (२) सपूण अया,
(३) सपूण कम, (४) सपूण अधभूत, (५) सपूण अधदैव अाैर (६) सपूण
अधयसहत मुझकाे जानते हैं अथात् इन सबका परणाम मैं (स 
ु ) ँ।
वही मुझे जानता है, एेसा नहीं क काेई नहीं जानता।
िनकष—

इस सातवें अयाय में याेगे र ीकृण ने बताया क– अनय भाव से


मुझमें समपत हाेकर, मेरे अात हाेकर जाे याेग में लगता है वह सम प
से मुझे जानता है। मुझे जानने के लये हजाराें में काेई वरला ही य
करता है अाैर य करनेवालाें में वरला ही काेई जानता है। वह मुझे
पडप में

एकदेशीय नहीं वरन् सव या देखता है। अाठ भेदाेंवाल मेर जड़
कृित है अाैर इसके अतराल में जीवप मेर चेतन कृित है। इहीं दाेनाें के
संयाेग से पूरा जगत् खड़ा है। तेज अाैर बल मेरे ही ारा हैं। राग अाैर काम
से रहत बल तथा धमानुकूल कामना भी मैं ही ँ। जैसा क सब कामनाएँ ताे
वजत हैं, ले कन मेर ाि के लये कामना कर। एेसी इछा का अयुदय
हाेना मेरा ही साद है। केवल परमाा काे पाने क कामना ही ‘धमानुकूल
कामना’ है।

ीकृण ने बताया क– मैं तीनाें गुणाें से अतीत ँ। परम का पश करके
परमभाव में थत ँ; कत भाेगास मूढ़ पुष सीधे मुझे न भजकर अय
देवताअाें क उपासना करते हैं, जबक वहाँ देवता नाम का काेई है ही नहीं।
पथर, पानी, पेड़ जसकाे भी वे पूजना चाहते हैं, उसी में उनक  ा काे मैं
ही पु करता ँ। उसक अाड़ में खड़ा हाेकर मैं ही फल देता ँ; ाेंक न
वहाँ काेई देवता है, न कसी देवता के पास काेई भाेग ही है। लाेग मुझे
साधारण य समझकर नहीं भजते; ाेंक मैं याेग-या ारा ढँ का अा
ँ। अनुान करते-करते याेगमाया का अावरण पार करनेवाले ही मुझ
शररधार काे भी अय प में जानते हैं, अय थितयाें में नहीं।
मेरे भ चार कार के हैं– अथाथी, अात, जास अाैर ानी। चतन
करते-करते अनेक जाें के अतम ज में ाि वाला ानी मेरा ही वप
है अथात् अनेक जाें से चतन करके उस भगववप काे ा कया
जाता है। राग-ेष के माेह से अाात मनुय मुझे कदाप नहीं जान सकते;
कत राग-ेष के माेह से रहत हाेकर जाे िनयतकम (जसे संेप में
अाराधना कह सकते हैं) का चतन करते ए जरा-मरण से टने के लये
य शील हैं, वे पुष सपूण प से मुझे जान ले ते हैं। वे सपूण  काे,
सपूण अया काे, सपूण अधभूत काे, सपूण अधदैव काे, सपूण कम काे
अाैर सपूण य के सहत मुझे जानते हैं। वे मुझमें वेश करते हैं अाैर
अतकाल में भी मुझकाे ही जानते हैं अथात् फर कभी वे वृत नहीं हाेते।

इस अयाय में परमाा क सम जानकार का ववेचन है, अत:–

ॐ तसदित ीम गव तासूपिनषस  व ायां याेगशाे ीकृणाजुनसवादे


‘समबाेध:’ नाम स माेऽयाय:।।७।।

इस कार ीम गव तापी उपिनषद् एवं  व ा तथा याेगशा


वषयक ीकृण अाैर अजुन के संवाद में ‘सम जानकार’ नामक सातवाँ
अयाय पूण हाेता है।

इित ीमपरमहंसपरमानदय शय वामीअड़गड़ानदकृते ीम गव ताया:


‘‘यथाथगीता’’ भाये ‘समबाेध:’ नाम स माेऽयाय:।।७।।

इस कार ीमत् परमहंस परमानदजी के शय वामी अड़गड़ानदकृत


‘ीम गव ता’ के भाय ‘यथाथ गीता’ में ‘सम जानकार’ नामक सातवाँ
अयाय पूण हाेता है।
।। हर: ॐ तसत् ।।
।। ॐ ी परमाने नम: ।।
।। अथामाेऽयाय: ।।
सातवें अयाय के अत में याेगे र ीकृण ने कहा क पुयकम (िनयत
कम, अाराधना) काे करनेवाले याेगी सपूण पापाें से टकर उस या 
काे जानते हैं अथात् कम काेई एेसी वत है, जाे या  क जानकार
दलाता है। उस कम काे करनेवाले या  काे, सपूण कम काे, सपूण
अया काे, सपूण अधदैव, अधभूत अाैर अधयसहत मुझकाे जानते हैं।
अत: कम काेई एेसी वत है, जाे इन सबसे परचय कराता है। वे अतकाल
में भी मुझकाे ही जानते हैं। उनक जानकार कभी वृत नहीं हाेती है।

इस पर अजुन ने इस अयाय के ार में ही उहीं शदाें काे दुहराते ए


 रखा–

अजुन उवाच

कं तद्  कमयां कं कम पुषाे म।


अधभूतं च कं ाेमधदैवं कमुयते।।१।।

हे पुषाे म वह  ा है अया ा है कम ा है अधभूत


तथा अधदैव कसे कहा जाता है
अधय: कथं काेऽ देहेऽधुसूदन।
याणकाले च कथं ेयाेऽस िनयताभ:।।२।।

हे मधुसूदन यहाँ अधय काैन है अाैर वह इस शरर में कैसे है स


है क अधय अथात् य का अधाता काेई एेसा पुष है, जाे मनुय शरर
के अाधारवाला है। समाहत च वाले पुषाें ारा अत समय में अाप कस
कार जानने में अाते हैं इन साताें ाें का म से िनणय देने के लये
याेगे र ीकृण बाेले–

ीभगवानुवाच

अरं  परमं वभावाेऽयामुयते।


भूतभावाे वकराे वसग: कमसत:।।३।।

‘अरं  परमम्’– जाे अय है, जसका य नहीं हाेता, वही परम
 है। ‘वभाव: अयाम् उयते’– वयं में थर भाव ही अया अथात्
अाा का अाधपय है। इससे पहले सभी माया के अाधपय में रहते हैं;
कत जब ‘व’-भाव अथात् वप में थरभाव (वयं में थरभाव) मल
जाता है ताे अाा का ही अाधपय उसमें वाहत हाे जाता है। यही
अया है, अया क पराकाा है। ‘भूतभावाे वकर:’– भूताें के वे भाव जाे
कुछ-न-कुछ उ व करते हैं अथात् ाणयाें के वे संकप जाे भले अथवा बुरे
संकाराें क संरचना करते हैं उनका वसग अथात् वसजन, उनका मट जाना
ही कम क पराकाा है। यही सपूण कम है, जसके लये याेगे र ने कहा–
‘वह सपूण कम काे जानता है।’ वहाँ कम पूण है, अागे अावयकता नहीं है
(िनयत कम) इस अवथा में जबक भूताें के वे भाव जाे कुछ-न-कुछ रचते हैं,
भले अथवा बुरे संकार-संह करते हैं, बनाते हैं, वे जब सवथा शात हाे
जायँ, यहीं कम क सपूणता है। इसके अागे कम करने क अावयकता नहीं
रह जाती। अत: कम काेई एेसी वत है, जाे भूताें के सपूण संकपाें काे,
जनसे कुछ-न-कुछ संकार बनते हैं उनका शमन कर देती है। कम का अथ
है (अाराधना) चतन, जाे य में है।

अधभूतं राे भाव: पुषाधदैवतम्।


अधयाेऽहमेवा देहे देहभृतां वर।।४।।

जब तक अय भाव नहीं मलता, तब तक न हाेनेवाले सपूण र भाव


अधभूत अथात् भूताें के अधान हैं। वही भूताें क उप के कारण हैं।
‘पुष: च अधदैवतम्’– कृित से परे जाे परम पुष है, वही अधदैव अथात्
सपूण देवाें (दैवी सपद्) का अधाता है। दैवी सपद् उसी परमदेव में
वलन हाे जाती है। देहधारयाें में े अजुन इस मनुय-तन में मैं ही
‘अधय’ ँ अथात् याें का अधाता ँ। अत: इसी शरर में, अय
वप में थत महापुष ही अधय है। ीकृण एक याेगी थे। जाे सपूण
याें का भाेा है, अत में य उसमें वेश पा जाते हैं। वही परमवप
मल जाता है। इस कार अजुन के छ: ाें का समाधान अा। अब अतम
 क अतकाल में कैसे अाप जानने में अाते हैं, जाे कभी वृत नहीं
हाेते

अतकाले च मामेव रुा कले वरम्।


य: याित स म ावं याित नाय संशय:।।५।।
याेगे र ीकृण कहते हैं क जाे पुष अतकाल में अथात् मन के िनराेध
अाैर वलयकाल में मेरा ही रण करते ए शरर के सबध काे छाेड़ अलग
हाे जाता है, वह ‘म ावम्’– साात् मेरे वप काे ा हाेता है, इसमें संशय
नहीं है।

शरर का िनधन श अतकाल नहीं है। मरने के बाद भी शरराें का म


पीछे लगा रहता है। संचत संकाराें क सतह के मट जाने के साथ ही मन
का िनराेध हाे जाता है। अाैर वह मन भी जब वलन हाे जाता है ताे वहीं पर
अतकाल है, जसके बाद शरर धारण नहीं करना पड़ता। यह याक है।
केवल कहने से, वा ाम से समझ में नहीं अाता। जब तक वाें क तरह
शरर का परवतन हाे रहा है, तब तक शरराें का अत कहाँ अा मन के
िनराेध अाैर िन मन के भी वलयकाल में जीते-जी शरर के सबधाें का
वछे द हाे जाता है। यद मरने के बाद ही यह थित मलती ताे ीकृण भी
पूण न हाेते। उहाेंने कहा क अनेक जाें के अयास से ाि वाला ानी
साात् मेरा वप है। मैं वह ँ अाैर वह मुझमें है। ले शमा भी उसमें अाैर
मुझमें अतर नहीं है। यह जीते-जी ाि है। जब फर कभी शरर न मले ,
वही शरराें का अत है।

यह ताे वातवक शररात का चण अा, जसके पात् ज नहीं ले ना


पड़ता है। दूसरा शररात मृयु है, जाे लाेक-चलत है; कत इस शररात
के पात् पुन: ज ले ना पड़ता है–

यं यं वाप रावं यजयते कले वरम्।


तं तमेवैित काैतेय सदा त ावभावत:।।६।।
काैतेय मृयु के समय मनुय जस-जस भी भाव काे रण करता अा
शरर काे यागता है, उस-उस काे ही ा हाेता है। तब ताे बड़ा सता साैदा
है, अाजीवन माैज करें अाैर मरने लगें ताे भगवान का रण कर लें गे। कत
ीकृण कहते हैं– एेसा हाेता नहीं, ‘सदा त ावभावत:’– उस ही भाव का
चतन कर पाता है, जैसा जीवन भर कया है। वही वचार बरबस अा जाता
है जसका जीवन भर अयास कया गया है, अयथा नहीं हाे पाता। अत:–

तासवेषु काले षु मामनुर युय च।


मयपतमनाेबु मामेवैययसंशयम् ।।७।।

इसलये अजुन तू हर समय मेरा रण कर अाैर यु कर। मुझमें


अपत मन अाैर बु से यु हाेकर तू िन:सदेह मुझे ही ा हाेगा। िनरतर
चतन अाैर यु एक साथ कैसे सव है हाे सकता है क िनरतर चतन
अाैर यु का यही वप हाे क ‘जय कहैयालाल क’, ‘जय भगवान् क’
कहते रहें अाैर बाण चलाते रहें। कत रण का वप अगले ाेक में प
करते ए याेगे र कहते हैं–

अयासयाेगयुेन चेतसा नायगामना।


परमं पुषं दयं याित पाथानुचतयन्।।८।।

हे पाथ उस रण के लये याेग के अयास से यु अा (मेरा चतन


अाैर याेग का अयास पयाय है) मेरे सवाय दूसर अाेर न जानेवाले च से
िनरतर चतन करनेवाला परम काशवप दयपुष अथात् परमाा काे
ा हाेता है। मान लजये क यह पेसल भगवान है, ताे इसके सवाय अय
कसी वत का रण नहीं अाना चाहये। इसके अगल-बगल अापकाे पुतक
दखायी पड़ती है या अय कुछ भी, ताे अापका रण खडत हाे गया।
रण जब इतना सू है क इ के अितर दूसर वत का रण भी न
हाे, मन में तरं गें भी न अायें, ताे रण अाैर यु दाेनाें एक साथ कैसे हाेंगे
वतत: जब अाप च काे सब अाेर से समेटकर अपने एक अाराय के
रण में वृ हाेंगे ताे उस समय मायक वृ याँ काम-ाेध, राग-ेष बाधा
के प में सामने कट ही हैं। अाप रण करें गे; कत वे अापके अदर
उेग पैदा करें गी, अापका मन रण से चलायमान करना चाहेंगी। उन बा
वृ याें का पार पाना ही यु है। िनरतर चतन के साथ ही यु सव है।
गीता का एक भी ाेक बा मारकाट का समथन नहीं करता। चतन कसका
करें इस पर कहते हैं–

कवं पुराणमनुशासतार-
मणाेरणीयांसमनुरे :।
सवय धातारमचयप-
मादयवण तमस: परतात्।।९।।

उस यु के साथ वह पुष सव, अनाद, सबके िनयता, सू से भी


अितसू, सबके धारण-पाेषण करनेवाले कत अचय (जब तक च अाैर
च क लहर है, तब तक वह दखायी नहीं देता। च के िनराेध अाैर
वलयकाल में ही जाे वदत हाेता है), िनय काशवप अाैर अव ा से परे
उस परमाा का रण करता है।
पीछे बताया– मेरा चतन करता है, यहाँ कहते हैं– परमाा का। अत:
उस परमाा के चतन (यान) का मायम त वथत महापुष है। इसी म
में–

याणकाले मनसाचले न
भा युाे याेगबले न चैव।
वाेमये ाणमावेय सयक्
स तं परं पुषमुपैित दयम्।।१०।।

जाे िनरतर उस परमाा का रण करता है, वह भयु पुष


‘याणकाले ’– मन के वलन अवथाकाल में याेगबल से अथात् उसी िनयत
कम के अाचरण ारा भृकुट के मय में ाण काे भल कार थापत करके
(ाण-अपान काे भल कार सम करके, न अदर से उैग पैदा हाे न बा
संकप काेई ले नेवाला हाे, सत्-रज-तम भल कार शात हाें, सरत इ में ही
थत हाे, उस काल में) वह अचल मन अथात् थर बु वाला पुष उस
दयपुष परमाा काे ा हाेता है। सतत रणीय है क उसी एक
परमाा क ाि का वधान याेग है। उसके लये िनयत या का अाचरण
ही याेगया है, जसका सवतार वणन याेगे र ने चाैथे-छठें अयाय में
कया है। अभी उहाेंने कहा– ‘‘िनरतर मेरा ही रण कर।’’ कैसे करे ताे
इसी याेग-धारणा में थर रहते ए करना है। एेसा करनेवाला दयपुष काे
ही ा हाेता है, जाे कभी वृत नहीं हाेता। यहाँ इस  का समाधान अा
क अाप याणकाल में कस कार जानने में अाते हैं पाने याेय पद का
चण देखं,े जाे गीता में थान-थान पर अाया है–
यदरं वेदवदाे वदत
वशत य तयाे वीतरागा:।
यदछताे  चय चरत
त े पदं सहेण वये।।११।।

‘वेदवद्’ अथात् अवदत त व काे य जाननेवाले लाेग जस परमपद


काे ‘अरम्’– अय कहते हैं, वीतराग महाा जसमें वेश के लये
य शील रहते हैं, जस परमपद काे चाहनेवाले  चय का पालन करते हैं
( चय का अथ जननेय मा का िनराेध नहीं, बक ‘ अाचरित स
 चार’– बा पशाे काे मन से यागकर  का िनरतर चतन-रण ही
 चय है, जाे  का दशन करा उसी में थान दला शात हाे जाता है।
इस अाचरण से इय-संयम ही नहीं, बक सकले य-संयम वत: हाे
जाता है। इस कार जाे  चय का अाचरण करते हैं), जाे दय में संह
करने याेय है, धारण करने याेय है उस पद काे मैं तेरे लये कँगा। वह पद
है ा, कैसे पाया जाता है इस पर याेगे र ीकृण कहते हैं–

सवाराण संयय मनाे द िनय च।


मूयाधायान: ाणमाथताे याेगधारणाम्।।१२।।

सब इयाें के दरवाजाें काे राेककर अथात् वासनाअाें से अलग रहकर,


मन काे दय में थत करके (यान दय में ही धरा जाता है, बाहर नहीं।
पूजा बाहर नहीं हाेती), ाण अथात् अत:करण के यापार काे मतक में
िनराेधकर याेग-धारणा में थत हाेकर (याेग काे धारण कये रहना है, दूसरा
तरका नहीं है)–
अाेमयेकारं  याहरामनुरन्।
य: याित यजदेहं स याित परमां गितम्।।१३।।

जाे पुष ‘अाेम् इित’– अाेम् इतना ही, जाे अय  का परचायक है,
इसका जप तथा मेरा रण करता अा शरर का याग कर जाता है, वह
पुष परमगित काे ा हाेता है।

ीकृण एक याेगे र, परमत व में थत महापुष, स 


ु थे। याेगे र
ीकृण ने बताया क ‘अाेम्’ अय  का परचायक है, तू इसका जप कर
अाैर यान मेरा कर। ाि के हर महापुष का नाम वही हाेता है जसे वह
ा है, जसमें वह वलय है इसलये नाम अाेम् बताया अाैर प अपना।
याेगे र ने ‘कृण-कृण’ जपने का िनदेश नहीं दया ले कन कालातर में
भावुकाें ने उनका भी नाम जपना अार कर दया अाैर अपनी  ा के
अनुसार उसका फल भी पाते हैं; जैसा क, मनुय क  ा जहाँ टक जाती
है वहाँ मैं ही उसक  ा काे पु करता तथा मैं ही फल का वधान भी
करता ँ।

भगवान शव ने ‘राम’ शद के जपने पर बल दया। ‘रमते याेगनाे


यन् स राम:।’ ‘रा अाैर म के बीच में कबरा रहा लकाय।’ रा अाैर म इन
दाे अराें के अतराल में कबीर अपने मन काे राेकने में सम हाे गये।

ीकृण अाेम् पर बल देते हैं। अाे अहं स अाेम् अथात् वह स ा मेरे भीतर
है, कहीं बाहर न ढूँ ढ़ने लगे। यह अाेम् भी उस परम स ा का परचय देकर
शात हाे जाता है। वातव में उन भु के अनत नाम हैं; कत जप के लये
वही नाम साथक है जाे छाेटा हाे, ास में ढल जाय अाैर एक परमाा का
ही बाेध कराता हाे। उससे भ अनेक देवी-देवताअाें क अववेकपूण कपना
में उलझकर लय से  न हटा दें।

‘पूय महाराज जी’ कहा करते थे क– ‘‘मेरा प देखें अाैर  ानुसार
काेई भी दाे-ढाई अर का नाम– ‘ॐ’, ‘राम’, ‘शव’ में से काेई एक लें ,
उसका चतन करें अाैर उसी के अथवप इ के वप का यान करें ।’’
यान स 
ु का ही कया जाता है। अाप राम, कृण अथवा ‘वीतराग वषयं वा
च म्।’– वीतराग महााअाें अथवा ‘यथाभमतयानाा।’ (पातंजल याेग०,
१/३७, ३९) अभमत अथात् याेग के अभमत, अनुकूल कसी का भी वप
पकड़ंे , वे अनुभव में अापकाे मलें गे अाैर अापके समकालन कसी स 
ु क
अाेर बढ़ा देंगे, जनके मागदशन से अाप शनै:-शनै: कृित के े से पार
हाेते जायेंगे। मैं भी ार में एक देवता (कृण के वराट् प) के च का
यान करता था; कत पूय महाराज जी के अनुभवी वेश के साथ वह शात
हाे गया।

ारक साधक नाम ताे जपते हैं; कत महापुष के वप का यान
करने में हचकते हैं। वे अपनी अजत मायताअाें का पूवाह छाेड़ नहीं पाते।
वे कसी अय देवता का यान करते हैं, जसका याेगे र ीकृण ने िनषेध
कया है। अत: पूण समपण के साथ कसी अनुभवी महापुष क शरण लें ।
पुय-पुषाथ सबल हाेते ही कुतकाे का शमन अाैर यथाथ या में वेश मल
जायेगा। याेगे र ीकृण के अनुसार इस कार ‘ॐ’ के जप अाैर
परमावप स 
ु के वप का िनरतर रण करने से मन का िनराेध
अाैर वलय हाे जाता है अाैर उसी ण शरर के सबध का याग हाे जाता
है। केवल मरने से शरर पीछा नहीं छाेड़ता।
अनयचेता: सततं याे मां रित िनयश:।
तयाहं सलभ: पाथ िनययुय याेगन:।।१४।।

‘‘मेरे अितर अाैर काेई च में है ही नहीं।’’– अय कसी का चतन


न करता अा अथात् अनय च से थर अा जाे अनवरत मेरा रण
करता है, उस िनय मुझमें यु याेगी के लये मैं सलभ ँ। अापके सलभ
हाेने से ा मले गा –

मामुपेय पुनज दु:खालयमशा तम्।


नावत महाान: संस ं परमां गता:।।१५।।

मुझे ा कर वे दु:खाें के थानवप णभंगुर पुनज काे ा नहीं


हाेते, बक परमस काे ा हाेते हैं अथात् मुझे ा हाेना अथवा
परमस काे ा हाेना एक ही बात है। केवल भगवान ही एेसे हैं, जहें
पाकर उस पुष का पुनज नहीं हाेता। फर पुनज क सीमा कहाँ तक
है –

अा भुवना ाेका: पुनरावितनाेऽजुन।


मामुपेय त काैतेय पुनज न व ते।।१६।।

अजुन  ा से ले कर कट-पतंगाद सभी लाेक पुनरावती हैं, ज ले ने


अाैर मरने तथा पुन:-पुन: इसी म में चलनेवाले हैं; कत काैतेय मुझे ा
हाेकर उस पुष का पुनज नहीं हाेता।

धमथाें में लाेक-लाेकातराें क परकपना ई र-पथ क वभूितयाें का


बाेध कराने के अातरक अनुभव या पक मा हैं। अतर में न ताे काेई
एेसा ग ा है जहाँ कड़े काटते हाें अाैर न एेसा महल जसे वग कहा जाता
हाे। दैवी सपद् से यु पुष देवता अाैर अासर सपद् से यु मनुय ही
असर हैं। ीकृण के ही सगे-सबधी कंस रास अाैर बाणासर दैय थे। देव,
मानव, ितयक् याेिनयाँ ही वभ लाेक हैं। ीकृण के अनुसार यह जीवाा
मन अाैर पाँचाें इयाें काे ले कर ज-जातर के संकाराें के अनुप नया
शरर धारण कर ले ता है।

अमर कहे जानेवाले देवता भी मरणधमा हैं– ‘ीणे पुये मयलाेकं


वशत’। इससे बड़ ित ा हाेगी वह देव-तन ही कस काम का, जसमें
संचत पुय भी समा हाे जाय देवलाेक, पशलाेक, कट-पतंगाद लाेक
भाेगलाेक मा हैं। केवल मनुय ही कमाे का रचयता है, जसके ारा वह
उस परमधाम तक काे ा कर सकता है, जहाँ से पुनरावतन नहीं हाेता।
यथाथ कम का अाचरण करके मनुय देवता बन जाय,  ा क थित ा
कर ले ; कत वह पुनज से तब तक नहीं बच सकता, जब तक क मन के
िनराेध अाैर वलय के साथ परमाा का सााकार करके उसी परमभाव में
थत न हाे जाय। उदाहरणाथ उपिनषदें भी इस सय का उ ाटन करती हैं–

यदा सवे मुयते कामा येऽय द ता:।।


अथ मयाेऽमृताे भवय  समते।।

(बृहदारयकाेपिनषद्, ४/४/७; कठाेपिनषद्, २/३/१४)

जब दय में थत सपूण कामनाएँ समूल न हाे जाती हैं, तब मरणधमा
मनुय अमर हाे जाता है अाैर यहीं, इसी संसार में, इसी मनुय-शरर में
पर का भलभाँित साात् अनुभव कर ले ता है।
 उठता है क ा  ा भी मरणधमा है अयाय तीन में ताे याेगे र
ीकृण ने जापित  ा के संग में कहा क ाि के पात् बु मा य
है, उसके ारा परमाा ही य हाेता है। एेसे महापुषाें के ारा ही य क
संरचना ई है अाैर यहाँ कहते हैं क  ा क थित ा करनेवाला भी
पुनरावती है। याेगे र ीकृण कहना ा चाहते हैं

वतत: जन महापुषाें के ारा परमाा ही य हाेता है, उन महापुषाें


क बु भी  ा नहीं है; ले कन लाेगाें काे उपदेश देने के कारण, कयाण
का सूपात करने के कारण  ा कहे जाते हैं। वयं में वे  ा भी नहीं हैं।
उनके पास अपनी बु रह ही नहीं जाती। कत इसके पूव साधनाकाल में
बु ही  ा है– ‘अहंकार सव बु अज, मन सस च महान।’
(रामचरतमानस, ६/१५क)

साधारण मनुय क बु  ा नहीं है। बु जब इ में वेश करने लगती
है तभी से  ा क रचना हाेने लगती है, जसके चार साेपान मनीषयाें ने
कहे हैं। पीछे अयाय तीन में बता अाये हैं, रण के लये पुन: देख सकते
हैं–  वद्,  वर,  वरयान्,  वर।  वद् वह बु है, जाे
 व ा से संयु हाे।  वर वह है, जसे  व ा में ेता ा हाे।
 वरयान् वह बु है जससे वह  व ा में द ही नहीं वरन् उसका
िनय क, संचालक बन जाता है।  वर बु का वह अतम छाेर है
जसमें इ वाहत है। यहाँ तक बु का अतव है; ाेंक वाहत
हाेनेवाला इ अभी कहीं अलग है अाैर हणक ा बु अलग है। अभी वह
कृित क सीमा में है। अब वयं काशवप में जब बु ( ा) रहती है,
जागृत है ताे सपूण भूत (चतन का वाह) जागृत हैं अाैर जब अव ा में
रहती है ताे अचेत हैं। इसी काे काश अाैर अधकार, राि अाैर दन कहकर
सबाेधत कया जाता है। देखें–

 ा अथात्  वे ा क वह ेणी, जसमें इ वाहत है, उसकाे ा


सवाेकृ बु में भी व ा (जाे वयं काशवप है, उसमें मलाती है) का
दन अाैर अव ा क राि, काश अाैर अधकार का म लगा रहता है,
यहाँ तक साधक में माया कामयाब हाेती है। काशकाल में अचेत भूत सचेत
हाे जाते हैं, उहें लय दखायी पड़ने लगता है तथा बु के अतराल में
अव ा क राि के वेशकाल में सभी भूत अचेत हाे जाते हैं। बु िनय
नहीं कर पाती। वप क अाेर बढ़ना बद हाे जाता है। यही  ा का दन
अाैर यही  ा क राि है। दन के काश में बु क सहाें वृ याें में
ई रय काश छा जाता है अाैर अव ा क राि में इहीं सहाें परताें में
अचेतावथा का अधकार अा जाता है।

शभ अाैर अशभ, व ा अाैर अव ा– इन दाेनाें वृ याें के सवथा शात


हाेने पर अथात् अचेत अाैर सचेत, राि में वलन अाैर दन में उप दाेनाें
कार के भूताें (संकप वाह) के मट जाने पर उस अय बु से भी
अित परे शा त अय भाव मलता है, जाे फर कभी न नहीं हाेता। भूताें
क अचेत अाैर सचेत दाेनाें थितयाें के मटने पर ही वह सनातन भाव
मलता है।

बु क उपयु चार अवथाअाें के बादवाला पुष ही महापुष है। उसके


अतराल में बु नहीं है, बु परमाा का य -जैसी हाे गयी है कत लाेगाें
काे वह उपदेश करता है, िनय से ेरणा देता है अत: उसमें बु तीत हाेती
है; कत वह बु के तर से परे है। वह परम अय भाव में थत है,
उसका पुनज नहीं हाेना है; कत इस अय थित से पूव जब तक
उसके पास अपनी बु है, जब तक वह  ा है वह पुनज क परध में
ही है। इहीं तयाें पर काश डालते ए याेगे र ीकृण कहते हैं–

सहयुगपयतमहय णाे वदु:।


रािं युगसहातां तेऽहाेरावदाे जना:।।१७।।

जाे हजार चतयुगाें क  ा क राि अाैर हजार चतयुगाें के उसके दन


काे साात् जानते हैं, वे पुष समय के त व काे यथाथ जानते हैं।

तत ाेक में दन अाैर रात व ा अाैर अव ा के पक हैं।  व ा
से संयु बु  ा क वेशका तथा  वर बु  ा क पराकाा है।
व ा से संयु बु ही  ा का दन है। जब व ा कायरत हाेती है, उस
समय याेगी वप क अाेर असर हाेता है, अत:करण क सहाें वृ याें
में ई रय काश का संचार हाे उठता है। इसी कार अव ा क राि अाने
पर अत:करण क सहाें वृ याें में माया का  वाहत हाेता है। काश
अाैर अधकार क यहीं तक सीमा है। इसके पात् न ताे अव ा रह जाती है
अाैर न व ा ही। वह परमत व परमाा वदत हाे जाता है। जाे इसे त व से
भल कार जानते हैं, वे याेगीजन काल के त व काे जाननेवाले हैं क कब
अव ा क रात हाेती है, कब व ा का दन अाता है, काल का भाव कहाँ
तक है अथवा समय कहाँ तक पीछा करता है

ारक मनीषी अत:करण काे च अथवा कभी-कभी केवल बु


कहकर सबाेधत करते थे। कालातर में अत:करण का वभाजन मन, बु ,
च अाैर अहंकार क चार मुख वृ याें में कया गया, वैसे अत:करण क
वृ याँ अनत हैं। बु के अतराल में ही अव ा क राि हाेती है अाैर
उसी बु में व ा का दन भी हाेता है। यही  ा क राि अाैर दन है।
जगत् पी राि में सभी अचेत पड़े हैं। कृित में वचरण करती ई उनक
बु उस काशवप काे नहीं देख पाती; कत याेग का अाचरण करनेवाले
याेगी इससे जग जाते हैं, वे वप क अाेर बढ़ते हैं, जैसा क गाेवामी
तलसीदास ने रामचरतमानस में लखा है–

कबँ दवस महँ िनबड़ तम, कबँक गट पतंग।।


बनसइ उपजइ ान जम, पाइ कुसंग ससंग।।

(रामचरतमानस, ४/१५ ख)

व ा से संयु बु कुसंग पाकर अव ा में परणत हाे जाती है, पुन:
ससंग से व ा का संचार उसी बु में हाे जाता है। यह उतार-चढ़ाव
पूितपयत लगा रहता है। पूित के पात् न बु है न  ा, न रात रहती है न
दन। यही  ा के दन-रात के पक हैं। न हजाराें साल क लबी रात हाेती
है, न हजाराें चतयुग का दन ही हाेता है अाैर न कहीं काेई चार मुँहवाला
 ा ही है। बु क उपयु चार मक अवथाएँ ही  ा के चार मुख अाैर
अत:करण क चार मुख वृ याँ ही उसके चतयुग हैं। रात अाैर दन इहीं
वृ याें में हाेते हैं। जाे पुष इसके भेद काे त व से जानते हैं, वे याेगीजन
काल के भेद काे जानते हैं क काल कहाँ तक पीछा करता है अाैर काैन पुष
काल से भी अतीत हाे जाता है। राि अाैर दन, अव ा अाैर व ा में
हाेनेवाले काय काे याेगे र ीकृण प करते हैं–

अयाय: सवा: भवयहरागमे।


रायागमे लयते तैवायसके।।१८।।

 ा के दन के वेशकाल में अथात् व ा (दैवी सपद्) के वेशकाल में


सपूण ाणी अय बु में जागृत हाे जाते हैं अाैर राि के वेशकाल में
उसी अय, अ य बु में जागृित के सू त व अचेत हाे जाते हैं। वे
ाणी अव ा क राि में वप काे प देख नहीं पाते; कत उनका
अतव रहता है। जागृत हाेने अाैर अचेत हाेने का मायम यह बु है, जाे
सबमें अय रहती है, गाेचर नहीं है।

भूताम: स एवायं भूवा भूवा लयते।


रायागमेऽवश: पाथ भवयहरागमे।।१९।।

हे पाथ सब ाणी इस कार जागृत हाेकर कृित से ववश हाेकर


अव ापी राि के अाने पर अचेत हाे जाते हैं। वे नहीं देख पाते क उनका
लय ा है दन के वेशकाल में वे पुन: जागृत हाे जाते हैं। जब तक बु
है, तब तक इसके अतराल में व ा अाैर अव ा का म चलता रहता है।
तब तक वह साधक ही है, महापुष नहीं।

परता ु भावाेऽयाेऽयाेऽयासनातन:।
य: स सवेषु भूतेषु नयस न वनयित।।२०।।

एक ताे  ा अथात् बु अय है, इयाें से दखायी नहीं पड़ती अाैर
इससे भी परे सनातन अय भाव है, जाे भूताें के न हाेने पर भी न नहीं
हाेता अथात् व ा में सचेत अाैर अव ा में अचेत, दन में उप अाैर राि
में वलन भावाेंवाले अय  ा के भी मट जाने पर वह सनातन अय
भाव मलता है, जाे न नहीं हाेता। बु में हाेनेवाले उ दाेनाें उतार-चढ़ाव
जब मट जाते हैं तब सनातन अय भाव मलता है, जाे मेरा परमधाम है।
जब सनातन अय भाव ा हाे गया ताे बु भी उसी भाव में रं ग जाती है,
उसी भाव काे धारण कर ले ती है। इसलये वह बु वयं ताे मट जाती है
अाैर उसके थान पर सनातन अय भाव ही शेष बचता है।

अयाेऽर इयुतमा: परमां गितम्।


यं ाय न िनवतते त ाम परमं मम।।२१।।

उस सनातन अय भाव काे अर अथात् अवनाशी कहा जाता है। उसी
काे परमगित कहते हैं। वही मेरा परमधाम है, जसे ा हाेकर मनुय पीछे
नहीं अाते, उनका पुनज नहीं हाेता। इस सनातन अय भाव क ाि का
वधान बताते हैं–

पुष: स पर: पाथ भा लयवनयया।


ययात:थािन भूतािन येन सवमदं ततम्।।२२।।

पाथ जस परमाा के अतगत सपूण भूत हैं, जससे सपूण जगत्
या है, सनातन अय भाववाला वह परमपुष अनय भ से ा हाेने
याेय है। अनय भ का तापय है क परमाा के सवाय अय कसी का
रण न करते ए उनसे जुड़ जाय। अनय भाव से लगनेवाले पुष भी कब
तक पुनज क सीमा में हैं अाैर कब वे पुनज का अितमण कर जाते
हैं इस पर याेगे र कहते हैं–

य काले वनावृ मावृ ं चैव याेगन:।


याता यात तं कालं वयाम भरतषभ।।२३।।

हे अजुन जस काल में शरर यागकर गये ए याेगीजन पुनज काे
नहीं पाते अाैर जस काल में शरर यागने पर पुनज पाते हैं, मैं अब उस
काल का वणन करता ँ।

अ याेितरह: श: षमासा उ रायणम्।


त याता गछत   वदाे जना:।।२४।।

शरर-सबध का याग करते समय जनके सम याेितमय अ जल


रही हाे, दन का काश फैला हाे, सूय चमक रहा हाे, शप का च बढ़
रहा हाे, उ रायण का िनर अाैर सदर अाकाश हाे, उस काल में याण
करनेवाले  वे ा याेगीजन  काे ा हाेते हैं।

अ  तेज का तीक है। दन व ा का काश है। शप िनमलता


का ाेतक है। ववेक, वैराय, शम, दम, तेज अाैर ा ये षडै य ही षमास
हैं। ऊव रेता थित ही उ रायण है। कृित से सवथा परे इस अवथा में
जानेवाले  वे ा याेगीजन  काे ा हाेते हैं, उनका पुनज नहीं हाेता;
कत अनय च से लगे ए याेगीजन यद इस अालाेक काे ा नहीं कर
पाये, जनक साधना अभी पूण नहीं है, उनका ा हाेता है इस पर कहते
हैं–

धूमाे राितथा कृण: षमासा दणायनम्।


त चामसं याेितयाेगी ाय िनवतते।।२५।।
जसके याणकाल में धुअाँ फैल रहा हाे, याेगा हाे (अ य-या में
पायी जानेवाल अ का वप है।) कत धुएँ से अाछादत हाे, अव ा क
राि हाे, अँधेरा हाे, कृणप का चमा ीण हाे रहा हाे, कालमा का
बाय हाे, ष काराें (काम, ाेध, लाेभ, माेह, मद अाैर मसर) से यु
दणायन अथात् बहमुखी हाे (जाे परमाा के वेश से अभी बाहर है।) उस
याेगी काे पुन: ज ले ना पड़ता है। ताे ा शरर के साथ उस याेगी क
साधना न हाे जाती है इस पर याेगे र ीकृण कहते हैं–

शकृणे गती ेते जगत: शा ते मते।


एकया यायनावृ मययावतते पुन:।।२६।।

उपयु श अाैर कृण दाेनाें कार क गितयाँ जगत् में शा त हैं अथात्
साधन का कभी वनाश नहीं हाेता। एक (श) अवथा में याण करनेवाला
पीछे न अानेवाल परमगित काे ा हाेता है अाैर दूसर अवथा में, जसमें
ीण काश तथा अभी कालमा है एेसी अवथा काे गया अा पीछे लाैटता
है, ज ले ता है। जब तक पूण काश नहीं मलता, तब तक उसे भजन
करना है।  पूण अा। अब इसके लये साधन पर पुन: बल देते हैं–

नैते सृती पाथ जानयाेगी मु ित कन।


तासवेषु काले षु याेगयुाे भवाजुन।।२७।।

हे पाथ इस कार इन मागाे काे जानकर काेई भी याेगी माेहत नहीं


हाेता। वह जानता है क पूण काश पा ले ने पर  काे ा हाेगा अाैर ीण
काश रहने पर भी पुनज में साधन का नाश नहीं हाेता। दाेनाें गितयाँ
शा त हैं। अत: अजुन तू सब काल में याेग से यु हाे अथात् िनरतर
साधन कर।

वेदेषु येषु तप:स चैव


दानेषु यपुयफलं दम्।
अयेित तसवमदं वदवा
याेगी परं थानमुपैित चा म्।।२८।।

इसकाे सााकारसहत जानकर (मानकर नहीं) याेगी वेद, य, तप अाैर


दान के पुयफलाें का िन:सदेह अितमण कर जाता है अाैर सनातन परमपद
काे ा हाेता है। अवदत परमाा क साात् जानकार का नाम वेद है।
वह अवदत त व जब वदत हाे गया ताे अब काैन कसे जाने अत: वदत
हाेने के पात् वेदाें से भी याेजन समा हाे जाता है; ाेंक जाननेवाला
भ नहीं है। य अथात् अाराधना क िनयत या अावयक थी; कत जब
वह त व वदत हाे गया, ताे कसके लये भजन करे मनसहत इयाें काे
लय के अनुप तपाना तप है। लय ा हाेने पर कसके लये तप करे
मन, वचन अाैर कम से सवताेभावेन समपण का नाम दान है। इन सबका
पुयफल है परमाा क ाि । फल भी अब वलग नहीं है अत: इन सबक
अब अावयकता ही न रही। वह याेगी य, तप, दान इयाद के फल काे भी
पार कर जाता है। वह परमपद काे ा हाेता है।

िनकष—

इस अयाय में पाँच मुख बदुअाें पर वचार कया गया। जनमें


सवथम अयाय सात के अत में याेगे र ीकृण ारा बीजाराेपत ाें काे
प समझाने क जासा से इस अयाय के अार में अजुन ने सात 
कये क– भगवन् जसे अापने कहा, वह  ा है वह अया ा है
वह सपूण कम ा है अधदैव, अधभूत अाैर अधय ा हैं अाैर
अतकाल में अाप कस कार जानने में अाते हैं क कभी वृत नहीं हाेते
याेगे र ीकृण ने बताया क जसका वनाश नहीं हाेता, वही पर है।
वयं क उपलधवाला परमभाव ही अया है। जससे जीव माया के
अाधपय से िनकलकर अाा के अाधपय में हाे जाता है, वही अया है
अाैर भूताें के वे भाव जाे शभ अथवा अशभ संकाराें काे उप करते हैं उन
भावाें का क जाना, ‘वसग:’– मट जाना ही कम क सपूणता है। इसके
अागे कम करने क अावयकता नहीं रह जाती। अत: कम काेई एेसी वत है,
जाे संकाराें के उ म काे ही मटा देता है।

इसी कार रभाव अधभूत हैं अथात् न हाेनेवाले ही भूताें काे उप
करने में मायम हैं। वे ही भूताें के अधाता हैं। परमपुष ही अधदैव है।
उसमें दैवी सपद् वलन हाेती है। इस शरर में अधय मैं ही ँ अथात्
जसमें य वलय हाेते हैं वह मैं ँ, य का अधाता ँ। वह मेरे वप
काे ही ा हाेता है अथात् ीकृण एक याेगी थे। अधय काेई एेसा पुष है
जाे इस शरर में रहता है, बाहर नहीं। अतम  क अत समय में अाप
कस कार जानने में अाते हैं उहाेंने बताया क जाे मेरा िनरतर रण
करते हैं, मेरे सवाय कसी दूसरे वषय-वत का चतन नहीं अाने देते अाैर
एेसा करते ए शरर का सबध याग देते हैं, वे मेरे साात् वप काे ा
हाेते हैं, जसे अत में भी वही ा रहता है। शरर क मृयु के साथ यह
उपलध हाेती हाे एेसी बात नहीं है। मरने पर ही मलता ताे ीकृण पूण न
हाेते, अनेक जाें में चलकर पानेवाला ानी उनका वप न हाेता। मन का
सवथा िनराेध अाैर िन मन का भी वलय ही अतकाल है, जहाँ फर
शरराें क उप का मायम शात हाे जाता है। उस समय वह परमभाव में
वेश पा जाता है। उसका पुनज नहीं हाेता।

इस ाि के लये उहाेंने रण का वधान बताया– अजुन िनरतर मेरा


रण कर अाैर यु कर। दाेनाें एक साथ कैसे हाेगें कदाचत् एेसा हाे क
‘जय गाेपाल, हे कृण’ कहते रहें, लाठ भी चलाते रहें। रण का वप
प कया क याेग-धारणा में थर रहते ए, मेरे सवाय अय कसी भी
वत का रण न करते ए िनरतर रण कर। जब रण इतना सू है
ताे यु काैन करे गा मान लजये, यह पुतक भगवान है, ताे इसके अगल-
बगल क वत, सामने बैठे ए लाेग या अय देखी-सनी काेई वत संकप में
भी न अाये, दखायी न पड़े। यद दखायी पड़ती है ताे रण नहीं है। एेसे
रण में यु कैसा वतत: जब अाप इस कार िनरतर रण में वृ
हाेंगे, ताे उसी ण यु का सही वप खड़ा हाेता है। उस समय मायक
वृ याँ बाधा के प में य ही हैं। काम, ाेध, राग, ेष दुजय शु हैं।
ये शु रण करने नहीं देंगे। इनसे पार पाना ही यु है। इन शुअाें के मट
जाने पर ही य परमगित काे ा हाेता है।

इस परमगित काे पाने के लये अजुन तू जप ताे ‘अाेम्’ का अाैर यान


मेरा कर अथात् ीकृण एक याेगी थे। नाम अाैर प अाराधना क कुंजी है।

याेगे र ीकृण ने इस  काे भी लया क पुनज ा है उसमें


काैन-काैन अाते हैं उहाेंने बताया क  ा से ले कर यावा जगत्
पुनरावती है अाैर इन सबके समा हाेने पर भी मेरा परम अय भाव तथा
उसमें थित समा नहीं हाेती।
इस याेग में व पुष क दाे गितयाँ हैं। जाे पूण काश काे ा
षडै यसप ऊव रेता है, जसमें ले शमा भी कमी नहीं है, वह परमगित काे
ा हाेता है। यद उस याेगक ा में ले शमा भी कमी है, कृणप-सी
कालमा का संचार है, एेसी अवथा में शरर का समय समा हाेनेवाले याेगी
काे ज ले ना पड़ता है। वह सामाय जीव क तरह ज-मरण के चर में
नहीं फँ सता बक ज ले कर उससे अागे क शेष साधना काे पूरा करता है।

इस कार अागे के ज में उसी या से चलकर वह भी वहीं पँच


जाता है जसका नाम परमधाम है। पहले भी ीकृण कह अाये हैं क इसका
थाेड़ा भी साधन ज-मरण के महान् भय से उ ार कराके ही छाेड़ता है।
‘दाेनाें राते शा त हैं, अमट हैं’– इस बात काे समझकर काेई भी पुष याेग
से चलायमान नहीं हाेता। अजुन तू याेगी बन। याेगी वेद, तप, य अाैर दान
के भी पुयफलाें का उ ं घन कर जाता है, परमगित काे ा हाेता है।

इस अयाय में थान-थान पर परमगित का चण कया गया है जसे


अय, अय अाैर अर कहकर सबाेधत कया गया, जसका कभी य
अथवा वनाश नहीं हाेता। अत:–

ॐ तसदित ीम गव तासूपिनषस  व ायां याेगशाे ीकृणाजुनसवादे


‘अर याेगाे’ नामामाेऽयाय:।।८।।

इस कार ीम गव तापी उपिनषद् एवं  व ा तथा याेगशा


वषयक ीकृण अाैर अजुन के सवाद में ‘अर- याेग’ नामक अाठवाँ
अयाय पूण हाेता है।
इित ीमपरमहंसपरमानदय शय वामीअड़गड़ानदकृते ीम गव ताया:
‘यथाथगीता’ भाये ‘अर याेगाे’ नामामाेऽयाय:।।८।।

इस कार ीमत् परमहंस परमानदजी के शय वामी अड़गड़ानदकृत


‘ीम गव ता’ के भाय ‘यथाथ गीता’ में ‘अर- याेग’ नामक अाठवाँ
अयाय पूण हाेता है।

।। हर: ॐ तसत् ।।
।। ॐ ी परमाने नम: ।।
।। अथ नवमाेऽयाय: ।।
अयाय छ: तक याेगे र ीकृण ने याेग का मब वे षण कया,
जसका श अथ है य क या। य उस परम में वेश दला देनेवाल
अाराधना क वध-वशेष का चण है, जसमें चराचर जगत् हवन-सामी के
प में है। मन के िनराेध अाैर िन मन के भी वलयकाल में वह अमृत-
त व वदत हाे जाता है। पूितकाल में य जसक सृ करता है, उसकाे
पान करनेवाला ानी है अाैर वह सनातन  में वेश पा जाता है। उस
मलन का नाम ही याेग है। उस य काे कायप देना कम कहलाता है।
सातवें अयाय में उहाेंने बताया क इस कम काे करनेवाले या  , सपूण
कम, सपूण अया, सपूण अधदैव, अधभूत अाैर अधयसहत मुझकाे
जानते हैं। अाठवें अयाय में उहाेंने कहा क यही परमगित है, यही परमधाम
है।

तत अयाय में याेगे र ीकृण ने वयं चचा क क याेगयु पुष का


एे य कैसा है सबमें या रहने पर भी वह कैसे िनले प है करते ए भी वह
कैसे अक ा है उस पुष के वभाव एवं भाव पर काश डाला, याेग काे
अाचरण में ढालने पर अानेवाले देवतादक व ाें से सतक कया अाैर उस
पुष क शरण हाेने पर बल दया।
ीभगवानुवाच

इदं त ते गु तमं वयायनसूयवे।


ानं वानसहतं यावा माेयसेऽशभात्।।१।।

याेगे र ीकृण ने कहा– अजुन असूया (डाह, ईया) रहत तेरे लये मैं
इस परमगाेपनीय ान काे वानसहत कँगा अथात् ाि के पात्
महापुष क रहनी के साथ कँगा क कैसे वह महापुष सव एक साथ
कम करता है, कैसे वह जागृित दान करता है, रथी बनकर अाा के साथ
कैसे सदैव रहता है ‘यत् ावा’– जसे साात् जानकर तू दु:खपी संसार
से मु हाे जायेगा। वह ान कैसा है इस पर कहते हैं–

राजव ा राजगु ं पवमदमु मम्।


यावगमं धय ससखं कतमययम्।।२।।

वान से संयु यह ान सभी व ाअाें का राजा है। व ा का अथ


भाषा-ान अथवा शा नहीं है। ‘व ा ह का  गित दाया।’, ‘सा व ा
या वमुये।’ व ा उसे कहते हैं क जसके पास अाये, उसे उठाकर  -
पथ पर चलाते ए माे दान कर दे। यद राते में ऋ याें-स याें अथवा
कृित में कहीं उलझ गया ताे स है क अव ा सफल हाे गयी। वह व ा
नहीं है। यह राजव ा एेसी है, जाे िनत कयाण करनेवाल है। यह सभी
गाेपनीयाें का राजा है। अव ा अाैर व ा के अवगुठन का अनावरण हाेने पर
याेगयुता के पात् ही इससे मलन हाेता है। यह अित पव, उ म अाैर
य फलवाला है। ‘इधर कराे, उधर लाे’– एेसा य फलवाला है। यह
अधव ास नहीं है क इस ज में साधन कराे, फल कभी दूसरे ज में
मले गा। यह परमधम परमाा से संयु है। वानसहत यह ान करने में
सरल अाैर अवनाशी है।

अयाय दाे में याेगे र ीकृण ने कहा– अजुन इस याेग में बीज का
नाश नहीं हाेता। इसका थाेड़ा भी साधन ज-मरण के महान् भय से उ ार
कर देता है। छठें अयाय में अजुन ने पूछा– भगवन् शथल य वाला
साधक न- ताे नहीं हाे जाता ीकृण ने बताया– अजुन पहले ताे कम
समझना अावयक है अाैर समझने के बाद थाेड़ा भी साधन पार लग गया ताे
उसका कसी ज में कभी वनाश नहीं हाेता, बक उस थाेड़े से अयास के
भाव से हर ज में वही करता है। अनेक जाें के परणाम में वहीं पँच
जाता है, जसका नाम परमगित अथात् परमाा है। उसी काे याेगे र
ीकृण यहाँ भी कहते हैं क यह साधन करने में बड़ा सगम अाैर अवनाशी
है; परत इसके लये  ा िनतात अावयक है।

अ धाना: पुषा धमयाय परतप।


अाय मां िनवतते मृयुसंसारविन।।३।।

परं तप अजुन इस धम में (जसका थाेड़ा भी साधन करने पर वनाश नहीं
हाेता)  ारहत पुष (एक इ में मन काे केत न रखनेवाला पुष) मुझे
न ा हाेकर संसार-े में मण करता ही रहता है। अत:  ा अिनवाय है।
ा अाप संसार से परे हैं इस पर कहते हैं–

मया ततमदं सव जगदयमूितना।


मथािन सवभूतािन न चाहं तेववथत:।।४।।
मुझ अय वप से यह सब जगत् या है अथात् मैं जस वप में
थत ँ, वह सव या है। सभी ाणी मुझमें थान पाये हैं कत मैं उनमें
थत नहीं ँ; ाेंक मैं अय वप में थत ँ। महापुष जस अय
वप में थत हैं, वहीं से (शरर छाेड़कर उसी अय तर से ही) बात
करते हैं। इसी म में अागे कहते हैं–

न च मथािन भूतािन पय मे याेगमै रम्।


भूतभृ च भूतथाे ममाा भूतभावन:।।५।।

वतत: सब भूत भी मुझमें थत नहीं हैं ाेंक वे मरणधमा हैं, कृित के
अात हैं; कत मेर याेगमाया के एे य काे देख क जीवधारयाें काे उप
अाैर पाेषण करनेवाला मेरा अाा भूताें में थत नहीं है। मैं अावप ँ,
इसलये मैं उन भूताें में थत नहीं ँ। यही याेग का भाव है। इसकाे प
करने के लये याेगे र ीकृण ात देते हैं–

यथाकाशथताे िनयं वायु: सवगाे महान्।


तथा सवाण भूतािन मथानीयुपधारय।।६।।

जैसे अाकाश से ही उप हाेनेवाला महान् वायु अाकाश में सदैव थत है
कत उसे मलन नहीं कर पाता, ठक वैसे ही सपूण भूत मुझमें थत हैं,
एेसा जान। ठक इसी कार मैं अाकाशवत् िनले प ँ। वे मुझे मलन नहीं कर
पाते।  पूरा अा। यही याेग का भाव है। अब याेगी ा करता है इस
पर कहते हैं–

सवभूतािन काैतेय कृितं यात मामकाम्।


कपये पुनतािन कपादाै वसृजायहम्।।७।।

अजुन कप के वलयकाल में सब ‘भुत – ाणी’ मेर कृित अथात् मेरे
वभाव काे ा हाेते हैं अाैर कप के अाद में मैं उनकाे बार-बार
‘वसृजाम’– वशेष प से सृजन करता ँ। थे ताे वे पहले से कत वकृत
थे, उहीं काे रचता ँ, सजाता ँ। जाे अचेत हैं उहें जागृत करता ँ, कप
के लये ेरत करता ँ। कप का तापय है उथानाेुख परवतन। अासर
सपद् से िनकलकर जैसे-जैसे पुष दैवी सपद् में वेश पाता है, यहीं से
कप का अार है अाैर जब ई रभाव काे ा हाे जाता है, वहीं कप का
य है। अपना कम पूरा करके कप भी वलन हाे जाता है। भजन का
अार कप का अाद है अाैर भजन क पराकाा, जहाँ लय वदत हाेता
है, कप का अत है। जब यह र अाा याेिनयाें के कारणभूत राग-ेषाद
से मु पाकर अपने शा त वप में थर हाे जाय, इसी काे ीकृण
कहते हैं क वह मेर कृित काे ा हाेता है।

जाे महापुष कृित का वलय करके वप में वेश पा गया, उसक
कृित कैसी ा उसमें कृित शेष ही है नहीं, अयाय ३/३३ में याेगे र
ीकृण कह चुके हैं क सभी ाणी अपनी कृित काे ा हाेते हैं। जैसा
उनके ऊपर कृित के गुणाें का दबाव है, वैसा करते हैं अाैर ‘ानवानप’–
य दशन के साथ जानकारवाला ानी भी अपनी कृित के स श चेा
करता है। वह पीछे वालाें के कयाण के लये करता है। पूणानी त वथत
महापुष क रहनी ही उसक कृित है। वह अपने इसी वभाव में बरतता है।
कप के य में लाेग महापुष क इसी रहनी काे ा हाेते हैं। महापुष के
इसी कृितव पर पुन: काश डालते हैं–
कृितं वामवय वसृजाम पुन: पुन:।
भूतामममं कृमवशं कृतेवशात्।।८।।

अपनी कृित अथात् महापुष क रहनी वीकार करके ‘कृतेवशात्’–


अपने-अपने वभाव में थत कृित के गुणाें से परवश ए इस सपूण
भूतसमुदाय काे मैं बारबार ‘वसृजाम’– वशेष सृजन; वशेष प से सजाता
ँ। उहें अपने वप क अाेर बढ़ने के लये ेरत करता ँ। तब ताे अाप
इस कम से बँधे हैं –

न च मां तािन कमाण िनब त धन य।


उदासीनवदासीनमसं तेषु कमस।।९।।

अयाय ४/९ में याेगे र ीकृण ने कहा क महापुष क काय- णाल


अलाैकक है। अयाय ९/४ में बताया– मैं अय प से करता ँ। यहाँ भी
वही कहते हैं– धनंजय जन कमाे काे मैं अ य प से करता ँ, उनमें मेर
अास नहीं है। उदासीन के स श थत रहनेवाले मुझ परमावप काे वे
कम नहीं बाँधते; ाेंक कम के परणाम में जाे लय मलता है उसमें मैं
थत ँ, इसलये उहें करने के लये मैं ववश नहीं ँ।

यह ताे वभाव के साथ जुड़ कृित के कायाे का  था, महापुष क


रहनी थी, उनक रचना थी। अब मेरे अयास से जाे माया रचती है, वह ा
है वह भी एक कप है–

मयायेण कृित: सूयते सचराचरम्।


हेतनानेन काैतेय जगपरवतते।।१०।।
अजुन मेर अयता में अथात् मेर उपथित में सव या मेरे अयास
से यह माया (िगुणमयी कृित, अधा मूल कृित अाैर चेतन दाेनाें) चराचर
सहत जगत् काे रचती है, जाे  कप है अाैर इसी कारण से यह संसार
अावागमन के च में घूमता रहता है। कृित का यह  कप जसमें काल
का परवतन है, मेरे अयास से कृित ही करती है, मैं नहीं करता; कत
सातवें ाेक में िनद कप अाराधना का संचार एवं पूितपयत मागदशनवाला
कप महापुष वयं करते हैं। एक थान पर वे वयं क ा हैं, जहाँ वे वशेष
प से सृजन करते हैं। यहाँ क ा कृित है, जाे केवल मेरे अयास से यह
णक परवतन करती है; जसमें शरराें का परवतन, काल-परवतन, युग-
परवतन इयाद अाते हैं। एेसा या भाव हाेने पर भी मूढ़लाेग मुझे नहीं
जानते। तथा–

अवजानत मां मूढा मानुषीं तनुमातम्।


परं भावमजानताे मम भूतमहे रम्।।११।।

सपूण भूताें के महान् ई रप मेरे परमभाव काे न जाननेवाले मूढ़लाेग


मुझे मनुय-शरर के अाधारवाला अाैर तछ समझते हैं। सपूण ाणयाें के
ई राें का भी जाे महान् ई र है, उस परमभाव में मैं थत ँ; कत ँ
मनुय-शररधार, मूढ़लाेग इसे नहीं जानते। वे मुझे मनुय कहकर सबाेधत
करते हैं। उनका दाेष भी ा है जब वे पात करते हैं ताे महापुष का
शरर ही ताे दखायी पड़ता है। कैसे वे समझें क अाप महान् ई रभाव में
थत हैं वे ाें नहीं देख पाते इस पर कहते हैं–

माेघाशा माेघकमाणाे माेघाना वचेतस:।


रासीमासरं चैव कृितं माेहनीं ता:।।१२।।

वे वृथा अाशा (जाे कभी पूण न हाे एेसी अाशा), वृथा कम (बधनकार
कम), वृथा ान (जाे वतत: अान है), ‘वचेतस:’– वशेष प से अचेत
ए, रासाें अाैर असराें के-से माेहत हाेनेवाले वभाव काे धारण कये हाेते हैं
अथात् अासर वभाववाले हाेते हैं इसलये मनुय समझते हैं।

असर अाैर रास मन का एक वभाव है, न क काेई जाित या याेिन।


अासर वभाववाले मुझे नहीं जान पाते; कत महााजन मुझे जानते अाैर
भजते हैं–

महाानत मां पाथ दैवीं कृितमाता:।


भजयनयमनसाे ावा भूतादमययम्।।१३।।

परत हे पाथ दैवी कृित अथात् दैवी सपद् के अात ए महााजन


मुझे सब भूताें का अादकारण, अय अाैर अर जानकर अनय मन से
अथात् मन के अतराल में कसी अय काे थान न देकर केवल मुझमें  ा
रखकर िनरतर मुझे भजते हैं। कस कार भजते हैं इस पर कहते हैं–

सततं कतयताे मां यतत ढता:।


नमयत मां भा िनययुा उपासते।।१४।।

वे िनरतर चतन के त में अचल रहते ए मेरे नाम अाैर गुणाें का


चतन करते हैं, ाि के य करते हैं अाैर मुझे बारबार नमकार करते ए
सदैव मुझसे संयु हाेकर अनय भ से मुझे उपासते हैं। अवरल लगे रहते
हैं। काैन-सी उपासना करते हैं कैसा है यह कितगान काेई दूसर उपासना
नहीं वरन् वही ‘य’, जसे वतार से बता अाये हैं। उसी अाराधना काे यहाँ
संेप में याेगे र ीकृण दुहरा रहे हैं–

ानयेन चायये यजताे मामुपासते।


एकवेन पृथेन बधा व ताेमुखम्।।१५।।

उनमें से काेई ताे मुझ सवया वराट् परमाा काे ानय ारा यजन
करते हैं अथात् अपनी हािन, लाभ अाैर श काे समझकर इसी िनयत कम
य में वृ हाेते हैं, कुछ एकव भाव से मेर उपासना करते हैं क मुझे इसी
में एक हाेना है अाैर दूसरे सब कुछ मुझे अलग रखकर, मुझे समपण करके
िनकाम सेवा-भाव से मुझे उपासते हैं तथा बत कार से उपासते हैं; ाेंक
एक ही य के ये सभी ऊँचे-नीचे तर हैं। य का अार सेवा से ही हाेता
है; कत उसका अनुान हाेता कैसे है याेगे र ीकृण कहते हैं– य मैं
करता ँ। यद महापुष रथी न हाे ताे य पार नहीं लगेगा। उहीं के िनदेशन
में साधक समझ पाता है क अब वह कस तर पर है, कहाँ तक पँच सका
है। वतत: यक ा काैन है – इस पर याेगे र कहते हैं–

अहं तरहं य: वधाहमहमाैषधम्।


म ाेऽहमहमेवायमहम रहं तम्।।१६।।

क ा मैं ँ। वतत: क ा के पीछे ेरक के प में सदैव संचालत


करनेवाला इ ही है। क ा ारा जाे पार लगता है, मेर देन है। य मैं ँ।
य अाराधना क वध-वशेष है। पूितकाल में य जसका सृजन करता है,
उस अमृत काे पान करनेवाला पुष सनातन  में वेश पा जाता है। वधा
मैं ँ अथात् अतीत के अनत संकाराें काे वलय करना, उहें तृ कर देना
मेर देन है। भवराेग काे मटानेवाल अाैषध मैं ँ। मुझे पाकर लाेग इस राेग
से िनवृ हाे जाते हैं। म मैं ँ। मन काे ास के अतराल में िनराेध करना
मेर देन है। इस िनराेध-या में तीता लानेवाल वत ‘अाय’ (हव) भी मैं
ँ। मेरे ही काश में मन क सभी वृ याँ वलन हाेती हैं। हवन अथात्
समपण भी मैं ही ँ।

यहाँ याेगे र ीकृण बार-बार ‘मैं ँ’ कह रहे हैं। इसका अाशय मा
इतना ही है क मैं ही ेरक के प में अाा से अभ हाेकर खड़ा हाे जाता
ँ तथा िनरतर िनणय देते ए याेगया काे पूण कराता ँ। इसी का नाम
वान है। ‘पूय महाराज जी’ कहा करते थे क ‘‘जब तक इदेव रथी
हाेकर ास- ास पर राेकथाम न करने लगें, तब तक भजन अार ही नहीं
हाेता।’’ काेई लाख अाँख मूँदे, भजन करे , शरर काे तपा डाले ; ले कन जब
तक जस परमाा क हमें चाह है वह, जस सतह पर हम खड़े हैं उस तर
पर उतरकर अाा से अभ हाेकर जागृत नहीं हाे जाता, तब तक सही
माा में भजन का वप समझ में नहीं अाता। इसलये महाराज जी कहते
थे– ‘‘मेरे वप काे पकड़ाे, मैं सब दूँगा।’’ ीकृण कहते हैं– सब मुझसे
हाेता है।

पताहमय जगताे माता धाता पतामह:।


वे ं पवमाेार ऋसाम यजुरेव च।।
१७।।
अजुन मैं ही सपूण जगत् का ‘धाता’ अथात् धारण करनेवाला, ‘पता’
अथात् पालन करनेवाला, ‘माता’ अथात् उप करनेवाला, ‘पतामह:’ अथात्
मूल उ म ँ, जसमें सभी वेश पाते हैं अाैर जानने याेय पव अाेंकार
अथात् ‘अहं अाकार इित अाेंकार:’– वह परमाा मेरे वप में है। ‘साेऽहं,
त वमस’ इयाद एक दूसरे के पयाय हैं, एेसा जानने याेय वप मैं ही ँ।
‘ऋक्’ अथात् सपूण ाथना, ‘साम’ अथात् समव दलानेवाल या,
‘यजु:’ अथात् यजन क वध-वशेष भी मैं ही ँ। याेग-अनुान के उ तीनाें
अावयक अंग मुझसे हाेते हैं।

गितभता भु: साी िनवास: शरणं सत्।


भव: लय: थानं िनधानं बीजमययम्।।१८।।

हे अजुन ‘गित:’ अथात् ा हाेने याेय परमगित, ‘भता’– भरण-पाेषण


करनेवाला, सबका वामी, ‘साी’ अथात् ा-प में थत सबकाे
जाननेवाला, सबका वासथान, शरण ले ने याेय, अकारण ेमी म, उप
अाैर लय अथात् शभाशभ संकाराें का वलय तथा अवनाशी कारण मैं ही
ँ। अथात् अत में जनमें वेश मलता है, वे सार वभूितयाँ मैं ही ँ।

तपायहमहं वष िनगृ ायुसृजाम च।


अमृतं चैव मृयु सदस ाहमजुन।।१९।।

मैं सूयप से तपता ँ, वषा काे अाकषत करता ँ अाैर उसे बरसाता ँ।
मृयु से परे अमृत-त व तथा मृयु, सत् अाैर असत् सब कुछ मैं ही ँ। अथात्
जाे परम काश दान करता है, वह सूय मैं ही ँ। कभी-कभी भजनेवाले मुझे
असत् भी मान बैठते हैं, वे मृयु काे ा हाेते हैं। अागे कहते हैं–

ैव ा मां साेमपा: पूतपापा


यैर ा वगितं ाथयते।
ते पुयमासा सरे लाेक-
मत दयादव देवभाेगान्।।२०।।

अाराधना-व ा के तीनाें अंग–ऋक्, साम अाैर यजु: अथात् ाथना, समव


क या अाैर यजन का अाचरण करनेवाले , साेम अथात् चमा के ीण
काश काे पानेवाले पाप से मु हाेकर पव ए पुष उसी य क
िनधारत या ारा मुझे इप में पूजकर वग के लये ाथना करते हैं।
यही असत् क कामना है, इससे वे मृयु काे ा हाेते हैं, उनका पुनज
हाेता है; जैसा पछले ाेक में याेगे र ने बताया। वे पूजते मुझे ही हैं, उसी
िनधारत वध से पूजते हैं; कत बदले में वग क याचना करते हैं। वे पुष
अपने पुय के फलवप इलाेक काे ा हाेकर वग में देवताअाें के दय
भाेग भाेगते हैं, अथात् वह भाेग भी मैं ही देता ँ।

ते तं भुा वगलाेकं वशालं ।


ीणे पुये मयलाेकं वशत।
एवंयीधममनुप ा।
गतागतं कामकामा लभते।।२१।।
वे उस वशाल वग काे भाेगकर पुय ीण हाेने पर मृयुलाेक अथात्
ज-मृयु काे ा हाेते हैं। इस कार ‘यीधमम्’– ाथना, समव एवं यजन
क तीनाें वधयाें से एक ही य का अनुान करनेवाले मेर शरण ए भी
कामनावाले पुष बारबार जाने-अाने काे अथात् पुनज काे ा हाेते हैं
कत उनका मूल नाश कभी नहीं हाेता; ाेंक इस पथ में बीज का नाश
नहीं है। कत जाे कसी कार क कामना नहीं करते, उहें ा मलता है –

अनयातयताे मां ये जना: पयुपासते।


तेषां िनयाभयुानां याेगेमं वहायहम्।।
२२।।

अनय भाव से मुझमें थत भजन मुझ परमावप का िनरतर


चतन करते हैं, ‘पयुपासते’– ले शमा भी ुट न रखकर मुझे उपासते हैं।
उन िनय एकभाव से संयु ए पुषाें का याेगेम मैं वयं वहन करता ँ
अथात् उनके याेग क सरा क सार जेदार मैं अपने हाथ में ले ता ँ।
इतना हाेने पर भी लाेग अय देवताअाें काे भजते हैं–

येऽययदेवता भा यजते  यावता:।


तेऽप मामेव काैतेय यजयवधपूवकम्।।२३।।

काैतेय  ा से यु ए जाे भ दूसरे -दूसरे देवताअाें काे पूजते हैं, वे


भी मुझे ही पूजते हैं; ाेंक वहाँ देवता नाम क काेई वत ताे हाेती नहीं,
कत उनका वह पूजन अवधपूवक है, मेर ाि क वध से रहत है।
यहाँ याेगे र ीकृण ने दूसर बार देवताअाें के करण काे लया है।
सवथम अयाय सात के बीसवें से तेईसवें ाेक तक उहाेंने कहा– अजुन
कामनाअाें ारा जनके ान का अपहरण कर लया गया है, एेसे मूढ़बु
पुष अय देवताअाें क पूजा करते हैं अाैर जहाँ पूजा करते हैं, वहाँ देवता
नाम क सम स ा ताे है ही नहीं। पीपल, पथर, भूत, भवानी अथवा अय
जहाँ उनक  ा झक जाती है, वहाँ काेई देवता नहीं है। मैं ही सव ँ। उस
थान पर मैं ही खड़ा हाेकर उनक देव ा काे उन थानाें पर थर करता
ँ। मैं ही फल का वधान करता ँ, फल देता ँ। फल िनत मलता है;
कत उनका फल नाशवान् है। अाज है ताे कल भाेगने में अा जायेगा, न हाे
जायेगा, जबक मेरा भ न नहीं हाेता। अत: वे मूढ़बु जनके ान का
अपहरण हाे गया है, वही अय देवताअाें क पूजा करते हैं।

तत अयाय नाै के तेईस से पचीसवें ाेक तक याेगे र ीकृण पुन:


दुहराते हैं क– अजुन जाे  ा से अय-अय देवताअाें काे पूजते हैं, वे मुझे
ही पूजते हैं; कत वह पूजन अवधपूवक है। वहाँ देवता नाम क सम वत
नहीं है। उनक ाि क वध गलत है। अब  उठता है क जब वे भी
कारातर से अापकाे ही पूजते हैं अाैर फल भी मलता ही है, ताे दाेष ा
है

अहं ह सवयानां भाेा च भुरेव च।


न त मामभजानत त वेनातवत ते।।२४।।

सपूण याें का भाेा अथात् य जसमें वलय हाेते हैं, य के परणाम


में जाे मलता है वह मैं ँ अाैर वामी भी मैं ही ँ; परत वे मुझे त व से
भल कार नहीं जानते, इसलये ‘यवत’– गरते हैं। अथात् वे कभी अय
देवताअाें में गरते हैं अाैर त व से जब तक नहीं जानते तब तक कामनाअाें से
भी गरते हैं। उनक गित ा है –

यात देवता देवापतॄयात पतृता:।


भूतािन यात भूतेया यात म ाजनाेऽप माम्।।२५।।

अजुन देवताअाें काे पूजनेवाले देवताअाें काे ा हाेते हैं। देवता हैं ताे
परवितत स ा, वे अपने स मानुसार जीवन यतीत करते हैं। पतराें काे
पूजनेवाले पतराें काे ा हाेते हैं अथात् अतीत में उलझे रहते हैं, भूताें काे
पूजनेवाले भूत हाेते हैं– शरर धारण करते हैं अाैर मेरा भ मुझे ा हाेता
है। वह मेरा साात् वप हाेता है। उसका पतन नहीं हाेता। इतना ही नहीं,
मेर पूजा का वधान भी सरल है–

पं पुपं फलं ताेयं याे मे भा यछित।


तदहं भुपतमाम यतान:।।२६।।

भ का अार यहीं से है क प, पुप, फल, जल इयाद जाे काेई


मुझे भपूवक अपत करता है, मन से अपण करनेवाले उस भ का वह
सब मैं खाता ँ अथात् वीकार करता ँ। इसलये–

यकराेष यदास य ुहाेष ददास यत्।


य पयस काैतेय तकुव मदपणम्।।२७।।
अजुन तू जाे कम (यथाथ कम) करता है, जाे खाता है, जाे हवन करता
है, समपण करता है, दान देता है, मनसहत इयाें काे जाे मेरे अनुप
तपाता है, वह सब मुझे अपण कर अथात् मेरे ित समपत हाेकर यह सब
कर। समपण करने से याेग के ेम क जेदार मैं ले लूँ गा।

शभाशभफलै रे वं माेयसे कमबधनै:।


स यासयाेगयुाा वमुाे मामुपैयस।।२८।।

इस कार सवव के यास संयास याेग से यु अा तू शभाशभ


फलदाता कमाे के बधन से मु हाेकर मुझे ा हाेगा।

उपयु तीन ाेकाें में याेगे र ीकृण ने मब साधन अाैर उसके
परणाम का चण कया है– पहले प-पुप, फल-जल का पूण  ा से
अपण, दूसरे समपत हाेकर कम का अाचरण अाैर तीसरे पूण समपण के साथ
सवव का याग। इनके ारा कमबधन से वमु (वशेष प से मु) हाे
जायेगा। मु से मले गा ा ताे बताया, मुझे ा हाेगा। यहाँ मु अाैर
ाि एक दूसरे के पूरक हैं। अापक ाि ही मु है, ताे उससे लाभ इस
पर कहते हैं–

समाेऽहं सवभूतेषु न मे ेयाेऽत न य:।


ये भजत त मां भा मय ते तेषु चायहम्।।२९।।

मैं सब भूताें में सम ँ। सृ में न मेरा काेई य है अाैर न अय है;
कत जाे अनय भ है, वह मुझमें है अाैर मैं उसमें ँ। यही मेरा एकमा
रता है। मैं उसमें परपूण हाे जाता ँ। मुझमें अाैर उसमें काेई अतर नहीं
रह जाता। तब ताे बत भायशाल लाेग ही भजन करते हाेंगे भजन करने
का अधकार कसे है इस पर याेगे र ीकृण कहते हैं–

अप चेसदुराचाराे भजते मामनयभाक्।


साधुरेव स मतय: सययवसताे ह स:।।३०।।

यद अयत दुराचार भी अनय भाव से अथात् (अय न) मेरे सवाय


कसी अय वत या देवता काे न भजकर केवल मुझे ही िनरतर भजता है,
वह साधु ही मानने याेय है। अभी वह साधु अा नहीं है कत उसके हाे
जाने में सदेह भी नहीं है; ाेंक वह यथाथ िनय से लग गया है। अत:
भजन अाप भी कर सकते हैं बशते क अाप मनुय हाें; ाेंक मनुय ही
यथाथ िनयवाला है। गीता पापयाें का उ ार करती है अाैर वह पथक–

ं भवित धमाा श छातं िनगछित।


काैतेय ित जानीह न मे भ: णयित।।३१।।

इस भजन के भाव से वह दुराचार भी शी ही धमाा हाे जाता है,


परमधम परमाा से संयु हाे जाता है तथा सदैव रहनेवाल परमशात काे
ा हाेता है। काैतेय तू िनयपूवक सय जान क मेरा भ कभी न नहीं
हाेता। यद एक ज में पार नहीं लगा ताे अगले जाें में भी वही साधन
करके शी ही परमशात काे ा हाेता है। अत: सदाचार, दुराचार सभी काे
भजन करने का अधकार है। इतना ही नहीं, अपत–

मां ह पाथ यपाय येऽप यु: पापयाेनय:।


याे वैयातथा शूातेऽप यात परां गितम्।।३२।।
पाथ ी, वैय, शूाद तथा जाे काेई पापयाेिनवाले भी हाें, वे सभी मेरे
अात हाेकर परमगित काे ा हाेते हैं। अत: यह गीता मनुयमा के लये
है, चाहे वह कुछ भी करता हाे, कहीं भी पैदा अा हाे। सबके लये यह एक
समान कयाण का उपदेश करती है। गीता सावभाैम है।

पापयाेिन– अयाय १६/७-२१ में अासर वृ के लणाें के अतगत


भगवान ने बताया क जाे शावध काे यागकर नाममा के याें ारा द
से यजन करते हैं, वे नराें में अधम हैं। य है नहीं कत नाम दे रखा है अाैर
द से यजन करता है वह ूरकमी अाैर पापाचार (पापयाेिन) है। जाे मुझ
परमाा से ेष करनेवाले हैं वही पापी हैं। वैय अाैर शू भगवपथ क
सीढ़याँ हैं। याें के ित कभी सान, कभी हीनता क भावना समाज में
रही है, इसीलये ीकृण ने इनका नाम लया। याेग-या में ी अाैर पुष
दाेनाें का समान ही वेश है।

कं पुना णा: पुया भा राजषयतथा।


अिनयमसखं लाेकममं ाय भजव माम्।।३३।।

फर ताे ा ण तथा राजष िय ेणीा भाें के लये कहना ही ा


है ा ण एक अवथा-वशेष है, जसमें  में वेश दला देनेवाल सार
याेयताएँ व मान हैं। शात, अाजव, अनुभवी उपलध, यान अाैर इ के
िनदेशन पर जसमें चलने क मता है, वही ा ण क अवथा है। राजष
िय में ऋ याें-स याें का संचार, शाैय, वामीभाव, पीछे न हटने का
वभाव रहता है। इस याेगतर पर पँचे ए याेगी ताे पार हाेते ही हैं, उनके
लये ा कहना है अत: अजुन तू सखरहत, णभंगुर इस मनुय-शरर
काे ा हाेकर मेरा ही भजन कर। इस न र शरर के ममव, पाेषण में
समय न न कर।

याेगे र ीकृण ने यहाँ चाैथी बार ा ण, िय, वैय अाैर शू क चचा
क। अयाय दाे में उहाेंने कहा क िय के लये यु से बढ़कर कयाण
का काेई राता नहीं है। अयाय तीन में उहाेंने कहा क वधम में िनधन भी
ेयतर है। अयाय चार में उहाेंने संेप में बताया क चार वणाे क रचना
मैंने क। ताे ा मनुयाें काे चार जाितयाें में बाँटा बाेले, नहीं ‘गुणकम
वभागश:’– गुण के पैमाने से कम काे चार ेणयाें में रखा। ीकृण के
अनुसार, कम एकमा य क या है। अत: इस य काे करनेवाले चार
कार के हैं। वेशकाल में वह यक ा शू है, अप है। कुछ करने क
मता अायी, अाक सप का संह अा ताे वही यक ा वैय बन
गया। इससे उ त हाेने पर कृित के तीनाें गुणाें काे काटने क मता अा
जाने पर वही साधक िय ेणी का है अाैर जब इसी साधक के वभाव में
 में वेश दलानेवाल याेयताएँ ढल जाती हैं ताे वही ा ण है। वैय एवं
शू क अपेा िय अाैर ा ण ेणी के साधक ाि के अधक समीप हैं।
शू अाैर वैय भी उसी  में वेश पाकर शात हाेंगे, फर इसके अागे क
अवथावालाें के लये ताे कहना ही ा है। उनके लये ताे िनत ही है।

गीता, जसका वतार वेद अाैर अय उपिनषद् जनमें  वदुषी


महलाअाें के अायान भरे पड़े हैं, तथाकथत धमभी, ढ़वाद वेदाययन के
अधकार-अनधकार क यवथा देने में माथाप ी करते रहें ले कन याेगे र
ीकृण का प उ ाेष है क याथ कम क िनधारत या में ी-पुष
सभी वेश ले सकते हैं। अब वे भजन क धारणा पर ाेसाहन देते हैं–
मना भव म ाे म ाजी मां नमकु।
मामेवैयस युैवमाानं मपरायण:।।३४।।

अजुन मेरे में ही मनवाला हाे। सवाय मेरे दूसरे भाव मन में न अाने
पायें। मेरा अनय भ हाे, अनवरत चतन में लग।  ासहत मेरा ही
िनरतर पूजन कर अाैर मेरे काे ही नमकार कर। इस कार मेर शरण अा,
अाा काे मुझमें एकभाव से थत कर तू मुझे ही ा हाेगा अथात् मेरे
साथ एकता ा करे गा।

िनकष–

इस अयाय के अार में ीकृण ने कहा– अजुन तझ दाेषरहत भ


के लए मैं इस ान काे वानसहत कँगा, जसे जानकर कुछ भी जानना
शेष नहीं रहेगा। इसे जानकर तू संसार-बधन से ट जायेगा। यह ान
सपूण व ाअाें का राजा है। व ा वह है जाे परम में वेश दलाये। यह
ान उसका भी राजा है अथात् िनत कयाण करनेवाला है। यह सपूण
गाेपनीयाें का भी राजा है, गाेपनीय वत काे भी य करनेवाला है। यह
य फलवाला, साधन करने में सगम अाैर अवनाशी है। इसका थाेड़ा भी
साधन अाप से पार लग जाय ताे इसका कभी नाश नहीं हाेता वरन् इसके
भाव से वह परमेय तक पँच जाता है; कत इसमें एक शत है।
 ावहीन पुष परमगित काे ा न हाेकर संसार-च में भटकता है।

याेगे र ीकृण ने याेग के एे य पर भी काश डाला। दु:ख के संयाेग


का वयाेग ही याेग है अथात् जाे संसार के संयाेग-वयाेग से सवथा रहत है,
उसका नाम याेग है। परमत व परमाा के मलन का नाम याेग है। परमाा
क ाि ही याेग क पराकाा है। जाे इसमें वेश पा गया, उस याेगी के
भाव काे देख क सपूण भूताें का वामी अाैर जीवधारयाें का पाेषण
करनेवाला हाेने पर भी मेरा अाा उन भूताें में थत नहीं है। मैं अावप
में थत ँ। वही ँ। जैसे अाकाश से उप सव वचरनेवाला वायु अाकाश
में ही थत है कत उसे मलन नहीं कर पाता, उसी कार सपूण भूत
मुझमें थत हैं ले कन मैं उनमें ल नहीं ँ।

अजुन कप के अाद में मैं भूताें काे वशेष कार से रचता ँ, सजाता ँ
अाैर कप के पूितकाल में सपूण भूत मेर कृित काे अथात् याेगाढ़
महापुष क रहनी काे, उनके अय भाव काे ा हाेते हैं। य प महापुष
कृित से परे है; कत ाि के पात् वभाव अथात् वयं में थत रहते ए
लाेकसंह के लए जाे काय करता है, वह उसक एक रहनी है। इसी रहनी
के काय-कलाप काे उस महापुष क कृित कहकर सबाेधत कया गया है।

एक रचयता ताे मैं ँ, जाे भूताें काे कप के लये ेरत करता ँ अाैर
दूसर रचयता िगुणमयी कृित है, जाे मेरे अयास से चराचरसहत भूताें काे
रचती है। यह भी एक कप है, जसमें शरर-परवतन, वभाव-परवतन अाैर
काल-परवतन िनहत है। गाेवामी तलसीदास जी भी यही कहते हैं–

एक दु अितसय दुखपा। जा बस जीव परा भवकूपा।।

(रामचरतमानस, ३/१४/५)

कृित के दाे भेद व ा अाैर अव ा हैं। इनमें अव ा दु है, दु:खप है
जससे ववश जीव भवकूप में पड़ा है, जससे ेरत हाेकर जीव काल, कम,
वभाव अाैर गुण के घेरे में अा जाता है। दूसर है व ामाया, जसे ीकृण
कहते हैं क मैं रचता ँ। गाेवामी जी के अनुसार भु रचते हैं–

एक रचइ जग गुन बस जाकंे । भु ेरत नहं िनज बल ताकें।।

(रामचरतमानस, ३/१४/६)

यह जगत् क रचना करती है, जसके अात गुण हैं। कयाणकार गुण
एकमा ई र में है। कृित में गुण हैं ही नहीं, वह ताे न र है; ले कन व ा
में भु ही ेरक बनकर करते हैं।

इस कार कप दाे कार के हैं। एक ताे वत का, शरर अाैर काल का
परवतन कप है। यह परवतन कृित ही मेरे अाभास से करती है। कत
इससे महान् कप जाे अाा काे िनमल वप दान करता है, उसका
ंगार महापुष करते हैं। वे अचेत भूताें काे सचेत करते हैं। भजन का अाद
ही इस कप का अार है अाैर भजन क पराकाा कप का अत है। जब
यह कप भवराेग से पूण नीराेग बनाकर शा त  में वेश (थित) दला
देता है, उस वेशकाल में याेगी मेर रहनी अाैर मेरे वप काे ा हाेता है।
ाि के पात् महापुष क रहनी ही उसक कृित है।

धमथाें में कथानक मलते हैं क चाराें युग बीतने पर ही कप पूण हाेता
है, महालय हाेता है। ाय: लाेग इसे यथाथ नहीं समझते। युग का अथ है
दाे। अाप अलग हैं, अाराय अलग है तब तक युगधम रहेंगे। गाेवामी जी ने
रामचरतमानस के उ रकाड में इसक चचा क है। जब तामसी गुण काय
करते हैं, रजाेगुण अप माा में है, चाराें अाेर वैर-वराेध है, एेसा य
कलयुगीन है। वह भजन नहीं कर पाता; कत साधन ार हाेने पर युग-
परवतन हाे जाता है। रजाेगुण बढ़ने लगता है, तमाेगुण ीण हाे चलता है,
कुछ स वगुण भी वभाव में अा जाते हैं, हष अाैर भय क दुवधा लगी रहती
है ताे वही साधक ापर क अवथा में अा जाता है। मश: स वगुण का
बाय हाेने पर रजाेगुण वप रह जाता है, अाराधना-कम में रित हाे जाती
है, एेसे ेतायुग में याग क थितवाला साधक अनेकाें य करता है। ‘यानां
जपयाेऽ’– य-ेणीवाला जप, जसका उतार-चढ़ाव ास-  ास पर है,
उसे करने क मता रहती है। जब मा स वगुण शेष रहा, वषमता खाे गयी,
समता अा गयी, यह कृतयुग अथात् कृताथ युग अथवा सययुग का भाव है।
उस समय सब याेगी वानी हाेते हैं, ई र से मलनेवाले हाेते हैं, वाभावक
यान पकड़ने क उनमें मता रहती है।

ववेकजन युगधमाे का उतार-चढ़ाव मन में समझते हैं। मन के िनराेध के


लये अधम का परयाग कर धम में वृ हाे जाते हैं। िन मन का भी
वलय हाे जाने पर युगाें के साथ-साथ कप का भी अत हाे जाता है। पूणता
में वेश दलाकर कप भी शात हाे जाता है। यही लय है, जब कृित
पुष में वलन हाे जाती है। इसके पात् महापुष क जाे रहनी है वही
उसक कृित है, उसका वभाव है।

याेगे र ीकृण कहते हैं– अजुन मूढ़लाेग मुझे नहीं जानते। मुझ ई राें
के ई र काे भी तछ समझते हैं, साधारण मनुय मानते हैं। येक महापुष
के साथ यह वडबना रही है क तकालन समाज ने उनक उपेा क,
उनका डटकर वराेध अा। ीकृण भी इसके अपवाद नहीं थे। वे कहते हैं–
मैं परमभाव में थत ँ; कत शरर मेरा भी मनुय का ही है, अत: मूढ़
पुष मुझे तछ कहकर, मनुय कहकर सबाेधत करते हैं। एेसे लाेग यथ
अाशावाले हैं, यथ कमवाले हैं, यथ ानवाले हैं क कुछ भी करें अाैर कह दें
क हम ताे कामना नहीं करते, हाे गये िनकाम कमयाेगी। वे अासर
वभाववाले मुझे नहीं परख पाते; कत दैवी सपद् काे ा जन अनय भाव
से मेरा यान करते हैं, मेरे गुणाें का िनरतर चतन करते हैं।

अनय उपासना अथात् याथ कम के दाे ही माग हैं। पहला है ानमाग
अथात् अपने भराेसे, अपनी श काे समझकर उसी िनयत कम में वृ
हाेना अाैर दूसर वध वामी-सेवक भावना क है, जसमें स 
ु के ित
समपत हाेकर वही कम कया जाता है। इहीं दाे याें से लाेग मुझे
उपासते हैं; कत उनके ारा जाे पार लगता है वह य, वह हवन, वह क ा,
 ा अाैर अाैषध– जससे भवराेग क चकसा हाेती है, मैं ही ँ। अत में
जाे गित ा हाेती है, वह गित भी मैं ही ँ।

इसी य काे लाेग ‘ैव ा:’– ाथना, यजन अाैर समव दलानेवाल
वधयाें से सपादत करते हैं; कत बदले में वग क कामना करते हैं ताे मैं
वग भी देता ँ। उसके भाव से वे इपद ा कर ले ते हैं, दघकाल तक
उसे भाेगते हैं; कत पुय ीण हाेने पर वे पुनज काे ा हाेते हैं। उनक
या सही थी; कत भाेगाें क कामना रहने पर पुनज पाते हैं। अत: भाेगाें
क कामना नहीं करनी चाहये। जाे अनय भाव से अथात् ‘मेरे सवाय दूसरा
है ही नहीं’– एेसे भाव से जाे िनरतर मेरा चतन करते हैं, ले शमा भी ुट
न रह जाय– एेसे जाे भजते हैं, उनके याेग क सरा का भार मैं अपने हाथ
में ले ले ता ँ।

इतना हाेने पर भी कुछ लाेग अय देवताअाें क पूजा करते हैं। वे भी मेर
ही पूजा करते हैं; कत वह मेर ाि क वध नहीं है। वे सपूण याें के
भाेा के प में मुझे नहीं जानते अथात् उनक पूजा के परणाम में मैं नहीं
मलता, इसीलये उनका पतन हाे जाता है। वे देवता, भूत अथवा पतराें के
कपत प में िनवास करते हैं, जबक मेरा भ साात् मुझमें िनवास
करता है, मेरा ही वप हाे जाता है।

याेगे र ीकृण ने इस याथ कम काे अयत सगम बताया क काेई


फल-फूल या जाे भी  ा से देता है, उसे मैं वीकार करता ँ। अत: अजुन
तू जाे कुछ अाराधना करता है, मुझे समपत कर। जब सवव का यास हाे
जायेगा, तब याेग से यु अा तू कमाे के बधन से मु हाे जायेगा अाैर वह
मु मेरा ही वप है।

दुिनया में सब ाणी मेरे ही हैं। कसी भी ाणी से न मुझे ेम है न ेष,
मैं तटथ ँ; कत जाे मेरा अनय भ है, मैं उसमें ँ अाैर वह मुझमें है।
अयत दुराचार, जघयतम पापी ही काेई ाें न हाे, फर भी अनय
 ाभ से मुझे भजता है ताे वह साधु मानने याेय है। उसका िनय थर
है ताे वह शी ही परम से संयु हाे जाता है अाैर सदा रहनेवाल परमशात
काे ा हाेता है। यहाँ ीकृण ने प कया क धामक काैन है। सृ में
ज ले नेवाला काेई भी ाणी अनय भाव से एक परमाा काे भजता है,
उसका चतन करता है ताे वह शी ही धामक हाे जाता है। अत: धामक
वह है, जाे एक परमाा का समरन करता है। अत में अा ासन देते हैं–
अजुन मेरा भ कभी न नहीं हाेता। काेई शू हाे, नीच हाे, अादवासी हाे
या अनादवासी या कुछ भी नामधार हाे, पुष अथवा ी हाे अथवा
पापयाेिन, ितयक् याेिनवाला भी जाे हाे, मेर शरण हाेकर परमेय काे ा
हाेता है। इसलये अजुन सखरहत, णभंगुर कत दुलभ मनुय-शरर काे
पाकर मेरा भजन कर। फर ताे जाे  में वेश दलानेवाल अहताअाें से
यु है, उस ा ण तथा जाे राजषव के तर से भजनेवाला है, एेसे याेगी के
लये कहना ही ा है वह ताे पार ही है। अत: अजुन िनरतर मुझमें
मनवाला हाे, िनरतर नमकार कर। इस कार मेर शरण अा तू मुझे ही
ा हाेगा, जहाँ से पीछे लाैटकर नहीं अाना पड़ता।

तत अयाय में उस व ा पर काश डाला गया, जसे ीकृण वयं


जागृत करते हैं। यह राजव ा है, जाे एक बार जागृत हाेेने पर िनत
कयाण करती है। अत:–

ॐ तसदित ीम गव तासूपिनषस  व ायां याेगशाे ीकृणाजुनसवादे


‘राजव ाजागृित’ नाम नवमाेऽयाय:।।९।।

इस कार ीम गव तापी उपिनषद् एवं  व ा तथा


याेगशावषयक ीकृण अाैर अजुन के सवाद में ‘राजव ा-जागृित’ नामक
नाैवाँ अयाय पूण हाेता है।

इित ीमपरमहंसपरमानदय शय वामीअड़गड़ानदकृते ीम गव ताया:


‘यथाथगीता’ भाये ‘राजव ाजागृित’ नाम नवमाेऽयाय:।।९।।

इस कार ीमत् परमहंस परमानदजी के शय वामी अड़गड़ानदकृत


‘ीम गव ता’ के भाय ‘यथाथ गीता’ में ‘राजव ा-जागृित’ नामक नाैवाँ
अयाय पूण हाेता है।

।।हर: ॐ तसत्।।
।। ॐ ी परमाने नम:।।
।। अथ दशमाेऽयाय: ।।
गत अयाय में याेगे र ीकृण ने गु राजव ा का चण कया, जाे
िनत ही कयाण करती है। इस अयाय में उनका कथन है– महाबा
अजुन मेरे परम रहययु वचन काे फर भी सन। यहाँ उसी काे दूसर बार
कहने क अावयकता ा है वतत: साधक काे पूितपयत खतरा है। याें-
याें वह वप में ढलता जाता है, कृित के अावरण सू हाेते जाते हैं,
नये-नये य अाते हैं। उसक जानकार महापुष ही देते रहते हैं। वह नहीं
जानता। यद वे मागदशन करना बद कर दें ताे साधक वप क उपलध
से वंचत रहेगा। जब तक वह वप से दूर है, तब तक स है क कृित
का काेई-न-काेई अावरण बना है। फसलने-लड़खड़ाने क सावना बनी रहती
है। अजुन शरणागत शय है। उसने कहा– ‘शयतेऽहं शाध मां वां
प म्।’– भगवन् मैं अापका शय ँ, अापक शरण ँ, मुझे सँभालये।
अत: उसके हत क कामना से याेगे र ीकृण पुन: बाेले–

ीभगवानुवाच

भूय एव महाबाहाे णु मे परमं वच:।


य ेऽहं ीयमाणाय वयाम हतकायया।।१।।
महाबा अजुन मेरे परम भावयु वचन काे पुन: सन, जाे मैं तझ
अितशय ेम रखनेवाले के हत क इछा से कँगा।

न मे वदु: सरगणा: भवं न महषय:।


अहमादह देवानां महषीणां च सवश:।।२।।

अजुन मेर उप काे न देवता लाेग जानते हैं अाैर न महषगण ही
जानते हैं। ीकृण ने कहा था, ‘ज कम च मे दयम्’– मेरा वह ज अाैर
कम अलाैकक है, इन चमचअाें से देखा नहीं जा सकता। इसलये मेरे उस
कट हाेने काे देव अाैर महष तर तक पँचे ए लाेग भी नहीं जानते। मैं
सब कार से देवताअाें अाैर महषयाें का अाद कारण ँ।

याे मामजमनादं च वे लाेकमहे रम्।


असूढ: स मयेषु सवपापै: मुयते।।३।।

जाे मुझ ज-मृयु से रहत, अाद-अत से रहत सब लाेकाें के महान्


ई र काे सााकारसहत वदत कर ले ता है, वह पुष मरणधमा मनुयाें में
ानवान् है अथात् अज, अनाद अाैर सवलाेक महे र काे भल कार जानना
ही ान है अाैर एेसा जाननेवाला सपूण पापाें से मु हाे जाता है, पुनज
काे ा नहीं हाेता। ीकृण कहते हैं क यह उपलध भी मेर ही देन है।

बु ानमसाेह: मा सयं दम: शम:।


सखं दु:खं भवाेऽभावाे भयं चाभयमेव च।।४।।
अजुन िनयाका बु , सााकारसहत जानकार, लय में
ववेकपूवक वृ , मा, शा त सय, इयाें का दमन, मन का शमन,
अत:करण क स ता, चतन-पथ के क, परमाा क जागृित, वप के
ाि काल में सवव का वलय, इ के ित अनुशासनाक भय अाैर कृित
से िनभयता तथा–

अहंसा समता ततपाे दानं यशाेऽयश:।


भवत भावा भूतानां म एव पृथवधा:।।५।।

अहंसा अथात् अपने अाा काे अधाेगित में न पँचाने का अाचरण,


समता– जसमें वषमता न हाे, सताेष, तप– मनसहत इयाें काे लय के
अनुप तपाना, दान अथात् सवव का समपण, भगवपथ में मान-अपमान का
सहन– इस कार ाणयाें के उपयु भाव मुझसे ही हाेते हैं। ये सभी भाव
दैवी चतन-प ित के लण हैं। इनका अभाव ही अासर सपद् है।

महषय: स पूवे चवाराे मनवतथा।


म ावा मानसा जाता येषां लाेक इमा: जा:।।६।।

स ष अथात् याेग क सात मक भूमकाएँ (शभेछा, सवचारणा,


तनुमानसी, स वाप , असंस, पदाथभावना अाैर तयगा) तथा इनके अनुप
अत:करण चतय (मन, बु , च अाैर अहंकार), इसके अनुप मन जाे
मेरे में भाववाला है– यह सब मेरे ही संकप से (मेर ाि के संकप से तथा
जाे मेर ही ेरणा से हाेते हैं। दाेनाें एक दूसरे के पूरक हैं) उप हाेते हैं। इस
संसार में ये (सपूण दैवी सपद्) इहीं क जा है। ाेंक स भूमकाअाें के
संचार में ‘दैवी सपद्’ ही है, अय नहीं।

एतां वभूितं याेगं च मम याे वे त वत:।


साेऽवकपेन याेगेन युयते ना संशय:।।७।।

जाे पुष याेग क अाैर मेर उपयु वभूितयाें काे सााकार के साथ
जानता है, वह थर यानयाेग ारा मुझमें एकभाव से थत हाेता है। इसमें
कुछ भी संशय नहीं है। जस कार वायुरहत थान में रखे दपक क लाै
सीधी जाती है, कपन नहीं हाेता, याेगी के जीते ए च क यही परभाषा
है। तत ाेक में ‘अवकपेन’ शद इसी अाशय क अाेर संकेत करता है।

अहं सवय भवाे म : सव वतते।


इित मवा भजते मां बुधा भावसमवता:।।८।।

मैं सपूण जगत् क उप का कारण ँ, मुझसे ही सपूण जगत् चेा
करता है– इस कार मानकर  ा अाैर भ से यु ववेकजन मेरा
िनरतर भजन करते हैं। तापय यह है क याेगी ारा मेरे अनुप जाे वृ
हाेती है, उसे मैं ही कया करता ँ। वह मेरा ही साद है। (कैसे है इसे
पीछे थान-थान पर बताया जा चुका है।) वे िनरतर भजन कस कार करते
हैं इस पर कहते हैं–

म ा म ताणा बाेधयत: परपरम्।


कथयत मां िनयं तयत च रमत च।।९।।
अय कसी काे थान न देकर मुझमें ही िनरतर च काे लगानेवाले ,
मुझमें ही ाणाेें काे लगानेवाले सदैव परपर मेर याअाें का बाेध करते हैं।
मेरा गुणगान करते ए ही सत हाेते हैं तथा िनरतर मुझमें ही रमण करते
हैं।

तेषां सततयुानां भजतां ीितपूवकम्।


ददाम बु याेगं तं येन मामुपयात ते।।१०।।

िनरतर मेरे यान में लगे ए तथा ेमपूवक भजनेवाले उन भाें काे मैं
वह बु याेग अथात् याेग में वेशवाल बु देता ँ, जससे वे मुझे ा हाेते
हैं अथात् याेग क जागृित ई र क देन है। वह अय पुष ‘महापुष’ याेग
में वेश दलानेवाल बु कैसे देता है –

तेषामेवानुकपाथमहमानजं तम:।
नाशयायाभावथाे ानदपेन भावता।।११।।

उनके ऊपर पूण अनुह करने के लये मैं उनक अाा से अभ खड़ा
हाेकर, रथी हाेकर अान से उप ए अधकार काे ानपी दपक के ारा
काशत कर न करता ँ। वतत: कसी थत याेगी ारा जब तक वह
परमाा अापके अाा से ही जात हाेकर पल-पल पर संचालन नहीं करता,
राेकथाम नहीं करता, इस कृित के  से िनकालते ए वयं अागे नहीं ले
चलता, तब तक वातव में यथाथ भजन अार ही नहीं हाेता। वैसे ताे
भगवान सव से बाेलने लगते हैं, ले कन ार में वे वपथ महापुष
ारा ही बाेलते हैं। यद एेसा महापुष अापकाे ा नहीं है ताे वे प नहीं
बाेलेंगे।

इ, स 
ु अथवा परमाा का रथी हाेना एक ही बात है। साधक क
अाा से जागृत हाे जाने पर उनके िनदेश चार कार से मलते हैं। पहले
थूलसरा-सबधी अनुभव हाेता है। अाप चतन में बैठे हैं। कब अापका मन
लगनेवाला है कतनी सीमा तक लग गया है कब मन भागना चाहता है
अाैर कब भाग गया इसकाे हर मनट-सेकेड पर इ अंग-पंदन से संकेत
करते हैं। अंगाें का फड़कना थूलसरा-सबधी अनुभव है, जाे एक पल में दाे-
चार थानाें पर एक साथ अाता है अाैर वचाराें के वकृत हाे जाने पर मनट-
मनट पर अाने लगेगा। यह संकेत तभी अाता है, जब इ के वप काे
अाप अनय भाव से पकड़ें अयथा साधारण जीवाें में संकार के टकराव से
अंग-पदन हाेते रहते हैं, जनका इवालाें से काेई सपक नहीं है।

दूसरा अनुभव वसरा-सबधी हाेता है। साधारण मनुय अपनी वासनाअाें


से सबधत व देखता है; कत जब अाप इ काे पकड़ लें गे ताे यह
सपना भी िनदेश में बदल जाता है। याेगी सपना नहीं देखता, हाेनी देखता है।

उपयु दाेनाें अनुभव ारक हैं, कसी त वथत महापुष के सा य


से, मन में उनके ित  ा रखने मा से, उनक टू ट-फूट सेवा से भी
जागृत हाे जाते हैं; कत इन दाेनाें से भी सू शेष दाे अनुभव याक हैं,
जहें चलकर ही देखा जा सकता है।

तीसरा अनुभव सषुि सरा-सबधी हाेता है। संसार में सब साेते ही ताे हैं।
माेहिनशा में सभी अचेत पड़े हैं। रात-दन जाे कुछ करते हैं, व ही ताे है।
यहाँ सषुि का श अथ है, जब परमाा के चतन क एेसी डाेर लग जाय
क सरत (याल) एकदम थर हाे जाय, शरर जागता रहे अाैर मन स हाे
जाय। एेसी अवथा में वह इदेव फर अपना एक संकेत देंगे। याेग क
अवथा के अनुप एक पक ( य) अाता है जाे सही दशा दान करता
है, भूत-भवय से अवगत कराता है। ‘पूय महाराज जी’ कहा करते थे क
डाटर जैसे बेहाेशी क दवा देकर, उचत उपचार देकर हाेश में लाता है एेसे
ही भगवान बता देते हैं।

चाैथा अाैर अतम अनुभव समसरा-सबधी है। जसमें सरत लगायी थी,
उस परमाा से समव ा हाे गया। उसके बाद उठते-बैठते, चलते-फरते
सव से उसे अनुभूित हाेने लगती है। एेसा याेगी िकाल हाेता है। यह
अनुभव तीनाें कालाें से परे अय थितवाले महापुष अाा से जागृत
हाेकर अानजिनत अधकार काे ानदप से न करके करते हैं। इस पर
अजुन ने  कया–

अजुन उवाच

परं  परं धाम पवं परमं भवान्।


पुषं शा तं दयमाददेवमजं वभुम्।।१२।।
अावामृषय: सवे देवषनारदतथा।
असताे देवलाे यास: वयं चैव वीष मे।।१३।।

भगवन् अाप परम , परमधाम तथा परमपव हैं; ाेंक अापकाे सभी
ऋषगण सनातन, दयपुष, देवाें का भी अाददेव, अजा अाैर सवयापी
कहते हैं। परमपुष, परमधाम का ही पयाय दयपुष, अजा अाद शद
हैं। देवष नारद, असत, देवल, यास तथा वयं अाप भी मुझसे वही कहते
हैं। अथात् पहले भूतकालन महष कहते हैं, अब वतमान में जनक संगत
उपलध है– नारद, देवल, असत अाैर यास का नाम लया, जाे अजुन के
समकालन थे (सपुषाें क संगित अजुन काे ा थी), अाप भी वही कहते
हैं। अत:–

सवमेत तं मये यां वदस केशव।


न ह ते भगवयं वदुदेवा न दानवा:।।१४।।

हे केशव जाे कुछ भी अाप मेरे लये कह रहे हैं, वह सब मैं सय मानता
ँ। अापके यव काे न देवता अाैर न दानव ही जानते हैं।

वयमेवानाानं वेथ वं पुषाे म।


भूतभावन भूतेश देवदेव जगपते।।१५।।

हे भूताें काे उप करनेवाले हे भूताें के ई र हे देवदेव हे जगत् के


वामी हे पुषाें में उ म वयं अाप ही अपने काे जानते हैं अथवा जसक
अाा में जागृत हाेकर अाप जना देते हैं, वही जानता है। यह भी अापके
ारा अापका जानना अा। इसलये–

वुमहयशेषेण दया ावभूतय:।


याभवभूितभलाेकािनमांवं याय ितस।।१६।।

अाप ही अपनी उन दय वभूितयाें काे सपूण प से, ले शमा भी शेष न


रखकर कहने में सम हैं, जन वभूितयाें ारा अाप इन सब लाेकाें काे या
करके थत हैं।
कथं व ामहं याेगंवां सदा परचतयन्।
केषु केषु च भावेषु चयाेऽस भगवया।।१७।।

हे याेगन् (ीकृण एक याेगी थे) मैं कस कार िनरतर चतन करता
अा अापकाे जानूँ अाैर हे भगवन् मैं कन-कन भावाें ारा अापका रण
कँ

वतरे णानाे याेगं वभूितं च जनादन।


भूय: कथय तृि ह वताे नात मेऽमृतम्।।१८।।

हे जनादन अपनी याेगश काे अाैर याेग क वभूित काे फर भी


वतारपूवक कहये। संेप में ताे इसी अयाय के अार में कहा ही है पुन:
कहये; ाेंक अमृत-त व काे दलानेवाले इन वचनाें काे सनने से मेर तृि
नहीं हाेती।

रामचरत जे सनत अघाहीं। रस बसेष जाना ितह नाहीं।।

(रामचरतमानस, ७/५२/१)

जब तक वेश नहीं मल जाता तब तक उस अमृत-त व काे जानने क


पपासा बनी रहती है। वेश से पूव राते में ही यह साेचकर काेई बैठ गया
क बत जान लया ताे उसने नहीं जाना। स है क उसका माग अव
हाेना चाहता है। इसलये साधक काे पूितपयत इ के िनदेशन काे पकड़ते
रहना चाहये अाैर उसे अाचरण में ढालना चाहये। अजुन क उ जासा
पर याेगे र ीकृण ने कहा–
ीभगवानुवाच

हत ते कथययाम दया ावभूतय:।


ाधायत: कुे नायताे वतरय मे।।१९।।

कुे अजुन अब मैं अपनी दय वभूितयाें काे, उनमें से मुख


वभूितयाें काे तझसे कँगा; ाेंक मेर वभूितयाें के वतार का अत नहीं
है।

अहमाा गुडाकेश सवभूताशयथत:।


अहमाद मयं च भूतानामत एव च।।२०।।

अजुन मैं सब भूताें के दय में थत सबका अाा ँ तथा सपूण भूताें
का अाद, मय अाैर अत भी मैं ही ँ अथात् ज, मृयु अाैर जीवन भी मैं
ही ँ।

अादयानामहं वणुयाेितषां रवरं शमान्।


मरचमताम नाणामहं शशी।।२१।।

मैं अदित के बारह पुाें में वणु अाैर याेितयाें में काशमान सूय ँ।
वायु के भेदाें में मैं मरच नामक वायु अाैर नाें में चमा ँ।

वेदानां सामवेदाेऽ देवानाम वासव:।


इयाणां मना भूतानाम चेतना।।२२।।
वेदाें में मैं सामवेद अथात् पूण समव दलानेवाला गायन ँ। देवाें में मैं
उनका अधपित इ ँ अाैर इयाें में मन ँ; ाेंक मन के िनह से ही
मैं जाना जाता ँ तथा ाणयाें में मैं उनक चेतना ँ।

ाणां शरा व ेशाे यरसाम्।


वसूनां पावका मे: शखरणामहम्।।२३।।

एकादश ाें में मैं शंकर ँ। श अर: स शंकर: अथात् शंकाअाें से
उपराम अवथा में ँ। य तथा रासाें में मैं धन का वामी कुबेर ँ। अाठ
वसअाें में मैं अ अाैर शखरवालाें में समे अथात् शभाें का मेल मैं ँ। वही
सवाेपर शखर है, न क काेई पहाड़। वतत: यह सब याेग-साधना के तीक
हैं, याैगक शद हैं।

पुराेधसां च मुयं मां व पाथ बृहपितम्।


सेनानीनामहं कद: सरसाम सागर:।।२४।।

पुर क रा करनेवाले पुराेहताें में बृहपित मुझे ही जान, जससे दैवी
सपद् का संचार हाेता है अाैर हे पाथ सेनापितयाें में मैं वामी काितकेय ँ।
कम का याग ही काितक है, जससे चराचर का संहार, लय अाैर इ क
ाि हाेती है। जलाशयाें में मैं समु ँ।

महषीणां भृगुरहं गरामयेकमरम्।


यानां जपयाेऽ थावराणां हमालय:।।२५।।
महषयाें में मैं भृगु ँ अाैर वाणी में एक अर ‘ॐ’ कार ँ, जाे उस 
का परचायक है। सब कार के याें में मैं जपय ँ। य परम में वेश
दला देनेवाल अाराधना क वध-वशेष का चण है। उसका सारांश है-
वप का रण अाैर नाम का जप। दाे वाणयाें से पार हाे जाने पर नाम
जब य क ेणी में अाता है ताे वाणी से नहीं जपा जाता, न चतन से, न
कठ से; बक वह ास में जागृत हाे जाता है। केवल सरत काे ास के
पास लगाकर मन से अवरल चलना भर पड़ता है। य क ेणीवाले नाम का
उतार-चढ़ाव ास पर िनभर है। यह याक है। थर रहनेवालाें में मैं
हमालय ँ। शीतल, सम अाैर अचल एकमा परमाा है। जब लय अा,
तब मनु उसी शखर में बँध गया। अचल, सम अाैर शात  का लय नहीं
हाेता। उस  क पकड़ मैं ँ।

अ थ: सववृाणां देवषीणां च नारद:।


गधवाणां चरथ: स ानां कपलाे मुिन:।।२६।।

सब वृाें में मैं अ थ ँ। अ :–कल तक भी जसके रहने क गारट


नहीं द जा सकती, एेसा ‘ऊवमूलमध:शाखम् अ थम्’ (१५/१)– ऊपर
परमाा जसका मूल है, नीचे कृित जसक शाखाएँ हैं, एेसा संसार ही एक
वृ है, जसे पीपल क संा द गयी है। सामाय पीपल का वृ नहीं क
पूजा करने लगें। इसी पर कहते हैं क वह मैं ँ अाैर देवषयाें में मैं नारद ँ।
नादय रं : स नारद:। दैवी सपद् इतनी सू हाे गयी क वर में उठनेवाल
विन (नाद) पकड़ में अा जाय, एेसी जागृित मैं ँ। गधवाे में मैं चरथ ँ
अथात् गायन (चतन) करनेवाल वृ याें में जब वप चित हाेने लगे,
वह अवथा-वशेष मैं ँ। स ाें में मैं कपल मुिन ँ। काया ही कपल है।
इसमें जब लव लग जाय, एेसी ई रय संचार क अवथा मैं ँ।

उ ै:वसम ानां व माममृताे वम्।


एेरावतं गजेाणां नराणां च नराधपम्।।२७।।

घाेड़ाें में मैं अमृत से उप हाेनेवाला उ ै:वा नामक घाेड़ा ँ। दुिनया में
हर वत नाशवान् है। अाा ही अजर-अमर, अमृतवप है। इस
अमृतवप से जसका संचार है, वह घाेड़ा मैं ँ। घाेड़ा गित का तीक है।
अात व काे हण करने में मन जब उधर गित पकड़ता है, घाेड़ा है। एेसी
गित मैं ँ। हाथयाें में एेरावत नामक हाथी मैं ँ। मनुयाें में राजा मुझकाे
जान। वतत: महापुष ही राजा है, जसके पास अभाव नहीं है।

अायुधानामहं वं धेनूनाम कामधुक्।


जना कदप: सपाणाम वासक:।।२८।।

शाें में मैं व ँ। गायाें में कामधेनु ँ। कामधेनु काेई एेसी गाय नहीं है,
जाे दूध के थान पर मनचाहा यंजन परसती हाे। ऋषयाें में वश के पास
कामधेनु थी। वतत: ‘गाे’ इयाें काे कहते हैं। इयाें का संयत हाेना इ
काे वश में रखनेवाले में पाया जाता है। जसक इयाँ ई र के अनुप
थर हाे जाती हैं, उसके लये उसी क इयाँ ‘कामधेनु’ बन जाती हैं। फर
ताे ‘जाे इछा करह मन माहीं। हर साद क दुलभ नाहीं।।’
(रामचरतमानस, ७/११३/४) उसके लये कुछ भी दुलभ नहीं रहता। जनन
करनेवालाें में नवीन थितयाें काे कट करनेवाला मैं ँ। ‘जनन’– एक ताे
लड़का बाहर पैदा कया जाता है, चराचर में रात-दन पैदा ही हाेते हैं, चूहे-
चींट रात-दन करते हैं– एेसा नहीं, बक एक थित से दूसर थित, इस
कार वृ याें का परवतन हाेता है। वह परवितत वप मैं ँ। सपाे में मैं
वासक ँ।

अनता नागानां वणाे यादसामहम्।


पतृणामयमा चा यम: संयमतामहम्।।२९।।

नागाें में मैं अनत अथात् शेषनाग ँ। वैसे यह काेई सप नहीं है। गीता क
समकालन पुतक ीम ागवत में इसके प क चचा है क इस पृवी से
तीस हजार याेजन क दूर पर परमाा क वैणवी श है, जसके सर पर
यह पृवी सरसाें के दाने क तरह भाररहत टक है। उस युग में याेजन का
पैमाना चाहे जाे रहा हाे, फर भी यह पया दूर है। वतत: यह अाकषण
श का चण है। वैािनकाें ने जसे ईथर माना है। ह-उपह सभी उसी
श के अाधार पर टके हैं। उस शूय में हाें का काेई भार भी नहीं है। वह
श सप क कुडल क तरह सभी हाें काे लपेटे है। यही है वह अनत,
जससे पृवी धारण क जाती है। ीकृण कहते हैं– एेसी ई रय श मैं ँ।
जलचराें में उनका अधपित ‘वण’ ँ तथा पतराें में ‘अयमा’ ँ। अहंसा,
सय, अतेय,  चय अाैर अपरह पाँच यम हैं। इनके पालन में अानेवाले
वकाराें काे काटना ‘अर:’ है। वकाराें के शमन से पतृ अथात् भूत-संकार
तृ हाेते हैं, िनवृ दान कर देते हैं। शासन करनेवालाें में मैं यमराज ँ
अथात् उपयु यमाें का िनयामक ँ।

 ादा दैयानां काल: कलयतामहम्।


मृगाणां च मृगेाेऽहं वैनतेय पणाम्।।३०।।

मैं दैयाें में  ाद ँ। (पर + अा ाद–पर के लये अा ाद) ेम ही  ाद


है। अासर सपद् में रहते ए ई र के लए अाकषण-वकलता अार हाेती
है, जससे परमभु का ददशन हाेता है, एेसा ेमाे ास मैं ँ। गनती
करनेवालाें में मैं समय ँ। एक, दाे, तीन, चार एेसी गनती या ण, घड़,
दन, प, मास इयाद नहीं, बक ई र के चतन में लगा अा समय मैं
ँ। यहाँ तक क ‘जागत में समरन करे , साेवत में लव लाय।’ अनवरत
चतन में समय मैं ँ। पशअाें में मृगराज (याेगी भी मृ (जंगल) + ग (गमन
करना) अथात् याेगपी जंगल में गमन करनेवाला है) तथा पयाें में गड़ मैं
ँ। ान ही गड़ है। जब ई रय अनुभूित अाने लगती है, तब यही मन
अपने अाराय क सवार बन जाता है अाैर जब यही मन संशय से यु है
तब सप हाेता है, डसता रहता है, याेिनयाें में फंे कता है। गड़ वणु क
सवार है। जाे स ा व में अणुप से संचारत है, ानसंयु मन उसे
अपने में धारण करता है, उसका वाहक बनता है। ीकृण कहते हैं, इ काे
धारण करनेवाला मन मैं ँ।

पवन: पवताम राम: शभृतामहम्।


झषाणां मकरा ाेतसाम जा वी।।३१।।

पव करनेवालाें में मैं वायु ँ, शधारयाें में राम ँ। ‘रमते याेगन:
यन् स राम:।’ याेगी कसमें रमण करते हैं अनुभव में। ई र इप में
जाे िनदेशन देता है, याेगी उसमें रमण करते हैं। उस जागृित का नाम राम है
अाैर वह जागृित मैं ँ। मछलयाें में मगर तथा नदयाें में गंगा मैं ँ।
सगाणामादरत मयं चैवाहमजुन।
अयाव ा व ानां वाद: वदतामहम्।।३२।।

हे अजुन सृयाें का अाद, अत अाैर मय मैं ही ँ। व ाअाें में
अयाव ा मैं ँ। जाे अाा का अाधपय दला दे, वह व ा मैं ँ। संसार
में अधकांश ाणी माया के अाधपय में हैं। राग, ेष, काल, कम, वभाव
अाैर गुणाें से ेरत हैं। इनके अाधपय से िनकालकर अाा के अाधपय में
ले जानेवाल व ा मैं ँ, जसे अयाव ा कहते हैं। परपर हाेनेवाले
ववादाें में,  चचा में जाे िनणायक है, एेसी वा ा मैं ँ। शेष िनणय ताे
अिनणीत हाेते हैं।

अराणामकाराेऽ : सामासकय च।


अहमेवाय: कालाे धाताहं व ताेमुख:।।३३।।

मैं अराें में अकार–अाेंकार तथा समासाें में  नामक समास ँ।
(साधना क उ त अवथा में मन समटते-समटते केवल साधक अाैर इ
अामने-सामने रह जाते हैं, शेष काेई संकप नहीं रह जाता, वामी सेवक में
संघष है; कत  क यह अवथा भगवान क देन है।) अयकाल मैं ँ।
काल सदैव परवतनशील है; कत वह समय जाे अय, अजर, अमर
परमाा में वेश दलाता है, वह अवथा मैं ँ। वराट् वप अथात् सव
या , सबकाे धारण-पाेषण करनेवाला भी मैं ही ँ।

मृयु: सवहराहमु व भवयताम्।


कित: ीवा नारणां ृितमेधा धृित: मा।।३४।।
मैं सबका नाश करनेवाला मृयु अाैर अागे हाेनेवालाें क उप का कारण
ँ। याें में मैं यश, श, वापटता, ृित, मेधा अथात् बु , धैय अाैर
मा ँ।

याेगे र ीकृण के अनुसार, ‘ावमाै पुषाै लाेके रार एव च।’


(अयाय १५/१६)– पुष दाे ही कार के हाेते हैं, र अाैर अर। सपूण
भूतादकाें क उप अाैर वनाशवाले ये शरर र पुष हैं। ये नर, मादा,
पुष अथवा ी कुछ भी कहलाएँ, ीकृण के शदाें में पुष ही हैं। दूसरा है
अर पुष, जाे कूटथ च के थर काल में देखने में अाता है। यही कारण
है क इस याेगपथ में ी-पुष सभी समान थित के महापुष हाेते अाये हैं।
कत यहाँ ृित, श, बु इयाद याें के ही गुण बताये गये। ा इन
ु ाें क अावयकता पुषाें के लये नहीं है
स ण काैन एेसा पुष है जाे
ीमान्, कितमान्, वा, रणशसप , मेधावी, धैयवान् अाैर मावान्
नहीं बनना चाहता बाै क तर पर कमजाेर लड़काें में इहीं गुणाें का
वकास करने के लये माता-पता पढ़ाई क अितर यवथा करते हैं। यहाँ
कहते हैं क ये लण केवल याें में पाये जाते हैं। ये गुण अजुन में भी थे,
जबक अजुन नर है। यु के अार में ही वह पीछे हट गया– भले ही
शधार काैरव मुझे मार डालें , गाेवद मैं यु नहीं कँगा।

भगवान ने कहा– अजुन यद तम इस धममय यु काे नहीं कराेगे ताे


वधम, कित अाैर यश खाेकर पाप काे ा हाेगे। वैर लाेग तहार अपकित
का दघकाल तक गायन करें गे। माननीय पुष के लये अपकित मृयु से भी
बढ़कर हाेती है। यहाँ पुष के लये भी कित अावयक बताया गया। गीता के
समापन पर संजय ने िनणय दया क जहाँ याेगे र ीकृण हैं, धनुधर पाथ है
वहीं ी: है, वजय है, वभूित अाैर अचल नीित है– एेसा मेरा मत है। कित,
ी:, वभूित– ये गुण ताे नारयाें के हैं, अजुन के साथ कैसे

अयाय १५/१५ में भगवान् कहते हैं, ‘सवय चाहं द स वाे म :
ृितानमपाेहनं च।’– अजुन मैं सबके दय में समाव हाेकर सदा िनवास
करता ँ। बु , ृित, ान (वातवक जानकार) अाैर वकाराें से अलग
रहने क मता मेर देन है।

वतत: मानव क च वृ ही ‘नार’ है। शरर ताे व मा है। ी,
पुष, नपुंसक इयाद शरर क अाकृितयाँ हैं, वप क नहीं। शरर के
अतराल में च वृ कृित क अाेर वयमेव वाहमान है। इन वृ याें में
ई रय भाव, ृित, मेधा, धैय, मा इयाद गुण भगवान से ही सारत हाेते
हैं। इन गुणाें ारा मानव लाेक में समृ अाैर परमेय के पथ काे शत
करता है। इन गुणाें काे धारण करना ीलं ग-पुलं ग सबके लये उपयाेगी है।
जाे मुझसे हाेते हैं।

बृहसाम तथा सा ां गायी छदसामहम्।


मासानां मागशीषाेऽहमृतूनां कुसमाकर:।।३५।।

गायन करने याेय ुितयाें में मैं बृहसाम अथात् बृहत् से संयु समव
दलानेवाला गायन ँ अथात् एेसी जागृित मैं ँ। छदाें में गायी छद मैं ँ।
गायी काेई एेसा म नहीं है जसे पढ़ने से मु मलती हाे वरन् एक
समपणाक छद है। तीन बार वचलत हाेने के पात् ऋष व ाम ने
अपने काे इ के ित समपत करते ए कहा– ‘ॐ भूभुव: व:
तसवतव रेयं भगाे देवय धीमह। धयाे याे न: चाेदयात्।’ अथात् भू:, भुव:
अाैर व: तीनाें लाेकाें में त वप से या देव अाप ही वरे य हैं। हमें एेसी
बु दें, एेसी ेरणा करें क हम लय काे ा कर लें । यह मा एक ाथना
है। साधक अपनी बु से यथाथ िनणय नहीं ले पाता क वह कब सही है
अाैर कब गलत उसक यह समपत ाथना मैं ँ, जससे िनत कयाण है;
ाेंक वह मेरे अात अा है। मासाें में शीषथ माग मैं ँ अाैर जसमें
सदैव बहार हाे एेसी ऋत, दय क एेसी अवथा भी मैं ही ँ।

ूतं छलयताम तेजतेजवनामहम्।


जयाेऽ यवसायाेऽ स वं स ववतामहम्।।३६।।

तेजवी पुषाें का तेज मैं ँ। जुए में छल करनेवालाें का छल मैं ँ। तब
ताे अछा है क जुअा खेलें, उसमें कलबल-छल करें , वहीं भगवान हैं। नहीं,
एेसा कुछ नहीं है। यह कृित ही एक जुअा है। यही ठगनी है। इस कृित के
 से िनकलने के लये दखावा छाेड़कर छपाव के साथ गु प से भजन
करना ही छल है। छल है ताे नहीं, कत बचाव के लये अावयक है।
जड़भरत क तरह उ , अधे-बहरे अाैर गूँगे क तरह दय से जानकार
हाेते ए भी बाहर से एेसे रहें क अनजान हाें, सनते ए भी न सनें, देखते
ए भी न देखें। छपकर ही भजन का वधान है, तभी साधक कृित-पुष के
जुए में पार पाता है। जीतनेवालाें क वजय मैं ँ अाैर यवसाययाें का िनय
(जसे अयाय दाे, ाेक इकतालस में कह अाये हैं– इस याेग में िनयाक
या एक है, बु एक ही है, दशा एक ही है एेसी), याका बु मैं ँ।
सा वक पुषाें का तेज अाैर अाेज मैं ँ।

वृणीनां वासदेवाेऽ पाडवानां धन य:।


मुनीनामयहं यास: कवीनामुशना कव:।।३७।।

वृणवंश में मैं वासदेव अथात् सव वास करनेवाला देव ँ। पाडवाें में मैं
धनंजय ँ। पुय ही पाड है अाैर अाक सप ही थर सप है। पुय
से ेरत हाेकर अाक सप काे अजत करनेवाला धनंजय मैं ँ। मुिनयाें
में मैं यास ँ। परमत व काे य करने क जसमें मता है, वह मुिन मैं ँ।
कवयाें में उशना अथात् उसमें वेश दलानेवाला कायकार मैं ँ।

दडाे दमयताम नीितर जगीषताम्।


माैनं चैवा गु ानां ानं ानवतामहम्।।३८।।

दमन करनेवालाें में दमन क श मैं ँ। जीतने क इछावालाें क मैं
नीित ँ। गु रखने याेय भावाें में मैं माैन ँ अाैर ानवानाें में साात् के
साथ मलनेवाल जानकार, पूण ान मैं ँ।

य ाप सवभूतानां बीजं तदहमजुन।


न तदत वना ययाया भूतं चराचरम्।।३९।।

अजुन सब भूताें क उप का कारण भी मैं ही ँ; ाेंक चर अाैर


अचर एेसा काेई भी भूत नहीं है जाे मुझसे रहत हाे। मैं सव या ँ। सब
मेरे ही सकाश से हैं।

नाताेऽत मम दयानां वभूतीनां परतप।


एष तू ेशत: ाेाे वभूतेवतराे मया।।४०।।
परं तप अजुन मेर दय वभूितयाें का अत नहीं है। अपनी वभूितयाें का
वतार ताे मैंने संेप में कहा है, वतत: वे अनत हैं।

इस अयाय में कुछ ही वभूितयाें का पीकरण कया गया है; ाेंक


अगले ही अयाय में अजुन इन सबकाे देखना चाहता है। य दशन से ही
वभूितयाँ समझ में अाती हैं। वचारधारा समझने के लये इसी से थाेड़ा अथ
दया गया।

य भूितमस वं ीमदूजतमेव वा।


त देवावगछ वं मम तेजाेंऽशसवम्।।४१।।

जाे-जाे भी एे ययु, कातयु अाैर शयु वतएँ हैं, उन-उन काे तू


मेरे तेज के एक अंशमा से उप अा जान।

अथवा बनैतेन कं ातेन तवाजुन।


वयाहमदं कृमेकांशेन थताे जगत्।।४२।।

अथवा अजुन इस बत जानने से तेरा ा याेजन है मैं इस सपूण


जगत् काे एक अंशमा से धारण करके थत ँ।

उपयु वभूितयाें के वणन का तापय यह नहीं है क अाप या अजुन इन


सभी वतअाें काे पूजने लगें, बक ीकृण का अाशय केवल इतना ही है
क इन सब अाेर से  ा समेटकर केवल उन अवनाशी परमाा में लगावें।
इतने से ही उनका क य पूण हाे जाता है।

िनकष–
इस अयाय में ीकृण ने कहा क, अजुन मैं तझे पुन: उपदेश कँगा;
ाेंक तू मेरा अितशय य है। पहले कह चुके हैं, फर भी कहने जा रहे हैं;
ाेंक पूितपयत स 
ु से सनने क अावयकता रहती है। मेर उप काे न
देवता अाैर न महषगण ही जानते हैं; ाेंक मैं उनका भी अाद कारण ँ।
अय थित के पात् क सावभाैम अवथा काे वही जानता है, जाे हाे
चुका है। जाे मुझ अजा, अनाद अाैर सपूण लाेकाें के महान् ई र काे
सााकारसहत जानता है वही ानी है।

बु , ान, असंमूढ़ता, इयाें का दमन, मन का शमन, सताेष, तप,


दान अाैर कित के भाव अथात् दैवी सपद् के उ लण मेर देन हैं। सात
महषजन अथात् याेग क सात भूमकाएँ, उससे भी पहले हाेनेवाले तदनुप
अत:करण चतय अाैर इनके अनुकूल मन जाे वयंभू है, वयं रचयता है–
ये सब मुझमें भाववाले , लगाव अाैर  ावाले हैं, जनक संसार में सपूण
जा है, ये सब मुझसे ही उप हैं अथात् साधनामयी वृ याँ मेर ही जा
हैं। इनक उप अपने से नहीं, गु से हाेती है। जाे उपयु मेर वभूितयाें
काे साात् जान ले ता है, वह िन:सदेह मुझमें एकभाव से वेश करने याेय
है।

अजुन मैं ही सबक उप का कारण ँ– एेसा जाे  ा से जान ले ते हैं
वे अनय भाव से मेरा चतन करते हैं, िनरतर मुझमें मन, बु अाैर ाणाें
से लगनेवाले हाेते हैं, अापस में मेरा गुण-चतन अाैर मुझमें रमण करते हैं।
उन िनरतर मुझसे संयु ए पुषाें काे मैं याेग में वेश करानेवाल बु
दान करता ँ। यह भी मेर ही देन है। कस कार बु याेग देते हैं ताे
अजुन ‘अाभावथ’– उनक अाा में जागृत हाेकर खड़ा हाे जाता ँ अाैर
उनके दय में अान से उप अधकार काे ानपी दपक से न करता
ँ।

अजुन ने  कया क भगवन् अाप परम पव, सनातन, दय, अनाद


अाैर सव या हैं– एेसा महषगण कहते हैं तथा वतमान में देवष नारद,
देवल, यास अाैर अाप भी वही कहते हैं। यह सय भी है क अापकाे न
देवता जानते हैं अाैर न दानव, वयं अाप जसे जना दें वही जान पाता है।
अाप ही अपनी वभूितयाें काे कहने में समथ हैं। अत: जनादन अाप अपनी
वभूितयाें काे वतार से कहये। पूितपयत इ से सनते रहने क उकठा
बनी रहनी चाहये। अागे इ के अतराल में ा है, उसे साधक ा जाने।

इस पर याेगे र ीकृण ने एक-एक करके अपनी मुख वभूितयाें का


लण संेप में बताया– जनमें से कुछ ताे याेग-साधन में वेश करने के साथ
मलनेवाल अतरं ग वभूितयाें का चण है अाैर शेष कुछ समाज में ऋ याें-
स याें के साथ पायी जानेवाल वभूितयाें पर काश डाला अाैर अत में
उहाेंने बल देकर कहा– अजुन बत कुछ जानने से तेरा ा याेजन है
इस संसार में जाे कुछ भी तेज अाैर एे ययु वतएँ हैं, वह सब मेरे तेज के
अंशमा में थत हैं। वतत: मेर वभूितयाँ अपार हैं। एेसा कहते ए याेगे र
ने इस अयाय का पटाेप कया।

इस अयाय में ीकृण ने अपनी वभूितयाें क मा बाै क जानकार द,


जससे अजुन क  ा सब अाेर से समटकर एक इ में लग जाय। कत
बधुअाे सब कुछ सन ले ने अाैर बाल क खाल िनकालकर समझ ले ने के
बाद भी चलकर उसे जानना शेष ही रहता है। यह याक पथ है।

सपूण अयाय में याेगे र क वभूितयाें का ही वणन है। अत:–


ॐ तसदित ीम गव तासूपिनषस  व ायां याेगशाे ीकृणाजुनसवादे
‘वभूितवणनम्’ नाम दशमाेऽयाय:।।१०।।

इस कार ीम गव तापी उपिनषद् एवं  व ा तथा याेगशा


वषयक ीकृण अाैर अजुन के सवाद में ‘वभूित वणन’ नामक दसवाँ
अयाय पूण हाेता है।

इित ीमपरमहंसपरमानदय शय वामीअड़गड़ानदकृते ीम गव ताया:


‘यथाथगीता’भाये ‘वभूितवणनम्’ नाम दशमाेऽयाय:।।१०।।

इस कार ीमत् परमहंस परमानदजी के शय वामी अड़गड़ानदकृत


‘ीम गव ता’ के भाय ‘यथाथ गीता’ में ‘वभूित वणन’ नामक दसवाँ
अयाय पूण हाेता है।

।। हर: ॐ तसत् ।।
।। ॐ ी परमाने नम: ।।
।। अथैकादशाेऽयाय: ।।
गत अयाय में याेगे र ीकृण ने अपनी धान-धान वभूितयाें का
सं ववरण तत कया; कत अजुन काे लगा क उसने वतार से सन
लया है। उसने कहा क अापक वाणी सनने से मेरा सारा माेह न हाे गया;
कत अापने जाे कहा, उसे य देखना चाहता ँ। सनने अाैर देखने में
पम अाैर पूव का अतर है। चलकर देखने पर वतथित कुछ अाैर ही
हाेती है। अजुन ने उस प काे देखा ताे काँपने लगा, मायाचना करने लगा।
ा ानी भयभीत हाेता है ा उसे काेई जासा रह जाती है नहीं,
बाै क तर क जानकार सदैव धूमल रहती है। हाँ, वह यथाथ जानकार के
लये ेरणा अवय देती है। इसलये अजुन ने िनवेदन कया–

अजुन उवाच

मदनुहाय परमं गु मयासतम् ।


य वयाें वचतेन माेहाेऽयं वगताे मम ।।१।।

भगवन् मुझ पर अनुह करने के लये जाे अापके ारा गाेपनीय अया
में वेश दलानेवाला उपदेश कहा गया, उससे मेरा यह अान न हाे गया।
मैं ानी हाे गया।
भवाययाै ह भूतानां ुताै वतरशाे मया ।
व : कमलपा माहायमप चाययम् ।।२।।

ाेंक हे कमलने मैंने भूताें क उप अाैर लय काे अापसे


वतारपूवक सना है तथा अापका अवनाशी भाव भी सना है।

एवमेत थाथ वमाानं परमे र ।


ु मछाम ते पमै रं पुषाे म।।३।।

हे परमे र अाप अपने काे जैसा कहते हैं, यह ठक वैसा ही है, इसमें
काेई सदेह नहीं है, कत मैंने उसे केवल सना है। अत: हे पुषाे म उस
एे ययु वप काे मैं य देखना चाहता ँ।

मयसे यद तछं मया ु मित भाे ।


याेगे र तताे मे वं दशयाानमययम्।।४।।

हे भाे मेरे ारा अापका वह प देखा जाना सव है, यद अाप एेसा
मानते हाें, ताे हे याेगे र अाप अपने अवनाशी वप का मुझे दशन
कराइये। इस पर याेगे र ने काेई ितवाद नहीं कया; ाेंक पहले भी वे
थान-थान पर कह अाये हैं क तू मेरा अनय भ अाैर य सखा है। अत:
बड़ स ता के साथ उहाेंने अपना वप दरसाया–

ीभगवानुवाच

पय मे पाथ पाण शतशाेऽथ सहश:।


नानावधािन दयािन नानावणाकृतीिन च।।५।।
पाथ मेरे सैकड़ाें तथा हजाराें नाना कार के अाैर नाना वण तथा
अाकृितवाले दय वप काे देख।

पयादयावसून् ान नाै मततथा ।


बय पूवाण पयायाण भारत।।६।।

हे भारत अदित के बारह पुाें, अाठ वसअाें, एकादश ाें, दाेनाें


अ नीकुमाराें अाैर उनचास म णाें काे देख तथा अय बत से पहले तहारे
ारा कभी न देखे ए अायमय पाें काे देख।

इहैकथं जगकृं पया सचराचरम् ।


मम देहे गुडाकेश य ाय ु मछस।।७।।

अजुन अब मेरे इस शरर में एक ही थान पर थत ए चराचरसहत


सपूण जगत् काे देख तथा अाैर भी जाे कुछ देखना चाहता है, वह देख।

इस कार तीनाें ाेकाें तक भगवान लगातार दखाते चले गये; कत


अजुन काे कुछ दखायी नहीं पड़ा (वह अाँखें मलता रह गया)। अत: एेसा
दखाते ए भगवान सहसा क जाते हैं अाैर कहते हैं–

न त मां शसे ु मनेनैव वचषा ।


दयं ददाम ते च: पय मे याेगमै रम्।।८।।

अजुन तू मुझे अपने नेाें ारा अथात् बाै क  ारा देखने में समथ
नहीं है इसलये मैं तझे दय अथात् अलाैकक  देता ँ, जससे तू मेरे
भाव अाैर याेगश काे देख।
इधर याेगे र ीकृण के कृपा-साद से अजुन काे वही  ा ई,
उसने देखा अाैर उधर याेगे र यास के कृपा-साद से वही  संजय काे
मल थी। जाे कुछ अजुन ने देखा, अरश: वही संजय ने भी देखा अाैर
उसके भाव से अपने काे कयाण का भागी बनाया। प है क ीकृण एक
याेगी के समक हैं।

स य उवाच

एवमुा तताे राजहायाेगे राे हर: ।


दशयामास पाथाय परमं पमै रम्।।९।।

संजय बाेला– हे राजन् महायाेगे र हर ने इस कार कहकर उसके


उपरात पाथ काे अपना परम एे ययु दयवप दखाया। जाे वयं याेगी
हाे अाैर दूसराें काे भी याेग दान करने क जसमें मता हाे, जाे याेग का
वामी हाे, उसे याेगे र कहते हैं। इसी कार सवव का हरण करनेवाला हर
है। यद केवल दु:खाें का हरण कया अाैर सख छाेड़ दया ताे दु:ख अायेगा।
अत: सब पापाें के नाश के साथ सवव का हरण करके अपना वप देने में
जाे सम है, वह हर है। उहाेंने पाथ काे अपना दय वप दखाया।
सामने ताे खड़े ही थे।

अनेकवनयनमनेका त
ु दशनम् ।
अनेकदयाभरणं दयानेकाे तायुधम्।।१०।।

अनेक मुख अाैर नेाें से यु, अनेक अ त


ु दशनाेंवाले , अनेक दय
भूषणाें से यु अाैर अनेक दय शाें काे हाथाें में उठाये ए तथा–
दयमायाबरधरं दयगधानुलेपनम् ।
सवायमयं देवमनतं व ताेमुखम्।।११।।

दय माला अाैर वाें काे धारण कये ए, दय गध का अनुलेपन कये
ए, सब कार अायाे से यु सीमारहत वरा प परमदेव काे  मलने
पर अजुन ने देखा।

दव सूयसहय भवे ुगपदुथता ।


यद भा: स शी सा या ासतय महान:।।१२।।

(अानपी धृतरा , संयमपी संजय– जैसा पीछे अाया है।) संजय


बाेला– हे राजन् अाकाश में एक साथ हजार सूयाे के उदय हाेने से जतना
काश हाेता है, वह भी व प उन महाा के काश के स श कदाचत् ही
हाे। यहाँ ीकृण महाा ही हैं, याेगे र थे।

तैकथं जगकृं वभमनेकधा ।


अपय ेवदेवय शररे पाडवतदा।।१३।।

पाडपु अजुन ने (पुय ही पाड है। पुय ही अनुराग काे ज देता है)
उस समय अनेक कार से वभ ए सपूण जगत् काे उन परमदेव के शरर
में एक जगह थत देखा।

तत: स वयावाे राेमा धन य: ।


णय शरसा देवं कृता लरभाषत।।१४।।
इसके पात् अाय से यु, हषत राेमाेंवाला वह अजुन परमादेव काे
शर से णाम करके (पहले भी णाम करता था; कत भाव देखने पर
सादर णाम कर) हाथ जाेड़कर बाेला। यहाँ अजुन ने अत:करण से नमन
कया अाैर कहा–

अजुन उवाच

पयाम देवांतव देव देहे


सवातथा भूतवशेषसान् ।
 ाणमीशं कमलासनथ-
मृषीं सवानुरगां दयान्।।१५।।

हे देव मैं अापके शरर में सपूण देवाें काे तथा अनेक भूताें के समुदायाें
काे, कमल के अासन पर बैठे ए  ा काे, महादेव काे, सपूण ऋषयाें काे
तथा दय सपाे काे देखता ँ। यह य दशन था, काेर कपना नहीं; कत
एेसा तभी सव है जब याेगे र, पूणव ा महापुष दय से  दान
करें । यह साधनगय है।

अनेकबादरवनें
पयाम वां सवताेऽनतपम् ।
नातं न मयं न पुनतवादं
पयाम व े र व प।।१६।।

व के वामी मैं अापकाे अनेक हाथ, पेट, मुख अाैर नेाें से यु तथा
सब अाेर से अनत पाेंवाला देखता ँ। हे व प न मैं अापके अाद काे,
न मय काे अाैर न अत काे ही देखता ँ अथात् अापके अाद, मय अाैर
अत का िनणय नहीं कर पा रहा ँ।

करटनं गदनं चणं च


तेजाेराशं सवताे दि मतम् ।
पयाम वां दुिनरयं समता-
 ानलाक ुितममेयम् ।।१७।।

मैं अापकाे मुकुटयु, गदायु, चयु, सब अाेर से काशमान तेजपुंज


वप, वलत अ अाैर सूय के स श देखने में दुकर अथात् कठनाई से
देखा जानेवाला अाैर सब अाेर से बु अाद से हण न हाे सकनेवाला
अमेय देखता ँ। इस कार सपूण इयाें से पूणतया समपत हाेकर
याेगे र ीकृण काे इस प में देखकर अजुन उनक तित करने लगा–

वमरं परमं वेदतयं


वमय व य परं िनधानम् ।
वमयय: शा तधमगाे ा
सनातनवं पुषाे मताे मे।।१८।।

भगवन् अाप जानने याेय परम अर अथात् अय परमाा हैं, अाप
इस जगत् के परम अाय हैं, अाप शा त-धम के रक हैं तथा अाप
अवनाशी सनातन पुष हैं– एेसा मेरा मत है। अाा का वप ा है
शा त है, सनातन है, अय प है, अवनाशी है। यहाँ ीकृण का ा
वप है वही शा त, सनातन, अयय, अवनाशी अथात् ाि के पात्
महापुष भी उसी अाभाव में थत हाेता है। तभी ताे भगवान अाैर अाा
एक ही लणवाले हैं।

अनादमयातमनतवीय-
मनतबां शशसूयनेम् ।
पयाम वां द ताशवं
वतेजसा व मदं तपतम्।।१९।।

हे परमान् मैं अापकाे अाद, मय अाैर अत से रहत, अनत सामय
से यु, अनत हाथाेंवाला (पहले हजाराें थे, अब अनत हाे गये), चमा अाैर
सूयपी नेाेंवाला (तब ताे भगवान काने हाे गये। एक अाँख चमा क तरह
ीण काशवाल अाैर दूसर सूय क तरह सतेज। एेसा कुछ नहीं है। सूय के
समान काश दान करनेवाला अाैर चमा क तरह शीतलता दान
करनेवाला गुण भगवान में है। शश-सूय मा तीक हैं। अथात् चमा अाैर
सूय क वाले ) तथा वलत अ पी मुखवाला तथा अपने तेज से इस
जगत् काे तपाते ए देखता ँ।

ावापृथयाेरदमतरं ह
या ं वयैकेन दश सवा: ।
ा त
ु ं पमुं तवेदं
लाेकयं यथतं महान्।।२०।।

हे महान् अतर अाैर पृवी के बीच का सपूण अाकाश तथा सब


दशाएँ एकमा अापसे ही परपूण हैं। अापके इस अलाैकक, भयंकर प काे
देखकर तीनाें लाेक अयत यथत हाे रहे हैं।

अमी ह वां सरसा वशत


केच ता: ा लयाे गृणत ।
वतीयुा महषस सा:
तवत वां तितभ: पुकलाभ:।।२१।।

वे देवताअाें के समूह अापमें ही वेश कर रहे हैं अाैर कई एक भयभीत


हाेकर हाथ जाेड़े ए अापके गुणाें का गान कर रहे हैं। महष अाैर स ाें के
समुदाय वतवाचन अथात् ‘कयाण हाे’, एेसा कहते ए सपूण ताेाें ारा
अापक तित कर रहे हैं।

ादया वसवाे ये च साया


व ेऽ नाै मताेपा ।
गधवयासरस सा
वीते वां वताैव सवे।।२२।।

, अादय, वस, साय, व ेदेव, अ नीकुमार, वायुदेव अाैर


‘उपा:’– ई रय ऊा हण करनेवाले तथा गधव, य, रास अाैर स ाें
के समुदाय सभी अाय से अापकाे देख रहे हैं अथात् देखते ए भी समझ
नहीं पा रहे हैं; ाेंक उनके पास वह  ही नहीं है। ीकृण ने पीछे
बताया क अासर वभाववाले मुझे तछ कहकर सबाेधत करते हैं, सामाय
मनुय-जैसा मानते हैं जबक मैं परमभाव में, परमे र प में थत ँ। य प
ँ मनुय-शरर के अाधारवाला। उसी का वतार यहाँ है क वे अाय से देख
रहे हैं, यथाथत: समझ नहीं पा रहे हैं– नहीं देखते हैं।

पं मह े बवनें
महाबाहाे बबापादम् ।
बदरं बदंाकरालं
ा लाेका: यथतातथाहम्।।२३।।

महाबा (ीकृण महाबा हैं अाैर अजुन भी। कृित से परे महान् स ा में
जसका काये हाे, वह महाबा है। ीकृण महानता के े में पूण हैं,
अधकतम सीमा में हैं। अजुन उसी क वेशका में है, माग में है। मंजल
माग का दूसरा छाेर ही ताे है।) याेगे र अापके बत मुख अाैर नेाेंवाले ;
बत हाथ, जंघा अाैर पैराेंवाले ; बत उदराेंवाले , अनेक वकराल दाढ़ाेंवाले
महान् प काे देखकर सब लाेक याकुल हाे रहे हैं तथा मैं भी याकुल हाे
रहा ँ। अब अजुन काे कुछ भय हाे रहा है क ीकृण इतने महान् हैं।

नभ:पृशं द मनेकवण
या ाननं द वशालनेम् ।
ा ह वां यथतातराा
धृितं न वदाम शमं च वणाे।।२४।।

व में सव अणुप से या हे वणाे अाकाश काे पश कये ए,
काशमान, अनेक पाें से यु, फैलाये ए मुख अाैर काशमान वशाल नेाें
से यु अापकाे देखकर वशेष प से भयभीत अत:करणवाला मैं धैय अाैर
मन के समाधानपी शात काे नहीं पा रहा ँ।

दंाकरालािन च ते मुखािन
ैव कालानलस भािन ।
दशाे न जाने न लभे च शम
सीद देवेश जग वास।।२५।।

अापके वकराल दाढ़ाेंवाले अाैर काला (काल के लये भी अ है


परमाा) के समान वलत मुखाें काे देखकर मैं दशाअाें काे नहीं जान पा
रहा ँ। चाराें अाेर काश देखकर दशाम हाे रहा है। अापका यह प देखते
ए मुझे सख भी नहीं मल रहा है। हे देवेश हे जग वास अाप स हाें।

अमी च वां धृतरा य पुा:


सवे सहैवाविनपालसै : ।
भीाे ाेण: सूतपुतथासाै
सहादयैरप याेधमुयै:।।२६।।

वे सब ही धृतरा के पु राजाअाें के समुदायसहत अापमें वेश कर रहे


हैं अाैर भी पतामह, ाेणाचाय तथा वह कण (जससे अजुन बत भयभीत
था, वह कण) एवं हमार अाेर के भी धान याे ाअाें सहत सबके-सब–

वाण ते वरमाणा वशत


दंाकरालािन भयानकािन ।
केचल ा दशनातरे षु
स यते चूणतै माै :।।२७।।

बड़े वेग से अापके वकराल दाढ़ाेंवाले भयानक मुखाें में वेश कर रहे हैं
तथा उनमें से कतने ही चूण ए सराेंसहत अापके दाँताें के बीच में लगे ए
दखायी पड़ रहे हैं। वे कस वेग से वेश कर रहे हैं अब उनका वेग देखें–

यथा नदनां बहवाेऽबुवेगा:


समुमेवाभमुखा वत ।
तथा तवामी नरलाेकवीरा
वशत वायभववलत।।२८।।

जैसे नदयाें के बत-से जल-वाह (अपने में वकराल हाेते ए भी) समु
क अाेर दाैड़ते हैं, समु में वेश करते हैं, ठक उसी कार वे शूरवीर मनुयाें
के समुदाय अापके वलत मुखाें में वेश कर रहे हैं। अथात् वे अपने में
शूरवीर ताे हैं; कत अाप समुवत् हैं। अापके सम उनका बल अयप है।
वे कसलये अाैर कस कार वेश कर रहे हैं इसके लये उदाहरण तत
है–

यथा द ं वलनं पता


वशत नाशाय समृ वेगा: ।
तथैव नाशाय वशत लाेका-
तवाप वाण समृ वेगा:।।२९।।
जैसे पतंगा न हाेने के लये ही वलत अ में अितवेग से वेश करते
हैं, वैसे ही ये सब ाणी भी अपने नाश के लये अापके मुखाें में अयत बढ़े
ए वेग से वेश कर रहे हैं।

ले ल से समान: समता-
ाेकासमावदनैवल : ।
तेजाेभरापूयजगसमं
भासतवाेा: तपत वणाे।।३०।।

अाप उन समत लाेकाें काे वलत मुखाें ारा सब अाेर से िनगलते ए


चाट रहे हैं, उनका अावादन कर रहे हैं। हे यापनशील परमान् अापक
उ भा सपूण जगत् काे अपने तेज से या करके तपा रही है। तापय यह
है क पहले अासर सपद् परमत व में वलन हाे जाती है, उसके पात् दैवी
सपद् का काेई याेजन नहीं रह जाता इसलये वह भी उसी वप में
वलन हाे जाती है। अजुन ने देखा क काैरव-प, तदनतर उसके अपने प
के याे ा ीकृण के मुखाें में वलन हाेते जा रहे हैं। उसने पूछा–

अायाह मे काे भवानुपाे


नमाेऽत ते देववर सीद ।
वातमछाम भवतमा ं
न ह जानाम तव वृ म्।।३१।।

मुझे बताइये क भयंकर अाकारवाले अाप काैन हैं हे देवाें में े
अापकाे नमकार है, अाप स हाें। अादवप मैं अापकाे भल कार
जानना चाहता ँ (जैसे, अाप काैन हैं ा करना चाहते हैं ); ाेंक
अापक वृ अथात् चेाअाें काे नहीं समझ पा रहा ँ। इस पर याेगे र
ीकृण बाेले–

ीभगवानुवाच

कालाेऽ लाेकयकृवृ ाे
लाेकासमाहतमह वृ : ।
ऋतेऽप वां न भवयत सवे
येऽवथता: यनीकेषु याेधा:।।३२।।

अजुन मैं लाेकाें का नाश करनेवाला बढ़ा अा काल ँ अाैर इस समय
इन लाेकाें काे न करने के लये वृ अा ँ। ितपयाें क सेना में थत
जतने याे ा हैं वे सब तेरे बना भी नहीं रहेंगे, वे जीवत नहीं बचेंगे इसीलये
वृ अा ँ।

ता वमु  यशाे लभव


जवा शूु रायं समृ म् ।
मयैवैते िनहता: पूवमेव
िनम मां भव सयसाचन्।।३३।।

इसलये अजुन तू यु के लये खड़ा हाे, यश ा कर। शुअाें काे


जीत, समृ -सप राय काे भाेग। ये सब शूरवीर मेरे ारा पहले से ही मारे
ए हैं। सयसाचन् तू केवल िनम मा बन।
ाय: सव ीकृण ने कहा है क वह परमाा न कुछ वयं करता है, न
कराता है, न संयाेग ही जाेड़ता है; माेहावृ बु के कारण ही लाेग कहते हैं
क परमाा कराता है; कत यहाँ वे वयं ताल ठाेंककर खड़े हाे जाते हैं
क, अजुन क ा-ध ा ताे मैं ँ। मेरे ारा ये पहले से ही मारे ए हैं। तू खड़ा
भर हाे, यश ले ले । एेसा इसलये है क ‘साे केवल भगतन हत लागी।’
(रामचरतमानस, १/१२/५) अजुन उसी अवथा काे ा कर चुका था क
भगवान वयं ताल ठाेंककर खड़े हाे गये। अनुराग ही अजुन है। अनुरागी के
लये भगवान सदैव खड़े हैं, उहीं के क ा हैं, रथी बन जाते हैं।

यहाँ गीता में तीसर बार सााय का करण अाया। पहले अजुन लड़ना
नहीं चाहता था। उसने कहा क पृवी के धन-धायसप अकटक सााय
तथा देवताअाें के वामीपन अथवा ैलाे के राय में भी मैं उस उपाय काे
नहीं देखता, जाे इयाें काे सखानेवाले मेरे इस शाेक काे दूर कर सके। जब
तड़पन बनी ही रहेगी ताे हमें नहीं चाहये। याेगे र ने कहा– इस यु में
हाराेगे ताे देवव अाैर जीतने पर महामहम क थित मले गी अाैर यहाँ
यारहवें अयाय में कहते हैं क ये शु मेरे ारा मारे गये हैं, तू िनम मा
भर बन जा, यश काे ा कर अाैर समृ राय काे भाेग। फर वही बात,
जस बात से अजुन चाैंकता है, जससे वह शाेक मटता अा नहीं देखता,
ा ीकृण फर भी वही राय देंगे नहीं, वतत: वकाराें के अत के साथ
परमावप क थित ही वातवक समृ है, जाे थर सप है।
जसका कभी वनाश नहीं हाेता, राजयाेग का परणाम है।

ाेणं च भीं च जयथं च


कण तथायानप याेधवीरान् ।
मया हतांवं जह मा यथा
युयव जेतास रणे सप ान्।।३४।।

इन ाेण, भी, जयथ अाैर कण तथा अयाय बत से मेरे ारा मारे
ए शूरवीर याे ाअाें काे तू मार। भय मत कर। संाम में बैरयाें काे तू िनत
जीतेगा, इसलये यु कर। यहाँ भी याेगे र ने कहा क ये मेरे ारा मारे ए
हैं, इन मरे ए काे तू मार। प कया क मैं क ा ँ, जबक पाँचवें अयाय
के १३, १४ एवं १५वें ाेक में उहाेंने कहा– भगवान अक ा हैं। अठारहवें
अयाय में वे कहते हैं क शभ अथवा अशभ येक काय के हाेने में पाँच
मायम हैं– अधान, क ा, करण, चेा अाैर दैव। जाे कहते हैं क
कैवयवप परमाा करते हैं वे अववेक हैं, यथाथ नहीं जानते अथात्
भगवान नहीं करते। एेसा वराेधाभास ाें

वतत: कृित अाैर उस परमापुष के बीच एक सीमा-रे खा है। जब


तक कृित के परमाणुअाें का दबाव अधक रहता है, तब तक माया ेरणा
देती है अाैर जब साधक उससे ऊपर उठ जाता है– ई र, इ अथवा स 

के काये में वेश ा कर ले ता है, उसके बाद स 
ु इ (याद रहे ेरक
ु , परमाा, इ, भगवान पयायवाची हैं। कुछ भी कहें,
के थान पर स 
कहता भगवान ही है।) दय से रथी हाे जाता है, अाा से जात हाेकर उस
अनुरागी साधक का वयं पथ-संचालन करने लग जाता है।

‘पूय महाराज जी’ कहते थे– ‘‘हाे, जस परमाा क हमें चाह है, जस
सतह पर हम खड़े हैं उस सतह पर वयं उतरकर जब तक अाा से जागृत
नहीं हाे जाता, तब तक सही माा में साधन का अार नहीं हाेता। उसके
बाद जाे कुछ साधक से पार लगता है, वह उसक देन है। साधक ताे
िनम मा हाेकर उसके संकेत अाैर अादेश पर चलता भर रहता है। साधक
क वजय उसक देन है। एेसे अनुरागी के लये ई र अपनी  से देखता
है, दखाता है अाैर अपने वप तक पँचाता है।’’ यही ीकृण कहते हैं क
मेरे ारा मारे ए इन बैरयाें काे मार। िनय ही तहार वजय हाेगी, मैं जाे
खड़ा ँ।

स य उवाच

एतवा वचनं केशवय


कृता लवेपमान: करट ।
नमकृवा भूय एवाह कृणं
सग दं भीतभीत: णय।।३५।।

संजय बाेला– (जाे कुछ अजुन ने देखा, ठक वैसा ही संजय ने देखा है।
अान से अाछादत मन ही अधा धृतरा है; ले कन एेसा मन भी संयम के
मायम से भल कार देखता, सनता अाैर समझता है) केशव के इन
(उपयु) वचनाें काे सनकर करटधार अजुन भयभीत हाेकर काँपता अा
हाथ जाेड़कर नमकार करके, फर ीकृण से इस कार ग द वाणी में
बाेला–

अजुन उवाच

थाने षीकेश तव कया


जगययनुरयते च ।
रांस भीतािन दशाे वत
सवे नमयत च स सा:।।३६।।
हे षीकेश यह उचत ही है क अापक कित से संसार हषत हाेता है
अाैर अनुराग काे ा हाेता है। अापक ही महमा से भयभीत ए रास
दशाअाें में भागते हैं अाैर सब स गणाें के समुदाय अापक महमा काे
देखकर नमकार करते हैं।

का ते न नमेरहान्
गरयसे  णाेऽयादके ।
अनत देवेश जग वास
वमरं सदस परं यत्।।३७।।

हे महान्  ा के भी अादक ा अाैर सबसे बड़े अापके लये ये सब


कैसे नमकार न करें ; ाेंक हे अनत हे देवेश हे जग वास सत्, असत्
अाैर उनसे भी परे अर अथात् अय वप अाप ही हैं। अजुन ने अय
वप का य दशन कया था। केवल बाै क तर पर कपना करने या
मान ले ने मा से काेई एेसी थित नहीं मलती, जाे अय हाे। अजुन का
य दशन उसक अातरक अनुभूित है। उसने सवनय कहा–

वमाददेव: पुष: पुराण-


वमय व य परं िनधानम्।।३३।।
वे ास वे ं च परं च धाम
वया ततं व मनतप।।३८।।

अाप अाददेव अाैर सनातन पुष हैं। अाप इस जगत् के परम अाय
अाैर जाननेवाले हैं, जानने याेय हैं तथा परमधाम हैं। हे अनतवप अापसे
यह सपूण जगत् या है। अाप सव हैं।

वायुयमाेऽ वण: शशा:


जापितवं पतामह ।
नमाे नमतेऽत सहकृव:
पुन भूयाेऽप नमाे नमते।।३९।।

अाप ही वायु, यमराज, अ , वण, चमा तथा जा के वामी  ा


अाैर  ा के भी पता हैं। अापकाे हजाराें बार नमकार है। फर भी बार-बार
नमकार है। अितशय  ा अाैर भ के कारण नमन करते ए अजुन काे
तृि नहीं हाे रही है। वह कहता है–

नम: पुरतादथ पृतते


नमाेऽत ते सवत एव सव ।
अनतवीयामतवमवं
सव समााेष तताेऽस सव:।।४०।।

हे अयत सामयवाले अापकाे अागे से अाैर पीछे से भी नमकार हाे। हे


सवान् अापकाे सब अाेर से ही नमकार हाे; ाेंक हे अयत
परामशाल अाप सब अाेर से संसार काे या कये ए हैं, इसलये अाप
ही सवप अाैर सव हैं। इस कार बारबार नमकार करके भयभीत अजुन
अपनी भूलाें के लये मायाचना करता है–

सखेित मवा सभं यदुं


हे कृण हे यादव हे सखेित ।
अजानता महमानं तवेदं
मया मादाणयेन वाप।।४१।।

अापके इस भाव काे न जानते ए अापकाे सखा, म मानकर मेरे ारा
ेम अथवा माद से भी हे कृण , हे यादव , हे सखे – इस कार जाे कुछ
भी हठपूवक कहा गया है तथा–

य ावहासाथमसकृताेऽस
वहारशयासनभाेजनेषु ।
एकाेऽथवाययुत तसमं
तामये वामहममेयम्।।४२।।

हे अयुत जाे अाप हँसी के लये वहार, शया, अासन अाैर भाेजनादकाें
में अकेले अथवा उन लाेगाें के सामने भी अपमािनत कये गये हैं, वह सब
अपराध अचय भाववाले अापसे मैं मा कराता ँ। कस कार मा
करें –

पतास लाेकय चराचरय


वमय पूय गुगरयान् ।
न वसमाेऽययधक: कुताेऽयाे
लाेकयेऽयितमभाव ।।४३।।

अाप इस चराचर जगत् के पता, गु से भी बड़े गु अाैर अित पूजनीय
हैं। जसक काेई ितमा नहीं, एेसे अितम भाववाले अापके समान तीनाें
लाेकाें में दूसरा काेई नहीं है, फर अधक कैसे हाेगा अाप सखा भी नहीं,
सखा ताे समक हाेता है।

ताणय णधाय कायं


सादये वामहमीशमीड म् ।
पतेव पुय सखेव सयु:
य: यायाहस देव साेढम्।।४४।।

अाप चराचर के पता हैं, इसलये मैं अपने शरर काे भल कार अापके
चरणाें में रखकर, णाम करके, तित करने याेय अाप ई र काे स हाेने
के लये ाथना करता ँ। हे देव पता जैसे पु के, सखा जैसे सखा के अाैर
पित जैसे य ी के अपराधाें काे मा करता है, वैसे ही अाप भी मेरे
अपराधाें काे सहन करने याेय हैं। अपराध ा था हमने कभी हे यादव , हे
सखे , हे कृण कहा था। समाज के बीच अथवा एकात में कहा था, भाेजन
के समय अथवा साेने के समय कहा था। ा कृण कहना अपराध था काले
थे ही, गाेरे कैसे कहे जाते यादव कहना भी अपराध नहीं था; ाेंक यदुकुल
में ताे ज ही अा था। सखा कहना भी अपराध नहीं था; ाेंक वयं
ीकृण भी अपने काे अजुन का सखा मानते थे। जब कृण कहना अपराध ही
है, एक बार कृण कहने के लये अजुन अनत बार गड़गड़ाकर मायाचना
कर रहा है, ताे जप कसका करें नाम काैनसा लें

वतत: चतन का जैसा वधान वयं याेगे र ीकृण ने बताया है, वैसा
ही अाप करें । उहाेंने पीछे बताया, ‘अाेमयेकारं  याहरामनुरन्।’–
अजुन ‘ॐ’ बस इतना ही अय  का परचायक है, इसका तू जप कर
अाैर यान मेरा धर; ाेंक उस परमभाव में वेश मल जाने के पात् उन
महापुष का भी वही नाम है, जाे उस अय का परचायक है। भाव देखने
पर अजुन ने पाया क ये न ताे काले हैं न गाेरे, न सखा हैं न यादव, यह ताे
अय  क थितवाले महाा हैं।

सपूण गीता में याेगे र ीकृण ने सात थलाें पर अाेम् के उ ारण पर


बल दया। अब यद अापकाे जप करना है ताे कृण-कृण न कहकर अाेम् का
ही जप करें । ाय: भावक लाेग काेई-न-काेई राता िनकाल ले ते हैं। काेई
‘अाेम्’ जपने के अधकार अाैर अनधकार क चचा से भयभीत है, ताे काेई
महााअाें क दुहाई देता है अथवा काेई ीकृण ही नहीं, उनसे पहले राधा
अाैर गाेपयाें का नाम भी उनक शी स ता के लाेभ में जपता है। पुष
 ामय है इसलये उसका एेसा जपना मा भावुकता है। यद अाप सचमुच
भावक हैं ताे उनके अादेश का पालन करें । वे अय में थत हाेते ए भी
अाज अापके सामने नहीं हैं ले कन उनक वाणी अापके सम है। उनक
अाा का पालन करें अयथा अाप ही बताइये क गीता में अापका ा थान
हैं हाँ, इतना अवय है क ‘अयेयते च य इमं.....  ावाननसूय
णुयादप याे नर:।’– जाे अययन करता है, सनता है वह ान तथा य काे
जान ले ता है, शभ लाेकाें काे पा जाता है। अत: अययन अवय करें ।

ाण-अपान के चतन में ‘कृण’ नाम का म पकड़ में नहीं अाता। बत
से लाेग काेर भावुकतावश केवल ‘राधे-राधे’ कहने लगे हैं। अाजकल
अधकारयाें से काम न हाेने पर उनके सगे-सबधयाें से, ेमी या प ी से
‘साेस’ लगाकर काम चला ले ने क परपरा है। लाेग साेचते हैं क कदाचत्
भगवान के घर में भी एेसा चलता हाेगा, अत: उहाेंने ‘कृण’ कहना बद
करके ‘राधे-राधे’ कहना अार कर दया। वे कहते हैं– ‘राधे-राधे याम
मला दे।’ राधा एक बार बड़ ताे वयं याम से नहीं मल पायी, वह
अापकाे कैसे मला दे अत: अय कसी का कहना न मानकर ीकृण के
अादेश काे अाप अरश: मानें, अाेम् का जप करें । हाँ, यहाँ तक उचत है क
राधा हमारा अादश हैं, उतनी ही लगन से हमें भी लगना चाहये। यद पाना है
ताे राधा क तरह वरही बनना है।

अागे भी अजुन ने ‘कृण’ कहा। ‘कृण’ उनका चलत नाम था। एेसे कई
नाम थे, जैसे– ‘गाेपाल’। बत से साधक गु-गु या गु का चलत नाम
भावुकतावश जपना चाहते हैं; कत ाि के पात् येक महापुष का वही
नाम है, जस अय में वह थत है। बत से शय  करते हैं– ‘‘गुदेव
जब यान अापका करते हैं ताे पुराना नाम ‘अाेम्’ इयाद ाें जपें, ‘गु-गु’
अथवा ‘कृण-कृण’ ाें न कहें।’’ कत यहाँ याेगे र ने प कया क
अय वप में वलय के साथ महापुष का भी वही नाम है, जसमें वह
थत है। ‘कृण’ सबाेधन था, जपने का नाम नहीं।

याेगे र ीकृण से अजुन ने अपने अपराधाें के लये मायाचना क, उहें


वाभावक प में अाने क ाथना क। ीकृण मान गये, सहज हाे गये
अथात् उसे मा भी कर दया। उसने िनवेदन कया–

अ पूव षताेऽ ा
भयेन च यथतं मनाे मे।
तदेव मे दशय देवपं
सीद देवेश जग वास।।४५।।
अभी तक अजुन के सम याेगे र व प में हैं। अत: वह कहता है क
मैं पहले न देखे ए अापके इस अायमय प काे देखकर हषत हाे रहा ँ
तथा मेरा मन भय से अित याकुल भी हाे रहा है। पहले ताे सखा समझता
था, धनुव ा में कदाचत् अपने काे कुछ अागे ही पाता था; कत अब भाव
देखकर भयभीत हाे रहा है। पछले अयाय में भाव सनकर वह अपने काे
ानी मानता था। ा ानी काे कहीं भय हाेता है वतत: य दशन का
भाव ही वलण हाेता है। सब कुछ सन अाैर मान ले ने के बाद भी सब कुछ
चलकर जानना शेष ही रहता है। वह कहता है– पहले न देखे ए अापके इस
प काे देखकर मैं हषत हाे रहा ँ। मेरा मन भय से याकुल भी हाे रहा है।
अत: हे देव अाप स हाें। हे देवेश हे जग वास अाप अपने उस प
काे ही मुझे दखाइये। काैन-सा प –

करटनं गदनं चहत-


मछाम वां ु महं तथैव ।
तेनैव पेण चतभुजेन
सहबाहाे भव व मूते।।४६।।

मैं अापकाे वैसे ही अथात् पहले क ही तरह शर पर मुकुट धारण कये
ए, हाथ में गदा अाैर च लये ए देखना चाहता ँ। इसलये हे व पे
हे सहबाहाे अाप अपने उसी चतभुज वप में हाेइए। काैन-सा प देखना
चाहा चतभुज प अब देखना है क चतभुज प है ा –

ीभगवानुवाच

मया स ेन तवाजुनेदं
पं परं दशतमायाेगात्।
तेजाेमयं व मनतमा ं
ये वदयेन न पूवम्।।४७।।

इस कार अजुन क ाथना सनकर ीकृण बाेले–अजुन मैंने


अनुहपूवक अपनी याेगश के भाव से अपना परम तेजाेमय, सबका अाद
अाैर सीमारहत व प तझे दखाया है, जसे तेरे सवाय दूसरे कसी ने
पहले कभी नहीं देखा।

न वेदयाययनैन दानै-
न च याभन तपाेभै: ।
एवंप: श अहं नृलाेके
ु ं वदयेन कुवीर।।४८।।

अजुन इस मनुयलाेक में इस कार व पवाला मैं न वेद से, न य


से, न अययन से, न दान से, न या से, न उ तप से अाैर न तेरे सवाय
कसी अय से देखा जाने काे सव ँ अथात् तेरे सवाय यह प अय
काेई देख नहीं सकता। तब ताे गीता अापके लये बेकार है। भगव शन क भी
याेयताएँ अजुन तक सीमत रह गयीं, जबक पीछे बता अाये हैं क– अजुन
राग, भय अाैर ाेध से रहत अनय मन से मेर शरण ए बत से लाेग
ानपी तप से पव हाेकर साात् मेरे वप काे ा हाे चुके हैं। यहाँ
कहते हैं– तेरे सवाय न काेई देख सका है अाैर न भवय में काेई देख
सकेगा। अत: अजुन काैन है ा काेई पडधार है ा काेई शररधार
है नहीं, वतत: अनुराग ही अजुन है। अनुरागवहीन पुष न कभी देख सका
है अाैर न भवय में कभी देख सकेगा। सब अाेर से च समेटकर एकमा
इ के अनुप राग ही अनुराग है। अनुरागी के लये ही ाि का वधान है।

मा ते यथा मा च वमूढभावाे
ा पं घाेरमी मेदम् ।
यपेतभी: ीतमना: पुनवं
तदेव मे पमदं पय।।४९।।

इस कार के मेरे इस वकराल प काे देखकर तझे याकुलता न हाे


अाैर मूढ़भाव भी न हाे क घबड़ाकर अलग हाे जाअाे। अब तू भयरहत अाैर
ीितयु मन से उसी मेरे इस प काे अथात् चतभुज प काे फर देख।

स य उवाच

इयजुनं वासदेवतथाेा
वकं पं दशयामास भूय: ।
अा ासयामास च भीतमेनं
भूवा पुन: साैयवपुमहाा।।५०।।

संजय बाेला– सव वास करनेवाले देव उन वासदेव ने अजुन से इस


कार कहकर फर वैसे ही अपने प काे दखाया। फर महाा ीकृण ने
‘साैयवपु:’ अथात् स हाेकर भयभीत अजुन काे धैय दया। अजुन बाेला–

अजुन उवाच

ेदं मानुषं पं तव साैयं जनादन ।


इदानीम संवृ : सचेता: कृितं गत:।।५१।।
जनादन अापके इस अयत शात मनुय प काे देखकर अब मैं
स च अा अपने वभाव काे ा हाे गया ँ। अजुन ने कहा था, भगवन्
अब अाप मुझे उसी चतभुज वप का दशन कराइये। याेगे र ने कराया भी;
कत अजुन ने जब देखा ताे ा पाया ‘मानुषं पं’– मनुय के प काे
देखा। वतत: ाि के पात् महापुष ही चतभुज अाैर अनतभुज कहलाते
हैं। दाे भुजावाला महापुष ताे अनुरागी के सम बैठा ही है; कत अय
कहीं से काेई रण करता है ताे वही महापुष उस रणक ा से जागृत
(रथी) हाेकर उसका भी मागदशन करता है। ‘भुजा’ काय का तीक है। वे
भीतर भी काय करते हैं अाैर बाहर भी, यही चतभुज वप है। उनके हाथाें में
शंख, च, गदा अाैर प मश: वातवक लयघाेष, साधन-च का वतन,
इयाें का दमन अाैर िनमल-िनले प कायमता का तीक मा है। यही
कारण है क चतभुज प में उहें देखने पर भी अजुन ने उहें मनुय प में
ही पाया। चतभुज महापुषाें के शरर अाैर वप से काय करने क वध-
वशेष का नाम है, न क चार हाथवाले काेई ीकृण थे।

ीभगवानुवाच

सदुदशमदं पं वानस यम।


देवा अयय पय िनयं दशनकाङ् ण:।।५२।।

महाा ीकृण ने कहा– अजुन मेरा यह प देखने काे अितदुलभ है,


जैसा क तूने देखा है; ाेंक देवता भी सदा इस प के दशन क इछा
रखते हैं। वतत: सभी लाेग सत काे पहचान ही नहीं पाते। ‘पूय ससंगी
महाराज’ अत:ेरणावाले पूण महापुष थे; ले कन लाेग उहें पागल समझते
रहे। कसी-कसी पुयाा काे अाकाशवाणी ई क ये स 
ु हैं; केवल
उहाेंने उहें दय से पकड़ा, उनके वप काे पाया अाैर अपनी गित पा ल।
यही ीकृण कहते हैं क जनके दय में दैवी सपद् जागृत है, वे देवता भी
सदा इस प के दशन क अाकांा रखते हैं। ताे ा य, दान अथवा
वेदाययन से अाप देखे जा सकते हैं वह महाा कहते हैं–

नाहं वेदैन तपसा न दानेन न चेयया।


श एवंवधाे ु ं वानस मां यथा।।५३।।

न वेदाें से, न तप से, न दान से अाैर न य से मैं इस कार देखा जाने


काे सलभ ँ, जस कार तूने देखा है। तब ा अापकाे देख पाने का काेई
उपाय नहीं है वे महाा कहते हैं, एक उपाय है–

भा वनयया श अहमेवंवधाेऽजुन।


ातं ु ं च त वेन वेुं च परतप।।५४।।

हे े तपवाले अजुन अनय भ के ारा अथात् सवाय मेरे अय
कसी देवता का रण न करते ए, अनय  ा से ताे मैं इस कार य
देखने के लये, त व से साात् जानने के लये तथा वेश करने के लये भी
सलभ ँ अथात् उनक ाि का एकमा सगम मायम अनय भ है। अत
में ान भी अनय भ में परणत हाे जाता है, जैसा क पीछे अयाय सात
में य है। पीछे उहाेंने कहा क तेरे सवाय न काेई देख सका है अाैर न
काेई देख सकेगा, जबक यहाँ कहते हैं क अनय भ से न केवल मुझे
देखा जा सकता है अपत साात् जाना अाैर मुझमें वेश भी पाया जा
सकता है, अथात् अजुन अनय भ का नाम है, एक अवथा का नाम है।
अनुराग ही अजुन है। अत में याेगे र ीकृण कहते हैं–

मकमकृपरमाे म : सवजत:।
िनवैर: सवभूतेषु य: स मामेित पाडव।।
५५।।

हे अजुन जाे पुष मेरे ारा िनद कम अथात् िनयत कम याथ कम
करता है, ‘मपरम:’– मेरे परायण हाेकर करता है, जाे मेरा अनय भ है;
‘सवजत:’– कत संगदाेष में रहते ए वह कम नहीं हाे सकता, अत:
संगदाेष से रहत हाेकर ‘िनवैर: सवभूतेषु’– सपूण भूताणयाें में बैरभाव से
रहत है, वह मुझे ा हाेता है। ताे ा अजुन ने यु कया ण करके ा
उसने जयथाद काे मारा यद उहें मारता है ताे भगवान काे न देख पाता,
जबक अजुन ने देखा है। इससे स है क गीता में एक भी ाेक एेसा नहीं
है, जाे बा मारकाट का समथन करता हाे। जाे िनद कम य क या
का अाचरण करे गा, जाे अनय भाव से उनके सवाय कसी का रण तक
नहीं करे गा, जाे संगदाेष से अलग रहेगा ताे यु कैसा जब अापके साथ
काेई है ही नहीं ताे अाप यु कससे करें गे सपूण भूताणयाें में जाे बैरभाव
से रहत है, मन से भी कसी काे सताने क कपना न करे , वही मुझे ा
हाेता है-ताे ा अजुन ने लड़ाई ल कभी नहीं।

वतत: संगदाेष से अलग रहकर जब अाप अनय चतन में लगते हैं,
िनधारत य क या में वृ हाेते हैं, उस समय परपंथी राग-ेष, काम-
ाेध इयाद दुजय शु बाधा के प में य ही हैं। उनका पार पाना ही
यु है।

िनकष—

इस अयाय के अार में अजुन ने कहा–भगवन् अापक वभूितयाें काे


मैंने वतार से सना, जससे मेरा माेह न हाे गया, अान का शमन हाे
गया; कत जैसा अापने बताया क मैं सव ँ, इसे मैं य देखना चाहता
ँ। यद मेरे ारा देखना सव हाे, ताे कृपया उसी वप काे दखाइये।
अजुन य सखा था, अनय सेवक था। अतएव याेगे र ीकृण ने काेई
ितवाद न कर तरत दखाना ार कया क अब मेरे ही अदर खड़े स ष
अाैर उनसे भी पूव हाेनेवाले ऋषयाें काे देख,  ा अाैर वणु काे देख, सव
फैले मेरे तेज काे देख, मेरे ही शरर में एक थान पर खड़े तू चराचर जगत्
काे देख; कत अजुन अाँखें मलता ही रह गया। इसी कार याेगे र ीकृण
तीन ाेकाें तक अनवरत दखाते गये; कत अजुन काे कुछ भी दखायी नहीं
पड़ा। सभी वभूितयाँ याेगे र में उस समय थीं; कत अजुन काे वे सामाय
मनुय-जैसे ही दखायी पड़ रहे थे। तब इस कार दखाते-दखाते याेगे र
ीकृण सहसा क जाते हैं अाैर कहते हैं– अजुन इन अाँखाें से तू मुझे नहीं
देख सकता। अपनी बु से तू मुझे परख नहीं सकता। लाे, अब मैं तझे वह
 देता ँ, जससे तू मुझे देख सकेगा। भगवान ताे सामने खड़े ही थे।
अजुन ने देखा, वातव में देखा। देखने के पात्  ुटयाें के लए
मायाचना करने लगा, जाे वातव में ुटयाँ नहीं थीं। उदाहरण के लये;
भगवन् कभी मैंने अापकाे कृण, यादव अाैर कभी सखा कह दया था, इसके
लये अाप मुझे मा करें । ीकृण ने मा भी कया; ाेंक अजुन क
ाथना वीकार कर वे साैय वप में अा गये, धीरज बँधाया।

वतत: कृण कहना अपराध नहीं था। वे साँवले थे ही, गाेरे कैसे कहलाते।
यदुवंश में ज अा ही था। ीकृण वयं भी अपने काे सखा मानते ही थे।
वातव में येक साधक महापुष काे पहले एेसा ही समझते हैं। कुछ उहें
प अाैर अाकार से सबाेधत करते हैं, कुछ उनक वृ से उहें पुकारते हैं
अाैर कुछ उहें अपने ही समक मानते हैं, उनके यथाथ वप काे नहीं
समझते। उनके अचय वप काे अजुन ने समझा ताे पाया क ये न ताे
काले हैं अाैर न गाेरे, न कसी कुल के हैं अाैर न कसी के साथी ही हैं।
इनके समान काेई है ही नहीं, ताे सखा कैसा बराबर कैसा यह ताे अचय
वप हैं। जसे यह वयं दखा दें, वही इहें देख पाता है। अत: अजुन ने
अपनी ारक भूलाें के लये मायाचना क।

 उठता है क जब कृण कहना अपराध है, ताे उनका नाम जपा कैसे
जाय ताे जसे याेगे र ीकृण ने जपने के लये वयं बल दया, जपने क
जाे वध बतायी, उसी वध से अाप चतन-रण करें । वह है–
‘अाेमयेकारं  याहरामनुरन्।’– ‘अाेम्’ अय  का पयाय है।
‘अाे अहम् स अाेम्’– जाे या है वह स ा मुझमें छपी है, यही है अाेम् का
अाशय। अाप इसका जप करें अाैर यान मेरा करें । प अपना, नाम अाेम्
का बताया।

अजुन ने ाथना क क चतभुज प में दशन दजये। ीकृण ने उसी


साैय वप काे धारण कया। अजुन ने कहा– भगवन् अापके इस साैय
मानव वप काे देखकर अब मैं कृितथ अा। माँगा था चतभुज प,
दखाया ‘मानुषं पं’। वातव में शा त में वेशवाला याेगी शरर से यहाँ
बैठा है, बाहर दाे हाथाें से काय करता है अाैर साथ ही अतराा से जागृत
हाेकर जहाँ से भी जाे भावक रण करते हैं, एक साथ सव उनके दय से
जागृत हाेकर ेरक के प में काय करता है। हाथ उसके काय का तीक है,
यही चतभुज है।

ीकृण ने कहा– अजुन तेरे सवाय मेरे इस प काे न काेई देख सका
है अाैर न भवय में काेई देख सकेगा। तब गीता ताे हमारे लये यथ है।
कत नहीं, याेगे र कहते हैं– एक उपाय है। जाे मेरा अनय भ है, मेरे
सवाय जाे दूसरे कसी का रण न करके िनरतर मेरा ही चतन करनेवाला
है, उसक अनय भ के ारा मैं य देखने काे (जैसा तूने देखा है),
त व से जानने काे अाैर वेश करने काे भी सलभ ँ। अथात् अजुन अनय
भ था। भ का परमाजत प है अनुराग, इ के अनुप लगाव।
‘मलहं न रघुपित बनु अनुरागा।’ (रामचरतमानस, ७/६१/१)– अनुरागवहीन
पुष न कभी पाया है अाैर न पा सकेगा। अनुराग नहीं है ताे काेई लाख याेग
करे , जप करे , तप करे या दान करे , ‘वह’ नहीं मलता। अत: इ के अनुप
राग अथवा अनय भ िनतात अावयक है।

अत में ीकृण ने कहा– अजुन मेरे ारा िनद कम काे कर, मेरा
अनय भ हाेकर कर, मेर शरण हाेकर कर; कत संगदाेष से अलग
रहकर। संगदाेष में यह कम हाे ही नहीं सकता। अत: संगदाेष इस कम के
सपादत हाेने में बाधक है। जाे बैरभाव से रहत है, वही मुझे ा करता है।
जब संगदाेष नहीं है, जहाँ हमें छाेड़कर दूसरा काेई है ही नहीं, बैर का
मानसक संकप भी नहीं है ताे यु कैसा बाहर दुिनया में लड़ाई-झगड़े हाेते
रहते हैं; कत वजय जीतनेवालाें काे भी नहीं मलती। दुजय संसारपी शु
काे असंगतापी श से काटकर परम में वेश पा जाना ही वातवक वजय
है, जसके पीछे हार नहीं है।

इस अयाय में पहले ताे याेगे र ीकृण ने अजुन काे  दान क,
फर अपने व प का दशन कराया। अत:–

ॐ तसदित ीम गव तासूपिनषस  व ायां याेगशाे ीकृणाजुनसवादे


‘व पदशनयाेगाे’ नामैकादशाेऽयाय:।।११।।

इस कार ीम गव तापी उपिनषद् एवं  व ा तथा याेगशा


वषयक ीकृण अाैर अजुन के सवाद में ‘व पदशन याेग’ नामक
यारहवाँ अयाय पूण हाेता है।

इित ीमपरमहंसपरमानदय शय वामीअड़गड़ानदकृते ीम गव ताया:


‘यथाथगीता’ भाये ‘व पदशनयाेगाे’ नामैकादशाेऽयाय:।।११।।

इस कार ीमत् परमहंस परमानदजी के शय वामी अड़गड़ानदकृत


‘ीम गव ता’ के भाय ‘यथाथ गीता’ में ‘व पदशन याेग’ नामक
यारहवाँ अयाय पूण हाेता है।

।। हर: ॐ तसत् ।।
।। ॐ ी परमाने नम: ।।
।। अथ ादशाेऽयाय: ।।
एकादश अयाय के अत में ीकृण ने बार-बार बल दया क– अजुन
मेरा यह वप जसे तूने देखा, तेरे सवाय न पहले कभी देखा गया है अाैर
न भवय में काेई देख सकेगा। मैं न तप से, न य से अाैर न दान से ही
देखे जाने काे सलभ ँ; कत अनय भ के ारा अथात् मेरे अितर
अय कहीं  ा बखरने न पाये, िनरतर तैलधारावत् मेरे चतन के ारा
ठक इसी कार जैसा तूने देखा, मैं य देखने के लये, त व से साात्
जानने के लये अाैर वेश करने के लये भी सलभ ँ। अत: अजुन िनरतर
मेरा ही चतन कर, भ बन। अजुन तू मेरे ही ारा िनधारत कये गये कम
काे कर। ‘मपरम:’– अपत मेरे परायण हाेकर कर। अनय भ ही उनक
ाि का मायम है। इस पर अजुन का  वाभावक है क जाे अय
अर क उपासना करते हैं अाैर जाे सगुण अापक उपासना करते हैं, इन
दाेनाें में े काैन है

यहाँ इस  काे अजुन ने तीसर बार उठाया है। अयाय तीन में उसने
कहा– भगवन् यद िनकाम कमयाेग क अपेा सांययाेग अापकाे े माय
है, ताे अाप मुझे भयंकर कमाे में ाें लगाते हैं इस पर ीकृण ने कहा–
अजुन िनकाम कममाग अछा लगे चाहे ानमाग, दाेनाें ही याें से कम
ताे करना ही पड़ेगा। इतने पर भी जाे इयाें काे हठ से राेककर मन से
वषयाें का रण करता है वह दाचार है, ानी नहीं। अत: अजुन तू कम
कर। काैन-सा कम करे , ताे ‘िनयतं कु कम वम्’– िनधारत कये ए कम
काे कर। िनधारत कम ा है ताे बताया– य क या ही एकमा कम
है। य क वध काे बताया, जाे अाराधना-चतन क वध-वशेष है, परम में
वेश दलानेवाल या है। जब िनकाम कममाग अाैर ानमाग दाेनाें में ही
कम करना है, याथ कम करना है, या एक ही है ताे अतर कैसा भ
कमाे का समपण करके इ के अात हाेकर याथ कम में वृ हाेता है,
ताे दूसरा सांययाेगी अपनी श काे समझकर (अपने भराेसे) उसी कम में
वृ हाेता है, पूरा म करता है।

अयाय पाँच में अजुन ने पुन:  कया– भगवन् अाप कभी सांय-
मायम से कम करने क शंसा करते हैं, ताे कभी समपण-मायम से िनकाम
कमयाेग क शंसा करते हैं– इन दाेनाें में े काैन है यहाँ तक अजुन
समझ चुका है क कम दाेनाें याें से करना हाेगा, फर भी दाेनाें में े
माग वह चुनना चाहता है। ीकृण ने कहा– अजुन दाेनाें ही याें से कम
में वृ हाेनेवाले मुझकाे ही ा हाेते हैं; कत सांयमाग क अपेा
िनकाम कममाग े है। िनकाम कमयाेग का अनुान कये बना न काेई
याेगी हाेता है अाैर न ानी। सांययाेग दुकर है, उसमें कठनाइयाँ अधक
हैं।

यहाँ तीसर बार अजुन ने यही  रखा क– भगवन् अापमें अनय
भ से लगनेवाले अाैर अय अर क उपासना से (सांयमाग से)
लगनेवाले , इन दाेनाें में े काैन है
अजुन उवाच

एवं सततयुा ये भावां पयुपासते।


ये चायरमयं तेषां के याेगव मा:।।१।।

‘एवं’ अथात् इस कार जाे अभी-अभी अापने वध बतायी है, ठक इसी
वध के अनुसार अनय भ से जाे अापक शरण ले कर, अापसे िनरतर
संयु हाेकर अापकाे भल कार उपासते हैं अाैर दूसरे जाे अापक शरण न
ले कर वत प से अपने भराेसे उसी अय अाैर अय वप क
उपासना करते हैं, जसमें अाप भी थत हैं– इन दाेनाें कार के भाें में
अधक उ म याेगवे ा काैन है इस पर याेगे र ीकृण ने कहा–

ीभगवानुवाच

मयावेय मनाे ये मां िनययुा उपासते।


 या परयाेपेताते मे युतमा मता:।।२।।

अजुन मुझमें मन काे एका करके िनरतर मुझसे संयु ए जाे


भजन परम से सबध रखनेवाल े  ा से यु हाेकर मुझे भजते हैं, वे
मुझे याेगयाें में भी अित उ म याेगी माय हैं।

ये वरमिनदेयमयं पयुपासते।
सवगमचयं च कूटथमचलं वम्।।३।।
स ययेयामं सव समबु य:।
ते ावत मामेव सवभूतहते रता:।।४।।
जाे पुष इयाें के समुदाय काे भल कार संयत करके मन-बु के
चतन से अयत परे , सवयापी, अकथनीय वप, सदा एकरस रहनेवाले ,
िनय, अचल, अय, अाकाररहत अाैर अवनाशी  क उपासना करते हैं,
सपूण भूताें के हत में लगे ए अाैर सबमें समान भाववाले वे याेगी भी मुझे
ही ा हाेते हैं।  के उपयु वशेषण मुझसे भ नहीं हैं। कत–

ेशाेऽधकतरतेषामयासचेतसाम्।
अया ह गितदु:खं देहव रवायते।।५।।

उन अय परमाा में अास ए च वाले पुषाें के साधन में ेश


वशेष है; ाेंक देहाभमािनयाें ारा अय वषयक गित दु:खपूवक ा क
जाती है। जब तक देह का भान है, तब तक अय क ाि दुकर है।

ु थे। अय परमाा उनमें य था। वे कहते हैं


याेगे र ीकृण स 
क महापुष क शरण न ले कर जाे साधक अपनी श समझते ए अागे
बढ़ता है क– मैं इस अवथा में ँ, अागे इस अवथा में जाऊँगा, मैं अपने
ही अय वप काे ा हाेऊँगा, वह मेरा ही प हाेगा, मैं वही ँ। इस
कार साेचते, ाि क तीा न करके अपने शरर काे ही ‘साेऽहं’ कहने
लगता है। यही इस माग क सबसे बड़ बाधा है। वह ‘दु:खालयम् अशा तम्’
में ही घूम-फरकर खड़ा हाे जाता है। कत जाे मेर शरण ले कर चलता है
वह–

ये त सवाण कमाण मय स यय मपरा:।


अनयेनैव याेगेन मां यायत उपासते।।६।।
जाे मेरे परायण हाेकर सपूण कमाे अथात् अाराधना काे मुझमें अपण
करके अनय भाव से याेग अथात् अाराधना-या के ारा िनरतर चतन
करते ए भजते हैं–

तेषामहं समु ता मृयुसंसारसागरात्।


भवाम नचरापाथ मयावेशतचेतसाम्।।७।।

केवल मुझमें च लगानेवाले उन भाें का मैं शी ही मृयुप संसार-


सागर से उ ार करनेवाला हाेता ँ। इस कार च लगाने क ेरणा अाैर
वध पर याेगे र काश डालते हैं–

मयेव मन अाधव मय बु ं िनवेशय।


िनवसयस मयेव अत ऊव न संशय:।।८।।

इसलये अजुन तू मुझमें मन लगा, मुझमें ही बु लगा। इसके उपरात


तू मुझमें ही िनवास करे गा, इसमें कुछ भी संशय नहीं है। मन अाैर बु भी
न लगा सके, तब (अजुन ने पीछे कहा भी है क मन काे राेकना ताे मैं वायु
क तरह दुकर समझता ँ) इस पर याेगे र ीकृण कहते हैं–

अथ च ं समाधातं न शकाेष मय थरम्।


अयासयाेगेन तताे मामछा ुं धन य।।९।।

यद तू मन काे मुझमें अचल थापत करने में समथ नहीं है, ताे हे
अजुन याेग के अयास ारा मुझे ा हाेने क इछा कर। (जहाँ भी च
जाय, वहाँ से घसीटकर उसे अाराधना, चतन-या में लगाने का नाम
अयास है) यद यह भी न कर पाये ताे –

अयासेऽयसमथाेऽस मकमपरमाे भव।


मदथमप कमाण कुवस मवायस।।१०।।

यद तू अयास में भी असमथ है ताे केवल मेरे लये कम कर अथात्
अाराधना करने में तपर हाे जा। इस कार मेर ाि के लये कमाे काे
करता अा तू मेर ाि पी स काे ही ा हाेगा। अथात् अयास भी पार
न लगे ताे साधना-पथ में लगे भर रहाे।

अथैतदयशाेऽस कत म ाेगमात:।


सवकमफलयागं तत: कु यतावान्।।११।।

यद इसे भी करने में असमथ है ताे सपूण कमाे के फल का याग कर


अथात् लाभ-हािन क चता छाेड़कर ‘म ाेग’ के अात हाेकर अथात् समपण
के साथ अावान् महापुष क शरण में जा। उनसे ेरत हाेकर कम वत:
हाेने लगेगा। समपण के साथ कमफल के याग का मह व बताते ए याेगे र
ीकृण कहते हैं–

ेयाे ह ानमयासााना ानं वशयते।


यानाकमफलयागयागाछातरनतरम्।।१२।।

केवल च काे राेकने के अयास से ानमाग से कम में वृ हाेना े
है। ान-मायम से कम काे कायप देने क अपेा यान े है; ाेंक
यान में इ रहता ही है। यान से भी सपूण कमाे के फल का याग े है;
ाेंक इ के ित समपण के साथ ही याेग पर  रखते ए कमफल का
याग करने से उसके याेगेम क जेदार इ क हाे जाती है। इसलये
इस याग से वह तकाल ही परमशात काे ा हाे जाता है।

अभी तक याेगे र ीकृण ने बताया क अय क उपासना करनेवाले


ानमागी से समपण के साथ कम करनेवाला िनकाम कमयाेगी े है। दाेनाें
एक ही कम करते हैं; कत ानमागी के पथ में यवधान अधक हैं। उसके
लाभ-हािन क जेदार वयं पर रहती है, जबक समपत भ क
जेदार महापुष पर हाेती है, इसलये वह कमफलयाग ारा शी ही
शात काे ा हाेता है। अब शाता पुष के लण बताते हैं–

अेा सवभूतानां मै: कण एव च।


िनममाे िनरहार: समदु:खसख: मी।।१३।।

इस कार शात काे ा अा जाे पुष सब भूताें में ेषभाव से रहत,
सबका ेमी अाैर हेतरहत दयाल है अाैर जाे ममता से रहत, अहंकार से
रहत, सख-दु:ख क ाि में सम तथा मावान् है,

सत: सततं याेगी यताा ढिनय:।


मयपतमनाेबु याे म : स मे य:।।१४।।

जाे िनरतर याेग क पराकाा से संयु है, लाभ तथा हािन में सत है,
मन तथा इयाेंसहत शरर काे वश में कये ए है, ढ़ िनयवाला है, वह
मुझमें अपत मन-बु वाला मेरा भ मुझे य है।
या ाेजते लाेकाे लाेका ाेजते च य:।
हषामषभयाेेगैमुाे य: स च मे य:।।१५।।

जससे काेई भी जीव उेग काे ा नहीं हाेता अाैर जाे वयं भी कसी
जीव से उ नहीं हाेता एवं हष, सताप, भय अाैर समत वाेभाें से मु
है, वह भ मुझे य है।

साधकाें के लये यह ाेक अयत उपयाेगी है। उहें इस ढं ग से रहना


चाहये क उनके ारा कसी के मन काे ठे स न लगे। इतना ताे साधक कर
सकते हैं; कत दूसरे लाेग इस अाचरण से नहीं चलें गे। वे ताे संसार हैं ही,
वे ताे अाग उगलें गे, कुछ भी कहेंगे; कत पथक काे चाहये क अपने दय
में उनके ारा (उनके अाघाताें से) भी उथल-पुथल न हाेने दे। चतन में सरत
लगी रहे, म न टू टे। उदाहरण के लये अाप वयं सड़क पर िनयमानुकूल
बायें से चल रहे हैं, काेई मदरा पीकर चला अा रहा है, उससे बचना भी
अापक जेदार है।

अनपे: शचद उदासीनाे गतयथ:।


सवारपरयागी याे म : स मे य:।।१६।।

जाे पुष अाकांाअाें से रहत, सवथा पव है, ‘द:’ अथात् अाराधना
का वशेष है (एेसा नहीं क चाेर करता हाे ताे द है। ीकृण के अनुसार
कम एक ही है, िनयत कम– अाराधना-चतन, उसमें जाे द है), जाे प-
वप से परे है, दु:खाें से मु है, सभी अाराें का यागी वह मेरा भ
मुझे य है। करने याेय काेई या उसके ारा अार हाेने के लये शेष
नहीं रहती।
याे न यित न े न शाेचित न काित।
शभाशभपरयागी भमाय: स मे य:।।१७।।

जाे न कभी हषत हाेता है, न ेष करता है, न शाेक करता है, न कामना
ही करता है तथा जाे शभ अाैर अशभ सपूण कमाे के फल का यागी है,
जहाँ काेई शभ वलग नहीं है, अशभ शेष नहीं है, भ क इस पराकाा से
यु वह पुष मुझे य है।

सम: शाै च मे च तथा मानापमानयाे:।


शीताेणसखदु:खेषु सम: सववजत:।।१८।।

जाे पुष शु अाैर म में, मान तथा अपमान में सम है, जसके
अत:करण क वृ याँ सवथा शात हैं, जाे सद-गमी, सख-दु:खाद ाें में
सम अाैर अासरहत है तथा–

तयिनदातितमाैनी सताे येन केनचत्।


अिनकेत: थरमितभमाे याे नर:।।१९।।

जाे िनदा तथा तित काे समान समझनेवाला है, मननशीलता क चरम
सीमा पर पँचकर जसक मनसहत इयाँ शात हाे चुक हैं, जस कसी
कार शरर-िनवाह हाेने में जाे सदैव सत है, जाे अपने िनवास-थान में
ममता से रहत है, भ क पराकाा पर पँचा अा वह थरबु वाला
पुष मुझे य है।

ये त धयामृतमदं यथाें पयुपासते।


 धाना मपरमा भातेऽतीव मे या:।।२०।।

जाे मेरे परायण ए हादक  ायु पुष इस उपयु धममय अमृत का


भल कार सेवन करते हैं, वे भ मुझे अितशय य हैं।

िनकष—

गत अयाय के अत में याेगे र ीकृण ने कहा क– अजुन तेरे सवाय
न काेई पाया है, न पा सकेगा– जैसा तूने देखा; कत अनय भ अथवा
अनुराग से जाे भजता है, वह इसी कार मुझे देख सकता है, त व के साथ
मुझे जान सकता है अाैर मुझमें वेश भी पा सकता है। अथात् परमाा एेसी
स ा है, जसकाे पाया जाता है। अत: अजुन भ बन।

अजुन ने इस अयाय में  कया क– भगवन् अनय भाव से जाे


अापका चतन करते हैं अाैर दूसरे वे जाे अर अय क उपासना करते हैं,
इन दाेनाें में उ म याेगवे ा काैन है याेगे र ीकृण ने बताया क दाेनाें मुझे
ही ा हाेते हैं; ाेंक मैं अय वप ँ। कत जाे इयाें काे वश में
रखते ए मन काे सब अाेर से समेटकर अय परमाा में अास हैं,
उनके पथ में ेश वशेष हैं। जब तक देह का अयास (भान) है, तब तक
अय वप क ाि दु:खपूण है; ाेंक अय वप ताे च के
िनराेध अाैर वलयकाल में मले गा। उसके पूव उसका शरर ही बीच में बाधक
बन जाता है। ‘मैं ँ, मैं ँ’, ‘मुझे पाना है’– कहते-कहते अपने शरर क ही
अाेर घूम जाता है। उसके लड़खड़ाने क अधक सावना है। अत: अजुन तू
सपूण कमाे काे मुझमें अपण करके अनय भ से मेरा चतन कर। जाे मेरे
परायण भजन सपूण कमाे काे मुझमें अपण करके मानव शररधार मुझ
सगुण याेगी के प का यान ारा तैलधारावत् िनरतर चतन करते हैं,
उनका मैं शी ही संसार-सागर से उ ार करनेवाला हाे जाता ँ। अत:
भमाग े है।

अजुन मुझमें मन काे लगा। मन न लगे ताे भी लगाने का अयास कर।


जहाँ भी च जाय, पुन: घसीटकर उसका िनराेध कर। यह भी करने में
असमथ है ताे तू कम कर। कम एक ही है, याथ कम। तू कायम् कम करता
भर जा, दूसरा न कर। उतना ही कर, पार लगे चाहे न लगे। यद यह भी
करने में असमथ है ताे थत, अावान्, त व महापुष क शरण हाेकर
सपूण कमफलाें का याग कर। एेसा याग करने से तू परमशात काे ा हाे
जायेगा।

तपात् परमशात काे ा ए भ के लण बताते ए याेगे र


ीकृण ने कहा– जाे सपूण भूताें में ेषभाव से रहत है, जाे कणा से यु
अाैर दयाल है, ममता अाैर अहंकार से रहत है, वह भ मुझे य है। जाे
यान-याेग में िनरतर तपर अाैर अावान्, अाथत है, वह भ मुझे य
है। जससे न कसी काे उेग ा हाेता है अाैर वयं भी जाे कसी से उेग
काे ा नहीं हाेता, एेसा भ मुझे य है। जाे श है, द है, यथाअाें से
उपराम है, सवाराें काे यागकर जसने पार पा लया है, एेसा भ मुझे
य है। सपूण कामनाअाें का यागी अाैर शभाशभाें का पार पानेवाला भ
मुझे य है। जाे िनदा अाैर तित में समान अाैर माैन है, मनसहत जसक
इयाँ शात अाैर माैन हैं, जाे कसी भी कार शरर-िनवाह में सत अाैर
रहने के थान में ममता से रहत है, शरर-रा में भी जसक अास नहीं
है, एेसा थत भमान् पुष मुझे य है।
इस कार ाेक यारह से उ ीस तक याेगे र ीकृण ने शाता
याेगयु भ क रहनी पर काश डाला, जाे साधकाें के लये उपादेय है।
अत में िनणय देते ए उहाेंने कहा– अजुन जाे मेरे परायण ए अनय  ा
से यु पुष इस ऊपर कहे ए धममय अमृत काे िनकामभाव से भल
कार अाचरण में ढालते हैं, वे भ मुझे अितशय य हैं। अत: समपण के
साथ इस कम में वृ हाेना ेयतर है; ाेंक उसके हािन-लाभ क
ु अपने ऊपर ले ले ते हैं। यहाँ ीकृण ने वपथ
जेदार वह इ स 
महापुष के लण बताये, उनक शरण में जाने काे कहा अाैर अत में अपनी
शरण में अाने क ेरणा देकर उन महापुषाें के समक अपने काे घाेषत
कया। ीकृण एक याेगी, महाा थे।

इस अयाय में भ काे े बताया गया, अत: इस अयाय का


नामकरण ‘भयाेग’ युसंगत है।

ॐ तसदित ीम गव तासूपिनषस  व ायां याेगशाे ीकृणाजुनसवादे


‘भयाेगाे’ नाम ादशाेऽयाय:।।१२।।

इस कार ीम गव तापी उपिनषद् एवं  व ा तथा याेगशा


वषयक ीकृण अाैर अजुन के संवाद में ‘भयाेग’ नामक बारहवाँ अयाय
पूण हाेता है।

इित ीमपरमहंसपरमानदय शय वामीअड़गड़ानदकृते ीम गव ताया:


‘यथाथगीता’ भाये ‘भयाेगाे’ नाम ादशाेऽयाय:।।१२।।

इस कार ीमत् परमहंस परमानदजी के शय वामी अड़गड़ानदकृत


‘ीम गव ता’ के भाय ‘यथाथ गीता’ में ‘भयाेग’ नामक बारहवाँ अयाय
पूण हाेता है।

।। हर: ॐ तसत् ।।
।। ॐ ी परमाने नम: ।।
।। अथ याेदशाेऽयाय: ।।
गीता के अार में ही धृतरा का  है– संजय धमे में तथा कुे
में यु क इछा से एक ए मेरे अाैर पाडपुाें ने ा कया कत अभी
तक यह नहीं बताया गया क वह े है कहाँ जन महापुष ने जस े
में यु बताया, वयं ही उस े का तत अयाय में िनणय देते हैं क वह
े वतत: है कहाँ

ीभगवानुवाच

इदं शररं काैतेय ेमयभधीयते।


एत ाे वे तं ा: े इित तद:।।१।।

काैतेय यह शरर ही एक े है अाैर इसकाे जाे भल कार जानता है,
वह े है। वह उसमें फँ सा नहीं है बक उसका संचालक है। एेसा उस
त व काे वदत करनेवाले महापुषाें ने कहा है।

शरर ताे एक ही है, इसमें धमे अाैर कुे ये दाे े कैसे वतत:
इस एक ही शरर के अतराल में अत:करण क दाे वृ याँ पुरातन हैं। एक
ताे परमधम परमाा में वेश दलानेवाल पुयमयी वृ दैवी सपद् है अाैर
दूसर है अासर सपद्– दूषत काेण से जसका गठन है, जाे न र
संसार में व ास दलाती है। जब अासर सपद् का बाय हाेता है ताे यही
शरर ‘कुे’ बन जाता है अाैर इसी शरर के अतराल में जब दैवी सपद्
का बाय हाेता है ताे यही शरर ‘धमे’ कहलाता है। यह चढ़ाव-उतार
बराबर लगा रहता है; कत त वदशी महापुष के सा य में जब काेई
अनय भ ारा अाराधना में वृ हाेता है ताे इन दाेनाें वृ याें में
िनणायक यु का सूपात हाे जाता है। मश: दैवी सपद् का उथान अाैर
अासर सपद् का शमन हाे जाता है। अासर सपद् के सवथा शमन के
उपरात परम के ददशन क अवथा अाती है। दशन के साथ ही दैवी सपद्
क अावयकता समा हाे जाती है, अत: वह भी परमाा में वत: वलन
हाे जाती है। भजनेवाला पुष परमाा में वेश पा जाता है। यारहवें अयाय
में अजुन ने देखा क काैरव-प के अनतर पाडव-प के याे ा भी याेगे र
में वलन हाेते जा रहे हैं। इस वलय के पात् पुष का जाे वप है, वही
े है। अागे देखें–

ें चाप मां व सवेेषु भारत।


ेेयाेानं य ानं मतं मम।।२।।

हे अजुन तू सब ेाें में े मुझे ही जान अथात् मैं भी े ँ। जाे
इस े काे जानता है, वह े है– एेसा उसे साात् जाननेवाले महापुष
कहते हैं अाैर ीकृण कहते हैं क– मैं भी े ँ अथात् ीकृण भी एक
याेगे र ही थे। े अाैर े अथात् वकारसहत कृित अाैर पुष काे
त व से जानना ही ान है, एेसा मेरा मत है अथात् सााकारसहत इनक
जानकार का नाम ान है। काेर बहस का नाम ान नहीं है।
तें य या  यकार यत यत्।
स च याे यभाव तसमासेन मे णु।।३।।

वह े जैसा है अाैर जन वकाराेंवाला है तथा जस कारण से अा है


तथा वह े भी जाे है अाैर जस भाववाला है, वह सब मुझसे संेप में
सन। अथात् े वकारवाला है, कसी कारण से अा है, जबक े
केवल भाववाला है। मैं ही कहता ँ– एेसी बात नहीं है, ऋष भी कहते हैं–

ऋषभबधा गीतं छदाेभववधै: पृथक्।


 सूपदैैव हेतम विनतै:।।४।।

यह े अाैर े का त व ऋषयाें ारा बत कार से गायन कया


गया है। नाना कार से वेदाें क म णा ारा वभाजत करके भी कहा गया है
तथा वशेष प से िनत कये ए युयु  सू के वााें ारा भी वही
कहा गया है। अथात् वेदात, महष,  सू अाैर हम एक ही बात कहने जा
रहे हैं। ीकृण वही कहते हैं, जाे इन सबने कहा है। ा शरर (े) इतना
ही है, जतना दखायी देता है इस पर कहते हैं–

महाभूतायहाराे बु रयमेव च।


इयाण दशैकं च प चेयगाेचरा:।।५।।

अजुन पंच महाभूत (ित, जल, पावक, गगन अाैर समीर), अहंकार,
बु अाैर च (च का नाम न ले कर उसे अय परा कृित कहा गया
अथात् मूल कृित पर काश डाला गया है, जसमें परा कृित भी सलत
है, उपयु अाठाें अधा मूल कृित है) तथा दस इयाँ (अाँख, कान, नाक,
वचा, ज ा, वाक्, हाथ, पैर, उपथ तथा गुदा), एक मन अाैर पाँच इयाें
के वषय (प, रस, गध, शद अाैर पश) तथा–

इछा ेष: सखं दु:खं सातेतना धृित:।


एतें समासेन सवकारमुदातम्।।६।।

इछा, ेष, सख, दु:ख अाैर सबका समूह थूल देह का यह पड, चेतना
अाैर धैय– इस कार यह े वकाराेंसहत संेप में कहा गया। संेप में
यही े का वप है, जसमें बाेया अा भला अाैर बुरा बीज संकाराें के
प में उगता है। शरर ही े है। शरर में गारा-मसाला कस वत का है
ताे यही पाँच त व, दस इयाँ, एक मन इयाद– जैसा लण ऊपर गनाया
गया है। इन सबका सामूहक संघात पड शरर है। जब तक ये वकार रहेंगे,
तब तक यह पड भी व मान रहेगा, इसलये क यह वकाराें से बना है।
अब उस े का वप देखें, जाे इस े में ल नहीं बक इससे
िनवृ है–

अमािनवमदवमहंसा ातराजवम्।
अाचायाेपासनं शाैचं थैयमाविनह:।।७।।

हे अजुन मान-अपमान का अभाव, दाचरण का अभाव, अहंसा (अथात्


अपनी तथा अय कसी क अाा काे क न देना अहंसा है। अहंसा का
अथ केवल इतना ही नहीं है क चींट मत माराे। ीकृण ने कहा क अपनी
अाा काे अधाेगित में न पँचाअाे। उसकाे अधाेगित में पँचाना हंसा है अाैर
उसका उथान ही श अहंसा है। एेसा पुष अय अााअाें के उथानहेत भी
उुख रहता है। हाँ, इसका अार कसी काे ठे स न पँचाने से हाेता है।
यह उसी का एक अंग-यंग है), माभाव, मन-वाणी क सरलता,
अाचायाेपासना अथात्  ा-भसहत स 
ु क सेवा अाैर उनक उपासना,
पवता, अत:करण क थरता, मन अाैर इयाेंसहत शरर का िनह
अाैर–

इयाथेषु वैरायमनहार एव च।
जमृयुजरायाधदु:खदाेषानुदशनम्।।८।।

इस लाेक अाैर परलाेक के देखे-सने भाेगाें में अास का अभाव, अहं का


अभाव तथा ज, मृयु, वृ ावथा, राेग अाैर भाेगाद में दु:ख-दाेष का
बारबार चतन,

असरनभव: पुदारगृहादषु।
िनयं च समच वमािनाेपप षु।।९।।

पु, ी, धन अाैर गृहाद में अास का अभाव, य तथा अय क
ाि में च का सदैव सम रहना (े क साधना ी-पुाद गृहथी क
परथितयाें में ही अार हाेती है।) अाैर–

मय चानययाेगेन भरयभचारणी।


ववदेशसेववमरितजनसंसद ।।१०।।

मुझमें (ीकृण एक याेगी थे अथात् एेसे कसी महापुष में) अनय याेग
से अथात् याेग के अितर अय कुछ भी रण न करते ए, अयभचारणी
भ (इ के अितर कसी चतन का न अाना), एकात थान का सेवन,
मनुयाें के समूह में रहने क अास का न हाेना तथा–

अयाानिनयवं त वानाथदशनम्।
एतानमित ाेमानं यदताेऽयथा।।११।।

अाा के अाधपयवाले ान में एकरस थित अाैर त वान के


अथवप परमाा का सााकार– यह सब ताे ान है अाैर इससे जाे
वपरत है, वह सब अान है– एेसा कहा गया है। उस परमत व परमाा के
सााकार के साथ मलनेवाल जानकार का नाम ान है। (अयाय चार में
उहाेंने कहा क य के पूितकाल में य जसे शेष छाेड़ता है, उस ानामृत
का पान करनेवाला सनातन  में वेश पा जाता है। अत:  के
सााकार के साथ मलनेवाल जानकार ान है। यहाँ भी वही कहते हैं क
त ववप परमाा के सााकार का नाम ान है।) इसके वपरत सब
अान है। अमािनव इयाद उपयु लण इस ान के पूरक हैं। यह 
पूरा अा।

ेयं य वयाम यावामृतमते।


अनादमपरं  न स ासदुयते।।१२।।

अजुन जाे जानने याेय है तथा जसे जानकर मरणधमा मनुय अमृतत व
काे ा हाेता है, उसे अछ कार कँगा। वह अादरहत परम न सत्
कहा जाता है अाैर न असत् ही कहा जाता है; ाेंक जब तक वह अलग है,
तब तक वह सत् है अाैर जब मनुय उसमें समाहत हाे गया ताे काैन कससे
कहे। एक ही रह जाता है, दूसरे का भान नहीं। एेसी थित में वह  न
सत् है, न असत् है; बक जाे वयं सहज है, वही है।

सवत:पाणपादं तसवताेऽशराेमुखम्।
सवत:ुितम ाेके सवमावृय ितित।।१३।।

वह  सब अाेर से हाथ-पैरवाला, सब अाेर से ने, सर अाैर मुखवाला


तथा सब अाेर से ाेवाला है-सननेवाला है; ाेंक वह संसार में सबकाे
या करके थत है।

सवेयगुणाभासं सवेयववजतम्।
असं सवभृ ैव िनगुणं गुणभाेकृ च।।१४।।

वह सपूण इयाें के वषयाें काे जाननेवाला है, फर भी सब इयाें से


रहत है। वह अासरहत, गुणाें से अतीत हाेेने पर भी सबकाे धारण अाैर
पाेषण करनेवाला अाैर सभी गुणाें काे भाेगनेवाला है अथात् एक-एक करके
सभी गुणाें काे अपने में लय कर ले ता है। जैसा ीकृण कह अाये हैं क य
अाैर तपाें काे भाेगनेवाला मैं ँ। अत में सपूण गुण मुझमें वलन हाे जाते
हैं।

बहरत भूतानामचरं चरमेव च।


सूवा दवेयं दूरथं चातके च तत्।।१५।।

वह  सभी जीवधारयाें के बाहर-भीतर परपूण है। चर अाैर अचर प


भी वही है। सू हाेने से वह दखायी नहीं पड़ता, अवेय है, मन-इयाें से
परे है तथा अित समीप अाैर दूर भी वही है।

अवभं च भूतेषु वभमव च थतम्।


भूतभतृ च तेयं सणु भवणु च।।१६।।

अवभाय हाेकर भी वह सपूण चराचर भूताें में अलग-अलग के स श


तीत हाेता है। वह जानने याेय परमाा समत भूताें काे उप करनेवाला,
भरण-पाेषण करनेवाला अाैर अत में संहार करनेवाला है। यहाँ बा अाैर
अातरक दाेनाें भावाें क अाेर संकेत कया गया है। जैसे–बाहर ज अाैर
भीतर जागृित, बाहर पालन अाैर भीतर याेगेम का िनवाह, बाहर शरर का
परवतन अाैर भीतर सवव का वलय अथात् भूताें क उप के कारणाें का
लय अाैर उस लय के साथ ही अपने वप काे ा हाे जाता है। यह सब
उसी  के लण हैं।

याेितषामप त ाेिततमस: परमुयते।


ानं ेयं ानगयं द सवय वतम्।।१७।।

वह ेय  याेितयाें का भी याेित है, तम से अित परे कहा जाता है।


वह पूण ानवप है, पूण ाता है, जानने याेय है अाैर ान ारा ही ा
हाेनेवाला है। सााकार के साथ मलनेवाल जानकार का नाम ान है। एेसी
जानकार ारा ही उस  का ा हाेना सव है। वह सबके दय में
थत है। उसका िनवास थान दय है। अय ढूँ ढ़ने पर वह नहीं मले गा।
अत: दय में यान तथा याेगाचरण ारा ही उस  क ाि का वधान है।

इित ें तथा ानं ेयं चाें समासत:।


म  एताय म ावायाेपप ते।।१८।।

हे अजुन बस इतना ही े, ान तथा जानने याेय परमाा का वप


संेप में कहा गया है। इसे जानकर मेरा भ मेरे साात् वप काे ा
हाेता है।

अभी तक याेगे र ीकृण ने जसे े कहा था, उसी काे अब ‘कृित’
अाैर जसे े कहा था, उसी काे अब ‘पुष’ शद से इं गत करते हैं–

कृितं पुषं चैव व नाद उभावप।


वकारां गुणांैव व कृितसवान्।।१९।।

यह कृित अाैर पुष दाेनाें काे ही तू अनाद जान तथा सपूण वकार
िगुणमयी कृित से ही उप अा जान।

कायकरणकतृवे हेत: कृितयते।


पुष: सखदु:खानां भाे ृवे हेतयते।।२०।।

काय अाैर करण (जनके ारा शभ काय कये जाते हैं–ववेक, वैराय
इयाद तथा अशभ काय हाेने में काम, ाेध इयाद करण हैं) काे उप
करने में हेत कृित कही जाती है अाैर यह पुष सख-दु:खाें काे भाेगने में
कारण कहा जाता है।  उठता है क ा वह भाेगता ही रहेगा या इससे
कभी टकारा भी मले गा जब कृित अाैर पुष दाेनाें ही अनाद हैं, तब
काेई इनसे टे गा कैसे इस पर कहते हैं–

पुष: कृितथाे ह भुे कृितजागुणान्।


कारणं गुणसाेऽय सदस ाेेिनजस।।२१।।

कृित के बीच में खड़ा हाेनेवाला पुष ही कृित से उप ए गुणाें के


कायप पदाथाे काे भाेगता है अाैर इन गुणाें का संग ही इस जीवाा के
अछ तथा बुर याेिनयाें में ज ले ने का कारण है। यह कारण अथात् कृित
के गुणाें का संग समा हाेने पर ही ज-मृयु से मु मलती है। अब उस
पुष पर काश डालते हैं क वह कस कार कृित में खड़ा है –

उपानुमता च भता भाेा महे र:।


परमाेित चायुाे देहेऽपुष: पर:।।२२।।

वह पुष उपा, दय-देश में बत ही समीप– हाथ, पाँव, मन जतना


अापके समीप है उससे भी अधक समीप ा के प में थत है। उसके
काश में अाप भला करें , बुरा करें , उसे काेई याेजन नहीं है। वह साी के
प में खड़ा है। साधना का सही म पकड़ में अाने पर पथक कुछ ऊपर
उठा, उसक अाेर बढ़ा ताे ा पुष का म बदल जाता है, वह ‘अनुमता’–
अनुमित दान करने लगता है, अनुभव देने लगता है। साधना ारा अाैर
समीप पँचने पर वही पुष ‘भता’ बनकर भरण-पाेषण करने लगता है,
जसमें अापके याेगेम क भी यवथा कर देता है। साधना अाैर सू हाेने
पर वही ‘भाेा’ हाे जाता है। ‘भाेारं य तपसाम्’– य, तप जाे कुछ भी
बन पड़ता है, सबकाे वह पुष हण करता है। अाैर जब हण कर ले ता है,
उसके बादवाल अवथा में ‘महे र:’– महान् ई र के प में परणत हाे
जाता है। वह कृित का वामी बन जाता है; कत अभी कहीं कृित जीवत
है तभी उसका मालक है। इससे भी उ त अवथा में वही पुष ‘परमाेित
चायुाे’– जब परम से संयु हाे जाता है, तब परमाा कहलाता है। इस
कार शरर में रहते ए भी वह पुष अाा ‘पर:’ ही है, सवथा इस कृित
से परे ही है। अतर इतना ही है क अार में वह ा के प में था,
मश: उथान हाेते-हाेते परम का पश कर परमाा के प में परणत हाे
जाता है।

य एवं वे पुषं कृितं च गुणै: सह।


सवथा वतमानाेऽप न स भूयाेऽभजायते।।२३।।

इस कार पुष काे अाैर गुणाें के सहत कृित काे जाे मनुय सााकार
के साथ वदत कर ले ता है, वह सब कार से बरतता अा भी फर नहीं
जता अथात् उसका पुनज नहीं हाेता। यही मु है। अभी तक याेगे र
ीकृण ने  अाैर कृित क य जानकार के साथ मलनेवाल
परमगित अथात् उसका पुनज से िनवृ पर काश डाला अाैर अब वे उस
याेग पर बल देते हैं जसक या है अाराधना; ाेंक इस कम काे
कायप दये बना काेई पाता नहीं।

यानेनािन पयत केचदाानमाना।


अये सा ेन याेगेन कमयाेगेन चापरे ।।२४।।

हे अजुन उस ‘अाानम्’– परमाा काे कतने ही मनुय ताे ‘अाना’–


अपने अतचतन से यान के ारा ‘अािन’– दय-देश में देखते हैं, कतने
ही सांययाेग के ारा (अथात् अपनी श काे समझते ए उसी कम में
वृ हाेते हैं।) अाैर अय बत से उसे िनकाम कमयाेग के ारा देखते हैं।
समपण के साथ उसी िनयत कम में वृ हाेते हैं। तत ाेक में मुय
साधन है यान। उस यान में वृ हाेने के लये सांययाेग अाैर िनकाम
कमयाेग दाे धाराएँ हैं।

अये वेवमजानत: ुवायेय उपासते।


तेऽप चािततरयेव मृयुं ुितपरायणा:।।२५।।

परत दूसरे , जनकाे साधना का ान नहीं है, वे इस कार न जानते ए


‘अयेय:’– दूसरे जाे त व काे जाननेवाले महापुष हैं, उनके ारा सनकर ही
उपासना करते हैं अाैर वे सनने के परायण ए पुष भी मृयुपी संसारसागर
से िन:सदेह तर जाते हैं। अत: कुछ भी पार न लगे ताे ससंग करें । सताें के
सा य में रहें।

यावस ायते क स वं थावरजमम्।


ेेसंयाेगा  भरतषभ।।२६।।

हे अजुन यावा जाे कुछ भी थावर-जंगम वतएँ उप हाेती हैं, उन


सपूण काे तू े अाैर े के संयाेग से ही उप जान। ाि कब हाेती
है इस पर कहते हैं–

समं सवेषु भूतेषु िततं परमे रम्।


वनयववनयतं य: पयित स पयित।।२७।।

जाे पुष वशेष प से न हाेते ए चराचर सभी भूताें में नाशरहत


परमे र काे समभाव से थत देखता है, वही यथाथ देखता है। अथात् उस
कृित के वशेष प से न हाेने पर ही वह परमावप है, इससे पहले
नहीं। इसी पर पीछे अयाय अाठ में भी कहा, ‘भूतभावाे वकराे वसग:
कमसत:।’– भूताें के वे भाव, जाे (भले अथवा बुरे) कुछ भी (संकार)
संरचना करते हैं, उनका मट जाना ही कम क पराकाा है। उस समय कम
पूण है। वही यहाँ भी कहते हैं क जाे चराचर भूताें काे न हाेते ए अाैर
परमे र काे समभाव से थत देखता है, वही सही देखता है।

समं पयह सव समवथतमी रम्।


न हनयानाानं तताे याित परां गितम्।।२८।।

ाेंक वह पुष सव समभाव से थत परमे र काे समान (जैसा है,
वैसा ही समान) देखता अा अपने ारा वयं काे न नहीं करता। ाेंक
जैसा था, वैसा उसने देखा इसलये वह परमगित काे ा हाेता है। ाि वाले
पुष के लण बताते हैं–

कृयैव च कमाण यमाणािन सवश:।


य: पयित तथाानमकतारं स पयित।।२९।।

जाे पुष सपूण कमाे काे सब कार से कृित के ारा ही कया जाता
देखता है अथात् जब तक कृित है तभी तक कमाे का हाेना देखता है तथा
अाा काे अक ा देखता है, वही यथाथ देखता है।

यदा भूतपृथभावमेकथमनुपयित।
तत एव च वतारं  सप ते तदा।।३०।।
जस काल में मनुय भूताें के यारे -यारे भावाें काे एक परमाा में
वाहत, थत देखता है तथा उस परमाा से ही सपूण भूताें का वतार
देखता है, उस समय वह  काे ा हाेता है। जस ण यह अवथा अा
गयी, उसी ण वह  काे ा हाेता है। यह लण भी थत महापुष
का ही है।

अनादवा गुणवापरमाायमयय: ।
शररथाेऽप काैतेय न कराेित न लयते।।३१।।

काैतेय अनाद हाेने से अाैर गुणातीत हाेने से यह अवनाशी परमाा


शरर में थत हाेते ए भी वातव में न करता है अाैर न ल ही हाेता है।
कस कार –

यथा सवगतं साैयादाकाशं नाेपलयते।


सवावथताे देहे तथाा नाेपलयते।।३२।।

जस कार सव या अा अाकाश सू हाेने के कारण ल नहीं
हाेता, ठक वैसे ही सव देह में थत अा भी अाा गुणातीत हाेने के
कारण देह के गुणाें से ल नहीं हाेता। अागे कहते हैं–

यथा काशययेक: कृं लाेकममं रव:।


ें ेी तथा कृं काशयित भारत।।३३।।

अजुन जस कार एक ही सूय सपूण  ाड काे काशत करता है,
उसी कार एक ही अाा सपूण े काे काशत करता है। अत में िनणय
देते हैं–

ेेयाेरेवमतरं ानचषा।
भूतकृितमाें च ये वदुयात ते परम्।।३४।।

इस कार े अाैर े के भेद काे तथा वकारसहत कृित से टने
के उपाय काे जाे ानपी नेाें ारा देख ले ते हैं, वे महााजन पर
परमाा काे ा हाेते हैं। अथात् े-े काे देखने क अाँख ान है अाैर
ान सााकार का ही पयाय है।

िनकष—

गीता के अार में धमे, कुे का नाम ताे लया गया; कत वह
े वतत: है कहाँ – वह थल बताना शेष था, जसे वयं शाकार ने
तत अयाय में प कया– काैतेय यह शरर ही एक े है। जाे इसकाे
जानता है, वह े है। वह इसमें फँ सा नहीं बक िनले प है। इसका
संचालक है। ‘‘अजुन सपूण ेाें में मैं भी े ँ।’’– अय महापुषाें से
अपनी तलना क। इससे प है क ीकृण भी एक याेगी थे; ाेंक जाे
जानता है वह े है, एेसा महापुषाें ने कहा है। मैं भी े ँ अथात्
अय महापुषाें क तरह मैं भी ँ।

उहाेंने े जैसा है, जन वकाराेंवाला है तथा े जन भावाेंवाला है,
उस पर काश डाला। मैं ही कहता ँ– एेसी बात नहीं है, महषयाें ने भी यही
कहा है। वेद के छदाें में भी उसी काे वभाजत करके दशाया गया है।
 सू में भी वही मलता है।
शरर (जाे े है) ा इतना ही है, जतना दखायी देता है इसके हाेने
के पीछे जनका बत बड़ा हाथ है, उहें गनाते ए बताया क अधा मूल
कृित, अय कृित, दस इयाँ अाैर मन, इयाें के पाँचाें वषय, अाशा,
तृणा अाैर वासना– इस कार इन वकाराें का सामूहक मण यह शरर है।
जब तक ये रहेंगे, तब तक शरर कसी-न-कसी प में रहेगा ही। यही े
है, जसमें बाेया भला-बुरा बीज संकार प में उगता है। जाे इसका पार पा
ले ता है, वह े है। े का वप बताते ए उहाेंने ई रय गुणधमाे
पर काश डाला अाैर कहा क े इस े का काशक है।

उहाेंने बताया क साधना के पूितकाल में परमत व परमाा का य


दशन ही ान है। ान का अथ है सााकार। इसके अितर जाे कुछ भी
है, अान है। जानने याेय वत है परापर  । वह न सत् है, न असत्–
इन दाेनाें से परे है। उसे जानने के लये लाेग दय में यान करते हैं, बाहर
मूित रखकर नहीं। बत से लाेग सांय-मायम से यान करते हैं, ताे शेष
िनकाम कमयाेग, समपण के साथ उसक ाि के लये उसी िनधारत कम
अाराधना का अाचरण करते हैं। जाे उसक वध नहीं जानते, वे त वथत
महापुष के ारा सनकर अाचरण करते हैं। वे भी परमकयाण काे ा हाे
जाते हैं। अत: कुछ भी समझ में न अाये ताे उसके ाता महापुष का ससंग
अावयक है।

थत महापुष के लण बताते ए याेगे र ीकृण ने कहा क– जैसे


अाकाश सव सम रहता अा भी िनले प है, जैसे सूय सव काश करते ए
भी िनले प है, ठक इसी कार थत पुष, सव सम ई र काे जैसा है
वैसा ही देखने क मतावाला पुष े से अथवा कृित से सवथा िनले प
है। अत में उहाेंने िनणय दया क े अाैर े क जानकार ानपी
नेाें ारा ही सव है। ान, जैसा क पीछे बताया गया, उस परमाा के
य दशन के साथ मलनेवाल जानकार है। शााें काे बत रटकर दुहराना
ान नहीं बक अययन तथा महापुष से उस कम काे समझकर, उस कम
पर चलकर मनसहत इयाें के िनराेध अाैर उस िनराेध के भी वलयकाल में
परमत व काे देखने के साथ जाे अनुभूित हाेती है, उसी अनुभूित का नाम ान
है। या अावयक है। इस अयाय में मुयत: े का वतार से वणन
कया गया। वतत: े का वप यापक है। शरर कहना ताे सरल है;
कत शरर का सबध कहाँ तक है , ताे सम  ाड मूल कृित का
वतार है। अनत अतराें तक अापके शरर का वतार है। उनसे अापका
जीवन ऊजवी है, उनके बना अाप जी नहीं सकते। यह भूमडल, व ,
जगत्, देश, देश अाैर अापका यह दखायी देनेवाला शरर उस कृित का
एक टकड़ा भी नहीं है। इस कार े का ही इस अयाय में वतार से
वणन है, अत:–

ॐ तसदित ीम गव तासूपिनषस  व ायां याेगशाे ीकृणाजुनसवादे


‘ेेवभागयाेगाे’ नाम याेदशाेऽयाय:।।१३।।

इस कार ीम गव तापी उपिनषद् एवं  व ा तथा


याेगशावषयक ीकृण अाैर अजुन के सवाद में ‘े-े वभाग याेग’
नामक तेरहवाँ अयाय पूण हाेता है।

इित ीमपरमहंसपरमानदय शय वामीअड़गड़ानदकृते ीम गव ताया:


‘यथाथगीता’ भाये ‘ेेवभागयाेगाे’ नाम याेदशाेऽयाय:।।१३।।
इस कार ीमत् परमहंस परमानदजी के शय वामी अड़गड़ानदकृत
‘ीम गव ता’ के भाय ‘यथाथ गीता’ में ‘े-े वभाग याेग’ नामक
तेरहवाँ अयाय पूण हाेता है।

।। हर: ॐ तसत् ।।
।। ॐ ी परमाने नम: ।।
।। अथ चतदशाेऽयाय: ।।
पछले अनेक अयायाें में याेगे र ीकृण ने ान का वप प कया।
अयाय ४/१९ में उहाेंने बताया क जस पुष ारा सपूणता से अार
कया अा िनयत कम का अाचरण मश: उथान हाेते-हाेते इतना सू हाे
गया क कामना अाैर संकप का सवथा शमन हाे गया, उस समय जसे वह
जानना चाहता है उसक य अनुभूित हाे जाती है, उसी अनुभूित का नाम
ान है। तेरहवें अयाय में ान काे परभाषत कया, ‘अयाानिनयवं
त वानाथदशनम्।’– अाान में एकरस थित अाैर त व के अथवप
परमाा का य दशन ान है। े-े के भेद काे वदत कर ले ने के
साथ ही ान है। ान का अथ शााथ नहीं, शााें काे याद कर ले ना ही
ान नहीं है। अयास क वह अवथा ान है, जहाँ वह त व वदत हाेता है।
परमाा के सााकार के साथ मलनेवाल अनुभूित का नाम ान है, इसके
वपरत सब कुछ अान है।

इस कार सब कुछ बता ले ने पर भी तत अयाय चाैदह में याेगे र


ीकृण कहते हैं– अजुन उन ानाें में भी परम उ म ान काे मैं फर भी
तेरे लये कँगा। याेगे र उसी क पुनरावृ करने जा रहे हैं; ाेंक ‘सा
सचतत पुिन पुिन देखअ।’ (रामचरतमानस, ३/३६/८)– भल कार चतन
कया अा शा भी बार-बार देखना चाहये। इतना ही नहीं, याें-याें अाप
साधन-पथ पर असर हाेंगे, याें-याें उस इ में वेश पाते जायेंगे, याें-याें
 से नवीन-नवीन अनुभूित मले गी। यह जानकार स 
ु महापुष ही देते
हैं, इसलये ीकृण कहते हैं क मैं फर भी कँगा।

ृित एक एेसा पटल है, जस पर संकाराें का अंकन सदैव हाेता रहता
है। यद पथक काे इ में वेश दलानेवाल जानकार धूमल पड़ती है ताे
उस ृित-पटल पर कृित अंकत हाेने लगती है, जाे वनाश का कारण है।
इसलये पूितपयत साधक काे इ-सबधी जानकार दुहराते रहना चाहये।
अाज ृित जीवत है; कत अेतर अवथाअाें में वेश मलने के साथ यह
अवथा नहीं रह जायेगी। इसीलये ‘पूय महाराज जी’ कहा करते थे क
 व ा का चतन राेज कराे, एक माला राेज घुमाअाे– जाे चतन से
घुमायी जाती है, बाहर क माला नहीं।

ु हाेते हैं वे सतत


यह ताे साधक के लये है; कत जाे वातवक स 
उस पथक के पीछे लगे रहते हैं। भीतर उसक अाा से जागृत हाेकर तथा
बाहर अपने या-कलापाें से उसे भवय में घटत हाेनेवाल परथितयाें से
अवगत कराते चलते हैं। याेगे र ीकृण भी महापुष थे। अजुन शय के
थान पर है। उसने उनसे सँभालने क ाथना क थी। इसलये याेगे र
ीकृण का कथन है क ानाें में भी अित उ म ान काे मैं पुन: तेरे लये
कँगा।

ीभगवानुवाच

परं भूय: वयाम ानानां ानमु मम्।


यावा मुनय: सवे परां स मताे गता:।।१।।
अजुन ानाें में भी अित उ म ान, परमान काे मैं फर भी तेरे लये
कँगा (जसे पीछे कह चुके हैं), जसे जानकर सब मुिनजन इस संसार से
मु हाेकर परमस काे ा हाेते हैं (जसके बाद कुछ भी पाना शेष नहीं
रहता)।

इदं ानमुपाय मम साधयमागता:।


सगेऽप नाेपजायते लये न यथत च।।२।।

इस ान का ‘उपाय’– नजदक से अाय ले कर, या से चलकर,


पास पँचकर मेरे वप काे ा ए लाेग सृ के अाद में पुन: ज नहीं
ले ते अाैर लयकाल में अथात् शररात हाेते समय याकुल नहीं हाेते; ाेंक
महापुष के शरर का अत ताे उसी दन हाे जाता है, जब वह वप काे
ा हाेता है। उसके बाद उसका शरर रहने का एक मकान मा रह जाता है।
पुनज का थान कहाँ है, जहाँ लाेग ज ले ते हैं इस पर ीकृण कहते
हैं–

मम याेिनमह तगभ दधायहम्।


सव: सवभूतानां तताे भवित भारत।।३।।

हे अजुन मेर ‘मह ’ अथात् अधा मूल कृित सपूण भूताें क याेिन
है अाैर उसमें मैं चेतनपी बीज काे थापत करता ँ। उस जड़-चेतन के
संयाेग से सभी भूताें क उप हाेती है।

सवयाेिनषु काैतेय मूतय: सवत या:।


तासां  मह ाेिनरहं बीजद: पता।।४।।

काैतेय सब याेिनयाें में जतने शरर उप हाेते हैं, उन सबक ‘याेिन:’–
गभधारण करनेवाल माता अाठ भेदाेंवाल मूल कृित है अाैर मैं ही बीज का
थापन करनेवाला पता ँ। अय काेई न माता है, न पता। जब तक जड़-
चेतन का संयाेग रहेगा, ज हाेते रहेंगे; िनम ताे काेई-न-काेई बनता ही
रहेगा। चेतन अाा जड़ कृित में ाें बँध जाती है इस पर कहते हैं–

स वं रजतम इित गुणा: कृितसवा:।


िनब त महाबाहाे देहे देहनमययम्।।५।।

महाबा अजुन स वगुण, रजाेगुण अाैर तमाेगुण कृित से उप ए तीनाें


गुण ही इस अवनाशी जीवाा काे शरर में बाँधते हैं। कस कार –

त स वं िनमलवाकाशकमनामयम्।
सखसे न ब ाित ानसे न चानघ।।६।।

िनपाप अजुन उन तीनाें गुणाें में काश करनेवाला िनवकार स वगुण ताे
‘िनमलवात्’– िनमल हाेने के कारण सख अाैर ान क अास से अाा
काे शरर में बाँधता है। स वगुण भी बधन ही है। अतर इतना ही है क सख
एकमा परमाा में है अाैर ान सााकार का नाम है। स वगुणी तब तक
बँधा है, जब तक परमाा का सााकार नहीं हाे जाता।

रजाे रागाकं व तृणाससमु वम्।


त ब ाित काैतेय कमसे न देहनम्।।७।।
हे अजुन राग का जीता-जागता वप रजाेगुण है। उसे तू ‘कमसे न’–
कामना अाैर अास से उप अा जान। वह जीवाा काे कम अाैर उसके
फल क अास में बाँधता है। वह कम में वृ देता है।

तमवानजं व माेहनं सवदेहनाम्।


मादालयिनाभत ब ाित भारत।।८।।

अजुन समत देहधारयाें काे माेहनेवाले तमाेगुण काे तू अान से उप


अा जान। वह इस जीवाा काे माद अथात् यथ क चेा, अालय (क
कल करें गे) अाैर िना के ारा बाँधता है। िना का अथ यह नहीं है क
तमाेगुणी अधक साेता है। शरर साेता हाे एेसी बात नहीं। ‘या िनशा सवभूतानां
तयां जागित संयमी।’ जगत् ही राि है। तमाेगुणी य इस जगत् पी
िनशा में रात-दन यत रहता है, काश वप क अाेर अचेत रहता है। यही
तमाेगुणी िना है। जाे इसमें फँ सा है, साेता है। अब तीनाें गुणाें के बधन का
सामूहक वप बताते हैं–

स वं सखे स यित रज: कमण भारत।


ानमावृय त तम: मादे स ययुत।।९।।

अजुन स वगुण सख में लगाता है, शा त परमसख क धारा में लगाता


है, रजाेगुण कम में वृ करता है अाैर तमाेगुण ान काे अाछादत करके
माद में अथात् अत:करण क यथ चेाअाें में लगाता है। जब गुण एक ही
थान पर एक ही दय में हैं ताे अलग-अलग कैसे वभ हाे जाते हैं इस
पर याेगे र ीकृण बताते हैं–
रजतमाभभूय स वं भवित भारत।
रज: स वं तमैव तम: स वं रजतथा।।१०।।

हे अजुन रजाेगुण अाैर तमाेगुण काे दबाकर स वगुण बढ़ता है, वैसे ही
स वगुण अाैर तमाेगुण काे दबाकर रजाेगुण बढ़ता है तथा इसी कार रजाेगुण
अाैर स वगुण काे दबाकर तमाेगुण बढ़ता है। यह कैसे पहचाना जाय क कब
अाैर काैन-सा गुण काय कर रहा है –

सवारे षु देहेऽकाश उपजायते।


ानं यदा तदा व ावृ ं स वमयुत।।११।।

जस काल में इस शरर तथा अत:करण अाैर सपूण इयाें में ई रय
काश अाैर बाेधश उप हाेती है, उस समय एेसा जानना चाहये क
स वगुण वशेष वृ काे ा अा है। तथा–

लाेभ: वृ रार: कमणामशम: पृहा।


रजयेतािन जायते ववृ े भरतषभ।।१२।।

हे अजुन रजाेगुण क वशेष वृ हाेने पर लाेभ, काय में वृ हाेने क
चेा, कमाे का अार, अशात अथात् मन क चंचलता, वषय-भाेगाें क
लालसा– यह सब उप हाेते हैं। अब तमाेगुण क वृ में ा हाेता है –

अकाशाेऽवृ  मादाे माेह एव च।


तमयेतािन जायते ववृ े कुनदन।।१३।।
अजुन तमाेगुण के बढ़ने पर ‘अकाश:’– (काश परमाा का ाेतक है)
ई रय काश क अाेर न बढ़ने का वभाव, ‘कायम् कम’– जाे करने याेय
या-वशेष है उसमें अवृ , अत:करण में यथ क चेाअाें का वाह
अाैर संसार में मुध करनेवाल वृ याँ– यह सभी उप हाेते हैं। इन गुणाें
क जानकार से लाभ ा है –

यदा स वे वृ े त लयं याित देहभृत्।


तदाे मवदां लाेकानमलाितप ते।।१४।।

जब यह जीवाा स वगुण के वृ काल में मृयु काे ा हाेता है, शरर-
याग करता है, तब उ म कम करनेवालाें के मलरहत दय लाेकाें काे ा
हाेता है। तथा–

रजस लयं गवा कमसषु जायते।


तथा लनतमस मूढयाेिनषु जायते।।१५।।

रजाेगुण क वृ हाेने पर मृयु काे ा हाेनेवाला कमाे क अासवाले


मनुयाें में ज ले ता है तथा तमाेगुण क वृ में मरा अा पुष मूढ़ याेिनयाें
में ज ले ता है, जसमें कट-पतंगादपयत याेिनयाें का वतार है। अत:
गुणाें में भी मनुयाें काे सा वक गुणाेंवाला हाेना चाहये। कृित का यह बैंक
अापके अजत गुणाें काे मृयु के उपरात भी उहें अापकाे सरत लाैटाता है।
अब देखें इसका परणाम–

कमण: सकृतया: सा वकं िनमलं फलम्।


रजसत फलं दु:खमानं तमस: फलम्।।१६।।
सा वक कम का फल सा वक, िनमल, सख, ान अाैर वैरायाद कहा
गया है। राजस कम का फल दु:ख अाैर तामस कम का फल अान है।
तथा–

स वास ायते ानं रजसाे लाेभ एव च।


मादमाेहाै तमसाे भवताेऽानमेव च।।१७।।

स वगुण से ान उप हाेता है (ई रय अनुभूित का नाम ान है),


ई रय अनुभूित का वाह हाेता है। रजाेगुण से िन:सदेह लाेभ उप हाेता है
तथा तमाेगुण से माद, माेह, अालय (अान) ही उप हाेता है। ये उप
हाेकर काैन-सी गित देते हैं –

ऊधव गछत स वथा मये ितत राजसा:।


जघयगुणवृ था अधाे गछत तामसा:।।१८।।

स वगुण में थत अा पुष ‘ऊवमूलम्’– उस मूल परमाा क अाेर


वाहत हाेता है, िनमल लाेकाें काे जाता है। रजाेगुण में थत राजस पुष
मयम ेणी के मनुय हाेते हैं, जनके पास न ‘सा वकं’– ववेक-वैराय ही
हाेता है अाैर न अधम कट-पतंग याेिनयाें में जाते हैं बक पुनज काे ा
हाेते हैं अाैर िनदत तमाेगुण में वृ ए तामस पुष ‘अधाेगित:’ अथात्
पश-पी, कट-पतंगाद अधम याेिनयाें काे ा हाेते हैं। इस कार तीनाें गुण
कसी-न-कसी प में याेिन के ही कारण हैं। जाे पुष गुणाें काे पार कर ले ते
हैं, वे ज-बधन से ट जाते हैं अाैर मेरे वप काे ा हाेते हैं। इस पर
कहते हैं–
नायं गुणेय: कतारं यदा ानुपयित।
गुणेय परं वे म ावं साेऽधगछित।।१९।।

जस काल में ा अाा तीनाें गुणाें के अितर अय कसी काे क ा
नहीं देखता अाैर तीनाें गुणाें से अयत परे परमत व काे ‘वे ’– वदत कर
ले ता है, उस समय वह पुष मेरे वप काे ा हाेता है। यह बाै क
मायता नहीं है क गुण गुण में बरतते हैं। साधन करते-करते एक एेसी
अवथा अाती है, जहाँ उस परम से अनुभूित हाेती है क गुणाें के सवाय
काेई क ा नहीं दखता, उस समय पुष तीनाें गुणाें से अतीत हाे जाता है।
यह कपत मायता नहीं है। इसी पर अागे कहते हैं–

गुणानेतानतीय ीदेही देहसमु वान्।


जमृयुजरादु:खैवमुाेऽमृतमते।।२०।।

पुष इन थूल शरराें क उप के कारणप तीनाें गुणाें से अतीत


हाेकर ज, मृयु, वृ ावथा अाैर सब कार के दु:खाें से वशेष प से मु
हाेकर अमृत-त व का पान करता है। इस पर अजुन ने  कये–

अजुन उवाच

कैलै ीगुणानेतानतीताे भवित भाे।


कमाचार: कथं चैतांीगुणानितवतते।।२१।।

भाे इन तीनाें गुणाें से अतीत अा पुष कन-कन लणाें से यु हाेता
है अाैर कन कार के अाचरणाेंवाला हाेता है तथा मनुय कस उपाय से इन
तीनाें गुणाें से अतीत हाेता है
ीभगवानुवाच

काशं च वृ ं च माेहमेव च पाडव।


न े सवृ ािन न िनवृ ािन काित।।२२।।

अजुन के उपयु तीनाें ाें का उ र देते ए याेगे र ीकृण ने कहा–


अजुन जाे पुष स वगुण के कायप ई रय काश, रजाेगुण के कायप
वृ अाैर तमाेगुण के कायप माेह काे न ताे वृ हाेने पर बुरा समझता है
अाैर न िनवृ हाेने पर उनक अाकांा ही करता है। तथा–

उदासीनवदासीनाे गुणैयाे न वचायते।


गुणा वतत इयेव याेऽवितित नेते।।२३।।

जाे इस कार उदासीन के स श थत अा गुणाें ारा वचलत नहीं


कया जा सकता, गुण गुण में ही बरतते हैं– एेसा यथाथत: जानकर उस
थित से चलायमान नहीं हाेता, तभी वह गुणाें से अतीत हाेता है।

समदु:खसख: वथ: समलाेामका न:।


तययायाे धीरतयिनदासंतित:।।२४।।

जाे िनरतर वयं में अथात् अाभाव में थत है, सख अाैर दु:ख में सम
है, म , पथर अाैर वण में भी समान भाववाला है, धैयवान् है, जाे य
अाैर अय काे बराबर समझता है, अपनी िनदा तथा तित में भी समान
भाववाला है अाैर–

मानापमानयाेतयतयाे मारपयाे:।
सवारपरयागी गुणातीत: स उयते।।२५।।

जाे मान अाैर अपमान में सम है, म अाैर शु-प में भी सम है, वह
सपूण अाराें से रहत अा पुष गुणातीत कहा जाता है।

ाेक बाईस से पचीस तक गुणाें से अतीत पुष के लण अाैर अाचरण


बताये गये क वह चलायमान नहीं हाेता, गुणाें के ारा वचलत नहीं कया
जा सकता, थर रहता है। अब तत है गुणाें से अतीत हाेने क वध–

मां च याेऽयभचारे ण भयाेगेन सेवते।


स गुणासमतीयैता भूयाय कपते।।२६।।

जाे पुष अयभचारणी भ ारा अथात् इ के अितर अय


सांसारक रणाें से सवथा रहत हाेकर याेग ारा अथात् उसी िनयत कम
ारा मुझे िनरतर भजता है, वह इन तीनाें गुणाें का अछ कार उ ं घन
करके पर के साथ एक हाेने के याेय हाेता है, जसका नाम कप है। 
के साथ एकभाव हाे जाना ही वातवक कप है। अनय भाव से िनयत कम
का अाचरण कये बना काेई भी गुणाें से अतीत नहीं हाेता। अत में याेगे र
िनणय देते हैं–

 णाे ह िताहममृतयाययय च।
शा तय च धमय सखयैकातकय च।।२७।।

हे अजुन उस अवनाशी  का (जसके साथ वह कप करता है,


जसमें वह गुणातीत एकभाव से वेश करता है), अमृत का, शा त-धम का
अाैर उस अखड एकरस अानद का मैं ही अाय ँ अथात् परमाथत
स 
ु ही इन सबका अाय है। ीकृण एक याेगे र थे। अब यद अापकाे
अय-अवनाशी  , शा त-धम, अखड एकरस अानद क अावयकता है
ताे कसी त वथत, अयथत महापुष क शरण लें । उनके ारा ही यह
सव है।

िनकष–

इस अयाय के अार में याेगे र ीकृण ने कहा क– अजुन ानाें में
भी अित उ म परमान काे मैं फर भी तेरे लए कँगा, जसे जानकर
मुिनजन उपासना के ारा मेरे वप काे ा हाेते हैं, फर सृ के अाद में
वे ज नहीं ले ते; कत शरर का िनधन ताे हाेना ही है, उस समय वे यथत
नहीं हाेते। वे वातव में शरर ताे उसी दन याग देते हैं, जस दन वप
काे ा हाेते हैं। ाि जीते-जी हाेती है, कत शरर का अत हाेते समय भी
वे यथत नहीं हाेते।

कृित से ही उप ए रज, स व अाैर तम तीनाें गुण ही इस जीवाा


काे शरराें में बाँधते हैं। दाे गुणाें काे दबाकर तीसरा गुण बढ़ाया जा सकता है।
गुण परवतनशील हैं। कृित, जाे अनाद है, न नहीं हाेती; बक गुणाें का
भाव टाला जा सकता है। गुण मन पर भाव डालते हैं। जब स वगुण क
वृ रहती है ताे ई रय काश अाैर बाेधश रहती है। रजाेगुण रागाक
है। उस समय कम का लाेभ रहता है, अास रहती है अाैर अत:करण में
तमाेगुण कायप ले ने पर अालय-माद घेर ले ता है। स व क वृ में मृयु
काे ा पुष ऊपर के िनमल लाेकाें में ज ले ता है। रजाेगुण क वृ काे
ा अा मनुय मानवयाेिन में ही लाैटकर अाता है अाैर तमाेगुण क
वृ काल में मनुय शरर यागकर अधम (पश, कट, पतंग इयाद) याेिन काे
ा हाेता है। इसलये मनुयाें काे मश: उ त गुण सा वक क अाेर ही
बढ़ना चाहये। वतत: तीनाें गुण कसी-न-कसी याेिन के ही कारण हैं। गुण ही
अाा काे शरराें में बाँधते हैं, इसलये गुणाें से अतीत हाेना चाहये।

वे जससे मु हाेते हैं, उसका वप बताते ए याेगे र ने कहा– अधा
मूल कृित गभ काे धारण करनेवाल माता है अाैर मैं ही बीजप पता ँ।
अय न काेई माता है, न पता। जब तक यह म रहेगा, तब तक चराचर
जगत् में िनम प से काेई-न-काेई माता-पता बनते रहेंगे; कत वतत:
कृित ही माता है, मैं ही पता ँ।

अजुन ने तीन  कये– गुणातीत पुष के ा लण हैं ा अाचरण


हैं अाैर कस उपाय से मनुय इन तीनाें गुणाें से अतीत हाेता है इस पर
याेगे र ीकृण ने गुणातीत पुष के लण अाैर अाचरण बताये अाैर अत में
गुणातीत हाेने का उपाय बताया क जाे पुष अयभचारणी भ अाैर याेग
के ारा िनरतर मुझे भजता है, वह तीनाें गुणाें से अतीत हाे जाता है। अय
कसी का चतन न करते ए िनरतर इ का चतन करना अयभचारणी
भ है। जाे संसार के संयाेग-वयाेग से सवथा रहत है, उसी का नाम याेग
है। उसकाे कायप देने क णाल का नाम कम है। य जससे सप हाेता
है, वह हरकत कम है। अयभचारणी भ ारा उस िनयत कम के अाचरण
से ही पुष तीनाें गुणाें से अतीत हाेता है अाैर अतीत हाेकर  के साथ
एकभाव के लये, पूण कप काे ा हाेने के लये याेय हाेता है। गुण जस
मन पर भाव डालते हैं, उसके वलय हाेते ही  के साथ एकभाव हाे
जाता है, यही वातवक कप है। अत: बना भजन कये काेई गुणाें से
अतीत नहीं हाेता।
अत में याेगे र ीकृण िनणय देते हैं– वह गुणातीत पुष जस  के
साथ एकभाव में थत हाेता है उस  का, अमृत-त व का, शा तधम का
अाैर अखड एकरस अानद का मैं ही अाय ँ अथात् धान क ा ँ। अब
ताे ीकृण चले गये, अब वह अाय ताे चला गया, तब ताे बड़े संशय क
बात है। वह अाय अब कहाँ मले गा ले कन नहीं, ीकृण ने अपना परचय
दया है क वे एक याेगी थे, वपथ महापुष थे। ‘शयतेऽहं शाध मां
वां प म्।’ अजुन ने कहा– मैं अापका शय ँ, अापक शरण ँ, मुझे
सँभालये। थान-थान पर ीकृण ने अपना परचय दया, थत महापुष
के लण बताये अाैर उनसे अपनी तलना क। अत: प है क ीकृण एक
महाा, याेगी थे। अब यद अापकाे अखड एकरस अानद, शा त-धम
अथवा अमृत-त व क अावयकता है ताे इन सबक ाि के ाेत एकमा
ु हैं। सीधे पुतक पढ़कर इसे काेई नहीं पा सकता। जब वही महापुष
स 
अाा से अभ हाेकर रथी हाे जाते हैं, ताे शनै:-शनै: अनुरागी काे संचालत
करते ए उसके वप तक, जनमें वे वयं ितत हैं, पँचा देते हैं। वही
एकमा मायम हैं। इस कार याेगे र ीकृण ने अपने काे सबका अाय
बताते ए इस चाैदहवें अयाय का समापन कया, जसमें गुणाें का वतार से
वणन है। अत:–

ॐ तसदित ीम गव तासूपिनषस  व ायां याेगशाे ीकृणाजुनसवादे


‘गुणयवभागयाेगाे’ नाम चतदशाेऽयाय:।।१४।।

इस कार ीम गव तापी उपिनषद् एवं  व ा तथा याेगशा


वषयक ीकृण अाैर अजुन के संवाद में ‘गुणय वभाग याेग’ नामक
चाैदहवाँ अयाय पूण हाेता है।
इित ीमपरमहंसपरमानदय शय वामीअड़गड़ानदकृते ीम गव ताया:
‘यथाथगीता’ भाये ‘गुणयवभागयाेगाे’ नाम चतदशाेऽयाय:।।१४।।

इस कार ीमत् परमहंस परमानदजी के शय वामी अड़गड़ानदकृत


‘ीम गव ता’ के भाय ‘यथाथ गीता’ में ‘गुणय वभाग याेग’ नामक
चाैदहवाँ अयाय पूण हाेता है।

।। हर: ॐ तसत् ।।
।। ॐ ी परमाने नम:।।
।।अथ प दशाेऽयाय:।।
महापुषाें ने संसार काे वभ ाताें से समझाने का यास कया है।
कसी ने इसी काे भवाटवी कहा, ताे कसी ने संसार-सागर कहा। अवथाभेद
से इसी काे भवनद अाैर भवकूप भी कहा गया अाैर कभी इसक तलना
गाेपद से क गयी अथात् जतना इयाें का अायतन है, उतना ही संसार है
अाैर अत में एेसी भी अवथा अायी क ‘नामु ले त भवसधु सखाहीं।’
(रामचरतमानस, १/२४/४)– भवसधु भी सूख गया। ा संसार में एेसे समु
हैं याेगे र ीकृण ने भी संसार काे समु अाैर वृ क संा द। अयाय
बारह में उहाेंने कहा– जाे मेरे अनय भ हैं, उनका संसार-समु से शी ही
उ ार करनेवाला हाेता ँ। यहाँ तत अयाय में याेगे र ीकृण कहते हैं क
संसार एक वृ है, उसकाे काटते ए ही याेगीजन उस परमपद काे खाेजते
हैं। देखें–

ीभगवानुवाच

ऊवमूलमध:शाखम थं ारययम्।


छदांस यय पणािन यतं वेद स वेदवत्।।१।।
अजुन ‘ऊवमूलम्’– ऊपर काे परमाा ही जसका मूल है,
‘अध:शाखम्’–नीचे कृित ही जसक शाखाएँ हैं, एेसे संसारपी पीपल के
वृ काे अवनाशी कहते हैं। (वृ ताे अ- : अथात् कल तक भी रहनेवाला
नहीं, जब चाहे कट जाय; कत है अवनाशी।) ीकृण के अनुसार अवनाशी
दाे हैं– एक संसारपी वृ अवनाशी अाैर दूसरा उससे भी परे परम
अवनाशी। वेद इस अवनाशी संसार-वटप के प े कहे गये हैं। जाे पुष इस
संसारपी वृ काे देखते ए वदत कर ले ता है, वह वेद का ाता है।

जसने उस संसार-वृ काे जाना है, उसने वेद काे जाना है, न क थ
पढ़नेवाला। पुतक पढ़ने से ताे उधर बढ़ने क ेरणा मा मलती है। प ाें के
थान पर वेद क ा अावयकता है वतत: पुष भटकते-भटकते जस
अतम काेपल अथात् अतम ज काे ले ता है, वहीं से वेद के वे छद (जाे
कयाण का सृजन करते हैं) ेरणा देते हैं, वहीं से उनका उपयाेग है। वहीं से
भटकाव समा हाे जाता है। वह वप क अाेर घूम जाता है। तथा–

अधाेव सृतातय शाखा


गुणवृ ा वषयवाला:।
अध मूलायनुसततािन
कमानुबधीिन मनुयलाेके।।२।।

इस संसार-वृ क तीनाें गुणाें के ारा बढ़ ई वषय अाैर भाेगप


काेपलाेंवाल शाखाएँ नीचे अाैर ऊपर सव फैल ई हैं। नीचे क अाेर कट-
पतंगपयत अाैर ऊपर देवभाव से ले कर  ापयत सव फैल ई हैं तथा
केवल मनुय-याेिन में कमाे के अनुसार बाँधनेवाल हैं, अय सभी याेिनयाँ भाेग
भाेगने के लये हैं। मनुय-याेिन ही कमाे के अनुसार बधन तैयार करती है।

न पमयेह तथाेपलयते
नाताे न चादन च सिता।
अ थमेनं सवढमूल-
मसशेण ढे न छ वा।।३।।

परत इस संसार-वृ का प जैसा कहा गया है, वैसा यहाँ नहीं पाया
जाता; ाेंक न ताे इसका अाद है, न अत है अाैर न अछ कार से
इसक थित ही है (ाेंक यह परवतनशील है)। इस स ढ़ मूलवाले
संसारपी वृ काे ढ़ ‘असशेण’– असंग अथात् वैरायपी श ारा
काटकर, (संसारपी वृ काे काटना है। एेसा नहीं क पीपल क जड़ में
परमाा रहते हैं या पीपल का प ा वेद है अाैर अारती करने लगे पेड़ क।)

इस संसार-वृ का मूल ताे वयं परमाा ही बीजप से सारत है, ताे


ा वह भी कट जायेगा ढ़ वैराय ारा इस कृित का सबध-वछे द हाे
जाता है, यही काटना है। काटकर करें ा –

तत: पदं तपरमागतयं


यगता न िनवतत भूय:।
तमेव चा ं पुषं प े
यत: वृ : सृता पुराणी।।४।।
ढ़ वैराय ारा संसार-वटप काे काटने के उपरात उस परमपद परमे र
काे अछ कार खाेजना चाहये, जसमें गये ए पुष फर पीछे संसार में
नहीं अाते अथात् पूण िनवृ ा कर ले ते हैं। कत उसक खाेज कस
कार सव है याेगे र कहते हैं, इसके लये समपण अावयक है। जस
परमे र से पुरातन संसार-वृ क वृ वतार काे ा ई है, उसी
अादपुष परमाा क मैं शरण ँ (उनक शरण गये बना वृ मटे गा नहीं)।
अब शरण में गया अा वैराय में थत पुष कैसे समझे क वृ कट गया
उसक पहचान ा है इस पर कहते हैं–

िनमानमाेहा जतसदाेषा
अयािनया विनवृ कामा:।
ैवमुा: सखदु:खसै-
गछयमूढा: पदमययं तत्।।५।।

उपयु कार के समपण से जनका माेह अाैर मान न हाे गया है,
अासपी संगदाेष जहाेंने जीत लया है, ‘अयािनया’– परमाा के
वप में जनक िनरतर थित है, जनक कामनाएँ वशेष प से िनवृ
हाे गयी हैं अाैर सख-दु:ख के ाें से वमु ए ानीजन उस अवनाशी
परमपद काे ा हाेते हैं। जब तक यह अवथा नहीं अाती, तब तक संसार-
वृ नहीं कटता। यहाँ तक वैराय क अावयकता रहती है। उस परमपद का
ा वप है, जसे पाते हैं –

न त ासयते सूयाे न शशााे न पावक:।


य वा न िनवतते त ाम परमं मम।।६।।
उस परमपद काे न सूय, न चमा अाैर न अ ही काशत कर पाते हैं।
जस परमपद काे ा कर मनुय पीछे संसार में नहीं अाते हैं, वही मेरा
परमधाम है अथात् उनका पुनज नहीं हाेता। इस पद क ाि में सबका
समान अधकार है। इस पर कहते हैं–

ममैवांशाे जीवलाेके जीवभूत: सनातन:।


मन:षानीयाण कृितथािन कषित।।७।।

‘जीवलाेके’ अथात् इस देह में (शरर ही लाेक है) यह जीवाा मेरा ही


सनातन अंश है अाैर वही इस िगुणमयी माया में थत मन अाैर पाँचाें
इयाें काे अाकषत करता है। भला कैसे –

शररं यदवााेित य ायुामती र:।


गृहीवैतािन संयाित वायुगधािनवाशयात्।।८।।

जस कार वायु गध के थान से गध काे हण करके ले जाता है,
ठक उसी कार देह का वामी जीवाा जस पहले शरर काे यागता है,
उससे मन अाैर पाँचाें ानेयाें के कायकलापाें काे हण करके (अाकषत
करके, साथ ले कर) फर जस शरर काे ा हाेता है, उसमें जाता है। (जब
अगला शरर तकाल िनत है ताे अाटे का पड बनाकर कसे पँचाते हैं
ले ता काैन है इसलये ीकृण ने अजुन से कहा क यह अान तझे कहाँ
से उप हाे गया क पडाेदक या ल हाे जायेगी।) वहाँ जाकर करता
ा है मनसहत छ: इयाँ काैन हैं –

ाें च: पशनं च रसनं ाणमेव च।


अधाय मनायं वषयानुपसेवते।।९।।

उस शरर में थत हाेकर यह जीवाा कान, अाँख, वचा, ज ा,


नासका अाैर मन का अाय ले कर अथात् इन सबके सहारे ही वषयाें का
सेवन करता है। कत एेसा दखायी नहीं पड़ता, सब उसे देख नहीं पाते। इस
पर ीकृण कहते हैं–

उामतं थतं वाप भु ानं वा गुणावतम्।


वमूढा नानुपयत पयत ानचष:।।१०।।

शरर छाेड़कर जाते ए, शरर में थत ए, वषयाें काे भाेगते ए अथवा
तीनाें गुणाें से यु ए भी जीवाा काे वशेष मूढ़ अानी नहीं जानते। केवल
ानपी नेवाले ही उसे जानते हैं, देखते हैं, ठक एेसा ही है। अब वह 
कैसे मले अागे देखें-

यतताे याेगनैनं पययायवथतम्।


यतताेऽयकृताानाे नैनं पययचेतस:।।११।।

याेगीजन अपने दय में च काे सब अाेर से समेटकर इस अाा काे


य करते ए ही य देखते हैं; कत अकृताथ अाावाले अथात् मलन
अत:करणवाले अानीजन य करते ए भी इस अाा काे नहीं जानते
(ाेंक उनका अत:करण बा वृ याें में अभी बखरा है)। च काे सब
अाेर से समेटकर अतराा में य करनेवाले भावकजन ही उसे पाने के
याेय हाेते हैं। अत: अत:करण से सतत समरन अावयक है। अब उन
महापुषाें के वप में जाे वभूितयाँ पायी जाती हैं (जाे पीछे बता भी अाये
हैं), उन पर काश डालते हैं–

यदादयगतं तेजाे जग ासयतेऽखलम्।


य मस य ा ाै त ेजाे व मामकम्।।१२।।

जाे तेज सूय में थत अा सपूण जगत् काे काशत करता है, जाे तेज
चमा में थत है अाैर जाे तेज अ में है, इसे तू मेरा ही जान। अब उस
महापुष क काय-णाल बताते हैं–

गामावय च भूतािन धारयायहमाेजसा।


पुणाम चाैषधी: सवा: साेमाे भूवा रसाक:।।१३।।

मैं ही पृवी में वेश करके अपनी श से सब भूताें काे धारण करता ँ
अाैर चमा में रसवप हाेकर सपूण वनपितयाें काे पु करता ँ।

अहं वै ानराे भूवा ाणनां देहमात:।


ाणापानसमायु: पचाय ं चतवधम्।।१४।।

मैं ही ाणयाें के शरर में अ प से थत हाेकर ाण अाैर अपान से


यु अा चार कार के अ काे पचाता ँ।

अयाय चार में वयं याेगे र ीकृण ने इया , संयमा , याेगा ,


ाण-अपाना ,  ा इयाद तेरह-चाैदह अ याें का उ े ख कया, जनमें
सबका परणाम ान है। ान ही अ है। ीकृण कहते हैं, एेसा अ वप
हाेकर ाण अाैर अपान से यु चार वधयाें से (जप सदैव ास- ास से
हाेता है, उसक चार वधयाँ बैखर, मयमा, पयती अाैर परा हैं–इन चार
वधयाें से) तैयार हाेनेवाले अ काे मैं ही पचाता ँ।

ीकृण के अनुसार  ही एकमा अ है, जससे अाा पूण तृ हाे


जाता है फर कभी अतृ नहीं हाेता। शरर के पाेषक चलत अ ाें काे
याेगे र ने अाहार क संा द है (युाहार...)। वातवक अ परमाा है।
बैखर, मयमा, पयती अाैर परा क चार वधयाें से िनकलकर ही वह अ
परप हाेता है। इसी काे अनेक महापुषाें ने नाम, प, लला अाैर धाम
कहा है। पहले नाम का जप हाेता है, मश: दय-देश में इ का वप
कट हाेने लगता है, तपात् उसक लला का बाेध हाेेने लगता है क वह
ई र कस कार कण-कण में या है कस कार वह सव काय करता
है इस कार दय-देश में याकलापाें का दशन ही लला है (बाहर क
रामलला-रासलला नहीं) अाैर उस ई रय लला क य अनुभूित करते
ए जब मूलललाधार का पश मलता है, तब धाम क थित अाती है। उसे
जानकर साधक उसी में ितत हाे जाता है। उसमें ितत हाेना अाैर
परावाणी क परप ावथा में पर का पश कर उसमें थत हाेना दाेनाें
साथ-साथ हाेता है।

इस कार ाण अाैर अपान अथात् ास अाैर  ास से यु हाेकर चार


वधयाें से अथात् बैखर, मयमा, पयती अाैर मश: उथान हाेते-हाेते परा
क पूितकाल में वह ‘अ ’–  परप हाे जाता है, मल भी जाता है, पच
भी जाता है अाैर पा भी परप ही है।

सवय चाहं द स वाे


म : ृितानमपाेहनं च।
वेदै सवैरहमेव वे ाे
वेदातकृेदवदेव चाहम्।।१५।।

मैं ही सब ाणयाें के दय में अतयामी प से थत ँ। मुझसे ही


वप क ृित (सरित, जाे त व परमाा वृत है उसका रण हाे
अाना) हाेती है। (ाि काल का चण है) ृित के साथ ही ान (सााकार)
अाैर ‘अपाेहनं’ अथात् बाधाअाें का शमन मुझ इ से ही हाेता है। सब वेदाें
ारा मैं ही जानने याेय ँ। वेदात का क ा अथात् ‘वेदय अत: स: वेदात’
(अलग था तभी ताे जानकार ई। जब जानते ही उसी वप में ितत हाे
गया, ताे काैन कसकाे जाने ) वेद क अतम थित का क ा मैं ही ँ अाैर
‘वेदवत्’ अथात् वेद का ाता भी मैं ही ँ। अयाय के अार में उहाेंने कहा
है क संसार वृ है। ऊपर परमाा मूल अाैर नीचे कृितपयत शाखाएँ हैं।
जाे इसे मूल से कृित का वभाजन करके जानता है, मूल से जानता है वह
वेदवत् है। यहाँ कहते हैं क मैं वेदवत् ँ। उसे जाे जानता है, ीकृण ने
अपने काे उसक तलना में खड़ा कया क वह वेदवत् है, मैं वेदवत् ँ।
ीकृण भी एक त व महापुष, याेगयाें के भी परमयाेगी थे। यहाँ यह 
पूरा अा। अब बताते हैं क संसार में पुष का वप दाे कार का है–

ावमाै पुषाै लाेके रार एव च।


र: सवाण भूतािन कूटथाेऽर उयते।।१६।।

अजुन इस संसार में ‘र’– य हाेनेवाले , परवतनशील अाैर ‘अर’–


अय, अपरवतनशील एेसे दाे कार के पुष हैं। उनमें सपूण भूताें (ाणयाें)
के शरर ताे नाशवान् हैं, र पुष हैं, अाज हैं ताे कल नहीं रह जायेंगे अाैर
दूसरा कूटथ पुष अवनाशी कहा जाता है। साधन के ारा मनसहत इयाें
का िनराेध अथात् जसक इय-समूह कूटथ है, वही अर कहलाता है।
अब अाप ी कहलाते हाें अथवा पुष, यद शरर अाैर शरर-ज के कारण
संकाराें का म लगा है ताे अाप र पुष हैं अाैर जब मनसहत इयाँ
कूटथ हाे जाती हैं तब वही अर पुष कहलाता है। कत यह भी पुष क
अवथा-वशेष ही है। इन दाेनाें से भी परे एक अय पुष भी है–

उ म: पुषवय: परमाेयुदात:।
याे लाेकयमावय बभययय ई र:।।१७।।

उन दाेनाें से अित उ म पुष ताे अय ही है, जाे तीनाें लाेकाें में वेश
करके सबका धारण-पाेषण करता है अाैर अवनाशी, परमाा, ई र एेसे कहा
गया है। परमाा, अय, अवनाशी, पुषाे म इयाद उसके परचायक
शद हैं, वतत: वह अय ही है अथात् अिनवचनीय है। यह र-अर से परे
महापुष क अतम अवथा है, जसकाे परमाा इयाद शदाें से इं गत
कया गया है; कत वह अय है अथात् अिनवचनीय है। उसी थित में
याेगे र ीकृण अपना भी परचय देते हैं। यथा–

यारमतीताेऽहमरादप चाे म:।


अताेऽ लाेके वेदे च थत: पुषाे म:।।१८।।

मैं उपयु नाशवान् परवतनशील े से सवथा अतीत ँ अाैर अर-


अवनाशी-कूटथ पुष से भी उ म ँ, इसलये लाेक अाैर वेद में पुषाे म
नाम से स ँ।
याे मामेवमसूढाे जानाित पुषाे मम्।
स सवव जित मां सवभावेन भारत।।१९।।

हे भारत जैसा क ऊपर कहा गया है क इस कार जाे ानी पुष मुझ
पुषाे म काे साात् जानता है, वह सव पुष सब कार से मुझ परमाा
काे ही भजता है। वह मुझसे वलग नहीं है।

इित गु तमं शामदमुं मयानघ।


एत ु ा बु मायाकृतकृय भारत।।२०।।

हे िनपाप अजुन इस कार यह अित गाेपनीय शा मेरे ारा कहा गया।
इसकाे त व से जानकर मनुय पूणाता अाैर कृताथ हाे जाता है। अत:
याेगे र ीकृण क यह वाणी वयं में पूण शा है।

ीकृण का यह रहय अयत गु था। उहाेंने केवल अनुरागयाें काे


बताया। यह अधकार के लये था, सबके लये नहीं। कत जब यही रहय
(शा) लखने में अा जाता है, सबके सामने पुतक रहती है इसलये लगता
है क ीकृण ने सबकाे कहा; कत वतत: यह अधकार के लये ही है।
ीकृण का यह वप सबके लये था भी नहीं। काेई उहें राजा, काेई दूत,
ताे काेई यादव ही मानता था; कत अधकार अजुन से उहाेंने काेई दुराव
नहीं रखा। उसने पाया क वह परमसय पुषाे म हैं। दुराव रखते ताे उसका
कयाण ही न हाेता।

यही वशेषता ाि वाले येक महापुष में पायी गयी। रामकृण
परमहंसदेव एक बार बत स थे। भाें ने पूछा– ‘‘अाज ताे अाप बत
स हैं।’’ वे बाेले– ‘‘अाज मैं ‘वह’ परमहंस हाे गया।’’ उनके समकालन
काेई अछे महापुष परमंहस थे, उनक अाेर संकेत कया। कुछ देर बाद वे
मन-म-वचन से वर क अाशा से अपने पीछे लगे साधकाें से बाेले–
‘‘देखाे, अब तम लाेग सदेह न करना। मैं वही राम ँ जाे ेता में ए थे,
वही कृण ँ जाे ापर में ए थे। मैं उहीं क पव अाा ँ, वही वप
ँ। यद पाना है ताे मुझे देखाे।’’

ठक इसी कार ‘पूय गु महाराज’ भी सबके सामने कहा करते थे–
‘‘हाे, हम भगवान के दूत हैं। जे सचँ का सत है, वह भगवान का दूत है।
हमारे ारा ही उनका सदेशा मलता है।’’ ईसा ने कहा– ‘‘मैं भगवान का पु
ँ, मेरे पास अाअाे– इसलये क ई र का पु कहलाअाेगे।’’ अत: सभी पु
हाे सकते हैं। हाँ, यह बात अलग है क पास अाने का तापय उन तक क
साधना साधन-म में चलकर पूर करना है। मुहद साहब ने कहा– ‘‘मैं
अ ाह का रसूल ँ, सदेशवाहक ँ।’’ ‘पूय महाराज जी’ सबसे ताे इतना ही
कहते थे– न कसी वचार का खडन, न मडन। कत जाे वर में पीछे
लगे थे, उनसे कहते थे– ‘‘केवल मेरे वप काे देखाे। यद तहें उस
परमत व क चाह है ताे मुझे देखाे, सदेह मत कराे।’’ बताें ने सदेह कया
ताे उनकाे अनुभव में दखाकर, डाँट-फटकारकर, उन बा वचाराें से हटाकर,
जनमें याेगे र ीकृण के अनुसार (अयाय २/४०-४३) अनत पूजा-प ितयाँ
हैं, अपने वप में लगाया। वे अ ावध महापुष के प में अवथत हैं।
इसी कार ीकृण क अपनी थित गाेपनीय ताे थी; कत अपने अनय
भ पूण अधकार अनुरागी अजुन के ित उहाेंने उसे काशत कया। हर
भ के लये सव है, महापुष लाखाें काे उस राते पर चला देते हैं।

िनकष—
इस अयाय के अार में याेगे र ीकृण ने बताया क संसार एक वृ
है, पीपल-जैसा वृ है। पीपल एक उदाहरण मा है। ऊपर इसका मूल
परमाा अाैर नीचे कृितपयत इसक शाखा-शाखाएँ हैं। जाे इस वृ काे
मूलसहत वदत कर ले ता है, वह वेदाें का ाता है। इस संसार-वृ क
शाखाएँ ऊपर अाैर नीचे सव या हैं अाैर ‘मूलािन’– उसक जड़ाें का जाल
भी ऊपर अाैर नीचे सव या है, ाेंक वह मूल ई र है अाैर वही
बीजप से येक जीव-दय में िनवास करता है।

पाैराणक अायान है क एक बार कमल के अासन पर बैठे ए  ाजी


ने वचार कया क मेरा उ म ा है जहाँ से वे पैदा ए थे, उस कमल-
नाल में वेश करते चले गये। अनवरत चलते रहे; कत अपना उ म न देख
सके। तब हताश हाेकर वे उसी कमल के अासन पर बैठ गये। च का
िनराेध करने में लग गये अाैर यान के ारा उहाेंने अपना मूल उ म पा
लया, परमत व का सााकार कया, तित क। परमवप से ही अादेश
मला क– मैं ँ ताे सव; कत मेर ाि का थान मा दय है। दय-देश
में जाे यान करता है, वह मुझे ा कर ले ता है।

 ा एक तीक है। याेग-साधना क एक परप अवथा में इस थित


क जागृित है। ई र क अाेर उुख  व ा से संयु बु ही  ा है।
कमल पानी में रहते ए भी िनमल अाैर िनले प रहता है। बु जब तक इधर-
उधर ढूँ ढ़ती है, तब तक नहीं पाती अाैर जब वही बु िनमलता के अासन पर
अासीन हाेकर मनसहत इयाें काे समेटकर दय-देश में िनराेध कर ले ती
है, उस िनराेध के भी वलनीकरण क अवथा में अपने ही दय में परमाा
काे पा ले ती है।
यहाँ भी याेगे र ीकृण के अनुसार संसार वृ है, जसका मूल सव है
अाैर शाखाएँ सव हैं। ‘कमानुबधीिन मनुयलाेके’– कमाे के अनुसार केवल
मनुय-याेिन में बधन तैयार करता है, बाँधता है। अय याेिनयाँ ताे इहीं कमाे
के अनुसार भाेग भाेगती हैं। अत: ढ़ वैरायपी श ारा इस संसारपी
पीपल के वृ काे तू काट अाैर उस परमपद काे ढूँ ढ़, जसमें गये ए महष
पुनज काे ा नहीं हाेते।

कैसे जाना जाय क संसार-वृ कट गया याेगे र कहते हैं क जाे मान
अाैर माेह से सवथा रहत है, जसने संगदाेष जीत लया है, जसक कामनाएँ
िनवृ हाे गई हैं अाैर जाे  से मु है, वह पुष उस परमत व काे ा
हाेता है। उस परमपद काे न सूय, न चमा अाैर न अ ही काशत कर
पाते हैं, वह वयं काशप है। जसमें गये ए पीछे लाैटकर नहीं अाते, वह
मेरा परमधाम है, जसे पाने का अधकार सबकाे है, ाेंक यह जीवाा मेरा
ही श अंश है।

शरर का याग करते समय जीवाा मन अाैर पाँचाें ानेयाें के


कायकलापाें काे ले कर नये शरर काे धारण करता है। संकार सा वक हैं ताे
सा वक तर पर पँच जाता है, राजसी हैं ताे मयम थान पर अाैर तामसी
रहने पर जघय याेिनयाें तक पँच जाता है तथा इयाें के अधाता मन के
मायम से वषयाें काे देखता अाैर भाेगता है। यह दखायी नहीं पड़ता, इसे
देखने क  ान है। कुछ याद कर ले ने का नाम ान नहीं है। याेगीजन
दय में च काे समेटकर य करते ए ही उसे देख पाते हैं, अत: ान
साधनगय है। हाँ, अययन से उसके ित झान उप हाेती है। संशययु,
अकृताा लाेग य करते ए भी उसे नहीं देख पाते।
यहाँ ाि वाले थान का चण है। अत: उस अवथा क वभूितयाें का
वाह वाभावक है। उन पर काश डालते ए याेगे र ीकृण कहते हैं क
सूय अाैर चमा में मैं ही काश ँ, अ में मैं ही तेज ँ, मैं ही चड
अ प से चार वधयाें से परप हाेनेवाले अ काे पचाता ँ। ीकृण के
शदाें में अ एकमा  है। ‘अ ं  ेित यजानात्।’ (तै रय उपिनषद्,
भृगुब  २) जसे ा कर यह अाा तृ हाे जाती है। बैखर से परापयत
अ पूण परप हाेकर पच जाता है, वह पा भी खाे जाता है। इस अ काे
मैं ही पचाता ँ अथात् स 
ु जब तक रथी न हाें, तब तक यह उपलध नहीं
हाेती।

इस पर बल देते ए याेगे र ीकृण पुन: कहते हैं क सपूण ाणयाें के


अतदेश में थत हाेकर मैं ही ृित दलाता ँ। जाे वप वृत था
उसक ृित दलाता ँ। ृित के साथ मलनेवाला ान भी मैं ही ँ। उसमें
अानेवाल बाधाअाें का िनदान भी मुझसे हाेता है। मैं ही जानने याेय ँ अाैर
वदत हाे जाने के बाद जानकार का अतक ा भी मैं ही ँ। काैन कसे
जाने मैं वेदवत् ँ। अयाय के ार में कहा– जाे संसार-वृ काे मूलसहत
जानता है वह वेदवत् है; कत उसकाे काटनेवाला ही जानता है। यहाँ कहते
हैं–मैं भी वेदवत् ँ। उन वेदवदाें में अपनी भी गणना करते हैं। अत: ीकृण
भी यहाँ वेदवत् पुषाे म हैं, जसे पाने का अधकार मानवमा काे है।

अत में उहाेंने बताया क लाेक में दाे कार के पुष हैं। भूतादकाें के
सपूण शरर र हैं। मन क कूटथ अवथा में यही पुष अर है; कत है
ाक अाैर इससे भी परे जाे परमाा, परमे र, अय अाैर अवनाशी
कहा जाता है, वह वतत: अय ही है। यह र अाैर अर से परे वाल
अवथा है, यही परमथित है। इससे संगत करते ए कहते हैं क मैं भी
र-अर से परे वही ँ, इसलये लाेग मुझे पुषाे म कहते हैं। इस कार
उ म पुष काे जाे जानते हैं वे ानी भजन सदैव, सब अाेर से मुझे ही
भजते हैं। उनक जानकार में अतर नहीं है। अजुन यह अयत गाेपनीय
रहय मैंने तेरे ित कहा। ाि वाले महापुष सबके सामने नहीं कहते; कत
अधकार से दुराव भी नहीं रखते। अगर दुराव करें गे ताे वह पायेगा कैसे

इस अयाय में अाा क तीन थितयाें का चण र, अर अाैर अित
उ म पुष के प में प कया गया, जैसा इससे पहले कसी अय
अयाय में नहीं है। अत:–

ॐ तसदित ीम गव तासूपिनषस  व ायां याेगशाे ीकृणाजुनसवादे


‘पुषाे मयाेगाे’ नाम प दशाेऽयाय:।।१५।।

इस कार ीम गव तापी उपिनषद् एवं  व ा तथा याेगशा


वषयक ीकृण अाैर अजुन के सवाद में ‘पुषाे म याेग’ नामक पहवाँ
अयाय पूण हाेता है।

इित ीमपरमहंसपरमानदय शय वामीअड़गड़ानदकृते ीम गव ताया:


‘यथाथ गीता’ भाये ‘पुषाे मयाेगाे’ नाम प दशाेऽयाय:।।१५।।

इस कार ीमत् परमहंस परमानदजी के शय वामी अड़गड़ानदकृत


‘ीम गव ता’ के भाय ‘यथाथ गीता’ में ‘पुषाे म याेग’ नामक पहवाँ
अयाय पूण हाेता है।

।। हर: ॐ तसत् ।।
।। ॐ ी परमाने नम: ।।
।। अथ षाेडशाेऽयाय: ।।
याेगे र भगवान ीकृण के  तत करने क अपनी वश शैल है।
पहले वे करण क वशेषताअाें का उ े ख करते हैं, जससे पुष उसक अाेर
अाकषत हाे, तपात् वे उस करण काे प करते हैं। उदाहरण के लये
कम काे लें । उहाेंने दूसरे अयाय में ही ेरणा द क–अजुन कम कर। तीसरे
अयाय में उहाेंने इं गत कया क िनधारत कम कर। िनधारत कम है ा
ताे बताया– य क या ही कम है। फर उहाेंने य का वप न
बताकर पहले बताया क य अाया कहाँ से अाैर देता ा है चाैथे अयाय
में तेरह-चाैदह वधयाें से य का वप प कया, जसकाे करना कम है।
यहाँ कम प हाेता है, जसका श अथ है याेग-चतन, अाराधना, जाे मन
अाैर इयाें क या से सप हाेता है।

इसी कार उहाेंने अयाय नाै में दैवी अाैर अासर सपद् का नाम लया।
उनक वशेषताअाें पर बल दया क– अजुन अासर वभाववाले मुझे तछ
कहकर पुकारते हैं। ँ ताे मैं भी मनुय-शरर के अाधारवाला ाेंक मनुय-
शरर में ही मुझे यह थित मल है; कत अासर वभाववाले , मूढ़
वभाववाले मुझे नहीं भजते, जबक दैवी सपद् से यु भजन अनय  ा
से मुझे उपासते हैं। कत इन सप याें का वप, उनका गठन अभी तक
नहीं बताया गया। अब अयाय साेलह में याेगे र उनका वप प करने
जा रहे हैं, जनमें तत है पहले दैवी सपद् के लण–

ीभगवानुवाच

अभयं स वसंश जानयाेगयवथित:।


दानं दम य वायायतप अाजवम्।।१।।

भय का सवथा अभाव, अत:करण क श ता, त वान के लये यान में


ढ़ थित अथवा िनरतर लगन, सवव का समपण, इयाें का भल कार
दमन, य का अाचरण (जैसा वयं ीकृण ने अयाय चार में बताया है–
संयमा में हवन, इया में हवन, ाण-अपान में हवन अाैर अत में
ाना में हवन अथात् अाराधना क या, जाे केवल मन अाैर इयाें क
अत:या से सप हाेती है। ितल, जाै, वेद इयाद सामयाें से हाेनेवाले
य का इस गीताे य से काेई सबध नहीं है। ीकृण ने एेसे कसी
कमकाड काे य नहीं माना।), वायाय अथात् व-वप क अाेर असर
करानेवाला अययन, तप अथात् मनसहत इयाें काे इ के अनुप ढालना
तथा ‘अाजवम्’– शरर अाैर इयाेंसहत अत:करण क सरलता–

अहंसा सयमाेधयाग: शातरपैशनम्।


दया भूतेवलाेल वं मादवं रचापलम्।।२।।

अहंसा अथात् अाा का उ ार (अाा काे अधाेगित में पँचाना ही


हंसा है। ीकृण कहते हैं– यद मैं सावधान हाेकर कम में न बरतूँ ताे इस
सपूण जा का हनन करनेवाला अाैर वणसंकर का क ा हाेऊँ। अाा का
श वण है परमाा, उसका कृित में भटकना वणसंकर है, अाा क हंसा
है अाैर अाा का उ ार ही अहंसा है।), सय (सय का अथ यथाथ अाैर
य भाषण नहीं है। अाप कहते हैं– यह व हमारा है, ताे ा अाप सच
बाेलते हैं इससे बड़ा झूठ अाैर ा हाेगा जब शरर अापका नहीं है, न र
है ताे इसे ढाँकने का व कब अापका है वतत: सय का वप याेगे र
ने वयं बताया है क– अजुन सय वत का तीनाें कालाें में कभी अभाव नहीं
है। यह अाा ही सय है, यही परमसय है–इस सय पर  रखना।),
ाेध का न हाेना, सवव का समपण, शभाशभ कमफलाें का याग, च क
चंचलता का सवथा अभाव, लय के वपरत िनदत कायाे काे न करना,
सपूण ाणयाें में दयाभाव, इयाें का वषयाें से संयाेग हाेने पर भी उनमें
अास का अभाव, काेमलता, अपने लय से वमुख हाेने में ल ा, यथ क
चेाअाें का अभाव तथा–

तेज: मा धृित: शाैचमाेहाे नाितमािनता।


भवत सपदं दैवीमभजातय भारत।।३।।

तेज (जाे एकमा ई र में है, उसके तेज से जाे काय करता है। महाा
बु क  पड़ते ही अंगुलमाल के वचार बदल गये। यह उस तेज का ही
परणाम था जससे कयाण का सृजन हाेता है, जाे बु में था), मा, धैय,
श , कसी में शुभाव का न हाेना, अपने में पूयता के भाव का सवथा
अभाव– यह सब ताे हे अजुन दैवी सपद् काे ा पुष के लण हैं। इस
कार कुल छ ीस लण बताये, जाे सब-के-सब ताे साधना में परप
अवथावाले पुष में सव हैं अाैर अांशक प में अाप में भी िनत हैं
तथा अासर सपद् से अाावत मनुयाें में भी ये गुण हैं कत स रहते हैं,
तभी ताे घाेर पापी काे भी कयाण का अधकार है। अब अासर सपद् के
मुख लण बताते हैं–

दाे दपाेऽभमान ाेध: पायमेव च।


अानं चाभजातय पाथ सपदमासरम्।।४।।

हे पाथ पाखड, घमड, अभमान, ाेध, कठाेर वाणी अाैर अान– यह


सब अासर सपद् काे ा पुष के लण हैं। दाेनाें सपदाअाें का काय ा
है –

दैवी सपमाेाय िनबधायासर मता।


मा शच: सपदं दैवीमभजाताेऽस पाडव।।५।।

इन दाेनाें कार क सपदाअाें में से दैवी सपद् ताे ‘वमाेाय’– वशेष


माे के लये है अाैर अासर सपदा बधन के लये मानी गयी है। हे अजुन
तू शाेक मत कर; ाेंक दैवी सपदा काे ा अा है। वशेष मु काे ा
हाेगा अथात् मुझे ा हाेगा। ये सपदाएँ रहती कहाँ हैं –

ाै भूतसगाै लाेकेऽदैव अासर एव च।


दैवाे वतरश: ाे अासरं पाथ मे णु।।६।।

हे अजुन इस लाेक में भूताें के वभाव दाे कार के हाेते हैं– देवाें के
जैसा अाैर असराें के जैसा। जब दय में दैवी सपद् कायप ले ले ती है ताे
मनुय ही देवता है अाैर जब अासर सपद् का बाय हाे ताे मनुय ही
असर है। सृ में ये दाे ही जाितयाँ हैं। वह चाहे अरब में पैदा अा है, चाहे
अाट े लया में; कहीं भी पैदा अा हाे, बशते है इन दाे में से ही। अभी तक
देवाें का वभाव ही वतार से कहा गया, अब असराें के वभाव काे मुझसे
वतारपूवक सन।

वृ ं च िनवृ ं च जना न वदुरासरा:।


न शाैचं नाप चाचाराे न सयं तेषु व ते।।७।।

हे अजुन असर लाेग ‘कायम् कम’ में वृ हाेने अाैर अक य कम से
िनवृ हाेना भी नहीं जानते। इसलये उनमें न श रहती है, न अाचरण अाैर
न सय ही रहता है। उन पुषाें के वचार कैसे हाेते हैं –

असयमितं ते जगदारनी रम्।


अपरपरसूतं कमयकामहैतकम्।।८।।

वे अासर कृितवाले मनुय कहते हैं क जगत् अायरहत है, सवथा


झूठा है अाैर बना ई र के अपने अाप ी-पुष के संयाेग से उप अा है,
इसलये केवल भाेगाें काे भाेगने के लये है। इसके सवाय अाैर ा है

एतां मवय नाानाेऽपबु य:।


भवयुकमाण: याय जगताेऽहता:।।९।।

इस मया काेण के अवलबन से जनका वभाव न हाे चुका है वे


मदबु , अपकार, ूरकमी मनुय केवल जगत् का नाश करने के लये ही
उप हाेते हैं।

काममाय दुपूरं दमानमदावता:।


माेहा हृ ीवास ाहावततेऽशचता:।।१०।।

वे मनुय द, मान अाैर मद से यु ए कसी भी कार पूण न


हाेनेवाल कामनाअाें का अाय ले कर, अान से मया स ाताें काे हण
करके अशभ तथा  ताें से यु ए संसार में बरतते हैं। वे त भी करते
हैं; कत  हैं।

चतामपरमेयां च लयातामुपाता:।
कामाेपभाेगपरमा एतावदित िनता:।।११।।

वे अतम ास तक अनत चताअाें काे लये रहते हैं अाैर वषयाें काे
भाेगने में तपर वे ‘बस इतना ही अानद है’– एेसा मानते हैं। उनक मायता
रहती है क जतना हाे सके भाेग संह कराे, इसके अागे कुछ नहीं है।

अाशापाशशतैब ा: कामाेधपरायणा:।
ईहते कामभाेगाथमयायेनाथस यान्।।१२।।

अाशापी सैकड़ाें फाँसयाें से (एक फाँसी से ही लाेग मर जाते हैं, यहाँ


सैकड़ाें फाँसयाें से) बँधे ए काम-ाेध के परायण वषय-भाेगाें क पूित के
लये वे अयायपूवक धनाद बत से पदाथाे काे संह करने क चेा करते
हैं। अत: धन के लये वे रात-दन असामाजक कदम उठाया करते हैं। अागे
कहते हैं–

इदम मया लधममं ाये मनाेरथम्।


इदमतीदमप मे भवयित पुनधनम्।।१३।।
वे साेचते हैं क मैंने अाज यह पाया है, इस मनाेरथ काे ा कँगा। मेरे
पास इतना धन है अाैर फर कभी इतना हाे जायेगा।

असाै मया हत: शुहिनये चापरानप।


ई राेऽहमहं भाेगी स ाेऽहं बलवासखी।।१४।।

वह शु मेरे ारा मारा गया अाैर दूसरे शुअाें काे भी मैं माँगा। मैं ही
ई र अाैर एे य काे भाेगनेवाला ँ। मैं ही स याें से यु, बलवान् अाैर
सखी ँ।

अाढ ाेऽभजनवान काेऽयाेऽत स शाे मया।


यये दायाम माेदय इयानवमाेहता:।।१५।।

मैं बड़ा धनी अाैर बड़े कुटबवाला ँ। मेरे समान दूसरा काैन है मैं य
कँगा, मैं दान दूँगा, मुझे हष हाेगा– इस कार के अान से वे वशेष
माेहत रहते हैं। ा य, दान भी अान है इस पर अयाय १७ में प
कया है। इतने पर भी वे नहीं कते बक अनेक ातयाें के शकार रहते
हैं। इस पर कहते हैं–

अनेकच वाता माेहजालसमावृता:।


सा: कामभाेगेषु पतत नरकेऽशचाै।।१६।।

अनेक कार से मत ए च वाले , माेह-जाल में फँ से ए, वषय-भाेगाें


में अयत अास वे अासर वभाववाले मनुय अपव नरक में गरते हैं।
अागे ीकृण वयं बतायेंगे क नरक ा है
अासावता: तधा धनमानमदावता:।
यजते नामयैते देनावधपूवकम्।।१७।।

अपने अापकाे ही े माननेवाले , धन अाैर मान के मद से यु हाेकर वे


घमड मनुय शावध से रहत केवल नाममा के याें ारा पाखड से
यजन करते हैं। ा वही य करते हैं, जैसा ीकृण ने बताया है नहीं, उस
वध काे छाेड़कर करते हैं; ाेंक वध याेगे र ने वयं बतायी है। (अयाय
४/२४-३३ तथा अयाय ६/१०-१७)

अहरं बलं दप कामं ाेधं च संता:।


मामापरदेहेषु षताेऽयसूयका:।।१८।।

वे दूसराें क िनदा करनेवाले ; अहंकार, बल, घमड, कामना अाैर ाेध के


परायण ए पुष अपने अाैर दूसराें के शरर में थत मुझ अतयामी
परमाा से ेष करनेवाले हैं। शावध से परमाा का समरन एक य है।
जाे इस वध काे यागकर नाममा का य करते हैं, य के नाम पर कुछन-
कुछ करते ही रहते हैं, वे अपने अाैर दूसरे के शरर में थत मुझ परमाा
से ेष करनेवाले हैं। लाेग ेष करते ही रहते हैं अाैर बच भी जाते हैं, ा ये
भी बच जायेंगे इस पर कहते हैं– नहीं,

तानहं षत: ूरासंसारे षु नराधमान्।


पायजमशभानासरवेव याेिनषु।।१९।।

मुझसे ेष करनेवाले उन पापाचार, ूरकमी नराधमाें काे मैं संसार में
िनरतर अासर याेिनयाें में ही गराता ँ। जाे शावध काे यागकर यजन
करते हैं वे पापयाेिन हैं, वही मनुयाें में अधम हैं, इहीं काे ूरकमी कहा
गया। अय काेई अधम नहीं है। पीछे कहा था, एेसे अधमाें काे मैं नरक में
गराता ँ, उसी काे यहाँ कहते हैं क उहें अज अासर याेिनयाें में गराता
ँ। यही नरक है। साधारण जेल क यातना भयंकर हाेती है अाैर यहाँ अनवरत
अासर याेिनयाें में गरने का म कतना दु:खद है। अत: दैवी सपद् के लये
य शील रहना चाहये।

अासरं याेिनमाप ा मूढा जिन जिन।


मामायैव काैतेय तताे यायधमां गितम्।।२०।।

काैतेय मूख मनुय ज-जातराें तक अासर याेिन काे ा ए मुझे


न ा हाेकर पहले से भी अित नीच गित काे ा हाेते हैं, जसका नाम
नरक है। अब देखें, नरक का उ म ा है –

िवधं नरकयेदं ारं नाशनमान:।


काम: ाेधतथा लाेभतादेत यं यजेत्।।२१।।

काम, ाेध अाैर लाेभ ये तीन कार के नरक के मूल ार हैं। ये अाा
का नाश करनेवाले , उसे अधाेगित में ले जानेवाले हैं। अत: इन तीनाें काे याग
देना चाहये। इहीं तीनाें पर अासर सपद् टक ई है। इहें यागने से
लाभ –

एतैवमु: काैतेय तमाेारै भनर:।


अाचरयान: ेयतताे याित परां गितम्।।२२।।
काैतेय नरक के इन तीनाें ाराें से मु अा पुष अपने परमकयाण
के लये अाचरण कर पाता है, जससे वह परमगित अथात् मेरे काे ा हाेता
है। इन तीनाें वकाराें काे यागने पर ही मनुय िनयत कम करता है, जसका
परणाम परमेय है।

य: शावधमुसृय वतते कामकारत:।


न स स मवााेित न सखं न परां गितम्।।२३।।

जाे पुष उपयु शावध काे यागकर वह शा काेई अय नहीं, ‘इित
गु तमं शाम्’ (१५/२०) गीता वयं पूणशा है, जसे वयं ीकृण ने
बताया है, उस वध काे यागकर अपनी इछा से बरतता है, वह न स
काे ा हाेता है, न परमगित काे अाैर न सख काे ही ा हाेता है।

ताछां माणं ते कायाकाययवथताै।


ावा शावधानाें कम कतमहाहस।।२४।।

इसलये अजुन तेरे लये इस क य अाैर अक य क यवथा में क


मैं ा कँ, ा न कँ – इसक यवथा में शा ही एक माण है। एेसा
जानकर शावध से िनयत कये ए कम काे ही तझे करना याेय है।

अयाय तीन में भी याेगे र ीकृण ने ‘िनयतं कु कम वं’– िनयत कम
पर बल दया अाैर बताया क य क या ही वह िनयत कम है अाैर वह
य अाराधना क वध-वशेष का चण है, जाे मन का सवथा िनराेध करके
शा त  में वेश दलाता है। यहाँ उहाेंने बताया क काम, ाेध अाैर लाेभ
नरक के तीन मुख ार हैं। इन तीनाें काे याग देने पर ही उस कम का
(िनयत कम का) अार हाेता है, जसे मैंने बार-बार कहा, जाे परमेय-
परमकयाण दलानेवाला अाचरण है। बाहर सांसारक कायाे में जाे जतना
यत है, उतना ही अधक काम, ाेध अाैर लाेभ उसके पास सजासजाया
मलता है। कम काेई एेसी वत है क काम, ाेध अाैर लाेभ काे याग देने
पर ही उसमें वेश मलता है, कम अाचरण में ढल पाता है। जाे उस वध
काे यागकर अपनी इछा से अाचरण करता है, उसके लये सख, स
अथवा परमगित कुछ भी नहीं है। अब क य अाैर अक य क यवथा में
शा ही एकमा माण है। अत: शावध के ही अनुसार तझे कम करना
उचत है अाैर वह शा है ‘गीता’।

िनकष—

इस अयाय के अार में याेगे र ीकृण ने दैवी सपद् का वतार से


वणन कया। जसमें यान में थित, सवव का समपण, अत:करण क
श , इयाें का दमन, मन का शमन, वप काे रण दलानेवाला
अययन, य के लये य , मनसहत इयाें काे तपाना, अाेध, च का
शात वाहत रहना इयाद छ ीस लण बताये, जाे सब-के-सब ताे इ के
समीप पँचे ए याेग-साधना में वृ कसी साधक में सव हैं। अांशक
प से सब में हैं।

तदनतर उहाेंने अासर सपद् में धान चार-छ: वकाराें का नाम लया;
जैसे– अभमान, द, कठाेरता, अान इयाद अाैर अत में िनणय दया क
अजुन दैवी सपद् ताे ‘वमाेाय’– पूण िनवृ के लये है, परमपद क ाि
के लये है अाैर अासर सपद् बधन अाैर अधाेगित के लये है। अजुन तू
शाेक न कर; ाेंक तू दैवी सपद् काे ा अा है।
ये सपदाएँ हाेती कहाँ हैं उहाेंने बताया क इस लाेक में मनुयाें के
वभाव दाे कार के हाेते हैं– देवताअाें-जैसा अाैर असराें-जैसा। जब दैवी
सपद् का बाय हाेता है ताे मनुय देवताअाें-जैसा हाेता है अाैर जब अासर
सपद् का बाय हाेता है ताे मनुय असराें-जैसा है। सृ में बस मनुयाें क
दाे ही जाित हैं; चाहे वह कहीं पैदा अा हाे, कुछ भी कहलाता हाे।

तपात् उहाेंने अासर वभाववाले मनुयाें के लणाें का वतार से


उ े ख कया। अासर सपद् काे ा पुष क य कम में वृ हाेना नहीं
जानता अाैर अक य कम से िनवृ हाेना नहीं जानता। वह कम में जब वृ
ही नहीं अा ताे न उसमें सय हाेता है, न श अाैर न अाचरण ही हाेता है।
उसके वचार में जगत् अायरहत, बना ई र के अपने अाप ी-पुष के
संयाेग से उप अा है, अत: केवल भाेग भाेगने के लये है। इससे अागे
ा है – यह वचार कृणकाल में भी था। सदैव रहा है। केवल चावाक ने
कहा हाे, एेसी बात नहीं है। जब तक जनमानस में दैवी-अासर सपद् का
उतार-चढ़ाव है तब तक रहेगा। ीकृण कहते हैं– वे मदबु वाले पुष सबका
अहत (कयाण का नाश) करने के लये ही जगत् में पैदा हाेते हैं। वे कहते
हैं– मेरे ारा यह शु मारा गया, उसे माँगा। इस कार अजुन काम-ाेध
के अात वे पुष शुअाें काे नहीं मारते बक अपने अाैर दूसराें के शरर
में थत मुझ परमाा से ेष करनेवाले हैं। ताे ा अजुन ने ण करके
जयथाद काे मारा यद मारता है ताे अासर सपाला है, उन परमाा से
ेष करनेवाला है; जबक अजुन काे ीकृण ने प कहा क तू दैवी सपद्
काे ा अा है, शाेक मत कर। यहाँ भी प अा क ई र का िनवास
सबके दय-देश में है। रण रखना चाहये क काेई तहें सतत देख रहा है।
अत: सदैव शािनद या का ही अाचरण करना चाहये अयथा दड
तत है।

याेगे र ीकृण ने पुन: कहा क अासर वभाववाले ूर मनुयाें काे मैं
बारबार नरक में गराता ँ। नरक का वप ा है ताे बताया, बारबार
नीच-अधम याेिनयाें में गरना एक दूसरे का पयाय है। यही नरक का वप
है। काम, ाेध अाैर लाेभ नरक के तीन मूल ार हैं। इन तीनाें पर ही अासर
सपद् टक ई है। इन तीनाें काे याग देने पर ही उस कम का अार
हाेता है, जसे मैंने बार-बार बताया है। स है क कम काेई एेसी वत है,
जसका अार काम, ाेध अाैर लाेभ काे याग देने पर ही हाेता है।

सांसारक कायाे में, मयादत ढं ग से सामाजक यवथाअाें का िनवाह


करने में भी जाे जतने यत हैं काम, ाेध अाैर लाेभ उनके पास उतने
अधक सजे-सजाये मलते हैं। वतत: इन तीनाें काे याग देने पर ही परम में
वेश दलानेवाले िनधारत कम में वेश मलता है। इसलये मैं ा कँ,
ा न कँ – इस क य अाैर अक य क यवथा में शा ही माण है।
काैन-सा शा यही गीताशा; ‘कमयै शावतरै :।’ इसलये इस शा
ारा िनधारत कये ए कम-वशेष (याथ कम) काे ही तू कर।

इस अयाय में याेगे र ीकृण ने दैवी अाैर अासर दाेनाें सपदाअाें का


वतार से वणन कया। उनका थान मानव-दय बताया। उनका फल बताया।
अत:–

ॐ तसदित ीम गव तासूपिनषस  व ायां याेगशाे ीकृणाजुनसवादे


‘दैवासरसपभागयाेगाे’ नाम षाेडशाेऽयाय:।।१६।।
इस कार ीम गव तापी उपिनषद् एवं  व ा तथा याेगशा
वषयक ीकृण अाैर अजुन के सवाद में ‘दैवासर सपद् वभाग याेग’
नामक साेलहवाँ अयाय पूण हाेता है।

इित ीमपरमहंसपरमानदय शय वामीअड़गड़ानदकृते ीम गव ताया:


‘यथाथ गीता’ भाये ‘दैवासरसपभागयाेगाे’ नाम षाेडशाेऽयाय:।।१६।।

इस कार ीमत् परमहंस परमानदजी के शय वामी अड़गड़ानदकृत


‘ीम गव ता’ के भाय ‘यथाथ गीता’ में ‘दैवासर सपद् वभाग याेग’ नामक
साेलहवाँ अयाय पूण हाेता है।

।। हर: ॐ तसत् ।।
।। ॐ ी परमाने नम:।।
।।अथ स दशाेऽयाय:।।
अयाय साेलह के अत में याेगे र ीकृण ने प कहा क काम, ाेध
अाैर लाेभ के यागने पर ही कम अार हाेता है, जसे मैंने बार-बार कहा है।
िनयत कम काे बना कये न सख, न स अाैर न परमगित ही मलती है।
इसलये अब तहारे लये क य अाैर अक य क यवथा में क ा कँ,
ा न कँ – इस सबध में शा ही माण है। काेई अय शा नहीं;
बक ‘इित गु तमं शामदम्।’ (१५/२०) गीता वयं शा है। अय शा
भी हैं; कत यहाँ इसी गीताशा पर  रखें, दूसरा न ढूँ ढ़ने लगें। दूसर
जगह ढूँ ढ़ेंगे ताे यह मब ता नहीं मले गी, अत: भटक जायेंगे।

इस पर अजुन ने  कया क भगवन् जाे लाेग शावध काे यागकर


पूण  ा से यु हाेकर ‘यजते’– यजन करते हैं, उनक गित कैसी है
सा वक है, राजसी अथवा तामसी है ाेंक पीछे अजुन ने सना था क
सा वक, राजस अथवा तामस, जब तक गुण व मान हैं, कसीन-कसी याेिन
के ही कारण हाेते हैं। इसलये तत अयाय के अार में ही उसने 
रखा–

अजुन उवाच
ये शावधमुसृय यजते  यावता:।
तेषां िना त का कृण स वमाहाे रजतम:।।१।।

हे कृण जाे मनुय शावध काे छाेड़कर  ासहत यजन करते हैं,
उनक गित काैन-सी है सा वक है, राजसी है अथवा तामसी है यजन में
देवता, य, भूत इयाद सभी अा जाते हैं।

ीभगवानुवाच

िवधा भवित  ा देहनां सा वभावजा।


सा वक राजसी चैव तामसी चेित तां णु।।२।।

अयाय दाे में याेगे र ने बताया क– अजुन इस याेग में िनधारत या
एक ही है। अववेकयाें क बु अनत शाखाअाेंवाल हाेती है, इसलये वे
अनत याअाें का वतार कर ले ते हैं। दखावट शाेभायु वाणी में उसे
य भी करते हैं। उनक वाणी क छाप जनके च पर पड़ती है, अजुन
उनक भी बु न हाे जाती है, न क कुछ पाते हैं। ठक इसी क पुनरावृ
यहाँ पर भी है क जाे ‘शावधमुसृय’– शावध काे यागकर भजते हैं,
उनक  ा भी तीन कार क हाेती है।

इस पर ीकृण ने कहा– मनुय क अादत से उप ई वह  ा


सा वक, राजसी तथा तामसी– एेसे तीन कार क हाेती है, उसे तू मुझसे
सन। मनुय के दय में यह  ा अवरल है।

स वानुपा सवय  ा भवित भारत।


 ामयाेऽयं पुषाे याे य : स एव स:।।३।।
हे भारत सभी मनुयाें क  ा उनके च क वृ याें के अनुप हाेती
है। यह पुष  ामय है। इसलये जाे पुष जैसी  ावाला है, वह वयं भी
वही है। ाय: लाेग पूछते हैं– मैं काैन ँ काेई कहता है– मैं ताे अाा ँ।
कत नहीं, यहाँ याेगे र ीकृण कहते हैं क जैसी  ा, जैसी वृ वैसा
पुष।

गीता याेग-दशन है। महष पतंजल भी याेगी थे। उनका याेग-दशन है।
याेग है ा उहाेंने बताया– ‘याेग वृ िनराेध:।’ (१/२) च क वृ याें
का सवथा क जाना याेग है। कसी ने परम करके राेक ही लया, ताे
लाभ ा है ‘तदा ु : वपेऽवथानम्।’ (१/३)– उस समय यह ा
जीवाा अपने ही शा त वप में थत हाे जाता है। ा थत हाेने से
पूव यह मलन था पतंजल कहते हैं– ‘वृ सायमतर।’ (१/४)– दूसरे
समय में जैसा वृ का प है, वैसा ही वह ा है। यहाँ याेगे र ीकृण
कहते हैं– यह पुष  ामय है,  ा से अाेताेत, कहींन-कहीं  ा अवय
हाेगी अाैर जैसी  ावाला है, वह वयं भी वही है। जैसी वृ , वैसा पुष।
अब तीनाें  ाअाें का वभाजन करते हैं–

यजते सा वका देवायरांस राजसा:।


ेताूतगणांाये यजते तामसा जना:।।४।।

उनमें से सा वक पुष देवताअाें काे पूजते हैं, राजस पुष य अाैर
रासाें काे पूजते हैं तथा अय तामस पुष ेत अाैर भूताें काे पूजते हैं। वे
पूजन में अथक परम भी करते हैं।

अशावहतं घाेरं तयते ये तपाे जना:।


दाहारसंयुा: कामरागबलावता:।।५।।

वे मनुय शावध से रहत घाेर कपत (कपत याएँ रचकर) तप


तपते हैं। द अाैर अहंकार से यु, कामना अाैर अास के बल से बँधे
ए–

कशयत: शररथं भूताममचेतस:।


मां चैवात:शररथं ताव ासरिनयान्।।६।।

वे शररप से थत भूतसमुदाय काे अाैर अत:करण में थत मुझ


अतयामी काे भी कृश करनेवाले हैं अथात् दुबल करनेवाले हैं। अाा कृित
के दराराें में पड़कर वकाराें से दुबल अाैर य-साधनाें से सबल हाेती है। उन
अािनयाें (अचेताें) काे िनय ही तू असर जान अथात् वे सब-के-सब असर
हैं।  पूरा अा।

शावध काे यागकर भजनेवाले सा वक पुष देवताअाें काे, राजस


पुष य-रासाें काे अाैर तामस पुष भूत-ेताें काे पूजते हैं। केवल पूजते ही
नहीं, घाेर तप तपते हैं; कत अजुन शररप से भूताें काे अाैर अतयामी
प से थत मुझ परमाा काे दुबल करनेवाले हैं, मुझसे दूर पैदा करते हैं
न क भजते हैं। उनकाे तू असर जान अथात् देवताअाें काे पूजनेवाले भी
असर ही हैं। इससे अधक काेई ा कहेगा अत: जसके ये सभी अंशमा
हैं, उन मूल एक परमाा का भजन करें । इसी पर याेगे र ीकृण ने
बारबार बल दया है।

अाहारवप सवय िवधाे भवित य:।


यतपतथा दानं तेषां भेदममं णु।।७।।

अजुन जैसे  ा तीन कार क हाेती है, वैसे ही सबकाे अपनी-अपनी


कृित के अनुसार भाेजन भी तीन कार का य हाेता है अाैर वैसे ही य,
तप अाैर दान भी तीन-तीन कार के हाेते हैं। उनके भेद काे तू मुझसे सन।
पहले तत है अाहार–

अायु:स वबलाराेयसखीितववधना: ।
रया: धा: थरा  ा अाहारा: सा वकया:।।८।।

अायु, बु , बल, अाराेय, सख अाैर ीित काे बढ़ानेवाले ; रसयु, चकने
अाैर थर रहनेवाले तथा वभाव से ही दय काे य लगनेवाले भाेय पदाथ
सा वक पुष काे य हाेते हैं।

याेगे र ीकृण के अनुसार, वभाव से दय काे य लगनेवाला, बल,


अाराेय, बु अाैर अायु बढ़ानेवाला भाेय पदाथ ही सा वक है। जाे भाेय
पदाथ सा वक है, वही सा वक मनुय काे य हाेता है। इससे प हाे
जाता है क काेई भी खा वत सा वक, राजसी अथवा तामसी नहीं हाेती,
उसका याेग सा वक, राजसी अथवा तामसी अा करता है। न दूध सा वक
है, न याज राजसी अाैर न लहसन तामसी है।

जहाँ तक बल, बु , अाराेय अाैर दय काे य लगने का  है, ताे
व भर में मनुयाें काे अपनी-अपनी कृित, वातावरण अाैर परथितयाें के
अनुकूल वभ खा सामयाँ य हाेती हैं, जैसे– बंगालयाें तथा मासयाें
काे चावल य हाेता है अाैर पंजाबयाें काे राेट। एक अाेर ताे अरबवासयाें
काे दुबा, चीिनयाें काे मेढक, ताे दूसर अाेर व-जैसे ठं डे देशाें में मांस
बना गुजारा नहीं है। स अाैर मंगाेलया के अादवासी खा में घाेड़े
इतेमाल करते हैं, यूराेपवासी गाय तथा सअर दाेनाें खाते हैं; फर भी व ा,
बु -वकास तथा उ ित में अमेरका अाैर यूराेपवासी थम ेणी में गने जा
रहे हैं।

गीता के अनुसार रसयु, चकना अाैर थर रहनेवाला भाेय पदाथ


सा वक है। लबी अायु, अनुकूल, बल-बु बढ़ानेवाला, अाराेयव क पदाथ
सा वक है। वभाव से दय काे य लगनेवाला भाेय पदाथ सा वक है।
अत: कहीं कसी खा पदाथ काे घटाना-बढ़ाना नहीं है। परथित, परवेश
तथा देशकाल के अनुसार जाे भाेय वत वभाव से य लगे अाैर जीवनी
श दान करे , वही सा वक है। वत सा वक, राजसी या तामसी नहीं
हाेती, उसका याेग सा वक, राजसी अथवा तामसी हाेता है।

इसी अनुकूलन के लये जाे य घर-परवार यागकर केवल ई र-


अाराधन में ल हैं, संयास अाम में हैं, उनके लये मांस-मदरा याय है;
ाेंक अनुभव से देखा गया है क ये पदाथ अायाक माग के वपरत
मनाेभाव उप करते हैं, अत: इनसे साधन-पथ से  हाेने क अधक
सावना है। जाे एकात-देश का सेवन करनेवाले वर हैं, उनके लये
याेगे र ीकृण ने अयाय छ: में अाहार के लये एक िनयम दया क
‘युाहार वहारय’ इसी काे यान में रखकर अाचरण करना चाहये। जाे
भजन में सहायक है उतना (वही) अाहार हण करना चाहये।

क लवणायुणतीणवदाहन:।
अाहारा राजसयेा दु:खशाेकामयदा:।।९।।
कड़वे, ख े , अधक नमकन, अयत गम, तीखे, खे, दाहकारक अाैर
दु:ख, चता तथा राेगाें काे उप करनेवाले अाहार राजस पुष काे य हाेते
हैं।

यातयामं गतरसं पूित पयुषतं च यत्।


उछमप चामेयं भाेजनं तामसयम्।।१०।।

जाे भाेजन देर का बना अा है, अधपका है ‘गतरसं’– रसरहत, (रसरहत
का अथ यह नहीं क जल क माा कम हाे, शारर के लए वायवधक
रसायन से जाे रहत है।) दुगधयु, बासी, उछ (जूठा) अाैर अपव भी
है, वह तामस पुष काे य हाेता है।  पूरा अा। अब तत है ‘य’–

अफलाकाभयाे वध ाे य इयते।


ययमेवेित मन: समाधाय स सा वक:।।११।।

जाे य ‘वध :’– शावध से िनधारत कया गया है (जैसा पीछे


अयाय ३ में य का नाम लया, अयाय ४ में य का वप बताया क
बत से याेगी ाण काे अपान में, अपान काे ाण में हवन करते हैं। ाण-
अपान क गित िनराेध कर ाणाें क गित थर कर ले ते हैं, संयमा में हवन
करते हैं। इस कार य के चाैदह साेपान बताये, जाे सब-के-सब  तक
क दूर तय करा देनेवाल एक ही या क ऊँची-नीची अवथाएँ हैं। संेप
में य चतन क या का चण है, जसका परणाम सनातन  में
वेश है। जसका वधान इस शा में कया गया है।) उसी शा-वधान पर
पुन: बल देते हैं क अजुन शावध से िनयत कये ए, जसे करना ही
क य है तथा जाे मन का िनराेध करनेवाला है, जाे फल काे न चाहनेवाले
पुषाें ारा कया जाता है, वह य सा वक है।

अभसधाय त फलं दाथमप चैव यत्।


इयते भरते तं यं व राजसम्।।१२।।

हे अजुन जाे य केवल दाचरण के लये ही हाे या फल काे उ ेय


बनाकर कया जाता है, उसे राजस य जान। यह क ा य क वध जानता
है; कत दाचरण या फल काे उ ेय बनाकर करता है क अमुक वत
मले गी तथा लाेग देखें क य करता है– शंसा करें गे, एेसा यक ा वतत:
राजसी है। अब तामस य का वप बताते हैं–

वधहीनमसृा ं म हीनमदणम्।
 ावरहतं यं तामसं परचते।।१३।।

जाे य शावध से रहत है, जाे अ (परमाा) क सृ कर सकने


में असमथ है, मन के अतराल में िन करने क मता से रहत है,
दणा अथात् सवव के समपण से रहत है तथा जाे  ारहत है, एेसा य
तामस य कहा जाता है। एेसा पुष वातवक य काे जानता ही नहीं। अब
तत है तप–

देवजगुापूजनं शाैचमाजवम्।
 चयमहंसा च शाररं तप उयते।।१४।।
परमदेव परमाा, ैत पर जय ा ु अाैर ानीजनाें
करनेवाले ज, स 
का पूजन, पवता, सरलता,  चय तथा अहंसा शरर-सबधी तप कहा
जाता है। शरर सदैव वासनाअाें क अाेर बहकता है, इसे अत:करण क
उपयु वृ याें के अनुप तपाना शाररक तप है।

अनुेगकरं वां सयं यहतं च यत्।


वायायायसनं चैव वायं तप उयते।।१५।।

उेग न पैदा करनेवाला, य, हतकारक अाैर सय भाषण तथा परमाा
में वेश दलानेवाले शााें के चतन का अयास, नाम-जप– यह वाणी-
सबधी तप कहा जाता है। वाणी वषयाेुख वचाराें काे भी य करती
रहती है, इसे उस अाेर से समेटकर परमसय परमाा क दशा में लगाना
वाणी-सबधी तप है। अब मन-सबधी तप देखें–

मन:साद: साैयवं माैनमाविनह:।


भावसंश रयेत पाे मानसमुयते।।१६।।

मन क स ता, साैयभाव, माैन अथात् इ के अितर अय वषयाें का


रण भी न हाे, मन का िनराेध, अत:करण क सवथा पवता– यह मन-
सबधी तप कहा जाता है। उपयु तीनाें शरर, वाणी अाैर मन का तप
मलाकर एक सा वक तप है।

 या परया त ं तपत वधं नरै :।


अफलाकाभयुै: सा वकं परचते।।१७।।
फल काे न चाहते ए अथात् िनकाम कम से यु पुषाें ारा परम  ा
से कये ए उपयु तीनाें तपाें काे मलाकर सा वक तप कहते हैं। अब
तत है राजस तप–

सकारमानपूजाथ तपाे देन चैव यत्।


यते तदह ाें राजसं चलमवम्।।१८।।

जाे तप सकार, मान अाैर पूजा के लये अथवा केवल पाखड से ही


कया जाता है, वह अिनत एवं चंचल फलवाला तप राजस कहा गया है।

मूढाहेणानाे यपीडया यते तप:।


परयाेसादनाथ वा त ामसमुदातम्।।१९।।

जाे तप मूखतापूवक हठ से; मन, वाणी अाैर शरर के पीड़ासहत अथवा


दूसरे का अिन करने के लये बदले क भावना से कया जाता है, वह तप
तामस कहा गया है।

इस कार सा वक तप में शरर, मन अाैर वाणी काे मा इ के अनुप


ढालना है। राजस तप में तप क या वही है; कत दमान सान क
इछा से तपते हैं। ाय: महाा लाेग घर-बार छाेड़ने के बाद भी इस वकार
के शकार हाे जाते हैं अाैर तीसरा तामस तप अवधपूवक हाेता है, दूसराें काे
पीड़ा पँचाने के काेण से हाेता है। अब तत है दान–

दातयमित य ानं दयतेऽनुपकारणे।


देशे काले च पाे च त ानं सा वकं ृतम्।।२०।।
दान देना ही क य है– इस भाव से जाे दान देश (थान), काल
(समयानुकूल) अाैर सयपा के ा हाेने पर बदले में उपकार क भावना से
रहत हाेकर दया जाता है, वह दान सा वक कहा गया है।

य ु युपकाराथ फलमु य वा पुन:।


दयते च परं त ानं राजसं ृतम्।।२१।।

जाे दान ेशपूवक (जाे देते नहीं बनता ले कन देना पड़ रहा है) तथा
युपकार क भावना से क यह कँगा ताे यह मले गा अथवा फल काे
उ ेय बनाकर फर दया जाता है, वह दान राजस कहा गया है।

अदेशकाले य ानमपाेय दयते।


असकृतमवातं त ामसमुदातम्।।२२।।

जाे दान बना सकार कये अथवा ितरकारपूवक झड़ककर अयाेय देश-
काल में अनधकारयाें काे दया जाता है, वह दान तामस कहा गया है। ‘पूय
महाराज जी’ कहा करते थे– ‘‘हाे, कुपा काे दान देने से दाता न हाे जाता
है।’’ ठक इसी कार ीकृण का कहना है क दान देना ही क य है। देश,
काल अाैर पा के ा हाेने पर बदले में उपकार न चाहने क भावना से
उदारता के साथ दया जानेवाला दान सा वक है। कठनाई से िनकलनेवाला,
बदले में फल क भावना से दया जानेवाला दान राजस है अाैर बना सकार
के, झड़कयाें के साथ ितकूल देश-काल में कुपा काे दया जानेवाला दान
तामस है, ले कन है दान ही; कत जाे देह, गेह इयाद सबके ममव काे
यागकर एकमा इ पर ही िनभर है, उसके लये दान का वधान इससे
अाैर उ त है– वह है सवव का समपण, सपूण वासनाअाें से हटकर मन का
समपण; जैसा क ीकृण ने कहा है– ‘मयेव मन अाधव।’ अत: दान
िनतात अावयक है। अब तत है ॐ, तत् अाैर सत् का वप–

ॐ तसदित िनदेशाे  णवध: ृत:।


ा णातेन वेदा या वहता: पुरा।।२३।।

अजुन ॐ, तत् अाैर सत्– एेसा तीन कार का नाम ‘ ण: िनदेश:


ृत:’–  का िनदेश करता है, ृित दलाता है, संकेत करता है अाैर 
का परचायक है। उसी से ‘पुरा’– पूव में (अार में) ा ण, वेद अाैर याद
रचे गये हैं। अथात् ा ण, य अाैर वेद अाेम् से पैदा हाेते हैं। ये याेगजय
हैं। अाेम् के सतत चतन से ही इनक उपित है, अाैर काेई तरका नहीं है।

तादाेमयुदाय यदानतप:या:।
वतते वधानाेा: सततं  वादनाम्।।२४।।

इसलये  का कथन करनेवाले पुषाें क शावध से िनयत क ई


य, दान अाैर तप-याएँ िनरतर ‘अाेम्’ इस नाम का उ ारण करके ही क
जाती हैं, जससे उस  का रण हाे जाय। अब तत् शद का याेग
बताते हैं–

तदयनभसधाय फलं यतप:या:।


दानया ववधा: यते माेकाभ:।।२५।।
‘तत्’ अथात् वह (परमाा) ही सव है, इस भाव से फल काे न चाहकर
शा ारा िनद नाना कार क य, तप अाैर दान क याएँ परम
कयाण क इछा करनेवाले पुषाें ारा क जाती हैं। तत् शद परमाा के
ित समपणसूचक है। अथात् जप ताे अाेम् का करें तथा य, दान अाैर तप
क याएँ उस पर िनभर हाेकर करें । अब सत् के याेग का थल बताते हैं–

स ावे साधुभावे च सदयेतयुयते।


शते कमण तथा सछद: पाथ युयते।।२६।।

अाैर सत्; याेगे र ने बताया क सत् है ा गीता के अार में ही


अजुन ने  खड़ा कया क कुलधम ही शा त है, सय है, ताे ीकृण ने
कहा– अजुन तझे यह अान कहाँ से उप अा सत् वत का तीनाें
कालाें में कभी अभाव नहीं हाेता, उसे मटाया नहीं जा सकता अाैर असत्
वत का तीनाें कालाें में अतव नहीं है, उसे राेका नहीं जा सकता। वतत:
वह काैन-सी वत है, जसका तीनाें कालाें में अभाव नहीं है अाैर वह असत्
वत है ा, जसका अतव नहीं है ताे बताया– यह अाा ही सय है
अाैर भूतादकाें के समत शरर नाशवान् हैं। अाा सनातन है, अय है,
शा त अाैर अमृतवप है– यही परमसय है।

यहाँ कहते हैं, ‘सत्’ एेसे परमाा का यह नाम ‘स ावे’– सय के ित
भाव में अाैर साधुभाव में याेग कया जाता है अाैर हे पाथ जब िनयत कम
सांगाेपांग भल कार हाेने लगे, तब सत् शद का याेग कया जाता है। सत्
का अथ यह नहीं है क यह वतएँ हमार हैं। जब शरर ही हमारा नहीं है,
ताे इसके उपभाेग में अानेवाल वतएँ हमार कब हैं। यह सत् नहीं है। सत्
का याेग केवल एक दशा में कया जाता है– स ाव में। अाा ही परम
सय है– इस सय के ित भाव हाे, उसे साधने के लये साधुभाव हाे अाैर
उसक ाि करानेवाला कम शत ढं ग से हाेने लगे, वहीं सत् शद का
याेग कया जाता है। इसी पर याेगे र अेतर कहते हैं–

ये तपस दाने च थित: सदित चाेयते।


कम चैव तदथीयं सदयेवाभधीयते।।२७।।

य, तप अाैर दान काे करने में जाे थित मलती है, वह भी सत् है–
एेसा कहा जाता है। ‘तदथीयम्’– उस परमाा क ाि के लये कया अा
कम ही सत् है, एेसा कहा जाता है। अथात् उस परमाा क ाि वाला कम
ही सत् है। य, दान, तप ताे इस कम के पूरक हैं। अत में िनणय देते ए
कहते हैं क इन सबके लये  ा अावयक है।

अ या तं द ं तपत ं कृतं च यत्।


असदयुयते पाथ न च तेय नाे इह।।२८।।

हे पाथ बना  ा के कया अा हवन, दया अा दान, तपा अा तप
अाैर जाे कुछ भी कया अा कम है, वह सब असत् है– एेसा कहा जाता है।
वह न ताे इस लाेक में अाैर न परलाेक में ही लाभदायक है। अत: समपण के
साथ  ा िनतात अावयक है।

िनकष—

अयाय के अार में ही अजुन ने  कया क– भगवन् जाे शावध


काे यागकर अाैर  ा से यु हाेकर यजन करते हैं (लाेग भूत, भवानी
अयाय पूजते ही रहते हैं) ताे उनक  ा कैसी है सा वक है, राजसी है
अथवा तामसी इस पर याेगे र ीकृण ने कहा– अजुन यह पुष  ा का
वप (पुतला) है, कहीं-न-कहीं उनक  ा हाेगी ही। जैसी  ा वैसा पुष,
जैसी वृ वैसा पुष। उनक वह  ा सा वक, राजसी अाैर तामसी तीन
कार क हाेती है। सा वक  ावाले देवताअाें काे, राजसी  ावाले य
(जाे यश, शाैय दान करे ), रासाें (जाे सरा दे सके) का पीछा करते हैं
अाैर तामसी  ावाले भूत-ेताें काे पूजते हैं। शावध से रहत इन पूजाअाें
ारा ये तीनाें कार के  ाल शरर में थत भूतसमुदाय अथात् अपने
संकपाें अाैर दय-देश में थत मुझ अतयामी काे भी कृश करते हैं, न क
पूजते हैं। उन सबकाे िनय ही तू असर जान अथात् भूत, ेत, य, रास
तथा देवताअाें काे पूजनेवाले असर हैं।

देवता-संग काे ीकृण ने यहाँ तीसर बार उठाया है। पहले अयाय सात
में उहाेंने कहा क– अजुन कामनाअाें ने जनका ान हर लया है, वही
मूढ़बु अय देवताअाें क पूजा करते हैं। दूसर बार अयाय नाै में उसी 
काे दुहराते ए कहा– जाे अयाय देवताअाें क पूजा करते हैं, वे भी मुझे ही
पूजते हैं; कत उनका वह पूजन अवधपूवक अथात् शा में िनधारत वध
से भ है, अत: वह न हाे जाता है। यहाँ अयाय सह में उहें अासर
वभाववाला कहकर सबाेधत कया। ीकृण के शदाें में एक परमाा क
ही पूजा का वधान है।

तदनतर याेगे र ीकृण ने चार  लये– अाहार, य, तप अाैर दान।


अाहार तीन कार के हाेते हैं। सा वक पुष काे ताे अाराेय दान करनेवाले ,
वाभावक य लगनेवाले , ध अाहार य़ हाेते हैं। राजस पुष काे कड़वे,
तीण, उण, चटपटे , मसाले दार, राेगव क अाहार य हाेते हैं। तामस पुष
काे जूठा, बासी अाैर अपव अाहार य हाेता है।

शावध से िनद य (जाे अाराधना क अत:याएँ हैं) जाे मन का


िनराेध करता है, फलाकांा से रहत वह य सा वक है। द-दशन तथा
फल के लये कया जानेवाला वही य राजस है अाैर शावध से रहत,
म , दान तथा बगैर  ा से कया अा य तामस है।

परमदेव परमाा में वेश दलानेवाल सार याेयताएँ जनमें हैं, उन ा
स 
ु क अचना, सेवा अाैर अत:करण से अहंसा,  चय अाैर पवता के
अनुप शरर काे तपाना शरर का तप है। सय, य अाैर हतकर बाेलना
वाणी का तप है अाैर मन काे कम में वृ रखना, इ के अितर वषयाें
के चतन में मन काे माैन रखना मन-सबधी तप है। मन, वाणी अाैर शरर
तीनाें मलाकर इस अाेर तपाना सा वक तप है। राजस तप में कामनाअाें के
साथ उसी काे कया जाता है, जबक तामस तप शावध से रहत
वेछाचार है।

क य मानकर देश, काल अाैर पा का वचार करके  ापूवक दया
गया दान सा वक है। कसी लाभ के लाेभ में कठनाई से दया जानेवाला
दान राजस है अाैर झड़ककर कुपा काे दया जानेवाला दान तामस है।

ॐ, तत् अाैर सत् का वप बताते ए याेगे र ीकृण ने कहा क ये


नाम परमाा क ृित दलाते हैं। शावध से िनधारत तप, दान अाैर य
अार करने में अाेम् का याेग हाेता है अाैर पूित में ही अाेम् पड छाेड़ता
है। तत् का अथ है वह परमाा, उसके ित समपत हाेकर ही वह कम हाेता
है अाैर जब कम धारावाही हाेने लगे, तब सत् का याेग हाेता है। भजन ही
सत् है। सत् के ित भाव अाैर साधुभाव में ही सत् का याेग कया जाता हैं।
परमाा क ाि करा देनेवाले कम य, दान अाैर तप के परणाम में भी
सत् का याेग है अाैर परमाा में वेश दला देनेवाला कम िनयपूवक सत्
है; कत इन सबके साथ  ा अावयक है।  ा से रहत हाेकर कया अा
कम, दया अा दान, तपा अा तप न इस ज में लाभकार है, न अगले
जाें में ही। अत:  ा अपरहाय है।

सपूण अयाय में  ा पर काश डाला गया अाैर अत में ॐ, तत् अाैर
सत् क वशद याया तत क गयी, जाे गीता के ाेकाें में पहल बार
अाया है। अत:–

ॐ तसदित ीम गव तासूपिनषस  व ायां याेगशाे ीकृणाजुनसवादे


‘ॐ तसत्  ायवभागयाेगाे’ नाम स दशाेऽयाय:।।१७।।

इस कार ीम गव तापी उपिनषद् एवं  व ा तथा याेगशा


वषयक ीकृण अाैर अजुन के संवाद में ‘ॐ तसत्  ाय वभाग याेग’
नामक सहवाँ अयाय पूण हाेता है।

इित ीमपरमहंसपरमानदय शय वामीअड़गड़ानदकृते ीम गव गीताया:


‘यथाथगीता’ भाये ‘ॐ तसत्  ायवभागयाेगाे’ नाम स दशाेऽयाय:।।
१७।।

इस कार ीमत् परमहंस परमानदजी के शय वामी अड़गड़ानदकृत


‘ीम गव ता’ के भाय ‘यथाथ गीता’ में ‘ॐ तसत्  ाय वभाग याेग’
नामक सहवाँ अयाय पूण हाेता है।
।। हर: ॐ तसत् ।।
।। ॐ ी परमाने नम: ।।
।। अथाादशाेऽयाय: ।।
यह गीता का अतम अयाय है, जसके पूवा  में याेगे र ीकृण ारा
तत अनेक ाें का समाधान है तथा उ रा  गीता का उपसंहार है क
गीता से लाभ ा है सहवें अयाय में अाहार, तप, य, दान तथा  ा
का वभागसहत वप बताया गया, उसी सदभ में याग के कार शेष हैं।
मनुय जाे कुछ करता है, उसमें कारण काैन है काैन कराता है भगवान
कराते हैं या कृित यह  पहले से अार है, जस पर इस अयाय में
पुन: काश डाला गया। इसी कार वण-यवथा क चचा हाे चुक है। सृ
में या उसके वप का वे षण इस अयाय में तत है। अत में गीता
से मलनेवाल वभूितयाें पर काश डाला गया है।

गत अयाय में अनेक करणाें का वभाजन सनकर अजुन ने वयं एक


 रखा क याग अाैर संयास काे भी वभागसहत बतायें–

अजुन उवाच

स यासय महाबाहाे त वमछाम वेदतम्।


यागय च षीकेश पृथेशिनषूदन।।१।।
अजुन बाेला– हे महाबाहाे हे दय के सवव हे केशिनषूदन मैं संयास
अाैर याग के यथाथ वप काे पृथक्-पृथक् जानना चाहता ँ।

पूण याग संयास है, जहाँ संकप अाैर संकाराें का भी समापन है अाैर
इससे पहले साधना क पूित के लये उ राे र अास का याग ही याग है।
यहाँ दाे  हैं क संयास के त व काे जानना चाहता ँ अाैर दूसरा है क
याग के त व काे जानना चाहता ँ। इस पर याेगे र ीकृण ने कहा–

ीभगवानुवाच

कायानां कमणां यासं स यासं कवयाे वदु:।


सवकमफलयागं ायागं वचणा:।।२।।

अजुन कतने ही पडतजन काय कमाे के याग काे संयास कहते हैं
अाैर कतने ही वचार-कुशल पुष सपूण कमफलाें के याग काे याग कहते
हैं।

यायं दाेषवदयेके कम ामनीषण:।


यदानतप:कम न यायमित चापरे ।।३।।

कई एक वान् एेसा कहते हैं क सभी कम दाेषयु हैं, अत: याग देने
याेय हैं अाैर दूसरे वान् एेसा कहते हैं क य, दान अाैर तप यागने याेय
नहीं हैं। इस कार अनेक मत तत करके याेगे र अपना भी िनत मत
देते हैं–

िनयं णु मे त यागे भरतस म।


यागाे ह पुषया िवध: सकितत:।।४।।
हे अजुन उस याग के वषय में तू मेरे िनय काे सन। हे पुषे वह
याग तीन कार का कहा गया है।

यदानतप:कम न यायं कायमेव तत्।


याे दानं तपैव पावनािन मनीषणाम्।।५।।

य, दान अाैर तप– ये तीन कार के कम यागने याेय नहीं हैं, इहें ताे
करना ही चाहये; ाेंक य, दान अाैर तप तीनाें ही पुषाें काे पव करने
वाले हैं।

ीकृण ने चार चलत मताें का उ े ख कया। पहला– काय कमाे का


याग, दूसरा– सपूण कमफलाें का याग, तीसरा– दाेषयु हाेने के कारण
सभी कमाे का याग अाैर चाैथा मत– य, दान अाैर तप यागने याेय नहीं
हैं। उनमें से एक मत में अपनी सहमित कट करते ए कहा– अजुन मेरा
भी यह िनत कया अा मत है क य, दान अाैर तपप या यागने
याेय नहीं है। इससे स है क कृणकाल में भी कई मत चलत थे,
जनमें एक यथाथ था। उस काल में भी कई मत थे, अाज भी हैं। महापुष
जब दुिनया में अाता है ताे कई मत-मतातराें में से कयाणकार मत काे
िनकालकर सामने खड़ा कर देता है। येक महापुष ने यही कया है,
ीकृण ने भी यही कया। उहाेंने काेई नया माग नहीं बताया, बक चलत
कई मताें के बीच सय काे समथन देकर उसे प कर दया।

एतायप त कमाण सं या फलािन च।


कतयानीित मे पाथ िनतं मतमु मम्।।६।।
याेगे र ीकृण बल देकर कहते हैं– पाथ य, दान अाैर तपप कम
अास अाैर फल काे यागकर अवय करना चाहये। यह मेरा िनय कया
अा उ म मत है। अब अजुन के  के अनुसार वे याग का वे षण करते
हैं–

िनयतय त स यास: कमणाे नाेपप ते।


माेहा य परयागतामस: परकितत:।।७।।

हे अजुन िनयत कम (ीकृण के शदाें में िनयत कम एक ही है, य क


या। इस िनयत शद काे अाठ-दस बार याेगे र ने कहा। इस पर बार-बार
बल दया क कहीं साधक भटककर दूसरा न करने लगे), इस शावध से
िनधारत कम का याग करना उचत नहीं है। माेह से उसका याग करना
तामस याग कहा गया है। सांसारक वषय-वतअाें क अास में फँ सकर
कायम् कम (कायम् कम, िनयत कम एक दूसरे के पूरक हैं) का याग तामसी
है। एेसा पुष ‘अध: गछित’– कट-पतंगपयत अधम याेिनयाें में जाता है;
ाेंक उसने भजन क वृ याें का याग कर दया। अब राजस याग के
वषय में बताते हैं–

दु:खमयेव यकम कायेशभया यजेत्।


स कृवा राजसं यागं नैव यागफलं लभेत्।।८।।

कम काे दु:खमय समझकर शाररक ेश के भय से उसका याग


करनेवाला य राजस याग काे करके भी याग के फल काे ा नहीं
हाेता। जससे भजन पार न लगे अाैर ‘कायेशभयात्’– इस भय से कम काे
याग दे क शरर काे क हाेगा, उस मनुय का याग राजस है। उसे याग
का फल परमशात नहीं ा हाेती। तथा–

कायमयेव यकम िनयतं यतेऽजुन।


सं या फलं चैव स याग: सा वकाे मत:।।९।।

हे अजुन करना कतय है– एेसा समझकर जाे ‘िनयतम्’– शावध से


िनधारत कया अा कम संगदाेष अाैर फल काे यागकर कया जाता है, वही
सा वक याग है। अत: िनयत कम करें अाैर इसके सवाय जाे कुछ है,
उसका याग कर दें। यह िनयत कम भी ा करते ही रहेंगे या कभी इसका
भी याग हाेगा इस पर कहते हैं (अब अतम याग का प देखें)–

न ेकुशलं कम कुशले नानुष ते।


यागी स वसमावाे मेधावी छ संशय:।।१०।।

हे अजुन जाे पुष ‘अकुशलं कम’ अथात् अकयाणकार कम से (शा


िनयत कम ही कयाणकार है। इसके वराेध में जाे कुछ है, इसी लाेक का
बधन है इसलये अकयाणकार है, एेसे कमाे से) ेष नहीं करता अाैर
कयाणकार कम में अास नहीं हाेता, जाे करना था वह भी शेष नहीं है–
एेसा स व से संयु पुष संशयरहत, ानवान् अाैर यागी है। उसने सब
कुछ यागा है, ले कन ाि के साथ वह पूण याग ही संयास है। हाे सकता
है अाैर काेई सरल राता हाे इस पर कहते हैं–नहीं। देखें–

न ह देहभृता शं युं कमायशेषत:।


यत कमफलयागी स यागीयभधीयते।।११।।
देहधार पुषाें के ारा (केवल शरर ही नहीं, जसे अाप देखते हैं।
ीकृण के अनुसार कृित से उप स व, रज, तम तीनाें गुण ही इस
जीवाा काे शरराें में बाँधते हैं। जब तक गुण जीवत हैं तब तक वह
जीवधार है। कसी-न-कसी प में शरर परवितत हाेता रहेगा। अत: देह के
कारण जब तक जीवत है।) सपूणता से सब कमाे का याग संभव नहीं है,
इसलये जाे पुष कम के फल का यागी है, वही यागी है– एेसा कहा जाता
है। अत: जब तक शरर के कारण जीवत हैं, तब तक िनयत कम करें अाैर
उसके फल का याग करें । बदले में कसी फल क कामना न करें । वैसे
सकामी पुषाें के कमाे का फल भी हाेता है–

अिनमं मं च िवधं कमण: फलम्।


भवययागनां ेय न त स यासनां चत्।।१२।।

सकामी पुषाें के कमाे का अछा, बुरा अाैर मला अा– एेसा तीन कार
का फल मरने का पात् भी हाेता है, ज-जातराें तक मलता है; कत
‘स यासनाम्’– सवव का यास (अत) करनेवाले पूण यागी पुषाें के कमाे
का फल कसी भी काल में नहीं हाेता। यही श संयास है। संयास
चरमाेकृ अवथा है। भले -बुरे कमाे का फल तथा पूण यासकाल में उनके
अत का  पूरा अा। अब पुष के ारा शभ अथवा अशभ कम हाेने में
ा कारण हैं इस पर देखें–

प ैतािन महाबाहाे कारणािन िनबाेध मे।


सा े कृताते ाेािन स ये सवकमणाम्।।१३।।
हे महाबाहाे सपूण कमाे क स के लये पाँच कारण सांयस ात में
कहे गये हैं, उहें तू मुझसे भल कार जान।

अधानं तथा कता करणं च पृथवधम्।


ववधा पृथेा दैवं चैवा प मम्।।१४।।

इस वषय में क ा (यह मन), पृथक्-पृथक् करण (जनके ारा कया


जाता है। यद शभ पार लगता है ताे ववेक, वैराय, शम, दम, याग,
अनवरत चतन क वृ याँ इयाद करण हाेंगी। यद अशभ पार लगता है
ताे काम, ाेध, राग, ेष, लसा इयाद करण हाेंगे। इनके ारा ेरत
हाेंगे।), नाना कार क यार-यार चेाएँ (अनत इछाएँ), अाधार अथात्
साधन (जस इछा के साथ साधन मला वही इछा पूर हाेने लगती है।)
अाैर पाँचवाँ हेत है दैव अथवा संकार। इसक पु करते हैं–

शररवानाेभयकम ारभते नर:।


यायं वा वपरतं वा प ैते तय हेतव:।।१५।।

मनुय मन, वाणी अाैर शरर से शा के अनुसार अथवा वपरत जाे कुछ
कम अार करता है, उसके ये पाँचाें ही कारण हैं। परत एेसा हाेने पर भी–

तैवं सित कतारमाानं केवलं त य:।


पययकृतबु वा स पयित दुमित:।।१६।।

जाे पुष अश बु के कारण उस वषय में कैवयवप अाा काे


क ा देखता है, वह दुबु यथाथ नहीं देखता अथात् भगवान नहीं करते।
इस  पर याेगे र ीकृण ने दूसर बार बल दया। अयाय ५ में
उहाेंने कहा क वह भु न करता है, न कराता है, न या के संयाेग काे
जाेड़ता है। ताे लाेग कहते ाें हैं माेह से लाेगाें क बु अावृ है, इसलये
कुछ भी कह सकते हैं। यहाँ भी कहते हैं– कम हाेने में पाँच कारण हैं। उसके
बावजूद भी जाे कैवय वप परमाा काे क ा देखता है, वह मूढ़बु
(दुबु ) यथाथ नहीं देखता अथात् भगवान नहीं करते, जबक अजुन के लये
वे ताल ठाेंककर खड़े हाे जाते हैं, ‘िनम मां भव’ क क ा-ध ा ताे मैं ँ, तू
िनम बनकर खड़ा भर रह। अतत: वे महापुष कहना ा चाहते हैं

वतत: भगवान अाैर कृित के बीच एक अाकषण रे खा है। जब तक


साधक कृित क सीमा में है, भगवान नहीं करते। बत समीप रहकर भी
ा-प में ही रहते हैं। अनय भाव से इ काे पकड़ने पर वे दय-देश से
संचालक बन जाते हैं। साधक कृित क अाकषण सीमा से िनकलकर उनके
े में अा जाता है। एेसे अनुरागी के लये वे ताल ठाेंककर सदैव खड़े रहते
हैं। केवल उसी के लये भगवान करते हैं। अत: चतन करें ।  पूरा अा।
अागे देखें–

यय नाहृ ताे भावाे बु यय न लयते।


हवाप स इमाँ ाेका हत न िनबयते।।१७।।

जस पुष के अत:करण में ‘मैं क ा ँ’–एेसा भाव नहीं है तथा जसक
बु लपायमान नहीं हाेती, वह पुष इन सब लाेकाें काे मारकर भी वातव
में न ताे मारता है अाैर न बँधता है। लाेक-सबधी संकाराें का वलय ही
लाेक-संहार है। अब उस िनयत कम क ेरणा कैसे हाेती है इस पर देखें–
ानं ेयं पराता िवधा कमचाेदना।
करणं कम कतेित िवध: कमसह:।।१८।।

अजुन पराता अथात् पूणाता महापुषाें से, ‘ानम्’– उसकाे जानने


क वध से अाैर ‘ेयम्’– जानने याेय वत (ीकृण ने पीछे कहा क मैं ही
ेय, जानने याेय पदाथ ँ) से कम करने क ेरणा मलती है। पहले ताे
पूणाता काेई महापुष हाे, उनके ारा उस ान काे जानने क वध ा
हाे, लय– ेय पर  हाे तभी कम क ेरणा मलती है अाैर क ा (मन
क लगन), करण (ववेक, वैराय, शम, दम इयाद) तथा कम क जानकार
से कम का संह हाेता है, कम इक ा हाेने लगता है। पीछे कहा गया क
ाि के पात् उस पुष का कम कये जाने से काेई याेजन नहीं हाेता अाैर
न छाेड़ने से हािन ही हाेती है; फर भी लाेकसंह अथात् पीछे वालाें के दय
में कयाणकार साधनाें के संह के लये वह कम में बरतता है। क ा, करण
अाैर कम के ारा इनका संह हाेता है। ान, कम अाैर क ा के भी तीन-
तीन भेद हैं–

ानं कम च कता च िधैव गुणभेदत:।


ाेयते गुणस ाने यथावणु तायप।।१९।।

ान, कम तथा क ा भी गुणाें के भेद से सांयशा में तीन- तीन कार
के कहे गये हैं, उहें भी तू यथावत् सन। तत है पहले ान का भेद–

सवभूतेषु येनैकं भावमययमीते।


अवभं वभेषु तानं व सा वकम्।।२०।।
अजुन जस ान से मनुय पृथक्-पृथक् सब भूताें में एक अवनाशी
परमाभाव काे वभागरहत एकरस देखता है, उस ान काे तू सा वक
जान। ान य अनुभूित है, जसके साथ ही गुणाें का अत हाेना है। यह
ान क परप अवथा है। अब राजस ान देखें–

पृथेन त यानं नानाभावापृथवधान्।


वे सवेषु भूतेषु तानं व राजसम्।।२१।।

जाे ान सपूण भूताें में भ कार के अनेक भावाें काे अलग-अलग
करके जानता है क यह अछा है, ये बुरे हैं– उस ान काे तू राजस जान।
एेसी थित है ताे राजसी तर पर तहारा ान है। अब देखें तामस ान–

य ु कृवदेककाये समहैतकम्।
अत वाथवदपं च त ामसमुदातम्।।२२।।

जाे ान एकमा शरर में ही सपूणता के स श अास है, युरहत


अथात् जसके पीछे काेई या नहीं है, त व के अथवप परमाा क
जानकार से अलग करनेवाला अाैर तछ है, वह ान तामस कहा जाता है।
अब तत है कम के तीन भेद–

िनयतं सरहतमरागेषत: कृतम्।


अफलेसना कम य सा वकमुयते।।२३।।

जाे कम ‘िनयतम्’– शावध से िनधारत है (अय नहीं), संगदाेष अाैर


फल काे न चाहनेवाले पुष ारा बना राग-ेष के कया जाता है, वह कम
सा वक कहा जाता है। िनयत कम (अाराधना) चतन है, जाे परम में वेश
दलाता है।

य ु कामेसना कम साहारे ण वा पुन:।


यते बलायासं ताजसमुदातम्।।२४।।

जाे कम बत परम से यु है, फल काे चाहनेवाले अाैर अहंकारयु
पुष ारा कया जाता है, वह कम राजस कहा जाता है। यह पुष भी वही
िनयत कम करता है; कत अतर मा इतना ही है क फल क इछा अाैर
अहंकार से यु है इसलये उसके ारा हाेनेवाले कम राजस हैं। अब देखें
तामस–

अनुबधं यं हंसामनवेय च पाैषम्।


माेहादारयते कम य ामसमुयते।।२५।।

जाे कम अतत: न हाेनेवाला है, हंसा-सामय काे न वचार कर केवल


माेहवश अार कया जाता है, वह कम तामस कहा जाता है। प है क
यह कम शा का िनयत कम नहीं है, उसके थान पर ात है। अब देखंे
क ा के लण–

मुसाेऽनहंवाद धृयुसाहसमवत:।
स स ाेिनवकार: कता सा वक उयते।।२६।।

जाे क ा संगदाेष से रहत हाेकर, अहंकार के वचन न बाेलनेवाला, धैय


अाैर उसाह से यु हाेकर, काय के स हाेने अाैर न हाेने में हष, शाेक
इयाद वकाराें से सवथा रहत हाेकर कम में (अहिनश) वृ है, वह क ा
सा वक कहा जाता है। यही उ म साधक के लण हैं। कम वही है– िनयत
कम।

रागी कमफलेसल धाे हंसाकाेऽशच:।


हषशाेकावत: कता राजस: परकितत:।।२७।।

अासयु, कमाे के फल काे चाहनेवाला, लाेलप, अााअाें काे क


देनेवाला, अपव अाैर हष-शाेक से जाे ल है, वह क ा राजस कहा गया
है।

अयु: ाकृत: तध: शठाे नैकृितकाेऽलस:।


वषाद दघसूी च कता तामस उयते।।२८।।

जाे चंचल च वाला, असय, घमड, धूत, दूसरे के कायाे में बाधा
पँचानेवाला, शाेक करने के वभाववाला, अालसी अाैर दघसूी है क फर
कर लें गे, वह क ा तामस कहा जाता है। दघसूी कम काे कल पर
टालनेवाला है, य प करने क इछा उसे भी रहती है। इस कार क ा के
लण पूरे ए। अब याेगे र ीकृण ने नवीन  उठाया– बु , धारणा अाैर
सख के लण–

बु ेभेदं धृतेैव गुणतवधं णु।


ाेयमानमशेषेण पृथेन धन य।।२९।।
धनंजय बु अाैर धारणा श का भी गुणाें के कारण तीन कार का
भेद सपूणता से वभागपूवक मुझसे सन।

वृ ं च िनवृ ं च कायाकाये भयाभये।


बधं माें च या वे बु : सा पाथ सा वक।।३०।।

पाथ वृ अाैर िनवृ काे, क य अाैर अक य काे, भय अाैर अभय
काे तथा बधन अाैर माे काे जाे बु यथाथ जानती है, वह बु सा वक
है। अथात् परमा-पथ, अावागमन-पथ दाेनाें क भल कार जानकारवाल
बु सा वक है। तथा–

यया धममधम च काय चाकायमेव च।


अयथावजानाित बु : सा पाथ राजसी।।३१।।

पाथ जस बु ारा मनुय धम अाैर अधम काे तथा क य अाैर
अक य काे भी यथावत् नहीं जानता, अधूरा जानता है, वह बु राजसी है।
अब तामसी बु का वप देखें–

अधम धममित या मयते तमसावृता।


सवाथावपरतां बु : सा पाथ तामसी।।३२।।

पाथ तमाेगुण से ढँ क ई जाे बु अधम काे धम मानती है तथा सपूण
हताें काे वपरत ही देखती है, वह बु तामसी है।

यहाँ ाेक तीस से ब ीस तक बु के तीन भेद बताये गये। जाे बु
कस काय से िनवृ हाेना है अाैर कसमें वृ हाेना है, काैन क य है अाैर
काैन अक य है– इसक भल कार जानकार रखती है, वह बु सा वक
है। जाे क य-अक य काे धूमल ढं ग से जानती है, यथाथ नहीं जानती– वह
राजसी बु है अाैर अधम काे धम, न र काे शा त तथा हत काे अहत–
इस कार वपरत जानकारवाल बु तामसी है। इस कार बु के भेद
समा ए। अब तत है दूसरा , ‘धृित’– धारणा के तीन भेद–

धृया यया धारयते मन:ाणेयया:।


याेगेनायभचारया धृित: सा पाथ सा वक।।३३।।

‘याेगेन’– याैगक या के ारा ‘अयभचारणी’– याेग-चतन के


अलावा दूसरे कसी फुरण का अाना यभचार है, च का बहक जाना
यभचार है; इसके वपरत अयभचारणी धारणा से मनुय मन, ाण अाैर
इयाें क या काे जाे धारण करता है, वह धारणा सा वक है। अथात्
मन, ाण अाैर इयाें काे इ क दशा में माेड़ना ही सा वक धारणा है।
तथा–

यया त धमकामाथाधृया धारयतेऽजुन।


से न फलाका धृित: सा पाथ राजसी।।३४।।

हे पाथ फल क इछावाला मनुय अित अास से जस धारणा के ारा


केवल धम, अथ अाैर काम काे धारण करता है (माे काे नहीं), वह धारणा
राजसी है। इस धारणा में भी लय वही है, केवल कामना करता है। जाे कुछ
करता है, उसके बदले में चाहता है। अब तामसी धारणा के लण देखें–

यया वं भयं शाेकं वषादं मदमेव च।


न वमु ित दुमेधा धृित: सा पाथ तामसी।।३५।।

हे पाथ दु बु वाला मनुय जस धारणा के ारा िना, भय, चता,
दु:ख अाैर अभमान काे भी (नहीं छाेड़ता इन सबकाे) धारण कये रहता है,
वह धारणा तामसी है। यह  पूरा अा। अगला  है, सख–

सखं वदानीं िवधं णु मे भरतषभ।


अयासामते य दु:खातं च िनगछित।।३६।।

अजुन अब सख भी तीन कार का मुझसे सन। उनमें से जस सख में


साधक अयास से रमण करता है अथात् च काे समेटकर इ में रमण
करता है अाैर जाे दु:खाें का अत करनेवाला है तथा–

य दे वषमव परणामेऽमृताेपमम्।


तसखं सा वकं ाेमाबु सादजम्।।३७।।

उपयु सख साधन के अारकाल में य प वष के स श लगता है


( ाद काे शूल पर चढ़ाया गया, मीरा काे वष मला। कबीर कहते हैं–
‘सखया सब संसार है, खाये अ साेवै। दुखया दास कबीर है, जागे अ
राेवै।’ अत: अार में वष-जैसा भासता है) परत परणाम में अमृततय है,
अमृत-त व काे दलानेवाला है, अत: अावषयक बु के साद से उप
अा सख सा वक कहा गया है। तथा–

वषयेयसंयाेगा देऽमृताेपमम् ।
परणामे वषमव तसखं राजसं ृतम्।।३८।।
जाे सख वषय अाैर इयाें के संयाेग से हाेता है, वह य प भाेगकाल
में अमृत के स श लगता है कत परणाम में वष के स श है; ाेंक ज-
मृयु का कारण है, वह सख राजस कहा गया है। तथा–

यदे चानुबधे च सखं माेहनमान:।


िनालयमादाेथं त ामसमुदातम्।।३९।।

जाे सख भाेगकाल अाैर परणाम में भी अाा काे माेह में डालनेवाला है,
िना ‘या िनशा सवभूतानाम्’– जगत् क िनशा में अचेत रखनेवाला है,
अालय अाैर यथ क चेाअाें से उप वह सख तामस कहा गया है। अब
याेगे र ीकृण गुणाें क पँच बताते हैं, जाे सबके पीछे लगे हैं–

न तदत पृथयां वा दव देवेषु वा पुन:।


स वं कृितजैमुं यदेभ: या भगुणै:।।४०।।

अजुन पृवी में, अाकाश में अथवा देवताअाें में एेसा काेई भी ाणी नहीं,
जाे कृित से उप ए तीनाें गुणाें से रहत हाे। अथात्  ा से ले कर कट-
पतंग यावा जगत् णभंगुर, मरने-जीनेवाला है, तीनाें गुणाें के अतगत है
अथात् देवता भी तीनाें गुणाें का वकार है, न र है।

यहाँ बा देवताअाें काे याेगे र ने चाैथी बार लया– अयाय सात, नाै,
सह तथा यहाँ अठारहवें अयाय में। इन सबका एक ही अथ है क देवता
तीनाें गुणाें के अतगत हैं। जाे इहें भजता है, न र क पूजा करता है।

भागवत के तीय कध में महष शक तथा परत का स अायान


है। जसमें उपदेश देते ए वे कहते हैं क ी-पुष में ेम के लये शंकर-
पावती क, अाराेय के लये अ नीकुमाराें क, वजय के लये इ क तथा
धन के लये कुबेर क पूजा करें । इसी तरह ववध कामनाएँ बताकर अत में
िनणय देते हैं क सपूण कामनाअाें क पूित अाैर माे के लये ताे एकमा
नारायण क पूजा करनी चाहये। ‘तलसी मूलहं सींचए, फूलइ फलइ
अघाइ।’ अत, सवयापक भु का रण करें , जसक पूित के लये स 

क शरण, िनकपट भाव से  अाैर सेवा एकमा उपाय है।

अासर अाैर दैवी सपद् अत:करण क दाे वृ याँ हैं। जसमें दैवी सपद्
परमदेव परमाा का ददशन कराती है, इसलये दैवी कही जाती है; कत
यह भी तीनाें गुणाें के ही अतगत है। गुण शात हाेने के पात् इनक भी
शात हाे जाती है। तपात् उस अातृ याेगी के लये काेई भी क य शेष
नहीं रह जाता।

अब तत है पीछे से अार अा  वण-यवथा। वण ज-धान है


अथवा कमाे से पायी जानेवाल अत:करण क याेयता का नाम है इस पर
देखं–

ा णियवशां शूाणां च परतप।


कमाण वभािन वभावभवैगुणै:।।४१।।

हे परं तप ा ण, िय, वैय अाैर शूाें के कम वभाव से उप गुणाें


ारा वभ कये गये हैं। वभाव में सा वक गुण हाेगा ताे अाप में िनमलता
हाेगी, यान-समाध क मता हाेगी। तामसी गुण हाेगा ताे अालय, िना,
माद रहेगा। उसी तर से अापसे कम भी हाेगा। जाे गुण कायरत है, वही
अापका वण है, वप है। इसी कार अ -सा वक अाैर अ -राजस से एक
वग िय का है अाैर अाधा से कम तामस तथा वशेष राजस से तीय वग
वैय का है।

इस  काे याेगे र ीकृण ने यहाँ पांचवीं बार लया है। अयाय दाे में
इन चार वणाे में से एक िय का नाम लया क िय के लये यु से
ेयतर काेई माग नहीं है। तीसरे अयाय में उहाेंने कहा क दुबल गुणवाले के
लये भी उसके वभाव से उप याेयता के अनुसार धम में वृ हाेना,
उसमें मर जाना भी परम कयाणकार है। दूसराें क नकल करना भयावह है।
अयाय चार में बताया क चार वणाे क सृ मैंने क। ताे ा मनुयाें काे
चार जाितयाें में बाँटा कहते हैं– नहीं, ‘गुणकम वभागश:’– गुणाें क याेयता
से कम काे चार साेपानाें में बाँटा। यहाँ गुण एक पैमाना है, उसके ारा
मापकर कम करने क मता काे चार भागाें में बाँटा। ीकृण के शदाें में
कम एकमा अय पुष क ाि क या है। ई र-ाि का अाचरण
अाराधना है, जसक शअात मा एक इ में  ा से है। चतन क वध-
वशेष है, जसे पीछे बता अाये हैं। इस याथ कम काे चार भागाें में बाँटा।
अब कैसे समझें क हममें काैन से गुण हैं अाैर कस ेणी के हैं इस पर
यहाँ कहते हैं–

शमाे दमतप: शाैचं ातराजवमेव च।


ानं वानमातं  कम वभावजम्।।४२।।

मन का शमन, इयाें का दमन, पूण पवता; मन, वाणी अाैर शरर काे
इ के अनुप तपाना, माभाव; मन, इयाें अाैर शरर क सवथा सरलता,
अातक बु अथात् एक इ में स ी अाथा, ान अथात् परमाा क
जानकार का संचार, वान अथात् परमाा से मलनेवाले िनदेशाें क
जागृित एवं उसके अनुसार चलने क मता– यह सब वभाव से उप ए
ा ण के कम हैं अथात् जब वभाव में यह याेयताएँ पायी जायँ, कम
धारावाही हाेकर वभाव में ढल जाय ताे वह ा ण ेणी का क ा है। तथा–

शाैय तेजाे धृितदायं यु े चायपलायनम्।


दानमी रभाव ां कम वभावजम्।।४३।।

शूरवीरता, ई रय तेज का मलना, धैय, चतन में दता अथात् ‘कमस
काैशलम्’– कम करने में दता, कृित के संघष से न भागने का वभाव,
दान अथात् सवव का समपण, सब भावाें पर वामभाव अथात् ई रभाव–
यह सब िय के ‘वभावजम्’– वभाव से उप ए कम हैं। वभाव में ये
याेयताएँ पायी जाती हैं ताे वह क ा िय है। अब तत है, वैय तथा शू
का वप–

कृषगाैरयवाणयं वैयकम वभावजम्।


परचयाकं कम शूयाप वभावजम्।।४४।।

कृष, गाे-रा अाैर यवसाय वैय के वभावजय कम हैं। गाेपालन ही


ाें भैंस काे मार डालें बकर न रखें एेसा कुछ नहीं है। सदूर वैदक
वाय में ‘गाे’ शद अत:करण एवं इयाें के लये चलत था। गाे-रा का
अथ है, इयाें क रा। ववेक, वैराय, शम, दम के ारा इयाँ सरत
हाेती हैं अाैर काम, ाेध, लाेभ, माेह के ारा ये वभ हाे जाती हैं, ीण हाे
जाती हैं। अाक सप ही थर सप है। यह अपना िनज धन है, जाे
एक बार साथ हाे जाने पर सदैव साथ देता है। कृित के ाें में से उनका
शनैः-शनै: संह करना यवसाय है (‘व ा धनम् सवधनधानम्’– इसे अजत
करना वाणय है।) खेती शरर ही एक े है। इसके अतराल में बाेया
अा बीज संकार प में भला-बुरा जमता है। अजुन इस िनकाम कम में
बीज अथात् अार का नाश नहीं हाेता। (उनमें से कम क इस तीसर ेणी
में कम अथात् इ-चतन िनयत कम) परमत व के चतन का जाे बीज इस
े में पड़ा है, उसे सरत रखते ए इसमें अानेवाले वजातीय वकाराें का
िनराकरण करते जाना खेती है।

कृषी िनरावहं चतर कसाना। जम बुध तजहं माेह मद माना।।

(रामचरतमानस, ४/१४/८)

इस कार इयाें क सरा तथा कृित के ाें से अाक सप


काे संहत करना अाैर इस े में परमत व के चतन का सव न– यह
वैय ेणी का कम है।

ीकृण के अनुसार ‘यशाशन:’– पूितकाल में य जसे देता है, वह


है परापर  । उसकाे पान करनेवाले सतजन सपूण पापाें से ट जाते हैं
अाैर उसी का शनै:-शनै: चतन-या से बीजाराेपण हाेता है। उसक सरा
खेती है। वैदक शााें में अ का अथ है परमाा। वह परमाा ही एकमा
अशन है, अ है। चतन के पूितकाल में यह अाा पूणत: तृ हाे जाती है,
फर कभी अतृ नहीं हाेती, अावागमन में नहीं अाती। इस अ के बीज काे
जमाते ए अागे बढ़ाना कृष है।
अपने से उ त अवथावाले , ाि वाले गुजनाें क सेवा करना शू का
वभावजय कम है। शू का अथ नीच नहीं अपत अप है। िन ेणी का
साधक ही शू है। वेशका ेणी का वह साधक परचया से ही अार करे ।
शनै:-शनै: सेवा से उसके दय में उन संकाराें का सृजन हाेगा अाैर मश:
चलकर वह वैय, िय अाैर ा णपयत दूर तय करके, वणाे काे भी पार
करके  में वेश पा जायेगा। वभाव परवतनशील है। वभाव के परवतन
के साथ वण-परवतन हाे जाता है। वतत: ये वण अित उ म, उ म, मयम
अाैर िनकृ चार अवथाएँ हैं, कमपथ पर चलनेवाले साधकाें क ऊँची-नीची
चार सीढ़याँ हैं। कम एक ही है, िनयत कम। ीकृण कहते हैं क परमस
क ाि का यही एक राता है क वभाव में जैसी याेयता है, वहीं से लगे।
इसकाे देखं–

वे वे कमयभरत: संस ं लभते नर:।


वकमिनरत: स ं यथा वदित तणु।।४५।।

अपने-अपने वभाव में पायी जानेवाल याेयता के अनुसार कम में लगा
अा मनुय ‘संस म्’– भगवाि पी परमस काे ा हाेता है। पहले
भी कह अाये हैं–इस कम काे करके तू परमस काे ा हाेगा। काैन-सा
कम करके अजुन तू शावध से िनधारत कम याथ कम कर। अब
वकम करने क मता के अनुसार कम में लगा अा मनुय परमस काे
जस कार ा हाेता है, वह वध तू मुझसे सन। यान दें–

यत: वृ भूतानां येन सवमदं ततम्।


वकमणा तमयय स ं वदित मानव:।।४६।।
जस परमाा से सब भूताें क उप ई है, जससे यह सपूण जगत्
या है, उस परमे र काे ‘वकमणा’– अपने वभाव से उप ए कम के
ारा अचन कर मानव परमस काे ा हाेता है। अत: परमाा क भावना,
परमाा का ही सवागीण अचन अाैर मश: चलना अावयक है। जैसे, काेई
बड़ का में बैठ जाय ताे छाेट भी खाे देगा अाैर बड़ ताे मले गी ही नहीं।
अत: इस कमपथ पर साेपानश: चलने का वधान है। जैसे ३/३५ में। इसी पर
पुन: बल देते ए कहते हैं क अाप अप ही ाें न हाें, वहीं से अार
करें । वह वध है– परमाा के ित समपण।

ेयावधमाे वगुण: परधमावनुतात्।


वभाविनयतं कम कुव ााेित कबषम्।।४७।।

अछ कार अनुान कये ए दूसरे के धम से गुणरहत भी वधम


परमकयाणकार है। ‘वभाविनयतम्’– वभाव से िनधारत कया अा कम
करता अा मनुय पाप अथात् अावागमन काे ा नहीं हाेता। ाय: साधकाें
काे उ ाटन हाेने लगता है क हम सेवा करते ही रहेंगे, वे ताे यानथ हैं,
अछे गुणाें के कारण उनका सान है–तरत वे नकल करने लगते हैं।
ीकृण के अनुसार नकल या ईया से कुछ मले गा नहीं। अपने वभाव से
कम करने क मता के अनुसार कम करके ही काेई परमस पाता है,
छाेड़कर नहीं।

सहजं कम काैतेय सदाेषमप न यजेत्।


सवारा ह दाेषेण धूमेना रवावृता:।।४८।।
काैतेय दाेषयु (अप अवथावाला है ताे स है क अभी दाेषाें का
बाय है, एेसा दाेषयु भी) ‘सहजं कम’– वभाव से उप सहज कम काे
नहीं यागना चाहये; ाेंक धुएँ से अ के स श सभी कम कसी-न-कसी
दाेष से अावृ हैं। ा ण ेणी ही सही, कम ताे करना पड़ रहा है। थित
नहीं मल, तब तक दाेष व मान है, कृित का अावरण व मान है। दाेषाें
का अत वहाँ हाेगा, जहाँ ा ण ेणी का कम भी  में वेश के साथ
वलय हाे जाता है। उस ाि वाले का लण ा है, जहाँ कमाे से याेजन
नहीं रह जाता –

असबु : सव जताा वगतपृह:।


नैकयस ं परमां स यासेनाधगछित।।४९।।

सव अास से रहत बु वाला, पृहा से सवथा रहत, जीते ए


अत:करणवाला पुष ‘स यासेन’– सवव के यास क अवथा में परम
नैकय-स काे ा हाेता है। यहाँ संयास अाैर परम नैकय-स पयाय
हैं। यहाँ सांययाेगी वहीं पँचता है, जहाँ क िनकाम कमयाेगी। यह उपलध
दाेनाें मागयाें के लये समान है। अब परम नैकय-स काे ा अा पुष
जैसे  काे ा हाेता है, उसका संेप में चण करते हैं–

स ं ा ाे यथा  तथााेित िनबाेध मे।


समासेनैव काैतेय िना ानय या परा।।५०।।

काैतेय जाे ान क परािना है, पराकाा है, उस परमस काे ा


अा पुष  काे जैसे ा हाेता है, उस वध काे तू मुझसे संेप में जान।
अगले ाेक में वही वध बता रहे हैं, यान दें–

बु ा वश या युाे धृयाानं िनयय च।


शदादवषयांया रागेषाै युदय च।।५१।।
ववसेवी लवाशी यतवाायमानस:।
यानयाेगपराे िनयं वैरायं समुपात:।।५२।।

अजुन वशेष प से श बु से यु, एकात अाैर शभदेश का सेवन


करनेवाला, साधना में जतना सहायक हाे उतना ही अाहार करनेवाला, जीते
ए मन, वाणी अाैर शररवाला, ढ़ वैराय काे भल कार ा अा पुष
िनरतर यानयाेग के परायण अाैर एेसी धारणा से यु अथात् इसी सब काे
धारण करनेवाला तथा अत:करण काे वश में करके शदादक वषयाें काे
यागकर, राग-ेष काे न करके तथा–

अहारं बलं दप कामं ाेधं परहम्।


वमुय िनमम: शाताे  भूयाय कपते।।५३।।

अहंकार, बल, घमड, काम, ाेध, बा वतअाें अाैर अातरक चतनाें


का याग कर, ममतारहत अाैर शात अत:करण अा पुष पर के साथ
एकभाव हाेने के लये याेय हाेता है। अागे देखं–

 भूत: स ाा न शाेचित न काित।


सम: सवेषु भूतेषु म ं लभते पराम्।।५४।।
 के साथ एकभाव हाेने क याेयतावाला वह स च पुष न ताे
कसी वत के लये शाेक करता है अाैर न कसी क अाकांा ही करता है।
सब भूताें में समभाव अा वह भ क पराकाा पर है। भ अपना
परणाम देने क थित में है, जहाँ  में वेश मलता है। अब–

भा मामभजानाित यावाया त वत:।


तताे मां त वताे ावा वशते तदनतरम्।।५५।।

उस पराभ के ारा वह मुझे त व से भल कार जानता है। वह त व


है ा मैं जाे अाैर जस भाववाला ँ; अजर, अमर, शा त जन
अलाैकक गुणधमाेवाला ँ, उसे जानता है अाैर मुझे त व से जानकर तकाल
ही मुझमें वेश कर जाता है। ाि काल में ताे भगवान दखायी पड़ते हैं अाैर
ाि के ठक बाद, तण वह अपने ही अावप काे उन ई रय गुणधमाे
से यु पाता है क अाा ही अजर, अमर, शा त, अय अाैर सनातन है।

दूसरे अयाय में याेगे र ीकृण ने कहा– अाा ही सय है, सनातन है,
अय अाैर अमृतवप है; कत इन वभूितयाें से यु अाा काे केवल
त वदशयाें ने देखा। अब वहाँ  वाभावक है क वतत: त वदशता है
ा बत से लाेग पाँच त व, पचीस त व क बाै क गणना करने लगते हैं;
कत इस पर ीकृण ने यहाँ अठारहवें अयाय में िनणय दया क परमत व
है परमाा, जाे उसे जानता है वही त वदशी है। अब यद अापकाे त व क
चाह है, परमात व क चाह है ताे भजन-चतन अावयक है।

यहाँ ाेक उनचास से पचपन तक याेगे र ीकृण ने प कया क


संयास माग में भी कम करना है। उहाेंने कहा, ‘स यासेन’– संयास के ारा
(अथात् ानयाेग के ारा) कम करते-करते इछारहत, अासरहत तथा
जीते ए श अत:करणवाला पुष जस कार नैकय क परमस काे
ा हाेता है, उसे संेप में कँगा। अहंकार, बल, दप, काम, ाेध, मद, माेह
इयाद कृित में गरानेवाले वकार जब सवथा शात हाे जाते हैं अाैर ववेक,
वैराय, शम, दम, एकात-सेवन, यान इयाद  में वेश दलानेवाल
याेयताएँ जब पूणतया परप हाे जाती हैं, उस समय वह  काे जानने
याेय हाेता है। उस याेयता का नाम ही पराभ है। इसी याेयता ारा वह
त व काे जानता है। त व है ा मुझे जानता है (भगवान जाे है, जन
वभूितयाें से यु है उसे जानता है) अाैर मुझे जानकर तण मुझमें ही
थत हाे जाता है। अथात्  , त व, ई र, परमाा अाैर अाा एक दूसरे
के पयाय हैं। एक क जानकार के साथ ही इन सबक जानकार हाे जाती
है। यही परमस , परमगित, परमधाम भी है।

अत: गीता का ढ़ िनय है क संयास अाैर िनकाम कमयाेग दाेनाें ही


परथितयाें में परम नैकय-स काे पाने के लये िनयत कम (चतन)
अिनवाय है।

अब तक ताे संयासी के लये भजन-चतन पर बल दया अाैर अब


समपण कहकर उसी वा ा काे िनकाम कमयाेगी के लये भी कहते हैं–

सवकमायप सदा कुवाणाे मपाय:।


मसादादवााेित शा तं पदमययम्।।५६।।

मुझ पर वशेष प से अात अा पुष सपूण कमाे काे सदा करता
अा, ले शमा भी ुट न रखकर करता अा मेरे कृपा-साद से शा त
अवनाशी परमपद काे ा हाेता है। कम वही है– िनयत कम, य क
या। पूण याेगे र स 
ु के अात साधक उनके कृपा-साद से शी पा
जाता है। अत: उसे पाने के लये समपण अावयक है।

चेतसा सवकमाण मय स यय मपर:।


बु याेगमुपाय म : सततं भव।।५७।।

अत: अजुन सपूण कमाे काे (जतना कुछ तझसे बन पड़ता है) मन से
मुझे अपत करके, अपने भराेसे नहीं बक मुझे समपण करके मेरे परायण
अा बु याेग अथात् याेग क बु का अवलबन करके िनरतर मुझमें च
लगा। याेग एक ही है, जाे सवथा दु:खाें का अत करनेवाला अाैर परमत व
परमाा में वेश दलानेवाला है। उसक या भी एक ही है– य क
या, जाे मन तथा इयाें के संयम, ास- ास तथा यान इयाद पर
िनभर है। जसका परणाम भी एक ही है– ‘यात  सनातनम्।’ इसी पर
अागे कहते हैं–

म : सवदग
ु ाण मसादा रयस।
अथ चे वमहारा ाेयस वन स।।५८।।

इस कार मुझमें िनरतर च काे लगानेवाला हाेकर तू मेर कृपा से मन


अाैर इयाें के सपूण दुगाे काे अनायास ही तर जायेगा। ‘इं ार झराेखा
नाना। तहँ तहँ सर बैठे कर थाना।। अावत देखंह बषय बयार। ते हठ देहं
कपाट उघार।।’ (रामचरतमानस, ७/११७/११-१२)– ये ही दुजय दुग हैं। मेर
कृपा से तू इन बाधाअाें का अितमण कर जायेगा; कत यद अहंकार के
कारण मेरे वचनाें काे नहीं सनेगा ताे वन हाे जायेगा, परमाथ से युत हाे
जायेगा। इस बदु काे याेगे र ने कई बार ढ़ाया है। देखें– १६/१८-१९,
१७/५-६। १६/२३ में वे कहते हैं– इस शावध काे यागकर अय-अय
वधयाें से जाे भजते हैं उनके जीवन में न सख है, न शात है, न स है
अाैर न परमगित ही है। वह सबसे  हाे जाता है। यहाँ कहते हैं–यद
अहंकारवश तू मेर बात नहीं सनेगा ताे वन हाे जायेगा। अत: लाेक-समृ
अाैर परमेय क ाि के लये सपूण साधन-म का अादशा याेगे र
ीकृणाे यही ‘गीता’ है। पुन: इसी पर बल देते हैं–

यदहारमाय न याेय इित मयसे।


मयैष यवसायते कृितवां िनयाेयित।।५९।।

जाे तू अहंकार का अाय ले कर एेसा मानता है क यु नहीं कँगा, ताे


यह तेरा िनय मया है; ाेंक तेरा वभाव तझे बलात् यु में लगा देगा।

वभावजेन काैतेय िनब : वेन कमणा।


कत नेछस याेहाकरययवशाेऽप तत्।।६०।।

काैतेय माेहवश तू जस कम काे नहीं करना चाहता, उसकाे भी अपने
वभाव से उप ए कम से बँधा अा परवश हाेकर करे गा। कृित के संघष
से न भागने का तहारा िय ेणी का वभाव तहें बरबस कम में लगायेगा।
 पूरा अा। अब वह ई र रहता कहाँ है इस पर कहते हैं–

ई र: सवभूतानां  ेशेऽजुन ितित।


ामयसवभूतािन य ाढािन मायया।।६१।।
अजुन वह ई र सपूण भूताणयाें के दय-देश में िनवास करता है।
इतना समीप है ताे लाेग जानते ाें नहीं मायापी य में अाढ़ हाेकर
सबलाेग मवश चर लगाते ही रहते हैं, इसलये नहीं जानते। यह य बड़ा
बाधक है, जाे बार-बार न र कले वराें (शरराें) में घुमाता रहता है। ताे शरण
कसक लें –

तमेव शरणं गछ सवभावेन भारत।


तसादापरां शातं थानं ायस शा तम्।।६२।।

इसलये हे भारत सपूण भाव से उस ई र क (जाे दय-देश में थत


है) अनय शरण काे ा हाे। उसके कृपा-साद से तू परमशात, शा त
परमधाम काे ा हाेगा। अत: यान करना है ताे दय-देश में करें । यह जानते
ए भी मदर, म द, चच या अय खाेजना समय बरबाद करना है। हाँ,
जानकार नहीं है तब तक वाभावक है। ई र का िनवास-थान दय है।
भागवत के चत:ाेक गीता का सारांश भी यही है क वैसे ताे मैं सव ँ;
कत ा हाेता ँ ताे दय-देश में यान करने से ही।

इित ते ानमायातं गु ा ु तरं मया।


वमृयैतदशेषेण यथेछस तथा कु।।६३।।

इस कार बस इतना ही गाेपनीय से भी अितगाेपनीय ान मैंने तेरे लये


कहा है। इस वध से सपूण प से वचार कर; फर तू जैसा चाहता है वैसा
कर। सय यही है, शाेध क थल यही है, ाि क थल भी यही है। कत
दयथत ई र दखायी नहीं देता, इस पर उपाय बताते हैं–
सवगु तमं भूय: णु मे परमं वच:।
इाेऽस मे ढमित तताे वयाम ते हतम्।।६४।।

अजुन सपूण गाेपनीय से भी अित गाेपनीय मेरे रहययु वचन काे तू


फर भी सन। (कहा है, कत फर भी सन। साधक के लये इ सदैव खड़े
रहते हैं) ाेंक तू मेरा अितशय य है, इसलये यह परम हतकारक वचन
मैं तेरे लये फर भी कँगा। वह है ा –

मना भव म ाे म ाजी मां नमकु।


मामेवैयस सयं ते ितजाने याेऽस मे।।६५।।

अजुन तू मेरे में ही अनय मनवाला हाे, मेरा अनय भ हाे, मेरे ित
 ा से पूण हाे (मेरे समपण में अुपात हाेने लगे), मेरे काे ही नमन कर।
एेसा करने से तू मेरे काे ही ा हाेगा। यह मैं तेरे लये सय िता करके
कहता ँ; ाेंक तू मेरा अयत य है। पीछे बताया– ई र दय-देश में है,
उसक शरण जा। यहाँ कहते हैं– मेर शरण अा। यह अित गाेपनीय रहययु
वचन सन क मेर शरण अाअाे। वातव में याेगे र ीकृण कहना ा चाहते
हैं यही क साधक के लये स 
ु क शरण िनतात अावयक है। ीकृण
एक पूण याेगे र थे। अब समपण क वध बताते हैं–

सवधमापरयय मामेकं शरणं ज।


अहं वा सवपापेयाे माेययाम मा शच:।।६६।।

सपूण धमाे काे यागकर (अथात् मैं ा ण ेणी का क ा ँ या शू ेणी


का, िय ँ अथवा वैय– इसके वचार काे यागकर) केवल एक मेर
अनय शरण काे ा हाे। मैं तझे सपूण पापाें से मु कर दूँगा। तू शाेक मत
कर।

इन सब ा ण, िय इयाद वणाे का वचार न कर (क इस कम-पथ


में कस तर का ँ) जाे अनय भाव से शरण हाे जाता है, सवाय इ के
अय कसी काे नहीं देखता, उसका मश: वण-परवतन, उथान तथा पूण
पापाें से िनवृ ु वयं अपने हाथाें में ले
(माे) क जेदार वह इ स 
ले ते हैं।

येक महापुष ने यही कहा। शा जब लखने में अाता है ताे लगता है
क यह सबके लये है; कत है वतत:  ावान् के लये ही। अजुन
अधकार था, अत: उसे बल देकर कहा। अब याेगे र वयं िनणय देते हैं क
इसके अधकार काैन हैं –

इदं ते नातपकाय नाभाय कदाचन।


न चाशूषवे वायं न च मां याेऽयसूयित।।६७।।

अजुन इस कार तेरे हत के लये कहे इस गीता के उपदेश काे कसी
काल में भूलकर भी न ताे तपरहत मनुय के ित कहना चाहये, न
भरहत के ित कहना चाहये, न बना सनने क इछावाले के ित कहना
चाहये अाैर जाे मेर िनदा करता है, यह दाेष है, वह दाेष है– इस कार
अालाेचना करता है, उसके ित भी नहीं कहना चाहये। शन वाभावक है,
तब कहा कससे जाय जैसा भगवान अयाय २ / ५२-५३ में कह अाये हैं
क अजुन जब तेर बु माेहपी दलदल काे पार कर ले गी तभी तू जाे
सनने याेय है, उसे सन सकेगा अाैर सने ए के अनुसार वैराय काे ा हाे
सकेगा। अनेक कार के वेदवााें के सनने से वचलत ई तेर बु
(वेदवा ताे बत सने ले कन बु हाे गयी वचलत। एेसी वचलत बु )
जब अचल थर ठहर जायेगी तब तू याेग काे ा हाेगा। अजुन काे सनने
याेय बनाने के लए भगवान काे भी उसे तीा करानी पड़ अाैर यहाँ जनमें
तप अथात् इयाें काे इ के अनुप तपाने क मता नहीं है, भ अथात्
समपण नहीं है, सनने क उकंठा नहीं है, जससे सनना है उसके ित
व ास नहीं है – एेसे संशययु य क बु में अभी उपदेश हण करने
क मता नहीं है। उनमें ससंग तथा तवदशी महापुष क शरण–सेवा–
सा य से पाता लानी है, तपात् उहें उपदेश करना साथक हाेगा। कत
अभी कहा कससे जाय - इस पर कहते हैं–

य इमं परमं गु ं म ेवभधायित।


भं मय परां कृवा मामेवैययसंशय:।।६८।।

जाे इस परम गाेपनीय गीता ान काे मेरे भाें में कहेगा, वह मेर
पराभ काे ा कर मुझे ा हाेगा, इसमें काेई संशय नहीं है। अथात् वह
भ मुझे ही ा हाेगा, जाे सन ले गा; ाेंक उपदेश काे भल कार सनकर
दयंगम कर ले गा, ताे उस पर चले गा तथा पार पा जायेगा। अब उस
उपदेशक ा के लए कहते हैं–

न च तानुयेषु के यकृ म:।


भवता न च मे तादय: यतराे भुव।।६९।।
न ताे उससे बढ़कर मेरा अितशय य काय करनेवाला मनुयाें में काेई है
अाैर न उससे बढ़कर मेरा अयत यारा पृवी में दूसरा काेई हाेगा। कससे
जाे मेरे भाें में मेरा उपदेश करे गा, उनकाे उधर उस पथ पर चलायेगा;
ाेंक कयाण का यही एक ाेत है, राजमाग है। अब देखें अययन–

अयेयते च य इमं धय संवादमावयाे:।


ानयेन तेनाहम: यामित मे मित:।।७०।।

जाे पुष इस धममय हम दाेनाें के सवाद का ‘अयेयते’– भल कार


मनन करे गा, उसके ारा मैं ानय से पूजत हाेऊँगा अथात् एेसा य
जसका परणाम ान है, जसका वप पीछे बताया गया है, जसका
तापय है सााकार के साथ मलनेवाल जानकार– एेसा मेरा िनत मत है।

 ावाननसूय णुयादप याे नर:।


साेऽप मु: शभाँ ाेकाायापुयकमणाम्।।७१।।

जाे पुष  ा से यु अाैर ईयारहत हाेकर केवल सनेगा, वह भी पापाें


से मु हाेकर उ म कम करनेवालाें के े लाेकाें काे ा हाेगा। अथात्
करते ए भी पार न लगे ताे सना भर करें , उ म लाेक तब भी है; ाेंक वह
च में उन उपदेशाें काे हण ताे करता है। यहाँ सड़सठ से इकह र तक
पाँच ाेकाें में भगवान ीकृण ने यह बताया क गीता का उपदेश
अनधकारयाें काे नहीं कहना चाहये; कत जाे  ावान् है उससे अवय
कहना चाहये। जाे सनेगा, वह भ मुझे ा हाेगा; ाेंक अितगाेपनीय
कथा काे सनकर पुष चलने लगता है। जाे भाें में कहेगा, उससे अधक
य करनेवाला मेरा काेई नहीं है। जाे अययन करे गा, उसके ारा मैं ानय
से पूजत हाेऊँगा। य का परणाम ही ान है। जाे गीता के अनुसार कम
करने में असमथ है; कत  ा से मा सनेगा, वह भी पुयलाेकाें काे ा
हाेगा। इस कार भगवान ीकृण ने इसके कहने, सनने तथा अययन का
फल बताया।  पूरा अा। अब अत में वे अजुन से पूछते हैं क कुछ
समझ में अाया

क देततं पाथ वयैकाेण चेतसा।


क दानसाेह: नते धन य।।७२।।

हे पाथ ा मेरा यह वचन तूने एकाच हाेकर सना ा तेरा अान


से उप माेह न अा इस पर अजुन बाेला–

अजुन उवाच

नाे माेह: ृितल धा वसादायायुत।


थताेऽ गतसदेह: करये वचनं तव।।७३।।

अयुत अापक कृपा से मेरा माेह न हाे गया है। मुझे ृित ा ई
है। (जाे रहयमय ान मनु ने ृित-परपरा से चलाया, उसी काे अजुन ने
ा कर लया।) अब मैं संशयरहत अा थत ँ अाैर अापक अाा का
पालन कँगा। जबक सैय िनरण के समय दाेनाें ही सेनाअाें में वजनाें
काे देख अजुन याकुल हाे गया था। उसने िनवेदन कया– गाेवद वजनाें
काे मारकर हम कैसे सखी हाेंगे एेसे यु से शा त कुलधम न हाे जायेगा,
पडाेदक-या ल हाे जायेगी, वणसंकर उप हाेगा। हमलाेग समझदार
हाेकर भी पाप करने काे उ त ए हैं। ाें न इससे बचने के लये उपाय
करें शधार ये काैरव मुझ शरहत काे रण में मार डालें , वह मरना भी
ेयकर है। गाेवद मैं यु नहीं कँगा– कहता अा वह रथ के पछले
भाग में बैठ गया था।

इस कार गीता में अजुन ने याेगे र ीकृण के सम -पराें क


ंखला खड़ कर द। जैसे– अयाय २/७– वह साधन मेरे ित कहये जससे
मैं परमेय काे ा हाे जाऊँ २/५४– थत महापुष के लण ा हैं
३/१– जब अापक  में ानयाेग े है ताे मुझे भयंकर कमाे में ाें
लगाते हैं ३/३६– मनुय न चाहता अा भी कसक ेरणा से पाप का
अाचरण करता है ४/४– अापका ज ताे अब अा है अाैर सूय का ज
बत पुराना है, ताे मैं यह कैसे मान लूँ क कप के अाद में इस याेग काे
अापने सूय के ित कहा था ५/१– कभी अाप संयास क शंसा करते हैं ताे
कभी िनकाम कम क। इनमें से एक िनय करके कहये जससे मैं परमेय
काे ा कर लूँ ६/३५– मन चंचल है, फर शथल य वाला  ावान्
पुष अापकाे न ा हाेकर कस दुगित काे ा हाेता है ८/१-२– गाेवद
जसका अापने वणन कया, वह  ा है वह अया ा है अधदैव,
अधभूत ा है इस शरर में अधय काैन है वह कम ा है अत
समय में अाप कस कार जानने में अाते हैं सात  कये। अयाय १०/
१७ में अजुन ने जासा क क– िनरतर चतन करता अा मैं कन-कन
भावाें ारा अापका रण कँ ११/४ में उसने िनवेदन कया क– जन
वभूितयाें का अापने वणन कया उहें मैं य देखना चाहता ँ। १२/१– जाे
अनय  ा से लगे ए भजन भल कार अापक उपासना करते हैं अाैर
दूसरे जाे अर अय क उपासना करते हैं, इन दाेनाें में उ म याेगवे ा
काैन है १४/२१– तीनाें गुणाें से अतीत अा पुष कन लणाें से यु हाेता
है तथा मनुय कस उपाय से इन तीनाें गुणाें से अतीत हाेता है १७/१– जाे
मनुय उपराे शावध काे यागकर कत  ा से यु हाेकर यजन करते
हैं उनक काैन-सी गित हाेती है अाैर १८/१ हे महाबाहाे मैं याग अाैर
संयास के यथाथ वप काे पृथक्-पृथक् जानना चाहता ँ।

इस कार अजुन  करता गया। जाे वह नहीं कर सकता था उन


गाेपनीय रहयाें काे भगवान ने वयं दशाया। इनका समाधान हाेते ही वह ाें
से वरत हाे गया अाैर बाेला– गाेवद अब मैं अापक अाा का पालन
कँगा। वतत: ये  मानवमा के लये हैं। इन सभी ाें के समाधान के
बना काेई भी साधक ेय-पथ पर असर नहीं हाे सकता। अत: स 
ु के
अादेश का पालन करने के लये, ेय-पथ पर असर हाेने के लये सपूण
गीता का वण अित अावयक है। अजुन का समाधान हाे गया। साथ ही
याेगे र ीकृण के ीमुख से िन:सृत वाणी का उपसंहार अा। इस पर
संजय बाेला–

(यारहवें अयाय में वराट् प का दशन करा ले ने पर याेगे र ीकृण


ने कहा– अजुन अनय भ के ारा मैं इस कार देखने काे (जैसा तूने
देखा है), त व से जानने तथा वेश करने काे सलभ ँ (११/५४)। इस कार
दशन करनेवाले साात् मेरे वप काे ा हाे जाते हैं अाैर यहाँ अभी अजुन
से पूछते हैं– ा तहारा माेह न अा अजुन ने कहा– मेरा माेह न हाे
गया। मैं अपनी ृित काे ा हाे गया ँ। अाप जाे कहते हैं, वही कँगा।
दशन के साथ ताे अजुन काे मु हाे जाना चाहये था। वतत: अजुन काे ताे
जाे हाेना था, हाे गया; कत शा भवय में अानेवाल पीढ़ के लये हाेता
है। उसका उपयाेग अाप सबके लये ही है।)
स य उवाच

इयहं वासदेवय पाथय च महान:।


संवादमममाैषम त
ु ं राेमहषणम्।।७४।।

इस कार मैंने वासदेव अाैर महाा अजुन (अजुन एक महाा है, याेगी
है, साधक है, न क काेई धनुधर जाे मारने के लये खड़ा हाे। अत: महाा
अजुन) के इस वलण अाैर राेमांचकार सवाद काे सना। अाप में सनने क
मता कैसे अायी इस पर कहते हैं–

याससादातवानेत ु महं परम्।


याेगं याेगे राकृणासााकथयत: वयम्।।७५।।

ी यासजी क कृपा से, उनक द ई  से मैंने इस परम गाेपनीय


याेग काे साात् कहते ए वयं याेगे र ीकृण से सना है। संजय ीकृण
काे याेगे र मानता है। जाे वयं याेगी हाे अाैर दूसराें काे भी याेग दान करने
क मता रखता हाे, वह याेगे र है।

राजसंृय संृय संवादममम त


ु म्।
केशवाजुनयाे: पुयं याम च मुमु:।।७६।।

हे राजन् केशव अाैर अजुन के इस परम कयाणकार अाैर अ त



सवाद काे पुन:-पुन: रण करके मैं बारबार हषत हाे रहा ँ। अत: इस
सवाद काे सदैव रण करना चाहये अाैर इसी ृित से स रहना
चाहये। अब उनके वप का रण कर संजय कहते हैं–
त संृय संृय पमय त
ु ं हरे :।
वयाे मे महान् राजयाम च पुन: पुन:।।७७।।

हे राजन् हर के (जाे शभाशभ सव का हरण कर वयं शेष रहते हैं, उन
हर के) अित अ त
ु प काे पुन:-पुन: रण करके मेरे च में महान्
अाय हाेता है अाैर मैं बारबार हषत हाेता ँ। इ का वप बार-बार
रण करने क वत है। अत में संजय िनणय देते हैं–

य याेगे र: कृणाे य पाथाे धनुधर:।


त ीवजयाे भूितवा नीितमितमम।।७८।।

राजन् जहाँ याेगे र ीकृण अाैर धनुधर अजुन (यान ही धनुष है,
इयाें क ढ़ता ही गाडव है अथात् थरता के साथ यान धरनेवाला
महाा अजुन) हैं, वहीं पर ‘ी:’–एे य, वजय–जसके पीछे हार नहीं है,
ई रय वभूित अाैर चल संसार में अचल रहनेवाल नीित है, एेसा मेरा मत
है।

अाज ताे धनुधर अजुन है नहीं। यह नीित, वजय-वभूित ताे अजुन तक


सीमत रह गयी। तसामयक थी यह। यह ताे ापर में ही समा हाे गयी।
ले कन एेसी बात नहीं है। याेगे र ीकृण ने बताया क मैं सबके दय-देश में
िनवास करता ँ। अापके दय में भी वे हैं। अनुराग ही अजुन है। अनुराग
अापके अत:करण क इाेुखी लगन का नाम है। यद एेसा अनुराग अाप
में है ताे सदैव वातवक वजय है अाैर अचल थित दलानेवाल नीित भी
सदैव रहेगी, न क कभी थी। जब तक ाणी रहेंगे, परमाा का िनवास उनके
दय-देश में रहेगा, वकल अाा उसे पाने का इक हाेगा अाैर उनमें से
जसके भी दय में उसे पाने का अनुराग उमड़ेगा, वही अजुन क ेणीवाला
हाेगा; ाेंक अनुराग ही अजुन है। अत: मानवमा इसका याशी बन
सकता है।

िनकष—

यह गीता का समापन अयाय है। अार में ही अजुन का  है– भाे


मैं याग अाैर संयास के भेद अाैर वप काे जानना चाहता ँ। याेगे र
ीकृण ने इस पर चलत चार मताें क चचा क। इनमें एक सही भी था।
इससे मलता-जुलता ही िनणय याेगे र ीकृण ने दया क य, दान अाैर
तप कसी काल में यागने याेय नहीं हैं। ये मनीषयाें काे भी पव करनेवाले
हैं। इन तीनाें काे रखते ए इनके वराेधी वकाराें का याग करना ही
वातवक याग है। यह सा वक याग है। फल क इछा के साथ याग
राजस है, माेहवश िनयत कम का ही याग करना तामस याग है अाैर
संयास याग क ही चरमाेकृ अवथा है। िनयत कम अाैर यानजिनत सख
सा वक है। इयाें अाैर वषयाें का भाेग राजस है अाैर तृि दायक अ क
उप से रहत दु:खद सख तामस है।

मनुयमा के ारा शा के अनुकूल अथवा ितकूल काय हाेने में पाँच
कारण हैं– क ा (मन), पृथक्-पृथक् करण (जनके ारा कया जाता है। शभ
पार लगता है ताे ववेक, वैराय, शम, दम करण हैं। अशभ पार लगता है ताे
काम, ाेध, राग, ेष इयाद करण हाेंगे), नाना कार क इछाएँ (इछाएँ
अनत हैं, सब पूण नहीं हाे सकतीं। केवल वह इछा पूण हाेती है, जसके
साथ अाधार मल जाता है।), चाैथा कारण है अाधार (साधन) अाैर पाँचवाँ हेत
है दैव (ारध या संकार)। येक काय के हाेने में यही पाँच कारण हैं, फर
भी जाे कैवयवप परमाा काे क ा मानता है, वह मूढ़बु यथाथ नहीं
जानता। अथात् भगवान नहीं करते, जबक पीछे कह अाये हैं क अजुन तू
िनम मा हाेकर खड़ा भर रह, क ा-ध ा ताे मैं ँ। अतत: उन महापुष
का अाशय ा है

वतत: कृित अाैर पुष के बीच एक अाकषण सीमा है। जब तक मनुय


कृित में बरतता है, तब तक माया ेरणा करती है अाैर जब वह इससे ऊपर
उठकर इ काे समपत हाे जाता है अाैर वह इ जब दय-देश से रथी हाे
जाता है, फर भगवान करते हैं। एेसे तर पर अजुन था, संजय भी था अाैर
सबके लये इस (का) में पँचने का वधान है। अत: यहाँ भगवान ेरणा
करते हैं। पूणाता महापुष, जानने क वध अाैर ेय परमाा– इन तीनाें
के संयाेग से कम क ेरणा मलती है। इसलये कसी अनुभवी महापुष
ु ) के सा य में समझने का यास करना चाहये।
(स 

वण-यवथा के  काे चाैथी बार ले ते ए याेगे र ीकृण ने बताया क


इयाें का दमन, मन का शमन, एकाता, शरर-वाणी अाैर मन काे इ के
अनुप तपाना, ई रय जानकार का संचार, ई रय िनदेशन पर चलने क
मता इयाद  में वेश दलानेवाल याेयताएँ ा ण ेणी के कम हैं।
शाैय, पीछे न हटने का वभाव, सब भावाें पर वामभाव, कम में वृ हाेने
क दता िय ेणी का कम है। इयाें का संरण, अाक सप का
संव न इयाद वैय ेणी के कम हैं अाैर परचया शू ेणी का कम है। शू
का अथ है अप। अप साधक जाे िनयत कम चतन में दाे घटे बैठकर
दस मनट भी अपने प में नहीं पाता। शरर अवय बैठा है, ले कन जस
मन काे टकना चाहये, वह ताे हवा से बातें कर रहा है। एेसे साधक का
कयाण कैसे हाे उसे अपने से उ त अवथावालाें क अथवा स 
ु क सेवा
करनी चाहये। शनै:-शनै: उसमें भी संकाराें का सृजन हाेगा, वह गित पकड़
ले गा। अत: इस अप का कम सेवा से ही ार हाेगा। कम एक ही है–
िनयत कम, चतन। उसके क ा क चार ेणयाँ– अित उ म, उ म, मयम
अाैर िनकृ ही ा ण, िय, वैय अाैर शू हैं। मनुय काे नहीं बक गुणाें
के मायम से कम काे चार भागाें में बाँटा गया। गीताे वण इतने में ही है।

त व काे प करते ए उहाेंने कहा क– अजुन उस परमस क


वध बताऊँगा, जाे ान क परािना है। ववेक, वैराय, शम, दम, धारावाही
चतन अाैर यान क वृ इयाद  में वेश दला देनेवाल सार
याेयताएँ जब परप हाे जाती हैं अाैर काम, ाेध, माेह, राग, ेषाद कृित
में घसीटकर रखनेवाल वृ याँ जब पूणत: शात हाे जाती हैं, उस समय वह
य  काे जानने याेय हाेता है। उसी याेयता का नाम पराभ है।
पराभ के ारा ही वह त व काे जानता है। त व है ा बताया– मैं जाे ँ,
जन वभूितयाें से यु ँ, उसकाे जानता है अथात् परमाा जाे है, अय,
शा त, अपरवतनशील जन अलाैकक गुणधमाेवाला है, उसे जानता है अाैर
जानकर वह तण मुझमें थत हाे जाता है। अत: त व है परमत व, न क
पाँच या पचीस त व। ाि के साथ अाा उसी वप में थत हाे जाता है,
उहीं गुणधमाे से यु हाे जाता है।

ई र का िनवास बताते ए याेगे र ीकृण ने कहा– अजुन वह ई र


सपूण भूताें के दय-देश में िनवास करता है; कत मायापी य में अाढ़
हाेकर लाेग भटक रहे हैं, इसलये नहीं जानते। अत: अजुन तू दय में थत
उस ई र क शरण जा। इससे भी गाेपनीय एक रहय अाैर है क सपूण
धमाे क चता छाेड़कर तू मेर शरण में अा, तू मुझे ा हाेगा। यह रहय
अनधकार से नहीं कहना चाहये। जाे भ नहीं है उससे नहीं कहना चाहये;
ले कन जाे भ है उससे अवय कहना चाहये। उससे दुराव रखें ताे उसका
कयाण कैसे हाेगा अत में याेगे र ीकृण ने पूछा– अजुन मैंने जाे कुछ
कहा, उसे तूने भल कार सना-समझा, तहारा माेह न अा क नहीं
अजुन ने कहा– भगवन् मेरा माेह न हाे गया है। मैं अपनी ृित काे ा
हाे गया ँ। अाप जाे कुछ कहते हैं वही सय है अाैर अब मैं वही कँगा।

संजय, जसने इन दाेनाें के सवाद काे भल कार सना है, अपना िनणय
देता है क ीकृण महायाेगे र अाैर अजुन एक महाा हैं। उनका सवाद
बारबार रण कर वह हषत हाे रहा है। अत: इसका रण करते रहना
चाहये। उन हर के प काे याद करके भी वह बारबार हषत हाेता है। अत:
बारबार वप का रण करते रहना चाहये, यान करते रहना चाहये।
जहाँ याेगे र ीकृण हैं अाैर जहाँ महाा अजुन हैं, वहीं ी है। वजय-
वभूित अाैर वनीित भी वहीं है। सृ क नीितयाँ अाज हैं ताे कल बदलें गी।
व ताे एकमा परमाा है। उसमें वेश दलानेवाल नीित वनीित भी वहीं
है। यद ीकृण अाैर अजुन काे ापरकालन य-वशेष मान लया जाय
तब ताे अाज न अजुन है अाैर न ीकृण। अापकाे न वजय मलनी चाहये
अाैर न वभूित। तब ताे गीता अापके लये यथ है। ले कन नहीं, ीकृण एक
याेगी थे। अनुराग से पूरत दयवाला महाा ही अजुन है। ये सदैव रहते हैं
अाैर रहेंगे। ीकृण ने अपना परचय देते ए कहा क– मैं ँ ताे अय,
ले कन जस भाव काे ा ँ, वह ई र सबके दय-देश में िनवास करता है।
वह सदैव है अाैर रहेगा। सबकाे उसक शरण जाना है। शरण जानेवाला ही
महाा है, अनुरागी है अाैर अनुराग ही अजुन है। इसके लये कसी
थत महापुष क शरण जाना िनतात अावयक है; ाेंक वही इसके
ेरक हैं।
इस अयाय में संयास का वप प कया गया क सवव का यास
ही संयास है। केवल बाना धारण कर ले ना संयास नहीं है; बक इसके
साथ एकात का सेवन करते ए िनयत कम में अपनी श समझकर अथवा
समपण के साथ सतत य अपरहाय है। ाि के साथ सपूण कमाे का
याग ही संयास है, जाे माे का पयाय है। यही संयास क पराकाा है।
अत:–

ॐ तसदित ीम गव तासूपिनषस  व ायां याेगशाे ीकृणाजुनसवादे


‘स यासयाेगाे’ नामाादशाेऽयाय:।।१८।।

इस कार ीम गव तापी उपिनषद् एवं  व ा तथा याेगशा


वषयक ीकृण अाैर अजुन के सवाद में ‘संयास याेग’ नामक अठारहवाँ
अयाय पूण हाेता है।

इित ीमपरमहंसपरमानदय शय वामीअड़गड़ानदकृते ीम गव ताया:


‘यथाथगीता’ भाये ‘स यासयाेगाे’ नामाादशाेऽयाय:।।१८।।

इस कार ीमत् परमहंस परमानदजी के शय वामी अड़गड़ानदकृत


‘ीम गव ता’ के भाय ‘यथाथ गीता’ में ‘संयास याेग’ नामक अठारहवाँ
अयाय पूण हाेता है।

।। हर: ॐ तसत् ।।
उपशम
ाय: टकाअाें में लाेग नयी बात खाेजते हैं; कत वतत: सय ताे सय
है। वह न नया हाेता है अाैर न पुराना पड़ता है। नयी बातें ताे अखबाराें में
छपती रहती हैं, जाे मरती-उभरती घटनाएँ हैं। सय अपरवतनशील है ताे काेई
दूसरा कहे भी ा यद कहता है ताे उसने पाया नहीं। येक महापुष यद
चलकर उस लय तक पँच गया ताे एक ही बात कहेगा। वह समाज के बीच
दरार नहीं डाल सकता। यद डालता है ताे स है उसने पाया नहीं। ीकृण
भी उसी सय काे कहते हैं जाे पूव मनीषयाें ने देखा था, पाया था अाैर
भवय में हाेनेवाले महापुष भी यद पाते हैं ताे यही कहेंगे।

महापुष अाैर उनक काय-णाल– महापुष दुिनया में सय के नाम पर


फैल अाैर सय-सी तीत हाेनेवाल कुरितयाें का शमन करके कयाण का
पथ शत कर देते हैं। यह पथ भी दुिनया में पहले से रहता है; कत उसी
के समानातर, उसी क तरह भासनेवाले अनेक पथ चलत हाे जाते हैं।
उनमें से सय काे छाँटना कठन हाे जाता है क वतत: सय ा है।
महापुष सयथत हाेने से उनमें सय क पहचान करते हैं, उसे िनत
करते हैं अाैर उस सय क अाेर अभमुख हाेने के लये समाज काे ेरत
करते हैं। यही राम ने कया, यही महावीर ने कया, यही महाा बु ने
कया, यही ईसा ने कया अाैर यही यास मुहद ने कया। कबीर,
गुनानक इयाद सबने यही कया। महापुष जब दुिनया से उठ जाता है, ताे
पीछे के लाेग उसके बताये माग पर न चलकर उसके जथल, मृयुथल
अाैर उन थलाें काे पूजने लगते हैं, जहाँ वे गये थे। मश: वे उनक मूित
बनाकर पूजने लगते हैं। य प अार में वे उनक ृित ही सँजाेते हैं कत
कालातर में म में पड़ जाते हैं अाैर वही म ढ़ का प ले ले ता है।

याेगे र ीकृण ने भी तसामयक समाज में सय के नाम पर पनपे ए


रित-रवाजाें का खडन करके समाज काे शत पथ पर खड़ा कर दया।
अयाय २/१६ में उहाेंने कहा– अजुन असत् वत का ताे अतव नहीं है
अाैर सत् का तीनाें कालाें में अभाव नहीं है। भगवान हाेने के कारण यह मैं
अपनी अाेर से नहीं कह रहा ँ बक इनका अतर त वदशयाें ने देखा; अाैर
वही मैं कहने जा रहा ँ। तेरहवें अयाय में उहाेंने े-े का वणन उसी
कार कया, जाे ‘ऋषभबधागीतम्’– ऋषयाें ारा ाय: गाया जा चुका था।
अठारहवें अयाय में याग अाैर संयास का त व बताते ए उहाेंने चार मताें
में से एक का चयन कया अाैर उसे अपना समथन दया।

संयास– कृणकाल में अ काे न नेवाले तथा चतन का भी याग


करके अपने काे याेगी, संयासी कहनेवालाें का सदाय भी पनप रहा था।
इसका खडन करते ए उहाेंने प कया क ानमाग तथा भमाग, दाेनाें
में से कसी भी माग के अनुसार कम काे यागने का वधान नहीं है, कम ताे
करना ही हाेगा। कम करते-करते साधना इतनी सू हाे जाती है क
सवसंकपाें का अभाव हाे जाता है, वह पूण संयास है। बीच राते में संयास
नाम क काेई वत नहीं है। केवल याअाें काे याग देने से तथा अ न
ने से न ताे काेई संयासी हाेता है अाैर न याेगी। (जसे अयाय दाे, तीन,
पाँच, छ: अाैर वशेषकर अठारह में देखा जा सकता है।)
कम– एेसी ही ात कम के सबध में भी मलती है। अयाय २/३९ में
उहाेंने बताया– अजुन अब तक यह बु तेरे लये सांययाेग के वषय में
कही गयी अाैर अब इसी काे तू िनकाम कम के वषय में सन। इससे यु
हाेकर तू कमाे के बधन का अछ तरह नाश कर सकेगा। इसका थाेड़ा भी
अाचरण महान् ज-मरण के भय से उ ार करानेवाला हाेता है। इस िनकाम
कम में िनयाक या एक ही है, बु एक ही है, दशा भी एक ही है।
ले कन अववेकयाें क बु अनत शाखाअाेंवाल है, इसलये वे कम के नाम
पर अनेक याअाें का वतार कर ले ते हैं। अजुन तू िनयत कम कर।
अथात् याएँ बत-सी हैं वे कम नहीं हैं। कम काेई िनधारत दशा है। कम
काेई एेसी वत है, जाे ज-जातराें से चले अा रहे शरराें क याा का
अत कर देता है। यद एक भी ज ले ना पड़ा ताे याा पूर कहाँ ई

य– वह िनयत कम है काैन-सा ीकृण ने प कया क


‘याथाकमणाेऽय लाेकाेऽयं कमबधन:’– अजुन य क या ही कम
है। इसके अितर दुिनया में जाे कुछ कया जाता है, वह इसी लाेक का
बधन है, न क कम। कम ताे इस संसार-बधन से माे दलाता है। अब वह
य ा है, जसे यावत करें ताे कम सपादत हाे सके अयाय चार में
ीकृण ने तेरह-चाैदह तरके से य का वणन कया, जाे सब मलाकर
परमाा में वेश दला देनेवाल वध-वशेष का चण है– जाे ास से,
यान से, चतन अाैर इय-संयम इयाद से स हाेनेवाला है। ीकृण ने
यह भी प कर दया क भाैितक याें से इस य का काेई सबध नहीं
है। भाैितक याें से स हाेनेवाले य अयप हैं, अाप कराेड़ का हवन ही
ाें न करें । (४/३३) सपूण य मन अाैर इयाें क अत:या से स
हाेनेवाले हैं। पूण हाेने पर य जसक सृ करता है, उस अमृत-त व क
जानकार का नाम ान है। उस ानामृत काे पान करनेवाले याेगी सनातन
 में वेश पा जाते हैं। जसमें वेश पाना था पा ही लया, ताे फर उस
पुष का कम कये जाने से काेई याेजन नहीं है। इसलये यावा कम
उस सााकारसहत ान में शेष हाे जाते हैं। कम करने के बधन से वह
मु हाे जाता है। इस कार िनधारत य काे कायप देना कम है। कम का
श अथ है– अाराधना।

इस िनयत कम, याथ कम अथवा तदथ कम के अितर गीता में अय
काेई कम नहीं है। इसी पर ीकृण ने थान-थान पर बल दया। अयाय छ:
में इसी काे उहाेंने ‘कायम् कम’ कहा। अयाय साेलह में बताया क काम,
ाेध अाैर लाेभ के याग देने पर ही वह कम अार हाेता है, जाे परमेय
काे दलानेवाला है। सांसारक कमाे में जाे जतना यत है, उसके पास काम,
ाेध अाैर लाेभ उतने ही अधक सजे-सजाये दखते हैं, समृ पाये जाते हैं।
इसी िनयत कम काे उहाेंने शा-वधानाे कम क संा द। गीता अपने में
पूण तथा थम शा है। सहवें अाैर अठारहवें अयाय में भी शावध से
िनधारत कम, िनयत कम, क य कम अाैर पुय कम से इं गत करके उहाेंने
बारबार ढ़ाया क िनयत कम ही परमकयाणकार है।

याेगे र ीकृण के इतना बल देने पर भी अाप उस िनयत कम काे न


करके, ीकृण का कहना न मानकर उट-सीधी कपना करते हैं क जाे
कुछ भी संसार में कया जाता है, कम है। कुछ भी यागने क जरत नहीं है
केवल फल क कामना न कराे, हाे गया िनकाम कमयाेग। क य भावना से
कराे– हाे गया क य याेग। कुछ भी कराे, नारायण काे समपण कर दाे– हाे
गया समपण याेग। इसी कार य का नाम अाते ही हम भूतय, पतृय,
पंचय, वणु के िनम कया जानेवाला य गढ़ ले ते हैं अाैर उसक या
में वाहा बाेलकर खड़े हाे जाते हैं। यद ीकृण ने प न कहा हाे ताे हम
कुछ भी करें । यद बताया है ताे जतना कहा है उतना ही मान लें । कत हम
मान नहीं पाते। वरासत में अनेक रित-रवाज, पूजा-प ितयाँ हमारे मतक
काे जकड़े ई हैं। बा वतअाें काे कदाचत् हम बेचकर भाग भी सकते हैं,
कत ये पूवाह मतक में बैठकर हमारे साथ चलते हैं। ीकृण के शदाें
काे भी हम इहीं के अनुप ढालकर हण करते हैं। गीता ताे अयत
बाेधगय सरल संकृत में है। अाप अवयाथ भी लें ताे कभी सदेह नहीं हाेगा।
यही यास तत पुतक में कया गया है।

यु – यद य अाैर कम, दाे  ही यथाथ समझ लें ताे यु , वण-


यवथा, वणसंकर, ानयाेग, कमयाेग अथवा संेप में सपूण गीता ही
अापक समझ में अा जाय। अजुन लड़ना नहीं चाहता था। वह धनुष फेंककर
रथ के पछले भाग में बैठ गया; कत याेगे र ीकृण ने एकमा कम क
शा देकर कम काे केवल ढ़ाया ही नहीं बक अजुन काे उस कम पर
चला भी दया। यु अा, इसमें सदेह नहीं। गीता के पह-बीस ाेक एेसे
हैं जनमें बार-बार कहा गया, अजुन तू यु कर; कत एक भी ाेक एेसा
नहीं है, जाे बाहर मारकाट का समथन करता हाे। (य है– अयाय २, ३,
११, १५ अाैर १८) ाेंक जस कम पर बल दया गया वह है िनयत कम,
जाे एकात-देश के सेवन से, च काे सब अाेर से समेटकर यान करने से
हाेता है। जब कम का यही वप है, च एकात अाैर यान में लगा है ताे
यु कैसा यद गीताे कयाण यु करनेवाले के लये ही है ताे अाप गीता
का पड छाेड़ दें। अापके सम अजुन-जैसी यु क काेई परथित ताे है
नहीं। वतत: तब भी वह परथित व मान थी अाैर अाज भी याें-क-याें
है। जब च काे सब अाेर से समेटकर अाप दय-देश में यान करने लगेंगे
ताे काम, ाेध, राग, ेषाद वकार अापके च काे टकने नहीं देंगे। उन
वकाराें से संघष करना, उनका अत करना ही यु है। व में यु हाेते ही
रहते हैं; कत उनसे कयाण नहीं अपत वनाश हाेता है। उसे शात कह लें
अथवा परथित, अय काेई शात इस दुिनया में नहीं मलती। शात तभी
मलती है, जब यह अाा अपने शा त काे पा ले । यही एकमा शात है,
जसके पीछे अशात नहीं है। कत यह शात साधनगय है, उसी के लये
िनयत कम का वधान है।

वण– उस कम काे ही चार वणाे में बाँटा गया। चतन में लगते ताे सभी
हैं; कत काेई ास- ास क गित राेकने में सम हाेगा, ताे काेई अार
में दाे घटे चतन में बैठकर दस मनट भी अपने प में नहीं पाता। एेसी
थितवाला अप साधक शू ेणी का है। वह अपनी वाभावक मता के
अनुसार परचया से ही कम अार करे । मश: वैय, िय अाैर व ेणी
क मता उसके वभाव में ढलती जायेगी। वह उ त हाेता जायेगा। कत
वह ा ण ेणी दाेषयु है; ाेंक अभी वह  अलग है।  में वेश पा
जाने पर वह ा ण भी नहीं रह जाता। वण का अथ है अाकृित। यह शरर
अापक अाकृित नहीं है। अापक अाकृित वैसी है, जैसी अापक वृ है।
ीकृण कहते हैं– अजुन पुष  ामय है, इसलये कहीं-न-कहीं उसक
 ा अवय हाेगी। जैसी  ावाला वह पुष है, वयं भी वही है। जैसी वृ ,
वैसा पुष। वण कम क मता का अातरक मापदड है; कत लाेगाें ने
िनयत कम काे छाेड़कर बाहर समाज में ज के अाधार पर जाितयाें काे वण
मानकर उनक जीवका िनत कर द, जाे एक सामाजक यवथा मा थी।
वे कम के यथाथ प काे ताेड़ते-मराेड़ते हैं, जससे उनक खाेखल सामाजक
मयादा अाैर जीवका काे ठे स न लगे। कालातर में वण का िनधारण केवल
ज से हाेने लगा। एेसा कुछ नहीं है। ीकृण ने कहा, चार वणाे क सृ
मैंने क। ा भारत से बाहर सृ नहीं है अय ताे इन जाितयाें का
अतव ही नहीं है। भारत में इनके अतगत लाखाें जाितयाँ अाैर उप-जाितयाँ
हैं। ीकृण ने ा मनुयाें काे बाँटा नहीं, ‘गुणकम वभागश:’– गुण के
अाधार पर कम बाँटे गये। ‘कमाण वभािन’– कम बाँटा गया। कम समझ
में अा गया ताे वण समझ में अा जायेगा अाैर वण समझ में अा गया ताे
वणसंकर का यथाथ प अाप समझ लें गे।

वणसंकर– इस कमपथ से युत हाेना ही वणसंकर है। अाा का श वण


है परमाा। उसमें वेश दलानेवाले कम से हटकर कृित में मत हाे
जाना ही वणसंकर है। ीकृण ने प कया क इस कम काे कये बना उस
वप काे काेई पाता नहीं अाैर ाि वाले महापुष काे कम करने से न काेई
लाभ है अाैर न छाेड़ने से काेई हािन, फर भी लाेक-संह के लये वे कम में
बरतते हैं। उन महापुषाें क तरह मुझे भी ा हाेने याेय काेई वत अा
नहीं है, फर भी मैं पीछे वालाें के हत क इछा से कम में ही बरतता ँ।
यद न कँ ताे सभी वणसंकर हाे जायँ। याें के दूषत हाेने से वणसंकर
हाेना ताे सना गया; कत यहाँ ीकृण कहते हैं क वपथ महापुष कम
न करे तब लाेग वणसंकर हाे जाते हैं। उस महापुष क नकल करके
अाराधना बद कर देने से वे कृित में भटकते रहेंगे, वणसंकर हाे जायेंगे;
ाेंक इस कम काे करके ही उस परम नैकय क थित काे, अपने श
वण परमाा काे पाया जा सकता है।

ानयाेग तथा कमयाेग– कम एक ही है– िनयत कम, अाराधना; कत उसे
करने के काेण दाे हैं। अपनी श काे समझकर, हािन-लाभ का िनणय
ले कर इस कम काे करना ‘ानयाेग’ है। इस माग का साधक जानता है क
‘‘अाज मेर यह थित है, अागे इस भूमका में परणत हाे जाऊँगा। फर
अपने वप काे ा कँगा।’’ इस भावना काे ले कर कम में वृ हाेता है।
अपनी थित का ान रखकर चलता है, इसलये ानमागी कहा जाता है।
समपण के साथ उसी कम में वृ हाेना, हािन-लाभ का िनणय इ पर
फंे ककर चलना िनकाम कमयाेग, भमाग है। दाेनाें के ेरक स 
ु हैं। एक
ही महापुष से शा ले कर एक वावलबी हाेकर उस कम में वृ हाेता है
अाैर दूसरा उनसे शा ले कर, उहीं पर िनभर हाेकर वृ हाेता है। बस
अतर इतना ही है। इसीलये याेगे र ीकृण ने कहा– अजुन सांय ारा
जाे परम सय मलता है, वही परम सय िनकाम कमयाेग ारा भी मलता
है। जाे दाेनाें काे एक देखता है वही यथाथ देखता है। दाेनाें क या
बतानेवाला त वदशी एक है, या भी एक ही है– अाराधना। कामनाअाें का
याग दाेनाें करते हैं अाैर परणाम भी एक ही है। केवल कम का काेण दाे
है।

एक परमाा– िनयत कम मन अाैर इयाें क एक िनधारत अत:या


है। जब कम का यही वप है ताे बाहर मदर, म द, चच बनाकर देवी-
देवताअाें क मूित या तीक पूजना कहाँ तक संगत है भारत में हदू
कहलानेवाला समाज (वतत: वे सनातनधमी हैं। उनके पूवजाें ने परमसय क
शाेध करके देश-वदेश में उसका चार कया। उस पथ पर चलनेवाला व में
कहीं भी हाे, सनातनधमी है। इतना गाैरवशाल हदू-समाज) कामनाअाें से
ववश हाेकर ववध ातयाें में पड़ गया। ीकृण कहते हैं– अजुन देवताअाें
के थान पर देवता नाम क काेई श नहीं है। जहाँ कहीं भी मनुय क
 ा झकती है उसक अाेट में खड़ा हाेकर मैं ही फल देता ँ, उसक  ा
काे पु करता ँ; ाेंक मैं ही सव ँ। कत उसका वह पूजन अवधपूवक
है, उसका वह फल नाशवान् है। कामनाअाें से जनके ान का अपहरण हाे
गया है, वे मूढ़बु ही अय देवताअाें काे पूजते हैं। सा वक लाेग देवताअाें
काे पूजते हैं, राजसी य-रासाें काे तथा तामसी भूत-ेताें काे पूजते हैं। घाेर
तप करते हैं। कत अजुन वे शरर में थत भूतसमुदाय अाैर अत:करण में
थत मुझ परमाा काे कृश करते हैं, न क पूजते हैं। उहें िनय ही तू
अासर वभाव से संयु जान। इससे अधक ीकृण ा कहते उहाेंने
प कहा– अजुन ई र सभी ाणयाें के दय में रहता है, केवल उसी क
शरण जाअाे। पूजा क थल दय में है, बाहर नहीं। फर भी लाेग पथर-
पानी, मदर-म द, देवी-देवताअाें का पीछा करते ही हैं। उहीं के साथ
ीकृण क भी एक ितमा बढ़ा ले ते हैं। ीकृण क ही साधना पर बल
देनेवाले तथा जीवन भर मूितपूजा का खडन करनेवाले बु क भी मूित उनके
अनुयाययाें ने बना ल अाैर लगे पूजा करने (दप दखाने), जबक बु ने
कहा था– अानद तथागत क शरर-पूजा में समय न न करना।

मदर, म द, चच, तीथ, मूितयाँ तथा ारकाें से पूववती महापुषाें क


ृितयाँ सँजाेयी जाती हैं, जससे उनक उपलधयाें का रण हाेता रहे।
महापुषाें में ी-पुष सभी हाेते अाये हैं। जनक क कया ‘सीता’ पछले
ज में एक ा ण-कया थी। अपने पता क ेरणा से परम काे पाने के
लये उसने तपया क; कत सफल न हाे सक। दूसरे ज में उसने राम
काे ा कया अाैर चय, अवनाशी, अादश के प में ितत ई।
ठक इसी कार, राजकुल में उप मीरा में परमाा क भ का फुटन
अा। सबकुछ छाेड़कर वह भगवान के चतन में लग गयी। यवधानाें काे
झेला अाैर सफल रही। इनक ृित सँजाेने के लये मदर बने, ारक बने
ताक समाज उनके उपदेशाें से अनुाणत हाे सके। मीरा, सीता अथवा इस
प का शाेधक ा येक महापुष हमारा अादश है। हमें उनके पदच ाें का
अनुसरण करना चाहये; कत इससे बड़ भूल ा हाेगी क यद हम केवल
उनके चरणाें में फूल चढ़ाकर, चदन लगाकर अपने क याें क इिती मान
बैठें।

ाय: जाे जसका अादश हाेता है, उसक मूित, च, खड़ाऊँ, उसका
थान अथवा उससे सदभत कुछ भी देखने-सनने पर मन में  ा उमड़
अाती है। यह उचत ही है। हम भी अपने गुदेव भगवान के च काे कूड़े में
नहीं फंे क सकते; ाेंक वह हमारे अादश हैं। उहीं क ेरणा तथा
कथनानुसार हमें चलना है। जाे वप उनका है मश: चलकर उसक ाि
हमारा भी अभी है अाैर यही उनक यथाथ पूजा है। यहाँ तक ताे ठक है क
जाे वतत: अादश हैं, उनका िनरादर न करें ; कत उन पर प-पुप चढ़ाने
काे ही भ मान बैठने से, उतने काे ही कयाण-साधन मान ले ने से हम
लय से बत दूर भटक जायेंगे।

अपने अादशाे के उपदेशाें काे दयंगम करने तथा उस पर चलने क ेरणा


हण करने के लये ही ारकाें का उपयाेग है; चाहे उसे अाम, मदर,
म द, चच, मठ, वहार, गुारा या कुछ भी नाम दे लें । बशते उन केाें
का सबध धम से है ताे। जसक ितमा है, उसने ा कया अाैर ा
पाया कैसे तपया क कैसे ा कया केवल इतना ही सीखने के लये
हम वहाँ पँचते हैं अाैर पँचना भी चाहये; कत यद इन थानाें पर
महापुषाें के पदच नहीं बताये गये, करके नहीं सखाये गये, कयाण क
यवथा नहीं मल ताे वह थान गलत है। वहाँ अापकाे केवल ढ़ मले गी।
वहाँ जाने में अापका नुकसान है। यगत प से घर-घर, गल-गल जाकर
उपदेश पँचाने क अपेा सामूहक उपदेश केाें के प में इन धामक
संथानाें क थापना क गयी थी; कत कालातर में इन ेरणाथलयाें से
ही मूितपूजा तथा ढ़याें ने धम का थान हण कर लया। यहीं से म
पनप गया।

थ– इसी कार पुतकाें का अययन अावयक है, जससे अाप उस


िनद या काे समझ सकंे , जसे याेगे र ीकृण ने िनयत कम कहा है
अाैर जब समझ में अा जाय ताे तरत करने में लग जायँ। वृत हाेने लगे
ताे पुन: अययन कर लें । यह नहीं क पुतक काे हाथ जाेड़कर अत, चदन
छड़ककर रख दें। पुतक माग-िनदेशक च है, जाे पूितपयत साथ देता है।
देखते ए अागे बढ़ते चलें अपने गतय क अाेर। जब इ काे दय से पकड़
लें गे ताे वह इ ही पुतक बन जायेगा। अत: ृित सँजाेना हािनकारक नहीं
है; कत इन ृितच ाें क पूजा से ही सत हाे जाना हािनकारक है।

धम– (अयाय २/१६-२९) याेगे र ीकृण के अनुसार असत् वत का


अतव नहीं है अाैर सत् का कभी अभाव नहीं है। परमाा ही सय है,
शा त है; अजर, अमर, अपरवतनशील अाैर सनातन है; कत वह परमाा
अचय अाैर अगाेचर है, च क तरं गाें से परे है। अब च का िनराेध कैसे
हाे च का िनराेध करके उस परमाा काे पाने क वध-वशेष का नाम
कम है। इस कम काे कायप देना ही धम है, दायव है।

गीता (अयाय २/४०) में है क– अजुन इस कमयाेग में अार का नाश
नहीं है। इस कमपी धम का कंचा साधन ज-मृयु के महान् भय से
उ ार करनेवाला हाेता है अथात् इस कम काे कायप देना ही धम है।

इस िनयत कम (साधन-पथ) काे साधक के वभाव में उपलध मता के


अनुसार चार भागाें में बाँटा गया है। कम काे समझकर मनुय जबसे अार
करता है, उस अारक अवथा में वह शू है। मश: वध पकड़ में अायी
ताे वही वैय है। कृित के संघष काे झेलने क मता अाैर शाैय अाने पर
वही य िय है अाैर  के तूप हाेने क मता– ान (वातवक
जानकार), वान (ई रय वाणी का मलना), उस अतव पर िनभर रहने
क मता एेसी याेयताअाें के अाने पर वही ा ण है। इसलये याेगे र
ीकृण (गीता, अयाय १८/४६-४७ में) कहते हैं क वभाव में पायी
जानेवाल मता के अनुसार कम में लगना वधम है। हका हाेने पर भी
वभाव से उपलध वधम ेयतर है अाैर मता अजत कये बना ही दूसराें
के उ त कम का परपालन भी हािनकारक है। वधम में मरना भी ेयकर
है; ाेंक व बदलने से बदलनेवाला ताे बदल नहीं जाता। उसके साधन का
म वहीं से पुन: अार हाे जायेगा, जहाँ से टा था। साेपानश: चलकर वह
परमस अवनाशी पद काे पा ले गा।

इसी पर पुन: बल देते हैं क जस परमाा से सभी ाणयाें क उप


ई है, जाे सव या है, वभाव से उप ई मता के अनुसार उसे
भलभाँित पूजकर मानव परमस काे ा हाे जाता है। अथात् िनत वध
से एक परमाा का चतन ही धम है।

धम में वेश कसकाे है इसे करने का अधकार कसे है इसे प
करते ए याेगे र ने बताया क– ‘‘अजुन अयत दुराचार भी यद अनय
भाव से मुझे भजता है (अनय अथात् अय न), मुझे छाेड़कर अय कसी काे
भी न भजकर केवल मुझे भजता है ताे ‘ं भवित धमाा’– वह शी ही
धमाा हाे जाता है, उसक अाा धम से संयु हाे जाती है।’’ अत:
ीकृण के अनुसार धमाा वह है, जाे एक परमाा में अनय िना से लग
गया है। धमाा वह है, जाे एक परमाा क ाि के लये िनयत कम का
अाचरण करता है। धमाा वह है, जाे वभाव से िनयत मता के अनुसार
परमाा क शाेध में संल है।

अत में कहते हैं क ‘सवधमापरयय मामेकं शरणं ज।’– अजुन सारे
धमाे क चता छाेड़कर एक मेर शरण में हाे जा। अत: एक परमाा के ित
समपत य ही धामक है। एक परमाा में  ा थर करना ही धम है।
उस एक परमाा क ाि क िनत या काे करना धम है। इस थित
काे ा महापुष, अातृ महापुषाें का स ात ही सृ में एकमा धम
है। उनक शरण में जाना चाहये क उन महापुषाें ने कैसे उस परमाा काे
पाया कस माग से चले वह माग सदा एक ही है, उस माग से चलना धम
है।

धम मनुय के अाचरण क वत है। वह अाचरण केवल एक है–


‘यवसायाका बु रे केह कुनदन।’ (२/४१) इस कमयाेग में िनयाक
या एक ही है– इयाें क चेा अाैर मन के यापार काे संयमत कर
अाा में (परापर  में) वाहत करना (४/२७)।

धमातरण– सनातन-धम के अाददेश भारत में कुरितयाँ यहाँ तक पनपीं


क मुसलमानाें के अामण के समय उनका धम अाामकाें के हाथ का एक
ास चावल खाने से, दाे घूँट पानी पीने से न हाेने लगा। धम घाेषत
हजाराें हंदअ
ु ाें ने अाहया कर ल। धम के लये वे मरना जानते थे, ले कन
धम समझें तब ताे। धम ताे हाे गया ईमुई। ईमुई का पाैधा ने पर मुरझा
जाता है, टते ही पनप जाता है; कत उनका सनातन-धम ताे एेसा मुरझाया
क कभी नहीं पनपा। जस सनातन अाा काे भाैैितक वतएँ पश भी नहीं
कर पातीं, वह कहीं ने-खाने से न हाेता है अाप तलवार से मरें , धम ने
से मर गया ा सचमुच धम न अा कदाप नहीं। धम के नाम पर काेई
कुरित पल रही थी, वह न ई। अलाउ न खलजी के शासनकाल में
बयाना के काजी मुगीस न ने यवथा द क यद काेई मुसलमान थूकना
चाहता है ताे हदुअाें काे अपना मुँह खाेल देना चाहये। वह हदू दनदार हाे
जायेगा; ाेंक उसके पास काेई धम नहीं है। बुरा ा कहा उसने मुँह में
थूकने से ताे एक ही मुसलमान बनता, कुएँ में थूकने से ताे हजाराें बन जाते
थे। वतत: वह अाततायी था या उस समय का हदू समाज

जहाेंने इस कार धम-परवतन कर लया, ा काेई धम पा गये हदू


से मुसलमान बन जाना या एक कार के रहन-सहन से दूसरे रहन-सहन में
चले जाना धम ताे नहीं है। इस कार याेजनाब षड ं का शकंजा बनाकर
जहाेंने उहें बदला, ा वे धमाा थे वे ताे अाैर भी बड़ कुरितयाें के
शकार थे। हदू उसी में जाकर फँ स गये। अवकसत अाैर गुमराह कबीलाें
काे सय बनाने के लये मुहद ने ववाह, तलाक, वसीयत, ले न-देन, सूद,
गवाही, कसम, ायत, राेजी-राेट, खान-पान, रहन-सहन इयाद वषय में
एक सामाजक यवथा द तथा मूित-पूजा, शक, यभचार, चाेर, शराब,
जुअा, माँ-दाद इयाद से ववाह पर ितबध लगाया। समलैं गक तथा
रजवला मैथुनाें का िनषेध करके राेजे के दनाें में भी इसके लये ढल द।
ज त में बत-सी समवयक, अनई राें अाैर कशाेर बालकाें का लाेभन
दया। यह काेई धम नहीं था, एक कार क सामाजक यवथा थी। एेसा
कुछ कहकर उहाेंने वासना में डू बे ए समाज काे उधर से घुमाकर अपनी
अाेर उुख कया। याें काे ज त में कतने पुष मलें गे – इस पर उहाेंने
साेचा ही नहीं। यह उनका दाेष नहीं, दाेष उस देश-काल अाैर परथित का
था, जसमें याें क अाकांाअाें पर कसी का यान ही नहीं जाता था।
मुहद साहब ने जसे धम बताया, उधर कसी का यान ही नहीं है।
उहाेंने कहा क जस पुष का एक भी ास उस खदा के नाम के बगैर
खाल जाता है, उससे खदा कयामत में वैसे ही पूछता है, जैसे कसी पापी से
पाप के बदले में पूछा जाय। जसक सजा है हमेशा-हमेशा के लये दाेज़ख।
कतने स े मुसलमान हैं, जनका एक भी ास खाल न जाता हाे कराेड़ाें में
कदाचत् ही काेई हाे। शेष ताे सभी के ास खाल ही जाते हैं, जसक सजा
वही है जाे पापयाें के लये है। बताने क अावयकता नहीं, ‘दाेज़ख’। मुहद
ने यवथा द क जाे कसी काे नहीं सताता, पशअाें काे ठे स नहीं पँचाता,
वह अाकाश से खदा क अावाज सनता है। यह सभी थानाें के लये था;
कत पीछे वालाें ने एक राता िनकाल लया क मा में एक म द है,
जसमें हर घास नहीं ताेड़नी चाहये, उस म द में कसी पश काे नहीं
मारना चाहये, वहाँ कसी काे ठे स नहीं पँचानी चाहये अाैर घूम-फरकर वे
उसी दायरे में खड़े हाे गये। ा खदा क अावाज सनने से पहले मुहद ने
काेई म द बनवायी थी ा कभी कसी म द में काेई अायत उतर यह
म द ताे उनक थल रही है, जसमें उनक यादगार सरत है। मुहद
के अाशय काे तबरे ज ने जाना था, मंसूर ने जाना था, इकबाल ने जाना था;
कत वे म़जहबी लाेगाें के शकार बने, उहें यातनाएँ द गयीं। सकरात काे
जहर पलाया गया; ाेंक वह लाेगाें काे नातक बना रहा था। एेसा ही
अाराेप ईसा पर भी लगाया गया, उहें सूल द गयी; ाेंक वे वाम साथ
के दन भी काम करते थे, अधाें काे  दान करते थे। एेसा ही भारत में
भी है। जब भी काेई यदशी महापुष सय क अाेर इं गत करता है ताे
इन मदर, म द, मठ, सदाय अाैर तीथाे से जनक जीवका चलती है,
हाय-हाय करने लगते हैं, अधम-अधम च ाने लगते हैं। कसी काे इनसे
लाखाें-कराेड़ाें क अाय है, ताे कसी क दाल-राेट ही चलती है। वातवकता
के चार से उनक जीवका काे खतरा दखायी पड़ता है। वे सय काे पनपने
नहीं देते अाैर न दे सकते हैं। इसके अितर उनके वराेध का काेई कारण
नहीं है। सदूरकाल में यह ृित ाें सँजाेयी गयी थी, इसका उहें भान नहीं
है।

गृहथाें का अधकार– ाय: लाेग पूछते हैं क जब कम का यही वप


है, जसमें एकात-देश का सेवन, इय-संयम, िनरतर चतन अाैर यान
करना है, तब ताे गीता गृहथाें के लये अनुपयाेगी है। तब ताे गीता केवल
साधुअाें के लये है। कत एेसा कुछ भी नहीं है। गीता मूलत: उसके लये है,
जाे इस पथ का पथक है अाैर अंशत: उसके लये भी है, जाे इस पथ का
पथक बनना चाहता है। गीता मानवमा के लये समान अाशय रखती है।
स हृ थाें के लये ताे इसका वशेष उपयाेग है; ाेंक वहीं से कम अार
हाेता है।

ीकृण ने कहा– अजुन इस िनकाम कमयाेग में अार का कभी नाश


नहीं हाेता। इसका थाेड़ा भी साधन ज-मरण के महान् भय से उ ार कराके
ही छाेड़ता है। अाप ही बतायें, थाेड़ा साधन काैन करे गा–गृहथ अथवा वर
गृहथ ही इसके लये थाेड़ा समय देगा, यह उसके लये ही है। अयाय ४/३६
में कहा– अजुन यद तू सपूण पापयाें से भी अधक पाप करनेवाला है, तब
भी ानपी नाैका ारा िन:सदेह पार हाे जायेगा। अधक पापी काैन है– जाे
अनवरत लगा है वह अथवा जाे अभी लगना चाहता है अत: स हृ थ अाम
से ही कम का अार है। अयाय ६/३७ में अजुन ने पूछा– भगवन् शथल
य वाला  ावान् पुष परमगित काे न पाकर कस दुगित काे ा हाेता
है ीकृण ने कहा (अयाय ६/४०-४५)– अजुन याेग से चलायमान ए
शथल य वाले पुष का कभी वनाश नहीं हाेता। वह याेग ीमानाें
‘शचीनाम्’– श (सय) अाचरणवाले ही ीमान हैं। के यहाँ ज ले कर
याेगी-कुल में वेश पा जाता है, साधन क अाेर अाकषत हाेता है अाैर अनेक
जाें में चलकर वहीं पँच जाता है, जसका नाम परमगित अथात् परमधाम
है। यह शथल य काैन करता है याेग हाेकर वह कहाँ ज ले ता है
गृहथ ही ताे बना। वहीं से वह साधनाेुख हाेता है। अयाय ९/३० में उहाेंने
कहा– अयत दुराचार भी यद अनयभाव से मुझे भजने लगे ताे वह साधु ही
है; ाेंक वह िनय के साथ सही राते पर लग गया है। अयत दुराचार
काैन हाेगा– जाे भजन में वृ हाे गया वह अथवा वह, जसने अभी अार
ही नहीं कया अयाय ९/३२ में कहा– ी, वैय, शू तथा पापयाेिनवाले ही
ाें न हाें, मेरे अात हाेकर साधन करने से परमगित पाते हैं। हदू हाे,
ईसाई हाे, मुसलमान हाे– ीकृण एेसा कुछ नहीं कहते, अयत दुराचार
पातक ही ाें न हाें, मेर शरण हाेकर परमगित पाते हैं। अत: गीता
मानवमा के लये है। स हृ थ अाम से ही इस कम का अार है। मश:
वही स हृ थ याेगी बनता है, पूण यागी हाे जाता है अाैर त व का ददशन
कर परम में वेश पा जाता है, जसे ीकृण ने कहा क ानी मेरा वप
है।

ी– गीता के अनुसार शरर एक व है। जैसे पुराने व काे यागकर


मनुय नया व धारण कर ले ता है, ठक इसी कार भूतादकाें का वामी
अाा इस शररपी व काे यागकर दूसरा शरर (व) धारण कर ले ता
है। अाप पडप में ी हाें या पुष, ये व के अाकार हैं।

संसार में पुष दाे कार का है– र अाैर अर। समत ाणयाें का
शरर र पुष अथवा परवतनशील पुष है। मनसहत इयाँ जब कूटथ
हाे जाती हैं, तब वही अर पुष है। उसका कभी वनाश नहीं हाेता। यह
भजन क अवथा है।

याें के ित कभी सान, ताे कभी अपमान क भावना समाज में बनी
ही रहती है; कत गीता क अपाैषेय वाणी में यह है क शू (अप),
वैय (वधा ), ी-पुष काेई ाें न हाे, मेर शरण अाकर परमगित काे
ा हाेता है। अत: इस कयाण-पथ में याें का वही थान है, जाे एक
पुष का है।

भाैितक समृ – गीता परमकयाण ताे देती है, साथ ही मनुयाें के लये
अावयक भाैितक वतअाें का भी वधान करती है। अयाय ९/२०-२२ में
याेगे र ीकृण कहते हैं क बत से लाेग िनधारत वध से मुझे पूजकर
बदले में वग क कामना करते हैं। उहें वशाल वगलाेक मलता है, मैं देता
ँ। जाे माँगाेगे, वह मुझसे मले गा; कत उपभाेग के पात् समा हाे
जायेगा, ाेंक वग के भाेग भी न र हैं। उहें पुन: ज ले ना पड़ेगा। हाँ,
मुझसे सबधत हाेने के कारण वे न नहीं हाेते; ाेंक मैं कयाणवप ँ।
मैं उहें भाेग देता ँ अाैर शनै:-शनै: िनवृ कराकर पुन: उहें कयाण में लगा
देता ँ।

े– जन परमाा के ीमुख क वाणी यह गीता है उहाेंने वयं परचय


दया, ‘इदं शररं काैतेय ेमयभधीयते।’– अजुन यह शरर ही े
(खेत) है, जसमें बाेया गया भला अाैर बुरा कमबीज संकारप में जमता है
अाैर कालातर में सख-दु:ख का प ले कर भाेग के प में मलता है।
अासर सपद् अधम याेिनयाें में ले जाने के लये है, जबक दैवी सपद्
परमदेव परमाा में वेश दलाती है। स 
ु के सा य में इनमें िनणायक
यु का अारं भ हाेता है, यही े-े क लड़ाई है।

कुछे क टकाकार कहते हैं– एक कुे बाहर है अाैर दूसरा मन के भीतर


है। गीता का एक अथ बाहर है, दूसरा भीतर। ले कन एेसा कुछ नहीं है।
वा एक बात कहता है; कत ाेता अपनी बु के अनुप ही उसे पकड़
पाते हैं, इसीलये अनेक अथ तीत हाेते हैं। साधन-पथ पर मश: चलकर
जाे भी पुष ीकृण के तर पर खड़ा हाे जायेगा, ताे जाे य ीकृण के
सामने था, वही उसके सामने भी हाेगा। वही महापुष उनके मनाेगत भावाें
काे, गीता के संकेताें काे समझ सकता है, समझा सकता है।

गीता का एक भी ाेक बाहर का चण नहीं करता। खाना, पहनना, रहना


अाप जानते ही हैं। रहन-सहन, मायता, लाेकरित-नीित में देश-काल अाैर
परथितयाें के अनुकूल परवतन कृित क देन है। इसमें ीकृण अापकाे
काैन-सी यवथा दें कहीं लड़कयाें का बाय है, ब ववाह हाेते हैं, ताे
कहीं उनक संया कम है। कहीं कई भाइयाें के बीच एक प ी रह ले ती है–
इसमें ीकृण काैन-सी यवथा दें। तीय व यु के पात् जापान में
जनसंया क कमी समया बन गयी ताे तीस ब ाें काे ज देने वाल एक
महला काे मदरलैं ड (देश क माता) क उपाध से सािनत कया गया।
वैदककालन भारत में पहले दस सतान उप करने का वधान था, अब
‘एक या दाे ब े, हाेते हैं घर में अछे ’ का नारा लग रहा है। कदाचत् वे न
रहें ताे देश के लए चता का वषय नहीं, समया का हल ही हाेता है।
ीकृण इसमें काैन-सी यवथा दें
ेय– काम, ाेध, लाेभ, माेह के कहीं कूल नहीं खले हैं, फर भी इन
वकाराें में लड़के बड़े तथा सयानाें से कहीं अधक वीण िनकलते हैं। इसमें
ीकृण ा शा दें यह सब ताे कृित ारा वचालत हैं। कभी वेद पढ़ाये
जाते थे, धनुवेद-गदायु सखाया जाता था, अाज इहें काैन सीखता है अाज
ताे पटल चला रहे हैं। वचालत य ाें का युग है। कभी रथ-संचालन
सीखना पड़ता था, घाेड़ाें क लद फेंकनी पड़ती थी; अाज माेटराें का तेल
साफ कया जाता है। इसमें ीकृण ा बतायें कह दें क घाेड़ाें काे एेसे
मत मलाे बाहर अापकाे कैसी यवथा दें पहले वाहा बाेलने से वषा हाेती
थी, अाज मनचाही फसल ले ने लगे हैं। याेगे र कहते हैं क कृित से उप
गुणाें ारा परवश हाेकर मनुय परथित के अनुसार ढलता ही रहता है। गुण
वत: उहें ढालने में सम हैं। भाैितकशा, समाजशा, शाशा,
अथशा, तकशा वह गढ़ता ही रहता है। एक ही वत एेसी है जाे मनुय
नहीं जानता, नहीं पहचानता। जाे है ताे उसी के पास कत उसे वृत है।
गीता सनकर अजुन क वही ृित लाैट अायी थी। वह ृित है परमाा
क, जाे दयदेश में हाेकर भी उससे बत दूर है। उसी काे मनुय पाना
चाहता है; कत राता नहीं पाता। केवल कयाण-पथ से ही मनुय अनभ
है। माेह का अावरण इतना घना है क उधर साेचने का समय ही नहीं मलता।
उन महापुष ने अापके लये समय दया है, उस कम काे प कया है,
जसे करने का िनदेश गीता में है। गीता मुयत: यही देती है। भाैितक वतएँ
भी उससे मलती हैं; कत ेय क तलना में ेय नगय हैं।

याेग-दाता– याेगे र ीकृण के अनुसार कयाण-पथ क जानकार,


उसका साधन अाैर उसक ाि ु से हाेती है। इधर-उधर तीथाे में बत
स 
भटकने या बत परम से यह तब तक नहीं मलता, जब तक कसी सत
ारा न ा कया जाय। अयाय ४/३४ में ीकृण ने कहा– अजुन तू कसी
त वदशी महापुष के पास जाकर, भल कार दड-णाम कर, िनकपट भाव
से सेवा करके,  करके उस ान काे ा कर। ाि का एकमा उपाय है,
कसी महापुष का सा य अाैर उनक सेवा। उनके अनुसार चलकर याेग
क संस काल में पायेगा। अयाय १८/१८ में उहाेंने बताया क पराता
अथात् त वदशी महापुष, ान अथात् जानने क वध अाैर ेय परमाा–
तीनाें कम के ेरक हैं। अत: ीकृण के अनुसार महापुष ही कम के मायम
हैं, न क केवल पुतक। कताब ताे एक नुखा है। नुखा रटने से काेई
नीराेग नहीं हाेता बक उसे अमल में लाना है।

नरक– अयाय १६/१६ में अासर सपद् का वणन करते ए याेगे र


ीकृण ने बताया क अनेक कार से मत च वाले , माेह में फँ से अासर
वभाववाले मनुय अपव नरक में गरते हैं।  वाभावक है क नरक है
कैसा अाैर कसे कहते हैं इसी म में प करते हैं क मुझसे ेष
रखनेवाले नराधमाें काे मैं बारबार अासर याेिनयाें में गराता ँ, अज
अासर याेिनयाें में गराता ँ। यही नरक है। इस नरक का ार ा है
उहाेंने बताया क काम, ाेध अाैर लाेभ नरक के तीन ार हैं, जनमें अासर
सपद् गठत हाेती है। अत: बारबार कट-पतंग, पश इयाद याेिनयाें में
अाना ही नरक है।

पडदान– थम अयाय में वषादत अजुन काे अाशंका थी क


यु जिनत नरसंहार से पतर लाेग पडदान अाैर तपण से वंचत हाे जायेंगे,
पतर गर जायेंगे। इस पर भगवान् ीकृण ने कहा– अजुन तझे यह अान
कहाँ से हाे गया पडाेदक या काे याेगे र ने अान कहा अाैर बताया क
जस कार जीण-शीण व काे यागकर मनुय नया व धारण कर ले ता है,
ठक इसी कार यह अाा जीण शरर काे छाेड़कर तकाल शररपी नवीन
व काे हण कर ले ता है। यहाँ शरर मा एक व है अाैर जब अाा ने
केवल व बदला, वह मरा नहीं, न र शरर काे ही बदला है, उसक
यवथाएँ पूववत् हैं ताे इस भाेजन (पडदान), अासन, शया, सवार,
अावास या जल इयाद से कसे तृ कया जाता है यही कारण है क
याेगे र ने इसे अान कहा। अयाय १५/७ में इसी पर बल देते ए कहते हैं
क यह अाा मेरा सनातन अंश है, वप है अाैर मन तथा पाँचाें इयाें के
काय-कलापजय संकार काे ले कर दूसरे शरर काे धारण कर ले ता है अाैर
मनसहत षट् इयाें के ारा अगले शरर में वषय-भाेगाें काे भाेगता है।
अाा ने जस शरर काे धारण कया, वहाँ भी भाेग-सामी उपलध है, फर
पडदान ाें दया जाता है

इधर एक शरर काे छाेड़ा, उधर दूसरे शरर काे धारण कया। वह सीधा
उस शरर में जाता है। बीच में काेई वराम नहीं, काेई थान नहीं ताे हजाराें
पीढ़याें के पतराें का अनादकाल से पड़े रहना अाैर उनक जीवका वंश-
परपरा के हाथ िनधारत करना तथा पंजड़े के पी क तरह उनका दन,
पतन एक अान मा है। इसीलये ीकृण ने इसे अान कहा।

पाप अाैर पुय– इस  पर समाज में अनेक ातयाँ हैं; कत याेगे र
ीकृण के अनुसार रजाेगुण से उप यह काम अाैर ाेध भाेगाें से कभी तृ
न हाेनेवाले महान् पापी हैं। अथात् काम ही एकमा पापी है। पाप का उ म
काम है, कामनाएँ हैं। ये कामनाएँ रहती कहाँ हैं ीकृण ने बताया क
इयाँ, मन अाैर बु इसके वासथान कहे जाते हैं। जब वकार तन में
नहीं, मन में ही हाेते हैं ताे शरर धाेने से ा हाेगा
ीकृण के अनुसार इस मन क श हाेती है नाम-जप से, यान से,
समकालन कसी त वदशी महापुष क सेवा से, उनके ित समपण से,
जसके लये वे ४/३४ में ाेसाहत करते हैं क ‘त णपातेन’–सेवा
अाैर  करके उस ान काे ा कराे, जससे सभी पाप न हाे जाते हैं।

अयाय ३/१३ में उहाेंने कहा क य से शेष बचे अ काे खानेवाले


सतजन सपूण पापाें से ट जाते हैं अाैर जाे शरर के लये कामना करते
हैं, वे पापी पाप ही खाते हैं। यहाँ य चतन क एक िनत या है,
जससे मन में िनहत चराचर जगत् के संकार जल जाते हैं। शेष केवल 
ही बचता है। अत: शरर के ज का जाे कारण है, वही पाप है अाैर जाे उस
अमृत-त व काे दलानेवाला है, जसके पात् कभी शरर धारण न करना पड़े,
वही पुय है।

अयाय ७/२९ में वे कहते हैं– मेर शरण हाेकर जरा-मरण अाैर दाेषाें से
टने के लये य करनेवाले पुयकमी जन पुषाें का पाप न हाे गया है,
वे सपूण  काे, सपूण कम काे, सपूण अया काे तथा भल कार
मुझे जानते हैं अाैर मुझे जानकर मुझमें ही थत रहते हैं। अत: पुयकम वह
है जाे जरा, मरण अाैर दाेषाें से ऊपर उठाकर शा त क जानकार अाैर उसी
में सदा के लये थित दलाता है। अाैर जाे ज-मृयु, जरा-मरण, दु:ख-दाेषाें
क परध में घुमाकर रखता है, वही पापकम है।

अयाय १०/३ में कहते हैं– जाे मुझ ज-मृयु से रहत, अाद-अत से
रहत सब लाेकाें के महान् ई र काे सााकारसहत वदत कर ले ता है, वह
पुष मरणधमा मनुयाें में ानवान् है अाैर एेसा जाननेवाला सपूण पापाें से
मु हाे जाता है। अत: सााकार के साथ ही सपूण पापाें से िनवृ मलती
है।

सारांशत: बार-बार ज-मृयु का कारण ही पाप है अाैर जाे उससे बचाकर


शा त परमाा क अाेर घुमा दे, परमशात क ाि करा दे, वही पुयकम
है। सच बाेलना, केवल अपने परम का खाना, याें में मातृ- भाव,
ईमानदार इयाद भी इस पुयकम के सहायक अंग हैं; कत सवाेकृ पुय
है परमाा क ाि । जाे मा एक परमाा क  ा काे ताेड़ता है, वह पाप
है।

सत सब एक– गीता, अयाय ४/१ में भगवान ीकृण ने बताया– इस


अवनाशी याेग काे कप के अाद में मैंने सूय के ित कहा था। कत
ीकृण के पूवकालन इितहास अथवा अय कसी भी शा में कृण-नाम का
उ े ख नहीं मलता।

वातव में ीकृण एक पूण याेगे र हैं। वे एक अय अाैर अवनाशी


भाव क थित के हैं। जब कभी परमाा से मलानेवाल या अथात् याेग
का सूपात कया गया ताे इसी थितवाले कसी महापुष ने कया, चाहे वह
राम हाें या ऋष जरथु ही ाें न रहे हाें। परवतीकाल में यही उपदेश ईसा,
मुहद, गुनानक इयाद जस कसी के ारा िनकला, कहा ीकृण ने ही।

अत: सभी महापुष एक ही हैं। सब-के-सब एक ही बदु का पश कर


एक ही वप काे पाते हैं। यह पद एक इकाई है। अनेक पुष इस पथ पर
चलें गे; ले कन जब पायेंगे, एक ही पद काे पायेंगे। एेसी अवथा काे ा सत
का शरर एक मकान मा रह जाता है। वे श अावप हैं। एेसी
थितवालाें ने कभी कुछ कहा, ताे एक याेगे र ने ही कहा।
सत कहीं-न-कहीं ताे ज ले ता ही है। पूरब अथवा पम में, याम
अथवा ेत परवार में, पूवचलत कहीं धमावलबयाें के बीच अथवा अबाेध
कबीलाें में, सामाय जीवन जीनेवाले गरब अथवा अमीराें में ज ले कर भी
सत उनक परपरावाला नहीं हाेता। वह ताे अपने लय परमाा काे
पकड़कर वप क अाेर असर हाे जाता है, वही हाे जाता है। उसके
उपदेशाें में जाित-पाँित, वगभेद अाैर अमीर-गरब क दवारें नहीं रहती हैं। यहाँ
तक क उसक  में नर-मादा का भेद भी नहीं रह जाता (देखें, गीता,
१५/१६– ावमाै पुषाै लाेके)।

महापुषाें के पात् उनके अनुयायी अपना सदाय बनाकर संकुचत हाे


जाते हैं। कसी महापुष के पीछे चलनेवाले यद हाे जाते हैं, ताे कसी के
अनुयायी ईसाई, मुसलमान, सनातनी इयाद हाे जाते हैं; कत इन दवाराें
से सत का सबध कदाप नहीं हाेता। सत न ताे काेई सादायक है अाैर
न काेई जाित। सत सत हैं, उहें कसी सामाजक संगठन में न समेटंे ।

अत: संसार भर के सताें क, चाहे कसी कबीले में उनका ज अा है,
चाहे कसी म़जहब सदाय वाले उनका पूजन अधक करते हाें, कसी
सादायक भाव में अाकर एेसे सताें क अालाेचना नहीं करनी चाहये;
ाेंक वे िनरपे हैं। संसार के कसी भी थान में उप सत िनदा के
याेय नहीं हाेता। यद काेई एेसा करता है ताे वह अपने अदर थत
अतयामी परमाा काे दुबल करता है, अपने परमाा से दूर पैदा कर ले ता
है, वयं अपनी ित करता है। संसार में ज ले नेवालाें में यद अापका काेई
स ा हतैषी है ताे सत ही। अत: उनके ित सदय रहना संसार भर के
लाेगाें का मूल क य है। इससे वंचत हाेना अपने काे धाेखा देना है।
वेद– गीता में वेद का वणन बत अाया है; कत कुल मलाकर वेद माग-
िनदेशक (Mile Stone) च मा हैं। मंजल तक पँच जाने पर उस य के
लये उनका उपयाेग समा हाे जाता है। अयाय २/४५ में ीकृण ने कहा–
अजुन वेद तीनाें गुणाें तक ही काश कर पाते हैं, तू वेदाें के काये से
ऊपर उठ। अयाय २/४६ में कहा– सब अाेर से परपूण वछ जलाशय ा
हाेने पर छाेटे जलाशय से मनुय का जतना याेजन रह जाता है, अछ
कार  के ाता महापुष अथात् ा ण का वेदाें से उतना ही याेजन रह
जाता है; कत दूसराें के लये ताे उनका उपयाेग है ही। अयाय ८/२८ में
कहा– अजुन मुझे त व से भलभाँित जान ले ने पर याेगी वेद, य, तप, दान
इयाद के पुयफलाें काे पार कर सनातन पद काे ा हाे जाता है। अथात्
जब तक वेद जीवत हैं, य करना शेष है, तब तक सनातन पद क ाि
नहीं है। अयाय १५/१ में बताया– ऊपर परमाा ही जसका मूल है, नीचे
कट-पतंगपयत कृित जसक शाखा-शाखा है, संसार एेसा पीपल का एक
अवनाशी वृ है। जाे इसे मूलसहत जानता है, वह वेद का ाता है। इस
जानकार का ाेत महापुष हैं, उनके ारा िनद भजन है। पुतक या
पाठशाला भी उहीं क अाेर ेरत करते हैं।

अाेम्– ीकृण के िनदेशन में ॐ के जप का वधान पाया जाता है।


अयाय ७/८– अाेंकार मैं ँ। ८/१३– ॐ का जप कर अाैर मेरा चतन कर।
अयाय ९/१७– जानने याेय पव अाेंकार मैं ँ। अयाय १०/३३– अराें में
‘अकार’ ँ। १०/२५– वचनाें में एक अर मैं ँ। अयाय १७/२३– ॐ, तत्
अाैर सत्  का परचायक है। १७/२४– य, दान अाैर तप क याएँ ॐ
से ही ार हाेती हैं। अत: ीकृण के अनुसार ॐ का जप िनतात
अावयक है, जसक वध कसी अनुभवी महापुष से सीखें।
गीताे ान ही वश मनुृित– गीता अादमानव महाराज मनु से भी
पूव कट ई है– ‘इमं वववते याेगं ाेवानहमययम्।’ (४/१) अजुन इस
अवनाशी याेग काे मैंने कप के अाद में सूय से कहा तथा सूय ने मनु से
कहा। मनु ने उसे वण कर अपनी याददात में धारण कया; ाेंक वण
क गयी वत मन क ृित में ही रखी जा सकती है। इसी काे मनु ने राजा
इवाकु से कहा। इवाकु से राजषयाें ने जाना अाैर इस मह वपूण काल से
यह अवनाशी याेग इसी पृवी में ल हाे गया। अार में कहने अाैर वण
करने क परपरा थी। लखा भी जा सकता है– एेसी कपना नहीं थी। मनु
महाराज ने इसे मानसक ृित में धारण कया तथा ृित क परपरा द।
इसलये यह गीताे ान ही वश मनुृित है।

भगवान ने यह ान मनु से भी पूव सूय से कहा ताे इसे ‘सूयृित’ ाें
नहीं कहते वतत: सूय याेितमय परमाा का वह अंश है जससे इस
मानव सृ का सृजन अा। भगवान ीकृण कहते हैं, ‘‘मैं ही परम चेतन
बीजप से पता ँ, कृित गभ धारण करनेवाल माँ है।’’ वह बीजप पता
सूय है। सूय परमाा क वह श है जसने मानव क संरचना क। वह
काेई य नहीं अाैर जहाँ परमाा के उस याेितमय तेज से मानव क
उप ई, उस तेज में वह गीताे ान भी सारत कया अथात् सूय से
कहा। सूय ने अाद मनु से कहा इसलये यह अवनाशी याेग ही ‘मनुृित’
है। सूय काेई य नहीं, बीज है।

भगवान ीकृण कहते हैं– अजुन वही पुरातन याेग मैं तेरे लये कहने जा
रहा ँ। तू य भ है, अनय सखा है। अजुन मेधावी थे, स े अधकार थे।
उहाेंने -पराें क ंखला खड़ कर द क– अापका ज ताे अब अा
है अाैर सूय का ज बत पहले अा है। इसे अापने ही सूय से कहा, यह
मैं कैसे मान लूँ इस कार बीस-प ीस  उहाेंने कये। गीता के समापन
तक उनके सपूण  समा हाे गये, तब भगवान ने, जाे  अजुन नहीं
कर सकते थे, जाे उनके हत में थे, उहें वयं उठाया अाैर समाधान दया।
अतत: भगवान ने कहा– अजुन ा तमने मेरे उपदेश काे एकाच हाे
वण कया ा माेह से उप तहारा अान न अा अजुन ने कहा–

नाे माेह: ृितल धा वसादायायुत।


थताेऽ गतसदेह: करये वचनं तव।। (१८/७३)

भगवन् मेरा माेह न अा। मैं ृित काे ा अा ँ। केवल सना भर
नहीं अपत ृित में धारण कर लया है। मैं अापके अादेश का पालन कँगा,
यु कँगा। उहाेंने धनुष उठा लया, यु अा, वजय ा क, एक वश
धम-सााय क थापना ई अाैर एक धमशा के प में वही अाद
धमशा गीता पुन: सारण में अा गयी।

गीता अापका अाद धमशा है। यही मनुृित है, जसे अजुन ने अपनी
ृित में धारण कया था। मनु के सम दाे कृितयाें का उ े ख है– एक ताे
सूय से उपलध गीता, दूसरे वेद मनु के सम उतरे । तीसर काेई कृित मनु
के समय में कट नहीं ई थी। उस समय लखने-लखाने का चलन नहीं
था, कागज-कलम का चलन नहीं था इसलये ान काे ुत अथात् सनने
अाैर ृित-पटल पर धारण करने क परपरा थी। जनसे मानवाें का ादुभाव
अा, सृ के थम मानव उन मनु महाराज ने वेद काे ुित तथा गीता काे
ृित का सान दया।
वेद मनु के सम उतरे थे, इहें सनें, यह सनने याेय हैं; कत गीता
ृित है, सदा रण रखें। यह हर मानव काे सदा रहनेवाला जीवन, सदा
रहनेवाल शात अाैर सदा रहनेवाल समृ , एे यसप जीवन ा
करानेवाला ई रय गायन है।

भगवान ने कहा– अजुन यद तू अहंकारवश मेरे उपदेश काे नहीं सनेगा
ताे वन हाे जायेगा अथात् गीता के उपदेशाें क अवहेलना करनेवाला न हाे
जाता है। अयाय पह के अतम ाेक (१५/२०) में भगवान ने कहा, ‘इित
गु तमं शामदमुं मयानघ।’- यह गाेपनीय से भी अित गाेपनीय शा मेरे
ारा कहा गया। इसे त व से जानकर तू समत ान अाैर परमेय क ाि
कर ले गा। अयाय साेलह के अतम दाे ाेकाें में कहा– ‘य:
शावधमुसृय वतते कामकारत:।’ इस शावध काे यागकर, कामनाअाें
से ेरत हाेकर अय वधयाें से जाे भजते हैं उनके जीवन में न सख है, न
समृ है अाैर न परमगित ही है।

‘ताछां माणं ते कायाकाययवथताै।’ इसलये अजुन तहारे


क य अाैर अक य क यवथा में यह शा ही माण है। इसकाे भल
कार अययन कर, तपात् अाचरण कर। तम मुझमें िनवास कराेगे,
अवनाशी पद ा कर लाेगे। सदा रहनेवाला जीवन, सदा रहनेवाल शात
अाैर समृ पा लाेगे।

गीता मनुृित है अाैर भगवान ीकृण के अनुसार गीता ही धमशा है।


अय काेई शा नहीं, काेई अय ृित नहीं है। समाज में चलत अनेकानेक
ृितयाँ गीता के वृत हाे जाने का दुपरणाम हैं। ृितयाँ कितपय राजाअाें
के संरण में शासन चलाने के लये लखी गयीं, जनसे समाज में ऊँच-नीच
क दवारें सृजत हाे गयीं। मनु के नाम पर चारत तथा कथत मनुृित में
मनुकालन वातावरण का चण नहीं है। मूल मनुृित गीता एक परमाा काे
ही सय मानती है, उसमें वलय दलाती है; कत वतमान काल में चलत
लगभग १६४ ृितयाँ परमाा का नाम तक नहीं ले तीं, न परमाा क ाि
के उपायाें पर काश डालती हैं। वे केवल वग के अारण तक ही सीमत
रहकर ‘न अत’– जाे है नहीं, उहीं काे ही ाेसाहन देती हैं। माे का उनमें
उ े ख तक नहीं है।

महापुष– महापुष बा तथा अातरक, यावहारक तथा अायाक,


लाेक-रित अाैर यथाथ वेद-रित दाेनाें क जानकार रखता है। यही कारण है
क समत समाज काे महापुषाें ने रहन-सहन का वधान बताया अाैर एक
मयादत यवथा द। वश, व ाम, वयं याेगे र ीकृण, महावीर
वामी, महाा बु , मूसा, ईसा, मुहद, रामदास, दयानद, गु गाेवद
संह इयाद सहाें महापुषाें ने एेसा कया; कत यवथाएँ सामयक हाेती
हैं। पीड़त समाज काे भाैितक वत दान करना यथाथ नहीं है। भाैितक
उलझनें णक हैं शा त नहीं, इसलये उनका हल भी तसामयक हाेता है।
उहें चरं तन यवथा के प में हण नहीं कया जा सकता।

यवथाकार– सामाजक वकृितयाें काे महापुष सलझाया करते हैं। यद


इहें न सलझाया जाय ताे ान-वैरायजिनत परम क साधना काैन सनेगा
य जस वातावरण मे फँ सा है, उसे वहाँ से हटाकर यथाथ काे जानने क
थित में लाने के लये अनेकानेक लाेभन दये जाते हैं। एतदथ महापुष
जन शदाें का याेग करते हैं, काेई यवथा देते हैं, वह धम नहीं है। उससे
साै-दाे साै साल क यवथा मलती है, चार-छ: साै साल के लये उदाहरण
बन जाता है अाैर हजार दाे हजार वष में वह सामाजक अावकार नवीन
परथितयाें के साथ-साथ िनाण हाे जाता है। गु गाेवद संह क
सामाजक यवथा में श अिनवाय था। ा अब उस तलवार का श के
थान पर अाैचय है ईसा गदहे पर बैठते थे। (म ी, २१) गदहे के सबध
में उनक द ई यवथाअाें का अाज ा उपयाेग है कहा– कसी का गधा
मत चुराअाे। अाज गधा काैन पालता है इसी कार याेगे र ीकृण ने उस
समय के समाज काे सयक् यवथत कया, जसका उ े ख महाभारत,
भागवत इयाद थाें में है, साथ ही इन थाें में उहाेंने यथाथ का भी
यत चण कया। परमकयाणकार साधना अाैर भाैितक यवथाअाें के
िनदेश काे एक में मला देने से समाज त विनणायक म काे पूरा-पूरा नहीं
समझ पाता। भाैितक यवथाअाें काे वह याें-का-याें नहीं बक बढ़ाचढ़ाकर
हण करता है; ाेंक वह भाैितक है। ‘‘महापुष ने कहा’’– एेसा कहकर इन
यवथाअाें के लये महापुषाें क दुहाई भी देते हैं। वे महापुष क वातवक
या काे ताेड़-मराेड़कर उसे ामक बना देते हैं। वेद, रामायण, महाभारत,
बाइबल, कुरान सबके ित पूवाहयु धूमल धारणाएँ शेष हैं। बा धरातल
पर जीवनयापन करनेवाला समाज उनके कथन का थूल अाशय ही हण कर
पाता है। इसीलये भगवान ीकृण ने शा त धाम, अनत जीवन, सदा
रहनेवाल शात दायनी गीता शा काे भाैितक यवथाअाें से पृथक् कया।
महाभारत भारत का बृहत् इितहास तथा गाैरवशाल संकृित शा है। उहाेंने
इस वशाल इितहास के मय इसका गायन कया, जससे भवय में
अानेवाल समत पीढ़याँ इस धमशा काे धामक धरातल पर यथावत समझ
सकंे । कालातर में महष पत ल इयाद अनेक महापुषाें ने भी परमेय क
यथाथ वध काे सामाजक यवथा से हटाकर अलग तत कया।
गीता मनुय मा के लये– भगवान ने इस धमशा का उपदेश ‘वृ े
शसपाते’ (गीता, १/२०)– ठक श-स ालन के समय कया ाेंक वह
भल कार जानते थे क भाैितक संसार में कभी शात अाैर सख हाेता ही
नहीं। अरबाें लाेगाें क अाित के उपरात भी जाे वजेता हाेंगे, वह भी वफल
मनाेरथ अाैर अतत: उदास ही हाेंगे, इसलये उहाेंने एेसे शा त यु का
परचय गीता के मायम से दया, जसमें एक बार वजय हाे जाने पर सदा
रहनेवाल वजय, अनत वजय अाैर अय धाम है जाे मानव मा के लये
सदैव सलभ है, जाे े-े क लड़ाई है, कृित अाैर पुष का संघष है,
अत:करण में अशभ का अत अाैर शभ परमावप क ाि का साधन
है।

उ म अधकार के ित ही उहाेंने उसे य कया। ीकृण ने बारबार


कहा क तझ अितशय ीित रखनेवाले भ के ित हत क इछा से कहता
ँ। यह अित गाेपनीय है। अत में उहाेंने कहा– जाे भ नहीं हाे ताे तीा
कराे, उसकाे राते पर लाअाे, फर उसी के लये कहाे। यही मनुय मा के
लये यथाथ कयाण का एकमा साधन है, जसका मब वणन ीकृणाे
गीता है।

तत टका– याेगे र ीकृण ारा सारत ीम गव ता के अाशय का


यथावत् अनुवाद करने के कारण तत टका का नाम ‘यथाथ गीता’ है। यह
भगवान् क अतेरणा पर अाधारत है। गीता अपने में पूण साधन-थ है।
सपूण गीता में सदेह का एक भी थल नहीं है। जहाँ कहीं सदेह है, वह
बाै क तर पर इसे जाना नहीं जा सकता है, इसलये तीत हाेता है। अत:
कहीं समझ में न अाये ताे कसी त वदशी महापुष के सा य में समझने
का यास करें ।
त णपातेन परेन सेवया।

उपदेयत ते ानं ािननत वदशन:।।

ॐ शात: शात: शात:


िनवेदन
‘यथाथ गीता’ याेगे र ीकृण क परम पुनीत वाणी ीम गव ता का ही
अथ है। इसमें अापके दय में थत परमाा क ाि के वधान का ाि
के पात् कया गया चण है। अवहेलना क  से इसका उपयाेग वजत
है, अयथा हम अपने लय क जानकार से वंचत रह जायेंगे। इसके
 ापूवक अययन से मानव अपने कयाण के साधन से भरपूर हाे जाता है
अाैर यकंचत् भी हण करे गा ताे परमेय काे ा कर ले गा; ाेंक इस
ई र-पथ में अार का कभी नाश नहीं हाेता।

— वामी अड़गड़ानद
कैसेट सारण में अयायाें के पूव क भूमका
१. केवल एक परमाा में  ा अाैर समपण का सदेश देनेवाल गीता सबकाे
पव करने का खला अाम ण देती है। सृ में कहीं भी रहनेवाले अमीर
अथवा गरब, कुलन तथा अादवासी, पुयाा अाैर पापी, ी अाैर
पुष, सदाचार एवं अयत दुराचार– सबका उसमें वेश है। वशेषकर
गीता पापयाें के ही उ ार का सगम पथ बताती है, पुयाा ताे भजते ही
हैं। तत है उसी गीता क अतीय याया ‘यथाथ गीता’ का कैसेट
सारण।

२. शा क रचना दाे याें से क जाती है- एक ताे सामाजक यवथा


अाैर संकृित काे कायम रखना, जससे लाेग पूवजाें के पदच ाें का
अनुकरण कर सकंे तथा दूसरा यह क वे शा त शात काे ा कर लें ।
रामचरतमानस, बाइबल, कुरान इयाद में दाेनाें पाें का समावेश है;
कत भाैितक - धान हाेने के कारण मनुय समाजाेपयाेगी यवथा
काे ही पकड़ पाता है। अायाक सूयाें काे भी वह सामाजक
यवथा के ही सदभ में देखने लगता है। कहता है क एेसा ताे शा में
लखा है। इसलये वेदयास ने दाेनाें के लये एक ही थ महाभारत
लखते ए भी अायाक या का संकलन गीता के प में अलग से
कया, जससे क लाेग इस मूल कयाण-पथ में ात का मण न कर
सकंे । उहीं अायाक मूयाें के साथ तत है गीता का दय सदेश।

३. गीता कसी वशेष य, कसी जाित, वग, पथ, देश-काल या कसी
ढ़त सदाय का थ नहीं है, बक यह सावलाैकक तथा
सावकालक धमशा है। यह येक देश, येक जाित, येक अायु के
येक ी-पुष के लये, सबके लये है। सचमुच गीता सपूण मानव
जाित का धमशा है। अाैर कतने गाैरव क बात है क गीता अापका
धमशा है।

४. पूय भगवान महावीर, तथागत भगवान बु व हाेते ए भी लाेकभाषाअाें


में गीता के ही सदेशवाहक हैं। अाा सय है अाैर पूण संयम से
अाथित का वधान है– यह गीता का ही वचार है। बु ने उसी त व
काे सव तथा अवनाशी पद कहकर गीता के ही वचार काे पु कया
है। इतना ही नहीं अपत व वाय में धम के नाम पर जाे कुछ भी
सार-सवव है, जैसे– एक ई र, ाथना, पाताप, तप इयाद गीता के
ही उपदेश हैं। वही उपदेश वामी ी अड़गड़ानद जी के मुखा से
िन:सृत यथाथ गीता कैसेट प में मानव क मु का दय सदेश
बनकर उपथत है।

५. भारत क लाेकगाथाअाें में है क सकरात क शय-परपरा के मनीषी


अरतू ने अपने शय सकदर काे भारत से गीताानी गु लाने का
िनदेश दया था। गीता के ही एके रवाद काे व क ववध भाषाअाें में
मूसा, ईसा तथा अनेक सूफ महााअाें ने फैलाया। भाषातर हाेेने से ये
पृथक्- पृथक् तीत हाेते हैं, कत स ात गीता के ही हैं। अत: गीता
मानव मा का अत धमशा है। गीता का अाशय ‘यथाथ गीता’ के
प में तत कर वामी ी अड़गड़ानद जी महाराज ने मानवमा काे
एक अमूय िनध द है, जसका कैसेट पातरण भाें के साैजय से
अा है। गीता के दसयाें हजार अनुवादाें के बीच देदयमान इस याया
के अालाेक में अाप सब परमेय के साधक बनें।

६. संसार में चलत सभी धम गीता क दूरथ ितविन मा हैं। वामी ी
अड़गड़ानद जी महाराज ारा इसक याया ‘यथाथ गीता’ काे सनकर
भाें ने त ही ले लया क कैसेटाें के मायम से इसका सारण करें गे;
ाेंक भगवान महावीर, भगवान गाैतम बु , गु नानक, कबीर इयाद
के  ापूरत तप-स ाताें क उ तम अभय गीता है। गीता के वे ही
कैसेट समन अाप सबके सम अा-दशनाथ तत हैं।

७. गीता के दाे हजार वष बाद तक धम के नाम पर सदाय नहीं बने थे,
इसीलये गीता म़जहबमु है। उस समय व -मनीषा में एक ही शा
गूँज रहा था– उपिनषद्-सार गीता माे अाैर समृ क ाेत गीता
शा पढ़ने क अपेा उसका वण अधक लाभदायक है; ाेंक उ ारण
क श ता इयाद में एकाता बँट जाती है। इसीलये सरल भाषा में
पातरत यथाथ गीता के ये कैसेट अापक सेवा में तत हैं। इनके
वण से ब े-ब े में, पास-पड़ाेस में परमाा के शभ संकाराें का संचार
हाेगा, अापके घर-अाँगन का वायुमडल भी तपाेभूम-सा सरभत हाे
उठे गा।

८. वह घर मशान है जसमें भु-चचा न हाे। अाज का मानव इतना यत है


क चाहकर भी भजन के लये समय नहीं िनकाल पाता। एेसी परथित
में गीता का सदेश कण-कुहराें तक पँच भर जाय ताे परमेय अाैर
समृ के संकाराें का बीजाराेपण हाे जाता है। भगवान क वाणी के इन
कैसटाें से दन भर उस परम भु का रण बना रहेगा अाैर यही भजन
क अाधारशला है।

९. अपने ब ाें काे हम शा दलाते हैं क वह अछे संकाराें का अजन


करें । अछे संकाराें का अाशय लाेग ले ते हैं क वह अपनी राेजी-राेट,
अावास-वकास क समयाअाें काे हल कर ले । ई र क अाेर कसी का
यान ही नहीं है। कसी-कसी के पास इतना कुछ है क भु काे पुकारने
क अावयकता ही नहीं समझता। कत यह सब कुछ पाथव ही ताे है।
न चाहते ए भी सारा वैभव यहीं छाेड़कर जाना पड़ता है। एेसी थित में
ई र क पहचान ही एकमा सबल है, जसे दान कर रहा है यथाथ
गीता का यह कैसेट सारण।

१०.संसार में जतने भी धामक मत-मतातर हैं, वे सब-के-सब कसी महापुष


के पीछे  ालअाें का संगठत समाज है। महापुष क एकात
भजनथल ही कालातर में तीथ, अाम, मठ अाैर मदराें का प ले
ले ते हैं, जहाँ महापुष के नाम पर जीवकाेपाजन से ले कर वलासता
तक के साधन जुटाये जाते हैं। ग याँ महापुष के बाद बनती हैं, ग याें
से काेई महापुष नहीं बनता। इसीलये धम सदा से ही यदशी
महापुष के े क वत रहा है। गीता एेसे ही िनववाद महापुष
याेगे र भगवान ीकृण क वाणी है, जसके चरतन सयाें से अापका
साात् करा रहा है ‘यथाथ गीता’ का यह कैसेट सारण।

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