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राधे राधे-आज का भगवद च िंतन॥ Page 1 of 10

नवरात्र की महिमा

"नवरात्र:-प्रथम हदन:-मााँ शैलपुत्री अथाात मााँ पावाती"


—>नवरात्र, चिर्ा नौ रातें निीिं अहपतु जीवन की नवीन ओर नई राहत्रयााँ भी िैं।
जीवन में काम, क्रोध, लोभ, मोि व अिंधकार का िमावेश िी घनघोर राहत्र के िमान िै
चजिमें प्रायः जीव ििी मागा के अभाव में भटकता रिता िै। िमारे शास्त्ोिं में अज्ञान और
हवकारोिं को एक हवकराल राहत्र के िमान िी बताया गया िै।
—>इन दुगुाण रूपी राहत्र के िमन के चलए व जीवन को एक नई हदशा, उमिं ग, नया
उत्साि देने की िाधना और प्रहक्रया का नाम िी नवरात्र िै। मााँ दुगाा िाक्षात ज्ञान का िी
स्वरूप िै ओर नवरात्र में मााँ दुगाा की उपािना का अथा िी ज्ञान रूपी दीप का प्रज्वलन
कर जीवन के अज्ञान के हतहमर का नाश करना िै।
—>नवरात्र के प्रथम हदन मााँ शैलपुत्री अथाात पवात राज हिमालय की कन्या के रूप
में जन्मी मााँ पावाती का पूजन हकया जाता िै॥

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नवरात्र की महिमा

"नवरात्र:-दूिरे हदन:-मााँ ब्रह्म ाररणी"


—>शहि िी जीवन और जगत का आधार िै। शहि के हबना जीवन अधूरा और
हनष्प्राण िो जाता िै। जीवनदाहयनी शहि की पूजा का पवा िी नवरात्र िै। नवरात्र के
दूिरे हदन मााँ ब्रह्म ाररणी की पूजा की जाती िै। ब्रह्म ाररणी अथाात ब्रह्म को भी ारण
यानी अनुशाचित करने वाली शहि।
—>ब्रह्म ाररणी का दूिरा अथा िै जो ब्रह्म में िी हव रण करें जो स्वयिं िी ब्रह्म
स्वरूप िो जाए। इन देवी के बारे में किा जाता िै ये अहत िौम्य, िरल, िदा प्रिन्न रिने
वाली और कभी भी क्रोध ना करने वाली देवी िै।
—>ि जीवन में हवनम्रता, ििजता िोगी और पहवत्रता िोगी, विााँ ब्रह्म जरूर आते
िैं। क्रोध जीवन की ऊजाा का ह्राि करता िै और कभी भी क्रोध ना करने के कारण िी
देवी ब्रह्म ाररणी शहि ििं पन्न िोकर िबको हनयिं हत्रत कर रिी िैं॥

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"नवरात्र:-तीिरे हदन:-मााँ न्द्र घिं टा"


—>दुगाा शहि की उत्पहि के पीछे भी बहुत िे कारण िैं तथाहप मुख्यतः जगत
जननी मााँ जगदम्बा द्वारा दुगाम नामक अिुर का नाश करने के कारण िी उनका नाम
'दुगाा' पडा।
—>'दुगाा दुगाहत नाचशनी' अथाात दुगाहत का नाश कर इि जीव को िदगहत प्रदान
करने वाली शहि का नाम िी दुगाा िै।
—>दुगाम अथाात चजि तक पहुिं ना आिान काम निीिं अथवा चजिका नाश करना
िमारी िामर्थ्ा िे बािर िो। मनुष्य के भीतर छु पे यि काम, क्रोध, लोभ, मोि और
अििंकार जैिे दुगुाण िी तो दुगाम अिुर िैं चजिका नाश करना आिान तो निीिं मगर मााँ
की कृ पा िे इनको जीत पाना कहिन भी निीिं।
—>नारी के भीतर छु पे स्वाचभमान व िामर्थ्ा का प्रागटय िी 'दुगाा' िै। परम शहि
िम्पन्न व परम वन्दनीय िोने पर भी जब-जब िमाज में नारी के प्रहत एक हतरस्कृ त भाव
रखा जाएगा, तब-तब नारी द्वारा अपना शहि प्रदशान का नाम िी 'दुगाा' िै। नवरात्र के
तीिरे हदन मााँ न्द्र घिं टा की उपािना की जाती िै॥

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नवरात्र की महिमा

"नवरात्र:- ौथे हदन:-मााँ कु ष्ािंडा"


—>दुहनया में के वल शहि िम्पन्न िोने मात्र िे िी कोई भी पूजनीय और वन्दनीय
निीिं बन जाता िै अहपतु उि शहि का ििी प्रयोग और िमय पर प्रयोग करने वालोिं को
िी युगोिं-युगोिं तक स्मरण रखा जाता िै।
—>अथाि शहि िम्पन्न िोने पर भी मााँ दुगाा ने अपनी िामर्थ्ा का प्रयोग कभी भी
हकिी हनदोष को दण्डित करने िेतु निीिं हकया बण्डि के वल और के वल आिुरी वृहियोिं
के नाश के चलए िी हकया। शहि का गलत हदशा में प्रयोग िी तो पाप िै। िाधन शहि
िम्पन्न िो जाने पर कायर बनकर ुप बैि जाना यि भी एक प्रकार िे अिुरत्व को बढ़ाने
जैिा िी िै।
—>अपनी िमस्त शहि व िाधनोिं को मानवता की रक्षा में लगाने की प्रेरणा िमें
मााँ जग जननी भगवती िे लेनी िोगी तभी िम मााँ के पुत्र किलाने योग्य िोिंगे। नवरात्र
के ौथे हदन मााँ के "कु ष्ािंडा" स्वरूप का पूजन व विं दन हकया जाता िै॥

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"नवरात्र:-पााँ वें हदन:-मााँ स्कन्द"


—>नवरात्र के पााँ वें हदन आज स्कन्द माता की आराधना की जाती िै। स्कन्द
काहताकेय जी का दूिरा नाम िै। काहताकेय जी को पुरुषाथा का स्वरूप बताया गया िै।
कमा करने वाला िी ऊिं ाइयोिं को प्राप्त करता िै व िर ऐण्डिक वस्तु उिे प्राप्त िोती िै।
—>मााँ हििंिक चििंि पर िवार रिती िैं इिका अथा िी यिी िै हक उन्ोिंने ुनोहतयोिं
िे मुख मोडा निीिं, अहपतु उन्ें स्वीकार कर चलया िै। ुनौहतयााँ बाहुबल के दम पर निीिं
अहपतु आत्मबल के दम पर जीती जाती िैं।
—>आत्मबल के धनी िमस्या रुपी शेर की िवारी करते िैं अथाात िमस्या को अपने
अनुकूल बना लेते िैं। विी ाँ कमजोर लोग िमस्या का चशकार िो जाते िैं। पुरुषाथा के
चलए प्रेररत करने वाले मााँ के इि स्वरूप को प्रणाम॥

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"नवरात्र:-छिे हदन:-मााँ कात्यायनी"


—>नारी िे नारायणी की यात्रा का पवा िी नवरात्र िै। यि पवा नारी के जीवन के
उच्चतम स्तर को रेखािंहकत करता िै। दुहनया में कु छ लोग भले िी नारी को भोग की
वस्तु या उिे अपने िे कमतर आिं कते िोिं। मगर एक नारी ािे तो कौन िा पद प्राप्त निीिं
कर िकती? मााँ दुगाा के ररत्र को देखो।
—>मााँ का जन्म हदव्य िै इिचलए इतने देवताओिं को िोते हुए वो पूज्य निीिं हुईं
अहपतु उनके कमा हदव्य िैं इिचलए वो पूज्य हुईं। परहित और परोपकार की भावना िे
जो कमा करता िै, देर िे िी ििी िमाज उिको पूजता अवश्य िै।
—>जगत की तो छोडो जगदीश प्राहप्त की भी जब गोहपयोिं ने िान ली और कृ ष्ण
प्राहप्त के चलए मााँ भगवती की शरण में गईं तो गोहवन्द को भी प्राप्त कर चलया। मााँ के
कात्यायनी स्वरूप की गोहपयोिं ने आराधना की। नवरात्र के 6 वे हदन आज मााँ कात्यायनी
की िी पूजा की जाती िै॥

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"नवरात्र:-िातवें हदन:-मााँ काली"


—>नवरात्र के 7वे हदन आज मााँ काली की उपािना की जाती िै तथा यि हदन
कालराहत्र के नाम िे भी जाना जाता िै। जीवन की अज्ञान और तमि भरी काल राहत्र में
मााँ की ज्ञान रुपी पावन ज्योहत िन्मागा की ओर प्रेररत करती िै।
—>अम्बे-जगदम्बे िे आचखर मााँ को काली क्ोिं बनना पडा? िमाज पर, राष्ट्र पर,
धमा पर, ििं स्कृ हत पर जब घोर अत्या ार िोने लगा राजििा अििाय बन गई। राक्षिी
शहियााँ िावी िो गई तब मााँ ने पररण्डिहत अनुिार स्वयिं शस्त् धारण कर आिुरी शहियोिं
का ना के वल नाश हकया अहपतु नारी के भीतर चछपी हुईं शहियोिं िे िमाज को पररच त
कराया।
—>अन्याय िे, अत्या ार िे, िामाचजक कु रीहतयोिं िे, हवषमताओिं िे लडने में नारी
शहि के जागरण की बहुत बडी आवश्यकता िै। अचभमन्यु तभी मरता िै जब कोई िुभद्रा
िो जाती िै। एक नए भारत के हनमााण में आप िब की बडी भूहमका िै। ममतामय रूप
िे काली बने मााँ के स्वरूप को प्रणाम॥

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"नवरात्र:-अष्ट्म हदन:-मााँ मिागौरी"


—>नवरात्र के अष्ट्म हदन में आज मााँ के मिागौरी स्वरूप की पूजा की जाती िै।
िमारे शास्त्ोिं का, ऋहषयोिं का च िंतन तो देखो नौ हदन के पूरे पवा को िी नारी की आराधना
का पवा बना हदया।
—>मिागौरी की पूजा करने वाले देश में आज गभा के भीतर गौरी को मारा जा रिा
िै। पुत्र की ाि में उिकी हनमामता िे ित्या की जा रिी िै। ना वि गभा के भीतर
िुरचक्षत िै और ना िी गभा के बािर। बेटी, बहिन, पत्नी, मााँ , दादी ना जाने हकतने रूपोिं
में िमें कन्या ििं भालती िै।
—>आज अष्ट्मी को कन्याओिं को पूजते िमय दो ििं कल्प जरूर ले लेना। पिला ये
हक गभा के भीतर हकिी गौरी की ित्या ना तो करेंगे ना करने दें गे। दूिरा स्त्ी के प्रहत
िम्मान की दृहष्ट् रखेंगे और जीवन के हकिी भी िम्बन्ध में नारी िमारे द्वारा या िमारे
कारण दुख ना पाए। यिी वास्तहवक और यथाथा में मिागौरी पूजा िोगी॥

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"नवरात्र:-नवम हदन:-मााँ चिहिदात्री"


—>नवरात्र के िमापन यानी नवम हदवि में चिहि प्रदान कराने वाली देवी चिहिदात्री
देवी की पूजा की जाती िै। चिहि का अथा भौहतक वैभव निीिं अहपतु आध्याचत्मक वैभव
प्राप्त करना िै। जो प्रभु की िुचध हदलाए विी चिहि िै।
—>जो प्रभु का हवस्मरण कराते वि दौलत हकिी काम की निीिं। वि बािर िे तो
तृप्त करती िै पर भीतर का खालीपन निीिं जाता। 9 हदन के ये व्रत, अनुष्ठान व्यहि को
शारीररक और आचत्मक रूप िे शुि करते िैं। चजिका जीवन शुि िै विी वुि िै और
विी िच्ची चिहि को प्राप्त कर पाता िै।
—>शैल(पत्थर) पुत्री अथाात जडत्व िे प्रारम्भ िोने वाला यि पवा चिहिका पर जाकर
िम्पन्न िोता िै। जीवन का प्रारम्भ ािे मूढ़ता िे िो कोई बात निीिं पर िमाहप्त चिहि(ज्ञान
प्राहप्त) िे िो, यिी जीवन की वास्तहवक उन्नहत िै। मााँ िे प्राथाना, िमें गोहवन्द रणोिं में
प्रेम िो, ऐिी चिहि दे दो॥

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"नवरात्र:-दिम हदन:-हवजयादशमी"
• हवजयादशमी की ि िबको शुभकामनाएिं :-
—>क्ा आप ि में िुखी िोना ािते िैं? तो हर्र उन रास्तोिं का त्याग क्ोिं निीिं
करते चजन रास्तोिं िे दुःख आता िै। आपकी िुख की ाि तो िीक िै पर राि िीक निीिं
िैं। आपकी दशा निीिं हदशा हबगडी िै। िुख के चलए के वल दौडना िी कार्ी निीिं िै
अहपतु ििी मागा पर दौडना जरूरी िै।
—>दुःख भगवान के द्वारा हदया गया कोई दिंड निीिं िै, यि तो अित्य का ििं ग दे ने
का र्ल िै। आज का आदमी बडी दुहवधा में िै कभी तो राम का ििं ग कर लेता िै पर
अविर हमलते िी रावण का ििं ग करने िे भी निीिं ूकता िै। आप पिले हव ार करो हक
राम के िाथ जीवन जीना िै या रावण के िाथ?
—>राम माने िदगुण, रावण यानी दुगुाण। जैिा ुनाव करोगे वैिा िी पररणाम प्राप्त
िोगा। धमाा रण करने वाला परेशान तो िो िकता िै पर पराचजत कभी निीिं। ित्य पीडा
दे गा पराजय निीिं। िमें राम मई(धमा मई) जीवन जीना िै, अित्य(रावण) के मागा को
कभी भी निीिं ुनना िै॥

"THE END"

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