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फलादे श के पं ह मह वपण

ू नयम’। ह के शभ ु और अशभ
ु फल जानने के लए 15 नयम बताता हूं िजससे आप
यह जान पाएंग क कोई ह शभ ु है या अशभ
ु ।

नयम 1 – जो ह अपनी उ च, अपनी या अपने म ह क रा श म हो – शभ


ु फल दे गा। इसके वपर त नीच
रा श म या अपनेश ु क रा श म ह अशभ
ु फल दे गा ।

नयम 2 – जो ह अपनी रा श पर ि ट डालता है वह दे खे जाने वाले भाव के लए शभ


ु फल दे ता है ।

नयम 3 – जो ह अपने म ह और शभु ह के साथ या म य हो वह शभ


ु फलदायक होता है । म य का
मतलब अगल और पछल रा श म ह ।

नयम 4 – जो ह अपनी नीच रा श से उ च रा श क ओर मण करे और व न हो।

नयम 5 – जो ह ल नेश का म हो।

नयम 6 – कोण के वामी सदा शभ


ु फल दे ते ह।

नयम 7 – के का वामी शभ
ु ह अपनी शभ
ु ता छोड दे ता है और अशभ
ु ह अपनी अशभ
ु ता छोड दे ता है ।

नयम 8 – ू र भाव (3, 6, 11) के वामी सदा अशभ


ु फल दे ते ह।

नयम 9 – उपा य भाव (1, 3, 6, 10, 11) म ह के कारक व म व ृ ध होती है ।

नयम 10 – द ु ट थान (6, 8, 12) म ह अशभ


ु फल दे ते ह।

नयम 11 – शभ
ु ह के (1, 4, 7, 10) म शभ
ु फल दे ते ह, पाप ह के म अशभ
ु फल दे ते ह।

नयम 12 – पू णमा के पास का च शभ


ु फलदायक और अमाव या के पास का चं अशभ
ु फलदायक होता है ।

नयम 13 – च क रा श, उसक अगल और पछल रा श म िजतने यादा ह होते ह, च उतना ह शभ



होता है ।

नयम 14 – बध
ु , राहु और केतु िजस ह के साथ होते ह वैसा ह फल दे ते ह।

नयम 15 – सय
ू के नकट ह अ त हो जाते ह और अशभ
ु फल दे ते ह।

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