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2022-23 Hindi Passing
2022-23 Hindi Passing
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अधार-पत्रक के लिए प्रश्न-पत्र का ऄलभकल्प
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ऄनुक्मलणका
14 सूर-श्याम पद सूरदास 32
* व्याकरण 49
* पत्र िेखन 57
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लनबंध िेखन
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* 59
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1. मातृभलू म कलिता कलि : भगितीचरण िमाा
ऄनुरूपता प्रश्न
1. ऄलभनि मनुष्य : रामधारीहसह ददनकर :: मतृभूलम : भगितीचरण िमाा.
2. तुिसी के दोहे : रामभलि की झिक :: मतृभूलम :देशप्रेम की झिक
3. शूर-शाम : कृ ष्ण की बािलििा का िणान :: मतृभूलम : भारत माता का िणान
4. कनााटक संपदा : महान व्यलियों का स्मरण :: मतृभूलम : महान लिभूलतयों का स्मरण
5. पताका : न्याय का प्रलतक :: दीप : ज्ञान का प्रलतक
6. बायें हाथ में : न्याय का पताका :: दालहने हाथ में : ज्ञान का दीप
Ans: भारत मााँ का प्रकृ लत-सौंदया नयन मनोहर है । मातृभूलम के हरे -भरे सुहाने खेत
प्रकृ लत की शोभा बढाते हैं । यहााँ फि-फू िों से युि बाग-बगीचे तथा िन हैं । आस धरती में
खलनजों की ऄपार सम्पदा है ।
Ans: कलि भगितीचरण िमाा मातृभूलम के स्िरूप के बारे में कहते हैं दक भारत मााँ के
एक हाथ में न्याय का पताका है , और दूसरे हाथ में ज्ञान का दीप है । मातृभूलम हरे -भरे खेत
और ऄपार खलनज सम्पदा से सुशोलभत है ।
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2. कश्मीरी सेब (कहानी) प्रेमचंद
ऄनुरूपता प्रश्न
1. प्रेमचंद, पंजाबी मेिाफरोशी दूकान से खरीदा : कश्मीरी सेब :: मुहराम के मेिे में खरीदा :
रे िलडयााँ
2. गठरब िोगों के लिए गाजर : पेट भरने की चीज :: ऄमीर िोगों के लिए गाजर : हििा
बनाने की चीज
3. प्रेमचंद ने सेब खरीदा : चार अने में :: रे िलडयााँ खरीदा : एक पैसे में
4. लनमकौडी : कडु िा :: कश्मीरी सेब : लमिा
5. सेब बेचनेिािा : बेइमान लनकिा :: रे िलडयााँ बेचनेिािा : इमानदार लनकिा APRIL-2019
6. पाि के अधार पर पहिा सेब : एक रुपए के अकार का लििका गि गया था :: दूसरा सेब :
अधा सडा हुअ था
7. पाि के अधार पर तीसरा सेब : एक तरफ दबकर लपचक गया था :: चौथा सेब : भीतर बोर
जैसे िब्बे थे
8. बेइमानी व्यलि/व्यापारी : सेब बेचनेिािा :: इमानदारी व्यलि/व्यापारी : रे िलडयााँ
बेचनेिािा
9. भोजन का अिश्यक ऄंग : टोमाटो :: डाक्टरों से बचानेिाना फि : सेब
10.पाि के अधार पर अधुलनक व्यापारी: बेइमानी हैं ::प्राचीन काि के व्यापारी: इमानदारी थे
11. गोदान : ईपन्यास :: पंच परमेश्वर : कहानी
12. के िा : लपिा रं ग :: सेब : िाि/गुिाबी रं ग
13. सेब : कश्मीर :: संतरा : नागपुर
14. कपडा : नापना :: टोमाटो : तोिना
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8. स्िाद में सेब दकससे बढकर नहीं ?
Ans: स्िाद में सेब अम से बढकर नहीं ।
9. सेब, रस और स्िाद में दकससे घटकर भी नहीं ?
Ans: सेब, रस और स्िाद में अम से घटकर भी नहीं ।
10. सेब को दकस-का स्थान लमि चुका है ?
Ans: सेब को अम-का स्थान लमि चुका है ।
11. रोज एक सेब खाने से दकनकी जरूरत नही होगी ?
Ans: रोज एक सेब खाने से डाक्टरों की जरूरत नही होगी ।
12. पहिे गरीबों की पेट भरने की चीज क्या थी ?
Ans: पहिे गरीबों की पेट भरने की चीज गाजर थी ।
13. प्रेमचंद जी दूकानदार से दकतने सेर सेब मााँगे ?
Ans: प्रेमचंद जी दूकानदार से अध सेर सेब मााँगे ।
14. फि खाने का ईलचत समय क्या है ?
Ans: फि खाने का ईलचत समय तो प्रातःकाि है ।
15. अदमी बेइमानी कब करता है ?
Ans: अदमी बेइमानी तभी करता है जब ईसे ऄिसर लमिता है ।
16. प्रेमचंद ने मोहराम के मेिे में एक दूकानदार से क्या खरीद िी थीं ?
Ans: प्रेमचंद ने मोहरा म के मेिे में एक दूकानदार से रे िलडयााँ खरीद िी थीं ।
17. गाजर को खाने की मेज पर स्थान क्यों लमिने िगा ? APRIL-2020
Ans: गाजर में बहुत से लिटालमन हैं । आसलिए मेज पर स्थान लमिने िगा ।
1. अजकि लशलक्षत समाज में दकसके बारे में लिचार दकया जाता है ?
Ans: अज लशलक्षत समाज में लिटालमन और प्रोटीन के बारे में लिचार दकया जाता है.
2. अजकि लशलक्षत समाज में लिटालमन और प्रोटीन के बारे में क्यों लिचार दकया जा रहा है ?
Ans: अजकि लशलक्षत समाज में डाक्टरों से बचने के लिए लिटालमन और प्रोटीन के बारे
में लिचार दकया जा रहा है ।
3. दूकानदार ने िेखक (प्रेमचंद) से क्या कहा ? April-2022
Ans: दूकानदार ने िेखक (प्रेमचंद) से कहा- बाबूजी, बडे मजेदार की सेब अए हैं, खास
कश्मीर के । अप िे जाएाँ, खाकर तबीयत खुश हो जायेगी ।
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6. फि खाने का ईलचत समय क्या है, और क्यों ?
Ans: फि खाने का ईलचत समय तो प्रातःकाि है, क्योंदक रात को सेब या कोइ दूसरा
फि खाने का कायदा नहीं है ।
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3. लगल्िू (रे खालचत्र) महादेिी िमाा
ऄनुरूपता प्रश्न
1. लगल्िू की लप्रय िता : सोनजुही :: लगल्िू की लप्रय खाद् : काजू April-2022
2. हंस : सफे द :: कौअ : कािा
3. कोयि : मधुर स्िर :: कौअ : कका श स्िर
4. लबल्िी : म्याउाँ - म्याउाँ :: लगल्िू : लचक-लचक
5. गुिाब : पौदा :: सोनजुही : िता
Ans: िं डक पाने और िेलखका के पास रहने के लिए सुराही के पास िेट जाता था ।
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15. लगिहठरयों की जीिनािलध सामन्यतया दकतनी होती है ?
Ans: लगिहठरयों की जीिनािलध सामन्यतया दो िषाा होती है
Ans: लगल्िू पाि से स्नेहभाि तथा प्राणी-दया की सीख लमिती है । पशु -पलक्षयों के
स्िभाि और ईनकी जीिन-शैिी के बारे में जानकारी लमिती है । पशु-पक्षी, हमारी तरह कभी-
कभार हमसे भी ऄलधक भािानुकूि, सहृदय व्यिहार और लिचारिान होते है । पशु -पलक्षयों के
प्रलत महादेिी िमाा के प्रेम से हम पठरलचत होते हैं । साथ-साथ पशु-पलक्षयों की रक्षा करना और
ईनके पलत प्रेम-भाि जगाने की सीख लमिती है ।
Ans: िमाा जी के प्रलत ऄपनी सहानुभूलत प्रकट करते हुए लगल्िू, िेलखका की
ऄस्िस्थाता में ईनके तदकए के लसरहाने बैिकर ऄपने नन्हें पंजों से ईनके लसर और बाि
सहिाता रहता था ।
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6. लगल्िू के दक्या-किाप के बारे में लिलखए । JUNE-2015.2018 APRIL-2020 April-2022
Ans: िेलखका का ध्यान अकर्णषत करने के लिए लगल्िू ईनके पैर तक अकर सरा से पदे
पर चढ जाता था । फू िदान के फू िों में, कभी परे दे की चुन्नट में, कभी सोनजुही की पलत्तयों में
लिपकर महादेिी िमाा को चौकाता था । ददन भर बाहरी लगिहठरयों के साथ ईििता-कू दता
और ठिक चार बजे घर अकर ऄपने झूिे में झूिने िगता था । िेलखका की थािी के पास बैिकर
बडी सफाइ से खाना खाता रहता था । िेलखका लिखने बैिती तब लिफाफे के भीतर बैिकर
ईनका काया-किाप देखा करता था ।
Ans: लगिहठरयों के जीिन ऄिलध दो िषा से ऄलधक नही होती, ऄतः लगल्िू की जीिन-
यात्रा का ऄंत अ ही गया । ददन भर ईसने न कु ि खाया, न िह बाहर गया । पंजे िं डे हो रहे थे,
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िेलखका हीटर जिाकर ईसे ईष्णता देने का प्रयत्न दकया । परन्तु प्रभात की प्रथम दकरण के साथ
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ही िह लचर लनद्रा में सो गया । सोनजुही की िता के नीचे लगल्िू की समालध बनायी गयी ।
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4. ऄलभनि मनुष्य (कलिता) रामधारीहसह ददनकर
8. ऄलभनि मनुष्य कलिता के ऄनुसार परमाणु दकसे देखकर कााँपते हैं ? April-2016
Ans: परमाणु अधुलनक मानि की करों को देखकर कााँपते हैं ।
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II. तीन-चार िाक्यों में ईत्तर लिखना :
Ans: अधुलनक मानि ने प्रकृ लत के हर तत्ि को ऄपने लनयंत्रण में कर लिया है । ईसने
जि, लिद्ुत, भाप, िायु पर ऄपना लनयंत्रण बना लिया है । िह नदी, पिात, सागर एक समान
िााँघ सकता है । ईसका यान अकाश में जा रहा है । िह परमाणु प्रयोग भी कर रहा है । ईसकी
बौलद्धक क्षमता ऄसीलमत है । अज मानि ने प्रकृ लत की हर तत्ि को लिकृ लत कर ददया है ।
3. “ऄलभनि मनुष्य” कलिता के िारा ददनकर जी क्या संदेश देना चाहते हैं ?
OR “ऄलभनि मनुष्य” कलिता का अशय क्या है ?
Ans: िैज्ञालनक युग और अधुलनक मानि का लिश्लेषण करते हुए कलि ददनकर जी आस
कलिता िारा यह संदेश देना चाहते हैं दक मानि-मानि के बीच स्नेह का बााँध बााँधना चालहए ।
मानि दूसरे मानि से प्रेम का ठरश्ता जोडकर अपस की दूरी को लमटाना चालहए । मानलियता,
भाइचारा, पारस्पठरक प्रेम से रहना ही मानि की सही साधना है ।
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5. मेरा बचपन (अत्मकथा) एपीजे ऄब्दुि किाम
ऄनुरूपता प्रश्न
1. रामानंद शास्त्री : पक्षी िक्ष्मण शास्त्री : : ऄब्दुि किाम : जैनुिाबदीन April-2020
2. अलशयम्मा : अदशा जीिनसंलगनी :: जैनुिाबदीन :: अडंबरहीन व्यलि
3. इमानदारों के सम्मिन में : हठरशंकर परसाइ :: मेरा बचपन : ऄब्दुि किाम
4. जैनुिाबदीन : अडंबरहीन व्यलि :: एस.टी.अर.मालनकम : एक पूिा क्ांलतकारी
5. ऄहमद जिािुिीन : स्थानीय िे केदार :: शम्सुिीन : ऄखबार लितरक
6. पक्षी िक्ष्मण शास्त्री : लशि मंददर के पुजारी :: ऄहमद जिािुिीन : स्थानीय िे केदार
7. ऄहमद जिािुिीन : स्थानीय िे केदार :: शम्सुिीन : ऄखबार लितरक
8. किाम जी को अिश्यक चीजें : सुिभता से ईपिब्द थीं :: किाम जी को पुस्तक : दुिाभता
से ईपिब्द थीं
9. किाम जी के चचरे भाइ : शम्सुिीन :: किाम जी के बडी बहन : जोहरा
10. नौकाएाँ बनानेििे : जिािुिीन :: ऄखबारों का लितरण करनेिािे : शम्सुिीन Sept-2020
11. पक्षी िक्ष्मण शास्त्री : रामानंद शास्त्री :: ए.पी.जे. ऄब्दुि किाम : जैनुिाबदीन
12. शम्सुिीन : ऄखबार लितरक का काम :: जैनुिाबदीन : नौकाएाँ बनाने का काम
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9. किाम जी को नइ दूलनया का बोध दकसने कराया ?
Ans: किाम जी को नइ दूलनया का बोध ऄहमद जिािुिीन ने कराया ।
10. ऄब्दुि किाम जी के बचपन में दुिाभ िस्तु क्या थी ? JUNE- 2022
Ans: ऄब्दुि किाम जी के बचपन में दुिाभ िस्तु पुस्तक थी ।
11. किाम जी को पुस्तक पढने के लिए दकसने ईत्सालहत दकया ?
Ans: किाम जी को पुस्तक पढने के लिए एस.टी.अर.मालनकम ने ईत्सालहत दकया ।
12. किाम जी के बाि-जीिन पर गहरा ऄसर दकन-का पडा ?
Ans: किाम जी के बाि-जीिन पर गहरा ऄसर शम्शुिीन का पडा ।
13. रामेश्वरम में ऄखबारों के एकमात्र लितरक कौन थे ?
Ans: रामेश्वरम में ऄखबारों के एकमात्र लितरक शम्शुिीन थे ।
II. दो-तीन िाक्यों में ईत्तर लिखना :
2. जैनि
ु ाबदीन नमाज के बारे में क्या कहते हैं ?
OR जैनि
ु ाबदीन नमाज की प्रासंलगकता के बारे में क्या कहते हैं ? JUNE-2018
OR नमाज की प्रासंलगकता के बारे में जैनि
ु ाबदीन के लिचार बताआए । JUNE-2022
OR नमाज के बारे में जैनि
ु ाबदीन लिचार स्पि कीलजए । April-2022
Ans: जैनुिाबदीन नमाज की प्रासंलगकता के बारे में कहते हैं- ’ जब तुम नमाज पढते हो
तो तुम ऄपने शरीर से आतर ब्रह्ांड का एक लहस्सा बन जाते हो ; लजसमें दौित,अयु, जालत या
धमा-पंत का कोइ भेदभाि नहीं होता ।’
Ans: जिािुिीन हमेशा किाम को लशलक्षत िोगों के बारे में बताते थे । िे िैज्ञालनक
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5. जैनि
ु ाबदीन के व्यलित्ि का पठरचय दीलजए ।
7. जैनि
ु ाबदीन ने कौन-सा काम शुरू दकया ?
Ans: किाम और ऄहमद जिािुिीन दोनों ऄंतरं ग लमत्र थे । दोनों रोजाना शाम को
दूर तक साथ घूमने जाया करते थे । किाम और जिािुिीन अध्यालत्मक लिषय पर बातें करते
थे । ऄहमद जिािुिीन ने किाम को ’अजाद’ कहकर पुकारा करते थे । जिािुिीन ने किाम
को िैज्ञालनक खोजों, समकालिन सालहत्य, लचदकत्सा लिज्ञान की ईपिलब्दयों के बारे में बताकर
नइ दूलनया का बोध कराया ।.
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6. बसंत की सच्चाइ (एकांकी) लिष्णु प्रभाकर
ऄनुरूपता प्रश्न
1. बसंत : ऄहीर टीिा :: पंलडत राजदकशोर : दकशनगंज April-2022
2. बसंत की अयु : बारह साि :: प्रताप की अयु : दस साि
3. बसंत : बडा भाइ :: प्रताप : िोटा भाइ
4. बसंत : स्िालभमानी/पठरश्रमी िडका :: पंलडत राजदकशोर : मजदूरों के नेता
5. पंलडत राजदकशोर : दकशनगंज :: बसंत : भीखू ऄहीर के घर
6. िमाा : एक डाक्टर :: ऄमरहसह : एक नौकर
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II. तीन-चार िाक्यों में ईत्तर लिखना :
** ऄनुरूपता प्रश्न **
1. सूर-श्याम : पद :: तुिसी के दोहे : दोहा
2. सूरदास : कृ ष्ण भलिशाखा के प्रिताक :: तुिसीदास : राम भलिशाखा के प्रिताक
3. सूरदास : सूरसागर :: तुिसीदास : रामचठरत मानस
4. धनपतराय : प्रेमचंद का िास्तलिक नाम :: रामबोिा : तुिसीदास जी का बचपन का नाम
5. पाप का मूि : ऄलभमान :: धमा का मूि : दया
6. जीब की तुिना : देहरी से :: राम नाम की तुिना : दीप से
7. देहरी पर ददया रखने से : लभतर ि अाँगन में प्रकाश :: राम नाम जपने से : अंतठरक ि बाह्य
शुलद्ध
8. मुलखया का गुण : मुाँह के समान :: संत का गुण : हंस के समान
9. धमा के साथी : दयािु :: लिपलत्त के साथी : लिद्ा लिनय लििेक
10. राम नाम जपने से: अंतठरक ि बाह्य शुलद्ध::राम पर लिश्वास करने से : साहसी ि सुकृतिान
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दोहे का भािाथा
1. मुलखया मुख सों चालहए, खान पान को एक ।
पािै पोसै सकि ऄंग, तुिसी सलहत लििेक ॥ April-2020 Sept-2020 June -2022
भािाथा : प्रस्तुत दोहे में तुिसीदास कहते हैं- लजस तरह मुाँह खाने-पीने का काम
ऄके िे करते हुए, शरीर के सारे ऄंगों का पािन-पोषण करता है, ईसी तरह मुलखया भी काम
ऄपनी तरह से करें िेदकन ईसका फि सभी को लमिे ।
भािाथा : प्रस्तुत दोहे में तुिसीदास कहते हैं- सृलिकताा आस दूलनया को ऄच्िे -बुरे एिं
गुण-दोषमय लमिाकर बनाया है । िेदकन हम, हंस रूपी साधु की तरह लिकारों को िोडकर
ऄच्िे गुणों को ऄपनाना चालहए ।
भािाथा : प्रस्तुत दोहे में तुिसीदास कहते हैं- दया धमा का मूि है और पाप का मूि
ऄलभमान है । आसलिए मनुष्य के शरीर में जब तक प्राण है, तब तक ऄपना ऄलभमान िोडकर
दयािु बने रहना चालहए ।
भािाथा : प्रस्तुत दोहे में तुिसीदास कहते हैं- मनुष्य पर जब लिपलत्त पडतीम है,तब
ईसकी लिद्ा, लिनय तथा लििेक ही ईसका साथ लनभाते हैं । जो राम पर भरोसा करने िािा
साहसी,सत्यिान बनता है ।
भािाथा : प्रस्तुत दोहे में तुिसीदास कहते हैं- लजस तरह देहरी पर दीया रखने से घर के
लभतर तथा अाँगन में प्रकाश फै िता है, ईसी तरह राम नाम जपने से मानि की अंतठरक
और बाह्य शुलद्ध होती है ।
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8. आं टरनेट-क्ांलत (लनबंध) संकलित
Ans: इ-गिनेन्स िारा सरकार के सभी कामकाज का लििरण, ऄलभिेख, सरकारी अदेश
अदद को यथाित िोगों को सूलचत दकया जाता है । आससे प्रशासन पारदशी बन सकता है ।
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Ans: “िीलडयो कान्फरे न्स” िारा एक जगह बैिकर दुलनया के कइ देशों के प्रलतलनलधयों
के साथ 8-10 दूरदशान के परदे पर चचाा कर सकते हैं । एक ही कमरे में बैिकर लिलभन्न
देशों में रहनेिािे िोगों के साथ लिचार-लिलनमय कर सकते हैं ।
Ans: आं टरनेट ने संचार ि सूचना के क्षेत्र में कमाि दकया है।आसके िारा पि भर में लबना
ज्यादा खचा दकए कोइ भी लिचार हो,लस्थर लचत्र हो,िीलडयो लचत्र हो, दुलनया के दकसी भी कोने
में भेजना मुमदकन हो गया है । कोइ संदेश, समाचार तथा हर प्रकार की जानकाठरयााँ कम समय
में पहुाँचा जा सकता है । पुस्तकािय की पुस्तकों को लजसे चाहे भेज सकते हैं । तंत्रज्ञान के लबना
कोइ काम होना ऄसंभि है । शायद आसके लबना संचार ि सूचना दोनों ही क्षेत्र िप पड जाते हैं ।
Ans: अज का युग आं टरनेट युग है । आं टरनेट से मानि की जीिनशैिी और ईसकी सोच में
क्ांलतकारी पठरितान हुअ है । संचार ि सूचना, आं टरनेट -बैंककग,िीलडयो कान्फरे न्स, सोशि
नेटिर्ककग, इ-गिनेन्स जैसे अदद िैज्ञालनक अलिष्कारों ने मानि जीिन को सुलिधाजनक बनाया
है ।लचदकत्सा कृ लष,ऄंतठरक्षज्ञान,लिज्ञान,लशक्षा,रक्षादिों की क्षेत्र में बहुत बडा योगदान है ।
Ans: आं टरनेट सचमुच एक िरदान है । आं टरनेट िारा कोइ भी लिचार हो, लस्थर लचत्र
हो, िीलडयो लचत्र हो, दुलनया के दकसी भी कोने में भेजना मुमदकन है । आं टरनेट -बैंककग िारा
दूलनया की दकसी भी जगह पर चाहे लजतनी भी रकम भेजी जा सकती है । “िीलडयो कान्फरे न्स”
िारा लिलभन्न देशों में रहनेिािे िोगों के साथ लिचार-लिलनमय कर सकते हैं । आससे देश-लिदेश
के िोगों के रहन-सहन, िेशभूषा, खान-पान, संस्कृ लत-किा अदद का जानकारी लमिती है ।
ऄनलगनत िोगों को रोजगार लमि रहा है । आं टरनेट एक ओर िरदान है तो दूसरी ओर
ऄलभशाप भी है । आं टरनेट की िजह से पैरसी, बैंककग फ्राड, हैककग अदद बढ रही है । चैटटग,
मुि िेब साआट अदद से बच्चे ि युि पीढी ऄनुपयुि और ऄनािश्यक जानकारी हालसि कर रहे
हैं । एससे िि का दुरुपयोग हो रहा है । आसलिए हम िोगों को सचेत रहना चालहए ।
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9. इमानदारों के सम्मेिन में (व्यंग्य) हठरशंकर परसाइ
ऄनुरूपता प्रश्न
1. लगल्िू : रे खा लचत्र :: इमानदारों के सम्मेिन में : व्यंग्य रचना
2. कश्मीरी सेब : प्रेमचंद :: इमानदारों के सम्मेिन में : हठरशंकर परसाइ
3. कश्मीरी सेब : दोखेबाजी पर प्रकाश :: इमानदारों के सम्मेिन में : बेइमानों पर प्रकाश
4. आं टरनेट क्ांलत: िैज्ञालनक अलिष्कार का लचत्रण::इमानदारों के सम्मेिनमें: व्यंग्य का लचत्रण
1. इमानदारों के सम्मेिन में हठरशंकर परसाइ जी को क्यों अमंलत्रत दकया गया ? April-2015
OR हठरशंकर परसाइ जी को सम्मेिन में क्यों बुिाया गया ? April-2018
OR परसाइ जी को सम्मेिन में क्यों बुिाया गया था ? JUNE-2020
OR अयोजकों ने परसाइ जी को लनमंत्रण क्यों ददया ? APRIL-2020
Ans: िेखक परसाइ जी देश के प्रलसद्ध इमानदार व्यलि थे । ईन्हे इमानदारों के
सम्मेिन का ईद्घाटन करने के लिए बुिाया गया । ईनके अगमन से ईदीयमान इमानदारों को
बडी प्रेरणा लमिती है ।
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II. दो-तीन िाक्यों में ईत्तर लिखना :
1. इमानदारों के सम्मेिन में हठरशंकर परसाइ जी को क्यों अमंलत्रत दकया गया ? April-2015
OR हठरशंकर परसाइ जी को सम्मेिन में क्यों बुिाया गया ? April-2018
OR परसाइ जी को सम्मेिन में क्यों बुिाया गया था ? Sept-2020
OR अयोजकों ने परसाइ जी को लनमंत्रण क्यों ददया ? April-2020
Ans: परसाइ जी देश के प्रलसद्ध इमानदार व्यलि थे। ईन्हे इमानदारों के सम्मेिन का ईद्घाटन
करने के लिए बुिाया गया ।ईनके अगमन से ईदीयमान इमानदारों को बडी प्रेरणा लमिती है ।
2. इमानदारों के सम्मेिन पाि में मुख्य ऄलतलथ की बेइमानी कै से व्यि हुअ है ? April-2015
Ans: िेखक दूसरे दजे में सफर करके पहिे दजे का दकराया िेना चाहते थे । स्िागत में
लमिे फु ि-मािा पहनकर स्टेशन पर मािी की याद दकया । सम्मेिन में ईनकी चप्पिें गायब
थी , तो ईन्होने दूसरों की चप्पिें पहन िी । आन बातों से ईनकी बेइमानी व्यि होती है ।
3. चप्पिों की चोरी होने पर इमानदार डेिीगेट ने क्या सुझाि ददया ? June-2017
OR चप्पिों की चोरी से बचने के लिए इमानदार डेिीगेट ने क्या सुझाि ददया ? April-2016
Ans: इमानदार डेिीगेट ने सुझाि ददया दक – देलखए चप्पिें एक जगह नहीं
ईतारनी चालहए ।एक चप्पि यहााँ ईतारये,तो दूसरी दस फीट दूर ।तब चप्पि चोरी नहीं होतीं
4. िेखक ने मंत्री को क्या समझाया ? JUNE-2022
OR मंत्री जी को िेखक परसाइ जी ने क्या समझाया ? June-2015
Ans: िेखक ने मंत्री को समझाया दक - इमानदारों के सम्मेिन में इमानदारों की
तिाशी िें,यह बडी ऄशोभनीय बात होगी ।दफर आतने बडे सम्मेिन में थोडी गडबडी होगी ही ।
5. परसाइ जी ने कमरा िोडकर जाने का लनणाय क्यों दकया ? June-2019
Ans: सम्मेिन में अकर परसाइ जी की चप्पि,धूप का चश्मा, कम्बि और तािा तक
चोरी हो गयी । आससे तंग अकर परसाइ जी ने कमरा िोडकर जाने का लनणाय दकया ।
6. िेखक हठरशंकर परसाइ जी का स्िागत कै से दकया गया ?
Ans: िेखक हठरशंकर परसाइ जी का स्िागत स्टेशन पर बहुत ऄच्िा हुअ । िगभग
अि-दस फू ि-मािाएाँ पहना गया ।
7. िेखक सम्मेिन में भाग िेने का क्या कारण था ?
OR िेखक हठरशंकर परसाइ जी आमानदारों के सम्मेिन में भाग क्यों लिया ?
Ans: आमानदारों के सम्मेिन का ईद्घाटन करने गये थे । और इमानदारों को और
ईदयमान आमानदारों को प्रेरणा देने के लिए गये थे ।
8. िेखक के धूप का चश्मा खो जाने की घटना का िणान कीलजए । April-2022
Ans: िेखक दूसरे ददन बैिक में जाने के लिए धूप का चश्मा खोजने िगे, तो िह नहीं
लमिा । िेखक ने एक-दो िोगों से कहा, तो बात फै ि गयी । िे लबना धूप का चश्मा िगाये बैिक
में पहुाँचे । बैिक में पंद्रह लमनट की चाय की िु ट्टी हुइ । तब एक सज्जन िेखक के पास अकर
सहानुभूलत प्रकट करने िगे । हठरशंकर परसाइ जी ने देखा दक सज्जन ने जो चश्मा पहना था,
िह चश्मा ईन्हीं का था ।
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10. दुलनया में पहिा मकान (िेख) डा.लिजया गुप्ता
ऄनुरूपता प्रश्न
1. कश्मीरी सेब : प्रेमचंद :: दूलनया में पहिा मकान : डा. लिजया गुप्ता
2. कश्मीरी सेब : कहानी :: दूलनया में पहिा मकान : िेख
3. अदद मानि : गुफा और पेड :: हसगफो अदुिासी : पूिोत्तर भारत
4. दोस्तों की पहिी मुिाकत : हाथी से :: दोस्तों की ऄंत में मुिाकत : मििी से
5. हाथी : जंगिी जानिर :: भैंस : पाितु जानिर
6. हाथी : जंगि :: मििी : तािाब / पानी
7. मििी : तैरना :: सााँप : रें गना
8. हाथी : सूाँड :: भैंस : सींग
9. मकान की िप्पर : भैंसे का पंजर :: मकान की ित : मििी
१०.मकान की ित : मििी की पीि जैसी :: मकान की स्तम्भ : हाथी के पैर जैसी June-2020
10. मकान की खंबे/गोिे : हाथी के पैर :: मकान की पतिी िकडी : सााँप की िंबाइ
11. पशु-पलक्ष की ध्िनी से : ऄपनी भाषा सीखा :: मकान बनाना : प्रालणयों से सीखा
12. मििी ने ददखाया : पीि की पठट्टयााँ :: भैंस ने ददखाया : भैंसे का पंजर
13. मानि चींठटयों से : लगरकर ईिना सीखा :: मानि मुगी से : सुबह जल्दी ईिना सीखा
14. मििी : पठट्टयााँ :: भैंस : हलियााँ
Ans: मकान बनाने के बारे में पशुं से पुि-ताि करने के लिए जंगि की ओर चि पडे.
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25 | P a g e
7. ककद्रू िालिम और ककचा िािीदास ने क्या तय दकया ? June-2019
Ans: ककद्रू िालिम और ककचा िािीदास ने तय दकया दक िे मकान बनाएाँगे ।
10. हाथी, मकान बनाने के बारे में दोनो दोस्तों को क्या बोिा ?
Ans: हाथी, दोस्तों को बोिा- पेडों से िकडी काट िो, लजतने मेरे पैर हैं ।
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11. समय की पहचान (कलिता) लसयारामशरण गुप्ता
चालहए । काम को टािना नहीं चालहए, क्योंदक बीता हुअ ऄिसर नहीं अता । अिस्य नहीं
करना चालहए । स्ियं पर लिश्वास रखते हुए ऄपने काम कोम पूरी िगन से करना चालहए ।
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12. रोबोट (कहानी) डा. अिोक
ऄनुरूपता प्रश्न
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3. धीरज सक्सेना को बुलद्धमान रोबोट की अिश्यकता क्यों थी ? June-2019
Ans: धीरज सक्सेना को ऄपने नाती-पोतों का होमिका कराने के लिए और िडा प्रोसेसर
पर ऄपना काम संभािने के लिए बुलद्धमान रोबोट की अिश्यकता थी ।
9. धीरज सक्सेना को ऄंत में रोबोठटक संघ से क्या गुजाठरश करनी पडी ?
Ans: धीरज सक्सेना को ऄध्यक्ष से यह गुजाठरश करनी पडी दक जब तक साधोराम पूरी
तरह से िीक नहीं हो जाता है, तब तक रोबोलनि ईसके पास काम करता रहेगा । सधोराम के
िीक होते ही िह ईसे दोबारा काम पर रख िेंगे ।
१०. कहानी के ऄंत में रोबोलनि और रोबोदीप क्यों खुश हुए ? बताआए । June- 2020
Ans: कहानी के ऄंत में धीरज सक्सेना रोबोठटकी संघ की सभी बातें मानने के लिए
तैयार हो जाता है । साधोराम को दोबारा काम पर रखने के लिए राजी हो जाता है । रोबोलनि
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और रोबोदीप को खुशी होती है दक ईनके कारण दकसी आं सान को नुकसान झेिना नहीं होगा ।
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13.मलहिा की साहसगाथा (व्यलि पठरचय) संकलित
ऄनुरूपता प्रश्न
1. मेरा बचपन : अत्मकथा :: मलहिा की साहसगाथा : व्यलि पठरचय
2. बसंत की सच्चाइ : स्िालभमानी गुण :: मलहिा की साहसगाथा : साहसी गुण
3. कािानाग : पिात :: गंगोत्री : शीखर
4. तेनहजग नोगे : एिरे स्ट पर चढनेिािे पहिा पुरुष :: जुंके ताबी : एिरे स्ट पर चढनेिािी
5. पहिी मलहिा एिरे स्ट पर चढनेिािी पहिी लिदेशी मलहिा : जुंके ताबी :: एिरे स्ट पर
6. चढनेिािी पहिी भारतीय मलहिा : लबिेंद्री पाि
7. गंगोत्री की चढाइ : 1982 :: एिरे स्ट की चढाइ : 1984
8. कनाि का नाम : खुल्िर :: मेजर का नाम : कु मार .
9. कनाि : खुल्िर :: मेजर : कु मार April-2020
10.बसंत : इमानदारी का फि :: लबिेंद्री पाि : मेहनत का फि
11.पहिे लहमािय पिातारोही पुरुष:तेनहजग नोगे:पहिी लहमािय मलहिा:जुंके ताबी
Ans: बचपन में लबिेंद्री पाि को रोज 5 दक.लम. पैदि चिकर स्कू ि जाना पडता था । िे
किोर पठरश्रम करती थीं । लसिाइ का काम सीख कर पैसे जुटाए । यह ईनकी पढाइ के खचा में
काम अया ।
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2. लबिेंद्री पाि ने पहाड पर चढने की पूिा तैयारी कै से की ?
OR बिेंद्री ने पहाड पर चढने की तैयारी कै से की ? बताआए । April-2022
Ans: बिेंद्री ने ऄपने भाइ से बेहतर करके ददखाने के लिए पिातारोहण का प्रलशक्षण
िेना शुरू की । पढाइ के साथ-साथ लबिेंद्री पाि ने पहाड पर चढने के ऄपने िक्ष को भी हमेशा
ऄपने सामने रखा । आसी दौरान ईन्होने ’कािानाग’ पिात की चढाइ की । सन १९८२ में ईन्होने
’गंगोत्री ग्िेलशयर’ तथा ’रूड गेरो’ की चढइ की लजससे ईनमें अत्मलिश्वास और बढा । ऄगस्त
1983 में ददल्िी में लहमािय पिातारोलहयों का सम्मेिन में तेनहजग नोगे और जुंके ताबी से
लमिी और ईनसे प्रभालित होकर एिरे स्ट पर चढने की तैयारी की ।
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14.सूर-श्याम (पद) सूरदास
ऄनुरूपता प्रश्न
1. भोिा-भािा : बािकृ ष्ण :: चुजिखोर : बिराम April-2020 April-2022
2. तुिसीदास : राम भलिशाखा के प्रिताक :: सूरदास : कृ ष्ण भलिशाखा के प्रिताक
3. यशोदा : माता :: नंद : लपता 4. जसुमलत : यशोदा :: बिभद्र : बिराम
5. तुिसी के दोहे : श्रीराम की िीिा का िणान :: सूर -श्याम : कृ ष्ण की बाि-िीिा का िणान
6. नंद और यशोदा : गोरे : कृ ष्ण : श्यामा/कािा
7. भोिा-भािा : बािकृ ष्ण :: चुगिखोर : बिराम
8. कृ ष्ण को लचडानेिािे : बिराम :: चुटकी देऄकर हाँसनेिािे : ग्िाि बािक June-2020
9. लगल्िू : महादेिी िमाा की ममता का लचत्रण :: सूर -श्याम : यशोदा की ममता का लचत्रण
I. दो-तीन िाक्यों में ईत्तर लिखना :
1. कृ ष्ण बिराम के साथ खेिने क्यों नहीं जाना चाहता ? April-2016
Ans: बिराम कृ ष्ण को लचढाता है । िह कृ ष्ण से कहता है दक यशोदा ने ईसे जन्म नहीं
ददया है बलल्क मोि लिया है।आस गुस्से के कारण कृ ष्ण बिराम के साथ खेिने नहीं जाता है ।
2. कृ ष्ण ऄपनी माता के प्रलत क्यों नाराज है ? Sept- 2020
Ans: कृ ष्ण ऄपनी माता के प्रलत नाराज है क्योंदक - मााँ, तुमने के िि मुझे ही
मारना सीखा है और भाइ पर कभी गुस्सा नहीं करती ।
3. बाि कृ ष्ण ऄपनी माता से क्या-क्या लशकायतें करता है ? JUNE-2022
Ans: बिराम बहुत लचढाता है । िह मुझसे से कहता है दक यशोदा ने जन्म नहीं ददया है
बलल्क मोि लिया है । माता-लपता का रं ग गोरा है, िेदकन ईसका रं ग कािा है ।
4. कृ ष्ण के प्रलत बिराम की लशकायतें क्या है ?
Ans: िह नंद और यशोदा का बेटा नहीं है, बलल्क मोि लिया है । माता-लपता का
रं ग गोरा है, िेदकन ईसका रं ग कािा है ।
5. कृ ष्ण बिराम के प्रलत क्यों नाराज है ? June-2018
Ans: बिराम कृ ष्ण को यह कहकर लचढाता है दक िह नंद और यशोदा का बेटा नहीं
है, बलल्क मोि लिया है । माता-लपता का रं ग गोरा है, िेदकन ईसका रं ग कािा है । आस
ऄपमान के कारण कृ ष्ण बिराम से नाराज है ।
6. बिराम कृ ष्ण के माता-लपता के बारे में क्या कहता है ? April-2019
Ans: बिराम कृ ष्ण से बार-बार पूिता है दक तुम्हारे माता-लपता कौन हैं ? नंद
और यशोदा तो गोरे हैं, िेदकन तुम्हारा शरीर क्यों कािा है ? ।
7. यशोदा क्यों खुश हो जाती है ? June-2017
Ans: ऄपने भाइ बिराम के प्रलत क्ोलधत एिं सखां िारा ऄपमालनत कृ ष्ण
के क्ोधयुत मुख को देखकर और ईसकी बातों को सुनकर यशोदा खुश हो जाती है ।
8. यशोदा कृ ष्ण के क्ोध को कै से शांत करती है ? June-2016. April-2018. 2020. 2022
OR यशोदा कृ ष्ण को कै से मनाती है ? April-2017
OR माता यशोदा कृ ष्ण की नाराजगी को कै से दूर करती है ? June-2015
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15. कनााटक–संपदा (लनबंध) संकलित
ऄनुरूपता प्रश्न
Ans: बेंगिुर लशक्षा और बडे -बडे ईद्ोग-धंधों का कें द्र है । यहााँ देश -लिदेश के िोग अकर
बस गये हैं । यहााँ प्रलसद्ध भारतीय लिज्ञान संस्थान, एच.ए.एि, एच.एम.टी, अइ.टी.अआ,
बी.एच.इ.एि, बी.इ.एि जैसी बृहत संस्थाएाँ हैं । आसे ’लसलिकान लसटी’ कहते हैं ।
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4. कनााटक के प्राकृ लतक सौंदया का िणान कीलजए । April-2015
OR कनााटक के प्राकृ लतक सुषमा का िणान कीलजए । April-2019
OR कनााटक की प्राकृ लतक सुषमा नयन मनोहर है । कै से ? स्पि कीलजए । June-2019
Ans: कनााटक की प्राकृ लतक सुषमा नयन मनोहर है । एसके पलिंम में लिशाि ऄरबी
समुद्र िहराता है । आसी प्रांत में दलक्षण से ईत्तर के िोर तक फै िी िंबी पिातमािां को
पलिंमी घाट कहते हैं । आन्ही घाटों के कु ि भाग सह्यादद्र कहिाता है । दलक्षण में नीिलगठर की
पिातिलियााँ शोभायमान हैं ।
6. कन्नड भाषा और संस्कृ लत को कनााटक के सालहत्यकारों की देन के बारे में लिलखए । A-2018
OR कन्नड भा और सं लिए कनााटक के सालहत्यकारों की देन ऄमूल्य है - स्पि कीलजए । Jun-18
OR कन्नड भाषा और संस्कृ लत को कनााटक के सालहत्यकारों की देन क्या है ? April-2020
ORकन्नड भाषा और संस्कृ लत को कनााटक के सालहत्यकारों की क्या देन है ।स्पि कीलजए ।Ap-22
Ans: क्ांलतकारी बसिण्णा, ऄक्कमहादेिी, ऄल्िमप्रभु, सिाज्ञ जैसे संत कलियों ने ऄपने
िचनों िारा प्रेम, दया और धमा की सीख दी है । पुरंदरदास, कनकदास अदद भाि कलियों के
सदाचार, भलि, नीलत के गीत ऄमूल्य देन हैं । पंप, रन्न, पोन्न, कु मारव्यास, हठरहर, राघिांक
अदद प्राचीन कलियों ने महान काव्यों की रचना कर कन्नड सालहत्य को समृद्ध दकया है ।
अलधलनक काि के अि ददग्गज सालहत्यकारों ने ज्ञानपीि पुरस्कार प्राप्त कर कन्नड
भाषा,संस्कृ लत और कनााटक के गौरि बढाया है ।
Ans: कनााटक में देश-लिदेश के िोग अकर लशक्षा प्राप्त कर रहे हैं । सर.सी.िी.रामन,
सर.एम.लिश्वेश्वरय्या, सी.एन.अर.राि, डा.शकुं तिा देिी, नारायण मूर्णत जैसे ददग्गजों ने
िैज्ञालनक तथा प्रौद्ोलगकी के क्षेत्र में ऄपनी महत्तर ईपिलब्दयों से कनााटक को लिश्व पटि पर
ऄंदकत दकया है ।
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16. बािशलि (िघु नाठटका) जगतराम अया
ऄनुरूपता प्रश्न
1. कनााटक संपदा : लनबंध :: बािलश्ि : िघू नाठटका
2. टोिी का नाम : बािलश्ि :: टोिी का नायक : मोहन
3. बसंत : इमान :: रामू : बेइमान
Ans: लनयलमत रूप से स्कू ि नहीं जाते ईन पर ध्यान देना, गााँि के गड्ढों को लमठट्ट से
ढााँपना, स्कू ि के पठरसर को स्िच्ि रखना,गााँि की गंदगी को दूर करना, गााँिों के चारों ओर पेड
िगाना, गााँि का कू डा एक लनलिंत जगह पर डािना, परस्पर सहयोग से िातािरण स्िच्ि
रखना अदद (काम दकया।)(काम करते हैं ।)(टोिी का कताव्य था ।)(स्िच्ि रखकर ईद्धार दकया ।
Ans: गााँि के गड्ढों को लमठट्ट से ढााँपना चालहए । गााँि की गंदगी को दूर करना चालहए ।
स्कू ि के पठरसर को स्िच्ि रखना चालहए । गााँिों के चारों ओर पेड िगाना चालहए । गााँि का
कू डा एक लनलिंत जगह पर डािना चालहए । परस्पर सहयोग से िातािरण स्िच्ि रखना
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35 | P a g e
3. रामू में कौन-कौन-सी बुरी अदतें थीं ?
Ans: रामू में, खेि में बेइमानी करना, गृह-काया नहीं करना, लनयलमत रूप से स्कू ि
नहीं जाना जैसी बुरी अदतें थीं ।
-------------------------------------------------------------
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1.शलनः सबसे सुद
ं र ग्रह
1. शलन सबसे सुंदर ग्रह है । कै से ? April-2019
OR सौरमंडि का सिाालधक सुद
ं र ग्रह कौनसा है ? और क्यों ?
OR शलन ग्रह सौरमंडि का ऄत्यंत खूबसूरत ग्रह है । कै से ? June-2020
OR शलन को सौरमंडि का ऄत्यंत सुंदर ग्रह क्यों कहा जाता है ? June-2022
OR शलन सौरमंडि का सिाालधक सुंदर ग्रह है । कै से ? April-2022
Ans: शलन सौरमंडि का सिाालधक सुंदर ग्रह है । शलन ग्रह के चारों ओर ििय (गोिे)
ददखाइ देते हैं । प्रकृ लत ने आस ग्रह को हार के रूप में ििय ददया है । आन िियों के कारण ही
शलन सुंदर ि मनोहर ग्रह माना गया है ।
Ans: शलन सुया का पुत्र है । शनैःचर का ऄथा होता है-ऄत्यंत धीमी गलत से चिनेिािा होता है ।
3. शनैःचर का ऄथा क्या होता है ? शलन ग्रह का नाम ऐसा क्यों पडा ? April-2016.
OR शलन ग्रह को शनैःचर क्यों कहते हैं ? June-2018
Ans: शनैःचर का ऄथा होता है - ऄत्यंत धीमी गलत से चिनेिािा होता है । आसलिए
दक अकाश के गोिे पर यह ग्रह बहुत धीमी गलत से चिता ददखाइ देता है । यह करीब तीस
िषो में सूया का एक चक्कर िगाता है ।
37 | P a g e
7. सौरमंडि में शलन का स्थान क्या है ? April-2018
OR सौरमंडि का सबसे बडा ग्रह कौनसा है ? ईनमें शलन का स्थान क्या है ?
Ans: सौरमंडि का सबसे बडा ग्रह बृहस्पलत (गुरू ग्रह) है । ईनमें शलन का स्थान दूसरा है ।
10. शलन की सतह पर ईतर पाना अदमी के लिए संभि नहीं है । क्यों ?
Ans: शलन की सतह पर ईतर पाना अदमी के लिए संभि नहीं है क्योंदक चंद्रमा,
मंगि या शुक् की तरह शलन के कें द्र भाग में िोस गुििी होनी चालहए ।
11. शलन ग्रह के बारे में िोगों का ऄंधलिश्वास क्या है ? June-2015
Ans: बाद के िोगों ने शनैःचर को ’सनीचर’ बना डािा । ’सनीचर’ का नाम िेते ही
ऄंधलिश्वालसयों की रूह कााँपने िगती है ।
2.सत्य की मलहमा
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2. शास्त्र में सत्य बोिने का तरीका कै से समझाया गया है ? April-2017 June-2017,2019
April-2022
OR सत्य के बारे में शास्त्र में क्या गया है ? June-2022
Ans:शास्त्र में सत्य के बारे में समझाया गया है दक ’सत्यं ब्रूयात, लप्रयं ब्रूयात, न ब्रूयात
सत्यमलप्रयम’ ऄथाात - ’सच बोिो जो दूसरों को लप्रय िगे,ऄलप्रय सत्य मत बोिो ।’
लनभाने के लिए ऄपने प्राण त्याग ददए । महात्मा गांधी जी ने सत्य की शलि से ही लिदेशी
शासन को झकझोर ददया ।
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39 | P a g e
3. नागठरक के कताव्य
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कन्नड में ऄनुिाद लिखना
१. कि श्याम को चौक में दो-चार जरुरी चीजें खठरदने गया था । पंजाबी मेिाफरोशों की
दूकानें रास्ते में ही पडते हैं । एक दूकान पर बहुत ऄच्िे रं गदार, गुिाबी सेब सजे हुए नजर अये
। ನಿನ್ನೆ ಷಹಯಂಕಹಲ ಕನೇಲು ಅವಯಕ ಷತುಗಳನತೆ ಖರೇದಿಷಲತ ಚೌಕಿನ ಕಡನಗನ ಸನೊಗಿದ್ನೆ. ಂಜಹಬಿಗರ
ಸಣ್ಣಿನ ಄ಂಗಡಿಗಳು ರಷನು ಈದೆಕೊೂ ಆನ. ಂದತ ಄ಂಗಡಿಯಲ್ಲಿ ಜನೊೇಡಿಸಿ ಆಟ್ಟ ಷತಂದರ ಗತಲಹಬಿ ಬಣ್ಿದ ಷನೇಬತ
ಸಣ್ತಿಗಳು ಕಂಡು.
२. िौंडा चार सेब िाया । दूकानदार ने तौिा, एक लिफाफे में रका और रुमाि में बााँधकर मुझे
दे ददया । मैंने चार अने ईसके हाथ में रखे ।
ಬಹಲಕ ನ್ಹಲತೂ ಷನೇಬತಸಣ್ತಿಗಳನತೆ ತಂದನತ. ಄ಂಗಡಿಯನತ ತೊಕ ಮಹಡಿ ಂದತ ಕರನಲ್ಲಿ ಸಹಕಿ, ಕರಷರದಲ್ಲಿ
३. दूकानदार ने जानबूझकर मेरे साथ धोखेबाजी का व्यिहार दकया । एक सेब सडा हुअ होता,
तो मैं ईसको क्षमा के योग्य समझता । सोचता, ईसकी लनगाह न पडी होगी ।
಄ಂಗಡಿಯನತ ತಿಳಿದತ ತಿಳಿದತ ನನ್ನೊೆಂದಿಗನ ಮೇಷದ ಹಯಪಹರ ಮಹಡಿದನತ. ಯಹುದ್ನೊೇ ಂದತ ಷನೇಬತ ಕನಟ್ಟಟದೆರನ
४. हम ईसे लगल्िू कहकर बुिाने िगे । मैंने फू ि रखने की हल्की डलिया में रुइ लबिाकर ईसे
तार से लखडकी पर िटका ददया ।
ನ್ಹು ಄ದಕನೂ ಗಿಲತಿ ಎಂದತ ಕರನಯಲಹರಂಭಿಸಿದ್ನು. ನ್ಹನತ ಸೊು ಆಡತ ಸಗತರ ಕತಂಡದಲ್ಲಿ ಸತಿುಯನತೆ ಸಹಸಿ ಕೃತಕ
५. लगिहठरयों की जीिन की ऄिलध दो िषा से ऄलधक नहीं होती, ऄतः लगल्िू की जीिन-यात्रा
का ऄंत अ ही गया । ददन भर ईसने न कु ि खाया, न िह बाहर गया ।
಄ಳಿಲತಗಳ ಜೇನ್ಹಧಿ ಕನೇಲ ಎರಡತ ಶಿಗಳು. ಹೇಗಹಗಿ ಄ಳಿಲ್ಲನ ಜೇನದ ಄ಂತಿಮ ಯಹತ್ನರ ಬಂದ್ನೇ ಬಿಟ್ಟಟತತ.
६. पंजे िं डे हो रहे थे, िेलखका हीटर जिाकर ईसे ईष्णता देने का प्रयत्न दकया । परन्तु प्रभात
की प्रथम दकरण के साथ ही िह लचर लनद्रा में सो गया ।
಄ದರ ಕಹಲತಗಳು ತಣ್ಿಗಹಗತ್ನೊಡಗಿದು. ಲನೇಖಕಿ ಹೇಟ್ರ್ ಈರತಸಿ ಈಶಿತ್ನ ನಿೇಡತ ರಯತೆ ಮಹಡಿದಳು. ಅದರನ
७. मैं कइ बच्चों में से एक था, िंबे-चौडे ि सुंदर माता-लपता का िोटी कद-कािी का साधारण
ददखनेिािा बच्चा । हम िोग ऄपने पुश्तैनी घर में रहते थे ।
ನ್ಹನತ ಄ನ್ನೇಕ ಮಕೂಳಲ್ಲಿ ಬಬ. ನ್ಹನತ ಎತುರ ಸಹಗೊ ಷತಂದರ ತಂದ್ನ-ತ್ಹಯಯ ಚಿಕೂ ಎತುರದ ಷಹದ್ಹರಣ್ಹಗಿ
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41 | P a g e
८. प्रलतलित लशि मंददर के कारण रामेश्वरम प्रलसद्ध तीथास्थि है । हमारे घर से दस लमनट का
पैदि रास्ता था । लजस आिाके में हम रहते थे, िह मुसलिम बहुि था ।
ವಖ್ಹಯತ ಶಿ ಮಂದಿರದ ಕಹರಣ್ ರಹಮೇವವರಂ ರಸಿದಧ ತಿೇಥಿಷಥಳಹಗಿದ್ನ. ನಮಮ ಮನಿಯಂದ ಕಹಲೆಡನಗನಯ ಮೊಲಕ
९. रामेश्वरम मंददर के सबसे बडे पुजारी पक्षी िक्ष्मण शास्त्री मेरे लपताजी के ऄलभन्न लमत्र थे । िे
अध्यालत्मक मामिों पर चचााएाँ करते रहते ।
ರಹಮೇವವರಂ ಮಂದಿರದ ರಮತಖ ೂಜಹರಯಹದ ಕ್ಷಿ ಲಕ್ಷಮಣ್ ವಹಸಿರರರತ ನನೆ ತಂದ್ನಯ ಅತಿೀಯ
१०. ऄहमद जिािुिीन और ऄब्दुि किाम ऄंतरं ग के लमत्र थे । जिािुिीन किाम से करीबन
पंद्रह साि बडे थे । िे किाम को ’अजाद’ कहकर पुकारा करते थे ।
಄ಸಮದ್ ಜಲಹಲತದಿೆನ್ ಮತತು ಄ಬತೆಲ್ ಕಲಹಮ್ ಅತಿೀಯ ಗನಳನಯರಹಗಿದೆರತ. ಜಲಹಲತದಿೆನ್ ಕಲಹಮರಗಿಂತ 15 ಶಿ
११. रामेश्वरम में ऄखबारों के एकमात्र लितरक शम्सुिीन थे । ऄखबार पामबन से रामेश्वरम
स्टेशन पर सुबह की ट्रेन से अती थी । आस ऄखबार एजेंसी को िे ऄके िे ही चिाते थे ।
ವಮತುದಿೆೇನ ರಹಮವವರಂನಲ್ಲಿನ ಬಬರನೇ ದಿನತಿರಕನಯ ವತಕರಹಗಿದೆರತ. ದಿನತಿರಕನಗಳು ಪಹಮಬನದಿಂದ ಬನಳಿಗನೆ ರನೈಲ್ಲನ
१३. नहीं साहब, नहीं । यह तो भीख है । मैं भीख नहीं िूाँगा । अप ििनी िे िें ।
ಬನೇಡ ಷಹಸನಬರನ ಬನೇಡ. ಆದತ ಭಿೇಕ್ಷನಗನ ಷಮ. ನ್ಹನತ ಭಿೇಕ್ಷನ ತ್ನಗನದತಕನೊೇಳುುುದಿಲಿ, ನಿು ಜರಡಿ(ಛಹಣ್ಣ)ಯನತೆ ಖರೇದಿಸಿಕನೊಳಿು.
१४. बसंत नोट भुनाने गया था, मगर जब भुनाकर िौट रहा था, तो मोटर के नीचे अ गया ।
मोटर ईसके उपर से लनकि गइ ।
ಬಷಂತನತ ಚಿಲಿರನ ಮಹಡಲತ ಸನೊೇಗಿದೆನತ. ಚಿಲಿರನ ಮಹಡಿಕನೊಂಡತ ಮರಳಿ ಬರತಹಗ ಹಸನಕನೂ ಡಿಕಿೂ ಸನೊಡನದನತ. ಹಸನು
१५. डाक्टर साहब ! जब तक मैं नहीं अता अप यहीं रहें, आसे बचाना होगा । बसंत गरीब है
पर आसमें एक दूिाभ गुण है, यह इमानदार है ।
ಡಹಕಟರ್ ಷಹಸನೇಬರನ ! ನ್ಹನತ ಎಲ್ಲಿಯರನಗನ ಬರತುದಿಲಿವೇ ಄ಲ್ಲಿಯರನಗನ ನಿೇು ಆಲನಿೇ ಆರ, ಆನನತೆ ಬದತಕಿಷಬನೇಕಹಗಿದ್ನ.
१६.अज का युग आं टरनेट युग है । आसका ऄसर बडे बूढों से िेकर िोटे बच्चों तक सब पर पडा है
। आं टरनेट लिश्वव्यापी कं प्यूटरों का नेटिका है ।
ಆಂದಿನ ಯತಗ ಄ಂತಜಹಿಲದ ಯತಗಹಗಿದ್ನ. ಆದರ ರಭಹು ಚಿಕೂ ಮಕೂಳಿಂದ ಹಡಿದತ ಎಲಿ ರ್ೇಮಹನದರ ಮೇಲನ
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१७. आं टरनेट िारा घर बैिे- बैिे खरीदारी कर सकते हैं । कोइ भी लबि भर सकते हैं । आससे
दूकान जाने और िाआन में घंटों खडे रहने का समय बच सकता है ।
಄ಂತಜಹಿಲದ ಮೊಲಕ ಮನ್ನಯಲ್ಲಿ ಕತಳಿತತಕನೊಂಡತ ಷಹಮಹನತಗಳನತೆ ಖರೇದಿಷಬಸತದತ. ಯಹುದ್ನೇ ಬಿಲತಿಗಳನತೆ
ಪಹತಿಷಬಸತದತ. ಹೇಗನ ಮಹಡತುದರಂದ ಄ಂಗಡಿಗನ ಸನೊೇಗತುದತ ತುುುದರ ಜನೊತ್ನಗನ ಘಂಟ್ನಗಳ ಕಹಲ ಷರತಿ ಷಹಲ್ಲನಲ್ಲಿ
१९. ’सोशि नेटिर्ककग’ एक क्ांलतकारी खोज है । फे सबुक, लट्िट्टर अदद आसके साआट्स हैं । आन
साआट्स के कारण देश-लिदेश के िोगों की रहन-सहन, िेश-भूषा, संकृलत, किा अदद का प्रभाि
हमारे समाज पर पड रहा है ।
‘ಷಹಮಹಜಕ ಜಹಲತ್ಹಣ್ಗಳು’ ಂದತ ಕಹರಂತಿಕಹರ ಷಂವನೃೇಧನ್ನ. ಫನಷಬತಕ್, ಟ್ಟವಟ್ರ್, ಹಟ್ುಅಪ್ ಮತಂತ್ಹದ ಄ನ್ನೇಕ
२०. इ-गिनेन्स िारा सरकार के सभी कामकाज का लििरण, ऄलभिेख, सरकारी अदेश अदद
को यथाित िोगों को सूलचत दकया जाता है । आससे प्राशासन पारदशी बन सकता है ।
ಆ-ಅಡಳಿತದ ಮೊಲಕ ಷರಕಹರದ ಎಲಿ ಕನೇಲಷ-ಕಹಯಿಗಳ ವರಣನ, ಮಹಹತಿಗಳು, ಷಕಹಿರ ಅದ್ನೇವಗಳನತೆ ಯಥಹತತು
ಮೇಷತನ ಸಹಗೊ ಕಳುತನ ಸನಚಹಾಗತ್ನೊಡಗಿನ. ಄ಂತಜಹಿಲದ ಮೊಲಕ ಮಕೂಳು ಄ನತಯತಕು ಸಹಗೊ ಄ನ್ಹವಯಕ
२२. हम िोग आस शहर में इमान्दारों का सम्मेिन कर रहे हैं । अप देश के प्रलसद्ध इमानदार हैं
। हमारी प्राथाना है दक अप आस सम्मेिन का ईदघाटन करें ।
ನ್ಹುಗಳು ಇ ನಗರದಲ್ಲಿ ಪಹರಮಹಣ್ಣಕರ ಷಮೀಳನನತೆ ಅರ್ೇಜಸಿದ್ನೆೇನ. ನಿೇು ದ್ನೇವದ ರಖ್ಹಯತ ಪಹರಮಹಣ್ಣಕ ಯಕಿುಗಳು.
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२३. स्टेशन पर हठरशंकर परसाइ जी का खूब स्िागत हुअ । िगभग दस बडी फू ि-मािाएाँ
पहनायी गयीं । तब िे सोचते हैं, अस-पास मािी होता तो फू ि-मािाएाँ भी बेच िेता ।
ರನೈಲತ ನಿಲಹೆಣ್ದಲ್ಲಿ ಸರವಂಕರ ರಷಹಯರರನತೆ ಷಹವಗತಿಸಿ ಬರಮಹಡಿಕನೊೇಳುಲಹಯತಿ. ಷರ-ಷತಮಹರತ ಸತ್ಹುರತ
२४. सम्मेिन का ईदघाटन शानदार हुअ । हठरशंकर परसाइ जी िागभग एक घंटे तक भाषण
ददये । िे चप्पि पहनने गये तो, चप्पिें गायब थीं ।
ಷಮೀಳನದ ಈದ್ಹಾಟ್ನ್ನ ನೈಭದಿಂದ ಜರತಗಿತತ. ಸರವಂಕರ ರಷಹಯರರತ ಷರ-ಷತಮಹರತ ಂದತ ಘಂಟ್ನಗಳ ಕಹಲ
२५. “देलखए, चप्पिें एक जगह नहीं ईतारनी चालहए । एक चप्पि यहााँ ईताठरये, तो दूसरी दस
फीट दूर । तब चप्पिें चोरी नहीं होतीं ” ।
“ ನ್ನೊೇಡಿ, ಚುಲ್ಲಗಳನತೆ ಂದ್ನೇ ಷಥಳದಲ್ಲಿ ಬಿಡಬಹರದತ. ಂದತ ಚುಲ್ಲ ಆಲ್ಲಿ ಬಿಟ್ಟರನ, ಎರಡನ್ನೇ ಚುಲ್ಲ ಸತತು ಄ಡಿ ಄ಂತರದಲ್ಲಿ
२६. मंत्रीन ने कहा, परसाइ जी, गाडी अने में देर है । चलिये, स्िागत सलमलत के साथ ऄच्िे
होटि में भोजन हो जाये । ऄब तािा िगा देते हैं ।
ರಷಹಯರರನ, ರನೈಲತ-ಗಹಡಿ ಬರಲತ ಆನತೆ ತಡವದ್ನ ಎಂದತ ಮಂತಿರ ಸನೇಳಿದರತ. ನಡನಯರ, ಷಹವಗತ ಷಮಿತಿಯರನೊಂದಿಗನ
२७. दोनों दोस्तो ने मकान बनाना चाहते थे । मकान कै से बनाते हैं आसके बारे में िे नहीं जानते
थे । आसलिए िे पशुं से पूि-ताि करने के लिए जंगि की ओर चि पडे ।
ಅನ್ನಯತ ಮನ್ನ ನಿಮಹಿಣ್ ಬಗನೆ ಗನಳನಯರಬಬರಗನ ಹೇಗನ ಸನೇಳಿತತ,ಗನಳನಯರಬಬರತ ಮನ್ನ ಕಟ್ಟಲತ ಬಯಸಿದರತ. ಄ರಗನ ಮನ್ನ
ಸನೇಗನ ನಿಮಿಿಷತತ್ಹುರನ ಎಂಬತದರ ಬಗನೆ ಄ರು ಆರಲ್ಲಲಿ. ಹೇಗಹಗಿ ಪಹರಣ್ಣಗಳಿಂದ ಕನೇಳಿ ತಿಳಿಯಲತ ಕಹಡಿನ ಕಡನಗನ ಸನೊರಟ್ತ
ನಿಂತರತ.
२८. हाथी ने माकान बनाने के बारे दोनों दोस्तों से कहा, लजतने मेरे पैर हैं, पेडों से आतने मोटे
और मजबूत िकडी के गोिे काट िो । अगे की बात तो मैं रत्ती-भर भी नहीं जानता । ಂದತ ನನೆ
ಕಹಲತಗಳ ಸಹಗನೇ ಮರದಿಂದ ದುದ್ಹದ ಮತತು ಷದೃಡಹದ ಕಟ್ಟಟಗನ ತತಂಡತ ಕತುರಸಿಕನೊೇಳಿು. ಆದರ ಮತಂದಿನ ನಿಮಹಿಣ್ ಬಗನೆ
२९. सााँप ने माकान बनाने के बारे दोनों दोस्तों से कहा, जैसा मै हाँ, ऐसी ही पतिी और िंबी
िकडी काट िो । अगे की बात तो मैं रत्ती-भर भी नहीं जानता ।
ಷಿು ಮನ್ನ ನಿಮಹಿಣ್ ಬಗನೆ ಗನಳನಯರಬಬರಗನ ಹೇಗನ ಸನೇಳಿತತ, ನನೆ ಸಹಗನ ತ್ನಳುಹದ ಮತತು ಈದೆಹದ ಮರದ
ಕನೊಂಬನಯನತೆ ಕತುರಸಿಕನೊೇಳಿು. ಆದರ ಮತಂದಿನ ನಿಮಹಿಣ್ ಬಗನೆ ನನಗನ ಷವಲುೂ ಄ರು ಆಲಿ.
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३०. भैंस ने दोनों दोस्तों को ऄपने भैंसे का पंजर ददखाया । जैसे आस पंजर में चार पैरों पर
हलियााँ पडी है, ईसी तरह चार मोटे गोिे जमीन में गाडकर ईन पर पतिी और िंबी िकलडयों
से िप्पर का पंजर बना िो ।
ಎಮಮಯತ ಗನಳನಯರಬಬರಗನ ಕನೊೇಣ್ದ ಄ಸಿುಂಜರನತೆ ತ್ನೊೇರಸಿತತ. ಇ ಄ಸಿುಂಜರದಂತ್ನ, ನ್ಹಲತೂ ದುದ್ಹದ ಕಟ್ಟಟಗನ
ತತಂಡತಗಳನತೆ ನ್ನಲದಲ್ಲಿ ನ್ನಟ್ತಟ, ಄ದರ ಮೇಲನ ತ್ನಳುಹದ ಮತತು ಈದೆಹದ ಮರದ ಕನೊಂಬನಯ ಸಂದರ ನಿಮಿಿಸಿಬನೇಕತ.
३१. मििी ने माकान बनाने के बारे दोनों दोस्तों से कहा, पेडों से बहुत-सी पलत्तयााँ तोड िो ।
मेरी पीि की पठट्टयों जैसी आन पलत्तयों को िप्पर पर जमा कर दो ।
ಮಿೇನತ ಮನ್ನ ನಿಮಹಿಣ್ ಬಗನೆ ಗನಳನಯರಬಬರಗನ ಹೇಗನ ಸನೇಳಿತತ, ಮರದಿಂದ ಬಸಳಶತಟ ಎಲನಗಳನತೆ ಸರದತಕನೊಂಡತ, ನನೆ
३२. साधोराम िषों से सक्सेना पठरिार में काम करता था । एक ददन चिती बस से लगरकर
ईसे खतरनाक चोट अ गइ । ईसे ऄस्पताि में भती कराना पडा ।
ಷಹಧ್ನೊೇರಹಮನತ ಄ನ್ನೇಕ ಶಿಗಳಿಂದ ಷಕನುೇನ್ಹ ಕತಟ್ತಂಬದಲ್ಲಿ ಕನಲಷ ಮಹಡತತಿದೆನತ. ಂದತ ದಿನ ಚಲ್ಲಷತತಿುರತ ಬಸಿುನಿಂದ
३३. िषा २०३० के निंबर का महीना था । दफ्तर ऄभी खुिा ही था । एक रोबोट िैक्यूम
क्िीनर से दफ्तर के फशा को साफ कर रहा था ।
಄ದತ ನನಹಂಬರ್ ತಿಂಗಳಿನ 2030 ರ ಆಸಿವಯಹಗಿತತು. ಕಚನೇರಗಳು ಆಗಶನಟ ತ್ನೇರನದಿದೆು. ಂದತ ರನೊೇಬನೊಟ್ ಹಯಕೊಯಮ್
३४. रोबोलनि रोबोट बहुत बुलद्धमान रोबोट था । िह नाती-पोतों का होमिका कराना, सुबह
नाश्ता करना, िोटे बच्चों को कहालनयााँ सुनाना अदद काम करता था । साथ ही िडा प्रोसेसर पर
काम साँभािता था ।
ರನೊೇಬನೊೇನಿಲ ರನೊೇಬನೊೇಟ್ ಄ತಿ ಬತದಿಧಂತ ರನೊೇಬನೊೇಟ್ಹಗಿತತು. ಄ದತ ಮಕೂಳ ಮನ್ನಗನಲಷ ಮಹಡತುದತ, ಮತಂಜಹನ್ನಯ
ಈಸಹರ ಮಹಡತುದತ, ಚಿಕೂ ಮಕೂಳಿಗನ ಕಥನ ಸನೇಳುುದತ ಮತಂತ್ಹದ ಕನಲಷಗಳನತೆ ಮಹಡತತಿತತು. ಆದರ ಜನೊೇತ್ನಗನ ಡಿ
३५.अआजक अलसमोि रोबोठटकी लनयमों के िैज्ञालनक िेखक हैं । रोबोट दकसी आं सान के
नुकसान का कारण न बने । साथ ही, दकसी भी आं सान की नौकरी को खतरा न पहुाँचे ।
ಅಯಜಕ್ ಅಸಿಮೇವ್ ರನೊೇಬನೊೇಟ್ ನಿಯಮದ ಲನೇಖಕರಹಗಿದೆರತ. ರನೊೇಬನೊೇಟ್ ಯಹುದ್ನೇ ಯಕಿುಗನ ಸಹನಿ ಈಂಟ್ತ
३६. लबिेंद्री का जन्म एक साधारण पठरिार में हुअ था । लबिेंद्री पाि के लपता दकशनपाि
हसग और माता हंसादेइ नेगी थे । एिरे स्ट की चोटी पर चढनेिािी पहिी भारतीय मलहिा
होना का गौरि प्राप्त है ।
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ಬಿಛನೇಂದಿರಯರ ಜನಮು ಂದತ ಷಹಧ್ಹರಣ್ ಕತಟ್ತಂಬದಲಹಿಗಿತತು. ಬಿಛನೇಂದಿರಯರ ತಂದ್ನ-ತ್ಹಯ ಸನಷರತ ಕಿವನಪಹಲ ಸಿಂಗ್
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ಮತತು ಸಂಷಹದ್ನೇವ ನ್ನೇಗಿ. ಆರತ ಎರನಸ್ಟಟ ಶಿಖರನ್ನೆೇರದ ಭಹರತದ ರಥಮ ಮಹಳನ ಎಂಬ ಗೌರಕನೂ ಪಹತರರಹಗಿದ್ಹೆರನ.
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३७.लबिेंद्री को रोज पैदि चि कर स्कू ि जाना पडता था। लसिाइ करके पढाइ का खचा जुटायी
। ईन्होंने संस्कृ त में एम.ए तथा बी.एड तक की लशक्षा प्राप्त की ।
ಬಿಛನೇಂದಿರಯರಗನ ದಿನ್ಹಲೊ ಕಹಲೆಡಿಗನ ಮೊಲಕ ವಹಲನಗನ ಸನೊೇಗಬನೇಕಹಗಿತತು. ಸನೊಲ್ಲಗನ ಕನೇಲಷದ ಮೊಲಕ ಄ಭಹಯಷದ ಖಚತಿ
ಜಮ ಮಹಡತತಿದೆಳು. ಄ರತ ಷಂಷೃತ ವಶಯದಲ್ಲಿ ಎಮ್.ಎ. ಮತತು ಬಿ.ಆಡಿ.ದ ರನಗನ ಶಿಕ್ಷಣ್ ಡನದರತ.
३८. २३ मइ,१९८४ के ददन लबिेंद्री एिरे स्ट की चोटी पर खडी थी । बफा पर ऄपने माथे को
िगाकर िे सागरमाथे के ताज का चुंबन दकया । हनुमान चािीसा और दुगाा मााँ का लचत्र
लनकािा िोटी-सी पूजा करके आनको बफा में दबा ददया । ಬಿಛನೇಂದಿರಯರತ 23 ಮೇ 1984 ರಂದತ ಎರನಸ್ಟಟ
ಶಿಖರನ್ನೆೇರದರತ. ಮಂಜತಗಡನಡಗನ ತನೆ ಸಣನ ಸಚಿಾ ಹಮಹಲಯದ ತತದಿಯನತೆ ಚತಂಬಿಸಿದರತ. ಸನತಮಹನ ಚಹಲ್ಲಷಹ ಮತತು
३९. कनााटक राज्य भारत देश का प्रगलतशीि राज्य है । यहााँ की अबादी िगभग िः करोड से
उपर है । कनााटक की प्राकृ लतक सुषमा नयन मनोहर है ।
ಕನ್ಹಿಟ್ಕ ರಹಜಯು ಭಹರತ ದ್ನೇವದ ರಗತಿಶಿೇಲ ರಹಜಯಹಗಿದ್ನ. ಆಲ್ಲಿನ ಜನಷಂಖ್ನಯ ಷರಷತಮಹರತ ಅರತ ಕನೊೇಟ್ಟಗಿಂತ
४०. कनााटक में कन्नड भाषा बोिी जाती है । आसकी राजधानी बेंगिूरु है । बेंगिूरु लशक्षा का ही
नहीं, बलल्क बडे-बडे ईद्ोग-धंधों का भी कें द्र है ।
ಕನ್ಹಿಟ್ಕದಲ್ಲಿ ಕನೆಡ ಭಹಶನ ಮಹತನ್ಹಡಲಹಗತತುದ್ನ. ಆದರ ರಹಜಧ್ಹನಿ ಬನಂಗಳೄರತ. ಬನಂಗಳೄರತ ಶಿಕ್ಷಣ್ ಷಂಷನಥಗಳ ಮತತು
४१. कनााटक में चंदन के पेड लिपुि मात्रा में हैं । आसलिए कनााटक को चंदन का अगार कहते हैं
। यहााँ चंदन का तेि, साबुन तथा किाकृ लतयााँ भी बनायी जाती हैं ।
ಕನ್ಹಿಟ್ಕದಲ್ಲಿ ಶಿರೇಗಂಧದ ಮರಗಳು ಸನೇರಳಹಗಿನ. ಹೇಗಹಗಿ ಕನ್ಹಿಟ್ಕನತೆ ಶಿರೇಗಂಧದ ಬಿಡತ ಎಂದತ ಕರನಯತತ್ಹುರನ. ಆಲ್ಲಿ
४२. कनााटक राज्य की लशल्पकिा ऄनोखी है । बादामी, ऐहोिे अदद मंददरों की लशल्पकिा
और िास्युकिा ऄद्भुत है । बेिूरु, हिेबीडु अदद मंददरों की पत्थर की मूर्णतयााँ सजीि िगती हैं ।
ಕನ್ಹಿಟ್ಕದ ರಹಜಯದ ಶಿಲು ಕಲನಯತ ವಶಿಶಟಹಗಿದ್ನ. ಬಹದ್ಹಮಿ. ಐಸನೊಳನ ಮಂದಿರದ ಶಿಲುಕಲನ ಮತತು ಹಷತುಕಲನ
४२. श्रिणबेल्गोिा में ५७ फु ट उाँची गोमटेश्वर की एकलशिा प्रलतमा है, जो दूलनया को त्याग
और शांलत का संदेश दे रही है । लिजयपुरा के गोिगुंबज दक लहहस्पटरग गैिरी िास्तुकिा का
ऄलितीय दृिांत है । मैसूरु का राजमहि कनााटक के िैभि का प्रतीक है ।
ವರಣ್ಬನಳಗನೊೇಳದಲ್ಲಿರತ 57 ಄ಡಿ ಎತುರವರತ ಗನೊಮಮಟ್ನೇವವರ ಏಕಶಿೇಲಹ ಮೊತಿಿಯೊ ಜಗತಿುಗನ ತ್ಹಯಗ ಮತತು ವಹಂತಿಯ
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४३. िचनकार बसिण्ण क्ांलतकारी समाज सुधारक थे । ऄक्कमहादेिी, ऄल्िमप्रभु, सिाज्ञ अदद
ऄपने िचनों िारा प्रेम, दया और धमा की सीख दी है । पुरंदरदास, कनकदास अदद कलियों ने
भलि,नीलत, सदाचार के गीत गाये हैं । ಚನಕಹರ ಬಷಣ್ಿ ಕಹರಂತಿಕಹರ ಷಮಹಜ ಷತಧ್ಹರಕರಹಗದೆರತ.
಄ಕೂಮಸಹದ್ನೇವ, ಄ಲಿಮರಭತ ಮತತು ಷಿಜ್ಞ ತಮಮ ಚನಗಳ ಮೊಲಕ ಪನರೇಮ, ದಯೆ ಸಹಗೊ ಧಮಿದ ಷಂದ್ನೇವ
४४. बािशलि टोिी का पहिा काम, जो लनयलमत रूप से स्कू ि नहीं जाते तथा पढाइ से जी
चुराते हैं, ईन पर ध्यान देना । दूसरा काम, स्कू ि के पठरसर को स्िच्ि रखना । तीसरा काया,
गााँि की गंदगी को दूर करना ।
ಬಹಲವಕಿು ತಂಡದ ಮದಲನ್ನೇಯ ಕನೇಲಷ, ಷರಯಹಗಿ ವಹಲನಗನ ಬರದ ಮತತು ಕಲ್ಲಕನಯಲ್ಲಿ ಹಂದತಳಿದ ವದ್ಹಯರ್ಥಿಗಳ ಮೇಲನ
ಗಮನ ಕನೊಡತುದತ. ಎರಡನ್ನೇಯ ಕಹಯಿ ವಹಲಹ ಮೈದ್ಹನನತೆ ಷವಚಛಹಗಿ ಆಟ್ತಟಕನೊೇಳುುುದತ, ಮೊರನ್ನೇಯ ಕನಲಷ,
४५. टोिी का ऄगिा काम था गााँि के गड्ढे को लमट्टी से ढााँपना । गााँि का कू डा एक लनलिंत
जगह पर डािना । गााँि को हरा-भरा रखाना तथा गााँि के चारों तरफ पेड-पौधे िगाना ।
ಬಹಲವಕಿು ತಂಡದ ಮತಂದಿನ ಕಹಯಿು ಗಹರಮದಲ್ಲಿರತ ಗತಂಡಿಗಳನತೆ ಮಣ್ಣಿನಿಂದ ಮತಚತಾುದತ. ಉರನ ಕಷನತೆ ಂದತ
४६. गााँि को साफ-सुथरा देखकर मुझे हार्ददक प्रसन्नता हुइ है । गााँि को एक नया जीिन प्रधान
दकया है । आन बच्चों की लजतनी बडाइ की जाए ईतनी ही थोडी है ।
ಷವಚಛ-ಷತಂದರಹದ ಗಹರಮನತೆ ನ್ನೊೇಡಿ ನನಗನ ಬಸಳ ಷಂತ್ನೊೇಶಹಯತತ. ಗಹರಮಕನೂ ಸನೊಷ ಜೇ ನಿೇಡಲಹಗಿದ್ನ. ಆಂತಸ
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ऄपठित गद्ांश {सोदाहरण Ex}
1. मैं पृथ्िी हाँ । मैं सभी जीि का पािन-पोषण करती हाँ । मैं मानि समाज के लिए भोजन,
िस्त्र, हिा, पानी अदद सभी कु ि ईपिब्ध कराती हाँ । मुझे ’ िसुधा ’ भी कहते हैं ।अप जानते हैं
क्यों ? िसुधा का ऄथा है – धन और िन को धारण करने िािी । मैं रत्नगभाा हाँ । मुझसे ही
अपको लिलिध प्रकार के रत्न, जैसे लहरा-मालणका और खलनज पदाथा जैसे- िोहा, सोना, चााँदी
अदद प्राप्त होते हैं । मैं सौरमंडि की प्रमुख सदस्या हाँ । िैज्ञालनक कहते हैं दक मैं सूया से ही
ऄिग हुइ हाँ । िगभग दस खरब िषा पूिा मैं सूया से ऄिग होकर ईसके आदा -लगदा घूमने िगी । ईस
समय तो मैं अग का एक धधकता हुअ गोिा थी, गरम गैस और धूएाँ से भरा एक हपड । ईसी
समय मेरा एक टु कडा टू टकर चंद्रमा बना ।
2. हमारी धरती ने बापू को जन्म ददया । दकन्तु आसका यह सौभाग्य न हुअ दक जो महापुरुष
देश की बेलडयााँ काटे और देश की प्रलतिा को संसार में उचााँ िे जाये, िह ऄपने िारा
प्रलतिालपत स्ितंत्र राष्ट्र में जीलित रहकर लिश्वशांलत और लिश्वबंधुत्ि का ऄपना सपना पूरा कर
सके । महात्माजी को आससे ऄच्िी मृत्यु और क्या लमि सकती थी दक मानिता की रक्षा करते
हुए ईन्होने ऄपने प्राण ददये ।
3. सामालजक प्राणी होने के नाते मनुष्य के लिए यह संभि नहीं है दक िह लबन दकसी साहचया
ऄथिा मैत्री के जीिनयापन करे । मानि जगत के बीच लमत्रों और शत्रों के मध्य जीना ही सच्चा
जीिन है । िास्तलिक लमत्रता एक ऄमूल्य रत्न है , क्योंदक सहज ईपिब्ध होनेिािी ऄथिा
बाजार में लबकनेिािी िस्तु नहीं है । मानि आलतहास में िोग लमत्रों के लिए ऄपने प्राण तक
न्योिािर करते पाए गए हैं । लनिंय ही,लमत्रता एक संपदा है, जीिन की एक ऄनूिी ईपिलब्ध
है ।
1. लिराम लिह्न
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¢ü,
MüÉUMü MüÉUMü ÍcÉ»û MüÉrÉï ESÉWûUhÉ
xÉÇ
1 MüiÉÉï MüÉUMü lÉå Ì¢ürÉÉ MüÉå MüUlÉåuÉÉsÉÉ WûÉå SÕMüÉlÉSÉU lÉå iÉUÉeÉÔ EPûÉrÉÉ
4 xÉÇmÉëSÉlÉ MüÉUMü Måü ÍsÉL , ÎeÉxÉ Måü ÍsÉL Ì¢ürÉÉ WûÉå lÉÉziÉÉ MüUlÉå Måü ÍsÉL xÉåoÉ EPûÉrÉÉ
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3. हिग
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4. वचन
mÉëzlÉ ÌuÉkÉÉ:-
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5. प्रेरणाथाक दक्या शब्द
mÉëjÉqÉ Ì²iÉÏrÉ
Ì¢ürÉÉ mÉëzlÉ ÌuÉkÉÉ:-
mÉëåUhÉÉjÉïMü mÉëåUhÉÉjÉïMü
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7. लििोम शब्द
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8. संधी
xuÉU xÉÇÍkÉ
urÉÇeÉlÉ
SÏbÉï xÉÇÍkÉ aÉÑhÉ xÉÇÍkÉ uÉ×ή xÉÇÍkÉ rÉhÉ xÉÇÍkÉ ArÉÉSÏ ÌuÉxÉaÉï xÉÇÍkÉ
xÉÇÍkÉ
AÉ,D,F L ,AÉå,AU Lå ,AÉæ irÉ,luÉ,§É rÉ ,uÉ
mÉëzlÉ ÌuÉkÉÉ:-
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9. समास
AlÉÑ,AÉ,mÉëÌiÉ,pÉU, MüÉ,MüÉå,Måü ÍsÉL, Wæû eÉÉå, ÌaÉlÉiÉÏ rÉÉåeÉMü ÍcÉ»û SÉå mÉS ÍqÉsÉMüU
rÉjÉÉ,rÉÉuÉiÉ,WûU , MüÐ, qÉåÇ, mÉU, xÉå, Måü xÉqÉÉlÉ, (LMü,SÉå, (-) MüÉ ÌMüxÉÏ iÉÏxÉUåmÉS
AÉÌS MüÉ mÉërÉÉåaÉ AÉÌS MüÉ mÉërÉÉåaÉ AÉÌS MüÉ iÉÏlÉ, mÉërÉÉåaÉ MüÐ AÉåU xÉÇMåüiÉ
mÉërÉÉåaÉ xÉÉiÉ.......)
AÉÌS MüÉ
mÉërÉÉåaÉ
1 2 3 4 5 6
AÉeÉlqÉ aÉaÉlÉcÉÑÇoÉÏ cÉUhÉMüqÉsÉ Ì§ÉsÉÉåMü ÌSlÉ-UÉiÉ lÉÏsÉMüÇPû(ÍzÉuÉ)
oÉåZÉOûMåü pÉrÉÉMÑüsÉ qÉWûÉSåuÉ cÉÉæqÉÉxÉ mÉÉmÉ-mÉÑhrÉ SzÉÉlÉlÉ(UÉuÉhÉ)
pÉUmÉåOû xlÉÉlÉbÉU cÉÇSìqÉÑZÉ lÉuÉUɧÉÏ lÉSÏ-lÉÉsÉÉ sÉÇoÉÉåSU (aÉhÉåzÉ)
rÉjÉÉxÉÇpÉuÉ kÉlÉWûÏlÉ ÌmÉiÉÉÇoÉU mÉÇcÉuÉOûÏ SÉsÉ-UÉåOûÏ cÉ¢ümÉÉhÉÏ
mÉëÌiÉÌSlÉ UÉeÉmÉÑ§É xÉ®qÉï cÉÉæUÉWû ´É®É-pÉÌ£ü (MÚüwhÉ)
जिप्रताप चौमास देश-लिदेश ̧ÉlÉå§É (ÍzÉuÉ)
जिधारा
mÉëzlÉ ÌuÉkÉÉ:-
. 1)„cÉÉæqÉÉxÉ‟ ÌMüxÉ xÉqÉÉxÉ MüÉ ESÉWûUhÉ Wæû | 2017 AmÉëæsÉ
MüqÉïkÉÉUrÉ xÉqÉÉxÉ, ̲aÉÑ xÉqÉÉxÉ, ²Ç² xÉqÉÉxÉ, oÉWÒûuÉëÏÌWû xÉqÉÉxÉ
1) ÌlÉqlÉ qÉåÇ „²Ç² xÉqÉÉxÉ‟ MüÉ ESÉWûUhÉ Wæû | 2017 AÉæU 2018 AmÉëæsÉ
ÌlÉsÉMÇüPû,SåzÉmÉëåqÉ,mÉÇcÉuÉOûÏ, ÌSlÉ-UÉiÉ |
2) „SÉsÉ-UÉåOûÏ‟ zÉoS qÉåÇ xÉqÉÉxÉ Wæû | 2017 eÉÔlÉ
MüqÉïkÉÉUrÉ xÉqÉÉxÉ, ̲aÉÑ xÉqÉÉxÉ, ²Ç² xÉqÉÉxÉ, oÉWÒûuÉëÏÌWû xÉqÉÉxÉ
3) ÌlÉqlÉÍsÉÎZÉiÉ qÉåÇ xÉå „निगु समास MüÉ ESÉWûUhÉ Wæû | जून २०१९
राजधानी, दोपहर, श्राद्धा-भलि, भरपेट
4) “जिप्रताप” आस समास का ईदाहरण है २०१९ऄप्रैि
िंि, लिगु, बहुव्रीलह, तत्पुरुष
56
पत्र िेखन
व्यिहाठरक पत्र
िु ट्टी पत्र
प्रेषक ददनांक : 10-04-2023
ऄ.ब.क
सरकारी हाइस्कू ि मािगत्ती
तह: सुरपुर लजिा: यादलगरी
-585216
सेिा में ,
प्रधान ऄध्यापक
सरकारी हाइस्कू ि मािगत्ती
तह: सुरपुर लजिा: यादलगरी
-585216
अदरणीय महोदय
57 | P a g e
घरे िु पत्र
लपताजी को पत्र
शैलक्षत पयाटन के लिए लपता से 500 रू मााँगते हुए ईन्हे एक पत्र लिलखए
ददनांक: 10-04-2023
पूज्य लपताजी
सादर प्रणाम
अपके अशीिााद से मैं यहााँसहकु शि से हाँ । अपका पत्र पढकर ऄत्यंत खुशी हुइ ।
अपकी अज्ञानुसार मन िगाकर पढाइ कर रहा हाँ । अनेिािे परीक्षा में ज्यादा
ऄंकों के साथ ऄच्िी श्रेणी पाने की ईम्मीद है । हमारे स्कू ि में शैलक्षत यात्रा का
अयोजन दकया है, मुझे भी जाने की बडी आच्िा है । ऄतः अप मुझे ऄनुमती के साथ
मनी अडार िारा 500 रू भेजने की कृ पा करें ।
अपका पुत्र
ऄ.ब.क
सेिा में
58
ÌlÉoÉÇkÉ-sÉåZÉlÉ
AjÉï :- mÉrÉÉïuÉUhÉ zÉoS MüÉ AjÉï Wæû WûqÉÉUå cÉÉUÉåÇ AÉåU UWûlÉåuÉÉsÉÉ eÉæÌuÉMü iÉjÉÉ
AeÉæÌuÉMü bÉOûMüÉåÇ Måü xÉͳÉuÉåzÉ MüÉå mÉrÉÉïuÉUhÉ MüWûiÉå WæÇû | mÉrÉÉïuÉUhÉ qÉåÇ SÕwÉMü mÉSÉjÉÉåïÇ Måü
mÉëuÉåzÉ Måü MüÉUhÉ mÉëÉM×üÌiÉMü xÉÇiÉÑsÉlÉ qÉåÇ mÉæSÉ WûÉålÉåuÉÉsÉÏ ÎxjÉiÉÏ MüÉå WûÏ mÉrÉÉïuÉUhÉ mÉëSÕwÉhÉ
MüWûiÉå WæÇû |
mÉëSÕwÉhÉ Måü mÉëMüÉU:- mÉrÉÉïuÉUhÉ mÉëqÉÑZÉ iÉÏlÉ mÉëMüÉU Wæû, eÉæxÉå 1. uÉÉrÉÑ mÉëSÕwÉhÉ 2.eÉsÉ
mÉëSÕwÉhÉ 3. kuÉÌlÉ (zÉoS) mÉëSÕwÉhÉ |
mÉrÉÉïuÉUhÉ-mÉëSÕwÉhÉ Måü MüÉUhÉ :- mÉëSÕwÉhÉ MüÉ qÉÑZrÉ MüÉUhÉ oÉRûiÉÏ WÒûD eÉlÉxÉÇZrÉÉ Wæû
| eÉlÉxÉÇZrÉÉ MüÐ AÍkÉMüiÉÉ xÉå eÉlÉiÉÉ MüÐ qÉÉÇaÉ oÉRû UWûÏ Wæû | ClÉ qÉÉðaÉå mÉÔUÉ MüUlÉå Måü
ÍsÉL MüsÉ-MüUZÉÉlÉÉåÇ MüÐ xjÉÉmÉlÉÉ MüÐ eÉÉ UWûÏ Wæû | ClÉ MüÉUZÉÉlÉÉåÇ xÉå ÌlÉMüsÉlÉåuÉÉsÉåÇ
kÉÑAÉÆ, ÌuÉwÉæsÉÏ aÉæxÉ xÉå uÉÉrÉÑ mÉëSÕwÉhÉ WûÉå UWûÏ Wæû | sÉÉåaÉÉåÇ MüÐ ÌuÉuÉåcÉlÉÉÌWûlÉ
urÉuÉWûÉUÉåÇ xÉå zÉWûUÉå qÉåÇ MüDÇ mÉæÎYOíûrÉÉåÇ xÉå ÌlÉMüsÉlÉåuÉÉsÉÏ UÉxÉÉÌlÉMü irÉÉerÉ MüÉå eÉsÉqÉÔsÉÉåÇ
qÉåÇ NûÉåQûlÉå xÉå AÉæU SåWûÉiÉÉåÇ qÉåÇ A¥ÉÉlÉ Måü MüÉUhÉ eÉsÉ-mÉëSÕwÉhÉ WûÉå UWûÉ Wæû |
qÉÉåOûÉåUÉåÇ MüÐ, MüsÉ-MüÉUZÉÉlÉÉåÇ MüÐ pÉÉåÇmÉÉåÇ xÉå AÉæU zÉÑpÉMüÉrÉÉåï Måü xÉÇSpÉï qÉåÇ
sÉaÉÉD eÉÉlÉåuÉÉsÉÏ xÉÉæÇQû-ÍxÉxOûqÉ Måü MüÉUhÉ zÉoS mÉëSÕwÉhÉ WûÉå UWûÉ UWûÉ Wæû |
ÌlÉuÉÉUhÉ ;- qÉÉlÉuÉ eÉlÉ xÇÉZrÉÉ uÉÚ®Ï MüÉå UÉåMülÉÉ cÉÉÌWL,lÉÉaÉËUMüÉåÇ qÉåÇ mÉëSÕwÉhÉ Måü
MÑümÉëpÉÉuÉÉåÇ MüÉ ¥ÉÉlÉ MüUÉlÉÉ cÉÉÌWûL, AÍkÉMü-xÉå-AÍkÉMü uÉפÉUÉåmÉhÉ MüUlÉÉ cÉÉÌWûL,
bÉUåsÉÑ AÉæU MüÉUZÉÉlÉÉåÇ xÉå ÌlÉMüsÉå WÒûL AmÉÍzɹ mÉSÉjÉÉåï MüÉå lÉSÏ, lÉÉsÉÉå LuÉÇ iÉÉsÉÉoÉÉÇå
qÉåÇ lÉWûÏ QûÉsÉlÉÉ cÉÉÌWûL, sÉÉåaÉÉåÇ qÉåÇ kuÉÌlÉ mÉëSÕwÉhÉ xÉå WûÉå³Éå uÉÉsÉå UÉåaÉÉåÇ xÉå eÉÉlÉMüÉUÏ
MüUuÉÉMüU ElWåû eÉÉaÉÂMü MüUÉlÉÉ cÉÉÌWûL |
EmÉxÉÇWûÉU :- uÉiÉïqÉÉlÉ xÉqÉrÉ qÉåÇ mÉrÉÉïuÉUhÉ mÉëSÕwÉhÉ eÉlÉ-eÉÏuÉlÉ Måü ÍsÉL LMü aÉÇpÉÏU
xÉqÉxrÉÉ Wæû | CxÉÍsÉL AÉeÉ mÉrÉïuÉUhÉ MüÐ U¤ÉÉ WûU LMü lÉÉaÉËUMü MüÉ MüiÉïurÉ Wæû | WûU
LMü MüÉå mÉrÉÉïuÉUhÉ MüÐ U¤ÉÉ MüÉ qÉWûiuÉ xÉqÉfÉÉlÉÉ iÉjÉÉ rÉjÉxÉÉkrÉ mÉåQû-mÉÉækÉÉåÇ MüÉå
sÉaÉÉlÉå mÉëåËUiÉ MüUlÉÉ cÉÉÌWûL | iÉpÉÏ WûqÉ pÉÌuÉwrÉ qÉåÇ xÉÇpÉuÉ WûÉålÉå uÉÉsÉå pÉrÉÇMüU
59
59 | P a g e
2. eÉlÉxÉÇZrÉÉ uÉÚ®Ï / xÉqÉxrÉÉ (AjÉuÉÉ) oÉRûiÉÏ eÉlÉ xÉÇZrÉÉ
ÌuÉwÉrÉ mÉëuÉåzÉ:- pÉÉUiÉ SåzÉ MüÐ MüÉåD xÉoÉxÉå oÉQûÏ xÉqÉxrÉÉ Wæû iÉÉå uÉWû eÉlÉxÉÇZrÉÉ
MüÐ xÉqÉxrÉÉ Wæû | CxÉxÉå WûU xÉqÉxrÉÉ EimÉ³É WûÉå UWûÏ Wæû | ÌuÉµÉ qÉåÇ cÉÏlÉ Måü oÉÉS SÕxÉUå
lÉÇoÉU mÉU pÉÉUiÉ WûÏ Wæû | uÉiÉïqÉÉlÉ pÉÉUiÉ MüÐ eÉlÉxÉÇZrÉÉ sÉaÉpÉaÉ 136 MüUÉåQû Wæû |
eÉlÉxÉÇZrÉÉ uÉ×®Ï Måü MüÉUhÉ :- ÌuÉ¥ÉÉlÉ MüÐ E³ÉiÉÏ Måü xÉÉjÉ ÍcÉÌMüixÉÉ LuÉÇ
xuÉÉxjrÉ MüÐ xÉÑÌuÉkÉÉ Måü MüÉUhÉ eÉlqÉ sÉålÉåuÉÉsÉå ÍzÉzÉÑAÉåÇ MüÐ xÉÇZrÉÉ eÉÉSÉ AÉæU
qÉUlÉåuÉÉsÉÉåÇ MüÐ xÉÇZrÉÉ MüqÉ WÒûD Wæû | AÍzɤÉÉ AÉæU A¥ÉÉlÉ xÉå eÉlÉxÉÇZrÉÉ qÉåÇ uÉÚ®Ï WûÉå
UWûÏ Wæû | xÉUMüÉUÏ ÌlÉrÉqÉÉåÇ MüÉ EssÉÇbÉlÉ mÉËUuÉÉU ÌlÉrÉÉåeÉlÉ xÉå SÕU UWûlÉå MüÉ mÉëqÉÑZÉ
MüÉUhÉ Wæû |
mÉËUhÉÉqÉ:-SåzÉ MüÐ mÉëaÉiÉÏ ÂMü eÉÉiÉÉ Wæ, oÉåUÉåeÉaÉÉUÏ oÉRûiÉÏ Wæû, xÉUMüÉUÏ
rÉÉåeÉlÉÉLÆ ÌuÉTüsÉ WûÉå eÉÉiÉå WæÇû, qÉWÇûaÉÉD oÉRû eÉÉiÉÏ Wæû, AÉæU oÉRûiÉÏ eÉlÉxÉÇZrÉÉ xÉå
mÉrÉÉïuÉUhÉ mÉëSÕwÉhÉ WûÉå UWûÉû Wæû |
ÌlÉuÉÉUhÉ:- mÉËUuÉÉU qÉåÇ SÉå xÉå AÍkÉMü oÉŠÉåÇ uÉÉsÉå mÉËUuÉÉU MüÉå xÉUMüÉUÏ
xÉÑÌuÉkÉÉAÉåÇ xÉå uÉÇÍcÉiÉ MüU SålÉÉ cÉÉÌWûL | mÉËUuÉÉU ÌlÉrÉÉåeÉlÉ Måü EmÉÉrÉAÉåÇ mÉU xÉUMüÉU
MüÉå ÌuÉzÉåwÉ oÉsÉ SålÉÉ cÉÉÌWûL |
EmÉxÉÇWûÉU:- WûqÉÉUå SåzÉ MüÐ ÌuÉMüÉxÉ qÉåÇ eÉlÉxÉÇZrÉÉ MüÐ uÉ×ή LMü oÉWÒûiÉ oÉQûÏ
oÉÉkÉÉ Wæû | xÉÉjÉ WûÏ rÉÉiÉÉ-rÉÉiÉ, ÍzɤÉÉ, UÉåeÉaÉÉU AÉÌS ÌuÉÌuÉkÉ ¤Éå§ÉÉåÇ qÉåÇ eÉlÉxÉÇZrÉÉ MüÐ
uÉ×ή ÍxÉUSSï oÉlÉ aÉD Wæû |
60
3 . CÇOûUlÉåOû ¢üÉÇÌiÉ : sÉÉpÉ AÉæU WûÉlÉÏ
mÉëxiÉÉuÉlÉÉ;- AÉeÉ rÉÑaÉ CÇOûUlÉåOû MüÉ rÉÑaÉ Wæû | CÇOûUlÉåOû ÌuɵÉurÉÉmÉÏ MÇümrÉÔOû UÉåÇ MüÉ
AÇiÉeÉÉïsÉ Wæû | AÉkÉÑÌlÉMü xÉqÉrÉ qÉåÇ, mÉÔËU SÒÌlÉrÉÉ qÉåÇ CÇOûUlÉåOû LMü oÉWÒûiÉ WûÏ zÉÌ£üzÉÉsÉÏ
qÉÉkrÉqÉ Wæû | rÉWû LMü lÉåOûuÉMüÉåïÇ MüÉ eÉÉsÉ Wæû AÉæU MüD xÉÉUÏ xÉåuÉÉLÆ iÉjÉÉ xÉÇxÉÉkÉlÉÉÇå
MüÉ xÉqÉÔWû Wæû eÉÉå WûqÉåÇ MüD mÉëMüÉU sÉÉpÉ mÉWÒðûcÉÉiÉÉ Wæû |
sÉÉpÉ / uÉUSÉlÉ :- CÇOûUlÉåOû ²ÉUÉ mÉsÉ pÉU qÉåÇ MüÉåD pÉÏ ÌuÉcÉÉU WûÉå, ÎxjÉU ÍcÉ§É WûÉå,
uÉÏÌQûrÉÉå ÍcÉ§É WûÉå, SÒÌlÉrÉÉ Måü ÌMüxÉÏ pÉÏ MüÉålÉå qÉåÇ pÉåeÉ xÉMüiÉå Wæû | xÉÇcÉÉU uÉ xÉÔcÉlÉÉ
SÉålÉÉå ¤Éå§É qÉåÇ AÇiÉeÉÉïsÉ LMü qÉWûiuÉmÉÔhÉï AÇaÉ oÉlÉ aÉrÉÉ Wæû | CÇOûUlÉåOû ²ÉUÉ bÉU oÉæOåû-oÉæOåû
ZÉUÏSÉUÏ MüU xÉMüiÉå WæÇû | MüÉåD pÉÏ ÌoÉsÉ pÉU xÉMüiÉå WæÇû | CÇOûUlÉåOû -oÉæÇÌMÇüaÉ ²ÉUÉ SÒÌlÉrÉÉ
MüÐ ÌMüxÉÏ pÉÏ eÉaÉWû mÉU cÉÉWåû ÎeÉiÉlÉÏ pÉÏ UMüqÉ pÉåeÉÏ eÉÉ xÉMüiÉÏ WæÇû | uÉÏÌQûrÉÉå
MüÉlTüUålxÉ ²UÉ SåzÉ-ÌuÉSåzÉ qÉåÇ UWûlÉåuÉÉsÉå sÉÉåaÉÉåÇ Måü xÉÉjÉ ÌuÉcÉÉU_ÌuÉÌlÉqÉrÉ MüU xÉMüiÉå
WæÇû | ÍcÉÌMüixÉÉ, MÚüÌwÉ, AÇiÉËU¤É ¥ÉÉlÉ, ÌuÉ¥ÉÉlÉ,ÍzɤÉÉ AÉÌS ¤Éå§ÉÉå qÉåÇ CÇOûUlÉåOû MüÉ oÉWÒûiÉ
oÉQûÉ rÉÉåaÉSÉlÉ Wæû | CÇOûUlÉåOû xÉcÉqÉÑcÉ LMü uÉUSÉlÉ Wæû |
WûÉÌlÉrÉÉð / AÍpÉzÉÉmÉ :- CÇOûUlÉåOû LMü AÉåU uÉUSÉlÉ Wæû iÉÉå SÕxÉUÏ AÉåU uÉWû AÍpÉzÉÉmÉ
pÉÏ Wæû | CÇOûUlÉåOû MüÐ uÉeÉWû xÉå mÉæUxÉÏ, oÉæÇÌMÇüaÉ TëüÉQû, WæûÌMÇüaÉ AÉÌS oÉQû UWûÏ Wæû | qÉÑ£ü
uÉåoÉ xÉÉCOû, cÉæÌOÇûaÉ AÉÌS xÉå rÉÑuÉÉ mÉÏRûÏ WûÏ lÉWûÏ oÉŠå pÉÏ CÇOûUlÉåOû MüÐ MüoÉÇkÉ oÉÉðWûÉåÇ
Måü mÉÉzÉ qÉåÇ TðüxÉå WÒûL WæÇû | CxÉxÉå uÉ£ü MüÉ SÕÂmÉrÉÉåaÉ WûÉå ता Wæû, AÉæU oÉŠå AlÉÑmÉrÉÑ£ü
AÉæU AlÉÉuÉzrÉMü eÉÉlÉMüÉUÏ WûÉÍxÉsÉ MüU UWåû Wæû | CxÉÍsÉए WûqÉ sÉÉåaÉÉåÇ MüÉå CÇOûUlÉåOû xÉå
xÉcÉåiÉ UWûlÉÉ cÉÉÌWûL |
61 | P a g e
4. xÉqÉrÉ MüÉ xÉSÕmÉrÉÉåaÉ/ xÉqÉrÉ MüÉ qÉWûiuÉ /AlÉqÉÉåsÉ xÉqÉrÉ
ÌuÉwÉrÉ mÉëuÉåzÉ :-mÉëxiÉÉuÉlÉÉ :-xÉqÉrÉ oÉWÒûiÉ AlÉqÉÉåsÉ Wæû | ExÉMüÉ qÉWûiuÉ kÉlÉ xÉå
pÉÏ erÉÉSÉ Wæû | xÉqÉrÉ AÍkÉMü qÉWûiuÉmÉÔhÉï iÉjÉÉ EmÉrÉÉåaÉÏ WûÉåiÉÉ Wæû | xÉÇxÉÉU qÉåÇ MüÉåD pÉÏ
uÉxiÉÑ ÍqÉsÉ xÉMüiÉÏ Wæû, ÌMüliÉÑ ZÉÉårÉÉ WÒûAÉ xÉqÉrÉ ÌTüU lÉWûÏ sÉÉæOûiÉÉ | xÉqÉrÉ MüÉå eÉÉå
AmÉlÉÉ xÉŠÉ xÉÉjÉÏ oÉlÉÉ sÉåaÉÉ , uÉWû AmÉlÉå MüÉqÉ qÉåÇ xÉTüsÉ WûÉåaÉÉ |
xÉqÉrÉ MüÉ xÉSÕmÉrÉÉåaÉ / qÉWûiuÉ :- xÉqÉrÉ MüÉ xÉSÕmÉrÉÉåaÉ MüÉ iÉimÉrÉï Wæû ÌMü xÉWûÏ
xÉqÉrÉ mÉU xÉWûÏ MüÉqÉ MüUlÉÉ | ÌuÉkrÉÉjÉÏïrÉÉåÇ Måü eÉÏuÉlÉ qÉåÇ xÉqÉrÉ MüÉ qÉWûiuÉ AÉæU pÉÏ
AkÉÏMü Wæû | xÉqÉrÉ Måü xÉSÕmÉrÉÉåaÉ qÉåÇ WûÏ eÉÏuÉlÉ MüÐ xÉTüsÉiÉÉ MüÉ UWûzrÉ ÌlÉÌWûiÉ Wæû |
AmÉlÉå mÉëÌiÉÌSlÉ Måü MüÉrÉï MüÉå xÉqÉrÉ Måü ÌWûxÉÉoÉ xÉå ÌuÉpÉÉeÉlÉ MüU sÉålÉÉ cÉÉÌWûL | eÉæxÉå
AkrÉrÉlÉ, urÉÉrÉÉqÉ, xÉqÉÉeÉ xÉåuÉÉ, qÉlÉÉåUÇeÉlÉ, ZÉåsÉ-MÔüS, ÌOûuÉÏ AÉÌS | CxÉxÉå AlÉåMü
MüÉrÉï xÉTüsÉiÉÉ mÉÔuÉïMü MüU xÉMüiÉå Wæû | AiÉÈ WûqÉåÇ xÉqÉrÉ MüÉ xÉSÕmÉrÉÉåaÉ MüÐ AÉSiÉ
QûÉsÉlÉÏ cÉÉÌWûL | iÉpÉÏ WûqÉ AmÉlÉå sɤrÉ MüÉå mÉëÉmiÉ MüU xÉMüiÉå Wæû | WûqÉåÇ xÉqÉrÉ MüÉ
AÉSU MüUlÉÉ cÉÉÌWûL |
EmÉxÉÇWûÉU :- xÉqÉrÉ MüÉ mÉÌWûrÉÉ xÉSæuÉ cÉsÉiÉÉ UWûiÉÉ Wæû | CxÉÍsÉL xÉqÉrÉ Måü
xÉÉjÉ WûqÉ pÉÏ cÉsÉlÉÉ cÉÉÌWûL | aÉÑeÉUÉ WÒûAÉ uÉ£ü MüpÉÏ uÉÉmÉxÉ lÉWûÏ AÉiÉÉ | uÉÉxiÉuÉ qÉåÇ
xÉqÉrÉÉlÉÑxÉÉU AÉuÉzrÉMü iÉjÉÉ EÍcÉiÉ MüÉrÉÉåïÇ MüÉå xÉÇmÉ³É MüUlÉÉ WûÏ xÉqÉrÉ MüÉ xÉSÕmÉrÉÉåaÉ
Wæû | ZÉÉårÉÉ WÒûAÉ xÉqÉrÉ oÉÉU oÉÉU lÉWûÏ AÉiÉÉ CxÉÍsÉL xÉqÉrÉ AlÉqÉÉåsÉ U¦É Wæû |
62
5.qÉåUÉ MülÉÉïOûMü qÉWûÉlÉ / MülÉÉïOûMü MüÉ uÉæpÉuÉ
April-2020
ÌuÉwÉrÉ mÉëuÉåzÉ :- MülÉÉïOûMü pÉÉUiÉ MüÉ dOûÉ xÉoÉxÉå oÉQûÉ UÉerÉ Wæû, ÎeÉxÉMüÐ UÉeÉkÉÉlÉÏ oÉåÇaÉsÉÑU
Wæû | CxÉ UÉerÉ MüÐ UÉerÉ pÉÉwÉÉ Mü³ÉQû Wæû | MülÉÉïOûMü MüÐ xjÉÉmÉlÉÉ 01 lÉuÉqoÉU 1956 MüÉå WÒûD jÉÏ |
CxÉ UÉerÉ qÉåÇ ÎeÉsÉÉåÇ MüÐ xÉÇZrÉÉ 30 WæÇû, AÉæU rÉWûÉð MüÐ AÉoÉÉSÏ/eÉlÉxÉÇZrÉÉ sÉaÉpÉaÉ NûÈ MüUÉåQû,
xÉɤÉUiÉÉ SU 75.36% Wæû | rɤÉaÉÉlÉ, MülÉÉïOûMü MüÐ mÉÉUÇmÉËUMü MüsÉÉ Wæû |
mÉëÉM×üÌiÉMü xuÉÂmÉ :- MülÉÉïOûMü MüÐ mÉëÉकृÌiÉMü xÉÑwÉqÉÉ lÉrÉlÉ qÉlÉÉåWûU Wæû | mÉͶÉqÉ qÉåÇ ÌuÉzÉÉsÉ
AUoÉÏ xÉqÉÑSì sÉWûUÉiÉÉ Wæû| UÉerÉ Måü iÉÏlÉ mÉëqÉÑZÉ pÉÉæaÉÉåÍsÉMü ¤Éå§É Wæû, ClÉqÉåÇ oÉrÉsÉÑxÉÏqÉå, MüUÉuÉsÉÏ
AÉæU qÉsÉålÉÉQÒû mÉëSåzÉ Wæû| CxÉ mÉëSåzÉ qÉåÇ SͤÉhÉ xÉå E¨ÉU Måü NûÉåU iÉMü TæüsÉÏ sÉÇoÉÏ mÉuÉïiqÉÉsÉÉAÉåÇ MüÉå
mÉͶÉqÉÏ bÉÉOû MüWûiÉå WæûÇ | ClWûÏ bÉÉOûÉåÇ MüÉ MÑüNû pÉÉaÉ xɽÉSìÏ MüWûsÉÉiÉÉ Wæû | SͤÉhÉ qÉåÇ lÉÏsÉÌaÉUÏ
mÉuÉïiÉÉuÉÍsÉrÉÉð zÉÉåpÉÉrÉqÉÉlÉ Wæû |
ÌuÉzÉåwÉiÉÉ :- MülÉÉïOûMü UÉerÉ Måü ÍxÉÍsÉMüÉlÉ ÍxÉOûÏ oÉåÇaÉsÉÔ ÍzɤÉÉ MüÉ WûÏ lÉWûÏ, oÉQåû -oÉQåû
E±ÉåaÉ-kÉÇkÉÉåÇ MüÉ pÉÏ MåÇüSì Wæû | rÉWûÉð xÉÉålÉÉ, iÉÉðoÉÉ, sÉÉåWûÉ AÉÌS MüD mÉëMüÉU MüÐ kÉÉiÉÑLÆ ÍqÉsÉiÉÏ Wæû |
MüÉaÉeÉ, sÉÉåWåû, CxmÉÉiÉ, cÉÏlÉÏ, ÍxÉqÉåÇOû AÉæU UåzÉqÉ EimÉÉSlÉ Måü AlÉåMü MüÉUZÉÉlÉå Wæû|
MülÉÉïOûMü qÉåÇ MüÉuÉåUÏ, iÉÑÇaÉpÉSìÉ, M×üwhÉÉ, pÉÏqÉÉ AÉÌS AlÉåMü lÉÌSrÉÉð oÉWûiÉÏ Wæû | eÉÉåaÉ, AooÉÏ,
aÉÉåMüÉMü, ÍzÉuÉlÉxÉqÉÑSì AÉÌS eÉsÉmÉëiÉÉmÉ qÉlÉqÉÉåWûMü Wæû |
MülÉÉïOûMü Måü AlÉåMü xÉÌWûirÉMüÉUÉåÇ lÉå xÉÉUå xÉÇxÉÉU qÉåÇ MülÉÉïOûMü MüÐ ÌMüÌiÉï TæüsÉÉrÉÏ Wæû |
oÉxÉuÉhhÉÉ, xÉuÉïeÉ, mÉÑUÇSUSÉxÉ, mÉÇmÉÉ, MÑüuÉåÇmÉÑ AÉÌS lÉå qÉWûÉlÉ MüÉurÉÉåÇ MüÐ UcÉlÉÉ MüU Mü³ÉQû xÉÉÌWûirÉ
MüÉå xÉqÉÚ® oÉlÉÉrÉÉ Wæû |
EmÉxÉÇWûÉU :- MülÉÉïOûMü WûqÉÉUÏ eÉlqÉ pÉÔÍqÉ Wæû | rÉWûÉð MüÐ mÉëÉMÚüÌiÉMü xÉÑwÉqÉÉ, xÉÉÌWûÎirÉMü uÉæpÉuÉ AÉæU
¥ÉÉlÉ-ÌuÉ¥ÉÉlÉ ¤Éå§É MüÐ mÉëaÉÌiÉ AmÉÉU Wæû | SåzÉ-ÌuÉSåzÉ Måü sÉÉåaÉ rÉWûÉð MüÐ iÉMülÉÏMüÐ Måü ÌuÉMüÉxÉ MüÐ
qÉÑ£üMÇüPû xÉå mÉëzÉÇxÉÉ MüUiÉå WæÇû | ( ऄप्रैि-2018 )
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