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ब्राऊन लिफ

आदिती िेवधर, संस्थापक, ‘ब्राऊन िीफ’, पुणे

ई-मेि: pune.brownleaf@gmail.com

'भारत में एक भी सूखा पत्ता नहीं जिाया जाना चादहए' इस लक्ष्य के साथ,
अदिती ने फरवरी 2016 में ब्राउन लीफ की स्थापना की। उनकी यात्रा, जो कई सवालों के साथ शरू
ु हईु
थी, अब समान ववचारधारा वाले लोगों को अपने साथ जवाबों का खजाना
पेश करती है।

शहरी पररवेश में शहरी सड़कों की सफाई ’करते हुए पेड़ों की गगरी हुई
पवियों को एकत्र करके जलाया जाना एक आम दृश्य है। यह पवियों
से पोषक तत्वों को फफर से ममट्टी में ममलाने से रोकता है, उन्हें नष्ट
करता है और हाननकारक गैसों को हवा में छोड़ता है। ये गैसें न के वल
वायु को प्रिवू षत करती हैं बल्कक ववमिन्न श्वसन रोगों का कारण िी BROWN LEAF

बनती हैं।

अपने
घर से शूरु करते, अदिती ने अपनी सोसायटी में पिे णं जलाये, सीरफ ऊनको इकठ्ठा कर के
रखने का सूझाव िइया । जैसा फक प्रश्न कुछ हि तक सुलझाना प्रतीत होता है, पवियों का ढेर
एक अलग समस्या के साथ आया था, और यह महसूस फकया गया था फक "यह के वल यह
कहने के मलए पयााप्त नहीं है फक पवियों को जलाएं नहीं , ववककप िेने की आवश्यकता है" ।
फफर अदिनत ने व्हाट्सएप पर पूछना शुरू फकया, "क्या फकसी को ये पिे चादहए?" यह िेख कर,
शहर में रहने वाली और तीन घरों में िोजन करने के मलए पयााप्त सल्जजयां उगाने वाली सज
ु ाता
नाफड़े ने अदिनत को संिेश िेजा फक वह इन सिी पवियों का उपयोग एक कर सकती हैं जो
तो अदिती ने 5-6 बैग में सारे पिे िर दिए और सज
ु ाता ने उसे अगले ही दिन ले मलया!
समस्या तुरंत हल हो गई!

ल्जसे एक ओर "बेकार" माना जाता था, उसीका िूसरी ओर "उपयोग" फकया जा रहा था। फफर अदिनत ल्जज्ञासावश
सूखे पिों का उपयोग िेखने के मलए सुजाता के बगीचे में गई। सुजाता ने पररश्रम से बगीचा तय्यार फकया है।
जहा ममट्टी बबलकूल उपलजध नाही थी, वहा सुजाताने सुखे पवियों का खाि तय्यार कर के, पररश्रम से बगीचा
तय्यार फकया है। इसके मलए बड़ी संख्या में सूखे पिों की आवश्यकता होती है।

इस प्रकार यह पता चला फक शहर में सल्ज़ियााँ उगाने वाले , ल्जनके पास छत पर बगीचा है, वे 'सूखे पिे' चाहते हैं।
लोगों के िो समह
ू थे: "सख
ू े पिे जमा हए
ु हैं, वे नहीं चाहते हैं" और "सख
ू े पिे चाहते हैं"। अदिती ने िोनों के बीच
की कड़ी बनने का फैसला फकया और "ब्राउन लीफ" की शुरुआत हुई।

फफर अदिती ने इसके मलए एक वेबसाइट, एक फेसबक


ु पेज, एक व्हाट्सएप ग्रप
ु बनाया। पवियों के आिान-प्रिान
की सुववधा के मलए यह ऑनलाइन मंच उपलजध कराया गया है। व्हाट्सएप ग्रुप पर िो तरह के लोग हैं - 'लीफ
डोनसा ' और 'लीफ टेकसा'। पवियों वाले लोग ऊनके पास फकतनी पविया है, ऐसा संिेश ग्रप
ु पे िेजते है, और
ल्जन लोगों को पविया चादहये वे उनसे पिे ले जाते है। 600 लोगों के इस समूह ने अब तक 50, 000 से अगधक
बैग पवियों को जलने से बचाया है।

ब्राऊन मलफ में, पवियों की योजना 3 तरीकों से की जाती है –

1. मकच
2. खाि बनाना
3. िान करना

इस सबका मुख्य उद्िेश्य 'सूखे पिे एक संसाधन हैं, बेकार नही है' यह अवधारणा प्रस्थावपत करना है। लोगों
को जोड़ने से ववचारों और ववचारों का आिान-प्रिान होता है, साथ ही िूसरों से प्रेरणा ममलती है। जो लोग केवल
पवियां िेते थे, वे अब पिों का उपयोग अपनी खाि, सल्जजयां उगाने के मलए करते हैं। वे सिी वास्तववक अनुिवों
से, एक िूसरे के प्रयोगों से सीखते हैं। कम समय में , सरल तरीके ववकमसत फकए गए हैं फक कैसे कम जगह में
सख
ू े पिों को कूट कर खाि बनाया जाए, बगीचे में ममट्टी बनाने के मलए इसका उपयोग कैसे फकया जाए

सूखे पत्तों की खाि बनाने के लिए सरि लसतारा संरचना और तैयार खाि
सब्जजयों को सूखे पत्तों पर पकाया जाता है

ब्राउन लीफ का काम पुणे के अन्य लोगों तक पहुंचने लगा। अदिनत ने ब्राउन लीफ सिस्यों की मिि से ववमिन्न
स्तरों जैसे स्कूल, संस्थानों, आवास पररसरों में सूखे पिों का उपयोग करने का तरीका बताया। ममलेननयम स्कूल
ने कैं टीन के गीले कचरे और सुखे पवियों का उपयोग करके एक सजजी और बाग का ननमााण फकया है। यह एक
पड़ोसी संगठन के याडा से पवियों का उपयोग करने का सुझाव दिया गया था और 20 टन पवियों का उपयोग
फकया गया था। इस मल्कचंग ने बगीचे के पानी की खपत को 80% तक कम कर दिया।

पुणे में वसुंधरा अमियान, वसुंधरा स्वच्छ अमियान जैसी पहाडड़यों पर पेड लगाने का काम करने वाले संस्था सख
ु े
पिे मकच के लीये इस्तमाल करते है । मकच के बजह से ममट्टी मे नमी बनी रहती है और पौधे के बचने की
संिावना बढ़ जाती है। सोसायटी से पवियों के ट्रक लोड पहाड़ी पर आते हैं।

अदिती पण
ु े के बाहर ब्राउन लीफ के इस मॉडल को िोहराना चाहती है। अन्य शहरों के कई लोगों से संपका फकया
गया है और काम चल रहा है।

नए लोगों को सगू चत करने के मलए वेबसाइट पर सरल गाइड लेख हैं , उनकी यात्रा कैसे शरू
ु करें, इस पर गाइडबक
ु ,
वीडडयो, ऑनलाइन पाठ्यक्रम हैं। लोगों का मागािशान करने के मलए अब तक 40 व्याख्यान दिए गए हैं। इनमें
एफटीआईआई, रूपा राहल
ु बजाज सेंटर फॉर एनवायरनमेंट एंड आट्ास, एम्प्प्रेस गाडान, कतरास डेयरी, हाउमसंग
सोसायटी शाममल हैं। ववशेष रूप से, अदिती को आई. आई.टी, पवई में मदहला दिवस के अवसर पर ब्राउन लीफ
के बारे में जानकारी िेने के मलए आमंबत्रत फकया गया था।

अदिती एक और पायलट प्रोजेक्ट करने की योजना बना रही हैं। प्रारंि में , अदितीने, महानगरपामलका के कमाचाररयों
की मिि से, अपनी गली से सारे पिे एकत्र फकए और ऊनको में खाि बनाया। उसी पररयोजना को अब एक स्थायी
मॉडल के रूप में ववकमसत फकया जा रहा है।

ब्राउन िीफ की यात्रा कुछ इस प्रकार है

16 फरवरी, 2016 ब्राउन लीफ की शुरुआत में, यह संककपना लोगोणपत्क पोहोचाना, “ल्जन लोगों
के पास पिे है" और "ल्जनको पिे चादहये", ये िोनो प्रकार के लोगों तक
पहंच
ु ना, यह उद्दिष्ट थे।

प्रारंि में, अदिती को “ल्जन लोगों के पास पिे है" और "ल्जनको पिे चादहये"
संपका करते थे और फफर अदिती ऊन िोनो के बीच संवाि कराती थी।
२०१७ उन्होंने ववमिन्न स्थानों पर प्रस्तनु तयां िेनी शरू
ु कर िीं फक सख
ू े पिे क्यों नहीं
जलाए और पयाावरण के अनुकूल तरीके से उनका उपयोग कैसे फकया जाए।
पयाावरण के अनुकूल तरीके से पवियों का उपयोग करने वाले लोगों के बगीचे
/ पररयोजना के मलए डेमो िौरे का आयोजन फकया। ताफक लोग इसे पहले हाथ
से िेख सकें, प्रेरणा और मागािशान प्राप्त कर सकें।
whatsapp को सुखे पतों के आिान-प्रिान के मलए माध्यम के रूप में चुना
गया और संवाि बहुत आसान हो गया।
२०१८ ब्राउन लीफ की शरु
ु आत में एक साधारण वेबसाइट थी।
इस साल www.brownleaf.org लॉन्च फकया और जलॉग के माध्यम से िेश
िर के लोगों तक यह संककपना पहुाँचना शुरू हुई।
कई लोगों ने फेसबुक के माध्यम से िी संपका करना शुरू कर दिया।
२०१९ लोगों ने सख
ु े पवियों का व्यल्क्तगत प्रबंधन से संगठन / समाज स्तर तक
मागािशान और संपका करना शुरू कर दिया।
कई शहरों के लोगोने संपका शुरू फकया। उन्हें अपने शहर में ब्राउन लीफ जैसी
अवधारणा शुरू करने के मलए प्रोत्सादहत फकया गया।
सिस्यसंख्या 500 से अगधक हो गई। ब्राउन लीफ फोरम केवल सूखे पिों के
आिान-प्रिान के मलए एक मंच नहीं रहा, यह सलाह, मागािशान, प्रोत्साहन, मिि
और रोपाई के आिान-प्रिान के मलए एक समुिाय बन गया।
२०२० अब सिस्यों की संख्या 600 से अगधक हो गई है।
ब्राउन लीफ अब सिस्यों को व्यल्क्त से सामाल्जक स्तर तक अपने अनुिव
और ज्ञान का उपयोग करने के मलए प्रोत्सादहत कर रहा है।
ब्राउन लीफ उन्हें अपने अनि
ु वों को साझा करने के मलए वेबसाइट पर जलॉग
मलखने के मलए प्रोत्सादहत कर रहा है।
मैं चाहती हूं फक लोग अपने आसपास की पररयोजनाएं करें, समान ववचारधारा
वाले लोगों को साथ लाएं।

ब्राऊन िीफके बारे में जािा जानकारी के लिए,

वेबसाईट : https://brownleaf.org/

फेसबुक: https://www.facebook.com/BrownLeafPune/

सूखे पिों के प्रबंधन के मलए गाइड यहा डाऊनलोड कर संकटे है,


https://brownleaf.org/how-can-we-help-4/

वाळिेल्या पानांच े व्यवस्थापन प्रकल्प

आज, १८ डडसेंबर २०२०, "हज


ु रू पागा" शाळे त वाळलेकया पानांचे व्यवस्थापन प्रककप सरू
ु झाला.
उत्साही मख्
ु याध्यावपका आणण त्यांना साथ िेणारी त्यांची तेवढीच उत्साही टीम असकयावर मग
काय अशक्य आहे.
शाळे च्या आवारात बरीच मोठी, जुनी झाडं आहेत. गळलेली पानं जाळली अथवा कचऱ्यात टाकली
जाऊ नयेत, आणण त्यांचे आवारातच व्यवस्थापन व्हावे ह्या उद्िेशाने ह्या प्रककपाला सुरुवात
केली.
फकती, सेजल, मी शाळे ला िेट दिली, वप्रया मॅडम बरोबर चचाा करून योग्य जागा ननवडली आणण
आज पदहला composter तयार केला.
ज्या मावशी हे सगळं रोज सांिाळणार आहेत, त्यांना प्रफक्रया समजावून सांगगतली.
मुख्य म्प्हणजे, हे खत तयार करायला जे मित करणार आहेत त्या मितनीसांशी सगळयांची
ओळख करून दिली. सैननक माशीच्या अळया, रानटी झुर ळं इ.
बहत
ु ेक वेळा हे कीटक दिसले की लोक घाबरतात, आणण प्रककप धोक्यात येतो, असा आमचा
अनुिव आहे. त्यामुळे कुठली कुठले कीटक नतथे दिसतील ह्या िाखवण्याकररता, माझ्याकडचे
compost मुद्िाम घेऊन गेले होते. त्यांची ह्या प्रफक्रयेतली िूममका फकती महत्वाची आहे हे कळलं
की आपोआप त्यांच्याकडे बघण्याचा दृल्ष्टकोन बिलतो.
शाळा सुरू झाली, की ववद्यागथानींच्या मितीने, हे पानांचे खत वापरून, शाळे च्या गच्चीवर बाग
फुलवयाची असं स्वप्न आहे.
Start small, assess and then scale up, अशा पद्धतीने पढ
ु े जायचं.

Dry Leaf Management Project at Hujurpaga school Pune.


When we have an incredibly determined principal and her equally enthusiastic staff, what is
impossible. Priya madam decided not single dry leaf would be burnt or thrown out from her
campus. Kirti, Sejal, I surveyed the campus and today first composter was set up.

An informal chat with the staff who would be managing the project is vital for project success.
We introduced them to their "helpers", the compost insects. Sight of these helpful, but not
that attractive creatures is what scares off people. And many projects fail t this stage. Hence,
providing an idea of what to expect is necessary.
Going ahead, with the help of students, a terrace garden would be developed on this
compost.
Start small, assess, and scale up, is the strategy.

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