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श्रील प्रभुपाद के पुस्तक वितरण के 42 तरीके
श्रील प्रभुपाद के पुस्तक वितरण के 42 तरीके
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sä devaké sarva-jagan-niväsa-
niväsa-bhütä nitaräà na reje
bhojendra-gehe 'gni-çikheva ruddhä
sarasvaté jïäna-khale yathä saté
तब दे वक ने सम त कारण के कारण, सम ा ड के आधार भगवान् को अपने
भीतर रखा क तु कं स के घर के भीतर ब द होने से वे कसी पा क द वाल से
ढक ई अ न क लपट क तरह या उस क तरह थ जो अपने ान को
जनसमुदाय के लाभ हेतु वत रत नह करता।
ता पय
इस ोक म ान-खल श द अ य त मह वपूण है। ान तो वतरण के लए होता है। य प पहले से ही पया त
ान है क तु जब भी व ा नय या दाश नक को कोई नया ान सूझता है, तो वे उसे व भर म वत रत कर
दे ना चाहते ह अ यथा वह ान मश: सूख जाता है और उससे कोई भी लाभ नह उठा पाता। भारत के
पास भगव ता का ान है क तु भा यवश कसी न कसी कारणवश इस द भगवद् ान का व भर म
वतरण नह हो पाया य प यह सारे मानव समाज के न म है। इसी लए कृ ण वयं ी चैत य महा भु के
प म कट ए और उ ह ने सारे भारतीय को आदे श दया क वे भगव ता के ान का सारे व म वतरण
करने का भार अपने हाथ म ल। (चैत यच रतामृत म य ७.१२८)
यारे दे ख, तारे कह ‘कृ ण’-उपदे श।
आमार आ ाय गु हञा तार एइ दे श ॥
“भगव ता तथा ीम ागवत म दये गये भगवान् ीकृ ण के आदे श का पालन करने के लए हर एक को
उपदे श दो। इस तरह आ या मक गु बनकर इस दे श के हर को मु करने का यास करो।”
य प भारत के पास भगव ता का द ान है क तु भारतीय ने इसे वत रत करने का
अपना कत नह नभाया। इसी लए अब इस ान को यथा प म बना कसी वकार के
वत रत करने के लए कृ णभावनामृत आ दोलन क ापना क गई है। य प इससे पूव भी
भगव ता के ान का वतरण करने के यास ए ह क तु इन यास म वकृ त तथा संसारी
ान से समझौता कया जाता रहा है। ले कन अब कृ णभावनामृत आ दोलन भगव ता
यथा प का वतरण कर रहा है और लोग इस ान का लाभ उठाकर कृ णभावनामृत क ओर
जग रहे ह और कृ ण के भ बन रहे ह। इस तरह ान के समु चत वतरण के शुभार से न
के वल सारा व लाभा वत होगा अ पतु मानव समाज म भारत क क त बढ़े गी।
कं स ने कृ णभावनामृत को अपने घर के भीतर (भोजे गृहे ) ब द बनाने
का यास कया जसका प रणाम यह आ क वह अपने सारे ऐ य
समेत न हो गया। इसी तरह रा ही भारतीय नेता ारा भगव ता के
असली ान का गला घ टा जा रहा था और प रणाम व प भारतीय
सं कृ त तथा भगवद् ान न हो रहा था। क तु अब कृ णभावनामृत के
सार के साथ ही भगव ता का सही उपयोग होने लगा है।
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ील भुपाद के पु तक वतरण के 42 तरीके
1. अपने पस या झोले म हमेशा एक छोट कताब रख। इस तरह जब कसी से
कभी कृ ण के बारे म बातचीत हो तब आप कताब नकाल कर दखा सकते ह
चाहे सफ उ ह एक च दखाने के लए ही ।
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