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पाठ -14

शीषक -शगान
पु तक- नई आशाएंँ
पाठ क वतमान ासं गकता- बँटाई पर खेती हमारे दे श म युग से होती आई है । कसान ज़म दार के खेत को अपना समझ
कर अपना खून -पसीना उस म के लए एक कर दे ते ह और जब उ ह उस म से अलग करने का यास कया जाता है तो
यह त उसके लए ब त खद हो जाती है।
श दाथ
1. रोपना -जमाना ,लगाना

2. धाना-उलटना
3. पड ना छोड़ना -पीछा ना छोड़ना

4. इजा़रा -ठे का ,प ा
5.मुकरर - न त , नयत
तदश
-1 गांँव के लोग ने शगान से ज़मीन छु ड़वाने के लए या- या तक दए ?
उ र -गाँव के लोग ने शगान से ज़मीन छु ड़वाने के लए कई तक दए जैसे आप साल म एक बार आते ह, आपको गांँव क
हक कत का कु छ भी पता नह है । बूढ़ा कसान आपको इजा़रे के नाम पर आ खर कु छ दे ता भी है या नह । तो कसी ने कहा
क हम आपक ज़मीन के लए ने इजा़रे पर कसी और कसान को रखवा दगे ।एक कसान ने तो यहांँ तक कह दया क
सारा इंतजाम हम आपके लए कर दगे अब आप दे ख ली जए क आपको गांवँ वाल के साथ मलकर रहना है या नह ।
- 2 शगान ने यह कै से समझ लया क लेखक उससे ज़मीन छु ड़ाना चाहते ह ?
उ र -लेखक ने जब शगान से कहा क तु हारी तो अब उ बीत चली है । खेती - बाड़ी का काम तुमसे भला अब या होगा ?
शगान यह बात सुनकर समझ गया क लेखक उससे जमीन छु ड़ाना चाहते ह ।
- 3 भारी दबाव के बावजूद लेखक ने शगान से जमीन य नह ली ?
उ र - भारी दबाव के बावजूद भी लेखक ने शगान से जमीन नह ली । य क लेखक को यह समझ आ गया था क कसान
जीवन भर जस ज़मीन को अपने खून- पसीने से स चता है ,उसक दे खभाल करता है, उस पर अ उपजाता है। उसे उस
ज़मीन से अलग करना उसे जीते -जी मारने के समान होता है।
व लेखन
-1 खेत स चते ए ढकु ली के गीत बुलंद आवाज म गाने से शगान के मन का कौन- सा भाव कट होता है?
-2 ज़मीन क उपजाऊ श बढ़ाने के लए शगान या करना चाहता था ?
बौ क
-1 वतमान समय म पैसा और आपसी संबध
ं म से या यादा आव यक है और य ?
-2 शगान के व क वशेषताएंँ ल खए।

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