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कुलगुरु की लेखनी से .....


स्वतं त्रता के अमृत महोत्सव के की नई पीढ़ी अपने अतीत के
पावन छाँ व में हम सभी को प्रति अधिक श्रद्धावान हो रही
यह अवसर मिला है कि हम है। वह वर्तमान से निर्भीकता
मातृभूमि पर सर्वस्व उत्सर्ग पूर्वक आँ खें मिलाती है और
करने वाले पूर्व पुरुषों को दूर तक अपने भविष्य के
सामूहिक प्रणाम कर सकें। यह प्रश्नों को सं बोधित करती है।
भारत के अमृत महोत्सव की स्वतं त्रता के अमृत महोत्सव
विशिष्टता ही है जिसने हमारे की ये पावन स्मृतियाँ हम सभी
छात्र-छात्राओं में राष्ट् रीय चेतना के मन- मस्तिष्क को इसी
के विस्तार को सशक्त किया प्रकार आलोकित करती रहें।
है एवं एक गौरवान्वित राष्ट् रीय महात्मा गाँ धी केन्द्रीय
अनुभूति प्रदान की है। सम्पूर्ण विश्वविद्यालय का शैक्षणिक
भारत में स्वाधीनता आं दोलन परिवार इस महत्त्वपूर्ण अवसर
और उसके अलक्षित नायकों को पर आधुनिक भारत के
जानने का एक अद्त
भु उत्साह निर्माण-यज्ञ में छोटी से छोटी
प्रो. संजीव कुमार शर्मा
दिखाई पड़ता है। नई ऊर्जा आहुती दे ने वाले सभी पुण्य माननीय कुलपति
और विश्वास से सं युक्त भारत आत्माओं को नमन करता है।

अटल जी की जन्म जयंती पर चित्र प्रदर्शनी आयोजित

डॉ विश्वेश वाग्मी को यूपी संस्कृत संस्थान द्वारा भारत के पूर्व प्रधानमं त्री, प्रख्यात जनसं पर्क अधिकारी शेफालिका मिश्रा एवं साथ उनकी पूरी जीवन यात्रा को कु छ
विविध शास्त्र पुरस्कार साहित्यकार, कवि हृदय, चिंतक ,
आलोचक एवं अजातशत्रु राजनेता श्री
पुस्तकालय विज्ञान के सहायक आचार्य
डॉ. भावनाथ पांडे ने सं युक्त रूप से किया । 
प्रमुख कविताओं एवं चित्रों के माध्यम से
रेखांकित किया गया। डॉ. रमण ने कहा
सं स्कृत विभाग में सहायक आचार्य राजेन्द्र सिंह, सं स्कृत विभाग के अटल बिहारी वाजपेयी जी की जन्म जयं ती चित्र प्रदर्शनी का लोकार्पण करते हुए कि माननीय कु लपति जी के प्रेरणा से इस
डॉ विश्वेश वाग्मी को उत्तर प्रदे श अध्यक्ष प्रो. प्रसून दत्त सिंह सहित का आयोजन विश्वविद्यालय में किया गया मुख्य अतिथि प्रो. राजीव कु मार ने कहा चित्र प्रदर्शनी का आयोजन करना सं भव
सं स्कृत सं स्थान द्वारा विविध । कु लपति प्रो. सं जीव कु मार शर्मा की कि अटल जी के व्यक्तित्व और कृ तित्व हो सका और इसमें मीडिया अध्ययन के
विश्वविद्यालय के समस्त आचार्यों, प्रेरणा, मार्गदर्शन एवं सं रक्षण में सं पन्न को रेखांकित करते हुए इस तरह की
शास्त्र पुरस्कार से सम्मानित किया विद्यार्थियों की सक्रिय भागीदारी रही।
अधिकारियों, शोधार्थियों एवं इस आयोजन के अंतर्गत विश्वविद्यालय चित्र प्रदर्शनी का आयोजन किया जाना कार्यक्रम के दौरान विश्वविद्यालय की
गया। डॉ वाग्मी को सं स्कृत की के अटल बिहारी वाजपेयी पुस्तकालय विश्वविद्यालय के लिए सुखद है , और
प्राचीन पांडुलिपियों पर लिखी विद्यार्थियों ने उन्हे बधाई दी। जनसं पर्क अधिकारी शेफालिका मिश्रा,
में अटल जी एवं महामना मदनमोहन इसके माध्यम से हमारे विद्यार्थियों
ज्ञातव्य है की डॉ विश्वेश वाग्मी पुस्तकालय प्रभारी डॉ. भवनाथ पांडे,
गई रचना के आधार पर उत्तर मालवीय की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित को अटल जी के जीवन के विभिन्न
अटल बिहारी कें द्रीय पुस्तकालय के
प्रदे श सरकार ने इस प्रतिष्ठित अपने लेखन और व्याख्यानों के की गई । इस हेतु प्रति कु लपति प्रो. जी. पक्षों को जानने का अवसर मिलेगा ।
रोबिन बालियान समेत विश्वविद्यालय
पुरस्कार से सम्मानित किया है। माध्यम से भारतीय ज्ञान परं परा गोपाल रेड्डी का सान्निध्य एवं शुभकामनाएं कार्यक्रम सं योजक डॉ. साके त रमण ने
भी प्राप्त हुई। विश्वविद्यालय के महात्मा चित्र प्रदर्शनी की योजना के बारे में बताया के विभिन्न विभागों के शिक्षक एवं
इस अवसर पर कुलपति प्रो. एवं सं स्कृति के प्रचार प्रसार शोधार्थी तथा विद्यार्थी मौजूद थे ।
बुद्ध परिसर स्थित बृहस्पति सभागार कि इस चित्र प्रदर्शनी के माध्यम से अटल
सं जीव कुमार शर्मा ने डॉ. वाग्मी में सतत अपना योगदान दे रहे आयोजन समिति के सक्रिय विद्यार्थी
में अटल जी के जीवन, व्यक्तित्व एवं जी को एक कवि, राजनेता, ओजस्वी
को आशीर्वाद दे ते हुए उनके हैं। गणमान्य व्यक्तियों ने भी कृ तित्व को रेखांकित करती हुई एक चित्र वक्ता, प्रधानमं त्री, विश्व नेता के रूप में सदस्यों में मीडिया अध्ययन विभाग के
उज्जवल भविष्य की कामना की। प्रदर्शनी का भी आयोजन किया गया। चित्रांकित किया गया। मुख्य थीम अटल शशिरं जन मिश्रा, जाह्नवी शेखर, शिवानी
इस अवसर पर डॉ विश्वेश की
इस उपलब्धि पर कुलसचिव प्रो. चित्र प्रदर्शनी का उद्घाटन विश्वविद्यालय जी की सं सदीय यात्रा, कवि के रूप में सिंह, सोनाली सिंह, रोशनी मिश्रा,
साहित्य साधना की प्रशं सा करते
राजीव कुमार, मानविकी एवं के कु लसचिव प्रो. राजीव कु मार, चित्र अटल जी की काव्य धारा, विदे श दौरों एवं विकाश कु मार, आशीष कु मार, राहुल
भाषा सं काय के अध्यक्ष प्रो. हुए उन्हें अनेक बधाइयां दी। प्रदर्शनी के सं योजक डॉ. साके त रमण, प्रधानमं त्री के रूप में अटल जी के साथ- कु मार व आकाश राज शामिल रहें।
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अटल जी भारतीय राजनीति में त्याग और सादगी
की प्रतिमूर्ति थे : प्रो.जी.गोपाल रेड्डी

प्रो. शर्मा लगातार छठी बार इप्सा के महासचिव और कोषाध्यक्ष चुने गए


विश्वविद्यालय के कु लपति प्रो. सं जीव प्रो. विवेक मिश्रा, प्रो. अंजना गर्ग, प्रो. प्रकाशन भी किया जाता है। जिसमे
कु मार शर्मा लगातार छठी बार इं डियन ज्योतिराज पाठक, प्रो. हरीश ठाकु र, पहला सितं बर 1939 से “द इं डियन
पॉलिटिकल साइं स एसोसिएशन (इप्सा) प्रो. राम सिंह, प्रो. मुज्जफर अस्सादी, जर्नल ऑफ पॉलिटिकल साइं स” नामक
के महासचिव और कोषाध्यक्ष चुने गए है। डॉ. करुणा सिंह, डॉ. स्वदे श सिंह, डॉ एक त्रैमासिक तथा दूसरा सन् 2009
इप्सा लगातार प्रो. शर्मा के अनुभवों नम्रता कोठारी, डॉ. बावा सिंह, डॉ. सोमा से हिंदी भाषा में द्वि-वार्षिक पत्रिका
और राजनीति विज्ञान की उनकी ज्ञान से भौमिक, डॉ. मार्सिलिन एस. पुष्पा, “भारतीय राजनीति विज्ञान शोधपत्रिका”,
लाभान्वित हो रही है। प्रो. शर्मा राजनीति डॉ. राखी पं चोला, डॉ अलीना थॉमस, जिसके पहले सं पादक भी प्रो सं जीव
विज्ञान के विशेषज्ञ भी हैं जिनके विचारों डॉ सुभाष चं द्राकर को चुना गया है। कु मार शर्मा है, का प्रकाशन जारी है।
तथा अनुभवों के माध्यम से सं गठन नई साथ ही सं पादक मं डल में प्रो. राका आर्य, सम्मेलनों और मुख्य पदाधिकारियों
ऊंचाइयों को छू रहा है और अपने उद्दे श्य प्रो. दीप्ति आचार्य, डॉ. वं दना मिश्रा, डॉ. की कालानुक्रमिक सूची इस बात का
आजादी के अमृत महोत्सव के अंतर्गत सर्वे भवं तु सुखिनः के प्रबल समर्थक थे। को नई पहचान दे रहा है। प्रो. शर्मा कई सुमन मौर्य, डॉ. बी सोमेश्वर को चुना गया है। प्रमाण है कि इप्सा ने पूरे दे श के विभिन्न
महात्मा गाँ धी कें द्रीय विश्वविद्यालय, तेरह दिन,तेरह महीने और सिर्फ भाषाओं के जानकार हैं और भविष्य के इप्सा भारत में राजनीति विज्ञान और हिस्सों में अपनी पहचान बनाई है।
बिहार द्वारा राष्ट् रीय ई-सं गोष्ठी ‘अटल पांच वर्ष सरकार चलाकर उन्होंने सृजन को भाप लेने की अद्भुत क्षमता हैं। लोक प्रशासन के शिक्षकों और विद्वानों यह पूरे विवि के लिए बहुत ही गर्व
बिहारी वाजपेयी: व्यक्तित्व एवं अपनी ताकत का एहसास कराया। उनकी दूरदर्शिता इप्सा के विचारों और का सर्वोच्च, सबसे पुराना और सबसे बड़ा की बात है कि ऐसे विद्वान कु लपति
विचार’ का आयोजन किया गया। उनके व्यक्तित्व का ही प्रभाव था कि सिद्धांतों को चारों दिशाओं में बिखेर रही है। शैक्षणिक और पेशेवर निकाय है, जो का मार्गदर्शन पूरे विवि को प्राप्त हो
ई-सं गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए विपक्ष के नेता होते हुए भी उन्होंने विश्व इससे इप्सा को काफी मजबूती मिली है। राष्ट् रीय सं घ और गैर-लाभकारी पं जीकृ त रहा है। जिससे विवि निरं तर सफलता
वही 2022 के लिए इप्सा के अध्यक्ष सं गठन है। जिसका उद्दे श्य और बौद्धिक की नई कहानियां लिख रहा है।
विश्वविद्यालय के प्रतिकु लपति प्रो. जी. मं च पर दे श का प्रतिनिधित्व किया।
प्रो. शांतिश्री पं डित, उपाध्यक्ष प्रो. मनोज परं पराएं हैं- राजनीति विज्ञान की उन्नति; विवि के प्रतिकु लपति प्रो. जी. गोपाल
गोपाल रेड्डी ने कहा कि अटल बिहारी उनके ह्रदय की विशालता का अंदाजा इसी दीक्षित एवं प्रो. गीतांजलि दास और राजनीति का वैज्ञानिक अध्ययन; ज्ञान रेड्डी सहित सभी शिक्षकगण, अधिकारी,
वाजपेयी आजीवन भारत को विश्वगुरू बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने सं पादक गुव्वा राम रेड्डी को चुना गया। का प्रसार; और कठोर राजनीतिक जांच। शोधार्थी, विद्यार्थी और विवि परिवार ने
बनाने हेतु कार्य करते रहे।वे दस बार कलाम साहब को राष्ट्र पति बनवाया। कार्यकारी समिति के सदस्य के रूप में साथ ही इप्सा द्वारा दो पत्रिकाओं का उन्हें इस उपलब्धि के लिए बधाई दी ।
लोकसभा के लिए विभिन्न क्षेत्रों से एक राजनीतिज्ञ के रूप में,एक पत्रकार के
निर्वाचित होते रहे,यह उनकी लोकप्रियता
को दर्शाता है। उनका मानना था कि
रूप में एक साहित्यकार के रूप में उनके सत्य के अनुसंधान की यात्रा ही जीवन है : प्रो. संजीव कुमार शर्मा
द्वारा किये गये कार्य काल के कपाल पर
भारत की आत्मा गाँ वों में बसती है ।
अमिट है।धन्य है वह भारत माता जो
उन्होंने सड़कों से गाँ वों को जोड़ा तथा
पानी जैसी मूलभूत आवश्यकता को ऐसे रत्न को पैदा करती है। उनके जीवन
उपलब्ध कराया। राष्ट्र हित को सर्वोपरि से बहुत कु छ सीखा जा सकता है।
मानते हुए उन्होंने कई ऐसे कार्य किए जो वहीं ई-सं गोष्ठी में मुख्य वक्ता के रूप
दे श को आगे ले जाने में काफी महत्वपूर्ण में माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता एवं
रहे। उनका जीवन राजनीतिज्ञों के लिए सं चार विश्वविद्यालय, भोपाल के डॉ.
अनुकरणीय है,उन्होंने चालीस वर्षो तक सौरभ मालवीय ने बताया कि अटल जी
विपक्ष की राजनीति की और कहीं भी के लिए राजनेता होना महज एक छोटा
इससे विचलित नहीं हुए।ऐसे मनीषी सा विशेषण था।वे हृदय से साहित्यकार
के व्यक्तित्व और विचार को पाठ्यक्रम और चेतना से पत्रकार थे। सच्चे मायने
का हिस्सा बनाया जाना चाहिए। में भारत को वे विश्वगुरु बनाना चाहते सं स्कृ त विभाग, महात्मा गाँ धी कें द्रीय करें, यही सीखने का सबसे सरल मार्ग है। है बल्कि साहित्य, समाज, कला, सं स्कृति से
ई सं गोष्ठी मे मुख्य अतिथि के रूप थे । अटल जी भारतीय सं स्कृति के विश्वविद्यालय बिहार और मानव सं साधन अध्यक्षीय वक्तव्य दे ते हुए प्रो. कपिल दे व पूरित गं गा की धारा है जिसमें हम सभी डू बना
में भारत अध्ययन कें द्र, काशी हिन्दू सं वाहक थे । सदन में वह हमेशा विकास कें द्र, रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय, मिश्र, कु लपति, रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय, चाहते थे। अपने विजन को मूर्त रूप दे ने में
विश्वविद्यालय, वाराणसी के प्रो. राके श सहज,सरल और सुलभ रहते थे,यही जबलपुर, मध्यप्रदे श के सं युक्त तत्वावधान जबलपुर, मध्यप्रदे श ने कहा कि साहित्य के हम कहाँ तक सफल हुए हैं, यह आप सभी
में ‘हिंदी एवं सं स्कृ त साहित्य-काव्यशास्त्र‘ विराट फलक को दिनों में समेट पाना मुश्किल की प्रतिक्रियाओं से स्पष्ट होगा लेकिन मैं
उपाध्याय ने सारगर्भित उद्बोधन मे कहा कारण था कि नेहरु जी ने अक्सर कहा यह कह सकता हूँ कि एक मं च के माध्यम
कि अटल जी का जीवन हिमालय सरीखा विषयक राष्ट् रीय पुनश्चर्या कार्यशाला का है लेकिन उसे महसूस करते हुए हम आगे
करते थे कि आप भविष्य के नेता हैं। से सबको सुनना, हमारे लिए उपलब्धि है।
समापन आभासीय मं च से सं पन्न हुआ। की यात्रा तय कर सकते हैं। आध्यात्मिकता
था,अपने सं पूर्ण जीवन में सनातन कई महत्वपूर्ण व्यक्तियों के सानिध्य से समापन कार्यक्रम की विशिष्ट अतिथि प्रो. प्रज्ञा
कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रो. कपिल देव मिश्र का रास्ता साहित्य से होकर ही गुजरता है।
ज्ञान सं स्कृति को लेकर वे विश्व भर में उनका व्यक्तित्व विराट होता चला गया। कु लपति, रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय, मध्यप्रदे श मन, बुद्धि, हृदय का विकास ही शिक्षा का मिश्र, सं स्कृ त विभागाध्यक्ष, महात्मा गाँ धी
भ्रमण करते रहे। भारतीय राजनीति में चित्रकू ट ग्रामोदय विश्वविद्यालय, चित्रकू ट,
राष्ट्र की सेवा को उन्होंने सर्वोपरि माना। ने की। मुख्य अतिथि के रूप में प्रो. सं जीव लक्ष्य है। आत्मसं यम, आत्मत्याग, आत्मज्ञान, सतना, मध्य प्रदे श ने कहा कि इस कार्यशाला
लोकतांत्रिक मूल्यों का वे मार्गदर्शन करते सं गोष्ठी में आगं तुक अतिथियों का स्वागत कु मार शर्मा कु लपति, महात्मा गाँ धी कें द्रीय आत्मविश्वास एवं आत्मनिर्भरता पं च सूत्रों के के माध्यम से हमने अपनी निज भाषा की
रहे। वे कहा करते थे कि कं कड़-कं कड़ डॉ.सं तोष कु मार त्रिपाठी,अधिष्ठाता, विश्वविद्यालय ने अपने उद्बोधन में कहा कि यह सं योग से हम जीवन को सार्थक रूप प्रदान कर यात्रा को तय किया है। भाषा, साहित्य के
जोड़कर मैने शं कर बनाया है,हम इस कार्यशाला सैद्धांतिक ज्ञान को व्यावहारिक रूप सकते हैं। आज ‘शस्त्र‘ और ‘शास्त्र‘ दोनों की विभिन्न रूपों को आत्मसात करने की दिशा
शोध एवं विकास प्रकोष्ठ ने किया।पूरे दे ने का मं च है। सत्य के अनुसंधान की इस ही अवश्यकता है। अतः आने वाली पीढ़ी का
धरा के लिए जिएं गे। वाकपटु ता के धनी में हम सभी ने अपनी सं स्कृति, परम्परा के
कार्यक्रम का सं चालन अंग्रेजी यात्रा में जीवन अपने विविध रूपों में पुष्पित और निर्माण कै सा हो, यह प्रश्न अति-आवश्यक है। विभिन्न पहलुओ ं का भी अवलोकन किया है।
अटल जी वाणी पर सरस्वती का वास पल्लवित होता है। इस यात्रा में आप सभी ने सभी का स्वागत करते हुए कार्यशाला समन्वयक
विभागाध्यक्ष डॉ विमलेश कु मार सिंह ने कार्यक्रम का सं चालन डॉ. अनिल प्रताप
था, यही कारण है कि उन्हें सुनने के जो कु छ भी शुभ, सुं दर, कोमल सहेज कर रखा प्रो. प्रसून दत्त सिंह, अध्यक्ष, सं स्कृ त विभाग,
किया। जबकि ई-सं गोष्ठी का धन्यवाद महात्मा गाँ धी कें द्रीय विश्वविद्यालय, ने कहा कि, गिरि, सह-आचार्य, सं स्कृ त विभाग,
लिए प्रधानमं त्री नेहरु तक इं तजार किया है उसकी चमक अपने विद्यार्थियों तक प्रसारित
ज्ञापन हिंदी विभाग के आचार्य डॉ महान वक्ता विद्वानों के विचारों ने कार्यशाला महात्मा गाँ धी कें द्रीय विश्वविद्यालय ने
करते थे। सारे दे श को अपना घर मानने करेंगे, ऐसा मैं आशा करता हूँ। जीवन-जगत एवं किया। इस दौरान प्रतिभागी साथियों ने
अंजनी कु मार श्रीवास्तव ने किया । को वैविध्य प्रदान किया है। समय और सत्र
वाले अटल जी वसुधैव कु टुं बकम और उससे सृजित अनुभवों से जुड़े प्रश्नों का स्वागत कार्यशाला से जुड़े अनुभव भी प्रस्तुत किये।
में बं टे यह सिर्फ व्याख्यानों का प्रतिवेदन नहीं
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भारत का संविधान जन आकांक्षाओ ं की सामूहिक अभिव्यक्ति है : राष्ट्रपति

विश्वविद्यालय में ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ एवं सुना गया। जिसमें विश्वविद्यालय बलिदान दिया। उन्होंने सं विधान दिवस
प्रकोष्ठ के अंतर्गत सं विधान दिवस के शिक्षकों, अधिकारियों,विद्यार्थियों को मनाने की अपील कि ताकि यह
के मौके पर कार्यक्रम का आयोजन एवं कर्मचारियों की उपस्थिति रही। पहचान हो सके कि जो हम कर रहे हैं वह
विश्वविद्यालय के पं डित राजकुमार शुक्ल महामहिम राष्ट्र पति रामनाथ कोविं द ने सही है या गलत है । ऐसा करके हमें हर मानवाधिकार दिवस के अवसर पर कार्यक्रम
सभागार, चाणक्य परिसर में किया गया। दे श को सं बोधित करते हुए सं विधान के साल खुद का मूल्यांकन करना चाहिए।
इसके बाद माननीय लोकसभा अध्यक्ष
का आयोजन
कार्यक्रम में अतिथि के तौर पर ओएसडी महत्व और उसके निर्माण में स्वतं त्रता
ओम बिरला ने भी सभा को सं बोधित किया 10 दिसं बर 2021 को विश्व मानवाधिकार दिवस के शुभ अवसर पर राजनीति
एडमिन प्रो. राजीव कुमार , छात्र सेनानियों द्वारा दिए योगदान को याद
तथा उन्होंने बताया कि सं विधान जनता विज्ञान विभाग द्वारा कार्यक्रम का आयोजन राजकु मार शुक्ल सभागार चाणक्य
कल्याण अधिष्ठाता प्रो. आनं द प्रकाश किया और सं विधान की सर्वोच्चता को
की आशाओं, अपेक्षाओं और उम्मीदों
और मुख्य नियं ता प्रो. प्रणवीर सिंह बनाए रखने की सलाह दी। उन्होंने
को पूर्ण करने का मार्ग प्रशस्त करता है। परिसर में किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रति कु लपति जी. गोपाल रेड्डी ने
उपस्थित रहे। कार्यक्रम का सं योजन प्रो. सं विधान सभा की चर्चाओं का डिजिटल कार्यक्रम के अंत में उपस्थित सभी की। मुख्य वक्ता के रूप में मानवाधिकार विभाग, बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर
रफीक उल इस्लाम, समन्वयक, ‘एक सं स्करण, सं विधान की सुलेख की प्रति का शिक्षकों, अधिकारियों, विद्यार्थियों और
भारत, श्रेष्ठ भारत प्रकोष्ठ’ ने किया। डिजिटल सं स्करण और अद्यतन सं विधान
कें द्रीय विश्वविद्यालय के आचार्य डा. शशी कु मार सम्मिलित हुए। उन्होंने अपने
कर्मचारियों ने सं विधान की शपथ लेते
आयोजन के दौरान सं सद भवन में हो रहे का डिजिटल सं स्करण जारी किया तथा हुए उद्देशिका को पढ़ा। कार्यक्रम में सं बोधन में मानवाधिकार दिवस की महत्ता एवं इस वर्ष की थीम पर चर्चा करते
कार्यक्रम को सं सद टीवी के माध्यम से ऑनलाइन प्रश्नोत्तरी का शुभारं भ किया। प्रो. बृजेश पाण्डेय, प्रो. अजय कुमार , हुए भारत के राजनीतिक परिस्थितियों के बारे में बताते हुए कहा कि भारत में
राष्ट्र पति, उपराष्ट्र पति, लोकसभा अध्यक्ष, कार्यक्रम में माननीय प्रधानमं त्री ने प्रो. राजेन्द्र सिंह एवं प्रो.प्रसून दत्त सिंह
सहित एक भारत श्रेष्ठ भारत प्रकोष्ठ राजनीतिक दलों को मानवाधिकार के साथ-साथ मजबूत करने की जरूरत है। गांधी
सं सदीय कार्य मं त्री और प्रधानमं त्री सभा में 26/11 की घटना को भी याद
के सदस्यों और विभिन्न विभागों के एवं शांति अध्ययन कें द्र के आचार्य प्रो. सुनील महावर ने प्रस्तावना प्रस्तुत की।
के अभिभाषण को सभागार में टीवी किया। जिसमें हमारे वीर जवानों ने
शिक्षकों की सक्रिय सहभागिता रही। कार्यक्रम का सं चालन राजनीतिक विज्ञान विभाग की आचार्या डॉक्टर सरिता तिवारी के द्वारा
के माध्यम से सजीव प्रसारण दे खा आतं कवादियों से लोहा लेते हुए सर्वोच्च
किया गया। इस कार्यक्रम में विभाग के अन्य आचार्य डॉक्टर नरेंद्र आर्या, डॉ पं कज सिंह
गणितज्ञ रामानुजन की स्मृति में व्याख्यान का
उपस्थित थें। इसके अलावा अन्य विभाग के आचार्य, शोधार्थी तथा विद्यार्थी उपस्थित रहे।
आयोजन
डॉ.अनिल प्रताप गिरि इं स्पा रत्न अवार्ड से
सम्मानित

प्रो. प्रणवीर सिंह लाइफ साइंस के


डब्ल्यूओएस में विषय विशेषज्ञ समिति के
सदस्य नामित
प्राणी विज्ञान विभाग के प्रो. प्रणवीर
सिंह को लाइफ साइं स के अंतर्गत
सं चालित महिला वैज्ञानिक योजना-ए
(डब्ल्यूओएस-ए) में विषय विशेषज्ञ
समिति का सदस्य नामित किया गया है।
डब्ल्यूओएस-ए भारत सरकार के विज्ञान और
गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन की स्मृति में हाल ही में अनावरण प्रो. सं जीव कु मार
प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) द्वारा सं चालित
व्याख्यान का आयोजन किया गया। जिसमे शर्मा ने किया था। इस दिवस पर अपनी
आईआईटी पटना के प्रो. ओमप्रकाश ने शुभकामनाएं प्रेषित करते हुए प्रो. शर्मा प्रतिष्ठित फ्लैगशिप कार्यक्रम है। यह योजना
बीजगणित पर वक्तव्य दिया। उन्होंने ने रामानुजन की प्रतिभा से विद्यार्थियों उन महिला वैज्ञानिकों और प्रौद्योगिकीविदों इं डियन स्कू ल साइकोलॉजी असोसिएशन में डा.गिरि के द्वारा सं भव हो सका।
‘अमूर्त बीजगणित के अनुप्रयोग’ पर को परिचित कराए जाने पर बल दिया। को एक महत्वपूर्ण सुनहरा अवसर प्रदान ने सं स्कृ त विभाग के सह-आचार्य बारह अध्यायों में विभाजित इस पुस्तक
अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि रूढ़ 1887 में रामानुजन का जन्म तत्कालीन करता है जिनके कै रियर को एक नई उड़ान डा.अनिल प्रताप गिरि को इं स्पा रत्न अवार्ड में विद्यालयीय मनोविज्ञान के स्वरूप को
सं ख्याओं व सं ख्या सिद्धांत में रामानुजन मद्रास प्रांत के इरोड में हुआ था। अत्यं त से सम्मानित किया। यह अवार्ड डा. गिरि भारतीय सं दर्भ में व्याख्यायित किया गया
की जरूरत होती है। शोध और नवाचार को
का योगदान अतुलनीय है। रामानुजन ने अभावों का जीवन जीकर भी उन्होंने अपनी को अंग्रेज़ी में लिखी गयी पुस्तक “स्कू ल है। इस पुस्तक में भारतीय सं स्कृति एवं
बहुत विस्तार से कू ट सिद्धांत (कोडिंग प्रतिभा का लोहा पूरे विश्व में मनवाया। बढ़ावा दे ने के लिए यह योजना प्रतिबद्ध है।
साइकोलॉजी इन द इण्डियन कान्टे क्स्ट “ वातावरण में पल्लवित एवं पुष्पित हो
थ्योरी) व कू टलेखन (क्रिप्टोग्राफी) के म्ब्रिज विवि के ट्रिनिटी कॉलेज के प्रो प्रो. सिंह उच्च शिक्षा सं स्थानों की ग्रेडिंग
का सं स्कृ त भाषा में अनुवाद के उपलक्ष्य रहे छात्रों के मनोविज्ञान को भारतीय
के अमूर्त बीजगणित से सं बं ध को हार्डी को जब रामानुजन की प्रतिभा का के लिए कार्य करने वाली नैक पीयर टीम
स्थापित किया था। डॉ ओमप्रकाश का पता चला तो उन्होंने इस विलक्षण प्रतिभा में प्रदान किया गया। जिसे 1 जनवरी ज्ञान परं परा के सं दर्भ में विश्लेषित किया
के भी सम्मानित सदस्य है। इस उपलक्ष्य
शोध रामानुजन के क्षेत्र सं ख्या सिद्धांत को इं ग्लैंड बुला लिया। वहीं उनका मात्र 2022 को इं डियन स्कू ल साइकोलॉजी गया है। पुस्तक में छात्रों के मानसिक
पर कु लपति प्रो. सं जीव कु मार शर्मा ने उन्हे एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रो. पं च रामलिं गम विकास, मनोदौर्बल्य एवं मनोवैज्ञानिक
से सं बं धित रहा है और वे रामानुजन 32 वर्ष की आयु में निधन हो गया।
सोसाइटी के आजीवन सदस्य भी हैं। आज भी रामानुजन के प्रमेय और सिद्धांत बधाई दी। प्रो. शर्मा ने कहा कि उनके इस के द्वारा पांडिचेरी के निकट ऑरोविल में परामर्श जैसे सं वेदनशील विषयों की चर्चा
सं गणक विज्ञान सं काय के सं कायाध्यक्ष शोध के लिए चुनौतीपूर्ण बने हुए हैं। महत्वपूर्ण दायित्व से विश्वविद्यालय परिवार प्रदान किया गया। प्रो. पं च रामलिं गम द्वारा इस रूप में की गयी है जिससे “भारतीय
प्रो. विकास पारीक ने बताया कि कु लपति इस कार्यक्रम में सं गणक विज्ञान व गौरवान्वित है और उनकी उपस्थिति में लिखी गई इस पुस्तक का लगभग सभी विद्यालय मनोविज्ञान” मनोविज्ञान के एक
प्रो. सं जीव कु मार शर्मा जी की प्रेरणा व डब्ल्यूओएस-ए और बेहतर कार्य करेगी।
गणित विभाग के डॉ अतुल त्रिपाठी, डॉ भारतीय भाषाओं में अनुवाद हो चुका है। स्वतं त्र ज्ञानशाखा के रूप में अकादमिक
निर्देश पर इस कार्यक्रम का आयोजन हुआ।
इस वर्ष श्रीनिवास रामानुजन की 134वां अमिताभ ज्ञान रं जन, डॉ सुनील सिंह , प्रति कु लपति प्रो. जी. गोपाल रेड्डी सहित सं स्कृ त भाषा में इस पुस्तक का जगत् में स्वीकार्यता का रूप ग्रहण
जन्म वार्षिकी के रूप में मनाया गया। डॉ राजेश प्रसाद, डॉ विपिन कु मार, डॉ विश्वविद्यालय के शिक्षकों, अधिकारियों, अनुवाद कु लपति प्रो. सं जीव कु मार कर सके । अवार्ड की प्राप्ति के समय
सं गणक विज्ञान विभाग में उनकी स्मृति शिव कु मार सिंह समेत काफ़ी सं ख्या शीधार्थियो, विद्यार्थियों एवं कर्मचारियों शर्मा की प्रेरणा एवं उनके अभिवादन आस्ट्रिया, जर्मनी, फ्रांस एवं यूरोपीय
में श्रीनिवास रामानुजन प्रयोगशाला का में विद्यार्थी व शोधार्थी उपस्थित रहे। ने बधाई और शुभकामनाएं दी। वचन से छह माह के अत्यल्प समय यूनियन के विद्वान भी उपस्थित थे।
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‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ कार्यक्रम भारत के वैविध्य को जानने का बड़ा
माध्यम- प्रो. संजीव कुमार शर्मा

राजसत्ता विद्या,विद्वान से बड़ी नहीं होती


: प्रो.संजीव कुमार शर्मा
विश्वविद्यालय के राजकुमार शुक्ल सभागार मुख्य अतिथि प्रो. के. आर. एस. सं स्थान, कलाकार, महत्वपूर्ण व्यक्तित्व विश्वविद्यालय के सं स्कृत विभाग और करता है। अपनी विशिष्टता के साथ
में “एक भारत श्रेष्ठ भारत” के अंतर्गत सं बाशिवा राव, (कुलपति - मिजोरम आदि के बारे में सुं दर ढं ग से बताया। मानव सं साधन विकास केंद्र, रानी कालिदास समकालीन रचनाकारों एवं
महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय विश्वविद्यालय) ने बिहार के ऐतिहासिक ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ प्रकोष्ठ और दुर्गावती विश्वविद्यालय, जबलपुर आने वालों सहस्त्रों वर्षों तक सभी से
और मिजोरम विश्वविद्यालय के सं युक्त महत्व की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए कार्यक्रम के समन्वयक प्रोफेसर रफीक के सं युक्त तत्वावधान में ‘हिंदी एवं ‘भिन्न’ हैं। मैं जब-जब कालिदास को
महात्मा बुद्ध, चं द्र गुप्त मौर्य तथा सम्राट उल इस्लाम ने अतिथियों का स्वागत सं स्कृत साहित्य-काव्यशास्त्र’ विषयक पढ़ता हूँ, मुझे ‘भारत’ आभा,प्रकाश एवं
तत्वाधान में ‘बिहार की सं स्कृति, सभ्यता,
किया। सह समन्वयक प्रो. श्रीनिवास
वेश-भूषा, पर्व-त्यौहार, रीति-रिवाज’ और अशोक की चर्चा की। उन्होंने विश्व की द्विसाप्ताहिक राष्ट् रीय पुनश्चर्या कार्यशाला ज्ञान अपने तीनों रूपों में महसूस होता है।
पाधि, मिजोरम केंद्रीय विश्वविद्यालय ने
‘महात्मा गांधी एवं चम्पारण’ विषयक प्रथम गणतं त्र की चर्चा करते हुए कहा का उद्घाटन आभासीय मं च से किया कालिदास अपनी लेखनी के स्पर्श मात्र
भी शुभकामनाएं प्रेषित की। प्रो. रफीक
विशेष व्याख्यान का आयोजन किया कि वैशाली में पहली बार गणतं त्र की गया। कार्यशाला के नौवें दिन के द्वितीय से सबकुछ कह जाते हैं, अन्य अपने
उल इस्लाम द्वारा दोनों वक्ताओं प्रो.
गया। बिहार के सांस्कृतिक विरासत और स्थापना हुई थी। बिहार से सबसे ज्यादा कुंदन किशोर रजक और प्रो. असलम सत्र के वक्ता के रूप में कुलपति प्रो.सं जीव विशद वर्णन के उपरांत भी नहीं कह
विविधता पर समारोह में उपस्थित मुख्य आईएएस अधिकारी, बहुत सारे बौद्धिक खान को स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित कुमार शर्मा, माननीय कुलपति,महात्मा पाते। कम शब्दों में अधिक भाव प्रकट
अतिथि एवं वक्ताओं द्वारा चर्चा की गई। व्यक्तित्व हर साल निकलते हैं। चं पारण से किया गया। ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ गाँ धी केंद्रीय विश्वविद्यालय, कर दे ने और कथन की स्वाभाविकता
कार्यक्रम की अध्यक्षता कुलपति प्रो. सं जीव ही गांधी ने सत्याग्रह का शुभारं भ किया। प्रकोष्ठ के सदस्य डॉ. अंजनी कुमार बिहार का सान्निध्य प्राप्त हुआ। के लिए कालिदास प्रसिद्ध हैं। ‘अकथ्य’
कुमार शर्मा ने की। मुख्य अतिथि प्रोफेसर कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि डॉ. असलम श्रीवास्तव, एसोसिएट प्रोफेसर, हिंदी स्वागत उद्बोधन दे ते हुए कार्यशाला को सं केत के माध्यम से कहने वाले
के. आर. एस. सं बाशिवा राव , कुलपति, खान , एसोसिएट प्रोफेसर गांधी एं ड विभाग ने धन्यवाद ज्ञापित किया। डॉ समन्वयक प्रो.प्रसून दत्त कालिदास सं स्कृत साहित्य का मान हैं,
मिजोरम केंद्रीय विश्वविद्यालय थे। पीस स्टडीज ने महात्मा गांधी और प्रीति बाजपेई , एसोसिएट प्रोफेसर, सिंह(अध्यक्ष,सं स्कृत विभाग,महात्मा स्वाभिमान हैं। सं स्कृत परं परा के सं वाहक
अध्यक्षीय उद्बोधन में कुलपति प्रो. चं पारण से जुड़े विभिन्न आं दोलनों, जूलॉजी विभाग और डॉ. रश्मि श्रीवास्तव, गाँ धी केंद्रीय विश्वविद्यालय, बिहार) कालिदास भारत के वैविध्य को प्रस्तुत
सं जीव कुमार शर्मा ने कहा कि दे श भर ऐतिहासिक घटनाओं, गांधी के चं पारण सहायक प्रोफेसर, शिक्षा विभाग द्वारा ने कहा कि इस कार्यशाला में करने का साहस रखते हैं, समय एवं
के उच्च शिक्षा सं स्थानों में ‘एक भारत में किसान आं दोलन की शुरुआत, कार्यक्रम का सं चालन किया गया। माननीय कुलपति महोदय को सुनना समाज के साथ सं वाद करने का साहस
श्रेष्ठ भारत’ जैसे कार्यक्रमों के पीछे तिनकठिया प्रथा आदि के बारे में विस्तार कार्यक्रम में प्रो. अजय कुमार गुप्ता, साहित्य,भाषा को रक्त में महसूस करने रखते हैं। कालिदास हमें दूर तक सोचने
से बताया। अपने सारगर्भित व्याख्यान प्रो. अन्त्रण पाल , प्रो. सुनील महावर , जैसा है। यह एक शुभ अवसर है। की दृष्टि दे ते हैं। सं वाद,परिसं वाद की
माननीय प्रधानमं त्री नरें द्र मोदी की सोच
डॉ. अभय विक्रम सिंह और ‘एक भारत
बहुआयामी है। इस तरह के कार्यक्रम में उन्होंने महात्मा गांधी और चम्पारण वक्ता के रूप में माननीय कुलपति यह दृष्टि हमारी निर्मिति की प्रेरणा है।
श्रेष्ठ भारत’ प्रकोष्ठ के सदस्य डॉ. जुगुल
से हम भारत के वैविध्य, गौरवशाली से जुड़े अनेक प्रसं गों को प्रस्तुत किया। प्रो.सं जीव कुमार शर्मा ने विस्तार से जीवन,समाज,व्यक्ति के मनोभावों को
दधीचि, डॉ. परमात्मा कुमार मिश्र, डॉ.
अतीत के बारें में जान और समझ पा कार्यक्रम में विशेष व्याख्याता डॉ. साहित्य,भाषा,कला की अनिवार्यता पर गहराई से जानने वाले कालिदास हमारी
दिनेश व्यास, डॉ. भवनाथ पाण्डेय सहित बात रखी। कालिदास का रचना वैशिष्ट्य थाती हैं। हमें इस थाती को सहेजना है।
रहे हैं। साथ ही यह दे श को एकता के कुंदन किशोर रजक , सहायक प्रोफेसर
महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय वक्तव्य के केंद्र में रहा। प्रो.सं जीव कुमार धन्यवाद ज्ञापन डॉ. प्रीति पटे ल ने किया।
सूत्र में पिरोने का भी बड़ा माध्यम हैं। जूलॉजी विभाग ने अपने वक्तव्य में
और मिजोरम केंद्रीय विश्वविद्यालय शर्मा ने कहा कि, मैं सं स्कृत भाषा एवं कार्यशाला के दौरान विभिन्न सं कायों के
प्रति कुलपति प्रो. जी. गोपाल रे ड्डी ने बिहार के विभिन्न ऐतिहासिक महत्व,
के विभिन्न विभागों के प्रोफेसर, साहित्य का अनुरागी हूँ। कालिदास का शिक्षक एवं विश्वविद्यालय के शैक्षणिक
अपने उद्बोधन में बिहार की विरासत सांस्कृतिक महत्व, पर्व, त्यौहार, लोक
शोधार्थी तथा विद्यार्थी मौजूद रहे। साहित्य हमेशा से मुझे आश्चर्यचकित एवं गैर शैक्षणिक अधिकारी मौजूद रहे।
और विविधता पर प्रकाश डाला। कला, नृत्य, पहनावा, खानपान,

समाज को स्वस्थ और सुरक्षित बनाना हम सभी का कर्तव्य-कुलपति

विश्व एड् स दिवस के अवसर पर सेहत राजीव कुमार द्वारा दीप प्रज्ज्वलन से हुआ। सबसे बड़ी ताकत है क्योंकि ‘ सर्वांगीण सावधानी यही इस बीमारी के उपाय हैं। कुमार ने कहा कि बिहार सरकार की
केंद्र का उद्घाटन कुलपति प्रो. सं जीव कुलपति ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में निर्मिति’ हम सभी का उद्दे श्य है। प्रो. प्रसून दत्त सिंह ने स्वागत उद्बोधन में योजनाओं के तहत विद्यालयों और
कुमार शर्मा के कर कमलों द्वारा कहा कि हमें पूरे समाज के बारे में सोचना प्रति कुलपति ने प्रसन्नता जाहिर करते हुए कहा कि एड् स का पहला मामला 1981 महाविद्यालयों में सेहत केंद्र खुल रहे
हुआ। राष्ट् रीय सेवा योजना इकाई है। समाज का सर्वांगीण विकास करना सेहत केंद्र के माध्यम से लोगों के स्वास्थ्य में सामने आया था। तब से भारत सरकार हैं। उन्होंने यह भी सूचना दी कि
एवं सेहत केंद्र के सं युक्त तत्वावधान है और साथ ही हम सबको मिलकर की दे खभाल के लिए शुभकामनाएं दी। ने लोगों को जागरूक करने के लिए कई इसी सेहत कैंप के तहत ‘डेंटल हेल्थ’
में एक व्याख्यान सह जागरूकता समाज को स्वस्थ और सुरक्षित भी बनाना मुख्य वक्ता प्रो. प्रणवीर सिंह ने बताया कार्यक्रम चलाएं । हालांकि पहले बहुत शिविर का आयोजन किया जाएगा।
कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय सं वाद कि एड् स कैसे हानिकारक है? और इसके
कार्यक्रम का शुभारं भ कुलपति प्रो.सं जीव बड़ी सं ख्या में मरीज मिलते थे, लेकिन उन्होंने सेहत केंद्र की स्थापना के
का मं च है। विश्वविद्यालय परिवार के प्रसार को कैसे रोका जा सकता है? एड् स
कुमार शर्मा, प्रति कुलपति प्रो.जी गोपाल अभी भी जागरूक रहने की आवश्यकता मूल उद्देश्यों पर भी प्रकाश डाला।
सदस्यों, छात्र-छात्राओं के स्वास्थ्य एवं
रे ड्डी, प्रबन्ध विज्ञान सं काय के अधिष्ठाता की मूल उत्पत्ति और भयावहता पर भी है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि कार्यक्रम का सं चालन पीएचडी
प्रो.पवनेश कुमार, मुख्य नियं ता प्रो. सुरक्षा को प्रमुखता दे ना विश्वविद्यालय
उन्होंने प्रकाश डाला। एड् स सं बं धी अब यह गर्व की बात है कि हमारे शोधार्थी रश्मि सिंह ने की। इस मौके
प्रणवीर कुमार, गांधी परिसर निदे शक प्रो. का प्रमुख लक्ष्य है। जीवन -स्वास्थ्य से
महत्वपूर्ण बिं दओ
ु ं को रे खांकित करते हुए विश्वविद्यालय में भी एक सेहत केंद्र है। पर विभिन्न विभागों के शिक्षकगण,
प्रसून दत्त सिंह और ओएसडी एडमिन प्रो. जुड़े विषयों पर सं वाद विश्वविद्यालय की
उन्होंने कहा कि जागरूकता, सतर्क ता और धन्यवाद ज्ञापित करते हुए प्रो.पवनेश शोधार्थी एवं विद्यार्थी मौजूद रहे।
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शोधार्थी समीन शफी को महिला वैज्ञानिक
परियोजना मिला

आईसीसीएसआर डॉक्टोरल फेलोशिप के लिए विश्वविद्यालय से सात शोधार्थियों का चयन


जूलॉजी विभाग की शोधार्थी समीन करने का अवसर प्रदान करती है और
शफी को विज्ञान और प्रौद्योगिकी अंततः विज्ञान और प्रौद्योगिकी में स्थायी विश्वविद्यालय के मीडिया अध्ययन विभाग एवं सांस्कृतिक चेतना का अध्ययन’ है से कीर्तिमान स्थापित कर रहा है। उन्होंने
मं त्रालय, भारत सरकार के अंतर्गत स्थिति के लिए नए रास्ते खोलती है। के सर्वाधिक तीन शोधार्थियों सहित प्रबन्ध और सौविक ‘रोल ऑफ न्यू मीडिया इन कहा कि आईसीएसएसआर की फेलोशिप
सं चालित विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग समीना शफी की इस उपलब्धि पर विज्ञान, राजनीति विज्ञान और पुस्तकालय एजुकेशनल डेवलपमेंट इन द ट्राइबल के लिए विश्वविद्यालय से 7 शोधार्थियों
(डीएसटी) के द्वारा महिला वैज्ञानिक कु लपति प्रो. सं जीव कु मार शर्मा ने विज्ञान विभाग के कु ल सात शोधार्थियों एरियाज ऑफ द टी एस्टेटस ऑफ का चयन यह सिद्ध करता है कि
योजना-ए (डब्ल्यूओएस-ए) में महिला बधाई दी और उनके मं गल भविष्य ने एक बार फिर से शोध व गुणवत्ता के दार्जलिं ग ‘ विषय पर शोध कार्य कर रहे विश्वविद्यालय के शिक्षक और शोधार्थी
क्षेत्र में अपनी प्रतिभा का परचम लहराया है। प्रबं ध विज्ञान विभाग के रोहित शोधकार्य को लेकर गं भीर है। उन्होंने
वैज्ञानिक परियोजना प्रदान किया गया है। की कामना की। उन्होंने कहा कि
है। भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान गुप्ता और सुप्रिया सिंह, राजनीति विज्ञान इस उपलब्धि के लिए मीडिया अध्ययन
डीएसटी का उद्दे श्य विज्ञान और विवि अनवरत विभिन्न अकादमिक
परिषद द्वारा पी- एच. डी. शोधार्थियों विभाग से गौरव पं वार , तथा पुस्तकालय विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ अंजनी
प्रौद्योगिकी में हो रहें नवाचार और दे श गतिविधियों में अपनी शैक्षणिक गुणवत्ता
को दी जाने वाली डॉक्टोरल फेलोशिप विज्ञान विभाग की दीपिका कु मारी कु मार झा, प्रबं ध सं काय के प्रो. पवनेश
में विज्ञान और प्रौद्योगिकी गतिविधियों के से कीर्तिमान स्थापित कर रहा है, जो
के लिए घोषित परिणामों में अखिल
आयोजन, समन्वय को बढ़ावा दे ना है। पूरे विवि के लिए गर्व का विषय है। फेलोशिप के लिए चयनित हुए है । कु मार, राजनीति विज्ञान के अध्यक्ष प्रो.
भारतीय स्तर पर चयनित 15 शोधार्थियों
वही डब्ल्यूओएस-ए महिला वैज्ञानिकों विभागाध्यक्ष प्रो अर्तत्रणा पाल ने अपनी अखिल भारतीय स्तर पर इस फेलोशिप में राजीव कु मार एवं पुस्तकालय विज्ञान
में से तीन शोधार्थी एमजीसीयूबी के
और प्रौद्योगिकीविदों को विज्ञान और शुभकामनाएं दे ते हुए कहा कि इस सर्वाधिक चयन मीडिया अध्ययन विभाग के प्रो. रं जीत चौधरी को शुभकामनाएं
मीडिया अध्ययन विभाग के शोधार्थी है।
इं जीनियरिंग के अग्रणी क्षेत्रों में बुनियादी तरह की उपलब्धियां निश्चित ही अन्य के शीधार्थियों के ही हुए है। इस चयन दी। साथ ही फेलोशिप के लिए चयनित
आई. सी. सी. एस. आर. द्वारा चयनित
या अनुप्रयुक्त विज्ञान में अनुसंधान करने शोधार्थियों के लिए प्रेरणा का कार्य
शोधार्थियों में विभाग के रजनीश कु मार में महात्मा गांधी कें द्रीय विश्वविद्यालय शोधार्थियों के शोध निर्देशकों को
के लिए मं च प्रदान करती है । यह योजना करेगी। इस अवसर पर विभाग के आचार्य
त्रिपाठी जो सहायक आचार्य डॉ सुनील के मीडिया अध्ययन विभाग ने दे श के भी बधाई एवं शुभकामनाएं दी है।
जेंडर को मुख्यधारा में लाने में महत्वपूर्ण प्रो. प्रणवीर सिंह, डॉ. प्रीति बाजपेयी, दीपक घोड़के के निर्देशन में ‘अनुच्छेद
भूमिका निभाती है क्योंकि यह न के वल डॉ बुद्धि प्रकाश जैन, डॉ अमित रं जन, शीर्षस्थ सं स्थानों को पीछे छोड़ अपनी प्रो. राजीव कु मार, प्रो. पवनेश कु मार
370 मुक्त कश्मीर: राष्ट् रीय प्रिंट मीडिया शोध गुणवत्ता को साबित किया है।
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी प्रणाली से ब्रेन ड्रेन डॉ श्याम बाबू प्रसाद, डॉ कुं दन किशोर और प्रो. रं जीत चौधरी के साथ मीडिया
की भूमिका एवं प्रभाव का अध्ययन’ शोधार्थियों की इस उपलब्धि पर
को रोकती है बल्कि प्रणाली में महिलाओं रजक सहित विश्वविद्यालय के शिक्षक, (दै निक जागरण व अमर उजाला समाचार अध्ययन विभाग के सहायक आचार्य डॉ
को प्रशिक्षित करती है। यह योजना शुरू अधिकारीगण व विभाग के शोधार्थियों व विश्वविद्यालय के कु लपति प्रो. सं जीव
पत्रों के विशेष सं दर्भ में ) विषय पर शोध साके त रमण, डॉ परमात्मा कु मार मिश्र,
में बेंच-स्तरीय वैज्ञानिकों के रूप में काम विद्यार्थियों ने भी अपनी शुभकामनाएं दी। कु मार शर्मा ने सभी सातों शोधार्थियों
कार्य कर रहे है। वही शोभित सुमन और को शुभकामनाएं दे ते हुए कहा कि यह और डॉ उमा यादव, सहित विश्वविद्यालय
सौविक आचार्य विभाग के अध्यक्ष डॉ के शिक्षक, अधिकारीगण व विभाग के
विश्वविद्यालय के लिए गर्व का विषय है ।
अंजनी कु मार झा के निर्देशन में शोधरत शोधार्थियों व विद्यार्थियों ने भी चयनित
विश्वविद्यालय अनवरत विभिन्न अकादमिक
है। शोभित सुमन का शोध विषय ‘अटल
गतिविधियों में अपनी शैक्षणिक गुणवत्ता शोधार्थियों को अपनी शुभकामनाएं दी।
बिहारी वाजपेयी की पत्रकारिता में राष्ट् रीय

ओशिन आर्या आस्था रानी


बी. टेक. बी.ए.जे.एम.सी.
2020-2024 मीडिया अध्ययन विभाग

कं प्यूटर विज्ञान की छात्रा होने के नाते महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय आर्यन राज विश्वविजय कुमार कुमार उत्कर्ष
महात्मा गांधी कें द्रीय विश्वविद्यालय में मेरा में मीडिया अध्ययन विभाग से जुड़ना बी.ए.जे.एम.सी. बी. टे क. बी. टे क.
मीडिया अध्ययन विभाग 2019-2023 2020-2024
अब तक का अनुभव बहुत ही शानदार
मेरे पं खों को नई उड़ान दे ने जैसा विश्वविद्यालय में नामांकन के बाद से हो महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय एम जी सी यू बी मेरे दूसरे घर जैसा
रहा है। यहां मैंने न के वल अकादमिक
रूप से, बल्कि करियर के विकास के रहा। यहां से जुड़ने के बाद मुझे मेरे रही कक्षाओं से बहुत कु छ सीखने-जानने का मेरे व्यक्तित्व के विकास में बहुत
को मिल रहा है, आए दिन विश्वविद्यालय के
है। यहां अब तक का अनुभव बहुत
अन्य सभी पहलुओ ं में बहुत कु छ सीखा रचनात्मक होने का एहसास हुआ। बड़ा योगदान रहा है। शिक्षक और
है। यह हमारे कौशल को बढ़ाने के लिए
माननीय कु लपति महोदय की अध्यक्षता में अच्छा रहा है। प्रोफेसर बहुत ही
साथ ही विभागीय शिक्षकों के सहयोग सं गोष्ठी एवं कार्यक्रमों में उनका सान्निध्य प्राप्त सं रक्षक वास्तव में सहायक हैं और मेरे
एक आदर्श स्थान है। यहां के लैब अच्छी होता रहता है। कई प्रतियोगिताओं में भाग अकादमिक और अंतर-व्यक्तिगत कौशल
मददगार, जानकार, सुलभ और
तरह से विकसित हैं और बुनियादी ढांचा और मार्गदर्शन से सभी कार्य आसान और
लेने का अवसर भी मिल चुका है, जिसका में सुधार करने में मेरी मदद करते हैं। कु शल हैं। कम समय मे विश्वविद्यालय
भी बहुत अच्छा है। महामारी में भी सुलभ हो जाते हैं तथा हमारी कलाओं अनुभव शानदार रहा। साथ ही सकारात्मकता
सं काय सदस्यों के समर्थन और प्रेरणा की सीख और परिस्थितियों का सामना करने
थिंक डिफरेंट, एक ऐसी चीज ने असाधारण परिणाम दिए हैं और
को नई ऊर्जा व निखार मिलती है।
ने मुझे प्रबुद्ध किया है। मुझे महात्मा हेतु प्राप्त मार्गदर्शन प्रेरक है।विश्वविद्यालय है जो महात्मा गांधी केंद्रीय हर गुजरते साल के साथ शिक्षा
गांधी कें द्रीय विश्वविद्यालय का हिस्सा विश्वविद्यालय का हिस्सा होना मेरे के कु लपति महोदय सहित विभाग के सभी विश्वविद्यालय अपने छात्रों को
शिक्षकगण एवं कें द्र प्रमुख को मेरा प्रणाम।
की गुणवत्ता में सुधार कर रहें हैं।
बनकर बहुत गर्व और खुशी हो रही है। लिए बहुत ही गर्व की बात है। बताने में काफी हद तक सफल है।
7
“माँ का खत” “बचाना है....” डा. अं सुइया नैन आईसीसीएसआर पोस्ट-डॉक्टोरल
फेलोशिप के लिए चयनित

आस्था रानी
अंजली चौधरी पल्लवी कुमारी बी.ए.जे.एम.सी.
मीडिया अध्ययन विभाग
बी.ए.जे.एम.सी. बी.ए.जे.एम.सी.
मीडिया अध्ययन विभाग मीडिया अध्ययन विभाग

बेटा ध्यान से देख ले, अपनी सरहद की जमीं। बचाना है-भारत के पहचान को , “आर्यावर्त की विरासत”
दुश्मन कर ना पाए, इसमें एक इंच की भी कमी । कहीं दे वनागरी के विलुप्त होते शान को, अर्थशास्त्र - आचार्य चाणक्य
तुझे तो पता हैं, की जब तू बं दूक तान खड़ा होता है, विश्वविद्यालय के राजनीति विज्ञान की के लिए अनुदान प्रदान करना है।
तो कहीं सं स्कृति के सम्मान को ,
तेरे पीछे तेरा ये पूरा हिंदुस्तान सोता है। शोधार्थी डा. अंसुइया नैन को भारतीय डा. अंसुइया नैन की इस उपलब्धि पर
मेरे जिगर के टुकड़े, मेरे लाल, बचाना है-आत्मीयता जैसे नाम को।। अष्टाध्यायी - पाणिनि
सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद कु लपति प्रो. सं जीव कु मार शर्मा ने
वहा करना कु छ ऐसा कमाल, बढ़ाना है- “क” से कबूतर की उड़ान को, (आई. सी. एस. एस. आर) द्वारा वर्ष बधाई दी और उनके मं गल भविष्य की
की अपने शरीर का इंच इंच कट भी जाए, ढूं ढना है-भाषा की झाड़ी में अटके खरहे के महाभाष्य - पतंजलि
2021-22 के लिए पोस्ट-डॉक्टोरल कामना की। उन्होंने कहा कि विवि के
पर अपने सरहद की जमीं बं ट ना पाए। फेलोशिप प्रदान की गई है। उन्हे यह
स्वाभिमान को , शोधार्थियो द्वारा लगातार प्राप्त की जा
यहां तेरा बेटा भी इतना बड़ा हो गया है, उनकी शोध कार्य विषय “अचीविं ग नाट्यशास्त्र - भरत मुनि
तेरी ही बरदी पहनकर, ‘ग’ से गमला लुढ़क न जाए, रही उपलब्धियों से पूरा विवि गौरवान्वित
सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल्स थ्रू योगक्षेम:
हमारे सामने खड़ा हो गया है। नागरी के अंक फु दक न जाए, है और अन्य शोधार्थी, विद्यार्थी के पंचतंत्र - विष्णु शर्मा
एन इं क्वायरी इं टू इं डियन सं स्कृ त ट्रेडिशन
कहता है, बचाना है- देवनागरी के मान को, लिए यह प्रेरणा का कार्य कर रही है।
एं ड टे क्स्ट्स” के उपलक्ष्य में प्रदान किया
बड़ा होकर पापा का अभिमान बनूंगा, विभागाध्यक्ष प्रो राजीव कु मार
भारत के भाषा रूपी पहचान को।। गया है। ध्यातव्य है कि डॉ. अंसुइया कुमारसम्भवम् - कालिदास
इस देश के तिरंगे का शान बनूंगा, शुभकामनाएं दे ते हुए कहा कि इस
नैन अपनी पी-एच. डी. विश्वविद्यालय
उसमे तेरे ही खून का उबाल है, प्रेरित करना है -पर्यावरण को दे वता मानने तरह की उपलब्धियां निश्चित ही विभाग
के माननीय कु लपति प्रो. सं जीव सुश्रुत संहिता - महर्षि सुश्रुत
देश का दूसरा जवान, तेरा लाल है। वाले, के लिए गर्व की बात है और उसके
कु मार शर्मा के निर्देशन में पूर्ण की है।
वहीं मेरी बहू ने आज फिर लगाया सिंदरू है, प्रगति को सूचित कर रही है। इस
सुं दर सं स्कृति की पहचान को , आई. सी. एस. एस. आर. की स्थापना
तुझे बताया, भारत माँ का कोहिनूर है। सूर्य सिद्धांत - आर्यभट्ट
1969 में भारत सरकार द्वारा दे श में उपलब्धि पर विभाग के आचार्य डा.
देश की सेवा करना तेरा है परम धर्म, वसुधैव कु टम्बकम की भाव वाले,
सामाजिक विज्ञान में अनुसंधान को बढ़ावा सरिता तिवारी, डा. नरेंद्र कु मार आर्य,
तेरी याद में उनसे लिखा है, वं दे मातरम्। वेदों से उपजे सभ्यता के मान को बृहत् संहिता - वाराहमिहिर
दे ने के लिए की गई थी। जिसका मुख्य डा. नरेंद्र सिंह , डा. पं कज कु मार
और तुम्हारे बाबा, इस बुढ़ापे में भी,
बचाना है- अपनी सं स्कृति के स्वाभिमान उद्दे श्य सामाजिक विज्ञान में अनुसंधान सिंह, डा. ओम प्रकाश गुप्ता, प्रेरणा
जवानों की जवानी बताते है,
को, को बढ़ावा दे ने के लिए परियोजनाओं, भदुली सहित विश्वविद्यालय के शिक्षक, लीलावती - भास्कराचार्य
तुम्हारे ही नाम का राग, सबको सुनते है।
कहते है, ये बम और इन बं दूकों में क्या है, भारत के सांस्कृतिक पहचान को।। फैलोशिप, अंतर्राष्ट्रीय सहयोग, क्षमता अधिकारीगण व विभाग के शोधार्थियों
की जो गोली, मेरे बेटे के सीने में जा लगेगी, निर्माण, सर्वेक्षण, प्रकाशन आदि व विद्यार्थियों ने भी शुभकामनाएं दी। रस रत्नाकर - नागार्जुन
बचाना है- विविधता में एकता वाले,
वो परदेशी भी मेरे देश के गीत गा पड़ेगी। भारत के पहचान को।
बेटा, हम यहां बस इतना चाहते हैं, “मेरी लप्रेक...” “आं खों के गौहर” “आरंभ लिखूं या अं त लिखूं”
की तू एक इं च भी पीछे ना हटे , बचाना है- भारत के आत्म गौरव ,
इंच - इंच कट जाए, भाषा एवं सं स्कृति के मान को।।
पर सरहद की जमीं बं ट ना पाए ।।
“राखी....”

मो. सादिक़ हुसैन राज नंदनी गुप्ता अक्षिता


एम.ए.जे.एम.सी. बी.ए.जे.एम.सी. बी.ए.जे.एम.सी.
मीडिया अध्ययन विभाग मीडिया अध्ययन विभाग मीडिया अध्ययन विभाग
उड़ते मर्ज़ी से अपनी फ़िज़ा में, कही भी खो जाते वो आं खों के गौहर छु पाता बहुत है, आरं भ लिखूं या अंत लिखूं ।
मजबूरियां कु छ मेरी थी, वरना तेरे हो जाते। अंधेरे में खुद को सताता बहुत है, या जीवन के सं घर्ष लिखूं ।।
आयुष श्रीवास्तव सुमेश चंद्र अस्थाना जिस कश्ती पर सवार हूँ, बहुत खुश हूं मैं अब तो मेहताब भी परेशान किस मुश्किल से मैं गुजरी हूँ।
बी. टेक. समाज कार्य विभाग एक तुम थे जो नौका दे खकर उछलने लगते। है दे ख दरीचे पर तन्हा उसे, वो गाथा या इतिहास लिखूं ।।
2019-2023
मुद्दतों बाद तेरी झलक दिखी आज फिर से वो शख्स खुद को समझदार समझाता बहुत है। जीवन अर्थ के घात लिखूं ।
महात्मा गांधी कें द्रीय विश्वविद्यालय एक बहन हाथों में राखी ले खड़ी है,
तुझे चुपचाप मेरे बगल से गुजरते दे खा।
चं पारण की शान है। विश्वविद्यालय मे और सरहद पे भाई की सूनी कलाई पड़ी है। या अतृप्त पेट की भूख लिखूं ।।
इं जीनियरिंग का एक छात्र होने के नाते, वो नहीं जानता राखी में घर जाएगा चेहरे पर मासूमियत आँ खों में हया था निखरते तारों से जब मुलाकात हुई, तड़पती काया की श्वास लिखूं ।
मैं एम जी सी यू बी के वातावरण को या वतन के लिए शहीद कहलाएगा। जिसके लिए तू पहचानी जाती वहीं अदा था। गरजते बादलों की बरसात हुई, या बिखरे मन के एहसास लिखूं ।।
वो सेना का जवान है, बहती हवाओं के सोर ने भी कह दिया, बापू की नाराजगी लिखूं
विशेष रूप से उजागर करना चाहता कु छ भी हो अपना रिश्ता बड़ी सादगी भरा था
चाह कर भी रो नहीं सकता, वो औरों के मुस्कान दे ख मुस्कुराता बहुत है, या माँ के टू टे मन का एहसास लिखूं ।।
हूं, जहां सं काय सदस्य कु म्हार बन गए मगर घर की यादों के बिना वो सो नहीं सकता।
भेज बिरयानी हो या हो राजधानी की मिठास।
और हम मिट्टी के पात्र, जिन्हे अद्भुत वो आं खों के गौहर छु पाता बहुत है।। निज रिश्तों के छदम स्वार्थ लिखूं ।
नम आं खें उसकी नहीं होती, ऑटो की नोकझोंक हो या ग्राउं ड की बतोलाबाजी या समाज के व्यं गाघात लिखूं ।।
रूप से कलाकृ ति के बारीक टु कड़ों में पर दिल उसका भी होता है, एसपी वर्मा रोड का रोड शो हो या एयरपोर्ट की हवाबाज़ी
आकार दिया जा रहा है। यहां पाठ्यक्रम, मौकू फ नहीं है वो गैरों पर, अपने हिस्से के अश्क लिखूं ।
वो दूसरों को नहीं दिखाता अके ले
विस्मयकारी बुनियादी ढांचे, पर्यावरण और नहीं भुला हूँ मैं, सब याद है मुझे अटखेलियां तेरी एतबार-ए-आलम नहीं है गैरों पर, या फिर जीवन विध्वं स लिखूं ।।
में छु प कर वो भी रोता है।
मिलेंगे तब तेरे-मेरे बच्चे बड़े जब हो जायेंगे। उसकी हर खाई हुई ठोकर ने भी कह दिया,
अन्य सुविधाएं भी उपलब्ध हैं जो आपको सर पर कफ़न बांध सरहद पर खड़ा है,
पेशेवर दुनिया के लिए तैयार करती हैं। मुझे ये हिंदुस्तान का प्यार है, शुरू होगी फिर से यहीं कहानियां लप्रेक की अब गुल पर भी सं भल कर चलता बहुत है, आरं भ लिखूं या अंत लिखू।
और तिरं गा उसके लिए सबसे बड़ा है। हंसेंगे फिर से मिलकर सब कही एक साथ हो कर के ।। वो आं खों के गौहर छु पाता बहुत है।। या जीवन के सं घर्ष लिखूं !!
एमजीसीयूबी का हिस्सा होने पर गर्व है।
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संपादकीय
मुख्य संरक्षक संरक्षक

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सलाहकार संपादक डिज़ाइन - लेआउट

प्रो. पवनेश कुमार जाह्नवी शेखर


डॉ. नरेंद्र सिं ह समाचार संपादन
डॉ. परमात्मा कुमार मिश्र शशिरंजन कुमार मिश्रा
डॉ. सुनील दीपक घोड़के विकाश कुमार
आशीष कुमार
डॉ. उमा यादव
सुश्री शेफालिका मिश्रा विद्यार्थी संपादक
शिवानी सिं ह
रोशनी मिश्रा
सोनाली सिं ह
अं किता कुमारी
काजल कुमारी
अं जलि चौधरी
श्वेता कुमारी
राहुल कुमार
आकाश राज

प्रकाशक : कुलसचिव, महात्मा गाँधी केंद्रीय विश्वविद्यालय

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