Professional Documents
Culture Documents
परिसर प्रतिबिंब, दिसम्बर, 2021 - जनवरी, 2022 (संयुक्तांक)
परिसर प्रतिबिंब, दिसम्बर, 2021 - जनवरी, 2022 (संयुक्तांक)
डॉ विश्वेश वाग्मी को यूपी संस्कृत संस्थान द्वारा भारत के पूर्व प्रधानमं त्री, प्रख्यात जनसं पर्क अधिकारी शेफालिका मिश्रा एवं साथ उनकी पूरी जीवन यात्रा को कु छ
विविध शास्त्र पुरस्कार साहित्यकार, कवि हृदय, चिंतक ,
आलोचक एवं अजातशत्रु राजनेता श्री
पुस्तकालय विज्ञान के सहायक आचार्य
डॉ. भावनाथ पांडे ने सं युक्त रूप से किया ।
प्रमुख कविताओं एवं चित्रों के माध्यम से
रेखांकित किया गया। डॉ. रमण ने कहा
सं स्कृत विभाग में सहायक आचार्य राजेन्द्र सिंह, सं स्कृत विभाग के अटल बिहारी वाजपेयी जी की जन्म जयं ती चित्र प्रदर्शनी का लोकार्पण करते हुए कि माननीय कु लपति जी के प्रेरणा से इस
डॉ विश्वेश वाग्मी को उत्तर प्रदे श अध्यक्ष प्रो. प्रसून दत्त सिंह सहित का आयोजन विश्वविद्यालय में किया गया मुख्य अतिथि प्रो. राजीव कु मार ने कहा चित्र प्रदर्शनी का आयोजन करना सं भव
सं स्कृत सं स्थान द्वारा विविध । कु लपति प्रो. सं जीव कु मार शर्मा की कि अटल जी के व्यक्तित्व और कृ तित्व हो सका और इसमें मीडिया अध्ययन के
विश्वविद्यालय के समस्त आचार्यों, प्रेरणा, मार्गदर्शन एवं सं रक्षण में सं पन्न को रेखांकित करते हुए इस तरह की
शास्त्र पुरस्कार से सम्मानित किया विद्यार्थियों की सक्रिय भागीदारी रही।
अधिकारियों, शोधार्थियों एवं इस आयोजन के अंतर्गत विश्वविद्यालय चित्र प्रदर्शनी का आयोजन किया जाना कार्यक्रम के दौरान विश्वविद्यालय की
गया। डॉ वाग्मी को सं स्कृत की के अटल बिहारी वाजपेयी पुस्तकालय विश्वविद्यालय के लिए सुखद है , और
प्राचीन पांडुलिपियों पर लिखी विद्यार्थियों ने उन्हे बधाई दी। जनसं पर्क अधिकारी शेफालिका मिश्रा,
में अटल जी एवं महामना मदनमोहन इसके माध्यम से हमारे विद्यार्थियों
ज्ञातव्य है की डॉ विश्वेश वाग्मी पुस्तकालय प्रभारी डॉ. भवनाथ पांडे,
गई रचना के आधार पर उत्तर मालवीय की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित को अटल जी के जीवन के विभिन्न
अटल बिहारी कें द्रीय पुस्तकालय के
प्रदे श सरकार ने इस प्रतिष्ठित अपने लेखन और व्याख्यानों के की गई । इस हेतु प्रति कु लपति प्रो. जी. पक्षों को जानने का अवसर मिलेगा ।
रोबिन बालियान समेत विश्वविद्यालय
पुरस्कार से सम्मानित किया है। माध्यम से भारतीय ज्ञान परं परा गोपाल रेड्डी का सान्निध्य एवं शुभकामनाएं कार्यक्रम सं योजक डॉ. साके त रमण ने
भी प्राप्त हुई। विश्वविद्यालय के महात्मा चित्र प्रदर्शनी की योजना के बारे में बताया के विभिन्न विभागों के शिक्षक एवं
इस अवसर पर कुलपति प्रो. एवं सं स्कृति के प्रचार प्रसार शोधार्थी तथा विद्यार्थी मौजूद थे ।
बुद्ध परिसर स्थित बृहस्पति सभागार कि इस चित्र प्रदर्शनी के माध्यम से अटल
सं जीव कुमार शर्मा ने डॉ. वाग्मी में सतत अपना योगदान दे रहे आयोजन समिति के सक्रिय विद्यार्थी
में अटल जी के जीवन, व्यक्तित्व एवं जी को एक कवि, राजनेता, ओजस्वी
को आशीर्वाद दे ते हुए उनके हैं। गणमान्य व्यक्तियों ने भी कृ तित्व को रेखांकित करती हुई एक चित्र वक्ता, प्रधानमं त्री, विश्व नेता के रूप में सदस्यों में मीडिया अध्ययन विभाग के
उज्जवल भविष्य की कामना की। प्रदर्शनी का भी आयोजन किया गया। चित्रांकित किया गया। मुख्य थीम अटल शशिरं जन मिश्रा, जाह्नवी शेखर, शिवानी
इस अवसर पर डॉ विश्वेश की
इस उपलब्धि पर कुलसचिव प्रो. चित्र प्रदर्शनी का उद्घाटन विश्वविद्यालय जी की सं सदीय यात्रा, कवि के रूप में सिंह, सोनाली सिंह, रोशनी मिश्रा,
साहित्य साधना की प्रशं सा करते
राजीव कुमार, मानविकी एवं के कु लसचिव प्रो. राजीव कु मार, चित्र अटल जी की काव्य धारा, विदे श दौरों एवं विकाश कु मार, आशीष कु मार, राहुल
भाषा सं काय के अध्यक्ष प्रो. हुए उन्हें अनेक बधाइयां दी। प्रदर्शनी के सं योजक डॉ. साके त रमण, प्रधानमं त्री के रूप में अटल जी के साथ- कु मार व आकाश राज शामिल रहें।
3
अटल जी भारतीय राजनीति में त्याग और सादगी
की प्रतिमूर्ति थे : प्रो.जी.गोपाल रेड्डी
विश्वविद्यालय में ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ एवं सुना गया। जिसमें विश्वविद्यालय बलिदान दिया। उन्होंने सं विधान दिवस
प्रकोष्ठ के अंतर्गत सं विधान दिवस के शिक्षकों, अधिकारियों,विद्यार्थियों को मनाने की अपील कि ताकि यह
के मौके पर कार्यक्रम का आयोजन एवं कर्मचारियों की उपस्थिति रही। पहचान हो सके कि जो हम कर रहे हैं वह
विश्वविद्यालय के पं डित राजकुमार शुक्ल महामहिम राष्ट्र पति रामनाथ कोविं द ने सही है या गलत है । ऐसा करके हमें हर मानवाधिकार दिवस के अवसर पर कार्यक्रम
सभागार, चाणक्य परिसर में किया गया। दे श को सं बोधित करते हुए सं विधान के साल खुद का मूल्यांकन करना चाहिए।
इसके बाद माननीय लोकसभा अध्यक्ष
का आयोजन
कार्यक्रम में अतिथि के तौर पर ओएसडी महत्व और उसके निर्माण में स्वतं त्रता
ओम बिरला ने भी सभा को सं बोधित किया 10 दिसं बर 2021 को विश्व मानवाधिकार दिवस के शुभ अवसर पर राजनीति
एडमिन प्रो. राजीव कुमार , छात्र सेनानियों द्वारा दिए योगदान को याद
तथा उन्होंने बताया कि सं विधान जनता विज्ञान विभाग द्वारा कार्यक्रम का आयोजन राजकु मार शुक्ल सभागार चाणक्य
कल्याण अधिष्ठाता प्रो. आनं द प्रकाश किया और सं विधान की सर्वोच्चता को
की आशाओं, अपेक्षाओं और उम्मीदों
और मुख्य नियं ता प्रो. प्रणवीर सिंह बनाए रखने की सलाह दी। उन्होंने
को पूर्ण करने का मार्ग प्रशस्त करता है। परिसर में किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रति कु लपति जी. गोपाल रेड्डी ने
उपस्थित रहे। कार्यक्रम का सं योजन प्रो. सं विधान सभा की चर्चाओं का डिजिटल कार्यक्रम के अंत में उपस्थित सभी की। मुख्य वक्ता के रूप में मानवाधिकार विभाग, बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर
रफीक उल इस्लाम, समन्वयक, ‘एक सं स्करण, सं विधान की सुलेख की प्रति का शिक्षकों, अधिकारियों, विद्यार्थियों और
भारत, श्रेष्ठ भारत प्रकोष्ठ’ ने किया। डिजिटल सं स्करण और अद्यतन सं विधान
कें द्रीय विश्वविद्यालय के आचार्य डा. शशी कु मार सम्मिलित हुए। उन्होंने अपने
कर्मचारियों ने सं विधान की शपथ लेते
आयोजन के दौरान सं सद भवन में हो रहे का डिजिटल सं स्करण जारी किया तथा हुए उद्देशिका को पढ़ा। कार्यक्रम में सं बोधन में मानवाधिकार दिवस की महत्ता एवं इस वर्ष की थीम पर चर्चा करते
कार्यक्रम को सं सद टीवी के माध्यम से ऑनलाइन प्रश्नोत्तरी का शुभारं भ किया। प्रो. बृजेश पाण्डेय, प्रो. अजय कुमार , हुए भारत के राजनीतिक परिस्थितियों के बारे में बताते हुए कहा कि भारत में
राष्ट्र पति, उपराष्ट्र पति, लोकसभा अध्यक्ष, कार्यक्रम में माननीय प्रधानमं त्री ने प्रो. राजेन्द्र सिंह एवं प्रो.प्रसून दत्त सिंह
सहित एक भारत श्रेष्ठ भारत प्रकोष्ठ राजनीतिक दलों को मानवाधिकार के साथ-साथ मजबूत करने की जरूरत है। गांधी
सं सदीय कार्य मं त्री और प्रधानमं त्री सभा में 26/11 की घटना को भी याद
के सदस्यों और विभिन्न विभागों के एवं शांति अध्ययन कें द्र के आचार्य प्रो. सुनील महावर ने प्रस्तावना प्रस्तुत की।
के अभिभाषण को सभागार में टीवी किया। जिसमें हमारे वीर जवानों ने
शिक्षकों की सक्रिय सहभागिता रही। कार्यक्रम का सं चालन राजनीतिक विज्ञान विभाग की आचार्या डॉक्टर सरिता तिवारी के द्वारा
के माध्यम से सजीव प्रसारण दे खा आतं कवादियों से लोहा लेते हुए सर्वोच्च
किया गया। इस कार्यक्रम में विभाग के अन्य आचार्य डॉक्टर नरेंद्र आर्या, डॉ पं कज सिंह
गणितज्ञ रामानुजन की स्मृति में व्याख्यान का
उपस्थित थें। इसके अलावा अन्य विभाग के आचार्य, शोधार्थी तथा विद्यार्थी उपस्थित रहे।
आयोजन
डॉ.अनिल प्रताप गिरि इं स्पा रत्न अवार्ड से
सम्मानित
विश्व एड् स दिवस के अवसर पर सेहत राजीव कुमार द्वारा दीप प्रज्ज्वलन से हुआ। सबसे बड़ी ताकत है क्योंकि ‘ सर्वांगीण सावधानी यही इस बीमारी के उपाय हैं। कुमार ने कहा कि बिहार सरकार की
केंद्र का उद्घाटन कुलपति प्रो. सं जीव कुलपति ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में निर्मिति’ हम सभी का उद्दे श्य है। प्रो. प्रसून दत्त सिंह ने स्वागत उद्बोधन में योजनाओं के तहत विद्यालयों और
कुमार शर्मा के कर कमलों द्वारा कहा कि हमें पूरे समाज के बारे में सोचना प्रति कुलपति ने प्रसन्नता जाहिर करते हुए कहा कि एड् स का पहला मामला 1981 महाविद्यालयों में सेहत केंद्र खुल रहे
हुआ। राष्ट् रीय सेवा योजना इकाई है। समाज का सर्वांगीण विकास करना सेहत केंद्र के माध्यम से लोगों के स्वास्थ्य में सामने आया था। तब से भारत सरकार हैं। उन्होंने यह भी सूचना दी कि
एवं सेहत केंद्र के सं युक्त तत्वावधान है और साथ ही हम सबको मिलकर की दे खभाल के लिए शुभकामनाएं दी। ने लोगों को जागरूक करने के लिए कई इसी सेहत कैंप के तहत ‘डेंटल हेल्थ’
में एक व्याख्यान सह जागरूकता समाज को स्वस्थ और सुरक्षित भी बनाना मुख्य वक्ता प्रो. प्रणवीर सिंह ने बताया कार्यक्रम चलाएं । हालांकि पहले बहुत शिविर का आयोजन किया जाएगा।
कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय सं वाद कि एड् स कैसे हानिकारक है? और इसके
कार्यक्रम का शुभारं भ कुलपति प्रो.सं जीव बड़ी सं ख्या में मरीज मिलते थे, लेकिन उन्होंने सेहत केंद्र की स्थापना के
का मं च है। विश्वविद्यालय परिवार के प्रसार को कैसे रोका जा सकता है? एड् स
कुमार शर्मा, प्रति कुलपति प्रो.जी गोपाल अभी भी जागरूक रहने की आवश्यकता मूल उद्देश्यों पर भी प्रकाश डाला।
सदस्यों, छात्र-छात्राओं के स्वास्थ्य एवं
रे ड्डी, प्रबन्ध विज्ञान सं काय के अधिष्ठाता की मूल उत्पत्ति और भयावहता पर भी है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि कार्यक्रम का सं चालन पीएचडी
प्रो.पवनेश कुमार, मुख्य नियं ता प्रो. सुरक्षा को प्रमुखता दे ना विश्वविद्यालय
उन्होंने प्रकाश डाला। एड् स सं बं धी अब यह गर्व की बात है कि हमारे शोधार्थी रश्मि सिंह ने की। इस मौके
प्रणवीर कुमार, गांधी परिसर निदे शक प्रो. का प्रमुख लक्ष्य है। जीवन -स्वास्थ्य से
महत्वपूर्ण बिं दओ
ु ं को रे खांकित करते हुए विश्वविद्यालय में भी एक सेहत केंद्र है। पर विभिन्न विभागों के शिक्षकगण,
प्रसून दत्त सिंह और ओएसडी एडमिन प्रो. जुड़े विषयों पर सं वाद विश्वविद्यालय की
उन्होंने कहा कि जागरूकता, सतर्क ता और धन्यवाद ज्ञापित करते हुए प्रो.पवनेश शोधार्थी एवं विद्यार्थी मौजूद रहे।
6
शोधार्थी समीन शफी को महिला वैज्ञानिक
परियोजना मिला
कं प्यूटर विज्ञान की छात्रा होने के नाते महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय आर्यन राज विश्वविजय कुमार कुमार उत्कर्ष
महात्मा गांधी कें द्रीय विश्वविद्यालय में मेरा में मीडिया अध्ययन विभाग से जुड़ना बी.ए.जे.एम.सी. बी. टे क. बी. टे क.
मीडिया अध्ययन विभाग 2019-2023 2020-2024
अब तक का अनुभव बहुत ही शानदार
मेरे पं खों को नई उड़ान दे ने जैसा विश्वविद्यालय में नामांकन के बाद से हो महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय एम जी सी यू बी मेरे दूसरे घर जैसा
रहा है। यहां मैंने न के वल अकादमिक
रूप से, बल्कि करियर के विकास के रहा। यहां से जुड़ने के बाद मुझे मेरे रही कक्षाओं से बहुत कु छ सीखने-जानने का मेरे व्यक्तित्व के विकास में बहुत
को मिल रहा है, आए दिन विश्वविद्यालय के
है। यहां अब तक का अनुभव बहुत
अन्य सभी पहलुओ ं में बहुत कु छ सीखा रचनात्मक होने का एहसास हुआ। बड़ा योगदान रहा है। शिक्षक और
है। यह हमारे कौशल को बढ़ाने के लिए
माननीय कु लपति महोदय की अध्यक्षता में अच्छा रहा है। प्रोफेसर बहुत ही
साथ ही विभागीय शिक्षकों के सहयोग सं गोष्ठी एवं कार्यक्रमों में उनका सान्निध्य प्राप्त सं रक्षक वास्तव में सहायक हैं और मेरे
एक आदर्श स्थान है। यहां के लैब अच्छी होता रहता है। कई प्रतियोगिताओं में भाग अकादमिक और अंतर-व्यक्तिगत कौशल
मददगार, जानकार, सुलभ और
तरह से विकसित हैं और बुनियादी ढांचा और मार्गदर्शन से सभी कार्य आसान और
लेने का अवसर भी मिल चुका है, जिसका में सुधार करने में मेरी मदद करते हैं। कु शल हैं। कम समय मे विश्वविद्यालय
भी बहुत अच्छा है। महामारी में भी सुलभ हो जाते हैं तथा हमारी कलाओं अनुभव शानदार रहा। साथ ही सकारात्मकता
सं काय सदस्यों के समर्थन और प्रेरणा की सीख और परिस्थितियों का सामना करने
थिंक डिफरेंट, एक ऐसी चीज ने असाधारण परिणाम दिए हैं और
को नई ऊर्जा व निखार मिलती है।
ने मुझे प्रबुद्ध किया है। मुझे महात्मा हेतु प्राप्त मार्गदर्शन प्रेरक है।विश्वविद्यालय है जो महात्मा गांधी केंद्रीय हर गुजरते साल के साथ शिक्षा
गांधी कें द्रीय विश्वविद्यालय का हिस्सा विश्वविद्यालय का हिस्सा होना मेरे के कु लपति महोदय सहित विभाग के सभी विश्वविद्यालय अपने छात्रों को
शिक्षकगण एवं कें द्र प्रमुख को मेरा प्रणाम।
की गुणवत्ता में सुधार कर रहें हैं।
बनकर बहुत गर्व और खुशी हो रही है। लिए बहुत ही गर्व की बात है। बताने में काफी हद तक सफल है।
7
“माँ का खत” “बचाना है....” डा. अं सुइया नैन आईसीसीएसआर पोस्ट-डॉक्टोरल
फेलोशिप के लिए चयनित
आस्था रानी
अंजली चौधरी पल्लवी कुमारी बी.ए.जे.एम.सी.
मीडिया अध्ययन विभाग
बी.ए.जे.एम.सी. बी.ए.जे.एम.सी.
मीडिया अध्ययन विभाग मीडिया अध्ययन विभाग
बेटा ध्यान से देख ले, अपनी सरहद की जमीं। बचाना है-भारत के पहचान को , “आर्यावर्त की विरासत”
दुश्मन कर ना पाए, इसमें एक इंच की भी कमी । कहीं दे वनागरी के विलुप्त होते शान को, अर्थशास्त्र - आचार्य चाणक्य
तुझे तो पता हैं, की जब तू बं दूक तान खड़ा होता है, विश्वविद्यालय के राजनीति विज्ञान की के लिए अनुदान प्रदान करना है।
तो कहीं सं स्कृति के सम्मान को ,
तेरे पीछे तेरा ये पूरा हिंदुस्तान सोता है। शोधार्थी डा. अंसुइया नैन को भारतीय डा. अंसुइया नैन की इस उपलब्धि पर
मेरे जिगर के टुकड़े, मेरे लाल, बचाना है-आत्मीयता जैसे नाम को।। अष्टाध्यायी - पाणिनि
सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद कु लपति प्रो. सं जीव कु मार शर्मा ने
वहा करना कु छ ऐसा कमाल, बढ़ाना है- “क” से कबूतर की उड़ान को, (आई. सी. एस. एस. आर) द्वारा वर्ष बधाई दी और उनके मं गल भविष्य की
की अपने शरीर का इंच इंच कट भी जाए, ढूं ढना है-भाषा की झाड़ी में अटके खरहे के महाभाष्य - पतंजलि
2021-22 के लिए पोस्ट-डॉक्टोरल कामना की। उन्होंने कहा कि विवि के
पर अपने सरहद की जमीं बं ट ना पाए। फेलोशिप प्रदान की गई है। उन्हे यह
स्वाभिमान को , शोधार्थियो द्वारा लगातार प्राप्त की जा
यहां तेरा बेटा भी इतना बड़ा हो गया है, उनकी शोध कार्य विषय “अचीविं ग नाट्यशास्त्र - भरत मुनि
तेरी ही बरदी पहनकर, ‘ग’ से गमला लुढ़क न जाए, रही उपलब्धियों से पूरा विवि गौरवान्वित
सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल्स थ्रू योगक्षेम:
हमारे सामने खड़ा हो गया है। नागरी के अंक फु दक न जाए, है और अन्य शोधार्थी, विद्यार्थी के पंचतंत्र - विष्णु शर्मा
एन इं क्वायरी इं टू इं डियन सं स्कृ त ट्रेडिशन
कहता है, बचाना है- देवनागरी के मान को, लिए यह प्रेरणा का कार्य कर रही है।
एं ड टे क्स्ट्स” के उपलक्ष्य में प्रदान किया
बड़ा होकर पापा का अभिमान बनूंगा, विभागाध्यक्ष प्रो राजीव कु मार
भारत के भाषा रूपी पहचान को।। गया है। ध्यातव्य है कि डॉ. अंसुइया कुमारसम्भवम् - कालिदास
इस देश के तिरंगे का शान बनूंगा, शुभकामनाएं दे ते हुए कहा कि इस
नैन अपनी पी-एच. डी. विश्वविद्यालय
उसमे तेरे ही खून का उबाल है, प्रेरित करना है -पर्यावरण को दे वता मानने तरह की उपलब्धियां निश्चित ही विभाग
के माननीय कु लपति प्रो. सं जीव सुश्रुत संहिता - महर्षि सुश्रुत
देश का दूसरा जवान, तेरा लाल है। वाले, के लिए गर्व की बात है और उसके
कु मार शर्मा के निर्देशन में पूर्ण की है।
वहीं मेरी बहू ने आज फिर लगाया सिंदरू है, प्रगति को सूचित कर रही है। इस
सुं दर सं स्कृति की पहचान को , आई. सी. एस. एस. आर. की स्थापना
तुझे बताया, भारत माँ का कोहिनूर है। सूर्य सिद्धांत - आर्यभट्ट
1969 में भारत सरकार द्वारा दे श में उपलब्धि पर विभाग के आचार्य डा.
देश की सेवा करना तेरा है परम धर्म, वसुधैव कु टम्बकम की भाव वाले,
सामाजिक विज्ञान में अनुसंधान को बढ़ावा सरिता तिवारी, डा. नरेंद्र कु मार आर्य,
तेरी याद में उनसे लिखा है, वं दे मातरम्। वेदों से उपजे सभ्यता के मान को बृहत् संहिता - वाराहमिहिर
दे ने के लिए की गई थी। जिसका मुख्य डा. नरेंद्र सिंह , डा. पं कज कु मार
और तुम्हारे बाबा, इस बुढ़ापे में भी,
बचाना है- अपनी सं स्कृति के स्वाभिमान उद्दे श्य सामाजिक विज्ञान में अनुसंधान सिंह, डा. ओम प्रकाश गुप्ता, प्रेरणा
जवानों की जवानी बताते है,
को, को बढ़ावा दे ने के लिए परियोजनाओं, भदुली सहित विश्वविद्यालय के शिक्षक, लीलावती - भास्कराचार्य
तुम्हारे ही नाम का राग, सबको सुनते है।
कहते है, ये बम और इन बं दूकों में क्या है, भारत के सांस्कृतिक पहचान को।। फैलोशिप, अंतर्राष्ट्रीय सहयोग, क्षमता अधिकारीगण व विभाग के शोधार्थियों
की जो गोली, मेरे बेटे के सीने में जा लगेगी, निर्माण, सर्वेक्षण, प्रकाशन आदि व विद्यार्थियों ने भी शुभकामनाएं दी। रस रत्नाकर - नागार्जुन
बचाना है- विविधता में एकता वाले,
वो परदेशी भी मेरे देश के गीत गा पड़ेगी। भारत के पहचान को।
बेटा, हम यहां बस इतना चाहते हैं, “मेरी लप्रेक...” “आं खों के गौहर” “आरंभ लिखूं या अं त लिखूं”
की तू एक इं च भी पीछे ना हटे , बचाना है- भारत के आत्म गौरव ,
इंच - इंच कट जाए, भाषा एवं सं स्कृति के मान को।।
पर सरहद की जमीं बं ट ना पाए ।।
“राखी....”
संपादकीय
मुख्य संरक्षक संरक्षक
मार्गदर्शक संपादक
प्रो. राजीव कुमार डॉ. साकेत रमण
प्रो. विकास पारीक
डॉ. अं जनी कुमार झा