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GRADE –X HINDI GRAMMAR

समास ‘संक्षिप्तिकरण’ को समास कहते हैं। दो या दो से अक्षिक शब्ों का


परस्पर सम्बन्ध बताने वाले शब्ों अथवा कारक क्षिह्ों का लोप होने पर उन दो
अथवा दो से अक्षिक शब्ों के मेल से बने एक स्वतन्त्र शब् को समास कहते हैं ।

उदाहरण ‘दया का सागर’ का सामाक्षसक शब् बनता है ‘दयासागर’।

इस उदाहरण में ‘दया’ और ‘सागर’ इन दो शब्ों का परस्पर सम्बन्ध बताने वाले


‘का’ प्रत्यय का लोप होकर एक स्वतन्त्र शब् बना ‘दयासागर’।

समास की विशेषताएँ –
(i) समास में दो या दो से अविक पदों का मेल होता है।
(ii) समास में शब्द पास-पास आकर नया शब्द बनाते हैं।
(iii) पदों के बीच विभवि वचह्नों का लोप हो जाता है।
(iv) समास से बने शब्द में कभी उत्तर पद प्रिान होता है तो कभी पूिव पद और
कभी-कभी अन्य पद। इसके अलािा कभी कभी दोनों पद प्रिान होते हैं।

समासों के छ: भेद हैं -

1. द्वन्द्द्व समास
2. क्षद्वगु समास
3. तत्पुरुष समास
4. कममिारय समास
5. अव्ययीभाव समास
6. बहुव्रीक्षह समास

तत्पुरुष समास

क्षिस समास में पू वमपद गौण तथा उत्तरपद प्रिान हो, तत्पुरुष समास कहलाता है ।
दोनों पदों के बीि परसगम का लोप रहता है ।

परसगम लोप के आिार पर तत्पुरुष समास के छ: भेद हैं


(i) कमम तत्पुरुष (‘को’ का लोप) िैसे-

 मतदाता = मत को दे ने वाला
 क्षगरहकट = क्षगरह को काटने वाला

(ii) करण तत्पुरुष िहााँ करण-कारक क्षिह् का लोप हो; िैसे-

 िन्मिात = िन्म से उत्पन्न


 मुाँहमााँगा = मुाँह से मााँगा

(iii) सम्प्रदान तत्पुरुष िहााँ सम्प्रदान कारक क्षिह् का लोप हो; िैसे-

 हथकडी = हाथ के क्षलए कडी


 सत्याग्रह = सत्य के क्षलए आग्रह
 युद्धभूक्षम = युद्ध के क्षलए भूक्षम

(iv) अपादान तत्पुरुष िहााँ अपादान कारक क्षिह् का लोप हो; िैसे-

 िनहीन = िन से हीन
 भयभीत = भय से भीत
 िन्मान्ध = िन्म से अन्धा
 गु णहीन = गु णों से हीन

(v) सम्बन्ध तत्पुरुष िहााँ सम्बन्ध कारक क्षिह् का लोप हो; िैसे

 प्रे मसागर = प्रे म का सागर


 क्षदनियाम = क्षदन की ियाम
 भारतरत्न = भारत का रत्न

(vi) अक्षिकरण तत्पुरुष िहााँ अक्षिकरण कारक क्षिह् का लोप हो; िैसे-

 नीक्षतक्षनपुण = नीक्षत में क्षनपु ण


 आत्मक्षवश्वास = आत्मा पर क्षवश्वास
 घुडसवार = घोडे पर सवार
2. अव्ययीभाव समास

क्षिस समास में पू वमपद अव्यय हो, अव्ययीभाव समास कहलाता है । यह वाक्य में
क्षिया-क्षवशेषण का कायम करता है; िैसे-

 यथास्थान = स्थान के अनुसार


 आिीवन = िीवन-भर
 प्रक्षतक्षदन = प्रत्येक क्षदन
 यथासमय = समय के अनुसार

3. क्षद्वगु समास

क्षिस समास में पू वमपद संख्यावािक हो, क्षद्वगु समास कहलाता है ।

िैसे-

 नवरत्न = नौ रत्नों का समूह


 सिदीप = सात दीपों का समूह
 क्षिभुवन = तीन भुवनों का समूह
 सतमंक्षिल = सात मंक्षिलों का समूह

4. द्वन्द्द्व समास

क्षिस समास में पू वमपद और उत्तरपद दोनों ही प्रिान हों अथामत् अथम की दृक्षि से
दोनों का स्वतन्त्र अप्तित्व हो और उनके मध्य संयोिक शब् का लोप हो तो द्वन्द्द्व
समास कहलाता है;

िैसे

 माता-क्षपता = माता और क्षपता


 राम-कृष्ण = राम और कृष्ण
 भाई-बहन = भाई और बहन
 पाप-पु ण्य = पाप और पु ण्य
 सुख-दु ुः ख = सुख और दु ुः ख
5. कमविारय समास - पहला पद विशेषण या उपमेय और दूसरा पद वजस समास का-
विशेष्य या उपमेय होता है, उसे कमविारय समास कहते हैं।
उदाहरण –

6. बहुव्रीक्षह समास-क्षिस समास में प्रथम एवं दू सरा पद गौण होते हैं
तथा क्षकसी तीसरे पद की तरफ़ संकेत करते हैं, बहुव्रीक्षह समास कहलाता
है ।
उदाहरण–

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