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अ मै से ज टु गा श या

सफल क रयर, तेज तर

लेखक: अ बट हबड

अनुवाद: डॉ. सुधीर दीि त


अ याय सूची
तावना
सौ बात क एक बात
‘अ मैसेज टु गा शया’ कै से िलखा गया?
गा शया को संदश

िमशन पूरा करना सीख
कमचारी सौ ितशत यास नह करते
मोशन य नह िमलता है?
कामचोरी से सफलता नह िमलती
बहाने नह , उपाय खोज
यो यता सफलता क अिनवाय शत है
अपनी गित या छँटनी के िलए आप खुद िज मेदार ह
कन कमचा रय क छँटनी होती है?
उ मी कमचारी कं पनी क धुरी होते ह
या आप गा शया तक संदश
े प च
ँ ा सकते ह?
तावना
यह पु तक यात लेखक अ बट हबड के अमर लेख ‘अ मैसेज टु गा शया’ का हंदी अनुवाद है। यह पु तक आज
से 120 साल पहले िलखी गई थी, ले कन इसम जो बात बताई गई ह, वे आज भी उतनी ही ासंिगक ह, िजतनी
क तब थ । कहानी छोटी सी है, ले कन इसम बड़े असरदार तरीके से बताया गया है क क रयर म सफल होने
और तेज तर करने के िलए इं सान म कौन से गुण होने चािहए और उसे या करना चािहए।
आधुिनक युग के पाठक क सुिवधा क दृि से मने लेखक क बात को थोड़े िव तार से प कया है तथा
आधुिनक युग के अनु प बनाया है। मूल संदश
े वही है, ले कन इसे संशोिधत और िव तृत सं करण क तरह ल,
य क इसम मने इ सव सदी के िलए अ बट हबड क नसीहत का िव तार भी कया है।
डॉ. सुधीर दीि त
सौ बात क एक बात
अगर आप कसी कं पनी या इं सान क नौकरी करते ह, तो भगवान के नाम पर पूरी ईमानदारी से नौकरी कर।
सचमुच उसक खाितर मेहनत कर। पूरी ईमानदारी से, पूरी लगन से, पूरे समपण से। यह न भूल क वह आपको
पैसे दे रहा है, िजनक बदौलत आपको खाने-पीने को िमल रहा है, आप ज रत के सामान खरीद पा रहे ह,
आपक रोजी-रोटी चल रही है और आपके ब े कू ल-कॉलेज म पढ़ रहे ह। अगर वह आपको वेतन दे रहा है,
िजससे आपके घर का खच चल रहा है और आप सुख-सुिवधा भरी जंदगी जी रहे ह, तो यह आपका कत है क
आप उसक खाितर पूरी मेहनत से काम कर, उसके बारे म अ छा बोल, उसके बारे म अ छे िवचार रख और हर
समय अपने मािलक तथा अपनी कं पनी का साथ द। सारांश यह है क आप िजस कं पनी म काम करते ह, उसे
अपनी खुद क कं पनी मान तथा उसक गित के बारे म हर पल सोचते रह, य क अगर वह तर करे गी, तभी
आप तर करगे।
मुझे लगता है क अगर म कसी क नौकरी क ँ गा, तो म सचमुच दलोजान से मेहनत क ँ गा। म ऐसा नह
क ँ गा क आठ घंटे क नौकरी म के वल दो घंटे ही काम क ँ या के वल चार घंटे ही काम क ँ और बाक समय
सोशल मीिडया पर चै टंग करता र ँ या मैसेज भेजता र ँ या चाय पीता र ँ या स फग करता र ँ या कसी दूसरी
तरह से म ारी या कामचोरी करता र ।ँ म तो पूरे समय काम क ँ गा, यानी आठ घंटे। और ज रत पड़ी तो उससे
भी यादा। अगर म पूरा वेतन चाहता ,ँ तो मुझे पूरे समय काम भी करना चािहए। अगर बॉस तीस दन म से
मेरी एक दन क भी तन वाह काट दे, तो म भड़क जाऊँगा। ले कन अगर म एक दन के काम म एक घंटा
बरबाद कर दू,ँ तो या बॉस को नह भड़कना चािहए? कामचोरी भी एक तरह क अनैितकता है, य क हम जो
नमक खा रहे ह, उसका हक अदा नह कर रहे ह। इसिलए कं पनी या बॉस मुझे िजतने काम के पैसे देता है, म
उतना पूरा काम क ँ गा, बि क उससे भी यादा क ँ गा। अगर मुझे लगता है क मेरे मािलक या कं पनी के िहत म
मुझे इससे यादा काम करने क ज रत है, तो म उसे भी क ँ गा। सही मायने म देखा जाए, तो सौ ाम
वफादारी का मू य एक कलो चतुराई के बराबर होता है। इसिलए म अपने काम म वफादारी और चतुराई दोन
का िम ण क ँ गा, ता क मेरी कं पनी सफल हो, य क कं पनी क सफलता म ही मेरी सफलता िछपी ई है।
मान ल, इसके बावजूद आप अपनी कं पनी या अपने मािलक क बुराई करना चाहते ह! अगर आपको हमेशा
उनक नंदा ही करना है, बुरा ही बोलना है और आलोचना ही करना है, तो म आपको इसका एक आसान उपाय
बताता ।ँ एक पल क भी देर न कर और अपनी नौकरी से इ तीफा दे द! अपनी कं पनी से यागप दे द! और
जब आप कं पनी छोड़कर बाहर िनकल जाएँ, तो इसे जी भरकर कोस। ले कन मेरा आपसे अनुरोध है क जब तक
आप कसी कं पनी का नमक खा रहे ह, तब तक उसक बुराई न कर। जब तक आप कसी कं पनी का िह सा ह, उसे
न कोस। इस तरह आप न िसफ उस कं पनी को नुकसान प चँ ाएँगे, बि क खुद को भी प च
ँ ाएँगे। इससे आप
नमकहराम क ेणी म भी आ जाएँगे, जो िजस थाली म खाता है, उसी म छेद करता है। िसफ इतना ही नह , जब
आप अपनी कं पनी क बुराई करते ह, तो आप खुद क भी बुराई कर रहे ह, य क आप भी तो उसका िह सा ह।
और यह न भूल - कारोबार म ‘म भूल गया’ नह चलता है।
‘अ मैसेज टु गा शया’ कै से िलखा गया?
यह छोटा सा लेख ‘अ मैसेज टु गा शया’ मने रात के खाने के बाद एक घंटे म िलखा था। यह 22 फरवरी 1899 क
बात है, जब वॉ शंगटन का ज म दन था। हम ‘ फिल टाइन’ के माच अंक को काशन के िलए ं टंग ेस म
भेजने ही वाले थे। ईमानदारी से क ,ँ तो यह लेख अचानक ही मेरे दल क गहराइय से िनकला और कागज पर
िलखा गया। मने इसे िलखने के बारे म पहले से कु छ नह सोच रखा था। यह तो व रत सृजन था, िजसका ज म
अचानक और िबना कसी योजना के आ था।
शायद यह मेरे अवचेतन मन से िनकला था, जैसे कॉले रज क ‘कु बला खान’ िनकली थी या फर यह कोई
ई रीय ेरणा थी, िजसने मुझे इस लेख को एक ही बैठक म िलखने पर मजबूर कर दया था। वैसे देखा जाए, तो
वह दन कु छ िलखने के िलए अनुकूल नह था। दरअसल मेरा वह दन काफ परे शानी भरा रहा था और म थोड़े
कत गाँव वाल को िसखा रहा था क वे अपनी िनि य अव था छोड़ द, अपनी कामचलाऊ व कामटालू
वृि याँ याग द और सुपरमैन बनकर पूरी ताकत से काम कर।
म उ ह िसखा रहा था क अगर वे ढंग से काम नह करगे, तो कु छ समय बाद उनके पास कोई काम ही नह होगा,
य क उ ह नौकरी से िनकाल दया जाएगा और नौकरी से सबसे पहले उ ह लोग को िनकाला जाता है, जो
कामचलाऊ या कामटालू वृि रखते ह। उस इं सान को नौकरी से कभी नह िनकाला जाता, जो पूरे सम पत
भाव से काम करता है, जीजान से मेहनत करता है, अपने बॉस के काम को अपना काम मानता है और काम करते
समय न तो घड़ी देखता है, न ही यह सोचता है क उसके काम के बदले म उसे पया वेतन िमल रहा है या नह
(और यक न मान! अगर वह कमचारी पूरे समय मन लगाकर काम करता रहे, तो उसके वेतन के बारे म उसका
बॉस देर-सबेर बेचने पर मजबूर हो जाएगा)।
बाक कमचारी िजतना काम करते ह, वह उससे दोगुना काम करता है और वह भी खुशी-खुशी। वह एक मील
आगे तक जाकर काम करता है। उससे िजतना करने को कहा जाता है, उसे वह पूरी ईमानदारी से ही नह करता
है, बि क वह उससे आगे तक जाता है और एक-दो अित र काम कर देता है, ता क उसके बॉस को असुिवधा न
हो। अगर बॉस उसे एक काम बताता है, तो वह दो काम करता है। अगर बॉस उसे कोई काम दस दन म पूरा
करने को कहता है, तो वह उसे चार दन म ही पूरा कर देता है। यानी वह बॉस क उ मीद से आगे तक जाकर
काम करता है और जब तर देने का समय आएगा, तो बताएँ क बॉस कस कमचारी को तर देगा। जो
कमचारी बॉस क उ मीद से बेहतर दशन करता है और लगातार करता है, उसे मोशन िमलना लगभग तय है।
जब भी बॉस कमचारी को कोई काम स पता है, तो हमारा यह आदश कमचारी यह समझने क कोिशश करता है
क बॉस या चाहता है, बॉस इसे कै सा चाहता है, बॉस इसे य चाहता है, बॉस इसे कब तक चाहता है। बॉस के
आदेश को भली-भाँित समझने के बाद वह योजना बनाता है क उस काम को ज दी से ज दी और अ छी से
अ छी तरह कै से कया जा सकता है। और फर वह उस काम म तब तक जुटा रहता है, जब तक क वह काम
अ छी तरह पूरा न हो जाए। ऐसा कमचारी िबरला होता है और अगर कं पनी म मोशन िमलता है, तो उसी को
िमलता है और बार-बार िमलता है।
यह लेख िलखने का िवचार मेरे मन म आसमान से नह टपका था। यह िवचार तो एक छोटी बहस के कारण मेरे
दमाग म आया था। चाय पीते समय मेरे बेटे बट ने कहा क यूबा के यु का असली हीरो और कोई नह , बि क
रोवन था। यह रोवन ही था, िजसने उस यु म सबसे मह वपूण और सबसे खतरनाक काम कया था। वह अके ला
ही दु मन देश क सीमा के भीतर गया था और उसने वह खतरनाक काम कया था, जो कोई दूसरा ि नह
करना चाहता था - वह गा शया के नाम संदशे लेकर गया था और उसे उस तक प चँ ाया था, िजससे अमे रका क
जीत सुिनि त हो गई थी।
उसक यह बात मेरे दमाग म िबजली क क ध क तरह घुस गई! हाँ, लड़का िबलकु ल सही कह रहा है। हीरो
वही इं सान होता है, जो अपना काम बखूबी पूरा करता है - जो गा शया तक संदशे प चँ ाता है। म टेबल से उठा
और मने ‘अ मैसेज टु गा शया’ िलख दया। एक दलच प बात बताना चा ग ँ ा। मने यह लेख ‘ फिल टाइन’
पि का के माच अंक म छाप तो दया, ले कन मने इसके मह व को इतना कम आँका था क हमने इसे पि का म
िबना शीषक के छापा था।
जब पि का बाजार म प चँ ी, तो ज दी ही ‘ फिल टाइन’ के माच अंक क अित र ितय के ऑडर आने लगे -
एक दजन, पचास, सौ। जब अमे रकन यूज कं पनी ने माच अंक क एक हजार ितय का ऑडर दया, तो मने
अपने एक सहायक से पूछा क हमारी पि का म ऐसा कौन सा लेख छपा था, िजसने पूरे अमे रका म धूम मचा दी
थी।
उसने कहा, ‘यह गा शया वाला लेख है।’
और फर अगले ही दन यूयॉक स ल रे लरोड के जॉज एच. डेिनय स का टेली ाम आया, िजसम िलखा था:
‘रोवन वाले लेख को पफलेट के प म छापने के िलए एक लाख ितय क क मत बताएँ - िजसके पीछे ए पायर
टेट ए स ेस िव ापन हो - यह भी बताएँ क आप ये ितयाँ कतनी ज दी भेज सकते ह।’
मने जवाब म क मत तो बता दी, ले कन यह भी िलखा क पफलेट छापकर भेजने म हम दो साल लग जाएँगे।
हमारी मता सीिमत थी, हमारी मशीन छोटी थ और एक लाख बुकलेट छापने का काम िहमालय पर चढ़ने
िजतना क ठन लग रहा था।
जािहर है, िम. डेिनय स दो साल तक इं तजार करने को तैयार नह थे। प रणाम यह आ क मने िम. डेिनय स
को यह अनुमित दे दी क वे वह लेख अपने मनचाहे तरीके से खुद छाप ल। उ ह ने यह बात खुशी-खुशी वीकार
कर ली। और उ ह ने एक लाख ितयाँ नह छाप । उ ह ने तो बुकलेट के प म पाँच लाख ितय का सं करण
कािशत कया। और एक बार नह , बि क दो-तीन बार। यानी दस-पं ह लाख ितयाँ! इसके अलावा यह लेख
दो सौ से यादा पि का व अखबार म भी छपा। मुझे यह बताते ए खुशी हो रही है क इसका अनुवाद सभी
िलिखत भाषा म हो चुका है। ब त कम लेखक को यह सौभा य िमलता है और म इस मामले म खुद को ब त
खुशनसीब समझता ।ँ
िजस समय िम. डेिनय स ‘अ मैसेज टु गा शया’ क लाख बुकलेट बाँट रहे थे, उसी समय रिशयन रे लवेज के
डायरे टर ंस हाइलाकॉफ भी अमे रका म थे। वे यूयॉक स ल रे लरोड के अितिथ थे और िम. डेिनय स के
ि गत मागदशन म देश का मण कर रहे थे। ंस को भी यह छोटी पु तक दख गई और शायद वे इसम
यादा िच नह लेते, ले कन जब उ ह ने देखा क डेिनय स इसक लाख ितयाँ छाप रहे ह, तो उ ह ने इस
बुकलेट म भारी िच ली।
स लौटने के बाद उ ह ने इसका अनुवाद सी भाषा म कराया और उ ह यह बुकलेट इतनी पसंद आई क
उ ह ने यह स के हर रे लरोड कमचारी को बँटवा दी।
बाक देश म भी यही हाल रहा। स के बाद यही िसलिसला जमनी, ांस, पेन, तुक , हंद ु तान और चीन म
भी दोहराया गया। स और जापान के बीच जब यु िछड़ा, तो मोच पर जाने वाले हर सी सैिनक को ‘अ
मैसेज टु गा शया’ क ित दी गई।
जापािनय को जब सी कै दय के पास बुकलेट िमली, तो वे पहले तो च के , ले कन बाद म इस नतीजे पर प च
ँ े
क इस बुकलेट म ज र कोई ब त मह वपूण संदश े होगा। इसका प रणाम यह आ क उ ह ने इस बुकलेट का
अनुवाद जापानी भाषा म करा िलया। बाद म िमकाडो के आदेश पर हर जापानी कमचारी, हर जापानी सैिनक
और हर जापानी नाग रक को इसक ित बाँटी गई। अब तक ‘अ मैसेज टु गा शया’ क चार करोड़ से अिधक
ितयाँ छप चुक ह।
लोग का कहना है क पूरे इितहास म आज तक कसी लेखक के जीवनकाल म कोई सािहि यक पु तक इतनी बड़ी
सं या म नह छपी है - और म इसका ेय खुश क मती से िमले कई संयोग को देता !ँ
-अ बट हबड
गा शया को संदेश
फसल के समय म बफ क ठं डक क तरह, वैसा ही उनके िलए वह वफादार संदश
े वाहक है, जो उसे भेजते ह;
य क वह अपने मािलक क आ मा को तरोताजा कर देता है। - सूि 25:13

यूबा के साथ ए इस पूरे यु म एक आदमी है, जो मेरी मृित के ि ितज पर सबसे अलग हटकर खड़ा है, िजस
तरह िललीपुट म गुिलवर खड़ा था। वैसे तो हर मनु य ई र क अनुपम कृ ित होता है... ले कन वह अनुपम से भी
अनुपम कृ ित था।
जब पेन और अमे रका के बीच यु िछड़ा, तो अमे रका को एक ब त मह वपूण काम करना था। इसे यूबा के
िव ोही नेता गा शया तक ज दी से ज दी संदश
े प च
ँ ाना था। संदश
े ब त ज री था और उसे तुरंत प च
ँ ाना था।
काम आसान नह था। गा शया का कोई िनि त पता- ठकाना नह था। उसके बारे म बस इतना पता था क वह
यूबा के पहाड़ क गुफा म कह पर िछपा आ था - कोई भी नह जानता था क कहाँ। यह संदश े उस तक
प या तार से नह भेजा जा सकता था। अमे रका के रा पित को उसका सहयोग हािसल करना था और वह भी
ज दी। प रि थित मुि कल थी और सभी यह सोच रहे थे क यह काम कै से हो सकता है और इसे कौन कर सकता
है।
ब त से नाम पर िवचार कया गया, कई लोग को यह काम स पने क सोची गई, ले कन कसी को भी खुद पर
इतना भरोसा नह था क वह इस काम को करने के िलए हाँ कर दे। जब भी कसी के सामने गा शया तक संदश े
प च
ँ ाने का ताव रखा जाता था, तो वह नानुकुर करने लगता था और कसी न कसी तरह का बहाना बनाकर
क ी काट जाता था। काम आसान नह था। यह ब त मुि कल था। अगर काम आसान होता, तो ब त से लोग
उसे करने को तैयार हो जाते। फू ल क राह पर तो कोई भी चलने को तैयार हो जाएगा। ले कन जब अंगार पर
चलने क बात हो, तो उसके िलए िबरले ही लोग तैयार होते ह।
अंत म कसी ने रा पित से कहा, ‘रोवन नाम का एक आदमी है, जो आपके िलए गा शया को खोज देगा। अगर
कोई आदमी यह काम कर सकता है, तो वही कर सकता है।’
िमशन पूरा करना सीख
रोवन को बुलाया गया और उसे वह प दे दया गया, जो उसे गा शया तक प च ँ ाना था। यह उसका िमशन था।
रोवन नाम के इस आदमी ने वह प िलया, इसे मोमजामे के थैले म बंद कया, इसे अपने दल के ऊपर बाँधा,
चार दन तक एक खुली नाव म सफर कया और रात के अँधेरे म यूबा के तट पर प च ँ ा, फर वह जंगल म
गायब आ और तीन स ाह म टापू के दूसरे िह से पर प च ँ ा। म आपको रोवन क वीरगाथा या क कथा िव तार
से नह सुनाऊँगा। यह ब त रोचक और रोमांचक कहानी है, ले कन यहाँ म यह नह बताऊँगा क रोवन एक श ु
देश म इस छोर से उस छोर तक पैदल कै से प च
ँ ा और कै से उसने वह प गा शया को स पा - ये सब बात म
आपको िव तार से नह बताना चाहता ।ँ म आपको जो बताना चाहता ँ और जो मु े क बात है, वह यह है:
मै कनली ने रोवन को एक प दया, जो उसे गा शया तक प च ँ ाना था। यह उसका िमशन था और उसे यह काम
सफलतापूवक करना था।
रोवन ने उस प को लेते समय यह नह पूछा, ‘वह कहाँ पर है?’ उसने यह नह पूछा, ‘म उसे ढू ँढूँगा कै से?’ उसने
यह नह पूछा, ‘अगर दु मन ने मुझे पकड़ िलया, तो या होगा?’ उसने यह नह पूछा, ‘म यहाँ सुख-चैन क
जंदगी जी रहा ,ँ म इतना खतरनाक काम करने के िलए अपनी जान जोिखम म य डालूँ?’ उसने यह नह
पूछा, ‘अगर म इतना मुि कल काम कर देता ,ँ तो बदले म मुझे या पुर कार िमलेगा?’ उसने यह नह पूछा, जो
यादातर लोग पूछते ह, ‘यह काम म ही य क ँ ? आप यह काम कसी और को य नह स पते?’ उसने एक
भी मूखतापूण सवाल नह पूछा। उसने बस अपने िमशन पर यान क त कया।
वह यह बात अ छी तरह जानता था क बॉस का काम िमशन बताना है और योजना बनाना कमचारी का काम
है। कौन सा काम करना है, यह बॉस बताएगा। उस काम को कै से फटाफट और अ छी तरह करना है, यह सोचना
कमचारी का काम है। ायः देखा गया है क काम स पते समय कमचारी अपने बॉस से ब त सारे मूखतापूण
सवाल पूछते ह, िजनका उस काम से कोई संबंध नह होता। वे दरअसल उस काम को करने पर क त नह होते,
बि क उस काम म आने वाली सम या या बाधा पर क त होते ह। यही कारण है क यादातर कमचारी हर
काम को टालने या कसी दूसरे पर ढोलने क कोिशश करते ह। सरकारी द तर म तो एक कहावत भी चिलत
है, ‘बने रहो पगले, काम कर अगले।’ यानी अगर आप खराब काम करने क छिव बना लेते ह, तो बॉस आपसे
कोई काम करने को कहेगा ही नह और कसी दूसरे से काम कराएगा, िजसक अ छा काम करने क छिव होगी।
यह सरकारी द तर म तो चल सकता है, ले कन बाक जगह नह चलता है। जब कोई ‘करो या मरो’ वाला काम
आता है, तभी सबसे ितभाशाली और यो य कमचारी क पहचान होती है और सबसे यादा पुर कार भी उसी
को िमलते ह। याद रहे, जब अमे रका के रा पित को गा शया तक प प च ँ ाना था, तो अमे रका म लाख
कमचारी थे, ले कन कसी दूसरे कमचारी ने उतनी त परता से, उतने आ मिव ास से, उतनी उपायकु शलता से
उस काम का बीड़ा नह उठाया। रोवन ने बहाने बनाने या हीले-हवाले करने या क ी काटने या कामचोरी करने
या काम टालने क कोई कोिशश नह क । काश इस संसार के सारे कमचारी ऐसे ही होते!
भगवान भला करे ! इस आदमी क मू त अमर काँसे म ढालना चािहए और पूरे देश के हर कॉलेज म लगाना
चािहए। युवा को कताबी ान क ज रत नह है। उ ह भौितक या समाज शा के िस ांत क इतनी
ज रत नह है, िजतनी जीवन के िस ांत को जानने क ज रत है। आज का युवा जब नौकरी करने आता है, तो
वह अपने ान के गव के साथ आता है और बड़े काम करना चाहता है। वह यह भूल जाता है क जो काम स पा
गया है, उसे ही उसे इतने जतन से करना चािहए, मानो वह संसार का सबसे बड़ा काम हो। आपको कभी पता
नह होता क आपका काम कतना मह वपूण है या वह छोटा सा काम आपको आगे चलकर कतने मह वपूण
िज मेदारी क ओर ले जाएगा या उस काम को सफलतापूवक करने के बाद आपको कतना पुर कार या अवसर
िमलगे।
आज के युवा को िविभ िवषय पर कोरा ान हािसल करने क ज रत नह है। उ ह तो ावहा रक ान क
ज रत है। उ ह तो जीवन के ान क ज रत है। उ ह अपनी रीढ़ मजबूत करने क ज रत है, िजसक बदौलत वे
अपने बॉस के िव ास पर खरे उतर, काम को अपना धम समझ, तुरंत व उ कृ काम कर, अपनी ऊजा को
क त कर। यानी कु ल िमलाकर वे जब भी काम करगे, पूरी िन ा से काम करगे, पूरे दल से काम करगे, वे वह
सब करगे, जो उनसे करने को कहा गया है, यानी वे - ‘गा शया का संदश
े उस तक प चँ ाएँग।े ’
कमचारी सौ ितशत यास नह करते
या आपने कभी कोई ऐसा काम करने क कोिशश क है, िजसम कई कमचा रय के सहयोग क ज रत पड़ी हो?
अगर आपने क है, तो आपको कई बार आम आदमी क मूखता पर हैरानी ई होगी। हो सकता है क आप इस
बात पर िवचिलत और ोिधत भी ए ह - वह कसी चीज पर यान क त नह कर सकता है या करना नह
चाहता है। यह अयो यता या अिन छा आधुिनक समाज के महारोग से कम नह है। यह आलस ही नह है, िजसके
वशीभूत वह कु छ करना नह चाहता है। यह तो चुनौती का सामना करने क अिन छा है। यादातर लोग पाँच
ितशत यास करके अपने क रयर म सौ ितशत सफलता हािसल करना चाहते ह। यह तो वैसी ही बात है क
कोई दस कदम चढ़कर माउं ट एवरे ट पर प चँ ने क उ मीद करे । अगर आप संसार के सबसे ऊँचे पहाड़ पर
चढ़ना है, तो इसके िलए आपको ब त सी बाधा को पार करना होगा और जीवट का प रचय देना होगा, तभी
आप यह काम कर सकते ह। जैसा रोवन ने कया था।
जब बॉस कोई काम बताता है, तो यादातर कमचारी आधे कान और आधे यान से उसके आदेश को सुनते ह और
‘यस सर’ बोलकर बॉस के के िबन से बाहर िनकल आते ह। वे पूरी तरह यह समझने क जहमत ही नह उठाते ह
क उनका बॉस दरअसल उनसे या कराना चाहता है। और जब आपको ठीक-ठीक पता ही नह होता क आपका
बॉस आपसे या चाहता है, तो आप काम को गलत करके ले आते ह और फर हैरान होते ह क बॉस आपको
खाम वाह य डाँटता है और पहले से ही यह य नह बताता क वह आपसे या चाहता है। अगर वे पहली
बार बताते समय ही पूरे यान से सुन लेत,े तो यह सम या ही नह आती। देिखए, एक बात कान खोलकर सुन ल।
आपको अपने एजडा पूरे करने के िलए नह , बि क अपनी कं पनी के एजडा पूरे करने के िलए नौकरी दी गई है।
आपको अगर आपके बॉस या कं पनी ने नौकरी दी है, तो परोपकार करने के िलए नह दी है या इसिलए नह दी
है, य क उसके पास ज रत से यादा पैसे ह, िज ह वह गरीब म बाँटना चाहता है। आपको नौकरी इसिलए दी
गई है, ता क आप वह काम कर, जो बॉस या आपक कं पनी आपसे कराना चाहती है। रोवन को पूरी तरह से पता
था क उसका बॉस उससे या चाहता है और उसे कौन सा काम करना है। वह जानता था क उसे गा शया तक
प प च ँ ाना था... ज दी से ज दी।
आधुिनक जीवन म इतने यादा इले ॉिनक वधान बढ़ चुके ह क लोग को एका रहने म पहले से ब त
यादा मुि कल आती है। कारण चाहे जो ह , क रयर म यादातर सम याएँ इसिलए आती ह, य क हम सौ
ितशत यास नह करते ह, हम अपनी पूरी मता से काम नह करते ह, हम काम को आिखरी समय तक टालते
ह। चंता क बात यह है क हम हाथ के काम पर पूरी तरह यान क त नह करते ह, ले कन हम अपने राई
बराबर यास के बदले म पहाड़ िजतने पुर कार चाहते ह और हमारी यादातर िच हाथ के काम पर नह ,
बि क िमलने वाले पुर कार म होती है। यानी हम इनाम तो पाना चाहते ह, ले कन उसके िलए मेहनत नह
करना चाहते। यानी हम अपनी वीरता क जय-जयकार तो सुनना चाहते ह, ले कन हम ‘गा शया तक प नह
प च
ँ ाना चाहते।’
सौ ितशत यास करने क आव यक शत यह है क आप अपना सबसे मह वपूण काम चुन ल और पूरे समय
उसी पर यान क त कर। इस तरह आप अनाव यक बाधा से बच जाएँगे और आपको िनणय लेने या िवक प
चुनने म भी आसानी रहेगी। आपका नंबर वन काम आपका ुवतारा बन जाता है, जो समय के बंधन म आपक
मदद करता है। जो भी चीज आपके नंबर वन काम म सहयोग नह करती है, उसे नह करगे। जो भी चीज आपके
नंबर वन काम म सहयोग करती है, आप उसे करगे। अपने नंबर वन काम पर यान द। रोवन के िलए यह काम
था ‘गा शया को प प च ँ ाना।’ आपका नंबर वन काम या है?
मोशन य नह िमलता है?
दुभा य से यह दुदशा कसी खास कं पनी या उ ोग तक सीिमत नह है। यह तो हर कं पनी और हर उ ोग म देखी
जा सकती है। अपने चार ओर िनगाह उठाकर देख ल। कसी भी कं पनी या वसाय म देख ल। कमचारी
फू हड़पन और लापरवाही से काम करते िमल जाएँगे। उनका यान हँसी-मजाक, गपशप या मौज-म ती पर क त
रहता है, अपने काम पर नह रहता। कमचारी बॉस क बुराई िजतने उ साह से करते ह, उतने उ साह से अगर
अपना काम करने लग, तो इस संसार क उ पादकता रातोरात दोगुनी हो जाए! ले कन देखने म या आता है?
कमचारी बे यानी से काम करते ह, उदासीनता से काम करते ह, मानो काम कोई कड़वी कु नैन हो, जो उनका बॉस
उनके गले से नीचे उतार रहा हो। आधुिनक युग क सबसे बड़ी सम या म से एक यह है क हम म पर शम
करने लगे ह। म से बचने के िलए इं सान ने आधुिनक मशीन ईजाद कर ली ह। लोग को पैदल चलने म शम आती
है, मिहला को झाड़ू-पोछा खुद करने म शम आती है, यहाँ तक क आजकल तो कपड़े धोने या खाना बनाने म
भी शम आने लगी है। कम को कभी पूजा माना जाता था, सफलता का आधार तंभ माना जाता था, ले कन
आजकल इसे िहकारत क िनगाह से देखा जाता है। सफलता क प रभाषा आजकल यह हो गई है क कौन
कतना कम काम करके कतने यादा पैसे कमाता है। आज क पीढ़ी को यह िसखाने क ज रत है क म शम
क चीज नह है, बि क सफलता क अिनवाय शत है।
आजकल कमचारी पूरे दल के बजाय आधे-अधूरे दल से काम करते ह। और आधे-अधूरे दल से भी नह करते ह!
वे तो बस उतना ही काम करते ह, ता क उ ह नौकरी से न िनकाला जाए। यह सफल होने का तरीका नह है और
कोई हैरानी नह क ऐसे कमचारी सफल नह होते ह। उ ह मोशन नह िमलता है और वे बाद म इस बात पर
हैरान होते ह क उ ह मोशन य नह िमला या उनक तन वाह य नह बढ़ी। वे अपने बॉस क बुराई करते
ह, कं पनी क नीितय क बुराई करते ह, भाई-भतीजावाद का आरोप लगाते ह, ले कन उस मु य चीज पर यान
ही नह देते ह, िजसक वजह से उनके बजाय कसी दूसरे को मोशन िमला - वे पूरे दल से काम नह कर रहे ह
और गा शया को संदश े प च
ँ ाने का बीड़ा नह उठा रहे ह।
कामचोरी से सफलता नह िमलती
हम जानते ह क कोई भी वसायी या मैनेजर अके ला सफल नह हो सकता। उसे दूसरे लोग यानी कमचा रय
के सहयोग क ज रत होती है। जब कमचारी अित कामचोर और म ार ह , तो धमक या र त या पैसे के
इनाम का लालच देकर उ ह सहयोग करने के िलए मजबूर करना पड़ता है। वैसे यह भी हो सकता है क ई र
वसायी या मैनेजर पर कृ पा करके कोई चम कार कर दे और कसी फ र ते को कमचारी बनाकर भेज दे।
ले कन इसक संभावना काफ कम है। बंधन के े म ‘गाजर और छड़ी’ क ेरणा पर ब त बात होती ह। आम
भाषा म इसका मतलब यह है क कमचा रय से काम कराने के िलए आपको या तो गाजर दखाकर उसे
ललचाना होगा या फर छड़ी दखाकर उसे डराना होगा। बॉस या तो पुर कार का लालच देकर कमचारी से काम
कराता है या फर दंड का भय दखाकर उससे काम कराता है। आधुिनक युग म कमचा रय को े रत करने के
िलए मु यतः इ ह दो ेरणा का उपयोग कया जाता है। ले कन इसक ज रत ही या है? कमचारी खुद ही
इतना े रत य नह होता क बॉस को गाजर या छड़ी क ज रत ही न पड़े? आजकल हर चीज ऑटोमे टक हो
गई है, तो फर ेरणा भी ऑटोमे टक य नह िमलती है? होना यह चािहए क बॉस जैसे ही हम कोई काम
बताए, हम उसे करने के िलए अपने आप े रत हो जाएँ और हम कसी बाहरी ेरणा क ज रत ही न रहे। जो
ेरणा अंदर से आती है, वह यादा थायी और यादा मू यवान होती है।
ि य पाठक, आप चाहे जहाँ रहते ह , इस बारे म खुद एक परी ण करके देख सकते ह। मान ल क आप इस समय
अपने ऑ फस म बैठे ह और आपके अधीन छह लक काम करते ह। कसी एक को बुलाकर उससे यह आ ह कर:
‘कृ पया जाकर एनसाइ लोपीिडया देख और मेरे िलए कोरे िगयो के जीवन पर एक संि मेमोरडम बना द।’
या वह लक आ ापालन करते ए सहजता से ‘यस सर’ कहेगा और काम पूरा करने चला जाएगा?
आपक जान क कसम, वह ऐसा कभी नह कहेगा, वह ऐसा कभी नह करे गा। उलटे वह आपको अजीब िनगाह
से देखेगा, मानो आपने उससे कोई बेजा अनुरोध कर दया हो, जैसे आपने उससे उसके दल का एक प ड गो त
माँग िलया हो। वह चुपचाप ‘यस सर’ कहकर आ ापालन म नह जुटेगा। वह तो अपना मुँह खोलेगा और आपसे
नीचे दए एक या अिधक सवाल पूछेगाः
ऽ यह कोरे िगयो कौन है?
ऽ कौन सा एनसाइ लोपीिडया देख?ूँ
ऽ एनसाइ लोपीिडया कहाँ रखा है?
ऽ या मुझे यही काम करने के िलए नौकरी दी गई थी?
ऽ कह आपका मतलब िब माक से तो नह है?
ऽ यह काम चाल भी तो कर सकता है, उससे कराने म आपको या द त है?
ऽ या कोरे िगयो मर गया है?
ऽ या कोई ज दी है?
ऽ इससे अ छा तो यह है क म वह एनसाइ लोपीिडयो आपके पास ले आऊँ और आप खुद ही उसम देख ल!
ऽ आपको यह जानकारी य चािहए?
ऽ मुझे वैसे भी इस काम के िलए नौकरी पर नह रखा गया था!
और म आपके एक डॉलर के बदले म अपनी तरफ से दस डॉलर क शत लगाने के िलए तैयार ँ क जब आप इन
सवाल के जवाब दे दगे और अपने बहस करने पर आमादा कमचारी को समझा दगे क जानकारी कै से खोजना है
और आप इसे य चाहते ह, तब भी वह लक उस काम को पूरे दल से करने के इरादे से वहाँ से नह जाएगा।
वह तो जाकर कसी दूसरे लक से मदद माँगेगा क वह गा शया को खोजने म उसक मदद करे - फर वह
लौटकर आएगा और आपको बताएगा क उसे एनसाइ लोपीिडया म कोरे िगयो नाम का कोई इं सान नह िमला -
यानी गा शया नह िमला। वह आपको कोस भी सकता है क आपने एक ऐसे काम के िलए उसे इतना क दया,
जो कया ही नह जा सकता था। जािहर है, मेरे शत हारने क थोड़ी आशंका तो है, ले कन औसत के िनयम के
अनुसार म नह हा ँ गा। मुझे आधुिनक कमचा रय क मनोवृि पर पूरा िव ास है क वे कम से कम क म
यादा से यादा पैसे चाहते ह।
अब अगर आप समझदार ह, तो आप अपने ‘सहयोगी’ को यह समझाने क जहमत नह उठाएँगे क कोरे िगयो
‘के ’ म नह , ‘सी’ इं डे स म िमलेगा, बि क आप यार से मु कु राकर कहगे, ‘कोई बात नह ,’ और खुद देखने चले
जाएँगे। यादातर बॉस इसी तरह से अपने कमचा रय के सामने घुटने टेक देते ह और खुद उस काम को करने
लगते ह, जो उनके मातहत को करना चािहए। नतीजा यह होता है क कमचारी कभी कु छ सीख नह पाते ह और
जीवन म तर नह कर पाते ह। बॉस का काम िनणय लेना होता है, जो अपने आप म ब त बड़ा काम है। ले कन
अगर बॉस अपना यादातर समय उन काम को करने म लगा देगा, जो उसके कमचा रय को करना चािहए था,
तो वह अपना काम कब करे गा? अगर आपको मेरी बात पर यक न न हो, तो आप मैनेजर से सव कराकर देख ल।
उनम से आधे से यादा लोग यही कहगे क उनका सबसे बड़ा िसरदद यह है क कमचारी काम करना ही नह
चाहते ह।
बहाने नह , उपाय खोज
आज क तारीख म इं सान वतं काम करने म स म ही नह है। वह बैसािखय क तलाश करता है। वह शॉटकट
क तलाश करता है। सबसे बढ़कर वह दूसरे लोग क तलाश करता है, जो उसके िह से का काम कर द। स पे गए
काम को न करने या टालने क आदत बुरी आदत है। इसे आधे-अधूरे मन से करने क आदत बुरी आदत है। शु से
ही यह सोचने क आदत बुरी आदत है क वह काम नह हो पाएगा। जब कमचारी पहले से ही सोच ले क आपने
उसे जो काम स पा है, वह उसे नह कर पाएगा, तो वह उस काम को सचमुच नह कर पाएगा। ऐसी ि थित म
कमचारी उस काम को करने के तरीके नह खोजता है, बि क उसे न करने के बहाने खोजने लगता है।
यह नकारा मक नज रया पूरे समाज म ा है और यह आधुिनक युग क एक बड़ी सम या है। कमचा रय म
काम करने क कोई इ छा ही नह है, मेहनत करने का कोई इरादा ही नह है, काम को पूरा करने का संक प ही
नह है, ले कन इसके बावजूद उ ह मोशन चािहए, वाहवाही चािहए, ेय चािहए। वैसे इ ह चीज क वजह से
समाजवाद के िसतारे ग दश म ह और यह कभी सफल नह हो सकता। जब आदमी खुद के िलए काम नह करना
चाहता, जब वह खुद क गित और मोशन के िलए काम नह करना चाहता, तो वह तब काम य करे गा, जब
उसके काम से उसे ि गत लाभ नह होगा, बि क पूरे समाज को लाभ होगा? इसीिलए एक सुपरवाइजर क
ज रत होती है, जो कमचा रय को डंडा करता रहे और डाँटता-फटकारता रहे और उनके काम पर नजर रखे।
उस सुपरवाइजर क फटकार और छँटनी के डर क वजह से यादातर कमचारी मजबूरी म काम करते ह। वा षक
कायसमी ा भी एक ऐसी ही छड़ी है, िजससे कमचा रय को काम करने के िलए डराया जाता है यानी े रत
कया जाता है। कई कं पिनय ने तो मािसक कायसमी ा भी शु कर दी है, ता क कमचा रय को ता कािलक
ेरणा दी जा सके ।
गौर कर, जब रोवन को गा शया तक प प च ँ ाने का काम स पा गया, तो वह बहाने बना सकता था और उसके
कई बहाने जायज भी होते! यूबा इतना बड़ा देश है, इसम वह गा शया को कहाँ खोजेगा? पहाड़ दूसरी तरफ ह,
जहाँ गा शया के िछपे होने क अफवाह फै ली है, वह पैदल इतना लंबा सफर कै से तय करे गा? यूबा का अमे रका
से यु चल रहा है और अगर यूबा के लोग ने उसे देख िलया और बंदी बना िलया, तो या होगा? रोवन ये सब
बहाने बना सकता था, ले कन उसने एक भी बहाना नह बनाया। इसके बजाय उसने काम को करने के तरीके
खोजे, अपनी बुि पर भरोसा कया, अपनी यो यता पर भरोसा कया, अपनी उपायकु शलता पर भरोसा कया
और अपने ई र पर भरोसा कया। अगर आप अपने क रयर म तर करना चाहते ह, तो आपको भी यही करना
होगा। काम न करने के बहाने न खोज; काम करने के तरीके खोज।
यो यता सफलता क अिनवाय शत है
अगर आप एक टेनो ाफर का िव ापन द, तो या होगा? आपके पास ब त से आवेदन आएँगे। ले कन म डंके क
चोट पर कह सकता ँ क दस म से नौ उ मीदवार को न तो पे लंग का ान होगा, न ही ाकरण का; और तो
और उ ह टाइ पंग का भी ान नह होगा। और मजे क बात यह है क उ ह यह लगता ही नह है क उनम यह
ान होना चािहए। वे यह मानकर चलते ह क ान या यो यता के िबना ही उ ह नौकरी िमल जानी चािहए और
सफलता िमल जानी चािहए।
या ऐसा ि गा शया को प िलख सकता है?
एक बड़ी फै ी के फोरमैन ने मुझसे कहा था, ‘आप उस बुकक पर को देख रहे ह?’
मने कहा, ‘हाँ, य या आ?’
‘देिखए, वह अकाउं टट तो अ छा है, ले कन अगर म उसे कसी काम से शहर के दूसरे िह से म भेज दू,ँ तो एक
तरफ तो यह संभावना है क वह उस काम को कर देगा। ले कन दूसरी तरफ यह आशंका भी रहती है क वह
रा ते म कसी िबयर बार म घुस जाएगा और जब तक वह शहर के दूसरे िह से म प च ँ ेगा, वह यही भूल जाएगा
क उसे कस काम के िलए भेजा गया था।’
या गा शया को संदश
े भेजने के िलए ऐसे आदमी पर भरोसा कया जा सकता है?
िबलकु ल नह कया जा सकता। गा शया तक संदश े देने के िलए तो ऐसे आदमी पर भरोसा कया जा सकता है,
जो अपने ल य के ित इतना सम पत हो क उसम रा ते म आने वाले तमाम लोभन से बचकर िनकलने का
आ मबल हो। इसके िलए तो ऐसे आदमी पर ही भरोसा कया जा सकता है, जो हर पल अपने ल य क दशा म
बढ़ने पर यान क त कर रहा हो, चाहे वह ल य कोई भी हो। अगर गा शया तक प प च ँ ाना है, तो रा ते म
पड़ने वाले िबयर बार म बैठने से उससे कोई मदद नह िमलेगी, इसिलए वह यह काम कभी नह करे गा। काम
पूरा होने तक वह सारे समय उसी काम को करने के तरीके खोजेगा और उसी काम के बारे म सोचता रहेगा। वह
तब तक चैन क साँस नह लेगा, जब तक क वह सफलतापूवक काम को पूरा न कर दे।
आप ही बताएँ, अगर आप बॉस ह , तो आप कस कमचारी को तर दगे? उसे, जो काम को पूरी लगन और
एका ता और उ कृ से करता है! या फर उसे, जो काम को टालता है, कामचोरी दखाता है या काम से जी
चुराता है! खुद को अपने बॉस क जगह रखकर देख! अगर आप अपने बॉस के दृि कोण को समझ जाते ह और
उसके नज रये से चीज को देखने लगते ह, तो आप यह भी समझ जाएँगे क अपने क रयर म सफल होने के िलए
आपको कस तरह काम करना है।
अपनी गित या छँ टनी के िलए आप खुद
िज मेदार ह
‘दिमत-शोिषत मजदूर ’ के बारे म काफ सहानुभूित जताई जाती है। ‘रोजगार क तलाश म भटक रहे बेघर
लोग ’ के बारे म काफ आँसू बहाए जाते ह। इस बहाने से स ा म बैठे लोग को कोसा भी जाता है, जो गरीब क
तरफ यान नह दे रहे ह और उनके जीवन क प रि थितय को बेहतर करने के िलए कु छ नह कर रहे ह। सच
तो यह है क स ा म बैठे लोग कु छ कर रहे ह या न कर रहे ह , ले कन मजदूर या बेघर लोग भी अपनी दशा को
बेहतर बनाने के िलए कु छ नह कर रहे ह। जब उनके पास नौकरी थी, तब उ ह ने मेहनत से काम नह कया और
म ारी क , िजस वजह से उनक छँटनी कर दी गई। वे सरकार को गािलयाँ देते ह, कं पनी को कोसते ह और बॉस
को भला-बुरा कहते ह, ले कन वे उस एक इं सान को कु छ नह कहते ह, जो उनक छँटनी के िलए पूरी तरह से
िज मेदार था - वे खुद! उ ह ने अपने पैर पर खुद कु हाड़ी मारी थी। उ ह नौकरी िमली थी, उस नौकरी म सफल
होने का अवसर िमला था, ले कन उ ह ने कामचोरी करके उस अवसर का लाभ नह उठाया और इसी क वजह
से वे फु टपाथ पर आ गए।
यादातर नौजवान, चाहे वे नौकरी म ह या न ह , अपनी यो यताएँ नह बढ़ाते ह, इसिलए उ ह अ छी नौकरी
नह िमल पाती है। वे यह भूल जाते ह क उनके पास भी वही अवसर ह, जो बाक सबके पास ह, ले कन वे उन
अवसर का लाभ नह लेते ह। रात सबके पास होती है। एक इं सान रात को चार घंटे टी.वी. देख सकता है, दूसरा
इं सान उ ह चार घंट म अपनी यो यता को बढ़ाने क मेहनत कर सकता है। शाम सबके पास होती है। एक
इं सान शाम को िबयर बार म अपनी सेहत के नाम जाम पीकर अपनी सेहत खराब कर सकता है। दूसरा इं सान
शाम को ऑ फस म यादा देर तक ककर अपने क रयर को आगे बढ़ा सकता है।
मजदूर और बेरोजगार क दुदशा को लेकर आँसू बहाने वाले तो ब त िमल जाएँगे, ले कन वसाय मािलक के
बारे म सोचने वाला कोई नह है। ब त से वसायी समय से पहले ही बूढ़े हो गए ह, य क उ ह ने म ार और
कामचोर कमचा रय से काम कराने क िनरथक कोिशश क । उ ह ने अपने ‘सहायक ’ को लाख बार समझाया,
करोड़ बार आ ह कया, ले कन कोई फायदा नह आ। कमचारी तभी तक काम करते ह, जब तक बॉस उनक
पीठ पर सवार रहता है। ‘सावधानी हटी, दुघटना घटी’ कहावत क तरह जैसे ही बॉस क नजर हटती है, उनक
म ारी और कामचोरी शु हो जाती है। पहली बात तो यह है क वे काम करते ही नह ह। अगर करना पड़ जाए,
तो अ छे से नह करते ह, बि क कामचलाऊ ढंग से करते ह। वे काम को ऐसे िनबटाते ह, जैसे उनक कनपटी पर
रवॉ वर रखकर उनसे जबरन वह काम मजबूरी म कराया जा रहा हो। ऐसे लोग क रयर म सफल नह होते ह।
क रयर म सफल होने वाले लोग रोवन क तरह होते ह, जो अनाव यक नह पूछते ह, काम क पूरी
िज मेदारी लेते ह और फर उसे करने के तरीके खोजते ह, जो अपने कत को पूरा करने के िलए हर आव यक
याग करते ह, जो जोिखम का सामना करते ह और तब तक चैन से नह बैठते ह, जब तक क उनका काम पूरा
नह हो जाता और अ छी तरह नह हो जाता। वसाय म के वल उ कृ काम क पूछ-परख होती है। कामचलाऊ
काम कोई नह चाहता। एक बात का उ र दः मान ल क आप कसी कं पनी के मािलक ह और आपको दो
कमचा रय म से कसी एक को िनयु करना है, िजनम से एक कामचलाऊ काम करता है और दूसरा उ कृ काम
करता है, तो आप कसे नौकरी दगे? अगर आप अपने क रयर म तर करना चाहते ह, तो इस सवाल के उ र
को याद रख।
कन कमचा रय क छँ टनी होती है?
वसाय क दुिनया म छँटनी समय-समय पर होती रहती है। हर टोर और फै ी म खरपतवार क छँटनी क
या लगातार चलती रहती है। िनयो ा ‘सहायक ’ को लगातार नौकरी से िनकालते रहते ह, िज ह ने यह
दखा दया है क वे वसाय या कं पनी के िहत को आगे बढ़ाने म स म नह ह। िनयो ा ढीले कमचा रय को
नौकरी से िनकालकर नए कमचारी रखते ह और आशा करते ह क इस बार उनका िनणय सही हो।
अ छी से अ छी अथ व था म भी छँटनी क यह या अनवरत चलती रहती है। जब मंदी का दौर आता है,
जब बेरोजगारी बढ़ जाती है, जब मुि कल समय आता है, तो छँटनी यादा बड़े पैमाने पर होने लगती है। ले कन
एक खास बात पर गौर कर। हमेशा अ म, कामचोर और िनक मे लोग को ही बाहर िनकाला जाता है। हमेशा
उ ह लोग पर पहले गाज िगरती है, जो मेहनत से बचते ह, जो मुि कल काम नह करना चाहते ह और जो
गा शया तक संदश
े नह प च ँ ाना चाहते ह। यह सरवाइवल ऑफ द फटे ट वाला मामला है।
कारोबारी जगत म सबसे यो य या े ि ही सबसे यादा तर करता है। अपने िहत को यान म रखते
ए हर वसायी या कं पनी यही चाहती है क यह के वल सव े कमचा रय को ही अपने यहाँ रखे - उ ह
लोग को रखे, जो गा शया तक संदश े प चँ ा सक। कं पनी यह चाहती है क इसके कमचारी अपने वाथ के
बजाय कं पनी के िहत के बारे म सोच। कं पनी यह चाहती है क इसके कमचारी यह न सोच: कं पनी मुझे या दे
सकती है। इसके बजाय यह चाहती है क कमचारी यह सोच: म कं पनी को या दे सकता ?ँ आज उपायकु शलता
क िजतनी यादा ज रत है, उतनी कभी नह रही। आज नवाचार और नए िवचार क िजतनी यादा ज रत
है, उतनी कभी नह रही। ले कन दुभा य से यादातर कमचारी इस दशा म कभी कु छ करते ही नह ह। वे कं पनी
के िहत म न तो कु छ करते ह, न ही अपने दमाग पर जोर डालकर इसक तर के िलए नए िवचार सोचते ह।
म एक ब त ितभाशाली ि को जानता ,ँ जो वसाय का बंधन नह कर सकता और के वल कमचारी के
प म ही काम कर सकता है। ले कन यह ितभाशाली ि कसी भी वसाय या कं पनी म सफल नह हो
पाता है और अपनी ितभा से उसे लाभ नह प च ँ ा पाता है, य क उसके मन म लगातार यह पागलपन भरी
शंका रहती है क उसका िनयो ा उसका दमन और शोषण करता है या भिव य म करे गा। वह खुद को िनरीह
और बेबस मानता है। वह बॉस को दबंग और िनरं कुश और तानाशाह मानता है। वह ऑ फस के भीतर इतनी
अिन छा से घुसता है, जैसे िहटलर के गैस चबर म घुस रहा हो। वह अपने बॉस के आदेश न सुनता है, न मानता
है। बस हमेशा भुनभुनाता रहता है और बड़बड़ाता रहता है और अपने सािथय के साथ िमलकर बॉस के नए
िनरं कुश आदेश क बुराई करता रहता है। अगर उसे गा शया तक संदश े प चँ ाने को दया जाए, तो उसका जवाब
शायद यह होगा, ‘इसे आप खुद ही ले जाएँ!’
आज रात यह आदमी नौकरी क तलाश म सड़क पर भटक रहा है। हवा उसके सूराख वाले कोट म सीटी बजा
रही है। उसक जान-पहचान का कोई भी वसायी उसे नौकरी नह देगा, य क वह िजस भी कं पनी म जाता
है, वहाँ असंतुि , असंतोष और अशांित फै लाता रहता है। तक का उस पर कोई असर नह होता है। उस पर तो
िसफ एक ही चीज का असर होता है - मोटे सोल वाले नौ नंबर के जूते का आगे का िह सा।
उ मी कमचारी कं पनी क धुरी होते ह
जािहर है, म जानता ँ क यह इं सान नैितक दृि से िवकृ त है, इसिलए उस पर उतना ही तरस खाना चािहए,
िजतना क शारी रक दृि से अपंग कसी ि पर खाना चािहए। ले कन इसके साथ ही हम कु छ आँसू उन
लोग के िलए भी बहाना चािहए, जो कोई बड़ा काम करने क कोिशश कर रहे ह, िजनके कामकाज के घंटे सीटी
या घड़ी तक ही सीिमत नह होते, जे दन को दन नह समझते और रात को रात नह समझते, बि क अपनी
तथा अपनी कं पनी क गित के िलए दन-रात मेहनत करते ह, खून-पसीना एक करते ह और अपने क रयर को
आगे बढ़ाने क खाितर ि गत याग करने से नह िहचकते ह।
जािहर है, ऐसे चंद लोग के बाल तेजी से सफे द हो रहे ह, य क उ ह उन लोग के िह से का भी काम करना
पड़ता है, जो उदासीन ह, जो मेहनत नह करना चाहते ह, जो कृ त ह और कं पनी तथा बॉस क हमेशा बुराई
करते रहते ह। यहाँ एक बात याद रखना मुनािसब होगाः ये चंद मेहनती और उ मी लोग ही ह, िजनक बदौलत
वह कं पनी या वसाय कायम है। अगर ये चंद गितशील और उ मी कमचारी कं पनी म न रह, तो कं पनी ज दी
ही दवािलया हो जाएगी, िजस वजह से उदासीन, कामचोर और कामटालू लोग क नौकरी चली जाएगी और वे
बेरोजगार, भूखे तथा बेघर हो जाएँगे तथा अपने दुभा य को कोसते रहगे।
आज तक एक भी कं पनी ऐसी नह ई, जो म ार कमचा रय क बदौलत सफल ई हो। इस संसार क हर
कं पनी हमेशा उ मी कमचा रय क बदौलत ही सफल होती है। कोई भी कं पनी तभी तर करती है, जब इसे
कमचारी अपने पसीने से स चते ह। और वसाय म मािलक का मु य कत यह होता है क वह अपनी कं पनी
के कमचा रय का िव ेषण करके खरपतवार को समय-समय पर उखाड़ता रहे और ऐसे नए कमचा रय को
िनयु करे , जो अपने पसीने से कं पनी को स चने को तैयार ह ।
या म इस मु े पर ज रत से यादा भावावेश म बह गया ?ँ शायद हाँ, ले कन जब सारा संसार असफल लोग
क िहमायत कर रहा है और उ ह सहानुभूित दे रहा है, तो म उस ि के िलए सहानुभूित के श द बोलना
चाहता ,ँ जो सफल होता है और होना चाहता है। म पाले म दोन तरफ रहा ,ँ इसिलए मुझे यह कहने का हक
है। मने िडनर क बा टी उठाई है और दन म मजदूरी क है। मने कु छ मजदूर को नौकरी भी दी है। अपने अनुभव
से म यह बात जानता ँ क दोन प क तरफ से ब त कु छ कहा जा सकता है। मेरा दृि कोण यह है क
कमचारी अपने बॉस या मािलक क बुराई िजतने उ साह से करते ह, अगर उतने उ साह से वे काम कर, तो उ ह
सफल होने से कोई नह रोक सकता। कमचा रय को लगता है क उनके बॉस के प पात क वजह से वे क रयर
म तर नह कर पा रहे ह। वे यह स ाई देख ही नह पाते ह क उनक कामचोरी और उनक गितहीनता क
वजह से उ ह तर नह िमल रही है। एक बात का यान रख: गरीबी म कोई उ कृ ता नह होती; फटे िचथड़े
पहनना कोई गौरव क बात नह ह; और िजस तरह सारे गरीब लोग स गुणी नह होते ह, उसी तरह सारे
वसायी भी लालची और जािलम नह होते ह।
या आप गा शया तक संदेश प ँचा सकते
ह?
मेरा दय उस ि क बढ़ाई करता है, जो ‘बॉस’ के दूर रहने पर भी अपना काम करता है, तब भी जब वह घर
पर होता है, तब भी जब वह कं पनी के फायदे के िलए रात भर जागकर कसी ोजे ट को पूरा करता है। जब इस
आदमी को गा शया तक प च ँ ाने के िलए प दया जाता है, तो वह चुपचाप उसे लेता है, कोई मूखतापूण सवाल
नह पूछता है और उसे सबसे पास वाले गटर म फकने का कोई इरादा नह रखता है या इसे प च ँ ाने के संदभ म
हीले-हवाले करने या बहाने बनाने के बारे म नह सोचता है। ऐसे कमचारी को कभी ‘छँटनी’ म नह िनकाला
जाता है, न ही उसे मोशन या यादा वेतन क माँग करने के िलए हड़ताल पर जाना पड़ता है। मानव स यता
ऐसे ही कमचा रय क लंबी और खोज है। ऐसा कमचारी जो भी माँगेगा, वह उसे दया जाएगा। ऐसा
इं सान इतना दुलभ होता है क कोई भी कं पनी या बॉस उसे दूर नह जाने देगा। ऐसे ि क माँग हर शहर,
क बे और गाँव म है - ऐसे ि क माँग हर ऑ फस, दुकान, टोर और फै ी म है।
संसार ऐसे लोग क लगातार तलाश कर रहा है: उस आदमी क ज रत है और स त ज रत है - जो गा शया
तक संदशे प चँ ा दे!
एमेजॉन पर समी ा िलख
य द आपको यह पु तक पसंद आई हो, तो एमेजॉन पर समी ा िलख और टार रे टंग द।

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टाइम मैनेजमट (Revised and Expanded edition) (Hindi) Kindle Edition

हम सबके पास एक दन म 24 घंटे होते ह। न कसी के पास इससे कम होते ह, न यादा। इन 24 घंट का हम
जैसा उपयोग करते ह, उसी से हमारी सफलता का तर होता है। डा. सुधीर दीि त क इस पु तक म समय का
सव े उपयोग करने के 30 अचूक िस ांत बताए गए ह। इस पु तक म दए गए िस ांत पर अमल कर और
िशखर पर प चँ ।
Safalta ka Achook Formula (Hindi Edition) Kindle Edition

मेरा बेटा अपना क रयर शु करने क कगार पर है। एक दन जब म उसे जीवन म सफल होने के फॉमूले बता रहा था, तो मने उसे दजन बात
िगना द । इस पर वह बोला, ‘आपके बताए सभी फॉमूले अ छे ह। द त यह है क ये ब त सारे ह और इ ह याद रखना संभव नह है। आप तो
मुझे सफलता का बस एक फॉमूला बता दो, जो अचूक हो। एक ऐसा फॉमूला, जो हमेशा याद रहे, िजस पर कोई भी अमल कर सके और िजसके
सफल होने क गारं टी हो।’
नतीजा है यह फॉमूला! यह फॉमूला चिपयन बनने का वह फॉमूला है, िजसका इ तेमाल करके ही इं सान सफलता के िशखर पर प ँचता है। चाहे
िबल गे स ह या वॉरे न बफे ट या टे फनी मेयर या जे.के . रो लंग, वे सभी इसी फॉमूले पर चलकर अपने े म चिपयन बने ह। यह फॉमूला
आपको कसी भी े म चिपयन बना सकता है... इस फॉमूले पर चलकर आप अ छा वा य हािसल कर सकते ह, अपनी आ थक ि थित को
बेहतर बना सकते ह, अपनी िब बढ़ा सकते ह, अपने क रयर म तर कर सकते ह, अपने ेमसंबंध म सफल हो सकते ह, अपने वैवािहक संबंध
को यादा सुखद बना सकते ह यानी कु ल िमलाकर आप कसी भी े म सफलता हािसल कर सकते ह। यह तर क वह चाबी या मा टर क है,
िजससे कसी भी े म सफलता का ताला खुल जाएगा।

Safalta Shabdon Ka Khel Hai (Hindi Edition) Kindle Edition


चाहे आप िश क ह या से समैन, मैनेजर ह या माता-िपता, संवाद कौशल म मािहर होना आव यक ही
नह , अिनवाय है, य क भाषा ही हम एक दूसरे से जोडती या दूर करती है। संवाद कला म मािहर बनने के
िलए आपको भाषा संबंधी 9 बुिनयादी िस ांत को जानने, संवाद या के 6 पायदान को समझने और
संवाद कौशल के 8 सू पर अमल करने क ज रत है। यह पु तक आपको बताएगी क आप दूसर क बात
सुनकर उनका सही अथ कै से समझ। यह पु तक आपको बताएगी क आप अपनी बात कै से कह, ता क लोग
उनका सही अथ समझ जाएँ। यह पु तक आपको श द का िवशेष बनाए न बनाए, उनका कु शल िखलाडी
ज र बना देगी।

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