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Japa Talk Morning 103
Japa Talk Morning 103
कृष्ण-चैर्न्य ।
सङ्कीर्तन-यज्ञे र्ारे भजे,
सेइ धन्य ॥७७॥
सङ्कीर्तन-प्रवर्तक-संकीर्तन
के प्रवर्तक; श्री-कृष्ण-
चैर्न्य-भगवान् चैर्न्य
महाप्रभु; सङ्कीर्तन-
संकीर्तन; नशे-यज्ञ से;
र्ारे -उनकी; भजे-पूजा
करर्े हैं ; सेइ-वे; धन्य-
भाग्यशाली।
अनुवाद
भगवान् श्रीकृष्ण चैर्न्य
संकीर्तन (भगवन्नाम के
सामूहहक कीर्तन) के प्रवर्तक
हैं । जो संकीर्तन के माध्यम
से उनकी पूजा करर्ा है , वह
ननस्सन्देह भाग्यवान है ।