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नारी शिक्षा

शिक्षा सभी का मौलिक अधिकार है | शिक्षा हर किसी के जीवन का अभिन्न अंग है । बिना शिक्षा की
किसी के भी जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती|
अन्य दे शों की तरह भारत भी एक विकसित दे श है जिसमें परु ाने समय की तल
ु ना में आज हर एक
जगह प्रगति और विकास हुआ दे ख सकते हैं। पुराने समय में नारी का कर्तव्य घरके काम करना, घर
संभालना, बच्चे संभाल आदि कामों को ही महत्व दिया जाता था।  नारी के पढ़ाई को लेकर कोई ज्यादा
व्यवस्था और उनका कोई ज्यादा महत्व नहीं था। मगर बदलते समय के साथ इसमें भी परिवर्तन
आया है ।

कुल जनसंख्या का लगभग 50% महिलाओं का है और यदि उन्हें अशिक्षित छोड़ दिया गया तो दे श
प्रगति नहीं करे गा।
नारी के शिक्षा को लेकर आजकल कई योजनाएं आई है और नारी को हर क्षेत्र में आगे बढ़ने का मौका
दिया जा रहा है । आज के समय में नारी शिक्षित हो वह बहुत ही आवश्यक हो गया है नारी अगर पढ़ी
लिखी होगी तो आने वाली पीढ़ी का निर्माण भी पढ़ा लिखा होगा।  नारी घर में आर्थिक रूप से भी
सहायक कर सकती है । अगर कोई लड़का पढे गा तो सिर्फ अपने परिवार को ही आगे लाता है मगर जब
कोई नारी पढ़ती है ।  वह अपने साथ साथ दोनों परिवार को भी आगे ला सकती है ।  इसलिए नारी का
पढ़ा लिखा होना बहुत ही आवश्यक है शिक्षित नारी जीवन में आने वाली हर समस्याओं का शिक्षा के
माध्यम से अपनी सझ ू बझ
ू से बाहर निकल सकती है ।

भारत सरकार ने स्त्री शिक्षा को बढ़ाने हे तु समय समय पर बहुत बड़े बड़े कदम उठाए हैं| आज का कोई भी
क्षेत्र ऐसा नहीं है जहाँ नारी ने अपने कदम न बढ़ाए हो।  महिलाओं को शिक्षित किए बिना हम विकसित
दे श बनने की उम्मीद नहीं कर सकते। 

शिक्षा सभी की मूलभूत आवश्यकता है । हमें महिलाओं को शिक्षा प्राप्त करने का पूरा अधिकार दे ना चाहिए
और उन्हें पुरुषों की तुलना में कमजोर नहीं समझना चाहिए।  विभिन्न अभियान, विशेष रूप से भारत में ,
जैसे बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ सराहनीय हैं। यह समय की मांग है कि हम अपने दिमाग का विस्तार करें
और अपनी महिलाओं को शिक्षा प्राप्त करने दें ।  तभी हमारा दे श सफल हो सकता है । 

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