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राजस्थान
REVENUE OFFICER
ग्रेड-2nd
& EXECUTIVE OFFICER ग्रेड- IVth
(R.P.S.C.)
H A N DW R I T T E N N OT E S
राजस्थान नगर पािलका अिधिनयम - 2009,
भाग -3
1974 + योजनाय� + राज�वस्था
राजस्थान
भाग – 3
अंततः सतकक प्रयासों के बावजूद नोट्स में कुछ कममयों तथा त्रुटियों के रहने की
संभावना हो सकती है / अतः आप सूचि पाठकों का सुझाव सादर आमंटत्रत हैं/
प्रकाशक:
INFUSION NOTES
मो : 01414045784, 8233195718
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Sr.No. अध्याय
1. नगरपालिकाओ ं का गठन और शासन 1
3. नगरपालिका सम्पत्ति 16
5. नगरपालिका राजस्व 22
9. धनयंत्रण 60
2009 67
13. राजस्थान के शहरी क्षेत्रों में संचालिि ववधिन्न महत्वपूणय योजनाएं 69
1. राज्यपाि 92
12.िोकनीति 167
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(क) कोई र्ी स्थािीय क्षेत्र िगरपालिका घोकित ककया (ii) खण्ड (ख) के अिीि आिे वािे ककसी मामिे में
जाएं या उसमें सम्मिलित ककया जाये, या उि सदस्यों को, जो राज्य सरकार की राय में िगर
पालिका में अपवलजित क्षेत्र का प्रततधिधित्व करते हैं
(ख) कोई र्ी स्थािीय क्षेत्र िगरपालिका से अपवलजित |
ककया जाये, या
(iii) खण्ड (ग) के अिीि आिे वािे ककसी मामिे में,
(ग) ककसी िगरपालिका की सीमाओं को एक ऐसी िगरपालिका लजसमें कोई अन्य िगरपालिका
िगरपालिका के ककसी अन्य िगरपालिका में समार्हत की गयी है , इस अधिधियम के अिीि
समार्हत करके या एक िगरपालिका को दो या अवधि समाप्त होिे तक, ऐसे अन्य िगर पालिका
अधिक िगरपालिकाओं में कवर्ालजत करके के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और सदस्य उस िगरपालिका
पररवततित ककया जाये, के लजसमें ऐसी अन्य िगरपालिका समार्हत की
गयी हैं , सदस्य समझे जायेंगें और जहां कोई
(घ) कोई र्ी स्थािीय क्षेत्र कोई िगरपालिका ि रहे ।
िगरपालिका दो या अधिक िगरपालिकाओं में
● िगर पालिका बोर्ण को अधिधियम के ऐसे उपबंिों कवर्ालजत की गयी हैं ।
के प्रवतणि से छूट दे िे की िधि जो उसके लिए
(iv) खण्ड (घ) के अिीि आिे वािे ककसी मामिे में,
अिुपयुि हो -
िगरपालिका को कवघकटत कर र्दया जायेगा।
इसका अर्थ है - राज्य सरकार
िारा - 5 नगरपालिका की स्थापना और धनगमन :-
अधिसूचिा द्वारा और िेखबद्ध कारर्ों से ककसी
(1) प्रत्येक संिमर्िीि क्षेत्र में एक िगरपालिका बोर्ण
िगरपालिका बोर्ण को कविेि उपबंि से छूट दी जा
की स्थापिा की जायेगी और लजसके प्र`तत धिदेि
सकती है।
को िगपालिका मािी जाती है , िगरपालिका बोर्ण के
नगरपालिका की स्थापना | िाम से एक धिगधमत धिकाय होगा तर्था उसे िाश्वत
उत्तराधिकारी होगा और उसकी एक सामान्य मुहर
1. संिमर्िीि क्षेत्रों में िगरपालिका बोर्ण होगी तर्था उसके धियधमत िाम से वह वाद चिा
सकेगी और उस पर वाद चिाया जा सकेगा|
2. िघुत्तर िगरीय क्षेत्र में, िगर पररिद
(2) प्रत्येक वृहत्तर िगरीय क्षेत्र में एक धिगम की
3. वृहत िगरीय क्षेत्र में िगर धिगम
स्थापिा की जायेगी और ऐसा प्रत्येक िगर धिगम
Note - िगरपालिका ऐसे क्षेत्र में गर्ित िहीं की उस िगर के, लजसके प्रतत धिदेि से िगरपालिका
जा सकती लजसे राज्यपाि औद्योधगक िगर के रूप जािी जाती है । िगर धियम के िाम से एक धिगधमत
में कवधिर्दिष्ट करे । धिकाय होगा तर्था उसका िाश्वत उत्तराधिकारी होगा
उिकी सामान्य मुहर होगी तर्था उसके धियधमत िाम
तब राज्य सरकार इस अधिधियम या तत्समय प्रवृत से वाद चिा सकेगा और उस पर वाद चिाया जा
ककसी र्ी अन्य कवधि में अंतकविष्ट ककसी बात के सकेगा।
होिे पर र्ी, राजपत्र में, प्रकालित आदेि द्वारा उपबंि
कर सकेगी कक - िारा – 6 नगपालिका की संरचना :-
(i) खण्ड (क) के अिीि आिे वािे मामिे में उस (1) उत्तरवती उप - िाराओं में अंतकविष्ट उपबंिों के
क्षेत्र या उसके अततररि क्षेत्र के लिए सदस्यों का अध्यिीि रहते हुऐ, ककन्तु इस उप - िारा के आगामी
धिवाणचि धियत र्दवस से 6 मास के लिए सदस्यों उपबंिों में यर्था उपबंधित के लसवाय, ककसी
का धिवाणचि धियत र्दवस से 6 माह के र्ीतर ककया िगरपालिका के सर्ी स्थाि वार्ों के िाम से जािे
जािा चार्हए। वािे प्रादेलिक धिवाणचि क्षेत्रों से, प्रत्यक्ष धिवाणचि द्वारा
चुिे गये व्यधियों से र्रे जायेंग,ें ऐसे स्थािों की
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संख्या, जो तेरह से कम िहीं होगी, समय - समय पर 3. पदेि सदस्य MLA, MP - इस िगरपालिका क्षेत्र
राज्य सरकार द्वारा राजपत्र में अधिसूचिा द्वारा धियत का प्रततधिधित्व करिे वािे - मत देिे का अधिकार
की जायेगी - होता है ।
(1) ककसी ऐसे धिवाणचि क्षेत्र का, लजसमें ककसी (2) कपछड़े वगों के लिए 21% से कम िहीं।
िगरपालिका का क्षेत्र पूर्णतः या र्ागतः समाकवष्ट हों,
(3) सर्ी वगों में कुि स्थाि का 50% मर्हिाओं के
प्रततधिधित्व करिे वािा राजस्थाि कविािसर्ा का
लिए
सदस्य : और
यह आरक्षर् का प्राविाि संकविाि के अिु. 334 में
(2) िगरपालिका प्रिासि का कविेि ज्ञाि या अिुर्व
उल्लेखखत आरक्षर् की अवधि तक रहेगा।
रखिे वािे तीि व्यधि या िगरपालिका के धिवाणलचत
सदस्यों की संख्या का दस प्रततित इिमें से जो कम पदावधि - (1) प्रर्थम बैिक से 5 विण तक
हो, लजन्हें राज्य सरकार द्वारा, राजपत्र में अधिसूचिा
द्वारा िामधिर्दिष्ट ककया जाये : (2) अगर ककसी िगरपालिका को समय से पहिे
कवघकटत कर र्दया जाये तो िई िगरपालिका िेि
परन्तु अवधि के लिए कायण करे गी।
(1) िारा 24 और िारा 35 में अंतकविष्ट उपबंि िाम िारा - 8 नगरपालिका शासन का नगरपालिका में
धिर्दिष्ट ककये जािे वािे या िाम धिर्दिष्ट सदस्यों धनरहत होना।
पर िागू होंगे :
िगर पालिका िासि, िगर पालिका बोर्ण, िगर
(2) राज्य सरकार को ककसी िामर्दष्ट सदस्य को पररिद या िगर धिगम में उिके अध्यक्षों के माध्यम
ककसी र्ी समय प्रत्याहूत करिे की िधि होगी : से धिर्हत होगा।
(3) िामर्दिष्ट सदस्य को िगरपालिका की बैिकों में (9) वार्डों का ववभाजन :- (1) धिवाणचि के
मत देिे का अधिकार िहीं होगा। प्रयोजिार्थण, िगरपालिका को िारा 6 की उपिारा (1)
के अिीि िगरपालिका के लिए धियत कुि स्थािों
(ख)ककसी ऐसे धिवाणचि क्षेत्र का, लजसमें िगर पररिद
की संख्या के बराबर वार्ों में कवर्ालजत ककया जायेगा।
या यर्थाम्मस्थतत िगर धिगम का क्षेत्र पूर्णतः या
र्ागतः समाकवष्ट है , प्रततधिधित्व करिे वािे (2) प्रत्येक वार्ण का प्रततधिधित्व उस वार्ण की
िोकसर्ा के सदस्य का ऐसी िगर पररिद या जिसंख्या के आिार पर होगा और उसका अिुपात
यर्थाम्मस्थतत िगर धिगम में प्रततधिधित्व होगा, यर्थासंर्व वही होगा जो िगरपालिका के स्थािों की
कुि संख्या का उसकी जिसंख्या के सार्थ है।
नगरपालिका की संरचना
(10) वार्डों की अविारणा :-
तीन प्रकार के सदस्य
(1) राज्य सरकार आदे ि द्वारा धिम्नलिखखत की
1. धिवाणलचत
अविारर्ा करे गी :-
2. मिोिीत - संख्या 6 या धिवाणचि का 10% जो र्ी
(क) वार्ण, लजिमें प्रत्येक िगरपालिका को धिवाणचि
कम हो - इिको मत देिे का अधिकार िहीं है ।
के प्रयोजि के लिए कवर्ालजत ककया जायेगा।
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सदस्य धिवाणलचत होिे की तारीख से 14 र्दवस की ● िगर पालिका का अध्यक्ष िगरपालिका धिधि से ऐसे
समाश्चप्त पर वह इसका सदस्य िहीं रहे गा। मालसक र्त्ते सुकविाऐं प्राप्त करे गा जो धिवाणलचत की
जाये |
जब तक कक वह MLA/ MP / पंचायतीराज में अपिे
स्थाि से पहिे ही त्यागपत्र िहीं दे ता है । 44. अध्यि या उपाध्यि के धनवाथचन की
ववधिमान्यता की अविारणा :-
िारा - 43 प्रत्येक नगरपालिका में एक अध्यि
और एक उपाध्यि होगा :- अध्यक्ष या उपाध्यक्ष के चुिाव को चुिौती दे िी हैं तो
उस िगरपालिका क्षेत्र पर क्षेत्रीय अधिकाररता रखिे
िगरधिगम - महापौर, उपमहापौर वािे लजिा न्यायािीि को प्रस्तुत धिवाणचि यालचका
के द्वारा प्रश्नगत ककया जा सकता है ।
िगरपररिद - सर्ापतत, उपसर्ापतत
Note :- लजिा न्यायािीि, धिवाणचि यालचका को
िगरपालिका बोर्ण - अध्यक्ष, उपाध्यक्ष
अपिे अिीिस्थ ककसी न्यायािीि को सुिवाई तर्था
● िगरपालिका के अध्यक्षों के पद अिुसूलचत जाततयों, धिपटारे के लिए हस्तांतररत कर सकता है ।
अिुसूलचत जिजाततयों, OBC, मर्हिाओं, के लिए
45. प्रमुख नगरपालिका कृत्य :-
प्राविािुसार आरक्षक्षत रहें गें।
प्रत्येक नगरपालिका धनम्नलिखखत कायथ करे गी :-
● आरक्षर् प्राविाि - फैिाव सम्पूर्ण राज्य में होगा।
अर्थाणत SC / ST मर्हिाओं के लिए। ● िोक स्वास्थ्य, स्वच्छता, िोस अपलिष्ट का प्रबंिि,
सफाई व्यवस्था आर्द।
● यर्थासाहय उि क्षेत्रों में म्मस्थत होगी लजिमें उि
जाततयों की जिसंख्या का अिुपात राज्य की कुि ● सावणजधिक मागण, र्विों आर्द में रोििी की व्यवस्था।
जिसंख्या के सार्थ तुििात्मक रूप से अधिक है ।
● आग बुझािा आर्द संबंधित कायण
● यह आरक्षर् प्राविाि, संकविाि के अिु. 334 में
कवधिर्दिष्ट इस कािावधि की समाश्चप्त प्रर्ावी िहीं ● सावणजधिक संपलत्त की रक्षा करिा।
रहेगा।
● जन्म मृत्यु का पंजीकरर् करिा।
अध्यि, उपाध्यि अनुपस्थस्थतत :-
● जिसंख्या धियंत्रर् व पररवार कल्यार् के कायण करिा।
● अगर 1 माह से अधिक की कािावधि तक अिुपम्मस्थत
तो वह अध्यक्ष, उपाध्यक्ष िहीं रहे गा जब तक कक ● कांजी हाउस का रख - रखाव करिा।
िगरपालिका िे उसे अवकाि मंजूर ि ककये हो।
● यातायात व्यवस्था करिा।
● अध्यक्ष के पद पर ररि होिे के कारर् यह पद 6
● िैक्षभर्क व खेिकूद गततकवधियों को बढ़ावा दे िा ।
माह की अवधि में र्रा जाएगा। िवीि अध्यक्ष िेि
अवधि के लिए पद ग्रहर् करे गा। 46. अन्य नगरपालिका कृत्य :-
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● प्राकृततक आपदा प्रबंिि आर्द। अगर उपाध्यक्ष िहीं है तो सदस्यों को सौंपा जा सकता
है ।
47. सरकार द्वारा समनुदेलशत कृत्य :-
● उपाध्यक्ष का कायण अध्यक्ष को और अध्यक्ष की
राज्य सरकार, सािारर् या कविेि आदे ि द्वारा ककसी अिुपम्मस्थतत में सदस्यों को सौंपा जा सकता है ।
िगरपालिका के अन्य कृत्यों का पािि करिे की
अपेक्षा कर सकेगी। ● सदस्यों का कायणर्ार अध्यक्ष को और अध्यक्ष िहीं तो
उपाध्यक्ष को सौंपा जा सकता है ।
48. अध्यि और उपाध्यि के कायथ :-
अध्यि :-
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अध्याय – 2 54. वार्डथ सधमतत का गठन :-
● यर्द उप - िारा (1) के अिीि कोई प्रस्ताव िहीं (छ) वार्ण सधमतत की अवधि िगरपालिका की अवधि की
िाया जाता है तो उसी अध्यक्ष या उपाध्यक्ष में सह-कवस्तारी होगी।
अकवश्वास अभर्व्यि करिे के लिए ककसी
पिातवती प्रस्ताव का कोई र्ी िोकटस उस बैिक, (ज) गर्पूतति-अध्यक्ष के सार्थ तीि सदस्यों से।
लजसमें ऐसे प्रस्ताव पर कवचार ककया गया र्था,
55. सधमततयााँ :- प्रत्येक नगर पालिका में एक
कक तारीख से दो विण की समाश्चप्त तक िहीं र्दया
कायथपािक सधमतत होगी, जो धनम्नलिखखत से गदठत
जायेगा।
होगी और उसमें धनम्नलिखखत अध्यि होंगे
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िारा - 198 सुख - सुवविाओ ं के रख - रखाव का अध्याय – 7
उिरदाधयत्व िेना :-
नगरपालिका शक्तियााँ और अपराि
(1) ऐसी सुख - सुकविाओं की योजिाओं, कवधिदेिों और
र्र्जाइिों सर्हत समस्त सुसंगत अभर्िेख िारा -200 नालियों आदद पर नगरपालिका का
िगरपालिका को प्रस्तुत ि कर र्दया जाये। धनयंत्रण
(2) िगरपालिका का यह समािाि ि हो जाये कक ऐसी ● िगरपालिका के र्ीतर समस्त मििखखयां, िलियां
सुख - सुकविाऐं इस धिधमत्त तत्समय प्रवृत्त ककसी र्ी , िौचािय, फ्लि, िौचाियों, घरों की िलियां और
कवधि के उपबंिों के अिुसार कवकलसत या संधिधमित मिकूप िगरपालिका के सवेक्षर् और धियंत्रर् के
की गयी हैं। अिीि होंगे।
परन्तु यर्द िगरपालिका उसको प्रस्तुत ककये गये ● समस्त ढकी हुई मििलियों और िालियों तर्था
अभर्िेखों की परीक्षा पर, या सुख - सुकविाओं के समस्त मिकूपों चाहे वह सावणजधिक हो या धिजी
धिरीक्षर् पर यह पाती है कक सुख - सुकविाओं के के लिए िगरपालिका या अन्य व्यधि द्वारा लजिके
संधिमाणर् या प्रचािि में ऐसी कधमयाँ हैं लजन्हें सुिारा वे पृर्थक पृर्थक स्वाधमत्व में हो, उलचत जालियों या
जा सकता है तो वह उस प्राधिकारी, अभर्करर् या अन्य ढक्किों या संवाति के संसाििों की व्यवस्था
व्यधि से लजसिे ऐसी स्कीम या कॉिोिी कवकलसत की जाएगी।
की है कधमयों को िगरपालिका के समािािप्रद रूप
में सुिारिे या िगरपालिका को ऐसे कर्ी प्रर्ारों का िारा 201 - गालियां आदद र्नाने की शक्तियााँ
संदाय करिे की अपेक्षा करे गी।
● िगरपालिका के र्ीतर ककसी र्ी र्ूधम में उसमें से
199. अन्य अधभकरणों द्वारा ववकलसत कािोधनयों होकर या उसके िीचे से कोई िािी, मििािी,
का सौंपा या ग्रहण दकया जाना :- िलिका सुरंग, पुलिया, पाइप या जिमागण िे जािा,
िगरपालिका के लिए कवधिपूर्ण होगा।
कोई र्ी िगरपालिका, ककसी र्ी अन्य प्राधिकारी
अभर्करर् या व्यधि द्वारा कवकलसत की गयी ककसी ● ऐसी ककसी र्ूधम पर लजस पर िगरपालिका में
स्कीम या कॉिोिी का ग्रहर् तब तक िहीं करे गी जब धिर्हत कोई िािी पहिे से बिी हुई है प्रवेि कर
तक कक उसकी योजिाऐं िगरपालिका द्वारा अभग्रम सकेगा और कवद्यामाि िािी के स्थाि पर ियी
तौर पर अिुमोर्दत ि कर दी गयी हो, और अन्य िािी बिवा सकेगा, अर्थवा िगर पालिका में धिर्हत
मामिों में स्कीम या कॉिोिी, कवद्यमाि कवधियों और ककसी िािी की मरित या उसमें पररवतणि कर
धियमों के अिुसार ि हो। िगरपालिका स्वयं स्वयं सकेगा।
का यह समािाि र्ी करे गी कक कवर्हत सुख - सुकविाऐं
● इस िारा के अिीि ककसी िधि का प्रयोग करते
पहिे से ही िारा 198 में उपदलिितािुसार उपिब्ध
हुए कोई अिावश्यक िुकसाि िहीं पहुंचायेगा
करवा दी गयी है। या आवश्यक कमी - प्रर्ार संदत्त
जायेगा और ऐसे व्यधि लजसे ऐसी व्यधि को लजसे
कर र्दये गये हैं
ऐसी िधि के प्रयोग से िुकसाि हुआ हो, िगर
पालिका द्वारा प्रततकर संदत्त तक ककया जायेगा।
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(2) पूवेाणि रीतत से बिायी जािे वािी िािी, नगरपालिका द्वारा कैसे और दकन शतों पर
िगरपालिका की िािी में या ऐसे स्थाि में जो प्राधिकृत दकया जायेगा
ऐसे र्वि से पचास फुट से अधिक की दूरी पर
म्मस्थत ि हो और जो-धिकाय के धिस्तारर् के लिए ● यर्द ककसी र्वि या र्ूधमका स्वामी या अधिर्ोगी,
कवधिक रुप से धियत हो, धगरे गी ककिं तु यर्द ऐसी िगरपालिका के समािािप्रद रूप में यह साबबत कर
दूरी के र्ीतर ऐसी िािी या स्थाि ि हो तो ऐसी दें कक वह ककसी अन्य व्यधि की या उसके अधिर्ोग
िािी ऐसे मिकूप में धगरे गी लजसके लिए में या उपयोग में की ककसी र्ूधम में होकर िािी
िगरपालिका धिदेि दें बिािे से अन्यर्था उसे िगरपालिका िािी से संसि
िहीं कर सकता तो िगरपालिका ऐसे अन्य व्यधि
(3) पूवणवती उप-िाराओं में अन्तकवष्ट ककसी बात के को उस आवेदि के संबंि में कोई आक्षेप करिे का
होिे पर र्ी प्रसािि कक्ष, रसोई और स्नािघर युधियुि अवसर देिे के पिात और यर्द कोई
अपलिष्ट जि के समुलचत धिस्तारर् के लिए मि आक्षेप ि ककया जाये और यर्द कोई आक्षेप ककया
वहि प्रर्ािी के क्षेत्र से जैसे ही वह ककसी जाये तो ऐसा आक्षेप ि ककया जाये और यर्द कोई
अभर्करर् द्वारा उस क्षेत्र में स्थाकपत की जाये, आक्षेप ककया जाये तो ऐसा आक्षेप िगरपालिका की
कवर्हत रीतत से संबंि प्राप्त करिा ककसी र्ी र्वि राय में अपयाणप्त हो, लिखखत आदेि द्वारा प्रर्थम
या र्ूधम के प्रत्येक स्वामी या अिीर्ोगी के लिए वभर्ित स्वामी या अधिर्ोगी को अपिी िािी उि
आज्ञा पािि होगा। र्ूधम में, उसमें से होकर, या उसके िीचे से या,
यर्थाम्मस्थतत उि िािी में िे जािे के लिए ककराये
िारा 203 - भवनों या भूधमयों के स्वाधमयों और या प्रततकार के संदाय के कविय में और उि िािी
अधिभोतगयों का नगरपालिका की नालियों में के रख-रखाव, मरित फ्ललििंग, सफाई और खािी
उत्सारण करने का अधिकार :- करिे के अपिे अपिे उत्तरदाधयत्वों को कविय में
ऐसी रीतत से और ऐसी ितों पर जो उसे पयाणप्त
िगरपालिका के र्ीतर ककसी र्वि या र्ूधम का
और समतायुि प्रतीत हो, िे जािे के लिए प्राधिकृत
स्वामी या अधिर्ोगी अपिी िािी िगर पालिका की
कर सकेगी।
मि िालियों में धगरािे का हकदार होगा बिते कक
वह पहिे िगरपालिका की लिखखत अिुज्ञा प्राप्त कर ● िािी के संधिमाणर् या उसे संसि करिे के लिए,
िें। जैसा उि आदेि द्वारा प्राधिकृत ककया जाये।
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राजस्थाि का पहिा छः िेि एक्सप्रेस हाइवे जयपुर- अततमहत्वपूणथ प्रश्न
ककििगढ़ है। इस पररयोजि के सप्तम चरर् के
तहत ररिंग रोड़, बाईपास फ्लाईओवर आर्द का 1. कोई िगर पालिका संपलत्त का अजणि ककस प्रकार
धिमाणर् ककया जािा है । करे गी ?
(A) करार द्वारा
(B) कवधिमय द्वारा
(C) पट्टा एवं अिुदाि द्वारा
(D) उपरोि सर्ी ANS. (D)
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ऐसा िगरपालिका अधिधियम 2009 की ककस (A) िारा 175
िारा में लिखा है ? (B) िारा 176
(A) िारा 19 (C) िारा 177
(B) िारा 18 (D) िारा 171 ANS. D
(C) िारा 16 12. िगरपालिका से स्कीम बिािे की अपेक्षा करिे
(D) िारा 17 ANS. (A) की राज्य सरकार की िधि संबंिी प्राविाि
7. कायणपािक सधमतत का पदे ि सलचव कौि होता है राजस्थाि िगरपालिका अधिधियम 2009 की
? ककस िारा में ककया गया है ?
(A) िगरपालिका अध्यक्ष (A) िारा 179
(B) िगरपालिका उपाध्यक्ष (B) िारा 180
(C) िगरपालिका मुख्य अधिकारी (C) िारा 181
(D) िेता प्रततपक्ष ANS. (C) (D) िारा 177 ANS. (B)
(E)
8. िगरपालिका सधमतत के सदस्यों से भर्न्न व्यधि 13. ककसी व्यधि द्वारा सावणजधिक मागण की धियधमत
सधमतत में कब काम कर सकता है ? िाइि के र्ीतर ककसी र्वि के धिमाणर् या
(A) सधमतत के कम से कम 1/2 सदस्यों की पुिधण िमाणर् करिे पर ककतिे रूपये के जुमाणिे का
सहमतत से प्राविाि है ?
(B) सधमतत के कम से कम 1/3 सदस्यों की (A) 1000 - 2000 रु
सहमतत से (B) 5000 - 10000 रु
(C) िगरपालिका अध्यक्ष की सहमतत से (C) 2000 – 3000 रु
(D) सधमतत के अध्यक्ष की सहमतत से (D) 2000 – 5000 रु ANS. (D)
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(A) राज्य सरकार (C) िगरधिगम महापौर
(B) किेक्टर (D) उपयुणि सर्ी ANS. (D)
(C) िगरपालिका
(D) स्थािीय धिकाय का उपधिदे िक ANS, (C) 22. मुख्य िगरपालिका अधिकारी से अभर्प्रेत है ?
(A) िगरधिगम का मुख्य कायणपािक अधिकारी
17. पररयोजिाओं और स्कीमों के अिुमोदि के पिात (B) िगरपालिका का आयुि
राजपत्र में प्रकािि की तारीख के ककतिे विण के (C) िगरपालिका बोर्ण का कायणपािक अधिकारी
र्ीतर पररयोजिाओं के कियान्वयि में कवफि रहिे (D) उपयुणि सर्ी ANS. (D)
पर स्कीम व्यपगत हो जाती है ?
(A) 2 विण 23. वाभर्च्छज्यक उपयोग के लिए बिे कॉम्पिेक्स से
(B) 3 विण अभर्प्राय है ?
(C) 5 विण (A) पच्चीस या अधिक ईकाइयों से बिा र्वि
(D) 10 विण ANS. (A) (B) पच्चास या अधिक ईकाइयों से बिा र्वि
(C) तीस या अधिक ईकाइयों से बिा र्वि
18. पररयोजिा के उपांतरर् और प्रत्याहरर् संबंिी (D) दस या अधिक ईकाइयों से बिा र्वि
प्राविाि अधिधियम की ककस िारा में ककया गया
है ? ANS. (A)
(A) िारा 178
24. उपाध्यक्ष से अभर्प्राय है ?
(B) िारा 179
(A) िगरपालिका बोर्ण का उपाध्यक्ष
(C) िारा 180
(B) िगरपररिद्द् का उपसर्ापतत
(D) िारा 176 ANS. (A)
(C) िगरधिगम का उपमहापौर
(D) उपयुणि सर्ी ANS. (D)
19. र्ूधम के उपयोग के पररवतणि पर धिबणन्धि और
र्ूधम के उपयोग का पररवतणि अिुज्ञात करिे की
25. िगरपालिकाओं के पररसीमि करिे की िधि
राज्य सरकार की िधि का उल्लेख अधिधियम
प्राप्त है ?
की ककस िारा में ककया है ?
(A) राज्य सरकार
(A) िारा 181
(B) धिवाणचि आयोग
(B) िारा 183
(C) राज्यपाि
(C) िारा 182
(D) िगरपालिका ANS. (A)
(D) िारा 184 ANS. (C)
20. जीव लचककत्सा अपलिष्ट से क्या अभर्प्राय है ? 26. ककस संकविाि संिोिि के माध्यम से
िगरपालिकाओं को संवैिाधिक दजाण र्दया गया है
(A) मािव िारीररक अपलिष्ट ?
(A) 72 वें
(B) पिु अपलिष्ट (B) 73 वें
(C) 74 वें
(C) सूक्ष्म जीव कवज्ञाि और जीव प्रौद्योधगकी
(D) 76 वें ANS. (C)
(D) उपयुणि सर्ी ANS. (D) 27. िगरपालिका की पदावधि है ?
(A) प्रर्थम बैिक से आगामी चुिाव तक
21. अध्यक्ष से अभर्प्रेत है ? (B) प्रर्थम बैिक से पाँच विण तक
(A) िगर पालिका बोर्ण का अध्यक्ष (C) जब तक सदस्यों को कवश्वास मत प्राप्त है
(B) िगर पररिद्द् का सर्ापतत (D) पदावधि धिश्चित िहीं है ANS. (B)
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28. िगरपालिका की अवधि की समाश्चप्त से पूवण (C) िारा 162
कवघकटत िगरपालिका की पदावधि होगी ? (D) िारा 160 ANS. (D)
(A) कवघकटत िगरपालिका के बचे िेि समय के
लिए 34. योजिा के प्रारूप लिए बिी सिाहकार सधमतत में
(B) प्रर्थम बैिक से आगामी चुिाव तक धिम्न में से कौि –कौि सदस्य िाधमि होगा ?
(C) प्रर्थम बैिक से पाँच विण तक जब तक सदस्यों (A) िगरपालिका के समस्त सदस्य
को कवश्वास मत प्राप्त हैं (B) उद्योग वाभर्ज्य और वृलत्तयों संगमों के
(D) पूरे पाँच साि तक ANS. (A) प्रततधिधि
(C) िगर के प्रमुख 6 िागररक
29. िगरपालिका का िासि ककसमें धिर्हत हैं ? (D) उपयुणि सर्ी ANS. (D)
(A) िगरधिगम
(B) िगरपालिका बोर्ण 35. राजस्थाि िगरपालिका अधिधियम की ककस िारा
(C) िगरपररिद्द् में योजिा के प्रवतणि का प्राविाि है ?
(D) उपयुणि तीिों में धिर्हत है ANS. (D) (A) िारा 168
(B) िारा 160
30. राजस्थाि िगरपालिका अधिधियम 2009 के ककस (C) िारा 163
अध्याय में िगरीय कवकास और िगर योजिा का (D) िारा 161 ANS. (B)
प्राविाि ककया गया है ?
(A) अध्याय 9 36. योजिा के प्रवतणि के ककतिे साि के र्ीतर
(B) अध्याय 10 योजिा का पुिरीक्षर् आवश्यक है ?
(C) अध्याय 11 (A) 5 विण
(D) अध्याय 12 ANS. (B) (B) 10 विण
(C) 15 विण
31. िागररक सवेक्षर् और मास्टर कवकास योजिा के (D) 20 विण ANS. (B)
तैयार करिे संबंिी प्राविाि अधिधियम की ककस
िारा में ककया है ? 37. कवकास क्षेत्रों की घोिर्ा संबंिी प्राविाि
(A) िारा 158 अधिधियम की ककस िारा में ककया गया है ?
(B) िारा 159 (A) िारा 164
(C) िारा 161 (B) िारा 165
(D) िारा 165 ANS. (B) (C) िारा 166
(D) िारा 168 ANS. (C)
32. धिष्पादि योजिा को तैयार करिे के पररप्रेक्ष्य में
समयावधि है ? 38. अप्राधिकृत कवकास या योजिा के असंगत उपयोग
(A) 10 विण के लिए िाम्मस्त (दण्ड)का प्राविाि अधिधियम की
(B) 5 विण ककस िारा में ककया है ?
(C) 15 विण (A) िारा 168
(D) 20 विण ANS. (D) (B) िारा 170
(C) िारा 167
33. योजिा को तैयार करिे और मंजूरी के लिए (D) िारा 172 ANS. (C)
अपिाई जािे वािी प्रकिया का उल्लेख अधिधियम
की ककस िारा में ककया गया है ? 39. अप्राधिकृत कवकास या योजिा से असंगत उपयोग
(A) िारा 166 के लिए ककतिे रूपये के दण्ड का प्राविाि है ?
(B) िारा 165
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राजव्यवस्था
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राजस्थान की राजनीतिक एवं (i) संबंक्तधत राज्य का क्तनिासी नहीं होना िाहहए
तावक िह स्थानीय राजनीतत से मुि रहे ।
प्रशासननक व्यवस्था
(ii) राज्यपाि की क्तनयुक्ति के समय राष्ट्रपतत
संबंक्तधत राज्य के मुख्यमंिी से परामशय िे तावक
अध्याय – 1 समय दानी की व्यिस्था सुक्तनश्चित हो
राज्यपाल
राज्यपाल की ननयुक्ति के संबंध में गकिि प्रमुख
आयोग व उनकी जसफाररश
भारतीय संविधान के भाग-VI में राज्य शासन के
सरकाररया आयोग
लिए प्रािधान वकया गया है । यह प्रािधान पहिे
गठन-1983 ररपोटय - 1987 अध्यक्ष- रणजीत लसिंह
जम्मू-कश्मीर को छोड़कर सभी राज्यों के लिए िागू
सरकाररया
होता था िेवकन अब सभी राज्यों के लिए िागू
होता है।
जसफाररश –
राज्य में राज्यपाि का उसी प्रकार से स्थान है लजस
राज्यपाि ऐसे व्यक्ति को बनाया जाना िाहहए जो
प्रकार से देश में राष्ट्रपतत का (कुछ मामिों को
वकसी क्षेि विशेष में प्रलसद्ध हो।
छोड़कर)।
राज्य के बाहर का क्तनिासी होना िाहहए।
अनुच्छेद 153 के तहत प्रत्येक राज्य के लिए एक
राजनीततक रूप से तटस्थ व्यक्ति होना िाहहए।
राज्यपाि होगा। लेककन 7वें संववधान संशोधन-
सविय राजनीती में भागीदारी नहीं िे रहा हो
1956 द्वारा इसमें एक अन्य प्रावधान जोड़ कदया
राज्यपाि की क्तनयुक्ति से पूिय राज्य के मुख्यमंिी
गया जजसके अनुसार एक ही व्यक्ति दो या दो से
से परामशय लिया जाए।
अनधक राज्यों के जलए भी राज्यपाल ननयुि
5 िषय की क्तनश्चित पदाििी हो।
ककया जा सकिा है।
राज्यपाि को हटाए जाने से पूिय एक बार िेतािनी
देनी िाहहए अथिा पूिय सूिना दी जानी िाहहए ।
अनुच्छेद 154 के तहत राज्य की काययपालिका का
प्रमुख "राज्यपाि" होता है िेवकन अनुच्छेद 163
कद्विीय प्रशासननक सुधार आयोग
के तहत राज्यपाि अपनी स्व-वििेक शक्तियों के
िषय 2005 में िीरप्पा मोइिी (कनायटक के पूिय
अिािा सभी कायय मंत्रिपररषद की सिाह पर करता
मुख्यमंिी) की अध्यक्षता में गहठत। िषय 2010 में
है अथायत राज्यों में राज्यपाि की स्थस्थतत
इसने अपना प्रततिेदन हदया।
काययपालिका के प्रधान की होती है परं तु िास्तविक
शक्ति मुख्यमंिी के नेतृत्व में मंत्रिपररषद में क्तनहहत
जसफाररश –
होती है।
इस आयोग के अनुसार राज्यपाि की क्तनयुक्ति के
अनुच्छेद 155 के अनुसार राज्यपाि की क्तनयुक्ति
संदभय में कॉलेजजयम व्यवस्था होनी िाहहए।
राष्ट्रपतत द्वारा की जाती है अथायत् राज्यपाि की
प्रधानमंिी इसका अध्यक्ष होगा जबवक
क्तनयुक्ति के संदभय में राष्ट्रपतत अक्तधपि (िारं ट) जारी
उपराष्ट्रपतत, िोकसभा अध्यक्ष, गृहमंिी तथा
करते है लजसे मुख्य सलिि पढ़कर सुनाता है ।
िोकसभा में विपक्ष का नेता इसके सदस्य होंगे
िेवकन सुझाि स्वीकार नहीं वकया गया था।
राज्यपाल की ननयुक्ति का प्रावधान ‘ कनाडा ‘
से जलया गया है।
पूंछी आयोग
गठन-2007 ररपोटय - 2010 अध्यक्ष- मदनमोहन
संववधान लागू होने से लगाकर वितमान िक
पूंछी
राज्यपाल की ननयुक्ति के संबंध में कुछ परं पराएं
बन गई जो ननम्न है –
https://www.infusionnotes.com/ 92
जसफाररश – 2. यहद संसद या विधानामंडि के वकसी भी सदन
केंद्र राज्य संबंधों की जांि हे तु गहठत पूंछी आयोग का सदस्य है तो राज्यपाि का पद धारण करने की
ने राज्यपाि को हटाने के लिए विधानमंडि में तततथ से िह पद ररि मान लिया जाएगा।
महाभभयोग की प्रविया अपनाने का सुझाि हदया। राज्यपाि के िेतन भत्तों का क्तनधायरण संसद
राज्यपाि को वकसी भी विश्वविद्याियों का (संविधान की दूसरी अनुसि ू ी में उल्लल्लखखत) करती
कुिाक्तधपतत नहीं बनाना िाहहए। है ।
राज्य की विधानसभा में पारीत विधेयक पर राज्यपाि को िेतन राज्य की संलित क्तनक्तध से
राज्यपाि को 6 माह में क्तनणयय िेना िाहहए । जबवक पेंशन भारत की संलित क्तनक्तध में से दी
राजमन्नार आयोग जाती है ।
गठन-1969 ररपोटय - 1971 अध्यक्ष- डॉ. िी.पी. राज्यपाि का िेतन ₹350000 है जो कर मुि होता
राजमन्नार है ।
पदािक्तध के दौरान िेतन भत्तों में कमी नहीं की जा
NOTE- सरकाररया आयोग, राजमन्नार आयोग सकती है ।
व पूंछी आयोग का सम्बन्ध राज्यपाल की यहद एक व्यक्ति दो या दो से अक्तधक राज्यों का
ननयुक्ति और केंद्र-राज्य संबंधो से है । राज्यपाि है (7वें संववधान संशोधन-1956 द्वारा )
तो भी उसे िेतन 1 पद का होगा परं तु इसका िहन
अनुच्छेद 156 इस अनुच्छेद में राज्यपाि की राष्ट्रपतत द्वारा क्तनधायररत अनुपात में संबंक्तधत राज्यों
पदािक्तध/ काययकाि का उल्लेख लिया गया है । द्वारा वकया जाएगा।
अथायत राज्यपाि अपने पद ग्रहण की तारीख से 5
िषय तक पद पर बना रहे गा। अनुच्छेद 159 राज्यपाि पद की शपथ
राज्यपाि राष्ट्रपतत के प्रसादपयंत पद धारण करता राज्यपाि या राज्यपाि पद के कायों का क्तनियहन
है तथा राष्ट्रपतत को संबोक्तधत करके त्यागपि दे ता करने िािे व्यक्ति को राज्यपाि पद की या
है । राज्यपाि पद के कायय क्तनियहन की शपथ संबंनधि
राष्ट्रपतत वकसी भी राज्यपाि को उसके बिे हुए राज्य के उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश
काययकाि के लिए वकसी दूसरे राज्य में स्थानांतररत या उपस्थस्थि वररष्ठिम न्यायाधीश द्वारा हदिाई
कर सकता है। जाती है राज्यपाल संववधान के परररक्षण, संरक्षण
राज्यपाि को दोबारा क्तनयुि वकया जा सकता है । व प्रतिरक्षण िथा राज्य की जनिा के कल्याण
राज्यपाि अपने काययकाि के बाद भी तब तक पद के शपथ लेिा है।
पर बना रहता है जब तक उसका उत्तराक्तधकारी
कायय ग्रहण नहीं कर िे। NOTE- राज्यपाल की शपथ का प्रारूप
अनुसूची- 3 में नहीं नमलिा हैं।
राज्यपाल को हटाने के आधार का उल्लेख
संववधान में नहीं है । अनुच्छेद 160 कुछ आकस्थिकताओं में राज्यपाि
अनुच्छेद 157 राज्यपाि पद योग्यताएँ / अहय ताएँ के कतयव्यों का क्तनियहन
1. िह भारत का नागररक हो।(जन्म से आिश्यक राज्यपाि पद के संबंध में उत्पन्न आकस्थिक
नहीं) पररस्थस्थततयों में कायय िरने की शक्ति राष्ट्रपतत द्वारा
2. िह 35 िषय की आयु पूरी कर िुका हो। प्रदान की जाएगी जैसे- राज्यपाि पद के खािी
3. और िह राज्य विधानमंडि का सदस्य िुने जाने होने पर संबंक्तधत राज्य के उच्च न्यायािय के मुख्य
योग्य हो। न्यायाधीश या उपस्थस्थत िररष्ठतम न्यायाधीश द्वारा
राज्यपाि पद का कायों का क्तनियहन करना।
अनुच्छेद 158 राज्यपाि पद की सेिा शतें ि िेतन
भत्ते
1. वकसी प्रकार के िाभ के पद पर ना हो।
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में बहुमत से है यह भिन 1868 में भारत के गिनयर जनरि के
ए. जी. जी. के रे लजडेंस के तौर पर बनाया गया था।
समथयन देने के
बािजूद बखलसत राजस्थान के राज्यपालों की सूची –
कर हदया |
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12. जस्टिसपी.के. बनजी 5 जनिरी, 1985 23. डॉ. एम. िेन्नारे ड्डी 5 फरिरी, 1992
(काययिाहक) – 31 जनिरी, – 30 मई, 1993
1985
13. एअरिीफ माशयि 1 फरिरी, 1985 24. श्री धक्तनक िाि मंडि 31 मई, 1993 –
ओ.पी. मेहरा - 3 निम्बर, (काययिाहक) 29 जून, 1993
1985
14. जस्टिस डी.पी. गुप्ता 4 निम्बर, 1985 25. श्री बलि राम भगत 30 जून, 1993 –
(काययिाहक) – 19 निम्बर, 30 अप्रैि, 1998
1985
15. जस्टिस जगदीश शरण 20 निम्बर, 26. सरदार दरबारा लसिंह 1 मई, 1998 –
िमाय (कायय.) 1985 – 14 23 मई, 1998
अक्टू बर, 1987
16. श्री िसन्तराि पावटि 15 अक्टू बर, 27. श्री एन.एि. वटबेरिाि 24 मई, 1998 –
1987 – 19 (काययिाहक) 15 जनिरी, 1999
फरिरी, 1988
17. श्री सुखदेि प्रसाद 20 फरिरी, 28. जस्टिस अंशुमान लसिंह 16 जनिरी, 1999
1988 – 2 – 13 मई, 2003
फरिरी, 1989
18. जस्टिस जगदीश शरण 3 फरिरी, 1989 29. श्री क्तनमयि िंद्र जैन 14 मई, 2003 –
िमाय (कायय.) – 19 फरिरी, 13 जनिरी,
1989 2004
19. श्री सुख देि प्रसाद 20 फरिरी, 1989 30. श्री कैिाश पतत क्तमश्रा 22 लसतम्बर,
– 2 फरिरी, (काययिाहक) 2003 – 13
1990 जनिरी, 2004
20. श्री क्तमिा पिंद जैन 3 फरिरी, 1990 31. श्री मदनिाि खुराना 14 जनिरी,
(काययिाहक) – 13 फरिरी, 2004 – 31
1990 अिुबर, 2004
21. प्रो. देिीप्रसाद 14 फरिरी, 1990 32. श्री टी.िी. राजेश्वर 1 निम्बर, 2004
िटोपाध्याय – 25 अगस्त, (काययिाहक) – 7 निम्बर,
1991 2004
22. डॉ स्वरूप लसिंह 26 अगस्त, 1991 33. श्री मतत प्रततभा पावटि 8 निम्बर,
(काययिाहक) -4 फरिरी, 1993 2004 – 23
जून, 2007
https://www.infusionnotes.com/ 99
प्रश्न:- राजस्थान लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष
34. डॉ ए. आर. वकदिई 23 जून, 2007
के रूप में ननम्नाककि में से ककसका कायतकाल
(काययिाहक) – 5 लसतम्बर,
सबसे लंबा रहा है ?( RAS. Pre. 2016)
2007
(A) ओ. पी. कोहली
35. श्री शैिेन्द्र कुमार लसिंह 6 लसतम्बर, (B) रामनरे श यादव
2007 – 9 (C) राम नायक
जुिाई, 2009 (D) मागतनेट अल्वा
उत्तर –(C)
36. श्री रामेश्वर ठाकुर 10 जुिाई, 2009
(काययिाहक) – 22 जुिाई,
प्रश्न:- गुरुमुख ननहाल जसहिं को राजस्थान का
2009
प्रथम राज्यपाल 'ननयुि ककया गया था | (RAS.
37. श्री लशिेन्द्र कुमार लसिंह 23 जुिाई, PRE- 2021)
2009 – 24 (1) 25 अक्टू बर, 1956 को
जनिरी, 2010 (2) 26 अक्टू बर, 1956 को
(3) 2 नवम्बर, 1956 को
38. श्री मती प्रभाराि 03 हदसम्बर, (4) 1 नवम्बर, 1956 को
(काययिाहक) 2009 – 24 उत्तर – (4)
जनिरी, 2010
https://www.infusionnotes.com/ 100
C. पंिायतीराज का क्तनम्न स्तर ग्राम पंिायत , संस्थाएाँ
मध्यिती स्तर पंिायत सक्तमतत ि शीषय स्तर लजिा
पररषद कहिाता है ।
अध्याय – 7
D. बििंतराय मेहता सक्तमतत की लसफाररश पर 2
अक्टू बर , 1959 को नागौर से पंिायतीराज की
राजस्थान लोक सेवा आयोग
शुरुआत हुई ।
उत्तर (A)
िषय 1923 में िी कक्तमशन ने भारत में एक संघ िोक
10. ननम्नजलखखि में से कौनसी एक सनमति भारि सेिा आयोग की स्थापना की लसफाररश की थी। संघ
में पंचायिीराज व्यवस्था से संबंनधि है ? िोक सेिा आयोग ( UPSC ) की तजय पर राज्यों में
A. तारकुंडे सक्तमतत िोक सेिा आयोग है । संविधान के भाग -14 ,
B. हदनेश गोस्वामी सक्तमतत अनुच्छेद 315 से 323 तक राज्य िोक सेिा आयोग
C. डी. टी. िकड़िािा सक्तमतत की संरिना क्तनयुक्ति काययकाि , योग्यता सेिा शतों
D. दान्तेिािा सक्तमतत शक्तियों का उल्लेख वकया गया है ।
उत्तर (D) भारत सरकार अक्तधक्तनयम 1935 के तहत् प्रांतों में
िोक सेिा आयोगों का गठन हुआ ।
राजस्थान राज्य के गठन के समय कुि 22 प्रांतों में
से माि 3 प्रांत- जोधपुर (िषय 1939), जयपुर (1940
में) , बीकानेर (िषय 1946 में) ही िोक सेिा आयोग
काययरत थे।
ररयासतों के एकीकरण के बाद गहठत राजस्थान
राज्य के तत्कािीन प्रबंधन ने 16 अगस्त, 1949 को
राजस्थान के तात्कालिक राजप्रमुख सिाई मानलसिंह-
II द्वारा एक अध्यादेश के अधीन राजस्थान िोक
सेिा आयोग की स्थापना की जो 20 अगस्त , 1949
को प्रभािी हुआ अथायत् राजपि में प्रकालशत हुआ ।
अध्यादेश के द्वारा राज्य में काययरत अन्य िोक सेिा
आयोग एिं िोक सेिा आयोग की तरह काययरत
अन्य संस्थाएं बंद कर दी गयी।
अध्यादेश में आयोग के गठन, कमयिारी गण एिं
आयोग के कायो संबक्तधत क्तनयम भी तय वकये गये।
अतः इसी हदन मूित राजस्थान िोक सेिा आयोग
की स्थापना हुई ।
जयपुर में राजस्थान िोक सेिा आयोग ( RPSC )
ने अपना कायय प्रारम्भ 22 हदसम्बर , 1949 को वकया
। राजस्थान िोक सेिा आयोग का गठन के समय
मुख्यािय जयपुर था िेवकन पी. सत्यनारायण राि
सक्तमतत की लसफाररश पर 01 निम्बर , 1956 को
इसका मुख्यािय अजमेर स्थानान्तररत कर हदया ।
राजस्थान िोक सेिा आयोग एक संिैधाक्तनक
क्तनकाय है , लजसका उल्लेख भाग- 14 , अनुच्छेद
315-323 में क्तमिता है ।
https://www.infusionnotes.com/ 150
यह एक परामशयकारी / सिाहकारी क्तनकाय है । यह NOTE-आयोग के अध्यक्ष पद की योग्यिा के
क्तनकाय राज्य सरकार को परामशय दे ती है िेवकन राज्य संबंध में संववधान में कोई ववशेि प्रावधान नहीं
सरकार इसकी सिाह मानने के लिए बाध्य नहीं है । है।
यहद राज्य सरकार RPSC की सिाह नहीं मानती तो NOTE- यकद आयोग के अध्यक्ष का पद ररि हो
राज्य सरकार को विधानमण्डि मे इसका कारण जािा है या अध्यक्ष अनुपस्थस्थति के कारण या
बताना होता है । अन्य कारण से अपने पद के कितव्यों का पालन
आंरभभक िरण में आयोग में एक अध्यक्ष एिं दो करने में असमथत है िो उस स्थस्थति में आयोग के
सदस्य थे। अन्य सदस्यों में से ऐसा एक सदस्य जजसे
राजस्थान िोक सेिा आयोग के प्रथम अध्यक्ष ( राज्यपाल ननयुि करें , उन कत्ततव्यों का पालन
काययिाहक ) राजस्थान के तत्कािीन मुख्य करे गा जब िक नये अध्यक्ष की ननयुक्ति ना हो
न्यायाधीश एस. के. घोष को क्तनयुि वकया गया। जाये अथाति् राज्य लोक सेवा आयोग में
तत्पिात श्री देिी शंकर ततिारी एिं श्री एन.आर. कायतवाहक अध्यक्ष की ननयुक्ति राज्यपाल करिा
िन्दोरकर की क्तनयुिी सदस्यों के रूप में एिं संघ है ।
िोक सेिा आयोग के पूिय सदस्य श्री एस.सी. त्रिपाठी NOTE- संयुि लोक सेवा आयोग में कायतवाहक
की क्तनयुिी अध्यक्ष के रूप में की गयी। अध्यक्ष की ननयुक्ति राष्ट्रपति करिा है ।
िोक सेिा हदिस 21 अप्रैि मनाया जाता है |
प्रश्न:- सही ववकल्प चुनें :
अनुच्छेद 315 राज्य िोक सेिा आयोग के गठन दो अथवा दो से अनधक राज्यों के जलए संयुि
अनुच्छेद 315 ( 1 ) प्रत्येक राज्य मे एक िोक सेिा लोक सेवा आयोग अध्यक्ष की ननयुक्ति कौन
आयोग ( PSC ) होगा , लजसका गठन राज्यपाि करिा है ?
द्वारा गठन के लिए विक्तध राज्य विधान मण्डि द्वारा (A) सबसे बड़े राज्य के राज्यपाल के द्वारा
बनाई जायेगी । (B) भारि के राष्ट्रपति के द्वारा
अनुच्छेद 315 ( 2 ) संयुि िोक सेिा आयोग ( (C) सभी सम्बंनधि राज्यों के राज्यपालों की
JPSC ) का प्रािधान दो या दो से अक्तधक राज्यों के सनमति द्वारा
लिए संयुि िोक सेिा आयोग का गठन संसद करती (D) सम्बंनधि राज्यपालों की जसफाररश पर भारि
है , संबंक्तधत राज्यों के विधानमण्डिों द्वारा इस आशय के राष्ट्रपति की जसफाररश पर भारि के
का प्रस्ताि पाररत करने पर 1 राष्ट्रपति के द्वारा
अनुच्छेद 316 अध्यक्ष ि सदस्यों की क्तनयुक्ति और उत्तर – (B)
पदािक्तध
RPSC के अध्यक्ष ि सदस्यों की क्तनयुक्ति राज्यपाि पदािक्तध या काययकाि- RPSC के अध्यक्ष ि सदस्यों
राज्य मंत्रिपररषद की सिाह से करता है । का काययकाि पदग्रहण से 6 िषय का काययकाि ि 62
NOTE-संयुि लोक सेवा आयोग ( JPSC ) के िषय की सेिाक्तनिृलत्त की आयु इन दोनों में से भी पहिे
अध्यक्ष व सदस्यों की ननयुक्ति राष्ट्रपति करिा है हो । (41 वें संववधान संशोधन 1976 के द्वारा RPSC
के अध्यक्ष व सदस्यों की सेवाननवृति की आयु 60
योग्यिा :- RPSC के आधे सदस्य ऐसे होंगे लजन्हें वित से बढाकर 62 वित कर दी गई)
भारत सरकार या वकसी राज्य सरकार के अधीन कम िोक सेिा आयोग के सदस्य काययकाि समाश्चप्त के
से कम 10 िषय की प्रशासक्तनक सेिा का अनुभि हो बाद उसी पद पर पुनक्तनय ि ुिी का पाि नहीं होगा ।
तथा आधे सदस्य सामान्यतः राजनैततक ,लशक्षा , त्यागपि RPSC के अध्यक्ष ि सदस्य अपना त्यागपि
कानून , समाज सेिा क्षेि से होते हैं । राज्यपाि को दे ते है । संयि ु िोक सेिा आयोग (
JPSC ) के अध्यक्ष ि सदस्य अपना त्यागपि राष्ट्रपतत
को दे ते है ।
https://www.infusionnotes.com/ 151
अनुच्छेद 317 लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष व राजस्थान िोक सेिा आयोग के सदस्य सेिाक्तनिृतत
सदस्यों को हटाना के पिात संघ िोक सेिा आयोग का अध्यक्ष या
िोक सेिा आयोग के अध्यक्ष ि सदस्यों को हटाने सदस्य के रूप में अथिा उसी राज्य िोक सेिा आयोग
का कारण कदािार का आरोप िगने पर । उच्चतम का अध्यक्ष के रूप में अथिा वकसी अन्य राज्य िोक
न्यायािय के न्यायाधीश द्वारा जांि (अनुच्छेद 145) सेिा आयोग के अध्यक्ष के रूप में क्तनयुि होने का
करने के पिात आरोप लसद्ध होने पर RPSC के पाि होगा, वकन्तु भारत सरकार या वकसी राज्य की
अध्यक्ष ि सदस्यों को राष्ट्रपतत द्वारा पद से हटाया सरकार के अधीन वकसी अन्य क्तनयोजन का पाि नहीं
जाएगा । होगा ।
NOTE- RPSC के अध्यक्ष व सदस्यों को जााँच के अनुच्छेद 320 लोक सेवा आयोग के कायत
दौरान राज्यपाल ननलम्बम्बि कर सकिा है । (1) राज्य की सेिाओं में क्तनयुक्तियों के लिए परीक्षाओं
कदाचार के अलावा ननम्नजलखखि पररस्थस्थतियों में भी का संिािन तथा योग्य उम्मीदिारों का ियन ।
राष्ट्रपति अध्यक्ष व सदस्यों को पद से हटा सकिा (2) िोक सेिकों के पदौन्नतत हे तु लसफाररश
है । ( i ) कदवाजलया घोपिि हो जाए । ( ii ) (3) अनुशासनात्मक काययिाही पर परामशय देना ।
मानजसक व शारीररक रूप से अक्षम हो । ( iii) (4) एक सेिा से दूसरी सेिा में स्थानान्तरण होने पर
नैतिक अधमिा का दोिी पाया जाएाँ ।( iv ) अपनी परामशय देने का कायय ।
पदावनध में अपने पद के कितव्यों के बाहर ककसी (5) िोक सेिकों द्वारा वकए गए कायों के दािों के
सवेिन ननयोजन में लगिा है अथाति् लाभ का पद संबंध में ।
स्वीकार कर लें । ( v ) अपने कितव्य से बाहर (6) पेंशन के संबंध में क्षततपूतति के मामिों में परामशय।
ककसी और सेवा में ननयोजजि हो जाये ।
अनुच्छेद 321 लोक सेवा आयोग के कायों का
अनुच्छेद 318 लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष , ववस्तार करने की शक्ति
सदस्यों की सेवा शिें के बारे में राज्य विधानमण्डि विक्तध बनाकर राज्य िोक सेिा
राजस्थान िोक सेिा आयोग के सदस्यों की संख्या ि आयोग को अततररि कायय सौंप सकता है ।
उनकी सेिा शतों का क्तनधायरण राज्यपाि करता है अनुच्छेद 322 लोक सेवा आयोग के व्यय
िोक सेिा आयोग के अध्यक्ष ि सदस्यों की सेिा शतों राजस्थान िोक सेिा आयोग के अध्यक्ष ि सदस्यों
में उनकी क्तनयुक्ति के पिात अिाभकारी पररितयन नहीं के िेतन - भत्ते , पेंशन सहहत सभी खिय राज्य की
वकया जा सकता । संलित क्तनक्तध पर भाररत होंगे ।
RPSC की स्थापना के समय एक अध्यक्ष व 2 सदस्य
थे िेवकन िषय 2011 में बढ़ाकर 1 अध्यक्ष ि 7 सदस्य अनुच्छेद 323 राजस्थान लोक सेवा आयोग
( कुि 8 ) कर हदये अथायत् ितयमान में RPSC में अपना िावषिक प्रततिेदन ( ररपोटय ) राज्यपाि को
अध्यक्ष सहहत कुि 8 सदस्य है । RPSC में सदस्यों की सौंपता है । यह प्रततिेदन शोध संभाग द्वारा तैयार
संख्या राज्यपाि क्तनयम बनाकर क्तनश्चित करता है । वकया जाता है ।
अनुच्छेद 319 िोक सेिा आयोग के अध्यक्ष ि सदस्यों प्रश्न:- राजस्थान लोक सेवा आयोग अपने कायों
की सेिाक्तनिृतत के बाद पद धारण करने के संबंध में का वापििक 'प्रतिवेदन प्रस्तुि करिा है - (RAS.
राजस्थान िोक सेिा आयोग का अध्यक्ष सेिाक्तनिृतत PRE- 2021)
के पिात संघ िोक सेिा आयोग का अध्यक्ष या (1) राज्यपाल के समक्ष
सदस्य के रूप में अथिा अन्य राज्य िोक सेिा आयोग (2) ववधानसभा अध्यक्ष के समक्ष
के अध्यक्ष के रूप में क्तनयुि होने का पाि होगा, वकन्तु (3) राष्ट्रपति के समक्ष
भारत सरकार या वकसी राज्य सरकार के अधीन वकसी (4) मुख्य सक्तचव के समक्ष
अन्य क्तनयोजन का पाि नहीं होगा। उत्तर – (1)
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