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प्रकाशक :

गरु
ु गोरक्षनाथ स्मशान भम
ू ी ट्रस्ट सिन्नर,
जि नासशक.
रजि. नं. ए - १२३२ / नासशक

िेवा मुल्य – ११ रुपये /-


श्री गोरक्षनाथ
िंकट मोचन स्तोत्र

बाल योगी भये रूप सलए तब,


आदिनाथ सलयो अवतारों।
तादि िमे िख
ु सिद्धन को भयो,
नाती सशव गोरख नाम उचारो॥

भेष भगवन के करी ववनती तब


अनुपन सशला पे ज्ञान ववचारो ।
को निी िानत िै िग मे िती
गोरखनाथ िै नाम तम्
ु िारो ॥
ित्य युग मे भये कामेेनु ग
तब िती गोरखनाथ को भयो
प्रचारों । आदिनाथ वरिान दियो
तब, ग तम ऋवष िे शब्ि उचारो॥

त्रत्रम्बक क्षेत्र मे स्थान ककयो तब


गोरक्ष गुफा का नाम उचारो ।
को निी िानत िै िग मे िती
गोरखनाथ िै नाम तुम्िारो ॥

ित्य वािी भये िररश्चंद्र सशष्य


तब, शन्
ु य सशखर िे भयो
ियकारों ।
गोिावरी का क्षेत्र पे प्रभु ने, िर
िर गंगा शब्ि उचारो।
यदि सशव गोरक्ष िाप िपे,
सशवयोगी भये परम िख
ु ारो।
को निी िानत िै िग मे िती
गोरखनाथ िै नाम तम्
ु िारो ॥

अदि शजतत िे िंवाि भयो िब,


माया मत्िेंद्र नाथ भयो अवतारों।
तादि िमय प्रभु नाथ मत्िेंद्र,
सिंिल द्वीप को िाय िुेारो ।
राज्य योग मे ब्रह्म लगायो तब,
नाि बंि को भयो प्रचारों ।
को निी िानत िै िग मे िती
गोरखनाथ िै नाम तम्
ु िारो ॥

आन ज्वाला िी ककन तपस्या,


तब ज्वाला िे वी ने शब्ि उचारो ।
ले िती गोरक्षनाथ को नाम तब,
गोरख डिब्बी को नाम पक
ु ारो॥

सशष्य भय िब मोरध्वि रािा,


तब गोरक्षापुर मे िाय सिेारो।
को निी िानत िै िग मे िती
गोरखनाथ िै नाम तुम्िारो ॥

ज्ञान दियो िब नव नाथों को,


त्रेता यग
ु को भयो प्रचारों ।
योग सलयो रामचंद्र िी ने िब,
सशव सशव गोरक्ष नाम उचारो ॥
नाथ िी ने वरिान दिया तब,
बद्रीनाथ िी नाम पक
ु ारो।
को निी िानत िै िग मे िती
गोरखनाथ िै नाम तम्
ु िारो ॥

गोरक्ष मढ़ी पे तपस्चयाा ककन्िी


तब, द्वापर युग को भयो प्रचारों।
कृष्ण िी को उपिे श दियो तब,
ऋवष मुनन भये परम िुखारो॥

पाल भप
ू ाल के पालनते सशव,
मोल दिमाल भयो उजियारो।
को निी िानत िै िग मे िती
गोरखनाथ िै नाम तुम्िारो ॥
ऋवष मुनन िे िंवाि भयो िब,
युग कसलयुग को भयो प्रचारों।
काया मे ििी ककया िब िब
रािा भरति
ु ारी को िुःु ख ननवारो,
ले योग सशष्य भय िब रािा,
रानी वपंगला को िंकट तारो ।
को निी िानत िै िग मे िती
गोरखनाथ िै नाम तम्
ु िारो ॥

मैनावती रानी ने स्तुनत की िब


कुवा पे िाके शब्ि उचारो ।
रािा गोपीचंि सशष्य भयो तब,
नाथ िालंेर के िंकट तारो।।
नवनाथ च रािी सिद्धो मे,
भगत परू ण भयो परम िख
ु ारो ।
को निी िानत िै िग मे िती
गोरखनाथ िै नाम तम्
ु िारो ॥

िोिा
नव नाथो मे नाथ िै ,
आदिनाथ अवतार ।
िती गुरु गोरक्षनाथ िो,
पण
ू ा ब्रह्म करतार॥
िंकट -मोचन नाथ का,
िम
ु रे चचत्त ववचार ।
िती गरु
ु गोरक्षनाथ िी
मेरा करो ननस्तार ॥

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