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ऋषिके श क्षेत्र के प्राथमिक विद्यालयों में मिड डे मील कार्यक्रम का अध्ययन

प्रस्तावना

देश की आजादी के 70 साल बाद भी हमारे देश में गरीबी और भुखमरी जैसी समस्या आज भी है। हमारे देश के अधिकांश भाग में गरीब और मध्यम परिवार
ही निवास करते हैं यह परिवार अपने रोजमर्रा की जिंदगी और अपने परिवार के भरण-पोषण के लिए कड़ी मेहनत करता है। इन परिवारों के बच्चे बहुत ही
मुश्किल से स्कू ल जा पाते हैं। कई परिवार के बच्चे तो अपने परिवार के खर्च के लिए काम भी करते हैं, परिवार जो अपने बच्चों को स्कू ल भेजना चाहते हैं उनके
सामने अपने बच्चों के लिए अच्छा खाना कपड़ा और उनकी पढ़ाई के लिए किताबों की समस्या सामने आती है ऐसे परिवार के बच्चों को अच्छी शिक्षा और उन्हें
एक बेहतर स्वास्थ्य प्रदान करने के लिए भारत सरकार ने सर्व शिक्षा अभियान मिड डे मील जैसे कई योजनाएं लागू की है, जिससे कि हमारा भविष्य शिक्षित
और बेहतर स्वास्थ्य वाला हो। बच्चे ही हमारे देश के भविष्य हैं उनके उच्च शिक्षा और अच्छे स्वास्थ्य उनका अधिकार है। उच्च शिक्षा और अच्छा स्वास्थ्य ही
हमारे भविष्य को और बेहतर बना कर देश को प्रगति की ओर ले जाने में मददगार सिद्ध हो सकता है इसलिए भारत सरकार ने देश के बच्चों की अच्छी शिक्षा
और उनके स्वास्थ्य पर ध्यान कें द्रित किया और सर्व शिक्षा अभियान के साथ-साथ मिड डे मील जैसी योजनाओं को प्राथमिक और माध्यमिक स्कू ल में लागू
करने का फै सला लिया मिड डे मील योजना एक सेवा पीसीएस द्वारा के रिपोर्ट के अनुसार विश्लेषण यूपीएससी, आई.ए.एस, सिविल भारत सरकार द्वारा 15
अगस्त 1995 के मध्य भोजन योजना प्रारंभ की गई थी इस योजना के अंतर्गत प्राथमिक विद्यालयों के प्रत्येक छात्र को निर्धारित खाद्यान्न उपलब्ध कराया
जाता था पूर्णविराम परंतु इसमें बच्चों का स्वास्थ्य और उनकी स्कू ल में उपस्थिति पर अपेक्षित प्रभाव नहीं पड़ा इसलिए देश में दिनांक 1 सितंबर 2000 से
पका पकाया भोजन प्राथमिक विद्यालयों में उपलब्ध कराने की योजना प्रारंभ कर दी गई सरकार द्वारा सहायता प्राप्त प्राथमिक विद्यालयों एजुके शन गारंटी
स्कीम कें द्रों में कक्षा 1 से 5 तक पढ़ने वाले बच्चों को 80% की उपस्थिति के आधार पर एक शैक्षिक सच में कम से कम 200 दिन पका पकाया भोजन
उपलब्ध कराने की व्यवस्था की गई। इस योजना के तहत कें द्र सरकार ने सभी सरकारी विद्यालयों स्थानीय निकायों द्वारा संचालित स्कू लों और सरकारी
सहायता प्राप्त स्कू लों के कक्षा 1 से 5 तक के विद्यार्थियों को पका हुआ भोजन देने के लिए प्रति छात्र प्रति स्कू लों दिन एक रुपए का खर्च अपनी तरफ से देना
स्वीकार किया 1 ग्राम इस योजना के अंतर्गत प्राथमिक विद्यालयों में प्रतिदिन न्यूनतम 300 कै लोरी ऊर्जा 18 से 12 ग्राम प्रोटीन देने का प्रावधान किया है।
मध्यान्ह भोजन कार्यक्रम का क्रियान्वयन करने के दौरान कें द्र एवं राज्य सरकार साफ-साफ कार्य करती है कें द्र सरकार योजना के क्रियान्वयन के दौरान राज्य
सरकार द्वारा पालन किए जाने हेतु दिशा निर्देश जारी करती है किं तु कु छ राज्य सरकार ने कें द्रीय दिशा निर्देशन से भिन्न दिशा निर्देश भी जारी किए गए हैं।
कार्यक्रम की निगरानी करने उसके प्रभाव का आकलन करने और कें द्र व राज्य सरकारों को ने विगत सलाह देने के लिए एक राष्ट्रीय दिशा नियंत्रक महा
निरीक्षक समिति का गठन किया गया है समिति द्वारा वार्षिक कार्य योजना प्रस्तुत किए जाने पर कार्यक्रम अनुमोदन बोर्ड द्वारा आर्थिक सहायता यूपी कें द्रीय
मदद जारी कर दी जाती है कार्यक्रम की निगरानी के लिए राज्य स्तर पर भी दिशा नियंत्रक से निरीक्षण समितियों का गठन किया गया है। नोडल विभाग प्रत्येक
जिला एवं प्रखंड (ब्लॉक) स्तर पर क्रियान्वयन प्रकोष्ठ का गठन करता है और 1-1 अधिकारी नियुक्ति करता है, जिन राज्यों में प्राथमिक शिक्षा की जिम्मेदारी
पंचायतों शहरी स्थानीय निकायों पर है वहां इस योजना के प्रभारी वही हैं। राज्यों को भारत सरकार की ओर से निधि एवं खाद्यान्नों की आपूर्ति ( कें द्रीय मदद
)स्वीकृ त करने के लिए मानव संसाधन विकास मंत्रालय वुडन एजेंसी के रूप में कार्य करता है ।

मिड डे मील के उद्देश्य

१. स्कू लों में बच्चों की भागीदारी को बढ़ाना- मिड डे मील योजना में स्कू लों में बच्चों की भागीदारी बढ़ी है स्कू लों में सिर्फ नामांकन की संख्या ही नहीं बड़ी
बल्कि बच्चों की उपस्थिति में भी सकारात्मक बदलाव आया है।

२. गरीब परिवार के छात्रों को भुखमरी से बचाना- कई बच्चे घर से बिना बहुत खाना खाकर स्कू ल पहुंचते हैं वह भी दोपहर तक भूख से झटपट आने लगते हैं
क्योंकि उन्हें दोपहर के खाने में कु छ भी नहीं मिलता था फिर उनका घर स्कू ल से इतना दूर होता है कि दोपहर के खाने के लिए घर जाएं तो समय पर लौटना
मुश्किल हो जाता है। मिड डे मील योजना से ऐसे बच्चों को लाभ हो सकता है जो एक ना एक कारण से स्कू ल में भूखे रहने के लिए मजबूर है।

३. स्कू ली बच्चों को सेहतमंद बनाना- मिड डे मील योजना बच्चों को निरंतर पोषाहार प्रदान करने की भूमिका अदा कर सकते हैं इससे बच्चों की तंदुरुस्ती बढ़ेगी

४. मिड डे मील योजना का शैक्षिक मूल्य है- अगर मिड डे मील योजना को सुनियोजित ढंग से चलाया जाए तो इसके सहारे बच्चों के भीतर कई अच्छी आदतें
विकसित की जा सकती है मसलन उन्हें खाने से पहले और बाद में हाथ को अच्छी तरह से रोने की आदत विकसित की जा सकती है।

सामाजिक समानता के मूल्य को बढ़ावा देना

मिड डे मील योजना के सहारे सामाजिक समानता के मूल्य को बढ़ावा दिया जा सकता है क्योंकि स्कू ल में अलग-अलग सामाजिक पृष्ठभूमि के बच्चे आते हैं
और उन्हें एक साथ एक रात में भोजन करना होता है इससे जाति और धर्म के आधार पर व्यक्ति को अलग कर देखने की भावना कमजोर होती हैं।
भोजन को अगर किसी दलित समुदाय के व्यक्ति द्वारा पकाया जा रहा है तो इससे भी जातिगत और वहां पूर्वाग्रह कमजोर होते हैं।

लैंगिक समानता को बढ़ावा देना

स्कू लों में इस दिशा में बराबरी लाई जा सकती है मोनू राम एक तो जिन कारणों से लड़कियां स्कू ल नहीं आ पाती मिड डे मील योजना हम कारणों की कमजोर
करती है इससे मिड डे मील योजना में महिलाओं को रोजगार देने की भी अच्छी क्षमता है महिलाएं घर के बजाय अगर स्कू ल में दोपहर का भोजन तैयार करते
हैं वह उन्हें घर के रोज के छोरे शक्ति के काम से थोड़ी राहत होगी और साथ में आमदनी भी बढ़ेगी

मनोवैज्ञानिक लाभ- शारीरिक रूप से कमजोर होने पर पत्र के अंदर आत्मविश्वास में कमी आती है और भीतर असुरक्षा बोध बढ़ता है और बच्चे का अनुमान
लगातार चिंता और तनाव में रहता है। इन सबका असर बच्चे के ज्ञानात्मक भावात्मक और सामाजिक विकास पर पड़ता है मिड डे मील योजना के गीत बच्चों के
मनोवैज्ञानिक विकास की संभावना है

मिड डे मील की आवश्यकता एवं महत्व

विश्व खाद्य ग्रामीण कार्यक्रम (wfp) वर्तमान में कु पोषण और खाद्य कार्यक्रम वर्तमान में कु पोषण और खाद्य सुरक्षा के स्तर को सुधारने के लिए खाद्य
आधारित सुरक्षा तंत्र को सशक्त करने में सहयोग करता है। भारत में इसके सहयोग में मिड डे मील कार्यक्रम चलाया जिसकी आवश्यकता को निम्न प्रकार से
स्पष्ट कर सकते हैं।
१. फोर्टिफिके शन- फोर्टिफिके शन एक प्रयास और परीक्षण प्रक्रिया है जिसके माध्यम से खाद्य पदार्थों में सूक्ष्म पोषक तत्वों को जोड़ा जाता है चावल और गेहूं
जैसे स्कू ल की नोटिफाई लोहे और विटामिन" ए" के साथ सफलतापूर्वक सफल हुआ है।
पकाए हुए भोजन को भी रीमिक्स सूक्ष्म पोषक तत्वों के साथ मजबूत किया जा सकता है एक उचित मूल्य पर सूक्ष्म पोषतत्वों को इससे भी सुधार
किया जा सकता है डब्ल्यूएफपी उड़ीसा की सरकार के साथ चावल में लौह तत्व का चालन किया 1 साल के भीतर एनीमिया के मामलों में 5% की गिरावट
आ गई ।

एकीकृ त सुरक्षा तथा स्वच्छ आदतें

MDM(mid-day meal) मैं सुरक्षित और स्वच्छ आदतों की एकीकृ त करना सुनिश्चित और स्वच्छ आदतों को एकीकृ त करना सुनिश्चित करना
आवश्यक है। यह खाद्य आपूर्ति श्रृंखला के द्वारा तैयारी एवं उपयोग के समय निर्धारित किया जा सकता है पाक और भंडारण सुविधाओं से स्वच्छता होना
आवश्यक है। इसके अतिरिक्त हाथ धोने के तथा वस्तुओं को साफ रखने के लिए स्वच्छ जल आपूर्ति एप्रेन के साथ उपयुक्त किड्स रसोइए के लिए दस्ताने
और कै प सुरक्षित खाद्य अपशिष्ट निपयन की आवश्यकता है प्रत्येक विद्यालय में शौचालय बनाने के लिए सरकार की ओर से पहल की आवश्यकता है।

विद्यालय प्रबंधन में सुधार

विद्यालय प्रबंधन में रसोई कर्मचारी तथा छात्र स्वयं योजना के आवश्यक सहयोग के लिए प्रबंधन करता है। रसोई में कार्य करने वाले कर्मचारियों के स्वास्थ्य
की नियमित जांच होना आवश्यक है तथा उन्हें अच्छी स्वास्थ्य आदतों को अपनाना चाहिए जैसे स्नान बनाने से पहले हाथ धोना आदि स्वच्छ हाथ स्वच्छ
भारत स्वच्छ खाना पकाना तथा स्वच्छ रसोई तीन महत्वपूर्ण संदेश है जो विद्यालय प्रबंधन में सम्मिलित होने चाहिए ।
पोषण की सफलतापूर्वक सुधारने के लिए खाद्य स्वास्थ्य स्वच्छ पेयजल के साथ किया जा सकता है। एमडीएम मे पोषण संबंधी आवश्यकताओं के लिए
सहयोग करते हैं
लेकिन इनमें स्वच्छता और पोषण संबंधी मूल्य के बारे में कु छ कमियां हैं जिनको दूर करने की आवश्यकता है।

मध्याह्न भोजन योजना की गाइडलाइंस


मध्याह्न भोजन योजना को स्कू लों में चलाया जाता है उन सभी स्कू लों के लिए सरकार ने गाइडलाइंस तैयार की है और इन गाइडलाइंस का पालन हाई स्कू ल
को करना पड़ता है।
 मिड डे मील से जुड़ी प्रथम गाइडलाइंस के मुताबिक जिन स्कू लों में मिड डे मील का खाना बनाया जाता है उन स्कू लों को यह खाना रसोई घर में
ही बनाना होता है कोई भी स्कू ल किसी खुली जगह में और किसी भी स्थान पर इस खाने को नहीं बना सकता है।
 इस गाइडलाइन के मुताबिक रसोईघर क्लास रूप से अलग होना चाहिए ताकि बच्चों को पढ़ाई करते समय किसी भी तरह की परेशानी ना हो।
 स्कू ल में खाना बनाने में इस्तेमाल होने वाले ईंधन जैसे रसोई गैस को किसी सुरक्षित जगह पर रखना अनिवार्य है इसी के साथ ही खाना बनाने
वाली चीजों को भी साफ जगह पर रखने का जिक्र इस स्कीम मे है।
 जिन चीजों का इस्तेमाल भी खाना बनाने के लिए किया जाएगा उन सभी चीजों की क्वालिटी एकदम अच्छी होनी चाहिए और पेस्टिसाइड वाले
अनाजों का प्रयोग किसी भी प्रकार के खाने में नहीं किया जाना चाहिए।
 खाने बनाने के लिए के वल एगमार्क गुणवत्ता और ब्रांडेड वस्तुओं का इस्तेमाल किया जाने का उल्लेख भी इसी योजना की गाइडलाइंस में किया
गया है।
 खाना बनाने से पहले सब्जी दाल और चावल को अच्छे से धोने का नियम भी इसी स्कीम की गाइडलाइंस में जोड़ा गया है।
 गाइडलाइन के मुताबिक जिस जगह यानी भंडार में खाने की सामग्री को रखा जाएगा उस भंडार घर की रसोई पर अच्छा खासा ध्यान देना होगा।
 जिन रसोइयों द्वारा बच्चों को दिए जाने वाले यह खाना बनाया जाएगा उन रसोइयों को भी अपनी साफ सफाई का ध्यान रखा जाएगा खाना बनाने
से पहले रसोइयों को अपने हाथों को अच्छे से धोना होगा
 खाना बनाने के बाद उस खाने का स्वाद पहले दो या तीन लोगों को चखना होगा और इन दो तीन लोगों से कम से कम एक टीचर शामिल होना
चाहिए।
 समय-समय पर बच्चों को दिए जाने वाले इस खाने के नमूनों का टेस्ट स्कू लों के माध्यम से प्राप्त प्रयोगशाला में करवाना होगा।
 जैसे ही बच्चों को देने वाला खाना बना लिया जाएगा तो उस खाने को बनाने में इस्तेमाल हुए बर्तनों को साफ करके ही रखना होगा।

शोध की आवश्यकता

मिड डे मील में दिए जा रहे भोजन में कं कड़ विषाक्त रसायन जहरीले जीव निम्न गुणात्मक भोजन आदि आम हो चली है सरकारी तंत्र असफल रहा है एक
बढ़िया भोजन दूरदर्शी क्रियान्वयन के चलते दम तोड़ती नजर आ रही है
 यह योजना अब तक की सर्वश्रेष्ठ सरकारी पहल साबित हो सकती है अगर इसके क्रियान्वयन और खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता पर ध्यान दिया
गया होता ऐसा न कर पाने की स्थिति में 2 दशक से अधिक समय से लागू इस योजना की शुरुआत से ही खाना खाकर बच्चों के बीमार होने की
घटनाएं सामने आ रही है ऐसी घटनाएं इस बेहतर योजना के महत्व और मकसद पर नकारात्मक असर डाल सकती है।
 नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कै ग )की मिड डे मील योजना व रिपोर्ट में कहा गया कि यह गए परीक्षा में 2012 में से 1876 नमूने है कोसा
मानकों पर पूरी तरह खरे नहीं उतर पाए।
 जानकारों के अनुसार मिड डे मील योजना शहरों में तो ठीक से काम कर रही है क्योंकि वहां इसकी निगरानी ठीक होती है और जनप्रतिनिधियों
की निगाह पड़ती रहती है किं तु ग्रामीण क्षेत्रों में ऐसा नहीं हो पाता है।
 ग्रामीण क्षेत्रों में ना तो सही समय पर सामान पहुंच पाता है और ना ही समय पर भुगतान हो पाता है इसके अलावा ग्राम प्रधान प्रधानाध्यापक और
रसोईया के संबंध में इसके ठीक से लागू ना होने के कारण है।
 सरकार ने योजना की निगरानी यानी मॉनिटरिंग के लिए साल 2010 से आईवीआरएस आधारित प्रणाली लागू किया है इस प्रणाली के तहत
प्रत्येक विद्यालय के प्रधानाध्यापक अध्यापक अथवा शिक्षामित्र के मोबाइल नंबर पर एवं संचालित कॉल की जाती है इस प्रकार कें द्रीकृ त सर पर भोजन ग्रहण
करने वाले बच्चों की संख्या एवं भोजन ग्रहण करने वाले बच्चों की संख्या एवं भोजन बनाने वाले विद्यालयों की संख्या एवं भोजन ना बनाने वाले विद्यालयों की
संख्या दैनिक स्तर पर अंकित हो जाती है इसके अलावा भी व्यवस्था पर निगरानी के लिए कई और तंत्र विकसित किए गए हैं साथी उच्च अधिकारियों से भी
नियमित तौर पर स्कू लों की जांच और मिड डे मील की गुणवत्ता को परखने की जिम्मेदारी दी गई है। बावजूद इसके यह योजना अपना उद्देश्य पूरा नहीं कर पा
रहे हैं।
 जानकारों का यह भी कहना है कि मिड डे मील का बजट इतना ज्यादा नहीं है कि तय मानकों के अनुसार बच्चों को पौष्टिक आहार उपलब्ध कराया
जा सके अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के बच्चों का स्कू ल ही नामांकन तो विरोध रूप से बड़ा है किं तु कई बार देखा गया है कि SC/ST
महिलाओं द्वारा लगाए गए भोजन को खाने के लिए अभिभावकों द्वारा अपने बच्चों को खाना खाने से रोक दिया जाता है।
 मंत्रालय ने इस बात की जांच नहीं की कि इस योजना से छात्रों के नामांकन और उपस्थिति में कितना इजाफा हुआ है अक्षण ऑडिट के लिए जो
आंकड़े एकत्र किए गए उनके विश्लेषण से इस बात का पता नहीं चलता है कि छात्रों की उपस्थिति या नामांकन में तुलनात्मक रूप से कु छ सुधार हुआ है।
 कार्यक्रम के मूल्यांकन और निरीक्षण का काम नियमित रूप से नहीं होता और ना ही कार्यक्रम के लागू करने में पहले हुई गलतियों से सीख लेते
हुए स्थानीय स्तर पर उसमें नवीकरण के प्रयास किए जाते हैं मानव संसाधन विकास मंत्रालय की तरफ से राज्य और कें द्र के स्तर पर योजना की निगरानी
और संचालन के लिए समितियां बनाई गई हैं। लेकिन यह समितिया नियमित रूप से बैठक नहीं कर पाती।
 राज्यों में योजना के क्रियान्वयन के पहलुओं की जांच से पता चला है कि फं ड को सही वक्त पर जारी नहीं किया जा रहा परिवहन खर्चे में
अनियमितता बरती जा रही है कार्यक्रम को लागू करने लायक बुनियादी ढांचे का अभाव है और जारी किए गए अनाज की मात्र में लक्ष्य पहुंचने से पहले
हेराफे री होती है

हर राज्य में बनाई गई है कमेटी

मिड डे मील स्कीम को लेकर किसी तरह का घोटाला और लापरवाही न बरती जाए इसलिए मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने कई कमेटी का गठन किया
गया है जिनमें से कु छ कमेटी नेशनल लेवल पर इस स्क्रीन पर निगरानी रखती है। जबकि कु छ स्टेट ,जिला, नगर, ब्लाक ,गांव और स्कू ल लेवल पर इस
स्कीम के रूप कार्य को देखती है और यह सुनिश्चित करती है कि देश के हर स्कू ल में सही तरह का खाना बच्चों को दिया जाए।

नेशनल लेवल कमेटी

नेशनल लेवल पर आधारित समिति राष्ट्रीय स्तर की स्टीयरिग-सह -निगरानी समिति ( एंनएसएमसी) और कार्यक्रम स्वीकृ ति बोर्ड (पीएबी) इस स्कीम की
मान्यता करता है और यह कमेटी सीधे तौर पर मानव संसाधन विकास मंत्री द्वारा हेड की जाती है।

स्टेट लेवल

स्टेट लेवल पर राज्य स्तरीय पर निगरानी समिति इस स्क्रीन पर निगरानी रखती है और यह कमेटी राज्य के मुख्य सचिव की अध्यक्षता में कार्य करती है।

जिला स्तर

हर राज्य के प्रत्येक जिले में भी कमेटी का गठन इस स्कीम की निगरानी करने के लिए किया गया है हर जिले की जिला स्तर समिति यह सुनिश्चित करती है
कि उनके जिला स्तर के अंदर आने वाले सभी लाभांवित स्कू लों में बच्चों को इस स्कीम के तहत अच्छा खाना दिया जाए। जिला स्तर समिति की अध्यक्ष
लोकसभा के वरिष्ठ सदस्य द्वारा की जाती है। ग्राम पंचायत या ग्राम सभा के लोग नियमित रूप से इस स्कीम के कार्य को देखते हैं।

स्थानीय स्तर पर

स्थानीय स्तर पर गांव शिक्षा समितियों (वाईसी) अभिभावक-शिक्षा संघ (पीटीए), स्कू ल प्रबंधन समितियों (एसएमसी) के सदस्य ,गांव पंचायत या ग्राम सभा
के लोग, नियमित रूप से इस स्कीम के कार्यों को देखते हैं।

संयुक्त समीक्षा मिशन (जेआरएम) ऊपर बताई गई कमेटियों के अलावा संयुक्त समीक्षा मिशन (जेआरएम) भी इस स्कीम को और बेहतर बनाने के लिए कार्य
करता है। कें द्र द्वारा किये गऎ जेआरएम के सदस्य शैक्षणिक और पोषण विशेषज्ञ होते हैं जो समय समय पर क्षेत्रीय स्कू लों में जाकर इस स्कीम की समीक्षा करते
हैं 1 ग्राम जिसे राज्य के स्कू ल के खाने की यह समीक्षा करते है।

शोध अध्ययन के उद्देश्य

 प्राथमिक विद्यालयों में मिड डे मील कार्यक्रम में मिलने वाले भोजन का अध्ययन करना।

साहित्य का पुनरावलोकन (Review of literature)

सुदेश कु मारी द्वारा किए गए लघु शोध शीर्षक" माध्यम भोजन (MDM)योजना का अध्ययन: रोहतक हुआ जींद जिले के संदर्भ में,,
 उद्देश्य- रोहतक व जींद जिले के विद्यालय में मिड डे मील इंचार्ज अध्यापकों का चयन निदर्शन विधि द्वारा किया गया है आंकड़ों को एकत्रित करने
के लिए साक्षात्कार अनुसूची विधि का प्रयोग किया गया उत्तरदाताओं से लाभार्थियों को मिलने वाले भोजन के लिए उपलब्ध होने वाले राशन की नियमितता
अरे आपका गुणवत्ता एवं इस कार्यक्रम के संचालन के अंतर्गत काम करते समय मिड डे मील इंचार्ज अध्यापकों के समक्ष आने वाली समस्याओं को जानने का
प्रयास किया गया।
 निष्कर्ष- उनके शोध से निष्कर्ष निकला कि वहां पर सरकार द्वारा मध्पाहन भोजन से संबंधित सभी आवश्यक उपकरण उपलब्ध कराए गए हैं।
कार्यक्रम के अंतर्गत इंचार्ज को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है,
 प्राथमिक विद्यालयों में बच्चों के पोषण स्थिति दस्तावेजों का अध्ययन करना,
 प्राथमिक विद्यालयों के विद्यार्थियों के पोषण स्थिति का आकलन करना,
 प्राथमिक विद्यालयों में मिड डे मील कार्यक्रम हेतु सुझाव देना।
 कोविड-19 के दौरान मध्यान्ह भोजन योजना का प्रभाव झारखंड के हजारीबाग जिले के संदर्भ में शोध में शोधकर्ताओं कु जार के द्वारा “A
study on implementation of Mid –day-meal scheme during covid-19 in Hazaribagh District
Jharkhand” शीर्षक को चयनित किया जिसमें उन्होंने विद्यार्थियों के माता-पिता अभिभावकों का चयन किया जिसमें कि विद्यार्थियों के स्वास्थ्य पर
कोविड-19 का प्रभाव पड़ा।
 “A study of mid-day-meal programme in the govt. primary schools of the Gwalior city of
Madhya Pradesh” शीर्षक पर शोध सुधा देवी चौहान द्वारा किया गया।
 मोहम्मद इसरार खान और सोनम मौर्य द्वारा शोध शीर्षक “माध्याहन भोजन व्यवस्था का बच्चों की शिक्षा व स्वास्थ्य पर प्रभाव (विकासखंड बहेड़ी
जनपद बरेली के विशेष संदर्भ में”

 नामांकन पर माध्यान भोजन के प्रभाव,


 क्रियान्वयन का विश्लेषण, माध्यान भोजनप्रोग्राम पर छात्र-छात्राओं के हस्ती कोणों पर अध्ययन किया।
 निष्कर्ष - प्रस्तुत शोध में निष्कर्ष सामने आया कि महान भोजन योजना का विद्यार्थियों के नामांकन में वृद्धि हुई है खाद्य वस्तुओं का वितरण भली-
भांति हो रहा है। माध्याहन भोजन योजना के प्रभाव से बच्चों की पोषण संबंधी जरूरतों की पूर्ति हुई।

शोध कार्य प्रणाली

प्रस्तुत शोध में सर्वेक्षण विधि का प्रयोग किया गया, उसमें ऋषिके श क्षेत्र के 5 शासकीय व अशासकीय विद्यालयों को चयनित किया गया जिसमें सर्वेक्षण
अवलोकन व प्रश्नावली के माध्यम से आंखों को एकत्रित किया गया,
प्रस्तुत शोध में अनियव प्रविययन यदि प्रदेश यमुना चयन का प्रयोग किया गया।

शोध परिणाम एवं चर्चा

प्रस्तुत शोध में न्यादर्श के रूप में 5 प्राथमिक विद्यालयों से 100 विद्यार्थियों का चयन किया गया जिसमें 50 साल तक 50 छात्रों का चयन किया गया
प्रत्येक विद्यालय से 20 विद्यार्थियों (10 छात्र + 10 छात्राओं) का चयन यादृच्छिक प्रतिचयन विधि द्वारा चयन किया गया प्रत्येक स्कू ल से 2 अध्यापकों
(2x5)10 का चयन किया गया, प्रत्येक विद्यालय के प्रधानाचार्य का साक्षात्कार लिया गया।

शोध ग्रंथ सूची

 एक आशा रानी शोधकर्ता लोक प्रशासन विभाग चै० देवी लाल विश्वविद्यालय सिरसा हरियाणा
 डॉ अर्चना गुप्ता प्रोफे सर जे पी श्रीवास्तव
 डॉ श्याम सिंह गौड़ और नीलम सिंह परिहार
 सुदेश कु मारी
 सुधा देवी चौहान
 मोहम्मद हिसार खान

सार एवं निष्कर्ष

प्रस्तुत शोध से ज्ञात हुआ कि मध्यान्ह भोजन योजना सभी चयनित विद्यालय में सुचारू रूप से चल रही है यह योजना इन विद्यालयों में सार्थक रूप से कार्य
कर रही है इस योजना के अंतर्गत सभी छात्र छात्राओं का उचित पोषण मिल रहा है संपूर्ण लघु शोध से ज्ञात हुआ कि विद्यार्थी मध्यान्ह भोजन योजना के प्रति
रुचि रखते हैं और यह योजना विद्यालय में छात्रों के पोषण व नामांकन में वृद्धि हुई है।
शोध परिणाम एवं चर्चा
तालिका 1

मध्यान्ह भोजन व्यवस्था के अंतर्गत साप्ताहिक मैन्यू

दिन मेंन्यू
सोमवार अरहर, मलका, काली दाल (उड़द), सब्जी, चावल
मंगलवार मीठा चावल, मिक्स दाल, चावल
बुधवार राजमा, चना दाल, चावल, सब्जी
बृहस्पतिवार पुलाव, कढ़ी चावल
शुक्रवार काले चने, चावल, आलू बड़ी
शनिवार खिचड़ी, मिक्स सब्जियां, लोबिया दाल, चावल

स्त्रोत विद्यालय का नाम श्री पूर्णानंद इंटर कॉलेज का मध्यान भोजन मेनू

तालिका 2
न्यादर्श विवरण

कक्षा बालक बालिका


7 10 + 10 = 20

अध्यापक मल्टीप्लाई प्रधानाचार्य


2 5 1x5 = 5

योग 20 X 5 = 100 विद्यार्थी

अध्यापक 10 प्रधानाचार्य 5 कु ल योग 100 X10 X 5 =115

तालिका

 क्या आप विद्यालय में भोजन कराना पसंद करते हैं हां नहीं

 आपको विद्यालय में स्वादिष्ट भोजन मिलता है 100% - 0%

 क्या आपके स्कू ल में भोजन की व्यवस्था अच्छे से होती है हां नहीं

 क्या आप भोजन की गुणवत्ता की पहचान कर सकते हैं हां नहीं

 क्या आपके विद्यालय के भोजन में सब्जियां प्रतिदिन इस्तेमाल होती हैं हां नहीं

 क्या आप उपलब्ध भोजन से अधिक भोजन की अपेक्षा करते हैं हां नहीं

 क्या आपके विद्यालय के भोजन में सब्जियां दालें अच्छे किस्म की होती हैं हां नहीं

 क्या विद्यालय में भोजन प्रतिदिन ग्रहण करते हैं हां नहीं
 क्या आप अधिक अच्छा मध्याहन भोजन दान करना चाहते हैं हां नहीं

तालिका

रहने का स्थान ग्रामीण शहरी


50% 50%

आप प्रतिदिन दोपहर का भोजन कहाँ खाते हैं स्कू ल 100%

आप स्कू ल/विद्यालय में भोजन खाना कितनी बार पसंद करते हैं 1. प्रतिदिन 2.दो दिन 3. तीन दिन 4. कभी नहीं
50% 50% 50% 0%

आपके विद्यालय में किस किस्म का चावल इस्तेमाल होता है 1. अच्छा 2. ठीक 3.अति उत्तम 4.ख़राब
25% 25% 50% 0%

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