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झारखंड में मासिक धर्म स्वच्छता प्रबंधन: माननीय विधान सभा सदस्यों के साथ राज्य स्तरीय गोलमेज सम्मेलन

1. पष्ृ ठभूमि

यूनिसेफ़ ने मासिक धर्म को परिभाषित करते हुए कहा की यह प्राकृतिक शारीरिक प्रक्रिया है जिसमे
मासिक धर्म चक्र के दौरान गर्भाशय से रक्त एवं अन्य पदार्थ वजाइना के द्वारा बाहर निकल जाते
हैं। यह एक जैविक प्रक्रिया है जो किशोरी लड़कियों और विशिष्ट आयु वर्ग की महिलाओं के लिए
आवश्यक है । उचित मासिक धर्म स्वच्छता प्रबंधन महिलाओं के शारीरिक, सामाजिक और आर्थिक विकास के लिए महत्वपूर्ण है। मासिक धर्म स्वच्छता
प्रबंधन (एमएचएम) को इस प्रकार परिभाषित किया गया है- 'महिलाओं और किशोरियों की पहुँच उन सवि
ु धाओं तक हो जहाँ
उन्हे मासिक धर्म अवधि के दौरान गोपनीय रूप से रक्त को अवशोषित या एकत्र करने के लिए एक स्वच्छ मासिक धर्म प्रबंधन
सामग्री, जिसे इस अवधि के दौरान जितनी बार आवश्यकता हो बदल सकें , धोने के लिए साबुन और
प्रयाप्त मात्रा में पानी एवं निपटारन की सुविधा मिलें। भारत ने मासिक धर्म स्वच्छता पर ध्यान
केंद्रित करते हुए 2014 मे स्वस्थ भारत मिशन की शरु
ु आत की, जिसमे सरकार ने पहल करके
सामाजिक संस्था, निजी कंपनी एवं उधमियों को शामिल करते हुए मासिक धर्म स्वच्छता का नेतृत्व करना शुरू
किया। निम्न और मध्यम आय वाले देशों में मासिक धर्म स्वच्छता प्रबंधन ‘ किशोरी लड़कियों के लिए’ एक समस्या है। किशोरी लड़कियों के लिए,
इसका मतलब है माध्यमिक शिक्षा और जीवन के महत्वपूर्ण विकासात्मक पहलुओं से वंचित रहना।

2. मासिक धर्म स्वच्छता प्रबंधन में अंतराल- भारत और झारखंड

जहाँ मासिक धर्म महिलाओं और लड़कियों के जीवन का एक सामान्य और स्वस्थ हिस्सा है, फिर भी आज कई समुदाय एवं समाज
में , मासिक धर्म का अनुभव सांस्कृ तिक वर्जनाओं और भेदभावपूर्ण सामाजिक मानदंडों से विवश है। जागरूकता की कमी, संवेदनशीलता और सांस्कृ तिक
वर्जनाएं महिलाओं को सुरक्षित और स्वच्छ मासिक धर्म से वंचित करती है। मासिक धर्म के बारे में जानकारी की कमी के परिणामस्वरूप अस्वच्क्ष एवं
अस्वास्थ्यकर मासिक धर्म प्रथाएं होती हैं। यह प्रथाएं गलत धारणाओं और नकारात्मक दृष्टिकोण को पैदा करती है, जो दूसरों के बीच,
शर्मसार करने वाली बदमाशी और यहां तक कि लिंग आधारित हिंसा को भी प्रेरित करती है। भारत में सुरक्षित मासिक धर्म स्वच्छता प्रबंधन के लिए
ढांचागत मुद्दे मुख्य बाधाओं में से एक हैं। किशोरावस्था में जैसे ही मासिक धर्म शुरू होता है, स्कू ल एक संवेदनशील स्थल होते हैं जहाँ सुरक्षित मासिक
धर्म स्वच्छता प्रबंधन प्रथाओं को स्थापित किया जा सके। साक्ष्य से पता चलता है कि मासिक धर्म स्वच्छता उपकरणों और बुनियादी ढाँचे (जिसमें
सैनिटरी नैपकिन, स्कू लों में शौचालय, पानी की उपलब्धता, गोपनीयता और सुरक्षित निपटान शामिल हैं) की कमी के वजह से इस अवधि के
दौरान स्कू ल में उनकी उपस्थिति को बाधित करती है एवं इस दौरान स्थानीय संक्रमण होने की भी संभावना होती है। Cag
रिपोर्ट 2020, यह दर्शाती है कि विधालयों के लगभग 72% आदर्श शौचालयों में उचित बुनियादी ढांचे की कमी है जैसे किशोरी
लड़कियों के लिए खास शौचालय, एवं शौचालयों में साफ पानी, सेनीटरी नेपकिन एवं अन्य गंदगी के निपटारन के
लिए कूड़ेदान इत्यादि की कमी शामिल है । एनजीओ (Dasra Title Spot) के 2014 की एक रिपोर्ट में पाया गया कि
मासिक धर्म स्वच्छता प्रबंधन की उचित सुविधाओं की कमी के कारण सालाना लगभग 23 मिलियन लड़कियां स्कू ल छोड़ देती हैं। हालांकि, कई
अध्ययनों से यह भी पता चला है कि अच्छी मासिक धर्म स्वच्छता उनके महिलाओं के स्वास्थ्य, उनके आत्मविश्वास, आत्म-सम्मान
को बेहतर करती है जो लैंगिक समानता और बुनियादी मानवाधिकारों से जुड़ी है।

3. झारखंड

यूनिसेफ के 2015 के सर्वेक्षण से पता चलता है कि झारखंड में 67% शिक्षकों को मासिक धर्म स्वच्छता के दौरान उचित प्रथा के बारे में
जानकारी नहीं है। यह एक चुनौतीपूर्ण तस्वीर को दर्शाता है क्योंकि एक किशोरी लड़की को उचित मासिक धर्म स्वच्छता प्रबंधन के लिए एक अनुकू ल वातावरण
और स्कू ल शिक्षकों से समर्थन की आवश्यकता होती है। रिपोर्ट में यह भी दर्शाया गया है कि मासिक धर्म की स्वच्छता की सुविधाओं के अभाव के कारण
स्कू ल जाने वाली 80% लड़कियां स्कू ल में कक्षाओं में भाग लेने से चूक जाती हैं। झारखंड राज्य में मुख्य रूप से आदिवासी आबादी है, जिसमें सुरक्षित
मासिक धर्म स्वच्छता प्रथाओं के बारे में जागरूकता का अभाव है। साथ ही, राज्य के सद
ु रू ग्रामीण क्षेत्रों में शौचालय जैसे बुनियादी ढांचे की कमी भी मौजूद
है। इन सभी कारणों से, ग्रामीणों में मासिक धर्म स्वच्छता प्रबंधन में अभाव है। इसके अलावा, पानी की कमी और प्रदूषण भी झारखंड मे
मासिक धर्म स्वच्छता के मुद्दे से जुड़े हैं।

4. आगे बढ़ने का रास्ता

झारखंड में मासिक धर्म स्वच्छता प्रबंधन के प्रति संवेदनशीलता और सक्रियता लाने और नीति-स्तर में बदलाव लाने के लिए जमीनी स्तर पर चर्चा महत्वपूर्ण
है। यहीं से जनप्रतिनिधि सबसे आगे आते हैं। युवा लड़कियों और महिलाओं के लिए मासिक धर्म स्वच्छता के सुरक्षित और सुलभ साधनों पर नीति निर्माताओं
के बीच चर्चा और विचार-विमर्श इस मुद्दे पर सरकार की ध्यान आकर्षित करने में एक लंबा रास्ता तय कर सकती है। इस क्षेत्र में, जिला सरकार मासिक
धर्म स्वच्छता प्रबंधन की सरकारी योजनाओं और नीतियों को जमीन पर लागू करने और निगरानी करने में मदद कर सकती है। मासिक धर्म स्वच्छता प्रबंधन
को किशोर लड़कियों के बीच प्रभावी मासिक धर्म स्वच्छता प्रथाओं के योगदान में सुधार के लिए एक सहयोगी दृष्टिकोण की आवश्यकता है। बुनियादी ढांचे के
क्षेत्र में, लड़कियों के लिए सुरक्षित और सुलभ स्वच्छता सुविधाएं पहली प्राथमिकता हैं। इसे प्रशासन द्वारा सरकारी नीतियों और योजनाओं (जैसे स्वच्छ भारत
अभियान, राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम, यूनिसेफ के महिमा कार्यक्रम आदि) के पारदर्शी क्रियान्वयन द्वारा समर्थित होना चाहिए। अंत में, नीति निर्माताओं
और जन प्रतिनिधियों को मासिक धर्म स्वच्छता के मुद्दे पर जोर देना चाहिए, अपनी बैठकों में इस मुद्दे को उठाना चाहिए और जनता से मासिक धर्म स्वच्छता
उत्पादों और सरकार द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाओं का उपयोग करने की अपील करनी चाहिए।

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