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Cashless Economy का अभिप्राय एक ऐसी अर्थव्यवस्था से लगाया जा सकता है जिसमें नकदी का इस्तेमाल नहीं होता है । लेकिन वर्तमान में नकदी विहीन अर्थव्यवस्था से आशय सीधे तौर पर डिजिटल पेमेंट से लगाया जाता है। वह इसलिए क्यों
Cashless Economy का अभिप्राय एक ऐसी अर्थव्यवस्था से लगाया जा सकता है जिसमें नकदी का इस्तेमाल नहीं होता है । लेकिन वर्तमान में नकदी विहीन अर्थव्यवस्था से आशय सीधे तौर पर डिजिटल पेमेंट से लगाया जाता है। वह इसलिए क्यों
इस्तेमाल नहीं होता है । लेकिन वर्तमान में नकदी विहीन अर्थव्यवस्था से आशय सीधे तौर पर
डिजिटल पेमेंट से लगाया जाता है । वह इसलिए क्योंकि यदि हम कोई वस्तु या सामान खरीदते
समय नकदी का इस्तेमाल नहीं करते हैं तो हम उस खरीदारी के अगें स्ट डिजिटल पेमेंट द्वारा
भग
ु तान करते हैं। एक Cashless Economy के अंतर्गत सभी प्रकार के वित्तीय लेनदे न बैंक नोटों
एवं सिक्कों के बजाय इलेक्ट्रॉनिक रूप से निष्पादित किये जाते हैं। इसके फायदों को दे खते हुए
दनि
ु याभर के कई दे श पिछले कुछ वर्षों से लगातार Cashless Economy की ओर बढ़ रहे हैं। एक
आंकड़े के मुताबिक वर्तमान में सबसे अधिक नकदीहीन लेनदे न स्वीडन में होते हैं यहाँ कुल लेनदे न
का लगभग 59% लेनदे न कैशलेस होता है । इनमें क्रेडिट, डेबिट एवं मोबाइल बैंकिंग के समाधान
शामिल हैं इसलिए कहा जा सकता है की स्वीडन इस बारे में दे शों का नेतत्ृ व कर रहा है ।
पैसे के इलेक्ट्रॉनिक स्वरूप में इसका लेनदे न डिजिटल जानकारी के हस्तांतरण के माध्यम से किया
जाता है । इसमें नेट बैंकिंग, मोबाइल बैंकिंग, डेबिट और क्रेडिट कार्ड के माध्यम से किया गया
भुगतान, डिजिटल वॉलेट के माध्यम से किया गया भग
ु तान इत्यादि शामिल है ।
क्योंकि नकदी दे कर एवं लेकर सामान खरीदना एवं बेचना इस दे श के लोगों की आदतों में शम
ु ार
हो गया है । हालांकि सरकार भी दे श में Cashless Economy को प्रोत्साहित करने के लिए अनेकों
डिस्काउं ट योजनायें तक चला रही हैं। लेकिन चँ ूकि हम पहले भी कह चुके हैं की भारत विविधताओं
से भरा हुआ दे श है इसलिए यहाँ पर कोई भी चीज सबके लिए अच्छी एवं बुरी नहीं हो सकती है ।
इसके अलावा Cashless Economy न होने के कारण दे श भर में एटीएम इत्यादि लगाने की
आवश्यकता होती है जिन्हें लगाने में भी दे श का पैसा एवं समय दोनों खर्च होते हैं। कागजी मद्र
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की भी एक लाइफ होती है जिसके बाद इसे नवीनीकृत किया जाना बेहद जरुरी होता है इसमें भी
खर्चा होता है । एक आंकड़े के मुताबिक नकद अर्थव्यवस्था को चलाने के लिए कुल जीडीपी का
0.25% हिस्सा खर्च करने की आवश्यकता होती है ।