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Cashless Economy का अभिप्राय एक ऐसी अर्थव्यवस्था से लगाया जा सकता है जिसमें नकदी का

इस्तेमाल नहीं होता है । लेकिन वर्तमान में नकदी विहीन अर्थव्यवस्था से आशय सीधे तौर पर
डिजिटल पेमेंट से लगाया जाता है । वह इसलिए क्योंकि यदि हम कोई वस्तु या सामान खरीदते
समय नकदी का इस्तेमाल नहीं करते हैं तो हम उस खरीदारी के अगें स्ट डिजिटल पेमेंट द्वारा
भग
ु तान करते हैं। एक Cashless Economy के अंतर्गत सभी प्रकार के वित्तीय लेनदे न बैंक नोटों
एवं सिक्कों के बजाय इलेक्ट्रॉनिक रूप से निष्पादित किये जाते हैं। इसके फायदों को दे खते हुए
दनि
ु याभर के कई दे श पिछले कुछ वर्षों से लगातार Cashless Economy की ओर बढ़ रहे हैं। एक
आंकड़े के मुताबिक वर्तमान में सबसे अधिक नकदीहीन लेनदे न स्वीडन में होते हैं यहाँ कुल लेनदे न
का लगभग 59% लेनदे न कैशलेस होता है । इनमें क्रेडिट, डेबिट एवं मोबाइल बैंकिंग के समाधान
शामिल हैं इसलिए कहा जा सकता है की स्वीडन इस बारे में दे शों का नेतत्ृ व कर रहा है ।

इसके अलावा कनाडा दस


ू रा ऐसा दे श है जहाँ कुल लेनदे न का लगभग 57% कैशलेस होता है ।
कैशलेस इकॉनमी को बढ़ावा दे ने के लिए 2016 में भारत ने लगभग 90% कागज के नोटों को चलन
से बाहर कर दिया था। इसके अलावा द पीपल्
ु स बैंक ऑफ चाइना ने सार्वजनिक रूप से स्वीकार
किया है कि भौतिक नकदी एक दिन पूरी तरह चलन से बाहर हो जाएगी ।

पैसे के इलेक्ट्रॉनिक स्वरूप में इसका लेनदे न डिजिटल जानकारी के हस्तांतरण के माध्यम से किया
जाता है । इसमें नेट बैंकिंग, मोबाइल बैंकिंग, डेबिट और क्रेडिट कार्ड के माध्यम से किया गया
भुगतान, डिजिटल वॉलेट के माध्यम से किया गया भग
ु तान इत्यादि शामिल है ।

जैसा की हम सबको विदित है की भारत दे श विरोधाभासों का एक दे श है यहाँ एक तरफ जहाँ लोग


तकनीक एवं इन्टरनेट के जानकार हैं। दस ू री तरफ एक बहुत बड़ी आबादी ऐसी भी है जिन्हें
बुनियादी  सवि
ु धाएँ भी उपलब्ध नहीं हैं। यहाँ आज भी लोग साइकिल रिक्शा चलाकर आजीविका
कमाते हुए दे खे जा सकते हैं। भारत में संगठित क्षेत्रों की तुलना में बहुत अधिक वर्क फोर्स असंगठित
क्षेत्रो से जुड़ी हुई है । यही कारण है की आज भी हमारा दे श भारतवर्ष एक नकदी आधारित
अर्थव्यवस्था बना हुआ है ।

हालांकि जब से 500 एवं 1000 के नोटों का विमद्र


ु ीकरण हुआ है इलेक्ट्रॉनिक लेनदे न में जबरदस्त
इजाफा हुआ है । ओला मनी, पेटीएम जैसे फलते फूलते व्यापार इसी ओर इशारा करते हैं की भारत
में Cashless Economy का दायरा पिछले कुछ वर्षों में बहुत ज्यादा बढ़ गया है । इसके अलावा
लोगों की ऑनलाइन खरीदारी की बढती आदतों के कारण भी भारत में डिजिटल पेमेंट को काफी
प्रोत्साहन मिला है । लेकिन इन सबके बावजूद भी भारत की अर्थव्यवस्था को नकदी प्रधान
अर्थव्यवस्था ही कहा जा सकता है ।

क्योंकि नकदी दे कर एवं लेकर सामान खरीदना एवं बेचना इस दे श के लोगों की आदतों में शम
ु ार
हो गया है । हालांकि सरकार भी दे श में Cashless Economy को प्रोत्साहित करने के लिए अनेकों
डिस्काउं ट योजनायें तक चला रही हैं। लेकिन चँ ूकि हम पहले भी कह चुके हैं की भारत विविधताओं
से भरा हुआ दे श है इसलिए यहाँ पर कोई भी चीज सबके लिए अच्छी एवं बुरी नहीं हो सकती है ।

Cashless Economy को अपने दे श में प्रोत्साहित करने के लिए दनि


ु या का हर दे श प्रयासरत है वह
इसलिए क्योंकि किसी भी दे श की अर्थव्यवस्था में कैशलेस लेनदे न का महत्वपर्ण
ू स्थान होता है ।
कैशलेस इकॉनमी नकद इकॉनमी की तुलना में बेहद कम भ्रष्ट होती हैं और यही कारण है की दे श
में काला धन कम पैदा होता है । किसी भी दे श की अर्थव्यवस्था के लिए कैशलेस लेन दे न क्यों
महत्वपूर्ण है इसके अन्य भी बहुत सारे कारण हैं।

जैसा की हम सबको विदित है की जिन नोटों या सिक्कों का इस्तेमाल हम मुद्रा के तौर पर


वित्तीय लेनदे न में करते हैं। भारत में उनको मद्रि
ु त करने की जिम्मेदारी भारतीय रिज़र्व बैंक की है
और इन नोटों या सिक्कों को छापने में दे श का बहुत अधिक पैसा खर्च होता है । एक आंकड़े के
मुताबिक दे श में अभी जितनी भी मद्र
ु ा चलन में है उनकी छपाई में रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया ने
लगभग 32.1 बिलियन रूपये खर्च किये हैं।

इसके अलावा Cashless Economy न होने के कारण दे श भर में एटीएम इत्यादि लगाने की
आवश्यकता होती है जिन्हें लगाने में भी दे श का पैसा एवं समय दोनों खर्च होते हैं। कागजी मद्र
ु ा
की भी एक लाइफ होती है जिसके बाद इसे नवीनीकृत किया जाना बेहद जरुरी होता है इसमें भी
खर्चा होता है । एक आंकड़े के मुताबिक नकद अर्थव्यवस्था को चलाने के लिए कुल जीडीपी का
0.25% हिस्सा खर्च करने की आवश्यकता होती है ।

नकद लेनदे न को ट्रै क कर पाना मश्कि


ु ल हो जाता है इसलिए यह अनेकों बरु ाइयाँ जैसे टै क्स चोरी,
काला धन इत्यादि को जन्म दे ता है । और इस धन का इस्तेमाल आंतकवादी गतिविधियों के
वित्तपोषण, चन
ु ावों के लिए अवैध धन, राजनितिक निर्णयों को खरीदने, सट्टे बाजी, तस्करी एवं लोकतंत्र
को हाईजैक करने के लिए किया जाता है । इसलिए दे श को आगे बढाने में Cashless Economy
सहायक हो सकती है ।

 Cashless Economy का पहला और सबसे महत्वपर्ण


ू लाभ यह है की किसी भी व्यक्ति
को हर जगह अपने साथ नकदी ले जाने की आवश्यकता नहीं होती है । यदि नकदी
ले जाने की आवश्यकता नहीं होगी तो उसके चोरी होने की भी संभावना नहीं होगी।
इससे नकदी ले जाने में जो असवि
ु धा होती है वह भी नहीं होती है । और जाली मद्र
ु ा
इत्यादि खतरे भी नहीं होते हैं।
 Cashless Economy के माध्यम से काले धन एवं अवैध लेनदे न को आसानी से ट्रै क
किया जा सकता है । जबकि नकदी के लेनदे न को ट्रै क करना आसान नहीं होता है
क्योंकि नकदी वाला पैसा बैंकिंग सिस्टम में नहीं आता है । डिजिटल लेनदे न को ट्रै क
करना इसलिए आसान है क्योंकि इसके सारे रिकॉर्ड बैंकों के पास होते हैं जिसके
परिणामस्वरूप अधिक पारदर्शी लेनदे न होते हैं और दे श में भ्रष्टाचार कम होता है ।
 चँकि
ू Cashless Economy के अंतर्गत सभी लेनदे न संगठित चैनलों के माध्यम से
किये जाते हैं जिससे कर चोरी कर पाना असंभव होता है । और परिणामस्वरूप सरकार
को अधिक कर राजस्व की प्राप्ति होती है जो दे श के विकास के कार्यों को अंजाम दे ने
में इस्तेमाल में लाया जाता है ।
 Cashless Economy में दे श नोटों एवं सिक्कों को छापने में आने वाले खर्चे से बच
जाता है इसलिए सरकार इस बचे हुए पैसे को विकास कार्यों में खर्च करके दे श की
जनता के जीवन को बेहतर बना सकती है ।
 Cashless Economy के तहत हर नागरिक के पास बैंक खाता होना नितांत आवश्यक
है इसलिए दे श में प्रचलित सभी मुद्रा, बैंकिंग प्रणाली में आ जाती है । जिससे उच्च
वित्तीय समावेशी दर को प्रोत्साहन मिलता है ।
 कैशलेस इकॉनमी में कोई भी व्यक्ति किसी को भी बड़ी तीव्र गति से भुगतान कर
सकता है जिससे भुगतान करने एवं रिसीव करने की गतिविधियों में तेजी आती है ।

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