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मनु यता क वता नोट् स

1.' मनु यता' क वता के आधार पर मनु यता के गुण /ल ण क चचा व तारपूवक क जए
अथवा
' मनु यता' क वता के मा यम से क व ने कन गुण को अपनाने का दया है? - तक स हत उतर
अथवा
मनु यता क वता म क व ने कन मानवीय गुण क चचा क है? उन पर अपने वचार द जए।
उ र- 'मनु यता' क वता म क व ने उदारता याग और को अपनाने का संकेत दया है। के अनुसार पूरी मानवजा त को अपना
मानने, उसका हत करने तथा उसक एकता का न करने म है। जो मनु य बना भाव के सब मनु य के लए जोता और मरता है,
वह स ा मनु य है। मनु य उदार है। हमारे सार को अपना मानता है। मनु य याग, ब लदान, सहानुभू त और क णा का
वहार करता है। वह मानव-मानव क एक का करता है तथा अलगाव दान वाले काम से बचता है। वह के वल खुद का ही
उ ार नह करता कतु अ य के लए भी उ ान का माग खोजता है। आव यकता पद तो यह सबके लए अपना ब लदान भी
दे दे ता है।
2. क व ने मनु य को मृ यु से न डरने का संदेश य दया है?
उ र- क व ने मनु य को अभय जीने का वरदान दया है। इसके दो कारण दए ह-
पहला : मनु य शरीर न र है। मरना सभी का है। अतः मृ यु से डरना बेकार है।
सरा : जीव अना द है। वह सनातन काल से चला आ रहा है। वह आगे भी ज म लेता रहेगा। अत: उसे मृ यु से डरना बेकार
है।
3.उदार क या वशेषताएँ होती है? या उसके त कस भाव का अनुभव करती है? 'मनुष् क वता के संदभ म उ र
द।
अथवा
'मनु यता' क वता म उदार क या पहचान बताई गई है और उसके लए या भाव क
उ र- उदार क यह वशेषता होती है क वह कसी भी ाणी से जा त, धम, वण या दे श के नाम वह सभी को एक ही
नेह और ेम से अपनाता है। ऐसे के त सारी धरा कृ ताथ भाव रखती है समर ऐसे के त पू य भाव रखता
है।
14. 'मनु
यता' क वता के आधार पर ल खए क उदार के कौन-कौन-से गुण उसे अलग पहचान दे ते ह? अपने
प र चत म से कसी एक का उदाहरण दे कर क जए क उसे उदार कै से कहा जा सकता है?
उ र-उदार क पहचान यह है क वह जा त, दे श या रंग का भेदभाव कए बना सबको अपना मानता है। सबको ेम,
आ मीयता और सहयोग दे ता है। वह मेरे जीवन म डॉ. वजय जैन ऐसे व थे जनका मुझसे कोई जातीय या
पा रवा रक संबंध नह था। फर भी उ ह ने मुझे अपने अनुज जैसा ेम और सहयोग दया। म उ ह उ तम ेणी का व
मानता ँ। उनका यही अपन व अ य अनेक लोग के त आ करता था। ऐसे ही एक अ य व है - ी जगद श म ल,
ज ह ने असं य लोग को उ ान और वकास का माग दया।

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