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कें द्रीय विद्यालय संगठन

KENDRIYA VIDYALAYA SANGATHAN

क्षेत्रीय कायाालय, जयपुर


Regional Office, Jaipur
पाठ्य सामग्री
कक्षा – बारहिीं ; विषय – हहंदी (आधार)
के न्द्द्रीय माध्यवमक विक्षा बोर्ा द्वारा िषा 2023-24 के वलए जारी
निीनतम पाठ्यक्रम एिं प्रवतदिा प्रश्नपत्र पर आधाररत
संरक्षक
श्री बी.एल. मोरोव़िया
उपायुक्त, के विसं, जयपुर संभाग

समन्द्ियक
श्री र्ी. आर. मीना पाठ्य सामग्री के वनमााण में योगदानकर्त्ाा स्नातकोर्त्र विक्षक (हहंदी)
सहायक आयुक्त, के विसं, जयपुर क्रम पीजीटी (हहंदी) का नाम विद्यालय
मागादिाक 1. र्ॉ. नीरज दइया कें द्रीय विद्यालय क्रमांक 1 बीकानेर
श्री जी एस मेहता 2. र्ॉ. मनोज कु मार गुप्ता कें द्रीय विद्यालय क्रमांक 1 कोटा
सहायक आयुक्त, के विसं, जयपुर 3. श्रीमती दीवप्त गुप्ता कें द्रीय विद्यालय, देिली
श्री माधो हसंह 4. र्ॉ. सोनल िमाा कें द्रीय विद्यालय के . रर. पु. ब. माउं ट आबू
सहायक आयुक्त, के विसं, जयपुर
5. श्री मुनेि मीना कें द्रीय विद्यालय, सी टी पी पी छब़िा
श्री विकास गुप्ता
सत्र-2023-24 के अनुसार अद्यतन
सहायक आयुक्त, के विसं, जयपुर
1. श्री राके ि कु मार यादि कें द्रीय विद्यालय सीकर
संयोजक
2. श्री ओम प्रकाि कें द्रीय विद्यालय इन्द्द्रपुरा
श्री कै लाि चंद मीणा
3. श्रीमती नविता मीणा कें द्रीय विद्यालय बााँसिा़िा
प्राचाया, कें द्रीय विद्यालय, सीकर

1
विषय सूची
क्रम पाठ्य वििरण पृष्ठ संख्या

01. पाठ्यक्रम & अंक विभाजन 3-6

खंर् अ (बहुविकल्पी प्रश्नोर्त्र)

02. प्रश्न संख्या- 01 ि 02 अपरठत बोध : (अ) गद्यांि, (ब) पद्यांि 7-28

03. प्रश्न संख्या- 03 अवभव्यवक्त और माध्यम के वनधााररत पाठ 3, 4 और 5 28-44

04. प्रश्न संख्या- 04 ि 5 आरोह भाग-2 (अ) परठत काव्यांि, (ब) परठत गद्यांि 44-73

05. प्रश्न संख्या- 06 वितान भाग-2 से पाठ-1,2 और 3 73-94

खंर् ब (िणानात्मक प्रश्नोर्त्र)

06. प्रश्न संख्या 7 (1) अप्रत्यावित विषयों पर रचनात्मक लेखन 94-96

07. प्रश्न संख्या 8 गद्य विधाएं- कहानी, नाटक और अप्रत्यावित लेखन 96-101

08. प्रश्न संख्या 9 अवभव्यवक्त और माध्यम के पाठ संख्या- 11, 12 और 13 102-109

09. प्रश्न संख्या 10 ि 11आरोह भाग-2 पद्य खंर् (अंक- 3 और अंक- 2 के वलए) 110-130

10. प्रश्न संख्या 12 ि 13 आरोह भाग-2 गद्य खंर् (अंक- 3 और अंक- 2 के वलए) 131-148

11. प्रश्न संख्या 14 वितान भाग-2 (2 अंक के वलए) 148-162

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वनधााररत पाठ्यक्रम (सत्र 2023-24)
आरोह भाग – 2 काव्य खंर् गद्य खंर्
1. आत्म-पररचय, एक गीत 1. भवक्तन
2. पतंग 2. बाजार दिान
3. कविता के बहाने, बात सीधी थी पर 3. काले मेघा पानी दे
4. कै मरे में बंद अपावहज 4. पहलिान की ढोलक
5. उषा 5. विरीष के फू ल
6. बादल राग 6. श्रम-विभाजन और जावत-प्रथा, मेरी कल्पना का आदिा
7. कवितािली, लक्ष्मण-मूर्च्छा और राम का विलाप समाज

8. रुबाइयााँ
9. छोटा मेरा खेत, बगुलों के पंख

वितान भाग – 2 1. वसल्िर िैहर्ंग


2. जूझ
3. अतीत में दबे पााँि

अवभव्यवक्त और (1.) विवभन्न माध्यमों के वलए लेखन


माध्यम (2) पत्रकारीय लेखन के विवभन्न रूप और लेखन प्रक्रक्रया
(3) वििेष लेखन-स्िरूप और प्रकार
(4) कै से करें कहानी का नाट्य रूपांतरण
(5) कै से बनता है रे वर्यो नाटक
(6) नए और अप्रत्यावित विषयों पर लेखन

3
हहंदी (आधार) (कोर् सं. 302) कक्षा - 12 सत्र 2023-24
● प्रश्न-पत्र दो खंर्ों – खंर् ‘अ’ और ‘ब’ का होगा।
● खंर् ‘अ’ में 40 िस्तुपरक प्रश्न पूछे जाएंगे सभी 40 प्रश्नों के उर्त्र देने होंगे।
● खंर् ‘ब’ में िणानात्मक प्रश्न पूछे जाएंगे। प्रश्नों में उवचत आंतररक विकल्प क्रदए जाएंगे।
भारांक- 80 वनधााररत समय- 3 घंटे

खंर् अ (िस्तुपरक प्रश्न)

विषयिस्तु भार

1 अपरठत बोध (बहुविकल्पात्मक प्रश्न) 15

अ एक अपरठत गद्यांि (अवधकतम 300 िब्दों का) (1 अंक X 10 प्रश्न) 10

ब एक अपरठत पद्यांि (अवधकतम 150 िब्दों का) (1 अंक X 5 प्रश्न) 05

2 पाठ्यपुस्तक अवभव्यवक्त और माध्यम की इकाई एक से पाठ संख्या 3, 4 तथा 5 पर आधाररत 05

बहुविकल्पात्मक प्रश्न (1 अंक X 5 प्रश्न) 05

3 पाठ्यपुस्तक आरोह भाग – 2 से बहुविकल्पात्मक प्रश्न 10

अ परठत काव्यांि पर पांच बहुविकल्पी प्रश्न (1 अंक X 5 प्रश्न) 05

ब परठत गद्यांि पर पांच बहुविकल्पी प्रश्न (1 अंक X 5 प्रश्न) 05

4 पूरक पुस्तक वितान भाग – 2 से बहुविकल्पात्मक प्रश्न 10

अ परठत पाठों पर दस बहुविकल्पी प्रश्न (1 अंक X 10 प्रश्न) 10

4
खंर् – ब (िणानात्मक प्रश्न)

विषयिस्तु भार

5 पाठ्यपुस्तक अवभव्यवक्त और माध्यम से जनसंचार और सृजनात्मक लेखन पाठ संख्या 3, 4, 5, 11, 12 तथा 13 पर आधाररत 16

1 क्रदए गए तीन अप्रत्यावित विषयों में से क्रकसी एक विषय पर लगभग 120 िब्दों में रचनात्मक लेखन (6 अंक X 1 प्रश्न) 06

2 कहानी का नाट्यरूपांतरण / रे वर्यो नाटक / अप्रत्यावित विषयों पर लेखन पर आधाररत दो प्रश्न (2 अंक X 2 प्रश्न) (विकल्प 04
सवहत) (लगभग 40 िब्दों में)

3 पत्रकाररता और जनसंचार माध्यमों के वलए लेखन पर आधाररत तीन में से दो प्रश्न (3 अंक X 2 प्रश्न) (विकल्प सवहत) 06
(लगभग 60 िब्दों में)

6 पाठ्यपुस्तक आरोह भाग – 2 एिं वितान पर आधाररत 24

1 काव्य खंर् पर आधाररत तीन प्रश्नों में से क्रकन्द्हीं दो प्रश्नों के उर्त्र (लगभग 60 िब्दों में) (3 अंक X 2 प्रश्न) 06

2 काव्य खंर् पर आधाररत तीन प्रश्नों में से क्रकन्द्हीं दो प्रश्नों के उर्त्र (लगभग 40 िब्दों में) (2 अंक X 2 प्रश्न) 04

3 गद्य खंर् पर आधाररत तीन प्रश्नों में से क्रकन्द्हीं दो प्रश्नों के उर्त्र (लगभग 60 िब्दों में) (3 अंक X 2 प्रश्न) 06

4 गद्य खंर् पर आधाररत तीन प्रश्नों में से क्रकन्द्हीं दो प्रश्नों के उर्त्र (लगभग 40 िब्दों में) (2 अंक X 2 प्रश्न) 04

5 वितान के पाठों पर आधाररत तीन प्रश्नों में से क्रकन्द्ही दो प्रश्नों के उर्त्र (लगभग 40 िब्दों में) (2 अंक X 2 प्रश्न) 04

7 (अ) श्रिण तथा िाचन 10

(ब) पररयोजना काया 10

कु ल अंक 100

5
अंक विभाजन
बहुविकल्पी प्रश्न
क्रम संख्या प्रश्न खंर् प्रश्नों की संख्या प्रश्न करने हैं वनधााररत अंक

01. अपरठत बोध (गद्यांि) 10 10 1x10=10


02. अपरठत बोध (पद्यांि) 05 05 1x5=05
03. अवभव्यवक्त और माध्यम 05 05 1x5=05
04. पाठ्य पुस्तक आरोह भाग 2 से परठत गद्यांि 05 05 1x5=05
05. पाठ्य पुस्तक आरोह भाग 2 से परठत काव्यांि 05 05 1x5=05
06. पाठ्य पुस्तक वितान भाग 2 10 10 1x10=10
40 40 40
वर्ानछत्मक प्रश्नोर्त्र
07.. रचनात्मक लेखन 01 01 1x6=06
08. कहानी, नाटक और अप्रत्यावित लेखन (विकल्प सवहत) 02 02 2x2=04
09. पत्रकाररता और जनसंचार माध्यमों के वलए लेखन 03 02 3x2=06
10. पाठ्य पुस्तक आरोह भाग 2 पद्य खंर् 03 02 3x2=06
11. पाठ्य पुस्तक आरोह भाग 2 पद्य खंर् 03 02 2x2=04
12. पाठ्य पुस्तक आरोह भाग 2 गद्य खंर् 03 02 3x2=06
13. पाठ्य पुस्तक आरोह भाग 2 गद्य खंर् 03 02 2x2=04
14. पूरक पाठ्य पुस्तक वितान आधाररत 03 02 2x2=04
21 15 40
योग 80

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प्रश्न संख्या- 01 अपरठत बोध :गद्यांि
ध्यान देने योग्य आिश्यक हबंद-ु
• प्रश्न पत्र में दो खंर् होंगे- अ और ब।
• खंर् ‘अ’ में बहुविकल्पी प्रश्न आएंगे।
• खंर् ‘अ’ में कु ल 40 प्रश्न होंगे और सभी 40 प्रश्न करने हैं।
• उर्त्र वलखते समय प्रश्न संख्या और उप-प्रश्न संख्या का सही उल्लेख कर विकल्प का संकेत वचह्न वलखेंगे।
• खंर् ‘ब’ में वर्ानछत्मक प्रश्न आएंगे।
• खंर् ‘ब’ में आंतररक विकल्पों को ध्यान में रखा जाए।
• िणाात्मक प्रश्नों में िब्द सीमा का पालन आिश्यक रूप से करें ।
• जहााँ संभि हो उर्त्र हबंदि ु ार वलखें।
अपरठत बोध
एक अपरठत गद्यांि (अवधकतम 300 िब्दों का) (1 अंक X 10 प्रश्न)
(1) मानि को ब्रह्ांर् का लघु रूप मानकर भारतीय दािावनकों ने 'यत हपंर्े तथा ब्रह्ांर्े 'की कल्पना की थी। उनकी यह कल्पना मात्र कल्पना नहीं थी,
प्रत्युत यथाथा भी थी, क्योंक्रक मानि- मन में जो विचारणा के रूप में घरटत होता है ,उसका कृ वत रूप ही तो सृवि है।मन तो मन मानि का िरीर भी अप्रवतम है।
अद्भुत एिं अवद्वतीय है मानि -सौंदया। सावहत्यकारों ने इसके रूप-सौंदया के िणान के वलए क्रकतने ही अप्रस्तुत उपमानों का विधान करके अनेक काव्य रचनाएाँ की
हैं। परं तु िैज्ञावनक दृवि से विचार क्रकया जाए ,तो मानि-िरीर को एक जरटल यंत्र से उपवमत क्रकया जा सकता है। वजस प्रकार यंत्र के एक पुजे में दोष आ जाने पर
सारा यंत्र ग़िब़िा जाता है, उसी प्रकार मानि -िरीर के विवभन्न अियिों में से यक्रद कोई एक अियि भी वबग़ि जाता है ,तो उसका प्रभाि सारे िरीर पर प़िता
है। गुदे जैसे नाजुक अंग के खराब हो जाने से यह गवतिील िपु यंत्र अिरुद्ध हो सकता है, व्यवक्त की मृत्यु भी हो सकती है।
क्रकसी यंत्र के पुजे को बदलकर उस यंत्र को पूिाित सुचारू ि व्यिवस्थत रूप से क्रक्रयािील बनाया जा सकता है ,तो िरीर के विकृ त अंग के स्थान पर नव्य
वनरामय अंग लगाकर िरीर को स्िस्थ एिं सामान्द्य क्यों नहीं बनाया जा सकता? िल्य-वचक्रकत्सकों ने अध्यिसाय पूणा साधना के अनंतर अंग -प्रत्यारोपण के क्षेत्र
में सफलता प्राप्त की। अंग प्रत्यारोपण का उद्देश्य है क्रक मनुष्य दीघाायु प्राप्त कर सके । यहां यह ध्यातव्य है क्रक जैसे रोगी को रक्त देने से पूिा रक्त िगा का परीक्षण
अत्यािश्यक है िैसे ही अंग-प्रत्यारोपण से पूिा उर्त्क परीक्षण अवनिाया है। आज का िल्य वचक्रकत्सक गुद,े यकृ त, आाँत, फे फ़िे और ह्रदय का प्रत्यारोपण
सफलतापूिाक कर रहा है। साधन संपन्न वचक्रकत्सालयों में मवस्तष्क के अवतररक्त िरीर के प्रायः सभी अंगो का प्रत्यारोपण संभि हो गया है।
वनम्नवलवखत में से सही विकल्प का चयन कीवजए
प्रश्न 1. मानि को सृवि का लघु रूप माने जाने का क्या कारण है ?
(क) मानि में अपराजेय िवक्त है (ख)मानि मन में जो घरटत होता है िही सृवि में घरटत होता है

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(ग) लघु मानि ही विधाता की सच्ची सृवि है (घ) मन की िवक्त अपराजय है
प्रश्न 2. सावहत्यकारों ने मानि सौंदया के िणान के वलए क्रकसका प्रयोग क्रकया है?
(क) कल्पना का (ख)यथाथा का (ग) अप्रस्तुत उपमान का (घ) प्रस्तुत उपमान का
प्रश्न 3. मानि सौंदया के वलए क्रकस प्रकार के उपमान क्रदए गए हैं?
(क) अद्भुत (ख)अवद्वतीय (ग) 1 और 2 दोनों (घ)अतुलनीय
प्रश्न 4. मानि िरीर को यंत्रित क्यों कहा गया है?
(क) दृढ़ मांसपेवियों और अियिों से वनर्मात होने के कारण (ख)अियि रूपी पुजों के विकृ त होने से िरीर के यंत्र ित वनवष्क्रय हो जाने के कारण
(ग)यंत्र की भांवत लािण्य होने के कारण (घ)सृवि की अनुपम कृ वत होने के कारण
प्रश्न 5. व्यवक्त की मृत्यु क्रकस कारण हो सकती है?
(क) अवधक काया करने से (ख)गुदाा खराब होने से (ग)क्रकसी अंग के विकृ त होने से (घ)वनवष्क्रय बने रहने से
प्रश्न 6. वनम्नवलवखत कथन कारण को ध्यानपूिाक पक्रढ़ए उसके बाद क्रदए गए विकल्पों में से कोई एक सही विकल्प चुनकर वलवखए -
कथन (A): भारतीय दािावनकों ने मानि को ब्रह्ांर् का लघु रूप माना है।मन तो मन मानि का िरीर भी अप्रवतम है। अद्भुत एिं अवद्वतीय है मानि -सौंदया।
कारण ( R): िैज्ञावनक दृवि से विचार क्रकया जाए ,तो मानि-िरीर को एक जरटल यंत्र से उपवमत क्रकया जा सकता है।
(क) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण कथन की सही व्याख्या करता है।
(ख)कथन (A) गलत है लेक्रकन कारण (R) सही है।
(ग) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों गलत हैं।
(घ) कथन (A) सही है लेक्रकन कारण (R) उसकी गलत व्याख्या करता है।
प्रश्न 7. गद्यांि के आधार पर वनम्नवलवखत कथनों पर विचार कीवजए-
(क) िरीर रूपी यंत्र के एक पुजे में दोष आ जाने से यह गवतिील िपु यंत्र अिरुद्ध हो सकता है। उसकी मृत्यु भी हो सकती है।
(ख) िल्य वचक्रकत्सकों ने मानि िरीर को अमर बनाना का प्रयास क्रकया।
(ग) िल्य वचक्रकत्सकों का उद्देश्य अंग प्रत्यारोपण द्वारा िरीर को स्िस्थ एिं सामान्द्य बनाना है।
उपयुाक्त कथनों में से कौन-सा/कौन-से सही है/ हैं?
(क) के िल (क) (ख)के िल (ग) (ग) (क) और (ख) (घ) (क),(ख)और (ग)
प्रश्न 8. अंग प्रत्यारोपण से पूिा क्रकसे अवनिाया माना गया है?
(क) रक्त िगा का परीक्षण (ख)उर्त्क परीक्षण (ग) हृदय का परीक्षण (घ) संपूणा िरीर का परीक्षण
प्रश्न 9. िल्य वचक्रकत्सा के क्षेत्र में वचक्रकत्सकों की सफलता का रहस्य क्या है?
(क) दावयत्ि पूणा चुनौती (ख)वनरं तर उर्त्क परीक्षण (ग) आिश्यकता की कमी (घ) वनरं तर श्रमपूणा साधना

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प्रश्न 10. वनम्नवलवखत में से क्रकस के अवतररक्त िरीर के सभी अंगों का प्रत्यारोपण संभि हो गया है
(क) यकृ त के (ख)हृदय के (ग) मवस्तष्क के (घ)गुदे के
उर्त्रमाला 1.(ख) 2.(ग) 3.(ग) 4.(ख) 5.(ख) 6.(क) 7.(घ) 8.(ख) 9.(घ) 10.(ग)
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(2) विक्षा में पररितान की आिश्यकता पर गांधी जी ने पूरी समग्रता से मंथन क्रकया था। उन्द्होंने भारत के अनेक विक्षाविद तथा नीवत वनधाारक जब गांधी
के हहंद स्िराज में क्रदए विचारो तथा बाद में बुवनयादी विक्षा और नई तालीम पर उनके विचारों से मुंह चुराते हैं तब यह स्पि हो जाता है क्रक िे गांधी जी के
विचारों की गवतिीलता को या तो समझ नहीं पा रहे हैं या समझना नहीं चाहते। “हहंद स्िराज “1905 में वलखी गई।1888 ई. में पहली बार महात्मा गांधी विदेि
के वलए रिाना हुए थे। 1888 से 1914 के बीच िह भारत में के िल 4 िषा ही रहे थे।'हहंद स्िराज' गोपाल कृ ष्ण गोखले की उस सलाह से पहले वलखी गई थी,
वजसमें उन्द्होंने गांधी जी को भारत भ्रमण कर देि को समझने को कहा था।निंबर 1950 में गांधी जी ने दवक्षण अफ्रीका में विक्षा पर एक लेख वलखा था, वजसमें
उन्द्होंने दवक्षण अफ्रीका के भारतीयों को भारत में हो रहे पररितानों से सबक लेने का कहा था,। गांधीजी तब अंग्रेजी तथा गुजराती में 'इंवर्यन ओवपवनयन' अखबार
वनकालते थे। भारत में जो हो रहा था , उन्द्होंने कहा था क्रक अच्छी वस्थवत में पहुंच चुके भारतीयों का कताव्य है क्रक िह विक्षा के प्रसार के लाभों को जाने और यक्रद
दवक्षण अफ्रीकी सरकार आगे नहीं आती है तो िे स्ियं आगे बढ़ कर भारतीय बच्चों की विक्षा की व्यिस्था करें । अरबपवतयों की सूची में िावमल क्रकतने भारतीय हैं
जो इस िाक्य से पररवचत है? क्रकतनों ने आक्रदिासी, िनिासी, पहा़िी तथा दुगाम क्षेत्रों में प्रारं वभक स्कू ल खोले हैं ?सभी ने देखा है क्रक सरकार तो संविधान के
प्रािधानों के अनुसार 14 िषा तक की आयु के हर बच्चे को अवनिाया तथा वन:िुल्क विक्षा भी नहीं दे पाई है। 1993 ई में उन्नीकृ ष्णन वनणाय में सिोर्त्म न्द्यायालय
ने विक्षा के मूलभूत अवधकार का अवधवनयम बनाया। 2002 में 86 िााँ संविधान संिोधन हुआ। शिक्षछ कछ अशिकछर अशिशनयम 2009 में बनछ।
वनम्नवलवखत में से सही विकल्प का चयन कीवजए
प्रश्न 1. विक्षा में पररितान की आिश्यकता पर समग्रता से मंथन क्रकसने क्रकया?
(क) गांधी जी (ख)इंक्रदरा गांधी (ग) सुभाष चंद्र बोस (घ)कोई नहीं
प्रश्न 2. कॉलम 'क' का कॉलम 'ख' से उवचत वमलान कीवजए-
कॉलम 'क' कॉलम 'ख'
(क) 1905 (i) विक्षा का अवधकार अवधवनयम
(ख)1888 (ii) वहन्द्द स्िराज
(ग) 1993 (iii) गााँधी जी की स्िदेि रिानगी
(घ) 2009 (iv) उन्नीकृ ष्णन वनणाय
(क) (क)-(iii), (ख)-(iv), (ग)-(i) (घ)- (ii) (ख)(क)-(ii), (ख)-( iii), (ग)-(iv), (घ)-(i)
(ग) (क)-(iv), (ख)-(iii), (ग)-(ii), (घ)-(i) (घ) (क)-(ii), (ख)-(i), (ग)-(iv), (घ)-(iii)

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3. गााँधी जी ने 'इंवर्यन ओवपवनयन' अखबार में कहा था क्रक -
गद्यांि के आधार पर वनम्नवलवखत कथनों पर विचार कीवजए-
(क) भारतीयों का कताव्य है क्रक िह विक्षा के प्रसार के लाभों को जाने।
(ख) स्ियं आगे बढ़ कर भारतीय बच्चों की विक्षा की व्यिस्था करें ।
(ग) क्रकतने अरबपवत भारतीयों ने आक्रदिासी, िनिासी, पहा़िी तथा दुगाम क्षेत्रों में प्रारं वभक स्कू ल खोले हैं ?
उपयुाक्त कथनों में से कौन-सा/कौन-से सही है/ हैं?
(क) के िल (क) (ख)के िल (ग) (ग) (क) और (ख) (घ) (क),(ख)और (ग)
प्रश्न 4. हहंद स्िराज क्रकसकी सलाह से वलखी गई थी?
(क) लोकमान्द्य वतलक के (ख)भगत हसंह (ग) गोपाल कृ ष्ण गोखले (घ)उन्नीकृ ष्णन
प्रश्न 5. इंवर्यन ओवपवनयन अखबार क्रकस भाषा में वनकलता था?
(क)अंग्रेजी (ख)गुजराती (ग) हहंदी (घ)क और ख दोनों
प्रश्न 6. संविधान का 86िााँ संिोधन कब हुआ?
(क)1998 में (ख)2002 में (ग) 2010 (घ) 2005
प्रश्न 7. उन्नीकृ ष्णन वनणाय वनम्न में से संबद्ध है?
(क)स्िराज से (ख)रोजगार से (ग) िेतन िृवद्ध से (घ) विक्षा के मूलभूत अवघकार से
प्रश्न 8. वनम्नवलवखत कथन कारण को ध्यानपूिाक पक्रढ़ए उसके बाद क्रदए गए विकल्पों में से कोई एक सही विकल्प चुनकर वलवखए -
कथन (A): 86 िााँ संविधान संिोधन हुआ करके विक्षा का अवधकार अवधवनयम बनाया गया।
कारण ( R): सरकार संविधान के प्रािधानों के अनुसार 14 िषा तक की आयु के हर बच्चे को अवनिाया तथा वन:िुल्क विक्षा भी नहीं दे पाई है।
(क) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण कथन की सही व्याख्या करता है। (ख)कथन (A) गलत है लेक्रकन कारण (R) सही है।
(ग) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों गलत हैं। (घ) कथन (A) सही है लेक्रकन कारण (R) उसकी गलत व्याख्या करता है।
प्रश्न 9. निंबर 1905 में गांधी जी ने विक्षा पर लेख कहां वलखा था?
(क)भारत में (ख)कराची में (ग) दवक्षण अफ्रीका में (घ) अमेररका में
10.गद्यांि का उपयुक्त िीषाक हो सकता है?
(क) गांधी और उनके विचार (ख)भारतीय संविधान (ग)दवक्षण अफ्रीका में गांधी (घ) वनिुल्क विक्षा
उर्त्रमाला 1. (क) 2. (ख) 3. (घ) 4. (ग) 5. (घ) 6. (ख) 7. (घ) 8. (क) 9. (ग) 10 (घ)
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(3) पररश्रम कल्पिृक्ष है। जीिन की कोई भी अवभलाषा पररश्रम रूपी कल्पिृक्ष से पूणा हो सकती है। पररश्रम जीिन का आधार है , उज्ज्िल भविष्य का जनक और
सफलता की कुं जी है। क्या कोई कल्पना कर सकता था क्रक मनुष्य एक क्रदन चााँद पर कदम रखेगा या अंतररक्ष में विचरण करे गा पर वनरं तर श्रम की बदौलत
मनुष्य ने उन कल्पनाओं एिं संभािनाओं को साकार कर क्रदखाया है। क्रकसी देि, राष्ट्र अथिा जावत को उस देि के भौवतक संसाधन तब तक समृद्ध नहीं बना सकते
जब तक क्रक िहााँ के वनिासी उन संसाधनों का दोहन करने के वलए अथक पररश्रम नहीं करते।क्रकसी क्रकसान को कृ वष संबंधी अत्याधुवनक क्रकतनी ही सुविधाएं
उपलब्ध करा दीवजए, यक्रद उसके उपयोग में लाने के वलए समुवचत श्रम नहीं होगा, उत्पादन क्षमता में िृवद्ध संभि नहीं है। भाख़िा नांगल का वििाल बााँध हो या
थूंबा या श्री हररकोटाके रॉके ट प्रक्षेपण कें द्र, हररत क्रांवत की सफलता हो या कोविर् 19 की रोकथाम के वलए टीका तैयार करना,प्रत्येक सफलता हमारे श्रम का
पररणाम है तथा प्रमाण भी है। वबना श्रम क्रकए भौवतक साधनों को जुटाकर जो सुख प्राप्त करने के फे र में है, िह अंधकार में है। उसे िास्तविक और स्थायी िांवत
नहीं वमलती। गांधीजी तो कहते थे क्रक जो वबना श्रम क्रकए भोजन ग्रहण करता है, िह चोरी का अन्न खाता है। ऐसी सफलता मन को िांवत देने के बजाए उसे
व्यवथत करे गी। पररश्रम से दूर रहकर और सुखमय जीिन व्यतीत करने िाले विद्याथी को ज्ञान कै से प्राप्त होगा? हिाई क्रकले तो सहज ही बन जाते हैं, लेक्रकन िे
हिा के हल्के झोंके से ढह जाते हैं। मन में मधुर कल्पनाओं के संजोने मात्र से काया शिशि नहीं होती। काया वसवद्ध के वलए सतत उद्यम आिश्यक है। यक्रद सही मायनों
में सफल होना चाहते हैं तो कमा में जुट जाएं और तब तक जुटे रहें जब तक की सफल न हो जाएाँ।
वनम्नवलवखत में से वनदेिानुसार सिाावधक उपयुक्त विकल्पों का चयन कीवजए
प्रश्न 1. गद्यांि में पररश्रम को कल्पिृक्ष के समान बताया गया है क्योंक्रक इससे
(क) भौवतक संसाधन जुटाए जाते हैं (ख)पररश्रमी व्यवक्त िृक्ष के समान परोपकारी होता है
(ग) इच्छा दमन करने का बल प्राप्त होता है (घ) व्यवक्त की इच्छाओं की पूणा पूर्ता संभि है
प्रश्न 2. गद्यांि में अच्छी फ़सल प्राप्त करने के वलए कहे गए कथन से स्पि होता है क्रक-
(क) भौवतक संसाधनों का दोहन करना आिश्यक है (ख)संसाधनों की तुलना में पररश्रम की भूवमका अवधक है
(ग) ज्ञान प्राप्त करने के वलए पररश्रम आिश्यक है (घ) कि करने से ही कृ ष्ण वमलते हैं
प्रश्न 3. भारत के पररश्रम के प्रमाण क्या-क्या बताए गए हैं ?
(क) बााँध, कोविर् 19 की रोकथाम का टीका, प्रक्षेपण कें द्र (ख)कोविर् 19 की रोकथाम का टीका, प्रक्षेपण कें द्र, रे वगस्तान
(ग) कोविर् 19 की रोकथाम का टीका, प्रक्षेपण कें द्र,हिाई परियों का वनमााण (घ) िृक्षारोपण,कोविर् 19 की रोकथाम का टीका, प्रक्षेपण कें द्र
प्रश्न 4. कै से व्यवक्त को अंधकार में बताया गया है
(क) श्रमहीन व्यवक्त (ख)विश्रामहीन व्यवक्त (ग) नेत्रहीन व्यवक्त (घ) प्रकािहीन व्यवक्त
प्रश्न 5. हिाई क्रकले तो सहज ही बन जाते हैं, लेक्रकन ये हिा के हल्के झोंके से ढह जाते हैं।" इस कथन के द्वारा लेखक कहना चाहता है क्रक-
(क) तेज़ चक्रिती हिाओं से आिासीय पररसर नि हो जाते हैं (ख)हिा का रुख अपने पक्ष में पररश्रम से क्रकया जा सकता है
(ग) हिाई कल्पनाओं को सदैि संजोकर रखना असंभि है (घ) पररश्रमहीनता से िैयवक्तक उपलवब्ध वनतांत असंभि है

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प्रश्न 6. सतत उद्यम से क्या तात्पया है?
(क) वनरं तर तपता हुआ उद्यम (ख)वनरं तर पररश्रम करना (ग) सतत उठते जाना (घ) ज्ञान का सतत उद्गम
प्रश्न 7.वनम्नवलवखत कथन कारण को ध्यानपूिाक पक्रढ़ए उसके बाद क्रदए गए विकल्पों में से कोई एक सही विकल्प चुनकर वलवखए -
कथन (A): काया वसवद्ध के वलए सतत उद्यम आिश्यक है।
कारण ( R): आसान ि श्रमहीन तरीके से प्राप्त करने पर सफलता मन को व्यवथत करे गी।
(क) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण कथन की सही व्याख्या करता है।
(ख)कथन (A) गलत है लेक्रकन कारण (R) सही है।
(ग) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों गलत हैं।
(घ) कथन (A) सही है लेक्रकन कारण (R) उसकी गलत व्याख्या करता है। प्रश्न 8. स्ितंत्रता िब्द में उपसगा ि प्रत्यय अलग करने पर होगा-
(क) स्ि+तंत्र+ता (ख)सु+तंत्र +ता (ग) स + ितंत्र +ता (घ) स्+ितं+ता
प्रश्न 9. समुवचत' िब्द का अथा है?
(क) उपयुाक्त (ख)उपयुक्त (ग) उपभोक्ता (घ) उपक्रम
प्रश्न 10. गद्यांि के वलए उपयुक्त िीषाक है?
(क) पररश्रम और स्ितंत्रता (ख)पररश्रम सफल जीिन का आधार (ग) पररश्रम और कल्पना (घ) पररश्रम कल्पना की उ़िान
उर्त्रमाला 1. (घ) 2. (ख) 3. (क) 4. (क) 5. (घ) 6. (ख) 7. (क) 8. (क) 9. (ख) 10. (ख)
*****************************
(4) विज्ञान प्रकृ वत को जानने के विषय में हमे महत्िपूणा और विश्वसनीय ज्ञान देता है। प्रकृ वत िैज्ञावनक और कवि दोनों की ही उपास्या है। दोनों ही उससे
वनकटतम संबंध स्थावपत करने की चेिा करते है, ककं तु दोनों के दृविकोण में अंतर है। िैज्ञावनक प्रकृ वत के बाल्य रूप का अिलोकन करता है और सत्य की खोज
करता है, परंतु कवि बाह्य रूप पर मुग्ध होकर उससे भािों का तादात््य स्थावपत करता है। िैज्ञावनक प्रकृ वत की वजस िस्तु का अिलोकन करता है , उसका सूक्ष्म
वनरीक्षण भी करता है। चंद्र को देखकर उसके मवस्तष्क में अनेक विचार उठते हैं उसका तापक्रम क्या है?, क्रकतने िषों में िह पूणातः िीतल हो जाएगा,ज्िारभाटे
पर उसका क्या प्रभाि होता है? क्रकस प्रकार और क्रकस गवत से िह सौर मंर्ल में पररक्रमा करता है और क्रकन तत्िों से उसका वनमााण हुआ है? िह अपने सूक्ष्म
वनरीक्षण और अनिरत हचंतन से उसको एक लोक ठहराता है और उस लोक में वस्थत ज्िालामुखी पिातों तथा जीिनधाररयों की खोज करता है। इसी प्रकार िह
एक प्रफु वल्लत पुष्प को देखकर उसके प्रत्येक अंग का विश्लेषण करने को तैयार हो जाता है। उसका प्रकृ वत-विषयक अध्ययन िस्तुगत होता है। उसकी दृवि में
विश्लेषण और िगा विभाजन की प्रधानता रहती है। िह सत्य और िास्तविकता का पुजारी होता है। कवि की कविता भी प्रत्यक्षािलोकन से प्रस्फु रटत होती है िह
प्रकृ वत के साथ अपने भािों का संबंध स्थावपत करता है। उसका िस्तु िणान हृदय की प्रेरणा का पररणाम होता है, िैज्ञावनक की भााँवत मवस्तष्क की यांवत्रक प्रक्रक्रया
नहीं। कवियों द्वारा प्रकृ वत-वचत्रण का एक प्रकार ऐसा भी है वजसमें प्रकृ वत का मानिीकरण कर वलया जाता है अथाात प्रकृ वत के तत्त्िों को मानि ही मान वलया

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जाता है। हहंदी में इस प्रकार का प्रकृ वत-वचत्रण छायािादी कवियों में पाया जाता है। इसमें प्राकृ वतक िस्तुओं के नाम तो रहते हैं परंतु वचत्रण मानिीय भािनाओं
का ही होता है। कवि लहलहाते पौधे का वचत्रण न कर खुिी से झूमते हुए बच्चे का वचत्रण करने लगता है।
वनम्नवलवखत में से वनदेिानुसार सिाावधक उपयुक्त विकल्पों का चयन कीवजए
प्रश्न 1. विज्ञान प्रकृ वत को जानने का एक महत्िपूणा साधन है क्योंक्रक यह-
(क) समग्र ज्ञान के साथ तादात््प स्थावपत करता है (ख)प्रकृ वत आधुवनक विज्ञान की उपास्या है
(ग) महत्िपूणा और विश्वसनीय ज्ञान प्रदान करता है (घ) आधुवनक िैज्ञावनक का स्तर वनधााररत करता है
प्रश्न 2. वनम्नवलवखत कथन कारण को ध्यानपूिाक पक्रढ़ए उसके बाद क्रदए गए विकल्पों में से कोई एक सही विकल्प चुनकर वलवखए -
कथन (A): िैज्ञावनक प्रकृ वत के बाह्य रूप का अिलोकन करता है, और सत्य की खोज करता है।
कारण ( R): िैज्ञावनक कवियों की तुलना में अवधक श्रेष्ठ हैं।
(क) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण कथन की सही व्याख्या करता है।
(ख)कथन (A) सही है लेक्रकन कारण (R) गलत है।
(ग) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों गलत हैं।
(घ) कथन (A) सही है लेक्रकन कारण (R) उसकी गलत व्याख्या करता है।
प्रश्न 3. सूक्ष्म वनरीक्षण और अनिरत हचंतन से तात्पया है-
(क) सौर मंर्ल को एक लोक और परलोक ठहराना (ख)छोटी-छोटी सी बातों पर हचंता करना
(ग) बारीकी से सोचना ि वनरं तर देखना (घ) बारीकी से देखना और वनरं तर सोचना
प्रश्न 4. कौन अनिरत हचंतन करता है ?
(क) सूक्ष्माचारी (ख)विज्ञानोपासक (ग) ध्यानविलीन योगी (घ) अिसादग्रस्त व्यवक्त
प्रश्न 5. कौन िास्तविकता का पुजारी होता है?
(क) यथाथािादी (ख)काव्यिादी (ग) प्रकृ वतिादी (घ) विज्ञानिादी
प्रश्न 6. कवि की कविता क्रकससे प्रस्फु रटत होती है?
(क) विचारों के मंथन से (ख)प्रकृ वत के साक्षात दिान से (ग) भािनाओं की उहापोह से (घ) प्रेम की तीव्र इच्छा से
प्रश्न 7. गद्यांि के आधार पर वनम्नवलवखत कथनों पर विचार कीवजए-
(क) कवि सत्य और िास्तविकता का पुजारी होता है।
(ख) िैज्ञावनक ज्िालामुखी पिातों तथा जीिनधाररयों की खोज करता है।
(ग) कवि प्रकृ वत के साथ अपने भािों का संबंध स्थावपत करता है।

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उपयुाक्त कथनों में से कौन-सा/कौन-से सही है/ हैं?
(क) के िल (क) (ख)के िल (ग) (ग) (ख) और (ग) (घ) (क),(ख)और (ग)
प्रश्न 8. उपयुाक्त गद्यांि का उपयुक्त िीषाक है
(क) कवि की सोच और िैज्ञावनकता (ख)प्रकृ वत के उपासक-कवि और िैज्ञावनक
(गा िैज्ञावनक उन्नवत और काव्य जगत (घ) िैज्ञावनक दृविकोण-अतुलनीय
प्रश्न 9. प्रकृ वत के मानिीकरण से लेखक का क्या अवभप्राय है-
(क) प्रकृ वत मनुष्यतछ कछ िंदि
े देती है। (ख)प्रकृ शत मनुष्य की तरह कछया करती है
(ग) कशव द्वछरछ प्रकृ शत के तत्वों को मछनवीय मछन शियछ जछतछ है (घ) उपयुाक्त िभी
प्रश्न 10. लहलहाते पौधे का वचत्रण न कर झूमते बच्चे का वचत्रण करना दिााता है क्रक-
(क) कवि भािािेि में विषय से भटक गए हैं (ख)प्रकृ वत के तत्िों को मानि माना है
(ग) कवि िैज्ञावनक विचारधारा के पक्ष में है (घ) कवि विकास स्तर पर ही है
उर्त्रमाला 1. (ग) 2. (ख) 3. (घ ) 4. (ख) 5. (घ) 6. (ख) 7. (ग) 8. (क) 9. (ग) 10. (क)
*****************************
(5) मनुष्य के जीिन में लक्ष्य का होना बहुत आिश्यक है। लक्ष्यहीन जीिन क्रदिाहीन और व्यथा ही है। एक बार एक क्रदिाहीन युिा आगे बढ़े जा रहा था, राह में
महात्मा जी की कु रटया देख रूककर महात्मा जी से पूछने लगा क्रक यह रास्ता कहााँ जाता है? महात्मा जी ने पूछा "तुम कहााँ जाना चाहते हो "? युिक ने कहा "मैं
नहीं जानता मुझे कहााँ जाना है। उन्द्होंने कहा तु्हें पता ही नहीं है क्रक तु्हें कहााँ जाना है, तो यह रास्ता कहीं भी जाए, इससे तु्हें क्या फका प़िेगा?" कहने का
मतलब है क्रक वबना लक्ष्य के जीिन में इधर-उधर भटकते रवहये कु छ भी प्राप्त नहीं कर पाओगे। यक्रद कु छ करना चाहते तो पहले अपना एक लक्ष्य बनाओ और उस
पर काया करो।
जो कु छ करता है िही सफल- असफल होता है। हमारा लक्ष्य कु छ भी हो सकता है, क्योंक्रक हर इंसान की अपनी-अपनी क्षमता होती है और उसी के
अनुसार िह लक्ष्य वनधााररत करता है। जैसे विद्याथी का लक्ष्य है सिाावधक अंक प्राप्त करना तो नौकरी करने िालों का लक्ष्य होगा पदोन्नवत प्राप्त करना। इसी तरह
क्रकसी मवहला का लक्ष्य आत्मवनभार होना हो सकता है। ऐसा मानना है क्रक हर मनुष्य को ब़िा लक्ष्य बनाना चावहए क्रकन्द्तु ब़िे लक्ष्य को प्राप्त करने के वलए छोटे-
छोटे लक्ष्य बनाने चावहए। जब हम छोटे लक्ष्य प्राप्त कर लेते हैं तो ब़िे लक्ष्य को प्राप्त करने का हममें आत्मविश्वास आ जाता है। स्िामी वििेकानंद ने कहा था क्रक
जीिन में एक ही लक्ष्य बनाओ और क्रदन-रात उसी के बारे में सोचो। बस सफलता आपको वमली ही समझो। सच तो यह है क्रक जब आप कोई काम करते हैं तो यह
जरुरी नहीं क्रक सफलता वमले ही लेक्रकन असफलता से भी घबराना नहीं चावहए। इस बारे में स्िामी वििेकानंद जी कहते हैं क्रक हजार बार प्रयास करने के बाद भी
यक्रद आप हार कर वगर प़िे तो एक बार पुनः उठे और प्रयास करें । हमें लक्ष्य प्रावप्त तक स्ियं पर विश्वास रखना चावहए
वनम्नवलवखत में से वनदेिानुसार सिाावधक उपयुक्त विकल्पों का चयन कीवजए
प्रश्न 1. युिक कहााँ जा रहा था?

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(क) क्रदिाहीन लक्ष्य की ओर (ख)क्रदिासवहत लक्ष्य की ओर (ग) लक्ष्य की ओर (घ) मंवजल की ओर
प्रश्न 2. क्रकसी विद्याथी का लक्ष्य क्या होना चावहए?
(क) आत्मवनभार होना (ख)सिाावधक अंक प्राप्त करना (ग) परीक्षा में उर्त्ीणा होना (घ) सफल बनना
प्रश्न 3. क्रकसी मवहला का लक्ष्य क्या होना चावहए?
(क) आत्मवनभार बनना (ख)परािल्बी बनना (ग) खुि होना (घ) गृहस्थ बनना
प्रश्न 4. वनम्नवलवखत कथन कारण को ध्यानपूिाक पक्रढ़ए उसके बाद क्रदए गए विकल्पों में से कोई एक सही विकल्प चुनकर वलवखए -
कथन (A): मनुष्य के जीिन में लक्ष्य का होना बहुत आिश्यक है।
कारण ( R): लक्ष्यहीन जीिन क्रदिाहीन और व्यथा ही है।
(क) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण कथन की सही व्याख्या करता है।
(ख)कथन (A) सही है लेक्रकन कारण (R) गलत है।
(ग) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों गलत हैं।
(घ) कथन (A) सही है लेक्रकन कारण (R) उसकी गलत व्याख्या करता है।
प्रश्न 5. छोटे लक्ष्य प्राप्त करने पर क्या होता है?
(क) मनुष्य का लक्ष्य पूरा हो जाता है। (ख)मनुष्य में आत्मविश्वास आ जाता है। (ग) मनुष्य सुखी हो जाता है। (घ) मनुष्य दुखी हो जाता है।
प्रश्न 6. क्रकसका जीिन साथाक है?
(क) जो पररवस्थवतयों को बदलने का साहस रखता है। (ख)जो पररवस्थवतयों को बदलने का साहस नहीं रखता है।
(ग) जो इधर उधर भटकता रहता है। (घ) जो लक्ष्य की प्रावप्त नहीं कर पाता।
प्रश्न 7. ब़िे लक्ष्य को प्राप्त करने के वलए क्या करना चावहए?
(क) छोटे - छोटे लक्ष्य बनाने चावहए। (ख)ब़िे ब़िे लक्ष्य बनाने चावहए। (ग) छोटे-छोटे लक्ष्य नहीं बनाने चावहए। (घ) छोटे ब़िे लक्ष्य बनाने चावहए।
प्रश्न 8. लक्ष्य के वबना जीिन कै सा हो जाता है
(क) क्रदिाहीन (ख)व्यथा (ग) क्रदिाहीन, व्यथा (घ)आत्मविश्वासी
प्रश्न 9. हमें कब तक स्ियं पर विश्वास रखना चावहए?
(क) लक्ष्य प्रावप्त तक (ख)लक्ष्य प्राप्त न होने पर (ग) असफलता वमलने पर (घ) प्रयास न करने पर
प्रश्न 10.'असफल' िब्द में प्रयुक्त उपसगा है?
(क) अ (ख ) अस (ग) सफला (घ) ल

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उर्त्रमाला 1. (क) 2. (ख) 3. (क) 4. (क) 5. (ख ) 6. (क) 7. (क) 8. (ग) 9. (क) 10. (क)
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प्रश्न संख्या -2 अपरठत पद्यांि (अवधकतम 150 िब्दों का) (1 अंक X 5 प्रश्न)
(1) सक्रदयों की ठण्र्ी-बुझी राख सुगबुगा उठी
वमिी सोने का ताज पहन इठलाती है
दो राह, समय के रथ का घघार-नाद सुनो
हसंहासन खाली करो क्रक जनता आती है
जनता? हााँ, वमिी की अबोध मूरतें िही
जा़िे-पाले की कसक सदा सहनेिाली
जब अाँग-अाँग में लगे सााँप हो चूस रहे
तब भी न कभी मुाँह खोल ददा कहनेिाली
जनता? हााँ, ल्बी-ब़िी जीभ की िही कसम
"जनता,सचमुच ही, ब़िी िेदना सहती है।"
"सो ठीक, मगर, आवखर, इस पर जनमत क्या है ?"
'है प्रश्न गूढ़ जनता इस पर क्या कहती है ?"
मानो, जनता ही फू ल वजसे अहसास नहीं
जब चाहो तभी उतार सजा लो दोनों में
अथिा कोई दूध मुाँही वजसे बहलाने के
जन्द्तर-मन्द्तर सीवमत हों चार वखलौनों में
लेक्रकन होता भूर्ोल, बिण्र्र उठते हैं
जनता जब कोपाकु ल हो भृकुरट चढ़ाती है
दो राह, समय के रथ का घघार-नाद सुनो
हसंहासन खाली करो क्रक जनता आती है
वनम्न में से वनदेिानुसार विकल्पों के चयन कीवजए।
प्रश्न 1. कवि .................रथ का नाद सुनने की बात कह रहा है।
(क) जनता के (ख) समय के (ग) राजा के (घ) इन सभी के
प्रश्न 2. जनता के बारे में कवि ने क्या नहीं कहा है?

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(क) वमिी की अबोध मूर्ता (ख)चुपचाप ददा सहन करने िाली
(ग) सदी गमी हर मौसम की पी़िा को सहने िाली (घ) िासक क्रकतना भी अत्याचार करे जनता कभी कु वपत नहीं होती
प्रश्न 3. भूर्ोल, बिण्र्र कब उठते हैं?
(क) जब जनता स्िाथी हो जाती है (ख)जब जनता को क्रोध आ जाता है
(ग) जब राजा अत्याचारी हो जाता है (घ) जब जनता लालची हो जाती है
प्रश्न 4. कवि क्रकस िासन व्यिस्था का समथाक हैं?
(क) लोकतंत्र का (ख)तानािाही का (ग) समाजिादी व्यिस्था का (घ) इनमें से क्रकसी का नहीं
प्रश्न 5. कवि क्रकस के वलए हसंहासन खाली करने की बात कह रहा है?
(क) राजा के वलए (ख) जनता के वलए (ग) दोनों के वलए (घ) उपयुाक्त में से कोई नहीं
उर्त्रमाला - 1. (ख), 2. (घ), 3. (ख), 4. (क) 5. (ख)
*****************************
(2) जला अवस्थयााँ बारी-बारी
वचटकाई वजनमें हचंगारी,
जो चढ़ गये पुण्यिेदी पर
वलए वबना गदान का मोल
कलम, आज उनकी जय बोल।
जो अगवणत लघु दीप हमारे
तूफानों में एक क्रकनारे ,
जल-जलाकर बुझ गए क्रकसी क्रदन
मााँगा नहीं स्नेह मुाँह खोल
कलम, आज उनकी जय बोल।
पीकर वजनकी लाल विखाएाँ
उगल रही सौ लपट क्रदिाएं,
वजनके हसंहनाद से सहमी
धरती रही अभी तक र्ोल
कलम, आज उनकी जय बोल।
अंधा चकाचौंध का मारा

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क्या जाने इवतहास बेचारा,
साखी हैं उनकी मवहमा के
सूया चन्द्द्र भूगोल खगोल
कलम, आज उनकी जय बोल
वनम्नवलवखत में से वनदेिानुसार विकल्पों के चयन कीवजए।
प्रश्न 1. कवि अपनी कलम से क्रकस की जयकार करने की बात कह रहा है?
(क) ब़िे-ब़िे राजाओं की (ख)प्रख्यात महापुरुषों की (ग) देिभक्त िीर िहीदों की (घ) इन सभी की
प्रश्न 2. इवतहास के बारे में कवि ने क्या नहीं कहा है -
(क) इवतहास अंधा है (ख)इवतहास चकाचौंध से प्रभावित होता है?
(ग) इवतहास में अगवणत िीर सपूतों के नाम दजा नहीं है (घ) इवतहास ने वजनकी जय जयकार की है मेरी कलम तुम भी उनकी जयजयकार करो l
प्रश्न 3पद्यांि के आधार पर वनम्नवलवखत कथनों पर विचार कर बताइए क्रक 'जल-जलाकर बुझ गए क्रकसी क्रदन' पंवक्त का आिय क्या है -
(क) देि की आजादी के वलए अनेक देि भक्तों ने कि सहन क्रकए
(ख)देि की आजादी के वलए अनेक देि भक्तों ने अपनी जान न्द्योछािर कर दी
(ग) कई देि भक्तों की िहादत के बारे में इवतहास कु छ नहीं कहता
उपयुाक्त कथनों में से कौन-सा/कौन-से सही है/ हैं?
(क) के िल (क) (ख)के िल (ग) (ग) (ख) और (ग) (घ) (क),(ख)और (ग)
प्रश्न 4. 'पुण्यिेदी ' िब्द का आिय क्या है?
(क) स्ितंत्रता संग्राम (ख)देि का विकास (ग) आत्मा विकास (घ) देि की आजादी का पवित्र काया
प्रश्न 5. अगवणत लघु दीप से कवि का आिय क्रकन लोगों से है?
(क) देि के िैज्ञावनकों से (ख)प्रवसद्ध देि भक्तों से (ग) गुमनाम स्ितंत्रता सेनावनयों से (घ) उपयुाक्त सभी से
उर्त्रमाला 1-(ग), 2-(घ), 3-(ख), 4-(घ) 5-(ग)
*****************************
(3) रात यों कहने लगा मुझसे गगन का चााँद,
आदमी भी क्या अनोखा जीि होता है!
उलझनें अपनी बनाकर आप ही फाँ सता,
और क्रफर बेचन
ै हो जगता, न सोता है।
जानता है तू क्रक मैं क्रकतना पुराना हाँ?

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मैं चुका हाँ देख मनु को जनमते-मरते;
और लाखों बार तुझ-से पागलों को भी
चााँदनी में बैठ स्िप्नों पर सही करते।
आदमी का स्िप्न? है िह बुलबुला जल का;
आज उठता और कल क्रफर फू ट जाता है;
क्रकन्द्तु, क्रफर भी धन्द्य; ठहरा आदमी ही तो?
बुलबुलों से खेलता, कविता बनाता है।
मैं न बोला, क्रकन्द्त,ु मेरी रावगनी बोली,
देख क्रफर से, चााँद! मुझको जानता है तू?
स्िप्न मेरे बुलबुले हैं? है यही पानी?
आग को भी क्या नहीं पहचानता है तू?
मैं न िह जो स्िप्न पर के िल सही करते,
आग में उसको गला लोहा बनाती हाँ,
और उस पर नींि रखती हाँ नये घर की,
इस तरह दीिार फौलादी उठाती हाँ।
मनु नहीं, मनु-पुत्र है यह सामने, वजसकी
कल्पना की जीभ में भी धार होती है,
बाण ही होते विचारों के नहीं के िल,
स्िप्न के भी हाथ में तलिार होती है।
वनम्नवलवखत में से वनदेिानुसार विकल्पों के चयन कीवजए।
प्रश्न 1. गगन का चांद कवि से क्या कहने लगा?
(क) आदमी एक अनोखा जीि है (ख)आदमी अपनी उलझन स्ियं बनाता है
(ग) अपनी बनाई उलझन में स्ियं फाँ स जाता है (घ) उपयुाक्त सभी
प्रश्न 2. 'जानता है तू क्रक मैं क्रकतना पुराना हाँ? पंवक्त में 'मैं' िब्द क्रकसके वलए आया है?
(क) कवि के वलए (ख)चांद के वलए (ग) मनु के वलए (घ) उपयुाक्त सभी के वलए
प्रश्न 3. पद्यांि के आधार पर वनम्नवलवखत कथनों पर विचार कीवजए-

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(क) मनुष्य अपने सपनों को आग में जलाकर लोहा बनाता है और उसी लोहे पर नए घर की नींि रखता है
(ख)चांद के सामने अब मनु नहीं बवल्क मनु पुत्र है जो अवधक योग्य है
(ग) मनुष्य वसफा कल्पनाजीिी प्राणी है
उपयुाक्त कथनों में से कौन-सा/कौन-से सही है/ हैं?
(क) के िल (क) और(ख) (ख)के िल (ग) (ग) (ख) और (ग) (घ) (क),(ख)और (ग)
प्रश्न 4. उपयुाक्त काव्यांि में कवि क्रकस का महत्ि बता रहा है?
(क) कल्पना का (ख)सपनों का (ग) विचारों का (घ) उपरोक्त सभी का
प्रश्न 5. क्रकस की कल्पना की जीभ में भी धार होती है?
(क) चााँद की (ख)स्िगा के सम्राट की (ग) मानि जावत (घ) उपयुाक्त सभी को
उर्त्रमाला 1-(घ), 2-(ख), 3-(क), 4-(घ) 5-(ग)
*****************************
(4) हेमन्द्त में बहुधा घनों से पूणा रहता व्योम है
पािस वनिाओं में तथा हाँसता िरद का सोम है
हो जाये अच्छी भी फसल, पर लाभ कृ षकों को कहााँ?
खाते, खिाई, बीज ऋण से हैं रं गे रक्खे जहााँ
आता महाजन के यहााँ िह अन्न सारा अंत में
अधपेट खाकर क्रफर उन्द्हें है कााँपना हेमंत में
बरसा रहा है रवि अनल, भूतल तिा सा जल रहा
है चल रहा सन सन पिन, तन से पसीना बह रहा
देखो कृ षक िोवषत, सुखाकर हल तथावप चला रहे
क्रकस लोभ से इस आाँच में, िे वनज िरीर जला रहे
घनघोर िषाा हो रही, है गगन गजान कर रहा
घर से वनकलने को गरज कर, िज्र िजान कर रहा
तो भी कृ षक मैदान में करते वनरं तर काम हैं
क्रकस लोभ से िे आज भी, लेते नहीं विश्राम हैं
बाहर वनकलना मौत है, आधी अाँधेरी रात है

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है िीत कै सा प़ि रहा, औ’ थरथराता गात है
तो भी कृ षक ईंधन जलाकर, खेत पर हैं जागते
यह लाभ कै सा है, न वजसका मोह अब भी त्यागते
वनम्नवलवखत में से वनदेिानुसार विकल्पों के चयन कीवजए।
प्रश्न 1. इन पंवक्तयों में क्रकसके विसंगवत पूणा जीिन का वचत्रण है?
(क) महाजन (ख)क्रकसान (ग) मजदूर (घ) मौसम विज्ञानी
प्रश्न 2. कॉलम 'क' का कॉलम 'ख' से उवचत वमलान कीवजए-
कॉलम 'क' कॉलम 'ख'
(क) हाँसता िरद का सोम है (i) प्रश्न अलंकार
(ख) खाते, खिाई, बीज ऋण से हैं रं गे रक्खे (ii) मानिीकरण अलंकार
(ग) पर लाभ कृ षकों को कहााँ? (iii) उपमा अलंकार
(घ) भूतल तिा सा जल रहा (iv) अनुप्रास अलंकार
(क) (क)-(iii), (ख)-(iv), (ग)-(i) (घ)- (ii) (ख)(क)-(ii), (ख)-(iv), (ग)-(i), (घ)-(iii)
(ग) (क)-(iv), (ख)-(iii), (ग)-(ii), (घ)-(i) (घ) (क)-(ii), (ख)-(i), (ग)-(iv), (घ)-(iii)
प्रश्न 3. अच्छी फसल होने के बाद भी क्रकसानों को लाभ क्यों नहीं वमलता?
(क) उसकी फसल को लुटेरे लूट लेते हैं (ख)मौसम की मार से फसल खराब हो जाती है
(ग) फसल की अच्छी पैदािार होने के बाद भी उवचत मूल्य नहीं वमलता (घ) महाजन का ऋण चुकाने में ही पूरी फसल चली जाती है l
प्रश्न 4. ''तो भी कृ षक मैदान में करते वनरंतर काम हैं- पंवक्त का आिय होगा?
(क) क्रकसान को सदी गमी बरसात क्रकसी भी मौसम में आराम नहीं (ख)क्रकसान आराम नहीं करते हैं l
(ग) क्रकसान को मौसम में आने िाले बदलािों की परिाह नहीं है l (घ) उपयुाक्त सभी
प्रश्न 5. िीत ऋतु की अंधेरी रात क्रकसान कै से वनकालता है?
(क) मोटा कं बल ओढ़ कर (ख)खेत पर जाकर ईंधन जला कर (ग) घर पर आराम से सो कर (घ) उपरोक्त सभी
उर्त्रमाला - 1-(ख), 2-(ख), 3-(घ), 4-(घ) 5-(ख)
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(5) लोहे के पे़ि हरे होंगे, तू गान प्रेम का गाता चल,
नम होगी यह वमिी जरूर, आाँसू के कण बरसाता चल।

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वससक्रकयों और चीत्कारों से, वजतना भी हो आकाि भरा,
कं कालों का हो ढेर, खप्परों से चाहे हो पटी धरा।
आिा के स्िर का भार, पिन को लेक्रकन, लेना ही होगा,
जीवित सपनों के वलए मागा मुदों को देना ही होगा।
रं गों के सातों घट उ़िेल, यह अाँवधयाली रं ग जाएगी,
उषा को सत्य बनाने को जािक नभ पर वछतराता चल।
आदिों से आदिा वभ़िे, प्रजा प्रज्ञा पर टूट रही,
प्रवतमा प्रवतमा से ल़िती है, धरती की क्रकस्मत फू ट रही
आितों का है विषम जाल, वनरुपाय बुवद्ध चकराती है,
विज्ञान-यान पर चढ़ी हुई सभ्यता र्ू बने जाती है।
जब-जब मवस्तष्क जयी होता, संसार ज्ञान से चलता है,
िीतलता की है राह हृदय, तू यह संिाद सुनाता चल।
वनम्नवलवखत में से वनदेिानुसार विकल्पों के चयन कीवजए।
प्रश्न 1. लोहे के पे़ि ............... के प्रतीक हैं।
(क) नकली पे़ि (ख)मिीनों (ग) मिीनी संस्कृ वत (घ) विज्ञान
प्रश्न 2. नम होगी यह वमिी जरूर कहकर कवि क्रकस ओर संकेत कर रहा है?
(क) प्रेम के बल पर िुष्क हृदयों में भाि भरे जा सकते हैं (ख)िषाा न होने के कारण सूखी वमिी िषाा आने पर नम जरूर हो जाएगी
(ग) सूखी आंखें क्रफर आंसुओं से नम हो जाएंगी (घ) इतने आंसू बहाओ की वमिी गीली हो जाए
प्रश्न 3. दुख और वनरािा के िातािरण में मनुष्य का क्या कताव्य होना चावहए ?
(क) सपने देखें और साकार करें (ख)आिा का संचार करें (ग) वमिी नम करें (घ) विज्ञान यान पर सिार हो
प्रश्न 4. प्रेम की भािना से इस भौवतक बौवद्धक संसार पर विजय पाई जा सकती है यह भाि क्रकस पंवक्त से व्यंवजत हो रहा है ?
(क) जीवित सपनों के वलए मागा मुदों को देना ही होगा (ख)आिा के स्िर का भार पिन को लेक्रकन लेना ही होगा
(ग) जब जब मवस्तष्क जयी होता संसार ज्ञान से चलता है (घ) िीतलता की है राह ह्रदय, तू यह संिाद सुनाता चल
प्रश्न 5. विज्ञान यान में कौन सा अलंकार है?
(क) अनुप्रास अलंकार (ख)उपमा अलंकार (ग) रूपक अलंकार (घ) अन्द्योवक्त अलंकार
उर्त्रमाला 1-(ग), 2-(क), 3-(ख), 4-(घ) 5-(ग)
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(6) बार-बार आती है मुझको मधुर याद बचपन तेरी।
गया ले गया तू जीिन की सबसे मस्त खुिी मेरी।
हचंता-रवहत खेलना, खाना, िह क्रफरना वनभाय स्िच्छंद,
कै से भूला जा सकता है, बचपन का अतुवलत आनंद?
रोना और मचल जाना भी क्या आनंद क्रदखाते थे।,
ब़िे-ब़िे मोती से आाँसू जयमाला पहनाते थे।
मैं बचपन को बुला रही थी बोल उठी वबरटया मेरी,
नंदन िन-सी फू ल उठी यह, छोटी-सी कु रटया मेरी।
मााँ ओ! कहकर बुला रही थी वमिी खाकर आई थी
कु छ मुख में कु छ वलए हाथ में मुझे वखलाने लाई थी
मैंने पूछा-"यह क्या लाई ?" बोल उठी िह- “मााँ काओ"
हुआ प्रफु वल्लत हृदय खुिी से मैंने कहा "तु्हीं खाओ।"
वनम्नवलवखत में से वनदेिानुसार विकल्पों के चयन कीवजए।
प्रश्न 1. पद्यांि के आधार पर वनम्नवलवखत कथनों पर विचार कीवजए-
(क) बचपन के क्रदन मधुर होते हैं (ख) बचपन के क्रदन हचंता रवहत होते हैं (ग) बचपन के क्रदन स्िच्छंद और उल्लासपूणा होते हैं
उपयुाक्त कथनों में से कौन-सा/कौन-से सही है/ हैं?
(क) के िल (क) और(ख) (ख)के िल (ग) (ग) (ख) और (ग) (घ) (क),(ख)और (ग)
प्रश्न 2. बचपन की कौन सी बात बोली नहीं जा सकती
(क) कोई काम न करना (ख)हचंता रवहत जीिन ि उल्लासपूणा खेलना कू दना
(ग) मचलना (घ) माता-वपता से अपनी हठ पूरी करिाना
प्रश्न 3. नंदनिन का प्रयोग क्रकसके वलए क्रकया गया है
(क) अपनी वबरटया के वलए (ख)अपने घर के वलए (ग) स्ियं के वलए (घ) अपने वलए और अपनी पुत्री के वलए
प्रश्न 4. 'ब़िे ब़िे मोती से आंसू जयमाला पहनाते थे' पंवक्त में वनवहत अलंकार का नाम बताइए
(क) उपमा (ख)रूपक (ग) उत्प्रेक्षा (घ) अनुप्रास
प्रश्न 5. किवयत्री को अपना बचपन क्रकस रूप में िापस वमला -

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(क) बचपन की स्मृवतयों के रूप में (ख)अपनी वबरटया के रूप में
(ग) बचपन के फोटोग्राफ्स( छायावचत्र ) के रूप में (घ) उपयुाक्त सभी रूपों में
उर्त्रमाला - 1-(घ), 2-(क), 3-(ख), 4-(क) 5-(ख)
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(7) अंबर बने सुखों की चादर, धरती बने वबछौना।


वमिी से सोना उपजाओ, इस वमिी से सोना।
यह वमिी जगती की जननी, इसको करो प्रणाम्।
कमायोग के साधन बनना, ही सेिा का काम।
हाली उठा हाथ से हल को, बीज प्रेम के बोना।
चना, मटर, जौ, धान, बाजरा और गेहाँ की बाली।
वमिी से सोना बन जाती, भर-भर देती थाली।
दूध-दही पी-पी मुस्काए, मेरा श्याम सलौना।
हीरा, मोती, लाल, बहादुर, कह-कह तु्हें पुकारें ।
खुिहाली हर घर में लाए, वबग़िी दिा सुधारें ।
वनम्नवलवखत में से वनदेिानुसार विकल्पों के चयन कीवजए।
प्रश्न 1. अंबर क्रकसकी चादर बने?
(क) दुखों (ख)दास्तानों (ग) भािनाओं (घ) सुखों
प्रश्न 2. यह वमिी क्रकसकी जननी है?
(क) जगती (ख)माता (ग) वपता (घ) पुत्र
प्रश्न 3. '..............के साधक बनना।' पंवक्त में ररक्त स्थान की पूर्ता कररए
(क) हठयोग (ख)भवक्तयोग (ग) ज्ञानयोग (घ) कमायोग
प्रश्न 4. श्याम सलौना क्या-क्या पीकर मुस्कु राता है?
(क) लस्सी (ख)िरबत (ग) दही (घ) दूध-दही
प्रश्न 5. खुिहाली हर घर में लाए, वबग़िी दिा.......।
(क) सुधारे (ख)संिारे (ग) गा़िे (घ) फो़िे

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उर्त्रमाला 1-(घ), 2-(क), 3-(घ), 4-(घ) 5-(क)
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(8) रे िम जैसी हाँसती वखलती, नभ से आई एक क्रकरण
फू ल-फू ल को मीठी, मीठी, खुवियााँ लाई एक क्रकरण
प़िी ओस की कु छ बूंद,ें वझलवमल-वझलवमल पर्त्ों पर
उनमें जाकर क्रदया जलाकर, ज्यों मुसकाई एक क्रकरण
लाल-लाल थाली-सा सूरज, उठकर आया पूरब में
क्रफर सोने के तारों जैसी, नभ में छाई एक क्रकरण
वनम्नवलवखत में से वनदेिानुसार विकल्पों के चयन कीवजए।
प्रश्न 1. कवि ने क्रकरण के वलए क्रकन-क्रकन वििेषणों का प्रयोग क्रकया है?
(क) रे िम जैसी (ख)हाँसती वखलती (ग) सोने के तारों जैसी (घ) उपयुाक्त सभी
प्रश्न 2. क्रकरण फू लों के वलए .......... लेकर नहीं आई?
(क)सुंदरता (ख)सुगंध (ग) वमठास (घ) विवभन्न रं ग
प्रश्न 3. ओस की बूंदों से नहाए पर्त्ों पर क्रकरण ने क्या क्रकया?
(क)उन्द्हें चमका क्रदया (ख)उन पर एक क्रदया-सा जला क्रदया (ग) उन्द्हें नहला क्रदया (घ) उपयुाक्त सभी
प्रश्न 4. सूरज की वििेषता है?
(क) िह गोल-गोल है। (ख)िह गोल-गोल तथा लाल-लाल है। (ग) िह लाल-लाल थाली जैसा है। (घ) िह लाल-लाल गेंद जैसा है।
प्रश्न 5. 'लाल-लाल थाली-सा सूरज, उठकर आया पूरब में' पंवक्त में कौनसा अलंकार है-
(क) मानिीकरण अलंकार (ख)यमक अलंकार (ग) रूपक अलंकार (घ) उपमा अलंकार
उर्त्रमाला - 1-(घ), 2-(ग), 3-(ख), 4-(ग) 5-(घ)
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(9) आज जीत की रात
पहरुए, सािधान रहना।
खुले देि के द्वार
अचल दीपक समान रहना
प्रथम चरण है नये स्िगा का

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है मंवजले का छोर
इस जन-मंथन से उठ आई
पहली रतन वहलोर
अभी िेष है पूरी होना
जीिन मुक्ता र्ोर
क्योंक्रक नहीं वमट पाई दुख की
विगत सााँिली कोर
ले युग की पतिार
बने अंबुवध समान रहना
पहरुए, सािधान रहना
ऊाँची हुई मिाल हमारी
आगे करठन र्गर है।
ित्रु हट गया, लेक्रकन उसकी
छायाओं का र्र है,
िोषण से मृत है समाज ,
कमज़ोर हमारा घर है।
ककं तु आ रही नई हजंदगी
यह विश्वास अमर है।
वनम्नवलवखत में से वनदेिानुसार विकल्पों के चयन कीवजए।
प्रश्न 1. पद्यांि के आधार पर वनम्नवलवखत कथनों पर विचार कीवजए-
(क) कविता में 15 अगस्त की सुखद घटना की और संकेत है (ख) कवि देि के सैवनकों को सािधान रहने की प्रेरणा देता है
(ग) आज़ादी के बाद भी देि के सामने मुवश्कलें कम नहीं हुई हैं
उपयुाक्त कथनों में से कौन-सा/कौन-से सही है/ हैं?
(क) के िल (क) और(ख) (ख)के िल (ग) (ग) (ख) और (ग) (घ) (क),(ख)और (ग)
प्रश्न 2. ‘पहरुए’ की ‘दीपक’ और ‘अंबुवध’ के समान बने रहने को क्यों कहा गया है?
(क) क्योंक्रक दीपक प्रकाि देता है और अ्बुवध अपनी गहराई से सबको प्रेरणा देता है। (ख)दीपक और सागर के समान परोपकारी बनने की प्रेरणा
(ग) दीपक और सागर के समान अटल बनने की प्रेरणा (घ) दीपक और सागर की तरह महान बनने की प्रेरणा
प्रश्न 3 िोषण से मृत है समाज कमज़ोर हमारा घर है – पंवक्त का अथा क्या है?
(क) देि की हालत खस्ता है। (ख)देि की आर्थाक वस्थवत दयनीय है।

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(ग) देि की सामावजक वस्थवत ठीक नहीं है। (घ) देि की आर्थाक, सामावजक और राजनीवतक व्यिस्था कमजोर है।
प्रश्न 4. ‘ले युग की पतिार बने अंबुवध समान रहना’ पंवक्त में अलंकार है?
(क) उत्प्रेक्षा (ख)रूपक (ग) उपमा (घ) मानिीकरण
5-'सााँिली कोर'- क्रकसे कहा गया है?
(क) अतीत के सुखों को (ख)विगत दुखों को (ग) आने िाली खुवियों को (घ) इनमें से कोई नहीं
उर्त्रमाला - 1-(घ), 2-(क), 3-(घ), 4-(ग) 5-(ख)
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(10) ऐसा है आिेि देि में वजसका पार नहीं।
देखा माता का ऐसा रवक्तम श्रृंगार नहीं।
कं ठ-कं ठ में गान उम़िते मााँ के िंदन के ।
कं ठ-कं ठ में गान उम़िते मााँ के अचान के ।
िीि-िीि में भाि उम़िते मााँ पर अपाण के ।
प्राण-प्राण में भाि उम़िते िोवणत तपाण के ।
जीिन की धारा में देखी ऐसी धार नहीं।
सत्य अहहंसा का व्रत अपना कोई पाप नहीं।
विश्व मैत्री का व्रत भी कोई अवभिाप नहीं।
यही सत्य है सदा असत की रटकती चाप नहीं।
सािधान हहंसक! प्रवतहहंसा की कोई माप नहीं।
कोई भी प्रस्ताि पराजय का स्िीकार नहीं।
ऐसा है आिेि देि में वजसका पार नहीं।
वनम्नवलवखत में से वनदेिानुसार विकल्पों के चयन कीवजए।
प्रश्न 1. उपरोक्त पद्यांि में क्रकसके आिेि’ का उल्लेख हुआ है?
(क) माता के (ख)देि के (ग) ित्रु के (घ) इनमें से कोई नहीं
प्रश्न 2. कवि के मतानुसार सत्य है?
(क ) स्थायी (ख)व्रत (ग) अवभिाप (घ) अस्थायी
प्रश्न 3. ‘रवक्तम श्रृंगार’ का अथा है?
(क) िीर सपूतों का रक्त बवलदान करना (ख)रक्त बहाना (ग) ित्रु का खून बहाना। (घ) उपरोक्त में से कोई नहीं
प्रश्न 4. ‘िोवणत तपाण’ का अथा है?

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(क) खून बहाकर आक्रमणकारी के वपतरों का श्राद्ध करना (ख)ित्रु का िोषण करना
(ग) दुखी होकर श्राद्ध करना (घ) इनमें से कोई नहीं
प्रश्न 5. पद्यांि में ‘माता’ का प्रतीक है?
(क) देिी की (ख)विश्वमैत्री की (ग) सत्य-अहहंसा की (घ) राष्ट्र (देि) की
उर्त्रमाला - 1-(ख), 2-(क), 3-(क), 4-(क) 5-(घ)
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प्रश्न संख्या- 03 अवभव्यवक्त और माध्यम के वनधााररत पाठ 3, 4 और 5


पाठ 3 -विवभन्न माध्यमों के वलए लेखन
प्रश्न 1. वनम्नवलवखत में से गलत विकल्प है ?
(क) 1780 - बंगाल गज़ट (ख) 1560 - आज़ तक (ग) 1826 - उदंत मातंर् (घ) 1556 - पहला छापाखाना
प्रश्न 2. मुद्रण का प्रारं भ क्रकस देि में हुआ?
(क) भारत (ख)जापान (ग) इंग्लैंर् (घ) चीन
प्रश्न 3. ब्रेककं ग न्द्यूज़ है वनम्नवलवखत में से कथन सही है।
(i) तुरन्द्त घटी घटना को प्रसारण रोककर क्रदखाना
(ii) सबसे पहले कोई ब़िी खबर कम से कम िब्दों में महज सूचना के रूप में दी जाए
(iii) ख़बरों को विस्तार से बताना
(क)कथन i सही (ख) कथन ii सही (ग) कथन i और ii दोनो सही (घ) कथन i और ii दोनो गलत
प्रश्न 4. वनम्नवलवखत कथनों पर विचार कीवजए
i) टीिी ि रे वर्यो जनसंचार का इलेक्रॉवनक माध्यम है
ii) हप्रंट मीवर्या जनसंचार का इलेक्रॉवनक माध्यम है
iii)इंटरनेट जनसंचार का इलेक्रॉवनक माध्यम है
(क)कथन i सही (ख) कथन ii सही (ग) कथन i और ii दोनो सही (घ) कथन ii गलत
प्रश्न 5. क्रकसी भी माध्यम के लेखन के वलए क्रकसे ध्यान में रखना होता है?
(क) माध्यमों को (ख)लेखक को (ग) जनता को (घ) बाजार को
प्रश्न 6. जनसंचार के आधुवनक माध्यमों में सबसे पुराना माध्यम कौन सा है-

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(क) अखबार (ख)रे वर्यो (ग) टेलीविजन (घ) इनमें से कोई नहीं
प्रश्न 7. वनम्नवलवखत कथनों पर विचार कीवजए
मुक्रद्रत माध्यमों की वििेषता है -
(i)छपे हुए िब्दों में स्थावयत्ि
(ii)वलवखत भाषा का विस्तार
(iii)हचंतन, विचार और विश्लेषण का माध्यम
उपररवलवखत कथनों में से कौन-सा / कौन-से सही है/ हैं?
(क) के िल i (ख) के िल iii (ग) i और ii (घ) i, ii और iii
प्रश्न 8. रे वर्यो माध्यम है-
(क) दृश्य माध्यम (ख) श्रव्य माध्यम (ग) दृश्य-श्रव्य माध्यम (घ) इनमें से कोई नहीं
प्रश्न 9. रे वर्यो समाचार बुलरे टन में कौन सी सुविधा उपलब्ध नहीं होती-
(क) समाचार को कभी भी और कहीं से भी नहीं सुन सकते (ख)क्रकसी करठन िब्द के अथा को समाचार सुनने के दौरान नहीं ढू ंढ सकते
(ग) क और ख दोनों सही हैं (घ) इनमें से कोई नहीं
प्रश्न 10. मूलतः रे वर्यो और टीिी है-
(क) एक रे खीय माध्यम (ख) वद्वरे खीय माध्यम (ग) तीन रे खीय माध्यम (घ) इनमें से कोई नहीं
प्रश्न 11. रे वर्यो समाचार की संरचना आधाररत होती है-
(क) सीधा वपरावमर् िैली पर (ख) उल्टा वपरावमर् िैली (इं िटेर् वपरावमर् िैली) पर
(ग) समानांतर वपरावमर् िैली पर (घ) उपरोक्त में से कोई नहीं
प्रश्न 12. वनम्नवलवखत कथनों पर विचार कीवजए
कथन : रे वर्यो समाचार कॉपी लेखन के वलए आिश्यक बुवनयादी बातें हैं-
(i) साफ-सुथरी और टाइप कॉपी
(ii) समाचार कॉपी को कं प्यूटर पर ररपल स्पेस में टाइप करना
(iii) समाचार कॉपी के दोनों और पयााप्त हाविया छो़िना
उपररवलवखत कथनों में से कौन-सा / कौन-से सही है/ हैं?
(क) के िल i (ख) के िल iii (ग) i और ii (घ) i, ii और iii
प्रश्न 13. प्रसारण के वलए तैयार की जा रही समाचार कॉपी को कं प्यूटर पर टाइप क्रकया जाना चावहए

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(क) हसंगल स्पेस में (ख) र्बल स्पेस में (ग) ररपल स्पेस में (घ) इनमें से कोई नहीं
प्रश्न 14. रे वर्यो समाचार के वलए वलखी गई कॉपी में एक लाइन में क्रकतने िब्द होने चावहए
(क) 10-11 िब्द (ख)12-13 िब्द (ग) 13-14 िब्द (घ) 12-15 िब्द
प्रश्न 15. कॉलम 'क' का कॉलम 'ख' से उवचत वमलान कीवजए-
कॉलम 'क' कॉलम 'ख'
(क) रे वर्यो (i) दृश्य-श्रव्य माध्यम
(ख) टीिी (ii) समेक्रकत माध्यम
(ग) अखबार (iii) श्रव्य माध्यम
(घ) इंटरनेट (iv) मुक्रद्रत माध्यम
(क) (क)-(iii), (ख)-(iv), (ग)-(i) (घ)- (ii) (ख) (क)-(ii), (ख)-(iv), (ग)-(i), (घ)-(iii)
(ग) (क)- (iii), (ख)-(i), (ग)-(iv), (घ)-(ii) (घ) (क)-(ii), (ख)-(i), (ग)-(iv), (घ)-(iii)
प्रश्न 16. टेलीविजन के वलए समाचार या आलेख(वस्क्रप्ट) वलखने की बुवनयादी िता है
(क) िब्द पदे पर क्रदखने िाले दृश्य के अनुकूल हों अथाात दृश्य के साथ लेखन (ख) िब्दों को क्रकसी भी तरह से वलखा जा सकता है
(ग) िब्द सुनने के अनुकूल होने चावहए (घ) िब्दों की दृश्य श्रव्य में अनुकूलता आिश्यक नहीं
प्रश्न 17. क्रकसी ब़िी खबर को टीिी पर तात्कावलक रूप से क्रकस रूप में क्रदखाया जाता है
(क) प्रमुख रूप में (ख)गौण रूप में (ग) टीिी के परदे के वनचले भाग पर (घ) ब्रेककं ग न्द्यूज़ के रूप में
प्रश्न 18. 'सांस्कृ वतक कायाक्रम के वलए िानदार प्रस्तुवत देते यह बच्चे' इस तरह की खबर जनसंचार के क्रकस माध्यम के वलए उपयुक्त है
(क) हप्रंट मीवर्या (ख) टीिी (ग) समाचार पत्र (घ) इंटरनेट
प्रश्न 19. टीिी के वलए खबर वलखते समय क्रकस तरह की आिाजों का ध्यान रखना जरूरी है
(क) बाइट या कथन (ख) प्राकृ वतक आिाजें (नेट साउं र्) (ग) क और ख दोनों (घ) िोर
प्रश्न 20. नेट साउं र् क्रकस माध्यम से संबंवधत है
(क) इंटरनेट से (ख)टेलीविजन से (ग) रे वर्यो से (घ) वसनेमा से
प्रश्न 21. वनम्नवलवखत कथन कारण को ध्यानपूिाक पक्रढ़ए उसके बाद क्रदए गए विकल्पों में से कोई एक सही विकल्प चुनकर वलवखए -
कथन (A) प्रत्येक व्यवक्त अपने आसपास घरटत होने िाली घटनाओं के बारे में जानने के वलए उत्सुक होता है।
कारण (R)निीनतम जानकारी रखना मनुष्य का स्िभाि है।

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(क) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण कथन की सही व्याख्या करता है।
(ख) कथन (A) गलत है लेक्रकन कारण(R) सही है।
(ग) कथन (A) तथा कारण(R) दोनों गलत हैं।
(घ) कथन (A) सही है लेक्रकन कारण(R) उसकी गलत व्याख्या करता है।
प्रश्न 22. टीिी समाचार में क्रकस तरह के िब्द सहज माने जाते हैं
(क) क्रय-विक्रय की जगह खरीद-वबक्री (ख) स्थानांतरण की जगह तबादला (ग) पंवक्त की जगह कतार (घ) उपरोक्त सभी
प्रश्न 23. इंटरनेट पत्रकाररता को कहा जाता है
(क) ऑनलाइन पत्रकाररता (ख) साइबर पत्रकाररता (ग) िेब पत्रकाररता (घ) उपरोक्त सभी
प्रश्न 24. इंटरनेट है -
(क) के िल एक औजार (ख) एक हार्ािेयर (ग) एक सॉफ्टिेयर (घ) एक यांवत्रक उपकरण
प्रश्न 25. पत्रकाररता में इंटरनेट का काया है
(क) समाचारों का संकलन करना (ख) खबरों का सत्यापन करना (ग) खबरों का पुविकरण करना (घ) उपरोक्त सभी
प्रश्न 26. टेलीहप्रंटर द्वारा एक सेकंर् में क्रकतने िब्द भेजें जा सकते हैं
(क) 56,000 (ख) 60,000 (ग) 70,000 (घ) 80,000
प्रश्न 27. विश्व स्तर पर इस समय इंटरनेट पत्रकाररता का कौन सा दौर चल रहा है
(क) पहला (ख) दूसरा (ग) तीसरा (घ) चौथा
प्रश्न 28. विश्व स्तर पर इंटरनेट का पहला दौर कब तक चला
(क) 1890 से 1982 तक (ख)1982 से 1992 तक (ग) 1994 से 1998 तक (घ) 1988 से 2000 तक
प्रश्न 29. समेक्रकत माध्यम क्रकसे कहते हैं
(क) टीिी को (ख) रे वर्यो को (ग) इंटरनेट को (घ) उपयुाक्त सभी को
प्रश्न 30.विश्व स्तर पर इंटरनेट का दूसरा दौर कब तक चला
(क) 1982 से 1992 तक (ख)1982 से 1993 तक (ग) 1993 से 2001 तक (घ) 2001 से 2003 तक
प्रश्न 31. िास्तविक रूप में इंटरनेट पत्रकाररता की िुरुआत कब हुई
(क) 1890 से 1900 के बीच (ख)1910 से 1920 के बीच (ग) 1980 से 2000 के बीच (घ) 1983 से 2002 के बीच
प्रश्न 32.वनम्न में से नयी िेब भाषा है

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(क) इंटरनेट एक्सप्लोरर (ख) नेटस्कै प (ग) एचटीएमएल (हाइपर टेक्स्ट माक्र्ाअप लैंग्िेज) (घ) हिंर्ोस
प्रश्न 33. ज्यादातर र्ॉट कॉम कं पवनयों के बंद होने का क्या कारण था
(क) विषय सामग्री और पयााप्त आर्थाक आधार का अभाि (ख)विषय सामग्री का अभाि (ग) पयााप्त आर्थाक आधार का अभाि (घ) उपरोक्त में से कोई नहीं
प्रश्न 34. भारत में इंटरनेट पत्रकाररता का कौन सा दौर चल रहा है
(क) पहला (ख) दूसरा (ग) तीसरा (घ) चौथा
प्रश्न 35.भारत में दूसरा दौर कब से िुरू हुआ है
(क) िषा 1993 से (ख) िषा 2000 से (ग) िषा 2003 से (घ) िषा 2007 से
प्रश्न 36. वनम्न में से भारतीय इंटरनेट पत्रकाररता साइट है
(क) टाइ्स ऑफ इंवर्या (ख) आउटलुक (ग) आईबीएन (घ) उपयुाक्त सभी
प्रश्न 37.वनम्न में से कौन सी साइट भुगतान के बाद ही देखी जा सकती है
(क) आउटलुक (ख) आज तक (ग) ज़ी न्द्यूज़ (घ) इंवर्या टुर्े
प्रश्न 38. भारत की पहली साइट क्रकसे कहा जा सकता है
(क) ररब्यून को (ख) हहंद ू को (ग) आउटलुक को (घ) रीवर्फ को
प्रश्न 39. िेबसाइट पर वििुद्ध पत्रकाररता िुरू करने का श्रेय क्रकसे जाता है
(क) रीवर्फ र्ॉटकॉम को (ख) इंवर्याइन्द्फोलाइन को (ग) सीफी को (घ) तहलका र्ॉटकॉम को
प्रश्न 40. हहंदी में नेट पत्रकाररता का आरं भ हुआ
(क) भास्कर से (ख) जागरण से (ग) िेब दुवनया से (घ) प्रभासाक्षी से
प्रश्न 41. वनम्न में से कौन सा अखबार हप्रंट रूप में ना होकर के िल इंटरनेट पर ही उपलब्ध है
(क) जागरण (ख) हहंदस्ु तान (ग) प्रभात खबर (घ) प्रभासाक्षी
प्रश्न 42. आज पत्रकाररता के वलहाज से हहंदी की सिाश्रेष्ठ साइट कौनसी है
(क) िेब दुवनया (ख) बीबीसी (ग) तहलका र्ॉटकॉम (घ) इनमें से कोई नहीं
प्रश्न 43. सिाावधक खचीला जनसंचार माध्यम कौनसा है
(क) रे वर्यो (ख) टेलीविजन (ग) इंटरनेट (घ) समाचार पत्र
प्रश्न 44. कौन सा जनसंचार माध्यम वनरक्षर व्यवक्त के वलए उपयोगी नहीं है
(क) समाचार पत्र (ख) पवत्रकाएं (ग) क ि ख दोनों सही हैं (घ) क ि ख दोनों गलत है
प्रश्न 45. छापेखाने के आविष्कार का श्रेय क्रकसे क्रदया जाता है

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(क) गुटेनबगा को (ख) चनमैन को (ग) जॉनसन को (घ) वनहाल हसंह को
प्रश्न 46. समाचार में एंकर बाइट का क्या महत्ि है
(क) समाचार क्रदखाई देता है (ख) एंकर बाइट का कोई महत्ि नहीं (ग) समाचार को प्रामावणकता प्रदान की जाती है (घ) इनमें से कोई नहीं
प्रश्न 47. कॉलम 'क' का कॉलम 'ख' से उवचत वमलान कीवजए-
कॉलम 'क' कॉलम 'ख'
(क) फ्रीलांसर पत्रकार (i) समाचार एकवत्रत करनेिाला
(ख) अंिकावलक पत्रकार (ii) क्रकसी समाचार पत्र में वनयवमत िेतन भोगी
(ग) पूणाकावलक पत्रकार (iii) वनवित पाररश्रवमक पर अलग अलग पत्र पवत्रकाओं के वलए काम करने िाला
(घ) संिाददाता (iv) वनवित मानदेय पर काया करने िाला
(क) (क)-(iii), (ख)-(iv), (ग)-(i) (घ)- (ii) (ख) (क)-(iii), (ख)-(iv), (ग)-(ii), (घ)-(i)
(ग) (क)- (iii), (ख)-(i), (ग)-(iv), (घ)-(ii) (घ) (क)-(ii), (ख)-(i), (ग)-(iv), (घ)-(iii)
प्रश्न 48. दृश्यों का क्रकस माध्यम में अवधक महत्ि होता है
(क) समाचार पत्र (ख) इंटरनेट (ग) दूरदिान (घ) रे वर्यो
प्रश्न 49. ड्राई एंकर खबर को क्रकस प्रकार बताता है
(क) संिाददाता से बात करके बताता है (ख) दृश्य के साथ बताता है (ग) सीधे-सीधे बताता है (घ) सीधा प्रसारण होता है
प्रश्न 50. क्रक्रके ट मैच का प्रसारण क्रकस प्रकार का प्रसारण है
(क) एंकर-पैकेज (ख) एंकर-बाइट (ग) सीधा प्रसारण (घ) एंकर-विजुअल
प्रश्न 51. रे वर्यो समाचार कॉपी में वतवथयों को वलखना चावहए
(क) अगस्त 15,1950 (ख) अगस्त 15,उन्नीस सौ पचास (ग) 15 अगस्त, 1950 (घ) 15 अगस्त, उन्नीस सौ पचास
प्रश्न 52. विवभन्न जनसंचार माध्यमों में क्या अंतर है
(क) अलग समाचार (ख) एक लेखन िैली (ग) उनकी लेखन िैली (घ) अलग-अलग तथ्य
प्रश्न 53. भारत में हर साल इंटरनेट कनेक्िन की संख्या क्रकतनी बढ़ती है
(क) 50 से 55% (ख)20 से 30% (ग) 40 से 50% (घ) 45 से 50%
प्रश्न 54. ररसचा का काम क्रकसकी िजह से और आसान हो गया है
(क) इंटरनेट (ख)जनसंचार माध्यम (ग) टेलीविजन (घ) पत्रकाररता

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प्रश्न 55. वनम्नवलवखत कथन कारण को ध्यानपूिाक पक्रढ़ए उसके बाद क्रदए गए विकल्पों में से कोई एक सही विकल्प चुनकर वलवखए -
कथन -(A) पत्रकाररता का क्षेत्र व्यापक होने के साथ-साथ चुनौतीपूणा भी है।
कारण(R) लोकतंत्र के तीनों स्तंभों की वनगरानी करने के साथ-साथ उन्द्हें सचेत करना ,जनवहत के वलए संघषा करना आक्रद इसके दावयत्ि बन गए हैं।
(क) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण कथन की सही व्याख्या करता है।
(ख) कथन (A) गलत है लेक्रकन कारण(R) सही है।
(ग) कथन (A) तथा कारण(R) दोनों गलत हैं।
(घ) कथन (A) सही है लेक्रकन कारण(R) उसकी गलत व्याख्या करता है।
उर्त्रमाला (पाठ 3 -विवभन्न माध्यमों के वलए लेखन)
उर्त्र- 1.(ख) 2.(घ) 3.(ग) 4. (घ) 5.(क) 6.(क) 7.(घ) 8.(ख) 9.(ग) 10.(क) 11.(ख) 12.(घ) 13.(ग) 14.(ख) 15.(घ) 16.(क) 17.(घ) 18.(ख)
19.(ग) 20.(ख) 21.(क) 22.(घ) 23.(घ) 24.(क) 25.(घ) 26.(ग) 27.(ग) 28.(ख) 29.(ग) 30.(ग) 31.(घ) 32.(ग) 33.(क) 34.(ख) 35.(ग)
36.(घ) 37.(घ) 38.(घ) 39.(घ) 40.(ग) 41.(घ) 42.(ख) 43.(ग) 44.(ग) 45.(क) 46.(ग) 47.(ख) 48.(ग) 49.(ग) 50.(ग) 51.(घ) 52.(ग) 53.(क)
54.(क) 55. (क)
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पाठ 4 पत्रकारीय लेखन के विवभन्न रूप और लेखन प्रक्रक्रया
प्रश्न 1. समाचार पत्रों में विचारपरक लेखन के अंतगात आते हैं
(क) लेख (ख)रटप्पवणयां (ग) संपादकीय (घ) उपयुाक्त सभी
प्रश्न 2. लोकतांवत्रक समाज में अखबार की भूवमका नहीं है
(क) पहरे दार की (ख)विक्षक की (ग) जनमत वनमााता की (घ) क्रकसी राजनीवतक दल के समथान करने की
प्रश्न 3. पत्रकाररता का संबंध क्रकससे है
(क) तथ्यों से (ख) भविष्य की योजनाओं से (ग) कल्पना से (घ) आदिा से
प्रश्न 4. पत्रकारीय लेखन में कै सी भाषा का प्रयोग क्रकया जाता है
(क) आलंकाररक एिं वििेषणों से युक्त भाषा (ख)संस्कृ तवनष्ठ भाषा (ग) आम बोलचाल की सरल ,सहज भाषा (घ) सामावसक पदािली से युक्त भाषा
प्रश्न 5. वनम्नवलवखत कथनों पर विचार कीवजए --
संपादक का काया है ---
(i)संपादक समाचार एकत्र करता है।
(ii)संपादक समाचारों की अिुवद्धयों को दूर करता है।

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(iii)संपादक पत्रकारीय नीवत ि आचार संवहता के अनुसार काया करते हैं।
(क)कथन i सही (ख) कथन ii सही (ग) कथन ii और iii दोनो सही (घ) कथन ii गलत
प्रश्न 6. एक अच्छे और रोचक फीचर के साथ क्या होना जरूरी है
(क) रे खांकन (ख)ग्राक्रफक्स (ग) फोटो (घ) उपयुाक्त सभी
प्रश्न 7. वनम्नवलवखत में से कौन सा फीचर लेखन का प्रकार नहीं है
(क) समाचार बैकग्राउं र्र (ख)खोजपरक फीचर (ग) साक्षात्कार फीचर (घ) सांस्कृ वतक फीचर
प्रश्न 8. उल्टा वपरावमर् िैली के संबंध में वनम्नवलवखत कथनों पर विचार कीवजए।
(i) सबसे महत्िपूणा तथ्य , जानकारी या सूचना सबसे पहले बताई जाती है।
(ii) समाचार लेखन की सबसे लोकवप्रय िैली है।
(iii) इसमें क्लाइमैक्स वबल्कु ल आवखरी में आता है।
(क) कथन i सही (ख) कथन ii सही (ग) कथन ii और iii दोनो सही (घ) कथन iii गलत
प्रश्न 9. वनम्नवलवखत कथनों पर विचार कीवजए --
(i)समाचार लेखन के वलए उल्टा वपरावमर् िैली का प्रयोग क्रकया जाता है।
(ii) फीचर लेखन के वलए सीधा वपरावमर् िैली में वलखा जाता है।
(iii) कहानी लेखन में सीधा वपरावमर् िैली का प्रयोग होता है।
(क)कथन i सही (ख) कथन ii सही (ग) कथन ii और iii दोनो सही (घ) कथन i, ii और iii तीनों सही
प्रश्न 10. समाचार लेखन के छह ककारों का क्रम बताइए
(क) कौन, कब ,क्यों ,कहां ,कै से ,क्या (ख)क्या, कौन ,कहां, कब ,क्यों, कै से (ग) क्यों ,कै से ,कब, कहां ,कौन ,क्या (घ) इनमें से कोई नहीं
प्रश्न 11. समाचार के मुख़िे में कौन से चार ककार आते हैं
(क) क्या ,कौन, कब ,कहां (ख)कहां, कब ,क्यों, कै से (ग) क्यों ,कब, कहां ,कौन (घ) उपरोक्त सभी
प्रश्न 12. क्या, कौन, कब और कहां चारों ककार क्रकस पर आधाररत होते हैं
(क) रचनात्मकता पर (ख) कल्पनाओं और आदिों पर (ग) सूचनाओं और तथ्यों पर (घ) इनमें से कोई नहीं
प्रश्न 13. कै से और क्यों ककार आधाररत होते हैं
(क) वििरण,व्याख्या और विश्लेषण पर (ख)तथ्यों और सूचनाओं पर (ग) कलात्मकता पर (घ) सृजनात्मकता पर
प्रश्न 14. उल्टा वपरावमर् िैली के सन्द्दभा में वनम्नवलवखत कथनों पर विचार कीवजए -
(i) 19 िी सदी के मध्य से िुरू हुआ (ii)अमेररका में गृह युद्ध के दौरान

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(iii) प्रथम विश्व युद्ध के दौरान (iv)भारत की आजादी की ल़िाई के दौरान
(क)कथन i सही (ख) कथन ii सही (ग) कथन i और ii दोनो सही (घ) कथन i, ii और iii तीनों सही
प्रश्न 15. 19िीं सदी में अमेररका में गृह युद्ध के दौरान संिाददाता अपनी खबरें क्रकसके जररए भेजते थे
(क) टेलीफोन से (ख)समाचार पत्र द्वारा (ग) टेलीग्राफ संदि
े ों के द्वारा (घ) मोबाइल द्वारा
प्रश्न 16. फीचर होता है?
(क) बैठक या सभा की कायािाही का वििरण (ख)सुव्यिवस्थत,सृजनात्मक और आत्मवनष्ठ लेखन
(ग) िस्तुवनष्ठ लेखन (घ) नीरस िोध ररपोटा
प्रश्न 17. फीचर का उद्देश्य है
(क) पाठकों को सूचना देना,विवक्षत करना एिं मुख्य रूप से उनका मनोरं जन करना (ख)पाठकों का मन बहलाना
(ग) देि की पररवस्थवतयों से अिगत कराना (घ) चेहरे की भाि भंवगमा बताना
प्रश्न 18. समाचार पत्र की आिाज क्रकसे माना जाता है ?
(क) फीचर को (ख) संपादक के नाम पत्र स्तंभ को (ग) संपादकीय को (घ) स्तंभ लेखन को
प्रश्न 19. वनरंकुि कलम समाज के विनाि का कारण बन सकती है। लेक्रकन अंकुि भीतर का होना चावहए, बाहर का अंकुि तो और भी जहरीला होगा। यह कथन
क्रकसका है
(क) पंवर्त जिाहरलाल नेहरू (ख)महात्मा गांधी (ग) लाल बहादुर िास्त्री (घ) र्ॉ राजेंद्र प्रसाद
प्रश्न 20. सािाजवनक तौर पर उपलब्ध तथ्यों,सूचनाओं और आंक़िों की गहरी छानबीन करने िाली ररपोटा को क्या कहते हैं ?
(क) खोजी ररपोटा (ख)इन-र्ेप्थ ररपोटा (ग) विश्लेषणात्मक ररपोटा (घ) वििरणात्मक ररपोटा
प्रश्न 21. भ्रिाचार,अवनयवमतताओं और ग़िबव़ियों को उजागर करने िाली ररपोटा कहलाती है ?
(क) वििरणात्मक ररपोटा (ख)विश्लेषणात्मक ररपोटा (ग) इन-र्ेप्थ ररपोटा (घ) खोजी ररपोटा
प्रश्न 22. इंरो में क्रकतने ककारों को आधार बनाकर खबर वलखी जाती है ?
(क) छह ककार (ख)दो ककार (ग) चार ककार (घ) तीन ककार
प्रश्न 23. संपादकीय क्रकसी व्यवक्त वििेष के नाम से नहीं छापा जाता है। क्योंक्रक
(क) व्यवक्त वििेष का विचार होता है (ख)क्रकसी व्यवक्त वििेष का विचार नहीं होता है
(ग) क्रकसी जन समूह का विचार होता है (घ) पूरे अखबार की आिाज होती है
प्रश्न 24. समाचार पत्रों में छपने िाले फीचर में लगभग क्रकतने िब्द होने चावहए ?
(क) 500 से 5000 िब्द (ख)250 से 2000 िब्द (ग) 1000 से 3000 िब्द (घ) 250 से 1500िब्द

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प्रश्न 25. समाचार लेखन कौन करते हैं ?
(क) कवि (ख)संिाददाता या ररपोटार (ग) जनता (घ) लेखक
प्रश्न 26. संपादकीय लेखन के विषय में कौन सा कथन असत्य है ?
(क) संपादकीय क्रकसी व्यवक्त वििेष का लेख नहीं होता है (ख)यह अनाम लेख होता है
(ग) इसे अखबार की अपनी आिाज माना जाता है . (घ) यह आत्मवनष्ठ लेख होता है
प्रश्न 27. संपादकीय वलखने का दावयत्ि क्रकस पर होता है ?
(क) संिाददाता पर (ख)संपादक पर (ग) संपादक के सहयोवगयों पर (घ) ख और ग दोनों सही हैं
प्रश्न 28. स्तंभ लेखन क्रकस का एक प्रमुख रूप होता है ?
(क) समाचारों का (ख)विचारपरक लेखन का (ग) संपादकीय का (घ) खेल समाचारों का
प्रश्न 29. अखबारों का स्थायी स्तंभ होता है ?
(क) साक्षात्कार (ख)फीचर (ग) संपादक के नाम पत्र (घ) इनमें से कोई नहीं
प्रश्न 30. क्रकसी समाचार पत्र के संपादकीय पृष्ठ के सामने के पृष्ठ पर विचारपरक लेख,रटप्पवणयां और स्तंभ प्रकावित होते हैं,उस पृष्ठ को कहते हैं ?
(क) पेजथ्री (ख)मुखपृष्ठ (ग) ऑप-ऐर् (घ) काटूान पन्ना
प्रश्न 31. ऑप-एर् पृष्ठ है
(क) समाचार पत्र का पहला पृष्ठ (ख) संपादकीय पृष्ठ के सामने छपने िाला पृष्ठ (ग) खेल समाचार िाला पृष्ठ (घ) समाचार पत्र का अंवतम पृष्ठ
प्रश्न 32. संपादकीय को क्रकसकी आिाज माना जाता है ?
(क) संपादकीय को देि की आिाज माना जाता है (ख)संपादक की आिाज माना जाता है
(ग) अखबार की आिाज माना जाता है (घ) संपादक मंर्ल की आिाज माना जाता है
प्रश्न 33. समाचार लेखन का काया कौन करता है
(क) पूणाकावलक पत्रकार (ख)अंिकावलक पत्रकार (ग) क ि ख दोनों (घ) फ्रीलांसर
प्रश्न 34. संपादकीय पृष्ठ पर पाठकों का अपना स्तंभ कौन सा होता है
(क) स्तंभ लेखन (ख)संपादक के नाम पत्र (ग) विचारपरक लेख (घ) रटप्पवणयां
प्रश्न 35. संपादक के नाम पत्र स्तंभ के विषय में कौन सा कथन असत्य है
(क) इस स्तंभ के माध्यम से पाठक विवभन्न मुद्दों पर अपनी राय व्यक्त करते हैं (ख)इस स्तंभ के माध्यम से पाठक जन समस्याओं को उठाते हैं
(ग) यह स्तंभ नए लेखकों के वलए लेखन की िुरुआत करने का अिसर देता है (घ) इस प्रकार के पत्रों से क्रकसी प्रकार का लाभ नहीं होता
प्रश्न 36. पत्रकारीय लेखन के वलए पत्रकार कच्चा माल क्रकसके माध्यम से एकत्र करते हैं

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(क) स्तंभ लेखन के माध्यम से (ख)संपादकीय के माध्यम से (ग) समाचारों के माध्यम से (घ) साक्षात्कार के माध्यम से
प्रश्न 37. एक सफल साक्षात्कार के वलए साक्षात्कारकताा में कौन से गुण होने चावहए
(क) ज्ञान और संिेदनिीलता होनी चावहए (ख)कू टनीवत होनी चावहए (ग) धैया और साहस जैसे गुण होने चावहए (घ) उपयुाक्त सभी
प्रश्न 38. समाचार लेखन में --------- ककार होते है।
(क) 9 (ख) 6 (ग) 5 (घ) 7
प्रश्न 39. पत्रकाररता में सिाावधक महत्ि क्रकस बात का है?
(क) चाटुकाररता का (ख)समसामवयक घटनाओं का (ग) समीक्षाओं का (घ) िणान का
प्रश्न 40. फीचर लेखन के क्रकतने प्रकार हैं
(क) 10 (ख)4 (ग) 5 (घ) कई प्रकार
प्रश्न 41. महत्त्िपूणा,लोकवप्रय लेखकों के लेखों की वनयवमत िृंखला को क्रकस नाम से जाना जाता है
(क) स्तंभ लेखन (ख) बीट ररपोर्टंग (ग) वििेषीकृ त ररपोर्टंग (घ) फीचर लेखन
प्रश्न 42. फीचर और समाचार के संदभा में असत्य कथन है -
(i) फीचर तात्कावलक घटनाओं पर वलखा जाता है समाचार के वलए आिश्यक नहीं है।
(ii)समाचार तात्कावलक घटना पर वलखा जाता है, फ़ीचर की विषय िस्तु के वलए तात्कावलकता आिश्यक नहीं।
(iii) फ़ीचर की िब्द सीमा वनधााररत नहीं होती है, जबक्रक समाचार में िब्द सीमा वनधााररत होती है
(क) कथन i सही (ख) कथन ii सही (ग) कथन i और ii दोनो सही (घ) कथन i, ii और iii तीनों सही
उर्त्रमाला (पाठ 4. –पत्रकारीय लेखन के विवभन्न रूप और लेखन प्रक्रकया)
उर्त्र- 1.(घ) 2.(घ) 3.(क) 4.(ग) 5.(ग) 6.(घ) 7.(घ) 8.(घ) 9.(घ) 10.(ख) 11.(क) 12.(ग) 13.(क) 14.(ग) 15.(ग) 16.(ख) 17.(क) 18.(ग)
19.(ख)20.(ख)21.(घ) 22.(ग) 23.(घ) 24.(ख)25.(ख)26.(घ) 27.(घ) 28.(ख)29.(ग) 30.(ग) 31.(ख)32.(ग) 33.(ग) 34.(ख)35.(घ) 36.(घ) 37.(घ)
38.(ख) 39.(ख)40.(घ) 41.(क) 42. (क)
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पाठ 5- वििेष लेखन- स्िरूप और प्रकार
प्रश्न 1. समाचारपत्र या पवत्रका कब संपूणा लगती है -
i. जब के िल समाचार हों
ii. जब विवभन्न विषयों और क्षेत्रों के बारे में घटने िाली घटनाओं,समस्याओं और मुद्दों के बारे में वनयवमत रूप से जानकारी हो
iii. जब फीचर और आलेख हों, खेल समाचार हों

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(क) कथन i सही (ख) कथन ii सही (ग) कथन i और ii दोनो सही (घ) कथन ii गलत
प्रश्न 2. क्रकसी समाचार पत्र या पवत्रका में विवभन्न विषयों और क्षेत्रों के बारे में घटने िाली घटनाओं, समस्याओं और मुद्दों के बारे में वनयवमत रूप से जानकारी क्यों
दी जाती है?
(क) इससे समाचारपत्रों में विविधता आती है (ख) समाचार पत्रों का कलेिर व्यापक होता है
(ग) पाठक विवभन्न क्षेत्रों के बारे में पढ़ना चाहते हैं (घ) उपयुाक्त सभी
प्रश्न 3. वििेष लेखन है
(क) फीचर को वििेष प्रकार से वलखना (ख)क्रकसी खास विषय पर सामान्द्य लेखन से हटकर क्रकया गया लेखन
(ग) लेखन में वििेषण और अलंकारों का प्रयोग करना (घ) इनमें से कोई नहीं
प्रश्न 4. कॉलम 'क' का कॉलम 'ख' से उवचत वमलान कीवजए-
कॉलम 'क' कॉलम 'ख'
(क) र्ेस्क (i) पुराने सन्द्दभा को आज के सन्द्दभा में जो़िकर क्रकया गया वििेष लेखन
(ख) बीट (ii) अलग-अलग विषयों पर वििेष लेखन के वलए वनधााररत स्थल
(ग) वििेष लेखन (iii) संिाददाताओं के बीच रूवच और ज्ञान के आधार पर काया विभाजन
(घ) न्द्यूज़ पेग (iv) क्रकसी खास विषय पर सामान्द्य लेखन से हटकर क्रकया गया लेखन
(क) (क)-(iii), (ख)-(iv), (ग)-(i) (घ)- (ii) (ख) (क)-(ii), (ख)-( iii), (ग)-(iv), (घ)-(i)
(ग) (क)-(iv), (ख)-(iii), (ग)-(ii), (घ)-(i) (घ) (क)-(ii), (ख)-(i), (ग)-(iv), (घ)-(iii)
प्रश्न 5. जनसंचार के क्रकन-क्रकन माध्यमों में र्ेस्क होता है?
(क) समाचार पत्रों और पवत्रकाओं में (ख)टीिी में (ग) रे वर्यो चैनलों में (घ) उपयुाक्त सभी में
प्रश्न 6. र्ेस्क पर काम करते हैं?
(क) संपादक (ख)कवि (ग) लेखक (घ) पत्रकारों का समूह
प्रश्न 7. र्ेस्क पर काम करने िाले पत्रकार के समूह से अपेक्षा की जाती है?
(क) विश्व में घरटत होने िाली घटनाओं की जानकारी हो (ख) लेखन की विविि िैली आती हो
(ग) सरकार के प्रवत वज्मेदार हो (घ) संबंवधत विषय या क्षेत्र में उनकी वििेषज्ञता हो
प्रश्न 8. बीट क्रकसे कहते हैं?
(क) संिाददाताओं के बीच काम का विभाजन उनकी क्रदलचस्पी और ज्ञान के आधार पर करना (ख)संगीत का क्षेत्र
(ग) गीत की ताल (घ) उपयुाक्त सभी
प्रश्न 9. आपकी खेल बीट होने का अथा है?
(क) आप खेलते हैं (ख)विश्व स्तर पर आयोवजत खेल प्रवतयोवगताओं में भाग लेते हैं

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(ग) आपकी क्रदलचस्पी और जानकारी का क्षेत्र खेल है (घ) खेलों से आप स्िस्थ रहते हैं
प्रश्न 10. वििेष लेखन है?
(क) एक प्रकार की वििेषीकृ त ररपोर्टंग है (ख)विषय की गहरी जानकारी है
(ग) ररपोर्टंग से संबंवधत भाषा और िैली पर पूणा अवधकार है (घ) उपयुाक्त सभी
प्रश्न 11.अगर आपको प्रकृ वत और पयाािरण से प्यार है और उसके विषय में आप बहुत ज्यादा जानकारी रखते हैं तो आपको कौन सी बीट वमल सकती है?
(क) खेल बीट (ख)अपराध बीट (ग) कृ वष बीट (घ) पयाािरण बीट
प्रश्न 12. बीट का सामान्द्य अथा है?
(क) क्षेत्र (ख)खेल (ग) पत्रकार (घ) ताल
प्रश्न 13. वििेष लेखन के क्षेत्र कौन से हैं?
(क) अपराध (ख)खेल (ग) क्रफल्म-मनोरं जन (घ) उपयुाक्त सभी
प्रश्न 14. वििेष लेखन की भाषा और िैली से संबंवधत कौन सा कथन सही है?
(क) वििेष लेखन की भाषा और िैली सहज और सरल होनी चावहए (ख)तकनीकी िब्दािली का प्रयोग होना चावहए
(ग) उस क्षेत्र वििेष से जु़िी िब्दािली का भी प्रयोग होना चावहए (घ) उपयुाक्त सभी
प्रश्न 15. बीट ररपोर्टंग और वििेषीकृ त ररपोर्टंग में क्या फका है?
(क) बीट ररपोटार को अपनी बीट से जु़िी सामान्द्य खबरें वलखनी होती है जबक्रक वििेषीकृ त ररपोर्टंग में सामान्द्य खबरों से आगे बढ़कर उस क्षेत्र या विषय से जु़िी
घटनाओं का बारीकी से विश्लेषण करना होता है (ख) समाचार लेखन होता है
(ग) बीट ररपोर्टंग में क्रकसी गीत की लय और ताल बताई जाती है (घ) इनमें से कोई नहीं
प्रश्न 16. बीट किर करने िाले ररपोटार को कहते हैं?
(क) समाचार िाचक (ख)उद्घोषक (ग) संिाददाता (घ) संपादक
प्रश्न 17. वििेष संिाददाता का दजाा क्रकसे क्रदया जाता है?
(क) बीट ररपोर्टंग करने िाले ररपोटार को (ख)वििेषीकृ त ररपोर्टंग करने िाले ररपोटार को
(ग) सावहत्यकार को (घ) उप संपादक को
प्रश्न 18. वििेष लेखन के तहत िावमल है?
(क) विषय वििेष पर फीचर (ख)विषय वििेष से जु़िे साक्षात्कार (ग) विषय वििेष से जु़िे स्तंभ लेखन (घ) उपयुाक्त सभी
प्रश्न 19. क्रकसी भी क्षेत्र पर वििेष लेखन िह व्यवक्त कर सकता है?
(क) जो उस क्षेत्र के बारे मे ज्यादा से ज्यादा जानता हो (ख)उसकी ताजा से ताजा सूचना उसके पास हो एिं उसके बारे में लगातार पढ़ता हो
(ग) जानकाररयां और तथ्य इकट्ठे करता हो एिं उस क्षेत्र से जु़िे लोगों से लगातार वमलता हो (घ) उपयुाक्त सभी
प्रश्न 20.कारोबार एिं व्यापार क्षेत्र से जु़िी िब्दािली है?
(क) तेजव़िए- मंदव़िए (ख)मुद्रास्फीवत (ग) राजस्ि घाटा (घ) उपयुाक्त सभी

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प्रश्न 21. सिोच्च न्द्यायालय से सेिावनिृर्त् हुए जज के द्वारा समाचार पत्र-पवत्रकाओं के वलए वलखा गया लेख क्रकस श्रेणी में आएगा?
(क) बीट ररपोर्टंग (ख)वििेषीकृ त ररपोर्टंग (ग) अपराध जगत की जानकारी (घ) विश्व में बढ़ते अपराधों पर हचंता
प्रश्न 22. हषाा भोगले, जसदेि हसंह, नरोर्त्म पुरी को खेल वििेषज्ञ माना जाता है। क्योंक्रक
(क) िे वपछले 40 सालों से हॉकी और क्रक्रके ट की कमेंरी करते आ रहे हैं (ख)उन्द्हें इन खेलों के बारे में विस्तृत जानकारी है
(ग) िे खेलों की तकनीकी बारीक्रकयां समझते हैं (घ) उपयुाक्त सभी
प्रश्न 23. 'आिक बढ़ने से लाल वमचा की क़ििाहट घटी' िीषाक क्रकस क्षेत्र से संबंवधत है?
(क) कृ वष (ख)स्िास्थ्य (ग) सामावजक मुद्दे (घ) अथा-व्यापार
प्रश्न 24. समाचार पत्र या पवत्रका के वलए वििेष लेखन का काया कौन कर सकते हैं?
(क) लेखक (ख) पत्रकार (ग) फ्रीलांसर पत्रकार (घ) उपयुाक्त सभी
प्रश्न 25. पयाािरण और मौसम से जु़िी खबरों की तकनीकी िब्दािली है?
(क) टॉवक्सक कचरा (ख)ग्लोबल िार्मंग (ग) तूफान का कें द्र या रुख (घ) उपयुाक्त सभी
प्रश्न 26. अपनी बीट से जु़िा कोई समाचार क्रकस िैली में वलखा जाएगा?
(क) सीधा वपरावमर् िैली (ख)कथात्मक िैली (ग) उल्टा वपरावमर् िैली (घ) प्रश्नोर्त्र िैली
प्रश्न 27. न्द्यूज़ पेग क्या है?
(क) वििेष लेखक के अंतगात लेख या रटप्पणी वलख रहे हैं तो उसकी िुरुआत क्रकसी खबर से जो़िकर करना / क्रकसी खबर से जो़िकर जब वििेष लेखन क्रकया जाता
है? (ख) अखबारों में समाचार का पन्ना (ग) उल्टा वपरावमर् िैली (घ) कथात्मक िैली
प्रश्न 28. क्रकन क्षेत्रों में वििेषीकृ त ररपोर्टंग को प्राथवमकता दी जा रही है?
(क) रक्षा (ख)विदेि नीवत (ग) राष्ट्रीय सुरक्षा और विवध (घ) उपयुाक्त सभी
प्रश्न 29. आजकल पत्रकाररता में क्रकस की मांग की जा रही है?
(क) सभी विषयों के जानकार लेक्रकन क्रकसी खास विषय में वििेषज्ञता नहीं (ख)क्रकसी एक विषय में वििेषज्ञता जरूरी
(ग) समाचार लेखन में प्रिीण होना (घ) विवभन्न भाषाओं की जानकारी
प्रश्न 30. क्रकसी विषय में वििेषज्ञता हावसल करने के वलए जरूरी है?
(क) उस विषय में िास्तविक रूवच होना (ख)उच्चतर माध्यवमक(+2) और स्नातक स्तर पर उसी विषय में पढ़ाई करना
(ग) विषयों से संबवं धत पुस्तकें खूब पढ़ना (घ) उपयुाक्त सभी
प्रश्न 31. पत्रकारीय वििेषज्ञता हावसल करने के वलए संदभा सामग्री जुटाकर रखनी चावहए। संदभा सामग्री से तात्पया है?
(क) उस विषय से जु़िी खबरों और ररपोटों की कटटंग करके फाइल बनाना
(ख)उस विषय के प्रोफे िनल वििेषज्ञों के लेख और विश्लेषणों की कटटंग संभाल कर रखना
(ग) उस विषय का िब्दकोि और एनसाइक्लोपीवर्या अपने पास रखना (घ) उपयुाक्त सभी

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प्रश्न 32. पत्रकारीय वििेषज्ञता हावसल करने संबंधी कौन सा कथन असत्य है?
(क) वििेषज्ञता एक क्रदन में आती है (ख)वििेषज्ञता एक तरह से अनुभि का पयााय है
(ग) वििेषज्ञता उस विषय में वनरं तर क्रदलचस्पी और सक्रक्रयता से आती है
(घ) पत्रकार की वििेषज्ञता कु छ हद तक उसके अपने सूत्रों और स्रोतों पर वनभार करती है
प्रश्न 33. विज्ञान-प्रौद्योवगकी,विदेि ,सामावजक मुद्दे आक्रद ............. संबंवधत हैं।
(क.) खोज परक पत्रकाररता से (ख.) िॉच र्ॉग पत्रकाररता से (ग.) उल्टा वपरावमर् िैली से (घ.) वििेष लेखन से
प्रश्न 34. वििेष लेखन के वलए सूचनाओं का स्त्रोत इनमें से कौनसा नहीं है?
(क) साक्षात्कार (ख) कहावनयां (ग) मंत्रालय के सूत्र (घ) इंटरनेट और दूसरे संचार माध्यम
प्रश्न 35. कृ वष से लेकर उद्योग तक और व्यापार से लेकर िेयर बाजार तक अथाव्यिस्था से जु़िे सभी क्षेत्र क्रकस क्षेत्र के अंतगात आते हैं?
(क) कृ वष क्षेत्र के अंतगात (ख)सामावजक मुद्दों के अंतगात (ग) कारोबार ,व्यापार और अथा जगत के अंतगात (घ) विज्ञान प्रौद्योवगकी के अंतगात
प्रश्न 36. आर्थाक पत्रकाररता के महत्ि के बढ़ने का क्या कारण है?
(क) देि की राजनीवत और अथाव्यिस्था के बीच गहरा ररश्ता होता है (ख)अथा हर मनुष्य के जीिन का मूल आधार है
(ग) आर्थाक खबरों में पाठकों की गहरी रूवच होती है. (घ) इनमें से कोई नहीं
प्रश्न 37. कारोबार और अथा जगत से जु़िी रोजमराा की खबरें क्रकस िैली में वलखी जाती है?
(क) कथात्मक िैली (ख)सीधा वपरावमर् िैली (ग) फीचर लेखन िैली (घ) उल्टा वपरावमर् िैली
प्रश्न 38. समाचार पत्र और पवत्रकाओं में खेलों पर वििेष लेखन ,खेल वििेषांक और खेल पररविि प्रकावित हो रहे हैं। यह क्रकस बात की ओर संकेत करता है?
(क) खेलों में अवधकांि लोगों की रूवच है (ख)खेल हर आदमी के जीिन में नई ऊजाा का संचार करता है
(ग) हम में से अवधकांि के भीतर एक वखला़िी जरूर होता है (घ) उपयुाक्त सभी
प्रश्न 39. खेल पत्रकाररता में वििेषज्ञता हावसल करने के वलए क्रकन योग्यताओं का होना आिश्यक है?
(क) उस खेल के बारे में आप की जानकारी और समझदारी का स्तर ऊंचा हो (ख) खेल के वनयम या उसकी बारीक्रकयां पता हो
(ग) क्रकसी वखला़िी की तकनीक का ज्ञान हो (घ) उपयुाक्त सभी
प्रश्न 40. खेलों की ररपोर्टंग और वििेष लेखन की भाषा और िैली कै सी होनी चावहए?
(क) ऊजाा से भरी हुई (ख)जोि से युक्त (ग) रोमांचक एिं उत्साह से युक्त (घ) उपयुाक्त सभी
प्रश्न 41.खेल की खबर या ररपोटा के लेखन से संबंवधत कौन सा कथन असत्य है?
(क) खेल की खबर का लेखन उल्टा वपरावमर् िैली में िुरू होता है (ख)खेल की खबर दूसरे पैराग्राफ से कथात्मक िैली में वलखी जाती है
(ग) खेल की खबर दूसरे पैराग्राफ से घटनानुक्रम िैली में वलखी जाती है (घ) खेल की संपूणा खबर उल्टा वपरावमर् िैली में वलखी जाती है
प्रश्न 42. वििेष लेखन वलखते समय क्रकन को ध्यान में रखा जाना चावहए?
(क) संपादक मंर्ल को (ख)सरकार को (ग) पाठक ,दिाक या श्रोता को (घ) उपयुाक्त सभी को
प्रश्न 43. वस्पन ,एलबीर्ब्ल्यू और गुगली क्रकस खेल से संबंवधत िब्दािली है?

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(क) हॉकी (ख)क्रक्रके ट (ग) फु टबॉल (घ) खो-खो
प्रश्न 44. समाचार पत्र में आर्थाक पृष्ठ न होने से समाचार पत्र संपूणा नहीं माना जाएगा। क्योंक्रक
(क) अथा यानी धन हर आदमी के जीिन का मूल आधार है (ख)हमारे रोजमराा के जीिन में धन का खास महत्ि है
(ग) मनुष्य के जीिन में बचत,आर्थाक फायदे, नफा-नुकसान आक्रद का महत्ि है (घ) उपयुाक्त सभी
प्रश्न 45. दस लाख संगीनें मेरे भीतर िह खौफ पैदा नहीं करतीं, जो तीन छोटे अखबार। यह कथन क्रकसका है
(क) नेपोवलयन, फ्रांसीसी सेनानायक का (ख)महात्मा गांधी का (ग) चेतन भगत का (घ) भारतेंद ु हररिन्द्द्र का
प्रश्न 46. कारोबार व्यापार और अथा जगत के क्षेत्र में वििेष लेखन करते समय पत्रकार को कोई एक खास क्षेत्र चुनना प़िता है क्योंक्रक
(क) कारोबार, व्यापार और अथा जगत का क्षेत्र काफी व्यापक है (ख) सभी क्षेत्रों में वििेषज्ञता हावसल करना करठन है
(ग) क एिं ख दोनों (घ) क एिं ख दोनों नहीं
प्रश्न 47. 'खेल पत्रकाररता' क्रकस प्रकार का उदाहरण है ?
(क) िॉचर्ॉग पत्रकाररता (ख)खोजी पत्रकाररता (ग) वििेषीकृ त पत्रकाररता (घ) िैकवल्पक पत्रकाररता
प्रश्न 48. पेिेिर पत्रकारों के अलािा रक्षा ,विज्ञान आक्रद विवभन्न क्षेत्रों के प्रोफे िनलस भी वििेष लेखन का काया कर सकते हैं। क्योंक्रक
(क) िे उस क्षेत्र में कई िषों से काम कर रहे हैं (ख)उस क्षेत्र का उन्द्हें िषों का अनुभि होता है
(ग) िे उस क्षेत्र या विषय की बारीक्रकयां समझते हैं और विश्लेषण करने की क्षमता रखते हैं (घ) उपयुाक्त सभी
प्रश्न 49. आर्थाक मामलों की पत्रकाररता सामान्द्य पत्रकाररता की तुलना में काफी जरटल क्यों है?
(क) आम लोगों को इसकी िब्दािवलयों के बारे में ठीक से पता नहीं होता (ख)आम लोगों को िब्दािवलयों का अथा ठीक से पता नहीं होता
(ग) इन िब्दािवलयां को आम लोगों की समझ में आने लायक कै से बनाया जाए यह एक चुनौती है (घ) उपयुाक्त सभी
प्रश्न 50. वििेष लेखन और सामान्द्य लेखन के बीच मूल अंतर क्या है?
(क) तकनीकी िब्दािली का (ख)संवक्षप्त अक्षरों का (ग) तारीखों का (घ) उपयुाक्त सभी
प्रश्न 51. आलेख का मूल उद्देश्य नहीं है?
(क) समाचार देना (ख) ज्ञान का विस्तार (ग) मनोरं जन करना (घ) जानकारी देना
प्रश्न 52. पत्रकारीय लेखन में सिाावधक महत्ि क्रकस बात का है?
(क) लोगों को विश्वास में लाने का (ख)क्रदखािा करने का (ग) समसामवयक घटनाओं की जानकारी का (घ) उपयुाक्त सभी का
प्रश्न 53. वििेष लेखन पद्धवत कहां प्रचवलत है ?
(क) िोध प्रबंध (ख)जन कल्याण संबंधी लेखन (ग) जनसंचार के माध्यमों में (घ) िैवक्षक लेखन
प्रश्न 54. क्रकसी भी विषय में वनरं तर क्रदलचस्पी और सक्रक्रयता आपको क्या बना सकती है?
(क) विषय वििेषज्ञ (ख)लेखक (ग) स्तंभ लेखक (घ) पाठक
प्रश्न 55. बीट ररपोर्टंग के वलए ररपोटार को क्रकन िब्दों का ज्ञान होना चावहए?

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(क) सावहवत्यक (ख)तकनीकी (ग) गंभीर अलंकार युक्त िब्दों का (घ) उपयुाक्त सभी
प्रश्न 56. कॉलम 'क' का कॉलम 'ख' से उवचत वमलान कीवजए-
कॉलम 'क' वििेष लेखन का क्षेत्र कॉलम 'ख' िब्दािली
(क) अथा और व्यापार (i) घुटने टेके , धूल चटाई
(ख) खेल (ii) ग्लोबल िार्मंग ,आद्राता
(ग) पयाािरण (iii) एक्सरे ,मेमोग्राफी
(घ) स्िास्थ्य (iv) सोने में भारी उछाल ,तेजव़िए
(क) (क)-(iii), (ख)-(iv), (ग)-(i) (घ)- (ii) (ख) (क)-(ii), (ख)-( iii), (ग)-(iv), (घ)-(i)
(ग) (क)-(iv), (ख)-(iii), (ग)-(ii), (घ)-(i) (घ) (क)-(ii), (ख)-(i), (ग)-(iv), (घ)-(iii)
उर्त्रमाला (पाठ 5- वििेष लेखन- स्िरूप और प्रकार)
उर्त्र- 1.(ख)2.(घ) 3.(ख) 4.(ख) 5.(घ) 6.(घ) 7.(घ) 8.(क) 9.(ग) 10.(घ) 11.(घ) 12.(क) 13.(घ) 14.(घ) 15.(क) 16.(ग) 17.(ख)18.(घ) 19.(घ) 20.(घ)
21.(ख)22.(घ) 23.(घ) 24.(घ) 25.(घ) 26.(ग) 27.(क) 28.(घ) 29.(ख)30.(घ) 31.(घ) 32 .(क) 33.(घ) 34.(ख)35.(ग) 36.(क) 37.(घ) 38.(घ) 39.(घ)
40.(घ) 41.(घ) 42.(ग) 43.(ख)44.(घ) 45.(क) 46.(ग) 47.(ग) 48.(घ) 49.(घ) 50.(क) 51.(ग) 52.(ग) 53.(ग) 54.(क) 55.(ख) 56. (ख)
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प्रश्न संख्या- 04 आरोह भाग-2 : परठत काव्यांि


1. आत्मपररचय -श्री हररिंि राय बच्चन
(1) मैं जग – जीिन का भार वलए क्रफरता हाँ,
क्रफर भी जीिन में प्यार वलए क्रफरता हाँ;
कर क्रदया क्रकसी ने झंकृत वजनको छू कर
मैं सााँसों के दो तार वलए क्रफरता हुाँ !
मैं स्नेह-सुरा का पान क्रकया करता हाँ,
में कभी न जग का ध्यान क्रकया करता हुाँ,
जग पूछ रहा उनको, जो जग की गाते,
मैं अपने मन का गान क्रकया करता हाँ !
प्रश्न 1. ‘आत्मपररचय’ कविता के रचनाकार हैं-
(क) जयिंकर प्रसाद (ख)हररिंिराय बच्चन (ग) रामधारी हसंह क्रदनकर (घ) सूयाकांत वत्रपाठी ‘वनराला’
प्रश्न 2. कवि क्रकस का भार वलए क्रफरता है?

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(क) घर-बार का (ख)कायाालय का (ग) जग-जीिन का (घ) आस-पास का
प्रश्न 3. कवि क्रकस सुरा का पान करता है?
(क) स्नेह (ख)उमंग (ग) उत्साह (घ) द्वेष।
प्रश्न 4 . कवि जीिन में क्या वलए क्रफरता है?
(क) प्यास (ख)आिा (ग) उल्लास (घ) प्यार
प्रश्न -5 ‘स्नेह-सुरा’ में कौनसा अलंकार है?
(क) उपमा (ख)उत्प्रेक्षा (ग) रूपक (घ) मानिीकरण
(2) मैं वनज उर के उद्गार वलए क्रफरता हाँ
मैं वनज उर के उपहार वलए क्रफरता हाँ
है यह अपूणा संसार न मुझको भाता
मैं स्िप्नों का संसार वलए क्रफरता हाँ।
मैं जला हृदय में अवि, दहा करता हाँ
सुख-दुख दोनों में मि रहा करता हाँ,
जग भि-सागर तरने की नाि बनाए,
मैं भि-मौजों पर मस्त बहा करता हाँ।
प्रश्न 1. कवि हृदय में क्या जला कर दहा करता है?
(क) स्मृवतयााँ (ख)अवि (ग) कल्पनाएाँ (घ) स्नेह
प्रश्न 2. कवि कै सा संसार वलए क्रफरता है?
(क) यथाथा (ख)आदिा (ग) स्िवप्नल (घ) सुखी।
प्रश्न 3. कवि के हृदय में कै से भाि भरे हुए हैं?
(क) प्रसन्नता (ख)उत्साह (ग) विह्िलता (घ) घृणा
प्रश्न 4. ‘उद्गार’ िब्द का अथा है?
(क) विचार (ख)हचंतन (ग) सूचनाएाँ (घ) िराब
प्रश्न 5 भि-सागर से क्या आिय है ?
(क) संसार रुपी सागर (ख)भािनाओ का सागर (ग) सागरों का सागर (घ) कोई नहीं

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(3) मैं और, और जग और, कहााँ का नाता,
मैं बना-बना क्रकतने जग रोज वमटाता,
जग वजस पृथ्िी पर जो़िा करता िैभि,
मैं प्रवत पग से उस पृथ्िी को ठु कराता!
मैं वनज रोदन में राग वलए क्रफरता हाँ,
िीतल िाणी में आग वलए क्रफरता हाँ,
हों वजस पर भूपों के प्रासाद वनछािर,
मैं िह खंर्हर का भाग वलए क्रफरता हाँ।
प्रश्न -1 कवि अपने रोदन में क्या वलए क्रफरता है?
(क) राग (ख)राम (ग) रास (घ) राज़
प्रश्न 2. संसार के लोग पृथ्िी पर क्या जो़िते हैं?
(क) धमा (ख)मोक्ष (ग) अथा (घ) काम
प्रश्न 3. कवि कै से संसार को ठु कराता है?
(क) ईमानदार (ख)सत्यवनष्ठ (ग) कमािील (घ) िैभििाली
प्रश्न 4 ‘हों वजस पर भूपों के प्रासाद वनछािर’ रे खांक्रकत पद का अथा है ?
(क) राजा (ख)प्रजा (ग) महल (घ) कोई नहीं
प्रश्न 5. ‘आत्मपररचय’ कविता के रचनाकार हैं-
(क) जयिंकर प्रसाद (ख)हररिंिराय बच्चन (ग) रामधारी हसंह क्रदनकर (घ) सूयाकांत वत्रपाठी ‘वनराला’
क्रदन जल्दी जल्दी ढलता है-श्री हररिंि राय बच्चन
(4) क्रदन जल्दी – जल्दी ढलता है !
हो जाए न पथ में रात कहीं
मंवजल भी तो है दूर नहीं –
यह सोच थका क्रदन का पंथी भी जल्दी – जल्दी चलता है !
क्रदन जल्दी-जल्दी ढलता है !
प्रश्न -1. ‘हो जाए न पथ में’- यहााँ क्रकस पथ की ओर कवि ने संकेत क्रकया हैं?
(क) जीिन पथ की ओर (ख)रास्ते की ओर (ग) संसार की ओर (घ) उपरोक्त सभी I

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प्रश्न -2. इस पद्यांि में “पथ” क्रकसका प्रतीक है ?
(क) जीिन पथ का (ख)मानि जीिन के संघषा का (ग) करठन राहों का (घ) आसान रास्तों का
प्रश्न -3 “क्रदन जल्दी-जल्दी ढलता है” पंवक्त के माध्यम कवि क्या संकेत करना चाहता है ?
(क) समय पररितानिील है (ख)समय क्रकसी की प्रतीक्षा नहीं करता (ग) उक्त दोनों (घ) जल्दी से िाम होने िाली है
प्रश्न- 4 पवथक जल्दी जल्दी मंवजल की और क्यों बढ़ता है ?
(क) मंवजल समीप है (ख)कहीं रास्ते में ही रात ना हो जाए (ग) रात होने िाली है (घ) उक्त सभी
प्रश्न -5 “जल्दी - जल्दी” में कौनसा अलंकार है ?
(क) उपमा अलंकार (ख)रूपक अलंकार (ग) यमक अलंकार (घ) पुनरुवक्तप्रकाि अलंकार
(5) “बच्चे प्रत्यािा में होंगे ,
नी़िों से झांक रहे होंगे –
यह ध्यान परों में वचव़ियों के भरता क्रकतनी चंचलता है !
क्रदन जल्दी-जल्दी ढलता है !”
प्रश्न -1 बच्चे मााँ की प्रत्यािा में क्यों होंगे ?
(क) मााँ का स्नेह पाने के वलए (ख)भोजन पाने के वलए (ग) उक्त दोनों (घ) मााँ के साथ बाहर घूमने की आिा में
प्रश्न -2 “बच्चे प्रत्यािा में होंगे ,नी़िों से झांक रहे होंगे” पंवक्त में कौनसा रस है ?
(क) िृंगार रस (ख)िीर रस (ग) िात्सल्य रस (घ) हास्य रस
प्रश्न -3 वनम्न में से क्या सोचकर वचव़िया के पंख चंचल नहीं होते हैं ?
(क) बच्चे इंतजार कर रहे है (ख)बच्चे भूखे है (ग) बच्चों को खाना वखलाना है (घ) इनमें से कोई नहीं
प्रश्न -4 “नी़िों से झांक रहे होंगे” पंवक्त में कौनसा वब्ब है ?
क) दृश्य (ख)श्रव्य (ग) दृश्य गवतिील (घ) श्रव्य गवतिील
प्रश्न - 5 - घर जाते हुए कवि के पग विवथल क्यों हो जाते हैं?
(क) घर पर उसका कोई इंतजार नहीं कर रहा (ख)घर जाकर िह क्या करेगा?
(ग) उसे अपने घर जाने की जल्दी नहीं (घ) उसे अपना घर अच्छा नहीं लगता
(6) “मुझसे वमलने को कौन विकल ?
मैं होऊं क्रकसके वहत चंचल ?
यह प्रश्न विवथल करता पद को , भरता उर में विह्िलता है !

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क्रदन जल्दी – जल्दी ढलता है !”
प्रश्न -1 मुझसे वमलने को कौन विकल? 'क्रदन जल्दी-जल्दी ढलता है' गीत का यह प्रश्न उर में क्या भरता है?
(क) विवथलता (ख)चंचलता (ग) विह्िलता (घ) आिया
प्रश्न -2 कवि के मन में कौनसा प्रश्न नहीं उठता है ?
(क) मुझसे वमलने को कौन व्याकु ल है (ख)मै क्रकसके वलए जल्दी चलूाँ (ग) मेरा कौन इंतजार कर रहा है (घ) मेरा कोई इंतजार कर रहा है I
प्रश्न 3- कवि की व्याकु लता का क्या कारण है ?
(क) माता से वियोग (ख) वपता से वियोग (ग) पत्नी से वियोग (घ) भाई - बहनों से वियोग
प्रश्न 4- मैं होऊं क्रकसके वहत चंचल ? इस पंवक्त में कौनसा अलंकार है ?
(क) अनुप्रास ि यमक (ख)प्रश्न ि वियोग िृंगार (ग) प्रश्न ि संयोग िृंगार (घ) उपमा
प्रश्न 5 - घर जाते हुए कवि के पग विवथल क्यों हो जाते हैं?
(क) घर पर उसका कोई इंतजार नहीं कर रहा (ख)घर जाकर िह क्या करे गा?
(ग) उसे अपने घर जाने की जल्दी नहीं (घ) उसे अपना घर अच्छा नहीं लगता
2. आलोक धन्द्िा -पतंग
(7) छतों के खतरनाक क्रकनारों तक
उस समय वगरने से बचाता है उन्द्हें
वसफा उनके ही रोमांवचत िरीर का संगीत
पतंगों की ध़िकती ऊाँचाइयााँ उन्द्हें थाम लेती हैं महज़ एक धागे के सहारे
पतंगों के साथ-साथ िे भी उ़ि रहे हैं
अपने रं ध्रों के सहारे
प्रश्न 1. बच्चों को पतंग उ़िाते हुए छतों के क्रकनारों से कौन बचाता है?
(क) रोमांवचत िरीर (ख)उनका वमत्र (ग) माता वपता के वनदेि (घ) स्िवििेक
प्रश्न 2. पतंगों की ऊाँचाइयााँ बच्चों को कै से थाम लेती हैं?
(क) हाथ के सहारे (ख) धागे के सहारे (ग) िरीर के रोमांच से (घ) स्िवििेक से
प्रश्न 3. पतंगों के साथ-साथ िे भी उ़ि रहे हैं। पंवक्त में वनवहत भाि स्पि कीवजए।
(क) िो आवत्मक रूप से जु़िे है (ख)िो िारीररक रूप से जु़िे है (ग) दोनों सही (घ) दोनों गलत
प्रश्न 4. कविता में वनवहत प्रमुख अलंकार है।

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(क) उपमा (ख)उत्प्रेक्षा (ग) रूपक (घ) मानिीकरण
प्रश्न 5. खतरनाक िब्द में प्रत्यय है –
(क) नाक (ख)खतर (ग) क (घ) उपयुाक्त सभी
(8) अगर िे कभी वगरते हैं छतों के खतरनाक क्रकनारों से
और बच जाते हैं तब तो
और भी वनर्र होकर सुनहले सूरज के सामने आते हैं
पृथ्िी और भी तेज़ घूमती हुई आती है
उनके बेचैन पैरों के पास।
प्रश्न 1. बच्चे वनर्र होकर क्रकसके सामने आते हैं?
(क) आसमान के (ख)सूरज के (ग) माता वपता के (घ) वमत्रो के
प्रश्न 2. बच्चे वनर्र होकर सूया के सामने कब आते हैं?
(क) जब खतरनाक क्रकनारों से चोरटल हो जाते है (ख)जब उनका वमत्र उनको वनदेि देता है
(ग) जब माता वपता की नजर नहीं होती (घ) इनमे से कोई नहीं
प्रश्न 3. बच्चों का सूया के सामने आने पर क्या होता है?
(क) बहुत तेज उजाा प्राप्त होती है (ख)पतंग उ़िने का मजा और बढ़ जाता है (ग) पृथ्िी और तेज घूमने लगती है (घ) उपरोक्त सभी
प्रश्न 4. “और भी वनर्र होकर सुनहले सूरज के सामने आते हैं “ रे खांक्रकत पद है –
(क) संज्ञा (ख)वििेषण (ग) सिानाम (घ) उपसगा
प्रश्न 5. उपयुक्त कविता के कवि है –
(क) आलोक माथुर (ख)आलोक धन्द्िा (ग) कुं िर नारायण (घ) कुाँ िर आलोक
कविता के बहाने – कुाँ िर नारायण
(9) कविता एक उ़िान है वचव़िया के बहाने
कविता की उ़िान भला वचव़िया क्या जाने
बाहर भीतर
इस घर , उस घर
कविता के पंख लगा उ़िने के माने
वचव़िया क्या जाने ?

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प्रश्न 1. कविता के पंख लगाकर उ़िने से क्या तात्पया है ?
(क) सुंदर लेख वलखना (ख)कल्पना करना (ग) व्यथा वलखना (घ) अथा स्पि करना
प्रश्न 2. बाहर भीतर , इस घर - उस घर इन िब्दों में प्रयुक्त अलंकार है ?
(क) उपमा अलंकार (ख)अनुप्रास अलंकार (ग) मानिीकरण अलंकार (घ) व्यवतरे क अलंकार
प्रश्न 3. वचव़िया क्या जाने , इस काव्य पंवक्त में कौनसा अलंकार प्रयुक्त हुआ है ?
(क) मानिीकरण अलंकार (ख)अनुप्रास अलंकार (ग) प्रश्न अलंकार (घ) इनमें से कोई नहीं
प्रश्न 4.कवि के अनुसार वचव़िया कहााँ-कहााँ उ़िती है ?
(क) जंगल में (ख)खेत में (ग) बाहर भीतर ,इस घर , उस घर (घ) उपिन में
प्रश्न 5. उक्त पंवक्तयों के रचनाकार है ?
(क) ऋतुराज (ख)आलोक धन्द्िा (ग) कुाँ िर नारायण (घ) कोई नहीं
(10) कविता एक वखलना है फू लों के बहाने
कविता का वखलना भला फू ल क्या जानें !
बाहर भीतर
इस घर , उस घर
वबना मुरझाए महकने के माने
फू ल क्या जानें ?
प्रश्न 1. “वबना मुरझाए महकने के माने” से क्या तात्पया है ?
(क) अपनी महक फै लाना (ख)अनंतकाल तक कविता का अथा प्रदान करना
(ग) अनंतकाल तक सुगंध फै लाना (घ) वबना मुरझाए लगातार महक प्रदान करना
प्रश्न 2. कविता का वखलना अथा प्रदान करता है ?
(क) मानि मूल्यों की सुगंध वबखेरना (ख)कविता में अत्यवधक अलंकारों का प्रयोग करना
(ग) कविता में निीन िब्दािली का प्रयोग (घ) इनमें से कोई नहीं
प्रश्न 3. कविता की एक बार रचना होने पर क्या होता है ?
(क) कविता अपनी महक वबखेरती है (ख)कविता अनंतकाल तक अपना अवस्तत्ि बनाए रखती है
(ग) कविता मुरझाने लगती है (घ) कविता आनंक्रदत करती है

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प्रश्न 4. फू ल वखलकर प्रदान करते हैं ?
(क) फल (ख) िहद (ग) दुगंध (घ) महक
प्रश्न 5. ‘फू ल क्या जानें’ इस पंवक्त मे अलंकार है ?
(क) अनुप्रास (ख)उपमा (ग) यमक अलंकार (घ) प्रश्न अलंकार
(11) कविता एक खेल है बच्चों के बहाने
बाहर भीतर
यह घर , िह घर
सब घर एक कर देने के माने
बच्चा ही जाने।
प्रश्न 1. कवि के अनुसार कविता क्रकसका खेल है ?
(क) बच्चों का (ख)िब्दों का (ग) बाररि का (घ) फू लों का
प्रश्न 2. कवि ने कविता को एक खेल बताया है। इस कविता के वखलौने (उपकरण ) क्या हैं ?
(क) ज़ि, चेतन, अतीत, ितामान,भविष्य (ख)संयम, पररष्कार, साफ-सुथरापन
(ग) कै रम, कॉक, बल्ला, गेंद (घ) इनमें से कोई नहीं
प्रश्न 3 . ‘सब घर एक कर देने के माने’ से क्या तात्पया है ?
(क) प्रेम के साथ रहना (ख)सभी का एक साथ वमलजुलकर रहना (ग) अपने पराये में भेदभाि नहीं रखना (घ) उपयुाक्त सभी
प्रश्न 4. कवि द्वारा कविता और बच्चे को समानांतर रखने के क्या कारण हैं ?
(क) कविता और बच्चे दोनो में निीन ऊजाा का संचार करने की िवक्त होती है। (ख)कविता की तरह ही बच्चे भी भविष्य की ओर कदम बढाते हैं।
(ग) बच्चो की तरह कविता भी भेदभाि से परे होती है। (घ) उपयुाक्त सभी।
प्रश्न 5. पुराने मूल्यों में ितामान के मूल्यों को जो़िकर भविष्य की ओर कदम कौन बढाता है ?
(क) वचवर्यां और फू ल (ख)कवि (ग) संयमी व्यवक्त (घ) बच्चा और कविता
बात सीधी थी पर
(12) बात सीधी थी पर एक बार
भाषा के चक्कर में
जरा टेढ़ी फाँ स गई।
उसे पाने की कोविि में
भाषा को उलटा पलटा

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तो़िा मरो़िा
घुमाया क्रफराया
क्रक बात या तो बने
या क्रफर भाषा से बाहर आए-
लेक्रकन इससे भाषा के साथ साथ
बात और भी पेचीदा होती चली गई।

प्रश्न 1. 'बात की पेंच खोलना' से कवि का क्या तात्पया है?


(क) बात का उलझना (ख)बात का प्रभािहीन होना (ग) बात का स्पि होना (घ) बात का तका पूणा होना
प्रश्न 2. कवि से िरारती बच्चे के समान कौन खेल रही थी?
(क) बात (ख)भाषा (ग) कविता (घ) पतंग
प्रश्न 3. सीधी सी बात क्रकस के चक्कर में फं स गई?
(क) भाि के (ख)छंद के (ग) अलंकार के (घ) भाषा के
प्रश्न 4. कवि क्या करतब कर रहा था?
(क) मेज़ पर पेंच ठोक रहा था (ख)बात सुलझाने की कोविि कर रहा था (ग) नाटक कर रहा था (घ) लोगों को बात समझा रहा था
प्रश्न 5. उक्त पंवक्तयों के रचनाकार है ?
(क) ऋतुराज (ख)आलोक धन्द्िा (ग) कुाँ िर नारायण (घ) कोई नहीं
कै मरे में बंद अपावहज – रघुिीर सहाय
(13) हम एक दुबाल को लाएाँगे
एक बंद कमरे में
उससे पूछेंगे तो आप क्या अपावहज हैं ?
तो आप क्यों अपावहज हैं ?”
आपका अपावहजपन तो दुख देता होगा
देता है ?
(कै मरा क्रदखाओ इसे ब़िा ब़िा )
हााँ तो बताइए आपका दुख क्या है
जल्दी बताइए िह दुख बताइए

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बता नहीं पाएगा।
प्रश्न 1. यह कविता क्रकस संग्रह से उद्धृत है ?
(क) हाँसो- हाँसो जल्दी हाँसो (ख)लोग भूल गए हैं (ग) सीक्रढ़यों पर धूप में (घ) क्रदनमान
प्रश्न 2. कविता में कौन लोग स्ियं को समथा एिं िवक्तिान मानते हैं ?
(क) सावहत्यकार (ख)दूरदिान संचालक (ग) राजनेता (घ) दिाक
प्रश्न 3 .काव्यांि में .................... दुबाल कहा गया है?
(क) दिाक को (ख)मवहला को (ग) क्रदव्यांगजन को (घ) लेखक को
प्रश्न 4. मीवर्या के संबंध में कौनसा कथन असत्य है?
(क) मीवर्या की सोच अहंिादी है (ख)िह स्ियं को सिा िवक्तमान समझता है
(ग) आम आदमी को िवक्तहीन मानता है (घ) अपावहज व्यवक्त के प्रवत सहानुभूवत रखता है
प्रश्न 5. मीवर्या के द्वारा पूछे गए प्रश्नों से क्या झलकता है?
(क) करुणा (ख)संिेदनिीलता (ग) संिेदनहींनता (घ) सहानुभूवत
(14) सोवचए
बताइए
आपको अपावहज होकर कै सा लगता है
कै सा
यानी कै सा लगता हैं
(हम खुद इिारे से बताएाँगे क्रक क्या ऐसा?)
सोवचए
बताइए
थो़िी कोविि कररए
(यह अिसर खो देंगे?)
आप जानते हैं क्रक कायाक्रम रोचक बनाने के िास्ते
हम पूछ-पूछकर उसको रुला देंगे
इंतजार करते हैं आप भी उसके रो प़िने का
करते हैं?
प्रश्न 1. कवि ने दूरदिान के कायाक्रम-संचालकों की क्रकस मानवसकता को उजागर क्रकया हैं?

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(क) उनकी व्यंग्यात्मक िवक्तयों पर (ख)उनकी कोरी व्यािसावयकता पर
(ग) उनकी समझदारी पर (घ) उनकी मानवसक कमजोरी पर
प्रश्न 2. दूरदिान संचालकों द्वारा अपावहज को संकेत में बताने का उद्देश्य क्या हैं?
(क) संचालक संकेत द्वारा अपावहज को बताते हैं क्रक िह अपना अनुभि बताए
(ख)संचालक संकेत द्वारा अपावहज को बताते हैं क्रक िह अपना ददा इस प्रकार बताए जैसा िे चाहते हैं।
(ग) संचालक संकेत द्वारा अपावहज को बताते हैं क्रक िह अपना दैवनक काया कै से करते हैं, िह बताएं
(घ) उपयुाक्त सभी
प्रश्न 3. दूरदिान िाले क्रकस अिसर की प्रतीक्षा में रहते हैं?
(क) अपावहज रो प़िे, ताक्रक उनका कायाक्रम रोचक बन सके । (ख)अपावहज से उर्त्र पाने की आकांक्षा
(ग) अपावहज से इिारा पाने की आकांक्षा (घ) इनमें से कोई नहीं
प्रश्न 4. कायाक्रम को रोचक बनाने के वलए साक्षात्कारकर्त्ाा (मीवर्याकमी) अपावहज को क्या करिाते हैं?
(क) रुला देते हैं (ख)हाँसा देते हैं (ग) नचा देते हैं (घ) गाना गिा देते हैं
प्रश्न 5. दूरदिान कायाक्रम-संचालक अपावहज से क्रकस प्रकार के प्रश्न पूछता है?
(क) अथापूणा (ख)तका संगत (ग) भािपूणा (घ) अथाहीन
(15) क्रफर हम परदे पर क्रदखलाएाँगे
फू ली हुई आाँख की एक ब़िी तसिीर
बहुत ब़िी तसिीर
और उसके होंठों पर एक कसमसाहट भी
( आिा है आप उसे उसकी अपंगता की पी़िा मानेंगे)
एक और कोविि
दिाक
धीरज रवखए
देवखए
हमें दोनों को एक संग रुलाने हैं
आप और िह दोनों
(कै मरा

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बस करो
नहीं हुआ
रहने दो
परदे पर िक्त की कीमत है )
अब मुसकु राएाँगे हम
आप देख रहे थे सामावजक उद्देश्य से युक्त कायाक्रम
(बस थो़िी ही कसर रह गई)
धन्द्यिाद।
प्रश्न 1. कायाक्रम-संचालक परदे पर फू ली हुई आाँख की तसिीर क्यों क्रदखाना चाहता हैं?
(क) िह लोगों को उसके कि के बारे में बढ़ा-चढ़ाकर बता सके । (ख)िह लोगों को उसकी अपंगता क्रदखाना चाहता है।
(ग) िह अपंग व्यवक्त की आाँख क्रदखाना चाहता है। (घ) इनमें से कोई नहीं।
प्रश्न 2. एक और कोविि ‘-इस पंवक्त का क्या तात्पया हैं?
(क) िे अपावहज को रोती मुद्रा में क्रदखाकर अपने कायाक्रम की लोकवप्रयता बढ़ाना चाहते हैं। (ख)िे अपावहज को लेकर एक सफल कायाक्रम बनाना चाहते हैं।
(ग) िे अपावहज के प्रवत सहानुभूवत प्रकट करना चाहते हैं। (घ) उपयुाक्त सभी
प्रश्न 3. संचालक क्रकस बात पर मुसकु राता हैं?
(क) उसे अपने कायाक्रम के पूरा होने की खुिी है। (ख)उसे अपने कायाक्रम के सफल होने की खुिी है।
(ग) उसे अपने कायाक्रम की लोकवप्रयता की खुिी है। (घ) उसे अपने कायाक्रम के पात्र पर गिा है।
प्रश्न 4. अपावहज क्या नहीं बता पाएगा?
(क) अपना सुख (ख)अपना दुःख (ग) अपना सामथ्या (घ) अपनी िवक्त
प्रश्न 5. प्रस्तुतकताा 'बस करो, नहीं हुआ, रहने दो' क्यों कहता है?
(क) अपावहज और दिाक नहीं रोए (ख)प्रस्तुतकताा और दिाक नहीं रोए
(ग) अपावहज और प्रस्तुतकताा नहीं रोए (घ) कै मरा खराब हो गया
उषा- िमिेर बहादुर हसंह
(16) “प्रात नभ था बहुत नीला िंख जैसे
भोर का नभ
राख से लीपा हुआ चौका
(अभी गीला प़िा है )

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बहुत काली वसल ज़रा से लाल के सर
से क्रक जैसे धुल गई हो
स्लेट पर या लाल खव़िया चाक
मल दी हो क्रकसी ने
नील जल में या क्रकसी की
गौर वझलवमल देह
जैसे वहल रही हो।
और .....
जादू टूटता है इस उषा का अब
सूयोदय हो रहा है।”
प्रश्न 1. कवि ने कविता में क्रकन उपमानों का प्रयोग क्रकया है ?
(क) ग्रामीण (ख)िहरी (ग) प्राकृ वतक (घ) पारं पररक
प्रश्न 2. ‘चौका अभी गीला प़िा है’ का क्या अवभप्राय है?
(क) बाररि हुई है (ख)ओस प़िी है (ग) कु हरा प़िा है (घ) बफा प़िी है
प्रश्न 3. उषा का जादू क्या है ?
(क) िंख की ध्िवन (ख)प्रकृ वत का जादू (ग) गााँि की सुन्द्दरता (घ) आकाि में पल-पल पररितान
प्रश्न 4. उषा का जादू कै से टूटता है ?
(क) रात होने पर (ख)भोर होने पर (ग) सूयोदय होने पर (घ) सूयाास्त होने पर
प्रश्न 5. नीले जल में क्रकसी के गौर देह का वहलना कहा गया है-
(क) भोर को (ख)सूयोदय को (ग) आकाि को (घ) मनुष्य को
बादल राग – सूयक
ा ांत वत्रपाठी वनराला
(17) वतरती है समीर-सागर पर
अवस्थर सुख पर दुःख की छाया-
जग के दग्ध हृदय पर
वनदाय विप्लि की प्लावित माया-
यह तेरी रण-तरी
भरी आकांक्षाओं से,

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घन, भेरी-गजान से सजग सुप्त अंकुर
उर में पृथ्िी के , आिाओं से
निजीिन की, ऊाँचा कर वसर,
ताक रहे है, ऐ विप्लि के बादल!

प्रश्न 1 कवि क्रकसका आह्िान कर रहा है?


(क) बादल का (ख) ईश्वर का (ग) रण भूवम का (घ) विप्लि का
प्रश्न 2 ‘यह तेरी रण-तरी, भरी आकांक्षाओं से” पंवक्त का आिय है –
(क) तुमसे आमजन को बहुत अपेक्षाएं है (ख)तुमसे पूजीपवतयों को बहुत अपेक्षाएं है
(ग) अब युद्ध होने िाला है (घ) उपरोक्त सभी
प्रश्न 3 ‘दुःख की छाया’ में अलंकार है ?

(क) उपमा अलंकार (ख)रूपक अलंकार (ग) यमक अलंकार (घ) पुनरुवक्तप्रकाि अलंकार
प्रश्न-4. ‘विप्लि के बादल’ को कौन बुला रहा है ?
(क) सजग सुप्त अंकुर (ख)धनी िगा (ग) दोनों बुला रहे है (घ) दोनों से कोई नहीं
प्रश्न 5. कविता के रचनाकार कौन है?
(क) वनराला जी (ख)अज्ञेय जी (ग) कुं िर नारायण जी (घ) आलोक धन्द्िा जी
(18) अिावलका नहीं है रे
आतंक-भिन,
सदा पंक पर ही होता
जल-विप्लि प्लािन,
क्षुद्र प्रफु ल्ल जलज से
सदा छलकता नीर,
रोग-िोक में भी हाँसता है
िैिि का सुकुमार िरीर।
रुद्ध कोष, है क्षुब्ध तोष,
अंगना-अंग से वलपटे भी
आतंक-अंक पर कााँप रहे हैं

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धनी, िज्र-गजान से, बादल!
त्रस्त नयन-मुख ढााँप रहे है।

प्रश्न -1. ‘अिावलका’ क्रकसका प्रतीक है ?


(क) िोषक िगा का (ख)िोवषत िगा का (ग) दोनों का (घ) दोनों का नहीं
प्रश्न-2. ‘पंक’ िब्द का अथा है–
(क) कमल (ख)कीच़ि (ग) पानी (घ) उपरोक्त सभी
प्रश्न 3 - िैिि का सुकुमार िरीर कब हसता है ?
(क) रोग तथा िोक में (ख)विप्लि के बादल आने पर (ग) सुख तथा प्रसन्नता में (घ) उपरोक्त सभी
प्रश्न 4. आतंक से कौन कांप रहा है –
(क) धनी िगा (ख)वनधान िगा (ग) दोनों (घ) दोनों नहीं
प्रश्न -5 ‘अंगना -अंक’ से क्या आिय है?
(क) आाँगन में (ख)पत्नी के साथ में (ग) धन की गोद में (घ) कोई नहीं
तुलसीदास
(19) “क्रकसबी, क्रकसान-कु ल, बवनक, वभखारी, भाट,
चाकर, चपल नट, चोर, चार, चेटकी।
पेटको पढ़त, गुन गढ़त, चढ़त वगरर,
अटत गहन–गन, अहन अखेटकी।
ऊंचे–नीचे करम, धरम–अधरम करर,
पेट ही को पचत, बचत बेटा–बेटकी।
‘तुलसी’ बुझाई एक राम-घनस्याम ही तें,
आवग ब़ििावगतें ब़िी है आवग पेटकी।”
प्रश्न 1. कवि ने सभी अच्छे-बुरे कायों का मुख्य कारण क्रकसे माना है ?
(क) अविक्षा को (ख)बेरोजगारी को (ग) अधमा को (घ) पेट की आग को
प्रश्न 2. पेट की आग कौन बुझा सकता है?
(क) ज्ञान (ख)जल (ग) राम (घ) अच्छे कमा

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प्रश्न 3. ‘राम-घनस्याम’ में कौन-सा अलंकार है ?
(क) अनुप्रास (ख)उपमा (ग) रूपक (घ) अवतियोवक्त
प्रश्न 4. काव्यांि की भाषा है-
(क) ख़िी वहन्द्दी (ख)अिधी (ग) ब्रज (घ) भोजपुरी
प्रश्न 5. ‘ब़ििावग’ का अथा होगा-
(क) सामान्द्य आग (ख)जंगल की आग (ग) पेट की आग (घ) समुद्र की आग
(20) अधा रावत गइ कवप नहहं आयउ। राम उठाइ अनुज उर लायउ॥
सकहु न दुवखत देवख मोवह काऊ। बंधु सदा ति मृदल ु सुभाऊ॥
मम वहत लावग तजेहु वपतु माता। सहेहु वबवपन वहम आतप बाता॥
सो अनुराग कहााँ अब भाई। उठहु न सुवन मम बच वबकलाई॥
जौं जनतेउाँ बन बंधु वबछोह। वपता बचन मनतेउाँ नहहं ओह॥
सुत वबत नारर भिन पररिारा। होहहं जाहहं जग बारहहं बारा॥
अस वबचारर वजयाँ जागहु ताता। वमलइ न जगत सहोदर भ्राता॥
जथा पंख वबनु खग अवत दीना। मवन वबनु फवन कररबर कर हीना॥
अस मम वजिन बंधु वबनु तोही। जौं ज़ि दैि वजआिै मोही॥
1.राम लक्ष्मण के क्रकस स्िभाि का स्मरण करते हैं?
(क) भाईचारा (ख) कोमल (ग) प्रेममयी (घ) सेिा-भाि
2. राम के अनुसार लक्ष्मण ने उनके वहत के वलए क्या-क्या सहन क्रकया?
(क) जंगल में भूख प्यास, कमज़ोरी (ख) जंगल में सीता हरण, युद्ध, िवक्त
(ग) जंगल में जा़िा, ताप, आाँधी-तूफ़ान (घ) जंगल में कााँटे, जंगली जानिर, कीट-पतंगे
3. इस संदभा में क्रकस क्षवत को राम ने ब़िी क्षवत माना है?
(क) भायाा को खो देना (ख) तात का ना आना (ग) भ्राता को खो देना (घ) कवि का ना आना
4. लक्ष्मण की अनुपवस्थवत में राम को अपना जीिन कै सा प्रतीत होता है?
(क) वनरथाक (ख)अपमावनत (ग) लाचार (घ) कठोर
5. राम यक्रद जानते क्रक िनागमन के क्या पररणाम होंगे, तब िे क्या नहीं करते?
(क) रािण से युद्ध न करते (ख) लक्ष्मण को िन में साथ न लाते (ग) मााँ के िचन का पालन न करते (घ) वपता के िचन का पालन न करते
उमािंकर जोिी – छोटा मेरा खेत / बगुलों के पंख

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(21) छोटा मेरा खेत चौकोना
कागज़ का एक पन्ना,
कोई अंध़ि कहीं से आया
क्षण का बीज बहााँ बोया गया।
कल्पना के रसायनों को पी
बीज गल गया वन:िेष;
िब्द के अंकुर फू टे,
पल्लि-पुष्पों से नवमत हुआ वििेष।

झूमने लगे फल,


रस अलौक्रकक,
अमृत धाराएाँ फु टतीं
रोपाई क्षण की,
कटाई अनंतता की
लुटते रहने से ज़रा भी नहीं कम होती।
रस का अक्षय पात्र सदा का
छोटा मेरा खेत चौकोना।
प्रश्न -1 कवि ने अवभव्यवक्त रूपी बीज क्रकस पर बोया था ?
(क) कागज के पृष्ठ पर (ख)आाँगन में (ग) खेत में (घ) छत पर।
प्रश्न -2. कवि का छोटा खेत क्रकस आकार का था ?
(क) चौकोना (ख)वतकोना (ग) आयताकार (घ) िक्र।
प्रश्न -3. सावहत्य का रसायन क्या है ?
(क) श्रद्धा (ख)स्मान (ग) कल्पना (घ) जल्पना।
प्रश्न -4. लुटते रहने से जरा भी कम क्या नहीं होती?
(क) संपवर्त् (ख)रस धारा (ग) औषवध (घ) पुस्तक।
प्रश्न -5. रस का पात्र कै सा है ?
(क) अक्षय (ख)कमजोर (ग) नीरस (घ) वनन्द्दनीय।
बगुलों के पंख
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(22) नभ में पााँती-बंधे बगुलों के पंख,
चुराए वलए जातीं िे मेरा आाँखे।
कजरारे बादलों की छाई नभ छाया,
तैरती सााँझ की सतेज श्वेत काया
हौले हौले जाती मुझे बााँध वनज माया से।
उसे कोई तवनक रोक रक्खो।
िह तो चुराए वलए जाती मेरी आंखें
नभ में पााँती-बाँधी बगुलों की पााँखें

प्रश्न 1. बगुलों के पंखों का रंग कै सा है ?


(क) काला (ख)नीला (ग) सफे द (घ) मटमैला।
प्रश्न 2. नभ में पंवक्तबद्ध कौन थे ?
(क) हंस (ख)चातक (ग) बगुले (घ) वपक।
प्रश्न 3.नभ में पंवक्तबद्ध बगुलों के पंखों ने कवि की कौन-सी इंक्रद्रय को चुराया ?
(क) कान (ख)आाँख (ग) नावसका (घ) रसना
प्रश्न 4. कविता के रचनाकार कौन है ?
(क) भारत भूषन अग्रिाल (ख)महादेिी िमाा (ग) उमािंकर जोिी (घ) आलोक धन्द्िा
प्रश्न 5. ‘सतेज श्वेत काया’ का अथा है –
(क) तेज मुक्त सफ़े द काया (ख)तेज युक्त सफ़े द काया (ग) तेज युक्त बादामी काया (घ) तेज मुक्त बादामी काया
उर्त्रमाला (परठत पद्यांि पर पांच बहुविकल्पी प्रश्न)
1.1.(ख) 2. (ग) 3. (क) 4 (घ) 5 (ग) 2. 1.(ख) 2. (ग) 3. (ग) 4 (क ) 5 (क) 3.1 (क) 2. (ग) 3 (घ) 4 (ख) 5.(ख)
4 1 (क) 2 (ख) 3 (ग) 4 (घ) 5 (घ) 5 1 (ग) 2 (ग) 3 (घ) 4 (ग) 5 (क) 6 1 (ग) 2 (घ) 3 (ग) 4 (ख) 5 क)
7 1 (क) 2. (ख) 3. (ग) 4. (घ) 5. (क) 8 1 (ख)2. (क) 3 (ग) 4. (ख) 5. (ख) 9 1. (ख) 2. (ख) 3. (ग) 4. (ग) 5. (ग)
10 1.(ख) 2. (क) 3. (ख) 4. (घ) 5 (घ) 11 1. (क) 2. (क) 3 (घ) 4. (घ) 5 . (घ) 12 1. (ग) 2. (क) 3.(घ) 4. (ख) 5. (ग)
13 1. (ख) 2. (ख) 3 .(ग) 4. (घ) 5. ग ) 14 1. (ख) 2. (ख) 3. (क) 4. (क) 5 (घ) 15 1. (क) 2. (क) 3. (ख) 4. (ख) 5. (क)
16 1. (क) 2. (ख) 3. (घ) 4. (ग) 5. (ख) 17 1 (क) 2 (क) 3 (ख) 4 (क) 5. (क) 18 1. (क) 2. (ख) 3. (क) 4 (क) 5 (ख)
19 1. (घ) 2. (ग) 3. (ग) 4. (ग) 5. (घ) 20 1. (ख) 2. (ग) 3. (ग) 4. (क) 5. (घ) 21 1 (क) 2. (क) 3. (ग) 4.(ख) 5. (क)
22 1. (ग) 2. (ग) 3. (ख) 4. (ग) 5. (ख)

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प्रश्न संख्या- 05 आरोह भाग-2 : परठत गद्यांि
परठत गद्यांि पर पांच बहुविकल्पी प्रश्न (1 अंक X 5 प्रश्न)
भवक्तन
(1) भवक्तन के जीिन के दूसरे पररच्छेद में भी सुख की अपेक्षा दुख ही अवधक है। जब उसने गेहुए
ाँ रं ग और बरटया जैसे मुख िाली पहली कन्द्या के दो
संस्करण और कर र्ाले तब सास और वजठावनयों ने ओठ वबचकाकर उपेक्षा प्रकट की। उवचत भी था, क्योंक्रक सास तीन-तीन कमाऊ िीरों की विधात्री बनकर
मवचया के ऊपर विराजमान पुरवखन के पद पर अवभवषक्त हो चुकी थी और दोनों वजठावनयााँ काक-भुिंर्ी जैसे काले लालों की क्रमबद्ध सृवि करके इस पद के वलए
उ्मीदिार थी। छोटी बह के लीक छो़िकर चलने के कारण उसे दंर् वमलना आिश्यक हो गया।
वनम्नवलवखत प्रश्नों के सही विकल्प का चयन कीवजए –
प्रश्न 1. जीिन के दूसरे पररच्छेद से क्या आिय है ?
(क) िैिावहक जीिन (ख)अिैिावहक जीिन (ग) संन्द्यासी जीिन (घ) वमवश्रत जीिन
प्रश्न 2. भवक्तन ने जब पहली कन्द्या के दो संस्करण और कर र्ाले तब सास और वजठावनयों की क्या प्रवतक्रक्रया थी ?
(क) मुस्कु राकर प्रिंसा की (ख)ओठ वबचकाकर उपेक्षा प्रकट की (ग) ओठ वबचकाकर अपेक्षा प्रकट की (घ) खुिी से नाचने लगी
प्रश्न 3.कथन - भवक्तन के पुत्र न होने पर उसके सास द्वारा उपेक्षा प्रकट की गई।
कारण- िह स्ियं तीन पुत्रों को जन्द्म दे चुकी थी।
(क) कथन सही है, कारण गलत (ख)कथन गलत है, कारण सही (ग) कथन और कारण दोनों सही है (घ) कथन और कारण दोनों गलत है
प्रश्न 4. लीक छो़िकर चलने से क्या अवभप्राय है?
(क) पुरानी परं परा पर चलना (ख)नए तरीके को छो़िकर पुराने पर चलना
(ग) सभी के साथ वमलकर चलना (घ) पुरातन तरीके से अलग हटकर नए तरीके से चलना
प्रश्न 5. सास के बाद पुरवखन के पद पर अवभवषक्त होने की कौन उ्मीदिार थी ?
(क) भवक्तन (ख)भवक्तन की पुवत्रयााँ (ग) भवक्तन की वजठावनयााँ (घ) कोई भी नहीं
(2) सेिक-धमा में हनुमान जी से स्पधाा करने िाली भवक्तन क्रकसी अंजना की पुत्री न होकर एक अनामधन्द्या गोपावलका की कन्द्या है - नाम है लछवमन
अथाात लक्ष्मी। पर जैसे मेरे नाम की वििालता मेरे वलए दुिाह है, िैसे ही लक्ष्मी की समृवद्ध भवक्तन के कपाल की कुं वचत रे खाओं में नहीं बंध सकी। िैसे तो जीिन में
प्राय: सभी को अपने-अपने नाम का विरोधाभास लेकर जीना प़िता है, पर भवक्तन बहुत समझदार है, क्योंक्रक िह अपना समृवद्ध-सूचक नाम क्रकसी को बताती नहीं।
के िल जब नौकरी की खोज में आई थी, तब ईमानदारी का पररचय देने के वलए उसने िेष इवतिृत के साथ यह भी बता क्रदया, पर इस प्राथाना के साथ क्रक मैं कभी
इस नाम का उपयोग ना करूाँ। उपनाम रखने की प्रवतभा होती तो मैं सबसे पहले उसका प्रयोग अपने ऊपर करती, इस तथ्य को िह देहावतन क्या जाने, इसी से जब
मैंने कं ठी माला देख कर उसका नया नामकरण क्रकया तब िह भवक्तन जैसे कवित्िहीन नाम को पाकर भी गदगद हो उठी।

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वनम्नवलवखत प्रश्नों के सही विकल्प का चयन कीवजए –
प्रश्न 1. लेवखका ने भवक्तन नाम को कवित्िहीन क्यों कहा है ?
(क) भवक्तन नाम कविता का प्रतीक है (ख)सादगी ि सरलता का बोध करता है (ग) भवक्तन आपसी प्रेम का प्रतीक है (घ) इनमें से कोई नहीं
प्रश्न 2. लेवखका ने भवक्तन की सेिा भाि की तुलना क्रकस से की है ?
(क) हनुमान से (ख)अंजना से (ग) लक्ष्मी से (घ) इनमे से कोई नहीं
प्रश्न 3. लेवखका ने अपने नाम को दुिाह क्यों कहा है ?
(क) लेवखका के पास धन संपवर्त् नहीं है (ख)लेवखका अपने को नाम से भी बढ़ा मानती है
(ग) लेवखका अपने को देिीय नाम के योग्य नहीं मानती (घ) इनमे से कोई नहीं
प्रश्न 4. भवक्तन पाठ की रचनाकार है ?
(क) लक्ष्मी (ख)भवक्तन (ग) कृ ष्णा सोबती (घ) महादेिी
प्रश्न 5. लक्ष्मी को भवक्तन नाम देने का आधार रहा है -
(क) भवक्तन ईमानदार है (ख)भवक्तन के पास धन था (ग) गले में कं ठी माला देख कर (घ) ये सभी।
(3) भवक्तन और मेरे बीच सेिक-स्िामी का संबंध है, यह कहना करठन है; क्योंक्रक ऐसा कोई स्िामी नहीं हो सकता, जो इच्छा होने पर भी सेिक को अपनी
सेिा से हटा न सके और ऐसा कोई सेिक भी नहीं सुना गया, जो स्िामी के चले जाने का आदेि पाकर अिज्ञा से हाँस दे। भवक्तन को नौकर कहना उतना ही
असंगत है, वजतना अपने घर में बारी-बारी से आने-जाने िाले अंधेरे-उजाले और आाँगन में फू लने िाले गुलाब और आम को सेिक मानना। िे वजस प्रकार एक
अवस्तत्ि रखते हैं, वजसे साथाकता देने के वलए ही हमें सुख-दुख देते हैं, उसी प्रकार भवक्तन का स्ितंत्र अवस्तत्ि अपने विकास के पररचय के वलए ही मेरे जीिन को
घेरे हुए है।
वनम्नवलवखत प्रश्नों के सही विकल्प का चयन कीवजए –
प्रश्न 1. लेवखका को भवक्तन और अपने बीच सेिक –स्िामी का संबंध मानने में क्या करठनाई है?
(क) लेवखका भवक्तन को चाह कर भी सेिा से हटा नहीं सकती (ख)भवक्तन लेवखका के आदेि को पाकर भी स्िीकार नहीं करती
(ग) अ और ब दोनों सही है (घ) इनमे से कोई नहीं
प्रश्न 2. भवक्तन पाठ गद्य की विधा है ?
(क) यात्रा िृतांत (ख)संस्मरणात्मक रे खावचत्र (ग) वनबंध (घ) आलोचना
प्रश्न 3. ‘जो स्िामी के चले जाने का आदेि पाकर अिज्ञा से हाँस दे’ आिय है ?
(क) जानबूझकर हाँसना (ख)स्िामी को रो-रोकर मना लेना (ग) भवक्तन कठोर बात को भी हाँसकर टाल देती है (घ) इनमे से कोई नहीं

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प्रश्न 4. लेवखका ने भवक्तन के अवस्तत्ि को क्रकस तरह स्िीकारा है?
(क) लेवखका भवक्तन के व्यवक्तत्ि से स्ियं को वघरा हुआ अनुभि करती है (ख)भवक्तन लेवखका के जीिन का अवभन्न अंग है
(ग) अ और ब दोनों सही है (घ) इनमे से कोई नहीं।
प्रश्न 5. भवक्तन को नौकर कहना लेवखका ने असंगत क्यों माना है ?
(क) भवक्तन चोरी करती थी (ख)भवक्तन अनपढ़ है (ग) भवक्तन लेवखका के जीिन का अवभन्न अंग है (घ) इनमे से कोई नहीं।
बाजार दिान
(4) बाज़ार में एक जादू है। िह जादू आाँख की राह काम करता है। िह रूप का जादू है पर जैसे चुंबक का जादू लोहे पर ही चलता है , िैसे ही इस जादू की
भी मयाादा है। जेब भरी हो, और मान खाली हो, ऐसी हालत में जादू का असर खूब होता है। जेब खाली पर मन भरा न हो, तो भी जादू चल जाएगा। मन खाली है
तो बाज़ार की अनेकानेक चीजों का वनमंत्रण उस तक पहुाँच जाएगा। कहीं हुई उस िक्त जेब भरी तब तो क्रफर िह मन क्रकसकी मानने िाला है। मालू म होता है यह
भी लूाँ, िह भी लूाँ। सभी सामान जरूरी और आराम को बढ़ाने िाला मालूम होता है। पर यह सब जादू का असर है।
वनम्नवलवखत प्रश्नों के सही विकल्प का चयन कीवजए –
प्रश्न 1. क्रकसका जादू आाँख की राह काम करता है?
(क) जादूगर का (ख)बंगाल का (ग) बाज़ार का (घ) काला जादू
प्रश्न 2. उपयुाक्त गद्यांि का मुख्य प्रशतपछद्य (उद्देश्य) क्या हो सकता है?
(क) बाज़ार के उपयोग का वििेचन (ख)बाज़ार से लाभ (ग) बाज़ार न जाने की सलाह (घ) बाज़ार जाने की सलाह
प्रश्न 3. बाज़ार का सामान जरूरी और आराम को बढ़ाने िाला मालूम होता है। कारण है?
(क) लालच के कारण (ख)मोह के कारण (ग) बाज़ार के जादू के कारण (घ) व्यवक्त के कारण
प्रश्न 4. आप को क्रकस वस्थवत में बाज़ार जाना चावहए?
(क) जब मन खाली हो (ख)जब मन खाली न हो (ग) जब मन बंद हो (घ) जब मन में नकार हो
प्रश्न 5 - ग्राहक पर बाज़ार के जादू का प्रभाि प़िने का कारण है?
(क) ग्राहक का मन खाली होना (ख)ग्राहक का मन भरा हुआ होना (ग) ग्राहक के साथ उसकी पत्नी होना (घ) ग्राहक गरीब होना
(5) पर उस जादू की जक़ि से बचने का एक सीधा-सा उपाय है। िह यह क्रक बाजार जाओ तो खाली मन न हो। मन खाली हो, तब बाजार न जाओ। कहते
हैं लू में जाना हो तो पानी पीकर जाना चावहए। पानी भीतर हो, लू का लूपन व्यथा हो जाता है। मन लक्ष्य में भरा हो तो बाजार भी फै ला-का-फै ला ही रह जाएगा।
तब िह घाि वबलकु ल नहीं दे सके गा , बवल्क कु छ आनंद ही देगा। तब बाजार तुमसे कृ ताथा होगा, क्योंक्रक तुम कु छ-न-कु छ सच्चा लाभ उसे दोगे। बाजार की असली
कृ ताथाता है आिश्यकता के समय काम आना।
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प्रश्न 1. बाजार जाते समय बाजार के जादू की पक़ि से बचने का सीधा-सा उपाय क्या हैं ?
(क) मन खाली न हो (ख)मन ररक्त हो (ग) मन भारी हो (घ) मन बोवझल हो
प्रश्न 2. मनुष्य को मन खाली होने पर बाजार क्यों नहीं जाना चावहए ?
(क) बाजार की जक़ि में आने के शिए (ख)बाजार की चकाचौंध से बचने के वलए (ग) बाजार खाली होता है (घ) बाज़ार खाली लगता है
प्रश्न 3. बाजार कब फै ला का फै ला रह जाएगा ?
(क) मन में लक्ष्य होने से (ख)मन का खाली होने से (ग) मन िून्द्य होने पर (घ) जेब खाली होने पर
प्रश्न 4. बाजार की साथाकता क्रकसमें है?
(क) लोगों की खरीदारी करने में (ख)लोगों की आिश्यकता पूरी करने में (ग) उत्कृ ि चीजें वमलने में (घ) उपयुाक्त सभी
प्रश्न 5. बाजार से कब असली आनंद वमलता हैं ?
(क) जब ग्राहक के मन में कोई लक्ष्य नहीं होता (ख)जब ग्राहक के मन में लक्ष्य वनवित होता है
(ग) जब आरामदायक िस्तुएं वमले (घ) कोई भी नहीं
काले मेघा पानी दे
(6) एक बात देखी है क्रक अगर तीस - चालीस मन गेहाँ उगाना है तो क्रकसान पााँच - छह से अच्छा गेहाँ अपने पास से लेकर जमीन में क्याररयााँ बनाकर फें क
देता है। उसे बुिाई कहते हैं। यह जो सूखे हम अपने घर का पानी इन पर फें कते हैं िह भी बुिाई है। यह पानी गली में बोएाँगे तो सारे िहर, कस्बा, गााँि पर पानी
िाले बादलों की फसल आ जाएगी। हम बीज बनाकर पानी देते हैं, क्रफर काले मेघा से पानी मााँगते हैं। सब ऋवष-मुवन कह गए हैं क्रक पहले खुद दो तब देिता तु्हें
चौगुना-अठगुना करके लौटाएाँगे भइया, यह तो हर आदमी का आचरण है , वजससे सबका आचरण बनता है। यथा राजा तथा प्रजा वसफा यही सच नहीं है। सच यह
भी है क्रक यथा प्रजा तथा राजा। यही तो गांधी जी महाराज कहते हैं।
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प्रश्न 1. क्रकसान के उदाहरण मे लेखक का आिय है?
(क) त्याग के वलए कु छ प्राप्त करना (ख)कु छ प्रावप्त के वलए त्याग करना (ग) क्रकसान की इच्छा, कु छ भी पहले करे (घ) त्याग ब़िा है, प्रावप्त से
प्रश्न 2. ‘पहले खुद दो तब देिता तु्हें चौगुना-अठगुना करके लौटाएाँगे’ – कथन में भारतीय-संस्कृ वत की कौन-सी वििेषता वनवहत है?
(क) 'ईिािास्यवमदं सिाम् ' अथाात् ईश्वर हर जगह है (ख)'चरै िेवत' अथाात् चलते रहो, कमा करते रहो
(ग) 'तेन त्यक्ते न भुञ्जीथा' अथाात् िंयम के िछथ भोग करो (घ) 'यथा राजा तथा प्रजा' अथाात् प्रजा राजा का अनुसरण करती है
प्रश्न 3. उपयुाक्त गद्यांि क्रकसका कथन है ?
(क) लेखक का (ख)जीजी का (ग) ऋवष-मुवनयों का (घ)कोई भी नहीं

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प्रश्न 4. यथा राजा तथा प्रजा' इससे लेखक का क्या अवभप्राय है?
(क) जैसा राजा िैसी प्रजा (ख)प्रजा राजा का अनुकरण करती है
(ग) लोकतंत्र में बेईमान प्रजा बेईमान को िासन सौंपती है (घ) जनता हमेिा जनादान होती है
प्रश्न 5. पानी को गली में बोने से अवभप्राय है ?
(क) पानी के व्यथा में मेंढक मंर्ली पर फें कना (ख)पानी का स्ियं उपयोग न करना
(ग) पानी का अवधक महत्त्िपूणा न होना (घ) पानी का दान करना
(7) लेक्रकन इस बार मैंने साफ इनकार कर क्रदया। नहीं फें कना है मुझे बाल्टी भर-भर कर पानी इस गंदी मेंढक मंर्ली पर। जब जीजी बाल्टी भर कर पानी
ले गई उनके बूढ़े पााँि उगमगा रहे थे, हाथ कााँप रहे थे, तब भी मैं अलग मुाँह फु लाए ख़िा रहा। िाम को उन्द्होंने लड्र्ू मठरी खाने को क्रदए तो मैंने उन्द्हें हाथ से
अलग वखसका क्रदया। मुाँह फे रकर बैठ गया, जीजी से बोला भी नहीं। पहले िे भी तमतमाई, लेक्रकन ज्यादा देर तक उनसे गुस्सा नहीं रह गया। पास आ कर मेरा सर
अपनी गोद में लेकर बोली, " देख भइया रूठ मत। मेरी बात सुन। यह सब अंधविश्वास नहीं है। हम इन्द्हें पानी नहीं देंगे तो इंद्र भगिान हमें पानी कै से देंगे ?" मैं कु छ
नहीं बोला। क्रफर जीजी बोलीं। "तू इसे पानी की बरबादी समझता है पर यह बरबादी नहीं है। यह पानी का अर्घया चढ़ाते हैं, जो चीज मनुष्य पाना चाहता है उसे
पहले देगा नहीं तो पाएगा कै से? इसीवलए ऋवष-मुवनयों ने दान को सबसे ऊाँचा स्थान क्रदया है।
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प्रश्न 1. लेखक ने साफ इनकार क्यों कर क्रदया?
(क) क्योंक्रक िह अंधविश्वासी था (ख)क्योंक्रक उसे उछलना कू दना पसंद नहीं था
(ग) क्योंक्रक िह इन सब बातों को अंधविश्वास मानता था (घ) क्योंक्रक िह जीजी से गुस्सा था
प्रश्न 2. लेखक अपनी जीजी से क्यों रूठा ?
(क) उसके अनुसार इंद्रसेना पर पानी र्ालना पाखंर् था (ख)उसकी जीजी इस ररिाज पर आस्था रखती थी
(ग) लेखक जीजी से इंद्रसेना पर पानी र्लिाना चाहता था (घ) जीजी की इच्छा थी क्रक लेखक इंद्रसेना पर अपने हाथ से पानी र्ाले
प्रश्न 3. लेखक के गाल फु लाने पर जीजी की प्रवतक्रक्रया ि उसके सही कारण को पहचाने?
(क) पहले क्रोध क्रकया, क्रफर समझाया क्योंक्रक िह चाहती थी क्रक लेखक भी इंद्रसेना के महत्त्ि को समझे
(ख)लेखक के कहने पर ध्यान नहीं क्रदया क्योंक्रक िह सोच रही थी क्रक इसी तरह इसकी बुवद्ध रठकाने आएगी
(ग) उसे क्रोध करते हुए समझाया क्योंक्रक िह कठोरता के वबना नहीं समझ रहा था
(घ) उपयुाक्त में से कोई नहीं
प्रश्न 4. नीचे लेखक ि जीजी के विचार क्रदए हैं, कौन -सा मतभेद नहीं है?

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(क) लेखक इन्द्द्रसेना पर पानी र्ालने को अंधविश्वास समझता है, जीजी नहीं (ख)जीजी इंद्रसेना पर पानी र्ालने को जलदान समझती है, लेखक नहीं
(ग) लेखक ऋवष-मुवनयों को महत्त्ि नहीं देता, जीजी देती है (घ) लेखक पानी फें कने को बरबादी मानता है, जीजी नहीं मानती
प्रश्न 5. क्रदए गए तकों में से कौन-सा जीजी का तका नहीं है?
(क) जल चढ़ाना अर्घयादान है (ख)जल के दान को पाकर देिता कई गुना देते हैं
(ग) खेत में बीज फें कने से देिता खुि होते हैं (घ) बादलों के प्रवत दान करने से िषाा होती है
पहलिान की ढोलक

(8) एक बार िह ‘दंगल’ देखने श्यामनगर मेला गया। पहलिानों की कु श्ती और दााँि-पेंच देखकर उससे नहीं रहा गया। जिानी की मस्ती और ढोल की
ललकारती हुई आिाज ने उसकी नसों में वबजली उत्पन्न कर दी। उसने वबना कु छ सोचे-समझे दंगल में ‘िेर के बच्चे’ को चुनौती दे दी। ‘िेर के बच्चे’ का असल नाम था
चााँद हसंह। िह अपने गुरु पहलिान बादल हसंह के साथ पंजाब से पहले-पहल श्यामनगर मेले में आया था। सुंदर जिान, अंग-प्रत्यंग से सुंदरता टपक प़िती थी। तीन
क्रदनों में ही पंजाबी और पठान पहलिानों के वगरोह के अपनी जो़िी और उम्र के सभी पट्ठों को पछा़िकर उसने ‘िेर के बच्चे’ की टायरटल प्राप्त कर ली थी। इसवलए
िह दंगल के मैदान में लैंगोट लगाकर एक अजीब क्रकलकारी भरकर छोटी दुलकी लगाया करता था। देिी नौजिान पहलिान उससे ल़िने की कल्पना से भी घबराते
थे। अपनी टायरटल को सत्य प्रमावणत करने के वलए ही चााँद हसंह बीच-बीच में दहा़िता क्रफरता था।
वनम्नवलवखत प्रश्नों के सही विकल्प का चयन कीवजए –
प्रश्न 1. प्रथम पंवक्त में ‘िह’ कौन है?
(क) चााँद हसंह (ख)बादल हसंह (ग) लुिन हसंह (घ) िेर का बच्चा
प्रश्न 2.लुिन को कु श्ती की प्रेरणा क्रकससे वमली?
(क) दिाकों से (ख)ढोल से (ग) भाइयों से (घ) गुरु से
प्रश्न 3. ‘वबजली उत्पन्न होना’ मुहािरे का आिय है?
(क) वबजली का उत्पादन होना (ख)जोि आना (ग) उजाला होना (घ) उपयुाक्त सभी
प्रश्न 4. िेर के बच्चे की टायटल क्रकसने प्राप्त की?
(क) चााँद हसंह (ख)बादल हसंह (ग) लुिन हसंह (घ) कोई नहीं
प्रश्न 5. चााँद हसंह अपने टायरटल को सत्य प्रमावणत करने के वलए क्या करता था?
(क) िेर की तरह दहा़िता था (ख)छोटी दुलकी लगाया करता था (ग) िेर जैसा ल़िता था (घ) सभी कथन सत्य है
(9) उस क्रदन पहलिान ने राजा श्यामानंद की दी हुई रे िमी जााँवघया पहन ली। सारे िरीर में वमिी मलकर थो़िी कसरत की, क्रफर दोनों पुत्रों को कं धों पर
लादकर नदी में बहा आया। लोगों ने सुना तो दंग रह गए। क्रकतनों की वह्मत टूट गई। ककं तु , रात में क्रफर पहलिान की ढोलक की आिाज प्रवतक्रदन की भााँवत सुनाई

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प़िी। लोगों की वह्मत दुगुनी बढ़ गई। संतप्त वपता-माताओं ने कहा-‘दोनों पहलिान बेटे मर गए, पर पहलिान की वह्मत तो देखो, र्ेढ़ हाथ का कलेजा है!” चार-
पााँच क्रदनों के बाद। एक रात को ढोलक की आिाज नहीं सुनाई प़िी। ढोलक नहीं बोली। पहलिान के कु छ क्रदलेर , ककं तु रुग्ण विष्यों ने प्रात:काल जाकर देखा-
पहलिान की लाि ‘वचत’ प़िी है। आाँसू पोंछते हुए एक ने कहा-‘गुरु जी कहा करते थे क्रक जब मैं मर जाऊाँ तो वचता पर मुझे वचत नहीं, पेट के बल सुलाना। मैं
हजंदगी में कभी ‘वचत ‘नहीं हुआ। और वचता सुलगाने के समय ढोलक बजा देना।’ िह आगे बोल नहीं सका।
वनम्नवलवखत प्रश्नों के सही विकल्प का चयन कीवजए –
प्रश्न 1. पहलिान ने अपने बच्चों का अंवतम संस्कार कै से क्रकया ?
(क) वचता जलाकर (ख)नदी में बहाकर (ग) जमीन में गा़िकर (घ) ढोलक बजाकर
प्रश्न 2. लोग पहलिान की क्रकस बात पर हैरान थे?
(क) जब उसने रे िमी जांवघया पहनी (ख)जब उसने पुत्रों की लािों को अके ले नदी में बहा क्रदया
(ग) जब उसने पुत्रों की मृत्यु के बाद भी ढोलक बजाई (घ) जब उसकी मृत्यु हो गई
प्रश्न 3. पहलिान की ढोलक बजनी बद क्यों हो गई?
(क) पहलिान की ढोलक बजाने की इच्छा िवक्त समाप्त हो गई (ख)ढोलक घुम हो गई थी
(ग) क्योंक्रक अब िह राज पहलिान नहीं रहा (घ) क्योंक्रक उसकी मृत्यु हो गई थी
प्रश्न 4. पहलिान की अंवतम इच्छा क्या थी?
(क) मरने पर वचता पर मुझे वचत नहीं सुलाना (ख)वचता सुलगाने के समय ढोलक बजा देना
(ग) पेट के बल सुलाना (घ) उपयुाक्त सभी
प्रश्न 5. पहलिान के विष्यों की वििेषता बताइए
(क) विष्य बीमार और क्रदलेर थे (ख)विष्य स्िस्थ और क्रदलेर थे
(ग) विष्य बीमार और र्रपोक थे (घ) विष्य स्िस्थ थे पर र्रपोक थे
विरीष के फू ल
(10) जहााँ बैठ के यह लेख वलख रहा हाँ उसके आगे-पीछे, दायें-बायें, विरीष के अनेक पे़ि हैं। जेठ की जलती धूप में, जबक्रक धररत्री वनधूम अविकुं र् बनी हुई
थी, विरीष नीचे से ऊपर तक फू लों से लद गया था। कम फू ल इस प्रकार की गरमी में फू ल सकने की वह्मत करते हैं। कर्णाकार और आरग्िध (अमलतास) की बात
मैं भूल नहीं रहा हाँ। िे भी आस-पास बहुत हैं। लेक्रकन विरीष के साथ आरग्िध की तुलना नहीं की जा सकती। िह पंद्रह-बीस क्रदन के वलए फू लता है, िसंत ऋतु के
पलाि की भााँवत। कबीरदास को इस तरह पंद्रह क्रदन के वलए लहक उठना पसंद नहीं था। यह भी क्या क्रक दस क्रदन फू ले और क्रफर खंख़ि-के -खंख़ि-‘क्रदन दस फू ला

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फू वलके , खंख़ि भया पलास!’ ऐसे दुमदारों से तो लंर्ूरे भले। फू ल है विरीष। िसंत के आगमन के साथ लहक उठता है, आषाढ़ तक जो वनवित रूप से मस्त बना
रहता है। मन रम गया तो भरे भादों में भी वनघाात फू लता रहता है।
वनम्नवलवखत प्रश्नों के सही विकल्प का चयन कीवजए –
प्रश्न 1. लेखक जहााँ बैठकर वलख रहे हैं, िहााँ कै सा िातािरण हैं?
(क) विरीष के पे़ि हररयाली से लहक रहे हैं (ख)धरती वबना धुएं का अविकुं र् बनी हुई है
(ग) विकल्प क और ख सही है (घ) विकल्प क और ख गलत है
प्रश्न 2. लेखक विरीष के फू ल की क्या वििेषता बताता हैं?
(क) पूरे समय वखलता रहता है (ख)सबसे ज्यादा खुिबू देता है (ग) आषाढ और भादो तक वखलता है (घ) कोई नहीं
प्रश्न 3. ‘िह पंद्रह-बीस क्रदन के वलए फू लता है, िसंत ऋतु के पलाि की भााँवत’- पंवक्त में ‘िह’ क्रकसके वलए प्रयुक्त हुआ है ?
(क) विरीष के वलए (ख)पलाि के वलए (ग) अमलताि के वलए (घ) आरिग्ध के वलए
प्रश्न 4. क्रकसे पन्द्द्रह क्रदन के वलए लहकना पसंद नहीं था?
(क) हजारी प्रसाद वद्विेदी (ख)कबीरदास (ग) कावलदास (घ) तुलसीदास
प्रश्न 5. विरीष क्रकस ऋतु में लहकता है ?
(क) िीत (ख)ग्रीष्म (ग) िषाा (घ) पतझ़ि
(11) एक-एक बार मुझे मालूम होता है क्रक यह विरीष एक अद्भुत अिधूत है। दुख हो या सुख, िह हार नहीं मानता। न ऊधो का लेना, न माधो का देना।
जब धरती और आसमान जलते रहते हैं, तब भी यह हजरत न जाने कहााँ से अपना रस खींचते रहते हैं। मौज में आठों याम मस्त रहते हैं। एक िनस्पवतिास्त्री ने मुझे
बताया है क्रक यह उस श्रेणी का पे़ि है जो िायुमंर्ल से अपना रस खींचता है। जरूर खींचता होगा। नहीं तो भयंकर लू के समय इतने कोमल तंतज
ु ाल और ऐसे
सुकुमार के सर को कै से उगा सकता था? अिधूतों के मुाँह से ही संसार की सबसे सरस रचनाएाँ वनकली हैं। कबीर बहुत-कु छ इस विरीष के समान ही थे, मस्त और
बेपरिाह, पर सरस और मादक। कावलदास भी जरूर अनासक्त योगी रहे होंगे। विरीष के फू ल फक्क़िाना मस्ती से ही उपज सकते हैं और ‘मेघदूत’ का काव्य उसी
प्रकार के अनासक्त अनाविल उन्द्मुक्त हृदय में उम़ि सकता है। जो कवि अनासक्त नहीं रह सका, जो फक्क़ि नहीं बन सका, जो क्रकए-कराए का लेखा-जोखा वमलाने में
उलझ गया, िह भी क्या कवि है?
वनम्नवलवखत प्रश्नों के सही विकल्प का चयन कीवजए –
प्रश्न 1. लेखक ने विरीष को क्या संज्ञा दी है ?
(क) अिधूत (ख)मुक्त हृदय (ग) फक्क़ि (घ) मस्तमौला

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प्रश्न 2. ‘अिधूतों के मुाँह से ही संसार की सबसे सरस रचनाएाँ वनकली हैं” यहााँ क्रकसकी और संकेत क्रकया गया?
(क) कबीरदास (ख)कावलदास (ग) तुलसीदास (घ) सभी
प्रश्न 3. ‘मस्त और बेपरिाह, पर सरस और मादक’- लेखक ने क्रकसकी वििेषताएाँ बताई है ?
(क) कावलदास (ख)कबीरदास (ग) तुलसीदास (घ) सभी
प्रश्न 4. िनस्पवतिास्त्री ने लेखक को क्या बताया था ?
(क) विरीष िायुमंर्ल से अपना रस खींचता है (ख)विरीष दुख हो या सुख, हार नहीं मानता
(ग) जो कवि अनासक्त नहीं रह सका, जो फक्क़ि नहीं बन सका (घ) कबीर बहुत-कु छ इस विरीष के समान ही थे
प्रश्न 5. ‘अपने काम से काम रखना’ - क्रकस उवक्त का अथा है ?
(क) आठों याम मस्त रहना (ख)अनासक्त अनाविल उन्द्मुक्त हृदय
(ग) न ऊधो का लेना, न माधो का देना (घ) फक्क़िाना मस्ती
श्रम विभाजन और जावत प्रथा
(12) जावत-प्रथा पेिे का दोषपूणा पूिावनधाारण ही नहीं करती बवल्क मनुष्य को जीिन-भर के वलए एक पेिे में बााँध भी देती है। भले ही पेिा अनुपयुक्त या
अपयााप्त होने के कारण िह भूखों मर जाए। आधुवनक युग में यह वस्थवत प्राय: आती है, क्योंक्रक उद्योग-धंधों की प्रक्रक्रया ि तकनीक में वनरंतर विकास और कभी-
कभी अकस्मात पररितान हो जाता है, वजसके कारण मनुष्य को अपना पेिा बदलने की आिश्यकता प़ि सकती है और यक्रद प्रवतकू ल पररवस्थवतयों में भी मनुष्य को
अपना पेिा बदलने की स्ितंत्रता न हो तो इसके वलए भूखों मरने के अलािा क्या चारा रह जाता है? हहंद ू धमा की जावत-प्रथा क्रकसी भी व्यवक्त को ऐसा पेिा चुनने
की अनुमवत नहीं देती है, जो उसका पैतृक पेिा न हो, भले ही िह उसमें पारं गत हो। इस प्रकार पेिा-पररितान की अनुमवत न देकर जावत-प्रथा भारत में बेरोजगारी
का एक प्रमुख ि प्रत्यक्ष कारण बनी हुई है।
वनम्नवलवखत प्रश्नों के सही विकल्प का चयन कीवजए –
प्रश्न 1. जावत-प्रथा पेिे का पूिा वनधाारण करती हैं। इसका क्या पररणाम नहीं होता है?
(क) बेरोजगार बढ़ जाती है (ख)भूखे मरने की नौबत आ जाती है (ग) लोग पेिे में पारं गत हो जाते हैं (घ) अकु िलता बढती है
प्रश्न 2. आधुवनक युग में पेिा बदलने की जरूरत क्यों प़िती हैं?
(क) तकनीक और उद्योग-धंधों में बदलाि के कारण (ख)बेरोजगारी के कारण (ग) स्िेच्छा के कारण (घ) उपयुाक्त सभी कारण
प्रश्न 3. पेिा बदलने की स्ितंत्रता न होने से क्या पररणाम होता हैं?
(क) बेरोजगार बढ़ जाती है (ख)भूखे मरने की नौबत आ जाती है (ग) काया को टालु प्रिृवर्त् बढती है (घ) उपयुाक्त सभी
प्रश्न 4. वहन्द्द ू धमा में जावत प्रथा की क्या वस्थवत है ?

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(क) हहंद ू धमा में जावत-प्रथा दूवषत है। (ख)िह क्रकसी भी व्यवक्त को पेिा चुनने की आजादी नहीं देती
(ग) विकल्प क और ख सही है (घ) विकल्प क और ख गलत है
प्रश्न 5. उपयुाक्त गद्यांि के पाठ के लेखक कौन हैं?
(क) पंवर्त जिाहरलाल नेहरु (ख)बाबा साहेब आंबेर्कर (ग) महात्मा गााँधी (घ) हजारी प्रसाद वद्विेदी
मेरी कल्पना का आदिा समाज

(13) क्रफर मेरी दृवि में आदिा समाज क्या है? ठीक है, यक्रद ऐसा पूछेगे, तो मेरा उर्त्र होगा क्रक मेरा आदिा समाज स्ितंत्रता, समता, भ्रातृता पर आधाररत
होगा? क्या यह ठीक नहीं है, भ्रातृता अथाात भाईचारे में क्रकसी को क्या आपवर्त् हो सकती है? क्रकसी भी आदिा समाज में इतनी गवतिीलता होनी चावहए वजससे
कोई भी िांवछत पररितान समाज के एक छोर से दूसरे तक संचाररत हो सके । ऐसे समाज के बहुविवध वहतों में सबका भाग होना चावहए तथा सबको उनकी रक्षा के
प्रवत सजग रहना चावहए। सामावजक जीिन में अबाध संपका के अनेक साधन ि अिसर उपलब्ध रहने चावहए। तात्पया यह क्रक दूध -पानी के वमश्रण की तरह
भाईचारे का यही िास्तविक रूप है, और इसी का दूसरा नाम लोकतंत्र है।
वनम्नवलवखत प्रश्नों के सही विकल्प का चयन कीवजए –
प्रश्न 1. लेखक ने क्रकन वििेषताओं को आदिा समाज की धुरी माना हैं ?
(क) स्ितंत्रता (ख)भातृता (ग) समता (घ) उपयुाक्त सभी
प्रश्न 2. भ्रातृता के स्िरूप की वििेषता नहीं है
(क) दूध-पानी का वमश्रण (ख)सबकी रक्षा के प्रवत सजग (ग) भाई-भतीजािाद (घ) बहुविवध वहतों में सबका भाग
प्रश्न 3. अबाध संपका ‘ से लेखक का क्या अवभप्राय है ?
(क) बाधा रवहत के संपका (ख)बाधा सवहत के संपका (ग) अबोध संपका (घ) कोई नहीं
प्रश्न 4. ‘िांवछत’ िब्द का विलोम िब्द है ?
(क) इवच्छत (ख)अिांवछत (ग) वबना इच्छा के (घ) स्िेच्छा
प्रश्न 4. ‘लोकतंत्र’ िब्द का समास विग्रह है ?
(क) लोक का तंत्र (ख)लोक में तंत्र (ग) लोक से तंत्र (घ) लोक के वलए तंत्र
(14) मेरे द्वारा जावत-प्रथा की आलोचना सुनकर आप लोग मुझसे यह प्रश्न पूछना चाहेंगे क्रक यक्रद मै जावतयों के विरुद्ध हाँ तो क्रफर मेरी दृवि में आदिा –
समाज क्या है ? ठीक है ,यक्रद ऐसा पूछेंगे तो मेरा उर्त्र होगा क्रक मेरा आदिा-समाज स्ितन्द्त्रता, समता, भ्रातृता पर आधाररत होगा। क्या यह ठीक नहीं है, भ्रातृता
अथाात भाईचारे में क्रकसी को क्या आपवर्त् हो सकती है ? क्रकसी भी आदिा-समाज में इतनी गवतिीलता होनी चावहए वजससे कोई भी िांवछत पररितान समाज के

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एक छोर से दूसरे छोर तक संचाररत हो सके । ऐसे समाज के बहुविवध वहतों में सबका भाग होना चावहए तथा सबको उनकी रक्षा के प्रवत सजग रहना चावहए।
सामावजक जीिन में अबाध संपका के अनेक साधन ि अिसर उपलब्ध रहने चावहए। तात्पया यह क्रक दूध पानी के वमश्रण की तरह भाईचारे का यही िास्तविक रूप
है, और इसी का दूसरा नाम लोकतन्द्त्र है।क्योंक्रक लोकतन्द्त्र के िल िासन की एक पद्धवत ही नहीं है, लोकतन्द्त्र मूलतः सामूवहक जीिनचयाा की एक रीवत तथा
समाज के सव्मवलत अनुभिों के आदान प्रदान का नाम है। इनमे यह आिश्यक है क्रक अपने सावथयों के प्रवत श्रद्धा ि स्मान का भाि हो।
वनम्नवलवखत प्रश्नों के सही विकल्प का चयन कीवजए –
प्रश्न 1. लेखक के अनुसार आदिा समाज क्रकस पर आधाररत होगा?
(क) स्ितंत्रता (ख)समता (ग) भाईचारा (घ) ये सभी
प्रश्न 2. लोकतंत्र के िल िासन की एक पद्धवत ही नहीं है, लोकतंत्र मूलत: सामूवहक जीिनचयाा की एक रीवत
तथा समाज के सव्मवलत अनुभिों के आदान –प्रदान का नाम है। यह मत क्रकसका है ?
(क) जावतिाद के समथाकों का (ख)गणतन्द्त्र के समथाकों का (ग) बाबा साहब अ्बेर्कर का (घ) गााँधी जी का
प्रश्न 3. भाईचारे का दूसरा नाम क्या है?
(क) वनरं कुिता (ख)असमानता (ग) लोकतंत्र (घ) राजतन्द्त्र
प्रश्न 4. इस गद्यांि के पाठ का नाम क्या है ?
(क) श्रम विभाजन (ख)भाईचारा (ग) श्रम विभाजन और जावतप्रथा (घ) मेरी कल्पना का आदिा समाज
प्रश्न 5. मेरी कल्पना का आदिा समाज की वििेषता नहीं है ?
(क) समता आधाररत (ख)भाईचारा आधाररत (ग) जावतप्रथा आधाररत (घ) स्ितंत्रता आधाररत
(15) समता का औवचत्य यही पर समाप्त नहीं होता। इसका और भी आधार उपलब्ध है। एक राजनीवतक पुरुष का बहुत ब़िी जनसंख्या से पाला प़िता
है। अपनी जनता से व्यिहार करते समय राजनीवतज्ञ के पास न तो इतना समय होता है ,न प्रत्येक के विषय में इतनी जानकारी वजससे िह सबकी अलग अलग
आिश्यकताओं तथा क्षमताओं के आधार पर िांवछत व्यिहार अलग-अलग कर सके । िैसे भी आिश्यकताओं और क्षमताओं पर वभन्न व्यिहार क्रकतना भी आिश्यक
तथा औवचत्यपूणा क्यों न हो ,मानिता के दृविकोण से समाज दो िगों और श्रेवणयों में नहीं बााँटा जा सकता।
वनम्नवलवखत प्रश्नों के सही विकल्प का चयन कीवजए –
प्रश्न 1. समता का आिय है ?
(क) मानि मात्र के प्रवत सामान व्यिहार (ख)अपने बराबर िालों के प्रवत सामान व्यिहार
(ग) सामान मत िालों के साथ सामान व्यिहार (घ) इनमे से कोई नहीं
प्रश्न 2. समाज को दो िगों और श्रेवणयों में बांटा जाना क्रकस दृविकोण से उवचत नहीं है ?
(क) िैज्ञावनक दृविकोण से (ख)मानितािादी दृविकोण से (ग) क्षमताओं के दृविकोण से (घ) इनमे से कोई नहीं

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प्रश्न 3. राजनीवतज्ञ जनता की इच्छाओं की पूर्ता क्यों नहीं कर पाता ?
(क) बहुतब़िी जनसंख्या होने के कारण (ख)समयाभाि के कारण
(ग) प्रत्येक की क्षमता और आिश्यकता को नहीं पहचान पाने के कारण (घ) ये सभी
प्रश्न 4. इस गद्यांि के लेखक है -
(क) महात्मा गााँधी जी (ख)सरदार पटेल (ग) बाबा साहब अ्बेर्कर (घ) ये सभी
प्रश्न 5. राजनीवतज्ञ जनता को खुि करने के वलए क्या कर सकता है ?
(क) भेदभाि (ख)मानिता की स्थापना (ग) क्षमताओं पर वभन्न व्यिहार (घ) इनमे से कोई नहीं

उर्त्रमाला (परठत गद्यांि आधाररत प्रश्नोर्त्र (1x5=5)


(1) 1. (क) 2.(ख) 3.(ग) 4. (घ) 5. (ग) (2) 1. (ख) 2. (क) 3. (ग) 4 (घ) 5. (ग) (3) 1. (ग) 2. (ख) 3. (ग) 4. (ग) 5 (ग)
(4) 1. (ग) 2. (क) 3 (ग) 4. (ख) 5 (क) (5) 1. (क) 2.(ख) 3. (क) 4. (घ) 5. (ख) (6) 1.(ख) 2. (ग) 3.(ख) 4. (क) 5.(घ)
(7) 1. (ग) 2. (घ) 3 (क) 4. (ग) 5. (ग) (8) 1. (ग) 2. (ख) 3. (ख) 4. (क) 5. (ख) (9) 1. (ख) 2 (ग) 3. (घ) 4. (ग) 5. (क)
(10) 1. (ग) 2. (ग) 3. (घ) 4. (ख) 5. (ख) (11) 1. (क) 2. (घ) 3. (ख) 4. (क) 5. (ग) (12) 1. (घ) 2. (घ) 3. (घ) 4. (ग) 5. (ख)
(13) 1. (घ) 2. (ग) 3. (क) 4. (ख) 5. (क) (14) 1. (घ) 2. (ग) 4. (ग) 5. (क) (15) 1. (क) 2. (ख) 3. (घ) 4. (ग) 5.(ख)

प्रश्न संख्या- 06 वितान भाग-2 से पाठ-1,2 और 3


शिल्वर वैड ग
ं / मनोहर श्यछम जोिी
पछठ कछ िछर - शिल्वर वैड ग
ं कहछनी की रचनछ मनोहर श्यछम जोिी ने की है। यह िंबी कहछनी िेखक की अन्य रचनछओं िे कु ् अिग ददखछई देती है। आिुशनकतछ
की ओर बढ़तछ हमछरछ िमछज एक ओर कई नई उपिशधियों को िमेटे हुए है तो दूिरी ओर मनुष्य को मनुष्य बनछए रखने वछिे मूल्य कहीं शििते चिे गए हैं।
जो हुआ होगछ और िमहछउ इंप्रछपर के दो जुमिे इि कहछनी के बीज वछक्य हैं। जो हुआ होगछ में यथछशथथशतवछद यछनी ज्यों-कछ-त्यों थवीकछर िेने कछ भछव है
तो िमहछउ इंप्रछपर में एक अशनर्ाय की शथथशत भी है। ये दोनों ही भछव इि कहछनी के मुख्य चररत्र यिोिर बछबू के भीतर के द्वंद्व हैं। वे इन शथथशतयों कछ शजम्मेदछर
भी दकिी व्यशक्त को नहीं ठहरछते। वे अशनर्ाय की शथथशत में हैं।
इि पछठ के मछध्यम िे पीढ़ी के अंतरछि कछ मछर्माक शचत्रर् दकयछ गयछ है। आिुशनकतछ के दौर में, यिोिर बछबू परं परछगत मूल्यों को हर हछि में जीशवत रखनछ
चछहते हैं। उनकछ उिूिपिंद होनछ दफ्तर एवं िर के िोगों के शिए िरददा बन गयछ थछ। यिोिर बछबू को ददल्िी में अपने पछाँव जमछने में दकिनदछ ने मदद की थी,
अतः वे उनके आदिा बन गए।

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दफ्तर में शववछह की पच्चीिवीं िछिशगरह के ददन, दफ्तर के कमाचछरी, मेनन और चड्ढछ उनिे जिपछन के शिए पैिे मछाँगते हैं। जो वे बड़े अनमने ढंग िे देते हैं
क्योंदक उन्हें दिजूिखची पिंद नहीं।
यिोिर बछबू के तीन बेटे हैं। बड़छ बेटछ भूषर्, शवज्ञछपन कम्पनी में कछम करतछ है। दूिरछ बेटछ आई. ए. एि. की तैयछरी कर रहछ है और तीिरछ ्छत्रवृशत के
िछथ अमेररकछ जछ चुकछ है। बेटी भी छक्टरी की पढ़छईं के शिए अमेररकछ जछनछ चछहती है, वह शववछह हेतु दकिी भी वर को पिंद नहीं करती।
यिोिर बछबू बच्चों की तरक्की िे खुि हैं ककं तु परं परछगत िंथकछरों के कछरर् वे दुशविछ में हैं। उनकी पत्नी ने थवयं को बच्चों की िोच के िछथ ढछि शियछ है।
आिुशनक न होते हुए भी, बच्चों के ज़ोर देने पर वे अशिक मछ ना बन गई है।
बच्चे िर पर शिल्वर वेड ग
ं की पछटी रखते हैं, जो यिोिर बछबू के उिूिों के शखिछि थछ। यिोिर बछबू को िगतछ है दक दकिन दछ आज भी उनकछ
मछगादिान करने में िक्षम हैं और यह बतछने में भी दक मेरे बीवी-बच्चे जो कु ् भी कर रहे हैं, उनके शवषय में मेरछ रवैयछ क्यछ होनछ चछशहए?
शिल्वर वैड ग
ं की पछटी के ददन िंध्यछ पूजछ कर रहे यिोिर बछबू की पत्नी ने वहछाँ आकर शिड़कते हुए पू्छ दक आज पूजछ में ही बैठे रहोगे। मेहमछनों के
जछने की बछत िुनकर वे िछि गम्े में ही बैठक में चिे गए। बच्चे इि परं परछ के िख्त शखिछफ़ थे। उनकी बेटी इि बछत पर बहुत िल्िछई। टेबि पर रखे प्रेजटें
खोिने की बछत कही। भूषर् उनको खोितछ है दक यह ऊनी ड्रेडिंग गछउन है। िुबह दूि िछने के िमय आप िटछ हुआ पुिोवर पहनकर चिे जछते हैं, वह बुरछ िगतछ
है। बेटी शपतछ कछ पछजछमछ-कु तछा उठछ िछई दक इिे पहनकर गछउन पहनें। बच्चों के आग्रह पर वे गछउन पहन िेते हैं। उनकी आाँखों की कोर में जरछ-िी नमी चमक गई।
यह कहनछ करठन है दक उनको भूषर् की यह बछत चुभ गई दक आप इिे पहनकर दूि िेने जछयछ करें । वह थवयं दूि िछने की बछत नहीं कर रहछ।
पाठ से बहुविकल्पात्मक प्रश्न
1. ‘वसल्िर िैहर्ंग’ कहानी के लेखक कौन हैं?
(क) जैनेन्द्द्र कु मार (ख) धमािीर भारती (ग) मनोहर श्याम जोिी (घ) ओम थानिी
2. ‘वसल्िर िैहर्ंग’ कहानी में क्रकसके वििाह की 25 िीं िषागांठ मनाई गई है?
(क) क्रकिन दा की (ख) यिोधर बाबू की (ग) चड्ढा की (घ) इनमें से कोई नहीं
3. “वसल्िर िैहर्ंग‘’ कहानी की मूल संिेदना क्या है?
(क) पीढी का अंतराल (ख) हाविये पर धके ले जाते मानिीय मूल्य
(ग) पािात्य संस्कृ वत का प्रभाि (घ) इनमें से सभी
4. यिोधर बाबू ‘अपना रोल मॉर्ल’ क्रकसे मानते हैं?
(क) अपनी पत्नी को (ख) क्रकिन दा को (ग) अपने ब़िे बेटे को (घ) इनमें से कोई नहीं
5. ‘वसल्िर िैहर्ंग’ कहानी में यिोधर बाबू की क्या भूवमका है?
(क) चररत नायक की (ख) नए पररिेि में वमसक्रफट होते हुए व्यवक्त की
(ग) परं परािादी की (घ) इनमें से तीनों

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6. यिोधर बाबू की पत्नी मूल संस्कारों से आधुवनक न होते हुए भी आधुवनकता में कै से ढल गई?
(क) बच्चों की तरफदारी करने की मातृसुलभ मजबूरी के कारण (ख) िक़्त को देखते हुए
(ग) मन की इच्छा से (घ) उपयुाक्त में से कोई भी नहीं
7. क्रकिन दा का व्यवक्तत्ि कै सा है?
(क) सरल हृदयी का (ख) सहयोगी का (ग) मागादिाक का (घ) इनमें से तीनों
8. ‘वसल्िर िैहर्ंग’ कहानी का सन्द्दि
े क्या है?
(क) नई पीढ़ी अपने पूिाजों का स्मान करे (ख) पर्पराओं का आदर करे
(ग) चुनौवतयों के अनुसार ढलना सीखे (घ) इनमें से सभी
9. चड्ढा कौन हैं?
(क) यिोधर बाबू का नौकर (ख) उनके अधीन काम करने िाला कमाचारी
(ग) प़िोसी (घ) इनमें से कोई नहीं
10. यिोधर बाबू के जीिन को क्रकसने सबसे अवधक प्रभावित क्रकया?
(क) पत्नी ने (ख) पुत्री ने (ग) क्रकिनदा ने (घ) समाज ने
11. यिोधर बाबू कै से जीिन के समथाक हैं?
(क) आर््बरपूणा (ख) भवक्तपूणा (ग) सरल और सादगीपूणा (घ) इनमें से कोई नहीं।
12. ‘समहाउ इ्प्रोपर’ िाक्यांि का प्रयोग क्रकन सन्द्दभों में हुआ है?
(क) अपने से परायेपन का व्यिहार वमलने पर (ख) िृद्धा पत्नी के आधुवनका स्िरुप को देखकर
(ग) के क काटने की विदेिी परं परा पर (घ) इनमें से सभी
13. वसल्िर िैहर्ंग कहानी में यिोधर पन्द्त का तक्रकया कलाम क्या है?
(क) एनीिे (ख) समहथंग (ग) समहाऊ इ्प्रापर (घ) जो हुआ होगा
14. यिोधर दफ्तर से छू टते ही सीधे कहााँ जाते थे?
(क) अपने घर (ख) वबर्ला मंक्रदर (ग) पहार्गंज (घ) रािन वर्पो
15. यिोधर ने क्रकिन दा की क्रकन पर्पराओं को जारी रखा?
(क) होली गिाना (ख) जनेऊ पूजन (ग) रामलीला मंर्ली का सहयोग (घ) ये सभी।
16. क्रकिन दा की मृत्यु का कारण उनकी वबरदारी ने क्या बताया था?

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(क) दुघाटना (ख) गंभीर बीमारी (ग) जो हुआ होगा (घ) आत्महत्या
17. कहानी में “जो हुआ होगा” और “समहाउ इ्प्रापर” ये दो जुमले, जो कहानी के बीजिाक्य हैं, कहानी के क्रकस पात्र में बदलाि को असंभि बना देते हैं?
(क) यिोधर बाबू (ख) क्रकिनदा (ग) यिोधर की पत्नी (घ) उपयुाक्त सभी
18. 'नया उन्द्हें कभी-कभी खींचता तो है पर पुराना छो़िता नहीं’-यह िाक्य क्रकसके वलए कहा गया है?
(क) यिोधर की पत्नी के वलए (ख) उनके बच्चों के वलए (ग) क्रकिन दा के वलए (घ) यिोधर के वलए
19. िाई र्ी पंत को ऊनी ड्रेहसंग गाउन क्रकसने वगफ्ट क्रकया था?
(क) बेटे भूषण ने (ख) उनके साले ने (ग) पत्नी ने (घ) बेटी ने
20. यिोधर पंत को भाऊ कौन कहता था?
(क) क्रकिन दा (ख) जनादान जोिी (ग) भूषण (घ) िाई. र्ी. पंत
21. यिोधर बाबू ने क्रकस स्कू ल से मैररक की परीक्षा पास की थी?
(क) सरस्िती विद्यालय (ख) रे ्जे स्कू ल, अल्मो़िा (ग) विष्यगण विद्यालय (घ) अन्द्य
22. यिोधर बाबू की पत्नी के चचेरे भाई का क्या नाम है?
(क) भूषण (ख) वगरीि (ग) कृ ष्ण (घ) चन्द्द्रदर्त्
23. वज़्मेदारी सर पर प़िेगी तब सब अपने ही आप ठीक हो जाएाँगे – यह क्रकसने कहा है?
(क) यिोधर बाबू ने (ख) यिोधर बाबू के वपताजी ने (ग) क्रकिनदा ने (घ) इनमें से कोई नहीं
24. यिोधर बाबू अपनी पत्नी को क्या कहकर उनका मज़ाक उ़िाते थे?
(क) िानयल बुक्रढ़या (ख) चटाई का लाँहगा (ग) बूढे मुाँह मुाँहासे, लोग करें तमासे (घ) उपयुाक्त सभी
25. ररटायरमेंट के समय यिोधर बाबू का िेतन क्रकतना था?
(क) दो हज़ार रुपये (ख) तीन हज़ार रुपये (ग) र्ेढ़ हज़ार रुपये (घ) पााँच हज़ार रुपये
26. चूनेदानी कहकर क्रकस का मजाक उ़िाया जाता है?
(क) घ़िी का (ख) साइक्रकल का (ग) पोिाक का (घ) चश्मे का
27. चंद्र दर्त् वतिारी कौन थे?
(क) यिोधर पंत का भानजा (ख) यिोधर पंत का वमत्र (ग) यिोधर पंत का ममेरा भाई (घ) यिोधर पंत का अधीनस्थ कमाचारी
28. ‘जनादान’ िब्द सुनकर यिोधर पंत को क्रकसकी याद आई?
(क) क्रकिन दा की (ख) भूषण की (ग) अपने बहनोई जनादान जोिी की (घ) चड्ढा की

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29. यिोधर बाबू अपने बीमार बहनोई को देखने कहााँ जाना चाहते थे?
(क) राजस्थान (ख) इलाहाबाद (ग) अहमदाबाद (घ) पटना
30. यिोधर बाबू का वििाह कब हुआ था?
(क) 6 फरिरी, 1947 (ख) 6 फरिरी, 1946 (ग) 5 फरिरी, 1947 (घ) 6 फरिरी, 1945
31. ‘वसल्िर िैहर्ंग’ कहानी का प्रवतपाद्य विषय नहीं है?
(क) आधुवनक पाररिाररक पररवस्थवतयााँ (ख) पीक्रढ़यों का अंतर (ग) वसद्धांत वप्रयता (घ) िैिावहक जीिन में मतभेद
32. वनम्न में से कौनसी वििेषता यिोधर बाबू की नहीं है?
(क) गंभीर (ख) ईमानदार (ग) वमलनसार (घ) लेटलतीफ
33. यिोधर बाबू अपने बच्चों की तरक्की से खुि तो हैं, पर उन्द्हें अनुभि होता है क्रक ऐसी खुिहाली क्रकस काम की?
(क) जो वपता की उपेक्षा करे (ख) जो भौवतकिाद की ओर ले जाए
(ग) जो गरीब ररश्तेदारों की उपेक्षा करे (घ) जो विदेि गमन की लालसा जगाए
34. यिोधर बाबू का बेटा ना तो अपने वपता के हाथ में अपनी तनख्िाह रखता है, ना ज्िाइंट अकाउं ट रखता है, ऐसा क्यों?
(क) िह यिोधर बाबू की वज्मेदाररयााँ अपने ऊपर लेना चाहता है (ख) िह यिोधर बाबू से कम िेतन लेता है
(ग) िह अपने ढंग से अपनी कमाई खचा करना चाहता है और इसे गैरजरूरी मानता है (घ) िह एक साथ मोटी रकम यिोधर बाबू को देना चाहता है
35. यिोधर बाबू जल्दी घर लौटना पसंद नहीं करते, क्यों?
(क) िे अब मंक्रदर में कु छ समय वबताना पसंद करने लगे (ख) पत्नी और बच्चों के साथ वििाद से िे बचना चाह्ते थे
(ग) अब िे बंधन मुक्त जीिन जीना चाहते थे (घ) ऑक्रफस के बाद िे क्रकिनदा के टूटे फू टे घर के सामने से वनकलकर स्मृवतयााँ ताजा करने लगे थे
36. वनम्न में कौनसी अपेक्षा यिोधर बाबू को अपने बच्चों से नहीं थी?
(क) क्रक िे अपने वपता को वज्मेदाररयों से मुक्त करते (ख) क्रक िे गरीब ररश्तेदारों की सहायता करते
(ग) क्रक िे अपने वपता के अनुकूल सोचते (घ) क्रक िे अपने वपता की आर्थाक मदद करते
37. “बब्बा आप भी हद करते हैं ,वसल्िर िैहर्ंग के क्रदन साढ़े आठ बजे घर पहुाँचे हैं “ यिोधर बाबू के बेटे के कथन में कौनसा भाि है?
(क) उलाहना (ख) पछतािा (ग) वझ़िकी (घ) दुःख
38. वसल्िर िैहर्ंग के क्रदन यिोधर बाबू ने संध्या में 25 वमनट क्यों लगा क्रदए?
(क) िे अपने िैिावहक जीिन की खुिहाली की कामना कर रहे थे (ख) िे अपने देर से आने का पिाताप कर रहे थे
(ग) िे वसल्िर िैहर्ंग अिसर को वबलकु ल तिज्जो नहीं देना चाहते थे और अप्रत्यक्ष रूप से अपना विरोध जताना चाहते थे

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(घ) िे अपने खोते हुए वसद्धांतों के वलए क्रकिनदा के प्रवत पिाताप कर रहे थे
39. ड्रेहसंग गाउन लेकर यिोधर बाबू की आाँखों में चमक आ गई पर उन्द्हें यह चुभ गया जब?
(क) बेटे ने दूध लाने को लेकर रटप्पणी की (ख) ररश्तेदार ने बेटे के कमाने को लेकर रटप्पणी की
(ग) पत्नी ने ड्रेहसंग गाउन की क्रफटटंग को लेकर रटप्पणी की (घ) उन्द्हें गाउन का कलर पसंद नहीं आया
40. यिोधर बाबू अपने पररिार के साथ तालमेल नहीं वबठा पा रहे थे, क्योंक्रक उनके दृविकोण में
(क) मवहलाओं की आजादी सामावजक उपद्रिों का कारण बनती है (ख) आधुवनकता हमारे संस्कारों ,मयाादाओं को समाप्त कर देती है
(ग) बच्चों को माता-वपता की सलाह से ही काम करना चावहए (घ) भौवतकतािाद जीिन में अिांवत पैदा करता है
41. ‘वसल्िर िैहर्ंग’ सावहत्य की कौनसी विधा है?
(क) वनबंध (ख) कहानी (ग) आत्मकथा (घ) यात्रािृर्त्
42. वनम्न में से कहानी में समहाउ इंप्रापर प्रयुक्त हुआ है-
(क) दफ्तर में वसल्िर िैहर्ंग पर (ख) स्कू टर की सिारी पर (ग) के क काटने की विदेिी परं परा पर (घ) उपयुाक्त सभी
43. यिोधर पंत पदोन्नवत के पिात क्रकस पद पर थे-
(क) अवसस्टेंट (ख) सेक्िन ऑक्रफसर (ग) अिर सवचि (घ) सवचि
44. ‘वसल्िर िैहर्ंग’ का आयोजन हुआ-
(क) िादी के पचास साल पूरा होने पर (ख) िादी के पच्चीस साल पूरा होने पर (ग) िादी के पााँच साल पूरा होने पर (घ) िादी के प्रथम साल पर
45. यिोधर बाबू ने क्रकिनदा से वनम्न में से क्रकन जीिन मूल्यों को पाया था?
(क) अनुिासन (ख) कायावनष्ठा (ग) वसद्धांतवप्रयता (घ) उपयुाक्त सभी
46. यिोधर बाबू के चररत्र की वििेषता नहीं है-
(क) समय के पाबंद (ख) आधुवनक (ग) मानिीय मूल्यों में विश्वास (घ) परं परािादी
47. वनम्न में से गलत है-
(क) यिोधर बाबू पर बचपन में ही वज्मेदाररयों का बोझ आ गया था। (ख) यिोधर बाबू आधुवनक पररिेि में बदलते जीिन मूल्यों के विरुद्ध थे।
(ग) यिोधर बाबू की पत्नी समय के साथ पररिर्तात हो गयी थी। (घ) यिोधर बाबू ने भी अपने आप को समय के साथ ढाल वलया था।
48. यिोधर बाबू के बारे में सही नहीं है-
(क) पुराने क्रदनों की याद से वघरे रहना (ख) नयी पीढ़ी की सोच से दूरी
(ग) संयुक्त पररिार से दूरी (घ) पुरानी पीढ़ी के मूल्यों को सही मानना

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49. क्रकिनदा और यिोधर बाबू के संबंधों के बारे में सही नहीं है-
(क) दोनों के संबंध स्नेहपूणा, प्रगाढ़ ि असीम थे (ख) यिोधर दूर होने के बाद क्रकिनदा को धीरे -धीरे भूल गए थे
(ग) क्रकिन दा यिोधर बाबू के आदिा थे (घ) यिोधर बाबू क्रकिन दा की प्रवतच्छाया थे
50. वसल्िर िैहर्ंग की विषय-िस्तु के आधार पर सही नहीं है-
(क) यिोधर बाबू के न चाहने पर भी बच्चों द्वारा वसल्िर िैहर्ंग मनाना
(ख) सरकारी नौकरी पर अवधक बल देने के बािजूद बच्चों का प्राईिेट नौकरी करना
(ग) यिोधर बाबू को सेिावनिृवर्त् पर क्रदल्ली में ही रहना पसंद
(घ) यिोधर क्रदखािे की प्रिृवर्त् का विरोधी, बच्चों को क्रदखािा पसंद
51 . बूढ़े मुाँह मुहासे ,लोग करे तमासे का अथा है ----।
(क) बुढ़ापे में मुाँह पर मुहासे आना। (ख) लोगों द्वारा तमािा करना।
(ग) बुढापे में युिाओं की भांवत आधुवनक बनना। (घ) उपयुाक्त सभी।
उत्तरमछिछ : 1. (ग) 2. (ख) 3. (घ) 4. (ख) 5. (घ) 6. (क) 7. (घ) 8. (घ) 9. (ख) 10. (ग) 11. (ग) 12. (घ) 13. (ग) 14. (ख) 15. (घ) 16. (ग) 17. (क)
18. (घ) 19. (क) 20. (क) 21. (ख) 22. (ख) 23. (क) 24. (घ) 25. (ग) 26. (क) 27. (क) 28. (ग) 29. (ग) 30. (क) 31. (घ) 32. (घ) 33. (ग) 34. (ग) 35.
(ख) 36. (घ) 37. (ग) 38. (ग) 39. (क) 40. (ख) 41. (ख) 42. (घ) 43. (ख) 44. (ख) 45. (घ) 46. (ख) 47. (घ) 48. (ग) 49. (ख) 50. (ग) 51. (ग)
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जूि / आनंद यछदव
पछठ कछ िछरछंि- 'जूि' पछठ मरछठी भछषछ के िेखक आनंद रतन यछदव द्वछरछ शिशखत एक आत्मकथछत्मक उपन्यछि कछ अंि है। चूाँक्रक दक यह िेखक के अपने जीवन
की िंिषा कथछ है और उपन्यछि के रूप में है इिशिए यह आत्मकथछत्मक उपन्यछि की श्रेर्ी में आतछ है। जूि कछ तछत्पया है -िंिषा। कथछ नछयक आनंद पछठिछिछ
जछनछ चछहतछ है परं तु पछररवछररक पररशथथशतयों के कछरर् वह अपनी इर्च्छओं की पूर्ता में बछिछ महिूि करतछ है,अनेक तरह की मछनशिक, िछरीररक और आर्थाक
बछिछओं को दूर करते हुए अपने िक्ष्य की प्रछशि करतछ है। आनंद, मछथटर िौन्दिगेकर िे प्रभछशवत होकर कछव्य में रुशच िेने िगतछ है।आनंद की पढ़ने की िछििछ,
वचनबितछ, आत्मशवश्वछि, कमाठतछ और िछशहत्य के प्रशत िमपार् उिे एक ििि िछशहत्यकछर बनछ देतछ है। इि कहछनी में एक दकिोर के भोगे हुए ग्रछमीर् जीवन
के खुरदरे यथछथा और पररवेि की शवश्विनीय जीवन गछथछ की प्रथतुशत है।
पछठ िे बहुशवकल्पछत्मक प्रश्न
1.जूि िछशहत्य की दकि शविछ में शिखछ गयछ है?
(क) कहछनी (ख) आत्मकथछत्मक उपन्यछि (ग) िंथमरर् (घ) रे खछशचत्र
2. ‘जूि’ पछठ के िेखक हैं-

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(क) आनंद यछदव (ख) मनोहर श्यछम जोिी (ग) ओम थछनवी (घ) अशमत यछदव
3. ‘जूि’ पर िेखक को कौन-िछ पुरथकछर शमिछ थछ-
(क) ज्ञछनपीठ पुरथकछर (ख) िछशहत्य अकछदमी पुरथकछर (ग) व्यछि िम्मछन (घ) भछरत भछरती पुरथकछर
4 'जूि' िधद कछ अथा क्यछ होतछ है?
(क) िंिषा (ख) पररश्रम (ग) दोनों िही हैं (घ) दोनों गित है
5. “ पछठिछिछ जछने के शिए मन तड़पतछ थछ।"पंशक्त में आए मुहछवरे 'मन तड़पनछ' कछ क्यछ अथा है-
(क) मन प्रिन्न होनछ (ख) मन बेचैन होनछ (ग) मन िछंत होनछ (घ) उपरोक्त में िे कोई नहीं
6.िेखक पढ़ -शिखकर दकि की तरह बननछ चछहतछ थछ?
(क) दछदछ की तरह (ख) शवठोबछ अ़र्छ की तरह (ग) बछबछ की तरह (घ) अध्यछपक की तरह।
7. आनंद अपने शपतछ को क्यछ कहकर िंबोशित करतछ थछ-
(क) शपतछजी (ख)पछपछ (ग) दछदछ (घ) दद्दछ
8. आनंदछ अपने पढ़ने की बछत अपने दछदछ िे नहीं कर पछतछ है, क्यों? 'जूि' पछठ के आिछर पर िटीक शवकल्प चुशनए।
(क) क्योंदक उिके शपतछ उििे बछत नहीं करते थे (ख) क्योंदक उिके शपतछ परदेि गए हुए थे
(ग) क्योंदक उिके शपतछ अर्च्े आचरर् वछिे व्यशक्त थे (घ) क्योंदक उिके शपतछ अत्यशिक गुथिे वछिे व्यशक्त थे
9. 'जूि'पछठ कछ िीषाक दकि िंिषा की अशभव्यशक्त है?
(क) आनंदछ द्वछरछ जमींदछरी के शवरोि कछ िंिषा (ख) आनंदछ कछ शिक्षछ के शिए िंिषा
(ग) आनंदछ कछ मााँ के अशिकछर ददिछने के शिए िंिषा (घ) िभी उत्तर िही है
10. आनंदछ और उिकी मछाँ ने दत्तछ जी रछव के पछि जछने की क्यों िोची? ‘जूि' पछठ के आिछर पर िटीक शवकल्प चुशनए-
(क) तछदक दत्तछ जी रछव कछ िगछन मछि कर दे। (ख) तछदक दत्तछ जी रछव की आर्थाक िहछयतछ करे ।
(ग) तछदक वे आनंदछ को अपने खेत पर कछम में िगछ िके । (घ) तछदक वे आनंदछ को पछठिछिछ भेजने के शिए दछदछ को िमिछकर रछजी कर िके ।
11. िछरे गााँि में दछदछ कछ कोल्ू िबिे पहिे िुरू होतछ थछ क्योंदक-
(क) कोल्ू जल्दी िुरू करने िे ज्यछदछ गुड़ शनकितछ है (ख) कोल्ू जल्दी िुरू करने िे अर्च्े भछव शमिते हैं
(ग) अ और ब दोनों (घ) इनमें िे कोई नहीं।
12. ईख िे ज्यछदछ गु शनकछिनछ हो तो-
(क) ईख को खेत में देर तक खड़ी रखनछ चछशहए (ख) ईख को जल्दी कछट िेनछ चछशहए

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(ग) ईख को जल्दी कछट कर कु ् ददन खशिहछन में रखनछ चछशहए (घ) ब और ि दोनों।
13. गुड़ के िंबंि में दछदछ की क्यछ िमि थी?
(क) गुड़ ज्यछदछ शमिनछ चछशहए (ख) भछव ज्यछदछ शमिनछ चछशहए (ग) अ और ब दोनों (घ) इनमें िे कोई नहीं
14. मछाँ ने िेखक के शपतछ की तुिनछ दकििे की है-
(क) मररयि बैि (ख) खूाँखार िेर (ग) आवछरछ सांर् (घ) बरहेिछ िूअर
15. मछाँ के मन में जंगिी िूअर बहुत गहरछई में बैठछ हुआ थछ, क्यों?
(क) आनंदछ कछ शपतछ जंगिी िूअर पछितछ थछ (ख) उि इिछके में जंगिी िूअर कछ र थछ
(ग) आनंदछ के शपतछ कछ व्यवहछर डहंिक थछ (घ) मााँ जंगिी िूअर िे बहुत रती थी
16. दछदछ िेखक को खेती के कछया में क्यों व्यथत रखनछ चछहतछ थछ?
(क) वह िेखक को खेती-बछड़ी शिखछनछ चछहतछ थछ (ख)वह िेखक के भशवष्य के बछरे में िोचतछ थछ
(ग) वह थवयं थवतंत्र रहकर नगर में िूमनछ चछहतछ थछ (घ) उपयुक्त िभी
17. िेखक की मछाँ उिे दकि कक्षछ तक पढ़छनछ चछहती थी-
(क) पछाँचवीं (ख) िछतवीं (ग) आठवीं (घ) दिवीं
18. िेखक ने अपनी पढ़छई के िंबंि में दकििे िहछयतछ िेने कछ िुिछव ददयछ-
(क) शिक्षक की (ख)पड़ोिी की (ग) शमत्र की (घ) दत्तछ जी रछव की
19. दकिने कहछ- "उिके िछमने ही तुिे कु ् पूछूाँगा तो शन र होकर िछि-िछि बतछनछ"
(क) दत्तछ जी रछव ने (ख)आनंदछ के शपतछ ने (ग) आनंदछ के मछथटर जी ने (घ) आनंदछ की मााँ ने
20. देिछई के बछड़े कछ बुिछवछ दछदछ के शिए दकि तरह की बछत थी?
(क) अपमछन की (ख)िम्मछन की (ग) अशभमछन की (घ) बेदिजूि की
21."अब तू जछ, कहनछ जीमने बुिछयछ है।"यहछाँ जीमने कछ क्यछ अथा है?
(क) कोल्ू चिछनछ (ख) गुड़ शनकछिनछ (ग) भोजन करनछ (घ) ििि कछटनछ
22. िेखक कछ शपतछ अपनछ पूरछ ददन कहछाँ व्यतीत करतछ थछ-
(क) खेतों में (ख) बाज़ार में (ग) रखमछबछई के िछथ (घ) िर में
23. िेखक के शपतछ कछ क्यछ नछम थछ-
(क) गणप्पा (ख)रत्नछप्पछ (ग) दत्तछ जी रछव (घ) के िव

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24. "खेती और िर के कछम में इिकछ शबल्कु ि ध्यछन नहीं है।"यह कथन दकिकछ है-
(क) दत्तछ जी रछव कछ (ख)आनंदछ के दछदछ कछ (ग) आनंदछ कछ (घ) आनंदछ की मछं कछ
25. िेखक के शपतछ द्वछरछ िेखक को पछठिछिछ न भेजे जछने कछ क्यछ कछरर् बतछयछ?
(क) िेखक को खेत में पछनी िगछने कछ कछम करनछ होतछ है (ख) िेखक को बीमछर मछाँ की िेवछ करनी होती है
(ग) िेखक कछ पढ़छई में मन नहीं िगतछ है (घ) िेखक रखमछबछई के यहछाँ िमय व्यतीत करतछ है
26. दत्तछ जी िरकछर ने आनंदछ के शपतछ को दकि बछत के शिए छंटछ?
(क) खेती पर ध्यछन न देने के कछरर् (ख)ििि में िछगत न िगछने के कछरर्
(ग) आनंदछ को पछठिछिछ न भेजने के कछरर् (घ) उपयुाक्त िभी
27. “इि िमय उिकछ कोई बि नहीं चिछ थछ" यहछाँ उिकछ दकिके शिए प्रयुक्त हुआ है?
(क) आनंदछ की मछाँ के वलए (ख)आनंदछ के दछदछ के वलए (ग) विंत पछरटि के वलए (घ) चह्िाण के िड़के के वलए
28. "उि चक्की की अपेक्षछ मछथटर की ्ड़ी की मछर अर्च्ी"आनंदछ के इि कथन कछ क्यछ तछत्पया है-
(क) उिे चक्की चिछनछ अर्च्छ नहीं िगतछ है (ख) उिे मछथटर की ्ड़ी की मछर अर्च्ी िगती है
(ग) उिे खेत की अपेक्षछ पछठिछिछ जछनछ अर्च्छ िगतछ है (घ) उिे पछठिछिछ जछने िे र िगतछ है
29. जूि पछठ के अनुिछर, "पढ़छई शिखछई के िंबंि में िेखक और दत्तछ जी रछव कछ रवैयछ िही थछ।"क्योंदक-
(क) िेखक खेती-बछड़ी नहीं करनछ चछहतछ थछ (ख) दत्तछ जी रछव जछनते थे दक खेती-बछड़ी में िछभ नहीं है
(ग) िेखक कछ पढ़ शिखकर ििि होनछ बहुत आवश्यक थछ (घ) िेखक कछ शपतछ नहीं चछहतछ थछ दक वह आगे की पढ़छई करें
30. िेखक के शपतछ ने दत्तछ जी रछव के िछमने िेखक की दकन गित आदतों कछ शजक्र दकयछ-
(क) कं े चुरछने की (ख) खेती और िर के कछम में मदद न करने की (ग) शिनेमछ देखने की (घ) उपयुाक्त िभी
31. ‘हछाँ। खेत में कछम होगछ तो गैरहछशजर रहनछ ही चछशहए’ – यह कथन दकिकछ है?
(क) दत्तछ जी रछव कछ (ख) िेखक कछ (ग) िेखक के शपतछ कछ (घ) िेखक की मछतछ कछ
32. िेखक को खेती के कछम में -------------------- बजे तक शपिते रहने िे ्ु टकछरछ शमि गयछ।
(क) दि िे चछर (ख) ग्यछरह िे पााँच (ग) ग्यछरह िे चछर (घ) दि िे पााँच
33. िेखक दकि कक्षछ में जछकर बैठने िगछ?
(क) तीिरी (ख)पछाँचवी (ग) ्ठी (घ) िछतवीं
34. िेखक को दिर िे नछम शिखवछने की जरूरत क्यों नहीं पड़ी?

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(क) दत्तछ जी रछव के प्रभछव के कछरर् (ख)शवद्यछिय कछ पूवा शवद्यछथी होने के कछरर्
(ग) पछाँचवी नछपछि की रटप्पर्ी नछम के आगे होने के कछरर् (घ) शवद्यछिय कछ होनहछर शवद्यछथी होने के कछरर्
35. कक्षछ में पहुाँचने पर िेखक कछ मन खट्टछ क्यों हो गयछ थछ?
(क) िेखक के िछथ के िभी िड़के आगे चिे गए थे (ख)िेखक को अपने िे कम उम्र के िड़कों के िछथ बैठनछ पड़छ
(ग) कक्षछ के िड़कों की िरछरतों िे (घ) उपयुाक्त िभी
36. िेखक अपनी पुथतकों रुपी िरोहर को दकि तरह िंभछिे रखतछ है?
(क) रे िवे थटेिन पर कोई िड़कछ अपनी पोटिी िंभछिे बैठछ हो (ख) बि अड्डे पर कोई िड़कछ अपनी पोटिी िंभछिे बैठछ हो
(ग) कोई शभखछरी अपनी िोिी को िंभछिे बैठछ हो (घ) क और ख दोनों
37. “ क्यछ नछम है मेहमछन? नयछ ददखछई देतछ है यछ गिती िे इि कक्षछ में आ बैठे हो?” यह कथन दकिकछ है-
(क) रर्नवरे मछथटर कछ (ख) मंत्री मछथटर कछ (ग) चह्िाण के िड़के कछ (घ) विंत पछरटि कछ
38. पहिे ददन ही दकि िटनछ ने िेखक के ददि की िड़कन बढ़छ दी थी?
(क) शवद्यछिय की पोिछक न पहनने की (ख)िेखक कछ गम्छ टेबि पर रखे जछने की
(ग) पछाँचवी की पुथतकें न िेकर आने की (घ) उपयुाक्त िभी
39. िेखक कछ शवद्यछिय में क्यछ नछम थछ?
(क) गर्प्पछ (ख)विंत (ग) आनंदछ (घ) जकछते
40. ‘वछमन पंश त’ की कशवतछ कौन पढ़छने िगे?
(क) रर्नवरे मछथटर (ख)मंत्री मछथटर (ग) न.वछ.िौन्दिगेकर (घ) विंत पछरटि
41. ‘मेरी पछठिछिछ मुिे चोंच मछर-मछरकर िछयि कर रही थी’- िेखक को ऐिछ क्यों िगने िगछ?
(क) पढछई में मन न िगने के कछरर् (ख)अध्यछपकों द्वछरछ मजछक उड़छने के कछरर्
(ग) कक्षछ के िड़कों द्वछरछ मजछक उड़छने के कछरर् (घ) ब और ि दोनों
42. िेखक ने शवद्यछिय में पहनकर जछने के शिए नई गर्वेि मछाँ िे दकतने ददनों में माँगवछ िी?
(क) दो ददन में (ख) चछर ददन में (ग) आठ ददन में (घ) दि ददन में
43. विंत पछरटि की नक़ि करने पर िेखक को क्यछ िछभ हुआ?
(क) वह गशर्त में होशियछर हो गयछ (ख) वह भी मॉशनटर जैिछ िम्मछन पछने िगछ (ग) अध्यछपक उिे िछबछिी देने िगे (घ) उपयुाक्त िभी
44. िेखक के गशर्त शवषय के शिक्षक कौन थे?

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(क) रर्नवरे मछथटर (ख) मंत्री मछथटर (ग) न.वछ.िौन्दिगेकर (घ) भछ.रछ. तछंबे
45. दकि शिक्षक की दहित िभी िड़कों में थी?
(क) रर्नवरे मछथटर (ख) मंत्री मछथटर (ग) न.वछ.िौन्दिगेकर (घ) भछ.रछ. तछंबे
46. िेखक की कक्षछ कछ मॉशनटर कौन थछ?
(क) जकछते (ख) विंत पछरटि (ग) चह्िाण कछ िड़कछ (घ) के िव कु मछर
47. कक्षछ में उिकछ िम्मछन थछ। यहछाँ ‘उिकछ’ दकिके शिए आयछ है
(क) जकछते के शिए (ख) विंत पछरटि के शिए (ग) चह्िाण के िड़के के शिए (घ) के िव कु मछर के शिए
48. न.वछ.िौन्दिगेकर मछथटर कौनिछ शवषय पढ़छते थे?
(क) गशर्त (ख) डहंदी (ग) मरछठी (घ) अंग्रेजी
49. मछथटर िेखक को दकि नछम िे पुकछरने िगे थे?
(क) गर्प्पछ (ख) आनंदछ (ग) जकछते (घ) विंत
50. िेखक कछ ऐिछ कब िगछ दक मछथटर की चछि पर दूिरी कशवतछएाँ भी पढ़ी जछ िकती हैं?
(क) कक्षछ में कशवतछएाँ िुनने पर (ख) खेत में पछनी िगछते और ढोर चरछते अके िे में कशवतछ गछने पर
(ग) मरछठी शिक्षक द्वछरछ कशवतछ के भछव िमिछने पर (घ) थवयं द्वछरछ कशवतछ रचने पर
51. ‘चछाँद रछत पिररते पछंढरी गछयछ िरर्ीवरी’ दकिकी कशवतछ की पहिी पंशक्त है?
(क) बछ.भ.बोरकर (ख)अनंत कछर्ेकर (ग) कशव यिवंत (घ) के िव कु मछर
52. िेखक ने ‘चछाँद रछत पिररते पछंढरी गछयछ िरर्ीवरी’ कशवतछ को शिनेमछ के एक गीत की तजा पर गछयछ। वह गछनछ दकि ्ंद की तजा पर थछ?
(क) मनोरम (ख) िवैयछ (ग) के िव करर्ी जछशत (घ) द्रुतशविंशबत
53. मछथटर जी ने दकि कक्षछ के िड़कों के िछमने िेखक िे कशवतछ गवछयी?
(क) ्ठी (ख) िछतवीं (ग) क और ख दोनों (घ) आठवीं
54. िेखक को कब यह िगने िगछ दक कशव भी उिके जैिे हछड़-मछाँि के व्यशक्त हैं?
(क) जब मरछठी शिक्षक िे कशवतछएाँ िुनतछ (ख) जब देखछ दक खुद न.वछ.िौन्दिगेकर एक कशव हैं
(ग) जब कशव िम्मिेन में जछने िगछ (घ) इनमें िे कोई नहीं
55. िेखक को कब िगछ दक अपने आि-पछि के दृश्यों पर कशवतछ शिखी जछ िकती है?
(क) जब न.वछ. िौन्दिगेकर ने कशवतछ िेखन के बछरे में बतछयछ (ख)अपने िछशथयों को कशवतछ शिखते देखकर

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(ग) जब मछथटर के दरवछजे पर ्छई मछिती की बेि पर शिखी कशवतछ पढ़ी (घ) उपयुाक्त िभी
56. िेखक कशवतछ शिखने के शिए दकन िछिनों कछ उपयोग करतछ थछ?
(क) भैंि की पीठ पर रे खछ खींचकर शिखनछ (ख)कं कड़ पत्थर िे शििछ पर शिखनछ
(ग) जेब में कछगज़ और पेंवसल रखनछ (घ) उपयुाक्त िभी
57. िेखक को अके िे में आनंद क्यों आने िगछ?
(क) वह खुिकर गछ िकतछ थछ (ख)वह कशवतछएाँ रच िकतछ थछ
(ग) वह कशवतछ गछकर उिकछ अशभनय कर िकतछ थछ (घ) उपयुाक्त िभी
58. ‘जूि’ पछठ के अनुिछर कशवतछ के प्रशत िगछव िे पहिे और उिके बछद अके िेपन के प्रशत िेखक की िछरर्छ में क्यछ बदिछव आयछ?
(क) अके िछपन रछवनछ है (ख)अके िछपन उपयोगी है
(ग) अके िछपन अनछवश्यक है (घ) अके िछपन िछमछन्य प्रदक्रयछ है
59. मरछठी अध्यछपक के शवषय में अित्य कथन है?
(क) वे कशवतछ को िुरीिे गिे, ्ंद की बदढ़यछ चछि, रशिकतछ के िछथ पढ़छते थे (ख)वे अशभनय के िछथ पढ़छते थे
(ग) वे प्रशिि कशवयों के िंथमरर् भी िुनछते थे (घ) वे शवद्यछर्थायों को ्ड़ी की बजछय हछथ िे पीटते थे
60. आनंदछ और उिकी मछाँ द्वछरछ िूठ कछ िहछरछ न शिए जछने की शथथशत में क्यछ होतछ?
(क) आनंदछ के जीवन में अके िछपन ठहर जछतछ (ख) आनंदछ अपनी कशवतछ शिखने के गुर् को बछहर नहीं शनकछि पछतछ
(ग) वह शिशक्षत होने िे वंशचत रह जछतछ (घ) उपयुाक्त िभी
61.िेखक के कक्षछध्यछपक कौन थे?
(क) रर्नवरे मछथटर (ख) मंत्री मछथटर (ग) न.वछ.िौन्दिगेकर (घ) भछ.रछ. तछंबे
62. विंत पछरटि के िंबंि में अित्य कथन है?
(क) िरीर िे दुबिछ-पतिछ थछ (ख) उिके िवछि हमेिछ िही शनकिते थे
(ग) वह बड़छ होशियछर थछ (घ) कक्षछ के िड़के उििे ईष्यछा रखते थे
63. ‘यह चह्िाण कछ िड़कछ शबनछ बछत के उठक- पटक करतछ है’। यह कथन दकिकछ है?
(क) रर्नवरे मछथटर कछ (ख)मंत्री मछथटर कछ (ग) न.वछ.िौन्दिगेकर कछ (घ) भछ.रछ. तछंबे कछ
64. पहिे आनंदछ को अके िछपन बहुत खटकतछ थछ, अब अके िेपन िे कोई ऊब नहीं होती। इि पररवतान के क्यछ कछरर् हैं?
(क) पढ़छई में मन िगनछ (ख)खेती में मन िगनछ (ग) कशवतछ में मन िगनछ (घ) दोथतों के िछथ िमय शबतछनछ

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उर्त्रमाला : 1. (ख) 2. (क) 3. (ख) 4. (क) 5. (ख) 6. (ख) 7. (ग) 8. (घ) 9. (ख) 10. (घ) 11. (ख) 12. (क) 13. (ख) 14. (घ) 15. (ग) 16. (ग) 17. (ख)
18. (घ) 19. (क) 20. (ख) 21. (ग) 22. (ग) 23. (ख) 24. (ख) 25. (ग) 26. (घ) 27. (ख) 28. (ग) 29. (ख) 30. (घ) 31. (ख) 32. (ख) 33. (ख) 34. (ग)
35. (घ) 36. (ख) 37. (ग) 38. (ख) 39. (घ) 40. (क) 41. (ग) 42. (ग) 43. (घ) 44. (ख) 45. (ख) 46. (ख) 47. (ख) 48. (ग) 49. (ख) 50. (ख)51. (ख)
52. (ग) 53. (ग) 54. (ख) 55. (ग) 56. (घ) 57. (घ) 58. (ख) 59. (घ) 60. (घ) 61. (ख) 62. (घ) 63. (क) 64. (ग)
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अतीत में दबे पााँि/ ओम थछनवी
पछठ कछ िछरछंि : 'अतीत में दबे पााँि' ओम थछनवी कछ यछत्रछवृतछंत और ररपोटा कछ शमिछजुिछ रूप है। इिमें थछनवी ने शवश्व ििक पर िरटत िभ्यतछ की िबिे
प्रछचीन िटनछ को िुशनयोशजत तरीके िे पुनजीशवत दकयछ है। उिी तरह शजतने िुशनयोशजत ढंग िे उिके दो महछनगर मोहनजोदड़ो तथा हड़प्पछ बिे थे। िेखक ने
टीिों, स्नछनछगछरों, मृदभ
् छं ों, कु ओं - तछिछबों, मकछनों व मछगों िे प्रछि पुरछतत्वों िे मछनव िंथकृ शत की उि िमिदछर भछवछत्मक िटनछ को बड़े इत्मीनछन िे खोज-
खोजकर हमें ददखिछयछ है, शजिसे हम इशतहछि की िपछट वर्ानछत्मकता से ग्रथत होने की जगह इशतहछि बोि िे शिक्त होते हैं। शजि तरह डिंिु िछटी िभ्यतछ एक
िमय प्रछर्िछरछ िे तर थी, डिंिु िभ्यतछ के िबिे बड़े िहर मोहनजोदड़ो की नगर योजनछ आकर्षात करती है, वह आज के िेक्टर मछकछा कॉिोशनयों के नीरि
शनयोजन की अपेक्षछ ज्यछदछ रचनछत्मक थी क्योंदक उिकी बिछवट िहर के खुद शवकिने कछ अवकछि भी ्ोड़कर चिती थी। पुरछतत्व के वनष्प्राण पड़े वचह्नों िे
एक जमछने में आबछद िरों, िोगों और उनकी िछमछशजक िछर्माक रछजनीशतक व आर्थाक, गशतशवशियों कछ पुख्तछ अनुमछन दकयछ जछ िकतछ है। यह सभ्यता तछकत के
बि पर िछशित होने की जगह आपिी िमि िे अनुिछशित थी। उिमें भव्यतछ थी,पर आ ब
ं र नहीं थछ। उिकी खूबी उिकछ िौंदया बोि थछ, जो रछजपोशषत यछ िमा
पोशषत न होकर िमछज पोशषत थछ। अतीत की ऐिी कहछशनयों के थमछरक वचह्नों कछ आिुशनक व्यवथथछ के शवकछि अशभयछनों की भेंट चढ़ते जछनछ भी िेखक को
कचोटतछ है।
पछठ िे बहुशवकल्पछत्मक प्रश्न
1. कोठछर दकि के कछम आतछ होगछ?
(क) िुरक्षछ के शिए (ख) िन जमछ करने के शिए (ग) अनछज जमछ करने के शिए (घ) पछनी जमछ करने के शिए
2. दछढ़ी वछिी मूर्ता कछ नछम क्यछ रखछ गयछ?
(क) मुख्य नरे ि (ख) िमा नरे ि (ग) यछजक नरे ि (घ) गौर् नरे ि
3. ‘अतीत में दबे पााँि’ नछमक पछठ के रचशयतछ कछ नछम क्यछ है?
(क) ओम थछनवी (ख) हजछरी प्रिछद शद्ववेदी (ग) मनोहर श्यछम जोिी (घ) िर्ीश्वर नछथ रे र्ु
4. िेखक के अनुिछर मोहनजोदड़ो की आबछदी दकतनी है?
(क) 20 हज़छर (ख) 65 हज़छर (ग) 85 हज़छर (घ) 50 हज़छर
5. मोहनजोदड़ो कछ नगर दकतने हजछर िछि पहिे कछ है?

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(क) 1000 िछि (ख)2000 िछि (ग) 3000 िछि (घ) 5000 िछि
6. मुख्य िड़क की चौड़छई दकतनी है?
(क) 32 िीट (ख)30 िीट (ग) 20 िीट (घ) 33 िीट
7. िबिे ऊाँचे चबूतरे पर क्यछ शवद्यमछन है?
(क) मंददर (ख)बौि थतूप (ग) रछज महि (घ) शविछि थतूप
8.बौि थतूप दकतने िु ट ऊंचे चबूतरे पर बनछ हुआ है?
(क) 25 फीट (ख)15 फीट (ग) 12 फीट (घ) 10 फीट
9.रछखछि दछि बनजी कौन थे?
(क) शिक्षक (ख) शभक्षु (ग) पुरछतत्ववेत्तछ (घ) व्यछपछरी
10. रछखिदछि बनजी यहछं दकि वषा आए थे?
(क) िन् 1922 (ख) िन् 1923 (ग) िन् 1924 (घ) िन् 1925
11.मोहनजोदड़ो में टहिते हुए िेखक को दकि गााँि की यछद आई?
(क) कु ििरछ (ख) कु ििड़छ (ग) िुभिरछ (घ) इनमें िे कोई नहीं
12. मोहनजोदड़ो की खुदछई िे शनकिी पंजीकृ त चीजों की िंख्यछ दकतनी थी?
(क) 50 हज़छर िे अशिक (ख)60 हज़छर िे अशिक (ग) 30 हज़छर िे कम (घ) 20 हजछर िे अशिक
13.डिंिु िछटी िभ्यतछ-------------थी?
(क) िमा पोशषत (ख)रछज पोशषत (ग) व्यछपछर पोशषत (घ) िमछज पोशषत
14.अजछयबिर में तैनछत व्यशक्त कछ नछम क्यछ थछ?
(क) नवछज़ खछन (ख)मोहम्मद खछन (ग) अिी नवछज़ (घ) अिी बख्तछवर
15. मोहनजोदड़ो को नछगर भछरत कछ िबिे प्रछचीन क्यछ कहछ गयछ है?
(क) नगर (ख)कथबछ (ग) िैं थके प (घ) गछंव
16. मोहनजोदड़ो के वछथतुकिछ की तुिनछ दकि नगर के िछथ की गई है?
(क) ददल्िी (ख) रछजथथछन (ग) चं ीगढ़ (घ) हररयछर्छ
17. मोहनजोदड़ो िे दकतनी दूरी पर डिंिु नदी बहती थी?
(क) 10 दकिोमीटर (ख) 2 दकिोमीटर (ग) 5 दकिोमीटर (घ) 7 दकिोमीटर

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18. दशक्षर् में टूटे-िू टे िरों कछ जमिट दकिकी बथती मछनछ गयछ है?
(क) कछमगछरों की (ख) अमीरों की (ग) शभक्षुओं की (घ) व्यछपछररयों की
19. मोहनजोदड़ो कछ क्यछ अथा है?
(क) वनों कछ क्षेत्र (ख) मुदों कछ टीिछ (ग) पिुओं कछ िुं (घ) पुरछतछशत्वक क्षेत्र
20. मोहनजोदड़ो कौन िे प्रछंत में शथथत पुरछतछशत्वक थथछन है?
(क) पछदकथतछन के पंजछब (ख) भछरत के पंजछब (ग) पछदकथतछन कछ डिंि (घ) भछरत कछ डिंि
21. हड़प्पछ कौन िे प्रछंत कछ पुरछतछशत्वक थथछन है?
(क) पछदकथतछन के पंजछब (ख) भछरत के पंजछब (ग) पछदकथतछन कछ डिंि (घ) भछरत कछ डिंि
22. मोहनजोदड़ो दकतने हेक्टेयर क्षेत्र में िै िछ मछनछ जछतछ है?
(क) दो िौ (ख) पााँच िौ (ग) िछत िौ (घ) आठ िौ
23. मोहनजोदड़ो कछ नगर शनयोजन कछ थवरूप आज दकि नछम िे जछनछ जछतछ है?
(क) वग्रर् प्रर्छिी (ख) तकनीकी प्रर्छिी (ग) भू प्रर्छिी (घ) ओल् प्रर्छिी
24. महछकुं की िंबछई 40 िु ट,चौड़छई 25 िु ट और गहरछई ----------िु ट है।
(क) 10 फीट (ख) 7 फीट (ग) 15 फीट (घ) 20 फीट
25. महछकुं के िछथ दकतने स्नछनिर हैं?
(क) पछाँच (ख) आठ (ग) दि (घ) बछरह
26. िूती कपड़े कछ दूिरछ नमूनछ दकि देि िे प्रछि हुआ?
(क) शमस्र िे (ख) जॉ न
ा िे (ग) भछरत िे (घ) पछदकथतछन िे
27. रं गछई कछ कछरखछनछ खुदछई में दकिे शमिछ थछ?
(क) जॉन मछिाि (ख) मछिोथवरूप वत्ि (ग) रछखि दछि बनजी (घ) कछिी प्रिछद दीशक्षत
28. मोहनजोदड़ो के खं हरों के नछमकरर् कछ आिछर क्यछ है?
(क) िू िों के नछम पर (ख) थथछनीय िोगों के नछम पर (ग) पुरछतत्व वेत्तछओं के नछम पर (घ) पिु पशक्षयों के नछम पर
29. मोहनजोदड़ो नगर के शवषय में कौन िछ कथन अित्य है?
(क) शवश्व की पहिी िंथकृ शत जो भूजि तक पहुाँची (ख) नछशियााँ पक्कीईंटों िे ढकी हुई है
(ग) पहली िंथकृ शत शजिमें स्नछनिर कछ शनमछार् नहीं दकयछ गयछ (घ) मोहनजोदड़ो तछम्रकछि कछ िहर है

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30. पुरछतत्िविद् मछर्टामर वीिर ने कहछ थछ क्रक “िंिछर में इिके जोड़ की दूिरी चीज़ िछयद ही होगी”।दकि चीज़ के शिए कहछ गयछ है?
(अ) दछढ़ी वछिे बछबछ की मूर्ता के शिए (ख) नताकी की मूर्ता के शिए (ग)मुशखयछ के िर के शिए (घ)उपयुाक्त में िे कोई नहीं
31. डिंिु िछटी की िभ्यतछ की िबिे िुंदर व्यवथथछ क्यछ थी?
(क) वह िमछज को शवकशित करने के शिए कछया करती थी (ख) वह कछम को अशिक महत्व देती थी
(ग)वह के वि िहरों कछ शनमछार् करती थी (घ) वह के वि िंपन्न वगा के शिए कछया करते थे
32. डिंिु िछटी िभ्यतछ में दकि कछरर् बीमछरी कछ प्रकोप अशिक नहीं हो िकतछ थछ?
(क) पछनी की शनकछिी के अनुशचत प्रबंि के कछरर् (ख) नछशियााँ आदद उशचत रूप िे ढकी होने के कछरर्
(ग) ्ोटे-्ोटे िरों के थथछन पर बड़े िर होने के कछरर् (घ) िछमछशजक दूरी कछ पछिन करने के कछरर्
33. पुरछतछशत्वक तत्वों िे डिंिु िभ्यतछ के बछरे में क्यछ पतछ चितछ है?
(क) यह िभ्यतछ अत्यंत शविछि थी (ख)यह िभ्यतछ शवकशित थी (ग) यह िभ्यतछ शबखरी हुई थी (घ) यह िभ्यतछ िमा िोशषत थी
34. “टूटे-िू टे खं हर िभ्यतछ और िंथकृ शत के इशतहछि के िछथ-िछथ िड़कती डजंदशगयों के अन्ु ए िमयों कछ भी दथतछवेज होते हैं” -कथन कछ भछव क्यछ है?
(क) खं हरों के आिछर पर िोगों के रहने िहने के ढंग और िोच के तरीकों की कल्पनछ की जछ िकती है
(ख)खं हरों िे कोई भी जछनकछरी प्रछि नहीं की जछ िकती
(ग) खं हरों के आिछर पर प्रछि की गई जछनकछरी िदैव और प्रमछशर्क होती है
(घ) खं हर दकिी िभ्यतछ कछ के वि इशतहछि होते हैं
35.किछ की दृशि िे डिंिु िभ्यतछ िमृि थी इि िभ्यतछ की िमृशि कछ क्यछ प्रमछर् थछ?
(क) वहााँ की वछथतुकिछ एवं शनयोजन तथछ िछतु एवं पत्थर की मूर्तायों िे (ख) वहााँ भव्य महि तथा िमछशियों के अविेषों िे
(ग) वहााँ के िड़क मछगों को देखकर (घ) वहााँ के कु एाँ और नछशियों िे
36. ‘अतीत में दबे पााँि’ पछठ में मोहनजोदड़ो के बछरे में क्यछ िछरर्छ थी?
(क) अपने दौर की यह िछटी की िभ्यतछ कछ कें द्र रहछ होगछ (ख)अपने दौर में यह िीशमत जनिंख्यछ वछिछ क्षेत्र रहछ होगछ
(ग) अपने दौर में यह िबिे कम प्रशिि क्षेत्र रहछ होगछ (घ) अपने दौर में क्यछ के वि मुदों कछ टीिछ रहछ होगछ
37. पूरब की बथती रईिों की बथती है अतीत के दबे पछंव पछठ की पंशक्त के िंदभा में बतछइए दक आज के युग में पूरब की तरि िे दकिे मछनछ जछतछ है?
(क) आज के युग में पूरब की बथती गरीबों की बथती को मछनछ जछतछ है (ख)आज के युग में पूरब की बथती उच्च िछिन अशिकछररयों की बथती है
(ग) आज के युग में पूरब की बथती िमृशि की प्रतीक मछनी जछती है (घ) आज के युग में पूरब की बथती पशिमी देि को मछनछ जछतछ है

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38. मोहनजोदड़ो कछ अनूठछ नगर शनयोजन आिुशनक नगर शनयोजन के प्रशतमछन नगरों िे बेहतर कै िे हैं?
(क) मोहनजोदड़ो की जि शनकछिी कछ प्रबंि दकतनछ उन्नत थछ दक आज के वछथतुकछर दिर उिे देखकर िोच में पड़ जछते हैं
(ख)नगर की योजनछ अत्यंत िुव्यवशथथत एवं वैज्ञछशनक रूप िे तछर्का क थी
(ग) िरों की बनछवट अत्यंत बेशमिछि थी (घ) उपयुाक्त िभी
39.िेखक ने दकि आिछर पर डिंिु िछटी की िभ्यतछ को जि िंथकृ शत कहछं है?
(क) डिंिु नदी के आिछर पर (ख)बेजोड़ शनकछिी व्यवथथछ के आिछर पर (ग) स्नछनछगछर आिछर पर (घ) ये िभी
40.मोहनजोदड़ो की खुदछई कछ कछम दकि कछरर् बंद कर ददयछ गयछ ?
(क) मजदूरों की कमी के कछरर् (ख) बहुत अशिक िमय बबछाद होने के कछरर्
(ग) डिंिु के पछनी के ररिछव के कछरर् (घ) िछिनों के अभछव के कछरर्
41. डिंिु िभ्यतछ की खूबी उिकछ िौंदया है, जो रछजपोशषत यछ िमा पोशषत नछ होकर िमछज पोशषत थछ -कथन कछ क्यछ तछत्पया है?
(क) इि िभ्यतछ के कें द्र में िमछज को प्रथम थथछन ददयछ गयछ है (ख) इि िभ्यतछ में कोई रछजछ नहीं थछ
(ग) इि िभ्यतछ में के वि िौंदया बोि िे पूर्ा िस्तुएाँ है (घ) इि िभ्यतछ में आ म्बर अशिक है
42. डिंिु िछटी की िभ्यतछ की वछथतुकिछ, मूर्तायााँ, के ि शवन्यछि, आभूषर् आदद क्यछ प्रमछशर्त करते हैं?
(क) यहााँ के िोगों के जीवन के खछिीपन को। (ख) यहााँ के िोगों के िौंदया बोि और उनकी किछत्मक रुशच को
(ग) िमछज में शनम्न वगा की शथथशत को। (घ) उच्च वगा की किछ और िंथकृ शत को
43. "िशक्त िे डिंिु िभ्यतछ कछ कोई िंबंि नहीं है",इि तथ्य को कौन िछ कथन ित्य शिि करतछ है?
(अ ) दकिी युि कछ वर्ान न शमिनछ (ख) कहीं भी हशथयछर के दिान न होनछ
(ग) दकिी औजछर कछ उल्िेख न होनछ (घ) रछजव्यवथथछ कछ न होनछ
44. मोहनजोदड़ो के महछकुं िे क्यछ प्रदर्िात होतछ है?
(क) यह िछमुदछशयक भेदभछव को प्रदर्िात करतछ है (ख) यह िहााँ के िोगों की आथथछ को प्रदर्िात करतछ है
(ग) इििे िभ्यतछ की प्रमछशर्कतछ पर प्रश्न शचन्ह िगतछ है (घ) यह िछमुदछशयक एकतछ को प्रदर्िात करतछ है
45. डिंिु िभ्यतछ में कुं के ति में और दीवछरों पर ईंटों के बीच चूने और शचरोड़ी के गछरे कछ उपयोग दकि शिए दकयछ जछतछ होगछ?
(क) कुं कछ पछनी ररि नछ िके (ख) बछहर कछ अिुि पछनी कुं में नछ जछने पछए
(ग) कुं की िुंदरतछ बढ़छने के शिए (घ) ‘क’ और ‘ख’ दोनों
46. मोहरें , िछतु, पत्थर की मूर्तायााँ आदद के शमिने पर क्यछ िंभव हो पछयछ है?

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(क) डिंिु िछटी िभ्यतछ कछ अध्ययन करनछ (ख) भशवष्य की अध्ययन की पृष्ठभूशम तैयछर करनछ
(ग) इशतहछि की पयछाि जछनकछरी शमिनछ (घ) ऐशतहछशिक थथि कछ ज्ञछन होनछ
47. ‘अतीत में दबे पााँि’ में िेखक ने दकिकछ वर्ान दकयछ है?
(क) इशतहछि के अन्ु ए पक्षों कछ (ख) पौरछशर्क थमृशतयों के अध्ययन कछ
(ग) इशतहछिकछरों की िोच वह शवचछर िशक्त का (घ) डिंिु िछटी िभ्यतछ कछ
48. मोहनजोदड़ो में शथथत अजछयबिर को दकिके िमछन बतछयछ गयछ है?
(क) कथबछई थकू ि की इमछरत के िमछन। (ख) मुदों के टीिे के िमछन।
(ग) िंपन्न बथती के िमछन। (घ) शनयोशजत व्यवथथछ के िमछन।
49. डिंिु िछटी िभ्यतछ की खोज की िुरुआत में िहााँ की खेती के िंबंि में क्यछ िमिछ जछतछ थछ?
(क) इि िछटी के िोग उन्नत दकथम की खेती करते थे (ख) इि िछटी के िोग अन्न नहीं उगछते थे
(ग) इि िछटी के िोग के वि ज्वछर की खेती करते थे (घ) इि िछटी के िोग खेती में ददिचथपी नहीं रखते थे
50.डिंिु िछटी की िभ्यतछ दूिरी िभ्यतछओं िे दकि प्रकछर शभन्न थी?
(क) पूर्ात: रछजछशश्रत िभ्यतछ थी (ख) यह सभ्यता िछिन िंपन्न थी
(ग) इिमें दकिी एक कछ प्रभुत्व नहीं थछ बशल्क एकतछ व िमृशि िे पररपूर्ा िभ्यतछ थी
(घ) इिमें शनम्न वगा पर शविेष ध्यछन ददयछ गयछ तछदक उनकछ शवकछि हो िके
51.िेखक ने डिंिु िभ्यतछ को जि िंथकृ शत दकि आिछर पर कहछ है?
(क) उि िमय अशिक वषछा होने के कछरर् (ख)नदी, कु एाँ, कुं , स्नछनछगछर और बेजोड़ जि शनकछिी के कछरर्
(ग) के वि नददयों के दकनछरे बिी होने के कछरर् (घ) जि की बबछादी को रोकने के कछरर्
52."मोहनजोदड़ो िे शमिे कुं की बनछवट इिके अनुष्ठछशनक प्रयोग कछ प्रमछर् मछनछ जछतछ है" इि कथन िे क्यछ तछत्पया है?
(क) कुं कछ उपयोग पशवत्र यछ अनुष्ठछशनक रूप में दकयछ जछतछ होगछ (ख)कुं की बनछवट के शवषय में कोई जछनकछरी उपिधि नहीं
(ग) कुं एक िमा शविेष कछ द्योतक नछ होकर िंपूर्ा िमछज कछ रूप है (घ) कुं के वि उच्च वगा के प्रयोग हेतु थछ
53. अतीत के दबे पछव पछठ में िेखक ने िभ्यतछ के नि होने कछ कछरर् दकिे मछनछ है?
(क) प्रगशत के पथ पर शनरं तर पढ़ने को (ख) िहााँ के िोगों को (ग) उत्खनन कछया को (घ) िही िमय पर िही शनर्ाय नछ िेने को
54. मोहनजोदड़ो के िरों की मोटी दीवछरों िे क्यछ अनुमछन िगछयछ जछ िकतछ है?
(क) यह दीवछरें के वि प्रदिान मछत्र के शिए बनछई गई होंगी (ख)यह दीवछरें प्रछकृ शतक आपदछ िे बचने के शिए बनी होंगी

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(ग) इन दीवछरों पर दूिरी मंशजि भी रही होगी (घ) इन दीवछरों पर िुंदर शचत्रकछरी करनी होगी
55. डिंिु िछटी की िभ्यतछ में शमिे अजछयबिर की िबिे बड़ी शविेषतछ क्यछ है?
(क) यह अजछयबिर बहुत शविछि और िुंदर है (ख)इिमें िभी प्रकछर की िस्तुएाँ िंग्रशहत हैं
(ग) इिमें औजछर तो है परं तु हशथयछर नहीं है (घ) इिमें उत्कृ ि किछत्मकतछ ददखछई देती है
56. डिंिु िछटी के नगर शनयोजन, वछथतु किछ, शिल्प किछ ,िड़क शनमछार् ,आदद िे ज्ञछत होतछ है दक ------।
(क) यह के वि खं हर ही थे (ख) यह खं हर के प्रमछर् नहीं है (ग) यह के वि बछहरी आ ब
ं र थे (घ) यह दकिी िमछज को व्यछख्यछशयत नहीं करते हैं
57. ताम्रकालीन िहरों में सबसे ब़िा िहर क्रकसे माना जाता है?
(क) ह़िप्पा (ख) मुअनजो-द़िो (ग) कालीबंगा (घ) चंर्ीगढ़
58. मुअनजो-द़िो की खुदाई में कौन-कौनसी िस्तुएाँ प्राप्त हुई हैं?
(क) इमारतें ि स़िकें (ख) धातु-पत्थर की मूर्तायााँ (ग) चक पर बने वचवत्रत भांर्े (घ) उपयुाक्त सभी
59. मुअनजो-द़िो में वस्थत बौद्ध स्तूप की खोज कब ि क्रकसने की थी?
(क) 1921 में राखालदास बनजी ने (ख) 1922 में राखालदास बनजी ने
(ग) 1923 में राखालदास बनजी ने (घ) 1924 में राखालदास बनजी ने
60. वनम्नवलवखत में से भारत का कौनसा िहर ‘वग्रर् प्लान’ पर बना हुआ है?
(क) चंर्ीगढ़ (ख) रायपुर (ग) क्रदल्ली (घ) लखनऊ
61. ‘अतीत में दबे पााँि’ पाठ में टीले के पास बने महाकुं र् को क्या नाम क्रदया गया है?
(क) राजमागा (ख) जलमागा (ग) िायुमागा (घ) दैि मागा
62. हसंधु-घाटी सभ्यता को माना जाता है?
(क) खेवतहर सभ्यता (ख) पिुपालक सभ्यता (ग) खेवतहर ि पिुपालक सभ्यता (घ) ये सभी
63. हसंधु-घाटी सभ्यता में वनम्न में से क्रकसका अभाि था?
(क) तााँबे का (ख) पत्थर का (ग) लोहे का (घ) सभी का
64. हसंधु-घाटी सभ्यता में वनम्न में से कौनसी खेती नहीं होती थी?
(क) गेहाँ एिं जौ (ख) कपास एिं सरसों (ग) चने एिं ज्िार (घ) मूंगफली
65. . मुअनजो-द़िो के सभी खंर्हरों की खुदाई करनेिाले पुरातत्ििेर्त्ाओं को क्या संवक्षप्त नाम क्रदया गया है?
(क) सीके (ख) आरके (ग) र्ीके (घ) बीके
66. चंर्ीगढ़ िहर का िास्तुकार कौन था?
(क) विद्याधर भिाचाया (ख) काबूावजए (ग) राखालदास बनजी (घ) कोई नहीं
67. हसंधु-घाटी सभ्यता में दाढ़ी िाले याजक-नरे ि की मूर्ता कहााँ वमली थी?
(क) र्ीके -बी, सी हलके में (ख) एच आर हलके में (ग) दोनों में (घ) क्रकसी में भी नहीं
68. प्रवसद्ध नताकी विल्प एिं कं काल क्रकस हलके में वमले थे?

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(क) र्ीके -बी हलके में (ख) र्ीके -सी हलके में (ग) एच आर हलके में (घ) कोई नहीं
69. मुअनजो-द़िो में वनम्न में से क्रकन्द्हें छो़िकर बाकी अन्द्य सभी िस्तुएाँ चौकोर या आयताकार बनी हुई है?
(क) कु ओं को (ख) सर्कों को (ग) गवलयों को (घ) महाकुं र् को
70. हसंधु-घाटी सभ्यता में कौनसे जानिरों की तसिीरें प्राप्त हुई हैं?
(क) हाथी (ख) िेर (ग) गेंर्ा (घ) ये सभी
71. कु लधरा गााँि क्रकस रं ग के पत्थरों से बना हुआ था?
(क) पीला (ख) हरा (ग) लाल (घ) नीला
72. आज छापेिाला कप़िा ‘अजरक’ कहााँ की ख़ास पहचान है?
(क) हसंध की (ख) जयपुर की (ग) चंर्ीगढ़ की (घ) गुरदासपुर की
73. हसंधु-घाटी सभ्यता की तसिीरें उतारते समय दृश्यों के रं ग उ़िे हुए क्यों प्रतीत होते हैं?
(क) धूल उ़िने के कारण (ख) चौंवधयाती धूप के कारण (ग) अत्यवधक नमी के कारण (घ) ये सभी
74. हसंधु-घाटी सभ्यता के संबंध में कौन-सा कथन सही नहीं है?
(क) िहााँ की अन्न-भंर्ारण व्यिस्था, जल-वनकासी की व्यिस्था अत्यंत विवक्सत और पररपक्व थी।
(ख) हसंधु-घाटी सभ्यता में भव्यता का आर्ंबर नहीं था।
(ग) हसंधु-सभ्यता ताकत से िावसत होने की अपेक्षा समझ से अनुिावसत सभ्यता थी।
(घ) हसंधु-सभ्यता के लोगों में कला या सुरुवच का वबलकु ल अभाि था।
75. वनम्नवलवखत कथनों पर विचार कीवजए –
(क) हसंधु सभ्यता हसंधु नदी के क्रकनारे बसी है। (ख) यहााँ पीने के पानी के वलए लगभग सात सौ कु एाँ वमले हैं
(ग) जल-वनकासी के वलए नावलयााँ एिं नाले बने हुए हैं (घ) हसंधु-सभ्यता एक तानािाही सभ्यता थी
उपररवलवखत कथनों में से कौन-सा/ कौन-से सही है/हैं
(क) के िल (क) (ख) के िल (ग)
(ग) (क), (ख) और (ग) (क), (ख) और (घ)
76. वनम्नवलवखत कथन कारण को ध्यानपूिाक पक्रढ़ए उसके बाद दी गए विकल्पों में से कोई एक सही विकल्प चुनकर वलवक्जए –
कथन (A) : लेखक ओम थानिी सबसे पहले ऊाँचे चबूतरे पर बने बौद्ध स्तूप पर पहुाँचा।
कारण (R) : इस बौद्ध स्तूप को नागर सभ्यता का सबसे पुराना लैंर्स्के प कहा गया है।
(क) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण कथन की सही व्याख्या करता है (ख) कथन (A) गलत है लेक्रकन कारण (R) सही है
(ग) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों गलत हैं। (घ) कथन (A) सही है लेक्रकन कारण (R) उसकी गलत व्याख्या करता है।
77. . कॉलम ‘क’ का कॉलम ‘ख’ से उवचत वमलान कीवजए –
कॉलम ‘क’ कॉलम ‘ख’
(क) चंर्ीगढ़- (i)वग्रर् प्लान
ख) टीले के पास वस्थत महाकुं र्- (ii) वग्रर् िैली
(ग) सर्कों का एकदम सीधा या आ़िा होना- (iii) पूरब की बस्ती
(घ) रईसों की बस्ती- (iv) दैि मागा

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(क) क-iii, ख-iv, ग-i, घ-ii (ख) क-ii, ख-iv, ग-i, घ-iii
(ग) क-iv, ख-iii, ग-ii, घ-i (घ) क-ii, ख-i, ग-iv, घ-iii
उर्त्रमाला : 1. (ग) 2. (ग) 3. (क) 4. (ग) 5. (घ) 6. (घ) 7. (ख) 8. (क) 9. (ग) 10. (क) 11. (क) 12. (क) 13. (घ) 14. (ग) 15. (ग) 16. (ग) 17. (ग) 18.
(क) 19. (ख) 20. (ग) 21. (क) 22. (क) 23. (क) 24. (ख) 25. (ख) 26. (ख) 27. (ख) 28. (ग) 29. (ग) 30. (ख) 31. (क) 32. (ख) 33. (क) 34. (क) 35.
(क) 36. (क) 37. (क) 38. (घ) 39. (घ) 40. (ग) 41. (क) 42. (ख) 43. (ख) 44. (घ) 45. (घ) 46. (क) 47. (घ) 48. घ) 49. (ख) 50. (ग) 51. (ख) 52. (क)
53. (क) 54. (ग) 55. (ग) 56. (ख) 57. (ख) 58. (घ) 59. (ख) 60. (क) 61. (घ) 62. (ग) 63. (ग) 64. (घ) 65. (ग) 66. (ख) 67. (क) 68. (ग) 69. (क) 70.
(घ) 71. (क) 72. (क) 73. (ख) 74. (घ) 75. (ग) 76. (क) 77. (ख)

प्रश्न संख्या : 7 अप्रत्यावित विषयों पर रचनात्मक लेखन


नए और अप्रत्यछशित शवषयों पर रचनछत्मक िेखन (6 अंक)
शनदेि और ध्यछन रखने योग्य मुख्य डबंद-ु
● इि प्रश्न के शिए 6 अंक शनिछाररत दकए गए हैं। शजिमें मौशिकतछ के शिए 2 अंक, शवषय वथतु के शिए 3 अंक और भछषछ की िुितछ के शिए 1 अंक
शनिछाररत है।
● िधद िीमछ- 120 िब्द है। इतने िधद की यह िीमछ थोड़ी-बहुत आगे-पी्े कर िकते हैं, िेदकन बहुत ज्यछदछ नहीं। जैिे 120 िधद िीमछ के शिए हम 110
िे 130 तक भी शिखेंगे तो गित नहीं है। बछत पूरी और थपि ढंग िे रचनछत्मकतछ के िछथ आ जछनी चछशहए।
● अप्रत्यछशित िधद कछ अथा है- अ+प्रशत+आिछ+इत = अप्रत्यछशित अथछात् शजिकी आिछ न की गई हो। अथछात् एकदम नयछ और मौशिक शवषय जो त्वररत
रूप िे हमछरे िछमने आतछ है, उि शवषय पर हम दकि प्रकछर िृजनछत्मकतछ के िछथ िोच कर शिख िकते हैं, यह इि प्रश्न कछ उद्देश्य है।
● दकिी नए अथवछ अप्रत्यछशित शवषय पर कम िमय में अपने शवचछरों को िंकशित कर उन्हें िुंदर ढंग िे अशभव्यक्त करनछ ही अप्रत्यछशित शवषयों पर िेखन
कहिछतछ है।
● शवषय पर शिखने िे पहिे िेखक को अपने मशथतष्क में उिकी एक उशचत रूपरे खछ बनछ िेनी चछशहए।
● शवषय िे जुड़े अन्य तथ्यों की जछनकछरी होनछ भी आवश्यक है। िुिंबितछ दकिी भी िेखन कछ बुशनयछदी तत्व होतछ है।
● रचनछत्मक िेखन के अन्तगात आपको दकिी भी प्रकृ शत कछ कोई भी शवषय ददयछ जछ िकतछ है।
● िेख में आपकी कही गई बछतें न शिफ़ा आपि में जुड़ी हुई हों, अशपतु उनमें तछिमेि भी हो। आपकी दो बछतें एक-दूिरे कछ खं न करती हुई नहीं होनी
चछशहए।
● नए तथछ अप्रत्यछशित शवषयों के िेखन में आत्मपरक 'मैं' िैिी कछ प्रयोग दकयछ जछ िकतछ है।
● इि िैिी के प्रयोग िे िेखक के शवचछरों और उिके व्यशक्तत्व की ििक प्रछि होती है।

94
पछरम्पररक और अप्रत्यछशित शवषयों में अन्तर- पछरम्पररक शवषय वे शवषय होते हैं जो दकिी मुद्द,े शवचछर, िटनछ आदद िे जुड़े होते हैं और अशिकतर िछमछशजक और
रछजनीशतक शवषय होते हैं। इिमें आप अपनी व्यशक्तगत रछय को उतनी प्रछथशमकतछ न देकर िछमूशहक शवचछर पर ज़ोर देते हैं जबदक अप्रत्यछशित शवषयों पर िेखन
में आपके अपने शनजी शवचछर होते हैं।
हर िर शतरं गछ
भछरत की आजछदी के 75 वषा पूर्ा होने पर प्रिछनमंत्री श्री नरें द्र मोदी द्वछरछ 13 िे 15 अगथत 2022 तक हर िर रछष्ट्रीय ध्वज शतरं गछ िहरछने हेतु शविेष आह्वछन
दकयछ गयछ। इि अशभयछन के मछध्यम िे देि के नछगररकों के ददिों में रछष्ट्रीय ध्वज के प्रशत िम्मछन की भछवनछ पैदछ कर देिभशक्त की भछवनछ को बढ़छनछ है। हर िर
शतरं गछ अशभयछन कछ िक्ष्य है दक प्रत्येक नछगररक देि की रक्षछ के शिए हमेिछ तत्पर रहे। यह अशभयछन देिभशक्त की भछवनछ को उच्चतम थतर तक पहुाँचाने में मदद
करे गछ। यह एक रछष्ट्र के रूप में हमछरी प्रशतबितछ को दिछाने कछ एक अर्च्छ तरीकछ है शजििे हमछरे रछष्ट्रीय ध्वज के प्रशत िम्मछन बढ़ेगछ। यह अशभयछन भछरतीय
नछगररकों को रछष्ट्र के प्रशत अपनी शजम्मेदछररयों की यछद ददिछएगछ। (िब्द 124)
आजछदी कछ अमृत महोत्िव
भछरत की “आजछदी का अमृत महोत्िव” प्रिछनमंत्री श्री नरें द्र मोदी जी ने 12 मछचा, 2021 को िुरू दकयछ। यह कछयाक्रम 15 अगथत 2022 िे 75 ििछह पहिे िुरू
हुआ और 15 अगथत 2023 तक चिेगछ। आजछदी के अमृत महोत्िव कछ अथा है- थवतंत्रतछ िेनछशनयों िे प्रछि प्रेरर्छ कछ अमृत। भछरत के पछि एक िमृि ऐशतहछशिक
चेतनछ और िछंथकृ शतक शवरछित कछ अथछह भं छर है शजि पर हमें गवा होनछ चछशहए। भछरत की िछंथकृ शतक शवरछित को िर-िर पहुाँचछने हेतु िछबरमती आश्रम,
अहमदछबछद (गुजरछत) िे 80 िोगों के दि के िछथ पदयछत्रछ (थवतंत्रतछ मछचा) कछ आयोजन दकयछ गयछ, जो गछंिीजी की दछं ी यछत्रछ िे प्रेररत है। गछंिी जी की दछं ी
यछत्रछ की तरह इि पदयछत्रछ में 25 ददन में 241 मीि कछ रछथतछ 5 अप्रैि तक पूर्ा करने कछ िक्ष्य रखछ। इि कछयाक्रम कछ उद्देश्य युवछ पीढ़ी को थवतंत्रतछ िेनछशनयों
के बशिदछन के प्रशत जछगरूक करनछ और उन्हें श्रिछंजशि देनछ है। यह महोत्िव भछरत के उन िभी थवतंत्रतछ िेनछशनयों को िमर्पात है शजन्होंने देि को आज़ाद करछने
में महत्वपूर्ा भूशमकछ शनभछई। (िब्द 168)
अशिपथ योजनछ
“अशिपथ योजनछ” ििस्त्र बिों की तीनों िेनछओं में कमीिन अशिकछररयों के पद िे नीचे के िैशनकों की भती के शिए भछरत िरकछर द्वछरछ िुरू की गई एक नई
योजनछ है। इि योजनछ के तहत िेनछ में िछशमि होने वछिे जवछनों को ‘अशिवीर’ के नछम िे जछनछ जछएगछ। अशिपथ के शिए 17.5 िछि िे 21 िछि के बीच के
उम्मीदवछर आवेदन कर िकें गे। भती होने वछिे युवछओं को ्ह महीने तक ट्रेडनंग दी जछएगी, इिके बछद 3.5 िछि तक िेनछ में िर्वाि देनी होगी। चछर वषा की िेवछ
के पिछत 25 प्रशतित अशिवीरों को उनकी कु िितछ के आिछर पर थथछई दकयछ जछएगछ। थथछई कै र कछ शहथिछ बन जछने के पिछत अशिवीरों को बछकी जवछनों की
ही तरह पेंिन और अन्य सुविधाएाँ मुहय
ै छ करछई जछएगी। िेवछ िमछशि के पिछत अशिवीरों को उनकी कु िितछ के अनुरूप कौिि प्रमछर्-पत्र ददयछ जछएगछ। इि
योजनछ कछ मुख्य उद्देश्य देि के युिाओं को 4 वषा के शिए िेनछ में भती करनछ है शजििे दक उन िभी युवछओं कछ िपनछ पूरछ हो िके जो िेनछ में भती होनछ चछहते
हैं। (िब्द 172)

95
रछष्ट्रीय शिक्षछ नीशत 2020
रछष्ट्रीय शिक्षछ नीशत 2020, 21वीं ितछधदी की पहिी शिक्षछ नीशत है। शजिकछ िक्ष्य हमछरे देि के शवकछि के शिए अशनवछया आवश्यकतछओं को पूरछ करनछ है। यह
नीशत वतामछन की 10+2 वछिी थकू िी व्यवथथछ को 3 िे 18 वषा के िभी बच्चों के शिए पछठ्यचयछा आिछर पर 5+3+3+4 की एक नयी व्यवथथछ के रूप में पुनगारठत
करती है। वतामछन में 3 िे 6 वषा की उम्र के बच्चे 10+2 वछिे ढछंचे में िछशमि नहीं हैं। नए 5+3+3+4 ढछंचे में 3 वषा के बच्चों को िछशमि कर प्रछरं शभक बछल्यछवथथछ
देखभछि और शिक्षछ (ईिीिीई) की एक मजबूत बुशनयछद को िछशमि दकयछ गयछ है शजििे आगे चिकर बच्चों कछ शवकछि बेहतर हो, वे बेहतर उपिशधियााँ हछशिि
कर िकें और खुिहछि हों। रछष्ट्रीय शिक्षछ नीशत प्रत्येक व्यशक्त में शनशहत रचनछत्मक क्षमतछओं के शवकछि पर शविेष ज़ोर देती है। (िब्द 133)
शिक्षछ कछ अशिकछर
शिक्षछ के महत्त्व को देखते हुए भछरत िरकछर ने िभी के शिए शिक्षछ को अशनवछया करने के उद्देश्य िे शिक्षछ कछ अशिकछर अशिशनयम 2009 पछररत दकयछ। यह
अशिशनयम 6 िे 14 वषा तक की आयु के िभी बच्चों के शिए शन:िुल्क और अशनवछया शिक्षछ कछ अशिकछर प्रदछन करतछ है। शिक्षछ कछ अशिकछर अशिशनयम 2009 देि
में 1 अप्रैि 2010 को िछगू दकयछ गयछ। शिक्षछ को मौशिक अशिकछर कछ दजछा देने वछिछ भछरत शवश्व कछ 135वछाँ देि बन गयछ। इिकछ मुख्य उद्देश्य प्रछरं शभक शिक्षछ
िे िंबंशित है। इिके तहत शवद्यछथी-शिक्षक अनुपछत (40 : 1) भी शनशित दकयछ गयछ है। यह अशिशनयम शिक्षछ के कें द्र में बच्चों को रखकर गुर्वत्तछपूर्ा शिक्षछ प्रदछन
करने के शिए प्रशतबि है। (िब्द 115)
अभ्यछि हेतु रचनछत्मक िेखन :-
● बछररि की वह िुबह ● मिूरी के रछथते बि कछ ख़रछब होनछ ● कछि! मैं उड़ पछतछ ● पॉशिथीन मुक्त भछरत
● मेरे बगीचे में शखिछ गुिछब ● नदी के दकनछरे बरिछत में शिर जछनछ ● दुिाटनछ िे देर भिी ● रछष्ट्र शनमछार् में नछरी की भूशमकछ
● शवद्यछिय में मेरछ शप्रय कोनछ ● अगर मैं दिल्म बनछतछ ● चछाँदनी रछत और मैं ● गछाँव िौटते मजदूर
● प्रछतःकछि योग करते िोग ● प्रदूषर् मुक्त प्रकृ शत कछ थवप्न ● मैंने हछरनछ नहीं िीखछ ● िर िे शवद्यछिय कछ िफ़र

प्रश्न संख्या 8 : गद्य विधाएाँ- कहानी, नाटक और अप्रत्यावित लेखन


पछठ्य पुथतक अशभव्यशक्त और मछध्यम पछठ िंख्यछ- 11,12 और 13 पर आिछररत
कहछनी कछ नछट्य रूपछंतरर्
प्रश्न 1. नछट्य रूपछंतरर् में दकि प्रकछर की मुख्य िमथयछ कछ िछमनछ करनछ पड़तछ है?
उत्तर-नछट्य रूपछंतरर् करते िमय अनेक िमथयछओं कछ िछमनछ करनछ पड़तछ है जो इि प्रकछर है-
1. िबिे प्रमुख िमथयछ कहछनी के पछत्रों के मनोभछवों व मछनशिक द्वंद्वों की नछटकीय प्रथतुशत में आती है।
2. पछत्रों के द्वंद्व को अशभनय के अनुरूप बनछने और िंवछदों को नछटकीय रूप प्रदछन में िमथयछ आती है।

96
3. िंगीत, ध्वशन और प्रकछि व्यवथथछ करने और कथछनक को अशभनय के अनुरूप बनछने में िमथयछ होती है।
प्रश्न 2. कहछनी कछ नछट्य रूपछंतरर् करते िमय िंवछद-योजनछ में दकन-दकन बछतों कछ ध्यछन रखनछ चछशहए?
उत्तर-कहछनी अथवछ कथछनक कछ नछट्य रूपछंतरर् करते िमय शनम्नशिशखत आवश्यक बछतों कछ ध्यछन रखनछ चछशहए-
• नए शिखे िंवछद कहछनी के मूि िंवछदों िे मेि खछते हो।
• नछटकीय िंवछदों कछ कहछनी के मूि िंवछदों के िछथ मेि होनछ चछशहए।
• कहछनी के िंवछदों को नछट्य रूपछंतरर् में एक शनशित थथछन शमिनछ चछशहए।
• िंवछद िहज, िरि, िंशक्षि, िटीक, प्रभछविैिी और बोिचछि की भछषछ में होने चछशहए।
• िंवछद अशिक िंबे और ऊबछऊ नहीं होने चछशहए।
प्रश्न 3. कहछनी कछ नछट्य रूपछंतरर् करते िमय दृश्य शवभछजन कै िे करते हैं?
उत्तर-कहछनी कछ नछट्य रूपछंतरर् करते िमय दृश्य शवभछजन शनम्न प्रकछर करते हैं-
1. कहछनी की कथछवथतु को िमय और थथछन के आिछर पर शवभछशजत करके दृश्य बनछए जछते हैं।
2. एक थथछन और िमय पर िट रही िटनछ को एक दृश्य में शियछ जछतछ है।
3. दूिरे थथछन और िमय पर िट रही िटनछ को अिग दृश्यों में बााँटा जछतछ है।
4. दृश्य शवभछजन में कथछक्रम और शवकछि कछ भी ध्यछन रखछ जछतछ है।
प्रश्न 4. कहछनी को नछटक में दकि प्रकछर रूपछंतररत दकयछ जछ िकतछ है?
उत्तर-कहछनी को नछटक में रूपछंतररत करने के शिए अनेक महत्त्वपूर्ा बछतों कछ ध्यछन रखनछ आवश्यक है -
• कहछनी की कथछवथतु को िमय और थथछन के आिछर पर शवभछशजत दकयछ जछतछ है।
• कहछनी में िरटत शवशभन्न िटनछओं के आिछर पर दृश्यों कछ शनमछार् दकयछ जछतछ है।
• कथछवथतु के अनुरूप मंच िज्जछ और िंगीत कछ शनमछार् दकयछ जछतछ है।
• कथछ-वथतु को शवभछशजत करके दृश्यों को शिखछ जछनछ चछशहए।
• जो दृश्यों में नहीं आयछ हो जैिे पररवेि कछ शववरर् यछ पररशथथशतयों पर रटप्पर्ी उिे मंच िज्जछ, पछश्वा िंगीत और प्रकछि व्यवथथछ के द्वछरछ ददखछयछ जछतछ है
• मछनशिक द्वंद्व के शिए थवगत कथन यछ वछयि ऑवर कछ प्रयोग करनछ चछशहए।
• रं गमंच की िंभछवनछओं को भी ध्यछन में रखनछ चछशहए।
रे श यो नछटक

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कै िे बनतछ है रे श यो नछटक : ‘रे श यो नछटक’ नछटक कछ वह रूप है जो रे श यो पर प्रिछररत होतछ है। रे श यो श्रव्य मछध्यम है शजिमें दृश्य (शवजुअल्ि) नहीं होते और
न ही दिाक और अशभनेतछ आमने-िछमने। रे श यो नछटक िेखन शिनेमछ यछ रं गमंच के िेखन िे थोड़छ शभन्न है और करठन भी। यहछाँ आपकी िहछयतछ के शिए न मंच
िज्जछ तथछ न वस्त्र िज्जछ है और न ही अशभनेतछ के चेहरे की भछव भंवगमाएाँ। आपको िब कु ् िंवछदों और ध्वशन प्रभछवों के मछध्यम िे ही िंप्रेशषत करनछ होतछ है।
अत: रे श यो नछटक िेखन के शिए शनम्न शबन्दुओं को मद्देनज़र रखनछ आवश्यक है –
1. कहछनी कछ चुनछव- रे श यो नछटक के शिए आवश्यक है दक कहछनी ‘एक्िन बेथ ’ न हो। अथछात् कहछनी ऐिी हो जो पूरी तरह एक्िन पर शनभार न हो।
क्योंदक रे श यो पर बहुत अशिक एक्िन कछ जहछाँ प्रभछव उत्पन्न करनछ मुशश्कि होतछ है वहीं श्रोतछओं को उबछऊ भी िगतछ है।
2. िमयछवशि-रे श यो नछटक की अवशि 15 शमनट िे 30 शमनट तक की ही होनी चछशहए। क्योंदक रेश यो के श्रोतछ शिनेमछ की तरह ‘कै शप्टव ऑश यंि’ नहीं हैं
जो एक शनशित िमय के शिए एक जगह शविेष पर बैठ कर देखने को बछध्य हों।
3. पछत्रों की िंख्यछ–चूाँदक रे श यो नछटक की िमयछवशि कम होती है और श्रव्य मछध्यम होने के कछरर् पछत्रों को शििा उनकी आवछज़ िे ही पहचछननछ होतछ है
इिशिए रे श यो नछटक के पछत्रों की िंख्यछ 5-6 होनी चछशहए।
4. िंवछद और ध्वशन प्रभछव–रे श यो नछटक में पछत्रों, िटनछओं / दृश्यों िम्बंशित िमथत जछनकछरी िंवछदों के द्वछरछ ही प्रछि होती है। तो उिी के अनुिछर िंवछद
और ध्वशन कछ शनमछार् / चयन दकयछ जछए।
रे श यो नछटक के तत्व -
रे श यो नछटक में ये 3 तत्व महत्वपूर्ा है- 1. भछषछ, 2. ध्वशन और 3. िंगीत (इन तीनों के किछत्मक िंयोजन िे शविेष प्रभछव उत्पन्न दकयछ जछतछ है।)
(1.) भछषछ- भछषछ कें द्र में है और यह ध्यछतव्य है दक भछशषत िधद की िशक्त शिशखत िधद िे अशिक होती है और िधद प्रयोग ऐिे हों शजनकछ उच्चछरर्, वछशचक
अशभनय िंपन्न हो िके । (2.) ध्वशन और िंगीत- िंगीत िछमछन्यत: दृश्य पररवतान और िंवछद के बीच के अंतरछि को भरने के शिए उपयोग में आतछ है तथछ नछटक
की शवषय वथतु और कथ्य के अनुरूप वछतछवरर् के शनमछार् के शिए भी। यह वछतछवरर् अदृश्य होतछ है इिशिए िंगीत की आवश्यकतछ और भूशमकछ और बढ़ जछती
है। िधदों के मछध्यम िे तो वछतछवरर् कछ िृजन होतछ ही है िंगीत कछ योगदछन भी शवशिि होतछ है।
प्रश्न: 1. रे श यो नछटक और शिनेमछ यछ रं गमंच में क्यछ-क्यछ अिमछनतछ है?
उत्तर: रे श यो एक श्रव्य मछध्यम है, जबदक शिनेमछ यछ रं गमंच एक दृश्य मछध्यम है। रे श यो नछटक में िब कु ् िंवछदों एवं ध्वशन प्रभछवों के मछध्यम िे िंप्रेशषत
करनछ पड़तछ है। रे श यो नछटक में मंच िज्जछ, वस्त्र िज्जछ एवं अशभनेतछ के चेहरे की भछव-भंशगमछओं कछ अभछव होतछ है, जबदक शिनेमछ यछ रं गमंच में ये िभी चीजें
आिछनी िे उपिधि हो जछती हैं।
प्रश्न: 2. रे श यो नछटक की अवशि यछ िमय-िीमछ पर रटप्पर्ी शिशखए।

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उत्तर: िछमछन्यत: रे श यो नछटक की अवशि 15 िे 30 शमनट की होती है, इिके अनेक कछरर् होते हैं; श्रोतछ अशिकतम 15 िे 30 शमनट तक ही एकछग्रतछ बनछकर
रे श यो नछटक को िुन िकतछ है। नछटक यदद अशिक िंबछ यछ उबछऊ महिूि होतछ है तो वह दकिी दूिरे थटेिन को ट्यून कर िकतछ है यछ दिर उिकछ ध्यछन कहीं
और जछ िकतछ है।
प्रश्न: 3. रे श यो नछटक में पछत्रों की िंख्यछ के िंबंि में अपने शवचछर व्यक्त कीशजए।
उत्तर: रे श यो नछटक में िब कु ् िंवछदों पर आिछररत होतछ है। इिशिए यदद अशिक पछत्र/चररत्र होंगे तो कथछ कछ उशचत शवकछि नहीं हो पछएगछ और रे श यो नछटक
कछ थवरूप प्रभछशवत होगछ। रेश यो नछटक में दृश्यों कछ अभछव होने के कछरर् श्रोतछ को िंवछदों को िुनकर ही पछत्रों के िछथ अपनछ ररश्तछ बनछए रखता है क्योंदक
श्रोतछ शििा आवछज़ के िहछरे ही पछत्रों को यछद रख पछतछ है।
प्रश्न: 4. रे श यो नछटक के शिए िंवछद शिखते िमय दकन बछतों कछ ध्यछन रखनछ चछशहए।
उत्तर: रे श यो नछटक एक श्रव्य मछध्यम है। अत: श्रव्य मछध्यम होने के कछरर् रे श यो नछटक में िब कु ् िंवछदों के मछध्यम िे िम्पन्न होतछ है; इिशिए िभी पछत्रों/
चररत्रों को अपने िंवछदों में एक-दूिरे को नछम िे िंबोशित दकयछ जछनछ चछशहए। ऐिछ करने िे श्रोतछ रे श यो नछटक के िंवछदों के िछथ ररश्तछ कछयम करते हुए नछटक
कछ भरपूर रिछथवछदन कर पछएगछ।
प्रश्न: 5. रे श यो को मनोरं जन कछ िबिे िथतछ और िुिभ िछिन क्यों मछनछ गयछ है?
उत्तर: रे श यो एक ्ोटछ यंत्र/मिीन है शजिे आप आिछनी िे कहीं भी िे जछ िकते हो एवं इिकछ उपयोग कर िकते हो। पहले भछरत कछ आम आदमी रे श यो के
मछध्यम िे ही देि-शवदेि की िटनछओं को जछन पछतछ थछ, कृ शष िे जुड़ी शवशभन्न जानकछररयों को प्रछि कर पछतछ थछ। अत: रे श यो भछरत की कृ शष प्रिछन एवं ग्रछमीर्
अथाव्यवथथछ के शिए मनोरं जन कछ बहुत ही िथतछ एवं िोकशप्रय िछिन थछ।
प्रश्न: 6. रे श यो नछटक शिखते िमय हमें दकन-दकन बछतों कछ ध्यछन रखनछ चछशहए।
उत्तर: रे श यो नछटक शिखते िमय हमें शनम्नशिशखत बछतों कछ ध्यछन रखनछ चछशहए-
● ऐिी कहछनी कछ चयन करनछ चछशहए जो एक्िन प्रिछन न हो।
● िमय-िीमछ कछ ध्यछन रखनछ चछशहए।
● पछत्रों की िंख्यछ कम हो और िंवछद ्ोटे एवं पछत्रों के नछम िशहत हो
● रे श यो नछटक में िब कु ् ध्वशन प्रभछवों के मछध्यम िे प्रेशषत दकयछ जछनछ है।
प्रश्न:7-कहछनी और रे श यो नछटक की िमछनतछएाँ बतछइए।
उतर- कहछनी और रे श यो नछटक में बहुत िी िमछनतछएाँ हैं। इन दोनों में एक कहछनी होती है। पछत्र होते हैं। पररवेि होतछ है। कहछनी कछ क्रशमक शवकछि होतछ है।
िंवछद होते हैं। द्वंद्व होतछ है। चरम उत्कषा होतछ है। इि प्रकछर हम देखते हैं दक नछटक और कहछनी की आत्मछ के कु ् मूि तत्व एक ही हैं। तथछ कहछनी और रे श यो
नछटक दोनों ही मनुष्यों कछ मनोरं जन करते हैं।

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प्रश्न 8– ‘कै शप्टव ऑश यंि’ दकिे कहते हैं?
उत्तर–शिनेमछ यछ नछटक में दिाक अपने िरों िे बछहर शनकिकर दकिी अन्य िछवाजशनक थथछन पर एकशत्रत होते हैं और इन आयोजनों के शिए प्रयछि करते हैं। ये
िभी िोग अनजछन होते हुए भी एक िमूह कछ शहथिछ बनकर एक िछथ शिनेमछ यछ नछटक देखते हैं। ये एक िमय शविेष के शिए दकिी एक प्रेक्षछगृह में एक िछथ
बैठते हैं अथछात् एक थथछन पर क़ै द दकए गए होते हैं। इन्हीं कै द क्रकए हुए दिाकों को अंग्रेजी में कै शप्टव ऑश यंि कहते हैं।
प्रश्न 9- रे श यो नछटक की कहछनी में दकन–दकन बछतों कछ ध्यछन रखनछ आवश्यक है?
उत्तर— रे श यो नछटक में अनेक बछतों कछ ध्यछन रखनछ आवश्यक है जो इि प्रकछर हैं–
1. कहछनी एक िटनछ प्रिछन न हो—कहछनी के वि एक ही िटनछ पर आिछररत नहीं होनी चछशहए
2. िमय िीमछ–रे वर्यो नाटक की अवशि 15 िे 30 शमनट तक हो िकती है। इििे अशिक नहीं होनी चछशहए
3. पछत्रों की िीशमत िंख्यछ—पछत्रों की िंख्यछ िीशमत होनी चछशहए। क्योंदक इिमें श्रोतछ के वि ध्वशन के िहछरे ही पछत्रों को यछद रख पछतछ है।
प्रश्न 10- रे श यो नछटक की शविेषतछओं को थपि कीशजए।
उत्तर— रे श यो नछटक में ध्वशन प्रभछव और िंवछदों कछ शविेष महत्व है जो इि प्रकछर है–
● रे श यो नछटक में पछत्रों िे िंबंशित िभी जछनकछररयााँ व चछररशत्रक शविेषताएाँ िंवछदों के द्वछरछ ही उजछगर होती है।
● नछटक कछ पूरछ कथछनक िंवछदों पर ही आिछररत होतछ है।
● इिमें ध्वशन प्रभछवों और िंवछदों के मछध्यम िे ही कथछनक को श्रोतछओं तक पहुाँचछयछ जछतछ है।
● िंवछदों के मछध्यम िे ही रे श यो नछटक कछ उद्देश्य थपि होतछ है।
● िंवछदों के द्वछरछ ही श्रोतछओं को िंदि
े ददयछ जछतछ है।
प्रश्न 11. रे श यो नछटक और शिनेमछ यछ रं गमंच में क्यछ-क्यछ अिमछनतछएाँ है?
उत्तर: रे श यो एक श्रव्य मछध्यम है, जबदक शिनेमछ यछ रं गमंच एक दृश्य मछध्यम है। रे श यो नछटक में िब कु ् िंवछदों एवं ध्वशन प्रभछवों के मछध्यम िे िंप्रेशषत करनछ
पड़तछ है। रे श यो नछटक में मंच िज्जछ, वस्त्र िज्जछ एवं अशभनेतछ के चेहरे की भछव-भंशगमछओं कछ अभछव होतछ है, जबदक शिनेमछ यछ रं गमंच में ये िभी चीजें आिछनी
िे उपिधि हो जछती हैं अथछात् हम कह िकते हैं दक रे श यो नछटक में िब कु ् आवछज के मछध्यम िे िम्पन्न होतछ है।
प्रश्न 12. रे श यो नछटक के शिए िंवछद शिखते िमय दकन-क्रकन बछतों कछ ध्यछन रखनछ चछशहए।
उत्तर: रे श यो नछटक एक श्रव्य मछध्यम है। श्रव्य मछध्यम में दृश्यों कछ अभछव होतछ है। अत: श्रव्य मछध्यम होने के कछरर् रे श यो नछटक में िबकु ् िंवछदों के मछध्यम
िे िम्पन्न होतछ है; इिशिए िभी पछत्रों/ चररत्रों को अपने िंवछदों में एक-दूिरे को नछम िे िंबोशित दकयछ जछनछ चछशहए। ऐिछ करने िे श्रोतछ रे श यो नछटक के
िंवछदों के िछथ ररश्तछ कछयम करते हुए नछटक कछ भरपूर रिछथवछदन कर पछएगछ।

100
नए अथवछ अप्रत्यछशित शवषयों पर िेखन
प्रश्न 1.नए अथवछ अप्रत्यछशित शवषयों पर िेखन िे क्यछ तछत्पया है?
उत्तर-दकिी नए अथवछ अप्रत्यछशित शवषय पर कम िमय में अपने शवचछरों को िंकशित कर उन्हें िुंदर ढंग िे अशभव्यक्त करनछ ही अप्रत्यछशित शवषयों पर िेखन
कहिछतछ है।
प्रश्न 2. नए अथवछ अप्रत्यछशित शवषयों पर िेखन में कौन-कौन िी बछतों कछ ध्यछन रखनछ चछशहए?
उत्तर-नए अथवछ अप्रत्यछशित शवषयों पर िेखन में शनम्नशिशखत बछतों कछ ध्यछन रखनछ चछशहए-
1. शजि शवषय पर शिखनछ है िेखक को उिकी िंपूर्ा जछनकछरी होनी चछशहए।
2. िेखक को अपने मशथतष्क में उिकी एक उशचत रूपरे खछ बनछ िेनी चछशहए।
3. शवषय िे जुड़े तथ्यों िे उशचत तछिमेि होनछ चछशहए।
4. शवचछर शवषय िे िुिम्बि तथछ िंगत होने चछशहए।
5. अप्रत्यछशित शवषयों के िेखन में 'मैं' िैिी कछ प्रयोग करनछ चछशहए।
6. अप्रत्यछशित शवषयों पर शिखते िमय िेखक को शवषय िे हटकर अपनी शवद्वतछ को प्रकट नहीं करनछ चछशहए।
प्रश्न 3. नए अथवछ अप्रत्यछशित शवषयों पर िेखन में क्यछ-क्यछ बछिछएाँ आती हैं?
उत्तर-नए अथवछ अप्रत्यछशित शवषयों पर िेखन में अनेक बछिछएाँ आती हैं जो इि प्रकछर है-
1. िछमछन्य रूप िे िेखक आत्मशनभार होकर अपने शवचछरों को शिशखत रूप देने कछ अभ्यछि नहीं करतछ।
2. िेखक में मौशिक प्रयछि तथछ अभ्यछि करने की प्रवृशत्त कछ अभछव होतछ है।
3. िेखक के पछि शवषय िे िंबंशित िछमग्री और तथ्यों कछ अभछव होतछ है।
4. िेखक की डचंतन िशक्त मंद पड़ जछती है।
5. िेखक के बौशिक शवकछि के अभछव में शवचछरों की कमी हो जछती है।
6. अप्रत्यछशित शवषयों पर िेखन करते िमय िधदकोि की कमी हो जछती है।
प्रश्न 4. नए तथछ अप्रत्यछशित शवषयों पर िेखन को दकि प्रकछर िरि बनछयछ जछ िकतछ है?
उत्तर- नए तथछ अप्रत्यछशित शवषयों पर िेखन को िरि बनछने के शिए मन में उठ रहे शवचछरों को रूपरे खछ प्रदछन करते हुए तथ्यों को िुिंबि व िुिंगत बनाना भी
जरूरी होतछ है। अतः दकिी भी शवषय पर शिखते हुए दो बछतों कछ आपि में जुड़े होने के िछथ-िछथ उनमें तछिमेि होनछ भी आवश्यक होतछ है। नए तथछ
अप्रत्यछशित शवषयों के िेखन में आत्मपरक 'मैं' िैिी कछ प्रयोग दकयछ जछ िकतछ है। 'मैं' िैिी के प्रयोग िे िेखक के शवचछरों और उिके व्यशक्तत्व की ििक प्रछि
होती है।

101
प्रश्न संख्या : 9 पत्रकछररतछ और जनिंचछर मछध्यमों के शिए िेखन
पछठ्य पुथतक अशभव्यशक्त और मछध्यम पछठ िंख्यछ- 3, 4, 5
विवभन्न माध्यमों के वलए लेखन
प्रश्न-1. मुदद्रत मछध्यम की शविेषतछएाँ शिशखए।
उत्तर - डप्रंट (मुदद्रत) मछध्यमों की शविेषतछएाँ:
1. डप्रंट मछध्यमों के ्पे िधदों में थथछशयत्व होतछ है।
2. हम उन्हें अपनी रुशच और इर्च्छ के अनुिछर िीरे -िीरे पढ़ िकते हैं।
3. पढ़ते-पढ़ते कहीं भी रुककर िोच-शवचछर कर िकते हैं।
4. इन्हें बछर-बछर पढ़छ जछ िकतछ है।
5. इिे पढ़ने की िुरुआत दकिी भी पृष्ठ िे की जछ िकती है।
6. इन्हें िंबे िमय तक िुरशक्षत रखकर िंदभा की भछाँशत प्रयुक्त दकयछ जछ िकतछ है।
7. यह शिशखत भछषछ कछ शवथतछर है, शजिमें शिशखत भछषछ की िभी शविेषतछएाँ शनशहत हैं।
प्रश्न-2. मुदद्रत मछध्यम की िीमछएाँ (दोष) शिशखए।
उत्तर-डप्रंट (मुदद्रत) मछध्यमों की िीमछएाँ यछ कशमयछाँ :-
1. शनरक्षरों के शिए मुदद्रत मछध्यम दकिी कछम के नहीं हैं।
2. मुदद्रत मछध्यमों के शिए िेखन करने वछिों को अपने पछठकों के भछषछ-ज्ञछन के िछथ-िछथ उनके िैशक्षक ज्ञछन और योग्यतछ कछ शविेष ध्यछन रखनछ
पड़तछ है।
3. पछठकों की रुशचयों और जरूरतों कछ भी पूरछ ध्यछन रखनछ पड़तछ है।
4. ये रे श यो, टी०वी० यछ इंटरनेट की तरह तुरंत िटी िटनछओं को िंचछशित नहीं कर िकते। इिमें एक बछर िमछचछर ्प जछने के बछद अिुशि-िुिछर
नहीं दकयछ जछ िकतछ।
प्रश्न-3. मुदद्रत मछध्यमों के िेखन के शिए शिखते िमय दकन-दकन बछतों कछ ध्यछन रखछ जछनछ चछशहए।
1. भछषछगत िुितछ कछ ध्यछन रखछ जछनछ चछशहए।
2. प्रचशित भछषछ कछ प्रयोग दकयछ जछए।
3. िमय, िधद व थथछन की िीमछ कछ ध्यछन रखछ जछनछ चछशहए।
4. िेखन में तछरतम्यतछ एवं िहज प्रवछह होनछ चछशहए।

102
प्रश्न-4. उल्टछ शपरछशम िैिी क्यछ है? यह दकतने भछगों में बाँटी होती है?
उत्तर- शजिमें तथ्यों को महत्त्व के क्रम िे प्रथतुत दकयछ जछतछ है, िवाप्रथम िबिे ज्यछदछ महत्त्वपूर्ा तथ्य को तथछ उिके उपरछंत महत्त्व की दृशि िे िटते क्रम में तथ्यों
को रखछ जछतछ है उिे उल्टछ शपरछशम िैिी कहते हैं। उल्टछशपरछशम िैिी में िमछचछर को तीन भछगों में बछाँटछ जछतछ है-इंट्रो, बॉर्ी और िमछपन।
प्रश्न-5 रे श यो िमछचछर-िेखन के शिए दकन-दकन बुशनयछदी बछतों पर ध्यछन ददयछ जछनछ चछशहए?
उत्तर-
1. िमछचछर वछचन के शिए तैयछर की गई कॉपी िछफ़-िुथरी और टछइप् कॉपी हो।
2. कॉपी को रट्रपि थपेि में टछइप दकयछ जछनछ चछशहए।
3. पयछाि हछशियछ ्ो छा़ जछनछ चछशहए।
4. अंकों को िब्दों में शिखछ जछनछ चछशहए।
5. िंशक्षिछक्षरों के प्रयोग िे बचछ जछनछ चछशहए।
प्रश्न- 6. जनिंचछर मछध्यम के रूप में रे श यो(आकछिवछर्ी) की शविेषताएाँ शिशखए।
उत्तर- जनिंचछर मछध्यम के रूप में रे श यो (आकछिवछर्ी) की शविेषताएाँ- रे श यो एक श्रव्य मछध्यम है। इिमें िधद एवं आवछज कछ महत्त्व होतछ है। रे श यो एक
रे खीय मछध्यम है। रे श यो िमछचछर की िंरचनछ उल्टछ शपरछशम िैिी पर आिछररत होती है। उल्टछ शपरछशम िैिी में िमछचछर को तीन भछगों में बछाँटछ जछतछ है-
इंट्रो, बॉ ी और िमछपन। इिमें तथ्यों को महत्त्व के क्रम िे प्रथतुत दकयछ जछतछ है, िवाप्रथम िबिे ज्यछदछ महत्त्वपूर्ा तथ्य को तथछ उिके उपरछंत महत्त्व की दृशि िे
िटते क्रम में तथ्यों को रखछ जछतछ है।
प्रश्न-7.दूरदिान जनिंचछर कछ दकि प्रकछर कछ मछध्यम है?
उत्तर-दूरदिान जनिंचछर कछ िबिे िोकशप्रय व ििक्त मछध्यम है। इिमें ध्वशनयों के िछथ-िछथ दृश्यों कछ भी िमछवेि होतछ है। इिके शिए िमछचछर शिखते िमय
इि बछत कछ ध्यछन रखछ जछतछ है दक िधद व पदे पर ददखने वछिे दृश्य में िमछनतछ हो।
प्रश्न- 8. जनिंचछर मछध्यम के रूप में टेिीशवजन की शविेषताएाँ शिशखए।
उत्तर-टेिीशवजन (दूरदिान): भछरत में टेिीशवजन कछ प्रछरंभ 15 शितंबर 1959 को हुआ। यूनेथको की एक िैशक्षक पररयोजनछ के अन्तगात ददल्िी के आिपछि के एक
गछाँव में दो टी.वी. िैट िगछए गए, शजन्हें 200 िोगों ने देखछ। िन 1965 के बछद शवशिवत टीवी िेवछ आरं भ हुई। िन 1976 में दूरदिान नछमक शनकछय की थथछपनछ
हुई।जनिंचछर कछ िबिे िोकशप्रय व ििक्त मछध्यम है। इिमें ध्वशनयों के िछथ-िछथ दृश्यों कछ भी िमछवेि होतछ है। इिके शिए िमछचछर शिखते िमय इि बछत कछ
ध्यछन रखछ जछतछ है दक िधद व पदे पर ददखने वछिे दृश्य में िमछनतछ हो।
प्रश्न-9. टी०वी० खबरों के शवशभन्न चरर्ों को शिशखए।
उत्तर-दूरदिान मे कोई भी िूचनछ शनम्न चरर्ों यछ िोपछनों को पछर कर दिाकों तक पहुाँचती है।

103
(1) फ़्िैि यछ ब्रेककं ग न्यूज (िमछचछर को कम-िे-कम िधदों में दिाकों तक तत्कछि पहुाँचछनछ)
(2) ड्रछई एंकर (एंकर द्वछरछ िधदों में खबर के शवषय में बतछयछ जछतछ है)
(3) फ़ोन इन (एंकर ररपोटार िे फ़ोन पर बछत कर दिाकों तक िूचनछएाँ पहुाँचछतछ है)
(4) एंकर-शवजुअि (िमछचछर के िछथ-िछथ िंबंशित दृश्यों को ददखछयछ जछनछ)
(5) एंकर-बछइट (एंकर कछ प्रत्यक्षदिी यछ िंबंशित व्यशक्त के कथन यछ बछतचीत द्वछरछ प्रछमछशर्क खबर प्रथतुत करनछ)
(6) िछइव (िटनछथथि िे खबर कछ िीिछ प्रिछरर्)
(7) एंकर-पैकेज (इिमें एंकर द्वछरछ प्रथतुत िूचनछएाँ; िंबंशित िटनछ के दृश्य, बछइट, ग्रछदफ़क्ि आदद द्वछरछ व्यवशथथत ढंग िे ददखछई जछती हैं)
प्रश्न-10. इंटरनेट क्यछ है? इिके गुर्-दोषों पर प्रकछि छशिए।
उत्तर-इंटरनेट शवश्वव्यछपी अंतजछाि है, यह जनिंचछर कछ िबिे नवीन व िोकशप्रय मछध्यम है। इिमें जनिंचछर के िभी मछध्यमों के गुर् िमछशहत हैं। यह जहछाँ
िूचनछ, मनोरं जन, ज्ञछन और व्यशक्तगत एवं िछवाजशनक िंवछदों के आदछन-प्रदछन के शिए श्रेष्ठ मछध्यम है, वहीं अश्लीितछ, दुष्प्रचछर व गंदगी फ़ै िछने कछ भी जररयछ है।
प्रश्न-11. डहंदी में नेट पत्रकछररतछ कछ िंशक्षि पररचय दीशजए।
उत्तर- डहंदी में नेट पत्रकछररतछ ’वेब दुशनयछ’ के िछथ िुरू हुई। यह शहन्दी कछ िंपूर्ा पोटाि है। प्रभछ िछक्षी नछम कछ अखबछर डप्रंट रूप में न होकर शििा नेट पर ही
उपिधि है। आज पत्रकछररतछ के शिहछज िे शहन्दी की िवाश्रेष्ठ िछइट बीबीिी की है, जो इंटरनेट के मछनदं ों के अनुिछर चि रही है। शहन्दी वेब जगत में अनुभूशत,
अशभव्यशक्त, िरछय आदद िछशहशत्यक पशत्रकछएाँ भी अर्च्छ कछम कर रही हैं। अभी शहन्दी वेब जगत की िबिे बड़ी िमथयछ मछनक ‘की’ बो ा तथछ िोंट की है।
छयनशमक िोंट के अभछव के कछरर् शहन्दी की ज्यछदछतर िछइटें खुिती ही नहीं हैं।
प्रश्न-12. इंटरनेट पत्रकछररतछ क्यछ है?
उत्तर- इंटरनेट(विश्वव्यापी अंतजछाि) पर िमछचछरों कछ प्रकछिन यछ आदछन-प्रदछन इंटरनेट पत्रकछररतछ कहिछतछ है। इंटरनेट पत्रकछररतछ दो रूपों में होती है। प्रथम-
िमछचछर िंप्रेषर् के शिए नेट कछ प्रयोग करनछ। दूिरछ-ररपोटार अपने िमछचछर को ई-मेि द्वछरछ अन्यत्र भेजने व िमछचछर को िंकशित करने तथछ उिकी
ित्यतछ,शवश्विनीयतछ शिि करने के शिए करतछ है।
प्रश्न-13. डहंदी वेब जगत की िबिे बड़ी िमथयछ क्यछ है?
उत्तर-शहन्दी वेब जगत की िबिे ब ीा़ िमथयछ मछनक की-बो ा तथछ फ़ोंट की है। छयनशमक फ़ोंट के अभछव के कछरर् शहन्दी की ज्यछदछतर िछइटें खुिती ही नहीं हैं।
पत्रकछरीय िेखन के शवशवि रूप और िेखन प्रदक्रयछ
प्रश्न-1. पत्रकछरीय िेखन क्यछ है?
उत्तर-िमछचछर मछध्यमों में कछम करने वछिे पत्रकछर अपने पछठकों तथछ श्रोतछओं तक िूचनछएाँ पहुाँचछने के शिए िेखन के शवशभन्न रूपों कछ इथतेमछि करते हैं, इिे ही
पत्रकछरीय िेखन कहते हैं। पत्रकछरीय िेखन कछ िंबंि िमिछमशयक शवषयों, शवचछरों व िटनछओं िे है। उिकी भछषछ िरि व रोचक होनी चछशहए। वछक्य ्ोटे व

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िहज हों। करठन भछषछ कछ प्रयोग नहीं दकयछ जछनछ चछशहए। भछषछ को प्रभछवी बनछने के शिए अनछवश्यक शविेषर्ों, (अप्रचशित िधदछविी) और दोहरछव कछ प्रयोग
नहीं होनछ चशहए।
प्रश्न-2.िंपछदकीय िेखन क्यछ है?
उत्तर -िंपछदक द्वछरछ दकिी प्रमुख िटनछ यछ िमथयछ पर शिखे गए शवचछरछत्मक िेख को, शजिे िंबंशित िमछचछरपत्र की रछय भी कहछ जछतछ है, िंपछदकीय कहते हैं।
िंपछदकीय दकिी एक व्यशक्त कछ शवचछर यछ रछय न होकर िमग्र पत्र-िमूह की रछय होतछ है, इिशिए िंपछदकीय में िंपछदक अथवछ िेखक कछ नछम नहीं शिखछ
जछतछ।
प्रश्न–3. थतम्भ िेखन िे क्यछ तछत्पया है?
उत्तर-थतम्भ िेखन एक प्रकछर कछ शवचछरछत्मक िेखन है। कु ् महत्त्वपूर्ा िेखक अपने खछि वैचछररक रुिछन एवं िेखन िैिी के शिए जछने जछते हैं। ऐिे िेखकों की
िोकशप्रयतछ को देखकर िमछचार पत्र उन्हें अपने पत्र में शनयशमत थतम्भ-िेखन की शजम्मेदछरी प्रदछन करते हैं। इि प्रकछर दकिी िमछचछर-पत्र में दकिी ऐिे िेखक
द्वछरछ दकयछ गयछ शवशिि एवं शनयशमत िेखन जो अपनी शवशिि िैिी एवं वैचछररक रुिछन के कछरर् िमछज में ख्यछशत प्रछि हो, थतम्भ िेखन कहछ जछतछ है।
प्रश्न–4. िछक्षछत्कछर / इंटरव्यू िे क्यछ तछत्पया है?
उत्तर -दकिी पत्रकछर के द्वछरछ अपने िमछचछरपत्र में प्रकछशित करने के शिए, दकिी व्यशक्त शविेष िे उिके शवषय में अथवछ दकिी शवषय यछ मुद्दे पर दकयछ गयछ
प्रश्नोत्तरछत्मक िंवछद िछक्षछत्कछर कहिछतछ है।
प्रश्न–5. पत्रकछर के प्रकछर कौन-कौन िे है?
उत्तर -पत्रकछर के मुख्य तीन प्रकछर हैं- (1) पूर्ाकछशिक पत्रकछर : दकिी िमछचछर पत्र यछ िंगठन के शनयशमत वेतनभोगी कमाचछरी। (2) अंिकछशिक पत्रकछर
(डथट्रंगर): शनशित मछनदेय पर कछया करने वछिे पत्रकछर। (3) फ़्रीिछंिर यछ थवतंत्र पत्रकछर: ये दकिी िंथथछ िे जुड़े नहीं होते। जब ये शिखते है तो इनकछ िेख कोई
भी ्छप िकतछ है और बदिे में एक शनशित रछशि इन्हें भेज दी जछती है।
प्रश्न–5. िमछचछर िेखन की िोकशप्रय िैिी के बछरे में बतछइए।
उत्तर-िमछचछर उलटा शपरछशम िैिी में शिखे जछते हैं, यह िमछचछर िेखन की िबिे उपयोगी और िोकशप्रय िैिी है। इि िैिी कछ शवकछि अमेररकछ में गृह युि के
दौरछन हुआ। इिमें महत्त्वपूर्ा िटनछ कछ वर्ान पहिे प्रथतुत दकयछ जछतछ है, उिके बछद महत्त्व की दृशि िे िटते क्रम में िटनछओं को प्रथतुत कर िमछचछर कछ अंत
दकयछ जछतछ है। िमछचछर में इंट्रो, बॉ ी और िमछपन के क्रम में िटनछएाँ प्रथतुत की जछती हैं।
प्रश्न–6. ्ः ककछर िे क्यछ तछत्पया है? थपि कीशजए।
उत्तर— िमछचछर िेखन में कब, कहछाँ, कै िे, क्यछ, कौन, क्यों इन्हीं ्ः प्रश्नों को ्ः ककछर कहते हैं। इन्हीं ककछरों के आिछर पर दकिी िटनछ, िमथयछ तथछ शवचछर
आदद िे िंबंशित खबर शिखी जछती है। यह ककछर ही िमछचछर िेखन कछ मूि आिछर होते हैं। इिीशिए िमछचछर िेखन में इनकछ बहुत महत्व है।
्ः ककछरों को हम इि प्रकछर थपि कर िकते हैं—

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1. कब— यह िमछचछर िेखन कछ आिछर होतछ है। इि ककछर के मछध्यम िे दकिी िटनछ तथछ िमथयछ के िमय कछ बोि होतछ है। जैिे–बि दुिाटनछ कब हुई?
2. कहछाँ— दकिी थथछन को आिछर बनछकर िमछचछर शिखछ जछतछ है। इिके मछध्यम िे दकिी िटनछ और िमथयछ के थथछन कछ शचत्रर् दकयछ जछतछ है। जैिे–बि
दुिाटनछ कहछाँ हुई?
3. कै िे– इि ककछर के द्वछरछ िमछचछर कछ शवश्लेषर्, शवतरर् तथछ व्यछख्यछ की जछती है।
4. क्यछ– यह ककछर भी िमछचछर िेखन कछ आिछर मछनछ जछतछ है। इिके द्वछरछ िमछचछर की रूपरे खछ तैयछर की जछती है।
5. क्यों– इि ककछर के द्वछरछ िमछचछर के शववरर्छत्मक, व्यछख्यछत्मक तथछ शवश्लेषर्छत्मक पहिुओं पर प्रकछि छिछ जछतछ है।
6. कौन– इि ककछर को आिछर बनछकर िमछचछर शिखछ जछतछ है।
प्रश्न–7. िमछचछर कै िे शिखछ जछतछ है?
उत्तर- िमछचछर उलटा शपरछशम -िैिी (इंवटे शपरछशम थटछइि) में शिखे जछते हैं। दकिी िमछचछर को शिखते हुए मुख्यतः छ: िवछिों कछ जवछब देने की कोशिि
की जछती है। क्यछ हुआ, दकिके िछथ हुआ, कहछाँ हुआ, कब हुआ, कै िे और क्यों हुआ? इि-क्यछ, दकिके (यछ कौन), कहछाँ, कब, क्यों और कै िे-को ्: ककछरों के रूप में
भी जछनछ जछतछ है। दकिी िटनछ, िमथयछ यछ शवचछर िे िंबंशित खबर शिखते हुए इन ्: ककछरों को ही ध्यछन में रखछ जछतछ है। िमछचछर के मुखड़े (इंट्रो) यछनी
पहिे पैरछग्रछफ़ यछ िुरुआती दो-तीन पंशक्तयों में आमतौर पर तीन यछ चछर ककछरों को आिछर बनछकर खबर शिखी जछती है। ये चछर ककछर हैं-क्यछ, कौन, कब और
कहछाँ? इिके बछद िमछचछर की बॉ ी में और िमछपन के पहिे बछकी दो ककछरों-कै िे और क्यों-कछ जवछब ददयछ जछतछ है।
प्रश्न-8. पत्रकछररतछ में ‘ थे क’ िे क्यछ तछत्पया है?
उत्तर-पत्रकछररतछ में ‘ थे क’ िंपछदन िे जुड़छ िधद है। िमछचछर पत्रों, टी.वी. एवं रे श यो चैनिों में शविेष िेखन के शिए अिग थे क होतछ है शजन पर िमछचछरों कछ
िंपछदन करके ्छपने योग्य बनछयछ जछतछ है। प्रकछिन िे पूवा खबरों को अिग -अिग दकयछ जछनछ, यह कछया उप- िंपछदक तथछ िंवछददछतछओं द्वछरछ दकयछ जछतछ है।
प्रश्न-9. बीट ररपोटार की ररपोटा कब शवश्विनीय मछनी जछती है?
उत्तर- बीट ररपोटार को अपने बीट यछनी क्षेत्र की प्रत्येक ्ोटी-बड़ी जछनकछरी एकत्र करके कई स्रोतों िे उिकी पुशि करके शविेषज्ञतछ हछशिि करनी चछशहए तब
उिकी खबर शवश्विनीय मछनी जछती है।
प्रश्न-10. न्यूज़-पेग दकिे कहते हैं?
उत्तर- न्यूज़ पेग कछ अथा- िमछचछर कछ आिछर क्यछ है। िमछचछर कछ आिछर जैिे त्योहछर, कोई िटनछ, कोई कछयाक्रम आदद। दो दिों के नेतछओं के शिए चिी बैठक में
चचछा को न्यूज़ पेग कहछ जछ िकतछ है क्योंदक उि बैठक में न्यूज़ कछ शवषय हो िकतछ है। न्यूज़ कछ हुक और ऐंगि न्यूज पेग कहिछतछ है।
प्रश्न–11. ऑप ए क्यछ है?
उत्तर-कु ् अखबछरों में िंपछदकीय पृष्ठ के िछमने ऑप-ए पृष्ठ पर भी शवचछरपरक िेख, रटप्पशर्यछाँ और थतंभ प्रकछशित होते हैं।
प्रश्न–12. पत्रकछरीय िेखन दकिे कहते हैं?

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उत्तर- अखबछर यछ अन्य िमछचछर मछध्यमों में कछम करने वछिे पत्रकछर अपने पछठकों, दिाकों और श्रोतछओं तक िूचनछएाँ पहुाँचछने के शिए िेखन के शवशभन्न रूपों कछ
इथतेमछि करते हैं, इिे ही पत्रकछरीय िेखन कहते हैं।
प्रश्न–13. शविेष ररपोटा क्यछ होती है?
उत्तर- अखबछरों और पशत्रकछओं में िछमछन्य िमछचछरों के अिछवछ गहरी ्छनबीन, शवश्लेषर् और व्यछख्यछ के आिछर पर शविेष ररपोटें भी प्रकछशित होती हैं। ऐिी
ररपोटों को तैयछर करने के शिए दकिी िटनछ, िमथयछ यछ मुद्दे की गहरी ्छनबीन की जछती है। उििे िंबंशित महत्त्वपूर्ा तथ्यों को इकठ्ठछ दकयछ जछतछ है। तथ्यों के
शवश्लेषर् के जररये उिके नतीजे, प्रभछव और कछरर्ों को थपि दकयछ जछतछ है।
प्रश्न–14. शविेष ररपोटा कै िे शिखी जछती है?
उत्तर- शविेष ररपोटों को िमछचछर िेखन की उल्टछ शपरछशम -िैिी में ही शिखछ जछतछ है िेदकन कई बछर ऐिी ररपोटों को फ़ीचर िैिी में भी शिखछ जछतछ है। चूाँदक
ऐिी ररपोटें िछमछन्य िमछचछरों की तुिनछ में बड़ी और शवथतृत होती हैं, इिशिए पछठकों की रुशच बनछए रखने के शिए कई बछर उल्टछ शपरछशम और फ़ीचर दोनों
ही िैशियों को शमिछकर इथतेमछि दकयछ जछतछ है। ररपोटा बहुत शवथतृत और बड़ी हो तो उिे िृंखिछबि करके कई ददनों तक दकथतों में ्छपछ जछतछ है। शविेष
ररपोटा की भछषछ िरि, िहज और आम बोिचछि की होनी चछशहए।
प्रश्न–15.‘िंपछदक के नछम पत्र’ के महत्व को रे खछंदकत कीशजए।
उत्तर- अखबछरों के िंपछदकीय पृष्ठ पर और पशत्रकछओं की िुरुआत में िंपछदक के नछम पछठकों के पत्र भी प्रकछशित होते हैं। िभी अखबछरों में यह एक थथछयी थतंभ
होतछ है। इि थतंभ के जररये अखबछर के पछठक न शििा शवशभन्न मुद्दों पर अपनी रछय व्यक्त करते हैं बशल्क जन िमथयछओं को भी उठछते हैं। यह थतंभ जनमत को
प्रशतडबंशबत करतछ है। यह थतंभ नए िेखकों के शिए िेखन की िुरुआत करने और उन्हें हछथ मछाँजने कछ भी अर्च्छ अविर देतछ है।
प्रश्न–16. िछक्षछत्कछर (इंटरव्यू) के िम्बन्ि में अपने शवचछर शिशखए।
उत्तर- िछक्षछत्कछर में एक पत्रकछर दकिी अन्य व्यशक्त िे तथ्य, उिकी रछय और भछवनछएाँ जछनने के शिए िवछि पू्तछ है। एक ििि िछक्षछत्कछर के शिए आपके पछि
न शिफ़ा ज्ञछन होनछ चछशहए बशल्क आपमें िंवेदनिीितछ, कू टनीशत, िैया और िछहि जैिे गुर् भी होने चछशहए। शजि व्यशक्त के िछथ िछक्षछत्कछर करने जछ रहे हैं, उिके
बछरे में आपके पछि पयछाि जछनकछरी हो। िछक्षछत्कछर को िवछि और दिर जवछब के रूप में यछ दिर उिे एक आिेख की तरह िे भी शिख िकते हैं।
प्रश्न-17. पत्रकछररतछ में बीट दकिे कहते है?
उत्तर- अिि में, खबरें भी कई तरह की होती हैं-रछजनीशतक, आर्थाक, अपरछि, खेि, दिल्म, कृ शष, कछनून, शवज्ञछन यछ दकिी भी और शवषय िे जुड़ी हुई।
िंवछददछतछओं के बीच कछम कछ शवभछजन आमतौर पर उनकी ददिचथपी और ज्ञछन को ध्यछन में रखते हुए दकयछ जछतछ है। मीश यछ की भछषछ में इिे बीट कहते हैं।
प्रश्न-18. थे क क्यछ है?
उत्तर-िमछचछरपत्र, पशत्रकछओं, टीवी और रे श यो चैनिों में अिग-अिग शवषयों पर शविेष िेखन के शिए शनिछाररत थथि को थे क कहते हैं और उि शविेष थे क
पर कछम करने वछिे पत्रकछरों कछ भी अिग िमूह होतछ है। यथछ-व्यछपछर तथछ कछरोबछर के शिए अिग तथछ खेि की खबरों के शिए अिग थे क शनिछाररत होतछ है।

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प्रश्न-19. बीट ररपोर्टिंग तथछ शविेषीकृ त ररपोर्टिंग में क्यछ अन्तर है?
उत्तर-बीट ररपोर्टिंग के शिए िंवछददछतछ में उि क्षेत्र के बछरे में जछनकछरी व ददिचथपी कछ होनछ पयछाि है, िछथ ही उिे आम तौर पर अपनी बीट िे जुड़ी िछमछन्य
खबरें ही शिखनी होती हैं। दकन्तु शविेषीकृ त ररपोर्टिंग में िछमछन्य िमछचछरों िे आगे बढ़कर िंबंशित शविेष क्षेत्र यछ शवषय िे जुड़ी िटनछओं, िमथयछओं और मुद्दों
कछ बछरीकी िे शवश्लेषर् कर प्रथतुतीकरर् दकयछ जछतछ है। बीट कवर करने वछिे ररपोटार को िंवछददछतछ तथछ शविेषीकृ त ररपोर्टिंग करने वछिे ररपोटार को शविेष
िंवछददछतछ कहछ जछतछ है।
प्रश्न–20. उल्टछ शपरछशम िैिी क्यछ है?
उत्तर- यह िमछचछर िेखन की िबिे िोकशप्रय, उपयोगी और बुशनयछदी िैिी है। यह िैिी कहछनी यछ कथछ िेखन की िैिी के ठीक उिटी है शजिमें क्िछइमेक्ि
शबिकु ि आशखर में आतछ है। इिे उल्टछ शपरछशम इिशिए कहछ जछतछ है क्योंदक इिमें िबिे महत्त्वपूर्ा तथ्य यछ िूचनछ ‘यछनी क्िछइमेक्ि’ शपरछशम के िबिे शनचिे
शहथिे में नहीं होती बशल्क इि िैिी में शपरछशम को उिट ददयछ जछतछ है।
शविेष िेखन थवरूप और प्रकछर
प्रश्न-1. शविेष िेखन दकिे कहते हैं?
उत्तर-शविेष िेखन दकिी खछि शवषय पर िछमछन्य िेखन िे हट कर दकयछ गयछ िेखन है; शजिमें रछजनीशतक, आर्थाक, अपरछि, खेि, दफ़ल्म, कृ शष, कछनून, शवज्ञछन
और अन्य दकिी भी महत्त्वपूर्ा शवषय िे िंबंशित शवथतृत िूचनछएाँ प्रदछन की जछती हैं।
प्रश्न-2. शविेष िेखन की भछषछ-िैिी कै िी होनी चछशहए।
उत्तर-शविेष िेखन दकिी शवषय शविेष पर यछ जरटि एवं तकनीकी क्षेत्र िे जुड़े शवषयों पर दकयछ जछतछ है, शजिकी अपनी शविेष िधदछविी होती है। इि
िधदछविी िे िंवछददछतछ को अवश्य पररशचत होनछ चछशहए। उिे इि तरह िेखन करनछ चछशहए दक ररपोटा को िमिने में परे िछनी न हो। शविेष िेखन की कोई
शनशित िैिी नहीं होती। िेदकन अगर आप अपने बीट िे जुड़छ कोई िमछचछर शिख रहे हैं तो उिकी िैिी उल्टछ शपरछशम िैिी ही होगी।
प्रश्न–3. िीचर क्यछ है? िीचर की शविेषतछएाँ शिशखए।
उत्तर- फ़ीचर कछ अशभप्रछय ज्ञछन-शवज्ञछन और मनोरंजन है। इिमें शवशवि शविछओं कछ प्रयोग करते हुए ऐिी रचनछ प्रथतुत करने कछ प्रयछि होतछ शजिमें रोचकतछ
और पठनीयतछ हो। िीचर की शविेषतछएाँ-
1. फ़ीचर एक िुव्यवशथथत, िृजनछत्मक और आत्मशनष्ठ िेखन है।
2. फ़ीचर िेखन की भछषछ िमछचछरों के शवपरीत िरि, रूपछत्मक, आकषाक और मन को ्ू नेवछिी होती है।
3. एक अर्च्े और रोचक फ़ीचर के िछथ फ़ोटो, रे खछंकन, ग्रछदिक्ि आदद कछ होनछ जरूरी है। हिके -िु िके शवषयों िे िेकर गंभीर शवषयों और मुद्दों पर भी
फ़ीचर शिखछ जछ िकतछ है।
4. िीचर िेखन कछ कोई िछमूािछ नहींंं होतछ है और न ही िधद िीमछ कछ बंिन होतछ है।

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प्रश्न–4. फ़ीचर और िमछचछर में क्यछ अंतर है?
उत्तर- िमछचछर तथ्यों कछ शववरर् तथछ शवचछर देकर खत्म हो जछतछ है जबदक िीचर में िटनछ अथवछ शवषय के पररवेि, शवशवि पक्षों तथछ उिके प्रभछवों कछ वर्ान
होतछ है। िमछचछर में शिखने वछिे के शवचछर अथवछ उिके व्यशक्तत्व की ििक नहीं होती जबदक िीचर में िेखक की शवचछरिछरछ, उिकी कल्पनछिीितछ के िछथ-
िछथ उिके व्यशक्तत्व की भी ििक शमिती है।
प्रश्न-5. आिेख िेखन के मुख्य अंगों के बारे में अपने विचार वलखें?
उत्तर-आिेख में मुख्य रूप िे दो अंग होते हैं। प्रथम अंग है भूशमकछ तथछ इिकछ शद्वतीय व महत्वपूर्ा अंग है शवषय कछ प्रशतपछदन। भूशमकछ के अन्तगात िीषाक कछ
अनुरूपर् दकयछ जछतछ है शजिमें भूशमकछ के अनुरूप िंशक्षि िेखन द्वछरछ बछत कही जछती है तथछ शवषय के प्रशतपछदन में शवषय के क्रशमक शवकछि, तछरतम्यतछ और
क्रमबितछ कछ ध्यछन रखछ जछतछ है। अन्त में तुिनछत्मक शवश्लेषर् करके शनष्कषा शनकछिछ जछतछ है।
प्रश्न-6. िीचर और आिेख में अन्तर वलखें?
उत्तर -िीचर पछठकों की रुशच के अनुरूप, दकिी िटनछ यछ दकिी शवषय की तथ्यपूर्ा रोचक प्रथतुशत है। गहन अध्ययन पर आिछररत गम्भीर प्रमछशर्त िेखन, आिेख
की श्रेर्ी में आतछ है। (1.) िीचर मन को प्रभछशवत करतछ हैं जबदक आिेख ददमछग को। (2.) िीचर एक प्रकछर कछ गद्य गीत है जबदक आिेख गम्भीर व उच्च थतर
की बहुआयछमी गद्य रचनछ। (3.) िीचर दकिी भी िटनछ यछ शवषय के कु ् आयछमों को ्ू तछ है तो आिेख उि िटनछ के हर पहिू को थपिा करतछ है। (4.) पत्रकछर
पी ी टं न के अनुिछर दकतछबें पढ़कर आंकड़े जमछकरके िेख शिखछ जछ िकतछ है।िेदकन िीचर को अपनी आाँख, कछन, भछवों, अनुभशू तयों, मनोवेगों और अन्वेषर्
कछ िहछरछ भी िेनछ पड़तछ है। आिेख िम्बछ, गम्भीर और हर व्यशक्त के अनुकूि न होते हुए भी प्रिंिनीय हो िकतछ है। िेदकन ये बछतें िीचर के शिए जछनिेवछ हैं।
(5.) िीचर को रोचक, ददिचथप और िबकी रूशच के अनुिछर होनछ ही होतछ है। (6.) आिेख में िेखक को उपिधि आिछर िछमग्री के अनुिछर गम्भीरतछपूवाक चीजें
प्रथतुत करनी होती हैं, मगर िीचर िेखक को जीवन और जीवन की िमथयछओं पर अपनछ दृशिकोर् प्रथतुत करने की भी ्टपटछहट होती है।
प्रश्न–7. िेख अथवछ आिेख िेखन क्यछ होतछ है? इिकी शविेषतछएाँ शिशखए।
उत्तर- (1.) िेखों में दकिी शवषय यछ मुद्दे पर शवथतछर िे चचछा की जछती है। (2.) िेख में िेखक के शवचछर तथ्यों और िूचनछओं पर आिछररत होते हैं और िेखक
उन तथ्यों और िूचनछओं के शवश्लेषर् और अपने तकों के जररये अपनी रछय प्रथतुत करतछ है। (3.) िेख शिखने के शिए पयछाि तैयछरी जरूरी है। इिके शिए उि
शवषय िे जुड़े िभी तथ्यों और िूचनछओं के अिछवछ पृष्ठभूशम िछमग्री भी जुटछनी पड़ती है। (4.) िेख की कोई एक शनशित िेखन िैिी नहीं होती और हर िेखक की
अपनी िैिी होती है। िेख कछ भी एक प्रछरं भ, मध्य और अंत होतछ है। (5.) िेख कछ प्रछरं भ आकषाक बन िकतछ है। इिके बछद तथ्यों की मदद िे शवश्लेषर् करते हुए
आशखर में आप अपनछ शनष्कषा यछ मत प्रकट कर िकते हैं।

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प्रश्न संख्या 10 एिं 11 आरोह भाग-2 पद्य खंर् (अंक- 3 और अंक- 2 के वलए)
आत्मपररचय / हररिंि राय बच्चन
2 अंक िाले प्रश्नोर्त्र
प्रश्न1. जहछाँ पर दछनछ रहते हैं, वहीं नछदछन भी होते हैं’ – कशव ने ऐिछ क्यों कहछ होगछ?
उत्तर कशव मछनतछ है दक िंिछर में ू बे रहनछ , रोटी- कपड़छ-मकछन में िगे रहनछ नछदछनी है , मूखातछ हैंl दछनछ िछंिछररकतछ कछ प्रतीक है और उनके पी्े िगे रहनछ
मनुष्य की नछदछनी हैl कशव ने िछंिछररक ििितछओं को व्यथा बतछने के शिए यह कथन कहछ है।
प्रश्न2:िीति वछर्ी में आग-के होने कछ क्यछ अशभप्रछय है?
उत्तर:'िीति वछर्ी में आग 'कछ तछत्पया हैं कशव कछ थवर और थवभछव कोमि अवश्य है, ककं तु उिके मन में शवद्रोह की भछवनछ प्रबि हैl वह प्रेम िे रशहत िंिछर को
अथवीकछर करतछ हैl ऐिे िंिछर को दुत्कछरतछ है।
प्रश्न3 : आत्म-पररचय कशवतछ में कशव िंिछर को क्यछ िंदि
े देनछ चछहतछ है?
उत्तर:आत्म-पररचय कशवतछ श्री हररवंि रछय बच्चन द्वछरछ रशचत है। इिमें कशव िंिछर को मथती कछ िंदि
े देनछ चछहतछ है। ऐिी मथती शजिमें िंपूर्ा िंिछर मदमथत
होकर आनंद शवभोर हो उठे । वह आनंददत होकर नृत्य करने िगे और इिी मथती में िदैव िहरछतछ रहे।
प्रश्न 4: कशव ज्ञछन की बजछय दकिे अपनछनछ चछहतछ है और क्यों?
उत्तर : कशव ज्ञछन की अपेक्षछ प्रेम को अपनछनछ चछहतछ है क्योंदक वह ज्ञछन के रछथते को अत्यंत करठन एवं दुष्प्रछप्य मछनतछ है, शजिे अनछदद कछि िे िंिछर के बड़े-बड़े
महछत्मछ, मुशन एवं िंतजन भी कोरट-कोरट प्रयछि करने पर भी नहीं जछन िके ।
प्रश्न 5: कशव को यह िंिछर अपूर्ा क्यों िगतछ है?
उत्तर: यह िमथत िंिछर थवछथी है यहछं हर कोई अपने थवछथा पूर्ता में ू बछ हुआ हैl िंिछर के वि उन्हीं को पू्तछ है जो उनकी जय-जयकछर करते हैं l इिशिए यह
प्रेम िून्य िंिछर कशव को अपूर्ा िगतछ हैl
प्रश्न 6:कशव ने थवयं को दीवछनछ क्यों कहछ है?
उत्तर: कशव ने थवयं को दीवछनछ इिशिए कहछ है क्योंदक वह तो दीवछनों कछ वेि िछरर् कर अपनी मथती में मथत होकर िूम रहछ है िछथ ही वे अपने िंग मथती कछ ,
प्रेम कछ िंदि
े िेकर िूम रहछ है शजिे िुनकर िछरछ िंिछर िूम उठे गछ,िुक जछएगछ और िहरछने िगेगछ।
प्रश्न.7 कशव को यह िंिछर अपूर्ा क्यों िगतछ है?
उत्तर: कशव को िंिछर इिशिए अपूर्ा िगतछ है क्योंदक यह िमथत िंिछर थवछथी है यहछं हर कोई अपने थवछथा पूर्ता में ू बछ हुआ हैl िंिछर के वि उन्हीं को पू्तछ है
जो उनकी जय-जयकछर करते हैं l इिशिए यह प्रेम िून्य िंिछर कशव को अपूर्ा िगतछ हैl
प्रश्न. 8 कशव ने थवयं को दीवछनछ क्यों कहछ है?

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उत्तर: कभी ने थवयं को दीवछनछ इिशिए कहछ है क्योंदक वह तो दीवछनों कछ वेि िछरर् कर अपनी मथती में मथत होकर िूम रहछ है िछथ ही वे अपने िंग मथती कछ
िंदि
े िेकर िूम रहछ है शजिे िुनकर दक िछरछ िंिछर िूम उठे गछ िुक जछएगछ और िहरछने िगेगछ
प्रश्न. 9 'मैं भव मौजों पर मथत बहछ करतछ ूं ' पंशक्त कछ आिय थपि कीशजएl
उत्तर:पंशक्त कछ आिय यह है दक कशव को िंिछर के आकषार्ों में कोई रुशच नहीं हैl वह िछंिछररक शवषय वछिनछओं के िंिछर िे अिग थिग अपने शप्रय के प्रेम में
तल्िीन होकर मथत रहते हुए िछंिछररक िहरों पर बहकर भविछगर को पछर करनछ चछहतछ हैl
प्रश्न. कशव थवयं को दकि तरह के खं हर कछ थवछमी मछनतछ है?
कशव अपनी शप्रयछ के प्रेमशवयोग के कछरर् शवशर्च्न्न हो गयछ जो खं हर की भछंशत पड़छ हैl िेदकन दिर भी उिकछ मूल्य अनमोि है इतनछ िुंदर है दक उिकी िोभछ के
िमक्ष बड़े िे बड़े रछजछ कछ आिीिछन महि भी नगण्य हैl
3 अंक िाले प्रश्नोर्त्र
प्रश्न1 : मैं और, और जग और, कहछाँ कछ नछतछ’-पंशक्त में ‘और’ िधद की शविेषतछ बतछइए।
उत्तर:इि कशवतछ में कशव ने ‘और’ िधद कछ प्रयोग तीन अथों में दकयछ है। “मैं और” में और िधद कछ अथा है दक मेरछ अशथतत्व शबल्कु ि अिग है। प्रेम के िंिछर में
खोयछ रहतछ ूाँ। “और जग” में और िधद के मछध्यम िे कशव ने िंिछर दक िंग्रह व् थवछथा प्रवृशत को थपि दकयछ है। तीिरे ‘और’ िधद योजक शचन्ह है।
प्रश्न 2: िंिछर में किों को िहते हुए भी खुिी और मथती कछ मछहौि कै िे पैदछ दकयछ जछ िकतछ है?
उत्तर: िुख और दुख तो मछनव जीवन कछ अशभन्न अंग है। िंिछर में कि िहनछ प्रत्येक मछनव की शनयशत है। व्यशक्त इन दुखों में भी खुिी और मथती कछ जीवन जी
िकतछ है। शबनछ दुखों के िुखों की िच्ची अनुभूशत नहीं की जछ िकती। अथछात् दुख ही िुख की किौटी है। यदद व्यशक्त ऐिछ िोच िे तो वह दुख की शथथशत में भी खुि
रहेगछ तो उिकछ जीवन मथती िे भरपूर होगछ।
प्रश्न 3: कशव जग को अपने िे अिग कै िे मछनतछ है?
उत्तर:कशव कहतछ है दक मेरछ और जगत दोनों कछ ही अशथतत्व अिग-अिग है।कशव कहतछ है दक मैं और ूं अथछात मैं प्रेम के िंिछर में खोयछ रहतछ ूंl और यह िंिछर
िंग्रह में शवश्वछि करतछ है . यह मेरी प्रेम भछवनछओं को नहीं िमिते।दोनों के िंबंिों में कोई िमछनतछ नहीं इिशिए िंिछर िे मेरछ टकरछव हो िकतछ हैl यह जग
उिकी िोच के अनुरूप नहीं है
प्रश्न 4: आत्मपररचय’ कशवतछ को दृशि में रखते हुए कशव के कथ्य को अपने िधदों में प्रथतुत कीशजए।
उत्तर:कशव ने इि कशवतछ में बतछयछ है दक दुशनयछ को जछननछ िरि है, ककं तु थवयं को जछननछ बहुत करठन है। िमछज में रहकर मनुष्य को खट्टे-मीठे , कड़वे िभी तरह
के अनुभव होते हैं। िछिन और व्यवथथछ चछहे शजतनछ उिे कि दे, िेदकन वह उनिे कटकर नहीं रह िकतछ। व्यशक्त की पहचछन तभी है जब वह िमछज में रहतछ है।
कशव कहतछ है दक मेरछ जीवन शवरुिों के िछमंजथय िे बनछ है। मैं शवरोिछभछिी जीवन शजयछ करतछ ूाँ।
प्रश्न 5 : कशव कै िे जीवन की कछमनछ करतछ है?

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उत्तर:कशव ऐिे जीवन की कछमनछ करतछ है जो प्रेम, मथती, आनंद और िौंदया िे भरपूर हो, शजिमें चछरों तरि िुद
ं रतछ हो। प्रेम रूपी मददरछ हो। जहछाँ वह के वि
प्रेम रूपी मददरछ पीकर उिी में ू बकर आनंद शवभोर हो जछए। कहीं कोई ईष्यछा-द्वेष जैिे कु शवचछर न हों, शजिमें यौवन को मदमथत करने वछिछ उन्मछद हो।
प्रश्न 6: आत्म-पररचय कशवतछ के मछध्यम िे थपि कीशजए दक कशव क्यों रोयछ होगछ?
उत्तर :कशव प्रेम एवं मथती की कोमि भछवनछओं िे ओतप्रोत है। उिे अपने जीवन में दकिी शप्रयछ िे अिीम प्रेमभछव हुआ, ककं तु दुभछाग्य िे वह प्रेम पूर्ा नहीं हो िकछ
शजिके बछद कशव को अगछि शवरह-पीड़छ को िहन करनछ पड़छ। यही पीड़छ उिके रोदन के मछध्यम िे प्रथिु रटत हुई। इिी कछरर् है दक कशव रोयछ होगछ।
प्रश्न 7.कशव और िंिछर में क्यछ शभन्नतछ है?
उत्तर :कशव प्रेम एवं मथती में मदमथत रहतछ है। वह प्रेम रूपी मददरछ पीकर उिी के आनंद में ू बछ हुआ है। वह चछरों तरि प्रेम, मथती, आनंद एवं िौंदया कछ
वछतछवरर् िै िछनछ चछहतछ है जबदक यह िंिछर परथपर ईष्यछा, द्वेष, अहं की भछवनछओं में ू बछ है। इिे दकिी के प्रेम व आनंद िे कोई मतिब नहीं है। यह तो प्रेम की
मथती को भी व्यथा िमितछ है। यह िदैव दूिरों की कोमि भछवनछओं िे शखिवछड़ करतछ है और उनकछ मज़छक उड़छतछ है।
प्रश्न 8: आत्मपररचय कशवतछ में कशव ने अपने जीवन मे दकन परथपर शवरोिी बछतों कछ िछमंजथय शबठछने की बछत की है?
उत्तर:इि कशवतछ में, कशव ने अपने जीवन की अनेक शवरोिी बछतों कछ िछमंजथय शबठछने की बछत की है।कशव िछंिछररक करठनछइयों िे जूि रहछ है, दिर भी वह इि
जीवन िे प्यछर करतछ है।कशवतछ में कशव ने अपने जीवन में रोदन में रछग,िीति वछर्ी में शवचछरों की प्रखरतछ,उन्मछद में अविछद तथछ बछह्य रूप में प्रिन्न ददखनछ
परन्तु अन्दर िे दुखी रह परथपर शवरोिी बछतों में िछमंजथय शबठछने की बछत की है।
ददन जल्दी जल्दी ढितछ है / हररिंि राय बच्चन
2 अंक िाले प्रश्नोर्त्र
प्रश्न.1 नी ो िे कौन िछाँक रहे होंगे और क्यों?
उत्तर नी ों िे शचशड़यों के बच्चे िछंक रहे होंगे क्योंदक िंध्यछ के िमय उनकी मछतछएं उनके पछि नहीं हैl
प्रश्न.2 कशव हृदय में व्यछकु ितछ कौन भरतछ है?
उत्तर : जीवन में उठने वछिे यह प्रश्न दक उििे शमिने के शिए कौन व्यछकु ि है तथछ वह दकिके शिए रोमछंशचत है यह प्रश्न कशव के हृदय में व्यछकु ितछ भर देते हैं l
3 अंक िाले प्रश्नोर्त्र
प्रश्न1. ददन जल्दी जल्दी ढितछ है में पक्षी तो िौटने को शवकि है, पर कशव में उत्िछह नहीं हैlऐिछ क्यों?
उत्तर. ददन जल्दी जल्दी ढितछ है कशवतछ में पशक्षयों को िौंििें में उनकी प्रतीक्षछ करते अपने बच्चों कछ थमरर् होने के कछरर् वे अपने िौंििें में पहुंचने के शिए
व्यछकु ि है। इिके शवपरीत कशव के िर पर उिकी प्रतीक्षछ करने वछिछ कोई नहीं है। उििे शमिने के शिए नछ कोई व्यछकु ि है और नछ ही कोई उत्कं रठत है इिशिए
वह दकिके शिए िीघ्रतछ करें अतः पक्षी तो िौटने को शवकि है पर कशव में कोई उत्िछह नहीं हैl
प्रश्न 2. ददन जल्दी जल्दी ढितछ है कशवतछ में बच्चों की प्रत्यछिछ को कशव ने दकि प्रकछर प्रथतुत दकयछ है?

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उत्तर: इि कशवतछ में शचशड़यछ िंध्यछ िमय अपने नी में िौट रही है। जैिे ही उिे यह ध्यछन आतछ है दक उिके नन्हे बच्चे नी ों िे िछंक रहे होंगे तो शचशड़यछ के पंखों
में थकछन की जगह तेजी आ जछती है और वह और अशिक तीव्र गशत िे उड़ने िगती है।वह चछहती है दक अपने बच्चों की इर्च्छ को पूरछ करें , उन्हें स्नेह िे अपने पंखों
में िे िे। कशव ने बच्चों की प्रत्यछिछ को जीवन की गशत और आिछ की दकरर् मछनछ गयछ हैl
प्रश्न 3. ददन जल्दी जल्दी ढितछ है कशवतछ के आिछर पर उन शथथशतयों को थपि कीशजए शजनके कछरर् पशथक जल्दी चितछ है?
उत्तर. पशथक अपनछ िक्ष्य जछनतछ है और िक्ष्य को पछने के शिए थकछन होने पर भी वह ददन भर चितछ रहतछ है।क्योंदक भय है दक यदद वह रुक गयछ तो ददन
ढि जछएगछ। दूिरे िधदों में व्यशक्त कछ जीवन क्षशर्क है और व्यशक्त की इर्च्छएं अनशगनत है इिशिए वह उन्हें पूरछ करने के शिए जुटछ रहतछ है और ददन के ढि जछने
िे पूवा ही वह अपनी मंशजि पछनछ चछहतछ है।
प्रश्न 4. ददन जल्दी जल्दी ढितछ है की आवृशत्त िे कशवतछ में क्यछ िंकेत दकयछ जछ रहछ है?
उत्तर. ददन जल्दी जल्दी ढितछ है की आवृशत्त के द्वछरछ कशवतछ में िमय की अबछि गशत की ओर िंकेत दकयछ गयछ हैl कशव थपि करनछ चछहतछ है दक िमय तेजी िे
भछग रहछ है। इनकी गशत दकिी के रोकने िे नहीं रुकती। अत: हम िबको अपने िछरे कछया िमय पर पूर्ा कर िेने चछशहए क्योंदक बीतछ हुआ िमय दिर िौटकर नहीं
आतछ। कशव ने मछनव और शचशड़यछ कछ उदछहरर् देकर यह बछत थपथट की है।
प्रश्न 5. ददन के जल्दी-जल्दी ढिने िे क्यछ प्रेरर्छ शमिती है थपि कीशजए?
उत्तर: ददन जल्दी-जल्दी ढिने के कछरर् व्यशक्त िजग हो जछतछ है उिमें थिू र्ता आ जछती हैंl ददन जल्दी जल्दी ढितछ है की आवृशत्त के द्वछरछ कशवतछ में िमय के तेजी
िे व्यतीत होने कछ िंकेत दकयछ गयछ हैl िमय की गशत शनरं तर प्रवछशहत होती रहती हैl बीते िमय को कभी भी िौटछयछ नहीं जछ िकतछ l इिशिए िमय रहते हमें
अपने िभी कछयों को पूर्ा कर िेनछ चछशहए l
पतंग / आलोक धन्द्िा
2 अंक िाले प्रश्नोर्त्र
प्रश्न -1 बच्चे कब और अशिक शन र बन जछते हैं? पतंग कशवतछ के आिछर पर बतछइएl
उत्तर - जब बच्चे पतंग उड़छते उड़छते ्तों के खतरनछक दकनछरों तक चिे जछते हैं और वहछं िे शगर जछते हैंl शगरने के बछद जब उनकी डजंदगी बच जछती है तब वे और
अशिक शन र हो जछते हैंl िछहि भरे और चुनौतीपूर्ा कछया करने कछ आत्मशवश्वछि उनके अंदर आ जछतछ हैl
प्रश्न 2 'पृथ्वी िूमती हुई आती है उनके बेचैन पैरों के पछि l ' पंशक्त कछ आिय थपि करें l
उत्तर - पतंग उड़छने वछिे बच्चे अपनी पतंग को िबिे ऊंची उड़छनछ चछहते हैl वे अपने कल्पनछ िोक में इि तरह खो जछते हैं दक उनके िछमने खुिे आिमछन के शिवछय
और कु ् भी नहीं होतछ हैं l उनके शिए पृथ्वी कछ प्रत्येक कोनछ अपने आप शिमटतछ चिछ जछतछ हैl
प्रश्न 3 'पतंग' कशवतछ में कशव आिोक िन्वछ ने पतंग की क्यछ-क्यछ शविेषतछएं बतछई हैं?

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उत्तर - पतंग की शनम्नशिशखत शविेषतछएं बतछई गई हैं- (1) पतंग दुशनयछ की िबिे हल्की और रं गीन वथतु है क्योंदक यह पतिे कछगज और पतिी कमछनी िे शनर्मात
होती हैl (2) पतंग में आकछि की ऊंचछइयों को ्ू ने की क्षमतछ होती हैl (3) पतंग बच्चों को अत्यंत शप्रय होती हैl (4) िरद ऋतु िे पतंग उड़छने के शिए िही मौिम
प्रछरं भ हो जछतछ हैl
प्रश्न -4 'पतंग 'कशवतछ में बच्चों द्वछरछ ददिछओं को मृदग
ं की तरह बजछने िे कशव कछ क्यछ आिय है?
उत्तर - बच्चों द्वछरछ ददिछ को मृदग
ं की तरह बजछने कछ आिय यह है दक बच्चे पतंग उड़छते िमय ्त के िभी कोनों पर िभी ददिछओं में दौड़ भछग करते हैं, पतंग
उड़छते िमय वे उत्िछह पूवाक कोिछहि भी करते हैं और हषानछद भी करते हैं l बच्चों के कोमि चरर्ों के आिछत की ध्वशन की गूंज िे चछरों ददिछएं मृदग
ं की तरह
बजने िगती है।
प्रश्न 5 पतंग उड़छते िमय कौन कौन िी िछविछशनयछं रखनी चछशहए l
उत्तर - शनम्नशिशखत िछविछशनयछं रखनी चछशहए – (1) शजि ्त पर पतंग उड़छ रहे हैं उिकछ िीमछंकन िुरशक्षत होनछ चछशहए l (2) पतंग उड़छते िमय मछंिछ कछ
इथतेमछि िछविछनी के िछथ करनछ चछशहए l अिछविछनी होने पर हछथ जख्मी हो िकतछ है l (3) चछइनीज मछंिछ कछ इथतेमछि नहीं करनछ चछशहए l (4) पशक्षयों कछ
भी ध्यछन रखनछ चछशहए दक उन्हें कोई हछशन नछ हो l
3 अंक िाले प्रश्नोर्त्र
प्रश्न 1.' जन्म िे ही वे अपने िछथ िछते हैं कपछि'-कपछि के बछरे में िोचें दक कपछि िे बच्चों कछ क्यछ िंबंि बन िकतछ है।?
उत्तर- कपछि बहुत हल्की, मुिछयम, गद्देदछर और चोट िहने में िमथा होती हैl यही गुर् बच्चों में भी होते हैंl वे हिके -िु िके , कोमि, ्रहरे और चोट िहने में िमथा
होते हैं l उनके पछंवों के तिवों में मछनों कपछि होती हैं l तभी वे ऊंचछइयों िे कू दकर भी चोट नहीं खछते, बशल्क उनके कू दने िे कठोर ्त ही मुिछयम प्रतीत होने
िगती हैl बच्चों की कोमि िछरीररक िंरचनछ के कछरर् उनकी तुिनछ कपछि िे की गई हैlकपछि की तरह बच्चों के मन में भी कोई मैि नहीं होतछ। कपछि अपने मूि
रूप में होती है और उिे दकिी भी रूप आकछर में ढछिछ जछ िकतछ है उिी प्रकछर बच्चे भी अपनी मौशिक प्रछकृ शतक थवरूप में होते हैंl
प्रश्न 2. िबिे तेज बौ्छरें गयी, भछदो गयछl ' के बछद प्रकृ शत में जो पररवतान कशव ने ददखछयछ है, उिकछ वर्ान अपने िधदों में करें ।
उत्तर- यह कशवतछ प्रछकृ शतक िौंदया िे ओत-प्रोत है। िबिे तेज बौ्छरों वछिे महीने - भछदो के जछने के बछद िवेरछ हुआ जो अत्यंत िछशिमछ और िुंदरतछ िे पररपूर्ा
थछ। वह िवेरछ खरगोि की आंखों के िमछन िछि हैl बछररि भी अब नहीं हो रही हैl चमकीिी तेज िूप भी अब शनकिने िगी हैl आकछि मुिछयम हो गयछ हैl हवछ
भी अब पतंग उड़छने के शिए अनुकूि हो गई हैl
प्रश्न -3 ' पतंगों के िछथ-िछथ वे भी उड़ रहे हैंl ' बच्चों कछ उड़छन िे जैिछ िंबंि बनतछ है?
उत्तर पतंग आकछि में उड़ती है और बच्चे ्तों पर दौड़ते हैंl बच्चों की दौड़ में तेजी इतनी अशिक होती है दक वह अपने मछगा की बछिछओं कछ भी ध्यछन नहीं रखतेl
उनकछ मन, उनकी आंख पतंग के िछथ आकछि में होती है अतः कशव को िगतछ है दक पतंग के िछथ-िछथ बच्चे भी आकछि में उड़ रहे हैं l कल्पनछओं में ही िही, पतंग
के िछथ बच्चे भी आकछि की िैर कर रहे होते हैंl

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प्रश्न -4 आपने भी कभी पतंग उड़छई होगीl पतंग उड़छने के रोमछंच कछ अपने िधदों में वर्ान कीशजए l
उत्तर - मैंने बचपन में बहुत पतंग उड़छई हैं और अभी भी मैं पतंग उड़छ िेतछ ूं िेदकन पढ़छई के दबछव के कछरर् पतंग उड़छनछ थोड़छ कम हो गयछ हैl पतंग उड़छते
िमय मैं पूर्ातय तनछव मुक्त हो जछतछ ूं प्रिन्नशचत्त रहतछ ूं और मुिे िगतछ है दक मैं आकछि में उन्मुक्त उड़छन भर रहछ ूंl िछशथयों के िछथ पतंग उड़छने में और
दूिरे िछशथयों की पतंग कछटने में मुिे अत्यंत रोमछंच कछ अनुभव होतछ हैl (इिके अशतररक्त बच्चे अपनछ-अपनछ अनुभव शिखेंगे)
प्रश्न 5 पतंग उत्िव यछ पतंगबछजी में िमय के िछथ-िछथ क्यछ बदिछव आए हैं?
उत्तर - अनेक बदिछव आए हैं जैिे पहिे िर के िभी बच्चे, युवछ, बुजुगा एक िछथ शमिकर पतंग उड़छते थे l पतंगों के रूप और आकछर में शवशवितछ नहीं थी l बच्चे कई
महीने तक, िंबे िमय तक पतंग उड़छते रहते थे l िोग िरों पर भी पतंग बनछ िेते थे l िेदकन अब पतंगों में बहुत शवशवितछ बेिक आ गई है िेदकन िोग अब ज्यछदछ
िमय तक पतंग नहीं उड़छते l कु ् त्योहछरों पर ही पतंग उड़छई जछती हैl युवछओं और बुजुगों कछ भी रुिछन इिमें कम हुआ हैl
कशवतछ के बहछने, बछत िीिी थी पर / कुं वर नछरछयर्
2 अंक िाले प्रश्नोर्त्र
प्रश्न1.बछत िीिी थी कशवतछ कछ िछर शिशखए।
उत्तर कशवतछ में कथ्य और मछध्यम के द्वंद्व को उके रते हुए भछषछ की िहजतछ के प्रयोग पर बि ददयछ है। भछषछ को अनछवश्यक रूप िे करठन नहीं बनछनछ चछशहए।
प्रश्न 2. अर्च्ी कशवतछ कब बनती है?
उत्तर अर्च्ी बछत यछ अर्च्ी कशवतछ कछ बननछ िही बछत कछ िही िधद िे जुड़नछ होतछ है और जब ऐिछ होतछ है तो अशतररक्त मेहनत की जरूरत नहीं होती।
प्रश्न 3. "बछत की चूड़ी मरनछ" कछ आिय थपि करें ।
उत्तर करठन, आिंकछररक भछषछ के प्रयोग के कछरर् बछत कछ प्रभछवहीन हो जछनछ। वछह-वछह और प्रिंिछ पछने के िोभ में कई बछर कशव करठन भछषछ कछ प्रयोग करते
हैं शजििे बछत प्रभछवहीन हो जछती है।
प्रश्न 4 कशव के िछथ बछत दकिके िमछन खेि रही थी और क्यों?
उत्तर बछत कशव के िछथ एक नटखट एवं िरछरती बच्चे के िमछन खेि रही थी, क्योंदक कशव को भछषछ कछ िहज एवं िरि प्रयोग करनछ नहीं आ रहछ थछ।
प्रश्न 5. कशवतछ कछ शखिनछ िू िों के शखिने िे श्रेष्ठ कै िे है?
उत्तर-िू ि शखितछ है ककं तु कु ् िमय पिछत वह मुरिछ जछतछ है, िेदकन कशवतछ युगों-युगों तक शबनछ मुरिछए महकती रहती है।वह िछश्वत है।
प्रश्न 6. "कशवतछ एक उड़छन है" पंशक्त में शनशहत भछव थपि कीशजए।
उत्तर कशव ने कशवतछ में अपछर िंभछवनछओं को प्रकट दकयछ है। कशव की कल्पनछ की उड़छन अिीम है।तभी तो कहछ गयछ है- जहछं न पहुंचे रशव वहछं पहुंचे कशव।
3 अंक िाले प्रश्नोर्त्र
प्रश्न 1. कशवतछ के बहछने बतछएाँ दक “िब िर एक कर देने के मछने” क्यछ है?

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उत्तर- यहछं िब िर एक कर देने कछ अथा है-आपिी भेद, अंतर और अिगछववछद को िमछि करके िब में एक जैिे अपनत्व की अनुभूशत करनछ। बच्चे गिी -मोहल्िे में
खेिते हुए अपने-परछए कछ भेद भूि जछते हैं। ठीक उिी प्रकछर कशव भी कशवतछ शिखते हुए जनिमछज के आपिी भेदभछव भूिकर िबको एक मछनकर अपनी बछत
कहतछ है।
प्रश्न 2. “उड़ने” और “शखिने” कछ कशवतछ िे क्यछ िंबंि बनतछ है?
उत्तर- “उड़ने” और “शखिने” कछ कशवतछ िे िीिछ िंबंि है। शचशड़यछ उड़ती है और कशव भी कशवतछ में कल्पनछ के पंख िगछ उड़तछ है। शचशड़यछ की उड़छन की िीमछ है
और कशवतछ की उड़छन अिीम है।
िू ि के शखिने के िछथ उिकी पररशर्शत शनशित है।परंतु कशवतछ की रचनछ होने के बछद वह युगों-युगों तक अिंख्य पछठको के द्वछरछ पढ़ी जछती है।वह अमर है और
उििे शमिने वछिछ आनंद कभी िमछि नहीं होतछ।
प्रश्न 3 कशवतछ” और “बच्चे” को िमछनछंतर रखने के क्यछ कछरर् हो िकते हैं?
उत्तर शजि प्रकछर बच्चे खेिते िमय अपने-परछए, अमीर-गरीब आदद कछ भेद भूि कर िभी के िछथ खेिते हैं और िमछज को जोड़ने कछ कछम करते हैं।बच्चों के खेि में
दकिी प्रकछर की िीमछ कछ कोई थथछन नहीं होतछ।
ठीक उिी प्रकछर कशवतछ भी िधदों कछ खेि है और िधदों के इि खेि में जड़, चेतन, अतीत, वतामछन और भशवष्य िभी उपकरर् मछत्र है। इिशिए जहछं कहीं
रचनछत्मक ऊजछा होगी वहछं िीमछओं के बंिन खुद-ब-खुद टूट जछते हैं।
प्रश्न 4. कशवतछ के िंदभा में “शबनछ मुरिछए महकने” के मछने क्यछ होते हैं?
उत्तर िू ि शखिने के एक शनशित िमय बछद मुरिछ जछते हैं।उनकी खुिबू भी िमछि हो जछती। िेदकन कशवतछ अपने भछवों के कछरर् हमेिछ शखिी रहती है। उिमें
हमेिछ एक तछजगी बनी रहती हैं। क्योंदक एक अर्च्ी कशवतछ कछ भछव शचर थथछयी होतछ है, जो िदैव िोगों को प्रभछशवत करतछ रहतछ है। इिीशिए वह शबनछ
मुरिछये िदैव शखिी रहती है।
प्रश्न 5. “भछषछ को िूशियत” िे बरतने कछ क्यछ अशभप्रछय है?
उत्तर-5 “भछषछ को िूशियत" िे बरतने कछ अथा है दक कशव को कशवतछ की रचनछ करते वक्त कशवतछ में िहज, िरि व व्यछवहछररक भछषछ कछ प्रयोग करनछ
चछशहए। तछदक कशवतछ कछ भछव िोगों की िमि में आिछनी िे आ िके । अपनी शवद्वतछ और पछंश त्य के प्रदिान के िोभ में भछषछ को अनछवश्यक रूप िे करठन नहीं
बनछनछ चछशहए।
प्रश्न 6. बछत और भछषछ परथपर जुड़े होते हैं। ककं तु कभी-कभी भछषछ के चक्कर में ‘िीिी बछत भी टेढ़ी हो जछती है। कै िे?
उत्तर भछषछ कशवतछ के भछवों को, बछत यछ कथ्य को प्रकट करने कछ मछध्यम है। िेदकन जब कशव द्वछरछ कशवतछ में चछमत्कछररक व बनछवटी भछषछ कछ प्रयोग दकयछ
जछतछ हैं तो कशवतछ ऊपर िे ददखने में तो बहुत िुंदर िगती हैं मगर उिके भछव थपि न होने के कछरर् वह िोगों की िमि में नहीं आ पछती है।
यछशन करठन िधदों के प्रयोग िे, शजि उद्देश्य िे कशवतछ को शिखछ जछतछ हैं वह अपने उि उद्देश्य में ििि नहीं हो पछती हैं।

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कै मरे में बंद अपछशहज / रिुवीर िहछय
2 अंक िाले प्रश्नोर्त्र
प्रश्न -1. अपछशहज िे पू्े गए प्रश्न दकि बछत के पररचछयक हैं? कै मरे में बंद अपछशहज कशवतछ के आिछर पर थपि कीशजए।
उत्तर- कशव कछ मछननछ है दक अपछशहज िे जो प्रश्न पू्े जछते हैं उनकछ वछथतशवकतछ िे कोई िेनछ देनछ नहीं है यह प्रश्न शििा उिे ठे ि पहुंचछते हैं, यह प्रश्न िमछज की
मछनशिक शवकिछंगतछ के पररचछयक हैं।
प्रश्न -2 कछयाक्रम िूत्रिछर अपछशहज िे कौन-कौन िे प्रश्न पू्ेगछ? कै मरे में बंद अपछशहज कशवतछ के आिछर पर थपि कीशजए।
2. कछयाक्रम िूत्रिछर अपछशहज िे ऊट-पटछंग िवछि पू्तछ है, वह पू्तछ है दक आप यह िोच कर बतछइए दक अपंग होकर आप कै िछ महिूि करते हैं।यदद व्यशक्त
नहीं बतछ पछतछ तो िूत्रिछर िंकेत करतछ है दक कहीं ऐिछ तो महिूि नहीं करते, उन्हें िोचने के शिए कहतछ है कोशिि करने के शिए कहतछ है, और वह उत्तर नहीं दे
पछतछ तो उिे अविर खो देने की बछत कहतछ है।
प्रश्न-3 कछयाक्रम को रोचक बनछने के शिए कछयाकम िूत्रिछर क्यछ करे गछ? कै मरे में बंद अपछशहज कशवतछ के आिछर पर थपि कीशजए।
उत्तर- कछयाक्रम िूत्रिछर अपछशहज िे बेतुके प्रश्न पू्ेगछ और उिे रुिछने कछ प्रयछि करे गछ, िछथ ही दिाकों को भी रुिछनछ चछहतछ है।
प्रश्न-4 िू िी हुई आंख िे कशव क्यछ कहनछ चछहतछ है? कै मरे में बंद अपछशहज कशवतछ के आिछर पर थपि कीशजए।
उत्तर -4 िू िी हुई आंख िे कशव कहनछ चछहतछ है दक मीश यछ मजबूर शवकिछंग की हछित को और भयछनक तरीके िे प्रथतुत करतछ है, तछदक िोगों की िहछनुभूशत
उनिे जुड़ िके । इन पंशक्तयों में मीश यछ की िंवेदनहींनतछ को बतछयछ गयछ है।मीश यछ दिाक और शवकिछंग व्यशक्त को एक िछथ रुिछनछ चछहतछ हैं, तछदक उनकछ
कछयाक्रम िोकशप्रय हो िके ।
प्रश्न -5 'होठों पर एक किमिछहट ' कै मरे में बंद अपछशहज कशवतछ के आिछर पर थपि कीशजए। पंशक्त द्वछरछ कशव क्यछ कहनछ चछहतछ है?
उत्तर- कशव कहनछ चछहतछ है दक शवकिछंग अपनी पीड़छ को बतछ नहीं पछ रहछ और यही व्यथछ उिके होठों पर देखने को शमिती है।
प्रश्न- 6 कै मरे में बंद अपछशहज कशवतछ कछ िंक्षेप िन्देि शिशखए।
उत्तर- कशवतछ पत्रकछररतछ के क्षेत्र में बढ़ती व्यछविछशयकतछ, िोकशप्रयतछ हेतु बढ़ती िंवेदनहींनतछ को प्रकट करते हुए मीश यछ कछ िछमछशजक उत्तरदछशयत्व न
शनभछनेवछिे दृशिकोर् की ओर िंकेत करती है।
3 अंक िाले प्रश्नोर्त्र
प्रश्न 1 'हम दूरदिान पर बोिेंगे, हम िमथा िशक्तवछन 'कै मरे में बंद अपछशहज कशवतछ की पंशक्त में शनशहत व्यंग्य को थपि कीशजए।
उत्तर- इि कशवतछ के मछध्यम िे कशव बतछतछ है दक मीश यछ वछिे थवयं को िमथा तथछ िशक्तिछिी िमिते हैं। वे दकिी की करुर्छ, पीड़छ को बेच िकते हैं। वे ऐिे
व्यशक्तयों को िमछज के िछमने िछकर िहछनुभूशत बटोरनछ चछहते हैं जो कमज़ोर तथछ अिक्त हैं। इििे उनकी िोकशप्रयतछ व आमदनी बढ़ती हैं।मीश यछ कछ िूठछ दंभ
दृशिगत होतछ है, वे थवयं को िमछज में पररवतान िछने वछिे िमथा िशक्तिछिी मछनते है।

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प्रश्न -2. कछयाक्रम को ििि बनछने के शिए प्रश्नकतछा क्यछ -क्यछ करतछ है?'कै मरे में बंद अपछशहज कशवतछ के आिछर पर थपि कीशजए।
उत्तर- कछयाक्रम को ििि बनछने के शिए प्रश्नकतछाअपछशहज िे बेतक
ु े , तका हीन प्रश्न करके , उिकी मजबूरी को दिछातछ है, वह शवकिछंग को थटूश यो में बुिछकर उििे
अपनी पीड़छ जल्दी-जल्दी बतछने के शिए कहतछ है। उिकी कमजोरी को बड़छ करके इिछरों िे खुद ददखछतछ, वह दिाकों को एक िछथ भी रुिछनछ चछहतछ है उिकी
िोच है दक इििे िमछज की िहछनुभूशत उिके चैनि को शमिेगी और कछयाक्रम िोकशप्रय हो जछएगछ।
प्रश्न- 3. कै मरे में बंद अपछशहज कशवतछ में कशव क्यछ िंदि
े देनछ चछहतछ है?
उत्तर-. कशवतछ में कशव मछनवीय िंवेदनहींनतछ कछ शचत्रर् करतछ है मीश यछ िोगों की मजबूरी तथछ दुख को बेचने कछ प्रयछि करतछ है करुर्छ के मुखौटे में अपछशहज
कछ मजछक उड़छयछ जछतछ है उिके प्रशत िूठी िहछनुभूशत जतछई जछती है उििे ऐिे प्रश्न पू्े जछते हैं दक मछनवतछ भी िमािछर हो जछती है कशव िमछज के क्रूर
दृशिकोर् को व्यक्त करतछ है।मीश यछ की व्यछविछशयतछ को बतछयछ गयछ है?
प्रश्न-4. यह अविर खो देंग'े कै मरे में बंद अपछशहज कशवतछ के आिछर पर पंशक्त कछ आिय थपि करें ।
उत्तर - प्रश्नकतछा अपछशहज िे बेतुके प्रश्न पू्तछ है िमछज के िछमने अपने अनुभव को व्यक्त करने कछ अविर देतछ है इििे अपछशहज को िहछनुभूशत शमिेगी, यदद वह
इि अविर पर अपनी पीड़छ, दुःख नहीं बतछ पछतछ है तो उिे िहछनुभूशत नहीं शमिेगी और प्रश्न कतछा कछयाक्रम भी ििि नहीं होगछ।इिशिए वह अपछशहज िे जल्दी
उत्तर देने कछ आग्रह करतछ है।
प्रश्न -5 "कै मरे में बंद अपछशहज कशवतछ करुर्छ के में मुखौटे श्पी क्रूरतछ की कशवतछ है "इि कथन पर रटप्पर्ी कीशजए
उत्तर- कशव ने बतछयछ है दक मीश यछ मछनवीय करुर्छ के मुखौटे में क्रूरतछ को दिछातछ है मीश यछ बछहरी िहछनुभूशत जतछतछ है, वह दुख -ददा बेचकर यि तथछ िन
पछनछ चछहते हैं कशवतछ में अपछशहज व्यशक्त की दिछ तथछ दुख को प्रथतुत कर चैनि अपनी िोकशप्रयतछ टी. आर. पी. बढ़छनछ चछहते हैं यह क्रूरतछ की चरम िीमछ है।
ऐिछ िंवेदनहींन व्यवहछर मीश यछ की क्रूरतछ को उजछगर करतछ है।
प्रश्न-6. कै मरे में बंद अपछशहज कशवतछ को क्यछ िंवेदनहींन कशवतछ कहछ जछ िकतछ है? तका के आिछर पर अपने मत की पुशि कीशजए।
उत्तर- कशवतछ को िंवेदनहींन कहछ जछ िकतछ क्योंदक कशवतछ में कशव ने मछनवीय िंवेदनिीितछ कछ शचत्रर् अवश्य दकयछ है दकन्तु िछथ ही मीश यछ के अििी
रूप कछ शचत्रर् दकयछ है, जो अपने व्यछपछर को बढ़छने के शिए अपछशहज की पीड़छ को कु रे दते है, ऊपर- ऊपर िे उिके प्रशत िूठी िहछनुभूशत जतछते है, उििे बेतुके
प्रश्न पू्ेते हैं, कशव िंवेदनहींन क्रूर दृशिकोर् को व्यक्त करतछ है।
प्रश्न -7 पदे पर वक्त की कीमत है कहकर कशव ने पूरे िछक्षछत्कछर के प्रशत अपनछ नजररयछ दकि रूप में रखछ है? कै मरे में बंद अपछशहज कशवतछ के आिछर पर थपि
कीशजए।
उत्तर- कशव कहतछ है दक मीश यछ िोगों की िहछनुभूशत अर्जात करके अपनछ व्यविछय बढ़छनछ चछहते है, वे चछहते हैं दक शवकिछंग के रोने के िछथ दिाक भी रोने िगें।
वैिे दृश्य को िंबे िमय तक ददखछनछ नहीं चछहते हैं, क्योंदक उनके कछयाक्रम में िमय की कीमत होती है, वे उि कीमत को खरछब नहीं करनछ चछहते। रजत पट पर
एक-एक पि कछ भी मूल्य चुकछनछ पड़तछ है।

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प्रश्न-8 यदद िछरीररक रूप िे चुनौती कछ िछमनछ कर रहे व्यशक्त और दिाक, दोनों एक िछथ रोने िगेंग,े तो उििे प्रश्न कतछा कछ कौन-िछ उद्देश्य पूरछ होगछ? कै मरे में
बंद अपछशहज कशवतछ के आिछर पर थपि कीशजए।
उत्तर- कशव मीश यछ की थवछथी मनोवृशत को दिछातछ है मीश यछ एक शवकिछंग व्यशक्त को थटूश यो में बुिछकर उििे उिके किों के बछरे में पू्ते हैं शवकिछंग जवछब
नछ दे पछने की शथथशत में रोने िगेगछ िछथ ही उिकी पीड़छ िे द्रशवत दिाक भी रोने िगेंग,े दिाकों के रोने िे कछयाक्रम और अशिक ििि होगछ। प्रश्नकतछा कछ
व्यछविछशयक उद्देश्य होनछ, चैनि की टी.आर. पी बढ़छनछ।
उषछ / िमिेर बहादुर हसंह
2 अंक िाले प्रश्नोर्त्र
प्रश्न– 1 ‘उषछ’ कशवतछ में गोरी देह के शििशमिछने की िमछनतछ दकििे की गई है?
उत्तर- गोरी देह के शििशमिछने की िमछनतछ दकरर्ों के प्रशतडबंब िे की गई है। िूयोदय के िमय दकरर्ों कछ प्रशतडबंब जि में गौर– शििशमि देह के िमछन प्रतीत
होतछ है।
प्रश्न -2 ‘उषछ’ कछ जछदू कै िछ है? उषछ कशवतछ के आिछर पर शिशखए।
उत्तर- उषछ कछ जछदू अद्भुत है, शजिे अपिक देखने की इर्च्छ होती है। आिमछन रछख िे शिपछ चौकछ, कछिी थिेट, कछिी शिि, नीिे िंख जैिे उपमछनों िे िजछ
ददखछई दे रहछ है।
प्रश्न –3. उषछ कछ जछदू टूटने कछ तछत्पया बतछइए।
उत्तर– उषछ कछि की जछदुई आभछ िूयोदय होने पर िमछि हो जछती है। जब िूयोदय होतछ है तो प्रकृ शत में िब कु ् थपि ददखछई देने िगतछ है। अथछात उषछ कछ जछदू
टूट जछतछ है।
प्रश्न- 4. उषछ कछ जछदू कब टूटतछ है?
उत्तर –भोर कछिीन आिमछन में जब िूया की दकरर्े थपि रूप िे िछशिमछ वबखेर देतीं है तब उषछ की जछदुई आभछ िमछि हो जछती है। िब थपि नजर आतछ है।
प्रश्न 5 शिि और थिेट कछ उदछहछरर् देकर कशव ने आकछि के रं ग के बछरे में क्यछ कहछ है?
उत्तर-कशव ने शिि और थिेट के रं ग की िमछनतछ आकछि के रं ग िे की है। भोर के िमय आकछि कछ रं ग गहरछ नीिछ-कछिछ होतछ है और उिमें थोड़ी-थोड़ी िूयोदय
की िछशिमछ शमिी हुई होती है।
प्रश्न 6. उषछ’ कशवतछ में प्रछतःकछिीन आकछि की पशवत्रतछ, शनमाितछ व उज्ज्वितछ िे िंबंशित पंशक्तयों को बतछइए।
उत्तर-पशवत्रतछ- रछख िे िीपछ हुआ चौकछ।
शनमाितछ- बहुत कछिी शिि जरछ िे के िर िे/दक जैिे िुि गई हो। / उज्ज्वितछ-नीिे जि में यछ दकिी की / गौर शििशमि देह / जैिे शहि रही हो।
3 अंक िाले प्रश्नोर्त्र

119
प्रश्न -1 कशवतछ के दकन उपमछनों को देखकर यह कहछ जछ िकतछ है दक ‘उषछ’ कशवतछ गछाँव की िुबह कछ गशतिीि िधद-शचत्र है।
उत्तर- कशव के नीिे िंख, रछख िे िीपछ हुआ गीिछ चौकछ, शिि, थिेट, नीिछ जि और गोरी युवती की शििशमिती देह आदद उपमछनों को देखकर यह कहछ जछ
िकतछ है दक उषछ कशवतछ गछाँव की िुबह कछ गशतिीि िधद शचत्र है। इन्हीं उपमछनों के मछध्यम िे कशव ने िूयोदय कछ गशतिीि वर्ान दकयछ है। ये उपमछन भी
कशवतछ को गशत प्रदछन करते हैं।
प्रश्न -2 िूयोदय िे पहिे आकछि में क्यछ-क्यछ पररवतान होते हैं? ‘उषछ’ कशवतछ के आिछर पर बतछइए।
उत्तर-िूयोदय िे पहिे आकछि कछ रं ग िंख जैिछ नीिछ थछ, उिके बछद आकछि रछख िे िीपे चौके जैिछ हो गयछ। िुबह की नमी के कछरर् वह गीिछ प्रतीत होतछ है।
िूया की प्रछरं शभक दकरर्ों िे आकछि ऐिछ िगछ मछनो कछिी शिि पर थोड़छ िछि के िर छिकर उिे िो ददयछ गयछ हो यछ दिर कछिी थिेट पर िछि खशड़यछ शमट्टी
मि दी गई हो।
प्रश्न-3 ‘उषछ’ कशवतछ के आिछर पर उि जछदू को थपि कीशजए जो िूयोदय के िछथ टूट जछतछ है।
उत्तर- इि िमय आकछि कछ िौंदया क्षर्-क्षर् में पररवर्तात होतछ रहतछ है। यह उषछ कछ जछदू है। नीिे आकछि कछ िंख-िछ पशवत्र होनछ, कछिी शिि पर के िर
छिकर िोनछ, कछिी थिेट पर िछि खशड़यछ मि देनछ, नीिे जि में गोरी नछशयकछ कछ शििशमिछतछ प्रशतडबंब आदद दृश्य उषछ के जछदू के िमछन िगते हैं। िूयोदय
होने के िछथ ही ये दृश्य िमछि हो ज़छते हैं।
प्रश्न 4 ‘थिेट पर यछ िछि खशड़यछ चछक मि दी हो दकिी ने।‘ - इिकछ आिय थपि कीशजए।
उत्तर-कशव कहतछ है दक िुबह के िमय अाँिेरछ होने के कछरर् आकछि थिेट के िमछन िगतछ है। उि िमय िूया की िछशिमछ-युक्त दकरर्ों िे ऐिछ िगतछ है जैिे दकिी
ने कछिी थिेट पर िछि खशड़यछ शमट्टी मि दी हो। कशव आकछि में उभरी िछशिमछ के बछरे में बतछनछ चछहतछ है।
प्रश्न 5 भोर के नभ को ‘रछख िे िीपछ, गीिछ चौकछ‘ की िंज्ञछ दी गई है। क्यों?
उत्तर- भोर के िमय ओि के कछरर् आकछि नमीयुक्त व िुि
ं िछ होतछ है। रछख िे शिपछ हुआ चौकछ भी मटमैिे रं ग कछ होतछ है। दोनों कछ रं ग िगभग एक जैिछ होने
के कछरर् कशव ने भोर के नभ को ‘रछख िे िीपछ, गीिछ चौकछ’ की िंज्ञछ दी है। दूिरे , चौके को िीपे जछने िे वह थवर्च् हो जछतछ है। इिी तरह भोर कछ नभ भी
पशवत्र होतछ है।
प्रश्न 6. ‘उषछ’ कशवतछ में भोर के नभ की तुिनछ दकििे की गई हैं और क्यों?
उत्तर- ‘उषछ’ कशवतछ में प्रछत: कछिीन नभ की तुिनछ रछख िे िीपे गए गीिे चौके िे की गई है। इि िमय आकछि नम एवं िुंििछ होतछ है। इिकछ रं ग रछख िे शिपे
चूल्हे जैिछ मटमैिछ होतछ है। शजि प्रकछर चूल्हछ-चौकछ िूखकर िछफ़ हो जछतछ है उिी प्रकछर कु ् देर बछद आकछि भी थवर्च् एवं शनमाि हो जछतछ है।
प्रश्न 7. आपने क्यछ कभी भोर कछ नभ देखछ है? अपने अनुभव शिखें।

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उत्तर- जी हछाँ, मैंने भोर कछ नभ देखछ है। मैंने अनुभव दकयछ दक प्रछत: कछि िूयोदय िे पूवा प्रकृ शत अिीम उजछा िे भरपूर होती है। आिमछन ऐिछ िगतछ है मछनो
दकिी ने शिि पर जरछ िछ िछि के िर पीिकर िो छिी हो। िूयोदय िे पहिे आकछि कछ रं ग िंख जैिछ नीिछ थछ, उिके बछद आकछि रछख िे िीपे चौके जैिछ हो
गयछ। अचछनक पूर्ा िूयोदय होने िे जछदू ख़त्म हो जछतछ है।
बछदि रछग / सूयक
ा ांत वत्रपाठी वनराला
2 अंक िाले प्रश्नोर्त्र
प्रश्न 1- ‘बछदि रछग’ कशवतछ में ‘बछदि’ दकिकछ प्रतीक है? और क्यों?
उत्तर- ‘बछदि रछग’ कशवतछ में ‘बछदि’ क्रछंशत कछ प्रतीक है। ‘बछदि‘ और ‘क्रछंशत’ दोनों के आगमन के उपरछंत शवश्व हरछ- भरछ. िमृि और थवथथ हो जछतछ है। ति
ह्रदय को िछंशत प्रछि होती है।
प्रश्न 2- शवप्िवी बछदि की युि रूपी नौकछ की क्यछ- क्यछ शविेषतछएं हैं?
उत्तर- शवप्िवी बछदि की युि रूपी नौकछ के अंदर आम आदमी की इर्च्छएाँ भरी हुई हैं, शजि तरह िे युद्र्ि नौकछ में युि की िछमग्री भरी होती है। युि की तरह
बछदि के आगमन पर रर्भेरी बजती है। िछमछन्यजन की आिछओं के अंकुर एक िछथ िू ट पड़ते हैं।
प्रश्न-3- बछदि के बरिने कछ गरीब एवं िनी वगा िे क्यछ िंबंि जोड़छ गयछ है?
उत्तर- बछदि के बरिने िे गरीब वगा आिछ िे भर जछतछ है। वह अपने किों िे मुशक्त कछ मछगा खोजने िगतछ है वही ाँ िनी वगा अपने शवनछि की आिंकछ िे भयभीत
हो उठतछ है।
प्रश्न 4: ‘अिछशन-पछत िे िछशपत उन्नत ित-ित वीर‘ पंशक्त में दकिकी ओर िंकेत दकयछ है?
उत्तर- ‘अिछशन-पछत िे िछशपत उन्नत ित-ित वीर‘ पंशक्त में कशव ने पूंजीपशत वगा की ओर िंकेत दकयछ है। शबजिी शगरने कछ अथा क्रछंशत िे है। क्योदक क्रछंशत होने
पर िनी वगा को नुकिछन उठछनछ होगछ।
प्रश्न -5. कशवतछ में दकिको िोषक कहछ गयछ है?
उत्तर- कशव ने कशवतछ के मछध्यम िे पूाँजी पशतयों को िोषक कहकर िंबोशित दकयछ है। ऐिे पूंजीपशत जो शनम्न वगा के िोगों कछ िोषर् करते हैं, उनके अशिकछरों कछ
हनन करते है तथछ उनकछ िोषर् करते है।
3 अंक िाले प्रश्नोर्त्र
प्रश्न1-शवप्िव के बछदि कछ आह्वछन क्यों दकयछ गयछ है?
उत्तर- शनरछिछ ने बछदि को क्रछंशत कछ प्रतीक मछनछ है। उन्होंने मछनछ है दक िमछज में शनम्न वगा यछ िवाहछरछ वगा िददयों िे िनी वगा के िोषकों के िोषर् कछ शिकछर
होतछ आ रहछ है। ये िनी वगा के िोग िदछ िे शनम्न वगा के िन को हड़प कर अपने खज़छने भर रहे हैं। क्रछंशत आने पर िोषक वगा ही अशिक डचंशतत होतछ है।
प्रश्न 2– ‘अशथथर िुख पर दुख की ्छयछ ‘ पंशक्त में दुख की ्छयछ दकिे कहछ गयछ है और क्यों?

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उत्तर -कशव ने िमछज में पूाँजीपशतयों द्वछरछ दकए गए अत्यछचछर तथछ िोषर् को दुख की ्छयछ बतछयछ है। इि िोषर् कछ शिकछर प्रछयः मज़दूर तथछ कमज़ोर वगा होते
हैं। उनके पछि िुख नछममछत्र के हैं। इिशिए कशव ने उनके िुख को अशथथर बतछयछ है। यह िुख कु ् पि के शिए भी नहीं रूक पछतछ है क्योंदक िोषर् तथछ अत्यछचछर
इन वगा के िोगों को जीने नहीं देते हैं।
प्रश्न 3 िुि अंकुर दकिकी ओर तछक रहे हैं? वे दकिशिए ऐिछ कर रहे हैं?
उत्तर- िरती मछाँ की उपजछऊ शमट्टी में िोए हुए अंकुर शनरंतर बछदिों की ओर तछक रहे हैं। उन्हें पूरी आिछ है दक बछदिों के बरिने िे शमट्टी नम हो जछएगी और उन्हें
अंकुररत होने के शिए अनुकूि पररशथथशतयछाँ शमिेंगी; वे पनपेंग;े बड़े होंगे और उन्हें भी अपनछ रूप-गुर् ददखछने कछ अविर प्रछि होगछ। प्रतीकछत्मकतछ िे शनम्न और
िमछज के द्वछरछ तुर्च् िमिे जछनेवछिे िोग िुख-िमृशि प्रछि कर तरक्की की रछह पर आगे बढ़ेंगे।
प्रश्न 4. शनरछिछ जी ने ‘क्षत-शवक्षत हत अचि िरीर’ के मछध्यम िे दकनकी ओर िंकेत दकयछ है और क्यों?
उत्तर-शनरछिछ जी ने ‘क्षत-शवक्षत हत अचि िरीर’ के मछध्यम िे िमछज के िमृि और उच्च वगा की ओर िंकेत दकयछ है क्योंदक यही वगा िोषक बन शनिान और
कमजोर वगा कछ िोषर् करतछ है। कशव उन्हें क्षत-शवक्षत ददखछकर प्रकट करतछ है दक उनकी िन-दौित, िुख-िंपशत्त और िोषर् िे प्रछि की गई िभी खुशियछाँ क्रछंशत
आने पर वछशपि ्ीन िी जछएंगी। जन-क्रछंशत की गछज उन्हीं पर शगरे गी।
प्रश्न 5. ‘हाँिते हैं ्ोटे पौिे ििुभछर’ के मछध्यम िे कशव ने दकनकी ओर िंकेत दकयछ है और क्यों?
उत्तर-कशव ने ‘्ोटे पौिे’ के मछध्यम िे शप्ड़े वगों और िोशषतों की ओर िंकेत दकयछ है जो िंपन्न वगा के िोषर् के कछरर् दीन-हीन दिछ प्रछि कर दकिी प्रकछर
जीवन जी रहे हैं। वे क्रछंशत रूपी बछदिों के आगमन पर प्रिन्न हैं दक क्रछंशत के बछद िोषक वगा शमट जछएगछ और िोशषत वगा कछ िू िने-पनपने कछ उशचत अविर प्रछि
हो जछएगछ।
प्रश्न 6.-िोषक वगा िब प्रकछर िे िुरशक्षत और िंपन्न होते हुए भी क्रछंशत के नछम िे क्यों भयभीत होतछ है? थपि कीशजए।
उत्तर-िोषक वगा मन-ही-मन जछनतछ है दक उिी ने शनम्न और मध्यम वगा कछ िोषर् दकयछ है। यदद कभी भी जन-क्रछंशत हुई तो उिकी जछन पर बन आएगी; वह
उनिे नहीं बच पछएगछ शजन्हें उिने िोषर् कछ शिकछर बनछयछ थछ। उिकी िछरी िुख-िंपशत्त िूट िी जछएगी। उिकी िछन-िौकत शमट्टी में शमिछ दी जछएगी इिशिए
वह क्रछंशत के नछम िे भी कछंपतछ है।
प्रश्न 07. कशव ने दकिछन की दिछ कछ शचत्रर् कै िछ दकयछ है?
उत्तर- कशव ने दकिछन की दयनीय और िोचनीय दिछ कछ शचत्रर् दकयछ है जो पूाँजीपशतयों के िोषर् कछ शिकछर बन रहछ है। ‘जीर्ा बछहु है िीर्ा िरीर’ कहकर
उिकी िछरीररक शथथशत को प्रकट करते हुए मछनतछ है दक उिके पछि न तो खछने को पूरी रोटी है और न िरीर को ढकने के शिए वस्त्र। वह इि जीवन िे हतछि-
शनरछि है।
प्रश्न 08. ‘बछदि रछग’ के आिछर पर शवप्िव के बछदिों की िोर गजानछ िे िनी और पूाँजीपशत वगा पर क्यछ प्रभछव पड़तछ है?

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उत्तर- शवप्िव के बछदिों की िोर गजानछ िुनकर िनी और पूाँजीपशत वगा क्रछंशत के र िे कछाँप उठतछ है। उिे गरीबों के िछथ दकए गए अपने व्यवहछर की यछद आ
जछती है। उिे अपने पछप रछने िगते है। वह अपनी अशत िुंदर पत्नी की शनकटतछ पछकर भी भय िे कछाँपतछ रहतछ है। उिे प्रतीत होतछ है दक अब उिे कोई नहीं बचछ
िकतछ।
प्रश्न 09. शनरछिछ की िहछनुभशू त दकि वगा के प्रशत है?
उत्तर- शनरछिछ जी की िहछनुभूशत पूर्ा रूप िे पूाँजीपशत वगा के शवरोि में गरीब, िोशषत और कृ षक वगा के प्रशत है। अमीरों ने ही दीन-हीन वगा के िोषर् में अपछर
िुख-िमृशियों की प्रछशि की है, अपने ऊाँचे-ऊाँचे महि खड़े दकए हैं। वे चछहते हैं दक िोशषत वगा एक िछथ शमिकर पूाँजीपशतयों के शवरुि शवरोि की िहर उत्पन्न करें ,
क्रछंशत की मिछि जिछएाँ और पूाँजीपशतयों को िमूि नि कर दें।
प्रश्न 10. बछदिों के आगमन िे प्रकृ शत में होने वछिे दकन-दकन पररवतानों को ‘बछदि रछग’ कशवतछ रे खछंदकत करती हैं?
उत्तर- जब आकछि में बछदिों कछ आगमन होतछ है तब बछदि गजाने िगते हैं। उनकी गजाने की आवछज़ दूर-दूर तक िुनछई देती है। बछदिों में शबजिी कौंिने िगती है
और मूििछिछर वषछा आरं भ हो जछती है। पछनी शमि जछने के कछरर् बीजों कछ अंकुरर् हो जछतछ है। जब वे बड़े होते हैं तो ्ोटे-्ोटे पौिे हवछ के चिने िे अपने हछथ
शहिछ-शहिछकर अपनी प्रिन्नतछ व्यक्त करते हैं। कमि के िू ि िे जि की बूंदें टपकने िगती हैं। िरती कछ कीचड़ जि के बहछव के कछरर् िछि हो जछतछ है।
कशवतछविी / तुलसीदास
2 अंक िाले प्रश्नोर्त्र
प्रश्न 1. श्री रछम के प्रशत तुििीदछि जी की भशक्त को थपि कीशजए।
उत्तर- श्री रछम के प्रशत तुििीदछि जी की अगछि श्रिछ थी। वे हर िमथयछ कछ िमछिछन श्री रछमचंद्र जी के चरर्ों में पछते थे। जीवन की शवषम पररशथथशतयों में वे
रछम को ही िहछयक मछनते हैं।
प्रश्न 2. तुििीदछि जी ने कौन िी आग को ब वछशि िे भी बड़छ कहछ है?
उत्तर: तुििीदछि जी ने पेट में िगी आग को ब वछशि िे भी बड़छ कहछ है।
प्रश्न 3. कशव तुििीदछि के पेट में िगी आग को कौन बुिछ िकतछ है?
उत्तर: पेट में िगी आग को के वि श्री रछम रूपी बछदि ही अपनी कृ पछ रूपी जि िे भुिछ िकते हैं।
प्रश्न 4. वेदों और पुरछर्ों में क्यछ कहछ गयछ है?
उत्तर: चछरों वेदों और आठों पुरछर्ों में कहछ गयछ है और इि िंिछर में देखछ भी गयछ है दक जब भी िब पर िंकट आतछ है तो शििा श्री रछम जी ही उिे दूर करते हैं।
प्रश्न 5. दररद्रतछ की तुिनछ दकििे की गई है? क्यों?
उत्तर: दररद्रतछ की तुिनछ रछवर् िे की गई है। क्योंदक शजि प्रकछर रछवन ने िीतछ कछ हरर् और िंतों पर अत्यछचछर करके त्रछशह त्रछशह मचछ दी थी, उिी प्रकछर
गरीबी िे िोग त्रछशह त्रछशह कर रहे हैं।

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प्रश्न 6.' बेचत बेटछ- बेटकी' कथन के िंदभा में बतछइए दक तुििी के युग और आज के युग में क्यछ अंतर है?
उत्तर: कभी दकि िमय में िोग भूख को िछंत करने के शिए अपने बेटे बेटी तक को बेच देते थेl आज भी भूख के मछरे िोग हत्यछ, चोरी, िूट और कन्यछ शवक्रय जैिे
शिनौने कछम करने िे चूकते नहीं हैl
प्रश्न 7. तुििी के युग की बेकछरी के क्यछ कछरर् हो िकते हैं?
उत्तर- तुििी के युग की बेकछरी के शनम्न कछरर् हो िकते हैं- (1) िोगों के पछि कृ शष योग्य भूशम कछ नछ होनछ, (2) अर्च्े िंिछिन कछ नछ होनछ, (3) पररश्रम नछ
करनछ, (4) िछिन में व्यछि भ्रिछचछर, (5) मौिम पर आिछररत कृ शष व्यवथथछ l
3 अंक िाले प्रश्नोर्त्र
प्रश्न1: तुििीदछि रछम के कै िे भक्त हैं? कशवतछविी के आिछर पर थपि कीशजए l
उत्तर: तुििीदछि रछम के अनन्य भक्त हैं l वे थवयं को रछम कछ गुिछम अथछात दछि बतछते हैं और कहते हैं दक मेरी प्रशिशि रछम के गुिछम यछ दछि के रूप में ही इि
िंिछर में है मुिे और दकिी िे कु ् भी िेनछ देनछ नहीं है शजिे जो िमि में आए वह मुिे उि नछम िे िंबोशित कर िकतछ हैl
प्रश्न 2 तुििी युग की आर्थाक शथथशत कछ अपने िधदों में वर्ान कीशजए I
उत्तर- तुििी के िमय आर्थाक दिछ खरछब थी दकिछन के पछि खेती नछ थी व्यछपछरी के पछि व्यछपछर नहीं यहछं तक दक शभखछरी को भीख भी नहीं शमिती थी, िोग
यही िोचते रहते थे दक क्यछ करें कहछं जछए वह िन प्रछशि के उपछय ओ के बछरे में िोचते थे जो पेट भरने के शिए अपनी िंतछनों तक को बेच देते थे चछरो और
भूखमरी कछ िछम्रछज्य िै िछ हुआ थछ
प्रश्न 3: पेट की आग की शविछितछ और भयछवहतछ को कशव ने कै िे प्रथतुत दकयछ है? कशवतछविी के आिछर पर थपि करें l
उत्तर : पेट की आग की शविछितछ और भयछवहतछ को थपि करने के शिए कहछ है दक यह अशि िमुद्र की आग िे भी बड़ी है। िमुद्र में कई बछर कु ् थथिों पर
भयछनक अशि की िपटें उठती है इिे बड़वछशि कहछ जछतछ हैl पेट की आग उििे भी भयछनक होती है क्योंदक िोग भूख की ज्वछिछ को शमटछने के शिए अपने बेटछ
और बेटी तक को बेच छिते हैंl
प्रश्न4. कशवतछविी में तुििी की वछर्ी में िोगों के प्रशत उिछहने और शतरथकछर कछ क्यछ कछरर् रहछ होगछ?
उत्तर. तुििीदछि अपने िमय के बहुत िोकशप्रय कशव थे। उनकी रछम भशक्त, कथछ बछाँचने की कु िितछ और िोकशप्रयतछ के कछरर् बहुत िे िोग उनिे ईष्यछा करते थे।
वे तुििी के जन्म, िमा और कमा को िेकर बछतें भी बनछते थे। ऐिे ही डनंदक िे परे िछन होकर तुििी ने उनकछ शतरथकछर दकयछ होगछ l
प्रश्न 5. 'कछू की बेटीिों बेटछ ने धयछहब ' के द्वछरछ तुििीदछि िमछज के िोगों िे क्यछ कहनछ चछहते हैं?
उत्तर: तुििीदछि के युग में जछशत िंबंिी शनयम अत्यशिक कठोर थे। वे कहते हैं दक उन्हें अपने बेटे कछ शववछह दकिी की बेटी िे नहीं करनी। इििे दकिी की जछशत
खरछब नहीं होगी क्योंदक िड़की वछिछ अपनी जछशत के वर ढू ंढतछ है। पुरुष प्रिछन िमछज में िड़की की जछशत शववछह के बछद बदि जछती है। वे जछशत िंबंिी दकिी
पचड़े में नहीं पड़नछ चछहते हैं।

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प्रश्न6: तुििीदछि के युग में कही गई बछतें वतामछन िंदभा में दकतनी प्रछिंशगक हैं?
उत्तर: उन्होंने तत्कछिीन नैशतकतछ शवहीन िमछज, मूल्यहीनतछ, नछरी की शथथशत, िछमछशजक- आर्थाक दुदि
ा छ कछ शचत्रर् दकयछ है इनमें िे अशिकतर िमथयछएं आज
भी शवद्यमछन है। आज भी िोग जीवन शनवछाह के शिए गित-िही कछया करते हैं। नछरी के प्रशत नकछरछत्मक िोच आज भी शवद्यमछन है। अभी भी जछशत व िमा के नछम
पर भेदभछव होतछ है इिके शवपरीत कृ शष वछशर्ज्य रोजगछर की शथथशत में बहुत बदिछव आयछ है।
िक्ष्मर् मूर्च्छा और रछम कछ शविछप / तुलसीदास
2 अंक िाले प्रश्नोर्त्र
प्रश्न1: िक्ष्मर् के शबनछ श्री रछम को अपनछ जीवन दकि प्रकछर कछ प्रतीत हो रहछ थछ?
उत्तर- शजि प्रकछर पंखों के शबनछ पक्षी, मशर् के शबनछ िपा और िूं के शबनछ हछथी कछ जीवन दयनीय होतछ हैl ठीक उिी प्रकछर िक्ष्मर् के शबनछ श्री रछम को अपनछ
जीवन अत्यंत दयनीय प्रतीत हो रहछ थछ।
प्रश्न 2. रछवर् की िेनछ के कौन कौन िे महछन यौिछ युि में मछरे गए?
उत्तर- रछवर् की िेनछ के शनम्न योिछ युि में मछरे गए- दुमुाख, िुरररपु, मनुज आहछरी, अशतकछय, अपर महोदर आददl
प्रश्न 3: िक्ष्मर् के जीशवत होने कछ िमछचछर िुनकर रछवर् की क्यछ दिछ हुई?
उत्तर- िक्ष्मर् के जीशवत होने की खबर िुनकर रछवर् अत्यशिक दुखी हुआ वह बछर-बछर शिर िुनने िगछ और दुखी होकर उिने कुं भकरर् को जगछयछ I
प्रश्न 4. श्री रछम के अनुिछर नछरी की हछशन शविेष हछशन नहीं हैl उन्होंने ऐिछ क्यों कहछ?
उत्तर- अपने भछई के शवयोग की कल्पनछ िे रछम अत्यंत दुखी थे अत्यंत दुख के कछरर् वे क्यछ कह रहे हैं यह उन्हें थवयं भी पतछ न थछ l इिी कछरर् उन्होंने यह कहछ
दक नछरी की हछशन शविेष हछशन नहीं हैl
प्रश्न 5: हनुमछन ने भरत िे क्यछ कहकर जछने की अनुमशत मछंगी l
उत्तर- हनुमछन ने भछरत िे कहछ दक हे थवछमी मैं आप की मशहमछ और बि को हृदय में िछरर् कर िीघ्र ही पहुंच जछऊंगछ l
प्रश्न 6 आकछि मछगा िे जछते िमय हनुमछन भरत के दकन गुर्ों को मन ही िरछह रहे थे?
उत्तर. वे मछगा में भछरत के बछहुबि, मृदि
ु व्यवहछर एवं रछम के चरर्ों के प्रशत अपछर प्रेम की मन ही मन प्रिंिछ करते जछ रहे हैं
3 अंक िाले प्रश्नोर्त्र
प्रश्न1. िोक ग्रथत मछहौि में हनुमछन के अवतरर् को करुर् रि के बीच वीर रि कछ आशवभछाव क्यों कहछ गयछ है?
उत्तर. िक्ष्मर् के मूर््ात होने पर हनुमछन िंजीवनी बूटी िेने शहमछिय पवात जछते हैं उन्हें आने में शविंब हो जछने पर िब बहुत डचंशतत वह दुखी हो जछते हैं l उिी
िमय हनुमछन िंजीवनी बूटी कछ पवात िेकर आ जछते हैंl उनकछ आगमन है करुर् और दुखी िैशनकों के मध्य वीर रि िंचछर करतछ है करुर् रि के बीच वीर रि कछ
िंचछर हो जछतछ हैl

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प्रश्न 2. कुं भकरर् के द्वछरछ पू्े जछने पर रछवर् ने अपनी व्यछकु ितछ के बछरे में क्यछ कहछ?
उत्तर. जब कुं भकरर् ने रछवर् िे उिकी व्यछकु ितछ के बछरे में पू्छ तो रछवर् ने शवथतछर िे बतछयछ दक दकि प्रकछर उिने िीतछ कछ हरर् दकयछ दिर हनुमछन ने
अनेक रछक्षिों को मछर छिछ और महछन महछन योिछओं कछ अंत कर ददयछ l कुं भकरर् ने उिकी बछत िुनकर उिे िटकछरते हुए कहछ दक तुमने जगत जननी कछ
हरर् कर गित दकयछ अब तेरछ कल्यछर् होनछ अिंभव हैl
प्रश्न3. रछम ने यह बछत क्यों कही है दक िक्ष्मर् जैिछ भछई िंिछर में कोई नहीं है?
उत्तर- रछम और िक्ष्मर् को दो अिग अिग मछतछओं ने जन्म ददयछ थछ िेदकन वे दोनों कभी भी एक दूिरे के शबनछ नहीं रहते थे रछम िभी मछतछओं को िमछन मछनते
थे कभी दकिी में भेद नहीं दकयछ िक्ष्मर् ने हमेिछ अपने जीवन को अपने भछई की ्छयछ मछनछ और हमेिछ अपने भछई की ्छयछ बन कर रहे इि िंिछर में कोई भी
भछई-बहन िक्ष्मर् की तरह िमपार् नहीं कर िकते lइिशिए रछम ने कहछ है दक िक्ष्मर् जैिछ भछई पूरी दुशनयछ में नहीं शमि िकतछ l
प्रश्न 4. िक्ष्मर् के मूर््ात होने पर रछम जी दकि डचंतछ िे ग्रशित हो जछते हैं?
उत्तर- िक्ष्मर् के मूर््ात हो जछने पर रछम की इि डचंतछ िे ग्रशित हो जछते हैं दक अयोध्यछ कौन िछ मुंह िेकर जछएंग?
े िक्ष्मर् के िोक में ू बे रछम कहते हैं दक अगर
मैं यह चेहरछ िेकर अयोध्यछ गयछ तो िोग कहेंगे दक पत्नी को बचछने के शिए भछई की जछन दछंव पर िगछ दीl वे कहते हैं दक मैं अपनी पत्नी की रक्षछ नहीं कर पछने की
अिमथातछ िहन कर िकतछ ूं ककं तु अपने भछई की मृत्यु कछ पछप िहन नहीं कर िकतछ l
प्रश्न 5. रछम ने िक्ष्मर् के दकन गुर्ों कछ वर्ान दकयछ है?
उत्तर. रछम ने िक्ष्मर् के गुर्ों कछ वर्ान दकयछ है। िक्ष्मर् रछम िे बहुत स्नेह करते थे। उन्होंने भछई के शिए अपने मछतछ-शपतछ कछ भी त्यछग कर ददयछ थछ। वे वन में
वषछा, शहम, िूप आदद किों को िहन कर रहे हैं। उनकछ थवभछव बहुत मृदि
ु है वह भछई के दुख को नहीं देख िकते। रछम कहते हैं दक पुत्र, स्त्री, िन, पररवछर आदद तो
िंिछर में बछर-बछर शमि जछते हैं ककं तु िक्ष्मर् जैिछ भछई पुनः नहीं शमि िकतछ।
प्रश्न 7. रछम िक्ष्मर् के शवयोग कछ िंभछशवत दुख रछम दकि प्रकछर प्रकट करते हैं?
उत्तर. िक्ष्मर् के शवयोग कछ िंभछशवत दुख प्रकट करते हुए रछम कहते हैं दक हे भछई मेरछ हृदय अत्यंत कठोर एवं शनष्ठु र है जो तुम्हछरी मृत्यु कछ िोक और अपने भछई
के प्रछर्ों की बशि िेने कछ अपयि दोनों ही िहन करे गछ। मैं वछपि िौटकर अयोध्यछ जछने पर तुम्हछरी मछतछ को क्यछ उत्तर दूग
ं छ? यह तुम उठ कर मुिे क्यों नहीं
िमिछते l
प्रश्न 8. िक्ष्मर् मूर्च्छा और रछम कछ शविछप पछठ के आिछर पर कुं भकरर् कछ चररत्र शचत्रर् कीशजए l
उत्तर: कुं भकरर् िंकछपशत रछवर् कछ ्ोटछ भछई थछ। वह वीर, िछहिी, बुशिमछन, शववेकी, िैयावछन, दूरदिी होने के िछथ-िछथ नछररयों कछ भी िम्मछन करतछ थछ l
उिे अर्च्े बुरे कछमों में शवभेद करने की भी िशक्त प्रछि थीl कुं भकरर् द्वछरछ िीतछ हरर् को गित बतछनछ और रछवर् को उन्हें ििम्मछन रछम को िौंप देने कछ िुिछव
देनछ शनिय ही उिके चररत्रवछन व िमिदछर होने को दिछातछ हैl
रुबछइयां / दफ़रछक गोरखपुरी

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2 अंक िाले प्रश्नोर्त्र
प्रश्न-1. “रक्षछबंिन की िुबह रि की पुतिी ........ भछई के है बछंिती चमकती रछखी” इन पंशक्तयों कछ आिय थपि कीशजए।
उत्तर: रक्षछबंिन की िुबह िुभ एवं ररश्तों की शमठछि िे पूर्ा होती है। उिी प्रकछर रछखी के िछगे भी भछई की किछई चमकते हैं अथवछ बछदि और शबजिी के
पवशत्रतछ के िमछन ही भछई और बहन कछ ररश्तछ भी होतछ है।
प्रश्न-2. “आाँगन में शिए चछाँद के टुकड़े को खड़ी ...... करके जब िुटशनयों में िे के हैं शपन्हछती कपड़े।” इन पंशक्तयों कछ आिय थपि कीशजए।
उत्तर: मछाँ अपने चछाँद जैिे बच्चे को आाँगन में गोद उ्छि-उ्छि कर िूिछ रही है शजििे बच्चछ आनंददत हो शखिशखिछ उठतछ है। मछाँ बच्चे को स्नेहपूर्ा शनमाि जि िे
नहिछती है, उििे हुए के िो में कं िी करती है, िछफ़ िुन्दर कपड़े पहनछती है। मछाँ और बच्चछ एक दूिरे को शनहछरते हैं जो दक एक अद्भुत, पशवत्र प्रेम कछ उदछहरर् है
प्रश्न-3. दिरछक की रुबछइयों में उभरे िरे िू जीवन के डबंबों कछ िौंदया थपि कीशजए।
उत्तर: दिरछक की रुबछइयों में ग्रछमीर् अंचि के िरे िू रूप कछ थवछभछशवक शचत्रर् शमितछ है। मछाँ अपने शििु को आाँगन में शिए खड़ी है। वह उिे िुिछती है। बच्चे को
नहिछने कछ दृश्य ददि को ्ू ने वछिछ है। दीवछिी व रक्षछबंिन पर शजि मछहौि को शचशत्रत दकयछ गयछ है। वह आम जीवन िे जुड़छ हुआ है। बच्चे कछ दकिी वथतु के
शिए शजद करनछ तथछ उिे दकिी तरह बहिछने के दृश्य िभी पररवछरों में पछए जछते हैं।
प्रश्न-4. िछयर रछखी के िर्च्े को शबजिी की चमक की तरह कहकर क्यछ भछव व्यंशजत करनछ चछहतछ है?
उत्तर-िछयर रछख के िर्च्े को शबजिी की चमक कहकर भछई-बहन के िंबंि की िशनितछ को व्यक्त करनछ चछहतछ है। भछई-बहन को िछयर बछदि की िटछ तथछ
शबजिी के रूप में अशभव्यक्त करतछ है। रछखी उिी िशनितछ कछ प्रतीक है, जो प्रत्येक भछई के हछथ में रछखी के िछगे के रूप में ददखछई देतछ है। यह दोनों के मध्य प्रेम
तथछ पशवत्रतछ कछ िूचक है।
3 अंक िाले प्रश्नोर्त्र
प्रश्न 1. दफ़रछक गोरखपुरी द्वछरछ बच्चे के ठु नकने और शजदयछने में बछि–मनोशवज्ञछन के दकि पक्ष की बछत कही गई है?
उत्तर- इिमें िछयर ने बछि-मनोशवज्ञछन के उि पक्ष कछ िहज उल्िेख दकयछ है शजिमें अपनी बछत मनवछने यछ दकिी इर्च्छ की पूर्ता के शिए बच्चे मचिने िगते हैं
और शजद्द कर बैठते हैं। मजबूर हो कर मछतछ-शपतछ को उनकी शजद्द पूरी करनी ही होती है तब जछकर उन्हें िछंशत शमिती है।
प्रश्न 2.‘रुबछइयों' के आिछर पर बतछइए दक मछाँ द्वछरछ बच्चे को प्रिन्न करने के शिए क्यछ-क्यछ दकयछ जछ रहछ है?
उत्तर-रुबछइयों के आिछर पर मछाँ अपने बच्चे को प्रिन्न करने के शिए उिे गोद में िेकर आाँगन में ख ी अपने हछथों िे िुिछती, हवछ में उ्छिती है बच्चछ भी मछाँ के
हछथों के िूिे में िूितछ हुआ शखिशखिछ कर हाँितछ है। बच्चे को शनमाि जि िे नहिछती है। उिके बछिों में कं िी करती है। अपने िुटनों पर शिटछ कर कप े पहनछती
है। बच्चछ भी मछतछ की गोद में खुि रहतछ है।
प्रश्न 3. िछयर रछखी के िर्च्ों की शबजिी की चमक िे तुिनछ क्यों करतछ है?

127
उत्तर- िछयर रछखी के िर्च्ों को शबजिी की चमक िे तुिनछ करके भछई-बहन के पछरं पररक स्नेह के भछव को व्यक्त करनछ चछहतछ है। बहन अपने भछई की किछई पर
रछखी बछाँि कर आनंददत हो रही है। उिके हछथ में चमकते हुए रछखी के िर्च्े हैं जो आकछिीय शबजिी की चमक कछ आभछि करछ रहे हैं।
प्रश्न 4. िछयर रछखी के िर्च्े को शबजिी की चमक की तरह कहकर क्यछ भछव व्यंशजत करनछ चछहतछ हैं?
उत्तर– रक्षछबंिन एक मीठछ और पशवत्र बंिन है। रक्षछबंिन के कच्चे िछगों पर शबजिी के िर्च्े हैं। वछथतव में िछवन कछ िंबंि िटछ िे होतछ है। िटछ कछ जो िंबंि
शबजिी िे है वही िंबंि भछई कछ बहन िे है। िछयर यही भछव व्यंशजत करनछ चछहतछ है दक यह बंिन पशवत्र और शबजिी की तरह चमकतछ रहे।
प्रश्न 5. ‘रुबछइयछाँ” के आिछर पर िर-आाँगन में दीवछिी और रछखी के त्योंहछर के दृश्य को अपने िधदों में िमिछइए।
उत्तर– दीपछविी के अविर पर िर में पुतछई व रोिनी कर िजछयछ जछतछ है। बच्चे के ्ोटे-िे िर में ददए के जिछने िे मछाँ के मुखड़े की चमक में नयी आभछ आ जछती
है। रक्षछबंिन कछ त्योहछर िछवन के महीने में आतछ है। इि त्योहछर पर आकछि में हल्की िटछएाँ ्छई होती हैं। रछखी के िर्च्े भी शबजिी की तरह चमकते हुए प्रतीत
होते हैं।
प्रश्न 6. दिरछक’ की रुबछइयों में उभरे िरे िू जीवन के िौंदया थपि कीशजए।
उत्तर– ‘दिरछक’ की रुबछइयों में िरे िू जीवन कछ शचत्रर् हुआ है। इन्होंने कई डबंब उके रे हैं। एक डबंब में मछाँ ्ोटे बच्चे को अपने हछथ में िुिछ रही है।बच्चे की तुिनछ
चछाँद िे की गई है। दूिरे डबंब में मछाँ बच्चे को नहिछकर कपड़े पहनछती है तथछ बच्चछ उिे प्यछर िे देखतछ है। तीिरे डबंब में बच्चे द्वछरछ चछाँद िेने की शजद करनछ तथछ मछाँ
द्वछरछ दपार् में चछाँद कछ प्रशतडबंब ददखती है।
प्रश्न 7. “ददवछिी की िछम िर पुते और िजे....... देख आईने में चछाँद उतर आयछ है” इन पंशक्तयों कछ आिय थपि कीशजए।
उत्तर- कशव ने बड़ी ही कु िितछ िे मछाँ और बच्चे के स्नेह और ममतछ कछ शचत्रर् दकयछ है। ददवछिी की िंध्यछ हर िर रोिन और रं गो िे पुतछ हुआ होतछ है, ऐिे में मछाँ
अपने बच्चे की ख़ुिी के शिए नए चीनी-शमट्टी के शखिौने िछती है, और अपने बच्चे के ्ोटे िे िरोंदे में ददयछ जिछती है। रं ग-शबरं गे पुते िर और ददयों के उजछिे िे
बनछ मछहौि देख िभी खुि हैं ऐिे में बच्चछ आाँगन में खड़छ हो चछाँद की चमक देख मोशहत हो जछतछ है और अपनी मछाँ िे चछाँद को पछने की हट करतछ है। मछाँ बड़ी ही
दुिछर िे उिे चछाँद आईने में उतछर कर ददखती है और उिे खुि कर देती है।
प्रश्न 8. ‘दिरछक गोरखपुरी की रुबछइयों में ग्रछमीर् अंचि के िरे िू रूप की थवछभछशवकतछ और िछशत्वकतछ के अनूठे शचत्र शचशत्रत हुए हैं’ – पछठ्यपुथतक में िंग्रहीत
रुबछइयों के आिछर पर उत्तर दीशजए।
उत्तर-दिरछक की रुबछइयों में ग्रछमीर् क्षेत्र के िरे िूपन कछ थवछभछशवक शचत्रर् शमितछ है। मछाँ अपने शििु को आाँगन में शिए खड़ी है। वह उिे िुिछती है। बच्चे को
नहिछने कछ दृश्य ददि को ्ू ने वछिछ है। दीवछिी व रक्षछबंिन पर ऐिे मछहौि को शचशत्रत दकयछ गयछ है, जो मछनो आम जीवन िे जुड़छ हुआ हो। बच्चे कछ दकिी वथतु
के शिए शजद करनछ तथछ उिे दकिी तरह बहिछने के दृश्य िभी पररवछरों में आम बछत है।
्ोटछ मेरछ खेत, बगुिों के पंख / उमछिंकर जोिी
2 अंक िाले प्रश्नोर्त्र

128
प्रश्न 1. "कल्पनछ के रिछयनों को पी, बीज गि गयछ शनःिेष"- प्रथतुत पंशक्तयों कछ आिय थपि कीशजए।
उत्तर- शजि प्रकछर िरती के अन्दर बोयछ गयछ बीज पूरी तरह गिकर अंकुररत हो जछतछ है, उिी प्रकछर कशव के भछव एवं शवचछर कल्पनछ रूपी खछद में शवगशित
होकर उत्तम कछव्य रूपी रचनछओं में अशभव्यक्त होते हैं। गिने में शनःिेष कछ अथा अहंभछव कछ खत्म होनछ तथछ िवाजन शहतछय भछव कछ कशवतछ में प्रकट होने िे है।
प्रश्न 2. '्ोटछ मेरछ खेत' कशवतछ कछ प्रशतपछद्य बतछइए।
उत्तर- '्ोटछ मेरछ खेत' कशवतछ में कशव उमछिंकर जोिी जी ने रूपक के द्वछरछ बतछयछ है दक कछगज कछ चौकोर पन्नछ एक ्ोटे खेत के िमछन है शजिमें कशवतछ कछ
जन्म भछवछत्मक आाँिी के प्रभछव िे दकिी भी क्षर् हो जछतछ है और वह िधदबि होकर कशवतछ के आनंदमयी रूप में िू टतछ है शजिकछ रि-प्रभछव अनन्त कछि के
शिए ििदछयी होतछ है।
प्रश्न 3. 'बगुिों के पंख' कशवतछ में शचशत्रत िौन्दया पर प्रकछि छशिए।
उत्तर- 'बगुिों के पंख' कशवतछ में िछंध्यकछिीन आकछि कछ िुन्दर दृश्य-शबम्ब उपशथथत दकयछ गयछ है। आकछि में कजरछरे बछदिों के मध्य श्वेत बगुिे पंशक्तबि उड़ते
हैं, तो ऐिछ िगतछ है दक िंध्यछ की श्वेत कछयछ बछदिों के ऊपर तैर रही है।
प्रश्न 4. "वह तो चुरछए शिए जछती मेरी आाँख"ें - इि पंशक्त में आाँखें चुरछने िे कशव कछ क्यछ आिय है?
उत्तर- कशव कछ आिय है दक िन्ध्यछ के िमय कजरछरे बछदिों के मध्य श्वेत बगुिों की पंशक्त इतनी मनोरम िगती है दक आाँखें उनकी उड़छन के पी्े-पी्े भछगती
रहती हैं। मछनो िंध्यछ की श्वेत कछयछ कशव की आाँखों को अपने िछथ चुरछए शिए जछ रही है। कशव उि दृश्य िे अपनी नजरें हटछ नहीं पछ रहे हैं।
प्रश्न 5. कशव के अनुिछर कछगज के पन्ने दकिके िमछन हैं?
उत्तर- कशव के अनुिछर कछगज के पन्ने दकिछन के खेत के िमछन हैं। दोनों ही आकछर में चौकोर हैं तथछ दोनों में ही बीज उगछए जछते हैं। खेत में दकिछन बीज उगछकर
ििि प्रछि करते हैं, कछगज के पन्नों पर कशव अपने मन की भछवनछओं कछ बीज उगछकर कछव्य-रचनछ करते हैं।
प्रश्न 6. खेत में बोने वछिे बीज और कशव के मन की भछवनछओं के बीच कै िी िमछनतछ है?
उत्तर- शजि प्रकछर खेत में िगछ बीज जि, वछयु, आदद की िहछयतछ िे ििि में बदिकर दकिछन को ििि देतछ है, उिी प्रकछर जब कशव के मन में भछवनछओं कछ
बीज बोतछ है और उसमें िब्द रूपी अंकुर फू टते हैं। शजनिे दिर शविेष भछव के पत्ते और िू ि पनपते हैं और कशवतछ पूर्ा हो जछती है।
3 अंक िाले प्रश्नोर्त्र
प्रश्न 1. "्ोटछ मेरछ खेत" कशवतछ में ्ोटे चौकोने खेत को कछगज़ कछ पन्नछ कहने में क्यछ अथा शनशहत है?
उत्तर- कशव उमछिंकर जोिी जी ने ्ोटे चौकोने खेत को कछगज कछ पन्नछ इिशिए कहछ है क्योंदक कशव-कमा तथछ खेती में बहुत िमछनतछ है। चौकोर खेत की तरह
कछगज़ कछ पन्नछ भी चौकोर होतछ है। खेत में बीज, जि, रिछयन छिते हैं और उिमें अंकुर, िू ि, िि आदद उगते हैं, उिी प्रकछर कछगज के पन्ने पर कशव अपने भछव
के बीज बोतछ है तथछ उिे कल्पनछ, भछषछ आदद के द्वछरछ रचनछ के रूप में ििि शमिती है। ििि एक शनशित िमय के बछद कछट िी जछती है, परं तु कृ शत (रचनछ) िे
हमेिछ रि शमितछ है।

129
प्रश्न 2. "्ोटछ मेरछ खेत" कशवतछ के िंदभा में अंिड़ और बीज क्यछ हैं?
उत्तर- कशव उमछिंकर जोिी जी की "्ोटछ मेरछ खेत" कशवतछ के िंदभा में अंिड़ िे आिय है - भछवों की आाँिी िे है जो िधदों कछ रूप िेकर कछगज़ पर जन्म िेने
िगती है। भछव ही कशवतछ रचने कछ पहिछ चरर् है। ‘बीज’ िे अशभप्रछय शवचछर िे है। जब भछव आाँिी रूप में आते हैं तो कशवतछ रचने की प्रदक्रयछ िुरू हो जछती है।
यह बीज वछथतव में शवचछर और अशभव्यशक्त कछ रूप होतछ है। यह शवचछर कशवतछ को आकछर देतछ है।
प्रश्न 3. ‘रि कछ अक्षय पछत्र’ दकिे कहछ गयछ है और क्यों?
उत्तर- ‘रि कछ अक्षय पछत्र’ िछशहत्य को कहछ गयछ है। अक्षय पछत्र कछ अथा है – िमछि न होने वछिछ। रि कछ अक्षय पछत्र कभी खछिी नहीं होतछ। रि शजतनछ बछाँटछ
जछतछ है, उतनछ ही भरतछ जछतछ है। कशवतछ कछ रि शचरकछि तक आनंद देतछ है। खेती की ििि कट जछती है, परंतु कशवतछ कछ रि कभी खत्म नहीं होतछ। यह
अनंतकछि तक बहतछ है। यह रचनछ कमा की िछश्वततछ को दिछातछ है।
प्रश्न 4. ‘्ोटछ मेरछ खेत’ कशवतछ के रूपक को थपि कीशजए।
उत्तर- कशव ने कशव कमा को कृ षक के कछया के िमछन बतछयछ है। दकिछन भी खेत में बीज बोतछ है, वह बीज अंकुररत होकर ििि बनकर जनतछ कछ पेट भरतछ है।
वह मनुष्य की दैशहक आवश्यकतछ को पूरी करतछ है। इिी तरह कशव भी कछगज़ रूपी खेत पर अपने शवचछरों के बीज बोतछ है। कल्पनछ कछ आश्रय पछकर वह शवचछर
शवकशित होकर रचनछ कछ रूप िछरर् करतछ है। इि रचनछ के रि िे मनुष्य की मछनशिक जरूरत पूरी होती है।
प्रश्न 5. व्यछख्यछ करें - रोपछई क्षर् की, / कटछई अनंततछ की / िुटते रहने िे जरछ भी नहीं कम होती। अथवछ
‘्ोटछ मेरछ खेत’ कशवतछ में कशव दकि प्रकछर की रोपछई और कटछई करने की बछत करतछ है?
उत्तर- कशव रचनछ एवं िछशहत्य के िंदभा में ‘क्षर् की रोपछई’ तथछ ‘अनंततछ की कटछई’ की बछत करतछ है। कशव के अनुिछर बीज रोपन में बहुत कम िमय िगतछ है।
शजि प्रकछर कृ शष में फ़िि की रोपछई और कटछई की जछती है, उिी प्रकछर िछशहत्य क्षेत्र में कशव दकिी क्षर् शविेष में उपजे मन के भछवों को आिछर ग्रहर् करके
अपनी रचनछ को मूता रूप देतछ है। एक क्षर् कछ वह िमय कछिछंतर में कछिजयी िछशहशत्यक कृ शत कछ रूप ग्रहर् करती है, जो अपने प्रभछव के थतर पर कछि की
िीमछओं कछ अशतक्रमर् कर शनरं तर जीवन-रि प्रदछन करती रहती है। वह िोगों में बाँटने िे खत्म नहीं होती।
प्रश्न 6. ‘बगुिों के पंख‘ कशवतछ कछ प्रशतपछद्य बतछइए।
उत्तर- इि िुंदर दृश्य कशवतछ में कशव उमछिंकर जोिी जी कछिे बछदिों िे भरे आकछि में उड़ते हुए िफ़े द बगुिों की पंशक्त को देखकर तरह-तरह की कल्पनछएाँ
करतछ है। ये बगुिे कजरछरे बछदिों के ऊपर तैरती िछाँि की ििे द कछयछ के िमछन िगते हैं। कशव को यह दृश्य अत्यंत िुंदर िगतछ है। वह िब कु ् भूिकर इि दृश्य
में अटक कर रह जछतछ है। एक तरि वह इि िौंदया िे बचनछ चछहतछ है तथछ दूिरी तरि वह इिमें बाँिकर रहनछ चछहतछ है।
प्रश्न 7. “बगुिों के पंख” कशवतछ को पढ़कर आपके मन में कै िे शचत्र उभरते हैं? थपि कीशजए।
उत्तर- “बगुिों के पंख” कशवतछ को पढ़कर हमछरे मन में अनेक िुंदर और िफ़े द पंखों वछिे पक्षी शवचरर् करने िगते हैं। ये िभी िुंदर पक्षी आकछि में पंशक्तबि उड़
रहे हैं। इनकी िुंदरतछ हमछरे मन को अपनी ओर खींच िेती है। िछथ ही आिमछन में ्छए बछदि और उनके पि-पि बदिते रूप ददखछई देने िगते हैं।

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प्रश्न संख्या 12 एिं 13 आरोह भाग-2 गद्य खंर् (अंक- 3 और अंक- 2 के वलए)
भशक्तन / महछदेवी वमछा
2 अंक िाले प्रश्नोर्त्र
प्रश्न1. भशक्तन कछ खेत-खशिहछन के प्रशत ज्ञछन कै िे थछ और क्यों?
उत्तर- भशक्तन कछ खेत-खशिहछन के प्रशत ज्ञछन बहुत अर्च्छ थछ क्योंदक वही अपने िर के गछय-भैंि, खेत-खशिहछन आदद की देखभछि दकयछ करती थी। शजठछशनयों
की उपेक्षछ के कछरर् उिे ही खेत-खशिहछन कछ कछयाभछर िौंपछ गयछ थछ, शजिे करते-करते उिे अशिक ज्ञछन हो गयछ थछ।
प्रश्न 2 भशक्तन के जीवन कछ तीिरछ अनुर्च्ेद कब प्रछरं भ हुआ?
उत्तर- भशक्तन ने अनेक प्रयछि करने पर भी अपनी जेठ-शजठछशनयों, ििुरगर्ों की उपछर्जात जगह जमीन में िे नछममछत्र भी न देने कछ शनिय कर शियछ। उिने उिी
िर में रहने की िोषर्छ कर दी तथछ भशवष्य में भी िंपशत्त िुरशक्षत रखने हेतु अपनी ्ोटी िड़दकयों कछ शववछह कर ददयछ। उिने बड़े दछमछद को अपनछ िरजमछई
बनछकर रख शियछ। इि तरह भशक्तन के जीवन कछ तीिरछ अनुर्च्ेद आरं भ हुआ।
प्रश्न 3. भशक्तन के जीवन की कमाठतछ में िबिे बड़छ किंक क्यछ बन गयछ?
उत्तर- जब भशक्तन की िंपशत्त गछय-भैंि, खेत-खशिहछन िब पछररवछररक द्वेष की भेंट चढ़ गए तब उिे िगछन अदछ करनछ भछरी हो गयछ। जमींदछर को िगछन नहीं
शमिछ तो उिने भशक्तन को पूरछ ददन कड़ी िूप में खड़छ रखछ। यह िटनछ उिके जीवन की कमाठतछ में िबिे बड़छ किंक बन गयछ।
प्रश्न 4. भशक्तन के जीवन कछ चौथछ और अंशतम पररर्च्ेद कछ प्रछरं भ कब और कै िे हुआ?
उत्तर- िगछन न शमिने पर जमींदछर ने भशक्तन को ददनभर िूप में खड़छ रखछ तो उिने इिे अपने जीवन पर किंक मछनछ। तब वह अपनछ िब कु ् ्ोड़कर कछम की
तिछि में गछाँव िे िहर महछदेवी जी के पछि आ गई और यहछं जैिे उिने िब पर अपनछ अशिकछर जमछनछ िुरू कर ददयछ। जीवन कछ चौथछ पररर्च्ेद िुखद थछ।
प्रश्न 5. महछदेवीजी िे शमिने आनेवछिे िछशहत्यकछरों के प्रशत भशक्तन के िम्मछन कछ क्यछ मछपदं है।
उत्तर- भशक्तन महछदेवी के िछशहशत्यक शमत्र के प्रशत िद्भछव रखती थी, शजिके प्रशत महछदेवी थवयं िद्भछव रखती थी। वह िभी िे पररशचत है पर उनके प्रशत िम्मछन
की मछत्रछ महछदेवी जी के िम्मछन की मछत्रछ पर शनभार करती है।वह एक अद्भुत ढंग िे जछन िेती थी, दक कौन दकतनछ िम्मछन करतछ है उिी अनुपछत में उिकछ
िम्मछन उिे देती थी।
प्रश्न 6. िेशखकछ ने भशक्तन के िेवक िमा की तुिनछ दकििे की है? क्यों?
उत्तर -- िेशखकछ ने भशक्तन के िेवक-िमा की तुिनछ हनुमछन जी िे की है क्योंदक शजि प्रकछर हनुमछन अपने प्रभु रछम की तन-मन और पूर्ा शनष्ठछ िे िेवछ दकयछ करते
थे। ठीक उिी प्रकछर भशक्तन अपनी मछिदकन िेशखकछ की िेवछ करती है। वह उनके प्रशत पूर्ा िमपार् भछव िे िेवछ भछव रखती।
प्रश्न 7. भशक्तन कछ थवभछव कै िछ बन गयछ थछ?

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उत्तर- भशक्तन कछ थवभछव अपररवतानिीि बन गयछ थछ। वह दूिरों को अपने मन के अनुिछर बनछ िेनछ चछहती थी ककं तु अपने िंबंि में दकिी प्रकछर के पररवतान की
कल्पनछ नहीं कर िकती थी, इिीशिए आज भी वह देहछती थी।
प्रश्न 8. भशक्तन शनरक्षर होते हुए भी िछक्षर िोगों की गुरु कै िे बन गई?
उत्तर- भशक्तन जब इंथपेक्टर के िमछन क्िछि में िूम-िूमकर दकिी के आखर की बनछवट, दकिी के हछथ की मंथरतछ, दकिी की बुशि की मंदतछ पर टीकछ-रटप्पर्ी
करने कछ अशिकछर पछ गई। इिी िे वह शनरक्षर होते हुए भी िछक्षर िोगों की गुरु बन गई।
प्रश्न 9. भशक्तन कछ अन्य िोगों िे अशिक बुशिमछन होनछ कै िे प्रमछशर्त होतछ है?
उत्तर- भशक्तन िेशखकछ िे द्वछर पर बैठकर बछर-बछर कछम करने कछ आग्रह करती है। कभी वह उत्तर-पुथतकों बछाँिती है कभी अिूरे शचत्रों को कोने में रख देती है तो
कभी रं ग की प्यछिी िोकर और कभी चटछई को आाँचि िे िछड़कर वह िेशखकछ की िहछयतछ करती है। इिी िे भशक्तन कछ िेशखकछ को अन्य िोगों िे अशिक
बुशिमछन होनछ प्रमछशर्त होतछ है।
प्रश्न 10. भशक्तन की िहजबुशि दकि िंबंि में शवशथमत कर देने वछिी है?
उत्तर- भशक्तन कछ िेशखकछ के पररशचतों एवं िछशहशत्यक बंिुओं िे शविेष पररचय है ककं तु उनके प्रशत िम्मछन की भछवनछ िेशखकछ के प्रशत िम्मछन की भछवनछ पर
शनभार है। उिकछ िद्भछव उनके प्रशत िेशखकछ के िद्भछव िे शनशित होतछ है। इिी िंबंि में भशक्तन की िहजबुशि शवशथमत कर देने वछिी है।
प्रश्न 11. भशक्तन िछट-िछहब तक िड़ने को तत्पर क्यों थी? इििे उिके थवभछव की कौन-िी शविेषतछ उजछगर होती हैं?
उत्तर- भशक्तन िछट-िछहब तक िड़ने को इिशिए तत्पर थी क्योंदक उिे िोग महछदेवी के जेि जछने की बछत कहकर शचढछ रहे थे, ककं तु वह चछहती है दक उिकी
मछिदकन िदैव उिके िछथ रहे। जहछाँ मछशिक वहछाँ नौकर। इििे उिके थवभछव की िच्ची िेशवकछ, अपने िमा कछ पछिन करने वछिी, शन रतछ एवं िछहिी मशहिछ
शविेषतछएाँ उजछगर होती है।
प्रश्न -12 पछठ में आए दकि प्रिंग िे पतछ चितछ है दक भशक्तन को िबकछ दुःख प्रभछशवत करतछ है? अथवछ
भशक्तन को शवद्यछर्थायों के करछगछरछ जछने कछ पतछ चितछ है तब वह क्यछ प्रशतदक्रयछ करती है?
उत्तर – वह व्यशथत होकर िभी िे कहती दिरती है दक िोर किजुग रहछ बीतछ -बीतछ भरे िड़कन को जेहि होई अब प्रिय होगछ उनकर मछई कछ बड़े िछट तक
िड़नछ चछशहए।
प्रश्न 12 भशक्तन िंवेदनिीि व कोमि हृदयछ थी। भशक्तन के आिछर पर िमिछएाँ
उत्तर- जीवन की पररशथथशतयों ने उिे कठोर अवश्य बनछ ददयछ थछ ककं तु कछरछवछि में छिे गए शवद्यछर्थायों, ्छत्रछवछि की बछशिकछओं के शिए उिके मन में एक
स्नेह और िहछनुभूशत की आभछ िू टती थी।
3 अंक िाले प्रश्नोर्त्र
प्रश्न-1 भशक्तन के जीवन में आई िमथयछओं कछ शचत्रर् कीशजए।यछ उिके जीवन के शवभन्न पररर्च्ेद के शवषय में िंशक्षि िेख शिशखए

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उत्तर. भशक्तन’ आजीवन अनेक िमथयछओं िे िंिषा करती रही। जन्म िे िेकर उिकछ िंपूर्ा जीवन अत्यंत किपूर्ा ढंग िे व्यतीत हुआ। बचपन में शवमछतछ की ईष्यछा
और िृर्छ कछ िछमनछ दकयछ शजिने शपतछ की मृत्यु कछिमछचछर भी नहीं ददयछ जीवन के दूिरे पररर्च्ेद में दो कन्यछओं को जन्म देनेवछिी भशक्तन को ििुरछि में
िछि शजठछशनयों द्वछरछ उपेक्षछ शमिी। पशत की मृत्यु व शविवछ बड़ी बेटी िे शजठौत कछ शततरबछज िछिे िे िोखे िे शववछह करवछ देनछ तथछ िगछन न जमछ कर पछने के
कछरर् भशक्तन को जमींदछर द्वछरछ िूप में खड़छ रखनछ यह अपमछन वह बदछाश्त नहीं कर पछई और िहर महछदेवीके पछि एक िेशवकछ बनने चिी आई।
प्रश्न-2भशक्तन ने अपनछ वछथतशवक नछम कब और दकिे बतछयछ? उिने क्यछ प्रछथानछ की? अथवछ
भशक्तन अपनछ वछशथवक नछम िोगों िे क्यों श्पछती थी? भशक्तन को ‘भशक्तन‘ नछम दकिने और क्यों ददयछ होगछ?
उत्तर भशक्तन ने अपनछ वछथतशवक नछम नौकरी पछने के िमय अपनी मछिदकन िेशखकछ महछदेवी वमछा को बतछयछ थछ। उिने िेशखकछ िे यह प्रछथानछ की थी दक वह
इि नछम कछ कभी उपयोग न करें ।उिकछ वछथतशवक नछम ि्शमन अथछात िक्ष्मी थछ। िक्ष्मी कछ अथा है िन की देवी, िमृशि, शवष्र्ु शप्रयछ उिकी दिछ इिके शवपरीत
थी। उिके पछि िन कछअभछव थछ इिशिए वह अपनछ नछम श्पछती थी। उिे यह नछम उिके शपतछ ने ददयछ होगछ ,।भशक्तन नछम महछदेवी जी कण्ठीमछिछ देखकर
ददयछ थछ।
प्रश्न 3 भशक्तन के इशतवृत पर शवचछर व्यक्त कीशजए।/ यछ इशतवृत्त िे क्यछ तछत्पया है?
उत्तर इशतवृत्त कछ अथछात है आरं भ िे अंत तक जीवन के बछरे में वर्ान।िेशखकछ ने भशक्तन के जीवन के शवषय मे बतछयछ है।भशक्तन कछ वछथतशवक नछम िक्ष्मी थछ।
वह ऐशतहछशिक िूाँिी के एक प्रशिि िूरमछ की इकिौती बेटी थी। पछाँच वषा की अल्पछयु में ही उिकछ शववछह हाँश यछाँ ग्रछम के एक िंपन्न पररवछर में गोपछिक के बेटे
िे कर ददयछ। उिकी शवमछतछ ने नौ वषा की आयु में ही उिकछ गौनछ कर ददयछ थछ ,ििुरछि में भी उिे अनेक दुःख िेिने पड़े।.
प्रश्न -4 भशक्तन अर्च्ी है यह कहनछ करठन होगछ क्योंदक उिमें दुगुार्ों कछ अभछव नहीं।िेशखकछ ने ऐिछ क्यों कहछहोगछ?
उत्तर- भशक्तन जब िेशखकछ के िर कछम करने आई तब बहुत भोिी और िीिी िगती थी ,ककं तु वह िर में इिर -उिर पड़े हुए पैिों को भं छर िर की मटकी में
्ु पछ देती थी, और पू्ने पर कहती थी दक उिने चोरी नहीं की उिने रुपए पैिे िंभछि कर रखे हैं। थवयं में तशनक भी पररवतान न करनेवछिछ दुगुार् भी उिमें थछ
िछमने वछिे को वह अपने अनुकूि बनछ िेती थी।
प्रश्न 5 भशक्तन के चररत्र की शविेषतछएाँ शिशखए।
उत्तर-5 भशक्तन के चररत्र की शविेषतछएाँ शनम्नशिशखत है- (1) िच्ची िेशवकछ-भशक्तन महछदेवी की िच्ची िेशवकछ थी ्छयछ के िमछन हर िमय महछदेवी के िछथ रहती
थी उनके हर कछया को करने में उिे खुिी महिूि होती। (2) पररश्रमी व कमाठ वह अत्यशिक पररश्रमी थी ििुरछि में भी वह खेत खशियछन कछ कछया करती थी तथछ
महछदेवी के िछथ िछथ शनरंतर कछया करने की कोशिि करती थी।उनके िछथ रछत को भी देर तक जछगकर उनके आदेि कछ इंतजछर करती थी।
प्रश्न-6 भशक्तन द्वछरछ िछस्त्र के प्रश्न को िुशविछ िे िुििछ िेने कछ क्यछ उदछहरर् िेशखकछ ने ददयछ है?

133
उत्तर- िेशखकछ के इिर-उिर पड़े पैिों को उठछकर रखनछ वह चोरी नहीं मछनती वरन पैिों को िंभछि कर रखने की बछत कहती है।वह उदछहरर् देती है दक थोड़ी
बहुत चोरी तथछ िूठ के गुर् युशिशष्ठर में भी थे, िछस्त्र कछ हवछिछ देकर चोरी जैिे दुगर्
ुा को गुर् में बदि देती है। उिी प्रकछर महछदेवी द्वछरछ शिर न मुं वछने की
बछत को िछस्त्र में शिखछ है, दक तीरथ गए मुं छय शिि कथन के द्वछरछ थवंय को िही ठहरछती है।
प्रश्न -7 भशक्तन के आ जछने िे महछदेवी अशिक देहछती कै िे हो गई?
उत्तर- मकई कछ रछत कछ बनछ दशियछ िवेरे मट्ठे के िछथ िौंिछ िगतछ है ,बछजरे के शति िगे हुए रछत के बचे हुए पुए िुबह अर्च्े िगते हैं ,ज्वछर के भुने हुए भुट्टे के
हरे दछनों की शखचड़ी ,महुए की िपिी , मोटी रोटी, गछढ़ी दछि भशक्तन ने शखिछकर तथछ िुिी िछड़ी को ििवटों िे भरकर िेशखकछ को अशिक देहछती बनछ
ददयछ थछ।
प्रश्न 8 "भशक्तन की बेटी पर पंचछयत द्वछरछ जबरन पशत थोपछ जछनछ स्त्री के मछनवछशिकछर को कु चिने की परं परछ कछ प्रतीक है" इि कथन पर तका िम्मत रटप्पर्ी
कीशजए। अथवछ भशक्तन की बेटी के मछनव अशिकछरों कछ हनन पंचछयत ने दकि प्रकछर दकयछ है?थपि कीशजए।
उत्तर भशक्तन की बेटी पर पंचछयत ने जबरन पशत थोपछ यह कछया शस्त्रयों के अशिकछर पर आिछत है, नछरी पर प्रछचीन कछि िे ही हर िै ििछ जबरदथती थोपछ
जछतछ है।शववछह के बछरे में वह शनर्ाय नहीं िे िकती, मछतछ -शपतछ अपनी इर्च्छ िे उिकछ शववछह करते हैं ,यदद िड़की शवरोि करें तो उिे िमछज िे बशहष्कृ त कर
ददयछ जछतछ है। उिे अपनी जरूरत तथछ इर्च्छ बतछने कछ हक नहीं है। जैिे भशक्तन पछठ में भशक्तन की शविवछ बेटी के शिए पंचछयत अपीि हीन िै ििछ िुनछ देती है
दक। तत्कछिीन िमछज में पंचछयत कछ शनर्ाय िवोपरी मछनछ जछतछ थछ।
प्रश्न 5 दो कन्यछओं को जन्म देने के बछद भशक्तन भशक्तन पुत्र की इर्च्छ में अंिी अपनी शजठछनी ओ की िृर्छ एवं उपेक्षछ की पछत्र बनी रही ", इि प्रकछर के उदछहरर्
भछरतीय िमछज में अभी भी देखने को शमिते हैं इिकछ कछरर् और िमछिछन प्रथतुत कीशजए। अथवछ
"स्त्री ही स्त्री की दुश्मन है ", भशक्तन और उिकी पुत्री के िछथ भशक्तन की िछि और शजठछशनयों के द्वछरछ दकए गए व्यवहछर के आिछर पर थपि कीशजए।
उत्तर . भछरतीय िमछज पुरुष प्रिछन िमछज है भछरतीय िमछज में पुत्र जन्म को अर्च्छ मछनछ जछतछ है क्योंदक पुत्र ही वंि को बढ़छतछ है मछतछ-शपतछ को मोक्ष
ददिछतछ है यह िछरर्छ िमछज में व्यछि है। भशक्तन ने तीन पुशत्रयों को जन्म ददयछ है उिकी जेठछनी और िछि पुत्रों को जन्म देने वछिी है पररवछर में पुत्र और पुत्री में
अंतर िछि ददखछई देतछ है वक्त इनकी पुशत्रयछं तथछ भशक्तन के िछथ उपेक्षछ भरछ व्यवहछर दकयछ जछतछ है। उिकी पुशत्रयों िे कछम करवछयछ जछतछ है और कछकभुिुशण्
जैिे शजठछशनयों के बेटों को िुथवछदु भोजन ददयछ जछतछ है। शजििे प्रतीत होतछ है दक स्त्री ही स्त्री की दुश्मन है।इि कु प्रथछ यछ परं परछ को शिक्षछ के प्रिछर, िड़दकयों
को रोजगछर के िछिन दे कर तथछ कछनूनी िंरक्षर् देकर दूर दकयछ जछ िकतछ है वतामछन िमय में िरकछर िड़कछ - िड़की में भेद न करने की मुशहम चिछ रही है।
बछजछर दिान / जैनन्द्े द्र कु मार
2 अंक िाले प्रश्नोर्त्र
प्रश्न -1 जैनेन्द्र जी के अनुिछर शस्त्रयछं िर में मछयछ जोड़ती हैंl वे कौन िी पररशथथशतयछं होंगी जो स्त्री को मछयछ जोड़ने के शिए शववि कर देती हैं?

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उत्तर - शस्त्रयछं अपने िर पररवछर की िभी शजम्मेदछररयछं शनभछती हैंl बच्चों कछ पछिन पोषर्, अशतशथयों कछ थवछगत ित्कछर, िर कछ रख रखछव व िभी िछमछशजक
शजम्मेदछररयछं शनभछनछ मशहिछओं कछ कछया होतछ हैl िमछज के अंदर िर की प्रशतष्ठछ बनछए रखनछ भी मशहिछओं कछ उत्तरदछशयत्व होतछ हैl यह कछरर् शस्त्रयों को मछयछ
जोड़ने के शिए शववि करते हैं l
प्रश्न -2 जैनेंद्र जी ने 'बछजछर दिान ' पछठ में अपने पहिे शमत्र के बहुत अशिक िछमछन खरीदने के पी्े क्यछ कछरर् देखह
ें ?
ैं
उत्तर -िेखक ने शनम्नशिशखत कछरर् देखह
ें ैं -
1- पत्नी की मशहमछ 2- शमत्र कछ मनी बैग 3- पचेडजंग पछवर 4- बछजछर कछ जछदू
प्रश्न -3 िेखक के दूिरे शमत्र बछजछर िे खछिी हछथ क्यों िौट आए?
उत्तर - िेखक के दूिरे शमत्र बछजछर के िम्मोहन में िाँ ि गए l बछजछर की हर वथतु उन्हें अपनी ओर आकर्षात कर रही थीlइिके कछरर् वे यह तय नहीं कर पछ रहे थे
दक वे क्यछ खरीदें और क्यछ ्ोड़ें l वे िब कु ् खरीदनछ चछहते थे l दकिी एक वथतु को खरीदने कछ अथा होतछ बछकी िब को ्ोड़ देनछ इिशिए वह कु ् भी नहीं
खरीद पछएl
प्रश्न -4 बछजछर दिान पछठ में भगत जी के व्यशक्तत्व के मछध्यम िे िंतोषी प्रवृशत्त के िकछरछत्मक पक्ष को हमने देखछ हैl िंतोषी प्रवृशत्त के नकछरछत्मक पहिू पर अपने
शवचछर व्यक्त कीशजए l
उत्तर - भछरतीय िंथकृ शत में िंतोष को िबिे बड़छ िुख मछनछ गयछ है िेदकन हमछरछ मछननछ है दक िंतोषी प्रवृशत्त व्यशक्त के शवकछि में बछिक भी शिि हो िकती हैl
िंतोषी प्रवृशत्त िे कमा हीनतछ और आिथय की भछवनछ बढ़ िकती हैl इििे देि और िमछज कछ शवकछि भी बछशित हो िकतछ हैl
प्रश्न -5 िेखक ने कौनिे िछस्त्र को अनीशत िछस्त्र कहछ है?
उत्तर - िोषर्,कपट और िंवद
े नहींनतछ को बढ़छने वछिे और िद्भछव को िटछने वछिे बछजछर कछ पोषर् करने वछिे अथािछस्त्र को िेखक ने अनीशत िछस्त्र कहछ हैl
3 अंक िाले प्रश्नोर्त्र
प्रश्न 1 बछजछर कछ बछजछरूपन क्यछ है? पछठ के आिछर पर िमिछइए l
उत्तर - बछजछरूपन िे तछत्पया है -ददखछवे के शिए बछजछर कछ उपयोग करनछ l जब व्यशक्त अपनी परचेडिंग पछवर के अहंकछर में, आवश्यकतछ न होने के बछवजूद
िछमछन खरीदतछ है तब वह बछजछर के बछजछरूपन को बढ़छतछ हैl
प्रश्न -2 शवक्रेतछ बछजछर के बछजछरूपन को दकि तरह बढछते हैं?
उत्तर -बछजछर में वथतुओं को िजछ िजछ कर रखनछ, मनभछवन ऑिर देनछ, िुंदर पैककं ग करनछ, आकषाक शवज्ञछपन देनछ आदद कु ् ऐिे तरीके हैं शजििे शवक्रेतछ
बछजछर के बछजछरू पन को बढ़छते हैं l
प्रश्न -3 ग्रछहक बछजछर के बछजछरूपन को दकि तरह बढछते हैं?

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उत्तर -ग्रछहक अपने मनीबैग के बि पर, अपनी परचेडिंग पछवर िे, अशिक िछमछन खरीद कर बछजछरूपन को बढ़छवछ देते हैंl ग्रछहक अपनी आवश्यकतछ के थथछन
पर िछमछशजक प्रशतष्ठछ के शिएऔर ददखछवे की भछवनछ िे िछमछन खरीद कर बछजछरू पन को बढ़छते हैं l
प्रश्न -4 भगत जी के चररत्र में वे कौन िी शविेषतछएं हैं शजिके कछरर् वे बछजछर के आकषार् िे बचे रहते हैं?
उत्तर - भगत जी आत्मिंयमी और शमतव्ययी पुरुष हैl उन्हें अपनी आवश्यकतछओं कछ पतछ है शजिके कछरर् वे बछजछर िे वही खरीदते हैं शजिकी उन्हें आवश्यकतछ हैl
उनके पछि एक नैशतक बि है शजिके कछरर् वे दिजूिखची िे बच जछते हैं l वह िंतोषी प्रवृशत्त के भी हैं और वे बछजछर में भरे मन िे जछते हैं अथछात जब वे बछजछर
जछते हैं तो वे पहिे ही यह तय कर िेते हैं दक उन्हें बछजछर िे क्यछ खरीदनछ हैl
प्रश्न -5 दकि प्रकछर के ग्रछहक बछजछर को िछथाकतछ प्रदछन करते हैं?
उत्तर - िेखक के अनुिछर बछजछर को िछथाकतछ वे ग्रछहक प्रदछन करते हैं जो जछनते हैं दक उन्हें बछजछर िे क्यछ चछशहए, जो भरे मन िे बछजछर जछते हैं और अपनी
आवश्यकतछ के अनुरूप िछमछन खरीदते हैं l जो ग्रछहक अपनी परचेडिंग पछवर के िमं में बछजछर िे िछमछन खरीदते हैं वे बछजछर को शवनछिक िशक्त, िैतछनी िशक्त
िे भर देते हैं l न तो वे बछजछर िे िछभ उठछ पछते हैं और न ही बछजछर को िच्चछ िछभ दे पछते हैं l बछजछर कछ बछजछरूपन ही बढ़छते हैं l
प्रश्न -6 बछजछर कछ जछदू क्यछ है?
उत्तर - ग्रछहक कछ बछजछर की शवशभन्न वथतुओं को देखकर खरीदने के शिए शववि हो जछनछ ही बछजछर कछ जछदू हैl बछजछर में एक िम्मोहन है, एक जछदू है जो अपनी
जकड़ में ग्रछहक को जकड़ िेतछ है और ग्रछहक वे िभी वथतुएं खरीदने िग जछतछ है शजनकी उन्हें आवश्यकतछ नहीं हैl
प्रश्न -6 बछजछर कछ जछदू चढ़ने और उतरने पर मनुष्य पर क्यछ क्यछ अिर पड़तछ है?
उत्तर -बछजछर कछ जछदू चढ़ने पर मनुष्य अनछवश्यक वथतुओं कछ िंग्रह करने िगतछ है इि अशिकछशिक वथतुओं के िंग्रह िे िछमछशजक िंबंिों कछ ह्रछि होतछ हैl इििे
बछजछर कछ बछजछरूपन भी बढ़तछ है शवज्ञछन
बछजछर कछ जछदू उतरने पर मनुष्य को पतछ िगतछ है दक उिने अनछवश्यक वथतुओं िे अपनछ िर भर शियछl अपनछ मेहनत िे कमछयछ हुआ िन गैर जरूरी चीजों को
खरीदने में िगछ ददयछ l इन वथतुओं के कछरर् उिके आरछम में बछिछ उत्पन्न हो रही हैl
प्रश्न -7 शनम्नशिशखत पर रटप्पर्ी शिशखए- 1- मनी बैग 2- पचेडजंग पछवर 3- मन खछिी होनछ 4- मन भरछ होनछ 5- मन कछ बंद होनछ 6- मन में नकछर होनछ
उत्तर -1- मनी बैग िे तछत्पया ग्रछहक के पछि पैिों के होने िे हैl
2- पचेडजंग पछवर िे तछत्पया वथतुओं के क्रय करने की िशक्त िे हैl
3- मन खछिी होने िे तछत्पया यह है दक ग्रछहक को अपनी आवश्यकतछ कछ पतछ न हो दक उिे बछजछर िे क्यछ खरीदनछ हैl
4- बछज़छर जछते िमय ग्रछहक को यह पतछ हो दक उिे बछजछर िे क्यछ चछशहए तो इिे हम मन कछ भरछ होनछ कहेंगlे
5- बछजछर जछने के बछद बछजछर िे वथतुओं को खरीदने की इर्च्छ उत्पन्न नछ हो इि आिय िे ग्रछहक कछ अपने मन पर पूरछ शनयंत्रर् कर िेनछ मन कछ बंद हो जछनछ
हैl

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6- मन में बछज़छर की वथतुओं के प्रशत मोह भंग की शथथशत होनछ, नकछरछत्मकतछ होनछ शजिके कछरर् ग्रछहक बछजछर िे कु ् भी न खरीद पछए l
प्रश्न -8 भगत जी के व्यशक्तत्व िे हम क्यछ िीख िकते हैं?
उत्तर - भगत जी के व्यशक्तत्व के शनम्नशिशखत गुर्ों को हम आत्मिछत कर िकते हैं – (1) हमें अपनी आवश्यकतछओं को शनशित कर िेनछ चछशहए उिके बछद भरे मन
िे बछजछर जछनछ चछशहए l (2) हमछरे पछि नैशतक बि होनछ चछशहए शजििे हम बछजछर के जछदू िे बच िकें l (3) हमें िंतोषी प्रवृशत्त कछ होनछ चछशहए और जो है
उिमें खुि रहनछ िीखनछ चछशहए l (4) िन हमछरे शिए है हम िन के शिए नहीं,यह िोचकर हमें जीनछ चछशहए l (5) हमें व्यथा के प्रदिान िे बचनछ चछशहए l
कछिे मेिछ पछनी दे / िमावीर भछरती
2 अंक िाले प्रश्नोर्त्र
प्रश्न 1. नददयों कछ भछरतीय िछमछशजक पररवेि में क्यछ महत्व है?
उत्तर .शवशभन्न िभ्यतछएं एवं बड़े-बड़े नगर नददयों के दकनछरों पर शवकशित हुए। डिंिु िछटी िभ्यतछ, हररद्वछर, वछरछर्िी आदद इनके उदछहरर् हैं। नददयों के दकनछरे
हमछरे िमछज कछ तथछ िछमछशजकतछ कछ शवकछि हुआ।
प्रश्न 2. शवश्वछि की भी रचनछत्मक भूशमकछ होती है। थपि करें ।
उत्तर जनतछ के मन में शवश्वछि गहरे रूप िे बैठे हुए हैं।जीवन की करठन पररशथथशतयों में ये शवश्वछि ही िोगों कछ आत्मशवश्वछि, हौििछ बढ़छते हैं और उन्हें इन
करठन पररशथथशतयों िे िड़ने कछ िछहि देते हैं।
प्रश्न 3 इंद्रिेनछ िबिे पहिे गंगछ मैयछ की जय क्यों बोिती है?
उत्तर . गंगछ भछरत की िबिे पूज्य व पशवत्र नदी है। यह भछरत को अन्न- जि प्रदछन करती है। गंगछ हमछरे िछर्माक िंथकछरों में िशम्मशित है।इिे मोक्षदछशयनी मछनछ
जछतछ है। यह मछनछ जछतछ है इिमें स्नछन करने िे पछप िुि जछते हैं।
प्रश्न 4.जीजी ने दछन की क्यछ पररभछषछ बतछइए?
उत्तर .जीजी ने कहछ दक दछन वह होतछ है, शजिमें त्यछग िछशमि हो। जो चीज तुम्हछरे पछि कम है, शजि चीज की तुम्हें भी जरूरत है और तुम अपनी जरूरत पी्े
रख कर उि चीज को दूिरे के कल्यछर् के शिए देते हो तो वह त्यछग है और इिे ही दछन कहते हैं।
प्रश्न 5.'गगरी िू टी बैि प्यछिछ' िे िेखक कछ क्यछ आिय है?
उत्तर भछरत में बैि कृ शष की रीढ़ रहे हैं।वही खेतों को जोत कर अन्न उपजछते हैं। बरिछत न होने िे उनके प्यछिे रहने िे हमछरी कृ शष के नि होने कछ खतरछ है।
प्रश्न 6 वषछा न होने पर गछंववछिी कौन-कौन िे उपछय करते हैं? 'कछिे मेिछ पछनी दे' पछठ के आिछर पर शिशखए।
उत्तर गछंववछिी पूजछ-पछठ, कथछ-शविछन शवशभन्न प्रकछर के िछर्माक अनुष्ठछन करते हैं और अििि होने पर अंशतम उपछय के रूप में शनकिती है इंदर िेनछ।
3 अंक िाले प्रश्नोर्त्र
प्रश्न 1. शवज्ञछन और शवश्वछि में क्यछ अंतर है?

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उत्तर शवज्ञछन हर बछत को तका िे शिि करतछ है और तका िे शिि होने के बछद ही उि पर शवश्वछि करतछ है,जबदक शवश्वछि को तका िे शिि यछ प्रमछशर्त नहीं दकयछ
जछ िकतछ। शवश्वछि तका िे परे हैं। उनकछ अपनछ िछमथ्या है। वे तो हमछरे मन के शवश्वछि हैं। जैिे पृथ्वी के गुरुत्वछकषार् बि को शिि दकयछ जछ िकतछ है परंतु
भगवछन है ,यह हमछरे मन कछ शवश्वछि है।इिे हम तका िे शिि नहीं कर िकते।
प्रश्न 2.पछठ के आिछर पर बतछइए दक शवज्ञछन और शवश्वछि में िे कौन िही है।
उत्तर 'कछिे मेिछ पछनी दे' पछठ में शवज्ञछन और शवश्वछि के द्वंद्व में कौन िही है कौन गित है ,इि शवषय पर अपने शवचछर व्यक्त करते हुए िेखक ने कहछ है दक शवज्ञछन
अपनी जगह िही है और शवश्वछि अपनी जगह िही है।जो शवश्वछि जछनिेवछ और हछशनकछरक हैं, उन्हें मछननछ तुरंत ्ोड़ देनछ चछशहए। िभी शवश्वछिों को मछननछ
्ोड़ देनछ िही नहीं है ,क्योंदक इनकी भी रचनछत्मक भूशमकछ होती है।अगर हम इन िभी शवश्वछिों को मछननछ ्ोड़ देंगे तो िछंथकृ शतक िून्यतछ के उत्पन्न होने की
िंभछवनछ है।इिीशिए शवश्वछि भी अपनी जगह िही हैं।
प्रश्न 3.'कछिे मेिछ पछनी दे' पछठ में देि की दकन िमथयछओं पर िेखक ने डचंतछ व्यक्त की है?
उत्तर 'कछिे मेिछ पछनी दे' पछठ में िेखक ने बतछयछ है दक हम आज थवछथी हो गए हैं। अपनछ थवछथा ही हमछरे जीवन कछ एकमछत्र िक्ष्य रह गयछ है।त्यछग की भछवनछ
िमछि हो गई है। देि िे मछंगे बड़ी-बड़ी हैं, पर हम देि के शिए करनछ कु ् नहीं चछहते।
भ्रिछचछर की िमथयछ ददन-ब-ददन बढ़ती जछ रही है। इिी भ्रिछचछर के कछरर् िरकछर द्वछरछ चिछई जछ रही योजनछओं कछ िछभ गरीबों और आम जनतछ को नहीं
शमि पछतछ।
प्रश्न 4 कछिे मेिछ पछनी दे पछठ में िोगों ने िड़कों की टोिी को मेढक -मं िी नछम दकि आिछर पर ददयछ?
उत्तर गछंव के कु ् िोगों को दकिोर िड़कों के नि िरीर , उनकी उ्ि कू द, िोर-िरछबे और उनके कछरर् गिी में होने वछिे कीचड़ िे शचढ़ते थे और इन िबको वे
अंिशवश्वछि मछनते थे, इिी कछरर् वे इन िड़कों की टोिी को मेंढक-मं िी कहते थे।
प्रश्न 5 िड़कों की यह टोिी अपने आप को इंदर िेनछ कहकर क्यों बुिछती थी?
उत्तर िड़कों की यह टोिी भगवछन इंद्र िे वषछा करने की गुहछर िगछनछ चछहती थी। बच्चे चछहते थे दक अगर वे भगवछन इंद्र िे वषछा करने के शिए पछनी की मछंग कर
रहे हैं तो वे उनके दूत बनकर िोगों िे जि दछन करछएं। िछयद इिी िे इंद्र देवतछ प्रिन्न होकर उन्हें वषछा कछ दछन दें।
प्रश्न 6 . 'कछिे मेिछ पछनी दे' पछठ के आिछर पर जीजी के चररत्र की शविेषतछएं बतछइए।
उत्तर 'कछिे मेिछ पछनी दे' पछठ में जीजी कछ व्यशक्तत्व बहुत ही स्नेहिीि, आथथछवछन और तका िीि दिछायछ है। जीजी िेखक िे बहुत प्यछर करती थीं। वह िछरे
अनुष्ठछन ,कमाकछं िेखक िे करवछती थीं,तछदक उिे पुण्य शमिे। उन्हें भछरतीय परं परछओं, रीशत-ररवछजों, शवशियों और अनुष्ठछनों में बहुत शवश्वछि थछ तथछ उन्हें बहुत
श्रिछ िे पूर्ा करती थीं। अपनी बछत के िमथान में तका कु ् इि प्रकछर देती थीं दक आम व्यशक्त उनके िछमने पथत हो जछतछ थछ।
प्रश्न 7. जीजी ने इंदर िेनछ पर पछनी िें के जछने को दकि तरह िही ठहरछयछ?

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उत्तर . जीजी के अनुिछर अगर इंद्रिेनछ को पछनी नहीं देंगे तो इंद्र भगवछन भी उन्हें पछनी नहीं देंगे। अगर हमें कु ् पछनछ है तो पहिे उिे देनछ पड़तछ है।दकिछन भी
30-40 मन गेूं की ििि उगछने के शिए 5-6 िेर अर्च्छ गेूं अपने पछि िे िेकर जमीन में खेत की क्यछररयछं बनछकर छितछ है।उिी प्रकछर इंद्रिेनछ पर पछनी
िें कनछ भी एक बुवछई है। तभी पछनी वछिे बछदिों की ििि प्रछि होगी।
प्रश्न 8. 'कछिे मेिछ पछनी दे' पछठ में िेखक ने िोक प्रचशित शवश्वछिों को अंिशवश्वछि कहकर उनके शनरछकरर् पर बि ददयछ है। इि कथन की शववेचनछ कीशजए।
उत्तर िेखक ने इंदर िेनछ के कछयाक्रमों को अंिशवश्वछि कछ नछम ददयछ है। आम आदमी इंदर िेनछ के कछम को िोक -प्रचशित शवश्वछि कहते हैं, परं तु िेखक इन्हें गित
बतछतछ है। िेखक इन अंिशवश्वछिों को खत्म करने के शिए कहतछ है, क्योंदक इन्हें दूर करने िे ही िमछज कछ शवकछि हो िकतछ है।
पहिवछन की ढोिक / िर्ीश्वर नछथ रे र्ु
2 अंक िाले प्रश्नोर्त्र
प्रश्न 1. िुट्टन पहिवछन की पछररवछररक पृष्ठभूशम के बछरे में शिशखए।
उत्तर- बचपन में 9 वषा की उम्र में िुट्टन के मछतछ-शपतछ की मृत्यु हो चुकी थी। िुट्टन की िछदी हो चुकी थी। उिकी शविवछ िछि ने उिकछ पछिन-पोषर् दकयछ। िछि
पर गछाँव के िोगों द्वछरछ दकए अत्यछचछरों को देखकर बदिछ िेने के शिए उिने किरत करनछ िुरू दकयछ और वह पहिवछनी करने िगछ।
प्रश्न 2. प्रथतुत कहछनी के आिछर पर गछाँव में व्यछि महछमछरी की भयछनक दिछ कछ वर्ान कीशजए।
उत्तर- गछाँव में िै िी मिेररयछ और हैजछ महछमछरी िे रोज दो-तीन िछिें उठने िे करुर् रुदन और हछहछकछर कछ थवर िुनछई देतछ थछ। रछत में िन्नछटछ रहतछ थछ और
िोग अपनी िोंपशड़यों में रे िहमे रहते थे। मछतछओं में दम तोड़ते हुए पुत्र को अशन्तम बछर 'बेटछ' कहकर पुकछरने की भी शहम्मत नहीं होती थी।
प्रश्न 3. जब मैनेजर और शिपछशहयों ने िुट्टन पहिवछन को चछाँद डिंह िे िड़ने िे मनछ कर ददयछ तो िुट्टन ने क्यछ कहछ?
उत्तर: मैनेजर और शिपछशहयों की बछतें िुनकर िुट्न डिंह शगड़शगड़छने िगछ। वह रछजछ िछहब के िछमने जछ खड़छ हुआ। उिने कहछ दुहछई िरकछर, पत्थर पर मछथछ
पटककर मर जछऊाँगछ िेदकन ि ू ग
ं छ अवश्य िरकछर, वह कहने िगछ-िड़ेंगे िरकछर हुकु म हो िरकछर।
प्रश्न 4. "गुरुजी कहछ करते थे दक जब मैं मर जछऊाँ, तो मुिे शचतछ पर शचत नहीं, पेट के बि िुिछनछ" ये िधद िुट्टन पहिवछन के जीवन के कौन-िे पक्ष को उद्घछरटत
करते हैं? थपि कीशजए।
उत्तर- ये िधद एक शिष्य द्वछरछ िुट्टन की मृत्यु हो जछने पर कहे थे। िुट्टन अपने जीवन में दकिी भी पहिवछन िे नहीं हछरछ और जीवन में िदैव िंिषा करतछ रहछ।
उिके ये िधद िुट्टन के गौरवयुक्त 'जीवन के उज्ज्वि पक्ष को ही उद्घछरटत करने वछिे थे।
प्रश्न 5. "उिने क्षशत्रय कछ कछम दकयछ है।"-रछजछ िछहब ने ये िधद दकिके शिए और क्यों कहे?
उत्तर- रछजछ िछहब ने ये िधद िुट्टन पहिवछन के शिए कहे। कु श्ती में िुट्टन द्वछरछ प्रशिि पहिवछन चछाँदडिंह को हरछने पर रछजछ िछहब ने प्रिन्न होकर कहछ दक
"उिने क्षशत्रय कछ कछम दकयछ है।" अथछात् िुट्टन ने क्षशत्रयों के िमछन पौरुष कछ प्रदिान दकयछ है, इिशिए उिे िुट्टनडिंह कहनछ ठीक है।
प्रश्न 6. िुट्टन ने िेर के बच्चे चछाँदडिंह को जब चुनौती दी, तो उिकछ क्यछ प्रभछव रहछ?

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उत्तर- िुट्टन िेर के बच्चे चछाँदडिंह को चुनौती देकर अखछड़े में पहुाँचछ, तो दिाकों में खिबिी मच गई। चछाँदडिंह उि पर बछज की तरह टूट पड़छ। िुट्टन बड़ी ििछई िे
आक्रमर् को िंभछि कर पैंतरछ ददखछने िगछ। उि िमय िोगों को िगछ दक यह चछाँदडिंह के िछमने नहीं रटक िके गछ और वे उिकी हाँिी उड़छने िगे।
प्रश्न 7. कु श्ती में शवजयी होने पर िुट्टन ने क्यछ दकयछ?
उत्तर- कु श्ती में चछाँदडिंह को चछरों खछने शचत करके शवजयी होने पर िुट्टन कू दतछ-िछाँदतछ, तछि-ठोकतछ िवाप्रथम बछजे वछिों के पछि गयछ और उिने ढोिों को
श्रिछपूवाक प्रर्छम दकयछ। दिर वह दौड़कर रछजछ िछहब के पछि गयछ और उन्हें गोद में उठछकर अपनी प्रिन्नतछ व्यक्त करने िगछ।
प्रश्न 8. िुट्टन अपने पुत्रों को कै िी शिक्षछ देतछ थछ?
उत्तर- िुट्टन अपने दोनों पुत्रों को किरत करने की शिक्षछ देतछ थछ। ढोि की आवछज पर पूरछ ध्यछन देने के शिए कहतछ थछ दक "मेरछ गुरु कोई पहिवछन नहीं, यही
ढोि है। दंगि में उतर कर िबिे पहिे ढोिों को प्रर्छम करनछ।"
प्रश्न 9. पहिवछन िुट्टनडिंह को रछज-दरबछर क्यों ्ोड़नछ पड़छ?
उत्तर- बूढ़े रछजछ िछहब की मृत्यु के बछद रछजकु मछर ने रछज्य-िछिन िाँभछिते ही बहुत-िे पररवतान कर दंगि के थथछन पर िोड़ों की रे ि को िछशमि दकयछ।
रछजकु मछर ने पहिवछन और उिके पुत्रों के दैशनक भोजन-व्यय को अनछवश्यक बतछकर उन्हें रछज-दरबछर िे शनकछि ददयछ।
प्रश्न 10. "पहिवछन की ढोिक' नछमक कहछनी में 'िुट्टन डिंह' एक ऐिछ पछत्र है, जो प्रछरम्भ िे िेकर मृत्यु-पयान्त शजजीशवषछ कछ अद्भुत दथतछवेज है।" कै िे?
उत्तर- नौ वषा की अवथथछ में मछतछ-शपतछ की मृत्यु, तब शविवछ िछि द्वछरछ पछिन-पोषर् करने िे िुट्टनडिंह कछ प्रछरशम्भक जीवन िंिषापूर्ा रहछ। िछि व पत्नी की
मृत्यु होने और महछमछरी में दोनों पुत्रों की मृत्यु हो जछने के बछद भी अपनी मृत्यु-पयान्त ढोिक बजछते रहने िे िुट्टनडिंह ने शजजीशवषछ कछ पररचय ददयछ।
3 अंक िाले प्रश्नोर्त्र
प्रश्न 1. कु श्ती के िमय ढोि की आवछज़ और िुट्टन के दछाँव-पेंच में क्यछ तछिमेि थछ? पछठ में आए ध्वन्यछत्मक िधद और ढोि की आवछज़ आपके मन में कै िी ध्वशन
पैदछ करते हैं, उन्हें िधद दीशजए।
उत्तर: कु श्ती के िमय ढोि बजने िे िुट्टन की रगों में हिचि पैदछ होकर उिकछ खून उबिने िगतछ थछ। ढोि की हर थछप िे उिके दछाँव-पेंचों में अचछनक िु ती
बढ़ जछती थी। उिे ढोि की हर तछि कु श्ती के दछाँव बतछती हुई महिूि होती थी, जैिे– ‘ढछक् -दढनछ’ अथछात् वछह पट्ठे, वछह पट्ठे। ‘चट् -शगड़-िछ, चट् -शगड़-िछ’ अथछात्
मत रनछ, मत रनछ। इि तरह िुट्टन ढोि की आवछज को अपनछ गुरु मछनकर अपने दछाँव-पेंच इथतेमछि करतछ थछ।
प्रश्न 2. कहछनी के दकि-दकि मोड़ पर िुट्टन के जीवन में क्यछ-क्यछ पररवतान आए?
उत्तर: िुट्टन के बचपन में 9 वषा की उम्र में मछतछ-शपतछ की मृत्यु हो जछने िे उिकछ पछिन-पोषर् उिकी शविवछ िछि ने दकयछ। िछि पर गछाँव के िोगों द्वछरछ दकए
अत्यछचछरों कछ बदिछ िेने के शिए वह पहिवछनी करने िगछ। श्यछमनगर दंगि में चछाँद डिंह पहिवछन को हरछकर ‘रछज-पहिवछन’ कछ दजछा प्रछि कर 15 वषों तक
अजेय पहिवछन रहछ। अपने दोनों बेटों को भी उिने रछजछशश्रत पहिवछन बनछ ददयछ। रछजछ िछहब के थवगावछि के बछद रछजकु मछर द्वछरछ रछज-कछज िंभछिते ही

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पहिवछन िशहत दोनों बेटों को रछजदरबछर िे शनकछि ददयछ। गछाँव में िै िी महछमछरी के कछरर् दोनों बेटों की मृत्यु हो गई। अंत में एक ददन पहिवछन की भी मृत्यु
हो गई।
प्रश्न 3. िुट्टन पहिवछन ने ऐिछ क्यों कहछ होगछ दक ‘मेरछ गुरु कोई पहिवछन नहीं यही ढोि है’?
उत्तर– िुट्टन पहिवछन कछ कोई गुरु नहीं थछ। उिने पहिवछनी के दछाँव-पेंच थवयं ही ढोि की आवछज िे िीखे। श्यछमनगर दंगि में ढोि की थछप ने उिमें जोि भर
ददयछ और चछाँद डिंह नछमक पहिवछन को हरछ ददयछ। इिशिए जीतकर वह िबिे पहिे ढोि के पछि दौड़छ और उिे प्रर्छम दकयछ। ढोि की थछप ने उिे दंगि िड़ने
की प्रेरर्छ दी। इिीशिए वह ढोि को अपनछ गुरु कहतछ थछ।
प्रश्न 4. गछाँव में महछमछरी िै िने और अपने बेटों के देहछंत के बछवजूद िुट्टन पहिवछन ढोि क्यों बजछतछ रहछ?
उत्तर: ढोिक की आवछज़ िुनकर िोगों में जीने की इर्च्छ जछग उठती थी। पहिवछन नहीं चछहतछ थछ दक उिके गछाँव कछ कोई आदमी अपने िंबि
ं ी की मौत पर
मछयूि हो जछए। इिशिए वह ढोि बजछतछ रहछ। ढोि बजछकर पहिवछन ने अन्य ग्रछमीर्ों को जीने की किछ शिखछई। िछथ ही अपने बेटों की अकछि मृत्यु के दुख को
भी वह कम करनछ चछहतछ थछ।
प्रश्न 5. ढोिक की आवछज़ कछ पूरे गछाँव पर क्यछ अिर होतछ थछ। अथवछ भछव थपि कीशजए–“ढोिक की थछप मृत-गछाँव में िंजीवनी िशक्त भरती रहती थी।”
उत्तर: ढोिक की आवछज़ शनरछि मन में उत्िछह कछ िंचछर करती थी। यह आवछज बूढ़-े बच्चों व जवछनों की िशक्तहीन आाँखों के आगे दंगि कछ दृश्य उपशथथत कर
उनमें जीने की इर्च्छ पैदछ कर देती थी। यद्यशप ढोिक की आवछज में बुखछर को दूर करने की तछकत नहीं थी, पर उिे िुनकर मरते हुए प्रछशर्यों को अपनी आाँखें
मूंदते िमय कोई तकिीफ़ नहीं होती थी। उि िमय वे मृत्यु िे नहीं रते थे। इि प्रकछर ढोिक की आवछज गछाँव वछिों को मृत्यु िे िड़ने की प्रेरर्छ देती थी।
प्रश्न 6. महछमछरी िै िने के बछद गछाँव में िूयोदय और िूयछाथत के दृश्य में क्यछ अंतर होतछ थछ?
उत्तर– गछाँव में िूयोदय होते ही िोग कछाँखते-कूं खते-करछहते िरों िे शनकिकर पड़ोशियों व आत्मीयों को ढछाँढ़ि बंिछते हुए िोक न करने की ििछह देते थे। उनके
चेहरे पर चमक बनी रहती थी। पर िूयछाथत होते ही िभी िोग अपनी-अपनी िोपशड़यों में िुि जछते थे। उनके बोिने की िशक्त भी जछती रहती थी। दकिी न दकिी
बच्चे, बूढ़े अथवछ जवछन के मरने की खबर आग की तरह िै ि जछती थी। ऐिे िमय में पहिवछन की ढोिक की आवछज ही रछशत्र की शवभीशषकछ को चुनौती देती
रहती थी।
प्रश्न 7. आिय थपि करें – “आकछि िे टूटकर यदद कोई भछवुक तछरछ पृथ्वी पर जछनछ भी चछहतछ तो उिकी ज्योशत और िशक्त रछथते में ही िेष हो जछती थी। अन्य
तछरे उिकी भछवुकतछ अथवछ अििितछ पर शखिशखिछकर हाँि पड़ते थे।“
उत्तर: िेखक ने यहछाँ प्रकृ शत कछ मछनवीकरर् दकयछ है। यहछाँ िेखक के कहने कछ आिय है दक जब िछरछ गछाँव मछतम में ू बछ हुआ थछ तो आकछि के तछरे भी गछाँव की
दुदि
ा छ पर आाँिू बहछते प्रतीत होते हैं। क्योंदक आकछि में चछरों ओर शनथतधितछ ्छई हुई थी। यदद कोई तछरछ अपने मं ि िे टूटकर पृथ्वी पर िै िे दुख को बछाँटने
आतछ भी थछ तो वह रछथते में शविीन (नि) होकर पृथ्वी तक पहुाँच नहीं पछतछ। अन्य िभी तछरे उिकी भछवनछ को न िमिकर मजछक उड़छते हुए हाँि देते थे।

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प्रश्न 8. ‘पहिवछन की ढोिक’ कहछनी के िंदि
े को थपि कीशजए। अथवछ ‘पहिवछन की ढोिक’ आज हमछरे द्वछरछ िोककिछ एवं िोक किछकछरों को अप्रछिंशगक बनछ
ददए जछने की करूर् कथछ भी है। आिुशनकतछ के ददखछवे में हम उन्हें भूिते जछ रहे हैं।” –तका िशहत थपि कीशजए।
उत्तर: आिुशनकतछ की चमक-दमक और ददखछवे वछिी िंथकृ शत में प्रछचीन िोक किछएाँ और किछकछर आिुशनक पीढ़ी को न तो प्रभछशवत कर पछते हैं और न ही
मनोरं जक िगते हैं। आिुशनक पररवेि एवं तकनीक ने किछओं और खेिों के थवरूप को बदि ददयछ है। रछजछ श्यछमछनंद िोक किछओं और किछकछरों को रछज्यछश्रय
देते थे। रछजछ िछहब के मरते ही शविछयत िे िौटे रछजकु मछर द्वछरछ िुट्टन को शनकछि कर पहिवछनी जैिी िोककिछ को िमछि कर ददयछ गयछ।
प्रश्न 9. पहिवछनों को रछजछ एवं िोगों द्वछरछ पहिे शविेष िम्मछन ददयछ जछतछ थछ, जबदक अब ऐिछ नहीं है क्यों? कु श्ती को दिर िे िोकशप्रय खेि बनछने के शिए
आप अपने िुिछब दीशजए।
उत्तर: मनोरं जन के अनेक िछिन उपिधि हो जछने िे कु श्ती की जगह अब अनेक आिुशनक खेि प्रचशित हैं; -दक्रके ट, हॉकी, बै डमंटन, टेशनि, ितरं ज, िु टबॉि
आदद। कु श्ती को दिर िे िोकशप्रय बनछने के शिए हम शनम्नशिशखत उपछय कर िकते हैं:- योजनछबि कु श्ती के दंगि आयोशजत करनछ, पहिवछनों के प्रशिक्षर् की
उशचत व्यवथथछ, पहिवछनों को उशचत पछररतोशषक देकर िम्मछशनत करनछ, उत्कृ ि प्रदिान करने वछिे पहिवछनों को नौकरी में वरीयतछ देनछ, मीश यछ द्वछरछ कु श्ती
दंगि कछ अशिक िे अशिक प्रचछर-प्रिछर कर िोगों को जछगरूक करनछ आदद।
शिरीष के िू ि / हजछरी प्रिछद शद्ववेदी
2 अंक िाले प्रश्नोर्त्र
प्रश्न 1. शिि कीशजए दक शिरीष कछिजयी अविूत की भछाँशत जीवन की अजेयतछ के मंत्र कछ प्रचछर करतछ है?
उत्तर- शिरीष कछिजयी अविूत की भछाँशत जीवन की अजेयतछ के मंत्र कछ प्रचछर करतछ है। जब पृथ्वी अशि के िमछन तप रही होती है वह तब भी कोमि िू िों िे
िदछ िहिहछतछ रहतछ है।बछहरी गरमी, िूप, वषछा आाँिी, िू उिे प्रभछशवत नहीं करती। इतनछ ही नहीं वह िंबे िमय तक शखिछ रहतछ है। शिरीष शवपरीत
पररशथथशतयों में भी िैयािीि रहने तथछ अपनी अजेय शजजीशवषछ के िछथ शनथपृह भछव िे प्रचं गरमी में भी अशवचि खड़छ रहतछ है।
प्रश्न 2. आरग्वि (अमितछि) की तुिनछ शिरीष िे क्यों नहीं की जछ िकती?
उत्तर- शिरीष के िू ि भयंकर गरमी में शखिते हैं और आषछढ़ तक शखिते रहते हैं जबदक अमितछि कछ िू ि के वि पन्द्रह-बीि ददनों के शिए शखितछ है। उिके बछद
अमितछि के िू ि िड़ जछते हैं और पेड़ दिर िे ठूाँ ठ कछ ठूाँ ठ हो जछतछ है। अमितछि अल्पजीवी है। शवपरीत पररशथथशतयों को िेितछ हुआ ऊष्र् वछतछवरर् को हाँिकर
िेितछ हुआ शिरीष दीिाजीवी रहतछ है। यही कछरर् है दक शिरीष की तुिनछ अमितछि िे नहीं की जछ िकती।
प्रश्न 3. शिरीष के ििों को रछजनेतछओं कछ रूपक क्यों ददयछ गयछ है?
उत्तर- शिरीष के िि उन बूढ़े, ढीठ और पुरछने रछजनेतछओं के प्रतीक हैं जो अपनी कु िी नहीं ्ोड़नछ चछहते। अपनी अशिकछर-शिप्िछ के शिए नए युवछ नेतछओं को
आगे नहीं आने देते। शिरीष के नए ििों को जबरदथती पुरछने ििों को िदकयछनछ पड़तछ है। रछजनीशत में भी नई युवछ पीढ़ी, पुरछनी पीढ़ी को हरछकर थवयं ित्तछ
िाँभछि िेती है।

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प्रश्न 4. कछि देवतछ की मछर िे बचने कछ क्यछ उपछय बतछयछ गयछ है?
उत्तर- कछि देवतछ दक मछर िे बचने कछ अथा है– मृत्यु िे बचनछ। इिकछ एकमछत्र उपछय यह है दक मनुष्य शथथर न हो। गशतिीि, पररवतानिीि रहे। िेखक के
अनुिछर शजनकी चेतनछ िदछ ऊध्वामुखी (आध्यछत्म की ओर) रहती है, वे रटक जछते हैं।
प्रश्न 5. गछाँिीजी और शिरीष की िमछनतछ प्रकट कीशजए।
उत्तर- शजि प्रकछर शिरीष शचिशचिछती िूप, िू, वषछा और आाँिी में भी अशवचि खड़छ रहतछ है, अनछिक्त रहकर अपने वछतछवरर् िे रि खींचकर िरि, कोमि
बनछ रहतछ है, उिी प्रकछर गछाँिी जी ने भी अपनी आाँखों के िछमने आजछदी के िंग्रछम में अन्यछय, भेदभछव और डहंिछ को िेिछ। उनके कोमि मन में एक ओर शनरीह
जनतछ के प्रशत अिीम करुर्छ जछगी वहीं वे अन्यछयी िछिन के शवरोि में टकर खड़े हो गए।
प्रश्न 6 कछशिदछि की िौंदया–दृशि की क्यछ शविेषतछ थी?
उत्तर-कछशिदछि की िौंदया–दृशि बहुत िूक्ष्म, अंतभेदी और िंपूर्ा थी। वे के वि बछहरी रूप-रं ग और आकछर को ही नहीं देखते थे बशल्क अंतमान की िुंदरतछ के भी
पछरखी थे। कछशिदछि की िौंदया िछरीररक और मछनशिक दोनों शविेषतछओं िे युक्त थछ।
प्रश्न 7. अनछिशक्त कछ क्यछ आिय है?
उत्तर- अनछिशक्त कछ आिय है- व्यशक्तगत िुख-दुःख और रछग-द्वेष िे परे रहकर िौंदया के वछथतशवक ममा को जछननछ।
प्रश्न 8. कछशिदछि, पंत और रवींद्रनछथ टैगोर में कौन िछ गुर् िमछन थछ?
उत्तर- महछकशव कछशिदछि, िुशमत्रछनंदन पंत और गुरुदेव रवींद्रनछथ टैगोर तीनों शथथरप्रज्ञ और अनछिक्त कशव थे। वे शिरीष के िमछन िरि और मथत अविूत थे।
प्रश्न 9. रवींद्रनछथ रछजोद्यछन के डिंहद्वछर के बछरे में क्यछ िंदि
े देते हैं?
उत्तर रछजोद्यछन के बछरे में रवींद्रनछथ कहते हैं रछजोद्यछन कछ डिंहद्वछर दकतनछ ही िुंदर और गगनचुम्बी क्यों नछ हो, वह अंशतम पड़छव नहीं है। उिकछ िौंदया दकिी
और उच्चतम िौंदया की ओर दकयछ गयछ िंकेत मछत्र है दक अििी िौंदया इिे पछर करने के बछद है अत: रछजोद्यछन कछ डिंहद्वछर हमें आगे बढ़ने की प्रेरर्छ देतछ है।
प्रश्न 10. कछशिदछि की िौंदया-दूशि के बछरे में बतछइए।
उत्तर- कछशिदछि की िौंदया-दृशि िूक्ष्म व िंपूर्ा थी। वे िौंदया के बछहरी आवरर् को भेदकर उिके अंदर के िौंदया को प्रछि करते थे। वे दुख यछ िुख-दोनों शथथशतयों
िे अपनछ भछव-रि शनकछि िेते थे।
3 अंक िाले प्रश्नोर्त्र
प्रश्न 1. कछशिदछि की िमछनतछ आिुशनक कछि के दकन कशवयों िे ददखछई गई?
उत्तर- कछशिदछि की िमछनतछ आिुशनक कछि के कशवयों िुशमत्रछनंदन पंत व रवींद्रनछथ टैगोर िे ददखछई गई है। इनमें अनछिक्त भछव है। तटथथतछ के कछरर् ही ये
कशवतछ के िछथ न्यछय कर पछते हैं।
प्रश्न 2. रवींद्रनछथ ने रछजोद्यछन के डिंहद्वछर के बछरे में क्यछ शिखछ हैं?

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उत्तर- रवींद्रनछथ ने एक जगह शिखछ है दक रछजोद्यछन कछ डिंहद्वछर दकतनछ ही गगनचुंबी क्यों न हो, उिकी शिल्पकिछ दकतनी ही िुंदर क्यों न हो, वह यह नहीं
कहतछ दक हममें आकर ही िछरछ रछथतछ िमछि हो गयछ। अिि गंतव्य थथछन उिे अशतक्रम करने के बछद ही है, यही बतछनछ उिकछ कताव्य है।
प्रश्न 3. िू िों यछ पेड़ों िे हमें क्यछ प्रेरर्छ शमिती हैं?
उत्तर– िू िों यछ पेड़ों िे हमें जीवन की शनरंतरतछ की प्रेरर्छ शमिती है। किछ की कोई िीमछ नहीं होती। पुष्प यछ पेड़ अपने िौंदया िे यह बतछते हैं दक यह िौंदया
अंशतम नहीं है। इििे भी अशिक िुंदर हो िकतछ है।
प्रश्न 4. कछशिदछि ने शिरीष की कोमितछ और शद्ववेदी जी ने उिकी कठोरतछ के शवषय में क्यछ कहछ है? ‘शिरीष के िू ि’ पछठ के आिछर पर बतछइए।
उत्तर – कछशिदछि और िंथकृ त-िछशहत्य ने शिरीष को बहुत कोमि मछनछ है। कछशिदछि कछ कथन है दक ‘पदं िहेत भ्रमरथय पेिवं शिरीष पुष्पं न पुन: पतशत्रर्छम्”-
शिरीष पुष्प के वि भौंरों के पदों कछ कोमि दबछव िहन कर िकतछ है, पशक्षयों कछ शबिकु ि नहीं। िेदकन इििे हजछरी प्रिछद द्रशववेदी िहमत नहीं हैं। उनकछ
शवचछर है दक इिे कोमि मछननछ भूि है। इिके िि इतने मजबूत होते हैं दक नए िू िों के शनकि आने पर भी थथछन नहीं ्ोड़ते। जब तक नए िि-पत्ते शमिकर,
िदकयछकर उन्हें बछहर नहीं कर देते, तब तक वे टे रहते हैं। विंत के आगमन पर जब िछरी वनथथिी पुष्प-पत्र िे ममाररत होती रहती है तब भी शिरीष के पुरछने
िि बुरी तरह खड़खड़छते रहते हैं।
प्रश्न 5. शिरीष के अविूत रूप के कछरर् िेखक को दकि महछत्मछ की यछद आती है और क्यों?
उत्तर– शिरीष के अविूत रूप के कछरर् िेखक हजछरी प्रिछद द्रशववेदी को हमछरे रछष्ट्रशपतछ महछत्मछ गछंिी की यछद आती है। शिरीष तरु अविूत है, क्योंदक वह
बछहय पररवतान-िूप, वषछा, आाँिी, िू िब में िछंत बनछ रहतछ है और पुशष्पत पल्िशवत होतछ रहतछ है। इिी प्रकछर महछत्मछ गछंिी भी मछर-कछट, अशिदछह, िूट-पछट,
खून-खरछबे के बवं र के बीच शथथर रह िके थे। इि िमछनतछ के कछरर् िेखक को गछंिी जी की यछद आ जछती है, शजनके व्यशक्तत्व ने िमछज को शिखछयछ दक
आत्मबि, िछरीररक बि िे कहीं ऊपर की चीज है। आत्मछ की िशक्त है। जैिे शिरीष वछयुमं ि िे रि खींचकर इतनछ कोमि, इतनछ कठोर हो िकछ है, वैिे ही
महछत्मछ गछंिी भी कठोर-कोमि व्यशक्तत्व वछिे थे। यह वृक्ष और वह मनुष्य दोनों ही अविूत हैं।
प्रश्न 6. शिरीष की तीन ऐिी शविेषतछओं कछ उल्िेख कीशजए शजनके कछरर् आचछया हजछरी प्रिछद शद्ववेदी ने उिे ‘कछिजयी अविूत’ कहछ है।
उत्तर – आचछया हजछरी प्रिछद शद्ववेदी ने शिरीष को ‘कछिजयी अविूत’ कहछ है। उन्होंने उिकी शनम्नशिशखत शविेषतछएाँ बतछई हैं – (1) वह िंन्यछिी की तरह कठोर
मौिम में डजंदछ रहतछ है। (2) वह भीषर् गरमी में भी िू िों िे िदछ रहतछ है तथछ अपनी िरितछ बनछए रखतछ है। (3) वह करठन पररशथथशतयों में भी िुटने नहीं
टेकतछ। (4) वह िंन्यछिी की तरह हर शथथशत में मथत रहतछ है।
प्रश्न 7. िेखक ने शिरीष के ििों के मछध्यम िे दकि द्वंद्व को व्यक्त दकयछ है?
उत्तर – िेखक ने शिरीष के पुरछने ििों की अशिकछर-शिप्िु खड़खड़छहट और नए पत्ते-ििों द्वछरछ उन्हें िदकयछकर बछहर शनकछिने में िछशहत्य, िमछज व रछजनीशत
में पुरछनी व नयी पीढ़ी के द्वंद्व को बतछयछ है। वह थपि रूप िे पुरछनी पीढ़ी व हम िब में नएपन के थवछगत कछ िछहि देखनछ चछहतछ है।
प्रश्न 8. ‘शिरीष के िू ि’ पछठ कछ प्रशतपछद्य थपि करें ।

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उत्तर – ‘शिरीष के िू ि’ िीषाक शनबंि ‘कल्पितछ’ िे उद्िृत है। इिमें िेखक ने आाँिी, िू और गरमी की प्रचं तछ में भी अविूत की तरह अशवचि होकर कोमि
पुष्पों कछ िौंदया शबखेर रहे शिरीष के मछध्यम िे मनुष्य की अजेय शज़जीशवषछ और तुमुि कोिछहि किह के बीच िैयापूवाक, िोक के िछथ डचंतछरत, कताव्यिीि बने
रहने को महछन मछनवीय मूल्य के रूप में थथछशपत दकयछ है। ऐिी भछविछरछ में बहते हुए उिे देह-बि के ऊपर आत्मबि कछ महत्व शिि करने वछिी इशतहछि-
शवभूशत गछंिी जी की यछद हो आती है तो वह गछंिीवछदी मूल्यों के अभछव की पीड़छ िे भी किमिछ उठतछ है।
प्रश्न 9. ‘ऐिे दुमदछरों िे तो ि ू रे भिे-इिकछ भछव थपि कीशजए।
उत्तर – िेखक कहतछ है दक दुमदछर अथछात िजीिछ पक्षी कु ् ददनों के शिए िुंदर नृत्य करतछ है, दिर दुम गवछकर कु रूप हो जछतछ है। यहछाँ िेखक मोर के बछरे में कह
रहछ है। वह बतछतछ है दक िौंदया क्षशर्क नहीं होनछ चछशहए। इििे अर्च्छ तो पूाँ् कटछ पक्षी ही ठीक है। उिे कु रूप होने की दुगाशत तो नहीं िेिनी पड़ेगी।
प्रश्न 10. शवशज्जकछ ने ब्रहमछ, वछल्मीदक और व्यछि के अशतररक्त दकिी को कशव क्यों नहीं मछनछ है?
उत्तर – कर्छाट रछज की शप्रयछ शवशज्जकछ ने के वि तीन ही को कशव मछनछ है-ब्रहमछ, वछल्मीदक और व्यछि को। ब्रहमछ ने वेदों की रचनछ की शजनमें ज्ञछन की अथछह
रछशि है। वछल्मीदक ने रछमछयर् की रचनछ की जो भछरतीय िंथकृ शत के मछनदं ों को बतछतछ है। व्यछि ने महछभछरत की रचनछ की, जो अपनी शविछितछ व शवषय-
व्यछपकतछ के कछरर् शवश्व के िवाश्रेष्ठ महछकछव्यों में िे एक है। भछरत के अशिकतर िछशहत्यकछर इनिे प्रेरर्छ िेते हैं। अन्य िछशहत्यकछरों की रचनछएाँ प्रेरर्छस्रोत के
रूप में थथछशपत नहीं हो पछई। अत: उिने दकिी और व्यशक्त को कशव नहीं मछनछ।
श्रम विभाजन और जावत-प्रथा , मेरी कल्पना का आदिा समाज / बाबा साहेब भीमराि आंबर्
े कर
2 अंक िाले प्रश्नोर्त्र
प्रश्न 1. जछशत प्रथछ को श्रम शवभछजन कछ एक रूप न मछनने के पी्े ॉक्टर अंबे कर ने क्यछ तका ददए हैं?
उत्तर जछशत प्रथछ को श्रम शवभछजन कछ एक रूप न मछनने के पी्े ॉक्टर अंबे कर कछ यह तका है दक जछशत प्रथछ िे श्रम शवभछजन नहीं ,अशपतु श्रशमक शवभछजन
होतछ है I हरर को उिकी प्रशतभछ के अनुिछर नहीं जछशत के अनुरूप कछया करनछ पड़तछ है I शनिछाररत क्षेत्र में रुशच न होने पर भी मनुष्य को वह कछया करनछ पड़तछ
हैI इि पररवतानिीि िंिछर में यदद दकिी कछ परं परछगत कछया बंद हो जछतछ है,तो भी उिे दूिरछ कछया करने की अनुमशत नहीं होती I अतः जछशत प्रथछ भुखमरी और
बेरोजगछरी कछ भी प्रमुख कछरर् बनती है I जछशत कछ शनिछारर् करनछ मनुष्य के बि में नहीं है, इिशिए उिके आिछर पर भेदभछव नहीं होने चछशहए मनुष्य को
उिकी प्रशतभछ और कु िितछ के आिछर पर ही अपनछ व्यविछय चुनने कछ अशिकछर होनछ चछशहए I
प्रश्न 2. िेखक के मत िे दछितछ की व्यछपक पररभछषछ क्यछ है?
उत्तर िेखक के अनुिछर दछितछ के वि कछनूनी परछिीनतछ को ही नहीं कहछ जछ िकतछ I दछितछ में वह शथथशत भी िशम्मशित है I शजििे कु ् व्यशक्तयों को दूिरे
व्यशक्तयों के द्वछरछ शनिछाररत व्यवहछर एवं कताव्यों कछ पछिन करने के शिए शववि होनछ पड़तछ है I यह शथथशत कछनूनी परछिीनतछ न होने पर भी पछई जछ िकती है I
अथछात उदछहरर् के तौर पर जछशत-प्रथछ की तरह ऐिे वगा कछ होनछ िंभव है,जहछाँ कु ् िोगों को अपनी इर्च्छ के शवरुि पेिे अपनछने पड़ते हैं I
प्रश्न 3. जछशत प्रथछ के पोषक क्यछ थवीकछर अथवीकछर करते हैं?

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उत्तर जछशत प्रथछ के पोषक िछरीररक िुरक्षछ तथछ िंपशत्त के अशिकछर को थवीकछर करते हैं, ककं तु मनुष्य की िशक्त के िक्षम एवं प्रभछविछिी प्रयोग की थवतंत्रतछ को
अथवीकछर करते हैं I
प्रश्न 4. भछरत में श्रशमकों कछ अथवछभछशवक शवभछजन है I कै िे?
उत्तर श्रशमकों कछ थवछभछशवक शवभछजन तब होतछ है I जब िभी श्रशमकों को अपनी रूशच और थवभछव के अनुिछर कछम िंिछ ढू ंढने की ्ू ट शमिे, परं तु यदद जन्म और
वंि परं परछ के कछरर् दकिी को खछि वगा कछ श्रशमक बनछने पर मजबूर दकयछ जछए, तो यह श्रशमक शवभछजन अथवछभछशवक कहिछएगछ I भछरत में जन्म िे ही
जछशतयछाँ और कमा तय कर ददए जछते हैं,इिशिए यह शवभछजन अथवछभछशवक है I
प्रश्न 5. पेिछ बदिने की थवतंत्रतछ के अभछव कछ पररर्छम क्यछ होगछ?
उत्तर यदद मनुष्य को पेिछ बदिने की अनुमशत न हो तो उिके पेिे की मछंग में कमी हो जछएगी, तो उिे भूख को मछरनछ पड़ेगछ I
प्रश्न 6. जछशत प्रथछ बेरोजगछरी कछ प्रमुख व अप्रत्यक्ष कछरर् है I कै िे?
उत्तर जछशत प्रथछ के कछरर् अनेक िोग पेिछ चुनने को थवतंत्र नहीं होते,अतः यदद उनके पेिे की मछंग यछ प्रदक्रयछ यछ तकनीकी में कोई पररवतान हो जछए तो वह
बेरोजगछर हो जछते हैं Iउन्हें भूखे मरने की नौबत आ जछती है I
प्रश्न 7. अंबे कर दकि िमछज को आदिा मछनते हैं?
उत्तर अंबे कर उि िमछज को आदिा मछनते हैं शजिमें थवतंत्रतछ और िमछनतछ हो भछईचछरछ हो,उिमें इतनी गशतिीितछ हो दक िब िोग एक िछथ िछरे पररवतानों
को आत्मिछत कर िके I ऐिे िमछज में िभी के शहतों में िभी कछ िहयोग होनछ चछशहए I िबको िबकी रक्षछ के प्रशत िचेत होनछ चछशहए I
प्रश्न 8. ॉक्टर अंबे कर दकि आिछर पर अिमछन व्यवहछर को उशचत मछनते हैं और क्यों?
उत्तर ॉक्टर अंबे कर के अनुिछर अिमछन प्रयत्न के आिछर पर अिछमछन्य व्यवहछर को उशचत मछनते हैं I उनकछ आिय है दक यदद कोई व्यशक्त अपनी इर्च्छ िे कम
प्रयत्न करतछ है,तो उिे कम िम्मछन शमिनछ चछशहएI अशिक प्रयत्न करने पर अशिक िम्मछन शमिनछ चछशहए I इि प्रकछर कछ प्रोत्िछहन यछ दं उशचत है I इििे
मनुष्य को अपनी क्षमतछओं कछ शवकछि करने कछ अविर शमितछ है I
प्रश्न 9. ॉक्टर अंबे कर िमतछ को कछल्पशनक वथतु क्यों मछनते हैं?
उत्तर अंबे कर मनुष्य मनुष्य की िमतछ को प्रछकृ शतक नहीं मछनते I वे मछनते हैं दक हर व्यशक्त जन्म िे िछमछशजक थतर के शहिछब िे अपने प्रयत्नों के कछरर् शभन्न और
अिमछन होतछ है I पूर्ा िमतछ एक कछल्पशनक शथथशत है I दिर भी वह िभी मनुष्य को ििने-िू िने कछ बरछबर अविर देनछ चछहते हैं I क्योंदक दकिी प्रकछर कछ
भेदभछव मनुष्य के शवकछि में बछिक हो िकतछ है तथछ कछया कु िितछ को कम कर िकतछ है I
3 अंक िाले प्रश्नोर्त्र
प्रश्न 1. ॉ. आंबे करके इि कथन कछ आिय थपि कीशजए– गभािछरर् के िमय िे ही मनुष्य कछ पेिछ शनिछाररत कर ददयछ जछतछ है। क्यछ आज भी यह शथथशत
शवद्यमछन है।

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उत्तर-: ॉ. आंबे कर ने भछरत की जछशत प्रथछ कछ िटीक शवश्लेषर् दकयछ है। यहछाँ जछशत प्रथछ की जड़ें बहुत गहरी हैं। जछशत व िमा के ठे केदछरों ने िोगों के पेिे को
जन्म िे ही शनिछाररत कर ददयछ भिे ही वह उिमें पछरंगत हो यछ नहीं हो। उिकी रुशच न होने पर भी उिे वही कछया करनछ पड़तछ थछ। इि व्यवथथछ को श्रम
शवभछजन के नछम पर िछगू दकयछ गयछ थछ। आज यह शथथशत नहीं है। शिक्षछ, िमछज िुिछर, तकनीकी शवकछि, िरकछरी कछनून आदद के कछरर् जछशत के बंिन ढीिे हो
गए हैं। व्यविछय के क्षेत्र में जछशत कछ महत्त्व नगण्य हो गयछ है।
प्रश्न -2. ॉ. भीमरछव की कल्पनछ के आदिा िमछज की आिछरभूत बछतें िंक्षेप में िमिछइए। आदिा िमछज की थथछपनछ में ॉ. आंबे कर के शवचछरों की िछथाकतछ पर
अपने शवचछर प्रकट कीशजए।
उत्तर: उनकछ यह आदिा िमछज थवतंत्रतछ, िमतछ व भ्रछतृतछ पर आिछररत होगछ। उिमे गशतिीितछ होनी चछशहए। ऐिे िमछज के बहुशवशि शहतों में िबकछ भछग
होगछ तथछ िबको उनकी रक्षछ के प्रशत िजग रहनछ चछशहए। ॉ. आंबे कर के शवचछर शनशित रूप िे क्रछंशतकछरी हैं, परं तु व्यवहछर में यह बेहद करठन हैं। व्यशक्तगत
गुर्ों के कछरर् जो वगा िमछज पर कधज़छ दकए हुए हैं, वे अपने शविेषछशिकछरों को आिछनी िे नहीं ्ोड़ िकते।
प्रश्न 3. जछशत और श्रम शवभछजन में बुशनयछदी अंतर क्यछ है? ‘ श्रम शवभछजन और जछशतप्रथछ’ के आिछर पर उत्तर दीशजए।
उत्तर: जछशत और श्रम शवभछजन में बुशनयछदी अंतर यह है दक जछशत के शनयछमक शवशिि वगा के िोग हैं। जछशत वछिे व्यशक्तयों की इिमें कोई भूशमकछ नहीं है।
ब्रछह्मर्वछदी व्यवथथछपक अपने शहतों के अनुरूप जछशत व उिकछ कछया शनिछाररत करते हैं। वे उि पेिे को शवपरीत पररशथथशतयों में भी नहीं बदिने देते, भिे ही िोग
भूखे मर गए। श्रम शवभछजन में कोई व्यवथथछपक नहीं होतछ। यह वथतु की मछाँग, तकनीकी शवकछि यछ िरकछरी िै ििों पर आिछररत होतछ है। इिमें व्यशक्त अपनछ
पेिछ बदि िकतछ है।
प्रश्न 4.िेखक ने मनुष्य की क्षमतछ के बछरे में क्यछ बतछयछ है।
उत्तर: िेखक बतछतछ है दक मनुष्य की क्षमतछ तीन बछतों पर शनभार करती हैं – (1) िछरीररक वंि परं परछ (2) िछमछशजक उत्तरछशिकछर अथछात िछमछशजक परं परछ के
रूप में मछतछ-शपतछ की कल्यछर् कछमनछ शिक्षछ तथछ वैज्ञछशनक ज्ञछनछजान आदद िभी उपिशधियछाँ शजिके कछरर् िभ्य िमछज, जंगिी िोगों की अपेक्षछ शवशिि शिक्षछ
प्रछि करतछ है। (3) मनुष्य के अपने प्रयत्न
प्रश्न 5.“श्रम शवभछजन की दृशि िे भी जछशत प्रथछ गंभीर दोषों िे युक्त है।” थपि करें ।
उत्तर:. जछशत प्रथछ कछ श्रम शवभछजन मनुष्य की इर्च्छ िे नहीं होतछ। इिमे व्यशक्तगत भछवनछ तथछ व्यशक्तगत रुशच कछ इिमें कोई थथछन नहीं होतछ। जछशत प्रथछ के
कछरर् मनुष्य दुभछावनछ िे ग्रथत रहकर टछिू कछम करने यछ कम कछम करने की भछवनछ उत्पन्न होती है शजििे उत्पछदकतछ पर नकछरछत्मक प्रभछव पड़तछ है और
आर्थाक हछशन होती है। जछशत प्रथछ ऊंच –नीच के भछव भी पैदछ करती हैं।
प्रश्न 6. ॉ. आंबे कर ‘िमतछ’ को कछल्पशनक वथतु क्यों मछनते हैं?
उत्तर:- ॉ. आंबे कर कछ मछननछ है दक जन्म, िछमछशजक थतर, प्रयत्नों के कछरर् शभन्नतछ व अिमछनतछ होती है। पूर्ा िमतछ एक कछल्पशनक शथथशत है। इिके बछवजूद
वे िभी मनुष्यों को शवकशित होने के िमछन अविर देनछ चछहते हैं। वे िभी मनुष्यों के िछथ िमछन व्यवहछर चछहते हैं।

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प्रश्न -7. िेखक ने जछशत- प्रथछ की दकन-दकन बुरछइयों कछ वर्ान दकयछ हैं?
उत्तर –िेखक ने जछशत-प्रथछ की शनम्नशिशखत बुरछइयों कछ वर्ान दकयछ है – (1) यह श्रशमक –शवभछजन करती है। (2) यह श्रशमकों में ऊाँच-नीच कछ थतर तय करती है।
(3) यह जन्म के आिछर पर पेिछ तय करती है। (4) यह मनुष्य को िदैव एक व्यविछय में बछाँि देती है भिे ही वह पेिछ अनुपयुक्त व अपयछाि हो।
प्रश्न 8. जछशत और श्रम-शवभछजन में बुशनयछदी अंतर क्यछ है? ‘श्रम-शवभछजन और जछशत-प्रथछ’ के आिछर पर उत्तर दीशजए।
उत्तर –जछशत और श्रम शवभछजन में बुशनयछदी अंतर यह है दक –
• जछशत-शवभछजन, श्रम-शवभछजन के िछथ-िछथ श्रशमकों कछ भी शवभछजन करती है।
• श्रम शवभछजन रूशच और योग्यतछ आिछररत होतछ है जबदक जछशत प्रथछ में श्रम शवभछजन जन्म आिछररत है।
• जछशत-प्रथछ शवपरीत पररशथथशतयों में भी रोजगछर बदिने कछ अविर नहीं देती, जबदक श्रम-शवभछजन में व्यशक्त ऐिछ कर िकतछ है।

प्रश्न संख्या 14 वितान- भाग-2 (अंक- 2 के वलए)


वसल्िर िैहर्ंग – मनोहर श्याम जोिी
प्रश्न 1. यिोधर बाबू की पत्नी समय के साथ ढल सकने में सफल होती है, लेक्रकन यिोधर बाबू असफल रहते हैं। ऐसा क्यों?
उर्त्र: यिोधर बाबू बचपन से ही माता-वपता के देहांत हो जाने की िजह से वज्मेदाररयों के बोझ से लद गए थे। िे सदैि पुराने लोगों के बीच रहे , पले एिं बढ़े
अतः िे उन परं पराओं को छो़ि नहीं सकते थे। यिोधर बाबू अपने आदिा क्रकिनदा से बहुत अवधक प्रभावित हैं और िे आधुवनक पररिेि में बदलते हुए जीिन-मूल्यों
और संस्कारों के पूणात: विरूद्ध हैं। जबक्रक उनकी पत्नी मातृसुलभ मजबूरी के कारण हर समय अपने बच्चों के साथ ख़िी क्रदखाई देती हैं। िह अपने बच्चों के आधुवनक
दृविकोण से प्रभावित हैं। िे बेटी के कहे अनुसार नए कप़िे पहनती हैं और बेटों के क्रकसी भी मामले में दखल नहीं देती हैं। इस कारण यिोधर बाबू की पत्नी समय के
साथ अपने आपको ढाल लेती हैं , लेक्रकन यिोधर बाबू पुराने संस्कारों और परं पराओं से वचपके होने के कारण अपने आपको ढालने में असफल रहते हैं।
प्रश्न 2. पाठ में ‘जो हुआ होगा’ िाक्य की आप क्रकतनी अथा छवियााँ खोज सकते/सकती हैं?
उर्त्र:‘जो हुआ होगा’ िाक्यांि का प्रयोग क्रकिनदा की मृत्यु के संदभा में होता है। यिोधरबाबू ने क्रकिनदा के जावत भाई से उनकी मृत्यु का कारण पूछा तो उसने
जिाब क्रदया- जो हुआ होगा अथाात् क्या हुआ, पता नहीं। इस िाक्य की अनेक छवियााँ बनती हैं –
1. इसका अथा यह है क्रक क्रकिन दा की मृत्यु का कारण जानने की इच्छा क्रकसी को नहीं थी। इससे उनकी हीन दिा का पता चलता है।
2. वजनके बाल-बच्चे ही नहीं होते, िे व्यवक्त अके लेपन के कारण स्िस्थ क्रदखने के बाद भी बीमार-से हो जाते हैं और उनकी मृत्यु हो जाती है। ऐसे (संतानहीन ) लोगों
को उनकी वबरादरी से भी घोर उपेक्षा ही वमलती है I
3. तीसरा अथा समाज की मानवसकता पर है। क्रकिनदा जैसे व्यवक्त का समाज के वलए कोई महत्त्ि नहीं है। िे सामावजक पररितान वनयमों के विरोध में रहे। फलतः
समाज ने भी उन्द्हें दरक्रकनार कर क्रदया।
प्रश्न 3.‘समहाउ इंप्रापर’ िाक्यांि का प्रयोग यिोधर बाबू लगभग हर िाक्य के प्रारंभ में तक्रकया कलाम की तरह करते हैं? इस काव्यांि का उनके व्यवक्तत्ि और
कहानी के कथ्य से क्या संबंध बनता है?

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उर्त्र: यिोधर बाबू ‘समहाउ इंप्रॉपर’ िाक्यांि का प्रयोग तक्रकया कलाम की तरह करते हैं। उन्द्हें जब कु छ अनुवचत लगता है या उन्द्हें कहीं कवमयााँ नजर आती हैं
या िे नए के साथ तालमेल नहीं बैठा पाते। यह िाक्यांि उनके असंतुलन ि आज पररिार, समाज और राष्ट्र में कहीं कु छ-न-कु छ हो रहे गलत को प्रकट करता है।
क्रफर यिोधर बाबू जैसे वसद्धांतिादी लोगों के वलए ऐसी वस्थवत को स्िीकारना सहज नहीं है। उनका तक्रकयाकलाम वनम्न संदभो में प्रयुक्त हुआ है-
1. दफ़्तर में वसल्िर िैहर्ंग मनाये जाने पर
2. स्कू टर की सिारी करने पर
3. साधारण पुत्र को असाधारण िेतन वमलने पर
4. अपनों से परायेपन का व्यिहार वमलने पर
5. र्ी०र्ी०ए० फ़्लैट का पैसा न भरने पर
6. पुत्र द्वारा िेतन वपता को न क्रदए जाने पर
7. खुिहाली में ररश्तेदारों की उपेक्षा करने पर
प्रश्न 4. यिोधर बाबू की कहानी को क्रदिा देने में क्रकिनदा की महत्त्िपूणा भूवमका रही है। आपके जीिन को क्रदिा देने में क्रकसका महत्त्िपूणा योगदान है और कै से?
उर्त्र: मेरे जीिन को क्रदिा देने में सबसे महत्त्िपूणा योगदान मेरे गुरुओं का रहा है। उन्द्होंने हमेिा मुझे यही विक्षा दी क्रक सत्य बोलो। सत्य बोलने िाला व्यवक्त हर
तरह की परे िानी से मुक्त हो जाता है जबक्रक झूठ बोलने िाला अपने ही जाल में फाँ स जाता है। उसे एक झूठ छु पाने के वलए सैक़िों झूठ बोलने प़िते हैं। अपने गुरुओं
की इस बात को मैंने हमेिा याद रखा। िास्ति में उनकी इसी विक्षा ने मेरे जीिन की क्रदिा बदल दी।
प्रश्न 5. ितामान समय में पररिार की संरचना, स्िरूप से जु़िे आपके अनुभि इस कहानी से कहााँ तक सामंजस्य वबठा पाते हैं?
उर्त्र: यह कहानी आज के समय की मध्यमिगीय पाररिाररक संरचना और उसके स्िरूप का सही आंकलन करती है। आज की पररवस्थवतयााँ इस कहानी की मूल
संिेदना को प्रस्तुत करती हैं। आज के पररिारों में वसद्धांत और व्यिहार का अंतर क्रदखाई देता है। संयुक्त पररिार प्रथा समाप्त हो रही है। पुरानी पीढ़ी की बातों या
सलाह को नयी पीढ़ी नकार रही है। नए युिा कु छ नया करना चाहते हैं, परंतु बुजग
ु ा परं पराओं के वनिााह में विश्वास रखते हैं। यिोधर बाबू की तरह आज का
मध्यिगीय वपता वििि है। िह क्रकसी विषय पर अपना वनणाय नहीं दे सकता। माताएाँ बच्चों के समथान में ख़िी नजर आती हैं । आज बच्चे अपने दोस्तों के साथ पाटी
करने में अवधक खुि रहते हैं। िे आधुवनक जीिन िैली को ही सब कु छ मानते हैं। ल़िक्रकयााँ फ़ै िन के अनुसार िस्त्र पहनती हैं। यिोधर की ल़िकी उसी का प्रवतवनवध
है। अत: यह कहानी लगभग आज हर पररिार की है।
प्रश्न 6. वनम्नवलवखत में से क्रकसे आप कहानी की मूल संिेदना कहेंगे/कहेंगी और क्यों?
(क) हाविए पर धके ले जाते मानिीय मूल्य
(ख) पीढ़ी अंतराल
(ग) पािात्य संस्कृ वत का प्रभाि।
उर्त्र: मेरी समझ में पीढ़ी अंतराल ही ‘वसल्िर िैहर्ंग’ िीषाक कहानी की मूल संिेदना है। यिोधर बाबू और उसके पुत्रों में एक पीढ़ी का अंतराल है। इसी कारण
यिोधर बाबू अपने पररिार के अन्द्य सदस्यों के साथ सामंजस्य नहीं वबठा पाते हैं। यह वसद्धांत और व्यिहार की ल़िाई है। यिोधर बाबू वसद्धां तिादी हैं तो उनके
पुत्र व्यिहारिादी। यिोधर बाबू का मानना है क्रक दुवनयादारी के मामले में उनकी संतान ि पत्नी उससे आगे हैं। िे पुराने आदिों ि मूल्यों जुर्े हुए हैं। आज
वसद्धांत नहीं व्यािहाररकता चलती है। नयी पीढ़ी ि पुरानी पीढी के मध्य विचारों का अंतराल यिोधर बाबू और उनके पररिार के सदस्यों में िैचाररक अलगाि
पैदा कर देता है।

149
प्रश्न 7.अपने घर और विद्यालय के आस-पास हो रहे उन बदलािों के बारे में वलखें जो सुविधाजनक और आधुवनक होते हुए भी बुजुगों को अच्छे नहीं लगते। अच्छा
न लगने के क्या कारण होंगे ?
उर्त्र: हमारे घर ि विद्यालय के आस-पास वनम्नवलवखत बदलाि हो रहे हैं वजन्द्हें बुजुगा पसंद नहीं करते –
जैसे-युिाओं द्वारा अत्यवधक मोबाइल का प्रयोग करना, नयी पीढी द्वारा बुजुगों का अनादर करना ,पािात्य खान-पान का सेिन करना,िाहनों का अत्यवधक प्रयोग,
ल़िक्रकयों द्वारा जीन्द्स ि िटा पहनना, ख़िे होकर भोजन करना। तेज आिाज में संगीत सुनना,इत्याक्रद
बुजुगा पीढ़ी इन सभी पररितानों का विरोध करती है। उन्द्हें लगता है क्रक ये हमारी संस्कृ वत के वखलाफ़ हैं। कु छ सुविधाओं को िे स्िास्थ्य की दृवि से खराब मानते हैं
तो कु छ को अपनी परं परा के विरुद्ध मानते हैं। उनका मानना है क्रक मवहलाओं ि ल़िक्रकयों को अपनी सभ्यता ि संस्कृ वत के अनुसार आचरण करना चावहए।
प्रश्न 8.यिोधर बाबू के बारे में आपकी क्या धारणा बनती है? क्रदए गए तीन कथनों में से आप वजसके समथान में हैं, अपने अनुभि और सोच के आधार पर तका
दीवजए |
(क) यिोधर बाबू के विचार पूरी तरह से पुराने हैं और िे सहानुभूवत के पात्र नहीं है।
(ख) यिोधर बाबू में एक तरह का द्वंद्व है वजसके कारण नया उन्द्हें कभी-कभी खींचता तो है पर पुराना छो़िता नहीं। इसवलए उन्द्हें सहानुभूवत के साथ देखने की
जरूरत है।
(ग) यिोधर बाबू एक आदिा व्यवक्तत्ि हैं और नई पीढ़ी द्वारा उनके विचारों को अपनाना ही उवचत है।
उर्त्र: यिोधर बाबू के बारे में हमारी यही धारणा बनती है क्रक यिोधर बाबू में एक तरह का द्वंद्व है वजसके कारण नया उन्द्हें कभी-कभी खींचता है पर पुराना
छो़िता नहीं, इसवलए उन्द्हें सहानुभूवत के साथ देखने की जरूरत है। यद्यवप िे वसद्धांतिादी हैं तथावप व्यािहाररक पक्ष भी उन्द्हें अच्छी तरह मालूम है। लेक्रकन
वसद्धांत और व्यिहार के इस द्वंद्व में यिोधर बाबू कु छ भी वनणाय लेने में असमथा हैं। उन्द्हें कई बार तो पत्नी और बच्चों का व्यिहार अच्छा लगता है तो कभी अपने
वसद्धांत। इस द्वंद्व के साथ जीने के वलए मजबूर हैं। उनका दफ्तरी जीिन जहााँ वसद्धांतिादी है िहीं पाररिाररक जीिन व्यिहारिादी। दोनों में सामंजस्य वबठा पाना
उनके वलए लगभग असंभि है। इसवलए उन्द्हें सहानुभूवत के साथ देखने की जरूरत है।
प्रश्न 9.पीढ़ी का अंतराल क्रकस तरह हमारे जीिन को प्रभावित कर रहा है? स्पि करें ।
उर्त्र: पीढ़ी का अंतराल आने से विचार नहीं वमलते। युिा लोग पुराने विचारों को ढकोसला, मात्र परं परा और दक्रकयानूसी मानते हैं। नयी पीढी पुराने विचारों को
पूरी तरह त्यागना चाहती है , इसीवलए पुराने विचार रखने िाले और कहने िाले उन्द्हें पसंद नहीं आते हैं। विचारों के इस मतभेद ने मध्यिगीय जीिन को बहुत
प्रभावित क्रकया है। पािात्य संस्कृ वत के कारण संयुक्त पररिार टूटते जा रहे हैं और िैचाररक मतभेद बढ़ता जा रहा है | यिोधर पंत का जीिन इसी पीढ़ी अंतराल ने
प्रभावित क्रकया है। अपने बच्चों के विचारों को िे अपना नहीं सकते और अपने विचारों को िे छो़ि नहीं सकते। अपनाने और छो़िने की इस दुविधा भरी वस्थवत में
यिोधर बाबू सपररिार होते हुए भी स्ियं को अके ला पाते हैं।
प्रश्न 10.आज पाररिाररक संबंध आर्थाक संबंधों पर ज्यादा वनभार रहते हैं, स्पि करें ।
उर्त्र: आधुवनक युग में आज संबंधों का मानक आधार आर्थाक वस्थवत बन गई है। आज पाररिाररक संबंध तभी तक सही रहते हैं जब तक आर्थाक वस्थवत बेहतर
हो। यिोधर पंत की पाररिाररक वस्थवत इसी अथा पर वनभार करती है। उनका ब़िा बेटा भूषण एक विज्ञापन एजेंसी में पंद्रह सौ रुपये मावसक की नौकरी करता है
परन्द्तु िह अपना िेतन अपने वपता को न देकर स्ियं ही रखता है यहीं बात यिोधर बाबू को भी अच्छी नहीं लगती | िहीं उनके बच्चे अपने गरीब ररश्तेदारों से कोई
स्बन्द्ध नहीं रखना चाहते है यिोधर बाबू के द्वारा अपनी बवहन ि् जीजा की मदद करने पर भी उनके बच्चे नाराज रहते हैं |

150
प्रश्न 11.यिोधर पंत ने भविष्य के बारे में कभी नहीं सोचा, के िल ितामान के बारे में ही हचंता की। क्यों ?
उर्त्र: वसद्धांतिादी लोग अक्सर भविष्य की कोई क्रफक्र नहीं करते हैं िे तो बस ितामान को ही सब कु छ मानते हैं। यिोधर पंत भी ऐसे ही व्यवक्त हैं। उन्द्होंने अपनी
पत्नी और बच्चों के इस आग्रह को कई बार ठु कराया क्रक कोई मकान मोल क्यों न ले वलया जाए। ररटायर होने के बाद तो सरकारी क्वाटार छो़िना प़िेगा, लेक्रकन इस
बात को यिोधर बाबू ने कभी समझने का प्रयत्न ही नहीं क्रकया। सदा यही कहते रहे क्रक जो होगा देखा जाएगा। यिोधर बाबू ने तो क्रकिनदा की एक बात को गााँठ
बााँध वलया है क्रक मूखा लोग मकान बनाते हैं और समझदार लोग उसमें रहते हैं। इसवलए ितामान में जीने िाले यिोधर पंत भविष्य की हचंता नहीं करते हैं |
प्रश्न .12 यिोधर बाबू क्रकिनदा की क्रकन परं पराओं को अभी तक वनभा रहे हैं?
उर्त्र: यिोधर बाबू क्रकिनदा के भक्त हैं। िे उनके विचारों का अनुसरण करते हैं, जो वनम्नवलवखत हैं
(क) उन्द्होंने कभी मकान नहीं वलया क्योंक्रक क्रकिनदा ने कहा क्रक मूखा मकान बनाते हैं, समझदार उसमें रहते हैं।
(ख) उन्द्होंने कभी अपने वसद्धांतों को नहीं छो़िा।
(ग) उन्द्हें हर नई चीज़ में कमी नज़र आती थी।
(घ) िे क्रकिनदा की उस बात को मानते हैं क्रक जिानी में व्यवक्त गलवतयााँ करता है, परंतु बाद में समझदार हो जाता है।
(ङ) िे ‘जन्द्यो पुन्द्यू’ के क्रदन सब कु माउाँ वनयों को जनेऊ बदलने के वलए अपने घर बुलाते थे, होली गिाते थे तथा रामलीला की तालीम के वलए क्वाटार का एक कमरा
देते थे।
प्रश्न 13.कहानी के आधार पर वसद्ध कीवजए क्रक यिोधर बाबू का व्यवक्तत्ि क्रकिनदा के पूणा प्रभाि में विकवसत हुआ था।
अथिा
‘वसल्िर िैहर्ंग’ के आधार पर बताइए क्रक यिोधर बाबू क्रकिनदा को अपना आदिा क्यों मानते थे?
उर्त्र: ‘वसल्िर िैहर्ंग’ कहानी में यिोधर बाबू क्रकिनदा के मानस पुत्र लगते हैं। उनका व्यवक्तत्ि क्रकिनदा की प्रवतच्छया है। कम उम्र में यिोधर बाबू पहा़ि से
क्रदल्ली आ गए थे तब क्रकिनदा ने ही उन्द्हें आश्रय क्रदया था। उन्द्हें सरकारी विभाग में नौकरी क्रदलिाई। इस तरह जीिन में महत्त्िपूणा योगदान करने िाले व्यवक्त से
प्रभावित होना स्िाभाविक है। क्रकिनदा की वनम्नवलवखत आदतों का यिोधर बाबू ने जीिन भर वनिााह क्रकया-
• ऑक्रफस में सहयोवगयों के साथ संबंध
• सुबह सैर करने की आदत
• पहनने-ओढ़ने का तरीका
• क्रकराए के मकान में रहना
• आदिा बातें करना
• क्रकसी बात को कहकर मुसकराना
• सेिावनिृवर्त् के बाद गााँि जाने की बात कहना आक्रद
यिोधर बाबू ने रामलीला करिाना आक्रद भी क्रकिनदा से ही सीखा। िे अंत तक अपने वसद्धांतों को अपनाए रहे। क्रकिनदा के उर्त्रावधकारी होते हुए भी उन्द्होंने
पररिार नामक संस्था को बनाया।

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प्रश्न 14. यिोधर पंत की पीढ़ी की विििता यह है क्रक िे पुराने को अच्छा समझते हैं और ितामान से तालमेल नहीं वबठा पाते। ‘वसल्िर िैहर्ंग’ कहानी के आधार
पर इस कथन की सोदाहरण समीक्षा कीवजए।
अथिा
‘वसल्िर िैहर्ंग’ का प्रधान पात्र ितामान में रहता है, ककं तु अतीत में जीता है। भविष्य के साथ कदम वमलाने में असमथा रहता है। – उपयुाक्त कथन के आलोक में
यिोधर बाबू के अंतद्वान्द्द्व पर सोदाहरण प्रकाि र्ावलए।
उर्त्र: ‘वसल्िर िैहर्ंग’ का प्रधान पात्र यिोधर बाबू है। िह रहता तो ितामान में हैं, परं तु जीता अतीत में है। िह अतीत को आदिा मानता है। यिोधर बाबू को
पुरानी जीिन िैली, विचार आक्रद अच्छे लगते हैं, िे उसका स्िप्न हैं। परं तु ितामान जीिन में िे अप्रासंवगक प्रतीत होते हैं। कहानी में यिोधर बाबू का पररिार नए
ज़माने की सोच का है। िे प्रगवत के नए आयाम छू ना चाहते हैं। उनका रहन-सहन, जीने का तरीका, मूल्यबोध, संयक्त
ु पररिार के कटु अनुभि, सामूवहकता का
अभाि आक्रद सब नए ज़माने की देन है। यिोधर को यह सब ‘समहाऊ इ्प्रापर’ लगता है। उन्द्हें हर नई चीज़ में कमी नजर आती है। िे नए जमाने के साथ तालमेल
नहीं बना पा रहे। िे अवधकांि बदलािों से असंतुि हैं। िे बच्चों की तरक्की पर खुलकर प्रवतक्रक्रया नहीं दे पाते। यहााँ तक क्रक उन्द्हें बेटे भूषण के अच्छे िेतन में गलती
नजर आती है। दरअसल यिोधर बाबू अपने समय से आगे वनकल नहीं पाए। उन्द्हें लगता है क्रक उनके जमाने की सभी बातें आज भी िैसी ही होनी चावहए। यह
संभि नहीं है। इस तरह के रूक्रढ़िादी व्यवक्त समाज के हाविए पर चले जाते हैं।
प्रश्न 15. यिोधर के स्िभाि को ‘वसल्िर िैहर्ंग’ पाठ के आधार पर बताइए।
अथिा
‘वसल्िर िैहर्ंग’ कहानी के आधार पर यिोधर बाबू के स्िभाि की ककं हीं तीन वििेषताओं पर प्रकाि र्ावलए।
अथिा
यिोधर पंत की क्रकन्द्हीं तीन चाररत्रगत वििेषताएाँ सोदाहरण बताइए।
उर्त्र:
यिोधर पंत गृह मंत्रालय में सेक्िन अफ़सर हैं। िह पहा़ि से क्रदल्ली आए थे और यहााँ क्रकिनदा के घर रहे। यिोधर बाबू पर क्रकिन दा के विचारों का असर था ,
वजसके आधार पर यिोधर बाबू के चररत्र की वनम्नवलवखत वििेषताएाँ प्रकट होती हैं -
1.भौवतक सुख के विरोधी – यिोधर बाबू भौवतक संसाधनों के घोर विरोधी थे। उन्द्हें घर या दफ्तर में पाटी करना पसंद नहीं था। िे पैदल चलते थे या साइक्रकल
पर चलते थे। के क काटना, बाल काले करना, मेकअप, धन संग्रह आक्रद उन्द्हें पसंद नहीं था ।
2. असंतुि वपता – यिोधर जी एक असंतुि वपता भी थे। अपने बच्चों के विचारों से सहमत नहीं थे। बेटी के पहनािे को िे सही नहीं मानते थे। उन्द्हें बच्चों की प्रगवत
से भी ईष्याा थी। बेटे उनसे क्रकसी बात में सलाह नहीं लेते थे क्योंक्रक उन्द्हें सब कु छ गलत नज़र आता था।
3. परं परािादी – यिोधर बाबू परं परा का वनिााह करते थे। उन्द्हें सामावजक ररश्ते वनबाहने में आनंद आता था। िे अपनी बहन को वनयवमत तौर पर पैसा भेजते थे।
िे रामलीला आक्रद का आयोजन करिाते थे।
4.अपररितानिील – यिोधर बाबू आदिो से वचपके रहे। िे समय के अनुसार अपने विचारों में पररितान नहीं ला सके । िे रूक्रढ़िादी थे। िे सेक्िन अफ़सर होते हुए
भी साइक्रकल से दफ्तर जाते थे।
प्रश्न 16.यिोधर बाबू क्रकन जीिन-मूल्यों को थामे बैठे हैं? नई पीढ़ी उन्द्हें प्रासंवगक क्यों नहीं मानती? तका स्मत उर्त्र दीवजए।

152
अथिा
‘वसल्िर िैहर्ंग’ कहानी के पात्र क्रकिनदा के उन जीिन-मूल्यों की चचाा कीवजए जो यिोधर बाबू की सोच में आजीिन बने रहे।
अथिा
‘वसल्िर िैहर्ंग’ के आधार पर उन जीिन-मूल्यों पर विचार कीवजए जो यिोधर बाबू को क्रकिनदा से उर्त्रावधकार में वमले थे। आप उनमें से क्रकन्द्हें अपनाना
चाहेंग?

उर्त्र: ‘वसल्िर िैहर्ंग’ कहानी में लेखक ने दो पीक्रढ़यों के अंतराल को बताया है। यिोधर बाबू पुरानी पीढ़ी का प्रवतवनवधत्ि करते हैं, जबक्रक उनकी पत्नी, बच्चे ि
सहयोगी नई पीढ़ी का। यिोधर बाबू वनम्नवलवखत जीिनमूल्यों को थामे हुए हैं
1.सादगी – यिोधर बाबू सादगीपूणा जीिन जीते थे। आधुवनक िस्तुएाँ उन्द्हें पसंद नहीं थी। िे साइक्रकल पर दफ्तर जाते थे तथा फटा पुलोिर पहनकर दूध लाते थे।
2.परं पराओं से लगाि – उनका अपनी संस्कृ वत से लगाि था। िे होली जैसे त्योहार पर कायाक्रम करिाते थे।
3.सामूवहकता – यिोधर बाबू अपनी उन्नवत के साथ-साथ ररश्तेदारों, सावथयों की उन्नवत के बारे में भी हचंवतत रहते थे।
4.त्याग की भािना – यिोधर पंत में त्याग की भािना थी। उन्द्होंने कभी संग्रह की भािना नहीं अपनाई।
नई पीढ़ी यिोधर पंत के जीिन-मूल्यों को अप्रासंवगक मानती है। उनका लक्ष्य वसफा धन कमाना है। िे भौवतक चकाचौंध को ही सब कु छ मानते हैं। इसके अलािा,
सामूवहक या संयुक्त पररिार के कि उन्द्होंने अनुभि क्रकए हैं। उन्द्हें व्यवक्तगत उन्नवत के अिसर नहीं वमलते थे। इन सभी कारणों से नई पीढ़ी पुराने मूल्यों को स्िीकार
नहीं करती।
प्रश्न 17.‘वसल्िर िैहर्ंग’ ितामान युग में बदलते जीिन-मूल्यों की कहानी है। सोदाहरण स्पि कीवजए।
उर्त्र: ‘वसल्िर िैहर्ंग’ कहानी ितामान युग में बदलते जीिन-मूल्यों की कहानी है। इस कहानी में यिोधर पंत प्राचीन मूल्यों के समथाक हैं। उनके विपरीत उनकी
संतान नए युग का प्रवतवनवधत्ि करती है। दोनों पीक्रढ़यों के अपने-अपने जीिन मूल्य हैं। भूषण ि यिोधर की बेटी ितामान समय के बदलते जीिन-मूल्यों की झलक
क्रदखलाते हैं। नई पीढ़ी जन्द्म-क्रदन, सालवगरह आक्रद पर के क काटने में विश्वास रखती है। नई पीढ़ी तेज़ी से आगे बढ़ना चाहती है। इसके वलए िे परं परागत व्यिस्था
को छो़िने में भी संकोच नहीं करते।
यिोधर सादगी का जीिन जीना चाहते हैं। संग्रह िृवर्त्, भौवतक चकाचौंध से दूर, िे आत्मीयता, सामूवहकता के बोध से युक्त हैं। इन सबके कारण िे भौवतक
संसाधन नहीं एकत्र कर पाते । फलतः िे घर में ही अप्रासांवगक हो जाते हैं। उनकी पत्नी बाहरी आिरण को बदल पाती है, परं तु मूल संस्कारों को नहीं छो़ि पाती।
बच्चों की हठ के स्मुख िह मॉर्ना बन जाती है। समय पररितानिील होता है। जीिन-मूल्य भी अपने रूप को बदल लेते हैं।
प्रश्न 18. ‘वसल्िर िैहर्ंग’ कहानी में आधुवनक पाररिाररक मूल्यों के विघटन का यथाथा वचत्रण है। उदाहरण देते हुए इस कथन का वििेचन करें ।
उर्त्र: ‘वसल्िर िैहर्ंग’ कहानी में आधुवनक पाररिाररक मूल्यों के विघटन का यथाथापरक वचत्रण है। यिोधरबाबू के पररिार में उनके बेटे, बेटी ि पत्नी हैं। ये सभी
आधुवनक विचारों के समथाक हैं। उन्द्हें यिोधरबाबू के आदिा ि मूल्य अप्रांसवगक नज़र आते हैं। ब़िा बेटा भूषण एक प्राइिेट कं पनी में अच्छा िेतन पाता है। दूसरा
बेटा आई०ए०एस० की तैयारी कर रहा है। तीसरा बेटा छात्रिृवर्त् लेकर अमेररका गया। बेटी अपनी मजी से िादी करना चाहती है। पत्नी अपने पुराने किों के वलए
पवत को वज्मेदार मानती है। नयी पीढ़ी मौज-मस्ती में विश्वास रखती है। ये भौवतक संसाधनों को ही जीिन का अंवतम सत्य मानते हैं। दूसरी तरफ यिोधर बाबू

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रामलीला करिाने, ररश्तेदारों के मोह, सादगीपूणा जीिन, आक्रद मूल्यों में विश्वास रखते हैं। कई जगह िे संतान की प्रगवत से ही ईष्याा करते हुए क्रदखाई देते हैं। इन
सब कारणों से पररिार उन्द्हें कोई तिज्जो नहीं देता। इस प्रकार पररिार में तनाि होता है। पाररिाररक मूल्य विघरटत होते जाते हैं।
प्रश्न 19.‘यिोधर बाबू एक आदिा व्यवक्तत्ि हैं और नई पीढ़ी द्वारा उनके विचारों को अपनाना ही उवचत है।’-इस कथन के पक्ष-विपक्ष में अपने विचार प्रस्तुत
कीवजए।
उर्त्र: यिोधर बाबू अपने जीिनदिान के कारण पुरानी परं परा के व्यवक्त नज़र आते हैं। िे जीिनभर अपने वसद्धांतों का पालन करते रहे। उनके व्यवक्तत्ि पर
क्रकिनदा का प्रभाि रहा। यिोधर बाबू ने अपने पद के वहसाब से जीिन जीया। िे सहकर्मायों के साथ मधुर संबंध भी रखते थे। िे सामावजक व्यवक्त थे। नौकरी में
होने के बािजूद िे संयुक्त पररिार को मानते थे। िे सामावजक ररश्तों को वनभाते थे। िे अपनी बहन को वनयवमत तौर पर पैसा भेजते हैं। बीमार जीजा को देखने
जाने के बारे में सोचते हैं। यिोधर बाबू भारतीय संस्कारों को भी अपनाते हैं।
िे अपने घर में कु माऊाँनी परंपरा से संबंवधत आयोजन सालों-साल तक करिाते रहे। उनकी इच्छा थी क्रक समाज में उन्द्हें स्मावनत व्यवक्त समझा जाए। िे भौवतक
चकाचौंध को गलत समझते थे। उन्द्हें अपने बच्चों की प्रगवत अच्छी लगती थी, परं तु उनका िैचाररक दायरा बहुत ब़िा नहीं था। िे अपनी आमदनी के अनुरूप खचा
करना चाहते थे। इन गुणों से उन्द्हें आदिा व्यवक्तत्ि माना जा सकता है। नई पीढ़ी को उनके जीिन के प्रमुख तत्िों को आत्मसात करना चावहए।
प्रश्न 20.‘यिोधर बाबू चाहते हैं क्रक उन्द्हें समाज का स्मावनत बुजुगा माना जाए, लेक्रकन जब समाज ही न हो तो यह पद उन्द्हें क्यों कर वमले?’ यिोधर बाबू का
ऐसा चाहना क्या उवचत है? उनकी यह सोच आपको कहााँ तक अपील करती है?
उर्त्र: यिोधर बाबू ने सारी उम्र समाज की परं पराओं का वनिााह क्रकया। आदिा जीिन को जीया। व्यवक्तगत सुखों को वतलांजवल दी थी। यिोधर की स्ियं को
स्मावनत करिाने की चाह उवचत ही है , परं तु आज समाज बदल गया है।
पुरानी पद्धवत पर जीिन जीने िाले अप्रासंवगक माने जाने लगे हैं। आदिा व्यिहार आधुवनक जीिन की कसौटी पर असफल हो रहे हैं । ऐसे माहौल में यिोधरबाबू
जैसे व्यवक्तयों की इच्छा धारािायी हो जाती है। ये लोग समयानुसार अपने में बदलाि नहीं कर पाते और घर में ही अके ले रह जाते हैं।
जूझ – आनंद यादि
प्रश्न 1. जूझ’ िीषाक के औवचत्य पर विचार करते हुए यह स्पि करें क्रक क्या यह िीषाक कथा नायक की क्रकसी कें द्रीय चाररवत्रक वििेषता को उजागर करता है?
उर्त्र: िीषाक क्रकसी भी रचना के मुख्य भाि को व्यक्त करता है। इस पाठ का िीषाक ‘जूझ’ पूरे अध्याय में व्याप्त है।
‘जूझ’ का अथा है-संघषा। इसमें कथा नायक आनंद ने पाठिाला जाने के वलए संघषा क्रकया। इस पाठ में लेखक द्वारा भोगे हुए ग्रामीण जीिन के खुरदरे यथाथा ि
पररिेि को विश्वसनीय ढंग से व्यक्त क्रकया गया है। इसके अवतररक्त, आनंद की मााँ भी अपने स्तर पर संघषा करती क्रदखाई देती है | लेखक की पढ़ाई के संघषा में
उसकी मााँ, देसाई सरकार, मराठी ि गवणत के अध्यापक ने सहयोग क्रदया। इसवलए यह िीषाक सिाथा उपयुक्त है। प्रस्तुत कहानी कथानायक की संघषािील प्रिृवर्त्
को उजागर करती है। लेखक के वपता द्वारा उसे पाठिाला जाने से मना कर देने के बािजूद उसकी मााँ और दर्त्ा सरकार द्वारा उसका पढ़ने में साथ देना | पढ़ाई
जारी करने ि आगे बढ़ने के वलए िह हर करठन िता मानता है। पाठिाला में भी िह नए माहौल में ढलने, कविता रचने आक्रद के वलए संघषा करता है। इस प्रकार
यह िीषाक कथा-नायक की संघषािील प्रिृवत को उजागर करता है।
प्रश्न 2. स्ियं कविता रच लेने का आत्मविश्वास लेखक के मन में कै से पैदा हुआ ?
उर्त्र: लेखक को मराठी अध्यापक सौन्द्दलगेकर कविता बहुत ही अच्छे ढंग से पढ़ाते थे | सुरीला गला ,रवसकता ि छंद की लय ,गवत,ताल आक्रद का बक्रढ़या का
ज्ञान था उन्द्हें | िे प्रत्येक कविता को गाकर सुनाते थे और अवभनय के साथ कविता का भािाथा समझाते थे , लेखक को भी इसमें बहुत आनंद आता था और िह

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अपनी आाँखों और कानों में प्राणों की सारी िवक्त लगाकर मास्टर की कविता का रस पीता रहता और कवि के मन में भी मास्टर की तरह कवितायें रचने की रूवच
जाग्रत होने लगी और अब िह सुबह -िाम खेत पर पानी लगाते हुए एिं ढोर चराते हुए तुकबवन्द्दयााँ करने लगा और मास्टर के हाि-भाि, आरोह – अिरोह,
अवभनय के अनुसार कविता रचने का अभ्यास करने लगा | अपने द्वारा वलखी कविताओं को िह मराठी अध्यापक को क्रदखाता था और िे उसकी कवमयों को दूर कर
सुधार हेतु प्रेररत करते थे |
प्रश्न :3 श्री सौंदलगेकर के अध्यापन की उन वििेषताओं को रे खांक्रकत करें वजन्द्होंने कविताओं के प्रवत लेखक के मन में रुवच जगाई ?
उर्त्र: श्री सौंदलगेकर मराठी के अध्यापक थे। सुरीला गला ,रवसकता ि छंदों के सही ज्ञान के साथ-साथ, लय-ताल, आरोह –अिरोह का भी उन्द्हें उवचत ज्ञान था
िे पढ़ाते समय स्ियं में ही रम जाते थे, उनका कविता पढ़ाने का अंदाज बहुत अच्छा था। िे कविता का सस्िर िाचन करते हुए उवचत हाि–भाि ि अवभनय के
साथ भािाथा ग्रहण करिाते थे वजससे कविताएाँ रचने के प्रवत लेखक के मन में भी रुवच उत्पन्न हुई |
प्रश्न 4. कविता के प्रवत लगाि से पहले और उसके बाद अके लेपन के प्रवत लेखक की धारणा में क्या बदलाि आया?
उर्त्र: लेखक का मानना है क्रक कविताओं के साथ खेलते हुए मुझे दो ब़िी िवक्तयााँ प्राप्त हुई -पहले ढोर चराते हुए, खेतों में पानी लगाते हुए, दूसरे काम करते हुए
अके लापन बहुत खटकता था | मन करता था क्रक कोई हमेिा गप-िप करने िाला ि हाँसी मज़ाक करने िाला साथ में होना चावहए परन्द्तु जब से लेखक कविताओं
की रचना करने लगा तब से उसे अके लेपन से कोई ऊब नहीं होती बवल्क अके ले में ऊाँची आिाज में कविता अच्छे से गाई जा सकती है | और कविता का क्रकसी भी
तरह अवभनय क्रकया जा सकता है और थुई -थुई करके नाचा जा सकता है |
प्रश्न 5.जूझ’ उपन्द्यास में लेखक ने क्या संदि
े क्रदया है? क्या लेखक अपने उद्देश्य में सफल रहा है?
उर्त्र- इस उपन्द्यास के माध्यम से लेखक ने यही संदि
े देना चाहा है क्रक व्यवक्त को संघषों से जूझते रहना चावहए। समस्याएाँ तो जीिन में आती-जाती रहती हैं। इन
समस्याओं से भागना नहीं चावहए बवल्क इनका र्टकर मुकाबला करना चावहए। इसके वलए आत्मविश्वास का होना जरूरी है। वबना आत्मविश्वास के व्यवक्त संघषा
नहीं कर सकता। संघषा करना तो मानि की वनयवत है। प्रत्येक व्यवक्त क्रकसी न क्रकसी रूप में जीिनभर संघषा करता है। यक्रद संघषा नहीं क्रकया तो मानि जीिन
एकाकी एिं नीरस बन जाएगा। इन संघषों से जूझ कर व्यवक्त सफलता के ऊाँचे विखर पर पहुाँच सकता है। लेखक का जीिन भी बहुत संघषािील रहा है। इन संघषों
से जूझकर ही लेखक ने जीिन के उद्देश्य को प्राप्त क्रकया। इस तरह हम कह सकते हैं क्रक लेखक अपना उद्देश्य प्राप्त करने में सफल रहा है।
प्रश्न 6.‘जूझ’ उपन्द्यास की संिाद योजना की समीक्षा करें ।
उर्त्र- जूझ उपन्द्यास के संिाद रोचक, मार्माक, छोटे, पात्रानुकूल ि प्रभाििाली हैं। यहााँ पर उनकी संिाद योजना पात्रों की चाररवत्रक वििेषताएाँ भी प्रस्तुत करती
हैं। इस उपन्द्यास के सभी पात्र अपने स्तर और वस्थवत के अनुसार संिाद बोलते हैं एिं सभी संिाद पात्रों की मानवसक वस्थवत को प्रस्तुत करते हैं। छोटे संिाद अवधक
प्रभाििाली हैं, जैसे- टेबल पर मटमैला गमछा देखकर उन्द्होंने पूछा “क्रकसका है रे ?” “मेरा है मास्टर।” “तू कौन है?” “मैं जकाते। वपछले साल फे ल होकर इसी कक्षा
में बैठा हाँ।” अत: हम कह सकते हैं क्रक संिाद योजना की दृवि से यह उपन्द्यास प्रभाििाली रहा है।
प्रश्न 7. क्रकस घटना से पता चलता है क्रक लेखक की मााँ उसके मन की पी़िा समझ रही थी? ‘जूझ’ कहानी के आधार पर बताइए।
उर्त्र- लेखक के वपता उससे खेत का काम ि पिु चराने का काम करिाना चाहते थे इसवलए उसके वपता ने लेखक की पढ़ाई छु ़ििा दी। इस बात से लेखक बहुत
परे िान रहता था, परन्द्तु लेखक की इच्छा पढ़ाई जारी रखने की थी । िह स्ियं वपता को समझाने में असमथा था | उसका मन क्रदन-रात पढ़ाई जारी रखने की
योजनाएाँ बनाता रहता था। इसी योजनानुसार लेखक ने अपनी मााँ से दर्त्ाजी राि सरकार के घर चलकर उनकी सहायता से अपने वपता को विद्यालय भेजने हेतु
राजी करने की बात कही। मााँ लेखक के मन की बात समझकर तुरंत दर्त्ाजी राि से जाकर बात करती है और अपने पवत से इस बात को वछपाने का आग्रह करती
है। इस घटना से पता चलता है क्रक िह अपने बेटे के मन की पी़िा को समझती थी।

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प्रश्न 8. दर्त्ाजी राि की सहायता के वबना ‘जूझ’ कहानी का ‘मैं’ पात्र िह सब नहीं पा सकता था,जो उसे वमला। रटप्पणी कीवजए।
अथिा
कहानीकार के विवक्षत होने के संघषा में दर्त्ाजी राि देसाई के योगदान को जूझ’ कहानी के आधार पर स्पि कीवजए।
उर्त्र- लेखक के वपता ने स्ियं काम से बचने के वलए उसका स्कू ल जाना बंद कर क्रदया। मााँ द्वारा बेटे को विद्यालय भेजने के सभी प्रयास जब असफल हो गए तब
उनके गााँि में दर्त्ा साहब जो की उस गााँि के सिाावधक प्रभाििाली व्यवक्त थे। लेखक का वपता भी उनका दबाि मानता था। मााँ-बेटे ने एक झूठ के सहारे दर्त्ाजी
राि से लेखक को विद्यालय भेजने की सहायता मााँगी। दर्त्ाजी राि ने वपता को खूब र्ााँट लगाई तथा उनके कहने पर लेखक का वपता उसे पढ़ाने के वलए तैयार हो
जाता है। पाठिाला में लेखक अन्द्य बच्चों के संपका में आकर पढ़ने लगता है और क्रदन-रात मेहनत करके कविताओं की रचना करने लगता है। इस प्रकार दर्त्ा जी राि
लेखक के जीिन में ब़िा बदलाि लेकर आए। उनके वबना लेखक की पढ़ाई नहीं हो सकती थी और िह आज हमारे समक्ष एक लेखक के रूप में कभी भी नहीं आ
सकता था िह आजीिन खेती के काया में ही लगा रहता ।
प्रश्न 9.जूझ’ कहानी में आपको क्रकस पात्र ने सबसे अवधक प्रभावित क्रकया और क्यों? उसकी ककं हीं चार चाररवत्रक वििेषताओं पर प्रकाि र्ावलए।
उर्त्र: ‘जूझ’ कहानी में दर्त्ा जी राि देसाई एक प्रभाििाली चररत्र के रूप में हैं। िे आम लोगों के कि दूर करने की कोविि भी करते हैं। उनके चररत्र की
वनम्नवलवखत वििेषताएाँ हैं
1. तका िील – दर्त्ा राि लेखक की पढ़ाई के संबंध में िे लेखक के वपता से तका करते हैं। वजसके कारण िह उसे पढ़ाने की मंजूरी देता है।
2. मददगार – िे जरुरत होने पर लेखक की पढ़ाई का खचा भी उठाने को तैयार हो जाते हैं।
3. प्रेरक - दर्त्ा राि अच्छे कायों के वलए दूसरों को प्रोत्सावहत भी करते हैं। इसी की प्रेरणा से लेखक का वपता बेटे को पढ़ाने को तैयार होता है।
4. समझदार – िे लेखक के वपता को बुलाकर उसे समझाते हैं क्रक िह बेटे की पढ़ाई करिाए। िह मााँ-बेटे की बात को भी गुप्त ही रखते हैं।
प्रश्न 10. ‘जूझ’ कहानी में वपता को मनाने के वलए मााँ और दर्त्ाजी राि की सहायता से एक चाल चली गई है। क्या ऐसा कहना ठीक है? क्यों ?
उर्त्र: लेखक का मन भी अन्द्य विद्यार्थायों को पाठिाला जाते देखकर त़िपता था। परन्द्तु लेखक की मााँ ि् लेखक के बार -बार समझाने पर भी जब लेखक के वपता
उसे विद्यालय भेजने के वलए तैयार नहीं होते,तब िे एक चाल चलते हैं और दर्त्ा राि सरकार से लेखक के वपता की विकायत करते हैं तब दर्त्ाजी राि ने लेखक के
वपता को बुलाकर बेटे की पढ़ाई के संबंध में र्ााँट लगाई तथा उसे स्कू ल भेजने का आदेि क्रदया। इस तरह लेखक का स्कू ल जाना झूठ के जररए हुआ। नैवतकता की
दृवि से यह झूठ गलत था, परं तु जो झूठ कल्याणकारी हो, िह झूठ भी सही माना जाता है लेखक की पढ़ाई इस झूठ के वबना नहीं हो सकती थी। आज यह कहानी
हमें संघषा करने की प्रेरणा देती है। इस तरह झूठ का सहारा लेने से लेखक के जीिन ि सपनों का विकास होता है वजसके आधार पर नए सृजन समाज के समक्ष आते
हैं।
प्रश्न 11. ‘जूझ’ कहानी प्रवतकू ल पररवस्थवतयों के बीच संघषा की कहानी है। वसद्ध कीवजए|
उर्त्र: यह कहानी एक क्रकिोर के देखे और भोगे गए ग्रा्य जीिन के यथाथा की गाथा है। इस कहानी में एक क्रकिोर का मन पाठिाला जाने के वलए त़िपता था
परन्द्तु वपता के तानािाही रिैये के कारण उसे खेती में लगना प़िा,िह पररवस्थवतयों से जूझता है। कथा-नायक विक्षा प्राप्त करने के वलए कई स्तर पर जूझता है
पहले िह विद्यालय जाने के वलए अपने वपता से संघषा करता है, इसके बाद स्कू ल में भी उसे पढ़ाई के वलए जूझना प़िता है। आर्थाक समस्या का भी सामना करना
प़िता है। इन सब संघषों के बािजूद िह अपनी पढ़ाई जारी रखता है। िह कविताओं की रचना करने लगा | लेखक ने आत्मकथा में अपने जीिन संघषा को ही व्यक्त
क्रकया है। यह कहानी प्रवतकू ल पररवस्थवतयों में संघषा की कहानी है। कथानायक को अंत में अपने संघषा में सफलता भी वमलती है।
प्रश्न 12.‘जूझ’ कहानी आधुवनक क्रकिोर-क्रकिोररयों को क्रकन जीिन-मूल्यों की प्रेरणा दे सकती है? सोदाहरण स्पि कीवजए।

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उर्त्र: ‘जूझ’ कहानी में क्रकिोर युिक के संघषा को व्यक्त क्रकया गया है। यह संघषा आधुवनक युिाओं को प्रेरणा दे सकता है जो वनम्नवलवखत हैं
1. दूरदर्िाता – कहानी का नायक ‘आनंदा’ दूरदिी है। िह क्रकिोर अिस्था में ही पढ़ाई के महत्त्ि को समझ गया था। उसे मालूम था क्रक खेती में क्रदन-रात
मेहनत करने के बािजूद भी ज्यादा आमदनी नहीं है। िह नौकरी या व्यिसाय का महत्त्ि समझ गया था।
2. मेहनती – आनंदा खेत में कठोर मेहनत करता था तथा पढ़ाई में भी िह अव्िल था।
3. संघषािीलता – आजकल के युिा वबना संघषा के ही सफलता प्राप्त करना चाहते हैं। आनंदा ने पढ़ाई, खेती, स्कू ल, समाज हर जगह प्रवतकू ल पररवस्थवतयााँ
होते हुए भी सफलता प्राप्त की।
4. अभ्यास – आनंदा खेतों में पानी देते हुए , ढोर चराते हुए हर जगह कविता का अभ्यास करता रहता था। गवणत में भी िह ब्दोस्त की सहायता से अभ्यास
करके ही बेहद होवियार हो गया था।
अतीत के दबे पााँि- ओम थानिी
प्रश्न-1: वसन्द्धु सभ्यता साधन स्पन्न थी,पर उसमें भव्यता का आर््बर नहीं था I कै से ?
उर्त्र- वसन्द्धु सभ्यता बहुत संपन्न सभ्यता थी I प्रत्येक तरह के साधन इस सभ्यता में थे I इतना होने के बाद भी इस सभ्यता में कोई क्रदखािा, बनािटीपन या
आर्ंबर नहीं था I जो भी वनमााण इस सभ्यता के लोगों ने क्रकया िह सुवनयोवजत और मनोहारी था। वनमााण िैली असाधारण होने के बाद भी क्रदखािे से कोसो दूर
थी। इसीवलए हसंधु सभ्यता में भव्यता थी, भव्यता का आर्ंबर नहीं।
प्रश्न 2: "हसंधु सभ्यता की खूबी उसका सौंदयाबोध है जो राज-पोवषत या धमा-पोवषत न होकर समाज-पोवषत था। ऐसा क्यों कहा गया?
अथिा
हसंधु सभ्यता का सौंदया बोध समाज-पोवषत था। अतीत में दबे पााँि पाठ के आधार पर स्पि कीवजए।
अथिा
हसंधु घाटी के लोगों में कला या सुरुवच का महत्ि अवधक था | उदाहरण देकर स्पि कीवजए।
उर्त्र- हसंधु घाटी सभ्यता के लोगों में कला या सुरूवच का महत्ि अवधक था। यहााँ प्राप्त नगर-वनयोजन, धातु ि पत्थर की मूर्तायााँ, मृदभांर्, उन पर वचवत्रत मनुष्य,
िनस्पवत ि पिु-पवक्षयों की छवियााँ, सुवनर्मात मुहरें , वखलौने, आभूषण तथा सुघ़ि अक्षरों का वलवपरूप आक्रद सब कु छ इसे तकनीकी वसद्ध से अवधक कला वसद्ध
जावहर करता है। यहााँ से कोई हवथयार नहीं वमला। इस बात को लेकर विद्वानों का मानना है क्रक यहााँ अनुिासन जरूर था, परं तु सैन्द्य सर्त्ा का नहीं। यहााँ पर
धमातंत्र या राजतंत्र की ताकत का प्रदिान करने िाली िस्तुएाँ- महल, उपासना स्थल आक्रद नहीं वमलती। यहााँ आम आदमी के काम आने िाली चीजों को सलीके से
बनाया गया है। इन सारी चीजों से उसका सौंदयाबोध उभरता है। इसी आधार पर कहा जाता है क्रक हसंधु सभ्यता का सौंदया - बोध समाज-पोवषत था।
प्रश्न 3: पुरातत्ि के क्रकन वचह्नों के आधार पर आप यह कह सकते हैं क्रक हसंधु सभ्यता ताकत से िावसत होने की अपेक्षा समझ से अनुिावसत सभ्यता थी I “अतीत
में दबे पााँि” के आधार पर उर्त्र दीवजए।
उर्त्र- पुरातत्ििेताओं ने जो भी खुदाई और खोज की, उसमें उन्द्हें ब़िी तादाद में इमारतें ,स़िकें ,मोहरें , वमिी के बतान, वसक्के, धातु-पत्थर की मूर्तायााँ और चकमक
और लक़िी के उपकरण वमले हैं। प्राप्त साक्ष्यों के फलस्िरूप यही बात सामने आई क्रक लोग समय के अनुरूप इन िस्तुओं का उपभोग करते थे। दूसरा उनकी नगर
योजना भी उनकी समझ का पुख्ता प्रमाण है। आज की नगर योजना भी उनकी नगर योजना के समकक्ष नहीं ठहरती। इसके साथ ही पानी वनकासी की समुवचत

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व्यिस्था, गंदे पानी की नावलयों का ढाँका होना, उनकी स्िास्थ्य के प्रवत जागरूकता को प्रकट करता है I उन्द्होंने नगरों, गवलयों, स़िकों को साफ़-सुथरा रखने की
विवध अपनाई, यहीं चीजें उनकी समझ को दिााती है ।
प्रश्न 4: यह सच है क्रक यहााँ क्रकसी आाँगन की टूटी-फू टी सीक्रढ़यााँ अब आपको कहीं नहीं ले जाती, िे आकाि की तरफ अधूरी रह जाती हैं । लेक्रकन उन अधूरे पायदानों
पर ख़िे होकर अनुभि क्रकया जा सकता है क्रक आप दुवनया की छत पर हैं, िहााँ से आप इवतहास को नहीं, उसके पार झााँक रहें हैं। इस कथन के पीछे लेखक का क्या
आिय है ?
अथिा
मुअनजोद़िो की सभ्यता पूणा विकवसत सभ्यता थी, कै से ? पाठ के आधार पर उदाहरण देकर पुि कीवजए।
उर्त्र- लेखक कहता है क्रक मुअनजोद़िो में हसंधु सभ्यता के अििेष वबखरे प़िे है। यहााँ के मकानों की सीक्रढ़यााँ उस कालखंर् तथा उससे पूिा का अहसास कराती है
जब यह सभ्यता अपने चरम पर रही होगी। इवतहास बताता है क्रक यहााँ कभी पूरी आबादी रहती थी। यह सभ्यता विश्व की प्राचीनतम सभ्यता है। यहााँ के अधूरे
पायदानों पर ख़िे होकर हम गिा महसूस कर सकते हैं क्रक वजस समय दुवनया में ज्ञान रूपी सूयोदय नहीं हुआ था, उस समय हमारे पास एक सुसस्ं कृ त ि विकवसत
सभ्यता थी। इसमें महानगर भी थे । इनको विकवसत होने में भी काफी समय लगा होगा। यह हमारे इवतहास को आाँखों के सामने प्रत्यक्ष कर देता है । उस समय का
ज्ञान, उनके द्वारा स्थावपत मानदंर् आज भी हमारे वलए अनुकरणीय है। तत्कालीन नगर-योजना को आज की नगरीय संस्कृ वत में प्रयोग क्रकया जाता है।
प्रश्न 5: “टूटे-फू टे खंर्हर, सभ्यता और संस्कृ वत के इवतहास के साथ-साथ ध़िकती हजंदवगयों के अनछु ए समय का भी दस्तािेज होते हैं।" इस कथन का भाि स्पि
कीवजए।
उर्त्र- जब कोई सभ्यता या संस्कृ वत काल के ग्रास में समा जाए तो पीछे टूटे-फू टे खंर्हर छो़ि जाती है। इन्द्हीं टूटे-फू टे खंर्हरों की खोज के आधार पर अमुक सभ्यता
और संस्कृ वत के बारे में जानने का प्रयास क्रकया जाता है। हसंधु घाटी की सभ्यता विश्व की प्राचीनतम सभ्यता थी ककं तु िह भी एक क्रदन समाप्त हो गई। अपने पीछे
छो़ि गई टूटी-फू टी इमारतों के अििेषों के आधार पर पुरातत्ििेता कहते हैं क्रक िह एक सुसंस्कृ त और विकवसत संस्कृ वत थी, उस समय का समाज उसमें रहने िाले
लोग कै से थे, इन सभी के बारे में प्राप्त खंर्हरों के अध्ययन से ही जाना जा सकता है। क्रकसी भी खंर्हर और नगर में वमले अन्द्य अििेषों और चीजों के आधार पर
उस युग के लोगों के आचार-व्यिहार,खान-पान,रहन-सहन के बारे में पता चलता है। इसवलए कहा गया है क्रक टूटे-फू टे खंर्हर सभ्यता और संस्कृ वत के इवतहास के
साथ-साथ ध़िकती हजंदवगयों के अनछु ए समय का भी दस्तािेज होते हैं।
प्रश्न 6: नदी, कु एाँ स्नानागार और बेजो़ि वनकासी व्यिस्था को देखते हुए लेखक पाठकों से प्रश्न पूछता है क्रक क्या हम हसंधु घाटी सभ्यता को जल संस्कृ वत कह सकते
हैं? आपका जिाब लेखक के पक्ष में है या विपक्ष में? अथिा
क्या हसंधु घाटी सभ्यता को जल संस्कृ वत कह सकते हैं? कारण सवहत उर्त्र दीवजए ।
उर्त्र- हसंधु घाटी सभ्यता में नदी, कु एाँ, स्नानागार ि बेजो़ि वनकासी व्यिस्था के अनुसार लेखक इसे ‘जल-संस्कृ वत’ की संज्ञा देता है। मैं लेखक की बात से पूणात:
सहमत हाँ। हसंधु-सभ्यता को जल-संस्कृ वत कहने के समथान में वनम्नवलवखत कारण हैं –
1.मुअनजो-द़िो के वनकट हसंधु नदी बहती है , यह सभ्यता नदी के क्रकनारे बसी है।
2.यह संसार की पहली ज्ञात संस्कृ वत है जो कु ओं के द्वारा भू-जल का उपयोग करती थी,यहााँ पीने के पानी के वलए लगभग सात सौ कु एाँ वमले हैं। कु एाँ पानी की
बहुतायत वसद्ध करते हैं।

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3.मुअनजो-द़िो में स्नानागार हैं। कुं र् में पानी के ररसाि को रोकने के वलए चूने और वचरा़िी के गारे का इस्तेमाल हुआ है।
4. जल-वनकासी के वलए नावलयााँ ि नाले बने हुए हैं जो पकी ईटों से बने हैं। ये ईटों से ढाँके हुए हैं। आज भी िहरों में जल-वनकासी के वलए ऐसी व्यिस्था की जाती
है।
5.मकानों में अलग-अलग स्नानागार बने हुए हैं।
प्रश्न 7: अजायबघर में रखे हसंधु सभ्यता के पुरातत्ि के अििेषों से क्रकसका महत्ि वसद्ध होता है-कला का या ताकत का?
उर्त्र -मुअनजोद़िो के अजायबघर में हसंधु सभ्यता के पुरातत्ि के अििेष रखे गए हैं। यहााँ पर काला प़ि गया गेहाँ, तााँबे और कांसे के बतान, मुहरें , िाद्ययंत्र , चाक
पर बने वििाल मृदभांर्, चौप़ि की गोरटयााँ, वमिी की बैलगा़िी, पत्थर के औजार, वमिी के कं गन आक्रद रखे गए हैं। यहााँ की चीजों को देखने से पता चलता है क्रक
यहााँ जीविकोपाजान के औजार तो हैं, पर हवथयार नहीं I समूची हसंधु सभ्यता में क्रकसी राजतंत्र के समान हवथयार नहीं वमले हैं । यहााँ पर प्रभुत्ि या क्रदखािे के
तेिर नदारद है। इससे यह पता चलता है क्रक इस सभ्यता में कला का महत्ि अवधक था, न क्रक ताकत का I
प्रश्न 8: मुअनजोद़िो की ब़िी बस्ती पर रटप्पणी कीवजए।
उर्त्र- लेखक ने बताया क्रक ब़िी बस्ती में घरों की दीिारे ऊाँची ि मोटी है। मोटी दीिार का अथा यह है क्रक उस पर ऊपर की मंवजल भी रही होगी | कु छ दीिारों में
छेद भी वमले हैं जो यही संकेत देते हैं क्रक दूसरी मंवजल को उठाने के वलए िायद िहतीरों के वलए यह जगह छो़ि दी गई होगी। सभी घर पक्की ईंटों के हैं तथा एक
ही आकार की ईंटे इन घरों में लगाई गई हैं। कहीं-कहीं नावलयों को अनगढ़ पत्थरों से ढक क्रदया है ताक्रक गंदगी न फै ले। इस प्रकार मुअनजोद़िो की ब़िी बस्ती
वनमााण कला की दृवि से संपन्न एिं कु िल थी।
प्रश्न-9: पुरातत्ििेताओं ने क्रकस को कॉलेज ऑफ प्रीस््स कहा है और क्यों?
उर्त्र- मुअनजोद़िो के महाकुं र् के उर्त्र-पूिा में एक लंबी इमारत के अििेष है। इसके बीचों -बीच खुला ब़िा दालान है। इसमें तीन तरफ बरामदे हैं। कभी इनके
साथ छोटे-छोटे कमरे रहे होंगे। पुरातत्ि के जानकार कहते हैं क्रक धार्माक अनुष्ठानों में ज्ञानिालाएाँ सटी हुई होती थी। इस नजररए से इसे 'कॉलेज ऑफ प्रीस््स'
माना जा सकता है।
प्रश्न 10: मुअनजोद़िो और चंर्ीगढ़ के नगरविल्प में क्या समानता पाई गई है?
उर्त्र - मुअनजोद़िो और चंर्ीगढ़ के नगरविल्प में महत्िपूणा समानता है। दोनों नगरों में स़िकों के दोनों ओर घर हैं, परं तु क्रकसी भी घर का दरिाजा स़िक पर
नहीं खुलता सभी के दरिाजे अंदर गवलयों में हैं। दोनों नगरों में घर जाने के वलए मुख्य स़िक से सेक्टर में जाना प़िता है, क्रफर घर की गली में प्रिेि करके घर में
पहुाँच सकते हैं।
प्रश्न 11: "मुअनजोद़िो में रं गरे ज का कारखाना भी था।" स्पि कीवजए।
उर्त्र -मुअनजोद़िो में एक ऐसा भिन वमला है वजसकी जमीन में ईटो के गोल गड्ढे उभरे हुए हैं। अनुमान है . क्रक इनमें रं गाई के ब़िे बतान रखे जाते थे। दो कतारों में
सोलह छोटे एक मंवजला मकान है। एक कतार मुख्य स़िक पर है, दूसरी पीछे की छोटी स़िक की तरफ | सबमें दो-दो कमरे हैं। यहााँ सभी घरों में स्नानघर हैं। बाहर
बस्ती में कु एाँ सामूवहक प्रयोग के वलए है। िायद ये कमाचाररयों या कामगारों के वलए रहे होंगे।
प्रश्न 12: मुअनजोद़िो को देखते-देखते लेखक को क्रकसकी याद आ गई और क्यों?

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उर्त्र मुअनजोद़िो के िीरान िहर को देखते-देखते लेखक को जैसलमेर के गााँि कु लधरा की याद आ गई। यह पीले पत्थर के घरों िाला सुंदर गााँि है। यह गााँि
काफी समय से िीरान है। कोई र्ेढ़ सौ साल पहले राजा से तकरार पर गााँि के स्िावभमानी लोग रातों- रात अपना घर छो़िकर चले गए। उस समय से मकान
खंर्हर हो गए, पर ढहे नहीं हैं । िे आज भी अपने वनिावसयों की प्रतीक्षा में ख़िे प्रतीत होते हैं।
प्रश्न 13. हसंधु सभ्यता के सबसे बर्े िहर मुअनजोद़िो की नगर योजना दिाकों को अवभभूत क्यों करती है ? स्पि कीवजए।
अथिा
मुअनजोद़िो की नगर योजना आज की सेक्टर माका कॉलोवनयों के नीरस वनयोजन की अपेक्षा ज्यादा रचनात्मक है। रटप्पणी कीवजए।
उर्त्र- मुअनजोद़िो की नगर योजना बेवमसाल है। यहााँ की स़िकें सीधी है या क्रफर आ़िी है। िहर से जु़िी हर चीज अपने स्थान पर है। मुख्य स़िक की चौ़िाई
तैतीस फु ट है। स़िक के दोनों और घर है, परंतु घरों के दरिाजे गवलयों में है। स़िक के दोनों तरफ ढंकी हुई नावलयााँ है। गवलयााँ छोटी है। िहर से पानी के वलए कु ओं
का प्रबंध भी है। आज की सेक्टर-माक कालोवनयों में जीिन की गवतिीलता नहीं होती। नया वनयोजन िहर की िैली को विकवसत नहीं होने देता। मुअनजोद़िो की
नगर योजना दिाकों को अवभभूत करती है।
प्रश्न 14: "मुअनजोद़िो में प्राप्त िस्तुओं मे औजार तो है, पर हवथयार नहीं।" इससे हसंधु सभ्यता के बारे में आपकी क्या धारणा बनती हैं?
उर्त्र- मुअनजोद़िो में अनेक िस्तुओं के अििेष वमले हैं, परं तु उसमें क्रकसी प्रकार के हवथयार नहीं वमले। इससे यह धारणा बनती है क्रक इस सभ्यता में राजतंत्र या
धमातंत्र नहीं था। यह स्िानुिावसत सभ्यता थी जो यहााँ की नगर योजना, िास्तु-विल्प, मुहर, ठप्पों , पानी या साफ-सफाई जैसी सामावजक एकरूपता को कायम
रखे हुए थी।
प्रश्न 15: कै से कहा जा सकता है क्रक मुअनजोद़िो िहर ताम्रकाल के िहरों में सबसे ब़िा और उत्कृ ि िहर था? उर्त्र- मुअनजो-द़िो की व्यापक खुदाई के समय यहााँ
की नगर योजना, ब़िी -ब़िी इमारतों , खेती, कला, जीविकोपाजान के औजार, मुहरें ,ठप्पें ,धातु पत्थर की मूर्तायााँ ,चाक पर बने वचवत्रत भांर्े , साजो- सामान
और वखलौने आक्रद के अििेष वमले हैं। यहााँ की नगर योजना आज की िहरी योजना से अवधक विकवसत थी, यहााँ पर मरुभूवम नहीं थी, कृ वष उन्नत दिा में थी,
पिुपालन ि व्यापार भी विकवसत था। यह क्षेत्र दो सौ हैक्टर क्षेत्र में फै ला था ,यहााँ की आबादी पचासी हजार के लगभग थी उस समय यह क्षेत्र वसन्द्धु घाटी
सभ्यता का कें द्र रहा होगा | यह उस समय महानगर रहा होगा | इस प्रकार कहा जा सकता है क्रक मुअनजोद़िो िहर ताम्रकाल के िहरों में सबसे ब़िा और उत्कृ ि
था।
प्रश्न 16: हसंधु सभ्यता में खेती का उन्नत रूप भी देखने को वमलता है स्पि कीवजए।
उर्त्र- हसंधु सभ्यता की खोज की िुरुआत में यह माना जा रहा था क्रक इस घाटी के लोग अन्न नहीं उपजाते थे। िे अनाज संबंधी जरूरतें आयात से पूरा करते थे,
परं तु नयी खोजों से पता चला है क्रक यहााँ उन्नत खेती होती थी। अब कु छ विद्वान इसे मूलतः खेवतहर ि पिुपालक सभ्यता मानते हैं। खेती में तााँबे ि पत्थर के
उपकरण प्रयोग में लाए जाते थे। यहााँ रबी की फसल में गेहाँ, कपास, जो,सरसों ि चने की खेती होती थी। इनके सबूत भी प्राप्त हुए हैं। कु छ विद्वानों का विचार है क्रक
यहााँ ज्िार, बाजरा और रागी की उपज भी होती थी। लोग खजूर , खरबूजे और अंगूर उगाते थे।
प्रश्न 17: लेखक ने मुअनजोद़िो िहर के टूटने या उज़िने के बारे में क्या कल्पना की है?
उर्त्र -लेखक का मानना है क्रक हसंधु घाटी सभ्यता में कहीं भी नहरों के प्रमाण नहीं वमले हैं। लोग कु ओं के जल का प्रयोग करते थे। िषाा भी पयााप्त होती थी क्योंक्रक
यहााँ खेती के भी खूब प्रमाण वमले है। लेखक का अनुमान है क्रक धीरे -धीरे िषाा कम होने लगी होगी तथा यहााँ रे वगस्तान बनना प्रारं भ हुआ होगा। इसके साथ
भूवमगत जल के अत्यवधक प्रयोग से जल की कमी होनी िुरू हो गई होगी। हसंधु सभ्यता में जल का प्रबंधन ि उपयोग बहुत समझदारी से क्रकया जाता था। जल की

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वनकासी, सामूवहक स्नानागार आक्रद के आधार पर यह कहा जा सकता है क्रक यहााँ के लोग जल का प्रचुर मात्रा में उपयोग करते रहे होंगे। प्राकृ वतक पररितानों ि
जलिायु पररितान के कारण जल की कमी हो गई और हसंधु घाटी सभ्यता उज़ि गई।
प्रश्न 18: हसंधु सभ्यता में नगर वनयोजन से भी कहीं ज्यादा सौंदया-बोध के दिान होते हैं। 'अतीत में दबे पााँि पाठ में क्रदए गए तथ्यों के आधार पर जानकारी
दीवजए।
उर्त्र- यह कहा जा सकता है क्रक खुदाई में प्राप्त धातु और पत्थर की मूर्तायों, मृदभांर्, उन पर वचवत्रत मनुष्य, िनस्पवत और पिु-पवक्षयों की छवियों, सुंदर मुहरे ,
उन पर बारीकी से उत्कीणा आकृ वतयााँ, वखलौने, के ि विन्द्यास और आभूषण आक्रद उस समय के लोगों के सौंदयाबोध के पररचायक है। इन सबसे कहीं ज्यादा सुघ़ि
अक्षरों का वलवपरूप होना । िहााँ ढकी हुई पक्की नावलयााँ बनाने के पीछे गंदगी से बचाि का जो उद्देश्य था िह भी तो मूल रूप से स्िच्छता और सौंदया का ही बोध
कराता है। आिास की सुंदर व्यिस्था हो या अन्न भंर्ारण, सभी के पीछे अप्रत्यक्ष रूप से सौंदया बोध काम कर रहा है। अतः यह स्पि है क्रक हसंधु सभ्यता में क्रकसी
भी अन्द्य व्यिस्था से ऊपर सौंदया-बोध ही था।
प्रश्न 19: अतीत में दबे पााँि पाठ के आधार पर िीषाक की साथाकता वसद्ध कीवजए।
उर्त्र- अतीत में दबे पााँि लेखक के िे अनुभि है, जो उन्द्हें हसंधु घाटी की सभ्यता के अििेषों को देखते समय हुए थे। इस पाठ में अतीत अथाात भूतकाल में बसे
सुंदर सुवनयोवजत नगर में प्रिेि करके लेखक िहााँ की एक- एक चीज से अपना पररचय बढ़ाता है। उस सभ्यता के अतीत में झााँककर िहााँ के वनिावसयों और
क्रक्रयाकलापों को अनुभि करता है। िहााँ की एक-एक स्थूल चीज से मुखावतब होता हुआ लेखक चक्रकत रह जाता है। िे लोग कै से रहते थे? यह अनुमान आियाजनक
है। िहााँ की स़िकें , नावलयााँ, स्तूप, सभागार, अन्न भंर्ार, वििाल स्नानागार, कु एाँ, कुं र् और अनुष्ठान गृह आक्रद के अवतररक्त मकानों की िास्तुकला को देखकर
लेखक महसूस करता है क्रक जैसे अब भी िे लोग िहााँ हैं उसे स़िक पर जाती हुई बैलगा़िी से रुनझुन की ध्िवन सुनाई देती है। क्रकसी खंर्हर में प्रिेि करते हुए उसे
अतीत के वनिावसयों की उपवस्थवत महसूस होती है। रसोईघर की वख़िकी से झााँकने पर उसे िहााँ पक रहे भोजन की गंध महसूस की जा सकती है। यक्रद इन लोगों
की सभ्यता नि न हुई होती तो उनके पााँि प्रगवत के पथ पर वनरंतर बढ़ रहे होते और आज भारतीय उपमहाद्वीप महािवक्त बन चुका होता। मगर दुभााग्य से ये
प्रगवत की ओर बढ़ रहे पााँि अतीत में ही दबकर रह गए। इसवलए 'अतीत में दबे पााँि' िीषाक पूणातः साथाक और सटीक है।
प्रश्न 20: 'मुअनजोद़िो के उत्खनन से प्राप्त जानकाररयों के आधार पर हसंधु सभ्यता की वििेषताएाँ वलवखए। उर्त्र - मुअनजोद़िो के उत्खनन से प्राप्त जानकाररयों के
आधार पर हसंधु सभ्यता की वनम्नवलवखत वििेषताएाँ स्पि होती हैं
1. हसंधु सभ्यता में सुवनयोवजत ढंग से नगर बसाए गए थे।
2. नगरों में जल वनकासी की उत्कृ ि प्रणाली थी।
3. मुख्य स़िकें चौ़िी तथा गवलयााँ अपेक्षाकृ त सॅकरी होती थीं।
4. मकानों के दरिाजे मुख्य स़िक पर नहीं खुलते थे।
5. कृ वष को व्यिसाय के रूप में अपनाया गया था ।
6. यातायात के साधन के रूप में बैलगाव़ियों तथा नािें थी।
7. हर जगह एक ही आकार की समकोण पक्की ईटों का प्रयोग क्रकया गया है।
8. हर नगर में अन्न भंर्ारगृह, स्नानगृह आक्रद थे।

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9. गहने, मुद्रा आक्रद से संपन्नता का पता चलता है।
प्रश्न 21: 'अतीत में दबे पााँि पाठ का प्रवतपाद्य बताइए।
उर्त्र- यह पाठ यात्रा-िृतांत' और 'ररपोटा' का वमला-जुला रूप है। यह पाठ विश्व फलक पर घरटत सभ्यता की सबसे प्राचीन घटना को उतने ही सुवनयोवजत ढंग से
पुनजीवित करता है, वजतने सुवनयोवजत ढंग से उसके दो महान नगर-मुअनजोद़िो और ह़िप्पा बसे थे। लेखक ने टीलों, स्नानागारों, मृदभांर्, कु ओं-तालाबों, मकानों
ि मागों से प्राप्त पुरातत्िों में मानि संस्कृ वत की उस समझदार भािात्मक घटना को ब़िे इत्मीनान से खोज-खोज कर हमें क्रदखाया है वजससे हम इवतहास की सपाट
िणानात्मकता से ग्रस्त होने की जगह इवतहास-बोध से तर होते हैं। हसंधु सभ्यता के सबसे ब़िे िहर मुअनजो-द़िो की नगर योजना दिाकों को अवभभूत करती है।
िह आज की सेक्टर-माका कॉलोवनयों के नीरस वनयोजन की अपेक्षा ज्यादा रचनात्मक थी क्योंक्रक उसकी बसािट िहर के खुद विकवसत होने का अिकाि भी
छो़िकर चलती थी। पुरातत्ि के वनष्प्राण प़िे वचह्नों से एक जमाने में आबाद घरों, लोगों और उनकी सामावजक-धार्माक राजनीवतक ि आर्थाक गवतविवधयों का
पुख्ता अनुमान क्रकया जा सकता है। यह सभ्यता ताकत के बल पर िावसत होने की जगह आपसी समझ से अनुिावसत थी। उसमें भव्यता थी, पर आर्ंबर नहीं था।
उसकी खूबी उसका सौंदया बोध था जो राजपोवषत या धमापोवषत न होकर समाजपोवषत था। अतीत की ऐसी कहावनयों के स्मारक वचह्नों को आधुवनक व्यिस्था के
विकास अवभयानों की भेंट चढ़ाते जाना भी लेखक को कचोटता है।

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