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मागगदर्गन – श्री कमगबीर वसंि , प्राचायग , केन्द्रीय विद्यालय क्र० 2 सोिना रोड , गुरुग्राम
2 श्रीमती मीरा आिीष केंद्रीय ववद्यालय क्र० 1 गुरुग्राम(प्रथम पाली ) प्र स्ना वि विन्दी
3 श्री मनीष कुमार केंद्रीय ववद्यालय क्र० गुरुग्राम(प्रथम पाली ) प्र स्ना वि विन्दी
5 श्री बलबीर कौविक केंद्रीय ववद्यालय, विसार कैण्ट प्र स्ना वि विन्दी
10 श्री सुनील कुमार केंद्रीय ववद्यालय रा. सु. गा. मानेसर प्र स्ना वि विन्दी
11 श्री सतीि कुमारवमाा केंद्रीय ववद्यालय सोिना रोड , गुरुग्राम प्र स्ना वि संस्कृत
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ववषय सूची / INDEX
1 पाठ्यक्रम वववरण 4
2. अंक ववभाजन 7
14 प्रश्न पत्र को िल करते समय छात्रों िारा की जाने वाली सामान्य 186
गलवतयां ।
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पाठ्यक्रम कोड सं .002
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विषय – विंदी ( अ)
कक्षा – दसिी ं (2022-23)
अंक – विभाजन
49 40 40
40
कुल अंक 80
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सामान्य वनदे र् :
1. प्रश्न पत्र दो खंडो में विभावजत िैं खंड अ बहुविकल्पी प्रश्न तथा खंड ब
िणगनात्मक प्रश्न
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अपवठत गद्यांर्
अपवित बोध अपवित बोध का अथा - अपवित िब्द 'अ' उपसगा, 'पि् ' धातु (वक्रया) तथा 'इत' प्रत्यय से
वमलकर बना िै। यिााँ 'अ का अथा िै 'निीं' और 'पवित' का अथा िै 'पढा िआ' या 'पढा गया' अथाात
पिले निीं पढा हुआ। 'बोध' िब्द का अथा िै 'समझ'। अपवित गद्यां ि का अथा गद्य का ऐसा अंि
वजसका पिले अध्ययन निीं वकया गया िो, वि अपवित गद्यांि किलाता िै। प्रायः अपवित गद्यांि का
उद्दे श्य वकसी ववषय को समझना, भाषा और िैली के बीच के संबंधों को खोजना तथा ववद्यावथायों की
अवबोध िमता को परखना िोता िै। अपवित गद्यांि के अंतगात ववद्यावथायों को भावाथा (मूल भाव) को
समझकर उसका सावधानीपूवाक, गंभीरता व गिनता से अध्ययन करना अत्यंत आवश्यक िै। अपवित
गद्यांि को िल करने के चरणबद्ध तरीके अपवित गद्यांि को िल करने के चरणबद्ध तरीके
वनम्नवलस्तखत िैं
• सवाप्रथम वदए गए अपवित गद्यांि को दो-तीन बार ध्यानपूवाक पढकर उसके मूल भाव को आत्मसात्
(समझना) करना चाविए।
• गद्यांि में दी गई मित्त्वपूणा सूचनाओं को रे खांवकत करते रिना चाविए। इससे ववषय-वस्तु व पिन
कौिल वाले प्रश्नों को िल करने में आसानी िोती िै।
• भावषक संरचना एवं व्याकरण संबंधी प्रश्नों के वलए गद्यांि में वदए गए कविन िब्दों, मुिावरों आवद को
रे खांवकत करना चाविए। िीषाक संबंधी प्रश्न पर वविेष ध्यान दे ना चाविए तथा पूरे गद्यांि को पढने व
समझने के पश्चात् िी उवचत िीषाक का चयन करना चाविए।
• अंत में एक बार सभी प्रश्नों के उत्तरों को पुनः ध्यानपूवाक पढकर जााँच लेना चाविए।
गद्यार् 1
भारत की जलवायु में काफी िेत्रीय ववववधता पाई जाती िै। संपूणा ववश्व आज वजस बडी समस्या से जूझ
रिा िै, वि िै -जलवायु पररवतान। जलवायु पररवतान आज एक ऐसी ववश्वस्तरीय समस्या का रूप ले
चुका िै, वजसके समाधान के वलए संपूणा ववश्व को संयुक्त रूप से अंतराा ष्ट्रीय स्तर पर सतत प्रयास करने
की आवश्यकता िै। सामान्य मौसमी अवभवृवत्तयों में वकसी वविेष स्थान पर िोने वाले ववविष्ट् पररवतान
को िी जलवायु पररवतान किते िैं। मौसम में अचानक पररवतान, फसल-चक्र का पररववतात िोना.
वनस्पवतयों की प्रजावतयों का लुप्त िोना, तापमान में वृस्तद्ध ववमान वपघलना और समुद्र जल-स्तर में
लगातार वृस्तद्ध ऐसे सूचक िैं, वजनसे जलवायु पररवतान की पररघटना का पता चलता िै। संवेदन
लगातार कम िोने पदों का वपघलना जलवायु पररवतान का सबसे जनिील सूचक माना जाता िै। पृथ्वी
पर विमनदों के पर कम िोने तथा उनके स्तर के नीचे स्तखसकने से के जल-स्तर में वृस्तद्ध हुई िै।
जलवायु पररवतान के कोई एक कारण निीं िै , वकंतु वातावरण में ग्रीन गैसों की मात्रा के वनरं तर बढते
रिने को इसका सबसे बडा कारण माना जाता िै। पृथ्वी पर आने वाली और ऊजाा की बडी मात्रा
अवरक्त वकरणों के रूप में पृथ्वी वातावरण से बािर चली जाती िै। इस ऊजाा की कुछ या ग्रीन िाउस
गैसों िारा अविोवषत िोकर पुन: पृथ्वी च जाती िै , वजससे तापक्रम अनुकूल बना रिता िै। सीन िाउस
गैसों में मीथेन, काबान डाइ-ऑक्साइड, नाइट् स ऑक्साइड इत्यावद िावमल िैं। वातावरण में ग्रीन िाउस
गैसों िोना अच्छा िै , वकंतु जब इनकी मात्रा बढ जाती िै , तो मान में वृस्तद्ध िोने लगती िै। इससे जो
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समस्या सामने आई िै उसे 'ग्लोबल वावमिंग' अथाात् 'वैवश्वक तापवृस्तद्ध' की ना दी गई िै। वास्तव में,
ग्लोबल वावमिंग जलवायु पररवतान का िी एक रूप िै।
ii. गद्यांि में जलवायु पररवतान का सबसे संवेदनिील सूचक वकसे माना जाता िै ?
iii. वातावरण में ग्रीन िाउस गैसों की मात्रा बढ जाने के फलस्वरूप वकसकी समस्या उत्पन्न िोती िै ?
क्या िै?
v. सौर ऊजाा की कुछ मात्रा ग्रीन िाउस गैसों िारा अविोवषत िोकर पुन: पृथ्वी पर पहुाँच जाती िै ,
इसका तापक्रम पर क्या प्रभाव पडता िै ?
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(ख) तापक्रम अनुकूल बना रिता िै।
गद्यांर् 2
समाज-कल्याण क्या िै, इसकी पूणा तथा सांगोपांग पररभाषा दे ते समय मतभेद िो सकता िै , वकंतु जिााँ
तक इसके सार-तत्त्व को समझने की बात िै , लोगों में एक प्रकार से सामान्य सिमवत मालूम पडती िै।
इसका तात्पया एक व्यस्तक्तगत सेवा से िै , जो वविेष प्रकार की न िोकर सामान्य प्रकार की िोती िै।
इसका उद्दे श्य वकसी ऐसे व्यस्तक्त की सिायता करना िै , जो असमथाता की भावना से दु :खी िोने पर भी
अपने जीवन का सवोत्तम सदु पयोग करना चािता िै अथवा उन कविनाइयों पर ववजयी िोना चािता िै ,
जो उसे परावजत कर चुकी िैं अथवा पराजय की आिंकाएाँ उत्पन्न करती िैं । समाज-कल्याण की
भावना दु बाल की सिायता करती िै तथा अपररवतानीय स्तस्थवतयों के साथ संबंध सुधारने या सामंजस्य
स्थावपत करने का प्रयत्न करती िै। इसके सवोच्च आदिों का सिी-सिी वनरूपण स्वास्थ्य-मंत्रालय के
एक पररपत्र िारा वनवदा ष्ट् वाक्य में वकया गया िै , वजसका संबंध ववकलांगों के कल्याण से िै। इसके
अनुसार, कल्याणकारी सेवाओं का उद्दे श्य यि सुवनवश्चत करना िै वक "सभी ववकलांग व्यस्तक्तयों को
चािे उनकी अिमता कुछ भी िो, सामुदावयक जीवन में िाथ बाँटाने तथा उसके ववकास में योगदान दे ने
के वलए अवधक-से-अवधक अवसर वदए जाएं गे, तावक उनकी िमताओं का पूणा वक्रयान्वयन िो सके,
उनका आत्मववश्वास जाग सके तथा उनके सामावजक संपका मजबूत बन सकें।"
(क) ऐसे व्यस्तक्त की सिायता करना, जो असमथाता के बाद भी अपने जीवन का सवोत्तम सदु पयोग
करना चािता िै
(ख) ऐसे व्यस्तक्त की सिायता करना, जो उन कविनाइयों पर ववजय प्राप्त करना चािता िै , जो उसे
परावजत कर चुकी िैं
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iii. "उनका आत्मववश्वास जाग सके तथा उनके सामावजक संपका मजबूत बन सकें", वाक्य में उनका'
िब्द वकसके वलए प्रयुक्त हुआ िै?
iv. स्वास्थ्य मंत्रालय ने अपने पररपत्र में समाज-कल्याण के वलए जो लक्ष्य वनधााररत वकए िैं , वे िैं
कथन 2 व्यस्तक्त िारा जीवन भर वकए गए काया उसकी व्यस्तक्तगत सेवा का अंि िै i
(क) दोनों कथन सिी िै तथा कथन दो कथन एक की सिी व्याख्या करता िै I
(ख) दोनों कथन सिी िै लेवकन कथन दो कथन एक की सिी व्याख्या निीं करता िै I
गद्यांर् 3
बाल मज़दू री िमारे दे ि के वलए अिम्य अपराध िै। दे ि में आज न जाने वकतने बच्चे बाल मजदू री कर
रिे िैं, क्या उन्हें िमारी तरि जीने का अवधकार निीं िै ? राजेि जोिी ने बडे िी मावमाक तरीके से
'बाल-श्रवमक' के ऊपर करुण रस की कववता वलखी िै। उनका किना िै ‘बच्चे काम पर जा रिे िैं
सुबि-सुबि' अथाात् पढाई-वलखाई छोडकर बच्चे मज़दू री करने काम पर जा रिे िैं । क्या उनके जीवन
में खेल का मैदान निीं िै? क्या उनके वलए पुस्तकालय और पाििाला निीं िैं ? इस तरि के भाव-बोध
और पीडा-बोध से रवचत राजेि जोिी की कववता आधुवनक सभ्य समाज के ऊपर एक प्रकार का
व्यंग्य भी प्रस्तुत करती िै। वैवश्वक स्तर पर िांवत के वलए वषा 2014 के नोबल पुरस्कार प्राप्तकताा श्री
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कैलाि सत्याथी, जो 'बचपन बचाओ आं दोलन' के सृजनकताा माने जाते िैं , का किना िै वक "बाल
श्रवमकों की पिचान के संबंध में सबसे बडी समस्या उम्र का वनधाारण करना िै ।'' उनके जागरुकता
अवभयान के कारण अब बहुत सीमा तक लोग जानने लगे िैं वक 14 साल के बच्चे से काम कराना एक
दं डनीय अपराध िै। इसमें उम्र का वनधाारण कर पाना बेिद कविन काम िै। इसमें बच्चों का िोषण
करने वाले लोग उनकी उम्र-सीमा 14 वषा से ऊपर वदखाकर कानूनी प्रवक्रया से बंधनमुक्त िो जाया
करते िैं। यवद किोर वनयम बनाकर उवचत कायावािी की जाए, तो बाल मज़दू री के ऊपर बहुत सीमा
तक लगाम लगाई जा सकती िै।
iii. बाल श्रवमकों की पिचान के संबंध में सबसे बडी समस्या वकसे माना गया िै ?
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(घ) लोग जानने लगे वक बचपन जीवन का सवोत्तम समय िै
गद्यांर् 4
वकसी भी जीव के िरीर और मानस के सबसे ऊपर मस्तस्तष्क िै। इस मस्तस्तष्क का स्वभाव कैसे तय
िोता िै? बुस्तद्ध में िोने वाले ववना से। इसका मतलब यि िै वक वकसी भी व्यस्तक्त के वंिानुगत स्वभाव
को उसकी बुस्तद्ध, उसका वववेक बदल सकता िै। इसका मतलब यि िै वक िमारे बतााव, िमारे कमा
पर िमारा वि िै, चािे दु वनया भर पर न भी िो। िम अपने स्वभाव को बदल सकते िैं , अपनी वस्तद्ध में
बारीक बदलाव लाकर। इसके वलए िमें मस्तस्तष्क की रूप-रे खा पर एक नजर दौडानी िोगी। िमारे
मस्तस्तष्क के दो वववभन्न , चेतन और अवचेतन । दोनों िी अलग-अलग प्रयोजनों के वलए वजम्मेदार िैं
और दोनों के सीखने के तरीके भी अलग-अलग िै। मवलक का चेतन भाग िमें ववविष्ट् बनाता िै , विी
िमारी ववविष्ट्ता िै। इसकी वजि से एक व्यस्तक्त वकसी दू सरे व्यस्तक्त से अलग िोता िै। िमारा कुछ
अलग-सा स्वभाव, िमारी कुछ अनोखी सृजनात्मक िस्तक्त-ये सब मस्तस्तष्क के इसी विस्से से संचावलत
िोती िैं. तय िोती िै। का व्यस्तक्त की चेतन रचनात्मकता िी उसकी मनोकामना, उसकी इच्छा और
मित्वाकांिा तय करती िै। इसके ववपरीत मस्तस्तष्क का अवचेतन विस्सा एक ताकतवर प्रवतश्रुवत यंत्र
जैसा िी िै। यि अब तक के ररकॉडा वकए िए अनभव दोिराता रिता िै। इसमें रचनात्मकता निीं
िोती। यि उन स्वचवलत वक्रयाओं और उस सिज स्वभाव को वनयंवत्रत करता िै , जो दिरा-दिराकर
िमारी आदत का एक विस्सा बन चुका िै। यि जरूरी निीं िै वक अवचेतन वदमाग की आदतें और
प्रवतवक्रयाएाँ िमारी मनोकामनाओं या िमारी पिचान पर आधाररत िों। वदमाग का यि विस्सा अपने
जन्म के थोडे पिले, मााँ के पेट में िी सीखना िुरू कर दे ता िै जैसे जीवन के 'चक्रव्यूि' में उतरने से
पिले िी 'अवभमन्यु' पाि सीखने लगा िो! यिााँ से लेकर सात साल की उम्र तक वे सारे कमा और
आचरण िमारे वदमाग का यि अवचेतन विस्सा सीख लेता िै जो भावी जीवन के वलए मल आधार िैं।
(ख) वंिानुगत स्वभाव को अपने वववेक और बुस्तद्ध से निीं बदल सकते िैं।
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ii. िम अपने स्वभाव को कैसे पररववतात कर सकते
गद्यांर्-5
जब कोई वीर पुरुष वकसी को िमा करता िै तो वि सुनने में और दे खने में अच्छा लगता लेवकन जब
कोई कायर और कमजोर व्यस्तक्त वकसी को िमा करने की बात करता िै को यि उपिास की बात िो
जाती िै। यवद िम अपने को बडा मानते िैं , िम बलिाली औरवविान िैं , िम बडे प्रबुद्ध िैं , तो वफर
यिी िमा िमारे जीवन का अलंकार बन जाता िै। वििक बच्चों को पढाते िैं , बच्चों का काम िोता िै-
भूल करना। यवद वििक उनकी भलों को िमा कर दे ते िैं तो यिााँ वििक की गररमा बढती िै , मयाादा
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बढती िै। लेवकन यवद बच्चों को उनकी वकसी प्रकार की छोटी-मोटी भूलों के वलए सजा दी जाए, उन्हें
पीटा जाए, डांटा-फटकारा जाए, उन्हें नीचा वदखाने का प्रयास वकया जाए तो उस व्यस्तक्त या वििक को
िम िमािील निीं कर सकते। ऐसा करना िमारी भूल िी िोगी। यि िमारी कौन-सी मिानता िोगी वक
वकसी ने कुछ भूल कर दी और िमने उसके बदले उसे दो िाथ लगा वदए। मनुष्य के समान कोई दू सरा
आत्मघाती जीव इस संसार में खोजना मुस्तिल िै। इस संसार में वसफा मनुष्य ऐसा प्राणी िै , जो वसफा
अपना िी नुकसान करने के पीछे पडा रिता िै। इसके वसवा संसार में ऐसा और कोई दू सरा जीव निीं
िै, जो अपना नुकसान करने की ताक में लगा रिता िै। िम जो भूल करते जा रिे िैं , उससे िमारे िी
िरीर का िय िोता िै, िमारा िी िरीर टू टता िै , ववकृत िोता जा रिा िै। वफर भी मनुष्य गलती पर
गलती करता चला जा रिा िै।
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(ग) मनुष्य केवल अपना वित करता िै।
(घ) दोनों कथन सिी िै, परं तु कथन दो कथन एक की व्याख्या निीं करताI
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अपवित काव्यां ि
काव्ांर् -1
इसके विस्से की रे त
बहुववकल्पी प्रश्न
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(ख) नवदयों का अस्तस्तत्व समाप्त िोता जा रिा िै |
कथन –
ववकल्प –
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अपवठत काव्ांर् -2
कोलािल िो,
या सन्नाटा, कववता सदा सृजन करती िै ,
जब भी आाँ सू
कववता सदा जंग लडतीिै।
यात्राएाँ जब मौन िो गईं
कववता ने जीना वसखलाया
जब भी तम का
जुल्म चढा िै, कववता नया सूया गढती िै,
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(क) जब कमाि अकमाण्य िो जाता िै।
(क) जल
(ख) बादल
(घ) श्रीकृष्ण
कथन –
ववकल्प –
कथन i, ii सिी िै
कथन ii , iv सिी िै
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अपवठत काव्ांर् -3
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(i) कथन सिी िै परं तु कारण सिी निीं िैं ।
(ii) कथन सिी निीं िै, परन्तु कारण सिी िैं ।
(iii) कथन और कारण दोनों सिी निीं िै ।
(iv) कथन और कारण दोनों सिी िै ।
उत्तर : क) . iii ख.) ii ग) . ii घ) क ड) i
अपवठत काव्ांर् -4
(4) ऐश्वया में रिनें वाला इवतिास से अनजान रिता िै .. – इससे कवव के आिय का सिी
ववकल्प चुवनए: -
(i) ऐश्वया में रिनें वाला कायर िै
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(ii) ऐश्वया में रिनें वाला अंधा िोता िै ।
( iii) ऐश्वया में रिनेवाला इवतिास से अंजान िै
अपवठत काव्ांर् -5
जी भरकर एक रुलाएगा |
रचने से िी आ पाता िै
िार-िार पर जा कर के |
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फूल स्तखलानेवाले रिते
(iii) रािस और मनुष्य में बहुत अंतर िै (iv) एक डराता िै , दू सरा डरता िै
ववकल्प
(i) मानव और दानव दोनों िी इस संसार में िैं (ii) रािों में आग निीं वबछानी चाविए
(iii) घर-घर में फूल स्तखलने चाविए (iv) खुद वमटकर भी दू सरों का भला करना चाविए
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(व्ाकरण – भाग)
(क) सरल वाक्य-वजन वाक्यों में एक उद्दे श्य तथा एक ववधेय िोता िै , उन्हें सरल वाक्य किते िैं।
उदािरण –
संयुक्त वाक्य-वजन वाक्यों में दो या दो से अवधक स्वतंत्र उपवाक्य वकसी समुच्चयबोधक अव्यय से जुडे
िोते िैं, उन्हें संयुक्त वाक्य किते िैं।
उदािरण –
वमश्र वाक्य-वजस वाक्य में एक मुख्य उपवाक्य िो और अन्य उपवाक्य उस पर आवश्रत िों, उसे वमश्र
वाक्य किते िैं। वमश्र वाक्य के उपवाक्य ‘वक, जैसा-तैसा, जो, वि, जब-तब, क्योंवक’ आवद व्यवधकरण
योजकों से जुडे रिते िैं।
उदािरण –
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वमश्र वाक्य प्रधान उपवाक्य और आवश्रत उपवाक्य में ववभावजत िोते िैं। आवश्रत उपवाक्यों के तीन
प्रकार संभव िै –
संज्ञा उपवाक्य – जो उपवाक्य वाक्य में संज्ञा का काम करते िैं , वे संज्ञा उपवाक्य किलाते िैं। संज्ञा
उपवाक्य से पिले प्रायः वक का प्रयोग िोता िै।
उदािरण –
वविेषण उपवाक्य-जो उपवाक्य मुख्य उपवाक्य में संज्ञा, सवानाम पदबंध की वविेषता बताते िैं , उन्हें
वविेषण उपवाक्य किते िैं ।
उदािरण –
वक्रया-वविेषण उपवाक्य-वजन उपवाक्यों िारा मुख्य उपवाक्यों में वक्रया की वविेषता बताई जाती िै ,
उन्हें वक्रया वविेषण उपवाक्य किते िैं। वक्रया-वविेषण उपवाक्य वकसी काल, स्थान, रीवत, पररमाण,
काया-करण आवद का द्योतन करते िैं।
इन उपवाक्यों में जिााँ , जैसा, जब, ज्ों-त्यों आवद समुच्चयबोधक अव्यय प्रयुक्त िोते िैं –
उदािरण-
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(ख) विी काया करो जो लाभदायक िो।
प्रश्न 3– ‘नीरजा प्रेम प्रकाि वत्रवेदी के पास गई क्योंवक उसे अपनी विंदी भाषा में सुधार करना िै।’
वाक्य का संयुक्त वाक्य रूपांतरण िोगा-
(क) नीरजा अपनी विंदी भाषा में सुधार करने प्रेम प्रकाि वत्रवेदी के पास गई।
(ख) प्रेम प्रकाि वत्रवेदी के पास नीरजा अपनी विंदी भाषा में सुधार के वलए गई।
(ग) प्रेम प्रकाि वत्रवेदी के पास नीरजा इसवलए गई क्योंवक उसे अपनी विंदी भाषा में सुधार करना था।
(घ) नीरजा को अपनी विंदी भाषा में सुधार करना िै इसवलए वि प्रेम प्रकाि वत्रवेदी के पास गई।
प्रश्न 4 – ‘वगलास नीचे वगरा और टू ट गया।’ वाक्य संयुक्त वाक्य रूपांतरण िोगा-
प्रश्न 5 – ‘अंवकत की कलम छूटकर वगर गई।’ वाक्य संयुक्त वाक्य रूपांतरण िोगा-
प्रश्न 7 – ‘राम प्रथम आते िी खेलने लगा।’ वाक्य का संयुक्त वाक्य रूपांतरण िै -
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(घ) उपरोक्त कोई निीं
प्रश्न 9 : जो मेरे साथ रिेगा वि सद् गुण सीख जाएगा।’ वाक्य का सरल रूप वनम्न ववकल्पों से चुनें-
(क) क्योंवक वि मेरे साथ रिता िै इसवलए वि सद् गुण सीख जाएगा।
(ख) क्योंवक वि मेरे साथ रिता िै इसवलए वि सद् गुण सीख गया।
प्रश्न 10 कॉलम 1 को कॉलम 2 के साथ सुमेवलत कीवजए और सिी ववकल्प चुनकर वलस्तखए:
कॉलम 1 कॉलम 2
1 वषाा समाप्त हुई और इं द्रधनुष i सरल वाक्य
वनकल आया।
2 जो लोग धनवान िोते िैं , उन्हें ii संयुक्त वाक्य
गरीबों की मदद करनी चाविए।
3 प्रधानाचाया की बातें सुनकर iii वमश्र वाक्य
छात्र जोि से भर उिे ।
1) 1 ii 2 i 3. iii
2) 1 ii 2 iii 3 i
3) 1 iii 2 ii 3 i
4) 1 ii 2 i 3
प्रश्न 11 झगडालू लोगों से सभी दू र रिना चािते िैं।’ वाक्य का वमश्र वाक्य रूपांतरण का िोगा-
(क) झगडालू लोगों से सभी दू र रिना चािते िैं कोई बात निीं करता।
(घ) झगडालू लोगों से सभी दू र रिते िैं क्योंवक वे सभी से झगडा करते िैं।
प्रश्न 12 वनम्नवलस्तखत वाक्यों में वमश्र वाक्य पिचान कर नीचे वदए गए सबसे सिी ववकल्प को चुवनए
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iii) उसके पास घडी तो थी वकन्तु िीक निीं थी।
iv) वििक ने किा वक सबको अपना गृिकाया स्वयं करना िै।
ववकल्प
प्रश्न 13 वनम्नवलस्तखत वाक्यों में सरल वाक्य पिचान कर नीचे वदए गए सबसे सिी ववकल्प को चुवनए
प्रह्न 14 कॉलम 1 को कॉलम 2 के साथ सुमेवलत कीवजए और सिी ववकल्प चुनकर वलस्तखए
कॉलम 1 कॉलम 2
1.वि लडका किां गया वजसने i.वक्रया वविेषण आवश्रत
नीली टोपी पिन रखी थी उपवाक्य
2. जब नमक पर कर था तो वि
गांधी जी को अन्याय लगता था ii.संज्ञा आवश्रत उपवाक्य
3.मां ने किा वक िाम को जल्दी iii.वविेषण आवश्रत उपवाक्य
घर आ जाना
ववकल्प
क ii 2 i 3. Iii
ख ii 2 iii 3 i
ग iii 2 ii 3 i
घ iii 2 i 3 ii
उत्तर कुंजी
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1.ग 2. 3. 4. 5.ग 6. 7. 8. 9.ग 10. 11. 12.ग 13. 14.
ख घ क क क क ख ख क घ
िाच्य
पररभाषा – िाच्य उसे किते िैं वजससे पता चलता िै वक िि कताग के विषय में कि रिा िै या
कमग के विषय में या भाि के विषय में। वक्रया को मुख्य रूप से करनेिाला कौन िै ? जैसे मुझसे
चला निी ं जाता ।
विन्दी में िाच्य तीन प्रकार के िोते िैं – (क) कतृावाच्य, (ख) कमावाच्य और (ग) भाववाच्य।
(क) कतृगिाच्य – कतृावाच्य में कताा प्रधान िोता िै और वक्रया के वलंग, वचन एवं पुरुष उसी के
अनुसार िोते िैं। जैसे राम आम खाता िै। िम निीं जाएाँ गे। इन वाक्यों में वक्रया के वलंग, वचन, पुरुष
उसी के अनुसार िैं। ‘राम’ और ‘खाता’ िै में वक्रया (खाता) राम के अनुसार पुंवलंग, एकवचन, अन्य
पुरुष िै।
(ख) कमगिाच्य – कमावाच्य में कमा की प्रधानता िोती िैं और कताा के साथ आने वाली वक्रया के वलंग,
वचन और पुरुष कमा के अनुसार िोते िैं। जैसे राम िारा आम खाया जाता िै। ‘राम िारा आम खाया
जाता िै’ वाक्य में ‘खाया’ कमा के अनुसार िी वलंग, वचन और पुरुष िैं। यि वाक्य सकमाक वक्रयाओं से
िी बनता िै।
(ग) भाििाच्य – भाववाच्य में भाव की प्रधानता िोती िै , न वक कताा और कमा की। वक्रया सदा अन्य
पुरुष, एकवचन और पुंवलंग िोती िै। भाववाच्य केवल अकमाक वक्रया का िोता िै। इसमें कमा निीं
िोता। जैसे–मुझसे चला निीं जाता।
(i) कत्ताा के साथ ‘से’ या ‘के’ िारा जोडा जाता िै। जैसे-लडका आम खाता िै (कतृावाच्य)। लडका िारा
आम खाया जाता िै (कमावाच्य)। वक्रया में आ अथवा जा यथास्थान जोडा जाता िै। जैसे-पढता-पढा
जाता िै। सो-सोया जाता िै।
(ii) वक्रया कमा के वलंग, वचन के अनुसार रिती िै। जैसे-रवव पुस्तक पढता िै। रवव से पुस्तक पढी
जाती िै। रवव उपन्यास पढता िै। रवव से उपन्यास
पढा जाता िै।
(iv) कतृावाच्य वजस काल में िोता िै, कमावाच्य भी उसी काल में रिता िै। जैसे- रवव दे र तक खाना
खाता िै (वतामान काल)-रवव से दे र तक खाना खाया जाता िै।
बहुिैकन्ल्पक प्रश्नोत्तर
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उत्तर⇒(B) कमग
(A) एक (B) दो
(C) तीन (D) चार
उत्तर⇒(C) तीन
3. वजससे पता चलता िै वक वि कताा के ववषय में कि रिा िै या कमा के ववषय , में या भाव के ववषय
में उसे किते िैं
उत्तर⇒(A) िाच्य
उत्तर⇒(B) कतृगिाच्य
5. वजस वाक्य में कमा प्रधान िोता िै, उसे किते िैं
उत्तर⇒(A) कमगिाच्य
उत्तर⇒(C) भाििाच्य
उत्तर⇒(B) कतृग
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(A) कमा (B) कताा
(C) भाव (D) कोई निीं
उत्तर⇒(B) कताग
उत्तर⇒(A) कमग
10. मुझसे ऐसी बातें निीं सुनी जाती िै । इस वाक्य में वक्रया वकसके अनुसार िै ?
12. तम ऐसी बातें निीं सुन सकता। इस वाक्य में वक्रया वकसके अनुसार िै ?
(A) कमा
(B) कताा
(C) भाव
(D) कोई निीं
उत्तर⇒(B) कताग
13. राम से तेज दौडा जाता िै। इस वाक्य में वक्रया वकसके अनुसार िै ?
(A) कमा
(B) कताा
(C) भाव
(D) कोई निीं
उत्तर⇒(C) भाि
14. िमसे विााँ निीं रिा जाएगा। इस वाक्य में वक्रया वकसके अनुसार िै ?
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(A) कमावाच्य
(B) कतृावाच्य
(C) भाववाचक
(D) इनमें से कोई निीं
उत्तर⇒(C) भाििाचक
15. पवियों िारा आकाि में उडा जा सकता िै । इस वाक्य में वक्रया वकंसके अनुसार िै ?
(A) कमा
(B) कताा
(C) भाव
(D) कोई निीं
उत्तर⇒(C) भाि
16. मुझसे सवदा यों में निीं निाया जाता िै। यि वाक्य वकस वाच्य में िै ?
(A) कमावाच्य
(B) कतृावाच्य
(C) भाववाचक
(D) इनमें से कोई निीं
उत्तर⇒(C) भाििाचक
(A) कमावाच्य
(B) कतृावाच्य
(C) भाववाचक
(D) इनमें से कोई निीं
उत्तर⇒(B) कतृगिाच्य
(A) कमावाच्य
(B) कतृावाच्य
(C) भाववाचक
(D) इनमें से कोई निीं
उत्तर⇒(B) कतृगिाच्य
19. पिी आकाि में उडते िैं । यि वाक्य वकस वाच्य में िै ?
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(A) कमावाच्य
(B) कतृावाच्य
(C) भाववाचक
(D) इनमें से कोई निीं
उत्तर⇒(B) कतृगिाच्य
20. मैं सवदा यों में निीं निाता । यि वाक्य वकस वाच्य में िै ?
(A) कमावाच्य
(B) कतृावाच्य
(C) भाववाचक
(D) इनमें से कोई निीं
उत्तर⇒(B) कतृगिाच्य
पद पररचय
पद- जब वकसी िब्द का वाक्य में प्रयोग कर वदया जाता िै , वि व्याकरवणक वनयमों में बंध जाने से
िब्द न रिकर पद बन जाता िै।
पद-पररचय- वाक्य में प्रयुक्त िब्द की स्तस्थवत बताना, उसका वलंग,वचन, कारक, भेद तथा अन्य पदों
से संबंध बताना पद पररचय किलाता िै। अथाात वाक्य में प्रयुक्त पदों का व्याकरवणक पररचय पद-
पररचय किलाता िै।
भेद/प्रकार -
पद का नाम (संज्ञा, सवानाम आवद), पद का भेद, वलंग, वचन, कारक, वक्रया के साथ संबंध आवद।
जैसे-
संज्ञा -
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2. सुरेंद्र बंगले में रिता िै।
सिगनाम -
मैं- सवानाम, पुरुषवाचक, उत्तम पुरुष वाचक, पुस्तलंग, एकवचन, कताा कारक।
िम- सवानाम, पुरुषवाचक, उत्तम पुरुष वाचक, पुस्तलंग, बहुवचन, कताा कारक।
3. वि छत पर खडा िै।
वि- सवानाम, पुरुषवाचक, अन्य पुरुष वाचक, पुस्तलंग, एकवचन, कताा कारक।
विर्ेषण -
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दो मीटर- वविेषण, वनवश्चत पररमाणवाचक, पुस्तलंग।
4. थोडा दू ध लाओ।
वक्रया -
5. उस ने पुस्तक पढी।
वक्रया-विर्ेषण -
3. कम खाया करो।
संबंिबोिक -
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2. ववराट के वबना मैच जीतना मुस्तिल िै।
समुच्चयबोिक या योजक -
विस्मयावदबोिक-
आि – अव्यय,ववस्मयावदबोधक,िोक सूचक
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(ब) अव्यय, समुच्य बोधक, व्यावधकरण, दो वाक्यांिों को अलग करता िै
39 | Page
7. वृद्ध सुबि-िाम टिलता िै|
उत्तरमाला – 1. – स, 2. – अ, 3. – ब, 4. – अ, 5. – ब, 6. – स, 7. – अ
अलंकार
अलंकार का िास्तब्दक अथा िै - आभूषण या गिना। अलंकार िब्द दो िब्दों के योग से बना िै -"अलम"
तथा "कार" । "अलम" का अथा िै िोभा तथा "कार" का अथा िै - करने वाला।
अलंकारों का मित्त्व -
िब्दालंकार- जिां िब्दों के प्रयोग से सौंदया में वृस्तद्ध िोती िै और काव्य में चमत्कार आ जाता िै , विां
िब्दालंकार माना जाता िै।
जैसे -
इस दोिे में "पानी" िब्द का पयााय 'जल'' 'नीर' रख वदया जाए तो इस दोिे का काव्यगत सौंदया समाप्त
िो जाएगा।
श्लेष - जिां काव्य में कोई िब्द एक बार िी प्रयुक्त हुआ िो लेवकन अथा दो या दो से अवधक दे रिा
िो, विां श्लेष अलंकार िोता िै। जैसे-
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'सुबरन' को ढू ं ढ वफरते, कवव, व्यवभचारी, चोर।। (सुबरन – सुन्दर वणा, सुन्दर रं ग, सोना)
अथाालंकार-
काव्य में जिां िब्द के अथा के कारण चमत्कार उत्पन्न िो, विां अथाालंकार िोता िै। जैसे-
उत्प्रेक्षा-
जिां काव्य में उपमेय में उपमान की संभावना या कल्पना व्यक्त की जाए, विां उत्प्रेिा अलंकार िोता
िै।
उदािरण-
उत्प्रेिा अलंकार में वनम्न वाचक िब्दों का प्रयोग िोता िै - मानो, मानहुं, जानो, जनु, मनो, मनु, जनहु,
ज्ों, जैसे।
अवतर्योन्ि -
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जिां काव्य में वकसी वस्तु, पदाथा अथवा कथन (उपमेय) का वणान लोक सीमा से बढा चढा कर प्रस्तुत
वकया जाए, विां अवतियोस्तक्त अलंकार िोता िै।
जैसे -
3. छूटे ववविख कराल इधर से, कटे उधर वसर अरर के साथ।
मानिीकरण -
काव्य में जिां जड पर चेतन का आरोप िो अथाात जड प्रकृवत पर मानवीय भावनाओं तथा वक्रयाओं का
आरोप िो, विां मानवीकरण अलंकार िोता िै।
अथवा
काव्य में जिां प्राकृवतक पदाथों को मानव की तरि वक्रया करते हुए वदखाया जाए, विां मानवीकरण
अलंकार िोता िै।
जैसे -
3. आए मिंत वसंत।
4. वदवसावसान का समय
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ख. बीती ववभावरी जाग री,
घट उषा नागरी।
ग. ले चला साथ मैं तुझे कनक, ज्ों वभिु लेकर स्वणा झनक।
छ- अवतर्योन्ि ज- मानिीकरण
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पाठ्यपु स्तक वक्षवतज़ भाग- 2 (पवठत गद्य – खण्ड से )
पवठत गद्यांर्-1
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(2) लोगों को वववभन्न फ्रेमों की जानकारी दे ने का तरीका अच्छा लगा|
(3) लोगों को वववभन्न चश्मों को खरीदने के वलए प्रेररत करना|
(4) मूवता तथा ग्रािक दोनों को चश्मा दे ने की वववचत्र िैली के कारण ऐसा किा|
उत्तर - (i) (ग) पानवाले ने
(ii) (क) कैप्टन चश्मे वाला नेताजी की मूवता पर चश्मा पिनाता था|
(iii) (ख) उसकी नजर में ऐसा अधूरापन दे िभक्तों का अनादर करता िै |
(iv) (ग) चश्मा उतारने की ववविता पर कैप्टन को अपराध बोध िोता था|
(v) (घ) मूवता तथा ग्रािक दोनों को चश्मा दे ने की वववचत्र िैली के कारण ऐसा किा|
पवठत गद्यांर् -2
पानवाले के वलए यि एक मजेदार बात थी, लेवकन िालदार सािब के वलए चवकत और द्रववत करने
वाली| यानी वि िीक िी सोच रिे थे| मूवता के नीचे वलखा ‘मूवताकार मास्टर मोतीलाल’ वाकई कस्बे का
अध्यापक था| बेचारे ने मिीने- भर में मूवता बनाकर पटक दे ने का वादा कर वदया िोगा| बना भी ली
िोगी, लेवकन पत्थर में पारदिी चश्मा कैसे बनाया जाए- कााँचवाला -यि तय निीं कर पाया िोगा| या
कोविि की िोगी और असफल रिा िोगा| या बनाते- बनाते ‘कुछ और बारीकी’ के चक्कर में चश्मा
टू ट गया िोगा| या पत्थर का चश्मा अलग से बनाकर वफट वकया िोगा और वि वनकल गया िोगा| उफ़
.......!
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(3) पत्थर का चश्मा बनाकर अलग से वफट वकया गया िोगा, जो वनकल गया
िोगा|
(4) उपयुाक्त सभी|
(v) ‘बेचारे ने मिीने- भर में............... वदया िोगा|’ इस पंस्तक्त में ‘बेचारा’ वकसे किा
गया िै ?
(1) पानवाले को
(2) मास्टर मोतीलाल को
(3) िालदार सािब को
(4) डर ाइवर को
उत्तर- (i) (घ) मास्टर मोतीलाल मूवता बनाते समय उनकी आाँ खों पर चश्मा बनाना भूल गया|
(ii) (ग) (क) तथा(ख) दोनों सिी िै |
(iii) (ख) सरकारी काम को कम पैसों और कम समय में पूरा करने के कारण|
बहुविकल्पीय प्रश्न
प्रश्न (i) सेनानी ने िोते हुए भी लोग चश्मे िाले को कैप्टन क्यों किते थे?
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(2) मूवता को दे खने की भावना का|
(3) दे िभस्तक्त की भावना का|
(4) मूवता को बनाने की भावना का|
प्रश्न (v) दू सरी बार िालदार सािब ने मूवतग में क्या अंतर दे खा?
(1) पिला चश्मा पतले फ्रेम वाला था तथा अब िीिे के गोल आकार का िै |
(2) पिला चश्मा मोटे फ्रेमवाला चौकोर था तथा अब तार के फ्रेम वाला गोल आकार का|
(3) पिला चश्मा चौडा था तथा अब चश्मा छोटा और पतला था|
(4) पिला चश्मा काला था तथा अब चश्मा रं गीन था|
प्रश्न (vi) िालदार सािब वकस के सामने नतमस्तक िो गए ?
(1) पानवाला कैप्टन के ववषय में बातचीत करना निीं चािता था|
(2) िालदार सािब का डर ाइवर बेचैन िो रिा था|
(3) उन्हें काम के वसलवसले में अभी आगे जाना था|
(4) उपयुाक्त सभी
प्रश्न (viii) मूवतग पर लगा सरकंडे का चश्मा क्या उिीद जगाता िै ?
(1) मास्टर मोतीलाल मूवता बनाते समय चश्मा बनाना भूल गया था|
(2) मास्टर मोतीलाल तय निीं कर पाए वक चश्मा कैसे बनाए|
(3) मूवता पर सरकंडे का चश्मा दे खकर िाँसना |
(4) कैप्टन को नेताजी की मूवता से िमा मांगने पडती थी|
प्रश्न (x) िालदार सािब की आँ खें क्यों भर आई?
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उत्तर –
(i) (ग) उसके हृदय में दे ि और वीर ििीदों के वलए सम्मान था|
(ii) (ख) मूवता लोगों के हृदय में दे िभस्तक्त का भाव भर रिी थी|
(iii) (घ) पानवाले िारा कैप्टन को ‘पागल’ तथा ‘लंगडे ’ जैसे िब्द किना|
(iv) (ग) दे िभस्तक्त की भावना का|
(v) (ख) पिला चश्मा मोटे फ्रेमवाला चौकोर था तथा अब तार के फ्रेम वाला गोल आकार का|
(vi) (ख) चश्मेवाले की दे िभस्तक्त के समि|
(vii) (घ) उपयुाक्त सभी |
(viii) (ग) दे िभक्त कैप्टन मरकर भी उस कस्बे के बच्चों में वजंदा िै |
(ix) (क) मास्टर मोतीलाल मूवता बनाते समय चश्मा बनाना भूल गया था|
(x) (घ) दे ि के वीरों के प्रवत बच्चों की भावना एवं दे िभस्तक्त को दे खकर|
पवठत गद्यांर् -1
खेतीबारी करते, पररवार रखते भी, बालगोवबन भगत साधु थे- साधु की सब पररभाषा में खरे उतरने
वाले। कबीर को ‘ सािब’ मानते थे, उन्हीं के गीतों को गाते, उन्हीं के आदे िों पर चलते । कभी झूि
निीं बोलते, खरा व्यविार रखते। वकसी से भी दो - टू क बात करने में संकोच निीं करते, न वकसी से
खामखाि झगडा मोल लेते। वकसी की चीज निीं छूते, न वबना पूछे व्यविार में लाते ।इस वनयम को
कभी-कभी इतनी बारीकी तक ले जाते वक लोगों को कुतूिल िोता!- कभी वि दू सरे के खेत में िौच के
वलए निीं बैिते! वि गृिस्थ थे ; लेवकन उनकी सब चीज ‘ सािब’ की थी। जो कुछ खेत में पैदा िोता,
वसर पर लादकर पिले उसे सािब के दरबार में ले जाते - जो उसके घर से 4 कोस दू र था - एक
कबीरपंथी मि से मतलब! िै दरबार में ‘ भेंट’ रूप वलया जाता ।‘ प्रसाद ‘ रूप में जो उन्हें वमलता, उसे
घर लाते और उसी से गुजार चलाते !
(क) सच बोलने की
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(ख) वकसी की चीज न लेने की
(4) बालगोवबन भगत के खेत में जो कुछ पैदा िोता , उसे वि सवाप्रथम वकसे भेंट कर दे ते?
(क) गरीबों को
(ख) कातने का
(ग) बुनाई का
(घ) गाने का
उत्तर (1)(ग) वि सच्चे साधुओं जैसा िी उत्तम आचार ववचार रखते थे।
पवठत गद्यांर् - 2
बालगोवबन भगत की संगीत- साधना का चरम उत्कषा उस वदन दे खा गया, वजस वदन उनका बेटा मरा
।इकलौता बेटा था वि! कुछ सुस्त और वो बोदा - सा था, वकंतु इसी कारण बालगोवबन भगत उसे और
भी मानते ।उनकी समझ में ऐसे आदवमयों पर िी ज्ादा नजर रखनी चाविए या प्यार करना चाविए,
क्योंवक यि वनगरानी और मोिब्बत के ज्ादा िकदार िोते िैं ।बडी साध से उसकी िादी कराई थी,
पतोह बडी िी िुभम और सुिील वमली थी। घर की पूरी प्रबंवधका बनकर भगत को बहुत कुछ
दु वनयादारी से वनवृत कर वदया था।
49 | Page
(3) उसके कमजोर िोने के कारण
(4) इनमें से कोई निीं
(3) बालगोवबन भगत की पतोह की क्या वविेषता थी?
(1) लडाकू
(2) कुिल प्रबंवधका
(3) अच्छी गावयका
(4) अच्छे स्वभाव वाली
(4) भगत जी का बेटा कैसा था?
(1) बहुत बुस्तद्धमान
(2) स्वस्थ और बोदा
(3) सुस्त और बोदा
(4) कमाि
(5) बालगोवबन भगत के अनुसार कैसे लोगों को वनगरानी व मोिब्बत की आवश्यकता िोती िै ?
(1) िोनिार को
(2) बुस्तद्धमान व्यस्तक्तयों को
(3) िारीररक रूप से कमजोर को
(4) िरीफ और ववनम्र को
उत्तर -
1. क,) बेटे की मौत पर
2. ग) उसके कमजोर िोने के कारण
3. ख) कुिल प्रबंवधका
4. ग) सुस्त और बोदा
5. ग) िारीररक रूप से कमजोर को
पाठ पर आिाररत बहुविकल्पीय प्रश्न
50 | Page
( घ) उपरोक्त सभी
(4)भगत जी की उम्र थी -
(क,) 75 वषा
ख) 50 वषा
(ग)लगभग 60 वषा
(घ)100 वषा
(5) बेटे की मृत्यु के पश्चात बालगोवबन भगत का आस्तखरी वनणाय क्या था?
क) परोपकारी
ख स्वाथा रवित
ग) ज्ञान
घ) उपरोक्त सभी
क) नदी के वकनारे
ख)नदी के बीच
घ) गांव की चौपाल पर
1) आषाढ के
2) कबीर के
3) सूया के
4) अपने
प्रश्न 9 भगत जी गले में वकस की माला पिनते थे?
1) चंदन की
2) मोती
3) रुद्राि की
4) तुलसी की
51 | Page
प्रश्न 10’ संझा’ से लेखक का क्या अवभप्राय िै ?
क)िाम
ग) साझा करना
घ)वकसी का नाम
उत्तर –
1.क) पतोहू 2घ) कावतगक के आते िैं 3घ)उपरोि सभी 4.ग) लगभग 60 िषग
5क) पतोहू का पुनविगिाि करिाना 6.घ) उपरोि सभी 7.ग) तालाब के ऊंचे वकनारे पर
पवठत गद्यांर् -1
खाली बैिे कल्पना करते रिने की पुरानी आदत िै | नवाब सािब की असुववधा और संकोच के
कारण का अनुमान करने लगे| संभव िै, नवाब सािब ने वबिुल अकेले यात्रा कर सकने के अनुमान में
वकफायत के ववचार से सेकंड क्लास का वटकट खरीद वलया िो और अब गवारा न िो वक ििर का
कोई सफेदपोि उन्हें मंझले दजे में सफर करता दे खें| अकेले सफर का वक्त काटने के वलए िी खीरे
खरीदे िोंगे और अब वकसी सफेदपोि के सामने खीरा कैसे खाएं ? िम कनस्तखयों से नवाब सािब की
ओर दे ख रिे थे| नवाब सािब कुछ दे र गाडी की स्तखडकी से बािर दे ख कर स्तस्थवत पर गौर करते रिे|
‘ओि’ नवाब सािब ने सिसा िमें संबोधन वकया, ‘आदाब-अजा’, जनाब खीरे का िौक फ़रमाएं गे?
नवाब सािब का सिसा भाव पररवतान अच्छा निीं लगा| भाप वलया, आप िराफत का गुमान बनाए
रखने के वलए िमें भी मामूली लोगों की िरकत में लथेड लेना चािते िैं | जवाब वदया, ‘िुवक्रया, वकबला
िौक फ़रमाएं |’
(अ) प्यार भरा (ब) आत्मीयता का (स) उपेिा का (द) इनमें से कोई निीं
(अ) नवाब सािब से बिस करने लगे (ब) चलती गाडी में निीं चढे
(स) नवाब सािब के प्रस्ताव को अस्वीकार कर वदया (द) मुसावफरों को उपदे ि दे ने लगे
4. कौन निीं चािता वक उन्हें कोई मंझले दजे में यात्रा करता दे खें?
(अ) अमीर व्यस्तक्त (ब) नवाब सािब (स) लेखक (द) कोई निीं
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5. सेकंड क्लास के वडब्बे में बैिकर लेखक क्या करने लगे?
(अ) किानी वलखने लगे (ब) प्राकृवतक नजारे दे खने लगे (स) भोजन करने लगे
उत्तरमाला – 1 – द, 2 - स, 3 - स, 4 - ब, 5 - द
पवठत गद्यांर् - 2.
गाडी छूट रिी थी| सेकंड क्लास के एक छोटे वडब्बे को खाली समझ कर जरा दौडकर उसमें चढ
गए| अनुमान के प्रवतकूल वडब्बा वनजान निीं था| एक बथा पर लखनऊ की नवाबी नस्ल के एक
सफेदपोि सिन बहुत सुववधा से पालथी मारे बैिे थे| सामने दो ताजे वचकने खीरे तौवलए पर रखे थे|
वडब्बे में िमारे सिसा कूद जाने से सिन की आं खों में एकांत वचंतन में ववघ्न का असंतोष वदखाई वदया|
सोचा, िो सकता िै, यि भी किानी के वलए सूझ की वचंता में िों या खीरे जैसी अपदाथा वस्तु का िौक
करते दे खे जाने के संकोच में िों| नवाब सािब ने संगवत के वलए उत्साि निीं वदखाया| िमने भी उनके
सामने की बथा पर बैिकर आत्मसम्मान में आं खें चुरा ली| िाली बैिे कल्पना करते रिने की पुरानी
आदत िै| नवाब सािब की असुववधा और संकोच के कारण का अनुमान करने लगे| संभव िै , नवाब
सािब ने वबिुल अकेले यात्रा कर सकने के अनुमान में वकफायत के ववचार से सेकंड क्लास का
वटकट खरीद वलया िो और अब गवारा न िो वक ििर का कोई सफेदपोि उन्हें मंझले दजे में सफर
करता दे खें|
(अ) लेखक के साथ यात्रा करने के अनुमान में (ब) लोगों के साथ यात्रा करने के अनुमान में
(स) अकेले यात्रा करने के अनुमान में (द) इनमें से कोई निीं
53 | Page
उत्तरमाला – 1 - स, 2 - द, 3 - अ, 4 - स, 5 - स
बहुविकल्पी प्रश्न
1 नवाब सािब ने खीरे की तैयारी के बाद उसका क्या वकया?
(a) खा गए
(b) घर की तरफ
(b) यात्री की
(c) लेखक की
(d) कवव की
4.अकेले सफ़र का वक्त काटने के वलए नवाब सािब ने क्या खरीदा था?
(a) अखबार
(b) पुस्तक
(c) खीरा
(d) पवत्रका
54 | Page
(a) उन्हें खीरा पसंद निीं िै
(c) खा गए
(b) लेखक
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10. वाताालाप की िुरुआत वकसने की?
(a) लेखक ने
(c) दु कानदार ने
पाठ- एक किानी यि भी ं
पवित गद्यांि -1
अपनी वजंदगी खुद जीने के इस आधुवनक दबाव ने मिानगरों के फ्लैट में रिने वालों को िमारे इस
परं परागत 'पडोस-कल्चर' से ववस्तच्छन्न करके िमें वकतना संकुवचत, असिाय और असुरवित बना वदया
िै। मेरी कम-से-कम एक दजान आरं वभक किावनयों के पात्र इसी मोिले के िैं जिााँ मैंने अपनी
वकिोरावस्था गुज़ार अपनी युवावस्था का आरं भ वकया था। एक-दो को छोडकर उनमें से कोई भी पात्र
मेरे पररवार का निीं िै। बस इनको दे खते-सुनते, इनके बीच िी में बडी हुई थी लेवकन इनकी छाप मेरे
मन पर वकतनी गिरी थी, इस बात का अिसास तो मुझे किावनयााँ वलखते समय हुआ। इतने वषों के
अंतराल ने भी उनकी भाव-भंवगमा, भाषा, वकसी को भी धुंधला निीं वकया था और वबना वकसी वविेष
प्रयास के बडे सिज भाव से वे उतरते चले गए थे।
प्रश्न: 1- वजंदगी जीने के आधुवनक दबाव ने िमारे जीवन पर क्या प्रभाव पडा िैं?
i) आस-पास के मोिलों से ।
iii) पुराणों से ।
iv कल्पना से ।
56 | Page
I ) किावनयों के पात्र ज्ादा दु खमय स्तस्थवत में थे ।
I बाल्यावस्था
Ii वृद्धावस्था ।
Iii युवावस्था ।
I संगतकार ।
Iii एक किानी यि भी ।
Iv और क्या वलखूाँ ।
पवठत गद्यांर् -2
वगरती आवथाक स्तस्थवत ने िी उनके व्यस्तक्तत्व के सारे सकारात्मक पिलुओं को वनचोडना िुरू कर
वदया। वसकुडती आवथाक स्तस्थवत के कारण और अवधक ववस्फाररत उनका अिं उन्हें इस बात तक की
अनुमवत निीं दे ता था वक वे कम-से-कम अपने बच्चों को तो अपनी आवथाक ववविताओं का भागीदार
बनाएाँ । नवाबी आदतें, अधूरी मित्त्वाकांिाएाँ , िमेिा िीषा पर रिने के बाद िाविए पर सरकते चले
जाने की यातना क्रोध बनकर िमेिा मााँ को कंपाती, थरथराती रिती थी। ‘अपनों' के िाथों ववश्वासघात
की जाने की कैसी गिरी चोटें िोंगी, वे वजन्होंने आाँ ख मूंदकर सबका ववश्वास करने वाले वपता को बाद
के वदनों में इतना िक्की बना वदया था वक जब-तब िम लोग भी उसकी चपेट में आते िी रिते।
57 | Page
व्यस्तक्तत्व के सकारात्मक पिलू सामने आए
i) उनपर वचलाते थे ।
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(a) आं दोलनकारी
(b) अविष्ट्
(c) वबगडै ल
(d) झगडालू
(a) विविकाओं से
(b) लेस्तखका से
(c) लोगों से
(d) छात्रों से
(a) वचंता
(b) प्रसन्नता
(c) गवा
(d) क्रोध
(a) िैिवणक
(b) समाज-सुधार
(c) लेखन
(a) सिनिील
(b) सरल
(c) झगडालू
(d) सनकी
59 | Page
(a) दस
(b) आि
(c) पााँच
(d) सात
(a) मााँ का
(b) वप्रंवसपल का
(c) वपता का
(a) गुस्सैल
(b) उद्दं ड
(c) िमीला
(d) स्वतंत्रता-सेनानी
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नौबतखाने में इबादत लेखक- यती ंर वमश्र
पवठत गद्यांर् - 1
ििनाई के इसी मंगलध्ववन के नायक वबस्तस्मला खााँ सािब अस्सी बरस से सुर मााँग रिे िैं। सच्चे सुर
की नेमत अस्सी बरस की पााँचों वक्त वाली नमाज इसी सुर को पाने की प्राथाना में वषा िो जाती िै।
लाखों सजदे इसी एक स सुर की इबादत में खुदा के आगे झुकते िैं। ये नमाज के बाद सजते में िैव
मेरे मावलक एक सुर ब दे सुर में वि तामौर पैदा कर की आाँ खों में ये मौत की तरि अनगढ आाँ सू
वनकल आएाँ । उनको यकीन िै कभी खुदा यूाँ िी उन पर मेिरबान िोगा और अपनी झोली से सुर
काफल वनकालकर उनकी और उछलेगा वफर किे गा, मे जा अमीरुद्दीन इसको खा ले और कर से
अपनी मुराद पूरी ।
1. यिााँ वबस्तस्मला खााँ के वलए कौन सा वविेषण प्रयोग वकया गया िै ?
1.उस्ताद 2. अमीरुद्दीन
3. मंगलध्ववन के नायक 4. मावलक
2. वबस्तस्मला खााँ नमाज के बाद सजदे में क्या मााँगते रिे ?
1. यि 2. सुर
4. पुत्र 3. धन
3. वबस्तस्मला खााँ को क्या ववश्वास िै ?
1. खुदा उनकी प्राथाना सुन सकता िै 2. खुदा उनकी मुराद पूरी करे गा
3. खुदा उन्हें यि अवश्य दे गा 4. खुदा उनकी प्राथाना अनसुनी कर सकता िै
4. गद्यांि में वबस्तस्मला खााँ के व्यस्तक्तत्व की वकस वविेषता का पता चलता िै ?
1. आलसी 2. वमलनसार
3. लोभी 4. ववनम
5. वनम्न में से कौन सा ववकल्प "मुराद" िब्द का समानाथी निीं िै ?
1. कामना 2. अवभलाषा
3. वजजीववषा 4. आकांिा
पवठत गद्यांर् - 2
इस वदन खााँ सािब खडे िोकर ििनाई बजाते िैं व दालमंडी में फातमान के करीब आि वकलोमीटर
की दू री तक पैदल रोते हुए नौिा बजाते जाते िैं। इस वदन कोई राग निीं बजता राग- रावगवनयों की
अदायगी का वनषेध िै इस वदन । उनकी आाँ खें इमाम हुसैन और उनके पररवार के लोगों की ििदत में
नम रिती िैं। आजदारी िोती िै। िजारों आाँ खें नम | िज़ार बरस की परं परा पुनजीववत । मुिरा म संपन्न
िोता िै। एक बडे कलाकार का सिज मानवीय रूप ऐसे अवसर पर आसानी से वदख जाता िै ।
61 | Page
3. रोते हुए नौिा बजाने से वबस्तस्मला खााँ की वकस वविेषता का पता चलता िै ? भी ििनाई बजा सकते
थे
क. रोते हुए भी ििनाई बजा सकते िैं
ख. वे नौिा भी बजा सकते थे
ग. सुप्रवसद्ध कलाकार िोकर भी वे परं पराओं का आदर करते थे
घ. वे बहुत पररश्रमी थे
4. इनमें कौन सा कथन वबस्तस्मला खााँ के व्यस्तक्तत्व की वविेषता की पुवष्ट् निीं करता िै ?
क. वे श्रेष्ठ कलाकार थे
ख. वे उच्चकोवट के कलाकार िोने के साथ अच्छे इं सान भी थे ।
ग. वे संवेदनिीन व्यस्तक्त थे
घ. वे धावमाक तथा परं पराओं का पालन करनेवाले थे ।
5. प्रस्तुत पाि के लेखक का नाम िै
क. स्वयं प्रकाि ख. रामवृिवीनी पूरी
ग. यतीद्र वमश्र घ. यश्पाल
पवठत गद्यांर् - 3
अक्सर किते िैं क्या करें वमयााँ , ई कािी छोडकर किााँ जाएाँ , गंगा मइया यिााँ , बालाजी का
मंवदर यिााँ, बाबा ववश्वनाथ यिााँ, यिााँ िमारे खानदान की कई पुश्ों ने ििनाई बजाई िै , िमारे
नाना तो विीं बालाजी मंवदर में बडे प्रवतवष्ठत ििनाईवाज़ रि चुके िैं। अब िम क्या करें ,
मरते दम तक न यि ििनाई छूटे गी न कािी। वजस जमीन ने िमें तालीम दी, जिााँ से अदब
पाई, वो किााँ और वमलेगी? ििनाई और कािी से बढकर कोई जन्नत निीं इस धरती पर िमारे वलए ।
1. "ई कािी छोडकर किााँ जाएाँ वाक्य में वबस्तस्मला खााँ के मन का कौन सा भाव प्रकट िोता िै ?
क. कािी के प्रवत गिरे लगाव का ख. लालच का
ग. के प्रवत संकीणा मानवसकता का घ. इनमें से कोई निीं
2. वनम्न में से क्या कािी में निीं िै ?
क. पावन गंगा नदी ग. मुस्तक्तदावयनी आश्रम
ख. बाबा ववश्वनाथ का मंवदर घ. बालाजी का मंवदर
3. कािी से वबस्तस्मला खााँ का पैतृक लगाव िै। यि भाव व्यक्त करने वाला कथन िै ?
क. वे कािी के मंवदर में ररयाज करते थे ।
ख. वे यिीं आइस्क्रीम और कचौवडयााँ खाया करते थे ।
ग. उनकी कई पीवढयााँ यिााँ पैदा हुई थीं ।
घ. उनकी कई पीवढयों ने यिााँ ििनाई बजाई िै
4. वबस्तस्मला खााँ ने ििनाई वादन में वकस जगि से प्रवीणता प्राप्त की?
क. डु मरााँव ख. कािी
ग. प्रयाग घ. िररिार
5. वबस्तस्मला खााँ कािी को क्या मानते िैं?
क. स्वगा ख. मन्नत
ग. मोिदावयनी घ. अमानत
नौबतखाने में इबादत
बहुविकल्पी प्रश्न
1 वबस्तस्मला खााँ खुदा से क्या मााँगते िैं ?
62 | Page
(a) पररवार की सलामती
(b) सच्चे सुर का वरदान
(c) अपनी खुिी
(d) एक ििनाई
2. अवधी पारं पररक लोकगीतों एवं चैती में वकसका उलेख बार-बार वमलता िै ?
(a) ििनाई का
(b) िोली का
(c) भस्तक्त का
(d) इनमें से कोई निीं
3. िास्त्रों में कािी वकस नाम से प्रवतवष्ठत िै ?
(a) आनंदवन
(b) सोमवन
(c) स्वगामागा
(d) आनंदकानन
4. कािी वकसकी पाििाला िै?
(a) संस्कृत की
(b) संस्कृवत की
(c) संगीत की
(d) नृत्य की
5. मुसलमान मुिरा म में वकतने वदन का िोक मनाते िैं ?
(a) बीस वदन का
(b) पााँच वदन का
(c) दस वदन का
(d) एक वदन का
6. अमीरूद्दीन का नवनिाल किााँ िै ?
(a) कािी
(b) डु मरााँव
(c) कानपुर
(d) लखनऊ
63 | Page
(c) कला-आयोजन
(d) इनमें से कोई निीं
10.कािी का संगीत-आयोजन वकस अवसर पर िोता िै ?
(a) िनुमान-जयंती के अवसर पर
(b) जन्माष्ट्मी के अवसर पर
(c) रामलीला के अवसर पर
(d) इनमें से कोई निीं
पवठत गद्यांर् –1
वजस व्यस्तक्त में पिली चीज वजतनी अवधक व जैसी पररष्कृत मात्रा में िोगी, वि व्यस्तक्त उतना िी
अवधक व वैसा िी पररष्कृत आववष्कताा िोगा । एक संस्कृत व्यस्तक्त वकसी नई चीज की खोज करता िै
वकंतु उसकी संतान को वि वस्तु अपने पूवाज से अनायास िी प्राप्त िो जाती िै। वजस व्यस्तक्त की बुस्तद्ध
ने अथवा वववेक ने वकसी भी नए तथ्य का दिान वकया वि व्यस्तक्त िी वास्तववक संस्कृत व्यस्तक्त िै और
उसकी संतान वजसे अपने पूवाज से वि वस्तु सिज प्राप्त िो गई िै वि अपने पूवाज की भांवत सभ्य भले
िी बन जाए, संस्कृत निीं किला सकता। एक आधुवनक उदािरण लें - न्यूटन ने गुरुत्वाकषाण के
वसद्धांत का आववष्कार वकया। वि संस्कृत मानव था। आज के युग में भौवतक ववज्ञान का ववद्याथी न्यूटन
के गुरुत्वाकषाण वसद्धांत से तो पररवचत िै िी लेवकन उसके साथ उसे और भी अनेक बातों का ज्ञान
प्राप्त िै, वजनसे िायद न्यूटन अपररवचत िी रिा। ऐसा िोने पर भी िम आज के भौवतक ववज्ञान के
ववद्याथी को न्यूटन की अपेिा अवधक सभ्य भले िी कि सकें पर न्यूटन वजतना संस्कृत निीं कि
सकते।
क) सुसंस्कृत मानव
(ख) सभ्य मानव
(ग) सुयोग्य मानव
(घ) इनमें से कोई निीं
64 | Page
(ख) वजज्ञासु और पररश्रमी
(ग) मानवतावादी
क) गुरुत्वाकषाण के वसद्धांत का
(ख) जैववक ववकास के वसद्धांत का
(ग) कोविका वसद्धांत का
(घ) इनमें से कोई निीं
पवठत गद्यांर् - 2
िमारी सभ्यता का एक बडा अंि िमें ऐसे संस्कृत आदवमयों से िी वमला िै , वजनकी चेतना पर स्थूल
भौवतक कारणों का प्रभाव प्रधान रिा िै। भौवतक प्रेरणा, ज्ञानेप्सा– क्या ये दो िी मानव संस्कृवत के
माता-वपता िै ? दू सरे के मुंि में कौर डालने के वलए जो अपने मुंि का कौर छोड दे ता िै , उसको यि
बात क्यों और कैसे सूझती िै ? रोगी बच्चे को सारी रात गोद में वलए जो माता बैिी रिती िै , वि
आस्तखर ऐसा क्यों करती िै ? सुनते िैं वक रूस का भाग्यववधाता लेवनन अपनी डै स्क में रखे हुए डबल
रोटी के सूखे टु कडे स्वयं न खाकर दू सरों को स्तखला वदया करता था। वि आस्तखर ऐसा क्यों करता था?
संसार के मजदू रों को सुखी दे खने का स्वप्न दे खते हुए काला माक्सा ने अपना सारा जीवन दु ख में वबता
वदया । और इन सबसे बढकर आज निीं, आज से ढाई िजार वषा पूवा वसद्धाथा ने अपना घर केवल
इसवलए त्याग वदया वक वकसी तरि तृष्णा के विीभूत लडती कटती मानवता सुख से रि सके।
65 | Page
क) वकसी भूखे को भोजन कराना
(ख) ज्ञानेसा में समय वबताना
(ग) रोगी वििु की सेवा में मां का रात भर जागना
(घ) ववकल्प क और ग दोनों सिी िैं
3. गद्यांि में मानवता के विताथा अपना सवास्व जागने वाली वकन मिान ववभूवतयों का उलेख िै ?
क) लेवनन
(ख) काला माक्सा
(ग) गौतम बुद्ध
(घ) उपयुाक्त सभी
4. रोगी बच्चे को मां सारी रात गोद में क्यों बैिाए रिती िै ?
क) स्वाथा के कारण
(ख) भय के कारण
(ग) ममता और त्याग की भावना के कारण
(घ) उपयुाक्त सभी
पवठत गद्यांर् - 3
िमारी समझ में मानव संस्कृवत की जो योग्यता आग व सुई धागे का आववष्कार कराती िै ; वि भी
संस्कृवत िै, जो योग्यता तारों की जानकारी कराती िै ,वि भी िै ; और जो योग्यता वकसी मिामानव से
सवास्व त्याग कराती िै, वि भी संस्कृवत िै। और सभ्यता? सभ्यता िै संस्कृवत का पररणाम। िमारे खाने
– पीने के तरीके, िमारे ओढने– पिनने के तरीके, िमारे गमना – गमन के साधन, िमारे परस्पर कट
मरने के तरीके; सब िमारी सभ्यता िैं। मानव की जो योग्यता उससे आत्मा ववनाि के साधनों का
आववष्कार कराती िै, िम उसे उसकी संस्कृवत किें या असंस्कृवत? और वजन साधनों के बल पर वि
वदन – रात आत्म – ववनाि में जुटा हुआ िै , उन्हें िम उसकी सभ्यता समझे या असभ्यता? संस्कृवत का
यवद कल्याण की भावना से नाता टू ट जाएगा तो वि असंस्कृवत िोकर िी रिेगी और ऐसी संस्कृवत का
अवश्यंभावी पररणाम असभ्यता के अवतररक्त दू सरा क्या िोगा?
66 | Page
(ख) इन आववष्कारों का उपयोग करना िी िमारी सभ्यता िै
4. असभ्यता क्या िै ?
क) मानव कल्याण के ववरुद्ध सभी काया (ख) आत्म ववनाि के साधनों का आववष्कार
(a) वैज्ञावनक को
(b) वचंतनिील को
(c) आववष्कारक को
(d) लेखक को
(a) असभ्यता
67 | Page
(b) अनैवतकता
(c) असंस्कृवत
(a) सोच के
(b) संस्कृवत के
(c) वसद्धांत के
(d) आवश्यकता के
(a) ववकास-भावना से
(c) आस्था से
(d) ववनाि से
6. मौसम से बचने तथा िरीर को सजाने के वलए वकसका अववष्कार वकया गया?
(a) आभूषण
(b) वस्त्र का
(c) सूई-धागे का
68 | Page
(b) संस्कृत पढने वाला
8. मनीवषयों से वमलने वाला ज्ञान उनके वकस गुण के कारण िमें प्राप्त िोता िै ?
(a) क्रोध
(b) िे ष
(c) लोभ
(d) िवथयार
(a) संस्कार
(b) सभ्यता
(c) असभ्यता
(d) प्रवतष्ठा
69 | Page
पाठ्यपुस्तक वक्षवतज़ भाग- 2 (काव् - खण्ड )
पाि – सूरदास
पवठत काव्-खण्ड- 1
पवठत काव्-खण्ड- 2
70 | Page
(1) लालची ) परोपकारी (ख ग) धोखेबाज (घ) स्वाथी
(4)‘अनीवत’ का अथा िै -
(1) अन्याय (ख) न्याय (ग) अच्छाकोई निीं (घ
(5) गोवपयों के अनुसार सच्चा राजधमा क्या िै ?
(1) प्रजा का वित (ख)प्रजा का अवित (ग बुरा करना घ झूि बोलना
1. कृष्ण की संगवत में रिकर भी कौन उनके प्रेम से अछूते रिे िैं ?
(a) उद्धव
(b) गोवपयााँ
(c) राधा
(d) इनमें से कोई निीं
2. उद्धव के व्यविार की तुलना वकसके पत्ते से की गई िै ?
(a) पीपल के
(b) कमल के
(c) केला के
(d) नीम
3. गोवपयों को अकेला छोडकर कृष्ण किााँ चले गए थे?
(a) ब्रज
(b) िारका
(c) मथुरा
(d) वृन्दावन
4. गोवपयों को कृष्ण का व्यविार कैसा प्रतीत िोता िै ?
(a) उदार
(b) छलपूणा
(c) वनष्िु र
(d) इनमें से कोई निीं
5 .गोवपयााँ स्वयं को क्या समझती िैं?
(a) डरपोक
(b) वनबाल
(c) अबला
(d) सािसी
6. इनमें से वकस पिी की तुलना गोवपयों से की गई िै ?
(a) कोयल
(b) मोर
(c) िाररल
(d) चकोर
वकस7. ने प्रेम की मयाादा का उलंघन वकया िै ?
(a) गोवपयों ने
(b) उद्धव ने
71 | Page
(c) राजा ने
(d) कृष्ण ने
पवठत काव्-खण्ड- 1
नाथ संभुिनु भंजवनिारा।
िोइवि केउ एक दास तुम्हारा ॥
आयेसु काि कविअ वकन मोिी।
सुवन ररसाइ बोले मुवन कोिी ।
सेिकु सो जो करै सेिकाई।
अरर करनी करर कररअ लराई ।
सुनहु राम जेवि वसििनु तोरा।
सिसबाहु सम सो ररपु मोरा ॥
बहुववकल्पी प्रश्नों के उवचत ववकल्प चुनकर वलस्तखए:
(क) श्रीराम ने परिुराम के वलए वकस िब्द का संबोधन वकया?
(i) भंजनिारी (ii) संभु (iii) नाथ (iv) दास
उत्तर:- नाथ
(ख) भंजवनिारा का अथा िै-
(i) टु कडे करने वाला (iii) ित्रु (ii) वमत्र (IV) सेवक
उत्तर:- टु कडे करने वाला
(ग) धनुष था -
(i) विव धनुष (ii) ब्रह्म-धनुष (iii) राम धनुष (iv) ववष्णु परिु
उत्तर:- विव धनुष
(घ) परिुराम विव धनुष तोडने वाले को वकसके समान अपना ित्रु मानते िैं ?
(i) सिसबाहु के समान (ii) दसानन के समान (iii) लक्ष्मण के समान (iv) दिरथ के
समान
उत्तर:- सिसभाऊ के समान
(ङ) वकसने विव धनुष पर प्रत्यंचा चढाई?
(i) रावण (ii) राम (iii) लक्ष्मण (iv)परिुराम
उत्तर - राम
पवठत काव्-खण्ड- 2
72 | Page
1. इिााँ कुम्हड बवतआ कोउ नािीं पंस्तक्त से क्या आिय िै ?
(क) यिााँ मूखा की तरि बातें करने वाला कोई निीं ।
(ख) यिां कोई भी कुम्हडे की बवतया के समान (वनबाल) निीं िै।
(ग) यिां कोई भी कुम्हार के घडे के समान निीं िै।
(घ) यिां कोई भी मेरे जैसा िूर-वीर निीं िै ।
2) लक्ष्मणजी ने मुवन परिुरामजी के वकस स्वभाव पर व्यंग्य वकया िै ?
(क) चाटु काररता
(ख) आलसीपन
(ग) मधुरा
(घ) बडबोलापन
(3) कोवट कुवलस सम बचनु तुम्हारा। अलंकार पिचान कर वलस्तखए?
(क) उपमा और अनुप्रास अलंकार
(ख) पुनरुस्तक्त प्रकाि अलंकार
(ग) उत्प्रेिा अलंकार
(घ) यमक
(4) वकसके वि में आकर लक्ष्मण के मुंि से िोिपूवाक बातें निी वनकल रिे िै ?
(क) मोि (ख) काल (ग) लोभ (घ) डर
(5) राम लक्ष्मण परिुराम संवाद में वकस छन्द का प्रयोग हुआ िै ?
(क) सवैया (ख) दोिा और चौपाई (ग) सोरिा (घ) रोला
बहुविकल्पी प्रश्न
(a) विव के
(b) राम के
(c) वपता के
(d) ववश्वावमत्र के
(a) लक्ष्मण ने
(b) परिुराम ने
(c) ववष्णु ने
(d) विव ने
73 | Page
(a) वज्र के
(b) लोिे के
(c) पत्थर के
(d) लोिे के
(a) घर में
5 लक्ष्मण का यि कथन ‘एक फूाँक से पिाड उडाना’ परिुराम के वकस गुण को दिाा ता िै?
(a) योद्धा
(b) कायर
(c) सािसी
(d) मूखाता
(a) गुरू के
(b) वपता के
(c) प्रेयसी के
(a) वपता
(b) ईश्वर
(c) गुरू
(d) सेवक
74 | Page
(b) आलसीपन
(c) मधुर
(d) बडबोलापन
पाठ - आत्मकथ्य
पवठत काव्-खण्ड- 1
पवठत काव्-खण्ड-2
75 | Page
सुनकर क्या तुम भला करोगे मेरी भोली आत्म-कथा ?
(a) खुवियों की
(b) उदासी का
(c) वनरािाओं का
(a) मधुर
(b) उग्र
(c) कोमल
(d) सरल
76 | Page
3. कवव के जीवन की गागर कैसी िै ?
(a) रं गीन
(b) खाली
(c) भरी
d) सुनिरी
(a) मौन
(b) अवधक
(c) कम
(a) प्रेवमका ने
(b) वमत्रों ने
(c) संबंवधयों ने
(a) कवव
77 | Page
पाि- उत्साि - सूयगकांत वत्रपाठी 'वनराला'
पवठत काव्-खण्ड- 1
बादल गरजो –
घेर घेर घोर गगन, धाराधर ओ!
लवलत लवलत काले घुाँघराले ,
बाल कल्पना के से पाले,
ववधुत छवव उर में, कवव, नवजीवन वाले!
वज्र वछपा, नूतन कववता वफर भर दो
78 | Page
4. अट निीं रिी िै कववता में कवव की आाँ ख किााँ से निीं िट रिी िै ?
[क] बादल [ख] क्रांवतकारी पुरुष [ग] प्राकृवतक सुंद [घ] सूया
5. 'अट निीं रिी िै कववता में कवव ने वकस मास की मादकता का वणान वकया िै ?
[क] सावन [ख] आषाढ [ग] कावताक [घ] फागुन
उत्तर: 1. [ख], 2. [क], 3. [घ], 4. [ग], 5. [घ]
बहुविकल्पी प्रश्न
79 | Page
8. बादल अपनी गजान-तजान से वकसे घेर लेता िै ?
(a) समुद्र को
(b) पृथ्वी को
(c) आकाि को
(d) इनमें से कोई निीं
9. फागुन मास के कारण लोगों के चेिरे पर क्या िै ?
(a) मायूसी
(b) डर
(c) दु ःख
(d) खुिी
10. बादल को कवव ने गरजने के वलए किा िै , वजससे वक वातावरण में-
(a) जोि और क्रांवत फ़ैल सके|
(b) गमी समाप्त िो सके|
(c) बच्चे डर जाए|
(d) इनमें से कोई निीं
पवठत काव्-खण्ड- 1
बांस था वक बबूल?
80 | Page
(ग) मुस्काते समय वििु के नवोवदत दांतो की झलक वदखाई दे ने के कारण
क) बृज भाषा पद
पवठत काव्-खण्ड- 2
मैं न सकता दे ख
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मैं न पाता जान
क) वििु का भाई
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4. ‘मधुपका’ का प्रतीकात्मक अथा क्या िै ?
पाठ - फसल
पवठत काव्-खण्ड- 1
एक के निीं
दो के निीं
एक के निीं
दो के निीं
एक की निीं
दो की निीं
फसल क्या िै ?
और तो कुछ निीं िै वि
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िाथों के स्पिा की मविमा िै
2. पानी, धूप और वायु के अवतररक्त फसल अपने अस्तस्तत्व के वलए वकस पर आधाररत िोती िै
क) वमट्टी के गुणों पर
(ख) उसकी दे खभाल करने वालों पर
(ग) उसको खरीदने वालों पर
(घ) उपयुाक्त सभी
क) कृषक अपने िाथों से छूकर फसल को पूणा रूप प्रदान करते िैं
(ख) कृषक अपने िाथों से किोर पररश्रम करके फसल को पूणा रूप प्रदान करते िैं
(ग) िाथों का स्पिा करके फसल स्वयं बडी िो जाती िै
(घ) उपयुाक्त सभी
क) वमट्टी का रं ग
(ख) वमट्टी का धमा
(ग) वमट्टी में ववद्यमान पोषक एवं खवनज तत्व
(घ) इनमें से कोई निीं
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क) वनरं तर बिती हुई धीमी िवा
(ख) िवा का बहुत जोर से चलना
(ग) िवा का वथरकनाना
(घ) आं धी तूफान आना
बहुविकल्पी प्रश्न
(a) बिन
(b) नानी
(c) मााँ
(a) बीजों का
(c) पौधों का
(a) बच्चों को
(b) फसलों को
(c) पेडों को
(d) जानवरों को
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(a) कवव की
(b) पवियों की
(c) वकसानों की
(d) फसलों की
(a) सूरज
(b) कमल
(b) गुवडया की
(c) पवियों की
(a) लडकी
(b) वकसान
(c) वििु
(d) मेिमान
(a) बादलों के
(b) तालाब के
(c) नवदयों के
(d) निरों के
(a) वकसानों की
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(b) बच्चों की
(c) कवव की
(a) जल
(b) फसल
(c) िवा
(d) धूप
संगतकार
पवठत काव्ांर् -1
जब वि नौवसस्तखया था ।
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i) सरगम को ।
ii) धरा को ।
iii) गगन को ।
iv) जगत को ।
i) कवव ।
ii) श्रोता ।
iv) संगतकार ।
i) संगतकार को ।
iii) श्रोतागण को ।
पवठत काव्ांर् -2
या उसका विष्य ।
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या पैदल चलकर सीखने आने वाला दू र का कोई ररश्ेदार
(च) मुख्य गायक के भारी स्वर के साथ वकसकी आवाज वमली थी?
i) प्रिंसकों की ।
ii) संगतकार की ।
iv) कवव की ।
i) किोर आवाज थी ।
i) वपताजी था ।
ii) दोस्त था ।
iii) प्रिंसक था ।
(झ) मुख्य गायक की आवाज में संगतकार अपनी आवाज कब से वमला रिा िै ?
i) आज से ।
ii) एक वषा से ।
iv) कल से ।
(ञ) उपरोक्त पद्यांि कौन-सी कववता से उद् धृत िैं ? कवव/कववयत्री का नाम भी बताइये ।
i) ॠतुराज, कन्यादान ।
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ii) मंगलेि डबराल, संगतकार ।
बहुविकल्पी प्रश्न
संगतकार(मंगलेि डबराल)
2.वकसके गायन को सफल और प्रभावी बनाने में उसके संगतकार की भूवमका मित्त्वपूणा िोती िै ?
(b) श्रोता के
(c) छात्र के
3.मुख्य गायक से अवधक ऊाँचे स्वर में गाना वकसके लक्ष्य के ववरूद्ध िै ?
(a) मनुष्यों के
(b) नेताओं के
(c) कवव के
(d) संगतकार के
4.कवव संगतकार िारा अपने स्वर को मुख्य गायक के स्वर से कम रखने को क्या मानता िै ?
(a) समझदारी
(b) ईमानदारी
(c) चालाकी
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(d) मनुष्यता
(a) कवव
(b) संगतकार
(b) श्रोता
(c) संगतकार
7.मुख्य गायक की गरजदार आवाज में अपनी गूाँज वमलाने का काम वकसका िै ?
(a) संगतकार
(b) कवव
(d) विष्य
(a) मधुर
(b) ककाि
(c) टू टती-वबखरती
(b) संगतकार के
(c) अवभनेता के
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(d) इनमें से कोई निीं
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पाठ्यपुस्तक वक्षवतज़ भाग- 2 (गद्य खण्ड से िणगनात्मक / बोिात्मक प्रश्न
प्रश्न 1 सेनानी न िोते हुए भी चश्मेिाले को लोग ‘कैप्टन’ क्यों किते थे?
उत्तर- चश्मेवाला न तो सेनानी था, न िी वि नेताजी का साथी था और न आजाद विंद फौज का भूतपूवा
वसपािी| वफर भी लोग उसे ‘कैप्टन’ किकर बुलाते थे| उसे दे िभक्तों से बहुत प्रेम था, क्योंवक उसके
अंदर दे िभस्तक्त की भावना कूट-कूटकर भरी हुई थी| वि नेताजी का अवधक सम्मान करता था इसवलए
वि वबना चश्मे वाली नेताजी की मूवता दे खकर दु खी िोता था| अतः वि उनकी मूवता को बार-बार चश्मा
पिनाकर उनके प्रवत अपनी श्रद्धा प्रकट करता था| लोग उसकी दे िभस्तक्त की भावना को दे खकर
व्यंग्य रूप में उसे ‘कैप्टन’ किकर बुलाते थे|
प्रश्न 2 िालदार सािब ने डर ाइिर को पिले चौरािे पर गाडी रोकने के वलए मना वकया था, लेवकन
बाद में तुरंत रोकने को किा-
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“बार-बार सोचते,क्या िोगा उस कौम का जो अपने दे र् की खावतर घर- गृिस्थी- जिानी-
वजंदगी सब कुछ िोम कर दे नेिालों पर भी िँसती िैं और अपने वदए वबकने के मौके ढू ँ ढती िै|”
उत्तर- िालदार सािब चश्मे वाले की मृत्यु की खबर से भावुक िो गए| वे सोचने लगे वक उन लोगों का
क्या िोगा, जो सच्चे दे ि भक्तों पर िाँसते िैं | सच्चे दे िभक्त दे ि के वलए अपने घर-गृिस्थी,
युवावस्था,वजंदगी आवद सब कुछ न्योछावर कर दे ते िैं , लेवकन स्वाथी लोग उनका मजाक उडाते िैं
और स्वयं दे ि के बारे में वबिुल निीं सोचते| लालच में आकर वे अपने को भी बेचने के वलए तैयार िो
जाते िैं| िालदार सािब सोचते िैं वक वजस दे ि में लोग अपने स्वाथा- वसस्तद्ध तो ‘येन-केन-प्रकारे ण’ करते
िैं, पर दे ि पर सवास्व बवलदान कर दे ने वालों का मजाक उडाते िैं , उस दे ि का भववष्य उिवल कैसे
िोगा|
अथिा
उत्तर - कस्बे के चौरािे पर पानवाले की दु कान िै | विााँ िमेिा भीड लगी रिती िै | पानवाला िमेिा
पान खाता रिता िै| उसके मुिाँ में िमेिा पान िूाँसा रिता िै | वि काला तथा मोटा िै | वि खुिवमजाज
िै| उसकी तोंद वनकली हुई िै और जब वि िाँसता िै तो उसकी तोंदवथरकती िै उसके दााँत पान खाने
के कारण लाल- काले िैं |कस्बे की सारी जानकारी उसके पास िोती थी, वजसे वि अपने ग्रािकों को
रसीले अंदाज में िास्य तथा व्यंग्य का पुट दे कर सुनाता था| कैप्टन को लंगडा तथा पागल कि कर
उसकी मजाक उडाने वाला विी पानवाला कैप्टन की मृत्यु के पश्चात उसे याद करते हुए भावुक भी िो
उिता िै|
अथिा
उत्तर- िमें पानवाले का कैप्टन को लंगडा तथा पागल किना अच्छा निीं लगा, क्योंवक वि सच्चे
दे िभक्त का मजाक उडा रिा था| कैप्टन के दे ि प्रेम को वि उसका पागलपन समझता था| कैप्टन के
प्रवत उसके मन में आदर- प्रेम जैसी कोई भावना निीं थी| पानवाले के िारा ऐसी वटप्पणी करना अच्छी
बात निीं| इस दृवष्ट् से िमें पानवाले का व्यविार अनुवचत लगा| कैप्टन ने चश्मा लगाकर एक तरफ
नेताजी की मूवता को पूणाता प्रदान की, तो दू सरी तरफ कस्बे की कमी पर पदाा डाला| ऐसे दे ि भक्तों के
हृदयगत भावों की उपेिा करके अपने ग्रािकों के सामने पान बेचते हुए बातों के चटपटे मसाले के रूप
में अपिब्द किना अत्यंत दु भााग्यपूणा िै |
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प्रश्न 1 वजस वकसी ने नेता जी की मूवतग की आं खों पर सरकंडे से बना चश्मा लगाया िोगा उसे
आप वकस तरि का व्न्ि मानते िैं और क्यों?
उत्तर - वजस वकसी ने भी नेताजी की मूवता की आाँ खों पर सरकंडे से बना चश्मा लगाया िोगा, वि दे ि
से एवं दे ि के मिान नेताओं से अत्यंत प्रेम करने वाला व्यस्तक्त िोगा| उसमें दे िभस्तक्त की भावना प्रबल
रूप से व्याप्त िोगी और वि दे ि के प्रवत अपने उत्तरदावयत्वों से अच्छी तरि पररवचत िोगा| मैं मानता
हाँ वक वि व्यस्तक्त गंभीर एवं सच्चा दे िभक्त िोगा, जो दे ि एवं दे ि के मिान नेताओं के प्रवत अत्यंत
प्रेम की भावना रखता िै| जब उसे नेताजी की मूवता वबना चश्मे के अधूरी लगी िोगी, तब उसके अंदर
दे ि- प्रेम की भावना उत्पन्न हुई िोगी| वि बार-बार चश्मा बदलने की आवथाक स्तस्थवत में भी निीं िोगा|
अतः उसने कम लागत वाले सरकंडे का चश्मा लगनपूवाक बनाकर नेताजी की मूवता को पिनाया िोगा
और उनके व्यस्तक्तत्व के अधूरेपन को समाप्त कर वदया िोगा| अवधक संभावना यि िै वक ऐसा वकसी
बच्चे ने वकया िोगा| िम अपनी ऐसी भावी पीढी पर गवा कर सकते िैं |
प्रश्न 2 मूवतगकार के द्वारा मूवतग बनाकर पटक दे ने के पीछे क्या भाि वनवित िै ?
उत्तर- मूवताकार िारा ‘मूवता बनाकर पटक दे ने’ का भाव यि िै वक मूवता में सूक्ष्म बारीवकयों का ध्यान
अवधक निीं रखा गया था| उसे दे खने से लगता िै वक इस मूवता को बनानेवाला कलाकार बहुत उच्च
दजे का निीं था और उसे बनाने के वलए उसे पयााप्त समय भी निीं वमला िोगा| बहुत जल्दबाजी में उसे
काम पूरा करने के वलए पयााप्त रावि भी निीं वमली िोगी| वकसी स्थानीय कलाकार ने िी उसे कम
समय में तैयार करने का ववश्वास वदलाया िोगा| कम पूंजी एवं कम समय के कारण तथा उत्कृष्ट् कला-
कौिल के अभाव में वबना सूक्ष्म तत्वों का ध्यान रखे वकसी तरि मूवता बनाकर वि अपनी वजम्मेदारी से
मुक्त िो गया| ‘मूवता बनाकर पटक दे ने’ के पीछे यिी भाव वनवित िै |
प्रश्न 3 िम सभी कैसे अपने दै वनक कायों से वकसी-न-वकसी रूप में अपने दे र्- प्रेम को प्रकट
कर सकते िैं ?
उत्तर- दे ि की रिा में योगदान दे कर केवल सैवनक िी दे ि- प्रेम प्रकट निीं करते िैं , बस्ति िम सभी
वकसी- न- वकसी रूप में दे ि -प्रेम को प्रकट कर सकते िैं , जैसे-
उत्तर- आज आधुवनकता ने मनुष्य को स्वाथी तथा आत्म- केंवद्रत बना वदया िै | लोगों के मन में दे ि-
प्रेम की भावना िै िी निीं| लोग अवधकार तो जानते िैं , परं तु कताव्य भूल गए िैं | जो दे ि से प्रेम करते िैं
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तथा स्वतंत्रता सेनावनयों के प्रवत आदर- सम्मान की भावना रखते िैं , स्वाथी लोग उनका मजाक उडाते
िैं, उन्हें पागल किते िैं | इस प्रकार दे िभस्तक्त की भावना आजकल मजाक की चीज बनती जा रिी िै|
प्रश्न 5 यि क्यों किा गया वक मित्व मूवतग के रं ग- रूप या कद का निी ं, उस भािना का िै ? पाठ
नेताजी का चश्मा के आिार पर बताओ|
उत्तर- ‘मित्व मूवता के रूप- रं ग या कद का निीं, उस भावना का िै ’- ऐसा इसवलए किा गया वक
काया चािे बडा िो या छोटा यवद वन:स्वाथा भाव से वकया गया िो, तो मिान बन जाता िै | कस्बे के
चौरािे पर नेताजी की मूवता लगाई गई| उसके पीछे भावना यि थी वक लोग उसे दे खें और नेताजी के
त्याग- बवलदान को याद करें | स्वयं भी उनसे प्रेरणा लेकर मिान काया करें |
प्रश्न 6 िालदार सािब कैप्टन को दे खकर अिाक क्यों रि गए? ‘नेताजी का चश्मा’ पाठ के
आिार पर वलन्खए|
उत्तर- जब तक िालदार सािब ने कैप्टन को सािात निीं दे खा था तो उनके मानस पटल पर कैप्टन के
रूप में एक अनुिावसत, प्रभाविाली व्यस्तक्तत्व के स्वामी, िष्ट्- पुष्ट् सैवनक की छवव अंवकत थी| अपनी
कल्पना के ववपरीत कैप्टन को अत्यंत बूढा, कमजोर, वनधान और वदव्यांग व्यस्तक्त के रूप में सामने
पाकर िालदार सािब अवाक् रि गए| वे कैप्टन जैसे व्यस्तक्त में व्याप्त असीम दे िभस्तक्त की भावना का
अनुभव कर श्रद्धा से नतमस्तक िो गए|
प्रश्न 7 ‘पानिाला एक िँसमुख स्वभाि िाला व्न्ि िैं, परं तु उसके हृदय में संिेदना भी िै |’ इस
कथन पर अपने विचार व्ि कीवजए|
उत्तर- पानवाला प्रभाव से बहुत िी िाँसमुख और मजावकया था| वि कैप्टन का बहुत मजाक बनाता
था, वकंतु उसके हृदय में संवेदना भी थी| िालदार सािब िारा मूवता पर कोई चश्मा न िोने का कारण
पूछे जाने पर वि उदास िो गया और आाँ खों को पोंछते हुए उसने कैप्टन की मृत्यु की सूचना दी|
उत्तर- ‘नेताजी का चश्मा’ पाि में दे िभस्तक्त और दे िप्रेम का संदेि वदया गया िै | पाि में बताया गया
िै वक दे िभस्तक्त की भावना वकसी भी व्यस्तक्त में, वकसी भी रूप में िो सकती िै | उसको व्यक्त करने
का तरीका सबका अलग- अलग िो सकता िै | अपनी संस्कृवत पर ववश्वास िोना चाविए, अपने दे ि के
मिापुरुषों पर श्रद्धा व प्रेम-भाव िोना चाविए| इसका संबंध िमारी भावना से िोता िै | इस को प्रकट
करने के वलए वकसी वविेष साधन की आवश्यकता निीं िोती|
प्रश्न 9 िालदार सािब के विचार से दे र् को स्वतंत्र कराने िाले लोग कैसे थे और उनका उपिास
करने िाले आज के दे र्िासी कैसे िो गए िैं ?
उत्तर- िालदार सािब के अनुसार दे ि को स्वतंत्र कराने वाले लोगों ने अपना पूरा जीवन दे ि पर
न्योछावर कर वदया| घर- गृिस्थी के सुख को अनदे खा कर दे ि को स्वतंत्र कराने में अपने प्राणों का
बवलदान तक करने में पीछे निीं िटे , जबवक आज के दे िवासी दे िभक्तों का उपिास उडाने वाले,
स्वाथी व भौवतकवादी िोकर दे िवित की भावना से ववमुख िोकर अवसरवादी बनते जा रिे िैं |
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प्रश्न 10 िालदार सािब को नेताजी की मूवतग को दे खकर कैसा अनुभि हुआ था और क्यों?
पिली बार में पान के पैसे चुकाकर जब िे चलने लगे तो िे वकसके प्रवत नतमस्तक हुए थे?
उत्तर- नेताजी की पत्थर की मूवता पर असली चश्मा दे खकर िालदार सािब को बडा वववचत्र लगा और
वे मुस्काए| चश्मेवाले की दे िभस्तक्त के प्रवत सम्मान की भावना दे खकर वि कैप्टन (चश्मेवाले) के प्रवत
नतमस्तक हुए लेवकन पानवाले िारा कैप्टन का मजाक उडाते हुए उसे लंगडा किा जाना िालदार
सािब को अच्छा निीं लगा|
बालगोवबन भगत
प्रश्न-1) भगत की पुत्रििू उन्हें अकेले क्यों निी ं छोडना चािती थी?
उत्तर भगत की पुत्रवधू उन्हें अकेले इसवलए निीं छोडना चािती थी क्योंवक पुत्र की मृत्यु के पश्चात वि
वबिुल अकेले पड गए थे ।भगत की उम्र अवधक िो गई थी इस उम्र में वि वकसी के सिारे के वबना
निीं रि सकते थे । पुत्रवधू को उनकी भोजन की वचंता थी तथा बीमार पडने पर उनकी दवा और सेवा
कौन करे गा? यि सब सोचकर वि भगत जी को अकेला निीं छोडना चािती थी।
प्रश्न 2)बाल गोवबन भगत की वदनचयाग लोगों के चचाग का कारण क्यों थी?
उत्तर- बालगोवबन भगत सुबि उिकर 2 मील दू र स्तस्थत नदी में स्नान करने जाते थे। दोनों समय प्रभु
भस्तक्त के गीत गाते थे। िर साल गंगा स्नान के वलए जाते और संत समागम में भाग लेते । वि कबीर को
अपना’सािब ‘ मानते थे, उन्हीं के गीतों को गाते िैं , उन्हीं के आदे िों का पालन करते थे।ईश्वर की
आराधना में डूबे रिने के बाद भी अपनी गृिस्थी के कायों में लगे रिते थे। खेती बाडी का काम भी
करते िैं। इतनी आयु िोने के बाद भी उनकी अनुिावसत वदनचयाा लोगों के वलए आश्चया का कारण था।
उत्तर - बाल गोवबन भगत कबीर के गीतों को गाते थे । कबीर के सीधे -सादे पर उनके कंि से
वनकलकर सजीव िोते थे ।उनका स्वर अत्यंत मोिक था वजसे सुनकर बच्चे खेलते हुए झूम उिते थे ,
मेड पर खडी औरतें उस गीत को गुनगुनाने लगती थी। खेतों में काम करने वाले वकसानों के िाथ और
पांव एक वविेष लय में चलने लगते थे। उनके संगीत में जादु ई प्रभाव था। वि मनमोिक प्रभाव सारे
वातावरण पर छा जाता था। यिां तक की घनघोर सदी और गवमायों की उमस भी उन्हें वडगा निीं आती
थी।
प्रश्न 4)आपकी दृवष्ट में भगत की कबीर पर अगाि श्रद्धा के क्या कारण रिे िोंगे?
उत्तर भगत की कबीर पर आगाज श्रद्धा के वनम्नवलस्तखत कारण थे -कबीर का आडं बरो से रवित सादा
जीवन, कबीर का सामावजक कुरीवतयों का ववरोध करना। वे भगवान को वनराकार रूप को मानते थे
वजसमें मनुष्य के अंत समय में आत्मा से परमात्मा का वमलन िोता िै। वे गृिस्थ िोते हुए भी व्यविार
से साधु थे इसी प्रकार कबीर जीवन और जीवन की वस्तुओं में ईश्वर की कृपा मानते थे।बालगोवबन
भगत कबीर के जीवन की इन वविेषताओं के कारण िी उनके प्रवत अगाध श्रद्धा रखते िोंगे।
प्रश्न 5)मोि और प्रेम में अंतर िोता िै भगत के जीिन की वकस घटना के आिार पर इस कथन
का सच वसद्ध करें गे?
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उत्तर - मोि और प्रेम में वनवश्चत रूप से अंतर िोता िै मोि में मनुष्य अपने स्वाथा की वचंता करता िै
जबवक प्रेम सास्तत्वकता भाव से ओतप्रोत िोता िै ।भगत का अपने इकलौते पुत्र से प्रेम था, मोि निीं।
जब बीमारी के कारण उसकी मृत्यु िो गई तो उन्हें दु ख तो हुआ ,वकंतु उन्होंने इसे प्रकृवत का एक
वनयम माना। उन्होंने अपनी पतोह के प्रवत मोि प्रकट न करके प्रेम प्रकट वकया। श्राद्ध की अववध
समाप्त िोने पर उन्होंने अपने पतोह का दोबारा वववाि करने का आदे ि वदया। इस प्रकार उन्होंने
अपना कताव्य तो पूरा वकया, वकंतु मोि वकसी से निीं वकया।
उत्तर बालगोवबन का गीत संगीत केवल मनोरं जन या िांवत पाने के वलए वकया गया उपाय निीं था। वि
उनकी आत्मा को परमात्मा से वमलाने का साधन था। संगीत के स्वर उनकी आत्मा की गिराइयों से
उिते थे तथा उन्हें सभी को झंकृत कर दे ते थे । इसवलए उनके गीत संगीत को भस्तक्त भावना के रस में
डूबा व संगीत किा जा सकता िै।
प्रश्न 7) बालगोवबन भगत अपने पुत्र की मृत्यु पर अपनी पुत्रििू से जो बात कि रिे थे उसमें
उनका वकस प्रकार का विश्वास बोल रिा था?
उत्तर बालगोवबन भगत अपने पुत्र की मृत्यु पर अपनी पुत्रवधू से रोने के बदले उत्सव मनाने को कि रिे
थे । उनकी इस बात में उनका ववश्वास बोल रिा था, वजस ववश्वास के बल पर वि मनुष्य मृत्यु पर ववजय
प्राप्त कर लेता िै। भगत जी का यि अटल ववश्वास था वक आत्मा परमात्मा से अलग िोकर इस धरती
पर आती िै और अपने प्रेमी परमात्मा के ववयोग में तडपती रिती िै। मानव िरीर की मृत्यु के पश्चात
आत्मा का परमात्मा से पुनवमालन िो जाता िै। यि अत्यंत आनंददायक स्तस्थवत िोती ।
प्रश्न 8 भगत ने अपने बेटे की मृत्यु पर अपनी भािनाएं वकस तरि व्ि की?
उत्तर -बालगोवबन भगत ने अपने बेटे की मृत्यु को ईश्वर की इच्छा किकर उसका सम्मान वकया ।उसने
उसे आं गन में एक चटाई पर वलटाया और सफेद चादर से ढक वदया। उसके ऊपर फूल और तुलसी
वबखेर दी ।वसरिाने एक दीपक जला वदया। उसके सामने जमीन पर बैिकर भगत जी भजन गाने
लगे। भजन गाते- गाते वे बीच में किते वक यि रोने का निीं उत्सव मनाने का समय िै आत्मा और
परमात्मा का वमलन हुआ िै सबसे बडा आनंद का समय यिी िै।
प्रश्न . 9 खेतीबारी से जुडे गृिस्थ बालगोवबन भगत अपनी वकन चाररवत्रक विर्ेषताओं के कारण
सािु किलाते थे?
उत्तर- खेती बारी से जुडे िोते हुए भी गृिस्थ बालगोवबन भगत सन्यासी थे ।उनकी चाररवत्रक वविेषताएं
उनके सच्चा सन्यासी िोने की ओर संकेत करती िै। वि कबीर को सािब मानते थे ।कबीर के गीतों को
गाते थे ,उन्हीं के आदे िों के अनुसार आचरण करते थे। वे कभी झूि निीं बोलते थे ।सबके साथ भला
व्यविार करते। वकसी की चीज को निीं छूते और ना िी व्यविार में लाते। उनका पररवार था वकंतु वि
सब चीजें सािब की िी िै ऐसा मानते थे। इस प्रकार बालगोवबन भगत का व्यस्तक्तत्व गृिस्थ िोते हुए भी
सच्चे सन्यासी थे।
प्रश्न 10. बालगोवबन भगत पाठ में वकन सामावजक रूव़ियों पर प्रिार वकया िै ?
उत्तर- बालगोवबन भगत में ववधवा वववाि न िोने की सामावजक रूढी पर प्रिार वकया िै ।जब भगत जी
का पुत्र मरा तो उन्होंने अपनी जवान बह को पुनववावाि के वलए मायके भेज वदया। वि निीं मानी तो भी
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उसे िट पूवाक भेजा। भगत जी ने इस रूढी पर भी चोट की वक पुत्र की अथी को बह कंधा निीं दे
सकती। उन्होंने पुत्र की मृत्यु पर िोक मनाने के बजाय भगवान का भजन कीतान करके एक और
रूढी को तोडा।
लखनिी ं अंदाज
प्रश्न 3 निाब सािब ने खीरे की फंकों को न्खडकी के बिार क्यों फेंक वदया िोगा?
उत्तर - नवाब सािब ने खीरे की फांकों को स्तखडकी के बािर इसवलए फेंक वदया िोगा क्योंवक वे
लेखक के सामने खीरे जैसी सामान्य वस्तु को खाने में संकोच का अनुभव कर रिे िोंगे| वे अपनी
खानदानी रईसी और नवाबी वदखाना चािते थे| इसवलए उन्होंने खीरे फांकों को स्तखडकी के बािर फेंक
वदया िोगा|
प्रश्न 4 लखनिी अंदाज पाठ में वकस पर और क्या व्ंग वकया गया िै ?
उत्तर - इस पाि में लेखक ने नवाब सािब के माध्यम से उस सामंती सोच के व्यस्तक्तयों पर व्यंग
वकया िै, जो वास्तववकता से बेखबर रिकर एक बनावटी जीवन िैली अपनाए हुए िैं | नवाब सािब
िारा अकेले में खीरा खाने का प्रबंध करना और लेखक के आ जाने पर खीरों को सूाँघकर स्तखडकी से
बािर फेंक कर अपनी रईसी का गवा अनुभव करना, इसी वदखावे का प्रतीक िै | समाज में आज भी
ऐसी वदखावटी-बनावटी संस्कृवत के संवािक वदखाई दे ते िैं | ऐसे व्यस्तक्तयों पर िी लेखक ने व्यंग वकया
िै|
प्रश्न 6 निाब सािब ने गिग पूिगक गुलाबी आं खों से लेखक की ओर क्यों दे खा?
उत्तर - नवाब सािब ने जब नमक वमची लगी खीरे की फांकों को एक-एक करके सूाँघकर स्तखडकी
के बािर फेंक वदया, तब लेखक को यि जताने के वलए की खीरा खाकर पेट भरना सामान्य लोगों की
आदत िोती िै | रईस और खानदानी लोगों के खीरा खाने का यिी तरीका िोता िै | वे मात्र पेट भरने के
वलए खीरा निीं खाते| इसी बात को जताने के वलए नवाब सािब ने गवा से लेखक की ओर दे खा|
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प्रश्न 7 लेखक और निाब सािब दोनों सेकंड क्लास के वडब्बे में यात्रा क्यों कर रिे थे?
उत्तर - सेकंड क्लास के वडब्बे में भीड कम रिती थी| लेखक एकांत में बैिकर स्तखडकी से
प्राकृवतक सौंदया वनिारना चािते थे और अपनी नई किानी के वलए ववचार करना चािते थे| इसवलए
उन्होंने सेकंड क्लास के वडब्बे में सफर सफर करना िीक समझा| जबवक नवाब सािब पैसा बचाने के
वलए और एकांत में खीरे जैसी सामान्य वस्तु का वछपकर स्वाद लेने के वलए सेकंड क्लास का वटकट
खरीद कर सफर कर रिे थे|
प्रश्न 8 निाब सािब का खीरा खाने का ढं ग पारं पररक ढं ग से वकस तरि अलग था?
उत्तर - नवाब सािब ने नमक वमची लगी खीरे की फांकों को को उिाया, उन्हें खाने की बजाय
सूंघा और एक-एक करके स्तखडकी के बािर फेंक वदया| वफर तृप्त िोने का अवभनय वकया| जबवक
सामान्य लोग खीरे को खाकर उसका आनंद लेते िैं | इस प्रकार नवाब सािब का खीरा खाने का ढं ग
परं परा के अनुकूल निीं था|
एक किाँनी यि भी
प्रश्न: 1-लेन्खका के व्न्ित्व पर वकन-वकन व्न्ियों का वकस रूप में प्रभाि पडा?
उत्तर: लेस्तखका के व्यस्तक्तत्व पर उनके माता वपता का प्रभाव पडा। मााँ से उन्होंने सिनिीलता सीखी
और अपने वपता से वजद्द। अपने वपता से िी उन्हें इस बात के वलए प्रोत्सािन वमला था वक रसोई की
चारदीवारी से वनकल कर बािर की दु वनया के बारे में पता वकया जाए।
प्रश्न: 2- इस आत्मकथ्य में लेन्खका के वपता ने रसोई को ‘भवटयारखाना’ किकर क्यों संबोवित
वकया िै?
उत्तर: लेस्तखका के वपता का मानना था वक रसोई में उलझ जाने से वकसी मविला की प्रवतभा और उसके
सपनों का दिन िो जाता िै। इससे उस मविला का व्यस्तक्तत्व अपनी पूरी िमता के साथ न्याय निीं कर
पाता िै। इसवलए वे रसोई को भवटयारखाना किते थे।
प्रश्न: 3- िि कौन सी घटना थी वजसके बारे में सुनने पर लेन्खका को न अपनी आँ खों पर विश्वास
िो पाया और न अपने कानों पर?
उत्तर: जब पिली बार लेस्तखका के कॉलेज से उनके वपता के पास विकायत आई तो लेस्तखका बहुत डरी
हुई थी। उनका अनुमान था वक उनके वपता गुस्से में उनका बुरा िाल करें गे। लेवकन िीक इसके उलट
उनके वपता ने उन्हें िाबािी दी। यि सुनकर लेस्तखका को न अपनी आाँ खों पर ववश्वास हुआ और न
अपने कानों पर।
प्रश्न: 4- लेन्खका की अपने वपता से िैचाररक टकरािट को अपने र्ब्दों में वलन्खए।
उत्तर: लेस्तखका के वपता घोर अंतववारोधों के बीच जीते थे। एक तरफ उनमें ववविष्ट् िोने की लालसा थी
तो दू सरी ओर वे सामावजक ढााँचे के अनुकूल िी रिना चािते थे। लेस्तखका के मत के अनुसार ये दोनों
बातें ववरोधाभाषी िैं और इनमें िमेिा टकराव िोता िै । लेस्तखका कुछ मामलों में अपने वपता के ववपरीत
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थीं। उन्हें सामावजक रूवढयों को चुनौती दे ने में मजा आता था। उस जमाने में जब लडवकयों का घर से
वनकलना भी मना था, लेस्तखका बािर जाकर स्वाधीनता संग्राम में बढचढकर विस्सा लेती थीं।
उत्तर: स्वाधीनता आं दोलन की भावना लगभग िर घर में बस गयी थी। िालााँवक अपने आप को संभ्ांत
मानने वाले कुछ लोग इससे अलग रिना पसंद करते थे, लेवकन मन्नू के वपता जैसे बुस्तद्धजीवी लोग भी
इस आं दोलन के समथाक थे। लेस्तखका बढचढकर स्थानीय आं दोलनों में विस्सा लेती थीं। उनकी भूवमका
को एक बडे आं दोलन के एक छोटे से वसपािी के रूप में दे खा जा सकता िै।
प्रश्न: 6- लेन्खका ने बचपन में अपने भाइयों के साथ वगल्ली डं डा तथा पतंग उडाने जैसे खेल भी
खेले वकंतु लडकी िोने के कारण उनका दायरा घर की चारदीिारी तक सीवमत था। क्या आज
भी लडवकयों के वलए न्स्थवतयाँ ऐसी िी िैं या बदल गई िैं , अपने पररिेर् के आिार पर वलन्खए।
उत्तर: आज के युग में यि इस बात पर वनभार करता िै वक लडकी वकस मािौल में रिती िै। बडे ििरों
के उच्च और मध्यम वगा की लडवकयों को आज पूरी स्वतंत्रता िै। यिााँ तक की बडे ििरों के वनम्न वगा
की लडवकयााँ भी आज घर से बािर काम पर जाती िैं। लेवकन छोटे ििरों और गााँवों के अवधकतर
पररवारों में आज भी लडवकयों पर बहुत सारी बंवदिें िैं ।
प्रश्न: 7- मनुष्य के जीिन में आस-पडोस का बहुत मित्व िोता िै। परं तु मिानगरों में रिने िाले
लोग प्राय: ‘पडोस कल्चर’ से िंवचत रि जाते िैं। इस बारे में अपने विचार वलन्खए।
उत्तर: आज मिानगरों में रिने वाले लोग अपने आप में वसमट कर रिते िैं। उनकी भागदौड भरी
वजंदगी इस बात के वलए काफी िद तक वजम्मेदार िै। साथ में अपने जड से उखड कर जीने से आई
असुरिा की भावना भी उन्हें सिसा वकसी पर ववश्वास करने से रोकती िै।
प्रश्न: 2. कार्ी में िो रिे कौन सा पररितगन वबन्स्मल्ला खाँ को व्वथत करते थे?
उत्तर. सन 2000 में पक्का मिल (कािी ववश्वनाथ से लगा हुआ अवधकतम इलाका) से मलाई बरफ
बेचने वाले जा चुके थे । खााँ सािब को इनकी कमी खलती थी। वे विद्द से यि मिसूस करते थे वक दे िी
घी में भी िुद्धता निीं रिी। गायकों के मन में संगवतयों के वलए कोई आदर निीं रिा कोई भी घंटों
अभ्यास निीं करता। सांप्रदावयक सद् भावना कम िोती जा रिी िै एक सच्चे सुर साधक और
सामावजक मान्यताओं को मानने वाले खााँ सािब को कािी में िो रिे यि पररवतान व्यवथत करते थे ।
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प्रश्न: 3. वबन्स्मल्ला खाँ के व्न्ित्व की कौन-कौन सी विर्ेषताओं ने आपको प्रभावित वकया?
उत्तर. वबस्तस्मला खााँ के व्यस्तक्तत्व में अनेक ऐसी वविेषताएाँ थी, उनमें से कुछ िैं संगीत साधना के प्रवत
पूणा वनष्ठा, सादा जीवन उच्च ववचार विन्दु मुस्तस्लम एकता के समथाक भारतीय संस्कृवत के प्रवत गिरा
लगाव प्रदिान की भावना का न िोना, ििनाई को उच्च स्थान वदलाना तथा तमाम तारीफ केवलए ईश्वर
की कृपा मानना ।
प्रश्न: 4. जीिन के आरं वभक वदनों में संगीत के प्रवत खाँ सािब की आसन्ि क्यों और कैसे हुई?
उत्तर. खााँ सािब जब छोटे थे तब वे ररयाज केवलए बालाजी मंवदर जाते थे। रास्ते में रसूलन और बतूलन
दोनों बिनों का घर था, वे बहुत अच्छा गाती थी । इन्हीं बिनों के गायन से उन्हें संगीत के प्रवत लगाव
उत्पन्न हुआ
प्रश्न: 5. वबन्स्मल्ला खाँ जी के बचपन का नाम क्या था? इनके मामा तथा बडे भाई का पररचय
अपने
र्ब्दों में वलन्खए?
उत्तर. वबस्तस्मला खााँ जी के बचपन का नाम अमीरुद्दीन था। वबस्तस्मला जी यानी अमीरुद्दीन
छि साल की उम्र से और इनके बडे भाई िम्सुद्दीन नौ साल की उम्र से अपने मामा के यिााँ
रिते थे । अमीरुद् दीन को राग के बारे में वबलकुल भी जानकारी निीं थी । इनके मामा
अकसर भीमपलासी और मुलतानी राग के बारे में किते थे। दोनों मामा सावदक हुसैन और
अलीबख्श दे ि के जाने माने ििनाई वादक थे। वे दे ि के वववभन्न ररयासतों के दरबार में
बजाने जाते रिते थे।
प्रश्न: 6. वबन्स्मल्ला खाँ जी के जीिन से जुडी उन घटनाओं और व्न्ियों का उल्लेख करें ,
वजन्होंने
इनकी संगीत सािना को समृद्ध वकया?
उत्तर. वबस्तस्मला खााँ जी के संगीत साधना को वजन व्यस्तक्तयों ने समृद्ध वकया वे िैं - क. बालाजी मंवदर
के जाते हुए रास्ते में दो बिने रसूलनबाई और बतूलन बाई के गायन को सुनकर खााँ सािब को संगीत
के प्रवत आसस्तक्त उत्पन्न हुई । ख. खााँ सािब के नाना प्रवसद्ध ििनाई वादक थे। वे वछपकर उन्हें सुनते
थे और बाद में ििनाइयों के ढे र में से उस ििनाई को ढू ाँ ढते, जो नाना के बजाने पर मीिी धुन छे डती
थी। ग. खााँ सािब के मामा अलीबख्श खााँ , जब ििनाई बजाते तो वे जिााँ पर सम आता, तब एक दम
से एक पत्थर जमीन पर मारते थे।
प्रश्न: 7. सुवषर - िादयों से क्या अवभप्राय िै ? र्िनाई को सुवषर िाद यों में "र्ाि" की उपािी
क्यों
दी गई िोगी?
उत्तर. सुवषर वाद्य अथाात वाद्य, वजनमें नाडी (नरकट या रीड) िोती िै और वजन्हें फूाँककर बजाया जाता
िै । ििनाई को िािेनय अथाात सुवषर वाद यों में िाि की उपावध दी गई िै मुरली, वंिी, श्रृंगी आवद में
यि सबसे अवधक प्रचवलत, प्रवसद्ध व मोिक वाद य रिा िै। अवधी के पारं पररक लोकगीतों एवं चैती में
ििनाई का उलेख बार-बार वमलता िै। दविण भारत के मंगल वाद्य नागस्वरम की तरि ििनाई
प्रभाती की मंगल ध्ववन का संपूरक िै ।
प्रश्न: 8. वबन्स्मल्ला खाँ कला के अनन्य उपासक थे, तकग सवित उत्तर दीवजए?
उत्तर. वबस्तस्मला खााँ ििनाई बजाने की कला में वनपुण थे। वे कला को साधना मानते थे । वे गंगा घाट
पर बैिकर घंटो ररयाज़ करते रिते थे। वे सदा खुदा से सुर बख्शने की मााँग करते रिते थे । उन्होंने
अपनी कला को कभी कमाई का साधन निीं बनाया । सवाश्रेष्ठ कलाकार िोने पर भी उन्होंने स्वयं को
अधूरा माना। ििनाई वादन पर उनकी तारीफ की जाती थी, तो वे उसे अलिमदु वललाि किकर खुदा
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को समवपात कर दे ते थे । बचपन में नाना की मीिी ििनाई की खोज से िुरु हुआ सुरों का सफर
आजीवन सच्चा सुर खोजने में िी वनकला। इससे वसद्ध िोता िै वक वे कला के अनन्य उपासक थे ।
कौसल्लायन – संस्कृवत
प्रश्न 1. लेखक की दृवष्ट में सभ्यता और संस्कृवत की सिी समझ अब तक क्यों निी ं बन पाई िै ?
उत्तर – लेखक की दृवष्ट् में सभ्यता और संस्कृवत की सिी समझ अब तक इसवलए निीं बन पाई िै
क्योंवक–लोग सभ्यता और संस्कृवत का अथा स्पष्ट् के वबना मनमाने ढं ग से दोनों िब्दों का भरपूर प्रयोग
करते िैं।इन िब्दों के आगे अनेक वविेषण भी लगा दे ते िैं जैसे भौवतक सभ्यता, आध्यास्तत्मक सभ्यता
आवद।लोग अपने अलग-अलग ववचार प्रस्तुत करते रिते िैं ,अलग-अलग पररभावषत करते िैं। अतः
इन दोनों िब्दों में अथा की दृवष्ट् से सिी समझ निीं बन पाई िै।
प्रश्न 2. आग की खोज एक बहुत बडी खोज क्यों मानी जाती िै ? इस खोज के पीछे रिी प्रेरणा के
मुख्य स्रोत क्या रिे िोंगे?
उत्तर – आग की खोज एक बहुत बडी खोज इसवलए मानी जाती िै क्योंवक इसने मनुष्य की जीवन
िैली को िी बदल कर रख वदया। इस खोज ने मनुष्य की सबसे बडी आवश्यकता की पूवता की। आग
से भोजन पकाने की समस्या का िल संभव हुआ। आग से सदी से बचाव भी संभव हुआ तथा प्रकाि
भी प्राप्त हुआ। इससे मनुष्य की सभ्यता का मागा प्रिस्त िो गया। आग की खोज के पीछे पेट की
ज्वाला एक मुख्य प्रेरणा रिी िोगी। इसके साथ-साथ गमी और प्रकाि पाने की प्रेरणा भी रिी िोगी।
यिी कारण िै वक अवि को दे वता माना गया।
उत्तर – वास्तववकता अथों में संस्कृत व्यस्तक्त उसे किा जा सकता िै वजसने अपनी बुस्तद्ध और वववेक के
िारा वकसी नए तथ्य का अनुसंधान और दिान वकया िै। तात्पया यि िै वक जो अपनी योग्यता के बल
पर वकसी नई चीज का आववष्कार करता िै , विी सच्चे अथों में संस्कृत व्यस्तक्त किलाने के योग्य िै।
जैसे न्यूटन ने गुरुत्वाकषाण का वसद्धांत खोजा। अतः वि वास्तववक रूप से संस्कृत व्यस्तक्त था।
प्रश्न 4. न्यूटन को संस्कृत मानि किने के पीछे कौन से तकग वदए गए िैं ? न्यूटन द्वारा प्रवतपावदत
वसद्धांतों एिं ज्ञान की कई दू सरी बारीवकयों को जानने िाले लोग भी न्यूटन की तरि संस्कृत
निी ं किला सकते, क्यों?
उत्तर – लेखक के अनुसार संस्कृत व्यस्तक्त वि िै वजसने अपनी योग्यता के आधार पर नए तथ्यों का
आववष्कार कर नए तथ्यों के दिान वकए िो। न्यूटन ने भी सवाप्रथम गुरुत्वाकषाण के वसद्धांत का
आववष्कार वकया। इसवलए वि संस्कृत मानव था। उसने अपने वसद्धांत से सुविवितो को पररवचत
कराया। दू सरी ओर न्यूटन के वसद्धांत से पररवचत िोने के बाद न्यूटन से भी अवधक ज्ञान रखने वाले
उसी प्रकार संस्कृत व्यस्तक्त निीं किला सकते, वजस प्रकार पूवाजों से प्राप्त वस्तु संतान को अनायास िी
वमल जाती िैं, तो संतान संस्कृत निीं किला सकती िै । अतः आववष्कताा ,आववष्कार का जनक
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संस्कृत व्यस्तक्त िोता िै, अन्य निीं। अतः लेखक की पररभाषा के अनुसार न्यूटन से भी अवधक
बारीवकयों का ज्ञान रखने वाले न्यूटन से अवधक सभ्य किे जा सकते िैं , संस्कृत व्यस्तक्त निीं।
प्रश्न 5. वकन मित्वपूणग आिश्यकताओं की पूवतग के वलए सुई िागे का आविष्कार हुआ िोगा?
उत्तर – वजन मित्वपूणा आवश्यकताओं की पूवता के वलए मनुष्य ने सुई धागे का आववष्कार वकया वि
वनम्नवलस्तखत रिी िोंगी–जब वि सदी – गमी को सिन करने में असमथा िो गया िोगा। वफर िीतोषण से
बचने के वलए उपाय ढू ं ढते हुए सुई धागे का आववष्कार वकया िोगा।मनुष्य के मन में यि भी आया िोगा
वक वकस तरि िरीर को अच्छी तरि ढका जा सकता िै और सुई धागे का आववष्कार कर वलया िोगा।
प्रश्न 6. संस्कृवत पाठ के आिार पर वलन्खए की मानि संस्कृवत के िास्तविक जन्मदाता कौन िै
?उदािरण सवित स्पष्ट कीवजए।
उत्तर – मानव संस्कृवत के वास्तववक जन्मदाता वे िैं वजन्होंने सबसे पिले आग का आववष्कार वकया
िोगा तथा सुई धागे को बनाया िोगा। आग से पेट की आग िांत हुई तथा सुई धागे से तन ढकने के वलए
कपडे वसलने का काम हुआ। इसी से मानव संस्कृवत ववकवसत हुई।
प्रश्न 7. ‘संस्कृवत’ पाठ के लेखक की दृवष्ट में भूखे को भोजन दे ने िाले, श्रवमकों और पीवडत
मानिता के उद्धारक भी संस्कृत व्न्ि िैं। इस बात से आप किां तक सिमत िैं ।स्पष्ट कीवजए
उत्तर – िम लेखक की इस बात से पूरी तरि सिमत िैं वक भूखे को भोजन दे ने वाले, श्रवमकों और
पीवडत मानवता के उद्धारक भी संस्कृत व्यस्तक्त िैं। संस्कृत व्यस्तक्त वि िै जो िममें मानव जावत के वलए
सवास्व त्याग की भावना उत्पन्न करता िै तथा स्वयं भी त्यागकर आदिा उपस्तस्थत करता िै। भूखों को
भोजन दे कर िम अपने संस्कृत िोने का पररचय दे ते िैं। संस्कृत व्यस्तक्त पीवडत मानवता का भला
करता िै।
प्रश्न 8. ‘संस्कृवत’ वनबंि में मानि की ज्ञान पाने की इच्छा और भौवतक प्रेरणा को वकन
उदािरणों द्वारा स्पष्ट वकया गया िै?
उत्तर – ‘संस्कृवत ’वनबंध में लेखक ने ज्ञान पाने की इच्छा को न्यूटन के उदािरण से स्पष्ट् वकया िै। इसी
इच्छा के विीभूत िोकर उसने गुरुत्वाकषाण के वसद्धांत का आववष्कार वकया। भौवतक प्रेरणा को
लेखक ने काला माक्सा और वसद्धाथा के उदािरणों से स्पष्ट् वकया िै। इन दोनों ने दू सरों को सुखी बनाने
के प्रयास में अपना जीवन दु ख में वबता वदया।
प्रश्न 9. संस्कृवत पाठ में लेखक भौवतक विज्ञान के विद्याथी को न्यूटन के बराबर संस्कृत निी ं
मानता ,क्यों?
उत्तर – लेखक भौवतक ववज्ञान के ववद्याथी को न्यूटन के बराबर संस्कृत निीं मानता, उसके तका इस
प्रकार िै– न्यूटन ने गुरुत्वाकषाण के वसद्धांत का आववष्कार वकया, अतः वि संस्कृत मानव था। उसने
अपनी बुस्तद्ध एवं वववेक से एक नए तथ्य का दिान कर उसका आववष्कार वकया। नई चीज का
आववष्कार करने वाला व्यस्तक्त िी संस्कृत मानव किलाता िै। दू सरे लोग न्यूटन के वसद्धांत की
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बारीवकयों को भले िी जानते िो, पर वे सभ्य तो किे जा सकते िैं , संस्कृत मानव निीं किला सकते।
उन्हें न्यूटन वजतना संस्कृत निीं कि सकते।
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पद्य खण्ड (िणगनात्मक प्रश्न और बोिात्मक प्रश्न)
प्रश्न-1 गोवपयों द्वारा ऊिौ को भाग्यिान किने में क्या व्ंग्य वनवित िै ?
उत्तर- गोवपयााँ ऊधौ को भाग्यवान किकर उनके दु भााग्य पर व्यंग्य करती िैं वक वे कृष्ण-प्रेम से
अछूते रिे | वे प्रेम वक पीडा के अनुभव को भला कैसे जान सकते िैं | कृष्ण के वनकट रिकर भी उनके
सुंदर रूप से प्रभाववत िी हुए, उनके मन में प्रेम निीं जगा तो प्रेम की पीडा से बचकर वे सचमुच
भाग्यिाली िी वसद्ध हुए |
प्रश्न-2 गोवपयों ने वकन-वकन उदािरणों के माध्मय से ऊिौ को उलािने वदए िैं?
उत्तर- गोवपयों ने ऊधौ वक तुलना ‘कमल के फूल और ‘तेल से भीगी गागर’ से करते हुए उन्हें
भाग्यिाली किकर तीखा व्यंग्य वकया िै| गोवपयों ने ऊधौ के योग को कडवी ककडी के समान बताया
िै | उन्होंने योग-ज्ञान को असाध्य बीमारी के समान बताया िै | राजनीवत का असर कृष्ण की बुस्तद्ध पर
बताया िै|
प्रश्न-3 ऊिौ द्वारा वदए गए योग के संदेर् ने गोवपयों की विरिावि में घी का काम कैसे वकया ?
उत्तर- एक तो पिले िी गोवपयााँ कृष्ण के ववयोग में ववरिावि में जल रिी थी| उधौ ने ज्ञान योग संदेि
दे कर उनकी ववरिावि को बढा कर उसमें घी डालने का काम वकया | ऊधौ के योग संदेि से गोवपयों
की ववरिावि बढ गई क्योंवक ववश्वास िो गया वक अब श्रीकृष्ण उनके पास निीं आएाँ गे|
प्रश्न-4 गोवपयाँ ने ऊिौ से योग की वर्क्षा कैसे लोगों को दे ने की बात किी िै ?
उत्तर- गोवपयों ने ऊधौ से योग की वििा ऐसे लोगों को दें ने की बात किी िै वजनका मन चकरी की
भााँवत चंचल िै | गोवपयों का मन तो सदै व श्रीकृष्ण के प्रेम में िी रमा रिता िै इसवलए उन्हें योग की
आविता निीं िै | यिााँ श्रीकृष्ण पर व्यंग्य वकया िै वक वे राजा बन कर उन्हें भूल गए|
प्रश्न-5 गोवपयों के अनुसार राजा का िमग क्या िोना चाविए?
उत्तर- गोवपयों के अनुसार सच्चा राजधमा यिी िै वक राजा की प्रजा सताई न जाए, उनके कष्ट्ों को
बढाया न जाए, लेवकन ऊधौ के िाथों जो वनगुाण ब्रिम तथा योग-साधन का संदेि आया िै ,उससे तो
गोवपयााँ अवधक पीवडत व आित हुई िै| गोवपयों को एस तरि दु खी करके श्रीकृष्ण सिी राजधमा निीं
वनभा रिे िैं|
प्रश्न-6 ऊिौ गोवपयों की मनोदर्ा क्यों निी ं समझ सके ?
उत्तर- ऊधौ पर योग-साधना का जनून सवार था| ज्ञान के घमंड में, उन्होंने गोवपयों के आदिा प्रेम को
समझने का भी प्रयास निीं वकया, साथ िी ज्ञान-मागा पर चलने वाले ऊधौ प्रेम स्वरूप से पररवचत निीं
थे| एस अनवभज्ञता और घमंड के कारण वे गोवपयों की मनोदिा समझ निीं सके|
प्रश्न-7 ‘दू सरों को नीवत की सीख दे ने िाले कृष्ण स्वयं अनीवत पर चलने लगे|’ ऐसा गोवपयों ने
क्यों किा?
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उत्तर- गोवपयााँ किती िैं वक अब तो श्रीकृष्ण स्वयं आदिा प्रेम के मित्व को बता प्रेम अपनाने के वलए
प्रेररत करते थे| अब विी श्रीकृष्ण आदिा प्रेम को छोडकर ज्ञान-मागा के पालन करने वाले बन गए िै |
इससे ऐसा लगता िै वक दू सरों को नीवत की सीख दे ने वाले कृष्ण स्वयं अनीवत पर उतर आए िैं |
प्रश्न-8 सूरदास के ‘ भ्रमर गीत’ के पीछे उनका क्या उद्दे श्य रिा िै ?
उत्तर- सूरदास जी ने गोवपयों के माध्यम से साकार ईश्वर प्रेम में आस्था प्रकट की िै | ऊधौ जैसे ज्ञानी
को चुप कराकर योग-ज्ञान को कम वसद्ध वकया िै | साकार प्रेम िी मन को सेक वदिा में लगा सकता िै |
योग-ज्ञान वनगुाण ईश्वर के प्रवत आस्था को एक स्थान पर बनाए रखने में मन की चंचलता अवरोध खडा
करती िै|
प्रश्न-9 गोवपयाँ वकस व्था को सिन कर रिी थी ि क्यों?
उत्तर- गोवपयााँ कृष्ण की व्यथा को सिन कर रिी थी | श्रीकृष्ण उन्हें छोडकर िारका में जा बसे िैं और
ऊधौ के माध्मय से उन्होंने योग का संदेि भेजा िै , जो गोवपयों को पसंद निीं िैं | उनको आिा थी वक
श्रीकृष्ण जरुर आएाँ गे और इसी आिा के बल पर गोवपयााँ ववरि वेदना को सिन कर रिी थी|
प्रश्न-10 ‘’अब गुरु ग्रंथ पठाए’’ पंन्ि का आर्य स्पष्ट कीवजए|
उत्तर- इस पंस्तक्त का आिय यि िै वक पिले से चतुर कृष्ण िारका जाने के बाद विााँ की राजनीवत से
वनपुण िोकर अवधक चतुर और कुवटल िो गए िैं | लगता िै उन्हें विााँ बडा गुरु वमल गया िै वजसने
श्रीकृष्ण को चतुराई के साथ ग्रंथ पढा वदए |
प्रश्न 1 . "राम लक्ष्मण परर्ुराम संिाद" में मुवन परर्ुरामजी ने वर्ि िनुष तोडनेिाले को अपना
र्त्रु बताता िै और उसकी तुलना वकससे की िै ?
उत्तर: "राम लक्ष्मण परिुराम संवाद में मुवन परिुरामजी ने विव धनुष तोडनेवाले को अपना ित्रु
बताता िै और उसकी तुलना सिस्रबाहु की िै।
प्रश्न 2 . सिस्रबाहु सम सो ररपु मोरा इस पंन्ि में प्रयुि अलंकार का नाम वलन्खए •
उत्तर: सिस्रबाहु सम सो ररपु मोरा इस पंस्तक्त में प्रयुक्त अलंकार उपमा िै।
प्रश्न 3 . लक्ष्मण के अनुसार िीर पुरुष युद्ध भूवम में र्त्रु को सामने पाकर क्या निी ं करते िै ?
उत्तर: लक्ष्मण के अनुसार वीर पुरुष युद्ध भूवम में ित्रु को सामने पाकर अपनी वीरता की प्रिंसा स्वयं
निीं करते िै वे रणभूवम में अपनी वीरता वदखलाते िै।
प्रश्न 4 लक्ष्मण के अनुसार मुवन परर्ुरामजी के िचन वकसके समान कठोर िै?
उत्तर: लक्ष्मण के अनुसार मुवन परिुरामजी के वचन वज्र के समान किोर िै।
प्रश्न 5 . मुवन परर्ुरामजी गुरू ऋण से वकस प्रकार उऋण िोना चािते थे?
उत्तर: विवधनुष तोडनेवाले का वध करके मुवन परिुरामजी गुरु ऋण से उऋण िोना चािते थे।
प्रश्न 6 . लक्ष्मणजी ने परर्ुरामजी को अपने कुल की वकस परं परा का बोि कराया?
उत्तर: लक्ष्मणजी ने परिुरामजी को अपने कुल की परं परा का बोध कराते हुए किा-रघुकुल के लोग
दे वता, ब्राह्मण, भगवान के भक्त और गाय पर प्रिार निीं करते । ये चारों उनके वलए पूजनीय िै | इन्हे
मारने से पाप लगता िै और इनसे िारने पर अपयि वमलता िै।
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प्रश्न 7 . इिाँ कुम्हडबवतया कोऊ नािी ं । जे तरजनी दे न्ख मरर जािी ं। इस उन्ि के द्वारा
लक्ष्मणजी परर्ुरामजी से क्या किना चािते िै ?
उत्तर: कुम्हडे का फूल जो आकार में बहुत छोटा और कोमल िोता िै। तजानी को दे खते िी वि मुरझा
जाता िै । लक्ष्मणजी यि किना चािते िैं वक वे भी कुिार और धनुष-बाण दे खकर डरनेवाले सामान्य
बालक निीं िैं । वे सूयावंिी िै और वीर िै।
प्रश्न 8 . लक्ष्मणजी ने मुवन परर्ुराम की क्रोिपूणग बातों को चुपचाप सिन करने का क्या कारण
बताया?
उत्तर : लक्ष्मणजी ने मुवन परिुराम की क्रोधपूणा बातों को चुपचाप सिन करने का यि कारण बताया
वक मुवन परिुराम भृगुवंिी िै और यज्ञोपवीत (जनेऊ) धारण करनेवाले ब्राह्मण िै। यवद आप मुझे मारे
तो भी मैं आपके चरण िी पकहाँगा ।
आत्मकथ्य
(िणागत्मक प्रश्न और बोिात्मक प्रश्न)
उत्तर- कवव आत्मकथा वलखने से इसवलए बचना चािता िै , क्योंवक कवव के अनुसार उसका जीवन
सीधा-सरल और साधारण िै | उसमें ऐसा कुछ भी निीं िै वजसे वि आत्मकथा के रूप में प्रस्तुत कर
सके| कवव के अनुसार आत्मकथा तो बडे और असाधारण व्यस्तक्त वविेष जीवन की िोती िै |
प्रश्न-2 आत्मकथा सुनाने के संदभग में ‘अभी समय निी ं’ कवि ऐसा क्यों किता िै ?
उत्तर- कवव अपनी आत्मकथा अभी निीं वलखना चािता, क्योंवक सारा जीवन दु ःख और अभावों से भरा
रिा िै| इस लंबी जीवन-यात्रा में कवव दु खों का सामना करता आया िै | जीवन के पडाव पर उसके
जीवन के सभी दु ःख और व्यथा मौन िो चुकी िै | इसवलए कवव किता िै वक अभी आत्मकथा सुनाने के
वलए समय भी निीं िै|
उत्तर- स्मृवत को पाथेय बनाने से कवव का आिय जीवन-मागा के सिारे से िै | कवव ने जो सुख का
सपना दे खा था, वि उसे कभी प्राप्त निीं हुआ, इसवलए वि स्वयं को जीवन-यात्रा का थका पवथक
मानता िै| वजस प्रकार पाथेय यात्रा में यात्री को सिारा दे ता िै ,उसी प्रकार स्मृवत भी कवव को जीवन-
मागा में बढने का सिारा दे ती िै |
प्रश्न-3 ‘उज्ज्वल गाथा कैसे गाऊँ, मिुर चांदनी रातों की’ कथन के माध्यम से कवि क्या किना
चािता िै?
उत्तर- उज्ज्वल गाथा और चांदनी रातों से कवव का आिय वनजी प्रेम के उन मधुर और अनरं ग पलों से
िै,जो कवव ने अपनी प्रेवमका के साथ वबताए थे| चांदनी की तरि िी पववत्र िै , जो कवव के प्रेम की
वनतांत वनजी सम्पवत िै | कवव इन पलों को वकसी के साथ बााँटना निीं चािता|
प्रश्न-4 कवि ने जो सुख का स्वप्न दे खा था उसे कविता में वकस रूप में अवभव्ि वकया िै?
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उत्तर- कवव ने वजस सुख का स्वप्न दे खा था, वि उसे कभी प्राप्त निीं हुआ| इस सुख को उसने प्रेवमका
के रूप में अवभव्यक्त वकया िै| यि प्रेवमका पास आते-आते मुस्करा कर दू र चली जाती िै और कवव
प्रेम से दू र रि जाता िै | उसी प्रकार स्वप्न में दे खा गया सुख भी कवव को जब-जब समीप आता लगा,
तभी वि भी दू र चला गया|
उत्तर- प्रसाद जी अत्यंत ववन्रम स्वभाव के कवव थे| वे स्वयं को दु बालताओं से भरा सरल भोला इं सान
किते िैं| प्रसाद जी गंभीर और मयाावदत कवव थे| वे अपने जीवन की एक-एक बात सावित्य-संसार में
प्रचाररत निीं करना चािते थे| वे कववता में वनजी अनुभूवत को निीं ,समाज के दु ःख ददा को स्थान दे ना
चािते थे| प्रसाद जी स्वभाव से सरल और भोले थे|
उत्तर- प्रसाद जी जब अपनी प्रेयसी की यादों में डूबते िैं तो डूबते िी चले जाते िैं | कुछ न किने की
मयाादा भूल जाते िैं| वे कभी चााँदनी रातों के सुखद पलों को याद करते िैं तो कभी सौंदया से इतने
अवभभूत वदखाई दे ते िै वक प्रेयसी के कपोलों पर उषा की अरुवणम चमक दे खते िैं |
उत्तर- कवव के जीवन में सबसे बडी त्रासदी उसकी प्रेयसी िै जो जीवन में िवणक रस घोलकर, चााँदनी
रातों के बीच स्तखल-स्तखलाकर,मुस्कराकर चली गई| वजसके वलए कवव कल्पनाओं के सागर में डूबा हुआ
इतरा रिा था, वि सब एक पल में खत्म िो गया|
प्रश्न-8 कवि वक विडं बना क्या िै , वजसे स्पस्ट करने में संकोच करता रिा िै?
उत्तर- कवव उन लोगों के आग्रि को ववडं बना मानता िै जो उसके अभाव भरे जीवन के बारे में सब
कुछ जानते िै | वफर आत्मकथा वलखने का आग्रि कर रिे िैं | कवव मानता िै वक मेरे जीवन के रीती-
गागर में कुछ ने वमलने पर मेरे बारे में कुछ-न-कुछ किने से उन्हें रस की अनुभूवत िोगी|
प्रश्न-9 कविता में कवि का दर्गन एक वनरार्, ितप्रभ और व्न्ि हृदय के रूप में हुआ िै , कैसे?
स्पस्ट कीवजए|
उत्तर- कवव लोगों के आत्मकथा वलखने के आग्रि को अस्वीकार कर दे ता िै क्योंवक उसके जीवन में
वतामान में उत्साि निीं िै | वि वनराि िो चुका िै | वि वकस पर ववश्वास करे - यि सोच निीं पा रिा िै |
वि आत्मीय जनों से िगा गया िै | वि अपनी प्रेयसी से िगा गया िै | वि अपने आप को थके पवथक के
समान मानता िै |
प्रश्न-10 आत्मकथ्य कविता में जीिन के वकस पक्ष का िणगन वकया गया िै ?
उत्तर- आत्मकथ्य में कवव ने उन वचत्रों को भी वचवत्रत करने का सािस वदखाया िै , जिााँ वि असफल
रिा िै| उसने वनस्संकोच अपनी दु बालताओं और अभावों के उन पलों को भी उकेरा िै , वजनसे अन्य
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लोग बचना चािते िैं| कवव ने बातों-बातों में सिजता से कि वदया िै वक मैं आत्मीय जनों से िगा गया हाँ|
यि उनकी ईमानदारी और सािस का प्रमाण िै |
कविता : उत्साि
प्रश्न 3. बादलों के न बरसने से लोगों तथा िरती की क्या दर्ा िो रिी थी?
उत्तर: बादलों के न बरसने से लोगों में बेचैनी एवं व्याकुलता बढ गई थी । भीषण गमी के कारण सारी
धरती जलती-सी प्रतीत िो रिी थी। पृथ्वी पर चारों ओर नीरसता तथा उदासीनता व्याप्त िै।
प्रश्न 5. िषाग के वबना लोगों की अिस्था कैसी िो गई? उनके वलए कवि बादलों से क्या अपेक्षा
करता िै ?
उत्तर: वषाा के वबना सारे लोग गमी से व्याकुल िो गए िैं । इस व्याकुलता के कारण उनका मन किीं
एक जगि वटक निीं पा रिा िै। अज्ञात वदिा से आए अंतिीन बादलों से कवव यि अपेिा करता िै वक
वे बरस जाएाँ । वजससे गमी से जल रिी धरती िीतल िो जाए और व्याकुल लोगों को राित वमल सके।
प्रश्न 6. नई चेतना की काव् रचना करने िाले कवियों से वकस तरि की कविता करने का
आििान वकया गया िै ?
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उत्तर: नई चेतना की काव्य रचना करने वाले कववयों से यि आह्वान वकया गया िै वक घनघोर बादलों
को दे खकर उनमे काले घुंघराले सुन्दर बालों की कल्पना कर आनंवदत िोते हुए भी उनमें वछपी हुई
वबजली की छवव को अपने हृदय में धारण करें । उस ववद् युत छवव का ध्यान करते हुए भी वैसा िी
ववप्लव का स्वर भरते हुए क्रांवत चेतना से युक्त नई कववता वलखें |
प्रश्न 7. उत्साि' कविता से कवि वनराला के व्न्ित्व की कौन-सी विर्ेषता प्रकट िोती िै ?
उत्तर: 'उत्साि' कववता से वनराला का पौरुष प्रकट िोता िै वनराला बहुत जोिीले और गवीले कवव थे वे
करुणावान थे । वे बादलों की तरि घुमड-घुमडकर जन जन के कष्ट्ों पर छाजाना चािते थे।
प्रश्न 8. उत्साि कविता में बादलों के द्वारा कवि ने क्या सन्दे र् वदया िै ?
उत्तर: 'उत्साि' कववता में कवव ने बादलों के िारा जनसामान्य को संदेि वदया िै वक बादलों की गरज
सुनकर वे सामावजक पररवतान के वलए उत्सावित िो तथा नए समाज के सृजन के वलए ववप्लव मचाने
को तत्पर रिे ।
(प्रश्न 3 ) िसंत ऋतु में वकस प्रकार के फूल न्खलते िैं और िे कैसे प्रतीत िोते िैं ?
उत्तर: वसंत ऋतु में ववववध रं ग के धीमी-धीमी सुगंधीदार फूल स्तखलते िैं वे स्तखले फूल ऐसे प्रतीत िोते
िैं मानो प्रकृवत के ह्रदय पर फूलों की माला िोभायमान िो रिी िो ।
(प्रश्न 4 ) फागुन की साँस से कवि का क्या तात्पयग िै? संसार पर उसका क्या प्रभाि पड रिा िै ?
उत्तर: फागुन की सााँस से कवव का तात्पया तेज और मादक फागुनी िवा के चलने से िै । कवव के
अनुसार फागुन की मतवाली िवा इतनी तेज चल रिी िै जैसे फागुन लंबी-लंबी सााँस भर रिा
िो उस िवा का प्रभाव अत्यवधक गिरा िै, अथाात धरती के कोने कोने में फागुन की मादक िवा का
असर िै।
(प्रश्न: 5 ). 'अट निी ं रिी िै ' कविता के आिार पर फागुन की मस्ती का िणगन कीवजए |
उत्तर: 'अट निीं रिी िै ' कववता में फागुन की मस्ती और िोभा का वणान हुआ िै । फागुन में किीं
सुगंवधत िवाएं िै, किीं फूलों की िोभा िै, किीं पवियों की उन्मुक्त उडाने िै। किीं वृिों पर रं ग-वबरं गे
फूल, पत्ते उग आए िैं सब जगि मानो िोभा िी िोभा वबखरी हुई िैं
(प्रश्न 6 ). फागुन में ऐसा क्या िोता िै जो बाकी ऋतुओ ं से वभन्न िोता िै ?
उत्तर: फागुन माि में प्रकृवत के साथ-साथ मानव में भी एक प्रकार की मादकता और मस्ती छा जाती िै
। फागुन में वसंत का आगमन िोता िै। मौसम अत्यवधक सुिावना िोता िै । प्रकृवत सौन्दया से भर जाती
िै। पेड-पौधों में नए कोपले फूटने लगती िैं। वे िरे लाल पतों से लद जाते िैं । चारों ओर रं ग-वबरं गे
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सुगंवधत फूल स्तखले िोते िैं । फागुन में िीतल, मंद, सुगंवधत बयार चलती िै वजससे संपूणा वातावरण में
मस्ती और मादकता व्याप्त िो जाती िै । अन्य ऋतुओं में कभी वििु रन िोती िै , कभी गमी से संपूणा
प्राणी जगत व्याकुल िोते िैं और वषा ऋतु में िर ओर कीचड िी कीचड िोती िै।
प्रश्न 1 ‘यि दं तुररत मुस्कान’ कविता के आिार पर वर्र्ु की मुस्कान के प्रभाि का िणगन
कीवजए।
उत्तर – कवव अपने वििु की मधुर मुस्कान दे खता िै तो इतना प्रफुस्तलत िोता िै वक उसके उदासीन,
गंभीर चेिरे पर प्रसन्नता आ जाती िै। उसे ऐसा लगता िै वक यि मुस्कान तो मृतक में भी जान डाल
सकती िै । यि वििु तो ऐसा िै मानो तालाब को छोडकर कमल मेरी झोपडी में स्तखल रिा िो । कवव
के वनष्िु र ,पाषाण वत हृदय में स्नेि की धारा फूट पडी िै। इस प्रकार कवव के हृदय में अप्रत्यावित
पररवतान आ गया िै।
प्रश्न 2. बच्चे की मुस्कान और एक बडे व्न्ि की मुस्कान में क्या अंतर िै?
उत्तर – बच्चे और बडे की मुस्कान में वनम्नवलस्तखत अंतर िोता िै –बच्चे की मुस्कान में स्वाभाववकता
िोती िै, जबवक बडे व्यस्तक्त की मुस्कान में कृवत्रमता िोती िै |बच्चे की मुस्कान उन्मुक्त िोती िै , जबवक
बडा व्यस्तक्त पररस्तस्थवत के अनुसार िी मुस्कुराता िै।बच्चे की मुस्कान सभी को प्रभाववत करती िै ,
जबवक बडे लोगों की मुस्कान में ऐसी िमता निीं िोती।बच्चे की मुस्कान पूणात: वनश्छल व सिज िोती
िै, जबवक बडे लोगों की मुस्कान में अवसर का ध्यान रखा जाता िै।
उत्तर – कवव ने बच्चे की मुस्कान के सौंदया को वनम्न वबंबों के माध्यम से व्यक्त वकया िै –बच्चे की
मुस्कान इतनी मधुर िोती िै वक मृतक में भी प्राण डाल दे ती िै।पाषाण ह्रदय वपघलकर जल रूप में
बदल जाता िै बच्चे की मुस्कान दे खकर ऐसा लगता िै वक कमल पुष्प तालाब छोडकर झोंपडी में स्तखल
रिा िो।बबूल और बांस से भी िेफावलका के फूल झरने लगे िो।
उत्तर (क) वििु की मधुर मुस्कान कवव के अंतः करण को छू गई िै। वि इतना भावुक िो उिा िै वक
अपनी प्रसन्नता का आभास कर बैिता िै। उसे लगता िै वक ववकवसत कमल पुष्प तालाब को छोडकर
उसके घर में स्तखल रिा िै,अथाात वििु के भोले चेिरे पर आई मुस्कुरािट उन्हें कमल के फूल की
िोभा प्रदान कर रिी िै।
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उत्तर– (ख) इन पंस्तक्तयों में बच्चे के िरीर की कोमलता का प्रभावी अंकन िै। बच्चे की मुस्कुरािट और
िरीर का स्पिा किोर एवं िुष्क हृदय को भी कोमल बना दे ता िै। कवव स्वयं को बबूल और बांस की
तरि वनष्िु र हृदय मानता िै। ऐसा वनष्िु रह्रदय कवव वििु का स्पिा पाकर वसिर उिता िै और अपनी
प्रसन्नता को दे खकर अनुभव करता िै वक बबूल और बांस से िेफावलका के पुष्प झरने लगे िैं।
प्रश्न 5. बच्चे से कवि की मुलाकात का जो र्ब्द वचत्र प्रस्तुत हुआ िै उसे अपने र्ब्दों में
वलन्खए।
उत्तर – कवव वििु के मनोिारी मुस्कान पर मुग्ध तथा रोमांवचत िो रिा िै। कवव अपनीप्रसन्नता को
अवभव्यक्त कर रिा िै | उसे ऐसा लग रिा िै वक मेरे घर में िी कमलस्तखल रिा िै। कवव बालक को
वनरं तर दे ख रिा िै ।कवव को लग रिा िै बालक भी उसे अपलक दे ख रिा िै और उसे पिचानने की
कोविि कर रिा िै। कवव के हृदय में स्नेि फूट रिा िै। वि कि रिा िै वक तुम और तुम्हारी मां धन्य
िै।मैं तो प्रवासी रिा। तुम्हारी मां ने तुम्हें मधुपका पान कराया िै , गोद में स्तखलाया िै , मां के सावनध्य में
रिे िो और तुम मुझे कनस्तखयों से दे ख पिचानने का प्रयास कर रिे िो।
उत्तर – मुस्कुराते समय बच्चों के छोटे -छोटे दांत वदखते िैं। अतः कवव ने वििु की मुस्कान को दं तुररत
मुस्कान किा िै। वििु की मुस्कान दे खकर कवव पुलवकत िो उिता िै। उसका वात्सल्य जाग उिता
िै। मन में तरि-तरि की कल्पनाएं आती िैं।
उत्तर – कवव वििु की मां को धन्य इसवलए किता िै क्योंवक उसे वििु के पालन पोषण का अवसर
वमला। मां िी वििु को मधुपका स्तखलाती रिी। वििु को उसकी पूरी आत्मीयता वमली िै , इसीवलए मां
धन्य िै।
प्रश्न 8. ‘यि दं तुररत मुस्कान’ कविता में ‘बांस और बबूल’ वकसके प्रतीक बताए गए िैं ? इन पर
वर्र्ु की मुस्कान का क्या असर िोता िै?
उत्तर –‘ यि दं तुररत मुसकान’ कववता में बांस और बबूल किोर और वनष्िु र हृदय वाले लोगों के
प्रतीक िैं । ऐसे लोगों पर मानवीय संवेदनाओं का कोई असर निीं िोता िै। वििु की दं तुररत मुस्कान
दे खकर ऐसे लोग भी सहृदय बन जाते िैं।
प्रश्न 9.‘ यि दं तुररत मुसकान’ कविता में कवि ने मानि जीिन के वकस सत्य को प्रकट वकया
िै?
उत्तर – वििु की मधुर दं तुररत मुस्कान को दे खकर कवव का मन सरसता तथा वस्नग्धता से भरकर
आनंवदत िो उिता िै। पाररवाररक जीवन अच्छा िै। इससे मनुष्य के मन में आनंद और उत्साि का
संचार िोता िै , तथा अनेक कविनाइयों को सरलता से पार कर लेता िै।
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कववता : फसल
उत्तर – कवव नागाजुान के अनुसार फसल नवदयों के पानी का जादू ,मनुष्य के िाथों के स्पिा की मविमा
,भूरी ,काली ,संदली वमट्टी का गुणधमा ,सूरज की वकरणों का रूपांतरण और िवा की वथरकन का
वसमटा हुआ संकोच िै अथाात फसल के उगने में नवदयों का पानी, उपजाऊ वमट्टी, मनुष्य का पररश्रम,
सूया की वकरणों और िवा का सामूविक योगदान िोता िै। फसल इन सब का पररणाम िोती िै।
प्रश्न 2. कविता में फसल उपजाने के वलए आिश्यक तत्वों की बात किी गई िै। िे आिश्यक
तत्व कौन– कौन से िैं ?
उत्तर – कववता में ववणात आवश्यक तत्व वनम्नवलस्तखत िै –नवदयों का पानी। मानव पररश्रम। खेतों की
वववभन्न प्रकार की वमट्टी। सूरज की वकरणें। िवा।
प्रश्न 3. फसल को ‘िाथों के स्पर्ग की गररमा’ और ‘मविमा’ किकर कवि क्या व्ि करना
चािता िै?
उत्तर – फसल को ‘िाथों के स्पिा की गररमा’ और ‘मविमा’ किकर कवव व्यक्त करना चािता िै वक
फसल को भले वमट्टी,पानी, िवा आवद तत्व वमल जाएं पर जब तक उसे मनुष्य के िाथों का स्पिा निीं
वमलता तब तक उसे भरपूर रूप में निीं उगाया जा सकता। फसल के उगाने में मनुष्य के पररश्रम का
बहुत मित्व िै। मनुष्य िी अपने िाथों से श्रम करके खेत जोतता िै और वसंचाई करके फसल उगाता
िै । फसल के उगने में मनुष्य के िाथों के स्पिा की गररमा और मविमा जुडी हुई िै। फसल वकसान के
श्रम की गररमा और मविमा का फल िोती िै ।कवव ने वकसान के मित्व को प्रवतपावदत करने के वलए
ऐसा किा िै।
उत्तर – इन पंस्तक्तयों का भाव यि िै वक फसल सूरज के प्रकाि में प्राकृवतक प्रवक्रया पूरी कर अपने
वलए भोजन बनाती िै और पुष्ट् िोती िै। इसवलए कवव ने फसल को सूरज की वकरणों का रूपांतरण
किा िै। इसी प्रकार फसल के उगने और स्वस्थ रिने में िवा का भी उतना िी योगदान रिता िै।
फसल िवा की उपस्तस्थवत में ऑक्सीजन ग्रिण करती िै। इस प्रकार िवा संकुवचत िोकर पेड पौधों में
प्रवेि करती िै। फसल पूणारूपेण ववकास को प्राप्त िोती िै।
प्रश्न 5. कवि ने फसल को िजार- िजार खेतों की वमट्टी का गुण िमग किा िै –
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(ख) ितगमान जीिन र्ैली के गुणिमग को वकस तरि प्रभावित करती िै ?
(ग) वमट्टी के गुण िमग को पोवषत करने में िमारी क्या भूवमका िो सकती िै?
उत्तर (क) वमट्टी में अनेक आवश्यक तत्व िै, जो वमट्टी की उवारा िस्तक्त के वलए आवश्यक िैं। उन
आवश्यक तत्वों को फसल वमट्टी से ग्रिण करती िै और पुष्ट् िोती िै। यिी प्राकृवतक रूप से पाए जाने
वाले तत्व वमट्टी के गुण धमा िैं।
(ख) प्रदू षण उत्पन्न करती हुई िमारी वतामान जीवन िैली वमट्टी के गुण धमा को प्रभाववत कर रिी िै।
साथ िी फसल में उवारकों के प्रयोग से वमट्टी अपने प्राकृवतक गुण धमा से रवित िोती जा रिी िै। इसके
अवतररक्त फैस्तक्टरयों से वनकला हुआ प्रदू वषत पानी वमट्टी के गुण धमा को पूरी तरि नष्ट् कर रिा िै।
(ग) वमट्टी के गुण धमा को पोवषत करने में िम अपनी भूवमका इस तरि प्रस्तुत कर सकते िैं वक– वमट्टी
के गुण धमा को दु ष्प्रभाववत करने वाले कारकों को जाने और उन्हें रोकने का प्रयास करें । धरती का
सौंदयाकरण करें , पेड लगाएं और पेडों का संरिण करें । प्रकृवत का संतुलन न वबगडने दें । प्रदू षण के
कारणों को न बढने दे । अवधक फसल लेने के लालच में वमट्टी में अत्यवधक रासायवनक उवारक और
कीटनािक प्रयोग में न लाएं ।वमट्टी की स्वाभाववकता को बनाए रखें।
प्रश्न 6. कवि ने फसल के वनमागण में कृषक को अविक मित्व वदया िै , क्यों?
उत्तर – कृषक का जीवन कृवष पर आधाररत िै। वि वदन-रात, समय – असमय, दु ख की वचंता न करते
हुए अपने पररश्रम से बीज बोने से लेकर फसल तैयार िोने तक का धैया रखता िै। अतः उसके धैया और
अथक पररश्रम की पराकाष्ठा को दे खकर कृषक को अवधक मित्व वदया गया िै।
प्रश्न 7. कवि ने फसल को िजार- िजार खेतों की वमट्टी का गुणिमग किा िै। वमट्टी द्वारा अपना
गुणिमग छोडने की न्स्थवत में क्या वकसी भी प्रकार के जीिन की कल्पना की जा सकती िै ?
उत्तर – वमट्टी के अनेक प्रकार के गुण धमा के कारण फसल पैदा िोती िै । वमट्टी िारा गुणधमा छोडने
की स्तस्थवत में मनुष्य का जीवन बुरी तरि प्रभाववत िोगा। उसका पररणाम भुखमरी, अनेक प्रकार की
बीमाररयां तथा तनाव आवद के रूप में सामने आएगा।
उत्तर – कवव ने अपनी भावना स्पष्ट् की िै वक संयुक्त प्रयास िी सुपररणाम की कुंजी िै। वकसी एक के
अभाव में सुपररणाम की अपेिा निीं की जा सकती, अतः फसल की यथाथाता वसद्ध करती िै वक वजतने
भी उपादे य िैं ,उनकी अनदे खी न कर उनका संरिण करना उवचत िै ,एक दू सरे के सियोग से िी िम
सफलता के सोपान को प्राप्त कर सकते िैं।
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संगतकार
प्रश्न 1.संगतकार के माध्यम से कवि वकस प्रकार के व्न्ियों की ओर संकेत करना चाि रिा
िै?
उत्तर-संगतकार के माध्यम से कवव उस तरि के व्यस्तक्तयों की ओर संकेत करना चाि रिा िै जो मिान
और सफल व्यस्तक्तयों की सफलता में परदे के पीछे रिकर अपना योगदान दे ते िैं। ये लोग मित्त्वपूणा
योगदान तो दे ते िैं परं तु ये लोगों की वनगाि में निीं आ पाते िैं और सफलता के श्रेय से वंवचत रि जाते
िैं। मुख्य गायक की सफलता में साथी गायकों वाद्य कलाकारों, ध्ववन एवं प्रकाि व्यवस्था दे खने वाले
कलाकारों या कवमायों का योगदान रिता िै पर उन्हें इसका श्रेय निीं वमल पाता िै ।
प्रश्न 2.संगतकार जैसे व्न्ि संगीत के अलािा और वकन-वकन क्षेत्रों में वदखाई दे ते िैं ?
उत्तर-संगतकार जैसे व्यस्तक्त संगीत के अलावा और भी बहुत से िेत्रों में िोते िैं
● खेल में जीत का श्रेय कैप्टन को वमलता िै जबवक ववजेता बनाने में कई स्तखलावडयों का
योगदान िोता िै। इसके अलावा उनके कोच और अन्य अनेक लोगों का योगदान िोता
िै।
● राजनीवत के िेत्र में चुनाव में जीत केवल उम्मीदवार वविेष की िोती िै , परं तु उसे
ववजयी बनाने में छोटे नेताओं के आलावा चुनावी चंदा दे ने वाले, प्रचार करने वाले जैसे
बहुतों का योगदान िोता िै।
● वसनेमा के िेत्र में वफ़ल्म को सफल बनाने में अगवणत लोगों का योगदान िोता िै ।
● वििा के िेत्र में परीिाफल बढने का श्रेय अवधकाररयों को वमलता िै पर उसके वलए
अध्यापकगण एवं अन्य कमाचाररयों का अमूल्य योगदान िोता िै।
● वकसी युद्ध को जीतने में सेनापवत के अलावा बहुत से वीरों का योगदान िोता िै।
प्रश्न 3.संगतकार वकन-वकन रूपों में मुख्य गायक-गावयकाओं की मदद करते िैं ?
उत्तर-संगतकार वववभन्न रूपों में मुख्य गायक-गावयकाओं की मदद करते िैं ; जैसे
● वे मुख्य गायक की भारी आवाज में अपनी सुंदर और कमज़ोर आवाज़ की गूंज
वमलाकर गायन को प्रभावपूणा बना दे ते
● गायक जब अंतरे के जवटल जंगल में खो जाते िैं तो संगतकार िी स्थायी को साँभाले
रखकर उनकी मदद करते िैं।
● तारसप्तक गाते समय सं गतकार उसके स्वर में स्वर वमलाकर उसे अकेले िोने का
अिसास निीं िोने दे ते िैं।
● संगतकार मुख्य गायक के स्वर से अपना स्वर ऊाँचा न करके उसकी सफलता में
बाधक निीं बनते िैं।
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से ऊाँचा निीं िोने दे ते िैं। यि संगतकार िारा अपनी प्रवतभा का त्याग िै जो योग्यता और सामथ्या िोने
पर भी मुख्य गायक की सफलता में बाधक निीं बनता िै और मानवता का अनूिा उदािरण प्रस्तुत
करता िै।
प्रश्न 5.वकसी भी क्षेत्र में प्रवसन्द्ध पाने िाले लोगों को अनेक लोग तरि-तरि से अपना योगदान
दे ते िैं। कोई एक उदािरण दे कर इस कथन पर अपने विचार वलन्खए।
उत्तर-वकसी भी िेत्र में प्रवसद्ध पाने वाले लोगों को अनेक लोग तरि-तरि से अपना योगदान दे ते िैं।
उनकी सफलता में योगदान दे ने वाले बहुत से लोग िोते िैं जो परदे के पीछे रि जाते िैं और प्रकाि में
निीं आ पाते िैं। इसका एक उदािरण दे स्तखएिमारे िेत्र के वतामान ववधायक श्री रमन िमाा िैं। थोडे
वदनों पिले तक वे अत्यंत साधारण आदमी हुआ करते थे। उनके सद्व्यविार से प्रेररत िोकर लोगों ने
उन्हें चुनाव लडने के वलए प्रेररत वकया। कुछ ने स्वेच्छा से तथा बीस लोगों की टीम ने उनके वलए चंदा
एकत्र करना िुरू वकया। युवा वगा ने स्वेच्छा से प्रचार का काया अपने वजम्मे साँभाल वलया। मुख्य बाज़ार
के दो बडे दु कानदारों ने पोस्टर, िोवडिं ग्स और बैनर का खचा उिाया। करीब बीस-पच्चीस लोग उनके
साथ वदन-रात एक करके िेत्र में घूमते रिे और चुनाव िोने तक साये की तरि उनके साथ रिे। आज
इन सियोवगयों को कोई निीं जानता िै। श्री रमन िमाा की गणना कमाि एवं ईमानदार ववधायकों में की
जाती िै।
प्रश्न 6.कभी-कभी तारसप्तक की ऊँचाई पर पहुँचकर मुख्य गायक का स्वर वबखरता नज़र
आता िै उस समय संगतकार उसे वबखरने से बचा लेता िै। इस कथन के आलोक में संगतकार
की विर्ेष भूवमका को स्पष्ट कीवजए।
उत्तर-तारसप्तक गाते समय स्वरों के उतार-चढाव में जब मुख्य गायक की आवाज़ बैिने लगती िै और
उसकी आवाज़ कुछ वगरती हुई मिसूस िोती िै तब संगतकार मुख्य गायक के स्वर में स्वर वमलाकर
उसे सिारा दे ते िैं तथा उसको स्वर वबखरने से पिले िी साँभाल लेते िैं और उसके गायन की सफलता
को ववफलता में निीं बदलने दे ते िैं। इस प्रकार मुख्य गायक की सफलता में संगतकार की भूवमका
अत्यंत मित्त्वपूणा िोती िै।
प्रश्न 7.सफलता के चरम वर्खर पर पहुँचने के दौरान यवद व्न्ि लडखडाता िै तब उसे
सियोगी वकस तरि सँभालते िैं ?
उत्तर-सफलता के िीषा पर पहुाँचकर जब कोई व्यस्तक्त अचानक लडखडा जाता िै तो उसके सियोगी
उसे सािस एवं िौंसला बनाए रखने के वलए प्रेररत करते िैं। वे तन-मन से िी निीं, आवश्यकता िोने
पर धन से भी उसकी सिायता करते िैं। वे उसे उसकी कवमयों के प्रवत सचेत करते िैं तथा दु बारा
सफलता के िीषा पर पहुाँचाने में मदद करते िैं।
रचना और अवभव्न्ि
प्रश्न 8.कल्पना कीवजए वक आपको वकसी संगीत या नृत्य समारोि का कायगक्रम प्रस्तुत करना िै
लेवकन आपके सियोगी कलाकार वकसी कारणिर् निी ं पहुँच पाए
(क) ऐसे में अपनी न्स्थवत का िणगन कीवजए।
(ख) ऐसी पररन्स्थवत का आप कैसे सामना करें गे?
उत्तर-
(क) संगीत या नृत्य के कायाक्रम में सियोगी कलाकारों के न पहुाँच पाने से मैं परे िान िो जाऊाँगा।
उनके न पहुाँचने के कारणों का पता करू ं गा। यथासंभव उन्हें बुलाने का प्रयास करू ं गा। यवद वे निीं
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आ सकेंगे तो मैं आयोजक को सारी बातें बताकर उनसे कहाँगा वक अपने स्तर से अन्य सियोगी
कलाकारों की व्यवस्था कराने का कष्ट् करें तावक मैं प्रस्तुवत दे सकें।
(ख) ऐसी स्तस्थवत का सामना करने के वलए मैं आयोजकों एवं श्रोताओं के सामने सारी बात साफ़-साफ़
स्पष्ट् कर दू ं गा। और ररकाडे ड गीतों पर नृत्य प्रस्तुत करके बााँधे रखने का प्रयास करू
ं गा।
प्रश्न 9.आपके विद्यालय में मनाए जाने िाले सांस्कृवतक समारोि में मंच के पीछे काम करने िाले
सियोवगयों की भूवमका पर एक अनुच्छेद वलन्खए।
उत्तर-सांस्कृवतक कायाक्रमों की सफलता में सिायक लोगों की भूवमका अत्यंत मित्त्वपूणा िोती िै।
इनके सियोग के वबना कायाक्रम की सफलता की कल्पना करना भी बेमानी िै। ये सिायक लोग िी
कायाक्रम के वलए आवश्यक वस्तुओं को एकत्र करते िैं , साज-सिा में वविेष योगदान दे ते िैं। वे
अवतवथयों के बैिने की व्यवस्था साँभालते िैं। मंच पर प्रकाि का उवचत प्रबंध करते िैं। परदे के पीछे
कुछ लोग ररकॉवडिं ग समय पर बजाकर कलाकारों की मदद करते िैं और सांस्कृवतक कायाक्रम की
सफलता सुवनवश्चत करते िैं।
प्रश्न 10.वकसी भी क्षेत्र में संगतकार की पंन्ि िाले लोग प्रवतभािान िोते हुए भी मुख्य यो र्ीषग
स्थान पर क्यों निी ं पहुँच पाते िोंगे?
उत्तर-वकसी भी िेत्र में संगतकार की पंस्तक्त वाले लोग प्रवतभावान िोते हुए भी मुख्य या िीषा स्थान पर
इसवलए निीं पहुाँच पाते िै , क्योंवक
प्रश्न 3.तारसप्तक गाते समय मुख्य गायक को क्या-क्या परे र्ावनयाँ िोती िैं ?
उत्तर-तारसप्तक सात स्वरों का समूि िोता िै वजनकी ध्ववनयााँ साधारण, मध्यम और मंद िोती िैं। इन
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सुरों को ऊाँचा-नीचा या मध्यम बनाए रखने के क्रम में मुख्य गायक की आवाज़ बैिने लगती िै। उसका
उत्साि कमज़ोर िोने लगता िै और उसकी आवाज़ से राख जैसा कुछ वगरता हुआ प्रतीत िोता िै।
प्रश्न 4.मुख्य गायक और संगतकार के संबंि एक-दू सरे के पूरक िैं। स्पष्ट कीवजए।
उत्तर-मुख्य गायक और संगतकार के मध्य अटू ट संबंध िोता िै। संगतकार के वबना मुख्य गायक
प्रवसद्ध के विखर पर निीं। पहुाँच सकता िै। संगतकार मुख्य गायक को कदम-कदम पर साँभालकर
उसके गायन को प्रभावी बनाए रखता िै। इसी तरि मुख्य गायक संगतकार को अपनी प्रवतभा वदखाने
का मंच प्रदान करता िै। इस तरि दोनों एक-दू सरे के पूरक िैं।
प्रश्न 5.संगतकार की मनुष्यता वकसे किा गया िै। िि यि मनुष्यता कैसे बनाए रखता िै ?
उत्तर-संगतकार में योग्यता, प्रवतभा, िमता और अवसर िोने पर भी वि अपनी आवाज़ को मुख्य
गायक की आवाज़ से ऊाँचा निीं उिाता िै तथा कभी भी अपनी गावयकी को मुख्य गायक के गायन से
बेितर वसद्ध करने का प्रयास निीं करता िै। इसे संगतकार की मनुष्यता किा गया िै। वि यि
मनुष्यता मुख्य गायक को सम्मान दे ते हुए बनाए रखता िै।
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पाठ्य पुस्तक कृवतका -2 आधाररत प्रश्न
पाठ- माता का आं चल
प्रश्न 1 भोलानाथ के वपता भोलानाथ को पूजा-पाठ में र्ावमल करते, उसे गंगा तट पर ले जाते
तथा लौटते हुए पेड की डाल पर झुलाते। उनका ऐसा करना वकन-वकन मूल्यों को उभारने में
सिायक िै?
उत्तर भोलानाथ के वपता उसको अपने साथ पूजा पर बैिाते। पूजा के बाद आटे की गोवलयााँ वलए हुए
गंगातट जाते। मछवलयों को आटे की गोवलयााँ स्तखलाते, विााँ से लौटते हुए उसे पेड की झुकी डाल पर
झुलाते। उनके इस कायाव्यविार से भोलानाथ में कई मानवीय मूल्यों का उदय एवं ववकास िोगा। ये
मानवीय मूल्य िैं-
1 भोलानाथ िारा अपने वपता के साथ पूजा-पाि में िावमल िोने से उसमें धावमाक भावना का उदय
िोगा।
2 प्रकृवत से लगाव उत्पन्न िोने के वलए प्रकृवत का सावन्नध्य आवश्यक िै। भोलानाथ को अपने वपता के
साथ प्रकृवत के वनकट आने का अवसर वमलता िै। ऐसे में उसमें प्रकृवत से लगाव की भावना उत्पन्न
िोगी।
3 मछवलयों को वनकट से दे खने एवं उन्हें आटे की गोवलयााँ स्तखलाने से भोलानाथ में जीव-जन्तुओं के
प्रवत लगाव एवं दया भाव उत्पन्न िोगा।
4 नवदयों के वनकट जाने से भोलानाथ के मन में नवदयों को प्रदू षण मुक्त रखने की भावना का उदय एवं
ववकास िोगा।
5 वृिों से वनकटता िोने तथा उनकी िाखाओं पर झूला झूलने से भोलानाथ में पेडों के संरिण की
भावना ववकवसत िोगी।
प्रश्न 2 बच्चे रोना-िोना, पीडा, आपसी झगडे ज्यादा दे र तक अपने साथ निी ं रख सकते िैं।
माता के अँचल’ पाठ के आिार पर बच्चों की स्वाभाविक विर्ेषताएँ वलन्खए ।
उत्तर- बाल मनोववज्ञान के अनुसार बच्चों को अपने िमजोवलयों का साथ ज्ादा पसंद आता िै।उनके
साथ खेलना अच्छा लगता िै। अपनी उम्र के बच्चों के साथ वजस रुवच से खेलता िै वि रुवच बडों के
साथ निीं िोती िै। दू सरा कारण मनोवैज्ञावनक भी िै -बच्चे को अपने सावथयों के बीच वससकने या रोने
में िीनता का अनुभव िोता िै। यिी कारण िै वक भोलानाथ अपने सावथयों को दे खकर वससकना भूल
जाता िै।बच्चे मन के सच्चे िोते िैं। वे आपसी झगडे , रोना-धोना, कष्ट् की अनुभूवत आवद वजतनी जल्दी
करते िैं उतनी िी जल्दी भूल जाते िैं। वे आपस में वफर इस तरि घुल-वमल जाते िैं , जैसे कुछ हुआ िी
न िो। ‘माता का अाँचल’ पाि में बच्चों के सरल तथा वनश्छल स्वभाव का पता चलता िै। वे लडाई-झगडे
की कटु ता को अवधक दे र तक अपने मन में निीं रख सकते िैं। खेल-खेल में रो दे ना या िाँस दे ना उनके
वलए आम बात िै। अपने मनोरं जन के वलए वे वकसी को वचढाने से। भी निीं चूकते िैं। सुख-दु ख से
बेपरवाि िो वे अपनी िी दु वनया में मगन रिते िैं।
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प्रश्न : ितगमान समय में संतान द्वारा माँ-बाप के प्रवत उपेक्षा का भाि दर्ागया जाने लगा िै वजससे
िृद्धों की समस्याएँ ब़िी िैं तथा समाज में िृद्धाश्रमों की जरूरत ब़ि गई िै। माता का अँचल’
पाठ उन मूल्यों को उभारने में वकतना सिायक िै वजससे इस समस्या पर वनयंत्रण करने में
मदद वमलती िो।
उत्तर-वतामान समय में भौवतकवाद का प्रभाव िै। अवधकावधकथन कमाने एवं सुख पाने की चाित ने
मनुष्य को मिीन बनाकर रख वदया िै। ऐसे में संतान के पास बैिने, उसके साथ खेलने और घूमने-
वफरने का माता-वपता के पास समय निीं िैं। इस कारण एक ओर माता-वपता बूढे िोने पर उपेिा का
विकार िोते िैं तो दू सरी ओर वृद्धाश्रमों की संख्या बढ रिी िै। ‘माता का अंचल’ पाि में भोलानाथ का
अवधकांि समय अपने वपता के साथ बीतता था। वि अपने वपता के साथ पूजा में िावमल िोता था तो
वपता जी भी मनोववनोद के वलए उसके साथ खेलों में िावमल िोते थे। इससे भोलानाथ में अपने माता-
वपता से अत्यवधक लगाव, सिानुभूवत, वमल-जुलकर साथ रिने की भावना, माता-वपता के प्रवत दृवष्ट्कोण
में व्यापकता, माता-वपता के प्रवत उत्तरदावयत्व, सामावजक सरोकारों में प्रगाढता, आएगी वजससे वृद्धों
की उपेिा एवं वृद्धाश्रम की बढती आवश्यकता पर रोक लगाने में सिायता वमलेगी।
प्रश्न : भोलानाथ और उसके सावथयों के खेल और खेलने की सामग्री आपके खेल और खेलने
की सामग्री से वकस प्रकार वभन्न िै ?
उत्तर- भोलानाथ और उसके सावथयों के खेल और खेलने की सामग्री से िमारे खेल और खेल सामवग्रयों
में कल्पना से अवधक अंतर आ गया िै। भोलानाथ के समय में पररवार से लेकर दू र पडोस तक आत्मीय
संबंध थे, वजससे खेलने की स्वच्छं दता थी। बािरी घटनाओं-अपिरण आवद का भय निीं था। खेल की
सामवग्रयााँ बच्चों िारा स्वयं वनवमात थीं। घर की अनुपयोगी वस्तु िी उनके खेल की सामग्री बन जाती थी,
वजससे वकसी प्रकार िी िावन की संभावना निीं थी। धूल- वमट्टी से खेलने में पूणा आनंद की अनुभूवत
िोती थी। न कोई रोक, न कोई डर, न वकसी का वनदे िन । जो था वि सब सामूविक बुस्तद्ध की उपज
थी।
आज भोलानाथ के समय से सवाथा वभन्न खेल और खेल सामग्री और ऊपर से बडों का वनदे िन और
सुरिा िर समय वसर पर िावी रिता िै। आज खेल सामग्री स्ववनवमात न िोकर बाज़ार से खरीदी हुई
िोती िै। खेलने की समय-सीमा भी तय कर दी जाती िै। अतः स्वच्छं दता निीं िोती िै। धूल-वमट्टी से
बच्चों का पररचय िी निीं िोता िै।
प्रश्न : आजकल बच्चे घरों में अकेले खेलते िैं , पर भोलानाथ और उसके साथी वमल-जुलकर
खेलते थे। इनमें से आप भािी जीिन के वलए वकसे उपयुि मानते िैं और क्यों?
उत्तर-यि सत्य िै वक आजकल के बच्चे कंप्यूटर पर गेम, वीवडयो गेम, टे लीववज़न पर काटू ा न दे खते हुए
अकेले समय वबताते िैं, परं तु भोलानाथ का समय सावथयों के साथ खेलते हुए बीतता था। खेत में
वचवडयााँ उडाना िो या चूिे के वबल में पानी डालना या खेती करना, बारात वनकालना आवद खेल ऐसे थे
वजनमें बच्चों का एक साथ खेलना आवश्यक था। मैं वमलजुलकर खेलने को भावी जीवन के वलए
उपयुक्त मानता हाँ, क्योंवक-
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3 वमल-जुलकर खेलने से सभी बच्चे अपना-अपना योगदान दे ते िैं , वजससे सवक्रय सिभावगता की
भावना का उदय िोता िै।
कायगपत्रक
प्रश्न 1 भोलानाथ और उसके सावथयों िारा खेले जाने वाले खेलों के ववषय में संिेप में वलस्तखए।
प्रश्न 2 भोलानाथ और उसके साथी समूि में खेलते थे, लेवकन आजकल बच्चे समूि में न खेलकर एकल
खेलना पसंद करते िैं बच्चों के इस प्रकार एकल रिने से उनके ववकास की प्रवक्रया पर क्या प्रभाव
पडता िै? चचाा कीवजए।
प्रश्न 3 माता का अंचल पाि में ववणात वपता के स्वभाव की कौन-कौन सी वविेषताएं आपको आकवषात
करती िैं और क्यों?
प्रश्न 5 माता का आं चल पाि में ववणात ग्रामीण संस्कृवत में और आज की ग्रामीण संस्कृवत में आपको
कौन से बदलाव नजर आते िै ? क्या यि बदलाव सिी िै या गलत? वववेचना कीवजए।
प्रश्न1. वझलवमलाते वसतारों की रोर्नी में निाया गंतोक लेन्खका को वकस तरि सिोवित कर
रिा था?
उत्तर- वझलवमलाते वसतारों की रोिनी में निाया गंतोक लेस्तखका के हृदय को सम्मोवित कर रिा था।
गंतोक ििर के वझलवमलाते हुए वसतारे रोिनी की एक झालर सी बना रिे थे। इवतिास और वतामान के
संवध स्थल पर खडा मेिनतकि बादिािों का ििर गंतोक की सुबि िाम रात सब कुछ बहुत सुंदर
थी। लेस्तखका किती िै वक मानो ऐसा लग रिा था वक कुछ जादू सा िो रिा िै सब कुछ अथािीन सा लग
रिा था मेरी चेतना और आसपास का वातावरण इतना सुंदर था वक उनके भीतर वसफा िून्य था। वसफा
वझलवमलाते वसतारों की रोिनी मन मोि रिी थी।
उत्तर- गंतोक को मेिनतकि भाषाओं का ििर किा गया क्योंवक गंतोक ििर के लोग मेिनती िोते
िैं। पुरुषों के अलावा मविलाएं भी कई मेिनती काम करती िै। इस पवातीय प्रदे ि में मानों िं ड की
लिरों के साथ मेिनत की धुंध भी उडती िै। गंतोक ििर की सुबि िाम रात अवत सुंदर थी।
प्रश्न 3 कभी श्वेत तो कभी रं गीन पताकाओं का फिराना वकन अलग-अलग अिसरों की ओर
संकेत करता िै ?
उत्तर- श्वेत पताकाओं पर मंत्र वलखे िोते िैं जो िांवत और अविंसा के प्रतीक िोते िैं । बुस्तद्ध की मान्यता
के अनुसार जब वकसी बुस्तद्धस्ट की मृत्यु िोती िै तो उसकी आत्मा की िांवत के वलए ििर से दू र वकसी
भी पववत्र स्थान पर 108 श्वेत पताकाएं फिरा दी जाती िैं। इन्हें उतारने की जरूरत निीं िोती िै यि
धीरे -धीरे अपने आप नष्ट् िो जाती िै और कई बार नए काया की िुरुआत में भी यि पताकाएं लगा दी
जाती िै पर वे रं गीन िोती िैं।
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प्रश्न 4.वजतेन नागे ने लेन्खका को वसन्िम की प्रकृवत, ििाँ की भौगोवलक न्स्थवत एिं जनजीिन
के बारे में क्या मित्वपूणग जानकाररयाँ दी ं, वलन्खए।
उत्तर- वजतेन नागे डर ाइवर कम गाइड ने वसस्तक्कम की प्रकृवत, विााँ की भौगोवलक स्तस्थवत एवं जनजीवन
के बारे में वनम्नवलस्तखत मित्वपूणा जानकाररयााँ भली-भांवत दीं-
1.फूलों और फूलों के बाद के बारे में
2.श्वेत पताकाओं पर मंत्र वलखे िोते िैं जो िांवत और अविंसा के प्रतीक िोते िैं। बुस्तद्ध की मान्यता के
अनुसार जब 3.वकसी बुस्तद्धस्ट की मृत्यु िोती िै तो उसकी आत्मा की िांवत के वलए ििर से दू र वकसी
भी पववत्र स्थान पर 108 श्वेत पताकाएं फिरा दी जाती िैं।
4.नए काया की िुरुआत में भी यि पताकाएं लगा दी जाती िै पर वे रं गीन िोती िैं।
5.खेदुम में पववत्र स्थल के बारे में बताया जिां पर यि मान्यता िै वक जो यिां गंदगी करता िै उसकी
मौत िो जाती िै।
6.उसने गुरु नानक के फुटवप्रंट के बारे में बताया
7.नावे ने धमा चक्र अथाात प्रेयर व्हील के बारे में बताया वक इसको घुमाने से सारे पाप धुल जाते िैं।
8.उसने कई पिाडी इलाकों के बारे में बताया
9.यूमथांग की पिावडयों के बारे में बताते हुए किा वक 15 वदन में यिां फूलों से घावटयां भर जाएं गी
और दे खने पर 10.ऐसा लगेगा मानो फूलों की सेज लगी िो।
11.कवी लोंग स्टॉक स्थान जिां गाइड वफल्म की िूवटं ग हुई थी के बारे में बताया
12.लेस्तखका को उसने सेवन वसस्टर वाटरफॉल वदखाया।
प्रश्न 5.लोंग स्टॉक में घूमते हुए चक्र को दे खकर लेन्खका को पूरे भारत की आत्मा एक-सी क्यों
वदखाई दी?
उत्तर-लोंग स्टॉक में घूमते वक्त जब उन्होंने धमा चक्र यानी प्रेयर व्हील को दे खा तो लेस्तखका को पूरे
भारत की आत्मा एक-सी वदखाई दी क्योंवक बौस्तद्धक मान्यता के अनुसार धमा चक्र को घुमाने से सारे
पाप धुल जाते िैं ऐसा माना जाता िै िीक इसी प्रकार गंगा नदी को भी पववत्र नवदयों में से एक माना
जाता िै और मान्यता के अनुसार यि किा जाता िै वक गंगा नदी में स्नान करने पर मानव प्रजावत के
सभी पाप धुल जाते िैं। यिी सोचकर लेस्तखका ऐसा किती िै।
प्रश्न 6.वजतने नागे की गाइड की भूवमका के बारे में विचार करते हुए वलन्खए वक एक कुर्ल
गाइड में क्या गुण िोते िैं?
उत्तर- डर ाइवर कम गाइड वजतेन नोगे एक कुिल गाइड था। वजतेन नागे को नेपाल और वसस्तक्कम की
भौगोवलक स्तस्थवत एवं जनजीवन के बारे भली-भांवत सब पता था। वि लेस्तखका को िर जगि के बारे में
जानकारी दे रिा था। वि विां से सुपररवचत था। वजतेन नागे के अंदर कुिल गाइड के गुण थे-
1.एक कुिल गाइड में उसी स्थान की भौगोवलक स्तस्थवत एवं जन जीवन के बारे में भली-भांवत पता िोना
चाविए जो वक नॉवे में थी।
2.नॉवे में गाइड तथा डर ाइवर दोनों के गुण थे चूंवक डर ाइवर का काम अत्यवधक घूमने का िोता िै तो
उसे िर जगि के बारे में अच्छे से पता था।
3.एक कुिल गाइड के पास सैलावनयों को अपनी बातों की ओर आकवषात करने का गुण िोता िै
वजससे जीप में बैिे सैलानी को बोररयत मिसूस निीं िोती थी।
4.वि पयाटकों में इतना घुल-वमल जाता िै वक पयाटक उससे उस जगि के बारे में कुछ भी पूछ सकते
िैं।
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प्रश्न 7.इस यात्रा-िृत्तांत में लेन्खका ने विमालय के वजन-वजन रूपों का वचत्र खी ंचा िै , उन्हें अपने
र्ब्दों में वलन्खए।
उत्तर- इस यात्रा वृतांत में लेस्तखका ने विमालय के अलग-अलग रूपों के बारे में बताया। किीं बडे बडे
पिाड के रूप में विमालय वदख रिा था तो किीं छोटी-छोटी घावटयों के रूप में विमालय की ओर जाते
वक्त किीं घुमावदार सडके थी जो जलेबी सी लग रिी थी। यि पवात विखर बहुत िी मनोिर लग रिे
थे।
प्रश्न 8.प्रकृवत के उस अनंत और विराट स्वरूप को दे खकर लेन्खका को कैसी अनुभूवत िोती िै ?
उत्तर- एकदम मौन, वकसी ऋवष की तरि िांत िोकर वि सारे पररदृश्य को अपने भीतर समेट लेना
चािती थी। वि विां की सुंदरता को दे खकर मानों जैसे सम्मोवित िो गई थी।विां की सुंदरता ने उनका
मन प्रफुस्तलत कर वदया था। विां के फूलों की वावदयां उनके मन को मिका रिी थी। झरने से वगरता
पानी उनके मन में विचकोले उत्पन्न कर रिा था।
उत्तर-प्राकृवतक सौंदया के अलौवकक आनंद में डूबी लेस्तखका का मन झकझोर उिा जब उन्होंने पत्थर
तोडती, सुंदर कोमलांगी पिाडी औरतों को दे खा लेस्तखका ने दे खा वक कुछ पिाडी औरतें पिाडों को
तोड रिी थी यि बहुत जोस्तखम भरा काया था क्योंवक इन्हें कई बार डायनामाइट से भी तोडा जाता िै
और विीं पर यि मविलाएं काम करती िैं। उनके िाथों में िथौडे कुदाल दे खकर मानो ऐसा लगा जैसे
मेरा मन झकझोर उिा िो ऐसा लेस्तखका ने किा। विीं दू सरी ओर पीि पर डोको (बडी टोकरी) में
उनके बच्चे भी बाँधे थे, वि पत्ते बीन रिी थी। जिां इतना सौंदया का प्रवतरूप था विी भूख,प्यास और
आजीववका के वलए लडाई चल रिी थी।
प्रश्न 10.सैलावनयों को प्रकृवत की अलौवकक छटा का अनुभि करिाने में वकन-वकन लोगों का
योगदान िोता िै , उल्लेख करें ।
उत्तर- सैलावनयों को प्रकृवत की अलौवकक छटा का अनुभव कराने में वनम्न लोगों का योगदान िै -
1.वे सरकारी लोग जो व्यवस्था को बनाए रखते िैं।
2.स्थानीय गाइड जो सैलावनयों को सारी जानकारी दे ते िैं।
3.विााँ के स्थानीय लोग जो सैलावनयों के साथ रुवच से बातें करते िैं।
4.सियोगी यात्री जो यात्रा में एक-दू सरे को बोर निीं िोने दे ते िैं।
प्रश्न 11.“वकतना कम लेकर ये समाज को वकतना अविक िापस लौटा दे ती िैं।” इस कथन के
आिार पर स्पष्ट करें वक आम जनता की दे र् की आवथगक प्रगवत में क्या भूवमका िै ?
उत्तर- वकसी भी आम जनता की दे ि की आवथाक प्रगवत में अप्रत्यि रूप से योगदान दे ते िैं। यि आम
जनता कई रूपों में िोती िै जैसे-फेरीवाले, मजदू र वगा, कृवष काया में जुटे लोग आवद। लेस्तखका ने
यूमथांग मैं यात्रा करते समय पिाडी औरतों को दे खा जो पिाडों को तोडकर सडकें बनाने में मेिनत
कर रिी थी। सडकें बन जाने पर यिां के पयाटकों में वृस्तद्ध िोगी वजससे दे ि की आवथाक स्तस्थवत में
प्रगवत िोगी। अतः इस प्रकार वववभन्न वगों के लोग दे ि की आवथाक प्रगवत में योगदान दे ते िैं।
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प्रश्न 12. आज की पी़िी द्वारा प्रकृवत के साथ वकस तरि का न्खलिाड वकया जा रिा िै। इसे
रोकने में आपकी क्या भूवमका िोनी चाविए।
उत्तर- प्रकृवत के साथ स्तखलवाड करने के क्रम में आज पिाडों पर प्रकृवत की िोभा को नष्ट् वकया जा
रिा िै। वृिों को काटकर पवातों को नंगा वकया जा रिा िै। िुद्ध, पववत्र नवदयों को ववववध प्रकार से
प्रदू वषत करने में कोई कसर निीं छोडी जा रिी िै। नगरों का, फैस्तक्टरयों का गंदा पानी पववत्र नवदयों में
छोडा जा रिा िै। सुख-सुववधा के नाम पर पॉवलथीन का अवधक प्रयोग और वािनों के िारा प्रवतवदन
छोडा धुंआ पयाावरण के संतुलन को वबगाड रिा िै। इस तरि प्रकृवत का आक्रोि बढ रिा िै , मौसम में
पररवतान आ रिा िै। ग्लेवियर वपघल रिे िैं।इसे रोकने में भूवमका-
1.वृिों को ना काटे ना िी काटने दे
2.वृिारोपण करें
3.वािनों का उपयोग कम करें
4.प्रदू षण को कम करने के उपाय दे खें
5.पॉलीवथन का उपयोग ना करें
6.रासायवनक उवारकों का उपयोग ना करें
पाठ की रूपरे खा
यि रचना प्रवसद्ध सावित्यकार सस्तच्चदानंद िीरानंद वात्स्यायन ‘अज्ञेय’ िारी वलखी गई िै I उन्होंने इस
वनबंध में यि स्पष्ट् वकया िै वक रचनाकार की भीतरी ववविता िी उसे लेखन के वलए मजबूर करती िै
और वलखकर िी रचनाकार उससे मुक्त िो पाता िै। अज्ञेय का यि मानना िै वक प्रत्यि अनुभव जब
अनुभूवत का रूप धारण करता िै, तभी रचना पैदा िोती िै। अनुभव के वबना अनुभूवत निीं िोती, परं तु
यि आवश्यक निीं वक िर अनुभव अनुभूवत बने। अनुभव जब भाव जगत् और संवेदना का विस्सा
बनता िै, तभी वि कलात्मक अनुभूवत में रूपांतररत िोता िै। इसी क्रम में वि अपनी विरोिीमा पर
वलखी गई कववता का भी वजक्र करता िै की कौन से कारणों ने उसे यि कववता वलखने पर वववि कर
वदयाI
प्रश्नोत्तर अभ्यास
प्रश्न 1. लेखक के अनुसार, प्रत्यक्ष अनुभि की अपेक्षा अनुभूवत उनके लेखन में किी ं अविक
मदद करती िै , क्यों?
उतर- मैं क्यों वलकता हाँ वनबंध में लेखक का मानना िै वक प्रत्यि अनुभव की अपेिा अनुभूवत वकसी के
लेखन में किीं अवधक सिायक िोती िै, क्योंवक लेखन काया मन के भीतर की वस्तु िै , उसे ऊपरी या
बािरी वस्तु निीं किा जा सकता। लेखन के वलए आं तररक अनुभूवत, संवेदना तथा कल्पना का िोना
अवनवाया िै, न वक वसफा अनुभव का। यवद केवल अनुभव का िोना लेखन के वलए काफी िोता तो
प्रत्येक व्यस्तक्त लेखक या कवव बन जाता क्योंवक अनुभव तो प्रत्येक के जीवन का अवभन्न अंग िै िर
व्यस्तक्त जीवन में तरि तरि के अनुभव से गुजरता िै वजसमें अच्छे व बुरे सभी तरि के अनुभव िावमल
िैंI सच्चा लेखन भीतरी ववविता से पैदा िोता िै। िर कोई व्यस्तक्त अपने अनुभवों को वकसी किानी
कववता वनबंध इत्यावद के रूप में अवभव्यक्त करने को वववि निीं िो जाता जब तक रचनाकार का
हृदय वकसी अनुभव के कारण पूरी तरि संवेवदत निीं िोता और उसमें अवभव्यक्त िोने की पीडा निीं
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िोती, तब तक वि कुछ वलख निीं पाता। अतः वनसंदेि अनुभूवत प्रत्यि अनुभव की मुकाबले अवधक
मित्व रखती िैI
प्रश्न 2 लेखक ने अपने आपको विरोवर्मा के विस्फोट का भोिा कब और वकस तरि मिसूस
वकया?
उत्तर- लेखक विरोविमा की घटनाओं के बारे में सुनकर तथा उनके कुप्रभावों को प्रत्यि दे खकर भी
ववस्फोट का भोक्ता (भोगने वाला) निीं बन पाया। इस घटना तथा इसके दु ष्पररणामों को जानने के बाद
लेखक इस घटना को अनुभव तो कर सकता था लेवकन वबना अनुभूवत के जागे वि इस संबंध में कुछ
भी वलखने को वववि मिसूस निीं करता थाI ऐसे में एक वदन वि जापान के विरोविमा नगर की एक
सडक पर घूम रिा था। अचानक उसकी नज़र एक पत्थर पर पडी। उस पत्थर पर एक मानव की
छाया छपी हुई थी। वास्तव में, परमाणु ववस्फोट के समय कोई मनुष्य उस पत्थर के पास खडा रिा
िोगा, रे वडयोधमी वकरणों ने उस आदमी को भाप की तरि उडाकर उसकी छाया पत्थर पर डाल दी
थी। उसे दे खकर लेखक के मन में पीडा से भरी अनुभूवत जाग गई। उसके मन में ववस्फोट का प्रत्यि
दृश्य साकार िो उिा। उस समय उसने स्वयं को ववस्फोट का भोक्ता मिसूस वकया।
उत्तर- (क) एक सच्चा लेखक आं तररक स्तर पर संवेदनिील िोता िै।उसके अंतमान की अनुभूवतयााँ िी
उसे वलखने के वलए प्रेररत करती िैं। लेखक वलखकर िी अपनी आं तररक ववविता को स्वयं पिचानता
िै तथा दू सरों को वदखाता िै। लेखक अपनी कलम के माध्यम से समाज में फैली बुराइयों के ववरुद्ध
प्रकृवत की सुंदरता के संबंध में अपनी व्यस्तक्तगत अनुभूवतयों के बारे में तथा अन्य वकसी भी ववषय पर
तब तक निीं वलख पाता जब तक उसके हृदय में इसका एक प्रत्यि अनुभव का स्वरूप वनवमात निीं
िोता केवल कोई घटना उसे वलखने के वलए प्रेररत निीं कर सकती बस्ति इसके वलए लेखक को उस
घटना को अंतमान में आत्मसात करना िोता िै तभी उसकी अनुभूवत जागृत िोती िै जो उसे वलखने के
वलए प्रेररत कर दे ती िै
(ख) वकसी रचनाकार के प्रेरणा स्रोत वकसी दू सरे को कुछ भी रचने के वलए वकस तरि
उत्सावित कर सकते िैं?
उत्तर- लेखन एक कला िै। कभी-कभी यि बाह्य प्रेरणा स्रोतों से प्रभाववत भी िोता िै। इस बात में कोई
संदेि निीं िै वक िर कोई कवव लेखक के रचनाकार निीं िो सकता परं तु वफर भी वजस प्रकार से
रचनाकारों वववभन्न घटनाएं प्रकृवत इत्यावद प्रभाववत करते िैं उसी प्रकार से एक लेखक वकसी अन्य
लेखक को भी अपनी रचनाओं से प्रभाववत करता िै इसके अवतररक्त कुछ और चीजें भी रचनाकार को
रचना के वलए प्रेररत करती िैं तथा उसकी प्रेरणा का स्रोत बनती िै , जैसे- वि अपनी ख्यावत के वलए,
संपादकों के आग्रि अथवा आवथाक आवश्यकताओं के कारण भी रचनाकार वलखने को वववि िोता िै।
उत्तर- यि सत्य िै वक रचनाकार की रचना के वलए उसकी आत्मा िोती तथा वि स्वयं अत्यंत
मित्वपूणा िोते िैं स्वयं की संतुवष्ट् तथा अवभव्यस्तक्त के सुखद एिसास के कारण भी वि अनेक रचनाएं
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करते िैं लेवकन इसके साथ-साथ उनकी रचनाओं पर बाह्य दबाव भी िोता िै इस बार दबाव का स्तर
वववभन्न रचनाकारों पर अलग अलग िो सकता िै I कुछ रचनाकारों के वलए आत्मानुभूवत के साथ-साथ
बाह्य दबाव भी मित्त्वपूणा िोते िैं और वे प्रवसस्तद्ध वमल जाने के बाद बाह्य ववविता के कारण भी वलखते
िैं। ये बाह्य दबाव वनम्नवलस्तखत िो सकते िैं; जैसे यवद कोई संपादक कुछ वलखने का अनुरोध करे । कुछ
रचनाकार प्रकािकों के तकाजे से वलखते िैं। कभी-कभी आवथाक आवश्यकताएाँ भी लेखन की
ववविता बन जाती िैं।
प्रश्न 5. क्या बाह्य दबाि केिल लेखन से जुडे रचनाकारों को िी प्रभावित करते िैं या अन्य क्षेत्रों
से जुडे कलाकारों को भी प्रभावित करते िैं , कैसे?
उत्तर- बािरी दबाव रचनाकारों के जीवन का एक अवभन्न विस्सा िै प्रत्येक रचनाकार वकसी न वकसी
िद तक भाई यि दबाव को मिसूस करता िै तथा उनके दबाव में अनेक रचनाओं को रचता िै लेवकन
भाई दबाव केवल रचनाकारों को प्रभाववत करता िै ऐसा किना वबिुल गलत िै उदािरणतः
अवधकतर गायक, नताक, अवभनेता, कलाकार आवद अपने दिाकों, श्रोताओं, आयोजकों की मााँग पर
कला-प्रदिान करते िैं। एक वचत्रकार या मूवताकार जब वकसी दू सरे वचत्रकार अथवा मूवताकार को
दे खता िै, वजसे सम्मान और आवथाक लाभ भी प्राप्त िोता वदखाई दे ता िै , तो वि भी प्रभाववत िोकर
अपनी प्रवतभा को दिााने का प्रयत्न और उसका व्यवसायीकरण करता िै। वफ़ल्म कलाकार को भी
अक्सर पूाँजीपवतयों एवं राजनीवतक नेताओं के दबाव में काया करते दे खा गया िै। आज स्तरिीन
श्रोताओं व दिाकों की मााँग पर मंच पर फूिड संगीत व अवभनय परोसने वाले कलाकारों की भी कमी
निीं िै।
उत्तर- विरोविमा पर वलखी गई कववता रचनाकार के अंतः व बाह्य दोनों दवावों का पररणाम िै I लेखक
एक जगि किता िै वक उसकी िै कववता अच्छी िै या बुरी वि इस बात की वबिुल वचंता निीं करता
यि बात इस ओर संकेत करती िै की बािे दबाव से किीं अवधक रचनाकार अंतर दबाव को इस
कववता की रचना वकस समय मिसूस करता िै I लेवकन रचना कार पर बाह्य दबाव भी साथ-साथ असर
डालता िै, ऐसा इसवलए किा जा सकता िै , क्योंवक लेखक को जब जापान के विरोविमा नगर में घूमते
समय एक जले हुए पत्थर पर वपघली मानव छाया वदखाई दे ती िै तो वि स्वयं को विााँ अणु बम के
ववस्फोट के रूप में घटी अमानवीय घटना का भोक्ता मिसूस करता िै। यि दृश्य लेखक को अनुभव
से अनुभूवत के स्तर पर ले जाकर अथाात या संवेदनाओं को जागृत करके उसे कववता वलखने के वलए
करता िै। इसी दबाव के पररणाम स्वरूप लेखक ने विरोविमा पर एक कववता वलखी।
प्रश्न 7. विरोवर्मा की घटना विज्ञान का भयानकतम दु रुपयोग िै। आपकी दृवष्ट में विज्ञान का
दु रुपयोग किाँ-किाँ और वकस तरि से िो रिा िै ? अथिा आज विज्ञान का दु रुपयोग वकस रूप
में िमारे सामने आ रिा 'मैं क्यों वलखता हूँ ?' पाठ के आिार पर उत्तर दीवजए।
उत्तर- वास्तव में मनुष्य ने ववज्ञान का प्रयोग अपने वलए सुववधाएं जुटाने तथा अपने जीवन को सरल
बनाने के उद्दे श्य से वकया था लेवकन तत्कालीन पररवेि में उसके संदभा बदल चुके िैं आज का समय
एक-दू सरे से िोड लगाने का एक दू सरे से आगे वनकल जाने की इच्छा उसे युक्त िै इन्हीं कारणों ने
ववज्ञान को सदै व उपयोग के स्थान पर दु रुपयोग के वलए एक िवथयार बनाने का अवसर दे वदयाI
आजकल ववज्ञान का दु रुपयोग कई स्तरों पर वकया जा रिा िै। आज इसके िारा आतंकवादी संसार
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भर में बम-ववस्फोट करा िैं। उदािरण स्वरूप अमेररका की एक बहुमंवजली इमारत को तिस-निस
करना, मुंबई में हुए बम ववस्फोट, आए वदन गावडयों में आग लगाना इत्यावद घटनाओं को वलया जा
सकता िै। आं तररक रूप से एक राष्ट्र दू सरे राष्ट्र को आतंवकत व भयभीत करने की कोविि कर रिा
िै। ववज्ञान के िी कारण वदन-प्रवतवदन प्रदू षण बढ रिा िै। ववज्ञान के दु रुपयोग से कन्या भ्ूण ित्याएं िो
रिी िैं, वजससे जनसंख्या का संतुलन वबगड रिा िै। वकसान कीटनािक और ज़िरीले रसायन के
माध्यम से फ़सलों का उत्पादन कर रिे िैं , वजससे लोगों का स्वास्थ्य खराब िो रिा िै। ववज्ञान के
उपकरणों के कारण वातावरण में गमी बढ रिी िै , बफा वपघलने का खतरा बढ रिा िै। भयंकर
दु घाटनाएाँ रोज़मराा का विस्सा बन गई िैं। साइबर क्राइम भी ववज्ञान से जन्मी समस्या िै। यि सभी
उदािरण यि बताने के वलए काफी िैं की ववज्ञान का मनुष्य के िारा दु रुपयोग वकया जा रिा िै I
प्रश्न 8. एक संिेदनर्ील युिा नागररक की िैवसयत से विज्ञान का दु रुपयोग रोकने में आपकी
क्या भूवमका िो सकती िै?
उत्तर-ववज्ञान का सदु पयोग अथवा दु रुपयोग दोनों मनुष्य के स्वयं के िाथ में िै यवद मनुष्य अपनी
मित्वाकांिाओं पर लगाम लगा ले एक दू सरे से आगे वनकल जाने की िोड को संयवमत कर ले तो
ववज्ञान का सदु पयोग करना मनुष्य के वलए सरल िो जाएगाI एक संवेदनिील युवा नागररक की
िैवसयत से ववज्ञान का दु रुपयोग रोकने में िम भी मित्तवपूणा भूवमका वनभा सकते िैं। ववज्ञान िारा
प्रदत्त उपलस्तब्धयों का प्रयोग मानव जावत के उत्थान के वलए करें । ववद् युत िस्तक्त का प्रयोग उवचत
तरीके से करने पर बल दें । मुद्रण-यंत्रों का उपयोग अच्छे व समाज वितैषी समाचार-पत्रों व पुस्तकों को
छापने के वलए करें । वचवकत्सा िेत्र में हुई ववज्ञान की नई खोजों के माध्यम से इलाज सबको वमले, इसे
सुवनवश्चत वकया जाए। कृवष सुधार व उद्योग-धंधों की उन्नवत में सिायक पद्धवत एवं उपकरणों से
नागररकों को अवगत कराएं । समाज को ववकृत करने वाली वफ़ल्मों व टी.वी, कायाक्रमों का। ववरोध
करें । भ्ूण ित्या आवद को अंजाम दे ने वाले डॉक्टरों के स्तखलाफ प्रमाण जुटाकर उनके बुरे कायों पर
रोक लगाएाँ । इसी प्रकार से आधुवनक युवा जो मोबाइल फोन तथा इं टरनेट का प्रयोग गलत उद्दे श्य से
कर रिे िैं अपने उद्दे श्यों का पुनवनामााण कर उसका उपयोग समाज कल्याण में भी कर सकते िैं I
प्रश्न 1. एक लेखक अपने भािों कीअवभव्न्ि वकसी किानी वनबंि तथा अन्य रचना के द्वारा
करता िै अन्य लोग अपनी भािों की अवभव्न्ि वकस प्रकार करते िैं ?
उत्तर- न वसफा मनुष्य में बस्ति अन्य जीवो में भी अपने भावों को अवभव्यक्त करने की िमता िोती िै
सभी अपने भावों की अवभव्यस्तक्त के वलए अलग-अलग तरीके अपनाते िैं वजस प्रकार से एक गाय
अपने बछडे को चाट कर अपने प्रेम की अवभव्यस्तक्त अपने पुत्र के प्रवत करती िै एक पंछी अंडों परखने
पंख फैलाकर उनके प्रवत मातृत्व दिााता िै तथा वकसी सांप के िारा आक्रमण करने पर अपने लोगों
की रिा के वलए उग्र िो जाता िै इसी प्रकार से मनुष्य भी अपने भावों की अवभव्यस्तक्त करता िै यि उसे
ववधाता का वरदान िै वक अपने भावों की अवभव्यस्तक्त के वलए उसके पास भाषा जैसा सिक्त साधन िै
एक लेखक वकसी किानी वनबंध या अन्य रचना के िारा अपने भावों की अवभव्यस्तक्त करता िै एक
सामान्य मनुष्य अपने भावों की अवभव्यस्तक्त के वलए अलग-अलग तरीके अपना आता िै उदािरण के
वलए जब मुझे अपने माता-वपता को अपने िारा की गई वकसी गलती पर िो रिे पछतावे के बारे में
बताना िो तो उसी प्रकार की मेरी िर एक भाव भंवगमा िो जाती िै तथा धीमे स्वर में मौस्तखक
अवभव्यस्तक्त के िारा उससे अवभव्यक्त करता हं बालक मोिन मोिनदास करमचंद गांधी जब अपने
वपता से अपने िारा की गई चोरी के बारे में बता निीं पाए तो उन्होंने इस संबंध में एक कागज पर
वलखकर अपनी गलती को स्वीकाराI
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प्रश्न 2. एक लेखक के वलए स्वाभाि और आत्मानुर्ासन का बहुत मित्त्व िोता िै I लेखक अज्ञेय
जी ने वकस प्रकार समझाई िै ?
उत्तर- एक लेखक के वलए के वलए स्वभाव और आत्मानुिासन का बहुत लेखकों का स्वभाव का बहुत
मित्त्व िोता िै I एक लेखक अपने स्वभाव के अनुरूप िी अपनी रचनाओं के ववषय का चयन करता िै
तथा रचना में समाज के वलए उपयोगी तथ्यों का समावेि करना उसके आत्मानुिासन का पररचायक िै
आगे जी िारा वलखें वनबंध के िारा िम इस बात को इस प्रकार से समझ सकते िैं वक समाज और
मानवता के ववरुद्ध हुई विरोविमा की घटना उनको उनके स्वभाव के कारण िी अपनी और आकवषात
करती िै वक इस ववषय पर कुछ वलखा जाए विरोविमा कववता को पढकर िम सरलता से यि अनुमान
लगा सकते िैं वक कववता वलखने के पीछे कवव का उद्दे श्य दृश्यों की ववभक्त सत्ता को प्रस्तुत करना
निीं था बस्ति उसके पीछे एक बडा और गिरा संदेि दे ना उनका लक्ष्य था इसी कारण वि यि बात
भी बताते िैं वक उनकी कववता अच्छी िै या बुरी इससे उन्हें बहुत अवधक फका निीं पडता क्योंवक
उनके वलए उनका संदेि अवधक मित्वपूणा िै यिी बात उनके आत्मानुिासन की पररचायक िै अतः
िम कि सकते िैं वक लेखक के वलए स्वभाव और आत्मानुिासन दोनों का बहुत मित्व िोता िै I
प्रश्न 3. लेखक का विरोवर्मा में हुए बम विस्फोट से प्रभावित व्न्ियों से साक्षात्कार वकस
प्रकार हुआ, उसे यि सब दे खकर कैसा मिसूस हुआ?
उत्तर- एक बार लेखक को जापान जाने का अवसर प्राप्त हुआI लेखक ने जापान जाने पर विरोविमा के
उस अस्पताल को भी दे खा, जिााँ रे वडयोधमी पदाथा से आित लाग वषों से कष्ट् पा रिे थे। इस प्रकार
उसे इसका प्रत्यि अनुभव हुआ। उसे लगा वक कृवतकार के वलए अनुभव से भूत गिरी चीज़ िै। यिी
कारण िै वक विरोविमा में सब दखकर भी उसने तत्काल कुछ निीं वलखा। वफर एक वदन । विी
सडक पर घमते िए दे खा वक एक जले हुए पत्थर के मानव की लंबी उजली छाया िै। उसकी समझ में
आया वक ववस्फोट के समय कोई विााँ खडा रिा िै व काई विााँ खडा रिा िोगा और ववस्फोट से वबखरे
हुए रे वडयोधमी पदाथा की वकरणों ने उसे भाप बनाकर उडा वदया िोगा। यि दे खकर उसे लगा वक
समूची टर े जडी जैसे पत्थर पर वलखी गई िै। उसी िण अण ववस्फोट जैसे उसकी अनुभूवत में आ गया
और उसे लगा जैसे वि संपूणा घटना उनके मानस पटल पर इस प्रकार अंवकत िो गई िै जैसे वक वि
घटना उनके सामने िी घटी िो और सम्मुख खडा लेखक इस मिाववनाि को अपनी िी आं खों से दे ख
रिा िै।
प्रश्न 4 यवद आप विरोवर्मा पर बम वगराने की घटना के बाद जापान गए, तो आपकी प्रवतवक्रया
क्या िोती? अपने र्ब्दों में वलन्खए।
उत्तर- विरोविमा पर बम वगराने की घटना मानव इवतिास की सबसे वनंदनीय व बुरी घटना िै वजसने
मानव के िाथों मानव का मिा नरसंिार करा वदया यि घटना वजसने भी दे खी या सुनी िोगी, उसका
ह्रदय इसे अमानवीय कृत्य से रो पडा िोगाI मैं क्यों वलखता हं पाि में भी लेखक एक जगि वणान
करता िै वक पत्थर पर मानव छाया दे खकर उसे एक थप्पड-सा लगा, ऐसा इसवलए हुआ क्योंवक उस
मानव आकृवत को दे खकर उसके समि वितीय ववश्वयुद्ध की वि घटना चलायमान िो गई थी, जब
विरोविमा व नागासाकी में परमाणु बम ववस्फोट हुआ था। वजसने जापान को अत्यवधक िवत पहुाँचाई
थी। साथ िी लेखक को मनुष्य िारा ववज्ञान को मानवीयता ववरोधी रूप में प्रयोग करने के कारण
आत्मग्लावन का-सा भाव मिसूस िो रिा था। क्योंवक वजस ववज्ञान का उपयोग मनुष्य की प्रगवत एवं
ववकास के वलए वकया जाना चाविए उसी का प्रयोग मानवीयता के ववरोधी रूप में वकया जा रिा था।
यवद लेखक के स्थान पर मैं िोता तो मेरी स्तस्थवत भी लेखक के समान िी िोती, क्योंवक इस संपूणा कृत्य
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के वलए मनुष्य िी वजम्मेदार था। जापान जाकर ऐसे दृश्य को दे खना मेरे वलए असिनीय व पीडादायी
बन जाता
प्रश्न 5 विरोवर्मा तथा नागासाकी पर बम वगराने जैसी घटनाएं एक सामान्य जन के मानस पटल
पर वकस प्रकार का असर डाल सकती िैं ? उल्लेख कीवजएI
उत्तर- विरोविमा और नागासाकी पर बम वगराने जैसी घटनाएं वकसी भी मनुष्य के हृदय को अंदर तक
छू जाती िैंI कोई भी मनुष्य उनके प्रभाव से अछूता निीं रि सकता, चािे वि जापान में रिता िो, चािे
भारत में, चािे बम वगराने वाले अमेररका मेंI ऐसी घटनाओं का प्रत्येक व्यस्तक्त के हृदय पर अलग-अलग
प्रकार से असर िो सकता िैI एक भयभीत और वनराि सामान्य जन इस घटना को सुनकर या उसके
बारे में जानकर और ज्ादा वनरािा के अंधकार में डूब सकता िै I संसार तथा जीवन की अचानक िण
भर में समाप्त िो जाने की सच्चाई को अपने ह्रदय में एक भय के रूप में पाल सकता िै I विी कोई
दू सरा मनुष्य इस घटना की से प्रभाववत िोकर उग्रवाद का रास्ता भी अपना सकता िै तावक ऐसी
घटनाओं का बदला वलया जा सकेI विी एक समझदार तथा बुस्तद्धमान नागररक ऐसी घटनाओं को एक
सबक के रूप में याद करना पसंद करता िै I वि यि प्रयास करता िै वक वि इस प्रकार के काया
जीवन में करें तावक संसार में इस प्रकार की घटनाओं पर लगाम लगाई जा सके तथा ऐसी घटनाएं
दोबारा घवटत अन्य िो सकेI
कायग पत्रक
प्रश्न 1. लेखक ने अपने आपको विरोवर्मा के विस्फोट का भोिा कब और वकस तरि मिसूस
वकया?
प्रश्न 3. क्या बाह्य दबाि केिल लेखन से जुडे रचनाकारों को िी प्रभावित करते िैं या अन्य क्षेत्रों
से जुडे कलाकारों को भी प्रभावित करते िैं , कैसे?
प्रश्न 5.. विरोवर्मा पर वलखी कविता लेखक के अंत: ि बाह्य दोनों दबािका पररणाम िै , यि
आप कैसे कि सकते िैं ?
प्रश्न 6.. विरोवर्मा की घटना विज्ञान का भयानकतम दु रुपयोग िै। आपकी दृवष्ट में विज्ञान का
दु रुपयोग किाँ-किाँ और वकस तरि से िो रिा िै ? अथिा आज विज्ञान का दु रुपयोग वकस रूप
में िमारे सामने आ रिा 'मैं क्यों वलखता हूँ ?' पाठ के आिार पर उत्तर दीवजए।
प्रश्न 7. लेखक का विरोवर्मा में हुए बम विस्फोट से प्रभावित व्न्ियों से साक्षात्कार वकस
प्रकार हुआ, उसे यि सब दे खकर कैसा मिसूस हुआ?
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प्रश्न 10. ‘मैं क्यों वलखता हूं ’ पाठ से उभरने िाले जीिन मूल्यों का उल्लेख कीवजएI
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( रचनात्मक - लेखन )
अनुच्छेद लेखन
अनुच्छेद लेखन एक कला िै। वकसी ववषय से संबंवधत सभी मित्वपूणा बातों को वनधााररत िब्द सीमा में
वलखने के वलए बडे बुस्तद्ध कौिल की आवश्यकता िोती िै। अनुच्छेद लेखन के वलए वनम्नवलस्तखत बातों
को ध्यान में रखना आवश्यक िै–
⮚ अनुच्छेद लेखन एक प्रकार की संविप्त लेखन िैली िै , अतः इसमें मुख्य ववषय पर िी ध्यान
केंवद्रत रिना चाविए।
⮚ अनुच्छेद लेखन में इस बात की ओर वविेष ध्यान दे ने की आवश्यकता िै वक उसका प्रथम
और अंवतम वाक्य अथा गववात तथा प्रभावोत्पादक िो।
⮚ प्रथम वाक्य की वविेषता इसमें िै वक वि अनुच्छेद के संबंध में पािक का कुतूिल जागृत
करने में वकस सीमा तक समथा िै। अंवतम वाक्य की वविेषता इस तथ्य पर वनभार करती िै वक
पािक की वजज्ञासा की सीमा किााँ तक िांत हुई िै।
⮚ अनुच्छेद लेखन में अनुभूवत की प्रधानता अपेवित िै।
⮚ अनुच्छेद लेखन में परीिाथी को इस बात का ध्यान रखना चाविए वक वि अपनी बात को उतने
िी िब्दों में बांधने का प्रयत्न करें वजतने िब्द प्रश्नपत्र में किे गए िैं। दो चार िब्द कम अवधक
िोना आपवत्तजनक निीं िोता।
⮚ सामान्यत: 100 से 120 िब्दों में अनुच्छेद वलखा जाता िै।
⮚ अनुच्छेद के सभी वाक्यों का परस्पर घवनष्ठ संबंध िोना चाविए।
⮚ अनुच्छेद में व्यथा की बातें उसके अपेवित प्रभाव को विवथल बनाती िैं।
⮚ भाषा सरल और साथाक िोनी चाविए।
⮚ वतानी, ववराम और िुद्ध भाषा का प्रयोग करना चाविए।
⮚ अनुच्छेद में अनावश्यक प्रसंग निीं िोने चाविए।
1. खेल और स्वास्थ्य
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स्वस्थ िरीर में स्वस्थ मस्तस्तष्क वनवास करता िै। बच्चों में स्वस्थ मन, अनुिावसत जीवन, स्वस्थ
िारीररक ववकास, सदाचार से युक्त उत्तम चररत्र एवं नैवतक मूल्यों का ववकास खेल के मैदान में िी
वकया जा सकता िै। खेलों से बच्चे के व्यस्तक्तत्व का ववकास भी िोता िै तथा वे अनुिासन वप्रय भी बनते
िैं और उनमें टीम भावना का ववकास भी िोता िै। यिी भावना िमें दू सरों के साथ सामंजस्य रखना तथा
कविनाइयों एवं ववपवत्तयों को झेलना वसखाती िै। इसीवलए स्वामी वववेकानंद ने अपने दे ि के नवयुवकों
से किा था – “मेरे नवयुवक वमत्रों ! बलवान बनो। तुमको मेरी सलाि िै , गीता के अभ्यास की अपेिा
फुटबॉल खेलने के िारा तुम स्वगा के अवधक वनकट पहुं च जाओगे ।”इस कथन से स्पष्ट् िै वक स्वस्थ
िरीर में स्वस्थ मस्तस्तष्क का वनवास संभव िै।
िरीर को स्वस्थ या मजबूत बनाने के वलए खेल अवनवाया िैं। मनोवैज्ञावनकों का मत िै वक मनुष्य
की खेलों में रुवच स्वाभाववक िै। इसी कारण बच्चे खेलों में अवधक रूवच लेते िैं। पी सायरन ने किा िै
– "अच्छा स्वास्थ्य एवं अच्छी समझ जीवन के दो सवोत्तम वरदान िै।" खेलने से िरीर को बल,
मांसपेवियों को उभार, भूख को तीव्रता, आलस्यिीनता तथा मलावद को िुद्धता प्राप्त िोती िै। खेलने से
मनुष्य में संघषा करने की िमता आती िै। उसकी जुझारू िस्तक्त उसे नवजीवन प्रदान करती िै। उसे
िार- जीत को सिषा झेलने की आदत लगती िै । खेलों से मनुष्य का मन एकाग्रवचत्त िोता िै। खेलते
समय स्तखलाडी स्वयं को भूल जाता िै । खेल िमें अनुिासन, संगिन, पारस्पररक सियोग,
आज्ञाकाररता, सािस, ववश्वास और औवचत्य की वििा प्रदान करते िैं। जीवन की जय - पराजय को
आनंदपूणा ढं ग से लेने की आदत खेल खेलने से िी आती िै। इससे जीवन में खेलों का मित्व स्पष्ट् िोता
िै। खेल िमारा भरपूर मनोरं जन करते िैं। स्तखलाडी िो अथवा खेल प्रेमी दोनों को खेल के मैदान में एक
अपूवा आनंद वमलता िै | अतः िमारा कताव्य िै वक िम खेलों को बढावा दें वजससे बच्चों का स्वास्थ्य भी
अच्छा बना रिे।
ग्लोबल वावमिंग का अथा िै – धरती के तापमान का आवश्यकता से अवधक बढना। सभी जानते िैं वक
मनुष्य का जीवन एक वविेष तापमान पर स्वस्थ बना रि सकता िै। इसी प्रकार धरती पर भी तापमान
का एक संतुलन िै, वजसके कारण यि ववश्व अपने स्वरूप में बना रि सकता िै। सभी जानते िैं वक इस
ब्रह्मांड में अनेक ग्रि िै। परं तु सभी में तापमान और वातावरण जीवन के अनुकूल निीं िै । धरती पर
वातावरण तापमान का संतुलन ऐसा िै वक यिां मनुष्य और अन्य प्रजावतयों का जीवन संभव िै।
इसवलए यि आवश्यक िै वक िम अपने तापमान को संतुवलत बनाए रखें।
आज यि समस्या पूरे ववश्व की समस्या िै । इसका प्रमुख कारण ‘ग्रीन िाउस’ गैसों के स्तर में
वृस्तद्ध िै। अगर इस ओर ध्यान निीं वदया गया और इस समस्या से मुस्तक्त पाने का कोई साथाक प्रयास
निीं वकया गया तो जल्द िी संपूणा धरती अपने अंत की ओर अग्रसर िो जाएगी। ग्लोबल वावमिंग के
खतरे के स्वरूप समुद्र के जलस्तर में वृस्तद्ध, बाढ, तूफान ,चक्रवात, मौसम के स्वरूपों में पररवतान,
संक्रामक बीमाररयां ,खाद्यान्नों की कमी आवद समस्याएं उत्पन्न िो रिी िैं। व्यस्तक्तगत स्तर पर जन
जागरूकता िी इससे िोने वाले खतरों से बचने का एकमात्र उपाय िै। लोगों को वातानुकूवलत किों में
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रिने की बजाए प्रकृवत की गोद में वापस आना िोगा । पेटरो पदाथा जलाने से बचने के वलए साइवकल
जैसे वातावरण सुखदाई उपायों पर लौटना िोगा । मनुष्य को तेल, कोयला ,गैस आवद के अत्यवधक
प्रयोग तथा पेडों की अत्यवधक कटाई से स्वयं को रोकना िोगा। कम वबजली का इस्तेमाल कर CO2
को फैलने से रोकना िोगा । पूरी दु वनया में यवद इन वस्तुओं की खपत कम िो जाए तथा पेडों को
लगाने का काम तेजी से िोने लगे तो समय रिते इस समस्या पर काबू पाया जा सकता िै। पयाावरण में
काबान डाइऑक्साइड के बढते स्तर को कम करने के प्रयास युद्ध स्तर पर िोने चाविए। िमें वातावरण
को िुद्ध बनाने और प्रदू षण की रोकथाम के वलए व्यस्तक्तगत स्तर पर प्रयास करने िोंगे। जीवाश्म ईंधनों
के प्रयोग, रासायवनक खाद का प्रयोग ,पेडों की कटाई, वफ्रज और एसी से वनकलने वाली गैस,
अत्यवधक वबजली का प्रयोग आवद वजतना िो सके उतना कम करना िोगा। सभी के सियोग से इस
समस्या पर काबू पाया जा सकता िै। सबसे बडा मंत्र याद रखना िोगा–‘ जान िै तो जिान िै।’
संकेत वबंदु – प्राकृवतक सुंदरता, धन संपन्नता, श्रेष्ठ सभ्यता संस्कृवत, ज्ञान में अग्रणी
मेरा दे ि भारत संसार के दे िों का वसरमौर िै । यि प्रकृवत की पुण्य लीलास्थली िै। मां भारती के वसर
पर विमालय मुकुट के समान िोभायमान िै। गंगा तथा यमुना इसके गले के िार िैं । दविण में विंद
मिासागर भारत माता के चरणों को वनरं तर धोता रिता िै। संसार में केवल यिी एक दे ि िै जिां
षडऋतुओं का आगमन िोता िै। गंगा, यमुना, सतलुज, व्यास, गोमती, गोदावरी, कृष्णा, कावेरी अनेक
नवदयां िैं, जो अपने अमृत जल से इस दे ि की धरती की प्यास िांत करती िैं।
भारत पर प्रकृवत की वविेष कृपा िै। यिां पर खवनज पदाथों की भरमार िै। अपनी अपार संपदा
के कारण िी इसे ‘सोने की वचवडया’ की संज्ञा दी गई िै। धनसंपदा के कारण िी िमारा दे ि ववदे िी
आक्रमणकाररयों के वलए वविेष आकषाण का केंद्र रिा िै।
भारत की सभ्यता और संस्कृवत संसार की प्राचीनतम सभ्यताओं में वगनी जाती िैं। मानव संस्कृवत
के आवदम ग्रंथ ऋग्वेद की रचना का श्रेय इसी दे ि को प्राप्त िै। संसार की प्रायः सभी प्राचीन संस्कृवतयां
नष्ट् िो चुकी िैं परं तु भारतीय संस्कृवत समय की आं वधयों और तूफानों का सामना करती हुई अब भी
अपनी उच्चता और मिानता का िंखनाद कर रिी िै। संगीतकला,वचत्रकला ,मूवताकला, स्थापत्य कला
आवद के िेत्र में भी िमारी उन्नवत आश्चया में डाल दे ने वाली िै। वजस समय संसार का एक बडा भाग
घुमंतू जीवन वबता रिा था, िमारा दे ि भारत उच्च कोटी की नागररक सभ्यता का ववकास कर चुका
था।
िमारा प्यारा दे ि ववश्व गुरु रिा िै । यिां की कला ,ज्ञान - ववज्ञान, ज्ोवतष ,आयुवेद संसार के
प्रकािदाता रिे िैं। यि दे ि ऋवष-मुवनयों, धमा प्रवतकों तथा मिान कववयों का दे ि िै। त्याग िमारे
दे ि का सदा से मूल मंत्र रिा िै। वजसने त्याग वकया विी मिान किलाया। मिात्मा बुद्ध ,मिावीर,
दधीवच ,राजा विवव , स्वामी रामकृष्ण परमिंस, मिात्मा गांधी इत्यावद मिान ववभूवतयां इसका जीता
जागता प्रमाण िैं। िमारे दे ि का इवतिास गौरवमय िै तभी तो जयिंकर प्रसाद वलखते िैं –
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यिी अवभमान रिे ,यि िषा ।
वनछावर कर दे िम सवास्य
संकेत वबंदु – नारी के वववभन्न रूप, वतामान समाज में नारी की भूवमका, नारी नवचेतना का प्रतीक
भारत तो प्राचीन काल से िी गागी, अनुसूया, अवत्र, सीता ,साववत्री जैसी ववदु षी मविलाओं से भरा
िै। इवतिास सािी िै जब जब, जिां – जिां िस्तक्त और बुस्तद्ध की आवश्यकता पडी ,विां – विां नारी ने
अपना अमूल्य सियोग एवं बवलदान वदया। चािे प्राचीन काल की नाररयां रिी िो या इं वदरा गांधी,
कल्पना चावला ,सरोजनी नायडू जैसी आधुवनक मविलाएं सभी ने अपने – अपने विस्से का योगदान
दे कर समाज को समृद्ध वकया िै। वििु की प्रथम विविका बन वि समाज के वलए एक उत्तम
चररत्रवान नागररक बनाती िै। कदम – कदम पर उसका मागादिान कर उसे प्रेररत करती िै। किा भी
गया िै – ‘प्रत्येक सफल मनुष्य के पीछे वकसी न वकसी रूप में एक नारी का िी िाथ िोता िै। ’ बंद
दरवाजों के पीछे घुटती वससकती नारी की आिें अपिगुन को िी वनमंत्रण दे ती िै । किा भी गया िै –
‘यत्र नायास्तु पूज्ंते रमंते तत्र दे वता। ’ नारी ईश्वर की बनाई हुई भावुक कृवत िै। प्राकृवतक रूप से
कोमल िोने पर भी वि िस्तक्त की स्रोत िै। यिी कारण िै वक सृवष्ट् को जन्म दे ने का कायाभार प्रकृवत ने
उसे िी सौंपा िै। समाज के वनमााण में नारी की भी विी भूवमका िै जो एक पुरुष की िै। वतामान समाज
में नारी की दोिरी भूवमका िो गई िै, जो जिां घर में रिकर व्यवस्थापक की भूवमका वनभाती िै , विी
वि पुरुष के साथ कदम से कदम वमलाकर दे ि व समाज के वलए उपयोगी वनमााण कायों में लगी िै।
समाज का कोई भी ऐसा िेत्र निीं िै जिां नारी ने अपनी उपस्तस्थवत दजा निीं कराई। अब वि स्वयं
विवित िोकर वििा का प्रचार एवं प्रसार कर रिी िै। दे ि की राष्ट्रपवत, प्रधानमंत्री ,सवक्रय कायाकताा
,नेता, वववभन्न कंपवनयों की व्यवस्थावपका िोना उनकी उपलस्तब्धयों का सिक्त प्रमाण िै। आज
न्यायालयों में अपने िक की गुिार लगाती लाचार वेबस स्त्री निीं रि गई, बस्ति जज की कुसी पर
बैिकर कानून की मोटी - मोटी वकताबों को पढकर वनणाय सुनाती िै । उसने अपने अदम्य बल,
िस्तक्त व साधना से इस पुरुष प्रधान समाज को चुनौती दे दी िै। नारी नवचेतना व नव जागृवत की
प्रतीक बन गई िै।
समय अनंत और वनरं तर गवतिील िै। समय को बां धना अत्यंत कविन काया िै। मानव अपने जीवन
काल में अपनी असीम इच्छाओं की पूवता निीं कर सकता। यवद मनुष्य आरं भ से िी समय का सदु पयोग
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करें तो अपने जीवन में बहुत कुछ कर पाने की िस्तक्त रखता िै। जीवन नदी की धारा के समान वनरं तर
आगे बढता रिता िै। बिना जीवन िै और ििराव मौत । जीवन का उद्दे श्य वनरं तर आगे बढते रिना
िै, इसी में सुख आनंद िै। जो भागते हुए समय को पकडकर इसके साथ - साथ चल सकते िैं , वे
जीवन में सफल िोते िैं। समय का सदु पयोग िी सफलता की कुंजी िै। बेवक्त जागने वाले लोग जीवन
की दौड में वपछड कर वसफा पछता सकते िैं । तुलसीदास जी ने िीक िी किा िै –
समय की तुलना धन से की जाती िै। लेवकन समय धन से भी अवधक मित्वपूणा िै। समय रिे तो न
केवल धन बस्ति ईश्वर की प्रास्तप्त िो सकती िै , लेवकन धन और परमात्मा के प्रयास करने पर भी वदन
में 24 घंटों में 1 वमनट भी निीं बढाया जा सकता। सभी मिापुरुषों ने समय के मूल्य को पिचानने और
उसके सदु पयोग करने का उपदे ि वदया िै । समय को नष्ट् करना जीवन को नष्ट् करना िै। िेक्सवपयर
ने किा िै –‘ मैंने समय को नष्ट् वकया, अब समय मुझे नष्ट् कर रिा िै।’ समय के प्रवत सजग रिना िी
समय का सबसे बडा सम्मान िै। समय एक ऐसा वरदान िै जो इसका सदु पयोग करता िै ,उसके वलए
यि खुवियां तथा सफलताओं का ढे र लगा दे ता िै। जो इसका दु रुपयोग करता िै उसे यि अवनवत के
गता में वगरा दे ता िै। संसार में मिान किे जाने वाले लोगों का जीवन इस बात का जीवंत प्रमाण िै वक
वे जीवन के एक-एक पल का सदु पयोग करते थे । समय का सदु पयोग आज वचंता का ववषय िै। जो
समय बीत गया उसे भुलाकर वतामान और भववष्य के बारे में सोचना चाविए । यवद िम सतकाता से
समय का सदु पयोग करना आरं भ कर दें , तो भावी जीवन की योजनाओं को कायाास्तन्वत करने में सफल
िो सकते िैं और जीवन की दौड में बने रि सकते िैं।
( पत्र – लेखन )
आइए पत्र लेखन के इन दोनों रूपों की ववस्तृत से जानकारी प्राप्त करते िै।
#1. औपचाररक पत्र(Formal Letter) – सरकारी तथा व्यावसावयक कायों से संबंध रखने वाले पत्र
औपचाररक पत्रों के अन्तगात आते िै। इसके अवतररक्त इन पत्रों के अन्तगात वनम्नवलस्तखत पत्रों को भी
िावमल वकया जाता िै।
प्राथाना पत्र , वनमंत्रण पत्र , सरकारी पत्र , गैर सरकारी पत्र , व्यावसावयक पत्र, वकसी अवधकारी को
पत्र , नौकरी के वलए आवदे न िेतु, संपादक के नाम पत्र इत्यावद।
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⮚ औपचाररक पत्र वलखने की िुरुआत बाईं ओर से की जाती िै। सवाप्रथम ‘सेवा में‘ िब्द
वलखकर, पत्र पाने वाले का नाम वलखकर, पाने वाले के वलए उवचत सम्बोधन का प्रयोग वकया
जाता िै। जैसे – श्री मान, मान्यवर, आदरणीय आवद।
⮚ इसके बाद पत्र पर पत्र पाने वाले का “पता/ कंपनी का नाम” वलखा जाता िै।
⮚ तत्पश्चात पत्र वजस उद्दे श्य के वलए वलखा जा रिा िो उसका “ववषय” वलखा जाना आवश्यक िै।
⮚ ववषय वलखने के बाद एक बार वफर पत्र पाने वाले के वलए सम्बोधन िब्द का प्रयोग वकया
जाता िै।
⮚ सम्बोधन वलखे के बाद, पत्र के मुख्य ववषय का ववस्तृत में वणान वकया जाता िै।
⮚ मुख्य ववषय का अंत करते समय उत्तर वक प्रतीिा में, सधन्यवाद, िेष कुिल आवद का प्रयोग
वकया जाना चाविए।
⮚ इसके बाद पत्र के अंवतम भाग में “भवदीय, आपका आभारी, आपका आज्ञाकारी” इत्यावद
िब्द वलखे जाने चाविए।
⮚ पत्र भेजने वाले का “नाम/कंपनी का नाम, पता ,वदनांक” वलखते िै।
⮚ अंत में पत्र वलखने वाले के िस्तािर वकए जाते िै।
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#2. अनौपचाररक पत्र (Informal Letter)– इन पत्रों के अन्तगात उन पत्रों को सस्तम्मवलत वकया जाता
िै, जो अपने वप्रयजनों को, वमत्रों को तथा सगे- संबंवधयों को वलखे जाते िै। उदिारण के रूप में – पुत्र
िारा वपता जी को अथवा माता जी को वलखा गया पत्र, भाई-बंधुओ को वलखा जाना वाला, वकसी वमत्र
की सिायता िेतु पत्र, बधाई पत्र, िोक पत्र, सुखद पत्र इत्यावद।
1) सबसे पिले बाई ओर पत्र भेजने वाले का “पता” वलखा जाता िै।
2) प्रेषक के पते के नीचे “वतवथ” वलखी जाती िै।
3) भेजने वाले का केवल नाम निीं वलखा जाता िै। यवद अपने से बडों को पत्र वलखा जा रिा िै तो,
“पूजनीय, आदरणीय, जैसे िब्दों के साथ उनसे संबंध वलखते िै। जैसे – पूजनीय वपता जी। यवद अपने
से वकसी छोटे या बराबर के व्यस्तक्त को पत्र वलख रिे िै तो उनके नाम के साथ वप्रय वमत्र, बंधुवर
इत्यावद िब्दों का प्रयोग वकया जाता िै।
4) इसके बाद पत्र का मुख्य भाग दो अनुच्छेदों में वलखा जाता िै।
5) पत्र के मुख्य भाग की समास्तप्त धन्यवाद सवित वलखकर वकया जाता िै।
6) अंत में प्राथी, या तुम्हारा स्नेिी आवद िब्दावली का प्रयोग करके लेखक के िस्तािर वकए जाते िैं ।
अनौपचाररक पत्र –
1. अपने वमत्र को परीक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त करने पर उसे बिाई दीवजए ।
3/15 िास्त्री नगर
आगरा
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वप्रय वमत्र भरत
नमस्ते
तुम्हारे वपता को फोन वकया तो उन से ज्ञात हुआ वक तुमने बोडा की परीिा में आगरा मंडल में प्रथम
स्थान प्राप्त वकया िै। यि समाचार सुनकर मेरा मन खुिी से भर गया। मुझे तो पिले से िी ववश्वास था
वक तुम परीिा में प्रथम श्रेणी से उत्तीणा िो जाओगे लेवकन यि जानकर वक तुमने परीिा में प्रथम श्रेणी
के साथ-साथ मंडल में भी प्रथम स्थान प्राप्त वकया िै , मेरी प्रश्न उत्तर की सीमा निीं रिी। इस परीिा के
वलए तुम्हारी मेिनत और वनयवमत अनुिासन पूवाक पढाई में िी तुम्हें इस सफलता तक पहुंचाया िै।।
मुझे पूरी आिा थी वक तुम्हारी मेिनत रं ग लाएगी और मेरा अनुमान सच सावबत हुआ।। तुम ने प्रथम
स्थान प्राप्त कर यि वसद्ध कर वदया वक दृढ संकल्प और कविन पररश्रम से जीवन में कोई भी सफलता
प्राप्त की जा सकती िै।
तुम्हारा वमत्र
पवन
2. अपने छोटे भाई को सुबि घूमने के लाभ से अिगत कराते हुए पत्र वलखो ।
िम सभी यिां पर कुिल पूवाक िैं। आिा िै तुम सब भी विां पर स्वस्थ एवं कुिल िोंगे। मां के पत्र से
पता चला वक तुमने अपनी किा में प्रथम स्थान प्राप्त वकया िै। इस सफलता के वलए तुम्हें िावदा क
बधाई। मां ने यि भी वलखा िै वक तुम अपनी अगली परीिा की तैयारी में लगे हुए िो और रात को बहुत
दे र तक पढते िो। रात को दे र तक जगने की वजि से सुबि दे र से उिते िो। अपने स्वास्थ्य के प्रवत
तुम्हारी लापरवािी साफ वदखाई दे रिी िै।
दे खो संजीव, तुम जानते िो स्वस्थ िरीर में िी स्वस्थ मन का वनवास िोता िै। यवद िरीर स्वस्थ निीं
िोगा तो मन कैसे स्वस्थ रिेगा? यवद मन अस्वस्थ िै तो ववचार भी स्वस्थ निीं िोंगे। िरीर और मन
दोनों को स्वस्थ रखने के वलए व्यायाम की आवश्यकता िोती िै। तुम यवद व्यायाम निीं कर सकते तो
कम से कम सुबि उिकर घूमने अवश्य जाया करो।
प्रातः काल सूयोदय से पूवा वबस्तर छोडकर खुली िवा में घूमने से िरीर का सारा आलस्य भाग जाता
िै। अंग अंग खुल जाता िै और इस समय नदी पाका या बगीचे की सैर मन को आनंद दे ती िै। जल्दी
सोने और जल्दी उिने से मनुष्य स्वास्थ्य, धनवान और बुस्तद्धमान बनता िै। िुभम घूमने से मस्तस्तष्क
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तरोताजा िो जाता िै और सारा वदन िरीर में स्फूवता का संचार िोता रिता िै। प्रातः भ्मण आयु बढाने
के वलए वितकर िै।। अतः तुम्हें प्रवतवदन सुबि घूमने अवश्य जाना चाविए।
मुझे ववश्वास िै वक मेरा यि सुझाव तुम्हें पसंद आएगा और तुम इस पर अमल भी करोगे। मैं चािता हं
वक तुम वजतना अपनी पढाई के वलए सचेत िो उतना िी ध्यान अपने स्वास्थ्य का भी रखो। मेरी कामना
िै वक तुम स्वस्थ और दीघाा यु िो।
तुम्हारा भाई
अजीत
3. माताजी के वनिन
कल फोन से तुम्हारी माताजी के वनधन का दु खद समाचार वमला। सुनकर हृदय को गिरा आघात
लगा। परसों में जब तुम्हारे पास था तब तक तो कोई वचंता की बात निीं थी। तुमने भी कभी उनकी
वकसी बीमारी या दु खी चचाा निीं की। वफर अचानक उयाि अनिोनी कैसे िो गई? मेरा मन अभी तक
इस सच्चाई को स्वीकार निीं कर पा रिा िै वक क्या सच में आपकी माता जी अब िमारे बीच निीं रिी!
एक वदन पिले िी की गई ढे र सारी बातें, उनका दु लार और उनका स्नेि भरा िाथ अपने सर पर अभी
अपने मिसूस कर रिा हं। बहुत कविन काम िै वफर भी इस दु ख की घडी में खुद अपने आप को
संभालना। तुम पररवार में बडे िो इसवलए तुम्हारी वजम्मेदारी अवधक िै। मानता हं वक मां के स्नेि और
ममता के सामने सब कुछ बेकार िै। वकन्तु ईश्वर की इच्छा के सामने िम सब वववि िैं। मेरी ईश्वर से
प्राथाना िै वक वि माता जी की आत्मा को िांवत प्रदान करें और तुम्हें यि दु ख सिने की िस्तक्त प्रदान
करें ।
सेवा में
प्रधानाचाया
बीसीएम इं टर कॉलेज
रुडकी
माननीय मिोदय,
सववनय वनवेदन यि िै वक मैं आपके ववद्यालय की किा ग्यारिवीं का छात्र हं। मैं अपनी किा में
प्रवतवषा अच्छे अंको से उत्तीणा िोता रिा हं। मैं ववद्यालय की वक्रकेट टीम का एक सदस्य भी हं। इसके
अवतररक्त में ववद्यालय की ओर से वववभन्न वाद-वववाद प्रवतयोवगताओं में भाग लेकर अनेकों पुरस्कार ले
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चुका हं। मेरा प्रयास रिा िै वक मैं ववद्यालय का गौरव बढा सकूं। मैं अपनी किा का मॉवनटर भी हं।
अपने अनुिासन और अच्छे स्वभाव के कारण सभी अध्यापकों और ववद्यावथायों का स्नेि प्राप्त करता
रिा हं।
मिोदय, मेरे वपताजी एक प्राथवमक ववद्यालय में चतुथा श्रेणी के कमाचारी िैं। मेरी पढाई का भर उिाने
में असमथा सा मिसूस कर रिे िैं। मेरा एक छोटा भाई और दो छोटी बिनें भी िैं। मेरा आपसे वनवेदन
िै वक घर की आवथाक स्तस्थवत िीक न िोने के कारण आप को छात्रवृवत्त दे ने की कृपा करें । अपनी पढाई
को वनयवमत रखने के वलए छात्रवृवत्त की बहुत आवश्यकता िै। पढाई छूट जाने पर मेरा भववष्य
अंधकार में िो जाएगा।
मैं उच्च वििा प्राप्त करके अपने वपता का सिारा बनना चािता हं तावक अपने छोटे भाई और बिनों
को उच्च वििा प्राप्त करने में सियोग कर सकूं। आप िी मेरे इस प्रयास में मेरी मदद कर सकते िैं। मैं
आपका बहुत आभारी रहंगा।
धन्यवाद
5. ग्यारििी ं कक्षा में विज्ञान विषय लेने के वलए प्रिानाचायग को आिेदन पत्र वलन्खए
सेवा में
प्रधानाचाया
केंद्रीय ववद्यालय
कौिांबी गावजयाबाद
मिोदय,
सववनय वनवेदन िै वक मैं आपके ववद्यालय में दसवीं किा में पढता हं। मैंने इसी सत्र में बोडा की परीिा
दी। िै मेरे पररवार में सभी लोग इं जीवनयररं ग के िेत्र में कायारत िैं। िैं। मेरी भी ववज्ञान ववषय में रुवच िै
और मैं भी इं जीवनयर बनना चािता हं। ववद्यालय में संपन्न दसवीं की अधावावषाक परीिा में मैंने 88%
अंक प्राप्त वकए िैं और ववज्ञान ववषय में 94% अंक प्राप्त वकए िैं। मेरी आपसे प्राथाना िै वक मुझे 11वीं
किा में ववज्ञान ववषय लेने की अनुमवत प्रदान करें वजससे मैं इं जीवनयर बनने की ओर अग्रसर िो सकूं।
आपका आज्ञाकारी
सतवीर वसंि
किा 10
13 अप्रैल 2022
141 | Page
6. अपने क्षेत्र में वबजली संकट से उत्पन्न कवठनाइयों का ध्यान दै वनक समाचार पत्र के संपादक
को वलखे पत्र के माध्यम से आकवषगत कराइए
सेवा में,
संपादक मिोदय,
दै वनक जागरण,
िल्िानी रोड, बरे ली
मिोदय,
मैं आपके लोकवप्रय दै वनक समाचार पत्र के माध्यम से अपने नगर में वबजली संकट से उत्पन्न
कविनाइयों की और अवधकाररयों का ध्यान आकवषात करना चािता हं। मैं बीबीनगर िेत्र में रिने वाला
नागररक हं। आज कल िोने वाली वबजली संकट ने यिां के वनवावसयों को परे िान कर रखा िै। इससे
पिले कभी भी इतनी परे िानी निीं हुई थी।
इस संकट का सामना सबसे अवधक आम लोगों को दु कानदारों को और छात्रों को करना पड रिा िै।
िाम िोते िी सब सब जगि अंधेरा िो जाता िै। पढने वाले छात्र-छात्राएं कुछ भी पढने में असमथा िो
जाते िैं।
पानी की समस्या तो और भी अवधक गंभीर िो गई िै। वबजली के अभाव में पानी मोटर से ऊपर की
मंवजल तक निीं पहुंच प रिा िै। िैरानी वाली बात यि िै वक नगर में रिने वाले उद्योगपवतयों और
अवधकाररयों के घर के िेत्र में वबजली एक वमनट के वलए भी निीं निीं जाती िै। उन्हें आम आदवमयों
की परे िावनयों का अंदाजा कैसे लगेगा?
मैं आपके पत्र िारा इन भ्ष्ट् अवधकाररयों की पोल खोलना चािता हं। इस काया में आपके सियोग के
वलए मैं आपका सदा आभारी रहंगा।
धन्यवाद
सूरज वमश्रा
बीबी नगर
19 नवंबर 2022
7.औपचाररक पत्र – आपके क्षेत्र में ब़िती हुई चोरी की घटनाओं को रोकने के वलए गश्त ब़िाने
के वलए थाना अध्यक्ष को पत्र वलन्खए
सेवा में,
थाना अध्यि,
वसववल लाइन,
सिारनपुर
142 | Page
मिोदय,
मैं इस पत्र के िारा आपका ध्यान आपके थाना िेत्र के अंतगात आने वाले िमारे मुिले में बढती हुई
चोरी की घटनाओ की तरफ लाना चािता हाँ। वपछले कुछ वदनों से यिााँ चोरी की घटनाएाँ लगातार
बढती िी जा रिी िैं। अभी कल िी बात िै वक चोरों ने वदन-दिाडे िमाा जी के घर का ताला तोड कर
उनके घर से काफी कीमती सामान की चोरी की वजसमें उनका लाखों रुपये का गिना भी िावमल िै
जो उन्होने अपनी बेटी की िादी के वलए इकट्ठा कर रखा था।
इस घटना के दो वदन पिले रात में विव कुमार गुप्ता जी के घर के ताले तोडने का प्रयास हुआ था
जोवक पडोवसयों िारा दे ख वलए जाने और िोर मचाने के कारण ववफल िो गया था। वपछले सप्ताि
बाजार में में दो मविलाओं के गले से सारे -आम सोने की चेन छीन ली गई।
कॉलोनी के पाका में सदा कुछ जुआरी जुआ खेलते रिते िैं और िराब पीते रिते िैं वजस कारण उस
गली से भी भले लोगों का वनकालना मुस्तिल िो गया िै। गली में खडे स्कूटर के िीिे और तयार की
चोरी भी आम बात िै। कई बार तो रात को कारों के स्टीररयो भी चोरी िो चुके िैं।
िमारे मुिले में केवल एक वसपािी गश् लगता िै जो वक मुिले के आकार को दे खते हुए नाकाफी िै
क्योंवक इसमें एक स्कूल, 2 पाका और 1 बाजार भी िै। वि एक वसपािी भी अक्सर बीमार रिने के
कारण अनुपस्तस्थत रिता िै। आपसे वनवेदन िै वक मुिले वावसयों की सुरिा के वलए यिााँ पर पुवलि
गश् को बढा दीवजये और चार वसपावियों की वनयुस्तक्त कर दीवजये। गािे -बगािे यवद पुवलस जीप का
एक चक्कर भी लगता रिे तो वकसी का चोरी-चकारी करने का सािस निीं िोगा।
िमें आिा िै वक आप िम मुिले वावसयों की परे िानी को समझेंगे और उवचत सुरिा का बंदोबस्त
करें गे।
धन्यवाद
भवदीय
संजय चौधरी
सवचव, मुिला सवमवत
इस्तन्दरा नगर, मुजफ्फरनगर
8.औपचाररक पत्र – अपने क्षेत्र में िषाग के कारण उत्पन्न जलभराि की समस्या के वलए नगर
पावलका अविकारी को पत्र वलन्खए
सेवा में,
नगर पावलका अवधकारी,
िामली नगर पावलका
प्रबुद्ध नगर
मिोदय,
143 | Page
वनवेदन िै वक मैं नेिरू कॉलोनी िामली का वनवासी हं। वपछले कई वदनों से यिां के कुछ सीवर बंद
पडे िैं। गंदा पानी गवलयों और सडकों पर बि रिा िै। वनरं तर बाररि से िालात और भी खराब िो गए
िैं। सडकों पर जगि-जगि पर गड्ढे बन गए िैं वजसमें वषाा का पानी भर गया िै। यि पानी और सडता
जा रिा िै।
वपछले वदनों की वषाा के कारण जगि जगि पर नगर पावलका िेत्र में छोटे छोटे तालाब बन गए िैं। इन
तालाबों में मक्खी मच्छर आवद कीटाणु पैदा िोकर बीमाररयों के फैलने को बढावा दे रिे िैं।
मेरा आपसे वनवेदन िै वक आप रुके हुए पानी को वनकालने के वलए कोई उवचत प्रबंध कराएं । बंद
सीवर लाइनों को खुलवाएं और सडकों पर बने गड्ढों को भरवाने की व्यवस्था करें वजससे मच्छर आवद
ना फैले। इसके वलए िम आपके सदै व आभारी रिेंगे।
धन्यवाद
प्राथी
संजय कुमार
नेिरू कॉलोनी, िामली
16 अगस्त 2022
9.औपचाररक पत्र - अपने विद्यालय के प्रिानाचायग को पत्र वलखकर वकसी विषय विर्ेष की
प़िाई समुवचत ना िोने की वर्कायत वलन्खए
सेवा में,
प्रधानाचाया
बॉयज इं टर कॉलेज,
मुजफ्फरनगर
मिोदय,
वनवेदन िै वक मैं किा दिम का किा प्रवतवनवध हाँ। मैं आपका ध्यान िमारी किा के गवणत ववषय की
पढाई की ओर वदलाना चािता हं। गवणत की िमारी अध्यावपका वमसेज िमाा के अवकाि पर जाने के
बाद से िी कोई अन्य अध्यावपका िमारी किा में निीं आ रिी िै। इस कारण दू सरे ववद्यालयों की तुलना
में िमारा पाठ्यक्रम बहुत पीछे चल रिा िै।
इस वषा िमारी बोडा की परीिाएं भी िैं। आपसे प्राथाना िै वक इसे ध्यान में रखते हुए िमारे ववषय की
पढाई की समुवचत व्यवस्था करें तावक िमारे ववद्यालय का पररणाम प्रभाववत ना िो।
धन्यवाद
144 | Page
11औपचाररक पत्र – पुस्तकें खरीदने के वलए प्रकार्क को एक पत्र वलन्खए
संजय िमाा
मुखजी नगर,
वदली
14 जुलाई 2022
सेवा में,
मिोदय,
कृपया वनम्नवलस्तखत पुस्तकें अववलंब कोररयर िारा उवचत कमीिन काटकर वनम्नवलस्तखत पते पर
वभजवाने का कष्ट् करें । इस पत्र के साथ ₹2000 का डर ाफ्ट भी वभजवा रिा हं।
पुस्तके भेजते समय इस बात का ध्यान रखें वक पुस्तके किीं से कटी फटी ना िो और नए संस्करण की
िो। पुस्तकों के नाम वनम्नवलस्तखत िैं
भवदीय
िुभम गुप्ता
सेवा में
प्रधानाचाया
दयानंद माध्यवमक ववद्यालय
आगरा
मिोदय,
सववनय वनवेदन िै वक िमारे ववद्यालय में िाम को खेलने की कोई उवचत व्यवस्था निीं िै। छात्रावास में
भी कई छात्र रिते िैं जो वक प्रदे ि स्तरीय प्रवतयोवगताओं में ववद्यालय का प्रवतवनवधत्व कर चुके िैं। सभी
छात्र वक्रकेट िॉकी खो-खो बास्केटबॉल वॉलीबॉल आवद खेलों में भाग लेना चािते िैं। कुछ छात्रों की
अवभरुवच एथलेवटक्स में िै जैसे वक लंबी दौड, ऊंची दौड, बाधा दौड इत्यावद।
145 | Page
आपसे वनवेदन िै वक संध्याकालीन खेलों की उवचत व्यवस्था कराने का प्रबंध करें । यवद िमें कुिल
प्रवििक और खेलों के समुवचत व्यवस्था वमल जाए तो मेरा ववश्वास िै वक िम ववद्यालय का गौरव बढा
सकते िैं। कृपया इस ओर ध्यान दें ।
धन्यवाद
वनवेदक
सुजीत सरकार
किा 11 एवं प्रवतवनवध, छात्रावास
( स्विृत – लेखन )
स्ववृत्त का अथा- स्वयं अपने बारे में संविप्त रूप से आवश्यक सूचना प्रदान करना िी स्ववृत्त लेखन
किलाता िै। स्ववृत एक वविेष प्रकार का लेखन िै वजसमें वकसी व्यस्तक्त वविेष के बारे में वविेष
प्रयोजन को ध्यान में रखकर क्रमवार तरीके से सूचनाएं संकवलत की जाती िै।
प्रश्न 1. प्रवर्वक्षत स्नातक वर्क्षक(TGT) के पद िेतु 80 र्ब्दों में अपना एक आकषगक स्विृत
तैयार करें ।
िैिवणक योग्यताएं
146 | Page
सोनीपत ववज्ञान,
गवणत,
सामावजक
ववज्ञान,
अंग्रेज़ी
2. बारिवीं 2018 राजकीय अंग्रेज़ी, प्रथम 97%
ववद्यालय, गवणत,
सोनीपत कामसा
3. बी. कॉम 2021 राजकीय अंग्रेज़ी, प्रथम 89%
मिाववद्याल गवणत,
य, गुरुग्राम कामसा
4. बी. एड. 2022 राजकीय अंग्रेज़ी, प्रथम 86%
मिाववद्याल गवणत
य,
फरीदाबाद
•श्री आिापूणाा दे वी, वनदे िक अमन पस्तिक स्कूल ज्ोवत नगर, गुरुग्राम
•श्री आिीष गुप्ता ,प्राध्यापक आदिा ववद्यालय मोती नगर ,गुरुग्राम
वतवथ7/10/2022
2. उच्च श्रेणी वलवपक पद के वलए अपना एक आकषगक स्वयं िृत्त तैयार करें ।
नाम : मुकेि कुमार
वपता का नाम : श्री प्रकाि कुमार
माता का नाम : श्री ज्ोवत कुमारी
जन्मवतथी : 01(02/2001
वतामान पता : 47 ,सेक्टर 20 ,उिैन (मध्य प्रदे ि)
147 | Page
स्थाई पता : उपरोक्त
मोबाइल नंबर : 8685 8 ×××××
ईमेल। : कखग15@mail.com
िैिवणक योग्यताएं
148 | Page
•अखबारों का वनयवमत पाि
•इं टरनेट सवफिंग
3. अपने वर्क्षा बोडग द्वारा विज्ञावपत विज्ञापन क्रमांक 215 वदनांक 15 जून 2022 के
अनुसार विंदी अध्यापक पद के वलए 80 र्ब्दों में स्विृत्त तैयार कीवजए।
4. न्यू एस पन्िर्सग ,नई वदल्ली को र्ैक्षवणक पुस्तकों के प्रचार- प्रसार के वलए विक्रय-
कवमगयों की आिश्यकता िै। आप उसके वलए 80 र्ब्दों में अपना स्विृत्त तैयार कीवजए
5. आपको स्थानीय समाचार पत्र से ज्ञात हुआ िै वक आपके र्िर की प्रवतवष्ठत कंपनी में
सिायक प्रबंिक के 2 पद ररि िैं ।उि पद िेतु आिेदन करने के वलए लगभग 80
र्ब्दों में स्विृत्त लेख तैयार कीवजए।
ई-मेल लेखन
(प्राप्तकताा) TO cbakxy27@gmail.com
मिोदय
आदिा नगर, करनाल की पानी की पाइप किीं से टू ट गई िै , वजसके कारण आदिा नगर के
घरों में पानी आना बंद िो गया िै गवलयों में भी पानी भर गया िै | पानी के वबना समस्त वनवावसयों को
बहुत कविनाइयों का सामना करना पड रिा िै | इस वलए मेरा आपसे वनवेदन िै वक पाइप लाइन की
मरम्मत का काया तत्काल करवाने की कृपा करें |
धन्यवाद
149 | Page
1- ख- ग-
(भेजना) SEND
मिोदय
मैं आपके ववद्यालय में किा ‘दसवीं का छात्र हाँ | मैं आपका ध्यान ववद्यालय
की ववज्ञानं-प्रयोगिाला की ओर वदलाना चािता हाँ | िमारी प्रयोगिाला ववद्यालय के स्तर की
कदावप निीं िै| जो आधुवनक उपकरण वकसी प्रयोगिाला को अलग बनाते िैं , यिााँ उनकी
अत्यंत आविता िै|
आप स्वयं ववज्ञानं के ववद्याथी रिें िैं | आपको प्रयोगिाला संबंधी सुझाव दे ना सूरज को
दीपक वदखाने के समान िोगा| मेरा आपसे ववन्रम वनवेदन िै वक आप इस ओर थोडा ध्यान दे ने
की कृपा करें तथा ववज्ञानं-प्रयोगिाला संबंध कवमायों को आदे ि दें वक वे इसे अत्याधुवनक
बनाने िेतु कारवाई करें |
धन्यवाद
आपका आज्ञाकारी छात्र
1- ब-स
(भेजना) SEND
3- वपता का व्िसाय बंद िोने के कारण विद्यालय के प्राचायग को छात्रिृवत के वलए ई-मेल|
(CC-काबान कााँपी---CCB- िाइं ड काबान कााँपी)
(प्राप्तकताा) TO principalaman15@hotmail.com
आदरणीय मिोदय
150 | Page
सववनय वनवेदन यि िै वक मैं आपके ववद्यालय में किा ‘दसवीं’ का छात्र हाँ | मिोदय!
इस ववद्यालय में मेरा ररकाडा बहुत अच्छा रिा िै | मैं पढाई-वलखाई के िेत्र में बस्ति अन्य सांस्कृवतक
गवतवववधयों एवं प्रवतयोवगताओं में भी मैंने ववद्यालय का नाम रोिन वकया िै | गत वषा की वावषाक परीिा
में मेने प्रथम स्थान प्राप्त वकया िै |
मैं आपको बताना चािता हाँ वक मेरे वपता जी की ग्रोसरी की दु कान थी | कुछ माि पिले कुछ
उपद्रववयों ने उसमें आग लगा दी और वपता जी का सारा व्यपार िप िो गया| मेरे पररवार की आवथाक
िालत बहुत वबगड गई िै और मेरे वपता जी मेरी फ़ीस भी दे पाने में अपने-आप असिाय मिसूस कर
रिे िैं| आपसे अनुरोध िै वक मेरी इस िालत पर सिानुभूवतपूवाक ववचार वकया जाए तथा मेरी फ़ीस
माफ़ कर मुझे िर माि सात सौ रुपए की छात्रवृवत्त प्रदान की जाए|
सधन्यवाद
1- ख –ग
(भेजना) SEND
(प्राप्तकताा) TO ziladhikari26@rediffmail.com
माननीय मिोदय
यि ई-मेल मैं आपके इलाके के सभी वनवावसयों के प्रवतवनवध के रूप में वलख
रिा हाँ | िमारे इलाके में इन वदनों चारों ओर ‘कंस्टर क्श’ (वनमााण) का काया चल रिा िै | बडी-
बडी कम्पवनयों और वबल्डसा ने जमीन खरीद ली िैं और ऊाँची-ऊाँची इमारतें खडी करने करने
की तैयारी कर रिे िै| इस प्रवक्रया के दौरान बडे -बडे पुराने वृि काटे जा रिे िैं | आपको मालूम
िै वक पेड पयाावरण की सुरिा करते िैं , िमें इनसे आाँ क्सीजन वमलती िै तथा ये भूवम-िरण को
रोकते िैं| पेड-पौधों की कटाई एक दं डनीय अपराध िै | आिा िै आप इस संदभा में इस तरि
का वनणाय लेंगे, वजससे पेड-पौधों की अंधाधुंध कटाई को रोका जा सके|
धन्यवाद
भवदीय
151 | Page
1- ख- ग-
(भेजना) SEND
5- आपके इलाके की ‘केवमस्ट’ की दु कान में नकली दिाइयाँ बेची ं जा रिी िै | इसकी
वर्कायत करते हुए वजला स्वास्थ्य अविकारी को ई-मेल|
(CC-काबान कााँपी---CCB- िाइं ड काबान कााँपी)
(प्राप्तकताा) TO zilahealthofficer28@gmail.com
माननीय मिोदय
मैं वजला पानीपत के गााँव य- व- ल- का रिने वाला हाँ तथा आपका ध्यान गााँव
की एकमात्र केवमस्ट की दु कान की ओर वदलाना चािता हाँ | मैंने दो-तीन बार इस दु कान से
दवाइयााँ खरीदीं, तो पाया वक विााँ की दवाइयााँ कोई असर निीं करती | ऊपर से ‘ररएक्शन’ भी
करती िै| इसकी जााँच के वलए मैं कुछ दवाइयााँ लेकर एक प्रवसद्ध प्रयोगिाला में गया| उन
लोगों ने परीिण करने के बाद बताया वक दवाइयााँ नकली िैं |
अत; मेरा आपसे वनवदे न िै वक आप अपनी कोई भेजकर इस दु कान छापा मारें तथा
इस तरि के सामावजक अपराध को रोकने में राष्ट्र की मदद करें |
आिा िै इस संबंध में तत्काल वनणाय लेने की कृपा करें गे|
सधन्यवाद
भवदीय
1- ख- ग-
(भेजना) SEND
152 | Page
3- आपके इलाके में गंदगी के कारण डें गू फ़ैल रिा िै| उसकी रोकथाम वकए जाने के वलए
स्वास्थ्य मंत्री को ई-मेल वलन्खए|
विज्ञापन लेखन
ववज्ञापन का अथा िै --सूचना दे ना या धुआाँधार प्रचार करना । ववज्ञापन लेखन केवलए आवश्यक िै वक
वि ध्यानाकषाक िो । वव (वविेष) + ज्ञापन (जानकारी दे ना) अथाात वकसी के बारे में वविेष रूप से
जानकारी दे ना । आधुवनक समय में ववज्ञापनों से प्रभाववत िोकर िी अवधकांि लोग वकसी वस्तु को
खरीदते िैं । इस से उस वस्तु की वबक्री बढ जाती िैं ।
153 | Page
ववज्ञापन लेखन के वलए छात्र यि उदािरण दे खें
1 'रक्षक' िेलमेट बनाने िाली कंपनी की वबक्री ब़िाने के वलए विज्ञापन तैयार करना
2 'रुवचकर पररिान र्ो रुम' को अपने पररिानों की वबक्री ब़िानी िै। िे सभी पररिानों पर
20% की छूट दे रिे िैं। इस संबंि में एक विज्ञापन तैयार कीवजए ।
154 | Page
3. उत्तर प्रदे र् पयगटन वनगम पयगटकों की संख्या ब़िाना चािता िै। उसके वलए एक आकषगक
विज्ञापन तैयार कीवजए
1. 'सरस्वती पुस्तक भंडार’ पुस्तक की वबक्री बढाने िेतु ववज्ञापन तैयार करवाना चािता िै। आप उसके
वलए एक ववज्ञापन तैयार कीवजए।
2. आपको अपनी पुरानी मोटर साइवकल बेचनी िैं। इसके वलए ववज्ञापन तैयार कीवजए ।
3. आप एक योग प्रवििण केंद्र खोलना चािते िैं। इस संबंध में युवाओं को आकवषात करने वाला एक
155 | Page
ववज्ञापन तैयार कीवजए ।
4. 'प्रकाि' एल.ई.डी. बल्ब बनाने वाली कंपनी की वबक्री बढाने िेतु ववज्ञापन तैयार कीवजए ।
5 आपने अपना नया कंप्यूटर प्रवििण केंद्र खोला िै। यिााँ प्रवेि लेने के वलए वििाथी आकवषात िों,
इसके वलए एक ववज्ञापन तैयार कीवजए ।
संदेर् लेखन
दीपावली की िुभकामनाएाँ
वदनांक- 04 अक्टू बर, 20XX समय-सुबि 8:00
बजे
वप्रय वमत्र,
िमारी कामना िै वक दीपावली आप और आपके पररवार के वलए मंगलमय िो |आप सभी को
दीपावली के पावन पवा की िावदा क िुभकामनाएाँ |
िुभ दीपावली
आपका वमत्र
क.ख.ग.
श्रद्धांजवल संदेि
वदनांक- 30 वसतम्बर 20xx समय- सुबि – 10:00
बजे
यि संसार नश्वर िै |आत्मा अजर और अमर िै |मिान सावित्यकार के
वनधन पर भावभीनी श्रद्धांजवल| ईश्वर उनकी आत्मा को िांवत प्रदान करें एवं अपने चरणों में
उन्हें स्थान प्रदान करें |
क.ख.ग.
156 | Page
3. ‘वर्क्षक वदिस’ के अिसर पर अपने विन्दी वर्क्षक के वलए एक भािपूणग संदेर् वलन्खए
|
बधाई संदेि
वदनांक- 05 अक्टू बर 20xx समय: सुबि 11:30 बजे
वप्रय वमत्र राजीव,
किा में प्रथम स्थान प्राप्त करने पर तुम्हें बहुत-बहुत बधाई| इसी प्रकार
मेिनत करते रिो और सफलता की राि पर आगे बढते रिो | इस कामयाबी पर वदल से
बधाई |
तुम्हारा वमत्र अवमत
5. प्रिानमंत्री द्वारा दे र् को दर्िरा की र्ुभकामना का संदेर् वलन्खए |
157 | Page
सीबीएसई किा दसवीं के नमूना प्रश्न पत्र
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182 | Page
183 | Page
❖ गत वषो की आदिा - उत्तरपुस्तस्तका ( वलंक पर स्तक्लक करें )
• इसके बाद, आपको उत्तर पुस्तस्तका पर पूछे गए वववरण जै से रोल नंबर या ऐसी िी अन्य जानकारी को बहुत िी
ध्यान पूवाक भरना चाविए। अवधकां ि छात्र तनाव और जल्दबाज़ी के कारण, उत्तर पुस्तस्तका पर आवश्यक
जानकारी वलखना भूल जाते िैं .
• प्रश्न पत्र को िल करने के वलए आपको 3 घंटे वदए जाएं गे। इसवलए, वलखने से पिले, प्रत्येक खंड को एक
उपयुक्त समय आवंवटत करें और उसके बाद प्रश्नों का समय सुवनवश्चत करें । ऐसा करने से आप वदए गए समय
सीमाओं के भीतर अपना पूरा प्रश्न-पत्र आसानी से वबना तनाव के िल कर पाएं गे ।
• प्रश्नों व उनके उत्तरों के ववकल्पों को जल्दबाजी में न पढें । एक एक िब्द को ध्यान से पढें ।
• छात्रों को सीबीएसई नवीनतम सैंपल पेपर किा 10 2023 को जरूर िल करना चाविए क्योंवक इससे
सीबीएसई परीिा 2023 के दौरान उन्हें अत्यवधक लाभ वमलेगा। सीबीएसई किा 10 के सैंपल पेपर
2023 का अभ्यास करने से छात्रों को अपनी तैयारी के स्तर का ववश्लेषण करने और बोडा परीिा में अच्छा
स्कोर करने में मदद वमलेगी।
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प्रश्न पत्र को िल करते समय छात्रों द्वारा की जाने िाली सामान्य गलवतयां
• छात्रों िारा प्रत्येक खंड िेतु समय सीमा का वनधाारण निीं वकया जाना व एक िी प्रश्न के उत्तर में
अवधक समय लगाना, इससे दू सरें खण्ड को आवश्यक समय निी वमलता िैं l
• छात्र िारा प्रश्न के उत्तरों की वनधााररत िब्द सीमा का ध्यान निीं रखा जाना ।
• जल्दबाजी में तका आधाररत सभी वस्तुवनष्ठ ववकल्पों को पूणा रूप से निीं पढना ।
• प्रत्येक प्रश्न में उप प्रश्नों की कुल संख्या की गणना न करना वजससे यि सुवनवश्चत वकया जा सकता
िै वक आपने गलती से या वकसी अन्य तरि से प्रश्न को छोड तो निीं वदया िै ।
• प्रश्न क्रमांक को भलीभांवत उलेस्तखत निीं करना जबवक इसका िर स्तर पर ध्यान रखा जाना
चाविए ।
• वतावनयों की िुद्धता का अभ्यास पूवा में निीं वकया जाना ।
• उत्तर को संिोवधत करने िे तु अंत में समय का निी रखा जाना । जबवक समय वनधाा रण में कम से
कम 10 वमनट का समय अंत में उत्तर संिोधन िेतु अवश्य रखना चाविए ।
• दीघा उत्तर में अच्छे एवं मित्वपूणा प्रभाविाली िब्दों या वाक्यांिों को साथ साथ रे खांवकत न
करना ।
• जल्दी बाजी में वलखावट व प्रस्तुतीकरण पर ध्यान न दे ना जबवक विी परीिक पर प्रभाव डालते
िैं ।
• प्रश्न पत्र के वकसी भी भाग में छात्र िारा स्वयं का नाम व पता वलखने की सामान्य गलती करना ।
• प्रश्न संख्या का उलेख भलीभांवत निीं करना ।
समाप्त
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