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छात्रोपयोगी अध्ययन

सामग्री

कक्षा 10

ह द
िं ी‘अ’(002)
केंद्रीय ववद्यालय सिंगठन एर्ाषकुलम सिंभाग
शैक्षक्षक वर्ष 2022-23

केंद्रीय ववद्यालय सिंगठन एर्ाषकुलम सिंभाग


1
2
3
स ायक सामग्री ननमाषर् सममनि

पाठ/प्रकरण प्रभारी /सदस्य केन्द्रीय विद्यालय

1 अपठठत गद्याांश श्री बलराम के वि नां 1 नेिल बेस कोच्चि

2 अपठठत पद्याांश श्रीमती इन्द्दम


ु ोल आई के वि एस ए पी पेरूरकडा

3 रिना के आधार पर श्रीमती दीच्तत के वि एस ए पी पेरूरकडा


िाक्यभेद

4 िाचय श्रीमती लता के वि केल्ट्रोन नगर


रामानुजन

5 पदपररिय श्रीमती षैना के वि कन्द्नरू

6 अलांकार श्री राजू पॉल केन्द्रीय विद्यालय कड़िन्द्रा

7 नेताजी का िश्मा श्रीमती सुधमाा केन्द्रीय विद्यालय कन्द्नूर

8 बालगोबबनभगत श्रीविनोद कुमार केन्द्रीय विद्यालय एनटीपीसी कायमकुलम


महिार

9 लखनिी अांदाज़ श्रीमती ससन्द्धुमोल के वि अड़ूर पारी -1


अय्यतपन

10 एक कहानी यह भी श्री सांजीि मेनोन केन्द्रीय विद्यालय नां1पालक्काड

11 नौबतखाने में इबादत श्रीमतीश्रीरां च्जनी के वि ओट्टतपालम

12 सांस्कृतत श्रीमती वपांटू सुगतन के वि कडुथुथी

13 सूरदास के पद श्रीमती च्स्मता प्रशाांत केन्द्रीयविद्यालय कन्द्नूर

14 राम लक्ष्मण परशुराम श्री िेलायुधन केन्द्रीय विद्यालय एच्ज़मला


सांिाद

15 आत्मकथ्य श्रीमती अनीता ओ केन्द्रीयविद्यालय के वि पट्टम-1

16 उत्साह,अटनहीांरहीहैं श्री सदानांदन टी केन्द्रीयविद्यालयनां2कालीकट

17 यह दां तुररत श्रीमती राधधका नायर केन्द्रीयविद्यालय आक्कुलम


मुस्कान,फसल

4
18 सांगतकार श्रीउच्न्द्नक्कृष्णन केन्द्रीय विद्यालय बिश्शरू

19 माताकाआँिल श्रीमतीच्जजीमोल केन्द्रीय विद्यालय


एणााकुलम,कड़िन्द्रा

20 साना साना हाथ जोड़ड़ श्रीमती बीना फ्ाांससस केन्द्रीय विद्यालय नां2 कोच्चि

21 मैं क्यों सलखता हूँ? श्रीमतीअनुबाला केन्द्रीयविद्यालय नां 1 नेिलबेस कोच्चि

22 अनुचछे द लेखन श्रीमती सुनीता एस केवि पाांगोड

23 पिलेखन श्रीमती अनीता सी केन्द्रीयविद्यालयओट्टतपालम

24 स्िित्त
ृ ,ईमेल लेखन श्री हररदासन के वि ओट्टापालम

25 सांदेश लेखन ए के गीता केन्द्रीय विद्यालय एनएडीआलुआ

26 विज्ञापनलेखन श्रीमतीसुनीताके केन्द्रीय विद्यालय कड़िन्द्रा

27 प्रततदशा प्राश्नपि1 श्रीमती शीबा एन केन्द्रीय विद्यालय नगर

28 प्रततदशा प्रश्नपि2 श्रीमान रशीद केन्द्रीय विद्यालय बिश्शरू

29 प्रततदशा प्रश्नपि 3 श्रीमती रे णु ठाकुर केन्द्रीय विद्यालय रबड़ बोडा कोट्टयम


30 प्रततदशा प्रश्नपि 4 श्री अनांत कुमार केन्द्रीय विद्यालय पट्टम

31 प्रततदशा प्रश्नपि सी बी एस ई
32 सांकलन एिां सांपादन ठहन्द्दी विभाग के वि पय्यन्द्नूर

5
क्रम सांख्या प्रकरण पष्ृ ठ सांख्या

11) अपठठत गद्याांश


अपठठत पद्याांश
• व्याकरण –
• रिना के आधार पर 10-62
िाकया भेद
• िाचय
• पद पररिय
• अलांकार

2) • गद्य खांड
63-185
• पद्य खांड
• कृततका भाग 2

3) रिनात्मक लेखन
• अनुचछे द लेखन
• पिलेखन
• स्िित्त
ृ और ईमेल लेखन 186-223
• सन्द्दे श लेखन विज्ञापन
लेखन

4) • आदशा प्रश्नपि1
• आदशा प्रश्नपि2
• आदशा प्रश्नपि3 224-293
• आदशा प्रश्नपि4
• सी बी एस ई का
प्रततदशा प्रश्नपि

• सी बी एस ई द्िारा प्रदत्त प्रश्न पि को मानक रूप में लें और आिश्यक सध


ु ार यठद अन्द्य
प्रश्नपि में िाठहए तो उस हे तु सशक्षक छािों को मागादशान दें |

6
7
8
9
अपहठि गद्यािंश,
पद्यािंश एविं व्याकरर्

10
अपहठि गद्यािंश को सरलिा पूवक
ष ल करने की ववधि को साविानी पूवक
ष पढें ।

➢ सिाप्रथम पूरे गद्याांश को ध्यानपूिक


ा पढें । एक बार समझ में न आए तो पुनः पढें ।
➢ मुख्य बबांदओ
ु ां को रे खाांककत कर लें।
➢ तत्पश्िात नीिे सलखे प्रश्नों को ध्यानपि
ू क
ा पढें ।
➢ प्रश्नों के उत्तर गद्याांश में जहाां-जहाां समलते जाएां, िहाां-िहाां उन्द्हें धिच्ननत करते जाएां।
➢ यठद ककसी प्रश्न का उत्तर समझ में न आए तो गद्याांश का भाि समझकर प्रश्न का
उत्तर सलखने का प्रयास करें ।
➢ प्रश्नों का उत्तर सलखते समय काल का विशेष ध्यान रखें।
➢ शीषाक का िुनाि करते समय गद्याांश के भाि को ध्यान में अिश्य रखें।
➢ गद्याांश का शीषाक प्रायः गद्याांश की प्रथम पांच्क्त या अांततम पांच्क्त में ही समल जाता
है।
➢ शीषाक सांक्षक्षतत, साथाक तथा भािपूणा होना िाठहए।
➢ गद्याांश को ध्यानपि
ू क
ा ि सतकाता से पढकर उसके अथा ि भाि को समझने का
प्रयत्न करें ।

अपहठि गद्यािंश

अपठठत गद्याांश की शब्द सीमा 100-150 तक होती हैं।

परीक्षा में एक गद्याांश दे कर उससे िस्तुतनष्ठ प्रकार के कुल 5 अांकों के सलए प्रश्न पूछे जाते
है। विद्याधथायों को गद्याांश के आधार पर उत्तर दे ना होता है।

यहाां इस प्रकार के गद्याांशों का कुछ उदाहरण ठदया गया है -

(1)

पररश्रम को सफलता की कांु जी माना गया है । जीिन में सफलता परु


ु षाथा सेही प्रातत होती है।
कहा भी गया है – उद्योगी को सब कुछ समलता है और भाग्यिादी कोकुछ भी नहीां समलता,
अिसर उनके हाथ से तनकल जाता है । कठठन पररश्रमका ही दस
ू रा नाम भाग्य है । प्रकृतत को
ही दे खखए; सारे जड़ िेतन अपने काम में लगे रहते हैं, िीांटी को पलभर िैन नहीां, मधुमक्खी
जाने ककतनी लांबी यािा कर बूँद- बूँद मधु जुटाती है। मुगेको सुबह बाांग लगानी होती है ,कफर
मनुष्य को बुद्धध और वििेक समला है िहससफा सफलता की कामना करता क्यों बैठा रहे ? विश्ि
में जो दे श आगे बढे हैं उनकी सफलता का रहस्य कठठन पररश्रम ही है ।जापान को दस
ू रे
विश्ियुद्ध में समट्टी में समला ठदया गया था । उसकी अथाव्यिस्था तछन्द्न-सभन्द्नहो गई थी
लेककन ठदन-रात पररश्रम करके आज िह विश्ि का प्रमुख औद्योधगक और विकससत दे श बन

11
गया है । िीन भी अपने पररश्रम के बल पर आगे बढा है । जमानी ने भी युद्ध की विभीवषका
झेली पर पररश्रम के बल पर ही सांभल गया। पररश्रम का महत्ि िे जानते हैं जो स्ियां अपने
बल पर आगे बढे हैं । सांसार के इततहास में अनेक िमकते ससतारे केिल पररश्रम के ही प्रमाण
हैं । हमारे पूिा राष्रपतत श्री अब्दल
ु कलाम पररश्रम और मनोबल से ही दे श के सिोचि पद पर
आसीन हुए उनका कहना था- “भाग्य के भरोसे बैठने िाले को उतना ही समलता है च्जतना
मेहनत करने िाले छोड़ दे ते हैं”। हमारे बड़े-बड़े धन कुबेर व्यापारी टाटा, बबरला, अांबानी यह सब
पररश्रम के ही उदाहरण है तनरां तर पररश्रम और दृढ सांकल्ट्प हमारे लक्ष्य को हमारे करीब लाता
है । गरीब पररश्रम करके अमीर हो जाता है और अमीर सशधथल बनकर असफल हो जाता है।
भारतीय कृषक के पररश्रम का ही फल है कक दे श में हररत क्राांतत हुई। अमेररका के सड़े गेहूँ से
पेट भरने िाला भारत आज मजबूरी नहीां, बच्ल्ट्क मजबूती से खड़ा है तो इसके पीछे इसके पीछे
कठोर पररश्रम और धैया ही है । हमारे कारखाने ठदन रात उत्पादन कर रहे हैं, विकासशील दे शों
में वपछड़े माने जाने िाले हम भारतिासी आज विकससत दे शों से प्रततस्पधाा कर रहे हैं । अगर
हम कहीां वपछड़े हैं तो उसका कारण पररश्रम का अभाि ही होगा। पररश्रम के बबना जीिन में
कुछ नहीां समलता | ककसी ने सही कहा है - सकल पदाथा है जग माहीां, कमाहीन नर पाित नाहीां|
यठद विद्याथी जीिन से ही पररश्रम की आदत पड़ जाएगी तो हम जीिन में कभी असफल नहीां
हो सकते । विद्याथी जीिन तो पररश्रम की पहली पाठशाला है तो न ससफा हमारी सशक्षा बच्ल्ट्क
हमारा भविष्य भी सुरक्षक्षत और मजबूत हो जाता है ।

(I)उपयक्
ुा त गद्याांश का उधित शीषाक होगा –
(क) भाग्य बलिान होता है (ख) आलसी जीिन
(ग) पररश्रम का महत्ि ( घ) इनमेंसे कोई नहीां

(II)जीिन में सफलता पाने का सबसे बड़ा माध्यम क्याहै ?


(क) पैसा (ख) विद्ित्ता
(ग)िालाकी (घ) पुरुषाथा

(III)जापान, जमानी, िीन जैसे दे श विपरीत पररच्स्थततयों से बाहर कैसे तनकले?


(क) युद्ध से (ख) व्यापार से
(ग) विदे शनीतत से (घ) पररश्रम से

(IV)हमारे लक्ष्य को हमारे करीब कौन लाता है ?

(क) पररश्रम और दृढसांकल्ट्प (ख) पैसा और सशक्षा

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(ग) ससफा पैसा (घ) राजनीतत
(V) आज हमारा दे श बड़े-बड़े दे शों के सामने ककस रूप में खड़ा है ?
(क) यािक के रूप में (ख) प्रततस्पधी के रूप में
(ग) शिु के रूप में (घ) इनमें से कोई नहीां

(2)

तनदा की ऐसी ही मठहमा है। दो-िार तनांदको को एक जगह बैठकर तनांदा में तनमग्न दे खखए
और तल
ु ना कीच्जए, दो िार ईश्िर भक्तों से जो रामधन
ु गा रहे हैं। तनांदको की-सी एकाग्रता,
परस्पर आत्मीयता, तनमग्नता भक्तों में दरु लभ है। इससलए सांतों ने तनांदको को आांगन कुटी
छिाय पास रखने की सलाह दी है कुछ समशनरी' तनांदक मैने दे खे हैं। उनका ककसी से बैर नहीां,
धूप नहीां । िे ककसी का बुरा नहीां सोिते पर िीबीस घांटे िे तनांदा-कमा में िात पविि भाि से
लगे रहते हैं कक ये प्रसांग आने पर अपने बाप की पगड़ी भी उसी आनांद से उछालते हैं , च्जस
आनांद से अन्द्य लोग दश्ु मन की। तनांदा इनके सलए टॉतनक होती है । इयाां-ट्िेष से प्रेररत तनांदा
भी होती है। िह ईया - िेष से िौबीसों घांटे जलता है और तनदा का जल तछड़ककर कुछ शाांतत
अनभ
ु ि करता है। ऐसा तनदक बड़ा दयनीय होता है । अपनी अक्षमता से पीड़ड़त िह बेिारा दस
ू रे
की सक्षमता के िाँद को दे खकर सारी रात श्िान जैसा भोकता है । ईष्य्या दि
ू ेष से प्रेररत तनांदा
करने िाले को कोई दां ड दे ने की जरूरत नहीां है। िह तनांदक बेिारा स्ियां दां ड़डत होता है। जाप
िैन से सोझा और िह जलन के कारण सो नहीां पाता। उसे और क्या दां ड िाठहए तनरां तर अचछे
काम करते जाने से उसका दां ड भी सख्त होता जाता है ; जैस-े एक कवि ने एक अचछी कविता
सलखी, ईष्यांग्रस्त तनदक की कष्ट होगा अब अगर एक और अचछी कविता सलख दी, तो " उसका
कष्ट दग
ु ुना हो जाएगा।

1- तनांदको की सी एकाग्रता, आत्मीयता ि तनमग्नता ककसमें दल


ु भ
ा है ?
(क) साधारण लोगों में (ख) ईश्िर भक्तों में
(ग) सशक्षक्षतों में (घ) नाच्स्तकों में

2- तनांदको को पास रखने की सलाह ककसने दी है

(क) सांतों ने (ख) साधथयों ने

(ग) भाग्यिान ने (घ) पड़ोससयों ने

3- तनांदा - कमा से पविि भाि से कौन लगा रहता है।

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(क) तनांदक (ख) पड़ोसी
(ग) अपने ररश्तेदार (घ) समशनरी तनांदक

4- ईष्याा, द्िेष, की आग में जलने िाला शाांतत का अनुभि कैसे करता है


(क) काबान डाइऑक्साइड से (ख) समट्टी डालकर
(ग) तनांदा का जल तछड़ककर (घ) भगित भजन करके

5- कवि की अचछी कविता पर ईष्यााग्रस्त तनांदक कैसा अनभ


ु ि करता है
(क) कष्ट का (ख) सुख का
(ग) खुशी का (घ) प्रसन्द्नता का

(3)

"साठहत्य का आधार जीिन है। इसी आधार पर साठहत्य की दीिार खड़ी होती है। उसकी
अटाररयाां, मीनार और गब
ुां द बनते हैं। लेककन बुतनयाद समट्टी के नीिे दिी पड़ी है । जीिन
परमात्मा की सच्ृ ष्ट है, इससलए सब
ु ोध है , सग
ु म है और मयाादाओां से पररसमत है । जीिन परमात्मा
को अपने कामों का जिाबदे ह है या नहीां हमें मालूम नहीां, लेककन साठहत्य मनुष्य के सामने
जिाबदे ह है। इसके सलए कानन
ू है च्जनसे िह इधर-उधर नहीां जा सकता। मनष्ु य जीिनपयंत
आनांद की खोज में लगा रहता है। ककसी को यह रत्न रव्य में समलता है , ककसी को भरे -पूरे
पररिार में , ककसी को लांबे-िीड़े भिन में , ककसी को ऐश्िया में। लेककन साठहत्य का आनांद इस
आनांद से ऊँिा है । उसका आधार सुांदर और सत्य है । िास्ति में सचिा आनांद सुांदर और सत्य
से समलता है , उसी आनांद को दशााना िही आनांद उत्पन्द्न करना साठहत्य का उद्दे श्य है।"

1- साठहत्य और जीिन में गहरा सांबांध है क्योंकक


(क) जीिन का मुख्य आधार साठहत्य है । (ख) साठहत्य जीिन की मजबूत दीिार है ।
(ग) साठहत्य का आधार जीिन है । (घ) साठहत्य का आनांद जीिन से ऊांिा है।

2- मनुष्य ककसकी खोज में जीिन भर लगा रहता है

(क) परमात्मा की (ख) आनांद की

(ग) साठहत्य की

(घ) रत्न रव्य भरे पूरे पररिार लांबे िौड़े भिन एिां ऐश्िया को पाने की

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3- मानि के सलए जीिन एक लांबी मत्ृ यु कब बन जाता है ।
(क) बीमारी में (ख) सुख में
(ग) हषा में (घ) इचछाओां के बढने से

4- लेखक ने आांतररक जगत में काम करने का गखणत ककसे कहा है


(क) भच्क्त करने को (ख) इचछा न करने को
(ग) विनम्र रहने को (घ) कष्ट भोगने को

5- लालसा शब्द के दो पयाायिािी हैं

(क) इचछा, आकाांक्षा (ख) इचछा, बल


(ग) बल, आकाांक्षा (घ) आकाांक्षा, तनराशा

3- साठहत्य के आनांद का आधार है।

(क) सांुदर और सत्य को पाना (ख) जीिन

(ग) रत्न और ऐश्िया पाना (घ) परमात्मा

4- पररसमतत का अथा है

(क) सीसमत (ख) दबा हुआ

(ग) विस्तत
ृ ( घ) फांसा हुआ

5- 'लांबे िौड़े भिन में ' िाक्य में लांबे िौड़े व्याकरण की दृच्ष्ट से क्या है

(क) कक्रयाविशेषण है (ख) सांज्ञा है

(ग) कक्रया है (घ) विशेषण है

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(4)

तनदा की ऐसी ही मठहमा है। दो-िार तनांदको को एक जगह बैठकर तनांदा में तनमग्न दे खखए और
तुलना कीच्जए, दो िार ईश्िर भक्तों से जो रामधुन गा रहे हैं। तनांदको की-सी एकाग्रता, परस्पर
आत्मीयता, तनमग्नता भक्तों में दल
ु भ
ा है । इससलए सांतों ने तनांदको को आांगन कुटी छिाय पास
रखने की सलाह दी है कुछ समशनरी' तनांदक मैने दे खे हैं। उनका ककसी से बैर नहीां, धप
ू नहीां ।
िे ककसी का बुरा नहीां सोिते पर िीबीस घांटे िे तनांदा-कमा में िात पविि भाि से लगे रहते हैं
कक ये प्रसांग आने पर अपने बाप की पगड़ी भी उसी आनांद से उछालते हैं, च्जस आनांद से अन्द्य
लोग दश्ु मन की। तनांदा इनके सलए टॉतनक होती है । इयाां-ट्िेष से प्रेररत तनांदा भी होती है। िह
ईया - िेष से िौबीसों घांटे जलता है और तनदा का जल तछड़ककर कुछ शाांतत अनुभि करता
है। ऐसा तनदक बड़ा दयनीय होता है। अपनी अक्षमता से पीड़ड़त िह बेिारा दस
ू रे की सक्षमता
के िाँद को दे खकर सारी रात श्िान जैसा भोकता है। ईष्य्या दि
ू ेष से प्रेररत तनांदा करने िाले
को कोई दां ड दे ने की जरूरत नहीां है। िह तनांदक बेिारा स्ियां दां ड़डत होता है। जाप िैन से सोझा
और िह जलन के कारण सो नहीां पाता। उसे और क्या दां ड िाठहए तनरां तर अचछे काम करते
जाने से उसका दां ड भी सख्त होता जाता है ; जैस-े एक कवि ने एक अचछी कविता सलखी,
ईष्यांग्रस्त तनदक की कष्ट होगा अब अगर एक और अचछी कविता सलख दी, तो " उसका कष्ट
दग
ु न
ु ा हो जाएगा।

1- तनांदको की सी एकाग्रता, आत्मीयता ि तनमग्नता ककसमें दल


ु भ
ा है ?
(क) साधारण लोगों में (ख) ईश्िर भक्तों में
(ग) सशक्षक्षतों में (घ) नाच्स्तकों में

2- तनांदको को पास रखने की सलाह ककसने दी है


(क) सांतों ने (ख) साधथयों ने
(ग) भाग्यिान ने (घ) पड़ोससयों ने

3- तनांदा - कमा से पविि भाि से कौन लगा रहता है।

(क) तनांदक (ख) पड़ोसी

(ग) अपने ररश्तेदार (घ) समशनरी तनांदक

4- ईष्याा, द्िेष, की आग में जलने िाला शाांतत का अनुभि कैसे करता है


(क) काबान डाइऑक्साइड से (ख) समट्टी डालकर
(ग) तनांदा का जल तछड़ककर (घ) भगित भजन करके

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5- कवि की अचछी कविता पर ईष्याा ग्रस्त तनांदक कैसा अनुभि करता है
(क) कष्ट का (ख) सुख का
(ग) खुशी का (घ) प्रसन्द्नता का

(5)

"सचिा उत्साह िही होता है जो मनष्ु य को काया करने के सलए प्रेरणा दे ता है । मनष्ु य ककसी
भी कारणिश जब ककसी के कष्ट को दरू करने का सांकल्ट्प करता है , तब च्जस सुख को िह
अनभ
ु ि करता है, िह सख
ु विशेष रूप से प्रेरणा दे नेिाला होता है । च्जस भी काया को करने के
सलए मनुष्य में कष्ट, दःु ख या हातन को सहन करने की ताकत आती है , उन सबसे उत्पन्द्न
आनांद ही उत्साह कहलाता है उदाहरण के सलए दान दे नेिाला व्यच्क्त तनश्िय ही अपने भीतर
एक विशेष साहस रखता है और िह है धन-त्याग का साहस । यही त्याग यठद मनुष्य प्रसन्द्नता
के साथ करता है तो उसे उत्साह से ककया गया दान कहा जाएगा उत्साह आनांद और साहस
का समला-जल
ु ा रूप है। उत्साह में ककसी-न-ककसी िस्तु पर ध्यान अिश्य केंठरत होता है । िह
िाहे कमा पर, िाहे कमा के फल पर और िाहे व्यच्क्त या िस्तु पर हो। इन्द्हीां के आधार पर
कमा करने में आनांद समलता है। कमा-भािना से उत्पन्द्न आनांद का अनभ
ु ि केिल सचिे िीर ही
कर सकते हैं क्योंकक उनमें साहस की अधधकता होती हैं। सामान्द्य व्यच्क्त काया पूरा हो जाने
पर च्जस आनांद का अनुभि करता है , सचिा िीर काया प्रारां भ होने पर ही उसका अनुभि कर
लेता है। आलस्य उत्साह का सबसे बड़ा शिु है। जो व्यच्क्त आलस्य से भरा होगा, उसमें काम
करने के प्रतत उत्साह कभी उत्पन्द्न नहीां हो सकता । उत्साही व्यच्क्त असफल होने पर भी
काया करता रहता है। उत्साही व्यच्क्त सदा दृढतनश्ियी होता है। "

1- उत्साह का प्रमुख लक्षण है।


(क) जोश (ख) साहस
(ग) आनांद (घ) आनांद और जोश

2- सचिे िीर िे होते हैं

(क) जो फल पाने के सलए उत्साह ठदखाते हैं। (ख) जो कमा भाि से उत्साह ठदखाते हैं।

(ग) जो आनांद विनोद के सलए उत्साह ठदखाते हैं। (घ) जो तनष्काम भाि से उत्साह ठदखाते
हैं।

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3- उत्साह के मागा में सबसे बड़ी रुकािट है
(क) दख
ु (ख) तनराशा
(ग) िैराग्य (घ) आलस्य

4- 'सचिा उत्साह िही होता है जो मनुष्य को काया करने केसलए प्रेरणा दे ता है ।' उपिाक्य का
प्रकार है।
(क) प्रधान उपिाक्य (ख) विशेषण उपिाक्य
(ग) कक्रया विशेषण उपिाक्य (घ) सांज्ञा उपिाक्य

5- केंठरत और अधधकता में क्रमशः प्रत्यय इस प्रकार है।

(क) ठरत, ता (ख) ईत, आ

(ग) इत, ता (घ) ईत, ता

(6)

विद्याथी जीिन ही िह समय है च्जसमें बचिों के िररि, व्यिहार, आिरण को जैसा िाहे , िैसा
रूप ठदया जा सकता है। यह अिस्था भािी िक्ष
ृ की उस कोमल शाखा की भाँतत है , च्जसे च्जधर
िाहो मोड़ा जा सकता है। पण
ू त
ा ः विकससत िक्ष
ृ की शाखाओां को मोड़ना सांभि नहीां। उन्द्हें मोड़ने
का प्रयास करने पर िे टूट तो सकती हैं पर मुड़ नहीां सकतीां। छािािस्था उस श्िेत िादर की
तरह होती है , च्जसमें जैसा प्रभाि डालना हो, डाला जा सकता है। सफेद िादर पर एक रां ग जो
िढ गया, सो िढ गया, कफर से िह पूिाािस्था को प्रातत नहीां हो सकती। इसीसलए प्रािीन काल
से ही विद्याथी जीिन के महत्त्ि को स्िीकार ककया गया है । इसी अिस्था से सुसांस्कार और
सद्ितृ तयाँ पोवषत की जा सकती हैं। इसीसलए प्रािीन समय में बालक को घर से दरू गरु
ु कुल
में रहकर कठोर अनुशासन का पालन करना होता था।

1- व्यिहार को सध
ु ारने का सिोत्तम समय होता है

(क) प्रौढािस्था (ख) यि


ु ािस्था

(ग) िद्
ृ धािस्था (घ) छािािस्था

2- छािों को गुरुकुल में छोड़ा जाता था

(क) कठोर अनुशासन के सलए (ख) घर से दरू रखने के सलए

18
(ग) इनमें से कोई नहीां (घ) अचछे सांस्कार विकससत करने के सलए

3- छािािस्था कक उपयुक्त तुलना की गई है।


(क) विकससत िक्ष
ृ से (ख) सफेद िादर से
(ग) अविकससत िक्ष
ृ से (घ) िक्ष
ृ की विकससत शाखा से

4- इनमें से ककस शब्द में उपसगा का प्रयोग नहीां ककया गया है


(क) महत्त्ि (ख) सुसांस्कार
(ग) अनश
ु ासन (घ) अविकससत

5- प्रस्तत
ु गद्याांश के सलए उपयुक्त शीषाक है
(क) िररि और व्यिहार (ख) कठोर अनुशासन
(ग) विद्याथी जीिन (घ) छाि एक िक्ष

(7)

भारतीय मनीषी हमेशा ही इचछा और अतनचछा के बारे में सोिता रहा है । आज जो कुछ हम
हैं उसे एक लालसा में ससमटाया जा सकता है । यानी जो कुछ भी हम है िह सब अपनी इचछा
के कारण से हैं। यठद हम दख
ु ी हैं, यठद हम दास्ता में हैं, यठद हम अज्ञानी हैं, यठद हम अांधकार
में डूबे हैं, यठद जीिन एक लांबी मत्ृ यु है तो केिल इचछा के कारण से ही है । क्यों है यह दख
ु ?
क्योंकक हमारी इचछा पूरी नहीां हुई। इससलए यठद आपको कोई इचछा नहीां है तो आप तनराश
कैसे होंगे? यठद कहीां आप तनराश होना िाहते हैं तो और अधधक इचछा करें , यठद आप और दख
ु ी
होना िाहते हैं तो अधधक अपेक्षा करें , अधधक लालसा करें और अधधक आकाांक्षा करें , इससे आप
और अधधक दख
ु ी हो ही जाएांगे। यठद आप सुखी होना िाहते हैं तो कोई इचछा न करें । यही
आांतररक जगत में काम करने का गखणत है । इचछा ही दख
ु को उत्पन्द्न करती है ।

1- भारतीय मनीषी के धिांतन का विषय क्या है


(क) जीिन मत्ृ यु (ख) जीिन आत्मा
(ग) इचछा अतनचछा (घ) प्रकृतत पुरुष

2- इचछा का जीिन में क्या प्रभाि पड़ता है।


(क) आनांद दे ती है (ख) सुख दे ती है

19
(ग) लालसा बढाती है। (घ) काया क्षमता बढाती है।

3- मानि के सलए जीिन एक लांबी मत्ृ यु कब बन जाता है।


(क) बीमारी में (ख) सुख में
(ग) हषा में (घ) इचछाओां के बढने से

4- लेखक ने आांतररक जगत में काम करने का गखणत ककसे कहा है


(क) भच्क्त करने को (ख) इचछा न करने को
(ग) विनम्र रहने को (घ) कष्ट भोगने को

5- लालसा शब्द के दो पयाायिािी हैं


(क) इचछा, आकाांक्षा (ख) इचछा, बल
(ग) बल, आकाांक्षा (घ) आकाांक्षा, तनराशा

(8)

च्जस विद्याथी ने समय की कीमत जान ली िह सफलता को अिश्य प्रातत करता है। प्रत्येक
विद्याथी को अपनी ठदनियाा की समय-सारणी अथिा तासलका बनाकर उसका पूरी दृढता से
पालन करना िाठहए। च्जस विद्याथी ने समय का सही उपयोग करना सीख सलया उसके सलए
कोई भी काम करना असांभि नहीां है । कुछ लोग ऐसे भी हैं जो कोई काम पूरा न होने पर
समय की दह
ु ाई दे ते हैं। िास्ति में सचिाई इसके विपरीत होती है । अपनी अकमाण्यता और
आलस को िे समय की कमी के बहाने तछपाते हैं। कुछ लोगों को अकमाण्य रह कर तनठल्ट्ले
समय बबताना अचछा लगता है । ऐसे लोग केिल बातूनी होते हैं। दतु नया के सफलतम व्यच्क्तयों
ने सदै ि कायाव्यस्तता में जीिन बबताया है । उनकी सफलता का रहस्य समय का सदप
ु योग रहा
है। दतु नया में अथिा प्रकृतत में हर िस्तु का समय तनच्श्ित है । समय बीत जाने के बाद काया
फलप्रद नहीां होता।

1- विद्याथी को सफलता प्रातत करने के सलए आिश्यक है


(क) समय की दह
ु ाई दे ना (ख) समय की कीमत समझना
(ग) समय पर काम करना (घ) दृढ विश्िास बनाए रखना

20
2- कुछ लोग समय की कमी के बहाने क्या छुपाते हैं
(क) अपनी अकमाण्यता और आलस्य (ख) अपना तनठल्ट्लापन
(ग) अपनी विसभन्द्न कसमयाां (घ) अपना बातूनीपन

3- दतु नया के सफलतम व्यच्क्तयों की सफलता का रहस्य क्या है


(क) समय का पालन (ख) समय का प्रयोग
(ग) समय की कीमत (घ) समय का सदप
ु योग

4- काया ककस च्स्थतत में फलप्रद नहीां होता


(क) समय न आने पर (ख) समय कम होने पर
(ग) समय बीत जाने पर (घ) समय अधधक होने पर

5- अकमाण्यता शब्द में मूल शब्द एिां उपसगा अलग करके सलखखए
(क) अकमाण्य+ता (ख) अ+कमाण्यता
(ग) अकमाण्यता (घ) अकमा +णूयता
(9)

मनष्ु य एक सामाच्जक प्राणी है । समाज में उसके समि भी होते हैं, शिु भी, पररधित भी, अपररधित
भी । जहाँ तक शिुओ,ां पररधितों और अपररधितों का प्रश्न है , उन्द्हें पहिानना बहुत कठठन नहीां
होता, ककां तु समिों को पहिानना कठठन होता है । मुख्यतः सचिे समिों को पहिानना बहुत कठठन
होता है यह प्रायः दे खा गया है कक एक और तो बहुत से लोग अपने-अपने स्िाथािश सम्पन्द्न,
सुखी और बड़े आदसमयों के समि बन जाते हैं या ज्यादा सही यह होगा कक यह ठदखाना िाहते
हैं कक िे समि हैं। इसके विपरीत जहाँ तक गरीब, तनधान और दःु खी लोगों का प्रश्न है समि
बनाना तो दरू रहा, लोग उनकी छाया से भी दरू भागते हैं। इसीसलए कोई व्यच्क्त हमारा
िास्तविक समि है या नहीां, इस बात का पता हमें तब तक नहीां लग सकता जब तक हम कोई
विपवत्त में न हों। विपवत्त में नकली समि तो साथ छोड़ दे ते हैं और जो समि साथ नहीां छोड़ते,
िास्तविक समि िे ही होते हैं। इसीसलए यह ठीक ही कहा जाता है कक विपवत्त समिों की कसौटी
है।

1- समाज में ककसको पहिानना कठठन है


(क) सचिे समि को (ख) शिु को
(ग) सदाशय व्यच्क्त को (घ) िालाक व्यच्क्त को

21
2- सांपन्द्न लोगों से लोग कैसा व्यिहार करते हैं
(क) उनसे लोग ईष्याा करते हैं (ख) लोग उनके समि बन जाते हैं
(ग) लोग उनसे उदासीन रहते हैं। (घ) उनकी छाया भी नहीां छूते

3- सचिे समि की पहिान कब होती है ?


(क) विपवत्त की घड़ी में (ख) सुख की घड़ी में
(ग) समलने जल
ु ने पर (घ) मेलो उत्सि में

4- िास्तविक शब्द में मूल शब्द और प्रत्यय है ।


(क) िास्ति + ईक (ख) िास्ति+इक
(ग) िास्ति+विक (घ) िास्त+विक

5- इस गद्याांश का उधित शीषाक िुतनए


(क) मनष्ु य (ख) समाज
(ग) समि (घ) समिता

(10)
जो आिरण भ्रष्ट हैं उसे भ्रष्टािार कहते हैं अथाात भ्रष्टािार िह व्यिहार हैं जो घखृ णत और
पततत हैं । भारत आज इस प्रकार के भयानक नैततक सांकट से गुज़र रहा हैं । नैततकता के
ह्रास का ही दस
ू रा नाम भ्रष्टािार हैं । आज़ादी के बाद हमारे राष्र ने काफी प्रगतत की हैं ।
परां तु च्जतनी पूांजी ि प्रयास इस उद्दे श्य से ककया गया उतनी अनुपात में राष्र विकससत नहीां
हुआ ! क्यों? भ्रष्टािार ही इसका मल
ू कारण हैं । ितामान समय में भ्रष्टािार ने जीिन के
प्रत्येक क्षेि में अपनी जड़ें जमा ली हैं । धासमाक ,आध्याच्त्मक ,राजनीततक ,सामाच्जक आधथाक
,सरकारी तथा गैर सरकारी सभी स्थानों पर भ्रष्टािार का बोलबाला हैं ।कहीां भी िले जाइए
बबना ररश्ित और पहुँि के आप का कोई सामान्द्य काम भी नहीां हो सकता । च्जस ओर भी
दृच्ष्ट जाती हैं भ्रष्टािार फलता फूलता ठदखाई दे ता हैं ।
जब दे श के सिोचि पदों पर बैठे मांिी भ्रष्टािार द्िारा अकूत सांपवत्त अच्जात करते हैं तो बेिारा
क्लका क्यों पीछे रहे । भ्रष्टािार रूपी िक्ष
ृ का रूप ही अनोखा हैं । इसकी जड़ें ऊपर की ओर
और शाखाएँ नीिे की ओर बढती हैं इसकी विषाक्त शाखाओां पर बैठकर ही मानि मानि का
रक्त िूस रहा हैं ।
अब तो भ्रष्टािार से सरकारें बनाई बिाई और धगराई जाती हैं । भारत में भ्रष्टािार व्यिस्था
का अतनिाया अांग बन िुका हैं । लेककन नामुमककन कुछ भी नहीां हैं । अगर इरादा बुलांद हो
तो समाज को , दे श को ,ककसी भी बरु ाई से बिाया जा सकता हैं ।

22
1)समाज और दे श को ककसी भी बुराई से बिाया जा सकता हैं बेशते कक -
(क)सबको नष्ट भ्रष्ट करो ख) अगर इरादा बुलांद हो
ग) सबके साथ समान व्यिहार हो घ) सठहष्णुता से रहो

2)भ्रष्टािार का दस
ू रा नाम हैं –
क)अनैततकता का बोलबाला ख) अध्याच्त्मक रुझान
ग) धासमाक मैिी घ) परस्पर सद्भाि

3)सामाच्जक में मूल शब्द हैं |


क)सामाज ख) माच्जक
ग) समाज घ) इक

4)भ्रष्टािार रूपी िक्ष


ृ का रूप ही अनोखा हैं । इसकी जड़ें ऊपर की ओर और शाखाएँ नीिे की
ओर बढती हैं इसका आशय हैं -
क)भ्रष्टािार हर कहीां नहीां हैं ख) भ्रष्टािार एक िक्ष
ृ के जैसे हरा हैं |
ग) भ्रष्टािार शाखाओां के सहारे रहते हैं घ) उचि पदाधधकाररयों में जड़ जमाकर तनम्न
श्रेणी तक फैले हुए हैं |

5)नामुमककन का अथा हैं


क)सांभि ख) असफल
ग) असांभि घ) सफल

उत्तर- 1) (ग) 2)(घ) 3) (घ) 4) (क) 5) (ख)


2) उत्तर- 1-ग, 2-ग, 3-ग, 4-घ, 5-ग
3)- 1- ग, 2-ख, 3- क, 4- क, 5घ
4) 1-ग, 2-ग, 3-ग, 4-घ, 5-ग
5) 1 घ, 2 ख, 3-घ, 4-ख, 5-ग
6) 1 घ, 2-क, 3-ख, 4-क, 5-ग
7) 1-ग, 2-ख, 3-घ, 4-ख, 5-क
(8) 1ख, 2क, उघ, 4ग, 5ख
(9) 1क, 2ख, 3क, 4ख, 5ग
(10)1 ख 2 क 3) ग 4) घ 5) ग

23
अपहठि पद्यािंश

सजान के पथ पर बढता िल ।
तनज सांस्कृतत पर अवपात हो जा, जीिन सारा कर अरे होम ।
हर कमा बना दे तू ससमधा च्जससे सरु सभत हो उठे व्योम ।
उस सुरसभ को भर साांसो में ओ पधथक! उसी पर बढता िल ।।

कफर से विघटन की आरी से कटता जाता है सकल अांग ।


तनज भेदभाि के विषधर कफर , कर रहे दे श का एकता भांग ।
तू प्रेम- स्नेह समरसता से, हर नई दरार को भरता िल ।।

जो दे श जगत को मुट्ठी में , करने का लेते हैं सपना ।


िे द्िांद्ि मिाते घूम रहे , हैं दे ख रहे बस ठहत अपना ।
ऐसी आखेटक आांखों में सख
ु - शाांतत का सपना गढता िल ।।

जो िीर खड़े तनज पाांिों पर िे ही नौका खे पाएांगे ।


सज्जन समथा ही भारत का भाग्य उदय कर पाएांगे ।
जो पाया है माां धरती से िह मातभ
ृ ूसम ठहत िल ।।

1.कवि क्या प्रेरणा दे रहा है?


(क).आत्म विकास की (ख) लक्ष्य प्राच्तत की
(ग).नि- तनमााण की (घ).आनांद विलास की

2.सुरसभ का आशय है -
(क) गाय (ख) पवििता
(ग).गांगा (घ)सुगांध

3.कवि ककस दरार को भरने की बात कर रहा है ?


(क)अलगाि की (ख)दे शरोह की
(ग)जातत- पाांतत की (घ)लाभ- हातन की

4.आखेटक आांखों से क्या आशय है -


(क) लक्ष्य-प्रेररत आांखें (ख)सशकार होने िाली आांखें

24
(ग) द्िेषपूणा आांखें (घ)आक्रामक

5.भारत का भाग्य बनाने के सलए क्या शब्द-प्रयोग हुआ है ?


(क)नौका को खेना (ख)सज्जनता
(ग)तनज पाँिों पर खड़ा होना (घ)मातभ
ृ ूसम हे तु समपाण

२. लोहे के पेड़ हरे होंगे , तू गान प्रेम का गाता िल,


नम होगी यह समट्टी जरूर, आांसू के कण बरसाता िल ।
सससककयों और िीत्कारों से हो िाहे च्जतनी भरी धरा
े़
कांकालों का हो ढे र , खतपरों से िाहे हो पटी धारा ।
आशा के स्िर का भार , पिन को लेककन लेना ही होगा ,
जीवित स्ितनों के सलए मागा, मुदों को दे ना ही होगा ।
रां गों के सातों घट ऊँडेल, यह अांधधयाली रां ग जाएगी,
ऊषा को सत्य बनाने को, जािक नभ पर तछतराता िल ।
लोहे के पेड़ हरे होंगे , तू गान प्रेम का गाता िल,
नम होगी यह समट्टी जरूर, आांसू के कण बरसाता िल ।

1.लोहे के पेड़ ककसे कहा गया है?


(क)लोहे से बने पेड़ों को (ख)मशीनी यग
ु के कठोर हृदय मानि को
(ग)लोहे जैसी भािना शून्द्य लोगों को (घ)साहसी और तनमाम मनुष्य को

2. खतपरों से िाहे हो पटी धारा से क्या आशय है ?


(क) युद्धों के विनाश से भरी धरती (ख) सशिजी का ताांडि नत्ृ य
े़
(ग)आतांकिाद का असर (घ) जमीन पर खतपर पडे रहना

3. रां गों के सातों घट से क्या असभप्राय है ?


(क) रां गों भरा जीिन (ख)आशा और खुसशयों से भरा जीिन
(ग) सात रां गों के सात घड़े (घ) रां गों की िषाा

4.जािक शब्द का क्या अथा है ?


(क)लाल (ख) टे सू

25
(ग)महािर (घ)लहू

5.जीवित सपनों के सलए मागा मुदाा को दे ना ही होगा में ककस भाि की ओर सांकेत है?
(क) पुरानी रूठढयों को नए युग के सलए हटना पड़ेगा
(ख)जीवित व्यच्क्तयों के सलए मुदे हटाने पड़ेंगे
(ग)मुदाा कायरों को हटना पड़ेगा (घ). नए लोगों के आने की व्यिस्था ।

३.नदी को रास्ता ककसने ठदखाया,


ससखाया था उसे ककसने
कक अपनी भािना के िेग को
उन्द्मुक्त बहने दे ,
कक िह अपने सलए खुद खोज लेगी
ससांधु की गांभीरता
स्िचछां द बहकर ?
हम पछ
ू ते आए यग
ु ों से,
और सुनते भी युगों से आ रहे उत्तर नदी का
मुझे कोई कभी आया नहीां था राह ठदखलाने,
बनाया मागा मैंने आप ही अपना।
बढी सांपन्द्नता के साथ
और अपने दरू तक फैले हुए
साम्राज्य के अनुरूप
पहुँिी जहाँ सागर खड़ा था
फेन की माला सलए मेरी प्रतीक्षा में।

(1) नदी से क्या प्रश्न ककया जा रहा है ?


(क) उसे रास्ता ककसने ठदखाया? (ख) मागा बनाना ककसने ससखाया?
(ग) बहना ककसने ससखाया? (घ) भािना ककसने ससखाई ?

2.नदी ने क्या उत्तर ठदया?


(क).उसका मागा समुर ने बताया । (ख)उसने स्ियां मागा बनाया ।
(ग) पिातों ने उसे मागा बताया । (घ) मनष्ु य ने मागा बनाया ।

26
3.नदी का साम्राज्य कैसा है?
(क).दरू तक फैला हुआ (ख)पिातों पर फैला हुआ
(ग)सभी नठदयों को समलानेिाला (घ)सागर के भीतर

4.सांपन्द्नता का विलोम क्या है?


(क)सज्जनता (ख)अक्षमता
(ग)विपन्द्नता (घ).िीरता

5.नदी की प्रतीक्षा कौन कर रहा है ?


(क)समुर (ख)िक्ष

(ग)मनुष्य (घ)पशु

4. कहो तुम्हारी जन्द्मभूसम का ककतना विस्तार?


सभन्द्न-सभन्द्न यठद दे श हमारे तो ककसका सांसार ?
धरती को हम काटें _छाँटें, तो उस अांबर को भी बाांटें,
एक अनल है, एक ससलल है , एक अतनल सांिार ।
कहो तुम्हारी जन्द्मभूसम का है ककतना विस्तार ?

एक भूसम है, एक व्योम है ,


एक सूया है, एक सोम है ,
एक प्रकृतत है, एक पुरुष है , अगखणत रूपकार ।
कहो तम्
ु हारी जन्द्मभसू म का है ककतना विस्तार ?

अलग-अलग है सभी अधूरे,


सब समलकर ही तो हम परू े ,
एक दस
ू रे का पूरक है एक मनुज पररिार ।
कहो तुम्हारी जन्द्मभूसम का है ककतना विस्तार ॥

1.कवि ने ककस को काटने-छाँटने की बात कही है ?


(क)अांबर (ख)धरती
(ग)व्योम (घ)अनल

27
2.अनल का पयाायिािी है -
(क)अच्ग्न (ख) पथ्
ृ िी
(ग)अतनल (घ) जल

3.कवि ने ककस-ककस को एक बताया है ?


(क)व्योम (ख)ससलल
(ग) सय
ू ा (घ)उपयक्
ुा त सभी

4.काव्याांश का शीषाक तनधााररत कीच्जए-


(क)एकता (ख) एक मनुज पररिार
(ग) जन्द्मभूसम (घ) सांसार

5.अांततम पद में कवि ने क्या सांदेश ठदया है ?


(क)एकता में बल है । (ख)एक मनज
ु पररिार ।
(ग)हम सब एक हैं । (घ)उपयक्
ुा त सभी ।

५.रे शमी कलम से भाग्य लेख सलखने िालों,


तुम भी अभाि से कभी ग्रस्त हो रोए हो ।
बीमार ककसी बचिे की दिा जुटाने में ,
तुम भी क्या रात भर पेट बाांधकर सोए हो ?
असहाय ककसानों की ककस्मत को खेतों में ,
क्या अनायास जल में बह जाते दे खा है ?
क्या खाएांगे ? यह सोि तनराशा से पागल,
वििारों को नीरि रह जाते दे खा है ?
पर तुम नगरों के लाल अमीरी के पुतले,
क्यों व्यथा भाग्य-हीनों की मन में लाओगे ?
जलता हो सारा दे श , ककां तु होकर अधीर,
तुम दौड़-दौड़ कर क्यों यह आग बुझाओगे ?

28
1.रे शमी कलम से भाग्य सलखनेिाले हैं_

(क)धतनक एिां सत्ताधारी लोग (ख)सामान्द्य जनता


(ग)परमेश्िर (घ)मज़दरू िगा

2.पेट बाांधकर सोना से तात्पया है _


(क)पेट को बाांधकर सो जाना । (ख)खाली एिां भूखे पेट सो जाना ।
(ग)पेट में ददा होना । (घ)पेट-ददा की दिा खाना ।

3.ककसानों को असहाय कहा गया है क्योंकक-


(क)उनके खेत नहीां होते हैं । (ख)िह बहुत गरीब और असहाय होते हैं ।
(ग)उनकी खेती ककस्मत पर तनभार होती है। (घ)उनकी ककस्मत सदा खराब बनी रहती है।

4.नीरि शब्द का अथा है -


(क)शाांत (ख)गरीब
(ग)भूखा (घ) रोना

5.ककसानलोग क्या सोिकर तनराशा से पागल हो जाते हैं _


(क)नौकरी न समलने से । (ख)त्योहार न मनाने के कारण ।
(ग)ररश्तेदारों से न समलने से । (घ) खाने-पीने के सलए कुछ न समलने से ।

उत्तर कांु जी
अपठठत पद्याांश-1
1.ग 2.घ 3. क 4.घ 5.क
अपठठत पद्याांश-2
1.ख 2.क 3. ख 4.ग 5.क
अपठठत पद्याांश-3
1.घ 2.ख 3. क 4.ग 5.क
अपठठत पद्याांश-4
1.ख 2.क 3. घ 4.घ 5.घ
अपठठत पद्याांश-5
1.क 2.ख 3. ग 4.क 5.घ

29
रचना के आिार पर वाक्य भेद

वाक्य - वाक्य सार्षक शब्दों का व समू ै , जो व्यवस्थर्ि ो और पूरा आशय प्रकट कर


सके।

उदाहरण

• गीता पढती है।


• शीला गाना गा रही है।
• मोहन बाज़ार जा रहा है।

वाक्य के अिंग –

िाक्य के दो मुख्य अांग है - कताा और कक्रया। कताा और कक्रया के विस्तार को उद्दे श्य और
विधेय कहा जाता है।
उद्दे श्य – िाक्य में च्जसके बारे में कुछ बताया जाता है , उसे उद्दे श्य कहते है।
वविेय – उद्दे श्य के विषय में जो कुछ कहा जाए, उसे विधेय कहते है।
उदाहरण – विद्याथी फुटबॉल खेल रहे है ।
महात्मा गाांधी हमारे वप्रय नेता है।
इन िाक्यों में ‘उद्दे श्य’ विद्याथी, महात्मा गाांधी और ‘विधेय' फुटबॉल खेल रहे है , हमारे वप्रय
नेता है।
रिना की दृच्ष्ट से िाक्य भेद –
रचना के आिार पर वाक्य के िीन भेद ोिे ैं-
1. सरल िाक्य
2. सांयक्
ु त िाक्य
3. समश्र िाक्य

1.सरल वाक्य – च्जस िाक्य में केिल एक उद्दे श्य (कताा) और एक विधेय हो, उसे सरल या
साधारण िाक्य कहते हैं। इन िाक्यों में मुख्य कक्रया एक ही होती है ।

उदाहरण – बालक रोता है ।

बबजली िमकती है।

िषाा हो रही है।

30
2.सिंयुक्ि वाक्य – च्जस िाक्य में दो या से अधधक सरल या समधश्रत िाक्य ककसी योजक
द्िारा जुड़े हो उसे सांयुक्त िाक्य कहते हैं।

• सांयुक्त िाक्य में प्रयुक्त होने िाले योजक है - और, या, अथिा, ककां तु, परां तु, इससलए,
अन्द्यथा, नही तो।

उदाहरण –

िह प्रात: अपने घर गया और सायां लौट आया।


आप दध
ू पी लीच्जए या खीर खा लीच्जए।
प्रथम प्रश्न करो अर्वा दस
ू रा प्रश्न करो।
उसने पररश्रम तो ककया ककिं िु सफलता नहीां समली।
रोहन बीमार है , इसमलए आ नही सका।
उसने समझाया था परिं िु मैं न समझ सका।
तुम मान जाओ अन्यर्ा वपटोगे।
बरसात आ गई वरना मैं जीत जाता।

3.ममश्र वाक्य – च्जस िाक्य की रिना एक से अधधक सरल िाक्यों से हुई हो, च्जनमें एक
प्रधान िाक्य एिां अन्द्य आधश्रत उपिाक्य होते है , उसे समश्र िाक्य कहते है।
प्रधान िाक्य – इसकी कक्रया मुख्य होती है।
आधश्रत उपिाक्य का आरां भ कक, जो, च्जसे, यठद, क्योंकक आठद से होता है।
उदाहरण –
राम ने कहा कक आज मुझे घर जाना है ।
जो मेहनत करता है , उसे अिश्य सफलता समलती है।
जब मुकेश मेरे पास आया, तब लगभग तीन बजे थे।

उपवाक्य के भेद –

समश्र िाक्य में प्रयुक्त होने िाले गौण उपिाक्य तीन प्रकार के होते है –

1.सांज्ञा उपिाक्य

2.विशेषण उपिाक्य

3.कक्रयाविशेषण उपिाक्य

1.सांज्ञा उपिाक्य – जो उपिाक्य प्रधान िाक्य की ककसी सांज्ञा के स्थान पर प्रयुक्त हुआ हो,
उसे सांज्ञा उपिाक्य कहते है।

31
•सामान्द्य रूप से सांज्ञा उपिाक्य ‘कक’ से आरम्भ होते हैं।

उदाहरण –

उसने कहा कक हम लड़ाई नहीां िाहते।

अांग्रेज जान गए थे कक भारत को स्ितांिता दे नी पड़ेगी।

मैंने उसे पुकारकर कहा कक अभी उधर मत जाओ।

2. विशेषण उपिाक्य – जो आधश्रत उपिाक्य प्रधान उपिाक्य की ककसी सांज्ञा या सिानाम की


विशेषता बताता है , उसे विशेषण उपिाक्य कहते है।

•विशेषण उपिाक्य का प्रारां भ सिानाम ‘जो’ या इसके ककसी रूप (च्जसने, च्जसे, च्जससे, च्जनको,
च्जनके सलए) से होता है।

उदाहरण –

जो छाि पररश्रम करते है , िे ही जीिन में सफल होते है।

िह, जो सामने खड़ा है , मेरा बेटा है।

िह अध्यापक था, जो कल यहाां आया था।

3.कक्रयाविशेषण उपिाक्य – जो आधश्रत उपिाक्य प्रधान उपिाक्य की कक्रया की विशेषता


बताता है , उसे कक्रयाविशेषण उपिाक्य कहते है।

उदाहरण –

जब िह खेल िुका िब िह पढने लगा।

बचिे वैसे करते है जैसे उन्द्हें ससखाया जाता है।

तुम उस जगह खड़े हो जाओ ज ािं बस रुकती है।

तनम्नसलखखत प्रश्नों के उत्तर सही विकल्ट्प िनकर सलखखए –


1.तनम्नसलखखत िाक्य में उद्दे श्य है –
•मेरा भाई राकेश समि के घर जाता है।
(क) भाई (ख) समि के घर जाता है
ग) मेरा भाई राकेश (घ) घर जाता है

32
2.मैने एक आदमी को दे खा जो बहुत बीमार था।(सरल िाक्य में बदसलए)

क) एक आदमी बीमार था और मैने उसे दे खा। ख) मैंने एक बहुत बीमार आदमी


दे खा।

ग) मुझे एक बीमार आदमी ठदख गया। घ) मैंने एक आदमी दे खा जो बहुत


बीमार था।

3.िन
ु ाि में कौन जीता – यह सि
ू ना सबको दी गई। (प्रधान उपिाक्य सलखखए)
क) िुनाि में कौन जीता ख) सबको दी गई
ग) कौन जीता – यह सूिना घ) यह सूिना सबको दी गई

4.मुझे विश्िास है कक रीना अिश्य उत्तीणा होगी – रे खाांककत उपिाक्य का नाम सलखखए।
क) सांज्ञा उपिाक्य ख) विशेषण उपिाक्य
ग) कक्रयाविशेषण उपिाक्य घ) प्रधान उपिाक्य

5. हम कल शाम छः बजे आएांगे और सात बजे िल दें गे।


क) सरल िाक्य ख) सांयक्
ु त िाक्य
ग) कक्रयाविशेषण उपिाक्य घ) समश्र िाक्य

6. तनम्नसलखखत में से समश्र िाक्य िुतनए-


क) ज्यों ही पुसलस आई, िोर भाग गया।
ख) उसने श्रम नहीां ककया और परीक्षा में फेल हो गया।
ग) खेत में िर रही गाय राहुल की थी|
घ) आकाश में उड़ते हुए बाज़ ने धिड़ड़या पकड़ी।

7. िह अपने घर गया। िह अपने काम में लग गया। - ठदए गए दो सरल िाक्य को सांयक्
ु त
िाक्य में बदसलए।
क) िह अपने घर जाकर अपने काम में लग गया।
ख) िह अपने घर गया और अपने काम में लग गया।
ग) जैसे ही िह घर गया िह अपने काम में लग गया।
घ) िह घर पहुांिते ही अपने काम में लग गया।

33
8. तनम्नसलखखत में से सरल िाक्य िुतनए-
क) गली में शोर हुआ और सब लोग बाहर आ गए।
ख) िह, जो दो ठदन गाांि में रहा, सबका वप्रय हो गया।
ग) िहाां च्स्थत एक छोटे -से गाांि के िारों ओर जांगल था।
घ) िह काली भैंस, जो खेत में िर रही थी, राघि की थी।

9. भारत शाांततवप्रय दे श है। इसमें अनेक सांप्रदायों के लोग तनिास करते है – समश्र िाक्य
बनाइए।
क) शाांततवप्रय भारत में अनेक सांप्रदायों के लोग तनिास करते है।
ख) भारत ऐसा शाांततवप्रय दे श है च्जसने अनेक सांप्रदायों के लोग तनिास करते है।
ग) भारत शाांततवप्रय दे श है और इसमें अनेक सांप्रदायों के लोग तनिास करते है।
घ) भारत में अनेक सांप्रदायों के लोग तनिास करते है।

10. िह जहाां भी जाता है , एक नई समस्या खड़ी कर दे ता है – रे खाांककत उपिाक्य का नाम


सलखखए।
क) सांज्ञा उपिाक्य ख) विशेषण उपिाक्य
ग) कक्रयाविशेषण उपिाक्य घ) प्रधान उपिाक्य

11. सत्य बोलो ककां तु कटु सत्य न बोलो।(िाक्य भेद सलखखए)


क) सरल िाक्य ख) सांयुक्त िाक्य
ग) कक्रयाविशेषण उपिाक्य घ) समश्र िाक्य

12. ज्यों ही िह घर पहुांिा, उस पर उसके वपता बरस पड़े। (सरल िाक्य में बदसलए)
क) िह घर पहुांिा और उसके वपता बरस पड़े।
ख) िह घर पहुांिा तो उसके वपता बरस पड़े।
ग) उसके घर पहुांिते ही वपताजी उस पर बरस पड़े।
घ) िह जैसे ही घर पहुांिा, िैसे ही उस पर उसके वपता बरस पड़े।

13. जब शेर दहाड़ रहा था, तब उसने ठहरण पर हमला ककया।


क) सरल िाक्य ख) सांयक्
ु त िाक्य
ग) कक्रयाविशेषण उपिाक्य घ) समश्र िाक्य

34
14. जो पुस्तक आप पढ रहे थे िह मेरे भाई की है - रे खाांककत उपिाक्य का नाम सलखखए।
क) कक्रयाविशेषण उपिाक्य ख) प्रधान उपिाक्य
ग) सांज्ञा उपिाक्य घ) विशेषण उपिाक्य

15. आप उससे समलना िाहते है इससलए द्िार पर प्रतीक्षा करे – समश्र िाक्य में बदसलए।
क) यठद आप उससे समलना िाहते हैं तो द्िार पर प्रतीक्षा करे ।
ख) आप उससे समलने के सलए द्िार पर प्रतीक्षा करे ।
ग) आपको उससे समलना है तो द्िार पर प्रतीक्षा करनी पड़ेगी।
घ) आप उससे समल लेना परां तु द्िार पर प्रतीक्षा करनी पड़ेगी।

16. िह फल खरीदने के सलए बाजार गया - सांयुक्त िाक्य में बदसलए।


क) िह बाज़ार गया क्योंकक उसे फल खरीदने थे।
ख) िह बाज़ार जाकर फल खरीदता है।
ग) उसने बाज़ार जाकर फल खरीदा।
घ) उसे फल खरीदने थे इससलए िह बाज़ार गया।

17. ठीक से काम करो अथिा नौकरी छोड़ दो।


क) सांयुक्त िाक्य ख) कक्रयाविशेषण उपिाक्य
ग) सरल िाक्य घ) समश्र िाक्य

18. प्रधान न्द्यायाधीश ने कहा कक फैसला दस ठदन बाद सुनाया जाएगा– (रे खाांककत उपिाक्य
का नाम सलखखए।)
क) सांज्ञा उपिाक्य ख) प्रधान उपिाक्य
ग) कक्रयाविशेषण उपिाक्य घ) विशेषण उपिाक्य

19. रात हुई ककां तु िाांद नहीां तनकला।िाक्य का प्रकार बताइए


क) सांयुक्त िाक्य ख) सरल िाक्य
ग) समश्र िाक्य घ) प्रधान उपिाक्य

20. जैसे ही सूयोदय हुआ, तारे अदृश्य होने लगे ।

35
क) सरल िाक्य ख) सांयुक्त िाक्य
ग) प्रधान िाक्य घ) समश्र िाक्य

सही उत्तर 1) ग 2) ख) 3) घ 4)क 5)ख 6)क 7)ख 8 ग) 9)ख 10) ग 11) ख


12) ग 13) ग 14) घ 15) क 16) घ 17) क 18) ख 19) क 20) घ

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36
कायष पत्रक

नाम------------ कक्षा------------ प्रापिािंक-------------

रिना के आधार पर िाक्य भेद

नीिे ठदए गए प्रश्नों का सही उत्तर सलखखए -

1. च्जस िाक्य में मुख्य और गौण दो उपिाक्य होते है , उसे क्या कहते है?
क) सरल िाक्य ख) साधारण िाक्य
ग) सांयुक्त िाक्य घ) समश्र िाक्य

उत्तर ___________________________

2. िाक्य में दो या से अधधक सरल या समधश्रत िाक्य ककसी योजक द्िारा जुड़े हो, उसे क्या
कहते है ?
क) सरल िाक्य ख) समश्र िाक्य
ग) सांयुक्त िाक्य घ) साधारण िाक्य

उत्तर ____________________________

3. तनम्नसलखखत में सरल िाक्य सलखखए –


क) च्जसने तुम्हें मूखा बनाया है ,िह यही है।
ख) गली में शोर होने से सब लोग बाहर आ गए।
ग) मैदान में बचिे और युिक सभी खेल रहे है ।
घ) ज्यों ही पसु लस आई, िोर भाग गया।

उत्तर ____________________________

4. च्जसने धगलास तोड़ा है, खड़ा हो जाए – िाक्य भेद सलखखए।


क) सरल िाक्य ख) सांयुक्त िाक्य
ग) समश्र िाक्य घ) साधारण िाक्य

उत्तर ____________________________

37
5. प्रश्न हल हो गए और छािों ने काम बांद कर ठदया – समश्र िाक्य में बदसलए।
क) प्रश्न के हल होने पर छािों ने काम बांद कर ठदया।
ख) जब प्रश्न हल हो गए तब छािों ने काम बांद कर ठदया।
ग) प्रश्न का हल समलते ही छािों ने काम बांद कर ठदया।
घ) प्रश्न हल हो गए एिां छािों ने काम बांद कर ठदया।

उत्तर ____________________________

6. महात्मा गाांधी जी ने कहा कक सदा सत्य बोलो। (रे खाांककत उपिाक्य का भेद सलखखए)
क) सांज्ञा उपिाक्य ख) विशेषण उपिाक्य
ग) कक्रया विशेषण उपिाक्य घ) प्रधान उपिाक्य

उत्तर ____________________________

7. उन्द्होंने जैसे ही शहनाई बजानी शरू


ु की, सब उसकी ध्ितन में मग्न हो गए। (सांयक्
ु त िाक्य
में बदसलए)
क) उनके शहनाई बजाते ही सब उसकी ध्ितन में मग्न हो गए।
ख) सब उसकी ध्ितन में मग्न हो गए क्योंकक उन्द्होंने शहनाई बजाई।
ग) उन्द्होंने शहनाई बजानी शुरू की और सब उसकी ध्ितन में मग्न हो गए।
घ) उनके शहनाई बजाते ही सब मग्न हो गए।

उत्तर ____________________________

8. सफेद कमीज िाले छाि को यह कलम दे दो। (समश्र िाक्य में बदसलए)
क) च्जस छाि ने सफेद कमीज़ पहनी है , उसे यह कलम दे दो।
ख) यह कलम सफेद कमीज़ िाले छाि को दे दो।
ग) सफेद कमीज़ िाले छाि को कलम दे दो।
घ) एक छाि ने सफेद कमीज़ पहनी है और उसे कलम दे दो।

उत्तर ____________________________

38
9. कैलाश जानता है कक उसका भाई बेईमान है। (रे खाांककत उपिाक्य का नाम सलखखए)
क) विशेषण उपिाक्य ख) सांज्ञा उपिाक्य
ग) कक्रया विशेषण उपिाक्य घ) प्रधान उपिाक्य

उत्तर ____________________________

10. जीिन में कोई क्षेि ऐसा नहीां, जहाां विज्ञान ने िरण न धरे हो। (िाक्य भेद सलखखए)
क) समश्र िाक्य ख) सरल िाक्य
ग) सांयुक्त िाक्य घ) साधारण िाक्य

उत्तर ____________________________

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39
वाच्य

िाचय का अथा है - बोलने का विषय


कक्रया का विधान है िाचय ।
कक्रया के च्जस रूप से यह पता िले कक कक्रया का मख्
ु य विषय कताा, कमा या भाि है , उसे
िाचय कहते हैं ।

िाचय के तीन भेद हैं -

1) कति
ा ृ ाचय 2) कमािाचय 3) भाि िाचय

1)कति
ा ृ ाचय- जहाँ कक्रया का मुख्य विषय कताा हो िहाँ कति
ा ृ ाचय होता है।कक्रया सकमाक
और अकमाक दोनों हो सकती है ।

2) कमािाचय - कक्रया का मुख्य विषय कमा हो तो कमािाचय होता है । कक्रया कमा के


अनस
ु ार बदलेगी, कताा के अनस
ु ार नहीां । कक्रया सकमाक होगी|

3) भाििाचय -जहाँ कक्रया का मुख्य विषय भाि हो तो िहाँ भाििाचय होता है । कक्रया अकमाक
होगी|

➢ किव
ष त ाच्य से कमषवाच्य बनाने के ननयम-
i)पहले कति
ाृ ाचय की मुख्य कक्रया को सामान्द्य भूतकाल में पररिततात कीच्जए।
• जैस-े पढ -से पढा |
• खेल से खेला
• जा से गया आठद

ii) उस कक्रया के साथ “जाना” कक्रया का काल, पुरुष, ििन, सलांग के अनुसार जो रूप हो, उसे
जोडकर साधारण कक्रया को सांयुक्त कक्रया में बदसलए।
कताा के साथ “से” या “के द्िारा” जोड़डए ।
उदाहरण- मैंने पि सलखा (कति
ाृ ाचय) - मुझसे पि सलखा गया (कमािाचय)

40
किव
षत ाच्य से भाव वाच्य बनाने के ननयम-
i)कताा के साथ “से” अथिा “के द्िारा “लगाएँ
उदाहरण- बचिा है तो बचिे से
बचिे है तो बचिों से।
ii) मुख्य कक्रया को सामान्द्य भूतकाल में बदलना होगा। कक्रया एकििन पुच्ल्ट्लांग में ही रहे गी।
iii) अन्द्य परु
ु षिािक काल जो कति
ाृ ाचय की कक्रया का है होगा ।
उदाहरण- i)पढें गे- पढा जाएगा । ii)सोते हैं- -सोया जाता है ।
iv) वििशता, असमथाता, तनषेधाथा, अनुमतत, आज्ञा प्रातत करने के सलए भाििाचय प्रयोग होता है

उदाहरण- i) आज मुझसे खडा भी नहीां हुआ जाता ।
ii) अब थोड़ा विश्राम ककया जाए।

ननम्नमलखिि प्रश्नोंके उत्तर स ी ववकल्प चुनकर दीस्जए।

1) राकेश समठाई बना रहा था । कति


ाृ ाचय से कमािाचय बनाइए-

क) राकेश से समठाई बनाई जा रही थी ।


ख) राकेश से समठाई बनाया जा रहा है।
ग) राकेश से समठाई बनाई गई।
घ) राकेश से समठाई बनाई जाती है ।

2) गांगा आम खाती है । िाचय का प्रकार बताइए|


क)कमािाचय ख) कति
ा ृ ाचय
ग)भाििाचय घ)उपयक्
ुा तसभी

3) तनम्नसलखखत में से कमािाचय छाँठटए-


क) माताजी ने पि सलखा ख) गीता से बैठा नहीां जाता |
ग) सूसन से कविता सलखी गयी । घ) मैं काम करूँगा|

4) तनम्नाांककत में भाििाचय है -

41
क) राधा सोएगी | ख) उससे काम नहीां ककया जाता |
ग) मुझसे बैठा जाता है । घ) इनमें से कोई नहीां ।

5) कति
ा ृ ाचय छाँठटए-
क) वपताजी से गाडी िलायी गयी । ख) मामाजी ने समठाई बनायी
ग) मामाजी से समठाई बनिायी जाएगी। घ) माता जी से िला नहीां जाता ।

6)सीता खाना पकाएगी। िाचय पररितान कीच्जए


क) सीता से खाना पकाया जाएगा ख) सीता से खाना पकाया जाता है ।
ग) सीता से खाना पकायी जाएगी घ) सीता से खाना पकायी जाती है।

7) बचिा तैरेगा | िाचय पररितान कीच्जए-


क) बचिे से तैरा जाएगा ख) बचिा से तैरा जाएगा
ग) बचिों से तैरा जाएगा घ) बचिे से तैरा जाता है ।

8) आओ, घूमने िले -भाििाचय में बदसलए


क) आओ, घम
ू ने िला जाए ख) आओ , घम
ू ने िले
ग) आओ, घूमने िलेगे घ)आओ, घूमने िलते हैं।

9) राकेश ने बाजा बजाया । कमािाचय बनाइए-


क) राकेश से बाजा बजेगा ख) राकेश से बाजा बजाया गया
ग) राकेश से बाजा बजाया जाता है घ) राकेश से बाजा बजाया जाएगा

10) लड़ककयों ने गाया । भाििाचय में बदसलए


क) लड़ककयों से गाया जाता है ख) लड़ककयों से गाया जाएगा
ग) लड़ककयों से गाया गया घ)लड़ककयों से गाया जा रहा हैं।

11) ठहरण घास िर रहे थे। िाचय पररितान कीच्जए


क) ठहरणों से घास िरी जा रही हैं ख)ठहरणों से घास िरी जा रही थी|
ग) ठहरणों से घास िरी जा रहे हैं घ) ठहरणों से घास िरा जा रहा था।

12) सशकाररयों से सशकार ककया जा रहा था । कति


ा ृ ाचय में बदसलए

42
क) सशकारी सशकार कर रहे थे । ख) सशकाररयों ने सशकार ककया
ग) सशकारी सशकार करें गे घ) सशकारी सशकार करते हैं

13) छािाओां ने दे श्भच्क्त गीत प्रस्तत


ु ककया। िाचय का प्रकार बताइए
क) कमािाचय ख) कति
ा ृ ाचय
ग) भाििाचय घ) उपयक्
ुा तसभी

14) ककस िाचय में कक्रया पच्ु ल्ट्लांग एकििन में रहती है ?
क) कति
ाृ ाचय ख) कमािाचय
ग) भाििाचय घ) इनमें से कोई नहीां

15) कति
ा ृ ाचय िाले िाक्य छाँठटए-
क) मुझसे कहानी सलखिाई गयी।
ख) महात्मा गाँधी ने विश्ि को शाच्न्द्त और अठहांसा का सांदेश ठदया ।
ग) हमसे इतने सुख सहे नहीां जाते।
घ) मीरा द्िारा कल पि सलखा गया ।

16) भाििाचय िाले िाक्य छाँठटए-


क) मुझसे कहानी सलखिाई गयी।
ख) महात्मा गाँधी ने विश्ि को शाच्न्द्त और अठहांसा का सांदेश ठदया ।
ग) हमसे इतने सुख सहे नहीां जाते।
घ) मीरा से सोया गया ।

17) बाढ पीड़ड़तों की सहायता की गई – िाचय का पररिततात रूप हैं -


क)बाढ पीड़ड़तों की सहायता करे गी।
ख)बाढ पीड़ड़तों की सहायता की।
ग) बाढ पीड़ड़तों की सहायता कर रहीहै।
घ))इनमें से कोई नहीां

18) रामिररतमानस तुलसीदास द्िारा सलखा गया ग्रांथ है - िाचय का नाम है -


क)कमािाचय ख) कति
ा ृ ाचय
ग)भाििाचय घ)उपयक्
ुा त सभी

43
19) पक्षीआकाश में उड़तेहैं। िाचय का पररिततात रूप है -
क)पक्षक्षयों से आकाश में उडे जाते हैं।
ख)पक्षी से आकाश में उड़ा जाता है।
ग)पक्षी सेआकाश में उड़ा गया।
घ) पक्षक्षयों से आकाश में उड़ा जाता है।

20) राजा द्िारा प्रजा की रक्षा की जाएगी। िाचय का पररिततात रूप है -


क) राजा प्रजा की रक्षा करता है।
ख) राजा प्रजा की रक्षा कर रहा है।
ग) राजा ने प्रजा की रक्षा की।
घ) राजा प्रजा की रक्षा करे गा।

21) अब पढा जाए। िाचय का नाम है।


क) कमािाचय ख)कति
ा ृ ाचय
ग)भाििाचय घ) इनमें से कोई नहीां

22) आजादी छीनी जाती है – िाचय का नाम है।


क) भाििाचय ख) कमािाचय
ग) कति
ाृ ाचय। घ) इनमें से कोई नहीां

23) ककस िाचय में कक्रया अकमाक नहीां होती है ?


क) कताृ िाचय में ख) कमा िाचय में
ग) भाि िाचय में घ) कता ृ िाचय और कमा िाचय में

24)तनम्नाांककत में से कौन- सा िाक्य कति


ा ृ ाचय का नहीां है
क) मालती ने पानी वपया ख) रीना ने धिि खरीदा
ग) विहान पि सलखेगा घ) िारु से काम करिाया जा रहा है।

44
25) तनम्नाांककत में से कौन सा िाक्य कमा िाचय का नहीां है
क)माला से पान खाया गया। ख) विहान पि सलखा जाएगा ।
ग)िारु से काम करिाया जा रहा है। घ) िाँदनी से गमा पानी में नहाया जाता है ।

उत्तर
1) क) राकेश से समठाई बनाई जा रही थी ।
2) ख) कति
ाृ ाचय
3) ग) सूसन से कविता सलखी गयी ।
4) ग) मुझसे बैठा जाता है ।
5) ख) मामाजी ने समठाई बनायी
6) क) सीता से खाना पकाया जाएगा
7) क) बचिे से तैरा जाएगा
8) क) आओ, घूमने िला जाए |
9) ख) राकेश से बाजा बजाया गया
10) ग) लड़ककयों से गाया गया |
11) ख) ठहरणों से घास िरी जा रही थी |
12) क) सशकारी सशकार कर रहे थे ।
13) ख) कति
ाृ ाचय
14) ग) भाि िाचय
15) ख) महात्मा गाँधी ने विश्ि को शाच्न्द्तः और अठहांसा का सांदेश ठदया ।
16) घ) मीरा से सोया गया ।
17) ख) बाढ पीड़ड़तों की सहायता की।
18) क)कमा िाचय
19) घ) पक्षक्षयों से आकाश में उड़ा जाता है।
20) घ) राजा प्रजा की रक्षा करे गा।
21) ग) भाि िाचय
22) ख) कमा िाचय
23) ग) भाि िाचय में
24) घ) िारु से काम करिाया जा रहा है।
25) घ) िाँदनी से गमा पानी में नहाया जाता है ।

45
कायष पत्रक

नाम------------ कक्षा------------ प्रातताांक-------------


तनदे शानुसार उत्तर दीच्जए-

1) तनम्नाांककत िाक्यों में से कमा िाचय छाँठटए-


क) माताजी ने पानी वपलाया। ख) हमने तनबन्द्ध नहीां सलखा ।
ग) हमसे काम करिाया गया घ) रिना हँस रही है।

उत्तर- -----------

2) कति
ा ृ ाचय का उदाहरण ----
क) प्रधानािाया जी से पुरस्कार बाँटे गए । ख) माताजी से बैठा नहीां जाता ।
ग) हम सबने खाना खाया । घ) वपताजी से रहा न गया ।

उत्तर------------------

3)क्राांततकाररयों ने भगतससांह के बसलदान का बदला जनरल डायर को मार कर सलया।


इसमें कौन सा िाचय है ?
क) कमा िाचय, ख) भाि िाचय
ग) कति
ाृ ाचय घ) इनमें से कोई नहीां

उत्तर---------------

4) उमेश हँसता है।(भाि िाचय िाक्य बनाइए- )


क) उमेश से हँसा जाता है। ख) उमेश से हँसा गया
ग) उमेश से हँसा नहीां गया घ)उमेश से हँसा जा रहा है ।

उत्तर-------------------

5) ककस िाचय में कक्रया केिल अकमाक होती है --


क)कमा िाचय में ख) भाि िाचय मे
ग) कति
ाृ ाचय में घ)कति
ा ृ ाचय में और कमा िाचय में।

46
उत्तर---------------

6)लड़ककयों द्िारा रात भर पढा गया। (कति


ाृ ाचय बनाइए)
क) लडकी ने रात भर पढाई की। ख) लड़ककयों द्िारा रात भर पढा ।
ग) लड़ककयों द्िारा रात भर की जाती है। घ)लड़ककयों ने रात भर पढा ।

उत्तर----------

7)भाििाचय िाले िाक्य छाँठटए-


क) लता ने गीत गाया ख) लता से गीत गाया गया
ग) नीरज से खेला गया । घ) नीरा से खाना खाया गया ।

उत्तर--------------

8) नानी कहानी सुनाएगी- कमा िाचय में बदसलए-


क) नानी से कहानी सन
ु ी जाती है । ख) नानी से कहानी नहीां सन
ु ी जाती ।
ग) नानी से कहानी सुनायी जाएगी । घ) नानी से कहानी सुनायी जा रही है ।

उत्तर------------------

9) िह खुशी से धिल्ट्लाया--- भाििाचय छाँठटए


क) उससे खुशी से धिल्ट्लाया गया ख)उससे खुशी से धिल्ट्लाया नहीां गया ।
ग) उसने खश
ु ी से धिल्ट्लाया घ) उससे खश
ु ी से धिल्ट्लायी गयी ।

उत्तर----------------

10) यहाँ तो खड़ा भी नहीां हुआअ जाता । (िाचय का नाम बताइए)


क) कमा िाचय ख) भाि िाचय
ग) कति
ाृ ाचय घ) इनमें से कोई नहीां ।

उत्तर---------------

47
पद पररचय

शब्द एविं पद

एक या एक से अधधक िणों से बनी स्ितांि, साथाक इकाई को शब्द कहते हैं |


शब्द जब व्याकरणानस
ु ार िाक्य के सलांग, ििन, कारक आठद के तनयमों से अनश
ु ाससत हो जाता
है तो यह पद बन जाता है | िाक्य में प्रयक्
ु त शब्दों को पद कहलाते हैं |
िाक्यों में पदों का पररिय दे ना अथाात उनकी च्स्थतत बताना,उनका सलांग, ििन, कारक भेद तथा
अन्द्य पदों से सांबांध बताना पद-पररिय कहलाता है |
दस
ू रे शब्दों में िाक्य के अांतगात ककसी शब्द की सभी भूसमकाओां का पररिय दे ना पद -पररिय
कहलाता है |

पद -पररचय के आवश्यक प लू

सिंज्ञा – सांज्ञा का पद-पररिय दे ते समय तनम्नसलखखत बातें अपेक्षक्षत है : भेद – व्यच्क्त


िािक, जातत िािक,भाि िािक, सलांग – पुच्ल्ट्लांग,स्िीसलांग , ििन- एक ििन, बहु ििन, कारक-
कताा,कमा,करण,सांप्रदान,अपादान,सांबांध,अधधकरण, सम्बोधन, कक्रया के साथ सांबांध
उदाहरण- गांगा ठहमालय से तनकलती है |
गांगा – व्यच्क्त िािक सांज्ञा , एकििन ,स्िीसलांग , कताा कारक
ठहमालय से - व्यच्क्त िािक सांज्ञा , एकििन, पुच्ल्ट्लांग, अपादान कारक

सवषनाम – सिानाम का पद-पररिय दे ते समय तनम्नसलखखत बातें अपेक्षक्षत है : भेद – पुरुष


िािक,तनश्िय िािक, अतनश्िय िािक, सांबांध िािक, प्रश्न िािक, तनज िािक, सलांग- पच्ु ल्ट्लांग,
स्िीसलांग, ििन- एक ििन, बहु ििन, कारक, कक्रया के साथ सांबांध
उदाहरण : मैं दसिीां कक्षा में पढता हूँ |
मैं : पुरुष िािक सिानाम ,उत्तम पुरुष , एक ििन, पुच्ल्ट्लांग , कताा

ववशेर्र् – विशेषण का पद-पररिय दे ते समय तनम्नसलखखत बातें अपेक्षक्षत है : भेद – गुण


िािक, सांख्या िािक , पररमाण िािक, सािानासमक , सलांग- पुच्ल्ट्लांग, स्िीसलांग, ििन- एक ििन,
बहु ििन, विशेष्य का तनदे श
उदाहरण: मैं दसिीां कक्षा में पढता हूँ |
दसिीां – सांख्या िािक विशेषण , क्रम सूिक, स्िीसलांग , एकििन, कक्षा विशेष्य

48
किया –कक्रया का भेद, अकमाक, सकमाक, सलांग, ििन,पुरुष,काल, िाचय, कताा और कमा का सांकेत|
उदाहरण : मैं रोज धीरे - धीरे िलता हूँ |
िलता हूँ – अकमाक कक्रया, पुच्ल्ट्लांग , एक ििन , ितामान काल, कता ृ िाचय

किया ववशेर्र् -भेद – रीतत िािक ,काल िािक,स्थान िािक,पररमाण िािक,च्जस कक्रया की
विशेषता बताई जा रही है उसका तनदे श |
उदाहरण : मैं रोज धीरे - धीरे िलता हूँ |
रीतत िािक कक्रया विशेषण, िलता हूँ कक्रया का विशेषण
समुचिय बोधक – भेद ,ककन पदों या िाक्यों को समला रहा है , तनदे श
उदाहरण : गाांधीजी ने कहा कक सदा सत्य बोलो |
कक – व्याधध करण समुचिय बोधक
सांबांध बोधक – भेद च्जससे सांबांध दशाा रहा है उसका तनदे श
उदाहरण : विद्यालय के पीछे बाग है |
के पीछे - सांबांध बोधक अव्यय
विस्मयाठद बोधक – ककस भाि ( विस्मय, हषा, शोक , घण
ृ ा ,भय, क्रोध आठद ) को प्रकट कर
रहा है |
उदाहरण – िाह ! भारत मैि जीत गए | विस्मयाठद बोधक , हषा सूिक

ननम्नमलखिि वाक्यों में रे िािंककि पदों का पररचय हदए गए ववकल्पों में से स ी ववकल्प
चुनकर मलखिए |

1 आज हमारी परीक्षा होनी है – में ‘आज’ का पद पररिय है


(क) काल िािक कक्रया विशेषण, होनी है कक्रया की विशेषता
(ख) स्थान िािक कक्रया विशेषण, होनी है कक्रया की विशेषता
(ग) पररमाण िािक कक्रया विशेषण, होनी है कक्रया की विशेषता
(घ) उपयक्
ुा त में कोई नहीां

2 मैं लाल रां ग की कमीज़ पहनता हूँ | ‘मैं’ का पद पररिय है


(क) तनज िािक सिानाम, बहुििन, पुच्ल्ट्लांग/स्िीसलांग, कताा कारक
(ख) तनश्िय िािक सिानाम, बहुििन, पुच्ल्ट्लांग/स्िीसलांग, कमा कारक
(ग) उत्तम परू
ु षिािक सिानाम, एकििन, पच्ु ल्ट्लांग, कताा कारक
(घ) उपयक्
ुा त में कोई नहीां

49
3 मैं धीरे - धीरे गाता हूँ | इस िाक्य में रे खाांककत पद है –
(क) कक्रया विशेषण, रीतत िािक, मैं विशेष्य |
(ख) कक्रया विशेषण, रीतत िािक, गाता हूँ विशेष्य |
(ग) कक्रया विशेषण, पररमाण िािक, गाता हूँ विशेष्य |
(घ) कक्रया विशेषण, पररमाण िािक, मैं विशेष्य |

4 राधा मांठदर में रहती है | इस िाक्य में रे खाांककत पद है –


(क) व्यच्क्तिािक सांज्ञा, एकििन, स्िीसलांग, कताा कारक |
(ख) व्यच्क्तिािक सांज्ञा, बहुििन, स्िीसलांग, कताा कारक |
(ग) व्यच्क्तिािक सांज्ञा, एकििन, पुच्ल्ट्लांग, कताा कारक |
(घ) व्यच्क्तिािक सांज्ञा, एकििन, स्िीसलांग, कमा कारक |

5 िाह! ककतना सुांदर उपिन है | इस िाक्य में रे खाांककत पद है –


(क) अव्यय, विस्मयाठदबोधक, दख
ु बोधक
(ख) अव्यय, विस्मयाठदबोधक, व्यांग्य बोधक
(ग) अव्यय, विस्मयाठदबोधक, हषा बोधक
(घ) अव्यय, विस्मयाठदबोधक, प्रश्न बोधक

6 ककतने सुगांधधत फूल है! इस िाक्य में रे खाांककत पद है –


(क) विशेषण, गुणिािक, एकििन, पुच्ल्ट्लांग, फूल विशेष्य
(ख) विशेषण, गुणिािक, बहुििन, पुच्ल्ट्लांग, फूल विशेष्य
(ग) विशेषण, गुणिािक, एकििन, स्िीसलांग, फूल विशेष्य
(घ) विशेषण, गण
ु िािक, बहुििन, स्िीसलांग, फूल विशेष्य

7 प्रधानािाया ने आपको बुलाया है | इस िाक्य में रे खाांककत पद है –


(क) मध्यम पुरुष िािक सिानाम, स्िीसलांग, बहुििन, कताा कारक
(ख) तनज िािक सिानाम, पुच्ल्ट्लांग, एकििन, कताा कारक
(ग) मध्यम पुरुष िािक सिानाम, स्िीसलांग/पुच्ल्ट्लांग, एकििन, कमा कारक
(घ) उत्तम पुरुष िािक सिानाम, स्िीसलांग/पुच्ल्ट्लांग, एकििन, कमा कारक

8 मैं उससे आगरा में समलँ ग


ू ा ‘में िाक्य में रे खाांककत का पद पररिय होगा-
(क) व्यच्क्तिािक सांज्ञा, पच्ु ल्ट्लांग, एकििन, अधधकरण कारक
(ख) जाततिािक सांज्ञा, पुच्ल्ट्लांग, एकििन, अधधकरण कारक

50
(ग) व्यच्क्तिािक सांज्ञा, पुच्ल्ट्लांग, एकििन, कमा कारक
(घ) जाततिािक सांज्ञा, पुच्ल्ट्लांग, एकििन, करण कारक

9 राम ने रािण को िाण से मारा |” रे खाांककत पद का पररिय है ?


(क) जाततिािक सांज्ञा, पुच्ल्ट्लांग, एकििन, कमा कारक
(ख) व्यच्क्तिािक सांज्ञा, पुच्ल्ट्लांग, एकििन, कताा कारक |
(ग) जाततिािक सांज्ञा, पच्ु ल्ट्लांग, एकििन, करण कारक
(घ) व्यच्क्तिािक सांज्ञा, पुच्ल्ट्लांग, एकििन, कमा कारक

10 पेड़ पर कुछ बांदर बैठे थे।


(क) विशेषण, अतनच्श्ित पररमाण िािक विशेषण, पुच्ल्ट्लांग, बहुििन, विशेष्य- बांदर
(ख) विशेषण, अतनच्श्ित सांख्यािािक विशेषण, पुच्ल्ट्लांग, बहुििन, विशेष्य- बांदर
(ग) विशेषण, तनच्श्ित सांख्यािािक विशेषण, पुच्ल्ट्लांग, एकििन, विशेष्य- बांदर
(घ) विशेषण, तनच्श्ित पररमाण िािक विशेषण, पच्ु ल्ट्लांग, बहुििन, विशेष्य- बांदर

11 हम कफल्ट्म दे खने गए|


(क) सिानाम, उत्तम परु
ु ष, पच्ु ल्ट्लांग, बहुििन, कताा कारक
(ख) सिानाम, मध्यम पुरुष, पुच्ल्ट्लांग, बहुििन, कताा कारक
(ग) सिानाम, अन्द्य पुरुष, पुच्ल्ट्लांग, एकििन, कताा कारक
(घ) सिानाम, उत्तम पुरुष, स्िीसलांग, बहुििन, कताा कारक

12 माँ बाहर िली गई |


(क)कक्रया विशेषण, रीतत िािक कक्रया विशेषण, िली गयी कक्रया की विशेषता
(ख)कक्रया विशेषण, स्थान िािक कक्रया विशेषण, िली गयी कक्रया की विशेषता
(ग)कक्रया विशेषण, काल िािक कक्रया विशेषण, िली गयी कक्रया की विशेषता
(घ)कक्रया विशेषण, पररमाण िािक कक्रया विशेषण, िली गयी कक्रया की विशेषता

13 बुरे लोगों से दरू रहो |


(क) विशेषण, सांख्यािािक, पुच्ल्ट्लांग, बहुििन, ‘लोगों’ विशेष्य
(ख) विशेषण, गुण िािक, पुच्ल्ट्लांग, बहुििन, ‘लोगों’ विशेष्य
(ग) विशेषण, पररमाण िािक, पच्ु ल्ट्लांग, बहुििन, ‘लोगों’ विशेष्य
(घ) विशेषण, सािाकासलक , पुच्ल्ट्लांग, बहुििन, ‘लोगों’ विशेष्य

51
14 िह बहुत जोर से हँसता है |
(क) अव्यय, कक्रया विशेषण, रीतत िािक, ‘हँसता है’ कक्रया की विशेषता
(ख) अव्यय, कक्रया विशेषण, स्थान िािक, ‘हँसता है ’ कक्रया की विशेषता
(ग) अव्यय, कक्रया विशेषण, काल िािक, ‘हँसता है ’ कक्रया की विशेषता
(घ) अव्यय, कक्रया विशेषण, पररमाण िािक, ‘हँसता है ’ कक्रया की विशेषता

15 यह पस्
ु तक राम की है |
(क) विशेषण, सांख्यािािक, ‘पुच्ल्ट्लांग, बहुििन, ‘पुस्तक’ विशेष्य
(ख) विशेषण,सािाकासलक , ‘स्िीसलांग , एकििन, ‘पुस्तक ’ विशेष्य
(ग) विशेषण, सांख्यािािक, ‘पुच्ल्ट्लांग, एकििन, ‘पुस्तक’ विशेष्य
(घ) विशेषण, सांख्यािािक, ‘पुच्ल्ट्लांग, बहुििन, ‘पुस्तक’ विशेष्य

16 मजदरू ों ने हड़ताल कर दी |
(क) सांज्ञा भाििािक स्िीसलांग, बहुििन, कताा कारक
(ख) सांज्ञा व्यच्क्तिािक पच्ु ल्ट्लांग, बहुििन, कताा कारक
(ग) सांज्ञा व्यच्क्तिािक पुच्ल्ट्लांग, बहुििन, कताा कारक
(घ) सांज्ञा जाततिािक पुच्ल्ट्लांग, बहुििन, कताा कारक

17 सौम्या पि सलखती हैं |


(क) सांज्ञा जाततिािक पुच्ल्ट्लांग एकििन, कताा कारक
(ख) सांज्ञा जातत िािक पच्ु ल्ट्लांग एकििन, कताा कारक
(ग) सांज्ञा व्यच्क्त िािक स्िीसलांग एकििन, कताा कारक
(घ) सांज्ञा भाििािक, पच्ु ल्ट्लांग, एकििन, कताा कारक

18 पक्षी आकाश में उड़ रहे हैं |


(क) कक्रया, बहुििन, पुच्ल्ट्लांग, ितामान काल, कता ृ िाचय
(ख) कक्रया, एकििन, स्िीसलांग, भूतकाल, कमािाचय
(ग) कक्रया, बहुििन, पुच्ल्ट्लांग, भविष्यत काल, कता ृ िाचय
(घ) कक्रया, बहुििन, स्िीसलांग, ितामान काल, कता ृ िाचय

19 आज तुमने थोड़ा सा ही दध
ू क्यों वपया?
(क) तनच्श्ित पररमाण िािक विशेषण, एकििन, पुच्ल्ट्लांग दध
ू विशेष्य

52
(ख)अतनच्श्ित पररमाण िािक विशेषण, एकििन, पुच्ल्ट्लांग दध
ू विशेष्य
(ग) अतनच्श्ित सांख्या िािक विशेषण, एकििन, पुच्ल्ट्लांग दध
ू विशेष्य
(घ) अतनच्श्ित पररमाण िािक विशेषण, एकििन, स्िीसलांग दध
ू विशेष्य

20 छाि पि सलख रहा है |


(क) जाततिािक सांज्ञा, पुच्ल्ट्लांग, एकििन, कताा कारक
(ख) जाततिािक सांज्ञा, पच्ु ल्ट्लांग, एकििन, कमा कारक
(ग) व्यच्क्त िािक सांज्ञा, पुच्ल्ट्लांग, एकििन, कताा कारक
(घ) जाततिािक सांज्ञा, पुच्ल्ट्लांग, बहुििन, कताा कारक

उत्तर 1) क 2) ग 3) ख 4) क 5) ग 6) ख 7) ग 8) क 9) घ 10) ख

11) क 12) ख 13) ख 14) क 15) ख 16) घ17) ग 18) क 19) ख 20) क

**************************************************

53
कायषपत्रक

नाम------------ कक्षा------------ प्रापिािंक-------------

1 अमीर पि सलखता है |

क) जाततिािक सांज्ञा, पच्ु ल्ट्लांग, बहुििन, कताा कारक


ख)व्यच्क्तिािक सांज्ञा ,पच्ु ल्ट्लांग,एकििन कताा कारक
ग) सांज्ञा भाििािक, पच्ु ल्ट्लांग, एकििन, कताा कारक
घ) )जाततिािक सांज्ञा, पच्ु ल्ट्लांग, एकििन, कताा कारक

उत्तर -----------------------------

2 गीततका दसिीां कक्षा में पढती है |

–क)जाततिािक , स्िीसलांग, एक ििन , अधधकरण कारक


ख) विशेषण, सांख्यािािक, ‘पुच्ल्ट्लांग, बहुििन, कतााकारक
ग) ) सांज्ञा व्यच्क्तिािक पच्ु ल्ट्लांग, बहुििन, कताा कारक
घ) सांज्ञा जाततिािक पच्ु ल्ट्लांग, बहुििन, कताा कारक

उत्तर -----------------------------

3 हम मैदान में गए परां तु िहाँ कोई नहीां समला |

क) विशेषण,सािाकासलक , ‘स्िीसलांग , एकििन,


(ख) विशेषण, सांख्यािािक, ‘पच्ु ल्ट्लांग, एकििन,
(ग) विशेषण, सांख्यािािक, ‘पुच्ल्ट्लांग, बहुििन, ‘
घ)–व्यधधकरण समुचिय बोधक

उत्तर -----------------------------

4 िे लड़ककयाँ बाजार से पस्


ु तकें लाई |

–क) सािानासमक विशेषण,बहुििन, स्िीसलांग, विशेष्य लड़ककयाँ


ख) सािानासमक विशेषण,बहुििन, पुच्ल्ट्लांग , विशेष्य लड़ककयाँ
ग) सािानासमक विशेषण,एक ििन, स्िीसलांग, विशेष्य लड़ककयाँ
घ) सािाकासलक विशेषण,बहुििन, स्िीसलांग, विशेष्य लड़ककयाँ

54
उत्तर -----------------------------

5 आकाश यहाँ रहता है |

क)कालिािक कक्रया विशेषण ,पुच्ल्ट्लांग एकििन


ख)पररमाण िािक विशेषण ,पुच्ल्ट्लांग बहुििन
–ग)स्थानिािक कक्रयाविशेषण, रहता है कक्रया का विशेषण
घ)विशेषण पुच्ल्ट्लांग बहुििन

उत्तर -----------------------------

6 िह क्या पढ रहा है ?

क)–अन्द्यपरु
ु ष सिानाम,पुच्ल्ट्लांग ,एकििन, कताा कारक
ख)उत्तम परु
ु ष ,पुच्ल्ट्लांग ,एकििन, कताा कारक
ग)मध्यमपुरुष स्िीसलांग एकििन, कताा कारक
घ) सािानासमक विशेषण पुच्ल्ट्लांग ,एकििन, कताा कारक

उत्तर -----------------------------

7 मैं कल बीमार थी इससलए स्कूल नहीां गई |

क) अव्यय समानाधधकरण एकििन


ख) अव्यय ,व्यधधकरण समच
ु िय बोधक
ग)विशेषण ,सािानासमक स्िीसलांग ,एकििन
घ)अव्यय ,कक्रया विशेषण स्िीसलांग ,एकििन

उत्तर -----------------------------

8 मैंने उसे एक कविता सुनाई |

क) अकमाक कक्रया बहुििन , स्िीसलांग


ख)सकमाक कक्रया ,एक ििन, स्िीसलांग । भूतकाल
ग) कक्रया विशेषण ,बहुििन स्िीसलांग
घ) सांज्ञा ,बहुििन , स्िीसलांग ,भूतकाल

उत्तर -----------------------------

9 िषाा ऋतु में जनजीिन अस्त व्यस्त हो जाता है |

55
क)भाि िािक सांज्ञा ,पुच्ल्ट्लांग ,एकििन अधधकरण करक
–ख) व्यच्क्तिािक सांज्ञा, स्िीसलांग, एक ििन ,अधधकरण कारक
ग) जातत िािक सांज्ञा, स्िीसलांग, एक ििन ,अधधकरण कारक
घ)विशेषण ,पच्ु ल्ट्लांग बहुििन करता करक

उत्तर -----------------------------

10 जल्ट्दी िलो गाड़ी छूट जाएगी |

क)विशेषण ,बहुििन पच्ु ल्ट्लांग कतााकरक


ख) भाििािक ,बहुििन पच्ु ल्ट्लांग ,कमाकारक
ग)जाततिािकसांज्ञा स्िीसलांग, एक ििन, कताा कारक
घ) कक्रया विशेषण ,पच्ु ल्ट्लांग एकििन ,अधधकरण करक

उत्तर -----------------------------

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56
अलिंकार

अलिंकार - शास्ब्दक अर्ष “आभूर्र्”

अलांकार का अथा – अलांकृत करना, सजाना । अतः िह िस्तु जो सुांदर बनाए या सुांदर बनाने
का साधन हों । यह सुांदर िणों से बनते हैं और यह काव्य की शोभा और सौंदया बढाते हैं ।
काव्य का तनमााण शब्द और अथा द्िारा होता है । अतः दोनों शब्द और अथा के सौंदया की
िद्
ृ धध होनी िाठहए । इस दृच्ष्ट से अलांकार के दो भेद होते हैं :-

(1) शब्दालिंकार (2) अर्ाषलिंकार

(I)शब्दालांकार: जहाँ काव्य में शब्दों के विसशष्ट प्रयोग से कविता में सौंदया और िमत्कार
उत्पन्द्न होता हैं, िहाँ शब्दालांकार होता है । ठहन्द्दी के प्रमुख शब्दालांकार है – अनुप्रास, यमक,
और श्लेष ।

श्लेर् अलिंकार

श्लेष का अथा है ‘धिपका हुआ’ या ‘समला हुआ’ । जब काव्य में ककसी शब्द का प्रयोग
एक ही बार ककया जाता है लेककन उससे अथा कई तनकलते हैं तो तब िहाँ श्लेष अलांकार
होता है ।

जैसे

(1) दे रहा हो कोककल सानांद


सुमन को ज्यो मधुमय सांदेश ।

यहाँ ‘सुमन’ तथा ‘मधुमय’ दोनों पर ‘श्लेष’ अलांकार है –


‘सुमन’ शब्द के दो अथा है – सुांदर मन तथा पुष्प
‘मधुमय’ का अथा है – मधुर तथा िसांत ऋतु

(II)मधु िन की छाती को दे खो, सख


ू ी ककतनी इसकी कसलयाँ ।
यहाँ ‘कसलयाँ शब्द पर श्लेष अलांकार है । इसके दो अथा हैं –
(i)कसल (फूल बनने से पहले की च्स्थतत)
(ii)यौिन आने से पहले की दशा ।

57
(III)‘मगन को दे खख पट दे त बार-बार है ।’
यहाँ श्लेष अलांकार है , क्योंकक ‘पट’ शब्द के दो अथा है –
पट - (1) िस्ि
(2) दरिाज़ा

पांच्क्त का पहला अथा है – माँगनेिालों (सभखाररयों) को दे खकर बार-बार ‘पट’ दरिाज़ा बांद कर
लेती है तथा दस
ू रा अथा है – सभखमांगों को दे खकर उन्द्हें बार-बार ‘िस्ि’ दान में दे ती है ।

(IV)‘सुबरन’ को ढूांढत कफरत, कवि, व्यसभिारी, िोर’

पांच्क्त का अथा है कक कवि, व्यसभिारी तथा िोर तीनों ही ‘सुबरन’ अथाात ् सुिणा को ढूँढते
कफरते हैं ।

यहाँ ‘सुबरन’ शब्द में श्लेष अलांकार है और इसके तीन अथा इस प्रकार हैं –
(i)कवि के सांदभा में – सुबरन – सुांदर िणा या अक्षर
(ii) व्यसभिारी के सांदभा में – सुबरन – रां गिाली सुन्द्दररयाँ
(iii)िोर के सांदभा में – सुबरन – सि
ु णा या सोना

(2) अर्ाषलिंकार

उत्प्प्रेक्षा अलिंकार

यहाँ उपमेय में उपमान की सांभािना की जाती है । उत्प्रेक्षा अलांकार के िािक शब्द है –
मानो, जानो, जनु मनु । जैसे –

सोहत औढे पीत पट श्याम सलोने गात ।


मानो नीलमखण सैल पर आतप परयो प्रभात ।

यहाँ श्रीकृष्ण के श्यामल शरीर पर पीताम्बर ऐसा लग रहा है मानो नीलम पिात पर प्रभात
काल की धूप शोभा पा रही हो ।

अनिशयोस्क्ि अलिंकार

58
जब ककसी की अत्यांत प्रशांसा करते हुए बढा-िढाकर बात की जाए तो अततशयोच्क्त अलांकार
होता है ।
जैसे : हनुमान की पँछ
ू में , लगन न पाई आग ।
लांका सगरी जरर गई, गए तनशािर भाग ।
इस काव्याांश में हनुमान की पँछ
ू में आग लगाने के पहले ही सारी लांका का जलना
और राक्षसों का भाग जाने का बढा-िढाकर िणान ककया गया है अतः अततशयोच्क्त अलांकार
है ।

मानवीकरर् अलिंकार

जब प्राकृततक िस्तुओां जैसे पेड़, पौधे, बादल आठद में मानिीय भािनाओां का िणान हो यानी
तनजीि िीज़ों में सजीि होना दशााया जाए तब िहाँ मानिीकरण अलांकार होता है । जैसे
(i) फूल हँसे कसलयाँ मुसकाई
ठदए गए उदाहरण में फूल हँस रहे हैं एिां कसलयाँ मुस्करा रही है । हम जानते हैं कक
हँसने और मस्
ु कराने की कक्रयाएँ केिल मनष्ु य ही कर सकते हैं, प्राकृततक िीज़ें नहीां । यह
सि में सांभि नहीां है और हम यह भी जानते हैं कक सजीि भािनाओां का िणान िीज़ों में
ककया जाता है तब मानिीकरण अलांकार होता है ।
(ii) मेध आए बड़े बन-ठन के सांिर के ।
(iii) उषा सुनहरे तीर बरसाती, जल लक्ष्मी-सी उठदत हुई ।

**************************************************

59
कायापिक

नाम------------ कक्षा------------ प्रातताांक-------------

तनम्नसलखखत काव्याांशों में प्रयुक्त अलांकार का नाम सलखखए :-

1)जो रहीम गतत दीप की, कुल कपत


ू गतत सोय ।
बारे उच्जयारो करै बढे अांधेरो होय ।
क) यमक
ख) मानिीकरण
ग) श्लेष
घ) उत्प्रेक्षा

उत्तर ---------------------

2)रठहमन पानी राखखए बबन पानी सब सन



क) श्लेष
ख)मानिीकरण
ग)यमक
घ)उत्प्रेक्षा

उत्तर ---------------------

3)समटा मोद ु मन भए मलीने


विधध तनधध दीन्द्ह लेत जनु छीन्द्हें
क) श्लेष
ख)मानिीकरण
ग)यमक
घ)उत्प्रेक्षा

60
उत्तर ---------------------

4)आए महांत बसांत


क) मानिीकरण
ख) श्लेष
ग) उत्प्रक्षा
घ) यमक

उत्तर ---------------------

5)लो यह लततका भी भर लाई


मधु मकुल निल रस गागरी
क) मानिीकरण
ख) श्लेष
ग) उत्प्रक्षा
घ) यमक

उत्तर ---------------------

6)उस काल मारे क्रोध के तनु काांपने उनका लगा ।


मानो हिा के ज़ोर से सोता हुआ सागर जागा ।
क) मानिीकरण
ख) श्लेष
ग) उत्प्रक्षा
घ) यमक

उत्तर ---------------------

7)दे ख लो साकेत नगरी है यही ।


स्िगा से समलने गगन में जा रही ।
क) मानिीकरण

61
ख) श्लेष
ग) उत्प्रक्षा
घ) अततशयोच्क्त

उत्तर ---------------------

8)आगे नठदया पड़ी अपार, घोडा कैसे उतरे पार ।


राणा ने सोिा इस पार, तब तक िेतक था उस पार ।
क)अततशयोच्क्त
ख)श्लेष
ग) उत्प्रक्षा
घ) यमक

उत्तर ---------------------

9)तारा सो तरतन धूरर धारा में लागत च्जसम,


धारा पार पारा परािार यो हलत है ।
क)उत्प्रेक्षा
ख) मानिीकरण
ग) श्लेष
घ) अततशयोच्क्त

उत्तर ---------------------

10)कातताक की एक हँसमुख सुबह


नदी-तट से लौटती गांगा नहाकर
क) अततशयोच्क्त
ख) श्लेष
ग) उत्प्रक्षा
घ) मानिीकरण
उत्तर ---------------------

62
गद्य खांड

63
पाठ:नेिाजी का चश्मा- थवयिं प्रकाश

पाठ का सारािंश

हालदार साहब हर पांरहिें ठदन कांपनी के काम से उस कस्बे से गुजरते थे। कस्बे में कुछ
पक्के मकान, एक छोटा सा बाजार, बालक बासलकाओां के दो विद्यालय, एक सीमेंट का कारखाना,
दो खुली छत िाले ससनेमाघर तथा एक नगरपासलका थी। इसी कस्बे के मुख्य बाजार में मुख्य
िौराहे पर नेताजी सभ
ु ाष िांर बोस की एक सांगमरमर की मतू ता लगी हुई थी।मतू ता पर िश्मा
नहीां था। हालदार साहब को पान िाले से यह जानकारी समली कक कैतटन िश्मे िाले को नेताजी
की बबना िश्मे िाली मूतता अचछी लगी नहीां लगती थी। इससलए िह मूतता पर िश्मा लगा ठदया
करता था। एक ठदन जब हालदार साहब उसी उसी कस्बे से तनकले तो उन्द्होंने दे खा कक बाजार
बांद था और मूतता के िेहरे पर कोई िश्मा भी नहीां था कैतटन मर गया था। अगली बार जब
हालदार साहब उधर से तनकले, तो उन्द्होंने दे खा कक मूतता पर ककसी बचिे ने सरकांडे का बना
हुआ िश्मा लगा ठदया था। हालदार साहब भािुक हो उठे ।

1. नीिे ठदए गद्याांश को ध्यानपि


ू क
ा पठढए और उस पर आधाररत प्रश्नों के उत्तर सही विकल्ट्प
िुनकर सलखखए।

1.जैसा कक कहा जा िुका है मूतता सांगमरमर की थी। टोपी की नोक से कोट के दस


ू रे बटन तक
कोई दो फुट ऊांिी, च्जसे कहते हैं बस्ट,और सुांदर थी। नेताजी सुांदर लग रहे थे। कुछ कुछ मासूम
और कमससन।फौजी िदी में । मूतता को दे खते ही 'ठदल्ट्ली िलो' और 'तुम मझ
ु े खून दो… िगैरह
याद आने लगते थे। इस दृच्ष्ट से यह सफल और सराहनीय प्रयास था। केिल एक िीज की
कसर थी, जो दे खते ही खटकती थी। नेताजी की आांखों पर िश्मा नहीां था। यानी िश्मा तो था,
लेककन सांगमरमर का नहीां था।

i) मूतता ककस िीज से बनी थी?


क)सांगमरमर ख)लकड़ी
ग)ग्रेनाइट घ)लोहा

ii) टोपी की नोक से कोट के दस


ू रे बटन तक ऊांिाई ककतनी थी?
क)आठ फीट ख)तीन फीट
ग)दो फीट घ)सात फीट

iii) बस्ट ककसे कहते हैं?

64
क)मूतता के ससर से सीने तक के भाग को ख)मूतता के सरिाले भाग को
ग)मूतता के बाांहों को घ)उपयक्
ुा त कोई नहीां

iv)मूतता ककसकी थी?


क)नेहरू जी की ख)गाांधी जी की
ग)नेताजी की घ)शास्िी जी की

v)मतू ता में क्या कमी थी?


क)मूतता के कोट में बटन नहीां था ख)मूतता सुांदर नहीां थी
ग)मूतता पर िश्मा नहीां था घ)उपयक्
ुा त सभी

2. हालदार साहब को पान िाले द्िारा एक दे शभक्त का इस तरह मजाक उड़ाया जाना अचछा
नहीां लगा। मुड़कर दे खा तो अिाक रह गए। एक बेहद बूढा, माररयल सा, लांगड़ा आदमी ससर पर
गाांधी टोपी और आांखों पर काला िश्मा लगाए एक हाथ में एक छोटी सी सांतक
ू िी और दस
ू रे
हाथ में एक बाांस पर टाांगे बहुत से िश्मे सलए अभी-अभी एक गली से तनकला था और अब
एक बांद दक
ु ान के सहारे अपना बाांस ठटका रहा था। तो इस बेिारे की दक
ु ान भी नहीां! फेरी
लगता है! हालदार साहब िक्कर में पड़ गए। पूछना िाहते थे, इसे कैतटन क्यों कहते हैं? क्या
यही इसका िास्तविक नाम है ?लेककन पान िाले ने साफ बता ठदया था कक अब िह इस बारे
में और बात करने को तैयार नहीां। ड्राइिर भी बेिैन हो रहा था। काम भी था। हालदार साहब
जीप में बैठ कर िले गए।

i)कैतटन का मज़ाक ककसने उड़ाया और बुरा ककसे लगा?


क)हालदार साहब ने। पान िाले को ख))पान िाले ने। हालदार साहब को
ग)िश्मे िाले ने। हालदार साहब को घ))हालदार साहब ने। िश्मे िाले को

ii)कौन कैतटन को दे खकर अिाक रह गए?


क)सुभाष िांर बोस ख)िश्मे िाला
ग)छोटा बचिा घ)हालदार साहब

iii)िह िश्मे ककस तरह बेिता था?


क)दक
ु ान में बैठकर बेिता था ख)फेरी लगाकर बेिता था
ग)मधुर स्िर में गाकर बेिता था घ)उपयुक्त सभी

iv)कैतटन के ससर पर कैसी टोपी था?

65
क)आमी िाली ख)कक्रकेट िाली
ग)गाांधीजी िाली घ)इनमें से कोई नहीां

v)हालदार साहब के मन में क्या प्रश्न उठ रहे थे?


क)कैतटन मूतता को िश्मा क्यों पहनाता है ? ख)कैतटन की आजीविका कैसे िलती है ?
ग)क्या िश्मे िाला धनी आदमी है ? घ)िश्मे िाले को लोग कैतटन क्यों कहते हैं?

उत्तर 1)i क) ii ग) iii क) iv ग) v ग)

2) i ख) ii घ) iii ख) iv ग) v घ)

II एक एक वाक्य में उत्तर मलखिए।

i)कैतटन दे खने में कैसा था?


उत्तर:कैतटन दे खने में बूढा,मररयाल सा आदमी था।
ii) मतू ता की कौन सी कमी दे खने की खटकती थी?
उत्तर: मूतता की आांखों पर सांगमरमर से बना िश्मा नहीां था।
iii) हालदार साहब की समझ में कौन सी बात नहीां आई थी?
उत्तर:हालदार साहब की समझ में यह बात नहीां आई थी कक नेता जी की मूतता पर मूतताकार
द्िारा बनाई गई असली िश्मा कहाां िला गया।
iv) कैतटन कौन था?
उत्तर:कैतटन एक िश्मा बेिने िाला था।
v) मूतता दे खने में कैसी लग रही थी?
उत्तर: मूतता दे खने में बहुत सुांदर लग रही थी। vi)मोतीलाल कौन था?
उत्तर:मोतीलाल कस्बे के हाई स्कूल का ड्राइांग मास्टर था।
vii) ' बत्तीसी ठदखाना' का क्या असभप्राय है ?
' बत्तीसी ठदखाना' का असभप्राय है हां सते हुए बोलना
viii)हालदार साहब को कौन सी आदत पड़ गई थी?
उत्तर: हालदार साहब जब भी कस्बे से गुजरते तो िौराहे पर रुक कर पान खाते और मूतता को
ध्यान से दे खते।
ix) 'नेताजी का िश्मा' पाठ ककसके बारे में है ?
उत्तर:नेता जी की मतू ता पर लगे िश्मे के बारे में है ।
x)मूतता के नीिे क्या सलखा था?

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उत्तर: मूतता के नीिे ' मूतताकार मास्टर मोतीलाल' सलखा था|

III दो या दो से अधिक वाक्यों में उत्तर मलखिए।

i)सेनानी न होते हुए भी िश्मे िाले को लोग कैतटन क्यों कहते थे?
उत्तर:िश्मे िाले को लोग कैतटन कहते थे क्योंकक िश्मे िाला सभ
ु ाष िांर बोस का सम्मान
करता था। िह सुभाष िांर बोस की मूतता पर रोज़ िश्मा लगा ठदया करता था। उसकी इस
दे शभच्क्त की भािना को दे खकर लोग व्यांग्य से उसे कैतटन कहते थे।

2)हालदार साहब पहले मायूस क्यों हो गए थे?


उत्तर:हालदार साहब मायस
ू हो गए थे, क्योंकक िे सोि रहे थे कक कस्बे के िौराहे पर मूतता तो
होगी, लेककन उसकी आांखों पर िश्मा नहीां होगा।

3) मूतता पर सरकांडे का िश्मा क्या उम्मीद जगाता है ?


उत्तर:मतू ता पर सरकांडे का िश्मा यह उम्मीद जगाता है कक हमारा दे श दे श- भक्तों से रठहत
नहीां है। लोगों के अांदर की दे शभच्क्त की भािना मरी नहीां है। दे श में दे श प्रेम एिां दे श भच्क्त
समातत नहीां हुई है। अतः दे श का भविष्य सरु क्षक्षत है ।

4)हालदार साहब इतनी सी बात पर भािुक क्यों हो उठे ?


उत्तर: यह बात इतनी सी नही थी। बहुत बड़ी थी। हालदार साहब सोि रहे थे कक कैतटन के
न रहने से नेता जी की मूतता पर िश्मा नहीां होगा। परां तु जब उन्द्होंने दे खा की मूतता की आांखों
पर सरकांडे का िश्मा लगा हुआ है , तो उनकी तनराशा आशा में बदल गई। उन्द्हें यह विश्िास हो
गया कक दे शभच्क्त की भािना भािी पीढी के मन में परू ी तरह भरी हुई है।

5)आशय स्पष्ट कीच्जए|

" बार- बार सोिते, क्या होगा उस कौम का जो अपने दे श की खाततर घर- गह
ृ स्ती- जिानी-
च्जांदगी सब कुछ होम दे ने िालों पर भी हां सती हैं और अपने सलए बबकने के मौके ढूांढती हैं।"

उत्तर: दे श के सलए अपने घर, पररिार, जिानी यहाां तक कक अपने प्राण भी दे ने िालों पर कुछ
लोग हांसते हैं, उनका मजाक उड़ाते हैं। लोगों में दे शभच्क्त की ऐसी घटती भािना जरूर तनांदनीय
है। ऐसे लोग एक हद तक स्िाथी होते हैं कक उनके सलए अपनी स्िाथा ही सिोपरर होता है। िे
अपने स्िाथा की ससद्धध के सलए दे शरोह करने तक को तैयार रहते हैं।

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iv) पान िाले का एक रे खाधिि प्रस्तुत कीच्जए।
उत्तर:पनिाला एक काला मोटा और खुशसमजाज व्यच्क्त था। उसकी तोंद तनकली हुई थी। िह
हमेशा पान िबाता रहता था। इस कारण से उसके दाांत लाल काले हो रहे थे।िह जब हांसता
था तो उसकी तोंद धथरकती थी। िह मजाककया इांसान था।

v)" िह लांगड़ा क्या जाएगा फौज में। पागल!" कैतटन के प्रतत पान िाले की ठटतपणी पर अपनी
प्रततकक्रया सलखखए।
उत्तर: कैतटन के प्रतत पान िाले की यह ठटतपणी व्यांग्यात्मक और अनैततक है। ककसी अपांग
और दे शभक्त का इस तरह मजाक उड़ाया जाना अनुधित है । हमें ऐसे व्यच्क्तयों को काया
करने हे तु प्रोत्साठहत करना िाठहए तथा उनके प्रतत सहानुभूतत रखना िाठहए।

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68
कायषपत्रक

नाम------------ कक्षा------------ प्रापिािंक --------

I सही विकल्ट्प िुनकर उत्तर सलखखए।

हालदार साहब को हर पांरहिे ठदन उस कस्बे से गज


ु रना पड़ता था।कस्बा बहुत बड़ा नहीां था।
च्जसे पक्का मकान कहा जा सके िैसे कुछ ही मकान और च्जसे बाजार कहा जा सके िैसा एक
ही बाजार था। कस्बे में एक लड़कों का स्कूल,एक लड़ककयों का स्कूल,एक सीमेंट का छोटा सा
कारखाना,दो ओपन एयर ससनेमा घर और एक ठो नगरपासलका भी थी तो कुछ न कुछ करती
भी रहती थी। कभी कोई सड़क पक्की करिा दी, कभी कुछ पेशाब घर बनिा ठदए, कभी कबूतरों
की छतरी बनिा दी तो कभी कवि सम्मेलन करिा ठदया। इसी नगरपासलका के ककसी उत्साही
बोडा या प्रशासतनक अधधकारी ने एक बार शहर के मुख्य बाजार के मुख्य िौराहे पर नेताजी
सुभाष िांर बोस की एक सांगमरमर की प्रततमा लगिा दी।

i)च्जसे पक्का मकान कहा जा सके, कस्बे में िैसे-


क)कुछ ही मकान थे ख)बहुत सारे मकान थे
ग)सारे मकान थे घ)एक भी मकान नहीां था

उत्तर -----------------------

ii)नगर पासलका कौन सा काम नहीां कर पाती थी?

क)स्कूल खुलिाती थी ख)सड़क पक्की करिाती थी

ग)पेशाब घर बना बनिाती थी घ)कबत


ू रों की छतरी बनिा दे ती थी

उत्तर-----------------------

iii)कस्बे में क्या नहीां था?

क)लड़कों का स्कूल ख)लड़ककयों का स्कूल

ग)सीमेंट का छोटा सा कारखाना घ)मॉल

69
उत्तर-----------------------

iv)नेताजी सुभाष िांर बोस की मूतता कहाां लगिाई गई थी?


क) शहर के बीिो-बीि ख)शहर के एक कोने पर
ग)शहर के मख्
ु य बाजार के मख्
ु य िौराहे पर घ)नगरपासलका की इमारत के सामने

उत्तर-----------------------

v) हालदार साहब को उस कस्बे से गुजरना पड़ता था-

क)हर महीने ख)हर हफ्ते

ग)हर पांरहिें ठदन घ)हर रोज

उत्तर-----------------------

प्रश्नों के उत्तर सलखखए।

i)कैतटन मूतता का िश्मा बार-बार क्यों बदल दे ता था?

उत्तर------------------------------------------------------------------------------------------------------
-------------------------------------------------------------------------------------------------------------
-------------------------------------------------------------------------------------------------------------

ii)िश्मे िाले को नेताजी की बगैर िश्मे िाली मूतता बुरी क्यों लगती है ?

उत्तर--------------------------------------------------------------------------------------------------------
-------------------------------------------------------------------------------------------------------------
-----------------------------------------------------------------------------------------------------------

iii) मास्टर जी कौन थे? उन्द्होंने मूतता को ककतने समय में बनिाने का विश्िास ठदलाया?

70
उत्तर------------------------------------------------------------------------------------------------------
-------------------------------------------------------------------------------------------------------------
-------------------------------------------------------------------------------------------------------------

iv)ककसी एक स्ितांिता सेनानी का पररिय दीच्जए।

उत्तर------------------------------------------------------------------------------------------------------
-------------------------------------------------------------------------------------------------------------
-------------------------------------------------------------------------------------------------------------

v)इस पाठ के द्िारा लेखक क्या सांदेश दे ता है ?

उत्तर------------------------------------------------------------------------------------------------------
-------------------------------------------------------------------------------------------------------------
-------------------------------------------------------------------------------------------------------------

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71
बालगोबबन भगत (रामिक्ष
ृ बेनीपुरी)

पाठ का सारािंश -

बालगोबबन भगत मझोले कद के गोरे - धिट्टे आदमी थे। उनकी उम्र साठ िषा से उपर थी।
खेत से जो भी उपज होती ससर पर लादकर कबीरपांथी मठ ले जाते और प्रसाद स्िरूप जो भी
समलता उसी से गुजर - बसर करते।

िे कबीर के पद का बहुत मधुर गायन करते। उनकी सांगीत साधना का िमोत्कषा तब दे खा


गया च्जस ठदन उनका इकलौता बेटा मरा, शौक से उन्द्होंने अपने बेटे की शादी करिाई थी, बहू
भी बड़ी सुशील थी। उन्द्होंने मरे हुए बेटे को आांगन में िटाई पर सलटाकर एक सफेद कपड़े से
ढक रखा था तथा उस पर कुछ फूल बबखरा पड़ा था। बालगोबबन जमीन पर आसन जमाए गीत
गाए जा रहे थे और बहू को रोने के बजाय उत्सि मनाने को कह रहे थे िांकू क उनके अनस
ु ार
आत्मा परमात्मा के पास िली गई है । उन्द्होंने बेटे की धिता को आग भी बहू से ठदलिाई। बहू
के भाई को बल
ु ाकर उसके दस
ू रा वििाह करने का आदे श ठदया।

िे हर िषा गांगा स्नान को जाते। गांगा तीस कोस दरू पड़्ती थी कफर भी िे पैदल ही जाते थे।
एक ठदन सांध्या में गाना गाया परन्द्तु भोर में ककसी ने गीत नहीां सुना , जाकर दे खा तो पता
िला बालगोबबन भगत नहीां रहे ।

1 तनम्नसलखखत गद्याांश को पठढए और नीिे ठदये गए प्रश्नों के उत्तर सलखखए -

बेटे के कक्रया - कमा में तूल नहीां ककया; पतोहू से ही आग ठदलाई उसकी। ककन्द्तु ज्योंही श्राद्ध
की अिधध पूरी हो गई, पतोहू के भाई को बुलाकर उसके साथ कर ठदया, यह आदे श दे ते हुए कक
इसकी दस
ू री शादी कर दे ना। इधर पतोहू रो-रोकर कहती - मैं जाऊांगी तो बुढापे में कौन आपके
सलए भोजन बनाएगा , बीमार पड़े तो कौन एक िुल्ट्लू पानी भी दे गा ? मैं पैर पड़ती हूां ,् मझ
ु े
अपने िरणों से अलग नहीां कीच्जए। लेककन भगत का तनणाय अटल था। तू जा, नहीां तो मैं
ही इस घर को छोड़कर िल दां ग
ू ा - यह थी उनकी आखरी दलील और इस दलील के आगे
बेिारी की क्या िलती ?

१ भगत जी के समक्ष पतोहू की वििशता का कारण क्या था ?


(क) भगत जी का बीमार होना
(ख) पतत का मर जाना

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(ग) भगत जी का तनणाय
(घ) दस
ू री शादी

२ बालगोबबन भगत ने पतोहू के भाई को क्यों बुलाया था?


(क) पतोहू को मायके भेजने के सलए
(ख) अपने बेटे की धिता को आग दे ने के सलए
(ग) पतोहू की दस
ू री शादी कराने के सलए
(घ) क्योंकक िे बीमार थे

३ श्राद्ध की अिधध पूरी होने पर बालगोबबन भगत ने क्या कहा ?


(क) अपने घर िले जाने के सलए
(ख) दस
ू री शादी करने के सलए
(ग) भाई को बुलाने को
(घ) कुछ ठदन और रुकने को

४ बालगोबबन भगत की पतोहू अपने मायके क्यों नहीां जाना िाहती थी ?


(क) बालगोबबन भगत की सेिा करने के सलए
(ख) दस
ू री शादी करने के सलए
(ग) क्योंकक िो अपना घर नहीां छोड़ना िाहती थी
(घ) िो अपने भाई के साथ नहीां जाना िाहती थी

५ बालगोबबन भगत के बेटे की धिता को ककसने आग ठदया ?


(क) बालगोबबन भगत ने
(ख) बालगोबबन भगत के भाई ने
(ग) पतोहू के भाई ने
(घ) बालगोबबन भगत की बहु ने

2 तनम्नसलखखत गद्यान्द्श को पठढए और नीिे ठदये गए प्रश्नों के उत्तर सलखखए -

बालगोबबन भगत की सांगीत - साधना का िरम उत्कषा उस ठदन दे खा गया, च्जस ठदन उनका
बेटा मरा। इकलौता बेटा था िह ! कुछ सुस्त और बोदा - सा था, ककन्द्तु इसी कारण बालगोबबन
भगत उसे और भी मानते। उनकी समझ में एसे आदसमयों पर ही ज्यादा नजर रखनी िाठहए
या तयार करना िाठहए, क्योंकक ये तनगरानी और मह
ु ब्बत के ज्यादा हकदार होते हैं। बड़ी साध

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से उसकी शादी कराई थी, पतोहू बड़ी ही सुभग और सुशील समली थी। घर की पूरी प्रबांधधका
बनकर भगत को बहुत कुछ दतु नयादारी से तनित्त
ृ कर ठदया था उसने। उनका बेटा बीमार है ,
इसकी खबर रखने की लोगों को कहाां फुरसत ! ककन्द्तु मौत तो अपनी ओर सबका ध्यान
खीांिकर ही रहती है।

१ बालगोबबन भगत के अनुसार कैसे लोग तनगरानी और मुहब्बत के ज्यादा हकदार होते हैं ?
(क) अचछे लोग (ख) शारीररक रुप से अक्षम
(ग) च्जन्द्हें मौत आनी हो (घ) च्जसकी शादी हो

२ बीमार और मत्ृ यु की खबर में क्या अन्द्तर दे खा जाता है ?


(क) बीमारी ध्यान आकवषात करती है (ख) मत्ृ यु बबना बताए आती है
(ग) बीमारी में लोग समलने नहीां आते (घ) मत्ृ यु ध्यान आकवषात करती है

३ बालगोबबन भगत की सांगीत साधना का उत्कषा ककस ठदन दे खा गया ?


(क) पुि की मत्ृ यु के ठदन (ख) पुि की शादी के ठदन
(ग) पि
ु के जन्द्म पर (घ) बहु के आने पर

४ घर का पूरा प्रबांध कौन करता था ?


(क) बालगोबबन भगत के पुि (ख) बालगोबबन भगत की बहु
(ग) बालगोबबन भगत (घ) गाांि िाले

५ बालगोबबन भगत का पुि कैसा था ?


(क) नालायक (ख) बहुत तेज
(ग) बहुत सुस्त और बोदा (घ) ककसी काम का नहीां

3 तनम्नसलखखत गद्यान्द्श को पठढए और नीिे ठदये गए प्रश्नों के उत्तर सलखखए -

बालगोबबन भगत खेती - बाड़ी करते थे। उनके पास एक साफ - सुथरा मकान भी था च्जसमें
िह अपने बेटे और बहु के साथ रहते थे। लेककन िो आिार, वििार, व्यिहार ि स्िभाि से साधु
थे। िो सांत कबीर को अपना आदशा मानते थे। कबीर के उपदे शों को उन्द्होंने पूरी तरह से

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अपने जीिन में उतार सलया था। िो कबीर को "साहब" कहते थे और उन्द्हीां के गीतों को गाया
करते थे। िो कभी झूठ नहीां बोलते थे। सबसे खरा व्यिहार रखते थे। दो टूक बात कहने
में सांकोि नहीां करते थे लेककन ककसी से खामखाह झगड़ा मोल भी नहीां लेते थे। ककसी िीज
को कभी नहीां छूते थे और ना ही बबना पूछे व्यिहार में लाते।

१ बालगोबबन भगत अपने घर में ककसके साथ रहते थे ?


(क) बेटे और बहू के साथ (ख) पत्नी के साथ
(ग) अपने भाई के साथ (घ) अकेले रहते थे

२ बालगोबबन भगत ककसे अपना आदशा मानते थे ?


(क) कबीर को (ख) अपने वपता को
(ग) रामानांद को (घ) ककसी को भी नहीां

३ बालगोबबन भगत साहब ककसे कहते थे ?


(क) कबीरपांथी अनुयातययों को (ख) कबीर को
(ग) भगिान को (घ) रामानज
ु ािाया को

४ भगत ककसके गीतों को गाया करते थे ?


(क) मीरा के (ख) नरसी के
(ग) कबीर के (घ) इन सभी के

५ भगत लोगों के साथ कैसा व्यिहार रखते थे ?


(क) खरा व्यिहार (ख) बरु ा व्यिहार
(ग) ऊपर के दोनों (घ) इनमें से कोई भी नहीां

4 तनम्नसलखखत गद्याांश को पठढए और नीिे ठदये गए प्रश्नों के उत्तर सलखखए -

बालगोबबन भगत लगभग साठ िषा के एक मांझोले कद (मध्यम कद) के गोरे धिट्टे आदमी
थे। उनके सारे बाल सफेद हो िुके थे। िे बहुत कम कपड़े पहनते थे। कमर में ससफा एक
लांगोटी और ससर में कबीरपांधथयों के जैसी कनफटी टोपी। बस जाड़ों में एक काली कमली ऊपर

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से ओढे रहते। मस्तक पर हमेशा िमकता हुआ रामानांदी िांदन , औरतों के टीके की तरह ,
शुरु होता। गले में तुलसी की जड़ों की बेडौल माला बाांधे रहते।

१ बालगोबबन भगत की उम्र ककतनी थी ?


(क) तीस िषा (ख) िालीस िषा
(ग) पिास िषा (घ) साठ िषा

२ बालगोबबन भगत ससर पर क्या पहने रहते थे ?


(क) कबीरपांधथयों के जैसी कनफटी टोपी (ख) काली टोपी
(ग) रामानांदी टोपी (घ) इनमें से कोई भी नहीां

३ बालगोबबन भगत जाड़ों में क्या ओढ लेते थे ?


(क) िादर (ख) नीला कांबल
(ग) काली कमली (घ) शाल

४ रामानांदी िांदन का टीका कौन लगाता था ?


(क) कबीरदास (ख) तल
ु सीदास
(ग) रामानांद (घ) बालगोबबन भगत

५ बालगोबबन भगत गले में ककसकी माला पहनते थे ?


(क) मोततयों की (ख) तुलसी की जड़ो की
(ग) हीरों की (घ) इनमें से कोई नहीां

उत्तर 1)- १ (ग) भगत जी का तनणाय


२ (क) पतोहू को मायके भेजने के सलए
३ (ख) दस
ू री शादी करने के सलए
४ (क) बालगोबबन भगत की सेिा करने के सलए
५ (घ) बालगोबबन भगत की बहु ने

उत्तर 2) १ (ख) शारीररक रुप से अक्षम


२ (घ) मत्ृ यु ध्यान आकवषात करती है

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३ (क) पुि की मत्ृ यु के ठदन
४ (ख) बालगोबबन भगत की बहु
५(ग) बहुत सुस्त और बोदा

उत्तर 3) १ (क) बेटे और बहू के साथ


२ (क) कबीर को
३ (ख) कबीर को
४(ग) कबीर के
५ (क) खरा व्यिहार

उत्तर 4) १ (घ) साठ िषा


२ (क) कबीरपांधथयों के जैसी कनफटी टोपी
3३(ग) काली कमली
४(घ) बालगोबबन भगत
५ (ख) तल
ु सी की जड़ो की

5 ननम्नमलखिि प्रश्नों के उत्तर स ी ववकल्प चुनकर मलखिए -

1.बालगोबबन भगत को आप कैसा भक्त मानते हैं ?


(क) सचिा सांत (ख) ढोंगी बाबा
(ग) नारी – विरोधी (घ) लापरिाह बाबा

2.बालगोबबन भगत अपनी पि


ु िधू को िापस मायके क्यों भेज दे ते हैं ?
(क) उससे मुच्क्त पाने के कारण (ख) पुििधू कक इचछा के कारण
(ग) लोगों के आरोपों से बिने के कारण (घ) पि
ु िधू का पन
ु विािाह कराने के कारण

3.लेखक रामिक्ष
ृ बेनीपुरी जी बालगोबबन भगत की ककस विशेषता पर अत्यधधक मुग्ध थे ?
(क) पहनािे पर (ख) व्यिहार पर
(ग) मधुर गान पर (घ) कया कुशलता पर

4.बालगोबबन भगत बेटे की मत्ृ यु पर क्या कर रहे थे ?


(क) रो रहे थे (ख) गीत गा रहे थे
(ख) कभी रो रहे थे , कभी गा रहे थे (घ) गुमसुम होकर बैठे थे

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5.भगत पुि की मत्ृ यु पर पतोहू को क्या करने के सलए कह रहे थे ?
(क) रोना बांद करने को (ख) रोने के बदले उत्सि मनाने को
(ग) अच्न्द्तम कमा की तैयारी करने को (घ) धीरज धरने को

6.भगत की दृच्ष्ट में पि


ु की मत्ृ यु आनांद की बात थी , क्योंकक-
(क) पुि को घोर कष्ट से मुच्क्त समली थी (ख) आत्मा परमात्मा से जा समली
(ग) क तथा ख दोनों (घ) उपयक्
ुा त में से कोई नहीां

7.भगत ने पतोहू के भाई को क्या आदे श ठदया ?


(क) उसे कुछ ठदनों बाद िापस पहुांिा जाने का (ख) उसकी दस
ू री शादी कर दे ने का
(ग) उसे कहीां आने - जाने से रोकने का (घ) उपयक्
ुा त में से कोई नहीां

8.भगत की पतोहू भाई के साथ जाने को क्यों तैयार हो गई ?


(क) भगत का घर अचछा नहीां लगने के कारण
(ख) भगत का खुद घर छोड़कर िले जाने की धमकी दे ने के कारण
(ग) भाई द्िारा िहाां से िलने की च्जद करने के कारण
(घ) उपयक्
ुा त में से कोई नहीां

9.भगत जी की बहू उन्द्हें छोड़कर क्यों नहीां जाना िाहती थी ?


(क) सामाच्जक मयाादा के कारण (ख) सांपवत्त के लोभ में
(ग) पतत से प्रेम होने के कारण (घ) ससुर की धिांता के कारण

10.बालगोबबन भगत को साधु क्यों कहा गया है ?


(क) िह साधु के समान ठदखते थे (ख) िह मोह - माया से दरू रहते थे
(ग) िह ककसी से झगड़ा नहीां करते थे (घ) िह अपना काया स्ियां करते थे

11.लोगों को बालगोबबन भगत की ककस आदत पर आश्िया होता था ?


(क) गीत गाते रहने पर
(ख) झगड़ा न करने पर
(ग) बबना पूछे ककसी की िीज को व्यिहार में नहीां लेने पर
(घ) ककसी से कोई मतलब न रखने पर

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12 बालगोबबन भगत कबीर के आदशों पर क्यों िलते थे ?
(क) कबीर उनके समि थे (ख) कबीर के जीिन से प्रभावित थे
(ग) कबीर भगिान का रुप थे (घ) कबीर के गीत गाया करते थे

13.भगत अपनी फसल को सिाप्रथम ससर पर लादकर कहाां पहुांिाते थे ?


(क) घर में (ख) मांठदर में
(ग) कबीरपांथी मठ में (घ) गरीबों के पास

14. बालगोबबन भगत का सांगीत कैसा था ? उपयुक्त उत्तर का ियन कीच्जए -


(क) उनका सांगीत मनोरां जक था
(ख) उनका सांगीत ह्र्दय को शाच्न्द्त दे ने िाला था
(ग) उनका सांगीत थोड़ा सुर से हटकर था
(घ) उनका सांगीत भच्क्त - भािना से युक्त आत्मा को परमात्मा से समलाने िाला था

15.बालगोबबन भगत मुख्यतः क्या गाया करते थे ?


(क) बबहारी जी के पद (ख) लोकगीत
(ग) स्ियां रधित पद (घ) कबीर जी के पद

उत्तर1) (क) सचिा सांत


2)(घ) पुििधू का पुनविािाह कराने के कारण
3)(ग) मधुर गान पर
4)(ख) गीत गा रहे थे
5)(ख) रोने के बदले उत्सि मनाने को
6) (ख) (ख) आत्मा परमात्मा से जा समली
7)(ख) उसकी दस
ू री शादी कर दे ने का
8) (ख) भगत का खुद घर छोड़कर िले जाने की धमकी दे ने के कारण
9) (घ) ससुर की धिांता के कारण
10)(ख) िह मोह - माया से दरू रहते थे
11)(ग) बबना पूछे ककसी की िीज को व्यिहार में नहीां लेने पर
12) (ख) कबीर के जीिन से प्रभावित थे
13) (ग) कबीरपांथी मठ में
14)(घ) उनका सांगीत भच्क्त - भािना से युक्त आत्मा को परमात्मा से समलाने िाला था|

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15) उत्तर - (घ) कबीर जी के पद

3. ननम्नमलखिि प्रश्नों के उत्तर 25 -30 शब्दों में दीस्जए -

1."उनका बेटा बीमार है , इसकी खबर रखने की लोगों को कहाां फुरसत ?" पांच्क्त में आधुतनक
यग
ु के मानि की ककस मानससकता पर व्यांग्य ककया गया है ?
उत्तर - इस पांच्क्त द्िारा लेखक ने मानि की उस स्िथी प्रिवृ त्त की मानससकता पर व्यांग्य ककया
है च्जसमे उसे अपने ससिाय दस
ू रा कोई नजर ही नहीां आता। ितामान समय में व्यच्क्त अपने
कक्रयाकलपों में ही इतना व्यस्त हो गया है कक दस
ू रे के बारे में सोिने का उसके पास िक्त
भी नहीां है। इस प्रकार की प्रिवृ त्त मनुष्य की सांिेदनहीनता की पररिायक है ।

2.बालगोबबन भगत के व्यच्क्तत्ि की दो विशेषताएां सलखखए।

उत्तर - बालगोबबन भगत के व्यच्क्तत्ि की दो विशेषताएां


(१) गह
ृ स्थ होते हुए भी साधओ
ु ां िाला जीिन
(२) साांसाररक िस्तुओां से मोह न होना , सांतोषी प्रिवृ त्त

3.गाांि का सामाच्जक - साांस्कृततक पररिेश आषढ िढते ही उल्ट्लास से क्यों भर जाता है ?


बालगोबबन भगत पाठ के आधार पर उत्तर दीच्जए।

उत्तर - ग्राम्य जीिन अधधकाांशतः कृवष आधाररत जीिन है । सूखे पड़े खेतों को दे ख शाांत पड़े
कृषकों को िषाा की प्रतीक्षा रहती है । िषाा न होने तक कृषक उदासीन रहते हैं। आषाढ मास
में जैसे ही आकाश बादल से तघर जाते हैं , िैसे ही उदासीन मन प्रफुच्ल्ट्लत हो उठते हैं। इसी
महीने में ककसान धान की रोपनी करते हैं और बरसात धान की फसल के सलए बहुत जरुरी है
।जैसे ही ररमखझम बाररश होती है , सूखी धरती की तयास बुझती है , िैसे ही सांपूणा ग्राम्य
जीिान उल्ट्लास से भर जाता है । आषाढ की फुहार के साथ ही सारा गाांि खेत में ठदखाई दे ने
लगता है।

4'बालगोबबन भगत की मौत उन्द्हीां के अनुरूप हुई' कथन को सोदाहरण स्तष्ट कीच्जए।

उत्तर - प्रायः मनुष्य के मन में अपने जीिन के अांत तक एक धिांता बनी रहती है कक बुढापे
में उसके ठदन कैसे कटें गे परन्द्तु भगत के मन में इस प्रकार के वििार कभी नहीां आए। बुढापे
में भी उनके नेम-ित
ृ , सांध्या - स्नान िलते रहे । खेती का काम करना , दोनों िक्त तनयम

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से गीत ध्यान करना उन्द्होंने कभी नही छोड़ा। बुखार आने पर भी गांगा स्नान के सलए गए।
यहाां तक कक अपने अांत समय में भी उन्द्होंने सांध्या समय कबीर के पद गाए और अपने पांजर
को छोड़कर िले गए। इस प्रकार मत्ृ यु का भय भी उन्द्हें अपने कमों से वििसलत नहीां कर
पाया। अतः यह कहना उधित है कक उनकी मत्ृ यु उनके ही अनुरूप हुई।

5 बालगोबबन भगत की ठदनियाा लोगों के अिरज का कारण क्यों थी ?

उत्तर - बालगोबबन भगत की ठदनियाा लोगों के अिरज का कारण इससलए थी क्योंकक िे सब


ु ह
उठकर दो मील दरू नदी में स्नान करने जाते थे। ककसी भी मौसम का कोई भी असर उन्द्हें
रोक नहीां पाता था। दोनों समय ईश्िर के गीत गाना , ईश्िर की साधना में लगे होते हुए भी
गह
ृ स्थी के कायों से िे कभी भी विरत नहीां हुए। प्रत्येक िषा गांगा स्नान के सलए जाना और
सांत - समागम में भाग लेना उन्द्होंने अांत समय तक नहीां छोड़ा।

6. हर िषा गांगा स्नान जाते समय भगत के मन में क्या वििार होते थे ?
उत्तर - हर िषा गांगा स्नान जाते समय भगत के मन में तनम्नसलखखत वििार होते थे -
(१) सभन्द्न वििारधारा को अपने अांदर धारण करना।
(२) तीस कोस तक पैदल िलना।
(३) सभक्षा नहीां माांगना।
(४) पाांि ठदन तक केिल पानी ही पीकर रहना।
(५) सांत- समागम को ही प्रमुखता दे ना।

7.गसमायों की उमस में भगत का आांगन शीतलता प्रदान करता था कैसे ?

उत्तर - गमी की उमस भगत जी के स्िरों को तनढाल नहीां कर पाती थी , बच्ल्ट्क उनके सांगीत
से िातािरण शीतल हो जाता था। अपने घर के आांगन में आसन जमा बैठते। गाांि के कुछ
सांगीत प्रेमी भी उनका साथ दे ते। खांजड़ी और करतालों की सांख्या बढ जाती। एक पद गोविांद
जी कहते , पीछे उनकी मांड़ली उसे दस
ू री बार बोलती जाती। एक तनच्श्ित ताल , एिां तनच्श्ित
गतत से धीरे - धीरे स्िर ऊांिा होने लगता। उस ताल - स्िर िढाि के साथ श्रोताओां के मन
भी ऊपर उठने लगते। धीरे - धीरे मन तन पर हािी हो जाता अथाात लोगों के मन के साथ -
साथ उनका शरीर भी झूमने लगता। एक क्षण ऐसा भी आता जब भगत जी नाि रहे होते

81
तथा सभी उपच्स्थत लोगों का मन भी झूम रहे होते । सारा आांगन नत्ृ य और सांगीत से भरपूर
हो जाता तथा गमी की उमस भी शीतल प्रतीत होने लगती।

8.लड़के के दे हाांत के बाद बालगोबबन भगत ने पतोहू को ककस बात के सलए बाध्य ककया ?
उनका यह व्यिहार उनके ककस प्रकार के वििार का प्रमाण है ?

उत्तर - लड़के के दे हाांत के बाद जैसे ही श्राद्ध की अिधध समातत हुई िैसे ही बालगोबबन भगत
ने पतोहू के भाई को बल
ु ा भेजा और उसे यह आदे श ठदया गया कक िह पतोहू का पन
ु विािाह
करिा दे । उन्द्होंने अपनी इसी इचछा के साथ पतोहू को उसके भाई के साथ मायके भेज ठदया।
यह व्यिहार उनकी रुठढिादी प्रगततशील वििारधारा का पररिायक होने के साथ - साथ विधिा
वििाह के समथाक होने पर भी बल दे ता है।

9.बालगोबबन भगत मौत को दःु ख का कारण नहीां मानते थे। स्पष्ट कीच्जए।

उत्तर - बालगोबबन भगत अपने इक्लौते बेटे के दे हाांत के बाद अपनी पतोहू को रोने के बदले
उत्सि मनाने की बात कहते हैं। उनका वििार था कक उनके बेटे की आत्मा परमात्मा के पास
िली गई है। विरठहणी अपने प्रेमी से जा समली है। अब इससे बढकर और अधधक आनांद की
बात क्या हो सकती है ? उनका मानना था कक मत्ृ यु दःु ख का कारण नहीां है बच्ल्ट्क मत्ृ यु आत्मा
परमात्मा का अांश है। िह सदा परमात्मा से समलने के सलए तड़पती है। जब व्यच्क्त मरता
है तो आत्मा परमात्मा से समल जाती है उसकी तड़पन समातत हो जाती है। इससलए भगत
जी अपनी पतोहू से शोक न मनाकर उत्सि मनाने की बात कहते हैं।

10.मोह और प्रेम में अांतर होता है। बालगोबबन भगत के जीिन की ककस घटना के आधार
पर इस कथन को सत्य ससद्ध करें गे ?

उत्तर - मोह और प्रेम में अांतर होता है । मोह में व्यच्क्त स्िाथी हो जाता है जबकक प्रेम में
व्यच्क्त के सलए अपने प्रेमी का ठहत - धिांतन ही सिोपरर होता है। इसे भगत के जीिन के
आधार पर इस प्रकार समझा जा सकता है -

(१) भगत अपने बेटे से प्रेम करते थे मोह नहीां इससलए उसकी मत्ृ यु पर िे मोही व्यच्क्त के
समान विलाप नहीां करते क्योंकक उनका पुि इस साांसाररक बांधन से मुक्त हो गया। उनके
अनुसार यह प्रसन्द्न्द्ता का अिसर है ।

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(२) अपने पुि के श्राद्ध की अिधध पूरी होने पर भगत पुििधू के भाई को बुलाकर उसके
पुनविािाह का आदे श दे ते हैं । यठद िे मोही होते तो बुढापे में अपनी दे खभाल के सलए िे अपनी
पुििधू को उसके भाई के साथ नहीां भेजते और न ही उसे पुनविािाह का आदे श दे ते। यहाां
अपने वप्रया का ठहत - धिांतन उनके सलए सिोपरर था और यही उनके प्रेम की अांतहीन सीमा
थी।

11. लेखक बालगोबबन भगत को गह


ृ स्थ साधु क्यों मानते थे ? पाठ के आधार पर स्पष्ट
कीच्जए।
उत्तर - बालगोबबन भगत घर - पररिार िाले आदमी थे। उनके पररिार में उनका बेटा और
पतोहू थे । उनके पास खेतीबारी और साफ - सुथरा मकान था। इसके बाद भी बालगोबबन
भगत साधुओां की तरह रहते और साधु की सारी पररभाषाओां पर खरा उतरते थे। इससलए
लेखक बालगोबबन भगत को गह
ृ स्थ साधु माना।

12. भगत अपनी सब िीज साहब की मानते थे , उदाहरण सठहत स्पष्ट कीच्जए।
उत्तर - बालगोबबन भगत अपनी सब िीज साहब की मानते थे , इसका उदाहरण यह है कक
उनके खेत में जो कुछ भी पैदा होता था , उसे ससर पर लादकर 'साहब' के दरबार में ले जाते
थे। उस दरबार अथाात मठ में उसे भें ट स्िरूप रख सलया जाता और उन्द्हें जो कुछ प्रसाद
स्िरूप ठदया जाता , उसी में गुजारा करते थे।

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83
कायापिक

नाम------------ कक्षा------------ प्रातताांक---------

1बेटे की मत्ृ यु के पश्िात बालगोबबन भगत का आखखरी तनणाय क्या था ?


(क) पतोहू का पुनविािाह करिाना
(ख) पतोहू का सशक्षा ठदलिाना
(ग) पतोहू को घर से तनकालना
(घ) पतोहू से घण
ृ ा करना

उत्तर ----------------

2.बालगोबबन भगत के गीतों को सन


ु कर सभी लोग क्या करते थे ?
(क) उठकर िले जाते थे
(ख) झुम उठते थे
(ग) साथ में गाने लगते थे
(घ) इनमें से कोई नहीां

उत्तर ----------------

3.बालगोबबन भगत का व्यिसाय क्या था ?


(क) खेती करना
(ख) दक
ु ानदारी
(ग) पुस्तक विक्रेता
(घ) उपरोक्त सभी

उत्तर ----------------

4. भगत जी गाते समय क्या बजाते थे ?


(क) ढोल
(ख) ढपली

84
(ग) धगटार
(घ) खांजड़ी

उत्तर ----------------

तनम्नसलखखत प्रश्नों के उत्तर 25 -30 शब्दों में दीच्जए -

1.भगत जी सामाच्जक मयाादाओां को िुनौती दे ने की ठहम्मत रखते थे कैसे ? ससद्ध करें ।

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2 पतोहू की िाररबिक विशेषताएां बताएां।

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3बालगोबबन भगत की उन तीन विशेषाताओां का िणान कीच्जए च्जनके कारण उन्द्हें 'भगत'
कहा जाने लगा ?

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85
लिनवी अिंदाज़ (यशपाल)

पाठ का सारािंश –

‘लखनिी अांदाज़’ यशपाल का व्यांग्यात्मक रिना है। इसके द्िारा लेखक उस सामांती िगा पर
कटाक्ष करते हैं जो िास्तविकता से बेखबर एक बनािटी जीिन शैली का आदी है। यहाँ निाब
साहब, ठदखािा करने िाले उस सामांती िगा का प्रतीक है , जो खीरा सूँघकर पेट भरने का बहाना
करते हैं। यह रिना नए कहातनकारों को यह िेतािनी भी दे ती है कक बबना कथ्य, पाि, घटना
आठद के एक अचछी कहानी नहीां सलखी जा सकती।

I. ठाली बैठे, कल्ट्पना करते रहने की पुरानी आदत है । निाब साहब की असुविधा और सांकोि के
कारण का अनम
ु ान करने लगे। सांभि है , निाब साहब ने बबल्ट्कुल अकेले यािा कर सकने के
अनुमान में ककफायत के वििार से सेकांड क्लास का ठटकट खरीद सलया हो और अब गिारा न
हो कक शहर का कोई सफेदपोश उन्द्हें मँझले दजे में सफर करता दे खे। …. अकेले सफर का
िक्त काटने के सलये ही खीरे खरीदे होंगे और अब ककसी सफेदपोश के सामने खीरा कैसे खाएँ?
हम कनखखयों से निाब साहब की ओर दे ख रहे थे। निाब साहब कुछ दे र गाड़ी की खखड़की से
बाहर दे खकर च्स्थतत पर गौर करते रहे ।

‘ओह’, निाब साहब ने सहसा हमें सांबोधधत ककया, ‘आदाब-अज़ा, जनाब, खीरे का शौक फरमाएँगे?
1.कौन निाब साहब की असुविधा और सांकोि के कारण का अनुमान करने लगे?
क) यशपाल ख) स्ियांप्रकाश
ग) नागाजन
ुा घ) रामिक्ष
ृ बेनीपरु ी

2.निाब ने सेकांड क्लास का ठटकट क्यों खरीद सलया था?


क) लेखक के कहने पर ख) महांगी होने से
ग) सस्ता होने के वििार से घ) ताकक उन्द्हें कोई न दे खें

3. निाब क्यों नहीां िाहते थे कक कोई उन्द्हें मँझले दजे में सफर करता दे खें?

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क) िे अकेले सफर करना िाहते थे ख) उनकी निाबीपन पर आांि आ सकती
थी
ग) िे खीरे का शौक फरमानेिाले थे घ) ख और ग दोनों

4. निाब ने लेखक को कैसे सांबोधधत ककया?


क) विनम्रता से ख) मयाादा-रठहत
ग) द्िेष के साथ घ) तयार से

5. लेखक ने निाब साहब को कनखखयों से क्यों दे खा?


क) निाब साहब के प्रतत नपसांदी से ख) निाब की करतूत जानने हे तु
ग) अपने आत्मसम्मान बिाने हे तु घ) तीनों कारणों से

निाब साहब ने सतष्ृ ण आँखों से नमक-समिा के सांयोग से िमकती खीरे की फाँकों की ओर


दे खा। खखड़की के बाहर दे खकर दीघा तनःश्िास सलया। खीरे की एक फाँक उठाकर होंठों तक ले
गए। फाँक को सूांघा। स्िाद के आनन्द्द में पलकें मूँद गईं। मुँह में भर आए पानी का छूट गले
से उतर गया। तब निाब साहब ने फाँक को खखड़की से बाहर छोड़ ठदया। निाब साहब खीरे की
फाँकों को नाक के पास ले जाकर, िासना से रसास्िादन कर खखड़की के बाहर फेंकते गए। निाब
साहब ने खीरे की सब फाँकों को खखड़की के बाहर फेंककर तौसलए से हाथ और होंठ पोंछ सलए
और गिा से गुलाबी आँखों से हमारी ओर दे ख सलया, मानो कह रहे हों यह है खानदानी रईसों
का तरीका!

1. निाब साहब ने खीरे की फाँकों को कैसे दे खा?


क) बड़े ध्यान से ख) बड़े प्रेम से
ग) बड़ी इचछा से घ) घरू ता हुआ

2. फाँकों का रसास्िादन उन्द्होंने कैसे ककया?


क) फाँकें बनाकर ख) नमक-समिा तछड़ककर
ग) होठों तक लाकर घ) िासना से

3. निाब के मुँह में पानी क्यों आए?


क) नमक-समिा के सांयोग से िमकती खीरे की फाँकों की ओर दे खने से
ख) खीरा का शौक करने की इचछा से
ग) िासना से उत्तेच्जत इचछा से घ) तीनों कारणों से

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4. निाब ने फाँकों को खखड़की के बाहर क्यों फेंका ?
i) िे उसे खाने नहीां िाहते थे
ii) एक सफेदपोश के सामने खाना नहीां िाहते थे
iii) िह खानदानी रईसों का तरीका नहीां था
iv) अपने ठदखािे की प्रिवृ त्त से बाज़ न आ पाए
क) i, ii, iii, iv

ख) ii, iii, iv

ग) iii, iv

घ) iii, iv

5. निाब की करतूत असल में ककस कोठट में आता है ?

क) सचिाई ख) उनकी औकात की

ग) निाबी तरीके की घ) असभनय

उत्तर सांकेत : I
1.ख) स्ियांप्रकाश
2.ग) सस्ता होने के वििार से
3.घ) ख और ग दोनों
4.क) विनम्रता से
5.घ) तीनों कारणों से

II. 1. ग) बड़ी इचछा से


2. घ) िासना से
3. घ) तीनों कारणों से
4. ख) ii, iii, iv
5. घ) असभनय

पाठ्य पुथिक के प्रश्न अभ्यास-

1. लेखक को निाब साहब के ककन हाि-भािों से महसूस हुआ कक िे उनसे बातिीत करने के
सलए ततनक भी उत्सुक नहीां हैं?

88
उत्तर- जब लेखक सेकांड क्लास के ड़डब्बे में िढा तो दे खा उसमें एक निाब साहब पहले से
बैठे थे। लेखक को दे खकर निाब साहब की आँखों में एकाांत धिांतन में विघ्न का असांतोष
ठदखाई ठदया । उन्द्होंने लेखक से बातिीत नहीां की और िे खखड़की से बाहर की च्स्थतत पर गौर
करते रहे । इन सब हाि-भािों को दे खकर लेखक ने जान सलया कक निाब साहब उनसे बातिीत
करने के इचछुक नहीां हैं।

प्रश्न 2. निाब साहब ने बहुत ही यत्न से खीरा काटा, नमक-समिा बरु का, अांततः सँधकर ही
खखड़की से बाहर फेंक ठदया। उन्द्होंने ऐसा क्यों ककया होगा? उनका ऐसा करना उनके कैसे
स्िभाि को इांधगत करता है ?
उत्तर-निाब साहब ने यत्न पूिक
ा खीरा काटकर नमक-समिा तछड़का और सँधकर खखड़की से
बाहर फेंक ठदया। उनका ऐसा करना उनकी निाबी नखरे को ठदखाता है। िे लोगों के काया
व्यिहार से हटकर अलग काया करके अपनी निाबी और अमीरी को ठदखाने की कोसशश करते
हैं।

प्रश्न 3. बबना वििार, घटना और पािों के भी क्या कहानी सलखी जा सकती है। यशपाल के इस
वििार से आप कहाँ तक सहमत हैं?
उत्तर- लेखक का मानना है कक बबना वििार, घटना और पािों के भी क्या कहानी सलखी जा
सकती है अथाात वििार, घटना और पाि के बबना कहानी नहीां सलखी जा सकती है। मैं लेखक
के इन वििारों से पूणत
ा या सहमत हूँ। िास्ति में कहानी ककसी घटना विशेष पर आधाररत होता
है । इसका कारण क्या था?, यह कब हुआ, पररणाम क्या रहा तथा इस घटना का ककन पर
प्रभाि पड़ा आठद का िणान ही कनमनी है। अतः ककसी कहानी के सलए वििार, घटना और पाि
बहुत ही आिश्यक हैं।

प्रश्न 4. आप इस तनबांध को और क्या नाम दे ना िाहें गे?

उत्तर- मैं इस तनबांध को दस


ू रा नाम दे ना िाहूांगी –निाबी नखरा । इसका कारण यह कक पाठ
का मूल विषय एक निाब के अपनी निाबी ठदखाने की िेष्टा है , निाबी छीन लेने के बाद भी
िे उस नखरे से बाहर न आए। अत: ‘निाबी नखरा’ मेरे वििार से ठीक होगा।

दो अिंक के अन्य म त्प्वपूर्ष प्रश्नोत्तर –

1.लेखक क्या सोिकर सेकांड क्लास का ठटकट सलया?

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उत्तर- लेखक ने भीड़ से बिने केसलए तथा एकाांत में नयी कहानी सोि सकने और खखड़की से
प्राकृततक दृश्य दे खने के सलए सेकांड क्लास का ठटकट सलया।

2.लेखक ने क्या सोिकर सेकांड क्लास के ड़डब्बे में िढा और उनका अनुमान गलत कैसे तनकला
?
उत्तर- लेखक ने ड़डब्बे को खाली समझकर िढा, लेककन उनके अनम
ु ान के खखलाफ एक बथा पर
निाबी नस्ल के एक सफेदपोश सज्जन बैठे थे ।

3.सेकांड क्लास में बैठे सज्जन की च्स्थतत कैसी थी?

उत्तर- सज्जन बथा पर पालथी मारे बैठे थे,उनके सामने दो ताज़े-धिकने खीरे तौसलए पर रखे थे

4.लेखक का ड़डब्बे में घुसने पर सज्जन की क्या प्रततकक्रया थी?


उत्तर- लेखक का ड़डब्बे में घुसने पर सज्जन की आँखों में एकाांत धिांतन में विघ्न का असांतोष
ठदखाई ठदया। शायद िे नयी कहानी की सझ
ू में थे या कफर खीरे जैसे अपदाथा िस्तु का शौक
करते दे खे जाने के सांकोि में थे । उन्द्होंने लेखक से सांगतत करने का कोई उत्साह भी नहीां
ठदखाया।

5.लेखक ने आत्मसम्मान में आँखें क्यों िुरा लीां?


उत्तर- निाब साहब ने लेखक से सांगतत करने का उत्साह नहीां ठदखाया तो उन्द्होंने आत्मसम्मान
में आँखें िुरा लीां ।

6.बेकाम बैठते समय लेखक की क्या आदत थी और इस िास्ते उन्द्होंने क्या ककया?
उत्तर- बेकाम बैठते समय कल्ट्पना करते रहने की उनकी परु ानी आदत थी। इस िास्ते िे निाब
साहब की असुविधा और सांकोि के कारण का अनुमान करने लगे।

7.निाब साहब की असवु िधा और सांकोि के सांबांध में लेखक ने क्या-क्या अनम
ु ान लगाए?
उत्तर- निाब साहब की असुविधा और सांकोि के सांबांध में लेखक ने ये अनुमान लगाए कक
उन्द्होंने अकेले यािा करने के वििार से सेकांड क्लास का अपेक्षाकृत सस्ता ठटकट ले सलया
होगा। यही नहीां अकेले सफर का िक्त काटने के सलए खीरे खरीदे , लेककन ककसी दस
ू रे सफेदपोश
के सामने उसे खाने में निाब को शरम अनुभि होने लगा ।

8.निाब साहब का कौन-सा भाि पररितान लेखक को अचछा नहीां लगा?

90
उत्तर- निाब साहब पहले तो लेखक से सांगतत के सलए उत्साह नहीां ठदखा रहे थे। कफर अिानक
लेखक से पूछ बैठे कक क्या आप खीरा खाना पसांद करें गे ? निाब साहब का यह भाि पररितान
लेखक को अचछा नहीां लगा।

9.निाब साहब के भाि-पररितान का कारण लेखक को क्या लगा?


उत्तर- लेखक को लगा कक निाब साहब अपनी हैससयत को ऊांिा ठदखाकर लेखक को मामूली
आदमी का दजाा दे ने की कोसशश कर रहा है ।

10.खीरे को खाने योग्य बनाने के सलए निाब साहब ने क्या-क्या ककया और उन्द्हें ककस तरह
सजाकर रखा? पठठत पाठ के आधार पर सलखखए।
उत्तर- निाब साहब ने खीरे को खाने योग्य बनाने के सलए पहले उसे अचछी तरह धोया कफर
तौसलए से पोछा। अब उन्द्होंने िाकू तनकालकर खीरों के ससरे काटे और गोदकर झाग तनकाला।
कफर उन्द्होंने खीरों को छीला और फाँकों में काटकर करीने से सजाया।

11. लेखक के वििार से कौन खीरे के इस्तेमाल का तरीका जानते हैं और िे ककस तरह ग्राहक
को पेश करते हैं?
उत्तर- लेखक के अनुसार लखनऊ स्टे शन पर खीरा बेिने िाले खीरे के इस्तेमाल का तरीका
जानते हैं। ग्राहक के सलए िे जीरा-समला नमक और पीसी हुई लाल समिा की पुड़ड़या के साथ
ये पेश करते हैं ।

12. खीरे को सजाते समय लेखक ने यह कैसे पहिाना कक निाब का मुख रसास्िादन की
कल्ट्पना में तलावित हो रहा है?

उत्तर- लेखक ने निाब की प्रत्येक भाि-भांधगमा और जबड़ों के स्फुरण से समझ सलया कक निाब
का मख
ु रसास्िादन की कल्ट्पना में तलावित हो रहा है ।

13. निाब साहब ने खीरे की फाँकों पर नमक-समिा तछड़का च्जसे दे खकर लेखक ललिाया पर
उन्द्होंने खीरे खाने का प्रस्ताि दस
ू री बार भी अस्िीकृत क्यों कर ठदया?
उत्तर- निाब साहब ने खीरे की फाँकों पर नमक-समिा तछड़ककर लेखक से खाने के सलए आग्रह
ककया तो लेखक ने मना कर ठदया। यद्यवप लेखक खीरे खाना िाहता था कफर भी एक बार
मना कर िुकने के कारण अपने आत्मसम्मान को बनाए रखने के सलए उन्द्होंने खीरे खाने के
प्रस्ताि को अस्िीकृत कर ठदया।

14. बबना खीरा खाए निाब साहब को डकार लेते दे खकर लेकर क्या सोिने पर वििश हो गया?

91
उत्तर-लेखक ने दे खा कक निाब साहब ने खीरों की फाँकों का रसास्िादन ककया उन्द्हें मुँह के
करीब ले जाकर सूांघा और बाहर फेंक ठदया। इसके बाद निाब साहब को डकार लेता दे खकर
लेखक यह सोिने पर वििश हो गया कक क्या इस तरह सँघने माि से पेट भर सकता है ?

15.लेखक ने ऐसा क्या दे खा कक उसके ज्ञान िक्षु खुल गए?

उत्तर- लेखक ने दे खा कक निाब साहब खीरे की नमक-समिा लगी फाँकों को सँघकर खखड़की के
बाहर फेंकते गए। बाद में उन्द्होंने डकार करके सांतच्ु ष्ट दशााने का प्रयास ककया। निाब के अनस
ु ार
खीरा पेट पर बोझ डालता है। यह दे खकर लेखक के ज्ञान-िक्षु खुल गए कक इसी तरह सचिी
बातों से बेखबर नयी कहानी के लेखक भी बबना घटनाक्रम, पाि और वििारों के कहानी का
प्रयास करते हैं ।

16. लखनिी अांदाज़’ पाठ में तनठहत सांदेश स्पष्ट कीच्जए।

उत्तर- ‘लखनिी अांदाज’ नामक पाठ के माध्यम से लेखक यह सांदेश दे ना िाहता है कक हमें
ठदखािेपन से दरू रहना िाठहए। हमें काल्ट्पतनकता को छोड़कर िास्तविकता को अपनाना िाठहए
। एक अचछे मनुष्य की पहिान उसका अचछा व्यिहार ही है ।

17. ‘लखनिी अांदाज़’ पाठ में लेखक को निाबी साहब में खानदानी तहज़ीब, नफासत और
नज़ाकत के क्या सबूत ठदखाई ठदए । पाठ के आधार पर सलखखए ।
उत्तर: निाबी खानदान के लोग अपने खानदानी तहज़ीब(सशष्टता) के सलए प्रससद्ध है। िे बड़ी
विनतापूिक
ा दस
ू रों से पेश आते हैं, जैसे कक पाठ में निाब का लेखक से पूछना कक" ' आदाब
अज़ा', जनाब' खीरे का शौक फरमाएांगे।" निाब का खीरे की तैयारी ि स्िचछता का प्रयत्न तो
उनकी नफाजत(स्िचछता) का प्रतीक है। खीरे को सांघ
ू कर बाहर फेंकना उनकी निाबी
नज़ाकत(कोमलता) को ठदखाता है । इस प्रकार पूरा पाठ निाबों की बनािटी जीिन-शैली और
नखरे का उत्तम सबत
ू है ।

बहुविकल्ट्पी प्रश्न:-

1.लेखक के ककस क्लास का ठटकट सलया?


क)फस्ट क्लास ख)सेकांड क्लास
ग)थेडा क्लास घ)पैसेंजर ठटकट

2.लेखक ने सेकांड क्लास का ठटकट क्यों सलया?

92
क)भीड़ से बिने ख)नयी कहानी के सांबांध में सोिने
ग)खखड़की से प्रकृततक दृश्य दे खने घ)ऊपर ठदये सभी कारणों से

3.निाब कहाँ के थे?


क)हैदराबाद ख) लखनऊ
ग) ठदल्ट्ली घ) मुफच्स्सल

4.ड़डब्बे के सांबांध में लेखक का क्या अनम


ु ान था?
क)भरा हुआ ख) खाली
ग) छोटा घ) आरामदायक

5.निाबी नस्ल के एक सफेदपोश सज्जन बैठे थे । ‘सफेदपोश’ से क्या तात्पया है ?


क)सफेद कपड़ा पहना हुआ ख) गोरा आदमी
ग)भर आदमी घ) बठढया आदमी

6.सफेदपोश सज्जन के आगे क्या रखा था?


क)खीरे ख) पानी
ग) िाकू घ) फाँके

7. इनमें से गलत कथन कौन-सा है –


क)लेखक का, ड़डब्बे में प्रिेश करना निाब को अचछा नहीां लगा
ख)निाब साहब अपदाथा िस्तु का शौक करने जा रहा था
ग)निाब की आांखों में असांतोष का भाि था
घ)निाब साहब सांगतत के सलए उत्सुक था

7.लेखक ने आत्मसम्मान में आँखें क्यों िरु ा लीां?


क)निाब साहब अपदाथा िस्तु का शौक कर रहा था
ख)निाब साहब ने सांगतत के सलए उत्साह न ठदखाया
ग)निाब साहब भी नयी कहानी की सोि में डूबा था
घ)निाब साहब के एकाांत धिांतन में विघ्न न डालना िाहते थे

8.कल्ट्पना करने की ककसकी परु ानी आदत थी?


क)लेखक की ख)निाब साहब की

93
ग)खीरा बेिने िाले की घ)ठटकट बाबू की

9.निाब साहब की असुविधा और सांकोि का कारण इनमें से कौन-सा नहीां है ?


के) अकेले यािा करने की इचछा
ख) लेखक का सांगतत के सलए उत्साह न ठदखाना
ग) ककफायत के वििार से सेकांड क्लास का ठटकट लेना
घ) सफेदपोश के सामने खीरा खाना

11. निाब साहा का सहसा क्या करना लेखक को अचछा नहीां लगा?
क) साथ बैठना ख) खीरा खाना
ग) भाि-पररितान घ) खखड़की से बाहर दे खना

12. 'भाँप लेना' का समानाथी शब्द है -


क) समझ लेना ख) श्िास लेना
ग) ले लेना घ) फरमाना

13. निाब साहब के भाि-पररितान की िजह क्या थी?


क) लेखक को प्रसन्द्न करना ख) लेखक को मामूली ठदखाना
ग) अपनी औकात ठदखाना घ) अपने साथ करना

14. लेखक ने खीरा खाने से क्यों इनकार ककया?


क) खीरे के प्रतत न पसांदी ख) भूख न होना
ग) आत्मसम्मान बिाने हे तु घ) दस
ू रों से िीज़ें लेना पसांद न करते थे

15. लखनऊ स्टे शन पर कौन खीरे के इस्तेमाल का तरीका जानते हैं?


क) ग्राहक ख) बबक्री करने बाला
ग) साधारण जन घ) प्रसशक्षक्षत जन

16. ककनका मुख खीरे की फाँकों को दे खकर तलावित हो रहा था?


क) यशपाल का ख) निाब का
ग) याबियों का घ) क और ख दोनों का

17. ककसने ककससे कहा कक "िल्ट्लाह, शौक कीच्जए, लखनऊ का िालम खीरा है।"
क) निाब ने ठटकट बाबू से ख) ठटकट बाबू ने निाब से

94
ग) निाब ने लेखक से घ) लेखक ने निाब से

18. निाब ने िमकती खीरे की फाँकों को कैसे दे खा?


क) दीघा तनश्िास लेकर ख) ततरछी नज़रों से
ग) असांतोष में घ) सतष्ृ ण आँखों से

19. निाब ने खीरे का रसास्िादन कैसे ककया?


क) दे खकर ख)छूकर
ग)सूांघकर घ)पलकें मूँदकर

20. खीरे की फाँकों का निाब ने क्या ककया?


क) खा सलया ख) लेखक को ज़बरदस्ती खखलाया
ग) सजाकर रखा घ) बाहर फेंक ठदया

21. इन शब्दों के सही अथा विकल्ट्प से ितु नए:


तहज़ीब, नफासत, नज़ाकत
क)बठढया, कोमलता, सशष्टता ख)कोमलता, स्िचछता, बठढया
ग)बठढया, सशष्टता, कोमलता घ)सशष्टता, स्िचछता, कोमलता

उत्तर-सूिी

1.ग) सेकांड क्लास 2.घ) ऊपर ठदये सभी कारणों से 3. ख) लखनऊ


4. ख) खाली 5. ग) भर आदमी 6.क) खीरे 7. क) निाब साहब सांगतत के सलए उत्सुक था
8.ख) निाब साहब ने सांगतत के सलए उत्साह न ठदखाया 9. क) लेखक की 10. ख) लेखक का
सांगतत के सलए उत्साह न ठदखाना 11. ग) भाि-पररितान 12. क) समझ लेना 13. ख) लेखक को
मामल
ू ी ठदखाना 14. ग) आत्मसम्मान बिाने हे तु 15. ख) बबक्री करने बाला 16. घ) क और ख
दोनों का 17. निाब ने लेखक से 18. घ) सतष्ृ ण आँखों से 19. ग) सघ
ूां कर 20.बाहर फेंक
ठदया 21. घ) सशष्टता, स्िचछता, कोमलता

95
कायषपत्रक (लिनवी अिंदाज़)

नाम------------ कक्षा------------ प्रापिािंक---------

1.अपनी हैससयत को ऊांिा ठदखाने हे तु निाब साहब ने क्या ककया?


क)शान-बान के साथ बैठे रहे
ख)अपनी रईसी का बखान ककया
ग)अकेले िक्त काटने के सलए खीरा खरीदा
घ)लेखक को मामूली इांसान का दजाा दे ने की कोसशश की

2.लेखक के ‘ज्ञान-िक्षु ‘कैसे खुले?


क)खीरे के फाँकें सजाने के तरीके दे खकर
ख)निाब के द्िारा खीरा खाने का प्रस्ताि दे ने पर
ग)निाब द्िारा खीरे के फाँकों को बाहर फेंकने पर
घ)निाब द्िारा सुगांध और स्िाद की कल्ट्पना से पेट भरने और सांतुच्ष्ट का असभनय करने
पर

3.निाब साहब के सांतुच्ष्ट के असभनय द्िारा लेखक ककन पर कटाक्ष करते हैं?

क)मामूली लोगों पर

ख)लेखक पर

ग)नए कहानीकारों पर

घ)नए तनबांधकारों पर

4. निाब ने फाँके सूांघकर बाहर क्यों फेंका?


क)झठ
ू ी शान का प्रदशान
ख)बनािटी रईसी का प्रदशान
ग)निाबीपन के नए तरीके
घ)क, ख, ग तीनों

96
सांक्षेप में उत्तर सलखखए :-

5. ‘लखनिी अांदाज़’ पाठ में निाब साहब के कक्रयाकलाप से हमें च्जस जीिन-शैली का पररिय
होता है क्या आज की बदलती पररच्स्थततयों में उसका तनिााह सांभि है ? तकासठहत उत्तर
दीच्जए।

उत्तर:...........................................................................................................................
..................................................................................................................................
.................................................................................................................

6. ‘लखनिी अांदाज़’ पाठ में निाब साहब ने अकेले सफर काटने के सलए खीरा खरीदा था।
आप अकेले सफर का िक्त कैसे काटते हैं?

उत्तर:...........................................................................................................................
..................................................................................................................................
.....................................................................................................................

7. लखनिी अांदाज़’ पाठ में निाब साहब के माध्यम से निाबी परां परा पर व्यांग्य है। स्पष्ट
कीच्जए ।

उत्तर............................................................................................................................
..................................................................................................................................
......................................................................................................................-----------

**************************************************

97
एक क ानी य भी - मन्नू भिंडारी

साराांश

एक कहानी यह भी' मन्द्नू भांडारी द्िारा आत्मपरक शैली में सलखी हुई आत्मकथ्य है।
इस पाठ में यह बात बड़े ही प्रभािशाली ढां ग से दशााई गई है कक बासलकाओां
को ककस तरह की पाबांठदयों का सामना करना पड़ता है। अपने वपता से लेखखका के
िैिाररक मतभेद का भी धििण हुआ है । प्रस्तुत आत्मकथा में लेखखका मन्द्नू भांडारी
ने ससलससलेिार आत्मकथा न सलखकर उन व्यच्क्तयों और घटनाओां का िणान ककया है
च्जन्द्होंने उसके लेखकीय व्यच्क्तत्ि के तनमााण में महत्िपूणा भूसमका तनभाई है । उन्द्होंने ककशोर
जीिन से जुड़ी घटनाओां के साथ-साथ अपने वपताजी, कॉलेज की प्राध्यावपका शीला अग्रिाल के
बारे में भी सलखा है।जो उनके लेखकीय जीिन से जुड़े है । लेखखका ने बड़े रोिक ढां ग से एक
साधारण लड़की के असाधारण बनने की पहली पड़ािों का िणान ककया है । सन ् 46- 47 की
आज़ादी की आँधी ने मन्द्नू जी को अछूता नहीां छोडा। छोटा शहर की युिा होती लड़की ने
आज़ादी की लड़ाईयों में च्जस तरह भागीदारी की, इससे उसका उत्साह, ओज ्, सांघटन क्षमता और
विरोध करने की तरीका दे खते ही बनता है। इन सब घटनाओां के साथ हो रहे अपने वपताजी
के अांतविारोधों को भी लेखखका ने बखूबी उजागर ककया है ।

1 अजमेर आने के बाद लेखखका के वपता ने क्या ककया ?


1. शब्दकोश का तनमााण 2. क़ज़ा िक
ू ा दे ना
3. बचिों के साथ खुलसमलकर व्यिहार 4.इनमें से कोई भी नहीां

12. वपताजी की सबसे बड़ी दब


ु ल
ा ता क्या थी

ii धन सलतसा 2. यश सलतसा

3. क्रोध 4. अहांकार

Iii वपताजी ने रसोईघर को क्या नाम ठदया


1. भांडारशाळा 2. भठटयार खाना
3. पाठशाला 4. गौशाला

iv) लेखखका को अपने अच्स्तत्ि का एहसास कब हुआ?

98
1. आन्द्दोलन में भाग लेने पर 2. वपताजी से बहस करने पर
3. भाई-बहन की छिछाया हटने पर 4. माँ से दरू हो जाने पर

v आज़ादी के आन्द्दोलन में लेखखका ने क्या ककया?


1. जुलूस में भाग सलया 2. भाषण ठदए
3. कॉलेज में छाि-छािाओां से हड़तालें करिाई 4. उपयक्
ुा त सभी

16. लेखखका का अपने घर में ककस सम्मातनत व्यच्क्त ने बड़ी गमाजोशी से स्िागत ककया ?
1. अांबबका लाल जी 2. अांबा लाल जी
3. श्री कृष्ण लाल जी 4. अांबा दे ि जी

प्रश्नोत्तर

1.लेखखका के व्यच्क्तत्ि पर ककन ककन व्यच्क्तयों का ककस रूप में प्रभाि पड़ा?
लेखखका के व्यच्क्तत्ि पर उनके वपता और उनकी कॉलेज की ठहांदी अध्यावपका शीला अग्रिाल
का प्रभाि सबसे अधधक पडा।गोरे रां ग के प्रतत वपता का आकषाण तथा साँिले रां ग िाली लेखखका
की उपेक्षा उसमे हीन भािना उत्पन्द्न कर शक्की बनाया। वपता के व्यिहार ने लेखखका के मन
में आक्रोश, विरोह और जागरूकता भरा। शीला अग्रिाल ने उनमें पुस्तकों के ियन और साठहत्य
में रुधि उत्पन्द्न की। तत्कालीन राजनीतत में भागीदारी केसलए प्रेररत कर उन्द्होंने लेखखका को
एक नया रास्ता ठदखाया।

2.इस आत्मकथ्य में लेखखका के वपता ने रसोई को भठटयारखाना कहकर क्यों सम्बोधधत
ककया है?

भठटयारखाना’ का अथा है - ऐसा घर या स्थान जहाँ भट्ठी जलती है अथिा िैसा घर जहाँ लोगों
द्िारा लोक-लज्जा का त्याग कर अपशब्दों का इस्तेमाल ककया जाता हो। यहाँ लेखखका के वपता
रसोईघर को ‘भठटयार खाना ’ कहते हैं। उनके अनुसार रसोईघर की भट्ठी में मठहलाओां की
समस्त प्रततभा जलकर भस्म हो जाती है , क्योंकक उन्द्हें िहाँ से कभी फुसात ही नहीां समलती कक
िे अपनी कला और प्रततभा का प्रदशान कर सकें। उन्द्हें अपनी इचछाओां का गला घोंटना पड़ताहै।

3.िह कौनसी घटना थी च्जसके बारे में सुनने पर लेखखका को न अपनी आँखों पर विश्िास हो
पाया और न अपने कानों पर?

99
लेखखका और उसके साधथयों की नारे बाज़ी और हड़ताल के कारण कॉलेज़ प्रशासन को कॉलेज़
िलाने में कठठनाई हो रही थी। फलत; लेखखका के वपता के पास कॉलेज़ के वप्रांससपल का पि
आया, च्जसमें लेखखका के कक्रया - कलापों की सशकायत की गई थी। िे आग-बबूला होकर कॉलेज़
गए। परन्द्तु ; अपनी बेटी के कारनामें जानकर और उसके प्रभाि को दे खकर उन्द्हें मन ही मन
गिा हुआ। लेखखका वपता के डर से अपने पड़ोसी के यहाँ बैठ गई थी। माँ ने जब जाकर बताया
कक उसके वपताजी क्रोधधत नहीां हैं, तो िह घर आई। वपता की बातें सन
ु कर और उनकी खश
ु ी
दे खकर लेखखका को न तो अपनी आँखों पर विश्िास हुआ और न अपने कानों पर।

4.लेखखका की अपने वपता से िैिाररक टकराहट को अपने शब्दों में सलखखए।

लेखखका ने जब से होश सांभाला तब से प्राय: ककसी न ककसी बात को लेकर अपने वपता के
साथ उसका टकराि होता ही रहता था। लेखखका के रां ग को लेकर वपता ने उसके मन में हीनता
भर दी थी। िे लेखखका में विरोह और जागरण का भाि भरना तो िाहते थे , परन्द्तु ; उसे घर
की िारदीिारी तक ही सीसमत रखना िाहते थे। लेखखका को रां ग का भेदभाि पसांद न था, साथ
ही वपता का शक्की स्िभाि भी उसे खलता था। िह भी स्ितांिता - सांग्राम में सकक्रय भागीदार
होना िाहती थी। प्राय: इन्द्हीां मुद्दों पर दोनों में िैिाररक टकराहट होती रहती थी।

5.इस आत्मकथ्य के आधार पर स्िाधीनता आांदोलन के पररदृश्य का धििण करते


हुए उसमें मन्द्नू जी की भूसमका को रे खाांककत कीजीए।

सन ् 1946-47 ई. में समूिे दे श में ‘भारत छोड़ो आांदोलन’ पूरे उफान पर था। हर तरफ हड़तालें
, प्रभात - फेररयाँ, ज़ुलूस और नारे बाज़ी हो रही थी। घर में वपता और उनके साधथयों के साथ
होनेिाली गोच्ष्ठयों और गततविधधयों ने लेखखका को भी जागरूक कर ठदया था। प्राध्यावपका
शीला अग्रिाल ने लेखखका को स्ितांिता - आांदोलन में सकक्रय रूप से जोड़ ठदया। जब दे श में
तनयम - कानून और मयाादाएँ टूटने लगीां, तब वपता की नाराज़गी के बाद भी िे पूरे उत्साह के
साथ आांदोलन में कूद पड़ीां। उनका उत्साह , सांगठन-क्षमता और विरोध करने का तरीक़ा दे खते
ही बनता था। िे िौराहों पर बेखझझक भाषण, नारे बाज़ी और हड़तालें करने लगीां। इस प्रकार हम
कह सकते हैं कक स्ितांिता आांदोलन में उनकी भी सकक्रय भसू मका थी।

6.लेखखका ने बिपन में अपने भाइयों के साथ धगल्ट्ली डांडा तथा पतांग उडाने जैसे खेल भी खेले
ककन्द्तु लड़की होने के कारण उनका दायरा घर के िार दीिारी तक सीसमत था। क्या आज भी
लड़ककयों के सलए च्स्थततयाां ऐसी ही है या बदल गई है ? अपने पररिेश के आधार पर
सलखखए।

100
बिपन में लेखखका ने धगल्ट्ली-डांडा और पतांग उड़ाने जैसे खेल तो खेले, लेककन उनका दायरा घर
की िारदीिारी तक ही सीसमत था। इस दृच्ष्ट से आज च्स्थततयाँ एकदम बदल-सी गई हैं। आज
लड़ककयाँ घर की िौखट लाँघ कर खेल के मैदानों में पहुँि गईं हैं। उन पर लगी पाबांठदयाँ
क्रमश: कमतर होती जा रही हैं। यही कारण है कक लड़ककयाँ केिल खेल में ही नहीां , अवपतु
अन्द्य लड़कों की तरह समाज सेिा , नौकरी , व्यापार आठद क्षेिों में भी अपना ििास्ि स्थावपत
करते जा रही हैं। इस प्रकार कहा जा सकता है कक आज लड़ककयाँ घर की िारदीिारी में बन्द्द
नहीां हैं।

7.मनष्ु य के जीिन में आस पड़ोस का बहुत महत्त्ि होता है। बड़े शहरों में रहनेिाले लोग प्राय:
पड़ोस कल्ट्िर से िांधित रह जाते है । अपने अनुभि के आधार पर सलखखए।

मनुष्य के जीिन में ‘पड़ोस-कल्ट्िर’ का बड़ा महत्ि है। पड़ोसी प्राय: एक-दस
ू रे की सहायता करने
के सलए तैयार रहते हैं। गाँिों में ‘पड़ोस-कल्ट्िर’ के आज भी दशान होते हैं। परन्द्तु; दभ
ु ााग्यिश
शहरों में ‘पड़ोस-कल्ट्िर’ प्राय: है ही नहीां। महानगरों के लोग इससे सिाथा िांधित रह जाते हैं।
आज नगरों में नर - नारी दोनों कामकाजी हैं। िे अपने काम और घर के अलािा कुछ दस
ू रा
सोि ही नहीां पाते। िे स्ि - केच्न्द्रत हो गए हैं। बचिे भी अपने भविष्य की धिन्द्ता में खोए
रहते हैं। आज लोग पड़ोसी से इतने कटे हैं कक उन्द्हें अपने पड़ोसी का नाम भी नहीां मालम

होता , कफर भला सुख - दख
ु बाँटने की तो बात ही दस
ू री ह

**************************************************

101
कायष पत्रक

नाम------------ कक्षा------------ प्रापिािंक---------

बहु विकल्ट्पीय प्रश्न

1. एक कहानी यह भी – पाठ की लेखखका का नाम बताइए-


1. उषा वप्रयांिदा, 2. मन्द्नू भांडारी
3. महादे िी िमाा, 4. सभ
ु राकुमारी िौहान

उत्तर -------------------------------

2. मन्द्नू जी की सम्माननीय प्राध्यावपका का नाम क्या था?


1. मनीषा यादि 2. शासलनी गुतता
3. शीला अग्रिाल 4. ज्योतत गोयल

उत्तर -------------------------------

3. लेखखका के पतत का नाम क्या था?


1. धमेन्द्र 2. राजेन्द्र
3. सुरेन्द्र 4. हरे न्द्र

उत्तर -------------------------------

4. अजमेर से पहले लेखखका के वपताजी कहाँ रहते थे?


1. ठदल्ट्ली 2. पटना
3. इांदौर 4. आगरा

उत्तर -------------------------------

5. लेखखका के वपताजी इांदौर से अजमेर क्यों आ गए थे?


1. आधथाक झटका 2. तबादला
3.व्यापार 4. पाररिाररक समस्या
उत्तर -------------------------------

6. लेखखका महानगरों में ककस कमी को महसूस करती है?

102
1. पड़ोस सांस्कृतत 2. पानी
3. बबजली 4. पररिार
उत्तर -------------------------------

7. लेखखका के अनुसार पड़ोस कल्ट्िर को सबसे अधधक नुक्सान ककसने पहुँिाया?


1. स्िाथा भािना 2. पाशात्य सभ्यता
3.आधन
ु ीकरण की प्रकक्रया 4. महानगरों के फ्लाट सांस्कृतत

उत्तर -------------------------------

8. मन्द्नू जी के वपताजी का स्िभाि कैसे था?


1. तयारा 2. अनुशासनपूणा
3. शक्की 4. सशष्ट

उत्तर -------------------------------

9. लेखखका ने अपने वपता के शक्की स्िभाि का क्या कारण बताया?


1. अपनों द्िारा विश्िासघात 2. पत्नी का बुरा व्यिहार
3. बचिों का बुरा व्यिहार 4. नौकरी छूट जाना

उत्तर -------------------------------

10. मन्द्नू जी के मन में कौन सी हीां भािना ग्रांथी बन गई थीां?


1. काले रां ग का होना 2. छोटे कद का होना
3. िश्मा लगाना 4. पढाई में कमज़ोर होना

उत्तर -------------------------------

103
नौबतखाने में इबादत लेखक- यतीांर समश्र

पाठ पररिय

यह पाठ प्रससद्ध शहनाई िादक बबच्स्मल्ट्ला खाँ पर रोिक शैली में सलखा गया
व्यच्क्त धिि है । प्रस्तत
ु पाठ में बबच्स्मल्ट्ला खाँ के पररिय के साथ उनकी रुधियों, उनके
अांतमान की बुनािट, सांगीत की साधना और लगन को मासमाक भाषा में व्यक्त ककया गया है
। लेखक को शास्िीय सांगीत की गहरी जानकारी है च्जसका प्रभाि पाठ में दृच्ष्टगोिर होता है
। लेखक का मानना है कक जब तक राम कथा है , इस विदे शी भारतीय साधु को याद ककया
जाएगा तथा उन्द्हें ठहन्द्दी भाषा और बोसलयों के अगाध प्रेम का उदाहरण माना जाएगा ।

II. तनम्नसलखखत गद्याांश पढकर नीिे ठदए गए प्रश्नों के उत्तर िुनकर सलखखए ।

( क) शहनाई के इसी मांगलध्ितन के नायक बबच्स्मल्ट्ला खाँ साहब अस्सी बरस से सरु
माँग रहे हैं । सचिे सुर की नेमत । अस्सी बरस की पाँिों िक्त िाली नमाज़ इसी सुर को
पाने की प्राथाना में खिा हो जाती है । लाखों सज़दे , इसी एक सचिे सरु की इबादत में खद
ु ा
के आगे झुकते हैं । िे नमाज़ के बाद सज़ते में धगडधगडाते हैं – मेरे मासलक एक सुर बख्श
दे । सुर में िह तासीर पैदा कर की आँखों में सचिे मोती की तरह अनगढ आँसू तनकल
आएँ । उनको यकीन है , कभी खुदा यूँ ही उन पर मेहरबान होगा और अपनी झोली से सुर
का फल तनकालकर उनकी ओर उछालेगा , कफर कहे गा, ले जा अमीरुद्दीन इसको खा ले
और कर ले अपनी मुराद पूरी ।

1.यहाँ बबच्स्मल्ट्ला खाँ के सलए कौन सा विशेषण प्रयोग ककया गया है ?


1.उस्ताद 2. अमीरुद् दीन
3. मांगलध्ितन के नायक 4. मासलक

2. बबच्स्मल्ट्ला खाँ नमाज़ के बाद सज़दे में क्या माँगते रहे ?


1. यश 2. सुर
3. धन 4. पुि

104
3.बबच्स्मल्ट्ला खाँ को क्या विश्िास है ?
1.खुदा उनकी प्राथाना सुन सकता है 2. खुदा उनकी मुराद ज़रूर पूरी करे गा
3.खुदा उन्द्हें यश अिश्य दे गा 4.खुदा उनकी प्राथाना अनसुनी कर सकता है

4. गद्याांश में बबच्स्मल्ट्ला खाँ के व्यच्क्तत्ि की ककस विशेषता का पता िलता है ?


1.आलसी 2. समलनसार
3. लोभी 4. विनम्र

5. तनम्न में से कौन सा विकल्ट्प “मुराद” शब्द का समानाथी नहीां है ?


1. कामना 2. असभलाषा
3. च्जजीविषा 4. आकाांक्षा

(ख) इस ठदन खाँ साहब खडे होकर शहनाई बजाते हैं ि दालमांडी में फातमान के करीब आठ
ककलोमीटर की दरू ी तक पैदल रोते हुए नौहा बजाते जाते हैं । इस ठदन कोई राग नहीां बजता
।राग- राधगतनयों की अदायगी का तनषेध है इस ठदन । उनकी आँखें इमाम हुसैन और उनके
पररिार के लोगों की शहदत में नम रहती हैं । आज़दारी होती है । हज़ारों आँखें नम । हज़ार
बरस की परां परा पुनजीवित । मुहरा म सांपन्द्न होता है । एक बडे कलाकार का सहज मानिीय
रूप ऐसे अिसर पर आसानी से ठदख जाता है ।

1. खाँ साहब ककस ठदन खडे होकर शहनाई बजाते हैं?


क. ईद के ठदन ख. बकरीद के ठदन
ग. जुमा के ठदन घ. मुहराम के ठदन

2. बबच्स्मल्ट्ला खाँ उस विशेष ठदन पर आठ ककलोमीटर तक रोते हुए नौहा क्यों बजाते हैं?
क. इमाम हुसैन और उनके पररिार िालों के प्रतत श्रद्धाांजसल दे ने केसलए
ख. इमाम हुसैन और उनके पररिार िालों की याद में
ग. इमाम हुसैन का ऐसा आदे श था
घ. दस
ू रों को ऐसा करते दे खकर

3. “रोते हुए नौहा बजाने” से बबच्स्मल्ट्ला खाँ की ककस विशेषता का पता िलता है?
क. िे रोते हुए भी शहनाई बजा सकते थे
ख. िे नौहा भी बजा सकते थे
ग. सप्र
ु ससद्ध कलाकार होकर भी िे परां पराओां का आदर करते थे
घ. िे बहुत पररश्रमी थे ।

105
4. इनमें कौन सा कथन बबच्स्मल्ट्ला खाँ के व्यच्क्तत्ि की विशेषता की पुच्ष्ट नहीां करता है ?
क. िे श्रेष्ठ कलाकार थे
ख. िे उचिकोठट के कलाकार होने के साथ अचछे इांसान भी थे ।
ग. िे सांिेदनहीन व्यच्क्त थे
घ. िे धासमाक तथा परां पराओां का पालन करनेिाले थे ।

5. प्रस्तत
ु पाठ के लेखक का नाम है –
क. स्ियां प्रकाश ख. रामिक्ष
ृ बीनी पुरी
ग. यतीर समश्र घ. यश्पाल

(ग) अक्सर कहते हैं – क्या करें समयाँ, ई काशी छोडकर कहाँ जाएँ, गांगा मइया यहाँ, बालाजी का
मांठदर यहाँ, बाबा विश्िनाथ यहाँ, यहाँ हमारे खानदान की कई पुश्तों ने शहनाई बजाई है , हमारे
नाना तो िहीां बालाजी मांठदर में बडे प्रततच्ष्ठत शहनाईिाज़ रह िक
ु े हैं । अब हम क्या करें ,
मरते दम तक न यह शहनाई छूटे गी न काशी । च्जस ज़मीन ने हमें तालीम दी, जहाँ से अदब
पाई, िो कहाँ और समलेगी? शहनाई और काशी से बढकर कोई जन्द्नत नहीां इस धरती पर हमारे
सलए ।

1.“ई काशी छोडकर कहाँ जाएँ” - िाक्य में बबच्स्मल्ट्ला खाँ के मन का कौन सा भाि प्रकट होता
है?
क. काशी के प्रतत गहरे लगाि का
ख. लालि का
ग. के प्रतत सांकीणा मानससकता का
घ. इनमें से कोई नहीां

2. तनम्न में से क्या काशी में नहीां है ?


क. पािन गांगा नदी ख. बाबा विश्िनाथ का मांठदर
ग. मुच्क्तदातयनी आश्रम घ. बालाजी का मांठदर

3. काशी से बबच्स्मल्ट्ला खाँ का पैतक


ृ लगाि है । यह भाि व्यक्त करनेिाला कथन कौन सा
है?

क. िे काशी के मांठदर में ररयाज करते थे ।


ख. िे यहीां आइस्क्रीम और किौड़डयाँ खाया करते थे ।

106
ग. उनकी कई पीठढयाँ यहाँ पैदा हुई थीां ।
घ.उनकी कई पीठढयों ने यहाँ शहनाई बजाई है ।

4. बबच्स्मल्ट्ला खाँ ने शहनाई िादन में ककस जगह से प्रिीणता प्रातत की?
क. डुमराँि ख. काशी
ग. प्रयाग घ. हररद्िार

5. बबच्स्मल्ट्ला खाँ काशी को क्या मनते हैं?


क. स्िगा ख. मन्द्नत
ग. मोक्षदातयनी घ.अमानत

1. शहनाई की दतु नया में डुमराँि को क्यों याद ककया जाता है?
उ. शहनाई की दतु नया में डुमराँि को याद ककया जाता है क्योंकक बबहार के डुमराँि गाँि के एक
सांगीत प्रेमी पररिार में बबच्स्मल्ट्ला खाँ का जन्द्म हुआ । शहनाई और डुमराँि एक-दस
ू रे केसलए
उपयोगी हैं । शहनाई बजाने केसलए रीड का प्रयोग होता है। यह रीड एक प्रकार की घास से
बनाई जाती है । यह घास डुमराँि की महत्ता है , च्जसके कारण शहनाई जैसा िाद्य बजता है ।
उस्ताद बबच्स्मल्ट्ला खाँ का जन्द्म भी यहीां हुआ था । इनके परदादा उस्ताद सलार हुसैन खाँ भी
डुमराँि तनिासी थे ।

2. काशी में हो रहे कौन सा पररितान बबच्स्मल्ट्ला खाँ को व्यधथत करते थे?
उ.सन 2000 में पक्का महाल ( काशी विश्िनाथ से लगा हुआ अधधकतम इलाका ) से मलाई
बरफ बेिने िाले जा िुके थे । खाँ साहब को इनकी कमी खलती थी । िे सशद् द से यह
महसूस करते थे कक दे शी घी में भी शुद्धता नहीां रही । गायकों के मन में सांगततयों केसलए
कोई आदर नहीां रहा । कोई भी घांटों अभ्यास नहीां करता । साांप्रदातयक सद् भािना कम होती
जा रही है । एक सचिे सुर साधक और सामाच्जक मान्द्यताओां को मानने िाले खाँ साहब
को काशी में हो रहे यह पररितान व्यधथत करते थे ।
3.बबच्स्मल्ट्ला खाँ के व्यच्क्तत्ि की कौन-कौन सी विशेषताओां ने आपको प्रभावित ककया ?
उ. बबच्स्मल्ट्ला खाँ के व्यच्क्तत्ि में अनेक ऐसी विशेषताएँ थी , उनमें से कुछ हैं – सांगीत
साधना के प्रतत पूणा तनष्ठा, सादा जीिन उचि वििार, ठहन्द्द ु – मुच्स्लम एकता के समथाक ,
भारतीय सांस्कृतत के प्रतत गहरा लगाि , प्रदशान की भािना का न होना , शहनाई को उचि
स्थान ठदलाना तथा तमाम तारीफ केसलए ईश्िर की कृपा मानना ।

107
4. जीिन के आरां सभक ठदनों में सांगीत के प्रतत खाँ साहब की आसच्क्त क्यों और कैसे हुई?
उ. खाँ साहब जब छोटे थे तब िे ररयाज़ केसलए बालाजी मांठदर जाते थे । रास्ते में रसूलन
और बतूलन दोनों बहनों का घर था, िे बहुत अचछा गाती थी । इन्द्हीां बहनों के गायन से
उन्द्हें सांगीत के प्रतत लगाि उत्पन्द्न हुआ ।

5. बबच्स्मल्ट्ला खाँ जी के बिपन का नाम क्या था? इनके मामा तथा बडे भाई का पररिय अपने
शब्दों में सलखखए ?
उ. बबच्स्मल्ट्ला खाँ जी के बिपन का नाम अमीरुद् दीन था । बबच्स्मल्ट्ला जी यानी अमीरुद्दीन
छह साल की उम्र से और इनके बडे भाई शम्सुद् दीन नौ साल की उम्र से अपने मामा के
यहाँ रहते थे । अमीरुद् दीन को राग के बारे में बबलकुल भी जानकारी नहीां थी । इनके
मामा अकसर भीमपलासी और मुलतानी राग के बारे में कहते थे । दोनों मामा साठदक हुसैन
और अलीबख्श दे श के जाने – माने शहनाई िादक थे । िे दे श के विसभन्द्न ररयासतों के
दरबार में बजाने जाते रहते थे ।

6. बबच्स्मल्ट्ला खाँ जी के जीिन से जड


ु ी उन घटनाओां और व्यच्क्तयों का उल्ट्लेख करें , च्जन्द्होंने
इनकी सांगीत साधना को समद्
ृ ध ककया?
उ. बबच्स्मल्ट्ला खाँ जी के सांगीत साधना को च्जन व्यच्क्तयों ने समद्
ृ ध ककया िे हैं –
क. बालाजी मांठदर के जाते हुए रास्ते में दो बहनें रसूलनबाई और बतूलन बाई के गायन
को सुनकर खाँ साहब को सांगीत के प्रतत आसच्क्त उत्पन्द्न हुई ।
ख. खाँ साहब के नाना प्रससद्ध शहनाई िादक थे । िे तछपकर उन्द्हें सुनते थे और बाद में
शहानाइयों के ढे र में से उस शहनाई को ढूँढते, जो नाना के बजाने पर मीठी धुन छे डती थी ।
ग. खाँ साहब के मामा अलीबख्श खाँ , जब शहनाई बजाते , तो िे जहाँ पर सम आता, तब एक
दम से एक पत्थर ज़मीन पर मारते थे ।

7. सवु षर – िाद्यों से क्या असभप्राय है? शहनाई को सवु षर िाद् यों में “ शाह” की उपाधी क्यों
दी गई होगी ?
उ. सुवषर िाद्य अथाात िाद्य , च्जनमें नाडी ( नरकट या रीड ) होती है और च्जन्द्हें फँू ककर
बजाया जाता है । शहनाई को शाहे नय अथाात सुवषर िाद् यों में शाह की उपाधध दी गई है ।
मुरली, िांशी, श्रांग
ृ ी आठद में यह सबसे अधधक प्रिसलत, प्रससद्ध ि मोहक िाद् य रहा है । अिधी
के पारां पररक लोकगीतों एिां िैती में शहनाई का उल्ट्लेख बार- बार समलता है । दक्षक्षण भारत
के मांगल िाद्य नागस्िरम की तरह शहनाई प्रभाती की मांगल ध्ितन का सांपूरक है ।

8. बबच्स्मल्ट्ला खाँ कला के अनन्द्य उपासक थे, तका सठहत उत्तर दीच्जए?

108
उ. बबच्स्मल्ट्ला खाँ शहनाई बजाने की कला में तनपुण थे । िे कला को साधना मानते थे ।
िे गांगा – घाट पर बैठकर घांटों ररयाज़ करते रहते थे । िे सदा खुदा से सुर बख्शने की माँग
करते रहते थे । उन्द्होंने अपनी कला को कभी कमाई का साधन नहीां बनाया । सिाश्रेष्ठ
कलाकार होने पर भी उन्द्होंने स्ियां को अधूरा माना । शहनाई िादन पर उनकी तारीफ की
जाती थी, तो िे उसे अलहमदसु लल्ट्लाह कहकर खुदा को समवपात कर दे ते थे । बिपन में
नाना की मीठी शहनाई की खोज से शुरु हुआ सुरों का सफर आजीिन सचिा सरु खोजने में
ही तनकला । इससे ससद्ध होता है कक िे कला के अनन्द्य उपासक थे ।

उत्तर
II. (क)1. मांगलध्ितन के नायक
2. सुर
3.खुदा उनकी मुराद ज़रूर पूरी करे गा
4.विनम्र
5.च्जजीविषा

(ख) 1. मुहरा म के ठदन


2.इमाम हुसैन और उनके पररिार िालों के प्रतत श्रद्धाांजसल दे ने केसलए
3.सुप्रससद्ध कलाकार होकर भी िे परां पराओां का आदर करते थे
4. िे सांिेदनहीन व्यच्क्त थे
5. यतीर समश्र

(ग )1. दे श के प्रतत सांकीणा मानससकता का


2. मच्ु क्तदातयनी आश्रम
3. उनकी कई पीठढयों ने यहाँ शहनाई बजाई है ।
4. काशी
5. स्िगा

109
कायापिक

नाम----------------- कक्षा -------------------------- प्रातताांक ---------------

1.बबच्स्मल्ट्ला खाँ काशी छोडकर न जाने केसलए क्या-क्या तका दे ते थे?

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2.लेखक बबच्स्मल्ट्ला खाँ साहब खुदा से क्या नेमत माँगते थे?

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3.ककन विशेषताओां के कारण काशी को सांस्कृतत की पाठशाला कहा गया है ?

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4.बबच्स्मल्ट्ला खाँ को शहनाई की मांगल ध्ितन का नायक क्यों कहा गया है ?

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110
5.बबच्स्मल्ट्ला खाँ के व्यच्क्तत्ि की कौन कौन सी विशेषताओां ने आपको प्रभावित ककया? आप

इन में से ककन विशेषताओां को अपनाना िाहें गे? कारण सठहत ककन्द्हीां दो का उल्ट्लेख कीच्जए|

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111
सांस्कृतत
साराांश
सांस्कृतत तनबांध हमें सभ्यता और सांस्कृतत से जड़
ु े अनेक जठटल प्रश्नों से टकराने की प्रेरणा
दे ता है | इस तनबांध में भदां त आनांद कौसल्ट्यायन जी ने अनेक उदाहरण दे कर यह बताने का
प्रयास ककया है कक सभ्यता और सांस्कृतत ककसे कहते है ,दोनों एक ही िस्तु है अथिा अलग
अलग | िे सभ्यता को सांकृतत का पररणाम मानते हुए कहते है कक मानि सांस्कृतत अविभाज्य
िस्तु है |उन्द्हे सांस्कृतत का बाांटिारा करने िाले लोगों पर आश्िया होता है और दख
ु भी |उनकी
दृच्ष्ट में जो मनष्ु य के सलए कल्ट्याणकारी नहीां है , िह न सभ्यता है और न सांस्कृतत | लेखक
दो उदाहरण दे ता है पहला उदाहरण है आग का आविष्कार और दस
ू रा सुई-धागे का| लेखक के
अनुसार इन दोनों को खोजने की शच्क्त या प्रिवृ त्त को सांस्कृतत कहते है और आग तथा सुई-
धागे को सभ्यता कहते है ,दस
ू रे शब्दों में प्रिवृ त्त और प्रेरणा को सांस्कृतत कहते है | आविष्कृत
िस्तु को सभ्यता कहते है |

I॰तनम्नसलखखत गद्याांश पढकर उसके अधोसलखखत प्रश्नों के सही विकल्ट्प िन


ु कर सलखखए
(1x5=5)
च्जस योग्यता, प्रिवृ त्त अथिा प्रेरणा के बल पर आग का ि ि सई
ु -धोगे का आविष्कार हुआ ,िह
है व्यच्क्त विशेष की सांस्कृतत ; और उस सांस्कृतत द्िारा जो आविष्कार हुआ ,जो िीज़ उसने
अपने तथा दस
ू रों के सलए आविष्कृत की ,उसका नाम है सभ्यता |च्जस व्यच्क्त में पहली िीज़
,च्जतनी अधधक ि जैसी पररष्कृत मािा में होगी ,िह व्यच्क्त उतना ही अधधक ि िैसा ही
पररष्कृत आविष्कताा होगा|

1.उपयक्
ुा त गदयाांश ककस पाठ से अितररत है?
क)एक कहानी यह भी ख)सांस्कृतत
ग)नौबतखाने में इबादत घ)स्िी-शीक्षा के विरोधी कुरतों का खांडन

2.सांस्कृतत क्या है
क)मनोिवृ त्त ख)आविष्कार
ग)योग्यता घ)ज्ञान

3.सांस्कृतत और सभ्यता में िही अांतर है जो:


क)आग और सई
ु धोगे में है ख)ज्ञान और सशक्षा में है

112
ग)सामथ्या और क्षमता में है घ)आविष्कार करने और उसका उपयोग करने में
है |

4.आग और सुई-धोगे के आविष्कार के पीछे क्या प्रेरणा रही होगी?


क)व्यच्क्त विशेष की मनोिवृ त्त ख)व्यच्क्त विशेष की ज्ञान अचछा
ग)व्यच्क्त विशेष की भौततक आिश्यकता घ)व्यच्क्त विशेष की सहज प्रिवृ त्त

5.च्जस व्यच्क्त ने कोई निीन आविष्कार ककया है िह:


क)ससफा सभ्य व्यच्क्त है | ख)सांस्कृत और सभ्य दोनों है |
ग)न सांस्कृत व्यच्क्त है न ही सभ्य घ)ससफा सांस्कृत व्यच्क्त है
(2)
एक सांस्कृत व्यच्क्त ककसी नई िीज़ की खोज करता है ; ककां तु उसकी सांतान को िह अपने
पूिज
ा से आनायास ही प्रातत हो जाती है | च्जस व्यच्क्त की बुद्धध ने अथिा उसके वििेक ने
ककसी भी नए तथ्य का दशान ककया ,िह व्यच्क्त ही िास्तविक सांस्कृत व्यच्क्त है और उसकी
सांतान च्जसे अपने पूिज
ा से िह िस्तु अनायास ही प्रातत हो गई है , िह अपने पूिज
ा की भाँतत
सभ्य भले ही बन जाए,सांस्कृत नहीां कहला सकता| एक आधतु नक उदाहरण लें| न्द्यट
ू न ने
गुरुत्िाकषाण के ससद्धाांत का आविष्कार ककया |िह सांस्कृत मानि था | आज के युग का
भौततक विज्ञान का विद्याधथा न्द्यूटन के गुरुत्िाकषाण से तो पररधित है ही ; लेककन उसके
साथ उसे और भी अनेक बातों का ज्ञान प्रातत है च्जनसे शायद न्द्यूटन अपररधित ही रहा |
ऐसा होने पर भी हम आज के भौततक विज्ञान के विद्याथी को न्द्यूटन की अपेक्षा अधधक
सभ्य भले ही कह सके; पर न्द्यूटन च्जतना सांस्कृत नहीां कह सकते |
1. पाठ का नाम बताइए
क)एक कहानी यह भी
ख)नौबत खाने में इबादत
ग)सांस्कृतत
घ)स्िी सशक्षा के विरोधी कुतकों का खांडन
2.सांस्कृत का आशय है –
क)एक भाषा ख)सभ्य
ग)आविष्कारक घ)शुभ
3.सांस्कृत व्यच्क्त िह है ,जो-
क) नए आविष्कार करे ख)नए आविष्कारों का ज्ञाता हो
ग)सांस्कृत भाषा जानता हो घ)नए आविष्कारों का प्रयोगकताा हो

113
4.अनायास का तात्पया है -
क) बबना प्रयास के ब)सुविधा से
ग)आराम से घ) मेहनत से

5.सभ्य कौन है –
क)जो रहन-सहन के तैर तरीके जनता है ख)च्जसका पहनािा अचछा हो
ग)जो नए आविष्कार कताा हो घ)जो आविष्कारों का ज्ञाता हो

II॰अधोसलखखत प्रश्नों के सही विकल्ट्प िुनकर सलखखए (1x2=2)


1.च्जस प्रेरणा के बल पर सुई-धागे का आविष्कार हुआ िह व्यच्क्त विशेष की क्या है ?
क)सभ्यता ख)सांस्कृतत
ग)प्रेरणा घ)खोज

2.सांकृतत का पररणाम क्या है?


क) सांस्कृत ख) खोज
ग) सभ्यता घ)प्रेरणा

3). गुरुत्िाकषाण के ससद्धाांत का आविष्कार ककसने ककया?


क) एड़डसन ख) न्द्यूटन
ग)गह
ृ मबल घ) बाबेज

2.जो व्यच्क्त अपने पूिज


ा से ककसी नई िीज़ को अनायास ही प्रातत कर लेता है उसे क्या
नहीां कह सकते?
क)सभ्य ख)सांस्कृत
ग)िाररस घ)भाग्यिान

III॰ननम्नमलखिि से ककन् ीिं िीन प्रश्नों के उत्तर 25-30 शब्दों में मलखिए

1.लेखक की दृच्ष्ट में 'सभ्यता' और 'सांस्कृतत' की सही समझ अब तक क्यों नहीां बन पाई है ?
उत्तर .- लेखक की दृच्ष्ट में दो शब्द सभ्यता और सांस्कृतत की सही समझ अभी भी नहीां हो
पाई है ; क्योंकक इनका उपयोग बहुत अधधक होता है और िो भी ककसी एक अथा में नहीां होता
है। इनके साथ अनेक विशेषण लग जाते हैं; जैसे - भौततक-सभ्यता और आध्याच्त्मक-सभ्यता
इन विशेषणों के कारण शब्दों का अथा बदलता रहता है। इससे यह समझ में नहीां आता कक

114
यह एक ही िीज है अथिा दो| यठद दो है तो दोनों में क्या अांतर है ? इसी कारण लेखक इस
विषय पर अपनी कोई स्थायी सोि नहीां बना पा रहे हैं।

2॰आग की खोज एक बहुत बड़ी खोज क्यों मानी जाती है ? इस खोज के पीछे रही प्रेरणा के
मुख्य स्रोत क्या रहे होंगे?
उत्तर - आग का आविष्कार अपने-आप में एक बहुत बड़ा अविष्कार हुआ होगा। क्योंकक उस
समय मनष्ु य में बद्
ु धध शच्क्त का अधधक विकास नहीां हुआ था। समय की दृच्ष्ट से यह बहुत
बड़ी खोज थी।सम्भित: आग की खोज का मुख्य कारण रोशनी की ज़रुरत तथा पेट की ज्िाला
रही होगी। अांधेरे में जब मनुष्य कुछ नहीां दे ख पा रहा था तब उसे रोशनी की ज़रुरत महसूस
हुई होगी, कचिा माँस का स्िाद अचछा न लगने के कारण उसे पका कर खाने की इचछा से
आग का आविष्कार हुआ होगा।

3॰िास्तविक अथों में ‘सांस्कृत व्यच्क्त’ ककसे कहा जा सकना है ?


उत्तर- िास्तविक अथों में सांस्कृत व्यच्क्त उसे कहा जा सकता है जो अपना पेट भरा होने तथा
तन ढां का होने पर भी तनठल्ट्ला नहीां बैठता है । िह अपने वििेक और बद्
ु धध से ककसी नए तथ्य
का दशान करता है और समाज को अत्यांत उपयोगी आविष्कार दे कर उसकी सभ्यता का मागा
प्रशस्त करता है । उदाहरणाथा न्द्यट
ू न सांस्कृत व्यच्क्त था च्जसने गरु
ु त्िाकषाण के ससद्धाांत की
खोज की। इसी तरह ससद्धाथा ने मानिता को सुखी दे खने के सलए अपनी सुख-सुविधा छोड़कर
जांगल की ओर िले गए।

4॰न्द्यूटन को सांस्कृत मानि कहने के पीछे कौन से तका ठदए गए हैं? न्द्यूटन द्िारा प्रततपाठदत
ससद्धाांतों एिां ज्ञान की कई दस
ू री बारीककयों को जानने िाले लोग भी न्द्यूटन की तरह सांस्कृत
नहीां कहला सकते, क्यों?
उत्तर- न्द्यूटन को सांस्कृत मानि कहने के पीछे यह तका ठदया गया है कक न्द्यट
ू न ने गुरुत्िाकषाण
के ससद्धाांत सांबांधी नए तथ्य का दशान ककया और इस ससद्धाांत की खोज ककया। नई िीज़ की
खोज करने के कारण न्द्यूटन सांस्कृत मानि था। कुछ लोग जो न्द्यूटन के पीढी के हैं िे न्द्यूटन
के ससद्धाांत को जानने के अलािा अन्द्य बहुत-सी उन बातों का ज्ञान रखते हैं च्जनसे न्द्यूटन
सिाथा अनसभज्ञ था, परां तु उन्द्हें सांस्कृत मानि इससलए नहीां कहा जा सकता है क्योंकक उन्द्होंने
न्द्यूटन की भाँतत ककसी नए तथ्य का आविष्कार नहीां ककया। ऐसे लोगों को सांस्कृत मानि नहीां
बच्ल्ट्क सभ्य मानि कहा जा सकता है।

5.ककन महत्त्िपूणा आिश्यकताओां की पूतता के सलए सुई-धागे का आविष्कार हुआ होगा?

115
उत्तर-सुई-धागे का आविष्कार च्जन दो महत्त्िपूणा आिश्यकताओां की पूतता के सलए ककया गया िे
हैं अपने शरीर को शीत और उष्ण मौसम से सुरक्षक्षत रखने के सलए कपड़े ससलने हे तु।
मनुष्य द्िारा सुांदर ठदखने की िाह में अपने शरीर को सजाने के सलए क्योंकक इससे पूिा िह
छाल एिां पेड़ के पत्तों से यह काया ककया करता था।

6. मानि सांस्कृतत एक अविभाज्य िस्तु है ।” ककन्द्हीां दो प्रसांगों का उल्ट्लेख कीच्जए जब


(क) मानि सांस्कृतत को विभाच्जत करने की िेष्टाएँ की गईं।
उत्तर-(क) समय-समय ऐसी कुिेष्टाएँ की गईं जब मानि-सांस्कृतत को धमा और सांप्रदाय में
बाँटने का प्रयास ककया गया। कुछ असामाच्जक तत्ि तथा धमा के तथाकधथत ठे केदारों ने ठहांद-ू
मुच्स्लम साांप्रदातयकता का जहर फैलाने का प्रयासकर मानि सांस्कृतत को बाँटने की कुिेष्टा
की। इन लोगों ने अपने भाषणों द्िारा दोनों िगों को भड़काने का प्रयास ककया। इनके त्योहारों
पर भी एक-दस
ू रे को उकसाकर धासमाक भािनाएँ भड़काने का प्रयास ककया। िे मच्स्जद के
सामने बाजा बजाने और ताच्जए के तनकलते समय पीपल की डाल कटने पर सांस्कृतत खतरे में
पड़ने की बात कहकर मानि सांस्कृतत विभाच्जत करने का प्रयास करते रहे ।

(ख) जब मानि सांस्कृतत ने अपने एक होने का प्रमाण ठदया।


मानि-सांस्कृतत के मल
ू में कल्ट्याण की भािना तनठहत है । इस सांस्कृतत में अकल्ट्याणकारी
तत्िों के सलए स्थान नहीां है। समय-समय पर लोगों ने अपने कायों से इसका प्रमाण भी ठदया;
जैसे
•भूखे व्यच्क्त को लोग अपने ठहस्से का भोजन खखला दे ते हैं।
•बीमार बचिे को अपनी गोद में सलए माँ सारी रात गुजार दे ती है ।
•काला माक्सा ने आजीिन मजदरू ों के ठहत के सलए सांघषा ककया।
•लेतनन ने अपनी डेस्क की ब्रेड भूखों को खखला ठदया।
•ससद्धाथा मानि को सख
ु ी दे खने के सलए राजा के सारे सख
ु छोड़कर ज्ञान प्राच्तत हे तु जांगल
की ओर िले गए।

7.आशय स्पष्ट कीच्जए


(क) मानि की जो योग्यता उससे आत्मविनाश के साधनों का आविष्कार कराती है , हम उसे
उसकी सांस्कृतत कहें या असांस्कृतत?
उत्तर-सांस्कृतत का कल्ट्याण की भािना से गहरा नाता है । इसे कल्ट्याण से अलग कर नहीां दे खा
जा सकता है । यह भािना मनुष्य को मानिता हे तु उपयोगी तथ्यों का आविष्कार करने के सलए
प्रेररत करती है। ऐसे में कोई व्यच्क्त जब आत्मविनाश के साधनों की खोज करता है और उससे

116
आत्मविनाश करता है तब यह असांस्कृतत बन जाती है । ऐसी सांस्कृतत में जब कल्ट्याण की
भािना नहीां होती है तब िह असांस्कृतत का रूप ले लेती है ।

उत्तर
I॰ 1) ख 2) ग 3) घ 4) घ 5) घ
2) 1) ग 2) ग 3) क 4) क 5) क
II॰ 1) ख 2) ग 3) ख 4) ख

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117
.कायापिक
नाम कक्षा प्रातताांक
तनम्नसलखखत से ककन्द्हीां तीन प्रश्नों के उत्तर 25-30 शब्दों में सलखखए (2x3=6)

1.सांस्कृतत का सांबांध ककस भािना से है ? असांस्कृतत क्या है ?


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2.क्या ितामान समाज को सांस्कृत कहा जा सकता है ? तका सठहत उत्तर दीच्जये?
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3.लेखक के अनुसार सभ्यता ककसे कहते है ?

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118
4.सांकृतत की पररभाषा बताइए

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5ससद्धाथा ने मानि सांस्कृतत में ककस तरह योगदान ठदया?

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119
पद्य ििंड

120
सूरदास-पद

* यहाँ सूर सागर के भ्रमरगीत से िार पद सलए गए है |


* श्रीकृष्ण ने मथुरा जाने के बाद स्ियां न लौटकर उद्धि के ज़ररए गोवपयों के पास योग सन्द्दे श
भेजा था |
* िेदना में तड़पती गोवपयों को योग सदे श कडिी ककडी की तरह लगी |
* गोवपयों के दःु ख को शाांत करने के उद्दे श्य से उद्धि को ज्ञान और योग का सांदेश
लेकर भेजा था
*गोवपयाँ ज्ञान मागा को नहीां, प्रेम मागा को ही पसांद करती थी |

[अ]तनम्नसलखखत काव्याांश पढकर पछ


ू े गए बहुविकल्ट्पी प्रश्नों के उत्तर सलखखए | 5
ऊधौ, तुम हौ अतत बडभागी |
अपरस रहत सनेह तगा तै , नाठहन मन अनरु ागी |
पुरइतन पात रहत जल भीतर ,ता रस दे ह न दागी |
ज्यों जल माहँ तेल की गागरर, बूँद न ताकौ लागी |
प्रीतत-नदी में पाऊँ न बोरयौ, दृच्ष्ट न रूप परागी |
सूरदास’ अबला हम भोरी,गुर िाँटी ज्यों पागी |

1. गोवपयों ने ककसको बडभागी कहा है ?


क) कृष्ण को ख) सूरदास को
ग) उद्धि को घ) मथरु ािाससयों को

2. गोवपयों ने उद्धि को ककस -ककस की तरह माना है ?


क)कमल का पत्ता ख) तेल की गगरी
ग) क और ख दोनों घ) क और ख दोनों नहीां

3. ‘प्रीतत-नदी’ में पाऊँ न बोरयौ, में कौन –सा अलांकार है ?


क) रूपक ख) उपमा
ग) उत्प्रेक्षा घ) श्लेष

4. गोवपयाँ ने उद्धि को बडभागी कहने में क्या व्यांग्य है ?


क) कृष्ण के तनकट रहकर भी उनके प्रेम रस में न डूब सके

121
ख) कृष्ण के पास रहने का मौका नहीां समल गया |
ग) कृष्ण के प्रतत उनके मन में प्रेम हो गया |
घ) कृष्ण के सौंदया में िह डूब गया |

5. गोवपयों ने अपने को ककस –ककस के समान बताया?


क) अबला ख) भोरी
ग) गरु में पडी िीांटी घ) उपयक्
ुा त सभी

[आ] हमारै हरर हाररल की लकरी |


मन क्रम बिन नांद –नांदन उर ,यह दृढ करर पकरी |
जागत सोित स्ितन ठदिस –तनसस ,कान्द्ह - कान्द्ह जक री |
सुनत जोग लागत है ऐसौ, ज्यों करुई ककरी |
सु तौ ब्याधध हमकौ लै आए, दे खी सुनी न करी |
यह तौ सूर ततनठहां लै सौंपौ, च्जनके मन िकरी|

1. गोवपयों के सलए कृष्ण ककसके समान हैं?


क) सहजन की लकड़ी ख) हाररल की लकड़ी
ग) नीम की लकड़ी घ) इन में से कोई नहीां

2. गोवपयों ने ककस को उर में कस कर पकड़ा है ?


क) कृष्ण को ख) कांस को
ग) उद्धि को घ) बलराम को

3 गोवपयों के सलए योग सांदेश ककसके समान है?


क) कडिी औषधध ख) कडिी तनबौरी
ग) कडिी ककडी घ) इन में से कोई नहीां

4. गोवपयों ने योग सांदेश को ककस प्रकार की व्याधध कही है ?


क) च्जसे दे खा नहीां ख) च्जसे सुना नहीां
ग) च्जसे भोगा नहीां घ) उपयक्
ुा त सभी

5 गोवपयों के अनस
ु ार योग सांदेश ककसको दे ना िाठहए?

122
क) च्जनका मन च्स्थर है ख) च्जनका मन िक्र के समान है
ग) च्जनका मन उदास है घ) इन में से कोई नहीां

[इ]ननम्नमलखिि प्रश्नों के उत्तर मलखिए |

1.गोवपयों ने उद्धि को बडभागी क्यों कहा?


श्रीकृष्ण के साथ रहकर भी उद्धि के मन में श्रीकृष्ण के प्रतत अनुराग नहीां है |उनकी दृच्ष्ट
श्रीकृष्ण के सौंदया पर नहीां पडी | यहाँ गोवपयाँ उद्धि पर व्यांग्य करती है |िास्ति में िे
उद्धि को भाग्यहीन कहना िाहती है |

2.गोवपयों ने उद्धि के व्यिहार की तुलना ककस- ककस से की गई है ? क्यों ?


गोवपयों ने उद्धि के व्यिहार की तुलना कमल के पत्ते से और तेल की गागरी से की है
क्योकक पानी में रहकर भी कमल के पत्ते पर उसका प्रभाि नहीां होता िैसे ही तेल की
गागरी पर जल की एक बँद
ू भी नहीां ठटकती |

3.गोवपयाँ अपनी व्यथा ककस बल पर सह रही थी?


गोवपयाँ अपनी व्यथा श्रीकृष्णके आने की अिधी को आधार मानकर सह रही थी | उनको
विशिास था कक उनके वप्रय कृष्ण एक ठदन ब्रज में अिश्य लौट आएँगे |

4. गोवपयाँ ककस मयाादा के उल्ट्लांघन की बात कर रही है ?


गोवपयाँ प्रेम की मयाादा के उल्ट्लांघन की बात कर रही है | उनको कृष्ण से प्रेम िापस नहीां
समला| कृष्ण ने गोवपयों के प्रेम की लाज नहीां रखी |उद्धि के द्िारा योग का सन्द्दे श
सभजिाकर प्रेम की मयाादा तोडी है |

5. गोवपयों ने कृष्ण की तुलना हाररल की लकड़ी से क्यों की?


च्जस प्रकार हाररल पक्षी लकड़ी को नहीां छोड़ता उसी प्रकार गोवपयाँ श्रीकृष्ण को छोड़ना
नहीां िाहती |गोवपयों ने कृष्ण को मन –ििन – कमा अथाात पूरी तरह से कसकर पकड़
रखा है |

6. गोवपयों ने योग की सशक्षा कैसे लोगों को दे ने की बात कही है ?


गोवपयों ने योग की सशक्षा उन लोगों को दे ने की बात कही है च्जनका मन िक्र के समान
घम
ू ता है अथाात च्जनका मन च्स्थर नहीां है |गोवपयों के मन में श्रीकृष्णके प्रतत एकतनष्ठ
प्रेम है |

123
7. गोवपयों के अनुसार राजा का धमा क्या होना िाठहए?
गोवपयों के अनुसार राजा का धमा है प्रजा की रक्षा करना | प्रजा को न सताना|

उत्तर अ 1)ग) उद्धि को


2)ग) क और ख दोनों
3)क) रूपक
4)क) कृष्ण के तनकट रहकर भी उनके प्रेम रस में न डूब सके
5)घ) उपयक्
ुा त सभी

आ 1)ख) हाररल की लकड़ी


2)क) कृष्ण को
3)ग) कडिी ककडी
4)घ) उपयक्
ुा त सभी
5)ख) च्जनका मन िक्र के समान है

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124
कायापिक

नाम------------ कक्षा------------ प्रातताांक---------

अ)तनम्नसलखखत बहुविकल्ट्पी प्रश्न पढकर उधित उत्तर िुतनए|4*1=4


1. गोवपयाँ ककस मागा को पसांद करती थी?
क)ज्ञान मागा ख) योग मागा
ग) प्रेम मागा घ) िैराग्य मागा

उत्तर ----------------------

2.उद्धि मथुरा से क्या सन्द्दे श लेकर आए?


क)ज्ञान सांदेश ख) योग सांदेश
ग) क और ख दोनों सही है घ) दोनों सही नहीां

उत्तर ----------------------

3.सरू दास के पद ककस ग्रन्द्थ से सलए गए है ?


क)सूरसागर ख)साठहत्यलहरी
ग) सूर सारािली घ) इनमें से कोई नहीां |

उत्तर ----------------------

4. ‘हाररल की लकड़ी’ में ‘हाररल’ पक्षी ककसका प्रतीक है ?


क)उद्धि का ख) गोवपयों का
ग) कृष्ण का घ) इनमें से कोई नहीां

उत्तर ----------------------

आ) तनम्नसलखखत प्रश्नों के उत्तर सलखखए | 3*2=6

1.श्रीकृष्ण के मथुरा जाने के बाद गोवपयों की मनोदशा का िणान कीच्जए?

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2.राजनीतत पढने के बाद गोवपयों को श्रीकृष्ण में क्या-क्या पररितान ठदखाई ठदए?

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3.गोवपयों के योग साधना के प्रतत दृच्ष्टकोण व्यक्त कीच्जए |

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126
राम- लक्ष्मर्- परशुराम सिंवाद- िुलसीदास

राम लक्ष्मण परशुराम सांिाद का यह अांश रामिररतमानस के बालकाण्ड से ली गई हैं।


बालकाण्ड में भगिान राम के जन्द्म से लेकर राम-सीता वििाह तक के प्रसांग आते हैं।

यह प्रसांग उस समय का हैं जब राजा जनक ने अपनी पुिी माता सीता के वििाह के
सलए स्ियांिर का आयोजन ककया था। च्जसमें दे श विदे श के सभी राजाओां को आमांबित ककया
गया। स्ियांिर की शता के अनुसार जो भगिान सशि का धनुष तोड़ेगा, माता सीता उसी को
अपने पतत के रूप में िरण करें गी।शता के अनुसार भगिन राम ने सशि का धनुष भांग कर
ठदया |

माता सीता ने भगिान राम को अपना पतत स्िीकार कर उन्द्हें िरमाला पहनाई। लेककन
जब भगिान राम ने भगिान सशि का धनष
ु तोडा तो , उसके टूटने की आिाज तीनों लोकों में
सुनाई दी | परशुराम जो भगिान सशि के अनन्द्य भक्त थे। जब उन्द्होंने धनुष टूटने की आिाज
सूनी तो िो बहुत क्रोधधत हुए। और तुरांत राजा जनक के दरबार में पहुँि गए।सशि-धनुष को
खांड़डत दे खकर मुतन परशुरामजी अत्यांत क्रोधधत हो जाते है | यह प्रसांग क्रोधधत परशुराम और
भगिान राम और उनके भाई लक्ष्मण के बीि हुए सांिाद का है । प्रभु राम के विनय करने और
विश्िासमि केसमझाने पर तथा राम की शच्क्त की परीक्षा लेकर अांततःमुतनपरशुराम जी का
क्रोध शाांत हो जाता है |

पाठ का उद्दे श्य-श्रीरामिांरजी के विनय लक्ष्मण की िीर रस भरी व्यांग्योच्क्तयों ि


व्यांजना शैली की सरस असभव्यच्क्त तथा मुतन परशुरामजी के स्िभाि का पररिय कराकर यह
साबबत करना कक हमें जीिन में गरु
ु भच्क्त, नीतत,स्नेह,शील,विनय,अहांकार त्याग आठद आदशों
का पालन करना िाठहए|

बहुविकल्ट्पीय प्रश्नोत्तर

1. राम-लक्ष्मण-परशुराम सांिाद- रामिररतमानस के ककस काांड से सलया गया है ?


(क) लांका काांड
(ख) बाल काांड
(ग) सुन्द्दर काांड
(घ) अयोध्या काांड

2. मुतन परशुरामजी के गुरु कौन थे?

127
(क) भगिान सशि
(ख) भगिान विष्णु
(ग) आिाया रोण
(घ) भगिान श्रीकृष्ण

3. राम-लक्ष्मण-परशुराम सांिाद में - ककस भाषा का प्रयोग हुआ है ?


(क) अिधी
(ख) व्रज
(ग) राजस्थानी
(घ) खड़ीबोली

4. सहस्रबाहु की भुजाओां को ककसने काट डाला था?


(क) इांर ने
(ख) रािण ने
(ग) मतु न परशरु ामजी ने
(घ) श्रीरामिांरजी ने

5. सीता स्ियांिर के अिसर पर मुतन परशुरामजी के क्रोध का मूल कारण क्या था?
(क) लक्ष्मणजी द्िारा व्यांग्य बाण िलाना
(ख) सशिधनुष का टूटना
(ग) राजा जनक द्िारा सशि धनुष को सभा में लाना
(घ) श्रीरामिन्द्रजी द्िारा सशि धनुष का अपमान करना

6. मतु न परशरु ामजी ने सेिक ककसे कहा है?


(क) जो सम्मान करे
(ख) जो कुछ भी न करे
(ग) जो आज्ञा का पालन करे
(घ) जो सेिा करे

7. ‘हे नाथ! सशिधनुष को तोड़ने िाला तुम्हारा ही कोई दास होगा।” यह शब्द ककसने? ककससे?
कहा है?
(क) राजा जनक ने मतु न परशरु ामजी से
(ख) श्रीराम िन्द्रजी ने मुतन परशुरामजी से

128
(ग) लक्ष्मणजी ने श्रीराम िन्द्रजी से
(घ) हनुमान ने राजा जनक से।

8. मुतन परशुरामजी के ससर पर अभी ककसका ऋण बाकी (शेष) है ?


(क) माता का
(ख) वपता का
(ग)गरु
ु का
(घ) भाई का

9. मुतन परशुरामजी के ििन ककसके समान कठोर है ?


(क) लोहे के
(ख) िज्र के
(ग) पत्थरके
(घ) इस्पात के

10. “भग
ृ कुलकेत”ु शब्द ककसके सलए प्रयोग ककया गया है ?
(क) मुतन परशुराम के सलए
(ख) महवषा विश्िासमि के सलए
(ग) लक्ष्मणजी के सलए
(घ) महवषा िससष्ठ के सलए

11. राम-लक्ष्मण-परशरु ाम- सांिाद में ककस रस की प्रधानता है ?


(क) करुणा रस
(ख) हास्य रस
(ग) िीर रस
(घ) रौर रस

12. मुतन परशुरामजी ने “कौसशक” कहकर ककसे सांबोधधत ककया है ?


(क) राजा दशरथ को
(ख) राजा जनक को
(ग) महवषा िससष्ठ को
(घ) महवषा विश्िासमि को

129
13. “गभान्द्ह के अभाक दलन” — पांच्क्त में ‘अभाक’ शब्द का क्या अथा है ?
(क) घोडा
(ख) शिु
(ग) बचिे
(घ) गधा

14. दे िता, ब्रानमण, भक्त और गाय पर ककस कुल में िीरता नहीां ठदखाई जाती थी?

(क) रघक
ु ु ल में

(ख) यादिकुल में

(ग) भग
ृ कुल में

(घ) आयाकुल में

15. मुतन परशुरामजी ने 'सूयि


ा ांश का कलांक' ककसे कहा है ?
(क) श्रीरामिन्द्रजी को
(ख) महवषा विश्िासमि को
(ग) लक्ष्मणजी को
(घ) सीताजी को

उत्तर माला
प्रश्न सांख्या उत्तर
1ख, 2क, 3क ,4ग, 5ख, 6घ, 7ख, 8ग, 9ख, 10क, 11ग, 12घ, 13 ग, 14 क,15ग

II. ननम्नमलखिि प्रश्नों के उत्तर मलखिए

1)राम और लक्ष्मण सीता स्ियांिर में ककस मतु न के साथ आए?


राम और लक्ष्मण सीता स्ियांिर में मुतन विश्िासमि के साथ आए |

2. “राम लक्ष्मण परशुराम सांिाद” ककस ग्रांथ से सलया गया है ?

. “राम लक्ष्मण परशुराम सांिाद” रामिररतमानस ग्रांथ से सलया गया है |

130
3. “राम लक्ष्मण परशुराम सांिाद”- में मुतन परशुरामजी ने सशि धनुष तोड़नेिाले को अपना
शिु बताता है और उसकी तुलना ककससे की है ?

“राम लक्ष्मण परशुराम सांिाद”-में मुतन परशुरामजी ने सशि धनुष तोड़नेिाले को अपना शिु
बताता है और उसकी तल
ु ना सहस्रबाहु की है |

4. सहस्रबाहु सम सो ररपु मोरा-इस पांच्क्त में प्रयुक्त अलांकार का नाम सलखखए-


. सहस्रबाहु सम सो ररपु मोरा-इस पांच्क्त में प्रयक्
ु त अलांकार उपमा है |

5. लक्ष्मण के अनुसार िीर पुरुष युद्ध-भूसम में शिु को सामने पाकर क्या नहीां करते है ?
लक्ष्मण के अनुसार िीर पुरुष युद्ध-भूसम में शिु को सामने पाकर अपनी िीरता की प्रशांसा
स्ियां नहीां करते है िे रणभूसम में अपनी िीरता ठदखलाते है |

6 लक्ष्मण. के अनुसार मुतन परशुरामजी के ििन ककसके समान कठोर है ?


लक्ष्मण के अनुसार मुतन परशुरामजी के ििन िज्र के समान कठोर है |

7. ‘महीपकुमार’ ककसे कहा गया है?


‘महीपकुमार’ लक्ष्मण को कहा गया है |

8. बालकों के गुण-दोषों पर कौन अधधक ध्यान नहीां दे ते है ?


बालकों के गुण-दोषों पर साधू लोग अधधक ध्यान नहीां दे ते है |

9. मुतन परशुरामजी गुरु ऋण से ककस प्रकार उऋण होना िाहते थे?


सशिधनुष तोड़नेिाले का िध करके मुतन परशुरामजी गुरु ऋण से उऋण होना िाहते थे|

10. ‘का छतत लाभु जन


ू धनु तोरें ’ -यहाां ‘जन
ू ’ शब्द का क्या अथा है ?
‘का छतत लाभु जून धनु तोरें ’-यहाां ‘जून’ शब्द का अथा पुराना है

11)लक्ष्मणजी ने परशुरामजी को अपने कुल की ककस परां परा का बोध कराया?


उत्तर . लक्ष्मणजी ने परशुरामजी को अपने कुल की परां परा का बोध कराते हुए कहा-रघुकुल के
लोग दे िता, ब्रानमण,भगिान के भक्त और गाय पर प्रहार नहीां करते | ये िारों उनके सलए
पूजनीय है | इन्द्हे मारने से पाप लगता है और इनसे हारने पर अपयश समलता है |

12)इहाँ कुम्हड़बततया कोऊ नाहीां। जे तरजनी दे खख मरर जाहीां॥–इस उच्क्त के द्िारा


लक्ष्मणजी परशरु ामजी से क्या कहना िाहते है ?

131
कुम्हड़े का फूल जो आकार में बहुत छोटा और कोमल होता है | तजानी को दे खते ही िह
मुरझा जाता है | लक्ष्मणजी यह कहना िाहते है कक िे भी कुठार और धनुष-बाण दे खकर
डरनेिाले सामान्द्य बालक नहीां है | िे सूयि
ा ांशी है और िीर है |

13)लक्ष्मणजी ने मतु न परशरु ाम की क्रोधपण


ू ा बातों को िप
ु िाप सहन करने का क्या कारण
बताया ?
लक्ष्मणजी ने मतु न परशरु ाम की क्रोधपण
ू ा बातों को िप
ु िाप सहन करने का यह कारण बताया
कक मुतन परशुराम भग
ृ ुिांशी है और यज्ञोपिीत(जनेऊ) धारण करनेिाले ब्रानमण है | यठद आप
मुझे मारें तो भी मै आपके िरण ही पकडूँगा |

**************************************************

132
कायापिक

नाम------------ कक्षा------------ प्रातताांक---------

III. तनम्नसलखखत काव्याांश को ध्यानपूिक


ा पढकर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर सलखखए- (2x3=6)

बबहसस लखनु बोले मद


ृ ु बानी। अहो मुनीसु महाभट मानी।।
पुतन पुतन मोठह दे खाि कुठारु। िहत उड़ािन फँू कक पहारू॥
इहाँ कुम्हड़बततया कोऊ नाहीां। जे तरजनी दे खख मरर जाहीां॥
दे खख कुठारु सरासन बाना। मैं कछु कहा सठहत असभमाना॥
भग
ृ स
ु त
ु समखु झ जनेउ बबलोकी। जो कछु कहहु सहौं ररस रोकी॥
सुर मठहसुर हररजन अरु गाई। हमरे कुल इन्द्ह पर न सुराई॥
बधें पापु अपकीरतत हारें । मारतहू पा पररअ तुम्हारें ।।
कोठट कुसलस सम बिनु तुम्हारा। व्यथा धरहु धनु बान कुठारा॥
जो बबलोकक अनुधित कहे उँ छमहु महामुतन धीर।
सतु न सरोष भग
ृ ब
ु ांसमतन बोले धगरा गांभीर।

1. इहाँ कुम्हड़ बततआ कोउ नाहीां-पांच्क्त से क्या आशय है ?


(क) यहाँ मख
ू ा की तरह बातें करने िाला कोई नहीां |
(ख) यहाां कोई भी कुम्हड़े की बततया के समान (तनबाल) नहीां है |
(ग) यहाां कोई भी कुम्हार के घड़े के समान नहीां है |
(घ) यहाां कोई भी मेरे जैसा शूर-िीर नहीां है |

2) लक्ष्मणजी ने मुतन परशुरामजी के ककस स्िभाि पर व्यांग्य ककया है ?


(क) िाटुकाररता (ख) आलसीपन
(ग) मधुर( घ) बड़बोलापन

3) कोठट कुसलस सम बिनु तम्


ु हारा।- अलांकार पहिान कर सलखखए?
(क) उपमा और अनुप्रास अलांकार (ख) पुनरुच्क्त प्रकाश अलांकार
(ग) उत्प्रेक्षा अलांकार (घ) यमक

4) ककसके िश में आकर लक्ष्मण के मुांह से होशपूिक


ा बातें नही तनकल रहे है ?
(क) मोह (ख) काल
(ग) लोभ (घ) डर

133
5) राम- लक्ष्मण- परशुराम सांिाद- में ककस छन्द्द का प्रयोग हुआ है ?
(क) सिैया (ख) दोहा और िौपाई
(ग) सोरठा (घ) रोला

2)तनम्नसलखखत प्रश्नों के उत्तर शब्दों में सलखखए 3 x 2 = 6


१)राम लक्ष्मण परशुराम सांिाद के आधार पर राम और लक्ष्मण के िाररबिक विशेषताओां पर
प्रकाश डासलए |
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२)परशुराम के क्रोध का क्या कारन हैं ?

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३)राम लक्ष्मण परशुराम सांिाद के आधार पर तुलसी की भाषा शैली पर वििार कीच्जए |

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134
आत्प्मकथ्य कवव : जयशिंकर प्रसाद

सारािंश

आत्मकथ्य जयशांकर प्रसाद जी द्िारा छायािादी शैली में सलखी गई कविता है। च्जसमें कवि
ने जीिन के यथाथा एिां अभाि पक्ष की मासमाक असभव्यच्क्त की है। प्रसाद जी के समिों और
प्रशांसकों ने उनसे आत्मकथा सलखने का अनुरोध ककया था। परन्द्तु िे उनसे सहमत नहीां थे।
इसी असहमतत के तका से पैदा हुई यह कविता है च्जसमें कवि कहता है कक यह जीिन नश्िर
है। हर जीिन एक ठदन मुरझाई पत्ती-सा झड़कर धगर जाता है। इस सांसार में असांख्य लोगों ने
अपने-अपने जीिन के इततहास सलखे हैं। कवि को लगता है कक यठद उसने सि कहना शुरु कर
ठदया तो उसके समि जन ही स्ियां को अपराधी और दोषी मानने लगें गे। कवि सदा सरलता का
जीिन च्जया है। उन्द्हें लगता है कक यठद िे आत्मकथा सलखेगा तो लोग उनकी सरलता का
मज़ाक उड़ाएँगे। िे अपनी भूलों और समिों से खाए धोखों के बारे में दस
ू रों के सामने प्रकट नहीां
करना िाहते थे| उसने जीिन में प्रेम के जो उजले क्षण च्जए है उसके बारे में कैसे कुछ सलखें।
िह अपनी वप्रया को कभी पा नहीां सका। उसका प्रेम समलते समलते रह गया। आज िे उन मधरु
स्मतृ तयों के सहारे ही अपने जीिन को बबता रहा है । समि लोग आत्मकथा सलखिाकर उसकी
कटु स्मतृ तयों को क्यों उधेड़ना िाहते हैं? अपनी कथा सन
ु ाने से तो यही अचछा हैं कक िह औरों
के जीिन की कथाएँ मौन होकर सुनता रहे । उसकी भोली आत्मकथा सुनकर कोई क्या करे गा।
िह नहीां िाहता है कक आत्मकथा सलखकर िह अपनी भूली हुई पीड़ाओां को कफर से जगाएँ।

विशेष:

● छायािादी काव्य-शैली का मनोरम प्रयोग हुआ है


● तत्सम शब्दािली से यक्
ु त सहज खड़ीबोली का प्रयोग हुआ है ।
● कवि ने जीिन की नश्िरता का यथाथा उल्ट्लेख ककया है ।
● कवि ने व्यच्क्तगत जीिन के मधरु पलों की छुअन का मासमाक धििण
ककया है।
● अनुप्रास, मानिीकरण रूपक, पुनरुच्क्त प्रकाश अलांकार की छटा
विद्यमान है।
● प्रेम ि िेदना के भािों की प्रमुखता के कारण माधुया गुण प्रधान है ।
● मह
ु ािरे दार प्रयोग - `'कांथा की सीिन को उधेड़ना' ‘
● आत्मकथात्मक शैली
● प्रेम की भािनाओां की असभव्यच्क्त के कारण वियोग श्रांग
ृ ार रस दशानीय है ।

135
काव्यािंश पर आिाररि ब ु ववकल्पी प्रश्नोत्तर
(क) मधुप गुन-गुना कर कह जाता कौन कहानी यह अपनी,
मुरझाकर धगर रहीां पवत्तयाँ दे खो ककतनी आज घनी ।
इस गांभीर अनांत- नीसलमा में असांख्य जीिन- इततहास
यह लो, करते ही रहते हैं अपना व्यांग्य - मसलन उपहास
तब भी कहते हो - कह डालँ ू दब
ु ल
ा ता अपनी बीती ।
तुम सुनकर सुख पाओगे दे खोगे यह गागर रीती ।
ककां तु कहीां ऐसा न हो कक तम
ु ही खाली करने िाले
अपने को समझो, मेरा रस ले अपनी भरने िाले।

1 “आत्मकथ्य” कविता में , कवि ने सांसार को क्या माना है ?


i नश्िर ii अनश्िर
iii अनांत iv सुांदर

2 कवि ने खाली घड़े से ककसकी ओर इशारा ककया है ?


i खाली घर ii सूखी नदी
iii असफल जीिन iv उपयक्
ुा त सभी

3 कविता में कवि ने "मधुप" ककसे कहा है ?


i तन को ii समिों को
iii मन को iv वप्रया को

4 कवि ने मुरझाकर धगरने िाली पवत्तयों के माध्यम से क्या सांकेत ककया हैं?
i जीिन क्षणभांगरु है ii पेड़ से पवत्तयाँ धगर जाती है
iii जीिन आशापूणा है iv जीिन अमर है

5 ``मधुप गुन-गुना कर कह जाता कौन कहानी यह अपनी’’ – इसमें कौन – सा अलांकार है ?


i उपमा ii अनप्र
ु ास
Iii यमक IV श्लेष

136
(ख) यह विडांबना! अरी सरलते तेरी हँसी उड़ाऊँ मैं।

भूलें अपनी या प्रिांिना औरों की ठदखलाऊँ मैं।


उज्ज्िल गाथा कैसे गाऊँ, मधुर िाँदनी रातों की ।
अरे खखल-खखला कर हँसते होने िाली उन बातों की।
समला कहाँ िह सुख च्जसका मैं स्ितन दे खकर जाग गया।
आसलांगन में आते-आते मस
ु क्या कर जो भाग गया।
च्जसके अरुण कपोलों की मतिाली सुांदर छाया में ।
अनरु ाधगनी उषा लेती थी तनज सह
ु ाग मधम
ु ाया में ।
उसकी स्मतृ त पाथेय बनी है थके पधथक की पांथा की ।

1. कवि अपने ककस स्िभाि को दोष नहीां दे ना िाहता है ?


i सरल स्िभाि को ii उग्र स्िभाि को
iii स्िाथाता को iv उपयक्
ुा त सभी

2. कवि ने ककसके साथ सख


ु पि
ू क
ा जीिन जीने की कल्ट्पना की थी?
i माता-वपता के साथ ii. अपनी पत्नी के साथ
iii दादा जी के साथ iv. मामा जी के साथ

3. कवि ने अपनी "प्रेयसी के गालों की लासलमा" की तुलना ककससे की है ?


i उषा काल की लासलमा से ii. लाल ककरणों से
iii. सायांकाल की लासलमा से iv. इनमें से कोई नहीां

4. कवि ने थका पधथक ककसे कहा है ?


i स्ियां को ii. समिों को
iii. लोगों को iv. कवियों को

5. कवि ने "मधुर िाांदनी रात" ककसे कहा है ?


i सुहािनी िाँदनी रात को ii अपने जीिन की मीठी यादों को
iii जीिन की खुशी को iv आनांददायक ठदन को

प्रश्नोत्तर

137
1. जयशांकर प्रसाद जी ने अपनी कविता का शीषाक 'आत्मकथा' न सलखक ‘आत्मकथ्य' क्यों
रखा है?
उत्तर- आत्मकथा में जीिन के आरां भ से लेकर सलखने के समय तक का िणान होता है।
आत्मकथ्य का अथा है -स्ियां के बारे में कहने योग्य | प्रस्तुतकविता में कवि ने सांपूणा जीिन
ित्त
ृ ाांत न बताकर, अपने जीिन के बारे मे बहुत सांक्षेप में उन्द्हीां पक्षों को स्पष्ट ककया है , च्जन्द्हें
िह कहने योग्य समझता है।

2. आत्मकथा सलखने में कवि को क्या कठठनाइयाँ आ रही हैं?

उत्तर- समिों के विश्िासघात का च्जक्र करना पड़ेगा, प्रेसमका के साथ बबताए मधुर पलों को
सािाजतनक करने की कठठनाई तथा स्िभािगत सरलता के कारण धोखा खाने का िणान करने
की समस्या| |

3. 'उज्ज्िल गाथा कैसे गाऊँ, मधुर िाँदनी रातों की' – कथन के माध्यम से कवि क्या कहना
िाहता है ?

उत्तर- कवि यह कहना िाहता है कक तनजी प्रेम के मधरु क्षण सबके सामने प्रकट करने
योग्य नहीां होते। प्रसाद जी का िह प्रेम असफल भी था जीिन के कुछ अनुभिों को गोपनीय
रखना ही उधित होता | अतः िे इस बारे में कुछ कहने में से बिना िाहते थे।

4. स्मतृ त को `पाथेय’ बनाने से कवि का क्या आशय है ?

उत्तर - `पाथेय’ का अथा होता है सांबल या सहारा | कवि जीिन रूपी सफर में अत्यधधक
थका हुआ अनुभि करता है | िे अपने प्रेम की मधुर यादो के सहारे अपनी च्ज़ांदगी बबता रहे
हैं |

5. भाि स्पष्ट कीच्जए –


(क) च्जसके अरुण कपोलों की मतिाली सुन्द्दर छाया में ।
अनरु ाधगनी उषा लेती थी तनज सह
ु ाग मधम
ु ाया में |
उत्तर – कविता -आत्मकथ्य
कवि - श्री जयशांकर प्रसाद
कवि की प्रेसमका अतीि सुन्द्दर थी। उसके गाल इतने लाल, मतिाले और मनोरम थे कक
प्रेममयी भोर अपनी मधुर लासलमा उसके गालों से सलया करती थी। अतः कवि की प्रेसमका
का मुख-सौन्द्दया उषाकालीन लासलमा से भी बढकर था।

138
उत्तर :-

(क) (1) i नश्िर , (2) iii असफल जीिन, (3) iii मन को,
(4) i जीिन क्षणभांगुर है (5) ii अनुप्रास

(ख) (1) i सरल स्िभाि को, (2) ii. अपनी पत्नी के साथ,
(3) i उषा काल की लासलमा से, (4) i स्ियां को,
(5) ii अपने जीिन की मीठी यादों को

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139
कायषपत्रक

नाम------------- कक्षा ------------ प्रापिािंक------------

1.नीिे ठदए गए काव्याांशों को पढकर पूछे गये प्रश्नों के सलए उधित विकल्ट्प िुतनए-

सीिन को उधेड़ कर दे खोगे क्यों मेरी कांथा की ?


छोटे से जीिन की कैसे बड़ी कथाएँ आज कहूँ?
क्या यह अचछा नहीां कक औरों की सुनता मैं मौन रहूँ ?
सुनकर क्या तुम भला करोगे मेरी भोली आत्म - कथा ?
अभी समय भी नहीां थकी सोई है मेरी मौन व्यथा ।

1. कवि अपनी आत्मकथा सलखने के बजाय क्या करना िाहता है ? (1)


i रोना िाहता है | ii खुश रहना िाहता है|
iii हँसना िाहता है| iv दस
ू रों की आत्मकथा सन
ु ना िाहता है |

उत्तर .................................................

2. `छोटे से जीिन’ से कवि का क्या आशय है ? (1)


i कवि स्ियां को अत्यांत महान व्यच्क्त समझता है | ii कवि की आयु अभी काफी कम है |
iii कवि का जीिन बहुत सामान्द्य -सा है| iv तीनों सही है |

उत्तर .................................................

3. `अभी समय भी नहीां’ से कवि का क्या आशय रहा होगा? (1)


i कवि अपने काया में इतना व्यस्त है कक उनके पास आत्मकथा सलखने के सलए समय नहीां
है।
ii अभी कवि के जीिन में ऐसा कोई महान अिसर नहीां आया च्जसके बार में जानकर लोगों
को कोई प्रेरणा समल सके।
Iii अभी कवि के मन की व्यथा थकी सोई पड़ी है |
(iv) (ii) और (iii) दोनों उत्तर सही है |

उत्तर .................................................

140
4. कवि के जीिन के सारे दःु ख-ददा और अभाि अब कैसे हैं? (1)

i मौन ii अधधक
iii कम iv इनमें से कोई नही

उत्तर .................................................

5. "कांथा” शब्द का प्रयोग कवि ने ककसके सलए ककया है ? (1)


i तन के सलए ii अांतमान के सलए
iii कविता के सलए iv पुरानी यादों के सलए

उत्तर .................................................

2 . तनम्नसलखखत प्रश्नों के उत्तर सलखखए -

(क) कवि अपनी आत्मकथा क्यों नहीां सुनाना िाहता है ? (2)

उत्तर -------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

--------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

(ख) कवि प्रसाद जी के व्यच्क्तत्ि की कोई दो विशेषतयाएँ सलखखए | (2)

उत्तर--------------------------------------------------------------------------------------------------------

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(ग) `गांभीर अनांत - नीसलमा’ के माध्यम से कवि क्या कहना िाहता है ? (2)

--------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

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141
उत्प्सा - सूयक
ष ािंि त्रत्रपाठी ननराला

बादलों को सांबोधधत करके सलखी गई उत्साह कविता एक आनिान गीत है | बादल तनराला
जी का वप्रय विषय है | इस कविता में बादल उत्साह के प्रतीक के रूप में व्यक्त हुआ है |
कवि बादलों का आनिान करते हैं कक िे सारे आकाश में छा जाएँ और काले काले घांघ
ु राले
बालों की भाँतत सजकर ह्रदय में विद्धुत छवि को धारण कर लें | िे ककसी क्राांततकारी कवि
की भाँतत जन-जीिन में उत्साह का सांिार कर दें तथा ताप और पीड़ा से व्यधथत सांसार पर
शीतल जल की िषाा कर दें |

मुख्य त्रबिंद ु : -

•कविता-उत्साह – कवि सूयक


ा ाांत बिपाठी तनराला – आधुतनक काल – छायािाद |
•उत्साह कविता एक आनिान गीत है | कवि बादल में क्राांतत का स्िर सुनते हैं । िे उसके
गडगडाते स्िर पर मुग्ध हो जाते हैं |
•कवि बादल को पौरुष का प्रतीक मानते हुए घोर गजाना-तजाना द्िारा आकाश को घेर लेने
का आनिान करते हैं |
•कवि बादलों का आनिान करके कहते हैं कक अपने काले घुांघराले बालों से सांसार पर छा
जाए |
•कवि बादलों को क्राांततकारी कवि के रूप में सांबोधधत करते हुए अपनी नूतन और क्राांततकारी
कविता से समूिे सांसार में जोश तथा पौरुष के सांिार करने का आनिान करते हैं |
•कवि िाहते हैं कक ततत और पीड़ा से व्यधथत सांसार को अपने जल से शीतल कर दें |
•‘घेर-घेर घोर गगन में’, ‘लसलत लसलत काले घुघराले’, ‘कवि नि जीिन’ में अनुप्रास अलांकार
है |
•बाल कल्ट्पना के से पाले’ - में उपमा अलांकार है |
•‘बादल गरजो, - में मानिीकरण अलांकार है |
•काव्य गण
ु - ओज
•काव्य शैली - उद्बोधन शैली
•छां द मुक्त कविता है |
•भाषा - सांस्कृत तनष्ठ खडी बोली

काव्यािंश से ब ु ववकल्पी प्रश्नोत्तर

क]बादल गरजो-
घेर घेर घोर गगन, धराधर ओ !

142
लसलत लसलत काले घुँघराले,
बाल कल्ट्पना के-से पाले,
विद्धुत छवि उर में, कवि, निजीिन िाले !
िज्र तछपा, नूतन कविता
कफर भर दो –

1] कवि बदल को ककसका प्रतीक मानता है ?


[क] वितलि का [ख] युद्ध का
[ग] शाांतत का [घ] हररयाली का

2] ‘बादल गरजो’ में कौन-सा अलांकार प्रयुक्त है ?


[क] अनुप्रास [ख] उपमा
[ग] मानिीकरण [घ] रूपक

3] ककसके उर में विद्युत छवि है ?


[क] गगन के [ख] सागर के
[ग] पिातों के [घ] बादलों के

4] ‘बाल कल्ट्पना के-से पाले’ पांच्क्त में प्रयुक्त अलांकार कौन-सा है ?


[क] उपमा [ख] उत्प्रेक्षा
[ग] रूपक [घ] यमक

5] कविता की भाषा कौन-सी है?


[क] अिधी [ख] व्रज
[ग] खड़ीबोली [घ] मराठी

उत्तर: 1.[क], 2.[ग], 3.[घ], 4.[क], 5.[ग]

प्रश्नोत्तर

1कवि बादल से क्या आनिान करते हैं?


कवि बादल से घेर-घेर कर घोर गजाना करने का आनिान करते हैं |

2.कवि बादल को कवि के रूप में क्यों सांबोधधत करते हैं?

143
कवि ने बादल को कवि के रूप में सांबोधधत ककया है | िे िाहते हैं कक च्जस प्रकार कवि
अपनी कविता द्िारा लोगों के ह्रदय में जोश, पौरुष एिां क्राांतत का भाि जगा दे ता है , उसी
प्रकार बादल अपनी घोर गजाना से लोगों में जोश, पौरुष, एिां क्राांतत का भाि जगा दे ता है |

3.काव्य सौन्द्दया स्पष्ट कीच्जए |


[क] बादलों के माध्यम से कवि सामाच्जत जीिन में क्राांतत लाना िाहते हैं | लोगों में
जोश, पौरुष तथा क्राांतत का भाि जगाना िाहते हैं |
[ख] ‘घेर-घेर घोर गगन’ में , ‘लसलत लसलत काले घुँघराले’, ‘कवि नि जीिन’ में
अनुप्रास अलांकार है |
[ग] ‘घेर घेर’, एिां ‘लसलत लसलत’ में पुनरुच्क्तप्रकाश अलांकार है |
[घ] ‘बाल कल्ट्पना के-से पाले’ में उपमा अलांकार है |
[ङ] ‘बादल गरजो’ – मानिीकरण अलकार है |
[ि] छां द मुक्त कविता है |
[छ] ओजगण
ु प्रधान कविता है एिां कविता की शैली उद्बोधन है ||
[ज] भाषा – सांस्कृत तनष्ठ खडी बोली है |
[झ] रस – िीर रस |

अभ्यास े िु अनिररक्ि प्रश्न

1.बादलों के न बरसने से लोगों तथा धरती की क्या दशा हो रही थी?

बादलों के न बरसने से लोगों में बेिैनी एिां व्याकुलता बढ गई थी | भीषण गमी के कारण
सारी धरती जलती-सी प्रतीत हो रही थी | पथ्
ृ िी पर िारों ओर नीरसता तथा उदासीनता
व्यातत है |

2. कवि बादलों से क्या अनुरोध करते हैं और क्यों?

कवि बादलों से जोर से िषाा करने का अनरु ोध करते हैं | भयांकर गमी के कारण मनष्ु य
तथा धरती के अन्द्य प्राणी व्याकुल हो रहे हैं | बादलों के जोर से बरसने से धरती की
गमी कम होगी | लोगों को तपन और बेिैनी से राहत समलेगी |

3.कवि ने बादलों को ‘अनांत के घन’ कहकर सांबोधधत ककया है , क्यों?

[1] बादलों का कोई अांत नहीां है | ये अांतहीन है |

[2] बादलों की सिाव्यापकता की ओर इशारा ककया है |

144
[3] बादल अनांत [ईश्िर] की कृतत है |

4. बादल ककसका प्रतीक है ?

बादल क्राांतत का प्रतीक है | समाज में क्राांतत रूपी बादल के आगमन से भीषण गमी रूपी
कठठनाइयाँ समातत होगी और सब कहीां उमांग एिां सुखकारी िातािरण छा जाएगा अथांत
क्राांतत के बाद नए समाज का सज
ृ न होगा|

5.िषाा के बबना लोगों की अिस्था कैसी हो गई? उनके सलए कवि बादलों से क्या अपेक्ष
करता है ?

िषाा के बबना सारे लोग गमी से व्याकुल हो गए हैं | इस व्याकुलता के कारण उनका मन
कहीां एक जगह ठटक नहीां पा रहा है | अज्ञात ठदशा से आए अांतहीन बादलों से कवि यह
अपेक्षा करता है कक िे बरस जाएँ | च्जससे गमी से जल रही धरती शीतल हो जाए और
व्याकुल लोगों को राहत समल सके |

6.नई िेतना की काव्य रिना करने िाले कवियों से ककस तरह की कविता करने का आनिान
ककया गया है ?

नई िेतना की काव्य रिना करने िाले कवियों से यह आनिान ककया गया है कक घनघोर
बादलों को दे खकर उनमे काले घांघ
ु राले सन्द्
ु दर बालों की कल्ट्पना कर आनांठदत होते हुए भी
उनमे तछपी हुई बबजली की छवि को अपने ह्रदय में धारण करें | उस विद्युत छवि का ध्यान
करते हुए िे भी िैसा ही वितलि का स्िर भरते हुए क्राांतत िेतना से युक्त नई कविता
सलखें |

7. ‘उत्साह’ कविता से कवि तनराला के व्यच्क्तत्ि की कौन-सी विशेषता प्रकट होती है ?

‘उत्साह’ कविता से तनराला का पौरुष प्रकट होता है | तनराला बहुत जोशीले और गिीले कवि
थे | िे करुणािान थे | िे बादलों की तरह घुमड़-घुमड़कर जन- जन के कष्टों पर छा
जाना िाहते थे|

8.उत्साह’ कविता में बादलों के द्िारा कवि ने क्या सन्द्दे श ठदया है ?

‘उत्साह’ कविता में कवि ने बादलों के द्िारा जनसामान्द्य को सांदेश ठदया है कक बादलों की
गरज सुनकर िे सामाच्जक पररितान के सलए उत्साठहत हों तथा नए समाज के सज
ृ न के
सलए वितलि मिाने को तत्पर रहें

145
अभ्यास हे तु बहुविकल्ट्पी प्रश्न

1.पथ्
ृ िी पर लोगों में बेिैनी का क्या कारण है ?
[क] कष्ट रूपी गमी से [ख] दःु ख रूपी गमी से
[ग] उपरोक्त दोनों [घ] रोग से

2. कविता में विकल और उन्द्मन कौन था?


[क] पक्षी [ख] मानि
[ग] पेड़-पौधे [घ] सभी

3. कवि बादलों को गरजने के सलए क्यों कहता है?


[क] क्योंकक मानि गजान से उत्साठहत होता है
[ख] बादल क्राांतत का प्रतीक है
[ग] बादल नूतन कविता का प्रतीक है
[घ] उपरोक्त सभी

4. बादलों को ककसकी उपमा दी गई है ?


[क] गरजते बादल की [ख] वितलि बादल की
[ग] काले बदल की [घ] काले घुँघराले बालों की

5. कविता में तनराला जी ककसके माध्यम से उत्साह लाना िाहते हैं?


[क] हिा के माध्यम से [ख] बदल के माध्यम से
[ग] नदी के माध्यम से [ग] पिात के माध्यम से

6. बादल अपनी गजान-तजान से ककसे घेर लेते है ?


[क] आकाश को [ख] समर
ु को
[ग] पथ्
ृ िी को [घ] िनों को

7. कविता में निजीिन िाले ककसे कहा गया है ?


[क] बादलों को [ख] कवि को
[ग] पेड़ों को [घ] िषाा को
8. कवि बादलों के माध्यम से मानि को क्या प्रदान करना िाहता है ?

[क] जीिन की नई-नई प्रेरणाएँ [ख] आध्याच्त्मक सोि

146
[ग] प्राकृततक सुांदरता [घ] करुणा एिां दया का भाि

9. ‘उत्साह’ ककस प्रकार का गीत है?


[क] आनिान [ख] प्रेम
[ग] विरह [घ] िात्सल्ट्य

10. कवि ने बादलों के हृदय की छवि कैसी बताई है?


[क] सन
ु हरी [ख] सफेद
[ग] विद्युत [घ] काली

उत्तर :1.[ग], 2.[घ], 3.[घ], 4.[घ], 5.[ख], 6.[क], 7.[क], 8.[क], 9.[क], 10.[ग]

**************************************************

147
अट न ीिं र ी ै

कवविा का सार

इस कविता में फागुन महीने की मादकता का मनोहारी िणान है | फागुन की सुन्द्दरता


इतनी अधधक है कक िह समा नहीां पा रही है , इससलए िह बाहर छलक-छलक पड़ती है | कहीां
सुगच्न्द्धत हिाएँ है कहीां रां ग-बबरां गे फूल खखले हैं | कहीां आकाश में पक्षक्षयों की टोसलयाँ कलरि
करती हुई उड़ान भर रही हैं , कहीां िक्ष
ृ ों पर नए-नए पत्ते उग आए हैं| इस प्रकार जगह-जगह
सौन्द्दया की छवि बबखरी पड़ी है |

मख्
ु य त्रबिंद ु

•कविता – अट नहीां रही है | कवि – सूया काांत बिपाठी तनराला


•आधुतनक काल, छायािाद
•फागुन मास की सुन्द्दरता इतनी अधधक है कक अपने आप में समा नहीां पा रही है , बाहर
छलक पड़ती है उसके कारण लोगों के िेहरों पर खुशी झलक उठती है |
•फागन
ु महीने के खल
ु कर साँस लेना अपनी शोभा को खल
ु कर प्रकट करने का पररिायक है |
•फागुन मास में तरह-तरह के पक्षी पांख फड़फडाकर उड़ते हैं उसी प्रकार की उमांग लोगों के
मन में उठती हैं |
•कवि की आँख फागुन की शोभा से हट नहीां रही है िह उसे अपलक दे खते रहता है |

•फागुन मास में प्रकृतत सुहािनी हो उठी है , िारों ओर मादक हिाएँ िल रही हैं | पेड़ की
डासलयाँ पत्तों और फूलों से लद गए हैं | फूलों की गांध िारों ठदशाओां में व्यातत है , इस प्रकार
फागुन की शोभा समा नहीां पा रही है |
•भाषा – सरल, सरस, मनोरम, खडी बोली एिां मुहािरे दार [आँख हटाना, अट न पाना] है |
•काव्य गुण – माधुया
•अलांकार – अनप्र
ु ास, पन
ु रुच्क्तप्रकाश, मानिीकरण
•शैली - िणानात्मक
•रस - शाांत
•छां द - मुक्तक छां द

1) कवि की आँखें ककससे नहीां हट रहीां है और क्यों?

कवि की आँखें फागुन माह की शोभा से नहीां हट रही है क्योंकक फागुन मास की शोभा
अत्यांत मनोरम, सुहािनी लगने लगती है | िारों तरफ मादक हिाएां िलने लगती हैं | पक्षी

148
आकाश में पांख फडफडाकर उड़ते हैं| इन सह
ु ािने दृश्यों के कारण फागुन माह की
शोभा से आँखें हट नहीां रही हैं |

2)‘कहीां साँस लेते हो’ यह ककस च्स्थतत के पररिायक है ?

फागुन महीने का खुलकर साँस लेना अपनी शोभा को खुलकर प्रकट करने के
पररिायक है | इसका एक अथा है सुगांधधत हिाओां का िलना |

3).काव्य सौदां या स्पष्ट कीच्जए |


* भाि सौन्द्दया - फागुन महीने के प्राकृततक सौदां या का मनोहारी िणान |
* सशल्ट्प सौन्द्दया - ‘घर घर भर’, ‘पर पर कर दे ते हो’ में ‘र’ ध्ितन की आिवृ त्त –
अनुप्रास अलांकार|
‘घर घर भर’, ‘पर पर कर दे ते हो’ में घट-घर, पर-पर शब्द की आिवृ त्त –
पुनरुच्क्तप्रकाश अलांकार |
‘कहीां साँस लेते हो’ - मानिीकरण अलांकार |
भाषा सरल, सरस, प्रिाहपण
ू ा खड़ीबोली है |
काव्य गुण – माधुया
छां द – मक्
ु तक छां द

2] िसांत ॠतु में पेड़-पौधों पर क्या प्रभाि पड़ता है?

डासलयाँ पत्तों से और लाल-हरी कोंपलों से भर जाती है |

3] िसांत ॠतु में ककस प्रकार के फूल खखलते हैं और िे कैसे प्रतीत होते हैं?

िसांत ॠतु में विविध रां ग के धीमी-धीमी सुगांधीदार फूल खखलते हैं | िे खखले फूल ऐसे प्रतीत
होते हैं मानो प्रकृतत के ह्रदय पर फूलों की माला शोभायमान हो रही हो |

4] ‘पाट-पाट शोभा-श्री’ का क्या अथा है ?

जगह-जगह प्राकृततक सौन्द्दया से भरपरू है |

1.‘फागुन की साँस’ से कवि का क्या तात्पया है ? सांसार पर उसका क्या प्रभाि पड रहा है ?

फागुन की साँस से कवि का तात्पया तेज और मादक फागुनी हिा के िलने से है | कवि के
अनुसार फागुन की मतिाली हिा इतनी तेज िल रही है जैसे फागुन लांबी-लांबी साँस भर रहा

149
हो | उस हिा का प्रभाि अत्यधधक गहरा है , अथाात धरती के कोने –कोने में फागुन की मादक
हिा का असर है |

2. ‘अट नहीां रही है ’ कविता के आधार पर फागुन की मस्ती का िणान कीच्जए |

‘अट नहीां रही है’ कविता में फागुन की मस्ती और शोभा का िणान हुआ है | फागुन में कहीां
सुगांधधत हिाएां है, कहीां फूलों की शोभा है , कहीां पक्षक्षयों की उन्द्मुक्त उड़ाने है | कहीां िक्ष
ृ ों पर
रां ग-बबरां गे फूल, पत्ते उग आए हैं सब जगह मानो शोभा ही शोभा बबखरी हुई है |

3.फागुन में ऐसा क्या होता है जो बाक़ी ॠतुओां से सभन्द्न होता है ?

फागन
ु माह में प्रकृतत के साथ-साथ मानि में भी एक प्रकार की मादकता और मस्ती छा
जाती है | फागुन में िसांत का आगमन होता है | मौसम अत्यधधक सुहािना होता है | प्रकृतत
सौन्द्दया से भर जाती है | पेड़-पौधों में नए कोपलें फूटने लगती हैं | िे हरे -लाल पत्तों से लद
जाते हैं | िारों ओर रां ग-बबरां गे सुगांधधत फूल खखले होते हैं | फागुन में शीतल, मांद, सुगांधधत
बयार िलती है च्जससे सांपूणा िातािरण में मस्ती और मादकता व्यातत हो जाती है |अन्द्य
ॠतओ
ु ां में कभी ठठठुरन होती है , कभी गमी से सांपण
ू ा प्राणी जगत व्याकुल होते हैं और िषा
ॠतु में हर ओर कीिड़-ही-कीिड़ होती है |

अभ्यास हे तु कविता से बहुविकल्ट्पी प्रश्न

1.फागुन मास के आते ही िक्ष


ृ कैसे लगने लगते हैं?
[क] सूखे [ख] हरे -भरे
[ग] पत्तों विहीन [घ] बफा से लदे

2. ‘पाट–पाट’ में कौन-सा अलांकार है ?


[क] पन
ु रुच्क्त प्रकाश [ख] उत्प्रेक्षा
[ग] मानिीकरण [ग] श्लेष

3. पत्तों से लदी डाल पर कौन-कौन से रां गों की छटा बबखरी हुई है ?


[क] हरी-काली [ख] लाल-पीली
[ग] पीली-भूरी [घ] हरी- लाल

4. ‘अट नहीां रही है’ कविता में कवि की आँख कहाँ से नहीां हट रही है ?

150
[क] बादल [ख] क्राांततकारी पुरुष
[ग] प्राकृततक सुांदरता [घ] सूया

5. ‘अट नहीां रही है’ कविता में कवि ने ककस मास की मादकता का िणान ककया है?
[क] सािन [ख] आषाढ
[ग] कातताक [घ] फागुन

6. फागन
ु मास कौन-सी ॠतु में होती है ?
[क] िसांत [ख] िषाा
[ग] हे मांत [घ] सशसशर

7. ‘शोभा-श्री’ से आशय क्या है ?


[क] जगह-जगह [ख] सुहािना मौसम
[ग] भर जाना [घ] सौन्द्दया से भरपरू

8. फागुन की शोभा में क्या नहीां होता है ?

[क] िारों ओर दःु ख ही दःु ख [ख] िारों ओर मांद पुष्प गांध

[ग] आकाश में पक्षक्षयों का उड़ना [घ] िारों ओर हरे -भरे पेड़ –पौधे

9.पक्षी आकाश में पांख फडफडाते हुए उड़ने के सलए क्यों आतुर हो उठते हैं?
[क] िातािरण की मादकता के कारण [ख] बाररश होने के कारण
[ग] आँधी आने के कारण [घ] भोजन की खोज के कारण

10. ‘अट नहीां रही है’ कविता ककस यग


ु की है ?
[क] भारतें द ु युग की [ख] द्वििेदी युग की
[ग] छायािाद यग
ु की [घ] प्रगततिाद यग
ु की

उत्तर :1.[ख],2.[क] ,3.[घ] , 4.[ग], 5.[घ], 6.[क], 7.[घ], 8.[क] 9.[क], 10.[ग]

151
कायष पत्रक

नाम -------------------- कक्षा -------------------- प्रापिािंक ---------------------

I ररक्त स्थान में ठदए गए प्रश्नों के उत्तर सलखखए

1] ‘उत्साह’ नामक कविता में कवि ने बादल को ककस रूप में प्रस्तुत ककया है ?

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-------------------------------------------------------------------------------------------------------------

-------------------------------------------------------------------------------------------------------------

2] ‘अट नहीां रही है ’ नामक कविता के आधार पर फागुन महीने की मादकता का धििण
कीच्जए |

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--------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

-----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

3] ‘उड़ने को नभ में तुम पर-पर कर दे ते हो’ पांच्क्त का आशय स्पष्ट कीच्जए |

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--------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

-II तनम्नसलखखत प्रश्नों के उत्तर ठदए गए विकल्ट्पों से ितु नए –

1] ‘अट नहीां रही है’ कविता में कवि ककसकी सांद


ु रता दे खता है ?
[क] नदी की [ख] फागुन की
[ग] पतझड़ की [घ] बसांत की

152
2] बादलों के ह्रदय में ककसकी शोभा तछपी हुई है ?
[क] प्रकृतत की [ख] फागुन की
[ग] बबजली की [घ] िषाा की

3] ‘कहीां साँस लेते हो’ पांच्क्त में कौन-सा अलांकार है ?


[क] रूपक [ख] अनुप्रास
[ग] मानिीकरण [घ] यमक

4] ‘उत्साह’ कविता में ककस काव्य गुण की प्रधानता है ?

[क] माधुया [ख] ओज

[ग] प्रासाद [घ] कोई नहीां

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153
य दिं िुररि मुथकान- नागाजुन

कविता का सार

नागाजुन
ा द्िारा रधित इस कविता में छोटे बालक की मनमोहक मुस्कान दे खकर कवि के
मन में जो जो भाि उमड़ते हैं ,उन्द्हें कविता में अनेक बबांबों के माध्यम से प्रकट ककया है।
कवि बालक को मुसकुराते दे ख कहता है -हे बालक!तेरी िोटी-िोटी दाांतों िाली मुसकान तनराश
से तनराश व्यच्क्त को भी सजीि कर दे ता है । तम्
ु हारे धल
ू -धस
ू ररत शरीर को दे खकर लगता है
जैसे ककसी झोपड़ी में कमाल के फूल खखल उठे हों। तुम्हारा स्पशा पाकर पत्थर हृदय भी
रवित हो गया। छोटे बालक ने कवि को नहीां पहिाना। जब उसकी माँ ने उसे कवि से
पररिय करिाया तो बालक कवि को दे खकर मुस्कुराने लगा।

तुम्हारी यह दां तुररत मुसकान


मत
ृ क में भी डाल दे गी जान
धूसल-धूसर तुमहरे यह गात ....
छोड़कर तालाब मेरी झोंपड़ी में खखल रहे जलजात
पारस पाकर तुम्हारा ही प्राण ,
वपघलकर जल बन गया होगा कठठन पाषाण
छू गया तुमसे के झरने लग पड़े शेफासलका के फूल
बाांस था कक बबूल ?
तुम मुझे पाये नहीां पहिान ?
दे खते ही रहोगे अतनमेष!
थक गए हो ?
आँख लू में फेर ?
क्या हुआ यठद हो सके पररधित न पहली बार ?
यठद तुम्हारी माँ न माध्यम बनी होती आज
मैं न सकता दे ख
मैं न पाता जान
तुम्हारी यह दां तुररत मुसकान
धन्द्य तम
ु , माँ भी तम्
ु हारी धन्द्य!
धिर प्रिासी मैं इतर, मैं अन्द्य!

154
इस अततधथ से वप्रय तुम्हारा क्या रहा सम्पका
अँगुसलयाँ माँ की कराती रही हैं मधुपका
दे खते तुम इधर कनखी मार
और होती जब कक आँखें िार
तब तुम्हारी दां तुररत मुसकान
मझ
ु े लगती बड़ी ही छविमान !

I बहुविकल्ट्पी प्रश्न उत्तर सठहत -


1.कविता में झोपड़ी में कमल खखलने का क्या आशय है ?
(क)झोपड़ी में फूल खखलना (ख)पैसे कमाना
(ग)अमीर होना (घ) गरीब में आनांद

2.कवि को एकटक कौन तनहार रहा है ?


(क)लड़की (ख)ककसान
(ग)सशशु (घ)मेहमान

3.बचिे की मुस्कान में ककसे वपघलाने की शच्क्त है ?


(क) बफा (ख)क्रोध
(ग) कठोर व्यच्क्त का मन (घ)पत्थर

4.ककसकी मुस्कान इतनी मनमोहक है कक यह मुदे में भी जान दाल सकती है ?


(क) नन्द्हें सशशु की (ख)गड़ु ड़या की
(ग) पक्षक्षयों की (घ)इनमें से कोई नहीां

5.बचिे कक मस्
ु कान मुदे में जान डाल दे ती है , इसका क्या अथा है ?
(क) बीमार व्यच्क्त को ठीक कर दे ती है । (ख) मुदे को जीवित कर दे ता है।
(ग) हताश व्यच्क्त में आशा का सांिार करती है। (घ) इनमे से कोई नहीां

6. नन्द्हें सशशु का शरीर ककसकी तरह खखल उठता है ?


(क) सूरज (ख) कमल
(ग) िाँदनी (घ) इनमे से कोई नहीां

7 ‘यह दां तुररत मुस्कान’ नामक कवि का क्या नाम है ?

155
क) तुलसीदास ख) नागाजुन

ग) तनराला घ) सूरदास

8.’जलजात ‘ककसे कहते हैं?


(क) बादल (ख) कमल
(ग) िषाा (घ) मछली

9. ककससे छूने में शेफासलका के फूल झरने लगे थे?


(क) बादल क (ख) जल को
(ग) हिा को (घ) दां तुररत मुस्कान को

10. ‘अतनमेष दे खना’ का अथा है ?


(क) रुक-रुककर दे खना (ख) कभी-कभी दे खना
(ग) लगातार दे खना (घ) इनमे से कोई नहीां

उत्तर
1(घ) गरीब में आनांद
2 (ग)सशशु
3(ग)कठोर व्यच्क्त का मन
4) (क) नन्द्हें सशशु की
5)(ग) हताश व्यच्क्त में आशा का सांिार करती है।
6) (ख) कमल
7) ख) नागाजुन

8) (ख) कमल
9(घ) दां तुररत मुस्कान को
10) (ग) लगातार दे खना

156
प्रश्नोत्तर

1.‘यह दां तुररत मुसकान” को स्पष्ट करते हुए बताइए कक िह मरे हुए व्यच्क्त में भी जान
कैसे डाल दे ती है ?

उ) यह मुसकान इतनी मनोहर होती है कक मारे हुए व्यच्क्त में जान डाल दे ती है अथाात
जीिन से तनराश, हताश तथा उदासीन व्यच्क्त के मन को खुशी से भर दे ती है ।

2. नए तनकले हुए दाांतों िाले बचिे कक मस


ु कान दे खकर कवि को क्या लगता है ?
उ) कवि को लगता है कक बचिे कक मुसकान मरे हुए व्यच्क्त को जीवित करने कक क्षमता
रखती है । यह मुसकान इतनी मधुर और मोहक है कक इसमे कठोर हृदय को भी वपघला दे ने
की शच्क्त है।

3. बचिा ककसी कों घूरकर क्यों दे खता है ? कवि बचिे की और से आँख फेर लेने को क्यों
कहता है ?

उ) बचिा जब पहली बार ककसी को दे खता है , उसे पहिान न पाने के कारण घरू ता है ।
कवि बचिे की और से आांखे फेर लेने के सलए कहता है क्योंकक बचिा घूरता घूरता थक
जाएगा।

4. मधुपका से क्या तात्पया है ? इसका प्रयोग ककस सलए हुआ है ?


उ) मधुपका दही , घी, शहद, जल और दध
ू के समश्रण को कहा जाता है । कविता में इसका
प्रयोग बचिे को जीिन दे ने िाला आत्मीयता की समठास से युक्त माँ के तयार के रूप में हुआ
है।

**************************************************

157
कायष पत्रक

नाम -------------------- कक्षा -------------------- प्रापिािंक ---------------------

I.तनम्नसलखखत पद्याांश को पढकर प्रश्नों के उत्तर विकल्ट्प से िुनकर सलखखए – (5)


तुम्हारी यह दां तुररत मुसकान
धन्द्य तुम, माँ भी तुम्हारी धन्द्य!
धिर प्रिासी मैं इतर, मैं अन्द्य!
इस अततधथ से वप्रय तुम्हारा क्या रहा सम्पका
अँगसु लयाँ माँ की कराती रही हैं मधप
ु का
दे खते तुम इधर कनखी मार
और होती जब कक आँखें िार
तब तुम्हारी दां तुररत मुसकान
मुझे लगती बड़ी ही छविमान !

1. कवि ने धिर प्रिासी ककसे कहा है ?


(क) बचिे को (ख) बचिे की माता को
(ग) स्ियां को (घ) लोगों को

उत्तर -------------------------

2. ककसकी उँ गसलयाँ बचिे को मधुपका कराती है ?


(क)कवि (ख) माता
(ग) बहन (घ) डॉक्टर

उत्तर -------------------------

3. कवि को क्या छविमान लगती है ?


(क) धूप (ख) छाया
(ग) बचिे की मा (घ) बचिे की मुस्कान

उत्तर -------------------------

158
4. ‘पाषाण वपघलने से क्या तात्पया है ?
(क) कठोर हृदय में दया उत्पन्द्न होना (ख) पत्थर का गलना
(ग) पत्थर बनना (घ) पत्थर से पानी बनना

उत्तर -------------------------

II. तनम्नसलखखत प्रश्नों के उत्तर सलखखए- (2+2=4)

1 यठद बचिे कक माँ उसका पररिय कवि से नहीां कराती तो क्या होता?

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_________________________________________________________________
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2 कवि ने अपने प्रिासी, अततधथ और इत्तर क्यों कहा है ?

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_________________________________________________________________

3) 5. यठद बचिे की माँ उसका पररिय कवि से नहीां कराती तो क्या होता?

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159
फसल- नागाजन
ुष

कवविा का सार

कवि ने अनेक तत्िों का उल्ट्लेख ककया है ,च्जसके सहयोग से फसल का तनमााण होता है।
ककसान की भसू मका और पररश्रम के साथ-साथ समट्टी,जल,सय
ू ा ,हिा आठद सभी के योगदान
को बताया है। प्रकृतत और मनुष्य के परस्पर सहयोग से फसल बनता है ।

I.1. कविता ‘फसल’ में ककसका मठहमा पर प्रकाश डाला गया है ?


क) कवि की ख) पक्षक्षयों की
ग) ककसानों की घ) फसलों की

2. ‘समट्टी का गुणधमा’ ककसे कहा गया है ?


क) जल ख) फसल
ग) हिा घ) धप

3. िायु का योगदान ककन्द्हे बड़ा करने में होता है ?


क) बचिों को ख) फसलों को
ग) पेड़ों को घ) जानिरों को

4. फसलों में ककसकी महनेत तछपी है ?


क) ककसानों की ख) बचिों की
ग) कवि की घ) इनमे से कोई नहीां

5. कवि के अनस
ु ार फसलें ककनका बदला हुआ रूप है ?
क) बीजों का ख) खतनज लिणों का
ग) पौधों का घ) सूया की ककरणों का

उत्तर
1) फसलों की 2) फसल 3) फसलों को 4) ककसानों की 5)सूया की ककरणों का

प्रश्नोत्तर

160
1.फसल लहलहाने में ककसका हाथ होता है ?
कवि का कहना है कक जो फसले हम खाते हैं उनके सलए ककसी एक व्यच्क्त ,एक नदी या एक
खेत का श्रेय नहीां ठदया जा सकता। सब नठदयों का जल,सब समट्ठटयों के गुण ,करोड़ों ककसानों
के श्रम और खुली हिा धूप से फसलें आती हैं। इससलए इन सभी का सहज प्राकृततक अधधकार
होना िाठहए।

2.ककसानों के स्पशा को मठहमा क्यों माना गया है ?


यठद ककसान फसल उगाने के सलए श्रम न करें तो फसलें अपने आप इस तरह नहीां उग
सकती। इससलए कवि ने ककसान के मेहनत को सम्मान ठदया और मठहमाशाली बताया।

3.फसलों को सूया के ककरणों का रूपान्द्तरण कहना कहाँ तक ठीक है ?


फसलें सूरज के ककरणों के कारण ही फलती-फूलती हैं, इससलए उसे सूया के ककरणों का
रूपान्द्तरण कहना ठीक है।

4.फसल को ककसका जाद ू बताया गया है और क्यों?


फसल को नठदयों के पानी का जाद ू कहा गया है । क्योंकक नठदयों के जल से ही फसलों का
उत्पादन होता है।

5.कवि के अनुसार फसल क्या है ?


कवि के अनुसार फसल पानी,समट्टी,धूप,हिा और मानि श्रम के मेल से बनी है। इनमें सभी
नठदयों के पानी का जाद ू समाया है । सभी प्रकार के समट्ठटयों का गुण-धमा शासमल है । सूरज
और हिा का प्रभाि समाया हुआ है । सभी ककसानों और मजदरू ों का श्रम शासमल है ।

6.कवि ने “फसल” के द्िारा ककन-ककन आपसी सहयोग का भाि व्यक्त ककया है ?


कवि ने “फसल” के द्िारा फसल उगाने में मनष्ु य के शारीररक बल और पररश्रम तथा
प्रकृतत में तनठहत अथाह ऊजाा के पारस्पररक सहयोग के भाि को व्यक्त ककया है । इनके
सहयोग में ही महान शच्क्त छुपी हुई है।

**************************************************

161
कायषपत्रक

नाम -------------------- कक्षा -------------------- प्रापिािंक ---------------------

I.तनम्नसलखखत पद्धयाांश को पढकर प्रश्नों के उत्तर सलखखए – (5)

फसल क्या है ?
और तो कुछ नहीां है िह
नठदयों के पानी का पानी का जाद ू है िह
हाथों की स्पशा की मठहमा है
भूरी-काली-सांदली समट्टी का गुण-धमा है
रूपाांतर है सूरज की ककरणों का
ससमटा हुआ सांकोि है हिा की धधरकान का ।

1फसल को उगाने में ककन ककन िीज़ों का योगदान होता हैं ?


क)नठदयों का जल और समट्टी ख) सूरज की ककरणें और हिा
ग)कृषक के हाथों का पररश्रम घ) उपयक्
ुा त सभी |

उत्तर --------------------------

2)जलजात का पयाायिािी हैं ?


क) जलज ख) जल्ट्द
ग) जल घ) जलधध

3) फसले ककसके अमत


ृ -भरे प्रभाि से सीांिकर पष्ु ट हुई है ?
क) बादलों के ख) तालाब के
ग) नठदयों के घ) नहरों के

4) फसल कविता में कौन सी समट्ठटयों के गुण धमा का उल्ट्लेख ककया हैं ?
क) भूरी ख) काली
ग) सांदली घ) उपयक्
ुा त सभी

162
II. तनम्नसलखखत प्रश्नों के उत्तर सलखखए- (2+2=4)

1.कवि के अनुसार फसल क्या है ?

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_________________________________________________________________

_________________________________________________________________

2.ककसानों के स्पशा को मठहमा क्यों माना गया है ?

___________________________________________________________________________

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_______________________________________________________________________

आशय स्पष्ट कीच्जए – रूपाांतरण हैं सरू ज की ककरणों का

___________________________________________________________________________

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163
सांगतकार- मांगलेश डबराल

कविता का सार:

सांगतकार ठहन्द्दी के सुप्रससद्ध कवि श्री मांगलेश डबराल की एक प्रससद्ध रिना है । इस कविता
में उन व्यच्क्तयों के योगदान को रे खाांककत ककया गया है ओ पदे के पीछे रहकर अपनी भूसमका
को बखूबी अांजाम दे ते है।
सांगतकार कविता गायन के मख्
ु य गायक का साथ दे नेिाले सांगतकार के महत्ि और उसकी
अतनिायाता की ओर सांकेत करती हैं। जब मुख्य गायक अपनी भारी - भरकम आिाज में गाता
है तो उसका सांगतकार अपनी कमजोर काांपती हुई आिाज से उसका साथ दे ता है । कई बार
ऐसा होता है कक मुख्य गायक का गला बैठ जाता है या उसका उत्साह फीका पड़ने लगता है
तब तनराशा के इन क्षणों में सांगतकार उसके स्िर को सांभालता है । जब कभी मुख्य गायक
ककसी अांतरे को गाते -गाते जठटल तालों में उलझ जाता है या अपनी सरगम को लाांघकर ऊांिे
अनहद स्िर में भटक जाता है , तब सांगतकार ही स्थाई पांच्क्त को पकड़े रहता है। जब कभी
मुख्य गायक तार सततक गाते - गाते स्िर को बहुत ऊँिा उठा दे ता है और उसकी आिाज भी
काँपने लगती है तब िह उसकी आिाज में अपनी आिाज को समलाकर उसे बल प्रदान करता
है और उसके खोए विश्िास को िापस लौटा ले आता है तथा कफर उसे गाने की प्रेरणा दे ता है।
िह हमेशा कोसशश करता है कक कहीां उसकी आिाज मुख्य गायक की आिाज से अधधक
प्रभािशाली न हो जाए। उसकी इस कोसशश को उसकी असफलता नहीां, मनुष्यता समझा जाना
िाठहए यह उसका त्याग है ।

काव्याांश के आधार पर बहुविकल्ट्पीय प्रश्न:

1. मख्
ु य गायक के िट्टान जैसे भारी स्िर का साथ दे ती
िह आिाज़ सुांदर कमज़ोर काँपती हुई थी
िह मख्
ु य गायक का छोटा भाई है
या उसका सशष्य
या पैदल िलकर सीखने आने िाला दरू का कोई ररश्तेदार
मुख्य गायक की गरज में
िह अपनी गँज
ू समलाता आया है प्रािीन काल से

क. उपयक्
ुा त पांच्क्तयो के रितयता है -

164
i) नागाजन
ुा ii) ऋतु राज
iii) मांगलेश डबराल IV) धगररजा कुमार माथुर

ख. मुख्य गायक की आिाज़ कैसी है ?


i) िट्टान की तरह भारी ii) कमज़ोर
iii) काँपती हुई IV) सुांदर

ग. कवि ने इन पांच्क्तयों में ककसके महत्ि को बताया है ?


i) सांगीतकार की ii) सांगतकार की
iii) गीतकार की IV) तबला िादक की

घ. सांगतकार और मुख्य गायक का ररश्ता है -


i) छोटा भाई ii) दरू का ररश्तेदार
iii) सशष्य IV) कुछ भी हो सकता है

ङ. मुख्य गायक के भारी स्िर का साथ दे ती आिाज़ ककसकी है ?


i) कवि की ii) सांगतकार की
iii) सांगीतकार की IV) इनमें से कोई नहीां

उत्तर: क. (iii) ख. (i) ग. (ii) घ. (iv) ङ. (ii)

3. दो अिंक वाले प्रश्न: (25-30 शब्दों में उत्तर)

क. सांगतकार के माध्यम से कवि ककस प्रकार के व्यच्क्तयों की ओर सांकेत करना िाह रहा है ?
सांगतकार के माध्यम से कवि ककसी भी काया अथिा कला में लगे सहायक कमािाररयों और
कलाकारों की ओर सांकेत कर रहा है । िे सहायक कलाकार स्ियां को महत्त्ि न दे कर मुख्य
कलाकार और मख्
ु य व्यच्क्त के महत्त्ि को बढाने में अपनी शच्क्त लगा दे ते है।

ख. सांगतकार जैसे व्यच्क्त सांगीत के अलािा और ककन-ककन क्षेिों में ठदखाई दे ते है ?


सांगतकार जैसे व्यच्क्त सांगीत के अलािा बड़े-बड़े नेताओां, असभनेताओां, सांतों-महात्माओां के साथ
भी इसी प्रकार सहयोग करते हैं। नेताओां के इदा -धगदा रहने िाले सभी सहायक उपनेता अपने
बड़े नेता के महत्त्ि को बढाने में लगे रहते है।

ग. सांगतकार अपने स्िर को ऊँिा न उठाने का प्रयास क्यों करता है ?

165
सांगतकार अपने स्िर को ऊँिा न उठाने का प्रयास इससलए करता है ताकक मुख्य गायक की
श्रेष्ठता बनी रहे । सांगतकार भी सांगीत में अत्यांत प्रिीण होता है , परां तु गायक की गररमा को
ध्यान में रखकर मानिीयता दशााते हुए अपने स्िर को धीमा रखता है ।

घ. तारसततक में गाते समा गायक का गला बैठने लगता है , उस समय उसकी ककस प्रकार की
मनःच्स्थतत हो जाती है ?
तारसततक में गाते समय जब गायक का गला बैठने लगता है , उस समय उसकी प्रेरणा उसका
साथ छोड़ने लगती है , उसका उत्साह समातत होने लगता है। उस समय ऐसा लगता है जैसे
उसकी आिाज़ से राख़ की तरह से कोई िीज़ धगर रही हो। अथाात गायक की आिाज़ बुझने
लगती है और िह तनराश हो जाता है।

ङ. सफलता के िरम सशखर पर पहुँिने के दौरान यठद व्यच्क्त लड़खड़ाते हैं तब उसे सहयोगी
ककस तरह सांभालते हैं?
जब कोई व्यच्क्त सफलता के िरम सशखर पर पहुँिकर अिानक लड़खड़ा जाता है तो उसके
सहयोगी ही उसे बल, उत्साह, शबाशी और साथ दे कर सांभालते हैं। िे अपनी शच्क्त उसके सलए
लगा दे ते हैं। िे उसकी कमी को पूरा करने का भरसक प्रयास करते हें ।

ि) सांगतकार ककन-ककन रूपों में मुख्य गायक-गातयकाओां की मदद करते हैं?


िे गायक द्िारा और कहीां गहरे िले जाने पर उनकी स्थायी पांच्क्त को पकड़े रखते हैं तथा
मख्
ु य गायक को िापस मल
ू स्िर पर ले आते हैं।
िे मख्ु य गायक की थकी हुई, टूटती-बबखरती आिाज को बल दे कर सहयोग दे ते हैं। उन्द्हें अकेला
नहीां पढने दे ते, बबखरने नहीां दे ते।

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166
काया पिक

नाम -------------------- कक्षा -------------------- प्रातताांक ---------------------

1). तारसततक में बैठने लगता है उसका गला


प्रेरणा साथ छोड़ती हुई उत्साह अस्त होता हुआ
आिाज से राख़ जैसा कुछ धगरता हुआ
तभी मख्
ु य गायक को ढाढस बँधाता
कहीां से िला आता है सांगतकार का स्िर
कभी-कभी िह यों ही दे ता है उसका साथ
यह बताने के सलए कक िह अकेला नहीां है
और यह कक कफर से गाया जा सकता है
गाया जा िुका राग
और उसकी आिाज़ में जो एक ठहिक साफ सुनाई दे ती है
या अपने स्िर को ऊँिा न उठाने की जो कोसशश है
उसे विफलता नहीां उसकी मनुष्यता समझा जाना िाठहए।

क) तारसततक से तात्पया है -
i) सात स्िरों का समूह ii) सात तारों का समूह
iii) सात कवियों का समूह iv) उपरोक्त कोई नहीां

ख) मुख्य गायक का गला कहाँ बैठने लगता है ?


i) अपने गुरु के समक्ष ii) मांि में गाते समय
iii) तारसततक में जहाां स्िरों का अत्यधधक उतार-िढाि होता है
iv) दशाकों के समक्ष

ग) मख्
ु य गायक की बझ
ु ती आिाज़ को कौन ढाढस बँधाता है ?
i) दशाक ii) कवि
iii) गुरु IV) सांगतकार

घ) सांगतकार मुख्य गायक को सांभालने के सलए क्या करता है ?


i) उसे हटाकर गाने लगता है ii) उसके स्िर में अपना स्िर समला दे ता
है

167
iii) तुरांत दस
ू रे गायक को बुलाता है IV) उपरोक्त कोई नहीां

ग. सांगतकार अपने स्िर को ऊँिा न उठाने का प्रयास क्यों करता है ?

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_________________________________________________________________

_________________________________________________________________

ि) सांगतकार ककन-ककन रूपों में मख्


ु य गायक-गातयकाओां की मदद करते हैं?

_________________________________________________________________

_________________________________________________________________

_________________________________________________________________

सफलता के िरम सशखर पर पहुँिने के दौरान यठद व्यच्क्त लड़खड़ाते हैं तब उसे सहयोगी ककस
तरह सांभालते हैं?

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___________________________________________________________________________

___________________________________________________________________________

168
अनप
ु रू क पाठ्यपथ
ु िक

169
मािा का आँचल - मशवपूजन स ाय

पाठ का सार

‘माता का आँिल' नामक इस पाठ में 'भोलानाथ' नामक बालक की बालसुलभ कक्रयाओां और
ग्रामीण पररिेश का इस प्रकार िणान ककया गया है कक पढते समय बालक की सभी कक्रयाएँ-
खेलना-कूदना, रोना-धोना, भयभीत होना तथा समि
ू ा ग्रामीण पररदृश्य हमारी आँखों के सामने
साकार हो उठता है। पाठ में बचिों के उस बाल मनोविज्ञान का भी िणान है , जब िे विपदा में
भागकर माता की शरण में स्ियां को सुरक्षक्षत समझते हैं।

पाठ्यपुथिक के प्रश्न-अभ्यास

प्रश्न 1. प्रस्तुत पाठ के आधार पर यह कहा जा सकता है कक बचिे का अपने वपता से अधधक
जड़
ु ाि था, कफर भी विपदा के समय िह वपता के पास न जाकर माँ की शरण लेता है। आपकी
समझ से इसकी क्या िजह हो सकती है ?
उत्तर- यह बात सि है कक बचिे को अपने वपता से अधधक जड़
ु ाि था। उसके वपता उसका
लालन पालन करने के साथ-साथ उसके साथ दोस्तों जैसा व्यिहार भी करते थे। परां तु विपदा
के समय उसे लाड़-तयार की ज़रूरत थी। उसे अत्यधधक ममता और माँ की गोद की ज़रूरत
थी। माँ के आँिल में िह ज्यादा सुरक्षक्षत महसूस करता। उसे ममतामयी माँ के आँिल में
च्जतना प्रेम और शाांतत की शीतल छाया समल सकती ,उतना वपता से नहीां। बानय तौर पर माँ
से अधधक नाता न रहने पर भी िह हृदय से माँ से जड़
ु ा था। यही कारण है कक विपदा में बचिे
को माँ या नानी की याद आती है ,वपता या नाना की नहीां। माँ का ममत्ि घाि पर दे ने िाले
मरहम का काम करता है।

प्रश्न 2. आपके वििार से भोलानाथ अपने साधथयों को दे खकर सससकना क्यों भूल जाता है ?

उत्तर- बचिों की यह स्िाभाविक विशेषता होती है कक िे अत्यांत भोले-भाले, तनश्छल तथा सरल
होते हैं। अपनी मनपसांद की िीजें समलते ही, अपने साधथयों का साथ पाते ही अपने दख
ु -सुख
तथा रोना-धोना भूल जाते हैं। घर में लाख मना करने पर भी भोलानाथ की माँ ससर में
कड़िा तेल लगाकर ही छोड़ती है । माथे पर काजल की बबांदी लगाकर फूलदार लट्टू बाँधकर
कुताा-टोपी पहना दे ती है। इस प्रकार माँ के हठ से तांग आकर भोलानाथ सससकने लगता है।
घर से बाहर आने पर जब बालकों का झांड
ु समल जाता है तब िह साधथयों की हुल्ट्लडबाजी,

170
शरारतें और मस्ती दे खकर सब कुछ भूल जाता है । हमारे वििार से भोलानाथ खेलने का
अिसर पाकर सससकना भूल जाता है ।

प्रश्न 3. आपने दे खा होगा कक भोलानाथ और उसके साथी जब-तब खेलते-खाते समय ककसी न
ककसी प्रकार की तुकबांदी करते हैं। आपको यठद अपने खेलों आठद से जुड़ी तुकबांदी याद हो तो
सलखखए।
उत्तर- छाि अपने बिपन से जड़
ु ी ककसी तक
ु बांदी के बारे में स्ियां सलखें।

प्रश्न 4. भोलानाथ और उसके साधथयों के खेल और खेलने की सामग्री आपके खेल और खेलने
की सामग्री से ककस प्रकार सभन्द्न है ?
उत्तर- भोलानाथ और उसके साधथयों के खेल और खेलने की सामग्री हमारे खेल और खेलने की
सामग्री से पूरी तरह सभन्द्न है । भोलानाथ च्जस ग्रामीण पष्ृ ठभूसम का और च्जस काल का बालक
है, उस समय गाँिों में आज जैसे खेल खखलौने उपलब्ध न थे। आज जमाना बदल िुका है ।
आज माता-वपता अपने बचिों का बहुत ध्यान रखते हैं िे उसे गली मोहल्ट्ले में बेकफक्र खेलने
घम
ू ने की अनम
ु तत नहीां दे ते। जब से तनठारी जैसे काांड होने लगे हैं, तब से बचिे भी डरे -डरे
रहने लगे हैं। न तो हुल्ट्लडबाज़ी, शरारतें और तुकबांठदयाँ रही हैं न ही नांग-धड़ांग घूमते रहने की
आज़ादी । अब तो बचिे तलाच्स्टक और इलेक्रोतनक्स के महँगे खखलौनों से खेलते हैं। बरसात
में बचिे बाहर रह जाएां तो माँ बाप की जान तनकल जाती है । आज न कुऍ रहे , न रहट, न खेती
का शौक। इससलए आज का युग पहले की तुलना में आधुतनक, बनािटी, रसहीन हो गया है।

प्रश्न 5. पाठ में आए ऐसे प्रसांगों का िणान कीच्जए जो आपके ठदल को छू गए हों ?
उत्तर- 'माता का आँिल' नामक इस पाठ में अनेक ऐसे प्रसांग हैं, जो अनायास ही हमारे मन को
छू जाते हैं। ये प्रसांग तनम्नसलखखत हैं

•भोलानाथ वपता जी की छाती पर िढकर उनकी मूँछें उखाड़ने लगता था। उनके िुम्मा माँगने
पर जब अपनी मछ
ू ें भोलानाथ के वपता जी उसके गाल पर गड़ा दे ते तब भोलानाथ कफर से
उनकी मूँछें उखाड़ने लगता।
•भोलानाथ के प्रत्येक खेल में वपता जी का शासमल होना ठदल को छू जाता है ।
•भोजन तैयार करके बैठे बचिों के बीि जब खाने के सलए वपता जी भी पांच्क्त में बैठते तो
बचिे हँसते हुए भाग जाते थे।
•भोलानाथ का सौंप से भयभीत होकर भागना तथा वपता जी की शरण में न जाकर माँ के
आँिल में तछपने जैसे प्रसांगमन को अनायास छू जाते हैं।

171
प्रश्न 6. इस उपन्द्यास के अांश में तीस के दशक की ग्राम्य सांस्कृतत का धििण है । आज की

ग्रामीण सांस्कृतत में आपको ककस तरह के पररितान ठदखाई दे ते हैं।

उत्तर- माता का अँिल' उपन्द्यास में िखणात तीस के दशक की सांस्कृतत और आज की ग्रामीण
सांस्कृतत को दे खकर लगता है कक समय के साथ दोनों समय की सांस्कृततयों में अत्यधधक
बदलाि आ गया है । बचिों की दतु नया तो परू ी तरह से बदल गई है । अब जगह-जगह नसारी
और प्री-प्राइमरी स्कूल खुल जाने से बचिों को जबरदस्ती िहाँ भेजने का ररिाज िल पड़ा है ।
दोपहर बाद बचिों को ट्यूशन भेजने में प्रततष्ठा की झलक ठदखने लगी है । बबजली पहुँि जाने
से बचिे अब टीिी पर काटूान दे खकर समय बबताने लगे हैं। ऐसे में समलजल
ु खेलने का समय
बिता ही नहीां है । खेती के काम अब मशीनों से होने लगे हैं। ससांिाई का काम ट्यूबेल से ककया
जाने लगा है। लोगों में राजनीततक उन्द्माद बढने से सहभाधगता, सद्भाि और पारस्पररक प्रेम
कम होने लगा है।

7. यहाँ माता-वपता का बचिे के प्रतत जो िात्सल्ट्य व्यक्त हुआ है उसे अपने शब्दों में सलखखए।
उत्तर- वपताजी का अपने साथ सशशु को भी नहला-धुलाकर पूजा में बैठा लेना, माथे पर भभूत
लगाना कफर कागज में राम-राम सलख कर आटे की गोसलयाँ बनाना, उसके बाद लेखक को कन्द्धे
पर बैठा कर गांगाजी तक ले जाना और िापस आते समय पेड़ पर बैठा कर झूला झुलाना, यह
सब ककतना सुांदर दृश्य उत्पन्द्न करता है । लेखक का अपने वपता जी के साथ कुश्ती लड़ना,
वपताजी का बचिे के गालों में िुम्मा लेना, बचिे के द्िारा मूँछे पकड़ने पर वपताजी का बनािटी
रोना रोने का नाटक करना और सशशु का उस पर हँस पड़ा अत्यांत जीिांत लगता है । माँ के
द्िारा गोरस-भात तोता-मैना आठद के नाम पर खखलाना उबटना, सशशु का यह सब शांग
ृ ार
करना और सशशु का सससक-सससक कर रोना बचिों की टोली को खेलते दे खकर सससकना बांद
कर तरह-तरह के खेल खेलना और मस
ू न ततिारी को धिढाना आठद। ये सभी अद्भत
ु दृश्य पाठ
में उभारे गए हैं। ये सभी दृश्य अपने शैशि अिस्था की याद ठदलाते हैं।

9. माता का आँिल शीषाक की उपयुक्तता बताते हुए कोई अन्द्य शीषाक सुझाइए।
शीषाक की साथाकता उन बातों पर तनभार करती है कक शीषाक सांक्षक्षतत होना िाठहए. तथा विषय
िस्तु से उसे पूरी तरह सांबांधधत होना िाठहए। इस आधार पर माता का आँिल पूणत
ा ः साथाक
है क्यों कक पाठ के अांत में हम दे खते है कक साँप के डर से लेखक जो हर िक्त वपता के
साथ रहता था और माँ से ससफा दध
ू पीने तक का नाता था, भागकर माँ के आँिल में ही शरण
लेता है। और खद
ु को सरु क्षक्षत महसस
ू करता है ।
इस पाठ को अन्द्य शीषाक हो सकता है माँ की ममता, बिपन के ठदन आठद भी हो सकता है।

172
10. बचिे माता-वपता के प्रतत अपने प्रेम को कैसे असभव्यक्त करते हैं?

बचिे का बिपन सामान्द्यतया उसके माता-वपता के साथ बीतता है। बचिा अपने माता के
व्यिहार से प्रभावित होता है। माता-वपता उसकी हर आिश्यकता का ध्यान रखते हैं। बचिे भी
अपने माता से प्रेम करते हैं और िे अनेक तरीकों से माता-वपता के प्रतत अपने प्रेम की
असभव्यच्क्त करते हैं; जैसे
•माँ-बाप के न िाहने पर भी िे उनकी गोद में बैठ जाते हैं।
•माँ-बाप से सलपटकर, उन्द्हें िूमकर
•अपने नन्द्हें हाथों से माँ-बाप को खाना खखलाकर।
•माता-वपता की बात मानकर अपना तयार प्रदसशात करते हैं।

11. इस पाठ में बचिों की जो दतु नया रिी गई है िह आपके बिपन की दतु नया से ककस तरह
सभन्द्न है?
इस पाठ में बचिों की जो दतु नया रिी गई, िह 1930 के आसपास की है , तब बचिे घर के
सामान से और साधारण सी िीजों से खेलने का काम िला लेते थे। िे प्रकृतत की गोद में रह
कर खुश थे। उनके खेल तथा खेल की समाग्री भी साधारण ही होती थी। गुल्ट्ली-डांडा नाटक
करना, घरौंदे बनाना, बारात का जल
ु स
ू तनकालना, समठाई की दक
ु ान सजाना आठद ही उनके मख्
ु य
खेल होते थे। खेल की सामग्री के नाम पर समट्टी, पत्थर, सूखे पत्ते, बालू, धूल आठद ही होते थे।
आज हमारी दतु नया पूरी तरह से सभन्द्न है । ककां तु हमारा बिपन इक्कीसिीां शताब्दी का बिपन
हैं जहाँ दतु नया काफी विकससत हो िुकी है । इक्कीसिीां शताब्दी में तो आधुतनकता की छाप गाँि
में भी आ गई है। कफर शहरी जीिन में तो यह अपनी पराकाष्ठा पर है। हमें ढे र सारी िीजें
िाठहए। खेल सामग्री में भी बदलाि आ गया है। खाने-पीने की िीजों में भी काफी बदलाि
आया है । हमारी दतु नया टी.िी., कोल्ट्डड़ड्रांग, पीजा, िॉकलेट के इदा -धगदा घूमती है।

अनिररक्ि प्रश्न:

प्रश्न 1. धिड़ड़या उड़ाते-उड़ाते भोलानाथ और उसके साधथयों ने िूहे के बबल में पानी डालना शुरू
ककया। इस घटना का क्या पररणाम तनकला ?
उत्तर- खेल से धिड़ड़यों को उड़ाने के बाद भोलानाथ और उसके साथी को िूहों के बबल में पानी
डालने का ध्यान आया। सभी ने एक टीले पर जाकर िूहों के बबल में पानी उलीिनी शुरू ककया।
पानी नीिे से ऊपर फेंकना था। यह काया करते हुए सभी थक गए थे। तभी उनकी आशा के
विपरीत िूहे के स्थान पर सौंप तनकल आया, साँप से भयभीत होकर सभी रोते धिल्ट्लाते बेतहाशा

173
भागने लगे। कोई औधा धगरा, कोई सीधा ककसी का ससर फूटा, ककसी का दाँत टूटा सभी भागते
हो जा रहे थे। भोलानाथ को दे ह लहू-लुहान हो गई। पैरों के तलिे में अनेक काँटे िुभ गए थे।

प्रश्न 2 . माता का अांिल' पाठ में िखणात समय में गाँिों की च्स्थतत और ितामान समय में गाँिों
की च्स्थतत में आए पररितान को स्पष्ट कीच्जए।
उत्तर- पहले गाँिों की च्स्थतत बहुत अचछी न थी िहाँ बबजली, पानी, पररिहन जैसी सुविधाएँ नाम
माि की थी। लोगों की आजीविका का साधन कृवष थी। आज गाँिों में टे लीविज़न के प्रिार-
प्रसार से लोगों में एकाकी प्रिवृ त्त बढी है । बचिे परां परागत खेलों से विमुख होकर िीड़डयोगेम,
टे लीविजन आठद के साथ अपना समय बबताना िाहते हैं। इस बढती आधुतनकता ने ग्रामीण
सांस्कृतत को पतन की ओर उन्द्मुख कर ठदया है ।

प्रश्न:3 आजकल बचिे घरों में अकेले खेलते हैं, पर भोलानाथ और उसके साथी समल-जुलकर
खेलते थे। इनमें से आप भािी जीिन के सलए ककसे उपयुक्त मानते हैं और क्यों ?
यह सत्य है कक आजकल के बचिे कांतयूटर पर गेम, िीड़डयो गेम, टे लीविशन पर काटूान दे खते
हुए अकेले समय बबताते हैं परां तु भोलानाथ का समय साधथयों के साथ खेलते हुए बीतता था।
खेत में धिड़ड़याँ उड़ाना हो या िूहे के बबल में पानी डालना या खेती करना, बारात तनकालना
आठद खेल ऐसे थे च्जनमें बचिों का एक साथ खेलना आिश्यक था। मैं समल जल
ु कर खेलने
को भािों जीिन के सलए उपयुक्त मानता हूँ, क्योंकक
•इससे सामूठहकता की भािन बनती है ।
•इस प्रकार के खेलों से सहयोग की भािना विकससत होती है।
•समल-जुलकर खेलने से सभी बचिे अपना-अपना योगदान दे ते हैं, च्जससे सकक्रय सहभाधगता की
भािना का उदय होता है।
•समल-जु लकर खेलने से बचिों में हार-जीत को समान रूप से अपनाने की प्रेरणा समलती है
च्जनका भािी जीिन में बड़ी उपयोधगता होती है।

प्रश्न:4 भोलानाथ के वपता भोलानाथ को पूजा-पाठ में शासमल करते, उसे गांगा तट पर ले डाल
पर झुलाते। उनका ऐसा करना ककन-ककन मूल्ट्यों को उभारने में सहायक है ?
भोलानाथ के वपता उसको अपने साथ पूजा पर बैठाते। पूजा के बाद आटे की गोसलयाँ सलए हुए
गांगातट जाते। मछसलयों को आटे की गोसलयाँ खखलाते, िहाँ से लौटते हुए उसे पेड़ की झुकी
डाल पर झल
ु ाते। उनके इस काया व्यिहार से भोलानाथ में कई मानिीय मल्ट्
ू यों का उदय एिां
विकास होगा।

ये मानिीय मल्ट्
ू य हैं

174
•भोलानाथ द्िारा अपने वपता के साथ पूजा-पाठ में शासमल होने से उसमें धासमाक भािना का
उदय होगा।
•प्रकृतत से लगाि उत्पन्द्न होने के सलए प्रकृतत का साच्न्द्नध्य आिश्यक है । भोलानाथ को अपने
वपता के साथ प्रकृतत के तनकट आने का अिसर समलता है । ऐसे में उसमें प्रकृतत से लगाि की
भािना उत्पन्द्न होगी।
•मछसलयों को तनकट से दे खने एिां उन्द्हें आटे को गोसलयाँ खखलाने से भोलानाथ में जीि-जन्द्तओ
ु ां
के प्रतत लगाि एिां दया भाि उत्पन्द्न होगा।
• नठदयों के तनकट जाने से भोलानाथ के मन में नठदयों को प्रदष
ू ण मक्
ु त रखने की भािना
का उदय एिां विकास होगा।
•िक्ष
ृ ों से तनकटता होने तथा उनकी शाखाओां पर झूला झूलने से भोलानाथ में पेड़ों के सांरक्षण
को भािना विकससत होगी।

प्रश्न 4. ितामान समय में सांतान द्िारा माँ-बाप के प्रतत उपेक्षा का भाि दशााया जाने लगा है
च्जससे िद्
ृ धों की समस्याएँ बढी हैं तथा समाज में िद्
ृ धाश्रमों की जरूरत बढ गई है। 'माता
का अँिल' पाठ उन मूल्ट्यों को उभारने में ककतना सहायक है च्जससे इस समस्या पर तनयांिण
करने में मदद समलती हो।
उत्तर- ितामान समय में भौततकिाद का प्रभाि है। अधधकाधधक धन कमाने एिां सुख पाने की
िाहत ने मनुष्य को मशीन बनाकर रख ठदया है । ऐसे में सांतान के पास बैठने उसके साथ
खेलने और घूमने-कफरने का माता-वपता के पास समय नहीां है। इस कारण एक ओर माता-वपता
बूढे होने पर उपेक्षा का सशकार होते हैं तो दस
ू री ओर िद्
ृ धाश्रमों की सांख्या बढ रही है । मता
का अँिल पाठ में भोलानाथ का अधधकाांश समय अपने वपता के साथ बीतता था। िह अपने
वपता के साथ पूज में शासमल होता था तो वपता जी भी मनोविनोद के सलए उसके साथ खेलों
में शासमल होते थे। इससे भोलानाथ में अपने माता-वपता से अत्यधधक लगाि, सहानभ
ु तू त, समल-
जुलकर साथ रहने की भािना, माता-वपता के प्रतत दृच्ष्टकोण में व्यापकता, माता-वपता के प्रतत
उत्तरदातयत्ि, सामाच्जक सरोकारों में प्रगाढता, आएगी च्जससे िद्
ृ धों की उपेक्षा एिां िद्
ृ धाश्रम की
बढती आिश्यकता पर रोक लगाने में सहायता समलेगी।

**************************************************

175
साना साना ार् जोड़ि- मिु कािंकररया

पाठ का सार- प्रस्तुत यािा ित्त


ृ ाांत में लेखखका ने महानगरों की भाि-शून्द्यता, भागमभाग और
यांिित जीिन को प्रस्तुत ककया है । मधु जी ने अपनी यािाओां के अनुभिों को अपने यािा
ित्त
ृ ाांतों में शब्दबध्द ककया है । पाठ में भारत के ससच्क्कम राज्य की राजधानी गांतोक और उसके
आगे ठहमालय की यािा का िणान है । लेखखका ठहमालय के सौंदया पर मग्ु ध ही नहीां होती िहाां
के तनिाससयों की मेहनत ,अभाि और गरीबी को भी रे खाांककत करती हुई बता रही है कक
ठहमालय तक पहुांिने के सलए बनाए जाने िाले रास्तों के तनमााण में पहाड़ी लोग कठठन मेहनत
कर िुके हैं, जो अत्यांत सराहनीय है । इस पाठ में पीड़ा और सौंदया का अद्भुत मेल है ।

प्रश्न - उत्तर

*1. * गांतोक को 'मेहनतकश बादशाहों का शहर' क्यों कहा गया है ?

उ) मेहनतकश का अथा है कड़ी मेहनत करने िाले। लेखखका व्यक्त करना िाहती हैं कक गांतोक
के लोगों को अत्यांत कड़ी मेहनत करनी पड़ती है क्योंकक यह पिातीय स्थल है। पिातीय क्षेि
होने के कारण यहाां की पररच्स्थततयाां भी अत्यांत कठठन है। उन्द्हें पहाड़ों को काटकर रास्ता
बनाना पड़ता है । पत्थरों पर बैठकर औरतें कुदाल ि हथौड़े से पत्थर तोड़ती हैं ।लेखखका ने दे खा
कक कुछ औरतें पीठ पर बांधी टोकरी में उनके बचिे भी बांधे रखे हैं। यहाां के लोग अत्यांत कठठन
पररच्स्थततयों में जीिन जीते हैं। िे िुनौततयों से डरते नहीां और ऐसी कठठनाइयों के बीि में भी
मस्त रहते हैं। इससलए गांतोक को मेहनतकश बादशाहों का शहर कहा गया है।

*2*. च्जतेन नागे ने लेखखका को ससच्क्कम की प्रकृतत, िहाां के भौगोसलक च्स्थतत एिां जन जीिन
के बारे में क्या महत्िपूणा जानकाररयाां दी, सलखखए।

उ) च्जतेन नागे उस जीप का गाइड कम ड्राइिर था, च्जसके द्िारा लेखखका ससच्क्कम की यािा
कर रही थी। च्जतेन एक समझदार और मानिीय सांिेदना से युक्त व्यच्क्त था। उसने लेखखका
को प्राकृततक पररदृश्य, भौगोसलक च्स्थतत और जनजीिन के विषय में अनेक महत्िपण
ू ा
जानकाररयाां दी।

*प्राकृततक पररदृश्य-* ससच्क्कम बहुत ही खूबसूरत पहाड़ी इलाका है , जहाां जगह-जगह पर धूपी
के खूबसूरत नुकीले पेड़ हैं। रास्ते िीरान, सांकरे , जलेबी की तरह घुमािदार हैं। थोड़ी थोड़ी दरू ी
पर झरने बह रहे होते हैं।

176
*भौगोसलक च्स्थतत* - गांतोक के 149 ककमी की दरू ी पर ठहमालय की गहनतम घठटयाां और
फूलों से लदी िाठदयाां थूमथाांग में दे खने को समलती हैं। ससच्क्कम प्रदे श िीन की सीमा से सटा
है। पहले यह स्ितांि रजिाड़ा था, अब यह भारत का एक अांग है।

*जनजीिन* -ससच्क्कम के लोग अधधकतर बौद्ध धमा को मानते हैं ।यहाां के लोग बड़े मेहनती
हैं, इससलए गांगटोक को मेहनतकश बादशाहो का नगर कहा जाता है। यहाां की च्स्ियाां भी कठोर
पररश्रम करती हैं। िे िाय की पवत्तयाां िन
ु ने बाग में जाती हैं। कई बार बचिों को पीट पर बांधी
'डोको' में अपने साथ रखती हैं। यहाां के लोग रां गीन कपड़े पसांद करते हैं, और उनके परां परागत
पररधान 'बोकु' है। बचिे पढने के सलए तीन-िार ककलोमीटर पहाड़ी िढकर स्कूल जाते हैं ।शाम
को िे अपनी माताओां के साथ काम करते हैं। उनका जीिन बहुत श्रम साध्य हैं।

*3*. च्जतेन नागे की गाइड की भूसमका के बारे में वििार करते हुए सलखखए कक एक कुशल
गाइड में क्या गुण होते हैं?

उ) च्जतेन नागे एक कुशल गाइड कम ड्राइिर है।

- एक कुशल गाइड को अपने क्षेि की प्राकृततक एिां भौगोसलक च्स्थतत विसभन्द्न स्थानों के महत्ि
तथा उनसे जुड़ी रोिक जानकाररयों का ज्ञान होना िाठहए। इससे पयाटकों का मनोरां जन होता
है और उनकी उस स्थान के प्रतत रुधि बढ जाती हैं।

-च्जतेन नेपाली हैं, लेककन उसे ससच्क्कम के जनजीिन, सांस्कृतत, तथा धासमाक मान्द्यताओां का पूरा
ज्ञान है ।िहाां की कठोर जीिन पररच्स्थततयों से भी िह भली-भाांतत पररधित हैं। यह एक कुशल
गाइड के आिश्यक गुण हैं।

-च्जतेन का सबसे अचछा गुण है - मानिीय सांिेदनाओां की समझ तथा पररष्कृत सांिाद शैली।
ससच्क्कम की सांद
ु रता का गण
ु गान ही नहीां करता, िहाां के लोगों के दख
ु -ददा के बारे में भी
लेखखका से बातिीत करता है । उसकी भाषा बड़ी पररष्कृत और सांिाद का ढां ग अपनत्ि से पूणा
है।

इस प्रकार एक गाइड में आत्मविश्िास, पयाटन का पूणा ज्ञान, याबियों को रास्ते में दशानीय
स्थलों की पूणा जानकारी दे ने िाला और अपनेपन से आकवषात करने िाला होना िाठहए।

177
*4* ) कभी श्िेत तो कभी रां गीन पताकाओां का फहराना ककन अलग-अलग अिसरों की ओर
सांकेत करता है ?

उ) यहाां पहाड़ी रास्तों पर कतार में लगी श्िेत पताकाएां ठदखाई दे ती हैं । ये सफेद पताकाएां
शाांतत और अठहांसा की प्रतीक है। इस पर मांि सलखे होते हैं। ऐसी मान्द्यता है कक श्िेत पताका
यह ककसी बुद्धधस्ट की मत्ृ यु पर फहराई जाती हैं। उसकी आत्मा की शाांतत के सलए शहर से
बाहर ककसी पविि स्थान पर 108 श्िेत पताकाएां फहरा दी जाती हैं, च्जन्द्हें उतारा नहीां जाता।
िे धीरे -धीरे स्ियां नष्ट हो जाती हैं। ककसी शुभ काया आरां भ करने पर रां गीन पताकाएां फहराई
जाती हैं।

*5*)" ककतना कम लेकर यह समाज को ककतना अधधक िापस लौटा दे ती हैं" - इस कथन के
आधार पर स्पष्ट करें कक आम जनता की दे श की आधथाक प्रगतत में क्या भूसमका है ?

उ) लेखखका ने दे खा कक आठदिासी औरतें पहाड़ों के बीि सड़कें िौड़ी करने हे तु अत्यांत द:ु साध्य
काया पत्थर तोड़ रही हैं । ज़रा सी िूक होने पर उनकी जान भी जा सकती है । लेखखका ने
ऐसा दृश्य दे खकर यह वििार प्रकट ककया कक आठदिासी औरतें ककतना कम लेकर ककतना
अधधक िापस लौटा दे ती हैं। इतना जोखखम भरा काम और उनका पाररश्रसमक इतना कम । यह
बात आम जनता पर भी लागू होती हैं ।हमारे ककसान, जो खेतों में काम कर अन्द्न पैदा करते
हैं, मज़दरू जो सड़क के पुल इत्याठद बनाने का कठठन काया करते हैं, उसके बदले उन्द्हें उनकी
मज़दरू ी भी पूरी नहीां दी जाती। यठद पहाड़ों में यह लोग अपना काया करना बांद कर दें तो
पयाटन विभाग ठतप हो जाएगा। इस प्रकार हमारे दे श की आम जनता अपने जीिन की
वििशताओां के कारण इतना कम लेकर बहुत कुछ िापस दे दे ते हैं।

*6*) लॉन्द्ग स्टॉक में घम


ू ते हुए िक्र को दे खकर लेखखका को परू े भारत की आत्मा एक सी
क्यों ठदखाई दी?

उ) ससच्क्कम में एक जगह का नाम है 'किी -लाांग स्टॉक'। कहा जाता है कक यहाां गाइड कफल्ट्म
की शूठटांग हुई थी। िहीां एक घूमते हुए िक्र को दे खकर लेखखका ने उसके बारे में पूछा तो पता
िला कक यह धमािक्र है । इसे घुमाने पर सारे पाप धुल जाते हैं ।च्जतेन की यह बात सुनकर
लेखखका को ध्यान आया कक पूरे भारत की आत्मा एक ही है। इस च्स्थतत को दे खकर लेखखका
को लगता है कक धासमाक- आस्थाओां, पाप पुण्य और अांधविश्िासों के बारे में सारे भारत में एक
जैसी मान्द्यताएां हैं।

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*7*) अपने शहर को स्िचछ और सुांदर बनाने में आप ककस प्रकार योगदान दे सकते हैं? साना
साना हाथ जोड़ड़... पाठ के आधार पर उत्तर दीच्जए।

उ)अपने शहर को स्िचछ और सुांदर बनाना न केिल हमारा कताव्य है बच्ल्ट्क हमारे स्िास्थ्य के
सलए भी लाभदायक है। हम इस काया में तनम्न प्रकार से अपना योगदान दे सकते हैं-

१. हमें अपने शहर को हरा-भरा तथा प्रदष


ू ण रठहत बनाने के सलए अधधक से अधधक सांख्या में
पेड़ लगाने िाठहए और उनकी दे खभाल करनी िाठहए।

२. हमें सड़कों, गसलयों तथा अन्द्य सािाजतनक स्थलों पर कूड़ा किरा नहीां डालना िाठहए ।सभी
को कूड़ा डालने के सलए कूड़ेदान के प्रयोग पर बल दे ना िाठहए।

३. सभी प्रकार के प्रदष


ू ण को रोकने के सलए व्यच्क्तगत स्तर पर प्रयास करने होंगे, जैसे
सािाजतनक पररिहन प्रणाली का प्रयोग करना ,नठदयों में कूड़ा न फेंकना, इत्याठद।

४. हमें अपने दै तनक जीिन में पयाािरण के अनुकूल इको फ्ेंडली सामग्री के प्रयोग को बढािा
दे ना िाठहए और तलाच्स्टक का पूणा रूप से बठहष्कार करना िाठहए।

५. समय-समय पर पयाािरण सांरक्षण के असभयान िलाकर अपने आसपास के लोगों को जागरूक


करना होगा तथा प्रत्येक व्यच्क्त की पयाािरण के प्रतत च्जम्मेदारी सुतनच्श्ित करनी होगी।

*8*) दे श की सीमा पर तैनात सैतनकों के प्रतत हमारा क्या कताव्य है ?

उ) दे श की सीमा पर तैनात सैतनक ठदन-रात अपनी जान जोखखम में डालकर हमारी रक्षा करते
हैं ।हमें उनके प्रतत कृतज्ञ होना िाठहए। हमारा कताव्य है कक हम सैतनकों से जब भी समले
,उन्द्हें सदा सम्मान दें ।हमें सैतनकों के पररिारों तथा उनके बचिों की मदद करनी िाठहए। हमें
कोई ऐसा काया नहीां करना िाठहए च्जससे यह सांकेत जाए कक हम दे श के सैतनकों का अपमान
कर रहे हैं। हमें अपने दे श की जिानों पर गिा करना िाठहए तथा उनका उत्साहिधान करना
िाठहए ।सांघषा के ठदनों में हमें उनका हर प्रकार से सहयोग करना िाठहए, च्जससे िे अपने
कताव्य को भलीभाांतत तनभा पाए। दरअसल दे श की सेिा में समवपात जिानों के प्रतत अपने
कताव्य पूणा करके हम एक प्रकार से दे श सेिा का काया ही करते हैं।

*9*) आज की पीढी द्िारा प्रकृतत के साथ ककस तरह का खखलिाड़ ककया जा रहा है ? इसे रोकने
में आपकी क्या भूसमका होनी िाठहए?

उ)आज की पीढी द्िारा प्रकृतत के साथ तनम्न रूपों में खखलिाड़ ककया जा रहा है -

179
* िक्ष
ृ ों को अांधाधुन रूप में काटा जा रहा है ।इससे पहाड़ नांगे हो रहे हैं ।इसका पयाािरण पर
विपरीत प्रभाि पड़ रहा है ।पयाािरण प्रदष
ू ण का खतरा तनरां तर बढता िला जा रहा है ।

* नठदयों के जल को प्रदवू षत करने में भी आज की पीढी आगे हैं। नठदयों में कल-कारखानों की
गांदगी डाली जाती है। नगरों शहरों का कूड़ा तथा गांदगी को बहा ठदया जाता है ।

* पयाटन क्षेिों में आिागमन के बढने से सुख सुविधाओां की पूतता के सलए प्राकृततक सौंदया को
नष्ट ककया जाने लगा है ।इससे प्रदष
ू ण फैलने के साथ-साथ क्षेि विशेष में अपसांस्कृतत को भी
बढािा समलता है।

इसे रोकने के सलए हमारी भूसमका यह होनी िाठहए - िक्ष


ृ ों को काटने से रोकें। अनेक िक्ष

लगाएां तथा उनकी दे खभाल करें । नठदयों की स्िचछता एिां पवििता को बनाए रखें उनमें गांदगी
न बहाएां। तलाच्स्टक- पूणा रूप से उपेक्षा करें ।

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180
कायापिक

नाम -------------------- कक्षा -------------------- प्रातताांक ---------------------

1) 'जल -सांरक्षण' से आप क्या समझते हैं? हमें जल सांरक्षण को गांभीरता से लेना िाठहए, क्यों
और ककस प्रकार ?'जीिन मूल्ट्यों' की दृच्ष्ट से जल-सांरक्षण पर ििाा कीच्जए । ( 4)

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*10*) 'साना-साना हाथ जोड़ी' में कहा गया है कक 'कटाओ' पर ककसी दक


ु ान का ना होना
िरदान है, ऐसा क्यों? भारत के अन्द्य प्राकृततक स्थानों को िरदान बनाने में नि युिकों की
क्या भूसमका हो सकती है ? स्पष्ट कीच्जए।(4)

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उ)आज की पीढी द्िारा प्रकृतत के साथ तनम्न रूपों में खखलिाड़ ककया जा रहा है -(4)

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मैं क्यों सलखता हूँ ?
(सच्चिदानांद हीरानांद िात्स्यायन ' अज्ञेय ')
पाठ का सार

प्रस्तुत पाठ " मैं क्यों सलखता हूँ ? " अज्ञेय जी के द्िारा सलखखत है। इस पाठ में लेखक ने
अपने सलखने के कारणों के साथ-साथ एक लेखक के प्रेरणा-स्िोतों पर भी प्रकाश डाला है ।
लेखक ने स्पष्ट ककया है कक सलखने के सलए प्रेरणा कैसे उत्पन्द्न होती है ? लेखक उस पक्ष को
अधधक स्पष्टता और ईमानदारी से सलख पाता है च्जससे िह स्ियां प्रत्यक्ष रूप से दे ख सकता
है । लेखक विज्ञान के छाि थे। लेखक ने जापान के शहर ठहरोसशमा में हुए रे ड़डयोधमी विस्फोट
के प्रभाि के बारे में केिल सन
ु ा था, जब िह जापान गए िहाँ एक पत्थर पर आदमी की शक्ल
में काली छाया को दे खा तो उस रे ड़डयोधमी के विस्फोट की भयािह रूप उनकी आँखों के सामने
प्रत्यक्ष रूप में प्रतीत होने लगा और उस याद को लेखक ने भारत आकर रे ल में बैठे -बैठे उसे
कविता के रूप में उतारा ।लेखक-'मैं क्यों सलखता हूँ ' का उत्तर दे ते हुए कहते हैं कक मैं इससलए
सलखता हूँ क्योंकक मैं स्ियां को जानना िाहता हूँ । बबना सलखे मैं इस प्रश्न का उत्तर नहीां जान
सकता हूँ ।

प्रश्न - उत्तर
प्रश्न 1- लेखक के अनस
ु ार प्रत्यक्ष अनभ
ु ि की अपेक्षा अनभ
ु तू त उनके लेखन में अधधक मदद
करती है ,क्यों ?
उत्तर- लेखक के अनस
ु ार प्रत्यक्ष अनभ
ु ि की अपेक्षा अनभ
ु तू त उनके लेखन में अधधक मदद
करती है क्योंकक उनका मानना था कक अनुभूतत अनुभि से गहरी िीज़ है । अनुभि केिल
घठटत होता है , लेककन अनुभूतत सांिेदना और कल्ट्पना के सहारे उस सत्य को आत्मसात कर
लेती है जो िास्ति में प्रततकार के साथ घठटत नहीां हुआ हैं ।

प्रश्न 2- लेखक ने अपने आपको ठहरोसशमा के विस्फोट का भोक्ता कब और ककस तरह


महसूस ककया ?
उत्तर- अपनी जापानी यािा के दौरान लेखक ने एक पत्थर में मानि की उजली छाया दे खी।
िे विज्ञान के विद्याथी थे इस कारण समझ गए कक विस्फोट के समय पत्थर के पास कोई
व्यच्क्त खड़ा होगा । विस्फोट से विसच्जात रे ड़डयोधमी पदाथा ने उस व्यच्क्त को भाप बना
ठदया और पत्थर को झल
ु सा ठदया ।इस प्रत्यक्ष अनभ
ु तू त ने लेखक को झकझोर ठदया ।इस
प्रकार लेखक ठहरोसशमा का भोक्ता बन गया ।

प्रश्न 3- पाठ के आधार पर बताइए कक -

182
(क) लेखक को कौन-सी बातें सलखने के सलए प्रेररत करती हैं?
उत्तर- लेखक यह जानना िाहता है कक िह क्यों सलखता है और इस प्रश्न को जानने की
इचछा ही उसे सलखने के सलए प्रेररत करती है । लेखक सलख कर अपनी आन्द्तररक वििशता
को जानने का प्रयास करता है ।तनम्नसलखखत दो िीजें उसके सलखने का मुख्य कारण है -
* उसके मन की च्स्थतत तथा वििशता * बाहरी दबाि

प्रश्न 4- क्या बानय दबाि केिल लेखन से जड़


ु े रिनाकारों को ही प्रभावित करते हैं या अन्द्य
क्षेि से जुड़े कलाकारों को भी प्रभावित करते हैं , कैसे ?
उत्तर- बानय दबाि लेखन से जुड़े रिनाकारों के अलािा अन्द्य क्षेिों से जुड़े कलाकारों को भी
प्रभावित करते हैं जैसे असभनेता -असभनेिी पर तनदे शक का दबाि रहता है ताकक िे अचछी
कफल्ट्म का तनमााण कर सकें । गायक - गातयका, नताक-नताकी पर आयोजकों के साथ-साथ
श्रोताओां का दबाि रहता है । धििकारों पर उनके ग्राहकों का दबाि रहता है ताकक िह अचछा
धिि बनाएँ। खखलाड़ड़यों पर उनके प्रबांधकों तथा दशाकों का दबाि रहता है ।

प्रश्न 5-ठहरोसशमा की घटना विज्ञान का भयानक दरु


ु पयोग है । आपकी दृच्ष्ट में विज्ञान का
दरु
ु पयोग कहाां–कहाां और ककस तरह हो रहा है ?

उत्तर:- आज के आधुतनक युग में विज्ञान का भयानक दरु


ु पयोग ककया जा रहा है विज्ञान का
दरु
ु पयोग तनम्नसलखखत िीजों में हो रहा है -
* तरह-तरह के हधथयार, विस्फोटक ि परमाणु-बम बनाने के सलए, जो ककसी भी दे श को नष्ट
करने में सक्षम है।
* सलांग जाांि करिाकर भ्रूण हत्या करने के सलए ।
* ऐसे उपकरणों का तनमााण करने के सलए जो प्रकृतत ि िातािरण को नष्ट कर रहे हैंआठद

प्रश्न 6- कुछ रिनाकारों के सलए आत्मानुभूतत/स्ियां के अनुभि के साथ-साथ बानय दबाि भी


महत्िपूणा होता है । ये बानय दबाि कौन-कौन से हो सकते हैं?
उत्तर कुछ रिनाकारों के सलए आत्मानुभूतत / स्ियां के अनुभि के साथ -साथ बानय दबाि भी
महत्िपूणा होता है । यह दबाि हैं -
• सामाच्जक पररच्स्थततयाँ का दबाि होता है।
• आधथाक लाभ की आकाांक्षा का दबाि होता है।
• प्रकाशकों और सम्पादकों का बार-बार आग्रह का दबाि होता है।
• विसशष्ट के पक्ष में वििारों को प्रस्तुत करने का दबाि होता है ।

183
प्रश्न- 7 ठहरोसशमा पर सलखी कविता लेखक के अांतः ि बानय दोनों दबाि का पररणाम है आप
कैसे कह सकते हैं?
उत्तर- ठहरोसशमा के पीड़ड़तों को दे खकर लेखक को पहले ही अनुभि हो िुका था परन्द्तु जले
पत्थर पर ककसी व्यच्क्त की उजली छाया को दे खकर उसको ठहरोसशमा में विस्फोट से प्रभावित
लोगों के ददा की अनुभूतत कराई, लेखक को सलखने के सलए प्रेररत ककया । यह लेखक का
आांतररक दबाि था ।िांूकक लेखक विज्ञान के छाि थे तो ठहरोसशमा की िासदी को अचछे ढां ग से
बता सकते थे। इससलए कुछ अलग सलखने की िाह बानय दबाि हो सकता है ।

प्रश्न 8 -पाठ के आधार पर बताइए कक लेखक को सलखने की प्रेरणा कहाँ से प्रातत होती है ?
उत्तर - 'मैं क्यों सलखता हूँ 'पाठ में अज्ञेय जी अपनी आांतररक वििशता को प्रकट करने के सलए
सलखते हैं । िे तटस्थ होकर यह दे खना िाहते है कक उनका मन क्या सोिता है । िे सलखकर
मन की बेिैनी और उसकी छटपटाहट से मुच्क्त पाने के सलए सलखते हैं । िे स्ियां को जानने
और समझने ि पहिानने के सलए सलखते हैं । िे यह भी मानते हैं कक कई बार कुछ लेखक
आधथाक कारणों से भी सलखते हैं या कुछ सांपादक के दबाि ,प्रससद्धध की कामना के सलए भी
सलखते हैं ।

प्रश्न 9 - एक सांिेदनशील यि
ु ा नागररक की है ससयत से विज्ञान का दरु
ु पयोग रोकने में आपकी
क्या भूसमका हैं ?
उत्तर- विज्ञान के दरू
ु पयोग को रोकने में तनम्नसलखखत तरीकों से योगदान दे सकते हैं-
* लोगों को इांटरनेट, उस पर होने िाली धोखाधड़ी के बारे में जागरूक करना ।
* विज्ञानों द्िारा बनाए गए हधथयारों का प्रयोग केिल जीिों की भलाई के सलए करना ।
* हमारे महत्िपण
ू ा प्राकृततक सांसाधनों का सीसमत प्रयोग करके तथा प्रदष
ू ण रोक कर।
*लोगों को बेठटयों का महत्ि समझाकर, उन्द्हें सलांग जाँि और भ्रूण हत्या न करने का सांदेश
दे कर ।

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184
कायापिक
नाम -------------------- कक्षा -------------------- प्रातताांक ---------------------
1) " मैं क्यों सलखता हूँ "प्रश्न का लेखक ने क्या उत्तर ठदया है ? पाठ के आधार परबताइए(4)

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प्रश्न-2 लेखक ने ठहरोसशमा कविता कब और कहाँ सलखी?


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प्रश्न 3- ' मैं क्यों सलखता हूँ ' पाठ का प्रततपाद्य अपने शब्दों म
उत्तर

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185
रचनात्प्मक
लेिन

186
अनुच्छे द-लेिन की पररभार्ा
ककसी एक भाि या वििार को व्यक्त करने के सलए सलखे गये सम्बद्ध और लघु िाक्य-समूह
को अनुचछे द-लेखन कहते हैं।
दस
ू रे शब्दों में – ककसी घटना, दृश्य अथिा विषय को सांक्षक्षतत (कम शब्दों में ) ककन्द्तु सारगसभात
(अथापूणा) ढां ग से च्जस लेखन-शैली में प्रस्तुत ककया जाता है , उसे अनुचछे द-लेखन कहते हैं।
‘अनच
ु छे द’ शब्द अांग्रेजी भाषा के ‘Paragraph’ शब्द का ठहांदी पयााय है । अनच
ु छे द ‘तनबांध’ का
सांक्षक्षतत रूप होता है। इसमें ककसी विषय के ककसी एक पक्ष पर 100 से 150 शब्दों में अपने
वििार व्यक्त ककए जाते हैं।
अनुचछे द सलखते समय तनम्नसलखखत बातों को ध्यान में रखना िाठहए –
(1) अनुचछे द सलखने से पहले रूपरे खा, सांकेत-बबांद ु आठद बनानी िाठहए। (कुछ प्रश्न-पिों में पहले
से ही रूपरे खा, सांकेत-बबांद ु आठद ठदए जाते हैं।)
(2) अनुचछे द में विषय के ककसी एक ही पक्ष का िणान करें । (ऐसा इससलए करना आिश्यक हो
जाता है क्योंकक अनच
ु छे द में शब्द सीसमत होते हैं और हमें अनच
ु छे द सांक्षेप में सलखना होता
है।)
(3) भाषा सरल, स्पष्ट और प्रभािशाली होनी िाठहए। ताकक समीक्षक या पढने िाला आपके
अनुचछे द से प्रभावित हो सके।
(4) एक ही बात को बार-बार न दोहराएँ। क्योंकक एक ही बात को बार-बार दोहराने से आप
अपने अनुचछे द को ठदए गए सीसमत शब्दों में पूरा नहीां कर पाएँगे और अपने सन्द्दे श को लोगों
तक नहीां पहुँिा पाएँगे।
(5) अनािश्यक विस्तार से बिें , लेककन विषय से न हटें । आपको भले ही सांक्षप
े में अपने अनुचछे द
को पूरा करना है, परन्द्तु आपको ये भी ध्यान रखना है कक आप अपने विषय से न भटक जाएँ।
(6) शब्द-सीमा को ध्यान में रखकर ही अनच
ु छे द सलखें। ऐसा करने से आप अपने अनच
ु छे द में
ज्यादा-से-ज्यादा महत्िपूणा बात सलखने की ओर ध्यान दे
(7) परू े अनच
ु छे द में एकरूपता होनी िाठहए। ऐसा नहीां होना िाठहए कक कही कोई बात विषय
से अलग लगे और पढने िाले का ध्यान विषय से भटक जाए।
(8) विषय से सांबांधधत सूच्क्त अथिा कविता की पांच्क्तयों का प्रयोग भी कर सकते हैं। इससे
आपका अनुचछे द बहुत अधधक प्रभािशाली और रोिक लगेगा।
(9) अनुचछे द के अांत में तनष्कषा समझ में आ जाना िाठहए यानी विषय समझ में आ जाना
िाठहए।
अनुचछे द की प्रमुख विशेषताएँ –
(1) अनच
ु छे द ककसी एक भाि या वििार या तथ्य को एक बार, एक ही स्थान पर व्यक्त करता
है। इसमें अन्द्य वििार नहीां रहते।

187
(2) अनुचछे द के िाक्य-समूह में उद्दे श्य की एकता रहती है। अप्रासांधगक बातों को हटा ठदया
जाता है । केिल बहुत अधधक महत्िपूणा बातों को ही अनुचछे द में रखा जाता है ।
(3) अनुचछे द के सभी िाक्य एक-दस
ू रे से गठठत और सम्बद्ध होते है । िाक्य छोटे तथा एक
दस
ू रे से जुड़े होते हैं।
(4) अनुचछे द एक स्ितन्द्ि और पूणा रिना है , च्जसका कोई भी िाक्य अनािश्यक नहीां होता।
(5) उचि कोठट के अनच
ु छे द-लेखन में वििारों को इस क्रम में रखा जाता है कक उनका आरम्भ,
मध्य और अन्द्त आसानी से व्यक्त हो जाए और ककसी को भी समझने में कोई परे शानी न
हो।
(6) अनुचछे द सामान्द्यतः छोटा होता है , ककन्द्तु इसकी लघुता या विस्तार विषयिस्तु पर तनभार
करता है। लेखन के सांकेत बबांद ु के आधार पर विषय का क्रम तैयार करना िाठहए।
(7) अनुचछे द की भाषा सरल और स्पष्ट होनी िाठहए।
अनुचछे द लेखन एक कला है । ककसी भी विषय पर स्ितांि रूप से सलखने की कला विकससत
करने का अथा होता है ‘भाषा पर सम्पण
ू ा अधधकार, शब्दािली आठद का सहज, साथाक प्रयोग।‘
अत: अनुचछे द गद्य लेखन की िह विधा है , च्जसके अांतगात ककसी तनधााररत विषय पर सांक्षेप
में सांक्षेप में बातें कही जाती है। बोडा परीक्षा में 100-150 शब्दों में अनच
ु छे द सलखने के सलए
आता है। इसकी अांक योजना इस प्रकार है --
भूसमका (आरम्भ एिां समापन) 1 अांक
विषय िस्तु 2 अांक
भाषा 2 अांक
कुल अांक 5 अांक

अनुचछे द – लेखन के कुछ उदाहरण


१। थवाथथ्य और व्यायाम
सांकेत बबांद ु –•स्िास्थ्य का महत्त्ि•शारीररक स्िास्थ्य के सलए व्यायाम•मानससक स्िास्थ्य
•तनष्कषा

एक स्िस्थ शरीर से ही आनांदमय जीिन की शुरुआत होती है । तन मन से स्िस्थ व्यच्क्त ही


जीिन का आनांद उठा सकता है।
व्यायाम एक ऐसी कक्रया है जो आपके शरीर को मजबत
ू करने, आपके तांबिका तांि को मजबत

करने और आपकी आांतररक शच्क्तयों को तेज करती हैं। व्यायाम तनच्श्ित रूप से आपके शरीर
को लाभाच्न्द्ित करते हैं। व्यायाम करने से मानि शरीर तांदरू
ु स्त, स्िस्थ, सांद
ु र और सड
ु ौल बनता

188
है। भौततक शरीर िाले व्यच्क्त को हजारों की भीड़ से आसानी से पहिाना जा सकता है।
व्यायाम करने से शरीर का अांग स्िस्थ रहता है । शरीर स्िस्थ और तांदरु
ु स्त बनता है। आलस्य
भाग जाता है। ठदन भर ऊजाा और उत्साह बना रहता है। .
व्यायाम का प्रभाि मन पर भी पड़ता है। शरीर के दब
ु ल
ा और रोगी होने से मन भी सशधथल हो
जाता है। एक स्िस्थ शरीर में स्िस्थ मन और आत्मा रहती है। व्यायाम करने के बाद ठदमाग
तेज हो जाता है। उनके हाथ में जो भी काम होता है , जोश और उत्साह के साथ िह परू ा होता
है।
स्िस्थ समाज में स्िस्थ लोग होते हैं। व्यच्क्त स्िस्थ और सख
ु ी रहे गा, तो समाज भी स्िस्थ
और सुखी रहे गा तथा मजबूत होगा। िह ककसी भी बीमारी से लड़ने में सक्षम होंगे आज की
कोविड महामारी से बिने केसलए भी स्िस्थ और मज़बूत रहने की आिश्यकता है । िह परु े
जीिन का आनांद ले सकेंगे।

२। श री जीवन में बढिा प्रदर्


ू र्
सांकेत बबांद ु –•शहरीकरण•बढती जनसांख्या•विविध प्रकार के प्रदष
ू ण•प्रदष
ू ण को रोकने के उपाय

आज ग्रामीण इलाकों से लोग धीरे -धीरे शहरों की ओर पलायन कर रहे हैं। च्जसके पास मौका
होता है िह शहर में बस जाता है । इस िजह से कई छोटे कस्बे कुछ िषों में शहर बन गए
हैं।
जनसांख्या घनत्ि बढने से महानगरों में तरह-तरह के प्रदष
ू ण बढ रहे हैं। िही जमीन, िही
आसमान, िही नदी, िही पहाड़, लेककन तीन गन
ु ा आबादी यानी तीन गुना उपभोक्ता। इसका
सीधा असर बढते प्रदष
ू ण पर पड़ रहा है ।
शहरों में प्रदष
ू ण कई तरह से बढ रहा है । सबसे भीषण िायु प्रदष
ू ण है । बड़े शहरों में लोग
स्िस्थ हिा में साांस नहीां ले सकते। लोगों को सड़क पर िलते समय िाहनों का काला धुांआ
पीना पड़ रहा है। भीड़ अधधक होने के कारण जगह-जगह कूड़े के ढे र लगे हैं। फैक्री का धआ
ु ां
पयाािरण को जहरीला बनाता है , इससलए मनुष्य भी स्िचछ हिा के सलए तरसता है । बड़े शहरों
में जल प्रदष
ू ण एक बड़ी समस्या बन गया है । फैक्री का पानी प्रदवू षत होने से भूजल भी लाल
और काला हो गया। ध्ितन प्रदष
ू ण की ितामान च्स्थतत यह है कक महानगरों के तनिाससयों के
सलए बहरापन और तनाि आम समस्या हो गई है , और शाांत स्थानों की जगह शोर ने ले ली
है।
इस सांबांध में िैज्ञातनक साधनो की तरह आम लोग भी समान रूप से दोषी हैं। हमें प्रदष
ू ण के
कारणों और इससे बिने के तरीकों को समझना होगा । लोगों को सिेत करें और उपायों को

189
व्यापक रूप से प्रिाररत करें । सरकार और जनता का सांयुक्त सहयोग ही प्रदष
ू ण मुक्त िातािरण
का तनमााण हो सकता है।

३। बेरोजगारी : समथया और समािान


सांकेत बबांद ु –•अथा•कारण•दष्ु पररणाम•समस्या का समाधान

बेरोजगारी का तात्पया योग्य नौकररयों की कमी से है । भारत में बेरोजगारों को मुख्य रूप से
तीन श्रेखणयों में बाांटा गया है। एक व्यच्क्त च्जसके पास जीविकोपाजान का कोई साधन नहीां है।
ये पूरी तरह से खाली हैं। दस
ू रा, जो कुछ समय से काम कर रहे हैं, लेककन सीजन या काम का
समय खत्म होने के बाद बेकार हो जाते हैं। ऐसे लोगों को बेरोजगार कहा जाता है। तीसरे पक्ष
ऐसे हैं च्जन्द्हें योग्यता के आधार पर नौकरी नहीां समली।
बेरोजगारी का मुख्य कारण जनसांख्या विस्फोट है । जनसांख्या िद्
ृ धध के कारण दे श में रोजगार
सज
ृ न की सारी योजनाएँ बेकार हो गई हैं। दस
ू रा कारण पढे - सलखे युिको में छोटे काम न
करने की लालसा है। बेरोजगारी का तीसरा प्रमुख कारण भ्रष्ट सशक्षा व्यिस्था है । हमारी सशक्षा
प्रणाली लगातार नए बेरोजगार लोगों को पैदा कर रही है।
हमारी सशक्षा में पेशेिर प्रसशक्षण का अभाि है। सरकार को लघु उद्योगों को प्रोत्साहन दे ना
िाठहए। मशीनीकरण की ड़डग्री को इस हद तक बढाया जाना िाठहए कक इससे रोजगार के
अिसर कम न हों। इससलए गाांधी जी ने मशीन का विरोध ककया, क्योंकक इसने कई सशल्ट्पकारों
के हाथ बेकार कर ठदए।
बेरोजगारी के पररणाम भयानक हैं। बेरोजगार युिा कुछ भी गलत करने को तैयार हैं। िे शाांतत
भांग करने में सबसे आगे हैं। जो लोग सोिते हैं कक शैक्षक्षक िातािरण धूसमल है , िे शैक्षक्षक
िातािरण को भी िोट पहुँिाते हैं।
जब जनसांख्या की रफ़्तार धीमी होगी तभी बेरोजगारी की समस्या का समाधान हो सकता है।
यि
ु ा शारीररक श्रम करें । सरकार को छोटे उद्योगों को बढािा दे ना िाठहए। औद्योधगक प्रसशक्षण,
सशक्षा में शासमल हों ताकक युिा आत्मतनभार बन पाए ।

४। भारत का ककसान•सरल जीिन•मेहनती•गरीबी•दयनीय अिस्था के मूल कारण


•तनष्कषा
भारतीय ककसान बड़ा ही सरल होता है । िह स्िगीय सुख की कामना नहीां करता। िह तो रुखा
– सख
ू ा खाकर भी आनांठदत रहता है । िह स्िभाि से ही दयालु और साच्त्िक मानससकता का
होता है।

190
एक भारतीय ककसान बहुत मेहनती होता है। गमी, सदी और बाररश के बािजूद िह काम में
व्यस्त रहता हैं। ककसान को गरजते बादल या तूफानी हिाएां कोई उसे उसके कमा करने से
नहीां रोक सकती । भारतीय ककसानों का जीिन कठठन और िुनौतीपूणा होता है । ठदन-रात काम
करने पर भी िह जीिन की जरूरतों को पूरा नहीां कर सकता है । उसके पास न तन ढकने के
सलए कपड़ा होता है और न ही पयाातत भोजन ।
गरीबी और असशक्षा भारतीय ककसानों के पतन का मल
ू कारण है । सशक्षा की कमी के कारण,
िह कई बुराइयों से तघरा हुआ है । अांधविश्िास और रीतत-ररिाज उनके जीिन का एक अतनिाया
ठहस्सा बन गए हैं। आज भी िह शोषण का सशकार है । आपकी मेहनत दस
ू रों के सलए सख
ु -
समद्
ृ धध लाती है पर खुद अभािग्रस्त है ।
दे श की प्रगतत ककसानों के जीिन में सुधार से जड़
ु ी है । ककसान इस दे श की आत्मा हैं। इससलए
हमें इसे सुधारने के सलए हर सांभि प्रयास करना िाठहए। ककसानों के महत्ि को जानकर लाल
बहादरु शास्िी ने “जय जिान जय ककसान” का नारा ठदया। यठद जिान दे श की सीमाओां की
रक्षा करता है , तो ककसान उस सीमा के भीतर रहने िाले लोगों को समद्
ृ धध प्रदान करते हैं ।

५। छात्र और अनुशासन
सांकेत बबांद ु –•महत्त्ि•पहला अनश
ु ासन का प्रभाि•व्यच्क्त और समाज पर प्रभाि•जीिन पर
प्रभाि

“अनुशासन” शब्द का अथा है -तनयमों को व्यिस्था के अनुसार जीना। यठद कोई व्यिस्था तय
है, तो उस पर च्जयो। व्यिस्था ठीक न हो तो जीिन में कोई भी तनयम अपने सलए बना लें।
अनुशासन जीिन को उपयुक्त बनाता है । इससे दक्षता में सुधार होता है । समय का पूरा
सदप
ु योग होता है।
पहले अनुशासन का पाठ सबसे पहले पररिार से ही सीखा जाता है। पररिार का सारा काम
व्यिच्स्थत तरीके से होगा तो बचिा भी अनश
ु ासन पर ध्यान दे गा। इससलए लोगों को पहले
अपने घर को अनुशाससत करना िाठहए।
अनुशासन न केिल व्यच्क्तगत जीिन के सलए आिश्यक है , बच्ल्ट्क सामाच्जक जीिन के सलए
भी तनताांत आिश्यक है। व्यच्क्तगत जीिन में अनश
ु ासन का अथा है कक छािों को प्रत्येक काया
को समय पर और क्रम से पूरा करने की आदत विकससत करनी िाठहए। अपने काम के घांटे
तनधााररत करने होंगे। ठदनियाा तनच्श्ित होनी िाठहए।
सामाच्जक जीिन में अनुशासन आिश्यक है । जैसे रे न, बस, स्कूल और कायाालय हमेशा खुले
रहते हैं, िैसे ही कमािाररयों को अपने-अपने स्थानों पर समय पर काम करने के सलए तैयार

191
रहना िाठहए। कोई ठढलाई नहीां होनी िाठहए। इसके साथ ही विद्याथी समय पर सामाच्जक
कायों में भाग लेने के तत्पर हों।
अनुशासन एक महत्िपूणा जीिन मूल्ट्य है , िास्ति में अनुशासन एक प्रकार का स्िभाि है। एक
विज्ञान है । अनुशासन का लक्ष्य जीिन को आरामदायक और सुविधाजनक बनाना है । एक
अनुशाससत व्यच्क्त को सुसशक्षक्षत और सभ्य माना जाता है। एक अनुशाससत विद्याथी अपने
जीिन में सफलता तो प्रातत करता है ही साथ ही साथ समाज में ऊँिा दजाा भी प्रातत करता
है।

अनुच्छे द – लेिन के कुछ अन्य ववर्य -


1.भारिीय सिंथकतनि: अनेकिा में एकिा
सांकेत बबांद-ु भारतीयता का भाि - समानता - समान भाषा-पहनािा- सांस्कृतत ि ् भोजन
विसभन्द्नता में एकता

2.भारिीय नारी
सांकेत बबांद ु –समपाण का स्िभाि -पच्श्िमी नारी-भारतीय नारी- ित्तामान नारी

3. पयषटन का म त्त्व सांकेत बबांद ु –पयाटन क्या है ? विकास एक उद्योग के रूप में -लाभ और
शौक

4.समाचार पत्र का म त्त्व


सांकेत बबांद ु –समाज का सम्बन्द्ध -प्रिार का माध्यम- व्यापार में - उपयोगी मनोरां जन के सलए

5आदशष ववद्यार्ी सांकेत बबांद ु –अथा-जानने की इचछा -पररश्रमी-अनश


ु ाससत-

6. ग्लोबल वाममिंग-मनुष्यिा के मलए ििरा –


सांकेत बबांद ु –ग्लोबल िासमंग क्या है ? ग्लोबल िासमंग के कारण- ग्लोबल िासमंग के प्रभाि
समस्या का समाधान।

7 नर ो न ननराश करो मन को
सांकेत बबांद ु – आत्मविश्िास और सफलता की आशा से सांघषा -विजय- कुछ भी असांभि नहीां
महापुरुषों की सफलता का आधार।

8 सबको भाए मिरु वार्ी

192
सांकेत बबांद ु –मधुर िाणी -सबको वप्रय-मधुर िाणी एक औषधध-मधुरिाणी का प्रभाि- मधुर
िाणी की प्रासांधगकता।
9 बच्चों की मशक्षा में मािा-वपिा की भूममका
सांकेत बबांद ु –सशक्षा और माता-वपता -सशक्षा की महत्ता -उत्तरदातयत्ि-सशक्षाविहीन नर पशु
समान।

10.जीवन में सरसिा लािे त्प्यो ार


सांकेत बबांद ु – त्योहारों का दे श भारत- नीरसता भगाते त्योहार-त्योहारों के लाभ
त्योहारों पर महँगाई का असर।

11.हदनोंहदन बढिी म ँगाई


सांकेत बबांद ु – महँगाई और आम आदमी पर प्रभाि – कारण- महँगाई रोकने के उपाय- सरकार
के कताव्य।

12.समाचार-पत्र एक : लाभ अनेक


अर्वा
समाचार-पत्र : ज्ञान और मनोरिं जन का सािन
सांकेत बबांद ु – च्जज्ञासा पूतता का सस्ता एिां सुलभ साधन- रोज़गार का साधन- समािार पिों
के प्रकार- जानकारी के साधन ।

13. सबसे पयारा दे श मारा


अर्वा
ववश्व की शान-भारि
सांकेत बबांद ु – भौगोसलक च्स्थतत -प्राकृततक सौंदया- विविधता में एकता की भािना- अत्यांत
प्रािीन सांस्कृतत।

14 सुरक्षा का आवरर्: ओजोन


अर्वा
पथ्
त वी का रक्षक : अदृश्य ओजोन

सांकेत बबांद ु – ओजोन परत क्या है ? मनष्ु य की प्रगतत और ओजोन परत- ओजोन नष्ट
होने का कारण -ओजोन बिाएँ जीिन बिाएँ।

193
15भ्रष्टाचार का दानव
अर्वा
भ्रष्टाचार से दे श को मुक्ि बनाएँ
सांकेत बबांद ु – भ्रष्टािार क्या है ? दे श के सलए घात- भ्रष्टािार का दष्ु प्रभाि- लोगों की
भूसमका।

16भारिीय नारी की दो री भमू मका


अर्वा
कामकाजी स्थत्रयों की चुनौनियाँ
सांकेत बबांद ु –प्रािीनकाल में नारी की च्स्थतत- ितामान में नौकरी की आिश्यकता-दोहरी
भूसमका और िुनौततयाां- सुरक्षा और सोि में बदलाि की आिश्यकता।

17.बढिी जनसिंख्या: प्रगनि में बािक


अर्वा
समथयाओिं की जि : बढिी जनसिंख्या
सांकेत बबांद ु –जनसांख्या िद्
ृ धध बनी समस्या - सांसाधनों पर असरिद्
ृ धध के कारण- जनसांख्या
रोकने के उपाय।

18मोबाइल फोन: सुिद व दि


ु द भी
अर्वा
ववज्ञान की अद्भुि िोज : मोबाइल फोन
सांकेत बबांद ु –विज्ञान की अद्भुत खोज- फोनों की बदलती दतु नया में - सांिार क्षेि में क्राांतत
सस्ता और सल
ु भ साधन -लाभ और हातनयाँ।

19 सािंप्रदानयकिा का फैलिा ज र
अर्वा
मानविा के मलए घािक : सािंप्रदानयकिा का ज र
सांकेत बबांद ु – साांप्रदातयकता-अथा एिां कारण -साांप्रदातयकता का जहर - साांप्रदातयकता की
रोकथाम -हमारी भूसमका।

20सुवविाओिं का भिंडार: किंपयूटर


अर्वा
किंपयूटर : आज की आवश्यकिा

194
सांकेत बबांद ु - विज्ञान की अद्भुत खोज -बढता प्रयोग- ज्ञान एिां मनोरां जन का भांडार- अधधक
प्रयोग हातनकारक।

21ववपनि कसौटी जे कसे िेई साँचे मीि


अर्वा
ववपवत्त का सार्ी : ममत्र
सांकेत बबांद ु समि की आिश्यकता - समि का स्िभाि- सन्द्मागा पर ले जाते समि -समि के
ियन में सािधातनयाँ।

22म ानगरों की यािायाि को सुिद बनािी-मैट्रो रे ल


अर्वा
यात्रा सुिद बनािी-मैट्रो रे ल सांकेत बबांद ु – महानगरों का भीड़भाड़ युक्त जीिन - मैरो रे ल
की आिश्यकता- मैरो रे ल के लाभ -सुखद यािा का साधन।

23जल ै िो जीवन ै
अर्वा
जल ी जीवन ै
अर्वा
जल सिंरक्षर्-आज की आवश्यकिा
सांकेत बबांद ु -जीिन दायी जल- जल प्रदष
ू ण के कारण- जल सांरक्षण ककतना ज़रूरी जल
सांरक्षण के उपाय।

**************************************************

195
पत्र-लेिन
पि लेखन एक विशेष कला – िास्ति में पि मानि के वििारों के आदान-प्रदान का अत्यांत
सरल और सशक्त माध्यम है । पि हमेशा ककसी को सांबोधधत करते हुए सलखे जाते हैं, अतः यह
लेखन की विसशष्ट विधा एिां कला है। पि-लेखन के तनम्नसलखखत गण
ु आिश्यक हैं |
1. सरलता - पि सरल भाषा में सलखना िाठहए। भाषा सीधी, स्िाभाविक ि स्पष्ट होनी िाठहए।
अतः पि में व्यच्क्त को परू ी आत्मीयता और सरलता दशाानी िाठहए।
2. स्पष्टता - जो भी हमें पि में सलखना है यठद स्पष्ट, सुमधुर होगा तो पि प्रभािशाली होगा।
सरल भाषा-शैली, शब्दों का ियन, िाक्य रिना की सरलता पि को प्रभािशाली बनाने में हमारी
सहायता करती है।
3. सांक्षक्षततता - पि में हमें अनािश्यक विस्तार से बिना िाठहए। अनािश्यक विस्तार पि को
नीरस बना दे ता है । पि च्जतना सांक्षक्षतत ि सुगठठत होगा उतना ही अधधक प्रभािशाली भी
होगा।
4. सशष्टािार - पि प्रेषक और पि पाने िाले के बीि कोई न कोई सांबांध होता है। आयु और
पद में बड़े व्यच्क्त को आदरपूिक
ा , समिों को सौहादा से और छोटों को स्नेहपूिक
ा पि सलखना
िाठहए।
5. आकषाकता ि मौसलकता - पि का आकषाक ि सुांदर होना भी महत्त्िपूणा होता है। मौसलकता
भी पि का एक महत्त्िपूणा गुण है । पि में तघसे-वपटे िाक्यों के प्रयोग से बिना िाठहए। पि-
लेखक को पि में स्ियां के विषय में कम तथा प्राततकताा के विषय में अधधक सलखना िाठहए।
6. उद्दे श्य पूणत
ा ा - कोई भी पि अपने कथन या मांतव्य में स्ितः सांपूणा होना िाठहए। उसे
पढने के बाद ककसी प्रकार की च्जज्ञासा, शांका या स्पष्टीकरण की आिश्यकता शेष नहीां रहनी
िाठहए। पि सलखते समय इस बात का ध्यान रखना िाठहए कक कथ्य अपने आप में पूणा तथा
उद्दे श्य की पतू ता करने िाला हो।
पि के प्रकार : 1. अनौपिाररक पि 2. औपिाररक पि

अनौपिाररक पि
बधाई पि
शुभकामना पि
तनमांिण पि
विशेष अिसरों पर सलखे गये पि
साांत्िना पि
ककसी प्रकार की जानकारी दे ने के सलए
कोई सलाह आठद दे ने के सलए....आठद

196
औपिाररक पि
प्राथाना पि
आिेदन पि
बधाई पि
शुभकामना पि
धन्द्यिाद पि
साांत्िना पि सशकायती पि
सांपादकीय पि
व्यािसातयक पि ......आठद
अनौपचाररक पत्र

1.अपने समि को परीक्षा में प्रथम स्थान प्रातत करने पर उसे बधाई दे ते हुए पि सलखखए -
3/15 लाल नगर
आगरा

वप्रय समि भरत

नमस्ते
तुम्हारे वपता को फोन ककया तो उन से ज्ञात हुआ कक तुमने बोडा की परीक्षा में अपने सांभाग
में प्रथम स्थान प्रातत ककया है । यह समािार सुनकर मेरा मन खुशी से भर गया। मुझे तो
पहले से ही विश्िास था कक तम
ु परीक्षा में प्रथम श्रेणी से उत्तीणा हो जाओगे, लेककन यह जानकर
कक तुमने परीक्षा में प्रथम श्रेणी के साथ-साथ अपने सांभाग में भी प्रथम स्थान प्रातत ककया है ,
मेरी खश
ु ी की सीमा नहीां रही।
इस परीक्षा के सलए तुम्हारी मेहनत और तनयसमत अनुशासन पूिक
ा पढाई में ही तुम्हें इस
सफलता तक पहूांिाया है।। मुझे पूरी आशा थी कक तुम्हारी मेहनत रां ग लाएगी और मेरा अनुमान
सि साबबत हुआ।। तुम ने प्रथम स्थान प्रातत कर यह ससद्ध कर ठदया कक दृढ सांकल्ट्प और
कठठन पररश्रम से जीिन में कोई भी सफलता प्रातत की जा सकती है।
मैं सदा ही यह कामना करूांगा कक तुम्हें जीिन में हर परीक्षा में प्रथम आने का सौभाग्य प्रातत
हो और तुम इसी प्रकार पररिार और विद्यालय का गौरि बढाते रहो। इतना ही नहीां,। इसी
प्रकार मेहनत करते रहो और अधधक से अधधक अांक प्रातत कर जीिन की सभी परीक्षाओां में
सफलता प्रातत करो।
शेष समलने पर

197
तुम्हारा समि
क ख ग

2.अपने छोटे भाई को सुबह घूमने के लाभ से अिगत कराते हुए पि सलखो
11, सुांदर नगर
सहारनपुर

वप्रय भाई सांजीि

स्नेहाशीष
हम सभी यहाां पर कुशल पूिक
ा हैं। आशा है तुम सब भी िहाां पर स्िस्थ एिां कुशल होंगे। माां
के पि से पता िला कक तुमने अपनी कक्षा में प्रथम स्थान प्रातत ककया है । इस सफलता के
सलए तुम्हें हाठदा क बधाई। माँ ने यह भी सलखा है कक तुम अपनी अगली परीक्षा की तैयारी में
लगे हुए हो और रात को बहुत दे र तक पढते हो। रात को दे र तक जगने की िजह से सब
ु ह
दे र से उठते हो। अपने स्िास्थ्य के प्रतत तुम्हारी लापरिाही साफ ठदखाई दे रही है ।
दे खो सांजीि, तम
ु जानते हो स्िस्थ शरीर में ही स्िस्थ मन का तनिास होता है। यठद शरीर
स्िस्थ नहीां होगा तो मन कैसे स्िस्थ रहे गा? यठद मन अस्िस्थ है तो वििार भी स्िस्थ नहीां
होंगे। शरीर और मन दोनों को स्िस्थ रखने के सलए व्यायाम की आिश्यकता होती है । तुम
यठद व्यायाम नहीां कर सकते तो कम से कम सुबह उठकर घूमने अिश्य जाया करो।
प्रातः काल सूयोदय से पूिा बबस्तर छोड़कर खुली हिा में घूमने से शरीर का सारा आलस्य भाग
जाता है। अांग अांग खुल जाता है और इस समय नदी पाका या बगीिे की सैर मन को आनांद
दे ती है। जल्ट्दी सोने और जल्ट्दी उठने से मनुष्य स्िास्थ्य, धनिान और बद्
ु धधमान बनता है।
शभ
ु म घम
ू ने से मच्स्तष्क तरोताजा हो जाता है और सारा ठदन शरीर में स्फूतता का सांिार होता
रहता है। प्रातः भ्रमण आयु बढाने के सलए ठहतकर है ।। अतः तुम्हें प्रततठदन सुबह घूमने अिश्य
जाना िाठहए।
मुझे विश्िास है कक मेरा यह सुझाि तुम्हें पसांद आएगा और तुम इस पर अमल भी करोगे। मैं
िाहता हूां कक तुम च्जतना अपनी पढाई के सलए सिेत हो उतना ही ध्यान अपने स्िास्थ्य का
भी रखो। मेरी कामना है कक तुम स्िस्थ और दीघाायु हो।
घर पर माां और वपता को मेरा प्रणाम कहना और अपना ध्यान रखना।
तम्
ु हारा भाई
क ख ग
3. विदे श यािा पर जाने िाले समि को उसकी मांगलमय यािा की कामना के सलए पि सलखखए

198
12 नेहरू नगर,
प्रयागराज

वप्रय समि असमत

सस्नेह नमस्ते
तुम्हारा पि अभी अभी प्रातत हुआ। यह जानकर खुशी हुई कक तुम 15 मािा को अमेररका जा
रहे हो।। विदे श जाने का सपना तम
ु बिपन से ही दे खा करते थे। सपना तम्
ु हारा साकार होने
जा रहा है ।। तुम्हारी इस अमेररका यािा में मेरी अनेकों शुभकामनाएां तुम्हारे साथ हैं। ईश्िर
करे तुम्हारी यािा सफल हो। िह जाकर मुझे पि सलखते रहना और अपने अमेररका में तनिास
के अनुभिों से पररधित कराते रहना।
मेरे समि असमत, इस बात का ध्यान रखना कक तुम भारतीय हो, अपनी सभ्यता और सांस्कृतत
को मत भूलना।। विदे शी प्रभाि तुम्हारे व्यिहार और स्िभाि को प्रभावित ना करें ।। तुम जैसे
हो िैसे के िैसे ही लौट कर भारत िापस आना। मेरी ओर से हाठदा क शुभकामनाएां।

तम्
ु हारा समि
क ख ग

4.जन्द्मठदन पर उपहार भेजने के सलए मामाजी को धन्द्यिाद दे ते हुए पि सलखखए


12 नेहरू नगर,
प्रयागराज

आदरणीय मामा जी
सादर प्रणाम

अपने जन्द्मठदन पर आपके द्िारा भेजी गई घड़ी प्रातत हो गई। मुझे आपका यह उपहार
ककतना सुांदर और उपयोगी लगा इसका िणान करने के सलए मेरे पास शब्द नहीां है। घड़ी का
अभाि मुझे कई िषों से खड़क रहा था पापा भी मेरी घड़ी की माांग को डालते जा रहे थे पर
जाने कैसे आपने मेरे मन की बात जान ली।
कई बार स्कूल आने जाने में दे र हो जाती थी। अब मैं अपने आप को अनुशाससत बनाने का
परू ा प्रयत्न करूांगा। इस घड़ी को उपहार में पाकर मैं ककतना खश
ु हूां, आप उसका अनम
ु ान ही
नहीां लगा सकते। इतने सुांदर और मनिाहे उपहार के सलए बहुत-बहुत धन्द्यिाद।

199
आदरणीय मामी जी को मेरा प्रणाम कठहए। छोटी बहन ररतु की बहुत याद आती है । उसे
मेरा तयार दीच्जए।
आप का भाांजा
क ख ग

5.छोटी बहन को पि सलखकर पढाई के प्रतत सजग होने की सलाह दीच्जए


12 जिाहर नगर
मेरठ 17 ठदसांबर 2021

वप्रय सुनीता

शुभाशीष
दो ठदन पहले तुम्हारी छािािास की समि का पि प्रातत हुआ। शायद तुम समझ गई होंगी तो
उसने यह पि क्यों सलखा था। आजकल तम
ु गलत लड़ककयों के साथ अपना समय अधधक बता
रही हो तथा तुम्हारा ध्यान पढाई से हटकर दस
ू रे विषयों की ओर जा रहा है । यह जानकर हमें
अत्यधधक दख
ु हुआ।
तुम यह बहुत अचछी तरह जानती हो कक छािािास में भेजने का मूल कारण क्या था? माँ और
वपताजी दोनों ही िाहते हैं कक तुम पढ सलखकर अपना कैररयर बनाओ और इसके सलए तुम्हें
अध्ययन की तरफ ध्यान लगाना होगा। अध्ययन शील व्यच्क्त ही जीिन में कुछ बन सकता
है। अध्ययन केिल ज्ञान बुद्धध नहीां करता बच्ल्ट्क सही रास्ता ठदखाकर कुसांगतत से भी बिाता
है। पढाई का भी अपना एक अलग ही आनांद होता है। पढाई हमे साधारण व्यच्क्तयों की श्रेणी
से ऊपर उठा दे ती है। तनयसमत रूप से पढाई में ध्यान लगाने िाले व्यच्क्त जीिन में बहुत
आगे बढते हैं और उचि स्थान को प्रातत करते हैं।
मैं भी िाहती हूां कक तुम मेरी बातों पर ध्यान दो और अपने लक्ष्य पर ध्यान केंठरत कर पढाई
करो। तम
ु जीिन में तनच्श्ित ही सफल होगी और अपने माता-वपता को गिा करने का अिसर
दोगी।
तुम्हारी बड़ी बहन
क ख ग

औपिाररक पि
1. अपने प्रधानािाया को छाििवृ त्त के सलए आिेदन पि सलखखए |

200
सेिा में
प्रधानािाया
प्रभात इांटर कॉलेज
आरा

महोदय,
सविनय तनिेदन यह है कक मैं आपके विद्यालय की कक्षा ग्यारहिीां का छाि हूँ । मैं अपनी
कक्षा में प्रततिषा अचछे अांको से उत्तीणा होता रहा हूँ । मैं विद्यालय की कक्रकेट टीम का एक
सदस्य भी हूँ । इसके अततररक्त मैं विद्यालय की ओर से विसभन्द्न िाद-वििाद प्रततयोधगताओां
में भाग लेकर अनेकों पुरस्कार ले िुका हूँ । मेरा प्रयास रहा है कक मैं विद्यालय का गौरि बढा
सकूँ। मैं अपनी कक्षा का मॉतनटर भी हूँ । अपने अनुशासन और अचछे स्िभाि के कारण सभी
अध्यापकों और विद्याधथायों का स्नेह प्रातत करता रहा हूँ ।
महोदय, मेरे वपताजी एक प्राथसमक विद्यालय में ितुथा श्रेणी के कमािारी हैं। मेरी पढाई का भर
उठाने में असमथा सा महसस
ू कर रहे हैं। मेरा एक छोटा भाई और दो छोटी बहनें भी हैं। मेरा
आपसे तनिेदन है कक घर की आधथाक च्स्थतत ठीक न होने के कारण आप को छाििवृ त्त दे ने की
कृपा करें । अपनी पढाई को तनयसमत रखने के सलए छाििवृ त्त की बहुत आिश्यकता है । पढाई
छूट जाने पर मेरा भविष्य अांधकार में हो जाएगा।
मैं उचि सशक्षा प्रातत करके अपने वपता का सहारा बनना िाहता हूँ ताकक अपने छोटे भाई और
बहनों को उचि सशक्षा प्रातत करने में सहयोग कर सकूँ । आप ही मेरे इस प्रयास में मेरी मदद
कर सकते हैं। मैं आपका बहुत आभारी रहूँगा।
धन्द्यिाद
आपका आज्ञाकारी सशष्य
क ख ग

2.प्रधानािाया को छाििवृ त्त के सलए आिेदन पि सलखखए |


सेिा में
प्रधानािाया
जागरण कॉलेज
जालांधर

विषय – छाििवृ त्त के सांबांध में

महोदय,

201
सविनय तनिेदन इस प्रकार है कक मैं आपके विद्यालय की कक्षा दसिीां “स” की छािा हूँ । मैंने
कक्षा 9 में प्रथम स्थान प्रातत ककया था। सभी विषयों में मेरे अांक 90% से अधधक थे। मैं
विद्यालय की और से अांतर विद्यालयी िाद वििाद प्रततयोधगता में अनेकों पुरस्कार भी जीत
िुकी हूँ । वपछले िावषाक उत्सि में मेरे द्िारा ककए गए शास्िीय नत्ृ य के प्रदशान को सभी
सशक्षकों, छािों और असभभािकों द्िारा सराहा गया था।
मेरे वपताजी फायर बब्रगेड विभाग में कायारत थे च्जनका विगत िषा सांद
ु र नगर बाजार में लगी
आग को बुझाते समय झल
ु स जाने के कारण दे हाांत हो गया था। मेरी माता जी एक गह
ृ णी हैं।
मेरे अततररक्त मेरा एक छोटा भाई और एक छोटी बहन भी है जो आपके विद्यालय में ही
कक्षा पाँि और कक्षा तीन मैं अध्ययनरत हैं।
वपता की पेंशन सीसमत होने के कारण घर का घर और हम तीनो भाई बहनों की विद्यालय
की फीस जमा करना कठठन है। अतः आपसे तनिेदन है कक मुझे छाििवृ त्त प्रदान करें ताकक मैं
आगे की पढाई सुिारू रूप से जारी रख सकूँ। मैं उचि सशक्षा प्रातत कर डॉक्टर बनकर अपने
पररिार और विद्यालय का नाम रोशन करना िाहती हूँ ।
आपकी इस कृपा के सलए मैं सदै ि आपकी आभारी रहूांगी।
धन्द्यिाद।
आपकी आज्ञाकाररणी सशष्या
क ख ग
कक्षा – दस “स”, अनुक्रमाांक-3
ठदनाांक – 12 जुलाई, 2021

3.प्रधानािाया को पुस्तकालय में निीनतम विषयों से सांबच्न्द्धत पुस्तकें और पबिकाएँ मांगाने


के सलए तनिेदन पि सलखखए |
सेिा में
प्रधानािाया महोदय
लाल बहादरु कॉलेज
जिाहर नगर

विषय – पुस्तकालय में ठहांदी पुस्तकें और पबिकाएां उपलब्ध कराने के सांबांध में |

महोदय,
सविनय तनिेदन है कक हमारे विद्यालय के पुस्तकालय में अधधकाांश पुस्तकें कई िषा पुरानी है।
इांटरनेट और कांतयट
ू र आठद निीन विषयों से सांबांधधत पस्
ु तकें बहुत ही कम है। साथ ही प्रततयोगी

202
परीक्षाओां और समसामतयक विषयों से सांबांधधत पबिकाएां हमारे पुस्तकालय में उपलब्ध नहीां है।
विशेषकर ठहांदी में तकनीकी पुस्तकों की कमी है । आज के समय में निीनतम तकनीकी और
समसामतयक विषयों का ज्ञान होना विद्याधथायों के भविष्य के सलए अत्यांत आिश्यक है।
आशा है , आप हमारी इस प्राथाना को स्िीकार कर विद्यालय प्रभारी को निीनतम पुस्तक और
पबिकाओां को मनाने के सलए तनदे श दें गे।
आपकी इस कृपा के सलए हम सदै ि आपके आभारी रहें गे।

धन्द्यिाद।
आपका आज्ञाकारी सशष्य
क ख ग
कक्षा – दस “ग”, अनुक्रमाांक-23
ठदनाांक – 22 जुलाई, 2021

4. अपने क्षेि में िषाा के कारण उत्पन्द्न जलभराि की समस्या के सलए नगर पासलका
अधधकारी को पि सलखखए
सेिा में,
नगर पासलका अधधकारी,
मांगल नगर पासलका
प्रमोद नगर

विषय – जलभराि की समस्या के समाधान हे तु|

महोदय,
तनिेदन है कक मैं नेहरू कॉलोनी शामली का तनिासी हूँ । वपछले कई ठदनों से यहाँ के कुछ
सीिर बांद पड़े हैं। गांदा पानी गसलयों और सड़कों पर बह रहा है। तनरां तर बाररश से हालात
और भी खराब हो गए हैं। सड़कों पर जगह-जगह पर गड्ढे बन गए हैं च्जसमें िषाा का पानी
भर गया है। यह पानी और सड़ता जा रहा है।
वपछले ठदनों की िषाा के कारण जगह जगह पर नगर पासलका क्षेि में छोटे छोटे तालाब बन
गए हैं। इन तालाबों में मक्खी मचछर आठद कीटाणु पैदा होकर बीमाररयों के फैलने को बढािा
दे रहे हैं।
मेरा आपसे तनिेदन है कक आप रुके हुए पानी को तनकालने के सलए कोई उधित प्रबांध कराएां।
बांद सीिर लाइनों को खुलिाएां और सड़कों पर बने गड्ढों को भरिाने की व्यिस्था करें च्जससे
मचछर आठद ना फैले। इसके सलए हम आपके सदै ि आभारी रहें गे।

203
धन्द्यिाद
प्राथी
क ख ग
नेहरू कॉलोनी, शामली
16 अगस्त 2021

5.अपने क्षेि में बबजली सांकट से उत्पन्द्न कठठनाइयों का ध्यान दै तनक समािार पि के
सांपादक को सलखे पि के माध्यम से आकवषात कराइए|
सेिा में,
सांपादक महोदय,
दै तनक जागरण,
हल्ट्द्िानी रोड, बरे ली

महोदय,

मैं आपके लोकवप्रय दै तनक समािार पि के माध्यम से अपने नगर में बबजली सांकट से उत्पन्द्न
कठठनाइयों की और अधधकाररयों का ध्यान आकवषात करना िाहता हूँ । मैं बीबीनगर क्षेि में
रहने िाला नागररक हूँ । आज कल होने िाली बबजली सांकट ने यहाँ के तनिाससयों को परे शान
कर रखा है। इससे पहले कभी भी इतनी परे शानी नहीां हुई थी।
इस सांकट का सामना सबसे अधधक आम लोगों को दक
ु ानदारों को और छािों को करना पड़
रहा है। शाम होते ही सब सब जगह अांधेरा हो जाता है। पढने िाले छाि-छािाएँ कुछ भी पढने
में असमथा हो जाते हैं।
पानी की समस्या तो और भी अधधक गांभीर हो गई है। बबजली के अभाि में पानी मोटर से
ऊपर की मांच्जल तक नहीां पहुांि पा रहा है । है रानी िाली बात यह है कक नगर में रहने िाले
उद्योगपततयों और अधधकाररयों के घर के क्षेि में बबजली एक समनट के सलए भी नहीां नहीां
जाती है। उन्द्हें आम आदसमयों की परे शातनयों का अांदाजा कैसे लगेगा?
मैं आपके पि द्िारा इन भ्रष्ट अधधकाररयों की पोल खोलना िाहता हूां। इस काया में आपके
सहयोग के सलए मैं आपका सदा आभारी रहूांगा।

धन्द्यिाद
क ख ग
बीबी नगर
19 निांबर 2021

204
अभ्यास पिक { अनौपिाररक पि }
छािािास की ठदनियाा एिां अपना कुशल-क्षेम बताते हुए अपने वपताजी को पि सलखखए ।
................
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पूज्य------------

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आपका ................

....................

205
अभ्यास पिक { औपिाररक पि }

अपने क्षेि में िोरी की बढती हुई घटनाओां पर खेद और रोष प्रकट करते हुए स्थानीय
समािार पि के सांपादक को पि सलखखए ।
सेिा में

................
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--------------

विषय : ...................................................................................

महोदय,

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भिदीय

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ठदनाांक

206
थववत्त
त लेिन

‘’ राजमागष पर चलने वाले राथिा न ीिं चुनिे; राथिा उन् ें चुनिा ै| ”

-सस्च्चदानिंद ीरानिंद वात्प्थयायन अज्ञेय|

थववत्त
त लेिन का िात्प्पयष ै -थवयिं अपने बारे में सिंक्षक्षपि रूप से आवश्यक
सूचना प्रदान करना|थववत्त
त व्यस्क्ि की ववशेर्िा का पररचायक ोिा ै |य एक बना बनाया
प्रारूप ोिा ै ,स्जसे ववज्ञापन के प्रत्प्यत्त
ु र में आवेदन पत्र के सार् भेजा जािा ै |इसमें
व्यस्क्िगि वववरर् दे ने के सार्-सार् शैक्षखर्क योग्यिा,अनुभव,प्रमशक्षर्,उपलस्ब्ियाँ,कायेिर
गनिववधियाँ आहद का भी उल्लेि ोना ज़रूरी ै |थववत्त
त का आकार अनि सिंक्षक्षपि अर्वा
ज़रूरि से ज़्यादा लिंबा न ीिं ोना चाह ए|अिंग्रेज़ी में इसे Bio-data या Resume क िे ै |थववत्त

सुन्दर और आकर्षक ोना चाह ए|भार्ा सरल-सीिी,सटीक और साफ ोनी चाह ए िाकक एक
नज़र में सारी बािें थपष्ट ो जाएँ|

व्यस्क्िगि सूचनाएँ:
नाम :
वपता का नाम :
माता का नाम :
जन्द्म ततधथ : २५ अगस्त १९८०
ित्तामान पता : बी-३५,गोपाल परू ी,बाली गांज,कोलकत्ता,प.बां. १२३४५६
स्थायी पता : जनक परु ी,माधि परु ,च्जला आज़म गढ,उ.प्र.-१२००७५
मोबाईल नां. : २२२२२२२२२२
ई-मेल : २९कखग@gmail.com

शैक्षखणक योग्यताएँ:
क्रम.सां. परीक्षा का िषा विद्यालय /बोडा परीक्षा के विषय श्रेणी प्रततशत
नाम का नाम अांक
01 दसिीां जिाहर निोदय ठहन्द्दी,अांग्रेज़ी,गखणत,वि प्रथम ९४%
विद्यालय ज्ञान, सामाच्जक
विज्ञान
02 बारहिीां राजकीय इांटर ठहन्द्दी,अांग्रेज़ी,गखणत,भौ प्रथम ९३%
कोलेज ततकी,
रसायन विज्ञान
03 बी.एस.सी. ठदली विश्ि गखणत,भौततकी, प्रथम ८९%
विद्यालय रसायन विज्ञान

207
अन्य सम्बिंधिि योग्यिाएँ:
1.कम्पट
ू र का अचछा ज्ञान एिां अभ्यास
2.ठहन्द्दी एिां अांग्रेज़ी के साथ जमान भाषा का कायासाधक ज्ञान
उपलस्ब्ियाँ:
1.अखखल भारतीय िाद-वििाद प्रततयोधगता [िषा २००१]में प्रथम पुरस्कार,
2.विश्िविद्यालय कक्रकेट टीम का कततान[िषा २००३-२००४]
कायेिर गनिववधियाँ और अमभरुधचयाँ:-
1.आधथाक गततविधधयों से जुड़ी पि-पबिकाओां एिां अखबारों का तनयसमत पठन
2.फुटबाल दे खना एिां कक्रकेट खेलना
प्रनिस्ष्टि व्यस्क्ियों का सन्दभष:
1.श्री रामनाथ,पोफेसर एिां विभागाध्यक्ष,भौततकी विभाग, ठदल्ट्ली विश्िविद्यालय
2.श्री सुशील िमाा,प्रोफेसर एिां मुख्या तनयांता,ठदली विश्िविद्यालय
उद्घोर्र्ा
मैं यह सलखखत घोषणा करता हूँ कक मेरे द्िारा प्रदत्त उपरोक्त सभी सूिनायें मेरे ज्ञान और
विश्िास के आधार पर सत्य और पूणा हैं|

ततधथ: 30 अगस्त २०२१


स्थान: जनक पुरी हस्ताक्षर:............

ई-मेल लेखन

आज के आधतु नक समय में ई-मेल लेखन बहुत ज़रूरी हो गया है |जल्ट्दी जानकारी प्रातत
करने के सलए या आिश्यक सूिना एिां करिाई के सलए,अांग्रेज़ी की तरह ठहन्द्दी में भी ईमेल
सलखा जाता है | ई मेल 20 से 30 शब्दों से अधधक ना होना बहत्तर है |

च्जला अस्पताल की अव्यिस्था के बारे में जानकारी दे ते हुए मुख्य धिककत्सा अधधकारी को
एक ई मेल भेच्जए:-

प्रेषक (From) २९कखग@gmail.com

सेिा में (To) १२३िछज@gmail.com

विषय- सरकारी अस्पताल की अव्यिस्था के विषय में:-

208
महोदय,

सविनय तनिेदन है कक मैं एक जागरूक नागररक हूां और इस ईमेल के माध्यम से सरकारी


अस्पताल में अव्यिस्था के बारे में आपका ध्यान आकवषात करना िाहता हूां। क ख ग
सरकारी अस्पताल में धिककत्सक मरीजों को दे ख नहीां रहे हैं। दे र से आते हैं और जल्ट्दी
िले जाते हैं। इलाज के नाम पर बाहरी दिा सलखते हैं और तनजी प्रयोगशाला से जाांि
कराने के सलए कहते हैं। इसके अलािा अस्पताल में साफ-सफाई की व्यिस्था भी उधित
नहीां है। अस्पताल में धिककत्सकों और िहाां के कमािाररयों की मनमानी िल रही है।
अतः हम आपसे अनरु ोध कर रहे हैं कक सरकारी अस्पताल की धिककत्सा व्यिस्था को
सुधारने का कष्ट करें ताकक हमारे क्षेि के लोगों को सही धिककत्सा सेिा समल सके। इसके
सलए हम आपके आभारी रहें गे।

धन्द्यिाद!
भिदीय

अ० ब० स०

कायापिक
1.आपने पिकाररता के क्षेि में अपना अध्ययन पूरा कर सलया है और ककसी प्रससद्ध अखबार
में पिकार पद के सलए आिेदन भेजना है |इस केसलए एक स्िित्त
ृ तैयार कीच्जए|
नाम :
वपता का नाम :
माँ का नाम :
जन्द्म ततधथ :
ितामान पता :
स्थायी पता :
मोबाइल नां :
ई-मेल :
शैक्षखणक योग्यताएँ :
क्रम परीक्षा का िषा विद्यालय /बोडा का परीक्षा के
श्रेणी प्रततशत
सांख्या नाम नाम विषय
1.
2.

209
3.
4.

अन्द्य सम्बांधधत योग्यताएँ:-


1.
2.
उपलच्ब्धयाां:
1
2
कायेतर गततविधधयाँ और असभरुधियाँ:
1.
2.
प्रततच्ष्ठत व्यच्क्तयों का सन्द्दभा :
1.
2.
उद्घोषणा
मैं यह सलखखत घोषणा करता हूँ कक मेरे द्िारा प्रदत्त उपरोक्त सभी सूिनायें मेरे ज्ञान और
विश्िास के आधार पर सत्य और पूणा हैं|
थर्ान:
हदनािंक: थिाक्षर:………….

2.वन-म ोत्प्सव के अवसर पर पौिारोपर् की इच्छा प्रकट करिे ु ए एविं पौिों की व्यवथर्ा
करने का अनुरोि करिे ु ए अपने नगर के उद्यान अधिकारी को एक ई-मेल मलखिए:-

प्रेषक (From)

सेिा में (To)

विषय-

महोदय,

...............................................................................................................................
...............................................................................................................................
...............................................................................................................................

210
...............................................................................................................................
...............................................................................................................................
...............................................................................................................................
..............................................................

धन्द्यिाद|
भिदीय
................

**************************************************

211
सिंदेश लेिन

अथा एिां पररभाषा– ककसी व्यच्क्त विशेष या समूह द्िारा अन्द्य व्यच्क्त तक पहूांिाएँ जानेिाले
सुखद,दख
ु द ,आिश्यक तथा सामान्द्य सूिना या समािार सांदेश लेखन कहलाता है ।

सांदेश-लेखन में इस बात का ध्यान अिश्य रखना िाठहए कक सांदेश दे नेिाले का भाि स्पष्ट
तथा सही रूप में प्रकट हो जाए । सांदेश िाहे व्यच्क्तगत रूप में हो या सामूठहक रूप में हो
,उसक सांप्रेषण उधित एिां सटीक होना है अतत आिश्यक है ।

सांदेश के प्रकार -

1 राष्रीय सांदेश- जो सांदेश राष्र को सांबोधधत करके ठदए जाते हैं,"राष्रीय सांदेश"कहलाते है
च्जनका एक तनच्श्ित समय, ठदनाांक तथा आकर होता है ।

2 शुभकामना सांदेश -ककसी पिा/त्योहार, माांगसलक काया,बधाई आठद दे नेिाले सांदेश शुभकामना
सांदेश कहलाते है ।

3 विशेष अिसर पर ठदए जानेिाले सांदेश -कुछ सांदेश ककसी विसशष्ट उपलच्ब्ध या विशेष
अिसर पर भी ठदए जाते है ।

4 सुखद सांदेश-मन को प्रसन्द्नता दे नेिाले, सुखद अहसास करानेिाले सांदेश "सुखद


सांदेश"कहलाते है ।

5 शभ
ु प्रभात सांदेश-प्रततठदन सब
ु ह-सब
ु ह अपने सगे-सांबांधधयों, ररश्तेदारों, समिों, को ठदए
जानेिाले सुप्रभात सांदेश इसके अांतगात आते है ।

6 प्रेरणादायक सांदेश-च्जन सांदेशों से जीिन में प्रेरणा प्रातत होती है ,ऐसे सांदेश प्रेरणादायक
सांदेश कहलाते है ;

7 व्यच्क्तगत सांदेश -माता-वपता, भाई-बहन, सांबधधयों को दे नेिाले सांदेश व्यच्क्तगत सांदेश


कहलाते है ।

8 समधश्रत सांदेश -दे शभच्क्त, बीमारी, भूकांप, सूखा, बाररश, तूफान, आठद से सांबांधधत सांदेश
समधश्रत सांदेश कहलाते है ।

सांदेश सलखते समय ध्यान दे ने योग्य बातें -

ककसी भी प्रकार के सांदेश को सलखते समय तनम्न बतों का ध्यान रखना अतत आिश्यक है –

212
*सांदेश सलखते समय अपनी तरफ से कोई नई बात नहीां जोड्नी िाठहए ।

*उधित शब्दों एिां िक्यों का प्रयोग करना िाठहए ।

*तनधााररत प्रारूप(Format) के अनुसार ही सलखना िाठहए ।

*सांदेश की विषय-िस्तु में उन्द्हीां बातों को सच्म्मसलत ककया जाना िाठहए जो अतत आिश्यक
हो ।

*सांदेश सलखे जाने का समय एिां ततधथ अिश्य ठदया जाना िाठहए ।

*व्याकरखणक एिां ितानी सांबांधी अशुद्धधयॉ नहीां होनी िाठहए ।

*सांदेश सलखते समय शब्द-सीमा का ध्यान अिश्य रखें ।

*च्जस व्यच्क्त को सांदेश दे ना है , प्रारां भ में उसका नाम तथा अांत में सांदेश लेखक के हस्ताक्षर
अिश्य होने िाठहए ।

सांदेश की विशेषताएँ-

1 ककसी भी प्रकार का सांदेश सांक्षक्षतत तथा तथ्यपरक होना िाठहए ।

2 सांदेश औपिाररक तथा अनौपिाररक दोनों प्रकार का हो सकता है ।

3 सांदेश सलखते समय कोई भी प्रमुख बात छूट्नी नहीां िाठहए ।

4 सांदेश कम शब्दों में उधित तथा अधधक बात कहनेिाला होना िाठहए ।

सांदेश का प्रारूप

समय ् :------------------

ततधथ:---------------------

-------------------------------- (सांबांधधत व्यच्क्त का नाम)

----------------------------------------------------------------------------

---------------------------------------------------------------------------- विषय िस्तु(सांदेश)

-------------------------------------------------------------------------

प्रेषक का नाम

213
1. आपका समि विदे श मे रहता है , उसे होली की शुभकामनाएँ दे ते हुए एक सांदेश सलखखए-

समि को सांदेश

सांदेश

अपरानन 3.30 बजे

17/12/2021

पिन

रां ग-बबरां गे रां गों और भाईिारे से भरपरू खसु शयों और उल्ट्लास का त्योहार होली तम्
ु हारे जीिन में उत्साह
और उमांग का सांिार कर दे ।

पररिार के सभी लोगों को होली की हाठदाक शभ


ु कामनाएँ ।

--(रजत)

2 अपने िािाजी को सुप्रभात सांदेश सलखखए ।

सांदेश

प्रात: 5.00 बजे

18/12/2021

िािाजी

नई सुबह…………….खसु शयों का घेरा,

सूरज की ककरणें ,धिड़डयों का बसेरा,

ऊपर से आपका ये खखलता हुआ िेहरा ,

मुबारक हो आपको ये सुहाना सिेरा ।

सुप्रभात

(राकेश)

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214
3. आपके समि को तीरां दाज़ी प्रततयोधगता में स्िणा-पदक समलने पर शुभकामना सांदेश सलखखए

समि को सांदेश

सांदेश

अपरानन 3.00 बजे

20/12/2021

सुशाांत

सुमेश से तुम्हारी उपलच्ब्ध के विषय में पता िला ।राष्रीय तीरां दाज़ी प्रततयोधगता में तुम्हें स्िणा पदक
समला । इस कामयाबी में तुमने अपने पररिार,समाज और दे श का नाम रोशन कर ठदया ।मेरी ओर से
बहुत-बहुत शुभकामनाएँ ।

मनोज

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4 सशक्षक ठदिस के अिसर पर अपने वप्रय अध्यापक केसलए सांदेश सलखखए

सांदेश

पूिाानन 10.00 बजे

21/12/2021

आदरणीय अध्यापक जी

आप मेरे जीिन की प्रेरणा है ,गाइड है ,आप ही मेरे प्रकाश-स्तांभ है ।मैं मन की गहराइयों से आपका
आभारी हूँ ।सशक्षक ठदिस की हाठदा क शुभकामनाएँ ।

सशिातन

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215
5. दे शभच्क्त की प्रेरणा दे ते हुए अपने छोटे भाई को सांदेश सलखखए-

सांदेश

अपरनन 2 बजे

27/12/2021

अमन

जो दे श के सलए शहीद हुए उनको मेरा सलाम ।अपने खून से च्जस ज़्मीन को सीांिा,उन बहादरु ों को
सलाम है ।एकता और अखांडता हमारी पहिान है ।मेरा दे श मेरी जान है ,हमें ठहांन्द्दस्
ु तानी होने पर
असभमान है ।

(पिन)

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6. प्रधानमांिी जी का “कोरोना िायरस”से बिाि को लेकर राष्र के नाम सांदेश सलखखए –

सांदेश

सायां -7.00 बजे

14 मई 2020

समिों।

:कोरोना िायरस”से बिाि के सलए सोशल ड़डस्टां ससांग रखें ।मुँह और नाक को ढककर रखें ।मास्क
लगाएँ तथा बार-बार साबुन से हाथ धोते रहें । बबना ज़रूरत के घर से बाहर न तनकले ।घर के अांदर
रहें ,सुरक्षक्षत रहे ।पना ध्यान रखें ।

(आपका अपना)

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216
7. अपनी मॉ के जन्द्मठदन के अिसर पर सांदेश सलखखए

सांदेश

प्रात:6.00 बजे

27/12/2021

तयारी मॉ

लोग मांठदर-मच्स्जद में जन्द्नत तलाश करते हैं।मेरी मॉ के िरण ही मेरी जन्द्नत है ।मेरा आदशा,मेरी
पहिान मेरी मॉ है ।मैं बहुत खुच्श्कस्मत हूँ कक मुझे भगिान जैसी मॉ समली।तुम मेरी सबसे वप्रय समि
हो।तयारी मॉ जन्द्मठदिस की हाठदा क शुभकामनाएँ। ईश्िर तुम्हें सदा स्िस्थ रखें ।

(नेहा)

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217
कायापिक

1 अपने समि को दीपािली की शुभकामना –सांदेश सलखखए

अपने समि को ठहन्द्दी ठदिस पर सांदेश सलखखए –

218
ववज्ञापन लेिन

विज्ञापन का अथा है ¬-सूिना दे ना या धुआध


ँ ार प्रिार करना | विज्ञापन लेखन केसलए आिश्यक है कक
िह ध्यानाकषाक हो | वि (विशेष )+ज्ञापन (जानकारी दे ना ) अथाात ककसी के बारे में विशेष रूप से
जानकारी दे ना | आधुतनक समय में विज्ञापनों से प्रभावित होकर ही अधधकाांश लोग ककसी िस्तु को
खरीदते हैं | इस से उस िस्तु की बबक्री बढ जाती हैं |

विज्ञापन सलखते समय ध्यान रखने योग्य बातें -

*सबसे अधधक ध्यान विज्ञावपत िस्तु पर होना िाठहए |

*च्जस िीज़ का विज्ञापन करना है , उसका नाम एक से अधधक बार आना िाठहए |

*विज्ञावपत िस्तु के सबसे आकषाक गुणों का बार-बार उल्ट्लेख करना िाठहए | च्जस गुण में िह
सबसे अनूठी है , उसका उल्ट्लेख अिश्य होना िाठहए |

*विज्ञापन की भाषा में उत्तेजक प्रेरणा िाला एकाध स्लोगन (नारा) अिश्य होना िाठहए | जैसे –

* आज ही खरीदें !

* सफलता की सिोत्तम कांु जी!

* अिसर न िूकें!

* स्टॉक सीसमत है |

* दे ख, कहीां पछताना न पड़ें!

* सुनहरा अिसर!

* बांपर सेल!

* पहले आओ, पहले पाओ!

* जल्ट्दी कीच्जए!

* धमाका!

* बित ही बित !

* सफलता की गारां टी!

* विज्ञापन को हमेशा नए पष्ृ ठ से शरू


ु करें |

* विज्ञापन में सारी बातें आकषाक रूप से सलखें |

* भाषा बहुत ही सटीक और प्रभािशाली होनी िाठहए |

219
* विज्ञापन की शब्द सीमा अधधकतम 50 शब्द होनी िाठहए |

* दै तनक अखबारों में आनेिाले तथा दरू दशान पर आनेिाले विज्ञापन पढते रहना िाठहए |

* विज्ञापन में कभी भी अपने मोबाइल नांबर या ईमेल आईडी का च्ज़क्र न करें | (काल्ट्पतनक

रूप का प्रयोग करें ) जैसे -+91***9338**9 ,तथा www.123xyz.com आठद |

विज्ञापन के कुछ उदाहरण

विज्ञापन लेखन के सलए छाि यह उदाहरण दे खें –

1 ‘रक्षक’ हे लमेट बनाने िाली-कांपनी’ की बबक्री बढाने के सलए विज्ञापन तैयार करना –

2 मॉडना स्कूल ,िांडीगढ की रां ग रिना सभा द्िारा बनाए गए धििों एिां कलाकृततयों की बबक्री एिां
प्रदसशानी का उल्ट्लेख करते हुए एक विज्ञापन तैयार कीच्जए|

220
3 निाांकुर तले स्कूल में प्री प्राइमरी से पाँििी तक के दाखखले शुरू हो गए हैं। इस स्कूल के सलए एक
विज्ञापन तैयार कीच्जए।

‘रुधिकर पररधान शो रुम’ को अपने पररधानों की बबक्री बढानी है । िे सभी पररधानों पर 20% की छूट
दे रहे हैं। इस सांबांध में एक विज्ञापन तैयार कीच्जए।

221
उत्तर प्रदे श पयाटन तनगम पयाटकों की सांख्या बढाना िाहता है । उसके सलए एक आकषाक विज्ञापन
तैयार कीच्जए।

222
अभ्यास-प्रश्न

1‘सरस्िती पुस्तक भांडार’ पस्


ु तक की बबक्री बढाने हे तु विज्ञापन तैयार करिाना िाहता है । आप उसके
सलए एक विज्ञापन तैयार कीच्जए।

2आपको अपनी परु ानी मोटर साइककल बेिनी हैं। इसके सलए विज्ञापन तैयार कीच्जए।

3आप एक योग प्रसशक्षण केंर खोलना िाहते हैं। इस सांबांध में यि


ु ाओां को आकवषात करने िाला एक
विज्ञापन तैयार कीच्जए।

4‘प्रकाश’ एल.ई.डी. बल्ट्ब बनाने िाली कांपनी की बबक्री बढाने हे तु विज्ञापन तैयार कीच्जए।

5आपने अपना नया कांतयट


ू र प्रसशक्षण केंर खोला है । यहाँ प्रिेश लेने के सलए सशक्षाथी आकवषात हों,
इसके सलए एक विज्ञापन तैयार कीच्जए।

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223
प्रनिदशष
प्रश्न पत्र

224
केन्द्रीय ववद्यालय सिंगठन
एरनाकुलम सिंभाग
प्रनिदशष प्रश्न पत्र ववर्य: ह द
िं ी (००२)
अधिकिम अिंक : 80 समय 3 घिंटे

सामान्द्य तनदे श :
(i)इस प्रश्न के तीन अांक के तीन खांड है -खांड क,ख और ग |
(ii)प्रत्येक खांड के प्रश्नों के उत्तर तनदे शानस
ु ार दे ने हैं |
(iii)प्रत्येक खांड में तनदे शानस
ु ार परीक्षाधथायों द्िारा पहले उत्तर ककये गए िांधित प्रश्नों का ही मल्ट्
ू याांकन
ककया जाएगा |
(iv)बहु विकल्ट्पीय प्रत्येक प्रश्न के सलए केिल एक ही सही विकल्ट्प हैं | एक विकल्ट्प से अधधक उत्तर
दे ने पर अांक नहीां ठदए जायेंगे |

खांड -अ

(बहु विकल्ट्पी प्रश्न )

1.नीिे ठदए अपठठत गद्याांश को ध्यान पि


ू क
ा पढकर पछ
ू े गए प्रश्नों के सही उत्तर िाले
विकल्ट्प िुतनए |1x5=5

हमारी सभ्यता साठहत्य पर आधाररत है और साठहत्य में ठहत अथाात कल्ट्याण के भाि का
समाविष्ट होना आिश्यक है | मनुष्य सौन्द्दया िेतना को धारण करता हुआ कल्ट्याण के मागा
से विमुख न हो जाए, इस दृच्ष्ट से साठहत्य में ठहत की भािना रखी गई है | साठहत्य में ठहत
धिांतन समच्ष्टगत होता है ,लोक कल्ट्याण की भािना पर आधाररत होता है | उसमें विश्ि
प्रेम एिां लोकरां जन की भािना समाठहत होती है |साठहत्यकार साठहत्य का सज
ृ न अपने स्िाथा
के सलए नहीां, अवपतु समाज के उपयोग के सलए करता है |प्रत्येक समाज का अपना अलग
रहन-सहन, परां परा ,सांस्कृतत ,सांस्कार और इततहास है पर साठहत्य इन सभी बातों को समेट कर
प्रत्येक समाज के घटना को दस
ू रे समाज से आदान प्रदान करता है | इस प्रकार साठहत्य शब्द
और अथा सांयुक्त रिना है च्जसमें कल्ट्याण की भािना तनठहत होती है | साठहत्य में जीिन की
उपयोधगता के विषय में कभी -कभी सांदेह ककया जाता है | कहा जाता है कक जो स्िभाि से
अचछे हैं िह अचछे ही रहें गे ,िाहे कुछ भी पढे | जो स्िभाि से बुरे हैं बुरे ही रहें गे िाहे कुछ
भी पढे ।

225
इसे सत्य मान लेना मानि िररि को बदल दे ना होगा इस कथन में सत्य की मािा बहुत कम
है | हम ककतने भी पततत हो जाए ,पर असुांदर की ओर हमारा आकषाण नहीां हो सकता |मनुष्य
स्िभाि से दे ि तुल्ट्य है | जमाने के छल प्रपांि और पररच्स्थततयों के िशीभूत होकर अपना
दे ित्ि खो बैठता है | साठहत्य इसी दे ित्ि को अपने स्थान पर प्रततच्ष्ठत करने की िेष्टा
करता है | साठहत्य उप दे शों से नहीां , नसीहतो से नहीां ,अवपतु हृदय के कोमल भािों से भािों
को स्पांठदत करके और मन के कोमल तारों को झनझना कर अपना अभीष्ट प्रातत करता है
|

1.उपयक्
ुा त गद्याांश के सलए सिााधधक उपयुक्त शीषाक हो सकता है | 1
क .कल्ट्याण भाि का समािेश ख.साठहत्य के कल्ट्याण भािना
ग.साठहत्य और समाज घ.परोपकार

2.कल्ट्याण का भाि होता है - 1


क.वििारों से ख. विदे शों से
ग. साठहत्य से घ. दे िता से

3.मनष्ु य अपना दे ित्ि कब नहीां खोता?


1
क. छल प्रपांि से िशीभूत होकर ख. सद मागा से विमुख होकर
ग.पररच्स्थततयों के िशीभूत होकर घ.कल्ट्याण भाि समाविष्ट कर

4.गद्याांश के अनुसार मानि का स्िभाि है - 1


क. छल प्रपांियुक्त ख. परोपकारी
ग. दे ि तल्ट्
ु य घ.राक्षसी

5.धगरा हुआ मनुष्य भी आकवषात नहीां होता -


1
क.असुांदर की ओर ख.दस
ू रे मनुष्य की ओर
ग.लूट के धन की ओर घ.दे श प्रेमी की ओर

II.नीिे दो अपठठत काव्याांश ठदए हैं | ककसी एक काव्याांश को ध्यान पूिक


ा पढकर पूछे गए
प्रश्नों के सही उत्तर िाले विकल्ट्प िुतनए |

1x5=5

226
तरुणाई है नाम ससांधु की उठती लहरों के गजान का
िट्टानों से टक्कर लेना लक्ष्य बने च्जसके जीिन का
विफल प्रयासों से भी दन
ू ा िेग भुजाओां में भर जाता
जोड़ा करता च्जनकी गतत से नि उत्साह तनरां तर नाता
पिात के विशाल सशखरों सा यौिन उसका ही है अक्षय
च्जसके िरणों पर सागर के होते अनधगनत ज्िार सदा लय|
अिल खड़े रहते जो ऊांिा शीश उठाए तूफानों में
सहनशीलता दृढता हसती च्जनके यौिन के प्राणों में
िही पांथ-बाधा को तोड़े बहते हैं जैसे हो तनझार
प्रगतत नाम को साथाक करता यौिन दग
ु म
ा ता पर िलकर
आज दे श की भािी आशा बनी तुम्हारी ही तरुणाई
नए जन्द्म की श्िास तुम्हारे अांदर जगह है लहराई |
आज विगत यग
ु के पतझर तम
ु को नि मधम
ु ास खखलाना
नियुग के पष्ृ ठों पर तम
ु को नूतन इततहास सलखाना
उठो राष्र के नि यौिन तम
ु ठदशा- ठदशा का सन
ु आमांिण
जगो दे श के प्राण , जगा दो नए प्रात का नया जागरण
आज विश्ि को यह ठदखला दो ,हमें भी जागी तरुणाई
नई ककरण की नई िेतना में हमने भी ली अांगड़ाई |
1.कविता के अनुसार तरुणाई की विशेषता है - 1

क.साहस ख. जुझारूपन
ग. सांकटों से टकराने ,लड़ने और उन्द्हें जीतने का प्रबल िेग घ. उपयक्
ुा त सभी

2.नियि
ु क उठदत रहता है - 1
क.मुसीबतों की िट्टानों से सभड़ने को ख.विफलताओां से जूझने को
ग.तफ
ू ानों और बाधाओां से लड़ने को घ. उपयक्
ुा त सभी

3.कभी युिकों का आनिान करता है - 1


क.जीिन की बाधाओां और िुनौततयों का सामना करने के सलए ख.भूतकाल के पराजय से
अनुभि लेकर नई राह विकससत करने के सलए
ग.उपयक्
ुा त दोनों घ.उपयक्
ुा त कोई नहीां

4.कवि यि
ु ाओां को सशक्षा लेने को कह रहा है - 1

227
क.भूतकाल की कसमयों से ख.ह्रासों से
ग.पराजय के पतझड़ से घ.उपरोक्त सभी से

5,उपयुक्त काव्याांश का सिााधधक उपयुक्त शीषाक हो सकता है 1


क.तरुणाई ख. उत्साह
ग.तरुणाई का उत्साह घ.प्रगतत का मांि

अथिा

ततनका ततनका लाकर धिड़ड़या


रिती है आिास नया |
इसी तरह से रि आता है
सज
ृ न का आकाश नया
मानि और दानि में यांू तो
भेड नजर नहीां आएगा
एक पोंछता बहते आांसू
जी भर कर एक रुलाएगा
रिने से ही आ पाता है
जीिन में विश्िास नया
कुछ तो इस धरती पर केिल
खून बहाने आते हैं
आग बबछाते हैं राहों में
कफर खद
ु भी जल जाते हैं
जो खुद समटने िाले होते
िे रिते इततहास नया
मांि नाश का पढा करें कुछ
द्िार- द्िार पर जा कर के
फूल खखलाने िाले रहते
घर-घर फूल खखला कर के

1.घर में फूल कौन खखलाता है ? 1

228
क.मानि और दानि ख.परोपकारी लोग
ग.धासमाक व्यच्क्तयों का समूह घ.मांि पढने िाले

2.राह में आग बबछा िालों के साथ क्या हुआ? 1


क.िे नष्ट हो गए ख .िे खुश हुए
ग.िे उसी आग में जल गए घ.िे इततहास रि गए

3.मानि और दानि में क्या अांतर है ? 1


क. एक दख
ु घटाता है दस
ू रा बैठता है ख.एक मानि है दस
ू रा राक्षस है
ग.राक्षस और मनुष्य में बहुत अांतर है घ.एक डराता है दस
ू रा डरता है

4. 'सज
ृ न का आकाश’ का आशय है - 1
क.नए आकाश का बनना ख. धिड़ड़या की तरह नितनमााण
ग.आकाश का कफर से सज
ृ न घ.धिड़ड़या का घोंसला

5.कविता का सांदेश है - 1
क.मानि और दानि दोनों ही इस सांसार में है ख.राहों में आग नहीां बबछानी िाठहए
ग.घर-घर में फूल खखलने िाठहए घ.खुद समट कर भी दस
ू रों का भला करना िाठहए

(व्यािहाररक व्याकरण)

तनदे श : प्रश्न सांख्या III से लेकर VI तक के सभी प्रश्नों में पाांि -पाांि उप-प्रश्न ठदए गए हैं |
उनमें से प्रत्येक से िार प्रश्नों के सही उत्तर िाले विकल्ट्प िुतनए |

III. 1. बादल तघर आए और िषाा होने लगी | (रिना के आधार पर िाक्य भेद है )
क.सरल िाक्य ` ख.समश्र िाक्य
ग .सांयक्
ु त िाक्य घ. साधारण िाक्य

III.2. तनम्नसलखखत में समश्र िाक्य का उदाहरण है - 1


क.उसने पररश्रम ककया और उसे सफलता भी समली |
ख.पररश्रम करने से सफलता अिश्य समलती है |
ग.च्जसने भी पररश्रम ककया िह अिश्य सफल होगा|
घ.पररश्रम करने और सफल होने में सीधा सांबांध है |

229
III.3.जब बालगोबबन भगत खेतों में रोपाई कर रहे थे तब लोग उन्द्हें कनखखयों से दे ख रहे थे
| 1
यहाां रे खाांककत आधश्रत उपिाक्य के भेद होगा-
क.सांज्ञा उपिाक्य ख. कक्रया विशेषण उप िाक्य
ग. विशेषण उपिाक्य घ. कक्रया उप िाक्य

III.4.िह जहाां भी जाता है , एक नई समस्या खड़ी कर दे ता है - रे खाांककत में कौन सा उपिाक्य


है ? 1(क)सांज्ञा आधश्रत उपिाक्य (ख) विशेषण आधश्रत उपिाक्य
(ग) कक्रयाविशेषण आधश्रत उपिाक्य (घ) प्रधान उपिाक्य

III.5. तनम्नसलखखत िाक्यों में सांज्ञा आधश्रत उपिाक्य कौनसा है ? 1

(क) यद्यवप बाररश हो रही है तथावप खेल होगा।

(ख)जब तम
ु ठदल्ट्ली जाओगे तब लाल ककला दे खना।

(ग)जहाां खड़े हों िहाँ िीांठटयाँ हैं।

(घ)रोहन ने कहा कक िह बाज़ार जाएगा।

IV तनम्नसलखखत पाांि में से ककन्द्ही 4 प्रश्नों के सही उत्तर िाले विकल्ट्प िुतनए |

IV.1.तनम्नसलखखत में कौन सा कति


ाृ ाचय का उदाहरण है - 1
क.तुलसीदास के द्िारा रामिररतमानस की रिना की गई
ख.तुलसीदास से रामिररतमानस रिा गया
ग.तुलसीदास द्िारा रामिररतमानस रिी गई
घ.तल
ु सीदास ने रामिररतमानस की रिना की

IV. 2.पक्षी बाग छोड़कर नहीां उड़े |उपयक्


ुा त िाक्य का भाि िाचय में रूपाांतररत रूप क्या
होगा
क.पक्षी बाग छोड़कर नहीां उठ सके
ख. पक्षक्षयों से बाग छोड़कर उड़ा नहीां गया
ग. पक्षी बाग छोड़कर नहीां उड़ सकते
घ.पक्षक्षयों से भाग छोड़कर उड़ा नहीां जाता

230
IV. 3. तनम्नसलखखत में से कौन सा भाििािक का सही विकल्ट्प है - 1
क.आओ यहाां बैठे ख.आओ यहाां बैठा जाए
ग .आओ यहाां बैठते हैं घ. िलो अब यहाां बैठे

IV. 4. लड़का धिि बनाता है - िाक्य ककस िाचय से सांबांधधत है ?


क.कताृ िाचय ख.अकिा िाचय
ग.भाििािक घ .कमािाचय

IV. 5. ककसान खेतों में कीटनाशक दिाइयों का तछड़काि करते हैं –में कौन सा िाचय है ? 1
(क) कमा िाचय (ख) भाि िाचय
(ग) कति
ाृ ाचय (घ) तीनों

तनम्नसलखखत पाांि में से ककन्द्ही 4 प्रश्नों के सही उत्तर िाले विकल्ट्प िुतनए | (रे खाांककत पद
का पररिय दीच्जये) 4x1=4

V.1.जो अपने ििन का पालन नहीां करता, िह विश्िास के योग्य नहीां है । 1

(क) सिानाम, सांबांधिािक, पच्ु ल्ट्लांग, एकििन (ख)सिानाम, तनजिािक,


पुच्ल्ट्लांग,एकििन
(ग) सिानाम, सांबांधिािक, पुच्ल्ट्लांग, बहुििन (घ) सिानाम, प्रश्निािक,पुच्ल्ट्लांग,एकििन
V.2.सीता ने कहा कक मैं अपना काम खुद करती हूँ । 1

(क)सिानाम, तनजिािक, स्िीसलांग, एकििन।


(ख)सिानाम, परु
ु षिािक,अन्द्यपरु
ु ष,पच्ु ल्ट्लांग, एकििन।
(ग) सिानाम, पुरुषिािक, उत्तम पुरुष, स्िीसलांग, एकििन।
(घ) सिानाम, परु
ु षिािक, मध्यम परु
ु ष, स्िीसलांग, एकििन।

V.3.उस छाि ने तनधान छाि को पुस्तक दी ।


(क) विशेषण, सांकेतिािक, पुच्ल्ट्लांग, बहुििन,’छाि’ विशेष्य का विशेषण।
(ख) सिानाम, सांबांधिािक, पुच्ल्ट्लांग, एकििन।
(ग) विशेषण, सािानासमक, पुच्ल्ट्लांग, एकििन, ’छाि’ विशेष्य का विशेषण।
(घ) सिानाम, परु
ु षिािक, अन्द्यपरु
ु ष, एकििन, पच्ु ल्ट्लांग ।

231
V.4.मैं धीरे -धीरे िलता हूँ । 1
(क) कक्रया-विशेषण, कालिािक, ’िलता हूँ’ कक्रया।
(ख) कक्रया-विशेषण, स्थानिािक, ’िलता हूँ’ कक्रया।
(ग) कक्रया-विशेषण, रीततिािक, ’िलता हूँ’ कक्रया।
(घ) कक्रया-विशेषण, पररमाणिािक, ’िलता हूँ’ कक्रया।

V.5.ठदल्ट्ली भारत की राजधानी है। 1


(क) जाततिािक सांज्ञा, एकििन, पुच्ल्ट्लांग, कमाकारक ।
(ख) व्यच्क्तिािक सांज्ञा, एकििन, स्िीसलांग।
(ग) सांज्ञा, व्यच्क्तिािक, अन्द्य पुरुष, पुच्ल्ट्लांग, एकििन
(घ)सािानासमक विशेषण, एकििन, स्िीसलांग

VI.ननम्नमलखिि पािंच में से ककन् ी 4 प्रश्नों के स ी उत्तर वाले ववकल्प 4x1=4

VI.1.‘बीती विभािरी जागरी, अांबर पनघट में डुबो रही तारा– घट उषा नागरी’ इसमें कौन– सा
अलांकार है?
क. मानिीकरण अलांकार ख. उपमा अलांकार
ग. अनप्र
ु ास अलांकार घ. यमक अलांकार

2.आगे नठदया पड़ी अपार, घोड़ा कैसे उतरे पार।


राणा ने सोिा इस पार, तब तक घोड़ा था उस पार।।
क. अनुप्रास अलांकार ख. अततशयोच्क्त अलांकार
ग. मानिीकरण अलांकार घ. उपमा अलांकार

3च्जसमें कई और धिपके हो उसे ……… अलांकार कहते हैं।


क)श्लेष ख) उपमा
ग) अथाालांकार घ) अततशयोच्क्त

4.मांगन को दे खख पट दे त बार-बार है। यह उदाहरण है:


क)यमक अलांकार का ख)अनुप्रास अलांकार का
ग) श्लेष अलांकार का घ)अततशयोच्क्त अलांकार का

5.कसलयाँ दरिाज़े खोल खोल जब झुरमुट में मुस्काती हैं।’ में कौन सा अलांकार है ।
क). अनप्र
ु ास अलांकार ख). मानिीकरण अलांकार

232
ग.) उपमा अलांकार घ) रूपक अलांकार

VII.तनम्नसलखखत पठठत गदयाांश पर आधाररत प्रश्नों के सही उत्तर िाले विकल्ट्प िुतनए |
5x1=5

ककन्द्तु खेतीबारी करते,पररिार रखते भी,बालगोविन भगत साधु धे - साधु की सब पररभाषाओां


में खरे उतरनेिाले । कबीर को 'साहब' मानते थे , उन्द्हीां के गीतों को गाते , उन्द्हीां के आदे शों पर
िलते । कभी झूठ नहीां बोलते , खरा व्यिहार रखते । ककसी से भी दो - टूक बात करने में
सांकोि नहीां करते . न ककसी से खामखाह झगड़ा मोल लेते । ककसी की िीज नहीां छूते, न बबना
पूछे व्यिहार में लाते । इस तनयम को कभी - कभी इतनी बारीकी तक ले जाते कक लोगों को
कुतूहल होता ! - कभी िह दस
ू रे के खेत में शौि के सलए भी नहीां बैठते । िह गह
ृ स्थ थे ।
लेककन उनकी सब िीज़ साहब 'की थी। जो कुछ खेत में पैदा होता , ससर पर लादकर पहले उसे
साहब के दरबार में ले जाते- जो उनके घर से िार कोस दरू पर था- एक कबीरपांथी मठ से
मतलब । िह दरबार में भेंट रूप रख सलया जाकर प्रसाद रूप में जो उन्द्हें समलता , उसे घर
लाते और उसी से गुजर िलाते ।

1-गद्याांश के लेखक का नाम है -


क-स्ियां प्रकाश ग-रामिक्ष
ृ बेनीपुरी
ख-महादे िी िमाा घ-सिेश्िर दयाल सक्सेना

2-गह
ृ स्थ होते हुए भी बालगोबबन भगत साधु धेः क्योंकक
क-िे पीले िस्ि पहनते थे ग-साधु की सब पररभाषाओां पर खरे उतरने िाले थे
ख-ससर पर जटा धारण करते थे घ-प्रततठदन मठदर जाते थे ।

3-बालगोबबन भगत 'साहब 'मानते थे


क-श्रीराम ग-कबीर को
ख-श्रीकृष्ण को घ-तुलसीदास को

4-बालगोबबन के विषय में कौन - सा कथन सत्य नहीां है


क-कभी झूठ नहीां बोलते ग-दो - टूक बात करते
ख-खरा व्यिहार रखते घ-खामखाह झगड़ा मोल ले लेते ।

5-साहब के दरबार से मतलब है

क-मांठदर से ग-गरु
ु द्िारे से

233
ख-मच्स्जद से घ-कबीरपांथी मठ से ।

VIII.तनम्नसलखखत प्रश्नों में से सही उत्तरिाले विकल्ट्प िुतनये |2x1=2


1) नेताजी की मूतता बनाने का काया स्थानीय कलाकार को क्यों सौंपा गया होगा?
1
क) अचछे मतू ताकारों की जानकारी न होने के कारण
ख) शासनािधध समातत होने की घड़ड़यों में
ग) मतू ता की लागत अनम
ु ान उपलब्ध बजट से ज्यादा होने के कारण
घ) उपरोक्त सभी

2.लेखक सांस्कृत व्यच्क्त की सांतान को सांस्कृत क्यों नहीां मानता? 1


क) क्योंकक उन्द्हें िह खोज अपने पूिज
ा ों से प्रातत हुई है |
ख.)क्योंकक उन्द्हें बहुत पररश्रम करना पडा |
ग)क्योंकक मेहनत उनके पि
ू ज
ा ों ने की |
घ)इनमें से कोई नहीां |

IX. ननम्नमलखिि पहठि काव्यािंश को ध्यान पूवक


ष पढकर पूछे गए प्रश्नों के स ी उत्तर वाले
ववकल्प चुननए |1x5=5

नाथ सांभुधनु भांजतनहारा | होइठह केऊ एक दास तुम्हारा ||


आयेसु काह कठहअ ककन मोही | सुतन ररसाई बोले मुतन कोही ||
सेिकु सो जो करे सेिकाई | अररकरनी करर कररअ लराई ||
सन
ु हु राम जेठह ससिधनु तोरा | सहसबाहु सम सो ररपु मोरा ||
सो बबलगाऊ बबहाई समाजा | न त मारे जैहठहां सब राजा ||
सन
ु ी मतु नबिन लखन मस
ु क
ु ाने | बोले परसध
ु रठह अिमाने ||
बहु धनुही तोरी लररकाई | कबहूँ न असस ररस करठहां गोसाईं ||
येठह धनु पर ममता केठह हे तु | सुतन ररसाई कह भग
ृ कुलकेतु ||

1.धनुष को तोड़ने िाला आपका कोई दास ही होगा – राम िन्द्रजी ने ऐसा क्यों कहा –
क-परशुराम जी से क्षमा माांगने के सलए ख-परशुरामजी को क्रोधधत करने के सलए
ग-परशरु ामजी को शाांत करने के सलए घ-इनमें से कोई नहीां |

234
2-रामिन्द्रजी की बात सुनकर परशुरामजी की क्या प्रततकक्रया हुई
क. िे शाांत हो गए ख उनका क्रोध और अधधक हो गया
ग िे सभा से िले गए घ क और ख दोनों

3- प्रस्तत
ु काव्याांश की भाषा क्या है?
क .ब्रज ख- राजस्थानी समधश्रत ब्रज
ग- मैधथली घ- अिधी

4- भग
ृ कुलकेतु – ककसे कहा गया है –
क-रामिन्द्रजी को ख-परशुरामजी को
ग-लक्ष्मण और राम दोनों को घ-तुलसीदासजी को

5- सशिधनुष तोड़ने िाले को परशुराम जी ने क्या कहा –


क. सहसबाहु के समान अपना शिु ख शिुता का काया करने िाला
ग क और ख दोनों घ इनमे से कोई नहीां

X.ननम्नमलखिि प्रश्नों में से स ी उत्तरवाले ववकल्प चुननये |2x1=2

1.क्रोधधत होते हुए भी परशुराम ने लक्ष्मण का िध क्यों नहीां ककया? 1


(क) लक्ष्मण ने सशि धनुष भांग नहीां ककया था ।
(ख) लक्ष्मण को कम आयु का बालक जानकर।
(ग) सभा में सब उपच्स्थत थे ।
(घ) लक्ष्मण ब्रानमण थे ।

2.गोवपयों ने उद्धि के योग को कड़िी ककड़ी क्यों कहा है? 1


(क)क्योंकक उद्धि का योग ककड़ी के समान है ।
ख.ककड़ी कड़िी होती है
(ग)क्योंकक उद्धि का योग मागा उनके सलए कृष्ण से विरच्क्त का मागा था, च्जसे िह
अपनाना नहीां िाहती थी।
(घ) उद्धि के योग मागा समलन का मागा था।

खांड ब

िणानात्मक प्रश्न

235
XI.गद्य पाठ के आिार पर ननम्नमलखिि चार प्रश्नों में से ककन् ीिं िीन प्रश्नों के उत्तर
मलखिए-शब्द सीमा-25 से 30 शब्द | 2x3=6

1.निाब साहब ने बहुत ही यत्न से खीरा काटा, नमक-समिा बुरका, अांततः सूँधकर खखड़की से
बाहर फेंक ठदया। उन्द्होंने ऐसा क्यों ककया होगा? उनका ऐसा करना उनके कैसे स्िभाि को इांधगत
करता है ?
2.लेखखका मन्द्नू भांडारी की अपने वपता से िैिाररक टकराहट को अपने शब्दों में सलखखए |
3.काशी में हो रहे कौन कौन से पररितान बबच्स्मल्ट्लाह खाां को व्यधथत करते थे?
4.पानिाले का एक शब्द धिि प्रस्तुत कीच्जए |

XI. काव्य पाठ के आधार पर तनम्नसलखखत िार प्रश्नों में से ककन्द्हीां तीन प्रश्नों के उत्तर
सलखखए-शब्द सीमा-25 से 30 शब्द | 2x3=6

1.फसल कविता में लाखों -करोड़ों हाथों के स्पशा की गररमा ककसे कहा गया हे ई और क्यों?
2.कवि ने बचिे के मुस्कान के सौंदया को ककन ककन बबम्बों के माध्यम से व्यक्त ककया है ?
3.’उत्साह’ कविता में बादल ककन-ककन अथों की और सांकेत करता है ?
4.आत्मकथ्य कविता की काव्य भाषा की विशेषताएां उदाहरण सठहत सलखखए |

XII.ननम्नमलखिि प्रश्नों में से ककन् ीिं दो उत्तर लगभग 60 शब्दों में दीस्जए |
2x4=8

1. माता का अांिल पाठ के आधार पर यह कहा जा सकता है कक बचिे का अपने वपता से


अधधक जुड़ाि था, कफर भी विपदा के समय िह वपता के पास न जाकर माँ की शरण लेता है।
आपकी समझ से इसकी क्या िजह हो सकती है ?
2.आज की पीढी द्िारा प्रकृतत के साथ खखलिाड़ ककया जा रहा है |इसे रोकने में आपकी क्या
भसू मका होनी िाठहए |
3.आज का युिा कल के दे श के भविष्य है , दे श के भािी कणाधार होने के नाते विज्ञान के
दरु
ु पयोग को रोकने में आपकी क्या भूसमका हो सकता है?

XIII.हदए गए सिंकेि त्रबिंदओ


ु के आिार पर ककन् ी एक ववर्य पर 120 शब्दों में अनुच्छे द
मलखिए (1x 6=6)

236
क.आतांकिाद की समस्या :आखखर कब तक[
सांकेत बबन्द्द-ु आतांकिाद का अथा, इसके दष्ु प्रभाि, आतांकिाद को नष्ट करने के उपाय -विश्ि
स्तर पर इसके विरूद्ध हो रहे प्रयास

(ख) समय ककसी के सलए नहीां रुकता


सांकेत बबन्द्द ु - समय के मोल- समय बीत जाने पर पश्िाताप- विद्याथी जीिन में समय का
महत्ि

(ग) जैसी सांगतत बैठठये तैसे ही फल होत


सांकेत बबन्द्द ु - सांगतत का प्रभाि-सांगतत का महत्त्ि -सांगतत और कुसांगतत का मानि जीिन पर
असर

XIV.तनम्नसलखखत में से कोई एक पि लगभग 100 शब्दों में सलखखए |

आपका दाखखला नए विद्यालय में करिाया गया है | यहाँ आपके सलए सब कुछ नया है तथा
आपका मन भी नहीां लग रहा| आपके भाई-बहन दस
ू रे शहर में रहते हैं| पि द्िारा उन्द्हें अपनी
समस्याओां से अिगत कराएँ|
अथिा 5
आपके गाांि धीरपुर में धिककत्सा के सलए दस
ु रे गाांि जाना पड़ता है |लोगों को बहुत असुविधा
होती है | धिककत्सा की व्यिस्था हे तु च्जला धिककत्सा अधधकारी को पाि सलखाकर गाांि में
एक ड़डसपेंसरी खुलाने की प्राथाना करते हुए पि सलखखए |

XV.सहायक अध्यापक पद के सलए अपना एक आकषाक स्िित्त


ृ लगभग 80 शब्दों में तैयार
कीच्जए |
अथिा 5
आप वपछले दो ठदनों से विद्यालय नहीम गए हैं | अत:अपनी अनुपच्स्थतत का कारण बताते
हुए प्रधानािाया को लगभग 80 शब्दों में ई-मेल सलखें |

XVI.प्रदष
ू ण से बिने के सलए जनठहत में जारी लगभग 60 शब्दों का एक विज्ञापन पयाािरण
विभाग की और से तैयार कीच्जए |
अथिा 4
आप अपने पापा के कायाालय के समस्त कमािाररयों के सलए दीपािली का बधाई सन्द्दे श सलखें
|

237
केन्द्रीय विद्यालय एरणाकुलम सांभाग
प्रततदशा प्रश्न पि -2022
कक्षा 10िीां विषय: ठहन्द्दी पण
ू ांक: 80

सामान्य ननदे श:

1. प्रश्न-पत्र में कुल चार िण्ड ै ।


2. प ले10 प्रश्नों के मलए ब ु ववकल्पीय उत्तर ै ।
3. 11 - 17 िक के प्रश्नों के मलए आिंिररक ववकल्प प्रश्न हदये गए ै ।
4. ननदे शों का पालन करिे ु ए प्रश्नों के उत्तर दीस्जये I
खण्ड क

1. तनम्नसलखखत अपठठत गद्याांश को पढकर पुछे गए प्रश्नों के सलए उधित विकल्ट्प िुतनए-
(5×1=5)

ककसी भी जीि के शरीर के ऊपर मच्स्तष्क है। इस मच्स्तष्क का स्िभाि कैसे तैयार हो जाता
है ? बुद्धध में होनेिाले वििार से। इसका मतलब यह है ककसी भी व्यच्क्त के िांशानुगत स्िभाि
को उसकी बुद्धध, उसका वििेक बदल सक्ता है। इसका मतलब यह है कक हमारा बतााि हमारे
कमा पर हमारा िश है , िाहे दतु नया भर पर न भी हो। हम अपने स्िभाि को बदल सक्ते हैं,
अपनी बद्
ु धध में बारीक बदलाि लाकर। इसके सलए हमें मच्स्तष्क की रूपरे खा पर एक नज़र
दौडानी होगी।

हमारे मच्स्तष्क के दो विसभन्द्न अांश है -िेतन और अिेतन।दोनों ही अलग अलग


प्रयोजनों के सलए च्ज़म्मेदार है और दोनों के सीखने के तरीके भी अलग अलग है। मच्स्तष्क
का िेतन विभाग हमें विसशष्ट बनाता है , िही हमारी विसशष्टता है। इसकी िजह से एक व्यच्क्त
ककसी दस
ू रे व्यच्क्त से अलग होता है । हमारा कुछ अलग- सा स्िभाि,हमारी अनोखी सज
ृ नात्मक
शच्क्त – ये सब मच्स्तष्क के इसी ठहस्से से सांिासलत होती हैं,तय होती है। हर व्यच्क्त की
िेतन रिनात्मकता ही उसकी मनोकामना , उसकी इचछा और महत्िाकाांक्षा तय करती है। इसके
विपरीत मच्स्तष्क का अििेतन ठहस्सा एक ताकतिर प्रततश्रुतत यांि जैसा ही है । यह अब तक
के ररकाडा ककए गए अनुभि दोहराता रहता है ।इसमें रिनात्माता नहीां होती। यह उन स्ििसलत
कक्रयाओां और उस सहज स्िभाि को तनयांबित करता है , जो दह
ु रा- दह
ु राकर हमारी आदत का
एक ठहस्सा बन िक
ु ा है ।

238
1) हम अपने स्िभाि को कैसे बदल सकते हैं:
क) अपने आिरन में बारीक बदलाि लाकर
ख) अपनी बुद्धध में बारीक बदलाि लाकर
ग) ककसी भी व्यच्क्त के िांशानुगत स्िभाि दे खकर
घ)उपयक्
ुा त तीनों

2) हमारे मच्स्तष्क के कौन कौन से अांश होते हैं?


क) िेतन ि अििेतन
ख) िेतन ि अिेतन
ग) िेतन ि अििेतन
घ) इनमें से कोई नहीां

3) मच्स्तष्क के िेतन भाग का क्या काया है ?

क) यह हमें कमज़ोर बनाता है ख) यह हमें विसशष्ट बनाता है

ग) यह हममें महत्िाकाांक्षा पैदा करती है । घ) ‘ख’ और ‘ग’ दोनों

4) अििेतन मततष्क की क्या भूसमका है?


क) यह हमें आगे बढने की भुसमका तैयार करता है
ख) यह हमें अपनी आदत को दोहराने की शच्क्त दे ती है ।
ग) यह हमारे सहज स्िबाि को तनयांबित करता है ।
घ) उपयक्
ुा त सभी

5) हमारी सज
ृ नात्मक शच्क्त के विकास के उपाय सुझाइए।
क) धिांता करना ख) धिांतन –मनन करना
ग) सिेतन मन को सजीि रखना घ) ‘ख’ और ‘ग’ दोनों

2. तनम्नसलखखत काव्याांश को पढकर पूचछे गए प्रश्नों के सलए उधित विकल्ट्प िुतनए-


कोलाहल हो,
या सन्द्नाटा। कविता सदा सज
ृ न करती है ,
जब भी आँस,ू
हुआ पराच्जत, कविता सदा जांग लड़ती है।
जब भी कताा हुआ अकताा

239
कविता ने जीना ससखलाया
यािाएँ जब मौन हो गई
कविता ने िलना ससखलाया।
जब भी तम का
जुल्ट्म िढा है, कविता नया सूया गढती है ,
जब गीतों की फसलें लट
ू तीां
शीलहरण होता कसलयों का,
शब्दहीन जब हुई िेतना
तब-तब िैन लुटा गसलयों का
जब कुसी का
कांस गरजता, कविता स्ियां कृष्ण बनती है ।
अपने भी हो गए पराए
यूँ झठ
ू े अनब
ु ांध हो गए
घर में ही िनिास हो रहा
यँू गांग
ू े सांबांध हो गए।

1. कवि द्िारा कविता को क्या कहा गया है ?


क) सज
ृ नात्मक ख) कलात्मक
ग) विनाशक घ) सभी विकल्ट्प सही है

2. कविता सांघषा की प्रेरणा दे ती हैं- यह भाि ककस पांच्क्त में व्यांच्जत हुआ है ?
क) यँू झठ
ू े अनब
ु ांध हो गए ख) घर मे ही िनिास हो रहा
ग) यूँ गूांगे अांबन्द्ध हो गए घ) कविता सदा जांग लड़ती है

3. कविता जीना कब ससखलाती है ?


क) जब व्यच्क्त जीना िाहता है
ख) जब व्यतत अकमाण्य और आलस्य से भर जाता है
ग) जब व्यच्क्त की मत्ृ यु हो जाता है
घ) सभी विकल्ट्प सही है

4. कविता उत्साह का सांिार कब करती है ?

240
क) जब व्यच्क्त तनराश हो जाता है ख) जब व्यच्क्त को सिाि अांधकार नज़र आता है।

ग) जब व्यच्क्त हतोत्साठहत हो जाता है घ) सभी विकल्ट्प सही है

5. ‘घर में ही िनिास हो रहा, यूँ सांबांध गूांगे हो गए’- पांच्क्त के माध्यम से कवि ने क्या
व्यक्त ककया है ?
क) घर में सबका िनिास हो गया ख) घर में सब गांग
ू े हो गए
ग) परस्पर सांबांधों में दरू रयाँ बढ गई है घ) सब िन में जाकर गूांगे हो गए

अथिा

2)तनम्नसलखखत अपठठत पद्याांश को ध्यान से पढकर पूछे गए प्रश्नों के सलए सही विकल्ट्प
िुतनए -5

भारत माता का मांठदर यह, समता को सांिाद जहाँ।


सबका सशि कल्ट्याण यहाँ पाएँ सभी प्रसाद यहाँ।
जातत-धमा या सांप्रदाय का, नहीां भेद व्यिधान यहाँ।
सबका स्िागत, सबका आदर, सबका सम्मान यहाँ।
राम-रठहम, बद्
ु ध-ईसा का, सल
ु भ एक-सा ध्यान यहाँ।
सभन्द्न-सभन्द्न भि सांस्कृततयों के, गुण-गौरि का ज्ञान यहाँ।
नहीां िाठहए बुद्धध िैर की, भला प्रेम उन्द्माद यहाँ।
सब तीथों का एक तीथा यह, हृदय पविि बना लें हम।
रे खाएँ प्रस्तुत हैं, अपने मन के धिि बना लें हम।
सौ-सौ आदशों को लेकर, एक िररि बना लें हम।
कोठट-कोठट कांठों से समलकर, उठे एक जयनाद यहाँ।
सबका सशि कल्ट्याण यहाँ है , पाएँ सभी प्रसाद यहाँ।
क)कवि यहाँ ककस मांठदर की बात कर रहे है ?
[क] सशि मांठदर [ख] शच्क्त मांठदर
[ग] राम सीता मांठदर [घ] भारत माता की मांठदर

ख)भारत दे श में तनम्नसलखखत में से कौन सी विशेषता है ?

[क] यहाँ सबका स्िागत है [ख] यहाँ सबका आदर है

241
[ग] यहाँ सबका सम्मान है [घ] उपयक्
ुा त सभी

ग)यहाँ ककसको लेकर एक िाररि बनाने की बात कही गई है ?

[क] सौ-सौ आदशों को लेकर [ख] सौ-सौ रे खाएँ लेकर

[ग] कोठट-कोठट कांठों को लेकर [घ] सब तीथों को लेकर

घ)यहाँ हृदय को क्या बनाने के सलए कहा गया है ?


[क] भेद-भाि [ख] पविि
[ग] उन्द्माद [घ] िैर

ङ) राम-रठहम का समास विग्रह है -


[क] राम तथा रठहम [ख] राम और रठहम
[ग] राम द्िारा रठहम [घ] राम के साथ रठहम

अथिा

िैराग्य छोड़ बाँहों की विभा सँभालो


िट्टानों की छाती से दध
ू तनकालो |
है रुकी जहाँ भी धार, सशलाएँ तोड़ो,
पीयूष िांरमाओां को पकड़ तनिोड़ो |
िढ तुांग शैल-सशखरों पर सोम वपयो रे !
योधगयों नहीां, विजयी के सदृश च्जयो रे !
छोडो मत अपनी आन, सीस कट जाए
मत झुको अनय पर, भले व्योम फट जाए |
दो बार नहीां यमराज कांठ धरता है
मरता है जो भी एक ही बार मरता है |
नत हुए बबना जो अशतन घात सहती है
स्िाधीन जगत में िही जातत रहती है |

क) इन पांच्क्तयों में कवि क्या प्रेरणा दे रहा है ?


(क) आन-बान की रक्षा करने की (ख) जीिन की रक्षा करने की
(ग) धन सांपवत्त की रक्षा करने की (घ) उपयक्
ुा त सभी

242
ख) कवि ककसके समान जीने को कहता है ?
(क) योधगयों के (ख) भोधगयों के
(ग) विजयी व्यच्क्तयों के (घ) राजाओां के

ग) भले व्योम फट जाए’ का भािाथा है –


(क) ककतनी ही मस
ु ीबत आ जाए | (ख) मस
ू लाधार िषाा हो जाए |
(ग) आसमान दो टुकड़ों में बांट जाए | (घ) आसमान से फूलों की िषाा हो जाए |

घ)जो बबना झुके मुसीबतों का सामना करते हैं, िे ककसका उपभोग करते हैं ?
(क) दख
ु ों का (ख) सुखों का
(ग) परतांिता का (घ) स्ितांिता का

ङ) कवि क्या छोड़ने की बात कर रहा है ?


(क)मोह- माया (ख) िैराग्य
(ग) साांसाररक सुख (घ) बाँहों की शच्क्त

खांड ‘ख’

व्याव ाररक व्याकरर्

3. ननदे शानुसार ककन् ीिं चार प्रश्नों के उत्तर मलखिए:- 4×1=4

3.1) जो पररश्रम करता है उसे अधधक समय तक तनराश नहीां होना पडता। - रे खाांककत में
कौन-सा उपिाक्य है ?

(क) सांज्ञा आधश्रत उपिाक्य (ख)विशेषण आधश्रत उपिाक्य

(ग) कक्रयाविशेषण आधश्रत उपिाक्य (घ)प्रधान उपिाक्य

3.2) अधोसलखखत िाक्यों में से सांयुक्त िाक्य छाँठटए :


(क) कम रोशनी में पढने की कारण विद्याथी अपनी आँख गँिा बैठा ।
ख) जो कमरे मे सो रहा है िह मेरा भाई है

243
(ग) िे ठदन याद आते हैं जब िे एक पाररिाररक ररश्ते में बांधे थे।
(घ) राधा योग्य है और शसश उदार है।

3.3 ) दोपहर के तीन बजे है और िह घूमने िला गया । समश्र िाक्य में सही पररितान है -
क) दप
ु हर के तीन बजकर िह घूमने िला गया |
ख) दप
ु हर हुआ , तीन बज गया और िह घूमने िला गया |
ग) जब दप
ु हर के तीन बज गया तब िह घम
ू ने िला गया |
घ) दप
ु हर का तीन बज गया और िह घूमने िला गया |

3.4) आप खाना खाकर आराम कीच्जए – रिना की दृच्ष्ट से कौन सा िाक्य है ?

क) सांयुक्त िाक्य ख) समश्र िाक्य

ग) सरल िाक्य घ) इनमें से कोई नहीां

3.5) रे खाांककत में सांज्ञा आधश्रत उपिाक्य कौन सा है ?


क) यद्यवप बाररश हो रही है तथावप खेल होगा
ख) जब तम
ु ठदल्ट्ली जाओगे तब लालककला दे खना
ग) तुम जहाँ खड़े हों िहाँ िीततयाँ हैं।
घ) रोहन ने कहा कक िह बाज़ार जाएगा।

4.तनदे शानुसार ककन्द्हीां िार प्रश्नों के उत्तर सलखखए: -

4.1) तनम्नाांककत में से कति


ा ृ ाचय िाले िाक्य का ियन कीच्जए :
क) अब िला जाए।
ख) नौकर द्िारा घर की सफाई की जाती है।
ग) राम द्िारा आज स्िाठदष्ट भोजन ककया जाएगा।
घ) िह हम लोगों का विरोध कर रहा था

4.2)तनम्नसलखखत िाक्यों में कमािाचय का सही उदाहरण कौन सा है :


क) नौकर द्िारा घर की सफाई करनी थी।
ख) नौकर घर की सफाई करे गा।
ग) नौकर ने घर की सफाई की थी।
घ) नौकर द्िारा घर की सफाई की जाएगी।

244
4.3) च्जन िाक्यों में कक्रया का मुख्य विषय कताा होता है उन्द्हें ......... कहते हैं :
क) सरल िाक्य ख) कता ृ िाचय
ग) कमािाचय घ) भाििाचय

4.4) भगिान हमारी रक्षा करता है। िाक्य का कमािाचय में सही पररितान है -
क) भगिान द्िारा हमारी रक्षा करााता है।
ख) भगिान द्िारा हमारी रक्षा ककया जाता है।
ग) भगिान द्िारा हमारी रक्षा की जाती है।
घ) भगिान द्िारा हमारी रक्षा की जाएगी। ।
4.5) शीला उपन्द्यास सलखेगी ।
(क) कमािाचय (ख) भाििाचय
(ग) कति
ाृ ाचय घ) तीनों

5. तनदे शानुसार ककन्द्हीां िार प्रश्नों के उत्तर दीच्जए । 4×1=4


तनम्नसलखखत िाक्यों में रे खाांककत शब्दों के पद पररिय के सलए ठदए गए विकल्ट्पों में से सही
विकल्ट्प िुनकर सलखखए-

5.1) जो अपने ििन का पालन नहीां करता िह विश्िास के योग्य नहीां है।

क) एकििन, पुच्ल्ट्लांग, सांबांधिािक सिानाम

ख) एकिकन, पुच्ल्ट्लांग, तनजिािक सिानाम


ग) बहुििन, पुच्ल्ट्लांग, सांबांधिािक सिानाम
घ) एकििन, पुच्ल्ट्लांग, प्रश्निािक सिानाम

5.2) सत्य की सदा जीत होती है ।


क) सांज्ञा, व्यच्क्तिािक, एकििन, पुच्ल्ट्लांग, होती है कक्रया का कताा
ख) सांज्ञा, जाततिािक, एकििन, स्िीसलांग, होती है कक्रया का कताा
ग) सांज्ञा, जाततिािक, एकििन, पुच्ल्ट्लांग, होती है कक्रया का कताा
घ) सांज्ञा, भाििािक, एकििन, पुच्ल्ट्लांग, होती है कक्रया का कताा

5.3) उस छाि ने तनधान छाि को पुस्तक दी।


क) बहुििन, पुच्ल्ट्लांग, सांकेतिािक विशेषण
ख) एकििन पच्ु ल्ट्लांग सांबांधिािक सिानाम

245
ग) एकििन, पुच्ल्ट्लांग, सािानासमक विशेषण
घ) एकििन, पुच्ल्ट्लांग, अन्द्यपुरुषिािक सिानाम

5.4) मैं धीरे -धीरे िलता हूँ।

क) कालिािक कक्रयाविशेषण, िलता हूँ कक्रया की विशेषता बताता है ।


ख) स्थानिािक कक्रयाविशेषण िलता हूँ कक्रया की विशेषता बताता है।
ग) रीततिािक कक्रयाविशेषण िलता हूँ कक्रया की विशेषता बताता है ।
घ) पररमाणिािक कक्रयाविशेषण िलता हूँ कक्रया की विशेषता बताता है ।

5.5) ठदल्ट्ली भारत की राजधानी है ।

(क) जाततिािक सांज्ञा, एकििन, पुच्ल्ट्लांग, कमाकारक ।

(ख) व्यच्क्तिािक सांज्ञा, एकििन, पुच्ल्ट्लांग ।

(ग) सांज्ञा, व्यच्क्तिािक, अन्द्य पुरुष, पुच्ल्ट्लांग, एकििन ।

(घ) सािानासमक विशेषण, एकििन, स्िीसलांग ।

6. तनम्नसलखखत काव्य पांच्क्तयों में से ककन्द्हीां िार में समाठहत अलांकार में का सही विकल्ट्प
िुनकर सलखखए। 4×1=4
क) बबरहा की आँि लगी तन में, तब जाय परी जमुना जल में ।
बबरहानल से जल सूखख गयौ, मछली बह धाय गई तल में।
जब रे त फटी पाताल गई, तब शेष जरौ धरणी में ।
क) श्लेष ख) उपमा
ग) मानिीकरण घ) अततशयोच्क्त

ख) िमिमात िांिल नयन बबि घँघ


ू ट पट झीन।
मानहु सुर सररता विमल जल उछलत जुग मीन।
क) उत्प्रेक्षा ख) श्लेष
ग) मानिीकरण घ) अततशयोक्त

ग)उषा सुनहरा तीर बरसती,लयलक्ष्मी सी उठदत हुई ।

क) उपमा ख) श्लेष

246
ग)मानिीकरण घ)अततशयोक्त

घ) जो रहीम गतत दीप की , कुल कपूत गतत सोय।

बारे उच्जयारो करो,बढे अांधेरो करो॥

क) अततशयोच्क्त ख) श्लेष

ग) मानिीकरण घ) रूपक

ड.) हँसते-हँसते िल दे ते हैं पथ पर ऐसे


मानो भास्िर भाि िही हों कविताओां के
क) मानिीकरण ख) श्लेष
ग) अततशयोच्क्त घ) उत्प्रेक्षा

खण्ड ग

7. तनम्नसलखखत गद्याांश को पढकर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर का सही विकल्ट्प िुनकर सलखखए
: 5×1=5

(अ) एक सांस्कृत व्यच्क्त ककसी नई िीज़ की खोज करता है , ककां तु उसकी सांतान को िह िस्तु
अपने अपने पि
ू ज
ा से अनायास ही प्रातत हो जाती है ।च्जस व्यच्क्त की बद्
ु धध ने अथिा वििेक
ने ककसी भी नए तथ्य का दशान ककया िह व्यच्क्त ही िास्तविक सांस्कृत व्यच्क्त है और उसकी
सम्तान च्जसे अपने पूिज
ा से िह िस्तु सहज से प्रातत हो गई है , िह अपने पूिज
ा की भाांतत
सभ्य भले ही बन जाए सांस्कृत नहीां कहला सक्ता ।एक आधुतनक उदाहरण लें। न्द्यूटन ने
गुरुत्िाकषाण ससद्धाांत का आविष्कार ककया था। िह सांस्कृत मानि था। आज के युग में भौततक
विज्ञान का विद्याथी न्द्यूटन के गुरुत्िाकषाण ससद्धाांत से तो पररधित है ही लेककन उसके साथ
उसे और भी अनेक बातों का ज्ञान प्रातत है च्जसे शायद न्द्यूटन अपररधित ही रहा। ऐसा होने
पर भी हम आज के भौततक विज्ञान के विद्याथी की न्द्यट
ू न की अपेक्षा अधधक भले ही कह
सकें पर न्द्यूटन च्जतना सांस्कृत नहीां कह सकते ।

1.िास्तविक अथा में सांस्कृत व्यच्क्त ककसे माना जाता है ?


क) सभ्य िच्क्त को
ख) बनी बनाई ससद्धाांतों के बल पर नई खोज करनेिाले को
ग) अपनी बुद्धध एिां वििेक के बल पर नई बातें सोिनेिाले को
घ) अपनी बुद्धध एिां वििेक के बल पर नए आविष्कार करनेिाले को

247
2. न्द्यूटन कौन था?

क) धिांतक ख) दाशातनक
ग) िैज्ञातनक घ) इनमें से कोई नहीां

3. सांस्कृत व्यच्क्त की सांतान को सांस्कृत क्यों नहीां माना जा सक्ता?


क) िह सांस्कृत व्यच्क्त जैसी कक्रयात्मक नहीां होता
ख) िह खद
ु आविष्कार नहीां करता
ग) उसके आविष्कार का आधार सांस्कृत व्यच्क्त की बुद्धध और वििेक है
घ) ख और ग दोनों

4. न्द्यूटन को लेखक ने सांस्कृत व्यच्क्त क्यों माना है ?


क) िह िैज्ञातनक था
ख) उसने गरु
ु त्िाकषाण ससद्धाांत का आविष्कार ककया था
ग) उसका आविष्कार मौसलक था
घ) उपयक्
ुा त तीनों

5. सहज रूप से ककस प्रकार के लोग आविष्कार कर सकते है ?


क) च्जसमें तथ्य की खोज की प्रिवृ त्त हो
ख) च्जसम ां बुद्धध एिां वििेक हो
ग) उपयक्
ुा त दोन ां
घ) इनमें से कोई नहीां

ब).तनम्नसलखखत प्रश्नों के उत्तर का सही विकल्ट्प िुनकर सलखखए।

i) . खीर को काटना, नमक - समिा बरु कना और सँघ


ू कर फेंक दे ना निाि साहब के िररि के
कौन से पक्ष को उजागर करता है ?

क) सनकी आिरण

ख) ठदखािे की प्रव्रुवत्त
ग) लेखक के प्रतत उसकी उदासीनता
घ) क और ख दोनों

248
ii) बबच्स्मल्ट्ला खाां काशी के प्रतत इतने अनुरक्त क्यों थे?
क) िे अपने धमा पर तनष्ठािान नहीां थे।
ख) उनको धमा के प्रतत कोई आस्था नहीां थी
ग) िे हर धमा को मानते थे
घ)िे च्जस प्रकार अपने धमा को मानते थे उसी प्रकार काशी विश्िनाथ को भी मानते थे।

ब) तनम्नसलखखत काव्याांश को पढकर पछ


ू े गए प्रश्नों के उत्तर का सही विकल्ट्प िन
ु कर

सलखखए : 5×1=5

हमारैं हरर हाररल की लकरी|


मन क्रम बिन नन्द्द-नन्द्दन, यह दृढ करर पकरी |
जागत सोित स्ितन ठदिस-तनसस ,कान्द्ह-कान्द्ह जक री |
सुनत जोग लागत है ऐसौ, ज्यौं करुई ककरी|
सु तौ ब्याधध हमकौ लै आए, दे खी सुनी न करी|
यह तौ सरू ततनठहां लै सौंपी, च्जनके मन िकरी ||

1.गोवपयाँ ककसको हाररल की लकड़ी के समान माना है ?


क)हाररल पक्षी को ख)योग साधना को
ग)श्रीकृष्ण को घ)अपने मन को

2.गोवपयों के मन में योग साधना के प्रतत कौन सा भाि है ?


क) स्िीकार का ख) उपेक्षा का
ग) अिरोध का घ) इनमें से कोई नहीां

3. गोवपयों ने उद्धि से योग की सशक्षा कैसे लोगों को दे ने की बात कही है?


क) भक्तों को ख) ज्ञातनयों को
ग) कृष्ण –भक्तो क घ) िांिल मनिालों को

4. गोवपयाँ स्ितन और जागतृ त में ककसकी याद करती रहती है ?

क) गोपकुमारों की ख) अपनी सांतान की

ग)योग साधना की घ) श्रीकृष्ण की

249
5.कविता में ब्याधध शब्द का प्रयोग ककसके सलए हुआ है ?
क) बीमारी के सलए ख) योग साधना के सलए
ग) श्रीकृष्ण के सलए घ) इनमें से कोई नहीां

8. तनम्नसलखखत प्रश्नों के उत्तर का सही विकल्ट्प िुनकर सलखखए। 2X1-2


i) अयमय खाांड न ऊखमय कथन से क्या असभप्राय है ?
क) राम उतना कमज़ोर नहीां है च्जसे आसानी से पराच्जत कर सक्ता है।
ख) लक्ष्मण उतना कमज़ोर नहीां है च्जसे आसानी से पराच्जत कर सक्ता है।
ग) लक्ष्मण परशुराम के सामने बहुत कमज़ोर है च्जसे आसानी से पराच्जत कर सक्ता है।
घ) क और ख दोनों

ii) सशशु कवि को कनखखयों से क्यों दे खता है ?

क)अपररधितता के कारण ख) उत्सुकता के कारण

ग) माँ की सांगतत के कारण घ) उपयक्


ुा त तीनों

9. पठढत पाठों के आधार पर ककन्द्हीां तीन प्रश्नों के उत्तर सलखखए: - 3X2=6


क) बेटे के दे हाांत के बाद बालगोबबन भगत ने पतोहू को ककस बात के सलए बाध्य ककया?
उनका यह व्यिहार उनके ककस प्रकार के वििार का प्रमाण है ?
ख) ‘पड़ोस कल्ट्िर’ से लेखखका का तात्पया क्या है ?ितामान पररच्स्थतत में यह कैसे बदल
गया है ?
ग) यह क्यों कहा गया है कक महत्त्ि मूतता के रां ग रूप या कद का नहीां उस भािना का है ’-
स्पष्ट कीच्जए|
घ) पानिाले ने कैतटन िश्मेिाले के बारे में क्या कहा च्जससे हालदार साहब दख
ु ी हो गए?

10. पहठि काव्य पाठों के आिार पर ककन् ीिं िीन प्रश्नों के उत्तर मलखिए: - 3X2=6
क) कवि प्रसाद जी आत्म कथा सलखने से क्यों बिना िाहते है ?
ख) उत्साह कविता में बादल ककन-ककन अथों की ओर सांकेत करता है ?
ग) कवि की आँख फागुन की सुन्द्दरता से क्यों नहीां हट रही है ?
घ) सांगतकार हमेशा पदे के पीछे रहकर अपनी क्षमता का प्रदशान क्यों करता है ?

250
11.पूरक पाठ्यपुस्तक के आधार पर ककन्द्हीां दो सिालों का जिाब 50-60 शब्दों में सलखखए।
2X4=8
क) दे श की सीमाओां पर फौजी ककस तरह की कठठनाइयों से जूझते हैं? उनके प्रतत हमारा क्या
उत्तरदातयत्ि होना िाठहए।
ख) माता का अांिल पाठ के आधार पर बताइए कक माता-वपता के िात्सल्ट्य में कौन-कौन
गुणों का विकास होगा?
ग) ‘ठहरोसशमा पर सलखी तनबांध लेखक के अांत: ि िानय दबाब का पररणाम है’ – यह आप
कैसे कह सकते हैं ?

खण्ड घ

12.ककसी एक विषय पर सांकेत बबांदओ


ु ां केआधार पर 120 शब्दों में एक अनुचछे द सलखखए।
6

क) ’आत्मतनभार भारत’
आशय, उद्दे श्य, भारत की पष्ृ ठभसू म, ककए गए कदम, अब तक की सफलता

ख)आज़ादी का अमत
ृ महोत्सि
आज़ादी –अथा, स्ितांिता सांग्राम के विसभन्द्न आयाम,अमत
ृ महोत्सि से जड
ु े विसभन्द्न कायाक्रम,
दे शिाससयों में दे श भच्क्त का सांिार

ग)साांप्रदातयकता :एक असभशाप:


साांप्रदातयकता का अथा, विश्िव्यापी समस्या, समस्या से मुच्क्त

13.आपके क्षेि में प्रततठदन मठहलाओां के साथ होने िाली छे ड़छाड़ की घटनाओां पर सरकार
का ध्यान आकृष्ट करने हे तु प्रततच्ष्ठत समािार-पि के सांपादक को एक पि सलखखए। 5

अथिा

अपने विद्यालय की ओर से ठदल्ट्ली के प्रगतत मैदान में आयोच्जत पस्


ु तक प्रदसशानी में जाने
के अपने अनुभि को अपने वपताजी को बताते हुए एक पि सलखखए।

14.अध्यापकों के ररक्त पद केसलए अपना स्िित्त


ृ तैयार ककच्जए:- 5

अथिा

251
शैक्षक्षक सांस्थाओां में नशीले पदाथों के वितरण सांबांधी सूिना दे ते हुए पुसलस आधीक्षक के नाम
ईमेल सांदेश तैयार कीच्जए।

15. पयाािरण मांिालय की ओर से जल सांरक्षण पर एक विज्ञापन तैयार कीच्जए। 4

अथिा

केरल के तनिासी अपने समि को ओणम के अिसर पर एक बधाई सांदेश सलखखए

************

252
प्रततदशा प्रश्नपि (2022-23)
ठहन्द्दी पाठ्यक्रम अ (कोड-002)
कक्षा दसिी

तनधााररत समय 3 घांटे अधधकतम अांक-80

सामान्द्य तनदे श:
इस प्रश्नपि में दो खांड हैं खांड अ और खांड ब |
खांड-अ में 49 िस्तुपरक प्रश्न पूछे गए हैं च्जनमें से केिल 40 प्रश्नों के ही उत्तर दीच्जए।
खांड-ब में िणानात्मक प्रश्न पूछे जाएांगे। प्रश्नों में उधित आांतररक विकल्ट्प ठदए जाएांगे।

खांड अ (बहुविकल्ट्पी प्रश्न)

प्रश्न 1 (अ) नीिे ठदए गए गद्याांश को ध्यानपूिक


ा पठढए और उस पर आधाररत प्रश्नों के
उत्तर दीच्जए।1x5=5

अांतरााष्रीय श्रम सांगठन के अनुसार, बाल श्रम को इस प्रकार पररभावषत ककया गया है - "िह
काम जो बचिों को उनके बिपन, उनकी क्षमता और उनकी गररमा से िांधित करता है , और जो
शारीररक और मानससक विकास के सलए हातनकारक है ।" एक सामाच्जक बुराई के रूप में
सांदसभात, भारत में बाल श्रम एक अतनिाया मद्
ु दा है च्जससे दे श िषों से तनपट रहा है । लोगों
का मानना है कक बाल-श्रम जैसी सामाच्जक कुरीतत को समातत करने का दातयत्ि ससफा सरकार
का है। यठद सरकार िाहे तो कानून का पालन न करने िालों एिां कानून भांग करने िालों को
सजा दे कर बाल-श्रम को समातत कर सकती है , ककां तु िास्ति में ये केिल सरकार की च्जम्मेदारी
नहीां है बच्ल्ट्क इसे सभी सामाच्जक सांगठनों, मासलकों, और असभभािकों द्िारा भी समाधधत करना
िाठहए। हमारे घरों में , ढाबों में , होटलों में , कारखानों में अनेक बाल-श्रसमक समल जाएँगे, जो कड़ाके
की ठां ड और तपती धूप की परिाह ककए बबना काम करते हैं। विकासशील दे शों में गरीबी और
उचि स्तर की बेरोजगारी बाल श्रम का मख्
ु य कारण है । बाल मजदरू ी इांसातनयत के सलये
अपराध है जो समाज के सलये श्राप बनती जा रही है तथा जो दे श की िद्
ृ धध और विकास में
बाधक के रूप में बड़ा मद्
ु दा है । हमें सोिना होगा कक सभ्य समाज में यह असभशाप क्यों
मौजूद है ? च्जस उम्र में बचिों को सही सशक्षा समलनी िाठहए. खेल कूद के माध्यम से अपने
मच्स्तष्क का विकास करना िाठहए उस उम्र में बचिों से काम करिाने से बचिों का शारीररक,
मानससक, बौद्धधक और सामाच्जक विकास रुक जाता है । सशक्षा का अधधकार मूल अधधकार
होता है। सशक्षा से ककसी भी बचिे को िांधित रखना अपराध माना जाता है। आज आिश्यकता

253
इस बात की है कक सरकारी स्तर से लेकर व्यच्क्तगत स्तर तक सभी लोग इसके प्रतत सजग
रहें और बाल-श्रम के कारण बचिों का बिपन न तछन जाए, इसके सलए कुछ साथाक पहल करें ।
आम आदमी को भी बाल मजदरू ी के विषय में जागरुक होना िाठहए और अपने समाज में इसे
होने से रोकना िाठहए। बालश्रम को खत्म करना केिल सरकार का ही कताव्य नहीां है हमारा
भी कताव्य है कक हम इस असभयान में सरकार का पूरा साथ दें ।

(i) बाल-श्रम जैसी सामाच्जक कुरीतत को समातत करने के सलए लोगों की सोि कैसी है ?
(क) बाल-श्रम को समातत करना केिल समाजसेिी सांस्थाओां का दातयत्ि हैं
(ख) बाल-श्रम को समातत करना केिल जनता का दातयत्ि है
(ग) बाल-श्रम को समातत करना केिल सरकार का दातयत्ि है।
(घ) बाल-श्रम को समातत करना केिल असभभािकों का दातयत्ि है।

(ii) घरों में , ढाबों में , होटलों में , खानों, कारखानों में अनेक बाल श्रसमकों को काम करता दे खकर
भी हम उदासीन क्यों बने रहते हैं?
(क) हम ससफा अपने बारे में ही सोिते हैं।
(ख) हम जागरूक बनना नहीां िाहते।
(ग) हम उनकी सहायता करना नहीां िाहते ।
(घ) हम सांिेदना शून्द्य हो िुके हैं।

(iii) गद्याांश के आधार पर बताइए कक बाल-श्रम को रोकने के सलए साथाक प्रयास क्यों ककए
जाने िाठहए?
(क) बाल-श्रम के कारण बचिों का बिपन तछन जाता है।
(ख) बाल-श्रम के कारण िे जल्ट्दी बड़े हो जाते हैं।
(ग) बाल-श्रम के कारण बचिों को घर पर ही रहना पड़ता है।
(घ) बाल-श्रम के कारण बचिों को विद्यालय आना नहीां पड़ता ।

(iv) बचिों को बाल-श्रम के सलए क्यों वििश ककया जाता है?


(क) जागरूकता का अभाि |
(ख) तनधानता और भुखमरी
(ग) सशक्षा का अभाि |
(घ) लोगों की मनोितृ त

254
(v) बाल-श्रम जैसे सामाच्जक असभशाप से दे श को क्या नुकसान होता है ?
(क) बाल श्रम एक बचिे को बिपन के सभी लाभों से दरू रखता है ।
(ख) लाखों बचिे उधित सशक्षा से िांधित हो जाते हैं।
(ग) बचिों का शारीररक मानससक और सामाच्जक विकास अिरुद्ध हो जाता है
(घ) बाल-श्रम से दे श का आने िाला कल अांधकार की ओर जाने लगता है।
ब) तनम्नसलखखत दो में से ककसी एक पद्याांश को ध्यानपि
ू क
ा पठढए और उस पर
आधाररत प्रश्नों के उत्तर सही विकल्ट्प िुनकर सलखखए
1x5=5
लक्ष्य तक पहुांिे बबना, पथ में पधथक विश्राम कैसा।
लक्ष्य है अतत दरू दग
ु म
ा , मागा भी हम जानते हैं,
ककां तु पथ के कांटकों को, हम सुमन नहीां मानते हैं,
जब प्रगतत का नाम जीिन, यह अकाल विराम कैसा।
धनुष से जो छूटता है, बाण कब मग में ठहरता,
दे खते ही दे खते िह, लक्ष्य का भी भेद करता,
लक्ष्य प्रेररत बाण हैं हम, ठहरने का काम कैसा।
बस िही है पधथक जो पथ पर तनरां तर अग्रसर हो,
हो सदा गततशील च्जसका, लक्ष्य प्रततक्षण तनकटतर हो।
हार बैठे जो डगर में पधथक उसका नाम कैसा।
बाल रवि की स्िणा ककरणें, तनसमष में भू पर पहुांिती
कासलमा का नाश करती, ज्योतत जगमग जगत धरती,
ज्योतत के हम पुांज, कफर हमको अमा से भीत कैसा।
आज तो अतत ही तनकट है , दे ख लो यह लक्ष्य अपना,
पग बढाते ही िलो, बस शीघ्र होगा सत्य सपना।
धमा पथ के पधथक को कफर दे ि दक्षक्षण िाम कैसा।

(i) सचिा पधथक कौन है ?


(क) जो बहुत यािाएां करता है (ख) जो अपने पथ पर तनरां तर अग्रसर रहता है
(ग) जो हमेशा सत्य बोलता है (घ) जो सही रास्ते पर िलता है

(ii) पथ के कांटक को सुमन मानने का असभप्राय क्या है?


(क) दग
ु म
ा को भी सग
ु म मानना (ख) फूलों में काांटे होना
(ग) पथ पर हर पल काांटों का समलना (घ) उपयक्
ुा त सभी

255
(iii) ज्योतत के पुांज ककन्द्हें कहा गया है?
(क) जो सदा राह के अांधकार से लड़ते रहे (ख) जो तनरां तर अपने पथ पर अग्रसर रहते हैं
(ग) उपयक्
ुा त दोनों सही हैं (घ) उपयक्
ुा त दोनों गलत है

(iv) अपने कमा द्िारा बाल रवि हमें क्या प्रेरणा दे ता है ?

(क) सदा गततशील रहने की (ख) बबना घबराए बाधाओां से लड़ने की

(ग) रात को जल्ट्दी सो जाने की (घ) इनमें से कोई नहीां

(v) उपयक्
ुा त पद्याांश में आए हुए ' तनसमष' शब्द का अथा है
(क) अांधकार में (ख) सांध्या समय
(ग) पलक झपकते ही (घ) मध्य राबि में

अथिा

दे श के आजाद होने पर बबता लांबी अिधध


अब असहय इस ददा से हैं धमतनयाँ फटने लगी
व्यथा सीढीदार खेतों में कड़ी मेहनत ककए
हो गया हूँ और जजार, बोझ ढोकर थक गया अब मरूँगा तो जलाने के सलए मुझको,
अरे दो लकड़ड़याँ भी नहीां होगी सुलभ इन जांगलों से
िन कहाँ है ? जब कुल्ट्हाड़ों की तष
ृ ा है बढ रही
काट डाले जा रहे हैं मानिी के बांधु तरुिर
फूल से, फल से, दलों से मूल से तरुल से
सिास्ि दे कर जो मनज
ु को लाभ पहुँिाते सदा
कट रहे हैं ये सभी िन, पिातों की ठदव्य शोभा हैं तनरां तर हो रही विरप
ू ।

(i) 'अब असहय इस ददा से में असहय ददा का कारण क्या है ?


(क) आजादी के बाद लांबी अिधध बबता दे ना | । (ख) खेतों में कड़ी मेहनत करना
(ग) िनों का न रहना (घ) जजार हो जाना |

(ii) 'जब कुल्ट्हाड़ों की तष


ृ ा है बढ रही कथन से क्या तात्पया है ?
(क) ठहांसा बढना (ख) सामाच्जक क्राांतत होना ।

256
(ग) युद्ध का अिसर आना | (घ) पेड़ों को काटकर भी ततृ त न होना

(iii) अांत्येच्ष्ट के सलए लकड़ड़याँ सुलभ न होने का कारण है


(क) िन काटे जा रहे हैं। (ख) िषाा के अभाि में िनों का सूखना
(ग) िन महोत्सि (घ) मन
ु ाफाखोरी।

(iv) पेड़ों को मानि बांधु क्यों कहा गया है ?


(क) मानि पेड़ों का व्यापार करता है। (ख) पेड़ हमें अपना सिास्ि दे ते हैं
(ग) पेड़ हमें ईधन दे ते है (घ) मानि पेड़ों का रक्षक है।

(v) इस कविता में क्या प्रेरणा दी गई है?


(क) स्िचछता की (ख) स्िाथी बनने की।
(ग) िन कटाई की। (घ) िन सांरक्षण की ।

व्याकरण

प्रश्न2 तनदे शानुसार तनम्नसलखखत प्रश्नों के उत्तर सलखखए अांक-1×16

I. ककन्द्ही िार प्रश्नों के उत्तर सलखखए 1× 4= 4

(i) बादल तघर आए और िषाा होने लगी।


रिना के आधार पर िाक्य भेद है
(क) सरल िाक्य (ख) समश्र िाक्य |
(ग) सांयुक्त िाक्य | (घ) साधारण िाक्य |

(ii) तनम्नसलखखत में समश्र िाक्य है.


(क) अितन आई और पढने बैठ गई (ख) बचिे दध
ू पीकर सो गए
(ग) अध्यापक के सामने सब शाांत रहते हैं। (घ) जो झठ
ू बोलते हैं, उन पर विश्िास मत करो
|

(iii) आनांद िार ठदन गाँि में रहा। िह सबका वप्रय हो गया। इस िाक्य का सांयुक्त िाक्य में
रूपाांतरण होगा

(क) आनांद िार ठदन गाँि में रहा और सबका वप्रय हो गया |

(ख) जब आनांद िार ठदन गाँि में रहा, तब िह सबका वप्रय हो गया

257
(ग) आनांद िार ठदन गाँि में रहकर सबका वप्रय हो गया |

(घ) आनांद जब िार ठदन गाँि में रहा तो िह सबका वप्रय हो गया |

(iv) िह पुस्तक कहाँ है, जो कल खरीदी थी?


रे खाांककत उपिाक्य का भेद है
(क) सांज्ञा आधश्रत उपिाक्य | (ख) प्रधान उपिाक्य
(ग) कक्रया विशेषण आधश्रत उपिाक्य (घ) विशेषण आधश्रत उपिाक्य |

(v) तनम्नसलखखत में सरल िाक्य है


(क) जैसे ही िषाा हुई िैसे ही मोर नािने लगे (ख) िषाा हुई और मोर नािने
लगे ।
(ग) िषाा होते ही मोर नािने लगे । (घ) जब िषाा होती है तब मोर
नािते हैं।

II.तनदे शानस
ु ार ककन्द्ही िार प्रश्नों के उत्तर सलखखए 1× 4= 4

(i) तनम्नसलखखत िाक्य का िाचय सलखखए

पयाटकों द्िारा तीथा यािा की जाएगी।


(क) कताृ िाध्य | (ख) भाि िाचय |
(ग) कमा िाचय (घ) करण िाचय

(ii) हालदार साहब ने पान खाया।उपयक्


ुा त िाक्य को कमािाचय में बदसलए
(क) हालदार साहब द्िारा पान खाया जाता है (ख) हालदार साहब से पान नहीां खाया
जाता |
(ग) हालदार साहब पान खा रहे हैं। (घ) हालदार साहब द्िारा पान खाया गया ।

(iii) पक्षी बाग छोड़कर नहीां उड़े। उपयक्


ुा त िाक्य को भाि िाचय में बदसलए
(क) पक्षी बाग छोड़कर नहीां उड़ सके । (ख) पक्षक्षयों से बाग छोड़कर उड़ा नहीां गया।
(ग) पक्षी बाग छोड़कर नहीां उड़ सकते । (घ) पक्षक्षयों से बाग छोड़कर उड़ा नहीां जाता।

(iv) तनम्नसलखखत िाक्यों में से कति


ा ृ ाचय िाला िाक्य छोठटए
(क) छािों द्िारा सभी का स्िागत हुआ। (ख) छािों से सभी का स्िागत करिाया गया |
(ग) छािों ने सभी का स्िागत ककया। (घ) छािों द्िारा सभी का स्िागत ककया जाएगा |

258
(v) तनम्नसलखखत में से कौन सा भाि िाचय का सही विकल्ट्प है?
(क) आओ, िहाँ बैठे | (ख) आओ िहाँ बैठा जाए ।
(ग) अब िहाँ बैठते हैं। (घ) िलो अब िहाँ बैठे।

III.तनदे शानस
ु ार ककन्द्ही िार प्रश्नों के उत्तर सलखखए 1× 4= 4

(i) हम कल बांगाल जा रहे हैं। रे खाांककत पद का पररिय है

(क) जाततिािक सांज्ञा, एकििन, पच्ु ल्ट्लांग, कताा कारक ।


(ख) व्यच्क्तिािक सांज्ञा, एकििन, पुच्ल्ट्लांग, अधधकरण कारक |
(ग) व्यच्क्तिािक सांज्ञा, एकििन, पुच्ल्ट्लांग, कमा कारक
(घ) जाततिािक सांज्ञा, एकििन, पुच्ल्ट्लांग, अपादान कारक

(ii) यह बालक बहुत मेधािी है। रे खाांककत पद का पररिय है

(क) तनश्ियिािक सिानाम, एकििन, पच्ु ल्ट्लांग, कताा कारक |


(ख) जाततिािक सांज्ञा, बहुििन, पुच्ल्ट्लांग, कताा कारक |
(ग) सािानासमक विशेषण, एकििन, पच्ु ल्ट्लांग, विशेष्य ' बालक' |
(घ) गुणिािक विशेषण, एकििन, पुच्ल्ट्लांग, विशेष्य 'बालक'।

(iii) अिानक िषाा होने लगी । रे खाांककत पद का पररिय है

(क) कालिािक कक्रया विशेषण, 'होने लगी' कक्रया की विशेषता


(ख) रीततिािक कक्रया विशेषण, 'होने लगी' कक्रया की विशेषता ।
(ग) स्थानिािक कक्रया विशेषण, होने लगी कक्रया की विशेषता |
(घ) पररमाणिािक ककया विशेषण, होने लगी कक्रया की विशेषता ।

(iv) िाह! भारत मैि जीत गया। रे खाांककत पद का पररिय है

(क) समुचियबोधक अव्यय ।


(ख) विस्मयाठद सूिक अव्यय, शोकसूिक भाि की असभव्यच्क्त |
(ग) सांबांधबोधक अव्यय |
(घ) विस्मयाठद सूिक अव्यय प्रसन्द्नतासूिक भाि की असभव्यच्क्त ।

(v) शाबाश! तम
ु ने बहुत अचछा काया ककया। रे खाांककत पद का पररिय है

259
(क) मध्यम पुरुषिािक सिानाम, एकििन, कताा कारक |
(ख) तनजिािक सिानाम, एकििन, कताा कारक
(ग) मध्यम पुरुषिािक सिानाम, बहुििन, कताा कारक ।
(घ) उत्तम पुरुषिािक सिानाम, एकििन, कमा कारक ।

IV. तनदे शानुसार ककन्द्ही िार प्रश्नों के उत्तर सलखखए 1× 4= 4


(i) ' मेघ आए बड़े बन ठन के सांिर के' में अलांकार है -
(क) उपमा (ख) यमक
(ग) मानिीकरण (घ) श्लेष

(ii)'अांबर के तारे मानो मोती अनगन हों' में अलांकार है -


(क) उत्प्रेक्षा (ख) रूपक
(ग) उपमा (घ) श्लेष

(iii) 'मांगन को दे खख पट दे त बार बार' में अलांकार है -


(क) श्लेष (ख) उपमा
(ग) अततशयोच्क्त (घ) मानिीकरण

(iv) 'हनुमान की पूांछ में लगन न पाई आग, लांका ससगरी जल गई गए तनशािर भाग' में
अलांकार है-
(क) अततशयोच्क्त (ख) उत्प्रेक्षा
(ग) उपमा। (घ) यमक।

(v) ' जो नत हुआ िह मत


ृ हुआ, ज्यों िांत
ृ से झड़कर कुसुम' में अलांकार है -
(क) उपमा (ख) रूपक
(ग) श्लेष (घ) उत्प्रेक्षा

(पाठ्य पुस्तक)

गद्य खांड

3. तनम्नसलखखत गद्याांश को पढकर पूछे गए प्रश्नों के सही विकल्ट्प िुनकर सलखखए। 1×5=5

काशी में सांगीत आयोजन की एक प्रािीन एिां अद्भत


ु परां परा है । यह आयोजन वपछले कई िषों
से सांकटमोिन मांठदर में होता आया है। यह मांठदर शहर के दक्षक्षण में लांका पर च्स्थत है ि

260
हनुमान जयांती के अिसर पर यहाां 5 ठदनों तक शास्िीय एिां उप शास्िीय गायन िादन की
उत्कृष्ट सभा होती है। इसमें बबच्स्मल्ट्ला खाां अिश्य रहते हैं। अपने मजहब के प्रतत अत्यधधक
समवपात उस्ताद बबच्स्मल्ट्ला खाां की श्रद्धा काशी विश्िनाथ जी के प्रतत भी अपार है। िे जब
भी काशी से बाहर रहते हैं तब विश्िनाथ ि बालाजी मांठदर की ठदशा की ओर मुांह करके बैठते
हैं, थोड़ी दे र ही सही, मगर उसी ओर शहनाई का तयाला घुमा ठदया जाता है और भीतर की
आस्था रीड के माध्यम से बजती है। खाां साहब की एक रीड 15 से 20 समनट के अांदर गीली
हो जाती है तब िे दस
ू री रीड का इस्तेमाल कर सलया करते हैं।

(i) काशी की अद्भत


ु और प्रािीन परां परा कौन सी है?
(क) कुश्ती आयोजन (ख) गांगा मेल का आयोजन
(ग) सांगीत आयोजन (घ) पारां पररक पिों का आयोजन

(ii)सांगीत आयोजन कहाां होता है?


(क) (क)विश्िनाथ मांठदर के प्राांगण में (ख) सांकट मोिन मांठदर में
(ग) गांगा मैया के घाटों पर (घ) शहर के बीि बने मैदान में ।

(iii) इस आयोजन में क्या कायाक्रम होते हैं?


(क) शास्िीय एिां उप शास्िीय गायन िादन की सभा (ख) कथक नत्ृ य का
आयोजन
(ग) भरतनाट्यम नत्ृ य का आयोजन (घ) इनमें से कोई नहीां

(iv) काशी से बाहर के कायाक्रमों में बबच्स्मल्ट्ला खाां ककनके प्रतत अपनी आस्था प्रकट करते हैं?
(क) काशी विश्िनाथ के प्रतत (ख) काशी विश्िनाथ और बालाजी के प्रतत
(ग) अपने गरु
ु के प्रतत (घ) अपने माता वपता के प्रतत

(v) इस गद्याांश का सांदेश एिां मूल भाि क्या है ?


(क) बबच्स्मल्ट्ला खाां के योगदान को दशााना (ख) काशी की साांस्कृततक परां परा का िणान
(ग) बबच्स्मल्ट्लाह खान के साांप्रदातयक सद्भाि और सांगीत के प्रतत आसच्क्त को दशााना
(घ) ख और ग दोनों सही हैं

4. तनम्नसलखखत प्रश्नों के उत्तर सही विकल्ट्प िुनकर सलखखए। 1×2=2

(i) बेटे की मत्ृ यु के पश्िात ् बालगोबबन भगत का आखखरी तनणाय क्या था?
(क) पतोहू को सांन्द्यास ठदलिाना (ख) पतोहू को सशक्षा ठदलिाना

261
(ग) पतोहू को घर से तनकालना (घ) पतोहू का पुनविािाह करिाना

(ii) "एक कहानी यह भी" ककस शैली में सलखी गई है ?


(क) आत्मपरक (ख) वििरणात्मक
(ग) व्याख्यात्मक (घ) कथन शैली

पद्य खांड

5. तनम्नसलखखत काव्याांश को पढकर पछ


ू े गए प्रश्नों के सही विकल्ट्प पन
ु कर सलखखए 1x5=5

एक के नहीां,
दो के नहीां,
ढे र सारी नठदयों के पानी का जाद,ू
एक के नहीां,
दो के नहीां,
लाख-लाख कोठट-कोठट हाथों के स्पशा की गररमा,
एक की नहीां, दो कक नहीां,
हजार हजार खेतों की समट्टी का गुणधमा।

(i) कवि ने फसल को नठदयों के जल का जाद ू क्यों कहा है ?

(क) नठदयों का पानी जाद ू करता है ।


(ख) नठदयों के जल में ससांधित होकर फसलें जीिांत हो उठती हैं।
(ग) नठदयों का जल अपने आप बह कर फसल में आ जाता है |
(घ) इनमें से कोई नहीां ।

(ii) कवि के अनस


ु ार फसल ककस का जाद ू है ?

(क) ककसान के हाथों का जाद ू |


(ख) समट्टी का जाद ू ।
(ग) ढे र सारी नठदयों के पानी का जाद।ू
(घ) हिा का जाद ू ।

(iii) पानी, धूप और िायु के अततररक्त फसल अपने अच्स्तत्ि के सलए ककस पर आधाररत होती
है?

262
(क) समट्टी के गुणों पर।
(ख) उसको खरीदने िाले व्यापाररयों पर।
(ग) उसकी दे खभाल करने िाले लोगों पर ।
(घ) उपयक्
ुा त सभी पर।

(iv) लाख- लाख कोठट-कोठट में कौन सा अलांकार है ?


(क) रूपक (ख) पन
ु रुच्क्त प्रकाश
(ग) यमक (घ) श्लेष

(v) काव्याांश में ठदए गए दो तत्सम और तद्भि शब्द बताइए।

(क) तत्सम- लाख, स्पशा/तद्भि- कोठट, पानी


(ख) तत्सम- लाख, स्पशा/तद्भि- कोठट, गुण
(ग) तत्सम- कोठट, स्पशा/तद्भि- लाख, पानी
(घ) इनमें से कोई नहीां।

6. तनम्नसलखखत प्रश्नों के उत्तर सही विकल्ट्प िन


ु कर सलखखए। 1×2=2

(i) लक्ष्मण ने कायर पुरुषों का क्या लक्षण बताया है ?

(क) शिु के सामने िीरता का प्रदशान नहीां करते हैं।


(ख) अपनी िीरता की डीगें हाांका करते हैं।
(ग) युद्ध में कायरता ठदखा कर भाग जाते हैं
(घ) उपयक्
ुा त सभी

(ii) आत्मकथ्य कविता में िखणात "थकी सोई है मेरी मौन व्यथा" पांच्क्त का क्या आशय है ?
(क) कवि की व्यथा थक कर सो गई है
(ख) कवि ने अपनी पीड़ा को कभी प्रकट नहीां ककया है
(ग) कवि अभी िप
ु रहना िाहता है
(घ) इनमें से कोई नहीां

खांड ब (िणानात्मक प्रश्न)

(पाठ्य पुस्तक ि पूरक पाठ्य पुस्तक)

263
प्रश्न 1. तनम्नसलखखत प्रश्नों में से ककन्द्हीां तीन प्रश्नों के उत्तर 25-30 शब्दों में सलखखए।
2×3=6

(क) मानिता का विनाश करने के साधनों का अविष्कार करने की योग्यता सांस्कृतत है अथिा
असांस्कृतत? उधित कारण बताते हुए उत्तर दीच्जए।
(ख) बबच्स्मल्ट्ला खाां के काशी न छोड़ने के क्या कारण हो सकते हैं?
(ग) लेखखका मनु भांडारी अपने ही घर में हीन भािना का सशकार क्यों हो गई?
(घ)" लखनिी अांदाज" शीषाक की साथाकता तका सठहत ससद्ध कीच्जए

प्रश्न 2. तनम्नसलखखत प्रश्नों में से ककन्द्हीां तीन प्रश्नों के उत्तर 25-30 शब्दों में सलखखए 2×3=6

(क) सांगतकार की आिाज को कमजोर क्यों कहा गया है ?


(ख) फसल कविता में हाथों के स्पशा की गररमा ककसे कहा गया है ?
(ग) यह दां तुररत मुस्कान कविता में कवि ने मानि जीिन के ककस सत्य को प्रकट ककया है ?
(घ) आत्मकथ्य कविता में पाथेय शब्द का अथा स्पष्ट कीच्जए तथा बताइए कक कवि ने ककसे
अपना पाथेय माना है ?

प्रश्न 3. तनम्नसलखखत प्रश्नों में से ककन्द्ही दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 50- 60 शब्दों में सलखखए
4×2=8

(क) माता का अांिल पाठ के आधार पर बताइए कक एक बचिा ककस प्रकार अपने पाररिाररक
िातािरण से मूल्ट्यों को सीखता है ? आज के समय में मूल्ट्यों का विघटन ककस प्रकार हो रहा
है?
(ख) नठदयाां और झरने हमारे सलए दे िता समान हैं। साना-साना हाथ जोड़ड़ पाठ के आधार पर
उत्तर दीच्जए।
(ग)आज के दौर में विज्ञान का दरु
ु पयोग कैसे हो रहा है ? "मैं क्यों सलखता हूां" पाठ के आधार
पर सलखखए ।

(रिनात्मक लेखन खांड)

4. तनम्नसलखखत अनुचछे दों में से ककसी एक विषय पर सांकेत-बबांदओ


ु ां के आधार पर लगभग
120 शब्दों में अनुचछे द सलखखए।(6)

(क) जिंक फूड

सांकेत बबांद ु :- जांक फूड क्या होता है ? युिा पीढी और जांक फूड, जांक फूड खाने के दष्ु पररणाम।

264
(ि) िेल और थवाथथ्य

सांकेत बबांद:ु - खेलों की उपयोधगता, खेल और स्िास्थ्य का सांबांध, हमारा कताव्य।

(ग) मेरे जीवन की आकािंक्षा

सांकेत बबांद:ु - मेरी आकाांक्षा, आिश्यक योग्यता, विशेष तैयारी

5. अपनी सहे ली के खराब स्िास्थ्य के बारे में धिांता व्यक्त करते हुए उसकी कुशलक्षेम पूछने
के सलए लगभग 100 शब्दों मैं एक पि सलखखए।(5)

अथिा

आपके क्षेि में बबजली कटौती के कारण बढती हुई परे शातनयों के बारे में बताने के सलए ककसी
अखबार के सांपादक को लगभग 100 शब्दों में पि सलखखए।

6.विद्यालय में कांतयूटर ऑपरे टर की नौकरी के सलए एक स्िित्त


ृ 80 शब्दों में सलखखए।(5)
अथिा
ट्यूशन टीिर की आिश्यकता हे तु एक औपिाररक ईमेल 80 शब्दों में सलखखए।

7.लैपटॉप बनाने िाली कांपनी के सलए लगभग 60 शब्दों में एक आकषाक विज्ञापन तैयार
कीच्जए।(4)
अथिा
नई कार खरीदने पर भैया- भाभी को लगभग 60 शब्दों में एक शुभकामना सांदेश सलखखए।

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