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केन्द्रीय विद्यालय संगठन

KENDRIYA VIDYALAYA SANGATHAN

शिक्षा एवं प्रशिक्षण का आं चशिक संस्थान, चंडीगढ़


ZONAL INSTITUTE OF EDUCATION AND TRAINING, CHANDIGARH

अध्ययन सामग्री / Study Material

शैक्षऺक सत्र / Session – 2022-23


कऺा / Class - दसवीीं
ववषय / Subject - हहन्दी (अ)
ववषय कोड / Subject Code - 002

तैमायकताा : सॊतोष कुभाय कुशवाहा, सह-प्रशशऺक (हहॊदी)


Prepared By: SANTOSH KUMAR KUSHWAHA, TA (HINDI)

शशऺा एवॊ प्रशशऺण का आॊचशरक सॊस्थान , चॊडीगढ़


ZONAL INSTITUTE OF EDUCATION AND TRAINING, CHANDIGARH
सेक्टय-33 सी, चॊडीगढ़ / SECTOR-33C, CHANDIGARH
वेफसाइट / Website : zietchandigarh.kvs.gov.in
ई-भेर / e-mail :kvszietchd@gmail.com दयू बाष / Phone : 0172-2621302, 2621364
हभाये सॊयऺक

श्रीभती ननधध ऩाॊड,े आईआईएस Mrs. NIDHI PANDEY, IIS


आमक्
ु त COMMISSIONER

श्री एन. आय. भयु री Mr. N R MURALI


सॊमुक्त आमुक्त (प्रशशऺण) JOINT COMMISSIONER(TRAINING)

श्री सत्म नायामण गुशरमा Mr. SATYA NARAIN GULIA,


सॊमक्
ु त आमक्
ु त (ववत्त) JOINT COMMISSIONER (FINANCE)

श्रीभती अजीता रोंग्जभ Mrs. AJEETA LONGJAM


सॊमुक्त आमुक्त (प्रशासन-I) JOINT COMMISSIONER (ADMIN-I)

डॉ. जमदीऩ दास Dr. JAIDEEP DAS


सॊमक्
ु त आमक्
ु त (प्रशासन-II) JOINT COMMISSIONER (ADMIN-II)
शनदे िक महोदय का संदेि

ववद्माधथामों की शैक्षऺक प्रगनत को ध्मान भें यखते हुए उऩमोगी अध्ममन साभग्री उऩरब्ध
कयाना हभाया भहत्त्वऩूणा उद्दे श्म है । इससे न केवर उन्हें अऩने रक्ष्म को प्राप्त कयने भें सयरता
एवॊ सवु वधा होगी फल्कक वे अऩने आॊतरयक गण
ु ों एवॊ अशबरुधचमों को ऩहचानने भें सऺभ होंगे। फोडा
ऩयीऺा भें अधधकतभ अॊक प्राप्त कयना हय एक ववद्माथी का सऩना होता है । इस सॊफॊध भें तीन
प्रभुख आधाय स्तॊबों को एक कड़ी के रूऩ भें दे खा जाना चाहहए- अवधायणात्भक स्ऩष्टता, प्रासॊधगक
ऩरयधचतता एवॊ आनुप्रमोधगक ववशेषऻता।

याष्रीम शशऺा नीनत 2020 के उद्दे श्मों की भूरबूत फातों को गौय कयने ऩय मह तथ्म स्ऩष्ट
है कक ववद्माधथामों की सोच को सकायात्भक हदशा दे ने के शरए उन्हें तकनीकी आधारयत सभेककत
शशऺा के सभान अवसय उऩरब्ध कयाए जाएॉ। फोडा की ऩयीऺाओॊ के तनाव औय दफाव को कभ कयने
के उद्दे श्म को प्रभुखता दे ना अनत आवश्मक है ।

मह सवाभान्म है कक छात्र-छात्राओॊ का बववष्म उनके द्वाया वताभान कऺा भें ककए गए


प्रदशान ऩय ही ननबाय कयता है । इस तथ्म को सभझते हुए मह अध्ममन साभग्री तैमाय की गई है ।
उम्भीद है कक प्रस्तत
ु अध्ममन साभग्री के भाध्मभ से वे अऩनी ववषम सॊफॊधी जानकायी को सभद्
ृ ध
कयने भें अवश्म सपर होंगे।

शब
ु काभनाओॊ सहहत।

भक
ु े श कुभाय
(उऩामक्
ु त एवॊ ननदे शक)
ववषय-सूची / INDEX

क्रभ सॊ. ऩाठ्म वववयण ऩष्ृ ठ सॊ.

1. ऩाठ्मक्रभ 1

2. अॊक ववबाजन 4

3. अऩहठत फोध : गद्म व ऩद्म (फहुववककऩी प्रश्न) 5

4. व्माकयण बाग : ननधाारयत प्रकयण (फहुववककऩी प्रश्न) 12

5. ऩाठ्म ऩस्
ु तक (क्षऺनतज-2) : गद्म (फहुववककऩी प्रश्न) 19

6. ऩाठ्म ऩस्
ु तक (क्षऺनतज-2) : ऩद्म (फहुववककऩी प्रश्न) 31

7. ऩाठ्म ऩस्
ु तक (क्षऺनतज-2) : गद्म (वणानात्भक प्रश्न) 43

8. ऩाठ्म ऩस्
ु तक (क्षऺनतज-2) : ऩद्म (वणानात्भक प्रश्न) 50

9. ऩाठ्म ऩस्
ु तक (कृनतका-2) : ऩद्म (वणानात्भक प्रश्न) 55

10. यचनात्भक रेखन : ननधाारयत प्रकयण (वणानात्भक प्रश्न) 60


1
2
3
विषय - हहन्दी (अ)
कऺा - दसि ॊ (2022-23)
अंक-विभाजन
बहुविकल्पी प्रश्न
क्रम सॊख्या प्रश्न खॊड प्रश्नों की सॊख्या प्रश्न करना है ननधााररत अॊक
1. अऩहित बोध (गदयाॊश) अथिा के साथ 05 05 5X1=05
2. अऩहित बोध (ऩदयाॊश) अथिा के साथ 05 / 05 05 5X1=05
3. िाक्य: प्रकार एिॊ उऩिाक्य 05 04 4X1=04
4. िाच्य-ऩररचय : प्रकार और ऩररितान 05 04 4X1=04
5. ऩद-ऩररचय : प्रकार और ऩहचान 05 04 4X1=04
6. अऱॊकार : ऩररभाषा और उदाहरण 05 04 4X1=04
7. ऩाठ्य ऩस्
ु तक (क्षऺनतज) से गदयाॊश 07 07 7X1=07
8. ऩाठ्य ऩस्
ु तक (क्षऺनतज) से ऩदयाॊश 07 07 7X1=07
49 40 40
िर्णनात्मक प्रश्न
9. ऩाठ्य ऩस्
ु तक (क्षऺनतज) गदय से प्रश्न 04 03 3X2=06
10. ऩाठ्य ऩुस्तक (क्षऺनतज) ऩदय से प्रश्न 04 03 3X2=06
11. ऩाठ्य ऩुस्तक (कृनतका) ऩदय से प्रश्न 03 02 2X4=08
12. अनुच्छे द-ऱेखन 01 01 1X6=06
13. ऩत्र-ऱेखन 01 01 1X5=05
14. स्िित्त
ृ / ई-मेऱ 01 01 1X5=05
15. विऻाऩन / सॊदेश ऱेखन 01 01 1X4=04
40
80
सामान्य ननर्दे श-
1. प्रश्नऩत्र दो खॊडों में विभाजजत ककया गया है :- खॊड अ बहुविकल्ऩ प्रश्न तथा खॊड ब
िणानात्मक प्रश्न।
2. खॊड-अ में 49 बहुविकल्ऩ प्रश्न ऩूछे जाएॉगे जजनमें 40 के उत्तर दे ने होंगे।
3. खॊड-ब में िणानात्मक प्रश्न ऩछ
ू े जाएॉगे जजनमें उचचत आॊतररक विकल्ऩ भ होंगे।
4. प्रश्नों के लऱए ननधााररत अॊक उनके सम्मुख अॊककत होंगे।
5. िणानात्मक प्रश्नों के उत्तर ननधााररत शब्द-स मा में लऱखे जाने चाहहए।

4
अऩठित फोध
अऩठित फोध का अर्थ – अऩठित शब्द ‘अ’ उऩसगग , ‘ऩठ्’ धातु (क्रिमा) तथा ‘इत’ प्रत्मम से मभरकय फना
है । महाॉ ‘अ’ का अथग है ‘नह ॊ’ औय ‘ऩठित’ का अथग है ‘ऩढ़ा हुआ’ मा ‘ऩढ़ा गमा’ अथागत ऩहरे नह ॊ ऩढ़ा
हुआ। ‘फोध’ शब्द का अथग है ‘सभझ’। बाव मह है क्रक ववद्मार्थगमों को वह गद्माॊश अथवा ऩद्माॊश ऩढ़कय
सभझना है औय उन ऩय आधारयत प्रश्नों के उत्तय दे ना है जजसे उन्होंने अऩने ऩाठ्मिभ भें नह ॊ ऩढ़ा है ।
अऩठित गद्माॊश अथवा ऩद्माॊश को सभझने की ववर्ध – ववद्माथी नीचे ठदए गए सझ
ु ावों की सहामता से
अऩठित गद्माॊश मा ऩद्माॊश को सभझकय उन ऩय आधारयत प्रश्नों के उत्तय आसानी से सकते हैं-
 अऩठित गद्माॊश का फाय-फाय भौन वाचन कयके उसे सभझने का प्रमास कयें ।
 इसके ऩश्चात प्रश्नों को ऩढ़ें औय ठदए गए गद्माॊश भें सॊबाववत उत्तयों को ये खाॊक्रकत कयें ।
 जजन प्रश्नों के उत्तय स्ऩष्ट न हों, उनके उत्तय जानने हे तु गद्माॊश को ऩन
ु : ध्मान से ऩढ़ें ।
 ऩछ
ू े गए प्रश्नों के अनस
ु ाय उत्तय हभेशा सहज बाषा भें दे ने का प्रमास कयें ।
 उत्तय सॊक्षऺप्त, सयर औय प्रबावशार बाषा भें होना चाठहए।
 शीषगक भर
ू कथ्म से सॊफर्ॊ धत होना चाठहए।
 उऩसगग, प्रत्मम, सॊर्ध, सभास एवॊ भह
ु ावयों ऩय ध्मान दे ना चाठहए।
 ऩछ
ू े गए प्रश्न के अनस
ु ाय उत्तय दें मा मरखें । गद्माॊश अथवा ऩद्माॊश की ऩॊजतत का वैसा ह प्रमोग
कयने से फचना चाठहए।

अऩठित गदमाॊश (1)


ननम्नमरखखत गद्माॊश को ऩढ़कय ठदए गए प्रश्नों के सह ववकल्ऩ चुनकय मरखखए-
भाॉएॉ अऩनी क्ऱितयत से ह तयतकीऩसॊद होती हैं , तमोंक्रक वे फच्चे के साथ-साथ दोफाया ववकमसत
होती हैं। मह फच्चे को ऩारने औय उसे ववकमसत कयने की उनकी भर
ू प्रववृ त्त है जो उन्हें अऩनी आदतों
औय अऩने भल्
ू मों को नए मसये से गढ़ने के मरए प्रेरयत कयती है । आऩने शामद गोकी का उऩन्मास ‘भाॉ’
ऩढ़ा हो। वह भाॉ अनऩढ़ है , रेक्रकन इसके फावजद
ू वह सभझ ऩाती है क्रक उसका फेटा तमा कय यहा है औय
तमों कय यहा है ।
भेया ख़मार है क्रक भाॉ को नए मा ऩयु ाने भॉडर भें यखकय नह ॊ दे खा जा सकता है । हाॉ , औयत की
अऩनी ननजी शजससमत को दे खा जा सकता है -वह ब्रिटे न की होगी तो स्कटग ऩहन सकती है ; फेनतमा की
होगी तो साडी ऩहन सकती है औय मठद फेंगररु
ू की होगी तो ऩढ़ -मरखी इॊजीननमय हो सकती है । फनायस
की होगी तो क्रकसी भॊठदय भें ऩज
ू ा कयती हो सकती है , रेक्रकन भाॉ के तौय ऩय तो वह एक जैसी ह होगी।
अऩने मशशु का चेहया दे खकय उसकी ज़रूयतों को जान रेने की उसकी भर
ू प्रववृ त्त होती है ।
।- रेखक ने भाताओॊ की ककस कितयत की चचाथ की है ?
क) आयाभऩसॊद
ख) भनऩसॊद
ग) तयतकीऩसॊद
घ) कराऩसॊद
।।- भाॉ उऩन्मास के रेखक हैं -
क) प्रेभचॊद
ख) भहादे वी वभाग
ग) जैनेन्र कुभाय
घ) गोकी

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।।।- विकससत शब्द का विरोभ शब्द है -
क) ववकासशीर
ख) अववकमसत
ग) अद्गधववकमसत
घ) अनतववकमसत
।V- रेखक के अनभ
ु ान के आधाय ऩय फनायस की औयत कैसी हो सकती है -
क) स्कटग ऩहनने वार
ख) भॊठदय भें ऩज
ू ा कयने वार
ग) साडी ऩहनने वार
घ) घय भें काभ कयने वार
V- प्रस्तत
ु गदम खॊड भें ककसे भहत्त्ि ठदमा गमा है -
क) भाॉ
ख) औयत
ग) घय
घ) सेवक
उत्तय- । ग) तयतकीऩसॊद ।। घ) गोकी ।।। ख) अववकमसत । v ख) भॊठदय भें ऩज
ू ा कयने वार v क) भाॉ
अऩठित गदमाॊश (2)
ननम्नमरखखत गद्माॊश को ऩढ़कय ठदए गए प्रश्नों के सह ववकल्ऩ चुनकय मरखखए-
जनसॊसमा की वद्
ृ र्ध बायत के मरए आज एक ववकट सभस्मा फन गई है । मह सभाज की सख
ु -सॊऩन्नता के
मरए एक बमॊकय चुनौती है । भहानगयों भें कीडे-भकोडों की बाॉनत अस्वास्थ्मकय घोंसरों भें आदभी बया ऩडा
है । न धूऩ , न हवा, न ऩानी, न दवा। ऩीरे-दफ
ु र
ग , ननयाश चेहये । मह सॊकट अनामास नह ॊ आमा है । सॊतान
को ईश्वय म ववधान औय वयदान भाननेवारा बायतीम सभाज ह इस यततफीजी सॊस्कृनत के मरए जजम्भेदाय
है । चाहे खखराने को योट औय ऩहनाने को वस्र न दें , मशऺा को शल्
ु क औय यहने को छप्ऩय न हो , रेक्रकन
अधबख
ू ,े अधनॊगे फच्चों की कताय खडी कयना हय बायतीम अऩना जन्भमसद्ध अर्धकाय सभझता है । मह
कायण है क्रक प्रनतवषग एक आस्रे मरमा महाॉ की जनसॊसमा भें जुडता चरा जा यहा है । मठद इस जनवद्
ृ र्ध
ऩय ननमॊरण न हो सका तो हभाये साये प्रमोजन औय आमोजन व्मथग हो जाएॉगे। धयती ऩय ऩैय यखने की
जगह नह ॊ फचेगी।
।- रेखक ने बायत की ककस विकट सभस्मा की ओय ध्मान ठदरामा है?
क) भनोयॊ जन की वद्
ृ र्ध
ख) ऩॉज
ू ी की वद्
ृ र्ध
ग) नशाखोय की वद्
ृ र्ध
घ) जनसॊसमा की वद्
ृ र्ध
।।- भहानगयों भें आदभी ककस तयह बया ऩड़ा है?
क) ऩेड-ऩौधों की तयह
ख) कीडे-भकोडों की तयह
ग) दे व-दानवों की तयह
घ) क्रकसी तयह नह ॊ
।।।- ‘ईश्ियीम विधान’ भें ये खाॊककत शब्द है -
क) ववशेषण

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ख) सॊऻा
ग) सवगनाभ
घ) क्रिमा
।V- रेखक ने प्रततिर्थ बायत की जनसॊख्मा िद
ृ धध को ककस दे श के फयाफय फतामा है -
क) मयू ोऩ के फयाफय
ख) श्रीरॊका के फयाफय
ग) आस्रे मरमा के फयाफय
घ) अफ्रीका के फयाफय
V- हय बायतीम अऩना ----------------अधधकाय सभझता है। रयक्त स्र्ान के सरए उधचत शब्द है -
क) ऩयभ
ख) भहत्त्वऩण
ू ग
ग) घये रू
घ) जन्भमसद्ध
उत्तय- । घ) जनसॊसमा की वद्
ृ र्ध ।। ख) कीडे-भकोडों की तयह ।।। क) ववशेषण ।V ग) आस्रे मरमा के
फयाफय V- घ) जन्भमसद्ध
अऩठित गदमाॊश (3)
ननम्नमरखखत गद्माॊश को ऩढ़कय ठदए गए प्रश्नों के सह ववकल्ऩ चन
ु कय मरखखए-
जो अनगढ़ है , जजसभें कोई आकृनत नह ॊ , ऐसे ऩत्थयों से जीवन को आकृनत प्रदान कयना , उसभें
करात्भक सॊवेदना जगाना औय प्राण-प्रनतष्िा कयना ह सॊस्कृनत है । वस्तत
ु : सॊस्कृनत उन गण
ु ों का सभद
ु ाम
है , जजन्हें अनेक प्रकाय की मशऺा द्वाया अऩने प्रमत्न से भनष्ु म प्राप्त कयता है । सॊस्कृनत का सॊफध

भस
ु मत: भनष्ु म की फद्
ु र्ध एवॊ स्वबाव आठद भनोववृ त्तमों से है ।
सॊऺेऩ भें , साॊस्कृनतक ववशेषताएॉ भनष्ु म की भनोववृ त्तमों से सॊफर्ॊ धत हैं औय इन ववशेषताओॊ का
अननवामग सॊफध
ॊ जीवन के भल्
ू मों से होता है । मे ववशेषताएॉ मा तो स्वमॊ भें भल्
ू मवान होती हैं अथवा भल्
ू मों
के उत्ऩादन का साधन। प्राम: व्मजततत्व भें ववशेषताएॉ साध्म एवॊ साधन दोनों ह रूऩों भें अथगऩण
ू ग सभझी
जाती हैं। वस्तत
ु : सॊस्कृनत साभठू हक उल्रास की करात्भक अमबव्मजतत है । सॊस्कृनत व्मजतत की नह ॊ ,
सभजष्ट की अमबव्मजतत है ।
डॉ० सॊऩण
ू ागनद
ॊ ने कहा है - “सॊस्कृनत उस दृजष्टकोण को कहते हैं , जजसभें कोई सभद
ु ाम ववशेष जीवन
की सभस्माओॊ ऩय दृजष्ट ननऺेऩ कयता है । ” सॊऺेऩ भें वह सभद
ु ाम की चेतना फनकय प्रकाशभान होती है ।
मह चेतना प्राणों की प्रेयणा है औय मह बावना प्रेभ भें प्रद प्त हो उिती है । मह प्रेभ सॊस्कृनत का तेजस
तत्व है , जो चायों ओय ऩरयरक्षऺत होता है । प्रेभ वह तत्व है , जो सॊस्कृनत के केंर भें जस्थत है । इसी प्रेभ से
श्रद्धा उत्ऩन्न होती है, सभऩगण जन्भ रेता है औय जीवन बी साथगक रगता है ।
।- रेखक के अनस
ु ाय सॊस्कृतत क्मा है?
(क) जीवन को आकृनत प्रदान कयना ,
(ख) उसभें करात्भक सॊवेदना जगाना
(ग) प्राण-प्रनतष्िा कयना
(घ) उऩमत
ुग त सबी
।।- साॊस्कृततक विशेर्ताएॉ ककससे सॊफधॊ धत हैं?
(क) भनष्ु म की भनोववृ त्तमों से
(ख) ऻान से

7
(ग) ध्मान से
(घ) सभद
ु ाम से
।।।- व्मक्क्तत्ि भें विशेर्ताएॉ ककन रूऩों भें अर्थऩर्
ू थ सभझी जाती हैं?
(क) साध्म
(ख) साध्म एवॊ साधन दोनों ह
(ग) साधन
(घ) इनभें से कोई नह ॊ
।V - रेखक ने ककसे सॊस्कृतत के केंद्र भें क्स्र्त भाना है?
(क) सॊस्कृनत को
(ख) सभद
ु ाम को
(ग) प्रेभ
(घ) श्रद्धा
V - प्रस्तत
ु गदमाॊश का उधचत शीर्थक है -
(क) प्रेभ
(ख) सॊस्कृनत
(ग) ऻान
(घ) श्रद्धा
उत्तय- ।- (घ) उऩमत
ुग त सबी ।। (क) भनष्ु म की भनोववृ त्तमों से ।।। (ख) साध्म एवॊ साधन दोनों ह
।V (ग) प्रेभ V (ख) सॊस्कृनत
अऩठित काव्माॊश (1)
ननम्नमरखखत काव्माॊश को ऩढ़कय ठदए गए प्रश्नों के सह ववकल्ऩ चुनकय मरखखए-
सफसे ववयाट जनतॊर जगत का आ ऩहुॉचा,
दे वता कह ॊ सडकों ऩय मभट्ट तोड यहे,
तैंतीस कोठट ठहत मसॊहासन तैमाय कयो,
दे वता मभरेंगे खेतों भें, खमरहानों भें ।
अमबषेक आज याजा का नह ,ॊ प्रजा का है,
पावडे औय हर याजदण्ड फनने को हैं,
तैंतीस कोठट जनता के मसय ऩय भक
ु ु ट धयो।
धूसयता सोने से श्रॊग
ृ ाय सजाती है;
आयती मरए तू क्रकसे ढूॉढ़ता है भयू ख
दो याह, सभम के यथ का घघगय-नाद सन
ु ो,
भॊठदयों, याजप्रासादों भें, तहखानों भें ?
मसॊहासन खार कयो क्रक जनता आती है ।
।- कवि ने जगत का सफसे वियाट जनतॊत्र ककसके सरए कहा है ?
क) अभेरयका के मरए
ख) चीन के मरए
ग) बायत के मरए
घ) इनभें से कोई नह ॊ
।।- प्रस्तत
ु काव्माॊश भें ककतने ससॊहासन तैमाय कयने की फात कही गई है? -

8
क) फीस कोठट
ख) तीस कोठट
ग) चौफीस कोठट
घ) तैंतीस कोठट
।।।- असबर्ेक आज ----------------------,प्रजा का है - रयक्त स्र्ान की ऩतू तथ के सरए है -
क) भॊरी का नह ॊ
ख) याजा का नह ॊ
ग) प्रजा का नह ॊ
घ) सेवक का नह ॊ
।V- दो याह, सभम के यर् का घघथय-नाद सन
ु ो, ये खाॊककत ऩॊक्क्त भें कौन-सा अरॊकाय है ?
क) अनप्र
ु ास
ख) मभक
ग) रूऩक
घ) श्रेष
V- कवि के अनस
ु ाय दे िता कहाॉ सभरेंगे -
क) फाग-फगीचों भें
ख) खेत-खमरहानों भें
ग) साज-सज्जाओॊ भें
घ) कह ॊ नह ॊ
उत्तय- i- ग) बायत के मरए ii- घ) तैंतीस कोठट iii- ख) याजा का नह ॊ iv- ग) रूऩक v- ख) खेत-खमरहानों
भें
अऩठित काव्माॊश (2)
ऩॊचवट की छामा भें है, सन्
ु दय ऩणग-कुट य फना।
उसके सम्भख
ु स्वच्छ मशरा ऩय, धीय, वीय, ननबीक भना ।।
जाग यहा वह कौन धनध
ु यग , जफक्रक बव
ु न बय सोता है?
बोगी कुसभ
ु ामध
ु मोगी-सा फना दृजष्टगत होता है ।
क्रकस व्रत भें है व्रती वीय मह, ननरा का मों त्माग क्रकए।
याजबोग के मोग्म वववऩन भें, फैिा आज ववयाग मरए ।

फना हुआ है प्रहय जजसका, उस कुट य भें तमा धन है ।


जजसकी यऺा भें यत इसका तन है, भन है , जीवन है ॥
भत्मगरोक भामरन्म भेटने, स्वाभी सॊग जो आई है ।
तीन रोक की रक्ष्भी ने मह, कुट आज अऩनाई है ।
वीय वॊश की राज मह है, क्रपय तमों वीय न हो प्रहय ।
ववजन दे श है ननशा शेष है, ननशाचय भामा िहय ॥
।- सद
ुॊ य ऩर्थ-कुटीय कहाॉ फना है ?
क) झुयभट
ु ों की छामा भें
ख) ऩॊचवट की छामा भें
ग) फादरों के छामा भें

9
घ) इनभें से कोई नह ॊ
।।- तनद्रा का त्माग ककए हुए वियाग रेकय कौन फैिा है?
क) सख ु वीय
ख) भहावीय
ग) मद्
ु ध वीय
घ) व्रती वीय
।।।- जाग यहा िह -------------------, जफकक बि
ु न बय सोता है- रयक्त स्र्ान की ऩतू तथ के सरए है -
क) कौन वीय
ख) कौन धनध
ु यग
ग) कौन तऩस्वी
घ) इनभें से कोई नह ॊ
।V- भत्मथरोक भासरन्म भेटने, स्िाभी सॊग जो आई है - ऩॊक्क्त भें अरॊकाय है -
क) अनप्र
ु ास
ख) मभक
ग) रूऩक
घ) श्रेष
V- कवि के अनस
ु ाय तीन रोक की रक्ष्भी कौन है?
क) ऩणगकुट भें ननवास कयने वार
ख) याजभहर भें ननवास कयने वार
ग) जॊगर भें ननवास कयने वार
घ) इनभें से कोई नह ॊ
उत्तय- i- ख) ऩॊचवट की छामा भें ii- घ) व्रती वीय iii- ख) कौन धनध
ु यग iv- क) अनप्र
ु ास v- क) ऩणगकुट भें
ननवास कयने वार
अऩठित काव्माॊश (3)
अचर खडे यहते जो ऊॉचा शीश उिाए तप
ू ानों भें,
सहनशीरता, दृढ़ता हॉसती जजनके मौवन के प्राणों भें ।
वह ऩॊथ फाधा को तोडे फहते हैं जैसे हों ननझय,
प्रगनत नाभ को साथगक कयता मौवन दग
ु भ
ग ता ऩय चरकय।
आज दे श की बावी आशा फनी तम्
ु हाय ह तरुणाई,
नए जन्भ की श्वास तम्
ु हाये अॊदय जगकय है रहयाई।
आज ववगत मग
ु के ऩतझय ऩय तभ
ु को नव भधुभास खखराना,
नवमग
ु के ऩष्ृ िों ऩय तभ
ु को है नत
ू न इनतहास मरखाना।
उिो याष्र के नवमौवन तभ
ु ठदशा-ठदशा का सन
ु आभॊरण,
जगो, दे श के प्राण जगा दो नए प्रात का नमा जागयण।
आज ववश्व को मह ठदखरा दो हभभें बी जागी तरुणाई,
नई क्रकयण की नई चेतना भें हभने बी र अॊगडाई।
i- कवि के अनस
ु ाय कौन तप
ू ानों भें शीश उिाकय अचर खड़े यहते हैं?
(क) वद्
ृ धजन
(ख) नवमव
ु क

10
(ग) फारक
(घ) उऩमत
ुग त सबी
ii- मि
ु ा रोगों की तर
ु ना ककससे की गई है?
(क) झयने से
(ख) नद से
(ग) तप
ू ान से
(घ) धयती से
iii- कवि मि
ु कों से विगत मग
ु के ऩतझड़ ऩय ककसे खखराने के सरए कहता है ?
(क) वषाग ऋतु को
(ख) गभी के भौसभ को
(ग) नई वसॊत ऋतु को
(घ) शयद ऋतु को
iv- कवि याष्ट्र के मि
ु कों को क्मों जगा यहा है ?
(क) तमोंक्रक उनके मरए हय ठदशा से नवीनता का आभॊरण है
(ख) वे फहुत दे य से सो यहे हैं
(ग) उनभें कुछ कयने की रारसा नह ॊ है
(घ) इनभें से कोई नह ॊ
v- प्रस्तत
ु ऩदमाॊश का उधचत शीर्थक है -
(क) स्वतॊरता
(ख) नवमव
ु क
(ग) ऩरयश्रभ
(घ) याष्र मता
उत्तय- i- (ख) नवमव
ु क ii- (क) झयने से iii- (ग) नई वसॊत ऋतु को iv- (क) तमोंक्रक उनके मरए हय
ठदशा से नवीनता का आभॊरण है v- (ख) नवमव
ु क

11
वाक्म ववचाय
वाक्म- शब्दों का वह क्रभफद्ध सभह
ू जजसका कुछ अथथ ननकरता है, वाक्म कहराता है ।
जैसे- (1) याधा ववद्मारम जाती है । (2) तभ
ु अबी जाओ। (3) भैं ऩढ़ता हूॉ औय वह खेरता है ।
वाक्म के बेद- वाक्म-बेद के दो आधाय है - (1) अथथ का आधाय (2) यचना का आधाय
(1) अथथ के आधाय ऩय वाक्म के आठ बेद हैं। इनके ववषम भें आऩ कऺा नौवीॊ भें ऩढ़ चुके हैं।
(2) यचना के आधाय ऩय वाक्म के तीन बेद हैं – सयर वाक्म, सॊमक्
ु त वाक्म औय मभश्र मा मभश्रश्रत वाक्म।
सयर वाक्म- जजस वाक्म भें कताथ की एक ही भख्
ु म क्रक्रमा होती है उसे सयर वाक्म कहते हैं।
जैसे- (1) भोहन ऩस्
ु तक ऩढ़ता है । (2) भीना घय जाएगी। (3) हभने खेर दे खा। इन वाक्मों भें एक ही भख्
ु म
क्रक्रमा - ऩढ़ता, जाएगी, दे खा का प्रमोग है ।
सॊमक्
ु त वाक्म- जफ दो स्वतॊत्र वाक्म सभच्
ु चम फोधक शब्द [औय, तथा, व, एवॊ, क्रकन्त,ु ऩय, ऩयॊ त,ु रेक्रकन,
मा, अथवा, इसमरए] से जड़
ु े होते हैं तो वह सॊमक्
ु त वाक्म कहराता है ।
जैसे- (1) भैं आज घय गमा औय वह शहय चरा गमा। (2) फच्चे ववद्मारम भें हैं क्रकन्तु वे खेर यहे हैं। (3)
वहाॉ भोहन आमेगा मा तो सोहन आमेगा। मे सबी वाक्म औय, क्रकन्त,ु मा के प्रमोग से जुड़े हैं।
मभश्र मा मभश्रश्रत वाक्म- जजस वाक्म भें एक प्रधान उऩवाक्म हो औय एक मा अश्रधक आश्रश्रत उऩवाक्म हों
उसे मभश्र मा मभश्रश्रत वाक्म कहते हैं।
जैसे- (1) मशऺक ने फतामा क्रक बायत एक कृवष प्रधान दे श है ।
प्रधान उऩवाक्म – मशऺक ने फतामा व आश्रश्रत उऩवाक्म – बायत एक कृवष प्रधान दे श है । ‘क्रक’ मोजक ऩद
है ।
(2) वे रोग महीॊ रुकेंगे जो आज शाभ को आएॉगे।
प्रधान उऩवाक्म – रोग महीॊ रुकेंगे व आश्रश्रत उऩवाक्म – आज शाभ को आएॉगे। वे...जो मोजक ऩद हैं।
(3) फच्चे वहाॉ गए थे जहाॉ ऊॉचे भकान हैं।
प्रधान उऩवाक्म – फच्चे गए थे तथा आश्रश्रत उऩवाक्म – ऊॉचे भकान हैं। वहाॉ...जहाॉ मोजक ऩद हैं।
अभ्मास प्रश्न
।- ऩानी फयसा औय वह बीग गमा। यचना के आधाय ऩय वाक्म-बेद है -
क) सयर वाक्म
ख) सॊमक्
ु त वाक्म
ग) मभश्र वाक्म
घ) इनभें से कोई नहीॊ
।।- ननम्नमरखित भें से सयर वाक्म का उदाहयण है-
क) यभेश शाभ को फाजाय गमा।
ख) यभेश फाजाय गमा क्रकन्तु अबी तक नहीॊ रौटा।
ग) यभेश जैसे ही फाजाय ऩहुॉचा वैसे ही बफजरी चरी गई ।
घ) क औय ख दोनों
।।।- ऩरयश्रभी व्मक्क्त सपर होता है। - यचना के आधाय ऩय वाक्म-बेद है -
क) सॊमक्
ु त वाक्म
ख) मभश्र वाक्म
ग) सयर वाक्म
घ) इनभें से कोई नहीॊ

12
।V- ननम्नमरखित भें से मभश्रश्रत वाक्म है -
क) श्माभा फहुत खश ु थी क्मोंक्रक उसे ऩयु स्काय मभरा था ।
ख) श्माभा ऩयु स्काय ऩाने से खश ु थी ।
ग) श्माभा को ऩयु स्काय मभरा औय वह फहुत खुश थी ।
घ) क औय ग दोनों
V- जो व्मक्क्त सज्जन होते हैं वे सदा सच फोरते हैं- वाक्म का सयर वाक्म भें रूऩाॊतयण होगा-
क) सच फोरने वारे औय सज्जन व्मजक्त दोनों एक ही हैं ।
ख) जो सज्जन होगा वह सच फोरेगा ।
ग) सज्जन व्मजक्त अरग होते हैं औय सच फोरने वारे अरग होते हैं ।
घ) सज्जन व्मजक्त सदा सच फोरते हैं ।
उत्तय- i- ख) सॊमक् ु त वाक्म ii- क) यभेश शाभ को फाजाय गमा iii- सयर वाक्म iv- श्माभा फहुत खुश थी
क्मोंक्रक उसे ऩयु स्काय मभरा था v- सज्जन व्मजक्त सदा सच फोरते हैं
वाच्म ववचाय
वाच्म- क्रकसी वाक्म भें क्रक्रमा के जजस रूऩ से कताथ , कभथ अथवा बाव की प्रधानता का ऩता चरे वह वाच्म
कहराता है । जैसे-(1) वह ऩस्
ु तक ऩढ़ता है । (2) उसके द्वाया मा उससे ऩस्
ु तक ऩढ़ी जाती है । (3) उससे ऩढ़ा
जाता है । इन उदाहयणों भें ऩढ़ता है, ऩढ़ी जाती है, ऩढ़ा जाता है - क्रक्रमा के तीन अगर-अरग रूऩ हैं।
वाच्म के बेद- वाच्म के तीन बेद हैं- (1) कतव
थृ ाच्म (2) कभथवाच्म (3) बाववाच्म ।
कतव
ृत ाच्म- जफ वाक्म भें क्रक्रमा, कताथ के मरॊग, वचन औय ऩरु
ु ष के अनस
ु ाय होती है अथाथत कताथ की प्रधानता
होती है तफ वहाॉ कतव
थृ ाच्म होता है ।
जैसे (1) श्रचड़ड़मा आसभान भें उड़ती है । (2) श्माभा श्रचत्र फनाती थी। (3) वे सफ कोरकाता जाएॉगे। इन
उदाहयणों भें उड़ती है, फनाती थी औय जाएॉगे क्रक्रमाएॉ कताथ के मरॊग, वचन, ऩरु
ु ष के अनस
ु ाय हैं।
कभृवाच्म- जफ वाक्म भें क्रक्रमा, कभथ के मरॊग, वचन औय ऩरु
ु ष के अनस
ु ाय होती है अथाथत कभथ की प्रधानता
होती है तफ वहाॉ कभथवाच्म होता है ।
जैसे (1) सोहन से गीत गामा जाता है । (2) श्माभा से श्रचत्र फनामा जाता था। (3) उनसे कोरकाता जामा
जाएगा। इन उदाहयणों भें गामा जाता है , फनामा जाता था औय जामा जाएगा क्रक्रमाएॉ कताथ के मरॊग , वचन,
ऩरु
ु ष के अनस
ु ाय हैं।
बाववाच्म- जफ वाक्म भें क्रक्रमा न तो कताथ औय न ही कभथ के मरॊग , वचन औय ऩरु
ु ष के अनस
ु ाय होती है
फजकक बाव के अनस
ु ाय होती है अथाथत बाव की प्रधानता होती है तफ वहाॉ बाववाच्म होता है ।
जैसे (1) श्रचड़ड़मा से उड़ा जाता है । (2) श्माभा से हॉसा जाता था। (3) उनसे जामा जाएगा। इन उदाहयणों भें
उड़ा जाता है, हॉसा जाता था औय जामा जाएगा क्रक्रमाएॉ बाव के अनस
ु ाय ऩमु रॊग, एकवचन, प्रथभ ऩरु
ु ष भें हैं।
ववशेष- वाक्म भें अकभथक क्रक्रमा होने ऩय सदै व बाववाच्म भें ही क्रक्रमा का रूऩ ऩरयवतथन होगा औय सकभथक
क्रक्रमा होने ऩय सदै व कभथवाच्म भें ही क्रक्रमा का रूऩ ऩरयवतथन होगा।
अभ्मास प्रश्न
।- ऩस्
ु तक अबी ऩढ़ी जा यही है । इस वाक्म भें वाच्म है -
क) कतव
थृ ाच्म
ख) कभथवाच्म
ग) बाववाच्म
घ) इनभें से कोई नहीॊ

13
।।- ननम्नमरखित भें से बाववाच्म का उदाहयण है-
क) वह खा नहीॊ सकता है ।
ख) वह खाकय सोता है ।
ग) उससे खामा नहीॊ जाता ।
घ) क औय ख दोनों
।।।- भारी ने फाग भें पूर तोड़ा। - इस वाक्म भें वाच्म है -
क) कभथवाच्म
ख) कतव
थृ ाच्म
ग) बाववाच्म
घ) इनभें से कोई नहीॊ
।V- भीया भॊददय भें बजन गाती है। – इस वाक्म का कभृवाच्म भें रूऩाॊतयण होगा-
क) भीया भॊददय भें बजन नहीॊ गाएगी ।
ख) भीया भॊददय भें बजन गाएगी।
ग) भीया द्वाया भॊददय भें बजन गामा जाता है ।
घ) क औय ख दोनों
V- उससे दौड़ा नहीॊ जाता। - इस वाक्म का कतव
ृत ाच्म भें रूऩाॊतयण होगा-
क) वह दौड़ नहीॊ सकता ।
ख) उससे अवश्म दौड़ा जाएगा ।
ग) वह सड़क ऩय दौड़ सकता है ।
घ) इनभें से कोई नहीॊ ।
उत्तय- i- ख) कभथवाच्म ii- ग) उससे खामा नहीॊ जाता । iii- ख) कतव
थृ ाच्म iv- ग) भीया द्वाया भॊददय भें
बजन गामा जाता है । v- क) वह दौड़ नहीॊ सकता।
ऩद-ऩरयचम
ऩद- वाक्म भें प्रमोग क्रकए गए शब्द को ही ऩद कहते हैं। जैसे- भोहन घय गमा। इस वाक्म भें भोहन , घय,
गमा तीन ऩद हैं। मे जफ वाक्म से स्वतॊत्र होंगे तो शब्द कहराएॉगे।
ऩद-ऩरयचम- वाक्म भें प्रमोग क्रकए गए ऩदों को ऩहचानकय उनका व्माकयणणक ऩरयचम दे ना ही ऩद-ऩरयचम
कहराता है । जैसे- ऊऩय के उदाहयण भें , भोहन- व्मजक्तवाचक सॊऻा , ऩमु रॊग , एकवचन , प्रथभ/अन्म ऩरु
ु ष,
कताथ कायक है । घय- जानतवाचक सॊऻा, अन्म ऩरु
ु ष, एकवचन, कभथ कायक है । गमा- सकभथक क्रक्रमा, बत
ू कार,
ऩमु रॊग, एकवचन, प्रथभ ऩरु
ु ष, कतव
थृ ाच्म है ।
ककस ऩद भें क्मा फताना जरूयी है
1. सॊऻा भें - उऩबेद, मरॊग, वचन, ऩरु
ु ष कायक औय क्रक्रमा के साथ सॊफध
ॊ ।
2. सवृनाभ भें - उऩबेद, मरॊग, वचन, ऩरु
ु ष, कायक औय क्रक्रमा के साथ सॊफध
ॊ ।
3. ववशेषण भें - उऩबेद, मरॊग, वचन औय ववशेष्म का ववशेषण।
4. किमा भें - उऩबेद (कभथ औय कार के आधाय ऩय), मरॊग, वचन, ऩरु
ु ष औय वाच्म।
5. किमा ववशेषण- उऩबेद, क्रक्रमा सम्ऩन्न होने की दशा, क्रक्रमा की ववशेषता फताने वारा ऩद।
6. सॊफध
ॊ फोधक- बेद, जजन ऩदों से सॊफध
ॊ फनता हो।
7. सभच्
ु चमफोधक- उऩबेद, जजन ऩदों वाक्मों मा उऩवाक्मों को जोड़ता हो।
8. ववस्भमाददफोधक- उऩबेद, जजस बाव का फोध कयाता हो।

14
अन्म ऩद-
9. प्रववशेषण- ऩहचान औय वह ववशेषण जजसकी ववशेषता फताता हो।
10. ननऩात- ऩहचान औय वह ऩद जजस ऩय ज़ोय दे ता हो।
सॊऻा- व्मजक्तवाचक, जानतवाचक औय बाववाचक।
सवृनाभ- ऩरु
ु षवाचक, ननश्चमवाचक, अननश्चमवाचक, सॊफध
ॊ वाचक, प्रश्नवाचक औय ननजवाचक।
ववशेषण- गण
ु वाचक, सॊख्मावाचक, ऩरयणाभवाचक औय सावथनामभक।
किमा- कभथ के आधाय ऩय- अकभथक औय सकभथक। कार के आधाय ऩय- वतथभान कार, बत
ू कार औय
बववष्मकार। फनावट (यचना) के आधाय ऩय- साभान्म क्रक्रमा, सॊमक्
ु त क्रक्रमा, ऩव
ू क
थ ामरक क्रक्रमा, प्रेयणाथथक
क्रक्रमा औय नाभधातु क्रक्रमा।
किमा ववशेषण- यीनतवाचक, स्थानवाचक, कारवाचक औय ऩरयभाणवाचक।
सॊफध
ॊ फोधक- (भख्
ु म रूऩ से) कारवाचक, स्थानवाचक, ददशावाचक, साधनवाचक औय तर
ु नावाचक।
सभच्
ु चमफोधक- सभानाश्रधकयण औय व्मश्रधकयण।
ववस्भमाददफोधक- (भख्
ु म रूऩ से) हषथसच
ू क, शोकसच
ू क, घण
ृ ासच
ू क, आश्चमथसच
ू क, बमसच
ू क औय सॊफोधन
सच
ू क।
अभ्मास प्रश्न
।- गॊगा दहभारम से ननकरती हैं। ये िाॊककत ऩद का ऩद-ऩरयचम है -
क) जानतवाचक सॊऻा, एकवचन, स्त्रीमरॊग, कताथ कायक
ख) जानतवाचक सॊऻा, फहुवचन, स्त्रीमरॊग, कभथकायक
ग) व्मजक्तवाचक सॊऻा, एकवचन, ऩमु रॊग, कयण कायक
घ) इनभें से कोई नहीॊ
।।- भोहन सड़क ऩय तेज दौड़ता है । ‘तेज’ का ऩद-ऩरयचम है -
क) ऩरु
ु षवाचक सवथनाभ, एकवचन, स्त्रीमरॊग, अकभथक
ख) गण
ु वाचक ववशेषण, फहुवचन, स्त्रीमरॊग, सकभथक
ग) अननश्चमवाचक सवथनाभ, एकवचन, ऩमु रॊग, अकभथक
घ) यीनतवाचक क्रक्रमा ववशेषण, ‘दौड़ता है ’ क्रक्रमा की ववशेषता फताने वारा ऩद
।।।- भारी ने फाग भें रार पूर तोड़े। ये िाॊककत ऩद का ऩद-ऩरयचम है -
क) गण
ु वाचक ववशेषण, फहुवचन, ऩमु रॊग, पूर ववशेष्म का ववशेषण
ख) ऩरयणाभवाचक ववशेषण, फहुवचन, ऩमु रॊग, रार ववशेष्म का ववशेषण
ग) सॊख्मावाची ववशेषण, एकवचन, ऩमु रॊग, पूर ववशेष्म का ववशेषण
घ) इनभें से कोई नहीॊ
।V- उसने ऩत्र मरिवामा। – ‘मरिवामा’ का ऩद-ऩरयचम होगा-
क) बाववाचक सॊऻा, एकवचन, ऩमु रॊग, बत
ू कार
ख) प्रेयणाथथक क्रक्रमा, एकवचन, ऩमु रॊग, बत
ू कार
ग) गण
ु वाचक ववशेषण, फहुवचन, स्त्रीमरॊग, बत
ू कार
घ) क औय ख दोनों
V- वाह! तभ
ु ने फहुत अच्छा ककमा। - ये िाॊककत का ऩद ऩरयचम क्मा होगा?
क) बाववाचक सॊऻा, एकवचन, ऩमु रॊग, कताथ कायक
ख) ऩरु
ु षवाचक सवथनाभ, एकवचन, स्त्रीमरॊग, कभथ कायक

15
ग) सॊख्मावाची ववशेषण, एकवचन, ऩमु रॊग, कयण कायक
घ) ववस्भमादद फोधक अव्मम, हषथसच
ू क, उत्साह प्रकट कयने वारा ऩद
उत्तय- i- ग) व्मजक्तवाचक सॊऻा, एकवचन, ऩमु रॊग, कयण कायक
ii- घ) यीनतवाचक क्रक्रमा ववशेषण, ‘दौड़ता है ’ क्रक्रमा की ववशेषता फताने वारा ऩद
iii- क) गणु वाचक ववशेषण, फहुवचन, ऩमु रॊग, पूर ववशेष्म का ववशेषण
iv- ख) प्रेयणाथथक क्रक्रमा, एकवचन, ऩमु रॊग, बत
ू कार
v- घ) ववस्भमादद फोधक अव्मम, हषथसच
ू क, उत्साह प्रकट कयने वारा ऩद
अरॊकाय ऩरयचम
अरॊकाय- ‘अरॊकाय’ शब्द का शाजब्दक अथथ होता है ‘आबष
ू ण’ मानी गहना। अरॊकाय शब्द ‘अरभ ्’ औय ‘काय’
दो शब्दों के मोग से फना है । ‘अरभ ्’ का अथथ है ‘शोबा’ तथा ‘काय’ का अथथ हैं ‘कयने वारा’। अथाथत ् काव्म
की शोबा (सौन्दमथ) फढ़ाने वारे शोबाकायक तत्वों को अरॊकाय कहते हैं।
जैसे- (1) फारकु फोमर फधौ नदहॊ तोही। केवर भनु न जड़ जानदह भोही।।
(2) प्रीनत-नदी भें ऩाऊॉ न फोयमो, दृजष्ट न रूऩ ऩयागी।
काव्म का सौन्दमथ दो रूऩों अथाथत शब्द एवॊ अथथ की सन्
ु दयता भें वद्
ृ श्रध कयके चभत्काय उत्ऩन्न कयने वारे
कायकों को अरॊकाय कहते हैं।
अरॊकायों के प्रमोग से काव्म रुश्रचकय औय ऩठनीम फनता है । बाषा की गण
ु वत्ता फढ़ जाती है औय उसभें
सजीवता आ जाती है । अमबव्मजक्त भें सयसता औय स्ऩष्टता आने से कववता सॊप्रेषणीम फन जाती है । जैसे
आबष
ू ण नारयमों का श्रॊग
ृ ाय है, ठीक उसी प्रकाय सादहत्म भें अरॊकाय काव्म का श्रॊग
ृ ाय है ।
अरॊकाय के बेद- अरॊकाय के भख्
ु मत: दो बेद हैं- (1) शब्दारॊकाय (2) अथाथरक
ॊ ाय
शब्दारॊकाय- जहाॉ शब्दों के ववमशष्ट प्रमोग से काव्म का सौन्दमथ फढ़ जाता है , वहाॉ शब्दारॊकाय होता है । जैसे-
(1) अवश्रध अधाय आस आवन की, तन भन ववथा सही।
(2) चारू चॊद्र की चॊचर क्रकयणें खेर यहीॊ हैं जर-थर भें ।
शब्दारॊकाय के प्रकाय- शब्दारॊकाय के भख्
ु म रूऩ से तीन प्रकाय हैं-
(1) अनप्र
ु ास अरॊकाय
(2) मभक अरॊकाय
(3) श्रेष अरॊकाय
अनप्र
ु ास अरॊकाय- काव्म भें जहाॉ एक ही वणथ फाय-फाय दोहयामा जाए अथाथत ् वणों की आववृ त्त हो वहाॉ अनप्र
ु ास
अरॊकाय होता है ।
जैसे- (1) कर कानन कॊु डर भोय ऩखा, उय ऩे फनभार बफयाजत है ।
(2) बज
ु फर बमू भ बऩ
ू बफनु कीन्हीॊ। बफऩर
ु फाय भदह दे वन्ह दीन्हीॊ।।
मभक अरॊकाय- काव्म भें जहाॉ कोई शब्द एक से अश्रधक फाय आए रेक्रकन उसके अथथ मबन्न-मबन्न हों वहाॉ
मभक अरॊकाय होता है ।
जैसे- (1) कारी घटा का घभॊड घटा, नब भॊडर तायक वद
ॊ ृ णखरे।
(2) तीन फेय खाती थीॊ वे तीन फेय खाती हैं।
श्रेष अरॊकाय- काव्म भें जहाॉ कोई शब्द एक ही फाय आए रेक्रकन उसके अथथ मबन्न-मबन्न हों वहाॉ मभक
अरॊकाय होता है ।
जैसे- (1) नय की अरु नरनीय की गनत एकै करय जोए। जेतो नीचे ह्वै चरै तेतो ऊॉचो होए।।
(2) यावन मसय सयोज फनचायी। चर यघव
ु ीय मशरीभि
ु धायी।।

16
अथाृरक
ॊ ाय- जहाॉ काव्म भें अथथ के भाध्मभ से काव्म का सौन्दमथ फढ़ जाता है , वहाॉ अथाथरक
ॊ ाय होता है ।
जैसे- (1) चयण कभर फन्दौ हरय याई।
(2) कोदट कुमरस सभ फचन तम् ु हाया। ब्मथथ धयहु धनु फान कुठाया।।
अथाृरक
ॊ ाय के प्रकाय- अथाथरक
ॊ ाय के ननम्नमरणखत प्रकाय हैं-
(1) उत्प्रेऺा अरॊकाय
(2) अनतशमोजक्त अरॊकाय
(3) भानवीकयण अरॊकाय
उत्प्प्रेऺा अरॊकाय- जहाॉ उऩभेम भें उऩभान की सॊबावना मा ककऩना व्मक्त की जाम , वहाॉ उत्प्रेऺा अरॊकाय
होता है । इसभें भनु , भानो, भानहु, जनु , जानो, जानहु आदद शब्दों का प्राम: प्रमोग हुआ यहता है ।
जैसे- (1) तम्
ु ह तौ कार हाॉक जनु रावा। फाय फाय भोही राश्रग फोरावा।।
(2) सोहत ओढ़े ऩीत ऩट , श्माभ सरोने गात।
भानहु नीरभणण शैर ऩय , आतऩ ऩयमो प्रबात।।
अनतशमोक्क्त अरॊकाय- जहाॉ क्रकसी व्मजक्त मा वस्तु का वणथन फहुत फढ़ा-चढ़ाकय क्रकमा जाम क्रक वह रोक
व्मवहाय भें असॊबव रगे वहाॉ अनतशमोजक्त अरॊकाय होता है ।
जैसे- (1) हनभ
ु ान की ऩॉछ
ू भें रगन न ऩाई आग। रॊका सायी जर गई गए ननशाचय बाग।।
(2) आगे नददमा ऩड़ी अऩाय , घोड़ा कैसे उतये ऩाय।
याणा ने सोचा इस ऩाय , तफ तक चेतक था उस ऩाय।।
भानवीकयण अरॊकाय- जहाॉ काव्म भें प्रकृनत की वस्तओ
ु ॊ भें भानवीम कामथ-व्मवहाय ददखामा जाए वहाॉ
भानवीकयण अरॊकाय होता है ।
जैसे- (1) भेघ आए फड़े फन-ढन के सॉवय के।
(2) ददवसावसान का सभम
भेघ आसभान से उतय यही है
वह सॊध्मा सद
ुॊ यी ऩयी-सी
धीये -धीये -धीये ।
अभ्मास प्रश्न
।- भधव
ु न की छाती को दे िो, सि
ू ी इसकी ककतनी कमरमाॉ। इस ऩॊक्क्त भें कौन-सा अरॊकाय है ?
क) उत्प्रेऺा अरॊकाय
ख) श्रेष अरॊकाय
ग) अनतशमोजक्त अरॊकाय
घ) इनभें से कोई नहीॊ
।।- सिी सोहत गोऩार के, उय गज
ुॊ न की भार।
फाहय रसत भानो वऩमे, दावानर की ज्वार।। इस उदाहयण भें कौन-सा अरॊकाय है ?
क) भानवीकयण अरॊकाय
ख) अनतशमोजक्त अरॊकाय
ग) उत्प्रेऺा अरॊकाय
घ) इनभें से कोई नहीॊ
।।।- ननम्नमरखित भें से भानवीकयण अरॊकाय का उदाहयण है -
क) नदी-तट से रौटती गॊगा नहा कय, सव
ु ामसत बीगी हवाएॉ सदा ऩावन।।

17
ख) हाम पूर सी कोभर फच्ची, हुई याख की ढे यी थी।
ग) ऩूत सऩूत, तो क्मों धन सॊचम? ऩूत कऩूत, तो क्मों धन सॊचम?
घ) इनभें से कोई नहीॊ
।V- ननम्नमरखित भें से अनतशमोक्क्त अरॊकाय का उदाहयण है -
क) भेघ आए फड़े फन-ढन के सॉवय के।
ख) कर कानन कॊु डर भोय ऩखा, उय ऩे फनभार बफयाजत है ।
ग) बऩ
ू सहस दस एकदहॊ फाया। रगे उठावन टयत न टाया।।
घ) इनभें से कोई नहीॊ
V- फीती ववबावयी जाग यी!
अॊफय ऩनघट भें डुफो यही
ताया-घट उषा नागयी - इस ऩॊजक्त भें कौन-सा अरॊकाय है ?
क) उत्प्रेऺा अरॊकाय
ख) अनतशमोजक्त अरॊकाय
ग) श्रेष अरॊकाय
घ) भानवीकयण अरॊकाय
उत्तय- i- ख) श्रेष अरॊकाय
ii- ग) उत्प्रेऺा अरॊकाय
iii- क) नदी-तट से रौटती गॊगा नहा कय, सव
ु ामसत बीगी हवाएॉ सदा ऩावन।।
iv- ग) बऩ
ू सहस दस एकदहॊ फाया। रगे उठावन टयत न टाया।।
v- घ) भानवीकयण अरॊकाय

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गद्म बाग
नेताजी का चश्भा - स्वमॊ प्रकाश
ननम्नलरखित गदमयॊश को ऩढ़कय ऩछ
ू े गए प्रश्नों के उत्तयों से विकल्ऩ छयॉटकय लरखिए-
1. हयरदयय सयहफ को ऩयनियरे दिययय एक दे शबक्त कय इस तयह भजयक उड़यमय जयनय अच्छय नह ॊ रगय।
भड़
ु कय दे िय तो अियक यह गए। एक फेहद फढ़
ु य भरयमर -सय रॊगड़य आदभी लसय ऩय गयॉधी टोऩी औय आॉिों
ऩय कयरय चश्भय रगयए एक हयथ भें एक छोट -सी सॊदक
ू ची औय दस
ू ये हयथ भें एकफयॉस ऩय टॊ गे फहुत -से
चश्भे लरए अबी -अबी एक गर से ननकरय थय। औय अफ एक फॊद दक
ु यन के सहयये अऩनय फयॉस टटकय यहय
थय। तो इस फेचयये की दक
ु यन बी नह ॊ ! पेय रगतय है ! हयरदयय सयहफ चक्कय भें ऩड़ गए। ऩछ
ू नय चयहते थे
इसे कैप्टन क्मों कहते हैं ? क्मय मह इसकय ियस्तविक नयभ है ? रेककन ऩयनियरे ने सयप फतय टदमय थय कक
अफ िह इस फयये भें औय कयने को तैमयय नह ॊ । ड्रयइिय बी फेचैन हो यहय थय। कयभ बी थय। हयरदयय सयहफ
जीऩ भें फैठकय चरे गए।
।- एक दे शबक्त का भजाक उड़ामा जाना ककसे अच्छा नह ॊ रगा?
क) ऩयनियरे को
ि) हयरदयय सयहफ को
ग) कैप्टन को
घ) इनभें से कोई नह ॊ
।।- ककस आदभी के ससय ऩय गाॉधी टोऩी औय आॉखों ऩय कारा चश्भा था?
क) ऩयनियरे के
ि) हयरदयय सयहफ के
ग) कैप्टन के
घ) इनभें से कोई नह ॊ
।।।- फढ़
ू ा भरयमर-सा रॊगड़ा आदभी चश्भा ककस प्रकाय फेचता था?
क) दक
ू यन रगयकय
ि) फयजयय जयकय
ग) घय भें फैठकय
घ) पेय रगयकय
।V- उस फढ़
ू े व्मक्क्त का नाभ कैप्टन क्मों यखा गमा था?
क) दे शबक्क्त की बयिनय के कययण
ि) चश्भय फेचने के कययण
ग) गयॉधी टोऩी रगयने के कययण
घ) पेय रगयने के कययण
V- ऩानवारे ने हारदाय साहफ को ककस फाये भें साप फता ददमा था?
क) हयरदयय सयहफ को फहुत कयभ है
ि) िह ऩयन फहुत टदनों से फेचतय है
ग) कैप्टन चश्भेियरे के विषम भें
घ) इनभें से कोई नह ॊ
उत्तय- ।- ि) हयरदयय सयहफ को ।।- ग) कैप्टन के ।।।- घ) पेय रगयकय ।V- क) दे शबक्क्त बयिनय के
कययण V- ग) कैप्टन चश्भेियरे के विषम भें

19
2. फयय-फयय सोचते क्मय होगय उस कौभ कय जो अऩने दे श की ियनतय घय -गह
ृ स्थी-जियनी-क्जॊदगी सफ कुछ
होभ कय दे नेियरों ऩय बी हॉसती है औय अऩने लरए बफकने के भौके ढूढ़ती है । दि
ु ी हो गए। ऩॊद्रह टदन फयद
कपय उसी कस्फे से गज
ु ये । कस्फे भें घस
ु ने से ऩहरे ह िमयर आमय कक कस्फे की रृदमस्थर भें सब
ु यष की
प्रनतभय अिश्म ह प्रनतष्ठयवऩत होगी। रेककन सब
ु यष की आॉिों ऩय चश्भय नह ॊ होगय । क्मोंकक भयस्टय फनयनय
बर
ू गमय। औय कैप्टन भय गमय। सोचय आज िहयॉ रुकेगे नह ॊ, ऩयन बी नह ियएॉगे भनू ति की तयप दे िेंगे बी
नह ॊ सीधे ननकर जयएॉगे। ड्रयइिय से कह टदमय चौययहे ऩय रुकनय नह ॊ आज फहुत कयभ है ऩयन आगे कह ॊ िय
रेंगे ।
रेककन आदत से भजफत
ू आॉिे चौययहय आते ह भनू ति की तयप उठ गई। कुछ ऐसय दे िय कक चीिे योको! जीऩ
स्ऩीड भें थी ड्रयइिय ने जोय से ब्रेक भयये । ययस्तय चरते रोग दे िने रगे । जीऩ रुकते -न-रुकते हयरदयय सयहफ
जीऩ से कूदकय तेज -तेज कदभों से भनू ति की तयप रऩके औय उसके ठीक सयभने जयकय अटें शन भें िड़े हो
गए। भनू ति की आॉिों ऩय सयकॊडे से फनय छोटय-सय चश्भय यिय हुआ थय, जैसय फच्चे फनय रेते हैं । हयरदयय
सयहफ बयिक
ु हैं| इतनी-सी फयत ऩय उनकी आॉिें बय आईं।
।- हारदाय साहफ फाय-फाय क्मा सोच यहे थे?
क) दे श की कौभ कय क्मय होगय
ि) ऩयनियरे की त़द य कैसी है
ग) चौययहे ऩय रुकनय जरुय है
घ) इनभें से कोई नह ॊ
।।- कस्फे की रृदमस्थर भें ककसकी प्रततभा थी?
क) शह द बगत लसॊह
ि) सयदयय िल्रबबयई ऩटे र
ग) भोहनदयस कयभचॊद गयॉधी
घ) नेतयजी सब
ु यष चन्द्द्र फोस
।।।- हारदाय साहफ ने ड्राइवय से क्मा कह ददमा था?
क) चौययहे ऩय रुकनय नह ॊ आज फहुत कयभ है ऩयन आगे कह ॊ िय रेंगे
ि) चौययहे ऩय रुकनय ऩयन ियकय चरेंगे
ग) चौययहे ऩय रुकनय आज फहुत कयभ नह ॊ है ऩयन ियकय चरेंगे
घ) चौययहे ऩय रुकनय नह ॊ फहुत कयभ है आज ऩयन नह ॊ ियएॉगे
।V- चौयाहे ऩय ऩहॉचकय हारदाय साहफ क्मों चीखे?
क) भनू ति की आॉिों ऩय सयकॊडे कय चश्भय यिय थय
ि) भनू ति की आॉिों ऩय चश्भय नह ॊ थय
ग) कैप्टन जीवित हो गमय थय
घ) ऩयनियरे की दक
ू यन िुर थी
V- हारदाय साहफ की आॉखें क्मों बय आईं?
क) भनू ति की आॉिों ऩय चश्भय नह ॊ थय
ि) ऩयनियरय ऩयन रेकय िड़य थय
ग) भनू ति की आॉिों ऩय सयकॊडे कय चश्भय यिय थय
घ) इनभें से कोई नह ॊ

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उत्तय- ।- क) दे श की कौभ कय क्मय होगय ।।- घ) नेतयजी सब
ु यष चन्द्द्र फोस ।।।- क) चौययहे ऩय रुकनय नह ॊ
आज फहुत कयभ है ऩयन आगे कह ॊ िय रेंगे ।V- क) भनू ति की आॉिों ऩय सयकॊडे कय चश्भय यिय थय V ग)
भनू ति की आॉिों ऩय सयकॊडे कय चश्भय यिय थय
फारगोबफन बगत – याभवऺ
ृ फेनीऩय
ननम्नलरखित गदमयॊश को ऩढ़कय नीचे टदए गए प्रश्नों के उत्तय के विकल्ऩ भें से सह छयॊटकय लरखिए-
1. फयरगोबफन बगत सयधु थे । सयधु की सफ ऩरयबयषय ओॊ भें िये उतयने ियरे । कफीय को सयहफ भयनते थे
उन्द्ह ॊ के गीतों को गयते उन्द्ह ॊ के आदे शों ऩय चरते । कबी झठ
ू नह ॊ फोरते , ियय व्मिहयय यिते । ककसी से
बी दो टूक फयत कयने भें सॊकोच नह ॊ कयते न ककसी से ियभियह झगड़य भोर रेते । ककसी की चीज नह ॊ
छूते न बफनय ऩछ
ू े व्मिहयय भें रयते । इस ननमभ को कबी -कबी इतनी फयय की तक रे जयते की रोगों को
कुतह
ू र होतय। कबी फह दस
ू ये के िेत भें शौच के लरए बी नह ॊ फैठते। िह गह
ृ स्थ थे रेककन उनकी सफ चीज
सयहफ की थी । जो कुछ िेत भें ऩैदय होतय लसय ऩय रयदकय ऩहरे उसे सयहफ के दयफयय भें रे जयते - जो
उनके घय से चयय कोस दयू ऩय थय - एक कफीयऩॊथी भठ से भतरफ ! िह दयफयय भें बेट स्िरूऩ यि टदमय
जयकय प्रसयद रूऩ भें जो उन्द्हें लभरतय, उसे घय रयते औय उसी से गज
ु य चरयते!
।- फारगोबफन बगत ककस तयह के साध थे।?
क) फनयिट सयधु
ि) रोगों दिययय ऩक
ु यये जयने ियरे
ग) सयधु की ऩरयबयषय भें िये उतयने ियरे
घ) इनभें से कोई नह ॊ
।।- फारगोबफन बगत ककसे अऩना साहफ भानते थे?
क) बगियन को
ि) कफीय को
ग) अऩने फड़े बयई को
घ) इनभें से कोई नह ॊ
।।।- खेत भें अनाज ऩैदा होने के फाद फारगोबफन क्मा कयते थे?
क) सफसे ऩहरे घय भें यि रेते थे
ि) दस
ू यों को फयॉट दे ते थे
ग) िेत भें ह चचड़ड़मों के लरए छोड़ दे ते
घ) सयहफ के दयफयय भें रे जयते
।V- कफीय ऩॊथी भठ फारगोबफन बगत के घय से ककतनी दयू था?
क) तीन कोस
ि) चयय कोस
ग) आठ कोस
घ) दस कोस
V- फारगोबफन बगत अऩनी गजय कैसे चराते थे?
क) प्रसयद के रूऩ भें जो उन्द्हें लभरतय, उसे घय रयते औय उसी से गज
ु य चरयते।
ि) घय भें जो फच जयतय उसी से गज
ु य चरयते।
ग) भयॉगने से जो लभरतय, उसे घय रयते औय उसी से गज
ु य चरते।
घ) इनभें से कोई नह ॊ

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उत्तय- ।- ग) सयधु की ऩरयबयषय भें िये उतयने ियरे ।।- कफीय को ।।।- सयहफ के दयफयय भें रे जयते
।V- ि) चयय कोस V- क) प्रसयद के रूऩ भें जो उन्द्हें लभरतय, उसे घय रयते औय उसी से गज
ु य चरयते।

2. आषयढ़ की रयभखझभ है। सभच


ू य गयॉि िेतों भें उतय ऩड़य है । कह ॊ हर चर यहे हैं कह योऩनी हो यह है।
धयन के ऩयनी बये िेतों भें फच्चे उछर यहे हैं। औयतें करेिय रेकय भेड़ ऩय फैठी हैं। आसभयन फयदर से नघयय
धऩ
ू कय नयभ नह ॊ ठॊ डी ऩयु फयई चर यह है। ऐसे ह सभम आऩके कयनों भें एक स्िय तयॊ ग झॊकयय सी कय
उठी। मह क्मय है मह कौन हैं मह ऩछ
ू नय न ऩड़ेगय। फयर गोबफन बगत सभच
ु य शय य कीचड़ भें लरथड़े अऩने
िेत भें योऩनी कय यहे हैं। उनकी अॊगर
ु एक-एक धयन के ऩौधे को ऩॊक्क्तफदध िेत भें बफठय यह है। उनकय
कॊठ एक-एक शब्द को सॊगीत के जीने ऩय चढ़यकय कुछ को ऊऩय स्िगि की ओय बेज यहय है औय कुछ को
इस ऩथ्ृ िी की लभट्ट ऩय िड़े रोगों के कयन की ओय फच्चे िेरते हुए झूभ उठते हैं भेड़ ऩय िड़ी औयतों के
होंठ कयॊऩ उठते हैं िे गन
ु गन
ु यने रगती हैं हरियहों के ऩैय तयर से उठने रगते हैं।
।- सभच
ू ा गाॉव खेतों भें कफ उभड़ ऩड़ता है ?
क) ठॊ डी ऩयु ियई भें
ि) कयनतिक की सह
ु यिनी सफ
ु ह भें
ग) पयगन
ु की फहयय भें
घ) आषयढ़ की रयभखझभ भें
।।- औयतें करेवा रेकय कहाॉ फैठी हैं?
क) ऩेड़ के नीचे
ि) िेत की भेड़ ऩय
ग) तयरयफ के ककनयये
घ) घय की दहर ज ऩय
।।।- फार गोबफन बगत सभच
ू ा शय य कीचड़ भें सरथड़े अऩने खेत भें क्मा कय यहे हैं?
क) गेहूॉ फो यहे हैं
ि) पसर कयट यहे हैं
ग) योऩनी कय यहे हैं
घ) हर चरय यहे हैं
।V- उनके कॊठ से स्वय तनकरकय कहाॉ जा यहा है?
क) सॊगीत के जीने ऩय चढ़कय स्िगि की ओय
ि) धयन के ऩौधों की योऩनी हो यह िेतों की ओय
ग) फच्चों के उछर-कूद कय यहे ऩैयों की ओय
घ) इनभें से की नह ॊ
V- हरवाहों के ऩैय तार से क्मों उठने रगते हैं?
क) फयर गोबफन बगत के सॊगीत के कययण।
ि) फच्चों के िेरकूद कयने के कययण।
ग) औयतों के भेड़ ऩय िड़ी होने के कययण।
घ) इनभें से कोई नह ॊ
उत्तय- ।- घ) आषयढ़ की रयभखझभ भें ।।- ि) िेत की भेड़ ऩय ।।।- ग) योऩनी कय यहे हैं ।V- क) सॊगीत के
जीने ऩय चढ़कय स्िगि की ओय V- क) फयर गोबफन बगत के सॊगीत के कययण

22
रखनवी अॊदाज – मशऩार
ननम्नलरखित गदमयॊश को ऩढ़कय नीचे टदए गए प्रश्नों के उत्तय के विकल्ऩ भें से सह छयॊटकय लरखिए-
1. गयड़ी छूट यह थी। सेकण्ड क्रयस के एक छोटे ड़डब्फे को ियर सभझकय जयय दौड़कय उसभें चढ़ गए।
अनभ
ु यन के प्रनतकूर ड़डब्फय ननजिन नह ॊ थय। एक फथि ऩय रिनऊ की नियफी नस्र के एक सपेदऩोश
सज्जन फहुत सवु िधय से ऩयरथी भयये फैठे थे। सयभने दो तयजे-चचकने िीये तौलरए ऩय यिे थे। ड़डब्फे भें
हभयये सहसय कूद जयने से सज्जन की आॉिों भें एकयॊत चचन्द्तन भें विघ्न कय असॊतोष टदियई टदमय। सोचय ,
हो सकतय है , मह बी कहयनी के लरए सझ
ू की चचन्द्तय भें हों मय िीये -जैसी अऩदयथि िस्तु कय शौक कयते
दे िे जयने के सॊकोच भें हों। नियफ सयहफ ने सॊगनत के लरए उत्सयह नह ॊ टदियमय। हभने बी उनके सयभने
की फथि ऩय फैठकय आत्भ-सम्भयन भें आॉिें चुयय र ॊ। ियर फैठे , कल्ऩनय कयते यहने की ऩयु यनी आदत है ।
नियफ सयहफ की असवु िधय औय सॊकोच के कययण कय अनभ
ु यन कयने रगे। सम्बि है , नियफ सयहफ ने
बफरकुर अकेरे मयत्रय कय सकने के अनभ
ु यन भें ककफ़यमत के विचयय से सेकण्ड क्रयस कय टटकट िय द
लरमय हो औय अफ गिययय न हो कक शहय कय कोई सफ़ेदऩोश उन्द्हें भॉझरे दजे भें सफ़य कयतय दे िे।
।- रेखक सेकण्ड क्रास के एक छोटे डडब्फे दौड़कय क्मों चढ़े ?
क) रेिक अऩनी सयभथ्मि टदिय यहे थे
ि) सबी दौड़कय ड़डब्फे भें चढ़ यहे थे
ग) गयड़ी छूट यह थी
घ) इनभें से कोई नह ॊ
।।- साभने दो ताजे-चचकने खीये कहाॉ यखे थे ?
क) फथि ऩय
ि) तौलरए ऩय
ग) रोटे ऩय
घ) अऽफयय ऩय
।।।- ककसने सॊगतत के सरए उत्साह नह ॊ ददखामा ?
क) रेिक ने
ि) रोगों ने
ग) नियफ सयहफ ने
घ) फच्चों ने
।V- आत्भ-सम्भयन भें ककसने आॉिें चुयय र ॊ ?
क) रेिक ने
ि) नियफ सयहफ ने
ग) रोगों ने
घ) इनभें से कोई नह ॊ
V- रेखक के अनभान से नवाफ साहफ ने सेकण्ड क्रास का दटकट क्मों खय दा होगा?
क) बफरकुर अकेरे मयत्रय कय सकने के अनभ
ु यन भें ।
ि) रेिक के सयथ मयत्रय कय सकने के अनभ
ु यन से।
ग) रोगों के सयथ मयत्रय कय सकने के अनभ
ु यन से।
घ) इनभें से कोई नह ॊ
उत्तय- ।- ग) गयड़ी छूट यह थी ।।- ि) तौलरए ऩय ।।।- ग) नियफ सयहफ ने ।V- क) रेिक ने
V- क) बफरकुर अकेरे मयत्रय कय सकने के अनभ
ु यन भें ।

23
2. नियफ सयहफ िीये की तैमयय औय इस्तेभयर से थककय रेट गए। हभें तसर भ भें लसय िभ कय रेनय
ऩड़य-मह है ियनदयनी तहज़ीफ , नफ़यसत औय नज़यकत! हभ गौय कय यहे थे , िीयय इस्तेभयर कयने के इस
तय के को िीये की सग
ु ध
ॊ औय स्ियद की कल्ऩनय से सॊतष्ु ट होने कय सक्ष्
ू भ , नपीस मय एब्स्रै क्ट तय कय
ज़रूय कहय जय सकतय है , ऩयन्द्तु क्मय ऐसे तय के से उदय की तक्ृ प्त बी हो सकती है ? नियफ सयहफ की
ओय से बये ऩेट के ऊॉचे डकयय कय शब्द सन
ु यई टदमय औय नियफ सयहफ ने हभयय ओय दे िकय कह टदमय ,
‘िीयय रज़ीज होतय है , रेककन होतय है सकीर , नयभयु यद भेदे ऩय फोझ डयर दे तय है ’ ऻयन-चऺु िर
ु गए।
ऩहचयनय मे हैं नई कहयनी के रेिक!
।- नवाफ साहफ क्मों रेट गए ?
क) उदय तक्ृ प्त हो जयने के कययण
ि) रेिक से सॊगनत न टदियने के कययण
ग) िीये की तैमयय औय इस्तेभयर से थकने के कययण
घ) िीये िय रेने के कययण
।।- खीये के इस्तेभार कयने का एब्स्रै क्ट तय का क्मा था?
क) िीये की सग
ु ध
ॊ औय स्ियद की कल्ऩनय से सॊतष्ु ट हो नय
ि) िीये की पयॉकें फनयनय
ग) िीये धोकय इस्तेभयर कयनय
घ) िीये धोकय तौलरए से ऩोंछनय
।।।- बये ऩेट के ऊॉचे डकाय का शब्द ककसे सनाई ददमा ?
क) रेिक को
ि) रोगों को
ग) नियफ सयहफ को
घ) इनभें से कोई नह ॊ
।V- ‘खीया रज़ीज होता है - मह कथन ----- ?
क) सत्म है
ि) असत्म है
ग) न सत्म, न असत्म
घ) इनभें से कोई नह ॊ
V- ऩहचाना मे हैं नई कहानी के रेखक ! - इस कथन भें क्मा व्मॊग्म है ?
क) नियफ सयहफ नई कहयनी के रेिक हैं ।
ि) बफनय घटनय औय ऩयत्र के कहयनी लरिी जय सकती है ।
ग) कहयनी के लरए ऩयत्र औय घटनय की जरुयत होती है।
घ) इनभें से कोई नह ॊ
उत्तय- ।- ग) िीये की तैमयय औय इस्तेभयर से थकने के कययण ।।- क) िीये की सग
ु ध
ॊ औय स्ियद की
कल्ऩनय से सॊतष्ु ट हो नय ।।।- क) रेिक को ।V- क) क) सत्म है V- ग) कहयनी के लरए ऩयत्र औय घटनय
की जरुयत होती है।
एक कहानी मह बी – भन्नू बॊडाय
ननम्नलरखित गदमयॊश को ऩढ़कय नीचे टदए गए प्रश्नों के उत्तय के विकल्ऩ भें से सह छयॊटकय लरखिए-
1- ऩय मह वऩत ृ गयथय भैं इसलरए नह ॊ गय यह कक भझ
ु े उनकय गौयि गयन कयनय है फक्ल्क भैं तो मह दे िनय
चयहती हूॉ कक उनके व्मक्क्तत्ि की कौन सी िफ
ू ी औय ियलभमयॉ भेये व्मक्क्तत्ि के तयने-फयने भें गथ
ु ीॊ हुई है मय

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कक अनजयने अनचयहे ककए उनके व्महयय ने भेये बीतय ककन कृनतमों को जन्द्भ दे टदमय। भैं कयर हूॉ फचऩन
भें दफ
ु र औय भरयमर बी थी। गोयय यॊ ग वऩतयजी की कभजोय थी सो फचऩन भें भझ ु से दो सयर फड़ी िूफ
गोय स्िस्थ औय हॉसभि
ु फटहन सश
ु ीरय से हय फयत भें तर
ु नय औय कपय उसकी प्रसॊशय ने ह क्मय भेये बीतय
ऐसे गहये ह न बयि की ग्रॊचथ ऩैदय नह ॊ कय द कक नयभ सम्भयन औय प्रनतष्ठय ऩयने के फयिजूद आज तक भैं
उससे उफय नह ॊ ऩयई? आज बी ऩरयचम कयियते सभम जफ कोई कुछ विशेषतय रगयकय भेये रेिकीम
उऩरक्ब्धमों कय क्जक्र कयने रगतय है तो भैं सॊकोच भें लसभट ह नह ॊ जयती फक्ल्क गड़ने-गड़ने को हो जयती
हूॉ।
।- रेखखका ने इस अनच्छे द भें ककसके व्मक्क्तत्व की चचाा की है ?
क) स्िमॊ के व्मक्क्तत्ि की
ि) अऩने वऩतय के व्मक्क्तत्ि की
ग) अऩने फटहन के व्मक्क्तत्ि की
घ) इनभें से कोई नह ॊ भन ,
।।- रेखखका फचऩन भें कैसी थी?
क) गोय , दफ
ु र औय भरयमर
ि) गोय , भोट औय स्िस्थ
ग) कयर , दफ
ु र औय भरयमर
घ) इनभें से कोई नह ॊ
।।।- गोय , स्वस्थ औय हॉसभख कौन थी?
क) रेखिकय
ि) रेखिकय की फटहन
ग) रेखिकय की भयॉ
घ) इनभें से कोई नह ॊ
।V- रेखखका आज तक ककस फात से उफय नह ॊ ऩाई?
क) फटहन सश
ु ीरय के व्मक्क्तत्ि से
ि) वऩतय के व्मक्क्तत्ि से
ग) भयन-सम्भयन औय प्रनतष्ठय से
घ) गहये ह न बयि की ग्रॊचथ से
V- ववशेषता रगाकय ऩरयचम कयवाते सभम रेखखका ऩय क्मा असय होता है?
क) रेखिकय सॊकोच भें लसभट जयती है ।
ि) रेखिकय ऩय कोई असय नह ॊ होतय है ।
ग) रेखिकय प्रसन्द्नतय भें डूफ जयती है।
घ) इनभें से कोई नह ॊ
उत्तय- ।- क) स्िमॊ के व्मक्क्तत्ि की ।।- ग) कयर , दफ
ु र औय भरयमर ।।।- ि) रेखिकय की फटहन
।V- घ) गहये ह न बयि की ग्रॊचथ से V- क) रेखिकय सॊकोच भें लसभट जयती है ।
2- वऩतय जी के क्जस शक्की स्िबयि ऩय भैं कबी बन्द्नय-बन्द्नय जयती थी, आज एकयएक अऩने िॊड़डत
विश्ियसों की व्मथय के नीचे भझ
ु े उनके शक्की स्िबयि की झरक ह टदियई दे ती है .....फहुत ‘अऩनों’ के हयथों
विश्ियसघयत की गहय व्मथय से उऩजय शक। होश सॉबयरने के फयद से ह क्जन वऩतय जी से ककसी -न-ककसी
फयत ऩय हभेशय भेय टक्कय ह चरती यह , िे तो न जयने ककतने रूऩों भें भझ
ु भें हैं...........कह ॊ कॊु ठयओॊ के
रूऩ भें , कह ॊ प्रनतकक्रमय के रूऩ भें तो कह प्रनतच्छयमय के रूऩ भें । केिर फयहय लबन्द्नतय के आधयय ऩय अऩनी

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ऩयॊ ऩयय औय ऩीटढ़मों को नकययने ियरों को क्मय सचभच
ु इस फयत कय बफल्कुर अहसयस नह ॊ होतय कक उनकय
आसन्द्न अतीत ककस कदय उनके बीतय जड़ जभयए फैठय यहतय है । सभम कय प्रियह बरे ह हभें दस
ू य
टदशयओॊ भें फहयकय रे जयए..........क्स्थनतमों कय दफयि बरे ह हभययय रूऩ फदर दे , हभें ऩयू तयह उससे भक्
ु त
तो नह ॊ ह कय सकतय।
।- रेखखका को वऩताजी के ककस व्मवहाय की झरक ददखाई दे ती थी?
क) उनके शक्की स्िबयि की
ि) स्िमॊ के शक्की स्ियबयि की
ग) अऩनों के विश्ियसघयत की
घ) इनभें से कोई नह ॊ
।।- वऩता जी से ककसी-न-ककसी फात ऩय हभेशा रेखखका की टक्कय ह चरती यह , ऐसा कफ से?
क) वऩतयजी के सभझयने के फयद
ि) रेखिकय के होश सॉबयरने के ऩहरे से
ग) रेखिकय के होश सॉबयरने के फयद से
घ) वऩतयजी के शक्की हो जयने के फयद
।।।- वे तो न जाने ककतने रूऩों भें भझभें हैं- रेखखका ने ऐसा क्मों कहा?
क) क्मोंकक रेखिकय ऩय वऩतयजी के व्मक्क्तत्ि कय असय है
ि) क्मोंकक रेखिकय ऩय उसकी फटहन सश
ु ीरय के व्मक्क्तत्ि कय असय है
ग) क्मोंकक रेखिकय ऩय उसकी भयॉ के व्मक्क्तत्ि कय असय है
घ) इनभें से कोई नह ॊ
।V- सभम का प्रवाह बरे ह हभें दस
ू य ददशाओॊ भें फहाकय रे जाए- ऩय ...?
क) जीिन के अतीत से व्मक्क्त ऩयू तयह भक्
ु त नह ॊ को ऩयतय है
ि) व्मक्क्त फीती फयतों को ऩयू तयह से बर
ू जयतय है
ग) व्मक्क्त बविष्म की मोजनयओॊ से भक्
ु त हो जयतय है
घ) जीिन भें गहये ह न बयि जन्द्भ रे रेते हैं
V- रेखखका भन्नू बॊडाय द्वाया सरखखत ऩाठ का नाभ है ...?
क) एक कहयनी ऐसी बी ।
ि) भेये जीिन की कहयनी ।
ग) एक कहयनी मह बी
घ) इनभें से कोई नह ॊ
उत्तय- ।- क) उनके शक्की स्िबयि की ।।- ग) रेखिकय के होश सॉबयरने के फयद से ।।।- क) क्मोंकक रेखिकय
ऩय वऩतयजी के व्मक्क्तत्ि कय असय है ।V- क) जीिन के अतीत से व्मक्क्त ऩयू तयह भक्
ु त नह ॊ को ऩयतय है
V- ग) एक कहयनी मह बी
नौफत खाने भें इफादत - मतीॊद्र सभश्र
1-सचभच
ु है ययन कयती है कयशी - ऩकड्ढय भहर से जैसे भरयई फयप गमय, सॊगीत, सयटहत्म औय अदफ की
फहुत सयय ऩयॊ ऩययएॉ रप्ु त हो गई। एक सच्चे सयु सयधक औय सयभयक्जक की शयॊनत बफक्स्भल्रय ियॉ सयहफ को
इन सफकी कभी िरती है । कयशी भें क्जस तयह फयफय विश्िनयथ औय बफक्स्भल्रय ियॉ एक-दस ू ये के ऩयू क यहे
हैं, उसी तयह भह
ु यि भ-तयक्जमय औय होर -अफीय, गर
ु यर की गॊगय-जभन
ु ी सॊस्कृनत बी एक-दस
ू ये के ऩयू क यहे हैं।
अबी जल्द ह फहुत कुछ इनतहयस फन चुकय है । अबी आगे फहुत कुछ इनतहयस फन जयएगय। कपय बी कुछ
फचय है जो लसपि कयशी भें हैं। कयशी आज बी सॊगीत के स्िय ऩय जयगती औय उसी की थयऩों ऩय सोती है ।

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कयशी भें भयण बी भॊगर भयनय गमय है । कयशी आनॊदकयनन है । सफसे फड़ी फयत है कक कयशी के ऩयस उस्तयद
बफक्स्भल्रय ियॉ जैसय रम औय सयु की तभीज लसियने ियरय नयमयफ ह यय यहय है जो हभेशय से दो कौभों को
एक होने ि आऩस भें बयईचयये के सयथ यहने की प्रेयणय दे तय यहय।
।- सचभच है यान कयती है काशी- ऐसा क्मों कहा गमा है?
क) क्मोंकक सॊगीत, सयटहत्म औय अदफ की फहुत सयय ऩयॊ ऩययएॉ रप्ु त हो गई हैं
ि) क्मोंकक अफ िहयॉ शहनयई नह ॊ फजती है
ग) क्मोंकक अफ िहयॉ रोग लभरजुरकय नह ॊ यहते हैं
घ) इनभें से कोई नह ॊ
।।- गॊगा-जभनी सॊस्कृतत का क्मा अथा है ?
क) फयफय विश्िनयथ औय बफक्स्भल्रय ियॉ एक-दस
ू ये के ऩयू क यहे हैं
ि) भह
ु यि भ-तयक्जमय औय होर -अफीय एक-दस
ू ये के ऩयू क यहे हैं
ग) टहन्द्द ू औय भक्ु स्रभ के त्मोहयय, सॊस्कृनत औय ऩयम्ऩययएॉ एक-दस
ू ये की ऩयू क यह हैं
घ) मे सबी
।।।- कौन सी शहय आज बी सॊगीत के स्वय ऩय जागता औय उसी की थाऩों ऩय सोता है ?
क) भथुयय
ि) कयशी
ग) अमोध्मय
घ) प्रमयगययज
।V- काशी आनॊदकानन है- इसका क्मा भतरफ है?
क) कयशी भें हय तयप शोय-शययफय है
ि) कयशी भें हय तयप भहर ह भहर हैं
ग) कयशी भें हय तयप प्रसन्द्नतय रूऩी जॊगर है
घ) िहयॉ हय तयप सॊन्द्मयसी ह सॊन्द्मयसी हैं
V- दो कौभों को एक होने व बाईचाये के साथ यहने की प्रेयणा कौन दे ता यहा?
क) रेिक
ि) उस्तयद बफक्स्भल्रय ियॉ
ग) बफक्स्भल्रय ियॉ की शहनयई
घ) इनभें से कोई नह ॊ
उत्तय- ।- क) क्मोंकक सॊगीत, सयटहत्म औय अदफ की फहुत सयय ऩयॊ ऩययएॉ रप्ु त हो गई हैं ।।- घ) मे सबी
।।।- ि) कयशी ।V- ग) कयशी भें हय तयप प्रसन्द्नतय रूऩी जॊगर है V- ि) उस्तयद बफक्स्भल्रय ियॉ

2- अभीरुदद न की उम्र अबी 14 सयर है । भसरन बफक्स्भल्रय ियॉ की उम्र अबी 14 सयर है । िह कयशी
है । िह ऩयु यनय फयरय जी कय भॊटदय जहयॉ बफक्स्भल्रय ियॉ को नौफतियने रयमयज़ के लरए जयनय ऩड़तय है । भगय
एक ययस्तय है फयरयजी भॊटदय तक जयने कय। मह ययस्तय यसर
ू न फयई औय फतर
ू न फयई के महयॉ से होकय जयतय
है । इस ययस्ते से अभीरुदद न को जयनय अच्छय रगतय है । इस ययस्ते न जयने ककतने तयह के फोर-फनयि कबी
ठुभय , कबी टप्ऩे, कबी दयदयय के भयफ़ित ड्मोढ़ तक ऩहुॉचते यहते हैं। यसर ू न फयई औय फतर ू न फयई जफ गयती
है तफ अभीरुदद न को िुशी लभरती है । अऩने ढे यों सयऺयत्कययों भें बफक्स्भल्रय ियॉ सयहफ ने स्िीकयय ककमय है
कक उन्द्हें अऩने जीिन के आयॊ लबक टदनों भें सॊगीत के प्रनत आसक्क्त इन्द्ह ॊ गयनमकय फटहनों को सन
ु कय लभर

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है । एक प्रकयय से उनकी अफोध उम्र भें अनब
ु ि की स्रेट ऩय सॊगीत - प्रेयणय की िणिभयरय यसर
ू न फयई औय
फतर
ू न फयई ने उकेय है ।
प्रश्न -
।- बफक्स्भल्रा खाॉ का फचऩन का नाभ क्मा था?
क) मतीॊद्र लभश्र
ि) अभीरुदद न
ग) यसर
ू न फयई
घ) फयरयजी
।।- बफक्स्भल्रा खाॉ को रयमाज़ के सरए कहाॉ जाना ऩड़ता था?
क) यसर
ू न फयई के घय
ि) फतर
ू न फयई के घय
ग) कयशी
घ) नौफतियने
।।।- फाराजी भॊददय तक जाने का यास्ता बफक्स्भल्रा खाॉ को क्मों अच्छा रगता था?
क) क्मोंकक मह ययस्तय नौफतियने तक जयतय थय
ि) क्मोंकक मह ययस्तय फहुत ऩयु यनय थय
ग) क्मोंकक मह ययस्तय एकदभ नमय थय
घ) क्मोंकक मह ययस्तय यसर
ू न फयई औय फतर
ू न फयई के महयॉ से होकय जयतय थय
।V- बफक्स्भल्रा खाॉ को जीवन के आयॊ सबक ददनों भें सॊगीत के प्रतत आसक्क्त ककनसे सभर ?
क) फयफय विश्िनयथ से
ि) कयशी की ड्मोढ़ से
ग) यसर
ू न फयई औय फतर
ू न फयई से
घ) इनभें से कोई नह ॊ
V- ‘नौफतखाने भें इफादत’ ऩाठ के रेखक हैं?
क) उस्तयद बफक्स्भल्रय ियॉ
ि) यसर
ू न फयई औय फतर
ू न फयई
ग) मतीॊद्र लभश्र
घ) इनभें से कोई नह ॊ
उत्तय- ।- ि) अभीरुदद न ।।- घ) नौफतियने ।।।- घ) क्मोंकक मह ययस्तय यसर
ू न फयई औय फतर
ू न फयई के
महयॉ से होकय जयतय थय ।V- ग) यसर
ू न फयई औय फतर
ू न फयई से V- ग) मतीॊद्र लभश्र

सभ्मता औय सॊस्कृतत - बदॊ त आनॊद कौसल्मामन


ननम्नलरखित गदमयॊश से ऩछ
ू े गए प्रश्नों के उत्तय सह विकल्ऩ छयॉटकय द क्जए-
1- एक सॊस्कृत व्मक्क्त ककसी नमी चीज की िोज कयतय है ककॊ तु उसकी सॊतयन को िह अऩने ऩि
ू ज
ि से
अनयमयस ह प्रयप्त हो जयती है । क्जस व्मक्क्त की फद
ु चध ने अथिय उसके वििेक ने ककसी बी नए तथ्म कय
दशिन ककमय, िह व्मक्क्त ह ियस्तविक सॊस्कृत व्मक्क्त है औय उसकी सॊतयन क्जसे अऩने ऩि
ू ज
ि से अनयमयस
ह प्रयप्त हो गई है, िह अऩने ऩि
ू ज
ि की बयॉनत सभ्म बरे ह फन जयए , सॊस्कृत नह ॊ कहरय सकतय। एक
आधुननक उदयहयण रें। न्द्मट
ू न ने गरु
ु त्ियकषिण के लसदधयॊत कय आविष्कयय ककमय। िह सॊस्कृत भयनि थय।
आज के मग
ु कय बौनतक विऻयन कय विदमयथी न्द्मट
ू न के गरु
ु त्ियकषिण से तो ऩरयचचत है रेककन उसके सयथ

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उसे औय बी अनेक फयतों कय ऻयन प्रयप्त है क्जनसे शयमद न्द्मट
ू न अऩरयचचत ह यहय। ऐसय होने ऩय बी हभ
आज के बौनतक विऻयन के विदमयथी को न्द्मट
ू न की अऩेऺय अक्ध्क सभ्म बरे ह कह सकें ऩय न्द्मट
ू न
क्जतनय सॊस्कृत नह ॊ कह सकते।
प्रश्न -
।- रेखक ने सॊस्कृत व्मक्क्त ककसे भाना है?
क) जो व्मक्क्त हभेशय सॊघषि कयतय है
ि) जो व्मक्क्त कोई नमी चुनौती स्िीकयय कयतय है
ग) जो व्मक्क्त कोई नमय कयभ नह ॊ कयतय है
घ) जो व्मक्क्त ककसी नमी चीज की िोज कयतय है
।।- कोई ऐसी चीज क्जसे अऩने ऩव
ू ज
ा से अनामास ह प्राप्त हो गई है ? वह कहराता है -
क) सॊस्कृत व्मक्क्त
ि) असॊस्कृत व्मक्क्त
ग) सभ्म व्मक्क्त
घ) असभ्म व्मक्क्त
।।।- न्मट
ू न ने ककस ससद्धाॊत का आववष्काय ककमा?
क) गनत के लसदधयॊत कय
ि) गरु
ु त्ियकषिण के लसदधयॊत कय
ग) दयफ के लसदधयॊत कय
घ) इनभें से कोई नह ॊ
।V- आज के मग का बौततक ववऻान का ववद्माथी न्मट
ू न की तयह सॊस्कृत है? मह कथन ...?
क) सत्म है
ि) असत्म है
ग) दोनों है
घ) इनभें से कोई नह ॊ
V- ‘सभ्मता औय सॊस्कृतत’ ऩाठ के रेखक हैं?
क) न्द्मट
ू न
ि) बदॊ त आनॊद कौसल्मयमन
ग) मतीॊद्र लभश्र
घ) इनभें से कोई नह ॊ
उत्तय- ।- घ) जो व्मक्क्त ककसी नमी चीज की िोज कयतय है ।।- ग) सभ्म व्मक्क्त ।।।- ि) गरु
ु त्ियकषिण
के लसदधयॊत कय ।V- ि) असत्म है V- ि) बदॊ त आनॊद कौसल्मयमन

2- ‘‘बौनतक प्रेयणय, ऻयनेप्सय’’-क्मय मे दो ह भयनि सॊस्कृनत के भयतय-वऩतय हैं? दस


ू ये के भॉह
ु भें कौय डयरने के
लरए जो अऩने भॉह
ु कय कौय छोड़ दे तय है , उसको मह फयत क्मों औय कैसे सझ
ू ती है ? योगी फच्चे को सयय ययत
गोद भें लरए जो भयतय फैठी यहती है , िह आखिय ऐसय क्मों कयती है ? सन
ु ते हैं कक रूस कय बयग्मविधयतय
रेननन अऩनी डैस्क भें यिे हुए डफर योट के सिू े टुकड़े स्िमॊ न ियकय दस ू यों को खिरय टदमय कयतय थय।
िह आखिय ऐसय क्मों कयतय थय ? सॊसयय के भजदयू ों को सि ु ी दे िने कय स्िप्न दे िते हुए कयरि भयक्सि ने
अऩनय सययय जीिन दिु भें बफतय टदमय। औय इन सफसे फढ़कय आज नह ॊ , आज से ढयई हजयय िषि ऩि ू ि
लसददयथि ने अऩनय घय केिर इसलरए त्मयग टदमय कक ककसी तयह तष्ृ णय के िशीबत
ू रड़ती-कटती भयनितय
सि
ु से यह सके।
29
प्रश्न -
।- ‘‘बौततक प्रेयणा, ऻानेप्सा’’-क्मा मे दो ह भानव सॊस्कृतत के भाता-वऩता हैं?
क) हयॉ
ि) नह ॊ
ग) कह नह ॊ सकते
घ) इनभें से कोई नह ॊ
।।- दस
ू ये के भॉह भें कौय डारने के सरए जो अऩने भॉह का कौय छोड़ दे ता है, - उसे कहें गे
क) ऩयभयथी
ि) स्ियथी
ग) विनम्र
घ) असभ्म
।।।- रूस का बाग्मववधाता ककसे कहा गमा है?
क) कयरि भयक्सि को
ि) न्द्मट
ू न को
ग) रेननन को
घ) इनभें से कोई नह ॊ
।V- सॊसाय के भजदयू ों को सखी दे खने का स्वप्न ककसने दे खा?
क) कयरि भयक्सि ने
ि) रेननन ने
ग) न्द्मट
ू न ने
घ) इनभें से कोई नह ॊ
V- आज से ढाई हजाय वषा ऩव
ू ा ससद्दाथा ने अऩना घय क्मों छोड़ ददमा था?
क) तयकक उन्द्हें जीिन द्ु ि लभर सके।
ि) तयकक भनष्ु म कय रयरच घट सके।
ग) तयकक रोगों की दरयद्रतय लभट सके।
घ) तयकक तष्ृ णय के िशीबत
ू रड़ती-कटती भयनितय सि
ु से यह सके।
उत्तय- ।- ि) नह ॊ ।।- क) ऩयभयथी ।।।- ग) रेननन को ।V- क) कयरि भयक्सि ने V- घ) तयकक तष्ृ णय के
िशीबत
ू रड़ती-कटती भयनितय सि
ु से यह सके।

30
ऩद्म बाग
ऩद - सयू दास
कवव ऩरयचम - बक्क्तकयर की सगण
ु कयव्मधययय के कृष्णयश्रमी बक्क्त शयिय के प्रनतननचध एिॊ बक्त कवि
सयू दयस कय जन्द्भ सन ् 1478 ई. भें भथुयय के ननकट रुनकतय मय ये णुकय ऺेत्र भें हुआ थय । भहयप्रबु
िल्रबयचयमि के लशष्म सयू दयस अष्ट छयऩ के कविमों भें सियिचधक प्रलसदध हैं। िे भथुयय औय िद
ॊ ृ यिन के फीच
गऊघयट ऩय यहते थे औय श्रीनयथ जी के भॊटदय भें बजन-कीतिन ककमय कयते थे। सन ् 1583 ई. भें ऩयसौर भें
उनकय ननधन हो गमय।
यचनाएॉ- सयू दयस की प्रभि
ु यचनयएॉ ननम्नलरखित हैं- सयू सयगय, सयटहत्म रहय औय सयू सयययिर । इनभें
सयू सयगय ह सियिचधक रोकवप्रम हुआ।
काव्मगत ववशेषताएॉ - िेती औय ऩशऩु यरन ियरे बययतीम सभयज कय अॊतयॊ ग चचत्र औय भनष्ु म की स्ियबयविक
िवृ त्तमों कय भनोयभ चचत्रण उनकी यचनयओॊ भें लभरतय है । सयू दयस ‘ियत्सल्म’ औय ‘श्रॊग
ृ यय’ यस के श्रेष्ठ कवि
भयने जयते हैं। कृष्ण औय गोवऩमों कय प्रेभ सहज भयनिीम प्रेभ की प्रनतष्ठय कयतय है । उनके कयव्म भें
ब्रजबयषय कय ननियय हुआ रूऩ है क्जसभें सटदमों से चर आ यह रोकगीतों की भधयु तय कय यसयस्ियदन लरमय
जय सकतय है ।
ऩद

प्रततऩादम- महयॉ सयू सयगय के भ्रभयगीत से चयय ऩदों कय सॊकरन ककमय गमय है । भथुयय जयने के फयद श्रीकृष्ण
ने उदधि के जरयए गोवऩमों को अऩने शीघ्र ह रौट आने कय सॊदेश बेजय। भौकय ऩयकय उदधि ने गोवऩमों को
ननगण
ुि ब्रह्भ औय मोग कय उऩदे श दे कय उनकी वियह िेदनय को शयॊत कयने कय प्रमयस ककमय ककन्द्तु गोवऩमयॉ
नीयस ऻयन भयगि के फजयए प्रेभ भयगि को अऩनयनय उचचत सभझय। गोवऩमों को शष्ु क ऻयन ऩसॊद नह ॊ आमय।
उसी सभम एक बौंयय आ ऩहुॉचय क्जसे रक्ष्म कयके गोवऩमों ने उदधि औय उनके ऻयन ऩय तीक्ष्ण व्मॊग्म फयण
छोड़े। मह ॊ से ‘भ्रभयगीत’ कय प्रययम्ब होतय है ।
साय- ऩहरे ऩद भें गोवऩमों ने उदधि ऩय व्मॊग्म कयते हुए कहय कक आऩ फड़े बयग्मशयर हैं जो श्रीकृष्ण के
सयथ यहकय बी उनके प्रेभ रूऩी धयगे से नह ॊ फॊधे हैं अन्द्मथय हभयय ह तयह आऩको बी वियह िेदनय की
अनब
ु नू त होती। दस
ू ये ऩद भें श्रीकृष्ण के प्रनत गोवऩमों के प्रेभ की गहययई व्मक्त हुई है । गोवऩमयॉ स्िीकयय
कयती हैं कक उनके भन की अलबरयषयएॉ भन भें ह यह गईं। तीसये ऩद भें िे उदधि की मोग सयधनय को
कड़िी ककड़ी की तयह फतयकय उसे स्िीकयय कयने से भनय कय दे ती हैं औय अऩने एकननष्ठ प्रेभ भें दृढ़
विश्ियस प्रकट कयती हैं। चौथे ऩद भें गोवऩमयॉ उदधि को तयनय भययती हैं औय फतयती हैं कक श्रीकृष्ण ने अफ
ययजनीनत ऩढ़ र है । गोवऩमयॉ कहती हैं कक ययजय कय धभि मह है कक प्रजय को सतयमय नह ॊ जयनय चयटहए।
ववशेष-

1. श्रीकृष्ण के प्रनत गोवऩमों के एकननष्ठ प्रेभ कय भनोयभ चचत्रण हुआ है।


2. गोवऩमयॉ मोग औय ऻयन के फजयए प्रेभ भयगि को अऩनयनय चयहती हैं।
3. ‘प्रीनत-नद ’ भें रूऩक तथय ‘गयु चयॊट ज्मौं ऩयगी’ भें उत्प्रेऺय अरॊकयय है ।
4. ब्रजबयषय कय सयर, सहज औय बयियनक ु ू र प्रमोग हुआ है ।
5. सॊगीत के तत्िों से मक्
ु त गेम ऩद शैर कय सहज प्रमोग है।
6. कवितय भें बफम्फों कय स्ियबयविक प्रमोग हुआ है ।
7. गोवऩमों औय श्रीकृष्ण के प्रेभ के वियह के कययण विमोग श्रॊग
ृ यय यस है ।

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फहववकल्ऩी प्रश्न
प्रश्न-i गोवऩमों ने उद्धव को बाग्मशार क्मों कहा है ?
(क) उदधि श्रीकृष्ण के प्रेभ भें डूफ गए हैं
(ि) उदधि श्रीकृष्ण के सयथ यहकय बी उनके प्रेभ भें नह ॊ डूफे
(ग) गोवऩमयॉ श्रीकृष्ण के प्रेभ डूफ गमीॊ हैं
(घ) श्रीकृष्ण उदधि के प्रेभ भें डूफ गए हैं
प्रश्न-ii प्रीतत-नद भें ऩाऊॉ न फोयमौ- ये खाॊककत भें कौन-सा अरॊकाय है ?
(क) रूऩक
(ि) अनप्र
ु यस
(ग) मभक
(घ) उऩभय
प्रश्न-iii ‘बफयदहतन बफयह दह ’- ववयहणी का प्रमोग ककसके सरए हआ है ?
(क) श्रीकृष्ण के लरए
(ि) उदधि के लरए
(ग) भथुयय के लरए
(घ) गोवऩमों के लरए
प्रश्न-iv उद्धव गोवऩमों के सरए कौन-सा उऩदे श रेकय आए?
(क) प्रेभ औय बक्क्त
(ि) मोग औय ऻयन
(ग) विमोग औय बक्क्त
(घ) सॊमोग औय विमोग
प्रश्न-v गोवऩमों के अनसाय याजा का क्मा धभा है ?
(क) प्रजय को ऩये शयन कयनय
(ि) प्रजय कय ध्मयन न यिनय
(ग) प्रजय को न सतयए
(घ) प्रजय से कोई भतरफ न यिे
उत्तय- i- (ि) उदधि श्रीकृष्ण के सयथ यहकय बी उनके प्रेभ भें नह ॊ डूफे ii- (क) रूऩक iii- (घ) गोवऩमों के
लरए iv- (ि) मोग औय ऻयन v- (ग) प्रजय को न सतयए
याभ-रक्ष्भण-ऩयशयाभ सॊवाद - तरसीदास
कवव ऩरयचम - बक्क्तकयर की सगण
ु कयव्मधययय के ययभयश्रमी शयिय के प्रनतननचध एिॊ बक्त कवि तर
ु सीदयस
दयस कय जन्द्भ उत्तय प्रदे श के फयॉदय क्जरे के ययजयऩयु गयॉि भें सन ् 1532 ई. भें हुआ थय। कछ ववद्वान इनका
जन्भस्थान सोयों क्जरा-एटा भें बी भानते हैं । तर ु सीदयस कय फचऩन फहुत ह सॊघषिभम थय । जीिन के
प्रययॊ लबक िषों भें ह भयतय-वऩतय से विछोह हो गमय । गरु
ु कृऩय से उन्द्हें ययभबक्क्त कय भयगि लभरय क्जस ऩय िे
आजीिन चरते यहे । िे भयनिीम भल्
ू मों की आस्थय के कवि थे । सन ् 1623 ई. भें कयशी भें इनकय दे हयिसयन
हो गमय।
यचनाएॉ- याभबक्क्त ऩयॊ ऩया भें तरसीदास अतरनीम हैं । इनकी प्रभि
ु यचनयएॉ ननम्नलरखित हैं-ययभचरयतभयनस,
कवितयिर , गीतयिर , दोहयिर , कृष्ण गीतयिर , विनमऩबत्रकय, ययभररय नहछू । काव्मगत ववशेषताएॉ -
ययभचरयतभयनस तर
ु सीदयस की अनऩ
ु भ कृनत । इसभें उनकी श्रीययभ के प्रनत अनन्द्म बक्क्त व्मक्त हुई है ।

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उनके प्रबु ययभ भयनिीम भमयिदयओॊ औय आदशों के प्रतीक हैं क्जनके भयध्मभ से उन्द्होंने शीर, विनम, त्मयग,
स्नेह, बक्क्त एिॊ नीनत जैसे उदयत्त आदशों की प्रनतष्ठय की है । अिधी औय ब्रजबयषय दोनों ऩय उनकय सभयन
अचधकयय है । उन्द्होंने ‘याभचरयतभानस’ की यचनय अिधी भें औय ‘कववतावर ’ तथय ‘ववनमऩबिका’ की यचनय
ब्रजबयषय भें की । उस सभम के प्रचलरत सबी कयव्मरूऩों को उनकी यचनयओॊ भें दे िय जय सकतय है ।
‘याभचरयतभानस’ कय भख्
ु म छॊ द चौऩाई है ककन्द्तु फीच-फीच भें दोहय, सोयठय, हरयगीनतकय तथय अन्द्म छॊ द बी
वऩयोए गए हैं । ‘ववनमऩबिका’ की यचनय गेम ऩदों भें हुई है जफकक ‘कववतावर ’ भें कवित्त औय सिैमय छॊ द की
छटय दे िी जय सकती है । उनकी यचनयओॊ भें प्रफॊध औय भक्
ु तक दोनों प्रकयय के कयव्मों कय उत्कृष्ट रूऩ
टदियई ऩड़तय है ।
प्रततऩादम- ‘ययभ-रक्ष्भण-ऩयशयु यभ सॊियद’ प्रसॊग ‘ययभचरयतभयनस’ के फयरकयण्ड से लरमय गमय है । सीतय
स्िमॊिय भें गरु
ु विश्ियलभत्र की आऻय ऩयकय श्रीययभ ने लशिजी के धनष
ु को तोड़ टदमय । जफ मह सभयचयय
भनु न ऩयशयु यभ को लभरय तो िे कुवऩत होकय स्िमॊिय सबय भें आते हैं औय लशिजी के िॊड़डत धनष
ु को
दे िकय आऩे से फयहय हो जयते हैं । श्रीययभ के विनम कयने तथय भनु न विश्ियलभत्र के सभझयने ऩय उनकय गस्
ु सय
शयॊत होतय है औय कपय िे िहयॉ से चरे जयते हैं।
साय- इस प्रसॊग भें ययभ-रक्ष्भण औय भनु न ऩयशयु यभ के फीच जो सॊियद हुआ है उसकय महयॉ भनोयभ िणिन
ककमय गमय है । ऩयशयु यभ ने कहय कक लशिजी के इस धनष ु को ककसने तोड़य तफ श्रीययभ ने जियफ टदमय कक
आऩकय ह कोई एक सेिक होगय। कपय उन्द्होंने कहय कक सेिक कय कयमि सेिय कयनय होतय है न की रड़यई
कयनय। िह अबी बय सबय से अरग हो जयए नह ॊ तो सबी ययजय भयये जयएॉगे। ऩयशयु यभ के क्रोध बये िचनों
को सन
ु कय रक्ष्भण ने उन ऩय िफ
ू व्मॊग्म ककमय क्जससे िे दोनों ययजकुभययों सटहत सम्ऩण
ू ि ऺबत्रम सभयज को
नष्ट कय दे ने के लरए उदधत होते हैं। िीय यस, यौद्र यस औय हयस्म यस से ऩगी औय व्मॊग्मोक्क्तमों से सजी
इन कयव्म-ऩॊक्क्तमों को ऩढ़कय रोग आनॊदभग्न हो उठते हैं।
ववशेष–
1. कयव्म-ऩॊक्क्तमों भें ययभ-रक्ष्भण औय ऩयशयु यभ के सॊियद कय भनोयभ चचत्रण ककमय गमय है ।
2. श्रीययभ की विनमशीरतय औय सहजतय की सयस अलबव्मक्क्त हुई है ।
3. भनु न के क्रोध भें यौद्र यस औय िीय यस की छटय टदियई ऩड़ती है ।
4. ‘फयरकु फोलर फधौं’ भें अनप्र
ु यस तथय ‘सहसफयहु सभ सो रयऩु भोयय’ भें उऩभय अरॊकयय है ।
5. चौऩयई औय दोहय छॊ द कय प्रमोग ककमय गमय है ।
6. कयव्म-ऩॊक्क्तमों भें व्मॊजकतय तथय सयसतय विदमभयन है।
7. अिधी बयषय कय बयियनक
ु ू र प्रमोग हुआ है ।

फहववकल्ऩी प्रश्न
प्र-i ‘याभचरयतभानस’ की यचना ककस बाषा भें हई है?
(क) िड़ीफोर
(ि) ब्रजबयषय
(ग) फन्द्
ु दे र
(घ) अिधी
प्र-ii बग
ृ करकेत ककन्हें कहा गमा है?
(क) श्रीययभ को
(ि) ऩयशयु यभ को

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(ग) विश्ियलभत्र को
(घ) रक्ष्भण को
प्र-iii ‘याभ-रक्ष्भण-ऩयशयाभ सॊवाद’ का प्रसॊग ‘याभचरयतभानस’ के ककस काण्ड से सरमा गमा है?
(क) रॊकयकयण्ड
(ि) फयरकयण्ड
(ग) अमोध्मयकयण्ड
(घ) उत्तयकयण्ड
प्र-iv फढ़त दे खख जर सभ फचन फोरे यघकरबान –ये खाॊककत भें कौन-सा अरॊकाय है ?
(क) उऩभय
(ि) रूऩक
(ग) अनप्र
ु यस
(घ) मभक
प्र-v ‘याभचरयतभानस’ भें प्रमक्त भख्म छॊ द कौन-सा है ?
(क) दोहय
(ि) कवित्त
(ग) सोयठय
(घ) चौऩयई

उत्तय- i- (घ) अिधी ii- (ि) ऩयशयु यभ को iii- (ि) फयरकयण्ड iv- (क) उऩभय v- (घ) चौऩयई

आत्भकथ्म - जमशॊकय प्रसाद


कवव ऩरयचम- जमशॊकय प्रसयद कय जन्द्भ सन 1889 ईस्िी भें ियययणसी भें हुआ। कयशी के प्रलसदध क्िीॊस
कॉरेज भें िे ऩढ़ने गए ऩयॊ तु क्स्थनतमयॊ अनक
ु ू र न होने के कययण आठिीॊ से आगे नह ॊ ऩढ़ ऩयए। फयद भें घय
ऩय ह सॊस्कृत, टहॊद , ऩययसी कय अध्ममन ककमय। छयमयियद कयव्म प्रिवृ त्त के प्रभि
ु कविमों भें से एक
जमशॊकय प्रसयद कय सन 1937 ईस्िी भें ननधन हो गमय।
कृततमाॉ- उनकी प्रभि
ु कयव्म कृनतमयॉ हैं- चचत्रयधयय, कयनन-कुसभ
ु , झयनय, आॉस,ू रहय औय कयभयमनी।
आधुननक टहॊद की श्रेष्ठतभ कयव्म-कृनत भयनी जयने ियर कयभयमनी ऩय उन्द्हें भॊगरयप्रसयद ऩयरयतोवषक टदमय
गमय। िे कवि के सयथ-सयथ सपर गदमकयय बी थे। अजयतशत्र,ु चन्द्द्रगप्ु त, स्कॊदगप्ु त औय ध्रुिस्ियलभनी
उनके नयटक हैं तो कॊकयर, नततर औय इययिती उऩन्द्मयस। आकयशद ऩ, आॉधी औय इॊद्रजयर उनके कहयनी
सॊग्रह हैं।
काव्मगत ववशेषताएॉ- प्रसयद कय सयटहत्म जीिन की कोभरतय, भयधम
ु ,ि शक्क्त औय ओज कय सयटहत्म भयनय
जयतय है । छयमयियद कवितय कक अनतशम कयल्ऩननकतय, सौंदमि कय सक्ष्
ू भ चचत्रण, प्रकृनत-प्रेभ, दे श-प्रेभ औय
शैर की रयऺखणकतय उनकी कवितय की प्रभि
ु विशेषतयएॉ हैं। इनतहयस औय दशिन भें उनकी गहय रुचच थी
जो उनके सयटहत्म भें स्ऩष्ट टदियई दे ती है।
प्रततऩाद्म- प्रेभचॊद के सॊऩयदन भें ‘हॊ स’ ऩबत्रकय कय एक आत्भकथय विशेषयॊक ननकरनय तम हुआ थय। प्रसयद
जी के लभत्रों ने आग्रह ककमय कक िे बी आत्भकथय लरिें। प्रसयद जी इससे सहभत न थे। इसी असहभनत के
तकि से ऩैदय हुई कवितय है- आत्भकथ्म। मह कवितय ऩहर फयय 1932 भें ‘हॊ स’ के ‘आत्भकथय विशेषयॊक’ भें
प्रकयलशत हुई थी। छयमयियद शैर भें लरिी गई इस कवितय भें जमशॊकय प्रसयद ने जीिन के मथयथि एिॊ
अबयि ऩऺ की भयलभिक अलबव्मक्क्त की है। छयमयियद सक्ष्
ू भतय के अनरू
ु ऩ ह अऩने भनोबयिों को अलबव्मक्त
कयने के लरए जमशॊकय प्रसयद ने रलरत, सद
ुॊ य एिॊ निीन शब्दों औय बफम्फों कय प्रमोग ककमय है। इन्द्ह ॊ शब्दों
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एिॊ बफम्फों के सहयये उन्द्होंने फतयमय है कक उनके जीिन की कथय एक सयभयन्द्म व्मक्क्त के जीिन की कथय है।
इसभें ऐसय कुछ बी नह ॊ है क्जसे भहयन औय योचक भयन कय रोग ियह-ियह कयें ग।े कुर लभरयकय इस कवितय
भें एक तयप कवि दिययय मथयथि की स्िीकृनत है तो दस
ू य तयप एक भहयन कवि की विनम्रतय बी।
साय- ‘आत्भकथ्म ’ कवितय भें प्रसयद जी ने आत्भकथय रेिन के विषम भें अऩनी भनोबयिनयएॉ व्मक्त की
हैं । प्रसयद जी के लभत्रों औय प्रशॊसकों ने उनसे आत्भकथय लरिने कय अनयु ोध ककमय थय। इस अनयु ोध के
उत्तय भें प्रसयद जी ने इस कवितय की यचनय की। मह यचनय ’हॊ स ’ ऩबत्रकय के आत्भकथय विशेषयॊक भें
प्रकयलशत हुई थी।
कवि ने अनस ु यय आत्भकथय लरिने की कोई उऩमोचगतय नह ॊ है । जीिन केिर एक व्मथय-कथय है । पूर से
पूर ऩय बटकते बौंये की गज
ॊु यय क्मय है ? कबी तप्ृ त न होने ियर प्मयस की करुण कहयनी है । डयरों से
भयु झयकय चगयने ियर ऩवत्तमयॉ जीिन की नश्ियतय की कथय सन
ु यह है । एक अनॊत आकयश के तरे धयती
ऩय असॊख्म जीिन ऩर यहे है । इन सबी की अऩनी-अऩनी आत्भकथयएॉ है । इन आत्भकथयओॊ को
सयििजननक कय ने से क्मय लभरतय है ? हभ इन कथयओॊ को सन
ु यकय अऩने ह ऊऩय व्मॊग्म कयते हैं। स्िमॊ
को उऩहयस कय ऩयत्र फनयते हैं ।
मह सफ जयनते हुए बी भैं अऩनी आत्भकथय कैसे लरिूॉ ? भेयय जीिन दफ
ु र
ि तयओॊ एिॊ असपरतयओॊ की
कहयनी है । मह एक ियर गगय के सभयन है । उसभें ऐसय कुछ बी उल्रेिनीम नह ॊ है क्जसे भैं लभत्रों
औय प्रशॊसकों से सयझय कय सकॉू । कह ॊ ऐसय न हो कक भेय आत्भकथय सयभने आने ऩय भेये लभत्र भेय
दमनीम दशय के लरए स्िमॊ को दोषी सभझने रगें । अऩनी बर
ू ों औय अऩने सयथ हुए धोिों की कहयनी
सन
ु यकय भैं अऩनी सयरतय की हॉसी कयनय नह ॊ चयहतय।
कवि कहतय है कक िह अऩने जीिन के भधुय ऺणों की कहयनी नह ॊ सन
ु नय चयहतय। उसके सि
ु के सऩने
कबी सयकयय नह ॊ हुए। सि
ु उसकी फयॉहों भें आते-आते दयू हो गमय। आज िह उन भधुय स्भनृ तमों के
सहयये ह अऩने जीिन को बफतय यहय है । लभत्र रोग आत्भकथय लरिियकय उसकी कटु स्भनृ तमों को क्मों
उधेङनय चयहते हैं ?
अऩनी कथय सन
ु यने से तो मह अच्छय हैं कक िह औयों के जीिन की कथयएॉ भौन होकय सन
ु तय यहे ।
उसकी बोर आत्भकथय सन
ु कय कोई क्मय कये गय। िह नह ॊ चयहतय है कक आत्भकथय लरिकय िह अऩनी
बर
ू हुई ऩीड़यओॊ को कपय से जगयएॉ।
ववशेष:
1) कवि ने जीिन की नश्ियतय कय मथयथि उल्रेि ककमय है ।
2) ककसी व्मक्क्त के जीिन की कभजोरयमों एिॊ असपरतयओॊ को दस
ू ये रोग हॉसी-भजयक फनय दे ते
हैं।
3) कवि ने व्मक्क्तगत जीिन के भधयु ऩरों की छुअन कय भयलभिक चचत्रण ककमय है ।
4) अनप्र
ु यस, उत्प्रेऺय, अन्द्मोक्क्त, रूऩक अरॊकयय की छटय विदमभयन है ।
5) छयमयियद कयव्म-शैर कय भनोयभ प्रमोग हुआ है ।
6) तत्सभ शब्दयिर से मक् ु त सहज िड़ीफोर कय प्रमोग हुआ है ।
7) कयव्म-ऩॊक्क्तमों भें भयधुमि गण
ु विदमभयन है ।
8) प्रेभ की भधयु बयिनयओॊ की अलबव्मक्क्त के कययण विमोग श्रॊग
ृ यय यस दशिनीम है ।
फहववकल्ऩी प्रश्न
प्र-i कवव ने भयझाकय चगयने वार ऩवत्तमों के भाध्मभ से क्मा सॊकेत ककमा है?
(क) जीिन अभय है
(ि) जीिन ऺणबॊगयु है

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(ग) ऩेड़ से ऩवत्तमयॉ चगय जयती हैं
(घ) इनभें से कोई नह ॊ
प्र-ii कवव अऩने जीवन की स्भतृ तमों को क्मों नह ॊ फताना चाहता है?
(क) कवि ननययशय भें डूफय हुआ है इसलरए
(ि) उसके जीिन की फहुत सी मयदें हैं
(ग) उसकय जीिन ियर घड़य है
(घ) इनभें से कोई नह ॊ
प्र-iii कवव के सरए भधय चाॉदनी यातों की क्मा ववशेषता थी?
(क) ययत भें चयॉदनी चययों ओय पैर हुई थी
(ि) कवि को अऩने जीिन से प्रेभ नह ॊ थय
(ग) कवि को अऩने लभत्रों से फहुत प्रेभ कयतय थय
(घ) कवि ने अऩनी प्रेलभकय के सयथ चयॉदनी ययतों भें हॉस-हॉसकय फयतें की थी
प्र-iv अरुण-कऩोरों की भतवार सद
ॊ य छामा – इस ऩॊक्क्त भें ककसका वणान ककमा गमा है ?
(क) कवि ने अऩनी प्रेलभकय की सद
ॊु यतय कय िणिन ककमय है
(ि) छयमय की सद ुॊ यतय कय चचत्रण हुआ है
(ग) लभत्रों की प्रसन्द्नतय कय िणिन ककमय गमय है
(घ) दनु नमय के रोगों की चयरयकी कय िणिन हुआ है
प्र-v आत्भकथ्म कववता भें ककस यस की प्रभखता है?
(क) िीय यस
(ि) हयस्म यस
(ग) शयॊत यस
(घ) श्रॊग
ृ यय यस
उत्तय- i- (ि) जीिन ऺणबॊगयु है ii- (ग) उसकय जीिन ियर घड़य है iii- (घ) कवि ने अऩनी प्रेलभकय के सयथ
चयॉदनी ययतों भें हॉस-हॉसकय फयतें की थी iv- (क) कवि ने अऩनी प्रेलभकय की सद
ुॊ यतय कय िणिन ककमय है v- (घ)
श्रॊग
ृ यय यस
उत्साह, अट नह ॊ यह है - सम
ू क
ा ाॊत बिऩाठी ‘तनयारा’
जीवन ऩरयचम- सम ू कि यॊत बत्रऩयठी ‘ननययरय’ कय जन्द्भ फॊगयर के भटहषयदर भें सन 1899 भें हुआ । िह भर
ू त:
गढ़यकोरय (क्जरय उन्द्नयि) उत्तय प्रदे श के ननियसी थे। ननययरय की औऩचयरयक लशऺय नौिीॊ तक भटहषयदर भें
ह हुई। उन्द्होंने स्ियध्मयम से सॊस्कृत, फयॊग्रय औय अॊग्रेजी कय ऻयन अक्जित ककमय। िह सॊगीत औय दशिनशयस्त्र
के बी गहये अध्मेतय थे। ययभकृष्ण ऩयभहॊ स औय वििे कयनन्द्द की विचययधययय ने उन ऩय विशेष प्रबयि डयरय ।
ननययरय कय ऩयरयियरयक जीिन दि
ु ों औय सॊघषों से बयय थय । आत्भीम जनों के असयभनमक ननधन ने उन्द्हें
बीतय तक तोड़ टदमय। सयटहक्त्मक भोचे ऩय बी उन्द्होंने अनियत सॊघषि ककमय । सन 1961 भें उनकय दे हयॊत हो
गमय।
प्रभख काव्म यचना एॉ- अनयलभकय, ऩरयभर , गीनतकय, कुकुयभत्त
ु य औय नए ऩत्ते । उऩन्द्मयस , कहयनी , आ रोचनय
औय ननफॊध रेिन भें बी उनकी ख्मयनत अविस्भयणीम है । ननययरय यत्नयिर के आठ िॊडों भें उनकय सॊऩण
ू ि
सयटहत्म प्रकयलशत है ।
काव्मगत ववशेषताएॉ- ननययरय विस्तत
ृ सयोकययों के कवि हैं। दयशिननकतय, विद्रोह, क्रयॊनत, प्रेभ की तयरतय औय
प्रकृनत कय विययट तथय उदयत्त चचत्र उनकी यचनयओॊ भें उऩक्स्थत है । उनके विद्रोह स्िबयि ने कवितय के बयि-
जगत औय लशल्ऩ-जगत भें नए प्रमोगों को सॊबि ककमय । छयमयियद यचनयकययों भें उन्द्होंने सफसे ऩहरे भक्
ु त

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छॊ द कय प्रमोग ककमय । शोवषत , उऩेक्षऺत , ऩीड़ड़त औय प्रतयड़ड़त जन के प्रनत उनकी कवितय भें जहयॉ गहय
सहयनब
ु नू त कय बयि लभरतय है, िह ॊ शोषक िगि औय सत्तय के प्रनत प्रचॊड प्रनतकयय कय बयि बी।
प्रततऩाद्म- ‘उत्सयह’ कवितय एक आह्ियन गीत है जो फयदर को सॊफोचधत है । फयदर ननययरय कय वप्रम विषम
है । कवितय भें फयदर एक तयप ऩीड़ड़त -प्मयसे जन की आकयॊऺय को ऩयू य कयने ियरय है , तो दस
ू य तयप िह
फयदर नई कल्ऩनय औय नए अॊकुय के लरए विध्िॊस, विप्रि औय क्रयॊनत चेतनय को सॊबि कयने ियरय बी ।
कवि जीिन को व्मयऩक औय सभग्र दृक्ष्ट से दे ितय है। कवितय भें रलरत कल्ऩनय औय क्रयॊनत चेतनय दोनों हैं।
सयभयक्जक क्रयॊनत मय फदरयि भें सयटहत्म की बलू भकय भहत्िऩण
ू ि होती है । ननययरय इसे ‘निजीिन’ औय ‘नत
ू न
कवितय’ के सॊदबों भें दे िते हैं।
सायाॊश- इस कवितय भें कवि फयदर से घोय गजिनय के सयथ बमॊकय फयरयश कयने की कयभनय कयतय है । फयदर
फच्चों के कयरे घघ
ुॊ ययरे फयरों की तयह हैं। कवि फयदर से धयती की प्मयस फझ
ु यने औय सबी को सि
ु ी फनयने
कय आग्रह कयतय है । कवि फयदर भें निजीिन दे ने ियर फयरयश औय तहस-नहस कय दे ने ियरय िज्रऩयत दोनों
रूऩ दे ितय है । िह अनयु ोध कयतय है कक फयदर कठोय िज्रशक्क्त को अऩने बीतय छुऩय कय सबी भें नई
स्पूनति औय नमय जीिन डयरने के लरए भस
ू रयधयय फयरयश कये । आकयश भें उ भड़ते-घभ
ु ड़ते फयदर को दे िकय
कवि को रगतय है कक सभस्त धयती बीषण गभी से ऩये शयन है इसलरए अनजयन टदशयओॊ आकय कयरे उसे
शीतरतय प्रदयन कयनय चयहते हैं।
प्रततऩाद्म- ‘अट नह ॊ यह है ’ कवितय पयगन
ु की भयदकतय को प्रकट कयती है । क वि पयगन
ु की सििव्मयऩक
सद
ॊु यतय को अनेक सॊदबों भें दे ितय है । जफ भन प्रसन्द्न हो तो हय तयप पयगन
ु कय ह सौंदमि औय उल्रयस
टदियई ऩड़तय है । सद
ुॊ य शब्दों के चमन एिॊ रम ने कवितय को बी पयगन
ु की तयह सद
ुॊ य एिॊ रलरत फनय
टदमय है ।
सायाॊश- इस कवितय भें कवि ने पयगन
ु भह ने कय भनोयभ चचत्र प्रस्तत
ु ककमय है । पयिय -भयचि के भह ने भें
िसॊत ऋतु कय आगभन होतय है । ऩेड़ से ऩयु यने ऩत्ते झड़ जयते हैं औय उन ऩय नए ऩत्ते बय जयते हैं। चययों
तयप यॊ ग-बफयॊ गे पूरों की फहयय छय जयती है । उनकी सग
ु ध
ॊ से सययय ियतयियण भहक उठतय है । इस अनोिी
प्रयकृनतक सद
ुॊ यतय से कवि अऩनी आॊिें हटय नह ॊ ऩय यहय है । इस भौसभ भें फयग -फगीचों औय िनों के सबी
ऩेड़-ऩौधे नए ऩत्तों से रद गए हैं । कह ॊ रयर यॊ ग से, तो कह ॊ हये यॊ ग से ऩेड़ की डयलरमयॉ अनचगनत पूरों से
बय गई हैं क्जससे कवि को ऐसय रग तय है जैसे प्रकृनत दे िी ने अऩने गरे भें यॊ ग-बफयॊ गे औय सग
ु चॊ धत पूरों
की भयरय ऩहन यिी हो । इस सििव्मयऩी सद
ुॊ यतय कय कवि को कह ॊ ओय-छोय नजय नह ॊ आ यहय है । इसलरए
कवि कहतय है कक पयगन
ु की सद
ॊु यतय अट नह ॊ यह है।
ववशेष:
1) उत्सयह कवितय भें कवि ने फयदरों कय भयनिीकयण ककमय है ।
2) फयदर कय निजीिन दे ने ियरे के रूऩ भें ह्रदमस्ऩशी चचत्रण हुआ है ।
3) ध्िन्द्मयत्भक बफम्फ की छटय विदमभयन है ।
4) अनप्र
ु यस, उत्प्रेऺय, भयनिीकयण, रूऩक अरॊकययों कय प्रमोग हुआ है ।
5) ओज गण
ु औय िीय बयि कय प्रियह टदियई ऩड़तय है।
6) तत्सभ शब्दयिर से मक्
ु त सहज िड़ीफोर कय प्रमोग हुआ है ।
7) दस
ू य कवितय भें प्रकृनत के भनोहयय रूऩ को भनोयभ ढॊ ग से दशयिमय गमय है ।
8) इसभें भयधुमि गण
ु विदमभयन है ।
9) प्रकृनत के अनोिे चचत्रण के कययण महयॉ अदबत
ु यस विदमभयन है ।

37
फहववकल्ऩी प्रश्न
प्र-i ‘उत्साह’ कववता भें ककसका आह्वान ककमा गमा है?
(क) ककसयनों कय
(ि) धयती कय
(ग) हिय कय
(घ) फयदर कय
प्र-ii कवव ने फादर को नवजीवन दे ने वारा क्मों कहा है?
(क) फयदर िषयि कयके धयती को तप्ृ त कयते हैं
(ि) िषयि ऋतु के फयद शीत ऋतु आती है
(ग) फच्चों को ऩयनी भें िेरने के लरए लभरतय है
(घ) फयरयश के सभम तेज हिय चरती है
प्र-iii अट नह ॊ यह है कववता भें ककस ऋत का वणान ककमा गमा है?
(क) िषयि ऋतु कय
(ि) शीत ऋतु कय
(ग) फसॊत ऋतु कय
(घ) ग्रीष्भ ऋतु कय
प्र-iv ‘फार कल्ऩना के-से ऩारे’- इस ऩॊक्क्त भें कौन-सा अरॊकाय है ?
(क) अनप्र
ु यस अरॊकयय
(ि) उऩभय अरॊकयय
(ग) रूऩक अरॊकयय
(घ) अनतशमोक्क्त अरॊकयय
प्र-v ‘अट नह ॊ यह है ’ कववता की ‘ऩाट ऩाट शोबा श्री’ ऩॊक्क्त भें - ऩाट-ऩाट का क्मा अथा है?
(क) जगह-जगह
(ि) घय-घय
(ग) दियय-दियय
(घ) फयय-फयय
उत्तय- i- (घ) फयदर कय ii- (क) फयदर िषयि कयके धयती को तप्ृ त कयते हैं iii- (ग) फसॊत ऋतु कय iv- (ि)
उऩभय अरॊकयय v- (क) जगह-जगह
मह दॊ तरयत भस्कान, फ़सर - नागाजन

जीवन ऩरयचम- नयगयजन
ुि कय जन्द्भ बफहयय के दयबॊगय क्जरे के सतरिय गयॉि भें सन 1911 भें हुआ । उनकय
भर
ू नयभ िैदमनयथ लभश्र थय। प्रययॊ लबक लशऺय सॊस्कृत ऩयठशयरय भें हु ई कपय अध्ममन के लरए फनययस औय
कोरकयतय गए। सन 1936 भें िे श्रीरॊकय गए औय िह ॊ फौदध धभि भें द क्षऺत हुए। दो सयर प्रियस के फयद
स्िदे श रौट आए। घभ
ु क्कड़ी औय अक्िड़ स्िबयि के धनी नयगयजन
ुि ने अनेक फयय सॊऩण
ू ि बययत की मयत्रय
की। सन 1998 भें उनकय दे हयॊत हो गमय।
कृततमाॉ- नयगयजन
ुि की प्रभि
ु कयव्म कृनत मयॉ हैं - मग
ु धययय, सतयॊ गे ऩॊिों ियर , हजयय-हजयय फयहों ियर , तभ
ु ने
कहय थय, ऩयु यनी जनू तमों कय कोयस, आखिय ऐसय क्मय कह टदमय भैंने , भैं लभलरर कय फढ़
ू य घोड़य । नयगयजन
ुि ने
कवितय के सयथ-सयथ उऩन्द्मयस औय अन्द्म गदम विधयओॊ भें बी रेिन ककमय है । उनकय सॊऩण
ू ि कृनतत्ि
नयगयजन
ुि प्रश्नयिर के सयत िॊडों भें प्रकयलशत है । सयटहक्त्मक मोगदयन के लरए उन्द्हें अनेक ऩयु स्कययों से

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सम्भयननत ककमय गमय क्जनभें प्रभि
ु हैं - टहॊद अकयदभी , टदल्र कय लशिय सम्भयन , उत्तय प्रदे श कय बययत
बययती ऩयु स्कयय एिॊ बफहयय कय ययजेंद्र प्रसयद ऩयु स्कयय । भैचथर बयषय भें कवितय के लरए उन्द्हें सयटहत्म
अकयदभी ऩयु स्कयय प्रदयन ककमय गमय।
ययजनैनतक सकक्रमतय के कययण उन्द्हें अनेक फयय जेर जयनय ऩड़य । टहॊद औय भैचथर भें सभयन रूऩ से रेिन
कयने ियरे नयगयजन
ुि ने फयॊग्रय औय सॊस्कृत भें बी कवितय एॉ लरिीॊ। भयतब
ृ यषय भैचथर भें िे ‘मयत्री’ नयभ से
प्रनतक्ष्ठत हैं।
काव्मगत ववशेषताएॉ- रोक जीिन से गहयय सयोकयय यिने ियरे नयगयजन
ुि भ्रष्टयचयय , ययजनीनतक स्ियथि औय
सभयज की ऩतनशीर क्स्थनतमों प्रनत अऩने सयटहत्म भें विशेष सजग यहे । िे व्मॊग्म भें भयटहय हैं, इसलरए उन्द्हें
आधुननक कफीय बी कहय जयतय है । छयमयियदोत्तय दौय के िे ऐसे अकेरे कवि हैं , क्जनकी कवितय गयॉि की
चौऩयरों औय सयटहक्त्मक दनु नमय भें सभयन रूऩ से रोकवप्रम यह । िे ियस्तविक अथों भें जनकवि हैं । सयभनमक
फोध से गहययई से जुड़े नयगयजन
ुि की आॊदोरनधभी कवितयओॊ को व्मयऩक रोकवप्रमतय लभर । नयगयजन
ुि ने छॊ दों
भें कयव्म यचनय की औय भक्
ु त छॊ द भें बी।
प्रततऩाद्म- ‘ मह दॊ तरु यत भस्
ु कयन ’ कवितय भें छोटे फच्चे की भनोहयय भस्
ु कयन दे िकय कवि के भन भें जो
बयि उभड़ते हैं उन्द्हें कवितय भें अनेक बफम्फों के भयध्मभ से प्रकट ककमय गमय है । कवि कय भयननय है कक इस
सद
ुॊ यतय भें ह जीिन कय सॊदेश है । इस सद
ुॊ यतय की व्मयक्प्त ऐसी है कक कठोय से कठोय भन बी वऩघर जयए ।
इस दॊ तरु यत भस्
ु कयन की भहत्तय तफ औय फढ़ जयती है जफ उसके सयथ नजयों कय फयॉकऩन बी जुड़ जयतय है।
सायाॊश- इस कवितय भें कवि ने छोटे फच्चे की अनऩ
ु भ भस्
ु कयन कय फहुत ह भनोहयय िणिन ककमय है । धर
ू से
सने फच्चे के शय य की शोबय झोऩड़ी भें खिरे हुए कभर के सभयन है । कवि फतयतय है कक उस छवि को
दे िकय उसकय कठोय रृदम बी वऩघर गमय। अगय कवि ऩहर फयय अऩरयचचत-सय होकय फच्चे को छूतय है तो
िह उसे अनचु चत भयनतय है । अऩरयचचत व्मक्क्त से फच्चय असहज हो उठतय है । कवि भयॉ के भयध्मभ से ह
फच्चे की दॊ तरु यत भस्
ु कयन दे ि ऩयमय, इसलरए िह फच्चे औय उसकी भयॉ दोनों को धन्द्म भयनतय है । प्रियस भें
यहने के कययण कवि कय सॊऩकि फच्चे से नह ॊ हो ऩयमय। भयॉ की उॊ गलरमयॉ ह उसे भधुऩकि कययती यह हैं इसी
फीच जफ कवि की आॊिें फच्चे से लभरती हैं तो उस छवि से कवि प्रसन्द्नतय से बय उठतय है ।
प्रततऩाद्म- पसर शब्द सन
ु ते ह िेतों भें रहरहयती पसर आॉिों के सयभने आ जयती है। ऩयॊ तु पसर है क्मय
औय उसे ऩैदय कयने भें ककन -ककन तत्िों कय मोगदयन होतय है , इसे फतयमय है नयगयजन
ुि ने अऩनी कवितय
पसर भें । कवितय मह बी ये ियॊककत कयती है कक प्रकृनत औय भनष्ु म के सहमोग से ह सज
ृ न सॊबि है ।
फोरचयर की बयषय की गनत औय रम कवितय को प्रबयिशयर फनयती है । कहनय न होगय कक मह कवितय हभें
उऩबोक्तय-सॊस्कृनत के दौय भें कृवष- सॊस्कृनत के ननकट रे जयती है।
सायाॊश- ‘पसर’ कवितय के भयध्मभ से कवि ने प्रकृनत औय भनष्ु म के सहमोग से सज
ृ न शीरतय को स्ऩष्ट
ककमय है । ननभयिण भें ककसी एक तत्ि की बलू भकय नह ॊ होती फक्ल्क कई तत्िों कय सॊमोजन होतय है । पसर के
तैमयय होने भें नटदमों के ऩयनी कय मोग दयन होतय है । उसभें एक दो नह ॊ फक्ल्क रयिों -कयोड़ों रोगों कय श्रभ
रगय होतय है । इसी तयह कई प्रकयय की लभट्ट की विशेषतयएॉ फ़सर भें सभयमी होती हैं। सयू ज की ककयणों
की ऊष्भय औय भचरती हिय की पसर तैमयय होने भें भहत्त्िऩण
ू ि बलू भकय होती है ।
ववशेष:

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1) ‘मह दॊ तरु यत भस्
ु कयन’ कवितय भें छोटे फच्चे की भस्
ु कयन के सौन्द्दमि कय भनोहयय चचत्रण हुआ है ।
2) बफम्फों के प्रबयिशयर प्रमोग से मह कवितय जीिॊत फन ऩड़ी है।
3) अऩरयचचत के सयथ फच्चे के व्मिहयय कय िणिन रृदमस्ऩशी है।
4) भयॉ के भभत्ि औय स्नेहऩण
ू ि दे िबयर को फड़े ह सहज ढॊ ग से दशयिमय गमय है ।
5) अनप्र
ु यस, उत्प्रेऺय, रूऩक अरॊकययों कय प्रमोग हुआ है ।
6) भयधमु ि गण
ु औय भद
ृ र
ु बयि के उल्रेि से कवितय भें सयसतय विदमभयन है।
7) तत्सभ शब्दयिर से मक्
ु त सहज िड़ीफोर कय प्रमोग हुआ है ।
8) दस
ू य कवितय भें प्रकृनत औय भनष्ु म के मोगदयन से सज
ृ न को भनोयभ ढॊ ग से दशयिमय गमय है ।
9) इस कवितय भें प्रयकृनतक तत्िों एिॊ भयनिीम श्रभ को भहत्त्ि टदमय गमय है।
10) इसभें प्रयकृनतक तत्िों को सयु क्षऺत यिने कय सॊदेश बी ननटहत है ।

फहववकल्ऩी प्रश्न
प्र-i फच्चे की दॊ तरयत भस्कान का क्मा असय होता है?
(क) कवि प्रसन्द्नतय से बय उठतय है
(ि) हय तयप उदयसी छय जयती है
(ग) फच्चय योने रगतय है
(घ) फच्चे की भयॉ रूठ जयती है
प्र-ii ताराफ का कभर झोऩड़ी भें खखरा है - मह ककसके सरए आमा है?
(क) कवि के लरए
(ि) फच्चे की भयॉ के लरए
(ग) ऩयषयण व्मक्क्त के लरए
(घ) छोटे फच्चे के लरए
प्र-iii फच्चे को भधऩका ककसने कयामा?
(क) कवि ने
(ि) फच्चे की भयॉ ने
(ग) अऩरयचचत व्मक्क्त ने
(घ) इनभें से कोई नह ॊ
प्र-iv फ़सर के तैमाय होने भें ककसका मोगदान नह ॊ है ?
(क) सयू ज की ककयणों कय
(ि) लभट्ट के गण
ु -धभि कय
(ग) रोगों की भेहनत कय
(घ) तप
ू यन तीव्रतय कय
प्र-v तनम्नसरखखत शब्द-सभह
ू ों भें ऩाठ से सॊफचॊ धत शब्द-सभह
ू कौन-सा है?
(क) नद , भेहनत, लभट्ट , सयू ज, हिय
(ि) ऩत्थय, भेहनत, ये त, सयू ज, हिय
(ग) ककनययय, भेहनत, लभट्ट , घयस, हिय
(घ) नद , कचयय, लभट्ट , सयू ज, अनयज
उत्तय- i- (क) कवि प्रसन्द्नतय से बय उठतय है ii- (घ) छोटे फच्चे के लरए iii- (ि) फच्चे की भयॉ ने
iv- (घ) तप
ू यन तीव्रतय कय v- (क) नद , भेहनत, लभट्ट , सयू ज, हिय

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सॊगतकाय - भॊगरेश डफयार
जीवन ऩरयचम- सभकयर न टहन्द्द कविमों भें भॊगरेश डफययर कय नयभ सफसे चचचित है । इनकय जन्द्भ 16 भई
1948 को टटहय गढ़ियर , उत्तययिण्ड के कयपरऩयनी गयॉि भें हुआ थय। इनकी लशऺय-द ऺय दे हययदन ू भें हुई।
कवितय के अनतरयक्त िे सयटहत्म, लसनेभय, सॊचयय भयध्मभ औय सॊस्कृनत के विषमों ऩय बी रेिन कयते हैं।
कृततमाॉ- भॊगरेश डफययर के ऩयॉच कयव्म -सॊग्रह प्रकयलशत हुए हैं। ऩहयड़ ऩय रयरटे न , घय कय ययस्तय , हभ जो
दे िते हैं, आियज बी एक जगह है औय नमे मग ु भें शत्र।ु
इनकी यचनयओॊ के लरए इन्द्हें कई ऩयु स्कययों से सम्भयननत ककमय गमय है । क्जनभें भख्
ु म रूऩ से सयटहत्म
अकयदभी ऩयु स्कयय, कुभयय विकर स्भनृ त ऩयु स्कयय एिॊ टदल्र टहन्द्द अकयदभी कय सयटहत्मकयय सम्भयन है ।
काव्मगत ववशेषताएॉ- भॊगरेश जी की कवितयओॊ भें सयभॊती फोध एि ऩॉज
ू ीियद छर-छदभ दोनों कय प्रनतकयय
है । िे मह प्रनतकयय ककसी शोय-शययफे के सयथ नह ॊ फक्ल्क प्रनतऩऺ भें एक सद
ॊु य सऩनय यचकय कयते हैं। उनकय
सौंदमिफोध सक्ष्
ू भ है औय बयषय ऩययदशी।
प्रततऩाद्म- प्रस्तुत कवितय भें कवि ने उन रोगों की चचयि की है , जो कबी प्रलसदचध कय स्ियद नह ॊ
चिते। कपय बी ननयॊ तय कयमि कयते चरे जयते हैं। उन्द्हें कबी उनके कयभ के लरए तयय फ़ सुनने को
नह ॊ लभरती। िे हभेशय अॊधकयय भें जीते हैं , कपय बी िे बफनय ककसी स्ियथि के ननयॊ तय अऩनय कयभ
कयते चरे जयते हैं। क्जस तयह ककसी गयमक के सयथ गयने ियरे सॊगतकयय होते हैं। सबी रोग गयमक
को जयनते हैं, उसी की तयय फ़ कयते हैं , ऩयन्द्तु कोई मह नह ॊ जयनतय कक उसके सयथ ककतने सॊगतकयय
हैं। जो बफनय ककसी स्ियथि के उसकी आियज को दफ
ु र
ि नह ॊ होने दे ते।

जफ-जफ गयमक की आियज रड़िड़यने रगती है , तफ-तफ सॊगतकयय अऩनी आियज से गयमक
की आियज को फयॉध रेते हैं औय उसे बफियने नह ॊ दे ते। कबी-कबी तो उन्द्हें जयन-फझ
ू ऽययफ गयनय
ऩड़तय है कक कह ॊ उनकी आियज़ गयमक से अच्छी न हो जयए। िह ऐसय लसपि इसलरए कयतय है
क्मोंकक भख्
ु म गयमक की प्रलसदचध भें कोई कभी नय आए। उसे कोई नह ॊ ऩहचयनतय। न ह उसे
भयन-सम्भयन लभरतय है । कपय बी िह ननयॊ तय बफनय ककसी स्ियथि के अऩनय कयभ कयतय यहतय है ।

सायाॊश- कवि फतयतय है कक जफ भुख्म गयमक अऩने चट्टयन जैसे बयय स्िय भें गयतय है , तफ
सॊगतकयय हभेशय उसकय सयथ दे तय है । सॊगतकयय की आियज फहुत ह कभजोय , कयऩॊती हुई प्रतीत
होती है । रेककन कपय बी िह फहुत ह भधयु थी , जो भुख्म गयमक की आियज के सयथ लभरकय
उसकी प्रबयिशीरतय को औय फढ़य दे ती है । कवि को ऐसय रगतय है कक मह सॊगतकयय गयमक कय
कोई फहुत ह कय फ कय रयश्तेदयय मय जयन-ऩहचयन ियरय है , मय कपय मे उसकय कोई लशष्म है , जो कक
उससे गयमकी सीि यहय है । इस प्रकयय, िह बफनय ककसी की नजय भें आए ननयॊ तय अऩनय कयमि कयतय
यहतय है ।

जफ कोई भहयन सॊगीतकयय अऩने गयने की रम भें डूफ जयतय है , तो उसे गयने के सुय-तयर की
बनक नह ॊ ऩड़ती औय िह कबी-कबी अऩने गयने भें कह ॊ बटक-सय जयतय है । आगे सुय कैसे ऩकड़नय
है , मह उसे सभझ नह ॊ आतय औय िह उरझ-सय जयतय है । तफ िह भुख्म गयमक को कह ॊ बटकने
नह ॊ दे तय औय सॊगीत के सुय-तयर को ियऩस ऩकड़ने भें उसकी सहयमतय कयतय है । इस दौययन ऐसय
रगतय है , भयनो भुख्म गयमक अऩनय कुछ सयभयन ऩीछे छोड़ते हुए चरय जयतय है औय सॊगतकयय उसे
सभेटते हुए उसके सयथ आगे फढ़तय है ।

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ववशेष-
1) कवि ने सॊगतकयय की ियस्तविक क्स्थनत कय सहज चचत्रण ककमय है ।
2) भख्
ु म गयमक की सपरतय भें सॊगतकयय की बलू भकय कय उल्रेि ककमय गमय है ।
3) सॊगतकयय के लरए सयभयक्जक रयश्तों के फॊधन को फयिूफी ढॊ ग से प्रस्तत
ु ककमय गमय है ।
4) अनप्र
ु यस, उऩभय, उदयहयण,एिॊ ऩन ु रुक्क्त अरॊकययों कय स्ियबयविक प्रमोग हुआ है ।
5) रमऩण ू ,ि अतक
ु यॊत, छॊ दभक्
ु त कयव्म-शैर कय भनोयभ प्रमोग हुआ है ।
6) तत्सभ-तदबि शब्दयिर से मक् ु त सहज िड़ीफोर कय प्रमोग हुआ है ।
7) बफम्फ प्रधयन कयव्म-ऩॊक्क्तमों भें प्रसयद गण
ु विदमभयन है ।
8) शयॊत यस यस से मक्
ु त ऩॊक्क्तमों भें ऩण
ू ि अथिित्तय दशिनीम है ।

फहववकल्ऩी प्रश्न
प्र-i भख्म गामक के चट्टान जैसे बाय स्वय को कौन भधयता दे ता है?
(क) सॊगतकयय
(ि) कवि
(ग) ढोरकफयज
(घ) उस्तयद
प्र-ii जफ गामक जदटर तानों के जॊगर भें खो जाता है तफ सॊगतकाय क्मा कयता है?
(क) प्रसन्द्नतय से बय उठतय है
(ि) स्थयमी (भख्
ु म तयन) को सॊबयरे यहतय है
(ग) ऩये शयन हो जयतय है
(घ) चुऩचयऩ दे ितय यहतय है
प्र-iii कववता भें नौससखखमा ककसे फतामा गमा है?
(क) सॊगतकयय को
(ि) स्िमॊ को
(ग) भख्
ु म गयमक को
(घ) फच्चे को
प्र-iv सॊगतकाय का स्वय गामक को ढाढस कफ फॉधाता है?
(क) जफ ताय सप्तक भें गामक का गरा फैठने रगता है
(ि) जफ गामक का उत्साह अस्त होने रगता है
(ग) जफ गामक की आवाज से याख जैसा कछ चगयता हआ रगता है
(घ) उऩमक्
ुि त सबी
प्र-v सॊगतकाय द्वाया अऩनी आवाज़ को दफाना उसकी ववपरता है - मह कथन
(क) सत्म है
(ि) असत्म है
(ग) क औय ि दोनों है
(घ) इनभें से कोई नह ॊ
उत्तय- i- (क) सॊगतकयय ii- (ि) स्थयमी (भख्
ु म तयन) को सॊबयरे यहतय है iii- (क) सॊगतकयय को
iv- (घ) उऩमक्
ुि त सबी v- (ि) असत्म है

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खॊड- ख (वणणनात्भक प्रश्न)
नेताजी का चश्भा - स्वमॊ प्रकाश
प्रश्न-1 ऩानवारे का एक ये खाचचत्र प्रस्तत
ु कीजजए।
उत्तय- ऩानवारा स्वबाव से फहुत ही यससमा , हॉसोड़, औय भजाकिमा था | वह शयीय से भोटा था । उसिी तेआद
ननिरी यहती थी।उसिे भॉह ु भें ऩान ठुॊसा यहता था | ऩान िे िायण वह ठीि से फात ति नहीॊ िय ऩाता था
औय हॉसने ऩय उसिे रार-िारे दाॊत खिर उठते थे ।वह फातें फनाने भें उस्ताद था । उसिी फोरी भें हॉसी औय
व्मॊग्म िा ऩट
ु फना यहता था।
प्रश्न-2 तफ तक हारदाय साहफ ने कैप्टन को साऺात दे खा नह ॊ था तफ तक उनके भानस ऩटर ऩय
उसका कौन-सा चचत्र यहा होगा?
उत्तय- जफ ति हारदाय साहफ ने िैप्टन िो अऩनी आॉिेआ से दे िा नहीॊ था तफ ति उनिे भन भें िैप्टन िी
भनू ति िुछ औय थी औय उन्हेआने सोचा था कि िैप्टन शयीय से हट्टा-िट्टा भजफत
ू होगा । वह ज़रूय ससय ऩय
पौजी टोऩी ऩहनता होगा। वह यौफदाय, अनश
ु ाससत औय दफॊग भनष्ु म होगा जजसिी वाणी भें बायीऩन होगा।
प्रश्न-3 चश्भेवार भर्ू तण का चश्भा फाय-फाय क्मेआ फदर दे ता था?
उत्तय- सब
ु ाष चन्र फोस िी भनू ति ऩय चश्भा नहीॊ था । इसी िभी िी ऩनू ति िैप्टन किमा ियता था । वह चश्भे
फेचा ियता था। अगय िोई ग्राहि भनू ति ऩय रगा फ्रेभ भाॉग रेता तो िैप्टन वह फ्रेभ उतायिय उसिी जगह
अन्म फ्रेभ रगा दे ता था। इस प्रिाय भनू ति ऩय चश्भे फदरते यहते थे।
प्रश्न-4 ‘नेताजी का चश्भा’ ऩाठ के आधाय ऩय सऩष्ट कीजजए कक दे श प्रेभ प्रकट कयने के लरए सैर्नक होना ह
आवश्मक नह ॊ है ?
उत्तय- दे श प्रेभ प्रिट ियने िे सरए फडे-फड़े नायेआ िी आवश्मिता नहीॊ है । न ही सैननि होने िी आवश्मिता
है । दे श प्रेभ तो छोटी-छोटी फातेआ से प्रिट हो सिता है। मदद हभाये भन भें दे श िे प्रनत प्रेभ है तो हभ दे श िी
हय छोटी से छोटी िभी िो ऩयू ा ियने भें अऩना मोगदान दे सिते हेऄ ।’ नेताजी िा चश्भा ’ ऩाठ भें िैप्टन ने
भनू ति ऩय चश्भा रगािय इसी फात िो उजागय किमा है।

फारगोबफन बगत- याभवऺ


ृ फेनीऩुय
प्रश्न-1 फारगोबफन बगत की ऩत्र
ु फधू उन्हें अकेरे क्मेआ नह ॊ छोड़ना चाहती थी?
उत्तय- फारगोबफन बगत िी ऩत्र
ु फधू जानती थी कि बगत जी सॊसाय भें अिेरे हेऄ औय उनिा एिभात्र ऩत्र
ु भय
चुिा है । वे फढ़
ू े है औय बक्त हेऄ । उन्हें घय-फाय औय सॊसाय भें िोई रूचच नहीॊ है । अत् वे अऩने िाने-ऩीने औय
स्वास््म िी ओय ध्मान नहीॊ दे ऩाएॉगे । इससरए वह सेवा-बाव से उनिे चयणेआ भें अऩने ददन बफताना चाहती
थी। वह उनिे सरए बोजन औय दवा-ऩानी िा प्रफॊध ियना चाहती थीॊ।
प्रश्न-2 फारगोबफन बगत की ददनचमाण रोगेआ के अचयज का कायण क्मेआ थी?
उत्तय- फारगोबफन बगत िी ददनचमाि िा प्रत्मेि िामि आश्चमिजनि होता था । उस ददनचमाि भें िहीॊ बी िोई
चूि उनिे द्वाया सॊबव नहीॊ थी । उनिी ददनचमाि रोगेआ िो है यान िय दे ती थी । रोग बगत जी िी सयरता ,
सादगी औय ननस्वाथिता ऩय है यान होते थे । बगत जी बर
ू िय बी किसी से िुछ नहीॊ रेते थे । वे बफना ऩछ
ू े
किसी बी चीज़ िो छूते नहीॊ थे। महाॉ ति कि किसी दस
ू ये िे िेत भें शौच बी नहीॊ ियते थे। रोग उनिे इस
व्मवहाय से भग्ु ध थे । रोग बगत जी ऩय तफ औय बी आश्चमि ियते थे जफ वे बोयिार भें उठिय दो- तीन
भीर दयू जस्थत नदी भें स्नान िय आते थे । वाऩसी ऩय वे गाॉव िे फाहय जस्थत ऩोिय िे किनाये प्रब-ु बजक्त
िे गीत टे या ियते थे। उनिे इन प्रबावी गानेआ िो सन
ु िय रोग सचभच
ु है यान यह जाते थे।

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प्रश्न-3 बगत ने अऩने फेटे की भत्ृ मु ऩय अऩनी बावनाएॉ ककस प्रकाय अलबव्मक्त की ?
उत्तय - अऩने फेटे िी भत्ृ मु ऩय बगत िी बावनाएॉ चरी आ यही ऩयॊ ऩया से सबन्न थीॊ। उन्हेआने अऩनी बावनाएॉ
इस प्रिाय असबव्मक्त िी -
1-भत
ृ ि ऩत्र
ु िो आॉगन भें चटाई ऩय सरटािय सफ़ेद िऩड़े से ढॉ ि ददमा।
2-भत
ृ ि ऩत्र
ु िे ऊऩय पूर औय तर
ु सी िे ऩत्ते बफिेय ददए औय ससयहाने एि दीऩि जरािय यि ददमा।
3-उसिे सभीऩ आसन ऩय फैठिय हभेशा िी तयह िफीय िे ऩदेआ िो गाने औय ऩतोहू िो सभझाने रगे,
आत्भा ऩयभात्भा भें सभर गई है। ववयदहणी अऩने प्रेभी (ईश्वय) से जािय सभर गई है।
4-ऩतोहू िो सभझाने रगे कि मह वक्त योने िा न होिय उत्सव भनाने िा है।
प्रश्न-4 खेतीफाय से जुड़े गह
ृ स्थ फारगोबफन बगत अऩनी ककन चारयबत्रक ववशेषताओॊ के कायण साधू कहराते
थे?
उ- फारगोबफन बगत िेतीफायी से जुड़े गह
ृ स्थ थे। उनिा साफ़-सथ
ु या भिान था, कपय बी सविथा वे साधुता िी
श्रेणी भें आते थे। वे िफीय िो अऩना साहफ भानते थे। वे िफीय िे ऩदेआ िो ही गाते थे औय उनिे आदे शेआ ऩय
चरते थे। वे सबी से िया व्मवहाय यिते थे। दो टूि फात िहने भें न िोई सॊिोच ियते थे, न किसी से
झगड़ते थे। बगत जी सयरता, सादगी औय ननस्वाथि जीवन जीते थे। वे अन्म किसी िी चीज़ िो बफना ऩछ
ू े
व्मवहाय भें नहीॊ राते थे। वह अऩनी प्रत्मेि वस्तु ऩय साहफ िा अचधिाय भानते थे। ऩरयश्रभ से ऩैदा िी गई
फ़सर िो ऩहरे साहफ िो अवऩित ियते थे, उसिे फाद स्वमॊ प्रमोग ियते थे। इस प्रिाय त्माग िी प्रववृ त्त औय
साधत
ु ा िा व्मवहाय उन्हें साधु िी श्रेणी भें िड़ा िय दे ता है।
प्रश्न-5 ऩाठ के आधाय ऩय फताइए कक फारगोबफन बगत की कफीय ऩय श्रद्धा ककन-ककन रूऩेआ भें प्रकट हुई है?
उत्तय - बगत िफीय िो ही अऩना साहफ भानते थे। उनिे ही ननदे शेआ िा मथा-सॊबव ऩारन ियते थे। िफीय िे
प्रनत उनिी श्रद्धा ननम्नसरखित रूऩेआ भें प्रिट हुई है -
1- बगत ससय ऩय सदै व िफीय-ऩॊथी टोऩी ऩहनते थे, जो िनऩटी ति जाती थी।
2- िफीय िे यचचत ऩदेआ िो ही गाते थे।
3- िफीय िो ही अऩना ईश्वय भानते थे।
4- वे उन्हीॊ िे फताए आदशों ऩय चरते थे।
5- उनिी िभाई से जो िुछ ऩैदा होता था उसे ऩहरे िफीय िे दयफाय भें बें ट ियते थे औय वहाॉ से जो
प्रसाद िे रूऩ भें प्राप्त होता था उससे ही ननवािह ियते थे।
6- बगत ऩय िफीय-ववचाय-धाया इतना प्रबाव कि उन्हीॊ िी तयह रुदढमेआ िा ववयोध ियते थे।
8- उनिी वेश-बष
ू ा बी िफीय िी तयह थी। िभय भें एि भात्र रॊगोटी, ससय ऩय टोऩी औय सददि मेआ भें
िारी िभरी ओढ़ते थे।

रखनवी अॊदाज़ – मशऩार


प्रश्न -1 नवाफेआ भें एक ववशेष प्रकाय की नपासत औय नज़ाकत दे खने को लभरती है। ‘रखनवी अॊदाज़’ ऩाठ के
आधाय ऩय स्ऩष्ट कीजजए।
उत्तय- नवाफ सदा से एि ववशेष प्रिाय िी नपासत औय नज़ाित िे सरए भशहूय यहे हेऄ । रिनवी अॊदाज़ ऩाठ
भें नवाफेआ िी इसी नपासत औय नजाित िा उदाहयण सभरता है । नवाफ साहफ िीये िाने िे सरए मत्नऩव ू ि
ि

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तैमायी ियते हेऄ । िीये िाटिय उनऩय नभि सभचि रगाते हेऄ, किॊ तु बफना िामे ही िेवर सॉघ
ू िय यसास्वादन िय
खिड़िी से फाहय पेंि दे ते हेऄ औय कपय इस प्रिाय रेट जाते हेऄ जैसे इस सायी प्रकिमा भें फहुत थि गमे हेआ।
ऐसी नपासत औय नज़ाित नवाफेआ भें ही ददिाई दे ती हेऄ।
प्रश्न-2 आऩके ववचाय भेँ नवाफ साहफ ने नभक लभचण रगे खीये की पाॊकेआ को खखड़की से फाहय क्मो
पेंक ददमा?
उत्तय- नवाफ साहफ ने नभि सभचि रगे िीये िी पाॊिेआ िो खिड़िी से फाहय इससरमे पेंि ददमा होगा, क्मेआकि
वे रेिि िे साभने िीये जैसी साभान्म वस्तु िा शौि ियने भें सॊिोच िा अनब
ु व िय यहे हेआगे। अऩनी
िानदानी यईसी औय नवाफी िा प्रदशिन ियने िे सरमे उन्हेआने िीये िी पाॊिें पेंि दी।
प्रश्न-3 ‘रिनवी अॊदाज़’ ऩाठ भेँ किस ऩय औय क्मा व्मॊग्म किमा गमा है?
उत्तय- ‘रिनवी अॊदाज़’ ऩाठ भेँ नवाफ साहफ िे भाध्मभ से सभाज िे उस साॊभती वगि ऩय व्मॊग्म किमा गमा
है । जो वास्तवविता से फेिफय एि फनावटी जीवन शैरी िा आदी है । नवाफ साहफ द्वाया अिेरे भें िीये िाने
िा प्रफॊध ियना औय रेिि िे आ जाने ऩय िीयेआ िो सॉघ
ू िय खिड़िी से फाहय पेंििय अऩनी नवाफी यईसी
िा गवि अनब
ु व ियना इसी ददिावे िा प्रतीि है । सभाज भें आज बी ऐसी ददिावटी सॊस्िृनत ददिाई दे ती है ।
प्रश्न-4 बफना ववचाय घटना औय ऩात्रेअ के बी क्मा कहानी लरखी जा सकती है? रेखक के इस ववचाय से आऩ
कहाॉ तक सहभत हेः?
उत्तय- हभ रेिि िे इस ववचाय से बफल्िुर बी सहभत नहीीँ हेः कि बफना ववचाय घटना औय ऩात्रेअ िे बी
िहानी सरिी जा सिती है । किसी बी िहानी िे सरमे उसिी आत्भा होता है– िथानि। मह िथानि
अननवामि रूऩ से किसी ववचाय अथवा घटना ऩय आधारयत होता है, जजसे ऩात्रेअ िे भाध्मभ से ही व्मक्त किमा
जा सिता है । मे ऩात्र औय घटनामेँ वास्तववि बी हो सिती हेः औय िाल्ऩननि बी, किन्तु इनिे अबाव भेँ
िहानी िी िल्ऩना बी नहीीँ िी जा सिती।

एक कहानी मह बी - भन्नू बण्डाय


प्रश्न 1. रेखखका ने अऩने वऩता को ककन गण
ु ेआ के बग्नावशेषेआ को ढोते दे खा था?
उत्तय- रेखििा ने अऩने वऩता िो नाभ, सम्भान, प्रनतष्ठा, सभाज िे िाभ, ववद्माचथिमेआ िो अऩने घय भें यििय
ऩढ़ाने, िुशहार दरयमाददर, िोभर औय सॊवेदनशीर होने िे गण
ु ेआ िे बग्नावशेषेआ िो ढोते दे िा था।
प्रश्न 2. वह कौन सी घटना थी जजसको सन
ु ने ऩय रेखखका को न अऩनी आॉखेआ ऩय ववश्वास हो ऩामा औय न
अऩने कानेआ ऩय?
उत्तय- रेखििा जजस िॉरेज भें ऩढ़ती थी , उस िॉरेज से वप्रॊससऩर िा ऩत्र वऩताजी िे नाभ आमा था। उसभें
वऩता जी से ऩछ
ू ा था कि उस ऩय अनश
ु ासनात्भि िामिवाही क्मेआ नहीॊ िी जाए ? वऩताजी िो इससरए िॉरेज
फर
ु ामा था। वऩताजी उस ऩत्र िो ऩढ़िय आगफफर
ू ा हो गए। उन्हें रगा कि उनिे ऩाॉच फच्चेआ भें से रेखििा ने
उनिे नाभ ऩय दाग रगा ददमा। वे रेखििा ऩय उफरते हुए िॉरेज ऩहुॉचे। वऩताजी िे ऩीछे रेखििा ऩड़ोस भें
जािय फैठ गई जजससे वह रौटने ऩय वऩता जी िे िोध से फच सिे ऩयन्तु जफ वे िॉरेज से रौटे तो फहुत
प्रसन्न थे , चेहया गवि से चभि यहा था। वे घय आिय फोरे कि उसिा िॉरेज िी रड़किमेआ ऩय फहुत यौफ है ।
ऩयू ा िॉरेज तीन रड़किमेआ िे इशाये ऩय िारी हो जाता है । वप्रॊससऩर िो िॉरेज चराना असॊबव हो यहा है ।
वऩताजी िो उस ऩय गवि होने रगा कि वह दे श िी ऩि
ु ाय िे सभम दे श िे साथ चर यही है , इससरए इसे
योिना असॊबव था। मह सफ सन
ु िय रेखििा िो न अऩनी ओीँ िेआ ऩय ववश्वास हुआ न ही अऩने िानेआ ऩय।

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प्रश्न 3. रेखखका का ‘ऩड़ोस कल्चय’ से क्मा तात्ऩमण है ? आधर्ु नक जीवन भें ‘ऩड़ोस कल्चय’ ववजछछन्न होने का
हभाये जीवन ऩय क्मा प्रबाव ऩड़ा है?
उत्तय- ‘ऩड़ोस िल्चय’ से रेखििा िा तात्ऩमि है - घय िे आसऩास यहने वारेआ िी सॊस्िृनत। आधुननि जीवन भें
अत्मचधि व्मस्तता िे िायण भहानगयेआ िे फ्रैट भें यहने वारेआ िी सॊस्िृनत ने ऩयम्ऩयागत ‘ऩड़ोस िल्चय’ से
फच्चेआ िो अरग ियिे उन्हें अत्मचधि सॊिीणि, असहाम औय असयु क्षऺत फना ददमा है ।
प्रश्न 4. भाॉ के धैमण औय सहनशजक्त को रेखखका ने धयती से बी ज्मादा क्मेआ फतामा है?
उत्तय- रेखििा ने भाॉ िे धैमि औय सहनशजक्त िो रेखििा ने धयती से बी ज्मादा फतामा है क्मेआकि ऩ्
ृ वी िी
सहनशजक्त औय धैमि तफ जवाफ दे दे ते हेऄ जफ वह बि
ू ॊ ऩ फाढ़ आदद िे रूऩ भें अऩनी प्रनतकिमा व्मक्त ियती
है । रेकिन रेखििा िी भाॉ वऩताजी िी प्रत्मेि ज़्मादती िो चऩ
ु चाऩ सहन िय जाती है औय फच्चेआ िो प्रत्मेि
उचचत-अनचु चत पयभाइश औय जज़द िो अऩना ितिव्म भानिय सहज बाव से स्वीिाय िय रेती थी ।
प्रश्न 5. रेखखका ने मह क्मेआ कहा कक वऩताजी ककतनी तयह के अॊतववणयोधेआ के फीच जीते थे?
उत्तय- रेखििा िे वऩताजी भें ववसशष्ट फनने औय फनाने िी प्रफर रारसा थी , दस
ू यी ओय उनभें अऩनी
साभाजजि प्रनतष्ठा िो रेिय बी सजगता थी। वे आधुननिता औय ऩयॊ ऩया दोनेआ िा ननवािह ियना चाहते थे।
एि ओय रेखििा िे जरसे-जर
ु स
ू ेआ भें नाये रगवाने-रगाने , हड़तार ियवाने औय बाषण दे ने िे ववरुद्ध थे तो
दस
ू यी ओय रेखििा िे इन्हीॊ िामों ऩय गवि से पूर उठते थे इससरए रेखििा ने िहा कि वऩताजी एि साथ
कितनी तयह िे अॊतववियाधेआ भें जीते थे।
प्रश्न 6. रेखखका भन्नू बॊडाय की चारयबत्रक ववशेषताओॊ का वणणन कीजजए।
उत्तय- रेखििा स्वतॊत्र ववचायेआ िी ऩऺधय थी जजन्हेआने स्वतॊत्रता आॊदोरन भें सकिम मोगदान ददमा। वह साहसी
औय जुझारू व्मजक्तत्व िी घनी थी।
प्रश्न 7. रेखखका की सादहत्म के प्रर्त रूचच जागत
ृ होने का प्रभख
ु कायण क्मा है?
उत्तय -रेखििा िी अध्मावऩिा शीरा अग्रवार िे प्रोत्साहन व भागिदशिन भें उन्हेआने दहन्दी िे प्रभि

सादहत्मिायेआ िी िृनतमेआ िा अध्ममन किमा। साथ ही वे अऩनी अध्मावऩिा िे साथ सादहजत्मि चचािएॉ बी
ियती यहीॊ।
प्रश्न 8. बायत के स्वतॊत्रता आॊदोरन भें रेखखका का क्मा सकिम मोगदान यहा?
उत्तय- रेखििा स्थानीम स्तय ऩय धयने , प्रदशिन, हड़तार ियाती व अॊग्रेजी सयिाय िे खिराप ववयोध प्रदशिन
ियती व साविजननि सबाओॊ भें बाषण प्रस्तत
ु ियती।
प्रश्न 9. रेखखका के वऩता के िोधी औय शक्की होने के क्मा कायण थे?
उत्तय- रेखििा िे वऩता भहत्वािाॊऺी थे , उनभें नवाफी आदतें थीॊ तथा वे साभाजजि स्तय ऩय प्रनतष्ठा ऩाने व
शीषि ऩय यहना चाहते थे। इस ऺेत्र भें असपर यहने व आचथिि रूऩ से वऩछड़ने ऩय वे िोधी हो गए। साथ ही
अऩनेआ ही िे द्वाया ववश्वासघात किए जाने ऩय वे शक्िी हो गए।
प्रश्न 10. रेखखका के वऩता उन्हें साभान्म रड़ककमेआ से कैसे लबन्न फनाना चाहते थे?
उत्तय- रेखििा िे वऩता चाहते थे कि उनिी फेटी साभान्म रड़किमेआ िी तयह गह
ृ स्थी िे िामों भें अऩनी
प्रनतबा धूसभर न िय यचनात्भि , सज
ृ नात्भि िामों एवॊ साभाजजि , याजनैनति आॊदोरनेआ भें सकिम बागीदायी
ियें तथा जजम्भेदाय नागरयि िे रूऩ भें अऩनी छवव स्थावऩत ियें ।

नौफत खाने भें इफादत - मतीॊद्र लभश्र


प्रश्न 1. शहनाई औय डुभयाॉव एक दस
ू ये के लरए उऩमोगी कैसे हेऄ?
उत्तय- शहनाई फजाने िे सरए यीड िा प्रमोग किमा जाता है । यीड ‘नयिट’ नाभि एि घास से फनाई जाती है
जो भख्
ु म रूऩ से डुभयाॉव भें सोन नदी िे किनाये ऩाई जाती है । इसी िे िायण शहनाई जैसा वाद्म फजता है ।

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प्रश्न 2. सॊगीत भें सभ का आशम स्ऩष्ट कयते हुए फताइए कक बफजस्भल्रा खाॊ को सभ की सभझ कफ औय
कैसे आ गई थी?
उत्तय- सॊगीत भें सभ िा आशम है सॊगीत िा वह स्थान जहाॉ रम िी सभाजप्त औय तार िा आयॊ ब होता है ।
बफजस्भल्रा िाॊ भें सभ िी सभझ फचऩन भें ही आ गई थी। जफ वह अऩने भाभा अरीफख्श िाॊ िो शहनाई
फजाते हुए सभ ऩय आते सन
ु ता तो धड़ से ऩत्थय ज़भीन ऩय भायिय दाद दे ता था।
प्रश्न 3 काशी को सॊस्कृर्त की ऩाठशारा क्मेआ कहा गमा है?
उत्तय- िाशी सॊस्िृनत िी ऩाठशारा है महाॉ बायतीम शास्त्रेआ िा ऻान है , िरासशयोभखण महाॉ यहते हेऄ । मह
हनभ
ु ान औय ववश्वनाथ िी नगयी है महाॉ िा इनतहास फहुत ऩयु ाना है । महाॉ प्रिाॊड ऻाता , धभिगरू
ु औय
िराप्रेसभमेआ िा ननवास है ।
प्रश्न 4. बफजस्भरा खाॊ दो कौभेआ भें बाईचाये की प्रेयणा कैसे दे ते यहे?
उत्तय- बफजस्भल्रा िाॊ जानत से भस
ु रभान थे औय धभि िी दृजष्ट से इस्राभ धभि िो बेजने वारे ऩाॉच वक्त
नभाज ऩढ़ने वारे सच्चे भस
ु रभान। भह
ु यि भ से उनिा ववशेष जुड़ाव था। वे बफना किसी बेदबाव िे दहन्द ू ,
भस
ु रभान दोनेआ िे उत्सवेआ भें भॊगर ध्वनन फजाते थे। उनिे भन भें फाराजी िे प्रनत ववशेष श्रद्धा थी। वे
िाशी से फाहय होने ऩय बी ववश्वनाथ औय फाराजी भॊददय िी ददशा िी ओय भॉह
ु ियिे फैठते औय शहनाई
फजाते थे। इस प्रिाय वे दो िौभेआ िो एि होने व आऩस भें बाईचाये िे साथ यहने िी प्रेयणा दे ते यहे ।
प्रश्न 5. बफजस्भल्रा खाॉ के व्मजक्तत्व की कौन-कौन सी ववशेषताओॊ ने आऩको प्रबाववत ककमा?
उत्तय- हभें बफजस्भल्रा िाॉ िे व्मजक्तत्व िी सादगी , पिीयी स्वबाव , स्वासबभान तथा िरा िी प्रनत उनिी
अनन्म बजक्त औय सभऩिण ने प्रबाववत किमा है । वे अऩने जीवन भें अऩने भज़हफ िे प्रनत अत्मजध्ि सभवऩित
होते हुए बी किसी धभि औय जानत िी सॊिीणिताओॊ भें नहीॊ फॊधे। सच्चे भस
ु रभान होते हुए बी िाशी िे फाफा
ववश्वनाथ औय फाराजी िे प्रनत श्रद्धा यिना उनिे व्मजक्तत्व िी अन्मतभ ववशेषता है । बायतयत्न जैसी
सम्भाननत उऩाचध सभरने िे फाद बी उनिे व्मजक्तत्व भें किसी प्रिाय िा अहॊ िाय नहीॊ आने ऩामा। पटा हुआ
तहभद फाॉध िय ही वे सबी आगॊति
ु ेआ से सभरते थे मह उनिे व्मजक्तत्व िी सादगी औय पिीयाना स्वबाव िा
ही ऩरयचामि है ।
प्रश्न 6. शहनाई की दर्ु नमा भें डुभयाॉव को क्मेआ माद ककमा जाता है?
उत्तय- डुभयाॉव गाॉव िी सोन नदी िे किनायेआ ऩय ऩाई जाने वारी नयिट घास से शहनाई िी यीड फनती है ।
शहनाई वादि बफजस्भल्रा िाॉ िी जन्भस्थरी डुभयाॉव गाॉव ही है । 3. बफजस्भल्रा िाॉ िे ऩयदादा उस्ताद सराय
हुसैन िाॉ डुभयाॉव िे ही ननवासी थे। इन्हीॊ िायणेआ से शहनाई िी दनु नमा भें डुभयाॉव िो माद किमा जाता है ।
प्रश्न 7. सवु षय वाद्मेआ से क्मा अलबप्राम है?
उत्तय- सवु षय वाद्मेआ से असबप्राम है - पॉू ििय फजाए जाने वारे वाद्म। जैसे- शहनाई, फीन, फाॉसयु ी आदद।
प्रश्न 8. शहनाई को सवु षय वाद्मेआ भें शाह की उऩाध ् क्मेआ द गई होगी?
उत्तय- शहनाई िो सवु षय वाद्मेआ भें शाह िी उऩाचध दे ने िे िायण ननम्नसरखित यहे हेआगे -
1. पॉू ििय फजाए जाने वारे वाद्मेआ भें शहनाई सफसे अचधि सयु ीरी है ।
2. भाॊगसरि ववचध-ववधानेआ भें इसिा उऩमोग होता है ।
प्रश्न 9. बफजस्भल्रा खाॉ को शहनाई की भॊगर ध्वर्न का नामक क्मेआ कहा गमा है?

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उत्तय बफजस्भल्रा िाॉ िो शहनाई िी भॊगर ध्वनन िा नामि ननम्नसरखित िायणेआ से िहा गमा है -
1. अऩना सानी न यिने िे िायण।
2. भॊगर िा ऩरयवेश प्रनतजष्ठत ियवाने वारे होने िे िायण।
प्रश्न 10. काशी भें हो यहे कौन-कौन से ऩरयवतणन बफजस्भल्रा खाॉ को व्मचथत कयते थे?
उत्तय- िाशी भें हो यहे ननम्नसरखित ऩरयवतिन बफजस्भल्रा िाॉ िो व्मचथत ियते थे -
1. सॊगीत सादहत्म औय अदफ िी फहुत-सी ऩयम्ऩयाओॊ िा रप्ु त होना।
2. िान-ऩान सॊफध
ॊ ी ऩयु ानी चीजें न सभरना।
3. गामिेआ िे भन भें सॊगनतमेआ िे प्रनत आदय न यहना।
4. गामि द्वाया रयमाज़ ियने भें िभी।
5. साॊप्रदानमि सद्बाव िा िभ होना।

सभ्मता औय सॊस्कृर्त - बदॊ त आनॊद कौसल्मामन


प्रश्न 1. सॊसाय भें ककसी बी चीज को ऩकड़कय नह ॊ फैठा जा सकता क्मेआ?
उत्तय- प्रनतऺण फदरते सॊसाय भें िोई बी वस्तु स्थामी अथवा अऺुण्ण नहीॊ है । सभम ऩरयवतिन िे साथ-साथ
उनभें फदराव आता यहता है औय आना बी चादहए। इससरए सॊसाय भें किसी बी चीज़ िो ऩिड़िय नहीॊ फैठा
जा सिता।
प्रश्न 2. आशम स्ऩष्ट कीजजए- जजन साधनेआ के फर ऩय वह ददन-यात आत्भ-ववनाश भें जुटा हुआ है, उन्हें हभ
उसकी सभ्मता सभझें मा असभ्मता।
उत्तय- आशम भनष्ु म ने अऩनी मोग्मता , प्रववृ त्त अथवा प्रेयणा िे द्वाया अऩने आत्भ-ववनाश िे अनेि साधन
जुटा सरए हेऄ औय वह ऐसे अन्म साधनेआ िो जुटाने िे सरए ददन-यात रगा हुआ है । रेिि-प्रश्न ियता है कि
उन्हें हभ उसिी सभ्मता सभझें मा असभ्मता ? वास्तव भें हभें मह उनिी असभ्मता ही सभझनी चादहए
क्मेआकि उनभें भानव िल्माण िी अऩेऺा भानव िे अदहत िी बावना है ।
प्रश्न 3. रेखक के अनस
ु ाय सभ्मता औय सॊस्कृर्त भें क्मा अन्तय है?
उत्तय- रेिि िे अनस
ु ाय व्मजक्त िी वह मोग्मता , प्रववृ त्त अथवा प्रेयणा सॊस्िृनत है जजसिे फर ऩय वह
आववष्िाय ियता है जफकि उसिे द्वाया अऩने सरए तथा दस
ू येआ िे सरए किमा गमा आववष्िाय सभ्मता है ।
प्रश्न 4. ककस सॊस्कृर्त को कूड़े-कयकट का ढे य कहा गमा है? औय क्मेआ?
उत्तय- उस सॊस्िृनत िो िूडे-ियिट िा ढे य िहा गमा है जजसभें जानतवाद ऊॉच-नीच , छुआछूत, अभीय-गयीफ,
अनेि रूदढ़माॉ, अॊधववश्वास, धसभिि िभििाॊड, ऩयम्ऩयाएॉ आदशि औय जीवन भल्
ू म, िुयीनतमाॉ सजम्भसरत हेऄ। क्मेआकि
ऩरयवनतित सभम भें इनिा िोई अथि नहीॊ यह गमा है ।
प्रश्न 5. लसद्दाथण ने अऩना घय क्मेआ त्माग ददमा?
उत्तय- आज से ढाई हजाय वषि ऩव
ू ि ससद्दाथि ने अऩने घय िा त्माग इसीसरए किमा ताकि तष्ृ णा िे वशीबत

रड़ती-िटती भानवता सि
ु से यह सिे। इसिे सरए उन्हेआने िठोय तऩस्मा िी औय सत्म िी िोज बी िी।
प्रश्न 6. सॊस्कृर्त र्नफॊध ् का प्रर्तऩाद्म / उद्दे श्म स्ऩष्ट कीजजए।
उत्तय- सॊस्िृनत ननफॊध ् िा उद्दे श्म सभ्मता औय सॊस्िृनत शब्देआ िी व्माख्मा ियना है । सभ्मता औय सॊस्िृनत
शब्देआ िा अथि स्ऩष्ट ियना तथा भानव सॊस्िृनत िो अववबाज्म फतािय उसे भनष्ु म िे सरए िल्माणिायी
फताना है ।
प्रश्न 7. वास्तववक अथों भें ‘सॊस्कृत व्मजक्त’ ककसे कहते है?

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उत्तय- अऩनी फद्
ु चध अथवा वववेि िे आधय ऩय किसी बी नए त्म िा दशिन ियने वारा व्मजक्त वास्तववि
अथो भें ‘सॊस्िृत व्मजक्त’ है । उदाहयणतमा न्मट
ू न सॊस्िृत भनष्ु म है , क्मेआकि उसने अऩनी फद्
ु चध िे फर ऩय
गरु
ु त्वािषिण ससद्धाॊत िोजा।
प्रश्न 8. ककन भहत्वऩण
ू ण आवश्मकताओॊ की ऩर्ू तण के लरए सई
ु -धागेआ का आववष्काय हुआ होगा?
उत्तय- ननम्नसरखित भहत्वऩणू ि आवश्मिताओॊ िी ऩनू ति िे सरए सई ु - धागेआ िा आववष्िाय हुआ होगा- 1. तन
ढिने िे सरए 2. शीत तथा उष्णता से फचने िे सरए 3. शयीय सजाने िी प्रववृ त्त िे िायण । आज िर मह
तिनीि फहुत उऩमोगी ससद्ध हो यही है । जूते ससरने से रेिय शल्म चचकित्सा ति भें इसिा उऩमोग हो यहा
है ।
प्रश्न 9. रेखक ने सवणस्व त्माग कयने वार सॊस्कृर्त को स्ऩष्ट कयने के लरए ककन-ककन भहाभानवेआ के
उदाहयण ददए हेऄ?
उत्तय- ननम्नसरखित भहाभानवेआ िे उदाहयण ददए हेऄ -
1 - रूस िे बाग्म ववधता रेननन द्वाया डैस्ि भें यिे हुए डफरयोटी िे सि
ू े टुिड़ेआ िो स्वमॊ न िािय दस
ू येआ
िो खिरा दे ने िा उदाहयण।
2 - सॊसाय बय िे भजदयू ेआ िो सि
ु ी दे िने िी इच्छा भें स्वमॊ िे जीवन िो िष्ट ऩण
ू ि फनाने वारे िारि भाक्सि
िा उदाहयण।
3 - दि
ु ी भानवता िो सि
ु ी ियने िी इच्छा से ससद्दाथि द्वाया गह
ृ त्माग दे ने िा उदाहयण।
प्रश्न 10. रेखक की दृजष्ट भें सभ्मता औय सॊस्कृर्त की सह सभझ अफ तक क्मेआ नह ॊ फन ऩाई है?
उत्तय- सभ्मता औय सॊस्िृनत िी सही सभझ इससरए नहीॊ फन ऩाई क्मेआकि हभ इन दोनेआ फातेआ िो एि ही
सभझते हेऄ। मह जानना जरूयी है कि दोनेआ एि नहीॊ हेऄ, कपय बी इनभें इतनी नजदीिी है कि इनभें स्ऩष्ट
अॊतय साभान्म रोगेआ िो नहीॊ सभझ आते हेऄ।
प्रश्न 11. रेखक के अनस
ु ाय सभ्मता क्मा है?
उत्तय- रेिि िे अनस
ु ाय सभ्मता सॊस्िृनत िा ऩरयणाभ है । भनष्ु म िे िाने-ऩीने िे तयीिे ऩहनने ओढ़ने िे
तयीिे हभाये मातामात िे साधनेआ िा उऩमोग जीवन जीने िा तयीिे ही सभ्मता है ।

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(काव्म-खॊड)
ऩद – सूयदास
प्रश्न 1- उद्धव के व्मवहाय की तर
ु ना ककस-ककस से की गई है?
उत्तय - उद्धव िे व्मवहाय िी तर
ु ना ननम्नसरखित से िी गई है –
1-िभर िे ऩत्ते से, जो जर भें यहिय बी उससे प्रबाववत नहीॊ होता।
2. जर भें ऩड़ी तेर िी गागय से, जजस ऩय जर िा असय नहीॊ होता है ।
प्रश्न 2- गोवऩमेआ द्वाया उद्धव को बाग्मवान कहने भें क्मा व्मॊग्म र्नदहत हेऄ?
उत्तय -मह व्मॊग्म ननदहत हेऄ कि उद्धव िृष्ण िे ननिट यहिय बी उनिे प्रबाव से सविथा अछूते यहे हेऄ। उनिे
भन भें श्रीिृष्ण िे प्रनत अनयु ाग नहीॊ उत्ऩन्न हुआ। मह जस्थनत उद्धव िे सरए बाग्मशारी हो सिती है ऩय
गोवऩमेआ िे सरए नहीॊ।
प्रश्न 3 - गोवऩमेआ ने उद्धव से मोग की लशऺा कैसे रोगेआ को दे ने के लरए कहा है?
उत्तय - गोवऩमेआ ने उद्धव से मोग िी सशऺा ऐसे रोगेआ िो दे ने िे सरए िहा है जजनिे भन चियी िे सभान
घभ
ू ते यहते हेऄ । उन्हें ही मोग िे द्वाया भन एिाग्र ियने िी आवश्मिता है ।
प्रश्न 4 – सयू दास ककस बजक्त भागण के सभथणक थे?
उत्तय - सयू दास सगण
ु बजक्त भागि िे सभथिि थे। इस भागि भें बगवान िे सािाय रूऩ िी उऩासना िी जाती
है । इससरए वे अऩने ऩदेआ भें मोग भागि िे ववरूद्ध अऩनी फात िहते हुए ददिाई ऩड़ते हेऄ ।
प्रश्न 5 – उद्धव गोवऩमेआ की भनोदशा क्मेआ नह ॊ सभझ सके?
उत्तय - उद्धव िो ननगण
ुि ऻान ऩय असबभान था। ऻान िे दऩि भें वे गोवऩमेआ िे आदशि प्रेभ िो नहीॊ सभझ
ऩाए।
प्रश्न 6 – भ्रभयगीत की ववशेषताएॉ लरखखए।
उत्तय - भ्रभयगीत भें ननगण
ुि ब्रह्भ िा ववयोध, सगण
ु िी सयाहना, ववमोग श्रॊग
ृ ाय िा भासभिि चचत्रण है । इसभें
गोवऩमेआ िी स्ऩष्टता, वािऩटुता, सह्रदमता, व्मॊग्मात्भिता सयाहनीम है औय एिननष्ठ प्रेभ, मोग से ऩरामन,
स्नेहाससक्त-उऩारॊब अवरोिनीम हेऄ।
प्रश्न 7 – गोवऩमेआ को याजधभण की माद क्मेआ ददरानी ऩड़ी?
उत्तय - प्रेभ आदद िी ऩववत्र नीनतऩयि फातें बर
ू िय िृष्ण अनीनत ऩय उताय आए हेऄ। अत: मोग-सॊदेश िो
बेजिय प्रेभ िी भमािदा िे ववरूद्ध िामि िय यहे हेऄ। इससरए गोवऩमेआ ने उन्हें याजधभि िी माद ददरािय प्रेभ-
नीनत ऩय राने िा प्रमास किमा गमा।
प्रश्न 8 – सयू दास के ऩढ़े गए ऩदेआ के आधाय ऩय सयू दास की काव्मगत ववशेषताएॉ फताइए।
उत्तय - ि- एिननष्ठ प्रेभ ि- वाक्ऩटुता ग- गीत शैरी घ- व्मॊग्मात्भि शैरी।
प्रश्न 9 – गोवऩमेआ के वाक-चातम
ु ण की ववशेषताएॉ लरखखए।
उत्तय - स्ऩष्टता व व्मॊग्मात्भि प्रमोग।
प्रश्न 10 – मोग सॊदेश का गोवऩमेआ ऩय क्मा प्रबाव ऩड़ा?
उत्तय - गोवऩमेआ िी ववयहाजग्न फढ़ गई। उनिा भन द:ु िी हो गमा। उद्धव िो उराहने दे ने रगीॊ।
याभ-रक्ष्भण औय ऩयशुयाभ सॊवाद - तुरसीदास
प्रश्न 1-ऩयशयु ाभ के िोध कयने ऩय रक्ष्भण ने धनष
ु टूट जाने के लरए कौन-कौन से तकण ददए?
उत्तय- ऩयशयु ाभ िे िोध ियने ऩय रक्ष्भण ने धनष
ु टूट जाने िे सरए ननम्नसरखित तिि ददए-
1. सबी धनष
ु तो एि सभान होते हेऄ, कपय इस धनष
ु ऩय इतना भोह ठीि नहीॊ है ।
2. मह धनष ु फहुत ऩयु ाना है, इस ऩय िोध ियना व्मथि है ।
3. याभ िे छूने बय से ही वह धनष ु टूट गमा, इसभें याभ िा क्मा दोष नहीॊ है ।
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प्रश्न 2- इस ऩाठ के आधाय ऩय ऩयशयु ाभ के स्वबाव की ववशेषताएॊ लरखखए।
उत्तय- ऩाठ िो ऩढ़िय हभें ऩयशयु ाभ िे स्वबाव िी ननम्नसरखित ववशेषताएॊ ऩता रगती हेऄ-
1. वे भहािोधी थे ।
2. वे फड़फोरे तथा अऩनी वीयता िी डीॊग हाॊिने वारे थे ।
3. वे जल्द ही उत्तेजजत हो जाते थे ।
4. उन्हें अऩने ऩव
ू ि िे िृत्मेआ िा फड़ा घभॊड था ।
प्रश्न 3-‘‘सेवक सो जो कये सेवकाई’’ का आशम स्ऩष्ट कीजजए।
उत्तय- इस ऩॊजक्त िा तात्ऩमि है कि सेवि वह है जो सेवा ियता है । प्रस्तत
ु ऩद भें इस ऩॊजक्त िो व्मॊग्म रूऩ
भें प्रस्तत
ु किमा गमा है । ऩयशयु ाभ िहते हेऄ कि सशव धनष
ु तोड़िय तभ
ु ने िाभ तो शत्रओ
ु ॊ जैसा किमा है उन
ऩय अऩने आऩिो तभ
ु भेया दास िहते हो मह दोहया व्मवहाय नहीॊ चरेगा।
प्रश्न 4-रक्ष्भण ने वीय मोद्धा की कौन-कौन सी ववशेषताओॊ का उल्रेख ककमा है?
उत्तय- रक्ष्भण द्वाया वीय मोद्धा िी ननम्नसरखित ववशेषताओॊ ऩय प्रिाश डारा कि शयू वीय मद्
ु धबसू भ भें अऩनी
वीयता िा प्रदशिन ियता है । वह आत्भ-प्रशॊसा नहीॊ ियता, वह िभि िो भहत्त्व दे ता है औय अऩनी वीयता िा
ऩरयचम दे ता है ।
प्रश्न 5-ऩदठत कववता के आधाय ऩय तर
ु सीदास की बाषा-शैर ऩय प्रकाश डालरए।
उत्तय- तर
ु सीदास श्रीयाभ िे ऩयभ बक्त थे। उनिी बाषा अवधी है । इसभें दोहा-चौऩाई शैरी िो अऩनामा गमा
है । उन्हेआने आभ जन िी बाषा भें िाव्म िो िोभर औय सॊगीतात्भि फनाने िा प्रमास किमा है । िोभर
ध्वननमेआ िे प्रमोग से उनिी िववता भें गेमता िा गण
ु ववद्मभान है ।
प्रश्न 6-ऩदेआ के आधाय ऩय रक्ष्भण व याभ के स्वबाव की ववशेषताएॉ लरखखए।
उत्तय- िाव्माॊश िे आधाय ऩय याभ ववनमशीर, िोभर, गरू
ु जनेआ िा आदय ियने वारे, वीय, साहसी हेऄ। रक्ष्भण-
उग्र, उद्दण्ड, वीय, साहसी, बाषा भें व्मॊग्म िा बाव, स्वबाव से ननडय हेऄ।
प्रश्न 7-ककस कायण रक्ष्भण िोध को योककय ऩयशयु ाभ के वचनेआ को सहन कय यहे थे?
उत्तय- रक्ष्भण िोध िो योििय ऩयशयु ाभ िे वचनेआ िो इससरए सह यहे थे क्मेआकि उनिे िुर िी ऩयम्ऩया है ।
उनिे महाॊ गाम, ब्राह्भण, हरयबक्त औय दे वताओॊ ऩय वीयता नहीॊ ददिाई जाती ।
प्रश्न 8- रक्ष्भण की फढ़ती हुई उछछॊ खर
ृ ता ऩय अफ तक भौन यहे याभ ने अॊत भें रक्ष्भण को क्मेआ योक
लरमा?
उत्तय- मद्मवऩ रक्ष्भण िी उच्छॊ िर
ृ ता यघव
ु श
ॊ िे अनि
ु ू र नहीॊ थी कपय बी याभ सभझ यहे थे कि भनु नवय िो
हभायी वास्तवविता िा ऻान हो जाए। ऩयन्तु उऩजस्थत रोगेआ िी ऩि
ु ाय से जस्थनत बफगड़ती दे ि उन्हेआने
रक्ष्भण िो आॉिेआ िे सॊिेत से योिा।
आत्भ कथ्म - जमशॊकय प्रसाद
प्रश्न 1- ककसकी स्भर्ृ त कवव के लरए ऩाथेम फनी है?
उतय- जो िवव िा वप्रम ऩात्र था जजसिे साथ िवव अऩने भधुय ऺणेआ िो बफतामा ियता था। रेकिन जजसिा
साननध्म िवव िो प्राप्त न हो सिा उसिी स्भनृ त िवव िे सरए ऩाथेम फनी है ।
प्रश्न 2- कवव अऩनी कॊथा की सीवन क्मेआ नह ॊ उधेड़ना चाहता ?
उतय- िवव अऩनी िॊथा िी सीवन इससरए नहीॊ उधेड़ना चाहता क्मेआकि वह अऩने जीवन िी ऩयु ानी मादेआ िो
ताजा नहीॊ ियना चाहता। मे मादें न िेवर उसे दि
ु दे गी फजल्ि दस
ू ये रोगेआ िे साथ किए गए फयु े व्मवहाय िो
बी उद्घादटत िय दे गी।
प्रश्न 3- कवव ने अऩने को थका हुआ ऩचथक कमेआ कहा है?

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उतय- िवव ने उम्र िे इस ऩड़ाव ति आने िे सरए रॊफा यास्ता तम किमा है तथा िापी दि
ु बी झेरा। इन ्
सफ जस्थनतमेआ िो झेरिय वह िापी थि गए है ।
प्रश्न 4- कवव आत्भकथा लरखने से क्मेआ फचना चाहता है?
उतय- िवव आत्भिथा सरिने से फचना चाहता है क्मेआकि उसिे जीवन भें िहने मा सरिने िो िुछ ववशेष
नहीॊ है साथ ही वह अऩने जीवन िी ऩयु ानी मादेआ िो ताज़ा नहीॊ ियना चाहता क्मेआकि मे मादें न िेवर उसे
दि
ु दे गीॊ फजल्ि दस
ू ये रोगेआ िे िवव िे साथ किए गए फयु े व्मवहाय िो बी उद्धानत िय दे गीॊ।
प्रश्न 5- स्भर्ृ त को ऩाथेम फनाने का क्मा अथण है?
उत्तय- ऩाथेम िा अथि होता है सॉफर मा सहाया। स्भनृ त िो ऩाथेम फनाने िा अथि है कि िवव अऩनी ऩयु ानी
मादेअ िे सहाये ही जज़ॊदगी बफता यहा है क्मेअकि उसिे वतािभान जीवन भेँ ऐसा िुछ बी नहीीँ है जो उसे धीयज
फॉधा सिे।
प्रश्न 6- उज्ज्वर गाथा कैसे गाऊॉ , भधुय चाॉदनी यातेअ की- कथन के भाध्मभ से कवव क्मा कहना चाहता है?
उत्तय- िवव िहना चाहता है कि ननजी प्रेभ िे भधुय ऺण सफिे साभने प्रिट ियने मोग्म नहीॊ होते। मह
व्मजक्त िे ननजी अनब
ु व होते हेऄ। साथ ही िवव िा वह प्रेभ असपर बी था। अत् इस फाये भें िुछ िहना
सही नहीॊ है ।
उत्साह, अट नह ॊ यह है – सम
ू क
ण ान्त बत्रऩाठी ‘र्नयारा’
प्रश्न 1- कववता भे फादर ककन– ककन अथों की ओय सॊकेत कयता है?
उत्तय- फादर प्मासेआ िी प्मास फझु ाने तथा िेतेआ भें जर ऩहुचाने वारा है । इस अथो भें वह ननभाांण िा
प्रतीि है । फादर िाॊनत िा सॊदेश रािय शोषिेआ िा अॊत ियता हेऄ। इस अथि भे वह ववनाश िा प्रतीि है ।
प्रश्न 2- कवव फादर से पुहाय रयभखझभ मा फयसने के स्थान ऩय गयजने के लरए क्मेआ कहता है ?
उत्तय- िवव फादरेआ िो िाॊनत मा फदराव िा प्रतीि भानता है । फदराव हे तु तीव्र प्रहाय िी आवश्मिता होती है ।
मह िामि धीभे –धीभे मा भद
ृ त
ु ा से नही हो सिता। फादरेआ िे गजिन –तजिन भें ही मह शजक्त ननदहत है अत्
िवव फादर से पुहाय रयभखझभ मा फयसने िे स्थान ऩय गयजने िे सरए िहता है ।
प्रश्न 3- कवव ने फादरेआ को नवजीवन वारे क्मेआ कहा है?
उत्तय- फादर तत्ऩ धया ऩय जर फयसा िय धन-धान्म िो सॊबव फनाते हेऄ साथ ही फादर प्मासेआ िी प्मास
फझ
ु ाते हेऄ। इस तयह एि अथि भें वे रोगेआ िो नवजीवन प्रदान ियते हेऄ। इससरए िवव ने उन्हें नवजीवन वारे
िहा है ।
प्रश्न 4- ‘अट नह ॊ यह है ’ कववता भें ककस भह ने के सौन्दमण का वणणन हुआ है?
उत्तय- पागनु भहीने िे सौन्दमि िा वणिन हुआ है ।
प्रश्न 5-‘अट नह ॊ यह है’ का प्रमोग ककसके लरए हुआ है?
उत्तय- प्रिृनत–सौंदम िे सरए क्मेआकि प्रिृनत िी शोबा अद्ववतीम हेऄ।
प्रश्न 6- पागन
ु के साॉस रेते ह प्रकृर्त भें क्मा ऩरयवतणन ददखाई दे ते हेऄ?
उत्तय्–सॊऩण
ू ि वातावयण सव
ु ाससत हो उठता है । प्रिृनत ऩल्रववत, ऩजु ष्ऩत हो जाती है ।
प्रश्न 7- प्रकृर्त के ऩरयवतणन का कवव के भन ऩय क्मा प्रबाव ऩड़ यहा है ?
उत्तय्– िवव िा भन िल्ऩना िी उड़ान बयने रगता है ।
प्रश्न 8 -उय भें ऩष्ु ऩ भार ऩड़ने का क्मा अथण है?
उत्तय्– िवव िहना चाहता है कि पागन
ु िे आगभन से वऺ
ृ ऩष्ु ऩेआ से रद गए हेऄ।
प्रश्न 9- पागन
ु की शोबा का वणणन कीजजए?
उत्तय्– पागन
ु िी शोबा सवित्र व्माप्त हो गई है । वऺ
ृ ऩष्ु ऩेआ से रद गए हेऄ। उसिी शोबा प्रिृनत भें सभा नही
यही है ।

52
दॊ तुरयत भुस्कान, फ़सर – नागाजुन

प्रश्न 1- दॊ तरु यत भस्
ु कान से क्मा तात्ऩमण है, इसकी क्मा ववशेषता है?
उत्तय- नन्हा फारि जजसिे अबी दाॉत ननिर यहे हेऄ उस फारि िी भस्
ु िान िो दॊ तरु यत भस्
ु िान िहा गमा है ।
मह भस्
ु िान फहुत ही ननभिर औय ननश्छर होती है जो दे िने वारे िे ह्रदम भें आनॊद औय उत्साह िा सॊचाय
ियती है ।
प्रश्न 2- भस्
ु िान एवॊ िोध सबन्न बाव हेऄ। आऩिे ववचाय से हभाये जीवन भें इनिे क्मा प्रबाव ऩड़ते हेऄ?
उत्तय- भस्
ु िान औय िोध सबन्न बाव हेऄ, भस्
ु िान प्रसन्नता िो व्मक्त ियती है औय िोध असन्तोष औय
उग्रता प्रिट ियता है ।
प्रश्न 3- इस कववता भें ककस शैर का प्रमोग ककमा गमा है?
उत्तय- आत्भिथात्भि, प्रश्न एवॊ सॊफोधन शैरी।
प्रश्न 4- ‘‘थि गए हो’’ महाॉ िवव बावि
ु हो उठा है िैसे?
उत्तय- सशशु िे रगाताय दे िने से िवव बावि
ु हो उठा, उसे मह जस्थनत िष्टप्रश्नद रगती है इससरए िवव ने
ऐसा िहा है ।
प्रश्न 5- िवव ने स्वमॊ िो इतय औय अन्म क्मेआ िहा है?
उत्तय- क्मेआकि वह प्रवासी है औय सशशु िवव िो प्रथभ फाय दे ि यहा है ।
प्रश्न 6-. िवव ने स्वमॊ िो प्रवासी क्मेआ िहा है?
उत्तय- प्राचीन िार से ही ऩरु
ु ष आजीवविा िे सरए अऩने घयेआ-गाॉवेआ िो छोड़य फाहय जाता यहा है । फच्चे िी
भाॉ ही उसिा ऩारन-ऩोषण ियती है । वऩता से फच्चेआ िा सॊऩिि िबी-िबी ही हो ऩाता है। इससरए िवव ने
स्वमॊ िो प्रवासी िहा है ।
प्रश्न 7- स्ऩष्ट िीजजए- ‘छू गमा तभ
ु से कि झयने रग ऩड़े शेपासरिा िे पूर फाॉस था कि फफर
ू ।’
उत्तय- सशशु िा सौन्दमि ऐसा अद्बत
ु है कि उसिे स्ऩशि भात्र से िठोय मा यसहीन व्मजक्त िे ह्रदम भें बी यस
उभड़ आता है, उसिा ह्रदम वात्सल्म से बय जाता है ।
प्रश्न 8- कववता भें पसर उऩजाने के लरए ककन आवश्मक तत्वेआ की फात कह गई है?
उत्तय- िववता भें पसर उऩजाने िे सरए ननम्न आवश्मि तत्वेआ िी फात िही गई है -
* ऩानी
* सभट्टी
* धूऩ
* हवा
* भानव श्रभ
प्रश्न 9- ककसानेआ के हाथेआ के स्ऩशण को भदहभा क्मेआ भाना गमा है?
उत्तय-पसरेआ िो उगाने िे सरए किसान ददन-यात िड़ी भेहनत ियते हेऄ तफ िहीॊ जािय िेतेआ भें पसर
रहरहाती है । किसानेआ िे इसी श्रभ िो सम्भान दे ने िे सरए पसर िो किसान िे हाथेआ िे स्ऩशि िी भदहभा
भाना गमा है ।
प्रश्न 10- कवव ने पसर को जाद ू क्मेआ कहा है?
उत्तय- िवव ने पसर िो जाद ू इससरए िहा है क्मेआकि पसर सभट्टी, हवा, ऩानी, धूऩ औय भानव श्रभ िे भेर से
फनी है ।
प्रश्न 11- ककन-ककन तत्वेआ के मोगदान से पसर की उत्ऩवि होती है?
उत्तय- सभट्टी, ऩानी, धूऩ, हवा औय भानव श्रभ से पसर िी उत्ऩवत्त होती है ।

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प्रश्न 12- पसर कववता का वतणभान सॊदबण भें भहत्व फताइए?
उत्तय- प्रिृनत औय भानव श्रभ िा सािाय औय साथिि रूऩ पसर है । आज बी ऩरयश्रभ िा भहत्व औय प्रिृनत
िा मोगदान अऩेक्षऺत है ।
सॊगतकाय- भॊगरेश डफयार
प्रश्न 1- सॊगतकाय के भाध्मभ से कवव ककस तयह के व्मजक्तमेआ की ओय सॊकेत कयना चाह यहा है?
उत्तय- सॊगतिाय िे भाध्मभ से िवव सहामि िरािायेआ िे भहत्त्व िी ओय सॊिेत िय यहा है । मे सहामि
िरािाय िद
ु िो ऩीछे यििय भख्
ु म िरािाय िो आगे फढ़ने भें मोगदान दे ते है । मह फात जीवन िे हय ऺेत्रा
भें रागू होती है ।
प्रश्न 2- सॊगतकाय की आवाज भें एक दहचक क्मेआ सन
ु ाई दे ती है?
उत्तय- सॊगतिाय िी आवाज भें एि दहचि साप सन
ु ाई दे ती है क्मेआकि वह जान फझ
ू िय अऩनी आवाज िो
भख्
ु म गामि से ऊऩय नहीॊ उठने दे ता। क्मेआकि उसिा ित्तिव्म भख्
ु म िरािाय िो सहाया प्रदान ियना है, अऩनी
िरा िा प्रदशिन ियना नहीॊ।
प्रश्न 3- सपरता के चयभ-लशखय ऩय ऩहुॉचने के दौयान मदद व्मजक्त रड़खड़ाता है, तफ उसे सहमोगी ककस तयह
सॊबारते हेऄ?
उत्तय- सपरता िे चयभ-सशिय ऩय ऩहुॉचने िे दौयान रड़िड़ाते व्मजक्त िो उसिे सहमोगी ववषभ ऩरयजस्थनतमेआ
भें उसिे साथ यहने िा ववश्वास दे िय उसिा आत्भफर फनाए यिने िा बयसि प्रमास ियते हेऄ। स्वमॊ आगे
आिय सयु ऺा-िवच फनिय उसिे ऩौरुष िी प्रशॊसा ियते हेऄ। उसिे रड़िड़ाने िा िायण ढूॉढ़ते हेऄ औय उन
िायणेआ िा सभाधन ियने िे सरए सहमोगी अऩनी ऩयू ी शजक्त रगा दे ते हेऄ। आत्भीमता से ऩण
ू रु
ि ऩेण सहमोग
ियते हेऄ।
प्रश्न 4- ‘सॊगतकाय’ कववता के आधय ऩय स्ऩष्ट कीजजए कक सॊगतकाय जैसे व्मजक्त सवणगण
ु सम्ऩन्न होकय बी
सभाज भें अचिभ न आकय प्राम् ऩीछे ह क्मेआ यहते हेऄ?
उत्तय- ‘सॊगतिाय’ प्रववृ त्त िे रोग छर-प्रऩॊच से दयू होते हेऄ। वे भख्
ु म िरािाय िे सहमोगी होते हेऄ।
अऩने प्रनत ववश्वास िो ित्भ नहीॊ ियना चाहते हेऄ। दस
ू ये िी ववशेषताओॊ िो तयाशने औय सध
ु ायने भें रगे
यहते हेऄ औय इसे ही अऩना ितिव्म सभझते हेऄ।
प्रश्न 5- ‘सॊगतकाय’ कववता भें कवव क्मा सन्दे श दे ना चाहता है ?
उत्तय- िवव िी सॊगतिाय िे प्रनत सहानब
ु नू त है । उसिी दृजष्ट भें सॊगतिाय भख्
ु म गामि िे सभान ही
सयाहनीम है । भख्
ु म-गामि िी सपरता भें सॊगतिाय िा श्रेम िभ ियिे नहीॊ दे िना चादहए। मद्मवऩ भख्
ु म
गामि िे बफना सॊगतिाय िा अजस्तत्व नहीॊ है । किन्तु भख्
ु म गामि िी सपरता अचधिाॊशत: सॊगतिाय िे
सपर सहमोग ऩय ननबिय है । भख्
ु म गामि िे ननयाश होने ऩय, ववश्वास रड़िड़ाने ऩय, स्वय बफगड़ने ऩय, उसिे
तायसप्ति भें िो जाने ऩय सॊगतिाय ही उसे सॊबारता है । सॊगतिाय िे बफना भख्
ु म-गामि िी सपरता
सॊददग्ध ् यहती है ।

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भाता का आॉचर - शिवऩूजन सहाम
प्रश्न 1- भाॉ के प्रतत अधधक रगाव न होते हुए बी ववऩवि के सभम बोरानाथ भाॉ के आॉचर भें ही प्रेभ औय
िाॊतत ऩाता है ? इसका आऩ क्मा कायण भानते हैं?
उत्तय- मह फात सच है कि फच्चे (रेखि) िो अऩने पऩता से अधधि रगाव था। उसिे पऩता उसिा रारन -
ऩारन ही नहीॊ ियते थे फल्कि उसिे सॊग दोस्तों जैसा व्मवहाय बी ियते थे। ऩयॊ तु पवऩदा िे सभम उसे राड़
िी जरूयत थी। उसे अत्मधधि भभता औय भाॉ िी गोद िी जरूयत थी । उसे अऩनी भाॉ से ल्जतनी िोभरता
मभर सिती है , पऩता से नहीॊ। मही िायण है कि सॊिट भें फच्चे िो भाॉ मा नानी िी माद आती है , फाऩ मा
नाना िी नहीॊ। भाॉ िा भभत्व घाव बय दे ने वारे भयहभ िा िाभ ियता है ।
प्रश्न 2- बोरानाथ औय अऩने साधथमों के खेर औय खेरने की साभग्री आऩके खेर औय खेरने की साभग्री से
ककस प्रकाय शबन्न है?
उत्तय- आज जभाना फदर चुिा है । आज भाता-पऩता अऩने फच्चों िा फहुत ध्मान यखते हैं वे उसे गरी भोहकरे
भें फेकपक्र खेरने घभ
ू ने िी अनभ
ु तत नहीॊ दे त।े जफ से तनठायी जैसे िाॊड होने रगे हैं , तफ से फच्चे बी डये -डये
यहने रगे हैं। न तो हुकरड़फाजी , शयायतें औय ति ु फॊददमाॉ यही हैं न ही नॊग-धड़ॊग घभ
ू ते यहने िी आजादी। अफ
तो फच्चे प्राल्स्टि औय इरेक्ट्रोतनक्ट्स िे भहॊ गे खखरौनों से खेरते हैं। फयसात भें फच्चे फाहय यह जाएॊ तो भाॉ-
फाऩ िी जान तनिर जाती है । आज न िुएॉ यहे , न यहट, न खेती िा शौि। इसमरए आज िा मग
ु ऩहरे िी
तर
ु ना भें आधुतनि, फनावटी, यसहीन हो गमा है ।
प्रश्न 3- फच्चे भाता-वऩता के प्रतत अऩने प्रेभ को कैसे अशबव्मक्त कयते हैं? अऩने जीवन की कोई फात फताइए
जजसभें आऩने अऩने भाता-वऩता के प्रतत प्रेभ अशबव्मक्त ककमा हो?
उत्तय- फच्चे भाता-पऩता िे प्रतत अऩने प्रेभ िो उनिे साथ यहिय, उनिी मसखाई हुई फातों भें रुधच रेिय, उनिे
साथ खेर ियिे, उन्हें चभू िय औय उनिी गोद भें मा िॊधे ऩय फैठिय प्रिट ियते हैं।
भेये भाता-पऩता िी फीसवीॊ वषषगाॉठ थी। भैंने फीस वषष ऩयु ाने मग
ु र धचत्र िो सन्
ु दय से फ्रेभ भें सजामा औय
उन्हें बें ट किमा उसी ददन भैं उनिे मरए अऩने हाथों से सल्जजमों िा सऩ
ू फनािय राई औय उन्हें आदय ऩव
ू ि

ददमा। भाता-पऩता भेया वह प्रेभ दे खिय फहुत प्रसन्न हुए।
प्रश्न 4- आऩके ववचाय से बोरानाथ अऩने साधथमों को दे खकय शससकना क्मों बर
ू जाता है?
उत्तय- घय भें राख भना ियने ऩय बी बोरानाथ िी भाॉ मसय भें िड़वा तेर रगािय ही छोड़ती है । भाथे ऩय
िाजर िी बफॊदी रगािय पूरदाय रट्टू फाॉधिय िुताष-टोऩी ऩहना दे ती है । इस प्रिाय भाॉ िे हठ से तॊग आिय
बोरानाथ मससिने रगता है । घय से फाहय आने ऩय जफ फारिों िा झुॊड मभर जाता है तफ वह साधथमों िी
हुकरड़फाजी, शयायतें औय भस्ती दे खिय सफ िुछ बर
ू जाता है । हभाये पवचाय से बोरानाथ खेरने िा अवसय
ऩािय मससिना बर ू जाता है ।
प्रश्न 5- ‘भाता का आॉचर’ ऩाठ भें फच्चों की जो दतु नमा यची गई है वह आऩके फचऩन की दतु नमा से ककस
तयह शबन्न है ?
उत्तय- इस ऩाठ भें फच्चों िी जो दतु नमा यची गई , वह 1930 िे आसऩास िी है , तफ फच्चे घय िे साभान से
औय साधायण सी चीजों से खेरने िा िाभ चरा रेते थे। वे प्रिृतत िी गोद भें यह िय खश
ु थे। आज हभायी
दतु नमा ऩयू ी तयह से मबन्न है । हभें ढे य सायी चीजें चादहए। खेर साभग्री भें बी फदराव आ गमा है । खाने-ऩीने
िी चीजों भें बी िापी फदराव आमा है । हभायी दतु नमा टी.वी., िोकडड्रॊग, ऩीजा, चॉिरेट िे इदष -धगदष घभ
ू ती है ।
प्रश्न-6 महाॉ भाता-वऩता का फच्चे के प्रतत जो वात्सल्म व्मक्त हुआ है उसे अऩने िब्दों भें शरखखए।
उत्तय- पऩताजी िा अऩने साथ मशशु िो बी नहरा-धुरािय ऩज ू ा भें फैठा रेना , भाथे ऩय बबत ू रगाना कपय
िागज भें याभ-याभ मरख िय आटे िी गोमरमाॉ फनाना , उसिे फाद रेखि िो िन्धे ऩय फैठा िय गॊगाजी ति
रे जाना औय वाऩस आते सभम ऩेड़ ऩय फैठा िय झूरा झुराना , मह सफ कितना सद
ुॊ य दृश्म उत्ऩन्न ियता है ।

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रेखि िा अऩने पऩता जी िे साथ िुश्ती रड़ना , पऩताजी िा फच्चे िे गारों भें चुम्भा रेना , फच्चे िे द्वाया
भॉछ
ू े ऩिड़ने ऩय पऩताजी िा फनावटी योना योने िा नाटि ियना औय मशशु िा उस ऩय हॉस ऩड़ना , मह सफ
अत्मॊत जीवॊत रगता है । भाॉ िे द्वाया गोयस-बात , तोता-भैना आदद िे नाभ ऩय खखराना , उफटना, मशशु िा
शग
ॊृ ाय ियना औय मशशु िा मससि-मससि िय योना , फच्चों िी टोरी िो खेरते दे खिय मससिना फन्द िय
तयह-तयह िे खेर खेरना औय भस
ू न ततवायी िो धचढाना आदद। मे सबी अद्बत
ु दृश्म ऩाठ भें उबाये गए हैं।
मे सबी दृश्म अऩने शैशव अवस्था िी माद ददराते हैं।
साना साना हाथ जोड़ि - भधु काकरयमा
प्रश्न 1- गन्तोक को ‘भेहनतकि फादिाहों का िहय’ क्मों कहा गमा?
उत्तय- ‘भेहनतिश िा अथष है - िड़ी भेहनत ियने वारे। ‘फादशाह’ िा अथष है - भन िी भजी िे भामरि। गॊतोि
एि ऩवषतीम स्थर है । ऩवषतीम ऺेत्र होने िे नाते महाॉ ल्स्थततमाॊ फड़ी िदठन है । अऩनी जरूयतें ऩयू ी ियने िे
मरए रोगों िो िड़ी भेहनत ियनी ऩड़ती है । महाॉ िे रोग इस भेहनत से घफयाते नहीॊ औय ऐसी िदठनाइमों िे
फीच बी भस्त यहते हैं। इसमरए गन्तोि िो ‘भेहनतिश फादशाहों िा शहय’ िहा गमा।
प्रश्न 2- जजतेन नागे ने रेखखका को शसजक्कभ की प्रकृतत, वहाॊ की बौगोशरक जथथतत एवॊ जनजीवन के फाये भें
शरखखए।
उत्तय- ल्जतेन नागे उस वाहन (जीऩ) िा गाइड-िभ-राइवय था , ल्जसिे द्वाया रेखखिा मसल्क्ट्िभ िी मात्रा िय
यही थी। ल्जतेन एि सभझदाय औय भानवीम सॊवेदना से मक्ट्
ु त व्मल्क्ट्त था। उसने रेखखिा िो मसल्क्ट्िभ िी
प्रािृतति व बौगोमरि ल्स्थतत तथा जन जीवन िे पवषम भें अनेि भहत्वऩण
ू ष जानिारयमाॊ दी। उसने फतामा
कि मसल्क्ट्िभ फहुत ही खूफसयू त प्रदे श है औय गन्तोि से मभ
ु थाॊग िी 149 किरोभीटय िी मात्रा भें दहभारम
िी गहनतभ घादटमाॊ औय पूरों से रदी वाददमाॊ दे खने िो मभरती हैं। मसल्क्ट्िभ प्रदे श चीन िी सीभा से सटा
है । ऩहरे महाॊ याजशाही थी। अफ मह बायत िा एि अॊग है । मसल्क्ट्िभ िे रोग अधधितय फौद्ध धभष िो
भानते हैं औय मदद किसी फौद्धधष्ट िी भत्ृ मु हो जाए तो उसिी आत्भा िी शाॊतत िे मरए एि सौ आठ
ऩतािाएॊ पहयाई जाती हैं। महाॊ िे रोग फड़े भेहनती हैं। इसमरए गन्तोि िो ‘भेहनतिश फादशाहों िा नगय ’
िहा जाता है औय महाॊ िी ल्स्त्रमाॊ बी िठोय ऩरयश्रभ ियती हैं। वे अऩनी ऩीठ ऩय फॊधी डोिे (फड़ी टोियी) भें
िई फाय अऩने फच्चे िो बी साथ यखती है । महाॊ िी ल्स्त्रमाॊ चटि यॊ ग िऩड़े ऩहनना ऩसॊद ियती है औय
उनिा ऩयम्ऩयागत ऩरयधान ‘फोिू’ है ।
प्रश्न 3- ‘‘ककतना कभ रेकय मे सभाज को ककतना अधधक वाऩस रौटा दे ती हैं ’’। इस कथन के आधाय ऩय
थऩष्ट कयें कक आभ जनता की दे ि की आधथिक प्रगतत भें क्मा बशू भका है?
उत्तय- रेखखिा ने मह िथन उन ऩहाड़ी श्रमभि भदहराओॊ िे पवषम भें िहा है , जो ऩीठ ऩय फॊधी डोिो (फड़ी
टोियी) भें अऩने फच्चों िो सम्बारते हुए िठोय श्रभ ियती हैं ऐसा ही दृश्म वह ऩराभु औय गभ ु रा िे जॊगरो
भें बी दे ख चुिी थी, जहाॊ फच्चे िो ऩीठ ऩय फाॊधे तें द ू िे ऩत्तों िी तराश भें आददवासी औयतें वन-वन डोरती
कपयती हैं। उसे रगता है कि मे श्रभ सद
ुॊ रयमाॊ ‘वेस्ट एट रयऩेईन्ग’ हैं, अथाषत ् मे कितना िभ रेिय सभाज िो
कितना अधधि रौटाती हैं। वास्तव भें मह एि सत्म है कि हभाये ग्राभीण सभाज भें भदहराएॉ फहुत िभ रेिय
सभाज िो फहुत अधधि रौटाती हैं। वे घय फाहय बी सम्बारती हैं , फच्चों िी दे खबार बी ियती हैं औय श्रभ
ियिे धनोऩाजषन बी ियती हैं। मह फात हभाये दे श िी आभ जनता ऩय बी रागू होती है । जो श्रमभि िठोय
ऩरयश्रभ ियिे सड़िो, ऩर
ु ों, ये रवे राइनों िा तनभाषण ियते हैं मा खेतों भें िड़ी भेहनत ियिे अन्न उऩजाते हैं ,
उन्हें फदरे भें फहुत िभ भजदयू ी मा राब मभरता है । रेकिन उनिा श्रभ दे श िी प्रगतत भें फड़ा सहामि होता
है हभाये दे श िी आभ जनता फहुत िभ ऩािय बी दे श िी प्रगतत भें अहभ बमू भिा तनबाती है ।
प्रश्न 4- आज की ऩीढ़ी द्वाया प्रकृतत के साथ ककस तयह का खखरवाि ककमा जा यहा है? इसे योकने भें आऩकी
क्मा बशू भका होनी चाहहए?

56
उत्तय- आज िी ऩीढी ऩहाड़ी स्थरों भें अऩना पवहाय स्थर फना यही है । वहाॊ बोग िे नए-नए साधन ऩैदा किए
जा यहे हैं। इसमरए जहाॊ एि ओय गन्दगी फढ यही है, वहीॊ दस
ू यी ओय ताऩभान भें वद्
ृ धध हो यही है ।
ऩरयणाभस्वरूऩ ऩवषत अऩनी स्वाबापवि सद
ॊु यता खो यहे हैं। इसे योिने भें हभे सचेत होना चादहए। हभें ऐसा
िोई िामष नहीॊ ियना चादहए ल्जससे ऩहाड़ों िा प्रािृतति सौंदमष नष्ट हो, गन्दगी पैरे औय ताऩभान भें वद्
ृ धध
हो।
प्रश्न 5- रोंग थटॉक भें घभू ते हुए चक्र को दे खकय रेखखका को ऩयू े बायत की आत्भा एक सी क्मों हदखाई दी?
उत्तय- मसल्क्ट्िभ भें एि जगह िा नाभ है - ‘िवी-रोंग स्टाि’। िहा जाता है कि महाॉ गाइड कपकभ िी शदू टॊग
हुई थी। वहीॊ एि घभ ू ते हुए चक्र िो दे खिय रेखखिा ने उसिे फाये भें ऩछ
ू ा तो ऩता चरा कि मह धभषचक्र है ।
इसे घभु ाने ऩय साये ऩाऩ धुर जाते हैं। ल्जतेन िी मह फात सन ु िय रेखखिा िो ध्मान आमा कि ऩयू े बायत िी
आत्भा एि ही है । इस ल्स्थतत िो दे खिय रेखखिा िो रगता है कि धामभषि आस्थाओॊ , ऩाऩ-ऩण्
ु म औय
अॊधपवश्वासों िे फाये भें साये बायत भें एि जैसी भान्मताएॉ है ।
प्रश्न 6- कबी श्वेत तो कबी यॊ गीन ऩताकाओॊ का पहयाना ककन अरग-अरग अवसयों की ओय सॊकेत कयता है?
उत्तय- महाॉ ऩहाड़ी यास्तों ऩय िताय भें रगी श्वेत (सपेद) ऩतािाएॉ ददखाई दे ती हैं। मे सपेद फौद्ध ऩतािाएॉ
शाॊतत औय अदहॊसा िी प्रतीि हैं। इस ऩय भॊत्र मरखे होते हैं। ऐसी भान्मता है कि श्वेत ऩतािाएॉ किसी
फौद्धधष्ट िी भत्ृ मु ऩय पहयाई जाती हैं उसिी आत्भा िी शाॊतत िे मरए शहय से फाहय किसी ऩपवत्र स्थान
ऩय108 श्वेत ऩतािाएॉ पहया दी जाती है , ल्जन्हें उताया नहीॊ जाता। वे धीये -धीये स्वमॊ नष्ट हो जाती हैं। किसी
शब
ु िामष िो आयम्ब ियने ऩय यॊ गीन ऩतािाएॉ पहयाई जाती हैं।
प्रश्न 7- रोंग थटॉक भें घभू ते हुए चक्र को दे खकय रेखखका को ऩयू े बायत की आत्भा एक-सी क्मों हदखाई दी?
उत्तय- रोंग स्टॉि भें घभू ते हुए चक्र िो दे खिय रेखखिा िो ऩयू े बायत िी आत्भा एि-सी ददखाई दी क्ट्मोंकि
रोंग स्टॉि भें घभ
ू ते हुए चक्र िो दे खिय रेखखिा ने जफ ल्जतेन नागे से उसिे फाये भें ऩछ
ू ा। तो ऩता चरा
कि मह धभष-चक्र है । इसे घभु ाने ऩय साये ऩाऩ धुर जाते हैं। मह सफ जानिय रेखखिा सोचती बायत भें रोग
अफ बी भानमसि सॊिीणषता तथा अॊधपवश्वासों से भक्ट्
ु त नहीॊ हुए हैं। उसे रगा कि ऩयू े बायत िी आत्भा एि-
सी है । औय सायी वैऻातनि प्रगतत िे फावजूद उनिे अॊध-पवश्वास औय ऩाऩ-ऩण् ु म िी अवधायणाएॉ एि-सी हैं।

भैं क्मों शरखता हूॉ- अऻेम


प्रश्न 1- रेखक क्मों शरखता है?
उत्तय- रेखि िो रगता है कि मरखिय ही वह अऩने भन िी ल्स्थतत तथा पववशता िो जान ऩाता है । अऩनी
भन:ल्स्थतत िो व्मक्ट्त ियने एवॊ पववशता से भक्ट्
ु त होने िा सग
ु भ भागष बी मरखना ही है ।
प्रश्न 2- सबी रेखक कृततकाय क्मों नहीॊ होते?
उत्तय- सबी रेखि िृततिाय नहीॊ हो सिते। भात्र अऩनी बावनाओॊ िो प्रिट ियने से ही िोई अमबव्मल्क्ट्त
िृतत नहीॊ हो जाती। िृततिाय द्वाया साभाल्जि दातमत्व िा तनवाषह ियने ऩय ही अमबव्मल्क्ट्त िृतत फन ऩाती
है ।
प्रश्न 3- अनब
ु तू त के थतय की ववविता की क्मा वविेषता होती है?
उत्तय- अनब
ु तू त िे स्तय िी पववशता ताकिषिता ऩय तनबषय होती है । अनब
ु व तो घदटत होता यहता है औय
अनब
ु तू त, सॊवेदना औय िकऩना िे सहाये उस सत्म से जड़
ु िय आत्भसात ् िय रेती है । अनब
ु तू त ही रेखि िो
मरखने िे मरए प्रेरयत ियती है ।
प्रश्न 4- अनब
ु तू त को रेखक ने गहया क्मों कहा है?
उत्तय- रेखि िा भानना है कि अनब
ु व तो एि घटना है औय अनब
ु तू त भन िे बीतय से उठने वारे पवचाय हैं।
जो सभाज िे दातमत्वों िे तनवषहन भें सहामि होते हैं।

57
प्रश्न 5- रेखक ने आरसी जीव ककसे कहा है औय क्मों?
उत्तय- रेखि ने उन रेखिों िो आरसी जीव िहा है जो फाहयी दफाव िे बफना नहीॊ मरख ऩाते। ऐसे रोग िुछ
मरखना तो चाहते हैं किॊ तु तफ नहीॊ मरख ऩाते जफ ति फाहय िा िोई उन्हें मरखने िे मरए दफाव न डारे।
जैसे आॉख खुरने ऩय िोई-िोई अराभष फजने िी प्रतीऺा भें रेटा ही यहता है ।
प्रश्न 6- रेखक ने हहयोशिभा कववता कफ औय कहाॉ शरखी?
उत्तय- रेखन ने दहयोमशभा िपवता उस सभम मरखी जफ उसिे बीतय िी आिुरता सॊवेदना भें फदर गई।
रेखि ने मह िपवता बायत आने ऩय मरखी।
प्रश्न 7- हहयोशिभा की घटना ववऻान का बमानकतभ दरू
ु ऩमोग है । आऩकी दृजष्ट भें ववऻान का दरू
ु ऩमोग
कहाॉ-कहाॉ औय ककस तयह से हो यहा है?
उत्तय- आजिर पवऻान िा दरू
ु ऩमोग अनेि जानरेवा िाभों िे मरए किमा जा यहा है । आज आतॊिवादी सॊसाय
बय भें आतॊिी घटनाओॊ िो अॊजाभ दे यहे हैं। िहीॊ फभ-पवस्ऩपोट किए जा यहे हैं। िहीॊ गाड्ड़मों भें आग रगाई
जा यही है । ि हीॊ शल्क्ट्तशारी दे श , दस
ू ये दे शों िो दफाने िे मरए उन ऩय आक्रभण िय यहे हैं तथा वहाॉ िे
जनजीवन िो तहस नहस िय यहे हैं । पवऻान िे दरू
ु ऩमोग से धचकित्सि गबष भें ही भ्रण
ू ऩयीऺण िय यहे हैं।
इससे जनसॊख्मा िा सॊतर
ु न बफगड़ यहा है । पवऻान िे दरू
ु ऩमोग से किसान िीटनाशि औय जहयीरे यसामन
तछड़ि िय अऩनी पसरों िो फढा यहे हैं। इससे रोगों िा स्वास््म खयाफ हो यहा है । पवऻान िे उऩियणों िे
िायण ही वातावयण भें गभी फढ यही है, प्रदष
ू ण फढ यहा है औय फपष पऩघरने िा खतया फढ यहा है तथा योज-
योज बमॊिय दघ
ु ट
ष नाएॉ हो यही हैं।
प्रश्न 8- रेखक ने अऩने आऩको हहयोशिभा के ववथपोट का बोक्ता कफ औय ककस तयह भहसस
ू ककमा?
उत्तय- रेखि दहयोमशभा िी घटनाओॊ िे फाये भें सन
ु िय तथा उनिे िुप्रबावों िो प्रत्मऺ दे खिय बी
पवस्ऩपोटिा बोक्ट्ता नहीॊ फन ऩामा। एि ददन वह जाऩान िे दहयोमशभा नगय िी एि सड़ि ऩय घभ
ू यहा था।
अचानि उसिी नज़य एि ऩत्थय ऩय ऩड़ी। उस ऩत्थय ऩय एि भानव िी छामा छऩी हुई थी। वास्तव भें
ऩयभाणु -पवस्ऩपोट िे सभम िोई भनष्ु म उस ऩत्थय िे ऩास खड़ा होगा। ये ड्डमो- धभी कियणों ने उस आदभी
िो बाऩ िी तयह उड़ािय उसिी छामा ऩत्थय ऩय डार दी थी। उसे दे खिय रेखि िे भन भें अनब
ु तू त जग
गई। उसिे भन भें पवस्ऩपोट िा प्रत्मऺ दृश्म सािाय हो उठा। उस सभम वह पवस्पोट िा बोक्ट्ता फन गमा।
प्रश्न 9- हहयोशिभा ऩय शरखी कववता रेखक के आॊतरयक दफाव का ऩरयणाभ है । मह आऩ कैसे कह सकते हैं?
उत्तय:- दहयोमशभा ऩय मरखी रेखि िी िपवता िो हभ उसिे आॊतरयि दफाव िा ऩरयणाभ िह सिते हैं। इसिे
मरए उन्हें न तो किसी सॊऩादि ने आग्रह किमा, न किसी प्रिाशि ने तिाज़ा किमा। न ही उन्होंने इसे किसी
आधथषि पववशता िे मरए मरखा। इसे उन्होंने शद्
ु ध रूऩ से भन िी अनब
ु तू त से प्रेरयत होिय मरखा। जफ ऩत्थय
ऩय पऩघरे भानव िो दे खिय उसिे भन भें अनब
ु तू त जाग गई तो िपवता स्वमॊ फन गई। इसीमरए हभ इस
िपवता िो आॊतरयि दफाव िा ऩरयणाभ िह सिते हैं। किसी फाहयी दफाव िा नहीॊ।
प्रश्न 10- रेखक के अनस
ु ाय प्रत्मऺ अनब
ु व की अऩेऺा बीतयी अनब
ु तू त उनके रेखन भें अधधक भदद कयती है
क्मों?
उत्तय- रेखि िी भान्मता है कि सच्चा रेखि बीतयी पववशता से ऩैदा होता है । मह पववशता भन िे अॊदय से
उऩजी अनब
ु तू त से जगती है, मह फाहय िी घटनाओॊ िो दे खिय नहीॊ जागती है । जफ ति िपव िा रृदम किसी
अनब
ु व िे िायण ऩयू ी तयह सॊवेदनाऩण
ू ष नहीॊ होता औय इसभें अमबव्मक्ट्त होने िी ऩीड़ा नहीॊ अिुराती , तफ
ति वह िुछ मरख नहीॊ ऩाता।
प्रश्न 11- क्मा फाह्म दफाव केवर रेखन से जुिे यचनाकायों को ही प्रबाववत कयते हैं मा अन्म दस
ू ये ऺेत्रा से
जुिे रोगों को बी प्रबाववत कयते हैं, कैसे?

58
उत्तय - फाह्म दफावों िा प्रबाव प्रत्मेि प्रिाय िे िरािाय ऩय सभान रूऩ से होता है । हय प्रिाय िा िरािाय
सभाज भें हो यही पवमबन्न घटनाओॊ , व्मथाओॊ िो अऩने ढॊ ग से प्रिट ियने िे मरए पववश होता है । बरे ही
िोई नाट्मिभी हो मा भतू तषिाय। मदद उसे एि फाय ज्मोतत मभर जाती है तो वह अऩना ऺेत्रा नहीॊ छोड़ ऩाता।
उसे प्रशॊसिों, दशषिों तथा खयीददायों िे दफाव िे िायण अऩना यचना िामष ियते यहना ऩड़ता है । आधथषि दफाव
बी प्रत्मेि ऺेत्रा िे िरािायों िो प्रबापवत ियते हैं।
प्रश्न 12- कुछ यचनाकायों के शरए आत्भानब
ु तू त / थवमॊ के अनब
ु व के साथ-साथ फाह्म दफाव बी भहत्वऩण
ू ि
होता है , मे फाह्म दफाव कौन-कौन से हो सकते हैं?
उत्तय- यचनािायों ऩय स्वमॊ िे अनब
ु व िे अततरयक्ट्त फाह्म दफाव बी होते हैं। मश प्राप्त ियने िे फाद मरखना
पववशता हो जाता है । िई फाय सॊऩादि प्रिाशि आदद रेखिों ऩय अऩनी ऩसॊद िा मरखने िा दफाव डारते हैं।
िबी-िबी आधथषि पववशता बी दफाव िा िायण होती है ।

59
अनुच्छे द-रेखन
 किसी एि बाव , ववचाय मा िथन िो ववस्ताय दे ने िे लरए 100-150 शब्दों भें लरखे गए सस
ु ग
ॊ त
रेख िो अनच्
ु छे द-रेखन िहते हैं।
 इसभें किसी भहत्त्वऩण
ू ण घटना, दृश्म, सभस्मा अथवा ववषम िो शालभर किमा जा सिता है । इसे
सॊक्षऺप्त (िभ शब्दों भें ) किन्तु सायगलबणत (अथणऩण
ू )ण ढॊ ग से लरखा जाता है ।
 हहन्दी बाषा िा ‘अनच्
ु छे द’ शब्द अॊग्रेजी बाषा िे ‘Paragraph’ शब्द िा हहॊदी ऩमाणम है । अनच्
ु छे द
एि तयह से ‘ननफॊध’ िा ही सॊक्षऺप्त रूऩ होता है । इसभें हदए गए ववषम िे किसी एि ऩऺ ऩय
अऩना ववचाय प्रस्तत
ु ियना होता है।
 अनच्
ु छे द अऩने-आऩ भें स्वतन्र औय ऩण
ू ण होता है । अनच्
ु छे द िा भख्
ु म ववचाय मा बाव प्राम: मा तो
आयम्ब भें मा कपय अन्त भें होता है ।
अनच्
ु छे द लरखते सभम ननम्नलरखखत फातों िो ध्मान भें यखना चाहहए –
(1) अनच्
ु छे द लरखने से ऩहरे रूऩये खा, सॊिेत-बफॊद ु आहद फनानी चाहहए। िबी-िबी प्रश्नऩरों भें ऩहरे से ही
रूऩये खा, सॊिेत-बफॊद ु आहद हदए होते हैं। आऩिो उन्हीॊ रूऩये खा, सॊिेत-बफॊद ु इत्माहद िो ध्मान भें यखते हुए
अनच्ु छे द लरखना होता है ।
(2) अनच्
ु छे द भें हदए गए ववषम िे किसी एि ही ऩऺ िा वणणन ियना चाहहए। क्मोंकि मह सदै व सीलभत
शब्दों भें लरखा जाता है ।
(3) अनच्
ु छे द िी बाषा सयर, सहज औय प्रबावशारी होनी चाहहए। ताकि ऩाठि अनच्
ु छे द ऩढ़िय आऩिी
फात िो सही से सभझ सिे।
(4) एि ही फात िो फाय-फाय नहीॊ दोहयाना चाहहए। इससे आऩ अऩनी फात िो िभ शब्दों भें ऩयू ा नहीॊ िय
ऩाएॉगे।
(5) आऩिो मे बी ध्मान यखना है कि आऩ अऩने ववषम से न बटि जाएॉ।
(6) हदए गए ननदे श िे अनस
ु ाय तम शब्द-सीभा िो ध्मान भें यखिय ही अनच्
ु छे द लरखें ।
(7) ऩयू े अनच्
ु छे द भें एिरूऩता फनाए यखनी चाहहए।
(8) ववषम से सॊफधॊ धत सक्ू क्त अथवा िववता िी ऩॊक्क्तमों िा प्रमोग बी किमा जा सिता है।
अनच्
ु छे द िी प्रभख
ु ववशेषताएॉ –
(1) अनच्
ु छे द भें किसी एि बाव, ववचाय मा तथ्म एि फाय ही व्मक्त होता है । इसभें अन्म ववचायों िा िोई
भहत्त्व नहीॊ होता है ।
(2) अनच्
ु छे द िे सबी वाक्म एि-दस
ू ये से गहठत औय सस
ु फ
ॊ द्ध होते है । वाक्म छोटे तथा एि दस
ू ये से जुडे
होते हैं।
(3) अनच्
ु छे द एि स्वतन्र औय ऩण
ू ण यचना है, क्जसिा िोई बी वाक्म अनावश्मि नहीॊ होता।
(6) अनच्
ु छे द साभान्मत् छोटा होता है, किन्तु इसिी रघत
ु ा मा ववस्ताय ववषमवस्तु ऩय ननबणय ियता है ।
सभम सफसे भल्
ू मवान है
‘सभम’ िी गनत िो ऩहचानने वारा ही सच्चा व्माऩायी है । जो सभम िे अनस
ु ाय चरता है वह िबी
असपर नहीॊ होता है । जो व्मक्क्त सभम िी िीभत ियता है सभम उसिी िीभत ियता है । जीवन भें फडे-
फडे रक्ष्म सभम िो भहत्त्व दे िय ही प्राप्त होते हैं। सभम फीत जाने ऩय किए गए िामण िा िोई पर प्राप्त
नहीॊ होता है औय ऩश्चाताऩ िे अनतरयक्त िुछ हाथ नहीॊ आता। जो ववद्माथी सफ
ु ह सभम ऩय उठिय अऩने
सबी दै ननि िामण सभम ऩय ियता है तथा सभम ऩय सोता है , वही आगे चरिय सपर व उन्नत व्मक्क्त
फन ऩाता है । जो आरस भें आिय सभम गॉवा दे ता है , उसिा बववष्म अॊधिायभम हो जाता है । सॊत िवव
िफीयदास जी ने बी अऩने दोहे भें िहा है –

60
”िार ियै सो आज िय, आज ियै सो अफ।
ऩर भें ऩयरै होइगी, फहुरय िये गा िफ।।”
सभम िा एि-एि ऩर फहुत भल् ू मवान है औय फीता हुआ ऩर वाऩस रौटिय नहीॊ आता। इसलरए
सभम िा भहत्व ऩहचानिय प्रत्मेि ववद्माथी िो ननमलभत रूऩ से अध्ममन ियना चाहहए औय अऩने रक्ष्म
िो प्राप्त ियना चाहहए। जो सभम फीत गमा उस ऩय वतणभान सभम भें सोच िय औय अधधि सभम फफाणद
न ियिे आगे अऩने िामण ऩय ववचाय िय-रेना ही फद्
ु धधभानी है ।
अभ्मास का भहत्त्व
भानव जीवन भें िई चुनौनतमाॉ हैं। उन चुनौनतमों ऩय ववजम ऩाने िे लरए सतत अभ्मास िी
जरुयत ऩडती है । इससे िोई बी िामण जल्दी औय आसानी से हो जाता है । महद ननयॊ तय अभ्मास किमा जाए
तो िहठन से िहठन िामण िो ियने भें सग
ु भता होती है । ईश्वय ने सबी भनष्ु मों िो फद्
ु धध दी है । उस
फद्
ु धध िा इस्तेभार तथा अभ्मास ियिे भनष्ु म िुछ बी सीख सिता है । दनु नमा भें अनेि ऐसे उदाहयण हैं
क्जनसे अभ्मास ियने िी प्रेयणा प्राप्त िी जा सिती है । अजन
ुण तथा एिरव्म ने ननयॊ तय अभ्मास ियिे
धनवु वणद्मा भें ननऩण
ु ता प्राप्त िी। एि भॊदफद्
ु धध फारि वयदयाज ने ननयॊ तय अभ्मास द्वाया ववद्मा प्राप्त िी
औय िई ग्रॊथों िी यचना िी। उन्हीॊ ऩय एि प्रलसद्ध िहावत फनी –
”ियत-ियत अभ्मास िे, जडभनत होत सज
ु ान।
यसयी आवत जात तें, लसर ऩय ऩयत ननसान।।”
जफ यस्सी िी यगड से िठोय ऩत्थय ऩय बी ननशान फन सिता है तो ननयॊ तय अभ्मास से भख
ू ण
व्मक्क्त बी ववद्वान फन सिता है । महद ववद्माथी प्रत्मेि ववषम िा ननयॊ तय अभ्मास ियें , तो उन्हें िोई बी
ववषम िहठन नहीॊ रगेगा औय वे सयरता से उस ववषम भें िुशरता प्राप्त िय सिेंगे। िई ओरक्म्ऩि
खखराडडमों ने अभ्मास िे फर ऩय अऩने दे श िा नाभ योशन किमा है ।
मभत्र के जन्भ ददन का उत्सव
भेये लभर योहहत िा जन्भ-हदन था। उसने अन्म लभरों िे साथ भझ
ु े बी फर
ु ामा। योहहत िे िुछ
रयश्तेदाय बी आए हुए थे, किन्तु अधधितय लभर ही उऩक्स्थत थे। घय िे आॉगन भें ही सभायोह िा आमोजन
किमा गमा था। उस स्थान िो फहुत ही सद ॊु य ढॊ ग से सजामा गमा था। हय जगह झक्डडमाॉ औय गब्ु फाये थे।
आॉगन भें रगे एि ऩेड ऩय यॊ ग-बफयॊ गे फल्फ जगभग िय यहे थे। जफ भैं ऩहुॉचा तो भेहभान आने शरू
ु ही हुए
थे। भेहभान योहहत िे लरए िोई-न-िोई उऩहाय रेिय आते , उसिे ननिट जािय फधाई दे ते औय योहहत
उनिा धन्मवाद ियता। क्रभश् रोग छोटी-छोटी टोलरमों भें फैठिय गऩशऩ ियने रगे। सॊगीत िी भधयु
ध्वननमाॉ गॉज
ू यही थी। एि-दो लभर उठिय नत्ृ म ियने रगे। िुछ लभर तालरमों फजा िय अऩना मोगदान
दे ने रगे। चायों ओय उल्रास िा वातावयण था।
यात िे आठ फजे िे रगबग िेि िाटा गमा। सफ लभरों ने तालरमाॉ फजाई औय लभरिय जन्भहदन
िी फधाई िा गीत गामा। भाॉ ने योहहत िो िेि खखरामा। अन्म रोगों ने बी िेि खामा। कपय सबी खाना
खाने रगे। खाने भें अनेि प्रिाय िी लभठाइमाॉ औय नभिीन थे। तफ हभने योहहत िो एि फाय कपय फधाई
दी, उसिी दीघाणमु िी िाभना िी औय अऩने-अऩने घय िो चर हदए। वह िामणक्रभ इतना अच्छा था कि
अफ बी स्भयण हो आता है ।
वन औय ऩमाावयण का सम्फन्ध
वन औय ऩमाणवयण िा फहुत गहया सम्फन्ध है । वन हैं तो हभ हैं। प्रिृनत िे सॊतर
ु न िो फनामे
यखने िे लरए ऩथ्
ृ वी िे 33% बाग िो अवश्म हया-बया होना चाहहए। वन जीवनदामि हैं। मे वषाण ियाने भें
सहामि होते हैं। धयती िी उऩजाऊ शक्क्त िो फढ़ाते हैं। वनों से बलू भ िा िटाव योिा जा सिता है । वनों
से ये धगस्तान िा पैराव रुिता है , सख
ू ा िभ ऩडता है । इससे ध्वनन प्रदष
ू ण िी बमॊिय सभस्मा से बी

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िापी हद ति ननमॊरण ऩामा जा सिता है । वन ही नहदमों , झयनों औय अन्म प्रािृनति जर स्रोतों िे
बडडाय हैं। वनों से हभें रिडी , पर, पूर, खाद्म ऩदाथण, गोंद तथा अन्म साभान प्राप्त होते हैं। आज बायत
भें दब
ु ाणग्म से िेवर 23 % वन फचे हैं। जैस-े जैसे उद्मोगों िी सॊख्मा फढ़ यही है , शहयीियण हो यहा है ,
वाहनों िी सॊख्मा फढ़ती जा यही है , वैस-े वैसे वनों िा िटाव फढ़ता जा यहा है । वनों िा सॊयऺण सफसे
भहत्वऩण
ू ण िाभ है । इसभें हय व्मक्क्त िो अऩनी क्जम्भेदायी सभझनी ऩडेगी औय अऩना मोगदान दे ना होगा।
अऩने घय-भोहल्रे, नगय भें अत्मधधि सॊख्मा भें वऺ
ृ ायोऩण िो फढ़ािय इसिो एि आॊदोरन िे रूऩ भें आगे
फढ़ाना होगा। तबी हभ अऩने ऩमाणवयण िो स्वच्छ यख ऩाएॉगे।
कॊप्मूटय एक जादईु पऩटाया
आज िा मग
ु ववऻान िा मग
ु है । वतणभान सभम भें ववऻान ने हभें िम्प्मट
ू य िे रूऩ भें एि
अनभोर उऩहाय हदमा है । आज जीवन िे हय ऺेर भें िॊप्मट
ू य िा उऩमोग हो यहा है । जो िाभ भनष्ु म
द्वाया ऩहरे फडी िहठनाई िे साथ किमा जाता था , आज वही िाभ िॊप्मट
ू य द्वाया फडे ही आयाभ से किमा
जा यहा है । िॊप्मट ू य िा उऩमोग हदनोंहदन फढ़ता जा यहा है । िॊप्मट ू य ने दनु नमा िो फहुत छोटा िय हदमा
है । इॊटयनेट द्वाया गग ू र , माहू एवॊ बफॊग आहद वेफसाइट ऩय दनु नमाबय िी जानिायी घय फैठे ही प्राप्त िी
जा सिती है । इॊटयनेट ऩय ई-भेर िे द्वाया ववश्व भें किसी बी जगह फैठे व्मक्क्त से सॊऩिण किमा जा
सिता है । इसिे लरए िेवर ई-भेर अिाउॊ ट औय ऩासवडण िा होना आवश्मि होता है । िॊप्मट
ू य भनोयॊ जन
िा बी भहत्वऩण
ू ण साधन है । इस ऩय अनेि खेर बी खेरे जा सिते हैं। िुर लभरिय िहें तो िॊप्मट
ू य ने
भानव जीवन िो फहुत सयर फना हदमा है । िॊप्मट
ू य सचभच
ु एि जादईु वऩटाया है ।
ग्रोफर वामभिंग
ग्रोफर वालभिंग शब्द ऩथ्
ृ वी िे ताऩभान भें होने वारी वद्
ृ धध िो दशाणता है । मह एि ऐसी सभस्मा
है क्जस ऩय अगय िाफू नहीॊ किमा गमा तो मह ऩयू ी ऩथ्
ृ वी िो ही नष्ट िय दे गा। सीएपसी- 11 औय
सीएपसी-12 जैसी ग्रीन हाउस गैसों ने सयू ज िे थभणर ववकियण िो अवशोवषत ियिे ऩथ्
ृ वी िे वातावयण
िो गभण फना हदमा। मे गैसें सम
ू ण िी कियणों िो वामभ
ु ड
ॊ र भें प्रवेश तो ियने दे ती हैं , रेकिन उससे होने
वारे ववकियण िो वामभ
ु ड
ॊ र से फाहय नहीॊ जाने दे ती हैं। इसी िो ग्रीनहाउस प्रबाव िहा जाता है , जो ऩयू े
ववश्व भें ताऩभान भें वद्
ृ धध िे लरए क्जम्भेदाय है । ताऩभान भें वद्
ृ धध से वषाण चक्र , ऩारयक्स्थनति सॊतर
ु न,
भौसभ िा चक्र आहद प्रबाववत होते हैं। मह वनस्ऩनत औय िृवष िो बी प्रबाववत ियता है । क्जसिे िायण
हभें दनु नमा बय भें रगाताय फाढ़ औय सख
ू े जैसी ऩरयक्स्थनतमों िा साभना ियना ऩडता है । ताऩभान भें
वद्
ृ धध औय ग्रेलशमयों िे वऩघरने िे िायण फर्फणफायी जैसी घटनाओॊ भें बी िभी आमी है । ताऩभान भें
वद्
ृ धध से आद्रता भें बी वद्
ृ धध हुई है क्मोंकि ताऩभान भें वद्
ृ धध से वाष्ऩीियण िी दय भें वद्
ृ धध हुई है ।
स्थानीम सयिायों िो चाहहए िी वह रोगों िे फीच जागरूिता ऩैदा िये तथा ऐसे उऩियणों औय वाहनों िी
बफक्री िो प्रोत्साहहत िये जो ऩमाणवयण िे अनि
ु ू र हो। ऩेऩय , प्राक्स्टि औय अन्म साभधग्रमों िी
यीसाइक्क्रॊग िो प्रोत्साहहत ियना चाहहए। ऐसे प्रमासों िो रोगों द्वाया जभीनी स्तय ऩय ियना अत्मॊत
आवश्मि है, तबी हभ एि प्रबावी तयीिे से इस बमानि सभस्मा िा भि
ु ाफरा िय सिते हैं।
ऩत्र-रेखन
ऩत्र का भहत्त्व- दै ननि व्मवहाय भें ऩर-रेखन अनत भहत्त्वऩण
ू ण है । ऩर सच
ू नाओॊ िे आदान-प्रदान िा एि
सशक्त भाध्मभ है । दो मा दो से अधधि व्मक्क्तमों िे फीच सच
ू ना बेजने एवॊ प्राप्त ियने भें ऩर िी
भहत्त्वऩण
ू ण बलू भिा होती है । ऩर सदै व लरखखत रूऩ भें ही होता है ।
ऩत्र के अॊग-
आयॊ ब- (1) सॊफोधन (2) अलबवादन (3) ववषम ननरुऩण
भध्म- (4) ववषम ववस्ताय (5) ननवेदन

62
सभाऩन- (6) धन्मवाद ऻाऩन (7) प्रेषि िा नाभ, ऩता व हदनाॊि
ऩत्र के प्रकाय :
(1) औऩचारयक ऩत्र – जो ऩर अधधिारयमों, िामाणरम िे प्रभख
ु ों, सॊस्था िे प्रधानों तथा किसी प्रनतष्ठान िे
सॊचारिों िो आवश्मिता ऩढ़ने ऩय लरखे जाते हैं, वे औऩचारयि ऩर िहराते हैं।
इन ऩरों भें िामाणरमी, लशिामती, सॊऩादिीम औय व्मावसानमि ऩर शालभर होते हैं।
(2) अनौऩचारयक ऩत्र - जो ऩर सगे सॊफधॊ धमों, रयश्तेदायों, ऩारयवारयि रोगों एवॊ लभरों िो मथावसय लरखे
जाते हैं, वे अनौऩचारयि ऩर िहराते हैं।
इन ऩरों भें व्मक्क्तगत (ननजी), ऩारयवारयि औय साभाक्जि ऩर शालभर होते हैं।
औऩचारयक ऩत्र का उदाहयण
अऩने पवद्मारम के प्राचामा को सॊध्माकारीन खेर की उचचत व्मवस्था के मरए ऩत्र मरखखए।

हदनाॊि 15.04.2022
सेवा भें

श्रीभान प्राचामण
िेन्द्रीम ववद्मारम क्र.-1,
सेक्टय 31 डी, चॊडीगढ़।

ववषम : ववद्मारम भें सॊध्मािारीन खेरों िी उधचत व्मवस्था िे सॊफध


ॊ भें ।

भहोदम,
आऩसे सववनम ननवेदन है कि भैं योहहत िुभाय इस ववद्मारम भें अध्ममनयत िऺा दसवीॊ िा छार
हूॉ। इस ववद्मारम िे िई छार औय छाराएॉ सॊिुर एवॊ याज्म स्तयीम प्रनतमोधगताओॊ भें ववद्मारम िा
प्रनतननधधत्व िय चुिे हैं । अफ वे सबी याष्रीम स्तय िी प्रनतमोधगताओॊ भें हहस्सा रेना चाहते हैं किन्तु
ववद्मारम भें शाभ िो अभ्मास ियने औय खेरने िी िोई उधचत व्मवस्था नहीॊ है । िुछ छार -छाराएॉ
कक्रिेट, हॉिी , खो-खो , फास्िेटफॉर , वॉरीफॉर आहद खेरों भें बाग रेना चाहते हैं जफकि िुछ छारों िी
अलबरुधच एथरेहटक्स रॊफी दौड, ऊॊची दौड, फाधा दौड इत्माहद भें है । भेया ववश्वास है कि िुशर प्रलशऺि औय
खेरों िी सभधु चत व्मवस्था लभरने से फच्चे ववद्मारम िा गौयव फढ़ा सिते हैं।
अत: आऩसे आग्रह है कि ववद्मारम भें सॊध्मािारीन खेरों िी उधचत व्मवस्था ियाने िी भहती
िृऩा ियें । उक्त भहत्त्वऩण
ू ण िामण िे लरए भैं आऩिा सदै व आबायी यहूॉगा।
धन्मवाद सहहत।
आऩिा ववश्वासी

योहहत िुभाय
िऺा दसवीॊ
अनौऩचारयक ऩत्र का उदाहयण
ऩयीऺा भें प्रथभ स्थान प्राप्त कयने ऩय अऩने मभत्र को फधाई ऩत्र मरखखए।

हदनाॊि 15.04.2022
3/15 शास्री नगय,
ियनार (हरयमाणा)

63
वप्रम लभर बयत,
नभस्ते।
ईश्वय िी असीभ अनि ु ॊ ऩा से भैं महाॉ ऩय सिुशर हूॉ औय तम्
ु हाये िुशर होने िी िाभना ियता हूॉ।
भैंने िर शाभ िो तम्ु हाये वऩताजी िो पोन किमा तो उनसे ऻात हुआ कि तभ ु ने दसवीॊ फोडण िी ऩयीऺा भें
आगया भॊडर भें प्रथभ स्थान प्राप्त किमा है । मह सभाचाय सन ु िय भेया भन खुशी से बय गमा। दसवीॊ फोडण
िी ऩयीऺा भें औय आगया भॊडर भें प्रथभ स्थान आने ऩय तम् ु हें फहुत फहुत फधाई। भझ
ु े ऩण
ू ण ववश्वास था
कि तभ
ु ऩयीऺा भें प्रथभ श्रेणी से जरुय उत्तीणण होगे रेकिन आगया भॊडर भें बी प्रथभ स्थान प्राप्त ियोगे
मह उम्भीद से फढ़िय है औय फहुत ही अच्छा है । तम् ु हायी भेहनत औय ननमलभत अध्ममन ने ही तम् ु हें इस
सपरता ति ऩहुॊचामा है । भझ
ु े ऩयू ा ववश्वास है कि इससे आगे बी तम्ु हायी भेहनत यॊ ग राएगी औय तभु भेये
अनभ
ु ान िो सच साबफत ियोगे। तभ
ु ने प्रथभ स्थान प्राप्त िय मह लसद्ध िय हदमा कि दृढ़ सॊिल्ऩ औय
िहठन ऩरयश्रभ से जीवन भें िोई बी सपरता प्राप्त िी जा सिती है ।
भैं सदा मही िाभना िरूॊगा कि तम्
ु हें जीवन भें हय ऩयीऺा भें प्रथभ आने िा सौबाग्म प्राप्त हो
औय तभ
ु इसी प्रिाय ऩरयवाय औय ववद्मारम िा गौयव फढ़ाते यहो। इतना ही नहीॊ तभ
ु ऩढ़-लरखिय अच्छी
नौियी प्राप्त ियो औय दे श िी सेवा ियते हुए अच्छा जीवन व्मतीत ियो। दसवीॊ ऩयीऺा औय आगया भॊडर
भें प्रथभ स्थान प्राप्त ियने ऩय एि फाय ऩन
ु : तम्
ु हें हाहदण ि फधाई औय शब
ु िाभनाएॉ।

तम्
ु हाया लभर
ऩवन
पवऻाऩन-रेखन
पवऻाऩन का भहत्त्व : वतणभान दौय भें उत्ऩादों िी बफक्री फढ़ाने एवॊ उनिे उऩबोग ऩय बयऩयू जोय हदमा जा
यहा है । एि ओय उत्ऩादि अऩनी वस्तओ
ु ॊ िी बफक्री ियिे अधधिाधधि राब िभाना चाहते हैं तो दस
ू यी
ओय उऩबोक्ता उनिा प्रमोग िय सख
ु एवॊ सॊतक्ु ष्ट ऩाना चाहते हैं । उऩबोक्ताओॊ िी इसी प्रववृ त्त िा पामदा
उठाने िे लरए उत्ऩादि तयह-तयह िे साधनों िा सहाया रेते हैं। आज वस्तओ
ु ॊ िी बफक्री फढ़ाने िा प्रभख

हधथमाय ववऻाऩन है ।
पवऻाऩन का अथा : ववऻाऩन शब्द ‘ऻाऩन’ भें ‘वव’ उऩसगण रगाने से फना है, क्जसिा अथण है - ववशेष
जानिायी दे ना। मह जानिायी उत्ऩाहदत वस्तओ
ु ॊ एवॊ सेवाओॊ आहद से जुडी होती है । ववऻाऩन भें वस्तु िे
गण
ु ों िो फढ़ा-चढ़ािय प्रस्तत
ु किमा जाता है, क्जससे उऩबोक्ता रारानमत हों औय इन्हें खयीदने िे लरए
वववश हो जाएॉ। ववऻाऩन िे िायण उत्ऩादिों िो अऩनी वस्तओ
ु ॊ िे अच्छे दाभ लभर जाते हैं तो उऩबोक्ता
िो वस्तओ
ु ॊ िी जानिायी, तर
ु नात्भि दाभ एवॊ चमन िा वविल्ऩ लभर जाता है । आजिर टी.वी., ये डडमो िे
िामणक्रभ, सभाचाय-ऩर, ऩबरिाएॉ एवॊ बवनों िी दीवायें ववऻाऩनों से यॊ गी हदखाई ऩडती हैं।
पवऻाऩन रेखन का तयीका :
1. एि फाक्स-सा फनािय ऊऩय भध्म भें ववऻावऩत वस्तु िा नाभ भोटे अऺयों भें लरखना चाहहए।
2. दामें व फामें किनायों ऩय सेर धभािा, खुशखफयी, भहाफचत जैसे रब
ु ावने शब्दों िो लरखना चाहहए।
3. फाईं ओय भध्म भें ववऻावऩत वस्तु िे गण
ु ों िा उल्रेख ियना चाहहए।
4. दाहहनी ओय मा भध्म भें वस्तु िा फडा-सा धचर दे ना चाहहए।
5. स्टॉि सीलभत मा जल्दी ियें जैसे प्रेयि शब्दों िा प्रमोग किसी डडजाइन भें होना चाहहए।
6. भफ़्
ु त लभरने वारे साभानों मा छूट िा उल्रेख अवश्म किमा जाना चाहहए।
7. ऊऩय ही जगह दे खिय िोई छोटी-सी ति
ु फॊदी, क्जससे ऩढ़ने वारा आिवषणत हो जाए।
8. सॊऩिण ियें मा पोन नॊ. िा उल्रेख ियें । जैस-े 011-23456789 आहद। ननजी पोन नॊ. दे ने से फचना
चाहहए।
64
पवऻाऩन रेखन का उदाहयण
‘वाणी ऩस्
ु ति सदन’ ऩस्
ु ति िी बफक्री फढ़ाने हे तु ववऻाऩन तैमाय ियवाना चाहता है । आऩ उसिे लरए एि
ववऻाऩन तैमाय िीक्जए।

वाणी ऩुस्तक सदन

एनसीईआयटी िी ऩुस्तिें उऩरब्ध हैं 10 िॉवऩमों िे साथ 2 बफरिुर फ्री

‘लभरन लभल्ि प्रोडक्ट’ अऩनी बफक्री फढ़ाने िे लरए एि ववऻाऩन तैमाय ियवाना चाहते हैं। इस सॊफध
ॊ भें
आऩ उनिे लरए ववऻाऩन रेखन िीक्जए।

लभरन लभल्ि प्रोडक्ट

हभाये महाॉ शुद्ध दे शी 500/- रु. से अचधक


घी, दध
ू , भक्खन औय की खयीद ऩय 250
ऩनीय उचचत ये ट ऩय ग्राभ ऩनीय ऩाएॉ
मभरता है । बफरकुर भफ्
ु त।

खाएॉ औय खखराएॉ, अऩनी सेहत फनाएॉ मसपा मभरन मभल्क प्रोडक्ट से

सॊदेश रेखन
सॊदेश का भहत्व : सॊदेश िे भाध्मभ से सभाज िे रोग आऩस भें जुडते हैं । वे अऩनी बावनाओॊ िो एि
दस
ू ये से साझा ियते हैं। सभाज िो जागरूि फनाने भें सॊदेश िी भहत्वऩण
ू ण बलू भिा होती है । किसी बावना,
ववचाय अथवा तथ्म िो सभझने िे लरए सॊदेश िी बलू भिा अनत भहत्वऩण
ू ण है । िामाणरमों िी िामण-सॊस्िृनत
िो जानने भें सॊदेश फहुत उऩमोगी होते हैं । सख
ु -द्ु ख, ऩवण-त्मौहाय तथा नववषण इत्माहद िे भौिे ऩय सॊदेश
सॊजीवनी िी तयह िाभ ियते हुए उभॊग-ऊजाण िा सॊचाय ियते हैं। सॊदेशों िा उऩमोग आभॊरण िे लरए बी
किमा जाता है ।

65
सॊदेश की आवश्मकता : जफ िोई व्मक्क्त किसी िायणवश किसी दस
ू ये व्मक्क्त से सीधे फात नहीॊ िय ऩाता
है तफ वह अऩनी फात, सच ू ना मा खफय उस दस ू ये व्मक्क्त ति अन्म भाध्मभों से ऩहुॉचाता है , क्जसे सॊदेश
िहा जाता है । किसी व्मक्क्त मा सभहू िा सॊदेश अन्म भाध्मभों से किसी दस ू ये व्मक्क्त मा सभह ू िो बेजा
जाता है ।
सॊदेश की प्रकृतत : सॊदेश लरखखत, भौखखि मा दोनों रूऩों भें हो सिते हैं। मे सख
ु द औय दख
ु द दोनों तयह
िे होते हैं। िोई बी सॊदेश व्मक्क्तगत मा साभहू हि हो सिता है । सॊदेश बत
ू िार, वतणभान िार व बववष्म
िार भें लरखे जा सिते हैं। इसी तयह सॊदेश औऩचारयि औय अनौऩचारयि दोनों तयह िे हो सिते हैं।
औऩचारयक सॊदेश : जो सॊदेश सयिायी िामाणरम िे किसी अधधिायी मा िभणचायी, सॊस्था मा ननगभ िे
िामणिताण तथा नेता मा अलबनेता द्वाया आभ जनभानस भें जागरूिता र्फैराने एवॊ उन्हें प्रबाववत ियने िे
लरए सावणजननि रूऩ से लरखे जा सिते हैं, उन्हें औऩचारयि सॊदेश िहते हैं।
अनौऩचारयक सॊदेश : जो सॊदेश किसी व्मक्क्त द्वाया अऩने ऩरयजनों, लभरगणों, ियीफी रयश्तेदायों मा घय िे
सदस्मों िो सख
ु -द्ु ख िे भौिे ऩय लरखे जाते हैं, उन्हें अनौऩचारयि सॊदेश िहते हैं।
आजिर व्हाट्सएऩ, एसएभएस, ई-भेर, पेसफि
ु , तथा ट्ववटय जैसे अनेि सोशर भीडडमा प्रेटपॉभण
उऩरब्ध हैं क्जनिे जरयए सॊदेश बेजा जाता है ।
सॊदेश के प्रकाय : सॊदेश िे ननम्नलरखखत प्रिाय होते हैं-

(1) शब
ु काभना सॊदेश
जो सॊदेश भख्
ु म रूऩ से किसी व्मक्क्त िे जन्भहदन, सारधगयह, ऩयीऺा भें सपरता प्राप्त ियने, ऩदोन्ननत
होने तथा ऩवण-त्मौहाय िे अवसय ऩय बेजे जाते हैं, उन सॊदेशों िो शब
ु िाभना सॊदेश िहा जाता है ।
(2) शोक सॊदेश
जो सॊदेश किसी व्मक्क्त िी भत्ृ म,ु ऩड
ु मनतधथ मा दख
ु द घटना ऩय रोगों िे फीच एि-दस
ू ये िो िो बेजे जाते
हैं, उन्हें शोि सॊदेश िहते हैं।
(3) व्मक्क्तगत सॊदेश
जो सॊदेश ननजी तौय ऩय लसपण अऩने नजदीिी ऩरयजनों, लभरों िो फधाई, शब
ु िाभना, िहीॊ आने-जाने मा
शालभर होने िा सॊदेश बेजा जाता है , उसे व्मक्क्तगत सॊदेश िहा जाता है ।
(4) साभाक्जक सॊदेश
धालभणि मा साभाक्जि िामणक्रभों से जुडे आमोजनों िे सॊदबण भें हदए जाने वारे सॊदेश िो साभाक्जि सॊदेश
िहा जाता है । जैसे ‘ऩमाणवयण हदवस’ ऩय सॊदेश, ‘जर फचाओ’ सॊदेश, ‘फेटी फचाओ फेटी ऩढ़ाओ’ इस तयह िे
सॊदेश सवाणधधि भहत्वऩण
ू ण होते हैं।
(5) मभचित सॊदेश
लभधश्रत सॊदेश भें तात्िालरि सभम भें चर यही ववववध आऩदाओॊ से फचाव व सयु ऺा तथा जनचेतना र्फैराने
िे ववषम शालभर होते हैं। जैसे- िोयोना भहाभायी, डेंगू, भरेरयमा, फाढ़, बि
ू ॊ ऩ, किसान आॊदोरन आहद से
सॊफधॊ धत सॊदेश।
सॊदेश रेखन का तयीका :
1. सफसे ऩहरे सॊदेश िो किसी सीभा ये खा जैसे फॉक्स मा गोरे िे अॊदय लरखा जाना चाहहए।
2. शीषणि िे रूऩ भें ‘सॊदेश’ शब्द अवश्म लरखें । उसिे फाद हदनाॊि व सभम अवश्म लरखें ।
3. भख्
ु म ववषम िो सॊक्षऺप्त रूऩ से प्रबावशारी शब्दों भें वणणन ियें ।
4. सॊदेश लरखने वारे िा नाभ अॊत भें लरखें ।
5. सॊदेश रेखन 30 से 40 शब्दों भें होना चाहहए।
6. ववषमानस
ु ाय धचरों िा उऩमोग किमा जा सिता है ।
66
7. शामयी, दोहे, श्रोि मा िववता िी ऩॊक्क्तमों िा प्रमोग िय सिते हैं।
8. सॊदेश भें यचनात्भिता औय सज
ृ नात्भिता होनी चाहहए।
9. ववषम िे अनस
ु ाय यॊ गों िा बी प्रमोग किमा जा सिता है ।
सॊदेश रेखन का प्रारूऩ
(1) औऩचारयक सॊदेश रेखन का प्रारूऩ
सॊदेश
ददनाॊक : …….
सभम : ……
पवषम (क्जस ववषम हे तु सॊदेश दे यहे हैं, लरखें )
…………………………………………………………….
…………………………………………………………….
अऩना नाभ

(2) अनौऩचारयक सॊदेश रेखन का प्रारूऩ


सॊदेश
ददनाॊक : …….
सभम : ……
पवषम (क्जस ववषम हे तु सन्दे श दे यहे हैं, लरखें )
…………………………………………………………….
…………………………………………………………….
अऩना नाभ

सॊदेश रेखन के उदाहयण


दीऩावरी ऩवा के शब
ु अवसय ऩय एक सॊदेश मरखखए।

शब
ु काभना सॊदेश
ददनाॊक : 16.03.2022
सभम : अऩयाह्न 5.00 फजे

आऩका जीवन खुमशमों के दीऩ से सदा जगभगाता यहे । आऩके


घय भें सख
ु -सौबाग्म की दे वी रक्ष्भीजी का सदा तनवास कयें ।
दीऩावरी के ऩावन ऩवा ऩय आऩ सबी को हाददा क शब
ु काभनाएॉ।
सौयब

67
अऩने मभत्र के जन्भददन के अवसय ऩय एक फधाई सॊदेश मरखखए।

फधाई सॊदेश
ददनाॊक : 16.05.2022
सभम : ऩव
ू ााह्न 8.00 फजे
पप्रम मभत्र आशीष, ईश्वय तुम्हें दीघाामु फनामे औय
तुम्हाया जीवन सुख-सभद्
ृ चध औय अच्छे स्वास् म
से ऩरयऩूणा यहे । तुभ हभेशा अऩने जीवन भें सपर
यहो। तम्
ु हें जन्भददन की फहुत-फहुत फधाई।
गणेश याज

प्रश्न 1- स्ववत्त
ृ क्मा है ? उसभें क्मा पवशेषताएॉ होनी चादहए ?
उत्तय- स्ववत्त
ृ रेखन एि ववशेष प्रिाय िा रेखन है क्जसभें िोई व्मक्क्त स्वमॊ िे फाये भें किसी ववशेष
प्रमोजन िो ध्मान भें यखिय लसरलसरेवाय ढॊ ग से सच
ू नाओॊ िा सॊिरन ियता है। इसभें सॊफधॊ धत व्मक्क्त
अऩने व्मक्क्तत्त्व, ऻान औय अनब
ु व िे सफर ऩऺ िो इस प्रिाय प्रस्तत
ु ियता है कि ननमोक्ता िे भन भें
उम्भीदवाय िे प्रनत अच्छी व सिायात्भि छबफ प्रस्तत
ु हो सिे।
प्रश्न 2- स्ववत्त
ृ भें ककन-ककन फातों का सभावेश होना चादहए।
उत्तय- स्ववत्त
ृ भें अऩना ऩयू ा ऩरयचम, ऩता, सम्ऩिण सर
ू (टे रीपोन, भोफाइर, ई-भेर आहद), शैऺखणि व
व्मावसानमि मोग्मताओॊ िे लसरलसरेवाय वववयण िे साथ-साथ अन्म सॊफधॊ धत मोग्मताओॊ, उऩरक्ब्धमों,
िामेत्तय गनतववधधमों व अलबरुधचमों िा उल्रेख होना चाहहए। एि-दो ऐसे सम्भाननत व्मक्क्तमों िे वववयण,
जो उम्भीदवाय िे व्मक्क्तत्व व उऩरक्ब्धमों से ऩरयधचत हों, िा सभावेश बी होना चाहहए।
स्ववत्त
ृ (फामोडाटा) रेखन का उदाहयण-

68
69
ई-भेर
प्रश्न-1 ई-भेर रेखन क्मा है?
उत्तय- ई-भेर िा अथण है - इरेक्रॉननि सॊदेश। अथाणत ् िॊप्मट
ू य औय इॊटयनेट िी सहामता से एि ई-भेर
आईडी से अन्म रोगों िी ई-भेर आई डी ऩय सच
ू नाएॉ बेजना ही ई-भेर िहराता है ।
प्रश्न-2 ई-भेर के मरए क्मा-क्मा आवश्मक होता है ?
उत्तय- िॊप्मट
ू य मा स्भाटण पोन, इॊटयनेट, ब्राउजय, सवणय, भेर एड्रेस, वप्रॊटय एवॊ ऩावय सप्राई एवॊ अन्म
इरेक्रॉननि चीजों िी जरूयत होती है ।
प्रश्न-3 ई-भेर ककतने प्रकाय के होते हैं?
उत्तय- ई-भेर दो प्रिाय िे होते हैं। एि होता है personal email औय दस
ू या होता है official email
Personal Email - इसे रोग अऩने लरए िाभ िे लरए फनाते हैं। इसिे लरए फहुत सायी वेफसाइट हैं जो ई-
भेर िी सवु वधा दे ती हैं। ऩसणनर ई-भेर भें उन वेफसाइट िा डोभेन मज़
ू होता है ।
Official Email - इन ई-भेर िा मज़
ू ऑकपलसमर वेफसाइट मा िॊऩनी िे लरए किमा जाता है इसिे लरए
आऩिे ऩास खद
ु िी वेफसाइट मा डोभेन होना चाहहए जैसे भेयी िॊऩनी है example तो भेयी वेफसाइट िा
डोभेन है example.xyz तो भेयी िॊऩनी िा ऑकपलसमर भेर इस डोभेन ऩय होगा जैसे info@example.xyz
प्रश्न-4 ई-भेर का उदाहयण :
सझ
ु ाव (छात्र-छात्राएॉ कॊप्मट
ू य मशऺक की सहामता से ई-भेर कयना सीखें ।)

70
सॊदबा एवॊ आबाय
1- www.learncbse.in>ncert-solutions- for class 12-hindi
2- https://keepinspringme.in>question
3- www.studyrankers.com>ncert
4- www.cbsetuts.com>ncert-solutions
5- cbseacademic-nic.in
6- ncert.nic.in/textbook

71

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