Professional Documents
Culture Documents
हानी
MAJY-202
योितषशा ीय िविवध योग एवं दशाफल िवचार
मानिवक िव ाशाखा
योितष िवभाग
तीनपानी बाईपास रोड , ॉसपोट नगर के पीछे
उराखड मु िविवालय, ह!"ानी, नैनीताल - 263139
फोन नं – ०05946-288052
टॉल #$ न0- 18001804025
Fax No.- 05946-264232, E-mail- info@uou.ac.in
http://uou.ac.in
पाठ्य'म सिमित एवं अ,ययन सिमित
ोफे सर एच.पी. शु ल ोफे सर देवीसाद िपाठी
िनदेशक, मानिवक िव ाशाखा अ&य', वातुशा( िवभाग, )ी लालबहादरु शा(ी
उ0म0ु िव0िव0, ह ानी राि,-य संकृ त िव ापीठ, नई िद ली।
ोफे सर च मा पाडेय
डॉ. न दन कुमार ितवारी पवू 2 अ&य', 3योितष िवभाग, काशी िह दू
अिसटे ट ोफे सर एवं समवयक, योितष िवभाग िवविव ालय, वाराणसी।
उराखड मु त िवविव ालय, ह ानी ोफे सर िशवाका त झा
अ&य', 3योितष िवभाग, कामेवर िसहं दरभगं ा सं कृ त
डॉ. देवश कुमार िम िवविव ालय, दरभगं ा
अिसटे ट !ोफे सर, सं कृ त िवभाग डॉ. कामेवर उपा याय
उराखड मु त िवविव ालय राि,-य महासिचव, अिखल भारतीय िवत प7रषद्
ह ानी वाराणसी
पाठ्य'म स-पादन एवं संयोजन
डॉ. न दन कुमार ितवारी
अिसटे ट !ोफे सर एवं सम वयक, 3योितष िवभाग
उराखड मु त िवविव ालय, ह ानी
इकाई ले ख न खड इकाई सं &या
डॉ. न दन कुमार ितवारी 1 1, 2, 3, 4, 5
अिसटे ट !ोफे सर एवं सम वयक, 3योितष िवभाग
उराखड मु त िवविव ालय, ह ानी
डॉ. न दन कुमार ितवारी 2 1, 2, 3, 4, 5
अिसटे ट !ोफे सर एवं सम वयक, 3योितष िवभाग
उराखड मु त िवविव ालय, ह ानी
डॉ. न दन कुमार ितवारी 3 1, 2, 3, 4, 5
अिसटे ट !ोफे सर एवं सम वयक, 3योितष िवभाग
उराखड मु त िवविव ालय, ह ानी
डॉ. न दन कुमार ितवारी 4 1, 2, 3, 4, 5
अिसटे ट !ोफे सर एवं सम वयक, 3योितष िवभाग
उराखड मु त िवविव ालय, ह ानी
कापीराइट @ उराखड म; ु िव<िव ालय
काशन वष* - 2020 काशक - उराखड मु त िवविव ालय, ह ानी।
मुक: - सहारनपुर इलैिक ेस, बोमनजी रोड, सहारनपुर (उ0 0) ISBN No. -
नोट : - ( इस पु तक के समत इकाईय के लेखन तथा कॉपीराइट संबंधी िकसी भी मामले के िलये संबंिधत इकाई लेखक िजमेदार होगा । िकसी भी
िववाद का िनतारण नैनीताल िथत उ$च &यायालय अथवा ह)*ानी स+ीय &यायालय म, िकया जायेगा।)
एम.ए. ( योितष) MAJY-202
योितषशा ीय िविवध योग एवं दशाफल िवचार
अन
ु म
. . (यो)
ितीय वष ितीय प
योितषशा ी
MAJY-202
खड - 1
1.1 ता
1.2 उेय
1.3 परचय
1.3.1 ल ण
1.3.2 ग#
1.4
1.5 पारभािषक श&दा
1.6 बोध न# के उर
1.7 स,दभ- .,थ
1.8 सहायक पाठ्यसाम.ी
1.9 िनब,धा6मक न
9
I 9;
=
यिद सम त सयू ा-िद .ह कुडली के उत िदए गए चार थान मD हो तो रजु C 3+ *
8
99
J
:
सयू ा-िद सम त .ह कुडली के उत िदए गए चार थान मD हो तो C 3+ *
98
7
K
B
E )
अनृतकथनब,ध5 िनिWकzच : शठा: `ूरा:।
कूटसम6ु था िन6यं भवि,त िगरदगु व- ािसनो मनजु ा:।।
छ ) वजनाQयो दयावा,नानानृपवaलभ: कृ WटC :*
थमेऽ,6ये वयिस नर: सख ु वान् दीघा-यरु ातप ी या *4 *
5 - आनृितकगGु तपालाचौ : िकतवाच + :*
कामक -ु योगे जाता भाhयिवहीना: शभु ा वयोमCये**
अध-च,_ - + 5 : सव| का,तशरीरा नृपिया बिलन:।
CO6 O > भवि,त योगेLध-च,_ाSये**
च` ) णताLLशेषनरािधप िकरीटर6नभा फुरतपाद:।
नरे ,_ो Cनुजच`े यो जायते योगे।।
सम_ु - बहOर6नधनसमृsा भोगयतु ा धनजनिया: ससतु ा:।
उदिधसम6ु था: पfु षा: ि थरिवभवा: साधश ु ीलाच**
अथा-त् नौका योग मD उ6प,न जातक जलो6प,न (C , P 1 ) व तV ु + . +
, , मह6वाकां ी, िवSयात क7ित- वाला, दWु ट . , C G / /0*
कूट योग मD उ6प,न मनWु य िमUया , .+ 2 , दर_, W, `ूर, कूटZ तथा पव-त या
दगु - मD रहने वाला होता है। छ योग मD उ6प,न मनु Wय अपने जन# का आिQत, >, 2+
राजाओ ं का मा,य, उम बिु s से यु त, थम तथा अि,तमाव था मD सख ु ी, दीघा-यु तथा आतप ी
होता है। चाप योग मD उ6प,न मनWु य िमUया , गy ु पाल (.+), , धतू ,- . , भाhय/
एवं मCय अव था मD सुखी होता है। अध-च,_ योग मD सम6ु प,न मनWु य + 5 , स,ु द , .
का िय, 3 CO)सवु णा-िद भषू ण# से यु त होता है। च` योग मD उ6प,न . 2 +6
(स:पणू )- राजाओ ं से वि,दत हI चरण िजनके , ऐसा च`वतT राजा होता है। सम_ु योग मD उ6प,न मनWु य
समिधक र6नािद से परपणू ,- , जन# का िय, पु यु त, ि थर स:पि वाला और स,ु द
/ /0*
उराखड मु त िवविवालय 12
योितषशा ी MAJY-202
O ) ियगीतनृ6यवाा िनपणु ा: सिु खनच धनव,त:*
+ बहOभ6ृ या वीणायां क7ित-ता: पfु षा:।।
C - दाि:न सजु नोपकारी नयधनयु तो महेवर: Sया :*
बहOसतु र6नसमृsो धीरो जायेत िवLांच**
5 - पाशे ब,धनभाज: काय| द ा: पच ं काराच*
बहOभािषणो िवशीला बहOभ6ृ या: स:तानाच**
+ - सबु ह~नामपु योया: कृ षीबला: स6य : > P:*
+ + स:भतू ाचल वभावा धनैय-ु ता:**
- तीणालसधनहीना िहYं ा: सबु िहWकृ C/ :*
सं.ामे ल&धयशा शल ू े योगे भवि,त नरा:।।
> - पाखडवािदनो वा धनरिहता वा बिहWकृ + *
सतु मातृधम-रिहता > + + . :**
- बलसंयु ता िवधना िवािवZानविज-ता मिलना:।
िन6यं द:ु िखतदीना गोले योगे भवि,त नरा:।।
सवा- व5 दशा वे + +:> :*
ािणनािमित िवZेया: वदि,त तवा.जा:।।
इस कार $& मD उ6प,न मनWु य गाने तथा नाचने मD एवं बजाने मD ेम रखने वाला तथा
5O> , P > , , + G 2 F / /0* मD उ6प,न मनWु य +
कaयाO + , नीित के Lारा धनोपाज-न करने वाला, अिधक ऐवय-वान, िवSया , पु र6ना
से यु त, D Lान होता है* मD उ6प,न . , काय- मD द ,
पंची, अिधक वता, / , अिधक नौकरवाला और अिधक परजन वाला होता है।
मD उ6प,न सभी का उपकार करने वाला कृ िष काय-कारक, स6य 3+ , P > ,
व G / /0। शल ू योग मD उ6प,न जातक तीण व , 1,
/, /, समाज से बिहWकृ , अ6य,त वीर एवं यs ु मD यश ाGत + / /0* >
योग मD उ6प,न जातक पाखडी, /, समाज से बिहWकृ त एवं पु , C , िपता तथा धम- से हीन
/ /0। गोल योग मD उ6प,न . 3 , /, िवा तथा िवZान से हीन, C, 0
:> P / /0*
उत फल तत् तत् .ह# क7 दशा मD ािणय# को ाGत / /0, ऐसा ऋिषय# का वचन हI।
1.4
! इकाई के अCययन के पचा 4 15+ . /0 यो 6 शा के व-क
महिष- पराशर Lारा िलिखत ,वृह6पराशरहोराशा - नामक .,थ के नाभसयोगाCयाय मD वण-न करते
हOए िलखा गया है िक नाभस योग के 78 + 9:;; भेद हI। उन 78 भेद# मD से 7 आQय योग
हI, 8 दल योग हI, 8; आकृ ित योग हI तथा = संSया योग कहे गये हI। इस कार नाभस योग को
आQय, , आकृ ित एवं संSया योग# मD वगTकृ त िकया गया है* थम नाभस योग# के आकृ ित-
संSया- आQय और दल ये Iभेद होते हI। इनमD आकृ ितयोग के 8;, संSया + =, आQययोग के
7 G + 8 भेद होते हI। चार# भेद# मD से आकृ ितयोग अके ला होने के कारण 8; ही कार
का रहता है। पर,तु और अ,य - , - , -चार अथा-त् आकृ ित-संSया, 1N -संSया-
आQय और आकृ ित-संSया-आQय-दल ये आपस मD बदलने के कारण, K,9;,: को `म से 7,7
D I से गणु ने पर िजतने अक ं ह# उतने भेद होते हI। अथा-त् आकृ ित और सSं या के आपस मD
3 + + K× 7 = 8=, 1N -संSया-आQय इनके आपस मD बदलने से 9; × 7 =7; G
1N )संSया-आQय-दल इनके आपस मD बदलने से :×I = 78 भेद होते हI। वृहजातकम् मD
वराहिमिहर ने इ,हD सं ेप मD कहा है जबिक यवन# ने इनके िव तारपवू क
- 9:;; भेद कहे हI। आQय
, C, व\, पि , , के दार और शल ू योग# के समान तथा दलयोगLय का
फल के ,_ थ .ह# के समान होने से इनके फल अलग से नह कहा है।
2.1 ता
2.2 उेय
2.3 . परचय
2.3.1 िविवध .,था> .
2.3.2 . योग के वlप एवं भाव
2.4
2.5 पारभािषक श&दा
2.6 बोध न# के उर
2.7 स,दभ- .,थ
2.8 सहायक पाठ्यसाम.ी
2.9 िनब,धा6मक न
. J 99 .
.
B
2.4
! इकाई के अCययन के पचा 4 15+ . /0 योितष शाw के फिलत या
होरा क,ध के अ,तग-त , . , एक अ6य,त मह6वपूण- िवषय है, . C . + D
6य स:ब,ध है। यिद देखा जाय तो ायः 6येक मानव अपने जीवन मD राज योग क7 इjछा या
2 6 P /0, िक,तु सभी मानव के जीवन मD राजयोग हो यह कथमिप सभं व नह है। व ततु ः
जयोग का िनमा-ण भी मानव Lारा पवू ज- ,म मD कृ 6य > > कम- फल पर ही आधारत होता है।
योितषशा + . या होरा क,ध के अ,तग-त िजतने भी िसs .,थ हI उनका
अCययन करने पर ाय: सभी .,थ# मD राजयोग का उaलेख हमD ाGत / है। इस इकाई मD मेरा यह
यास रहेगा िक आप सभी िजZासु अCयेताओ ं के िलए फिलत योितष के कुछ मख ु .,थ#
उaलेख करते हOए आपको राजयोग से स:बि,धत तUय# + 2 A> *
राज योग :या है? यिद इस पर िवचार िकया जाय तो सामा,यतः जो राजा के समान जीवन यतीत
करD , उसे राजयोग कहा जाता है। राज योग का शाि&दक अथ- भी है - राजा के समान योग। योितष
शाw के व-क# एवं आचायK ने .ह# क7 ि थित के आधार पर मानव के जीवन मD होने वाले
राजयोग# का उaलेख िविवध कार से अपने-अपने .,थ# मD /0*
2.5 पा रभािषक शदा
/ ) . + C *
! ) श`ु
E/ ) वृह प
के 45 ) 9,I,=,9; भाव को के ,_ / + /0*
3.1 ता
3.2 उेय
3.3 च,_ा परचय
3.3.1 च,_C + 3+ +
3.4 अ,य
3.5
3.6 पारभािषक श&दा
3.7 बोध न# के उर
3.8 स,दभ- .,थ
3.9 सहायक पाठ्यसाम.ी
3.10 िनब,धा6मक न
भाhयेश धनाभाव मD हो और धनेश नवम भाव मD हो तथा लhनेश के ,_-ि कोण मD बैठा हो,
तो खड्गयोग होता है। खड्ग योग मD उ6पनन जातक , भाhय-सख ु # से य] ु शाwZाता, बिु s तथा
बल से य] ु , कृ तZ और कुशल मानव होता हI।
लgमी योग
के 45े मूलि1कोण6थे भाHयेशे वा 6वभो/चगे।
लHनािधपे बलाढये च लgमीयोगः $क{य
सुSपो गुणवान् भूपो बहOपु1धनाि4वतः।
यश6वी धमस[प4नो लgमीयोगे जनो भवेत।् ।
लhनेश बलवान हो और भाhयेश अपने मल ू ि कोण या अपने उjचे अथवा वगृह मD होकर के ,_ मD
बैठा हो तो लमी नामक योग होता हI। इस योग मD उ6प,न जातक स,ु दर, O> , . , बहOत पु एवं
3.5
! इकाई के अCय + पचा 4 15+ . /0 च,_ा योग से ता6पय- है ) च,_मा .ह
Lारा बनने वाला योग। ाय: फिलत योितष के सम त .,थ# मD च,_ािद योग का उaलेख हमD ाGत
/ /0* > , गजके सरी आिद अनेक योग इसके उदाहरण है। च,_मा को .ह# मD सयू - के समान ही
. / /0* .0 /C/ / + /0- राजा रिव: शिशधरच...0। च,_C C
कारक .ह है। अत: जातक के मन को सबसे यादा च,_मा ही भािवत करता है। .+ ज,म
मD सयू - के थान से च,_मा के ,_ 9,I,=,9; मD ि थत हो तो उसके शील,, शा Zान, बिु s और
चातयु - ये अधम होते हI अथा-त् नह होते हI। पणफर 8,J,:,9 मD ि थत हो तो सम अथा-त् न कम न
अिधक और आपोिलम 7,B,K,98 मD ि थत हो तो वरWठ अथा-त् उम होते हI। िजसका ज,म
मD हOआ हो और च,_मा िजस िकसी रािश मD अपने या अिधिम के नवमाश ं मD ि थत हो तथा उसे
वृह पित देखता हो अथवा राि मD ज,म हOआ हो और च,_ क7 उपरोत ि थित हो तथा उसे श` ु
P+ / / . D P > / /0*
3.6 पा रभािषक शदा
च45ा ) च,_मा आिद .ह# बनने वाला *
) C
+ ) च,_C + 3+
के 45 ) 9,I,=,9; भाव को के ,_ / + /0*
आपोि:लम ) 7,B,K,98
4.1 ता
4.2 उेय
4.3 दार_य योग परचय
4.3.1 िविवध कार के दार_य योग िवचार
4.3.2 अ,य
4.4
4.5 पारभािषक श&दा
4.6 बोध न# के उर
4.7 स,दभ- .,थ
4.8 / 5 ठ्यसाम.ी
4.9 िनब,धा6मक न
दGर5
िप1ािजत?े1गहािदनाशकृत्
गु]ि4न4दित धमविजत:।
$नाितजीणा[Mरधृ/च दुगतो
िनभाHययोगे बहOदु:खभाजनम।् ।
कुडली के नवD थान का वामी लhन + B,:,98 वD भाव मD हो और नवमेश तथा नवम गृह पर
अशभु .ह# क7 ि हो या वहाँ अुशभ .ह बैठै ह# तो -िनभाHय" योग होता है। जो यि] इस योग
मD पैदा होता है वह बहOत द:ु ख उठाने वाला, 5> + 5U+ 5/+ D दगु -ित को ाGत /0*
नवम भाव धम- भाव है यह िबगड़ने से मनWु य साधुओ ं और गfु ओ ं क7 िन,दा करता है। ऐसे यि] को
जो कुछ पैि क स:पि ाGत होती वह भी सब नWट हो जाती है और वह परम दर_ता को ाGत
4.5
! इकाई के अCययन के पचा 4 15+ . /0 सव-िविद /0 C .
सदैव खिु शय# से भरा नह होता। कभी सख ु तो कभी द:ु ख और कभी-कभी यि] िकंकत-यCR
भी हो जाता है। राजा या दर_ होना मानव का उसके कम-फल पर आधारत है। योितष शा मD .ह
योग के आधार पर यह ऋिषय# ने अनसु धं ान कर पता लगाया है िक कै से कोई जातक .ह के भाव
तथा उसके दशािद मD दर_ता को ाGत करता है। िविवध .,थ# + 1 5, ऋिषय# एवं आचायK
के कथनानसु ार इस इकाई मD आप सभी के Zानाथ- दार_य योग का उaलेP . / /0*
दार_य योग का अथ- है- दर_ता या िनध-नता। इस योग के भाव से जातक क7 आिथ-क ि थित
अ6य,त C. / . /0, िजसके फल वlप वह अपने व अपने परवार का पालन
करने मD समथ- नह रह जाता है।
4.6 पा रभािषक शदा
दाGर5य ) िनध-न *
लHने ) लhन का वाC
ि1क् ) B,:,98 था*
के 45 ) 9,I,=,9; भाव को के ,_ / + /0*
आपोि:लम ) 7,B,K,98
ि1कोण ) J,K थान को ि कोण / + /0*
&+ ) 8,J,:,99
jय ) 98 A
4.7 बोध न के उ"र
1.
2.
3. P
5.1 ता
5.2 उेय
5.3 C परचय
5.3.1 िविभ,न कार के मारक योग का िवचार
5.3.2 C योग का भाव
5.4
5.5 पारभािषक श&दा
5.6 बोध न# के उर
5.7 स,दभ- .,थ
5.8 सहायक पाठ्यसाम.ी
5.9 िनब,धा6मक न
5.3 1
मृ6यु मानव जीवन का शाव 4 स6य है। कोई भी जीव इस मृ6यल
ु ोक मD ज,म लेने के पचा 4
एक न एक िदन मृ6यु को अवय ही ाGत / /0, इसमD कथमिप सश ं य नह है। योितष शा
कुडली के .ह# के आधार पर मारक योग का िनधा-रण करता है। कुडली मD 8 = वD था
C क थान कहते है। अWटम थान मृ6यु का होता है। इ,ह थान# एवं उनमD ि थत .ह# के आधार
पर एवं अ,या,य आधार पर भी ऋिषय# ने मारक योग क7 कaपना क7 है। यिप हम सब जानते है
.-मृ6यु सब िविध के हाथ से िनयि, त होता है। तथािप एकमा योितष शा C
का िनधा-रण करने मD स म है। अत: इस इकाई मD हम ऋिषय# Lारा अनसु ,धा + + उ,ह
मरण का 6थान- )
तृतीये च शुभैयु,े शुभदेशे मृितभवेत।्
पापैU ककटे देशे िमैिम6थले मृितः।।
यिद तृतीय भाव शभु .ह से यतु अथवा हो तो शभु थान (काशी आिद पु य तीथK) मD
मरण होता हI। यिद तृतीय भाव पापी .ह# से य] ु हो या हो तो अशभु थान मD मरण होता हI।
शभु तथा अशभु दोन# .ह तृतीय भाव मD बैठे हो या देखते हो तो मCयम थान मD उस .
/+ होता हI।
!ाना!ानपूवक मरणयोग
तृतीये गु]शु7ाmयां यु,े !ानेन वै मृितः।
अ!ानेनाऽ4यखेटैU मृितञेया ि;जोRम!।।
तृतीय भाव गlु -श`ु य]ु हो तो वह जातक Zानपवू क - मरता हI। हे िLजोम! अ,य .ह
तृतीय भाव मD ि थत ह# तो जातक का अZानपवू क - मरण होता हI।।33।।
मरण देश!ान
चरराशौ तृतीय6थे परदेशे मृितभवेत।्
ि6थरराशौ 6वगेहे च ि;6वभावे पिथ ि;ज!।।
तृतीय भाव मD चर रािश हो तो परदेश मD मरण होता हI। ि थर रािश हो तो वदेश मD एवं
िL वभाव रािश हो तो माग- मD मरण करना चा/*
अZम6थ Xह से मृयु का कारण-!ान
लHनादZमभावा/च िनिमRं किथतं बध ु ैः।
सूय\ऽZमेऽिHनतो मृयुU4दे्र मृयुजलेन च।
शwाद् भौमे वरा!े च गुरौ रोगात् ?ुधा भृगौ।
!युिव!ेयो ि;जसRम!।।
लhन से अम भाव मD सयू - ि थत हो तो अिhन के माCयम से उसक7 मृ6यु िवLान# ने कही हI।
अम च,_ हो तो जल से, अम मगं ल हो तो शw से, अम बधु हो तो वर से, अम थ गl ु हो
खड - 2
1.1 ता
1.2 उेय
1.3 िवश
ं ोरी दशा साधन परचय
1.3.1 गिणतीय प
1.3.2 िवश ं ोरी - वृह6प + 2>
1.4
1.5 पारभािषक श&दा
1.6 बोध न# + उर
1.7 स,दभ- .,थ
1.8 सहायक पाठ्यसाम.ी
1.9 िनब,धा6मक न
न पर से सािधत दशा िवश ं ोरी ही लेनी चािहए। अWटोरी दशा नह। इसी लोक का पाठा,त
ाचीन िवLान# के घर मD ह त िलिखत .,थ# मD िन:नP C है। दशा िवश ं ोरी .ाyा मता
चाWटोरी तथा िवश
ं ोरी दोन# दशायD फलाफल के िवचार के िलए उपयु त हI।
कृ<णप?े िदवाजात: शु:लप?े यदा िनिश।
िवंशोRरी दशा $ो:ता'4य1ा9य<टोRरी 6मृ
कृ Wण प मD िदन मD तथा शु ल प मD राि मD ज,म हो तो िवशं ोरी दशा .हण करनी चािहए। इसके
िवपरीत हो तो अWटोरी।
गुजरे क/छसौरा<े पांचाले िस4धुपवते।
एते<व<टोRरी े<ठा'4य1 िवश ं ोRरी मता।।
.> , कjछ, कािठयावाड़ सौराW, 5 5. 3, तथा िस,धु पव-त मD अWटोरी दशा .हण
करनी चािहए। अ,य िवश ं ोरी दशा को .हण करD ।
िवशं ोरी 98; वष- क7 होती है। इसमD सयू -, च,_, C, राहO, गfु , , 3> , के तु तथा श`
ु
इनक7 `मश: दशा रहती है। इ,ह वार# के `म से कृ िकािद 8= न # क7 तीन आवृि हो जाने
+ -एक .ह मD तीन-तीन न रहते हI।
िवशं ोRरी दशा च7 #
ह दशा सयू च राह गु शु
म
दशा वष
न . $, %, &. '(. *. . '+. . . आ. &. &., -. .,
0!0, . ). वा. . ., .-. ये. . !.,
0#0 ., #.
जातक का ज,म न िजस .ह के कोWठक मD पड़े, वह उसक7 ज,म दशा होगी। उस दशा का ज,म
समय मD यतीत काल न के भयात पर से िनकाला जाता है। अथा-त् भभोग काल मD दशा + 5 +
वष- िमलते हI तो भयात काल मD िकतने िमलDग?े इस अनपु ात Lारा यतीत वषा-िद का मान आ
जायेगा। उसको दशा वष- मD घटाने से दशा का भोhय मान शेष रहेगा। ज,म के पचात् दशा का भोhय
मान भोग लेने के अन,तर दसू रे .ह क7 दशा ार:भ /* ]+ बाद अ,य .ह# क7 दशा चलती
(च,_ साधन मD जो सािधत होता है) के घटी पल के मान को पला6मक बनाकर उ,हD
ज,म न से ाGत दशा वष- संSया से गणु ा करD और गणु नफल मD भभोग के घटी, पल# के
पला6मक मान से भाग देने से ाGत लि&ध संSया वष- होगी। शेष को 98 + O>
पला6मक का भाग देने से ल&ध मास ह#गे। शेष को 7; से गणु ाकर पला6म + + 5
ल&ध संSया िदन ह#गे। पनु : शेष को B; से गणु ाकर पला6मक भभोग पल का भाग देने पर लि&ध
संSया घटी होगी। इस कार पल भी आयDगे। यह वषा-िद संSया दशा का भु त C / * ]+
वष- मD घटाने से शेष दशा का भोhय C / *
C . .,म न मृगिशरा है। भयात 8J*IJ D JB*8; /0*
कृ िकािद न `म से गणना करने पर मगं ल क7 महादशा मD ज,म हOआ। िजसक7 दशा वष- सSं या
= /0*
8J × B; = 9J;; + IJ = 9JIJ पला6म
JB × B; = 77B; + 8; = 77:; पला6म
9JIJ × = = 9;:9J ÷ 77:; = 7 वष-
77:;)9;:9J(7 वष-
9;9I;
B=J
× 98
77:; ):9;;(8 C
B=B;
97I;
× 7;
I;8;;
77:;)I;8;;(99
77:;
BI;;
उराखड मु त िवविवालय 81
योितषशा ी MAJY-202
77:;
7;8;
× B;
77:;)9:98;;(J7 QE
9BK;;
988;;
9;9I;
8;B;
× B;
77:;)987B;;(7B 5
9;9I;
888;;
8;8:;
9K8;
1.4
! इकाई के अCय + पचात् आपने जान िलया है िक ऋिषय# ने ि काल ( , वत-मान तथा
भिवWय) का शभु ाशभु जानने के िलए दशा का िनमा-ण िकया है। दशा अनेक कार क7 होती है। उनमD
िवश ं ोरी, अWटोरी तथा योिगनी का चार िवशेष है। सामा,यतया दशा का शाि&दक अथ- है )
काल क7 ि थ * > + . + cपर या-या भाव पड़ेगा। इसका Zान दशाओ ं
के माCयम से ही िकया जाता है। वत-मान समय मD देश के पवू eर देश तथा राज थान मD ाय:
िवशं ोरी दशा का उपयोग िवशेष lप से करते हI। िस,ध, पंजाबािद मD योिगनी दशा तथा दि ण
मCय भारत तथा गजु रात मD अWटोरी दशा को यवहार मD िवशेष lप से .हण करते हI। पर,तु
शा ीय वचन इस िवषय मD कुछ िभ,न 2+ /0-दशा9य<टोRरी शु:ले कृ<णे िवंशोRरी
(मानसागरी था ) अथा-त् शु ल प मD ज,म हो तो अWटोरी दशा तथा कृ Wण प मD
ज,म हो तो िवश ं ोरी दशा लेनी चािहए। िवश ं ोRरी चा1 Xाvा ना<टोRरी मता। (
) न पर से सािधत दशा िवश ं ोरी ही लेनी चािहए। अWटोरी दशा नह। इसी लो
पाठा,तर ाचीन िवLान# के घर मD ह त िलिखत .,थ# मD िन:निलिखत िमलता है। दशा िवश ं ोरी
.ाyा मता चाWटोरी तथा िवश ं ोरी दोन# दशायD फलाफल के िवचार के िलए उपयु त हI।
1.5 पा रभािषक शदा
िवश
ं ोRरी ) सयू ा-िद .ह# क7 98; क7 दशा *
) ि थित
कृिRका ) तीसरा न का नाम
2.1 ता
2.2 उेय
2.3 अWटोरी दशा परचय
2.4 अWटोरी कार
2.5
2.6 पारभािषक श&दा
2.7 बोध न# के उर
2.8 स,दभ- .,थ
2.9 सहायक पाठ्यसाम.ी
2.10 िनब,धा6मक न
99JJ ×=B = :==:; हOआ। इसको पलमय 7KK8 भभोग से भाग िदया तो लि&ध 89*8K*I;
भु त मासािद हOआ* ! =B मास मD घटाया तो शतिभषा न का JI*;*8;
भोhय मासािद हOए। इसमD पवू - भा_पद का =B मास जोड़कर वषा-िद बनाने पर 9;*9;*;*8; भोhय
वषा-िद मान हOआ।
2.5
! इकाई के अCययन के पचा 4 15+ . /0 अWटोरी 9;: वषK क7
होती है। इनका `म िवश ं ोरी दशा से िभ,न है। इसमD सयू -, च,_, C, 3> , , f> , राहO एवं श`
ु
इन आठ .ह# क7 दशा रहती है। यहाँ के तु क7 दशा नह होती। इन .ह# के दशा न िवश ं ोरी से
िभ,न हI, जो िक महादशा कोWठक मD वष- संSया के साथ िदये गये हI। इस महादशा मD .ह# के दशावष-
न # मD िवभािजत रहते हI। यथा ) सयू - महादशा वष- B हI और इस दशा के न आ_ा-, पनु व-स,ु
पWु य तथा आलेषा ये चार हI। B मD I का भाग देने से एक न का वषा-िददशामान 9*B / / *
का भु त भोhय लाने के िलए यह `म है िक न के भयात भभोग पर से उस न का भु त
भोhय वषा-िद मD साधन करD । यिद वह न बीच मD पड़े, तब गत न # के वषा-िद योग मD वत-मान
दशा न के भु त वषा-िद जोड़ने से उस .ह क7 भु त दशा होगी और उसको .ह दशा वष- मD
घटाने से उस .ह क7 भोhय +6 /+* .0+ C . का ज,म मृगिशरा न मD है। यह
3.1 ता
3.2 उेय
3.3 परचय
3.4
3.5
3.6 पारभािषक श&दा
3.7 बोध न# के उर
3.8 स,दभ- .,थ
3.9 सहायक पाठ्यसाम.ी
3.10 िनब,धा6मक न
आा पनु वसु प)ु य आले# & 0, !0 0!0 हत
िचा वा5 '+@ ) ये)ठा &, 0, #0 0#0
3.5 बोध न
1. योिगनी दशा सव-थम िकसके Lारा कहा गया था*
. िवWणु के Lारा ख. ा के Lारा ग. जापित के Lारा घ. िशव के Lारा
2. दशा कुल िकतने वषK का होता है*
. 30 वष- ख. 34 वष- ग. 36 वष- घ. 40 वष-
3. िन:निलिखत मD िसsा से उ6पि है )
क. बधु क7 ख. मगं ल क7 ग. श` ु क7 घ. सयू - क7
4. योिगनी दशा `म मD िपंगला के पचा 4 1 /0*
क. pामरी ख. मगं ला ग. िसsा घ. धा,या
5. मगं ला का अथ- है )
. Cल करने वाला ख. िवपि लाने वाला ग. नाश करने वाला घ. सख ु दान करने वाला
30 वष- ख. 34 वष- ग. 36 वष- घ. 40 वष-
3.8 बोध के उ र
1. Q
2.
3.
4. Q
5.
3.10 िनब#धा,मक न
1. योिगनी दशा का उaलेख करते हOये उसके फलादेश क6त-या का िव तारपवू क
- उaलेख करD *
2. योितषोत योिगनी दशा का या मह6व /0 तथा इसका सवा-िधक चलन कहॉ है*
3. योिगनी दशा से आप या C\ + /0*
4. योिगनी दशा का पWट lप से साधन करD ।
5. योिगनी दशा का मह6व ितपािदत क7िजये।
4.1 ता
4.2 उेय
4.3 अ,तद-शा एवं 6य,तद-शा परचय
4.4 अ,तद- एवं 6य,तद-शा साधन
4.5
4.6 पारभािषक श&दा
4.7 बोध न# के उर
4.8 स,दभ- .,थ
4.9 सहायक पाठ्यसाम.ी
4.10 िनब,धा6मक न
इसी कार अ,य .ह# क7 भी अ,तद-शा गिणत करके िनकाली जा सकती है।
अ4तदशा 7म #
आदाव4तदशा पाकपते6त7 ':
. $य4तरादौ च 7मौ !ेयो िवच?णै:।।
क7 भी दशा मD थम अ,तद-शा वामी क7 होती है और उसके आगे `म से सभी .ह# क7
अ,तद-शा होती है। 6य,त,सूम एवं ाणदशा मD भी यही `म जानना चािहए।
दशाओ ं मK Xह क अ4तदशा )
भुि,नवानां तु8या 6याद् िवभाया
दशापतेभुि,6तके 45ा/ :
िवFात् 7मेण भु:यंशानेवं सूgम *
बल7मात् फलं िव!ैव:तjयं पूवरीितत:।।
अथा-त् .ह# क7 चरािद दशा या के ,_ािद दशा मD दशामान को K समान भाग करके अ,तद-शा जाननी
चािहए। यहाँ थम तो दशािधप क7 ही अ,तद-शा होगी, तदन,तर के ,_ ि थत .ह# क7 पनु : पणफर थ
. .ह क7 महादशा मD िजस .ह क7 अ,तद-शा अपेि त हो, उन दोन# के दशा वषK को गणु ाकर
दस का भाग देने से लि&ध मास ह#गे। शेष को 7; + O> 9; का भाग देने से लि&ध िदन ह#गे।
इसी कार घटयािद फल का भी साधन करना चािहए। 6येक .ह मD अ,तद-शा का साधन करके रख
/0, आप उसका आगे अवलोकन कर सकते है। उसी आधार आप गिणत करके अ,तद-शा
+ /0*
,य#तद$शा + )
िजसक7 अ,तद-शा मD 6य,तद-शा िनकालनी हो, उस अ,तद-शा वष- को अपने अपने दशावष-
+ गणु ा कर उसमD सम त दशावष- योग से भाग देने से ल&ध .ह# क7 6य,तद-शा होती है। जैसा िक
आचाय- पराशर जी ने भी कहा है )
लो : -
!) * 6व-6व दशामानैह4याद4तदशािमितम।्
5+ न
1.स:पणू - दशा वष- का मान िकतना होता है।
. 9;: वष- ख.98; वष- ग. 7B वष- घ. कोई नह।
2. च,_मा का िवश ं ोरी दशा वष- िकत /0*
.B वष- ख. 9: वष- ग. 8; वष- घ. 9; वष-
3. सयू - क7 दशा मD सयू - क7 अ,तद-शा मान साधन का गिणत है।
. 9;*9;/98; P. B×B/98; . 8; × B/98; Q. B × 9;/98;
4. सयू - क7 दशा मD सयू - क7 अ,तद-शा मान हो *
. ;*7*9: P. ;*B*98 . ;*9;*B ;*J*9;
5. सयू - क7 दशा मD सयू - क7 अ,तद-शा मD सयू - का 6य,त C / /0*
. ;*J*8I P. ;*7*9: . ;*9*98 Q. ;*:*B
6. सयू - मD बधु का अ,तद-शा मान होगा -
. ;*:*B P. ;*9;*B .;*9*98 Q.;*B*K
4.6
इस इकाई के अCययन के पचा 4 15+ . / िजस .ह क7 महादशा
मD अ,तद-शा अवगत करनी हो, उसक7 वष- संSया 2-अलग .ह# क7 वष-संSया + O>
+ .ह# क7 वष-संSया के योग से भाग देने से लि&ध पृथक-पृथक् अ,तद-शा वषा-िदमान होते
हI। इसी कार अ,तद-शा मD 6य,तर Zात करना अभीWट हो तो अ,तद-शा मान को 6येक .ह के दशा
वष- से गणु ाकर सभी .ह# के दशावष- योग से भाग देने से लि&ध 5ND-पृथक 6य,तद-शा होती है।
इसी कार आगे क7 इकाई मD सू मदशा एवं ाणदशा का भी आनयन िकया जायेगा।
4.7 पा रभािषक शदावली
अ4तदशा # दशा के मCय अ,तद-शा होती है।
$य4तदशा # अ,तद-शा के मCय 6य,तद-शा होती है।
5.1 ता
5.2 उेय
5.3 सू म दशा एवं ाण दशा परचय
5.4 सू म दशा एवं ाण दशा साधन
5.5
5.6 पारभािषक श&दा
5.7 बोध न# के उर
5.8 स,दभ- .,थ
5.9 सहायक पाठ्यसाम.ी
5.10 िनब,धा6मक न
A & #
जैसे सयू - क7 महादशा मD सयू - क7 ही अ,तद-शा मD सयू - क7 6य,तद-शा J*8I /0,
! J × B; + 8I = 78I घटया6मक हOआ, इसमD सूय- दशा वष- B + O> 9KII
हOआ, इसमD 98; 9B*98 घटयािद सयू - दशा मD सयू ा-,तर मD सयू - 6य,तर मD सयू -
क7 सू म दशा हOई। इसी कार पवू eत सयू - क7 6य,तद-शा 78I को च,_ दशावष- 9; + O>
98; + + + 8=*; घटयािद च,_ क7 सू म दशा हOई। एवं + O )
78I × =/98; = 9:*JI QE
78I × 9:/98; = I:*7B QE
78I × 9B/98; = I7*98 QE
78I × 9K/98; = J9*9: QE
78I × 9=/98; = IJ*JI QE
78I × =/98; = 9:*JI QE
78I × 8;/98; = JI*;; QE
अत: सूयमहादशा मK, सूया4तर मK, सूय $य4तर मK, सयू सूgम च7
Xह सयू च45 राहO ग]ु 3 श7ु
C$ 9B 8= 9: I: I7 J9 IJ 9: JI
98 ; JI 7B 98 9: JI JI ;
अथा-त् सू म दशामान को 6येक .ह# के दशावष-संSया से पृथक् पृथक गणु ा कर गणु नफल मD
दशावष- योग 98; से भाग देने पर घटयािद ाणदशा होती है।
A & #
जैसे सयू - क7 सू म 5 9B QU, 98 5 /0, ! 9B × B; + 98 =
K=8 5 3 + + K=8 हOए इसको सयू -वष- संSया B से गणु ा कर ाGत J:78 मD 98;
+ + 5 ; QE, I: 5 7B िवपल हOआ, यही सयू - क7 सू म दशा मD सयू - क7 ाणदशा हOई। इस
कार K=8 पला6मक सयू - क7 सू म दशा को 6येक .ह# के दशा वष- से गणु ाकर 98; + +
से सभी .ह# के सयू - क7 सू म दशा मD ाणदशा हो जाती है।
QE 5 5
K=8 × 9;/98; = 9*89*; = सयू - क7 सू म दशा मD च,_मा क7 ाणदशा
K=8 × =/98; = ;*JB*I8 = सयू - क7 सू म दशा मD मगं ल क7 ाणदशा
K=8 × 9:/98; = 8*8J*I: = सयू - क7 सू म दशा मD राहO क7 ाणदशा
K=8 × 9B/98; = 8*K*7B = सयू - क7 सू म दशा मD गfु क7 ाणदशा
K=8 × 9K/98; = 8*77*JI = सयू - क7 सू म दशा मD शिन क7 ाणदशा
K=8 × 9=/98; = 8*9=*I8 = सयू - क7 सू म दशा मD बुध क7 ाणदशा
K=8 × =/98; = ;*JB*I8 = सयू - क7 सू म दशा मD के तु क7 ाणदशा
K=8 × 8;/98; = 8*I8*; = सयू - क7 सू म दशा मD श`ु क7 ाणदशा
उत कार सेस 6येक .ह क7 सू म दशा के Lारा ाणदशा का साधन करना चािहए।
सयू क सgू म दशा मK सयू क $ाणदशा सारणी #
.ह सयू - च,_ C राहO गfु 3> + > श`ु
QE ; 9 ; 8 8 8 8 ; 8
5 I: 89 JB 8J K 77 9= JB I8
5 7B ; I8 I: 7B JI I8 I8 ;
उराखड मु त िवविवालय 128
योितषशा ी MAJY-202
इसी कार आप सू म एवं ाण दशा अ,य .ह# का भी साधन कर सकते हI।
23 सू म एवं ाण दशा के अितरत कालच` दशा का भी साधन बतलाया गया है। यहाँ उसका
भी उaलेP . / /0*
dkypØ n”kk dk vku;u &
dkypØ n”kk ewyr% u{k=&iz/kku n”kk gSA pUnzek gh u{k= gksrk gSA vr%
tUedkfyd pUnzek dk Li’V jk”;kfn Hkksx gh bl egkn”kk dk ewy vk/kkj gSA bl n”kk
ds vku;u fof/k dks ge pkj eq[; pj.kksa esa ck¡V ldrs gSa&
1- pUnzek ds jk”;kfn Hkksx ls tUedkfyd u{k= dk KkuA
2- tUedkfyd u{k= ds pj.k vkSj orZeku pj.k ds Hkqä dkykfn dk KkuA
3- orZeku u{k=&pj.k ds Hkqä dykfn ls Hkqä n”kk dk KkuA
4- n”kk ds Hkqä o’kkZfn ls HkksX; o’kkZfn dk KkuA
n”kku;u dh bl lewph izfØ;k dks ,d mnkgj.k }kjk le>uk ljy gksxkA
eku yhft, fdlh O;fä dk tUe 29 uoEcj 1985 dks gqvk gSA tUedkfyd pUnzek dk
Li’V jk”;kfn Hkksx 10A00A9^A21^^ gSA
pa- 10A0A9A21 = 3000A9^21^^
¼1½ 1 u{k= dk eku 130A20^ gksrk gS rFkk 30A20^ dk ,d pj.k gksrk gSA
u{k=eku 130A20^ ls pUnzek ds va”kkfn Hkksx esa Hkkx fn;kA
--------------------- = 22-511688 yfC/k 22 xr u{k= la[;k gSaA vFkkZr~ 22ok¡ u{k=
Jo.k xr gks pqdus ij orZeku /kfu’Bk u{k= ds “ks’k 60] 8225 rqY; Hkkx tUe rd Hkqä
gks pqdk gSA
¼2½ /kfu’Bk ds xr va”kkfn 60] 8225 esa pj.keku 30A20^ ls Hkkx nsus ij yfC/k 2
/kfu’Bk ds xr pj.k vkSj 00A1^A21^^ r`rh; pj.k dk Hkqäka”k gksxkA
¼3½ bl /kfu’Bk u{k= ds r`rh; pj.k ds Hkqäka”k dks mlds lEiw.kZ n”kko’kZ 85 ls
xq.kk dj pj.keku 30A20^ ls Hkkx nsus ij&
/kfu’Bk ds r`rh; pj.k dk Hkqäka”k 00A9^A21^^
/kfu’Bk ds r`rh; pj.k dh lEiw.kZ n”kk 85 o’kZ gSA
vr% 00A9^A21^^ x 85 » 30A20^ o’kZ
= 3-97375 o’kZA
= 3 o’kZ 11 ekg 20-55 fnuA
= feFkqu dh n”kk ds xr o’kkZfnA
5+ न
1. सयू -महादशा मD, सयू ा-,तर मD, सयू - 6य,तर मD, सयू - सू म C /0*
. 9B*98 P. 8I*8I .7*B Q. 9J*8B
2. सयू -महादशा मD, सयू ा-,तर मD, सयू - 6य,तर मD, राहO का सू म C /0*
.78I × 9:/98; P. 78I × 9B/98; 78I × B/98; घ. कोई नह
3. सयू - क7 सू म दशा मD च,_मा क7 ाणदशा साधन का मान होगा।
. K=8 × 9;/98; P. K=8 × :/98 . K=8 × 9B/98; Q. K=8 × B/98;
4. सयू - क7 सू म दशा मD च,_मा क7 ाणदशा का मान होगा।
. 9*89*; P. J*9;*9J . 8*J*B Q.8*J*:
उराखड मु त िवविवालय 130
योितषशा ी MAJY-202
5. काल च` दशा िन:न मD कौन सा धान दशा है।
क. च,_ धान ख. न धान ग. रािश धान घ. कोई नह
5.6
इस इकाई के अCययन के पचा 4 15+ . / V के `म मD अ,त G
6य,तर दशा के पचात् सू म एवं ाण दशा का थान आता है। आप सभी को यह Zा /
चािहए िक सू म एवं ाण दशा सू माितसू म फलादेश साधन के आधार त:भ है। ऋिषय# ने
िनर,तर घोर साधना कर इतना सू म समय का आँकलन िकया तािक सू म फलादेश करने मD
/ C + * सू म से भी सू म ाण दशा होती है। अत: इसका O
फलोदश आिद कत-य दोन# ही सव-था किठन है। 6य,त C 2-अलग दशावष- से
O> 98; + + 5 2-अलग सू मा,तद-शा का मान ाGत / /0* सू म C
को 6येक .ह# के दशावष-संSया + 5ND4 5ND O> गणु नफल मD दशावष- योग 98; +
देने पर घटयािद ाणदशा होती है।
5.7 पा रभािषक शदावली
सgू म # $य4त दशा पचात् सू म / /0*
$ाणद # सू म के बाद ाण दशा जो अ6य,त सू म / /0*
कालच7 दशा - न धान द *
पर6प ) +
5.8 बोध के उ र
1.
2.
3.
4.
5. P
5.9 स#दभ$ %#थ सूची
1. वृह6पराशरहोराशा - आचाय- पराशर
ख ड-3
1.1 ता
1.2 उेय
1.3 महादशा दशाफल परचय
1.4 िवश
ं ोरी महादशा फल िवचार ) सवा-थ-िच,ताCO + 2>
1.5 C/ - वृह6पराशरहोराशा + 2>
1.6
1.7 5 रभािषक श&दा
1.8 बोध न# के उर
1.9 स,दभ- .,थ
1.10 सहायक पाठ्यसाम.ी
1.11 िनब,धा6मक न
23 सव-थम / A आचाय- वDकटेश Lारा िवरिचत -सवाथिच4ता &" + 2> सयू ा-िद .ह# का
दशाफल िवचार िन:न lप से है-
सूय$दशाफलिवचारः -
परमो/चांश6थ सूय दशा फल कथन
भानोदशायां परमो/चग6य भू[यथदारामजकितशौयम।्
स4माननं भूिम4 ( रिवनोदगोीम।् ।
िजस िकसी क7 कुडली मD यिद सयू - परमोjचांश मेषरािश के 10 अंश मD ि थत हो,
उसक7 दशा के समय भिू म, , wी, पु , क7ित-, शौ य- आिद क7 ाि होती है। राजक7य स:मान
ाि के अवसर सल ु भ होते हI। pमण-या ा का शभु अवसर िमलता है। मनोरंजन और िवचार योhय
सभा मD सि:मिलत होने का अवसर भी ा होता है।।
उ/च6थ सूयदशाफलकथन
उ/चाि4वत6यािप रवेदशायां गोवृिfधा4याथपGरमं च।
रयुHब4धज
ु नैिवरोधं देशाि;देशं चरित $कोपात।् ।
िजस िकसी क7 कुडली मD यिद सयू - अपनी उjच (मेष) रािश मD ि थत हो तो मनWु य के
गोधन क7 अिभवृिs होती है। अ,न और धन क7 ाि भी होती है। यथ- या ा भी करने पड़ते हI।
अिधकतर गितशील रहने अथा-त् दौड़ धपू करते रहने क7 आवयकता रहती है। ब,ध-ु बा,धव# से
िवरोध के कारण भी उ6प,न होते हI। ायः कोप भाजन होकर देश-देशा,तर pमण भी होता है।
$च-डवेयागमनं ि?तीशादुपैित वृिRं रितके िलमानम।्
मृदङगभेरी रवयु,यानम4यो4यवैरं लभते मनु<यः।।
.-िकसी क7 कुडली मD यिद सयू - उjच (मेष) रािश मD होता है, तो मनWु य िनकृ वेया
का संग करता है। राजा या शासक से आजीिवका क7 ाि होती है। काम`7ड़ा का अवसर भी
सलु भ होता है। स:मान क7 ाि भी होती है। ऐसे यि] के वाहन के आगे-5Z+ CN a-+ ( > /)
आिद जैसे बाजे क7 Cविन गँजू ा करती है। ./ A / /0, / A ]+ - + +
C 5U /0*
अथा-त् यिद सयू - ज,मसमय मD अपने मलू ि कोण मD, अपने े मD अपने उjच मD अपने
परमोjच मD के ,_, ि कोण, लाभभाव मD, भाhयेश कम|श के साथ मD िनज वग- मD बलवान होकर बैठा
हो तो उसक7 दशा मD धनलाभ, अिधक सुख, राजस:मा क7 ाि होती है। स,ता+ + D /
तो पु लाभ, धनेश के साथ सयू - हो तो हाथी आिद धन# का लाभ और वाहनेश के D /
/ /0। ऐसा जातक राजा क7 अनक ु :पा + R / + 3
उराखड मु त िवविवालय 147
योितषशा ी MAJY-202
P> / /0। इस कार बलयुत रिव क7 महादशा मD बल, /, G / /0*
अ4य ि6थित मK फल - यिद जातक के ज,मसमय मD सयू - अपने नीच रािश का हो, 6,8,12 भाव मD
मD िनब-ल पाप.ह# से यतु हो या राहO ) के तु से यतु हो या द:ु था 6,8,12 + 25 + > /
सयू - क7 महादशा मD महान कWट, - धा,य का िवनाश, राज`ोध, वास, राजदड, धन य,
वरपीड़ा, अपयश, वब,धओ ु ं से वैमनयता, िपतृकWट, भय, गृह मD अशभु , चाचा को कWट,
मानिसक अशाि,त और अकारण जन# से Lेष होता है । यिद सयू - के पवू eत नीचािद थान# मD रहने
पर भी उस शभु .ह# क7 ि हो तो कभी ) 3 ) बीच मD सख ु भी होता है । यिद के वल
पाप.ह# क7 ही ि हो 0 5 5 / / /+*
#20
एवं सूयफलं िव$ स? ं ेपाददुिदतं मया
िवशं ोत$ 'थ वु े च45+ *
6वो/चे 6व?े1गे चैव के 45े लाभि1कोणगे
शुभXहेण संयु:ते पूण\ च45े बलैयुते
कमभाHयिधपैयु:ते वाहनेशबलैयुते
आF4तैवय सौभाHय धन धा4या ! *
! तु शुभकायािण वाहनं राजदशनम्
यनकायाथिसिf: 6याद् गृहे लgमी ?कृत्
िम1$भुवशाद् भाHयं रायलाभं महसुD *
अवा4दो8यािदलाभं च वेतवािदकं लभेत्
पु1लाभािदस4तो ! H* *
धन6थानगते च4दे H* 6व?े1गे'
B लाभं च भाHयवृिfमहसुD *
िन?ेपराजस4मानं िवFालाभं च िव4द
ज,मकाल मD यिद च,_मा अपने उjच रािश का हो या अपने े मD हो, के ,_, 11, ि कोण मD हो
और पणू - बली च,_ शभु .ह# से यतु हो, 4,9,10 भाव# के वामी से यु त हो तो उसक7 महादशा मD
ार:भ से अ,त ) धा,य, सौभाhयािद क7 वृिs, गृह मD मागं िलक काय-, वाहनसख ु ,
राजदश-न, य6न से काय- िसिs, घर मD धनागम, िम # के Lारा भाhयो , यलाभ, सखु , वाहनाि
धन और वY ािद का लाभ होता है। जातक पु लाभ, मानिसक शाि,त एवं घर मD गौओ ं Lारा
5+
$ * 0
अथ सवनभोगेषु य: कुमार: $कितत:
त6य तारेशपु16य ) + *
6वो/चे 6व?े1सयं ु:ते के 45 ि1कोणगे
िम1?े1समायु:ते सौ[ये दाये महसुD *
धनधा4यािदलाभं च सकितधनस[पा *
!ानािध:यं नपृ $ीितं सकमगण ु वfनम्
पु1दा सौयं jयापारा8ल *
?ीरेण भोजनं सौयं jयापारा8ल *
शुभYिZयुते सौ[ये भाHये कमािधपे दशा
आिधपये बलवती स[पूणफलदाियका**
सभी .ह# मD िजसको कुमार कहा जाता है, उस बधु क7 महादशा का फल इस कार है ) 3>
अपने उjच मD हो या व े मD हो या के ,_ - ि कोण िम गृह मD बैठा हो तो उसक7 दशा मD P > ,
) धा,य का लाभ, सक ु 7ित-, Zानवृिs, राजा क7 सहानभु िू त, शभु काय- क7 वृिs, पु ) ीज,य
सखु , रोगहीनता, दhु धयतु भोजन एवं यापार से धनलाभ होता है । यिद बधु पर शभु .ह क7 ि हो
या शभु .ह से यतु हो, कम|श होकर भाhय थान मD बैठा हो और पणू - बली हो तो उत फल पणू -
होगा, अ,यथा सामा,य फल क7 ाि होती है ।
अ4य + - यिद बधु पाप.ह से यतु Wट हो तो राजLेष, मानिसक रोग, अपने ब,धु ) बा,धव# से
0, + ) pमण, दसू रे क7 नौकरी, कलह एवं मू कj¢ + 5+ / /0 * 3>
6,8,12 वD थान मD हो तो लाभ तथा भोग एवं धन का नाश होता है । वात, पाडु, . , ,
और अिhन से भय, कृ िष स:ब,धी भिू म और गाय का िवनाश होता है । सामा,यतया दशा के ार:भ
मD धन ) धा,य, िवा लाभ, सख ु पु कल ािद लाभ, स,माग- मD धन यय आिद शभु होता है । मCय
काल मD राजा से आदर ाGत होता है, और अ,त मD द:ु ख ाGत / /0 *
उराखड मु त िवविवालय 150
योितषशा ी MAJY-202
गुD दशा फल
6वो/चे 6व?े1गे जीवे के 45 लाभि1कोणगे
मूलि1कोणलाभे वा तुH*शे 6वां'
राय महसौयं राजस4मानकतनम्
गजवािजसमायु:तं देवा णपूजनम।् ।
दारपु1ािदसौयं च वाहना[ब / *
य!ािदकमिसिf: 6या;ेदा4तवणािदकम्
महाराज$सादेना'भी<टिसिf: सख ु ावहा
आ4दो िदलाभच क8याणं च महसुD *
पु1दारािदलाभच अ4नदानं महि$यम्
गl ु यिद वोjच, व े , के ,_, ि कोण या लाभ, मल ू ि कोण, अपने उjच C 25+
नवमांश मD बैठा हो तो राय क7 ाि, महासखु , राजा से स:मा, - घोड़े हाथी आिद क7 ाि,
+ ) ाण मD िनWठा, ी - पु ािद से सखु , वाहन वYलाभ, यZािद धािम-क काय- क7 िसिs, वेद
) वेदा,तािद का Qवण, महाराजा क7 कृ पा से अभीWट क7 ाि, सख ु , पालक7 आिद क7 ाि,
कaयाण, महासुख, पु कल ािद का लाभ, अ,नदान आिद शभु फल ाGत / /0 *
अ4य + ) यिद गl ु नीच या अ त, पाप.ह# से यतु या 8,12 भाव# मD ि थत हो तो था ,
िच,ता, पु कWट, C/ , 5 > ) चौपाय# क7 हािन, तीथ-या ा आिद होता है । गl ु क7 दशा आर:भ
मD कWटकारक, मCय तथा अ,त मD चतWु पद# से लाभदायक, राजस:मान, ऐवय-, सख ु आिद
अयु + / /0*
श6
ु दशाफल
परमो/चगते शु7े 6वो/चे 6व?े1के 45
! ' # स[$ािaवाहना'[ब& *
गजाव भं च िनयं िम<टा4न/ *
BD-डम-डलाधीश राजस4मा ( *
मृदगं वाFघोषं च गृहे लgमीकटा?कृत्
ि1कोण6थे जे ति6मन् रायाथगृहस[प:
िववाहोसवकायािण पु1क8या& ( *
पयं कुSते इ<टब4धु *
2.1 ता
2.2 उेय
2.3 अ,तद-शा सा परचय
2.4 अ,तद-शाफल (िविभ,न जातक .,थ + 2> )
2.5
2.6 पारभािषक श&दा
2.7 बोध न# के उर
2.8 स,दभ- .,थ
2.9 सहायक पाठ्यसाम.ी
2.10 िनब,धा6मक न
2.5
इस इकाई के अCययन के पचा 4 15+ . / महादशापित और अ,तद-शा के
िनयत वष-संSया को पर पर गणु ा कर च` क7 स:पणू - दशा को वष-संSया से भाग देने से वषा-
लि&ध अ,तद-शा का भोगकाल होता है। D -
दशां दशाMदसङगु-यां सवायुः संयया हरेत।्
लMधम4त5्दशा !ेया वषमासिदनािदकाः।।
5व e] उदाहरण मD िमथनु क7 महादशा मD थम अ,तद-शा िमथनु क7 ही होगी, CD> +
दशावष- K ] + ण> ा कर च` क7 स:पणू - दशावष- :J + + + 5 K×K/:J = ; वष- 99
C 97 िदन िमथनु मD िमथनु क7 अ,तद-शा होगी। िमथनु क7 अ,तद-शा के बाद िसंह क7 अ,तद-शा
K×J/:J = 0 वष- B C 9; , कक- क7 K×89/:J = 8 वष- 8 C 8; , क,या क7
K×K/:J = ; वष- 99 C 97 ! `म से अ,य रािशय# तल ु ा, वृिxक, मीन कु:भ और
मकर क7 अ,तद-शाएँ िनकालनी चािहए। सयू - क7 महादशा मD सयू ा-,तद-शा काल मD ाहमण, .
और शwािद से धन क7 ाि होती है। मानिसक उ6पीड़न और िवदेश-अरयािद pमण होता है।
च,_मा क7 महादशा के च,_मा क7 ही अ,तद-शाविध मD िवा, wी और संगीत- G
दोन# मD िवशेष अिभfिच, रे शमी वw का लाभ, स6सङग, 0 / P > , . , उसके म, ी और
सेनापित Lारा स:मान, स6क7ित- तथा पु और िम # के साथ तीथा-टनािद का सख ु जातक को ा
/ /0* C, गौ और अािद और ियव तु और -वैभवािद क7 ाि होती है। च,_मा क7
महादशा के भौमा,तद-शा काल मD रोगात-ता, िवरोधबिु s, थानjयिु त, G /
तथा िम # के Lारा जातक उ6पीिड़त हो /0* इसी कार अ,य .ह# क7 अ,तद-शाओ ं
उराखड मु त िवविवालय 169
योितषशा ी MAJY-202
/ /0*
2.6 पा रभािषक शदावली
अ4तदशा # दशा के मCय अ,तद-शा होती है।
सूया4तदशा # सयू - क7 महादशा मD सयू - क7 अ,तद-शा
6थान /यु- था + 2CP > परवत-न
पर6प ) +
) पृUवी
)
) पु
) प6नी
! ) .
)
2.7 बोध के उ र
1. Q
2. Q
3.
4. P
5.
2.8 स#दभ$ %#थ सच
ू ी
1. जातकपारजात - आचाय- वैनाथ
2. 5 ) आचाय- म, ेव
3. . OC4 ) चौख:भा काशन
4. सवा-थ-िच,ताCO ) Qी वDकटेश
5. Nहजा ) आचाय- वराहिमिहर
2.9 सहायक पाठ्यसाम%ी
1. Q.> ) आचाय- वराहिमिहर
2. वृह6पराशरहोराशा ) आचाय- पराशर
3.1 ता
3.2 उेय
3.3 6य,तद-शा फल परचय
3.3.1 सयू ा-िद .ह# के दशा फल
3.4 6य,तद-शा
3.5
3.6 पारभािषक श&दा
3.7 बोध न# के उर
3.8 स,दभ- .,थ
3.9 सहायक पाठ्यसाम.ी
3.10 िनब,धा6मक न
सयू $ %ह का * 0 -
-मkय-अ4त के सूय दशा फल कथन
आदौ सयू दशायां दुःखं िपतृरोगकृ?यUािधः।
मkये पशुधनहािनUा4ते िवFां महव...0
. जातक क7 कुडली मD सयू - दशा ारि:भक अव था मD / ]+ f> P / /0* 50 N
, य रोग, मानिसक िवकार आिद भी होता है। दशा के मCय समय मD पशओ ु ं आिद क7 हािन
/ /0। दशा के अ,त समय मD मनWु य िवा, यश मह¡व ा करने मD सफल होता है।
ि;तीय भाव6थ सूयदशा फल कथन
पु1ोपिRिवपिRम1 कु]ते भानोधन6थ6य वा
:लेशं ब4धिु वयोगदुःख कलहं वाHदूषणं 7ोधनम।्
wीनाशं धननाशनं नृपभयं भूपु1याना[बरं
सवh नाशमुपैित त1 शुभयुHवा/यं न चैतफलम्।।
. . क7 कुडली मD सयू - यिद िLतीय भाव मD ि थत हो, तो उसक7 दशा के समय
मनWु य को पु उ6प,न होता है और उसक7 हािन भी होती है, लेश के अ,य कारण भी होता है*
ब,धजु न# का िवयोग भी होता है, f> P ]W 5U /0 G / / /0* णी मD दोष उ6प,न
/ / /0, `ोध होता है, wी व धन का नाश भी होता है, राजा का भय भी उ6प,न होता है तथा
C, पु , वाहन वw आिद का अभाव जैसा अनुभव होता है।
सयू - यिद िLतीय भाव मD शभु यु] हो, तो उपरो] अशभु फल# + 5 > /
/ /0*
तृतीय भाव6थ सयू दशा फल कथन
भानोिव7मयु,6य दशा धैय महसुखम।्
नृपमाननमथािaं ातृवैरिवपRथा।।
िजस िकसी क7 कुडली मD सयू - यिद तृतीय भाव मD ि थत हो, तो उसक7 दशा के समय
मनWु य को धैय- रहता है। बहOत सख ु ा होता है। राजक7य स:मान भी िमलता है। धन लाभ के
अवसर ा होता है। साथ ही भाईय# मD श तु ा उ6प,न होती है और िवपिय# को भी झेलने पड़ते हI।
5+ न
1. सयू - क7 ारि:भक अव था का दशा फल या /0*
. सख ु ाि ख. द:ु ख ाि . / Q.
2. षWठ भाव का सयू - का दशा फल या /0*
. धन ाि ख. धन हािन ग. ि थर लमी Q. + E
3. सयू - मD सयू - का 6य,तर चल रहा हो तो या / *
. - P. / . ु भय घ. उपय-ु त
4. च,_ मD च,_ का 6य,त / )
. भिू म ाि ख. धन क7 ाि ग. भिू म एवं धन क7 हािन घ. कोई
नह
5. भौम मD राहO का 6य,तर का या /0*
. ब,ध P. C ग. प6नी ाि घ. पु ाि
6. शिन मD राहO का 6य,तर का फल या /0*
. मृ6यु भय ख. पय-टन ग. लमी ाि घ. िववाह
4.1 ता
4.2 उेय
4.3 सू मा,तद-शा फल परचय
4.4 सू मा,तद-शा
4.4
4.5 पारभािषक श&दा
4.6 बोध न# के उर
4.7 स,दभ- .,थ
4.8 सहायक पाठ्यसाम.ी
4.9 िनब,धा6मक न
सयू के $य4तर मK बध
ु क सgू म दशा फल
िदjया[बरािदलिMध<च िदjयwीपGरभोिगता।
अिचि4तताथिसिf<च रवेः सूgमगते बुधे।।
सयू - 6य,तर मD बधु क7 सू म दशा हो तो स,ु दर वwािद का लाभ, स,ु दर wी के साथ भोग-
और अिचि,तत काय- क7 भी िसिs होती है।
सयू के $य4तर मK के तु क सgू म दशा फल
गु]ताथिवनाषU भृयदारभव6तथा।
:विचसेवकस[ब4धो रवेः सूgमगते kवजे।।
सयू - 6य,तर मD के तु क7 सू म दशा हो तो सेवक और wी से गौ, -
सेवक से ससु :ब,ध भी होता है।
सूय के $य4तर मK शु7 क सूgम दशा फल
पु1ािम1ाकल1ािदसौयस[प4न एव च।
नानािवधा च स[पRी रवेः सूgमगते भृगौ।।
सयू - 6य,तर मD श`
ु क7 सू म दशा हो तो पु , िम और कल ािद सख
ु एवं िविभ,न कार क7
4.8 बोध के उ र
5.1 ता
5.2 उेय
5.3 ाण दशा परचय
5.4 ाण
5.5
5.6 पारभािषक श&दा
5.7 बोध न# के उर
5.8 स,दभ- .,थ
5.9 सहायक पाठ्यसाम.ी
5.10 िनब,धा6मक न
ख ड-4
कण
1.1 ता
1.2 उेय
1.3 5C/ परचय
1.3.1 5C/
1.4 पंचमहापfु ष परचय एवं फल िवचार
1.5
1.6 पारभािषक श&दा
1.7 बोध न# के उर
1.8 स,दभ- .,थ
1.9 सहायक पाठ्यसाम.ी
1.10 िनब,धा6मक न
1.5
! इकाई के अCययन के पचा 4 15+ . /0 यो 6 शा मD .ह# क7 वत-मान दशा
के Zानाथ- ऋिषय# Lारा पंचमहाभतू स:ब,धी छाया Zान का वण-न िकया गया है। हम सभी जानते है
िक मानव शरीर तथा ाड का िनमा-ण भी इ,ह पंचमहाभतू # (अिhन, C, ,> 1
.) से िमलकर हOआ है। अत: इन सभी का Zान परमावयक है। सम त वेद एवं वेदांगो या शा #
2.1 ता
2.2 उेय
2.3 स6वा O> परचय
2.4 स6वािद गणु # का फल
2.5
2.6 पारभािषक श&दा
2.7 बोध न# के उर
2.8 स,दभ- .,थ
2.9 सहायक पाठ्यसाम.ी
2.10 िनब,धा6मक न
अथा-त् जब अिधक स6व गणु .ह# क7 बलता रहती है तो उस समय उ6प,न जातक स6वO> G
स,ु दर बिु sवाला होता है। रजोगणु ािधक समय मD उ6प,न जातक रजोगणु से यु त एवं िवLान होता है।
तमोगणु ािधक समय मD उ6प,न . तमोगणु ी एवं िववेकश,ू य / /0* O> -सा:य समय मD उ6प,न
जातक िमिQत गणु वाला और मCयम बिु s का होता है। इस कार उम, मCयC, 2C, ] +
चार कार के ज,तु ससं ार मD उ6प,न होते हI। अब यहाँ उनके गणु # को कहा गया है, .
C/िष-य# + / /0*
उRम प]ु ष के ल?ण-
शमो दम6तप: शौचं ?ाि4तराजवमेव च।
अलोभ: सयवािदवं जने सव &:
इि,_य तथा मन को िनय, O , तप या, पिव ता, मा, , / , स6य G
साि6वक गणु # से यु त उम पुfष होता है, / D C / /0*
मkयम पु]ष के गुण-
शौयh तेज धृितदाgयं युfे चा'9य *
5+ न-
1. गणु य से ता6पय- है।
. स6व, . C P. ., , C ग. स6व, ,> अिhन घ. कोई नह।
2. तमोगणु ी होन से यि] होता है।
. अिभमानी ख. साि6वक ग. परोपकारी घ. राजा
3. काल के िकतने अवयव होते हI।
. 8 P.I .B Q. 7
4. लोभी िन:न मD िकसका गणु है।
. . P. C ग. स6व घ. कोई नह
5. मन को िनय, ण मD रखना िकस पfु ष का गणु है।
. उम ख. मCयC . 2C Q. .
3.1 ता
3.2 उेय
3.3 मानव शरीर के अगं # का ल ण परचय
3.4 नारय# के िविभ,न अगं # का ल ण
3.5
3.6 पारभािषक श&दा
3.7 बोध न# के उर
3.8 स,दभ- .,थ
3.9 सहायक पाठ्यसाम.ी
3.10 िनब,धा6मक न
िजस wी के चरण क7 अगं िु लयाँ छोटी ह# वह अaपायु होती है। िवषम (छोटी-3U, E+i-C+i) /
>..., 5E / , िछ_ वाली हो तो िनध-नी एवं िजसक7 अगं िु लयाँ ऊपर उठी ह# वह बहOत
पितय# का हनन कर अ,त मD दसू रे क7 सेिवका होकर जीवन- 5 + / /0*
य6या: ) चल4याच रजो भूमे: समु/छ *
सा पांसुला भवे4नारी कुल1यिवघाितनी।।
य6या: किनिका भूिमं ग/छ4या न पGर6पृ*
सा िह पूवपितं हवा ि;तीयं कु]ते पितम।् ।
िजस wी के माग- मD चलने पर धल
ू उड़े वह wी तीन# कुल मD लांछन लगा+ >E / /0*
िजस wी के चलने पर किनिका अगं ल ु ी से भिू म का पश- न हो, वह wी पवू - पित का हनन क
5 3 + /0*
मkय 'नािसका चािप य6या भूिमं न सं6पृ*
पितहीना च सा नारी िव!ेया ि;जसRम।।
$देिशनी भवेF6या अंग<ु ठाद् jय &$
क4यैव दूिषता सा 6यात् कुलटा च तदXत:।।
िजस wी के चलने पर मCयमा तथा अनािमका अगं िु लय# से भिू म का पश- न हो, / 5 /
(िवधवा) होती है। िजस wी के अगं ठू े के अितर] उसके ऊपर भी अगं लु ी हो, वह क,याव था मD ही
पfु ष के स... से दिू ष >E / /0*
पादप<ृ ठ ल?णम् #
उ4नतं पादपृ<ठं चेत् तदा रा!ी भवेद् lुवम।्
नखल?ण #
र:तवणा नखा6तुंगा सिशखाच शुभ$दा:।
िन[ना िववणा पीता वा पुि<पता दु:खदायका:।।
. wी का नाखनू र] वण-, उ,नत एवं िशखय] ु हो तो वह शभु द होता है। गहरा, C, 5 ,
सफे द िब,दओ
ु ं से य]
ु ह# तो ऐसे नख दःु खदायक होते हI।
प<ृ ठभागल?ण #
अ4तिनमHनवंशाि6थ पृ<ठं 6या4मां *
स िशरं रोमयु:तं वा व7ं चा' *
wी का पृ भाग दबा हOआ, हड्डी एवं मांसय]
ु तथा पु हो तो शभु एवं िशरा तथा रोमय]
ु और
E+i / 2 > / /0*
क-ठल?णम् #
61ीणां क-ठिरेखांक6वjय:ताि6थच वतुल:।
मांसलो मृदुलचैव $श6त+ :
6थूलXीवा च िवधवा व7Xीवा च िकंकरी।
3.5
! इकाई के अCययन के पचा 4 15+ . /0 योितष शा मD ऋिषय# ने
िनर,तर अनसु ,धान कर मानव शरीर के िविभ,न अगं # के ल ण को बतलाया है। शीष- से पाद (50)
तक मानव शरीर के िविभ,न अगं # क7 आकृ ितय# एवं उनके lप# तथा ल ण# के आधार पर अलग-
अलग फल कहे गये हI। वृह6पराशरहोराशा .,थ मD आचाय- पराशर ने ी के शरीर के िविभ,न
अगं # को अगं ल णाCयाय मD िव तृत lप मD ितपािदत िकया है। उनका कथन है िक िwय# के समान
ही पfु ष# के अगं # का भी ल ण जानना चािहए। 6येक मनWु य के शरीरांग# क7 बात करD तो सबमD
कुछ न कुछ िभ,नता अवय / /0, .0+ " CE / /0 " 5 , " " ,
उराखड मु त िवविवालय 289
योितषशा ी MAJY-202
िकसी क7 ऑखं D बड़ी होती है िकसी क7 छोटी, िकसी के बाल ल:बे होते हI, + ZE+,
के घँघु राले तो िकसी के सीधे। िकसी का ओWठ ल होता है। िकसी क7 कमर
CE / /0, तो िकसी क7 पतली, + P P> + / + /0, तो िकसी के िचकने आिद इ6या *
इ,ह सभी ल ण# एवं गणु # के आधार पर शरीर के िविभ,न अगं # का ल ण का िवचार िकया जाता
है। हम जानते हI िक सृि क7 मता नारी के पास होती है। अत: सृि, समाज व परवार मD िwय#
का िवशेष योगदान है। अत: िwय# क7 धानता को देखते हOए ऋिषय# ने उनके शरीर के िविभ,न
अगं # का जो ल ण कहा है, उसे यहाँ आप लोग# के Zानाथ- वण-न िकया जा रहा है।
C शरीर के िविभ,न अगं # से अिभा - शीष- (म त), CP > , 1AP, , द,त, + , ह त,
tदय, .ीवा, ] , Z , त, P, 5W, 50, िनत:ब, गy ु माग-, 5 , 2A > , . ,> उf, .Q
आिद से हI। कुछ िवशेष एक-दो अगं को छोड़ िदया जाय तो पfु ष एवं िwय# दोन# मD ये सभी अंग
/ + हI।
3.6 पा रभािषक शदा
शीष- ) म त
CP> ) C/A>
] ) 5+E
बाहO ) .> / D
E ) C
कु ) P
5 - 50
P ) P
3.7 बोध न के उ"र
1.
2. P
3. P
4.
5.
6. P
7. P
उराखड मु त िवविवालय 290
योितषशा ी MAJY-202
3.8 स#दभ$ %#थ
वृह6प / शा ) C +P ) आचाय- पराशर, E ) 5. प«नाभ शमा-
. पारजात ) C +P ) आचाय- वैनाथ।
यो 6 रह य ) जगजीवनदास गGु ता*
3.9 सहायक पाठ्यसाम%ी
वृह6प होरा शा
. पारजात
वृह6सं/
यो 6 रह य
3.10 िनब#धा,मक न
1. मानव शरीर के िविभ,न अगं # से या अिभाय है*
2. नारय# के िविभ,न अगं # का ल ण िलिखये।
3. ी + CP > , , ओWठ एवं किट ल ण# का फल िलिखये*
4. + 5 , + , ह त, उदर एवं कु का फल िलिखये*
4.1 ता
4.2 उेय
4.3 > परचय
4.3.1 > + +
4.3.2 .ामीण एवं जंगली जीव# का िवभेद
4.4 जीव# Lारा शकुन फल िवचार
4.4.1 कौए Lारा होने वाले शभु ाशभु शकुन
4.4.2 कुD एवं अ,य 5 -> पि य# Lारा होने वाले शभु ाशभु शकुन फल िवचार
4.5 या ाकािलक शभु ाशभु शकुन िवचार
4.6
4.7 पारभािषक श&दा
4.8 बोध न# के उर
4.9 स,दभ- .,थ
4.10 सहायक पाठ्यसाम.ी
4.11 िनब,धा6मक न
4.4.2 कुRे एवं अ4य पशु-पि?य ;ारा होने वाले शुभाशभ ु शकुन
कु# के Lारा होने वाले शभु ाशभु शकुन# क7 चचा- करते हOए अिhनपरु ाण मD कहा गया हI िक
यिद सेना क7 छावनी के दािहने भाग मD कु# 1 . A, तो वे ाहाण# के िवनाश क7 सचू ना देते हI।
इ,_Cवज के थान मD ह#, तो राजा का और गोपरु (नगरLार) पर ह#, तो नगराधीर क7 मृ6यु क7 सचू ना
देते हI।
6क4धवारापसjय6थाः ानो िव$िवनाशकाः।
इ456थाने नरे 456य पुरेश6य तु गोपुरे।।
भकँू ता हOआ कु# Q + 1+, तो गृह वामी क7 मृ6यु का कारण होता हI। वह
िजसके बायD अंग को सँघू ता हI, उसके काय- क7 िसिs होती हI। यिद दािहने अगं और बाय भ.ु
AQ +, तो भय उपि थत होता हI। या ी के सामने क7 ओर आवे, तो या ा मD िवVन डालने वाला होता
हI। यिद कु# / PU /, तो माग- मD चारो का भय सिू चत करता हI। महँु मD हड्डी िलये हो,
5.1 ता
5.2 उेय
5.3 वGन परचय
5.3.1 वGन के कार एवं कारण
5.3.2 वGन िवाओ ं क7 िवशेषता
5.4 वGनC .,थानसु ार वGन + > >
5.5 5> O एवं अ,य आधारत शभु ाशभु वGन
5.6
5.7 पारभािषक श&दा
5.8 बोध न# के उर
5.9 स,दभ- .,थ
5.10 सहायक पाठ्यसाम.ी
5.11 िनब,धा6मक न
5.6
! इकाई के अCययन के पचा 4 15+ . /0 सं कृ त वा®य मD वGन िवा
को परा िवा का अगं माना गया हI। अतः वGन के माCयम से सृि के रह य# को जानने का यास
m6, मिु न और आचायK ने िकया हI। फलतः भारतीय मनीिषय# क7 ि मD वGन के वल
जा.त य# का मानसलोक पर भाव का परणाम मा नह हI न तो कामज या इिjछत िवकार# का
5.11 िनब#धा,मक न
1. वGन से आप या C\ + /0*
2. वGन िकतने कार के होते है। पWट lप से िलिखये।
3. अिhन परु ाणोत वGन > > P+*
4. वGनकमलाकर मD किथत शभु ाशभु वGन का वण-न क7िजये।
5. वैवत- परु ाण मD उsतृ शभु ाशभु वGन फल का वण-न क7िजये।
6. म6 य परु ाण मD उsतृ शभु ाशभु वGन फल का वण-न क7िजये।