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संस्कृ त

निम्न खंडों के निन्दु निदेश:


खण्ड - क (अपठित अविोधिम्)

िौनिक नवकास के आकलि एवं उपयोजि इि अंगों का नवकास।

इस खण्ड का उद्देश्य है कक छात्र प्राप्त ज्ञाि का िूति पठिनस्िनत में उपयोग किें ।

इस खण्ड में पठित पािों के शब्दािों को नवचाि में िखकि अपठित गद्ांश कदया जाता है।

गद्ांश पि आधाठित प्रश्नों के उत्ति संप्रेषण के आकलि से देिा अपेनित है।

प्रश्नों का प्रारुप कु छ इस प्रकाि है - एक पद में उत्ति , पूणण वाक्य में उत्ति, िहुनवकल्पी प्रश्न तिा निदेशािुसाि उत्ति (नवशेषण - नवशेष्य
कत्ताणकियानन्वनत, पयाणय औि नवलोम शब्द, धातु, पुरुष, लकाि, ललंग, नवभनि अिवा वचि पि आधाठित प्रश्न शीषणक लेखि)

खण्ड - ख (िचिात्मक कायणम)्

छात्र की सृजिात्मकता (Creativity) को अवसि देिा यह इस खण्ड का उद्देश्य है।

सृजिात्मकता (Creativity) एवं सजणिशील नवचाि (Creative thinking) के नवकास के नलए इस खण्ड को नवशेष महत्त्व है।

उपयुणि उद्देश्य की पूर्तण के नलए प्रश्नपत्र एवं अभ्यासकायण में छात्रों को शब्द - मंजूषा से सहायता दी जाती है।

प्रश्नों का प्रारुप नचत्रवणणि एवं संवादपूर्तण अिवा वाताणलाप होता है।

छात्र को अपिी कल्पिा शनि (Imagination) को प्रकट कििे का संपूणण अवसि कदया जाता है।
खण्ड - ग (अिुप्रयुि व्याकिणम्)

व्याकिण को अिुप्रयुिता की सहायता से व्यावहाठिक स्वरुप प्रदाि कििा यह इस खण्ड का उद्देश्य है।

व्याकिण के अभ्यास से छात्र की तार्कण क नवश्लेषण िमता (Logical thinking) को नवकनसत कििा।

संस्कृ तभाषा - व्याकिण के अिेक अंगों से छात्र की कािण-नममांसा (Reasoning) की िमता को नवकनसत कििे में सहयोग नमलता है।

अिुप्रयुिता से व्याकिण को सिल एवं सुिोध ििाया जा सकता है।

प्रश्नों का प्रारुप वतणिी, उच्चािण स्िाि, वणण संयोजि, वणण- नवन्यास, शब्दरूप, धातुरूप, अव्यय,संख्यावाचीशब्द, उपपद औि नवभनियों के प्रयोग
होते हैं। छात्र उि वाक्यों को पूिा किते हुए संस्कृ त भाषा में पुिः नलखते हैं।
खण्ड - घ (पठित अविोधिम्)

पािगत तथ्य नवचाि मूल्य एवं आकलि का मूल्यांकि (Evaluation) किके छात्र का चठित्र निमाणण (Character building) कििा यह इस
खण्ड का उद्देश्य है।

गद्ांश पद्ांश िाट्ांश आकद पाि के नवनवध अंगों से छात्र की ग्रहण िमता (Understanding) का मूल्यांकि ककया जाता है।

पािाधाठित अभ्यासकायण का समावेश इस खण्ड में ककया जाता है।

प्रश्नों का आधाि एवं मूल्यांकि लिंदु पाठ्यपुस्तक पि आधाठित होता है।

प्रश्नों का प्रारुप प्रश्न निमाणण अशुनि-शोधि शब्दािाणकदमेलिाभ्यास ठििस्िािपूर्तण आकद होता है।
प्रिम सत्र (०३.०४.२०२३ से १५.०९.२०२३) संस्कृ त किा-अष्टमी

माह नवषय संभानवत ज्ञाि कियाकलाप कालांश पूवाणधव


ण ार्षणकी सत्र मूल्यांकि पाठ्यिम

अप्रैल सानहत्य (पठित अविोधि) 1. छात्र पंचतंत्र एवं किाकििम् 10 पाठ्यिम


नवष्णुशमाण के नवषय में सानहत्य -
निलस्य वाणी ि कदानप मे श्रुता।
अवगत होगा। सुभानषतानि।
व्याकिण (अिुप्रयुि)
2. ’शािीठिक िल से निलस्य वाणी ि कदानप मे श्रुता
संनध - दीघण, गुण, मोऽिुस्वािः व्याकिण -
िौनिक िल अनधक है’
शब्द रूप प्रकिण -अकािान्त पुलल्लंग इसका ज्ञाि छात्र को (1) संनध - क- दीघण, गुण, ख-व्यंजि-
- देव,। होगा। मोऽिुस्वाि
3. िुनि चातुयण से ककसी भी (2) शब्दरूप - देव, लता
आकािान्त स्त्री0 - लता।
पठिनस्िनत पि नवजय
सवणिाम रूप प्रकिण - तत् ककम् (3) सवणिामरूप - तत्, ककम् (तीिों ललंगों
प्राप्त कि सकिे का
(तीिों ललंगों में) नवचाि छात्र अवगत में)।

धातुरूप प्रकिण - पा,स्िा (पााँचों किे गा। (4) धातुरूप - पा, स्िा (पााँचों लकािों में)
लकािों में )। 4. पािागत अव्ययपदों से (5) समास - अव्ययीभाव
समास प्रकिण -अव्ययीभाव। वाक्य निमाणण का
(6) प्रत्यय - तव्यत्, अिीयि्
अभ्यास छात्र किे गा।
प्रत्यय - तव्यत्, अिीयि्। (7) अव्यय – (इनत, अनप, इव, उच्चैः, एव,
5. वाक्यान्तगणत कािक,
कदा, कु तः, खलु, िूिम्, पुिा)
नवभनि, ललंग, वचि,
माह नवषय संभानवत ज्ञाि कियाकलाप कालांश पूवाणधव
ण ार्षणकी सत्र मूल्यांकि पाठ्यिम

अव्यय - 1-10 संनध, प्रत्यय जैसे (8) संख्यावाची - 1-15


सामान्य नियमों को भी
संख्यावाची शब्द - 1-15 (9) वाच्य - कतृण वाच्य, कमणवाच्य।
जाििे का प्रयास किे गा।
वाच्य प्रकिण - कतृण वाच्य- 6. पािान्तगणत छात्र (10) अशुनि शोधि Page No. 191
कमणवाच्य मौनखक कायणम् - क, ख, ग, घ।
व्यावहाठिक, िैनतक तिा
पयाणयाः - 1-10 आनत्मक चेति - शनि (11) पयाणयाः – Page No.-125 (कानलन्दी,
का नवकास किे गा। कलत्रम्, अश्ववाहकः, पदािणः, नवश्रुनतः,
नवपयाणयाः - 1-5
सुिदुन्दुनभः, सुिः, सूक्ष्मः, चनन्िका,
अशुनि शोधि -1-5
कुं जिः)
अपठित अविोधि
(12) नवपयाणयाः – Page No. 128
एक दीघण गद्ांश (80-100 शब्दों (व्यवस्िा, मािवः, द्ुलोकः, सुिाष्ट्रम्,
में) पि आधाठित प्रश्नोत्ति - 1,2 इच्छा)
िचिात्मक कायण - (13) अपठित अविोधि Page No. 211 -
क. पत्र लेखि- 1,2 1,2।

ख. संकेताधाठित वाताणलाप - 1,2 (14) िचिात्मक कायण -

मंजूषा की सहायता से । (क) पत्र – Page No. 194 1-2


माह नवषय संभानवत ज्ञाि कियाकलाप कालांश पूवाणधव
ण ार्षणकी सत्र मूल्यांकि पाठ्यिम

ग. नचत्रवणणि - 1,2

मई - सानहत्य (पठित अविोधि) 1. छात्र भाित की लोक लोक किायाः 10


जूि किाओं से अवगत होगा। संस्कृ तभाषया
कण्टके िैव कण्टकम्
अिुवादः।
व्याकिण (अिुप्रयुि) 2. छात्र िुनिचातुयण का
महत्त्व शािीठिक िल से
संनध - दीघण, गुण, मोऽिुस्वािः
अनधक है यह जािेगा।
शब्द रूप प्रकिण -अकािान्त पुलल्लंग
3. ककसी भी संकट के समय
- देव,।
में हाि ि मािते हुए
आकािान्त स्त्री0 - लता। प्रत्युत्पन्नमनत से जीता
जा सकता है इस नवचाि
सवणिाम रूप प्रकिण - तत् ककम् से छात्र प्रभानवत होगा।
(तीिों ललंगों में)
4. छात्र पािागत शब्द रुपों
धातुरूप प्रकिण - पा,स्िा (पााँचों का उपयोग किके
लकािों में )। वाक्यनिमाणण कििे में
समास प्रकिण -अव्ययीभाव। सिम ििेगा।

प्रत्यय - तव्यत्, अिीयि्।


माह नवषय संभानवत ज्ञाि कियाकलाप कालांश पूवाणधव
ण ार्षणकी सत्र मूल्यांकि पाठ्यिम

अव्यय - 1-10

संख्यावाची शब्द - 1-15

वाच्य प्रकिण - कतृण वाच्य-


कमणवाच्य

पयाणयाः - 1-10

नवपयाणयाः - 1-5

अशुनि शोधि -1-5

अपठित अविोधि

एक दीघण गद्ांश (80-100 शब्दों


में) पि आधाठित प्रश्नोत्ति - 1,2

िचिात्मक कायण -

क. पत्र लेखि- 1,2

ख. संकेताधाठित वाताणलाप - 1,2

मंजूषा की सहायता से ।
माह नवषय संभानवत ज्ञाि कियाकलाप कालांश पूवाणधव
ण ार्षणकी सत्र मूल्यांकि पाठ्यिम

ग. नचत्रवणणि - 1,2

जुलाई सानहत्य (पठित अविोधि) 1. छात्र स्वजीवि में ग्राह्य गुणािां 8


सुनवचािों का महत्त्व संकलिम्
सुभानषतानि।
जािेगा। तिा तानलका
व्याकिण (अिुप्रयुि) निमाणणम्।
2. सद्गुण, नमत्रता,
संनध - दीघण, गुण, मोऽिुस्वािः
सज्जिता, अभ्यास एवं
शब्द रूप प्रकिण -अकािान्त पुलल्लंग स्त्रीसम्माि आकद गुणों
- देव,। का ग्रहण छात्र द्वािा
ककया जाएगा।
आकािान्त स्त्री0 - लता।
3. छात्र प्रस्तुत पाि में
सवणिाम रूप प्रकिण - तत् ककम्
उद्धृत मूल्यों को
(तीिों ललंगों में)
आचिण में लािे के नलए
धातुरूप प्रकिण - पा,स्िा (पााँचों प्रयत्नशील ििेगा।
लकािों में )। 4. श्लोकोच्चािण से छात्र में
समास प्रकिण -अव्ययीभाव। वाचि , लेखि तिा
उच्चािण में निपुणता
प्रत्यय - तव्यत्, अिीयि्।
आएगी।
माह नवषय संभानवत ज्ञाि कियाकलाप कालांश पूवाणधव
ण ार्षणकी सत्र मूल्यांकि पाठ्यिम

अव्यय - 1-10 5. शब्दों को सुिकि तत्तद


भाषागत शब्द समूहों का
संख्यावाची शब्द - 1-15
नवकास होगा।
वाच्य प्रकिण - कतृण वाच्य- 6. अभ्यास में कदए गए प्रश्नों
कमणवाच्य को देखकि संप्रेषण
पयाणयाः - 1-10 गनतनवनधयों की
जािकािी होगी।
नवपयाणयाः - 1-5
7. भाषा के निमाणण के नलए
अशुनि शोधि -1-5 वाक्य में कदए कािकों से
वाक्य सृजि की िमता
अपठित अविोधि
उत्पन्न होगी।
एक दीघण गद्ांश (80-100 शब्दों
में) पि आधाठित प्रश्नोत्ति - 1,2

िचिात्मक कायण -

क. पत्र लेखि- 1,2

ख. संकेताधाठित वाताणलाप - 1,2

मंजूषा की सहायता से ।
माह नवषय संभानवत ज्ञाि कियाकलाप कालांश पूवाणधव
ण ार्षणकी सत्र मूल्यांकि पाठ्यिम

ग. नचत्रवणणि - 1,2

अगस्त व्याकिण (अिुप्रयुि) 1. व्याकिण अभ्यास एवं िाट्ीकिणम् 11 पाठ्यिम


व्याकिण (अिुप्रयुि) पुििभ्यास से भाषा का सानहत्य -
दृढीकिण।
संनध - दीघण, गुण, वृनि, यण्, सुभानषतानि।
अयाकद पिसवणण निलस्य वाणी ि कदानप मे श्रुता
शब्द रूप प्रकिण -देव लता, फल, कण्टके िैव कण्टकम्
कनव। व्याकिण -
सवणिाम रूप प्रकिण - तत् ककम्
(1) संनध - क- दीघण, गुण, वृनि, यण्,
(तीिों ललंगों में) अस्मद्
अयाकद
धातुरूप प्रकिण - घ्रा, तृ, पा,स्िा
ख-व्यंजि- मोऽिुस्वाि, पिसवणण।
(पााँचों लकािों में )।
(2) शब्दरूप - देव, लता, कनव।
समास प्रकिण -तत्पुरुष -
नवभनि। (3) सवणिामरूप - तत्, ककम् (तीिों ललंगों
प्रत्यय - ि िवतु में)। अस्मद्

(4) धातुरूप - घ्रा, तृ, पा, स्िा (पााँचों


अव्यय - 1-15
लकािों में)
माह नवषय संभानवत ज्ञाि कियाकलाप कालांश पूवाणधव
ण ार्षणकी सत्र मूल्यांकि पाठ्यिम

संख्यावाची शब्द - 1-25 (5) समास - अव्ययीभाव, तत्पुरुष-नवभनि

वाच्य प्रकिण - कतृण वाच्य- (6) प्रत्यय - तव्यत्, अिीयि्, ि, िवतु।


कमणवाच्य
(7) अव्यय - (इनत, अनप, इव, उच्चैः, एव,
पयाणयाः - 1-15 कदा, कु तः, खलु, िूिम्, पुिा, मा,
नवपयाणयाः - 1-10 इतस्ततः, नविा, सहसा, श्वः)

अशुनि शोधि -1-10 (8) संख्यावाची - 1-25

अपठित अविोधि (9) वाच्य - कतृण वाच्य, कमणवाच्य।


एक दीघण गद्ांश (80-100 शब्दों (10) अशुनि शोधि Page No. 191
में) पि आधाठित प्रश्नोत्ति -
मौनखक कायणम् - क, ख, ग, घ, ङ, च,
िचिात्मक कायण - छ, ज
क. पत्र लेखि-
(11) पयाणयाः - Page No.-125 (कानलन्दी,
ख. संकेताधाठित वाताणलाप -
कलत्रम्, अश्ववाहकः, पदािणः, नवश्रुनतः,
मंजूषा की सहायता से । सुिदुन्दुनभः, सुिः, सूक्ष्मः, चनन्िका,
ग. नचत्रवणणि - कुं जिः, श्यालः, शेमुषी, सुषुप्ता,
वािम्वािम्, सवणः)
माह नवषय संभानवत ज्ञाि कियाकलाप कालांश पूवाणधव
ण ार्षणकी सत्र मूल्यांकि पाठ्यिम

(12) नवपयाणयाः - Page No. 128


(व्यवस्िा, मािवः, द्ुलोकः, सुिाष्ट्रम्,
इच्छा, प्रयीता, स्वकीया, मामकः,
सिलः, ििकः)

(13) अपठित अविोधि Page No. 211 -


1, 2 and page No. – 213 – 1, 2

(14) िचिात्मक कायण- नचत्रवणणि – Page


No. 207 - 1,2

(क) पत्र - Page No. 194 1-2 and


Page No – 195 - 3

(ख) वताणलाप Page No. 200-1-3

नसतम्िि सानहत्य (पठित अविोधि) पुििावृनत्त। पुििावृनत्त। 8


पुििावृनत्त।
व्याकिण (अिुप्रयुि)
पुििावृनत्त।
नद्वतीय सत्र (१५.०९.२०२३ से माचण २०२४) संस्कृ त किा-अष्टमी

माह नवषय संभानवत ज्ञाि कियाकलाप कालांश उत्तिाधणवार्षणकी सत्र मूल्यांकि पाठ्यिम

अिू िि सानहत्य (पठित अविोधि) 1.छात्र स्वावलंिि का उपसगण तिा 10 पाठ्यिम


महत्त्व जािेगा। प्रत्ययािां
िीनतिविीतम् सानहत्य -
संयोजिनवभा
व्याकिण (अिुप्रयुि) 2.गृहकायण में पठिवाि के जिस्य िीनतिविीतम्
सभी सदस्यों का तानलका सप्तभनगन्यः
व्यंजिसंनध- जशत्व।
समावेश एवं सहकायण निमाणणम्।
व्याकिण -
शब्द रूप प्रकिण - उकािान्त आवश्यक है इस
नवचाि से छात्र अवगत (1) संनध - जशत्व
पुलल्लंग - गुरु, िदी।
होगा।
(2) शब्दरूप - गुरु, िदी।
धातुरूप प्रकिण- अस्, पा (पााँचों 3.छात्र स्वजीवि में
लकािों में)। स्वावलंिी िििे के (3) सवणिामरूप - तत्, ककम् (तीिों ललंग में)।
सवणिाम रूप - तत्, ककम्-तीिों नलए उद्ुि होगा। अस्मद्, युष्मद्
ललंगों में , अस्मद्, युष्मद्। 4.पािागत उपसगण तिा (4) धातुरूप - अस्, पा (पााँचों लकािों में)
प्रत्ययों के अभ्यास से
समास प्रकिण - द्वन्द्व , (5) समास - इतिे ति द्वन्द्व
छात्र व्याकिण के अंश
प्रत्यय - शतृ, को समझेगा।
(6) प्रत्यय - शतृ
5.पाि को कहािी में प्रस्तुत
अव्यय शब्द - 16-25.
ककया गया है अतः
माह नवषय संभानवत ज्ञाि कियाकलाप कालांश उत्तिाधणवार्षणकी सत्र मूल्यांकि पाठ्यिम

संख्यावाची शब्द - 26-40. छात्रों के नलए रूनचकि (7) अव्यय – (ह्यः, अधुिा, िनहः, वृिा,
होिा स्वाभानवक है।
कदानप, शिैः, ककमिणम,् यत्-तत्, यत्र-
वाच्य प्रकिण - कमणवाच्य।
6.अभ्यासान्तगणत तत्र, अत्र-तत्र)
पयाणयाः - 16-26 संप्रेषणात्मक
गनतनवनधयों द्वािा भी (8) संख्यावाची - 26-40
नवपयाणयाः - 11- 15
छात्रों में िैनतक एवं
(9) वाच्य - कतृण वाच्य, कमणवाच्य।
अशुनि शोधि - 11-15 व्यावहाठिक पिों को
सिल ििाया गया है। (10) अशुनि शोधि Page No. – 191 -
अपठित अविोधि
नलनखत्वा दशणयामः वयम् क, ख, ग, घ
एक दीघण गद्ांश (80-100 शब्दों
में) पि आधाठित प्रश्नोत्ति (11) पयाणयाः – Page No. – 125 (तीक्ष्णः,
प्रकषणम,् नित्यः, ििः, नवद्ुत्, ददणिीकः,
िचिात्मक कायण -
वातायिम्, तिं गः, स्िलम्, सोमवासिः,
क, पत्रलेखि -
गुरुवािः )
ख. संकेताधाठित वाताणलाप -
(12) नवपयाणयाः – Page No. 128 –
मंजूषा की सहायता से।
(मतम्, गत्वा, मूढः, सनहतम्, उद्ोगी )
ग. नचत्रवणणि -
(13) अपठित अविोधि Page No. – 217-
1,2।
माह नवषय संभानवत ज्ञाि कियाकलाप कालांश उत्तिाधणवार्षणकी सत्र मूल्यांकि पाठ्यिम

▪ मंजूषा की सहायता से वाक्य (14) िचिात्मक कायण- (क) पत्र – Page No.
निमाणण कििा। – 196-1 and Page No. 197 -1

िवम्िि सानहत्य (पठित अविोधि) 1. छात्र भाित के भाित के 10


सप्तभनगन्यः भौगोनलक पठिनस्िनत िक्शे में
से अवगत होगा। उत्ति-पूवण
व्याकिण (अिुप्रयुि) िाज्यों को
1. छात्र भाित के उत्ति- निदेनशत
व्यंजिसंनध- जशत्व।
पूवण िाज्यों की सुंदिता किके उिके
शब्द रूप प्रकिण - उकािान्त एवं सामानजक नवषय में
वैनशष्ट्ों को जािेगा। संस्कृ त में
पुलल्लंग - गुरु, िदी।
वणणि।
2. ‘seven sisters’ सात
धातुरूप प्रकिण- अस्, पा (पााँचों
िहिें इस नवशेष
लकािों में)। उपानध से छात्र अवगत
सवणिाम रूप - तत्, ककम्-तीिों होगा।

ललंगों में , अस्मद्, युष्मद्। 3. िाट्ांश की सहायता


से छात्र के संभाषण
समास प्रकिण - द्वन्द्व ,
कौशल का नवकास
प्रत्यय - शतृ, होगा।
माह नवषय संभानवत ज्ञाि कियाकलाप कालांश उत्तिाधणवार्षणकी सत्र मूल्यांकि पाठ्यिम

अव्यय शब्द - 16-25. 4. छात्र संस्कृ त गद् को


गनत, यनत, लय,
संख्यावाची शब्द - 26-40.
आिोहाविोह से पढ़िे
वाच्य प्रकिण - कमणवाच्य। में सिम ििेगा।

पयाणयाः - 16-26 5. छात्र पािागत प्रत्ययों


का संयोजि औि
नवपयाणयाः - 11- 15
नवभाजि का अभ्यास
अशुनि शोधि - 11-15 किता है।

अपठित अविोधि

एक दीघण गद्ांश (80-100 शब्दों


में) पि आधाठित प्रश्नोत्ति
िचिात्मक कायण -

क, पत्रलेखि -

ख. संकेताधाठित वाताणलाप -

मंजूषा की सहायता से।

ग. नचत्रवणणि -
माह नवषय संभानवत ज्ञाि कियाकलाप कालांश उत्तिाधणवार्षणकी सत्र मूल्यांकि पाठ्यिम

मंजूषा की सहायता से वाक्य


निमाणण कििा।

कदसम्िि व्याकिण (अिुप्रयुि) 10. छात्र तनित प्रत्ययों से प्रत्ययैः 6


शब्दों की भाववाचक भाववाचक
व्यंजिसंनध- छत्व।
संज्ञा ििािे में सिम संज्ञािां
शब्द रूप प्रकिण - उकािान्त होगा। तानलका
निमाणणम्।
पुलल्लंग - गुरु, िदी।

धातुरूप प्रकिण- अस्, पा िम्,


दृश् (पााँचों लकािों में)।

सवणिाम रूप - तत्, ककम्-तीिों


ललंगों में , अस्मद्, युष्मद्।

समास प्रकिण - द्वन्द्व ,

प्रत्यय - शािच्

अव्यय शब्द - 16-30.

संख्यावाची शब्द - 26-50.


माह नवषय संभानवत ज्ञाि कियाकलाप कालांश उत्तिाधणवार्षणकी सत्र मूल्यांकि पाठ्यिम

वाच्य प्रकिण - भाववाच्य।

पयाणयाः - 16-30

नवपयाणयाः - 11- 25

अशुनि शोधि - 11-20

अपठित अविोधि

एक दीघण गद्ांश (80-100 शब्दों


में) पि आधाठित प्रश्नोत्ति -
िचिात्मक कायण -

क, पत्रलेखि -

ख. संकेताधाठित वाताणलाप -

मंजूषा की सहायता से।

ग. नचत्रवणणि –

मंजूषा की सहायता से वाक्य


निमाणण कििा।
माह नवषय संभानवत ज्ञाि कियाकलाप कालांश उत्तिाधणवार्षणकी सत्र मूल्यांकि पाठ्यिम

जिविी सानहत्य (पठित अविोधि) 1. छात्र मिोिं जि की प्रहेनलकां 10 पाठ्यिम


प्राचीि नवधा को अिुसृत्य
आयणभट्ट:। सानहत्य -
समझेगा। नचत्रनिमाणणम्
व्याकिण (अिुप्रयुि) िीनतिविीतम्
2. काव्य एवं नविोद के
व्यंजिसंनध- छत्व। सप्तभनगन्यः
जठिए ज्ञाि भी कदया
आयणभट्ट:।
शब्द रूप प्रकिण - उकािान्त जा सकता है इससे
छात्र अवगत होगा। व्याकिण -
पुलल्लंग - गुरु, िदी।
3. पहेनलकाओं से छात्र (1) संनध - जश्त्व, छत्व
धातुरूप प्रकिण- अस्, पा िम्,
अपिी िौनिक प्रकिया
दृश् (पााँचों लकािों में)। (2) शब्दरूप - िालक, लता, फल, कनव,
को तीव्र ििािे के नलए
प्रयत्नशील ििेगा। गुरु, िदी।
सवणिाम रूप - तत्, ककम्-तीिों
ललंगों में , अस्मद्, युष्मद्। 4. छात्र तनित प्रत्ययों से (3) सवणिामरूप - तत्, ककम् (तीिों ललंगों
शब्दों की भाववाचक में)।अस्मद्, युष्मद्
समास प्रकिण - द्वन्द्व ,
संज्ञा ििािे में सिम
होगा। (4) धातुरूप - अस्, पा, िम्, दृश् (पााँचों
प्रत्यय - शािच्
लकािों में)
अव्यय शब्द - 16-30.
(5) समास - द्वन्द्व - तीिों प्रकाि
संख्यावाची शब्द - 26-50.
(6) प्रत्यय - शतृ, शािच्
माह नवषय संभानवत ज्ञाि कियाकलाप कालांश उत्तिाधणवार्षणकी सत्र मूल्यांकि पाठ्यिम

वाच्य प्रकिण - भाववाच्य। (7) अव्यय - (ह्यः, अधुिा, िनहः, वृिा,


कदानप, शिैः, ककमिणम,् यत्-तत्, यत्र-
पयाणयाः - 16-30
तत्र, अत्र-तत्र, यिा-तिा, यदा-कदा,
नवपयाणयाः - 11- 25
यावत्-तावत्, नचत्, यदा-तदा)
अशुनि शोधि - 11-20
(8) संख्यावाची - 26-50
अपठित अविोधि
(9) वाच्य - कतृण वाच्य, कमणवाच्य,
एक दीघण गद्ांश (80-100 शब्दों भाववाच्य।
में) पि आधाठित प्रश्नोत्ति -
(10) अशुनि शोधि Page No. – 191 -
िचिात्मक कायण -
नलनखत्वा दशणयामः वयम् क, ख, ग, घ,
क, पत्रलेखि -
च, छ, ज ।
ख. संकेताधाठित वाताणलाप -
(11) पयाणयाः - – Page No. – 125 - 126
मंजूषा की सहायता से। (तीक्ष्णः, प्रकषणम,् नित्यः, ििः, नवद्ुत्,
ग. नचत्रवणणि - ददणिीकः, वातायिम्, तिंगः, स्िलम्,
मंजूषा की सहायता से वाक्य सोमवासिः, गुरुवािः, कदिांकदशणकः,
निमाणण कििा। गृंजिम्, पुंडिीकम्, पेरुकः)
माह नवषय संभानवत ज्ञाि कियाकलाप कालांश उत्तिाधणवार्षणकी सत्र मूल्यांकि पाठ्यिम

(12) नवपयाणयाः - Page No. 128 –


(मतम्, गत्वा, मूढः, सनहतम्, उद्ोगी,
लाभः, जयः, ििम्, कदिकिः, श्वेतः)

(13) अपठित अविोधि Page No. – 217-


1,2 and page No. – 219 – 1,2

(14) िचिात्मक कायण-

(क) पत्र - पत्र – Page No. – 196-1 and


Page No. 197 -1,2

नचत्रवणणि – Page No.- 208 – 1,2,3

वाताणलाप – Page No.- 203 – 1,3

फिविी सानहत्य (पठित पुििावृनत्त पुििावृनत्त 6


अविोधि)पुििावृनत्त
व्याकिण (अिुप्रयुि)पुििावृनत्त

माचण वार्षणकीपिीिा

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