You are on page 1of 8

सत्र - (2020-21)

कक्षा – VII
विषय – संस्कृत
प्रथमः पाठः
िाताालापः
(लट्– लट्
ृ लकारय ः पुनरािवृ तः)
संस्कृत में ‘काल’ क लकार कहते हैं एिं क्रिया के मूल रूप क ‘धातु’ कहते
हैं|
धातु के इनहहं मल
ू रुपों का प्रय ग हम लकार में करते हैं| ‘लट् लकार’ का
प्रय ग ितामान काल के ललए क्रकया जाता है तथा ‘लट्
ृ ’ लकार का प्रय ग
भविष्यत ् काल के ललए क्रकया जाता है |
वार्ाालापः 1 (संस्कृर् वाक्य)
पपर्ा - अंककर्ः! उपिष्ठ एषा प्रभार्वेला अस्स्र्| सय
ू ोदयः भवतर्|
पुत्रः - उपिष्ठामि पपर्ाश्री! सादरि ् निामि|
पपर्ा - प्रार्ः जागरणि ् स्वास््याय हिर्कारर भवतर्|
पत्र
ु ः - भवान ् कुत्र गच्छतर्?
पपर्ा - अधुना अिि ् प्रार्ः भ्रिणाय उद्यानं गच्छामि|
पुत्रः - अिि ् अपप भवर्ा सि चलामि|
पपर्ा – शोभनि ्| प्रार्ःकालस्य भ्रिणेन शरीरि ् बमलष्ठि ् स्वस्थि ् च भवतर्|

वार्ाालाप: 1 ( ऊपर मलखे संस्कृर् वाक्यों का हिन्दी अनुवाद)


पपर्ा - अंककर्! उठो| यि सुबि का सिय िै | सूया उदय िो रिा िै |
पत्र
ु – उठर्ा िूूँ, पपर्ाजी! सादर निस्कार करर्ा िूूँ|
पपर्ा - सब
ु ि जागना स्वास््य के मलए लाभदायक िोर्ा िै |
पत्र
ु - आप किाूँ जा रिे िैं ?
पपर्ा - अब िैं सुबि घूिने के मलए बाग़ को जा रिा िूूँ|
पुत्र - िैं भी आपके साथ चलर्ा िूूँ|
पपर्ा - अच्छा िै | सब
ु ि के सिय घूिने से शरीर बलवान और स्वस्थ िोर्ा िै |

वार्ाालापः 2 (संस्कृर् - वाक्य)


यामिनी - (प्रपवश्य) सग
ु न्धे! त्वि ् ककि ् करोपष?
सग
ु न्धा - अये यामिनी! आगच्छ! आगच्छ! अिि ् र्ु दरू दशानं पश्यामि|
यामिनी - ककि ् त्वि ् श्वः िि गि
ृ ि ् आगमिष्यमस?
सुगन्धा - ककिथाि ्?
यामिनी - श्वः अिि ् पररवारे ण सि भ्रिणाय गमिष्यामि| ककि ् त्वि ् चमलष्यमस?
सुगन्धा - न न, श्वः र्ु अिि ् अपप पपर्व्ृ यस्य गि
ृ ि ् गमिष्यामि|
यामिनी - ककिथाि ्?
सुगन्धा - श्वः िि अनुजस्य जन्िहदवसः भपवष्यतर्|
यामिनी - शोभनि ्| र्दा त्वि ् अनज
ु ाय ककि ् दास्यमस?
सुगन्धा - अिि ् अनुजाय क्रीडनकातन दास्यामि|
यामिनी - उििः पवचारः अस्स्र्| अधुना अिि ् चलामि अन्यथा िार्ा क्रोत्स्यतर्|
सग
ु न्धा - बाढि ्| परश्वः पवद्यालये िेमलष्यावः|

वार्ाालाप: 2 (ऊपर मलख्रे संस्कृर् वाक्यों का हिन्दी अनुवाद)


यामिनी - (प्रवेश करके) िे सुगन्धा! र्ुि क्या कर रिी िो?
सग
ु न्धा - अरे यामिनी! आओ! आओ !िैं र्ो दरू दशान दे ख रिी िूूँ |
यामिनी - क्या र्ुि कल िेरे घर आओगी?
सग
ु न्धा - ककसमलए?
यामिनी - कल िैं पररवार के साथ घि
ू ने के मलए जाऊूँगी| क्या र्ि
ु चलोगी?
सुगन्धा - निीं निीं कल र्ो िैं भी चाचाजी के घर जाऊूँगी |
यामिनी - ककसमलए?
सग
ु न्धा - कल िेरे छोटे भाई का जन्िहदन िोगा|
यामिनी - ठीक िै | र्ब र्ुि छोटे भाई को क्या दोगी ?
सुगन्धा - िैं छोटे भाई के मलए खखलौने दूँ ग
ू ी?
यामिनी - अच्छा पवचार िै | अब िैं चलर्ी िूूँ वरना िाूँ क्रोध करे गी|
सग
ु न्धा - अच्छा| परसों पवद्यालय िें मिलेंगे|

शब्द – अथा
(1) भ्रिणाय – घि
ू ने के मलए
(2) बमलष्ठि ् – बलवान
(3) क्रोत्स्यतर् – क्रोध करें गी
(4) क्रीडनकातन - खखलौने
नई धार्ए ु ूँ
क्रुध ् – क्रोध करना
मिल ् – मिलना
वाञ्छ् – चािना
प्र + पवश ् – प्रवेश करना
आ + गि ् – आना
अव्यय
ककिथाि ् – ककसमलए
सि - के साथ
श्वः – आने वाला कल
बाढि ् – अच्छा

अभ्यास प्रश्न –
प्रश्न.1 हदए गए पवकल्पों से उचचर् उिर चन
ु कर ररक्त स्थानों को परू ा कीस्जए –
(i) बाले प्रार्ः अध्यापपकाि ् नंस्यर्ः |
(क) नमिष्यर्ः (ख) नंस्यतर् (ग) नंस्यर्ः (घ) नमिष्यस्न्र्
(ii) अम्बा भोजनं पचतर्|
(क) पचस्न्र् (ख) पचर्ः (ग) पचतर् (घ) पठथ
(iii) बालाः फलातन खादस्न्र्|
(क) खादथः (ख) खादस्न्र् (ग) खादािः (घ) खादर्ः
(iv) त्वि ् दग्ु धि ् कदा पास्यमस|
(क) पास्यथ (ख) पपबबष्यमस (ग)पास्यमस (घ) पास्यतर्

प्रश्न.2 एक पद िें उिर दीस्जए –


प्र.(i) प्रार्ः भ्रिणेन शरीरं कीदृशं भवतर्?
उ. स्वस्थि ्
प्र.(ii) यामिनी केन सि भ्रिणाय गच्छतर्?
उ. पररवारे ण
प्र.(iii) सुगन्धा कस्य गि
ृ ि ् गमिष्यतर्?
उ. पपर्व्ृ यस्य
प्र.(iv) स्वास््याय हिर्कारर ककि ् भवतर्?
उ. प्रार्ःजागरणि ्
प्र.(v) पपर्व्ृ यस्य गि
ृ े कस्य जन्िहदवसः भपवष्यतर्?
उ. अनुजस्य

प्रश्न.3 तनम्न वाक्यों को तनहदाष्ट लकार िें पररवतर्ार् कीस्जए –


(i) वयि ् कन्दक
ु ेन क्रीडािः| (लट्
ृ )
वयि ् कन्दक
ु े न क्रीडडष्यािः |
(ii) जनकः आपणं गमिष्यतर्| (लट्)
जनकः आपणं गच्छतर् |
(iii) छात्राः ज्ञानवधाकातन पस्
ु र्कातन पठस्न्र्| (लट्
ृ )
छात्राः ज्ञानवधाकातन पुस्र्कातन पहठष्यस्न्र् |
(iv) वयि ् प्रसन्नाः भवािः| (लट्
ृ )
वयि ् प्रसन्नाः भपवष्यािः|
(v) त्वि ् तनिालं जलि ् पास्यमस| (लट्)
त्वि ् तनिालं जलि ् पपबमस |
प्रश्न.4 िंजूषा से उचचर् पद चुनकर ररक्त स्थानों को पूरा कीस्जए –
(लेखखष्यािः,गच्छावः,नेष्यामि,स्िररष्यथः,रचयतर्)
(i) आवाि ् िार्ल
ु स्य गि
ृ ि ् गच्छावः|
(ii) कुम्भकारः कुम्भं रचयतर् |
(iii) युवाि ् पाठं स्िररष्यथः|
(iv) अिि ् आपणार् ् फलातन नेष्यामि |
(v) वयि ् लेखान ् लेखखष्यािः |

प्रश्न.5 नीचे मलखे वाक्यों के तनदे शानुसार वचन बदमलए –


(i) र्ाः अध्यापपकाः गच्छस्न्र्| (एकवचने)
सा अध्यापपका गच्छतर्|
(ii) र्ौ भोजनि ् खाहदष्यर्ः| (बिुवचने)
र्े भोजनि ् खाहदष्यस्न्र्|
(iii) वयि ् राष्ट्रध्वजं निािः| (एकवचने)
अिि ् राष्ट्रध्वजं निामि|
(iv) नरः मभक्षुकाय मभक्षां यच्छतर्| (हिवचने)
नरौः मभक्षुकाय मभक्षां यच्छर्ः|
(v) युवाि ् चचत्रि ् पश्यथः| (बिुवचने)
यूयि ् चचत्रि ् पश्यथ|

प्रश्न.6 तनम्नमलखखर् वाक्यों का संस्कृर् भाषा िें अनुवाद कीस्जए –


(i) िछमलयाूँ र्ालाब िें र्ैर रिी िैं|
िीनाः सरोवरे र्रस्न्र्|
(ii) दो पक्षी पेड़ पर बैठे िैं |
द्वौ खगौ वक्ष
ृ े तर्ष्ठर्ः |
(iii) सरु े खा पाठ याद करे गी|
सुरेखा पाठि ् स्िररष्यतर्|
(iv) किला कल पवद्यालय निीं जाएगी|
किला श्वः पवद्यालयं न गमिष्यतर्|
(v) आचाया कक्षा िें प्रवेश कर रिे िैं|
आचायााः कक्षायां प्रपवशस्न्र्|
गह
ृ -काया
शब्दाथा,पाठ का हिन्दी अनुवाद र्था प्रश्न उिर याद कीस्जए|
क्रिया-कलाप (Activity)
‘पठ्’ धार्ु र्था ‘मलख ्’ धार्ु ‘लट्’ एवं ‘लट्
ृ ’ लकार के धार्ु रूप मलखखए|

You might also like