You are on page 1of 123

पाठ्यसामग्री-हिन्दी (आधार) कक्षा:ग्यारिवीं पृष्ठ 1 of 123

मुख्य संरक्षक

श्री बी.एल.मोरोहिया
उपायुक्त, के .हव.सं., जयपुर संभाग

संरक्षक

श्री ददग्ग राज मीणा


सिायक आयुक्त, के .हव.सं., जयपुर संभाग

समन्वयक

श्री कै लाशचन्द मीणा


प्राचायय, कें द्रीय हवद्यालय सीकर

पाठ्यसामग्री-हिन्दी (आधार) कक्षा:ग्यारिवीं पृष्ठ 2 of 123


पाठ्य सामग्री हिमायण सहमहि

श्री मुकेश कायल


परास्नािक हशक्षक -हिन्दी
कें द्रीय हवद्यालय खाजूवाला श्री ओमप्रकाश
परास्नािक हशक्षक -हिन्दी
कें द्रीय हवद्यालय इन्द्रपुरा

श्री कै लाश चंद रै गर


परास्नािक हशक्षक -हिन्दी श्री धमेन्द्र शमाय
कें द्रीय हवद्यालय सूरिगढ़ छाविी परास्नािक हशक्षक -हिन्दी
कें द्रीय हवद्यालय क्र. 1 थल सेिा, जोधपुर

श्री मुकेश कु मार टेलर श्री राके श कु मार यादव


परास्नािक हशक्षक -हिन्दी सामग्री संयोजक व संपादक
कें द्रीय हवद्यालय झुंझुिू परास्नािक हशक्षक -हिन्दी
कें द्रीय हवद्यालय सीकर

पाठ्यसामग्री-हिन्दी (आधार) कक्षा:ग्यारिवीं पृष्ठ 3 of 123


अिुक्रमहणका

क्रम संख्या हवषय/बबंद ु पृष्ठ


संख्या
1 कें द्रीय माध्यहमक हशक्षा बोर्य द्वारा सत्र 2022-23 के हलए जारी प्रश्न-पत्र
प्रारूप (अंक भार)
2 अपठिि गद्यांश
3 अपठिि पद्यांश
4 अहभव्यहक्त और माध्यम पर आधाठरि बहुहवकल्पी प्रश्न
5 आरोि से पठिि काव्यांश पर आधाठरि बहुहवकल्पी प्रश्न
6 आरोि से पठिि गद्यांश पर आधाठरि बहुहवकल्पी प्रश्न
7 हविाि से बहुहवकल्पी प्रश्न
रचिात्मक लेखि
8 अप्रत्याहशि हवषयों पर लेखि
9 औपचाठरक पत्र-लेखि
10 र्ायरी लेखि,कथा-पटकथा आधाठरि लेखि
11 स्ववृि लेखि और रोजगार संबंधी आवेदि-पत्र लेखि
12 शब्दकोश एवं सन्दभय ग्रंथों पर आधाठरि प्रश्न
13 काव्य खंर् आधाठरि लघुत्तर प्रश्न
14 गद्य खंर् आधाठरि लघुत्तर प्रश्न
15 आदशय प्रश्न-पत्र -1
16 आदशय प्रश्न-पत्र -2
17 आदशय प्रश्न-पत्र -3
18 आदशय प्रश्न-पत्र -4
19 आदशय प्रश्न-पत्र-5

पाठ्यसामग्री-हिन्दी (आधार) कक्षा:ग्यारिवीं पृष्ठ 4 of 123


पाठ्यसामग्री-हिन्दी (आधार) कक्षा:ग्यारिवीं पृष्ठ 5 of 123
बिंदी (आधार) (कोर् सं-302) कक्षा 11वीं (2022-23)
परीक्षा िेिु पाठ्यक्रम हवहिदेशि
प्रश्न-पत्र दो खण्र्ों- खंर् 'अ' और 'ब' का िोगा ।
खंर् 'अ' में 45 वस्िुपरक प्रश्न पूछे जाएँगे हजिमें से के वल 40 प्रश्नों के िी उत्तर देिे िोगें।
खंर् 'ब' में वणयिात्मक प्रश्न पूछे जाएँगे। प्रश्नों में उहचि आंिठरक हवकल्प ददए जाएँगे।
भारांक :100 हिधायठरि समय 3 घंटे
खंर् -अ (वस्िुपरक प्रश्न)
हवषयवस्िु भार
1 अपठिि गद्यांश 15
अ एक अपठिि गद्यांश (अहधकिम 300 शब्दों का) (1 अंक x 10 प्रश्न) 10
ब दो अपठिि पद्यांशों में से कोई एक पद्यांश (अहधकिम 150 शब्दों का)(1अंक x 5 प्रश्न) 5
पाठ्यपुस्िक अहभव्यहक्त और माध्यम की इकाई एक से पाि संख्या 1 िथा 2 पर आधाठरि बहुहवकल्पी प्रश्न (1 अंक
2 x 05 प्रश्न) 5
3 पाठ्यपुस्िक आरोि भाग - 1 से बहुहवकल्पात्मक प्रश्न 10
अ पठिि काव्यांश पर पाँच बहुहवकल्पी प्रश्न (1 अंक x 05 प्रश्न) 5
ब पठिि गद्यांश पर पाँच बहुहवकल्पी प्रश्न (1 अंक x 05 प्रश्न ) 5
4 पूरक पाठ्यपुस्िक हविाि भाग-1 से बहुहवकल्पात्मक 10
अ पठिि पािों पर दस बहुहवकल्पी प्रश्न (1 अंक x 10 प्रश्न) 10
खंर् ब (वणयिात्मक प्रश्न)
हवषयवस्िु भार
पाठ्यपुस्िक अहभव्यहक्त और माध्यम से सृजिात्मक लेखि और व्याविाठरक लेखि पाि संख्या 1, 2, 9, 10,
5 14, 15 िथा 16 पर आधाठरि 20
ददए गए चार अप्रत्याहशि हवषयों में से दकसी एक हवषय पर लगभग 120 शब्दों में रचिात्मक लेखि (5अंक
1 x 1 प्रश्न) 5
2 औपचाठरक पत्र लेखि । (5 अंक x 1 प्रश्न) (हवकल्प सहिि) 5
र्ायरी लेखि, कथा - पटकथा हवषयों पर लेखि पर आधाठरि दो प्रश्न (3 अंक x 2 प्रश्न) (हवकल्प सहिि)
3 (लगभग 60 शब्दों में) 6
स्ववृत्त लेखि और रोजगार संबंधी आवेदि पत्र िथा शब्दकोश, संदभय ग्रंथों की उपयोगी हवहध और पठरचय
4 पर आधाठरि िीि में से दो प्रश्न (2 अंक x 2 प्रश्न) (हवकल्प सहिि) (लगभग 40 शब्दों में) 4
पाठ्यपुस्िक आरोि भाग - 1 20
6 1 काव्य खंर् पर आधाठरि िीि प्रश्नों में से दकन्िीं दो प्रश्नों के उत्तर (लगभग 60 शब्दों में) (3 अंक x 2 प्रश्न) 6

2 काव्य खंर् पर आधाठरि िीि प्रश्नों में से दकन्िीं दो प्रश्नों के उत्तर (लगभग 40 शब्दों में)(2 अंक x 2 प्रश्न) 4
3 गद्य खंर् पर आधाठरि िीि प्रश्नों में से दकन्िीं दो प्रश्नों के उत्तर (लगभग 60 शब्दों में) (3 अंक x 2 प्रश्न) 6

पाठ्यसामग्री-हिन्दी (आधार) कक्षा:ग्यारिवीं पृष्ठ 6 of 123


4 गद्य खंर् पर आधाठरि िीि प्रश्नों में से दकन्िीं दो प्रश्नों के उत्तर (लगभग 40 शब्दों में) (2 अंक x 2 प्रश्न 4
7 अ श्रवण िथा वाचि 10
ब पठरयोजिा कायय 10
कु ल अंक 100

िोट - पाठ्यक्रम के हिम्नहलहखि पाि िटा ददए गए िैं।


कबीर ( पद 2 ) - संिो देखि जग बौरािा

मीरा (पद 2) - पग घुंगरू बांहध मीरा िाची


काव्य खंर्
रामिरे श हत्रपािी – पहथक (पूरा पाि)
आरोि भाग 1
सुहमत्रािंदि पंि - वे आँखें (पूरा पाि)

कृ ष्णिाथ - स्पीहि में बाठरश (पूरा पाि)


गद्य खंर्
सैयद िैदर रजा - आत्मा का िाप (पूरा पाि)

पाठ्यसामग्री-हिन्दी (आधार) कक्षा:ग्यारिवीं पृष्ठ 7 of 123


प्रश्न-1 (क) अपठिि गद्यांश पर आधाठरि बहुहवकल्पी प्रश्न
अपठिि गद्यांश
अपठिि गद्यांश के प्रश्नों को कै से िल करें –
अपठिि गद्यांश पर आधाठरि प्रश्नों को िल करिे समय हिम्नहलहखि िथ्यों का ध्याि रखिा चाहिए
• गद्यांश को एक बार सरसरी दृहि से पढ़ लेिा चाहिए।
• पिली बार में समझ में ि आए अंशों, शब्दों, वाक्यों को गिििापूवयक पढ़िा चाहिए।
• गद्यांश का मूलभाव अवश्य समझिा चाहिए।
• यदद कु छ शब्दों के अथय अब भी समझ में ििीं आिे िों िो उिका अथय गद्यांश के प्रसंग में जाििे का
प्रयास करिा चाहिए।
• अिुमाहिि अथय को गद्यांश के अथय से हमलािे का प्रयास करिा चाहिए।
• गद्यांश में आए व्याकरण की दृहि से कु छ मित्त्वपूणय शब्दों को रे खांदकि कर लेिा चाहिए। अब प्रश्नों
को पढ़कर संभाहवि उत्तर गद्यांश में खोजिे का प्रयास करिा चाहिए।
• शीषयक समूचे गद्यांश का प्रहिहिहधत्व करिा हुआ कम से कम एवं सटीक शब्दों में िोिा चाहिए।
• प्रिीकात्मक शब्दों एवं रे खांदकि अंशों की व्याख्या करिे समय हवशेष ध्याि देिा चाहिए।
• मूल भाव या संदश े संबंधी प्रश्नों का जवाब पूरे गद्यांश पर आधाठरि िोिा चाहिए।
• प्रश्नों का जवाब गद्यांश पर िी आधाठरि िोिा चाहिए, आपके अपिे हवचार या राय से ििीं।

प्रश्न-1 हिम्नहलहखि गद्यांशों को पढकर सिी हवकल्पों का चयि कीहजए ।


अपठिि गद्यांश-1
“इहििास हलखिे की ओर कोई जाहि िभी प्रवृत्त िोिी िै जब उसका ध्याि अपिे इहििास के हिमायण
की ओर जािा िै। यि बाि साहित्य के बारे में उििी िी सच िै हजििी जीवि के । हिन्दी में आज इहििास
हलखिे के हलए यदद हवशेष उत्साि ददखाई पि रिा िै िो यिी समझा जाएगा दक स्वराज्य प्राहि के बाद सारा
भारि हजस प्रकार सभी क्षेत्रों में इहििास-हिमायण के हलए आकु ल िै उसी प्रकार बिंदी के हवद्वाि एवं
साहित्यकार भी अपिा ऐहििाहसक दाहयत्व हिभािे के हलए प्रयत्नशील िैं। पिले भी जब साहित्य का इहििास
हलखिे की परं परा का सूत्रपाि हुआ था िो संपूणय राष्ट्रीय जीवि के हवहभन्न क्षेत्रों के इहििास-हिमायण के साथ
िी। यदद आरं हभक इहििासों के इहििास में ि जाकर पं. रामचन्द्र शुक्ल के इहििास को िी लें , जो बिंदी
साहित्य का पिला व्यवहस्थि इहििास मािा जािा िै, िो उसकी ऐहििाहसकिा द्योहिि करिे के हलए उस
युग का राष्ट्रीय आन्दोलि समािांिर ददखाई पिेगा। राजिीहिक इहििास ग्रंथों का हसलहसला भी उसी
ऐहििाहसक दौर में जमा। परन्िु शुक्ल जी के इहििास के संदभय में जो सबसे प्रासंहगक िथ्य िै वि िै ित्कालीि
रचिात्मक साहित्य की ऐहििाहसक क्राहन्ि-कहविा और कथा-साहित्य का िवीि सृजिात्मक प्रयत्न। साहित्य
का वैसा इहििास िभी संभव हुआ जब साहित्य-रचिा के क्षेत्र में एक ऐहििाहसक पठरवियि आया, जब सच्चे
अथों में इहििास बिा।
इसके अहिठरक्त, शुक्ल जी का इहििास 'बिंदी शब्द सागर' के साथ आया था, हजसके आसपास िी पं.
कामिाप्रसाद गुरु का पिला प्रामाहणक 'बिंदी व्याकरण' भी हिकला था। साहित्य का इहििास, शब्दकोश एवं
व्याकरण- क्या इि िीिों का एक साथ बििा आकहस्मक िै ? यि िथ्य इसहलए ध्याि देिे योग्य िै दक आज
दिर जब साहिहत्यक इहििास हलखिे का उत्साि उमिा िै िो साथ-साथ शब्दकोश और व्याकरण के संशोधि
एवं पठरवियि के प्रयत्न भी िो रिे िैं; बहल्क हजस काशी िागरी प्रचाठरणी सभा िे हपछले ऐहििाहसक दौर में
ये िीिों कायय दकए थे, विी संस्था आज दिर बहुि बिे पैमािे पर िीिों योजिाओं के साथ प्रस्िुि िै। और
चूँदक अब बिंदी का काययक्षेत्र पिले से किीं अहधक व्यापक िो गया िै इसहलए इस प्रकार के प्रयत्न यदद अन्य
अिेक जगिों से भी िों िो स्वाभाहवक िी किा जाएगा, जैसे भारिीय बिंदी पठरषद, प्रयाग की ओर से िीि

पाठ्यसामग्री-हिन्दी (आधार) कक्षा:ग्यारिवीं पृष्ठ 8 of 123


हजल्दों में प्रकाहशि िोिेवाला 'बिंदी-साहित्य'। इि िथ्यों से प्रमाहणि िोिा िै दक आज भी बिंदी उि सभी
आवश्यकिाओं की पूर्िय के हलए पूणयिः ित्पर िै, जो दक उससे अपेहक्षि भाषाएँ जो कायय कािी पिले कर
चुकी िैं उसे थोिे समय में िी जल्द से जल्द पूरा करके बिंदी भी सबके साथ आ जािा चाििी िै, बहल्क संभव
हुआ िो आगे हिकल जािे के हलए भी आकु ल िै। सभा एवं पठरषद के बृिद्-मध्यम इहििास अिायास िी
'कै हरिज हिस्री ऑि इंगहलश हलटरे चर' और 'ऑक्सिोर्य हिस्री ऑि इंगहलश हलटरे चर' की याद ददला देिे
िैं। जैसा दक इि बिंदी इहििासों का मंिव्य स्पि दकया गया िै, 'कोई एक लेखक सभी हवषयों पर हवशेषज्ञिा
की दृहि से हवचार ििीं कर सकिा िै, इसहलए हवहभन्न हवषयों के हवशेषज्ञों के सियोग से ऐसा इहििास
प्रस्िुि दकया जाए हजसमें िवीििम खोजों और िवीि व्याख्याओं का समुहचि उपयोग िो सके ।' ऐसे संदभय-
ग्रंथों की एक हिहिि उपयोहगिा िै, दकन्िु यि उिकी अहिवायय सीमा भी िै। इस सीमा को ध्याि में रखकर
िी साहिहत्यक इहििास पर पुिर्वयचार संभव िै I”
(i) प्रस्िुि गद्यांश में दकस हवषय पर बाि हुई िै?
(क) साहित्य का हिमायण (ख) इहििास हिमायण
(ग) हिन्दी साहित्य का इहििास लेखि (घ) इहििास लेखि
(ii) दकस समय से इहििास लेखि में हिन्दी के हवद्वािों िे व्याकु लिा ददखाईं?
(क) और इहििास हलखे जािे के बाद (ख) स्विंत्रिा के बाद
(ग) शब्दकोश के हिमायण के बाद (घ) कथा साहित्य के आिे के बाद
(iii) साहिहत्यक इहििास की सीमा क्या िै?
(क)शब्दकोश (ख)पुिर्वयचार (ग) मध्य इहििास (घ) उसकी उपयोहगिा
(iv) वियमाि में हिन्दी का काययक्षत्र
े कै सा िै?
(क) सबसे आगे (ख)व्यापक (ग) कम (घ) हसमटा हुआ
(v) भारिीय बिंदी पठरषद किाँ हस्थि िै?
(क) लखिऊ (ख) काशी (ग) प्रयाग (घ) बिारस
(vi) शुक्ल जी का इहििास दकसके साथ आया था?
(क) हिन्दी शब्द सागर (ख) हिन्दी व्याकरण (ग) मध्यकालीि इहििास (घ) आधुहिक काल का इहििास
(vii) साहित्य का इहििास हलखिा कै से संभव हुआ?
(क) हिन्दी व्याकरण के आिे से (ख) हलखिे आिे पर
(ग) साहित्य की रचिा में पठरवियि िोिे पर (घ) कु छ समय बीििे पर
(viii) इहििास हलखिे की ओर कोई प्रवृत्त कब िोिा िै?
(क) युग की समाहि के बाद (ख) जब कु छ इहििास िो जािा िै
(ग) जब सिी समय आिा िै (घ) जब इहििास हिमायण की जरूरि िोिी िै
(ix) इहििास लेखि का कायय दकस संस्था िे पिले दकया था?
(क) िागरी प्रचाठरणी सभा (ख) काशी सभा (ग) रामचन्द्र शुक्ल (घ) हिन्दी इहििास संस्था (x)
बिंदी साहित्य का पिला व्यवहस्थि इहििास दकसके इहििास को मािा जािा िै?
(क) िामवर बसंि (ख) रामचन्द्र शुक्ल (ग) िजारी प्रसाद हद्ववेदी (घ) कामिाप्रसाद गुरु
उत्तर
पाठ्यसामग्री-हिन्दी (आधार) कक्षा:ग्यारिवीं पृष्ठ 9 of 123
प्रश्न सं . i ii iii iv v vi vii viii ix x
उत्तर (ग) (क) (घ) (ख) (ग) (क) (ग) (घ) (क) (ख)

अपठिि गद्यांश-2
“इहििास से हवरासि में आपको भारिीय संगीि जैसी अमूल्य हिहध हमली िै। अन्य देशों के संगीिों
की अपेक्षा इसमें जो हवहशििा िै, वि उि मान्यिाओं के कारण िै जो संगीि के संबंध में िमारे पूवयजों की थी।
भारि में संगीि क्षहणक आमोद-प्रमोद या अिृि िृष्णा की वस्िु ि िोकर, समस्ि िह्ांर् से ऐक्य का आभास
िै, आिंद प्रदाि करिे वाला आध्याहत्मक साधि िै और मािव को बह् िक ले जािे वाला मागय िै। संगीि के
इस स्वभाव और ध्येय को िमारे देश के लोगों िे िमारी सभ्यिा के प्रारं भ में िी पिचाि हलया था और संगीि
का हवकास इन्िीं आदशों के अिुकूल दकया था।
उन्िोंिे संगीि और जीवि में दकसी प्रकार की दीवार ििीं खिी की। यि कििा अिुहचि ि िोगा दक
उन्िोंिे संगीि को िमारे जीवि में इस प्रकार बुि ददया दक सिस्राहब्दयों के पिाि् भी वि उसका अहवहछछन्न
अंग बिा हुआ िै। संसार में संभवि: ऐसा अन्य कोई देश ििीं िै जिाँ संगीि इििे पुरािे युग से जि-जीवि में
इििा व्याि िो हजििा दक भारि में भारिवाहसयों के अहधक संगीिप्रेमी िोिे की बाि का उल्लेख मेगस्थिीज
भी कर गया िै। दूसरी शिाब्दी ई.पू. में हलखे गए 'इंहर्का' िामक अपिे ग्रंथ में एठरयि मेगस्थिीज का यि
कथि उद्धि िै दक "सब जाहियों की अपेक्षा भारिीय लोग संगीि के किीं अहधक प्रेमी िै।
सिस्रों वषों से िमारे घरे लू और सांसाठरक जीवि में लगभग सभी काम दकसी-ि-दकसी प्रकार के
संगीि से प्रारं भ िोिे रिे िैं। जन्म से लेकर मृत्यु िक यि संगीि िमारे साथ बिा रििा िै। हजस ददि बालक
संसार में अपिी आँखे खोलिा िै, उस ददि से िी संगीि से भी उसका पठरचय िो जािा िै। िामकरण,
कणयछेदि, हववाि आदद में िो संगीि िोिा िी िै। ऐसा कोई िीज-त्योिार ििीं िोिा, ऐसा कोई पवय और
संस्कार ििीं िोिा हजसमें संगीि ि िो। घर में िी क्यों, िमारे यिाँ खेल में और चौपाल में, चक्की चलािे और
धाि कू टिे के समय भी संगीि चलिा िी रििा िै। यि िमारे जि-जीवि के उल्लास को प्रकट करिे का िो
प्रभावी साधि िै िी, साथ िी साथ उसको गहिमाि बिािे का भी प्रबल अस्त्र िै। संगीि रचिात्मक कायों में
अग्रसर िोिे की सामूहिक स्िू र्िय और प्रेरणा प्रदाि करिा िै और वि सामूहिक शहक्त देिा िै, जो िमें उि
कायों को करिे के योग्य बिा देिी िै, हजन्िें िम अके ले या समूि में संगीि की प्रेरणा के हबिा ििीं कर पािे।”
(i) प्रस्िुि गद्यांश दकस हवषयवस्िु पर आधाठरि िै?
(क) इहििास के पृष्ठों पर भारि (ग) इहििास की प्रहसद्ध पुस्िक
(ख) भारिीय संगीि की हवशाल परं परा (घ) हवहभन्न कमयकांर्ों का व्यहक्त पर प्रभाव
(ii) भारिीय संगीि में अन्य देशों के संगीि की अपेक्षा क्या हवशेषिा िै?
(क) संपूणय िह्ांर् से ऐक्य करिे का आभास िै
(ख) मािव को वास्िहवकिा से हवमुख करिा
(ग) मािव को िह् बिा देिा
(घ) कृ हत्रम वािावरण उपहस्थि कर कल्पिा लोक में ले जािा
(iii) मिुष्य को िह् िक ले जािे का मागय दकसे किा गया िै?
(क) संगीि को (ख) आदशों को (ग) ईश्वर को (घ) गुरु को
(iv) संसार का ऐसा कौि-सा देश िै, जिाँ संगीि पुरािे समय से मािव जीवि का हिस्सा रिा िो?
(क) एहशया (ख) जापाि (ग) िुर्कय स्िाि (घ) भारि
पाठ्यसामग्री-हिन्दी (आधार) कक्षा:ग्यारिवीं पृष्ठ 10 of 123
(v) इहििास में भारिीयों की संगीिहप्रयिा का उल्लेख दकससे हमलिा िै?
(क) पवय-त्योिार से (ख) इंहर्का ग्रंथ से (ग) संस्कारों से (घ) सामूहिक काययक्रम से
(vi) हिम्नहलहखि में से दकस संस्कार में संगीि ििीं हमलिा िै?
(क) िामकरण (ख) हववाि (ग) कणय छेदि (घ) इिमें से कोई ििीं
(vii) जि-जीवि के उल्लास को प्रकट करिे का प्रभावी साधि क्या िै?
(क) त्योिार (ख) पवय (ग) संगीि (घ) रीहि ठरवाज
(viii) सामूहिक रचिात्मक कायों में संगीि का क्या प्रभाव िोिा िै?
(क) हशहथलिा प्रदाि करिा (ग) स्िू र्िय और प्रेरणा प्रदाि करिा
(ख) अके लेपि का अिुभव करिा (घ) कायय करिे योग्य िा छोििा
(ix) िमारे घरे लू जीवि में संगीि किाँ व्याि ददखाई देिा िै?
(क) चक्की चलािे में (ख) चौपाल में (ग) धाि कू टिे में (घ) यि सभी
(x) अन्य देशों की अपेक्षा भारिीय संगीि की हवहशििा का क्या कारण रिा िै?
(क) भारिीयों का संगीि प्रेमी िोिा (ग) संगीि के संबंध में पूवयजों की मान्यिाएं िोिा
(ख) मािव िेिु संगीि का िोिा (घ) जिजीवि द्वारा संगीि की उपेक्षा करिा
उत्तर-
प्रश्न सं . i ii iii iv v vi vii viii ix x
उत्तर ख क क घ ख क ग ग घ क
अपठिि गद्यांश-3
“कियव्य-पालि और सत्यिा में बिा घहिष्ठ सरबन्ध िै। जो मिुष्य अपिा कियव्य-पालि करिा िै, वि
अपिे कामों और वचिों में सत्यिा का बिायव भी रखिा िै। वि िीक समय पर उहचि रीहि से अछछे कामों
को करिा िै । सत्यिा िी एक ऐसी वस्िु िै, हजससे इस संसार में मिुष्य अपिे कायों में सिलिा पा सकिा
िै, क्योंदक संसार में कोई कायय झूि बोलिे से ििीं चल सकिा। यदद दकसी के घर सब लोग झूि बोलिे लगे
िो उस घर में कोई कायय ि िो सके गा और सब लोग बिा दु:ख भोगेंगे । इसहलए िम लोगों को अपिे कायों
में झूि का बिायव ििीं करिा चाहिए। अिएव सत्यिा को सबसे ऊँचा स्थाि देिा उहचि िै। संसार में हजििे
पाप िैं, झूि उि सभी से बुरा िै । झूि की उत्पहत्त पाप, कु ठटलिा और कायरिा के कारण िोिी िै। बहुि-से
लोग सच्चाई का इििा थोिा ध्याि रखिे िैं दक अपिे सेवकों को स्वयं झूि बोलिा हसखािे िैं। पर उिको इस
बाि पर आियय करिा और क्रुद्ध ि िोिा चाहिए, जब उिके िौकर भी उिसे अपिे हलए झूि बोलें।
बहुि-से लोग िीहि और आवश्यकिा के बिािे झूि की रक्षा करिे िैं। वे कििे िैं दक इस समय इस
बाि को प्रकाहशि ि करिा और दूसरी बाि को बिाकर कििा, िीहि के अिुसार समयािुकूल और परम
आवश्यक िै। दिर बहुि-से लोग दकसी बाि को ‘सत्य-सत्य’ कििे िैं दक हजससे सुििे वाला यि समझे दक
यि बाि सत्य ििीं, वरि् इसका जो उल्टा िै विी सत्य िोगा। इस प्रकार से बािों का कििा झूि बोलिे के
पाप से दकसी प्रकार कम ििीं िै।
संसार में बहुि-से ऐसे भी िीच और कु हत्सि लोग िोिे िैं, जो झूि बोलिे में अपिी चिुराई समझिे
िैं और सत्य को हछपाकर धोखा देिे या झूि बोलकर अपिे को बचा लेिे में अपिा परम गौरव माििे िैं ।
ऐसे लोग िी समाज को िि करके दु:ख और सन्िाप के िै लािे के मुख्य कारण िोिे िैं । इस प्रकार झूि बोलिा
स्पि ि बोलिे से अहधक हिहन्दि और कु हत्सि कमय िै।
हवधािा-रहचि इस सृहि का हसरमौर िै मिुष्य। उसकी कारीगरी का सवोत्तम िमूिा! इस मािव
को िह्ांर् का लघु रूप मािकर भारिीय दाशयहिकों िे ‘यि् हपण्र्े िि् िह्ांर्’े की कल्पिा की थी। उिकी

पाठ्यसामग्री-हिन्दी (आधार) कक्षा:ग्यारिवीं पृष्ठ 11 of 123


यि कल्पिा मात्र कल्पिा ििीं थी, प्रत्युि यथाथय भी थी क्योंदक मािव-मि में जो हवचारणा के रूप में घठटि
िोिा िै, उसी का कृ हि रूप िी िो सृहि िै। मि िो मि, मािव का शरीर भी अप्रहिम िै”
(i) कै से लोग झूि बोलिे में अपिी चिुराई समझिे िैं?
(क) समझदार लोग (ख) बेईमाि लोग (ग) िीच और कु हत्सि लोग (घ) सामान्य लोग
(ii) सृहि का हसरमौर दकसे किा गया िै?
(क) पशुओं को (ख) पहक्षयों को (ग) मिुष्य को (घ) प्रकृ हि को
(iii) भारिीय दाशयहिकों िे ‘यि् हपण्र्े िि् िह्ांर्’े की कल्पिा दकस आधार पर की थी?
(क) मािव को िह्ांर् का लघु रूप मािकर (ख) मािव को सृहि हसरमौर मिाकर
(ग) मिुष्य को हवधािा की सवोत्तम कृ हि मिाकर (घ) िीच और कु हत्सि मिाकर
(iv) झूि बोलिा स्पि ि बोलिे से अहधक हिहन्दि और कु हत्सि कमय िै। कै से?
(क) झूि बोलिे वाले लोग समाज को िि करिे िैं।
(ख) झूि बोलिे वाले लोग समाज में संिाप को िै लािे िैं।
(ग) झूि बोलिे वाले िीच और कु हत्सि लोग िोिे िैं
(घ) उपयुयक्त सभी
(v) बहुि-से लोग िीहि और आवश्यकिा के बिािे झूि की रक्षा करिे िैं। कौि-सा हवकल्प प्रासंहगक ििीं
िै?
(क) इस समय इस बाि को प्रकाहशि ि करिा
(ख) दूसरी बाि को बिाकर कििा
(ग) िीहि के अिुसार समयािुकूल और परम आवश्यक िै।
(घ) बहुि-से लोग दकसी बाि को ‘सत्य-सत्य’ कििे िैं।
(vi) झूि की उत्पहत्त दकस कारण ििीं िोिी िै?
(क) पाप के (ख) सत्य के (ग) कायरिा के (घ) कु ठटलिा के
(vii) ‘यि् हपण्र्े िि् िह्ांर्’े की कल्पिा दकसिे की थी।
(क) भारिीय संस्कृ हि िे (ख) भारिीय दाशयहिकों िे
(ग) भारिीय वैज्ञाहिकों िे (घ) भारिीय हवचारकों िे
(viii) मािव के दकस कृ हि रूप को िी सृहि मािा गया िै?
(क) कल्पिा को (ख) मि की हवचारणा को (ग) मि के भावों को (घ) अिुभूहियों को
(ix) दकस के सिारे मिुष्य सिलिा प्राि कर सकिा िै?
(क) झूि के (ख) पाप के (ग) पुण्य के (घ) सत्य के
(x) ‘दाशयहिक’ शब्द में प्रत्यय िैं-
(क) दशयि (ख) दसय (ग) ईक (घ) इक
उत्तर-
प्रश्न सं . i ii iii iv v vi vii viii ix x
उत्तर ग ग ग घ ग ख ख ख ख घ
अपठिि गद्यांश-4
“जीवात्मा संसार में आिे िी हभन्नत्व को प्राि िोिा िै। कोई गरीब िै, कोई अमीर िै। कोई झुग्गी-
झोपर्ी में जन्म लेिा िै और पूरा जीवि अभावग्रस्ि,रोग,भूख,शोक,अपमाि की हस्थहि में रिकर िर पल
जीिा हुआ संसार से कू च कर जािा िै। कोई दकसी संपन्न घरािे में जन्म लेिा िै,जिाँ सब सुख-सुहवधाएँ,पद-
प्रहिष्ठा,माि-सरमाि का बाहुल्य िोिा िै। दकसी को दीघाययु प्राि िोिी िै,िो कोई अकाल िी कालग्रस्ि िो
जािा िै। यि हवषमिा संसार में जीवात्मा के साथ कारण चाििी िै,जो प्रत्यक्ष या परोक्ष में दृहिगोचर ििीं

पाठ्यसामग्री-हिन्दी (आधार) कक्षा:ग्यारिवीं पृष्ठ 12 of 123


िोिी। िब साधारणिया िम सब सोचिे लगिे िैं दक िकदीर का िी खेल िै। भाग्य प्रबल िोिा िै। ऐसा भी
माििा पििा िै दक आत्मा अहविाशी िै और यि हवषमिा िमारे साथ पूवय जन्म के कमों के कारण उपहस्थि
िै।
कोई हमट्टी में िाथ र्ालिा िै,िो उसके पास अपार धि िो जािा िै और कई बार कोई सरपन्निा की
उँ चाई से ऐसा हगरिा िै दक सब कु छ हमट्टी िो जािा िै। शायद इसीहलये िमलोग िकदीर का रोिा रोिे िैं
और भाग्य पलटिे की कई उल्टी-सीधी जुगिें लगािे िैं। कई लोग िो जादू-टोिा,धागा-िाबीज,झाि-िूँ क या
दिर दकसी पाखंर्ी ज्योहिषी का सिारा लेिे िैं। जब ऐसे हमथ्याचार व अंधहवश्वासों से कु छ ििीं िोिा िो
भाग्य को प्रबल माि कर बैि जािे िैं। मिीषी कििे िैं दक पुरुषाथी भाग्य का हिमायण स्वयं करिे िैं। के वल
आलसी भाग्य को कोसिे िैं। पुरुषाथी आलस्यरहिि रििा िीक समझिा िै। साधारणिया हजसे िम भाग्य
या प्रारब्ध कििे िैं वि िमारे पूवय-संहचि कमय िी िोिे िैं। श्रेष्ठ पुरुष दौि लगािे िैं, आगे चलिे िैं, उिके पीछे
और लोग चलिे िैं।जो दौििा िै उसे लक्ष्य हमलिे की सरभाविा अहधक िोिी िै। घर के अन्दर पलंग पर
पिे-पिे िम के वल कमरों को िी देख सकिे िैं। मिाराज भिृयिठर िे मिुष्यों को िीि श्रेहणयों में बाँटा था।
अधम,मध्यम,उत्तम।अधम क्लेश के र्र से कोई काम प्राररभ ििीं करिे।मध्यम लोग कायय प्राररभ िो कर
देिे िैं, परं िु कोई हवघ्न पििे पर दुखी िोकर बीच में छोि देिे िैं परं िु उत्तम लोग बार-बार हवघ्न आिे पर
भी प्राररभ दकये काम को ििीं छोििे,वरि उसे पूरा करके िी दम लेिे िैं। ऐसे लोग पुरुषाथी किलािे िैं।
उपहिषद कििे िैं-चरै वेहि,चरै वेहि अथायि चलिे रिो,चलिे रिो। िर हस्थहि और पठरहस्थहि में आगे बढ़िे
का िाम िी जीवि िै। गुरु िािक िे किा था दक आयु का एक क्षण संसार के सब रत्नों को देकर भी ििीं पाया
जा सकिा। जो िमारा समय हिकल गया उसकी बचंिा छोिें। जो जीवि शेष बचा िै उसके बारे में हवचार
करें , सँभालें। गीिा का सवयहप्रय उपदेश भी यिी िै दक िल की बचंिा दकये हबिा सत्कमों में प्रवृत्त िो जाएं
और अपिे इस देव-दुलयभ जीवि को सिल बिाएं”
(i) जीवात्मा के हभन्नत्व से िात्पयय िै-
(अ) अमीरी-गरीबी (ब) दीघाययु-अल्पायु जीवि (स) हविाशी-अहविाशी आत्मा (द) ‘अ’ और ‘ब’ दोिों
(ii) सांसाठरक हवषमिा को देखकर िमसब क्या सोचिे लग जािे िैं-
(अ) िकदीर का िी खेल िै (ब) ठरश्िों की उपेक्षा िै
(स) सरपकों का प्रभाव िै (द) िैहिक पिि िै
(iii) पुरुषाथी क्या करिे िै-
(अ) भाग्य का रोिा रोिे िैं (ब) िारकर बैि जािे िैं
(स) भाग्य का हिमायण स्वयं करिे िैं (द) सरकारों को कोसिे िैं
(iv) प्रारब्ध क्या िै-
(अ) आत्मा का रूप (ब) पूवयसंहचि कमय (स) हभन्न-हभन्न जीवि (द) आदशय व्यहक्त
(v) भिृि
य ठर के अिुसार मिुष्य िोिे िैं-
(अ) अधम (ब) मध्यम (स) उत्तम (द) ददये गए िीिों
(vi) मध्यम श्रेणी के लोग....................।
(अ) कायय प्राररभ ििीं करिे (ब) कायय पूणय करिे िैं
(स) बिस करिे िैं (द) कायय बीच में िी छोि देिे िैं
(vii) आलसी व्यहक्त को दकस श्रेणी में रखा जा सकिा िै-
(अ) अधम (ब) मध्यम (स) उत्तम (द) इिमें से कोई ििीं

पाठ्यसामग्री-हिन्दी (आधार) कक्षा:ग्यारिवीं पृष्ठ 13 of 123


(viii) ‘चलिे रिो,चलिे रिो’ दकसका उपदेश िै-
(अ) गुरु िािक का (ब) उपहिषद का (स) आलसी व्यहक्त का (द) अंधहवश्वासी का
(ix) गीिा का उपदेश िै-
(अ) अवसर खोजो (ब) अंधहवश्वासी बिो
(स) कमय करो, िल की बचंिा ििीं (द) िल की बचंिा करो,कमों की ििीं
(x) ‘अहविाशी” शब्द का अथय िोगा-
(अ) भाग्यवादी (ब) पुरुषाथी (स) अमर (द) िि िोिे वाला
उत्तर-
प्रश्न सं . i ii iii iv v vi vii viii ix x
उत्तर घ क ग ख ख घ क ख ग घ
अपठिि गद्यांश-5
“हवद्याथी जीवि मािव जीवि का स्वर्णयम काल किलािा िै। यिी वि काल िै, जब मािव अपिी
सोई हुई शहक्तयों को पूणय रूप से हवकहसि करिे में सक्षम िोिा िै और वि समाज का उपयोगी अंश बििे
की हशक्षा ग्रिण कर पािा िै। इसी हवद्याथी काल में मािव का शरीर और महस्िष्क हवकहसि िो पािा िै।
इसी समय में हवद्याथी अपिी इहन्द्रयों पर हियन्त्रण करिे का मित्व समझ जािा िै। हवद्याथी को अपिे
हवद्याथी काल में िी पठरवार, समाज िथा अपिे देश के प्रहि अपिे कियव्यों िथा दाहयत्वों का आभास िो
पािा िै। इसी काल में वि अपिे अहधकारों को समझकर आदशों एवं मूल्यों को आत्मसाि् कर लेिा िै िथा
संपूणय मािव जाहि के कल्याण का व्रि धारण करिा िै। शाहब्दक अथों में हवद्या का अध्ययि करिे वाला
व्यहक्त िी हवद्याथी किलािा िै। हवद्याथी के जीवि का लक्ष्य हवद्या प्राि करिा िी ििीं िोिा िै, बहल्क इसके
साथ िी चठरत्र हिमायण, शारीठरक, मािहसक एवं अन्य आदशों िथा गुणों को ग्रिण करिे की ओर भी
हवशेष ध्याि देिा िोिा िै। हवद्याथी के हलए मात्र पुस्िकीय ज्ञाि प्राि करिा िी पयायि ििीं िोिा िै।
आजकल लोग पुस्िकों को पढ़िे वाले को िी माििे िैं। पुस्िकों को आधुहिक काल में ज्ञाि प्राहि का साधि
मािा जािा िै। हवद्याथी को ज्ञाि प्राि करिे के हलए किोर त्याग भी करिा आवश्यक िोिा िै।
आज िम आए ददि सुििे िैं दक अमुक हवद्याथी िे अपिे गुरु के साथ अभद्र व्यविार दकया या
साहथयों के साथ झगिा दकया। घर में मािा-हपिा का अपमाि दकया। ये सब बािें उि हवद्यार्थययों की िोिी
िै हजिका चठरत्र, आचरण और व्यविार खराब िोिा िै। पिले िथा आज भी आदशय हवद्यार्थययों की अलग
िी पिचाि िोिी िै। आदशय हवद्याथी अपिे गुरु के प्रहि आस्था रखिे िैं। गुरु भी अपिे हशष्य को अपिी
सन्िाि की िरि माििे िैं। हजस हवद्याथी या मािव का चठरत्र खराब िो जािा िै उसे अपिे पठरवार में िी
ििीं अहपिु संपूणय समाज में सरमाि प्राि ििीं िोिा िै। अंग्रेजी में एक किावि िै-स्वस्थ शरीर में स्वस्थ
महस्िष्क का हिवास िोिा िै। मािव को अपिे महस्िष्क को सुचारू रूप से चलािे के हलए साि-सुथरा एवं
स्वस्थ िोिा चाहिए”
(i) दकस काल को मिुष्य के जीवि का स्वर्णयम काल किा गया िै?
(क) कामकाजी जीवि को (ख) वैवाहिक जीवि को (ग) सांसाठरक जीवि (घ) हवद्याथी जीवि को
(ii) यिी वि काल िै, जब मािव अपिी सोई हुई शहक्तयों को पूणय रूप से हवकहसि करिे में सक्षम िोिा िै?
(क) यौवि काल (ख) हवद्याथी काल (ग) वृद्धावस्था काल (घ) बाल्यकाल
(iii) हवद्याथी के जीवि का लक्ष्य हवद्या प्राि करिा िी ििीं िोिा िै? (कौि-सा संगि ििीं िै)
(क) चठरत्र हिमायण (ख) शारीठरक हवकास (ग) मािहसक हवकास (घ) भौहिक हवकास
(iv) हजि हवद्यार्थययों का चठरत्र और आचरण ख़राब िोिा िै वे क्या करिे िैं?
(क) गुरु के साथ अभद्र व्यविार (ख) साहथयों के साथ झगिा

पाठ्यसामग्री-हिन्दी (आधार) कक्षा:ग्यारिवीं पृष्ठ 14 of 123


(ग) मािा-हपिा का अपमाि (घ) ये सभी
(v) दकसे अपिे पठरवार और समाज में सरमाि प्राि ििीं िोिा?
(क) चठरत्रवाि व्यहक्त को (ख) स्वस्थ व्यहक्त को (ग) चठरत्रिीि व्यहक्त को (घ) बौहद्धक व्यहक्त को
(vi) दकस प्रकार के हवद्यार्थययों को गुरु अपिी संिाि की िरि माििे थे?
(क) अपराधी हवद्यार्थययों को (ख) आदशय हवद्यार्थययों को
(ग) चठरत्रिीि हवद्यार्थययों को (घ) असत्य बोलिे वाले हवद्यार्थययों को
(vii) हवद्याथी शब्द का अथय िै?
(क) हवद्या से अथय प्राि करिे वाला (ख) हवद्या का अथय जाििे वाला
(ग) हवद्या का अध्ययि करिे वाला (घ) हवद्या का अध्ययि करािे वाला
(viii) हवद्याथी अपिे हवद्याथी काल में कौि-सा काम ििीं करिा िै?
(क) पठरवार िथा समाज के प्रहि अपिे कियव्यों का हिवायि
(ख) देश के प्रहि अपिे कियव्यों िथा दाहयत्वों हिवायि
(ग) अपिे अहधकारों को समझकर आदशों एवं मूल्यों को आत्मसाि् ििीं करिा
(घ) संपूणय मािव जाहि के कल्याण का व्रि धारण करिा
(ix) “स्वस्थ शरीर में स्वस्थ महस्िष्क का हिवास िोिा िै।” वाक्य का भाव िै?
(क) स्वस्थ व्यहक्त सब कर सकिा िै (ख) स्वस्थ महस्िष्क सब कर सकिा िै
(ग) स्वस्थ शरीर और स्वस्थ मि व्यहक्त के हवकास के पूरक िैं
(घ) स्वस्थ शरीर और महस्िष्क एक दूसरे के हवपरीि िैं
(x) ‘इक’ प्रत्यय से हिर्मयि शब्द ििीं िै?
(क) शारीठरक (ख) मािहसक (ग) सामाहजक (घ) िायक
उत्तर-
प्रश्न सं . i ii iii iv v vi vii viii ix x
उत्तर घ ख घ घ क ख ग ग ग घ

प्रश्न-1 (ख) अपठिि पद्यांश पर आधाठरि बहुहवकल्पी प्रश्न


अपठिि पद्यांश-1
“साक्षी िै इहििास िमीं पिले जागे िैं,
जाग्रि सब िो रिे िमारे िी आगे िैं।
शत्रु िमारे किाँ ििीं भय से भागे िैं?
कायरिा से किाँ प्राण िमिे त्यागे िैं?
िैं िमीं प्रकं हपि कर चुके, सुरपहि िक का भी हृदय।
दिर एक बार िे हवश्व िुम, गाओ भारि की हवजय।।
किाँ प्रकाहशि ििीं रिा िै िेज िमारा,
दहलि कर चुके शत्रु सदा िम पैरों द्वारा।
बिलाओं िुम कौि ििीं जो िमसे िारा,
पर शरणागि हुआ किाँ कब िमें ि प्यारा !
बस युद्ध मात्र को छोिकर किाँ ििीं िै िम सदय !
दिर एक बार िे हवश्व िुम, गाओ भारि की हवजय”

पाठ्यसामग्री-हिन्दी (आधार) कक्षा:ग्यारिवीं पृष्ठ 15 of 123


(i) पद्यांश में ‘िमीं’ पद प्रयुक्त हुआ िै:
(क) भारिीयों के हलए (ख) देश के हलए (ग) भारि के हलए (घ) इिमें से कोई ििीं
(ii) भारि दकि क्षेत्रों में अग्रणी रििा आया िै?
(क) शौयय में (ख) ज्ञाि- हवज्ञाि में (ग) शांहि के प्रसार में (घ) उक्त सभी में
(iii) भारि शरणागि के साथ कै सा व्यविार करिा िै?
(क) शरणागि के प्रहि उदासीि रििा िै (ग) शरणागि को प्रेमपूवयक अपिा लेिा िै
(ख) शत्रुिा का भाव रखिा िै (घ) उक्त सभी
(iv) िम सदय ििीं िै:
(क) हमत्रिा में (ख) युद्धों में (ग) संहधयों में (घ) इिमें से कोई ििीं
(v) प्रकं हपि में प्रयुक्त उपसगय िै :
(क) प्रम् (ख) प्र (ग) प्रंक (घ) इि
उत्तर गद्यांश – 1

1 2 3 4 5
क घ ग ख ख

अपठिि पद्यांश-2
“भारि मािा का मंददर यि, समिा को संवाद जिाँ।
सबका हशव कल्याण यिाँ पाएँ सभी प्रसाद यिाँ।
जाहि-धमय या संप्रदाय का, ििीं भेद व्यवधाि यिाँ
सबका स्वागि, सबका आदर, सबका सरमाि यिाँ।
राम-रिीम, बुद्ध ईसा का, सुलभ एक-सा ध्याि यिाँ।
हभन्न-हभन्न भव संस्कृ हियों के , गुण-गौरव का ज्ञाि यिाँ।
ििीं चाहिए बुहद्ध वैर की, भला प्रेम उन्माद यिाँ।
सब िीथों का एक िीथय यि, हृदय पहवत्र बिा लें िम।
रे खाएँ प्रस्िुि िैं, अपिे मि के हचत्र बिा लें िम।
सौ-सौ आदशों को लेकर, एक चठरत्र बिा लें िम।
कोठट-कोठट कं िों से हमलकर, उिे एक जयिाद यिाँ।
सबका हशव कल्याण यिाँ िै, पाएँ सभी प्रसाद यिाँ”
(i) कहव दकस मंददर की बाि कर रिा िै?
(क) हशव मंददर (ख) शहक्त मंददर (ग) राम-सीिा मंददर (घ) भारि मािा
(ii)“जाहि-धमय या संप्रदाय का, ििीं भेद व्यवधाि यिाँ” का क्या िात्पयय िै?
(क) समाििा का भाव िै (ग) असमाििा का भाव िै
(ख) जाहि धमं का भेद िै (घ) इिमेंसे कोई ििीं
(iii) सबका आदर सरमाि किाँ िोिा िै?
(क) भारि देश में (ख) ईराि (ग) चीि में (घ) पादकस्िाि में
(iv) िम सबके हमत्र कै से बि सकिे िैं?
पाठ्यसामग्री-हिन्दी (आधार) कक्षा:ग्यारिवीं पृष्ठ 16 of 123
(क) वैरभाव से (ख) आपसी भेदभाव से (ग) वैर-बुहद्धको त्यागकर (घ) हवषम दृहिकोण से
(v) एकिा के सूत्र में बाँधिे के हलए क्या प्रयास दकया गया िै?
(क) अपिे मि के हचत्र बिािा (ग) एक चठरत्र बिािा
(ख) हवहभन्न प्रकार के आदशों को ग्रिण करिा (घ) उक्त सभी
उत्तर गद्यांश – 2
1 2 3 4 5
घ क क ग घ
अपठिि पद्यांश-3
“मिमोहििी प्रकृ हि की जो गोद में बसा िै,
सुख स्वगय-सा जिाँ िै, वि देश कौि-सा िै?
हजसके चरण हिरन्िर रत्नेश धो रिा िै,
मुकुट हिमालय, वि देश कौि-सा िै?
िददयाँ जिाँ सुधा की धारा बिा रिी िैं,
सींचा हुआ सलोिा, वि देश कौि-सा िै?
हजसके बिे रसीले िल, कन्द, िाज, मेव,े
सब अंग में सजे िैं, वि देश कौि-सा िै?
हजसमें सुगन्ध वाले, सुन्दर प्रसूि प्यारे ,
ददि-राि िँस रिे िैं, वि देश कौि-सा िै?
मैदाि, हगठर, विों में िठरयाहलयाँ लिकिी,
आिन्दमय जिाँ िै, वि देश कौि-सा िै?
हजसकी अिन्ि धि से, धरिी भरी पिी िै,
संसार का हशरोमहण, वि देश कौि-सा िै?”
(i) भारि का मुकुट दकसे किा गया िै?
(क) रत्नेश (ख) हिमालय (ग) स्वगय (घ) उक्त सभी
(ii) भारि बसा हुआ िै:
(क) स्वगय में (ख) हिमालय में (ग) मैदािों में (घ) प्रकृ हि की जो गोद में
(iii) “सींचा हुआ सलोिा’ से क्या िात्पयय िै?
(क) अमृि धाराओं वाली िददयों के बसंचि से सुन्दर (ग) के वल ‘क’
(ख) रत्नेश द्वारा चरणों के बसंचि से सुन्दर (घ) ‘क’ व ‘ख’ दोिो
(iv) भारि देश को संसार का हशरोमहण क्यों किा गया िै?
(क) खेिों की उत्पादकिा की प्रचुरिा के कारण (ख) प्राकृ हिक सौंदयय के कारण
(ग) अपूवय खहिज-संपदा के कारण (घ) उक्त सभी
(v) ‘ददि-राि’ में समास िै-
(क) द्वंद्व (ख) ित्पुरुष (ग) कमयधारय (घ) बहुव्रीहि
उत्तर गद्यांश – 3
1 2 3 4 5
ख घ घ घ क

पाठ्यसामग्री-हिन्दी (आधार) कक्षा:ग्यारिवीं पृष्ठ 17 of 123


अपठिि पद्यांश-4
“अजुयि देखो, दकस िरि कणय, सारी सेिा पर टूट रिा,
दकस िरि पाण्र्वों का पौरुष िोकर अशंक वि लूट रिा।
देखो, हजस िरि, उधर उसके िी बाण ददखायी पििे िैं,
बस, हजधर सुिो, के वल उसकी हुँकार सुिायी पििे िैं।
कै सी करालिा ! क्या लाघव! कै सा पौरुष! कै सा प्रिार।
दकस गौरव से यि वीर हद्वरद कर रिी समर-वि में हविार।
व्यूिों पर व्यूि िटे जािे, संग्राम उजििा जािा िै,
ऐसी िो ििीं कमलवि में भी कुं जर धूम मचािा िै।
इस पुरुष-बसंि का समर देख मेरे िो हुए हििाल ियि,
कु छ बुरा ि मािो, कििा हँ मैं आज एक हचर गूढ़ वचि।
कणय के साथ िेरा बल भी मैं खूब जाििा आया हँ।
मि िी मि िुझसे बिा वीर पर, इसे माििा आया हँ।
औ’ देख चरम वीरिा आज िो यिी सोचिा हँ मि में।
िै भी जो कोई जीि सके , इस अिुल धिुधयर को रण में?”
(i) श्रीकृ ष्ण िे अजुि
य से कणय की दकस बाि की प्रशंसा की िै?
(क) पराक्रम की (ख) हमत्रिा की (ग) शांि स्वाभाव की (घ) इिमें से कोई ििीं
(ii)कणय को कहव िे ‘कमल-वि’ में दकसके समाि बिाया िै?
(क) पुरुष-बसंि के समाि (ख) कुं जर के समाि (ग) धिुधयर के समाि (घ) कौरव के समाि
(iii) श्रीकृ ष्ण िे अजुि
य को कौि-सा गूढ़ वचि बिाया?
(क) कणय और अजुिय दोिों सामाि रूप से (ग) अजुयि कणय से अहधक बलशाली िै
बलशाली िैं (घ) इिमें से कोई ििीं
(ख) कणय अजुयि से अहधक बलशाली िैं
(iv) कणय के युद्ध कौशल को देखकर कृ ष्ण उसके बारे में क्या सोच रिे थे?
(क) कणय वीरिा की चरम सीमा िै (ग) के वल ‘क’
(ख) कणय को शायद िी कोई जीि सके ! (घ) ‘क’ और ‘ख’ दोिों
(v) ‘पुरुष-बसंि’ में अलंकार िै:
(क) उत्प्रेक्षा (ख) उपमा (ग) रूपक (घ) श्लेष
उत्तर गद्यांश –4
1 2 3 4 5
क ख ख घ ग

अपठिि पद्यांश-5
“मि रोक मुझे भयभीि ि कर, मैं सदा कटीली राि चला।
पथ-पथ मेरे पिझारों में िव सुरहभ भरा मधुमास पला।
दिर किाँ र्रा पाएगा यि पगले! जजयर संसार मुझे।
इि लिरों के टकरािे पर, आिा रि-रि कर प्यार मुझे।

पाठ्यसामग्री-हिन्दी (आधार) कक्षा:ग्यारिवीं पृष्ठ 18 of 123


मैं हँ अपिे मि का राजा, इस पार रहँ उस पार चलें।
मैं मस्ि हखलािी हँ ऐसा जी चािे जीिू, िार चलें॥
मैं हँ अिाथ, अहवराम अथक, बंधि मुझको स्वीकार ििीं।
मैं ििीं अरे ऐसा रािी, जो बेबस-सा मि मारे चलें॥
कब रोक सकी मुझको हचिवि, मदमािे कजरारे घि की।
कब लुभा सकी मुझको बरबस, मधु-मस्ि िु िारें सावि की।
जो मचल उिे अिजािे िी अरमाि ििीं मेरे ऐसे –
रािों को समझा लेिा हँ सब बाि सदा अपिे मि की।
इि उििी-हगरिी लिरों का कर लेिे दो शृंगार मुझे।
इि लिरों के टकरािे पर आिा रि-रि कर प्यार मुझ।े ।”
(i) पद्यांश में ‘लिरें ’ दकसकी प्रिीक िै?
(क) जीवि की (ग) बंधिों की
(ख) जीवि में िोिे वाली उथल-पुथल की (घ) आशाओं की
(ii) पद्यांश में कहव की कौिसी हवशेषिा ििीं बिलाई गई?
(क) मि का राजा (ख) हखलािी (ग) अिाथ (घ) संन्यासी

(iii) कहव रािों में दकस मिोभाव के साथ आगे बढ़िा िै?
(क) उदासीििा (ख) हिराशा (ग) बेमि (घ) उत्साि
(iv) जीवि को कं टीली राि क्यों किा गया िै?
(क) जीवि की सरलिा के कारण (ग) संघषों से भरा िोिे के कारण
(ख) रािों में हबखरे काँटों के कारण (घ) रास्िे की हवषमिा के कारण
(v) ‘जजयर संसार’ में संसार पद िै:
(क) सवयिाम (ख) हवशेषण (ग) हवशेष्य (घ) इिमें कोई ििीं

उत्तर गद्यांश – 5
1 2 3 4 5
ख घ घ ग ग

पाठ्यसामग्री-हिन्दी (आधार) कक्षा:ग्यारिवीं पृष्ठ 19 of 123


प्रश्न-2 अहभव्यहक्त और माध्यम पर आधाठरि बहुहवकल्पी प्रश्न
जिसंचार माध्यम और लेखि
स्मरणीय हबन्दु-
अथय- चर् धािु से उत्पन्न संचार शब्द का अथय एक स्थाि से दूसरे स्थाि पर पहुँचािा िै। दो या दो से अहधक
व्यहक्तयों के बीच सूचिाओं, हवचारों और भाविाओं का आदाि-प्रदाि संचार किा जािा िै।
हवल्बर श्रेम (प्रहसद्ध संचार शास्त्री) के अिुसार संचार अिुभवों की साझेदारी िै।
संचार- संचार जीवि भर चलिे वाली प्रदक्रया िै। सभी जीव संचार करिे िै। परन्िु मिुष्य बौहद्धक रूप से
हवकहसि िोिे के कारण सवोत्तम संचार करिा िै। संचार माध्यमों के हवकास से भौगोहलक दूठरयाँ कम िो
गई िैं। सूचिाओं, हवचारों और भाविाओं को मौहखक, हलहखि अथवा दृश्य-श्रव्य माध्यमों के द्वारा
सिलिापूवयक एक स्थाि से दूसरे स्थाि पर पहुँचिा िी संचार िै।
संचार एक प्रदक्रया िै हजसमें सूचिा देिे वाले और पािे वाले दोिों की िी सदक्रय भागीदारी आवश्यक िै।
एक के अभाव में भी ये संभव ििीं िै. इस अथय में संचार अंिर दक्रयात्मक (इंटरएहक्टव) प्रदक्रया िै।
संचार के हवहभन्न ित्व :
• स्रोि- संचार प्रदक्रया को प्राररभ करिा िै। व्यहक्त अपिे संदशे या सूचिा को अन्य िक पहुँचािा
चाििा िै वि स्रोि िै।
• कू टीकृ ि या एिकोबर्ंग संदश े की भाषा का ज्ञाि संचारकत्ताय व प्रािकिाय दोिों को िोिा चाहिए।
• संदश े - सिल संचार के हलए संदश े का स्पि और सीधा िोिा आवश्यक िै।
• माध्यम (चैिल)- संदश
े को दकस माध्यम (टेलीिोि, समाचारपत्र, रे हर्यो, इंटरिेट) से संदश

प्रािकत्ताय िक पहुँचाया जािा िै।
• र्ीकोबर्ंग प्राि संदश
े में हिहिि अथय को समझिा।
• िीर्बैक िीर्बैक द्वारा पिा चलिा िै दक संदशे सिी रूप में प्रािकत्ताय िक पहुंचा या ििीं।
• शोर- संचार प्रदक्रया में आिे वाली रुकावटें शोर किलािी िैं। शोर मािहसक, िकिीकी और भौहिक
भी िो सकिा िै।
संचार के प्रकार
• सांकेहिक संचार- जब संकेिों से बाि समझाई जाए।
• मौहखक और अमौहखक संचार-मुख खोलकर संचार करे वि मौहखक और हबिा मुख खोले बाि
समझाए वि अमौहखक संचार िै।
• अंिःवैयहक्तक संचार- जब व्यहक्त अपिे से बाि करे अथायि् मि में प्रश्न करे और उत्तर भी दे वि
अंिःवैयहक्तक संचार िोिा िै।
• अंिरवैयहक्तक संचार- जब दो व्यहक्त आमिे-सामिे बैिकर संचार करें वि अन्िरवैयहक्तक संचार
किलािा िै।
• समूि संचार-जब एक समूि आपस में हवचार-हवमशय या चचाय करे िो उसे समूि संचार कििे िैं।
• जिसंचार-जब िम व्यहक्तयों के समूि के साथ प्रत्यक्ष संवाद के बजाय दकसी यांहत्रक या िकिीकी
माध्यम के जठरये समाज के एक हवशाल वगय से संवाद कायम करिे की कोहशश करिे िैं िब उसे
जिसंचार कििे िैं। जिसंचार के प्रमुख माध्यम- अखबार, रे हर्यों, टी.वी, हसिेमा,इंटरिेट आदद िैं।
संचार के कायय- प्राहि, हियंत्रण, सूचिा, अहभव्यहक्त, सामाहजक संपकय , समस्या समाधाि, प्रहिदक्रया और
भूहमका को पूरा करिे के हलए संचार का प्रयोग दकया जािा िै।
जिसंचार की हवशेषिाएँ-
• िीर्बैक िुरंि ििीं प्राि िोिा।
• प्रकाहशि या प्रसाठरि संदश े ों की प्रकृ हि सावयजहिक िोिी िै।
• संचारक और प्रािकिाय के बीच कोई सीधा संबंध ििीं िोिा िै।
• एक औपचाठरक संगिि की आवश्यकिा िोिी िै।

पाठ्यसामग्री-हिन्दी (आधार) कक्षा:ग्यारिवीं पृष्ठ 20 of 123


• ढेर सारे द्वारपाल (गेटकीपर) काम करिे िैं।
द्वारपाल (गेटकीपर)- द्वारपाल वि व्यहक्त या व्यहक्तयों का समूि िै जो जिसंचार माध्यमों से प्रकाहशि या
प्रसाठरि िोिे वाली सामग्री को हियंहत्रि और हिधायठरि करिा िै।
जिसंचार के कायय – सूचिा देिा, हशहक्षि करिा, मिोरंजि करिा, एजेंर्ा िय करिा, हिगरािी करिा,
हवचारों की अहभव्यहक्त के हलए मंच उपलब्ध करािा।
आधुहिक जिसंचार के माध्यम पािात्य िकिीक से प्रेठरि िैं परन्िु भारिीय इहििास गवाि िै दक देवर्षय
िारद पिले समाचार वाचक मािे जािे िैं। मिाभारि काल में संजय की कल्पिा हजसिे युद्ध का आँखों देखा
वणयि धृिराष्ट्र को सुिाया था, एक समृद्ध संचार व्यवस्था की ओर इशारा करिा िै।
जिसंचार के आधुहिक माध्यम- समाचार-पत्र, पहत्रकाएँ, टेलीहवजि, हसिेमा, इंटरिेट आदद िैं।
• जिसंचार की मजबूि किी समाचार पत्र, पहत्रकाएँ या बप्रंट-माध्यम िैं। यिी समाचारों के आदाि-
प्रदाि का मुख्य साधि मािा जािा िै।
• पत्रकाठरिा के िीि पिलू िैं- पिला समाचारों को संकहलि करिा, दूसरा उन्िें संपाददि कर छपिे
लायक बिािा और िीसरा पत्र या पहत्रका के रूप में छापकर पािकों िक पहुँचािा।
• संवाददािा जो खबरें एकहत्रि करके लािे िैं,उन्िें व्यवहस्थि ढंग से छापिे का काम संपादक करिा िै।
• 400 साल पिले िी अखबारी पत्रकाठरिा अहस्ित्व में आई परन्िु भारि में इसकी शुरूआि 1780 में
जेरस ऑगस्ट हिकी के ‘बंगाल गजट’ से हुई, जो कोलकािा से हिकला था।
• हिन्दी का पिला सािाहिक पत्र ‘उदन्ि मािंर्’ था जो 1826 में कोलकािा से िी प्रकाहशि हुआ हजसका
संपादि पं जुगलदकशोर शुक्ल िे दकया था।
• स्विन्त्रिा से पूवय पत्रकारों में- गणेश शंकर हवद्याथी, माखिलाल चिुवेदी, प्रिाप िारायण हमश्र,
हशवपूजि सिाय, राम वृक्ष बेिीपुरी और बालमुकुंद गुि िैं।
• स्विन्त्रिा से पूवय प्रमुख पत्र-पहत्रकाएँ- के सरी, हिन्दुस्िाि, सरस्विी, िंस, कमयवीर, प्रिाप, प्रदीप,
हवशाल भारि आदद िैं।
• आजादी के बाद प्रमुख पत्रकारों में- सहच्चदािन्दिीरािन्द वात्स्यायि, रघुवीर सिाय, धमयवीर भारिी,
मिोिर श्याम जोशी, राजेन्द्र माथुर आदद िैं।
• आजादी के बाद प्रमुख समाचार पत्र-िवभारि टाइरस, जिसत्ता, िई दुहिया, अमर उजाला, दैहिक
जागरण, राजस्थाि पहत्रका आदद िैं। पहत्रकाएँ-धमययुग, सािाहिक हिन्दुस्िाि, ददिमाि, इहन्र्या टुर्,े
रहववार, आउटलुक आदद।
रे हर्यो-रे हर्याँ जिसंचार का श्रव्य माध्यम िै। 1895 में इटली के जी. माकोिी िे वायरलैस की खोज की
और उसी का रुपान्िर रे हर्यो िै। 1921 में मुंबई में ‘टाइरस ऑि इंहर्या’ िे र्ाक िार हवभाग के सियोग से
पिला संगीि काययक्रम प्रसाठरि दकया। 1936 में ऑल इहण्र्या रे हर्यों की स्थापिा हुई। आज देश में 350
से अहधक हिजी रे हर्यों स्टेशि का जाल हबछ गया िै। 1993 में एिएम (फ्रीक्वेन्सी मॉड्यूलेशि) की शुरुआि
हुई।
टेलीहवजि-आज टेलीहवजि जिसंचार का सबसे लोकहप्रय और िाकिवर माध्यम बि गया िै। यि दृश्य-
श्रव्य माध्यम िै। इसकी हवश्वसिीयिा सवायहधक िै। 1927 में बेल टेलीिोि लेबोरे रीज में न्यूयाकय और
वॉबशंगटि के बीच प्रायोहगक टेलीहवजि काययक्रम का प्रसारण दकया। 1936 में बी.बी.सी. िे अपिी
टेलीहवजि सेवा प्राररभ की। भारि में टेलीहवजि की शुरूआि यूिेस्को के एक शैहक्षक पठरयोजिा के ििि
15 हसिंबर 1959 को हुई हजसका उद्देश्य हशक्षा और सामुदाहयक हवकास को प्रोत्साहिि करिा था। 15

पाठ्यसामग्री-हिन्दी (आधार) कक्षा:ग्यारिवीं पृष्ठ 21 of 123


अगस्ि 1965 में स्विंत्रिा ददवस से हवहधवि टी.वी. सेवा प्रारं भ हुई। 11 अप्रैल 1976 से इसे आकाशवाणी
से अलग कर दूरदशयि का िाम ददया गया।
हसिेमा-मिोरं जि के साथ-साथ परोक्ष रूप में सूचिा ज्ञाि और संदश
े देिे का काम करिा िै। हसिेमा का
अहवष्कार का श्रेय थॉमस अल्वा एर्ीसि को जािा िै। 1894 में फ्रांस में पिली दिल्म 'द अराइवल ऑि
रेि’ बिी। भारि में पिली मूक दिल्म 1913 में ‘राजा िठरिंद्र’ दादा सािब िाल्के द्वारा बिाई गई। 1931
में पिली बोलिी दिल्म 'आलम आरा’ बिी। इस समय भारि हवश्व का सबसे बिा दिल्म हिमायिा देश िै।
यिाँ हिन्दी के अहिठरक्त क्षेत्रीय भाषाओं और बोहलयों में भी दिल्में बििी िै।
इन्टरिेट-इंटरिेट जिसंचार का सबसे आधुहिक और िेजी से लोकहप्रय िो रिा माध्यम िै। रे हर्यो,
टेलीहवजि, दकिाब, हसिेमा यिाँ िक दक इसमें पुस्िकालय के भी सारे गुण मौजूद िै। यि एक अन्िर्क्रययात्मक
माध्यम िै, हजसमें प्रयोगकिाय मूकदशयक ििीं िै, वि चचाय बािचीि का एक हिस्सा िोिा िै। इंटरिेट िे संचार
की िई संभाविाएं जगा दी िैं। िमें हवश्वग्राम का सदस्य बिा ददया िै। अश्लील पन्नों व आपराहधक
गहिहवहधयों के कारण इसके दुरुपयोग की घटिाएँ भी सामिे आिे लगी िैं।
जिसंचार माध्यमों का प्रभाव-जिसंचार माध्यमों के हबिा जीवि की कल्पिा ििीं कर सकिे। अखबार पढ़े
हबिा िमारी सुबि ििीं िोिी। रे हर्यो, टेलीहवजि, मिोरंजि के साथ-साथ समाचार, ज्ञाि-हवज्ञाि, बाजार
भाव, हवज्ञापि देिे िैं। इंटरिेट का प्रयोग ठटकट बुक करवािे के हलए, कोई भी हबल जमा करािे, बैंक के
काम घर से करिे के हलए करिे िै। ऐसा लगिा िै पूरी दुहिया िेट पर हिभयर िै। सदुपयोग के साथ-साथ
दुरूपयोग भी िो रिा िै। िेट-क्राइम बढ़िा जा रिा िै जिाँ हसिेमा, टी.वी. वास्िहवकिा से परे काल्पहिक
दुहिया में पहुँचा देिे िैं। विीं वे अपराधों के िए-िए िरीके हसखा देिे िैं। बिंसा और अश्लीलिा युवा वगय को
प्रभाहवि करिी िै। हवज्ञापिों के जाल में मिुष्य िं स जािा िै, अखबार और टेलीहवजि चैिलों में कु छ खास
मुद्दों को उछाला जािा िै। कु ल हमलाकर िम कि सकिे िैं दक जिाँ एक ओर लोग हशहक्षि, सचेि और
जागरुक िो रिे िैं विीं िकारात्मक प्रभाव उन्िें भ्रहमि, पथभ्रि और चठरत्र पर प्रभाव र्ाल रिे िैं। एक
जागरूक पािक व श्रोिा िोिे के िािे िमें आँखें, काि और ददमाग सदा खुले रखिे चाहिए।
बहुहवकल्पी प्रश्न
(1) संचार का प्रकार िै-
(क) मौहखक संचार (ख) समूि संचार (ग) अंिःवैयहक्तक संचार (घ) उपयुयक्त सभी
(2) ‘संचार अिुभवों की साझेदारी िै।’ कथि दकस प्रहसद्ध संचार शास्त्री का िै?
(क) हवल्बर श्रेम (ख) एर्ीसि (ग) माकोिी (घ) जे एल बेयर्य
(3) पिला समाचार वाचक मािा जािा िै-
(क) वेदव्यास को (ख) भरिमुिी को (ग) वाल्मीदक को (घ) मिर्षय िारद को
(4) जिसंचार का कायय िै-
(क) सूचिा देिा (ख) हशहक्षि करिा (ग) मिोरं जि करिा (घ) उपयुयक्त सभी
(5) जिसंचार का आधुहिकिम माध्यम िै-
(क) रे हर्यो (ख) टेलीहवजि (ग) इंटरिेट (घ) अखबार
(6) संचार प्रदक्रया में संदश
े प्रािकिाय द्वारा दशायई गई प्रहिदक्रया किलािी िै-
(क) लाइव (ख) हर्कोबर्ंग (ग) िीर्बैक (घ) शोर
(7) भारि में प्रकाहशि िोिे वाला पिला समाचार पत्र था-
(क) बंगाल गजट (ख) उदन्ि मािंर् (ग) प्रभा साक्षी (घ) पंजाब के सरी

पाठ्यसामग्री-हिन्दी (आधार) कक्षा:ग्यारिवीं पृष्ठ 22 of 123


(8) संचार प्रदक्रया में ‘शोर’ से िात्पयय िै-
(क) संचार प्रदक्रया में संदश
े प्रािकिाय द्वारा दशायई गई प्रहिदक्रया
(ख) संचार प्रदक्रया में आिे वाली बाधाएँ
(ग) दकसी काययक्रम का सीधा प्रसारण
(घ) प्राि संदशे में हिहिि अथय को समझिा
(9) संचार का ित्व ििीं िै-
(क) एिकोबर्ंग (ख) र्ीकोबर्ंग (ग) शोर (घ) लाइव
(10) प्राि संदश े में हिहिि अथय को समझिा किलािा िै-
(क) र्ीकोबर्ंग (ख) एिकोबर्ंग (ग) िीर्बैक (घ) शोर
(11) संचार के आधुहिक माध्यमों में सबसे पुरािा माध्यम िै--
(क) रे हर्यो (ख) समाचार पत्र (ग) टेलीहवजि (घ) इंटरिेट
(12) भारि में प्रकाहशि िोिे वाला पिला हिन्दी सािाहिक पत्र था-
(क) बंगाल गजट (ख) उदन्ि मािंर् (ग) पंजाब के सरी (घ) अमर उजाला
(13) ऑल इंहर्या रे हर्यो की स्थापिा हुई-
(क) 1836 ईस्वी में (ख) 1876 ईस्वी में (ग) 1993 ईस्वी में (घ) 1936 ईस्वी में
(14) भारि में एि एम (दफ्रक्वेंसी मॉड्यूलेशि) की शुरुआि हुई-
(क) 1896 ईस्वी में (ख) 1976 ईस्वी में (ग) 1993 ईस्वी में (घ) 1956 ईस्वी में
(15) रे हर्यो का आहवष्कार दकया-
(क) एर्ीसि िे (ख) जे एल बेयर्य िे (ग) राइट िदसय िे (घ) जी माकोिी िे
(16) हसिेमा के आहवष्कार का श्रेय जािा िै-
(क) जे एल बेयर्य को (ग) जी माकोिी को
(ख) थॉमस अल्वा एर्ीसि को (घ) राइट िदसय को
(17) भारि की पिली मूक दिल्म थी-
(क) राजा िठरिंद्र (ख) आलम आरा (ग) मदर इंहर्या (घ) शोले
(18) हवश्व की पिली दिल्म ‘द अराइवल ऑि रेि’ (1894) दकस देश में बिी?
(क) फ्रांस (ख) हिटेि (ग) जमयिी (घ) इटली
(19) भारि की पिली बोलिी दिल्म कौि-सी थी?
(क) मदर इंहर्या (ख) गदर (ग) राजा िठरिंद्र (घ) आलम आरा
(20) दकसी घटिा या काययक्रम का विाँ से सीधा प्रसारण किलािा िै-
(क) लाइव (ख) शोर (ग) िीर्बैक (घ) एिकोबर्ंग
(21) हिम्नहलहखि में से जिसंचार की हवशेषिा ििीं िै-
(क) िीर्बैक िुरंि प्राि ििीं िोिा
(ख) संचारक और प्रािकिाय के बीच सीधा संबंध िोिा िै
(ग) अिेक द्वारपाल काम करिे िैं
(घ) प्रकाहशि या प्रसाठरि संदश े ों की प्रकृ हि सावयजहिक िोिी िै।
(22) हिम्नहलहखि में से सिी कथि का चयि कीहजए-
(i) संचार माध्यम के वल मिोरं जि के साधि िैं
(ii) इंटरिेट सभी संचार माध्यमों का हमला-जुला रूप या समागम िै
(iii) कई बार संचार माध्यमों का िकारात्मक प्रभाव भी पििा िै
(iv) के वल िकिीक हवकास के कारण संचार संभव हुआ, इससे पिले संचार संभव ििीं था।
(क) कथि (i) और (ii) सिीं िैं (ग) कथि (ii) और (iii) सिीं िैं
(ख) कथि (i) और (iii) सिीं िैं (घ) कथि (i) और (ii) और (iv) सिीं िैं

पाठ्यसामग्री-हिन्दी (आधार) कक्षा:ग्यारिवीं पृष्ठ 23 of 123


(23) संचार प्रदक्रया की शुरुआि िोिी िै-
(क) एिकोबर्ंग से (ख) माध्यम से (ग) प्रािकिाय से (घ) स्रोि या संचारक से से
(24) जिसंचार का समेदकि माध्यम िै-
(क) रे हर्यो (ख) टेलीहवजि (ग) इंटरिेट (घ) हसिेमा

उत्तरमाला
1-घ 2-क 3-घ 4-घ 5-ग 6-ग 7-क 8-ख 9-घ 10-क
11-ख 12-ख 13-घ 14-ग 15-घ 16-ख 17-क 18-क 19-घ 20-क
21-ख 22-ग 23-घ 24-ग

पत्रकाठरिा के हवहवध आयाम


स्मरणीय हबन्दु-
मिुष्य अपिे सिज स्वभाव के कारण अपिे आस-पास व दूर की जािकारी रखिा चाििा िै, ज्ञाि अर्जयि
करिा चाििा िै। उसकी इस हजज्ञासा को शांि करिे के हलए िी पत्रकाठरिा का हवकास हुआ िै। अिः
पत्रकाठरिा का मूल ित्त्व हजज्ञासा िै।
पत्रकाठरिा-पत्रकाठरिा, अंग्रज
े ी जियहलजम का हिन्दी अिुवाद िै। जियल शब्द का प्रयोग पहत्रका के हलए
िोिा िै। मैथ्यू आियल्र् के अिुसार-पत्रकाठरिा शीघ्रिा में हलखे जािे वाला साहित्य िै। पत्रकार देश-हवदेश
की घटिाओं, समस्याओं और सूचिाओं को संकहलि कर समाचार रुप में ढालकर प्रस्िुि करिे िैं। इसी प्रदक्रया
को पत्रकाठरिा कििे िैं।
समाचार-िर घटिा समाचार ििीं िोिी। समाचार के रूप में उन्िीं घटिाओं, सूचिाओं और मुद्दों को चुिा
जािा िै हजन्िें जाििे में अहधक से अहधक लोगों की रुहच िो। दकसी घटिा को समाचार बििे के हलए उसमें
िवीििा, हिकटिा, जिरुहच, प्रभाव जैसे ित्वों का िोिा आवश्यक िै। समाचार दकसी भी ऐसी िाजा घटिा,
हवचार या समस्या की ठरपोटय िै हजसमें अहधक से अहधक लोगों की रूहच िो और हजसका प्रभाव अहधक से
अहधक लोगों पर पिे।
समाचार के आवश्यक ित्व
• िवीििा-समाचार बििे के हलए न्यू िोिे पर िी वि न्यूज िै। दैहिक समाचार पत्र राि 12 बजे िक
के समाचार कवर करिा िै जो (र्ेर्लाइि) समय सीमा िोिी िै।
• हिकटिा-लोग उि घटिाओं को जाििा चाििे िैं जो भौगोहलक सामाहजक व सांस्कृ हिक रूप में
उिसे जुिी िो।
• प्रभाव-घटिा की िीव्रिा उससे पिा चलिी िै दक उससे दकििे लोग प्रभाहवि िोिे िैं।
• जिरुहच-दकसी घटिा, हवचार या समस्या के समाचार बििे के हलए यि भी आवश्यक िै दक आम
लोगों की उसमें रुहच िो।
• टकराव या संघषय-दकसी घटिा में टकराव या संघषय का पिलू िोिे पर उसके समाचार के रूप में
चयि की संभाविा बढ़ जािी िै।
• मित्वपूणय लोग मशहर और जािे-मािे लोगों के बारे में जाििे की आम पािकों, दशयकों और श्रोिाओं
में स्वाभाहवक इछछा िोिी िै।
• उपयोगी जािकाठरयाँ-उपयोगी जािकाठरयाँ भी समाचार की भूहमका हिभािी िै। इन्िें जाििे में
आम लोगों की सिज ददलचस्पी िोिी िै।
• अिोखापि-अिोखापि हलए हुए घटिाएँ भी समाचार पत्र में हवशेष भूहमका हिभािी िैं।

पाठ्यसामग्री-हिन्दी (आधार) कक्षा:ग्यारिवीं पृष्ठ 24 of 123


• पािक वगय-समाचारीय घटिा का मित्व इससे भी िय िोिा िै दक खास समाचार का पािक वगय
कौि िै? पािक वगय की रूहचयों और जरूरिों का हवशेष ध्याि रखा जािा िै।
• िीहिगि ढाँचा-हवहभन्न समाचार संगििों की समाचारों के चयि और प्रस्िुहि को लेकर एक िीहि
िोिी िै। इस िीहि को 'संपादकीय िीहि' कििे िैं। संपादकीय िीहि का हिधायरण संपादक या
समाचार संगिि के माहलक करिे िैं। संपादक िी िय करिा िै दक कौि-सी खबर चुिी जाए िथा
उसकी प्रस्िुहि दकस प्रकार की जाए।
संपादि-दकसी सामग्री की अशुहद्धयों को दूर करके उसे पििीय एवं प्रकाशि योग्य बिािा संपादि किलािा
िै। संपादकीय टीम अपिे संवाददािा की खबरों की भाषा, वियिी िथा िथ्यपरक अशुहद्धयों को दूर करके
उसे प्रकाहशि करिे का स्थाि िय करिी िै।
संपादि के हसद्धान्ि-पत्रकाठरिा को खास बिाए रखिे के हलए इि हसद्धान्िों को पालि करिा आवश्यक िो
जािा िै।
• हिष्पक्षिा (िे यरिेस)-पत्रकार के हलए हिष्पक्ष िोिा जरूरी िै। पत्रकाठरिा लोकिंत्र का चौथा स्िरभ
िै। हिष्पक्षिा का अथय िटस्थिा ििीं िै। सिी-गलि, न्याय-अन्याय को ध्याि में रख दकया गया
हिणयय िै।
• िथ्यों की शुद्धिा (एक्युरेसी-) मीहर्या या पत्रकाठरिा यथाथय का प्रहिबबंब िै अिः िथ्यों को िोि-
मोि कर ििीं प्रस्िुि दकया जािा चाहिए।
• वस्िुपरकिा (ऑब्जेक्टीहवटी)-एक पत्रकार समाचार के हलए िथ्यों का आकलि अपिी धारणा के
आधार पर ि करे बहल्क उसका वास्िहवक रूप प्रस्िुि करे।
• संिुलि (बैलेंस)-समाचार को दकसी एक पक्ष में झुका ििीं िोिा चाहिए। दोिों पक्षों की बाि बराबर
लािी चाहिए।
• स्रोि (सोर्संग) एरीब्यूशि)-दकसी भी समाचार में शाहमल की गई सूचिा एवं जािकारी का कोई
स्रोि िोिा आवश्यक िै। स्रोि का उल्लेख आवश्यक िो जािा िै।
• एक अछछे पत्रकार को सिल िोिे के हलए पत्रकाठरिा के मूल्यों को ध्याि में रखिा पििा िै। इन्िीं
मूल्यों को पत्रकार की बैसाहखयाँ किा जािा िै। सच्चाई, संिल
ु ि, हिष्पक्षिा और स्पििा पत्रकार की
बैसाहखयाँ िैं।
पत्रकाठरिा के अन्य आयाम
• संपादकीय-यि समाचार पत्र का सबसे मित्वपूणय पृष्ठ िोिा िै। संपादक इस पृष्ठ पर अपिी राय
प्रकट करिा िै। इस पृष्ठ पर हवहभन्न हवषयों के हवशेषज्ञों के लेख िोिे िैं। संपादक के िाम पत्र भी
इसी पृष्ठ पर िोिे िैं जो घटिाओं पर आम लोगों की ठटप्पणी िोिी िै।
• िोटो पत्रकाठरिा-जो बाि िजार शब्द स्पि ििीं कर सकिे उसे एक िोटो स्पि कर देिी िै। यि
बहुि प्रभावशाली माध्यम िै।
• काटूयि कोिा-काटूयि के माध्यम से की गई धारदार ठटप्पहणयाँ सीधे पािक के मि को छू िी िै।
• रे खांकि और काटोग्राि-इिके प्रयोग से शब्दों के हबिा िी आँकिो को ग्राि के द्वारा एक िजर में
समझाया जािा िै। इसका प्रयोग समाचार पत्रों के अलावा टी.वी. में भी िोिा िै।
पत्रकाठरिा के प्रकार
• खोजपरक पत्रकाठरिा-ऐसी पत्रकाठरिा हजसमें गिराई से छािबीि करके ऐसे िथ्यों व सूचिाओं
को सामिे लािे की कोहशश की जािी िै, हजन्िें दबािे या छु पािे का प्रयास दकया जा रिा िो।
आमिौर पर सावयजहिक मित्व के मामलों में भ्रिाचार, अहियहमििाओं और गिबहियों को सामिे
लािे की कोहशश की जािी िै। ‘बस्टंग ऑपरे शि’ इसी का एक िया रूप िै।
• हवशेषीकृ ि पत्रकाठरिा-इसके अंिगयि संसदीय पत्रकाठरिा, न्यायालय पत्रकाठरिा, आर्थयक
पत्रकाठरिा, खेल पत्रकाठरिा, हवज्ञाि और हवकास पत्रकाठरिा, अपराध पत्रकाठरिा, िै शि और
दिल्म पत्रकाठरिा शाहमल िैं। इसमें संबंहधि पत्रकार उस क्षेत्र की हवशेषज्ञ िोिे िैं।

पाठ्यसामग्री-हिन्दी (आधार) कक्षा:ग्यारिवीं पृष्ठ 25 of 123


• वॉचर्ॉग पत्रकाठरिा-जब मीहर्या सरकार के कामकाज पर हिगाि रखकर िोिे वाली गिबहियों
का परदािाश कर जििा के समक्ष लािा िै िो उसे वॉचर्ॉग पत्रकाठरिा कििे िैं।
• एर्वोके सी पत्रकाठरिा • जब कोई समाचार संगिि दकसी मुद्दे को उछाल कर उसके पक्ष में जिमि
िाहसल करिे के हलए अहभयाि चलािा िैं िो उसे एर्वोके सी या पक्षधर पत्रकाठरिा कििे िै।
• वैकहल्पक पत्रकाठरिा-जो मीहर्या स्थाहपि व्यवस्था के हवकल्प को सामिे लािे और उसके अिुकूल
सोच को अहभव्यक्त करिा िै उसे 'वैकहल्पक मीहर्या’ किा जािा िै।
• संपादक मंर्ल यि एक संगिि िै हजसमें संपादक, संयुक्त संपादक, सिायक संपादक, हवशेष संपादक,
मुख्य संपादक, उप-संपादक, संवाददािा और प्रूिर शाहमल िोिे िैं।
• समाचार माध्यमों का मौजूदा रुझाि-व्यापारीकरण के कारण सभी अहधक से अहधक धि कमािा
चाििे िैं। अिः अपिे समाचार-पत्र अथवा चैिल को लोकहप्रय बिािे के हलए पीि पत्रकाठरिा
(सिसिीखेज खबरें ) या पेज थ्री पत्रकाठरिा(मित्वपूणय लोगों के हिजी जीवि से संबंहधि खबरें ) का
प्रयोग अहधक से अहधक करिे िैं।
पत्रकाठरिा का मित्व-
(1) देश-हवदेश की गहिहवहधयों की जािकारी देिी िै।
(2) जिसामान्य को उसके कियव्य और अहधकारों की जािकारी देिी िै।
(3) रोजगार के अवसर िलाशिे में सिायक िै।
(4) राष्ट्रीय चेििा का सशक्त आधार िै।
(5) युगीि समस्याओं से जििा को जोििी िै।
(6) मािव कल्याण की प्रेरणा देिी िै।
बहुहवकल्पी प्रश्न
(1) पत्रकाठरिा का मूल ित्व िै-
(क) हजज्ञासा (ख) हजजीहवषा (ग) ज्ञाि (घ) उपयुयक्त सभी
(2) समाचार के हलए आवश्यक ित्व िै-
(क) िवीििा (ख) हिकटिा (ग) जिरुहच (घ) उपयुयक्त सभी
(3) हवहभन्न समाचार संगििों की समाचारों के चयि और प्रस्िुहि को लेकर एक िीहि िोिी िै। इस िीहि
को कििे िैं-
(क) शासकीय िीहि (ग) संचयि िीहि
(ख) संपादकीय िीहि (घ) पत्रकारीय िीहि
(4) प्रकाशि के हलए प्राि सामग्री की अशुहद्धयों को दूर करके उसे पििीय बिािा किलािा िै-
(क) संपादि (ख) संपादकीय (ग) संचयि (घ) शुहद्धकरण
(5) लोकिन्त्र का चौथा स्िरभ किा जािा िै-
(क) व्यवस्थाहपका को (ग) पत्रकाठरिा को
(ख) न्यायपाहलका को (घ) काययपाहलका को
(6) हिम्नहलहखि में से संपादि का हसद्धांि ििीं िै-
(क) हिष्पक्षिा (ख) िथ्यों की शुद्धिा (ग) वस्िुपरकिा (घ) आत्महवश्वास
(7) पत्रकार की बैसाखी किा गया िै-
(क) सच्चाई और संिुलि को (ग) क और ख दोिों सिी िैं
(ख) हिष्पक्षिा और स्पििा को (घ) इिमें से कोई ििीं
(8) ‘बस्टंग ऑपरे शि’ दकस पत्रकाठरिा के अंिगयि आिा िै?
(क) वाचर्ॉग पत्रकाठरिा (ख) हवशेषीकृ ि पत्रकाठरिा
(ग) खोजी पत्रकाठरिा (घ) पीि पत्रकाठरिा

पाठ्यसामग्री-हिन्दी (आधार) कक्षा:ग्यारिवीं पृष्ठ 26 of 123


(9) जब मीहर्या सरकार के कामकाज पर हिगाि रखकर िोिे वाली गिबहियों का परदािाश कर जििा
के समक्ष लािा िै िो उसे कििे िैं-
(क) खोजी पत्रकाठरिा (ग)हवशेषीकृ ि पत्रकाठरिा
(ख) वाचर्ॉग पत्रकाठरिा (घ) पेज थ्री पत्रकाठरिा
(10) एर्वोके सी पत्रकाठरिा को अन्य दकस िाम से जािा जािा िै?
(क) हिष्पक्ष पत्रकाठरिा (ख) खोजी पत्रकाठरिा (ग) पीि पत्रकाठरिा (घ) पक्षधर पत्रकाठरिा
(11) हवशेषीकृ ि पत्रकाठरिा के अंिगयि आिी िै--
(क) संसदीय पत्रकाठरिा (ग) खेल पत्रकाठरिा
(ख) हवज्ञाि और हवकास पत्रकाठरिा (घ) उपयुयक्त सभी
(12) सिसिीखेज खबरें दकस पत्रकाठरिा के अंिगयि आिी िैं?
(क) खोजी पत्रकाठरिा (ग) पेज थ्री पत्रकाठरिा
(ख) पीि पत्रकाठरिा (घ) एर्वोके सी पत्रकाठरिा
(13) समाचार पत्र का सबसे मित्वपूणय पृष्ठ िोिा िै-
(क) खेल पृष्ठ (ग) संपादकीय पृष्ठ
(ख) आर्थयक पृष्ठ (घ) प्रथम पृष्ठ
(14) धारदार ठटप्पहणयाँ की जािी िैं-
(क) िोटो पत्रकाठरिा के माध्यम से
(ख) काटूयि के माध्यम से
(ग) रे खांकि और काटोग्राि के माध्यम से
(घ) संपादकीय के माध्यम से
(15) जब कोई समाचार संगिि दकसी मुद्दे को उछाल कर उसके पक्ष में जिमि िाहसल करिे के हलए
अहभयाि चलािा िै िो यि दकस पत्रकाठरिा के अंिगयि आिा िै?
(क) खोजी पत्रकाठरिा
(ख) वाचर्ॉग पत्रकाठरिा
(ग) एर्वोके सी पत्रकाठरिा
(घ) वैकहल्पक पत्रकाठरिा
(16) ‘र्ेर्लाइि’ क्या िै?
(क) समाचारपत्रों की समाचारों को कवर करिे की हिधायठरि समय-सीमा
(ख) संचार प्रदक्रया में संदश
े प्रािकिाय द्वारा दशायई गई प्रहिदक्रया
(ख) संचार प्रदक्रया में आिे वाली बाधाएँ
(घ) दकसी काययक्रम का सीधा प्रसारण
(17) हिम्नहलहखि में से दकसे आप समाचार ििीं कि सकिे?
(क) प्रेरक और उत्तेहजि कर देिे वाली िर सूचिा
(ख) दकसी घटिा की ठरपोटय
(ख) समय पर दी जािे वाली िर सूचिा
(घ) सिकर्मययों का आपसी कु शलक्षेम या दकसी हमत्र की शादी
उत्तरमाला-
1-क 2-घ 3-ख 4-क 5-ग 6-घ 7-ग 8-ग 9-ख 10-घ
11-घ 12-ख 13-ग 14-ख 15-ग 16-क 17-घ

पाठ्यसामग्री-हिन्दी (आधार) कक्षा:ग्यारिवीं पृष्ठ 27 of 123


प्रश्न-3 (क)-काव्यांश पर आधाठरि बहुहवकल्पी प्रश्न
1. कबीर
हिम्नहलहखि काव्यांशों को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के सिी हवकल्प चुिकर हलहखए।
“िम िौ एक –एक कठर जािा
दोइ किँ हिििीं कौं दोजग हजि िाबिंि पहिचांिां।
एकै पवि एकै िी पािी एकै जोहि समांिां।
एकै खाक गढे सब भांर्ै एकै कोंिरा सांिां
जैसे बाढी काि िी काटै अहगहि ि काटै कोई
सब घठट अंिठर िूँिी व्यापक धरै सरूपै सोई।
माया देहख के जगि लुभािां कािे रे िर गरबािां।
हिरभै भया कछू िबिं ब्यापै किै कबीर ददवांिां”
(i) प्रस्िुि पद्यांश के कहव कौि िै?
(क) सूरदास (ख) िुलसीदास (ग) कबीर (घ) मीरा बाई।
(ii) कबीर िे दकि लोगों को िरक का अहधकारी मािा िै?
(क) जो परमात्मा को ििीं माििे (ख) जो परमात्मा के एक स्वरूप को िी माििे िै
(ग) जो परमात्मा के दो रूपो की बाि करिे िैं (घ) जो हिगुयण िै
(iii) कबीर िे ईश्वर के एक िी स्वरूप के पक्ष में कौिसा िकय ििीं ददया िै?
(क) एक िी जल िै (ख) एक िी पवि िै (ग) एक िी स्वगय िै (घ) एक िी ज्योहि िै
(iv) कबीर के अिुसार मािव शरीर का हिमायण दकि-दकि ित्वों से हुआ िै?
(क) जल (ख) पवि और पृथ्वी (ग) अहि और आकाश (घ) सभी
(v) दोजग शब्द का प्रयोग दकस के हलए दकया गया िै?
(क) ईश्वर के हलए (ख) मािव के हलए (ग) िरक के हलए (घ) स्वगय के हलए
(vi) कबीर के द्वारा रहचि पद की भाषा कौिसी िै?
(क) िज (ख) अवधी (ग) सधुक्किी (घ) राजस्थािी
उत्तर-
प्रश्न संख्या (i) (ii) (iii) (iv) (v) (vi)
सिी हवकल्प ग ग ग घ ग ग

2. मीरा
➢ जन्म: सि् 1498, कु िकी गाँव (मारवाि ठरयासि)
➢ मृत्यु: सि् 1546
➢ प्रमुख रचिाएँ:-‘मीरापदावली’, ‘िरसीजी-रो-मािेरो’
पद
मेरे िो हगरधर गोपाल, दूसरो ि कोई
जा के हसर मोर-मुकुट, मेरो पहि सोई
छांहि दयी कु ल की काहि, किा कठरिै कोई?
संिि दढग बैठि-बैठि, लोक लाज खोयी
अंसुवि जल सींहच-सींहच, प्रेम-बेहल बोयी
पाठ्यसामग्री-हिन्दी (आधार) कक्षा:ग्यारिवीं पृष्ठ 28 of 123
अब ि बेहल िै हल गयी, आणंद-िल िोयी
दूध की मथहियाँ बिे प्रेम से हवलोयी
दहध महथ घृि कादढ़ हलयो, र्ाठर दयी छोयी
भगि देहख राजी हुयी, जगि देहख रोयी
दाहस मीरां लाल हगरधर! िारो अब मोिी

बहुहवकल्पी प्रश्न
1. मीरा िे अपिे आराध्य देव की क्या पिचाि बिाई िै?
(क) उसके हसर पर िाज िै (ख) उसके हसर पर मोर मुकुट िै
(ग) उसिे अपिे हसर को झुकाया िै (ग) उसके हसर पर पगिी बँधी हुई िै
2. "छाहि दयी कु ल की काहि, किा कठरिै कोई?" इस पंहक्त से मीरा की कौि-सी भाविा प्रकट िोिी िै?
(क) समाज के प्रहि चुिौिी (ख) हवियभाव
(ग) समाज के सामिे याचिा भाव (घ) समाज से र्रिे का भाव
3. दकसके साथ बैि-बैि कर मीरा िे लोक-लाज को त्याग ददया था?
(क) सास-ससुर (ख) सहखयों (ग) संिों (घ) राजा
4. मीरा िे अपिी प्रेम-बेहल को दकससे सींचा िै?
(क) पािी से (ख) दूध से (ग) अमृि से (घ) आँसुओं से
5. मीरा इस जगि में क्या देखकर प्रसन्न िोिी िै?
(क) सामाहजक बंधि (ख) समाज में मोि-माया
(ग) प्रभु-भहक्त (घ) सगे-संबंधी

उत्तर-
(i) (ii) (iii) (iv) (v)
(ख) (क) (ग) (घ) (ग)

3. भवािीप्रसाद हमश्र
कहविा-घर की याद
पद्यांश-1
“और माँ हबि – पढ़ी मेरी,
दुःख में वि गढ़ी मेरी,
माँ दक हजसकी गोद में हसर,
रख हलया िो दुख ििीं दिर,
माँ दक हजसकी स्नेि – धारा,
का यिाँ िक भी पसारा,
उसे हलखिा ििीं आिा,
जो दक उसका पत्र पािा।
हपिा जी हजिको बुढ़ापा,
एक क्षण भी ििीं व्यापा,

पाठ्यसामग्री-हिन्दी (आधार) कक्षा:ग्यारिवीं पृष्ठ 29 of 123


जो अभी भी दौि जाएँ,
जो अभी भी हखलहखलाएँ,
मौि के आगे ि हिचकें ,
शेर के आगे ि हबचकें ,
बोल में बादल गरजिा,
काम में झंझा लरजिा”
(i) दुःख से वि गढ़ी मेरी-यि पंहक्त दकसके हलए प्रयुक्त हुई िै
(क) कहव के हपिा के हलए (ग) कहव के भाई के हलए
(ख) कहव की बिि के हलए (घ) कहव की माँ के हलए
(ii) “माँ दक हजसकी स्नेि-धारा” इस पंहक्त में कौि-सा अलंकार िै?
(क) अिुप्रास (ख) यमक (ग) श्लेष (घ) रूपक
(iii) कहव िे माँ की दकस हववशिा का उल्लेख दकया िै?
(क) वि पढ़-हलख ििीं सकिी िै (ग) उसके पास धि-दौलि ििीं िै
(ख) वि देख सुि ििीं सकिी िै (घ) वि चल ििीं सकिी िै
(iv) कहव के अिुसार उसके हपिा की हवशेषिा ििीं िै?
(क) बुढ़ापे में भी दौि लगािा (ग) हिर्र िोिा
(ख) िीव्र गहि से काम करिा (घ) बुढ़ापे के लक्षण ददखाई देिा
(v) काम में झंझा लरजिा-इसमें ‘झंझा’ शब्द का अथय िै-
(क) हबजली (ख) बादल (ग) िूिाि (घ) सागर
1-घ 2-घ 3-क 4-घ 5-ग
पद्यांश-2
“हपिा जी िे किा िोगा,
िाय, दकििा सिा िोगा,
किाँ मैं रोिा किाँ हँ,
धीर में खोिा किाँ हँ,
िे संजील िरे सावि,
िे दक मेरे पुण्य पावि,
िुम बरस लो वे ि बरसे
पाँचवें को वे ि िरसे,
मैं मजे में हँ सिी िै,
घर ििीं हँ बस यिी िै,
ककं िु यि बस बिा बस िै,
इसी बस से सब हवरस िै,
(i) हपिा जी िे किा िोगा-इस पंहक्त में दकससे कििे का संकेि िै?
(क) माँ से (ख) बिि से (ग) दोस्ि से (घ) हपिाजी से
(ii) कहव िे अपिा संदश
े देिे के हलए दकस मिीिे को संबोहधि दकया िै?
(क) आषाढ़ को (ख) सावि को (ग) भादो को (घ) िागुि को
(iii) पाँचवें को वे ि िरसे यिाँ ‘पाँचवा’ शब्द दकसके हलए आया िै?

पाठ्यसामग्री-हिन्दी (आधार) कक्षा:ग्यारिवीं पृष्ठ 30 of 123


(क) हपिा के हलए. (ख) भाई के हलए (ग) माँ के हलए (घ) कहव के हलए
(iv) दकन्िु यि बस बिा बस िै-इस पंहक्त में कौि-सा अलंकार िै?
(क) यमक (ख) रूपक (ग) श्लेष (घ) अहिशयोहक्त
(v) कहव अपिी वास्िहवक हस्थहि पठरवार वालों को क्यों ििीं बिािा चाििा?
(क) कहव पठरवार वालों को क्रोहधि ििीं करिा चाििा
(ख) कहव पठरवार वालों को दुखी ििीं करिा चाििा
(ग) कहव पठरवार वालों को ििोत्साहिि ििीं करिा चाििा
(घ) कहव पठरवार वालों को शांि ििीं करिा चाििा
उत्तरमाला-
1-क 2-ख 3-घ 4-क 5-ख

4. हत्रलोचि
कहविा- चंपा काले काले अछछर ििीं चीन्ििी
पद्यांश-1
“चंपा काले काले अछछर ििीं चीन्ििी
मैं जब पढ़िे लगिा हँ वि आ जािी िै
खिी खिी चुपचाप सुिा करिी िै
उसे बिा अचरज िोिा िै:
इि काले चीन्िों से कै से ये सब स्वर
हिकला करिे िैं
चंपा सुन्दर की लिकी िै
सुन्दर ग्वाला िै: गायें-भैंसें रखिा िै
चंपा चौपायों को लेकर
चरवािी करिे जािी िै”
चंपा अछछी िै
चंचल िै
ि ट ख ट भी िै
कभी कभी ऊधम करिी िै
कभी कभी वि कलम चुरा देिी िै
जैसे िैसे उसे ढू ँढ़ कर जब लािा हँ
पािा हँ-अब कागज गायब
परे शाि दिर िो जािा हँ”
(i) चंपा काले काले अछछर ििीं चीन्ििी। इस पंहक्त में ‘काले काले’ शब्द दकस ओर संकेि करिे िैं?
(क) हशक्षा-व्यवस्था के अंिर्वयरोधों की ओर
(ख) उस दारुण यथाथय की ओर जिाँ आर्थयक मजबूठरयों के चलिे घर टूटिे िैं
(ग) क और ख दोिों सिी िैं
(घ) इिमें से कोई ििीं
(ii) चरपा को दकस बाि पर आियय िोिा िै?
(क) लोग पढ़-हलखकर इििे चालाक कै से िो जािे िैं
(ख) काले हचन्िों (अक्षरों) से अलग-अलग स्वर कै से हिकलिे िैं
(ग) कहव िर समय कागज पर क्या हलखिा रििा िै
(घ) गांधी जी पढ़िे-हलखिे की बाि कै से कि सकिे िैं
(iii) चरपा क्या काम करिी िै?

पाठ्यसामग्री-हिन्दी (आधार) कक्षा:ग्यारिवीं पृष्ठ 31 of 123


(क) पढ़िी िै (ख) पढ़ािी िै (ग) पशु चरािी िै (घ) कहविा हलखिी िै
(iv) हिम्नहलहखि में से सिी कथि िै-
(क) चरपा पढ़ाई-हलखाई का मित्त्व ििीं समझिी िै
(ख) चरपा कहव की कलम और कागज चुराकर उसे परे शाि करिी िै
(ग) चरपा सुंदर की लिकी िै
(घ) उपयुयक्त सभी
(v) ‘अछछर’ शब्द का ित्सम रूप िै-
(क) आखर (ख) अक्सर (ग) अक्षर (घ) अक्षि
उत्तरमाला
(i)-ग (ii)-ख (iii)-ग (iv)-घ (v)-ग

पद्यांश-2
“उस ददि चंपा आई, मैंिे किा दक
चरपा िुम भी पढ़ लो
िारे गाढ़े काम सरे गा
गाँधी बाबा की इछछा िै-
सब जि पढ़िा-हलखिा सीखें
चंपा िे यि किा दक
मैं िो ििीं पढ़ूँगी
िुम िो कििे थे गांधी बाबा अछछे िैं
वे पढ़िे हलखिे की कै से बाि किेंगे
मैं िो ििीं पढ़ूँगी”
(i) कहव िे चरपा से क्या किा?
(क) अिपढ़ रििा अछछा िै (ग) पशु चरािा अछछा िै
(ख) पढ़िा-हलखिा अछछा िै (घ) बिस करिा अछछा िै
(ii) कहव के अिुसार मिात्मा गांधी जी की क्या इछछा थी?
(क) सब लोग आराम से रिें (ग) सब लोग पढ़िा-हलखिा सीखें
(ख) सब लोग खेिी के काम करें (घ) सब चरखा चलािा सीखें
(iii) चरपा िे कहव को क्या जवाब ददया?
(क) वि पढाई ििीं करे गी (ग) उसे हलखिा अछछा लगिा िै
(ख) वि पशुओं को लेकर ििीं जाएगी (घ) वि कलकिा जाएगी
(iv) गांधी बाबा अछछे िैं-यि दकसिे किा?
(क) चंपा िे (ख) कहव िे (ग) चरपा के हपिा िे (घ) चरपा के पहि िे
(v) ‘िारे गाढ़े काम सरे गा’ पंहक्त का अथय िै-
(क) मिोबल बढ़ेगा (ग) िारिे पर काम आएगा
(ख) दकसी भी समय काम हिकल जाएगा (घ) कठििाई के वक्त काम आएगा
उत्तरमाला
(i)-ख (ii)-ग (iii)-क (iv)-क (v)-ख

5. दुष्यंि कु मार
कहविा-गजल

पाठ्यसामग्री-हिन्दी (आधार) कक्षा:ग्यारिवीं पृष्ठ 32 of 123


पद्यांश-1
किाँ िो िय था हचरागाँ िरेक घर के हलए,
किाँ हचराग मयस्सर ििीं शिर के हलए।
यिाँ दरख्िों के साये में धूप लगिी िै,
चलो यिाँ से चलें और उम्र भर के हलए।
ि िो कमीज िो पाँवों से पेट ढँक लेंगे,
ये लोग दकििे मुिाहसब िैं इस सिर के हलए।
खुदा ििीं, ि सिी, आदमी का ख्वाब सिी,
कोई िसीि िजारा िो िै िजर के हलए।
(i) क्या िय दकया गया था?
(क) िर व्यहक्त को दीपक ददया जाएगा
(ख) िर व्यहक्त को उसके िक की सुख-सुहवधाएं हमलेंगी
(ग) िर व्यहक्त देश छोिकर जाएगा
(घ) िर व्यहक्त कमीज पििेगा
(ii) ‘साये में धूप लगिा’ में कौिसा अलंकार िै?
(क) अिुप्रास (ख) अहिशयोहक्त (ग) हवरोधाभास (घ) यमक
(iii) ‘ि िो कमीज िो पाँवों से पेट ढँक लेंग’े इस पंहक्त से प्रवृहत्त का पिा चलिा िै?
(क) संिोषी प्रवृहत्त (ग) अिुकरणात्मक प्रवृहत्त
(ख) हवरोधात्मक प्रवृहत्त (घ) ददखावे की प्रवृहत्त
(iv) यिाँ ‘हचराग’ दकसका प्रिीक िै?
(क) दीपावली के दीपक (ग) रोजगार
(ख) हबजली (घ) अहधकार एवं सुख-सुहवधाएं
(v) गजल मे प्रयुक्त ‘वृक्ष’ का समािाथयक शब्द िै-
(क) मयस्सर (ख) दरख्ि (ग) मुिाहसब (घ) हचराग

उत्तर-(i) (ख) िर व्यहक्त को उसके िक की सुख-सुहवधाएं हमलेंगी (ii) (ग) हवरोधाभास (iii) (क)
संिोषी प्रवृहत्त (iv) (घ) अहधकार एवं सुख-सुहवधाएं (v) (ख) दरख्ि

पद्यांश-2
वे मुिमइि िैं दक पत्थर हपघल ििीं सकिा,
मैं बेकरार हँ आवाज में असर के हलए।
िेरा हिजाम िै हसल दे जुबाि शायर की,
ये एिहियाि जरूरी िै इस बिर के हलए।
हजएँ िो अपिे बगीचे में गुलमोिर के िले,
मरें िो गैर की गहलयों में गुलमोिर के हलए।
(i) कहव दकस के हलए बेकरार िै?
(क) आवाज को मधुर बिािे के हलए
(ख) अहधकाठरयों को खुश करिे के हलए
(ग) जििा को जगािे के हलए
(घ) सत्ता में बैिे लोगों को सावधाि करिे के हलए

पाठ्यसामग्री-हिन्दी (आधार) कक्षा:ग्यारिवीं पृष्ठ 33 of 123


(ii) सत्ता में आसीि वगय को दकस िरि की सावधािी की जरुरि िै?
(क) कहवयों की जुबाि बंद करिे की
(ख) रै हलयाँ हिकालिे की
(ग) आम जि को परे शाि करिे की
(घ) इिमें से कोई ििीं
(iii) “हजएँ िो अपिे बगीचे में गुलमोिर के िले” पंहक्त में 'बगीचे' का प्रिीकाथय क्या िै?
(क) धि-दौलि
(ख) माि-सरमाि
(ग) राग-रं ग
(घ) देश-समाज
(iv) गैर की गहलयों में रिकर भी कहव दकसके हलए मरिा चाििा िै?
(क) िेिाओं के हलए
(ख) अपिे अहधकारों की प्राहि के हलए
(ग) अहधकाठरयों के हलए
(घ) पूँजीपहियों के हलए
(v) कौि मुिमइि िैं?
(क) गरीब आदमी (ग) जििा
(ख) कहव (घ) सत्ता में बैिे लोग

उत्तर- (i) (ग) जििा को जगािे के हलए (ii) (क) कहवयों की जुबाि बंद करिे की (iii) (घ) देश-समाज
(iv) (ख) अपिे अहधकारों की प्राहि के हलए (v) (घ) सत्ता में बैिे लोग

6. अक्क मिादेवी
कहविा- िे भूख मि मचल
“िे भूख! मि मचल
प्यास, ििप मि
िे िींद! मि सिा
क्रोध, मचा मि उथल-पुथल
िे मोि! पाश अपिे ढील
लोभ, मि ललचा
मद! मि कर मदिोश
ईष्याय, जला मि
ओ चराचर! मि चूक अवसर
आई हँ संदश
े लेकर चन्नमहल्लकाजुयि का”
(i) प्रस्िुि वचि में कौि-सा अलंकार िै?
(क) हवभाविा (ख) अहिशयोहक्त (ग) हवरोधाभास (घ) मािवीकरण
(ii) पद्यांश में ‘प्यास’ से क्या िात्पयय िै?
(क) पािी की प्यास (ख) आलस्य (ग) सांसाठरक िृष्णा (घ) क्रोध
(iii) क्रोध से क्या िाहि िोिी िै?

पाठ्यसामग्री-हिन्दी (आधार) कक्षा:ग्यारिवीं पृष्ठ 34 of 123


(क) मिुष्य का हववेक िि िो जािा िै (ग) मिुष्य की चेििा लुि िो जािी िै
(ख) मिुष्य का ज्ञाि िि िो जािा िै (घ) उपयुयक्त सभी
(iv) प्रस्िुि पद्यांश में कवहयत्री क्या आग्रि कर रिी िै?
(क) अपिी इहन्द्रयों को हियंत्रण में रखिे का (ग) भौहिक सुख-सुहवधा पािे का
(ख) दीि-िीिों की सिायिा करिे का (घ) उपयुयक्त में कोई ििीं
(v) कवहयत्री दकसका संदश
े प्रचाठरि कर रिी िै?
(क) भगवाि श्रीकृ ष्ण का (ख) भगवाि हवष्णु का (ग) देवी दुगाय का (घ) भगवाि हशव का

उत्तर-(i) घ (ii) ग (iii) क (iv) क (v) घ

कहविा- िे भूख मि मचल, िे मेरे जूिी के िू ल जैसे ईश्वर

“िे! मेरे जूिी के िू ल जैसे ईश्वर


मँगवाओ मुझसे भीख और कु छ ऐसा करो
दक भूल जाऊँ अपिा घर पूरी िरि
झोली िै लाऊँ और ि हमले भीख
कोई िाथ बढ़ाए कु छ देिे को,
िो वि हगर जाए िीचे
और यदद मैं झुकूँ उसे उिािे
िो कोई कु त्ता आ जाए
और उसे झपटकर छीि ले मुझसे”
(i) कवहयत्री िे ईश्वर की उपमा दकससे की िै?
(क) चमेली के िू ल से (ख) कमल के िू ल से
(ग) जूिी के िू ल से (घ) गुलाब के िू ल से
(ii) कवहयत्री अपिे अिंकार से दूर रििे के हलए ईश्वर से क्या प्राथयिा कर रिी िै?
(क) मुझे ज्ञाि और हववेक से पठरपूणय कर दो (ख) मुझसे िीच-से-िीच कायय करवाओ
(ग) मैं सांसाठरक हवषयों से दूर रहँ (घ) ये सभी
(iii) अपिी दयिीय हस्थहि बिािे के हलए कवहयत्री क्या-क्या कायय करिा चाििी िै?
(क) मैं दूसरों से भीख माँगू (ख) अपिा घर पूरी िरि से भूल जाऊँ
(ग) मुझे हमली भीख को कु त्ता उिाकर ले जाए (घ) ये सभी
(iv) पद्यांश के अिुसार, कवहयत्री की कामिा क्या िै?
(क) परम ईश्वर की प्राहि (ख) हिकृ ि कायय करिा
(ग) अत्यहधक भौहिक सुखों की प्राहि (घ) दीििा-िीििा का त्याग
(v) 'िे! मेरे जूिी के िू ल जैसे ईश्वर' पंहक्त में अलंकार िै?
(क) रूपक (ख) उपमा (ग) यमक (घ) श्लेष

उत्तर – (I) ग (ii) ग (iii) घ (iv) क (v) ख

पाठ्यसामग्री-हिन्दी (आधार) कक्षा:ग्यारिवीं पृष्ठ 35 of 123


7. अविार बसंि संधू 'पाश'
कहविा-सबसे खिरिाक
पद्यांश-1
“सबसे खिरिाक िोिा िै
मुदाय शांहि से भर जािा
ि िोिा ििप का सब सिि कर जािा
घर से हिकलिा काम पर
और काम से लौटकर घर आिा
सबसे खिरिाक िोिा िै
िमारे सपिों का मर जािा
सबसे खिरिाक वि घिी िोिी िै
आपकी कलाई पर चलिी हुई भी जो
आपकी हिगाि में रुकी िोिी िै”
(i) 'मुदाय शांहि से भर जािा' क्यों सबसे खिरिाक िोिा िै?
(क) क्योंदक मुदाय भी बजंदा िो सकिा िै (ख) क्योंदक उसमें हवरोध करिे की क्षमिा ििीं िोिी िै
(ग) क्योंदक उसमें किोरिा िोिी िै। (घ) इिमें से कोई ििीं
(ii) एक ढरे पर चलिे वाली बजंदगी कै सी िोिी िै?
(क) घर से हिकलिा काम पर (ख) काम से लौटकर घर आिा (ग) इिमें से के वल एक (घ) इिमें से दोिों
(iii) सपिों के मर जािे का क्या िात्पयय िै?
(क) हिराशा में जीिा (ग) सुििरे भहवष्य की इछछाएँ खत्म िोिा
(ख) बचंिा में र्ू बे रििा (घ) इिमें से कोई ििीं
(iv) सबसे खिरिाक वि घिी िोिी िै-इस पंहक्त में कौि-सा अलंकार िै?
(क) अिुप्रास (ख) श्लेष (ग) यमक (घ) उपमा
(v) 'सबसे खिरिाक' कहविा के रचिाकार का क्या िाम िै?
(क) अविार बसंि संधू (ख) अक्क मिादेवी (ग) भवािीप्रसाद हमश्र (घ) हिमयला पुिुल
उत्तर-(i)-(ख) (ii)-(घ) (iii)-(ग) (iv) (ख) (v) (क)
7. हिमयला पुिल

• जन्म: सि् 1972 में झारखंर् राज्य के दुमका क्षेत्र में एक आददवासी पठरवार में।
• रचिाएँ-िगािे की िरि बजिे शब्द, अपिे घर की िलाश में।
कहविा-आओ, हमलकर बचाएँ
पद्यांश: 1
“अपिी बहस्ियों को
िंगी िोिे से
शिर की आबो-िवा से बचाएँ उसे
बचाएँ र्ू बिे से
पूरी की पूरी बस्िी को
िहिया में
अपिे चिरे पर
संथाल परगिा की माटी का रं ग
भाषा में झारखर्ीपि”

पाठ्यसामग्री-हिन्दी (आधार) कक्षा:ग्यारिवीं पृष्ठ 36 of 123


(i) कवहयत्री क्या बचािे का आह्वाि करिी िै?
(क) आददवासी बहस्ियों को (ख) शिरी संस्कृ हि को (ग) आददवाहसयों अवगुणों को (घ) उक्त सभी को
(ii) संथाल परगिा की क्या समस्या िै?
(क) शिरों का बढ़िा प्रभाव (ख) भौहिक संपदा का हववेकिीि दोिि
(ग) के वल’क’ (घ) ‘क’ व ‘ख’ दोिों
(iii) झारखंर्ीपि से क्या आशय िै?
(क) संथाली भाषा में झारखण्र् का प्रभाव (ख) झारखंहर्यों के िकारात्मक पक्ष
(ग) आददवासी लोग (घ) उक्त में से कोई ििीं
(iv) ‘आबो-िवा’ से क्या अथय िै?
(क) हमट्टी का रं ग (ख) प्रदूहषि िवा (ग) जलवायु (घ) प्रदूहषि िददयाँ
(v) ‘िंगी िोिे से’ से क्या अहभप्राय िै?
(क) वस्त्रिीि िोिा (ख) मयायदारहिि िोिा (ग) पाशहवक प्रवृहि (घ) उक्त सभी
उत्तर-
(i) (ii) (iii) (iv) (v)
(क) (घ) (क) (ग) (ख)

पद्यांश: 2
“और इस अहवश्वास-भरे दौर में
थोिा-सा हवश्वास
थोिी-सी उरमीद
थोिे-से सपिे
आओ, हमलकर बचाएँ
दक इस दौर में भी बचािे को
बहुि कु छ बचा िै
अब भी िमारे पास!”
(i) वियमाि को ‘अहवश्वास-भरा’ क्यों किा गया िै?
(क) प्रत्येक व्यहक्त दूसरे को िगिे की िाक में रििा िै। (ख) ददखावटी सरमाि के कारण
(ग) मािवीय संवेदिाओं के अभाव के कारण (घ) उक्त सभी
(ii) पद्यांश पठरचायक िै-
(क) कवहयत्री की सकारात्मकिा का (ख) आददवासी संस्कृ हि के प्रहि जुिाव का
(ग) सामूहिक प्रयास के मित्त्व का (घ) उक्त सभी को
(iii) ‘बहुि कु छ बचा िै’ से क्या आशय िै?
(क) आददवासी समाज की अछछाइयां (ख) झारखंहर्यों के िकारात्मक पक्ष
(ग) आददवासी लोग (घ) उक्त में से कोई ििीं
(iv) ‘आओ, हमलकर बचाएँ’ में कवहयत्री का आह्वाि िै-
(क) देशवाहसयों से (ख) सरकारों से (ग) आददवासी समाज के लोगों से (घ) देश की िई पीढ़ी से
(v) ‘थोिे-से सपिे’ में ‘सपिे’ प्रिीक िै-
(क) आधुहिकिा के (ख) सिल और सुकूि युक्त जीवि के (ग) संघषय के (घ) कठििाइयों के
उत्तर-
(i) (ii) (iii) (iv) (v)
(घ) (घ) (क) (ग) (ख)

पाठ्यसामग्री-हिन्दी (आधार) कक्षा:ग्यारिवीं पृष्ठ 37 of 123


प्रश्न-3 (क) गद्यांश पर आधाठरि बहुहवकल्पी प्रश्न
हिम्नहलहखि पठिि गद्यांशों के आधार पर ददए गए प्रश्नों के उत्तर दीहजये –
1. िमक का दारोगा-प्रेमचंद
गद्यांश-1
“जब िमक का िया हवभाग बिा और ईश्वर-प्रदत्त वस्िु के व्यविार करिे का हिषेध िो गया िो लोग चोरी-
हछपे इसका व्यापार करिे लगे। अिेक प्रकार के छल-प्रपंचों का सूत्रपाि हुआ, कोई घूस से काम हिकालिा
था, कोई चालाकी से। अहधकाठरयों के पौ-बारि थे। पटवारीहगरी का सवयसरमाहिि पद छोि-छोिकर लोग
इस हवभाग की बरकं दाजी करिे थे। इसके दारोगा पद के हलए िो वकीलों का भी जी ललचािा था। यि वि
समय था, जब अंग्रेजी हशक्षा और ईसाई मि को लोग एक िी वस्िु समझिे थे। िारसी का प्राबल्य था। प्रेम
की कथाएँ और शृंगार रस के काव्य पढ़कर िारसीदां लोग सवोच्च पदों पर हियुक्त िो जाया करिे थे।“
(i) दकस ईश्वर प्रदत्त वस्िु का व्यविार करिा हिषेध िो गया था –
(क) जल (ख) वायु (ग) िमक (घ) धरिी
(ii) िमक का दरोगा पाि के लेखक?
(क) प्रेमचंद (ख) कृ ष्ण चन्दर (ग) शेखर जोशी (घ) कृ ष्ण िाथ
(iii) दकि के पौ-बारि थे-
(क) गृिहणयों के (ख) अहधकारीयों के (ग) पहियों के (घ) बच्चों के
(iv) िमक हवभाग में दरोगा के पद के हलए कौि ललचािे थे –
(क) र्ॉक्टर (ख) प्रोिे सर (ग) इंजीहियर (घ) वकील
(v) पटवारीहगरी का सवयसरमाहिि पद छोि-छोिकर लोग इस हवभाग की बरकं दाजी करिे थे।यिां दकस
हवभाग की बाि की जा रिी िै?
(क) िमक हवभाग (ख) पुहलस हवभाग (ग) मेहर्कल हवभाग (घ) न्याय हवभाग
उत्तर-
प्रश्न संख्या )i( )ii) )iii) )iv) )v)
सिी हवकल्प ग क ख घ क

गद्यांश-2
“पंहर्ि अलोपीदीि का लक्ष्मी जी पर अखंर् हवश्वास था। वि किा करिे थे दक संसार का िो कििा िी क्या,
स्वगय में भी लक्ष्मी का िी राज्य िै। उिका यि कििा यथाथय िी था। न्याय और िीहि सब लक्ष्मी के िी हखलौिे
िैं, इन्िें वि जैसे चाििी िैं, िचािी िैं। लेटे िी लेटे गवय से बोले-चलो, िम आिे िैं। यि किकर पंहर्ि जी िे
बिी हिबिंििा से पाि के बीिे लगाकर खाए दिर हलिाि ओढ़े हुए दारोगा के पास आकर बोले-बाबू जी,
आशीवायद कहिए िमसे ऐसा कौि-सा अपराध हुआ दक गाहियाँ रोक दी गई। िम िाह्णों पर िो आपकी
कृ पा-दृहि रििी चाहिए। वंशीधर रुखाई से बोले-सरकारी हुक्म िै।”
(i) पंहर्ि अलोहपद्दीि का दकस पर अखंर् हवश्वास था?
(क) अपिे सेवको पर (ख) दरोगा बंशीधर पर (ग) वकीलों पर (घ) लक्ष्मी जी पर
(ii) स्वगय में दकस का राज्य िै?
(क) भगवाि का (ख) पंहर्ि अलोपीदीि का (ग) दारोगा का (घ) लक्ष्मी जी का
(iii) न्याय और िीहि सब लक्ष्मी के िी हखलौिे िैं, इन्िें वि जैसे चाििी िैं, िचािी िैं। यि दकसका कथि िै?
(क) िवलदार का (ख) दारोगा का (ग) पंहर्ि अलोपीद्दीि का (घ) बंशीधर के हपिा का

पाठ्यसामग्री-हिन्दी (आधार) कक्षा:ग्यारिवीं पृष्ठ 38 of 123


(iv) िम िाह्णों पर िो आपकी कृ पा-दृहि रििी चाहिए। दकसकी कृ पा की बाि की जा रिी िै?
(क) ईश्वर की (ख) दारोगा वंशीधर की (ग) लक्ष्मी जी की (घ) िवलदार बदलू बसंि की
(v) िमक की कालाबाजारी कौि कर रिा था –
(क) अलोपीदीि (ख) रामदीि (ग) दािादीि (घ) मािादीि
उत्तर-
प्रश्न संख्या (i) (ii) (iii) (iv) (v)
सिी हवकल्प घ घ ग ख क

गद्यांश-3
“दुहिया सोिी थी, पर दुहिया की जीभ जागिी थी। सवेरे देहखए िो बालक-वृद्ध सबके मुँि से यिी बाि सुिाई
देिी थी। हजसे देहखए, विी पंहर्ि जी के इस व्यविार पर टीका-ठटप्पणी कर रिा था, बिंदा की बौछार िो
रिी थीं. मािो संसार से अब पापी का पाप कट गया। पािी को दूध के िाम से बेचिेवाला ग्वाला, कहल्पि
रोजिामचे बिािे वाले सेि और साहकार, यि सब-के -सब देविाओं की भाँहि गरदिें चला रिे थे। जब दूसरे
ददि पंहर्ि अलोपीदीि अहभयुक्त िोकर कांस्टेबलों के साथ, िाथों में िथकहियाँ, हृदय में ग्लाहि और क्षोभभरे ,
लज्जा से गरदि झुकाए अदालि की िरि चले, िो सारे शिर में िलचल मच गई। मेलों में कदाहचि् आँखें
इििी व्यग्र ि िोिी िोंगी। भीि के मारे छि और दीवार में कोई भेद ि रिा।“
(i) िमक का दरोगा पाि के लेखक कौि िैं?
(क) मिादेवी वमाय (ख) प्रेमचंद (ग) िठरशंकर परसाई (घ) कृ ष्णा सोबिी
(ii) दुहिया सोिी थी मगर दुहिया की ________ जागिी थी –
(क) आँख (ख) काि (ग) जीभ (घ) िाक
(iii) कौि देविाओं की भाँहि गरदिें चला रिे थे।
(क) पािी को दूध के िाम से बेचिेवाला ग्वाला (ग) सेि और साहकार,
(ख) कहल्पि रोजिामचे बिािे वाले बाबू लोग (घ) उपयुयक्त सभी
(iv) भीि के मारे छि और दीवार में कोई भेद ि रिा क्यों?
(क) वंशीधर की िौकरी लग गई थी (ग) पंहर्ि अलोपीदीि की हगरफ्िारी िो गई थी
(ख) वंशीधर की िौकरी चली गई थी (घ) पंहर्ि अलोपीदीि अदालि से बरी िो गए थे
(v) मािो संसार से अब पापी का पाप कट गया दकस घटिा के बारे में किा गया िै?
(क) वंशीधर की िौकरी लगिे के बारे में
(ख) वंशीधर की िौकरी चली जािे के बारे में
(ग) पंहर्ि अलोपीदीि की हगरफ्िारी के बारे में
(घ) पंहर्ि अलोपीदीि के अदालि से बरी िो जािे के बारे में
उत्तर-
प्रश्न संख्या (i) (ii) (iii) (iv) (v)
सिी हवकल्प ख ग घ ग ग

गद्यांश-4

पाठ्यसामग्री-हिन्दी (आधार) कक्षा:ग्यारिवीं पृष्ठ 39 of 123


“पंहर्ि अलोपीदीि इस अगाध वि के बसंि थे। अहधकारी वगय उिके भक्त, अमले उिके सेवक, वकील मुख़्िार
उिके आज्ञापालक और अरदली, चपरासी िथा चौकीदार िो उिके हबिा माल के गुलाम थे। उन्िें देखिे िी
लोग चारों िरि से दौिे। सभी लोग हवहस्मि िो रिे थे। इसहलए ििीं दक अलोपीदीि िे क्यों यि कमय दकया,
बहल्क इसहलए दक वि कािूि के पंजे में कै से आए। ऐसा मिुष्य हजसके पास असाध्य साधि करिेवाला धि
और अिन्य वाचालिा िो, वि क्यों कािूि के पंजे में आए। प्रत्येक मिुष्य उिसे सिािुभूहि प्रकट करिा था।
बिी ित्परिा से इस आक्रमण को रोकिे के हिहमत्त वकीलों की एक सेिा िैयार की गई। न्याय के मैदाि में
धमय और धि में युद्ध िि गया। वंशीधर चुपचाप खिे थे। उिके पास सत्य के हसवा ि कोई बल था, ि स्पि
भाषण के अहिठरक्त कोई शस्त्र। गवाि थे ककं िु लोभ से र्ाँवार्ोल।”
(i) िमक की कालाबाजारी कौि कर रिा था –
(क) अलोपदीि (ख) रामदीि (ग) दािादीि (घ) मािादीि
(ii) दकसका लाखों का लेि देि था –
(क) वंशीधर का (ख) मुरलीधर का (ग) मािादीि का (घ) अलोपदीि का
(iii) अलोपदीि को, दरोगा को दकस बल पर खरीद लेिे का हवश्वास था –
(क) िाकि के बल पर (ख) छल के बल पर (ग) ठरश्वि के बल पर (घ) सरबन्ध के बल पर
(iv) “ न्याय और िीहि सब लक्ष्मी के हखलौिे िै” – यि कथि दकसका था?
(क) वंशीधर (ख) अलोपदीि (ग) बदलूबसंि (घ) वंशीधर के हपिा का
(v) मुकदमा चलािे पर अदालि िे दकसे दोषी ििराया?
(क) वंशीधर (ख) अलोपीदीि (ग) वकील (घ) दकसी को भी ििीं
(vi) लोगों को दकस बाि पर आियय िो रिा था?
(क) अलोपीदीि की हगरफ्िारी पर (ग) न्यायाधीश के न्याय पर
(ख) वंशीधर की ईमािदारी पर (घ) उपयुयक्त सभी
उत्तर-
प्रश्न (i) (ii) (iii) (iv) (v) (vi)
सिी क घ ग ख क घ

2. ‘हमयाँ िसीरुद्दीि’-कृ ष्णा सोबिी


गद्यांश-1
“हमयाँ िसीरुद्दीि िे आँखों के कं चे िम पर िे र ददए। दिर िरे रकर बोले ‘क्या मिलब? पूहछए सािब-िािबाई
इल्म लेिे किीं और जाएगा? क्या िगीिासाज के पास? क्या आईिासाज के पास? क्या मीिासाजके पास?
या रिू गर, रँ गरे ज या िेली-िंबोली से सीखिे जाएगा? क्या िरमा ददया सािब-यि िो िमारा खािदािी
पेशा ििरा। िाँ, इल्म की बाि पूहछए िो जो कु छ भी सीखा, अपिे वाहलद उस्िाद से िी। मिलब यि दक िम
घर से ि हिकले दक कोई पेशा अहख्ियार करें गे। जो बाप-दादा का हुिर था विी उिसे पाया और वाहलद
मरहम के उि जािे पर आ बैिे उन्िीं के िीये पर!’
(i) िािबाई कौि िोिे िै?
(क) खेिी करिे वाले (ख) िलवाई का काम करिे वाले
(ग) हमिाई बिािे वाले (घ) रोटी बिािे का काम करिे वाले
(ii) खािदािी पेशा से क्या अहभप्राय िोिा िै?
(क) हजस व्यवसाय में रुहच िो (ख) जाहि से सरबंहधि धंधा

पाठ्यसामग्री-हिन्दी (आधार) कक्षा:ग्यारिवीं पृष्ठ 40 of 123


(ग) पैिृक धंधा (घ) रोठटयां बिािे का धंधा
(iii) ‘िरेरकर’ से क्या िात्पयय िै?
(क) सामान्य रूप से देखिा (ख) गुस्से से देखिा (ग) प्रेम से देखिा (घ) घूरकर देखिा
(iv) हमयाँ िे रोटी बिािे का काम दकिसे हसखा?
(क) अपिे खािदाि से (ख) अपिे हपिा से (ग) परदादा से (घ) दूसरे की दूकाि पर काम करके
(v) “हमयाँ िसीरुद्दीि िे आँखों के कं चे िम पर िे र ददए’’ वाक्य में ‘िम’ पद का प्रयोग दकिके हलए दकया
गया िै?
(क) अखबारवालों के हलए (ख) लेहखका के हलए
(ग) अखबार पढिे वालों के हलए (घ) इिमें से कोई ििीं

गद्यांश-2
“दिर िेवर चढ़ा िमें घूरकर किा 'िुिकी पापि से ज्यादा मिीि िोिी िै, मिीि। िाँ दकसी ददि हखलाएँग,े
आपको।' एकाएक हमयाँ की आँखों के आगे कु छ कौंध गया। एक लंबी साँस भरी और दकसी गुमशुदा याद को
िाजा करिे को किा उिर गए वे जमािे और गए वे कद्रदाि जो पकािे-खािे की कद्र करिा जाििे थे। हमयाँ
अब क्या रखा िै... हिकाली िंदरू से-हिगली और िजम!”
(i) िुिकी क्या िै?
(क) पापि (ख) सेवइयां (ग) हमिाई (घ) रोटी
(ii) हमयाँ के आगे क्या कौंध गया?
(क) पुरािी याद (ख) पुरािा जमािा (ग) कद्रदाि लोग (घ) उक्त सभी
(iii) 'उिर गए वे जमािे' से क्या अहभप्राय िै?
(क) आिे वाला समय (ख) गुजरा हुआ समय (ग) संघषय का समय (घ) इिमें से कोई ििीं
(iv) हमयाँ को क्या गम िै?
(क) अपिे खािदाि का (ख) अपिे हपिा का (ग) खािे के कद्रदाि ििीं िै (घ) अपिे व्यवसाय का
(v) ‘कद्रदाि’ का क्या अथय िै?
(क) क़द्र(सरमाि) करिे वाले (ख) गवय करिे वाले (ग) ज्यादा खािे वाले (घ) इिमें से कोई ििीं

3. अपू के साथ ढाई साल – सत्यहजि राय


गद्यांश-1
“रासहबिारी एवेन्यू की एक हबबल्ंर्ग में मैंिे एक कमरा भािे पर हलया था, विाँ पर बच्चे इंटरव्यू के
हलए आिे थे। बहुि-से लिके आए, लेदकि अपू की भूहमका के हलए मुझे हजस िरि का लिका चाहिए था,
वैसा एक भी ििीं था। एक ददि एक लिका आया। उसकी गदयि पर लगा पाउर्र देखकर मुझे शक हुआ। िाम
पूछिे पर िाजुक आवाज में वि बोला-‘ठटया’। उसके साथ आए उसके हपिा जी से मैंिे पूछा, ‘क्या अभी-अभी
इसके बाल कटवाकर यिाँ ले आए िैं?’ वे सज्जि पकिे गए। सच हछपा ििीं सके बोले, ‘‘असल में यि मेरी
बेटी िै। अपू की भूहमका हमलिे की आशा से इसके बाल कटवाकर आपके यिाँ ले आया हँ।’’
हवज्ञापि देकर भी अपू की भूहमका के हलए सिी िरि का लिका ि हमलिे के कारण मैं िो बेिाल िो
गया। आहखर एक ददि मेरी पत्नी छि से िीचे आकर मुझसे बोली, ‘पास वाले मकाि की छि पर एक लिका
देखा, जरा उसे बुलाइए िो!’ आहखर िमारे पिोस के घर में रििे वाला लिका सुबीर बिजी िी ‘पथेर पांचाली’
में ‘अपू’ बिा। दिल्म का काम आगे भी ढाई साल चलिे वाला िै, इस बाि का अंदाजा मुझे पिले ििीं था।

पाठ्यसामग्री-हिन्दी (आधार) कक्षा:ग्यारिवीं पृष्ठ 41 of 123


इसहलए जैसे-जैसे ददि बीििे लगे, वैसे-वैसे मुझे र्र लगिे लगा। अपू और दुगाय की भूहमका हिभािे वाले बच्चे
अगर ज्यादा बिे िो गए, िो दिल्म में वि ददखाई देगा! लेदकि मेरी खुश दकस्मिी से उस उम्र में बच्चे हजििे
बढ़िे िैं, उििे अपू और दुगाय की भूहमका हिभािे वाले बच्चे ििीं बढ़े। इंददरा िाकरुि की भूहमका हिभािे वाली
अस्सी साल उम्र की चुन्नीबाला देवी ढाई साल िक काम कर सकी, यि भी मेरे सौभाग्य की बाि थी”
(i) रासहबिारी एवेन्यू की एक हबबल्र्ंग में कमरा भािे पर क्यों हलया गया था?
(क) दिल्म की शूटटंग के हलए (ख) अपू के हलए
(ग) इंटरव्यू के हलए (घ) ििरिे के हलए
(ii) गदयि पर लगा पाउर्र देखकर लेखक को क्या शक हुआ?
(क) यि लिका ििीं िै बहल्क लिकी िै (ग) यि सिी पात्र िै
(ख) अपू की भूहमका के हलए लिका हमल गया िै (घ) इिमें से कोई ििीं
(iii) हवज्ञापि दकसहलए ददया गया था?
(क) दिल्म के प्रचार-प्रसार के हलए (ग) दिल्म के हलए कमयचाठरयों की आवश्यिा िेिु
(ख) जििा को शूटटंग की जािकारी देिे के हलए (घ) अपू की भूहमका के हलए लिका ढू ँढिे िेिु
(iv) अपू की भूहमका दकसिे हिभाई थी?
(क) सुधीर बिजी (ख) सुबीर बिजी (ग) सुबोद बिजी (घ) सुिील बिजी
(v) लेखक दकसे खुशदकस्मिी या सौभाग्य की बाि माििा िै?
(क) अपू और दुगाय की भूहमका हिभािे वाले बच्चे ििीं बढ़े
(ख) अपू की भूहमका के हलए लिका हमल गया
(ग) अस्सी साल उम्र की चुन्नीबाला देवी ढाई साल िक काम कर सकी
(घ) उपयुयक्त सभी
उत्तर-(i) (ग) इंटरव्यू के हलए (ii) (क) यि लिका ििीं िै बहल्क लिकी िै (iii) (घ) अपू की भूहमका के हलए
लिका ढू ँढिे िेिु (iv) (ख) सुबीर बिजी (v) (घ) उपयुयक्त सभी
गद्यांश-2
“शूटटंग की शुरुआि में िी एक गिबि िो गई। अपू और दुगाय को लेकर िम कलकत्ता’ से सत्तर मील
पर पालहसट िाम के एक गाँव गए। विाँ रे ल-लाइि के पास काशिू लों से भरा एक मैदाि था। अपू और दुगाय
पिली बार रे लगािी देखिे िैं-इस सीि की शूटटंग िमें करिी थी। यि सीि बहुि िी बिा था। एक ददि में
उसकी शूटटंग पूरी िोिा िामुमदकि था। कम-से-कम दो ददि लग सकिे थे। पिले ददि जगद्धात्री पूजा का
त्योिार था। दुगाय के पीछे-पीछे दौििे हुए अपू काशिू लों के वि में पहुँचिा िै। सुबि शूटटंग शुरू करके शाम
िक िमिे सीि का आधा भाग हचहत्रि दकया। हिदेशक, छायाकार, छोटे अहभिेिा-अहभिेत्री िम सभी इस
क्षेत्र में िवागि िोिे के कारण थोिे बौराए हुए िी थे, बाकी का सीि बाद में हचहत्रि करिे का हिणयय लेकर
िम घर पहुँचे। साि ददि बाद शूटटंग के हलए उस जगि गए, िो वि जगि िम पिचाि िी ििीं पाए! लगा,
ये किाँ आ गए िैं िम? किाँ गए वे सारे काशिू ल। बीच के साि ददिों में जािवरों िे वे सारे काशिू ल खा
र्ाले थे! अब अगर िम उस जगि बाकी आधे सीि की शूटटंग करिे, िो पिले आधे सीि के साथ उसका मेल
कै से बैििा? उसमें से ‘कं ठटन्युइटी’ िदारद िो जािी”
(i) ‘अपू के साथ ढाई साल’ पाि के लेखक का क्या िाम िै?
(क) प्रेमचंद (ख) सत्यहजि राय (ग) कृ ष्णा सोबिी (घ) बालमुकुंद गुि
(ii) हिदेशक, छायाकार, छोटे अहभिेिा-अहभिेत्री और लेखक क्यों बौराए हुए थे?
(क) शूटटंग पूरी िो जािे के कारण (ग) िवागि िोिे के कारण
(ख) शूटटंग खत्म ि िोिे के कारण (घ) इिमें से कोई ििीं

पाठ्यसामग्री-हिन्दी (आधार) कक्षा:ग्यारिवीं पृष्ठ 42 of 123


(iii) वे साि ददि बाद शूटटंग के हलए उस जगि गए, िो क्या हुआ?
(क) उस जगि को पिचाि िी ििीं पाए (ग) विाँ जािवर आ गए
(ख) शूटटंग पूरी ििीं हुई (घ) विाँ कोई ि था
(iv) बीिे साि ददिों में जािवरों िे क्या दकया?
(क) उस जगि पर कोई ििीं गया (ग) सारे काशिू ल खा र्ाले थे
(ख) शूटटंग पूरी हुई (घ) वे विीं रुके रिे
(v) अब अगर उस जगि बाकी आधे सीि की शूटटंग की जािी, िो क्या िोिा?
(क) कोई प्रभाव ििीं पििा (ग) काशिू ल बहुि सुंदर ददखाई देिे
(ख) शूटटंग बहुि प्रभावी िोिी (घ) उसमें से ‘कं ठटन्युइटी’ िदारद िो जािी
उत्तर-(i) (ख) सत्यहजि राय (ii) (ग) िवागि िोिे के कारण (iii) (क) उस जगि को पिचाि िी ििीं पाए
(iv) (ग) सारे काशिू ल खा र्ाले थे (v) (घ) उसमें से ‘कं ठटन्युइटी’ िदारद िो जािी
गद्यांश-3
“श्रीहिवास िामक घूमिे हमिाईवाले से हमिाई खरीदिे के हलए अपू और दुगाय के पास पैसे ििीं िैं।
वे िो हमिाई खरीद ििीं सकिे, इसहलए अपू और दुगाय उस हमिाईवाले के पीछे-पीछे मुखजी के घर के पास
जािे िैं। मुखजी अमीर आदमी िैं। वे िो हमिाई जरूर खरीदेंगे और उिका हमिाई खरीदिा देखिे में िी अपू
और दुगाय की खुशी िै।
इस दृश्य का कु छ अंश हचहत्रि िोिे के बाद िमारी शूटटंग कु छ मिीिों के हलए स्थहगि िो गई। पैसे
िाथ आिे पर दिर जब िम उस गाँव में शूटटंग करिे के हलए गए, िब खबर हमली दक श्रीहिवास हमिाईवाले
की भूहमका जो सज्जि कर रिे थे, उिका देिांि िो गया िै। अब पिले वाले श्रीहिवास का हमलिा-जुलिा
दूसरा आदमी किाँ से हमलेगा?
आहखर श्रीहिवास की भूहमका के हलए िमें जो सज्जि हमले, उिका चेिरा पिले वाले श्रीहिवास से
हमलिा-जुलिा ििीं था, लेदकि शरीर से वे पिले श्रीहिवास जैसे िी थे। उन्िीं पर िमिे दृश्य का बाकी अंश
हचहत्रि दकया। दिल्म में ददखाई देिा िै दक एक िंबर श्रीहिवास बाँसबि से बािर आिा िै और अगले शॉट में
दो िंबर श्रीहिवास कै मरे की ओर पीि करके मुखजी के घर के गेट के अंदर जािा िै। ‘पथेर पांचाली’ दिल्म
अिेक लोगों िे एक से अहधक बार देखी िै, लेदकि श्रीहिवास के मामले में यि बाि दकसी के ध्याि में आई िै,
ऐसा मैंिे ििीं सुिा”
(i) अपू और दुगाय िे हमिाई क्यों ििीं खरीदी?
(क) क्योंदक उन्िें हमिाई खािे की इछछा ििीं थी। (ग) क्योंदक वे अमीर थे।
(ख) क्योंदक उिके पास पैसे ििीं थे। (घ) क्योंदक उन्िें हमिाई अछछी ििीं लगिी थी।
(ii) अपू और दुगाय की खुशी दकसमें िै?
(क) मुखजी द्वारा हमिाई खरीदे जािे को देखिे में (ग) हमिाई खािे में
(ख) हमिाई लेकर घूमिे में (घ) इिमें से कोई ििीं
(iii) शूटटंग दकस कारण से स्थहगि हुई?
(क) श्रीहिवास के देिांि के कारण (ग) शूटटंग एक बार में िी पूरी िो जािे के कारण
(ख) मौसम खराब िो जािे के कारण (घ) धि की कमी के कारण
(iv) लेखक के सामिे क्या समस्या आई?
(क) अपू और दुगाय को हमिाई ििीं हमल पाई (ग) श्रीहिवास की भूहमका वाले सज्जि का देिांि
(ख) श्रीहिवास जैसे ददखाई देिे वाले दूसरे सज्जि िो गया
हमल गए (घ) मुखजी िे हमिाई खरीद ली
(v) मृि श्रीहिवास की भूहमका के हलए जो सज्जि हमले, उन्िें लेकर क्या समस्या थी?

पाठ्यसामग्री-हिन्दी (आधार) कक्षा:ग्यारिवीं पृष्ठ 43 of 123


(क) उन्िें अहभिय ििीं आिा था (ग) उिका शरीर श्रीहिवास जैसा ििीं था
(ख) उिका चेिरा श्रीहिवास से हमलिा-जुलिा (घ) कोई समस्या ििीं थी
ििीं था
उत्तर-(i) (ख) क्योंदक उिके पास पैसे ििीं थे। (ii) (क) मुखजी द्वारा हमिाई खरीदे जािे को देखिे में (iii) (घ)
धि की कमी के कारण (iv) (ग) श्रीहिवास की भूहमका वाले सज्जि का देिांि िो गया (v) (ख) उिका चेिरा
श्रीहिवास से हमलिा-जुलिा ििीं था
गद्यांश-4
“पैसों की कमी के कारण िी बाठरश का दृश्य हचहत्रि करिे में बहुि मुहश्कल आई थी। बरसाि के ददि
आए और गए, लेदकि िमारे पास पैसे ििीं थे, इस कारण शूटटंग बंद थी। आहखर जब िाथ में पैसे आए, िब
अक्टूबर का मिीिा शुरू हुआ था। शरद ऋिु में, हिरभ्र आकाश के ददिों में भी शायद बरसाि िोगी, इस
आशा से मैं अपू और दुगाय की भूहमका करिे वाले बच्चे, कै मरा और िकिीहशयि को साथ लेकर िर रोज देिाि
में जाकर बैिा रििा था। आकाश में एक भी काला बादल ददखाई ददया, िो मुझे लगिा था दक बरसाि िोगी।
मैं इछछा करिा, वि बादल बहुि बिा िो जाए और बरसिे लगे।
आहखर एक ददि हुआ भी वैसा िी। शरद ऋिु में भी आसमाि में बादल छा गए और धुआँधार बाठरश
शुरू हुई। उसी बाठरश में भीगकर दुगाय भागिी हुई आई और उसिे पेि के िीचे भाई के पास आसरा हलया।
भाई-बिि एक-दूसरे से हचपककर बैिे। दुगाय कििे लगी-‘िेबूर-पािा करमचा, िे वृिी घरे जा!ऽ’ बरसाि, िं र्,
अपू का बदि खुला, प्लाहस्टक के कपिे से ढके कै मरे को आँख लगाकर देखा, िो वि िं र् लगिे के कारण हसिर
रिा था। शॉट पूरा िोिे के बाद दूध में थोिी िांर्ी हमलाकर दी और भाई-बिि का शरीर गरम दकया। हजन्िोंिे
‘पथेर पांचाली’ दिल्म देखी िै, वे जाििे िी िैं दक वि शॉट बहुि अछछा हचहत्रि हुआ िै”
(i) शूटटंग बंद क्यों रिी?
(क) क्योंदक बरसाि के ददि आए और गए (ग) पैसों की कमी के कारण
(ख) शूटटंग पूरी िो जािे के कारण (घ) अक्टूबर माि के कारण
(ii) लेखक िर रोज देिाि में जाकर क्यों बैिा रििा था?
(क) बाठरश िोिे के कारण (ग) अपिा समय गुजारिे के हलए
(ख) जेब में पैसे आ जािे के कारण (घ) बाठरश की उरमीद में
(iii) लेखक की क्या इछछा थी?
(क) िेज बाठरश िोिे की (ख) शूटटंग बंद करिे की (ग) देिाि मे जािे की (घ) काला बादल देखिे की
(iv) ‘िेबरू ’ शब्द का अथय िै-
(क) पिोसी के (ख) बेर के (ग) िींबू के (घ) आम के
(v) लेखक को बाठरश का दृश्य शूट करिे का अवसर कब हमला?
(क) वषाय ऋिु में (ख) शरद ऋिु में (ग) शीि ऋिु में (घ) ग्रीष्म ऋिु में
उत्तर-(i) (ग) पैसों की कमी के कारण (ii) (घ) बाठरश की उरमीद में (iii) (क) िेज बाठरश िोिे की (iv) (ग)
िींबू के (v) (ख) शरद ऋिु में
4. हवदाई संभाषण-बालमुकुंद गुि
गद्यांश-1
हवचाठरए िो, क्या शाि आपकी इस देश में थी और अब क्या िो गई। “दकििे ऊँचे िोकर आप दकििे िीचे
हगरे । अहलि लैला के अलिदीि िे हचराग रगिकर और अबुलिसि िे बगदाद के खलीिाा़ की गद्दी पर आँख
खोलकर वि शाि ि देखी, जो ददल्ली दरबार में आपिे देखी। आपकी और आपकी लेर्ी की कु सी सोिे की थी
और आपके प्रभु मिाराज के छोटे भाई और उिकी पत्नी की चाँदी की। आप दाहििे थे, वि बाएँ, आप प्रथम

पाठ्यसामग्री-हिन्दी (आधार) कक्षा:ग्यारिवीं पृष्ठ 44 of 123


थे, वि दूसरे । इस देश के सब रईसों िे आपको सलाम पिले दकया और बादशाि के भाई को पीछे। जुलूस में
आपका िाथी सबसे आगे और सबसे ऊँचा था; िौदा, चँवर, छत्र आदद सबसे बढ़-चढ़कर थे। सारांश यि िै दक
ईश्वर और मिाराज एर्वर्य के बाद इस देश में आप िी का एक दजाय था। ककं िु अब देखिे िैं दक जंगी लाट के
मुकाबले में आपिे पटखिी खाई, हसर के बल िीचे आ रिे! आपके स्वदेश में विी ऊँचे मािे गए, आपको साि
िीचा देखिा पिा! पद त्याग की धमकी से भी ऊँचे ि िो सके ।”
(i) ‘दकििे ऊँचे िोकर आप दकििे िीचे हगरे ’ कथि दकसके हलए प्रयुक्त हुआ िै?
(क) वायसराय कजयि के हलए (ग) भारिीय बादशािों के हलए
(ख) हिटेि के शासक के हलए (घ) उपयुयक्त सभी के हलए
(ii) अबुलिसि किाँ के खलीिा थे?
(क) इंगलैंर् के (ख) बगदाद के (ग) ददल्ली के (घ) अिगाहिस्िाि के
(iii) लार्य कजयि िे दकस बाि की धमकी दी?
(क) पदत्याग की (ग) भारिीय बादशािों से बदला लेिे की
(ख) कमयचाठरयों को हिकालिे की (घ) बंगाल हवभाजि की
(iv) ‘आपके स्वदेश में विी ऊँचे मािे गए।’ कथि में “विी” शब्द दकसके हलए प्रयुक्त हुआ िै?
(क) हिटेि के शासक एर्वर्य के हलए (ग) ददल्ली के शासक के हलए
(ख) ईश्वर के हलए (घ) लॉर्य कजयि के हलए
(v) हिम्नहलहखि में से गलि कथि का चयि कीहजए-
(क) लॉर्य कजयि द्वारा हिठटश सरकार को पद त्याग की धमकी दी गई।
(ख) मिाराज एर्वर्य लॉर्य कजयि से ऊँचे मािे गए
(ग) ईश्वर और मिाराज एर्वर्य के बाद लॉर्य कजयि का स्थाि था।
(घ) लॉर्य कजयि िमेशा भारिीयों के कल्याण के हलए काम करिे थे
उत्तमाला
)i)-क )ii)-ख )ii)-क )iv)-क )v)-घ

गद्यांश-2
“आप बहुि धीर-गंभीर प्रहसद्ध थे। उस सारी धीरिा-गंभीरिा को आपिे इस बार कौंहसल में बेकािूिी कािूि
पास करिे और किवोके शि वक्तृ िा देिे समय ददवाला हिकाल ददया। यि ददवाला िो इस देश में हुआ। उधर
हवलायि में आपके बार-बार इस्िीिाा़ देिे की धमकी िे प्रकाश कर ददया दक जि हिल गई िै। अंि में विाँ भी
आपको ददवाहलया िोिा पिा और धीरिा-गंभीरिा के साथ दृढ़िा को भी हिलांजहल देिी पिी। इस देश के
िादकम आपकी िाल पर िाचिे थे, राजा-मिाराजा र्ोरी हिलािे से सामिे िाथ बाँधे िाहजर िोिे थे। आपके
एक इशारे में प्रलय िोिी थी। दकििे िी राजों को मट्टी के हखलौिे की भाँहि आपिे िोि-िोि र्ाला। दकििे
िी मट्टी-काि के हखलौिे आपकी कृ पा के जादू से बिे बिे पदाहधकारी बि गए। आपके इस इशारे में इस देश
की हशक्षा पायमाल िो गई, स्वाधीििा उि गई। बंग देश के हसर पर आरि रखा गया। आि, इििे बिे माइ
लॉर्य का यि दजाय हुआ दक िौजी अिसर उिके इहछछि पद पर हियि ि िो सका और उिको उसी गुस्से के
मारे इस्िीिाा़ दाहखल करिा पिा, वि भी मंजूर िो गया। उिका रखाया एक आदमी िौकर ि रखा, उलटा
उन्िीं को हिकल जािे का हुक्म हमला”
(i) उपयुक्त
य गद्यांश में दकस पर कटाक्ष दकया गया िै?
(क) िाददर शाि पर (ख) अबुलिसि पर (ग) एर्वर्य पंचम पर (घ) लॉर्य कजयि पर
पाठ्यसामग्री-हिन्दी (आधार) कक्षा:ग्यारिवीं पृष्ठ 45 of 123
(ii) लॉर्य कजयि िे इस्िीिा क्यों दाहखल कर ददया?
(क) कजयि की पसंद के व्यहक्त को उिके मिपसंद पद पर हियुक्त ििीं दकया गया।
(ख) हिटेि के शासक के साथ कजयि के संबंध अछछे ििीं थे।
(ग) भारिीय जििा की आंदोलिों से वे परे शाि थे।
(घ) लॉर्य कजयि वापस हिटेि जािा चाििे थे।
(iii) ‘अंि में विाँ भी आपको ददवाहलया िोिा पिा’ पंहक्त का आशय िै-
(क) हिठटश सरकार द्वारा कजयि को ददवाहलया घोहषि कर ददया गया।
(ख) कजयि को पद से िटा ददया गया िथा उसकी सारी शहक्तयाँ हछि ली गईं।
(ग) हिठटश सरकार द्वारा कजयि को पदाविि कर ददया गया।
(घ) लॉर्य कजयि की सारी संपहत्त को हिठटश सरकार िे जब्ि कर हलया।
(iv) ‘आपके एक इशारे में प्रलय िोिी थी।’ इस कथि के माध्यम से दकसकी ओर इशारा दकया गया िै?
(क) मिाराज एर्वर्य की ओर (ख) िाददरशाि की ओर (ग) अबुलिसि की ओर (घ) लॉर्य कजयि की ओर
(v) लॉर्य कजयि के संबध
ं में कौि-सा कथि सिी िै?
(क) उन्िोिे भारिीय हशक्षा व्यवस्था को बबायद दकया (ख) भारिीयों पर बंगाल हवभाजि थोपा
(ग) अिेक राजाओं की गद्दी हछि ली। (घ) उपयुयक्त सभी
उत्तर
)i)-घ )ii)-क )ii)-ख )iv)-घ )v)-घ

5. गलिा लोिा-शेखर जोशी


गद्यांश-1
“धिराम की मंदबुहद्ध रिी िो या मि में बैिा हुआ र्र दक पूरे ददि घोटा लगािे पर भी उसे िेरि का पिािा
याद ििीं िो पाया था। छु ट्टी के समय जब मास्साब िे उससे दुबारा पिािा सुिािे को किा िो िीसरी सीढ़ी
िक पहुँचिे-पहुँचिे वि दिर लिखिा गया था। लेदकि इस बार मास्टर हत्रलोक बसंि िे उसके लाए हुए बेंि
का उपयोग करिे की बजाय जबाि की चाबुक लगा दी थी, 'िेरे ददमाग में िो लोिा भरा िै रे ! हवद्या का िाप
किाँ लगेगा इसमें?' अपिे थैले से पाँच-छि दराँहियाँ हिकालकर उन्िोंिे धिराम को धार लगा लािे के हलए
पकिा दी थीं। दकिाबों की हवद्या का िाप लगािे की सामथ्यय धिराम के हपिा की ििीं थी। धिराम िाथ-पैर
चलािे लायक हुआ िी था दक बाप िे उसे धौंकिी िूँ किे या साि लगािे के कामों में उलझािा शुरू कर ददया
और दिर धीरे -धीरे िथौिे से लेकर घि चलािे की हवद्या हसखािे लगा”
(i) पूरे ददि घोटा लगािे पर भी धिराम िेरि का पिािा क्यों ििीं याद कर पाया?
(क) मंदबुहद्ध िोिे के कारण (ख) मि में र्र िोिे के कारण
(ग) क और ख दोिों (घ) उसिे अछछे से ििीं पढ़ा
(ii) धिराम पर जबाि की चाबुक दकसिे लगाई?
(क) मोिि के हपिा िे (ख) मोिि िे (ग) मास्टर हत्रलोक बसंि िे (घ) धिराम के हपिा िे
(iii) मास्टर हत्रलोक बसंि द्वारा अपिे थैले से दराँहियाँ हिकालकर देिे से धिराम पर क्या प्रभाव पिा?
(क) धिराम का आत्महवश्वास बढा (ख) धिराम को लगािे लगा दक वि पढाई ििीं कर सकिा
(ग) उसे अपिे पैिृक कायय पर अहभमाि हुआ (घ) उपयुयक्त सभी
(iv) दकिाबों की हवद्या का िाप लगािे की सामथ्यय दकसकी ििीं थी?
(क) मोिि के हपिा की (ख) धिराम के हपिा की (ग) मास्टर हत्रलोक बसंि की (घ) धिराम की
(v) धिराम के हपिा दकसे घि चलािे की हवद्या हसखािे लगे?
(क) मोिि को (ख) पुरोहिि को (ग) मास्टर हत्रलोक बसंि को (घ) धिराम को
उत्तर-(i) ग (ii) ग (iii) ख (iv) ख (v) घ

पाठ्यसामग्री-हिन्दी (आधार) कक्षा:ग्यारिवीं पृष्ठ 46 of 123


गद्यांश-2
“औसि दफ़्िरी बिे बाबू की िैहसयि वाले रमेश के हलए मोिि को अपिा भाई-हबरादर बिलािा अपिे
सरमाि के हवरुद्ध जाि पििा था और उसे घरे लू िौकर से अहधक िैहसयि वि ििीं देिा था, इस बाि को
मोिि भी समझिे लगा था। थोिी-बहुि िीला-िवाली करिे के बाद रमेश िे हिकट के िी एक साधारण से
स्कू ल में उसका िाम हलखवा ददया, लेदकि एकदम िए वािावरण और राि-ददि के काम के बोझ के कारण
गाँव का वि मेधावी छात्र शिर के स्कू ली जीवि में अपिी कोई पिचाि ििीं बिा पाया। उसका जीवि एक
बँधी-बँधाई लीक पर चलिा रिा। साल में एक बार गर्मययों की छु ट्टी में गाँव जािे का मौका भी िभी हमलिा,
जब रमेश या उसके घर का कोई प्राणी गाँव जािे वाला िोिा वरिा उि छु ठट्टयों को भी अगले दरजे की िैयारी
के िाम पर उसे शिर में िी गुजार देिा पििा था। अगले दरजे की िैयारी िो बिािा भर थी, सवाल रमेश
और उसकी गृिस्थी की सुहवधा-असुहवधा का था। मोिि िे पठरहस्थहियों से समझौिा कर हलया था, क्योंदक
और कोई चारा भी ििीं था। घरवालों को अपिी वास्िहवक हस्थहि बिलाकर वि दुखी ििीं करिा चाििा
था। वंशीधर उसके सुििरे भहवष्य के सपिे देख रिे थे”
(i) रमेश मोिि को दकस िैहसयि में रखिा था?
(क) घरे लू िौकर की (ख) माहलक की (ग) हमत्र की (घ) पाठरवाठरक सदस्य की
(ii) रमेश मोिि को अपिा भाई-हबरादर क्यों ििीं बिािा चाििा था?
(क) इससे वि मोिि का अपमाि ििीं करिा चाििा था (ख) इसे वि अपिा अपमाि समझिा था
(ग) वि मोिि को इस लायक ििीं समझिा था (घ) उपरोक्त में से कोई ििीं
(iii) रमेश िे मोिि का दाहखला किाँ करवाया?
(क) कॉन्वेंट स्कू ल में (ख) माध्यहमक स्कू ल में (ग) एक साधारण स्कू ल में (घ) गुरुकु ल में
(iv) मोिि को दकस बाि की जािकारी थी?
(क) दक उसके हपिा साधििीि िैं। (ग) दक उसके हपिा जमींदार िैं।
(ख) दक उसके हपिा साधि संपन्न िैं। (घ) दक उसके हपिा बिे व्यवसायी िैं।
(v) हिम्न में उहचि हवलोम शब्द युग्म िै
(क) िीला-िवाली (ख) मेधावी छात्र (ग) सुहवधा असुहवधा (घ) सपिे अपिे
उत्तर-(i) क (ii) ख (iii) ग (iv) क (v) ग
6. रजिी-मन्नू भंर्ारी
गद्यांश-1
“िाँ! कॉपी लौटािे हुए किा था दक िुमिे दकया िो अछछा िै पर यि िो िाि-ईयरली िै... बहुि आसाि पेपर
िोिा िै इसका िो। अब अगर ईयरली में भी पूरे िंबर लेिे िैं िो िुरंि ट्यूशि लेिा शुरू कर दो। वरिा रि
जाओगे। साि लिकों िे िो शुरू भी कर ददया था। पर मैंिे जब मरमी-पापा से किा, िमेशा बस एक िी जवाब
(मरमी की िकल उिारिे हुए) मैथ्स में िो िू वैसे िी बहुि अछछा िै, क्या करे गा ट्यूशि लेकर? देख हलया
अब? हसक्स्थ पोजीशि आई िै मेरी। जो आज िक कभी ििीं आई थी। अहमि की आँखों से दिर आँसू टपक
पििे िैं”
(i) अहमि के अध्यापक उसे क्या कि रिे थे?
(क) ट्यूशि लगािे के हलए (ग) गहणि पर ध्याि देिे के हलए
(ख) और अहधक पढ़िे के हलए (घ) उपरोक्त में से कोई ििीं
(ii) गद्यांश के अिुसार, दकििे लिकों िे ट्यूशि लेिा शुरू भी कर ददया था?
(क) आि (ख) दस (ग) बारि (घ) साि

पाठ्यसामग्री-हिन्दी (आधार) कक्षा:ग्यारिवीं पृष्ठ 47 of 123


(iii) अहमि की मरमी िे उसे गहणि का ट्यूशि लगािे से मिा क्यों दकया?
(क) घर में ट्यूशि के हलए अहधक पैसे ििीं थे (ख) क्योंदक अहमि गहणि में िोहशयार था
(ग) क्योंदक अहमि गहणि में अछछे अंक ििीं लाया था (घ) उपरोक्त सभी
(iv) अहमि की आँखों में आँसू क्यों आ जािे िैं?
(क) मरमी के द्वारा ट्यूशि ि लगािे की वजि से (ग) हिराशाजिक पठरणाम के कारण
(ख) अध्यापक द्वारा र्ांटिे के कारण (घ) क और ग दोिों
(v) ‘यि िो िाि-ईयरली िै..बहुि आसाि पेपर िोिा िै इसका िो’ अध्यापक िे ऐसा क्यों किा िोगा?
(क) अध्यापक को अहमि के भहवष्य की बचंिा थी
(ख) अध्यापक अहमि पर ट्यूशि के हलए दवाब बिा रिे थे
(ग) अध्यापक अहमि को प्रथम स्थाि ददलािे के हलए प्रयासरि थे
(घ) उपयुयक्त सभी
उत्तर – (i) क (ii) घ (iii) ख (iv) घ (v) ख
गद्यांश-2
“देखो, िुम मुझे दिर गुस्सा ददला रिे िो रहव। गलिी करिे वाला िो िै िी गुििगार, पर उसे बदायश्ि करिे
वाला भी कम गुििगार ििीं िोिा जैसे लीला बेि और कांहि भाई और िजारों िजारों माँ-बाप। लेदकि सबसे
बिा गुििगार िो वि िै जो चारों िरि अन्याय, अत्याचार और िरि-िरि की धाँधहलयों को देखकर भी चुप
बैिा रििा िै, जैसे िुम। (िकल उिारिे हुए) िमें क्या करिा िै, िमिे कोई िे का ले रखा िै दुहिया का। (गुस्से
और हिकारि से) माई िु ट (उिकर भीिर जािे लगिी िैं। जािे-जािे मुिकर) िुम जैसे लोगों के कारण िी िो
इस देश में कु छ ििीं िोिा, िो भी ििीं सकिा! (भीिर चली जािी िै।) ”
(i) देखो, िुम मुझे दिर गुस्सा ददला रिे िो रहव। यि दकसिे किा?
(क) लेहखका िे (ख) रजिी िे (ग) अहमि िे (घ) कांहिभाई िे
(II) रजिी के अिुसार िजारों-िजारों माँ-बाप भी गुििगार िैं? क्योंदक
(क) वे गुिाि को बदायश्ि करिे िैं (ग) वे गुििगारों का हवरोध करिे िैं
(ख) वे गुििगारों की हशकायि करिे िैं (घ) वे गुििगारों से हमल जािे िैं
(III) जो चारों िरि अन्याय, अत्याचार और िरि-िरि की धाँधहलयों को देखकर भी चुप बैिा रििा िै,
वि िै?
(क) गुिाि को बदायश्ि करिे वाला (ग) सबसे बिा गुििगार
(ख) गुििगारों की हशकायि करिे वाला (घ) गुििगारों का हवरोध करिे वाला
(iv) दकि जैसे लोगों के कारण इस देश में कु छ ििीं सकिा?
(क) रजिी जैसे (ख) कांहि भाई जैसे (ग) अहमि जैसे (घ) रहव जैसे
(v) रजिी पाि की लेहखका का क्या िाम िै?
(क) रजिी (ख) मन्नू भंर्ारी (ग) कृ ष्णा सोबिी (घ) लीला बेि
उत्तर-(i) ख (ii) क (iii) ग (iv) घ (v) ख
7. जामुि का पेि – कृ श्नचंदर
गद्यांश-1
“दूसरे ददि माली िे चपरासी को बिाया, चपरासी िे क्लकय को, क्लकय िे िैर् क्लकय को। थोिी िी देर में
सेक्रेटेठरयेट में यि अिवाि िै ल गई दक दबा हुआ आदमी शायर िै। बस, दिर क्या था। लोगों का झुंर् का झुंर्
शायर को देखिे के हलए उमि पिा। इसकी चचाय शिर में भी िै ल गई और शाम िक गली-गली से शायर

पाठ्यसामग्री-हिन्दी (आधार) कक्षा:ग्यारिवीं पृष्ठ 48 of 123


जमा िोिे शुरू िो गए। सेक्रेटेठरयेट का लॉि भाँहि-भाँहि के कहवयों से भर गया और दबे हुए आदमी के चारों
ओर कहव-सरमेलि का-सा वािावरण उत्पन्न िो गया। सेक्रेटेठरयेट के कई क्लकय और अंर्र सेक्रेटरी िक हजन्िें
साहित्य और कहविा से लगाव था, रुक गए। कु छ शायर दबे हुए आदमी को अपिी कहविाएँ और दोिे सुिािे
लगे। कई क्लकय उसको अपिी कहविा पर आलोचिा करिे को मजबूर करिे लगे”
(i) सेक्रेटेठरयेट में दकस बाि की अिवाि िै ल गई?
(क) चपरासी शायर िै (ख) क्लकय शायर िै (ग) माली शायर िै (घ) दबा हुआ आदमी शायर िै
(ii) लोगों का झुर्
ं दकसे देखिे के हलए उमि पिा?
(क) चपरासी को (ख) क्लकय को (ग) शायर को (घ) माली को
(iii) सेक्रेटेठरयेट का लॉि दकि लोगों से भर गया?
(क) चपराहसयों से (ख) कहवयों से (ग) िेिाओं से (घ) सहचवों से
((iv) दबे हुए आदमी के चारों और कै सा वािावरण उत्पन्न िो गया?
(क) कहव सरमेलि का-सा वािावरण (ग) जुलूस का-सा वािावरण
(ख) मेले का-सा वािावरण (घ) धार्मयक स्थल का-सा वािावरण
(v) उपयुयक्त गद्यांश में दकस पर व्यंग्य दकया गया िै?
(क) विों दक अंधाधुंध कटाई पर (ग) राजिेिाओं पर
(ख) सरकारी कायायलयों की कायय प्रणाली पर (घ) हशक्षा व्यवस्था पर
उत्तमाला 1-घ 2-ग 3-ख 4-क 5-ख

गद्यांश-2
“िॉटीकल्चर हर्पाटयमेंट का सेक्रेटरी साहित्य प्रेमी आदमी जाि पििा था। उसिे हलखा था, "आियय
िै, इस समय जब िम ‘पेि लगाओ’ स्कीम ऊँचे स्िर पर चला रिे िैं, िमारे देश में ऐसे सरकारी अिसर मौजूद
िैं जो पेिों को काटिे का सुझाव देिे िैं, और वि भी एक िलदार पेि को, और वि भी जामुि के पेि को,
हजसके िल जििा बिे चाव से खािी िै! िमारा हवभाग दकसी िालि में इस िलदार वृक्ष को काटिे की
इजाजि ििीं दे सकिा।"
"अब क्या दकया जाए? इस पर एक मिचले िे किा, "अगर पेि काटा ििीं जा सकिा, िो इस आदमी
िी को काटकर हिकाल हलया जाए।"
"यि देहखए," उस आदमी िे इशारे से बिाया, "अगर इस आदमी को िीक बीच में से, यािी धि से
काटा जाए िो आधा आदमी इधर से हिकल आएगा, आधा आदमी उधर से बािर आ जाएगा और पेि विीं
का विीं रिेगा।
" मगर इस िरि िो मैं मर जाऊँगा।" दबे हुए आदमी िे आपहत्त प्रकट करिे हुए किा।
"यि भी िीक कििा िै।" एक क्लकय बोला”
(i) िलदार पेि दकस हवभाग के अंिगयि आिे िैं?
(क) बागवािी हवभाग (ख) कृ हष हवभाग (ग) वि हवभाग (घ) उद्योग हवभाग
(ii) ‘इस समय जब िम ‘पेि लगाओ’ स्कीम ऊँचे स्िर पर चला रिे िैं, िमारे देश में ऐसे सरकारी अिसर
मौजूद िैं जो पेिों को काटिे का सुझाव देिे िैं’ कथि दकसका िै?
(क) एग्रीकल्चर हर्पाटयमेंट के सेक्रेटरी का (ग) िॉटीकल्चर हर्पाटयमेंट के सेक्रेटरी का
(ख) िॉरे स्ट हर्पाटयमेंट के सेक्रेटरी का (घ) कल्चरल हर्पाटयमेंट के सेक्रेटरी का
(iii) " मगर इस िरि िो मैं मर जाऊँगा।" यि दकसिे किा?
(क) पेि के िीचे दबे हुए व्यहक्त िे (ग) माली िे
(ख) िॉरे स्ट हर्पाटयमेंट के सेक्रेटरी िे (घ) क्लकय िे

पाठ्यसामग्री-हिन्दी (आधार) कक्षा:ग्यारिवीं पृष्ठ 49 of 123


(iv) मिचले व्यहक्त िे पेि के िीचे दबे हुए व्यहक्त को हिकालिे का क्या सुझाव ददया?
(क) पेि को काट ददया जाए (ख) लोग हमलकर पेि को िटा दें
(ग) व्यहक्त को बीच में से काटकर हिकल हलया जाए (घ) इिमें से कोई ििीं
(v) ‘िॉटीकल्चर हर्पाटयमेंट’ को हिन्दी में कििे िैं-
(क) कृ हष हवभाग (ख) बागवािी हवभाग (ग) उद्योग हवभाग (घ) वि हवभाग
उत्तरमाला
1-क 2-ग 3-क 4-ग 5-ख

8. भारि मािा-जवािर लाल िेिरू


गद्यांश-1
“मैं उत्तर-पहछछम में खैबर के दरे से लेकर धुर दहक्खि में कन्याकु मारी िक की अपिी यात्रा का िाल
बिािा और यि कििा दक सभी जगि दकसाि मुझसे एक-से सवाल करिे, क्योंदक उिकी िकलीिें एक-सी
थीं-यािी गरीबों, कजयदारों, पूँजीपहियों के हशकं जे, जमींदार, मिाजि, किे लगाि और सूद, पुहलस के जुल्म,
और ये सभी बािें गुँथी हुई थीं, उस ढड्ढे के साथ, हजसे एक हवदेशी सरकार िे िम पर लाद रखा था और
इिसे छु टकारा भी सभी को िाहसल करिा था। मैंिे इस बाि की कोहशश की दक लोग सारे बिंदस्ु िाि के बारे
में सोचें और कु छ िद िक इस बिी दुहिया के बारे में भी, हजसके िम एक जुज िैं। मैं अपिी बािचीि में चीि,
स्पेि, अबीहसहिया, मध्य यूरोप, हमड्ड और पहछछमी एहशया में िोिेवाले कशमकशों का हजक्र भी ले आिा। मैं
उन्िें सोहवयि यूहियि में िोिे वाली अचरज-भरी िब्दीहलयों का िाल भी बिािा और कििा दक अमरीका
िे कै सी िरक्की की िै। यि काम आसाि ि था, लेदकि जैसा मैंिे समझ रखा था, वैसा मुहश्कल भी ि था। इसकी
वजि यि थी दक िमारे पुरािे मिाकाव्यों िे और पुराणों की कथा-किाहियों िे, हजन्िें वे खूब जाििे थे, उन्िें
इस देश की कल्पिा करा दी थी, और िमेशा कु छ लोग ऐसे हमल जािे थे, हजन्िोंिे िमारे बिे-बिे िीथों की
यात्रा कर रखी थी, जो बिंदस्ु िाि के चारों कोिों पर िैं। या िमें पुरािे हसपािी हमल जािे , हजन्िोंिे हपछली
बिी जंग में या और धावों के हसलहसले में हवदेशों में िौकठरयाँ की थीं। सि् िीस के बाद जो आर्थयक मंदी पैदा
हुई थी, उसकी वजि से दूसरे मुल्कों के बारे में मेरे िवाले उिकी समझ में आ जािे थे”
(i) खैबर का दराय किाँ हस्थि िै?
(क) भारि के दहक्खि भाग में (ग) भारि के उत्तर-पहिमी भाग में
(ख) भारि के पूवी भाग में (घ) भारि के पहिमी भाग में
(ii) दकसािों की समस्या ििीं िै-
(क) पूँजीपहियों के हशकं जे (ग) भ्रिाचार
(ख) किे लगाि और सूद (घ) पुहलस के जुल्म
(iii) िेिरू जी दकसािों से दकस बाि का हजक्र ििीं दकया करिे थे?
(क) पहछछमी एहशया में िोिेवाले कशमकशों का
(ख) सोहवयि यूहियि में िोिे वाली अचरज-भरी िब्दीहलयों का
(ग) सरकार चलािे की प्रदक्रया का
(घ) अमरीका िे कै सी िरक्की की
(iv) लोगों को देश-दुहिया के बारे में समझािा मुहश्कल काम क्यों ििीं था?
(क) क्योंदक पुराणों की कथा-किाहियों िे उन्िें इस देश की कल्पिा करा दी थी।
(ख) पुरािे हसपािी हजन्िोंिे हवदेशों में िौकठरयाँ की थीं।
(ग) कु छ लोग ऐसे हमल जािे थे, हजन्िोंिे िमारे बिे-बिे िीथों की यात्रा कर रखी थी।
(घ) उपयुयक्त सभी

पाठ्यसामग्री-हिन्दी (आधार) कक्षा:ग्यारिवीं पृष्ठ 50 of 123


(v) ‘जुज’ का अथय िै-
(क) भाग (ख) इज्जि (ग) पठरवियि (घ) बोझ
उत्तर-(i) (ग) भारि के उत्तर-पहिमी भाग में (ii) (ग) भ्रिाचार (iii) (ग) सरकार चलािे की प्रदक्रया का (iv)
(घ) उपयुयक्त सभी (v) (क) भाग
गद्यांश-2
“कभी ऐसा भी िोिा दक जब मैं दकसी जलसे में पहुँचिा, िो मेरा स्वागि “भारि मािा की जय” इस
िारे से जोर के साथ दकया जािा। मैं लोगों से अचािक पूछ बैििा दक इस िारे से उिका क्या मिलब िै? यि
भारि मािा कौि िै, हजसकी वे जय चाििे िैं। मेरे सवाल से उन्िें कु िूिल और िाज्जुब िोिा और कु छ जवाब
ि बि पििे पर वे एक-दूसरे की िरि या मेरी िरि देखिे लग जािे। मैं सवाल करिा िी रििा। आहखर एक
िट्टे-कट्टे जाट िे, जो अिहगिि पीदढ़यों से दकसािी करिा आया था, जवाब ददया दक भारि मािा से उिका
मिलब धरिी से िै। कौि-सी धरिी? खास उिके गाँव की धरिी या हजले की या सूबे की या सारे बिंदस्ु िाि
की धरिी से उिका मिलब िै? इस िरि सवाल-जवाब चलिे रििे, यिाँ िक दक वे ऊबकर मुझसे कििे लगिे
दक मैं िी बिाऊँ। मैं इसकी कोहशश करिा और बिािा दक बिंदस्ु िाि वि सब कु छ िै, हजसे उन्िोंिे समझ रखा
िै, लेदकि वि इससे भी बहुि ज्यादा िै। बिंदस्ु िाि के िदी और पिाि, जंगल और खेि, जो िमें अन्न देिे िैं,
ये सभी िमें अजीज िैं। लेदकि आहखरकार हजिकी हगििी िै, वे िैं बिंदस्ु िाि के लोग, उिके और मेरे जैसे
लोग, जो इस सारे देश में िै ले हुए िैं। भारि मािा दरअसल यिी करोिों लोग िैं, और “भारि मािा की जय”
से मिलब हुआ इि लोगों की जय का। मैं उिसे कििा दक िुम इस भारि मािा के अंश िो, एक िरि से िुम
िी भारि मािा िो, और जैस-े जैसे ये हवचार उिके मि में बैििे, उिकी आँखों में चमक आ जािी, इस िरि,
मािो उन्िोंिे कोई बिी खोज कर ली िो”
(i) लेखक जब दकसी जलसे में पहुँचिा िो उसका स्वागि दकस िारे के साथ दकया जािा?
(क) जय िो (ख) भारि मािा की जय (ग) धरिी मािा की जय (घ) िेिरू जी की जय
(ii) लेखक लोगों से अचािक क्या पूछ बैििा?
(क) यि भारि मािा कौि िै? (ग) “भारि मािा की जय” का क्या मिलब िै?
(ख) आप दकस की जय चाििे िैं? (घ) उपयुयक्त सभी
(iii) िट्टे-कट्टे जाट िे भारि मािा का क्या मिलब बिाया?
(क) िदी (ख) पिाि (ग) धरिी (घ) भारि के लोग
(iv) िेिरू जी िे ‘भारि मािा’ का वास्िहवक अथय क्या बिाया?
(क) भरि की संिाि (ग) के वल धरिी (घ) के वल िददयां और
(ख) बिंदस्ु िाि के लोग पिाि
(v) “भारि मािा” पाि के लेखक का िाम क्या िै?
(क) बालमुकुंद गुि (ख) जवािरलाल िेिरू (ग) कृ श्नचंदर (घ) मन्नू भंर्ारी

उत्तर-(i) (ख) भारि मािा की जय (ii) (घ) उपयुयक्त सभी (iii) (ग) धरिी (iv) (ख) बिंदस्ु िाि के लोग (v) (ख)
जवािरलाल िेिरू

पाठ्यसामग्री-हिन्दी (आधार) कक्षा:ग्यारिवीं पृष्ठ 51 of 123


प्रश्न-4 हविाि से बहुहवकल्पी प्रश्न
1. भारिीय गाहयकाओं में बेजोि-लिा मंगश
े कर : कु मार गंधवय
➢ लेखक एवं पाि पठरचय : लिा मंगेशकरजी का जन्म कब हुआ था – 28 हसिंबर 1929 (इंदौर)
➢ लिा मंगेशकरजी की मृत्यु कब हुई – 6 िरवरी 2022 (मुंबई)
➢ इस पाि का मुख्य उद्देश्य िै – लिा जी के व्यहक्तत्व से पठरचय करािा
➢ लेखक िे लिा मंगेशकर जी को– हचत्रपट संगीि की बेिाज स्वर साम्राज्ञी की उपाहध दी िै
➢ लिा मंगेशकर के हपिा का िाम था – पंहर्ि दीिािाथ मंगेशकर
➢ कु मार गंधवय िे लिा की आवाज सबसे पिले रे हर्यो पर सुिी थी
➢ लिा से पूवय प्रहसद्ध गाहयका िूरजिाँ का जमािा था
➢ श्री हवलायि खां – हसिार वादि से जुिे थे
➢ लिा जी की प्रहसहद्ध का कारण – उिके गािों का गािपि (गािों में मधुरिा)
➢ लिा जी के स्वरों की हवशेषिा– कोमलिा, हिमयलिा व मुग्धिा िैं
➢ लिा िे द्रुिलय के गीि बिी उत्कटिा से गाये िैं –
➢ ऊँची पट्टी में गीि गाए िैं
➢ शास्त्रीय संगीि में िाल पठरष्कृ ि रूप में पाया जािा िै।
➢ हचत्रपट संगीि का िाल प्राथहमक अवस्था का िोिा िै –
➢ शास्त्रीय संगीि का स्थाई भाव गंभीरिा िैं
➢ हचत्रपट संगीि का मुख्य गुणधमय जलदलय और चपलिा िैं
➢ हचत्रपट संगीि में अग्र स्थाि सुलभिा व लोच को ददया जािा िै
➢ हचत्रपट संगीि में आधे िालों का उपयोग दकया जािा िै
➢ भारिीय दिल्मों में लोक संगीि की धुिों का उपयोग अहधक दकया जािा िै।
➢ लिा जी के गािों में “हत्रवेणी संगम” (स्वर, लय व शब्दाथय का संगम) िै।
➢ िमारे शास्त्रीय गायक आत्मसंिुहि की वृहत्त वाले िोिे िैं।
➢ कृ हष संबंहधि गीिों को लोक संगीि की धुिों के अंिगयि रखा जािा िै।
➢ लेखक के अिुसार गािे की सारी हमिास रंजकिा के कारण आिी िै।
➢ लेखक के अिुसार लिा जैसा गायक कलाकार सददयों में एक बार पैदा िोिा िै।
➢ लेखक के अिुसार िमारा सौभाग्य िैं – लिा मंगेशकर को साक्षाि् देख पािा
➢ हचत्रपट संगीि में लिा को अिुलिीय किा गया िै – श्रोिाओं को मंत्रमुग्ध कर देिे वाले उिके स्वरों
की हिमयलिा, कोमलिा व मधुरिा के कारण
➢ हचत्रपट संगीि क्षेत्र की लिा “अिहभहषक्त साम्राज्ञी” िैं। यिां पर “अिहभहषक्त” का अथय िै–बेिाज
(Uncrowned)
➢ लेखक िे “हचत्रपट संगीि का पयायय” मािा िै – लिा मंगेशकर को
➢ हचत्रपट संगीि का अथय िै – दिल्म, चलहचत्र के संगीि को हचत्रपट संगीि किा जािा िैं।
➢ कु मार गंधवय िे लिा मंगेशकरजी को बेजोर् गाहयका किा – उिके गािों में गािपि याहि मधुरिा के
कारण और उिके गािों की दुहिया भर में लोकहप्रयिा के कारण
बहुहवकल्पी प्रश्न
1.'भारिीय गाहयकाओं में बेजोि-लिा मंगश
े कर' पाि के लेखक कौि िैं?
(क) कु मार गौरव (ख) कु मार गंधवय (ग) हवलायि खां (घ) दीिािाथ मंगेशकर

पाठ्यसामग्री-हिन्दी (आधार) कक्षा:ग्यारिवीं पृष्ठ 52 of 123


2. लिा मंगश
े कर के हपिा का िाम िै-
(क) रमािाथ मंगेशकर (ख) दीिािाथ मंगेशकर (ग) काशीिाथ मंगेशकर (घ) हवश्विाथ मंगेशकर
3. लेखक कु मार गंधवय िे सबसे पिले लिा की आवाज किाँ सुिी थी?
(क) टेलीहवजि पर (ख) रे हर्यो पर (ग) दिल्म में (घ) लाइव काययक्रम में
4. हचत्रपट संगीि में लिा के पिले प्रहसद्ध गाहयका कौि थी?
(क) मुमिाज बेगम (ख) िूरजिाँ (ग) आहबदा परवीि (घ) परवीि सुलिािा
5. हवलायि खां दकस वाद्य यंत्र से संबहं धि िैं?
(क) बांसुरी (ख) शििाई (ग) हसिार (घ) संिूर
6. लेखक के अिुसार भारिीय गाहयकाओं में लिा मंगेशकर बेजोि क्यों िै?
(क) लिा के कारण हचत्रपट संगीि को लोकहप्रयिा प्राि हुई िै।
(ख) लोगों का शास्त्रीय संगीि की ओर देखिे का दृहिकोण बदला िै।
(ग) लिा के कारण आजकल के िन्िे-मुन्ने भी सुर में गुिगुिािे िैं।
(घ) उपयुयक्त सभी।
7. संगीि के प्रहि साधारण लोगों के दृहिकोण में क्या पठरवियि हुए िैं?
(क) उिका स्वर ज्ञाि बढ़ रिा िै। (ख) सुरीलापि क्या िै, इसकी समझ उन्िें िो रिी िै।
(ग) िरि-िरि की लय के भी प्रकार उन्िें सुिाई पििे लगे िैं। (घ) उपयुयक्त सभी।
8. संगीि जगि को लिा का क्या योगदाि िै?
(क) संगीि की लोकहप्रयिा (ग) संगीि के प्रहि अहभरुहच का हवकास
(ख) संगीि का प्रसार (घ) उपयुयक्त सभी
9. सामान्य श्रोिा के हलए संगीि में क्या मित्वपूणय िै?
(क) ध्वहि मुदद्रका (ख) राग (ग) िाल (घ) हमिास
10. संगीि में 'गािपि' का क्या अथय िै?
(क) लय (ख) िाल (ग) राग (घ) हमिास
11. लिा के गािे की हवशेषिा िै-
(क) गािपि (ख) स्वरों की हिमयलिा (ग) िादमय उच्चार (घ) उपयुयक्त सभी
12. लेखक के अिुसार लिा िे दकस रस के गािे के साथ न्याय ििीं दकया िै?
(क) श्रृंगार (ख) करुण (ग) भहक्त (घ) वात्सल्य
13. लेखक के अिुसार लिा के गािे में दकस िरि के दोष देखे जािे िैं?
(क) मुग्ध श्रृंगार की अहभव्यहक्त वाले मध्य या द्रुि लय में गािा।
(ख) अहधकिर गािे ऊंची पट्टी में गािा।
(ग) क और ख दोिों।
(घ) इिमें से कोई ििीं।
14. इिमें से कौि-सा कथि सिी ििीं िै-
(क) गंभीरिा शास्त्रीय संगीि का स्थाई भाव िै।
(ख) चपलिा हचत्रपट संगीि का मुख्य गुण धमय िै।
(ग) हचत्रपट संगीि का िाल प्राथहमक अवस्था का िाल िोिा िै।
(घ) इिमें से कोई ििीं।
15. लेखक के अिुसार हचत्रपट संगीि गािे वाले को शास्त्रीय संगीि की उत्तम जािकारी िोिा-
(क) आवश्यक िै। (ख) आवश्यक ििीं िै। (ग) क और ख दोिों। (घ) इिमें से कोई ििीं।

पाठ्यसामग्री-हिन्दी (आधार) कक्षा:ग्यारिवीं पृष्ठ 53 of 123


16. खािदािी गवैयों के अिुसार दकस कारण लोगों की अहभरुहच हबगि गई िै?
(क) शास्त्रीय संगीि (ख) हचत्रपट संगीि (ग) लोक संगीि (घ) रॉक संगीि
17. "हचत्रपट संगीि क्षेत्र की लिा अिहभहषक्त सम्राज्ञी िै।" अिहभहषक्त का क्या अथय िै?
(क) मिाि (ख) बेिाज (ग) सवयश्रेष्ठ (घ) सुरीली
18. "ऐसा कलाकार शिाहब्दयों में शायद एक िी पैदा िोिा िै।" यि पंहक्त दकसके हलए किी गई िै?
(क) िूरजिाँ (ख) दीिािाथ मंगेशकर (ग) कु मार गंधवय (घ) इिमें से कोई ििीं।
19. लय दकििे प्रकार की िोिी िै?
(क) दो (ख) िीि (ग) चार (घ) पांच
20. िीि िाल में दकििी मात्राएं िोिी िैं?
(क) 12 (ख) 3 (ग) 16 (घ) 9
21. लिा जी के स्वरों की हवशेषिा ििीं िै?
(क) कोमलिा (ख) सुन्दरिा (ग) हिमयलिा (घ) मुग्धिा
22. हचत्रपट संगीि क्षेत्र की लिा “अिहभहषक्त साम्राज्ञी” िैं। यिां पर “अिहभहषक्त” का अथय िै –
(क) बेहमशाल (ख) बेिक़ाब (ग) बेिाज (घ) बेजूबा
23. यि िमारा सौभाग्य िै दक आज िम साक्षाि् उन्िें दे(ख) सुि पा रिे िैं दकसके हलए किा गया िै?
(क) कु मार गंधवय के हलए (ख) लिा मंगेशकर के हलए
(ग) िूरजिाँ के हलए (घ) दीिािाथ मंगेशकर के हलए
24.लिा जी के गािों में “हत्रवेणी संगम” (स्वर, लय व शब्दाथय का संगम) िै। यि कथि िै?
(क) सत्य (ख) असत्य (ग) आंहशक सत्य (घ) कोई ििीं
25. श्री हवलायि खां का सरबन्ध िै?
(क) गायि से (ख) हसिार वादि से (ग) हगटार वादि से (घ) लोक संगीि से
26. िमारे गायक आत्मसंिहु ि की वृहत्त वाले िोिे िैं कौिसे गायकों के बारे में किा गया िै?
(क) शास्त्रीय गायक (ख) लोक गायक (ग) हचत्रपट संगीि के गायक (घ) क और ख दोिों
27. शास्त्रीय संगीि का स्थाई भाव िैं?
(क) चंचलिा (ख) चपलिा (ग) गंभीरिा (घ) जलदलय
28. लिा मंगेशकर के हपिा का िाम था?
(क) पंहर्ि दीिािाथ मंगेशकर (ख) भोलािाथ मंगेशकर (ग) बालकिाथ (घ) रामिाथ
29.हचत्रपट संगीि कै सा िोिा िै?
(क) रं जकिा (ख) लय-िाल (ग) सिी उच्चारण (घ) धुि
30.लेखक के अिुसार लिा मंगेशकर दकस संगीि की अिहभहषक्त सम्राज्ञी िैं?
(क) शास्त्रीय संगीि (ख) लोक गीि (ग) हचत्रपट संगीि (घ) पािात्य संगीि

उत्तर संकेि-
1- ख, 2-ख, 3-ख, 4-ख, 5-ग, 6-घ, 7-घ, 8-घ, 9-घ, 10-घ, 11-घ, 12-ख, 13-ग, 14-घ, 15-
क, 16-ख, 17-ख, 18-घ, 19-ख, 20-ग 21-ख, 22-ग, 23-ख, 24-क, 25-ख, 26-क, 27-ग, 28-
क, 29-क, 30-ग

पाठ्यसामग्री-हिन्दी (आधार) कक्षा:ग्यारिवीं पृष्ठ 54 of 123


2. राजस्थाि की रजि बूद
ँ -ें अिुपम हमश्र
जन्म-1948 में वधाय (मिाराष्ट्र)।
पयायवरण संबंधी मुद्दों पर बीस पुस्िकों का लेखि हजिमें ‘आज भी खरे िैं िालाब’ और ‘राजस्थाि की रजि
बूँद’ें हवशेष चर्चयि। पयायवरण संबंधी कई आंदोलिों से ि के वल घहिष्ठ रूप से जुिे रिे िैं बहल्क लोगों को
जागरूक करिे के हलए मुहिम भी चलाई। सि् 1977 से गांधी शांहि प्रहिष्ठाि के पयायवरण कक्ष से संबद्ध।
पाि का सार:
यि पाि प्रहसद्ध पयायवरणहवद् अिुपम हमश्र जी की प्रहसद्ध दकिाब “राजस्थाि की रजि बूंद”ें का एक छोटा
सा अंश िैं हजसमें उन्िोंिे राजस्थाि की मरूभूहम में अमृि समाि मीिे पािी के स्रोि “कुँ ई” व उिको बिािे
वाले “चेलवांजी” के बारे में हवस्िार से वणयि दकया िै। राजस्थाि में “कुँ ई” का हिमायण रे ि में समाए वषाय के
पािी को इकठ्ठा करिे के हलए दकया जािा िै। “कुँ ई” की खुदाई और हचिाई करिे वाले दक्ष लोगों को
“चेलवांजी” या “चेजारो” किा जािा िै। “कुँ ई” की खुदाई के काम को “चेजा” किा जािा िै।
कु आँ और कुँ ई में अंिर
कु आँ एक पुबलंग शब्द िैं। कुँ ए से भूजल (पािाल पािी) प्राि िोिा िैं। पहिमी राजस्थाि में पािाल पािी
खारा िोिा िैं। यि पीिे योग्य ििी िोिा िै। कुँ ए का व्यास व गिराई कािी िोिी िैं। जबदक “कुँ ई” एक
स्त्रीबलंग शब्द िै हजसमें वषाय का मीिा व पीिे योग्य जल इकठ्ठा िोिा िैं। जब वषाय ििीं भी िोिी िैं िब भी
उसका जल बिे हवहचत्र ढंग से इसमें इकठ्ठा िोिा िैं। कुँ ई में जमा पािी ि िो भूहम की सिि पर बििे वाला
पालर पािी (िदी या िालाब का पािी) िैं और ि िी भूजल (पािाल पािी)। यि िो रेि के अंदर िमी के रूप
में इकठ्ठा वषाय का जल(रे जाणी पािी) िैं जो धीरे -धीरे बूँद बिकर कुँ ई में इकठ्ठा िोिा रििा िैं। कुँ ई का व्यास
कु एँ से कम िोिा िैं लेदकि गिराई लगभग कु एँ के बराबर िी िोिी िैं।
लेखक कििे िैं दक चेलवांजी पूरी िरि से पसीिे से िरबिर िोकर एक कुँ ई की खुदाई कर रिे िैं अभी िक वो
िीस-पैिीस िाथ िक की गिरी खुदाई कर चुके िैं। कुँ ई का व्यास बहुि िी कम िोिा िै हजसके कारण खुदाई
का काम कु ल्िािी या िाविे से करिे के बजाय बसौली (िाविे जैसा िी एक छोटा सा औजार हजसका िल
लोिे का और ित्था लकिी का िोिा िैं) से दकया जािा िै।
कुँ ई की गिराई में लगािार बढ़िी गमी को कम करिे के हलए ऊपर जमीि में खिे लोगों द्वारा बीच-बीच में
मुट्ठी भर रे ि बहुि जोर से िीचे िें की जािी िैं हजससे िाजी िवा िीचे जािी िै और िीचे की गमय िवा ऊपर
लौट आिी िै। ऊपर से िें की गयी रे ि से बचिे के हलए चेलवांजी अपिे हसर पर धािु का एक बियि टोप
(टोपी) की िरि पिि लेिे िैं।
लेखक कििे िैं दक राजस्थाि की मरुभूहम में किीं-किीं रेि की सिि के िीचे खहिया पत्थर की एक लरबी-
चौिी पट्टी चलिी िै। यि पट्टी रे ि की सिि से दस-पंद्रि िाथ िीचे से लेकर पचास – साि िाथ िीचे िक िो
सकिी िै। रे ि के िीचे दबे िोिे के कारण यि खहिया पट्टी ऊपर से ििी ददखाई देिी िै। ऐसे क्षेत्रों में कुँ ई
खोदिे समय हमट्टी में िो रिे पठरवियि से खहिया पट्टी का पिा चलिा िै।यिी खहिया पट्टी िी वषाय के जल
को गिरे खारे भूजल में हमलिे से रोकिी िै। रे ि के कण बहुि बारीक िोिे िैं और मरुभूहम में ये समाि रूप
से हबखरे रििे िैं। पािी हगरिे पर ये कण थोिे भारी जरूर िो जािे िैं मगर ि िी ये कण आपस में हचपकिे
िैं और ि िी अपिी जगि छोििे िैं हजस कारण हमट्टी में दरार ििीं पििी िैं और भीिर समाया वषाय का जल
भीिर िी बिा रििा ि गमी से भाप बिकर उििा ििी िैं।
इस क्षेत्र में बरसी पािी की एक-एक बूँद रेि में समा कर िमी में बदल जािी िै। कुँ ई बििे पर रेि में समाई
यिी िमी, दिर से पािी की बूंदों में बदल कर कुँ ई में इकठ्ठा िोिे लगिी िैं और यिी पािी खारे पािी के सागर
में अमृि जैसा मीिा िोिा िै।
पािी के िीि प्रकार:-
1. पालरपािी
सीधे वषाय से हमलिे वाला पािी। यि धरािल पर बििा िै और इससे िदी या िालाब आदद में रोका जािा
िै।
2. पािालपािी

पाठ्यसामग्री-हिन्दी (आधार) कक्षा:ग्यारिवीं पृष्ठ 55 of 123


भूजल। यि विी भूजल िै जो कु ओं से हिकाला जािा िै।
3. रे जाणीपािी
धरिी की सिि के िीचे लेदकि पािाल में ि हमल पाये पािी को रे जाणीपािी कििे िै।
रे जाणीपािी िी खहिया पत्थर की पट्टी के कारण पािालपािी में ििीं हमल पािा िै। इसी रेजाणीपािी को
इकठ्ठा करिे के हलए कुँ ई का हिमायण दकया जािा िै। राजस्थाि में वषाय की मात्रा को इंच या सेंटीमीटर में
िापिे के बजाय “रे जा” में िापा जािा िैं।
पिले कुँ ई की सिल खुदाई के बाद उत्सव मिाया जािा था व हवशेष भोज का आयोजि दकया जािा था।
चेलवांजी को हवदाई के समय िरि-िरि की भेंट दी जािी थी। आच प्रथा के ििि उन्िें वषय भर के िीज
त्यौिारों, हववाि जैसे मंगहलक अवसरों पर भेंट दी जािी थी।
िसल कटिे पर खेि – खहलिािों में उिके िाम से अिाज का अलग ढेर भी लगाया जािा था। लेदकि अब
हसिय मजदूरी देकर भी काम करवािे का ठरवाज आ गया िै।
खहिया पट्टी के अन्य िाम:-
चारोली, धाधिों, धिधिों, हबट्टू रो बहल्लयों, खिी आदद।
कुँ ई का मुि
ँ छोटा रखिे के कारण
1. कुँ ई में पािी बूँद-बूँद कर धीरे -धीरे इकठ्ठा िोिा िैं। ददि भर में मुहश्कल से दो-िीि घिे पािी िी जमा िो
पािा िैं। ऐसे में कुँ ई का व्यास ज्यादा िोगा िो पािी िले में िी िै ल जायेगा हजसे हिकालिा सरभव ििी िै।
कम व्यास में यि पािी दो-चार िाथ ऊपर आ जािा िै हजसे बाल्टी या चिस से आसािी से हिकाल हलया
जािा िै।
2. कुँ ई का मुँि छोटा िोिे से पािी भाप बिकर उि ििी पािा िै।
3. कुँ ई का पािी साि रखिे के हलए उसका मुँि छोटा िोिा जरूरी िै। कुँ ई के छोटे मुँि को लकिी से बिे ढक्नि
आदद से आसािी से ढका जा सकिा िै।
बहुहवकल्पी प्रश्न
1.’ राजस्थाि की रजि की बूंद’े पाि के लेखक िै?
(क) कु मार गंधवय (ख) बेबी िालदार (ग) सुहमत्रािंदि पंि (घ) अिुपम हमश्र
2. ‘कु ईं’ शब्द से िात्पयय िै:
(क) खुला स्थाि (ख) गिरा स्थाि (ग) छोटा सा कु आँ (घ) गिरा सा कु आँ
3. चेलवांजी का शाहब्दक अथय िै?
(क) चेजारो (ख) हििारो (ग) पुचकारो (घ) िटकारो
4. कु ईं की खुदाई दकससे की जािी िै?
(क) खुरपी से (ख) दरािी से (ग) बसौली से (घ) ित्थी से
5.वषाय की मात्र िापिे के हलए दकस शब्द का प्रयोग िोिा िै?
(क) सेंटीमीटर (ख) पत्त्ती (ग) इंच (घ) रे जा
6. उपलब्ध पािी के िीि रूप िैं?
(क) पालर पािी (ख) पािाल पािी (ग) रे जाणी पािी (घ) उपरोक्त सभी
7. कुँ ई की गरमी कम करिे के हलए ऊपर जमीि पर खिे लोग मुट्ठी भर-भरकर िीचे क्या िें किे िैं?
(क) रे ि (ख) पािी (ग) टोप (घ) रस्सी
8. जिाँ लगाव िै, विाँ ……… भी िोिा िै?
(क) हबखराव (ख) अलगाव (ग) अवसाि (घ) कु छ भी ििीं
9. मरुभूहम के हवकहसि दकए गए समाज िे विाँ उपलब्ध पािी को दकििे रूपों में बांटा िै?

पाठ्यसामग्री-हिन्दी (आधार) कक्षा:ग्यारिवीं पृष्ठ 56 of 123


(क) चार (ख) पाँच (ग) साि (घ) िीि
10. गिरी कुँ ई से पािी खींचिे की सुहवधा के हलए उसके ऊपर लगी चकरी को क्या कििे िैं?
(क) गरे िी (ख) चरखी (ग) िरे िी (घ) उपरोक्त सभी
11. जैसलमेर हजले के एक गाँव खिेरों की ढाणी को लोग दकस िाम से जाििे थे?
(क) िीि-बीसी (ख) पाँच बीसी (ग) छि-बीसी (घ) दस-बीसी
12. ‘रजि’ का क्या अथय िै?
(क) पािी (ख) सोिा (ग) चांदी (घ) िीरा
13. 'राजस्थाि की रजि बूद
ं 'ें पाि के आधार पर बिाएं दक कौि-सा पािी पीिे के काम में लाया जािा िै?
(क) पालर पािी (ख) रे जाणी पािी (ग) पािाली पािी (घ) साधारण पािी
14. कुँ ई का हिमायण किाँ दकया जािा िै?
(क) जिाँ हमट्टी िरम िो। (ख) जिाँ हमट्टी गीली िो।
(ग) जिाँ भू-जल का स्िर अछछा िो। (घ) जिाँ हमट्टी के िीचे खहिया पट्टी िो।
15. कुँ ई का व्यास छोटा क्यों रखा जािा िै?
(क) इससे पािी का स्िर ऊँचा रििा िै। (ख) इससे पािी वाष्पीकृ ि कम िोिा िै।
(ग) कुँ ई को ढकिा सरल िोिा िै। (घ) उपयुयक्त सभी।
16. चिस दकस काम में आिा िै?
(क) कुँ ई की हचिाई करिे के हलए। (ख) कुँ ई को ढकिे के हलए।
(ग) कुँ ई से पािी हिकालिे के हलए। (घ) हमट्टी की खुदाई के हलए।
17. कुँ ई की खुदाई कर रिे मजदूरों पर ऊपर से लोग मुट्ठी भर रे ि िीचे िें किे िैं। ऐसा क्यों?
(क) कुँ ई बिािे में रेि का इस्िेमाल िोिा िै। (ख) ऐसा विाँ का ठरवाज िै।
(ग) गमी कम करिे के हलए। (घ) उपरोक्त सभी।
18. चेलवांजी कुँ ई का हिमायण करिे समय अपिे हसर पर दकसी धािु का एक बियि टोप की िरि क्यों
पिििे िैं?
(क) गमी से बचिे के हलए। (ख) चोट से बचिे के हलए।
(ग) सदी से बचिे के हलए। (घ) यि उिका पोशाक िै।
19. पालर पािी क्या िोिा िै?
(क) जो पािी धरािल पर बििा िै। (ख) जो पािी कुँ ई में जमा िोिा िै।
(ग) जो पािी जमीि के अंदर जमा िोिा िै। (घ) इिमें से कोई ििीं।
20. आच प्रथा क्या िै?
(क) कारीगरों को रोजगार देिे की प्रथा (ख) कारीगरों को उहचि मजदूरी देिे की प्रथा
(ग) कारीगरों को सरमाहिि करिे की प्रथा (घ) कारीगरों को भोजि देिे की प्रथा
21. कुँ ई का मुिँ छोटा रखिे के कारणों में शाहमल ििीं िै-
(क) कुँ ई में पािी कम िोिा िै। (ख) वाष्पीकरण से बचािे के हलए।
(ग) कुँ ई को ढकिा आसाि िोिा िै। (घ) विाँ जमीि कम िोिी िै।
22. हिजी िोिे हुए भी कुँ ई पर ग्राम समाज का अंकुश क्यों रििा िै?
(क) विाँ का वैसा िी कािूि िै। (ख) कुँ ई सावयजहिक जमीि पर बिाई जािी िै।
(ग) ग्राम समाज का मुहखया िािाशाि िोिा िै। (घ) क्योंदक कुँ ई घर से बािर बिाई जािी िै।
23.जैसलमेर हजले के खिेरो की ढाणी गांव को छि-बीसी के िाम से क्यों जािा जािा िै?
(क) विाँ 26 कुँ ई बिी हुई िै। (ख) विाँ 620 कुँ ई बिी हुई िै।
(ग) विाँ 120 कुँ ई बिी हुई िै। (घ) विाँ 2600 कुँ ई बिी हुई िै।
24. इिमें से खहिया पट्टी को दकस िाम से ििीं जाििे िैं?

पाठ्यसामग्री-हिन्दी (आधार) कक्षा:ग्यारिवीं पृष्ठ 57 of 123


(क) हबट्टू रो बहल्लयो (ख) धिधिो (ग) खिी (घ) चेजा पट्टी
25. इिमें से दकस हजले में खहिया पट्टी ििीं हमलिी िै?
(क) चुरू (ख) बीकािेर (ग) जयपुर (घ) जैसलमेर
26. चिस दकस चीज से ििीं बिाई जािी िै?
(क) मोटे कपिे से (ख) चमिे से (ग) िटी ट्यूब से (घ) प्लाहस्टक से

उत्तर-संकेि :
1 2 3 4 5 6 7 8 9 10
(घ) (ग) (क) (ग) (घ) (घ) (क) (ख) (घ) (घ)
11 12 13 14 15 16 17 18 19 20
(ग) (ग) (ख) (घ) (घ) (ग) (ग) (ख) (क) (ग)
21 22 23 24 25 26
(घ) (ख) (ग) (घ) (ग) (ख)

3. आलो-आँधाठर-बेबी िालदार
‘आलो-आंधाठर’ पाि लेहखका बेबी िालदार द्वारा हलहखि अपिी आत्मकथा का एक अंश िै। इिका
जन्म जरमू कश्मीर के दकसी स्थाि पर हुआ, जिाँ सेिा की िौकरी में उिके हपिा िैिाि थे। िेरि वषय की आयु
में इिका हववाि दुगुिी उम्र के व्यहक्त से कर ददया गया। इस कारण उन्िें सािवीं कक्षा में पढ़ाई छोििी पिी।
12-13 वषों के बाद पहि की ज्यादहियों से परे शाि िोकर वे िीि बच्चों सहिि पहि का घर छोिकर दुगायपुर
से िरीदाबाद आ गई। कु छ समय बाद वे गुिगाँव चली आईं। इिकी एकमात्र रचिा िै-आलो-आँधाठर जो दक
मूल रूप से बांग्ला भाषा में हलखी गई हजसका हिन्दी में अिुवाद प्रबोध कु मार िे दकया। बेबी इस कथा की
िाहयका भी िै और लेहखका भी। मात्र िेरि वषय की िोिे-िोिे सािवीं की पढ़ाई अधूरी छोि वि एक अधेि
से ब्याि दी जािी िै और जीवि के सबसे संवेदिशील उम्र में िीि बच्चों की माँ बि जािी िै। विी बेबी पहि
की ज्यादहियों को ि बदायश्ि कर शुरू करिी िै एक ऐसी यात्रा जो ि िो उसिे पिािों पर की, ि समुद्रिट
पर और ि िी स्टर्ीरूम में बैिकर।
पाि का सारांश-लेहखका अपिे पहि से अलग दकराए के मकाि में अपिे िीि छोटे बच्चों के साथ रििी
थी। उसे िर समय काम की िलाश रििी थी। वि सभी को अपिे हलए काम ढू ँढ़िे के हलए कििी थी। शाम
को जब वि घर वाहपस आिी िो पिोस की औरिें काम के बारे में पूछिीं। काम ि हमलिे पर वे उसे सांत्विा
देिी थीं। लेहखका की पिचाि सुिील िामक युवक से थी। एक ददि उसिे दकसी मकाि माहलक से लेहखका
को हमलवाया। मकाि माहलक िे आि सौ रुपये मिीिे पर उसे रख हलया और घर की सिाई व खािा बिािे
का काम ददया। उसिे पिले काम कर रिी महिला को िटा ददया। उस महिला िे लेहखका से भला-बरा किा।
लेहखका उस घर में रोज सवेरे आिी िथा दोपिर िक सारा काम खत्म करके चली जािी। घर जाकर बच्चों
को ििलािी व हखलािी। उसे बच्चों के भहवष्य की बचंिा थी। हजस मकाि में वि रििी थी, उसका दकराया
अहधक था। उसिे कम सुहवधाओं वाला िया मकाि ले हलया। यिाँ के लोग उसके अके ले रििे पर िरि-िरि
की बािें बिािे थे। घर का खचय चलािे के हलए वि और काम चाििी थी। वि मकाि माहलक से काम की ियी
जगि ढू ँढ़िे को कििी िै। उसे बच्चों की पढ़ाई, घर के दकराए व लोगों की बािों की भी बचंिा थी। माहलक
सज्जि थे। एक ददि उन्िोंिे लेहखका से पूछा दक वि घर जाकर क्या-क्या करिी िै। लेहखका की बाि सुिकर
उन्िें आियय हुआ। उन्िोंिे स्वयं को ‘िािुश' किकर पुकारिे को किा। वे उसे बेबी कििे थे िथा अपिी बेटी
की िरि माििे थे। उिका सारा पठरवार लेहखका का ख्याल रखिा था। वि पुस्िकों की अलमाठरयों की सिाई
करिे समय पुस्िकों को उत्सुकिा से देखिे लगिी। यि देखकर िािुश िे उसे एक दकिाब पढ़िे के हलए दी।

पाठ्यसामग्री-हिन्दी (आधार) कक्षा:ग्यारिवीं पृष्ठ 58 of 123


िािुश िे उससे लेखकों के बारे में पूछा िो उसिे कई बांग्ला लेखकों के िाम बिा ददए। एक ददि
िािुश िे उसे कॉपी व पेि ददया और किा दक समय हिकालकर वि कु छ जरूर हलखे। काम की अहधकिा के
कारण हलखिा बहुि मुहश्कल था, परं िु िािुश के प्रोत्सािि से वि रोज कु छ पृष्ठ हलखिे लगी। यि शौक आदि
में बदल गया। उसका अके ले रििा समाज में कु छ लोगों को सिि ििीं िो रिा था। वे उसके साथ छेिखािी
करिे थे और बेमिलब परे शाि करिे थे। बाथरूम ि िोिे से भी हवशेष ददक्कि थी। मकाि माहलक के लिके के
दुव्ययविार की वजि से वि िया घर िलाशिे की सोचिे लगी। एक ददि लेहखका काम से घर लौटी िो देखा
दक मकाि टूटा हुआ िै िथा उसका सारा सामाि खुले में बािर पिा हुआ िै। वि रोिे लगी। इििी जल्दी
मकाि ढू ँढ़िे की भी ददक्कि थी। दूसरे घरों के लोग अपिा सामाि इकट्ठा करके िए घर की िलाश में चले गए।
वि सारी राि बच्चों के साथ खुले आसमाि के िीचे बैिी रिी। उसे दुख था दक दो भाई िजदीक रििे के बावजूद
उसकी सिायिा ििीं करिे। िािुश को बेबी का घर टूटिे का पिा चला िो उन्िोंिे अपिे घर में कमरा दे
ददया। इस प्रकार वि िािुश के घर में रििे लगी। उसके बच्चों को िीक खािा हमलिे लगा। िािुश उसका बहुि
ख्याल रखिे।
बच्चों के बीमार िोिे पर वे उिकी दवा का प्रबंध करिे। उिके सद्व्यविार को देखकर बेबी िैराि थी।
उसका बिा लिका दकसी के घर में काम करिा था। वि उदास रििी थी। िािुश िे उसके लिके को खोजा
िथा उसे बेबी से हमलवाया। उस लिके को दूसरी जगि काम ददलवाया। लेहखका सोचिी दक िािुश हपछले
जन्म में उसके बाबा रिे िोंगे। िािुश उसे हलखिे के हलए हिरं िर प्रोत्साहिि करिे थे। उन्िोंिे अपिे कई हमत्रों
के पास बेबी के लेखि के कु छ अंश भेज ददए थे। उन्िें यि लेखि पसंद आया और वे भी लेहखका का उत्साि
बढ़ािे रिे। िािुश के छोटे लिके अजुयि के दो हमत्र विाँ आकर रििे लगे, परं िु उिके अछछे व्यविार से लेहखका
बढ़े काम को खुशी-खुशी करिे लगी। िािुश िे सोचा दक सारा ददि काम करिे के बाद बेबी थक जािी िोगी।
उसिे उसे रोजािा शाम के समय पाकय में बच्चों को घुमा लािे के हलए किा। इससे बच्चों का ददल बिल जाएगा।
अब वि पाकय में जािे लगी। पाकय में िए-िए लोगों से मुलाकाि िोिी। उसकी पिचाि बंगाली लिकी से हुई
जो जल्दी िी वाहपस चली गई। लोगों के दुव्ययविार के कारण उसिे पाकय में जािा छोि ददया। लेहखका को
दकिाब, अखबार पढ़िे व लेखि-कायय में आिंद आिे लगा। िािुश के जोर देिे पर वि अपिे जीवि की घटिाएँ
हलखिे लगी। िािुश के दोस्ि उसका उत्साि बढ़ािे रिे। एक हमत्र िे उसे आशापूणाय देवी का उदािरण ददया।
इससे लेहखका का िौसला बढ़ा और उसिे उन्िें जेलू किकर संबोहधि दकया। एक ददि लेहखका के हपिा उससे
हमलिे पिँचे। उसिे उसकी माँ के हिधि के बारे में बिाया। लेहखका के भाइयों को पिा था, परं िु उन्िोंिे उसे
बिाया ििीं। लेहखका कािी देर िक माँ को याद करके रोिी रिी। बाबा िे बच्चों से माँ का ख्याल रखिे के
हलए समझाया। लेहखका पत्रों के माध्यम से कोलकािा और ददल्ली के हमत्रों से संपकय रखिे लगी। उसे िैरािी
थी दक लोग उसके लेखि को पसंद करिे िैं।
शर्मयला दी उससे िरि-िरि की बािें करिी थी। लेहखका सोचिी दक अगर िािुश उससे ि हमलिे
िो यि जीवि किाँ हमलिा। लेहखका का जीवि िािुश के घर में आकर बदल गया। उसका बिा लिका
काम पर लगा था। दोिों छोटे बच्चे स्कू ल में पढ़ रिे थे। वि स्वयं लेहखका बि गई थी। पिले वि सोचिी
थी दक अपिों से हबछु िकर कै से जी पाएगी, परं िु अब उसिे जीिा सीख हलया था। वि िािुश से शब्दों के
अथय पूछिे लगी थी। िािुश के जीवि में भी खुशी आ गई थी। अंि में वि ददि भी आ गया जब लेहखका
की लेखि-कला को पहत्रका में जगि हमली। पहत्रका में उसकी रचिा का शीषयक था-'आलो-आँधाठर' बेबी
िालदार। लेहखका अत्यंि प्रसन्न थी। िािुश के प्रहि उसका मि कृ िज्ञिा से भर आया। उसिे िािुश के पैर
छू कर आशीवायद प्राि दकया।
हिम्नहलहखि प्रश्नों के उत्तर िेिु हिदेशािुसार सिी हवकल्प का चयि कीहजए-
(i) लेहखका को काम ढू ँढिे मे दकसिे मदद की?
(क) सुिील िे (ख) सुिीहि (ग) अजुयि (घ) इिमें से कोई ििीं
(ii) “मुझे किीं और भी काम करिा चाहिए” बेबी ऐसा सोचिे लगी क्योंदक-
(क) बेबी को ज्यादा काम करिे की आदि थी।
(ख) बेबी को बच्चों के पालि-पोषण और दकराया देिे के हलए पैसों की आवश्यकिा थी।

पाठ्यसामग्री-हिन्दी (आधार) कक्षा:ग्यारिवीं पृष्ठ 59 of 123


(ग) वि िािुश के घर पर काम ििीं करिा चाििी थी।
(घ) इिमें से कोई कारण ििीं।
(iii) िािुश ििीं चाििे थे दक-
(क) बेबी उिके घर काम करे (ग) बेबी के बच्चे पढ़ें
(ख) बेबी उिके घर आकर रिे (घ) बेबी किीं और काम करें
(iv) िािुश की बािों से बेबी िालदार को कै सा लगिा था?
(क) बहुि बुरा (ख) आियय (ग) स्नेि (घ) सिज
(v) िािुश के दकििे लिके थे?
(क) िीि (ख) चार (ग) दो (घ) एक
(vi) िािुश को दकस से पिा चला दक बेबी िे घर बदल हलया िै?
(क) बेबी से (ख) बेबी के बच्चों से (ग) बेबी के िाव-भाव से (घ) सुिील से
(vii) िािुश को देखकर लेहखका को कौि याद आिे िैं?
(क) स्वामी हववेकािंद (ख) अपिे हपिा (ग) रामकृ ष्ण (घ) सुिील
(viii) बेबी िालदार िे दकस कक्षा में पढ़ाई छोि दी थी?
(क) पाँचवीं में (ख) सािवीं में (ग) आिवीं में (घ) चौथी में
(ix) लेहखका िे िािुश को दकि-दकि बांग्ला लेखकों के िाम बिाए?
(क) रवीन्द्रिाथ िाकु र (ख) सत्येन्द्र िाथ दत्त (ग) शरिचंद्र (घ) उपयुयक्त सभी
(x) लेहखका को अके ली जािकर आस-पास के लोग क्या करिा चाििे थे?
(क) उसके साथ छेिखािी करिा चाििे थे (ख) उसके साथ बाि करिा चाििे थे
(ग) सीठटयाँ मारिे और िािे मारिे (घ) उपयुयक्त सभी
(xi) लेहखका के घर का सारा सामाि बािर हबखरा पिा था क्योंदक-
(क) मकाि माहलक िे सामाि बािर िें क ददया था। (ख) विाँ के सारे घर िोि ददए गए थे।
(ग) उसिे घर खाली कर ददया था। (घ) उस क्षेत्र में भूकंप आया था।
(xii) घर के हलए िािुश से बाि करिे की सलाि लेहखका को दकसिे दी?
(क) भोला दा िे (ख) सुिील िे (ग) शमीला दी िे (घ) दकसी िे ििीं दी
(xiii) िािुश के कु छ बंधु किाँ रििे थे?
(क) लखिऊ में (ख) मुंबई और बेंगलूरू में (ग) ददल्ली और कोलकािा में (घ) जयपुर और भोपा

(xiv) िािुश बेबी को क्या माििे थे?


(क) अपिी लिकी जैसी (ख) अपिी िौकरािी जैसी (ग) अपिे पठरहचि जैसी (घ) अपिी ठरश्िेदार जैसी
(xv) बेबी के दकििे बच्चे थे?
(क) दो (ख) िीि (ग) चार (घ) एक
(xvi) िािुश के छोटे लिके का क्या िाम था?
(क) सुिील (ख) सुखदीप (ग) रमण (घ) अजुयि
(xvii) रमण दा के बारे में कौिसा कथि सिी ििीं िै?
(क) वि बेबी को खािे की चीजें बिािा हसखािा था। (ख) वि बेबी से उसके बच्चों के बारे में बाि करिा था।
(ग) वि कम बािचीि दकया करिा था। (घ) वि बेबी की लिकी को लिका समझिा था।
(xviii) पाकय में बेबी की मुलाकाि दकस से हुई?
(क) सुिीहि से (ख) अपिे बेटे से (ग) िािुश से (घ) अपिे दादा से
(xix) सुिीहि के बारे में कौिसा कथि सिी ििीं िै?

पाठ्यसामग्री-हिन्दी (आधार) कक्षा:ग्यारिवीं पृष्ठ 60 of 123


(क) हजस ददि जन्म हलया उसी ददि उसकी माँ मर गई थी।
(ख) एक वषय की िोिे पर उसके बाबा की मृत्यु िो गई थी।
(ग) वि अपिी बेटी को लेकर पाकय में आिी थी।
(घ) उसे उसके मामा और िािी िे पाल-पोसकर बिा दकया।
(xx) पाकय में बेबी की मुलाकाि दकस से हुई?
(क) सुिीहि से (ख) अपिे बेटे से (ग) िािुश से (घ) अपिे दादा से
(xxi) िािुश के बिे भाई को लेहखका क्या किकर पुकारिी थी?
(क) रामू (ख) जेिू (ग) बापू (घ) इिमें से कोई ििीं
(xxii) जेिू के बारे में कौिसा कथि सिी ििीं िै?
(क) उन्िोंिे बेबी की र्ायरी की बहुि प्रशंसा की। (ग) वे िािुश से एक वषय बिे थे।
(ख) उिकी बांग्ला सीखिे की इछछा ििीं थी। (घ) वे बांग्ला पढ़ सकिे थे पर हलख ििीं सकिे थे।
(xxiii) शर्मयला दी कौि थीं?
(क) लेहखका की बिि (ख) िािुश की बिि (ग) सुिील की बिि (घ) जेिी की बंधु
(xxiv) बेबी िालदार को दकस बांग्ला लेहखका का उदािरण ददया जािा?
(क) िसलीमा िसरीि (ख) मिाश्वेिा देवी (ग) आशापूणाय देवी (घ) इिमें से कोई ििीं
(xxv) आशापूणाय देवी के बारे में कौिसा कथि सत्य िै?
(क) वे घर के बािर बहुि काम हिकली थीं। (ख) उन्िोंिे के वल बांग्ला िी पढ़ी थी।
(ग) वि िब हलखिी थी जब घर के सब लोग सो जािे थे। (घ) उपयुयक्त सभी
(xxvi) बेबी की र्ायरी िािुश के बंधओं
ु को कै सी लगी?
(क) ऐहि फ्रैंक की र्ायरी की िरि (ग) रवीन्द्रिाथ िाकु र की र्ायरी की िरि
(ख) आशापूणाय देवी की जीविी की िरि (घ) रामकृ ष्ण की पुस्िक की िरि
(xxvii) लेहखका को अपिी माँ की मृत्यु का पिा दकस से चला?
(क) अपिे बाबा से (ख) िािुश से (ग) अपिे दादा से (घ) अपिे बेटे से
(xviii) पहत्रका के आवरण पृष्ठ पर क्या हलखा था?
(क) बेबी िालदार (ख) 'आलो-आँधाठर'-बेबी िालदार (ग) 'आलो-आँधाठर' (घ) बेबी िालदार की किािी
(xxix) 'आलो-आँधाठर' की लेहखका कौि िै?
(क) बेबी िालदार (ख) आशापूणाय देवी (ग) शमीला दी (घ) आशापूणाय देवी
(xxx) 'आलो-आँधाठर' का हिन्दी में अिुवाद दकसिे दकया?
(क) आशापूणाय देवी (ख) अशोक बसंि (ग) प्रबोध कु मार (घ) के दारिाथ बसंि

पाठ्यसामग्री-हिन्दी (आधार) कक्षा:ग्यारिवीं पृष्ठ 61 of 123


उत्तर-(i) (क) सुिील िे (ii) (ख) बेबी को बच्चों के पालि-पोषण और दकराया देिे के हलए पैसों की आवश्यकिा
थी। (iii) (घ) बेबी किीं और काम करें (iv) (ग) स्नेि (v) (क) िीि (vi) (घ) सुिील से (vii) (ग) रामकृ ष्ण
(viii) (ख) सािवीं में (ix) (घ) उपयुयक्त सभी (x) (घ) उपयुयक्त सभी (xi) (ख) विाँ के सारे घर िोि ददए गए
थे। (xii) (क) भोला दा िे (xiii) (ग) ददल्ली और कोलकािा में (xiv) (क) अपिी लिकी जैसी (xv) (ख) िीि
(xvi) (घ) अजुयि (xvii) (ग) वि कम बािचीि दकया करिा था। (xviii) (क) सुिीहि से (xix) (ग) वि अपिी
बेटी को लेकर पाकय में आिी थी। (xx) (क) सुिीहि से (xxi) (ख) जेिू (xxii) (ख) उिकी बांग्ला सीखिे की
इछछा ििीं थी। (xxiii) (घ) जेिी की बंधु (xxiv) (ग) आशापूणाय देवी (xxv) (घ) उपयुयक्त सभी (xxvi) (क)
ऐहि फ्रैंक की र्ायरी की िरि (xvii) (क) अपिे बाबा से (xviii) (ख) 'आलो-आँधाठर'-बेबी िालदार (xxix)
(क) बेबी िालदार (xxx) (ग) प्रबोध कु मार
प्रश्न-5 (1) अप्रत्याहशि हवषयों पर लेखि
िए और अप्रत्याहशि हवषयों पर रचिात्मक लेखि (5 अंक के हलए)
हिदेश और ध्याि रखिे योग्य मुख्य बबंद-ु
● इस प्रश्न के हलए 5 अंक हिधायठरि दकए गए िैं। हजसमें मौहलकिा के हलए 2 अंक, हवषय वस्िु के
हलए 3 अंक और भाषा की शुद्धिा के हलए 1 अंक हिधायठरि िै।
● शब्द सीमा-120 शब्द िै। इििे शब्द की यि सीमा थोिी-बहुि आगे-पीछे कर सकिे िैं, लेदकि बहुि
ज्यादा ििीं। जैसे 120 शब्द सीमा के हलए िम 110 से 130 िक भी हलखेंगे िो गलि ििीं िै। बाि
पूरी और स्पि ढंग से रचिात्मकिा के साथ आ जािी चाहिए।
● अप्रत्याहशि शब्द का अथय िै-अ+प्रहि+आशा+इि = अप्रत्याहशि अथायि् हजसकी आशा ि की गई िो।
अथायि एकदम िया और मौहलक हवषय जो त्वठरि रूप से िमारे सामिे आिा िै, उस हवषय पर िम
दकस प्रकार सृजिात्मकिा के साथ सोच कर हलख सकिे िैं, यि इस प्रश्न का उद्देश्य िै।
● दकसी िए अथवा अप्रत्याहशि हवषय पर कम समय में अपिे हवचारों को संकहलि कर उन्िें सुंदर ढंग
से अहभव्यक्त करिा िी अप्रत्याहशि हवषयों पर लेखि किलािा िै।
● हवषय पर हलखिे से पिले लेखक को अपिे महस्िष्क में उसकी एक उहचि रूपरे खा बिा लेिी चाहिए।
● हवषय से जुिे अन्य िथ्यों की जािकारी िोिा भी आवश्यक िै। सुसंबद्धिा दकसी भी लेखि का
बुहियादी ित्व िोिा िै।
● रचिात्मक लेखि के अन्िगयि आपको दकसी भी प्रकृ हि का कोई भी हवषय ददया जा सकिा िै।
● लेख में आपकी किी गई बािें ि हसिय आपस में जुिी हुई िों, अहपिु उिमें िालमेल भी िो। आपकी
दो बािें एक-दूसरे का खंर्ि करिी हुई ििीं िोिी चाहिए।
● िए िथा अप्रत्याहशि हवषयों के लेखि में आत्मपरक 'मैं' शैली का प्रयोग दकया जा सकिा िै।
● इस शैली के प्रयोग से लेखक के हवचारों और उसके व्यहक्तत्व की झलक प्राि िोिी िै।

पाररपठरक और अप्रत्याहशि हवषयों में अन्िर-पाररपठरक हवषय वे हवषय िोिे िैं जो दकसी मुद्द,े हवचार,
घटिा आदद से जुिे िोिे िैं और अहधकिर सामाहजक और राजिीहिक हवषय िोिे िैं। इसमें आप अपिी
व्यहक्तगि राय को उििी प्राथहमकिा ि देकर सामूहिक हवचार पर जोर देिे िैं जबदक अप्रत्याहशि हवषयों
पर लेखि में आपके अपिे हिजी हवचार िोिे िैं।

पाठ्यसामग्री-हिन्दी (आधार) कक्षा:ग्यारिवीं पृष्ठ 62 of 123


हजि हवचारों को कि र्ालिा िमारे हलए एकदम आसाि िोिा िै उन्िें हलखिा चुिौिी िै क्योंदक
आत्महिभयर िोकर हलहखि रूप से अहभव्यक्त करिे का अभ्यास िी ििीं करिे।
अभ्यास के िर मौके को िम रटिे पर हिभयर िोकर गवां बैििें िै। यि बुरी आदि(कु टेव) िै।
अप्रत्याहशि लेखि-अचािक सामिे आए हवषयों पर हलखिा। दकसी दृश्य, हवचार को लेख की शक्ल देिा, उसे
शब्दों के सिारे पन्नों पर हलखिा अप्रत्याहशि लेखि िै।

रचिात्मकिा का कोई िामूल


य ा ििीं िो सकिा अन्यथा कं प्यूटर सबसे अछछा लेखक िोिा।

िर घर हिरं गा
भारि की आजादी के 75 वषय पूणय िोिे पर प्रधािमंत्री श्री िरें द्र मोदी द्वारा 13 से 15 अगस्ि 2022 िक िर
घर राष्ट्रीय ध्वज हिरं गा ििरािे िेिु हवशेष आह्वाि दकया गया। इस अहभयाि के माध्यम से देश के िागठरकों
के ददलों में राष्ट्रीय ध्वज के प्रहि सरमाि की भाविा पैदा कर देशभहक्त की भाविा को बढ़ािा िै। िर घर
हिरं गा अहभयाि का लक्ष्य िै दक प्रत्येक िागठरक देश की रक्षा के हलए िमेशा ित्पर रिे। यि अहभयाि
देशभहक्त की भाविा को उच्चिम स्िर िक पहुंचािे में मदद करे गा। यि एक राष्ट्र के रूप में िमारी प्रहिबद्धिा
को दशायिे का एक अछछा िरीका िै हजससे िमारे राष्ट्रीय ध्वज के प्रहि सरमाि बढ़ेगा। यि अहभयाि भारिीय
िागठरकों को राष्ट्र के प्रहि अपिी हजरमेदाठरयों की याद ददलाएगा।
आजादी का अमृि मिोत्सव
“भारि की आजादी के अमृि मिोत्सव” प्रधािमंत्री श्री िरेंद्र मोदी जी िे 12 माचय, 2021 को शुरू दकया। यि
काययक्रम 15 अगस्ि 2022 से 75 सिाि पिले शुरू हुआ और 15 अगस्ि 2023 िक चलेगा। आजादी के
अमृि मिोत्सव का अथय िै-स्विंत्रिा सेिाहियों से प्राि प्रेरणा का अमृि। भारि के पास एक समृद्ध ऐहििाहसक
चेििा और सांस्कृ हिक हवरासि का अथाि भंर्ार िै हजस पर िमें गवय िोिा चाहिए। भारि की सांस्कृ हिक
हवरासि को घर-घर पहुँचािे िेिु साबरमिी आश्रम, अिमदाबाद (गुजराि) से 80 लोगों के दल के साथ
पदयात्रा (स्विंत्रिा माचय) का आयोजि दकया गया, जो गांधीजी की दांर्ी यात्रा से प्रेठरि िै। गांधी जी की
दांर्ी यात्रा की िरि इस पदयात्रा में 25 ददि में 241 मील का रास्िा 5 अप्रैल िक पूणय करिे का लक्ष्य रखा।
इस काययक्रम का उद्देश्य युवा पीढ़ी को स्विंत्रिा सेिाहियों के बहलदाि के प्रहि जागरूक करिा और उन्िें
श्रद्धांजहल देिा िै। यि मिोत्सव भारि के उि सभी स्विंत्रिा सेिाहियों को समर्पयि िै हजन्िोंिे देश को आजाद
करािे में मित्वपूणय भूहमका हिभाई।
अहिपथ योजिा
“अहिपथ योजिा” सशस्त्र बलों की िीि सेिाओं में कमीशि अहधकाठरयों के पद से िीचे के सैहिकों की भिी
के हलए भारि सरकार द्वारा शुरू की गई एक िई योजिा िै। इस योजिा के ििि सेिा में शाहमल िोिे वाले
जवािों को ‘अहिवीर’ के िाम से जािा जाएगा। अहिपथ के हलए 17.5 साल से 21 साल के बीच के उरमीदवार
आवेदि कर सकें गे। भिी िोिे वाले युवाओं को छि मिीिे िक रेबिंग दी जाएगी, इसके बाद 3.5 साल िक
सेिा में सर्वयस देिी िोगी। चार वषय की सेवा के पिाि 25 प्रहिशि अहिवीरों को उिकी कु शलिा के आधार
पर स्थाई दकया जाएगा। स्थाई कै र्र का हिस्सा बि जािे के पिाि अहिवीरों को बाकी जवािों की िी िरि
पेंशि और अन्य सुहवधाएं मुिय
ै ा कराई जाएगी। सेवा समाहि के पिाि अहिवीरों को उिकी कु शलिा के
अिुरूप कौशल प्रमाण-पत्र ददया जाएगा। इस योजिा का मुख्य उद्देश्य देश के युवाओ को 4 वषय के हलए सेिा
में भिी करिा िै हजससे दक उि सभी युवाओं का सपिा पूरा िो सके जो सेिा में भिी िोिा चाििे िैं।
राष्ट्रीय हशक्षा िीहि 2020
राष्ट्रीय हशक्षा िीहि 2020, 21वीं शिाब्दी की पिली हशक्षा िीहि िै हजसका लक्ष्य िमारे देश के हवकास के
हलए अहिवायय आवश्यकिाओं को पूरा करिा िै। यि िीहि वियमाि की 10+2 वाली स्कू ली व्यवस्था को 3 से

पाठ्यसामग्री-हिन्दी (आधार) कक्षा:ग्यारिवीं पृष्ठ 63 of 123


18 वषय के सभी बच्चों के हलए पाठ्यचयाय आधार पर 5+3+3+4 की एक ियी व्यवस्था के रूप में पुिगयठिि
करिी िै। वियमाि में 3 से 6 वषय की उम्र के बच्चे 10+2 वाले ढांचे में शाहमल ििीं िैं। िए 5+3+3+4 ढांचे
में 3 वषय के बच्चों को शाहमल कर प्रारं हभक बाल्यावस्था देखभाल और हशक्षा (ईसीसीई) की एक मजबूि
बुहियाद को शाहमल दकया गया िै हजससे आगे चलकर बच्चों का हवकास बेििर िो, वे बेििर उपलहब्धयां
िाहसल कर सकें और खुशिाल िों। राष्ट्रीय हशक्षा िीहि प्रत्येक व्यहक्त में हिहिि रचिात्मक क्षमिाओं के हवकास
पर हवशेष जोर देिी िै।
हशक्षा का अहधकार
हशक्षा के मित्त्व को देखिे हुए भारि सरकार िे सभी के हलए हशक्षा को अहिवायय करिे के उद्देश्य से
हशक्षा का अहधकार अहधहियम 2009 पाठरि दकया। यि अहधहियम 6 से 14 वषय िक की आयु के सभी बच्चों
के हलए हि:शुल्क और अहिवायय हशक्षा का अहधकार प्रदाि करिा िै। हशक्षा का अहधकार अहधहियम 2009
देश में 1 अप्रैल 2010 को लागू दकया गया। हशक्षा को मौहलक अहधकार का दजाय देिे वाला भारि हवश्व का
135वाँ देश बि गया। इसका मुख्य उद्देश्य प्रारं हभक हशक्षा से संबंहधि िै। इसके ििि हवद्याथी-हशक्षक अिुपाि
(40 : 1) भी हिहिि दकया गया िै। यि अहधहियम हशक्षा के कें द्र में बच्चों को रखकर गुणवत्तापूणय हशक्षा
प्रदाि करिे के हलए प्रहिबद्ध िै।
िमें इस बारे में गंभीरिा से सोचिा िोगा, िादक िम आिे वाली मुसीबि को कम कर सकें और लोगों को
जागरुक भी बिाए। जब िक िम िोस कदम ििीं उिाएंग,े िब िक िम भारि को सुरहक्षि ििीं रख पाएंगे।
ऐसे में भारि को प्लाहस्टक मुक्त करिे का प्रयास करिे रििा आवश्यक मािा जािा िै।
हिब-पैि
स्कू ली दौर में हिब पैि का चलि जोरों पर था। िब कै महलि की स्यािी प्रायः िर घर में हमल िी जािी थी,
कोई कोई ठटदकया से स्यािी बिाकर भी उपयोग करिे थे और बुक स्टाल पर शीशी में स्यािी भर कर रखी
िोिी थी, 5 पैसा दो और ड्रापर से खुद िी र्ाल लो, ये भी हसस्टम था। हजन्िोंिे भी पैि में स्यािी र्ाली िोगी
वो ड्रॉपर के मित्व से भली भांहि पठरहचि िोंगे। कु छ लोग ड्रापर का उपयोग काि में िेल र्ालिे में भी करिे
थे। मिीिे में दो-िीि बार हिब पैि को खोलकर उसे गरम पािी में र्ालकर उसकी सर्वयबसंग भी की जािी थी
और लगभग सभी को लगिा था दक हिब को उल्टा कर के हलखिे से िैंर्राइटटंग बिी सुन्दर बििी िै। सामिे
के जेब में पेि टांगिे थे और कभी कभी स्यािी लीक िोकर सामिे शटय िीली कर देिी थी। िर क्लास में एक
ऐसा एक्सपटय िोिा था जो पैि िीक से ििीं चलिे पर ब्लेर् लेकर हिब के बीच वाले हिस्से में बाठरकी से
कचरा हिकालिे का दावा कर लेिा था। िीचे के िड्डा को हघस कर परिे क्ट करिा भी एक आटय था। िाथ से
हिब ििीं हिकलिी थी िो दांिों के उपयोग से भी हिब हिकालिे थे। दांि , जीभ औऱ िोंि भी िीला िोकर
भगवाि मिादेव की िरि िलािल हपये सा ददखाई पििा था। दुकाि में ियी हिब खरीदिे से पिले उसे पैि
में लगाकर सेट करिा दिर कागज में स्यािी की कु छ बूंदे हछिककर हिब उि हगरी हुयी स्यािी की बूंदो पर
लगाकर हिब की स्यािी सोखिे की क्षमिा िापिा िी दकसी बिे साइंठटस्ट वाली िीबलंग दे जािा था। हिब
पैि कभी िा चले िो िम सभी िे िाथ से झटका देिे के चक्कर में आजू बाजू वालों पर स्यािी जरूर हछिकायी
िोगी। कु छ बच्चे ऐसे भी िोिे थे जो पढ़िे हलखिे िो कु छ ििीं थे लेदकि घर जािे से पिले उं गहलयो में स्यािी
जरूर लगा लेिे थे, बहल्क पैंट पर भी हछिक लेिे थे िादक घरवालों को देख के लगे दक बच्चा स्कू ल में बहुि
मेििि करिा िै।भूली हुइ यादें....।

अभ्यास िेिु रचिात्मक लेखि :-


● बाठरश की वि सुबि ● मसूरी के रास्िे बस का ख़राब िोिा
● मेरे बगीचे में हखला गुलाब ● िदी के दकिारे बरसाि में हघर जािा
● हवद्यालय में मेरा हप्रय कोिा ● अगर मैं दिल्म बिािा
पाठ्यसामग्री-हिन्दी (आधार) कक्षा:ग्यारिवीं पृष्ठ 64 of 123
● प्रािःकाल योग करिे लोग ● प्रदूषण मुक्त प्रकृ हि का स्वप्न
● दुघयटिा से देर भली ● घर से हवद्यालय का सिर
● हजन्िें जल्दी थी, वे चले गए ● काश! मैं उि पािा
● अक्ल बिी या भैंस ● जिाँ ि पहुँचे रहव विाँ पहुँचे कहव
● गाँव लौटिे मजदूर ● चाँदिी राि और मैं
● मैंिे िारिा ििीं सीखा ● पॉहलथीि मुक्त भारि
● अचािक जब िमारी मेरो रुक गई ● राष्ट्र हिमायण में िारी की भूहमका

प्रश्न-5 (2) औपचाठरक पत्र-लेखि


हवचारों, भावों, संदश
े ों एवं सूचिाओं के संप्रेषण के हलए पत्र सिज, सरल िथा पारं पठरक माध्यम िै।
पत्र अिेक प्रकार के िो सकिे िैं, पर प्राय: परीक्षाओं में हशकायिी-पत्र, आवेदि-पत्र िथा संपादक के िाम
पत्र पूछे जािे िैं। इि पत्रों को हलखिे समय हिम्न बािों का ध्याि रखा जािा चाहिए।

❖ पत्र के स्वरूप (िॉमेट) का ध्याि रखें।


❖ पत्र-प्रेषक, ददिांक, प्रेषिी, हवषय, संबोधि, हवषय-सामग्री, समापि, स्व-हिदेश व िस्िाक्षरके क्रम
में हलखा जािाचाहिए।
❖ भाषा शुद्ध, सरल, स्पि, हवषयािुरूप िथा प्रभावकारी िोिी चाहिए।
❖ औपचाठरक पत्र सरकारी कायायलयों अथवा गैर सरकारी कायायलयों, संगििों आदद को हलखे जािे िैं-
❖ औपचाठरक पत्र को िए पृष्ठ से हलखिा शुरू करिा चाहिए और एक पृष्ठ में पूणय कर देिा चाहिए।
❖ औपचाठरक पत्र में ऊपर दाईं िरि कोिे में ददिांक हलखिी चाहिए-
❖ औपचाठरक पत्र में ऊपर बाईं िरि (सेवा में,) हलखिे के बाद अल्पहवराम लगािे हुए एक पंहक्त
छोिकर सरबंहधि अहधकारी पद(प्राचायय मिोदय, थािाध्यक्ष, बैंक प्रबंधक और संपादक मिोदय)
और कायायलय आदद का पूणय पिा हलखिा चाहिए
❖ उसके बाद हवषय को हलखिा चाहिए, हवषय संहक्षि िथा एक पंहक्त में पूणय कर देिा चाहिए-
❖ हवषय के िीक बाद एक पंहक्त छोिकर आदरसूचक शब्द (मिोदय) हलखिा चाहिए-
❖ मुख्य भाग को दो भागों में बाँट देिा चाहिए, प्रथम भाग की शुरूआि (उपयुयक्त हवषयान्िगयि हविय
हिवेदि िै दक.....) से िथा दूसरे भाग की शुरुआि (अिः आपसे अिुरोध िै दक.....) से करिी
चाहिए-
❖ पत्र का दूसरा भाग समाि िोिे के िीक बाद (धन्यवाद/सधन्यवाद) हलखिा चाहिए-
❖ प्रेषक (भेजिे वाले) का हजक्र िोिा चाहिए-
❖ इस बाि का हवशेष ध्याि रखें दक प्रश्न पत्र में भेजिे वाले िथा हजसको भेजा जािा िै के िाम पिे का
अकसर हजक्र िोिा िै यदद िा िो िो आप भेजिे वाले में (अ,ब,स आदद का उल्लेख करें)-

औपचाठरक पत्र के प्रकार


1.प्राथयिा पत्र

पाठ्यसामग्री-हिन्दी (आधार) कक्षा:ग्यारिवीं पृष्ठ 65 of 123


2.हशकायिी पत्र
3.संपादक के िाम पत्र
4.कायायलयी पत्र

प्राथयिा पत्र
(1) अवकाश प्राहि िेिु प्राथयिा पत्र।

परीक्षा भवि,
का ख ग
ददिांक:10 िवरबर, 2022

सेवा में,
प्राचायय मिोदय
कें द्र हवद्यालय मंर्ोर,
जोधपुर (राज.)

हवषय: अवकाश प्राहि िेिु प्राथयिा पत्र।

मिोदय,
सहविय हिवेदि यि िै दक मैं आपके हवद्यालय में कक्षा आि का छात्र हं। कल ददिांक 10 िवरबर, 2022
को हवद्यालय से वापस आिे के बाद मुझे िेज िीव्र ज्वर आ गया। र्ॉक्टर िे मुझे 5 ददि का हवश्राम करिे की
सलाि दी िै। मैं अगले 5 ददिों िक हवद्यालय में अिुपहस्थि रहंगा।
अिः मिोदय से हिवेदि िै दक आप मुझे ददिांक 10-11-2022 से 15/11/2022 िक अवकाश प्रदाि करिे
की कृ पा करें ।
धन्यवाद

आपका आज्ञाकारी हशष्य


प्रमोद शुक्ल
कक्षा-11
रोल िंबर-10

पाठ्यसामग्री-हिन्दी (आधार) कक्षा:ग्यारिवीं पृष्ठ 66 of 123


(2) छोटी बिि के हववाि िेिु 5 ददिों के अवकाश के हलए प्रधािाचायय को प्राथयिा पत्र हलहखए?
परीक्षा भवि
अबस
ददिांक: 8/9/2022

सेवा में
प्रधािाचायय,
राज उच्च माध्यहमक हवद्यालय
अजमेर रोर्,
जयपुर।

हवषय – बिि की शादी के हलए अवकाश प्रदाि िेिु प्राथयिा पत्र।

मिोदय,
सहविय हिवेदि यि िै दक मैं आपके हवद्यालय के कक्षा 12वीं का हवद्याथी हँ। मेरे घर में मेरी बिी बिि की
शादी िै, हजसकी शादी ददिांक 8/9/2022 और 9/9/2022 को हिहिि हुई िै। मैं अपिे घर में सबसे बिा
लिका हँ। अिः शादी में बहुि से ऐसे कायय िै, हजसमें मेरा िोिा बहुि आवश्यक िै। इस कारण मुझे 8/9/2022
और 9/9/2022 िक का अवकाश चाहिए।
अिः आपसे हविम्र हिवेदि िै दक आप मुझे अवकाश प्रदाि करिे की कृ पा करें । मैं आपका आभारी रहँगा।
धन्यवाद

आपका आज्ञाकारी हशष्य


िाम-पंकज कु मार
ददिांक: 8/11/2022

हशकायिी पत्र
(3) िगर हिगम के स्वास्थ्य अहधकारी को अपिे मोिल्ले में गंदगी के हवषय में पत्र
सेवा में,
श्रीमाि् मुख्य स्वास्थ्य अहधकारी,
िगर हिगम,
जोधपुर।

ददिांक : ..............

हवषय : मौिल्ले में व्याि गंदगी के हवषय में।

मिोदय,

पाठ्यसामग्री-हिन्दी (आधार) कक्षा:ग्यारिवीं पृष्ठ 67 of 123


उपयुयक्त हवषय के अंिगयि यि दुःख के साथ कििा पि रिा िै दक हपछले कु छ ददिों से िमारे मौिल्ले में चारों
ओर गंदगी का साम्राज्य िै ला हुआ िै, हजसके कारण मौिल्लेवाहसयों का जीिा दूभर िो गया िै। मौिल्ले में
िैं के गए कू िे-कचरे के ढेर पर पशुओं का जमाविा लगा रििा िै। चारों ओर िै ली गंदगी के कारण पूरे मौिल्ले
में महक्खयों और मछछरों का साम्राज्य िै ला िै। हजससे िरि-िरि की बीमाठरयों के िै लिे का र्र बिा रििा
िै।
अिः आपसे िम्र हिवेदि िै दक िमारे मौिल्ले में जल्द से जल्द साि-सिाई करवाई जाए, हजससे मौिल्ले के
लोगों को िरक का जीवि गुजारिे से मुहक्त हमल सके ।
धन्यवाद।

प्राथी
अहमि यादव
मंर्ोर बाग
जोधपुर
(4) क्षेत्र में चोरी की बढ़िी हुई घटिाओं पर स्थािीय समाचार-पत्र के संपादक को पत्र-

संपादक के िाम पत्र


सेवा में,
संपादक मिोदय,
दैहिक भास्कर,
जयपुर।

ददिांक.................

हवषय – जिकपुरी में चोरी की बढ़िी हुई घटिाओं मंबंध में।

मिोदय,
उपयुयक्त हवषय के अंिगयि हिवेदि िै दक मैं आपके प्रहिहष्ठि समाचार-पत्र के माध्यम से वठरष्ठ पुहलस
अहधकाठरयों का ध्याि जिकपुरी क्षेत्र में चोरी और लूटपाट की बढ़िी घटिाओं के प्रहि आकृ ि करिा चाििा
हँ। हवगि कु छ माि से िमारे क्षेत्र में असामाहजक ित्त्वों का जमाविा िो गया िै। राहत्रकाल में घर में चोरी के
अलावा रास्िे में ददि-दिािे लूटपाट की घटिाएँ आम िो गई िैं। िर कोई स्वयं को असुरहक्षि मिसूस कर रिा
िै। लिदकयों और महिलाओं का घर से बािर हिकलिा दूभर िो गया िै कोई अपिे घर को सूिा छोिकर जा
ििीं सकिे िै।
अिः आपसे अिुरोध िै दक आप संबंहधि अहधकाठरयों को अपिे समाचार पत्र के माध्यम से इस समस्या पर
ित्काल ध्याि आकर्षयि करवाकर उहचि कारय वाई करवािे की कृ पा करें ।
सधन्यवाद

भवदीय
मिेश वमाय
जिकपुरी
जयपुर-10

पाठ्यसामग्री-हिन्दी (आधार) कक्षा:ग्यारिवीं पृष्ठ 68 of 123


(5) रचिा (कहविा) को प्रकाहशि करािे िेिु पत्र।
सेवा में,
संपादक मिोदय,
दैहिक भास्कर समाचार पत्र,
अजमेर, राजस्थाि।

हवषय – अपिी रचिा (कहविा) को प्रकाहशि करािे िेिु पत्र।

मान्यवर,
सहविय हिवेदि िै दक मैं मुरली व्यास, अजमेर के आदशय बाजार रोर् हस्थि संयम क्षेत्र का हिवासी हं। मैं
आपके समाचार पत्र का हियहमि पािक हं। मुझे आपके समाचार पत्र द्वारा प्रकाहशि दकए जािे वाले प्रत्येक
लेख, समाचार िथा अन्य मित्वपूणय जािकाठरयां पढिा अछछा लगिा िै।
मिोदय, मैं बचपि से िी हवहभन्न कहविा लेखि का प्रयास करिा आया हं। हवद्यालय स्िर पर मैंिे हवहभन्न
कहविा लेखि प्रहियोहगिाओं में भाग हलया। िथा संभाग एवं राज्य स्िर पर हवशेष पुरस्कार प्राि दकया।
इन्िीं प्रहियोगिाओं के माध्यम से मेरी कहविा लेखि में रुहच हिरं िर अहधक बढ़िी गई।मेरी हलहखि कहविाओं
का अब िक िक हवहभन्न समाचार पत्रों, पहत्रकाओं, मैगजीि िथा लेखों में प्रकाशि दकया जा चुका िै। परं िु
मेरी इछछा िै दक मेरी िव रहचि “प्रगहि पथ” िामक कहविा आपके समाचार पत्र में भी प्रकाहशि िो।
अिः मेरा आपसे अिुरोध िै दक अपिे प्रहिहष्ठि समाचार पत्र के अन्िगयि मेरी कहविा को प्रकाहशि करिे का
कि करें । मैं उरमीद करिा हं दक आप मुझे हिराश ििीं करेंगे। इसके हलए मैं आपका आभारी रहंगा।
सधन्यवाद।

भवदीय

मुरली व्यास,
लेखक।
संयम क्षेत्र,
आदशय क्षेत्र, अजमेर।
ददिांक…..

(6) पेरोल और र्ीजल की बढिी कीमिों पर बचंिा जाहिर करिे हुए पत्र
मिेश िगर,
जयपुर।
ददिांक:10-11-2022

सेवा में,

पाठ्यसामग्री-हिन्दी (आधार) कक्षा:ग्यारिवीं पृष्ठ 69 of 123


संपादक मिोदय,
दैहिक भास्कर,
जयपुर।

हवषय:पेरोल और र्ीजल की बढिी कीमिों पर बचंिा जाहिर करिे हुए पत्र।

मिोदय,
मैं एक लंबे समय से आपके अखबार का पािक हं। आपके अखबार में आम आदमी से जुिे मुद्दों को कािी
गंभीरिा के साथ उिाया जािा िै। बीिे कािी मिीिों से पेरोल और र्ीजल की बढ़िी कीमिों िे आम आदमी
की जेब को खासा प्रभाहवि दकया िै। हजसके चलिे उि पर अहिठरक्त भार पि रिा िै। वियमाि समय में, दिर
चािे वि पेरोल िो या र्ीजल, दोिों की िी कीमिें आसमाि छू रिीं िैं। हजससे िर दकसी का बजट िक
प्रभाहवि हुआ िै।
बाि करें , हपछले वषों की िो साल 2020-िक पेरोल 66 रुपए और र्ीजल 50 रुपए प्रहि लीटर हुआ करिा
था। लेदकि वियमाि 2021-22 में पेरोल और र्ीजल 100 के पार पहुंच गया िै। ऐसे में आम आदमी जो दक
पिले से िी मिंगाई की मार झेल रिा िै। अब पेरोल और र्ीजल की बढ़िी कीमिों िे उसके हलए आग में घी
र्ालिे का काम दकया िै िो विीं कोरोिा काल में लोगों की आमदिी के जठरए वैसे भी कम िो गए िैं , ऊपर
से पेरोल और र्ीजल के बढ़े हुए दामों से आम आदमी की आर्थयक हस्थहि शोचिीय िो गई िै।
ऐसे में मेरा आपसे अिुरोध िै दक आप अपिे अखबार के माध्यम से वियमाि सरकार का ध्याि पेरोल और
र्ीजल की बढ़िी कीमिों की ओर आकर्षयि करें । िादक सरकार द्वारा इिकी कीमिों को पटरी पर लािे की
कोहशश की जा सके । साथ िी कें द्र और राज्य की सरकारें देश भर की जििा को पेरोल और र्ीजल की बढ़िी
कीमिों से हिजाि ददलािे के हलए उस पर लगिे वाले कर को कम करें और जििा को उहचि कीमि पर इसकी
उपलब्धिा कराई जाए।
आशा िै दक आपके अखबार में जििा से जुिी उपरोक्त खबर को प्राथहमकिा से प्रकाहशि दकया जाएगा।
हजसके हलए आपका ििे ददल से शुदक्रया।
सधन्यवाद

प्राथी
रमेश चंद्र,
हिवासी पुरािा शिर, जयपुर।

(7) मोिल्ले में देर राि िक लाउर्स्पीकर बजिे के कारण सभासद को हशकायिी पत्र।
सेवा में,
आदरणीय सभासद मिोदय,
गुलाबिगर मोिल्ला,
जयपुर।

हवषय – देर राि िक लाउर्स्पीकर बजिे के कारण हशकायिी पत्र।

मिोदय,

पाठ्यसामग्री-हिन्दी (आधार) कक्षा:ग्यारिवीं पृष्ठ 70 of 123


मेरा िाम संजीव हिवारी िै। मैं शास्त्री िगर के गुलाब िगर मोिल्ले का हिवासी हं। मैं इस पत्र के माध्यम से
आपको बिािा चाहंगा दक मेरे घर के सामिे अिावश्यक िौर पर प्रहिददि जोर-जोर से लाउर्स्पीकर बजाया
जा रिे िैं। इि लाउर्स्पीकरों की आवाज से मोिल्ले की समस्ि हिवाहसयों को अत्यहधक परे शाहियों का
सामिा करिा पि रिा िै।
मान्यवर, िम समझिे िैं दक दकसी हवशेष अवसर पर या त्योिार पर लोग अपिी खुशी िथा उत्साि के हलए
लाउर्स्पीकर बजािे िैं लेदकि यि समय िा दकसी त्योिार का िै िा िी दकसी हवशेष अवसर का। परं िु दिर
भी इस समय िमारे घर के सामिे िेज आवाज में लाउर्स्पीकर बजाए जािे िैं। हजसके कारण मोिल्ले में रििे
वाले छात्र-छात्राओं को पढ़िे में परे शािी िोिी िै। घर के आस-पास जो कोबचंग संस्थाि िै उिके बच्चों को
पढ़ािा मुहश्कल िो जािा िै। मोिल्ले के कई हिवाहसयों िे उिसे इस बाि की हशकायि की लेदकि उि कहथि
व्यहक्तयों िे िमारी दकसी परेशािी को ििीं समझा।
अिः िमारा आपसे हविम्र अिुरोध िै दक आप मोिल्ले में अिावश्यक िौर पर बजाए जा रिे िैं लाउर्स्पीकरों
को जल्दी िी बंद करािे के हलए कोई िोस कदम ले।
सधन्यवाद।

भवदीय
संजीव हिवारी
मोिल्ले के अन्य सभी सदस्य
ददिांक……

अभ्यास िेिु संभाहवि हवषय –


1. अपिे िगर के जलदाय हवभाग के मुख्य अहधकारी को पयायि एवं हियहमि रूप से जल आपूर्िय ि
हमलािे की हशकायि करिे हुए पत्र हलहखए
2. आप राधा रमण अग्रवाल िै अपिी रचिा ‘उज्जवल भहवष्य’ को राजस्थाि पहत्रका में प्रकाशि
करिे का आग्रि करिे हुए संपादक के िाम पत्र हलहखए।
3. युवाओं में िैहिक मूल्यों के प्रहि संवेदििीििा पर बचंिा प्रकट करिे हुए दकसी प्रहिहष्ठि समाचार
पत्र के संपादक को पत्र हलहखए।
4. चेक बुक गुम िो जािे की हशकायि करिे हुए भारिीय स्टेट बैंक अलवर के प्रबंधक को एक पत्र
हलहखए।
5. अपिे क्षेत्र की िाहलयों और सर्कों आदद की समुहचि सिाई ि िोिे पर स्वास्थ्य अहधकारी को एक
हशकायिी पत्र हलहखए
6. यािायाि हियमों का उल्लंघि करिे वालों के हवरुद्ध किी कारय वाई करिे िथा अन्य सुझाव देिे हुए
यािायाि पुहलस आयुक्त को पत्र हलहखए।
7. आपके साथी छोटे हवद्यार्थययों को बहुि सिािे िैं उिकी हशकायि करिे हुए प्राचायय को पत्र हलहखए

पाठ्यसामग्री-हिन्दी (आधार) कक्षा:ग्यारिवीं पृष्ठ 71 of 123


प्रश्न-5(3) र्ायरी लेखि लेखि, कथा-पटकथा हवषय पर लेखि
र्ायरी लेखि
र्ायरी वि हििांि हिजी स्िर पर घठटि घटिाओं और ित्संबंधी बौहद्धक-भाविात्मक प्रहिदक्रयाओं
का लेखा-जोखा िै। इन्िें िम दकसी और के हलए ििीं, स्वयं अपिे हलए शब्दबद्ध करिे िैं। हजि बािों को िम
दुहिया में दकसी और व्यहक्त के सामिे ििीं कि सकिे, उन्िें भी र्ायरी के पन्नों पर शब्दबद्ध करके खुद को
सुिा र्ालिे िैं। ऐसा करके िम पिले खुद को बेििर िरीके से समझ पािे िैं, दूसरे अपिे अंदर अिजािे इकट्ठा
िोिे भार से मुक्त िोिे िैं और हवस्मृहि के अंधेरे में खोिे अपिे िी व्यहक्तत्त्व के पिलुओं को इस िरि ठरकॉर्य
कर लेिे िैं दक उन्िें पलट कर कभी भी छु आ जा सकिा िै। र्ायरी हलखिा अपिे साथ एक अछछी दोस्िी
कायम करिे का बेििरीि जठरया िै। र्ायरी हलखिे समय िमें हिम्नहलहखि बािों को ध्याि मे रखिा चाहिए-
• र्ायरी या िो दकसी िोटबुक में या पुरािे साल की र्ायरी में हलखी जािी चाहिए। पुरािे साल की र्ायरी
में पिले की पिी हुई हिहथयों की जगि अपिे िाथ से हिहथ र्ालें। यि सुझाव इसहलए ददया जा रिा िै
दक आप किीं मौजूदा साल की र्ायरी में हिहथयों के अिुसार बिे हुए सीहमि स्थाि से अपिे को बंधा
हुआ ि मिसूस करें । ऐसा भी िो सकिा िै दक िम दकसी ददि दो-िीि पंहक्तयाँ िी हलखिा चािें और दकसी
ददि िमारी बाि पाँच पन्नों में पूरी िो। किा भी गया िै, सभी ददि एक समाि ििीं िोिे। ऐसे में र्ायरी
का दकसी हिहिि हिहथ के साथ ददया गया सीहमि स्थाि िमारे हलए बंधि बि जाएगा। इसीहलए िोटबुक
या पुरािे साल की र्ायरी अहधक उपयोगी साहबि िो सकिी िै। उसमें अपिी सुहवधा के अुिसार हिहथयाँ
र्ाली जा सकिी िैं और स्थाि का उपयोग दकया जा सकिा िै।
• लेखि करिे हुए आप स्वयं िय करें दक आप क्या सोचिे िैं और खुद को क्या कििा चाििे िैं। यि िय
करिे हुए आपको यथासंभव सभी िरि के बािरी दबावों से मुक्त िोिा चाहिए। अपिी ददिभर की
घटिाओं, मुलाकािों, खयालािों इत्यादद में से कौि-कौि सी आपको दजय करिे लायक लगिी िैं, दकन्िें
आप दकि-दकि वजिों से भहवष्य में भी याद करिा चािेंग।े यि हवचार कर लेिे के बाद िी उन्िें शब्दबद्ध
करिे की ओर बढ़ें।
• र्ायरी हबलकु ल हिजी वस्िु िै और यि माि कर िी उसे हलखा जािा चाहिए दक वि दकसी और के द्वारा
पढ़ी ििीं जाएगी। अगर आप दकसी और को पढ़वािे की बाि सोच कर र्ायरी हलखिे िैं, िो उसका
आपकी लेखि-शैली, हवषय-वस्िु के चयि और बािों के बेबाकपि पर पूरा असर पिेगा। इसहलए यि
माििे हुए र्ायरी हलखें दक उसका पािक आपके अलावा कोई और ििीं िै।
• यि किई जरूरी ििीं दक र्ायरी पठरष्कृ ि और मािक भाषा-शैली में हलखी जाए। पठरष्कार और मािकिा
का दबाव कथ्य के स्िर पर कई िरि के समझौिों के हलए आपको बाध्य कर सकिा िै। र्ायरी-लेखि में
इस समझौिा परस्िी के हलए कोई जगि ििीं िै। र्ायरी का र्ायरीपि इसी में िै दक आप जो कु छ दजय

पाठ्यसामग्री-हिन्दी (आधार) कक्षा:ग्यारिवीं पृष्ठ 72 of 123


करिा चाििे िैं और हजस िरीके से दजय करिा चाििे िैं, करें । इस हसलहसले में भाषाई शुद्धिा दकििी
बरकरार रििी िै और शैली-सौंदयय दकििा सध पािा िै, इसकी बचंिा ि करें । आपके अंदर के स्वाभाहवक
वेग से शैली जो रूप ग्रिण करिी िै, विी र्ायरी की उहचि शैली िै।
• आहखरी, पर बहुि अिम बाि ये दक र्ायरी हििांि हिजी स्िर की घटिाओं और भाविाओं का लेखा-
जोखा िोिे के साथ-साथ, आपके मि के आईिे में आपके दौर का अक्स भी िै। आप अपिे हजि अिुभवों
को विाँ दजय करिे िैं, उिमें आपकी िजर से देखा-परखा गया समकालीि इहििास दकसी-ि-दकसी मात्र
में मौजूद रििा िै। र्ायरी हलखिे हुए अगर यि बाि िमारे जेिि में रिे, िो अपिे काम के मित्त्व को
लेकर िम अहधक आश्वस्ि िो सकिे िैं।

मित्वपूणय प्रश्न-
प्रश्न-1-र्ायरी लेखि क्या िै?
उत्तर-र्ायरी वि हििांि हिजी स्िर पर घठटि घटिाओं और ित्संबंधी बौहद्धक-भाविात्मक प्रहिदक्रयाओं का
लेखा-जोखा िै। इन्िें िम दकसी और के हलए ििीं, स्वयं अपिे हलए शब्दबद्ध करिे िैं। हजि बािों को िम
दुहिया में दकसी और व्यहक्त के सामिे ििीं कि सकिे, उन्िें भी र्ायरी के पन्नों पर शब्दबद्ध करके खुद को
सुिा र्ालिे िैं। ऐसा करके िम पिले खुद को बेििर िरीके से समझ पािे िैं, दूसरे अपिे अंदर अिजािे इकट्ठा
िोिे भार से मुक्त िोिे िैं और हवस्मृहि के अंधेरे में खोिे अपिे िी व्यहक्तत्त्व के पिलुओं को इस िरि ठरकॉर्य
कर लेिे िैं दक उन्िें पलट कर कभी भी छु आ जा सकिा िै। र्ायरी हलखिा अपिे साथ एक अछछी दोस्िी
कायम करिे का बेििरीि जठरया िै।
प्रश्न-2-र्ायरी हलखिे समय िमें दकि-दकि बािों को ध्याि मे रखिा चाहिए?
उत्तर-र्ायरी हलखिे समय िमें हिम्नहलहखि बािों को ध्याि मे रखिा चाहिए-
1. र्ायरी या िो दकसी िोटबुक में या पुरािे साल की र्ायरी में हलखी जािी चाहिए। र्ायरी हलखिे समय
पृष्ठ में सबसे ऊपर हिहथ (िारीख) का उल्लेख दकया जािा चाहिए। यदद उसमें हिहथयाँ पिले से अंदकि
िैं िो उन्िें अपिे िाथ से संशोहधि कर लेिा चाहिए।
2. लेखि करिे हुए बािरी दबावों से मुक्त िोकर अपिी ददिभर की घटिाओं, मुलाकािों, खयालािों
इत्यादद में से जो बािें आपको दजय करिे लायक लगिी िैं, हजन्िें आप भहवष्य में भी याद रखिा चाििे
िैं, उन्िें हलखा जािा चाहिए।
3. र्ायरी हबलकु ल हिजी वस्िु िै और यि माि कर िी उसे हलखा जािा चाहिए दक वि दकसी और के
द्वारा पढ़ी ििीं जाएगी। इस से र्ायरी में आपके हवचार स्विंत्र, हिभीक और प्रभाव से मुक्त िोिे िैं।
4. र्ायरी हलखिे समय भाषा का प्रवाि स्वाभाहवक िोिा चाहिए अथायि् जैसी भाषा आप स्वाभाहवक
रूप से प्रयोग करिे िैं उसी भाषा में र्ायरी हलखी जािी चाहिए।
प्रश्न-3. र्ायरी हबलकु ल हिजी वस्िु िै और वि दकसी और के द्वारा ििीं पढ़ी जाएगी-ऐसा माि कर िी र्ायरी
क्यों हलखी जािी चाहिए?
उत्तर-यि माि कर िी र्ायरी हलखी जािी चाहिए दक वि दकसी और के द्वारा पढ़ी ििीं जाएगी क्योंदक यदद
िम दकसी और को पढ़वािे की बाि सोच कर र्ायरी हलखिे िैं, िो इस से लेखि-शैली, हवषय-वस्िु के चयि
और बािों के बेबाकपि पर असर पििा िै हजससे िम हबल्कु ल हिर्र िोकर और प्राकृ हिक रूप से ििीं हलख
पािे। िब िम कु छ बािों को छु पािे लगिे िैं िो कु छ बािों को बढ़ा-चढ़ा कर बिािे लगिे िैं।

र्ायरी लेखि-प्रारूप एवं उदािरण

पाठ्यसामग्री-हिन्दी (आधार) कक्षा:ग्यारिवीं पृष्ठ 73 of 123


(1)
ददिांक-20 जूि, 2022
ददि-सोमवार
आज का ददि उत्साि और उत्सुकिा का रिा। 50 ददि की छु ट्टी के बाद आज पुिः स्कू ल खुला िै। आज
मैं उि सभी दोस्िों से हमला हजिसे मैं दो मिीिे दूर रिा। उि दोस्िों से हमलकर पुरािी यादें िाजा िो गई
और एक अपार खुशी का संचार हुआ। दोस्िों के हबिा दो मिीिे दकििा बोठरयि रिा यि मैं अछछे से समझ
सकिा हं। आज िम सभी दोस्ि एक-दूसरे की पसंद का िाश्िा घर से बिवा कर लाए थे। सभी िे एक साथ
बैिकर खािा खाया िो बेिद आिंद की अिुभूहि हुई। सभी अध्यापक और अध्याहपकाए भी प्रसन्न प्रसन्न ददखाई
दे रिे थे। सचमुच आज का ददि मेरे बहुि िी अछछा रिा।
(2)
ददिांक-08 िवरबर, 2022
ददि-मंगलवार
आज मैं बहुि उदास हँ क्योंदक मेरा सबसे अछछा दोस्ि रमेश जयपुर छोिकर भोपाल जा रिा िै।
उसके हपिा जी भारिीय रे ल हवभाग में कायय करिे िैं और उिका िबादला िो गया िै। आज यि बाि उसिे
मुझे स्कू ल में बिाई। मैंिे जब से यि बाि उसके मुँि से सुिी िब से मेरा मि बेचैि -सा िो गया। शाम को वि
मुझसे हमलिे मेरे घर पर भी आया था। वि भी बहुि दुखी था, परं िु उसिे मुझसे वादा दकया िै दक वि िोि
और पत्रों द्वारा मुझसे संपकय बिाए रखेगा। रमेश जैसा दोस्ि हमलिा दकस्मि की बाि िै। मैं भगवाि से प्राथयिा
करिा हँ दक वि िमेशा खुश रिे और िमारी दोस्िी िमेशा बिी रिे।

कथा-पटकथा हवषय पर लेखि


पटकथा का आशय :-
शब्द ‘पटकथा’ दो शब्दों के मेल से बिा िै-‘पट’ और ‘कथा’। कथा का मिलब िम सभी जाििे िैं-
किािी। और पट का अथय िोिा िै-परदा; अथायि ऐसी कथा जो परदे पर ददखाई जाए। चािे वो परदा बिा िो
या छोटा।
हसिेमा और टेलीहवजि दोिों िी माध्यमों के हलए बििे वाली दिल्मों, धारावाहिकों आदद का मूल
आधार पटकथा िी िोिी िै। इसी के अिुसार हिदेशक अपिी शूटटंग की योजिा बिािा िै, अहभिेिाओं को
अपिी भूहमका की बारीदकयाँ और संवादों की जािकारी हमलिी िै िथा कै मरे के पीछे काम करिे वाले
िकिीहशयिों और सिायकों को अपिे-अपिे हवभागों के हलए मित्त्वपूणय सूचिाएँ प्राि िोिी िैं। कथािक िो
इसका एक अहभन्न हिस्सा िोिा िी िै। दिल्म या टी-वी-की पटकथा की संरचिा िाटक की संरचिा से बहुि
हमलिी िै। अंग्रेजी में िो इसे कििे िी ‘स्क्रीिप्ले’ िैं। िाटक की िरि िी यिाँ भी पात्र-चठरत्र िोिे िैं, िायक-
प्रहििायक िोिे िैं, अलग-अलग घटिास्थल िोिे िैं, दृश्य िोिे िैं, किािी का क्रहमक हवकास िोिा िै, द्वंद्व-
टकरािट और दिर समाधाि। ये सब कु छ पटकथा के भी आवश्यक अंग िोिे िैं।
िाटक और पटकथा में अंिर-
मंच के िाटक और दिल्म की पटकथा में कु छ मूलभूि अंिर भी िोिे िैं। पिली चीज िै दृश्य की लंबाई,
िाटक के दृश्य अकसर अहधक लंबे िोिे िैं और दिल्मों में छोटे-छोटे। इसी प्रकार िाटक में आमिौर पर सीहमि
घटिास्थल िोिे िैं, जबदक दिल्म में इसकी कोई सीमा ििीं, िर दृश्य दकसी िए स्थाि पर घठटि िो सकिा
िै। इसकी वजि िै दोिों माध्यमों में मूलभूि अंिर-िाटक एक सजीव कला माध्यम िै, जिाँ अहभिेिा अपिे
िी जैसे जीवंि दशयकों के सामिे, अपिी कला का प्रदशयि करिे िैं। सब कु छ विीं, उसी वक्त घट रिा िोिा िै।
जबदक हसिेमा या टेलीहवजि में पूवय ठरकॉर्ेर् छहवयाँ एवं ध्वहियाँ िोिी िैं।
िाटक का पूरा कायय-व्यापार एक िी मंच पर घठटि िोिा िै एक हिहिि अवहध के दौराि। जबदक
दिल्म या टेलीहवजि की शूटटंग अलग-अलग सेटों या लोके शिों पर दो ददि से लेकर दो साल िक की अवहध
पाठ्यसामग्री-हिन्दी (आधार) कक्षा:ग्यारिवीं पृष्ठ 74 of 123
में की जा सकिी िै इसीहलए िाटक का कायय-व्यापार, दृश्यों की संरचिा और चठरत्रों की संख्या आदद को
सीहमि रखिा पििा िै, लेदकि हसिेमा या टेलीहवजि में ऐसा कोई बंधि ििीं िोिा। सबसे बिी बाि िाटक
की कथा का हवकास ‘लीहियर’ मिलब एक-रे खीय िोिा िै, जो एक िी ददशा में आगे बढ़िा िै। जबदक हसिेमा
में फ़्लैशबैक या फ़्लैशिॉरवर्य िकिीकों का इस्िेमाल करके आप घटिाक्रम को दकसी भी रूप में प्रस्िुि कर
सकिे िैं।
फ्लैश बैक और फ्लेशिॉरवर्य-
फ़्लैशबैक वो िकिीक िोिी िै, हजसमें आप अिीि में घटी दकसी घटिा को ददखािे िैं और
फ़्लैशिॉरवर्य में आप भहवष्य में िोिे वाले दकसी िादसे को पिले ददखा देिे िैं। इि दोिों िकिीकों को िम
एक-एक उदािरण से समझिे की कोहशश करिे िैं। माि लीहजए िम रांगेय-राघव की किािी गूँगे पर दिल्म
बिा रिे िैं, और िमारी दिल्म शुरू िोिी िै सिक के दृश्य से (जिाँ कु छ दकशोर लिके हमलकर एक दुबले -
पिले लिके को पीट रिे िैं। मार खा रिा लिका भाग कर एक घर के दरवाजे पर पहुँचिा िै। घर के भीिर से
भाग कर चमेली आिी िै, उसके साथ उसके छोटे-छोटे बच्चे शकुं िला और बसंिा भी िैं। चमेली घर की दिलीज
पर सर रखे, खूि से लथपथ गूँगे को देखिी िै, जो अपिी व्यथा को व्यक्त करिे में असमथय िै और चमेली को
वो ददि याद आिा िै, हजस ददि अिाथालय में पिली बार उसकी मुलाकाि गूँगे से हुई थी। अब िम पागलखािे
का वो दृश्य ददखािे िैं, जिाँ कु छ ददि पिले चमेली अपिी सिेहलयों के साथ गई थी और जिाँ पिली बार
उसकी गूँगे से मुलाकाि हुई थी।) यिी, वियमाि से अिीि में जािा, फ़्लैशबैक की िकिीक किलािा िै। यिाँ
एक िथ्य गौर करिे लायक िै, वो यि दक फ़्लैशबैक या फ़्लैशिॉरवर्य दोिों िी युहक्तयों का इस्िेमाल करिे के
पिाि िमें वापस वियमाि में आिा जरूरी िै। िादक दशयकों के मि में दकसी दकस्म का असमंजस ि रिे। दिल्म
या टेलीहवजि माध्यम में एक सुहवधा यि भी िै दक एक िी समय-खंर् में अलग-अलग स्थािों पर क्या घठटि
िो रिा िै, ददखाया जा सकिा िै।
पटकथा हलखिे समय ध्याि रखिे योग्य बािें-
पटकथा की मूल इकाई िोिी िै दृश्य। एक स्थाि पर, एक िी समय में लगािार चल रिे कायय व्यापार
के आधार पर एक दृश्य हिर्मयि िोिा िै। इि िीिों में से दकसी भी एक के बदलिे से दृश्य भी बदल जािा िै।
दूसरी गौर करिे लायक बाि िै, पटकथा हलखिे का हवहशि ढंग। िमेशा दृश्य संख्या के साथ दृश्य की लोके शि
या घटिास्थल हलखा जािा िै-वो कमरा िै, पाकय िै, रे लवेस्टेशि िै या शेर की माँद। उसके बाद हलखा जािा
िै घटिा का समय-ददि/राि/सुबि/शाम। िीसरी जािकारी जो दृश्य के शुरू में दी जािी जरूरी िोिी िै वो ये
दक घटिा खुले में घट रिी िै या दकसी बंद जगि में, अंदर या बािर? आमिौर पर ये सूचिाएँ अंग्रेजी में हलखी
जािी िैं और अंदर या बािर के हलए अंग्रेजी शब्दों इंटीठरयर या एक्सटीठरयर के िीि शु रुआिी अक्षरों का
इस्िेमाल दकया जािा िै, मिलब INT. या EXT. ये पटकथा हलखिे का अंिरराष्ट्रीय स्िर पर स्वीकृ ि प्रारूप
िै।
मित्वपूणय प्रश्न-
प्रश्न-1 पटकथा या ‘स्क्रीिप्ले’ क्या िै, समझाइए।
उत्तर-शब्द ‘पटकथा’ दो शब्दों के मेल से बिा िै-‘पट’ और ‘कथा’। कथा का मिलब िै-किािी और पट का अथय
िोिा िै-परदा; अथायि ऐसी कथा जो परदे पर ददखाई जाए। चािे वो परदा बिा िो या छोटा। हसिेमाघर
आदद में पदे का प्रयोग दकया जािा िै। पटकथा को िी अंग्रेजी में ‘स्क्रीिप्ले’ किा जािा िै।
प्रश्न-2 पटकथा के आवश्यक अंग (स्रोि या ित्व) क्या िैं?

पाठ्यसामग्री-हिन्दी (आधार) कक्षा:ग्यारिवीं पृष्ठ 75 of 123


उत्तर-िाटक की िरि िी पटकथा में भी कथािक, पात्र-चठरत्र िोिे िैं, िायक-प्रहििायक िोिे िैं, अलग-अलग
घटिास्थल िोिे िैं, दृश्य िोिे िैं, किािी का क्रहमक हवकास िोिा िै, द्वंद्व-टकरािट और दिर समाधाि। ये
सब कु छ पटकथा के भी आवश्यक अंग िैं।
प्रश्न-3 'फ्लैशबैक' क्या िै?
उत्तर-फ्लैशबैक िकिीक का प्रयोग हसिेमा आदद में दकया जािा िै। इस िकिीक के माध्यम से अिीि की
घटिाओं को प्रदर्शयि दकया जािा िै। अिीि में घटी हुई घटिाओं को दशयकों के समक्ष हचहत्रि दकया जािा िै।
वियमाि से अिीि में जािा, फ़्लैशबैक की िकिीक किलािा िै। यिाँ एक बाि ध्याि रखिी चाहिए दक
फ़्लैशबैक का इस्िेमाल करिे के पिाि िमें वापस वियमाि में आिा जरूरी िोिा िै।
प्रश्न-4 ‘फ्लेशिॉरवर्य’ क्या िै?
उत्तर-फ्लैशबैक िकिीक की िरि िी ‘फ्लेशिॉरवर्य’ भी पटकथा की या हसिेमा की एक िकिीक िोिी िै
हजसमें भहवष्य में िोिे वाले दकसी िादसे या घटिा को पिले ददखाया जािा िै। फ्लैशबैक िकिीक की िरि
इसमें भी यि बाि ध्याि में रखिी चाहिए दक फ्लेशिॉरवर्य के बाद वियमाि में आ जािा चाहिए।
प्रश्न-5 पटकथा हलखिे समय दकि-दकि बािों का ध्याि रखिा जरूरी िै और क्यों?
उत्तर-पटकथा हलखिे समय हिम्नहलहखि बािों का ध्याि रखिा चाहिए-
• प्रत्येक दृश्य के साथ िोिे वाली घटिा के समय का संकेि भी ददया जािा चाहिए।
• पात्रों की गहिहवहधयों के संकेि भी प्रत्येक दृश्य के प्रारं भ में देिे चाहिए। जैसे-रजिी चपरासी को घूर
रिी िै, चपरासी मजे से स्टूल पर बैिा िै। सािब मेज पर पेपरवेट घुमा रिा िै। दिर घिी देखिा िै।
• दकसी भी दृश्य का बँटवारा करिे समय यि ध्याि रखा जाए दक दकि आधारों पर िम दृश्य का
बँटवारा कर रिे िैं।
• प्रत्येक दृश्य के साथ िोिे की सूचिा देिी चाहिए।
• प्रत्येक दृश्य के साथ उस दृश्य के घटिास्थल का उललेख अवश्य करिा चाहिए; जैसे-कमरा, बरामदा,
पाकय , बस स्टैंर्, िवाई अड्डा, सिक आदद।
• पात्रों के संवाद बोलिे के ढंग के हिदेश भी ददए जािे चाहिए; जैसे-रजिी (अपिे में िी भुिभुिािे
हुए)।
• प्रत्येक दृश्य के अंि में हर्जॉल्व, िे र् आउट, कट टू जैसी जािकारी आवश्य देिी चाहिए। इससे
हिदेशक, अर्ीटर आदद हिमायण कायय में लगे हुए व्यहक्तयों को बहुि सिायिा हमलिी िै।
प्रश्न-6 िाटक और पटकथा में क्या अंिर िै?
उत्तर-िाटक और पटकथा में मुख्य अंिर इस प्रकार िैं-
• िाटक के दृश्य लंबे िोिे िैं, पटकथा के छोटे।
• िाटक के घटिास्थल सीहमि िोिे िैं, पटकथा के असीहमि।
• िाटक की कथा का हवकास ‘लीहियर’ मिलब एक-रे खीय िोिा िै, जो एक िी ददशा में आगे बढ़िा
िै। जबदक हसिेमा में फ़्लैशबैक या फ़्लैशिॉरवर्य िकिीकों का इस्िेमाल करके आप घटिाक्रम को
दकसी भी रूप में प्रस्िुि कर सकिे िैं।
• िाटक एक सजीव कला माध्यम िै, जिाँ अहभिेिा अपिे िी जैसे जीवंि दशयकों के सामिे, अपिी कला
का प्रदशयि करिे िैं। सब कु छ विीं, उसी वक्त घट रिा िोिा िै। जबदक हसिेमा या टेलीहवजि में पूवय
ठरकॉर्ेर् छहवयाँ एवं ध्वहियाँ िोिी िैं।
• िाटक का पूरा कायय-व्यापार एक िी मंच पर एक हिहिि अवहध के दौराि घठटि िोिा िै जबदक
दिल्म या टेलीहवजि की शूटटंग अलग-अलग सेटों या लोके शिों पर दो ददि से लेकर दो साल िक की

पाठ्यसामग्री-हिन्दी (आधार) कक्षा:ग्यारिवीं पृष्ठ 76 of 123


अवहध में की जा सकिी िै इसीहलए िाटक का कायय-व्यापार, दृश्यों की संरचिा और चठरत्रों की
संख्या आदद को सीहमि रखिा पििा िै, लेदकि हसिेमा या टेलीहवजि में ऐसा कोई बंधि ििीं िोिा।

प्रश्न-5 (4) स्ववृि लेखि और रोजगार संबध


ं ी लेखि एवं शब्दकोश, सन्दभय ग्रंथो
की उपयोगी हवहध व पठरचय पर आधाठरि प्रश्न
स्ववृि लेखि और रोजगार संबध
ं ी लेखि
स्ववृत्त
स्ववृत्त-लेखि को अंग्रेजी में Bio-Data अथवा Resume भी किा जािा िै। 'स्व' का अथय िै— अपिे
बारे में और 'वृत्त' संस्कृ ि शब्द िै, यि हवशेषण िै िथा इसके अिेक अथों में से प्रमुख िैं-हजसका अहस्ित्व रिा
िो, घठटि, पूरा दकया हुआ आदद। वृत्त को गोलाकार भी किा जािा िै। अपिे बारे में विुयलाकार अथायि पूरी
जािकारी देिा िी स्ववृत्त-लेखि का अथय किा जा सकिा िै। पाठरभाहषक शब्दों में-
दकसी व्यहक्त के बारे में दकसी हवशेष कारण, उद्देश्य या प्रयोजि को ध्याि में रखकर एक हिहिि,
रोचक और व्यवहस्थि क्रम में सूचिाओं को प्रस्िुि करिा िी स्ववृत्त-लेखि किा जािा िै।
1. स्ववृत्त-लेखि का उद्देश्य
स्ववृत्त-लेखि हवशेष प्रकार का लेखि िै। इसका अलग िी प्रारूप िोिा िै। इसमें व्यहक्त अपिे बारे में
मित्वपूणय सूचिाएँ, आँकिे, र्ाटा और अब िक दकए गए कायों का हसलहसलेवार ढंग से ब्योरा प्रस्िुि करिा
िै। इसकी आवश्यकिा िर उस व्यहक्त को पििी िै, जो दकसी संस्था में िौकरी करिा चाििा िै या आवेदि
करिा चाििा िै। बॉस, संस्था या पढ़िे वाला स्ववृत्त को देखकर यि हिणयय लेिा िै दक अमुक व्यहक्त उसके
यिाँ काम करिे लायक िै या ििीं, उसकी हशक्षा-दीक्षा उस काम की गुणवत्ता को बढ़ाएगी या ििीं, संस्था
को लाभ िोगा या ििीं। इि सब बािों का हिणयय ‘स्ववृत्त' से पचास प्रहिशि िो िो िी जािा िै, बाकी
साक्षात्कार पर हिणयय िोिा िै।
स्ववृत्त की आवश्यकिा के वल िौकरी पािे के हलए िी ििीं िोिी बहल्क संस्था का सदस्य बििे, चुिाव
लििे, हवधायक, M.P., प्राइवेट NGO के हलए, ठटकट पािे या किीं चयहिि िोिे के हलए भी इसकी
आवश्यकिा पििी िै। यिाँ िक दक पुरस्कार पािे, सरमाहिि िोिे के हलए भी अपिा स्ववृत्त देिा िोिा िै।
पदमश्री, पद्महवभूषण सरीखे पुरस्कार, साहिहत्यक पुरस्कार आदद के हलए भी स्ववृत्त देिा पििा िै। अहधकिर

पाठ्यसामग्री-हिन्दी (आधार) कक्षा:ग्यारिवीं पृष्ठ 77 of 123


स्ववृत्त पद-प्राहि िेिु 'आवेदि-पत्र' के साथ संलि दकया जािा िै। इसमें अब िक दकए गए सभी कायों का
हववरण िोिा िै; जैसे-हस्कल्स (कौशल) की सूची, अब िक दकए गए काम (जॉब्स) , पद (पोहजशि) , हर्ग्री,
उपलहब्धयाँ, पुरस्कार आदद। कक्षा दस में अहि हवस्िार की अपेक्षा िो ििीं िै, परं िु इसके प्रारूप को जाििा,
हलखे जािे वाले मित्वपूणय बबंद ु और भाषा प्रयोग की ओर ध्याि देिा आवश्यक िै।
2. स्ववृत्त--लेखि के मुख्य बबंद ु
हियोक्ता (िौकरी देिे वाला) पर सकारात्मक प्रभाव र्ालिे िेिु हिम्न बबंदओं
ु का ध्याि रखिा आवश्यक िै
1. स्ववृत्त में सत्यिा और ईमािदारी झलकिी चाहिए अथायि कु छ भी झूि ििीं हलखिा चाहिए।
2. जरूरि से ज़्यादा बिा या बहुि छोटा ििीं िोिा चाहिए।
3. अपिे बारे में बढ़ा-चढ़ाकर, बिावटी िथ्य ििीं देिे चाहिए।
4.अपिे कै ठरयर के हवषय में सटीक एवं िथ्यात्मक सूचिाएँ देिी चाहिए।
5. प्रत्येक िौकरी के हलए अलग-अलग शैक्षहणक योग्यिाकी जरूरि िोिी िै, अिः िौकरी की अपेक्षाओं के
आधार पर िी स्ववृत्त िैयार करिा चाहिए। जैसे— र्ॉक्टर के पद के हलए अध्यापक या इंजीहियर का
स्ववृत्त ििीं भेजा जा सकिा।
3. स्ववृत्त की भाषा
1. भाषा शैली सटीक, सरल, स्पि और समझ में आिे वाली िो। कठिि शब्दों का प्रयोग ि िो।
2. भाषा साहिहत्यक, आलंकाठरक, लछछेदार, मुिावरे दार, घुमावदार ििीं िोिी चाहिए।
3.किोर, िीखे शब्दों का प्रयोग ि करें । शब्द-चयि आपके दृहिकोण को भी स्पि करिा िै।
4. व्याकरहणक त्रुठटयाँ ििीं िोिी चाहिए।
5. छोटे-छोटे वाक्य िोिे चाहिए।
6. हवरामहचह्िों का यथायोग्य प्रयोग दकया जािा चाहिए।
7. भाषा में वैयहक्तक स्पशय ििीं िोिा चाहिए। िथ्य प्रधाि सूचिा िोिा आवश्यक िै।
4. स्ववृत्त के मुख्य ित्व-
(i) व्यहक्तगि पठरचय
आरं भ में अपिा पूरा िाम, जन्म हिहथ, हपिा-मािा का िाम, ई-मेल, दूरभाष, मोबाइल िंबर, हिवास
स्थाि / शिर, राज्य, हपि कोर् आदद का उल्लेख करिा चाहिए।-
(ii) शैक्षहणक योग्यिा
इसके अंिगयि स्कू ल से लेकर कॉलेज िक की गई पढ़ाई का क्रमवार हववरण ददया जािा चाहिए। हवशेष
योग्यिा, प्रहशक्षण, अिुभव, उपलहब्धयाँ, कीर्ियमाि आदद का उल्लेख िोिा चाहिए।
(iii) कायेिर गहिहवहधयाँ/योग्यिा/अहभरुहचयाँ, पाठ्येत्तर दक्रयाकलाप
हियोक्ता आपकी रुहचयों के हवषय में भी जाििा चाििा िै, अिः पढ़ाई-हलखाई के अहिठरक्त बागबािी,
संगीि, िृत्य, खेल आदद में उपलहब्धयों के हवषय में भी हलखा जािा चाहिए।
(iv) संदभय
प्रहिहष्ठि, सरमाहिि, ख्याि व्यहक्तयों के संदभय देिे चाहिए, जो आपके सगे-संबंधी, हमत्र या पठरहचि िों। ये
सभी आपकी योग्यिा और क्षमिाओं से पठरहचि िोिे चाहिए। हियोक्ता इिसे जािकारी लेिे िैं।
आवेदिकिाय के व्यहक्तत्व हिधायरण में ये संदभय बहुि बिी भूहमका हिभािे िैं।
(v) शैली

पाठ्यसामग्री-हिन्दी (आधार) कक्षा:ग्यारिवीं पृष्ठ 78 of 123


स्ववृत्त को हलखिे के बहुि िरीके िो सकिे िैं। इसकी शैली अलग-अलग िो सकिी िै, परं िु शैक्षहणक
योग्यिा को सारणी (Table Format) में िी ददया जािा चाहिए। इसका प्रहिदशय (Sample) आगे ददया
जा रिा िै।
(vi) आत्मकथ्य
उरमीदवार संस्था के हलए क्यों उपयोगी िो सकिा िै, कै से संस्था के हवकास में अपिा योगदाि दे सकिा िै;
अपिी उपयोहगिा, साथयकिा, समपयण, लगि आदद का उल्लेख अंि में 5-6 पंहक्तयों में करिा चाहिए।
स्ववृत्त का प्रारूप
दसवीं से बारिवीं कक्षा के छात्रों को बहुि हवस्िार में जािे की आवश्यकिा ििीं िै। िीचे प्रारूप ददया जा
रिा िै। बोर्य के हिदेशािुसार परीक्षा में हलखिे समय गोपिीयिा का हिवायि करिा आवश्यक िै; जैसे-पत्र में
अपिे िाम के स्थाि पर क, ख, ग आदद हलखा जािा िै, उसी प्रकार स्ववृत्त में भी दकया जािा चाहिए।
अध्यापक के पद िेिु भेजे जािे वाले स्ववृत्त का प्रारूप देहखए।
स्ववृत्त
व्यहक्तगि पठरचय
िाम - क, ख, ग
जन्महिहथ - ×× 1995, आयु 27 वषय
घर का पिा - 12/34, अ ब स गली, सीकर, राजस्थाि-332027
हपिा का िाम - श्री िरे न्द्र बसंि (मािा का िाम भी ददया जा सकिा िै।)
दूरभाष - ×××××34 (मोबाइल)
ई-मेल - xyz@gmail.com
आधार - 123445677890
शैक्षहणक योग्यिा
क्रम परीक्षा का िाम स्कू ल / मिाहवद्यालय / हवषय श्रेणी प्रहिशि
संख्या हवश्वहवद्यालय
1. 10 वीं सुबोध स्कू ल, सीकर अंग्रेजी, बिंदी, गहणि, प्रथम 90%
हवज्ञाि, सामाहजक
हवज्ञाि
2. 12 वीं गुरुकृ पा उ. मा. हव., अंग्रेजी, बिंदी, प्रथम 95%
सीकर भूगोल, इहििास,
अथयशास्त्र
3. बी.ए./बी.एससी/ राजस्थाि अंग्रेजी, अथयशास्त्र, हद्विीय 70%
हवश्वहवद्यालय बिंदी
बी. कॉम
4. एम.ए./एम.कॉम/ राजस्थाि अथयशास्त्र प्रथम 80%
हवश्वहवद्यालय
एम. एस. सी
5. बी.एर्. एम र्ी एस अथयशास्त्र, बिंदी प्रथम 82%
हवश्वहवद्यालय,
अजमेर

अन्य संबहं धि योग्यिाएँ


पाठ्यसामग्री-हिन्दी (आधार) कक्षा:ग्यारिवीं पृष्ठ 79 of 123
1. अग्रेंजी, बिंदी, बोलिे-हलखिे-पढ़िे में हिपुणिा।
2. कं प्यूटर का अछछा ज्ञाि। एम. एस. ऑदिस, िेट आदद।
3. फ्रेंच भाषा में हर्प्लोमा।
अहभरुहचयाँ
1. बिंदी-अंग्रेजी में सामाहजक, भाहषक, आर्थयक हवषयों पर लेख अिेक पत्र-पहत्रकाओं में प्रकाहशि
2. प्रकृ हि से प्रेम, बागबािी, पयायवरण, स्वछछिा के प्रहि रुहच
3. दक्रके ट व बेर्हमन्टि खेलिा
उपलहब्धयाँ-सरमाि
1. बिंदी अकादमी द्वारा 'सुवक्ता सरमाि' – 2017
2. मिाहवद्यालय बेर्हमन्टि रॉिी-2019
3. राज्य सरकार द्वारा 'स्वछछिा सरमाि' – 2022

संदभय
1. र्ॉ.रहव िगेहिया, सिायक प्राध्यापक, श्री कल्याण कला मिाहवद्यालय, सीकर
2. प्रो० पवि अिलुवाहलया, प्रख्याि अथयशास्त्री, जोधपुर
मैं हवज्ञाहपि पद के हलए स्वयं को उपयोगी माििा हँ। मैं आपको हवश्वास ददलािा हँ दक पूणय समर्पयि भाव
से काम करूँगा और संस्था की उन्नहि के हलए सिि प्रयास करिा रहँगा।
धन्यवाद सहिि
कखग
सीकर (राज.)
06-11-2022
ध्यािव्य-
1. A4 Sheet जैसा Border (बार्यर) अवश्य बिवाएँ। Box के अंदर िी हलखा जाए।
2. Box के ऊपर स्ववृत्त अवश्य हलखें।
3. अंि में धन्यवाद सहिि िाम और हिहथ अवश्य हलखें।
4. शैक्षहणक योग्यिा में सारणी (िाहलका) अवश्य हलखें।
5. पद की आवश्यकिाओं के अिुरूप शैक्षहणक योग्यिाओं का अध्ययि कर लें।
प्रश्न 1. स्ववृि से आप क्या समझिे िैं? इसके दकििे पक्ष िोिे िैं?
उत्तर-स्ववृि व्यहक्त के पिचाि का एक माध्यम िै। यि दकसी िौकरी, पद आदद के आवेदि के साथ प्रस्िुि
दकया जािा िै हजसमें व्यहक्तगि जािकारी उपलब्ध कराई जािी िै। इसमें आवेदक का जन्म, शैक्षहणक योग्यिा,
कायय-अिुभव आदद सभी समाहिि िोिे िैं। इसके दो पक्ष िोिे िैं-
1. स्ववृि के पिले पक्ष में वि उरमीदवार िोिा िै, हजसको कें द्र में रखकर सूचिाएं संकहलि की जािी िै।
2. स्ववृि के दूसरे पक्ष में हियोक्ता या संस्था िोिी िै, हजसके प्रयोजि को ध्याि में रखकर सूचिाएं एकहत्रि
की जािी िैं।
प्रश्न 2. उरमीदवारों के चयि में स्ववृि दकस प्रकार सिायक िोिा िै?

पाठ्यसामग्री-हिन्दी (आधार) कक्षा:ग्यारिवीं पृष्ठ 80 of 123


उत्तर-उरमीदवारों के चयि में स्ववृि की अिम भूहमका िोिी िै। इसके माध्यम से उरमीदवारों की गुणवत्ता
का मूल्यांकि आसािी से दकया जा सकिा िै। व्यहक्त के संहक्षि मूल्यांकि के आधार पर यि पिा लगाया जा
सकिा िै दक वि उस पद के हलए दकििा योग्य िै।
प्रश्न 3. एक अछछे स्ववृि में क्या-क्या हवशेषिाएँ िोिी िै?
उत्तर-एक अछछे स्ववृि की हिम्न हवशेषिाएँ िोिी िैं-
1. स्ववृत्त में सत्यिा और ईमािदारी झलकिी चाहिए अथायि कु छ भी झूि ििीं हलखिा चाहिए।
2. जरूरि से ज़्यादा बिा या बहुि छोटा ििीं िोिा चाहिए।
3.अपिी व्यहक्तगि जािकारी, शैक्षहणक योग्यिा, कायय-अिुभव के संबंध में में सटीक (To the Point)
िथ्यात्मक सूचिाएँ (Factual Information) देिी चाहिए।
4. स्ववृत्त हलखिे समय शुद्धिा एवं स्पििा का ध्याि रखा जािा चाहिए।
प्रश्न 4. स्ववृत्त में अन्य योग्यिाओं के अहिठरक्त कायेत्तर गहिहवहधयों की चचाय करिा क्यों आवश्यक िै?
उत्तर-जब एक िी पद के हलए अिेक आवेदि प्राि िोिे िैं, िब कायेत्तर गहिहवहधयों का मित्त्व बढ़ जािा िै।
हजस उरमीदवार के पास कायेत्तर गहिहवहधयों का अिुभव अहधक िोिा िै,उसके चयि की सरभाविा बढ़
जािी िै। इसहलए स्ववृत्त हलखिे समय काययकुशलिा, कायेत्तर गहिहवहधयों का उल्लेख दकया जािा चाहिए।
प्रश्न 5. स्ववृत्त हिमायण कला में हिपुण िोिा क्यों आवश्यक िै?
उत्तर-स्ववृत्त हिमायण कला में हिपुण िोिा आवश्यक िै क्योंदक इससे व्यहक्त का मूल्यांकि िोिा िै। जो व्यहक्त
अपिा मूल्यांकि अछछे से करवािा चाििा िै, अपिी अिहमयि को प्रकट करिा चाििा िै उसे स्ववृि हिमायण
में हिपुण िोिा आवश्यक िै।
आवेदि पत्र
आवेदक दकसी पद िेिु हजस प्रारूप में आवेदि करिा िै, उसे 'आवेदि-पत्र' कििे िैं। सरकारी िौकठरयों,
यथा-लोक सेवा आयोग, बैंककं ग भिी बोर्य, रे लवे भिी बोर्य आदद में प्रपत्र का स्वरूप हिधायठरि रििा िै।
आवेदक इसे हिधायठरि शुल्क के साथ भरकर भेज देिे िैं। आवेदि पत्र िमेशा उपयुक्त अहधकारी को िी
भेजिा चाहिए।
लेखि िेिु आवश्यक हिदेश-
आवेदि पत्र हलखिे समय हिम्नहलहखि बबंदओं
ु को ध्याि रखिा चाहिए
1.प्रारं भ-सवयप्रथम बाँई ओर सेवा में/प्रहि हलखकर िीक उसके िीचे अगली पंहक्त में प्रािकिाय का िाम और
पूरा हवभागीय पिा हलखा जािा चाहिए।
2.ददिांक एवं हवषय-पिा हलखिे के पिाि् ददिांक का उल्लेख दकया जािा चाहिए िथा इसके बाद हवषय
के अंिगयि अत्यंि संक्षेप में हवषय का उल्लेख करिा चाहिए।
3. संबोधि-िदिंिर 'मिोदय / मिोदया' संबोधि सूचक शब्द हलखकर अल्प हवराम लगािा चाहिए।
4.हशिाचार द्योिक शब्द-अल्प हवराम के िीक िीचे अगली पंहक्त से मुख्य हवषय प्रारं भ दकया जािा
चाहिए, लेदकि मुख्य हवषय के प्रारं भ में 'प्राथयिा िै', 'सहविय हिवेदि िै', 'हविम्र हिवेदि िै’ आदद
हशिाचार द्योिक शब्दों का प्रयोग करिा चाहिए।
5.मुख्य हवषय हवस्िार-आवेदि पत्र के मुख्य हवषय के पूवायद्धय में अपिी वियमाि हस्थहि या समस्या आदद
का हववरण ददया जािा चाहिए और उत्तराद्धय में कायय-संपादि िेिु आवश्यक काययवािी या आदेश ददए जािे
के हवषय में हिवेदि दकया जािा चाहिए। मुख्य हवषय को सरल, स्पि और प्रभावी भाषा में संहक्षि रूप में
हलखिा चाहिए।

पाठ्यसामग्री-हिन्दी (आधार) कक्षा:ग्यारिवीं पृष्ठ 81 of 123


6. पत्र का समापि-पत्र समापि िए अिुछछेदों से दकया जािा चाहिए; जैसे-'अिः आपसे प्राथयिा िै दक मेरे
हिवेदि पर ध्याि देिे की असीम अिुकंपा करें ग'े , 'अिएव हविम्रिापूवयक अिुरोध िै दक मेरी प्राथयिा
स्वीकार कर अिुगृिीि करें ग,े आदद वाक्यों के साथ सारांश सहिि आवेदि को दुिरा ददया जािा चाहिए।
पत्र समाहि पर सधन्यवाद, सरमाि सहिि आदद शब्दों का प्रयोग दकया जािा चाहिए।
7. समापि सूचक शब्द-पत्र समाहि पर बाँयीं ओर भवदीय / भवदीया, प्राथी / प्रार्थयिी आदद समापि
सूचक शब्दों का प्रयोग करिा चाहिए।
8.िाम और पिा-समापि सूचक शब्द के िीचे आवेदिकिाय को अपिा स्पि िस्िाक्षर करिा चाहिए और
िस्िाक्षर के िीचे कोष्ठक में पूरा िाम हलखकर, पदिाम और स्थाई पिा हलखिा चाहिए।
9.संलि-यदद आवेदि पत्र के साथ प्रमाण पत्र की कोई प्रहि या प्रहियाँ संलि की गई िों, िो अंि में संलि
या संलिक हलखकर संख्यावार उिका उल्लेख कर देिा चाहिए।
आवेदि पत्र प्रारूप
प्रश्न-हशक्षा हिदेशालय, राजस्थाि को हवहभन्न हवषयों के प्रहशहक्षि स्नािक अध्यापकों की आवश्यकिा िै।
इस पद के हलए हशक्षा हिदेशक को एक आवेदि पत्र हलहखए।
प्रहि,
हशक्षा हिदेशक,
हशक्षा हिदेशालय,
राजस्थाि।
हवषय-प्रहशहक्षि स्नािक अध्यापकों की भिी िेिु आवेदि पत्र।
मिोदय,
सहविय हिवेदि िै दक मुझे 07 िवरबर 2022 को प्रकाहशि राजस्थाि पहत्रका समाचार पत्र से ज्ञाि
हुआ दक हशक्षा हिदेशालय को हवहभन्न हवषयों के स्नािकोत्तर अध्यापकों की आवश्यकिा िै। प्राथी भी स्वयं
को एक उरमीदवार के रूप में प्रस्िुि कर रिा िै, हजसका संहक्षि हववरण इस प्रकार िै
िाम - मिोज कु मार
हपिा का िाम - श्री राम स्वरूप
जन्महिहथ - 25 ददसंबर, 1988
पिा - सी/ 125 हपपराली रोर्, सीकर (राज.)।
शैक्षहणक योग्यिाएँ -
क्रम परीक्षा का िाम स्कू ल / मिाहवद्यालय / हवषय श्रेणी प्रहिशि
संख्या हवश्वहवद्यालय
1. 10 वीं सुबोध स्कू ल, सीकर अंग्रेजी, बिंदी, प्रथम 90%
गहणि, हवज्ञाि,
सामाहजक हवज्ञाि
2. 12 वीं गुरुकृ पा उ. मा. हव., अंग्रेजी, बिंदी, प्रथम 95%
सीकर भूगोल, इहििास,
अथयशास्त्र
3. बी.ए./बी.एससी/ राजस्थाि अंग्रेजी, अथयशास्त्र, हद्विीय 70%
हवश्वहवद्यालय बिंदी
बी. कॉम

पाठ्यसामग्री-हिन्दी (आधार) कक्षा:ग्यारिवीं पृष्ठ 82 of 123


4. एम.ए./एम.कॉम/ राजस्थाि बिंदी प्रथम 80%
हवश्वहवद्यालय
एम. एस. सी
5. बी.एर्. एम र्ी एस अथयशास्त्र, बिंदी प्रथम 82%
हवश्वहवद्यालय, अजमेर
अिुभव-अहभिव पहब्लक स्कू ल, सीकर में बिंदी स्नािकोत्तर हशक्षक पद पर एक साल अंशकाहलक।
घोषणा-मैं आपको हवश्वास ददलािा हँ दक सेवा का अवसर हमलिे पर पूरी हिष्ठा एव ईमािदारी से कायय
करूँगा।
धन्यवाद
भवदीय
मिोज कु मार
ददिांक 07 िवरबर 2022
संलि-शैक्षहणक एवं अिुभव प्रमाण पत्रों की छायांदकि प्रहि।
प्रश्न 1. आवेदि-पत्र से क्या आशय िै? इसके उद्देश्यों का वणयि कीहजए।
उत्तर-स्ववृत्त के साथ एक आवेदि-पत्र भी हलखा जािा िै। आवेदि पत्र के साथ उरमीदवार अपिा स्ववृत्त
लगािा िै और उसे हियोक्ता के पास प्रेहषि कर देिा िै। स्ववृत्त में सारी जािकाठरयाँ दे दी जािी िैं लेदकि
दिर भी अलग से आवेदि-पत्र हलखिे की आवश्यकिा िोिी िै, क्योंदक स्ववृत्त िो बिा-बिाया रखा िोिा िै
जबदक आवेदि-पत्र हवज्ञापि, पद एवं संबंहधि संस्थाि को लेकर हलखा जािा िै।
आवेदि-पत्र हिम्नहलहखि उद्देश्यों की पूर्िय के हलए हलखा जािा िै
(i) आवेदि-पत्र से व्यहक्त अपिी हियुहक्त की इछछा को प्रकट करिा िै, स्ववृत्त से ििीं।
(ii) वैयहक्तक स्पशय के हलए।
(iii) भाषा ज्ञाि एवं अहभव्यहक्त क्षमिा का पठरचय।
(iv) पद व संस्थाि के प्रहि गंभीरिा का हवश्वास जगािा।
(v) प्रत्येक हवज्ञापि के हलए अलग।
प्रश्न 2. आवेदि-पत्र की हवषय-वस्िु पर प्रकाश र्ाहलए।
उत्तर-आवेदि-पत्र की हवषय-वस्िु में मुख्यि: चार भाग िोिे िैं-
1. भूहमका-पिले खंर् में उरमीदवार हवज्ञापि िथा हवज्ञाहपि पद पर अपिी उरमीदवारी की इछछा प्रकट
करिा िै।
2. सक्षमिा-दूसरे खंर् में उरमीदवार यि बिािा िै दक वि हवज्ञापि में वर्णयि योग्यिाओं और
आवश्यकिाओं को पूरा करिे में सक्षम िै। इससे उरमीदवार की भाषा-शैली िथा अहभव्यहक्त की क्षमिा का
भी पठरचय हमल जािा िै।
3. पद एवं संस्थाि के प्रहि गंभीरिा एवं अहभरुहच-िीसरे खंर् में उरमीदवार पद और संस्थाि के प्रहि
अपिी गंभीरिा और अहभरुहच को अहभव्यक्त करिा िै।
4. उपसंिार-आवेदि-पत्र का चौथा खंर् उपसंिार िोिा िै। इसमें आवेदि-पत्र की हवषय-वस्िु का
औपचाठरक समापि िोिा िै। एक व्यहक्त (उरमीदवार/आवेदक) दकसी संस्था में िौकरी पािे के हलए स्ववृत्त
िैयार करिा िै। इसमें वि ईमािदारी से अपिे व्यहक्तत्व, ज्ञाि और अिुभवों को सीधी, सरल व सटीक भाषा
में कं प्यूटर से मुदद्रि कर सूचिाओं का अिुशाहसि प्रवाि बिािा िै, लेदकि दिर भी संस्थाि से बुलावा-पत्र

पाठ्यसामग्री-हिन्दी (आधार) कक्षा:ग्यारिवीं पृष्ठ 83 of 123


ि आिे पर सामान्यिः आवेदि-पत्र की कमी मिसूस की जािी िै। अिः उरमीदवार को स्ववृत्त के साथ एक
आवेदि-पत्र हलखिा भी आवश्यक िोिा िै।
शब्दकोश, सन्दभय ग्रंथों की उपयोग हवहध
शब्दकोश का अथय एवं पठरभाषा
शब्दकोश शब्दों का ऐसा संग्रि िोिा िै हजसमें शब्दों की वियिी, उिकी व्युत्पहत्त, व्याकरण हिदेश, अथय,
पठरभाषा, प्रयोग और पदाथय आदद का उल्लेख दकया जािा िै।
इसके हलए अंग्रेजी में 'हर्क्शिरी' शब्द का प्रयोग दकया जािा िै। शब्दकोश को पठरभाहषि करिे हुए
भोलािाथ हिवारी कििे िैं, "कोश" ऐसे सन्दभय ग्रंथ को कििे िैं, हजसमें भाषा हवशेष के शब्दादद का संग्रि
िो या संग्रि के साथ उिके उसी या दूसरी या दोिों भाषाओं में अथय, पयायय या हवलोम िो या हवहशि अथवा
हवहभन्न हवषयों की प्रहवहियों की व्याख्या, िामों (स्थाि, व्यहक्त) आदद का पठरचय या कथिों आदद का
संकलि क्रमबद्ध रूप में िो।"
इस प्रकार शब्दकोश वि ग्रन्थ िै हजसमें शब्दों के व्याकरहणक हिदेश देिे के साथ-साथ उिके अथय को भी
स्पि दकया जािा िै।
शब्दकोश की प्रयोग पद्धहि
शब्दकोश में शब्दों का संकलि इस प्रकार दकया जािा िै दक पािक उसका प्रयोग सिजिापूवयक कर सकें ।
शब्दकोश प्रयोग के सामान्य हियम हिम्नहलहखि िैं
अक्षर क्रम शब्दकोश में शब्दों का संचयि भाषा के वणों के अिुक्रम में दकया जािा िै, इसहलए पािक को उक्त
भाषा की वणयमाला का ज्ञाि िोिा आवश्यक िै। उदािरणस्वरूप हिन्दी भाषा की वणयमाला में स्वरों को
व्यंजिों से पिले रखा जािा िै, इसहलए शब्दकोश में भी उिका स्थाि व्यंजिों से पूवय िोिा िै; यथा
स्वर-अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ, औ अं अः I
व्यंजि-क, ख, ग, घ, ङ, च, छ, ज, झ, ञ, ट, ि, र्, ढ, ण, ि, थ, द, ध, ि, प, ि, ब, भ, म, य र,ल, व, श,
ष, स, ि
हिन्दी में िव हवकहसि ध्वहियों 'ि' व 'ढ़' िथा आगि ध्वहियों 'ख़', 'ज', 'ि' को क्रमशः 'र्' व 'ढ' िथा 'ख',
'ज', 'ि' के साथ रखा जािा िै।
संयक्त
ु व्यंजि-'क्ष', 'त्र', 'ज्ञ', 'श्र' को शब्दकोश में क्रमश: 'क', 'ि', 'ज' िथा 'श' के साथ रखा जािा िै।
'ङ', 'ञ' व 'ण' से कोई शब्द आररभ ि िोिे के कारण इिका शब्दकोश में अलग से कोई अध्याय ििीं िोिा िै।
इसके अहिठरक्त अिुस्वार (अं) व अिुिाहसक (अँ) ध्वहियों को शब्दकोश में वणों से पिले रखा जािा िै।
शब्दकोश में शब्दों को वणायिुक्रम में संकहलि करिे के साथ-साथ शब्दों की संरचिा में स्वाभाहवक रूप से
हवद्यमाि मात्राओं के क्रम का भी अिुपालि दकया जािा िै। मात्राओं का यि अिुक्रम प्रथम वणय के सन्दभय में
िी ििीं, बहल्क दूसरे , िीसरे , चौथे आदद वणों के साथ भी बिाए रखा जािा िै।
व्याकरहणक कोठट संबध
ं ी संकेि-शब्दकोश में प्रत्येक शब्द की व्याकरहणक कोठट (संज्ञा, सवयिाम, हवशेषण,
दक्रया, दक्रयाहवशेषण आदद) से संबंहधि संकेि ददए जािे िैं, जैसे

पु. पुबल्लंग प्रहव. प्रहवशेषण स.दक्र. सकमयक दक्रया बहु. बहुवचि


स्त्री. स्त्रीबलंग प्र. प्रत्यय अ. दक्र. अकमयक दक्रया अ. अव्यय
उभय. उभयबलंग उप. उपसगय . दक्र.हव दक्रया हवशेषण संबो. संबोधि कारक
सवय. सवयिाम हि. हिपाि हवस्म. हवस्मयाददबोधक बो. बोलचाल
हव. हवशेषण यो. योजक पर. परसगय

पाठ्यसामग्री-हिन्दी (आधार) कक्षा:ग्यारिवीं पृष्ठ 84 of 123


व्याकरहणक कोठट सरबन्धी संकेि
भाहषक स्रोि सरबन्धी संकेि-इस संकेिों द्वारा शब्दकोश में संकहलि दकए गए शब्दों के हवषय में बिाया जािा
िै दक वे किाँ से ग्रिण दकए गए िैं; यथा
भाहषक स्रोि सरबन्धी संकेि
िु . िुकी फ्रां. फ्रांसीसी रु. रूसी सं संस्कृ ि
अ. अरबी अं. अंग्रेजी पु . पुियगाली िा . िारसी

शब्दकोश का मित्त्व
वियमाि समय में शब्दकोश का अत्यन्ि मित्त्व िै। इसके माध्यम से िमें अिेक शब्दों के अथय, सरलिा से ज्ञाि
िो जािे िैं। साथ िी ये िमें दकसी भी शब्द के हवषय में सरपूणय जािकारी प्रदाि करिे िैं। इसका सबसे अहधक
मित्त्व यि िै दक सभी शब्द िमें एक िी कोश (पुस्िक) में हमल जािे िैं और िमें जगि-जगि ििीं भटकिा
पििा।
मित्वपूणय प्रश्न
1. शब्दकोश क्या िै?
उत्तर-शब्दकोश के अंदर दकसी एक भाषा में प्रयोग िोिे वाले सभी शब्दों को इकट्ठा करके प्रस्िुि दकया जािा
िै। शब्दकोश में शब्दों की व्युत्पहत्त, स्रोि, बलंग के साथ-साथ उसके शब्द रूपों और हवहभन्न संदभयपरक अथों
की जािकारी िोिी िै। बिंदी शब्दकोश में शब्द बिंदी वणयमाला के अिुसार ददए िोिे िैं। शब्दकोश का सबसे
बिा लाभ यि िै दक इसमें दकसी भी प्रकार के शब्द का हवस्िृि हवश्लेषण आसािी से हमल जािा िै।
2. संदभय ग्रंथ क्या िै?
उत्तर-हजस प्रकार शब्दों के अथय शब्दकोश में ददए िोिे िैं, उसी प्रकार संदभय ग्रंथ में मािव द्वारा संहचि ज्ञाि
को संहक्षि रूप से प्रस्िुि दकया जािा िै। संदभय ग्रंथों से दकसी भी हवषय की जािकारी िुरंि प्राि की जा
सकिी िै। संदभय ग्रंथों में जािकाठरयों का क्रम भी शब्दकोश' के हियमों के अिुसार िी िोिा िै। जब भी दकसी
हवषय पर िमें िुरंि जािकारी चाहिए िोिी िै, िब ये ग्रंथ िमारे काम आिे िैं।
3. हवश्वज्ञाि कोश व साहित्य कोश को समझाइए।
उत्तर-हवश्वज्ञाि कोश-इसमें पूरे हवश्व की जािकाठरयों का संग्रि िोिा िै। मिुष्य के ज्ञाि व रुहच से संबंहधि
सभी रचिाएँ व जािकाठरयाँ हवश्वज्ञाि कोश से संहक्षि रूप में सिजिा से प्राि की जा सकिी िैं। हवश्वज्ञाि
कोश में भी शब्दकोश के हियमों को अपिाया जािा िै।
साहित्य कोश-साहित्य कोश में साहिहत्यक हवषयों से संबंहधि सभी जािकाठरयाँ उपलब्ध िोिी िैं। इसमें सभी
साहिहत्यक रचिाओं के साथ-साथ उिके लेखकों आदद के िाम क्रमािुसार हलखे िोिे िैं।
4. चठरत्र कोश दकसे कििे िैं?
उत्तर-हजस कोश में साहित्य, संस्कृ हि, हवज्ञाि आदद क्षेत्रों के मिाि व्यहक्तयों के व्यहक्तत्व व कृ हित्व की
जािकारी उपलब्ध िोिी िै, उसे िी चठरत्र कोश कििे िैं। इसमें सभी हवचारकों, साहित्यकारों, वैज्ञाहिकों
आदद का संहक्षि पठरचय व उपलहब्धयाँ, क्रमािुसार ददया िोिा िै। चठरत्र कोश को 'व्यहक्त कोश' भी कििे
िैं। इसमें भी शब्दकोश के हियमों का िी पालि दकया जािा िै।
5. िीचे ददए गए शब्दों को शब्दकोश क्रम में हलहखए-
परीक्षण, पठरक्रमण, पठरक्रम, हवश्वाहमत्र, हिमाश्रया, हृदयंगम, ग्वाहलि, घंटा, योगासि, घटक, इहछछि, इक्षु,
अंि:, अंि, अकं हपि, उदािरण, उद्योग, हजज्ञासु।

पाठ्यसामग्री-हिन्दी (आधार) कक्षा:ग्यारिवीं पृष्ठ 85 of 123


उत्तर-इि शब्दों का शब्दकोशीय क्रम इस प्रकार िै
अंिः, अंि, अंकहपि, इक्षु इहछछि, उदािरण, उद्योग, ग्वाहलि, घंटा, घटक, हजज्ञासु, पठरक्रम, पठरक्रमण,
परीक्षण, योगासि, हवश्वाहमत्र, हिमाश्रया, हृदयंगम।
6. िीचे ददए गए शब्दों को शब्दकोश के अिुसार क्रम में हलहखए।
कै लाश, हिरंजि, अंगद, अिः, पैर, क्षहत्रय, मिहसज, वंदिा, वाणी, खंजि, गठरष्ठ, वठरष्ठ साहन्नध्य, कै वल्य,
क्षमा, दीपक, उहत्तष्ठ। "
उत्तर-इि शब्दों का शब्दकोशीय क्रम इस प्रकार िै
अंगद, अिः, उहत्तष्ठ, कै लाश, कै वल्य, क्षहत्रय, क्षमा, खंजि, गठरष्ठ, दीपक, हिरं जि, पैर, मिहसज, वंदिा,
वठरष्ठ, वाणी, साहन्नध्य

प्रश्न-6 (1) काव्य खंर् पर आधाठरि लघूत्तर प्रश्न


1. कबीर
प्रस्िुि काव्यांश पाठ्यपुस्िक आरोि भाग 1 से हलया गया िै। यि जयदेव बसंि एवं वासुदव
े बसंि द्वारा
संकहलि संपाददि कबीर वांग्मय खंर् 2 से हलया गया िै।हजसके रचहयिा कबीरदास जी िैं। प्रस्िुि पद में
कबीरदास जगि और िह् दोिों को अलग ि माििे हुए उन्िें एक िी परम ित्व अथायि परमात्मा की सत्ता के
अंिगयि स्वीकार करिे िैं। इसके हलए वे कई उदािरण देिे िैं। कबीर कििे िैं दक उन्िोंिे िो यि जाि हलया िै
दक ईश्वर एक िी िै। उन्िोंिे ईश्वर के अद्वैि रूप को पिचाि हलया िै। जो लोग उस परम ित्त्व के आत्मा-
परमात्मा, जीव-िह् आदद अलग-अलग अहस्ित्वों को माििे िैं उन्िोंिे वास्िव में, परमात्मा के ममय को ििीं
जािा िै ऐसे लोगों के हलए यि संसार िरक के समाि िै। कबीर ईश्वर की अद्वैििा का प्रमाण देिे हुए कििे िैं
दक संसार में एक जैसी िवा बििी िै एक जैसा पािी िै िथा एक िी ज्योहि अथायि् प्राणित्त्व सब में समाया
हुआ िै। वे कििे िैं हजस प्रकार कु रिार एक िी िरि की हमट्टी से सभी बियि बिािा िै चािे उिका आकार
प्रकार हभन्न-हभन्न िो, उसी प्रकार ईश्वर िे मिुष्य के शरीर का हिमायण भी एक जैसे ित्त्वों से िी दकया िै भले
िी उिके आकार-प्रकार या स्वरूप हभन्न-हभन्न ददखाई देिे िों। कबीर अपिे मि की पुहि करिे हुए कििे िैं दक
हजस प्रकार एक बढ़ई लकिी को िो काट सकिा िै लेदकि उस लकिी में हिहिि अहि अथायि् प्राणित्त्व को
वि ििीं काट सकिा, उसी प्रकार परमात्मा के सभी मिुष्यों में समाये िोिे के कारण आत्मा अमर एवं अकाट्य
िै। कबीर कििे िैं दक मिुष्य संसार के माया-जाल में िँ सा हुआ िै। वे उसे समझािे हुए कििे िैं दक िे मिुष्य!
िू इस झूिी माया पर क्यों अिंकार करिा िै? िुरिें दकसी बाि पर अिंकार ििीं करिा चाहिए, यि अिंकार
हिरथयक िै। अंि में, प्रभु के प्रेम से सराबोर कबीर कििे िैं दक जो मिुष्य इस माया अथायि् सांसाठरक आकषयणों
के भ्रम से मुक्त िो जािे िैं वे हिभयय रििे िैं।उन्िें दकसी प्रकार का कोई भय ििीं सिािा िै। िीक, इसी प्रकार
कबीर भी अब हिभयय िो गए िैं, उन्िें अब कोई भय या र्र ििीं िै, क्योंदक उिके हृदय में प्रभु के हलए प्रेम
पूणय रूप से िै। कबीर िे िाहत्वक रूप से आत्मा और परमात्मा को एक िी मािा िै।एक-एक में यमक अलंकार
िै (एक का अथय परमात्मा, एक का अथय – एक) कबीर िे उदािरणों का सुंदर प्रयोग दकया िै। पद की भाषा
सधुक्किी िै।

पाठ्यसामग्री-हिन्दी (आधार) कक्षा:ग्यारिवीं पृष्ठ 86 of 123


प्रश्न 1. कबीर परमात्मा के दकस स्वरूप में आस्था रखिे िै और वि स्वरूप दकस प्रकार का िै?
उत्तर-कबीर परमात्मा के अद्वैि स्वारूप में आस्था रखिे िै और वि स्वरूप हिगुयण हिराकार ईश्वर का िै।
प्रश्न 2.कबीर िे दकि लोगों को िरक का अहधकारी मािा िै?
उत्तर-कबीर िे उि लोगों को िरक का अहधकारी मािा िै जो लोग परमात्मा को एक ििीं, दो माििे िै।
प्रश्न-3. कबीर िे दकस प्रकार हसद्ध दकया िै दक ईश्वर एक िै?
उत्तर-कबीर िे किा दक हजस प्रकार हवश्व में एक िी वायु और जल िै उसी प्रकार संपूणय संसार में एक िी परम
ज्योहि व्याि िै.सभी मािव एक िी हमट्टी से िह्ा द्वारा हिर्मयि िै।
प्रश्न-4. कबीर के अिुसार प्रभु को जाििे के हलए क्या आवश्यक िै?
उत्तर-कबीर के अिुसार प्रभु को जाििे के हलए हमथ्या दंभ,माया –मोि अथायि सुखों को त्यागिा आवश्यक
िै।
प्रश्न-5. “कबीर की दृहि में ईश्वर एक िै” स्पि कीहजए।
उत्तर-कबीर का माििा िै दक परमात्मा एक िै क्योंदक-
• सब जगि एक िी पवि और एक िी जल िै।
• सारा जगि एक िी ज्योहि से प्रकाहशि िै।
• वि परमात्मा लकिी में अहि की िरि रििा िै,जोदक मूलि: एक िै। सारे रूपों में उसी एक का
हिवास िै।
प्रश्न-6. कबीर के अिुसार मािव शरीर का हिमायण दकि पाँच ित्वों से हुआ िै?
उत्तर-मािव शरीर का हिमायण अहि,आकाश,जल, वायु और पृथ्वी िामक पाँच ित्वों से बिा हुआ िै।
प्रश्न-7. कबीर िे दकि-दकि पाखंर्ों का उल्लेख दकया िै?
उत्तर-कबीर िे मूर्िय पूजिे,माला पिििे,छापा –हिलक धारण करिे,कि-पूजिे,साखी-सबद गािे,धार्मयक
ग्रंथों का पाि करिे, यात्रा करिे आदद पाखंर्ों का उल्लेख दकया िै।
प्रश्न 8.“जैसे बाढी काष्ठ िी काटे, अहगहि ि काटै कोई।
सब घठट अंिर िूिी, व्यापक धरै सरूपै सोई।।”
इस कथि के आधार पर बिाइए दक कबीर के दृहि में ईश्वर का क्या स्वरूप िै?
उत्तर: कबीर की दृहि में ईश्वर, अहविाशी रूप में हवद्यमाि िै। कबीर के अिुसार, सभी जीवो के अंदर,
परमात्मा का वास, आत्मा के स्वरूप में िै। उदािरण स्वरूप, जैसे लकिी के अंदर अहि िोिी िै। ईश्वर
सवयव्यापक, अजर-अमर और अहविाशी िै। बढ़ई, लकिी को अिेक भागों में चीर सकिा िै परं िु उस में व्याि
अहि को िि ििीं कर सकिा िै। िीक इसी प्रकार, शरीर िश्वर िै परंिु आत्मा अमर िै।
प्रश्न 9. कबीर िे खुद को दीवािा क्यों किा िै?
उत्तर: इस संदभय में दीवािा का अथय, “पागल” िै। कबीर िे ईश्वर के वास्िहवक स्वरूप को प्राि कर हलया िै
और कबीर ईश्वर की भहक्त में लीि िै। जिाँ िक बािरी दुहिया को देखा जाए, वि अभी भी ईश्वर को ढू ंढ िी
रिे िैं। कबीर की भहक्त आम हवचारधारा से हभन्न िै अि: कबीर स्वयं को दीवािा कििे िैं।
प्रश्न 10. कबीर िे संसार को बौराया हुआ क्यों किा िै?
उत्तर. कबीर, इस संसार को पागल (बौराया हुआ) कििे िैं। वि ऐसा इसहलए कििे िैं, क्योंदक इस संसार में
सत्य बोलिे वालों को लोग मारिे िैं और झूि बोलिे वालों की िारीि करिे िैं। कबीर, राम-रिीम की श्रेष्ठिा
को एक मुद्दा बिाकर लििे वाले लोगों की बिंदा करिे िैं। कबीर की दृहि में , भगवाि विी िै, जो सिज रूप
से भहक्त स्वीकार करिा िै। भगवाि को पािे के हलए आर्ंबर की जरूरि ििीं िै। कबीर की इन्िीं बािों को

पाठ्यसामग्री-हिन्दी (आधार) कक्षा:ग्यारिवीं पृष्ठ 87 of 123


सुिकर, समाज उिकी बिंदा करिा िै। समाज पाखंहर्यों के पाखंर् को िी सत्य माििा िै। इन्िीं सब कारणों
से, कबीर को यि संसार पागल लगिा िै।

2. मीरा
✓ जन्म: सि् 1498, कु िकी गाँव (मारवाि ठरयासि) मृत्यु: सि् 1546
✓ प्रमुख रचिाएँ:-‘मीरापदावली’, ‘िरसीजी-रो-मािेरो’
✓ साहिहत्यक हवशेषिाएँ:
मीरा सगुण धारा की मित्वपूणय भक्त कवहयत्री थीं। कृ ष्ण की उपाहसका िोिे के कारण उिकी कहविा
में सगुण भहक्त मुख्य रूप से मौजूद िै, लेदकि हिगुयण भहक्त का प्रभाव भी हमलिा िै। संि कहव रै दास उिके
गुरु मािे जािे िैं। बचपि से िी उिके मि में कृ ष्ण-भहक्त की भाविा जन्म ले चुकी थी। इसहलए वे कृ ष्ण को
िी अपिा आराध्य और पहि माििी रिीं।
मीरा िे देश में दूर-दूर िक यात्राएँ कीं। हचत्तौि राजघरािे में अिेक कि उिािे के बाद मीरा वापस
मेििा आ गई। यिाँ से उन्िोंिे कृ ष्ण की लीला भूहम वृंदावि की यात्रा की। जीवि के अंहिम ददिों में वे द्वारका
चली गई। मािा जािा िै दक विीं रणछोि दास जी की मंददर की मूर्िय में वे समाहिि िो गई।
उन्िोंिे लोकलाज और कु ल की मयायदा के िाम पर लगाए गए सामाहजक और वैचाठरक बंधिों का
िमेशा हवरोध दकया। पदाय प्रथा का भी पालि ििीं दकया िथा मंददर में सावयजहिक रूप से िाचिे-गािे में
कभी हिचक मिसूस ििीं की। मीरा सत्संग (मिापुरुषों के साथ संवाद) को ज्ञाि प्राहि का माध्यम माििी थीं
और ज्ञाि को मुहक्त का साधि। बिंदा से वे कभी हवचहलि ििीं हुई। वे उस युग के रूदढ़ग्रस्ि समाज में स्त्री-
मुहक्त की आवाज बिकर उभरी।
भाषा-शैली-मीरा की कहविा में प्रेम की गंभीर अहभव्यंजिा िै। उसमें हवरि की वेदिा िै और हमलि का
उल्लास भी। इिकी कहविा में सादगी व सरलिा िै। इन्िोंिे मुक्तक गेय पदों की रचिा की। उिके पद लोक व
शास्त्रीय संगीि दोिों क्षेत्रों में आज भी लोकहप्रय िैं। इिकी भाषा मूलि: राजस्थािी िै िथा किीं-किीं
िजभाषा का प्रभाव िै। कृ ष्ण के प्रेम की दीवािी मीरा पर सूदियों के प्रभाव को भी देखा जा सकिा िै। मीरा
की कहविा के मूल में ददय िै।
पाि का सारांश-पिले पद में मीरा िे कृ ष्ण के प्रहि अपिी अिन्यिा व्यक्त की िै। वि भहक्त में लगे लोगों को
देखकर खुश िोिी िै िथा व्यथय के कायों में व्यस्ि लोगों को देखकर दुखी िोिी िै। वे कििी िैं दक मोर
मुकुटधारी हगठरधर कृ ष्ण िी उसके स्वामी िैं। कृ ष्ण-भहक्त में उसिे अपिे कु ल की मयायदा भी भुला दी िै। संिों
के पास बैिकर उसिे लोकलाज खो दी िै। आँसुओं से सींचकर उसिे कृ ष्ण प्रेम रूपी बेल बोयी िै। अब इसमें
आिंद के िल लगिे लगे िैं। उसिे दिी से घी हिकालकर छाछ छोि ददया। संसार की लोलुपिा देखकर मीरा
रो पििी िैं और कृ ष्ण से अपिे उद्धार के हलए प्राथयिा करिी िैं। प्रस्िुि पद िरोत्तम दास स्वामी द्वारा संकहलि-
संपाददि मीराँ मुक्तावली से िैं।
प्रश्न 1: मीरा कृ ष्ण की उपासिा दकस रूप में करिी िैं? वि रूप कै सा िै?
उत्तर-मीरा कृ ष्ण की उपासिा पहि के रूप में करिी िैं। उसका रूप मि मोििे वाला िै। वे पवयि को धारण
करिे वाले िैं। उिके हसर पर मोरपंखी मुकुट िै। इस रूप को अपिा मािकर वे सारे संसार से हवमुख िो गई
िैं।
प्रश्न 2: भाव व हशल्प-सौंदयय स्पि कीहजए-
(क) अंसुवि जल सींहच-सीहच, प्रेम-बेहल बोयी
अब ि बेहल िै हल गई आणंद-िल िोयी
(ख) दूध की मथहियाँ बिे प्रेम से हवलोयी
दहध महथ घृि कादढ़ हलयो, र्ाठर दयी छोयी

पाठ्यसामग्री-हिन्दी (आधार) कक्षा:ग्यारिवीं पृष्ठ 88 of 123


उत्तर-(क) भाव-सौंदयय : इस पद में भहक्त की चरम सीमा िै। हवरि के आँसुओं से मीरा िे कृ ष्ण-प्रेम की बेल
बोयी िै। अब यि बेल बिी िो गई िै और आिंद-रूपी िल हमलिे का समय आ गया िै।
हशल्प-सौंदयय:
1. ‘सींहच-सींहच’ में पुिरुहक्तप्रकाश अलंकार िै।
2. रूपक अलंकार िै-प्रेम-बेहल, आणंद-िल, अंसुवि जल
3. राजस्थािी हमहश्रि िजभाषा िै।
4. अिुप्रास अलंकार िै-बेहल बोयी।
5. संगीिात्मकिा िै।
(ख) भाव-सौंदयय: इि काव्य पंहक्तयों में कवहयत्री िे दूध की मथािी से भहक्त रूपी घी हिकाल हलया िथा
सांसाठरक सुखों को छाछ के समाि छोि ददया। इस प्रकार उन्िोंिे भहक्त की महिमा को व्यक्त दकया िै।
हशल्प-सौंदयय:
1. अन्योहक्त अलंकार िै।
2. राजस्थािी हमहश्रि िजभाषा िै।
3. प्रिीकात्मकिा िै-‘घी’ भहक्त का िथा ‘छाछ” सांसाठरकिा का प्रिीक िै।
4. दहध, घृि आदद ित्सम शब्द िैं।
5. संगीिात्मकिा िै।
6. गेयिा िै।
प्रश्न 3: मीरा जगि को देखकर रोिी क्यों िैं?
उत्तर-संसार के सभी लोग संसारी मायाजाल में िं सकर ईश्वर (कृ ष्ण) से दूर िो गए िैं। उिका सारा जीवि
व्यथय जा रिा िै। इस सारिीि जीवि-शैली को देखकर मीरा को रोिा आिा िै। लोग दुलयभ मािव जन्म को
ईश्वर भहक्त में ििीं लगािे। इसहलए संसार की दुदश
य ा पर मीरा को रोिा आ रिा िै।
प्रश्न 4: ‘मेरे िो हगरधर गोपाल’-पद का भाव स्पि करें ।
उत्तर-इस पद में मीरा िे कृ ष्ण के प्रहि अपिी अिन्यिा व्यक्त की िै िथा व्यथय के कायों में व्यस्ि लोगों के
प्रहि दुख प्रकट दकया िै। वे कििी िैं दक मोर मुकुटधारी हगठरधर कृ ष्ण िी उसके स्वामी िैं। कृ ष्ण-भहक्त में
उसिे अपिे कु ल की मयायदा भी भुला दी िै। संिों के पास बैिकर उसिे लोकलाज खो दी िै। आँसुओं से सींचकर
उसिे कृ ष्ण प्रेम रूपी बेल बोयी िै। अब इसमें आिंद के िल लगिे लगे िैं। उसिे दिी से घी हिकालकर छाछ
छोि दी। संसार की लोलुपिा देखकर मीरा रो पििी िैं। वे कृ ष्ण से अपिे उद्धार के हलए प्राथयिा करिी िैं।
प्रश्न 5: मीरा अपिा सवयस्व दकसे माििी िै?
उत्तर-मीरा अपिा सवयस्व कृ ष्ण को माििी िै।
प्रश्न 6: मीरा कृ ष्ण प्रेम के बारे में क्या बिािी िै?
उत्तर-मीरा िे हवरि के आँसओं
ु से कृ ष्ण-प्रेम की बेल बोयी िै। अब यि बेल बिी िो गई िै और आिंद-रूपी
िल हमलिे का समय आ गया िै।
प्रश्न 7: मीरा की ख़ुशी और गम का क्या कारण िै?
उत्तर-वि भहक्त में लगे लोगों को देखकर खुश िोिी िै िथा व्यथय के कायों में व्यस्ि लोगों को देखकर दुखी
िोिी िै।
प्रश्न 8: कृ ष्ण को अपिािे के हलए मीरा िे क्या-क्या दकया?
उत्तर-कृ ष्ण को पािे के हलए मीरा िे कृ ष्ण के प्रहि अपिे आपको पूणयिया समर्पयि कर ददया। वि सांसाठरकिा
को त्याग देिी िै। लोगों के अिुसार उसिे पठरवार की मयायदाएं िथा लो(क) लाज का हलिाज ििीं रखा।

3. घर की याद-भवािीप्रसाद हमश्र
पाठ्यसामग्री-हिन्दी (आधार) कक्षा:ग्यारिवीं पृष्ठ 89 of 123
जीवि पठरचय-जन्म 1913 ई. से मध्य प्रदेश के िोशंगाबाद हजले के ठटगठरया गाँव में। मृत्यु-सि् 1985 में।
पुरस्कार-इन्िें साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासि का हशखर सरमाि, ददल्ली प्रशासि का गाहलब पुरस्कार
से सरमाहिि दकया गया। इिकी साहित्य व समाज सेवा के मद्देिजर भारि सरकार िे इन्िें पद्मश्री से अलंकृि
दकया।
प्रमुख रचिाएँ-सिपुिा के जंगल, सन्नाटा, गीििरोश, चदकि िै दुख, बुिी हुई रस्सी, खुशबू के हशलालेख,
अिाम िुम आिे िो, इदं ि मम् आदद।
काव्यगि हवशेषिाएँ-भवािी प्रसाद हमश्र के साहित्य में सिजिा सवयत्र हवद्यमाि िै। साहित्य और राष्ट्रीय
आंदोलि में इिकी भागीदारी मित्वपूणय िै। गाँधीवाद में इिका अखंर् हवश्वास था। इन्िोंिे गांधी वांगमय के
बिंदी खंर्ों का संपादि कर कहविा और गांधी जी के बीच सेिु का काम दकया। इिकी कहविा बिंदी की सिज
लय की कहविा िै। इस सिजिा का संबंध गांधी के चरखे की लय से भी जुििा िै इसहलए इन्िें कहविा का
गाँधी भी किा गया िै। इिमें बोलचाल के गद्यात्मक से लगिे वाक्य हवन्यास को िी कहविा में बदल देिे की
अद्भुि क्षमिा िै। इसी कारण इिकी कहविा सिज और लोक के करीब िै।
सारांश-इस कहविा में घर के सदस्यों की आत्मीयिा का मार्मयक हचत्रण दकया गया िै। कहव को जेल प्रवास
के दौराि हवस्थापि की पीिा सालिी िै। कहव के स्मृहि-संसार में उसके पठरजि एकएक कर शाहमल िोिे
चले जािे िैं। घर की अवधारणा की साथयक और मार्मयक याद कहविा की कें द्रीय संवेदिा िै। वि घर के सभी
सदस्यों को याद करिा िै। उसे अपिे भाइयों व बििों की याद आिी िै। कहव को अपिी अिपढ़, व्याकु ल,
परं िु स्नेिमयी माँ की याद आिी िै।
कहव को अपिे हपिा की याद आिी िै हजिमें बुढ़ापे का कोई लक्षण ििीं िै। वे अभी भी दौि सकिे िैं। मौि
या शेर का सामिा करिे से ििीं र्रिे। उिकी वाणी में जोश िै। वे प्रहिददि गीिा का पाि और व्यायाम करिे
िैं। जब वे पाँचवें बेटे को ि पाकर रो पिे िोंगे िो माँ िे उन्िें समझाया िोगा। कहव सावि के मिीिे से हिवेदि
करिा िै दक िुम खूब बरसो, लेदकि मेरे मािा-हपिा को मेरे हलए दुखी ि िोिे देिा। उन्िें मेरा संदश
े देिा दक
मैं जेल में भी खुश हँ। मुझे खािे-पीिे की ददक्कि ििीं िै। मैं यिाँ स्वस्थ हँ। उन्िें मेरी सच्चाई मि बिािा दक मैं
हिराश, दुखी व असमंजस में हँ। िे सावि! िुम उन्िें मेरा संदश
े देकर धैयय बँधािा। इस प्रकार कहव िे अपिे
घर की अवधारणा का हचत्र प्रस्िुि दकया िै।
हवशेष-सावि मिीिे की घिघोर बाठरश में कहव की भावुकिा का स्वाभाहवक हचत्रण हुआ िै। पाठरवाठरक
सदस्यों के प्रहि कहव का लगाव व्यक्त हुआ िै। जेल में बंद िोिे के कारण उसकी हववशिा प्रकट हुई िै। मािा-
हपिा और भाई-बिि का सिज स्नेि उसे व्याकु ल कर देिा िै। कहविा में संयुक्त पठरवार का आदशय रूप प्रस्िुि
िै। अिुप्रास, यमक, उपमा व पुिरुहक्त प्रकाश अलंकारों की छटा दशयिीय िै। वात्सल्य, वीर एवं शांि रस का
प्रयोग। दृश्य बबंब िै। बोलचाल के शब्दों से युक्त खिीबोली का प्रयोग हुआ िै।
वणयिात्मक प्रश्न
प्रश्न-1 पािी के राि भर हगरिे और प्राण-मि के हघरिे में परस्पर क्या संबध
ं िै?
उत्तर-‘घर की याद’ का आरंभ इसी पंहक्त से िोिा िै दक ‘आज पािी हगर रिा िै’। इसी बाि को कहव कई बार
अलग-अलग ढंग से कििा िै ‘बहुि पािी हगर रिा िै, राि भर हगरिा रिा िै’। भाव यि िै दक सावि की झिी
के साथ-साथ ‘घर की यादों’ के कारण कहव का मि भर आया िै। प्राणों से प्यारे अपिे घर को, एक-एक
पठरजि को, मािा-हपिा को याद करके उसकी आँखों से भी पािी हगर रिा िै। वि कििा िै दक "घर िजर में
हिर रिा िै’। बादलों से वषाय िो रिी िै और घर की यादों से हघरे मि का बोझ कहव की आँखों से अश्रुओ के
रूप में बरस रिा िै।
प्रश्न-2 मायके आई बिि के हलए कहव िे घर को पठरिाप का घर क्यों किा िै?
उत्तर-कहव िे बिि के हलए घर को पठरिाप का घर किा िै। मायके में बिि का आिा िी बिि के मि में
उत्साि एवं खुशी भर देिा िै। वि खुशी से अपिे पठरवार वालों से हमलिे के हलए आिी िै। वि भाई-बििों
के साथ हबिाए हुए क्षणों को याद करिी िै। लेदकि कहव के अिुसार जब घर पहुँचकर बिि को पिा चलिा
पाठ्यसामग्री-हिन्दी (आधार) कक्षा:ग्यारिवीं पृष्ठ 90 of 123
िै दक उसका एक भाई जेल में िै िो वि बहुि दुखी िोिी िै। इस कारण कहव िे घर को पठरिाप का घर अथायि
दुखों का घर किा िै।
प्रश्न-3 कहविा में हपिा के व्यहक्तत्व की दकि हवशेषिाओं को उके रा गया िै?
उत्तर-कहव अपिे हपिा के हवषय में बिािा िै दक उिमें वृद्धावस्था का कोई लक्षण ददखाई ििीं देिा िै। वे
आज भी बहुि िु िीले िैं और दौि लगा सकिे िैं। हखलहखलाकर िँसिे िैं। वे इििे हिर्र िै दक मौि के सामिे
भी ििीं हिचदकचािे। उिमें इििा सािस िै दक वे शेर के सामिे भी भयभीि ििीं िोगे। उिकी आवाज बादलों
की गजयिा के समाि िै। िर काम को िूिाि की रफ़्िार से करिे की उिमें अदभुि क्षमिा िै। वे हियहमि गीिा
का पाि और व्यायाम करिे िैं। वे बहुि िी भावुक एवं संवेदिशील िैं। उिमें राष्ट्र-प्रेम की भाविा िै।
प्रश्न-4 हिम्नहलहखि पंहक्तयों में 'बस' शब्द के प्रयोग की हवशेषिा बिाइए
मैं मजे में हँ सिी िै
घर ििीं हँ बस यिी िै।
ककं िु यि बस बिा बस िै।
इसी बस से सब हवरस िै।

उत्तर-कहव िे इस शब्द का लाक्षहणक प्रयोग दकया िै। पिली बार के प्रयोग का अथय िै दक वि के वल घर पर
िी ििीं िै। दूसरे प्रयोग का अथय िै दक वि घर से दूर रििे के हलए हववश िै। िीसरा प्रयोग उसकी लाचारी व
हववशिा को दशायिा िै। चौथे बस से कहव के मि की व्यथा प्रकट िोिी िै हजसके कारण उसके सारे सुख हछि
गए िैं।
प्रश्न-5 कहव अपिे पठरजिों से क्या हछपािा चाििा िै?
उत्तर-कहव स्वाधीििा आंदोलि का वि सेिािी िै जो जेल में दी जािे वाली याििाओं की जािकारी अपिे
पठरवार के लोगों को ििीं देिा चाििा िै क्योंदक इससे वे दुखी िोंगे। कहव कििा िै दक िे सावि! उन्िें मि
बिािा दक मैं उदास रििा हँ, मैं िीक से सो भी ििीं पािा और मिुष्य से भागिा हँ। उन्िें यि सब मि बिािा
दक जेल की याििाओं से में मौि िो गया हँ और कु छ ििीं बोलिा। मैं स्वयं यि ििीं समझ पा रिा दक मैं कौि
हँ?
प्रश्न-6 “िाय रे , ऐसा िा कििा......पांचवे को वे ि िरसें।" इि पंहक्तयों का आशय स्पि कीहजए।
उत्तर-प्रस्िुि पंहक्तयों में कहव सावि से हवििी करिे िैं दक वि उसकी जेल की वास्िहवक हस्थहि को उसके
पठरवारजिों को ि बिाए िथा ऐसा कु छ ि किें हजससे उिको कु छ शक िो जाए। उिको यि ि बिाए दक
कहव राि भर जागिा िै, आदमी से र्रिे लग गया िै, अब वि दकसी के हखलाि आवाज ििीं उिािा िै िथा
चुपचाप कि सिि कर लेिा िै। वि िर समय दुखों में खोया रििा िै िथा खुद को ििीं पिचाििा िै। अंि
में वे सावि से कििे िैं दक वि अपिा कायय करे , जैसे अपिी वषाय से इस धरिी को सींच कर प्रसन्न करिा
उसका दाहयत्व िै वैसे िी उिके घर को भी प्रसन्निा से भर दे िथा उन्िें कहव की कमी का एिसास ि िोिे दे।
प्रश्न-7 कहव द्वारा सावि के माध्यम से झूिा संदश
े हभजवािा क्या दशायिा िै?
उत्तर-कहव द्वारा सावि को दूि बिाकर अपिे मािा-हपिा को झूिा संदश
े हभजवािा यि दशायिा िै दक कहव
अपिे मािा-हपिा एवं पठरवार के अन्य सदस्यों को दुखी ििीं करिा चाििा। उसके मािा-हपिा दुखी ि िो,
इसीहलए वि अपिे दुख और संिाप को हछपािे के हलए िैयार िै।
प्रश्न-8 कहविा पढ़िे के पिाि् कहव की माँ के बारे में क्या छहव उभरिी िै?
उत्तर-कहविा पढ़िे के पिाि् िमें यि पिा चलिा िै दक कहव की माँ भले िी अिपढ़ िै, लेदकि उिकी सोच
बहुि ऊँची िै। उन्िें इस बाि का दुख अवश्य िो रिा िै दक उिका एक बेटा उिसे दूर कारावास में िै , परंिु
उन्िें इस बाि पर गवय भी िै दक उिके बेटे िे देशहिि में स्वयं को समर्पयि कर ददया िै। यदद कहव ऐसा ि
करिा, िो उसे लहज्जि िोिा पििा। मुहश्कल समय में जब कहव के हपिा भावुक िोकर रो पििे िैं, िब विी

पाठ्यसामग्री-हिन्दी (आधार) कक्षा:ग्यारिवीं पृष्ठ 91 of 123


उन्िें धीरज बंधािी िैं और पूरे पठरवार को संभालिे का प्रयास करिी िैं। इससे कहव की माँ की सििशीलिा,
धैययिा व एक सच्ची देशभक्त की छहव उभरिी िै।

4. चंपा काले काले अछछर ििीं चीन्ििी-हत्रलोचि

जीवि पठरचय-जन्म उत्तर प्रदेश के सुल्िािपुर हजले के हचरािी पट्टी में सि् 1917 में।मृत्यु-9 ददसंबर, 2007
में।
इिका मूल िाम वासुदव े बसंि था। ये बिंदी साहित्य में प्रगहिशील काव्यधारा के प्रमुख कहव के रूप में प्रहिहष्ठि
रिे। इन्िोंिे गद्य और पद्म दोिों में साहित्य रचिा की। इिकी साहिहत्यक उपलहब्धयों के आधार पर इन्िें
साहित्य अकादमी द्वारा पुरस्कृ ि दकया गया। उत्तर प्रदेश सरकार िे इन्िें मिात्मा गाँधी पुरस्कार से सरमाहिि
दकया। शलाका सरमाि भी इिकी मित्वपूणय उपलहब्ध िै।
रचिाएँ-धरिी. गुलाब और बुलबुल, ददगंि, िाप के िाये हुए ददि, शब्द, उस जिपद का कहव हँ, अरघाि,
िुरिें सौंपिा हँ, चैिी, अमोला, मेरा घर, जीिे की कला (काव्य) ; देशकाल, रोजिामचा, काव्य और अथयबोध,
मुहक्तबोध की कहविाएँ (गद्य) ; इसके अलावा बिंदी के अिेक कोशों के हिमायण में मित्त्वपूणय योगदाि।
काव्यगि हवशेषिाएँ-हत्रलोचि बहुभाषाहवज्ञ थे। ये रागात्मक संयम व लयात्मक अिुशासि वाले कहव थे।
इसी कारण इिके िाम के साथी शास्त्री' जुि गया, लेदकि यि शास्त्रीयिा इिकी कहविा के हलए बोझ ििीं
बिी। ये जीवि में हिहिि मंद लय के कहव थे। प्रबल आवेग और त्वरा की अपेक्षा इिके यिाँ कािी कु छ हस्थर
िै। इिकी भाषा छायावादी रूमाहियि से मुक्त िै िथा इिका काव्य िाि िे ि गाँव की जमीि से जुिा हुआ िै।
ये बिंदी में सॉिेट (अंग्रेजी छद) को स्थाहपि करिे वाले कहव के रूप में भी जािे जािे िैं। कहव बोलचाल की
भाषा को चुटीला और िाटकीय बिाकर कहविाओं को िया आयाम देिा िै। कहविा की प्रस्िुहि का अंदाज
कु छ ऐसा िै दक वस्िु रूप की प्रस्िुहि का भेद ििीं रििा।
सारांश-‘चरपा काले-काले अछछर ििीं चीन्ििी’ कहविा धरिी संग्रि में संकहलि िै। यि पलायि के लोक
अिुभवों को मार्मयकिा से अहभव्यक्त करिी िै। इससे अक्षरों के हलए काले-काले हवशेषण का प्रयोग दकया गया
िै जो एक और हशक्षा-व्यवस्था के अंिर्वयरोधों को उजागर करिा िै िो दूसरी ओर उस दारुण यथाथय से भी
िमारा पठरचय करािा िै जिाँ आर्थयक मजबूठरयों के चलिे घर टूटिे िैं। काव्य िाहयका चंपा अिजािे िी उस
शोषक व्यवस्था के प्रहिपक्ष में खिी िो जािी िै जिाँ भहवष्य को लेकर उसके मि में अिजाि खिरा िै।
काव्य की िाहयका चंपा अक्षरों को ििीं पिचाििी। जब कहव पढ़िा िै िो वि चुपचाप पास खिी िोकर
आियय से सुििी िै। वि सुंदर ग्वाले की एक लिकी िै िथा पशु चरािे का काम करिी िै। वि अछछी व चंचल
िै। कभी वि कहव की कलम चुरा लेिी िै िो कभी कागज। इससे कहव परे शाि िो जािा िै। चंपा कििी िै दक
ददि भर कागज पर कु छ हलखिे रििे िो क्या यि काम अछछा िै? कहव िँस देिा िै। एक ददि कहव िे चरपा
से पढ़िे-हलखिे के हलए किा। उन्िोंिे इसे गाँधी बाबा की इछछा बिाया। िब चंपा िे किा दक वि ििीं पढ़ेगी।
गाँधी जी बहुि अछछे िैं, वे बच्चों को पढ़ाई की बाि कै से किेंगे? कहव िे किा दक पढ़िा अछछा िै। शादी के
बाद िुम ससुराल जाओगी। िुरिारा पहि काम के हलए कलकिा जाएगा। अगर िुम ििीं पढ़ी िो उसके पत्र
कै से पढ़ोगी या अपिा संदश
े ा उसे कै से भेजोगी? इस पर चरपा िे किा दक िुम पढ़े-हलखे झूिे िो। वि शादी
ििीं करे गी। यदद शादी करे गी िो अपिे पहि को कभी कलकत्ता ििीं जािे देगी। वि कलकत्ता पर भारी हवपदा
आिे की कामिा करे गी।
हवशेष-इस कहविा में कहव िे पलायि के लोक अिुभवों का बिी िी मार्मयकिा से हचत्रण दकया िै। गाँव में
साक्षारिा के प्रहि उदासीििा को चंपा के माध्यम से मुखठरि दकया गया िै। ग्रामीण जीवि का हचत्रण िै।
देशज शब्दावली युक्त सिज व सरल खिी बोली िै। अिुप्रास, पुिरुहक्तप्रकाश एवं प्रश्नालंकारों का स्वाभाहवक
प्रयोग हुआ िै। लाक्षहणक एवं व्यंग्य प्रधाि संवाद शैली का मिोरम प्रयोग दकया गया िै।
वणयिात्मक प्रश्न

पाठ्यसामग्री-हिन्दी (आधार) कक्षा:ग्यारिवीं पृष्ठ 92 of 123


प्रश्न-1 चंपा िे ऐसा क्यों किा दक कलकिा पर बजर हगरे ?
उत्तर-चंपा ििीं चाििी दक उसका पहि उसे छोिकर किीं दूर मिािगर में पैसा कमािे के हलए जाए। कहव िे
उसे बिाया दक कलकिा बहुि दूर िै यिाँ लोग धि कमािे जािे िैं। चंपा पहि से हबछििा ििीं चाििी िै
इसहलए वि कलकिे का अहस्ित्व िी समाि कर देिा चाििी िै िादक उसका पहि उसके पास रिे। इसहलए
यि कििी िै दक कलकिे पर बजर हगरे ।
प्रश्न-2 चंपा को इस पर क्यों हवश्वास ििीं िोिा दक गाँधी बाबा िे पढ़िे-हलखिे की बाि किी िोगी?
उत्तर-चरपा के मि में यि बाि बैिी हुई िै दक हशहक्षि व्यहक्त रोजगार की िलाश में अपिा घर-बार छोिकर
शिरों में चला जािा िै। इस कारण से पठरवार टूटिे िैं। गांधी जी ग्रामीण जीवि को उन्नि बिािा चाििे थे।
ये लोगों को भलाई की बाि करिे थे। अिः वि गाँधी जी द्वारा पढ़िे-हलखिे की बाि कििे पर हवश्वास ििीं
करिी। इससे लोगों का भला ििीं िोिा। यि गांधी जी के हवश्वास के हवपरीि िै।
प्रश्न-3 कहव िे चंपा की दकि हवशेषिाओं का उल्लेख दकया िै?
उत्तर-चरपा एक छोटी बाहलका िै जो काले-काले अक्षरों को ििीं पिचाििी। कहव के अिुसार वि चंचल और
िटखट िै। ददिभर पशुओं को चरािे का काम करिी िै। वि बहुि शरारि करिी िै। उसे पढ़िा पसंद ििीं िै।
वि ििीं चाििी दक उसका पहि रोजगार दक िलाश में उससे दूर जाए। वि िगरीय संस्कृ हि को िि कर देिा
चाििी िै।
प्रश्न-4 आपके हवचार में चंपा में ऐसा क्यों किा िोगा दक मैं िो ििीं पढ़ूँगी?
उत्तर-चरपा का हवश्वास िै दक पढ़-हलखकर व्यहक्त अपिे पठरवार को छोिकर परदेश जाकर रििे लगिा िै।
इससे घर हबखर जािे िैं। हशहक्षि िोकर लोग चालाक, घमंर्ी व कपटी िो जािे िैं। वे पठरवार को भूल जािे
िैं। मिािगरों में जािे वाले लोगों के पठरवार हबछोि की पीिा सििे िैं। इसहलए उसिे किा िोगा दक वि
ििीं पढ़ेगी।
प्रश्न-5. इस कहविा में पूवी प्रदेशों की हस्त्रयों की दकस हवर्ंबिात्मक हस्थहि का वणयि हुआ िै
उत्तर-इस कहविा में पूवी प्रदेशों की हस्त्रयों की व्यथा को व्यक्त करिे का प्रयास दकया गया िै। रोजगार की
िलाश में युवक कलकत्ता जैसे बिे शिरों में जािे िैं और विीं के िोकर रि जािे िैं। पीछे उिकी हस्त्रयाँ व
पठरवार के लोग अके ले रि जािे िैं। हस्त्रयाँ अिपढ़ िोिी िैं, अिः वे पहि की हचट्ठी भी ििीं पढ़ पािी और ि
अपिा संदश
े भेज पािी िैं। उिका जीवि हपछिा रििा िै िथा वे पहि का हवयोग सिि करिे को हववश रििी
िैं।
प्रश्न-6 चंपा को क्या अचरज िोिा िै िथा क्यों?
उत्तर-चरपा पढ़िा-हलखिा ििीं जाििी िै। जब कहव पढ़िा शुरू करिा िै िो चरपा को िैरािी िोिी िै दक
इि अक्षरों से स्वर कै से हिकलिे िैं। वि अक्षर व ध्वहि के संबंध को समझ ििीं पािी। उसे ििीं पिा दक हलखे
अक्षर ध्वहि को व्यक्त करिे का िी एक रूप िै। हिरक्षर िोिे के कारण वि यि बाि समझ ििीं पािी।
प्रश्न-7 चंपा लेखक के पढ़िे-हलखिे को 'कागद गोदिा' क्यों कििी िै?
उत्तर-चंपा हिरक्षर िै। वि पढ़िे-हलखिे को व्यथय का कायय समझिी िै, इसहलए उसे लेखक का िमेशा पढ़िे-
हलखिे रििा अछछा ििीं लगिा। अपिी इसी मािहसकिा के कारण वि लेखक के पढ़िे-हलखिे को 'कागद
गोदिा' कििी िै।
प्रश्न-8 'िुम पढ़-हलखकर इििे झूिे िो' पंहक्त का आशय स्पि कीहजए।
उत्तर 'िुम पढ़-हलखकर इििे झूिे िो' प्रस्िुि पंहक्त के माध्यम से कहव हत्रलोचि िे हशहक्षि लोगों पर व्यंग्य
दकया िै। कहव िे इस पंहक्त के माध्यम से यि स्पि करिे का प्रयास दकया िै आधुहिक दौर में हशहक्षि लोगों में
छल-कपट, वैर-भाव िथा शोषण की मािहसकिा पैदा िो गई िै। अपिे हिहिि स्वाथों को पूरा करिे के हलए
हशहक्षि लोग िर प्रकार की िीहि अपिािे िैं।
प्रश्न-9 कहविा की िाहयका चंपा दकसका प्रहिहिहधत्व करिी िै?

पाठ्यसामग्री-हिन्दी (आधार) कक्षा:ग्यारिवीं पृष्ठ 93 of 123


उत्तर-कहविा की िाहयका चंपा देश की ग्रामीण हिरक्षर लिदकयों का प्रहिहिहधत्व करिी िै। ग्रामीण क्षेत्रों में
लिदकयाँ प्रायः उपेक्षा की हशकार िोिी िैं। उिकी पढ़ाई-हलखाई पर ध्याि ििीं ददया जािा िै। लिदकयाँ
पढ़ाई-हलखाई को हिरथयक समझकर पढ़िे का अवसर त्याग देिी िैं। वे अपिा पूरा जीवि घर-गृिस्थी के कामों
में लगा देिी िैं।
प्रश्न-10 लेखक चंपा को पढ़िे के हलए दकस प्रकार प्रेठरि करिा िै?
उत्तर-लेखक चंपा को पढ़िे के हलए प्रेठरि करिे हुए कििा िै दक पढ़ाई कठिि समय में काम आिी िै । गांधी
बाबा की भी यिी इछछा िै दक सभी लोग पढ़े-हलखें। साथ िी कहव चंपा को समझािा िै दक एक ि एक ददि
िुरिारी शादी िोगी और िुरिारा पहि रोजगार की िलाश में कलकत्ता जाएगा। िब उस समय वि पत्र के
माध्यम से िी अपिा संदश
े भेज सके गी और पहि के पत्र पढ़ सके गी, लेदकि ऐसा िो िभी िोगा, जब वि पढ़िा
सीख लेगी।
5. गजल-दुष्यंि कु मार
यि उिके गजल संग्रि साये में धूप से ली गई िै। गजल एक ऐसी हवधा िै, हजसमें सभी शेर अपिे-
आप में मुकहरमल और स्विंत्र िोिे िैं। उन्िें दकसी क्रम-व्यवस्था के ििि पढ़े जािे की दरकार ििीं रििी।
इसके बावजूद दो चीजें ऐसी िैं, जो इि शेरों को आपस में गूँथकर एक रचिा की शक्ल देिी िैं-एक, रूप के
स्िर पर िुक का हिवायि और दो, अंिवयस्िु के स्िर पर हमजाज का हिवायि। जैसा दक आप देखेंगे, यिाँ पिले
शेर की दोिों पंहक्तयों का िुक हमलिा िै और उसके बाद सभी शेरों की दूसरी पंहक्त में उस िुक का हिवायि
िोिा िै। आम िौर पर गजल के शेरों में कें द्रीय भाव का िोिा जरूरी ििीं िै लेदकि यिाँ पूरी गजल एक खास
मिःहस्थहि में हलखी गई जाि पििी िै। राजिीहि और समाज में जो कु छ चल रिा िै, उसे खाठरज करिे और
हवकल्प की िलाश को मान्यिा देिे का भाव एक िरि से इस गजल का कें द्रीय सूत्र बि गया िै। इस प्रकार
दुष्यंि की यि गजल बिंदी गजल का सुंदर िमूिा प्रस्िुि करिी िै।
कहविा का भावाथय या सारांश-कहव राजिेिाओं के झूिे वायदों पर व्यंग्य करिा िै दक जब चुिाव का दौर
आिा िै िो िेिागण िर घर को सुहवधाओं से पठरपूणय कर देिे का वायदा करिे िैं, परिु हस्थहि यि िै दक पूरे
शिर के हलए एक भी सुहवधा उपलब्ध ििीं िो पािी िै। कहव का माििा िै दक बिे-बिे पेिों के साये में भी
धूप लगिी िै अथायि् बिी-बिी योजिाओं के बाद भी वंहचि वगय वंहचि िी रि जािा िै। कहव इस िरि की
व्यवस्था को िमेशा के हलए छोिकर जािा िी िीक समझिा िै। वि उि लोगों के बजंदगी के सिर को आसाि
बिािा िै जो पठरहस्थहि के अिुसार स्वयं को बदल लेिे िैं, जो िमेशा संिोष धारण दकए हुए रििे िैं और
कभी भी अपिे िक के हलए आवाज ििीं उिािे। मिुष्य को खुदा ि हमले िो कोई बाि ििीं पर उसे अपिा
सपिा ििीं छोििा चाहिए। सत्ता में बैिे लोगों को हवश्वास िै दक आम आदमी कभी भी अपिे अहधकारों के
हलए आंदोलि करिे वाला या आवाज उिािे वाला ििीं िै। लेदकि कहव कहव चाििा िै दक उसकी आवाज में
असर पैदा िो और ये लोग अपिे िक के हलए लििे के हलए आगे बढ़ें। शासक या सत्ता में बैिे लोग कहव
(शायर) की आवाज को दबािे की कोहशश करिे िैं, क्योंदक वि उसकी सत्ता को चुिौिी देिा िै। कहव गजल
के अंि में कििा िै दक या िो िम अपिे अहधकारों या सुहवधाओं को प्राि करिे हुए सुखपूवयक रिें या दिर इि
अहधकारों को प्राि करिे के हलए लिाई करिे हुए मार जाएं।
यिाँ गजल में हचराग, कमीज, खुदा, गुलमोिर आदद शब्द अपिे अहधकार और सुख-सुहवधाओं के
प्रिीक के रूप में प्रयुक्त हुए िैं।
प्रश्न-1 गजल के आहखरी शेर में गुलमोिर की चचाय हुई िै। क्या उसका आशय एक खास िरि के िू लदार वृक्ष
से िै या उसमें कोई सांकेहिक अथय हिहिि िै?
उत्तर-गजल के अंहिम शेर में गुलमोिर का शाहब्दक अथय िो एक खास िू लदार वृक्ष िी िै, परन्िु सांकेहिक
अथय उस हस्थहि से िै जिाँ सभी लोगों को उिके अहधकार या हिस्से के सुख एवं सुहवधाएं प्राि िोिे िैं और
बगीचे से भी िात्पयय ऐसी व्यवस्था से िै जो प्रत्येक व्यहक्त को उसके हिस्से के सुख और सुहवधाएं देिे में सक्षम
िो।

पाठ्यसामग्री-हिन्दी (आधार) कक्षा:ग्यारिवीं पृष्ठ 94 of 123


प्रश्न-2 पिले शेर में 'हचराग' शब्द एक बार बिवचि में आया िै और दूसरी बार एकवचि में। अथय एवं काव्य-
सौंदयय की दृहि से इसका क्या मित्व िै?
उत्तर-पिले शेर में पिले 'हचराग' शब्द का बिवचि 'हचरागाँ' का प्रयोग िआ िै। इसका प्रिीकात्मक अथय िै,
ढेर सारी सुख-सुहवधाएँ उपलब्ध करवािा। दूसरी बार यि एकवचि में प्रयुक्त िआ िै। इसमें इसका अथय िै-
थोिी सी भी सुहवधाएँ हमलिा। दोिों का अपिा मित्व िै। बिवचि के रूप में यि िेिाओं के झूिे वादों की
ओर संकेि करिा िै, जबदक दूसरा रूप यथाथय को दशायिा िै। यिाँ यि भाव िै दक पूरी सुख-सुहवधाएं िो
हमलिा दूर की बाि िै यिाँ िो थोिी भी प्राि ििीं िो पा रिी िैं।
प्रश्न-3 “ये लोग दकििे मुिाहसब िैं इस सिर के हलए”-यिाँ दुष्यंि का इशारा दकस िरि के लोगों की ओर िै?
उत्तर-इस शेर में उि लोगों की ओर इशारा दकया गया िै जो अभावग्रस्ि िै वे अपिे अहधकारों के हलए आवाज
ििीं उिािे और अपिे हिस्से की सुख-सुहवधाओं को प्राि करिे के हलए वियमाि व्यवस्था का हवरोध ििीं
करिे। जो कु छ इन्िें हमल जाए, ये लोग उसी में संिुि िो जािे िैं। इस प्रकार की गूंगी-बािरी व्यवस्थाओं के
हलए ये लोग बहुि अछछे िोिे िैं क्योंदक इिसे उन्िें कोई खिरा ििीं िोिा।
प्रश्न-4 आशय स्पि करें –
िेरा हिजाम िै हसल दे जबाि शायर की,
ये एिहियाि जरूरी िै इस बिर के हलए।
उत्तर-इसमें कहव िे रचिाकारों और शासकों के संबंध के बारे में बिाया िै। शायर सत्ता के हखलाि लोगों को
जागरूक करिा िै। इससे सत्ता में बैिे शासकों को क्रांहि का खिरा रििा िै। वे स्वयं को बचािे के हलए शायरों
की जबाि अथायि् कहविाओं पर प्रहिबंध लगा सकिे िैं। जैसे छंद के हलए बंधि की सावधािी जरूरी िोिी िै,
उसी िरि शासकों को भी अपिी सत्ता कायम रखिे के हलए रचिाकारों की आवाज दबािा जरूरी िै। अप्रत्यक्ष
रूप से कहव सत्ता में बैिे लोगों को चुिौिी दे रिा िै।
5. िे भूख! मि मचल, िे मेरे जूिी के िू ल जैसे ईश्वर-अक्क मिादेवी
जीवि पठरचय - अक्क मिादेवी शैव आंदोलि से जुिी एक मित्वपूणय कवहयत्री थीं। इिका जन्म किायटक के
उर्ु िरी गाँव हजला-हशवमोगा में 12वीं सदी में हुआ। इिके आराध्य चन्नमहल्लकाजुयि देव अथायि् भगवाि
हशव थे। अक्क के साथ बिी संख्या में हस्त्रयाँ शैव आदोलि से जुिीं हजिमें अहधकिर हिचले िबकों से थीं और
अपिे संघषय व याििा को कहविा के रूप में अहभव्यहक्त दी। इस प्रकार अक्क मिादेवी की कहविा पूरे
भारिीय साहित्य में क्रांहिकारी चेििा का पिला सजयिात्मक दस्िावेज िैं और संपूणय स्त्रीवादी आंदोलि के
हलए एक अजस्व प्रेरणास्रोि भी।
रचिाएँ- इिकी रचिा बिंदी में 'वचि- सौरभ' के िाम से िथा अंग्रेजी में स्पीककं ग ऑि हशवा (सं.- ए. के .
रामािुजि) के िाम से िै।
सारांश-अक्क मिादेवी द्वारा रहचि दो वचि पाठ्यक्रम में हलए गए िैं। दोिों वचिों का अंग्रेजी से हिन्दी अिुवाद
के दारिाथ बसंि िे दकया िै।
प्रथम वचि में इंदद्रयों पर हियंत्रण का संदश
े ददया गया िै। यि उपदेशात्मक ि िोकर प्रेम-भरा
मिुिार िै। वे चाििी दक मिुष्य को अपिी भूख प्यास, िींद आदद वृहत्तयों व क्रोध, मोि, लोभ, अिम, ईष्याय
आदद भावों पर हवजय प्राि करिी चाहिए। वि लोगों को समझािी िैं दक इंदद्रयों को वश में करिे से िी हशव
की प्राहि संभव िै।
दूसरे वचि में एक भक्त का ईश्वर के प्रहि पूणय समपयण िै। चन्नमहल्लकाजुयि की अिन्य भक्त अक्क
मिादेवी उिकी अिुकंपा के हलए िर भौहिक वस्िु से अपिी झोली खाली रखिा चाििी िैं। वे ऐसी हिस्पृि
हस्थहि की कामिा करिी िैं हजससे उिका स्व या अिंकार पूरी िरि से िि िो जाए। वि ईश्वर को जूिी के
िू ल के समाि बिािी िैं और कामिा करिी िैं दक ईश्वर उिसे ऐसे काम करवाए हजिसे उसका अिंकार समाि

पाठ्यसामग्री-हिन्दी (आधार) कक्षा:ग्यारिवीं पृष्ठ 95 of 123


िो जाए। जब कोई उसे कु छ देिा चािे िो वि हगर जाए और उसे कोई कु त्ता छीिकर ले जाए। कवहयत्री का
एकमात्र लक्ष्य अपिे परमात्मा की प्राहि िै।
हवशेष-कवहयत्री िे प्रभु-भहक्त के हलए इंदद्रयों के हियंत्रण पर बल ददया िै। भावों एवं वृहत्तयों को मािवीय
पात्रों के समाि प्रस्िुि दकया गया िै। शांि रस एवं भहक्त रस का पठरपाक हुआ िै। अिुप्रास, मािवीकरण,
उपमा एवं उदािरण अलंकारों की छटा दशयिीय िै। पदों की रचिा मूलिः कन्नि भाषा में िै। दकन्िु यिाँ इसका
हिन्दी अिुवाद िै। पदों में संबोधि एवं उपदेशात्मकिा शैली का प्रयोग दकया गया िै। प्रसाद गुण संपन्न
खिीबोली के माध्यम से सिज अहभव्यहक्त हुई िै।
प्रश्न-1 ‘लक्ष्य प्राहि में इंदद्रयाँ बाधक िोिी िैं इसके संदभय में अपिे िकय दीहजए।
उत्तर-ज्ञािेंदद्रयाँ मािव शरीर का मित्त्वपूणय अंग िैं जो अिुभव का साधि िैं। यदद िमारा लक्ष्य ईश्वर प्राहि
िै िो यि एक ऐसी साधिा के समाि िै हजसमें इंदद्रयाँ बाधक िैं। इस समय भूख, प्यास, लालसा, कामिा,
प्रेम आदद का अिुभव िमें लक्ष्य से भटका देिा िै। इि सबका अिुभव इंदद्रयाँ करवािी िैं।
प्रश्न-2 ‘ओ चराचर! मि चूक अवसर' इस पंहक्त का आशय स्पि कीहजए।
उत्तर-इस पंहक्त में अक्क मिादेवी का कििा िै दक प्राहणयों िे जो जीवि प्राि दकया िै, उसे यदद वे हशव की
भहक्त में लगाएँ िो उिका कल्याण िो जाएगा। समय बीि जािे के बाद कु छ ििीं हमलिा। जीव इंदद्रयों के वश
में िोकर सांसाठरक मोि-माया में उलझा रििा िै। वि इि चक्करों में उलझा रिा िो ईश्वर प्राहि का अवसर
चूक जाएगा।
प्रश्न-3 ईश्वर के हलए दकस दृिांि का प्रयोग दकया गया िै? ईश्वर और उसके सारय का आधार बिाइए।
उत्तर-अक्क मिादेवी िे दूसरे वचि में ईश्वर को जूिी के िू ल के समाि बिाया िै। इि दोिों में सारय का आधार
यि िै दक हजस प्रकार जूिी का िू ल श्वेि, साहत्वक, कोमल और सुगंधयुक्त िै, उसी प्रकार ईश्वर भी साहत्वक
और कोमल हृदय वाला िै। हजस प्रकार जूिी का पुष्प अपिी सुगंध हबखेरिे में भेदभाव ििीं करिा, उसी
प्रकार ईश्वर भी सब पर अपिी कृ पा समाि रूप से बरसािे िैं।
प्रश्न-4 अपिा घर से क्या िात्पयय िै? इसे भूलिे की बाि क्यों किी गई िै?
उत्तर-‘अपिा घर' से िात्पयय िै-मोिमाया से युक्त जीवि। व्यहक्त इस घर में सभी से लगाव मिसूस करिा िै।
वि इसे बिािे व बचािे के हलए हिन्यािवे के िे र में पिा रििा िै। कवहयत्री इसे भूलिे की बाि कििी िै,
क्योंदक घर की मोि-ममिा के साथ ईश्वर भहक्त ििीं की जा सकिी। घर का मोि छू टिे के बाद िर संबंध
समाि िो जािा िै और मिुष्य एकाग्रहचि िोकर भगवाि में ध्याि लगा सकिा िै।
प्रश्न-5 दूसरे वचि में ईश्वर से क्या कामिा की गई िै और क्यों?
उत्तर-दूसरे वचि में अक्क मिादेवी ईश्वर से कििी िैं दक मुझसे भीख मँगवाओ। मेरी यि दशा कर दो दक भीख
में हमली वस्िु भी िाथ से हगर जाए और कु त्ता उसे झपट कर खा जाए। यि सब कामिा करिे के पीछे कवहयत्री
की स्वयं के अिंकार को शून्य बिािे की बाि हछपी िै। संसार द्वारा उपेहक्षि और हिरस्कृ ि व्यविार से िम
ईश्वर की अिन्य भहक्त की ओर प्रवृत्त िोिे िैं।
प्रश्न 6 ‘झोली िै लाऊँ और ि हमले भीख’ पंहक्त के माध्यम से कवहयत्री क्या कििा चाििी िै?
उत्तर – इस पंहक्त के माध्यम से कवहयत्री ईश्वर से यि प्राथयिा करिी िै दक यदद वि अपिा अिं त्यागकर भीख
माँग रिी िो और अगर उसमें अिंकार का थोिा-सा भी अंश शेष िो िो उसे भीख ि हमले। कवहयत्री इसके
माध्यम से यि कििा चाििी िै दक जब िक मेरे भीिर से अिंकार का भाव पूणयरूप से समाि ििीं िो जािा,
िब िक िुम ऐसी पठरहस्थहियों का हिमायण करिा हजिमें मेरा अिं समाि िो।

8. सबसे खिरिाक-अविार बसंि संधू 'पाश'

पाठ्यसामग्री-हिन्दी (आधार) कक्षा:ग्यारिवीं पृष्ठ 96 of 123


जीवि पठरचय - कहव 'पाश' का मूल िाम अविार बसंि संधू िै। इिका जन्म 1950 ई. में पंजाब राज्य
के जालंधर हजले के िलवंर्ी सलेम गाँव में हुआ। इिका संबंध मध्यवगीय दकसाि पठरवार से था। इस
कारण इिकी स्नािक िक की हशक्षा अहियहमि िरीके से हुई। इन्िोंिे जिचेििा िै लािे के हलए अिेक
साहिहत्यकसांस्कृ हिक काययक्रमों का आयोजि दकया और हसआि िेमज्योहि, िॉक, एंटी-47 जैसी
पहत्रकाओं का संपादि दकया। ये कु छ समय िक अमेठरका में रिे। इिकी मृत्यु 1988 ई. में हुई।
रचिाएँ- इिकी रचिाएँ हिम्नहलहखि िैं-लौि कथा, उिदें बाजां मगर, सार्ै सहमया हबच, लिेंगे साथी
(पंजाबी) बीच का रास्िा ििीं िोिा, लह िै दक िब भी गािा िै (बिंदी अिुवाद)
सारांश-सबसे खिरिाक कहविा पंजाबी भाषा से अिूददि िै। यि ददिोंददि अहधकाहधक िृशंस और क्रूर िोिी
जा रिी दुहिया की हवदूपिाओं के हचत्रण के साथ उस खौििाक हस्थहि की ओर इशारा करिी िै जिाँ
प्रहिकू लिाओं से जूझिे के संकल्प क्षीण पििे जा रिे िैं। पथरायी आँखों-सी िटस्थिा से कहव की असिमहि
िै। कहव इस प्रहिकू लिा की िरि हवशेष संकेि करिा िै जिाँ आत्मा के सवाल बेमािी िो जािे िैं। जि
हस्थहियों को बदलिे की प्यास के मर जािे और बेििर भहवष्य के सपिों के गुम िो जािे को कहव सबसे
खिरिाक हस्थहि माििा िै।
कहव का माििा िै दक मेििि की लूट, पुहलस की मार, गद्दारी-लोभ की मुट्ठी इत्यादद खिरिाक
हस्थहियाँ िो िैं, परंिु अन्य बािों से कम खिरिाक िैं। हबिा कारण पकिे जािा, कपट के वािावरण में सच्ची
बाि का गुम िोिा या हववशिावश समय गुजार लेिा या गरीबी में ददि काटिा आदद बुरी दशाएँ िैं, परंिु
खिरिाक ििीं िैं। कहव कििा िै दक सबसे खिरिाक वि हस्थहि िै जब व्यहक्त में मुदों जैसी शांहि भर जािी
िै। ऐसी हस्थहि में व्यहक्त की हवरोध-शहक्त समाि िो जािी िै। जब व्यहक्त बँध-े बँधाए ढरे पर चलिा िै िो
उसके सपिे समाि िो जािे िैं। समय की गहि का रुकिा भी खिरिाक दशा िै, क्योंदक व्यहक्त समय के अिुसार
बदल ििीं पािा िै।
मिुष्य की संवेदिशून्यिा भी खिरिाक िै। अन्याय के प्रहि हवद्रोि की भाविा समाि िोिा भी गलि िै। जब
गीि भी मरहसए पढ़कर सुिाया जािे लगे और गुंर्े आिंदकि व्यहक्तयों के दरवाजों पर अकि ददखाए िो वि
भी खिरिाक िोिा िै। उल्लू व गीदिों की आवाज युक्त राि भी खिरिाक िै। कहव कििा िै दक जब मिुष्य
आत्मा की आवाज को अिसुिा कर देिा िै और वि संवेदिशून्य िो जािा िै िब सबसे खिरिाक हस्थहि िोिी
िै। उक्त हस्थहियों की िुलिा में मेििि की लूट, पुहलस की मार, गद्दारी व लोभ की दशा अहधक खिरिाक
ििीं िै।
हवशेष-कहव िे 'सबसे खिरिाक' हस्थहि को स्पि करिे के हलए हवशेष रीहि का हिवायि दकया िै। संवेदििीििा,
हिराशा एवं हिहष्क्रयिा को सबसे खिरिाक बिाया गया िै। पठरहस्थहियों की भयावििा के सिारे सबसे
खिरिाक दशाओं को स्पि दकया गया िै। प्रिीकात्मक एवं हबरबात्मक शब्दों के प्रयोग में िवीििा िै। अिुप्रास,
उपमा, रूपक एवं मािवीकरण अलंकारों का प्रयोग दशयिीय िै। कथि में जोश व आवेश िोिे के कारण ओज
गुण हवद्यमाि िै। छंद मुक्त काव्य-शैली में भावों की सुंदर अहभव्यहक्त हुई िै। ित्सम-िद्भव शब्दों से युक्त
प्रवािपूणय सिज सरल खिी बोली का प्रयोग दकया गया िै।
प्रश्न 1 ‘सबसे खिरिाक’ कहविा का प्रहिपाद्य हलहखए।
उत्तर – प्रस्िुि कहविा प्रहिददि क्रूर व हिदययी िोिी जा रिी दुहिया की हवद्रूपिाओं के हचत्रण के साथ उस
खिरिाक हस्थहि की ओर संकेि करिी िै, जिाँ हवपरीि पठरहस्थहियों से जूझिे के संकल्प क्षीण पििे जा रिे
िैं। कहव ऐसी िी पठरहस्थहियों की िरि हवशेष संकेि करिा िै,जिाँ आत्मा के सवाल बेमािी िो जािे िैं। जि
हस्थहियों को बदलिे की प्यास के मर जािे और बेििर भहवष्य के सपिों के खो जािे को कहव िे सबसे
खिरिाक हस्थहि मािा िै।
प्रश्न-2 मेििि की लूट, पुहलस की मार, गद्दारी-लोभ को कहव िे सबसे खिरिाक क्यों ििीं मािा?

पाठ्यसामग्री-हिन्दी (आधार) कक्षा:ग्यारिवीं पृष्ठ 97 of 123


उत्तर-कहव िे मेििि की लूट, पुहलस की मार, गद्दारी लोभ को सबसे खिरिाक ििीं मािा क्योंदक इि सब
हस्थहियों में आशा व उरमीद की दकरण बची रििी िै। इिका प्रभाव सीहमि िोिा िै। इि दक्रयाओं में
प्रहिरोधक क्षमिा बिी रििी िै। इि हस्थहियों को कभी भी बदला जा सकिा िै।
प्रश्न-3 'सबसे खिरिाक' शब्द के बार-बार दोिराए जािे से कहविा में क्या असर पैदा हुआ?
उत्तर-'सबसे खिरिाक' शब्द के बार-बार दोिराए जािे से पािकों का ध्याि खिरिाक बािों की िरि अहधक
आकर्षयि िोिा िै। वे समाज की हस्थहियों पर गंभीरिा से हवचार करिे िैं। यि शब्द उस भयंकरिा की ओर
संकेि करिा िै जो समाज को हिजीव बिा रिी िै। इसके बार-बार प्रयोग से कथ्य प्रभावशाली ढंग से व्यक्त
हुआ िै।
प्रश्न-4 कहव िे कहविा में कई बािों को 'बुरा िै' ि किकर 'बुरा िो िै' किा िै। 'िो' के प्रयोग से कथि की
भंहगमा में क्या बदलाव आया िै, स्पि कीहजए।
उत्तर-कहव िे बैिे हबिाए पकिे जािा, सिमी चुप में जकर्े जािे, कपट के शोर में सिी िोिे हुए भी दब जािे
आदद को बुरा िो िै किा िै। 'बुरा' शब्द प्रत्यक्ष आरोप लगािा िै, परं िु 'िो' लगािे से सारा जोर 'िो' पर चला
जािा िै। इसका अथय िै दक हस्थहियाँ खराब अवश्य िै, परं िु उिमें सुधार की गुंजाइश िै। साथ िी, यि
चेिाविी भी देिा िै दक अगर इन्िें ििीं सुधारा गया िो भहवष्य में िालाि और हबगिेंगे।
प्रश्न-5 'मुदाय शांहि से भर जािा और िमारे सपिों का मर जािा इिको सबसे खिरिाक मािा गया िै। आपकी
दृहि में इि बािों में परस्पर क्या संगहि िै और ये क्यों सबसे खिरिाक िै?
उत्तर-'मुदाय शांहि से भर जािा ' का अथय िै-हिहष्क्रय िोिा, जि िो जािा या प्रहिदक्रया शून्य िो जािा। ऐसी
हस्थहि बहुि खिरिाक िै। ऐसा व्यहक्त सामाहजक अन्याय के हखलाि संघषय ििीं कर पािा। उसके मि में
दकसी िरि की कोई प्रहिदक्रया ििीं िोिी। वि जीहवि िोिे हुए भी मृि के समाि िोिा िै। िमारे सपिों का
मर जािा' का अथय िै-कु छ करिे की इछछा समाि िोिा। मिुष्य कल्पिा करके िी िए-िए कायय करिा िै िथा
हवकहसि िोिा िै। सपिों के मर जािे से िम यथाहस्थहि को स्वीकार करके हस्थर एवं हवचारशून्य िो जािे िैं।
प्रश्न-6 सबसे खिरिाक वि घिी िोिी िै / अपिी कलाई पर चलिी हुई भी जो आपकी हिगाि में रुकी िोिी
िै। इि पंहक्तयों में 'घिी' शब्द की व्यंजिा से अवगि कराइए।
उत्तर-'घिी' शब्द के दो अथय हमलिे िैं। पिला अथय जीवि से जुिा हुआ िै। जीवि घिी की िरि चलिा रििा
िै। वि कभी ििीं रुकिा। मिुष्य की चाि समाि िोिे पर िी वि जि िो जािा िै। दूसरा अथय िै-ददिचयाय
यदद व्यहक्त समय के अिुसार स्वयं को बाँध लेिा िै िो वि यांहत्रक िो जािा िै। वि ढरे पर चलिा िै। उसके
जीवि में िया कु छ करिे का अवकाश ििीं िोिा।
प्रश्न-7 वि चाँद सबसे खिरिाक क्यों िोिा िै, जो िर ित्याकांर् के बाद आपकी आँखों में हमचों की िरि ििीं
गििा िै?
उत्तर-'चाँद' सौंदयय का प्रिीक िै, परं िु ित्याकांर् के बाद कोई प्राणी सौंदयय की कल्पिा ििीं कर सकिा। ित्या
िोिे पर आम व्यहक्त के मि में आक्रोश उत्पन्न िोिा िै। ऐसी हस्थहि में मिुष्य को चाँद आिंद प्रदाि करिे
वाला ििीं लगिा। यदद लोग ऐसी हस्थहि में आिंद लेिे की कोहशश करिे िैं िो यि संवद े िशून्यिा वास्िव में
खिरिाक िै।
प्रश्न-8 कहव िे 'मेििि की लूट सबसे खिरिाक ििीं िोिी', से कहविा का आरं भ करके दिर इसी से अंि क्यों
दकया िोगा?
उत्तर-कहव िे 'मेििि की लूट सबसे खिरिाक ििीं िोिी ' से कहविा का आरं भ करके इसी पर अंि दकया
क्योंदक कहव का ध्येय 'खिरिाक' व 'सबसे खिरिाक' हस्थहियों में अंिर बिािा िै। कु छ हस्थहियाँ खिरिाक

पाठ्यसामग्री-हिन्दी (आधार) कक्षा:ग्यारिवीं पृष्ठ 98 of 123


िोिी िैं, परंिु उन्िें सुधारा जा सकिा िै कु छ दशाएँ कहव िे बिाई िैं। यदद वे समाज में आ जािी िैं िो
मािविा पर िी प्रश्न हचह्ि लग जािा िै। ऐसी हस्थहियों से समाज को बचिा चाहिए।

8. आओ हमलकर बचाएँ-हिमयला पुिल



• जन्म: सि् 1972 में झारखंर् राज्य के दुमका क्षेत्र में एक आददवासी पठरवार में।
• रचिाएँ-िगािे की िरि बजिे शब्द, अपिे घर की िलाश में।
• इिके हपिा व चाचा हशक्षक थे, घर में हशक्षा का मािौल था इिका संथाली समाज और उसके रागबोध
से गिरा जुिाव पिले से था, िर्सयग की हशक्षा के समय बािर की दुहिया से भी पठरचय हुआ।
• साहिहत्यक पठरचय-कवहयत्री िे आददवासी समाज के सकारात्मक और िकारात्मक दोिों पक्षों को
उजागर दकया िै। इिकी कहविाओं का कें द्र बबंद ु वे हस्थहियाँ िैं, हजिमें किी मेििि के बावजूद खराब
दशा, कु रीहियों के कारण हबगििी पीढ़ी, थोिे लाभ के हलए बिे समझौिे, पुरुष वचयस्व, स्वाथय के
हलए पयायवरण की िाहि, हशहक्षि समाज का ददक्कु ओं और व्यवसाहययों के िाथों की किपुिली बििा
आदद िै।
कहविा का सारांश
वे आददवासी जीवि के कु छ अिछु ए पिलुओं से कलात्मकिा के साथ िमारा पठरचय करािी िैं और
संथाली समाज के सकारात्मक व िकारात्मक दोिों पिलुओं को बेबाकी से सामिे रखिी िैं। संथाली समाज
में जिाँ एक ओर सादगी, भोलापि, प्रकृ हि से जुिाव और किोर पठरश्रम करिे की क्षमिा जैसे सकारात्मक
ित्व िैं, विीं दूसरी ओर उसमें अहशक्षा, कु रीहियाँ और शराब की ओर बढ़िा झुकाव जैसे िकारात्मक पक्ष भी
िैं। यि कहविा समाज में उि चीजों को बचािे की बाि करिी िै हजिका िोिा स्वस्थ सामाहजक प्राकृ हिक
पठरवेश के हलए जरूरी िै। प्रकृ हि के हविाश और हवस्थापि के कारण आज आददवासी समाज संकट में िै, जो
कहविा का मूल स्वरूप िै। कवहयत्री को लगिा िै दक िम अपिी पारं पठरक भाषा, भावुकिा, भोलेपि, ग्रामीण
संस्कृ हि को भूलिे जा रिे िैं। प्राकृ हिक िददयाँ, पिाि, मैदाि, हमट्टी, िसल, िवाएँ-ये सब आधुहिकिा के
हशकार िो रिे िैं। आज के पठरवेश, में हवकार बढ़ रिे िैं, हजन्िें िमें हमटािा िै। िमें प्राचीि संस्कारों और
प्राकृ हिक उपादािों को बचािा िै। कवहयत्री कििी िै दक हिराश िोिे की जरूरि ििीं िै, क्योंदक अभी भी
बचािे के हलए बहुि कु छ शेष िै।
प्रश्न 1: ‘माटी का रं ग’ प्रयोग करिे हुए दकस बाि की ओर संकेि दकया गया िै?
उत्तर –संथाल क्षेत्र के लोगों को अपिी मूल पिचाि को ििीं भूलिा चाहिए। वि इस क्षेत्र की सांस्कृ हिक
हवशेषिाएँ बचाए रखिा चाििी िै।
प्रश्न2: भाषा में झारखंर्ीपि से क्या अहभप्राय िै?
उत्तर –इसका अहभप्राय िै-झारखंर् की भाषा की स्वाभाहवक बोली, उिका हवहशि उच्चारण। संथाली भाषा
की स्वाभाहवक हवशेषिाओं का बोली में प्रभाव।
प्रश्न3:ददल के भोलेपि के साथ-साथ अक्खिपि और जुझारूपि को भी बचािे की आवश्यकिा पर क्यों बल
ददया गया िै?
उत्तर – अक्खिपि-इसहलए दक आददवाहसयों का शोषण ि िो सके ।
- जुझारूपि-इसहलए दक हवपरीि पठरहस्थहियों का मुकाबला कर सकें । हिरमि ि िारें ।
प्रश्न 4:प्रस्िुि कहविा आददवासी समाज की दकि बुराइयों की ओर संकेि करिी िै?
उत्तर – यि कहविा अहशक्षा, कु रीहियाँ और शराब की ओर बढ़िा झुकाव आदद बुराइयों की ओर संकेि करिी
िै।

पाठ्यसामग्री-हिन्दी (आधार) कक्षा:ग्यारिवीं पृष्ठ 99 of 123


प्रश्न5:‘इस दौर में भी बचािे को बहुि कु छ बचा िै’-से क्या आशय िै?
उत्तर – कवहयत्री कििी िै दक िमारी समृद्ध परं परा में आज भी बहुि कु छ शेष िै। आओ िम उसे हमलकर
बचा लें। यिी इस समय की माँग िै। लोगों का हवश्वास, उिकी टूटिी उरमीदों को जीहवि करिा, सपिों को
पूरा करिा आदद को सामूहिक प्रयासों से बचाया जा सकिा िै।
प्रश्न 6:हिम्नहलहखि पंहक्तयों के काव्य-सौंदयय को उद्घाठटि कीहजए।
(क) िं र्ी िोिी ददिचयाय में जीवि की गमायिट
(ख) थोिा-सा हवश्वास
थोर्ी-सी उरमीद
थोिे-से सपिे
आओ, हमलकर बचाएँ।
उत्तर –
(क) इस पंहक्त में कवहयत्री िे किा िै दक आददवासी लोगों की ददिचयाय िं र्ी पि गई िै। आददवासी लोगों
में जीवि के प्रहि उत्साि का अभाव िो गया िै क्योंदक आददवासी लोग आददवासी जीवि के
सकारात्मक पक्ष को भूलकर शिरी जीवि को ज्यादा मित्त्व का समझिे लगा िै। िम अपिे प्रयासों
से उिके जीवि में उत्साि जगा सकिे िैं। यि काव्य पंहक्त लाक्षहणक िै इसका अथय िै-उत्साििीि
जीवि। ‘गमायिट’ उमंग, उत्साि और दक्रयाशीलिा का प्रिीक िै। इि प्रिीकों से अथय गांभीयय आया
िै। शांि रस हवद्यमाि िै। अिुकांि अहभव्यहक्त िै।
(ख) इस अंश में कवहयत्री अपिे प्रयासों से लोगों की उरमीदें, हवश्वास व सपिों को जीहवि रखिा चाििी
िै। वि सभी लोगों से हमलकर प्रयास करिे का आह्वाि करिी िै। उसका स्वर आशावादी िै। ‘थोिा-
सा’ ; ‘थोिी-सी’ व ‘थोिे-से’ िीिों प्रयोग एक िी अथय के वािक िैं। अि: अिुप्रास अलंकार िै। उदूय
(उरमीद) , संस्कृ ि (हवश्वास) िथा िद्भव (सपिे) शब्दों का हमला-जुला प्रयोग दकया गया िै। िुक,
छद और संगीि हविीि िोिे हुए कथ्य में आकषयण िै। खिी बोली का प्रयोग दशयिीय िै।
प्रश्न 7:बहस्ियों को शिर की दकस आबो-िवा से बचािे की आवश्यकिा िै?
उत्तर –शिरों में भाविात्मक जुिाव, सादगी, भोलापि, हवश्वास और हखलहखलािी हुई िँसी ििीं िै। इि
कहमयों से बहस्ियों को बचािा बहुि जरूरी िै। शिरों के प्रभाव में आकर िी ददिचयाय िं र्ी िोिी जा रिी िै
और जीवि की गमायिट घट रिी िै। जंगल कट रिे िैं और आददवासी लोग भी शिरी जीवि को अपिा रिे िैं।
बस्िी के आँगि भी हसकु ि रिे िैं। िाचिा-गािा, मस्िी भरी बजंदगी को शिरी प्रभाव से बचािा जरूरी िै।
प्रश्न 8:लेहखका के प्राकृ हिक पठरवेश के कौि-से सुखद अिुभव िैं?
उत्तर –लेहखका िे संथाल परगिे के प्राकृ हिक पठरवेश में हिम्नहलहखि सुखद अिुभव बिाए िैं-
1. जगल की िाजा िवा
2. िददयों का हिमयल जल
3. पिार्ीं की शांहि
4. गीिों की मधुर धुिें
5. हमट्टी की स्वाभाहवक सुगंध
6. लिलिािी िसलें कीहजए
प्रश्न 9:‘भीिर की आग’ से क्या िात्पयय िै?
उत्तर – इसका िात्पयय िै-आिठरक जोश व संघषय करिे की क्षमिा।
प्रश्न10:कवहयत्री िे आज के युग को कै सा बिाया िै?
उत्तर-कवहयत्री िे आज के युग को अहवश्वास से युक्त बिाया िै। आज कोई ए(क) दूसरे पर भरोसा ििीं करिा।

पाठ्यसामग्री-हिन्दी (आधार) कक्षा:ग्यारिवीं पृष्ठ 100 of 123


प्रश्न11:कवहयत्री का स्वर आशावादी िै या हिराशावादी?
उत्तर – कवहयत्री का स्वर आशावादी िै। वि जाििी िै दक आज घोर अहवश्वास का युग िै, दिर भी वि
आस्था व सपिों के जीहवि रखिे की आशा रखे हुए िै।
प्रश्न12:मि का िरापि से क्या िात्पयय िै?
उत्तर – ‘मि का िरापि’ से िात्पयय िै-मि की मधुरिा, सरसिा व उमंग।

प्रश्न-6 (1) गद्य-खंर् पर आधाठरि लघुत्तर प्रश्न


1. िमक का दारोगा-मुश
ं ी प्रेमचंद
लेखक पठरचय-प्रेमचंद का जन्म 31 जुलाई 1880 को वाराणसी हजले (उत्तर प्रदेश) के लमिी गाँव में एक
कायस्थ पठरवार में हुआ था। उिकी मािा का िाम आिन्दी देवी िथा हपिा का िाम मुंशी अजायबराय था जो
लमिी में र्ाकमुंशी थे
पाि का सार-िमक का दरोगा प्रेमचंद द्वारा रहचि लघु कथा िै। इसमें एक ईमािदार िमक हिरीक्षक की
किािी को बिाया गया िै हजसिे कालाबाजारी के हवरुद्ध आवाज उिाई। यि किािी धि के ऊपर धमय के
जीि की िै। किािी में मािव मूल्यों का आदशय रूप ददखाया गया िै और उसे सरमाहिि भी दकया गया िै।
सत्यहिष्ठा, धमयहिष्ठा और कमयपरायणिा को हवश्व के दुलयभ गुणों में बिाया गया िै। अन्ि में यि हशक्षा दी गयी
िै दक एक बेइमाि स्वामी को भी एक ईमािदार कमयचारी की िलाश रििी िै।
किािी आजादी से पिले की िै। िमक का िया हवभाग बिा। हवभाग में ऊपरी कमाई बहुि ज्यादा
थी इसहलए सभी व्यहक्त इस हवभाग में काम करिे को उत्सुक थे। उस दौर में िारसी का बोलबाला था और
उच्च ज्ञाि के बजाय के वल िारसी में प्रेम की कथाएँ और शृंगार रस के काव्य पढ़कर िी लोग उच्च पदों पर
पहुँच जािे थे। मुंशी वंशीधर िे भी िारसी पढ़ी और रोजगार की खोज में हिकल पिे। उिके घर की आर्थयक
दशा खराब थी। उिके हपिा िे घर से हिकलिे समय उन्िें बहुि समझाया, हजसका सार यि था दक ऐसी
िौकरी करिा हजसमें ऊपरी कमाई िो और आदमी िथा अवसर देखकर घूस जरूर लेिा।वंशीधर हपिा से
आशीवायद लेकर िौकरी की िलाश में हिकल जािे िैं। भाग्य से िमक हवभाग के दारोग पद की िौकरी हमल
जािी िै हजसमें वेिि अछछा था साथ िी ऊपरी कमाई भी ज्यादा थी। यि खबर जब हपिा को पिा चली िो
वि बहुि खुश हुए। मुंशी वंशीधर िे छः मिीिे में अपिी काययकुशलिा और अछछे आचरण से सभी अहधकाठरयों
को मोहिि कर हलया।
जािे के समय एक राि वंशीधर अपिे दफ़्िर में सो रिे थे। उिके दफ़्िर से एक मील पिले जमुिा
िदी थी हजसपर िावों का पुल बिा हुआ था। गाहियों की आवाज और मल्लािों की कोलािल से उिकी िींद
खुली। बंदक
ू जेब में रखा और घोिे पर बैिकर पुल पर पहुँचे विाँ गाहियों की एक लंबी किार पुल पार कर
रिी थीं। उन्िोंिे पूछा दकसकी गाहियाँ िैं िो पिा चला, पंहर्ि अलोपीदीि की िैं। मुश
ं ी वंशीधर चौंक पिे।
पंहर्ि अलोपीदीि इलाके के सबसे प्रहिहष्ठि जमींदार थे। लाखों रुपयों का व्यापार था। वंशीधर िे जब जाँच
दकया िब पिा चला दक गाहियों में िमक के ढेले के बोरे िैं। उन्िोंिे गाहियाँ रोक लीं। पंहर्िजी को यि बाि
पिा चली िो वि अपिे धि पर हवश्वास दकए वंशीधर के पास पहुँचे और उिसे गाहियों के रोकिे के बारे में
पूछा। पंहर्िजी िे वंशीधर को ठरश्वि देकर गाहियों को छोििे को किा परन्िु वंशीधर अपिे कियव्य पर अहर्ग
रिे और पंहर्िजी को हगरफ़्िार करिे का हुक्म दे ददया। पंहर्िजी आिययचदकि रि गए। पंहर्िजी िे ठरश्वि
को बढ़ाया भी परन्िु वंशीधर ििीं मािे और पंहर्िजी को हगरफ्िार कर हलया गया।

पाठ्यसामग्री-हिन्दी (आधार) कक्षा:ग्यारिवीं पृष्ठ 101 of 123


अगले ददि यि खबर िर िरि िै ली गयी। पंहर्ि अलोपीदीि के िाथों में िथकहियाँ र्ालकर अदालि
में लाया गया। हृदय में ग्लाहि और क्षोभ और लज्जा से उिकी गदयि झुकी हुई थी। सभी लोग चदकि थे दक
पंहर्िजी कािूि की पकि में कै से आ गए। सारे वकील और गवाि पंहर्िजी के पक्ष में थे , वंशीधर के पास
के वल सत्य का बल था। न्याय की अदालि में पक्षपाि चल रिा था। मुकदमा िुरन्ि समाि िो गया। पंहर्ि
अलोपीदीि को सबूि के अभाव में ठरिा कर ददया गया। वंशीधर के उद्दण्र्िा और हवचारिीििा के बिायव पर
अदालि िे दुःख जिाया हजसके कारण एक अछछे व्यहक्त को कि झेलिा पिा। भहवष्य में उसे अहधक िोहशयार
रििे को किा गया। पंहर्ि अलोपीदीि मुस्करािे हुए बािर हिकले। रुपये बाँटे गए। वंशीधर को व्यंग्यबाणों
को सििा पिा। एक सिाि के अंदर कियव्यहिष्ठा का दंर् हमला और िौकरी से िटा ददया गया। पराहजि हृदय,
शोक और खेद से व्यहथि अपिे घर की ओर चल पिे। घर पहुँचे िो हपिाजी िे किवीं बािें सुिाई। वृद्धा मािा
को भी दुःख हुआ। पत्नी िे कई ददिों िक सीधे मुँि िक बाि ििीं की। एक सिाि बीि गया। संध्या का समय
था। वंशीधर के हपिा राम-िाम की माला जप रिे थे। िभी विाँ एक सजा हुआ एक रथ आकर रुका। हपिा िे
देखा पंहर्ि अलोपीदीि िैं। झुककर उन्िें दंर्वि दकया और चापलूसी भरी बािें करिे लगे, साथ िी अपिे बेटे
को कोसा भी। पंहर्िजी िे बिाया दक उन्िोंिे कई रईसों और अहधकाठरयों को देखा और सबको अपिे धिबल
का गुलाम बिाया। ऐसा पिली बार हुआ जब कोई व्यहक्त िे अपिी कियव्यहिष्ठा द्वारा उन्िें िराया िो। वंशीधर
िे जब पंहर्िजी को देखा िो स्वाहभमाि सहिि उिका सत्कार दकया। उन्िें लगा की पंहर्िजी उन्िें लहज्जि
करिे आए िैं। परन्िु पंहर्िजी की बािें सुिकर उिके मि का मैल हमट गया और पंहर्िजी की बािों को उिकी
उदारिा बिाया। उन्िोंिे पंहर्िजी को किा दक उिका जो हुक्म िोगा वे करिे को िैयार िैं। इस बाि पर
पंहर्िजी िे स्टारप लगा हुआ एक पत्र हिकला और उसे प्राथयिा स्वीकार करिे को बोला। वंशीधर िे जब
कागज पढ़ा िो उसमें पंहर्िजी िे वंशीधर को अपिी सारी जायदाद का स्थायी मैिज े र हियुक्त दकया था।
कृ िज्ञिा से वंशीधर की आँखों में आँसू आ गए और उन्िोंिे किा दक वे इस पद के योग्य ििीं िैं। इसपर पंहर्िजी
िे मुस्करािे हुए किा दक उन्िें अयोग्य व्यहक्त िी चाहिए। वंशीधर िे किा दक उिमें इििी बुहद्ध ििीं की वि
यि कायय कर सकें । पंहर्िजी िे वंशीधर को कलम देिे हुए किा दक उन्िें हवद्यवाि ििीं चाहिए बहल्क धमयहिष्ठ
व्यहक्त चाहिए। वंशीधर िे काँपिे हुए मैिजे री की कागज पर दस्िखि कर ददए। पंहर्ि अलोपीदीि िे वंशीधर
को ख़ुशी से गले लगा हलया।
1. 'पढ़िा-हलखिा सब अकारथ गया।' वृद्ध मुंशी जी िे यि वाक्य क्यों किा?
उत्तर: मुंशी जी के पुत्र वंशीधर िे िजारों रुपए की ठरश्वि लेिे से इंकार करके पंहर्ि अलोपीदीि को अपिी
हिरासि में ले हलया था था। यि बाि जब मुंशी जी को जाि पिी िो उन्िोंिे अपिे पुत्र को र्ांटिे के हलए किा
दक ' पढ़िा-हलखिा सब अकारथ गया ' अथायि पढ़िा और हलखिा सब व्यथय चला गया।
2. "िौकरी में औिदे दक ओर ध्याि मि देिा, यि िो पीर की मजार िै। हिगाि चढ़ावे और चादर पर रखिी
चाहिए।" यि बाि दकसके द्वारा किी गई िै, िथा इसका क्या अथय िै?
उत्तर: यि वाक्य मुंशी जी अपिे बेटे वंशीधर से कििे िैं। इस वाक्य का मिलब यि िै दक िौकरी के पद से
ठरश्वि और उपिारों का मूल्य अहधक िोिा िै। इसहलए पद से अहधक िौकरी ऐसी करिी चाहिए, हजसमें
ठरश्वि लेिे के अत्यहधक मौके प्राि िों।
3. राि में पुल से गुजर रिे वाििों की आवाज सुिकर वंशीधर के मि में क्या हवचार आया?
उत्तर: राि को सोिे वक्त वंशीधर को पुल से गुजर रिे वाििों दक गिगिािट सुिाई दी िो उन्िें कु छ आभास
हुआ। वंशीधर िे सोचा दक देर राि वािि कौि ले जाएगा? जरूर कु छ गलि िो रिा िै।
4. किािी में वृद्ध मुश
ं ी का पात्र कौि िै और कै सा िै?
उत्तर: किािी में मुंशी जी का पात्र वंशीधर के हपिा िै। वि अपिी पठरहस्थहि से बचंहिि िै, िथा अपिे पुत्र
की िौकरी के सिारे अपिे घर की पठरहस्थहि को सिी ददशा ददखािा चाििे िैं। उिके अिुसार िौकरी पर
ठरश्वि लेिे में कोई बुराई ििीं िै। इसहलए वि अपिे बेटे वंशीधर को बेईमाि बििे की हशक्षा देिे िै।

पाठ्यसामग्री-हिन्दी (आधार) कक्षा:ग्यारिवीं पृष्ठ 102 of 123


5. वंशीधर िे जब पंहर्ि अलोपीदीि को हिरासि में हलया िो आस-पास के क्षेत्रों के लोगों दक क्या प्रहिदक्रया
थी?
उत्तर: वंशीधर िे जब पंहर्ि अलोपीदीि को हिरासि में हलया िो रािों-राि यि समाचार सारे क्षेत्र में िै ल
गई। सभी लोग पहण्र्ि जी के इस व्यविार पर अपिे अपिे अिुसार िंज कस रिे थे। पंहर्ि जी के उपर िर
िरि से बिंदा दक वषाय िो रिी थी। पािी को दूध के िाम से बेचिे वाला ग्वाला, ठरश्वि लेिे वाले अहधकारी,
रे ल में हबिा ठटकट यात्रा करिे वाले बाबु लोग, जाली दस्िावेज िैयार करिे वाले सेि और साहकार। यि सब
के सब पंहर्ि जी को कोस रिे थे।
6. िमक हवभाग के दारोगा पद के हलए बिों-बिों का जी ललचािा था। वियमाि समाज में ऐसा कौि-सा पद
िोगा हजसे पािे के हलए लोग लालाहयि रििे िोंगे और क्यों?
उत्तर: आज के समाज में भ्रिाचार के हलए िो सभी हवभाग िैं यदद आप भ्रि िै िो िर हवभाग में ठरश्वि ले
सकिे िैं। वियमाि समाज में सरकारी हवभाग में कई ऐसे पद िैं हजन्िें पािे के हलए लोग लालाहयि रििे िैं
जैसे आयकर, हबक्री कर, आयि हियायि हवभाग, आई.ए.एस., पी.सी.एस. आदद। यिां माहसक आमदिी से
अहधक ऊपरी आमदिी का मित्व िै। आमदिी के साथ-साथ पद का रोब भी हमलिा िै।
7. ‘लिदकयाँ िैं, वि घास-िू स की िरि बढ़िी चली जािी िैं।’ वाक्य समाज में लिदकयों की हस्थहि की दकस
वास्िहवकिा को प्रकट करिा िै?
उत्तर: यि कथि समाज में लिदकयों की उपेहक्षि हस्थहि को दशायिा िै। लिदकयों को समाज में बोझ समझा
जािा िै। उन्िें पढ़ािे के स्थाि पर घर के कामों में लगा ददया जािा िै और समाज में लिदकयों को जन्म लेिा
िी अहभशाप मािा जािा िै और इिके बिे िोिे िी हववाि की बचंिा सिािे लगिी िैं। उिकी उहचि देखभाल
ििीं की जािी।
8. इसहलए ििीं दक अलोपीदीि िे क्यों यि कमय दकया बहल्क इसहलए दक वि कािूि के पंजे में कै से आए।
ऐसा मिुष्य हजसके पास असाध्य साधि करिेवाला धि और अिन्य वाचालिा िो, वि क्यों कािूि के पंजे में
आए। प्रत्येक मिुष्य उिसे सिािुभहू ि प्रकट करिा था। अपिे आस-पास अलोपीदीि जैसे व्यहक्तयों को देखकर
आपकी क्या प्रहिदक्रया िोगी? उपयुयक्त ठटप्पणी को ध्याि में रखिे हुए हलखें।
उत्तर: अलोपीदीि जैसे व्यहक्त आसािी से कािूि से हखलवाि कर लेिे िैं और यि समाज में भ्रिाचार िै लािे
वाले िोिे िैं। ये ऐसे लोग िोिे िैं जो कािूि और न्याय व्यवस्था को आसािी से अपिे पक्ष में ले आिे िैं।
अलोपीदीि जैसे व्यहक्तयों को देखकर मेरे मि में यि प्रहिदक्रया िोिी िै दक समाज में सारे व्यहक्त वंशीधर जैसे
चठरत्रवाि और सािसी क्यों ििीं िोिे, जो अलोपीदीि जैसे व्यहक्तयों को उसके कु कमों की सजा ददला सके ।
9. िौकरी में ओिदे की ओर ध्याि मि देिा, यि िो पीर की मजार िै। हिगाि चढ़ावे और चादर पर रखिी
चाहिए।
उत्तर: इस किािी में यि पंहक्त वंशीधर के वृद्ध हपिा के द्वारा किी गई िै। जो समाज के लोगों की सोच पर
कटाक्ष का काम करिी िै। इसमें िौकरी के ओिदे और उससे जुिे सरमाि से ज्यादा मित्व ऊपरी कमाई को
ददया गया िै और ऐसी िौकरी को करिे के हलए किा जा रिा िै जिाँ ज्यादा से ज्यादा ठरश्वि हमल सके ।
10. इस हवस्िृि संसार में उिके हलए धैयय अपिा हमत्र, बुहध अपिी पथ-प्रदशयक और आत्मावलंबि िी अपिा
सिायक था।
उत्तर: प्रस्िुि पंहक्त किािी के िायक दरोगा वंशीधर के हलए किी गई िै। वंशीधर एक ईमािदार और
कियव्यहिष्ठ व्यहक्त िै जो समाज में ईमािदारी और कियव्यहिष्ठा की हमसाल कायम करिा िै। इस संसार की
बुराइयों से अपिे आप को दूर रखिे के हलए वि धैयय को अपिा हमत्र, बुहद्ध को अपिा पथ प्रदशयक और
आत्मावलंबि को िी अपिा सिायक माििा िै।

पाठ्यसामग्री-हिन्दी (आधार) कक्षा:ग्यारिवीं पृष्ठ 103 of 123


11. न्याय और िीहि सब लक्ष्मी के िी हखलौिे िैं, इन्िें वि जैसे चाििी िैं, िचािी िैं।
उत्तर: प्रस्िुि पंहक्त में न्याय व्यवस्था में व्यापक भ्रिाचार को दशायया गया िै। जिाँ एक व्यहक्त धि के बल से
अपिे आरोपों से आसािी से मुक्त िो जािा िै जैसे धि लूटिा वकीलों का काम बि गया िै। वकील धि के
हलए गलि व्यहक्त के पक्ष में लििे िैं। िब भी अलोपीदीि जैसे व्यहक्त न्याय और िीहि को अपिे वश में रखिे
िैं।
12.दुहिया सोिी थी, पर दुहिया की जीभ जागिी थी।
उत्तर: यि हिखी ठटप्पणी संसार के स्वभाव पर की गई िै। संसार के लोगों में दकििी िी बुराइयां िो पर वे
दूसरों की बिंदा करिे से बाज ििीं आिे। जब अलोपीदीि राि को हगरफ्िार हुए, िब खबर पूरे शिर में िै ल
गई थी। दुहिया की जबाि ददि िो या राि पर टीका ठटप्पणी करिे से रुकिी ििीं िै।
13. न्याय के मैदाि में धमय और धि में युद्ध िि गया।
उत्तर: यिां अदालिों की काययशैली पर व्यंग िै। जिाँ धि और धमय में युद्ध सा िो रिा था। अदालिों को न्याय
का मंददर किा जािा िै परं िु धि के कारण न्याय के सभी शास्त्र सत्य को असत्य हसद्ध करिे में जुट गए थे।
यिां धमय से वंशीधर और धि से अलोपीदीि दोिों की िार जीि का िै सला न्याय के मैदाि में िोिा था। जब
अदालि में अलोपीदीि को दोषी के रूप में पेश दकया गया िब वदकल आरोपी को गलिप्रमाणों द्वारा झूि
साहबि दकए जािे लगा। वंशीधर इमािदारी और सत्य के बल पर अदालि में खिे थे। गवािों को खरीद हलया
गया धि के बल पर न्याय पक्षपािी िो गया और आहखर कर दोषी को हिदोष करार दे ददया गया।

2. हमयाँ िसीरुद्दीि-कृ ष्णा सोबिी


जन्म: सि्1925, गुजराि (पहिमी पंजाब-वियमाि में पादकस्िाि) , मृत्यु: 25 जिवरी, 2019
प्रमुख रचिाएँ:-बजंदगीिामा, ददलोदाहिश, ऐ लिकी, समय सरगम (उपन्यास) ; र्ार से हबछु िी, हमत्रों
मरजािी, बादलों के घेरे, सूरजमुखी अँधेरे के (किािी-संग्रि) ; िम-िशमि, शब्दों के आलोक में
(शब्दहचत्र, संस्मरण)।
प्रमुख सरमाि: साहित्य अकादमी सरमाि, बिंदी अकादमी का शलाकासरमाि, साहित्य अकादमी की मित्तर
सदस्यिा सहिि अिेक राष्ट्रीय पुरस्कार, साहित्य अकादमी अवार्य-2017।
भाषा: कृ ष्णा जी के भाहषक प्रयोग में हवहवधिा िै। उन्िोंिे बिंदी की कथा-भाषा को एक हवलक्षण िाजगी दी
िै। संस्कृ िहिष्ठ ित्समिा, उदूय का बाँकपि, पंजाबी की बजंदाददली, ये सब एक साथ उिकी रचिाओं में मौजूद
िैं।
सारांश-हमयाँ िसीरुद्दीि शब्दहचत्र िम-िशमि िामक संग्रि से हलया गया िै। इसमें खािदािी िािबाई हमयाँ
िसीरुद्दीि के व्यहक्तत्व, रुहचयों और स्वभाव का शब्दहचत्र खींचा गया िै। हमयाँ िसीरुद्दीि अपिे मसीिाई
अंदाज से रोटी पकािे की कला और उसमें अपिे खािदािी मिारि को बिािे िैं। वे ऐसे इंसाि का भी
प्रहिहिहधत्व करिे िैं जो अपिे पेशे को कला का दजाय देिे िैं और करके सीखिे को असली हुिर माििे िैं।
लेहखका बिािी िै दक एक ददि वि मठटयामिल के गढ़ैया मुिल्ले की िरि हिकली िो एक अँधेरी व
मामूली-सी दुकाि पर आटे का ढेर सििे देखकर उसे कु छ जाििे का मि हुआ। पूछिाछ करिे पर पिा चला
दक यि खािदािी िािबाई हमयाँ िसीरुद्दीि की दुकाि िै। ये छप्पि दकस्म की रोठटयाँ बिािे के हलए मशहर
िैं। हमयाँ चारपाई पर बैिे बीिी पी रिे थे। उिके चेिरे पर अिुभव और आँखों में चुस्िी व माथे पर कारीगर
के िेवर थे।
लेहखका के प्रश्न पूछिे पर उन्िोंिे अखबारों पर व्यंग्य दकया। वे अखबार बिािे वाले व पढ़िे वाले
दोिों को हििल्ला समझिे िैं। लेहखका िे प्रश्न पूछा दक आपिे इििी िरि की रोठटयाँ बिािे का गुण किाँ से
सीखा? उन्िोंिे बेपरवािी से जवाब ददया दक यि उिका खािदािी पेशा िै। इिके वाहलद हमयाँ बरकि शािी

पाठ्यसामग्री-हिन्दी (आधार) कक्षा:ग्यारिवीं पृष्ठ 104 of 123


िािबाई थे और उिके दादा आला िािबाई हमयाँ कल्लि थे। उन्िोंिे खािदािी शाि का अिसास करिे हुए
बिाया दक उन्िोंिे यि काम अपिे हपिा से सीखा।
िसीरुद्दीि िे बिाया दक िमिे यि सब मेििि से सीखा। हजस िरि बच्चा पिले अहलि से शुरू िोकर
आगे बढ़िा िै या दिर कच्ची, पक्की, दूसरी से िोिे हुए ऊँची जमाि में पहुँच जािा िै, उसी िरि िमिे भी छोटे-
छोटे काम-बियि धोिा, भट्ठी बिािा, भट्ठी को आँच देिा आदद करके यि हुिर पाया िै। खािदाि के िाम पर
वे गवय से िू ल उििे िैं। वे बिाई करिे िैं दक खािदािी िािबाई कु एँ में भी रोटी पका सकिा िै। लेहखका िे
इस किावि की सच्चाई पर प्रश्नहचिि लगाया िो वे भिक उिे । लेहखका जाििा चाििी थी दक उिके बुजुगय
दकस बादशाि के यिाँ काम करिे थे। अब उिका स्वर बदल गया। वे बादशाि का िाम स्वयं भी ििीं जाििे
थे। वे इधर-उधर की बािें करिे लगे। अंि में खीझकर बोले दक आपको कौि-सा उस बादशाि के िाम हचट्ठी-
पत्री भेजिी िै।
लेहखका से पीछा छु िािे की गरज से उन्िोंिे बब्बि हमयाँ को भट्टी सुलगािे का आदेश ददया। लेहखका
िे उिके बारे में पूछा िो उन्िोंिे किा दक वे उन्िें मजदूरी देिे िैं। लेहखका िे रोठटयों की दकस्में जाििे की
इछछा जिाई िो उन्िोंिे िटािट िाम हगिवा ददए। दिर वे यादों में खो गए और कििे लगे दक अब समय
बदल गया िै। अब खािे-पकािे का शौक पिले की िरि ििीं रि गया िै और ि अब कद्र करिे वाले िैं। अब
िो भारी और मोटी िंदरू ी रोटी का बोलबाला िै। िर व्यहक्त जल्दी में िै।
प्रश्न. 1. हमयाँ िसीरुद्दीि को िािबाइयों का मसीिा क्यों किा गया िै?
उत्तर: हमयाँ िसीरुद्दीि को िािबाइयों का मसीिा किा गया िै, क्योंदक वे मसीिी अंदाज में रोटी पकािे की
कला का बखाि करिे िैं। वे स्वयं भी छप्पि िरि की रोठटयाँ बिािे के हलए प्रहसद्ध िैं। उिका खािदाि वषों
से इस काम में लगा हुआ िै। वे रोटी बिािे को कला माििे िैं िथा स्वयं को उस्िाद कििे िैं। उिका बािचीि
करिे का ढंग भी मिाि कलाकारों जैसा िै। अन्य िािबाई हसिय रोटी पकािे िैं। वे िया कु छ ििीं कर पािे।
प्रश्न. 2. लेहखका हमयाँ िसीरुद्दीि के पास क्यों गई थीं?
उत्तर: लेहखका हमयाँ िसीरुद्दीि के पास कु िूिलवश गई थी क्योंदक उस दूकाि से पटापट की आवाज आ रिी
थी, लेहखका िे सोचा की यिाँ सेवइयां बि रिी िै।
शायद वि दूकाि पर िो रिे कायय की जािकारी िाहसल करके दूसरे लोगों को कारीगरी का रिस्य बिािा
चाििी थी।
प्रश्न. 3. बादशाि के िाम का प्रसंग आिे िी लेहखका की बािों में हमयाँ िसीरुद्दीि की ददलचस्पी क्यों खत्म
िोिे लगी?
उत्तर: लेहखका िे जब हमयाँ िसीरुद्दीि से उिके खािदािी िािबाई िोिे का रिस्य पूछा िो उन्िोंिे बिाया
दक उिके बुजुगय बादशाि के हलए भी रोठटयाँ बिािे थे। लेहखका िे उिसे बादशाि का िाम पूछा िो उिकी
ददलचस्पी लेहखका की बािों में खत्म िोिे लगी। सच्चाई यि थी दक वे दकसी बादशाि का िाम ििीं जाििे थे
और िो सकिा िै उिके पठरवार का दकसी बादशाि से संबध ं ि रिा िो। बादशाि का बावची िोिे की बाि
उन्िोंिे अपिे पठरवार की िारीि करिे के हलए कि दी िोगी। बादशाि का प्रसंग आिे िी वे बेरुखी ददखािे
लगे।
प्रश्न. 4. ‘हमयाँ िसीरुद्दीि के चेिरे पर दकसी दबे हुए अंधि के आसार देख यि मजमूि ि छेििे का िै सला
दकया’-इस कथि के पिले और बाद के प्रसंग का उल्लेख करिे हुए इसे स्पि कीहजए।
उत्तर: इस कथि से पूवय लेहखका िे हमयाँ िसीरुद्दीि से पूछा था दक उिके दादा और वाहलद मरहम दकस
बादशाि के शािी बावचीखािे में हखदमि करिे थे? इस पर हमयाँ हबगि गए और उन्िोंिे खिा िोकर किा-
क्या हचट्ठी भेजोगे? जो िाम पूछ रिे िो? इसी प्रश्न के बाद उिकी ददलचस्पी खत्म िो गई। अब उिके चेिरे
पर ऐसा भाव उभर आया मािो वे दकसी िूिाि को दबाए हुए बैिे िैं। उसके बाद लेहखका के मि में आया दक
पूछ लें दक आपके दकििे बेटे-बेठटयाँ िैं। ककं िु लेहखका िे उिकी दशा देखकर यि प्रश्न ििीं दकया। दिर लेहखका
िे उिसे जाििा चािा दक कारीगर लोग आपकी शाहगदी करिे िैं? िो हमयाँ िे गुस्से में उत्तर ददया दक खाली

पाठ्यसामग्री-हिन्दी (आधार) कक्षा:ग्यारिवीं पृष्ठ 105 of 123


शहगदी िी ििीं, दो रुपए मि आटा और चार रुपए मि मैदा के हिसाब से इन्िें मजूरी भी देिा हँ। लेहखका
द्वारा रोठटयों का िाम पूछिे पर भी हमयाँ िे पल्ला झाििे हुए उसे कु छ रोठटयों के िाम हगिा ददए। इस प्रकार
हमयाँ िसीरुद्दीि के गुस्से के कारण लेहखका उिसे व्यहक्तगि प्रश्न ि कर सकी।
प्रश्न. 5. पाि में हमयाँ िसीरुददीि का शब्दहचत्र लेहखका िे कै से खींचा िै?
उत्तर-पाि में हमयाँ िसीरुद्दीि का शब्दहचत्र लेहखका िे इस प्रकार खींचा िै-िमिे जो अंदर झाँका िो पाया,
हमयाँ चारपाई पर बैिे बीिी का मजा ले रिे िैं। मौसमों की मार से पका चेिरा, आँखों में काइयाँ, भोलापि
और पेशािी पर मैंजे हुए कारीगर के िेवर।
प्रश्न. 6. हमयाँ िसीरुद्दीि के चठरत्र पर अपिी ठटप्पणी करें ।
उत्तर: हमयाँ िसीरुद्दीि का चठरत्र ददलचस्प िै। वे अपिे पारं पठरक पेशे में माहिर िैं; वे ऐसे कलाकार िैं
हजिकी कला उिके साथ िी लुि िोिे को िै। उिका बाि करिे का अंदाज बिा िी हिराला िै। यदद उिसे कोई
सवाल पूछा जाए िो उसके बदले में वे अिेक सवाल पूछिा शुरू कर देिे िैं। बिे िी घुमा-दिराकर जवाब देिे
िक पहुँच पािे िैं। अपिे क्षेत्र में वे स्वयं को सवोच्च माििे िैं। दाशयहिकिा में सुकराि से कम ििीं िैं। बािूिी
बहुि िैं, पर काम करिे में उिकी जो आस्था और मिारथ िै वि अिुकरणीय िै। वे आँखों में काइयाँ भोलापि,
पेशािी पर मॅजे हुए कारीगर के िेवर हलए, चेिरे पर मौसमों की मार के साथ बाि इस िरि करिे मािो
कहविा; जैसे-वक्त से वक्त को हमला सका िै कोई! िालीम की िालीम भी बिी चीज िोिी िै आदद।

3. अपू के साथ ढाई साल-सत्यहजि राय


‘अपू के साथ ढाई साल’ सत्यहजि राय द्वारा हलखा गया एक संस्मरण िै जो ‘पथेर पांचाली’ दिल्म
के अिुभवों से संबंहधि िै हजसका हिमायण भारिीय दिल्म के इहििास में एक बिी घटिा के रूप में दजय िै।
इससे दिल्म के सृजि और उिके व्याकरण से संबंहधि कई बारीदकयों का पिा चलिा िै। यिी ििीं, जो दिल्मी
दुहिया िमें अपिे ग्लैमर से चुहँ धयािी हुई जाि पििी िै, उसका एक ऐसा सच िमारे सामिे आिा िै, हजसमें
साधििीििा के बीच अपिी कलादृहि को साकार करिे का संघषय भी िै। यि पाि मूल रूप से बांग्ला भाषा में
हलखा गया िै हजसका अिुवाद हवलास हगिे िे दकया िै।
पाि का सारांश-संस्मरण में लेखक बिािा िै दक पथेर पांचाली दिल्म की शूटटंग ढाई साल िक चली।
उस समय वि हवज्ञापि कं पिी में काम करिा था। काम से िु सयि हमलिे िी और पैसे िोिे पर शूटटंग की जािी
थी। शूटटंग के दौराि लेखक को बहुि सारी समस्याओं का सामिा करिा पिा। उि सब समस्याओं का सामिा
करिे हुए और उिके समाधाि या हवकल्प को खोजिे हुए उन्िोिें दकस प्रकार यि शूटटंग पूरी की और उिकी
यि दिल्म कािी प्रहसद्ध हुई। इस संस्मरण में लेखक िे हजि समस्याओं का हजक्र दकया और दकस प्रकार उिका
समाधाि ढू ंढा, वे सब इस प्रकार िैं-
क्र. सं. समस्या समाधाि
1 धि की कमी जब पैसे इकट्ठे िो जािे थे, दिर से शूटटंग शुरू
की जािी थी
2 अपू की भूहमका के हलए लिके का ििीं हमलिा पिोस मे रििे वाला लिका सुबीर बिजी िी
अपू की भूहमका के हलए चुिा गया
3 अपू और दुगाय की भूहमका हिभािे वाले बच्चों के बिे पर ऐसा हुआ ििीं
िोिे का र्र
4 इंददरा िाकरुि की भूहमका हिभािे वाली अस्सी सौभाग्य से ढाई साल िक काम कर पाई।
साल उम्र की चुन्नीबाला देवी की समस्या
5 काशिू लों के खेिों मे धि की कमी से आधी शूटटंग अगले साल दिर से काशिू लों के मौसम में
िी िो पाई और बाद में जािे पर काशिू ल जािवरों शूटटंग पूरी की गई।
द्वारा खा हलए गए।

पाठ्यसामग्री-हिन्दी (आधार) कक्षा:ग्यारिवीं पृष्ठ 106 of 123


6 भूलो िामक कु त्ते का दृश्य आधा दिल्माए जािे पर वैसा िी ददखाई देिे वाला दूसरा कु त्ता लाया
पैसे खत्म िो गए और शूटटंग रोकिी पिी। बाद में गया और दृश्य पूरा दकया गया।
शूटटंग के हलए गाँव मे जािे पर पिा चला दक वि
कु त्ता िो मर चुका िै।
7 हमिाई बेचिे वाला श्रीहिवास आधे दृश्य की शूटटंग शरीर मे श्रीहिवास जैसा िी ददखाई देिे
के बाद चल बसा। वाला दूसरा आदमी ढू ंढा गया पर उसका
चेिरा पिले वाले सज्जि जैसा ििीं था। ऐसे
मे आधा दृश्य उसकी पीि की िरि कै मरा
रखकर दिल्माया गया।
8 एक दृश्य में अपू और दुगाय के पीछे कु त्ते का ििीं दुगाय के िाथ में थोिी हमिाई देकर दौििे के
दौििा हलए किा गया हजसे देखकर कु त्ता पीछे-पीछे
दौििे लगा।
9 पैसे ि िोिे के कारण बाठरश वाला दृश्य वषाय ऋिु लेखक शरद ऋिु में बरसाि की उरमीद में
में शूट ििीं िो पाया और जब पैसे आए िो बरसाि अपिी पूरी टीम के साथ रोज देिाि में जाकर
का मौसम जा चुका था। बैििा और एक ददि बहुि अछछी बरसाि हुई
और दृश्य की शूटटंग पूरी की गई।
10 गाँव के एक सज्जि ‘सुबोध दा’ दिल्म वालों के बाद में लेखक और उिकी टीम की उिसे
देखिे िी ‘मारो उिको लठियों से’ ऐसा हचल्लािे। दोस्िी िो गई।
11 शूटटंग वाले घर के पास एक पागल धोबी रििा था धोबी के ठरश्िेदारों िे लेखक की मदद की।
जो जब चािे भाषण देिा शुरू कर देिा था।
12 शूटटंग के हलए घर की समस्या गाँव में एक घर हमल जो जजयर था और उसके
माहलक कलकत्ता में रििे थे। उस घर को
उन्िोिें भािे पर हलया और मररमि
कारवाई।

प्रश्न-1 पथेर पांचाली दिल्म की शूटटंग का काम ढाई साल िक क्यों चला?
उत्तर-‘पथेर पांचाली' दिल्म की शूटटंग का काम ढाई साल िक चला। इसके कई कारण थे-लेखक के पास
पैसों का अभाव था। पैसे इकट्ठे िोिे पर िी वि शूटटंग करिा था। वि एक हवज्ञापि कं पिी में काम करिा
था। इसहलए काम से िु सयि िोिे पर िी लेखक िथा अन्य कलाकार दिल्म की शूटटंग का काम करिे थे।
पात्रों के मर जािे एवं िकिीकी हपछिेपि के कारण भी पात्र, स्थाि, दृश्य आदद की समस्याएँ आ जािी थीं।
प्रश्न-2 अब अगर िम उस जगि बाकी आधे सीि की शूटटंग करिे, िो पिले आधे सीि के साथ उसका मेल
कै से बैििा? उसमें से 'कं ठटन्युइटी' िदारद िो जािी-इस कथि के पीछे क्या भाव िै?
उत्तर-इसके पीछे भाव यि िै दक कोई भी दिल्म िमें िभी प्रभाहवि कर पािी िै जब उसमें हिरंिरिा िो।
यदद एक दृश्य में िी एकरूपिा ििीं िोिी िो दिल्म कै से चल पािी। दशयक भ्रहमि िो जािा िै। ‘पथेर
पांचाली’ दिल्म में काशिू लों के साथ शूटटंग पूरी करिी थी, परं िु एक सिाि के अंिराल में पशु उन्िें खा
गए। अि: उसी पृष्ठभूहम में दृश्य हचहत्रि करिे के हलए एक वषय िक इंिजार करिा पिा। यदद यि आधा
दृश्य काशिू लों के हबिा हचहत्रि दकया जािा िो दृश्य में हिरं िरिा ििीं बि पािी।
प्रश्न-3 दकि दो दृश्यों में दशयक यि पिचाि ििीं पािे दक उिकी शूटटंग में कोई िरकीब अपिाई गई िै?
उत्तर-प्रथम दृश्य-इस दृश्य में 'भूलो' िामक कु त्ते को अपू की माँ द्वारा गमले में र्ाले गए भाि को खािे हुए
हचहत्रि करिा था, परं िु सूयय के अस्ि िोिे िथा पैसे खत्म िोिे के कारण यि दृश्य हचहत्रि ि िो सका। छि
मिीिे बाद लेखक पुि: उस स्थाि पर गया िब िक उस कु त्ते की मौि िो चुकी थी। कािी प्रयास के बाद
उससे हमलिा-जुलिा कु त्ता हमला और उसी से भाि खािे हुए दृश्य को दिल्माया गया। यि दृश्य इििा

पाठ्यसामग्री-हिन्दी (आधार) कक्षा:ग्यारिवीं पृष्ठ 107 of 123


स्वाभाहवक था दक कोई भी दशयक उसे पिचाि ििीं पाया। दूसरा दृश्य-इस दृश्य में श्रीहिवास िामक व्यहक्त
हमिाई वाले की भूहमका हिभा रिा था। बीच में शूटटंग रोकिी पिी। दोबारा उस स्थाि पर जािे से पिा
चला दक उस व्यहक्त का देिांि िो गया िै, दिर लेखक िे उससे हमलिे-जुलिे व्यहक्त को लेकर बाकी दृश्य
दिल्माया। पिला श्रीहिवास बाँस वि से बािर आिा िै और दूसरा श्रीहिवास कै मरे की ओर पीि करके
मुखजी के घर के गेट के अंदर जािा िै। इस प्रकार इस दृश्य में दशयक अलग-अलग कलाकारों की पिचाि
ििीं पािे।
प्रश्न-4 'भूलो' की जगि दूसरा कु त्ता क्यों लाया गया? उसिे दिल्म के दकस दृश्य को पूरा दकया?
उत्तर-भूलो की मृत्यु िो गई थी, इस कारण उससे हमलिा-जुलिा कु त्ता लाया गया। दिल्म का दृश्य इस
प्रकार था दक अपू की माँ उसे भाि हखला रिी थी। अपू िीर-कमाि से खेलिे के हलए उिावला िै। भाि
खािे-खािे वि िीर छोििा िै िथा उसे लािे के हलए भाग जािा िै। माँ भी उसके पीछे दौििी िै। भूलो
कु त्ता विीं खिा सब कछ देख रिा िै। उसका ध्याि भाि की थाली की ओर िै। यिाँ िक का दृश्य पिले कु त्ते
पर दिल्माया गया था। इसके बाद के दृश्य में अपू की माँ बचा हुआ भाि गमले में र्ाल देिी िै और भूलो
वि भाि खा जािा िै। यि दृश्य दूसरे कु त्ते से पूरा करवाया गया।
प्रश्न-5 दिल्म में श्रीहिवास की क्या भूहमका थी और उिसे जुिे बाकी दृश्यों को उिके गुजर जािे के बाद
दकस प्रकार दिल्माया गया?
उत्तर-दिल्म में श्रीहिवास की भूहमका हमिाई बेचिे वाले की थी। उसके देिांि के बाद उसकी जैसी कद-
कािी का व्यहक्त ढू ँढ़ा गया। उसका चेिरा अलग था, परं िु शरीर श्रीहिवास जैसा िी था। ऐसे में दिल्मकार िे
िरकीब लगाई। िया-आदमी कै मरे की िरि पीि करके मुखजी के घर के गेट के अंदर जािा िै, उसका चेिरा
कै मरे के सामिे ििीं आिा िै। अिः कोई भी अिुमाि ििीं लगा पािा दक यि अलग व्यहक्त िै।
प्रश्न-6 बाठरश का दृश्य हचहत्रि करिे में क्या मुहश्कल आई और उसका समाधाि दकस प्रकार हुआ?
उत्तर-दिल्मकार के पास पैसे का अभाव था, अि: बाठरश के ददिों में शूटटंग ििीं कर सके । अक्टूबर माि
िक। उिके पास पैसे इकट्ठे हुए िो बरसाि के ददि समाि िो चुके थे। शरद ऋिु में बाठरश िोिा भाग्य पर
हिभयर था। शरद ऋिु में लेखक िर रोज अपिी टीम के साथ गाँव में जाकर बैिे रििे और बादलों की ओर
टकटकी लगाकर देखिे रििे। एक ददि उिकी इछछा पूरी िो गई। अचािक बादल छा गए और धुआँधार
बाठरश िोिे लगी। दिल्मकार िे इस बाठरश का पूरा िायदा उिाया और दुगाय और अपू का बाठरश में भीगिे
वाला दृश्य शूट कर हलया।
प्रश्न-7 दकसी दिल्म की शूटटंग करिे समय दिल्मकार को हजि समस्याओं का सामिा करिा पििा िै, उन्िें
सूचीबद्ध कीहजए।
उत्तर-‘अपू के साथ ढाई साल’ पाि के आधार पर किा जा सकिा िै दक दकसी दिल्म की शूटटंग करिे समय
दिल्मकार को हिम्नहलहखि समस्याओं का सामिा करिा पििा िै-
(क) धि की कमी
(ख) कलाकारों का चयि
(ग) कलाकारों के स्वास्थ्य, मृत्यु आदद की हस्थहि
(घ) पशु-पात्रों के दृश्य की समस्या
(ङ) बािरी दृश्यों िेिु लोके शि (स्थाि) ढू ँढिा
(च) प्राकृ हिक दृश्यों के हलए मौसम पर हिभयरिा
(छ) स्थािीय लोगों का िस्िक्षेप व असियोग
(ज) संगीि
(झ) दृश्यों की हिरं िरिा िेिु भटकिा
प्रश्न-8 पठिि पाि के आधार पर यि कि पािा किाँ िक उहचि िै दक दिल्म को सत्यहजि राय एक कला
माध्यम के रूप में देखिे िैं, व्यावसाहयक-माध्यम के रूप में ििीं?

पाठ्यसामग्री-हिन्दी (आधार) कक्षा:ग्यारिवीं पृष्ठ 108 of 123


उत्तर-यि बाि पूणयिया उहचि िै दक दिल्म को सत्यहजि राय एक कला-माध्यम के रूप में देखिे िैं,
व्यावसाहयक-माध्यम के रूप में ििीं। वे दिल्मों के दृश्यों के संयोजि में कोई लापरवािी ििीं बरििे। वे
दृश्य को पूरा करिे के हलए समय का इंिजार करिे िैं। काशिू ल वाले दृश्य में उन्िोंिे साल भर इंिजार
दकया। पैसे की िंगी के कारण वे परे शाि हुए, परंिु उन्िोंिे दकसी से पैसा ििीं माँगा। वे स्टूहर्यो के दृश्य की
बजाय प्राकृ हिक दृश्य दिल्मािे थे। वे कला को साधि माििे थे।

4. हवदाई संभाषण-बालमुकुन्द गुि


जीवि पठरचय-बालमुकुन्द गुि का जन्म 1865 ई. िठरयाणा के रोििक हजले में। मृत्यु-सि् 1907 ई. में
ये खिी बोली और आधुहिक बिंदी साहित्य को स्थाहपि करिे वाले लेखकों में से एक इन्िोंिे उदूय के
दो पत्रों अखबार-ए-चुिार’ िथा ‘कोिेिूर' का संपादि दकया। बाद में बिंदी के समाचार-पत्रों 'बिंदस्ु िाि’,
‘बिंदी बंगवासी', भारिहमत्र’ आदद का संपादि दकया।
रचिाएँ-इिकी रचिाएँ पाँच संग्रिों में प्रकाहशि हुई िैं
हशवशंभु के हचट्ठे, हचट्ठे और खि, खेल िमाशा, गुि हिबंधावली, स्िु ट कहविाएँ।
सारांश-वायसराय कजयि जो 1899-1904 व 1904-1905 िक दो बार वायसराय रिे, के शासि में भारिीयों
की हस्थहि का खुलासा करिा िै। यि अध्याय हशवशंभु के हचट्ठे का अंश िै। कजयि के शासिकाल में हवकास के
बहुि कायय हुए, िए-िए आयोग बिाए गए ककं िु उि सबका उद्देश्य शासि में गौरों का वचयस्व स्थाहपि करिा
िथा इस देश के संसाधिों का अंग्रेजों के हिि में सवोत्तम उपयोग करिा था। कजयि िे िर स्िर पर अंग्रेजों का
वचयस्व स्थाहपि करिे की चेिा की। वे सरकारी हिरं कुशिा के पक्षधर थे। हलिाजा प्रेस की स्विंत्रिा पर उन्िोंिे
प्रहिबंध लगा ददया। अंििः कौंहसल में मिपसंद अंग्रेज सदस्य हियुक्त करवािे के मुद्दे पर उन्िें देश-हवदेश दोिों
जगि पर िीचा देखिा पिा क्षुब्ध, िोकर उन्िोंिे इस्िीिा दे ददया और वापस इंग्लैंर् चले गए।
लेखक िे भारिीयों की बेबसी दुख एवं लाचारी को व्यंग्यात्मक ढंग से लॉर्य कजयि की लाचारी से जोििे की
कोहशश की िै। साथ िी यि बिािे की कोहशश की िै दक शासि के आििायी रूप से िर दकसी को कि िोिा
िै चािे वि सामान्य जििा िो या दिर लॉर्य कजयि जैसा वायसराय। यि हिबंध उस समय हलखा गया जब
प्रेस पर पाबंदी का दौर चल रिा था।
लेखक कजयि को संबोहधि करिे हुए कििा िै दक आहखरकार आपके शासि का अंि िो िी गया, अन्यथा आप
िो यिाँ के स्थाई वायसराय बििे की इछछा रखिे थे। इििी जल्दी देश को छोििे की बाि आपको व
देशवाहसयों को पिा ििीं था। आपके दूसरी बार आिे पर भारिवासी प्रसन्न ििीं थे। वे आपके जािे की प्रिीक्षा
करिे थे, परंिु आपके जािे से लोग दुःखी िैं। हबछिि का समय पहवत्र, हिमयल व कोमल िोिा िै। यि करुणा
पैदा करिे वाला िोिा िै। भारि में िो पशु-पक्षी भी ऐसे समय उदास िो जािे िैं।
प्रश्न-1 हशवशंभु की दो गाय की किािी के माध्यम से लेखक क्या कििा चाििा िै?
उत्तर-लेखक हशवशंभु की दो गायों की किािी के माध्यम से कििा चाििा िै दक भारि में मिुष्य िी ििीं
पशुओं में भी साथ रििे वाले के साथ लगाव िोिा िै। वे उस व्यहक्त के हबछििे पर भी दुखी िोिे िैं जो उन्िें
कि पहुँचािा िै। यिाँ भाविा प्रमुख िोिी िै। िमारे देश में पशु-पहक्षयों को भी हबछििे के समय उदास देखा
गया िै। हबछििे समय वैर-भाव को भुला ददया जािा िै। हवदाई का समय बिा करुणोत्पादक िोिा िै। लॉर्य
कजयि जैसे क्रूर आििायी के हलए भी भारि की हिरीि जििा सिािुभूहि का भाव रखिी िै।
प्रश्न-2 आि करोि प्रजा के हगिहगिाकर हवछछेद ि करिे की प्राथयिा पर आपिे जरा भी ध्याि ििीं ददया-यिाँ
दकस ऐहििाहसक घटिा की ओर संकेि दकया गया िै?
उत्तर-लेखक िे यिाँ बंगाल हवभाजि की ऐहििाहसक घटिा की ओर संकेि दकया िै। लॉर्य कजयि दो बार भारि
के वायसराय बिकर आए। उन्िोंिे भारि पर अंग्रेजों का प्रभुत्व स्थाई करिे के हलए अिेक काम दकए। भारि
में राष्ट्रवादी भाविाओं को कु चलिे के हलए उन्िोंिे बंगाल का हवभाजि करिे की योजिा बिाई। कजयि की

पाठ्यसामग्री-हिन्दी (आधार) कक्षा:ग्यारिवीं पृष्ठ 109 of 123


इस योजिा का जििा िे हवरोध दकया परं िु कजयि िे अपिी हजद्द को पूरा दकया। बंगाल के दो हिस्से कर ददए
गए-पूवी बंगाल िथा पहिमी बंगाल।
प्रश्न-3 कजयि को इस्िीिा क्यों देिा पि गया?
उत्तर-कजयि को इस्िीिा हिम्नहलहखि कारणों से देिा पिा-
1. कजयि िे राष्ट्रवादी िाकिों को िोििे के हलए बंगाल का हवभाजि दकया था परंिु इसका पठरणाम उलटा
हुआ। सारा देश एकजुट िो गया और हिठटश शासि की जिे हिल गई।
2. कजयि अपिे मिपसंद के एक िौजी अिसर को इस पद पर हियुक्त करवािा चाििा था। उसकी हसिाठरश
को ििीं मािा गया। इससे क्षुब्ध िोकर उन्िोंिे इस्िीिा देिे की धमकी दी। हिठटश सरकार िे उिका इस्िीिा
मंजूर कर हलया।
प्रश्न-4 ‘हवचाठरए िो, क्या शाि आपकी इस देश में थी और अब क्या िो गई। दकििे ऊँचे िोकर आप दकििे
िीचे हगरे ।’ आशय स्पि कीहजए।
उत्तर-लेखक कििा िै दक कजयि की भारि में शाि थी। ददल्ली दरबार में उसका वैभव चरम सीमा पर था।
पहि-पत्नी की कु सी सोिे की थी। उसका िाथी सबसे ऊँचा था िथा िमेशा सबसे आगे रििा था। सम्राट के
भाई का स्थाि भी इिसे िीचा था। प्रशासहिक अहधकारी, राजा, अमीर लोग सभी कजयि के िाथों की
किपुिली थे। इसिे बिे-बिे राजाओं को हमट्टी मे हमला ददया। इस देश मे भगवाि और एर्वर्य के बाद उसका
स्थाि था परंिु इस्िीिा देिे के बाद सब कु छ खत्म िो गया। इसकी हसिाठरश पर एक आदमी भी ििीं रखा
गया। हजद के कारण इसका वैभव िि िो गया।
प्रश्न-5 आपके और यिाँ के हिवाहसयों के बीच में कोई िीसरी शहक्त और भी िै यिाँ िीसरी शहक्त दकसे किा
गया िै?
उत्तर-लॉर्य कजयि स्वयं को हिरं कुश, सवयशहक्त संपन्न माि बैिा था। भारिीय जििा उसकी मिमािी सि रिी
थी। अचािक गुस्साए लॉर्य कजयि का इस्िीिा मंजरू िो गया और उसे जािा पिा। यिाँ लेखक कििा चाििे
िैं दक लॉर्य कजयि और भारिीय जििा के बीच एक िीसरी शहक्त अथायि् हिठटश सरकार िै हजस पर ि िो
लॉर्य कजयि का हियंत्रण िै और ि िी भारि के हिवाहसयों का िी हियंत्रण िै। इंग्लैंर् की मिारािी का शासि
ि िो कजयि की बाि सुििा िै और ि िी कजयि के हखलाि भारिीय जििा की गुिार सुििा िै। उस पर इस
हिरं कुश का अंकुश भी ििीं था।
प्रश्न-5 पाि का यि अंश हशवशंभु के हचट्ठे से हलया गया िै। हशवशंभु िाम की चचाय पाि में भी हुई िै। बालमुकुंद
गुि िे इस िाम का उपयोग क्यों दकया िोगा?
उत्तर-हशवशंभु एक काल्पहिक पात्र िै जो भांग के िशे मे खरी-खरी बाि कििा िै। यि पात्र अंग्रेजों की
कु िीहियों को उजागर करिा िै। लेखक िे इस िाम का उपयोग सरकारी कािूि के कारण दकया। कजयि िे प्रेस
की अहभव्यहक्त पर प्रहिबंध लगा ददया था। उस समय हिठटश साम्राज्य से सीधी टक्कर लेिे के िालाि ििीं थे
परं िु शासि की पोल खोलकर जििा को जागरूक भी करिा था। अिः काल्पहिक पात्र के जठरए अपिी मरजी
की बािे किलवाई जािी थीं।
प्रश्न-7 िाददर से भी बढ़कर आपकी हजद िै-कजयि के संदभय में क्या आपको यि बाि सिी लगिी िै? पक्ष या
हवपक्ष में िकय दीहजए।
उत्तर-जी िाँ, कजयि के संदभय में िमें यि बाि सिी लगिी िै। िाददरशाि एक क्रूर राजा था। उसिे ददल्ली में
कत्लेआम करवाया, परं िु आहसिजाि िे िलवार गले में र्ालकर उसके आगे समपयण कर कत्लेआम रोकिे की
प्राथयिा की, िो िुरंि कल्लेआम रोक ददया गया। कजयि िे बंगाल का हवभाजि दकया। आि करोि
भारिवाहसयों के बार-बार हवििी करिे पर भी उसिे अपिी हजद्द ििीं छोिी। इस संदभय में कजयि की हजद्द
िाददरशाि से बिी िै। वि िाददरशाि से अहधक क्रूर था। उसिे जिहिि की उपेक्षा की।

पाठ्यसामग्री-हिन्दी (आधार) कक्षा:ग्यारिवीं पृष्ठ 110 of 123


प्रश्न-8 क्या आँख बंद करके मिमािे हुक्म चलािा और दकसी की कु छ ि सुििे का िाम िी शासि िै ? इि
पंहक्तयों को ध्याि में रखिे हुए बिाइए दक शासि क्या िै?
उत्तर-शासि दकसी एक व्यहक्त की इछछा से संचाहलि शासि व्यवस्था ििीं िै। यि हियमों का समूि िै जो
अछछी व्यवस्था का गिि करिा िै। यि प्रबंध जिहिि के अिुरूप िोिा चाहिए। हिरं कुश शासक से जििा
दुखी रििी िै िथा कु छ समय बाद उस शासक का पिि िो जािा िै। प्रजा को अहभव्यहक्त की स्विंत्रिा िोिी
चाहिए। िर िीहि में जिकल्याण का भाव िोिा चाहिए।
प्रश्न 9 कै सर, जार िथा िाददरशाि पर ठटप्पहणयाँ हलहखए।
उत्तर-कै सर यि शब्द रोमि िािाशाि जूहलयस सीजर के िाम से बिा िै। यि शब्द िािाशाि जमयि शासकों
के हलए प्रयोग िोिा था
जार-यि भी जूहलयस सीजर से बिा शब्द िै जो हवशेष रूप से रूस के िािाशाि शासकों (16वी सदी से
1917 िक) के हलए प्रयुक्त िोिा था। इस शब्द का पिली बार बुल्गेठरयाई शासक (913 में) के हलए प्रयोग
हुआ था।
िाददरशाि-यि 1736 से 1747 िक ईराि का शाि रिा। िािाशािी स्वरूप के कारण ‘िेपोहलयि ऑि
परहशया’ के िाम से भी जािा जािा था। पािीपि के िीसरे युद्ध में अिमदशाि अब्दाली को िाददरशाि िे
आक्रमण के हलए भेजा था।
प्रश्न 10 राजकु मार सुल्िाि िे िरवरगढ़ से दकि शब्दों मे हवदा ली थी?
उत्तर-राजकु मार सुल्िाि िे िरवरगढ़ से हवदा लेिे समय किा-प्यारे िरवरगढ़! मेरा प्रणाम स्वीकार ले। आज
मैं िुझसे जुदा िोिा हँ। िू मेरा अन्नदािा िै। अपिी हवपद के ददि मैंिे िुझमें काटे िैं। िेरे ऋण का बदला यि
गरीब हसपािी ििीं दे सकिा। भाई िरवरगढ़! यदद मैंिे जािबूझकर एक ददि भी अपिी सेवा में चूक की िो,
यिाँ की प्रजा की शुभ बचंिा ि की िो, यिाँ की हस्त्रयों को मािा और बिि की दृहि से ि देखा िो िो मेरा
प्रणाम ि ले, ििीं िो प्रसन्न िोकर एक बार मेरा प्रणाम ले और मुझे जािे की आजा दे।

6. गलिा लोिा-शेखर जोशी


जीवि पठरचय- शेखर जोशी का जन्म उत्तरांचल के अल्मोिा में 1932 ई. में हुआ। इिकी प्रारं हभक हशक्षा
अल्मोिा में हुई। बीसवीं सदी के छिे दशक में बिंदी किािी में बिे पठरवियि हुए। इस समय एक साथ कई
युवा किािी कारों िे परं परागि िरीके से िटकर िई िरि की किाहियाँ हलखिी शुरू की। इस आंदोलि में
शेखर जोशी का स्थाि अन्यिम िै।

• रचिाएँ-
• किािी-संग्रि- कोसी का घटवार, साथ के लोग, दाज्यू, िलवािा, िौरं गी बीमार िै।
• शब्दहचत्र संग्रि- एक पेि की याद ।

सारांश-इस किािी में समाज के जाहिगि हवभाजि पर कई कोणों से ठटप्पणी की गई िै। यि किािी लेखक
के लेखि में अथय की गिराई को दशायिी िै। इस पूरी किािी में लेखक की कोई मुखर ठटप्पणी ििीं िै। इसमें
एक मेधावी, ककं िु हिधयि िािमण युवक मोिि दकि पठरहस्थहियों के चलिे उस मिोदशा िक पहुँचिा िै,
जिाँ उसके हलए जािीय अहभमाि बेमािी िो जािा िै। सामाहजक हवहध-हिषेधों को िाक पर रखकर वि
धिराम लोिार के आिर पर बैििा िी ििीं, उसके काम में भी अपिी कु शलिा ददखािा िै। मोिि का व्यहक्तत्व
जाहिगि आधार पर हिर्मयि झूिे भाईचारे की जगि मेिििकशों के सच्चे भाईचारे को प्रस्िाहवि करिा प्रिीि
िोिा िै मािो लोिा गलकर िया आकार ले रिा िो।

पाठ्यसामग्री-हिन्दी (आधार) कक्षा:ग्यारिवीं पृष्ठ 111 of 123


मोिि के हपिा वंशीधर िे जीविभर पुरोहििी की। अब वृद्धावस्था में उिसे कठिि श्रम व व्रि-उपवास
ििीं िोिा। उन्िें चंद्रदत्त के यिाँ रुद्री पाि करिे जािा था, परं िु जािे की िहबयि ििीं िै। मोिि उिका आशय
समझ गया, लेदकि हपिा का अिुष्ठाि कर पािे में वि कु शल ििीं िै। हपिा का भार िलका करिे के हलए वि
खेिों की ओर चला, लेदकि िँसुवे की धार कुं द िो चुकी थी। उसे अपिे दोस्ि धिराम की याद आ गई। वि
धिराम लोिार की दुकाि पर धार लगवािे पहुँचा।,
धिराम उसका सिपािी था। दोिों बचपि की यादों में खो गए। मोिि िे मास्टर हत्रलोक बसंि के
बारे में पूछा। धिराम िे बिाया दक वे हपछले साल िी गुजरे थे। दोिों िँस-िँसकर उिकी बािें करिे लगे।
मोिि पढ़ाई व गायि में हिपुण था। वि मास्टर का चिेिा हशष्य था और उसे पूरे स्कू ल का मॉिीटर बिा
रखा था। वे उसे कमजोर बच्चों को दंर् देिे का भी अहधकार देिे थे। धिराम िे भी मोिि से मास्टर के आदेश
पर र्ंर्े खाए थे। धिराम उसके प्रहि स्नेि व आदरभाव रखिा था, क्योंदक जाहिगि आधार की िीििा उसके
मि में बैिा दी गई थी। उसिे मोिि को कभी अपिा प्रहिद्वंद्वी ििीं समझा।
धिराम गाँव के खेहििर या मजदूर पठरवारों के लिकों की िरि िीसरे दजे िक िी पढ़ पाया। मास्टर
जी उसका हवशेष ध्याि रखिे थे। धिराम को िेरि का पिािा कभी याद ििीं हुआ। इसकी वजि से उसकी
हपटाई िोिी। मास्टर जी का हियम था दक सजा पािे वाले को अपिे हलए िहथयार भी जुटािा िोिा था।
धिराम र्र या मंदबुद्ध िोिे के कारण िेरि का पिािा ििीं सुिा पाया। मास्टर जी िे व्यंग्य दकया-'िेरे ददमाग
में िो लोिा भरा िै रे । हवद्या का िाप किाँ लगेगा इसमें?”
इििा किकर उन्िोंिे थैले से पाँच-छि दराहियाँ हिकालकर धिराम को धार लगा लािे के हलए
पकिा दी। िालाँदक धिराम के हपिा िे उसे िथौिे से लेकर घि चलािे की हवद्या हसखा दी। हवद्या सीखिे के
दौराि मास्टर हत्रलोक बसंि उसे अपिी पसंद का बेंि चुििे की छू ट देिे थे, परंिु गंगाराम इसका चुिाव स्वयं
करिे थे। एक ददि गंगाराम अचािक चल बसे। धिराम िे सिज भाव से उिकी हवरासि सँभाल ली।
इधर मोिि िे छात्रवृहत्त पाई। इससे उसके हपिा वंशीधर हिवारी उसे बिा आदमी बिािे का स्वप्न
देखिे लगे। पैिृक धंधे िे उन्िें हिराश कर ददया था। वे कभी पठरवार का पूरा पेट ििीं भर पाए। अि: उन्िोंिे
गाँव से चार मील दूर स्कू ल में उसे भेज ददया। शाम को थकामाँदा मोिि घर लौटिा िो हपिा पुराण कथाओं
से उसे उत्साहिि करिे की कोहशश करिे। वषाय के ददिों में मोिि िदी पार गाँव के यजमाि के घर रििा था।
एक ददि िदी में पािी कम था िथा मोिि घहसयारों के साथ िदी पार कर घर आ रिा था। पिािों पर भारी
वषाय के कारण अचािक िदी में पािी बढ़ गया। दकसी िरि वे घर पहुँचे इस घटिा के बाद वंशीधर घबरा गए
और दिर मोिि को स्कू ल ि भेजा।
उन्िीं ददिों हबरादरी का एक संपन्न पठरवार का युवक रमेश लखिऊ से गाँव आया हुआ था। उससे
वंशीधर िे मोिि की पढ़ाई के संबंध में अपिी बचंिा व्यक्त की िो वि उसे अपिे साथ लखिऊ ले जािे को
िैयार िो गया। उसके घर में एक प्राणी बढ़िे से कोई अंिर ििीं पििा। वंशीधर को रमेश के रूप में भगवाि
हमल गया। मोिि रमेश के साथ लखिऊ पहुँचा। यिाँ से बजंदगी का िया अध्याय शुरू हुआ। घर की महिलाओं
के साथ-साथ उसिे गली की सभी औरिों के घर का काम करिा शुरू कर ददया। रमेश बिा बाबू था। वि
मोिि को घरे लू िौकर से अहधक िैहसयि ििीं देिा था। मोिि भी यि बाि समझिा था। कि सुिकर उसे
समीप के सामान्य स्कू ल में दाहखला करा ददया गया। कामों के बोझ व िए वािावरण के कारण वि अपिी
कोई पिचाि ििीं बिा पाया। गर्मययों की छु ट्टी में भी वि िभी घर जा पािा जब रमेश या उसके घर का कोई
आदमी गाँव जा रिा िोिा। उसे अगले दरजे की िैयारी के िाम पर शिर में रोक हलया जािा।
मोिि िे पठरहस्थहियों से समझौिा कर हलया था। वि घर वालों को असहलयि बिाकर दुखी ििीं
करिा चाििा था। आिवीं कक्षा पास करिे के बाद उसे आगे पढ़िे के हलए रमेश का पठरवार उत्सुक ििीं था।
बेरोजगारी का िकय देकर उसका िकिीकी स्कू ल में दाहखल करा ददया गया। वि पिले की िरि घर व स्कू ल
के काम में व्यस्ि रििा। र्ेढ़-दो वषय के बाद उसे कारखािों के चक्कर काटिे पिे। इधर वंशीधर को अपिे बेटे
के बिे अिसर बििे की उरमीद थी। जब उसे वास्िहवकिा का पिा चला िो उसे गिरा दुख हुआ। धिराम िे

पाठ्यसामग्री-हिन्दी (आधार) कक्षा:ग्यारिवीं पृष्ठ 112 of 123


भी उससे पूछा िो उसिे झूि बोल ददया। धिराम िे उन्िें यिी किा-मोिि लला बचपि से िी बिे बुहद्धमाि
थे।
इस िरि मोिि और धिराम जीवि के कई प्रसंगों पर बािें करिे रिे। धिराम िे िँसव
ु े के िाल को
बेंि से हिकालकर िपाया, दिर उसे धार लगा दी। आमिौर पर िािमण टोले के लोगों का हशल्पकार टोले में
उििा बैििा ििीं िोिा था। काम-काज के हसलहसले में वे खिे-खिे बािचीि हिपटा ली जािी थी। िािमण
टोले के लोगों को बैििे के हलए कििा भी उिकी मयायदा के हवरुद्ध समझा जािा था। मोिि धिराम की
काययशाला में बैिकर उसके काम को देखिे लगा।
धिराम अपिे काम में लगा रिा। वि लोिे की मोटी छि को भट्टी में गलाकर गोल बिा रिा था, ककं िु
वि छि हििाई पर िीक से िं स ििीं पा रिी थी। अि: लोिा िीक ढंग से मुि ििीं पा रिा था। मोिि कु छ देर
उसे देखिा रिा और दिर उसिे दूसरी पकि से लोिे को हस्थर कर हलया। िपी-िुली चोटों से छि को पीटिे-
पीटिे गोले का रूप दे र्ाला। मोिि के काम में स्िू र्िय देखकर धिराम अवाक् रि गया। वि पुरोहिि खािदाि
के युवक द्वारा लोिार का काम करिे पर आिययचदकि था। धिराम के संकोच, धमयसंकट से उदासीि मोिि
लोिे के छल्ले की त्रुठटिीि गोलाई की जाँच कर रिा था। उसकी आँखों में एक सजयक की चमक थी।
प्रश्न-1 किािी के उस प्रसंग का उल्लेख करें , हजसमें दकिाबों की हवद्या और घि चलािे की हवद्या का हजक्र
आया िै।
उत्तर-हजस समय धिराम िेरि का पिािा ििीं सुिा सका िो मास्टर हत्रलोक बसंि िे जबाि के चाबुक लगािे
हुए किा दक 'िेरे ददमाग में िो लोिा भरा िै रे ! हवद्या का िाप किाँ लगेगा इसमें?' यि सच िै दक दकिाबों
की हवद्या का िाप लगािे की सामथ्यय धिराम के हपिा की ििीं थी। उन्िोंिे बचपि में िी अपिे पुत्र को धौंकिी
िें किे और साि लगािे के काम में लगा ददया था वे उसे धीरे -धीरे िथौिे से लेकर घि चलािे की हवद्या हसखािे
लगे। मास्टर जी पढ़ाई करिे समय छिी से और हपिा जी मिमािे औजार-िथौिा, छि, ित्था जो िाथ लगे
उससे पीट पीटकर हसखािे थे। इस प्रसंग में दकिाबों की हवद्या और घि चलािे की हवद्या का हजक्र आया िै।
प्रश्न-2 धिराम मोिि को अपिा प्रहिद्वंदी क्यों ििीं समझिा था?
उत्तर-धिराम के मि में िीची जाहि के िोिे की बाि बचपि से हबिा दी गई थी। दूसरे , मोिि कक्षा में सबसे
िोहशयार था। इस कारण मास्टर जी िे उसे कक्षा का मॉिीटर बिा ददया था। िीसरे , मास्टर जी कििे थे दक
एक ददि मोिि बिा आदमी बिकर स्कू ल और उिका िाम रोशि करे गा। उसे भी मोिि से बहुि आशाएँ थीं।
इि सभी कारणों से वि मोिि को अपिा प्रहिद्वंद्वी ििीं समझिा था।
प्रश्न-3 धिराम को मोिि के दकस व्यविार पर आियय िोिा िै और क्यों?
उत्तर-मोिि िाह्ण जहि का था। उस गाँव में िािमण स्वयं को श्रेष्ठ समझिे थे िथा हशल्पकारों के साथ उििे-
बैििे ििीं थे। यदद उन्िें बैििे के हलए कि ददया जािा िो भी उिकी मायायदा भंग िोिी थी। धिराम की दुकाि
पर काम खत्म िोिे के बाद भी मोिि देर िक बैिा रिा। यि देखकर धिराम िैराि िो गया। वि और अहधक
िैराि िब हुआ जब मोिि िे उसके िाथ से िथौिा लेकर लोिे पर िपी-िुली चोट मारिे लगा और धौंकिी
िूँ किे हुए भट्ठी में गरम दकया और िोक पीटकर उसे गोल रूप दे ददया।
प्रश्न-4 मोिि के लखिऊ आिे के बाद के समय को लेखक िे उसके जीवि का एक िया अध्याय क्यों किा?
उत्तर-लेखक िे मोिि के लखिऊ प्रवास को उसके जीवि का एक िया अध्याय किा िै। यिाँ आिे पर उसका
जीवि बँधी-बँधाई लीक पर चलिे लगा था। वि सुबि से शाम िक िौकर की िरि काम करिा था। िए
वािावरण व काम के बोझ के कारण मेधावी छात्र की प्रहिभा कुं ठिि िो गई। उसके उज्ज्वल भहवष्य की
कल्पिाएँ िि िो गई। अपिे पैरों पर खिा िोिे के हलए उसे कारखािों और िै हक्रयों के चक्कर लगािे पिे। उसे
कोई काम ििीं हमल सका।
प्रश्न-5 मास्टर हत्रलोक बसंि के दकस कथि को लेखक िे जबाि का चाबुक किा िै और क्यों?
पाठ्यसामग्री-हिन्दी (आधार) कक्षा:ग्यारिवीं पृष्ठ 113 of 123
उत्तर-एक ददि धिराम को िेरि का पिािा ििीं आया िो आदि अिुसार मास्टर जी िे संटी मँगवाई और
धिराम से सारा ददि पिािा याद करके छु ट्टी के समय सुिािे को किा। जब छु ट्टी के समय िक उसे पिािा
याद ि िो सका िो मास्टर जी िे उसे मारा ििीं वरि् किा दक “िेरे ददमाग में िो लोिा भरा िै रे ! हवद्या का
िाप किाँ लगेगा इसमें?" यिी वि कथि था हजसे पाि में लेखक िे जबाि का चाबुक किा िै क्योंदक धिराम
एक लोिार का बेटा था और मास्टर जी का यि कथि उसे मार से भी अहधक चुभ गया। जैसा दक किा भी
जािा िै 'मार का घाव भर जािा िै, पर किवी जबाि का ििीं भरिा'। यिी धिराम के साथ हुआ और हिराशा
के कारण वि अपिी पढ़ाई आगे जारी ििीं रख सका।
प्रश्न-6 गाँव और शिर, दोिों जगिों पर चलिे वाले मोिि के जीवि संघषय में क्या िकय िै?
उत्तर-गाँव में मोिि अपिे हलए संघषय कर रिा था। दूसरे गाँव की पािशाला में जािे के हलए प्रहिददि िदी
पार करिा, मि लगाकर पढ़िा, िर अध्यापक के मि में अपिी जगि बिािा – ये सारे संघषय वि अपिा
भहवष्य बिािे और अपिे मािा-हपिा के सपिे पूरे करिे के हलए कर रिा था। लखिऊ शिर में जाकर रमेश
के घर में आलू लािा, दिी लािा, धोबी को कपिे देकर आिा-ये सब काम वि रमेश के पठरवार के हलए कर
रिा था। इससे उसका अपिा भहवष्य धूहमल िो गया और मािा-हपिा के सपिे टूट गए। गाँव का िोििार
बालक शिर में घरे लू िौकर बिकर रि गया था।
प्रश्न-7 एक अध्यापक के रूप में हत्रलोक बसंि का व्यहक्तत्व आपको कै सा लगिा िै? अपिी समझ में उिकी
खूहबयों और खाहमयों पर हवचार करें ।
उत्तर-मास्टर हत्रलोक बसंि का व्यहक्तत्व अध्यापक के रूप में िीक-िाक लगिा िै। वे अछछे अध्यापक की िरि
बच्चों को लगि से पढ़ािे थे। वे दकसी के सियोग के हबिा पािशाला चलािे थे। वे अिुशासि हप्रय िैं िथा दंर्
के भय आदद के द्वारा बच्चों को पढ़ािे िैं। वे िोहशयार बच्चों के उज्ज्वल भहवष्य की कामिा करिे िैं। इि सब
हवशेषिाओं के बावजूद उिमें कहमयाँ भी िैं। वे जाहिगि भेदभाव को माििे िैं। वे हवद्यार्थययों को सख्ि दंर्
देिे थे। वे मोिि से भी बच्चों की हपटाई करवािे थे। वे कमजोर बच्चों को कटु बािें बोलकर उिमें िीि भाविा
भरिे थे। छात्रों में िीिभाविा िथा भेदभाव करिे का उिका िरीका अशोभिीय था।
प्रश्न-8 वंशीधर को धिराम के शब्द क्यों कचोटिे रिे?
उत्तर-वंशीधर को अपिे पुत्र से बिी आशाएँ थी। वे उसके अिसर बिकर आिे के सपिे देखिे थे। एक ददि
धिराम िे उिसे मोिि के बारे में पूछा िो उन्िोंिे घास का एक हििका िोिकर दाँि खोदिे हुए बिाया दक
उसकी सक्रेटेठरयट में हियुहक्त िो गई िै। शीघ्र िी वि बिे पद पर पहुँच जाएगा। धिराम िे उन्िें किा दक
मोिि लला बचपि से िी बिे बुहद्धमाि थे। ये शब्द वंशीधर को कचोटिे रिे, क्योंदक उन्िें मोिि की वास्िहवक
हस्थहि का पिा चल चुका था। लोगों से प्रशंसा सुिकर उन्िें दुःख िोिा था।
प्रश्न-9 रमेश बाबू िे मोिि को आिवीं कक्षा के बाद िाथ का िकिीकी काम क्यों हसखाया? क्या आप इसे
उहचि समझिे िैं?
उत्तर-रमेश बाबू िे मोिि को आिवीं कक्षा के बाद िाथ का काम हसखािे का िै सला दकया। इसके दो कारण
थे
पिला कारण ददखावटी था। उिकी मान्यिा थी दक आजकल बी.ए., एम.ए. करिे का कोई लाभ ििीं। इससे
बेरोजगारी िी बढ़िी िै। दूसरा कारण वास्िहवक था। वे मोिि की पढ़ाई पर पैसा ििीं खचय करिा चाििे थे।
कम-से-कम खचय करके उससे घर के काम लेिे रििा चाििे थे।
वास्िव में, आज के समय में िकिीकी हशक्षा अहधक बेििर िोिी िै, लेदकि एक स्िर िक सामान्य हशक्षा लेिे
के बाद िी। ऐसा ििीं दक पढ़ाई शुरू करिे िी िकिीकी हशक्षा ली जािे लगे , इससे िो बच्चा एक प्रहशहक्षि
मजदूर बिकर िी रि जाएगा। अिः आवश्यक िै दक एक स्िर िक सामान्य हशक्षा देिे के बाद उसे रोजगारपरक
िकिीकी हशक्षा दी जाए, िादक भहवष्य में वि आत्महिभयर बि सके ।

पाठ्यसामग्री-हिन्दी (आधार) कक्षा:ग्यारिवीं पृष्ठ 114 of 123


7. रजिी-मन्नू भंर्ारी
• जीवि पठरचय- मन्नू भंर्ारी का जन्म 1931 ई. में मध्यप्रदेश के भािपुरा में हुआ। इिकी आरं हभक
हशक्षा अजमेर में हुई।
रचिाएँ -इिकी रचिाएँ हिम्नहलहखि िैं

• किािी-संग्रि- एक प्लेट सैलाब, मैं िार गई, िीि हिगािों की एक िस्वीर, यिी सच िै, हत्रशंकु,
आँखों देखा झूि।
• उपन्यास- आपका बंटी, मिाभोज, स्वामी, एक इंच मुस्काि (राजेंद्र यादव के साथ)|
• पटकथाएँ- रजिी, हिमयला स्वामी, दपयण।
पाि का सार-ियी किािी आंदोलि में जो िया मोि आया. उसमें मन्नू भंर्ारी का हवशेष योगदाि रिा। उिकी
किाहियों में किीं पाठरवाठरक जीवि, किी िारी-जीवि और किीं समाज के हवहभन्न वगों के जीवि की
हवसंगहियाँ हवशेष आत्मीय अंदाज में अहभव्यक्त हुई िैं। चािे किािी िो या उपन्यास या दिर पटकथा-सभी
में मन्नू जी िे आक्रोश, व्यंग्य एवं संवेदिा को मिोवैज्ञाहिक रचिात्मक आधार ददया िै।
प्रस्िुि पाि 'रजिी' मन्नू भंर्ारी द्वारा हलहखि बहुचर्चयि टेलीहवजि धारावाहिक 'रजिी' की एक किी िै,
हजसमें जुझारू, स्त्री-पात्र एवं सूत्रधार रजिी हशक्षा की समस्या से जूझिी िजर आिी िै।
पिला दृश्य (लीला का घर)
रजिी लीला के घर जािी िै िथा उससे बाजार चलिे को कििी िै। लीला उसे बिािी िै दक आज अहमि का
ठरजल्ट आ रिा िै। रजिी उसे हमिाई िैयार रखिे को कििी िै, क्योंदक अहमि बहुि िोहशयार लिका िै।
अहमि के हलए भी रजिी आंटी 'िीरो' िैं। िभी अहमि स्कू ल से आिा िै। उसका चेिरा उिरा हुआ िै। वि
ठरपोटय कार्य माँ की िरि िें किे हुए कििा िै दक मैंिे पिले िी गहणि में ट्यूशि लगवािे को किा था। ट्यूशि
ि करिे की वजि में उसे के वल 72 अंक िी हमले। लीला कििी िै दक िुमिे िो सारे सवाल िीक दकए थे। िुरिें
पंचािवे िंबर जरूर हमलिे चाहिए थे। रजिी कार्य देखिी िै. दूसरे हवषयों में 86, 80, 88, 82, 90 अंक
हमले थे। सबसे कम गहणि में िी हमले थे। अहमि गुस्से व दुःख से कििा िै दक सर, बार-बार ट्यूशि करिे के
िथा ि करिे पर पठरणाम भुगििे के हलए िैयार रििे की चेिाविी देिे थे। रजिी अहमि को िसल्ली देिी िै
िथा सारी बािों की जाँच करिी िै। उसे पिा चलिा िै दक हमस्टर पािक उसे गहणि पढ़ािे िैं और अपिे िर
बच्चे को ट्यूशि लेिे के हलए कििे िैं। अहमि िे िाि ईयरली में हछयािबे िंबर पाए थो अध्यापक िे दिर भी
उससे ट्यूशि रखिे का आग्रि दकया। रजिी अहमि को समझािी िै दक उसे अध्यापक से लििा चाहिए। यि
सारी बदमाशी उसकी िै। रजिी अहमि से कििी िै दक वि कल उसके स्कू ल जाकर सर से हमलेगी। अहमि
र्रकर उन्िें जािे से रोकिा िै। रजिी उसे र्ाँटिी िै िथा अगले ददि स्कू ल जािे का संकल्प लेिी िै।
दूसरा दृश्य (िेर्मास्टर का कमरा)
रजिी अहमि के स्कू ल के िेर्मास्टर से हमलिे पहुँची। उसिे अहमि सक्सेिा की गहणि की कॉपी देखिे की
अिुमहि माँगी, िो िेर्मास्टर िे वार्षयक परीक्षा की कॉहपयाँ ददखािे में असमथयिा ददखाई। रजिी कििी िै
दक अहमि िे मैथ्स में पूरा पेपर िीक दकया था, परं िु उसे के वल बित्तर अंक हमले िैं। वि देखिा चाििी िै दक
गलिी दकसकी िै। िेर्मास्टर दिर भी कॉपी ि ददखािे पर अिा रििा िै और अहमि को दोषी बिािा िै।
रजिी कििी िै दक अहमि के हपछले ठरजल्ट बहुि बदढ़या िैं। इस बार उसके िंबर दकस बाि के हलए काटे
गए। िेर्मास्टर जब हियमों की दुिाई देिे िैं िो रजिी व्यंग्य करिी िै दक यिाँ िोहशयार बच्चों को भी ट्यूशि
लेिे के हलए मजबूर दकया जािा िै। िेर्मास्टर ट्यूशि को टीचसय व स्टूर्ट्ें स का आपसी मामला बिािा िै।

पाठ्यसामग्री-हिन्दी (आधार) कक्षा:ग्यारिवीं पृष्ठ 115 of 123


रजिी उसे कु सी छोििे के हलए कििी िै िादक ट्यूशि के काले धंधे को रोका जा सके । िेर्मास्टर आग बबूला
िोकर रजिी को विाँ से चले जािे को कििा िै।
िीसरा दृश्य (रजिी का घर)
शाम के समय रजिी का पहि घर आिा िै। वि उसके हलए चाय लािी िै, दिर उसे अपिे काम के बारे में
बिािी िै। इस पर उसका पहि रहव उसे समझािा िै दक टीचर ट्यूशि करें या धंधा। िुरिें क्या परे शािी िै।
िुरिारा बेटा िो अभी पढ़िे ििीं जा रिा। इस बाि पर रजिी गुस्सा िो जािी िै और कििी िै दक अहमि के
हलए आवाज क्यों ििीं उिािी चाहिए। अन्याय करिे वाले से अहधक दोषी अन्याय सििे वाला िोिा िै।
िुरिारे जैसे लोगों के कारण िी इस देश में कु छ ििीं िोिा।
चौथा दृश्य (र्ायरे क्टर ऑि एजुकेशि का कायायलय)
रजिी दफ्िर के बािर बेंच पर बैिी अहधकारी से हमलिे की प्रिीक्षा कर रिी िै। वि बैचि
े िो रिी िै। प्रिीक्षा
करिे-करिे जब बहुि देर िो जािी िै, िो यि बिबिािे लगिी िै। िभी एक आदमी आिा िै िथा हस्लप के
िीचे पाँच रुपये का िोट रखकर देिा िै। चपरासी उसे िुरंि अंदर भेजिा िै। रजिी यि देखकर क्रोहधि िोिी
िै। और चपरासी को धके लकर अंदर चली जािी िै। हिदेशक उसे घंटी बजिे पर अंदर जािे की बाि कििा
िै। रजिी उसे खरी-खोटी सुिािी िै। िो वि उससे बाि करिा िै। रजिी प्राइवेट स्कू लों और बोर्य के आपसी
संबंधों के बारे में जािकारी इकट्ठा कर रिी िै। हिदेशक समझिा िै दक शायद वि कोई ठरसचय प्रोजेक्ट पर
काम कर रिी िै। वि बिािा िै दक बोर्य मान्यिा प्राि प्राइवेट स्कू लों को भी 90% ग्रांट देिा िै। इस ग्रांट के
बदले बोर्य स्कू लों पर हियंत्रण रखिा िै। स्कू लों को उसके हियम माििे िोिे िैं।
इस पर रजिी कििी िै दक प्राइवेट स्कू लों में ट्यूशि के धंधे के बारे में आपका क्या हवचार िै। हिदेशक कििा
िै दक इसमें धंधे जैसी कोई बाि ििीं िै। कमजोर बच्चे के माँ-बाप अपिे बच्चों को ट्यूशि ददलवािे िैं। यि कोई
मजबूरी ििीं िै। इस पर रजिी उसे बिािी िै दक िोहशयार बच्चों को भी ट्यूशि लेिे के हलए मजबूर दकया
जािा िै। अगर ट्यूशि ि ली जाए िो उसके िंबर कम कर ददए जािे िैं। िेर्मास्टर ऐसे टीचर के हखलाि
एक्शि लेिे से परिेज करिा िै। क्या आपको ऐसे रै केट बंद करिे के हलए दखलअंदाजी ििीं करिी चाहिए?
इस पर हिदेशक कििा िै दक आज िक कोई हशकायि ििीं आई िै। रजिी व्यंग्य करिी िै दक हबिा हशकायि
के आपको कोई जािकारी ििीं िोिी। हिदेशक अपिी व्यस्ििा का िकय देिा िै, िो रजिी उसे कििी िै मैं
आपके पास हशकायिों का ढेर लगवािी हँ।
पाँचवाँ दृश्य (अखबार का कायायलय)
रजिी संपादक के पास जािी िै। संपादक उिके कायय की प्रशंसा करिा िै और कििा िै दक आपिे ट्यूशि के
हवरोध में बाकायदा एक आंदोलि िी खिा कर ददया। यि बहुि जरूरी िै। रजिी जोश में कििी िै दक आप
िमारा साथ दीहजए िथा इसे अपिे समाचार पत्र में स्थाि दीहजए। इससे यि बाि सीहमि लोगों िक िी ििीं
रिेगी। इससे अिेक अहभभावकों को रािि हमलेगी िथा बच्चों का भहवष्य सँवर जाएगा।
संपादक रजिी की भाविाएँ समझकर उसका साथ देिे का वादा करिा िै। उसिे सारी बािें िोट की िथा एक
आकषयक समाचार बिाया। रजिी उसे बिािी िै दक 25 िारीख को पेरेंट्स की मीटटंग की जा रिी िै। यि
सूचिा अखबार में जरूर ददया जाए, िादक सब लोगों को सूचिा हमल जाए।
छिा दृश्य (बैिक-स्थल)
एक िॉल में पेरेंट्स की मीटटंग चल रिी िै। बािर बैिर लगा हुआ िै। कािी लोग आ रिे िैं, हजससे िॉल भरा
हुआ िै। प्रेस के लोग आिे िैं। रजिी जोश में संबोहधि कर रिी िै आपकी बिी संख्या में उपहस्थहि से िमारी
मंहजल शीघ्र हमल जाएगी। कु छ बच्चों को ट्यूशि जरूरी िै, क्योंदक कु छ माँ पढ़ा ििीं सकिीं, िो कु छ हपिा
घर के काम में मदद ििीं करिे। टीचसय के एक प्रहिहिहध िे बिाया दक उन्िें कम वेिि हमलिा िै। अिः उन्िें
ट्यूशि करिा पििा िै। कई जगि कम वेिि देकर अध्यापकों से अहधक वेिि पर दस्िखि करवाए जािे िैं।
इस पर िमारा कििा िै दक वे संगठिि िोकर आंदोलि चलाएँ िथा अन्याय का पदायिाश करें । िम यि हियम
बिाएँ दक स्कू ल का टीचर अपिे स्कू ल के बच्चों का ट्यूशि ििीं करे गा। इस हियम को िोििे वाले टीचसय के
पाठ्यसामग्री-हिन्दी (आधार) कक्षा:ग्यारिवीं पृष्ठ 116 of 123
हखलाि सख्ि काययवािी की जाए। इससे बच्चों के साथ जोर-जबरदस्िी अपिे-आप बंद िो जाएगी। सभा में
लोगों िे इस बाि का समथयि दकया।
सािवाँ दृश्य (रजिी का घर)
रजिी का पहि अखबार पढ़िे हुए बिािा िै दक बोर्य िे उसके प्रस्िाव को ज्यों-का-त्यों स्वीकार कर हलया िै।
रजिी बहुि प्रसन्न िोिी िै। पहि भी उस पर गवय करिा िै। िभी लीला बेि, कांहिभाई और अहमि हमिाई
लेकर विाँ आ जािे िैं।
प्रश्न-1 'रजिी' पाि का संदश
े स्पि कीहजए।
उत्तर-'रजिी' पाि हशक्षा के व्यवसायीकरण, ट्यूशि के रैकेट, अहधकाठरयों की उदासीििा िथा आम जििा
द्वारा अन्याय का हवरोध करिे की आवश्यकिा आदद से संबंहधि संदश
े देिा िै। प्रस्िुि पाि िमें यि हसखािा
िै दक यदद अन्याय को ििीं रोका गया िो वि बढ़िा जाएगा। अन्याय का हवरोध पूरा समाज हमलकर कर
सकिा िै, क्योंदक आम आदमी के सियोग के हबिा सामाहजक,प्रशासहिक एवं राजिैहिक व्यवस्था में
सकारात्मक पठरवियि संभव ििीं िै।
प्रश्न-2 जब दकसी का बच्चा कमजोर िोिा िै, िभी उसके माँ-बाप दयूशि लगवािे िैं। अगर लगे दक कोई टीचर
लूट रिा िै, िो उस टीचर से ि ले ट्यूशि, दकसी और के पास चले जाएँ. यि कोई मजबूरी िो िै ििीं-प्रसंग
का उल्लेख करिे बिाएँ दक यि संवाद आपको दकस सीमा िक सिी या गलि लगिा िै, िकय दीहजए।
उत्तर-रजिी ट्यूशि के रै केट के बारे में हिदेशक के पास जािी िै। उसे बिािी िै दक बच्चों को जबरदस्िी ट्यूशि
करिे के हलए किा जािा िै। ऐसे लोगों के बारे में बोर्य क्या कर रिा िै? हिदेशक िे इस समस्या को गंभीरिा
से ििीं हलया। वे सिज भाव से कििे िैं दक ट्यूशि करिे में कोई मजबूरी ििीं िै। कमजोर बच्चे को ट्यूशि
पढ़िा पििा िै। अगर कोई अध्यापक उन्िें लूटिा िै िो वे दूसरे के पास चले जाएँ। हशक्षा हिदेशक का यि
जवाब बहुि घठटया व गैरहजरमेदारािा िै। वे ट्यूशि को बुरा ििीं माििे। उन्िें इसमें गंभीरिा िजर ििीं
आिी। वे बच्चों के शोषण को ििीं रोकिा चाििे। ऐसी बािें किकर वि अपिी हजरमेदारी से पल्ला झाििा
चाििा िै।
प्रश्न-3 “िो एक और आन्दोलि का मसला हमल गया”-िु सिु साकर किी गई यि बाि-
(क) दकसिे दकस प्रसंग में किी?
(ख) इससे कििे वाले की दकस मािहसकिा का पिा चलिा िै?
उत्तर-(क) यि बाि रजिी के पहि रहव िे पेरेंट्स मीटटंग के दौराि किी। रजिी िे कम वेिि पर काम करिे
वाले अध्यापकों को भी आंदोलि करिे के हलए कििी िै। उन्िें एकजुट िोकर अन्याय करिेवालों का पदायिाश
करिा चाहिए।
(ख) इस कथि से रहव की उदासीि मािहसकिा का पिा चलिा िै। इस िरि के व्यहक्त अन्याय के हखलाि
कोई प्रहिदक्रया व्यक्त ििीं करिा। ये स्वाथी प्रवृहत्त के िोिे िैं िथा अपिे िक िी सीहमि रििे िैं।
प्रश्न-4 रजिी धारावाहिक की इस किी की मुख्य समस्या क्या िै? क्या िोिा अगर-
(क) अहमि का पचाय सचमुच खराब िोिा।
(ख) संपादक रजिी का साथ ि देिा।
उत्तर-रजिी धारावाहिक की इस किी की मुख्य समस्या हशक्षा का व्यवसायीकरण िै। स्कू ल के अध्यापक बच्चों
को जबरदस्िी ट्यूशि पढ़िे के हलए हववश करिे िैं िथा ट्यूशि ि लेिे पर वे उिको कम अंक देिे िैं।
(क) यदद अहमि का पचाय खराब िोिा िो यि समस्या सामिे ििीं आिी और ि िी रजिी इसे आंदोलि का
रूप दे पािी। बच्चों और अहभभावकों को ट्यूशि के शोषण से पीहिि िोिा पििा।
(ख) यदद संपादक रजिी का साथ ि देिा िो यि समस्या सीहमि लोगों के बीच िी रि जािी। कम संख्या का
बोर्य पर कोई असर ििीं िोिा। आंदोलि पूरी िाकि से ििीं चल पािा और सिलिा संददग्ध रििी।
पाठ्यसामग्री-हिन्दी (आधार) कक्षा:ग्यारिवीं पृष्ठ 117 of 123
प्रश्न-5 गलिी करिे वाला िो िै िी गुििगार, पर उसे बदायश्ि करिे वाला भी कम गुििगार ििीं िोिा-इस
संवाद के संदभय में आप सबसे ज्यादा दकसे और क्यों गुििगार माििे िैं?
उत्तर-इस संवाद के संदभय में िम सबसे ज्यादा, अत्याचार करिेवाले को दोषी माििे िैं, क्योंदक सामान्य रूप
से चल रिे संसार में भी बहुि से कि, दुख और िकलीिें िैं। अत्याचारी उन्िें अपिे कारिामों से और बढ़ा देिा
िै। वि स्वयं ऊपर से खुश ददखाई देिा िै, पर उसकी आत्मा िो जाििी िी िै दक वि गलिी कर रिा िै। उसके
द्वारा हजसे सिाया जा रिा िै वि भी कि उिा रिा िै और उसकी आत्मा भी कि उिािी िै। इसहलए वि कि
से मुक्त िोिे के उपाय सोचिा िै, पर ऐसा कर ििीं पािी। ज्यादािर यिी िोिा िै। अिः अत्याचारी िी कि
का प्रथम कारण िोिे की वजि से अहधक दोषी िै।
प्रश्न-6 स्त्री के चठरत्र की बिी बिाई धारणा से रजिी का चेिरा दकि मायिों में अलग िै?
उत्तर-रजिी आम हस्त्रयों से अलग िै। आम स्त्री सििशील िोिी िै, वि र्रपोक िोिी िै। वि अन्याय का हवरोध
ििीं करिी िथा संघषों से दूर रििा चाििी िै। रजिी इि सबके हवपरीि जुझारू संघषयशील व बिादुर िै।
वि अपिे सामिे िो रिे अन्याय को ििीं सिि कर सकिी। वि अपिे पहि िक को खरी-खोटी सुिािी िै िथा
अहधकाठरयों की बखंचाई करिी िै। यि ट्यूशि के हवरोध में जि-आंदोलि खिा कर देिी िै।
प्रश्न-7 गहणि के टीचर के हखलाि अन्य बच्चों िे आवाज क्यों ििीं उिाई?
उत्तर-गहणि का अध्यापक बच्चों को जबरदस्िी ट्यूशि पर आिे के हलए कििा था। ऐसा ि करिे पर उिके
अंक िक काट देिा था। दूसरे बच्चों िे उसके हखलाि आवाज ििीं उिाई, क्योंदक उन्िें लगिा था दक ऐसा करिे
पर अगली कक्षाओं में भी उिके साथ भेदभाव दकया जाएगा। अध्यापक उिका भहवष्य हबगाि देगा और
उसका कु छ ििीं हबगिेगा। इस र्र से अहमि व उसकी माँ भी रजिी को हवरोध करिे से रोकिा चाििे थे।
प्रश्न-8 रजिी संपादक से क्या सिायिा माँगिी िै?
उत्तर-रजिी संपादक को ट्यूशि की समस्या बिािी िै िथा उसे अखबार में छापिे का आग्रि करिी िै। वि
उिसे कििी िै दक 25 िारीख की पेरेंट्स मीटटंग की खबर भी प्रकाहशि करें । इससे सब लोगों िक खबर पहुँच
जाएगी। व्यहक्तगि िौर पर िम कम लोगों से संपकय कर पाएँगे।
प्रश्न 9. ‘रजिी’ के चठरत्र की हवशेषिाएँ हलहखए।
उत्तर – रजिी इस किािी की िाहयका िै। उसके चठरत्र का सबसे बिा गुण यि िै दक वि िमेशा संघषयशील
रििी िै। अन्याय के हवरुद्ध लििी िै। वि हिभीक बेबाक और आत्महवश्वाश से भरपूर िै। वि सच्चाई के हलए
दकसी से भी टकरािे के हलए िैयार रििी िै। उसमें लोगों को इकट्ठा करिे एवं िकय सहिि अपिे बािों से लोगों
को प्रभाहवि करिे की अद्भूि शहक्त िै।

7. जामुि का पेि-कृ श्नचंदर


जीवि पठरचय-जन्म पंजाब के गुजरांकला हजले के बजीराबाद गाँव में 1917 ई. में हुआ। मृत्यु-सि् 1977 ई.
में
रचिाएँ-इिकी रचिाएँ हिम्नहलहखि िैं-
किािी संग्रि-ए(क) हगरजा-ए-खंदक, यूकेहलप्ट्स की र्ाली।
उपन्यास-हशकस्ि, जरगाँव की रािी, सिक वापस जािी िै, आसमाि रौशि िै, एक गधे की आत्मकथा,
अन्नदािा, िम विशी िै, जब खेि जागे, बावि पिे, एक वायहलि समंदर के दकिारे , कागज की िाव, मेरी
यादों के दकिारे ।
सारांश-‘जामुि का पेि’ कृ श्नचंदर की प्रहसद्ध िास्य-व्यंग्य कथा िै। िास्य-व्यंग्य के हलए चीजों को अिुपाि से
ज्यादा िै ला-िु लाकर ददखलािे की पठरपाटी पुरािी िै और यि किािी भी उसका अिुपालि करिी िै।

पाठ्यसामग्री-हिन्दी (आधार) कक्षा:ग्यारिवीं पृष्ठ 118 of 123


इसहलए इसकी घटिाएँ अहिशयोहक्तपूणय और अहवश्वसिीय लगिे लगिी िै। हवश्वसिीयिा ऐसी रचिाओं के
मूल्यांकि की कसौटी ििीं िो सकिी। प्रस्िुि पाि यि स्पि करिा िै दक कायायलयी िौर-िरीकों से पाया जािे
वाला हवस्िार दकििा हिरथयक और पदािुक्रम दकििा िास्यस्पद िै। यि व्यवस्था के संवेदिशून्य व
अमािवीयिा के रूप को भी बिािा िै।
राि को चली आँधी में सहचवालय के पाकय में जामुि का पेि हगर गया। सुबि माली िे देखा दक उसके
िीचे एक आदमी दबा पिा िै। उसिे यि सूचिा िुरंि चपरासी को दी। इस िरि हमिटो में दबे आदमी के पास
भीि इकट्ठी िो गई। क्लकों को रसीले जामुिों की याद आ रिी थी, िभी माली िे आदमी के बारे में पूछा। उन्िें
उस आदमी के जीहवि िोिे में संदि
े था, िभी वि दबा आदमी बोल पिा। माली िे पेि िटािे का सुझाव ददया
परं िु सुपठरटेंर्टें िे अपिे ऊपर के अहधकारी से पूछिे की बाि किी। इस िरि बाि हर्प्टी सेक्रेटरी, ज्वाइंट
सेक्रेटरी, चीि सेक्रेटरी हमहिस्टर के पास पहुँची। मंत्री िे चीि सेक्रेटरी से कु छ किा और उसी क्रम में बाि
िीचे िक पहुँची। दोपिर को भीि इकट्ठी िो गई। कु छ मिचले क्लकय सरकारी इजाजि के हबिा पेि िटािा
चाििे थे दक िभी सुपठरटेंर्टें िाइल लेकर भागा-भागा आया और किा दक यि काम कृ हष हवभाग का िै। वि
उन्िें िाइल भेज रिा िै। कृ हष हवभाग िे पेि िटवािे की हजरमेदारी व्यापार हवभाग पर र्ाल दी। व्यापार
हवभाग िे कृ हष हवभाग पर हजरमेदारी र्ालकर अपिा पल्ला झाि हलया। दूसरे ददि भी िाइल चलिी रिी।
शाम को इस मामले को िोंटीकल्चर हवभाग के पास भेजिे का िै सला दकया गया क्योंदक यि एक िलदार
पेि था।
राि को माली िे दबे हुए आदमी को दाल-भाि हखलाया, जबदक उसके चारों िरि पुहलस का पिरा
था। माली िे उसके पठरवार के बारे में पूछा िो दबे हुए आदमी िे स्वयं को लावाठरस बिाया। िीसरे ददि
िॉटीकल्चर हवभाग से जवाब आया दक आजकल ‘पेि लगाओ’ स्कीम जोर-शोर से चल रिी िै। अिः जामुि
के पेि को काटिे की इजाजि ििीं दी जा सकिी।
एक मिचले िे आदमी को काटकर हिकालिे की बाि किी हजससे पेि बच जाए। दबे हुए आदमी िे
इस पर आपहत्त की दक ऐसे िो वि मर जाएगा। आदमी को काटकर हिकालिे वाले िे अपिा िकय ददया दक
आजकल प्लाहस्टक सजयरी उन्नहि कर चुकी िै। यदद आदमी को बीच में से काटकर हिकाल हलया जाए िो उसे
प्लाहस्टक सजयरी से जोिा जा सकिा िै। इस बाि पर िाइल मेहर्कल हवभाग भेजी गई। विाँ से ठरपोटय आई
दक सारी जाँच-पििाल से पिा चला िै दक प्लाहस्टक सजयरी िो िो सकिी िै, ककं िु आदमी मर जाएगा। अिः
यि िै सला रद्द िो गया।
िाइल चलिी रिी। राि को माली िे उस आदमी को बिाया दक कल सभी सहचवों की बैिक िोगी।
विाँ के स सुलझिे के आसार िैं। दबे हुए आदमी िे गाहलब का एक शेर सुिाया
"ये िो मािा दक िगािु ल ि करोगे लेदकि
खाक िो जाएँगे िम िुमको खबर िोिे िक”
यि सुिकर माली िैराि िो गया। आदमी के शायर िोिे की बाि सारे सहचवालय में िै ल गई। दिर यि चचाय
शिर मैं िै ल गई और िरि-िरि के कहव व शायर विाँ इकट्ठे िो गए। वे सभी अपिी रचिाएँ सुिािे लगे। जब
यि पिा चला दक दबा हुआ व्यहक्त कहव िै, िो सब-कमेटी िे यि मामला कल्चरल हर्पाटयमेंट को सौंप ददया।
साहित्य अकादमी के सहचव के पास िाइल पहुँची। सहचव उसी समय उस आदमी का इंटरव्यू लेिे पहुँचा। दबे
हुए आदमी िे बिाया दक उसका उपिाम ओस िै िथा कु छ ददि पिले उसका हलखा हुआ ‘ओस के िू ल’ संग्रि
प्रकाहशि हुआ िै। सहचव िे आियय जिाया दक इििा बिा लेखक उिकी अकादमी का सदस्य ििीं िै। आदमी
िे किा दक मुझे पेि के िीचे से हिकाहलए। सहचव उसे आश्वासि देकर चला गया।
अगले ददि सहचव िे उसे साहित्य अकादमी का सदस्य चुिे जािे की बधाई दी। आदमी िे उससे
पेि के िीचे से हिकालिे की प्राथयिा की िो उसिे असमथयिा जिाई। उसिे किा दक यदद िुम मर गए िो वे
उसकी बीवी को वजीिा दे सकिे िैं। उिके हवभाग का संबंध हसिय कल्चर से िै। पेि काटिे का काम आरी-
कु ल्िािी से िोगा। वि हवभाग को हलख ददया गया िै। शाम को माली िे बिाया दक कल वि हवभाग वाले पेि
काट देंगे।

पाठ्यसामग्री-हिन्दी (आधार) कक्षा:ग्यारिवीं पृष्ठ 119 of 123


माली खुश था। दबे हुए आदमी का स्वास्थ्य जवाब दे रिा था। दूसरे ददि वि हवभाग के लोग आरी
कु ल्िािी लेकर आए िो हवदेश हवभाग के आदेश से यि कायय रोक ददया गया। यि पेि पीटोहिया राज्य के
प्रधािमंत्री िे सहचवालय में दस साल पिले लगाया था। पेि काटिे से दोिों राज्यों के संबंध हबगि जाएँगे।
पीटोहिया सरकार राज्य को बहुि सिायिा देिी िै। दो देशों की खाहिर एक आदमी के जीवि का बहलदाि
ददया जा सकिा िै।
अंर्र सेक्रेटरी िे बिाया दक प्रधािमंत्री हवदेश दौरे से सुबि वापस आ गए िैं। अब वे िी हिणयय करें गे।
शाम के पाँच बजे स्वयं सुपटरं टेंर्टे कहव की िाइल लेकर आया और हचल्लाया दक प्रधािमंत्री िे सारी
हजरमेदारी स्वयं लेिे हुए पेि काटिे की अिुमहि दे दी। कल यि पेि काट ददया जाएगा। िुरिारी िाइल पूरी
िो गई। परं िु कहव का िाथ िं र्ा था। उसके जीवि की िाइल भी पूरी िो चुकी थी।
प्रश्न 1 दबा हुआ आदमी एक कहव िै, यि बाि कै से पिा चली और इस जािकारी का िाइल की यात्रा पर
क्या असर पिा?
उत्तर-सेक्रेटेठरयट के लॉि में खिा जामुि का पेि राि की आँधी में हगर गया। इसके िीचे एक आदमी दब गया।
उसे बचािे के हलए एक सरकारी िाइल बिी। वि एक हवभाग से दूसरे हवभाग में जािे लगी। माली िे उस
आदमी को िौसला देिे हुए उसे हखचिी हखलाई और किा दक उसका मामला ऊपर िक पहुँच गया िै। िब
उस व्यहक्त िे आि भरिे हुए गाहलब का शेर किा
"ये िो मािा दक िगािु ल ि करोगे लेदकि
खाक िो जाएँगे िम िुमको खबर िोिे िक "
माली उसे पूछिा िै दक क्या आप शायर िैं? उसिे िाँ में हसर हिलाया। दिर माली िे यि बाि क्लको को
बिाई। इस प्रकार यि बाि सारे शिर में िै ल गई। सेक्रेटठरयट में शिर-भर के कहव व शायर इकट्ठे िो गए।
िाइल कल्चर हर्पाटयमेंट को भेजी गई। विाँ का सहचव उस व्यहक्त का इंटरव्यू लेिे आया और उसे अकादमी
का सदस्य बिा ददया ककं िु यि किकर दक पेि से िीचे से हिकालिे का काम उसके हवभाग का ििीं िै वि
िाइल वि हवभाग को भेज देिा िै। इससे पेि िटािे या काटिे की अिुमहि हमलिे का रास्िा और लंबा िो
गया िै।
प्रश्न-2 कृ हष हवभाग वालों िे मामले को िॉटीकल्चर हवभाग को सौंपिे के पीछे क्या िकय ददया?
उत्तर-कृ हष हवभाग िे मामला िॉटीकल्चर हर्पाटयमेंट को सौंपिे हुए हलखा-क्योंदक यि एक िलदार पेि का
मामला िै और एग्रीकल्चर हर्पाटयमेंट अिाज और खेिी-बािी के मामलों में िै सला करिे का िकदार िै। जामुि
का पेि चूँदक एक िलदार पेि िै। इसहलए यि हवषय िॉटीकल्चर हर्पाटयमेंट के अंिगयि आिा िै।
प्रश्न-3 किािी में दो प्रसंग ऐसे िैं, जिाँ लोग पेि के िीचे दबे आदमी को हिकालिे के हलए कठटबद्ध िोिे िैं?
उत्तर-एक बार िो किािी के शुरुआि में पिले िी ददि माली के कििे पर जमा भीि िैयार थी दक सब हमलकर
जोर लगािे िैं। उसी समय सुपठरटेंर्टें बोला दक 'ििरो! मैं अंर्र सेक्रेटरी से पूछ लेिा हँ और इससे यि मामला
िप्प िो गया। दूसरा प्रसंग दोपिर के भोजि के समय आिा िै। दबे हुए व्यहक्त को बािर हिकालिे के हलए
िाइल कायायलय में घूम रिी थी िो कु छ मिचले दकस्म के क्लकय सरकारी िै सले के इंिजार के हबिा इस पेि
को स्वयं िटा देिा चाििे थे दक उसी समय सुपठरटेंर्टें िाइल लेकर भागा-भागा आया और किा दक कृ हष
हवभाग के अधीि आिे वाले इस पेि को िम ििीं काट सकिे। इस प्रकार पेि िटािे का मामला खट्टाई में पि
जािा िैि।ै
प्रश्न-4 यि कििा किाँ िक युहक्तसंगि िै दक इस किािी में िास्य के साथ-साथ करुणा की भी अंिधायरा िै?
अपिे उत्तर के पक्ष में िकय दीहजए।
उत्तर-यि कििा हबल्कु ल सिी िै दक इस किािी िास्य के साथ-साथ करुणा की भी अंिधायरा िै। व्यहक्त पेि के
िीचे दबा हुआ िै। चारों िरि भीि जमा िै। वे जामुि के पेि िथा रसीले जामुिों की चचाय कर रिे िैं परं िु
दबे व्यहक्त को बचािे का प्रयास ििीं िोिा िै। क्लकों, अहधकाठरयों िथा हवभागों की काययप्रणाली िास्य के
साथ करुणा को जाग्रि करिी िै। िाइल चलिी रििी िै। माली िी दया करके उसे खािा हखला देिा िै। कु छ
लोग आदमी को काटकर उसे प्लाहस्टक सजयरी से जोििे की बाि कििे िैं। यि संवेदििीििा का चरम रूप

पाठ्यसामग्री-हिन्दी (आधार) कक्षा:ग्यारिवीं पृष्ठ 120 of 123


िै। कल्चर हवभाग का सहचव उसे अकादमी का सदस्य बिा देिा िै, उससे हमिाई माँगिा िै, परं िु उसे बचािे
का प्रयास ििीं करिा। देशों के संबंध के िाम पर आम आदमी की बहल चढ़ाई जा सकिी िै। ये सभी घटिाएँ
करुणा की गिििा को व्यक्त करिी िैं।
प्रश्न-5 यदद आप माली की जगि पर िोिे, िो हुकू मि के िै सले का इंिजार करिे या ििीं? अगर िाँ िो क्यों
और ििीं, िो क्यों?
उत्तर-यदद िम माली के स्थाि पर िोिे िो हुकू मि के िै सले का जरा भी इंिजार ि करिे और हबिा दकसी की
परवाि दकए दबे हुए आदमी को हिकाल लेिे, क्योंदक दकसी भी हवभाग, कािूि और हुकू मि के िै सले से
ज्यादा आवश्यक िै दकसी की जाि बचािा। अिः सबसे पिले विी दकया जािा चाहिए। इििे सारे लोगों के
बीच मिज औपचाठरकिा के चलिे एक व्यहक्त की जाि चली जािा मिुष्यिा के िाम पर धब्बा िै।
प्रश्न-6 िॉटीकल्चर हवभाग का जवाब व्यंग्यपूणय क्यों था?
उत्तर-िॉटीकल्चर हवभाग के सहचव िे जवाब ददया दक उिका हवभाग पेि लगाओ अहभयाि में जोर-शोर से
जुटा हुआ िै। ऐसे में दकसी भी अहधकारी को पेि काटिे की बाि ििीं सोचिी चाहिए। जामुि िलदार पेि िै।
अिः िलदार पेि को काटिे की अिुमहि कदाहप ििीं दे सकिे। लेखक व्यंग्य करिा िै दक ऐसे अिसरों को
अपिी िीहियों और पद की अहधक बचंिा रििी िै, व्यहक्त की जाि की ििीं।
प्रश्न-7 पेि के बजाय आदमी को काटिे की सलाि पर ठटप्पणी करें ।
उत्तर-एक मिचले क्लकय िे सलाि दी दक यदद जामुि के िलदार पेि को बचािे की जरूरि िै िो उसके िीचे
दब आदमी को काटकर हिकाल लो दिर उसे प्लाहस्टक सजयरी से जोि ददया जाएगा। इस िरीके से पेि भी
बच जाएगा। यि सुझाव सरकारी बाबुओं की संवेदिशून्यिा पर चोट करिा िै। ये लोग अपिे स्वाथय के हलए
कु छ भी कर सकिे िैं। इिका मुख्य उद्देश्य अपिे अिसरों को खुश रखिा िै।
प्रश्न-8 साहित्य अकादमी के सहचव िे शायर को क्या बिाया?
उत्तर-उसिे शायर को बिाया दक िुरिें साहित्य अकादमी िे अपिी कें द्रीय शाखा का सदस्य चुि हलया गया
िै। िमारा हवभाग िुरिे पेि के िीचे से िो ििीं हिकाल सकिा दकन्िु िुरिारे मरिे के बाद िुरिारी बीवी को
वजीिा दे सकिा िै। िालांदक िमिे िॉरे स्ट हर्पाटयमेंट को हलख ददया िै और अजेंट हलखा िै।
प्रश्न-9 साहित्य अकादमी के सेक्रेटरी िे लौटकर क्या बिाया?
उत्तर-साहित्य अकादमी के सेक्रेटरी िे लौटकर िीि बािें बिाईं-
(क) दबे हुए व्यहक्त (कहव) को साहित्य अकादमी के कें द्रीय शाखा का मेरबर चुि हलया गया िै।
(ख) वे दबे हुए व्यहक्त को पेि के िीचे से ििीं हिकाल सकिे लेदकि उसके मरिे पर उसकी पत्नी को वजीिा
दे सकिे िैं।
(ग) िमारा हवभाग हसिय कल्चर से संबंहधि िै। पेि काटिे का मामला कलम-दवाि से ििीं, आरी-कु ल्िािी से
संबंहधि िै। उसके हलए िमिे िॉरे स्ट हर्पाटयमेंट को हलख ददया िै और अजेंट हलखा िै।

8. भारि मािा-जवािरलाल िेिरू


भारि मािा' अध्याय बिंदस्ु िाि की किािी का पाँचवाँ अध्याय िै। इसमें िेिरू जी िे बिाया िै दक
दकस िरि देश के कोिे-कोिे में आयोहजि जलसों में जाकर वे आम लोगों को बिािे थे दक अिेक हिस्सों में
बँटा िोिे के बाद भी बिंदस्ु िाि एक िै। इस अपार िै लाव के बीच एकिा के क्या आधार िैं और क्यों भारि
एक देश िै, हजसके सभी हिस्सों की हियहि एक िी िरीके से बििी-हबगििी िै।
पाि का सारांश-िेिरू जी कििे िैं दक जब वे जलसों में जािे िैं िो वे लोगों से भारि की चचाय करिे
िैं। भारि संस्कृ ि शब्द िै और इस जाहि के परं परागि संस्थापक के िाम से हिकला िै। शिरों के लोगों के
बजाय वे गाँवों में दकसािों से देश के बारे में चचाय करिे िैं। वे उन्िें बिािे िैं दक देश के हिस्से अलग िोिे हुए
भी एक िैं। िेिरू जी िे भारि की यात्रा के दौराि लोगों को यि समझािे का प्रयास दकया दक िर जगि
पाठ्यसामग्री-हिन्दी (आधार) कक्षा:ग्यारिवीं पृष्ठ 121 of 123
दकसािों की समस्याएँ एक-सी िैं-गरीबों, कजयदारों, पूँजीपहियों के हशकं जे, जमींदार, मिाजि, किे लगाि
और सूद, पुहलस के जुल्म। ये सभी बािें हवदेशी सरकार की देि िैं िथा सबको इससे छु टकारा पािे के हलए
सोचिा िै। सभी लोगों को देश के बारे में सोचिा िै। वे लोगों से हवदेशों मे िोिे वाली घटिाओं का हजक्र
करिे। दकसािों को हवदेशों के बारे में समझािा आसाि ि था ककं िु मुहश्कल भी ििीं था क्योंदक िमारे
मिाकाव्यों व पुराणों िे इस देश की कल्पिा करा दी थी और िीथय यात्रा करिे वाले लोगों िे या बर्ी लर्ाइयों
में भाग लेिे हसपाहियों और कछ िे हवदेशों में िौकरी करके देश-दहिया की जािकारी दी। सि् िीस की आर्थयक
मंदी की वजि से दूसरे देशों के बारे में िेिरू जी के ददए गए उदािरण लोगों के समझ में आ जािे थे।
जलसों में िेिरू का स्वागि अकसर 'भारि मािा की जय' के िारे से िोिा था। वे लोगों से इस िारे
का मिलब पूछिे िो वे जवाब ि दे पािे। एक िट्टे-कट्टे दकसाि िे भारि मािा का अथय धरिी बिाया। उन्िोंिे
पूछा दक कौि-सी धरिी? उिके गाँव, हजले, सूबे या पूरे देश की धरिी। इस प्रश्न पर दिर सब चुप िो जािे।
िेिरू उन्िें बिािे िैं दक भारि वि िै जो उन्िोंिे समझ रखा िै। इसमें िदी, पिाि, जंगल, खेि आदद सब िो
शाहमल िैं िी परं िु भारि मािा वास्िव में िै-इस देश में रििे वाले लोग। भारि मािा की जय का अथय िै-इि
सबकी जय।
प्रश्न-1 भारि की चचाय िेिरू जी कब और दकससे करिे थे?
उत्तर-भारि की चचाय िेिरू जी देश के कोिे-कोिे में आयोहजि जलसों में जाकर अपिे सुििे वालों से दकया
करिे थे। इस हवषय की चचाय ज्यादािर वे दकसािों से करिे थे। उन्िें लगिा था दक शिर के लोग िो ज्यादा
समझदार िोिे िैं परन्िु गाँव में रििे वाले दकसािों को संपूणय भारि के बारे में जािकारी कम िै िथा उिका
दृहिकोण सीहमि िै। अिः उिके सामिे वे अक्सर भारि की चचाय दकया करिे थे।
प्रश्न-2 िेिरू जी भारि के सभी दकसािों से कौि-सा प्रश्न बार-बार करिे थे?
उत्तर-िेिरू जी भारि के सभी दकसािों से हिम्नहलहखि प्रश्न बार-बार करिे थे-वे 'भारि मािा की जय' से
क्या समझिे िैं? यि भारि मािा कौि िै? वि धरिी कौि-सी िै हजसे वे भारि मािा कििे िैं-गाँव की, हजले
की, सूबे की या पूरे बिंदस्ु िाि की।
प्रश्न-3 दुहिया के बारे में दकसािों को बिािा िेिरू जी के हलए क्यों आसाि था?
उत्तर-िेिरू जी के हलए दकसािों को दुहिया के बारे में बिािा आसाि था। इसकी वजि यि थी दक िमारे
पुरािे मिाकाव्यों िे और पुराणों की कथा-किाहियों िे, हजन्िें वे खूब जाििे थे, उन्िें इस देश की कल्पिा करा
दी थी, और िमेशा कु छ लोग ऐसे हमल जािे थे, हजन्िोंिे िमारे बिे-बिे िीथों की यात्रा कर रखी थी, जो
बिंदस्ु िाि के चारों कोिों पर िैं। या िमें पुरािे हसपािी हमल जािे, हजन्िोंिे हपछली बिी जंग में या और धावों
के हसलहसले में हवदेशों में िौकठरयाँ की थीं। सि् िीस के बाद जो आर्थयक मंदी पैदा हुई थी, उसकी वजि से
दूसरे मुल्कों के बारे में मेरे िवाले उिकी समझ में आ जािे थे।
प्रश्न-4 दकसाि सामान्यि: भारि मािा का क्या अथय बिािे थे?
उत्तर-दकसाि सामान्यि: 'भारि मािा' का अथय-धरिी से समझिे थे। िेिरू जी िे उन्िें समझाया दक उिके
गाँव, हजले, िददयाँ, पिाि, जंगल, खेि ये सब िो भारि िै िी परन्िु इि सब से बढ़कर भारि मािा वे लोग
िैं जो इस बिंदस्ु िाि की धरिी पर रििे िैं। ये करोिों भारिीय िी भारि मािा िैं। भारि मािा की जय का
अथय िै इि सब लोगों की जय।
प्रश्न-5 भारि मािा के प्रहि िेिरू जी की क्या अवधारणा थी?
उत्तर-भारि मािा के प्रहि िेिरू जी की अवधारणा थी दक देश का िर हिस्सा-िदी, पिाि, खेि आदद सभी
भारि मािा िै और इि सबसे भी ज्यादा मित्वपूणय भारि में रििे वाले करोिों लोग िैं, वे िी भारि मािा िैं।
'भारि मािा की जय' का अथय िै-करोिों भारिवाहसयों की जय। इस धारणा का अथय िै दक दकसी भूभाग पर
रििे वाले लोगों से िी देश बििा िै ि दक के वल दकसी भूभाग या विाँ हस्थि िदी, पिाि, जंगल आदद से ।
पाठ्यसामग्री-हिन्दी (आधार) कक्षा:ग्यारिवीं पृष्ठ 122 of 123
प्रश्न-6 आजादी से पूवय दकसािों को दकि समस्याओं का सामिा करिा पििा था?
उत्तर-आजादी से पूवय दकसािों को गरीबी, कजयदारी, पूँजीपहियों के हशकजे में िैं से रििा, जमींदारों और
मिाजिों के कजय के जाल में िं सकर अपिा सब कु छ गँवा देिा, लगाि, पुहलस के अत्याचार, अहधक ब्याज
देिा, हवदेशी शासि के अत्याचार आदद समस्याओं का सामिा करिा पििा था।
प्रश्न-7 भारि के हवकास को लेकर आप क्या सपिे देखिे िैं?
उत्तर-भारि के हवकास को लेकर मेरा सपिा हिम्नहलहखि िै-
(क) सभी भारिीयों को रोटी, कपिा व मकाि सिजिा से हमले।
(ख) हशक्षा और स्वास्थ्य का अहधकार सबको हमले।
(ग) देश के कृ हष व औद्योहगक क्षेत्रों में हवकास िो िादक लोगों को रोजगार हमले।
(घ) देश में िकिीकी क्रांहि आए।
(ङ) देश में शांहि का मािौल कायम रिे।
प्रश्न-8 आपकी दृहि में भारि मािा और बिंदस्ु िाि की क्या संकल्पिा िै? बिाइए।
उत्तर-मेरी दृहि में भारि मािा या बिंदस्ु िाि वि देश िै जो हवहभन्न भौगोहलक सीमाओं से आबद्ध िै। उत्तर में
हिमालय इसका मस्िक िै जो प्रिरी के समाि इसकी राि-ददि रक्षा करिा िै िो दहक्षण में सागर इसके चरणों
को पखारिा िै। अिेक िददयाँ, पिाि, जंगल, खेि, पशु-पक्षी इसकी शोभा में वृहद्ध करिे िैं। इस देश का िर
हिवासी इसका अंश िै। इि सबको हमलाकर बिा हुआ देश भारि िै।
प्रश्न-9 वियमाि समय में दकसािों की हस्थहि दकस सीमा िक बदली िै? चचाय कर हलहखए?
उत्तर-आज दकसािों की दशा में क्रांहिकारी बदलाव आए िैं। अब वे अपिे खेिों के माहलक िैं। उन्िें लगाि ििीं
देिा पििा। सूखा पििे या बाढ़ आिे पर उन्िें मुआवजा हमलिा िै। उिकी िसलों की खरीद िेिु सरकार
न्यूििम मूल्य घोहषि करिी िै। अछछे बीज, खाद, कीटिाशक, हबजली, पािी आदद सब पर सरकार भारी
सहब्सर्ी देिी िै। अब उन्िें भूखा ििीं मरिा पििा। खेिी के साथ वे छोटे-छोटे कु टीर उद्योग भी लगा सकिे
िैं। अब उन्िें मिाजिों, जमींदारों और पुहलस के अत्याचार सििे ििीं पििे।

पाठ्यसामग्री-हिन्दी (आधार) कक्षा:ग्यारिवीं पृष्ठ 123 of 123

You might also like