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केन्द्रीय विद्यालय संगठन जम्मू संभाग

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केन्द्रीय विद्यालय संगठन जम्मू संभाग

केंरीय विद्यालय संगठन


जम्मू संभाग, जम्मू

छात्रोपयोगी सहायक- सामग्री सत्र 2023-24


कक्षा- 12िीं
विषय- हहं दी (आधार) कोड सं. 302

मुख्य संरक्षक
श्री नगेन्द्र गोयल, उपायुक्त
के.वि.सं. क्षेत्रीय कायाालय, जम्मू संभाग, जम्मू

संरक्षक
श्री जी.एस. मेहता, सहायक आयुक्त क्षेत्रीय कायाालय, जम्मू संभाग
श्री इस्लाम खान, सहायक आयुक्त क्षेत्रीय कायाालय, जम्मू संभाग
श्री अननल कुमार, सहायक आयुक्त क्षेत्रीय कायाालय, जम्मू संभाग

मागादर्ाक
श्री आर. के. श्रीिास्ति, प्राचाया के.वि. सुन्द्दरबनी

सहायक-सामग्री प्रस्तुतकताा
श्री संजय कुमार, स्नातकोत्तर नर्क्षक (हहं दी), के.वि. क्र.1, उधमपुर
श्री महािीर प्रसाद रै गर, स्नातकोत्तर नर्क्षक (हहं दी), के.वि. जजन्द्राह
श्री सुरेर् चन्द्र र्माा, स्नातकोत्तर नर्क्षक (हहं दी), के.वि. भरिाह
श्री लाल नसंह, स्नातकोत्तर नर्क्षक (हहं दी), के.वि. उरी
श्री डी. आर. इनजखया, स्नातकोत्तर नर्क्षक (हहं दी), के.वि. कारनगल

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विषय-सूची
विषय पृष्ठ संख्या
पाठ्यक्रम ि प्रश्न-पत्र का प्रारूप 4-5

अपहठत बोध 6-19

1.अपहठत गद्यांर् 6-13

2.अपहठत पद्यांर् 14-19

कायाालयी हहं दी और रचनात्मक लेखन 20-40

1.पाठ 3. विनभन्द्न प्रकार के माध्यम के नलए लेखन 20-24

2.पाठ 4. पत्रकारीय लेखन के विनभन्द्न रूप और लेखन प्रहक्रया 25-29

3.पाठ 5. विर्ेष लेखन:- स्िरूप एिं प्रकार 30-33

4.पाठ11. कहानी का नाट्यरूपांतरण 34

5.पाठ 12. कैसे बनता है रे हडयो नाटक 35-36

6.पाठ 13. नए और अप्रत्यानर्त विषयों पर लेखन 37-40

पाठ्यपुस्तक आरोह भाग-2 (काव्य खंड) 41-66

1. पाठ-1 आत्मपररचय, एक गीत – हररिंर्राय बच्चन 41-44

2. पाठ-2 पतंग – आलोक धन्द्िा 45-48

3. पाठ-3 कविता के बहाने, बात सीधी थी पर – कुुँिर नारायण 48-51

4. पाठ-4 कैमरे में बंद अपाहहज – रघुिीर सहाय 51-53

5. पाठ-6 उषा – र्मर्ेर बहादरु नसंह 53-55

6. पाठ-7 बादल राग – सूयक


ा ांत वत्रपाठी ‘ननराला’ 55-58

7. पाठ-8 कवितािली, लक्ष्मण मूच्छाा और राम का विलाप- गोस्िामी तुलसीदास 58-62

8. पाठ-9 रुबाइयाुँ – हिराक गोरखपुरी 62-63

9. पाठ-10 छोटा मेरा खेत, बगुलों के पंख – उमार्ंकर जोर्ी 64-66

पाठ्यपुस्तक आरोह भाग-2 (गद्य खंड) 67-90

1. पाठ-11 भवक्तन – महादे िी िमाा 67-71

2. पाठ-12 बाज़ार दर्ान – जैनेन्द्र कुमार 71-74

3. पाठ-13 काले मेघा पानी दे – धमािीर भारती 74-77

4. पाठ-14 पहलिान की ढोलक – फणीश्वरनाथ रे णु 78-81

5. पाठ-17 नर्रीष के फूल – हज़ारी प्रसाद हििेदी 82-86

6. पाठ-18 श्रम विभाजन और जानत-प्रथा, मेरी कल्पना का आदर्ा समाज- डॉ. आंबेडकर 86-90

पूरक पाठ्यपुस्तक वितान भाग-2 91-111

1. पाठ-1 नसल्िर िैहडं ग – मनोहर श्याम जोर्ी 91-97

2. पाठ-2 जूझ – आनंद यादि 98-103

3. पाठ-3 अतीत में दबे पाुँि – ओम थानिी 103-111

प्रनतदर्ा प्रश्न-पत्र (1 से 5) 112-176

पररयोजना काया हे तु सुझािात्मक विषय, आंतररक मूल्यांकन की जानकाररयाुँ (पररनर्ष्ट-1)

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हहं दी (आधार) (कोड सं. 302)
कक्षा- 12िीं (2023-24) परीक्षा हे तु पाठ्यक्रम विननदे र्न
प्रश्न-पत्र दो खंडों- खंड ‘अ’ और ‘ब’ में होगा |
खंड ‘अ’ में 40 िस्तुपरक प्रश्न पूछे जाएुँगे जजनमें से 40 प्रश्नों के ही उत्तर दे ने होंगे |
खंड ‘ब’ में िणानात्मक प्रश्न पूछे जाएुँगे | प्रश्नों में उनचत आंतररक विकल्प हदए जाएुँगे |
भारांक- 100 ननधााररत समय- 3 घंटे
खंड “अ” (िस्तुपरक प्रश्न)
विषयिस्तु भार
अपहठत बोध 15
एक अपहठत गद्यांर् पर आधाररत 10 बहुविकल्पात्मक प्रश्न (अनधकतम 300 र्ब्दों का)
1. 10
(1 अंक x 10 प्रश्न)
एक अपहठत पद्यांर् पर आधाररत 5 बहुविकल्पात्मक प्रश्न (अनधकतम 150 र्ब्दों का)
2. 05
(1 अंक x 5 प्रश्न)
पाठ्यपुस्तक अनभव्यवक्त और माध्यम की इकाई एक से पाठ संख्या 3, 4 तथा 5 पर 05
आधाररत
3. पाुँच बहुविकल्पात्मक प्रश्न (1 अंक x 5 प्रश्न) 05
पाठ्यपुस्तक आरोह भाग-2 से बहुविकल्पात्मक प्रश्न 10
4. पहठत काव्यांर् पर आधाररत पाुँच बहुविकल्पीय प्रश्न (1 अंक x 05 प्रश्न) 05
5. पहठत गद्यांर् पर आधाररत पाुँच बहुविकल्पीय प्रश्न (1 अंक x 05 प्रश्न) 05
पूरक पाठ्यपुस्तक वितान भाग-2 से बहुविकल्पात्मक प्रश्न 10
6. पहठत पाठों पर आधाररत दस बहुविकल्पीय प्रश्न (1 अंक x 10 प्रश्न) 10
खंड- “ब” (िणानात्मक प्रश्न)
पाठ्यपुस्तक अनभव्यवक्त और माध्यम से जनसंचार और सृजनात्मक लेखन पाठ संख्या 3, 16
4, 5, 11, 12 तथा 13 पर आधाररत
हदए गए तीन अप्रत्यानर्त विषयों में से हकसी एक विषय पर लगभग 120 र्ब्दों में
7. 06
रचनात्मक लेखन (6 अंक x 1 प्रश्न)
कहानी का नाट्यरूपांतरण / रे हडयो नाटक / अप्रत्यानर्त विषयों के लेखन पर आधाररत
8. 04
दो प्रश्न (विकल्प सहहत) (लगभग 40 र्ब्दों में) (2 अंक x 2 प्रश्न)
पत्रकाररता और जनसंचार माध्यमों के नलए लेखन पर आधाररत तीन में से दो प्रश्न 06
9.
(विकल्प सहहत) (लगभग 60 र्ब्दों में) (3 अंक x 2 प्रश्न)
पाठ्यपुस्तक आरोह भाग-2 एिं वितान भाग-2 पर आधाररत 24
काव्य खंड पर आधाररत तीन प्रश्नों में से हकन्द्हीं दो प्रश्नों के उत्तर (लगभग 60 र्ब्दों में)
10. 06
(3 अंक x 2 प्रश्न)
काव्य खंड पर आधाररत तीन प्रश्नों में से हकन्द्हीं दो प्रश्नों के उत्तर (लगभग 40 र्ब्दों में)
11. 04
(2 अंक x 2 प्रश्न)
गद्य खंड पर आधाररत तीन प्रश्नों में से हकन्द्हीं दो प्रश्नों के उत्तर (लगभग 60 र्ब्दों में)
12. 06
(3 अंक x 2 प्रश्न)
गद्य खंड पर आधाररत तीन प्रश्नों में से हकन्द्हीं दो प्रश्नों के उत्तर (लगभग 40 र्ब्दों में)
13. 04
(2 अंक x 2 प्रश्न)
वितान के पाठों पर आधाररत दो में से एक प्रश्न का उत्तर (लगभग 60 र्ब्दों में)
14. 04
(4अंक x 1 प्रश्न)
श्रिण तथा िाचन 10
पररयोजना काया 10
कुल अंक 100

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ननधााररत पुस्तकें :

1. आरोह भाग-2, एन.सी.ई.आर.टी., नई हदल्ली िारा प्रकानर्त

2. वितान, भाग-2, एन.सी.ई.आर.टी., नई हदल्ली िारा प्रकानर्त

3. अनभव्यवक्त और माध्यम, एन.सी.ई.आर.टी., नई हदल्ली िारा प्रकानर्त

नोट- पाठ्यक्रम के ननम्ननलजखत पाठ हटा हदए गए हैं


आरोह भाग-2 काव्य खंड • गजानन माधि मुवक्तबोध- सहषा स्िीकारा है (पूरा पाठ)
• हिराक गोरखपुरी- गज़ल
गद्य खंड • विष्णु खरे - चाली चैजललन यानी हम सब (पूरा पाठ)
• रजज़या सज्जाद ज़हीर- नमक (पूरा पाठ)
वितान, भाग-2 • एन फ्रैंक- डायरी के पन्द्ने

कक्षा बारहिीं हे तु प्रश्न-पत्र का विस्तृत प्रारूप जानने के नलए कृ पया बोडा िारा जारी आदर्ा प्रश्न
पत्र दे खें |

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अपहठत बोध
अपहठत गद्यांर् ि पद्यांर् के प्रश्नों को हल करते समय ध्यान रखने योग्य बातें-
1.हदए गए अितरण को कम से कम दो बार ध्यानपूिक
ा पढ़ना चाहहए | इसे जब दस
ू री बार पढ़ा
जाए तो प्रश्नों को ध्यान में रखते हुए पढ़ा जाए |
2.गद्यांर्/पद्यांर् के मूल भाि को उनचत प्रकार समझना चाहहए तथा प्रश्नों के उत्तर गद्यांर् /पद्यांर्
में ही ढू ुँ ढने चाहहए। इसी आधार पर उपयुक्त विकल्प का चयन करना चाहहए |
3. गद्यांर्/पद्यांर् में सूचनाओं के माध्यम से हकसी बात का िणान हकया जाता है . उन सूचनाओं
पर विर्ेष ध्यान दे ना चाहहए।
4.र्ीषाक गद्यांर्/पद्यांर् के मूल भाि को प्रकट करता हो | र्ीषाक का चयन करते समय
आरं नभक या अंनतम पंवक्तयों पर विर्ेष ध्यान दे ना चाहहए, लेहकन उसी आधार पर अंनतम ननष्कषा
नहीं ननकाल लेना चाहहए।
5..प्रत्येक प्रश्न का उत्तर गद्यांर्/पद्यांर् के अनुरूप और लेखक/कवि के विचार के अनुरूप ही होना
चाहहए। इसी आधार पर उपयुक्त विकल्प चुनना चाहहए |

अपहठत गद्यांर्
ननम्ननलजखत गद्यांर्ों को ध्यानपूिक
ा पढ़कर हदए गए बहुविकल्पीय प्रश्नों के नलए सिाानधक
उपयुक्त विकल्प का चुनाि कीजजए-

गद्यांर्-1
समय िह संपवत्त है जो प्रत्येक मनुष्य को ईश्वर की ओर से नमली है । जो लोग इस धन को
संनचत रीनत से बरतते हैं िे र्ारीररक सुख तथा आजत्मक आनंद प्राप्त करते हैं । इसी समय की
संपवत्त के सदप
ु योग से एक जंगली मनुष्य सभ्य और दे िता स्िरूप बन जाता है । इसी के िारा
मूख-ा वििान, ननधान-धनिान, अज्ञ-विज्ञ और अनुभिी बन सकता है । संतोष, हषा तथा सुख
मनुष्य को प्राप्त नहीं होता जब तक िह उनचत रीनत से समय का सदप
ु योग नहीं करता। समय
ननसंदेह एक रतन रानर् है । जो कोई उसे अपररनमत और अगजणत रूप से अंधाधुंध व्यय करता
है िह हदन प्रनतहदन अहकंचन, ररक्त हस्त और दररर होता जाता है । िह आजीिन जखन्द्न और
भाग्य को कोसता रहता है । मृत्यु भी उसे इस दख
ु और जंजाल से छुड़ा नहीं सकती प्रत्युत
उसके नलए मृत्यु का आगमन मानो अपराधी के नलए नगरफ्तारी का िारं ट है । सच तो यह है हक
समय की बबाादी एक तरह की आत्महत्या है । अंतर केिल इतना ही है हक आत्मघात सिादा के
नलए जीिन जंजाल से छुड़ा दे ता है और समय के दरु
ु पयोग से एक ननहदा ष्ट काल तक जीिन
मृत्यु की दर्ा में बना रहता है ऐसे ही नमनट, घंटे और हदन प्रमाद और अकमाण्यता में बीतते
जाते हैं । यहद मनुष्य विचार करें गणना करें तो उसकी संख्या महीनों तथा िषों तक पहुुँचती है ।
यहद उससे कहा जाता है हक तेरी आयु के 10- 5 बरस घटा हदए गए तो ननसंदेह उसके हृदय
पर भारी आघात पहुुँचता है परं तु िह स्ियं ननश्चेष्ट बैठे हुए अपने अमूल्य जीिन को नष्ट कर रहा
है और क्षय ि विनार् पर कुछ भी र्क नहीं करता | संसार में सबको दीघाायु प्राप्त नहीं होती है
परं तु सबसे बड़ी हानन जो समय की दरु पयोनगता और अकमाण्यता से होती है िह यह है हक
पुरुषाथाहीन और ननरीह पुरुष के विचार अपवित्र और प्रदवू षत हो जाते हैं । िास्ति में बात तो यह
है हक मनुष्य कुछ ना कुछ करने के नलए ही बनाया गया है । जब नचत और मन लाभदायक कमा
में रत नहीं होते तब उनका झुकाि बुराई और पाप की ओर अिश्य हो जाता है । इस हे तु यहद
मनुष्य सचमुच ही मनुष्य बनना चाहता है तो सब कमों से बढ़कर श्रेष्ठ काया उसके नलए यह है
हक उसे एक पल भी व्यथा न गिाएं | प्रत्येक काया के नलए पृथक समय और प्रत्येक समय के
नलए पृथक काया ननजश्चत करें |
1.ननम्ननलजखत कथनों पर विचार कीजजए
कथन 1 समय को ईश्वर से प्राप्त अमूल्य नननध बताया गया है ।
कथन 2. अपररनमत का अथा होता है सीनमत |
कथन 3. समय की बबाादी आत्महत्या के समान है |

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कथन 4. अनुच्छे द में बताया गया है हक हकसी काया के असफल होने पर भाग्य को कोसना अच्छी बात है
क्योंहक भाग्य से ही मनुष्य को िांनछत िस्तुएं नमलती है |

ननम्ननलजखत में से कौन सा कथन या कौन से कथन सही है -

(क) केिल कथन 1

(ख) केिल कथन 1और 3

(ग) कथन 1, 2 और 3

(घ) सभी कथन सही हैं

2. आजत्मक आनंद कौन लोग प्राप्त करते हैं ?


(क) जो लोग बहुत पररश्रम करते हैं (ख) जो लोग बहुत धन कमाते हैं
(ग) जो लोग समय की संपवत्त को संयनमत रूप से खचा करते हैं
(घ) जो लोग ईश्वर का भजन करते हैं
3. मृत्यु हकस को इस जंजाल से नहीं छुड़ा सकती?
(क) जो लोग बहुत धन व्यय करते हैं (ख) जो लोग पररश्रम नहीं करते हैं
(ग) जो लोग समय को व्यथा करते हैं (घ) जो लोग धन की नचंता करते हैं
4. लेखक ने आत्महत्या हकसे कहा है ? क.
(क) समय का महत्ि ना समझने िाले को (ख) धन का महत्ि समझने िाले को
(ग) र्रीर का महत्ि न समझने िाले को (घ) विद्या का महत्ि न समझने िाले को
5. लेखक मनुष्य को क्या करने की सलाह दे ता है ?
(क) पररश्रम करने के नलए (ख) धन अजजात करने के नलए
(ग)प्रत्येक काया के नलए पृथक समय ि प्रत्येक समय के नलए पृथक काया ननजश्चत करने की
(घ) हदन रात पररश्रम करने के नलए
6. लेखक ने दररर हकसे कहा है ?
(क) समय की संपवत्त को अंधाधुंध खचा करने िाले को
(ख) माता वपता की संपवत्त को अंधाधुंध खचा करने िाले को
(ग) अपनी संपनत को अंधाधुंध खचा करने िाले को
(घ) इनमें से कोई नहीं
7. इस गद्यांर् का उनचत र्ीषाक हो सकता है -
(क) समय की संपनत (ख) ईश्वर का महत्ि
(ग) अच्छा मनुष्य (घ) नगरफ्तारी का िारं ट
8. सदप
ु योग र्ब्द का विलोम र्ब्द है -
(क) सही उपयोग (ख) अनुप्रयोग
(ग) दरु
ु पयोग (घ) इनमें से कोई नहीं
9. अकमाण्यता र्ब्द में उपसगा और प्रत्यय है -
(क) अ तथा ता (ख) अ तथा याता
(ग) अक तथा आ (घ) इनमें से कोई नहीं
10.अमूल्य र्ब्द का अथा है -
(क) जजसका कोई मूल्य ना हो (ख) जजसका मूल्य आुँका न जा सके
(ग) जजसका थोड़ा मूल्य हो (घ) इनमें से कोई नहीं

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ख ख ग क ग क क ग क ख

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गद्यांर्-2
यद्यवप यह एक र्ाश्वत सत्य है हफर भी मृत्यु से सबको भय लगता है । िास्ति में भय हकसी
िस्तु से अलग हो जाने का है । जो छूटता है उसमें भय है , धन छूट जाएगा, पररिार छूट जाएगा,
इसका भय है । त्याग में भय है , हकस त्याग में भय हैं ? जजन िस्तुओं को या पररजनों को हम
उपयोगी समझते हैं उनके त्याग में भय है । िहाुँ भय नहीं होता जहाुँ त्याग अपनी इच्छा से
हकया जाता है जैसे कपड़ा पुराना हो जाता है तो इच्छा से त्याग करते हैं । ऐसे त्याग में संतोष
है । दख
ु िहाुँ होता है जहाुँ कोई अपनी िस्तु नछन या छूट जाती है । हम कपड़ा या धन दस
ू रों को
दे सकते हैं परं तु एक िस्तु है प्राण जो हम नहीं दे सकते। र्रीर से प्राण ननकल जाए तो कहते
हैं मृत्यु हो गई। इसमें दख
ु होता है क्योंहक प्राण को हम इच्छा से नहीं छोड़ते। पंच भूतों से
बनाया हुआ यह र्रीर पहले विकास को प्राप्त होता है और हफर ह्रास की ओर उन्द्मुख होता है ।
पंचमहाभूतों के साथ आत्मा का जुड़ जाना जन्द्म है । पाुँच महाभूतों से आत्मा का अलग हो जाना
मृत्यु है । हमारे मनीषी ही बताते हैं हक जो लोग मृत्यु से ननभाय होकर जीिन को पूणत
ा ा के
साथ और अथापूणा जीते हैं िे ही अपना जीिन विश्वास से जी पाते हैं । परं तु हम में से अनधकतर
जीिन के पररितान और उलटफेर में इतने तटस्थ और उदासीन रहते हैं हक मृत्यु के बारे में
अज्ञानी से बने रहते हैं । मृत्यु अपने नर्कार पर बाज पक्षी की तरह चुपचाप आक्रमण कर दे ती
है | गुरु तेगबहादरु जी चेतािनी दे ते हैं वप्रय नमत्र मृत्यु स्िच्छं द है िह कभी भी अपने नर्कार के
भक्षण के नलए झपट सकती है िह चुपचाप ही आक्रमण कर दे ती है | अतः आनंद और प्रेम के
साथ जजयो |
1. र्ाश्वत सत्य क्या है ?
(क) जीिन (ख) मृत्यु (ग) र्ोक (घ) सुख
2. मृत्यु से भय क्यों लगता है ?
(क) सब कुछ छूट जाने के कारण (ख) फल की नचंता के कारण
(ग) नरक के डर के कारण (घ) अगले जन्द्म की नचंता के कारण
3. त्याग से भय क्यों लगता है ?
(क) बेकार की िस्तुएं छोड़ने के कारण (ख) उपयोगी िस्तुएं छूटने के कारण
(ग) लोभ लालच के कारण (घ) इनमें से कोई नहीं
4. ननम्ननलजखत कथनों पर विचार कीजजए
कथन 1. मृत्यु र्ाश्वत असत्य है ।
कथन 2. पृथ्िी, जल, िायु, तेज और आकार् यह पंच भौनतक तत्ि होते हैं ।
कथन 3. मृत्यु अपनी नर्कार पर र्ेर की तरह आक्रमण कर दे ती है ।
कथन 4. गुरु तेगबहादरु जी ने आनंद ि प्रेम के साथ जीने का सन्द्दे र् हदया |
ननम्ननलजखत में से कौन सा कथन या कौन से कथन सही है –
(क) केिल कथन 2 और 4 (ख) केिल कथन 1और 2
(ग) कथन 1, 2 और 3 (घ) उपयुक्त
ा सभी
5. हमारा र्रीर हकससे बना है ?
(क) पांच महा भूतों से (ख) चार महा भूतों से
(ग) सात महा भूतों से (घ) इनमें से कोई नहीं
6. जन्द्म क्या होता है ?
(क) पांच महा भूतों से आत्मा का नमलना (ख) सात महाभूतों से आत्मा का नमलना
(ग) पांचिा भूतों से आत्मा का ननकलना (घ) इनमें से कोई नहीं
7. मृत्यु आती है -
(क) अचानक वबना बताए हुए (ख) पूिा सूचना दे कर
(ग) आने का आहट दे कर (घ) इनमें से कोई नहीं
8. मृत्यु की तुलना हकस पक्षी से की गई है ?
(क) हं स से (ख) बाज पक्षी से (ग) कौआ से (घ) उल्लू से

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9. र्ाश्वत र्ब्द का अथा है -
(क) अदृश्य (ख) हमेर्ा रहने िाला
(ग) थोडे समय रहने िाला (घ) कभी-कभी हदखने िाला
10. मनीषी र्ब्द के अथा को प्रकट करने िाला र्ब्द नहीं है -
(क) मूखा (ख) वििान
(ग) ज्ञानिान (घ) ऋवष

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ख क ख क क ग क ख ख क

गद्यांर्-3
दनु नया र्ायद अभी तक के सबसे बड़े संकट से जूझ रही है । समय को इस महामारी ने हर
हकसी के जीिन में हलचल मचा दी । इस महामारी ने जीिन की सहजता को पूरी तरह से कनत
कर हदया है । भारत में इतनी अनधक आबादी है हक इसमें हकसी ननयम कायदे को पूरी तरह से
अमल में लाना अपने आप में एक बड़ी चुनौती है । इस महामारी के संक्रमण को रोकने के उद्दे श्य
को पूणा बंदी लागू की गई और इसे कमोबेर् कामयाबी के साथ अमल में भी लाया गया। परं तु
यह भी सच है हक जजस महामारी से रहे हैं , उससे लड़ने में मुख्य रूप से हमारे र्रीर की
प्रनतरोधक क्षमता की बड़ी भूनमका है , लेहकन सबसे बड़ी नचंता बच्चों और बुजुगों को होती है ।
इस मामले में अनधकतर नागररकों ने जागरूकता और सहजबोध की िजह से अनेक सािधाननयाुँ
बरती है , लेहकन इसके समानान्द्तर अन्द्य कई समस्याएं खड़ी हुई है । जैसे, आनथाक गनतविनधयाुँ
जजस प्रकार बुरी तरह प्रभावित हुई है , उसने बहुत सारे लोगों के सामने संकट और ऊहापोह की
जस्थनत उत्पन्द्न कर दी है । एक तरफ नौकरी और उसकी तनख्िाह पर ननभार लोगों को लाचारी
यह है हक जहाुँ उन्द्हें यह आश्वासन हदया गया था हक उन्द्हें नौकरी से नहीं ननकाला जाएगा, िेतन
नहीं रोका जाएगा, िहीं उनके साथ हुआ उल्टा | नौकरी गई, कई जगहों पर तनख्िाह नहीं नमली
या कटौती की गई और हकराये के घर तक छोड़ने की नौबत आ गई। इस महामारी का दस
ू रा
असर नर्क्षा जगत पर भी पड़ा है , उसका समाधान कैसे होगा, यह लोगों के नलए समझना
मुजश्कल हो रहा है ।
विर्ेष तौर पर स्कूली नर्क्षा पूरी तरह से बानधत होती हदख रही है । हफर भी, इसमें हकए गए
िैकजल्पक इं तजामों की िजह से स्कूल भले बंद हो, लेहकन नर्क्षा जारी रखने की कोनर्र् की गई
है । स्कूल बंद होने पर बहुत सारे नर्क्षकों की िेतन की नचंता प्राथनमकता नहीं थी, बच्चों के
भविष्य की नचंता उन्द्हें सता रही है । हालाुँहक एक ओर, एक बड़ी संख्या उन बच्चों की है , जो
लैपटॉप या स्माटा फोन के साथ जीते हैं , लेहकन दस
ू री ओर बहुत नर्क्षक ऐसे भी है , जजन्द्हें
कम्लयूटर चलाना ही नहीं आता। उन सबके सामने चुनौती है ऑनलाइन कक्षाएं लेने की, परं तु
उन्द्होंने हार नहीं मानी और तकनीक को खुले हदल से सीखा। इस तरह हफलहाल जो पररजस्थनत
है , उसमें पढ़ाई-नलखाई को जारी रखने की पूरी कोनर्र् की जा रही है ।

1.ननम्ननलजखत कथनों पर विचार कीजजए


कथन 1 गद्यांर् में महामारी को अनभर्ाप बताया गया है ।
कथन 2. गद्यांर् के अनुसार महामारी से बेरोजगारी छा जाती है ।
कथन 3. आजकल सभी नर्क्षक ऑनलाइन काया करने में समथा है ।
कथन 4. ऑनलाइन नर्क्षा से बच्चों का भविष्य खराब हो जाता है ।
ननम्ननलजखत में से कौन सा कथन या कौन से कथन सही है -

(क) केिल कथन 1


(ख) केिल कथन 1और 2
(ग) कथन 1, 2 और 3
(घ) उपयुक्त
ा सभी

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2.पूणब
ा ंदी लागू क्यों की गई?
(क) संक्रमण को रोकने के नलए (ख) लोगों की आिाजाही को रोकने के नलए
(ग) ननयम लागू करने के नलए (घ) लोगों िारा ननयम न मानने के कारण
3.हमें बच्चों और बुजुगों की नचंता क्यों है ?
(क) कमजोर और अक्षम होने के कारण (ख) प्रनतरोधक क्षमता के अभाि के कारण
(ग) अनधक बीमार रहने के कारण (घ) बीमारी का अनधक प्रभाि पड़ने के कारण
4.स्कूली नर्क्षा को जारी रखने की कोनर्र् क्यों को जा रही है ?
(क) प्राइिेट स्कूलों के दिाब के कारण (ख) नर्क्षा जारी रखने के नलए
(ग) बच्चों के भविष्य की नचंता के कारण (घ) नर्क्षकों के िेतन के कारण
5.ऑनलाइन नर्क्षा एक चुनौती कैसे है ?
(क) नर्क्षक की अकुर्लता के कारण (ख) तकनीकी रूप से योग्य न होने के कारण
(ग) तकनीकी साधन न होने के कारण (घ) अनभभािकों की रुनच न होने के कारण
6.नर्क्षकों ने तकनीक को खुले हदल से क्यों सीखा?
(क) ऑनलाइन पढ़ाने को वििर्ता के कारण (ख) अपने िेतन के कारण
(ग) बच्चों के भविष्य की नचंता के कारण (घ) अनभभािकों के भय के कारण
7.महामारी के समय में भी नर्क्षकों ने नर्क्षक होने का बोध कैसे कराया है ?
(क) बच्चों की नर्क्षा की नचंता िारा (ख) अपनी नौकरी की नचंता िारा
(ग) अपने िेतन की नचंता िारा (घ) तकनीक सीखने की हहम्मत िारा
8.जीिन की सहजता के बानधत होने से आप क्या समझते है ?
(क) जीिन में हलचल उत्पन्द्न हो जाना (ख) जीिन में संकट उत्पन्द्न हो जाना
(ग) जीिन में संघषा का बढ़ जाना (घ) जीिन में आराम न होना
9.भारत में ननयम-कानून लागू करना अपने आप में चुनौती क्यों है ?
(क) आबादी अनधक होने के कारण
(ख) लोगों के अनर्जक्षत होने के कारण
(ग) लोगों िारा ननयम न मानने के कारण
(घ) लोगों में ननयम-कानून की समझ न होने के कारण
10.लोगों के जीिन में ऊहापोह की जस्थनत कैसे उत्पन्द्न हो गई?
(क) महामारी आ जाने से (ख) आनथाक गनतविनधयाुँ ठप हो जाने से
(ग) नौकरी चले जाने से (घ) िेतन न नमलने से

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ख क ख ग क ग क ग क ख

गद्यांर्-4
आज हकसी भी व्यवक्त का सबसे अलग एक टापू की तरह जीना संभि नहीं रह गया है । मानि
समाज में विनभन्द्न पंथों और विविध मत-मतांतरों के लोग साथ-साथ रह रहे हैं । ऐसे में यह
अनधक आिश्यक हो गया है हक लोग एक-दस
ू रे को जाने; उनकी आिश्यकताओं को, उनकी
इच्छाओं-आकांक्षाओं को समझें; उन्द्हें िरीयता दें और उनके धानमाक विश्वासों, पद्धनतयों, अनुष्ठानों
को सम्मान दें । भारत जैसे दे र् में यह और भी अनधक आिश्यक है , क्योंहक यह दे र् हकसी एक
धमा, मत या विचारधारा का नहीं है । स्िामी वििेकानंद इस बात को समझते थे और अपने
आचार-विचार में िे अपने समय से बहुत आगे थे। उन्द्होंने धमा को सेिा के केंर में रखकर ही
आध्याजत्मक नचंतन हकया था। उन्द्होंने यह विरोही बयान हदया हक इस दे र् के तैंतीस करोड़
भूखे, दररर और कुपोषण के नर्कार लोगों को दे िी-दे िताओं की तरह मंहदरों में स्थावपत कर हदया
जाए और मंहदरों से दे िी-दे िताओं की मनुष्य की मूनतायों को हटा हदया जाए। उनका दृढ़ मत था
हक विनभन्द्न धमो-संप्रदायों के बीच संिाद होना ही चाहहए। िे विनभन्द्न संप्रदायों की अनेकरूपता
को उनचत और स्िाभाविक मानते थे। स्िामी जी विनभन्द्न धानमाक आस्थाओं के बीच सामंजस्य

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स्थावपत करने के पक्षधर थे और सभी को एक ही धमा का अनुयायी बनाने के विरुद्ध थे। िे कहा
करते थे— “यहद सभी मानि एक ही धमा को मानने लगें, एक ही पूजा-पद्धनत को अपना लें और
एक-सी नैनतकता का अनुपालन करने लगें, तो यह सबसे दभ
ु ााग्यपूणा बात होगी, क्योंहक यह सब
हमारे धानमाक और आध्याजत्मक विकास के नलए प्राणघातक होगा तथा हमें हमारी सांस्कृ नतक
जड़ों से काट दे गा।"
1.'टापू की तरह' जीने से लेखक का क्या अनभप्राय है ?
(क) घमंड में रहना (ख) समाज से अलग रहना
(ग) समाज से जुड़कर रहना (घ) विनम्र बनकर रहना
2.ननम्ननलजखत कथनों पर विचार कीजजए
कथन 1. मानि र्ब्द में अ प्रत्यय है
कथन 2. मनुष्य सामाजजक प्राणी होने के कारण समाज में नमलजुल कर रहता है ।
कथन 3. स्िामी वििेकानंद जी ने धमा को सेिा के केंर में रखकर आध्याजत्मक नचंतन हकया था।
कथन 4. हमें हहं द ू ,मुजस्लम, नसख, ईसाई सभी धमों का नाम पररितान कर केिल मानि धमा कर दे ना
चाहहए।
ननम्ननलजखत में से कौन सा कथन या कौन से कथन सही है -
(क) केिल कथन 1
(ख) केिल कथन 1और 2
(ग) कथन 1, 2 और 3
(घ)उपयुक्त
ा सभी
3.विनभन्द्न पंथों और मत-मतांतरों के लोग नमलकर नहीं रहें गे तो उसका क्या पररणाम होगा?
(क) समाज में र्ांनत स्थावपत होगी
(ख) धानमाक संस्थानों में वििाद नहीं होगा
(ग) सभी का जीिन और अनधक कहठन हो जाएगा
(घ) सभी का जीिन सुखमय हो जाएगा
4.स्िामी वििेकानंद हकस बात को समझते थे?
(क) भारत दे र् हकसी एक धमा, मत या विचारधारा का नहीं है
(ख) भारत में विनभन्द्न धमों, संप्रदायों के बीच संिाद नहीं होना चाहहए
(ग) भारत में सभी धमों को स्थान दे ना उनचत नहीं है
(घ) भारत में धानमाक अनुष्ठानों को महत्त्ि नहीं दे ना चाहहए
5.वििेकानंद जी ने हकसको मनुष्य की सेिा के केंर में रखकर आध्याजत्मक नचंतन हकया?
(क) समाज को (ख) रीनत-ररिाज को
(ग) अनुष्ठानों को (घ) धमा को
6.विनभन्द्न धमा संप्रदायों के बीच संिाद होने से क्या होगा?
(क) वििादों का अंत करने के नलए रास्ता नमलेगा
(ख) विनभन्द्न संप्रदायों की अनेकरूपता से सभी धानमाक आस्थाओं के लोगों के विचारों का पता
चलेगा
(ग) विनभन्द्न धानमाक संस्थाओं ि उनके मतों का भेद पता चलेगा
(घ) सभी वििादों की जड़ का पता चलेगा
7.स्िामी वििेकानंद ने सभी लोगों िारा एक ही धमा, मत, पूजा पद्धनत को अपनाने या मानने को
कैसी जस्थनत माना है ?
(क) सौभाग्यपूणा (ख) सकारात्मक
(ग) दभ
ु ााग्यपूणा (घ) नकारात्मक

8.वििेकानंद जी ने मंहदरों में हकन्द्हें स्थावपत करने का मत हदया?


(क) दे वियों को (ख) दे िताओं को
(ग) दररर ि कुपोषण के नर्कार लोगों को (घ) सामान्द्य मनुष्यों को
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9.गद्यांर् में हकसकी आिश्यकताओं तथा इच्छाओं का सम्मान करने की बात कही गई है ?
(क) वििेकानंद जी की (ख) विनभन्द्न मतों को मानने िाले लोगों की
(ग) उच्च िगा के लोगों की (घ) ननम्न िगा के लोगों की
10.प्रस्तुत गद्यांर् हकस विषयिस्तु पर आधाररत है ?
(क) अनेकता में एकता पर (ख) धमा आधाररत समाज पर
(ग) संप्रदाय मतभेद पर (घ) समाज व्यिस्था पर

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ख ग ग क घ ख ग ग ख क

गद्यांर्-5
भाषा का एक प्रमुख गुण है -सृजनर्ीलता। हहं दी में सृजनर्ीलता का अद्भुत गुण है , अद्भत
ु क्षमता
है , जजससे िह ननरं तर प्रिाहमान है । हहं दी ही ऐसी भाषा है , जजसमें समायोजन की पयााप्त और
जादई
ु र्वक्त है । अन्द्य भाषाओं और संस्कृ नतयों के र्ब्दों को हहं दी जजस अनधकार और सहजता से
ग्रहण करती है , उससे हहं दी की संभािनाएुँ प्रर्स्त होती है । हहं दी के लचीलेपन ने अनेक भाषाओं
के र्ब्दों को ही नहीं, उनके सांस्कृ नतक तेिरों को भी अपने में समेट नलया है । यही कारण है हक
हहं दी सामाजजक संस्कृ नत तथा विविध भाषा-भावषयों और धमाािलंवबयों की प्रमुख पहचान बन गई
है । अरबी, िारसी, तुकी, अंग्रेज़ी आहद के र्ब्द हहं दी की र्ब्द-संपदा में ऐसे नमल गए हैं , जैसे िे
जन्द्म से ही इसी भाषा पररिार के सदस्य हों। यह समाहार उसकी जीिंतता का प्रमाण है ।
आज हम परहे ज़ी होकर, र्ुद्धतािाद की जड़ माननसकता में कैद होकर नहीं रह सकते। सूचना-
क्रांनत, तकनीकी विकास और िैज्ञाननक आविष्कारों के दबाि ने हमें सबसे संिाद करने के अिसर
हदए है । विश्व-ग्राम की संकल्पना से हहं दी को ननरं तर चलना होगा। इसके नलए आिश्यक है -
आधुननक प्रयोजनों के अनुरूप विकास और भाषा एिं नलवप से संबंनधत यांवत्रक साधनों का
विकास। इं टरनेट से लेकर बाजार तक, राजकाज से लेकर नर्क्षा और न्द्याय के मंहदरों तक हहं दी
को उपयोगी और कायाक्षम बनाने के नलए उसका सरल-सहज होना आिश्यक है और उसकी
ध्िनन, नलवप, र्ब्द- ितानी, िाक्य-रचना आहद का मानकीकृ त होना भी आिश्यक है ।
1.ननम्ननलजखत कथनों पर विचार कीजजए
कथन 1. भाषा सृजनर्ीलता के गुण के कारण ही प्रिाहमान हो पाती है ।
कथन 2. हहं दी भाषा ने विदे र्ी भाषाओं को भी आत्मसात कर नलया है ।
कथन 3. संकल्पना में सम ् उपसगा है
कथन 4. मानकीकृ त का अथा होता है एक र्ब्द के अनेक प्रचनलत रूपों में से हकसी एक को मान्द्यता दे ना।
ननम्ननलजखत में से कौन सा कथन या कौन से कथन सही है -
(क) केिल कथन 1 (ख) केिल कथन 1और 2
(ग) कथन 1, 2 और 3 (घ) उपयुक्त
ा सभी
2.हहं दी की संभािनाएुँ कैसे प्रर्स्त होती गई हैं ?
(क) अन्द्य भाषाओं के र्ब्दों को सहजता से ग्रहण करने से
(ख) अपने सांस्कृ नतक स्िरूप से
(ग) अपनी तटस्थता से
(घ) अन्द्य भाषाओं को तुच्छ समझकर
3.हहं दी ने लचीलेपन के कारण क्या हकया?
(क) केिल अन्द्य भाषा के र्ब्दों को ग्रहण हकया
(ख) अन्द्य भाषाओं के र्ब्दों ि सांस्कृ नतक तेिरों को अपने में समेट नलया
(ग) अपनी सामाजजक पहचान को बनाए रखा
(घ) दस
ू री भाषाओं को अनधक महत्त्ि हदया

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4.हहं दी भाषा के संदभा में र्ुद्धतािादी होने से क्या तात्पया है ?
(क) गैर-हहं दी भाषाओं के र्ब्दों को ग्रहण करना
(ख) हहं दी की बोनलयों और उनके र्ब्दों को प्रधानता दे कर हहं दी का विकास करना
(ग) क और ख दोनों (घ) केिल हहं दी को महत्त्ि दे ना
5.आज हमें सबसे संिाद करने के अिसर हकसने हदए हैं ?
(क) सूचना क्रांनत ने (ख) तकनीकी विकास ने
(ग) िैज्ञाननक आविष्कारों के दबाि ने (घ) उपरोक्त सभी
6.आधुननक प्रयोजनों के अनुरूप विकास और भाषा एिं नलवप से संबंनधत यांवत्रक साधनों का
विकास करने से क्या होगा?
(क) विश्वग्राम की संकल्पना साकार हो जाएगी (ख) हहं दी की उन्द्ननत अिरुद्ध हो जाएगी
(ग) मनुष्य यंत्रित प्राणी बनकर रह जाएगा (घ) तकनीकी उन्द्ननत होगी
7.हहं दी को उपयोगी और कायाक्षम बनाने के नलए उसे कैसा होना चाहहए ?
(क) समृद्ध (ख) जक्लष्ट
(ग) सरल-सहज (घ) ये सभी
8.हहं दी अंतरााष्ट्रीय सीमाओं में भारत का प्रनतनननधत्ि कब करे गी?
(क) जब सरकार की तत्परता होगी
(ख) जब जनता की इच्छार्वक्त होगी
(ग) जब सरकार की तत्परता के साथ जनता की दृढ़ इच्छार्वक्त को हहं दी से जोड़ दें गे
(घ) जब हहं दी को अनधक महत्त्ि नमलने लगेगा
9.हहं दी ने अन्द्य भाषाओं के र्ब्दों को स्ियं में समाहहत करते हुए अपना स्िरूप नननमात करके
क्या हकया?
(क) भारत की भौगोनलक जस्थनत में पररितान हकया
(ख) भारत की सामाजजक संस्कृ नत की पहचान बन गई
(ग) हहं दी के स्िरूपों को आच्छाहदत हकया
(घ) हहं दी के विकास को रोक हदया
10.प्रस्तुत गद्यांर् हकस विषयिस्तु पर आधाररत है ?
(क) हहं दी भाषा पर (ख) हहं दी भाषा और अन्द्य भाषा पर
(ग) हहं दी भाषा और तकनीकी युग पर (घ) हहं दी के विकास पर

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घ क ख क घ क ग ग ख ग
****************

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अपहठत पद्यांर्
ननम्ननलजखत गद्यांर्ों को ध्यानपूिक
ा पढ़कर हदए गए बहुविकल्पीय प्रश्नों के नलए सिाानधक
उपयुक्त विकल्प का चुनाि कीजजए-

पद्यांर्-1

र्ांनत नहीं तब तक, जब तक


सुख भाग न नर का सम हो,
नहीं हकसी को बहुत अनधक हो,
नहीं हकसी को कम हो।
ऐसी र्ांनत राज्य करती है
तन पर नहीं, हृदय पर,
नर के ऊुँचे विश्वासों पर
श्रद्धा, भवक्त, प्रणय पर।
न्द्याय र्ांनत का प्रथम न्द्यास है
जब तक न्द्याय न आता।
जैसा भी हो महल र्ांनत का,
सुदृढ़ नहीं रह पाता।
कृ वत्रम र्ांनत र्र्ंक आप,
अपने से ही डरती है ,
खड़ग छोड़ विश्वास हकसी का,
कभी नहीं करती है ।
और जजन्द्हें इस र्ांनत व्यिस्था में
सुख भोग सुलभ है ,
उनके नलए र्ांनत ही जीिन, सार, नसवद्ध दल
ु भ
ा है ।

1.ननम्ननलजखत कथनों पर विचार कीजजए


कथन 1. कवि के अनुसार र्ांनत स्थावपत करने के नलए सुख-सुविधा के साधनों पर सभी को समान
अनधकार नमलना चाहहए।
कथन 2. पद्यांर् में न्द्याय को र्ांनत की प्रथम कसौटी/धरोहर कहा गया है ।
कथन 3. खडग तलिार का पयाायिाची है ।
कथन 4. कृ वत्रम र्ांनत स्थावपत करने से मनीष भयभीत रहता है ।
ननम्ननलजखत में से कौन सा कथन या कौन से कथन सही है –

(क) केिल कथन 1 (ख) केिल कथन 1और 2


(ग) कथन 1, 2 और 3 (घ) उपयुक्त
ा सभी
2.कृ वत्रम र्ांनत से क्या हानन संभि है ?
(क) न्द्याय नमलता है , र्ांनत नहीं (ख) वििे ष विस्तार पाता है
(ग) िास्तविक संबंधों के स्थान पर कृ वत्रम भािों का प्रसार
(घ) प्राकृ नतक के बजाय कृ वत्रम संसाधनों की बहुलता
3.काव्यांर् का संदेर् क्या हो सकता है ?
(क) समता ि न्द्याय का समाज में पोषण करना चाहहए
(ख) कृ वत्रम र्ांनत और समान अिसर प्रदान करना चाहहए
(ग) योग्यता के आधार पर ही जीिन संसाधनों का बंटिारा होना चाहहए
(घ) कृ वत्रम विज्ञान की सहायता से प्राकृ नतक र्ांनत स्थावपत करनी चाहहए

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4. कवि हकस प्रकार की र्ांनत को महत्िपूणा मानता है ?
(क) न्द्याय और आनथाक समानता पर आधाररत
(ख) कृ वत्रम र्ांनत और आनथाक समानता पर आधाररत
(ग) कृ वत्रम र्ांनत से िैजश्वक संघषों के समाधान पर आधाररत
(घ) श्रद्धा, भवक्त, प्रणय ि त्याग आधाररत
5. ननम्ननलजखत कथनों को सुमेनलत कीजजए

1. र्ांनत स्थावपत होती है । a) खडग से

2. कृ वत्रम र्ांनत डरती है । b) अपने आप से

3. कृ वत्रम र्ांनत हटक पाती है । c) समान साधन और अिसर की प्रानप्त से

4. सुख भाग से तात्पया है । d) न्द्याय से

(क) 1. d 2. b 3. a 4. c
(ख) 1. c 2. b 3. d 4. a
(ग) 1. a 2. d 3. c 4. b
(घ) 1. a 2. c 3. b 4. d

1 2 3 4 5
ख घ क क क

पद्यांर्-2
प्रभु ने तुमको कर दान हकए, सब िांनछत िस्तु विधान हकए।
तुम प्राप्त करो उनको न अहो, हफर है हकसका िह दोष कहो ?
समझो न अलभ्य हकसी धन को, नर हो न ननरार् करो मन को।
हकस गौरि के तुम योग्य नहीं,कब कौन तुम्हें सुख भोग्य नहीं ?
जन हो तुम भी जगदीश्वर के, सब है जजसके अपने घर के ।
हफर दल
ु भ
ा क्या है उसके मन को ? नर हो, न ननरार् करो मन को ।
करके विनध-िाद न खेद करो, ननज लक्ष्य ननरं तर भेद करो।
बनता बस उद्धम ही विनध है , नमलती जजससे सुख की नननध है ।
समझो नधक् ननजष्क्रय जीिन को, नर हो, न ननरार् करो मन को ।

1.िांनछत िस्तुओं को प्राप्त न कर सकने में हकसका दोष है ?


(क) अकमाण्य मनुष्यों का (ख) समाज में व्याप्त असमानता का
(ग) ननरार् नर नाररयों का (घ) ननरार्ाजनक पररजस्थनतयों का
2.ननम्ननलजखत कथनों पर विचार कीजजए
कथन 1 गद्यांर् के अनुसार ईश्वर ने पृथ्िी पर सभी िस्तुएं प्रदान की है ।
कथन 2. ननजष्क्रय जीिन को नधक्कारना चाहहए।
कथन 3. भाग्य के भरोसे नहीं बैठना चाहहए।
कथन 4. पररश्रम करने से सारी िस्तुएं / सभी सुख प्राप्त हो जाते है ।
ननम्ननलजखत में से कौन सा कथन या कौन से कथन सही है –

(क) केिल कथन 1 (ख) केिल कथन 1और 2


(ग) कथन 1, 2 और 3 (घ) उपयुक्त
ा सभी

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3.इस काव्यांर् से क्या प्रेरणा नमलती है ?
(क) नर हैं , अतः ननरार् न हों (ख) आर्ा के साथ जगदीश्वर पर भरोसा रखें
(ग) लक्ष्य है , अतः पाने का प्रयास करें (घ) ननयनत ननजश्चत है , अतः प्रतीक्षा करें
4.इस काव्यांर् से कवि के कौन से विचारों का पररचय नमलता है ?
(क) कवि अलभ्य धन अजजात कर गौरि प्रानप्त के नलये प्रेरणा दे रहे हैं
(ख) कवि बता रहे हैं भगिान जी के नलये सभी जन एक समान हैं
(ग) कवि कमाण्येिानधकारस्ते का मागा अपना कमा करने को कह रहे हैं
(घ) कवि कह रहे हैं ननरार्ा त्याग कर ननयनत स्िीकार करनी चाहहये
5.ननम्ननलजखत कथनों को सुमेनलत कीजजए

र्ब्द अथा
1. कर a) इजच्छत
2. िांनछत b) पररश्रम
3. विनध िाद c) भाग्य
4. उद्यम d) हाथ
(क) 1. a 2. c 3. d 4. b
(ख) 1. c 2. b 3. d 4. a
(ग) 1. d 2. a 3. c 4. b
(घ). 1. a 2. c 3. b 4. d

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क घ ग ग ग

पद्यांर्-3
जजसके चरणों पर धरती
और बाुँहों में गंगा-जमुना जल है ,
जजसके नयनों का काजल ही
उड़कर बनता बादल-दल है ,
पिात कैसे कह दुँ ू इसको-
यह तो मेरा तीथा स्थल है ।
इस तीथा के दर्ान से ही
मानस बन जाता है दपाण।
यों तो इसने सबकी उन्द्ननत
अपनी ही जैसी चाही है
सबके संग सच्चाई और,
सुंदरता की नीनत ननबाही है ;
पर कभी हकसी से झुका नहीं
इसका इनतहास गिाही है ,
ऐसे गिोन्द्मत्त प्रहरी पर
न्द्योछािर मेरा तन-मन-धन

1.ननम्ननलजखत कथनों पर विचार कीजजए


कथन 1. प्रस्तुत पद्यांर् में बताया गया है हक हहमालय के चरण पृथ्िी पर है ।
कथन 2. गिोन्द्मत में गुण संनध है ।
कथन 3. कभी अपना तन मन और धन हहमालय पर करना चाहता है ।
कथन 4. कवि केिल अपनी उन्द्ननत चाहता है ।

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ननम्ननलजखत में से कौन सा कथन या कौन से कथन सही है –
(क) केिल कथन 1 (ख) केिल कथन 1और 2
(ग) कथन 1, 2 और 3 (घ) उपयुक्त
ा सभी
2.कवि ने अपना तीथा स्थल हकसे माना है ?
(क) मंहदर को (ख) मजस्जद को
(ग) हहमालय पिात को (घ) ) मातृभूनम को
3.तीथा स्थल का दर्ान करने का क्या पररणाम होता है ?
(क) मन दपाण के समान स्िच्छ बन जाता है ।
(ख) मन में संन्द्यास लेने की प्रिृवत्त जागृत हो जाती है
(ग) मन र्ंकाओं से नघर जाता है ।
(घ) मन का अधूरापन भर जाता है |
4.पद्यांर् के अनुसार इनतहास हकस बात का गिाह है ?
(क) कवि का नसर कहीं झुका नहीं है
(ख) बादल धरती पर बरसे हैं
(ग) हहमालय का नसर हकसी से नहीं झुका है
(घ) सुंदरता हकसी के आगे नहीं झुकती है
5.ननम्ननलजखत कथनों को सुमेनलत कीजजए

1. कविता में तीथा स्थल कहा गया है । a) बादल को

2. हहमालय के नेत्रों का काजल कहा गया है । b) इनतहास को

3. अहडगता का साक्षी बताया गया है c) कवि को

4. गिोन्द्मत प्रहरी पर न्द्योछािर बताया गया है । d) हहमालय को

(क) 1. a 2. c 3. d 4. B (ख) 1. c 2. b 3. d 4. a
(ग) 1. a 2. d 3. c 4. B (घ) 1. d 2. a 3. b 4. d

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ग ग क ग घ

पद्यांर्-4
जी हाुँ हजूर, मैं गीत बेचता हूुँ,
मैं तरह-तरह के गीत बेचता हूुँ,
मैं हकस्म-हकस्म के गीत बेचता हूुँ,
जी, माल दे जखए, दाम बताऊुँगा,
बेकाम नहीं है , काम बताऊुँगा,
कुछ गीत नलखे हैं मस्ती में मैंने,
कुछ गीत नलखे हैं पस्ती में मैंने,
यह गीत सख्त ददा भुलाएगा,
यह गीत वपया को पास बुलाएगा,
जी, पहले कुछ र्मा लगी मुझको !
पर बाद बाद में अक्ल जगी मुझको,
जी, लोगों ने तो बेच हदए ईमान,
जी, आप न हो सुनकर ज़्यादा है रान।

17 | P a g e
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1.कवि गीत बेचने को मजबूर क्यों हुआ?
(क) कवि को कोई अन्द्य काया नहीं आता
(ख) ितामान व्यिस्था नैनतक मूल्यों की कर नहीं करती
(ग) समाज में सब कुछ वबकाऊ है
(घ) कवि के पास नभन्द्न-नभन्द्न प्रकार के गीत हैं
2.ननम्ननलजखत कथनों पर विचार कीजजए
कथन 1. पद्यांर् में कवि ने बाजारिादी संस्कृ नत के बारे में बताया है ।
कथन 2. कभी बाजारिादी संस्कृ नत को प्रजातांवत्रक संस्कृ नत के रूप में मानता है ।
कथन 3. कवि वप्रयतम को पास बुलाने िाले गीत भी नलखता है ।
कथन 4. कवि के अनुसार लोगों ने अपने ईमान भी बेच हदए।
ननम्ननलजखत में से कौन सा कथन या कौन से कथन सही है -
(क) कथन 1,3 और 4 (ख) केिल कथन 1और 2
(ग) कथन 1, 2 और 3 (घ) उपयुक्त
ा सभी
3.प्रस्तुत पद्यांर् में हकस पर व्यंग्य हकया गया है ?
(क) कवि की गीत बेचने की प्रिृवत्त पर
(ख) औद्योनगक पूुँजीिादी व्यिस्था पर जहाुँ सब कुछ वबकाऊ है
(ग) गीतों के विनभन्द्न प्रकारों पर (घ) दाम लगाने िाले कवियों पर
4.प्रस्तुत पद्यांर् का मूल भाि क्या है ?
(क) गीतों को बेचने का काया करना
(ख) ितामान भौनतकिादी व्यिस्था का विरोध करना
(ग) गीतकार के दःु ख की अनभव्यवक्त करना
(घ) गीत के प्रकार का अनतर्योवक्तपूणा िणान करना
5. यहां कुछ र्ब्द हदए गए हैं पद्यांर् से उन र्ब्दों के पयाायिाची र्ब्दों को तानलका से सुमेनलत करके
नलजखए।

र्ब्द अथा
1. प्रज्ञा a) गीत
2. संताप b) दाम
3. मूल्य c) ददा
4. नगमा d) अक्ल
(क) 1. a 2. c 3. d 4. b
(ख) 1. c 2. b 3. d 4. a
(ग) 1. d 2. c 3. b 4. a
(घ) 1. a 2. c 3. b 4. d

1 2 3 4 5
ख घ ख क ग

पद्यांर्-5
इतने ऊुँचे उठो हक जजतना उठा गगन है
दे खो इस सारी दनु नया को एक दृवष्ट से
संनचत करो धरा, समता की भाि िृवष्ट से
जानत भेद की, धमा िेर् की

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काले गोरे , रं ग िे ष की
ज्िालाओं से जलते जग में
इतने र्ीतल बहो हक जजतना मलय पिन है ।
लो अतीत में उतना ही जजतना पोषक है ।
जीणा र्ीणा का मोह, मृत्यु का ही द्योतक है ।
तोड़ो बंधन, रुके न नचंतन
गनत जीिन का सत्य नचरं तन
धारा के र्ाश्वत प्रिाह में इतने गनतमान बनो
हक जजतना पररितान है ।

1.'ज्िालाओं से जलते जग में पंवक्त में कौन-सा अलंकार है ?


(क) अनतश्योवक्त (ख) अन्द्योवक्त
(ग) अनुप्रास (घ) उपमा
2.नए समाज के ननमााण में नई सोच क्या होगी?
(क) सभी को समानता की दृवष्ट से दे खना (ख) स्ियं को ऊुँचा उठाना
(ग) दस
ू रों से भेदभाि करना (घ) धमा को प्रधानता दे ना
3.कवि ने समानता का भाि दर्ााने के नलए हकसका उदाहरण हदया है ?
(क) अतीत (ख) िषाा का
(ग) मृत्यु का (घ) पिन का

4.ननम्ननलजखत कथनों पर विचार कीजजए


कथन 1 कवि ने नए समाज की स्थापना में समता की महत्ता प्रकट की है |
कथन 2. मलयाननल को र्ाजन्द्त का प्रतीक बताया है |
कथन 3. अतीत की अच्छी यादें भविष्य ननमााण का आधार है |
कथन 4. आगे बढ़ना ही जीिन है |
ननम्ननलजखत में से कौन सा कथन या कौन से कथन सही है -

(क) केिल कथन 1


(ख) केिल कथन 1और 2
(ग) कथन 1, 2 और 3
(घ) सभी कथन सही हैं
5.हमें हकसके समान जीिन में आगे बढ़ते रहना चाहहए?
(क) सूरज के (ख)धरती के
(ग) पररितान के (घ) बंधन के

1 2 3 4 5
घ ख ख घ ग

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कायाालयी हहं दी और रचनात्मक लेखन (अनभव्यवक्त और माध्यम)


पाठ 3. विनभन्द्न माध्यमों के नलए लेखन

1) ननम्ननलजखत में से कौन सी बातें रे हडयों के नलए समाचार लेखन की बुननयादी बातें हैं -
क) साफ-सुधरी और टाइलड कॉपी
ख) डे डलाइन, संदभा और संजक्षप्ताक्षरों का प्रयोग
ग) क और ख दोनों
घ) कोई भी नहीं
उत्तर: ग) क और ख दोनों
2) प्रसारण के नलए तैयार की जा रही समाचार कॉपी को कंलयूटर पर हकतने स्पेस में टाइप
हकया जाना चाहहए?
क) नसंगल स्पेस ख) डबल स्पेस
ग) हिपल स्पेस घ) इनमें से कोई भी नहीं
उत्तर: ग) हिपल स्पेस
3) उल्टा वपरानमड र्ैली में समाचार के सबसे महत्िपूणा तथ्य को कहां नलखा जाता है ?
क) सबसे पहले ख) बीच में
ग) आजखर में घ) कहीं भी
उत्तर: क) सबसे पहले
4) लेखन में हमें हकन-हकन बातों का ध्यान रखना पड़ता है ?
क) भाषा ख) व्याकरण
ग) ितानी घ) उपयुक्त
ा सभी
उत्तर: घ) उपयुक्त
ा सभी
5) इं टरनेट क्या है ?
क) लोकल एररया नेटिका का एक इं टरकनेक्र्न
ख) एक नसंगल नेटिका
ग) विनभन्द्न नेटिका का एक विर्ाल कनेक्र्न
घ) इनमें से कोई भी नहीं
उत्तर ग) विनभन्द्न नेटिका का एक विर्ाल कनेक्र्न
6) इनमें से कौन सा एक इं टरनेट नेटिका है ?
क) मैन ख) लेन ग) िैन घ) उपयुक्त
ा सभी
उत्तर ख) लेन
7) पहली िेबसाइट अजस्तत्ि ______ आई थी ?
क) 1992 में ख) 1991में ग) 1994 में घ) 1990 में
उत्तर (ख) 1991में
8) गूगल क्रोम एक _____ है ।
क) सचा इं जन ख) ईमेल ग) िेबसाइट घ) ब्राउज़र
उत्तर (घ) ब्राउज़र
9) 'एंकर बाइट' में बाइट का क्या अथा है ?
क) मेघा बाइट ख) कीड़े का काटना
ग) एंकर की आिाज घ) बाइट यानी कथन
उत्तर (घ) बाइट यानी कथन
10) भारत में टे लीविजन का आरं भ कब हुआ था?
क) 20 अगस्त 1949 ख) 15 नसतंबर 1959
ग) 26 जनिरी 1975 घ) 4 माचा 1942
उत्तर: ख) 15 नसतंबर 1959

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11) हहं दी में नेट पत्रकाररता हकसके साथ र्ुरू हुई थी?
क) िेब दनु नया ख) इं टरनेट
ग) घटनास्थल से खबर प्रस्तुत करना घ) बी.बी.सी. साइट
उत्तर: क) िेब दनु नया
12) ननम्ननलजखत में से कौन सा अखबार वप्रंट रूप में न होकर नसफा इं टरनेट पर उपलब्ध है ?
क) अमर उजाला ख) हहं दस्
ु तान
ग) भास्कर घ) प्रभासाक्षी
उत्तर: घ) प्रभासाक्षी
13) पत्रकाररता की सबसे सिाश्रष्ठ
े साइट कौन सी है ?
क) बी.बी.सी. साइट ख) आई.आई.एम.सी. साइट
ग) एच हहं दी साइट घ) हहं दी भाषण साइट
उत्तर: क) बी.बी.सी. साइट
14) टे लीविजन के नलए खबर नलखने की मौनलक र्ता क्या है -
क) र्ब्दों के साथ लेखन
ख) श्रोता के नलए लेखन
ग) नचत्रों के साथ लेकन
घ) दृश्य के साथ लेखन उत्तर: घ) दृश्य के साथ लेखन
15) टे लीविजन पर खबर पेर् करने के तरीकों को हम हकस प्रकार समझ सकते हैं -
क) खबरों के प्रचनलत ढांचे या फॉमेट को समझकर
ख) खबरों के प्रचनलत ढांचे को समझकर
ग) नसफा फॉमेट को समझकर
घ) टीिी पर हदखाई खबरों को समझकर
उत्तर: क) खबरों के प्रचनलत ढांचे या फॉमेट को समझकर
16) टी.िी. के नलए अच्छी खबर कैसे जखलकर आती है ?
क) छोटे िाक्यों एिं बेहतरीन संपादन से ख) अच्छे नचत्रों के रं ग से
ग) विजुअल इफेक्ट्स से घ) अच्छे कायाक्रमों से
उत्तर : (क) छोटे िाक्यों एिं बेहतरीन संपादन से
17) रे हडयो…………. माध्यम है ।
क) दृश्य ख) श्रव्य
ग) दृश्य और श्रव्य दोनों घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर: ख) श्रव्य
18) पहला छापाखाना सन ् 1556 में कहां खुला?
क) केरल ख) हदल्ली
ग) गोिा घ) महाराष्ट्र
उत्तर: ग) गोिा
बहुविकल्पीय प्रश्नों हे तु महत्िपूणा जानकाररयाुँ –

1 प्रमुख जनसंचार माध्यम हैं – समाचार पत्र, रे हडयो, टी.िी., इं टरनेट


जनसंचार माध्यम एक दस
ू रे के पूरक होते हैं , प्रनतिं िी नहीं |
2 वप्रंट या मुहरत माध्यम हैं – छपाई िाले माध्यम जैसे समाचार-पत्र, पवत्रकाएुँ
3 मुरण या छपाई की र्ुरुआत हुई – चीन से
4 यूरोप के पुनजाागरण जजसमें छापेखाने की अहम भूनमका थी – रे नेसाुँ
5 छापेखाने का आविष्कार हकया- गुटेनबगा (जमानी)
6 भारत में पहला छापाखाना खुला – 1556 ई. में गोिा में, ईसाई नमर्नररयों िारा धमा
प्रचार की पुस्तकें छापने के नलए |
7 रे हडयो एक माध्यम है - श्रव्य माध्यम, एक रे खीय (लीननयर)
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8 ननयनमत अपडे ट होने िाली पत्रकाररता की साइट – हहन्द्द,ू टाइम्स ऑि इं हडया, आज
तक, जी न्द्यूज़ आहद |
9 भारत में िेबसाइट पर विर्ुद्ध पत्रकाररता करने का श्रेय – तहलका डॉटकॉम
10 हहं दी के समाचार-पत्र – अमर उजाला, दै ननक जागरण, दै ननक भास्कर, पंजाब केसरी,
नई दनु नया, राजस्थान पवत्रका आहद |
11 समाचार-पत्र जो केिल इं टरनेट पर ही उपलब्ध है - प्रभासाक्षी |
12 एक िेब भाषा का नाम – हाइपर टे क्स्ट माक्डा अप लैंग्िेज HTML
13 विश्व स्तर पर इन्द्टरनेट पत्रकाररता का दौर-
पहला- 1982 से 1992 तक , दस
ू रा – 1993 से 2001, तीसरा- 2002 से अब तक
14 भारत में इं टरनेट पत्रकाररता के दौर-
पहला- 1993 से 2002, दस
ू रा- 2003 से अब तक
15 इं टरनेट एक माध्यम है – अंतरहक्रयात्मक (इं टरएजक्टि)
16 रे हडयो में श्रोताओं के नलए फ्रेम ‘आज’ होता है |
17 नेट साउं ड – प्राकृ नतक आिाजें जो र्ूट करते िक्त खूब-ब-खुद चली आती है |
18 ब्राउज़र – िह औज़ार/साधन जजसके ज़ररये विश्वव्यापी जाल में प्रिेर् हकया जाता है |
19 िेब पत्रकाररता की साइट- ‘रीहडि डॉट कॉम’ , ‘इं हडया इं फोलाइन’ , ‘सीफी’
20 भारत की पहली साइट जो गंभीरता से इं टरनेट पत्रकाररता कर रही है – रीहडि

िणानात्मक प्रश्न
प्र. (1) वप्रंट/मुहरत माध्यमों की विर्ेषताएुँ ि कनमयाुँ नलजखए ?
उत्तर- वप्रंट माध्यमों की विर्ेषताएुँ-
(i) इनमें स्थानयत्त्ि होता है | इन्द्हें लम्बे समय तक सुरजक्षत रख इस्तेमाल हकया जा सकता है |
(ii) इन्द्हें हम कहीं भी और कभी भी पढ़ सकते हैं |
(iii) इससे हमारी नलजखत भाषा का विस्तार होता है |
(iv) यह नचंतन, विचार ि विश्लेषण का माध्यम है |
वप्रंट माध्यमों की कनमयाुँ-
(i) यह अनपढ़ लोगों के नलए उपयोगी नहीं है |
(ii) इससे तुरंत घटी घटनाओं की जानकारी नहीं नमलती |
(iii) इसमें गलनतयों की संभािना रह जाती है |
(iv) इसमें आिंहटत जगह में ही लेखक नलख सकता है |
प्र. (2) मुहरत माध्यमों के लेखन में ध्यान रखने योग्य बातें नलजखए |
उत्तर- (i) लेखन में भाषा, व्याकरण, ितानी और र्ैली का ध्यान रखना चाहहए |
(ii) प्रचनलत भाषा का प्रयोग करना चाहहए |
(iii) समय-सीमा ि आिंहटत जगह का ध्यान रखना चाहहए |
(iv) गलनतयों ि अर्ुवद्धयों को ठीक करना चाहहए |
(v) लेखन में सहज प्रिाह हे तु तारतम्यता होनी चाहहए |
प्र. (3) रे हडयो समाचार की संरचना को स्पष्ट कीजजए |
उत्तर- रे हडयो समाचारों की संरचना उलटा वपरानमड र्ैली पर आधाररत होती है । इस र्ैली में
समाचार तीन भाग होते हैं -
इं िो- इसे इं िो / लीड / मुखड़ा कहते हैं । इसमें खबर के मूल तत्ि को र्ुरू की दो-तीन पंवक्तयों
में बताया जाता है । यह खबर का सबसे अहम हहस्सा होता है । |
बॉडी- इस भाग में समाचार के विस्तृत ब्यौरे को घटते हुए महत्त्िक्रम में नलखा जाता है ।
समापन- इसमें प्रासंनगक तथ्य और सूचनाएुँ दी जा सकती हैं ।

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प्र. (4) रे हडयो के नलए समाचार-लेखन की बुननयादी बातें नलजखए |
उत्तर-
1. कंलयूटर पर हिपल स्पेस में टाइप, दोनों ओर हानर्या छोड़ा जाता है , एक लाइन में अनधकतम 12-13
र्ब्द, पंवक्त के आजखर में कोई र्ब्द विभाजजत नहीं, पृष्ठ के आजखर में कोई लाइन अधूरी नहीं हो |
2.लोकवप्रय संजक्षप्ताक्षर ही प्रयोग हकए जाएुँ अन्द्य नहीं |
3. 11से 999 तक के अंक अंकों में तथा अन्द्य सभी अंक र्ब्दों में नलखे जाएुँ |
4.संकेत नचह्नों को र्ब्दों में नलखें जैसे प्रनतर्त, डॉलर आहद
5.दर्मलि के अंक नजदीकी पूणाांक में नलखे जाएुँ |
6.नतनथयों को इस प्रकार नलखा जाए – 15 अगस्त उन्द्नीस सौ पचासी

प्र. (5) टी.िी. ख़बरों के विनभन्द्न चरण स्पष्ट कीजजए |


उत्तर- टी.िी. ख़बरों के सात चरण इस प्रकार हैं -
1. फ्लैर् या ब्रेहकंग न्द्यूज़- बड़ी ख़बर कम से कम र्ब्दों में तत्काल / तुरंत दर्ाकों तक
पहुुँचाई जाती है |
2. ड्राई एंकर- एंकर वबना दृश्य के दर्ाकों को सीधे-सीधे समाचार की जानकारी दे ता है |
3. फोन-इन - एंकर घटनास्थल पर मौजूद ररपोटा र से फोन पर बात कर दर्ाकों को सूचनाएुँ दे ता
है |
4. एंकर- विजुअल- दृश्यों के आधार पर खबर नलखी जाती है जजसे एंकर पढ़ता है | साथ ही
साथ दृश्य भी हदखाए जाते हैं
5. एंकर बाइट- बाइट का अथा है कथन एंकर खबर पढ़ने और दृश्य हदखाने के साथ-साथ घटना
से जुड़े व्यवक्तयों के कथन हदखाता ि सुनाता है । एंकर बाइट की आिश्यकता / महत्त्ि खबर को
प्रामाजणकता प्रदान करने के नलए है |
6. लाइि- खबर का घटनास्थल से सीधा प्रसारण लाइि कहलाता है |
7. एंकर पैकेज- एंकर सम्बंनधत घटना के दृश्य बाइट, ग्राहफक्स, आहद के साथ उसे सम्पूणा रूप
में प्रस्तुत करता है |
प्र. (6) टे लीविजन के नलए समाचार या आलेख (जस्क्रलट) नलखते समय हकन हकन बातों का
ध्यान रखना चाहहए ?
उत्तर- टे लीविजन में समाचार या आलेख (जस्क्रलट) नलखते समय ननम्ननलजखत बातों का ध्यान
रखना चाहहए -
i) हमारे र्ब्द परदे पर हदखने िाले दृश्य के अनुकूल हों |
ii) टे लीविजन लेखन वप्रंट और रे हडयो दोनों ही माध्यमों से कािी अलग है । इसमें कम-से-कम
र्ब्दों में ज्यादा से ज्यादा खबर बताने की कला का इस्तेमाल करना चाहहए
iii) टी०िी० के नलए खबर नलखने की बुननयादी र्ता दृश्य के साथ लेखन है । दृश्य यानी कैमरे से
नलए गए र्ॉट्स, जजनके आधार पर खबर बुनी जाती है ।
प्र. (7) रे हडयो और टे लीविजन समाचार की भाषा की विर्ेषताएुँ नलजखए |
उत्तर- रे हडयो और टे लीविजन समाचार की भाषा की विर्ेषताएुँ इस प्रकार हैं -
i) भाषा सरल हकन्द्तु स्तरीय हो । आम बोलचाल की भाषा का प्रयोग हकया जाए |
ii) िाक्य छोटे सीधे और स्पष्ट नलखे जाएुँ। िाक्यों में तारतम्य हो ।
iii) गैरजरूरी विर्ेषणों, सामानसक और तत्सम र्ब्दों, अनतरं जजत उपमाओं आहद से बचना चाहहए।
iv) मुहािरों का इस्तेमाल जहाुँ जरूरी हो, िही करना चाहहए।
v) रे हडयो ि टी.िी. में अखबारों से नभन्द्न ननम्ननलजखत, उपरोक्त, अधोहस्ताक्षाररत, क्रमांक आहद
र्ब्दों का प्रयोग नहीं होता है ।

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प्र. (8) रे हडयो, टे लीविज़न और इं टरनेट की विर्ेषताएं ि कनमयाुँ नलजखए |
उत्तर- रे हडयो, टे लीविज़न और इं टरनेट की विर्ेषताएं ि कनमयाुँ इस प्रकार हैं –
रे हडयो टे लीविज़न
विर्ेषताएुँ (i) यह श्रव्य माध्यम है | (i) यह दृश्य-श्रव्य माध्यम है | (i) इसमें रे हडयो, टी.िी. ि
(ii) रे हडयो पर खबरें सुनकर हम (ii) इस पर तस्िीरें दे खकर अखबार तीनों के गुण
उन्द्मुक्त महसूस करते हैं | जीिन्द्तता का अहसास होता है | होते हैं |
(iii) यह एकरे खीय माध्यम है (iii) यह एकरे खीय माध्यम है (ii) यह एक
(iv) यह एक सुलभ माध्यम है (iv) इस पर सीधा प्रसारण दे खा अंतरहक्रयात्मक माध्यम
(v) यह पढ़े -नलखे ि अनपढ़ जा सकता है | है |
सभी लोगों के नलए भी उपयोगी (iii) यह सबसे तेज़ ि
है | लोकवप्रय माध्यम है |
कनमयाुँ (i) रे हडयो पर समाचार एक बार (i) इसे बार-बार दे ख-सुन नहीं (i) इससे अश्लीलता ि
में ही सुनना ि समझना पड़ता सकते | दरु ाचारों को बढ़ािा
है | (ii) यह एक खचीला माध्यम है नमलता है |
(ii) तस्िीरें न होने के कारण (ii) इससे मन भटकने के
कम रोचक होता है | कारण समय की बबाादी
होती है |

प्र. (9) इं टरनेट ि इं टरनेट पत्रकाररता का संजक्षप्त पररचय दीजजए।


उत्तर-
इं टरनेट नसिा एक टू ल यानी औज़ार है , जजसे आप सूचना, मनोरं जन, ज्ञान और व्यवक्तगत तथा
सािाजननक संिादों के आदान-प्रदान के नलए इस्तेमाल कर सकते हैं । इं टरनेट पत्रकाररता इं टरनेट
पर अखबारों का प्रकार्न ि खबरों का आदान-प्रदान इं टरनेट पत्रकाररता है । इसमें रे हडयो, टी.िी.
और अखबार तीनों के गुण, सबसे तेज़ ि ताजा पत्रकाररता है । इं टरनेट पत्रकाररता लोकवप्रय है
क्योंहक इससे खबरों के संप्रेषण के साथ बैकग्राउं डर तैयार करने में तत्काल सहायता नमलती है |
प्र. (10) हहं दी नेट संसार या िेब पत्रकाररता के इनतहास पर प्रकार् डानलए ।
उत्तर- हहं दी में नेट पत्रकाररता 'िेब दनु नया' के साथ र्ुरू हुई। यह पोटा ल हहं दी का संपूणा पोटा ल है
'जागरण', 'अमर उजाला', 'नयी दनु नया', 'हहन्द्दस्
ु तान', 'भास्कर', 'राजस्थान पवत्रका', 'निभारत टाइम्स',
'प्रभात खबर' ि 'राष्ट्रीय सहारा के िेब संस्करण र्ुरू हुए । 'प्रभासाक्षी' नाम से र्ुरू हुआ अखबार,
वप्रंट रूप में न होकर नसफा इं टरनेट पर ही उपलब्ध है । आज पत्रकाररता के नलहाज से हहं दी की
सिाश्रष्ठ
े साइट बीबीसी की है । | हहं दी नेट में कई साहहजत्यक पवत्रकाएुँ चल रही ।

प्र. (11) विश्व स्तर पर इं टरनेट पत्रकाररता के इनतहास का संजक्षप्त पररचय दीजजए।
उत्तर- विश्व स्तर पर इं टरनेट पत्रकाररता का पहला दौर 1982 से 1992 तक जबहक दस
ू रा दौर
चला 1993 से 2001 तक तीसरे दौर की इं टरनेट पत्रकाररता 2002 से अब तक की है ।
सच्चे अथों में इं टरनेट पत्रकाररता की र्ुरुआत 1983 से 2002 के बीच हुई। नयी िेब भाषा एच
टी एम एल (हाइपर टे क्स्ट माडा अप लैंग्िेज) आई, इं टरनेट ईमेल आया, इं टरनेट आया, इं टरनेट
एक्सललोरर और नेटस्केप नाम के ब्राउजर आए। इं टरनेट पत्रकाररता का तीसरा दौर सच्चे अथों
में हटकाऊ हो सकता है ।

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पाठ 4. पत्रकारीय लेखन के विनभन्द्न रूप और लेखन प्रहक्रया

1. विर्ेष ररपोटा हकस आधार पर प्रकानर्त होती हैं ?


(अ) विश्लेषण (ब) व्याख्या (स) गहरी छानबीन (द) उपयुक्त
ा सभी
उत्तर (द) उपयुक्त
ा सभी
2. ननम्ननलजखत में से कौन-सा गुण फीचर का नहीं है ?
(अ) फीचर लेखन में हहं दी समाचार की भांनत उल्टा वपरानमड र्ैली का प्रयोग होता है
(ब) फीचर में लेखक अपनी राय तथा भािनाएं अनभव्यक्त कर सकता है ।
(स) फीचर की भाषा सरल, आकषाक एिं रूपात्मक होती हैं ।
(द) फीचर के साथ फोटो, रे खांकन, ग्राहफक्स आहद का होना आिश्यक होता है ।
उत्तर : (अ) फीचर लेखन में हहं दी समाचार की भांनत उल्टा वपरानमड र्ैली का प्रयोग होता है
3. ननम्ननलजखत में फीचर लेखन के गुण कौन से हैं ?
(अ) प्रासंनगकता एिं विश्वसनीयता (ब) रोचकता, संजक्षप्तता,सहजता एिं सरसता
(स) प्रचनलत र्ब्दािली का प्रयोग (द) उपयुक्त
ा सभी
उत्तर: (द) उपयुक्त
ा सभी
4.फीचर र्ब्द लैहटन भाषा के हकस र्ब्द से नननमात हैं ?
(अ) फैक्िा (ब) फैक्िसा (स) फैक्िरी (द) ये सभी
उत्तर: (अ) फैक्िा
5. फीचर का आकार र्ैलीगत विर्ेषताओं के कारण होता है -
(अ) विस्तृत (ब) संजक्षप्त (स) अत्यंत लघु (द) असीनमत
उत्तर: (अ) विस्तृत
6.ननम्न विकल्पों की सहायता से फीचर लेखन का क्रम ननधााररत कीजजए -
(i) आमुख या भूनमका (ii) विषय का विस्तार (iii) र्ीषाक (iv) ननष्कषा या समापन
(अ) i,ii,iii,iv (ब) ii,iii,iv,i (स) iii,iv,ii,i (द) iii,i,ii,iv
उत्तर: (द) iii,i,ii,iv (र्ीषाक, आमुख या भूनमका, विषय का विस्तार, ननष्कषा या समापन - इस क्रम में
फीचर नलखे जाते हैं ।)
7.ननम्ननलजखत में से कौन सा उद्दे श्य अखबार या समाचार पत्र का उद्दे श्य है ?
(अ) सूचना दे ना, जागरूक बनाना एिं नर्जक्षत करना (ब) मनोरं जन करना
(स) लोकतांवत्रक समाज में एक पहरे दार नर्क्षक एिं जनमत ननमााता की भूनमका अदा करना
(द) उपयुक्त
ा सभी
उत्तर: (द) उपयुक्त
ा सभी
8.समाचार के मुखड़े (इं िो) यानी र्ुरुआती दो-तीन पंवक्तयों में आमतौर पर हकतने ककारों को आधार
बनाकर खबर नलखी जाती है ?
(अ) दो या तीन (ब) तीन या चार
(स) चार या पांच (द) पांच या पांच
उत्तर: (ब) तीन या चार
9.समाचार के तत्िों में जो र्ानमल नहीं है उसकी पहचान कीजजए-
(अ) निीनता (ब) जनरुनच
(स) संिाददाता (द) महत्त्िपूणा लोग
उत्तर: (स) संिाददाता
10.लोगों की रुनच युद्ध, संघषा, चुनािी हार-जीत, खेल के पररणाम आहद में होती है ।‘ समाचार-लेखन की
दृवष्ट से यह समाचार के हकस तत्त्ि को अनभव्यक्त करता है ?
(अ) टकराि या संघषा (ब) उपयोगी जानकाररयां
(स) अनोखापन (द) प्रभाि-क्षेत्र
उत्तर: (अ) टकराि या संघषा

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11.िीचर से क्या अनभप्राय है ?
(अ) िीचर एक अव्यिजस्थत, मौनलक और आत्मननष्ठ लेखन है
(ब) िीचर केिल आंकड़ों पर आधाररत होता है
(स) िीचर एक सुव्यिजस्थत, सृजनात्मक और आत्मननष्ठ लेखन है
(द) िीचर एक अव्यिजस्थत, सृजनात्मक और आत्मननष्ठ लेखन है
उत्तर (स)िीचर एक सुव्यिजस्थत, सृजनात्मक और आत्मननष्ठ लेखन है
12.. पत्रकारीय लेखन के नलए कच्चा माल हकससे प्राप्त होता है ?
(अ) संपादकीय से (ब) साक्षात्कार से
(स) संपादक के नाम पत्र से (द)िीचर से
उत्तर (ब) साक्षात्कार से
13.स्तंभ लेखन हकस प्रकार का लेखन है ?
(अ) विचारपरक लेखन (ब) विश्लेषणात्मक लेखन
(स) वििेचनात्मक लेखन (द) िस्तुपरक लेखन
उत्तर (अ) विचारपरक लेखन
14. एक सफल साक्षात्कार के नलए इनमें से हकन गुणों का होना आिश्यक नहीं है ?
(अ) विषय की अननभज्ञता (ब) संिेदनर्ीलता
(स) धीरज (द) साहस
उत्तर (अ)विषय की अननभज्ञता
15.लोकवप्रय लेखकों के लेखों की ननयनमत श्रृख
ं ला को हकस नाम से जाना जाता है ?
(अ) पत्रकार (ब) संपादकीय
(स) स्तंभ-लेखन (द) संपादन
उत्तर (स) स्तंभ-लेखन
16.आमतौर पर समाचार पत्रों में या अखबारों में समाचार पूणाकानलक या अंर्कानलक पत्रकारों के िारा
नलखे जाते हैं , जो कहलाते हैं -
अ) संिाददाता या ररपोटा र (ब) संपादकीय
(स) स्तंभ लेखक (द) संपादक
उत्तर (अ) संिाददाता या ररपोटा र
17.समाचार के मुखडे (इंट्रो) यानी र्ुरुआती दो-तीन पंवक्तयों में आमतौर पर चार ककारों को आधार बनाकर
खबर नलखी जाती है ? ये ककार है -
(अ)क्या, कौन,कब, कहां (ब)कैसे, कौन कब, कहां
(स)क्या, कौन क्यों, कहां (द)क्या, कैसे, कब, कहां
उत्तर (अ) क्या, कौन,कब, कहां
18.क्या, कौन कब, कहां - इन चार ककारों के विषय में सत्य कथन है -
(अ) ये ककार सूचनात्मक एिं तथ्यों पर आधाररत होते हैं
(ब) ये ककार वििरणात्मक, व्याख्यात्मक एिं विश्लेषणात्मक पहलू पर जोर दे ते हैं ।
(स) ये ककार सूचनात्मक एिं तथ्यों पर आधाररत नहीं होते हैं ।
(द) इनमें से कोई नहीं
उत्तर (अ) ये ककार सूचनात्मक एिं तथ्यों पर आधाररत होते हैं
19. कैसे और क्यों - इन दो ककारों के विषय में सत्य कथन है -
(अ) ये ककार सूचनात्मक एिं तथ्यों पर आधाररत होते हैं
(ब) ये ककार वििरणात्मक, व्याख्यात्मक एिं विश्लेषणात्मक पहलू पर जोर दे ते हैं ।
(स) ये ककार सूचनात्मक एिं तथ्यों पर आधाररत नहीं होते हैं ।
(द) इनमें से कोई नहीं
उत्तर (ब) ये ककार वििरणात्मक, व्याख्यात्मक एिं विश्लेषणात्मक पहलू पर जोर दे ते हैं ।

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बहुविकल्पीय प्रश्नों हे तु महत्िपूणा जानकाररयाुँ –
1 पत्रकारीय लेखन में जागान्द्स और क्लीर्े का प्रयोग नहीं करना चाहहए |
जागान्द्स- ऐसी र्ब्दािली जजससे बहुत कम पाठक पररनचत होते हैं
क्लीर्े – वपष्टोवक्त या दोहराि या चलन से बाहर
2 सीधी वपरानमड र्ैली – कथात्मक लेखन के नलए (इसमें क्लाइमेक्स अंत में)
उलटा वपरानमड र्ैली – समाचार लेखन (इसमें क्लाइमेक्स आरम्भ में आता है )
3 उलटा वपरानमड र्ैली का आरम्भ 19 िीं सदी के मध्य में अमेररका के गृहयुद्ध के दौरान
हुआ |
4 िीचर लेखन की र्ैली कािी हद तक कथात्मक होती है | इसकी र्ब्द सीमा अखबारों में
250 से 2000 र्ब्दों तक हो सकती है |
5 िीचर के प्रकार – समाचार बैकग्राउं डर, खोजपरक िीचर, जीिनर्ैली फीचर, रूपात्मक
फीचर, व्यवक्तगत फीचर, यात्रा फीचर, विर्ेष रूनच फीचर |
6 खोजी ररपोटा - ररपोटा र मौनलक र्ोध ि छानबीन िारा तथ्य सामने लाता है
इन-डे फ्थ ररपोटा - उपलब्ध तथ्यों की गहरी छानबीन कर सूचनाएुँ सामने लाता
विश्लेषणात्मक ररपोटा - तथ्यों का विश्लेषण हकया जाता है |
वििरणात्मक ररपोटा – तथ्यों के बारीक वििरण को प्रस्तुत हकया जाता है |
7 विचारपरक लेखन के रूप – संपादकीय, स्तंभ, लेख, साक्षात्कार
8 सम्पादक के नाम पत्र – यह संपादकीय पृष्ठ पर प्रकानर्त ि स्थायी स्तंभ है |
9 लेख – सम्पादकीय पृष्ठ पर प्रकानर्त, लेखक के अपने विचार होते हैं जो तथ्यों पर आधाररत
होते हैं , कोई ननजश्चत र्ैली नहीं होती |
10 पत्रकार तीन प्रकार –पूणक
ा ानलक पत्रकार- ननयनमत िेतन भोगी पत्रकार
अंर्कानलक पत्रकार- ननजश्चत मानदे य पर काम करने िाला पत्रकार
फ्रीलांसर- भुगतान के आधार पर अलग-अलग अख़बारों के नलए नलखता है
11 समाचार लेखन के छह ककार- क्या, कौन, कहाुँ, कब, क्यों, कैसे
12 संपादकीय लेखन- अखबार की अपनी आिाज़

िणानात्मक प्रश्न-

प्रश्न 1. पत्रकारीय लेखन से क्या तात्पया है ?


उत्तर : समाचार माध्यमों मे काम करने िाले पत्रकार अपने पाठकों तथा श्रोताओं तक सूचनाएुँ
पहुुँचाने के नलए लेखन के विनभन्द्न रूपों का इस्तेमाल करते हैं , इसे ही पत्रकारीय लेखन कहते हैं ।
पत्रकररता या पत्रकारीय लेखन के अन्द्तगात सम्पादकीय, समाचार,आलेख, ररपोटा , िीचर, स्तम्भ
तथा काटू ा न आहद आते हैं ।
प्रश्न 2. पत्रकार के प्रकार हकतने प्रकार के होते हैं ?
उत्तर--- पत्रकार तीन प्रकार के होते हैं ।
i) पूणा कानलक पत्रकार : हकसी समाचार पत्र या संगठन के ननयनमत िेतनभोगी कमाचारी।
ii) अंर्कानलक पत्रकार (जस्िं गर): ननजश्चत मानदे य पर काया करने िाले पत्रकार ।
iii) फ़्रीलांसर या स्ितंत्र पत्रकार : ये हकसी संस्था से जुड़े नहीं होते । जब ये नलखते है तो
इनका लेख कोई भी छाप सकता है और बदले में एक ननजश्चत रानर् इन्द्हें भेज दी जाती है ।
प्रश्न 3. समाचर लेखन की उल्टा वपरानमड र्ैली पर प्रकार् डानलए ?
उत्तर-- समाचार उलटा वपरानमड र्ैली में नलखे जाते हैं | इसमें घटते महत्त्ि क्रम में घटनाओं को
प्रस्तुत कर समाचार का अंत हकया जाता है । समाचार में इं िो, बॉडी और समापन के क्रम में
घटनाएुँ प्रस्तुत की जाती हैं । समाचार लेखन में छ: ककार होते हैं - क्या, कौन, कहाुँ, कब , क्यों
और कैसे इं िो में आने िाले क्या, कौन कब, कहां - ये चार ककार सूचनात्मक एिं तथ्यों पर
आधाररत होते हैं जबहक बॉडी और समापन में आने िाले कैसे और क्यों - ये दो ककार
वििरणात्मक, व्याख्यात्मक एिं विश्लेषणात्मक पहलू पर जोर दे ते हैं ।
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इं िो या मुखडा ...........................................................,अत्यनधक महत्त्िपूणा विषय

बॉडी ..................................................................कम महत्त्िपूणा

समापन .....................................................सबसे कम महत्त्िपूणा

प्रश्न 4 िीचर लेखन की प्रमुख विर्ेषताएं बताइए |


उत्तर : फीचर लेखन की प्रमुख विर्ेषताएं ननम्ननलजखत हैं -
i) िीचर एक सुव्यिजस्थत, सृजनात्मक और आत्मननष्ठ लेखन है । िीचर का उद्दे श्य मुख्य रूप से
पाठकों को सूचना दे ना, नर्जक्षत करना तथा उनका मनोरं जन करना होता है ।
ii) फीचर लेखन में उल्टा वपरानमड र्ैली की बजाय लेखन की र्ुरुआत कहीं से भी हो सकती है ।
iii) फीचर लेखन की र्ैली कथात्मक होती है ।
iv) फीचर लेखन की भाषा सरल, सरस , वबंबात्मक, आकषाक और मन को छू लेने िाली होती है ।
v) फीचर लेखन में र्ब्दों की कोई अनधकतम सीमा नहीं होती । फीचर लेखन में सामान्द्यतः ढाई
सौ से ढाई हजार के बीच में र्ब्द होते हैं ।
प्रश्न 5. िीचर और समाचार में प्रमुख अंतर बताइए ।
उत्तर : फीचर और समाचार में प्रमुख अंतर ननम्ननलजखत हैं -
i) समाचार का उद्दे श्य सूचना दे ना होता है जबहक फीचर का उद्दे श्य सूचना के साथ मनोरं जन भी
होता है |
ii) समाचार उल्टा वपरानमड र्ैली में में नलखे जाते हैं , जबहक िीचर लेखन की कोई सुननजश्चत
र्ैली नहीं होती ।
iii) समाचार तात्कानलक घटनाओं पर आधाररत होते हैं जबहक फीचर तात्कानलक घटनाओं पर
आधाररत नहीं होते |
iv) समाचार में ररपोटा र को अपने विचारों को डालने की स्ितंत्रता नहीं होती, जबहक िीचर में
लेखक को अपनी राय , दृवष्टकोण और भिनाओं को जाहहर करने का अिसर होता है ।
प्रश्न 6.फीचर लेखन की प्रमुख प्रकार बताइए।
उत्तर : फीचर लेखन की प्रमुख प्रकार ननम्ननलजखत है -
i) रे हडयो फीचर - िहां रे हडयो फीचर केिल प्रसारण माध्यमो से सुनने के नलए होते हैं इनमें
संगीत और ध्िनन पक्ष काफी प्रबल होता है ।
ii) समाचार फीचर- ऐसे फीचर का मूलभाि समाचार होते हैं । हकसी घटना का पूणा वििेचन
विश्लेषण इसके अंतगात हकया जाता है ।
iii) यात्रा फीचर- यात्राओं का प्रभािपूणा संस्मरणात्मक नचत्रण इन फीचरो में होता है ।
iv) व्यवक्तगत फीचर - इसमें साहहत्य, संगीत, नचत्रकला, नाटî, खेल जगत, राजनीनतक, विज्ञान, धमा
आहद क्षेत्रों में समाज का नेतत्ृ ि करनेिाले व्यवक्तयो- विनर्ष्ट व्यवक्तयों पर फीचर नलखे जाते हैं ।
इसके अनतररक्त खोजपरक फीचर, साक्षात्कार फीचर, जीिनर्ैली परक फीचर इत्याहद अनेक प्रकार
के फीचर होते है ।
प्रश्न 7. विर्ेष ररपोटा से क्या अनभप्राय है ? विर्ेष ररपोटा के हकतने प्रकार होते हैं ?
उत्तर : अखबारों ि पवत्रकाओं में गहरी छान-बीन, विश्लेषण और व्याख्या के आधार पर प्रकानर्त
होने िाली ररपोटा विर्ेष ररपोटा कहलाती हैं । विर्ेष ररपोटा के प्रमुख प्रकार ननम्ननलजखत है -
i) खोजी ररपोटा : इसमें ररपोटा र िारा अनुपलब्ध तथ्यों को गहरी छान-बीन कर सािाजननक हकया
जाता है ।
ii) इन्द्डे लथ ररपोटा : सािाजाननक रूप से प्राप्त तथ्यों की गहरी छान-बीन कर उसके महत्त्िपूणा पक्षों
को पाठकों के सामने लाया जाता है ।
iii) विश्लेषणात्मक ररपोटा : इसमें हकसी घटना से जुड़े तथ्यों का विश्लेषण ि व्याख्या की जाती है |
iv) वििरणात्मक ररपोटा : इसमें हकसी घटना को विस्तार एिं बारीकी के साथ प्रस्तुत हकया जाता
है ।
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प्रश्न 8. विचारपरक लेखन से क्या तात्पया है ?
उत्तर : समाचार-पत्रों में समाचार एिं िीचर के अनतररक्त संपादकीय, लेख, पत्र, हटलपणी, िररष्ठ
पत्रकारों ि विर्ेषज्ञों के स्तम्भ छपते हैं । ये सभी विचारपरक लेखन के अन्द्तगात आते हैं ।
प्रश्न 9. 'संपादकीय' पर हटलपणी नलजखए ।
उत्तर : संपादक िारा हकसी प्रमुख घटना या समस्या पर नलखे गए विचारत्मक लेख को, जजसे
संबंनधत समाचार पत्र की राय या उसकी आिाज़ भी कहा जाता है ,संपादकीय कहते हैं
। संपादकीय हकसी एक व्यवक्त का विचार या राय न होकर समग्र पत्र-समूह की राय होता
है , इसनलए संपादकीय में संपादक अथिा लेखक का नाम नहीं नलखा जाता।
प्रश्न 10 स्तम्भ लेखन पर प्रकार् डानलए l
उत्तर : स्तंभ लेखन एक प्रकार का विचारत्मक लेखन है । कुछ महत्त्िपूणा लेखक अपने खास
िैचाररक रुझान एिं लेखन र्ैली के नलए जाने जाते हैं । ऐसे लेखकों की लोकवप्रयता को दे खकर
समाचरपत्र उन्द्हें अपने पत्र में ननयनमत स्तम्भ - लेखन की जजम्मेदारी प्रदान करते हैं । इस
प्रकार हकसी समाचार-पत्र में हकसी ऐसे लेखक िारा हकया गया विनर्ष्ट तथा ननयनमत लेखन जो
अपनी विनर्ष्ट र्ैली एि िैचाररक रुझान के कारण समाज में ख्यानत प्राप्त हो, स्तम्भ लेखन कहा
जाता है ।

प्रश्न 11. संपादक के नाम पत्र कहां प्रकानर्त हकए जाते है ?

उत्तर : समाचार पत्रों में संपादकीय पृष्ठ पर तथा पवत्रकाओं की र्ुरुआत में संपादक के नाम आए
पत्र प्रकानर्त हकए जाते हैं । यह प्रत्येक समाचारपत्र का ननयनमत स्तम्भ होता है । इसके
माध्यम से समाचार-पत्र अपने पाठकों को जनसमस्याओं तथा मुद्दों पर अपने विचार एिं राय
व्यक्त करने का अिसर प्रदान करता है ।

प्रश्न 12. साक्षात्कार/इं टरव्यू हकसे कहते है ? :

उत्तर : हकसी पत्रकार के िारा अपने समाचार पत्र में प्रकानर्त करने के नलए, हकसी व्यवक्त विर्ेष
से उसके विषय में अथिा हकसी विषय या मुद्दे पर हकया गया प्रश्नोत्तरात्मक संिाद साक्षात्कार
कहलाता है । साक्षात्कार नलखने के दो तरीके होते हैं । पहले तरीके में साक्षात्कार को सिाल
और जिाब के रूप में नलखा जा सकता है और दस
ू रे तरीके में साक्षात्कार को आलेख की तरह
भी नलखा जा सकता है ।

प्रश्न 13. फीचर लेखन को आत्मननष्ठ लेखन क्यों कहा जाता है ?

उत्तर : फीचर लेखन को आत्मननष्ठ लेखन इसनलए कहा जाता है क्योंहक -

i) फीचर लेखन में लेखक फीचर नलखते समय अपनी व्यवक्तगत विचार, भािनाएं एिं अनुभूनतयों
को फीचर में स्थान दे ता है ।

ii) फीचर लेखन में लेखक की व्यवक्तगतगत राय और दृवष्टकोण महत्त्िपूणा होता है ।

iii) फीचर लेखक केंहरत होता है ।

**********************

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पाठ 5. विर्ेष लेखन:- स्िरूप एिं प्रकार


बहुविकल्पीय प्रश्न-
1. विर्ेष लेखन कहलाता है ?
अ. सामान्द्य लेखन से हटकर हकसी विर्ेष विषय पर हकया गया लेखन
ब. हकसी विषय पर नलखा गया रचनात्मक लेखन
स. हकसी विषय पर हकया गया हक्रयात्मक लेखन
द. हकसी भी विषय पर हकया गया गनतर्ील लेखन।
उत्तर (अ) सामान्द्य लेखन से हटकर हकसी विर्ेष विषय पर हकया गया लेखन
2. संिाददाताओं की रुनच और ज्ञान को ध्यान में रखकर उनके काम के विभाजन को क्या कहते हैं ?
अ. सीट ब. नीट
स. बीट द. रपीट
उत्तर (स) बीट
3. विर्ेष लेखन के हकतने क्षेत्र हैं ?
अ. एक ब. दो
स. चार द. अनेक
उत्तर (द) अनेक
4. विर्ेष लेखन के नलए हकस प्रकार की भाषा र्ैली अपेजक्षत है ?
अ. साहहजत्यक भाषा ब. सहज, सरल तथा बोधगम्य भाषा
स. बाजारू भाषा द. हहन्द्दी उदा ू नमनश्रत भाषा
उत्तर (ब) सहज, सरल तथा बोधगम्य भाषा
5. इनमें से विर्ेष लेखन का कौन-सा क्षेत्र नहीं है ?
अ. नसनेमा ब. मनोरं जन
स. स्िास्थ्य द. समाचार
उत्तर (द) . समाचार
6. कारोबार और व्यापार से संबंनधत खबर का सम्बन्द्ध हकससे है ?
अ. खेल क्षेत्र से ब. कृ वष क्षेत्र से
स. आनथाक क्षेत्र द. राजनीनतक क्षेत्र
उत्तर (स) . आनथाक क्षेत्र
7. इनमें से कौन-सा र्ब्द हक्रकेट जगत का नहीं है ?
अ. हहट विकेट ब. जस्पन
स. रन द. तेजहड़ए
उत्तर (द) तेजहड़ए
8. इनमें से कौन-सा र्ब्द आनथाक क्षेत्र से सम्बजन्द्धत नहीं है ?
अ. तेजहड़ए ब. वबकिाली
स. मंदहड़ए द. रन आउट।
उत्तर (द) रन आउट।
9. भारत में कौन-सा खेल अनधक लोकवप्रय है ?
अ. फुटबाल ब. हक्रकेट
स. िॉलीबाल द. टे ननस
उत्तर (ब) हक्रकेट
10. विर्ेषज्ञता प्राप्त करने हे तु क्या आिश्यक है :-
अ. स्ियं को अपडे ट रखना ब. पुस्तकें पढ़ना
स. ननरं तर हदलचस्पी द. उपयुक्त
ा सभी
उत्तर (द) उपयुक्त
ा सभी

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11. विर्ेष लेखन क्यों हकया जाता है -
अ. समाचार पत्रों में विविधता आती है
ब. पत्रों का कलेिर बढ़ता है
स. संपादक का महत्ि बढ़ता है
द. केिल 1 एिं 2
उत्तर (द) . केिल 1 एिं 2

12. विर्ेष संिाददाता हकन्द्हें कहा जाता है -


अ. केिल ररपोहटां ग करनेिालों को
ब. विर्ेषीकृ त ररपोहटां ग करने िालो को
स. उपयुक्त
ा दोनों
द. उपयुक्त
ा में से कोई नहीं
उत्तर (ब) विर्ेषीकृ त ररपोहटां ग करने िालो को
13.बीट कहते हैं -
अ. विनभन्द्न प्रकार के समाचारों को ब.विनभन्द्न प्रकार के ररपोटा र
स. विनभन्द्न प्रकार की आिाज़ द. उपयुक्त
ा में से कोई नहीं।
उत्तर (अ) विनभन्द्न प्रकार के समाचारों को

14.कारोबार तथा अथाजगत से जुड़ी खबरें हकस र्ैली में नलखी जाती हैं -
अ.रोचक र्ैली में ब. प्रश्न र्ैली में
स. उल्टा वपरानमड र्ैली में द. उपयुक्त
ा सभी में
उत्तर (स) उल्टा वपरानमड र्ैली में

15. बीट किर करने िाले ररपोटा र को क्या कहा जाता है -


अ. विर्ेष संिाददाता ब. संिाददाता
स.उपयुक्त
ा दोनों द. उपयुक्त
ा में से कोई नहीं
उत्तर (ब) उपयुक्त
ा दोनों

बहुविकल्पीय प्रश्नों हे तु महत्िपूणा जानकाररयाुँ –

1 विर्ेष लेखन- सामान्द्य से हटकर हकया लेखन


2 डे स्क- संपादन, डे स्क पर संपाहदत कर छपने योग्य बनाया जाता है
3 बीट- ररपोहटां ग का विर्ेष क्षेत्र / विषय
4 न्द्यूजपेग- लेख में ताज़ा घटना का उल्लेख जजसके कारण िह मुद्दा चचाा में आया
5 विर्ेष लेखन के अनेक क्षेत्र जैसे खेल, व्यापार,विज्ञान, हफल्म, विदे र्, नर्क्षा आहद
6 विर्ेष लेखन की भाषा- सरल, सहज, बोधगम्य भाषा
र्ीषाक आकषाक जैस-े चाुँदी लुढ़की, भारत ने पाहकस्तान को पीटा, र्ेयर उछले
तकनीकी र्ब्दों का प्रयोग
7 विर्ेष लेखन के नलए सूचनाओं के स्रोत- मंत्रालय के सूत्र, प्रेस कॉफ्रेंस, साक्षात्कार, जांच
ररपोट्सा, इन्द्टरनेट, संगठन से जुड़े व्यवक्त
8 विर्ेष लेखन में समाचार नहीं आते
9 आजकल पत्रकाररता में हकसकी आिश्यकता है - मास्टर ऑि िन

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िणानात्मक प्रश्न-

1. विर्ेष लेखन हकसे कहते हैं ? विर्ेष लेखन की भाषा-र्ैली पर प्रकार् डानलए।
उत्तर : हकसी खास विषय पर सामान्द्य लेखन से हट कर हकया गया लेखन विर्ेष लेखन कहलाता है |
विर्ेष लेखन के विषय हैं - व्यापार, खेल, राजनीनत, कृ वष, विज्ञान आहद |
विर्ेष लेखन की भाषा-र्ैली सामान्द्य लेखन से अलग होती है । इसमें संिाददाता को संबंनधत विषय की
तकनीकी र्ब्दािली का जान होना आिश्यक होता है | इसके र्ीषाक आकषाक होने चाहहए | इसमें
विषय की गहराई तक जाना चाहहए | जैसे –
1.कारोबार और व्यापार में तेजहडए, सोना उचला , चांदी लुढ़की आहद।
2.पयाािरण संबंधी लेख में आरता , टै क्सेस कचरा , ग्लोबल िानमांग आहद।
2. डे स्क क्या है ?
उत्तर : डे स्क का अथा है - सम्पादन | डे स्क पर समाचारों को संपाहदत कर उसे छपने योग्य
बनाया जाता है | समाचार माध्यमों में अलग-अलग विषयों पर विर्ेष लेखन के नलए अलग-अलग
डे स्क होती हैं । यथा-व्यापार तथा कारोबार के नलए अलग तथा खेल की खबरों के नलए अलग डे स्क
ननधााररत होता है ।

3. बीट से क्या तात्पया है ?


उत्तर : बीट का अथा है - ररपोहटां ग का विर्ेष क्षेत्र | समाचार माध्यमों िारा अपने संिाददाता को
हकसी विर्ेष क्षेत्र की ररपोहटां ग की जजम्मेदारी दी जाती है , इसे बीट कहते हैं | जैसे- खेल,
अपराध, कानून, हफल्म आहद |

4. बीट ररपोहटां ग तथा विर्ेषीकृ त ररपोहटां ग में क्या अन्द्तर है ?


उत्तर : i) बीट ररपोहटा ग के नलए संिाददाता को उस क्षेत्र की सामान्द्य जानकारी होनी चाहहए हकन्द्तु
विर्ेषीकृ त ररपोहटां ग में संिाददाता को उस क्षेत्र की गहरी समझ होनी चाहहए |
ii) बीट ररपोहटा ग में संिाददाता को बीट से जुड़ी सामान्द्य खबरें नलखनी होती है जबहक विर्ेषीकृ त
ररपोहटां ग में संिाददाता को विर्ेष क्षेत्र से जुड़ी घटनाओं और मुद्दों का बारीकी से विश्लेषण कर पाठकों के
नलए अथा स्पष्ट करना होता है ।
iii) बीट ररपोहटा ग की भाषा-र्ैली सामान्द्य जबहक विर्ेषीकृ त ररपोहटां ग की भाषा-र्ैली विर्ेष होती
है |
5- बीट ररपोहटां ग हकसे कहते हैं ?
उत्तर- जब पत्रकार अपनी बीट यानी ररपोहटां ग के विर्ेष क्षेत्र से जुडी सूचनाएं एकत्र करता है ,
इसे बीट ररपोहटां ग कहते हैं | एक संिाददाता की बीट अगर अपराध है तो इसका अथा है हक िह
अपरानधक घटनाओं की ररपोहटां ग के नलए जजम्मेदार होगा |
6- पत्रकारीय विर्ेषज्ञता से क्या अनभप्राय है ? पत्रकारीय विर्ेषज्ञता प्राप्त करने हे तु क्या हकया जा
सकता है ?
उत्तर-व्यिसानयक रूप से प्रनर्जक्षत ना होने के बािजूद उस विषय में जानकारी और अनुभि के आधार पर
अपनी समझ को इस हद तक विकनसत करना हक सूचनाओं की सहजता से व्याख्या कर पाठकों को उसके
मायने समझा सके।
विर्ेषज्ञता प्राप्त करने के नलए स्ियं को अपडे ट रखना चाहहए। पुस्तकें पढ़ना ,र्ब्दकोर् आहद का सहारा
लेना ,सरकारी-गैरसरकारी संगठनों से संपका रखना ,ननरं तर हदलचस्पी और सहक्रयता आिश्यक है ।

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महत्िपूणा स्मरणीय तथ्य -

पत्रकाररता का मूल तत्ि जजज्ञासा है ।


संपादकीय पृष्ठ पर संपादक के नाम पत्र प्रकानर्त हकए जाते हैं ।
स्तंभ के अंतगात लेखक को विषय चुनाि की स्ितंत्र प्रदान की जाती हैं ।
संपादकीय लेखन में संपादक का नाम न नलखने का मुख्य कारण है यह है हक संपादकीय में व्यवक्त विर्ेष
के विचार न होकर पूरे समाचार-पत्र समूह की आिाज होतीहै
संपादक के नाम पत्र स्तंभ जनमत को प्रनतवबंवबत करता है ।
साक्षात्कार नलखने के दो तरीके होते हैं (सवाल- जिाब और आलेख के रूप में नलखा जा सकता है ।)
समाचार, फीचर, लेख एिं नचत्र - ये चार अंग समाचार पत्र के होते है ।)
समाचार-लेखन में संिाददाता और संपादक-मंडल की भूनमका मुख्य होती है ।

निीन र्ब्द पररचय-

1. अपडे हटं ग- विनभन्द्न िेबसाइटों पर उपलब्ध सामग्री को समय-समय पर संर्ोनधत और पररिनधात


हकया जाता है । इसे ही अपडहटं ग कहते है ।
2. ऑहडयंस - जनसंचार माध्यमों के साथ जुड़ा एक विर्ेष र्ब्द यह जनसंचार माध्यमों के दर्ाकों,
श्रोताओं और पालकों के नलए सामूहहक रूप से इस्तेमाल होने िाला र्ब्द है ।
3. डे डलाइन- समाचार माध्यमों में हकसी समाचार को प्रकानर्त या प्रसाररत होने के नलए पहुुँचने की
आजखरी समय-सीमा को डे डलाइन कहते है ।
4. पीत पत्रकाररता (येलो जनानलज्म)- समाचारपत्रों िारा पाठकों को लुभाने के नलए झूटी अफिाहो
व्यवक्तगत आरोप-प्रत्यारोपणे, प्रेम संबंधों, भंडाफोड़ और हफल्मी गपर्प को समाचार की तरह प्रकानर्त
हकया। उसमें सनसनी फैलाने का तत्ि अहम था।
5.. पेज थ्री पत्रकाररता - पेज थ्री पत्रकाररता का तात्पया ऐसी पत्रकाररता से है जजसमें फैर्न, अमीरों की
पाहटा यों महहफलो और जाने-माने लोगों (सेलीवब्रटी) के ननजी जीिन के बारे में बताया जाता है ।
6. फ्रीक्िेंसी मॉड्यूलेर्न (एफ.एम.)- रे हडयो प्रसारण को एक विर्ेष तकनीक जजसमे फ्रीक्िेंसी को
मॉड्यूलेट हकया जाता है । रे हडयो का प्रसारण दो तकनीकों के जररये होता है जजसमें एक तकनीक
एमललीच्यूड मॉड्युलेर्न (ए.एम.) है और दस
ू रा फ्रीक्िेंसी मॉड्यूलेर्न (एफ.एम.)। एफ.एम. तकनीक
अपेक्षाकृ त नयी है और इसकी प्रसारण की गुणित्ता बहुत अच्छी मानी जाती है ।
7. जस्टं ग आपरे र्न- जब हकसी टे लीविजन चैनल का पत्रकार छुपे टे लीविजन के कैमरे के जररये हकसी
गैर-कानूनी, अिैध और असामाजजक गनतविनधयों को हिल्माता है और हफर उसे अपने चैनल पर हदखाता
है तो इसे जस्टं ग आपरे र्न कहते हैं ।

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पाठ 11 कहानी का नाट्यरूपांतरण


प्रश्न 1. कहानी का नाट्य रूपांतरण करते समय हकन-हकन बातों का ध्यान रखना चाहहए ?
उत्तर-कहानी के नाट्य रूपांतरण में ननम्ननलजखत आिश्यक बातों का ध्यान रखना चाहहए-
i) कथानक के अनुसार ही दृश्य हदखाए जाने चाहहए।
ii) नाटक के दृश्य बनाने से पहले उसका खाका तैयार करना चाहहए।
iii) नाटकीय संिादों का कहानी के मूल संिादों के साथ मेल होना चाहहए।
iv) कहानी के संिादों को नाट्य रूपांतरण में एक ननजश्चत स्थान नमलना चाहहए।
v) संिाद सरल, संजक्षप्त और बोलचाल की भाषा में होने चाहहए। संिाद अनधक लंबे न हों |
प्रश्न 2. कहानी का नाट्य रूपांतरण करते समय दृश्य विभाजन कैसे करते हैं ?
उत्तर-कहानी का नाट्य रूपांतरण करते समय दृश्य विभाजन ननम्न प्रकार करते हैं -
i) कहानी की कथािस्तु को समय और स्थान के आधार पर विभाजजत करना चाहहए ।
ii) प्रत्येक भाग से दृश्य बनाने चाहहए | प्रत्येक दृश्य का आरम्भ, मध्य ि अंत होना चाहहए |
iii) एक दृश्य का अंत दस
ू रे के आरम्भ से जुड़ना चाहहए |
iv) एक स्थान और समय पर घट रही घटना को एक दृश्य में नलया जाता है ।
v) दृश्य विभाजन करते समय कथाक्रम और विकास का भी ध्यान रखा जाता है ।
प्रश्न 3. नाटक और कहानी में क्या क्या समानताएं होती है ?
उत्तर नाटक और कहानी में ननम्ननलजखत समानता होती है
i) नाटक और कहानी में कथािस्तु अननिाया रूप से होती है ।
ii) दोनों में कहानी का क्रनमक विकास होता है ।
iii) दोनों में पात्र होते हैं और पात्रों का संिाद पाया जाता है ।
iv)दोनों में िं ि होता है और चरमोत्कषा हदखाया जाता है ।
v) दोनों की रचना दे र्काल, िातािरण एिं उद्दे श्य को ध्यान में रखकर की जाती है ।
प्रश्न 4. कहानी और नाटक में अंतर स्पष्ट कीजजए।
उत्तर-कहानी और नाटक में कुछ असमानताएुँ या अंतर भी हैं जो इस प्रकार है -
i) कहानी का संबंध लेखक और पाठकों से होता है जबहक नाटक का संबंध लेखक, ननदे र्क, दर्ाक
तथा श्रोताओं से है ।
ii) कहानी कहीं अथिा पढ़ी जाती है जबहक नाटक का मंच पर अनभनय हकया जाता है ।
iii) कहानी में आरं भ, मध्य और अंत होते हैं जबहक नाटक को दृश्यों में विभाजजत हकया जाता है ।
iv) कहानी में मंच सज्जा, संगीत तथा प्रकार् का महत्त्ि नहीं है जबहक नाटक में मंच सज्जा,
संगीत और प्रकार् व्यिस्था का विर्ेष महत्त्ि होता है ।
प्रश्न 5.कहानी के पात्र नाट्य रूपांतरण में हकस प्रकार पररिनतात हकये जा सकते हैं ?
उत्तर-कहानी के पात्र नाट्य रूपांतरण में ननम्न प्रकार से पररिनतात हकये जा सकते हैं -
i) कहानी के पात्रों की दृश्यात्मकता का नाटक के पात्रों से मेल होना चाहहए।
ii) पात्रों की भािभंनगमाओं तथा उनके व्यिहार का भी उनचत ध्यान रखना चाहहए।
iii) पात्र घटनाओं के अनुरूप मनोभािों को प्रस्तुत करने िाले होने चाहहए।
iv) पात्र अनभनय के अनुरूप होने चाहहए। पात्रों का मंच के साथ मेल होना चाहहए।
v) पात्रों के संिाद छोटे , प्रभािर्ाली, बोलचाल की भाषा में हो ।
प्रश्न 6. कहानी के नाट्य रूपांतरण की समस्याएुँ नलजखए | उनका क्या समाधान हैं ?
उत्तर- कहानी के नाट्य रूपांतरण में ननम्ननलजखत समस्याएुँ आती हैं -
i) पात्रों के मनोभािों और उससे सम्बजन्द्धत प्रसंगों की नाटकीय प्रस्तुनत करना |
ii) पात्रों के िं िों की नाटकीय प्रस्तुनत करना |
समाधान – इसके नलए स्िगत कथन यानी मंच के एक कोने में जाकर बोलना चाहहए | साथ
ही िायस ओिर का प्रयोग करना चाहहए जजसमें मंच के पीछे से आिाज़ आए |

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पाठ 12. कैसे बनता है रे हडयो नाटक


1. नाटक हकसे कहते हैं ? इसे दृश्य काव्य क्यों कहा जाता है ?
उत्तर- साहहत्य की िह विधा जजसे पढ़ने-सुनने के साथ-साथ दे खा ि अनभनय हकया जाता है ,
उसे नाटक कहते हैं | मंच पर दे ख सकने के कारण भारतीय परं परा में इसे दृश्य-काव्य कहा
जाता है |

2. रे हडयो नाटक हकसे कहते हैं ?


उत्तर- रे हडयो पर प्रस्तुत हकया जाने िाला नाटक जजसकी प्रस्तुनत संिादों और ध्िनन प्रभािों िारा
होती है | इसमें एक्र्न की गुंजाइर् नहीं होती और अिनध ि पात्रों की संख्या सीनमत होती है |

3. नसनेमा-रं गमंच (दृश्य-श्रव्य) तथा रे हडयो नाटक (श्रव्य) में समानताएुँ ि अंतर नलजखए |
उत्तर- समानताएं- दोनों में चररत्र-नचत्रण, संिाद, कहानी आहद होते हैं |
अंतर- नसनेमा-रं गमंच में दृश्य , मंच-सज्जा ि पोर्ाक होती है तथा इसमें हाि-भाि का महत्त्ि
होता है जबहक रे हडयो नाटक में ध्िनन-प्रभाि होते हैं तथा दृश्य , मंच-सज्जा ि पोर्ाक नहीं
होती |

4. रे हडयो नाटक की कहानी में हकन-हकन बातों का ध्यान रखना चाहहए ?


उत्तर- (i) कहानी नसफा घटना प्रधान न हो - यहद रे हडयो नाटक की कहानी में एक्र्न (हरकत)
अनधक होगा तो िह उबाऊ हो जाएगी | जैसे – अपराधी के पीछे पुनलस भाग रही है और उनमें
संघषा के एक्र्न की ध्िनन हो तो हम अनधक दे र तक नहीं सुन सकते |
(ii) अिनध ज्यादा न हो – रे हडयो नाटक की अिनध 15-30 नमनट तक होनी चाहहए | इससे
अनधक अिनध में एकाग्रता नहीं होगी | अगर कहानी लम्बी है तो उसे धारािाहहक के रूप में पेर्
हकया जाए जजसकी हर कड़ी 15-30 नमनट हो या 15 नमनट,30 नमनट या 45नमनट हो सकती
है |
(iii) पात्रों की संख्या सीनमत हो- पात्रों की संख्या सीनमत होने पर श्रोता आिाज़ िारा उन्द्हें
पहचान सकेंगे | पात्रों की संख्या इस प्रकार होनी चाहहए-
15 नमनट - 5से 6 पात्र
30-40 नमनट - 8से 12पात्र
60 नमनट/ अनधक - 15से 20 पात्र

5. रे हडयो नाटक में ध्िनन प्रभािों और संिादों का क्या महत्त्ि है ?


उत्तर- रे हडयो नाटक में ध्िनन प्रभािों और संिादों का विर्ेष महत्त्ि है , जो इस प्रकार है -
(i) रे हडयो नाटक में पात्रों से सम्बजन्द्धत सभी जानकाररयाुँ संिादों िारा नमलती हैं |
(ii) पात्रों की चाररवत्रक विर्ेषताएुँ संिादों के िारा ही उजागर होती हैं |
(iii) रे हडयो नाटक का पूरा कथानक संिादों पर ही आधाररत होता है |
(iv) इसमें ध्िनन प्रभािों और संिादों के माध्यम से ही कथा को श्रोताओं तक पहुुँचाया जाता है |
(v) संिादों के माध्यम से ही रे हडयो नाटक का उद्दे श्य स्पष्ट होता है |

6. रे हडयो पर रे हडयो नाटक का आरं भ हकस प्रकार हुआ ?


उत्तर- आज से कुछ दर्क पहले रे हडयो ही मनोरं जन का प्रमुख साधन था। उस समय टे लीविज़न,
नसनेमा, कम्लयूटर आहद मनोरं जन साधन उपलब्ध नहीं थे। ऐसे समय में घर बैठे ही रे हडयो ही
मनोरं जन का सबसे सस्ता और सुलभ साधन था। रे हडयो पर खबरें आती इसके साथ-साथ अनेक
ज्ञानिधाक कायाक्रम भी प्रसाररत हकये जाते थे। रे हडयो पर संगीत और खेलों का आुँखों दे खा हाल
प्रसाररत हक जाता था। हहं दी के अनेक नाटक जो बाद में मंच पर बहुत प्रनसद्ध रहे िे मूलतः
रे हडयो के नलए ही नलखे गए थे। धमािीर भारतीय िारा रनचत 'अंधा युग' और मोहन राकेर् िारा
रनचत 'आषाढ़ का एक हदन इसका एक श्रेष्ठ उदाहरण है ।

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7. दृश्य श्रव्य माध्यमों (टी.िी.) की तुलना में श्रव्य माध्यम (रे हडयो) की क्या सीमाएं हैं ? इन
सीमाओं को हकस तरह पूरा हकया जा सकता है ?
उत्तर- (i) दृश्य श्रव्य माध्यम में हम नाटक को अपनी आंखों से दे ख भी सकते हैं और पात्रों के
संिादों को सुन भी सकते हैं हकंतु श्रव्य माध्यम में हम केिल सुन सकते हैं उसे दे ख नहीं
सकते।
(ii)दृश्य श्रव्य माध्यम में हम पत्रों के हाि भाि दे खकर उनकी दर्ा का अनुमान लगा सकते हैं
हकंतु श्रव्य माध्यम में हम ऐसा कुछ भी नहीं कर सकते।
सीनमत अिनध ि सीनमत पात्रों आहद िारा इन्द्हें पूरा हकया जा सकता है |
8. रे हडयो नाटक और नाटक में क्या अंतर है ?
उत्तर- (i) नाटक मंच पर प्रस्तुत हकया जाता है जबहक रे हडयो नाटक रे हडयो पर
(ii) रे हडयो नाटक में पात्रो का पररचय िेर्भूषा से भी हो सकता है जबहक नाटक में संिाद िारा
ही पररचय हदया जा सकता है ।
(iii) नाटक में िातािरण हदखाया जा सकता है जबहक रे हडयो नाटक में ध्िनन प्रभाि िारा
िातािरण ननमााण
(iv) नाटक में कथा ऐक्र्न प्रधान हो सकती है जबहक रे हडयो नाटक में नही।
(v) नाटक में पात्र अनधक हो सकते है जबहक रे हडयो नाटक में अनधकतम 5
9. रे हडयो नाटक के नलए पात्रों की संख्या सीनमत क्यों रखनी चाहहए|(CBSE 2022)
उत्तर - क्योंहक रे हडयो नाटक में श्रोता पात्रों की पहचान उनकी आिाज के िारा ही करता है ऐसे
में सीनमत पात्रों को तो आिाज के िारा पहचाना जा सकता है हकंतु अगर पात्रों की संख्या ज्यादा
है तो श्रोता बहुत सारी आिाजों के बीच पात्र की पहचान नहीं कर पायेगा ।
10. रे हडयो नाटक की अिनध 15-20 नमननट के बीच क्यों होनी चाहहए| (CBSE 2022)
उत्तर-रे हडयो एक श्रव्य माध्यम है और नाटक का आनंद श्रोता आिाज और ध्िनन प्रभाि के
जररये ही करता है ऐसे कम समय में तो श्रोता नाटक में एकतान बना रहता है परं तु लंबे समय
तक श्रोता एकाग्र नहीं बना रह सकता और हफर रे हडयो में नाटक थोड़ा लम्बा या उबाऊ होने पर
श्रोता दस
ू रे चैनल पर उं गली घुमा सकता है अतः नाटक की अिनध 15-20 नमननट होनी चाहहए|

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पाठ 13. नए और अप्रत्यानर्त विषयों पर लेखन

प्रश्न 1 अप्रत्यानर्त विषयों पर लेखन हकसे कहते हैं ?


उत्तर- आर्ा से हट कर हदए गए विषय जजसमें विचार प्रिाह हमारे में मन में अनधक न हो, उन
पर हकया गया रचनात्मक लेखन अप्रत्यानर्त विषयों पर लेखन कहलाता है |

प्रश्न 2. पारं पररक और अप्रत्यानर्त विषयों में अंतर बताइए |


उत्तर : पारं पररक विषय िो विषय होते हैं जो हकसी मुद्दे, विचार, घटना आहद से जुड़े होते हैं और
अनधकतर सामाजजक और राजनीनतक विषय होते हैं । इसमें आप अपनी व्यवक्तगत राय को उतनी
तिज्जह न दे कर सामूहहक विचार पर ज़ोर दे ते हैं , जबहक अप्रत्यानर्त विषयों पर लेखन में
आपके अपने ननजी विचार होते हैं ।

प्रश्न3. रटं त क्या है ? रटं त को कुटे ि (बुरी लत) क्यों कहा गया है ?
उत्तर : दस
ू रों िारा तैयार की गई सामग्री को याद करके ज्यों का त्यों प्रस्तुत करना रटं त
कहलाती है | इसे कुटे ि (बुरी लत) इसनलए कहा जाता है क्योंहक –
i) इससे मनुष्य दस
ू रों पर ननभार हो जाता है |
ii) इससे भािों की मौनलकता ख़त्म हो जाती है |
iii) इससे असली अभ्यास का मौका नहीं नमलता |
iv) इससे सोचने की र्वक्त कमजोर हो जाती है |
प्रश्न 4. नए और अप्रत्यानर्त विषयों पर लेखन के िारा रटं त से कैसे बचा जा सकता है ?
अथिा
अप्रत्यानर्त विषयों पर लेखन को प्राथनमकता क्यों दी जाती है ?
उत्तर : अप्रत्यानर्त विषयों पर लेखन को प्राथनमकता दे ने के लाभ इस प्रकार है –
i) इससे मनुष्य दस
ू रों पर ननभार नहीं रहता |
ii) इससे मनुष्य के सोचने की ताकत बढ़ जाती है |
iii) इससे मनुष्य में नए ि मौनलक विचार आते हैं |
iv) इससे लेखन कौर्ल बढ़ता है |
प्रश्न 5. नए और अप्रत्यानर्त विषयों पर लेखन के क्या क्या ननयम हो सकते है ?
अथिा
नए और अप्रत्यानर्त विषयों पर लेखन में ध्यान रखने योग्य बातें नलजखए |
उत्तर : नए और अप्रत्यानर्त विषयों पर लेखन में ध्यान रखने योग्य बातें इस प्रकार हैं -
i) इसकी र्ुरुआत आकषाक ि बहुआयामी होनी चाहहए |
ii) इसमें नलखी गई बातें आपस में जुडी हों और उनमें सुसंबद्धता का गुण हो |
iii) इसमें ‘मैं’ र्ैली का प्रयोग हकया जा सकता है ।
iv) इसमें भाषायी र्ुद्धता पर विर्ेष ध्यान दे ना चाहहए।
V) इसमें विचारों की आत्मननष्ठता ि लेखक के व्यवक्तत्त्ि की छाप होनी चाहहए |
प्रश्न 6. क्या अप्रत्यानर्त विषयों पर लेखन कोई ननजश्चत रूप लेती है ?
उत्तर : जी नहीं, ऐसा वबलकुल नहीं है । अप्रत्यानर्त लेखन का कोई ननजश्चत रूप नहीं होता है ।
दै ननक जीिन से जुड़े हुए हकसी भी विषय पर अप्रत्यानर्त लेखन नलखा जा सकता है । जब
आप अपने विचारों को अपने अनुभि, तका, नसद्धांत, समाज, स्थान, काल और पात्र के आधार पर
र्ब्दांहकत करते हैं तो िो कभी संस्मरण, कभी ननबंध, कभी रे खानचत्र, कभी कहानी, कभी यात्रा
िृतांत कभी ररपोताजा आहद साहहजत्यक विधा का रूप ले सकता है ।

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नए और अप्रत्यानर्त विषयों पर लेखन के कुछ उदाहरण

1.कमा का महत्त्ि / अभ्यास का फल / करत-करत अभ्यास के, जड़मनत होत सुजान

"कुछ काम करो, कुछ काम करो, जग में रह कर कुछ नाम करो
यह जन्द्म हुआ हकस अथा अहो, समझो जजसमें यह व्यथा न हो।"

मानि-जीिन में कमा की प्रधानता है । कमा अभ्यास के साथ जुड़ा है । अभ्यास का अथा है -हकसी
काम को करने का ननरं तर प्रयत्न। हकसी काम को करने से िांनछत सफलता नहीं नमलती तो उसे
ननरं तर प्रयत्न करते रहना चाहहए। हकसान जो बीज खेत में बोता है , उसे ही फसल के रूप में िह
बाद में काटता है ।

ननरं तर अभ्यास करने से मूखा भी ज्ञानी हो जाता है | र्रीर को सुडौल बनाने के नलए ननरं तर
व्यायाम आिश्यक है । विद्याथी को कोई चीज बार-बार याद करनी पड़ती है । कवि भी तभी प्रखर
बनता है जब िह अभ्यास करता है । इससे मानि की काया-कुर्लता बढ़ती है ।
अभ्यास के िारा व्यवक्त ज्ञान की विनभन्द्न धाराओं का पररचय प्राप्त करता है । अभ्यास मानि-
जीिन के नलए िह पारस पत्थर है जजसका स्पर्ा पाकर लोहा भी सोना हो जाता है । जड़ बुद्ध
िाला व्यवक्त भी अभ्यास से सीख सकता है । ठीक ही कहा गया है हक -
"करत-करत अभ्यास के, जड़मनत होत सुजान।
रह भरोसे भाग्य के दख
ु भोग पछताते नहीं।।"

2. जहां न पहुंचे रवि िहां पहुंचे कवि / कवि की कल्पना र्वक्त


"कहते हैं हक सूया की हकरण हर अंधेरे को चीर कर उजाला करती हैं ।
कवि की लेखनी ननरार्ा को खत्म कर आर्ा-संचार करती है ।"

मनुष्य अपनी कल्पना र्वक्त का प्रयोग करके ऐसे स्थानों पर पहुुँच जाता है जहाुँ मनुष्य का
पहुुँचना असंभि है । असीनमत संभािनाओं से पररपूणा कविता मनुष्य के हृदय तक पहुुँचती है
एक कवि की कलम में इतनी र्वक्त होती है हक िह समाज में पररितान एिम ् क्रांनत दोनों ला
सकता है ।

आकार् में विद्यमान सूया की हकरणें समस्त संसार को प्रकानर्त एिम ् आलोहकत करती हैं पर
कवि की कल्पना सूया की हकरणों को पार करके आकार् की उस अंनतम सीमा को स्पर्ा करती हैं
जहाुँ सूया का पहुुँचना असंभि है | िास्ति में कवि जब विचारों को र्ब्दों में बाुँधकर रचना
नलखता है तो उसकी रचना समय, स्थान की सीमा को पार कर जाती है | असीनमत संभािनाओं
से पररपूणा कविता मनुष्य के हृदय तक पहुुँचती है |

आजादी के आंदोलन में कवियों और लेखकों की रचनाओं ने ही करोड़ों भारतीयों के हृदय में
स्ितंत्रता की चेतना उत्पन्द्न की थी | आज से हजारों साल पहले नलखे िेद हमें आज भी जीिन
की राह हदखाते हैं | कवि के िारा नलखी गई रचना युगो युगो तक सीख दे ती है जैसे
रामचररतमानस | कविता के बहाने’ कविता के कवि कुंिर नारायण जी कविता की यात्रा के
बारे में बताते है -

"कविता एक उड़ान हैं नचहड़या के बहाने


कविता की उडान भला नचहडया क्या जाने?"

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3. प्रातःकाल योग करते लोग


योग रखे ननरोग, योग भगाए रोग
प्रातःकाल का समय बहुत सुहािना होता है । उस समय चारों ओर का िातािरण र्ांत होता है ।
प्रकृ नत अपने सुंदरतम रूप में होती है । ऐसा समय योग करने के नलए सिाानधक उपयुक्त होता है ।
एक हदन मैं प्रातःकाल के समय पाका में घूमने गया। मैंने िहाुँ दे खा हक बहुत से लोग घास के
मैदान में अपना आसन वबछाकर योग कर रहे थे। योग करते समय िे बहुत प्रसन्द्न नजर आ
रहे थे। उनमें केिल िृद्ध व्यवक्त ही नहीं, बजल्क सभी आयु िगा के लोग थे। जब उनका योग पूरा
हो गया तब मैंने एक व्यवक्त से योग के विषय में पूछा हक प्रातःकाल योग करने से क्या लाभ
होता है तो उस व्यवक्त ने बताया हक योग हमारे जीिन में बहुत महत्त्िपूणा भूनमका ननभाता है ।
योग हमारे र्रीर, मन एिं आत्मा के बीच संतल
ु न स्थावपत करता है । यह मन को र्ांत एिं
जस्थर रखता है , तनाि दरू कर सोचने की क्षमता तथा आत्मविश्वास और एकाग्रता को बढ़ाता है ।
ननयनमत रूप से योग करने से हमारा र्रीर तो स्िस्थ रहता ही है साथ ही यहद कोई रोग है तो
इसके िारा उसका उपचार भी हकया जा सकता है । ितामान पररिेर् में योग न केिल हमारे नलए
लाभकारी है , बजल्क विश्व में बढ़ते प्रदष
ू ण एिं मानिीय व्यस्तताओं से उपजी समस्याओं के
ननिारण में इसकी साथाकता और भी बढ़ गई है । इस प्रकार प्रातःकाल योग करते लोगों को
दे खकर तथा योग से होने िाले लाभों के विषय में जानकर मुझे भी योग करने की प्रेरणा नमली।
हम सभी लोगों को प्रातः काल योग करना चाहहए।
प्रनतहदन करें ननयम से योग |
अपने र्रीर ि मन को रखें ननरोग ||

4. अनत सिात्र िजायेत / अनत हकसी चीज की अच्छी नहीं

भारतीय संस्कृ नत में अनत का त्याग करने की बात हमेर्ा कही गई है । क्योंहक हकसी भी चीज
की अनत अंतत: नुकसानदायक सावबत होती है , चाहे काया हकतना भी अच्छा क्यों ना हो | राजा
बनल ने तो दान ही हदया था ये दान उन्द्होंने अपनी क्षमता से बढ़ कर हदया इसनलए बािन
भगिान िारा साढ़े तीन पग भूनम मांगने पर उन्द्हें अपने प्राणों की कुबाानी दे नी पड़ी।
इस प्रकार हकसी भी क्षेत्र में अनत हाननकारक पररणाम ही दे ती है चाहे िह क्षेत्र सकारात्मक हो
या नकारात्मक हो । यहद हकसी व्यवक्त ने यहद ज्यादा भोजन खा नलया हो तो उसे ज्यादा
भोजन खाने के पररणाम स्िरूप; अपचन, उल्टी या दस्त आहद हो जाती है -

"भोजन, आहार, ननरा, खेल, व्यसन, और अथा संचय ।


विज्ञान प्रगनत अस्त्र र्स्त्र ननमााण अनत सिात्र िजाय ।।"
धन की अनत- दव्ु यासनों को जन्द्म दे ती है । ज्यादा धन, गलत काम करिाता है क्योंहक ज्यादा
धन, आदमी का मजस्तष्क विकृ त कर दे ता है ।
वििानों का तो यहां तक कहना है हक प्रत्येक ररश्ते में परस्पर प्रेम भी संतुनलत मात्रा में करना
चाहहए। यहद ररश्तों में भी प्रेम संतुनलत मात्रा में न होकर अनत की सीमा को पार कर जाएगा तो
उस प्रेम के टू टने की बहुत अनधक संभािना है ।
आज विज्ञान की प्रगनत के कारण हम पयाािरण के क्षेत्र में अनत करते जा रहे हैं ननजश्चत रूप से
इस अनत का दष्ु पररणाम इस सृवष्ट का पुनः विनार् के रूप में सामने आ सकता है 'कामायनी' में
जयर्ंकर प्रसाद ने इसी बात को समझाते हुए कहा हक -
"प्रकृ नत रही दज
ु य
े , पराजजत ,हम सब थे भूले मद में;
भोले थे, हाुँ नतरते केिल, ,सब विलानसता के नद में। "

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5. फुटपाथ पर सोते लोग

महानगरों में सुबह सैर पर ननकनलए, एक तरफ आप स्िास्थ्य-लाभ करें गे तो दस


ू री तरफ आपको
फुटपाथ पर सोते हुए लोग नजर आएुँगे। महानगर को विकास का आधार स्तंभ माना जाता है ,
लेहकन िहीं पर मानि-मानि के बीच इतना अंतर है । यहाुँ पर दो तरह के लोग हैं -एक उच्च
िगा, जजसके पास उद्योग, सत्ता, धन है , जजससे िह हर सुख भोगता है । उसके पास बड़े -बड़े भिन हैं
और यह िगा महानगर के जीिन-चक्र पर प्रभािी है ।

दस
ू रा िगा िह है जो अमीर बनने की चाह में गाुँि छोड़कर आता है तथा यहाुँ आकर फुटपाथ पर
सोने के नलए मजबूर हो जाता है । महुँ गाई, गरीबी आहद के कारण इन लोगों को भोजन भी
मुजश्कल से नसीब होता है ।
सरकार की तमाम योजनाएुँ भ्रष्टाचार के मुुँह में चली जाती हैं और गरीब सुविधाओं की बाट
जोहता रहता है । िह गरीबी में पैदा होता है , गरीबी में पलता बढ़ता है और गरीबी में ही मर
जाता है । िह जीते-जी रूखी-सूखी खाकर पेट की आग जैस-े तैसे बुझा लेता है और फटे -पुराने
कपड़ों से तन ढुँ क लेता है , पर उसके नसर पर छत नसीब नहीं हो पाती और िह फुटपाथ, पाका या
अन्द्य खुली जगहों पर सोने को वििर् रहता है ।

आपके अभ्यास हे तु कुछ विषय हदए जा रहे हैं -


हडजजटल युग और मैं मेले में अनभन्द्न नमत्र से भेंट
परीक्षा तनाि के कारण ि बचने के उपाय नकली सामान, भरपूर विज्ञापन
उच्च नर्क्षा हे तु छात्रों का विदे र्ों में पलायन बदलते सामजजक रीनत-ररिाज़
स्िाध्याय का आनंद झरोखे के बाहर
अचानक अनतनथ-सेिा का अिसर लोकतंत्र में मीहडया की भूनमका
जब रास्ते में मेरी चलपल टू ट गई हदया और तूिान : मानि जीिन का सत्य
रे लयात्रा में अपररनचत का नमलना मोटे अनाजों के प्रयोग से बदलेगा जीिन
जब मैं समुर की लहरों में नघर गया एक कामकाजी औरत की र्ाम

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आरोह भाग-2 काव्य खंड


पाठ-1 आत्म-पररचय ि एक गीत- हररिंर् राय बच्चन
आत्मपररचय मूलभाि-
कवि हररिंर् राय बच्चन ने 'आत्मपररचय' में प्रेम और मस्ती का संदेर् हदया है ।
कवि अपनी सामाजजक जजम्मेदाररयों के प्रनत जागरूक है परं तु प्रेम के वबना उसे ये संसार अधूरा
लगता है ।
कवि सांसाररक लोभ-लालच ि मोह-माया के ज्ञान को भुलाना चाहता है और धन-दौलत को
ठोकर मारता है ।
कवि अपना पररचय दे ते हुए लगातार दनु नया से अपने रविधात्मक और िं िात्मक संबंधों का ममा
उद्घाहटत करता चलता है ।
कवि कहता है हक दनु नया से मेरा संबंध प्रीनतकलह का है , मेरा जीिन विरुद्धों का सामंजस्य है -
उन्द्मादों में अिसाद, रोदन में राग, र्ीतल िाणी में आग |
एक गीत मूलभाि-
ननर्ा-ननमंत्रण से उद्धत
ृ इस गीत में कवि प्रकृ नत की दै ननक पररितानर्ीलता के संदभा में प्राणी-
िगा के धड़कते हृदय को सुनने की काव्यात्मक कोनर्र् व्यक्त करता है ।
हकसी वप्रय आलंबन या विषय से भािी साक्षात्कार का आश्वासन ही हमारे प्रयास के पगों की
गनत में चंचल तेजी भर सकता है -अन्द्यथा हम नर्नथलता और हफर जड़ता को प्राप्त होने के
अनभनर्प्त हो जाते हैं । यह गीत इस बड़े सत्य के साथ समय के गुजरते जाने के एहसास में
लक्ष्य-प्रानप्त के नलए कुछ कर गुजरने का जज्बा भी नलए हुए है ।

काव्यांर् पर आधाररत बहुविकल्पीय प्रश्न


काव्यांर्-1
मैं जग-जीिन का भार नलए हफरता हूुँ,
हफर भी जीिन में लयार नलए हफरता हूुँ,
कर हदया हकसी ने झंकृत जजनको छूकर
मैं साुँसों के दो तार नलए हफरता हूुँ।
मैं स्नेह-सुरा का पान हकया करता हूुँ
मैं कभी न जग का ध्यान हकया करता हूुँ
जग पूछ रहा उनको, जो जग की गाते,
मैं अपने मन का गान हकया करता हूुँ
1.काव्यांर् में कवि हकसका भार नलए हफरता है ?
(a) घर तथा पररिार का (b) संसार का
(c) अपने कायाालय का (d) आस-पड़ोस का
2.काव्यांर् के अनुसार कवि सबको क्या बाुँट रहा है ?
(a) खुनर्याुँ (b) दःु ख (c) आर्ा (d) प्रेम
3.कवि अपने जीिन में हकस सुरा का पान करता है ?
(a) ईष्याा-िे ष (b) उत्साह उमंग (c) स्नेह (d) ये सभी
4.ननम्ननलजखत कथन और कारण को ध्यानपूिक
ा पहढ़ए और सही विकल्प चुनकर नलजखए।
कथन (A) : कभी अपने मन का गान करता है ।
कारण (R) : यह संसार अपने मन का गान करने िाले को ही पूछता है ।
a. कथन (A) सही है , कारण (R) गलत है ।
b. कथन (A) सही नहीं है , कारण (R) सही है ।
c. कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही हैं , हकंतु कारण (R) उसकी सही व्याख्या नहीं करता।

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d. कथन (A) सही है तथा कारण (R) दोनों सही हैं , कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या
करता है ।
5.कवि के अनुसार संसार में हकन लोगों को प्रनतष्ठा प्राप्त होती है ?
(a) संसार के हहत में काया करने िालों को
(b) संसार के नलए उच्च साहहत्य रखने िालों को
(c) संसार की झूठी प्रर्ंसा न करने िालों को
(d) संसार का झूठा गुणगान करने िालों को

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b d c a d

काव्यांर्-2

मैं ननज उर के उदगार नलए हफरता हूुँ


मैं ननज उर के उपहार नलए हफरता हूुँ;
है यह अपूणा संसार न मुझको भाता
मैं स्िलनों का संसार नलए हफरता हूुँ।
मैं जला हृदय में अजग्न, दहा करता हूुँ,
सुख-दःु ख दोनों में मग्न रहा करता हूुँ;
जग भि-सागर तरने को नाि बनाए,
मैं भि मौजों पर मस्त बहा करता हूुँ।
1.'ननज उर के उद्गार' से कवि का क्या तात्पया है ?
(a) अपने हृदय की िाणी की अनभव्यवक्त (b) अपने हृदय से नभन्द्न मनोभाि
(c) अपने हृदय से ननकाल दी गई स्मृनतयाुँ (d) अपने हृदय के केिल दःु ख
2.कवि को संसार वप्रय क्यों नहीं है ?
(a) संसार के बदलाि के कारण (b) संसार की अपूणत
ा ा के कारण
(c) संसार की समान जस्थनत के कारण (d) उपरोक्त सभी
3.कवि के हृदय में कैसी अजग्न दहक रही है ?
(a) ईष्याा-िे ष से पूणा अजग्न (b) सभी कुछ नष्ट कर दे ने िाली अजग्न
(c) स्ियं को जलाने िाली विरहाजग्न (d) स्नेहरूपी अजग्न
4.ननम्ननलजखत कथन और कारण को ध्यानपूिक
ा पहढ़ए और सही विकल्प चुनकर नलजखए।
कथन (A) : यथाथा को स्िीकार नहीं करने से कवि के स्िलन अधूरे रह गए हैं ।
कारण (R) : कल्पना और िास्तविकता में सामंजस्य की कमी होने से कवि को संसार अधूरा
महसूस होता है ।
a. कथन (A) सही है , कारण (R) गलत है ।
b. कथन (A) सही नहीं है , कारण (R) सही है ।
c. कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही हैं , हकंतु कारण (R) उसकी सही व्याख्या नहीं करता।
d. कथन (A) सही है तथा कारण (R) दोनों सही हैं , कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या
करता है ।
5.कवि हकसकी अपेक्षा नहीं करता है ?
(a) विचारों की (b) साधनों की (c) प्रेम की (d) घृणा की

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a d c b b

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काव्यांर्-3
हो जाए न पथ में रात कहीं ,मंजज़ल भी तो है दरू नहीं
यह सोच थका हदन का पंथी भी जल्दी-जल्दी चलता है
हदन जल्दी-जल्दी ढलता है ।
बच्चे प्रत्यार्ा में होंगे, नीड़ों से झाुँक रहे होंगे
यह ध्यान परों में नचहड़यों के भरता हकतनी चंचलता है ।
हदन जल्दी-जल्दी ढलता है ।
मुझसे नमलने को कौन विकल? मैं होऊं हकसके हहत चंचल ?
यह प्रश्न नर्नथल करता पद को, भरता उर में विह्वलता है
हदन जल्दी-जल्दी ढलता है ।
1.कवि के मन में हकस चीज की आर्ंका है ?
(a) घर पहुंच पाने की (b) घर न पहुंच पाने की
(c) घर पहुंचने से पहले ही रात हो जाने की (d) यात्रा वबना रुकािट पूरी हो जाने की
2.कवि हकस आर्ा से प्रेररत हो उठता है ?
(a) मंजजल पास ही आने िाली है
(b) कोई उसकी प्रतीक्षा नहीं कर रहा है
(c) मंजजल तक पहुंचने में बहुत समय र्ेष है
(d) मंजजल तक पहुुँचकर िह कुछ भी प्राप्त नहीं कर पाएगा
3.थका हुआ पनथक हकसे पाने के कारण जल्दी-जल्दी चलता है ?
(a) अपने साथी को (b) अपने भोजन को
(c) अपने लक्ष्य को (d) अपने स्िाथा को
4.ननम्ननलजखत कथन और कारण को ध्यानपूिक
ा पहढ़ए और सही विकल्प चुनकर नलजखए।
कथन (A) : नचहड़या के बच्चे अपनी मां की प्रतीक्षा कर रहे हैं ।
कारण (R) : नचहड़या तेजी से पंखा चला कर अपने घोंसले में जाना चाहती हैं ।
a. कथन (A) सही है , कारण (R) गलत है ।
b. कथन (A) सही नहीं है , कारण (R) सही है ।
c. कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही हैं , हकंतु कारण (R) उसकी सही व्याख्या नहीं करता।
d. कथन (A) सही है तथा कारण (R) दोनों सही हैं , कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या
करता है ।
5.कवि के पैरों की गनत को कौन-सा भाि नर्नथल कर दे ता है ?
(a) नचहड़या की तीव्र उड़ान (b) बच्चों की व्याकुलता
(c) समय का तीव्रगनत से व्यतीत होना (d) कवि से नमलने को हकसी का व्याकुल न होना

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c a c c d

िस्तुपरक प्रश्नों हे तु वबंद ु -


स्नेह-सुरा- प्रेम रूपी नर्ा, जजसे पीकर कवि समस्त संसार में प्रेम फैलाना चाहता है |
उद्गार- कवि के कोमल और प्रेम से भरे विचार
उपहार- कवि की कोमल ि प्रेम भािनाएुँ जो िह संसार को दे ना चाहता है
कवि को संसार अधूरा लगता है क्योंहक इस संसार में प्रेम की कमी है |
प्रेनमका की यादों और उसके प्रनत प्रेम के कारण कवि सुख-दःु ख दोनों में मग्न रहता है |
उन्द्मादों में अिसाद का आर्य- कवि में युिाओं का जोर्, उत्साह है परन्द्तु संसार में प्रेम की
कमी के कारण िे दख
ु ी है और कवि को अपनी प्रेनमका से भी प्रेम प्राप्त नहीं हुआ है |
कवि सांसाररक लोभ-लालच, मोह-माया का ज्ञान भुलाना चाहता है |

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िणानात्मक प्रश्न-
प्र.(1) कविता एक ओर जग-जीिन का भार नलए घूमने की बात करती है और दस
ू री ओर
मैं कभी न जग का ध्यान हकया करता हूुँ- विपरीत से लगने िाले इन कथनों का
आर्य स्पष्ट कीजजए |
उत्तर जग-जीिन का भार नलए घूमने की बात- सामाजजक दानयत्िों के प्रनत सचेत और
संसार में प्रेम बढ़ाने की कोनर्र् करना | संसार के प्रनत मेरी जजम्मेदाररयाुँ ननभा
रहा हूुँ |
मैं कभी न जग का ध्यान हकया करता हूुँ- प्रेम बढ़ाने के नलए संसार की ननंदा की
परिाह नहीं करता हूुँ |
प्र.(2) जहाुँ पर दाना रहते हैं , िहीं नादान भी होते हैं - किी ने ऐसा क्यों कहा है ?
उत्तर ● दाना- सांसाररक लोभ-लालच, मोह-माया
● नादान- सांसाररक लोभ-लालच, मोह-माया में डू बे मूखा लोग
तात्पया यह है हक जहाुँ सांसाररक लोभ-लालच, मोह-माया है िहीं उसमें डू बने िाले
मूखा लोग भी हैं जो प्रेम को महत्त्ि नहीं दे ते हैं |
प्र.(3) मैं और, और जग और कहाुँ का नाता- पंवक्त में और र्ब्द की विर्ेषता बताते हुए
पंवक्त के अथा को स्पष्ट कीजजए |
उत्तर और र्ब्द की विर्ेषता- प्रथम ि तृतीय और का अथा है - अलग/नभन्द्न
हितीय और का अथा है - तथा
इस प्रकार इसमें यमक अलंकार है |
पंवक्त का अथा- कवि कहता है हक मैं अलग हूुँ तथा संसार अलग है क्योंहक मैं प्रेम
को महत्त्ि दे ता हूुँ और संसार के लोग सांसाररकता को महत्त्ि दे ते हैं |
प्र.(4) र्ीतल िाणी में आग- के होने का क्या अनभप्राय है ?
उत्तर र्ीतल िाणी- कोमल र्ब्दों ि र्ीतल स्िरों का प्रयोग
आग- प्रेम रहहत संसार के प्रनत क्रोध
संसार में प्रेम की कमी दे खकर कवि को क्रोध आता है परं तु इस क्रोध को िह
कोमल र्ब्दों और र्ीतल स्िरों के माध्यम से अपनी कविता में प्रकट करता है |
प्र.(5) ‘आत्मपररचय’ कविता के र्ीषाक की साथाकता स्पष्ट कीजजए |
उत्तर इस कविता में कवि ने स्ियं की अजस्मता को दनु नया के सामने प्रकट हकया है |
कवि ने अपने कोमल भाि ि प्रेम भरे विचार तथा स्िलनों के संसार को प्रकट
हकया है | कवि ने अपने ननजी प्रेम को सबके सामने प्रकट हकया है |इस प्रकार
कविता की एक-एक पंवक्त कवि का पररचय दे रही है | अतः यह र्ीषाक साथाक है |
प्र.(6) पनथक के कदम तेज़ ि धीमे होने के कारण नलजखए |
उत्तर मंजजल नज़दीक हदखाई दे ने, मंजजल पर जल्दी पहुुँचने और वप्रयजनों से जल्दी नमलने की
इच्छा के कारण पनथक जल्दी चलता है | जब पंथी के मन में विचार आता है हक उसका
इं तजार करने िाला कोई नहीं है और िह हकसके भले के नलए जल्दी जाए, तब उसके कदम
धीमे हो जाते हैं |
प्र.(7) बच्चे हकस बात की आर्ा में नीड़ों से झाुँक रहे होंगे ?
उत्तर बच्चे इस बात की आर्ा में नीड़ों से झाुँक रहे होंगे हक उनकी माुँ नचहड़या र्ीघ्र ही
आएगी, उन्द्हें भोजन दे कर उनका भरण-पोषण करे गी | साथ ही उन्द्हें ढे र सारा लयार
भी दे गी |
प्र.(8) हदन जल्दी-जल्दी ढलता है – की आिृवत्त से कविता की हकस विर्ेषता का पता
चलता है ?
उत्तर हदन जल्दी-जल्दी ढलता है – की आिृवत्त से प्रेम की आतुरता और उसके प्रभािी रूप
से प्रकट करना, कविता में लय पैदा करना, तथा कविता में रोचकता पैदा करना
आहद विर्ेषताओं का पता चलता है |

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पाठ-2 पतंग - आलोक धन्द्िा


मूलभाि-
• पतंग कविता में भादो के बाद हुए प्राकृ नतक पररितानों और बाल हक्रयाकलापों को नचवत्रत करने के
नलए सुंदर वबम्बों का प्रयोग हकया गया है |
• इस कविता में भादों के महीने के बाद र्रद ऋतु के सिेरे की तुलना खरगोर् की लाल आुँखों से की
गई है |
• र्रद की तुलना साइहकल चलाते बच्चे से की गई है | साइहकल चलाते बच्चे के समान र्रद ऋतु
बच्चों को अपनी ओर आकवषात करती है |
• र्रद ऋतु में बच्चे पतंग उड़ाते हैं और उनके नलए पतंग दनु नया की सबसे हलकी और रं गीन चीज़
है , साथ ही पतंग का कागज़ सबसे पतला कागज़ है तथा उसकी कमानी सबसे पतली कमानी है |
• कवि ने र्रद ऋतु में बच्चों िारा रं ग-वबरं गी पतंगें उड़ाने के साथ-साथ खुर् होकर नचल्लाने ि
सीटी बजाने को नाज़ुक दनु नया कहकर िजणात हकया है |
• कवि आलोक धन्द्िा के अनुसार बच्चे कपास के समान कोमल, लचीले ि पवित्र होते हैं |
• बच्चे पतंग के नलए बेसुध होकर तेज़ गनत से दौड़ते हैं |
• पतंग के नलए दौड़ते बच्चों के पैरों की गूुँज सभी हदर्ाओं में गूुँजती है |
• बच्चों में झूले ि पेड़ की डाली की तरह लचीलापन होता है |
• बच्चों में उत्साह, जोर् ि लचीलेपन के कारण िे छतों के खतरनाक हकनारों से नगरने से बच जाते
हैं |
• पतंग के साथ बच्चा केिल एक धागे से जुड़ा होता है परन्द्तु ऊुँची उड़ती पतंग के साथ उसके हदल
की धड़कन भी जुड़ जाती है |
• छतों के खतरनाक हकनारों से नगरकर बचने पर बच्चे ननडर हो जाते हैं और िह चमकदार धूप में
भी पतंग उड़ाते हैं तथा तेज़ी से दौड़ते हैं |

पद्यांर्ों पर आधाररत बहुविकल्पीय प्रश्न


पद्यांर्-1
सबसे तेज बौछारे गयीं भादो गया
सिेरा हुआ
खरगोर् की आुँखों जैसा लाल सिेरा
र्रद आया पुलों को पार करते हुए
अपनी नयी चमकीली साइहकल तेज चलाते हुए
घंटी बजाते हुए ज़ोर-ज़ोर से
चमकीले इर्ारों से बुलाते हुए
पतंग उड़ाने िाले बच्चों के झुंड को
चमकीले इर्ारों से बुलाते हुए और
आकार् को इतना मुलायम बनाते हुए
हक पतंग ऊपर उठ सके-
दनु नया की सबसे हलकी और रं गीन चीज उड़ सके
दनु नया का सबसे पतला कागज उड़ सके-
बाुँस की सबसे पतली कमानी उड़ सके-
हक र्ुरू हो सके सीहटयों, हकलकाररयों और
नततनलयों की इतनी नाजुक दनु नया

प्र.(1) पतंग कविता में हकस ऋतु के समाप्त होने का उल्लेख है –


(a) सदी (b) बसंत (c) गमी (d) िषाा

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प्र.(2) र्रद की तुलना हकससे की गई है –
(a) साइहकल चलाने िाले बच्चे से (b) पतंग से
(c) खरगोर् की आुँखों से (d) नततनलयों से
प्र.(3) ननम्ननलजखत में से कौन-सा पररितान पतंग कविता में नचवत्रत नहीं है ?–
(a) कई ऋतुओं के बाद र्रद का आगमन (b) सुबह का सूरज लाल ि चमकदार
(c) र्ीतल मंद हिा चलना (d) आुँधी ि लू का चलना
प्र.(4) ननम्ननलजखत कथन और कारण को ध्यानपूिक
ा पहढ़ए और सही विकल्प चुनकर नलजखए।
कथन (A) : पतंग को पतले कागज और पतली कमानी से बनाया जाता है ।
कारण (R) : पतले कागज और पतली कमानी के कारण पतंग आसानी से ऊपर उड़ जाती हैं ।
a. कथन (A) सही है , कारण (R) गलत है ।
b. कथन (A) सही नहीं है , कारण (R) सही है ।
c. कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही हैं , हकंतु कारण (R) उसकी सही व्याख्या नहीं करता।
d. कथन (A) सही है तथा कारण (R) दोनों सही हैं , कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या
करता है ।
प्र.(5) चमकीले इर्ारों का अथा है –
(a) चमकदार सूया िारा आकवषात करना (b) चमकदार चाुँदनी िारा आकवषात करना
(c) वबजली चमकना (d) पतंगों का चमकना

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d a d d a

पद्यांर्-2
जन्द्म से ही िे अपने साथ लाते हैं कपास
पृथ्िी घूमती हुई आती है उनके बेचैन पैरों के पास
जब िे दौड़ते हैं बेसुध
छतों को भी नरम बनाते हुए
हदर्ाओं को मृदंग की तरह बजाते हुए
जब िे पेंग भरते हुए चले आते हैं डाल की तरह लचीले िेग अकसर
छतों के खतरनाक हकनारों तक
उस समय नगरने से बचाता है उन्द्हें
नसिा उनके ही रोमांनचत र्रीर का संगीत
पतंगों की धड़कती ऊुँचाइयाुँ उन्द्हें थाम लेती हैं महज़ एक धागे के सहारे
पतंगों के साथ-साथ भी उड़ रहे हैं
अपने रं धों के सहारे
अगर िे कभी नगरते हैं छतों के खतरनाक हकनारों से और बच जाते हैं तब तो
और भी ननडर होकर सुनहले सूरज के सामने आते हैं
पृथ्िी और भी तेज़ घूमती हुई आती है
उनके बेचैन पैरों के पास ।
प्र.(1) बच्चे से कपास की क्या समानता का गुण नहीं है –
(a) कोमलता (b) लचीलापन (c) पवित्रता (d) कठोरता
प्र.(2) ‘छतों को नरम बनाते हुए’ पंवक्त का अथा है –
(a) बच्चों के कोमल पैरों से छत मुलायम महसूस होना (b) छतों पर रूई फैलाना
(c) छत पर पतंगें रख दे ना (d) आसमान में बादलों का आना
प्र.(3) हदर्ाओं को मृदंग की तरह बजाने का अथा है -
(a) ढोल-नगाड़ों की आिाज़ गूुँजना (b) तबलों की आिाज़ गूुँजना

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(c) पैरों की आिाज़ गूुँजना (d) हिाओं की आिाज़ गूुँजना
प्र.(4) ननम्ननलजखत कथन और कारण को ध्यानपूिक
ा पहढ़ए और सही विकल्प चुनकर नलजखए।
कथन (A) : बच्चों में कपास की तरह नरमी, लोच और कोमलता जन्द्मजात होती है ।
कारण (R) : पृथ्िी घूमती हुई बच्चों के बेचन
ै पैरों के पास आती है ।
a. कथन (A) सही है , कारण (R) गलत है ।
b. कथन (A) सही नहीं है , कारण (R) सही है ।
c. कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही हैं , हकंतु कारण (R) उसकी सही व्याख्या नहीं करता।
d. कथन (A) सही है तथा कारण (R) दोनों सही हैं , कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या
करता है ।
प्र.(5) ‘पतंगों के साथ-साथ िे भी उड़ रहे हैं ’ पंवक्त में ‘िे’ हकसके नलए प्रयुक्त हुआ है –
(a) पक्षी (b) बच्चे ि उनके मन
(c) बादल (d) अन्द्य पतंगें

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d a c c b

िणानात्मक प्रश्न –

प्र.(1) ‘सबसे तेज़ बौछारें गयीं, भादो गया’ के बाद प्रकृ नत में जो पररितान कवि ने हदखाया है , उसका िणान
अपने र्ब्दों में कीजजए |
उत्तर ‘सबसे तेज़ बौछारें गयीं, भादो गया’ के बाद प्रकृ नत में जो पररितान कवि ने हदखाया है , िह इस प्रकार
है –
(i) र्रद ऋतु का आगमन कई ऋतुओं के बाद हुआ है |
(ii) र्रद ऋतु में सुबह का सूया लाल ि चमकदार है |
(iii) र्रद ऋतु में आसमान साि है |
(iv) र्रद ऋतु में र्ीतल मंद हिा चल रही है और आकार् मुलायम हो गया है |

प्र.(2) जन्द्म से ही िे अपने साथ लाते हैं कपास – कपास से बच्चों की तुलना क्यों की गई है ?
उत्तर कपास – कोमल, मुलायम, लचीली ि साि
बच्चे – कोमल, मुलायम, सहनर्ील ि पवित्र मन
जजस प्रकार कपास कोमल, मुलायम, लचीली ि साि होती है उसी प्रकार बच्चे कोमल ि मुलायम
होते हैं | साथ ही िे सहनर्ील होते हैं और उनका मन पवित्र होता है |

प्र.(3) पतंगों के साथ-साथ िे भी उड़ रहे हैं – बच्चों का उड़ान से कैसा सम्बन्द्ध है ?


उत्तर जब बच्चे पतंग उड़ाते हैं तो पतंग के साथ-साथ बच्चों के मन भी उड़ते हैं | जजस बच्चे की पतंग
जजतनी ऊुँची उड़ती है , िह बच्चा भी अपने-आप को उतना ही ऊुँचा उड़ता हुआ महसूस करता है | इस
प्रकार जब बच्चे अपनी आुँखों से पतंग को उड़ती हुई दे खते हैं तो िह खुद उड़ता हुआ महसूस करते हैं

प्र.(4) हदर्ाओं को मृदंग की तरह बजाने का क्या तात्पया है ?


उत्तर जब बच्चे पतंग के नलए बेसुध होकर खुरदरी छतों पर दौड़ते हैं तो उनके पैरों की आिाज़ चारों
हदर्ाओं में गूुँजती है | यह आिाज़ इस प्रकार लगाती है मानो चारों हदर्ाओं में ढोल-नगाड़े और मृदंग
बज रहे हैं |

प्र.(5) खतरनाक पररजस्थनतयों का सामना करने के बाद आप दनु नया की चुनौनतयों के सामने स्ियं को
कैसा महसूस करते हैं ?
उत्तर खतरनाक पररजस्थनतयों का सामना करने के बाद हम अपने-आप को ननडर और आत्मविश्वास से
भरा महसूस करते हैं | हम अपने-आप को चुनौनतयों का मुकाबला करने में अनधक सक्षम पाते हैं |

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प्र.(6) कविता में आए वबम्बों को स्पष्ट कीजजए |


उत्तर 1. दृश्य वबम्ब (आुँखों के सामने उभरने िाले) - सबसे तेज़ बौछारें गयीं भादो गया, खरगोर् की
आुँखों जैसा लाल सिेरा, र्रद आया पुलों को पार करते हुए, अपनी नयी चमकीली साइहकल
तेज़ चलाते हुए, चमकीली इर्ारों से बुलाते हुए, सुनहले सूरज के सामने आते हैं
2. श्रव्य वबम्ब (सुनाई दे ने िाले) - घंटी बजाते हुए ज़ोर-ज़ोर से, हदर्ाओं को मृदंग की तरह
बजाते हुए
3. स्पर्ा वबम्ब (महसूस करने िाले) - आकार् को इतना मुलायम बनाते हुए, छतों को नरम
बनाते हुए
प्र.(7) र्रद के सिेरे की तुलना हकससे की गई है और क्यों ? र्रद की तुलना हकससे की गई है और क्यों ?
उत्तर र्रद के सिेरे की तुलना खरगोर् की आुँखों की गई है , क्योंहक र्रद के सिेरे का सूया खरगोर् की
आुँखों की तरह लाल और चमकदार होता है |
र्रद की तुलना साइहकल चलाते बच्चे से की गई है , क्योंहक साइहकल चलाते बच्चे के समान र्रद
ऋतु उत्साह ि उमंग से भरी होती है |
प्र.(8) छतों को नरम बनाने से क्या तात्पया है ?
उत्तर पतंग के नलए खुरदरी छतों पर दौड़ते बच्चों के कोमल पैरों में चुभन का अहसास नहीं होता, तो ऐसा
महसूस होता है हक उनके पैरों ने छतों को नरम बना हदया है |
**********

पाठ-3 कविता के बहाने, बात सीधी थी पर - कुँु िर नारायण


कविता के बहाने मूलभाि-
● यह कविता एक यात्रा है जो नचहड़या, फूल से लेकर बच्चे तक की है ।
● कवि कहता है हक नचहड़या की उड़ान की सीमा है , फूल के जखलने के साथ उसकी
पररणनत ननजश्चत है , लेहकन बच्चे के सपने असीम हैं ।
● बच्चों के खेल में हकसी प्रकार की सीमा का कोई स्थान नहीं होता।
● कविता भी र्ब्दों का खेल है और र्ब्दों के इस खेल में जड़, चेतन, अतीत, ितामान और
भविष्य-सभी उपकरण मात्र हैं । इसीनलए जहाुँ कहीं रचनात्मक ऊजाा होगी, िहाुँ सीमाओं
के बंधन खुद-ब-खुद टू ट जाते हैं ।

बात सीधी थी पर मूलभाि-


● इसमें कथ्य के िं ि उकेरते हुए भाषा की सहजता की बात की गई है ।
● अच्छी बात या अच्छी कविता का बनना सही बात का सही र्ब्द से जुड़ना होता है और
जब ऐसा होता है तो हकसी दबाि या अनतररक्त मेहनत की जरूरत नहीं होती, िह
सहूनलयत के साथ हो जाता है ।
● सही बात को सही र्ब्दों के माध्यम से कहने से ही रचना प्रभािर्ाली बनती है ।
● मनुष्य अपनी भाषा को टे ढ़ी तब बना दे ता है जब िह आडं बरपूणा तथा चमत्कारपूणा
र्ब्दों के माध्यम से कथ्य को प्रस्तुत करने का प्रयास करता है ।
● अंतत: र्ब्दों के चक्कर में पड़कर िे कथ्य अपना अथा खो बैठते हैं ।

पहठत पद्यांर्ों पर आधाररत बहुविकल्पीय प्रश्न


पद्यांर्-1
कविता एक उड़ान है नचहड़या के बहाने
कविता की उड़ान भला नचहड़या क्या जाने
बाहर-भीतर
इस घर उस घर

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कविता के पंख लगा उड़ने के माने
नचहड़या क्या जाने?
कविता एक जखलना है फूलों के बहाने
कविता का जखलना भला फूल क्या जाने!
बाहर भीतर, इस घर उस घर
वबना मुरझाए महकने के माने
फूल क्या जाने ?
1.कवि ने कविता को हकसकी उड़ान माना है ?
(a) प्रश्नों की (b) र्ब्द की
(c) सीमाओं की (d) कल्पना की
2."कविता की उड़ान भला नचहड़या क्या जाने" पंवक्त का आर्य क्या है ?
(a) कविता की उड़ान नचहड़या की उड़ान से कम होती है
(b) कविता की उड़ान असीनमत है , इसे नचहड़या नहीं समझ पाती है
(c) कविता और नचहड़या दोनों की उड़ान अनन्द्त है
(d) कविता की उड़ान से नचहड़या भली-भाुँनत पररनचत है
3.कवि ने फूल और कविता के जखलने में क्या अंतर बताया है ?
(a) फूल क्षजणक होता है जबहक कविता अमर होती है
(b) फूल में सुगंध होती है जबहक कविता में नहीं होती
(c) फूल में सौंदया होता है जबहक कविता में क्षजणक सौंदया होता है ।
(d) फूल और कविता दोनों में कोई समानता नहीं है
4.ननम्ननलजखत कथन और कारण को ध्यानपूिक
ा पहढ़ए और सही विकल्प चुनकर नलजखए।
कथन (A) : कवि के अनुसार फूल कविता की समता नहीं कर सकते हैं ।
कारण (R) : कविता अनंत जीिन एिं आनंद से युक्त होती है ।
a. कथन (A) सही है , कारण (R) गलत है ।
b. कथन (A) सही नहीं है , कारण (R) सही है ।
c. कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही हैं , हकंतु कारण (R) उसकी सही व्याख्या नहीं करता।
d. कथन (A) सही है तथा कारण (R) दोनों सही हैं , कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या
करता है ।
5.कविता को फूल के बहाने से हकससे जोड़ा गया है ?
(a) जड़ हो जाने की प्रहक्रया से (b) मुरझाने की प्रहक्रया से
(c) जखलने की प्रहक्रया से (d) संिेदनर्ील हो जाने की प्रहकया से
1 2 3 4 5
d b a d c

पद्यांर्-2
बात सीधी थी पर एक बार
भाषा के चक्कर में
जरा टे ढ़ी फुँस गई।
उसे पाने की कोनर्र् में
भाषा को उलटा-पलटा
तोड़ा मरोड़ा, घुमाया हफराया
हक बात या तो बने
या हफर भाषा से बाहर आए
लेहकन इससे भाषा के साथ-साथ
बात और भी पेचीदा होती चली गई।

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1.भाषा के चक्कर में पड़कर बात कैसी हो गई?
(a) सीधी (b) उल्टी (c) टे ढ़ी (d) ये सभी
2.उसे पाने की कोनर्र् में पंवक्त में 'उसे' र्ब्द हकसके नलए प्रयुक्त हुआ है ?
(a) कवि (b) वप्रयसी (c) बात (d) कलम
3.बात सीधी थी पर' में कवि ने हकस पर बल हदया है ?
(a) भािों की सरलता (b) भाषा की जहटलता (c) भािों की गंभीरता (d) भाषा की सहजता
4.ननम्ननलजखत कथन और कारण को ध्यानपूिक
ा पहढ़ए और सही विकल्प चुनकर नलजखए।
कथन (A) :भाषा के भािों की अनभव्यवक्त ठीक से स्पष्ट नहीं होती।
कारण (R) : भाषा के साथ तोड़-मरोड़ करने का पररणाम होता है ।
a. कथन (A) सही है , कारण (R) गलत है ।
b. कथन (A) सही नहीं है , कारण (R) सही है ।
c. कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही हैं , हकंतु कारण (R) उसकी सही व्याख्या नहीं करता।
d. कथन (A) सही है तथा कारण (R) दोनों सही हैं , कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या
करता है ।
5.प्रस्तुत काव्यांर् का केंरीय भाि क्या है ?
(a) भाषा की सहजता पर जोर दे ना (b) भािों को प्रमुखता प्रदान करना
(c) बात कहने का ढं ग सीखाना (d) बातचीत के विनभन्द्न स्िरूपों का िणान करना

1 2 3 4 5
c c d d a

िणानात्मक प्रश्न-
प्र.(1) इस कविता के बहाने बताएुँ हक ‘सब घर एक कर दे ने के माने’ क्या है ?
उत्तर ‘सब घर एक कर दे ने के माने’ है - आपसी भेदभाि समाप्त कर अपनत्ि की भािना का
विकास करना | कवि के अनुसार बच्चे आपसी भेदभाि नमटाकर अपनत्ि ि भाईचारे की
भािना का विकास करते हैं | बच्चे खेलते हुए एक घर से दस
ू रे घर में वबना भेदभाि के चले
जाते हैं और भाईचारा बढ़ाते हैं |

प्र.(2) ‘उड़ने’ ि ‘जखलने’ का कविता से क्या सम्बन्द्ध बनता है ? तथा


कविता और बच्चे को समानांतर रखने के क्या कारण हो सकते हैं ?
अथिा
कविता, फूल और बच्चे से कविता की तुलना कवि ने हकस प्रकार की है ?

उत्तर
नचहड़या, फूल, बच्चा कविता
नचहड़या- उड़ान सीनमत होती है और कविता की उड़ान असीनमत होती है और िह
आसमान में एक ननजश्चत ऊुँचाई तक हदल की गहराइयों से आसमान की
ही उड़ सकती है | ऊुँचाइयों तक उड़ सकती है |
फूल- फूल का जखलने के साथ ही मुरझाना कविता वबना मुरझाए महकती रहती है |
भी ननजश्चत हो जाता है और िह थोड़े समय इसका प्रभाि कभी खत्म नहीं होता और
के नलए ही खुर्बू दे ता है | यह हमेर्ा पाठकों को आनंद दे ती रहती है |
बच्चा = कविता
1. बच्चे खेल खेलते हैं ि आनंद दे ते हैं उसी प्रकार कविता भी र्ब्दों का खेल है
और आनंद प्रदान करती है |
2. दोनों ही भेदभाि नमटाकर अपनत्ि ि भाईचारे की भािना बढ़ाते हैं |
3.दोनों में ही रचनात्मक ऊजाा होती है |

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प्र.(3) ‘भाषा को सहूनलयत’ से बरतने का क्या अनभप्राय है ?
उत्तर ‘भाषा को सहूनलयत’ से बरतने का अनभप्राय है – भाषा को सरलता और सहजता से प्रयोग में
लाना | बात को सीधे और सरल र्ब्दों में कहना, जजससे कथ्य और भाषा में सामंजस्य
स्थावपत हो सके और बात लोगों तक सरलता से पहुुँच सके | भाषा को सुविधाजनक एिं
सहज ढं ग से प्रयोग में लाना |
प्र.(4) ‘सीधी बात भी टे ढ़ी हो जाती है |’ कैसे ?
उत्तर कवि सीधी सरल बात को प्रभािी बनाने की कोनर्र् करता है | इसके नलए िह सुंदर,
अलंकृत, प्रभािी ि जहटल भाषा का प्रयोग करता है | भाषा के इस प्रदर्ान के चक्कर में सीधी
बात भी टे ढ़ी ि पेचीदा हो जाती है |
प्र.(5) ननम्ननलजखत मुहािरों/ वबम्बों के आर्य को स्पष्ट कीजजए-
(i) बात की चूड़ी मर जाना
(ii) पेंच को कील की तरह ठोंक दे ना
उत्तर (i) बात की चूड़ी मर जाना – बात का प्रभािहीन होना | जब भाषा के साथ ज़ोर ज़बरदस्ती की
जाए तो बात का प्रभाि समाप्त हो जाता है | इसे कवि ने बात की चूड़ी मरना कहा है |
(ii)पेंच को कील की तरह ठोंक दे ना – बात में कसािट न होना | जब कवि से बात बन नहीं पा
रही थी तब िह उसे जैस-े तैसे पूरी कर दे ता है | यह बात उस कील की तरह महसूस होती है
जो बाहर से तो पूरी लगती है परन्द्तु अंदर से उसमें कसािट नहीं होती |
प्र.(6) ‘बात सीधी थी पर’ कविता का सन्द्दे र् / कथ्य / प्रनतपाद्य स्पष्ट कीजजए |
उत्तर कविता में कथ्य ि माध्यम के िं ि को बताते हुए कहा गया है हक हमें बात बात को सीधे-
सरल र्ब्दों में कहना चाहहए | भाषा को सुन्द्दर, अलंकृत और जहटल बनाने के चक्कर में
बात उलझने लगती है और मूल बात का प्रभाि समाप्त हो जाता है | इसनलए हमें सही बात के
नलए सही र्ब्दों का प्रयोग करना चाहहए | साथ ही भाषा की सरलता पर ध्यान दे ना चाहहए |

पाठ-4.कैमरे में बंद अपाहहज- रघुिीर सहाय


मूलभाि-
दरू दर्ान-कनमायों की संिेदनहीनता और क्रूरता पर प्रकार् डाला गया है । प्राय: मीहडया में कायाक्रम
को आकषाक और वबकाऊ बनाने के नलए मानिीय दख
ु -ददा को खोलकर हदखाया जाता है ।
अपाहहजों को कैमरे के सामने लाकर उनसे बड़े क्रूर प्रश्न पूछे जाते हैं । उनके सोए हुए ददा को
जानबूझकर ताजा हकया जाता है । मीहडया की कोनर्र् होती है हक अपाहहज व्यवक्त अपने ददा से
और दर्ाक करुणा से रो पड़े । इस प्रकार उनका कायाक्रम रोचक बन जाता है ।
बहुविकल्पीय प्रश्न –
प्र.(1) ‘हम समथा र्वक्तिान’ पंवक्त में समथा का प्रयोग हकया गया है –
(क) दरू दर्ान एंकर के नलए (ख) नेता के नलए
(ग) कैमरामैन के नलए (घ) अमीरों के नलए
प्र.(2) ‘हम एक दब
ु ल
ा को लाएुँगे’ पंवक्त में दब
ु ल
ा का प्रयोग हकया गया है –
(क) गरीब के नलए (ख) अपाहहज के नलए
(ग) आम आदमी के नलए (घ) कैमरामैन के नलए
प्र.(3) एक बंद कमरे में – पंवक्त में बंद कमरे का तात्पया है -
(क) नसनेमा का स्टू हडयो (ख) टे लीविज़न स्टू हडयो
(ग) घर का कमरा (घ) पूछताछ के नलए बनाया कमरा
प्र.(4) कविता में अपाहहज से पूछे गए प्रश्न हकस प्रकार के थे ?
(क) बेतुके (ख) संिेदनहीन
(ग) उक्त दोनों (घ) इनमें से कोई नहीं
प्र.(5) कैमरे में बंद अपाहहज कविता में अपाहहज का साक्षात्कार लेते समय मीहडयाकमी का दृवष्टकोण
कैसा था ?
(क) व्यािसानयक ि संिेदनर्ील (ख) सहानुभूनतपूणा ि व्यािसानयक
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(ग) संिेदनर्ील ि सहानुभनू तपूणा (घ) व्यािसानयक ि संिेदनहीन
प्र.(6) दरू दर्ान कैसा माध्यम है ?
(क) दृश्य (ख) श्रव्य (ग) दृश्य-श्रव्य (घ) इनमें से कोई नहीं
प्र.(7) (कैमरा हदखाओ इसे बड़ा बड़ा) – ऐसा क्यों कहा गया है ?
(क) दर्ाकों से सहानुभूनत लेने के नलए (ख) कायाक्रम को लोकवप्रय बनाने के नलए
(ग) अनधक धन कमाने के नलए (घ) उपयुक्त
ा सभी
प्र.(8) ‘फूली हुई आुँख की एक बड़ी तसिीर’ पंवक्त में वबम्ब है –
(क) घ्राण (ख) स्पर्ा (ग) श्रव्य (घ) दृश्य
प्र.(9) अपाहहज को रुलाने का प्रयास क्यों हकया गया ?
(क) अपाहहजपन की पीड़ा को प्रकट करने के नलए
(ख) दर्ाकों की सहानुभूनत प्राप्त करने के नलए
(ग) अपाहहज के दःु ख को कम करने के नलए
(घ) अपाहहज के प्रनत संचालक की संिेदनर्ीलता के कारण
प्र.(10) ‘हमें दोनों एक संग रुलाने हैं ’ इसके पीछे प्रश्नकताा का कौनसा उद्दे श्य है ?
(क) अनधक धन कमाना (ख) करुणा को प्रकट कर स्िाथा नसद्ध करना
(ग) कायाक्रम लोकवप्रय बनाना (घ) उपरोक्त सभी
प्र.(11) कैमरा बस करो, नहीं हुआ रहने दो- इस पंवक्त से क्या पता चलता है ?
(क) कैमरामैन के काम न करने का
(ख) कायाक्रम संचालक का व्यािसानयक उद्दे श्य पूणत
ा ः पूरा न होने का
(ग) अपाहहज की पीड़ा न बता पाना
(घ) संिेदनर्ीलता का
प्र.(12) परदे पर िक्त की कीमत है -पंवक्त से साक्षात्कारकत्ताा के हकस नजररए का पता चलता है ?
(क) व्यािसानयक नजररए (ख) सहानुभूनतपूणा नजररए
(ग) संिेदनर्ील नजररए (घ) सकारात्मक नज़ररए
प्र.(13) बस थोड़ी ही कसर रह गई – पंवक्त में हकस कसर या कमी की ओर संकेत है ?
(क) अपाहहज की पीड़ा को व्यक्त करने की
(ख) अपाहहज ि दर्ाकों को एक साथ रुलाने की
(ग) केिल अपाहहज को रुलाने की
(घ) अपाहहज को खुर् करने की
प्र.(14) कैमरे में बंद अपाहहज कविता के सन्द्दभा में ननम्ननलजखत में से कौनसा कथन गलत है ?
(क) कविता र्ारीररक चुनौती झेलते लोगों के प्रनत संिद
े नर्ील नज़ररया अपनाने के नलए प्रेररत करती है
(ख) इस कविता में मीहडयाकनमायों के संिेदनर्ील व्यिहार को उजागर हकया गया है
(ग) यह कविता बताती है हक करुणा जगाने के मकसद से र्ुरू हुआ कायाक्रम हकस प्रकार क्रूर बन जाता है
(घ) मीहडयाकनमायों का रिैया कारोबारी दबाि के तहत संिेदनहीन हो जाता है
उत्तर-
1 क 6 ग 11 ख
2 ख 7 घ 12 क
3 ख 8 घ 13 ख
4 ग 9 ख 14 ख
5 घ 10 घ
िणानात्मक प्रश्न-
प्र.(1) ‘कैमरे में बंद अपाहहज करुणा के मुखौटे में नछपी क्रूरता की कविता है - स्पष्ट कीजजए |
अथिा
‘कैमरे में बंद अपाहहज’ कविता के र्ीषाक की साथाकता नसद्ध कीजजए |
उत्तर- कैमरे में बंद अपाहहज कविता में मीहडया के लोगों की व्यािसानयक माननसकता ि संिेदनहीनता
को उजागर हकया गया है | मीहडया के लोग अपनी मन-मानी कर अपाहहज व्यवक्त से स्टू हडयो में बेहूदे प्रश्न
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पूछते हैं , जैस-े आप क्या अपाहहज हैं ?, आप अपाहहज क्यों हैं ?, आपको अपाहहज होकर कैसा महसूस हो
रहा है ? आहद | जब अपाहहज व्यवक्त इन प्रश्नों से दख
ु ी होकर रोने लगता है और कायाक्रम लोकवप्रय हो
जाता है | इस प्रकार अपाहहज की पीड़ा को बेचकर िे लोकवप्रयता और लाभ कमाने की कोनर्र् करते हैं |
प्र.(2) हम समथा र्वक्तिान और हम एक दब
ु ल
ा को लाएुँगे पंवक्त के माध्यम से कवि ने क्या व्यंग्य हकया है ?
उत्तर- हम समथा र्वक्तिान – मीहडया के लोग अपने आप को सबसे अनधक ताकतिर मानते हैं | िे मानते
हैं हक हम स्टू हडयो में अपनी मनमानी कर कुछ भी कर सकते हैं |
हम एक दब
ु ल
ा को लाएुँगे – अपाहहज व्यवक्त को मीहडया के लोग दब
ु ल
ा , कमज़ोर और लाचार मानते हैं और
अपनी मनमानी का मौका ढू ुँ ढ़ते हैं |
इस प्रकार कवि ने मीहडया के लोगों की क्रूर व्यािसानयकता और संिेदनहीनता पर व्यंग्य हकया है |
प्र.(3) परदे पर िक्त की कीमत है कहकर कवि ने साक्षात्कार के प्रनत अपना नज़ररया हकस रूप में रखा है ?
उत्तर- परदे पर िक्त की कीमत है कहकर कवि ने मीहडया के लोगों(साक्षात्कार लेने िालों)
के व्यािसानयक नज़ररए का पता चलता है | उनके नलए अपाहहज की पीड़ा का कोई महत्त्ि नहीं बजल्क
उनका उद्दे श्य टी. िी. के परदे पर कायाक्रम को लोकवप्रय बनाकर अनधक धन कमाना है |
प्र.(4) यहद र्ारीररक रूप से चुनौती का सामना कर रहे व्यवक्त और दर्ाक, दोनों एक साथ रोने लगेंगे, तो
प्रश्नकताा का कौन-सा उद्दे श्य पूरा होगा ?
उत्तर- यहद र्ारीररक रूप से चुनौती का सामना कर रहे व्यवक्त और दर्ाक, दोनों एक साथ रोने लगेंग,े तो
प्रश्नकताा का यह उद्दे श्य पूरा होगा हक उसका कायाक्रम लोकवप्रय, भािनापूणा और करुणापूणा हो जाएगा |
साथ ही िे अपंग व्यवक्त की पीड़ा ि करुणा को बेचकर अनधक से अनधक धन कमा सकेंगे, साथ ही
हदखािटी रूप से सामाजजक उद्दे श्य भी पूरा हो जाएगा |
*************************
पाठ-6 उषा – र्मर्ेर बहादरु नसंह

पहठत पद्यांर् पर आधाररत बहुविकल्पीय प्रश्न


प्रातः नभ था बहुत नीला र्ंख जैसे भोर का नभ
राख से लीपा हुआ चौका
(अभी गीला पड़ा है )
बहुत काली नसल जरा से लाल केसर से
हक जैसे धुल गई हो
स्लेट पर या लाल खहड़या चाक
मल दी हो हकसी ने
नील जल में या हकसी की
गौर जझलनमल दे ह
जैसे हहल रही हो।
और.......जाद ू टू टता है इस उषा का अब सूयोदय हो रहा है ।
प्रश्न.1. कवि ने प्रातःकालीन िातािरण की समानता नीले र्ंख से क्यों की है ?
(a) भोर के समय िातािरण का रं ग नीले र्ंख जैसा होने के कारण
(b) कवि को नीले र्ंख का रं ग पसंद होने के कारण
(c) भोर के समय िातािरण के अनेक रं ग बदलने के कारण
(d) नीले र्ंख के अनतररक्त अन्द्य उपमा न नमलने के कारण
प्रश्न.2. भोर के नभ का सुरमई रं ग दर्ााने के नलए क्या उपमा दी गई है ?
(a) लाल केसर से धुली नसल (b) स्लेट पर लाल खहड़या चाक
(c) राख से लीपा चौका (d) नीले जल में गौर िणा
प्रश्न.3. चौके के गीला होने का क्या भािाथा है ?
(a) नए जीिन का उदय (b) िातािरण में नमी
(c) भोजन के नलए तैयार होना (d) िातािरण में र्ुष्कता
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प्रश्न.4.ननम्ननलजखत कथन और कारण को ध्यानपूिक
ा पहढ़ए और सही विकल्प चुनकर नलजखए।
कथन (A) :उषा के सौंदया का जाद ू समाप्त हो जाता है ।
कारण (R) : सूया के उहदत होने पर।
a. कथन (A) सही है , कारण (R) गलत है ।
b. कथन (A) सही नहीं है , कारण (R) सही है ।
c. कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही हैं , हकंतु कारण (R) उसकी सही व्याख्या नहीं करता।
d. कथन (A) सही है तथा कारण (R) दोनों सही हैं , कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या करता है ।
प्रश्न.5. 'काली नसल' और 'स्लेट' हकस दृश्य को नचवत्रत करते हैं ?
(a) भोरकालीन उजाला (b) भोरकालीन अंधेरा
(c) सायंकालीन अंधेरा (d) संध्याकालीन सूया
उत्तर –
1 2 3 4 5
a c b d b

ननम्ननलजखत अनभकथनों के नलए उनचत तथा तकायुक्त विकल्प में से उत्तर दीजजए –

1.अनभकथन (A) उषा कविता ग्रामीण पररिेर् की ओर इं नगत करती है ।


कारण (R) लीपा हुआ चौका या आुँगन, नसल और स्लेट गाुँिों में घर-घर हदखाई दे ते हैं ।
(क) A और R दोनों सत्य हैं और R. A की सही व्याख्या करता है ।
(ख) A और R दोनों सत्य हैं और R. A की सही व्याख्या नहीं करता है ।
(ग) A सच है , लेहकन R झूठा है ।
(घ) A झूठा है , लेहकन R सच है ।
2. अनभकथन (A) कवि ने भोरकालीन नभ को राख से लीपा हुआ गीला चौका कहा है ।
कारण (R) चौके की नलपाई के बाद उसमें आरा ता या नमी आ जाती है ।
(क) Aऔर R दोनों सत्य हैं और R, A की सही व्याख्या करता है ।
(ख) A और R दोनों सत्य हैं और R, A की सही व्याख्या नहीं करता है ।
(ग) A सच है , लेहकन R झूठा है ।
(घ) A झूठा है , लेहकन R सच है ।
3. अनभकथन (A) काली नसल और स्लेट के माध्यम से भोरकालीन अुँधेरे का सटीक नचत्रण है ।
कारण (R) भोरकाल में आकार् में सुरमई अुँधेरा होता है ।
(क) Aऔर R दोनों सत्य हैं और R. A की सही व्याख्या करता है ।
(ख) A और R दोनों सत्य है और R, A की सही व्याख्या नहीं करता है ।
(ग) A सच है , लेहकन R झूठा है ।
(घ) A झूठा है , लेहकन R सच है ।
4. अनभकथन (A) सुबह का जखलता सूरज अपनी हकरणों को कािी कोमल बनाए हुए है ।
कारण (R) सूयाास्त का सूरज थका-हारा, मनलन अब विश्राम करना चाहता है ।
(क) Aऔर R दोनों सत्य हैं और R, A की सही व्याख्या करता है ।
(ख) A और R दोनों सत्य हैं और R, A की सही व्याख्या नहीं करता है ।
(ग) A सच है लेहकन R झूठा है ।
(घ) A झूठा है , लेहकन R सच है ।
5. अनभकथन (A) प्रातःकालीन आकार् नीला र्ंख के समान था।
कारण (R) प्रातः कालीन आकार् स्िच्छ, ननमाल और पवित्र होता है ।
(क) Aऔर R दोनों सत्य हैं और R, A की सही व्याख्या करता है ।
(ख) A और R दोनों सत्य हैं और R, A की सही व्याख्या नहीं करता है ।
(ग) A सच है , लेहकन R झूठा है ।
(घ) A झूठा है , लेहकन R सच है ।

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उत्तरमाला :
1. (क) A और R दोनों सत्य हैं और R. A की सही व्याख्या करता है ।
स्पष्टीकरण- सुबह अपने कायों में लगे ग्रामीण िगा को स्पष्ट करने िाले प्रनतमान है ।
2. (क) A और R दोनों सत्य है और R, A की सही व्याख्या करता है ।
स्पष्टीकरण- लीपे हुए चौके में नमी होती है ठीक उसी प्रकार भोरकालीन आकार् में भी आरता होती है ।
3. (क) A और R दोनों सत्य है और R, A की सही व्याख्या करता है ।
स्पष्टीकरण- भोर में आकार् नसल और स्लेट की तरह काला नज़र आता है ।
4. (ख) A और R दोनों सत्य है और R. A की सही व्याख्या नहीं करता है
स्पष्टीकरण- सुबह सूरज की हकरणें कोमलता और सतेज होती जाती है । र्ाम को ननस्तेज होती है ।
.(क) Aऔर R दोनों सत्य है और R. A की सही व्याख्या करता है ।
स्पष्टीकरण- क्योंहक नीला र्ंख स्िच्छ, ननमाल और पवित्रता का प्रतीक है ।

िणानात्मक प्रश्न –
प्रश्न. 1- कविता के हकन उपमानों को दे खकर कहा जा सकता है हक उषा गाुँि की सुबह का
गनतर्ील र्ब्द नचत्र है ?
उत्तर :- 1. आसमान नीले र्ंख ि गीली राख के समान- आसमान में नमी है | गाुँि की
महहलाएुँ भोर में ही अपना चूल्हा-चौका लीपकर अपनी हदनचयाा र्ुरू करती है ।
2. काली नसल पर लाल केसर, स्लेट पर लाल चाक- काले आसमान में सूया की हल्की लानलमा
है | गाुँि के पुरुष सुबह जल्दी ही नसल पर केसर नघसकर पूजा की तैयारी करते हैं और बच्चे
काली स्लेट पर लाल चाक से नलखकर अपनी पढ़ाई कर रहे हैं ।
3. गौर जझलनमल दे ह- सूया की हकरणें तालाब पर मानिीय आकृ नत जैसी लगती है | गाुँि की
महहलाएुँ सुबह जल्दी ही तालाब में स्नान कर लेती है |
प्रश्न. 2 - भोर का नभ , राख से लीपा चौका
(अभी गीला पड़ा है )
नयी कविता में कोष्ठक ,विराम नचह्नों और पंवक्तयों के बीच का स्थान भी कविता को अथा दे ता है
| उपयुक्त
ा पंवक्तयों में कोष्ठक से कविता में क्या विर्ेष अथा पैदा हुआ है ?समझाइए |
उत्तर :- नई कविता प्रयोगधमी है |इसमें भाषा- नर्ल्प के स्तर पर हर नए प्रयोग से अथा की
अनभव्यवक्त की जाती है |प्राय: कोष्ठक अनतररक्त ज्ञान की सूचना दे ता है |यहाुँ अभी गीला पड़ा है के
माध्यम से कवि गीलेपन की ताजगी को स्पष्ट कर रहा है |ताजा गीलापन स्लेटी रं ग को अनधक
गहरा बना दे ता है जबहक सूखने के बाद राख हल्के स्लेटी रं ग की हो जाती है |
प्रश्न. 3- उषा का जाद ू क्या है ? उषा का जाद ू कब टू टता है ?
उत्तर- उषाकाल में (भोर से सूयोदय तक) आसमान में कई रं ग जैसे नीला, राख जैसा, लानलमा नलए काला
रं ग आहद आसमान में हदखाई दे ते हैं , यही उषा का जाद ू है | सूयोदय होने और सूया की चमक के कारण
उषा का जाद ू टू टता है |
प्रश्न. 4 - उषा कविता की भाषागत विर्ेषताएुँ नलजखए |
उत्तर- 1.खड़ी बोली हहं दी का प्रयोग हकया गया है |
2.दे र्ज ि ग्रामीण र्ब्दों का प्रयोग हकया गया है , जैस-े राख, चौका, खहड़या आहद |
3.नए उपमानों का प्रयोग हकया गया है , जैस-े नीला र्ंख, राख से लीपा चौका आहद
4.उषाकाल के वबम्बों का प्रयोग हकया गया है , जैस-े पानी में सूया हकरणें जझलनमल दे ह के समान |
********************

पाठ-7 बादल राग – सूयक


ा ांत वत्रपाठी ‘ननराला’
मूलभाि-
● कवि बादलों को दे खकर कल्पना करता है हक बादल हिारूपी समुर में तैरते हुए क्षजणक
सुखों पर दख
ु की छाया है जो संसार या धरती की जलती हुई छाती पर मानी छाया
करके उसे र्ांनत प्रदान करने के नलए आए हैं ।
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● बाढ़ की विनार्-लीला रूपी युद्ध-भूनम में िे नौका के समान लगते हैं ।
● बादल की गजाना को सुनकर धरती के अंदर सोए हुए बीज या अंकुर नए जीिन की
आर्ा से अपना नसर ऊुँचा उठाकर दे खने लगते हैं ।
● आकार् में तैरते बादल ऐसे लगते हैं मानो िज्रपात से सैंकड़ों िीर धरार्ायी हो गए हो
और उनके र्रीर क्षत-विक्षत है ।
● कवि बादलों को क्रांनत दत
ू की संज्ञा दे ता है । बादलों का गजान हकसानों ि मजदरू ों को
निननमााण की प्रेरणा दे ता है ।
● क्रांनत से सदा आम आदमी को ही िायदा होता है ।
● बादल आतंक के भिन जैसे हैं जो कीचड़ पर कहर बरसाते हैं । बुराईरूपी कीचड़ के सिाए
के नलए बादल प्रलयकारी होते हैं ।
● कवि कहता है हक कमजोर र्रीर िाले कृ षक बादलों को अधीर होकर बुलाते हैं क्योंहक
पूंजीपनत िगा ने उनका अत्यनधक र्ोषण हकया है ।
पहठत पद्यांर् पर आधाररत बहुविकल्पीय प्रश्न
पद्यांर्-1
नतरती है समीर-सागर पर
अजस्थर सुख पर दख
ु की छाया
जग के दग्ध हृदय पर
ननदाय विललि की ललावित माया
यह तेरी रण-तरी
भरी आकांक्षाओं से,
घन, भेरी-गजान से सजग सुप्त अंकुर
उर में पृथ्िी के, आर्ाओं से
निजीिन की, ऊुँचा कर नसर,
ताक रहे हैं , ऐ विललि के बादल!
(1) कवि हकस का आिाहन करता है ?
(a) वबजली (b) बादल (c) सूरज (d) प्रकृ नत
(2) क्रांनत का दत
ू हकसे कहा गया है ?
(a) समीर (b) आसमान (c) बादल (d) नौका
(3) पृथ्िी में सोए हुए अंकुर के ऊपर हकसका प्रभाि पड़ता है ?
(a) कवि की पुकार का (b) कवि के गीतों का
(c) बादल की गजाना का (d) उपरोक्त में से कोई नहीं
(4) ननम्ननलजखत कथन और कारण को ध्यानपूिक
ा पहढ़ए और सही विकल्प चुनकर नलजखए।
कथन (A) : बादल को क्रांनतदत
ू के रूप में नचवत्रत हकया गया है ।
कारण (R) : बादलों की युद्ध रूपी नौका में आम आदमी की इच्छाएुँ भरी रहती हैं ।
a. कथन (A) सही है , कारण (R) गलत है ।
b. कथन (A) सही नहीं है , कारण (R) सही है ।
c. कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही हैं , हकंतु कारण (R) उसकी सही व्याख्या नहीं करता।
d. कथन (A) सही है तथा कारण (R) दोनों सही हैं , कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या
करता है ।
(5) अंकुर हकसकी आर्ा में नसर उठाकर ताक रहे हैं ?
(a) निजीिन (b) क्रांनत (c) पानी (d) बादल
उत्तरमाला-
(1)(b) (2)(c) (3)(c) (4)(d) (5)(a)

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पद्यांर्-2
अट्टानलका नहीं है रे आतंक-भिन
सदा पंक पर ही होता
जल-विललि-ललािन,
क्षुर प्रफुल्ल जलज से सदा छलकता नीर,
रोग-र्ोक में भी हुँ सता है
र्ैर्ि का सुकुमार र्रीर ।
रुद्ध कोष है , क्षुब्ध तोष
अंगना-अंग से नलपटे भी
आतंक अंक पर काुँप रहे हैं ।
धनी, िज्र-गजान से बादल!
त्रस्त नयन-मुख ढाुँप रहे हैं ।
है जीणा बाहु, है र्ीणा र्रीर,
तुझे बुलाता कृ षक अधीर,
ऐ विललि के िीर!
चूस नलया है उसका सार,
हाड़-मात्र ही है आधार,
ऐ जीिन के पारािार!
(1) पंक हकसका प्रतीक है ?
(a) आम आदमी (b) विर्ेष िगा में लोग (c) अमीर िगा (d)पूंजीपनत िगा
(2) अट्टानलका हकसका प्रतीक है ?
(a) र्ोषक एिं पूंजीपनत िगा (b)मजदरू िगा (c) हकसान (d) उपरोक्त में से कोई नहीं
(3) धननक िगा हकस से भयभीत हैं ?
(a) बादलों से (b) चेतना से (c) क्रांनत से (d) उपरोक्त में से कोई नहीं
(4) ननम्ननलजखत कथन और कारण को ध्यानपूिक
ा पहढ़ए और सही विकल्प चुनकर नलजखए।
कथन (A) : पूुँजीपनतयों के ऊुँचे ऊुँचे भिन गरीबों को आतंहकत करने िाले भिन हैं ।
कारण (R) : प्रलय से पूज
ुँ ीपनत िगा ही प्रभावित होता है ।
a. कथन (A) सही है , कारण (R) गलत है ।
b. कथन (A) सही नहीं है , कारण (R) सही है ।
c. कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही हैं , हकंतु कारण (R) उसकी सही व्याख्या नहीं करता।
d. कथन (A) सही है तथा कारण (R) दोनों सही हैं , कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या
करता है ।
(5) जीिन के पारािार हकसे कहा गया है ?
(a) हकसान (b) मजदरू (c) बादल (d) क्रांनत
उत्तरमाला-
(1)(a) (2)(a) (3)(c) (4)(c) (5)((c)
िणानात्मक प्रश्न-
1. अजस्थर सुख पर दख
ु की छाया पंवक्त में दख
ु की छाया हकसे कहा गया है और क्यों?
उत्तर- कवि ने दख
ु की छाया' मानि जीिन में आने िाले दख
ु ों, कष्टों को कहा है । कवि का
मानना है हक संसार में सुख कभी स्थायी नहीं होता। उसके साथ-साथ दख
ु का प्रभाि रहता है ।
धनी र्ोषण करके अकूत संपवत्त जमा करता है परं तु उसे सदै ि क्रांनत की आर्ंका रहती है । िह
सब कुछ नछनने के डर से भयभीत रहता है ।
2.अर्नन-पात से र्ावपत उन्द्नत र्त-र्त िीर पंवक्त में हकसकी ओर संकेत हकया गया है ?
उत्तर- इस पंवक्त में कवि ने पूुँजीपनत या र्ोषण या धननक िगा की ओर संकेत हकया है । वबजली
नगरना' का तात्पया-क्रांनत से है । क्रांनत से जो विर्ेषानधकार प्राप्त िगा है , उसकी प्रभुसत्ता समाप्त हो

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जाती है और िे उन्द्ननत के नर्खर से नगर जाते हैं । उनका गिा चूर-चूर हो जाता है ।
3.'बादल राग' कविता के आधार पर भाि स्पष्ट कीजजए-'विललि-रि से छोटे ही हैं र्ोभा पाते।'
उत्तर- 'विललि-रि' से तात्पया है -क्रांनत का स्िर क्रांनत का सिाानधक लाभ र्ोवषत िगा को ही
नमलता है क्योंहक उसके अनधकार नछने गए हैं । र्ोषक िगा के विर्ेषानधकार खत्म होते हैं । आम
व्यवक्त को जीने के अनधकार नमलते हैं । उनको दरररता दरू होती है । अतः क्रांनत की गजाना से
र्ोवषत िगा प्रसन्द्न होता है ।
4.बादलों के आगमन से प्रकृ नत में होने िाले हकन पररितानों को कविता रे खांहकत करती है ?
उत्तर- कविता में बादलों के आगमन से प्रकृ नत में होने िाले पररितान इस प्रकार है -
i) आसमान में बादल गरज रहे हैं | बहुत तेज़ बाररर् हो रही है |
ii) ऊंचे-ऊंचे पहाड़ों पर वबजली नगर रही है और िे टू ट-फूट रहे हैं |
iii)छोटे -छोटे पौधे पनप रहे हैं |
iv) कमलों से पानी टपक रहा है |
5. क्रांनत की गजाना का र्ोषक िगा पर क्या प्रभाि पड़ता है ? उनका मुख ढापना हकस
माननसकता का घोतक है ? 'बादल राग' कविता के आधार पर उत्तर दीजजए।
उत्तर- र्ोषक िगा ने आनथाक साधनों पर एकानधकार जमा नलया है , परं तु क्रांनत की गजाना
सुनकर िह अपनी सत्ता को खत्म होते दे खता है । िह बुरी तरह भयभीत हो जाता है । उसकी
र्ांनत समाप्त हो जाती है । र्ोषक िगा का मुख ढाुँपना उनकी कमजोर जस्थनत को दर्ााता है ।
क्रांनत के पररणामों से िे भयभीत हैं ।
6. 'बादल राग' कविता में 'ऐ विललि के िीर' हकसे कहा गया है और क्यों?
उत्तर- इस कविता में 'ऐ विललि के िीर!' बादल को कहा गया है । बादल घनघोर िषाा करता है
तथा वबजनलयाुँ नगराता है । इससे सारा जनजीिन अस्त-व्यस्त हो जाता है । बादल क्रांनत का
प्रतीक है । क्रांनत आने से बुराई रूपी कीचड समाप्त हो जाता है तथा आम व्यवक्त को जीने योग्य
जस्थनत नमलती हैं ।
7. 'बादल राग' र्ीषाक की साथाकता नसद्ध कीजजए।
उत्तर-'बादल राग' क्रांनत की आिाज का पररचायक है । यह कविता जनक्रांनत की प्रेरणा दे ती है ।
कविता में बादलों के आने से नए पौधे हवषात होते हैं , उसी प्रकार क्रांनत होने से आम आदमी को
विकास के नए अिसर नमलते हैं । कवि बादलों को बाररर् करने या क्रांनत करने के नलए आहिान
करता है । यह र्ीषाक उद्दे श्य के अनुरूप है । अत: यह र्ीषाक सिाथा उनचत है ।
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पाठ-8. कवितािली, लक्ष्मण-मूच्छाा और राम का विलाप- गोस्िामी तुलसीदास
‘कवितािली’
मूलभाि-
● पहले छं द ”हकसबी, हकसान ....“ में उन्द्होंने हदखलाया है हक संसार के अच्छे -बुरे समस्त
लीला-प्रपंचों का आधार ‘पेट की आग’ का गहन यथाथा है ; जजसका समाधान िे राम की
भवक्त में दे खते हैं ।
● दरररजन की व्यथा दरू करने के नलए राम रूपी घनश्याम का आह्वान हकया गया है । पेट
की आग बुझाने के नलए राम रूपी िषाा का जल अननिाया है ।
● दस
ू रे छं द में कवि अकाल की जस्थनत का नचत्रण करता है । इस समय हकसान खेती नहीं
कर सकता, नभखारों को भीख नहीं नमलती, व्यापारी व्यापार नहीं कर पाता तथा नौकरी
की चाह रखने िालों को नौकरी नहीं नमलती।
● कवि राम से प्राथाना करते हैं हक अब आप ही इस दरररता रूपी रािण का विनार् कर
सकते हैं ।
● तीसरे छं द (”धूत कहौ...“) में भवक्त की गहनता और सघनता में उपजे भक्तहृदय के
आत्मविश्वास का सजीि नचत्रण है , जजससे समाज में व्याप्त जानतिाद - और
दरु ाग्रहों के नतरस्कार का साहस पैदा है ।

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लक्ष्मण- मूछाा और राम का विलाप


मूलभाि-
● आधी रात व्यतीत होने पर जब हनुमान नहीं आए,तब राम ने अपने छोटे भाई लक्ष्मण
को उठाकर हृदय से लगा नलया और साधारण मनुष्य की भाुँनत विलाप करने लगे।
● राम बोले ......हे भाई !तुम मुझे कभी दख
ु ी नहीं दे ख सकते थे।तुम्हारा स्िभाि सदा से
ही कोमल था ।
● तुमने मेरे नलए माता वपता को भी छोड़ हदया और मेरे साथ िन में सदी,गमी और
विनभन्द्न प्रकार की विपरीत पररजस्थनतयों को भी सहा |
● जैसे पंख वबना पक्षी,मजण वबना सपा और सूड
ुँ वबना श्रेष्ठ हाथी अत्यंत दीन हो जाते हैं ,हे
भाई! यहद मैं जीवित रहता हूुँ तो मेरी दर्ा भी िैसी ही हो जाएगी।
● मैं अपनी पत्नी के नलए अपने वप्रय भाई को खोकर कौन सा मुुँह लेकर अयोध्या
जाऊुँगा।इस बदनामी को भले ही सह लेता हक राम कायर है और अपनी पत्नी को खो
बैठा।
● हनुमान का संजीिनी लेकर आ जाना करुण रस में िीर रस का उदय हो जाने के समान
है |
पहठत पद्यांर् पर आधाररत बहुविकल्पीय प्रश्न
पद्यांर्-1
हकसबी, हकसान-कुल, बननक, नभखारी, भाट,
चाकर, चपल नट, चोर, चार, चेटकी।
पेटको पढ़त, गुन गढ़त, चढ़त नगरर,
अटत गहन-गन अहन अखेटकी ।।
ऊुँचे-नीचे करम, धरम-अधरम करर,
पेट ही को पचत, बेचत बेटा-बेटकी।।
'तुलसी' बुझाइ एक राम घनस्याम ही तें,
आनग बड़िानगतें बड़ी है आनग पेटकी।।

(1) काव्यांर् के अनुसार विद्या प्राप्त करने में लगे लोगों का उद्दे श्य इनमें से क्या है ?
(a) ज्ञानिान बनना (b) समाज में नर्क्षा का बढ़ािा दे ना
(c) जीिन यापन का साधन बनाना (d) सामाजजक बुराइयाुँ दरू करने में सक्षम बनना
(2) 'चढ़तनगरर' के माध्यम से कवि क्या बताना चाहता है ?
(a) लोग योग-साधना के नलए पहाड़ पर चढ़ते हैं ।
(b) लोग औषनधयाुँ खोजने के नलए पहाड़ पर जाते हैं ।
(c) लोग प्राकृ नतक दृश्य का आनंद लेने पहाड़ पर जाते हैं ।
(d) लोग पहाड़ों पर भी आजीविका खोजने के नलए वििर् हैं ।
(3) संसार के सभी लोग काम क्यों करते हैं ?
(a) पेट भरने के नलए (b) आनंद के नलए
(c) खेल के नलए (d) ईश्वर को प्रसन्द्न करने के नलए
(4) ननम्ननलजखत कथन और कारण को ध्यानपूिक
ा पहढ़ए और सही विकल्प चुनकर नलजखए।
कथन (A) : पेट भरने के नलए लोग छोटे बड़े काया करते हैं ।
कारण (R) : पेट की आग समुर की आग से भी भयंकर है ।
a. कथन (A) सही है , कारण (R) गलत है ।
b. कथन (A) सही नहीं है , कारण (R) सही है ।
c. कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही हैं , हकंतु कारण (R) उसकी सही व्याख्या नहीं करता।
d. कथन (A) सही है तथा कारण (R) दोनों सही हैं , कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या
करता है ।

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(5) तुलसीदास के राम हकसके समान कृ पालु है ?
(a) बादलों के समान (b) समुर के समान
(c) जंगलों के समान (d) नदी के समान
उत्तरमाला- (1) (c), (2) (d), (3) (a), (4) (d), (5) (a)
पद्यांर्-2
उहाुँ राम लनछमनहह ननहारी। बोले बचन मनुज अनुसारी।।
अधा रानत गई कवप नहहं आयउ। राम उठाइ अनुज उर लायउ।।
सकहु न दजु खत दे जख मोहह काऊ। बंधु सदा ति मृदल
ु सुभाऊ।।
मम हहत लानग तजेहु वपतु माता। सहे हु वबवपन हहम आतप बाता।।
सो अनुराग कहाुँ अब भाई। उठहु न सुनन मम बच वबकलाई ।।
जौं जनतेउुँ बन बंधु वबछोहू। वपता बचन मनतेउुँ नहहं ओहू ।।

(1) प्रस्तुत पंवक्तयों में हकस भाषा का प्रयोग हुआ है ?


(a) ब्रज (b) हहं दी (c) अिधी (d) संस्कृ त
(2) र्ोकाकुल राम साधारण मनुष्य की तरह क्या करने लगे ?
(a) जोर जोर से पुकारने लगे (b) दश्ु मन को कोसने लगे
(c) लक्ष्मण को गले से लगा नलया (d) सीता-सीता पुकारने लगे
(3) आधी रावत्र बीत जाने पर भी कौन नहीं आया ?
(a) भालू (b) िानर (c) हनुमान जी (d) सुग्रीि जी
(4) ननम्ननलजखत कथन और कारण को ध्यानपूिक
ा पहढ़ए और सही विकल्प चुनकर नलजखए।
कथन (A) : लक्ष्मण का स्िभाि राम के प्रनत सदै ि कोमल और विनम्र रहा है ।
कारण (R) : लक्ष्मण ने माता-वपता को त्याग हदया और राम के साथ जंगल में गए।
a. कथन (A) सही है , कारण (R) गलत है ।
b. कथन (A) सही नहीं है , कारण (R) सही है ।
c. कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही हैं , हकंतु कारण (R) उसकी सही व्याख्या नहीं करता।
d. कथन (A) सही है तथा कारण (R) दोनों सही हैं , कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या
करता है ।
(5) लक्ष्मण ने राम के नलए क्या हकया?
(a) माता-वपता का त्याग (b) िन में नाना प्रकार के कष्टों का सहन
(c) सदै ि हनुमान का साथ दे ते रहे (d) 'क' एिं 'ख' दोनों
उत्तरमाला- (1) (c), (2) (c), (3) (c), (4) (c), (5)(d)

पद्यांर्-3
अब अपलोकु सोकु सुत तोरा। सहहह ननठु र कठोर उर मोरा ।।
ननज जननी के एक कुमारा। तात तासु तुम्ह प्रान अधारा।।
सौंपेनस मोहह तुम्हहह गहह पानी। सब वबनध सुखद परम हहत जानी।।
उतरु काह दै हउुँ तेहह जाई। उहठ हकन मोहह नसखािहु भाई ।।
बहु वबनध सोचत सोच वबमोचन। स्रित सनलल राजजि दल लोचन ।।
उमा एक अखंड रघुराई। नर गनत भगत कृ पालु दे खाई।।
सोरठा
प्रभु प्रलाप सुनन कान, वबकल भए बानर ननकर।
आइ गयउ हनुमान, जजनम करुना मुँह बीर रस।।
(1) लक्ष्मण के जीवित न होने पर राम के हृदय को क्या सहना पड़ता?
(a) अपयर् (b) लक्ष्मण के वियोग का र्ोक
(c) लंका विजय की अधूरी खुर्ी (d) 'क' एिं 'ख' दोनों

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(2) राम के अनुसार लक्ष्मण हकसके प्राणों के आधार थे ?
(a) खुद राम के (b) माता सुनमत्रा के
(c) माता कौर्ल्या के (d) राजा दर्रथ के
(3)' राजीि दल लोचन' में कौन सा अलंकार है ?
(a) अनुप्रास अलंकार (b) यमक अलंकार
(c) रूपक अलंकार (d) उपमा अलंकार
(4) ननम्ननलजखत कथन और कारण को ध्यानपूिक
ा पहढ़ए और सही विकल्प चुनकर नलजखए।
कथन (A) : प्रभु का विलाप सुनकर िालों के समूह व्याकुल हो गए।
कारण (R) : राम के कमल रूपी नेत्रों से आुँसू बहने लगे।
a. कथन (A) सही है , कारण (R) गलत है ।
b. कथन (A) सही नहीं है , कारण (R) सही है ।
c. कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही हैं , हकंतु कारण (R) उसकी सही व्याख्या नहीं करता।
d. कथन (A) सही है तथा कारण (R) दोनों सही हैं , कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या
करता है ।
(5) हकसके आने पर करुण रस में िीर रस का संचार हो गया ?
(a) जामिंत के (b) हनुमान के
(c) िैद्य सुषेण के (d) सीता के

उत्तरमाला- (1) (d), (2) (b), (3) (c), (4) (c), (5) (b)

िणानात्मक प्रश्न -
1. कवितािली में उदधृत छं दों के आधार पर स्पष्ट करें हक तुलसीदास को अपने युग की आनथाक
विषमता की अच्छी समझ है ।
उत्तर :- i) तुलसी ने नलखा है हक उस समय बेरोजगारी ि भुखमरी की समस्या थी।
ii) हकसान, व्यापारी, नौकर, नभखारी सभी बेरोजगार थे।
iii) आम-आदमी बेरोजगारी के कारण नचंनतत था और पेट की आग बुझाने के नलए लोग अच्छे -
बुरे काम करते थे।
iv) उस समय अमीर अनधक अमीर बगरीब अनधक गरीब थे। इससे स्पष्ट है हक तुलसी को अपने
युग की आनथाक विषमता की अच्छी समझ थी।
2. भाई के र्ोक में विह्वल राम की दर्ा का िणान कीजजए।
अथिा
भाई के प्रनत राम के प्रेम पर हटलपणी नलजखए।
उत्तर- i) राम के अनुसार, पुत्र, धन, पत्नी, भिन ि पररिार बार-बार नमल सकते हैं परं तु भाई
नहीं।
ii) भाई के वबना राम अपना जीिन महत्त्िहीन मानते थे। जैस-े वबना पंख के पक्षी, वबना मजण के
साुँप ि वबना सूुँड के हाथी ।
iii) एक पत्नी का स्थान दस
ू री पत्नी ले सकती है , परं तु, भाई का स्थान कोई नहीं ले सकता।
3. र्ोकग्रस्त माहौल में हनुमान के अितरण को करुण रस के बीच िीर रस का आविभााि क्यों
कहा गया है ?
उत्तर- लक्ष्मण को मूजच्छा त दे खकर राम विलाप करने लगे, जजससे पूरी िानर सेना रोने लगी ि
र्ोक का भाि और करुण रस छा गया | इतने में हनुमान के आने ि संजीिनी बूटी लाने के
कारण राम के साथ पूरी िानर सेना में उत्साह का भाि ि िीर रस छा गया। इसनलए करुण रस
के बीच िीर रस का आविभााि कहा गया है ।

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4. भाई के र्ोक में डू बे राम के प्रलाप-िचन में स्त्री के प्रनत कैसा सामाजजक दृवष्टकोण है ? तुलसी
के नारी संबंधी विचार नलजखए!
उत्तर- भाई के र्ोक में डू बे राम के प्रलाप-िचन में नारी सम्बन्द्धी विचार इस प्रकार है –
i) भाई के र्ोक में डू बे राम कहते हैं हक एक पत्नी का स्थान दस
ू री पत्नी ले सकती है . परं तु भाई
का स्थान कोई नहीं ले सकता।
ii) भाई की तुलना में पत्नी कम महत्िपूणा है |
iii) पत्नी की हानन को विर्ेष हानन नहीं माना है ।
5. पेट की आग का र्मन ईश्वर (राम) भवक्त का मेघ ही कर सकता है – तुलसी का यह काव्य
सत्य का इस समय का भी युग-सत्य है ? तका संगत उत्तर दीजजए ।
उत्तर :- तुलसीदास ने ‘कवितािली’ के एक पद में माना है हक ‘पेट की आग’ रामभवक्त रूपी
मेघ ही बुझा सकते हैं । कवि का मानना है हक कमा-फल ईश्वर के अधीन है और प्रकृ नत भी ईश्वर
है | जब प्रकृ नत (ईश्वर) की कृ पा से िषाा होती है और मनुष्य कमा करता है तो अन्द्न पैदा होता
है जजससे पेट की आग का र्मन होता है | अतः यह ितामान युग का भी सत्य है |
6. "धृत कहो : ... िाले छं द में ऊपर से सरल ि ननरीह हदखलाई पड़ने िाले तुलसी की भीतरी
असनलयत एक स्िानभमानी भक्त हृदय की है । इससे आप कहाुँ तक सहमत हैं ?
उत्तर- तुलसीदास ने इस छं द में अपने स्िानभमान को व्यक्त हकया है । िे सच्चे राम भक्त हैं तथा
उन्द्हीं के प्रनत समवपात हैं । िे कहते हैं हक चाहे कोई उन्द्हें धूता कहे या योगी कहे , राजपूत कहे या
जुलाहा कहे , उन्द्हें कोई फरक नहीं पड़ता। िे तो संसार - प्रनसद्ध राम के गुलाम है । िे समाज में
व्याप्त कुरीनतयों का विरोध करते हैं । िे बाहर से सीधे हैं परं तु हृदय में स्िानभमानी भाि को
नछपाए हुए हैं ।
**********************

पाठ-9. रुबाइयाुँ – हिराक गोरखपुरी


मूलभाि-
● रुबाई उदा ू और िारसी का एक छं द या लेखन र्ैली है । इसकी पहली दस
ू री और चौथी
पंवक्त में तुक नमलाया जाता है और तीसरी पंवक्त स्ितंत्र होती है ।
● माुँ अपने बच्चे को आुँगन में खड़ी होकर अपने हाथों में लयार से झुला रही है । िह उसे
बार-बार हिा में उछाल दे ती है जजसके कारण बच्चा जखलजखलाकर हुँ स उठता है ।
● िह उसे साफ पानी से नहलाती है तथा उसके उलझे हुए बालों में कंघी करती है ।बच्चा भी
उसे लयार से दे खता है जब िह उसे कपड़े पहनाती है ।
● दीिाली के अिसर पर र्ाम होते ही पुते ि सजे हुए घर सुंदर लगते है । चीनी नमट्टी के
जखलौने बच्चों को खुर् कर दे ते हैं । िह बच्चों के छोटे घर में दीपक जलाती है जजससे
बच्चों के सुंदर चेहरों पर दमका आ जाती है ।
● आसमान में चाुँद दे खकर बच्चा उसे लेने की जजद पकड़ लेता है । माुँ उसे दपाण में चाुँद
का प्रनतवबंब हदखाती है और उसे कहती है हक दपाण में चांद उत्तर आया है ।
● रक्षाबंधन एक मीठा बंधन है । रक्षाबंधन के कच्चे धागों पर वबजली के लच्छे हैं । सािन
में रक्षाबंधन आता है । सािन का जो संबंध झीनी घटा से है , घटा का जो संबंध वबजली
से है िही संबंध भाई का बहन से है ।

पहठत पद्यांर् पर आधाररत बहुविकल्पीय प्रश्न


आुँगन में नलए चाुँद के टु कड़े को खड़ी
हाथों पे झुलाती है उसे गोद भरी
रह-रह के हिा में जो लोका दे ती है
गूुँज उठती है जखलजखलाते बच्चे की हुँ सी।

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(1) प्रस्तुत कविता के कवि का क्या नाम है ?


(a) र्मर्ेर बहादरु नसंह (b) हफराक गोरखपुरी
(c) गोस्िामी तुलसीदास (d) कुुँिर नारायण
(2)' चांद के टु कडे ' उपमान का प्रयोग हकसके नलए हकया गया है ?
(a) माुँ (b) बच्चे (c) पररिार (d) उपरोक्त सभी
(3) प्रस्तुत काव्यांर् में हकसका िणान हकया गया है ?
(a) माुँ के िात्सल्य भाि का (b) चाुँद की सुंदरता का
(c) मनोहर िातािरण का (d) स्त्री के रूप का
(4) ननम्ननलजखत कथन और कारण को ध्यानपूिक
ा पहढ़ए और सही विकल्प चुनकर नलजखए।
कथन (A) : बच्चा जखलजखला कर हुँ सने लगता है ।
कारण (R) : माुँ उसे हिा में उछाल दे ती है ।
a. कथन (A) सही है , कारण (R) गलत है ।
b. कथन (A) सही नहीं है , कारण (R) सही है ।
c. कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही हैं , हकंतु कारण (R) उसकी सही व्याख्या नहीं करता।
d. कथन (A) सही है तथा कारण (R) दोनों सही हैं , कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या
करता है ।
(5) बच्चे की जखलजखलाहट भरी हुँ सी कहाुँ गूुँज उठती है ?
(a)घर में (b)िातािरण में (c)आंचल में (d) स्िलन में
उत्तरमाला- (1) (b) (2) (b) (3) (a) (4) (d) (5) (b)

िणानात्मक प्रश्न -
1. हफराक की रुबाइयों में नचवत्रत घरे लू जीिन के वबंब स्पष्ट कीजजए।
उत्तर- हफराक की रुबाइयों में नचवत्रत घरे लू जीिन के वबंब इस प्रकार है -
i)माुँ िारा बच्चे को गोद में जखलाने ि उछालकर (लोका दे ना) खुर् करने का वबंब है ।
ii) माुँ दिारा बच्चे को नहलाने, कधी करने ि कपड़े पहनाने का वबंब |
iii) दीिाली की र्ाम का वबंब जजसमें माुँ बच्चे के घरौंदे में हदया जला कर उसे खुर् कर रही है |
iv) बच्चे का चाुँद के नलए जजद्द करना ि माुँ िारा उसे र्ीर्े में बच्चे का चाुँद हदखाकर खुर्
करने का वबम्ब ।
v) रक्षाबंधन का वबम्ब जजसमें भाई- बहन के ररश्ते को बादल ि वबजली के समान अटू ट ि
चमकदार बताया है |
2.र्ायर राखी के लच्छे को वबजली की चमक की तरह कहकर क्या भाि व्यंजजत करना चाहता
है ?
अथिा
हटपण्णी करें - सािन की घटाएुँ ि रक्षाबंधन का वबम्ब
उत्तर- सािन में जजस प्रकार बादल ि वबजली का अट्ट ि चमकदार ररश्ता होता है उसी प्रकार
रक्षाबंधन के पिा पर जब बहन भाई को चमकदार राखी बाुँधती है , तो उनका ररश्ता भी गहरा
अटू ट ि चमकदार हो जाता है । यहाुँ वबजली की चमक की तुलना राखी के चमकदार धागे और
भाई- बहन के चमकदार ि गहरे ररश्ते से की गई |
3. हटलपणी करें - गोदी के चाुँद और गगन के चाुँद का ररश्ता।
उत्तर- माुँ जब अपने बच्चे को गोद में लेती है , तब िह उसे चंरमा के समान सुंदर और आकषाक
लगता है । िह अपने बच्चे पर ममता लुटाती रहती है । माुँ की गोदी में बच्चा जब चाुँद को
दे खता है , तब िह उसे जखलौना मानकर अपने हाथों में लेने के नलए मचल उठता है । लेहकन एक
माुँ के नलए तो उसकी संतान ही चाुँद है , इसनलए माुँ ने बच्चे को आईना हदखाकर कहा हक ले!
दे ख चांद।

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पाठ-10. छोटा मेरा खेत और बगुलों के पंख - उमार्ंकर जोर्ी


छोटा मेरा खेत :-
● कविता में खेती के रूपक िारा काव्य रचना प्रहक्रया को स्पष्ट हकया गया है |
● काव्य की रचना बीज बोने से लेकर पौधे विकनसत होने के विनभन्द्न चरणों से गुजरती है |
● कवि कमा की फसल कालजयी और र्ास्ति होती है |
● कविता का आनंद कभी कम नहीं होता |
● छोटा मेरा खेत का रूपक - खेत- कागज़ का पन्द्ना, रसायन, खाद - कल्पना, पल्लि- कल्पना
के र्ब्द
बगुलों के पंख :-
● काले बादलों पर उड़ती बगुलों की श्वेत पंवक्त का नचत्रण है | यह इतनी सुंदर है हक कवि अपना
सबकुछ भूलकर इसमें खो गया है |
● नचत्रात्मक िणान िारा कवि ने काले बादलों पर उडती बगुलों की श्वेत पंहकत का मनोहारी
िणान हकया है |
● बगुलों की श्वेत पंहकत का दृश्य कवि के हृदय पर अनमट प्रभाि छोड़ता है |
● कवि ने एक ओर काले बादलों पर उड़ती बगुलों की श्वेत पंवक्त का नचत्र अंहकत हकया है |
कवि के अनुसार यह दृश्य उसकी आुँखें चुराए नलए जा रहा है | िह उसे दे खने के लोभ से बच
नहीं पा रहा इसनलए उसे रोकने की गुहार लगाता है
पहठत पद्यांर् पर आधाररत बहुविकल्पीय प्रश्न
छोटा मेरा खेत चौकोना
कागज का एक पन्द्ना,
कोई अंधड़ कहीं से आया
क्षण का बीज िहाुँ बोया गया।
कल्पना के रसायनों को पी
बीज गल गया ननःर्ेष;
र्ब्द के अंकुर फूटे ,
पल्लि-पुष्पों से ननमत हुआ विर्ेष ।
1. प्रस्तुत काव्यांर् में कवि ने हकस खेत की बात की है ?
(अ) मनरूपी खेत (ब) प्रेमरूपी खेत
(स) कागजरूपी खेत (द) हररयालीरूपी खेत
2. कवि ने अपने खेत में कैसा बीज बोया था?
(अ) धान रूपी बीज (ब) र्ब्द रूपी बीज
(स) प्रेमरूपी बीज (द) ये सभी
3. कवि ने अनभव्यवक्त रूपी बीज कहाुँ बोया था?
(अ) खेत में (ब) घर के आुँगन में
(स) छत पर (द) कागज के पृष्ठ पर
4. 'कोई अंधड़ कहीं से आया' पंवक्त में 'अंधड़' र्ब्द हकसके नलए प्रयुक्त हुआ है ?
(अ) अनजान व्यवक्त के नलए (ब) कवि के मन के भािों के नलए
(स) आुँधी के नलए (द) विरोधी व्यवक्त के नलए
5. कवि कौनसा रसायन डालता है ?
(अ) यूररया का (ब) र्ब्दों का (स) कल्पना का (द) भािों का
उत्तरमाला-
1 2 3 4 5
स ब द ब स
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अनभकथन –तका सम्बन्द्धी प्रश्न -
1.अनभकथन (A) – कवि के िारा खेत में हकसी अंधड़ अथाात भािनात्मक आुँधी के प्रभाि से
हकसी क्षण एक बीज बोया जाता है ।
कारण (R) - यह बीज रचना, विचार और अनभव्यवक्त का हो सकता है ।
(क). अनभकथन (A) सही है जबहक कारण (R) गलत है ।
(ख). अनभकथन (A) गलत है जबहक कारण (R) सही है ।
(ग). अनभकथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा R, A की व्याख्या करता है ।
(घ). अनभकथन(A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा R,A की व्याख्या नहीं करता है ।
2.अनभकथन (A)- कवि काले बादलों में उड़ते बगुलों को रोक कर रखने की गुहार लगाता है |
कारण (R) - उसकी सुंदरता का आनंद लेना चाहता है |
(क). अनभकथन (A) सही है जबहक कारण (R) गलत है ।
(ख). अनभकथन (A) गलत है जबहक कारण (R) सही है ।
(ग). अनभकथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा R, A की व्याख्या करता है ।
(घ). अनभकथन(A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा R,A की व्याख्या नहीं करता है ।
3.अनभकथन (A) - कवि को कागज का पन्द्ना एक चौकोर खेत की तरह लगता है ।
कारण (R) - जजसमें िह कविता नहीं नलखता है |
(क). अनभकथन (A) सही है जबहक कारण (R) गलत है ।
(ख). अनभकथन (A) गलत है जबहक कारण (R) सही है ।
(ग). अनभकथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा R, A की व्याख्या करता है ।
(घ). अनभकथन(A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा R,A की व्याख्या नहीं करता है ।
4.अनभकथन (A)- कवि काले बादलों से भरे आकार् में पंवक्त बनाकर उड़ते सफेद बगुलों को
दे खता है ।
कारण (R) - िे कजरारे बादलों के ऊपर तैरती साुँझ की श्वेत काया के समान प्रतीत होते हैं ।
(क). अनभकथन (A) सही है जबहक कारण (R) गलत है ।
(ख). अनभकथन (A) गलत है जबहक कारण (R) सही है ।
(ग). अनभकथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा R, A की व्याख्या करता है ।
(घ). अनभकथन(A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा R,A की व्याख्या नहीं करता है ।
उत्तरमाला- 1. (ग), 2. (ग), 3. (क) , 4. (ग)
िणानात्मक प्रश्न-
1.छोटे चौकोने खेत को कागज़ का पन्द्ना कहने में क्या अथा ननहहत है ?
उत्तर:- कवि अपने कवि- कमा को हकसान के कृ वष कमा जैसा ही बताता है । कवि कहते हैं हक मैं
भी एक प्रकार का हकसान हूुँ। हकसान के खेत के समान उसके पास चौकोर कागज का पन्द्ना है ।
जैसे हकसान जमीन पर बीज, खाद, जल डालता है उसी प्रकार मैं कागज़ पर र्ब्द, भाि बोता
हूुँ। उसके बाद अनाज, फल-फूल की तरह कविता पुजष्पत पल्लवित होती है , इस प्रकार कवि
काव्य-रचना रूपी खेती के नलए कागज़ के पन्द्ने को अपना चौकोना खेत कहते हैं ।
2. रचना के संदभा में अंधड़ और बीज क्या हैं ?
उत्तर:- रचना के संदभा में अुँधड़ का आर्य भािनात्मक आुँधी से है जो हकसी के मन में
अचानक हकसी िस्तु, व्यवक्त, भाि, जस्थनत को दे खकर उत्पन्द्न होती है जैसे क्रौंच पक्षी के करूण
विलाप को सुनकर िाल्मीहक के मन में काव्य उत्पन्द्न हुआ। बीज का आर्य उस रचना, विचार
और अनभव्यवक्त से है , जब कोई विषय कवि के मन को कुरे दता है और िह अनभव्यवक्त के नलए
व्याकुल हो उठता है ।
3. रस का अक्षयपात्र से कवि ने रचनाकमा की हकन विर्ेषताओं की ओर इं नगत हकया है ?
उत्तर:- कवि ने रचनाकमा अथाात ् कविता को रस को अक्षयपात्र कहा है । काव्य का आनंद हदव्य
ि कालजयी होता है । कविता में ननहहत सौंदया, रस और भाि न तो कम होता है , न नष्ट होता
है । ये हमेर्ा मीठे सोते की तरह तृनप्त, सुख एिं आनन्द्द प्रदान करता है ।

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4. व्याख्या करें -
र्ब्द के अंकुर फूटे ,
पल्लि-पुष्पों से ननमत हुआ विर्ेष।
उत्तर:- 'छोटा मेरा खेत' में खेती के रूपक िारा काव्य-रचना प्रहक्रया को स्पष्ट हकया गया है ।
जजस प्रकार धरती में बीज बोया जाता है और िह बीज विनभन्द्न रसायनों हिा, पानी, आहद को
पीकर तथा विनभन्द्न चरणों से गुजरकर बड़ा होता है उसी प्रकार जब कवि को हकसी भाि का
बीज नमलता है तब कवि उसे आत्मसात करता है । उसके बाद बीज में से र्ब्दरुपी अंकुर फूटते
है । उसमे विर्ेष भािों के पत्ते और फूल पनपते हैं तत्पश्चात कविता का जन्द्म होता है ।
रोपाई क्षण की,
कटाई अनंतता की
लुटते रहने से ज़रा भी नहीं कम होती।
उत्तर:- साहहजत्यक कृ नत से जो अलौहकक रस-धारा है , उसमें ननहहत सौंदया, रस और भाि न तो
कम होता है , न नष्ट होता है । उसका बीज तो क्षणभर में बोया जाता है हकन्द्तु उस रोपाई
पररणाम यह होता है हक यह रस-धारा अनंत काल तक चलने िाली कटाई के रूप में आनंद दे ता
रहता है , जजतना लोग उसका सुख उठाते है उतना ही यह बढ़ता है ।
5.'छोटा मेरा खेत' कविता में कवि ने खेत को रस का अक्षय पात्र क्यों कहा है ?
उत्तर- कवि ने खेत को रस का अक्षय पात्र इसनलए कहा है क्योंहक अक्षय पात्र में रस कभी
खत्म नहीं होता। उसके रस को जजतना बाुँटा जाता है , उतना ही िह भरता जाता है । खेत की
फसल कट जाती है , परं तु िह हर िषा हफर उग आती है । कविता का रस भी नचरकाल तक
आनंद दे ता है । यह सृजन-कमा की र्ाश्वतता को दर्ााता है ।
6. 'छोटा मेरा खेत' कविता का रूपक स्पष्ट कीजजए ?
उत्तर- इस कविता में कवि ने कवि-कमा को कृ वष के काया के समान बताया है । जजस तरह कृ षक
खेत में बीज बोता है , हफर िह बीज अंकुररत, पल्लवित होकर पौधा बनता है तथा हफर िह
पररपक्ि होकर जनता का पेट भरता है । उसी तरह भािनात्मक आुँधी के कारण हकसी क्षण एक
रचना, विचार तथा अनभव्यवक्त का बीज बोया जाता है । यह विचार कल्पना का सहारा लेकर
विकनसत होता है तथा रचना का रूप ग्रहण कर लेता है । इस रचना के रस का आस्िादन
अनंतकाल तक नलया जा सकता है । साहहत्य का रस कभी समाप्त नहीं होता।
7.कविता लुटने पर भी क्यों नहीं नमटती या खत्म होती?
उत्तर- यहाुँ लुटने से आर्य बाुँटने से है । कविता का आस्िादन अनेक पाठक करते हैं । इसके
बािजूद यह खत्म नहीं होती क्योंहक कविता जजतने अनधक लोगों तक पहुुँचती है उतना ही
अनधक उस पर नचंतन हकया जाता है । िह र्ाश्वत हो जाती है ।
8.'बीज गल गया ननःर्ेष' से क्या तात्पया है ?
उत्तर- इसका अथा यह है हक जब तक कवि के मन में कविता का मूल भाि पूणत
ा या समा नहीं
जाता, तब तक िह ननजता (अहं ) से मुक्त नहीं हो सकता। कविता तभी सफल मानी जाती है ,
जब िह समग्र मानि जानत की भािना को व्यक्त करती है । कविता को सािाजननक बनाने के
नलए कवि का अहं नष्ट होना आिश्यक है ।
9.'बगुलों के पंख' कविता का प्रनतपाद्य बताइए।
उत्तर- यह सुंदर दृश्य कविता है । कवि आकार् में उड़ते हुए बगुलों की पंवक्त को दे खकर तरह-
तरह की कल्पनाएुँ करता है । ये बगुले कजरारे बादलों के ऊपर तैरती साुँझ की सफेद काया के
समान लगते हैं । कवि को यह दृश्य अत्यंत सुंदर लगता है । िह इस दृश्य में अटककर रह जाता
है । एक तरफ िह इस सौंदया से बचना चाहता है तथा दस
ू री तरफ िह इसमें बुँधकर रहना
चाहता है ।
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गद्य खंड
पाठ-11 भवक्तन -महादे िी िमाा
पाठ का सार- भवक्तन महादे िी जी का प्रनसद्ध संस्मरणात्मक रे खानचत्र है जो स्मृनत की रे खाएुँ में संकनलत
है | इसमें लेजखका ने अपनी सेविका भवक्तन के अतीत और ितामान का पररचय दे ते हुए व्यवक्तत्ि का
नचत्रण हकया है | लेजखका के घर में काम करना र्ुरू करने से पहले भवक्तन ने संघषार्ील ि स्िानभमानी
जीिन जजया और जीिन की राह बदलने का ननणाय नलया | उसके जीिन को महादे िी ने चार पररच्छे द
(भागों) में बाुँटा है |
प्रथम पररच्छे द में सौतेली माता के कहने पर उसके वपता िारा उसका कम उम्र में वििाह करने, विमाता
िारा जायदाद पाने की लालसा के कारण लक्ष्मी के वपता के गंभीर रूप से बीमार होने पर भी सूचना नहीं
दे ने ि वपता की मृत्यु के बाद विमाता िारा लक्ष्मी से बुरा व्यिहार करने का िणान है |
दस
ू रे पररच्छे द में लक्ष्मी(भवक्तन) िारा तीन बेहटयों को जन्द्म दे ने के कारण उसकी सास ि जेठाननयों िारा
उसकी उपेक्षा करने, उसके पनत ि बड़े दामाद की मृत्यु का िणान है |
तीसरे पररच्छे द में पंचों िारा उसकी बेटी की जबरन र्ादी के बाद जमींदार िारा अपमाननत होने पर कमाई
के उद्दे श्य से उसके र्हर आने का िणान है |
अंनतम पररच्छे द में गाुँि से र्हर आकर भवक्तन के महादे िी के घर रहकर काम करने, भवक्तन की सेिा-
भािना, उसके गुण-दोषों और महादे िी से अटू ट सम्बन्द्ध का िणान है |
भवक्तन लेजखका को ग्रामीण भोजन जखलाती है , परन्द्तु खुद र्हर का रसगुल्ला नहीं खाती और महादे िी को
दे हाती बना दे ती है | लेजखका िारा गुणों के साथ-साथ भवक्तन के दग
ु ण
ुा ों के बारे में िणान हकया गया है |
जैसे - पूरा सच न बोलना, पैसे नछपाना,बात बदलकर कहना, जजद्दी होना आहद |
भवक्तन िारा र्ास्त्र की बातों को अपने अनुसार बदलने के सन्द्दभा में बाल मुुँडिाने के उदाहरण का िणान |
भवक्तन के स्ितंत्र व्यवक्तत्त्ि की तुलना आुँगन के अुँधेरे-उजाले,गुलाब ि आम से करना |
भवक्तन की सहज बुवद्ध ि कवियों के बारे में राय का िणान है |
लेजखका को कारागार भेजने की बात पर भवक्तन िारा साथ जाने की जजद्द करना और अधूरा पर मानमाक
अंत होना |
पहठत गद्यांर्ों पर बहुविकल्पीय प्रश्न
गद्यांर् – 1
सेिक-धमा में हनुमान जी से स्पद्धाा करने िाली भवक्तन हकसी अंजना की पुत्री न होकर एक अनामधन्द्या
गोपानलका की कन्द्या है -नाम है लछनमन अथाात लक्ष्मी। पर जैसे मेरे नाम की विर्ालता मेरे नलए दि
ु ह
ा है ,
िैसे ही लक्ष्मी की समृवद्ध भवक्तन के कपाल की कुंनचत रे खाओं में नहीं बुँध सकी। िैसे तो जीिन में प्रायः
सभी को अपने-अपने नाम का विरोधाभास लेकर जीना पड़ता है ; पर भवक्तन बहुत समझदार है , क्योंहक
िह अपना समृवद्ध-सूचक नाम हकसी को बताती नहीं। केिल जब नौकरी की खोज में आई थी, तब
ईमानदारी का पररचय दे ने के नलए उसने र्ेष इनतिृत्त के साथ यह भी बता हदया; पर इस प्राथाना के साथ
हक मैं कभी नाम का उपयोग न करूुँ | उपनाम रखने की प्रनतभा होती, तो मैं सबसे पहले उसका प्रयोग
अपने ऊपर करती, इस तथ्य को िह दे हानतन क्या जाने, इसी से जब मैंने कंठी माला दे खकर उसका नया
नामकरण हकया तब िह भवक्तन जैसे कवित्िहीन नाम को पाकर भी गद्गद हो उठी।
क. हकसकी दर्ा अपने नाम से वबल्कुल मेल नहीं खाती थी ?
1.लेजखका की 2. भवक्तन की
3.जेठानी की 4.सास की
ख. ‘अनामधन्द्य गोपानलका की कन्द्या’ संबोधन हकसके नलए प्रयोग हकया गया है ?
1.धन की दे िी 2. महादे िी
3.भवक्तन 4. लेजखका
ग. भवक्तन के सेिक धमा की तुलना ..........से की गई है ।
1.हनुमान जी 2. लक्ष्मण जी 3.तुलसीदास जी 4. बाल्मीहक जी

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घ. कथन (A) भवक्तन अपना असली नाम हकसी को नहीं बताती थी।
कारण (R) भवक्तन का नाम समृवद्ध- सूचक था।
1.कथन(A) और कथन (R) दोनों सही है तथा कारण (R)कथन (A) की सही व्याख्या करता है ।
2.कथन (A) गलत है परं तु कारण (R) सही है ।
3.कथन (A) तथा कारण (R) दोनों गलत है ।
4.कारण (A) सही है , परं तु कारण (R) उसकी गलत व्याख्या करता है ।
ङ. गद्यांर् के आधार पर ननम्ननलजखत कथनों पर विचार कीजजए
1. लक्ष्मी के जीिन में उसके नाम का विरोधाभास था।
2. भवक्तन ने लेजखका को अपना असली नाम कभी नहीं बताया।
3. भवक्तन ने लेजखका से उसे िास्तविक नाम से न पुकारने की प्राथाना की।
4. उपरोक्त कथनों में से कौन- सा/से सही है /हैं ?
1. केिल 1 2. केिल 2
3. 1 और 2 4. 1 और 3
उत्तर
क. 2. भवक्तन की
ख. 3.भवक्तन
ग. 1. हनुमान जी
घ. 4. कथन (A) सही है , परं तु कारण(R) उसकी गलत व्याख्या करता है ।
ङ 4. 1 और 3

गद्यांर् – 2
भवक्तन और मेरे बीच में सेिक- स्िामी का संबंध है , यह कहना कहठन है ; क्योंहक ऐसा कोई स्िामी नहीं हो
सकता, जो इच्छा होने पर भी सेिक को अपनी सेिा से हटा न सके और ऐसा कोई सेिक भी नहीं सुना
गया, जो स्िामी के चले जाने का आदे र् पाकर अिज्ञा से हुँ स दे । भवक्तन को नौकर कहना उतना ही
असंगत है , जजतना अपने घर में बारी-बारी से आने-जाने िाले अुँधेरे-उजाले और आुँगन में फूलने िाले
गुलाब और आम को सेिक मानना। िे जजस प्रकार एक अजस्तत्ि रखते हैं , जजसे साथाकता दे ने के नलए ही
हमें सुख-दख
ु दे ते हैं , उसी प्रकार भवक्तन का स्ितंत्र व्यवक्तत्ि अपने विकास के पररचय के नलए ही मेरे
जीिन को घेरे हुए हैं ।

प्र.(1) भवक्तन ि महादे िी के बीच क्या संबंध है ?


(क) सेिक-स्िामी (ख) आत्मीय सम्बन्द्ध
(ग) मालहकन-नौकरानी (घ) कोई सम्बन्द्ध नहीं
प्र.(2) महादे िी भवक्तन को अपनी सेविका क्यों नहीं मानती थी ?
(क) हदखािे के कारण (ख) दस
ू री सेविका न नमलने के कारण
(ग) आपसी प्रेम ि आत्मीय सम्बन्द्ध के कारण (घ) कम पैसा दे ने के कारण
प्र.(3) भवक्तन महादे िी िारा चले जाने का आदे र् पाकर क्या करती ?
(क) अिज्ञा से हुँ स दे ती थ (ख) बुरा मानकर नाराज़ हो जाती थी
(ग) छोड़कर चली जा (घ) महादे िी ऐसा आदे र् दे ती ही नहीं थी
प्र.(4) कथन (A) भवक्तन अपना असली नाम हकसी को नहीं बताती थी।
कारण (R) भवक्तन का असली नाम समृवद्ध- सूचक था।
(क) कथन(A) और कथन (R) दोनों सही है तथा कारण (R)कथन (A) की सही व्याख्या करता है ।
(ख) कथन (A) गलत है परं तु कारण (R) सही है ।
(ग)कथन (A) तथा कारण (R) दोनों गलत है ।
(घ)कारण (A) सही है , परं तु कारण (R) उसकी गलत व्याख्या करता है ।
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प्र.(5). गद्यांर् के आधार पर ननम्ननलजखत कथनों पर विचार कीजजए
(अ)लक्ष्मी के जीिन में उसके नाम का विरोधाभास था।
(ब)भवक्तन ने लेजखका को अपना असली नाम कभी नहीं बताया।
(स)भवक्तन ने लेजखका से उसे िास्तविक नाम से न पुकारने की प्राथाना की।
(द)उपरोक्त कथनों में से कौन- सा/से सही है /हैं ?
क. केिल अ ख. केिल ब
ग. अ और ब घ. अ और स
उत्तरमाला -1 ख, 2 ग, 3 क, 4 घ , 5 घ
गद्यांर् – 3
मेरे पररनचतों और साहहजत्यक बंधुओं से भी भवक्तन विर्ेष पररनचत है ; पर उनके प्रनत भवक्तन के सम्मान
की मात्रा, मेरे प्रनत उनके सम्मान की मात्रा पर ननभार है और सद्भाि उनके प्रनत मेरे सदभाि से ननजश्चत
होता है । इस संबंध में भवक्तन की सहजबुवद्ध विजस्मत कर दे ने िाली है ।
िह हकसी को आकार-प्रकार और िेर्-भूषा से स्मरण करती है और हकसी को नाम के अपभ्रंर् िारा | कवि
और कविता के संबंध में उसका ज्ञान बढ़ा है ; पर आदर-भाि नहीं। हकसी के लंबे बाल और अस्त-व्यस्त
िेर्-भूषा दे खकर िह कह उठती है - 'का ओहू कवित्त नलखे जानत हैं और तुरंत ही उसकी अिज्ञा प्रकट हो
जाती है - तब ऊ कुच्छौ कररहै -धररहैं ना-बस गली-गली गाउत-बजाउत हफररहैं ।
प्र.(1) भवक्तन हकनसे विर्ेष पररनचत हैं ?
(क) अपने पररनचतों ि साहहजत्यक बंधुओं से
(ख) लेजखका के पररनचतों ि साहहजत्यक बंधुओं से
(ग) केिल सभी कवियों से
(घ) उपयुक्त
ा सभी से
प्र.(2) आगंतुकों के प्रनत सद्भाि का भवक्तन के नलए आधार था –
(क) आगंतुकों का सद्भाि (ख) भवक्तन का स्ियं का सद्भाि
(ग) लेजखका का सद्भाि (घ) उपयुक्त
ा सभी
प्र.(3) ‘भवक्तन लेजखका के घर आने िाले पररनचतों ि साहहत्यकारों को उतना ही सम्मान दे ती थी जजतना
िे लेजखका को सम्मान दे ते थे’- इसमें भवक्तन के हकस गुण का पता चलता है ?
(क) स्िानभमानी (ख) सहज बुवद्ध
(ग) सेिा-भािना (घ) काया-कुर्ल
प्र.(4) भवक्तन पररनचतों ि साहहजत्यक बंधओ
ु ं को कैसे स्मरण करती थी ?
(क) आकार-प्रकार से (ख) िेर्भूषा से
(ग) नाम के अपभ्रंर् से (घ) उपयुक्त
ा सभी
प्र.(5) गद्यांर् के आधार पर ननम्ननलजखत कथनों पर विचार कीजजए
(I) भवक्तन के प्रनत सम्मान की मात्रा मेरे पररनचतों और साहहजत्यक बंधओ
ु ं के सम्मान की मात्रा
पर ननभार है ।
(II) भवक्तन की सहजबुवद्ध अपररयोज्य हो जाती है , क्योंहक िह केिल आकार-प्रकार और िेर्-भूषा
के माध्यम से ही उन्द्हें स्मरण करती है ।
(III) भवक्तन को कवि और कविता के संबंध में ज्ञान है ,और आदर-भाि है ।
(IV) जब भवक्तन हकसी के लंबे बाल और अस्त-व्यस्त िेर्-भूषा को दे खती है , तो िह उसकी
अिज्ञा प्रकट करती है और उसके विरुद्ध आिाज उठाती है ।
(क) (I) ि (II) (ख) (II) (III)
(ग) (III) (IV) (घ) (II) (IV)

उत्तरमाला -1 क, 2 ग, 3 ख, 4 घ, 5 घ

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िणानात्मक प्रश्न-
प्र.(1) भवक्तन अपना िास्तविक नाम लोगों से क्यों छुपाती थी ? भवक्तन को यह नाम हकसने और क्यों
हदया होगा ?
उत्तर -भवक्तन का िास्तविक नाम लक्ष्मी था जजसका अथा है - धन की दे िी ि सुख-समृवद्ध से भरपूर |
भवक्तन को यह नाम उसके माता-वपता ने यह सोचकर हदया होगा हक उसका जीिन सुख-समृवद्ध से भरा
रहे | भवक्तन अपना िास्तविक नाम लोगों से इसनलए छुपाती थी क्योंहक नाम के अनुसार उसके जीिन में
सुख-समृवद्ध नहीं थी और उसका जीिन गरीबी ि दख
ु ों से भरा था और लोग उसका उपहास न करें |

प्र.(2) तीन कन्द्या-रत्न पैदा करने पर भवक्तन पुत्र-महहमा में अंधी अपनी जजठाननयों िारा घृणा ि उपेक्षा
का नर्कार बनी | ऐसी घटनाओं से ही अकसर यह धारणा चलती है हक स्त्री ही स्त्री की दश्ु मन होती है |
क्या इससे आप सहमत हैं ?
उत्तर -इस कहानी में ननम्ननलजखत घटनाओं से पता चलता है हक स्त्री ही स्त्री की दश्ु मन है -
विमाता (सौतेली माता)- विमाता के कहने पर उसकी जल्दी र्ादी कर दी गई | विमाता ने उसके वपता की
मृत्यु के बाद जाने पर उसे अपमाननत हकया ि बुरा व्यिहार हकया
सास- तीन बेहटयों को जन्द्म दे ने के कारण उसकी सास उसे उनचत सम्मान नहीं दे ती थी |
जजठाननयाुँ- जजठाननयाुँ ि उनके लड़के कोई काम नहीं करते बजल्क घर और खेत का काम लक्ष्मी और
उसकी बेहटयाुँ करती थीं | हफर भी लक्ष्मी और उसकी बेहटयों को पौवष्टक भोजन नहीं नमलता था |
प्र.(3) भवक्तन की बेटी पर पंचायत िारा ज़बरन पनत थोपा जाना एक दघ
ु ट
ा ना भर नहीं, बजल्क वििाह के
सन्द्दभा में स्त्री के मानिानधकार (वििाह करें या न करें अथिा हकससे करें ) इसकी स्ितंत्रता को कुचलते
रहने की सहदयों से चली आ रही सामाजजक परं परा का प्रतीक है |कैसे ?
उत्तर -एक हदन भवक्तन को घर में न पाकर उसके जेठ के बड़े लड़के का साला भवक्तन की बेटी की कोठरी
में घुस गया, तो भवक्तन की बेटी ने उसे अच्छी तरह पीटा | जेठ के बड़े लड़के ि उसके समथाकों ने पंचों को
बुलाया | तब उस युिक ने झूठ बोला हक इस लड़की ने मुझे बुलाया था | पंचायत ने उन्द्हें पनत-पत्नी की
तरह रहने का फैसला सुनाया और भवक्तन की बेटी की बात न सुनी | ऐसा हमारे समाज में सहदयों से चला
आ रहा है | इससे स्पष्ट है हक सामाजजक परं परा की आड़ में वििाह के सन्द्दभा में स्त्री के मानिानधकार ि
स्ितंत्रता को कुचला जा रहा है |
प्र.(4)“भवक्तन अच्छी है , यह कहना कहठन होगा, क्योंहक उसमें दग
ु ण
ुा ों का अभाि नहीं” लेजखका ने ऐसा
क्यों कहा होगा ?
उत्तर -भवक्तन अच्छी है पर उसमें दग
ु ण
ुा ों का अभाि नहीं, लेजखका ने ऐसा इसनलए कहा क्योंहक–
िह पूरा सच नहीं बोलती थी बजल्क झूठ बोल जाती थी | लेजखका के इधर-उधर पड़े पैसों को भण्डार घर
की मटकी में नछपाकर रखती थी | इस पर संकेत करने पर िह तका-वितका करती थी | लेजखका के क्रोध से
बचने के नलए बातों को बदलकर कह दे ती थी | िह दस
ू रों को अपने अनुसार बदल लेती थी परन्द्तु स्ियं
वबलकुल भी नहीं बदलती थी|
प्र.(5) भवक्तन िारा र्ास्त्र के प्रश्न को सुविधा से सुलझा लेने का क्या उदाहरण लेजखका ने हदया है ?
उत्तर -र्ास्त्र का प्रश्न भवक्तन अपनी सुविधा के अनुसार सुलझा लेती थी | िह प्रत्येक गुरूिार को नाई को
बुलाकर उसके उस्तरे पर गंगाजल नछड़ककर अपने बाल मुुँडिाती थी | लेजखका िारा इस बारे में पूछने पर
िह (भवक्तन) कहती थी की र्ास्त्रों में नलखा है – ‘तीरथ गए मुुँडाए नसद्ध |’ भवक्तन िारा र्ास्त्र के प्रश्न को
सुविधा से सुलझा लेने का यह उदाहरण लेजखका ने हदया है |
प्र.(6) भवक्तन के आ जाने से महादे िी अनधक दे हाती कैसे हो गई ?
उत्तर -भवक्तन के आ जाने से महादे िी अनधक दे हाती हो गई थी क्योंहक–
भवक्तन लेजखका को ग्रामीण भोजन जखलाती थी जैसे –ज्िार के भुट्टे के हरे दानों की जखचड़ी,सिेद महुए
की लपसी आहद | िह उसे रात का बासी भोजन जखला दे ती थी, यह कहकर हक मकई का रात को बना
दनलया सिेरे मट्ठे से अच्छा लगता है और नतल के पुए ठं डे अच्छे लगते हैं | लेजखका की साड़ी को इस
तरह तह करती थी हक िह सलिटों से भर जाती थी |
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प्र.(7) लेजखका और भवक्तन के नामों में क्या विरोधाभास है ?


उत्तर -दोनों का ही नाम के अनुसार जीिन नहीं था | महादे िी के समान भवक्तन के नाम में भी विरोधाभास
था –
लक्ष्मी (अथा – सुख,धन से भरपूर) – िास्ति में गरीब ि संघषापूणा जीिन
महादे िी (अथा – महान दे िी) – िास्ति में िे अपने जीिन और व्यवक्तत्ि को महान ि उदार नहीं मानती
थी |
प्र.(8) भवक्तन की विर्ेषताएुँ नलजखए |
उत्तर -भवक्तन की विर्ेषताएुँ ननम्ननलजखत हैं –
िह मेहनती ि स्िानभमानी महहला थी |
उसमें संघषार्ीलता का गुण था |
उसमें सेिा-भािना, त्याग और समपाण की भािना थी |
िह अन्द्याय की विरोधी थी |
अन्द्य गुण – स्नेह ि सहानुभूनत िाली, सहज बुवद्ध िाली, महादे िी के प्रनत आदर भाि ।

**********
पाठ-12 बाज़ार दर्ान -जैनेन्द्र कुमार

पाठ का सार- इस ननबन्द्ध में जैनेन्द्र कुमार अपने पररनचतों, नमत्रों से जुड़े अनुभि बताते हुए समझाते हैं
हक बाज़ार की जादई
ु ताकत कैसे हमें अपना गुलाम बना लेती है | अगर वबना ज़रूरत तय हकए बाज़ार गए
तो उसकी चमक-दमक में फुँस जाएुँगे
पचेजज़ंग पािर का अथा है वबना आिश्यकता के पैसे के अनुसार सामान खरीदने की ताकत या क्षमता का
हदखािा जजसमें मनुष्य गैर-ज़रूरी चीज़ें खरीद लेता है | बाज़ार के आमंत्रण में आग्रह नहीं होता और िह
चुपचाप हमें अपनी ओर आकवषात कर लेता है | इससे मनुष्य के मन में एक चाह जगती है जजससे अभाि
उत्पन्द्न होता है |
लेखक ने बाज़ार के जाद ू को रूप का जाद ू कहा है क्योंहक जब हम बाज़ार में चीज़ों को दे खते हैं तो हम
उनकी ओर आकवषात हो जाते हैं और उन्द्हें खरीद लेते हैं |जब मन खाली हो और जेब खाली या भरी हो तो
बाज़ार का जाद ू चलता है |जब बाज़ार का जाद ू चढ़ता है तो मनुष्य को लगता है हक यह भी ले लूुँ, िह भी
ले लूुँ | िह उनकी ओर चुम्बक की तरह जखंचा चला जाता है | सभी सामान ज़रूरी और आराम को बढ़ाने
िाले मालूम होते हैं | जब बाज़ार का जाद ू उतरता है तो फैंसी चीज़ों की बहुतायत आराम में खलल (बाधा)
डालने िाली महसूस होती है |
बाज़ार के जाद ू से बचने का सीधा-सा उपाय है हक जब भी बाज़ार जाओ तो मन खाली न हो बजल्क भरा हो|
आिश्यकता के समय काम आना ही बाज़ार की असली साथाकता है |
लेखक ने मन पर ननयंत्रण के सम्बन्द्ध में भगत जी का उदाहरण दे कर कहा है हक उनका चूरन प्रनसद्ध
है लेहकन जब छः आने (24 पैस)े िो कमा लेते थे तो बाकी चूरन बच्चों को मुफ़्त दे दे ते थे |
भगत जी की विर्ेषताएुँ - उनका मन पर ननयंत्रण था और िे संयमी थे | उनका मन अहडग रहता था |
बाज़ार जाने पर उनका मन भरा होता था | पैसे की व्यंग्य-र्वक्त का उन पर कोई असर नहीं होता था |
उनकी आिश्यकताएुँ तय होती थीं | उनकी आुँखें खुली और मन भरा था यानी िे बाज़ार में सारी चीजें
दे खकर खुर् होते हैं परन्द्तु खरीदते िही हैं जो ज़रूरी हो | लेखक के अनुसार बाज़ार को साथाकता और
सच्चा लाभ भगत जी जैसे लोग ही दे सकते हैं |
जजन मनुष्यों की आिश्यकताएुँ तय नहीं होती िे पचेजज़ंग पािर के गिा से बाज़ार में पैसे की विनार्क
र्वक्त, व्यंग्य-र्वक्त से होड़ उत्पन्द्न कर उसका अहहत करते हैं | ये लोग बाज़ारुपन को बढ़ाते हैं |
बाज़ारुपन – ग्राहक ि दक
ु ानदार के बीच कपट का बढ़ना और सद्भाि का घटना बाज़ारुपन है |
लेखक ने अथार्ास्त्र को अनननतर्ास्त्र और मायािी र्ास्त्र कहा है |

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पहठत गद्यांर्ों पर बहुविकल्पीय प्रश्न


गद्यांर् – 1
बाज़ार आमंवत्रत करता है हक आओ मुझे लूटो और लूटो | सब भूल जाओ, मुझे दे खो। मेरा रूप और
हकसके नलए है ? मैं तुम्हारे नलए हूुँ। नहीं कुछ चाहते हो, तो भी दे खने में क्या हरज़ है । अजी आओ भी।
इस आमंत्रण में यह खूबी है हक आग्रह नतरस्कार जगाता है । लेहकन ऊुँचे बाज़ार का आमंत्रण मूक होता है
और उससे एकदम चाह जगती है । चाह मतलब अभाि। चौक बाजार में खड़े होकर आदमी को लगने
लगता है हक उसके अपने पास काफी नहीं है और चाहहए, और चाहहए। मेरे यहाुँ हकतना पररनमत है . और
यहाुँ हकतना अतुनलत है ओह! कोई अपने को न जाने तो बाज़ार का यह चौक उसे कामना से
विकल बना छोड़े विकल क्यों पागल असंतोष, तृष्णा और ईष्याा से घायल करके मनुष्य को सदा
के नलए यह बेकार बना डाल सकता है ।
प्र.(1) बाज़ार के आमंत्रण का स्िरुप क्या है ?
(क) बाज़ार अपना स्िरुप हदखाना चाहता है
(ख) बाज़ार नतरस्कार करना चाहता है
(ग) बाज़ार नए उत्पादों से हमें अिगत करिाना चाहता है
(घ) बाज़ार अनधक से अनधक चीज़ें खरीदने के नलए आमंवत्रत करता है
प्र.(2) ननम्ननलजखत कथनों पर विचार करते हुए गद्यांर् के अनुसार सही कथन का चयन
कीजजए-
(क) जब मनुष्य बेचैन हो जाता है तब िह बाज़ार की ओर उन्द्मुख हो जाता है ।
(ख)जब मनुष्य तुलना करने लगता है तब असंतोष, तृष्णा और ईष्याा के भाि मनुष्य में उभरते
हैं ।
(ग)जब मनुष्य को बाज़ार आमंवत्रत करता है तब मनुष्य की व्याकुलता इसका कारण होती है ।
(घ)जब मनुष्य बाज़ार का नतरस्कार करता है तब िह इसका सही लाभ ले पाता है ।
प्र.(3) कॉलम 1 को कॉलम 2 से सुमेनलत कीजजए और सही विकल्प चुनकर नलजखए।
कॉलम 1 कॉलम 2
1 आग्रह का नतरस्कार जागता (i) मौन रहकर काया करना
2 बड़े बाज़ार का जाद ू (ii) अपनी तृष्णा को रोकना
3 बाज़ार के जाद ू से बचने का उपाय (iii) इच्छा पूणा ना होना

(क) 1- (iii), 2-(i), 3-(ii) (ख) 1- (i), 2-(iii), 3-(ii)


(ग) 1- (i), 2-(ii), 3-(iii) (घ) 1- (ii), 2-(i), 3-(iii)
प्र.(4) मूक आमंत्रण कौनसा काया करता है ?
(क) ग्राहक में चाह जगाने का (ख) आपसी प्रेम बढ़ाने का
(ग) ग्राहक ि दक
ु ानदार में िैमनस्य पैदा करने का
(घ) ग्राहक के मन में ख़ुर्ी उत्पन्द्न करने का
प्र.(5) बाज़ार के आमंत्रण की क्या विर्ेषता है ?
(क) यह हमें अपनी ओर आकवषात नहीं करता
(ख) यह हमें ज़रूरत की चीज़ें खरीदने के नलए प्रेररत करता है
(ग) यह हमें चुपचाप अपनी ओर आकवषात कर लेता है
(घ) यह हमें नए उत्पादों से अिगत करिाता है
उत्तरमाला –1 घ, 2 ख, 3 क, 4 क, 5 घ
गद्यांर् – 2
यहाुँ मुझे ज्ञात होता है हक बाज़ार को साथाकता भी िही मनुष्य दे ता है जो जानता है हक िह क्या चाहता
है । और जो नहीं जानते हक िे क्या चाहते हैं , अपनी 'पचेजजंग पािर' के गिा में अपने पैसे से केिल एक
विनार्क र्वक्त, र्ैतानी र्वक्त, व्यंग्य की र्वक्त ही बाजार को दे ते हैं । न तो िे बाजार से लाभ उठा सकते हैं ,
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न उस बाजार को सच्चा लाभ दे सकते हैं । िे लोग बाजार का बाजारूपन बढ़ाते हैं , जजसका मतलब है हक
कपट बढ़ाते हैं । कपट की बढ़ती का अथा परस्पर में सद्भाि की घटी। इस सद्भाि के ह्रास पर आदमी आपस
में भाई-भाई और सुहृद और पड़ोसी हफर रह ही नहीं जाते हैं और आपस में कोरे ग्राहक और बेचक की तरह
व्यिहार करते हैं
प्र.(1) बाज़ार को साथाकता कौन दे सकता है ?
(क) जजसे बाजार आकवषात करता है (ख) पैसे की पािर रखने िाला
(ग) जो अपनी आिश्यकता जानता है (घ) जो बाज़ारूपन को महत्त्ि दे ते हैं
प्र.(2)पचेजजंग पॉिर का तात्पया है -
(क) पैसे के अनुसार गैर-जरूरी चीजें खरीदने का हदखािा
(ख) कम पैसे में अनधक चीज़ें खरीदना
(ग) उधार में गैर-जरूरी चीजें खरीदने का हदखािा
(घ) दस
ू रे को सुंदर चीज़ें उपहार में दे कर हदखािा करना
प्र.(3) पचेजजंग पािर का गिा बाजार पर क्या प्रभाि डालता है ?
(क) यह बाज़ार को साथाकता दे ता हैं
(ख) यह एक विनार्क र्वक्त, र्ैतानी र्वक्त, व्यंग्य की र्वक्त ही बाजार को दे ता हैं
(ग) यह बाज़ार को सच्चा लाभ दे ता है
(घ) उपयुक्त
ा सभी
प्र.(4) 'बाजारूपन' से तात्पया है -
(क) ग्राहक ि दक
ु ानदार में सद्भाि घटना
(ख) ग्राहक ि दक
ु ानदार में कपट बढ़ना
(ग) उपयुक्त
ा दोनों
(घ) इनमें से कोई नहीं
प्र.(5) गद्यांर् के आधार पर ननम्ननलजखत कथनों पर विचार कीजजए –
(I) जो अपनी आिश्यकताओं को नहीं जानता िह बाज़ार को विनार्क र्वक्त दे ता है |
(II) पचेजजंग पॉिर का गिा बाजारूपन को बढ़ािा दे ता है
(III) बाज़ारूपन का आधार कपट नहीं होता |
(IV) अपनी आिश्यकता को जानने िाला बाज़ार को सच्चा लाभ दे ता है |
उक्त कथनों में से कौनसा / कौनसे कथन सही है ?
(क) केिल (I), (II) (ख) केिल (I),(II), (III)
(ग) केिल (I), (III), (IV) (घ) केिल (I), (II), (IV)
उत्तरमाला -1 ग, 2 क, 3 ख, 4 घ , 5 घ

िणानात्मक प्रश्न-
प्र.(1) बाजार का जाद ू चढ़ने और उतरने पर मनुष्य पर क्या-क्या असर पड़ता है ?
उत्तर -जब बाजार का जाद ू चढ़ता है तो मनुष्य को लगता है हक यह भी ले लूुँ, िह भी ले लूुँ। िह उनकी
ओर चुम्बक की तरह जखंचा चला जाता है । सभी सामान जरूरी और आराम को बढ़ाने िाले मालूम होते हैं ।
जब बाजार का जाद ू उतरता है तो फैंसी चीजों की बहुतायत आराम में खलल डालने िाली महसूस होती है ।
प्र.(2) बाजार में भगत जी के व्यवक्तत्ि का कौनसा सर्क्त पहलू उभरकर आता है ? क्या आपकी नज़र में
उनका आचरण समाज में र्ांनत स्थावपत करने में मददगार हो सकता है ?
उत्तर -बाज़ार में भगत जी के व्यवक्तत्ि का यह सर्क्त पहलू उभरकर आता है हक उनका अपने मन पर
ननयंत्रण था, िे संयमी थे, उनकी आिश्यकताएुँ तय थी और मन भरा था जजसके कारण िे जरूरत की
चीजें ही बाजार से खरीदते से थे। | मेरी नज़र में भगत जी के आचरण से समाज में अनधक सामान जोड़ने
की होड़ ि महुँ गाई को कम कर सकने में मदद नमल सकती है जजससे समाज में र्ांनत स्थावपत हो सकेगी।

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प्र.(3)'बाजारूपन' से क्या तात्पया है ? हकस प्रकार के व्यवक्त बाजार को साथाकता प्रदान करते हैं ?
अथिा
बाज़ार की साथाकता हकसमें है ?
उत्तर -ग्राहक ि दक
ु ानदार के बीच कपट का बढ़ना और सद्भाि का घटना बाजारूपन है जजसमें दोनों एक-
दस
ू रे को ठगने की कोनर्र् करते हैं और एक को दस
ू रे के नुकसान में अपना लाभ हदखाई दे ता है |
लेखक के अनुसार बाजार को साथाकता और सच्चा लाभ भगत जी जैसे लोग ही दे सकते हैं जजनका मन
भरा हो यानी आिश्यकताएुँ तय हो और जो ज़रूरत की चीजें ही बाज़ार से खरीदते हो |
प्र.(4) पचेजजंग पॉिर का क्या तात्पया है ? पचेजजंग पािर का गिा बाजार का क्या अहहत कर सकता है ?
उत्तर- पचेजजंग पािर का तात्पया है - वबना आिश्यकता के पैसे के अनुसार सामान खरीदने की ताकत या
क्षमता का हदखािा जजसमें मनुष्य गैर-जरूरी चीजें खरीद लेता है । -पचेजजंग पािर का गिा पैसे से बाजार
को केिल एक विनार्क-र्वक्त, र्ैतानी-र्वक्त और व्यंग्य की र्वक्त ही दे ता है जजससे न तो हम बाजार से
लाभ उठा सकते हैं , न ही उस बाजार को सच्चा लाभ दे सकते हैं ।
**********
पाठ-13 काले मेघा पानी दे – धमािीर भारती
पाठ का सारांर् -
• प्रस्तुत संस्मरण लोक-प्रचनलत विश्वास और विज्ञान के िं ि का सुंदर नचत्रण है | इसमें
लेखक ने पानी के सन्द्दभा में प्रसंग रचा है |
• लेखक ने अपने हकर्ोर जीिन के इस संस्मरण में बताया है हक अनािृवष्ट दरू करने के
नलए गाुँि के बच्चों की इन्द्दर सेना िार-िार पानी माुँगते चलती है परन्द्तु लेखक का
तकार्ील मन इसे पानी की ननमाम बबाादी मानता है |
• लेखक की माुँ समान जीजी इसे उनचत मानकर इसे इं र दे िता को अर्घया चढ़ाना मानती
है | साथ ही िह कहती है हक ऋवष-मुननयों ने भी दान ि त्याग को महत्त्ि हदया है |
अगर हम दान ि त्याग करें गे तो ईश्वर भी चौगुना-अठगुना करके लौटाएुँगे |
• पाठ के अंत में लेखक ने भ्रष्टाचार को रोकने के नलए आम आदमी के नागररक कताव्यों
की याद हदलाई है और बताया है हक हम भ्रष्टाचार की बुराई तो करते हैं , पर कहीं हम
खुद इसको बढ़ाने में भागीदार तो नहीं बन रहे हैं !
• इस पाठ के मूल सन्द्दे र् हैं –
1. तका (विज्ञान) ि भािना (आस्था) में सामंजस्य स्थावपत करना |
2. त्याग की भािना उत्पन्द्न कर राष्ट्र के प्रनत कताव्य का ननिााह करने का सन्द्दे र्
3. भ्रष्टाचार का विरोध |
गद्यांर् पर आधाररत बहुविकल्पीय प्रश्न
गद्यांर्-1
कभी-कभी कैसे-कैसे संदभों में ये बातें मन को कचोट जाती हैं , हम आज दे र् के नलए करते क्या हैं ? माुँगें
हर क्षेत्र में बड़ी-बड़ी है पर त्याग का कहीं नामो-ननर्ान नहीं है । अपना स्िाथा आज एकमात्र लक्ष्य रह गया
है । हम चटखारे लेकर इसके या उसके भ्रष्टाचार की बातें कहते हैं पर क्या कभी हमने जाुँचा है हक अपने
स्तर पर अपने दायरे में हम उसी भ्रष्टाचार के अंग तो नहीं बन रहे हैं ? काले मेघा दल-के-दल उमड़ते हैं ,
पानी झमाझम बरसता है , पर गगरी फूटी की फूटी रह जाती है , बैल वपयासे के वपयासे रह जाते हैं ?
आजखर कब बदलेगी यह जस्थनत?
(I) लेखक के मन को कौन सी बात कचोटती है ?
क) भ्रष्टाचारी होना ख) अपनी बात मनिाने की जजद करना
ग) कताव्य बोध का अभाि घ) दान ना दे ना
ii) हमारे दे र् में भ्रष्टाचार की क्या जस्थनत है ?
क) मांगे बड़ी है पर त्याग की भािना नहीं है ख) स्िाथा ही एकमात्र लक्ष्य रह गया है
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ग) भ्रष्टाचार की बातें करते हैं पर स्ियं भ्रष्ट हैं घ) उपरोक्त सभी
iii) 'गगरी फूटी की फूटी रह जाती है ' से क्या अनभप्राय है ?
क) कल्याणकारी योजनाओं का आम जनता को लाभ नहीं नमलता
ख) सरकारी सहायता जरूरतमंदों तक नहीं पहुंच पाती
ग) (I) और (ii) दोनों घ) उपरोक्त में से कोई नहीं
iv) लेखक का प्रस्तुत गद्यांर् में केंर वबंद ु क्या है ?
क) दे र् में सूखे की समस्या ख) दे र् में भ्रष्टाचार की समस्या
ग) दे र् के लोगों में त्याग की भािना का ना होना घ) उपरोक्त में से कोई नहीं
v) 'आजखर कब बदलेगी जस्थनत' कथन में लेखक हकस जस्थनत की बात कर रहा है ?
क) दे र् में व्याप्त भ्रष्टाचार के बारे में ख) सरकारी योजनाओं के बारे में
ग) दे र् में सूखे की जस्थनत के बारे में घ) दे र् में अकाल की जस्थनत के बारे में
उत्तरमाला -(i) (ग) ,(ii)(घ) ,(iii)(ग) ,(iv)(क) ,(v)(ख)
गद्यांर्-2
लेहकन इस बार मैंने साफ इनकार कर हदया। नहीं फेंकना है मुझे बाल्टी भर-भरकर पानी इस गंदी मेंढक
मंडली पर। जब जीजी बाल्टी भरकर पानी ले गई उनके बूढ़े पाुँि डगमगा रहे थे, हाथ काुँप रहे थे, तब भी
मैं अलग मुुँह फुलाए खड़ा रहा। र्ाम को उन्द्होंने लड्डू -मठरी खाने को हदए तो मैंने उन्द्हें हाथ से अलग
जखसका हदया, मुुँह फेरकर बैठ गया, जीजी से बोला भी नहीं। पहले िे तमतमाईं, लेहकन ज्यादा दे र तक
उनसे गुस्सा नहीं रह गया। पास आकर मेरा सर अपनी गोद में लेकर बोलीं, "दे ख भइया, रूठ मत। मेरी
बात सुन। यह सब अंधविश्वास नहीं है । हम इन्द्हें पानी नहीं दें गे तो इं र भगिान हमें पानी कैसे दें गे?"
मैं कुछ नहीं बोला। हफर जीजी बोलीं। “तू इसे पानी को बरबादी समझता है पर यह बरबादी नहीं है । पानी
का अर्घया चढ़ाते हैं , जो चीज मनुष्य पाना चाहता है उसे पहले दे गा नहीं तो पाएगा कैसे? इसीनलए ऋवष-
मुननयों ने दान को सबसे ऊंचा स्थान हदया है ।"
(क) लेखक ने मेंढक- मंडली पर पानी फेंकने से इं कार क्यों कर हदया होगा?
(i) पानी बबााद नहीं करने के कारण
(ii) मेंढक- मंडली को गंदे लोगों की श्रेणी में रखने के कारण
(iii) पानी फेंकने को बरबादी मानने के कारण
(iv) लोकमान्द्यताओं में विश्वास नहीं होने के कारण
(ख) अपने डगमगाते पाुँि पर भी जीजी बाल्टी भर कर पानी क्यों फेंक रही थी?
(i) क्योंहक लेखक पानी फेंकने से इं कार कर हदया था
(ii) पानी फेंकना आिश्यक मानने के कारण
(iii) लोकमान्द्यता में विश्वास रखने के कारण
(iv) अंधविश्वास में विश्वास के कारण
(ग) लेखक जीजी से नाराज़ क्यों हो रहा था?
(i) जीजी िारा पानी फेंकने के कारण
(ii) लेखक की बात नहीं मानने के कारण
(iii) लेखक और जीजी में िैचाररक अंतर होने के कारण
(iv) जीजी के अंधविश्वासी होने के कारण
(घ) जीजी अनधक दे र तक लेखक से गुस्सा क्यों नहीं रह सकी ?
(i) लेखक की बात समझ जाने से (ii) लेखक को समझाना चाहती थी
(iii) लेखक से प्रेम करने के कारण (iv) लेखक की नासमझी के कारण
(ङ) पानी का अर्घया चढ़ाने से आप क्या समझते हैं ?
(i) पानी का दान दे ना (ii) पानी इं र भगिान को समवपात करना
(iii) पानी का प्रसाद चढ़ाना (iv) पानी का महत्त्ि बताना
उत्तरमाला -(क) (iv) ,(ख) (iii) ,(ग) (iv) ,(घ) (iii) ,(ड.) (i)
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गद्यांर्-2
हफर जीजी बोलीं, "दे ख, तू तो अभी से पढ़-नलख गया है । मैंने तो गाुँि के मदरसे का भी मुुँह नहीं दे खा। पर
एक बात दे खी है हक अगर तीस-चालीस मन गेहूं उगाना है तो हकसान पाुँच-छ: सेर अच्छा गेहूं अपने पास
से लेकर जमीन में क्याररयों बनाकर फेंक दे ता है । उसे बुिाई कहते हैं । यह जो सूखे में हम अपने घर का
पानी इन पर फेंकते हैं ; िह भी बुिाई है । यह पानी गली में बोएुँगे तो सारे र्हर, कस्बा, गाुँि पर पानीिाले
बादलों की फसल आ जाएगी। हम बीज बनाकर पानी दे ते हैं , हफर काले मेघों से पानी माुँगते हैं । सब ऋवष-
मुनन कह गए हैं हक पहले खुद दो तब दे िता तुम्हें चौगुना-अठगुना करके लौटाएुँगे भइया, यह तो हर
आदमी का आचरण है , जजससे सबका आचरण बनता है । यथा राजा तथा प्रजा नसफा यही सच नहीं है । सच
यह भी है हक यथा प्रजा तथा राजा। यही तो गाुँधी जी महाराज कहते हैं ।"
(क) कॉलम 1 को कॉलम 2 से सुमेनलत कीजजए और सही विकल्प चुनकर नलजखए।
कॉलम 1 कॉलम 2
1 पानी की बुिाई (a) यथा प्रजा तथा राजा
2 ऋवष-मुननयों का कथन (b) पहले दान ि त्याग करो
3 गाुँधी जी का कथन (c) इं दरसेना पर पानी फेंकना

(i) 1- (c), 2-(b), 3-(a) (ii) 1- (a), 2-(c), 3-(b)


(iii) 1- (a), 2-(b), 3-(c) (iv) 1- (b), 2-(a), 3-(c)
(ख) जीजी के अनुसार, मेंढक-मंडली पर पानी फेंकने से क्या होगा?
(i) पानी की बुिाई होगी
(ii) र्हर, कस्बा ि गाुँि पर पानी िाले बादलों की फसल आ जाएगी
(iii) (i) और (ii) दोनों (iv) उपरोक्त में से कोई नहीं
(ग) गद्यांर् के अनुसार त्याग की महत्ता को हकसने बताया था?
(i) ऋवष-मुननयों ने (ii) इं दर सेना ने
(iii) मेंढक-मंडली ने (iv) लेखक ने
(घ) गद्यांर् के अनुसार हर आदमी का आचरण कैसा है ?
(i) पानी माुँगना (ii) दान दे ना
(iii) मेंढक-मंडली पर पान (iv) दे िताओं से पानी माुँगना
(ङ) 'यथा राजा तथा प्रजा' से क्या आर्य है ?
(i) कर भला तो (ii) जैसा राजा िैसी प्रजा
(iii) जैसी करनी (iv) उपरोक्त में से कोई नहीं

उत्तरमाला -(क)(i) ,(ख)(iii) ,(ग)(i) ,(घ)(i) ,(ड)(iii)

पाठ पर आधाररत प्रश्न-


प्रश्नः 1 लोगों ने लड़कों की टोली की मेढक मंडली नाम हकस आधार पर हदया? यह टोली अपने आपको
इं दर सेना कहकर क्यों बुलाती ?
उत्तर -इन्द्दर सेना – जो लोग गाुँि के लड़कों की खुले बदन घूमने िाली टोली को इन्द्र दे िता का
दत
ू मानते थे और उन पर पानी नगरना इं र दे िता को अर्घया चढ़ाना मानते थे, िे इस टोली को
इन्द्दर सेना मानते थे | यह टोली भी खुद को इन्द्दर सेना ही कहती थी |
मेढक मंडली- जो लोग गाुँि के लड़कों की टोली के लड़कों के नग्नस्िरूप र्रीर, उनकी उछलकूद,
उनके र्ोर-र्राबे और उनके कारण गली में होने िाले कीचड़-काुँदो से नचढ़ते थे, िे उन्द्हें मेढक
मंडली कहते थे |

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प्रश्न 2 इं दर सेना पर पानी फेंकने के सन्द्दभा में लेखक ि जीजी के मत नलजखए |


उत्तर -लेखक का मत- इन्द्दर सेना पर फेंकना पानी की ननमाम बरबादी है |ये खुद के नलए इं र
दे िता से पानी क्यों नहीं माुँग लेते | यह सब अन्द्धविश्वास ि पाखण्ड है , जजसके कारण हम वपछड़
गए |
जीजी का मत- इन्द्दरसेना पर पानी डालना इं र दे िता को अर्घया चढ़ाना है | ऋवष-मुननयों ने
त्याग ि दान का महत्त्ि बताया है | जजस प्रकार हकसान 30-40 मन गेहूुँ उगाने के नलए 5-6 सेर
गेहूुँ की बीज के रूप में ज़मीन में बुिाई करता है उसी प्रकार यह भी पानी की बुिाई है | दे िता
हमें उसका चौगुना-अठगुना करके लौटाएुँगे |
प्रश्न 3.'पानी दे गुड़धानी दे ' मेघों से पानी के साथ-साथ गुड़धानी की माुँग क्यों की जा रही है ?
उत्तर -गुड़धानी गुड़ ि अनाज के नमश्रण से बने खाद्य पदाथा को कहते हैं । बच्चे मेघों से पानी के साथ-साथ
गुड़धानी की माुँग करते हैं । िे इं र दे िता से प्राथाना कर ऐसी िषाा माुँग रहे हैं जजससे उनके खेतों में
िसलें लहलहाए, उनके अनाज भण्डार भर जाए और उनके गाुँि ि घरों में सुख-समृवद्ध आए |
प्रश्न 4 'गगरी फूटी बेल वपयासा' इं दर सेना के इस खेलगीत में बैलों के लयासा रहने की बात क्यों मुखररत
हुई है ?
उत्तर- गगरी फूटी- घरों में पीने ि घरे लू आिश्यकताओं के नलए पानी नहीं हैं |
बैल वपयासा– बैल खेती का आधार है और जानिरों का प्रतीक भी है | अथा यह है हक खेती सूख
गई है ि जानिर लयास से मर रहे हैं |
प्रश्न 5 इं दर सेना सबसे पहले गंगा मैया की जय क्यों बोलती है ? नहदयों का भारतीय सामाजजक
सांस्कृ नतक पररिेर् में क्या महत्ि है ?
उत्तर -इन्द्दर सेना सबसे पहले गंगा मैया की जय बोलती थी, इसके कारण हैं –
1. गंगा भारत की सबसे पवित्र नदी है और इसे माुँ का स्थान हदया गया है |
2.गंगा भारत के एक बड़े भू-भाग में पीने के नलए ि नसंचाई के नलए जल प्रदान करती है ि
हमारा भरण-पोषण करती है |
नहदयों का सामाजजक पररिेर् में महत्त्ि – नहदयों के हकनारे बजस्तयों की बसािट, र्हरों का
विकास, खेती-बाड़ी और समृद्ध समाज का विकास
नहदयों का सांस्कृ नतक पररिेर् में महत्त्ि – भारत के धानमाक- सांस्कृ नतक केंर नहदयों के हकनारे
हैं जैस-े हररिार, आगरा, उज्जैन आहद; धमा ि संस्कृ नत नहदयों के हकनारे फली-फूली है |
प्रश्न 6. ररश्तों में हमारी भािना र्वक्त बुँट जाना विश्वासों के जंगल में सत्य की राह खोजती हमारी बुवद्ध की
र्वक्त को कमजोर करती है । पाठ में जीजी के प्रनत लेखक की भािना के संदभा में इस कथन के औनचत्य
की समीक्षा कीजजए।
उत्तर -लेखक का अपनी जीजी के प्रनत गहरा लयार था। दोनों में भािनात्मक संबंध बहुत गहरा था |
लेखक जजस परं परा को या अंधविश्वास का विरोध करता है जीजी उसी का भरपूर समथान करती है । धीरे
धीरे लेखक और उसकी जीजी के बीच की भािनात्मक र्वक्त बुँटती चली जाती है । लेखक का विश्वास
डगमगाने लगता है । उसकी जीजी लेखक की बुनध र्वक्त को भािनात्मक ररश्तों से कमजोर कर दे ती है ।
इसनलए िे चाहकर भी हकसी बात का विरोध नहीं कर पाता।
प्रश्न 7 हदन हदन गहराते पानी के संकट से ननपटने के नलए क्या आज का युिा िगा काले मेघा पानी दे की
इं दर सेना की तजा पर कोई सामूहहक आंदोलन प्रारं भ कर सकता है ? अपने विचार नलजखए।
उत्तर -हदन हदन गहराते पानी के संकट से ननपटने के नलए आज का युिा िगा इं दर सेना की तजा पर
सामूहहक आंदोलन चला सकता है ।
युिा िगा जागरूकता रै ली ननकाल सकते हैं । िे नुक्कड़-नाटको, रे ल, पोस्टरों, चचााओ रे हडयों ि टीिी के
माध्यम से पानी के संरक्षण, उसके सदप
ु योग आहद के बारे में जागृनत पैदा कर सकता है । िे िृक्षारोपण
करके, तालाबों की खुदाई आहद के जररए पानी के संकट को कािी हद तक दरू कर सकते हैं ।
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पाठ-14 पहलिान की ढोलक -फणीश्वरनाथ रे णु


सारांर् –
• पहलिान की ढोलक कहानी व्यिस्था-पररितान के साथ लोक-कला और इसके कलाकार के
अप्रासंनगक होने की कहानी है | इसमें भारत पर इं हडया के छा जाने की समस्या है | यह
कहानी लुट्टन नसंह पहलिान के जीिन पर आधाररत है |
• माता-वपता की मृत्यु के बाद उसकी विधिा सास िारा उसके पालन-पोषण के बाद ढोल
की ताल पर पहलिानी सीखी और अच्छा पहलिान बन गया |
• श्यामनगर के दं गल में चाुँदनसंह को हराने पर राजासाहब िारा राज पहलिान की पदिी
बाद िह पंरह िषा तक अजेय रहा | कुछ समय बाद उसकी पत्नी का दे हांत हो गया |
• उसके दोनों बेटे उसके साथ राजमहल में ही रहते थे और राज-दरबार के भािी-पहलिान
घोवषत हो चुके थे | उसने अपने बेटों को कुश्ती के साथ सांसाररक ज्ञान की नर्क्षा भी दी
और ढोल को गुरु बताया |
• राजा साहब की अचानक मृत्यु के बाद विलायत से आए राजकुमार के राजा बनने के बाद
लुट्टन ि उसके बेटों को राजमहल से ननकाल हदया गया |
• इसके बाद लुट्टन ि उसके बेटे अपने गाुँि चले गए | उसके दोनों बेटे मजदरू ी करते
जजससे उनका जीिन-यापन होता था |
• गाुँि में मलेररया ि है ज़े की महामारी और भुखमरी के कारण हदन में तो लोग कराहते
हुए बाहर ननकलते थे परन्द्तु रावत्र में केिल नसयारों ि कुत्तों के रोने की आिाज़ें ही आती
थी |
• भीषण रात में पहलिान लुट्टन की ढोलक की आिाज़ गाुँि के लोगों में संजीिनी र्वक्त
भरती थी | भूख ि महामारी से दोनों बेटों की मृत्यु के बाद उनको नदी में बहाने के
पश्चात िह रात भर ढोलक बजाता रहा जजससे गाुँि के लोगों की हहम्मत दग
ु ुनी बढ़ गई |
चार-पाुँच हदनों बाद एक रात ढोलक की आिाज़ नहीं आई, लुट्टन की मृत्यु हो गई थी |
गद्यांर् पर आधाररत बहुविकल्पीय प्रश्न
गद्यांर्-1
'र्ेर के बच्चे' का असल नाम था चाुँद नसंह। िह अपने गुरु पहलिान बादल नसंह के साथ, पंजाब
से पहले-पहल श्यामनगर मेले में आया था। सुंदर जिान, अंग-प्रत्यंग से सुंदरता टपक पड़ती थी।
तीन हदनों में ही पंजाबी और पठान पहलिानों के नगरोह के अपनी जोड़ी और उम्र के सभी पट्ठों
को पछाड़कर उसने 'र्ेर के बच्चे' की टायहटल प्राप्त कर ली थी। इसनलए िह दं गल के मैदान में
लुँगोट लगाकर एक अजीब हकलकारी भरकर छोटी दल
ु की लगाया करता था । दे र्ी नौजिान
पहलिान, उससे लड़ने की कल्पना से भी घबराते थे। अपनी टायटल को सत्य प्रमाजणत करने के
नलए ही चाुँद नसंह बीच-बीच में दहाड़ता हफरता था।
(क) 'र्ेर के बच्चे' के नाम से प्रनसद्ध पहलिान का नाम क्या था?
(i) बादल नसंह (ii) सूरज नसंह (iii) तारा नसंह (iv) चाुँद नसंह
(ख) चाुँद नसंह के गुरु का क्या नाम था ?
(i) हिा नसंह (ii) बादल नसंह (iii) श्याम नसंह (iv) अनभजीत नसंह
(ग) गद्यांर् में आए 'दे र्ी पहलिान' से क्या अनभप्राय है ?
(i) अन्द्य प्रांत से आए पहलिान (ii) उसी प्रांत से आए पहलिान
(iii) गाुँिों से आए पहलिान (iv) र्हरों से आए पहलिान
(घ) 'र्ेर के बच्चे' की उपानध उसे कैसे प्राप्त हुई ?
(i) र्ेर की तरह दहाड़ने से
(ii) अपनी आयु के सभी पहलिानों को हराकर
(iii) अपनी र्ारीररक बनािट से
(iv) अपने जुझारु स्िभाि से

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(ङ) अपने टायटल की प्रामाजणकता नसद्ध करने के नलए िह क्या करता था?
(i) रोज कुश्ती का अभ्यास करता था (ii) बीच-बीच में जंगल घूमने जाता था
(iii) रोज पहलिानों से दो-दो हाथ करता था (iv) बीच-बीच में र्ेर की तरह दहाड़ता था
उत्तरमाला -(क)(iv) ,(ख)(ii) ,(ग)(iii) ,(घ)(ii) ,(ड)(iv)
गद्यांर्-2
रावत्र की विभीवषका को नसफा पहलिान की ढोलक ही ललकारकर चुनौती दे ती रहती थी।
पहलिान संध्या से सुबह तक, चाहे जजस ख्याल में ढोलक बजाता हो, हकंतु गाुँि के अधामत
ृ ,
औषनध-उपचार- पथ्य-विहीन प्राजणयों में िह संजीिनी र्वक्त ही भरती थी। बूढ़े- बच्चे-जिानों की
र्वक्तहीन आुँखों के आगे दं गल का दृश्य नाचने लगता था। स्पंदन - र्वक्त - र्ून्द्य स्नायुओं में
भी वबजली-सी दौड़ जाती थी। अिश्य ही ढोलक की आिाज़ में न तो बुखार हटाने का कोई गुण
था और न महामारी की सिानार् र्वक्त को रोकने की र्वक्त थी, पर इसमें संदेह नहीं हक मरते हुए
प्राजणयों को आुँख मूुँदते समय कोई तकलीि नहीं होती थी, मृत्यु से िे डरते नहीं थे।

(क) कथन (A) पहलिान की ढोलक की आिाज सुनकर महामारी से तड़पते हुए लोगों को मृत्यु
का भय नहीं लगता था ।
कारण (R) पहलिान की ढोलक में संजीिनी सकती थी।
(i) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही है तथा कारण कथन की सही व्याख्या करता है ।
(ii) कथन (A) सही है लेहकन कारण (R) गलत है ।
(iii) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों गलत है ।
(iv) कथन (A) सही है , लेहकन कारण (R) उसकी गलत व्याख्या करता है ।
(ख) गाुँि के िानसयों में संजीिनी र्वक्त भरने का काम हकसने हकया?
(i) राजा ने (ii) पहलिान ने (iii) पहलिान की ढोलक ने (iv) िैद्य जनों ने
(ग) गद्यांर् के आधार पर ननम्ननलजखत कथनों पर विचार कीजजए
1.पहलिान की ढोलक की आिाज सुनकर गांि के लोगों के सामने दं गल का दृश्य आ जाता था
2. पहलिान की ढोलक रावत्र की भयािहता को कम कर दे ती थी।
3.पहलिान की ढोलक की आिाज पीहड़तों का उपचार करती थी।
उपरोक्त में से कौन- सा/से सही है /हैं ?
(i) केिल 1 (ii) केिल 2
(iii) 1 और 2 (iv) 1 और 3
(घ) ढोलक की आिाज़ को सुनकर वबना हकसी तकलीफ के अपने प्राण कौन त्याग दे ता था?
(i) लुट्टन नसंह (ii) चाुँद नसंह
(iii) मरता हुआ व्यवक्त (iv) स्िस्थ व्यवक्त
(ङ) गाुँि के लोगों की कैसी जस्थनत थी ?
(i) अद्धामत
ृ (ii) औषनध उपचार पथ्य विहीन
(iii) (i) और (ii) दोनों (iv) संतोषजनक
उत्तरमाला -(क)(ii) ,(ख)(iii) ,(ग)(iii) ,(घ)(iii) ,(ड)(iii)
अनभकथन-तका
1.अनभकथन- गाुँि में महामारी िैल चुकी थी उसकी चपेट में आकर लोग मर रहे थे।
कारण- गाुँि में मलेररया और है जा नामक महामारी फैली थी।
(क)A और R दोनों सही है A,R की सही व्याख्या है ।
(ख) A और R दोनों सही है A,R की सही व्याख्या नहीं है ।
(ग) A सही है लेहकन R गलत है ।
(घ) A गलत है लेहकन R सही है ।
उत्तर: (क) A और R दोनों सही है A,R की सही व्याख्या है ।

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2. अनभकथन पहलिान के बेटों का भरण-पोषण राज दरबार से होता था।
कारण- लुट्टन पहलिान श्यामनगर का दरबारी पहलिान था। उसका तथा उसके पररिार का सारा खचा
राज दरबार उठाता था।
(क) A और R दोनों सही है A.R की सही व्याख्या नहीं है ।
(ख) A और R दोनों सही है A, R की सही व्याख्या है ।
(ग) A सही है लेहकन R गलत है ।
(घ) A गलत है लेहकन R सही है ।
उत्तर : (ख) A और R दोनों सही है A,R की सही व्याख्या है ।

3. अनभकथन- घोड़े का रे स पहले के लोगों और राजाओं का वप्रय र्ौक नहीं था।


कारण- पहलिानों को राजा एिं लोगों िारा विर्ेष सम्मान हदया जाता था।
(क) A और R दोनों सही है A.R की सही व्याख्या नहीं है ।
(ख) A और R दोनों सही है A, R की सही व्याख्या है ।
(ग) A सही है लेहकन R गलत है ।
(घ) A गलत है लेहकन R सही है ।
उत्तर: (क) A और R दोनों सही है A,R की सही व्याख्या नहीं है ।

4. अनभकथन- राजा साहब ने लुट्टन को अपने राजदरबार में रख नलया।


कारण- काला खां मर्हूर पहलिान था। ज्यों ही िह लंगोट लगाकर आली कहता था उसके प्रनतिं दी डर
जाते थे।
(क) A और R दोनों सही है A,R की सही व्याख्या नहीं है ।
(ख) A और R दोनों सही है A,R की सही व्याख्या है ।
(ग) A सही है लेहकन R गलत है ।
(घ) A गलत है लेहकन R सही है ।
उत्तर: (क) A और R दोनों सही है A,R की सही व्याख्या नहीं है ।

5. अनभकथन- कुत्तों में पररजस्थनत को ताड़ने की एक विर्ेष बुवद्ध होती है ।


कारण- उन्द्होंने महसूस कर नलया था हक लोग महामारी की चपेट में आ चुके हैं । अतः िे नसकुड़े पड़े रहते
थे और इकट्ठे नमलकर रहते थे।
(क)A और R दोनों सही है A,R की सही व्याख्या नहीं है ।
(ख) A और R दोनों सही है A,R की सही व्याख्या है ।
(ग) A सही है लेहकन R गलत है ।
(घ) A गलत है लेहकन R सही है ।
उत्तर: (ख) A और R दोनों सही है A,R की सही व्याख्या है ।

िणानात्मक प्रश्न-

प्रश्न 1 . कहानी के हकस-हकस मोड़ लुट्टन के जीिन में क्या-क्या पररितान आए?
उत्तर-ऐसे अनेक मोड हैं जहाुँ उसके जीिन में पररितान आए हैं . बचपन में ही नौ िषा की अल्पायु में ही
उसके माता-वपता की मृत्यु हो गई और उसका पालन-पोषण उसकी विधिा सास ने हकया। सास पर होने
िाले अत्याचारों का बदला के नलए िह पहलिानी करने लगा। हकर्ोरािस्था में उसने श्यामनगर दं गल में
चाुँद नसंह नामक पहलिान को हरा 'राज-पहलिान' दजाा हानसल हकया। िह पंरह िषा तक राजदरबार में
रहा।हफर दरबार से हटने पर िो गाुँि लौटा और बड़ी कहठनाई से जीिन गुजरने लगा,महामारी आने पर तो
लुट्टन का पररिार के साथ चपेट में आ गया ओर मृत्यु हो गयी |
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प्रश्न 2 . लुटुन पहलिान ने ऐसा क्यों कहा होगा हक 'मेरा गुरु कोई पहलिान नहीं यही ढोल है ?
उत्तर- िह कहता हक मेरा गुरु कोई पहलिान नहीं यही ढोल है | ऐसा उसने इसनलए कहा क्योंहक
उसने पहलिानी ि कुश्ती के दाुँि-पेच ढोल की आिाज़ पर ही सीखे थे, उसे नसखाने िाला कोई
व्यवक्त नहीं था | ढोल की आिाज़ उसके र्रीर में उमंग ि स्फूनता भर दे ती थी | ढोल की आिाज़
के बल पर ही उसने चाुँद नसंह को हराया ि राज पहलिान बन गया था |
प्रश्न 3. गाुँि में महामारी फैलने और अपने बेटों की मृत्यु के बािजूद लुट्टन पहलिान ढोल क्यों बजाता
रहा?
अथिा
ढोलक की आिाज का पूरे गाुँि में क्या असर होता था?
उत्तर- (i) ढोलक की आिाज़ से गाुँि के औषनध-उपचार-पथ्य विहीन प्राजणयों में संजीिनी र्वक्त भर
जाती थी
(ii) इसके कारण गाुँि के लोगों के सामने दं गल का दृश्य आ जाता था ि जोर् भर जाता था।
(iii) इसके कारण उन्द्हें मौत से डर नहीं लगता था और उन्द्हें बीमारी की तकलीफ कम महसूस
होती थी।
ढोल की आिाज़ से गाुँि के लोगों में उत्साह ि जोर् भरने के कारण लुट्टन ढोल बजाता रहा |

प्रश्न 4 . महामारी फैलने के बाद गाुँि में सूयोदय और सूयाास्त के दृश्य में क्या अंतर होता था?
उत्तर -गाुँि में सूयोदय होते ही लोग खाुँसते-फूंखते, कराहते अपने घरों से ननकलकर अपने पड़ोनसयों ि
आत्मीयों को ढाुँढस ् बंधाते थे। िे बचे हुए लोगों को र्ोक न करने की बात कहते थे। उनके चेहरे पर चमक
बनी रहती थी। पर समय आने पर सूयाास्त तो होते हैं | सभी लोग अपनी-अपनी झोपहड़यों में घुस जाते थे।
उनके बोलने की र्वक्त भी जाती रहती थी। ऐसे समय में पहलिान की ढोलक की आिाज ही रावत्र की
विभीवषका को चुनौती दे ती रहती थी।

प्रश्न 5 . आर्य स्पष्ट कीजजए-


आकार् से टू टकर यहद कोई भािुक तारा पृथ्िी पर जाना भी चाहता तो उसकी ज्योनत और र्वक्त
रास्ते में ही र्ेष हो जाती थी |
उत्तर- इसका तात्पया यह है हक महामारी के प्रकोप से रावत्र भयानक थी और गाुँि में ननरार्ा का
भाि था | ऐसे में यहद कोई व्यवक्त भािुक होकर बीमारी से जूझकर हकसी दस
ू रे की मदद करने
की कोनर्र् करता तो िह भी असफल हो जाता और उसकी र्वक्त बीच में ही ख़त्म हो जाती |
कोई चाहकर भी हकसी दस
ू रे की मदद नहीं कर पाता था |

प्रश्न 6 . 'पहलिान की ढोलक आज हमारे िारा लोककला एिं लोक कलाकारों को अप्रासंनगक बना हदए
जाने की करूण कथा भी है । आधुननकता के हदखािे में हम उन्द्हें भूलते जा रहे हैं ।" तकासहहत प्रनतपाहदत
कीजजए।
उत्तर-आधुननकता की चमक-दमक और हदखािे िाली संस्कृ नत में सीधी-सादी-सरल लोक कलाएुँ और
कलाकार आधुननक पीढ़ी को न तो प्रभावित कर पाते हैं और न ही मनोरं जक लगते हैं । आधुननक पररिेर्
एिं तकनीक ने लोक कलाओं और खेलों के स्िरूप को बदल हदया है । राजा श्यामानंद लोक कलाओं और
कलाकारों को राज्याश्रय तथा मान सम्मान दे ते थे। राजा साहब के मरते ही विलायत से लौटे राजकुमार
िारा लुट्टन को ननकाल कर पहलिानी जैसी लोककला को समाप्त कर हदया गया।इस तरह लुट्टन
बेरोजगार होकर बेटों के साथ गाुँि लौट गया |

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पाठ- 17 नर्रीष के फूल -हजारी प्रसाद हििेदी

सारांर् -आचाया हजारी प्रसाद हििेदी नर्रीष को अद्भत


ु अिधूत मानते हैं , क्योंहक संन्द्यासी की भाुँनत िह
सुख-दख
ु की नचंता नहीं करता। गमी, लू, िषाा और आुँधी में भी अविचल खड़ा रहता है । नर्रीष के फूल के
माध्यम से मनुष्य की अजेय जजजीविषा, धैयर्
ा ीलता और कताव्यननष्ठ बने रहने के मानिीय मूल्यों को
स्थावपत हकया गया है । लेखक ने नर्रीष के कोमल फूल और कठोर फलों के िारा स्पष्ट हकया है हक हृदय
की कोमलता बचाने के नलए कभी-कभी व्यिहार की कठोरता भी आिश्यक हो जाती है । महान कवि
कानलदास और कबीर भी नर्रीष की तरह बेपरिाह, अनासक्त और सरस थे तभी उन्द्होंने इतनी सुन्द्दर
रचनाएुँ संसार को दीं। गांधीजी के व्यवक्तत्ि में भी कोमलता और कठोरता का अद्भत
ु संगम था। लेखक
सोचता है हक हमारे दे र् में जो मार-काट, अजग्नदाह, लूट-पाट, खून-खच्चर का बिंडर है , क्या िह दे र् को
जस्थर नहीं रहने दे गा? गुलामी, अर्ांनत और विरोधी िातािरण के बीच अपने नसद्धांतों की रक्षा करते हुए
गाुँधीजी जी जस्थर रह सके थे तो दे र् भी रह सकता है । जीने की प्रबल अनभलाषा के कारण विषम
पररजस्थतयों में भी यहद नर्रीष जखल सकता है तो हमारा दे र् भी विषम पररजस्थनतयों में जस्थर रह कर
विकास कर सकता है ।
नर्रीष का फूल बसंत से लेकर आषाढ़ तक ग्रीष्म-ऋतु के चारों महीनों में भी फूलता रहता है | नर्रीष के
माध्यम से लेखक मनुष्य को अजेय जजजीविषा (जीने की इच्छा) और कताव्यर्ील रहने का संदेर् दे ता है |
नर्रीष की तरह पलास,कनेर,अमलतास भी गनमायों में जखलते हैं हकन्द्तु सीनमत अिनध के नलए | नर्रीष

का पेड़ बहुत घना ि छायादार होता है |नर्रीष इतना कोमल होता है हक िह भौरों के पैरों का दबाि सह

सकता है ,पजक्षयों का नहीं | इसका फल इतना मजबूत होता है हक बहुत समय तक हटके रह सकता है | यह

कोमलता ि कठोरता का उदाहरण है | लेखक का वप्रय कवि कानलदास थे क्योंहक िे अनासक्त रह सकते

थे |

लेखक ने नर्रीष की तुलना अिधूत/संन्द्यासी से की है | कभी-कभी कोमलता को बचाने हे तु व्यिहार में

कठोरता आिश्यक हो जाती है | महान कवि कानलदास,कबीर भी नर्रीष की तरह अनासक्त,बेपरिाह ि

सरस थे | बापू (गांधीजी) के व्यवक्तत्ि में भी कोमलता ि कठोरता का अद्भत


ु संयोग था |

गद्यांर् पर आधाररत बहुविकल्पीय प्रश्न


गद्यांर्-1
जहाुँ बैठ के यह लेख नलख रहा हूुँ उसके आगे-पीछे दायें-बायें, नर्रीष के अनेक पेड़ हैं । जेठ की जलती धूप
में, जबहक धररत्री ननधूाम अजग्नकुंड बनी हुई थी, नर्रोष नीचे से ऊपर तक फूलों से लद गया था। कम फूल
इस प्रकार की गरमी में फूल सकने की हहम्मत करते हैं । कजणाकार और आरग्िध (अमलतास) की बात मैं
भूल नहीं रहा हूुँ। िे भी आस-पास बहुत है । लेहकन नर्रीष के साथ आरग्िध की तुलना नहीं की जा सकती।
यह पंरह-बीस हदन के नलए फूलता है , िसंत ऋतु के पलार् की भाुँनत। कबीरदास को इस तरह पंरह हदन
के नलए लहक उठना पसंद नहीं था। यह भी क्या हक दस हदन फूले और हफर खंखड़-के-खंखड़- 'हदन दस
फूला फूनलके, खंखड़ भया पलास।" ऐसे दम
ु दारों से तो लुँडूरे भले। फूल है नर्रोष। िसंत के आगमन के
साथ लहक उठता है , आषाढ़ तक जो ननजश्चत रूप से बना रहता है । मन रम गया तो भादों में भी ननधाात
फूलता रहता है ।

(i) धररत्री ननधूम


ा अजग्नकुंड बनी हुई थी' का भाि है -
(क) धरती पर अजग्नकुंड बनाया गया था।
(ख) गरमी अपनी चरम सीमा पर थी।
(ग) धरती अजग्नकुंड के समान जल रही थी।
(घ) धरती पर अजग्नकुंड ही अजग्नकुंड थे।
(ii) आरग्िध हकस पेड़ का नाम है ?
(क) आम (ख) अमरूद (ग) अमलतास (घ) नर्रीष

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(iii) नर्रीष के साथ अमलतास की तुलना क्यों नहीं की जा सकती?


(क) अमलतास पर कम फूल जखलने के कारण
(ख) अमलतास के फूल अल्प अिनध तक फूलने के कारण
(ग) अमलतास के फूल सुंदर न होने के कारण
(घ) अमलतास के फूल बहुत छोटे होने के कारण
(iv) कबीर दास को क्या पसंद नहीं था?
(क) नर्रीष के फूलों का जखलना (ख) नर्रीष के फूलों का आकार
(ग) नर्रीष के फूलों का रं ग (घ) अमलतास के फूलों का 15-20 हदनों के नलए जखलना
(v) नर्रीष के फूलों को कब से कब तक जखला हुआ दे खा जा सकता है ?
(क) िसंत के आगमन से िसंत के प्रस्थान तक
(ख) िसंत के आगमन जेठ माह तक
(ग) िसंत के आगमन से सािन तक
(घ) िसंत के आगमन से आषाढ़ महीने तक
उत्तर- (i) (ख), (ii)(ग), (iii)(ख), (iv)(घ), (v)(घ)
गद्यांर्-2
मैं सोचता हूुँ हक पुराने की यह अनधकार-नललसा क्यों नहीं समय रहते सािधान हो जाती ? जरा और
मृत्यु, ये दोनों ही जगत के अंनतपररनचत और अनतप्रामाजणक सत्य हैं । तुलसीदास ने अफसोस के साथ
इनकी सच्चाई पर मुहर लगाई थी-'धरा को प्रमान यही तुलसी, जो फरा सो झरा, जो बरा सो बुताना' मैं
नर्रीष के फूलों को दे खकर कहता हूुँ हक क्यों नहीं फलते ही समझ लेते बाबा हक झड़ना ननजश्चत है ! सुनता
कौन है ? महाकालदे िता सपासप कोड़े चला रहे हैं , जीणा और दब
ु ल
ा झड़ रहे हैं , जजनमें प्राणकण थोड़ा भी
ऊध्िामुखी हैं , िे हटक जाते हैं । दरु ं त प्राणधारा और सिाव्यापक कालाजग्न का संघषा ननरं तर चल रहा है ।
मूखा समझते हैं हक जहाुँ बने हैं , िहीं दे र तक बने रहें तो कालदे िता की आुँख बचा जाएुँगे। भोले हैं िे।
हहलते-डु लते रहो, स्थान बदलते रहो, आगे की और मुुँह हकए रहो तो कोड़े की मार से बच भी सकते हो।
जमे हक मरे !
(i) गद्यांर् में हकस अनधकार नललसा की ओर संकेत हकया गया है ?
(क) अपनी जगह पर जमे रहने के अनधकार का लालच
(ख) हकसी अन्द्य के नलए अनधकार त्यागने की इच्छा
(ग) बलपूिक
ा अनधकार छीन लेने का लालच
(घ) इनमें से कोई नहीं
(ii) जगत के अनतपररनचत और अनतप्रमाजणत सत्य क्या है ?
(क) िृद्धािस्था। (ख) मृत्यु।
(ग) दोनों ही संसार के अनतपररनचत और अनत प्रामाजणक सत्य हैं ।
(घ) दोनों का ही संसार में स्िागत होता है ।
(iii) "जो फरा सो झरा' में जीिन के हकस सत्य का उद्घाटन हुआ है ?
(क) नगरने के नलए ही फूल, फल बनते हैं ।
(ख) जो फलते हैं िे नगरते भी हैं ।
(ग) फलना और नगरना दे खने के नलए लोग धरती पर आते हैं ।
(घ) जो इस दनु नया में आया है िह एक हदन अिश्य नष्ट होता है ।
(iv) 'महाकाल दे िता सपासप कोड़े चला रहे हैं '- का आर्य इनमें से क्या है ?
(क) महाकाल लोगों को चेतािनी दे रहे हैं ।
(ख) महाकाल लोगों को दं ड दे रहे हैं ।
(ग) महाकाल के कोड़ों की आिाज आकषाक है ।
(घ) महाकाल दे िता अपने कोड़ों की मार से लोगों के प्राण ले रहे हैं ।
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(v) हकस प्रकार काल दे िता के कोड़ों की मार से बचा जा सकता है ?
(क) हहलते-डु लते रहने पर। (ख) स्थान बदलते रहने पर।
(ख) आगे की ओर मुुँह हकए रहने पर। (घ) 'क','ख' और 'ग' तीनों।
उत्तर (i) (क),(ii) (ग), (iii) (घ). (iv) (घ),(v) (घ)

गद्यांर्-3
नर्रीष तरु सचमुच पक्के अिधूत की भाुँनत मेरे मन में ऐसी तरं गें जगा दे ता है जो ऊपर की ओर उठती
रहती हैं । इस नचलकती धूप में इतना सरस िह कैसे बना रहता है ? क्या ये बाह्य पररितान-धूप, िषाा,
आुँधी, लू-अपने आपमें सत्य नहीं है ? हमारे दे र् के ऊपर से जो यह मार-काट, अजग्नदाह, लूट-पाट, खून-
खच्चर का बिंडर बह गया है , उसके भीतर भी क्या जस्थर रहा जा सकता है ? नर्रीष रह सका है । अपने
दे र् का एक बूढ़ा रह सका था। क्यों मेरा मन पूछता है हक ऐसा क्यों संभि हुआ है ? क्योंहक नर्रीष भी
अिधूत है ।

(i) नर्रीष का िृक्ष हकस प्रकार की भािना जगाता है ?


(क) संघषार्ीलता (ख) सरसता
(ग) जुझारूपन (घ) उपयुक्त
ा सभी
(ii) नर्रीष के पेड़ को अिधूत क्यों कहा गया है ?
(क) योनगयों की तरह कहठन पररजस्थनतयों में मस्त रहना।
(ख) गरमी तथा उमस में फूल धारण हकए रहना।
(ग) विपरीत पररजस्थनतयों में भी सरस बने रहना।
(घ) 'क', 'ख' और 'ग' तीनों
(iii) दे र् के ऊपर से कौन-सा बिंडर गुजरने का संकेत नहीं हकया गया है ?
(क) जगह-जगह हुए अजग्नका (ख) हहं सा और रक्तपात
(ग) रूहढ़िादी विचारधारा (घ) चोरी, डकैती तथा लूटपाट
(iv) अंत में लेखक ने नर्रीष की तुलना हकसके साथ की है ?
(क) महात्मा गांधी (ख) सुभाष चंर बोस
(ग) सरदार पटे ल (घ) लाल बहादरु र्ास्त्री
(v) जेठ माह की कहठन धूप में भी हरा-भरा रहने िाला नर्रीष हमें क्या प्रेरणा दे ता है ?
(क) सदै ि प्रसन्द्न रहने की
(ख) हर पररजस्थनत से समझौता कर लेने को
(ग) हर पररजस्थनत में डटे रहने की
(घ) सरसता के साथ कठोरता बनाए रखने की
उत्तर (i) (घ),(ii) (घ), (iii) (ग),(iv) (क) (v) (ग)

गद्यांर्-4
कानलदास सौंदया के बाह्य आिरण को भेदकर उसके भीतर तक पहुुँच सकते थे. दख
ु हो हक सुख,
िे अपना भाि रस उस अनासक्त कृ वषिल की भाुँनत खींच लेते थे, जो ननदानलत ईक्षुदंड से रस
ननकाल लेता है । कानलदास महान थे, क्योंहक िे अनासक्त रह सके थे। कुछ इसी श्रेणी की
अनासवक्त आधुननक हहं दी कवि सुनमत्रानंदन पंत में है कवििर रिींरनाथ में यह अनासवक्त थी एक
जगह उन्द्होंने नलखा. राजोद्यान का | नसंहिार हकतना ही अभ्रभेदी क्यों न हो, उसकी नर्ल्पकला
हकतनी ही सुंदर क्यों न हो, िह यह नहीं कहता हक हम में आकर ही सारा रास्ता समाप्त हो
गया। असल गंतव्य स्थान उसे अनतक्रम करने के बाद ही है , यही बताना उसका कताव्य है ।' फूल
हो या पेड़, िह अपने आप में समाप्त नहीं है । िह हकसी अन्द्य िस्तु को हदखाने के नलए उठी हुई
अुँगुली है । िह इर्ारा है ।

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(i) कानलदास की सौंदया दृवष्ट कैसी थी ?
(क) स्थूल और बाहरी (ख) सूक्ष्म और संपूणा
(ग) आसवक्त और आडं बरों (घ) अनतक्रम और अभ्रभेदी
(ii) कौन-से गुण के कारण कानलदास, सुनमत्रानंदन पंत और रिींरनाथ टै गोर कविताओं के साथ
न्द्याय कर पाए?

(क) गंतव्यता (ख) ननदालीयता (ग) कृ वषिलता (घ) तटस्थता

(iii) फूलों और पेड़ों से हमें जीिन की------------- की प्रेरणा नमलती है -

(क) ननरं तरता (ख) भािपूणत


ा ा (ग) समापनता (घ) अनतक्रमणता

(iv) ननम्ननलजखत कथन कारण को ध्यानपूिक


ा पहढ़ए उसके बाद हदए गए विकल्पों में से कोई
एक सही विकल्प चुनकर नलजखए-
कथन (A) पुष्प या पेड़ अपने सौंदया से यह बताते हैं हक यह सौंदया अंनतम नहीं है ।
कारण (R) भारतीय नर्ल्पकला विर्ेष रूप से प्रनसद्ध है । विनभन्द्न कवियों ने इस बात की पुवष्ट
की है ।
(क) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण कथन की सही व्याख्या करता है ।
(ख) कथन (A) गलत है लेहकन कारण (R) सही है ।
(ग) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों गलत हैं ।
(घ) कथन (A) सही है लेहकन कारण (R) उसकी गलत व्याख्या करता है ।
(v) गद्यांर् के आधार पर ननम्ननलजखत कथनों पर विचार कीजजए-
(I) कला की कोई सीमा नहीं होती।
(II) नर्रीष के िृक्ष को कालजयी अिधूत के समान कहा गया है ।
(III) कानलदास की समानता आधुननक काल के कवियों के साथ हदखाई गई है ।
उपररनलजखत कथनों में से कौन सा / कौन से सही है हैं ?
(क) केिल I (ख) केिल III (ग) I और II (घ) I और III

उत्तर (i) (ख), (ii) (घ), (iii) (क), (iv) (घ), (v) (घ)

िणानात्मक प्रश्न-

प्रश्न-1.लेखक ने नर्रीष को कालजयी अिधूत (संन्द्यासी) की तरह क्यों माना ? (सी.बी.एस.ई.)

उत्तर- नर्रीष की तुलना अिधूत से करने के पीछे दोनों के स्िभाि में साम्यता होना है | जजस प्रकार
संन्द्यासी ऋतुओं/मौसमों की परिाह हकए वबना अपनी साधना में लीन रहते है ,ठीक उसी प्रकार नर्रीष
िसंत से लेकर आषाढ़-भादों तक जखला रहता है | जब पूरा संसार प्रचंड गमी से जल रहा होता है ,उस समय
भी नर्रीष फलता-फूलता रहता है | नर्रीष घना ि छायादार होता है ,िह मनुष्य को विषय-िासनाओं से
ऊपर उठकर अजेयता से जीिन जीने का संदेर् दे ता है |

प्रश्न-2. हृदय की कोमलता को बचाने के नलए व्यिहार की कठोरता भी कभी-कभी जरूरी भी हो जाती है -
प्रस्तुत पाठ के आधार पर स्पष्ट करें | (सी.बी.एस.ई.)
उत्तर- नर्रीष के फूल कोमल ि नर्रीष का पेड़ सरस होता है परं तु नर्रीष के फल कठोर होते हैं ।
इनके माध्यम से लेखक यह बताना चाहता है हक जजस प्रकार नर्रीष के फलों की कठोरता उसके
फूलों की कोमलता ि सरसता को बचाने के नलए जरूरी है उसी प्रकार मनुष्य के व्यिहार में
बाहरी कठोरता उसके हृदय की कोमलता को बचाने के नलए जरूरी हैं |

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प्रश्न-3. हििेदी जी ने नर्रीष के माध्यम से कोलाहल ि संघषा से भरी जीिन-जस्थनतयों में
अविचल रह कर जजजीविषु बने रहने की सीख दी है । स्पष्ट करें ।
नर्रीष,अिधूत और गांधी एक-दस
ू रे के समान कैसे हैं ? पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजजए (सी.बी.एस.ई.)
उत्तर- जजस प्रकार नर्रीष चारों ओर फैली भीषण गमी, लू ि उमस के बािजूद भी सरस ि फला-
फूला रहता है । उसी प्रकार मनुष्य को भी मारकाट, आगजनी, लूटपाट, खून- खच्चर आहद विपरीत
पररजस्थनतयों में भी जस्थर ि र्ांत बने रहना चाहहए और गांधी जी के समान आत्मबल को
महत्त्ि दे कर अविचल (अहडग) रहना चाहहए।
प्रश्न-4. हाथ, िह अिधूत आज कहाुँ है । ऐसा कहकर लेखक ने आत्मबल पर दे ह-बल के िचास्ि
की ितामान सभ्यता के संकट की ओर संकेत हकया है । कैसे ?
उत्तर: यहाुँ, 'अिधूत' र्ब्द महात्मा गांधी के नलए प्रयुक्त हुआ | लेखक को महसूस होता है हक
ितामान समाज में धनबल ि दे हबल को अनधक महत्त्ि हदया जा रहा है जजससे मानिता खतरे
में है । आज लेखक को गाुँधी जी जैसे लोगों को कमी महसूस होती है । जजन्द्होंने अपने आत्मबल
के आधार पर अंग्रेजों के धनबल ि दे हबल को हराया।
प्रश्न-5. कवि (साहहत्यकार) के नलए अनासक्त योगी की जस्थर प्रज्ञता और विदग्ध प्रेमी का हृदय-
एक साथ आिश्यक है । ऐसा विचार प्रस्तुत कर लेखक ने साहहत्य-कमा के नलए बहुत ऊुँचा
मानदं ड ननधााररत हकया है । विस्तारपूिक
ा समझाएुँ ।
उत्तर: लेखक ने कवि (साहहत्यकार) के दो गुण बताए है जो इस प्रकार हैं :
(i)अनासक्त योगी की जस्थर प्रज्ञता - कवि को उस संन्द्यासी की भाुँनत होना चाहहए जजसे
सांसाररकता से लगाि न हो और उसका ज्ञान जस्थर हो। उसे र्ुष्क, कठोर ि मयााहदत होना
चाहहए |
(ii) विदग्ध प्रेमी का हृदय- कवि का हदल वबछड़े हुए प्रेमी के हदल की तरह होना चाहहए जजसमें
प्रेम की अनधकता, सरसता, ि मधुरता हो |
प्रश्न-6. सिाग्रासी काल की मार से बचते हुए िही दीघाजीिी हो सकता है , जजसने अपने व्यिहार में
जड़ता छोड़कर ननत बदल रही जस्थनतयों में ननरं तर अपनी गनतर्ीलता बनाए रखी है । पाठ के
आधार पर स्पष्ट करें ।
उत्तर: नर्रीष गमी, लू ि उमस में भी हरा-भूरा, फला-फूला ि सरस बना रहता है । उसी प्रकार जो
व्यवक्त बाहरी विपरीत पररजस्थनतयों को अनुकूल बनाकर ननरं तर आगे बढ़ने की कोनर्र् करता है
ि प्रगनतर्ील बना रहता है िही व्यवक्त लंबे समय तक जीवित रहता है और महान बनता है |
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पाठ-18 श्रम विभाजन और जानत प्रथा,मेरी कल्पना का आदर्ा समाज .डॉ - आम्बेडकर

गद्यांर् पर आधाररत बहुविकल्पीय प्रश्न


गद्यांर्-1
श्रम विभाजन की दृवष्ट से भी जानत - प्रथा गंभीर दोषों से युक्त है । जानत - प्रथा का श्रम
विभाजन मनुष्य की स्िेच्छा पर ननभार नहीं रहता। मनुष्य की व्यवक्तगत भािना तथा व्यवक्तगत
रूनच का इसमें कोई स्थान अथिा महत्ि नहीं रहता । ‘पूिा लेख’ ही इसका आधार है । इस
आधार पर हमें यह स्िीकार करना पड़े गा हक आज के उद्योगों में गरीब तो अरुनच के साथ केिल
वि िषा काया करते हैं ऐसी जस्थनत सभ्यता मनुष्य को दभ
ु ाािना से प्राप्त भ्रष्ट कर चालू काम करने
और कम काम करने के नलए प्रेररत करती है ऐसी जस्थनत में जहां काम करने िालों का ना हदल
लगता हो ना हदमाग िहां कोई कुर्लता कैसे प्राप्त की जा सकती है अतः यह ननविािाद रूप से
नसद्ध हो जाता है हक आनथाक पहलू से भी जानत प्रथा हाननकारक प्रथा है क्योंहक यह मनुष्य के
संभावित प्रेरणा रुनच ि आत्मर्वक्त को दबा कर उन्द्हें आर्ा भाविक ननयमों में जकड़ कर
ननजष्क्रय बना दे ती है
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क. गद्यांर् के अनुसार श्रम विभाजन की दृवष्ट से जानत प्रथा दोषपूणा क्यों है ?
1. व्यवक्तगत रुनचयों को ध्यान में न रखने के कारण
2. मनुष्य के पेर्े को पूिा लेख से जोड़े रखने के कारण
3 मनुष्य को स्ितंत्र छोड़े जाने के कारण
4. व्यवक्तगत भािनाओं को ध्यान में रखने के कारण
ख. कारण (A) आनथाक पहलू से जानत प्रथा हाननकारक है ।
कारण (R) जानत- प्रथा मनुष्य के रूनच एिं आत्मर्वक्त को कम करके उसे ननजष्क्रय बना दे ती
हैं ।
1.कथन (A) और कारण (R) दोनों सही है तथा कारण(R) कथन(A) की सही व्याख्या करता है |
2. कथन (A) गलत है , हकंतु कारण (R)सही है ।
3. कथन (A)तथा कारण (A)दोनों गलत है ।
4. कथन (A) सही है , हकंतु कारण(R) उसकी गलत व्याख्या करता है ।
ग. कायाकुर्लता बढ़ाने के नलए क्या आिश्यक है ?
1. रूनच के अनुसार काम करने का अिसर प्रदान करना
2. काया को जबरन थोपा जाना
3. काया करने की विर्ेष छूट प्रदान करना
4. उत्पादकता को कम कर दे ना
घ. श्रम के क्षेत्र में सबसे बड़ी समस्या .............है ।
1. आनथाक ढांचे की 2.स्िेच्छानुसार काम न नमलने की
3.जनसंख्या िृवद्ध की 4.काया के प्रनत उदासीन न होने की
ङ. ननम्ननलजखत कथनों पर विचार कीजजए
1. काया ननधााररत होने से काया का महत्ि बढ़ता है
2. जानत - प्रथा के कारण श्रनमकअरुनच के साथ वििर्तािर्ही उद्योगों में काया कर रहे हैं ।
3. जानत प्रथा का श्रम - विभाजन मनुष्य की स्िेच्छा पर ननभार करता है ।
उपयुक्त
ा में से कौन सा /से सही है / हैं ?
1.केिल 1. 2. केिल 2 3. 1 और 2 4. 1 और 3

उत्तर- क. 2. , ख. 1., ग. 1., घ. 2., ङ. 2.


गद्यांर्-2
इसी प्रकार स्ितंत्रता पर भी क्या कोई आपवत्त हो सकती है ? गमनागमन की स्िाधीनता,
जीिन तथा र्ारीररक सुरक्षा की स्िाधीनता के अथों में र्ायद ही कोई 'स्ितंत्रता' का
विरोध करे | इसी प्रकार संपवत्त के अनधकार, जीविकोपाजान के नलए आिश्यक औज़ार ि
सामग्री रखने के अनधकार जजससे र्रीर को स्िस्थ रखा जा सके, के अथा में भी 'स्ितंत्रता
पर कोई आपवत्त नहीं हो सकती तो हफर मनुष्य की र्वक्त के सक्षम एिं प्रभािर्ाली
प्रयोग की भी स्ितंत्रता क्यों न प्रदान की जाए?
जानत प्रथा के पोषक, जीिन, र्ारीररक सुरक्षा तथा संपवत्त के अनधकार की स्ितंत्रता को तो
स्िीकार कर लेंगे, परं तु मनुष्य के लक्षण एिं प्रभािर्ाली प्रयोग की स्ितंत्रता दे ने के नलए
जल्दी तैयार नहीं होंगे, क्योंहक इस प्रकार की स्ितंत्रता का अथा होगा अपना व्यिसाय
चुनने की स्ितंत्रता हकसी को नहीं है , तो उसका अथा उसे 'दासता' में जकड़कर रखना
होगा, क्योंहक 'दासता केिल कानूनी पराधीनता को ही नहीं कहा जा सकता। 'दासता' में
िह जस्थनत भी सनमजल्लत है जजससे कुछ व्यवक्तयों को दस
ू रे लोगों के िारा ननधााररत
व्यिहार एिं कताव्यों का पालन करने के नलए वििर् होना पड़ता है । यह जस्थनत कानूनी
पराधीनता न होने पर भी पाई जा सकती है । उदाहरणाथा, जानत प्रथा की तरह ऐसे िगा
होना संभि है , जहाुँ कुछ लोगों को अपनी इच्छा के विरुद्ध पेर्े अपनाने पड़ते हैं ।

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(क) दासता में कौन-सी अिधारणा सनमजल्लत नहीं है ? सही विकल्प का चयन कीजजए:-
I. स्िाधीनता के साथ जीना |
II.कानूनी पराधीनता का होना |
III.इच्छा के विरुद्ध काया करना।
IV. दस
ू रों िारा ननजश्चत काया करना |
(ख) मनुष्य के प्रभािर्ाली प्रयोग से लेखक का तात्पया है : सही विकल्प छाुँहटए:-
I. उसे र्ारीररक स्ितंत्रता प्रदान की जाए।
II.उसे अपनी इच्छा से काया करने की स्ितंत्रता दी जाए
III. उसे अपनी मजी से जानत के चयन का अनधकार नमलें |
IV. उसे र्ारीररक-सुरक्षा तथा संपवत्त का अनधकार हदया जाए |
(ग) जानत प्रथा के पोषक यहद मनुष्य के लक्षण एिं प्रभािर्ाली प्रयोग की स्ितंत्रता दें , तब
इसका क्या पररणाम होगा? सही विकल्प छाुँहटए:-
I. दासता को बढ़ािा नमलेगा।
II. स्ितंत्रता को बढ़ािा नमलेगा |
III. कानूनी - पराधीनता बढ़ जाएगी |
IV. लोकतांवत्रक मूल्य सुदृढ़ होंगे |
(घ) 'स्ितंत्रता' पर हकसी को कोई आपवत्त क्यों नहीं है ? सही विकल्प छाुँहटए:-
I. इससे समाज में दासता समाप्त हो जाएगी।
II.क्योंहक स्ितंत्रता सभी को जानत विरोधी लगती है ।
III. क्योंहक सभी को स्ितंत्र और सुरजक्षत रहना वप्रय है ।
IV. इसके साथ भी जानतिाद और र्ोषण की प्रहक्रया बनी रहती है ।
(ङ.) जानत प्रथा के पोषक से लेखक का क्या तात्पया है ? सही विकल्प का चयन कीजजए:-उत्तर-
I. जानत के चयन को बढ़ािा दे ने िाले
II. जानतगत भेदभाि को प्राथनमकता दे ने िाले !
III. जानतगत भेदभाि के व्यिहार को समानप्त दे ने िाले
IV.जानत को कानूनी मान्द्यता हदलाने की कोनर्र् करने िाले |
उत्तर – (क) I, (ख) II, (ग) IV, (घ) IV, (ङ.) II

अनभकथन तका -(Assertion and reasoning)

1 अनभकथन- जानतिाद के पोषक जानतिाद का समथान करते हैं ।


कारण- आधुननक सभ्य समाज काया-कुर्लता' के नलए श्रम विभाजन को आिश्यक मानता है ।
(क) कथन और कारण दोनों सही हैं और कारण कथन की सही व्याख्या है ।
(ख) कथन और कारण दोनों सही है परन्द्तु कारण कथन की सही व्याख्या नहीं करता है ।
(ग) कथन सही है , कारण गलत है ।
(घ)कथन गलत है , कारण सही है ।
2अनभकथन- भारत की जानत व्यिस्था विश्व के हकसी भी समाज में नहीं पाया जाता।
कारण- यह श्रनमकों का अस्िाभाविक विभाजन ही नहीं करती बजल्क विभाजजत िगों को एक-दस
ू रे की
अपेक्षा ऊुँच-नीच भी करार दे ती है ।
(क) कथन और कारण दोनों सही है और कारण कथन की सही व्याख्या करता है ।
(ख) कथन और कारण दोनों सही है , परन्द्तु कारण कथन की सही व्याख्या नहीं करता है ।
(ग) कथन सही है , कारण गलत है । (घ)कथन गलत है , कारण सही है ।
3अनभकथन- भारत की जानतप्रथा स्िाभाविक विभाजन नहीं है ।
कथन -यह मनुष्य की रुनच पर आधाररत नहीं है ।
(क) कथन और कारण दोनों सही है और कारण कथन की सही व्याख्या करता है ।

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(ख) कथन और कारण दोनों सही है परन्द्तु कारण कथन की सही व्याख्या नहीं करता है ।
(ग) कथन सही है , कारण गलत है ।
(घ) कथन गलत है , कारण सही है ।
4कथन (A) डॉक्टर अंबेडकर जी ने अपने आदर्ा समाज के भाईचारा में जस्त्रयों को भी सजम्मनलत हकया
है ।
कारण (R) समाज स्त्री और पुरुष दोनों से ही बनता है ।
क. कथन A और कारण दोनो सही हैं और कारण, कथन A की सही व्याख्या है ।
ख. कथन A और कारण दोनों सही हैं और कारण R. कथन A की सही व्याख्या नहीं है ।
ग. कथन A सही है , हकंतु कारण 8 गलत है |
घ. कथन A गलत है , हकंतु कारण सही है |
5कथन (A) जानत प्रथा आधाररत भारतीय समाज में कोई कमी नहीं है ।
कारण (R) भारतीय समाज में जानतयों के आधार पर जीिन के अनेक क्षेत्र में भेदभाि पूणा व्यिहार होता
है जो एक र्ब्द समाज के नलए उनचत नहीं कहा जा सकता है ।
क. कथन A और कारण दोनो सही हैं और कारण, कथन A की सही व्याख्या है ।
ख. कथन A और कारण दोनों सही हैं और कारण R. कथन A की सही व्याख्या नहीं है ।
ग. कथन A सही है , हकंतु कारण 8 गलत है |
घ. कथन A गलत है , हकंतु कारण सही है |
उत्तरमाला- 1. क , 2. क , 3. क , 4. क , 5. घ

िणानात्मक प्रश्न-

.1जानत प्रथा को श्रम विभाजन का ही एक रूप न मानने के पीछे आंबेडकर के क्या तका हैं ? जानत प्रथा को
श्रम विभाजन का आधार क्यों नहीं माना जा सकता? पाठ से उदाहरण दे कर समझाइए।

उत्तर- 1. जानत प्रथा श्रम विभाजन के साथ-साथ श्रनमक विभाजन भी कराती है । सभ्य समाज में श्रनमकों
का विनभन्द्न िगों में विभाजन अस्िाभाविक है ।
2. जानत प्रथा में श्रम विभाजन मनुष्य की रुनच पर आधाररत नहीं है ।
3.इसमें मनुष्य के प्रनर्क्षण अथिा ननजी क्षमता का विचार हकए वबना हकसी दस
ू रे के िारा उसके नलए
पेर्ा ननधााररत कर हदया जाता है ।
4. जानत प्रथा मनुष्य को जीिन भर के नलए एक पेर्े में बाुँध दे ती है , भले ही िह अपयााप्त क्यों न हो।
इससे भुखमरी ि बेरोजगारी बढती है |

2. जानत प्रथा भारतीय समाज में बेरोजगारी ि भुखमरी का भी एक कारण कैसे बनती रही है ? क्या यह
जस्थनत आज भी है ?
उत्तर- जानत प्रथा भारतीय समाज में बेरोजगारी ि भुखमरी का कारण भी बनती रही है । भारत में जानत
प्रथा के कारण व्यवक्त को जन्द्म के आधार पर एक पेर्े से बांध हदया जाता था। इससे व्यवक्त की रुनच या
कुर्लता का ध्यान नहीं रखा जाता था। उस पेर्े से गुजारा होगा या नहीं. इस पर भी विचार नहीं हकया
जाता था। इस कारण भुखमरी की जस्थनत आ जाती थी। इसके अनतररक्त संकट के समय भी मनुष्य को
अपना पेर्ा बदलने की अनुमनत नहीं दी जाती थी। अतः यहद िह व्यिसाय बदला जाए तो बेरोजगारी
बढ़ती है । आज भारत की जस्थनत बदल रही है । सरकारी कानून सामाजजक सुधार विश्वव्यापी पररितानों से
जानत प्रथा के बंधन से मुवक्त दी गई है । आज अपनी जानत से अलग पेर्ा अपना रहे है ।
3. लेखक के मत से 'दासता' की व्यापक पररभाषा क्या हैं ? समझाइए।
उत्तर- लेखक के अनुसार, दासता केिल कानूनी पराधीनता को ही नहीं कहा जा सकता। 'दासता' में िह
जस्थनत भी सजम्मनलत है । जजससे कुछ व्यवक्तयों को दस
ू रे लोगों के िारा ननधााररत व्यिहार एिं कताव्यों का
पालन करने के नलए वििर् होना पड़ता है । यह जस्थनत कानूनी पराधीनता न होने पर भी पाई जा सकती
है ।

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4.र्ारीररक िंर् परं परा और सामाजजक उत्तरानधकार की दृवष्ट से मनुष्यों में असमानता संभावित रहने के
बािजूद समता को एक व्यिहाया नसद्धांत मानने का आग्रह क्यों करते हैं ? इसके पीछे उनके क्या तका है ?
उत्तर- र्ारीररक िंर्-परं परा और सामाजजक उत्तरानधकार की दृवष्ट से मनुष्यों में असमानता संभावित रहने
के बािजूद असमानता को एक व्यिहाया नसद्धांत मानने का आग्रह करते है क्योंहक समाज को अपने सभी
सदस्यों से अनधकतम उपयोनगता तभी प्राप्त हो सकती है जब उन्द्हें आरं भ से ही समान अिसर एिं समान
व्यिहार उपलब्ध कराए जाएं। व्यवक्त को अपनी क्षमता के विकास के नलए समान अिसर दे ने चाहहए।
अतः सभी व्यवक्तयों के साथ समान व्यिहार करना चाहहए।
5.सही में अबेडकर ने भािनात्मक समत्ि की मानिीय दृवष्ट के तहत जानतिाद का उन्द्मूलन चाहा है ,
जजसकी प्रनतष्ठा के नलए भौनतक जस्थनतयों और जीिन सुविधाओं का तका हदया है । क्या इससे आप
सहमत हैं ?

उत्तर- आंबेडकर ने भािनात्मक समत्ि की मानिीय दृवष्ट के तहत जानतिाद का उन्द्मूलन चाहा, जजसकी
प्रनतष्ठा के नलए भौनतक जस्थनतयों और जीिन सुविधाओं का तका हदया है । हम उनकी इस बात से सहमत
है । आदमी की भौनतक जस्थनतयाुँ उसके स्तर को ननधााररत करती है । जीिन जीने की सुविधाएुँ मनुष्य को
सही मायनों में मनुष्य नसद्ध करती है । व्यवक्त का रहन सहन और चाल चलन काफी हद तक उसकी
जातीय भािना को खत्म कर दे ता है ।

6.आदर्ा समाज के तीन तत्िों में से एक 'भातृता' को रखकर लेखक ने अपने आदर्ा समाज में जस्त्रयों को
भी सजम्मनलत हकया है अथिा नहीं? आप इस 'भातृता' र्ब्द से कहाुँ तक सहमत हैं ? यहद नहीं, तो आप
क्या र्ब्द उनचत समझेंगे / समझेगी?
उत्तर- आदर्ा समाज के तीन तत्िों में से एक 'भातृता' को रखकर लेखक ने अपने आदर्ा समाज में जस्त्रयों
को भी सजम्मनलत हकया है । लेखक समाज की बात कर रहा है और समाज स्त्री-पुरुष दोनों से नमलकर बना
है । उसने आदर्ा समाज में हर आयुिगा को र्ानमल हकया है । 'भ्रातृता' र्ब्द संस्कृ त का र्ब्द है जजसका
अथा है -भाईचारा यह सिाथा उपयुक्त है । समाज में भाईचारे के सहारे ही संबंध बनते है । कोई व्यवक्त एक
दस
ू रे से अलग नहीं रह सकता। समाज में भाईचारे के कारण ही कोई पररितान समाज के एक छोर से
दस
ू रे छोर तक पहुंचता है ।

7. समता काल्पननक जगत की िस्तु है । हफर भी इस पर बल क्यों हदया जाता है ?

उत्तर- सभी मनुष्यों में र्ाररररक िंर् परं परा, सामाजजक, उत्तरानधकार ि मनुष्य के अपने प्रयत्न
एक समान नहीं हो सकती । इसनलए समता काल्पननक जगत की िस्तु है । डॉ आंबेडकर का
मानना है हक समाज में सभी लोगों को आगे बढ़ने का समान अिसर नमलना चाहहए ि उनके
साथ समान व्यिहार होना चाहहए। यही समता है और इसी पर बल हदया गया है ।

8.आदर्ा समाज के तत्ि नलजखए।

उत्तर- आदर्ा समाज के तीन तत्त्ि हैं –


भ्रातृता/भाईचारा:- समाज के बहुविनध हहतों में सबका भाग होना चाहहए तथा सबको उनकी रक्षा
के प्रनत सजग रहना चाहहए |
स्ितंत्रता :- जब मनुष्य को गमनागमन, सुरक्षा, संपवत्त आहद की स्ितंत्रता के समान पेर्ा चुनने
की भी छूट होनी चाहहए ।
समता : र्ाररररक िंर् परं परा, सामाजजक, उत्तरानधकार ि मनुष्य के अपने प्रयत्न अलग-अलग
होने बािजूद सभी मनुष्यों को आगे बढने के समान अिसर नमलने चाहहए ।

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वितान भाग-2
पाठ-1 नसल्िर िैहडं ग -मनोहर श्याम जोर्ी

पाठ का सार/ बहुविकल्पीय प्रश्नों हे तु नोट्स-


1.कहानी के बीज िाक्य- ‘जो हुआ होगा’, समहाउ इम्प्रापर , मूल सम्िेदना- पीढ़ी अन्द्तराल
2.यर्ोधर पन्द्त होम नमननस्िी में सेक्र्न ऑहफसर थे, हकर्नदा(कृ ष्णानन्द्द पांडे) की तरह
ऑहफस से चलते-चलते जूननयरों से मनोरं जक बात की, मैहिक परीक्षा रे म्जे स्कूल अल्मोड़ा से
पास की |
3.चड्ढा के पूछने पर यर्ोधर बाबू ने बताया हक घड़ी उन्द्हें र्ादी में नमली थी, मेनन के पूछने
पर बताया हक उनकी र्ादी 06-02-1947 को हुई तब मेनन ने कहा हक आज उनकी नसल्िर
िैहडं ग है (र्ादी के 25 िषा / रजत जयंती)
4.चड्ढा के कहने पर यर्ोधर बाबू ने दो बार पैसे हदए(10 ि 20 रु.) - यर्ोधर बाबू कंजूस थे
5.ऑहफस से लौटते िक्त यर्ोधर बाबू जाते थे- वबरला मजन्द्दर- पहाड़गंज – घर (8 बजे)
6.यर्ोधर बाबू गोल माकेट में रहना चाहते थे- गोल माकेट ढहाए जाने का गम मनाने के नलए
7.यर्ोधर बाबू का पररिार-
• बड़ा लड़का भूषण- विज्ञापन संस्था में नौकरी, योग्यता साधारण परन्द्तु िेतन असाधारण,
रू.1500, यर्ोधर बाबू को यह समहाउ इम्प्रापर लगता है
• दस
ू रा बेटा IAS की तैयारी कर रहा था, ‘एलाइड सविासेस’ में न ‘ज्िाइन’ करना यर्ोधर
बाबू को सही नही लग रहा था
• तीसरा बेटा स्कालरनर्प लेकर अमेररका गया
• बेटी र्ादी का प्रस्ताि न मानती, डॉक्टरी की पढाई करने के नलए अमेररका जाने की
धमकी दे ती
• पत्नी – समय के साथ ढल सकने में सफल होती है क्योंहक
• िह बच्चों की तरफदारी करती थीं, खुल कर जीना चाहती थी, आधुननक बनना चाहती थी
जैसे – वबना बाुँह का ब्लाउज पहनना, ऊुँची हील िाली सैंहडल पहनना, रसोई के बाहर
दाल-भात खाना, नलवपजस्टक लगाना, बालों में जखज़ाब लगाना आहद |
• यर्ोधर बाबू - समय के साथ ढल नहीं पाते क्योंहक िे पररितान को सहजता से स्िीकार
नहीं कर पाते थे, िे आदर्ािादी,परं परािादी थे , हकर्नदा का उन पर प्रभाि था, भारतीय
संस्कृ नत को मानने िाले ि पाश्चात्य संस्कृ नत के विरोधी थे |
8.यर्ोधर बाबू में एक तरह का िं ि है जजसके कारण नया उन्द्हें कभी-कभी खींचता है पर
पुराना उन्द्हें छोड़ता नहीं | इसनलए उन्द्हें सहानुभूनत से दे खने की ज़रूरत है |
9.यर्ोधर बाबू बच्चो की तरक्की से खुर् थे परन्द्तु बच्चे गरीब ररश्तेदारों की उपेक्षा करते थे जो
अच्छा नही था
10.जो हुआ होगा – यथाजस्थनतिाद को प्रकट करता है | यह कहानी में दो बार आया –
(i)पता नहीं क्या हुआ होगा – जब यर्ोधर हकर्नदा के गाुँि जाकर उनके जानत भाई से उनकी
मृत्यु का कारण पूछते हैं |
(ii) मरते समय सब अकेले – संध्या पूजा के समय हकर्नदा यर्ोधर के ध्यान में आते हैं और
कहते हैं सभी जो हुआ होगा से ही मरते हैं अथाात मरते समय सब अकेले होते हैं , चाहे िो
गृहस्थ हो या संन्द्यासी, अमीर हो या गरीब |
11.समहाउ इम्प्रापर – अननणाय की जस्थनत| जो बात यर्ोधर बाबू को अपने विचारों ि
परम्पराओं के अनुसार ठीक नहीं लगती थी | जैसे – पत्नी ि बेटी का आधुननक कपड़े पहनना,
स्कूटर की सिारी, भूषण का टी.िी. हफ्रज खरीदना, भूषण को असाधारण िेतन दे ना |
समहाउ इम्प्रापर के तहकया कलाम से कहानी में पीढ़ी अंतराल का कथ्य स्पष्ट होता है |
12.हकर्नदा के ररटायर होने पर यर्ोधर बाबू उनकी सहायता नहीं कर पाए – यर्ोधर बाबू
अपने पररिार को नाराज़ नहीं करना चाहते थे |
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13.बच्चों की बात जो यर्ोधर बाबू ने नहीं मानी और उन्द्हें अपनी भयंकर भूल मालूम होती है –
डी.डी. ए. फ़्लैट के नलए पैसा न भरना |
14.यर्ोधर बाबू अपने बीमार जीजाजी जनादान को दे खने अहमदाबाद जाना चाहते थे परन्द्तु
उनकी पत्नी ि बच्चों को लगता था हक यर्ोधर जी का एक तरिा लगाि आनथाक दृवष्ट से
मूखत
ा ापूणा है
15.हकर्नदा की जो छवि यर्ोधर बाबू के मन में बसी थी – सुबह सैर के नलए ननकलने िाली
(कुताा-पाजामा, ऊनी गाउन,गोल टोपी, पाुँिों में दे सी खड़ाऊं, हाथ में कुत्तों को भगाने के नलए
छड़ी)
16.यर्ोधर बाबू के दरू के ररश्ते का भांजा जो नसल्िर िैहडं ग में आया – चंरदत्त नतिारी
17.यर्ोधर बाबू की बेटों िारा खरीदी गई नई चीज़ों पर हटलपणी –
• गैस पर बनी रोटी उन्द्हें रोटी जैसी नहीं लगती, हफ्रज के बासी खाने को खाना उन्द्हें
अच्छा नहीं लगता परन्द्तु उन्द्हें संतोष है हक उनके घर आये साधारण है नसयत िाले
मेहमान इस हफ्रज का पानी पीकर अपने आप को धन्द्य महसूस करते हैं |
• नसल्िर िैहडं ग पाटी उन्द्हें समहाउ इम्प्रापर मालूम होती है परन्द्तु उन्द्हें संतोष है हक उनके
जन्द्महदन पर कभी लड्डू नहीं आए और वििाह उन्द्होंने दो से चार हज़ार कज़ाा लेकर
हकया लेहकन उनकी नसल्िर िैहडं ग पाटी में केक, नमठाई, फल, कोल्डहड्रं क ि चाय सब हैं
18.यर्ोधर की पत्नी का चचेरा भाई जजसने भूषण को नौकरी हदलिाई – नगरीर्
19.पाटी के अंत में भूषण ने उन्द्हें ऊनी ड्रे नसंग गाउन और बेटी ने कुताा-पाजामा दे ते हुए कहा हक
आप दध
ू लेने जाते समय यह पहना करें , जो उन्द्हें बुरा लगा |
20.अंत में गाउन पहनते िक्त उनकी आुँखों में आुँसू थे क्योंहक –
(i)उनके बेटे ने यह नहीं कहा हक दध
ू मैं ला दुँ ग
ू ा |
(ii)उन्द्हें हकर्नदा की याद आ गई |
पाठ पर आधाररत बहुविकल्पीय प्रश्न
1.‘आप लोगों की दे खादे खी से सेक्सन की घडी भी सुस्त चलने लगी है ’यह हकसका कथन है ?
(a) यर्ोधर पन्द्त का (b) चड्ढा का
(c) हकर्न दा (d) भगिान दास का
2.यर्ोधर दफ्तर में हकर्न दा को क्या कहकर पुकारते थे ?
(a) मानलक (b) साहब
(c) भाई साहब (d) बाबूजी
3.यर्ोधर बाबू ने मैहिक परीक्षा कहाुँ से पास की थी ?
(a) रे म्जे स्कूल हदल्ली (b) रे म्जे स्कूल दे हरादन

(c) रे म्जे स्कूल अल्मोड़ा (d) रे म्जे स्कूल जयपुर
4. भगिान दास कौन था ?
(a) यर्ोधर के ऑहफस का सहकमी
(b) यर्ोधर के ऑहफस का चपरासी
(c) यर्ोधर का दोस्त
(d) चड्ढा का दोस्त
5. ‘हमारे लोगों में कस्टम नहीं है ’ रे खांहकत र्ब्द का अथा है ?
(a) सामान (b) अच्छाई
(c) बोलने का तरीका (d) रीनत ररिाज
5. हकर्न दा का इनमे से कौनसा कथन नहीं था ?
(a) मूखा लोग मकान बनाते है और होनर्यार रहते है
(b) अली टू बेड एंड अली टू राइज मेक्स ए मेन हे ल्दी एंड िाइज
(c) जजम्मेदारी सर पर पड़े गी तो सब अपने आप ही ठीक हो जायेगा
(d) हमारा तो सैप ही ऐसा ठहरा

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6. ‘जन्द्यो पूजणामा’ क्या है ?


(a) जनेऊ पूजणामा (होली) (b) बुद्ध पूजणामा
(c) गुरु पूजणमा (d) उपरोक्त सभी
7. यर्ोधर बाबू ने ‘नसल्िर िैहडं ग’ पाठ में हकस बस्ती का जजक्र हकया है ?
(a) एंड्रूज गंज (b) लक्ष्मी बाई नगर
(c) पंडारा रोड़ (d) उपरोक्त सभी
8. सामाजजक जीिन में जो काया नसद्धांत विरुद्ध हो तब यर्ोधर हकस तहकया कलाम का उपयोग
करते थे ?
(a) जो हुआ होगा (b) समहाउ इम्प्रापर
(c) आई डू नॉट माइं ड (d) उपरोक्त में से कोई नहीं
9. ‘नसल्िर िैहडं ग’ पाठ की मूल संिेदना क्या है
(a) हानर्ये पर धकेले जाते मानिीय मूल्य
(b) पीढीजन्द्य अंतराल
(c) पाश्चात्य संस्कृ नत का प्रभाि
(d) आधुननकता का प्रभाि
10. यर्ोधर की पत्नी के चररत्र की कौनसी विर्ेषता थी ?
(a) आधुननकता की चाह
(b) पुराने संस्कारों को मानना
(c) पनत के विचारों से सहमती रखने िाली
(d) ररश्तेदारो से अच्छा व्यिहार करना
11. यर्ोधर अपने ऑहफस में हकस पद पर कायारत थे ?
(a) एजुकेर्न ऑहफसर (b) रीजनल ऑहफसर
(c) सेक्र्न ऑहफसर (d) अनसस्टं ट ऑहफसर
12. यर्ोधर बाबू अपनी पत्नी आधुननकता को दे खकर हकन-हकन नामों से संबोनधत करके मजाक
उड़ाया करता था ?
(a) र्ानयल बुहढया (b) चटाई का लहं गा बूढी मुहुँ मुहासे
(c) लोग करे तमासे (d) ऊपर हदए हुए सभी
13. यर्ोधर बाबू के पुत्र को विज्ञापन कम्पनी में हकतनी मानसक सेलेरी नमलती थी ?
(a) 1000 रुपये (b) 1200 रुपये
(c) 1500 रुपए (d) 2000 रुपये
14. ‘नसल्िर िैहडं ग’ कहानी में यर्ोधर बाबू की क्या भूनमका है ?
(a) चररत नायक की
(b) नए पररिेर् में नमसहफट होते हुए व्यवक्त की
(c) परं परािादी की
(d) इनमें से तीनों
15. ‘नसल्िर िैहडं ग’ पाठ में मयाादा पुरुष हकसे कहा गया है ?
(a) यर्ोधर बाबू को (b) कृ ष्णानन्द्द पाण्डे य को
(c) भूषण को (d) नगरीर् को
16. ननम्न में से कौनसी बात यर्ोधर बाबू को ‘समहाउ इम्प्रापर’ लगती है ?
(a) साधारण पुत्र को असाधारण िेतन नमलने पर
(b) खुर्हाली में ररश्तेदारों की उपेक्षा करने पर
(c) केक काटने की विदे र्ी परं परा पर
(d) उपरोक्त सभी

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17. उम्र बढ़ने के साथ-साथ यर्ोधर बाबू ने हकर्नदा के कौन से मानक स्थावपत हकये ?
(a) रोज मंहदर जाना (b) संध्या पूजा करना
(c) गीता प्रेस गोरखपुर की हकताबे पढना (d) उपरोक्त सभी
18. यर्ोधर की पत्नी यर्ोधर की हकस नारे से नचड़ती थी ?
(a) जो हुआ होगा (b) समहाउ इम्प्रापर
(c) आई डू नॉट माइं ड (d) ‘हमारा तो सैप’ ही ऐसा ठहरा
19.यर्ोधर की पत्नी ने जनम से बूढा हकसे कहा है ?
(a) यर्ोधर को (b) हकर्नदा को
(c) उपरोक्त दोनों को (d) हकसी को नहीं
20. सुमेनलत कीजजए -
1 सी जी एच एस से - (A) सब्जी लाना
2 पहाड़गंज से - (B) कोयला लाना
3 हडपो से - (C) दालें लाना
4 सदर बाजार से - (D) दिा लाना
(a) 1 (C), 2 (B), 3 (D), 4 (A)
(b) 1 (B), 2 (C), 3 (A), 4 (D)
(c) 1 (D), 2 (A), 3 (B), 4 (C)
(d) 1 (D), 2 (A), 3 (C), 4 (B)
उत्तर तानलका
1 2 3 4 5 6 7 8 9 10
a b c b d d a d b A
11 12 13 14 15 16 17 18 19 20
c d c d b d d d b c
दक्षता आधाररत प्रश्न
1.कथन - समहाउ इम्प्रोपर का संबंध यर्ोधर के व्यवक्तत्त्ि से था |
कारण – यह िाक्यांर् उनके पुराने परम्परािादी व्यवक्तत्त्ि पर प्रश्न नचह्न लगाता है
a. कथन और कारण दोनों सत्य है ,कारण कथन की सही व्याख्या करता है
b. कथन और कारण दोनों सत्य है ,कारण कथन की सही व्याख्या नहीं करता है
c. कथन सत्य है और कारण असत्य है
d. कथन और कारण दोनों असत्य है
उत्तर- a. कथन और कारण दोनों सत्य है ,कारण कथन की सही व्याख्या करता है
2. कथन – भूषण को अपने वपता का साईहकल चलाना नागिार गुजरता है |
कारण – क्योंहक है नसयत के हहसाब से साईहकल छोटा िाहन है |
a. कथन और कारण दोनों सत्य है ,कारण कथन की सही व्याख्या करता है
b. कथन और कारण दोनों सत्य है ,कारण कथन की सही व्याख्या नहीं करता है
c. कथन सत्य है और कारण असत्य है
d. कथन और कारण दोनों असत्य है
उत्तर b. कथन और कारण दोनों सत्य है ,कारण कथन की सही व्याख्या नहीं करता है
3. कथन – यर्ोधर बाबू को अपने साधारण बेटे को असाधारण िेतन दे ने िाली नौकरी ‘समहाउ’
लगती है |
कारण – िह अपने बेटे की तरक्की से खुर् नहीं है |
a. कथन और कारण दोनों सत्य है ,कारण कथन की सही व्याख्या करता है
b. कथन और कारण दोनों सत्य है ,कारण कथन की सही व्याख्या नहीं करता है
c. कथन सत्य है और कारण असत्य है
d. कथन और कारण दोनों असत्य है
उत्तर- c. कथन सत्य है और कारण असत्य है
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4. कथन – यर्ोधर जी का प्रिचनों में खासा ध्यान लगता है |
कारण – क्योंहक िे बचपन से ही धानमाक और कमाकांडी थे |
a. कथन और कारण दोनों सत्य है ,कारण कथन की सही व्याख्या करता है
b. कथन और कारण दोनों सत्य है ,कारण कथन की सही व्याख्या नहीं करता है
c. कथन सत्य है और कारण असत्य है
d. कथन और कारण दोनों असत्य है
उत्तर-c. कथन सत्य है और कारण असत्य है
5. ननम्न कथनों पर विचार कीजजए –
कथन-A हकर्न दा की मौत ‘जो हुआ होगा’ से हुई होगी |
कथन-B यर्ोधर बचपन से ही परम्परािादी और कमाकांडी थे |
कथन-C यर्ोधर मन ही मन अपने बच्चों की तरक्की से खुर् थे |
a. कथन A तथा B सत्य है
b. कथन A तथा C सत्य है
c. कथन A,B तथा C तीनों असत्य है
d. कथन A,B तथा C तीनों सत्य है
उत्तर- b. कथन A तथा C सत्य है
अभ्यास के नलए महत्त्िपूणा प्रश्न
1. कहानी ‘नसल्िर िैहडं ग’ में हकर्नदा की मृत्यु के संदभा में ‘जो हुआ होगा’ से कहानीकार का क्या
तात्पया रहा है ?
I. लेखक मृत्यु से बहुत दख
ु ी है
II. लेखक को मृत्यु का कारण पता है
III. लेखक मृत्यु के कारण से अपररनचत हैं
IV. लेखक को मृत्यु से कोई अंतर नहीं पड़ता
2. हकर्नदा के ररटायर होने पर यर्ोधर बाबू उनकी सहायता नहीं कर पाए थे, क्योंहक-
I. यर्ोधर बाबू की पत्नी हकर्नदा से नाराज़ थी |
II. यर्ोधर बाबू के घर में हकर्नदा के नलए स्थान का अभाि था |
III. यर्ोधर बाबू का अपना पररिार था जजसे िे नाराज़ नहीं करना चाहते थे |
IV. हकर्नदा को यर्ोधर बाबू ने अपने घर में स्थान दे ना चाहा था जजसे हकर्नदा ने स्िीकार
नहीं हकया |
3. यर्ोधर बाबू की असफलता का क्या कारण था ?
I. हकर्नदा उन्द्हें भड़काते थे
II. पत्नी बच्चों से अनधक प्रेम करती थी
III. पीढ़ी के अंतराल के कारण
IV. िे पररितान को सहजता से स्िीकार नहीं कर पाते थे
4. यर्ोधर बाबू के बारे में आपकी क्या धारणा बनती है ?सही कथन चुननए |
I. यर्ोधर बाबू के विचार पूरी तरह से पुराने हैं | िे सहानुभूनत के पात्र नहीं हैं |
II. यर्ोधर बाबू में एक तरह का िं ि है जजसके कारण नया उन्द्हें कभी-कभी खींचता है पर पुराना उन्द्हें
छोड़ता नहीं | इसनलए उन्द्हें सहानुभूनत से दे खने की ज़रूरत है |
III. यर्ोधर बाबू एक आदर्ा व्यवक्तत्त्ि है और नयी पीढ़ी िारा उनके विचारों को अपनाना ही उनचत है |
IV. इनमें से कोई नहीं |
5. नसल्िर िैहडं ग पाटी उन्द्हें समहाउ इम्प्रापर मालूम होती है परन्द्तु उन्द्हें संतोष है हक -
I. वििाह उन्द्होंने दो से चार हज़ार कज़ाा लेकर हकया लेहकन उनकी नसल्िर िैहडं ग पाटी में केक,
नमठाई, फल, कोल्डहड्रं क ि चाय सब हैं
II. उनके बेटों ने पहली बार पाटी आयोजजत की है
III. उनके बच्चों को उनकी परिाह है ि खूब तरक्की कर रहे हैं

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IV. उनके बच्चे संस्कारी हो गए हैं
6. नसल्िर िेहडं ग' का क्या अथा है ?
I. र्ादी की रजत जयंती II. र्ादी के 25 िषा पूरा हो जाने का अिसर
III.उपयुक्त
ा दोनों IV. इनमें से कोई नहीं
7. पाुँच साढ़े पाुँच बजे दफ्तर से चलते-चलते यर्ोधर बाबू की आदत क्या थी-
I. सबको साथ लेकर चलना। II. सहयोनगयों के साथ मनोरं जक बात करना।
III. सबसे पहले दफ्तर से जाना। IV. फाइलों को सही जगह रखना।
8. ऑहफस में यर्ोधर बाबू की र्ादी की बात कैसे चली ?
I. ऑहफस में लेट आने पर II. ऑहफस से जल्दी जाने पर
III. समय पर काम खत्म करने पर IV. घड़ी के बारे में चचाा करने पर
9. यर्ोधर बाबू ने दफ्तर में पाटी के नलए पैसे दो बार हदए, एक बार दस रुपये और दस
ू री बार
बीस रुपये, इससे पता चलता है हक–
I. िे नमतव्ययी हैं II. िे अपव्ययी हैं
III. कंजूस हैं IV. अनुनचत खचा करने िाले हैं
10. दनु नयादारी के हहसाब से अपने बच्चों की कौन सी बात यर्ोधर बाबू अपनी गलती के तौर
पर स्िीकार करते हैं ---
I. गोल माकेट में रहना II. सरकारी क्िाटा र में रहना
III. हकर्न दा का गांि में रहना IV. डी. डी.ए फ्लैट के नलए पैसा न भरना
11. यर्ोधर बाबू के जीिन में हकर्नदा के योगदान से सम्बंनधत असत्य कथन है -
I. यर्ोधर की सोच पर हकर्नदा का प्रभाि था
II. हकर्नदा ने यर्ोधर को अपने घर में आश्रय हदया और उसकी नौकरी लगिाई
III. हकर्नदा ने उन्द्हें सामाजजक ि दफ्तरी जीिन की व्यािहाररकता नसखाई
IV. हकर्नदा ने उन्द्हें पढ़ने के नलए आनथाक मदद दी
12. यर्ोधर जी ने सेक्रेहिएट साइहकल से जाना क्यों बंद कर हदया ?
I. उन्द्होंने स्कूटर खरीद नलया था
II. उन्द्होंने कार खरीद ली थी
III. उनका बेटा साइहकल से कॉलेज जाता था
IV. उनके बेटों का वपता का साइहकल सिार होना सख्त नागिार था-
13. यर्ोधर बाबू के अनुसार ननम्ननलजखत में से समहाउ इम्प्रापर नहीं था -
I. भूषण का टी.िी. हफ्रज खरीदना II. साधारण बेटे को असाधारण िेतन
III. स्कूटर की सिारी
IV. घर आए साधारण है नसयत िाले मेहमानों का हफ्रज का पानी पीकर अपने आप को धन्द्य महसूस करना
14. कहानी के अंत में गाउन पहनते िक्त उनकी आुँखों में आुँसू थे क्योंहक –
I. उनके बेटे ने यह नहीं कहा हक दध
ू मैं ला दुँ ग
ू ा II. उन्द्हें हकर्नदा की याद आ गई
III. उपयुक्त
ा दोनों IV. इनमें से कोई नहीं

उत्तरमाला-
1 III 4 II 7 II 10 IV 13 IV
2 III 5 I 8 IV 11 IV 14 III
3 IV 6 III 9 III 12 IV
िणानात्मक प्रश्न-
प्रश्न-1 यर्ोधर बाबू की पत्नी समय के साथ ढल सकने में सफल होती है , लेहकन यर्ोधर बाबू
असफल रहते हैं । ऐसा क्यों? (CBSE)
उत्तर- यर्ोधर बाबू की पत्नी समय के साथ ढल सकने में सफल होती है क्योंहक उसमें अपने
बच्चों के प्रनत प्रेम था जजसके कारण िह उनकी तरिदारी करती थी। िह स्ितंत्र होकर जीना
चाहती थी। उस पर हकसी व्यवक्त विर्ेष का प्रभाि नहीं था और उसका व्यिहार बहुत लचीला था

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यर्ोधर बाबू समय के साथ ढल सकने में असफल हुए हैं क्योंहक िे एक आदर्ािादी ि
परम्परािादी व्यवक्त थे । िे पाश्चात्य संस्कृ नत के घोर विरोधी थे | उन पर हकर्नदा के आदर्ों
का प्रभाि था और उनके व्यिहार में लचीलापन नहीं था|
प्रश्न 2. पाठ में ‘जो हुआ होगा’िाक्य की आप हकतनी अथा छवियाुँ खोज सकते/सकती हैं ?
(CBSE)
उत्तर: पाठ में 'जो हुआ होगा' दो बार प्रयुक्त हुआ है | पहली बार जो हुआ होगा तब प्रयुक्त होता
है जब यर्ोधर बाबू हकर्नदा के गाुँि जाकर उनके जानत-भाई उनकी मृत्यु का कारण पूछते हैं
तो िह कहता है हक जो हुआ होगा अथाात ् पूता नहीं क्या हुआ होगा ।
दस
ू री बार जो हुआ होगा तब प्रयोग हुआ जब संध्या-पूजन के समय यर्ोधर बाबू के ध्यान में
अचानक हकर्नदा आते हैं और कहते हैं हक गृहस्थ हों, ब्रह्मचारी हों, अमीर हों, गरीब हों। सभी
इसी जो हुआ होगा' से मरते हैं अथाात ् मरते समय हर हर आदमी अकेला होता है ।

प्रश्न 3.‘समहाउ इं प्रापर’ िाक्यांर् का प्रयोग यर्ोधर बाबू लगभग हर िाक्य के प्रारं भ में तहकया
कलाम की तरह करते हैं ? इस काव्यांर् का उनके व्यवक्तत्ि और कहानी के कथ्य से क्या संबंध
बनता है ? (CBSE)
उत्तर: जो बात यर्ोधर बाबू को भारतीय संस्कृ नत के अनुसार ठीक नहीं लगती थी या उनचत नहीं
लगती थी उसे िह 'समहाऊ इमप्रापर' मानते थे। जैसे उनकी पत्नी का आधुननक बनना, बड़े बेटे
भूषण को असाधारण िेतन नमलना, बेटी िारा जीन्द्स टॉप पहनना आहद । इससे उनके व्यवक्तत्ि के
बारे में पता चलता है हक िे आदर्ािादी नसद्धांतिादी ि पुराने रीनत-ररिाज को मानने िाले व्यवक्त
थे । िे पाश्चात्य संस्कृ नत के घोर विरोधी थे और उनका व्यिहार लचीला नहीं था | इससे कहानी
के कथ्य में 'पीढ़ी अंतराल' का पता चलता है |

प्रश्न 4.यर्ोधर बाबू की कहानी को हदर्ा दे ने में हकर्नदा की महत्त्िपूणा भूनमका रही है । आपके
जीिन को हदर्ा दे ने में हकसका महत्त्िपूणा योगदान है और कैसे ? (CBSE)
उत्तर:मेरे जीिन को हदर्ा दे ने में सबसे महत्त्िपूणा योगदान मेरे गुरुओं का रहा है । उन्द्होंने हमेर्ा
मुझे यही नर्क्षा दी हक सत्य बोलो। सत्य बोलने िाला व्यवक्त हर तरह की परे र्ानी से मुक्त हो
जाता है जबहक झूठ बोलने िाला अपने ही जाल में फुँस जाता है । उसे एक झूठ छुपाने के नलए
सैकड़ों झूठ बोलने पड़ते हैं । अपने गुरुओं की इस बात को मैंने हमेर्ा याद रखा। िास्ति में
उनकी इसी नर्क्षा ने मेरे जीिन की हदर्ा बदल दी।

प्रश्न 5.ितामान समय में पररिार की संरचना, स्िरूप से जुड़े आपके अनुभि इस कहानी से कहाुँ
तक सामंजस्य वबठा पाते हैं ?
उत्तर: यर्ोधर बाबू और ितामान में पररिारों की जस्थनत एक समान हैं , जो इस प्रकार हैं –
1. यर्ोधर बाबू का पररिार के समान ितामान में भी लोग एकल पररिार में ही रहते हैं ।
2. यर्ोधर बाबू तथा उनके बच्चों में आपसी तालमेल नहीं था ि पीढ़ी अंतराल था और ितामान
पररिारों में भी ऐसा हदखाई दे ता है ।
4. यर्ोधर बाबू का पररिार और ितामान पररिार आधुननक सुख-सुविधाओं का पक्षधर है ।

प्रश्न 6. हकसे आप नसल्िर िैहडं ग कहानी की मूल संिेदना कहें गे/कहें गी और क्यों?
उत्तर: मेरी समझ में पीढ़ी अंतराल ही ‘नसल्िर िैहडं ग’ र्ीषाक कहानी की मूल संिेदना है । यर्ोधर
बाबू और उसके पुत्रों में एक पीढ़ी को अंतराल है । इसी कारण यर्ोधर बाबू अपने पररिार के
अन्द्य सदस्यों के साथ सामंजस्य नहीं वबठा पाते हैं । यह नसद्धांत और व्यिहार की लड़ाई है ।
यर्ोधर बाबू नसद्धांतिादी हैं तो उनके पुत्र व्यिहारिादी। आज नसद्धांत नहीं व्यािहाररकता चलती
है । यर्ोधर बाबू के विचार पूरी तरह से पुराने हैं जो नयी पीढ़ी के साथ कहीं भी तालमेल नहीं
रखते।

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पाठ-2 जूझ - डॉ. आनंद यादि


पाठ का सारांर् - “जूझ” कहानी मूलरूप से मराठी उपन्द्यास “झोबी” से ली गई हैं । जजसके
लेखक डॉ आनंद यादि हैं । इस मराठी कहानी का हहं दी अनुिाद केर्ि प्रथम िीर िारा हकया हैं ।
जूझ (अथाात जूझना या संघषा करना) कहानी आनंद यादि की आत्मकथा का एक हहस्सा है ।
इस कहानी के जररये आनंद यादि ने यह बताया है हक कैसे उन्द्होंने अपने बचपन के हदनों में
स्कूल जाने ि पढ़ने नलखने के नलए भी संघषा हकया। और हफर अपनी लगन ि मेहनत से
साहहत्य जगत में सिोच्च मुकाम हानसल हकया।
इस आत्मकथात्मक उपन्द्यास में जीिन का ममास्पर्ी नचत्रण तो है ही, अस्त-व्यस्त-अलमस्त
ननम्नमध्यमिगीय ग्रामीण समाज और लड़ते-जूझते हकसान-मजदरू ों के संघषा का भी अनूठी
झांकी है | हदए गए अंर् में पढने की लालसा नलए धीरे -धीरे साहहत्य, संगीत और अन्द्य विषयों
की ओर बढ़ते हकर्ोर के कदमों की आकुल आहत सुनी जा सकती है |
कुछ महत्िपूणा स्मरणीय प्रश्न:-
1.जूझ कहानी के लेखक कौन हैं – डॉ. आनंद यादि (आनंद रतन यादि)
2.“झोबी” उपन्द्यास हकस भाषा में नलखा गया हैं – मराठी
3.जूझ कहानी के र्ीषाक का अथा क्या हैं – संघषा करना / जूझारुपन
4.जूझ कहानी हकस र्ैली में नलखी गई हैं – आत्मकथात्मक र्ैली
5.जूझ कहानी का हहं दी अनुिाद हकसने हकया – केर्ि प्रथम िीर ने
6.जूझ कहानी के नायक की चररत्र की विर्ेषताएं क्या हैं – संघषार्ील ,जुझारूपन , पररश्रमी और
कविता के प्रनत लगाि
7.लेखक ने दब
ु ारा कौनसी कक्षा में दाजखला नलया – पांचिी कक्षा में
8.लेखक के वपता का क्या नाम था – रत्नालपा
9. गांि के मुजखया का नाम क्या था – दत्ताजीराि
10.लेखक क्यों पढ़ना चाहते थे – िो पढ़ – नलखकर कोई अच्छी नौकरी पाना चाहते थे।
11.पाठर्ाला जाने की बात लेखक ने सबसे पहले हकससे की – अपनी मां से
12.लेखक को सातिीं कक्षा तक कौन पढ़ाना चाहता था – मां
13.लेखक की मां के अनुसार उसके पनत ने लेखक को पाठर्ाला जाने से क्यों रोक हदया – खुद
काम से बचने केनलए
14.हकसके कहने पर लेखक के वपता ने लेखक को स्कूल भेजना र्ुरू हकया – गांि के मुजखया
दत्ताजी राि के कहने पर
15.पाठर्ाला जाने का समय हकस समय से था – सुबह 11:00 बजेसे
16.र्ता के अनुसार पाठर्ाला जाने से पहले लेखक को सिेरे हकतने बजे तक खेत में काम करना
होता था – 11 बजे तक
17.लेखक का दादा (वपता) जल्दी कोल्हू क्यों चलिाता था – क्योंहक िह अपने गुड से अच्छी
कमाई करना चाहता था या अनधक पैसे कमाने के नलए
18.जूझ पाठ के अनुसार लेखक के घर कोल्हू चलना कब से र्ुरू होता था – हदिाली के बाद
19.सौंदलगेकर हकस विषय के अध्यापक थे – मराठी
20.लेखक की कक्षा के मॉननटर का क्या नाम था – बसंत पाहटल
21.बसंतपाहटल की नकल करने से लेखक को क्या लाभ पहुंचा – िो गजणत विषय में प्रिीण हो
गए ,कक्षा में मॉननटर जैसा सम्मान नमला ि अध्यापक की नजरों में एक अच्छे छात्र की जगह
बनी।
22.लेखक की मां के अनुसार उसका पनत हदनभर बाहर हकसके पास रहता था –रखमाबाई
23.लेखक की मां के अनुसार पढ़ाई की बात करने पर लेखक का वपता कैसे गुरााता है – जंगली
सूअर के समान
24.लेखक के कक्षा – अध्यापक ि गजणत अध्यापक का क्या नाम था – मंत्री
25.जजस र्रारती लड़के ने लेखक के नसर से गमछा छीना था ,उसका क्या नाम था – चह्वाण

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26.दादा ने अपने बेटे के सामने स्कूल जाने के नलए क्या र्ता रखी –स्कूल जाने से पहले खेतों
में पानी भरना , स्कूल से आने के बाद जानिर चराना और घर में काम अनधक होने पर स्कूल
नजाना।
27.लेखक को अकेलेपन में आनंद क्यों आने लगा – क्योंहक अकेले में िो अपनी कविताओं को
नलख सकते थे ,उनको खुलकर गा सकते थे और उनमें अनभनय भी कर सकतेथे।
28.जूझ कहानी के अनुसार कविता के प्रनत लगाि से पहले और उसके बाद अकेले पन के प्रनत
लेखक की धारणा में क्या बदलाि आया – अब उन्द्हें अकेलापन अच्छा लगने लगाया अकेलेपन
से बोररयत खत्म हो गई।
29.लेखक के मराठी नर्क्षक की क्या विर्ेषताएं थी – उनको कविता में छं द ,अलंकार , गनत
आरोह – अिरोह का अच्छा ज्ञान था
30.मराठी भाषा की कविताओं के अलािा सौंदलगेकर को हकस भाषा की कविताएं कंठस्थ याद
थी – गुजराती
पाठ पर आधाररत बहुविकल्पीय प्रश्न
1. ‘जूझ’ उपन्द्यास की मूल विषयिस्तु क्या है ?
a. गंिई जीिन के यथाथा का िणान
b. गंिई जीिन के रं गारं ग पररिेर् का िणान
c. लड़ते-जूझते हकसान-मजदरू के संघषा की कहानी
d. उपयुक्त
ा सभी
2.लेखक को पाठर्ाला जाने से हकसने रोका है ?
a. सोंदे लगेकर ने b. उसकी माुँ ने
c. उसके वपता ने d. दत्ता जी राि दे साई ने
3.आनंद यादि के वपता सबसे पहले कोल्हू क्यों चलाते है ?
a. ताहक गुड़ के अच्छे दाम नमल सके
b. ताहक गुड़ की अच्छी गुणित्ता प्राप्त हो सके
c. गुड़ ज्यादा वबक सके
d. सबसे पहले आराम नमल सके |
4.लेखक की कक्षा के कक्षाध्यापक का क्या नाम था ?
a. िसंत पाहटल b. मंत्री नमक मास्टर
c. रणिरे मास्टर d. सौन्द्दलगेकर मास्टर
5.सौन्द्दे लगेकर मास्टर हकस विषय के अध्यापक थे ?
a. विज्ञान विषय के b. इनतहास विषय के
c. हहं दी विषय के d. मराठी विषय के
6.लेखक की माुँ लेखक के वपता को क्या कहकर पुकारती थी ?
a. बरहे ला सूअर b. पागल व्यवक्त
c. पागल कुत्ता d. पागल हाथी
7. लेखक के वपता ने आनंद यादि की कौन-कौन सी गलत आदतों के बारे में दत्ताजी राि को
बताया ?
a. कंडे और चारा बेचना b. नसनेमा दे खना या जुआ खेलना
c. खेती ि घर के काम में ध्यान न दे ना d. उपयुक्त
ा सभी |
8. आनंद की कक्षा का मॉननटर हकसे बनाया गया ?
a. जकाते को b. आनंद को
c. िसंत पाहटल को d. गणलपा को
9. ‘जूझ’ कहानी के आधार पर आनंदा के कौनसी विर्ेषता नहीं थी ?
a. पढने की लालसा b. वपता का का सम्मान न करना
c. आत्मविश्वासी तथा कमाठ d. कविता के प्रनत लगाि

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10. ‘जूझ’ उपन्द्यास का हहं दी अनुिाद हकसने हकया था ?


a. आनंद यादि ने b. केर्ि प्रथम िीर ने
c. रामविलास र्माा ने d. विद्यार्ंकर ने
11.अनंत काणेकर की कविता ‘चाुँद रात पसरीते पांढरी गाया धरननिरी’ हकस छं द में नलखा
गया हैं ?
a. केर्ि करणी जानत छं द b. मतगयंद सिैया छं द
c. सोरठा छं द d. मालती छं द
12.दत्ता जी राि से वपता पर दबाि डलिाने के नलए लेखक और उसकी माुँ को एक झूठ का
सहारा लेना पड़ा | यहद झूठ का सहारा न लेना पड़ता तो आगे का घटनाक्रम क्या होता ?
a. दत्ताजी राि उसके वपता पर दबाि नहीं दे पाते
b. लेखक वपता िारा हदए हुए काम ही करता
c. िह सारा जीिन खेती में ही लगा रहता
d. उपरोक्त सभी
उत्तरमाला
1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12
d c a b d a d c b b a d

दक्षता आधाररत प्रश्न


1.ननम्न कथनों पर विचार कीजजए-
कथन-A जूझ गुँिई जीिन के खुरदरे यथाथा और उसके रं गारं ग पररिेर् की विश्वसनीय गाथा है
कथन-B यथाथािाद और अधुननकताबोध की झलक
कथन-C ननम्न मध्यमिगीय ग्रामीण समाज और लड़ते – जूझते हकसान-मजदरू ों के संघषा की
अनूठी झांकी है |
a. कथन A तथा B सत्य है
b. कथन A तथा C सत्य है
c. कथन A,B तथा C तीनों असत्य है
d. कथन A,B तथा C तीनों सत्य है
उत्तर- b. कथन A तथा C सत्य है
2.सुमेनलत कीजजए-
1.आनंदा का कक्षाध्यापक – (A) न.ि. सोंदे ल्गेकर
2.मराठी के अध्यापक - (B) मंत्री नामक मास्टर
3.कक्षा का मॉननटर - (C) दत्ताजी राि दे साई
4.आनंद को स्कूल भेजने का श्रेय – (D) िसंत पाहटल
(a) 1 (C), 2 (A), 3 (D), 4 (C)
(b) 1 (B), 2 (C), 3 (A), 4 (D)
(c) 1 (D), 2 (A), 3 (B), 4 (C)
(d) 1 (D), 2 (A), 3 (C), 4 (B)
उत्तर-(a) 1 (C), 2 (A), 3 (D), 4 (C)
3. कथन- दादा ईख पेरने के नलए जल्दी कोल्हू चलाता था |
कारण- क्योंहक ईख के अच्छे दाम नमलते थे |
a. कथन और कारण दोनों सत्य है ,कारण कथन की सही व्याख्या करता है
b. कथन और कारण दोनों सत्य है ,कारण कथन की सही व्याख्या नहीं करता है
c. कथन सत्य है और कारण असत्य है
d. कथन और कारण दोनों असत्य है
उत्तर- a. कथन और कारण दोनों सत्य है ,कारण कथन की सही व्याख्या करता है
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अभ्यास के नलए महत्त्िपूणा प्रश्न


1. ‘जूझ’ पाठ के अनुसार कविता के प्रनत लगाि से पहले और उसके बाद अकेलेपन के प्रनत लेखक की
धारणा में क्या बदलाि आया ? सही विकल्प छांहटए -
I. अकेलापन डरािना है II. अकेलापन उपयोगी है
III. अकेलापन अनािश्यक है IV. अकेलापन सामान्द्य प्रहक्रया है
2. ‘जूझ’ पाठ के अनुसार – “पढ़ाई-नलखाई के सम्बन्द्ध में लेखक और दत्ता जी राि का रिैया सही था |”
क्योंहक -
I. लेखक खेती-बाड़ी नहीं करना चाहता था
II. लेखक ि दत्ताजी राि जानते थे हक पढ़ाई- नलखाई से मनुष्य प्रगनत करता है |
III. दत्ता जी राि खेती को महत्त्ि दे ते थे
IV. लेखक केिल अपने वपता का विरोध करना चाहता था
3. जूझ पाठ में लेखक पढ़ाई क्यों करना चाहता था ?
I. ताहक िह र्हर जा सके
II. ताहक िह पढ़-नलख कर नौकरी कर सके और चार पैसे उसके हाथ में आ जाए
III. ताहक िह कवि बन सके
IV. ताहक िह पाठर्ाला में मज़े कर सके
4. स्ियं कविता रच लेने का आत्मविश्वास लेखक के मन में कैसे पैदा हुआ ?
I. मास्टर साहब िारा पाठर्ाला के समारोह में कविता गिाने और मास्टर िारा र्ाबार्ी दे ने से
II. मास्टर साहब के दरिाज़े पर छाई मालती की बेल को दे खने ि उस पर नलखी मास्टर की कविता को
पढ़ने से
III. मास्टर िारा कवियों के संस्मरण सुनाने और कविता के र्ास्त्र की जानकारी दे ने के कारण
IV. उपयुक्त
ा सभी
5. श्री सौन्द्दलगेकर के अध्यापन की विर्ेषताओं से सम्बंनधत असत्य कथन है -
I. उन्द्हें केिल मराठी की ही कविताएुँ याद थीं
II. कविता गाकर सुनाते ि अनभनय के साथ भाि-ग्रहण करिाते
III. अन्द्य कवियों की कविताएुँ ि उनसे मुलाक़ात के संस्मरण सुनाते
IV. सुरीला गला ि रनसकता
6. लेखक के वपता ने उसे पाठर्ाला भेजने के नलए जो र्तें रखी, उसमें इनमें से कौनसी र्ता नहीं थी ?
I. प्रनतहदन समय पर पाठर्ाला जाना
II. छुट्टी के बाद बस्ता घर रखकर खेत में ढोर चराना
III. ग्यारह बजे तक खेत में पानी दे ना, खेत से पाठर्ाला जाना
IV. खेत में ज्यादा काम होने पर पाठर्ाला से छुट्टी लेना
7. ‘जूझ’ पाठ के अनुसार िसंत पाहटल की विर्ेषता नहीं है ?
I. िह दब
ु ला-पतला ि होनर्यार था II. िह घमंडी था
III. िह र्ांत स्िभाि िाला था IV. िह घर से तैयारी करके आता था
8. ‘जूझ’ पाठ में लेखक का पाठर्ाला में विश्वास कैसे बढ़ने लगा ?
I. मास्टरों के अपनेपन के कारण II. िसंत की दोस्ती के कारण
III. उपयुक्त
ा दोनों IV. इनमें से कोई नहीं
9. ‘जूझ’ पाठ में लेखक भैंस चराते-चराते हकन विषयों पर कविता नलखता था ?
I. पाठर्ाला पर II. फसलों, जंगली फूलों और आस पास के िातािरण पर
III. पररिार के सदस्यों पर IV. बच्चों पर
10. मराठी अध्यापक की हकस बात से लेखक को लगा हक िह भी कविता कर सकता है ?
I. जब मास्टर ने काव्य-प्रनतयोनगता रखी
II. जब लेखक ने मास्टर की दी हुई पुस्तकें पढ़ी

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III. जब मास्टर ने अपने घर के दरिाज़े पर छाई हुई मालती की बेल पर कविता नलखी
IV. उपयुक्त
ा सभी
11.खेत में काम करते हुए अगर लेखक के पास कागज़ और पेंनसल न होते तो िह क्या करता था ?
I. कागज़ पेंनसल लेने घर जाता
II. अपनी हथेली पर नलखता
III. िह खेत में कुछ नहीं नलखता
IV. िह लकड़ी के छोटे टु कड़े से भैंस की पीठ पर नलखता या पत्थर की नर्ला पर कंकड़ से नलखता
12.दीिाली बीत जाने पर लेखक के वपता ईख पेरने का कोल्हू चलाते थे | उनका कोल्हू जल्दी चलाने
का/के कारण था/थे ?
I. उनके गुड़ का अच्छा न होना
II. बाज़ार में जल्दी गुड़ लाने पर भाि अनधक नमलेगा
III. उपयुक्त
ा दोनों
IV. इनमें से कोई नहीं
13.कविता के प्रनत लगाि से पहले खेत में काम करते समय अकेलेपन के प्रनत लेखक की क्या धारणा थी?
I. ढोर चराते, पानी लगाते ि दस
ू रे काम करते अकेलापन खटकता था
II. उसे लगता था कोई साथ में हो जजससे िह गपर्प ि हुँ सी मज़ाक कर सके |
III. उपयुक्त
ा दोनों
IV. अकेलापन अच्छा लगता था, समय आसानी से ननकल जाता है
14.कविता के प्रनत लगाि के बाद खेत में काम करते समय अकेलेपन के प्रनत लेखक की क्या धारणा थी ?
I. अकेलापन अच्छा लगता था, समय आसानी से ननकल जाता है
II. अकेला होने पर िह ऊुँची आिाज़ में गा सकता है ि थुई-थुई कर नाच सकता है
III. उपयुक्त
ा दोनों
IV. उसे लगता था कोई साथ में हो जजससे िह गपर्प ि हुँ सी मज़ाक कर सके |
उत्तरमाला-

1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14
II II II IV I I II III II III IV III III III

िणानात्मक प्रश्न-
प्रश्न 1.‘जूझ’ र्ीषाक के औनचत्य पर विचार करते हुए यह स्पष्ट करें हक क्या यह र्ीषाक कथा
नायक की हकसी केंरीय चाररवत्रक विर्ेषता को उजागर करता है ? (CBSE)
उत्तर: ‘जूझ’ का अथा है -संघषा। इसमें कथा नायक आनंद के पाठर्ाला जाने का, भोगे हुए
गंिई जीिन के खुरदरे यथाथा का, पाठर्ाला में स्थावपत होने का, कविता लेखन सीखने का संघषा
का िणान है | इस कहानी के कथानायक में संघषा की प्रिृवत्त है । उसका वपता उसको पाठर्ाला
जाने से मना कर दे ता है । इसके बािजूद, कथा नायक माुँ को पक्ष में करके दे साई सरकार की
सहायता लेता है । इस प्रकार यह र्ीषाक कथा-नायक की संघषा करने की केंरीय चाररवत्रक
विर्ेषता को उजागर करता है ।

प्रश्न 2. स्ियं कविता रच लेने का आत्मविश्वास लेखक के मन में कैसे पैदा हुआ? (सैंपल पेपर)
उत्तर: लेखक को मराठी का अध्यापक बड़े आनंद के साथ पढ़ाता था। िह भाि छं द और लय के
साथ कविताओं का पाठ करता था। बस तभी लेखक के मन में भी यह विचार आया हक क्यों न
िह भी कविताएुँ नलखना र्ुरू करें । खेतों में काम करते-करते और भैंसे चराते-चराते उसे बहुत-सा
समय नमल जाता था। इस कारण लेखक ने कविताएुँ नलखनी आरं भ कर दी और अपनी सारी
कविताओं को िह मराठी के अध्यापक को हदखाता था ताहक उसकी कनमयों को दरू हकया जा
सके।

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प्रश्न 3. श्री सौंदलगेकर के अध्यापन की उन विर्ेषताओं को रे खांहकत करें जजन्द्होंने कविताओं के
प्रनत लेखक के मन में रुनच जगाई? (CBSE)
उत्तर: मराठी अध्यापक सौंदलगेकर पढ़ाते समय िे स्ियं में रम जाते थे। सुरीला गला, छद की
बहढ़या लय-ताल और उसके साथ ही रनसकता थी उनके पास। पुरानी-नयी मराठी कविताओं के
साथ-साथ उन्द्हें अनेक अंग्रेजी कविताएुँ भी कंठस्थ थीं। िे अनभनय के साथ कविता का भाि
ग्रहण कराते। उसी भाि की अन्द्य कविता भी सुनाते। िे स्ियं भी कविता नलखते थे। उनसे
प्रभावित होकर लेखक भी तुकबंदी करने का प्रयास करता था। इन सब कारणों से लेखक के मन
में कविताओं के प्रनत रुनच जगी।

प्रश्न 4. कविता के प्रनत लगाि से पहले और उसके बाद अकेलेपन के प्रनत लेखक की धारणा में
क्या बदलाि आया? (CBSE)
उत्तर: कविता के प्रनत लगाि से पहले लेखक को ढोर चराते, पानी लगाते ि दस
ू रे काम करते
अकेलापन खटकता था | उसे लगता था हक खेत में काम करते समय कोई साथ में हो जजससे िह
गपर्प ि हुँ सी मज़ाक कर सके |
कविता के प्रनत लगाि के बाद उसे अकेलापन अच्छा लगता था ि खेत में उसका समय आसानी से
ननकल जाता है | उसे लगता था हक अकेला होने पर िह ऊुँची आिाज़ में गा सकता है ि थुई-थुई कर
नाच सकता है |

प्रश्न 5. आपके खयाल से पढ़ाई-नलखाई के संबंध में लेखक और दत्ताजी राि का रिैया सही था
या लेखक के वपता का? तका सहहत उत्तर दें ।
उत्तर: पढ़ाई-नलखाई के संबंध में लेखक और दत्ता जी राि का रिैया सही था। लेखक का
दृवष्टकोण पढ़ाई के प्रनत यथाथािादी था। उसे पता था हक खेती से गुजारा नहीं होने िाला। पढ़ने
से उसे कोई-न-कोई नौकरी अिश्य नमल जाएगी और विठोबा आण्णा की तरह कुछ धंधा-कारोबार
हकया जा सकेगा। दत्ता जी राि का रिैया भी सही है । उन्द्होंने लेखक के वपता को धमकाया तथा
लेखक को पाठर्ाला नभजिाया। इसके विपरीत, लेखक के वपता का रिैया एकदम अनुनचत था।
प्रश्न 6. दत्ताजी राि से वपता पर दबाि डलिाने के नलए लेखक और उसकी माुँ को एक झूठ का
सहारा लेना पड़ा। यहद झूठ का सहारा न लेना पड़ता तो आगे का घटनाक्रम क्या होता? अनुमान
लगाएुँ।
उत्तर: यहद झूठ का सहारा न लेते तो लेखक अनपढ़ रह जाता और िह जीिनभर खेतों में कोल्हू
के बैल की तरह जुता रहता। उसे नसिाय भैंसे चराने अथिा खेती करने के और कोई काम न
होता। िह हदन-भर खेतों पर काम करता और र्ाम को घर लौट आता। उसका वपता अय्यार्ी
करता रहता। लेखक के सारे सपने टू ट जाते।

पाठ-3 अतीत में दबे पाुँि- ओम जोर्ी


पाठ का सार - मुअनजो-दड़ो और हड़लपा दनु नया के दो सबसे पुराने ननयोजजत र्हर माने जाते हैं |
मुअनजो-दड़ो पाहकस्तान के नसंध प्रान्द्त में जस्थत है | मुअनजो-दड़ो का अथा- मुदों का टीला | यह ताम्र
काल का सबसे बड़ा र्हर था | यह उस सभ्यता की राजधानी रहा होगा जजसका क्षेत्रफल 200 है क्टर ि
आबादी 85000 रही होगी | िषा 1922 में पुरातत्त्ििेत्ता राखलदास बनजी ने बौद्ध स्तूप के आस-पास की
गई खुदाई में ईसा पूिा के ननर्ान पाए | लेखक ने इस बौद्ध स्तूप को नागर भारत का सबसे पुराना
लैंडस्केप कहा है |

नगर-ननयोजन की अनूठी नमसाल है - मुअनजो-दड़ो | उनकी बसािट नग्रड ललान के अनुसार थी |


ितामान में ब्रासीनलया, चंडीगढ़ और इस्लामाबाद नग्रड र्ैली के र्हर हैं | हकसी भी घर का प्रिेर् िार मुख्य
सड़क पर नहीं खुलता था |घरों में बड़ा आुँगन कुम्हारी या धातु व्यिसाय के नलए रखा जाता

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नसन्द्धु-सभ्यता एक जल-संस्कृ नत- नसन्द्धु नदी के हकनारे टीलों पर बसािट, पहली ज्ञात संस्कृ नत
जजसमें कुएुँ पाए जाते थे, मुअनजो-दड़ो में सात सौ कुएुँ, महाकुंड पवित्र जल के नलए, जल-ननकासी हे तु
प्रत्येक घर में पक्की ईंटों से बनी नानलयाुँ होती थी जो बाहर एक हौद में खुलती थी |

मुअनजो-दड़ो के घरों में कमरे छोटे होने के कारण –आबादी अनधक होना, नौकरों के नलए छोटे कमरे

मुख्य िसलें ि फल – कपास, गेहूुँ, जौ, सरसों, ज्िार, बाजरा, रागी,चना, बेर, खजूर, खरबूजे ि अंगूर

मुअनजो-दड़ो की गनलयों में घूमते हुए लेखक को पजश्चमी राजस्थान के जैसलमेर जजले में जस्थत कुलधरा
गाुँि की याद आती है |
मुअनजो-दड़ो का अजायबघर में प्रदनर्ात चीज़ें - काला पड़ गया गेहूुँ, ताुँबे और काुँसे के बतान, मुहरें ,
िाद्य, ताुँबे का आईना | चाक पर बने विर्ाल मृद-भांड (नमट्टी के बतान) ि उन पर काले-भूरे नचत्र, चौपड़
की गोहटयाुँ, दीये, नमट्टी के कंगन, नमट्टी की बैलगाड़ी ि अन्द्य जखलौने | माप-तौल पत्थर, दो पाटन
िाली चक्की, कंघी, रं ग-वबरं गे पत्थरों के मानकों िाला हार और पत्थर के औज़ार | इस अजायबघर में
प्रदनर्ात चीज़ों में औज़ार तो हैं , पर हनथयार नहीं |
नसन्द्धु सभ्यता को लो-प्रोिाइल सभ्यता- छोटी-छोटी चीजों को महत्ि , औज़ार, नािें मूनतायाुँ ि मूनतायों
पर छोटा मुकुट होता था |

नसन्द्धु सभ्यता का सौन्द्दया-बोध – िास्तुकला और नगर-ननयोजन, धातु ि पत्थर की मूनतायाुँ ि मुहरें सुंदर
होती थी | उनके िारा बनाए गए मृद्भांडों (नमट्टी के बतानों) पर मनुष्यों, िनस्पनतयों ि पर्ु-पजक्षयों के
सुंदर नचत्र थे | उनका केर्-विन्द्यास भी सुंदर था | उनकी नलवप सुघड़ अक्षरों िाली थी और जखलौने ि
आभूषण भी सुंदर थे | उस समय ताुँबे, काुँसे, हाथी दाुँत ि सोने की सुइयों से सुंदर कर्ीदाकारी (कपड़ों पर
नचत्र अंहकत करने की कला) की जाती थी | उस समय की मूनतायों पर गुलकारी िाले दर्
ु ाले (र्ाल जजस पर
फूल नचवत्रत हो) भी पर नमलते हैं |

पाठ पर आधाररत बहुविकल्पीय प्रश्न


प्र.1 ‘अतीत में दबे पाुँि’ के लेखक हैं –
(क) मनोहर श्याम जोर्ी (ख) ओम थानिी
(ग) आनंद यादि (घ) ऐन फ्रैंक
प्र.2 ‘अतीत में दबे पाुँि’ के लेखक का सम्बन्द्ध हकस समाचार-पत्र से नहीं रहा है ?
(क) राजस्थान पवत्रका (ख) जनसत्ता (हदल्ली)
(ग) जनसत्ता (कलकत्ता) (घ) पंजाब केसरी
प्र.3 मुअनजो-दड़ो जस्थत है -
(क) नसंध (पाहकस्तान) (ख) पंजाब (पाहकस्तान)
(ग) गुजरात (भारत) (घ) राजस्थान (भारत)
प्र.4 मुअनजो-दड़ो की आबादी थी –
(क) लगभग 25000 (ख) लगभग 50000
(ग) लगभग 85000 (घ) लगभग 70000
प्र.5 मुअनजो-दड़ो का अथा है –
(क) हमारा टीला (ख) रे त का टीला
(ग) मुदों का टीला (घ) पत्थर का टीला
प्र.6 यह पहली ज्ञात संस्कृ नत है जजसमें ___ पाए जाते थे |
(क) तालाब (ख) कुएुँ
(ग) नदी (घ) जीि-जंतु
प्र.7 पुरातत्त्ििेत्ता राखलदास बनजी ने बौद्ध स्तूप के आस-पास की गई खुदाई में __के ननर्ान
पाए –
(क) ईसा पूिा (ख) ईसा पश्चात ्

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(ग) ईसा समकालीन समय (घ) बुद्ध के समकालीन समय
प्र.8 मुअनजो-दड़ो का क्षेत्रफल लगभग था -
(क) 20 है क्टर (ख) 50 है क्टर
(ग) 100 है क्टर (घ) 200 है क्टर
प्र.9 मुअनजो-दड़ो में अनुष्ठान के समय सामूहहक स्नान हकसमें हकया जाता था ?
(क) कुएुँ में (ख) महाकुंड में
(ग) नदी में (घ) तालाब में
प्र.10 मुअनजो-दड़ो में लगभग ___ कुएुँ थे –
(क) 300 (ख) 500
(ग) 700 (घ) 900
प्र.11 ‘नसन्द्धु सभ्यता- एक जल संस्कृ नत थी’ इस सम्बन्द्ध में कौनसा कथन असत्य है ?
(क) कुएुँ आयताकार या चौकोर थे |
(ख) महाकुंड की पाश्वा दीिारों में सिेद डामर का प्रयोग था |
(ग) जल-ननकासी व्यिस्था बेजोड़ थी | (घ) महाकुंड में पवित्र जल होता था |
प्र.12 ननम्ननलजखत में से कौनसी िसल नसन्द्धु सभ्यता के ननिासी नहीं उगाते थे ?
(क) अरहर (ख) कपास
(ग) गेहूुँ (घ) जौ
प्र.13 ननम्ननलजखत में से कौनसा फल नसन्द्धु सभ्यता के ननिासी नहीं उगाते थे ?
(क) खजूर (ख) खरबूजा
(ग) पपीता (घ) अंगरू
प्र.14 मुअनजो-दड़ो से सम्बंनधत कौनसा कथन असत्य है ?
(क) बसािट नग्रड ललान के अनुसार थी
(ख) सड़कें आड़ी ि सीधी थी
(ग) घरों के प्रिेर् िार मुख्य सड़क पर खुलते थे
(घ) घरों में बड़ा आुँगन था
प्र.15 नसन्द्धु घाटी सभ्यता की राजधानी कौनसा र्हर रहा होगा ?
(क) हड़लपा (ख) मुअनजो-दड़ो
(ग) नसंध (घ) गुजरात
प्र.16 ‘अतीत में दबे पाुँि’ में लेखक की हकस स्थान की यात्रा के अनुभिों का िणान है ?
(क) हड़लपा (ख) इस्लामाबाद
(ग) चंडीगढ़ (घ) मुअनजो-दड़ो
प्र.17 नसंधु सभ्यता के लोग यातायात के साधन के रूप में प्रयोग में लाते थे –
(क) ऊुँटगाड़ी (ख) बैलगाड़ी
(ग) घोड़ागाड़ी (घ) मोटरकार
प्र.18 लेखक ि उनके सानथयों को अपराध बोध है -
(क) मुअनजो-दड़ो के घरों में दबे पाुँि घुसने का
(ख) मुअनजो-दड़ो के अजायबघर छोटा होने का
(ग) मुअनजो-दड़ो पूरा न दे ख पाने का
(घ) मुअनजो-दड़ो की खुदाई करने का
प्र.19 लेखक ने नसन्द्धु सभ्यता को लो-प्रोिाइल सभ्यता कहा है –
(क) बड़ी चीज़ों को महत्त्ि दे ने के कारण (ख) अनधक खेती करने के कारण
(ग) लघुता को महत्त्ि दे ने के कारण (घ) धमा को महत्त्ि दे ने के कारण
प्र.20 नसंधु सभ्यता का सौन्द्दया-बोध था-
(क) धमा-पोवषत (ख) समाज-पोवषत
(ग) राज-पोवषत (घ) व्यवक्त-पोवषत

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प्र.21 मुअनजो-दड़ो की गनलयों में घूमते हुए लेखक को हकस स्थान की याद आती है ?
(क) हड़लपा (ख) चंडीगढ़
(ग) कुलधरा (घ) हदल्ली
प्र.22 मुअनजो-दड़ो की खुदाई में ननकली चीज़ों की संख्या लगभग है –
(क) दस हज़ार से कुछ अनधक (ख) बीस हज़ार
(ग) तीस हज़ार (घ) पचास हज़ार से अनधक
प्र.23 मुअनजो-दड़ो के अजायबघर में प्रदनर्ात चीज़ों में नहीं है -
(क) लोहे के हनथयार (ख) ताुँबे के बतान
(ग) मृद्भांड (घ) चौपड़ की गोहटयाुँ
प्र.24 नसन्द्धु सभ्यता- एक स्ि-अनुर्ानसत सभ्यता थी- इस कथन को पुष्ट करने िाला कथन
नहीं है –
(क) उस समय साि-सिाई अच्छी थी
(ख) उस समय राजतंत्र था
(ग) उस समय औज़ारों के अिर्ेष नमले हैं
(घ) उस समय सामाजजक व्यिस्थाएुँ उत्तम थी
प्र.25 नसंधु सभ्यता- लो-प्रोिाइल सभ्यता थी- इस कथन को पुष्ट करने िाला कथन नहीं है –
(क) मूनतायाुँ छोटी होती थी (ख) औज़ार छोटे होते थे
(ग) नािों का आकार छोटा होता था (घ) महल बड़े ि हनथयार छोटे होते थे
प्र.26 नसंधु सभ्यता की कौनसी विर्ेषता नहीं थी ?
(क) इस सभ्यता का जल-प्रबंध उत्तम था, इसनलए इसे जल-संस्कृ नत कहा गया है
(ख) यह सभ्यता सुननयोजजत और सौन्द्दया-बोध से पररपूणा थी
(ग) इनकी नलवप अक्षरात्मक थी जजसे पढ़ा नहीं जा सका
(घ) इसके तांबे और कांसे के बतान, मुहरें , मृद्भांड ि पत्थर के औजार भी नमले हैं
प्र.27 मुअनजो-दड़ो और हड़लपा नसन्द्धु सभ्यता के -----------------दौर के र्हर हैं –
(क) आरं नभक (ख) मध्य
(ग) परिती या पररपक्ि (घ) आरम्भ-मध्य
प्र.28“नसंधु सभ्यता साधन- संपन्द्न थी, पर उसमें भव्यता का आडं बर नहीं था |” पंवक्त का
तात्पया है –
(क) इस सभ्यता में साधन बहुत थे जो दे खने में आकषाक थे |
(ख) इस सभ्यता में राजा प्रजा की तरह सादगी से रहता था |
(ग) इस सभ्यता में सभी लोग संपन्द्न थे और िे हदखािा नहीं करते थे |
(घ) इस सभ्यता में सभी प्रकार के साधन थे हकन्द्तु हदखािा नहीं था |
प्र.29 “ नसंधु सभ्यता की खूबी उसका सौन्द्दया बोध है जो राज-पोवषत या धमा-पोवषत न होकर
समाज-पोवषत था |” ऐसा इसनलए कहा गया है , क्योंहक-
(क) नसन्द्धु घाटी सभ्यता में अमीर-गरीब न थे, अतः समाज में समानता थी |
(ख) नसन्द्धु घाटी सभ्यता में धमा का महत्त्ि न था, अतः समाज सिोपरर था |
(ग) नसन्द्धु घाटी सभ्यता में लोगों के सुंदर कायों को समाज महत्त्ि हदया जाता था और िे सुंदर
िस्तुएुँ बनाते थे |
(घ) नसंधु घाटी सभ्यता के सभी लोगों में सौन्द्दया के प्रनत चेतना अनधक थी |
प्र.30 “ टू टे -फूटे खंडहर, सभ्यता और संस्कृ नत के इनतहास के साथ-साथ धड़कती जजंदनगयों के
अनछुए समयों का भी दस्तािेज हैं |” इस कथन का भाि हो सकता है -
(क) पुरातन इमारतों के अध्ययन मात्र से इनतहास की व्याख्या संभि हो पाती है |
(ख) इनतहास की समझ हे तु केिल सभ्यता और संस्कृ नत को जानना आिश्यक होता है |
(ग) ऐनतहानसक इमारतों में बीते हुए जीिन के नचह्न महसूस होते हैं |
(घ) ऐनतहानसक इमारतों, कला, खान-पान इत्याहद में सदा जीिन्द्तता होती है |

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प्र.31 मुअनजो-दड़ो की बसािट के संबंध में कौनसा कथन सही है ?
(क) पूरा मुअनजो-दड़ो छोटे -मोटे टीलों पर आबाद था
(ख) ये टीले प्राकृ नतक नहीं थे
(ग) कच्ची ि पक्की ईंटों से सतह को ऊपर उठाया गया ताहक नसन्द्धु के पानी से बचाि हो सके
(घ) सभी कथन सही हैं
प्र.32 सन 1922 में कौन बौद्ध स्तूप की खोजबीन करना चाहते थे ?
(क) राखलदास बनजी
(ख) दीजक्षत कार्ीनाथ
(ग) माधोस्िरूप ित्स
(घ) जॉन मार्ाल
प्र.33 भारतीय पुरातत्त्ि सिेक्षण के महाननदे र्क जजनके ननदे र् पर खुदाई का व्यापक अनभयान
र्ुरू हुआ –
(क) राखलदास बनजी (ख) दीजक्षत कार्ीनाथ
(ग) माधोस्िरूप ित्स (घ) जॉन मार्ाल
प्र.34 नागर भारत का सबसे पुराना लैंडस्केप हकसे कहा गया है ?
(क) बौद्ध स्तूप
(ख) हड़लपा के घर
(ग) मुअनजो-दड़ो की गनलयाुँ
(घ) उपयुक्त
ा सभी
प्र.35 नसन्द्धु घाटी सभ्यता के अहितीय िास्तुकौर्ल को प्रदनर्ात करने िाला ननमााण जो अपने
मूलस्िरूप के नज़दीक बचा रह सका है –
(क) ज्ञानर्ाला
(ख) कोठार
(ग) सभा भिन
(घ) आनुष्ठाननक महाकुंड
प्र.36 ननम्ननलजखत में से नग्रड र्ैली का र्हर नहीं है –
(क) ब्रासीनलया (ख) चंडीगढ़
(ग) इस्लामाबाद (घ) जम्मू
प्र.37 मुअनजो-दड़ो की नगर-योजना आज की सेक्टर-माकाा कॉलोननयों के नीरस ननयोजन की
अपेक्षा ज्यादा रचनात्मक थीं क्योंहक-
(क) उसकी बसािट र्हर के खुद विकसने का अिकार् छोड़ कर चलती थीं
(ख) उनका आड़ा-नतरछा ननयोजन था
(ग) आधुननक साधन सुविधाओं के कारण
(घ) उपयुक्त
ा सभी
प्र.38 महाकुंड के संबंध में कौनसा कथन ग़लत है ?
(क) कुंड 40 फुट लम्बे, 25 फुट चौड़े , 7 फुट गहरे होते थे
(ख)इनके तीन तरफ साधुओं के कमरे होते थे
(ग) महाकुंड की पाश्वा दीिारों में सिेद डामर का प्रयोग हकया जाता था
(घ) कुंड में चारों हदर्ाओं से सीहढ़याुँ उतरती थीं
प्र.39 ‘मेलुहा’ र्ब्द का प्रयोग हकया जाता था –
(क) हड़लपा के नलए (ख) मुअनजो-दड़ो के नलए
(ग) मेसोपोटानमया के नलए (घ) नमस्त्र के नलए
प्र.40 नसंधु घाटी सभ्यता की खेती और व्यापार के सम्बन्द्ध में कौनसा कथन गलत है ?
(क) नसंधु सभ्यता के लोग रबी की िसल लेते थे
(ख) यहाुँ कपास की खेती होती थी

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(ग) नसंधु घाटी के लोग अन्द्न उपजाते नहीं थे बजल्क आयात करते थे
(घ) मुअनजो-दड़ो में सूत की कताई-बुनाई के साथ रं गाई भी होती थी
प्र.41 कुलधरा कहाुँ है ?
(क) जयपुर में (ख) जैसलमेर में
(ग) जम्मू में (घ) जालंधर में
प्र.42 चंडीगढ़ के िास्तुकार थे –
(क) जॉन मार्ाल (ख) माधोस्िरूप ित्स
(ग) काबूजा जए (घ) उपयुक्त
ा सभी
प्र.43 मुअनजो-दड़ो में बड़े घरों में कमरे छोटे का / के कारण हैं –
(क) र्हर की आबादी अनधक होना (ख) छोटे कमरे नौकरों के नलए
(ग) उपयुक्त
ा दोनों (घ) इनमें से कोई नहीं
प्र.44 मुअनजो-दड़ो के हकसी भी घर में जखड़हकयों या दरिाज़ों पर छज्जों के नचह्न नहीं होने से
लेखक ने क्या अनुमान लगाया ?
(क) मुअनजो-दड़ो में उस िक्त मरुभूनम नहीं थी
(ख) िहाुँ रे नगस्तान ही रहा होगा
(ग) उपयुक्त
ा दोनों
(घ) इनमें से कोई नहीं
प्र.45 जॉन मार्ाल ने मुअनजो-दड़ो पर -------------- खण्डों का विर्द प्रबंध छपिाया |
(क) तीन (ख) चार
(ग) पाुँच (घ) सात
प्र.46 नसन्द्धु सभ्यता के सौन्द्दया बोध से सम्बंनधत कौनसा कथन असत्य है ?
(क) उनके िारा बनाए गए मृद्भांडों पर मनुष्यों, िनस्पनतयों ि पर्ु-पजक्षयों के सुंदर नचत्र थे |
(ख) उनकी मुहरें सुंदर होती थी जजन पर बारीक आकृ नतयाुँ उत्कीणा होती थी |
(ग) उनकी नलवप सुघड़ अक्षरों िाली थी और जखलौने ि आभूषण भी सुंदर थे |
(घ) उस समय बड़ी समानधयाुँ ि महल होते थे |
प्र.47 मुअनजो-दड़ो में खुदाई बंद करने का कारण है -
(क) नसन्द्धु के पानी के ररसाि से क्षार और दलदल की समस्या के कारण
(ख) रे ललाइन वबछाने के कारण
(ग) अजायबघरों में स्थान की कमी के कारण
(घ) चीज़ें अन्द्य स्थानों पर ले जाने के कारण
प्र.48. मुअनजो-दड़ो हकस युग के र्हरों में सबसे बड़ा र्हर है ?
(क) लौह युग (ख) ताम्र युग
(ग) कांस्य युग (घ) इनमें से कोई नहीं
प्र.49 अतीत में दबे पाुँि र्ीषाक की साथाकता को प्रकट करने िाला / िाले कथन हैं –
(क) इस पाठ से हमें अतीत (भूतकाल) में बसे सुननयोजजत नगरों,सड़कों,अनाज भंडारों, यातायात
के साधन के रूप में बैलगाड़ी, उनकी जीिन-र्ैली आहद की जानकारी नमलती है |
(ख) लेखक और उनके साथी मकान मानलकों की इजाज़त के वबना उनके घरों में धीरे से ि दबे
पाुँि प्रिेर् कर गए |
(ग) उपयुक्त
ा दोनों
(घ) इनमें से कोई नहीं
प्र.50. मुअनजो-दड़ो के कोठार में क्या संग्रह हकया जाता रहा होगा ?
(क) खुदाई में ननकली चीज़ें
(ख) कर के रूप में हानसल अनाज
(ग) यातायात के साधन
(घ) इनमें से कोई नहीं

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उत्तरमाला –
1 ख 11 क 21 ग 31 घ 41 ख
2 घ 12 क 22 घ 32 क 42 ग
3 क 13 ग 23 क 33 घ 43 ग
4 ग 14 ग 24 ख 34 क 44 क
5 ग 15 ख 25 घ 35 घ 45 क
6 ख 16 घ 26 ग 36 घ 46 घ
7 क 17 ख 27 ग 37 क 47 क
8 घ 18 क 28 घ 38 घ 48 ख
9 ख 19 ग 29 ग 39 ख 49 ग
10 ग 20 ख 30 ग 40 ग 50 ख

दक्षता आधाररत प्रश्न -

1.कथन- नसन्द्धु घाटी सभ्यता एक महान जल संस्कृ नत थी |


कारण- यहाुँ जल ननकासी उत्तम प्रबंध था |
a. कथन और कारण दोनों सत्य है ,कारण कथन की सही व्याख्या करता है
b. कथन और कारण दोनों सत्य है ,कारण कथन की सही व्याख्या नहीं करता है
c. कथन सत्य है और कारण असत्य है
d. कथन और कारण दोनों असत्य है
उत्तर- b. कथन और कारण दोनों सत्य है ,कारण कथन की सही व्याख्या नहीं करता है

2.कथन- नसन्द्धु घाटी सभ्यता राजपोवषत/धमापोवषत न होकर समाजपोवषत थी |


कारण- िहाुँ की र्ासन व्यिस्था में सहकाररता की भािना थी |
a. कथन और कारण दोनों सत्य है ,कारण कथन की सही व्याख्या करता है
b. कथन और कारण दोनों सत्य है ,कारण कथन की सही व्याख्या नहीं करता है
c. कथन सत्य है और कारण असत्य है
d. कथन और कारण दोनों असत्य है
उत्तर- b. कथन और कारण दोनों सत्य है ,कारण कथन की सही व्याख्या नहीं करता है

3.कथन- नसन्द्धु घाटी सभ्यता स्िास्थ्य के प्रनत बेहद जागरूक थे |


कारण- ढकी हुई नानलयाुँ मुख्य सड़क के दोनों तरफ समान्द्तर हदखाई दे ती है |
a. कथन और कारण दोनों सत्य है ,कारण कथन की सही व्याख्या करता है
b. कथन और कारण दोनों सत्य है ,कारण कथन की सही व्याख्या नहीं करता है
c. कथन सत्य है और कारण असत्य है
d. कथन और कारण दोनों असत्य है
उत्तर- b. कथन और कारण दोनों सत्य है ,कारण कथन की सही व्याख्या नहीं करता है
4.कथन- नसन्द्धु घाटी सभ्यता के छोटे घरों को दे खकर अचरज होता है |
कारण– िहाुँ के लोग गरीब थे |
a. कथन और कारण दोनों सत्य है ,कारण कथन की सही व्याख्या करता है
b. कथन और कारण दोनों सत्य है ,कारण कथन की सही व्याख्या नहीं करता है
c. कथन सत्य है और कारण असत्य है
d. कथन और कारण दोनों असत्य है
उत्तर- c. कथन सत्य है और कारण असत्य है
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5.कथन- नसन्द्धु घाटी सभ्यता में राजतंत्र नहीं था |


कारण– िहाुँ से नमली चीजों में औजार तो नमले है परन्द्तु हनथयार नहीं|
a. कथन और कारण दोनों सत्य है ,कारण कथन की सही व्याख्या करता है
b. कथन और कारण दोनों सत्य है ,कारण कथन की सही व्याख्या नहीं करता है
c. कथन सत्य है और कारण असत्य है
d. कथन और कारण दोनों असत्य है
उत्तर-b. कथन और कारण दोनों सत्य है ,कारण कथन की सही व्याख्या नहीं करता है

िणानात्मक प्रश्न
प्रश्न 1. नसंधु सभ्यता साधन-संपन्द्न थी, पर उसमें भव्यता का आडं बर नहीं था, कैसे? (CBSE)
उत्तर: नसंध-ु सभ्यता साधन-संपन्द्न थी क्योंहक उनके दोमंजज़ला घरों में बड़ा आुँगन होता था | उनकी खेती
उन्द्नत थी ि अनाज भण्डार भरे होते थे | िे यातायात के नलए बैलगाहड़यों का इस्तेमाल करते थे |
कर्ीदे कारी के नलए सोने की सुईयों का इस्तेमाल करते थे |
उनमें भव्यता का आडम्बर नहीं था क्योंहक िे छोटी-छोटी चीजों को महत्ि दे ते थे | उनकी मूनतायाुँ,औज़ार
ि नािों का आकार भी छोटा होता था | हकसी भी बड़े महल ि समानधयों के अिर्ेष भी नहीं हैं |
प्रश्न 2.‘नसंध-ु सभ्यता की खूबी उसका सौंदया-बोध है जो राज-पोवषत या धमा-पोवषत न होकर
समाज-पोवषत था।’ ऐसा क्यों कहा गया? (CBSE-2012, 2013)
उत्तर: नसंध-ु सभ्यता की खूबी उसका सौन्द्दया-बोध है जो राज-पोवषत या धमा-पोवषत न होकर समाज-
पोवषत था क्योंहक उनकी िास्तुकला और नगर-ननयोजन उत्तम ि सुंदर था | उनके िारा बनाई गई धातु ि
पत्थर की मूनतायाुँ, जखलौने, मुहरें , नलवप ि आभूषण सुद
ं र थे | उनके िारा बनाए गए मृद्भांड सुंदर थे |
उस समय सुंदर कर्ीदाकारी ि गुलकारी की जाती थी | उस समय हकसी राजतंत्र या धमातंत्र का अभाि
था| कोई महल ि समानध नहीं थी |

प्रश्न 3. पुरातत्ि के हकन नचह्नों के आधार पर आप यह कह सकते हैं हक-“नसंधु सभ्यता ताकत
से र्ानसत होने की अपेक्षा समझ से अनुर्ानसत सभ्यता थी।” (CBSE)
उत्तर: नसंधु-सभ्यता से जो अिर्ेष प्राप्त हुए हैं उनमें औजार तो हैं , पर हनथयार नहीं हैं । नसन्द्धु
सभ्यता में न भव्य राजप्रासाद नमले हैं , न मंहदर, न राजाओं ि महतों की समानधयाुँ। इन
सबके बािजूद यहाुँ ऐसा अनुर्ासन जरूर था जो नगर-योजना, िास्तु-नर्ल्प, मुहर-ठलपों, पानी
या साि-सिाई जैसी सामाजजक व्यिस्थाओं में एकरूपता रखे हुए था। इन आधारों पर वििान
यह मानते हैं हक यह सभ्यता समझ से अनुर्ानसत सभ्यता थी, न हक ताकत से।

प्रश्न 4.‘यह सच है हक यहाुँ हकसी आुँगन की टू टी-फूटी सीहढ़याुँ अब आप को कहीं नहीं ले


जातीं; िे आकार् की तरि अधूरी रह जाती हैं , लेहकन उन अधूरे पायदानों पर खड़े होकर
अनुभि हकया जा सकता है हक आप दनु नया की छत पर हैं , िहाुँ से आप इनतहास को नहीं उस
के पार झाुँक रहे हैं ।’ इस कथन के पीछे लेखक का क्या आर्य है ? (CBSE)
उत्तर: इस कथन के पीछे लेखक का आर्य है हक लेखक ने अपनी मुअनजो-दड़ो की यात्रा के दौरान खंडहर
घरों के आुँगन की टू टी-फूटी सीहढ़यों पर खड़े होकर दे खा तो उन्द्हें महसूस हुआ हक यह सभ्यता तो विश्व की
सिाश्रष्ठ
े ि जीिंत सभ्यता थी | उन अिर्ेषों से उन्द्हें महसूस हुआ हक उनका नगर-ननयोजन, िास्तुनर्ल्प,
जल-ननयोजन,कृ वष, यातायात आहद उन्द्नत थे | इनसे इनतहास की जानकारी के साथ खंडहर मकानों में
रहने िाले लोगों के जीिन को लेखक अपनी आुँखों से दे खने ि अनुभि करने की कोनर्र् करता है |

प्रश्न 5.टू टे -फूटे खंडहर, सभ्यता और संस्कृ नत के इनतहास के साथ-साथ धड़कती जजंदनगयों के
अनछुए समयों को भी दस्तािेज़ होते हैं -इस कथन का भाि स्पष्ट कीजजए। (CBSE)
उत्तर: मुअनजो-दड़ो में प्राप्त खंडहर यह अहसास कराते हैं हक आज से पाुँच हजार साल पहले
कभी यहाुँ बस्ती थी। ये खंडहर उस समय की संस्कृ नत का पररचय कराते हैं । लेखक कहता है
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हक इस आहदम र्हर के हकसी भी मकान की दीिार पर पीठ हटकाकर सुस्ता सकते हैं चाहे िह
एक खंडहर ही क्यों न हो, रसोई की जखड़की पर खड़े होकर उसकी गंध महसूस कर सकते हैं या
र्हर के हकसी सुनसान मागा पर कान दे कर बैलगाड़ी की रुन-झुन सुन सकते हैं । ये एक प्रकार
के दस्तािेज होते हैं जो इनतहास के साथ-साथ उस अनछुए समय को भी हमारे सामने उपजस्थत
कर दे ते हैं ।
प्रश्न 7. नदी, कुएुँ, स्नानागार और बेजोड़ ननकासी व्यिस्था को दे खते हुए लेखक पाठकों से प्रश्न
पूछता है हक क्या हम नसंधु घाटी सभ्यता को जल-संस्कृ नत कह सकते हैं ? आपका जिाब लेखक
के पक्ष में है या विपक्ष में? तका दें । (CBSE-2009)
उत्तर: नसन्द्धु-सभ्यता को जल-संस्कृ नत ननम्ननलजखत कारणों से कह सकते हैं –
1. नदी- नसन्द्धु नदी के हकनारे टीलों पर बसी सभ्यता थी |
2.कुएुँ – यह पहली ज्ञात संस्कृ नत है जजसमें कुएुँ थे | मुअनजो-दड़ो में पक्की ईंटों से बने लगभग सात सौ
गोलाकार कुएुँ थे |
3.महाकुंड ि स्नानघर – पवित्र जल के नलए अनुष्ठान के समय सामूहहक स्नान के नलए पक्की ईंटों से बने
महाकुंड थे तथा प्रत्येक घर में एक स्नानघर होता था |
4.जल-ननकासी – उस समय की जल-ननकासी हे तु पक्की ईंटों से बंद बनी नानलयों से होती थी जो बाहर
एक हौद में खुलती थी |

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प्रनतदर्ा प्रश्न-पत्र 2023-24 SET- 1


विषय- हहं दीआधार (विषय कोड-302)
कक्षा-बारहिीं
ननधााररत समय : 3 घंटे अनधकतम अंक :80
सामान्द्यननदे र्-
• इस प्रश्न पत्र में दो खंड हैं – खंड ‘अ’ तथा खंड- ‘ब’ | कुल प्रश्न 14 हैं |
• खंड 'अ’ में कुल 40 िस्तुपरक प्रश्न पूछे गए हैं , सभी 40 प्रश्नों के उत्तर दे ने हैं |
• खंड‘ब’ में िणानात्मक प्रश्न पूछे गए हैं | प्रश्नों के उनचत आंतररक विकल्प हदए गए हैं |
• प्रश्नों के उत्तर हदए गए ननदे र्ों का पालन करते हुए दीजजए |
• दोनों खण्डों के प्रश्नों के उत्तर दे ना अननिाया है |
• यथासंभि दोनों खण्डों के प्रश्नों के उत्तर क्रमर्ः नलजखए |

खंड-‘अ’(िस्तुपरकप्रश्न)
प्रश्न
अपहठत बोध अंक (15)
संख्या
प्रश्न 1 राष्ट्रीय भािना के अभ्युदय एिं विकास के नलए भाषा भी एक प्रमुख तत्ि है । मानि 1×10=10
समुदाय अपनी संिेदनाओं, भािनाओं बानधत नहीं करतीं। इसी प्रकार यहद राष्ट्र की एक
सम्पका भाषा का विकास हो जाए तो पारस्पररक संबंधों के गनतरोध बहुत सीमा तक
समाप्त हो सकते हैं । मानि-समुदाय को एक जीवित-जाग्रत एिं जीिंत र्रीर की संज्ञा
दी जा सकती है और उसका अपना एक ननजश्चत व्यहक तत्ि होता है । भाषा
अनभव्यवक्त के माध्यम से इस व्यवक्तत्ि को साकार करती है , उसके अमूता माननसक
िैचाररक स्िरूप को मूता एिं वबंबात्मक रूप प्रदान करती है ।
मनुष्यों के विविध समुदाय हैं , उनकी विविध भािनाएुँ हैं , विचारधाराएुँ हैं , संकल्प एिं
आदर्ा हैं , उन्द्हें भाषा ही अनभव्यक्त करने में सक्षम होती है । साहहत्य, र्ास्त्र, गीत-
संगीत आहद में मानि-समुदाय अपने आदर्ों, संकल्पनाओं, अिधारणाओं एिं
विनर्ष्टताओं को िाणी दे ता है , पर क्या भाषा के अभाि में काव्य, साहहत्य, संगीत
आहद का अजस्तत्ि संभि है ? िस्तुतः ज्ञानरानर् एिं भािरानर् का अपार संनचत कोर्
जजसे साहहत्य का अनभधान हदया जाता है , र्ब्द-रूप ही तो है । अतः इस संबंध में
िैमत्य की हकंनचत ् गुंजाइर् नहीं है हक भाषा ही एक ऐसा साधन है जजससे मनुष्य
एक-दस
ू रे के ननकट आ सकते हैं , उनमें परस्पर घननष्ठता स्थावपत हो सकती है । यही
कारण है हक एक भाषा बोलने एिं समझने िाले लोग परस्पर एकानुभूनत रखते हैं ,
उनके विचारों में ऐक्य रहता है । अतः राष्ट्रीय भािना के विकास के नलए भाषा तत्ि
परम आिश्यक है ।
1.राष्ट्रीय भािना के अभ्युदय एिं विकास के नलए कौनसा तत्ि प्रमुख है ?
a.समाज एक प्रमुख तत्त्ि है
b.भाषा एक प्रमुख तत्त्ि है
c.संस्कृ नत एक प्रमुख तत्त्ि है
d.इनतहास एक प्रमुख तत्त्ि है
2.भाषा के बारे में मानि समुदाय क्या सोचता है ?
a.भाषा संिेदनाओं, भािनाओं ि विचारों की अनभव्यवक्त
b.भाषा केिल सम्प्रेषण का माध्यम है
c.भाषा का महत्त्ि समुदाय से कम है
d.उपरोक्त में से कोई नहीं

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3. पारस्पररक संबंधों का गनतरोध हकससे समाप्त हो सकता है ?
a.राष्ट्र भाषा से b.राजभाषा से
c.संपका भाषा से d.दे र्ज भाषा से
4. मानि समुदाय को हकसकी संज्ञा दी गयी है ?
a.जीवित b.जाग्रत c.जीिंत d.उपरोक्त सभी
5. भाषा अनभव्यवक्त से व्यवक्तत्त्ि के कौन-कौन से रूप साकार होते है ?
a.मूता b.अमूता c.वबंबात्मक d.उपरोक्त सभी
6.गद्यांर् में ‘मूत’ा र्ब्द का विलोम र्ब्द ढू ं ढकर नलजखए |
a.अमूता b.अज्ञात c.विख्यात d.अन्द्मूता
7. राष्ट्रीय भािना के विकास के नलए भाषा-तत्ि क्यों आिश्यक है ?
a.क्योंहक भाषा से विकास संभि है
b.क्योंहक िह मानि समुदाय में एकानुभूनत और विचार ऐक्य का साधन है ।
c.क्योंहक िह मानि समुदाय में घृणा की भािना जाग्रत करता है |
d.क्योंहक िह मानि समुदाय में संकीणाता की भािना जाग्रत करता है
8. ‘भाषा बहता नीर’ से क्या आर्य है ?
a.भाषा बहता पानी है
b.भाषा सरल और प्रिाहमयी होती है
c.भाषा कुछ समय में समाप्त हो जाती है
d.भाषा जहटल हो जाती है
9. ननम्ननलजखत कथनों पर विचार कीजजए |
i. भाषा बहते हुए पानी के समान होती है |
ii. भाषा राष्ट्रीय एकता स्थावपत करती है |
iii. भाषा से संकीणाता आती है |
iv. भाषा से एकानुभूनत और विचारों की एकता आती है |
a. कथन i, iv सही है
b. कथन i, iii, iv सही है
c. कथन i, ii, iv सही है
d. कथन iii, iv सही है
10. साहहत्य की पररभाषा के नलए उपयुक्त पदबंध बताइए।
a. ज्ञानरानर् एिं भािरानर् का संनचत कोर्।
b. ह्रदय की भािना ही साहहत्य है
c. संिेदनाओं की अनुभूनत ही साहहत्य है
d. नचत्रात्मक भाषा ही साहहत्य है
प्रश्न 2 हदए गए पद्यांर् पर आधाररत प्रश्नों को ध्यानपूिक
ा पढ़कर हदए गए प्रश्नों के सिाानधक उपयुक्त 1×5 = 5
उत्तर िाले विकल्प को चुनकर नलजखए-
फूलों को पाने के पहले, र्ूलों को अपनाना है
सहज नहीं फूलों को पाना,
पहले काुँटे चुभते हैं |
कहठन राह में चलने से ही,
पग में छाले, दख
ु ते है ||
मोती के नलए समुन्द्दर में,तुमको गोता खाना है |
फूलों को पाने के पहले, र्ूलों को अपनाना है ||
मंजजल तक जाने से पहले,
पग-पग पर बाधाएुँ हैं |
एक नहीं जाने हकतनी ही,

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कड़ी हुई विपदाएुँ हैं ||
उन्द्हें रौंदकर आगे बढ़कर, भय को दरू भगाना है |
फूलों को पाने के पहले, र्ूलों को अपनाना है ||
नगरना और संभलकर बढ़ना,
साहस का साथ ननभाना |
विजय चाहते हो जीिन में,
दृढ़ता से बढ़ते जाना ||
हार नहीं सकता िह जजसने सीखा मुसकाना है |
फूलों को पाने के पहले, र्ूलों को अपनाना है ||
1. मनुष्य को लक्ष्य प्रानप्त से पहले गुजरना पड़ता है –
a. बाधाओं से b. विपदाओं से c. कहठनाइयों से d. उपरोक्त सभी
2. फूलों की प्रानप्त में कौन बाधक है ?
a. काुँटे b. स्ियं फूल c. आदमी d. माली
3. पग में छाले कब दख
ु ते है ?
a. कहठन राह पर चलने से
b. कंटीली डगर पर चलने से
c. ऊबड़-खाबड़ रास्तों पर चलने से
d. पत्थरों की रह पर चलने से
4. कवि हकनको रौंदने की बात कर रहा है ?
a. फूलों को b. मंजजल को
c. काुँटों को d. बाधाओं और विपदाओं को
5. कवि के हकन व्यवक्तयों के जीिन में हार नहीं होती ?
a. दृढ़ता से आगे बढ़ने िालों की
b. साहस से जीने िालों की
c. ननत्य प्रसन्द्न रहने िालों की
d.कहठन राह पर चलने िालों की
प्रश्न
अनभव्यवक्त और माध्यम अंक (5)
संख्या
प्रश्न 3 ननम्ननलजखत प्रश्नों को ध्यानपूिक
ा पढकर सिाानधक उपयुक्त उत्तर िाले विकल्प को चुनकर 1×5 = 5
नलजखए-
1. ननम्न में से कौनसा जनसंचार का काया है ?
a. सूचना दे ना
b. मनोरं जन करना
c. एजेंडा तय करना
d. उपरोक्त सभी
2. ननम्ननलजखत कथनों पर विचार कीजजए -
कथन-(A) छपे हुए र्ब्दों में स्थानयत्त्ि होता है
कारण-(R) क्योहक इन्द्हें सुविधानुसार पढ़ा जा सकता है
a. कथन और कारण दोनों सत्य है ,कारण कथन की सही व्याख्या करता है
b. कथन और कारण दोनों सत्य है ,कारण कथन की सही व्याख्या नहीं करता है
c. कथन सत्य है और कारण असत्य है
d. कथन और कारण दोनों असत्य है
3. ननम्न में से कौनसा टीिी खबरों के चरण में र्ानमल नहीं है
a. फोन इन
b. हिपल स्पेस

114 | P a g e
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c. एंकर पैकेज
d. ड्राई एंकर
4. हहं दी का पहला समाचार-पत्र कौनसा और हकसके िारा प्रकानर्त हकया गया?
a. उद्दं ड मातांड – जुगलहकर्ोर र्ुक्ल िारा
b. सरस्िती - आचाया रामचंर र्ुक्ल
c. बंगाल गज़ट – आगस्ट हहक्की
d. केर्री – बाल गंगाधर नतलक
5. हकस पत्रकाररता का उत्तरदानयत्त्ि सरकार के कामकाज पर ननगाह रखना होता है ?
a. खोजपरक पत्रकाररता
b. िॉचडॉग पत्रकाररता
c. एडिोकेसी पत्रकाररता
d. विर्ेषीकृ त पत्रकाररता
प्रश्न
पाठ्यपुस्तक आरोह भाग 2 अंक (10)
संख्या
प्रश्न 4 ननम्ननलजखत काव्यांर् के प्रश्नों को ध्यानपूिक
ा पढ़कर सिाानधक उपयुक्त उत्तर िाले 1×5 = 5
विकल्प को चुनकर नलजखए-
1. हदन जल्दी-जल्दी ढलता है ’ कवि ने मुख्य रूप से क्या व्यक्त हकया है
a.जीिन की क्षणभंगुरता
b.प्रेम की व्यग्रता
c.प्रकृ नत की दै ननक पररितानर्ीलता
d.उपरोक्त सभी
2. ‘जल्दी-जल्दी’ में कौनसा अलंकार है ?
a.यमक अलंकार b.पुनरुवक्तप्रकार् अलंकार
c.अनुप्रास अलंकार d.मानिीकरण अलंकार
3. सुमेनलत कीजजए |
1. पंथी --- A. आर्ा
2. मंजजल --- B. तीव्रता
3. प्रत्यार्ा --- C राहगीर
4. चंचलता --- D लक्ष्य
a. 1-D, 2-B, 3-C, 4-A
b. 1-A, 2-B, 3-C, 4-D
c. 1-C, 2-D, 3-C, 4-A
d. 1-C, 2-D, 3-A, 4-B
4. ननम्न कथनों पर विचार कीजजए
कथन-A िात्सल्य भाि की व्यग्रता सभी प्राजणयों में पाई जाती है
कथन-B पजक्षयों िारा घोंसलों से झाुँकना दृश्य वबंब को दर्ााता है
कथन-C नचहड़याुँ भी हदन ढलने पर चंचल हो उठती है
a. कथन A तथा B सत्य है
b. कथन-B तथा C सत्य है
c. कथन A,B तथा C तीनों असत्य है
d. कथन A,B तथा C तीनों सत्य है
5. बच्चे प्रत्यार्ा में होंगे
नीड़ो से झाुँक रहे होंगे ---
उपरोक्त कविता के अंर् में हकस मानि-सत्य को दर्ााया गया है ?
a. िात्सल्य और प्रेम के कारण माुँ का मन आर्ंका से भर जाता है
b. पजक्षयों में िात्सल्य भािना नहीं होती है

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c. बच्चों को भोजन,स्नेह ि सुरक्षा का भाि प्रत्येक प्राणी में होता है
d. क तथा ग दोनों सही है |
प्रश्न 5 ननम्ननलजखत गद्यांर् के प्रश्नों को ध्यानपूिक
ा पढ़कर सिाानधक उपयुक्त उत्तर िाले विकल्प 1×5 = 5
को चुनकर नलजखए-
“र्हरों की तुलना में गाुँि में और भी हालत खराब होती थी| जहाुँ जुताई होनी चाहहए
िहाुँ खेतों की नमट्टी सूखकर पत्थर हो जाती, हफर उसमें पपड़ी पड़ कर ज़मीन फटने
लगती, लू ऐसी हक चलते-चलते आदमी आधे रास्ते में लू खा कर नगर पड़े | ढोर-ढं गर
लयास के मारे मरने लगते, लेहकन बाररर् का कहीं नाम-ननर्ान नहीं, ऐसे में पूजा-
पाठ कथा-विधान सब करके लोग जब हार जाते तब अंनतम उपाय के रूप में
ननकलती यह इं दर सेना| िषाा के बादलों के स्िामी हैं , इं र और इं र की सेना टोली
बांध कर कीचड़ में लथपथ ननकलती, पुकारते हुए मेघों को, पानी माुँगते हुए लयासे
गलों और सूखे खेतों के नलए| पानी की आर्ा पर जैसे सारा जीिन आकर हटक गया
हो| एक बात मेरे समझ में नहीं आती थी हक जब चारों और पानी की इतनी कमी है
तो लोग घर में इतनी कहठनाई से इकट्ठा करके रखा हुआ पानी बाल्टी भर-भर कर
इन पर क्यों फेंकते हैं | कैसी ननमाम बरबादी है पानी की|”
1. गाुँि की हालत खराब क्यों होती थी?
a. बाढ़ के कारण b. सूखे के कारण
c. भूकंप के कारण d. महामारी के कारण
2. गाुँि के लोग बरसात के नलए क्या उपाय करते थे?
a. पूजा-पाठ आहद अनुष्ठान करते b. सरकार से प्राथाना करते
c. गाुँि छोड़कर चले जाते d. सभी विकल्प ठीक हैं
3. इं दर-सेना हकसे प्रसन्द्न करने का प्रयास करती थी?
a. भगिान नर्ि को b. िषाा के राजा इं र को
c. लोगों को d. सभी विकल्प ठीक हैं
4. लेखक को क्या बात समझ नहीं आती थी?
a. लोग पूजा पाठ क्यों करते हैं b. इं दर सेना क्यों बनी है
c. लोग इतनी कहठनाई से इकट्ठा हकया पानी बरबाद क्यों कर रहे हैं
d. सभी विकल्प ठीक है
5. गाुँि के कैसे दृश्य के सन्द्दभा में कौनसा कथन सत्य है ?
कथन-1 जहाुँ जुताई होनी चाहहए िहाुँ खेतों की नमट्टी सूखकर पत्थर हो जाती
कथन-2 भयंकर लू चलती
कथन-3 ढोर-ढं गर लयास के मारे मरने लगते
a.केिल कथन 1 सत्य है
b.केिल कथन 1 और 2 सत्य है
c.केिल कथन 3 सत्य है
d.तीनों कथन सत्य है |
प्रश्न
पूरक पाठ्यपुस्तक वितान भाग 2 अंक (10)
संख्या
प्रश्न 6 ननम्ननलजखत प्रश्नों के उत्तर हे तु ननदे र्ानुसार सही विकल्प चुननए | 1×10=10
1. ननम्ननलजखत कथनों पर विचार कीजजए |
कथन-i 'नसल्िर िैहडं ग' कहानी ितामान युग में बदलते जीिन-मूल्यों की कहानी है ।
कथन-ii यर्ोधर अपने बच्चों की तरक्की से पूणत
ा ः खुर् नहीं थे |
कथन-iii यर्ोधर संग्रह िृवत्त, भौनतक चकाचौंध से दरू , िे आत्मीयता और सामूहहकता
के बोध से युक्त हैं ।
a. कथन i,ii और iii सत्य है

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b. केिल कथन i सत्य है
c. केिल कथन i और ii सत्य है
d. केिल कथन i और iii सत्य है
2. ‘नसल्िर िैहडं ग’ पाठ की मूल संिेदना क्या है ?
a. हानर्ये पर धकेले जाते मानिीय मूल्य
b. पीढीजन्द्य अंतराल
c. पाश्चात्य संस्कृ नत का प्रभाि
d. आधुननकता का प्रभाि
3. यर्ोधर की पत्नी के चररत्र की कौनसी विर्ेषता थी ?
a. आधुननकता की चाह
b. पुराने संस्कारों को मानना
c. पनत के विचारों से सहमती रखने िाली
d. ररश्तेदारों से अच्छा व्यिहार करना
4. ‘समहाउ इम्प्रोपर’ िाक्यांर् का प्रयोग हकन सन्द्दभों में हुआ है ?
a. अपने से परायेपन का व्यिहार नमलने पर
b. िृद्धा पत्नी के आधुननका स्िरुप को दे खकर
c. केक काटने की विदे र्ी परं परा पर
d इनमें से सभी
5.दत्ताजीराि से वपता पर दबाि डलिाने के नलए लेखक और उसकी माुँ को एक झूठ
का सहारा लेना पड़ा| यहद झूठ का सहारा न लेता तो आगे का घटनाक्रम क्या होता?
A. दत्ताजीराि उसके वपता पर दबाि नहीं दे पाते
B वबना झूठ का सहारा नलए उसकी प्रनतभा कभी भी न चमक पाती।
C िह सारा जीिन खेती में ही लगा रहता
D हफर ही िह पढ़ नलखकर बड़ा आदमी बन जाता
a. सभी कथन सत्य है
b. कथन A,B तथा C सत्य है
c. केिल कथन D सत्य है
d. सभी कथन असत्य है
6. लेखक आनंद यादि की माुँ लेखक के वपता को क्या कहकर पुकारती थी ?
a. बरहे ला सूअर b. पागल व्यवक्त
c. पागल कुत्ता d. पागल हाथी
7. लेखक की कक्षा के कक्षाध्यापक का क्या नाम था ?
a. िसंत पाहटल b. मंत्री नमक मास्टर
c. रणिरे मास्टर d. सोंदे ल्गेकर मास्टर
8. ‘मुअनजो-दड़ो’ र्ब्द क्या अथा है ?
a. मुदों का टीला b. ऊुँचा टीला
c. उत्कृ ष्ट स्थल d. प्राचीन टीला
9.कथन- नसन्द्धु घाटी सभ्यता स्िास्थ्य के प्रनत बेहद जागरूक थे |
कारण- ढकी हुई नानलयाुँ मुख्य सड़क के दोनों तरफ समान्द्तर हदखाई दे ती है |
a. कथन और कारण दोनों सत्य है ,कारण कथन की सही व्याख्या करता है
b. कथन और कारण दोनों सत्य है ,कारण कथन की सही व्याख्या नहीं करता है
c. कथन सत्य है और कारण असत्य है
d. कथन और कारण दोनों असत्य है

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10. मुअनजो-दड़ो के सबसे ऊुँचे चबूतरे पर क्या विद्यमान है ?
a. मंहदर b. बौद्ध स्तूप
c. राजमहल d. विर्ाल भिन

खण्ड-‘ब’(िणानात्मक प्रश्न)
प्र.सं. जनसंचार और सृजनात्मक लेखन अंक (16)
प्रश्न 7 ननम्ननलजखत हदए गए 03 विषयों में से हकसी 01 विषय पर लगभग 120 र्ब्दों में 6×1=6
रचनात्मक लेख नलजखए -
क. सुपर बाजार की सैर
ख. चौराहे पर जखलौने बेचते बच्चे
ग. मेले में कुश्ती प्रनतयोनगता
प्रश्न 8 ननम्ननलजखत प्रश्नों को ध्यानपूिक
ा पढ़कर लगभग 40 र्ब्दों में ननदे र्ानुसार उत्तर 2×2=4
दीजजए-
(i) कहानी में पात्रों अथिा चररत्रों का क्या महत्त्ि है ?
अथिा
नाटक की भाषा र्ैली कैसी होनी चाहहए?
(ii) कहानी और नाटक में क्या समानताएं हैं ?
अथिा
कहानी का नाट्य रूपांतरण करते समय हकन – हकन बातों का ध्यान रखना चाहहए?
प्रश्न 9 ननम्ननलजखत प्रश्नों को ध्यानपूिक
ा पढ़कर हदए गए 03 प्रश्नों में से हकन्द्हीं 02 प्रश्नों के 3×2=6
उत्तर लगभग 60 र्ब्दों में दीजजए -
(i) रे हडयो समाचार लेखन के नलए बुननयादी बातों को विस्तृत रूप में नलजखए ?
(ii) भारत में इं टरनेट पत्रकाररता के इनतहास का संजक्षप्त पररचय दीजजए ?
(iii) पत्रकारीय लेखन क्या है तथा पत्रकार के हकतने प्रकार होते है ?

प्रश्न
पाठ्यपुस्तक आरोह भाग 2 अंक (20)
संख्या
प्रश्न ननम्ननलजखत प्रश्नों को ध्यानपूिक
ा पढ़कर हदए गए 03 प्रश्नों में से हकन्द्हीं 02 प्रश्नों के 3×2=6
10 उत्तर लगभग 60 र्ब्दों में दीजजए-
(i) ‘जन्द्म से ही िे लाते हैं अपने साथ कपास’-कपास से बच्चों का क्या सम्बन्द्ध है ?
(ii) फूलों के जखलने और कविता में क्या समानता है ?
(iii) ‘कैमरे में बंद अपाहहज’ करूणा के मुखौटे में नछपी क्रूरता की कविता है – स्पष्ट
कीजजए |

प्रश्न ननम्ननलजखतप्रश्नों को ध्यानपूिक


ा पढ़कर हदए गए 03 प्रश्नों में से हकन्द्हीं 02 प्रश्नों के उत्तर 2×2=4
11 लगभग 40 र्ब्दों में दीजजए-
(i) भोर के नभ और राख से लीपे गए चौके में क्या समानता है ?
(ii) बोले िचन मनुज अनुसारी से कवि का क्या तात्पया है ?
(iii) चुराए नलए जाती िे मेरी आुँखें’ से कवि का क्या तात्पया है ?
प्रश्न ननम्ननलजखतप्रश्नों को ध्यानपूिक
ा पढ़कर हदए गए 03 प्रश्नों में से हकन्द्हीं 02 प्रश्नों के उत्तर 3×2=6
12 लगभग 60 र्ब्दों में दीजजए-
(i) भवक्तन की बेटी पर पंचायत िारा जबरन पनत थोंपा जाना स्त्री के मानिानधकारों
को कुचलने की परम्परा का प्रतीक है | इस कथन तकासम्मत हटलपणी कीजजए |
(ii) बाजार का जाद ू चढ़ने और उतरने पर मनुष्य पर क्या-क्या असर पड़ता है ?
(iii) इं दर सेना पर पानी फेंके जाने को जीजी ने हकस प्रकार सही ठहराया?

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प्रश्न ननम्ननलजखतप्रश्नों को ध्यानपूिक
ा पढ़कर हदए गए 03 प्रश्नों में से हकन्द्हीं 02 प्रश्नों के 2×2=4
13 उत्तर लगभग 40 र्ब्दों में दीजजए-
(i) ’ननस्तब्धता’ हकसे कहते है ? उस रात की ननस्तब्धता क्या प्रयत्न कर रही थी
और क्यों?
(ii) कानलदास, पंत और रिींरनाथ टै गोर में कौन सा गुण समान था? ‘नर्रीष के फूल’
पाठ के आधार पर उत्तर दीजजए |
(iii) मनुष्य की क्षमता हकन बातों पर ननभार रहती है ?
पूरक पाठ्यपुस्तक वितान भाग 2 अंक (04)
प्रश्न ननम्ननलजखत प्रश्नों को ध्यानपूिक
ा पढ़कर हदए गए 02 प्रश्नों में से हकसी 01 प्रश्न का 4x1 = 4

14 उत्तर लगभग 60 र्ब्दों में दीजजए–


‘यर्ोधर बाबू एक आदर्ा व्यवक्तत्ि हैं और नई पीढ़ी िारा उनके विचारों को अपनाना
ही उनचत है ’-इस कथन के पक्ष या विपक्ष में तका दीजजए |
अथिा
टू टे फूटे खंडहर, सभ्यता और संस्कृ नत के इनतहास के साथ धड़कती जजंदनगयों के
अनछुए समयों का भी दस्तािेज़ होते हैं –इस कथन का भाि स्पष्ट कीजजए |

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अंक-योजना प्रनतदर्ा प्रश्न-पत्र2023-24


SET- 1
विषय- हहं दी आधार (विषय कोड-302)
कक्षा-बारहिीं
ननधााररत समय : 3 घंटे अनधकतम अंक :80
सामान्द्य ननदे र्-
• अंक योजना का उद्दे श्य मूल्यांकन को अनधकानधक िस्तुननष्ठ बनाना है |
• खंड-‘अ’ में हदए गए िस्तुपरक प्रश्नों के उत्तरों का मूल्यांकन ननहदाष्ट अंक योजना के
आधार पर ही हकया जाएगा |
• खंड-‘ब’में िणाात्मक प्रश्नों के अंक योजना में हदए गए उत्तर वबंद ु अंनतम नहीं हैं | ये
सुझािात्मक एिं सांकेनतक हैं |
• यहद परीक्षाथी इन सांकेनतक वबन्द्दओ
ु ं से नभन्द्न, हकन्द्तु उपयुक्त उत्तर दे तो उसे अंक हदए
जाएुँ |
• मूल्यांकन काया ननजी व्याख्या के अनुसार नहीं, बजल्क अंक-योजना में ननहदाष्ट ननदे र्ानुसार
ही हकया जाएगा |

खंड-‘अ’ िस्तुपरक प्रश्नों के उत्तर


प्रश्न
अंक
क्रम उत्तर
विभाजन
संख्या
प्रश्न 1 प्रश्न –अपहठत बोध– गद्यांर् 1×10=10
1. b. भाषा एक प्रमुख तत्त्ि है 1
2. a. भाषा संिेदनाओं, भािनाओं ि विचारों की अनभव्यवक्त 1
3. c. संपका भाषा से 1
4. d. उपरोक्त सभी 1
5. d. उपरोक्त सभी 1
6. a. अमूता 1
7. b. क्योंहक िह मानि समुदाय में एकानुभूनत और विचार ऐक्य का साधन है । 1
8. b. भाषा सरल और प्रिाहमयी होती है 1
9. c. कथन i,ii,iv सही है 1
10. a. ज्ञानरानर् एिं भािरानर् का संनचत कोर्। 1

प्रश्न 2 प्रश्न – अपहठत बोध– पद्यांर् 1×5 = 5


1. a. बाधाओं से 1
2. b काुँटे 1
3. a. कहठन राह पर चलने िालों की 1
4. d. बाधाओं और विपदाओं से 1
5. b. साहस से जीने िालों की 1

प्रश्न 3 प्रश्न –अनभव्यवक्त और माध्यम 1×5 = 5


1. d. उपरोक्त सभी 1
2. a. कथन और कारण दोनों सत्य है ,कारण कथन की सही व्याख्या करता है 1
3. b. हिपल स्पेस 1
4. a. उद्दं त मातांड – जुगलहकर्ोर र्ुक्ल िारा 1
5. b.िॉचडॉग पत्रकाररता 1

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प्रश्न 4 प्रश्न –काव्यांर्–पाठ्यपुस्तक आरोह भाग 2 1×5 = 5
1. d. उपरोक्त सभी 1
2. b. पुनरुवक्तप्रकार् अलंकार 1
3. d. 1-C, 2-D, 3-A, 4-B 1
4. d. कथन A,B तथा C तीनों सत्य है 1
5. d. क तथा ग दोनों सही है | 1

प्रश्न 5 प्रश्न –गद्यांर्–पाठ्यपुस्तक आरोह भाग 2 1×5 = 5


1. b. सूखे के कारण 1
2. a. पूजा-पाठ आहद अनुष्ठान करते 1
3. b. िषाा के राजा इं र को 1
4. c. लोग इतनी कहठनाई से इकट्ठा हकया पानी बरबाद क्यों कर रहे हैं 1
5. d.तीनों कथन सत्य है | 1

प्रश्न 6 प्रश्न –पूरक पाठ्यपुस्तकवितान भाग 2 1×10=10


1. a. कथन i,ii और iii सत्य है 1
2. b. पीढीजन्द्य अंतराल 1
3. a. आधुननकता की चाह 1
4. d इनमें से सभी 1
5. b. कथन A,B तथा C सत्य है 1
6. a. बरहे ला सूअर 1
7. b. मंत्री नमक मास्टर 1
8. a. मुदों का टीला 1
9. a. कथन और कारण दोनों सत्य है ,कारण कथन की सही व्याख्या करता है 1
10. b. बौद्ध स्तूप 1

खंड-‘ब’िणाात्मक प्रश्नों के उत्तर


प्रश्न अंक
उत्तर
संख्या विभाजन
जनसंचार और सृजनात्मक लेखन
प्रश्न 7 हदए गए 03विषयों में से हकसी 01 विषय पर लगभग 120 र्ब्दों में रचनात्मक 6×1=6
लेख:
आरम्भ –1 अंक विषयिस्तु –3 अंक
प्रस्तुनत –1 अंक भाषा –1 अंक
प्रश्न 8 प्रश्न – लगभग 40 र्ब्दों में उत्तर: 2×2=4
(i) कहानी में पात्रों के चररत्र-नचत्रण का महत्िपूणा स्थान होता है । पात्रों का चररत्र- 2

नचत्रण करके ही कहानीकार कहानी को आगे बढ़ाता है । हर पात्र का अपना स्िभाि


होता है । अथिा
नाटक सिासाधारण की िस्तु है अतः उसकी भाषा र्ैली सरल , स्पष्ट और सुबोध
होनी चाहहए , जजससे नाटक में प्रभाविकता का समािेर् हो सके तथा दर्ाक को
जक्लष्ट भाषा के कारण बौवद्धक श्रम ना करना पड़े अन्द्यथा रस की अनुभूनत में
बाधा पहुंचेगी। अतः नाटक की भाषा सरल ि स्पष्ट रूप में प्रिाहहत होनी चाहहए।
(ii) कहानी और नाटक में ननम्ननलजखत समानताएं हैं - 2

कहानी- 1. कहानी का केंर वबंद ु कथानक होता है । 2. कहानी में एक कहानी होती है ।
3. कहानी में पात्र होते हैं ।
नाटक- 1.नाटक का केंर वबंद ु कथानक होता है । 2. नाटक में भी एक कहानी होती है ।
3. नाटक में भी पात्र होते हैं ।

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अथिा
कहानी का नाट्य रूपांतरण करते समय ननम्न बातों का ध्यान रखना चाहहए-
• कहानी एक ही जगह पर जस्थत होनी चाहहये।
• कहानी में संिाद नहीं होते और नाट्य संिाद के आधार पर आगे बढता है ।
• कहानी का नाट्य रूपांतर करने से पहले उसका कथानक बनाना बहुत जरूरी है ।
• नाट्य मे हर एक पत्र का विकास कहानी जैसे आगे बढती है , िैसे होता है ।
• कहानी कागजी होती है ।
प्रश्न 9 प्रश्न – हदए गए 03 प्रश्नों में से हकन्द्हीं 02 प्रश्नों के लगभग 60 र्ब्दों में उत्तर: 3×2=6
(i) रे हडयो समाचार-लेखन के नलए बुननयादी बातें : 3

➢ समाचार िाचन के नलये तैयार की गई कापी साि-सुथरी ओर टाइलड कॉपी


हो ।
➢ कापी को हिपल स्पेस में टाइप हकया जाना चाहहए।
➢ पयााप्त हानर्या छोडाा़ जाना चाहहए।
➢ अंकों को नलखने में सािधानी रखनी चाहहए।
➢ संजक्षप्ताक्षरों के प्रयोग से बचा जाना चाहहए।
(ii) भारत- पहला चरण 1993 से तथा दस
ू रा चरण 2003 से र्ुरू माना जाता है । 3

भारत में सच्चे अथों में िेब पत्रकाररता करने िाली साइटें ’रीहडि डॉट कॉम’, इं हडया
इिोलाइन’ ि ’सीिी’ हैं । रीहडि को भारत की पहली साइट कहा जाता है । िेब
साइट पर विर्ुद्ध पत्रकाररता र्ुरू करने का श्रेय ’तहलका डॉट्कॉम’ को जाता है ।
हहं दी में नेट पत्रकाररता
िेब दनु नया’ के साथ र्ुरू हुई। प्रभा साक्षी नाम का अखबार वप्रंट रूप में न होकर
नसिा नेट पर ही उपलब्ध है । हहन्द्दी की सिा श्रेष्ठ साइट बीबीसी की है |
(iii) पत्रकाररता आधुननक सभ्यता का एक प्रमुख व्यिसाय है , जजसमें समाचारों का 3
एकत्रीकरण, नलखना, जानकारी एकवत्रत करके पहुुँचाना, सम्पाहदत करना और
सम्यक प्रस्तुतीकरण आहद सजम्मनलत हैं ।
पत्रकार तीन प्रकार के होते है –
पहला- पूणक
ा ानलक पत्रकार
दस
ू रा- अंर्कानलक पत्रकार
तीसरा – फ्रीलांसर पत्रकार
प्रश्न –पाठ्यपुस्तक आरोह भाग 2
प्रश्न 10 प्रश्न – हदए गए 03 प्रश्नों में से हकन्द्हीं 02 प्रश्नों के लगभग 60 र्ब्दों में उत्तर: 3×2=6
(i) कपास की तरह ही बच्चे भी जन्द्म से ही कोमल और मुलायम होते हैं | बच्चों के 3

सपने कपास से बनी डोर के सामान होते हैं ,जो पतंग की तरह ऊुँची उड़ान भरते
हैं |बच्चे कपास की तरह कोमल आकषाक और लचीले होते हैं लचीलेपन के कारण
ही िो एक छत से दस
ू री छत पर आसानी से छलांग लगा लेते हैं साथ ही उनकी
भािनाएुँ भी कपास के सामान स्िच्छ होती हैं यही कारण है की इन दोनों में
समानता बताई गयी है |
(ii) फूल रं ग वबरं गे ि ् सुंदर होते हैं , प्रकृ नत में अपनी छटा वबखेरते हैं | फूलों को दे खकर 3

ह्रदय प्रस्फुहटत होता है , ठीक उसी प्रकार कवि के ह्रदय में विनभन्द्न भािों का
आगमन होता है , जजन्द्हें िह कविता के माध्यम से व्यक्त करता है | कविता को
पढ़कर पाठक को आनंद की प्रानप्त होती है |
(iii) यह कविता करूणा के मुखौटे में नछपी क्रूरता की कविता है | बाहरी तौर पर 3
कायाक्रम एक अपंग व्यवक्त के जीिन की समस्याओं से दर्ाकों को दो–चार करिाने
के उद्दे श्य को लेकर चलता है पर संचालक महोदय का पूरा ध्यान दर्ाकों की

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िाहिाही पाने में लगा रहता है | सस्ती भािुकता के नलए िह अपाहहज और दर्ाकों
दोनों को एक साथ रुलाना चाहता है इसके नलए िह हृदयहीन क्रूर प्रश्न पूछने से
भी नहीं हहचहकचाता |
प्रश्न 11 प्रश्न – हदए गए 03 प्रश्नों में से हकन्द्हीं 02 प्रश्नों के लगभग 40 र्ब्दों में उत्तर: 2×2=4
(i) भोर के नभ और राख़ से लीपे गए चौके में यह समानता है हक दोनों ही गहरे 2

सलेटी रं ग के हैं पवित्र हैं ,नमी से युक्त हैं |


(ii) भगिान राम एक साधारण मनुष्य की तरह विलाप कर रहे हैं हकसी अितारी 2

मनुष्य की तरह नहीं। भ्रातृ प्रेम का नचत्रण हकया गया है ।तुलसीदास की मानिीय
भािों पर सर्क्त पकड़ है ।दै िीय व्यवक्तत्ि का लीला रूप ईश्वर राम को मानिीय
भािों से समजन्द्ित कर दे ता है ।
(iii) नचत्रात्मक िणान िारा कवि ने एक ओर काले बादलों पर उड़ती बगुलों की श्वेत 2

पंवक्त का नचत्र अंहकत हकया है तथा इस अप्रनतम दृश्य के हृदय पर पड़ने िाले
प्रभाि को नचवत्रत हकया है । कवि के अनुसार यह दृश्य उनकी आुँखें चुराए नलए जा
रहा है |मंत्र मुग्ध कवि इस दृश्य के प्रभाि से आत्म विस्मृनत की जस्थनत तक
पहुुँच जाता है ।
प्रश्न 12 प्रश्न – हदए गए 03 प्रश्नों में से हकन्द्हीं 02 प्रश्नों के लगभग 60 र्ब्दों में उत्तर: 3×2=6
(i) भारतीय वििाह परं परा में लड़हकयों को अपनी इच्छानुसार िर चुनने की स्ितंत्रता 3

नहीं होती थी तथा समाज ि पंचायत िारा उनकी इच्छा को नजअंदाज भी कर


हदया जाता था | इस पाठ में भवक्तन की बड़ी बेटी के साथ भी यही होता है |
आज भी हमारे समाज में जस्त्रयों की यही दर्ा है , जो जस्त्रयों के मानिानधकारों के
विरुद्ध है |वििाह जैसा गंभीर ननणाय लेने का लड़हकयों को कोई अनधकार नहीं था,
जो समाज की स्त्री विरोधी एिं पुरुषिादी माननसकता का द्योतक है |
(ii) बाजार का जाद ू चढ़ने पर मनुष्य बाजार के आकषाक चीजों के िर् में हो जाता है 3
| िह लालक में आकर अनािश्यक चीजों को खरीदता चला जाता है | इस जाद ू के
प्रभाि में मनुष्य सोचने लगता है हक बाजार में बहुत कुछ है और उसके पास बहुत
कम चीजें हैं | बाजार का जाद ू उतरने पर मनुष्य को पता चलता है हक फैंसी चीजों
की बहुतायत आराम में मदद नहीं दे ती है , बजल्क खलल ही डालती हैं | बाजार का
जाद ू उतरने पर उसे खरीदी गई चीजें अनािश्यक ही लगाने लगती हैं |
(iii) i.पानी का अर्घया- कुछ पाने के नलए कुछ चढािा दे ना पडता है । इं र को पानी का 3

अर्घया चढाने से िे िषाा करें गे।


ii. त्याग की भािना से दान-जजस िस्तु की अनधक जरूरत है उसके दान से फल
नमलता है ।
iii. पानी की बुिाई- पानी को गनलयों में बीज की तरह बोएुँगे तब जाकर ही पानी
की फसल(िषाा) लहलहाएगी।
प्रश्न 13 प्रश्न – हदए गए 03 प्रश्नों में से हकन्द्हीं 02 प्रश्नों के लगभग 40 र्ब्दों में उत्तर: 2×2=4
(i) ननस्तब्धता का अथा मौन या गनतहीनता है क्योहकं रात के अंधेरे में सब कुछ 2

र्ान्द्त हो जाता है । उस रात की ननस्तब्धता करूण नससहकयों ि आहों को दबाने


की कोनर्र् कर रही है क्योहकं हदन में मौत का तांडि रहता है तथा हर तरफ
चीख - पुकार होती है ।
(ii) महाकवि कानलदास, सुनमत्रानंदन पंत और गुरुदे ि रिींरनाथ टै गोर तीनों जस्थरप्रज्ञ 2

और अनासक्त कवि थे | िे नर्रीष के समान सरस और मस्त अिधूत थे |


(iii) मनुष्य की क्षमता मुख्यत: तीन बातों पर ननभार रहती है - 2

i-र्ारीररक िंर् परं परा


ii-सामाजजक उत्तरानधकार
iii-मनुष्य के अपने प्रयत्न

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प्रश्न – पूरक पाठ्यपुस्तकवितान भाग 2
प्रश्न 14 यर्ोधर बाबू एक सामजजक व्यवक्त थे | अपनी नौकरी र्ुरू करने के साथ उन्द्होंने 4x1 = 4

संयुक्त पररिार अपने साथ रखा था | इसी प्रकार सालों में कुमाउनी परम्परा से
संबंनधत आयोजन भी हकया करते थे | यर्ोधर बाबू एक असंतुष्ट वपता भी थे
|अपनी संतानों के साथ उनका संबंध सामान्द्य नहीं था |अपने पाररिाररक माहौल से
बचने के नलए ही िे जान बूझकर अनधक समय तक घर से बाहर रहने की कोनर्र्
करते थे |यर्ोधर बाबू परम्परािादी व्यवक्त थे | उन्द्हें सामाजजक ररश्तों को ननबाहने
में आनंद आता है | अपनी बहन को ननयनमत तौर पर पैसा भेजते हैं |आधुननकता
के विरोधी होने के बाद भी उन्द्हें अपने बेटों की प्रगनत अच्छी लगती है |नई पीढ़ी
को उनके आदर्ों को अपनाना तो चाहहए पर उसमें समयानुकूल पररितान
आिश्यक है पुरानी बातों को उसी रूप में अपनाना व्यािहाररक नहीं होगा |
अथिा
i. पूरा अिर्ेष उस संस्कृ नत हक रहन सहन व्यिस्था के साथ ही उन पूिज
ा ोके
जीिन संदभों से पररनचत कराती है |
ii. हम कल्पना केसहारे उस समय मे प्रिेर् कर उस काल खंड हक अनुभूनत प्राप्त
करते है |
iii. खंडहरों से उस सभ्यता की प्रामाजणकता नसद्ध होती है |

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प्रनतदर्ा प्रश्न-पत्र 2023-24


SET- 2
विषय- हहं दी आधार (विषय कोड-302)
कक्षा-बारहिीं
ननधााररत समय : 3 घंटे अनधकतम अंक : 80
सामान्द्य ननदे र्-
• इस प्रश्न पत्र में दो खंड हैं – खंड ‘अ’ तथा खंड-‘ब’| कुल प्रश्न 14 हैं |
• खंड 'अ’ में कुल 40 िस्तुपरक प्रश्न पूछे गए हैं , सभी 40 प्रश्नों के उत्तर दे ने हैं |
• खंड ‘ब’ में िणानात्मक प्रश्न पूछे गए हैं | प्रश्नों के उनचत आंतररक विकल्प हदए गए हैं |
• प्रश्नों के उत्तर हदए गए ननदे र्ों का पालन करते हुए दीजजए |
• दोनों खण्डों के प्रश्नों के उत्तर दे ना अननिाया है |
• यथासंभि दोनों खण्डों के प्रश्नों के उत्तर क्रमर्ः नलजखए |

खंड-‘अ’ (िस्तुपरक प्रश्न)


प्रश्न अंक
अपहठत बोध
संख्या (15)
प्रश्न 1 ननम्ननलजखत गद्यांर् को ध्यानपूिक
ा पढ़कर हदए गए प्रश्नों के सिाानधक उपयुक्त उत्तर 1×10=10
िाले विकल्प को चुनकर नलजखए –
विज्ञान प्रकृ नत को जानने का महत्िपूणा साधन है । भौनतकता आज आधुननक
िैज्ञाननक और तकनीकी प्रगनत का स्तर ननधााररत करती है । विज्ञान केिल सत्य,अथा
और प्रकृ नत के बारे में उपयोग ही नहीं बजल्क प्रकृ नत की खोज का एक क्रम है ।
विज्ञान प्रकृ नत को जानने का एक महत्िपूणा साधन है । यह प्रकृ नत को जानने के
विषय में हमें महत्िपूणा और विश्वसनीय ज्ञान दे ता है । व्यवक्त जजस बात पर विश्वास
करता है िही उसका ज्ञान बन जाता है । कुछ लोगों के पास अनुनचत ज्ञान होता है
और िह उसी ज्ञान को सत्य मानकर उसके अनुसार काम करते हैं । िैज्ञाननकता और
आलोचनात्मक विचार उस समय जरूरी होते हैं जब िह विश्वसनीय ज्ञान पर
आधाररत हों। िैज्ञाननक और आलोचक अक्सर तकासंगत विचारों का प्रयोग करते हैं ।
तका हमें उनचत सोचने पर प्रेररत करते हैं । कुछ लोग तका संगत विचारधारा नहीं
रखते क्योंहक उन्द्होंने कभी तका करना जीिन में सीखा ही नहीं होता। प्रकृ नत
िैज्ञाननक और कवि दोनों की ही उपास्या है । दोनों ही उससे ननकटतम संबंध
स्थावपत करने की चेष्टा करते है , हकंतु दोनों के दृवष्टकोण में अंतर है । िैज्ञाननक
प्रकृ नत के बाल्य रूप का अिलोकन करता है और सत्य की खोज करता है , परं तु
कवि बाड्य रूप पर मुग्ध होकर उससे भािों का तादात्म्य स्थावपत करता है ।
िैज्ञाननक प्रकृ नत की जजस िस्तु का अिलोकन करता है , उसका सूक्ष्म ननरीक्षण भी
करता है । चंर को दे खकर उसके मजस्तष्क में अनेक विचार उठते हैं उसका तापक्रम
क्या है , हकतने िषों में िह पूणत
ा ः र्ीतल हो जाएगा,ज्िार- भाटे पर उसका क्या
प्रभाि होता है , हकस प्रकार और हकस गनत से िह सौर मंडल में पररक्रमा करता है
और हकन तत्िों से उसका ननमााण हुआ है ? िह अपने सूक्ष्म ननरीक्षण और अनिरत
नचंतन से उसको एक लोक ठहराता है और उस लोक में जस्थत ज्िालामुखी पिातों
तथा जीिनधाररयों की खोज करता है । इसी प्रकार िह एक प्रफुजल्लत पुष्प को
दे खकर उसके प्रत्येक अंग का विश्लेषण करने को तैयार हो जाता है । उसका प्रकृ नत-
विषयक अध्ययन िस्तुगत होता है । उसकी दृवष्ट में विश्लेषण और िगा विभाजन की
प्रधानता रहती है । िह सत्य और िास्तविकता का पुजारी होता है । कवि की कविता
भी प्रत्यक्षािलोकन से प्रस्फुहटत होती है िह प्रकृ नत के साथ अपने भािों का संबंध
स्थावपत करता है । िह उसमें मानि चेतना का अनुभि करके उसके साथ अपनी

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आंतररक भािनाओं का समन्द्िय करता है । िह तथ्य और भािना के संबंध पर बल
दे ता है । उसका िस्तुिणान हृदय की प्रेरणा का पररणाम होता है , िैज्ञाननक की भाुँनत
मजस्तष्क की यांवत्रक प्रहक्रया नहीं। कवियों िारा प्रकृ नत-नचत्रण का एक प्रकार ऐसा
भी है जजसमें प्रकृ नत का मानिीकरण कर नलया जाता है अथाात प्रकृ नत के तत्त्िों को
मानि ही मान नलया जाता है । प्रकृ नत में मानिीय हक्रयाओं का आरोपण हकया जाता
है । हहं दी में इस प्रकार का प्रकृ नत-नचत्रण छायािादी कवियों में पाया जाता है । इस
प्रकार के प्रकृ नत-नचत्रण में प्रकृ नत सिाथा गौण हो जाती है । इसमें प्राकृ नतक िस्तुओं
के नाम तो रहते हैं परं तु झंकृत नचत्रण मानिीय भािनाओं का ही होता है । कवि
लहलहाते पौधे का नचत्रण न कर खुर्ी से झूमते हुए बच्चे का नचत्रण करने लगता
है |
1. विज्ञान प्रकृ नत को जानने का एक महत्िपूणा साधन है क्योंहक यह-
(a) समग्र ज्ञान के साथ तादात्म्प स्थावपत करता है
(b) प्रकृ नत आधुननक विज्ञान की उपास्या है
(c) महत्िपूणा और विश्वसनीय ज्ञान प्रदान करता है
(d) आधुननक िैज्ञाननक का स्तर ननधााररत करता है
2. 'िैज्ञाननक प्रकृ नत के बाहय रूप का अिलोकन करते हैं यह कथन दर्ााता है हक िे
(a) कवियों की तुलना में अनधक श्रेष्ठ हैं
(b) ज्िारभाटे के पररणाम से बचना चाहते हैं
(c) िगा विभाजन के पक्षधर बने रहना चाहते हैं
(d) प्रकृ नत से अविदरू रहने का प्रयास करते हैं
3. ननम्ननलजखत कथनों पर विचार कीजजए –
कथन (i) : विज्ञान प्रकृ नत को जानने का महत्िपूणा साधन है ।
कथन (ii) : िैज्ञाननकता और आलोचनात्मक विचार उस समय जरूरी होते हैं जब
िह विश्वसनीय ज्ञान पर आधाररत हों।
कथन (iii) : प्रकृ नत में मानिीय हक्रयाओं का आरोपण हकया जाता है ।
कथन (iv) : प्रकृ नत-नचत्रण में प्रकृ नत सिाथा गौण हो जाती है ।
(a) केिल कथन i सही है
(b) केिल कथन ii सही है
(c) सभी i ,ii ,iii ,iv कथन सही है
(d) केिल कथन i ,ii ,iii सही है
4. कौन अनिरत नचंतन करता है ?
(a) सूक्ष्माचारी (b) विज्ञानोपासक
(c) ध्यानविलीन योगी (d) अिसादग्रस्त व्यवक्त
5. कौन िास्तविकता का पुजारी होता है ?
(a) यथाथािादी (b) काव्यिादी (c) प्रकृ नतिादी (d) विज्ञानिादी
6. कवि की कविता हकससे प्रस्फुहटत होती है ?
(a) विचारों के मंथन से
(b) प्रकृ नत के साक्षात दर्ान से
(c) भािनाओं की उहापोह से
(d) प्रेम की तीव्र इच्छा से
7. कवि के संबंध में इनमें से सही तथ्य है -
(a)ज्िालामुखी के रहस्य जानता है
(b) जीिधाररयों की खोज करता है
(c) सत्य का उपासक नहीं होता

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(d) प्रफुजल्लत पुष्प का अध्ययनकताा
8. 'इत' प्रत्यय युक्त र्ब्द कौन-सा है ?
(a) झंकृत (b) ननत (c) लनलत (d) उनचत
9. उपयुक्त
ा गद्यांर् का उपयुक्त र्ीषाक है
(a) कवि की सोच और िैज्ञाननकता
(b) प्रकृ नत के उपासक-कवि और िैज्ञाननक
(c ) िैज्ञाननक उन्द्ननत और काव्य जगत
(d) िैज्ञाननक दृवष्टकोण-अतुलनीय
10. प्रकृ नत का मानिीकरण दर्ााता है हक-
(a) कल्पना प्रधान ि भािोन्द्मेर्युक्त कविता रची जा रही है
(b) मानिीकरणअलंकार का दरु
ु पयोग हो रहा है
(c) प्रकृ नत ि मानि के सामंजस्य से उहदत दीनप्त फैल रही है
(d) मानि िारा प्रकृ नत का संरक्षण हो रहा है

प्रश्न 2 हदए गए पद्यांर् पर आधाररत प्रश्नों को ध्यानपूिक


ा पढ़कर हदए गए प्रश्नों के सिाानधक 1×5 =5
उपयुक्त उत्तर िाले विकल्प को चुनकर नलजखए –
आज करना है जजसे, करते उसे हैं आज ही।
सोचते कहते हैं जो कुछ कर हदखाते हैं िही ।।
मानते जी की हैं सुनते हैं , सदा सबकी कही।
जो मदद करते हैं अपनी इस जगत में आप ही ॥
भूलकर भी दस
ू रों का मुुँह कभी तकते नहीं।
कौन ऐसा काम है , िे कर जजसे सकते नहीं॥
1. कमािीर समय का सदप
ु योग हकस तरह करते हैं ?
(a) हर काम को समय पर करते हैं ।
(b) आज का काम कल पर नहीं छोड़ते।
(c) बेकार की बातों में समय बरबाद नहीं करते
(d) आलस्य में समय नहीं गॅिाते हैं ।
2. कमािीर के काम करने के तरीके की प्रमुख विर्ेषताएुँ हैं
(a) िे जो ठान लेते हैं , उसे पूरा करके हदखाते हैं , िे बेकार की बातों में समय बबााद
नहीं करते
(b) िे हकसी के बहकािे में नहीं आते, मन में जो सोचते हैं िही करते हैं ।
(c) िे उनचत काम को ही करते हैं ।
(d) िे िीरता के काया करते हैं , मुसीबतें आने पर कभी हहम्मत नहीं हारते
3. ‘भूलकर भी दस
ू रों का मुुँह कभी तकते नहीं’ पंवक्त का भािाथा है
(a) िे दस
ू रों की मदद के नलए हाथ पर हाथ रखकर नहीं बैठते
(b) िे दस
ू रों की मदद नहीं लेते।
(c) िे दस
ू रों की सलाह नहीं मानते
(d) िे दस
ू रों से कोई उम्मीद नहीं रखते
4. कमािीर की दो मुख्य विर्ेषताएुँ हैं
ननम्ननलजखत कथनों पर विचार कीजजए -
कथन (i): िे हकसी की मदद लेने की उम्मीद में बैठे नहीं रहते
कथन (ii): उनकी कथनी-करनी एक जैसी होती है ।
कथन (iii): िे दृढ़ संकल्पी होते हैं , िे समय का सदप
ु योग करते हैं
कथन (iv): िे सुस्त तथा अस्िानभमानी होते हैं

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(a) केिल कथन i सही है
(b) केिल कथन ii सही है
(c) सभी i ,ii ,iii ,iv कथन सही है
(d) केिल कथन i ,ii ,iii सही है
5. कॉलम 1 को कॉलम 2 से सुमेनलत कीजजए और सही विकल्प चुनकर नलजखए |
कॉलम 1 कॉलम 2
1 कमािीर (i) सहायक
2 कथनी (ii) कही हुई बात
3 मददगार (iii) कताव्य में िीर
(a) 1- (i), 2-(iii) ,3-(iii)
(b) 1- (i), 2-(iii) ,3-(iii)
(c) 1- (i), 2-(iii) ,3-(iii)
(d) 1- (iii), 2-(ii) ,3-(i)
प्रश्न
अनभव्यवक्त और माध्यम अंक (5)
संख्या
प्रश्न 3 ननम्ननलजखत प्रश्नों को ध्यानपूिक
ा पढकर सिाानधक उपयुक्त उत्तर िाले विकल्प को 1×5 = 5
चुनकर नलजखए-
1.इनमें से कौन-सा जनसंचार माध्यम अनपढ़ व्यवक्त के नलए उपयोगी नहीं है ?
(a) इं टरनेट (b) समाचार-पत्र (c) पवत्रकाएुँ (d) तीनों
2.दृश्यों का हकस माध्यम में अनधक महत्ि होता है ?
(a) समाचार पत्र (b) रे हडयो (c) टे लीविज़न (d) इं टरनेट
3.पत्रकार हकतने प्रकार के होते हैं ?
(a) दो (b) चार (c) तीन (d) पांच
4.समाचार पत्र का संपादन करने िाले को क्या कहते हैं ?
(a) प्रकार्क (b) संिाददाता (c) फीचर लेखक (d) संपादक
5.विर्ेष लेखन के नलए हकस प्रकार की भाषा र्ैली अपेजक्षत है ?
(a) साहहजत्यक भाषा (b) सहज,सरल तथा बोधगम्य भाषा
(c) बाजारू भाषा (d) हहन्द्दी उदा ू नमनश्रत भाषा
प्रश्न अंक
पाठ्यपुस्तक आरोह भाग 2
संख्या (10)
प्रश्न 4 ननम्ननलजखत काव्यांर् के प्रश्नों को ध्यानपूिक
ा पढ़कर सिाानधक उपयुक्त उत्तर िाले 1×5 = 5
विकल्प को चुनकर नलजखए-
कविता एक उड़ान हैं नचहड़या के बहाने
कविता की उड़ान भला नचहडया क्या जाने?
बाहर भीतर
इस घर, उस घर
कविता के पंख लगा उड़ने के माने
नचहडया क्या जाने ?
कविता एक जखलना हैं फूलों के बहाने
कविता का जखलना भला फूल क्या जाने
बाहर भीतर
इस घर, उस घर
वबना मुरझाए महकने के माने
फूल क्या जाने?

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कविता एक खेल हैं बच्चों के बहाने
बाहर भीतर
यह घर, िह घर
सब घर एक कर दे ने के माने
बच्चा ही जाने।
1. ‘कविता के बहाने ‘ कविता में कवि को हकस बात का र्क है –
(a) कविता के सिाव्यापी होने पर
(b) कविता के मनोरं जक होने पर
(c) कविता में भािानुभूनत के अभाि पर
(d) यांवत्रकता के दबाि में कविता के अजस्तत्ि को लेकर
2.‘कविता के बहाने ‘ कविता की यात्रा कहाुँ तक नहीं जाती है –
(a) फूल तक (b) फल तक (c) नचहड़या तक (d) बच्चे तक
3.‘कविता के बहाने‘कविता में कवि ने कविता की संपूणत
ा ा की तुलना पूणा रूप में
की गई है
(a) फूल तक (b) बच्चे तक (c) नचहड़या तक (d) सभी से
4. ननम्ननलजखत कथन और कारण को ध्यानपूिक
ा पहढ़ए और सही विकल्प चुनकर
नलजखए |
कथन (A) .‘कविता के बहाने‘कविता में कवि ने कविता की संपूणत
ा ा की तुलना पूणा
रूप से नचहड़या ,फूल और बच्चे से की है
कारण (R) क्योंहक कविता की सम्पूणत
ा ा इन तीनों की तुलना से ही संभि है
(a) कथन (A) सही है , कारण (R) गलत है |
(b) कथन (A) सही नहीं है , कारण (R) सही है |
(c) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही है , हकन्द्तु कारण (R) उसकी सही व्याख्या
नहीं करता
(d) कथन (A) सही है तथा कारण (R) दोनों सही हैं कारण (R) कथन (A) की सही
व्याख्या करता है |
5.उक्त पंवक्तयों में कविता एक उड़ान हैं हकसके बहाने हैं ?
(a)कागज के बहाने (b) पतंग के बहाने
(c) डोर के बहाने (d) नचहड़या के बहाने

प्रश्न 5 ननम्ननलजखत गद्यांर् के प्रश्नों को ध्यानपूिक


ा पढ़कर सिाानधक उपयुक्त उत्तर िाले 1×5 =5
विकल्प को चुनकर नलजखए-
जीिन के दस
ू रे पररच्छे द में भी सुख की अपेक्षा दःु ख ही अनधक है । जब उसने गेहुुँए
रं ग और बहटया जैसी मुख िाली कन्द्या के दो संस्करण और कर डाले तब सास और
जजठाननयों ने ओंठ वबचकाकर उपेक्षा प्रकट की । उनचत भी था,क्योंहक सास तीन-
तीन कमाऊ िीरों की विधात्री बनकर मनचया के ऊपर विराजमान पुरजखन के पद पर
अनभवषक्त हो चुकी थी और दोनों जजठाननयां काक-भुर्ुंडी जैसे काले लालों की सृवष्ट
कर के इस पद के नलए उम्मीदिार थीं । छोटी बहू के लीक छोड़कर चलने के
कारण उसे दं ड नमलना आिश्यक हो गया ।
1. ‘कन्द्या के दो संस्करण और कर डाले’ पंवक्त का आर्य है
(a) दो कन्द्याओं का वििाह करना (b) दो और कन्द्याओं का जन्द्म होना
(c) कन्द्यादान करना (d) ये सभी
2.भवक्तन की सास के हकतने लड़के थे ?
(a) तीन (b) दो (c) पाुँच (d) छह

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3.भवक्तन का गुना हकतने िषा की उम्र में हो गया था?
(a) छः िषा (b) नौ िषा
(c) सात िषा (d) इनमें से कोई नहीं

4.कॉलम 1 को कॉलम 2 से सुमेनलत कीजजए और सही विकल्प चुनकर नलजखए |


कॉलम 1 कॉलम 2
1 पररच्छे द (i) विभाजन
2 ओंठ वबचकाना (ii) अपरम्परागत रूप से सोचना
3 लीक से हटकर सोचना (iii) घृणा प्रकट करना
(a) 1- (i), 2-(iii) ,3-(ii)
(b) 1- (ii), 2-(iii) ,3-(i)
(c) 1- (iii), 2-(i) ,3-(ii)
(d) 1- (ii), 2-(i) ,3-(iii)
5.गद्यांर् के पाठ और लेजखका का नाम क्या है ?
(a) भवक्तन – कृ ष्णा सोबती (b) भवक्तन- महादे िी
(c) भवक्तन – लक्ष्मी (d) इनमें से कोई नहीं
प्रश्न अंक
पूरक पाठ्यपुस्तक वितान भाग 2
संख्या (10)
प्रश्न 6 ननम्ननलजखत पेश्नों को ध्यानपूिक
ा पढ़कर सिाानधक उपयुक्त उत्तर िाले विकल्प को 1×10=10
चुनकर नलजखए -
1. नसल्िर िैहडं ग' पर भूषण ने अपने वपता को क्या उपहार हदया?
(a) घड़ी (b) पैंट (c) पैंट और कमीज़ (d) ऊनी ड्रे नसंग गाउन
2.यर्ोधर बाबू का अपने बच्चों के प्रनत कैसा व्यिहार था?
(a) स्नेहपूणा (b) ईष्यापूणा
(c) घृणापूणा (d) अलगाि भरा
3.यर्ोधर बाबू की पत्नी हकसका साथ दे ती है ?
(a) पनत का (b) आधुननकता का
(c) अपने बच्चों का (d)मौज मस्ती का
4. ननम्ननलजखत कथन और कारण को ध्यानपूिक
ा पहढ़ए और सही विकल्प चुनकर
नलजखए |
कथन (A) :यर्ोधर बाबू महत्त्िाकांक्षी और प्रगनतर्ील हैं | उनमे समय के साथ
बदलाि आ गया है |
कथन (R) : यर्ोधर बाबू के बच्चे उन्द्हें वपछड़ा मानते हैं |
(a) कथन (A) सही है , कारण (R) गलत है |
(b) कथन (A) सही नहीं है , कारण (R) सही है |
(c) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही है , हकन्द्तु कारण (R) उसकी सही व्याख्या
नहीं करता
(d) कथन (A) सही है तथा कारण (R) दोनों सही हैं कारण (R) कथन (A) की सही
व्याख्या करता है |
5. ननम्ननलजखत कथनों पर विचार कीजजए :-
कथन 1 :नसन्द्धु घटी सभ्यता टीलों पर आबाद थी
कथन 2 :मुअनजो-दड़ो छोटे मोटे टीलों पर बसा था |
कथन 3 :नसन्द्धु घटी सभ्यता की खूबी सौन्द्दया बोध है |
कथन 4 : नसन्द्धु सभ्यता में नगर ननयोजन उन्द्नत नहीं था |

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(a)कथन (1) तथा (2) सही है (b)कथन (1),(2) तथा (3) सही है
(c)कथन (2) ,(3) तथा (4) सही है (d) कथन (2) तथा ( 3) सही है

6.लेखक का दादा जल्दी कोल्हू क्यों चलाता था?


(a) जल्दी काम खत्म करने के नलए (b) अनधक पैसे के नलए
(c) अपनी आिारागदी के नलए (d) आराम करने के नलए
7.लेखक की कक्षा के मॉनीटर का नाम क्या था?
(a) िसंत पाटील (b) चव्हाण पाटील
(c) मनोहर पाटील (d) राि पाटील
8.कहानी के र्ीषाक ‘जूझ’ का अथा है -
(a) संघषा (b) चालाकी (c) मेहनत (d) कहठनाई
9.‘जूझ’ पाठ के रचनयता का नाम है -
(a) फणीश्वर नाथ रे णु (b) आनंद यादि
(c) धमािीर भारती (d) मनोहर श्याम जोर्ी
10.‘जूझ’ उपन्द्यास मूलतः हकस भाषा में रनचत है ?
(a) मराठी (b) गुजराती (C) अिधी (d) ब्रज
खण्ड-‘ब’ (िणानात्मक प्रश्न)
प्रश्न अंक
जनसंचार और सृजनात्मक लेखन
संख्या (16)
प्रश्न 7 ननम्ननलजखत हदए गए 03 विषयों में से हकसी 01 विषय पर लगभग 120 र्ब्दों में 6×1=6
रचनात्मक लेख नलजखए -
क) मंच पर प्रस्तुनत
ख) जखड़की से बाहर का दृश्य
ग) कार् ! मैं उड़ पाता
प्रश्न 8 ननम्ननलजखत प्रश्नों को ध्यानपूिक
ा पढ़कर लगभग 40 र्ब्दों में ननदे र्ानुसार उत्तर 2×2=4
दीजजए-
(i) कहानी का नाट्य- रूपांतरण करते समय हकन महत्िपूणा बातों का ध्यान रखना
चाहहए?
अथिा
रे हडयो नाटक में ध्िनन प्रभािों और संिादों का क्या महत्त्ि है ?
(ii) रटं त क्या है ? रटं त को कुटे ि (बुरी लत) क्यों कहा गया है ?
अथिा
रे हडयो की तुलना में टी.िी. माध्यम की कोई दो सीमाएं बताएं |
प्रश्न 9 ननम्ननलजखत प्रश्नों को ध्यानपूिक
ा पढ़कर हदए गए 03 प्रश्नों में से हकन्द्हीं 02 प्रश्नों 3×2=6
के उत्तर लगभग 60 र्ब्दों में दीजजए -
(i)उलटा वपरानमड र्ैली से आप क्या समझते हैं ?
(ii) समाचार पत्र कब सम्पूणा समझा जाता है ?
(iii) मुहरत माध्यम की सीमाएुँ बताइए ?
प्रश्न अंक
पाठ्यपुस्तक आरोह भाग 2
संख्या (20)
प्रश्न ननम्ननलजखत प्रश्नों को ध्यानपूिक
ा पढ़कर हदए गए 03 प्रश्नों में से हकन्द्हीं 02 प्रश्नों 3×2=6
10 के उत्तर लगभग 60 र्ब्दों में दीजजए-
(i)बादलों के आगमन से प्रकृ नत में होने िाले हकन-हकन पररितानों को कविता
रे खांहकत करती है ?

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(ii) कवितािली के आधार पर पुवष्ट कीजजए हक तुलसी को अपने समय की आनथाक
सामाजजक समस्याओं की जानकारी थी |
(iii) हदन जल्दी-जल्दी ढलता हैं - की आिृनत से कविता की हकस विर्ेषता का पता
चलता हैं ?
प्रश्न ननम्ननलजखत प्रश्नों को ध्यानपूिक
ा पढ़कर हदए गए 03 प्रश्नों में से हकन्द्हीं 02 प्रश्नों 2×2=4
11 के उत्तर लगभग 40 र्ब्दों में दीजजए-
(i) उषा कविता के आधार पर गांि की सुबह का िणान अपने र्ब्दों में कीजजए।
(ii) सोचकर बताएुँ हक पतंग के नलए सबसे हलकी और रं गीन चीज़, सबसे पतला
कागज़, सबसे पतली कमानी जैसे विर्ेषणों का प्रयोग क्यों हकया है ?
(iii) कविता और बच्चे को समानांतर रखने के क्या कारण हो सकते हैं ?
प्रश्न ननम्ननलजखत प्रश्नों को ध्यानपूिक
ा पढ़कर हदए गए 03 प्रश्नों में से हकन्द्हीं 02 प्रश्नों 3×2=6
12 के उत्तर लगभग 60 र्ब्दों में दीजजए-
(i) लेखक ने नर्रीष को कालजयी अिधूत ( संन्द्यासी ) की तरह क्यों माना है ?
(ii) ढोलक की आिाज का पूरे गांि पर क्या असर होता था?
(iii) जीजी ने इं दर सेना पर पानी फेंके जाने को हकस तरह सही ठहराया?
प्रश्न ननम्ननलजखत प्रश्नों को ध्यानपूिक
ा पढ़कर हदए गए 03 प्रश्नों में से हकन्द्हीं 02 प्रश्नों 2×2=4
13 के उत्तर लगभग 40 र्ब्दों में दीजजए-
(i) बाज़ारूपन’ से क्या तात्पया है ? हकस प्रकार के व्यवक्त बाजार को साथाकता प्रदान
करते हैं अथिा बाज़ार की साथाकता हकसमें हैं ?
(ii) भवक्तन के आ जाने से महादे िी अनधक दे हाती कैसे हो गई?
(iii) पहलिान की ढोलक का गाुँि िालों पर क्या प्रभाि होता था ?
प्रश्न अंक
पूरक पाठ्यपुस्तक वितान भाग 2
संख्या (04)
प्रश्न ननम्ननलजखत प्रश्नों को ध्यानपूिक
ा पढ़कर हदए गए 02 प्रश्नों में से हकसी 01 प्रश्न का 4x1 = 4
14 उत्तर लगभग 60 र्ब्दों में दीजजए –
यर्ोधर पन्द्त की पीढ़ी की वििर्ता यह है हक िो पुराने को अच्छा समझते है और
ितामान से तालमेल नहीं बैठा पाते ‘ –इस कथन के आधार पर समीक्षा कीजजए

अथिा
कथानायक (आनंद ) के वपता उसे स्कूल क्यों नहीं भेजना चाहते ? समीक्षा करें |
*****************

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अंक-योजना प्रनतदर्ा प्रश्न-पत्र 2023-24


SET- 2
विषय- हहं दी आधार (विषय कोड-302)
कक्षा-बारहिीं
ननधााररत समय : 3 घंटे अनधकतम अंक : 80
सामान्द्य ननदे र्-
• अंक योजना का उद्दे श्य मूल्यांकन को अनधकानधक िस्तुननष्ठ बनाना है |
• खंड-‘अ’ में हदए गए िस्तुपरक प्रश्नों के उत्तरों का मूल्यांकन ननहदाष्ट अंक योजना के आधार पर ही
हकया जाएगा |
• खंड-‘ब’में िणाात्मक प्रश्नों के अंक योजना में हदए गए उत्तर वबंद ु अंनतम नहीं हैं |ये सुझािात्मक एिं
सांकेनतक हैं |
• यहद परीक्षाथी इन सांकेनतक वबन्द्दओ
ु ं से नभन्द्न, हकन्द्तु उपयुक्त उत्तर दे तो उसे अंक हदए जाएुँ |
• मूल्यांकन काया ननजी व्याख्या के अनुसार नहीं, बजल्क अंक-योजना में ननहदाष्ट ननदे र्ानुसार ही हकया
जाएगा |

खंड-‘अ’ िस्तुपरक प्रश्नों के उत्तर


प्रश्न अंक
उत्तर
संख्या विभाजन
प्रश्न 1 प्रश्न – अपहठत बोघ – गद्यांर् 1×10=10
1. (c) महत्िपूणा और विश्वसनीय ज्ञान प्रदान करता 1
2. (d) प्रकृ नत से अविदरू रहने का प्रयास करते हैं 1
3. (c) सभी i ,ii ,iii ,iv कथन सही है 1
4. (b) विज्ञानोपासक 1
5. (d) विज्ञानिादी 1
6. (b) प्रकृ नत के साक्षात दर्ान से 1
7. (d) प्रफुजल्लत पुष्प का अध्ययनकताा 1
8. (b) ननत 1
9. (a) कवि की सोच और िैज्ञाननकता 1
10. (b) मानिीकरणअलंकार का दरु
ु पयोग हो रहा है 1
प्रश्न 2 अपहठत पद्यांर् को पढ़कर उत्तर नलजखए :- 1×5 = 5
1. (b) आज का काम कल पर नहीं छोड़ते। 1
2. (c) िे उनचत काम को ही करते हैं । 1
3. (a) िे दस
ू रों की मदद के नलए हाथ पर हाथ रखकर नहीं बैठते 1
4. (c) केिल कथन i ,ii ,iii , कथन सही है 1
5. (d) 1- (iii), 2-(ii) ,3-(i) 1
प्रश्न 3 प्रश्न – अनभव्यवक्त और माध्यम 1×5 = 5
1. (d) तीनों 1
2. (c) टे लीविजन 1
3. (c) तीन 1
4. (d) संपादक 1
5. (b) सहज,सरल तथा बोधगम्य भाषा 1
प्रश्न 4 प्रश्न – काव्यांर् – पाठ्यपुस्तक आरोह भाग 2 1×5 = 5
1. (d) यांवत्रकता के दबाि में कविता के अजस्तत्ि को लेकर 1
2. (b) फल तक 1

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3. (d) सभी से 1
4. (d) कथन (A) सही है तथा कारण (R) दोनों सही हैं कारण (R) कथन (A) की सही 1
व्याख्या करता है |
5. (d) नचहड़या के बहाने 1
प्रश्न 5 प्रश्न – गद्यांर् – पाठ्यपुस्तक आरोह भाग 2 1×5 = 5
1. (b) दो और कन्द्याओं का जन्द्म होना 1
2. (a) तीन 1
3. (b) नौ िषा 1
4. (a) 1- (i), 2-(iii) ,3-(ii) 1
5. (b) भवक्तन- महादे िी 1
प्रश्न 6 प्रश्न – पूरक पाठ्यपुस्तक वितान भाग 2 1×10=10
ननम्ननलजखत प्रश्नों के ननदे र्ानुसार सही विकल्पों का चयन कीजजए:-
1. (d) ऊनी ड्रे नसंग गाउन 1
2. (d) अलगाि भरा 1
3. (c) अपने बच्चों का 1
4. (d)कथन (A)सही है तथा कारण (R)दोनों सही हैं कारण (R)कथन (A)की सही 1
व्याख्या करता है |
5. (d) कथन (2) तथा ( 3) सही है 1
6. (b) अनधक पैसे के नलए 1
7. (a) िसंत पाटील 1
8. (a) संघषा 1
9. (b) आनंद यादि 1
10. (a) मराठी 1
खंड-‘ब’ िणाात्मक प्रश्नों के उत्तर
प्रश्न अंक
उत्तर
संख्या विभाजन
जनसंचार और सृजनात्मक लेखन
प्रश्न 7 हदए गए 03 विषयों में से हकसी 01 विषय पर लगभग 120 र्ब्दों में रचनात्मक 6×1=6
लेख:
आरम्भ – 1 अंक
विषयिस्तु – 3 अंक
प्रस्तुनत – 1 अंक
भाषा – 1 अंक
उत्तर - स्िवििेक से नलखेंगे
प्रश्न 8 प्रश्न – लगभग 40 र्ब्दों में उत्तर: 2×2=4
(i) कहानी एक ही जगह पर जस्थत होनी चाहहये। 2
कहानी में संिाद नहीं होते और नाट्य संिाद के आधार पर आगे बढता है । ...
●कहानी का नाट्य रूपांतर करने से पहले उसका कथानक बनाना बहुत जरूरी है ।
●नाट्य मे हर एक पत्र का विकास कहानी जैसे आगे बढती है , िैसे होता है । ...
●कहानी कागजी होती है ।
अथिा
रे हडयो नाटक में ध्िनन प्रभािों और संिादों का विर्ेष महत्त्ि है , जो इस प्रकार है -
(i) रे हडयो नाटक में पात्रों से सम्बजन्द्धत सभी जानकाररयाुँ संिादों िारा नमलती हैं |
(ii) पात्रों की चाररवत्रक विर्ेषताएुँ संिादों के िारा ही उजागर होती हैं |
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(iii) रे हडयो नाटक का पूरा कथानक संिादों पर ही आधाररत होता है |
(iv) इसमें ध्िनन प्रभािों और संिादों के माध्यम से ही कथा को श्रोताओं तक
पहुुँचाया जाता है |
(v) संिादों के माध्यम से ही रे हडयो नाटक का उद्दे श्य स्पष्ट होता है |
(ii) दस
ू रों िारा तैयार की गई सामग्री को याद करके ज्यों का त्यों प्रस्तुत करना रटं त 2
कहलाती है | इसे कुटे ि (बुरी लत) इसनलए कहा जाता है क्योंहक –
i) इससे मनुष्य दस
ू रों पर ननभार हो जाता है |
ii) इससे भािों की मौनलकता ख़त्म हो जाती है |
iii) इससे असली अभ्यास का मौका नहीं नमलता |
iv) इससे सोचने की र्वक्त कमजोर हो जाती है |
अथिा
टी.िी. श्रव्य माध्यम होने के साथ- साथ दृश्य माध्यम भी है , अतः दर्ाकों को
रे हडयो की तुलना में अनधक बाुँधे रखता है
टीिी में र्ब्द दृश्यों के अनुसार और उनके सहयोगी के रूप में चलते हैं हकंतु
रे हडयो में र्ब्द और आिाज़ ही सब कुछ है
प्रश्न 9 प्रश्न - हदए गए 03 प्रश्नों में से हकन्द्हीं 02 प्रश्नों के लगभग 60 र्ब्दों में उत्तर: 3×2=6
(i) उल्टा वपरानमड र्ैली मे समाचार पत्र के सबसे महत्िपूणा तथ्य को सिाप्रथम नलखा 3
जाता है । उसके बाद घटते हुए महत्ि क्रम में दस
ू रे तथ्यों या सूचनाओं को बताया
जाता है । इस र्ैली के अंतगात समाचारों को तीन भागों में विभाजजत हकया जाता
है – इं िो,बॉडी,समापन
(ii) समाचार पत्र तभी सम्पूणा समझा जाता है , जब उसका कलेिर व्यापक होता है | 3
पाठक अपनी रुनचयों की सारी ख़बरें ,जैसे साहहत्य ,विज्ञानं , खेल आहद की
विस्तार से जानकरी पढना चाहते है |इसके आलािा सामान्द्य ख़बरों से हटकर
विर्ेष क्षेत्रों और विषयों के बारें में जानकारी दे ना जरूरी है |
(iii) मुहरत माध्यम की सीमाएुँ : 3
ननरक्षरों के नलए मुहरत माध्यम हकसी काम के नहीं होते।
ये तुरंत घटी घटनाओं को संचानलत नहीं कर सकते।
इसमें स्पेस तथा र्ब्द सीमा का ध्यान रखना पड़ता है ।
इसमें एक बार समाचार छप जाने के बाद अर्ुवद्ध-सुधार नहीं हकया जा सकता।
प्रश्न – पाठ्यपुस्तक आरोह भाग 2
प्रश्न 10 प्रश्न - हदए गए 03 प्रश्नों में से हकन्द्हीं 02 प्रश्नों के लगभग 60 र्ब्दों में उत्तर: 3×2=6
(i) (i) बादलों के आगमन से प्रकृ नत में ननम्ननलजखत पररितान होते है । 3
समीर बहने लगती है । बादल गरजने लगते है । मूसलाधार िषाा होती है । वबजली
चमकने लगती है । छोटे -छोटे पौधे जखल उठते हैं । गमी के कारण दख
ु ी प्राणी
बादलों को दे खकर प्रसन्द्न हो जाता है ।
(ii) कवितािली’ में उद्धत
ृ छं दों के अध्ययन से पता चलता है हक तुलसीदास को अपने 3
युग की आनथाक विषमता की अच्छी समझ है । उन्द्होंने समकालीन समाज का
यथाथापरक नचत्रण हकया है । तुलसी दास तो यहाुँ तक बताते हैं हक पेट भरने के
नलए लोग गलत-सही सभी काया करते हैं । उनके समय में भयंकर गरीबी ि
बेरोजगारी थी। गरीबी के कारण लोग अपनी संतानों तक को बेच दे ते थे।
बेरोजगारी इतनी अनधक थी हक लोगों को भीख तक नहीं नमलती थी। दरररता रूपी
रािण ने हर तरफ हाहाकार मचा रखा था।
(iii) हदन जल्दी-जल्दी ढलता है -की आिृवत्त से यह प्रकट होता है हक लक्ष्य की तरि 3
बढ़ने िाले मनुष्य को समय बीतने का पता नहीं चलता। गंतव्य का स्मरण
पनथक के कदमों में स्फूनता भर दे ता है ।
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प्रश्न 11 प्रश्न - हदए गए 03 प्रश्नों में से हकन्द्हीं 02 प्रश्नों के लगभग 40 र्ब्दों में उत्तर: 2×2=4
(i) कवि ने गाुँि की सुबह का सुंदर नचत्रण करने के नलए गनतर्ील वबंब-योजना की 2
है । भोर के समय आकार् नीले र्ंख की तरह पवित्र लगता है । उसे राख से नलपे
चौके के समान बताया गया है जो सुबह की नमी के कारण गीला लगता है । हफर
िह लाल केसर से धोए हुए नसल-सा लगता है ।
(ii) कवि ने पतंग के नलए सबसे हलकी और रं गीन चीज, सबसे पतला कागज, सबसे 2
पतली कमानी जैसे विर्ेषणों का प्रयोग हकया है । िह इसके माध्यम से पतंग की
विर्ेषता तथा बाल-सुलभ चेष्टाओं को बताना चाहता है । बच्चे भी हलके होते हैं ,
उनकी कल्पनाएुँ रं गीन होती हैं । िे अत्यंत कोमल ि ननश्छल मन के होते हैं । इसी
तरह पतंगें भी रं गवबरं गी, हल्की होती हैं ।
(iii) कविता और बच्चों में समानांतर रखने के ननम्ननलजखत कारण हैं - 2
* बच्चों के समान कविता में र्ब्दों की कोई सीमा नहीं होती है । जैसे बच्चे खेलते
समय सारी सीमाएुँ तोड़ दे ते हैं , िैसे ही कविता भी सारी सीमाएुँ तोड़ दे ती है
* बच्चों ि कविता के नलए कोई अपना-पराया नहीं होता है । सब उनके अपने होते
हैं ।
* जजस प्रकार बच्चों की कल्पनाएुँ अनंत होती हैं , िैसे ही कवि की कल्पनाओं का
अनंत रूप कविता होती है
प्रश्न 12 प्रश्न - हदए गए 03 प्रश्नों में से हकन्द्हीं 02 प्रश्नों के लगभग 60 र्ब्दों में उत्तर: 3×2=6
(i) 'आचाया हजारी प्रसाद हििेदी' नर्रीष को अद्भत
ु अिधूत मानते हैं , क्योंहक संन्द्यासी 3
की भाुँनत िह सुख-दख
ु की नचंता नहीं करता। नर्रीष कालजयी अिधूत की भाुँनत
जीिन की अजेयता के मंत्र का प्रचार करता है
(ii) ढोलक की आिाज़ से रात की विभीवषका और सन्द्नाटा कम होता था महामारी से 3
पीहड़त लोगों की नसों में वबजली सी दौड़ जाती थी, उनकी आुँखों के सामने दं गल
का दृश्य साकार हो जाता था और िे अपनी पीड़ा भूल खुर्ी-खुर्ी मौत को गले
लगा लेते थे।
(iii) जीजी जी ने इं रसेना पर पानी फेंकने की बात अनेक तरह के तका दे कर सही 3
ठहराया। जीजी कहा हक यहद हम इं दर सेना पर पानी नहीं फेकेंगे तो भगिान हमें
पानी कैसे दें गे। जजस तरह भगिान से हकसी मनोकामना की पूनता के नलए कुछ
चढ़ािा चढ़ाना पड़ता है , उसी तरह हम पानी रूप अध्या भगिान पर चढ़ायेंगे तो
बदले में ईश्वर पानी की बाररर् करें गे।
प्रश्न 13 प्रश्न - हदए गए 03 प्रश्नों में से हकन्द्हीं 02 प्रश्नों के लगभग 40 र्ब्दों में उत्तर: 2×2=4
(i) जब सामान बेचने िाले बेकार की चीजों को आकषाक बनाकर बेचने लगते हैं , तब 2
बाज़ार में बाजारुपन आ जाता है । जो विक्रेता, ग्राहकों का र्ोषण नहीं करते और
छल-कपट से ग्राहकों को लुभाने का प्रयास नहीं करते साथ ही जो ग्राहक अपनी
आिश्यकताओं की चीजें खरीदते हैं िे बाजार को साथाकता प्रदान करते हैं ।
(ii) भवक्तन तो दे हाती थी ही पर उसके आ जाने पर महादे िी भी अनधक दे हाती हो गई, 2
पर उसे र्हर की हिा नहीं लग पाई है । उसने महादे िी को भी दे हाती खाने की
विर्ेषताएुँ बता-बताकर उनके खाने की आदत डाल दी। िह बताती हक मकई का
रात को बना दनलया सिेरे मट्टे से सौंधा लगता है । बाजरे के नतल लगाकर बनाये
पुए बहुत अच्छे लगते हैं
(iii) ठीक है हक ढोलक की आिाज में बुखार को दरू करने की ताकत न थी, पर उसे 2
सुनकर मरते हुए प्राजणयों को अपनी आुँखें मूंदते समय कोई तकलीि नहीं होती
थी। उस समय िे मृत्यु से नहीं डरते थे। इस प्रकार ढोलक की आिाज गाुँि िालों
को मृत्यु से लड़ने की प्रेरणा दे ती थी |

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प्रश्न – पूरक पाठ्यपुस्तक वितान भाग 2
प्रश्न 14 यर्ोधर बाबू सदै ि पुराने लोगों के साथ रहे , पले, बढ़े । िे परम्परािादी ि 4x1 = 4
नसद्धांतिादी थे | अत: उन परं पराओं को छोड़ नहीं सकते थे। उन पर हकर्न दा के
नसद्धांतों का बहुत प्रभाि था। इन सब कारणों से यर्ोधर बाबू समय के साथ
बदलने में असफल रहते हैं । दस
ू री तरफ, उनकी पत्नी पुराने संस्कारों की थीं। िे
एक संयुक्त पररिार में आई थीं जहाुँ उन्द्हें सुखद अनुभि हुआ। उनकी इच्छाएुँ
अतृप्त रहीं। िे मातृ सुलभ प्रेम के कारण अपनी संतानों का पक्ष लेती हैं
अथिा

पढ़ाई-नलखाई के संबंध में लेखक और दत्ता जी राि का रिैया सही था। लेखक का
दृवष्टकोण पढ़ाई के प्रनत यथाथािादी था। उसे पता था हक खेती से गुजारा नहीं होने
िाला। पढ़ने से उसे कोई-न-कोई नौकरी अिश्य नमल जाएगी और गरीबी दरू हो
जाएगी। िह सोचता भी है -पढ़ जाऊुँगा तो नौकरी लग जाएगी, चार पैसे हाथ में
रहें गे, विठोबा आण्णा की तरह कुछ धंधा-कारोबार हकया जा सकेगा। दत्ता जी राि
का रिैया भी सही है । इसके विपरीत, लेखक के वपता का रिैया एकदम अनुनचत
था।

************

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प्रनतदर्ा प्रश्न-पत्र 2023-24


SET- 3
विषय- हहं दी आधार (विषय कोड-302)
कक्षा-बारहिीं
ननधााररत समय : 3 घंटे अनधकतम अंक : 80
सामान्द्य ननदे र्-
इस प्रश्न पत्र में दो खंड हैं – खंड ‘अ’ तथा खंड-‘ब’| कुल प्रश्न 14 हैं |
खंड 'अ’ में कुल 40 िस्तुपरक प्रश्न पूछे गए हैं , सभी 40 प्रश्नों के उत्तर दे ने हैं |
खंड ‘ब’ में िणानात्मक प्रश्न पूछे गए हैं | प्रश्नों के उनचत आंतररक विकल्प हदए गए हैं |
प्रश्नों के उत्तर हदए गए ननदे र्ों का पालन करते हुए दीजजए |
दोनों खण्डों के प्रश्नों के उत्तर दे ना अननिाया है |
यथासंभि दोनों खण्डों के प्रश्नों के उत्तर क्रमर्ः नलजखए |

खंड-‘अ’ (िस्तुपरक प्रश्न)


प्रश्न
अपहठत बोध अंक (15)
संख्या
प्रश्न 1 ननम्ननलजखत गद्यांर् को ध्यानपूिक
ा पढ़कर हदए गए प्रश्नों के सिाानधक उपयुक्त 1×10=10
उत्तर िाले विकल्प को चुनकर नलजखए -
जी-20 दनु नया की सबसे बड़ी अथाव्यिस्थाओं का समूह है जो िैजश्वक अथाव्यिस्था
की हदर्ा और दर्ा तय करता है | जी-20 नर्खर सम्मेलन के दौरान िैजश्वक
अथाव्यिस्था के एजेंडे तैयार हकए जाते हैं | इसमें दनु नया की र्ीषा 19 अथाव्यिस्था
िाले दे र् और यूरोपीय संघ र्ानमल है |
दनु नया भर का 85% कारोबार जी-20 सदस्य दे र्ों में ही होता है । जी-20 को ग्रुप
ऑफ ट्िेंटी भी कहा जाता है । यह यूरोवपयन यूननयन एिं 19 दे र्ों का एक
अनौपचाररक समूह है ।
जी-20 नर्खर सम्मेलन की र्ुरुआत हदसंबर 1999 में हुई थी। इसकी र्ुरुआत
जमानी की राजधानी बनलान से हुई थी। इसके बाद यह ननश्चय हुआ हक साल में
एक बार जी-20 दे र्ों के नेताओं की बैठक की जाएगी।
िहीं जी-20 में अजेंटीना, ऑस्िे नलया, ब्राजील, कनाडा, चीन, यूरोवपयन यूननयन,
फ्रांस, जमानी, भारत, इं डोनेनर्या, इटली, जापान, मेजक्सको, रूस, सऊदी अरब,
दजक्षण अफ्रीका, दजक्षण कोररया, तुकी, यूनाइटे ड हकंगडम और संयुक्त राज्य
अमेररका र्ानमल है ।
इस साल भारत जी-20 दे र्ों की अध्यक्षता के पद पर कायारथ है । सरकार के स्तर
पर अगला जी-20 नेताओं का नर्खर सम्मेलन 9 और 10 नसतंबर 2023 को नई
हदल्ली में आयोजजत हकया जाएगा।
भारत के सामने इसे लेकर कहठन चुनौनतयां है । भारत के सामने जी-20 की
प्राथनमकताओं में समािेर्ी न्द्याय, संगत और सतत विकास, महहला सर्वक्तकरण,
हडजजटल सािाजननक बुननयादी ढांचा, तकनीकी सक्षम विकास, जलिायु, वित्तपोषण,
िैजश्वक खाद्य सुरक्षा और ऊजाा सुरक्षा आहद विषय र्ानमल है । जजन पर विचार
हकया जाएगा।
1. भारत के सामने जी 20 की प्राथनमकताओं में प्रमुख प्राथनमकता है
a. महहला सर्वक्तकरण b. िैजश्वक खाद सुरक्षा
c. समािेर्ी न्द्याय d. उपयुक्त
ा सभी
2. जी-20 में सजम्मनलत प्रमुख संगठन का नाम है
a. भारत b. एनर्या c. यूरोपीय d. आस्िे नलया

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3. जी-20 के िषा 2023 की अध्यक्षता कौन करे गा ?
a. भारत b. अमेररका c. जापान d. ब्राजील
4. जी 20 के नर्खर सम्मेलन की र्ुरुआत कहां से हुई ?
a. कनाडा b. बनलान c. यूरोपीय संघ d. हदल्ली
5. िषा 2023 का जी-20 नेताओं का नर्खर सम्मेलन कब और कहां आयोजजत
हकया जाएगा ?
a. 9 और 10 नसतंबर 2023 को नई हदल्ली में
b. 22 और 23 नसतंबर 2023 को मास्को में
c. . 9 और 10 माचा 2023 को नई हदल्ली में
d. उपयुक्त
ा सभी जगहों पर
6. दनु नया भर का हकतना प्रनतर्त व्यिसाय जी-20 के दे र्ों िारा हकया जाता है ?
a. 60 % b. 100% c. 90% d. 85%
7. िैजश्वक र्ब्द में मूल र्ब्द है -
a. िैश्व b. िैजश्व c. विश्व d. िै
8. ननम्ननलजखत कथनों पर विचार कीजजए
कथन 1 जी-20 वैश्विक अर्थव्यवस्र्ा की श्विशा और िशा तय करता है।
कथन 2 जी-20 नर्खर सम्मेलनो की र्ुरुआत 9 और 10 नसतंबर 2023 को नई
हदल्ली में हुई
कथन 3 जी 20 में सऊदी अरब, दजक्षण अफ्रीका, दजक्षण कोररया, नेपाल और तुकी
र्ानमल है
कथन 4 महहला सर्वक्तकरण का आगाज सिाप्रथम जी20 सम्मेलन में हुआ।
ननम्ननलजखत में से कौन सा कथन या कौन से कथन सही है -
a. केिल कथन 1 b. केिल कथन 1और 2
c. कथन 1, 2 और 3 d. उपयुक्त
ा सभी
9. िैजश्वक अर्थव्यवस्र्ा की श्विशा और िशा श्विम्नश्विखित में से कौि तय करता/करते हैं
a. भारत b. अमेररका c. जापान d. जी 20
10. उपययथक्त गद्ाांश सिाानधक उश्वित शीर्थक का ियि कीश्विए –
a. अथाव्यिस्था का केंद्र जी 20
b. जी-20 में भारत की भूमिका
c. जी-20 सिूह
d. अिेररका और जी 20

प्रश्न 2 हदए गए पद्यांर् पर आधाररत प्रश्नों को ध्यानपूिक


ा पढ़कर हदए गए प्रश्नों के 1×5 = 5
सिाानधक उपयुक्त उत्तर िाले विकल्प को चुनकर नलजखए -

प्रभु ने तुमको कर दान हकये


सब वाांमित वस्तु मवधान मकये
तुि प्राप्त करो उनको न अहो
मिर है मकसका वह दोष कहो?
सिझो ना अलभ्य मकसी धन को
नर हो ना मनराश करो िन को

हकस गौरि के तुम योग्य नहीं


कब कौन तुम्हें सुख भोग्य नहीां
जन हो तुि भी जगदीश्वर के
सब है मजसके अपने घर के
मिर दु ललभ क्या उसके जन को?
नर हो, ना मनराश करो िन को

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करके विनध-िाद ना भेद करो
मनज लक्ष्य मनरां तर भेद करो
बनता बस उद्यि ही मवमध है
मिलती मजससे सुख की मनमध है
सिझो मधक् मनष्क्रिय जीवन को
नर हो ना मनराश करो िन को।

1.प्रभय िे मियष्यां कय क्या िाि में श्विया है?


a.हाथ b.धन
c. सिल जीवन d.उपरोक्त िें से कोई नहीां
2.वाांश्वित वस्तयओ ां कय प्राप्त ि कर सकिे में श्वकसका ियर् है ?
a.पररश्रिी िनुष्य का
b.आधुमनकता वादी प्रवृमि का
c.किल व श्रि ना करने वाले िनुष्य का
d.उपरोक्त िें से कोई नहीां

3. श्ववश्वि वाि का िेि कौि व्यक्त करते हैं ?


a. पररश्रि करने वाले b.भाग्यवादी िनुष्य
c.किलशील एवां साहसी d.उदार मित वाला िनुष्य

4.काव्याांश में िय प्रेरणा िी गई है, उिमें से सही कर्ि कौि सा है


कथन 1.श्विराश िा हयिे की
कथन 2.िक्ष्य प्राखप्त का उश्वित प्रयास करिे की
कथन 3.कमथ श्विष्ठा एवां साहसी बििे की
कथन 4. भाग्य पर श्वविास करिे की
a. केवल कथन 1 b. केवल कथन 1और 2
c. कथन 1, 2 और 3 d. उपयुलक्त सभी

5. ननम्ननलजखत कर्ियां कय सयमेश्वित कीश्विए


1.जगदीश्वर क) ननस ् उपसगथ
2.गौरि ख) पररश्रम
3.उद्यम ग) अ प्रत्यय
4.ननजष्क्रय घ) दीघा सांश्वि

a. 1. क 2. ख 3. ग 4. घ
b.1. ख 2. क 3. ग 4. घ
c.1. घ 2. ग 3. ख 4. क
d.1. घ 2. ख 3. ग 4. क

प्रश्न
अनभव्यवक्त और माध्यम अंक (5)
संख्या
प्रश्न 3 ननम्ननलजखत प्रश्नों को ध्यानपूिक
ा पढकर सिाानधक उपयुक्त उत्तर िाले विकल्प को 1×5 = 5

चुनकर नलजखए-

1. ननम्ननलजखत में से कौन सी बातें रे हडयों के नलये समाचार लेखन की बुननयादी बातें हैं –
a. साफ-सुधरी और टाइलड कॉपी
b. डे डलाइन, संदभा और संजक्षप्ताक्षरों का उमित प्रयोग
c. क और ख दोनों
d. कोई भी नहीं

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2.प्रसारण के नलए तैयार की जा रही समाचार कॉपी को कंलयूटर पर हकतने स्पेस में टाइप
हकया जाना चाहहए?
a. नसंगल स्पेस b. डबल स्पेस
c. हिपल स्पेस d. इनमें से कोई भी नहीं
3. उल्टा वपरानमड र्ैली में समाचार के सबसे महत्िपूणा तथ्य को कहां नलखा जाता है ?
a. सबसे पहले b. बीच में
c. आजखर में d. कहीं भी
4. लेखन में हमें हकन-हकन बातों का ध्यान रखना पड़ता है ?
a.भाषा b. व्याकरण
c. ितानी d.उपयुक्त सभी
5. ननम्ननलजखत में से कौन-सा टी.िी. का सूचना चरण नहीं होता ?
a.फोन-इन b.एंकर पैकेज
c. ड्राई ऐंकर d.जस्क्रलट
प्रश्न
पाठ्यपुस्तक आरोह भाग 2 अंक (10)
संख्या
प्रश्न 4 ननम्ननलजखत काव्यांर् के प्रश्नों को ध्यानपूिक
ा पढ़कर सिाानधक उपयुक्त उत्तर िाले 1×5 = 5
विकल्प को चुनकर नलजखए-

उहाुँ राम लनछमनहह ननहारी। बोले बचन मनुज अनुसारी।।


अधा रानत गई कवप नहहं आयउ। राम उठाइ अनुज उर लायउ।।
सकहु न दजु खत दे जख मोहह काऊ। बंधु सदा ति मृदल
ु सुभाऊ।।
मम हहत लानग तजेहु वपतु माता। सहे हु वबवपन हहम आतप बाता।।
सो अनुराग कहाुँ अब भाई। उठहु न सुनन मम बच वबकलाई ।।
जौं जनतेउुँ बन बंधु वबछोहू। वपता बचन मनतेउुँ नहहं ओहू ।।
सुत वबन नारर भिन पररिारा। होहहं जाहहं जग बारहहं बारा।।
अस वबचारर जजय जागहु ताता। नमलइ न जगत सहोदर भ्राता ।।
जथा पंख वबनु खग अनत दीना। मनन वबनु फनन कररबर कर हीना।।
अस मम जजिन बंधु वबनु तोही। जौं जड़ दै ि जजआिै मोही।।
जैहउुँ अिध किन मुहुुँ लाई। नारर हे तु वप्रय भाइ गुँिाई ।।
बरु अपजस सहतेउुँ जग माहीं। नारर हानन वबसेष छनत नाहीं।।
1. प्रस्तयत पांखक्तययां में श्वकस भार्ा का प्रययग हुआ है?
a. ब्रज b. महांदी
c.अवधी d.सांस्कृत

2.आिी राश्वि बीत िािे पर भी कौि िही ां आया ?


a.भालू b.वानर
c. हनुिान जी d.सुग्रीव जी

3. राम द्वारा िक्ष्मण का स्वभाव कैसा बताया िा रहा है ?


a. उग्र b.कठोर
c.शाांत एवां धैयलवान d.कोिल एवां िृदु

4. िक्ष्मण िे राम के श्विए क्या श्वकया?


a. िाता-मपता का त्याग
b.वन िें नाना प्रकार के कष्ोां का सहन
c. सदै व हनुिान का साथ दे ते रहे
d. 'क' एवां 'ख' दोनोां

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5.श्विम्नश्विखित कर्ि और कारण कय ध्यािपूवथक पश्विए और सही श्ववकल्प ियिकर
श्विखिए।
कर्ि(A) : लक्ष्मण िी िे श्री राम िी के श्वहत हेतय िांगि में सिी, गमी, बरसात इत्याश्वि
सभी प्रकार के कष्यां कय सहि श्वकया ।
कारण (R): लक्ष्मण िी िे अपिे माता श्वपता कय इस बात का विि श्विया र्ा।
a. कथन (A) सही है , कारण (R) गलत है।
b. कथन (A) सही नहीां है, कारण (R) सही है।
c. कथन (A) तथा कारण (R) दोनोां सही हैं , मकांतु कारण (R) उसकी सही व्याख्या नहीां
करता
d. कथन (A) सही है तथा कारण (R) दोनोां सही हैं , कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या
करता
प्रश्न 5 ननम्ननलजखत गद्यांर् के प्रश्नों को ध्यानपूिक
ा पढ़कर सिाानधक उपयुक्त उत्तर िाले 1×5 = 5
विकल्प को चुनकर नलजखए-
नर्रीष तरु सचमुच पक्के अिधूत की भाुँनत मेरे मन में ऐसी तरं गें जगा दे ता है जो ऊपर की
ओर उठती रहती हैं । इस नचलकती धूप में इतना सरस िह कैसे बना रहता है ? क्या ये बाह्य
पररितान-धूप, िषाा, आुँधी, लू-अपने आपमें सत्य नहीं है ? हमारे दे र् के ऊपर से जो यह
मार-काट, अजग्नदाह, लूट-पाट, खून-खच्चर का बिंडर बह गया है , उसके भीतर भी क्या
जस्थर रहा जा सकता है ? नर्रीष रह सका है । अपने दे र् का एक बूढ़ा रह सका था। क्यों
मेरा मन पूछता है हक ऐसा क्यों संभि हुआ है ? क्योंहक नर्रीष भी अिधूत है ।

1. नर्रीष का िृक्ष हकस प्रकार की भािना जगाता है ?


a.संघषार्ीलता b.सरसता
c.जुझारूपन d. उपयुक्त
ा सभी
2. नर्रीष के पेड़ को अिधूत क्यों कहा गया है ?
a.योनगयों की तरह कहठन पररजस्थनतयों में मस्त रहना।
b. मार-काट, अजग्नदाह, लूट-पाट, खून-खच्चर करने के कारण
c.विपरीत पररजस्थनतयों में भी सरस बने रहना।
d.'a', 'और 'c' दोनों
3. अंत में लेखक ने नर्रीष की तुलना हकसके साथ की है ?
a.महात्मा गांधी b. सुभाष चंर बोस
c. सरदार पटे ल d.लाल बहादरु र्ास्त्री
4. जेठ माह की कहठन धूप में भी हरा-भरा रहने िाला नर्रीष हमें क्या प्रेरणा दे ता है ?
a. सदै ि प्रसन्द्न रहने की
b.हर पररजस्थनत से समझौता कर लेने को
c. हर पररजस्थनत में डटे रहने की
d. कठोरता बनाए रखने की
5. ननम्ननलजखत कथनों को सुमेनलत कीजजए

कॉलम 1 कॉलम 2

1. नर्रीष को संज्ञा क. मार-काट, लूट-पाट आहद

2. नर्रीष की विर्ेषता ख. नचलनचलाती धूप में सरस रहना

3.एक बूढ़ा ग. महात्मा गांधी

4. बिंडर घ. अिधूत

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a. 1. क 2. ख 3. ग 4. घ

b.1. ख 2. क 3. ग 4. घ

c.1. घ 2. ग 3. ख 4. क

d.1. घ 2. ख 3. ग 4. क
प्रश्न
पूरक पाठ्यपुस्तक वितान भाग 2 अंक (10)
संख्या
प्रश्न 6 ननम्ननलजखत पेश्नों को ध्यानपूिक
ा पढ़कर सिाानधक उपयुक्त उत्तर िाले विकल्प को 1×10=10
चुनकर नलजखए -
1. जनादा न’ र्ब्द सुनकर यर्ोधर पंत को हकसकी याद आई ?
a. मकशन दा की b.भूषण की

c.अपने बहनोई जनादल न जोशी की d.िड्ढा की

2. यशयिर बाबू का श्वववाह कब हुआ र्ा ?


a.6 िरवरी, 1947 b. 6 िरवरी, 1946
c.5 िरवरी, 1947 d.6 िरवरी,1945

3. जूझ' उपन्द्यास मूलतः हकस भाषा में रनचत है ?


a. मराठी b. गुजराती
c. अवधी d. ब्रज

4. 'िूझ' के कर्ािायक का क्या िाम बताया गया है ?


a.. आनांदा b. दिा जी राव
c. िोहन आनांद d. किल आनांद

5. पाठशािा िािे की बात िेिक िे सबसे पहिे श्वकससे की?


a. दादा से b. माुँ से
c. दत्ता जी राि से d. सौंदलगेकर से।
6. सौ ांििगेकर श्वकस श्ववर्य का अध्यापक र्ा?
a. अंग्रेज़ी का b. गजणत का
c. िराठी का d. सांस्कृत का
7.मुअनजो-दड़ो का क्षेत्रफल लगभग था -
a.20 है क्टर b.50 है क्टर
c. 100 है क्टर d. 200 है क्टर
8.मुअनजो-दड़ो में अनुष्ठान के समय सामूहहक स्नान हकसमें हकया जाता था ?
a.कुएुँ में b.महाकुंड में
c. नदी में d.तालाब में
9.ननम्ननलजखत कथन और कारण को ध्यानपूिक
ा पहढ़ए और सही विकल्प चुनकर
नलजखए।
कथन(A) : यर्ोधर बाबू के बच्चे उन्हें ििािथ ि ियशी िी(यर्ोधर बाबू के िीिा िी)
के समािार िेिे से रयकते हैं ।
कारण (R): लेखक संदेर् दे ना चाहता है हक ररश्तो को ननभाना पयरािी पीिी की
िश्वकयािूसी सयि है
a. कथन (A) सही है , कारण (R) गलत है।
b. कथन (A) सही नहीां है, कारण (R) सही है।
c. कथन (A) तथा कारण (R) दोनोां सही हैं , मकांतु कारण (R) उसकी सही व्याख्या नहीां
करता
d. कथन (A) सही है तथा कारण (R) दोनोां सही हैं , कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या
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करता
10. ननम्ननलजखत कर्ियां में से सही कर्ि का ियि कीश्विए
कथन 1. जल-ननकासी हेतय प्रत्येक घर में पक्की ईंटों से बनी नानलयाुँ होती थी जो
बाहर एक हौद में खुलती थी ।
कथन 2. मयहिियिडय में कुुँओं की सांख्या 700 र्ी।
कथन 3. 'अतीत मैं दबे पांि' पाठ के लेखक ओम थानिी है
कथन 4.मुअनजो-दड़ो की गनलयों में घूमते हुए लेखक को पजश्चमी राजस्थान के
जैसलमेर जजले में जस्थत बामनिास गाुँि की याद आती है |
a. केवल कथन 1
b. केवल कथन 1और 2
c. कथन 1, 2 और 3
d. उपयुलक्त सभी

खण्ड-‘ब’ (िणानात्मक प्रश्न)


प्रश्न
जनसंचार और सृजनात्मक लेखन अंक (16)
संख्या
प्रश्न 7 ननम्ननलजखत हदए गए 03 विषयों में से हकसी 01 विषय पर लगभग 120 र्ब्दों 6×1=6
में रचनात्मक लेख नलजखए -
क. मेरी कक्षा का ब्लैक बोडा
ख. यहद मैं प्रधानमन्द्त्री होता
ग. जहां न पहुुँचे रवि िहाुँ न पहुुँचे कवि

प्रश्न 8 ननम्ननलजखत प्रश्नों को ध्यानपूिक


ा पढ़कर लगभग 40 र्ब्दों में ननदे र्ानुसार उत्तर 2×2=4
दीजजए-
(i) कहानी का नाट्य रूपांतरण करते समय हकन-हकन बातों का ध्यान रखना
चाहहए ?
अथिा
रे हडयो नाटक की कहानी में हकन-हकन बातों का ध्यान रखना आिश्यक है ?

(ii) अप्रत्यानर्त विषयों पर लेखन को प्राथनमकता क्यों दी जाती है ?


अथिा
कहानी का नाट्य रूपांतरण करते समय कौन-कौन सी समस्याएुँ आती हैं ?

प्रश्न 9 ननम्ननलजखत प्रश्नों को ध्यानपूिक


ा पढ़कर हदए गए 03 प्रश्नों में से हकन्द्हीं 02 प्रश्नों 3×2=6
के उत्तर लगभग 60 र्ब्दों में दीजजए -
(i) बीट ररपोहटां ग तथा विर्ेषीकृ त ररपोहटां ग में क्या अन्द्तर है ?
(ii) रे मियो और टे लीमवज़न सिािार की भाषा और शैली पर प्रकाश िामलए।
(iii) हहं दी नेट संसार या िेब पत्रकाररता के इनतहास पर प्रकार् डानलए।
प्रश्न
पाठ्यपुस्तक आरोह भाग 2 अंक (20)
संख्या
प्रश्न ननम्ननलजखत प्रश्नों को ध्यानपूिक
ा पढ़कर हदए गए 03 प्रश्नों में से हकन्द्हीं 02 प्रश्नों 3×2=6
10 के उत्तर लगभग 60 र्ब्दों में दीजजए-
(i) उषा' कविता में कौन-कौन-से उपमानों का उल्लेख हुआ है ?
(ii) पदे पर िक्त की कीमत है कहकर कवि ने पूरे साक्षात्कार के प्रनत अपना
नजररया हकस रूप में रखा है ?

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(iii) ‘बात सीधी थी पर’ कविता का सन्द्दे र् स्पष्ट कीजजए |
प्रश्न ननम्ननलजखत प्रश्नों को ध्यानपूिक
ा पढ़कर हदए गए 03 प्रश्नों में से हकन्द्हीं 02 प्रश्नों 2×2=4
11 के उत्तर लगभग 40 र्ब्दों में दीजजए-
(i) 'िोटा िेरा खेत' कमवता िें कमव ने खेत को रस का अक्षय पात्र क्योां कहा है ?
(ii) हिराक' की रूबाइयों में उभरे घरे लू जीिन के वबंबों का सौंदया स्पष्ट कीजजए।
(iii) ‘आत्मपररिय’ कमवता के शीषलक की साथलकता स्पष् कीमजए |
प्रश्न ननम्ननलजखत प्रश्नों को ध्यानपूिक
ा पढ़कर हदए गए 03 प्रश्नों में से हकन्द्हीं 02 प्रश्नों 3×2=6
12 के उत्तर लगभग 60 र्ब्दों में दीजजए-
(i) 'पहलिान की ढोलक गाुँि के असहाय और मरणासन्द्न लोगों को बढ़ने का
हौसला दे ती है ।' इस कथन के सन्द्दभा में तका प्रस्तुत कीजजये ।
(ii) सही में अबेडकर ने भािनात्मक समत्ि की मानिीय दृवष्ट के तहत जानतिाद
का उन्द्मूलन चाहा है , जजसकी प्रनतष्ठा के नलए भौनतक जस्थनतयों और जीिन
सुविधाओं का तका हदया है । क्या इससे आप सहमत हैं ?
(iii) भवक्तन की बेटी पर पंचायत िारा ज़बरन पनत थोपा जाना एक दघ
ु ाटना भर
नहीं, बजल्क वििाह के सन्द्दभा में स्त्री के मानिानधकार (वििाह करें या न करें
अथिा हकससे करें ) इसकी स्ितंत्रता को कुचलते रहने की सहदयों से चली आ रही
सामाजजक परं परा का प्रतीक है |कैसे ?

प्रश्न ननम्ननलजखत प्रश्नों को ध्यानपूिक


ा पढ़कर हदए गए 03 प्रश्नों में से हकन्द्हीं 02 प्रश्नों 2×2=4
13 के उत्तर लगभग 40 र्ब्दों में दीजजए-
(i) पानी दे गुड़धानी दे ' मेघों से पानी के साथ-साथ गुड़धानी की माुँग क्यों की जा
रही है ?
(ii) नसद्ध कीजजए हक नर्रीष कालजयी अिधूत की भाुँनत जीिन की अजेयता के
मंत्र का प्रचार करता है ?
(iii) बाजारूपन' से क्या तात्पया है ? हकस प्रकार के व्यवक्त बाजार को साथाकता
प्रदान करते हैं ?

प्रश्न
पूरक पाठ्यपुस्तक वितान भाग 2 अंक (04)
संख्या
प्रश्न ननम्ननलजखत प्रश्नों को ध्यानपूिक
ा पढ़कर हदए गए 02 प्रश्नों में से हकसी 01 प्रश्न 4x1 = 4
14 का उत्तर लगभग 60 र्ब्दों में दीजजए –
नसंध-ु सभ्यता की खूबी उसका सौंदया-बोध है जो राज-पोवषत या धमा-पोवषत न
होकर समाज-पोवषत था।’ ऐसा क्यों कहा गया?

अथिा
कविता के प्रनत लगाि से पहले और उसके बाद अकेलेपन के प्रनत लेखक की
धारण में क्या बदलाि आया? यहद आप लेखक के स्थान पर होते तो कैसा अनुभि
करते?
*****************

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अंक-योजना प्रनतदर्ा प्रश्न-पत्र 2023-24 SET- 3


विषय- हहं दी आधार (विषय कोड-302)
कक्षा-बारहिीं
ननधााररत समय : 3 घंटे अनधकतम अंक : 80
सामान्द्य ननदे र्-
अंक योजना का उद्दे श्य मूल्यांकन को अनधकानधक िस्तुननष्ठ बनाना है |
खंड-‘अ’ में हदए गए िस्तुपरक प्रश्नों के उत्तरों का मूल्यांकन ननहदाष्ट अंक योजना के आधार पर
ही हकया जाएगा |
खंड-‘ब’में िणाात्मक प्रश्नों के अंक योजना में हदए गए उत्तर वबंद ु अंनतम नहीं हैं | ये
सुझािात्मक एिं सांकेनतक हैं |
यहद परीक्षाथी इन सांकेनतक वबन्द्दओ
ु ं से नभन्द्न, हकन्द्तु उपयुक्त उत्तर दे तो उसे अंक हदए जाएुँ |
मूल्यांकन काया ननजी व्याख्या के अनुसार नहीं, बजल्क अंक-योजना में ननहदाष्ट ननदे र्ानुसार ही
हकया जाएगा |

खंड-‘अ’ िस्तुपरक प्रश्नों के उत्तर


प्रश्न क्रम अंक
उत्तर
संख्या विभाजन
प्रश्न 1 प्रश्न – अपहठत बोघ – गद्यांर् 1×10=10
1. d. उपयुक्त
ा सभी 1
2. c. यूरोपीय 1
3. a. भारत 1
4. b. बनलान 1
5. a. . 9 और 10 नसतंबर 2023 को नई हदल्ली में 1
6. d. 85% 1
7. c. विश्व 1
8. b. केिल कथन 1और 2 1
9. d. जी 20 1
10. c. जी-20 समूह 1

प्रश्न 2 प्रश्न – अपहठत बोघ – पद्यांर् 1×5 = 5


1. a.हाथ 1
2. c.कमा ि श्रम ना करने िाले मनुष्य का 1
3. b.भाग्यिादी मनुष्य 1
4. c. कथन 1, 2 और 3 1
5. c.1. घ 2. ग 3. ख 4. क 1

प्रश्न 3 प्रश्न – अनभव्यवक्त और माध्यम 1×5 = 5


1. c. क और ख दोनों 1
2. c. हिपल स्पेस 1
3. a. सबसे पहले 1
4. d.उपयुक्त सभी 1
5. d.जस्क्रलट 1

प्रश्न 4 प्रश्न – काव्यांर् – पाठ्यपुस्तक आरोह भाग 2 1×5 = 5


1. c.अिधी 1

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2. c. हनुमान जी 1
3. d.कोमल एिं मृद ु 1
4. d. 'क' एिं 'ख' दोनों 1
5. a. कथन (A) सही है , कारण (R) गलत है । 1

प्रश्न 5 प्रश्न – गद्यांर् – पाठ्यपुस्तक आरोह भाग 2 1×5 = 5


1. d. उपयुक्त
ा सभी 1
2. d.'a', 'और 'c' 1
3. a.महात्मा गांधी 1
4. c. हर पररजस्थनत में डटे रहने की 1
5. d.1. घ 2. ख 3. ग 4. क 1

प्रश्न 6 प्रश्न – पूरक पाठ्यपुस्तक वितान भाग 2 1×10=10


1. c.अपने बहनोई जनादान जोर्ी की 1
2. a.6 फरिरी, 1947 1
3. a.मराठी 1
4. a.आनंदा 1
5. a मां से 1
6. c. मराठी का 1
7. d. 200 है क्टर 1
8. b.महाकुंड में 1
9. a. कथन (A) सही है , कारण (R) गलत है । 1
10. c. कथन 1, 2 और 3 1

खंड-‘ब’ िणाात्मक प्रश्नों के उत्तर


प्रश्न क्रम अंक
उत्तर
संख्या विभाजन
जनसंचार और सृजनात्मक लेखन
प्रश्न 7 हदए गए 03 विषयों में से हकसी 01 विषय पर लगभग 120 र्ब्दों में रचनात्मक लेख: 6×1=6

आरम्भ – 1 अंक, विषयिस्तु – 3 अंक, प्रस्तुनत – 1 अंक, भाषा – 1 अंक


प्रश्न 8 प्रश्न – लगभग 40 र्ब्दों में उत्तर: 2×2=4
(i) उत्तर-कहानी अथिा कथानक का नाट्य रूपांतरण करते समय ननम्ननलजखत 2

आिश्यक बातों का ध्यान रखना चाहहए-


i) कथानक के अनुसार ही दृश्य हदखाए जाने चाहहए।
ii) नाटक के दृश्य बनाने से पहले उसका खाका तैयार करना चाहहए।
iii) नाटकीय संिादों का कहानी के मूल संिादों के साथ मेल होना चाहहए।
iv) कहानी के संिादों को नाट्य रूपांतरण में एक ननजश्चत स्थान नमलना चाहहए।
v) संिाद सहज, सरल, संजक्षप्त, सटीक, प्रभाभी र्ैली और बोलचाल की भाषा में होने
चाहहए।
अथिा
उत्तर- रे हडयो नाटक में कहानी में इन बातों का ध्यान रखना आिश्यक है -
(i). कहानी एक घटना प्रधान न हो-रे हडयो नाटक की कहानी एक्र्न आधाररत नहीं होनी
चाहहए क्योंहक ऐसी कहानी श्रोताओं को थोड़ी दे र में ही ऊबाऊ बना दे ती है
(ii). अिनध सीमा - रे हडयो नाटक की अिनध पंरह से तीस नमनट तक हो सकती है । रे हडयो
नाटक की अिनध इससे अनधक नहीं होनी चाहहए क्योंहक रे हडयो नाटक को सुनने के नलए
मनुष्य की एकाग्रता की अिनध 15 से 30 नमनट तक की होती है ।
(iii) पात्रों की संख्या सीनमत हो - रे हडयो नाटक में अनधकतम 5 पात्र हो सकते है क्योंहक
रे हडयो नाटक में श्रोता पात्रों की पहचान उनकी आिाज के िारा ही करता है |
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(ii) उत्तर : अप्रत्यानर्त विषयों पर लेखन को प्राथनमकता दे ने के लाभ इस प्रकार है – 2
i) इससे मनुष्य दस
ू रों पर ननभार नहीं रहता |
ii) इससे मनुष्य के सोचने की ताकत बढ़ जाती है |
iii) इससे मनुष्य में नए ि मौनलक विचार आते हैं |
iv) इससे लेखन कौर्ल बढ़ता है |
अथिा

नाट्य रूपांतरण करते समय कौन-कौन सी समस्याएुँ आती हैं ?


उत्तर- कहानी के नाट्य रूपांतरण में ननम्ननलजखत समस्याएुँ आती हैं -
i) पात्रों के मनोभािों और उससे सम्बजन्द्धत प्रसंगों की नाटकीय प्रस्तुनत करना |
ii) पात्रों के िं िों की नाटकीय प्रस्तुनत करना |
समाधान – इसके नलए स्िगत कथन यानी मंच के एक कोने में जाकर बोलना
चाहहए | साथ ही िायस ओिर का प्रयोग करना चाहहए जजसमें मंच के पीछे से
आिाज़ आए |
प्रश्न 9 प्रश्न - हदए गए 03 प्रश्नों में से हकन्द्हीं 02 प्रश्नों के लगभग 60 र्ब्दों में उत्तर: 3×2=6
(i) उत्तर : i) बीट ररपोहटा ग के नलए संिाददाता को उस क्षेत्र की सामान्द्य जानकारी होनी 3

चाहहए हकन्द्तु विर्ेषीकृ त ररपोहटां ग में संिाददाता को उस क्षेत्र की गहरी समझ होनी
चाहहए |
ii) बीट ररपोहटा ग में संिाददाता को बीट से जुड़ी सामान्द्य खबरें नलखनी होती है
जबहक विर्ेषीकृ त ररपोहटां ग में संिाददाता को विर्ेष क्षेत्र से जुड़ी घटनाओं और मुद्दों का
बारीकी से विश्लेषण कर पाठकों के नलए अथा स्पष्ट करना होता है ।
iii) बीट ररपोहटा ग की भाषा-र्ैली सामान्द्य जबहक विर्ेषीकृ त ररपोहटां ग की भाषा-र्ैली
विर्ेष होती है |
(ii) उत्तर : रे हडयो और टे लीविजन समाचार की भाषा की विर्ेषताएुँ इस प्रकार हैं - 3

i) भाषा सरल हकन्द्तु स्तरीय हो । आम बोलचाल की भाषा का प्रयोग हकया ज


ii) िाक्य छोटे सीधे और स्पष्ट नलखे जाएुँ। िाक्यों में तारतम्य हो ।
iii) गैरजरूरी विर्ेषणों, तत्सम र्ब्दों, उपमाओं आहद से बचना चाहहए।
iv) मुहािरों का इस्तेमाल जहाुँ जरूरी हो, िही करना चाहहए।
v) रे हडयो ि टी.िी. में अखबारों से नभन्द्न ननम्ननलजखत, उपरोक्त, अधोहस्ताक्षाररत,
क्रमांक आहद र्ब्दों का प्रयोग नहीं होता है ।
(iii) हहं दी में नेट पत्रकाररता 'िेब दनु नया' के साथ र्ुरू हुई। इं दौर के नयी दनु नया 3

समूह से र्ुरू हुआ यह पोटा ल हहं दी का संपूणा पोटा ल है । 'जागरण', 'अमर उजाला',
'नयी दनु नया', 'हहन्द्दस्
ु तान', 'भास्कर', 'राजस्थान पवत्रका', 'निभारत टाइम्स',
'प्रभात खबर' ि 'राष्ट्रीय सहारा' के िेब संस्करण र्ुरू हुए । 'प्रभासाक्षी' नाम से
र्ुरू हुआ अखबार, वप्रंट रूप में न होकर नसिा इं टरनेट पर ही उपलब्ध है । आज
पत्रकाररता के नलहाज़ से हहं दी की सिाश्रष्ठ
े साइट बीबीसी की है । बेि जगत का
एक अच्छा पहलू यह भी है हक इसमें कई साहहजत्यक पवत्रकाएुँ चल रही ।
प्रश्न – पाठ्यपुस्तक आरोह भाग 2
प्रश्न 10 प्रश्न - हदए गए 03 प्रश्नों में से हकन्द्हीं 02 प्रश्नों के लगभग 60 र्ब्दों में उत्तर: 3×2=6
(i) उत्तर- 'उषा' कविता में प्रयुक्त उपमान इस प्रकार हैं - 3

1. नीला र्ंख- सुबह के आकार् के नलए।


2 राख से लीपा हुिा चौका- भोर के नभ के नलए।
3. काली नसल अंधेरे से युक्त आसमान।
4. स्लेट पर लाल खहड़या चाक- भोर से नमी युक्त िातािरण में उगते सूरज की लानलमा

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के नलए।
5. नीले जल में जझलनमलाती गोरी दे ह- नीले आकार् में आता सूरज
(ii) उत्तर- प्रसारण समय में रोचक सामग्री परोस पाना ही मीहडया कनमायों का एकमात्र उद्दे श्य 3

होता है | प्रसारण के समय में िे कायाक्रम को अनधक से अनधक लोकवप्रय बनाने के नलए
सभी हथकंडे आजमा लेते हैं | उन्द्हें हकसी की पीड़ा से कम नहीं बजल्क बढ़ा- चढ़ाकर हदखने
की आदत होती हैं । मीहडयाकमी को व्यािसानयक उद्दे श्य पूरा करने से सरोकार रहता हैं |
(iii) कविता में कथ्य ि माध्यम के िं ि को बताते हुए कहा गया है हक हमें बात बात 3

को सीधे-सरल र्ब्दों में कहना चाहहए | भाषा को सुन्द्दर, अलंकृत और जहटल


बनाने के चक्कर में बात उलझने लगती है और मूल बात का प्रभाि समाप्त हो
जाता है | इसनलए हमें सही बात के नलए सही र्ब्दों का प्रयोग करना चाहहए |
साथ ही भाषा की सरलता पर ध्यान दे ना चाहहए |
प्रश्न 11 प्रश्न - हदए गए 03 प्रश्नों में से हकन्द्हीं 02 प्रश्नों के लगभग 40 र्ब्दों में उत्तर: 2×2=4
(i) कवि ने खेत को रस का अक्षय पात्र इसनलए कहा है क्योंहक अक्षय पात्र में रस कभी खत्म 2

नहीं होता। उसके रस को जजतना बाुँटा जाता है , उतना ही िह भरता जाता है । खेत की
फसल कट जाती है , परं तु िह हर िषा हफर उग आती है । कविता का रस भी नचरकाल तक
आनंद दे ता है । यह सृजन-कमा की र्ाश्वतता को दर्ााता है ।
(ii) हिराक की रूबाइयों में घरे लू जीिन के अत्यंत सुंदर नचत्र उपजस्थत है । जैस-े माुँ अपने 2

लयारे नर्र्ु को लेकर आुँगन में खड़ी है , िह उसे झुलाती है , हुँ साती है । इसमें बच्चे के
नहलाने के दृश्य का सजीि नचत्रांकन हुआ है । इसी प्रकार दीिाली ि रक्षाबंधन जैसे पिा
को जजस प्रकार अनभव्यक्त हकया गया है , िह आम आदमी से जुड़ा हुआ है । बच्चे का
हकसी िस्तु के नलए जज़द करना और माुँ िारा उसे बहलाना जैसे दृश्य आम पररिारों में भी
हदखाई दे ते हैं ।
(iii) इस कविता में कवि ने ननम्ननलजखत बातों को प्रकट हकया है - 2

कवि ने स्ियं की अजस्मता को दनु नया के सामने प्रकट हकया है |


कवि ने अपने कोमल भाि ि प्रेम भरे विचार प्रकट हकए हैं |
कवि ने अपने स्िलनों के संसार को प्रकट हकया है |
कवि ने अपने ननजी प्रेम और हृदय में प्रेम की आग को सबके सामने प्रकट हकया है |
कविता की एक-एक पंवक्त कवि का पररचय दे रही है | अतः यह र्ीषाक साथाक है |
प्रश्न 12 प्रश्न - हदए गए 03 प्रश्नों में से हकन्द्हीं 02 प्रश्नों के लगभग 60 र्ब्दों में उत्तर: 3×2=6
(i) लुट्टन पहलिान की डोलक बजती है , तो गाुँि के मरीज और बेसहारा लोगों को उत्साह 3

नमलता है । उन्द्हें मौत के मुह


ुँ में बैठकर भी हौसला नमलता है । हहम्मत नमलती है कहते हैं
लोग र्ेर के आने की र्ंका से डरते हैं , मौत का आना आर्ंका थी। पहलिान की ढोलक की
आिाज सुनते ही बड़े बच्चे जिानों की आुँखों के सामने दं गल का दृश्य नाचने लगता था।
तब उन लोगों के बेजान अंगों में वबजली दौड़ जाती थी। उनकी तेजविहीन आखों के
सामने दं गल का दृश्य उपजस्थत हो जाता और िे मौत की आर्ंका को भूल जाते थे।
(ii) आंबेडकर ने भािनात्मक समत्ि की मानिीय दृवष्ट के तहत जानतिाद का 3

उन्द्मूलन चाहा, जजसकी प्रनतष्ठा के नलए भौनतक जस्थनतयों और जीिन सुविधाओं


का तका हदया है । हम उनकी इस बात से सहमत है । आदमी की भौनतक
जस्थनतयाुँ उसके स्तर को ननधााररत करती है । जीिन जीने की सुविधाएुँ मनुष्य को
सही मायनों में मनुष्य नसद्ध करती है । व्यवक्त का रहन सहन और चाल चलन
काफी हद तक उसकी जातीय भािना को खत्म कर दे ता है ।
(iii) एक हदन भवक्तन को घर में न पाकर उसके जेठ के बड़े लड़के का साला भवक्तन की बेटी की 3

कोठरी में घुस गया, तो भवक्तन की बेटी ने उसे अच्छी तरह पीटा | जेठ के बड़े लड़के ि
उसके समथाकों ने पंचों को बुलाया | तब उस युिक ने झूठ बोला हक इस लड़की ने मुझे
बुलाया था | पंचायत ने उन्द्हें पनत-पत्नी की तरह रहने का फैसला सुनाया और भवक्तन की

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बेटी की बात न सुनी | स्पष्ट है हक सामाजजक परं परा की आड़ में वििाह के सन्द्दभा में स्त्री
के मानिानधकार ि स्ितंत्रता को कुचला जा रहा है |
प्रश्न 13 प्रश्न - हदए गए 03 प्रश्नों में से हकन्द्हीं 02 प्रश्नों के लगभग 40 र्ब्दों में उत्तर: 2×2=4
(i) गुड़धानी गुड़ ि अनाज के नमश्रण से बने खाद्य पदाथा को कहते हैं । बच्चे मेघों से पानी के 2

साथ-साथ गुड़धानी की माुँग करते हैं । ●पानी से लयास बुझती है , साथ ही अच्छी िषाा से
ईख ि धान भी उत्पन्द्न होता है , यहाुँ गुढ़धानी से अनभप्राय अनाज से है । गाुँि की
अथाव्यिस्था कृ वष पर आधाररत होती है जो िषाा पर ननभार है । अच्छी िषाा से अच्छी
फसल होती है जजससे लोगों का पेट भरता है । और चारों तरफ खुर्हाली छा जाती है ।

(ii) नर्रीष कालजयी अिधूत की भाुँनत जीिन की अजेयता के मंत्र का प्रचार करता है | जब 2

पृथ्िी अजग्न के समान तप रही होती है िह तब भी कोमल फूलों से लदा लहलहाता रहता
है |बाहरी गरमी, धूप, िषाा आुँधी, लू उसे प्रभावित नहीं करती। इतना ही नहीं िह लंबे
समय तक जखला रहता है | नर्रीष विपरीत पररजस्थनतयों में भी धैयर्
ा ील रहने तथा
अपनी अजेय जजजीविषा के साथ ननस्पृह भाि से प्रचंड गरमी में भी अविचल खड़ा रहता
है ।
(iii) ग्राहक ि दक
ु ानदार के बीच कपट का बढ़ना और सद्भाि का घटना बाजारूपन है जजसमें 2

दोनों एक-दस
ू रे को ठगने की कोनर्र् करते हैं और एक को दस
ू रे के नुकसान में अपना
लाभ हदखाई दे ता है |
लेखक के अनुसार बाजार को साथाकता और सच्चा लाभ भगत जी जैसे लोग ही दे सकते
हैं जजनका मन भरा हो यानी आिश्यकताएुँ तय हो और जो ज़रूरत की चीजें ही बाज़ार से
खरीदते हो |
प्रश्न – पूरक पाठ्यपुस्तक वितान भाग 2
प्रश्न 14 उत्तर..नसंधु घाटी के लोगों में कला या सुरुनच का महत्त्ि ज्यादा था। िास्तुकला या 4x1 = 4

नगर-ननयोजन ही नहीं, धातु और पत्थर की। मूनतायाुँ, मृद-भांडे, उन पर नचवत्रत


मनुष्य, िनस्पनत और पर्ु-पजक्षयों की छवियाुँ, सुनननमात मुहरें , उन पर बारीकी से
उत्कीणा आकृ नतयाुँ, जखलौने, केर्-विन्द्यास, आभूषण और सबसे ऊपर सुघड़ अक्षरों
का नलवपरूप नसंधु सभ्यता को तकनीक-नसद्ध से ज्यादा कला-नसद्ध जाहहर करता
है । नसंधु सभ्यता समाज प्रधान थी। यह व्यवक्तगत न होकर सामूहहक थी। इसमें
न तो हकसी राजा का प्रभाि था और न ही हकसी धमा विर्ेष का। अतः नसंधु
सभ्यता का सौंदया समाज पोवषत था
अथिा
उत्तर.. कविता के प्रनत लगाि से पहले लेखक को ढोर चराते, पानी लगाते ि दस
ू रे
काम करते अकेलापन खटकता था | उसे लगता था हक खेत में काम करते समय
कोई साथ में हो जजससे िह गपर्प ि हुँ सी मज़ाक कर सके |
कविता के प्रनत लगाि के बाद उसे अकेलापन अच्छा लगता था ि खेत में उसका
समय आसानी से ननकल जाता है | उसे लगता था हक अकेला होने पर िह ऊुँची आिाज़
में गा सकता है ि थुई-थुई कर नाच सकता है |

*****************

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प्रनतदर्ा प्रश्न-पत्र 2023-24


SET- 4
विषय- हहं दी आधार (विषय कोड-302)
कक्षा-बारहिीं
ननधााररत समय : 3 घंटे अनधकतम अंक : 80
सामान्द्य ननदे र्-
● इस प्रश्न पत्र में दो खंड हैं – खंड ‘अ’ तथा खंड-‘ब’| कुल प्रश्न 14 हैं |
● खंड 'अ’ में कुल 40 िस्तुपरक प्रश्न पूछे गए हैं , सभी 40 प्रश्नों के उत्तर दे ने हैं |
● खंड ‘ब’ में िणानात्मक प्रश्न पूछे गए हैं | प्रश्नों के उनचत आंतररक विकल्प हदए गए हैं |
● प्रश्नों के उत्तर हदए गए ननदे र्ों का पालन करते हुए दीजजए |
● दोनों खण्डों के प्रश्नों के उत्तर दे ना अननिाया है |
● यथासंभि दोनों खण्डों के प्रश्नों के उत्तर क्रमर्ः नलजखए |

खंड-‘अ’ (िस्तुपरक प्रश्न)


प्रश्न
अपहठत बोध अंक (15)
संख्या
प्रश्न 1 ननम्ननलजखत गद्यांर् को ध्यानपूिक
ा पढ़कर हदए गए प्रश्नों के सिाानधक उपयुक्त उत्तर िाले 1×10=10

विकल्प को चुनकर नलजखए -


राहे पर खड़ा है , सदा से ठू ुँ ठ नहीं है । हदन थे जब िह हरा भरा था और उस जनसंकुल चौराहे पर
अपनी छतनार डानलयों से बटोहहयों की थकान अनजाने दरू करता था। पर मैंने उसे सदा ठू ुँ ठ
ही दे खा है । पत्रहीन, र्ाखाहीन, ननरिलंब, जैसे पृथ्िी रूपी आकार् से सहसा ननकलकर अधर
में ही टं ग गया हो। रात में िह काले भूत-सा लगता है , हदन में उसकी छाया इतनी गहरी नहीं
हो पाती जजतना काला उसका जजस्म है और अगर नचतेरे को छायानचत्र बनाना हो तो र्ायद
उसका-सा ‘अनभप्राय’ और न नमलेगा। प्रचंड धूप में भी उसका सूखा र्रीर उतनी ही गहरी
छाया ज़मीन पर डालता जैसे रात की उजजयारी चाुँदनी में। जब से होर् सुँभाला है , जब से
आुँख खोली है , दे खने का अभ्यास हकया है , तब से बराबर मुझे उसका ननस्पंद, नीरस, अथाहीन
र्रीर ही हदख पड़ा है ।

पर वपछली पीढ़ी के जानकार कहते हैं हक एक जमाना था जब पीपल और बरगद भी उसके


सामने र्रमाते थे और उसके पत्तों से, उसकी टहननयों और डालों से टकराती हिा की
सरसराहट दरू तक सुनाई पड़ती थी। पर आज िह नीरि है , उस चौराहे का जिाब जजस पर
उत्तर-दजक्षण, पूरब-पजश्चम चारों और की राहें नमलती हैं और जजनके सहारे जीिन अविरल
बहता है । जजसने कभी जल को जीिन की संज्ञा दी, उसने ननश्चय जाना होगा की प्राणिान
जीिन भी जल की ही भांनत विकल, अविरल बहता है । सो प्राणिान जीिन, मानि संस्कृ नत का
उल्लास उपहार नलए उन चारों राहों की संनध पर नमलता था जजसके एक कोण में उस प्रिाह से
नमल एकांत र्ुष्क आज िह ठू ुँ ठ खड़ा है । उसके अभाग्यों परं परा में संभितः एक ही सुखद
अपिाद है – उसके अंदर का स्नेहरस सूख जाने से संख्या का लोप हो जाना। संज्ञा लुप्त हो जाने
से कष्ट की अनुभूनत कम हो जाती है ।
1. जनसंकुल का क्या आर्य है ?
a.जनसंपका b.भीड़भरा
c.जनसमूह d.जनजीिन
2. आम की छतनार डानलयों के कारण क्या होता था?
a. यावत्रयों को ठं डक नमलती थी
b. यावत्रयों को विश्राम नमलता था

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c. यावत्रयों की थकान नमटती थी
d. यावत्रयों को हिा नमलती थी
3. ननम्ननलजखत कथनों पर विचार कीजजए-
कथन (I) उसका सुखा र्रीर तेज धूप और चाुँदनी रात में एक जैसी ही छाया जमीन पर
डालता है ।
कथन (II) अभी इसकी छाया पीपल और बरगद से गहरी है ।
कथन (III) जीिन िायु की तरह बहता है ।
कथन (IV) लेखक ने उसे हरा भरा दे खा है ।
गद्यांर् के अनुसार कौन सा/से कथन सही हैं ?
a. केिल कथन। सही है ।
b. केिल कथन ॥ सही है ।
c. केिल कथन ॥ और || सही हैं ।
d. केिल कथन । और IV सही हैं ।
4. आम के िृक्ष के सामने पीपल और बरगद के र्रमाने का क्या कारण था?
a. उसका अनधक हरा-भरा और सघन होना
b. हिा की आिाज सुनाई दे ना
c. अनधक फल फूल लगना
d.अनधक ऊुँचा होना
5. आम के अभागेपन में संभितः एक ही सुखद अपिाद था –
a. उसका नीरस हो जाना b. संज्ञा लुप्त हो जाना
c. सूख कर ठू ुँ ठ हो जाना d. अनुभूनत कम हो जाना
6. “अविरल” र्ब्द में उपसगा कौनसा हैं ?
a. विर ् b.अ c. र d. ल
7. “नीरस” र्ब्द का क्या अथा होता है ?
a. चतुर b.पत्रहीन
c.जजसमें रस न हो d. परं परा
8. संज्ञा लुप्त हो जाने से कष्ट की _____________ कम हो जाती है ।
a. परम्परा b.अनुभूनत
c.जजन्द्दगी d. परीक्षा
9.एक जमाना था जब पीपल और बरगद भी उसके सामने र्रमाते थे- कौन कहते हैं ?
a. वपछली पीढ़ी के जानकार b.नई पीढ़ी के जानकार
c. िैज्ञाननक d. साहहत्यकार
10.गद्यांर् का उनचत र्ीषाक दीजजए |
a. प्राणिान जीिन b.आम का िृक्ष
c.मानि संस्कृ नत d. पीपल और बरगद

प्रश्न 2 हदए गए पद्यांर् पर आधाररत प्रश्नों को ध्यानपूिक


ा पढ़कर हदए गए प्रश्नों के सिाानधक 1×5 = 5

उपयुक्त उत्तर िाले विकल्प को चुनकर नलजखए -


सूख रहा है समय
इसके हहस्से की रे त
उड़ रही है आसमान में
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सूख रहा है
आुँगन में रखा पानी का नगलास
पुँखुरी की साुँस सूख रही है
जो सुन्द्दर चोंच मीठे गीत सुनाती थी
उससे अब हाुँफने की आिाज़ आती है
हर पौधा सूख रहा है
हर नदी इनतहास हो रही है
हर तालाब का नसमट रहा है कोना
यही एक मनुष्य का कंठ सूख रहा है
िह जेब से ननकालता है पैसे और
खरीद रहा है बोतल बंद पानी
बाकी जीि क्या करें गे अब
न उनके पास जेब है न बोतल बंद पानी
1.‘सूख रहा है समय’ कथन का क्या आर्य है ?
a. गमी बढ़ रही है b. जीिनमूल्य समाप्त हो रहे है
c.फूल मुरझाने लगे है d.नहदयाुँ सूखने लगी है
2. हर नदी के इनतहास होने का तात्पया है -
a.नहदयों के नाम इनतहास में नलखे जा रहे है
b. नहदयों का इनतहास रोचक है
c. नहदयों का अजस्तत्ि समाप्त हो रहा है
d. लोगों को को नहदयों की जानकारी नहीं है
3. “पुँखरु ी की साुँस सूख रही है
जो सुन्द्दर चोंच मीठे गीत सुनाती थी”
ऐसी पररजस्थनत हकस कारण से उत्पन्द्न हुई ?
a.मौसम बदल रहे है
b.अब पक्षी के पास सुन्द्दर चोंच नहीं है
c.पतझड़ के कारण पवत्तयां सूख रही है
d.अब प्रकृ नत की ओर कोई ध्यान नहीं दे ता
4. कवि के ददा का क्या कारण है ?
ननम्ननलजखत कथनों पर विचार कीजजए-
कथन (I)- पुँखरु ी की साुँस सूख रही है
कथन (II)- पक्षी हाुँफ रहे है
कथन (III)- मानि का कंठ सूख रहा है
कथन (IV)- प्रकृ नत पर संकट मंडरा रहा है
ननम्ननलजखत विकल्पों पर विचार कीजजए तथा सही विकल्प चुनकर नलजखए।
विकल्प:-
a. केिल कथन (III) सही है । b.केिल कथन (IV) सही है ।
c.केिल कथन (II) और(III) सही हैं । d.केिल कथन (I) और(IV) सही हैं ।
5. कॉलम 1 कॉलम 2 से सुमेनलत कीजजए और सही विकल्प चुनकर नलजखए।

कॉलम 1 कॉलम 2

1 रे त (i) आुँगन

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2 पानी का नगलास (ii) जेब

3 पैसे (iii) आसमान

a. 1-(i), 2-(ii), 3-(iii)


b.1-(ii), 2-(iii), 3-(i)
c.1-(iiii), 2-(ii), 3-(i)
d.1-(i), 2-(iii), 3-(ii)
प्रश्न
अनभव्यवक्त और माध्यम अंक (5)
संख्या
प्रश्न 3 ननम्ननलजखत प्रश्नों को ध्यानपूिक
ा पढकर सिाानधक उपयुक्त उत्तर िाले विकल्प को चुनकर 1×5 = 5

नलजखए-

1. ननम्ननलजखत में से कौन सी बातें रे हडयों के नलए समाचार लेखन की बुननयादी बातें हैं -
a. साफ-सुधरी और टाइलड कॉपी
b. डे डलाइन, संदभा और संजक्षप्ताक्षरों का प्रयोग
c. क और ख दोनों
d. कोई भी नही
2. पहली िेबसाइट अजस्तत्ि ______ आई थी ?
a. 1992 में b. 1991में
c. 1994 में d. 1990 में
3. पत्रकाररता का मूल तत्ि क्या है ?
a. लेखन लेखन b. सक्षमता
c. जजज्ञासा d. दरू दनर्ाता
4. समाचार नलखते समय हकतने ककारो को ध्यान में रखा जाता है ?
a. चार b. सात c. छः d. पांच
5. विर्ेष लेखन के नलए हकस प्रकार की भाषा र्ैली अपेजक्षत है ?
a. साहहजत्यक भाषा b. सहज, सरल तथा बोधगम्य भाषा
c. बाजारू भाषा d. हहन्द्दी उदा ू नमनश्रत भाषा

प्रश्न
पाठ्यपुस्तक आरोह भाग 2 अंक (10)
संख्या
प्रश्न 4 ननम्ननलजखत काव्यांर् के प्रश्नों को ध्यानपूिक
ा पढ़कर सिाानधक उपयुक्त उत्तर िाले 1×5 = 5

विकल्प को चुनकर नलजखए-


बात सीधी थी पर एक बार
भाषा के चक्कर में
जरा टे ढ़ी फुँस गई।
उसे पाने की कोनर्र् में
भाषा को उलटा-पलटा
तोड़ा मरोड़ा
घुमाया हफराया
हक बात या तो बने
या हफर भाषा से बाहर आए
लेहकन इससे भाषा के साथ-साथ
बात और भी पेचीदा होती चली गई।

1.भाषा के चक्कर में पड़कर बात कैसी हो गई?

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a. सीधी b. उल्टी
c. टे ढ़ी d. ये सभी

2.उसे पाने की कोनर्र् में पंवक्त में 'उसे' र्ब्द हकसके नलए प्रयुक्त हुआ है ?
a. कवि b. वप्रयसी
c. बात d. कलम
3.बात सीधी थी पर' में कवि ने हकस पर बल हदया है ?
a. भािों की सरलता b. भाषा की जहटलता
c. भािों की गंभीरता d. भाषा की सहजता
4.ननम्ननलजखत कथन और कारण को ध्यानपूिक
ा पहढ़ए और सही विकल्प चुनकर
नलजखए।
कथन (A) :भाषा के भािों की अनभव्यवक्त ठीक से स्पष्ट नहीं होती।
कारण (R) : भाषा के साथ तोड़-मरोड़ करने का पररणाम होता है ।
a. कथन (A) सही है , कारण (R) गलत है ।
b. कथन (A) सही नहीं है , कारण (R) सही है ।
c. कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही हैं , हकंतु कारण (R) उसकी सही व्याख्या
नहीं करता।
d. कथन (A) सही है तथा कारण (R) दोनों सही हैं , कारण (R) कथन (A) की सही
व्याख्या करता है ।
5.प्रस्तुत काव्यांर् का केंरीय भाि क्या है ?
a. भाषा की सहजता पर जोर दे ना
b. भािों को प्रमुखता प्रदान करना
c. बात कहने का ढं ग सीखाना
d. बातचीत के विनभन्द्न स्िरूपों का िणान करना

प्रश्न 5 ननम्ननलजखत गद्यांर् के प्रश्नों को ध्यानपूिक


ा पढ़कर सिाानधक उपयुक्त उत्तर िाले 1×5 = 5

विकल्प को चुनकर नलजखए-


मैं सोचता हूुँ हक पुराने की यह अनधकार-नललसा क्यों नहीं समय रहते सािधान हो
जाती ? जरा और मृत्यु, ये दोनों ही जगत के अंनतपररनचत और अनतप्रामाजणक सत्य
हैं । तुलसीदास ने अफसोस के साथ इनकी सच्चाई पर मुहर लगाई थी-'धरा को प्रमान
यही तुलसी, जो फरा सो झरा, जो बरा सो बुताना' मैं नर्रीष के फूलों को दे खकर
कहता हूुँ हक क्यों नहीं फलते ही समझ लेते बाबा हक झड़ना ननजश्चत है ! सुनता कौन
है ? महाकालदे िता सपासप कोड़े चला रहे हैं , जीणा और दब
ु ल
ा झड़ रहे हैं , जजनमें
प्राणकण थोड़ा भी ऊध्िामुखी हैं , िे हटक जाते हैं । दरु ं त प्राणधारा और सिाव्यापक
कालाजग्न का संघषा ननरं तर चल रहा है । मूखा समझते हैं हक जहाुँ बने हैं , िहीं दे र
तक बने रहें तो कालदे िता की आुँख बचा जाएुँगे। भोले हैं िे। हहलते-डु लते रहो, स्थान
बदलते रहो, आगे की और मुुँह हकए रहो तो कोड़े की मार से बच भी सकते हो। जमे
हक मरे !
1. गद्यांर् में हकस अनधकार नललसा की ओर संकेत हकया गया है ?
a. अपनी जगह पर जमे रहने के अनधकार का लालच
b. हकसी अन्द्य के नलए अनधकार त्यागने की इच्छा
c. बलपूिक
ा अनधकार छीन लेने का लालच
d. इनमें से कोई नहीं
2. जगत के अनतपररनचत और अनतप्रमाजणत सत्य क्या है ?
a. िृद्धािस्था।

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b. मृत्यु।
c. दोनों ही संसार के अनतपररनचत और अनत प्रामाजणक सत्य हैं ।
d. दोनों का ही संसार में स्िागत होता है ।
3. "जो फरा सो झरा' में जीिन के हकस सत्य का उद्घाटन हुआ है ?
a. नगरने के नलए ही फूल, फल बनते हैं ।
b. जो फलते हैं िे नगरते भी हैं ।
c. फलना और नगरना दे खने के नलए लोग धरती पर आते हैं ।
d. जो इस दनु नया में आया है िह एक हदन अिश्य नष्ट होता है ।
4.कॉलम 1 कॉलम 2 से सुमेनलत कीजजए और सही विकल्प चुनकर नलजखए।

कॉलम 1 कॉलम 2

1 काल दे िता की मार से बचना (i) कष्ट दे ना

2 र्ाश्वत सत्य (ii) स्थान बदलते रहना

3 कोड़े बरसाना (iii) बुढ़ापा और मृत्यु

a. 1-(i), 2-(ii), 3-(iii)


b.1-(ii), 2-(iii), 3-(i)
c.1-(iiii), 2-(ii), 3-(i)
d.1-(i), 2-(iii), 3-(ii)
5. हकस प्रकार काल दे िता के कोड़ों की मार से बचा जा सकता है ?
a. हहलते-डु लते रहने पर।
b. स्थान बदलते रहने पर।
c. आगे की ओर मुुँह हकए रहने पर।
d. 'क','ख' और 'ग' तीनों।
प्रश्न
पूरक पाठ्यपुस्तक वितान भाग 2 अंक (10)
संख्या
प्रश्न 6 ननम्ननलजखत प्रश्नों को ध्यानपूिक
ा पढ़कर सिाानधक उपयुक्त उत्तर िाले विकल्प को चुनकर 1×10=10

नलजखए –

1.मुअनजो-दड़ो के कोठार में क्या संग्रह हकया जाता रहा होगा ?


a.खुदाई में ननकली चीज़ें b. कर के रूप में हानसल अनाज
c. यातायात के साधन d. इनमें से कोई नहीं
2.मुअनजो-दड़ो हकस युग के र्हरों में सबसे बड़ा र्हर है ?
a. लौह युग b. ताम्र युग
c. कांस्य युग d. इनमें से कोई नहीं
3. ‘मेलुहा’ र्ब्द का प्रयोग हकया जाता था –
a. हड़लपा के नलए b. मुअनजो-दड़ो के नलए
c. मेसोपोटानमया के नलए d. नमस्त्र के नलए
4. ननम्ननलजखत कथन और कारण को ध्यानपूिक
ा पहढ़ए और सही विकल्प चुनकर नलजखए-
कथन(A): 'समहाउ इम्प्राॅॅपर' िाक्यांर् का प्रयोग यर्ोधर बाबू लगभग हर बातें के प्रारं भ में
तहकया कलाम की तरह करते हैं ।
कारण(R): िह पुरानी पीढ़ी के हैं तथा नए पररिेर् में उन्द्हें कई कनमयां नजर आती हैं ।
a. कथन (A) सही है कारण (R) गलत है ।
b. कथन (A) सही नहीं है कारण (R) सही है ।

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c. कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही है हकंतु कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या नहीं
करता है ।
d. कथन (A) तथा कारण(R) दोनों सही है कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या करता है ।

5. ननम्ननलजखत कथनों पर विचार कीजजए:-


कथन (I) : नसंधु सभ्यता में बनाए गए मृद्भांडों पर मनुष्यों, िनस्पनतयों ि पर्ु-पजक्षयों के
सुंदर नचत्र थे |
कथन (II) : नसंधु सभ्यता की मुहरें सुंदर होती थी जजन पर बारीक आकृ नतयाुँ उत्कीणा होती थी
कथन (III) : नसंधु सभ्यता में बड़ी समानधयाुँ ि महल होते थे |
कथन (IV) :नसंधु घाटी के लोग अन्द्न उपजाते नहीं थे बजल्क आयात करते थे।
a. कथन (I) तथा(II) सही हैं ।
b. कथन (I),(II) तथा(III) सही हैं ।
c. कथन (II),(III) तथा(IV) सही हैं ।
d. कथन (II) तथा(III) सही हैं ।
6. यर्ोधर बाबू का वििाह कब हुआ था ?
a. 6 फरिरी, 1947 b. 6 फरिरी, 1946
c. 5 फरिरी, 1947 d. 6 फरिरी, 1945
7. यर्ोधर बाबू अपने बीमार बहनोई को दे खने कहाुँ जाना चाहते थे ?
a. राजस्थान b. इलाहाबाद
c. अहमदाबाद d. पटना
8. जूझ कहानी में खेत का कौन-सा काम समाप्त होने के बाद लेखक ने माुँ से पढ़ाई की बात
की?
a. पानी लगाने का काम b. वबजाई का काम
c. कटाई का काम d. कोल्हू का काम
9. लेखक की माुँ के अनुसार उसके पनत ने लेखक को पाठर्ाला जाने से क्यों रोक हदया?
a.खचे से बचने के नलए b. बीमारी से बचने के नलए
c. अनपढ़ता से बचने के नलए d. खुद काम से बचने के नलए
10. “जूझ' कहानी से लेखक की हकस प्रिृवत्त का उद्घाटन हुआ है ?
a. पढ़ने की प्रिृवत्त का b. कविता करने की प्रिृवत्त का
c. लेखन प्रिृवत्त का d. संघषामयी प्रिृवत्त का।
खण्ड-‘ब’ (िणानात्मक प्रश्न)
प्रश्न
जनसंचार और सृजनात्मक लेखन अंक (16)
संख्या
प्रश्न 7 ननम्ननलजखत हदए गए 03 विषयों में से हकसी 01 विषय पर लगभग 120 र्ब्दों में 6×1=6

रचनात्मक लेख नलजखए -


क. आधुननक नर्क्षा प्रणाली और विद्याथी
ख. घटते सामाजजक मूल्य
ग. नौकरी के नलए बढ़ती प्रनतस्पधाा
प्रश्न 8 ननम्ननलजखत प्रश्नों को ध्यानपूिक
ा पढ़कर लगभग 40 र्ब्दों में ननदे र्ानुसार उत्तर दीजजए- 2×2=4

(i) कहानी के पात्र नाट्य रूपांतरण में हकस प्रकार पररिनतात हकये जा सकते हैं ?
अथिा
पारं पररक और अप्रत्यानर्त विषयों में अंतर बताइए।

(ii) अप्रत्यानर्त विषयों पर लेखन के विषय क्या हो सकते हैं ?


अथिा
रे हडयो नाटक के नलए कहानी का चुनाि करते समय हकन बातों का ध्यान रखना चाहहए?

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प्रश्न 9 ननम्ननलजखत प्रश्नों को ध्यानपूिक
ा पढ़कर हदए गए 03 प्रश्नों में से हकन्द्हीं 02 प्रश्नों के उत्तर 3×2=6
लगभग 60 र्ब्दों में दीजजए -
(i) बीट ररपोहटां ग को विस्तार से समझाइए।

(ii) स्तम्भ लेखन पर प्रकार् डानलए l

(iii) हहं दी ऑनलाइन पत्रकाररता के दोष बताइए।

प्रश्न
पाठ्यपुस्तक आरोह भाग 2 अंक (20)
संख्या
प्रश्न 10 ननम्ननलजखत प्रश्नों को ध्यानपूिक
ा पढ़कर हदए गए 03 प्रश्नों में से हकन्द्हीं 02 प्रश्नों के उत्तर 3×2=6

लगभग 60 र्ब्दों में दीजजए-


(i) हम समथा र्वक्तिान और हम एक दब
ु ल
ा को लाएंगे पंवक्त के माध्यम से कवि ने क्या व्यंग
हकया हैं ?
(ii) कविता उषा की भाषा र्ैली एिं अनभव्यवक्त संबंधी विर्ेषताएं नलजखए।
(iii) कवितािली में उदधृत छं दों के आधार पर स्पष्ट करें हक तुलसीदास को अपने युग की
आनथाक विषमता की अच्छी समझ है ।
प्रश्न 11 ननम्ननलजखत प्रश्नों को ध्यानपूिक
ा पढ़कर हदए गए 03 प्रश्नों में से हकन्द्हीं 02 प्रश्नों के उत्तर 2×2=4

लगभग 40 र्ब्दों में दीजजए-


(i) 'छोटा मेरा खेत' कविता में कवि ने खेत को रस का अक्षय पात्र क्यों कहा है ?
(ii) 'बादल राग' कविता में 'ऐ विललि के िीर' हकसे कहा गया है और क्यों?
(iii) ‘सीधी बात भी टे ढ़ी हो जाती है |’ कैसे ?
प्रश्न 12 ननम्ननलजखत प्रश्नों को ध्यानपूिक
ा पढ़कर हदए गए 03 प्रश्नों में से हकन्द्हीं 02 प्रश्नों के उत्तर 3×2=6

लगभग 60 र्ब्दों में दीजजए-


(i) “भवक्तन अच्छी है , यह कहना कहठन होगा, क्योंहक उसमें दग
ु ण
ुा ों का अभाि नहीं” लेजखका ने
ऐसा क्यों कहा होगा ?
(ii) 'बाजारूपन' से क्या तात्पया है ? हकस प्रकार के व्यवक्त बाजार को साथाकता प्रदान करते हैं
अथिा बाज़ार की साथाकता हकसमें है ?
(iii) लोगों ने लड़कों की टोली की मेढक मंडली नाम हकस आधार पर हदया? यह टोली अपने
आपको इं दर सेना कहकर क्यों बुलाती थी?

प्रश्न 13 ननम्ननलजखत प्रश्नों को ध्यानपूिक


ा पढ़कर हदए गए 03 प्रश्नों में से हकन्द्हीं 02 प्रश्नों के उत्तर 2×2=4

लगभग 40 र्ब्दों में दीजजए-


(i) पहलिान लुट्टन के सुखचैन भरे हदनों का िणान अपने र्ब्दों में कीजजए?
(ii) श्रम विभाजन हकसे कहते हैं ?
(iii) पचेजजंग पािर का गिा बाजार का क्या अहहत कर सकता है ?

प्रश्न
पूरक पाठ्यपुस्तक वितान भाग 2 अंक (04)
संख्या
प्रश्न 14 ननम्ननलजखत प्रश्नों को ध्यानपूिक
ा पढ़कर हदए गए 02 प्रश्नों में से हकसी 01 प्रश्न का उत्तर 4x1 = 4

लगभग 60 र्ब्दों में दीजजए –


यर्ोधर बाबू की कहानी को हदर्ा दे ने में हकर्नदा की महत्त्िपूणा भूनमका रही है । आपके जीिन
को हदर्ा दे ने में हकसका महत्त्िपूणा योगदान है और कैसे?
अथिा
दत्ताजी राि से वपता पर दबाि डलिाने के नलए लेखक और उसकी माुँ को एक झूठ का सहारा
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लेना पड़ा। यहद झूठ का सहारा न लेना पड़ता तो आगे का घटनाक्रम क्या होता? अनुमान
लगाएुँ।
*****************

अंक-योजना प्रनतदर्ा प्रश्न-पत्र 2023-24


SET- 4
विषय- हहं दी आधार (विषय कोड-302)
कक्षा-बारहिीं
ननधााररत समय : 3 घंटे अनधकतम अंक : 80
सामान्द्य ननदे र्-
● अंक योजना का उद्दे श्य मूल्यांकन को अनधकानधक िस्तुननष्ठ बनाना है |
● खंड-‘अ’ में हदए गए िस्तुपरक प्रश्नों के उत्तरों का मूल्यांकन ननहदाष्ट अंक योजना के आधार पर ही हकया जाएगा
● खंड-‘ब’में िणाात्मक प्रश्नों के अंक योजना में हदए गए उत्तर वबंद ु अंनतम नहीं हैं | ये सुझािात्मक एिं सांकेनतक
हैं |
● यहद परीक्षाथी इन सांकेनतक वबन्द्दओ
ु ं से नभन्द्न, हकन्द्तु उपयुक्त उत्तर दे तो उसे अंक हदए जाएुँ |
● मूल्यांकन काया ननजी व्याख्या के अनुसार नहीं, बजल्क अंक-योजना में ननहदाष्ट ननदे र्ानुसार ही हकया जाएगा |

खंड-‘अ’ िस्तुपरक प्रश्नों के उत्तर


प्रश्न क्रम अंक
उत्तर
संख्या विभाजन
प्रश्न 1 प्रश्न – अपहठत बोघ – गद्यांर् 1×10=10
1. b.भीडभरा 1
2. c. यावत्रयों की थकान नमटती थी 1
3. a. केिल कथन। सही है । 1
4. a.उसका अनधक हरा भरा और सघन होना 1
5. d.अनुभूनत कम हो जाना 1
6. b. अ 1
7. c.जजसमें रस न हो 1
8. b.अनुभूनत 1
9. a.वपछली पीढ़ी के जानकार 1
10. a.प्राणिान जीिन 1

प्रश्न 2 प्रश्न – अपहठत बोघ – पद्यांर् 1×5 = 5


1. b.जीिनमूल्य समाप्त हो रहे है 1
2. c. नहदयों का अजस्तत्ि समाप्त हो रहा है 1
3. d. अब प्रकृ नत की ओर कोई ध्यान नहीं दे ता 1
4. b.केिल कथन (IV) सही है । 1
5. b.1-(ii), 2-(iii), 3-(i) 1
प्रश्न 3 प्रश्न – अनभव्यवक्त और माध्यम 1×5 = 5
1. c. क और ख दोनों 1
2. b. 1991में 1
3. c. जजज्ञासा 1
4. c. छः 1
5. b. सहज, सरल तथा बोधगम्य भाषा 1

प्रश्न 4 प्रश्न – काव्यांर् – पाठ्यपुस्तक आरोह भाग 2 1×5 = 5


1. c. टे ढ़ी 1
2. c. बात 1

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3. d. भाषा की सहजता 1
4. d. कथन (A) सही है तथा कारण (R) दोनों सही हैं , कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या 1

करता है ।
5. a. भाषा की सहजता पर जोर दे ना 1

प्रश्न 5 प्रश्न – गद्यांर् – पाठ्यपुस्तक आरोह भाग 2 1×5 = 5


1. a. अपनी जगह पर जमे रहने के अनधकार का लालच 1
2. c. दोनों ही संसार के अनतपररनचत और अनत प्रामाजणक सत्य हैं । 1
3. d. जो इस दनु नया में आया है िह एक हदन अिश्य नष्ट होता है । 1
4. b.1-(ii), 2-(iii), 3-(i) 1
5. d. 'क','ख' और 'ग' तीनों। 1

प्रश्न 6 प्रश्न – पूरक पाठ्यपुस्तक वितान भाग 2 1×10=10


1. b. कर के रूप में हानसल अनाज 1
2. b. ताम्र युग 1
3. b. मुअनजो-दड़ो के नलए 1
4. d. कथन (A) तथा कारण(R) दोनों सही है कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या करता है । 1
5. a. कथन (I) तथा(II) सही हैं । 1
6. a. 6 फरिरी, 1947 1
7. c. अहमदाबाद 1
8. d. कोल्हू का काम 1
9. d. खुद काम से बचने के नल 1
10. d. संघषामयी प्रिृवत्त का। 1

खंड-‘ब’ िणाात्मक प्रश्नों के उत्तर


प्रश्न क्रम अंक
उत्तर
संख्या विभाजन
जनसंचार और सृजनात्मक लेखन
प्रश्न 7 हदए गए 03 विषयों में से हकसी 01 विषय पर लगभग 120 र्ब्दों में रचनात्मक लेख: 6×1=6

आरम्भ – 1 अंक
विषयिस्तु – 3 अंक
प्रस्तुनत – 1 अंक
भाषा – 1 अंक
प्रश्न 8 प्रश्न – लगभग 40 र्ब्दों में उत्तर: 2×2=4

(i) उत्तर-कहानी के पात्र नाट्य रूपांतरण में ननम्न प्रकार से पररिनतात हकये जा सकते हैं - 2

i) नाट्य रूपांतरण करते समय कहानी के पात्रों की दृश्यात्मकता का नाटक के पात्रों से मेल
होना चाहहए।
ii) पात्रों की भािभंनगमाओं तथा उनके व्यिहार का भी उनचत ध्यान रखना चाहहए।
iii) पात्र घटनाओं के अनुरूप मनोभािों को प्रस्तुत करने िाले होने चाहहए।
iv) पात्र अनभनय के अनुरूप होने चाहहए।
v) पात्रों का मंच के साथ मेल होना चाहहए।
vi) पात्रों के संिाद छोटे , प्रभािर्ाली, बोलचाल की भाषा में हो ।
अथिा
उत्तर : पारं पररक विषय िो विषय होते हैं जो हकसी मुद्दे, विचार, घटना आहद से जुड़े होते हैं
और अनधकतर सामाजजक और राजनीनतक विषय होते हैं । इसमें आप अपनी व्यवक्तगत राय
को उतनी तिज्जह न दे कर सामूहहक विचार पर ज़ोर दे ते हैं , जबहक अप्रत्यानर्त विषयों पर
लेखन में आपके अपने ननजी विचार होते हैं ।

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(ii) दै ननक जीिन से जुड़े हुए हकसी भी विषय पर अप्रत्यानर्त लेखन नलखा जा सकता है । ये 2
विषय कुछ भी हो सकते हैं , जैसे मेरे घर का बगीचा, एकर्ाम पहाड़ी जीिन के नाम, दीिाल
घड़ी, बाररर् में वबन छतरी, तीन घंटे का अकेलापन, हदव्य र्वक्तयाुँ और मैं, फजा कीजजए
आप नतलचट्टा हैं , धारािाहहकों में स्त्री, समुर हकनारे आप और आपकी यादें िगैरह-िगैरह।
अथिा
उत्तर- रे हडयो नाटक के नलए कहानी का चुनाि करते समय मुख्य बातों का ध्यान रखना
चाहहए –
(i) कहानी नसफा घटना प्रधान न हो |
(ii) उसकी अिनध बहुत ज्यादा न हो |
(iii) पात्रों की संख्या सीनमत हो |
प्रश्न 9 प्रश्न - हदए गए 03 प्रश्नों में से हकन्द्हीं 02 प्रश्नों के लगभग 60 र्ब्दों में उत्तर: 3×2=6

(i) उत्तर-संिाददाताओं के बीच काम का विभाजन आम तौर पर उनकी हदलचस्पी और ज्ञान को 3

ध्यान में रखते हुए हकया जाता है ।मीहडया की भाषा में इसे बीट कहते हैं ।
एक संिाददाता की बीट अगर अपराध है तो इसका अथा है हक िह अपरानधक घटनाओं की
ररपोहटां ग के नलए जजम्मेदार होगा।विर्ेष लेखन केिल ररपोहटां ग नहीं है ।
अब बीट ररपोहटां ग के आगे एक तरह की विर्ेषीकृ त ररपोहटां ग है , जजसमें ना नसफा उस विषय
की गहरी जानकारी होनी चाहहए बजल्क उसके ररपोहटां ग से संबंनधत भाषा और र्ैली पर भी
पूरा अनधकार होना चाहहए।
(ii) उत्तर : स्तंभ लेखन एक प्रकार का विचारत्मक लेखन है । कुछ महत्त्िपूणा लेखक अपने खास 3

िैचाररक रुझान एिं लेखन र्ैली के नलए जाने जाते हैं । ऐसे लेखकों की लोकवप्रयता को
दे खकर समाचरपत्र उन्द्हें अपने पत्र में ननयनमत स्तम्भ - लेखन की जजम्मेदारी प्रदान करते
हैं । इस प्रकार हकसी समाचार-पत्र में हकसी ऐसे लेखक िारा हकया गया विनर्ष्ट तथा
ननयनमत लेखन जो अपनी विनर्ष्ट र्ैली एि िैचाररक रुझान के कारण समाज में ख्यानत
प्राप्त हो, स्तम्भ लेखन कहा जाता है ।
(iii) उत्तर : हहं दी की िेब पत्रकाररता अभी अपने र्ैर्ि काल में ही है । इसकी सबसे बड़ी समस्या 3

हहं दी के िौंट की है । अभी भी हमारे पास कोई एक 'की-बोडा ' नहीं है । डायननमक िौंट की
अनुपलब्धता के कारण हहं दी की ज्यादातर साइटें खुलती ही नहीं हैं । अब माइक्रोसॉफ्ट और
िेबदनु नया ने यूननकाड िौंट बनाए हैं । लेहकन ये भी खास लोकवप्रय नहीं हो पा रहे हैं । हहं दी
जगत जब तक हहं दी के बेलगाम िौंट संसार पर ननयंत्रण नहीं लगाएगा और 'की-बोडा ' का
मानकीकरण नहीं करे गा तब तक यह समस्या बनी रहे गी।

प्रश्न – पाठ्यपुस्तक आरोह भाग 2


प्रश्न 10 प्रश्न - हदए गए 03 प्रश्नों में से हकन्द्हीं 02 प्रश्नों के लगभग 60 र्ब्दों में उत्तर: 3×2=6

(i) उत्तर- ‘हम समथा र्वक्तमान’ के माध्यम से कवि ने मीहडयाकनमायों पर व्यंग्य हकया 3

है जो स्ियं को पूणा मानकर एक अपाहहज व्यवक्त को दब


ु ल
ा समझने का अहं कार
पाले हुए हैं |
‘हम एक दब
ु ल
ा को लाएंगे ‘ के माध्यम से लाचारी का भाि प्रकट होता है |
साक्षात्कारकताा हकसी भी बेबस और लाचार व्यवक्त को लाकर उससे तरह-तरह के
सिाल पूछकर उसका तमार्ा बना सकता है |
(ii) उत्तर – कविता उषा कवि र्मर्ेर बहादरु नसंह िारा रनचत ग्रामीण पररक्षेत्र की 3

पृष्ठभूनम पर नलखी गयी एक अनुपम कृ नत है जजसमें र्ांत ग्रामीण जीिन का सजीि


नचत्रण हकया है ,कवि र्हर की अलसाई सुबह के स्थान पर गनतर्ील ग्रामीण सुबह
का नचत्रण करने में स्ियं को ज्यादा सहज महसूस करता है | कविता में ग्रामीण

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क्षेत्रों में प्रयोग हकये जाने िाले िस्तुओं का यथाथा नचत्रण है |यथाथा जीिन से चुने
गए उपमान –राख से लीपा चौका का िणान प्रभािर्ाली है ,दृश्यवबंब इतने सजीि है
हक सभी हक्रयाएं आुँखों के सामने उपजस्थत हो जाती हैं

(iii) उत्तर :- तुलसीदास मानिीय-संिेदना के कवि हैं । उन्द्होने युगीन चेतना का सुंदर 3

समािेर् काव्य में हकया है । कवितािली में उद्धत


ृ पदों के अंतगात यह सपष्ट हो जाता
है हक तुलसी को अपने युग की समस्याओं की अच्छी समझ थी। िे संत होते हुए
भी जनता की पीड़ा से िाहकफ थे । उन्द्हें समाज में व्याप्त गरीबी, बेकारी तथा
भुखमरी का ज्ञान था। हकसान, मजदरू , बननक इत्याहद िगों की जीविका के ह्रास को
कवि ने दे खा था। भयंकर बेकारी तथा भूख का नचत्र सामने आया है । ‘पेट की आग’
का असर सब प्रकार के लोगों पर था। काम न नमलने की वििर्ता में लोग ऊंच –
नीच कमा कर रहे थे तथा धमा-अधमा पर विर्ेष ध्यान नहीं दे रहे थे । इस प्रकार,
तुलसीदास ने अपने युग की आनथाक विषमता को ठीक से समझा था।

प्रश्न 11 प्रश्न - हदए गए 03 प्रश्नों में से हकन्द्हीं 02 प्रश्नों के लगभग 40 र्ब्दों में उत्तर: 2×2=4
(i) उत्तर- कवि ने खेत को रस का अक्षय पात्र इसनलए कहा है क्योंहक अक्षय पात्र में 2

रस कभी खत्म नहीं होता। उसके रस को जजतना बाुँटा जाता है , उतना ही िह


भरता जाता है । खेत की फसल कट जाती है , परं तु िह हर िषा हफर उग आती है ।
कविता का रस भी नचरकाल तक आनंद दे ता है । यह सृजन-कमा की र्ाश्वतता को
दर्ााता है ।
(ii) उत्तर- इस कविता में 'ऐ विललि के िीर!' बादल को कहा गया है । बादल घनघोर 2

िषाा करता है तथा वबजनलयाुँ नगराता है । इससे सारा जनजीिन अस्त-व्यस्त हो


जाता है । बादल क्रांनत का प्रतीक है । क्रांनत आने से बुराई रूपी कीचड समाप्त हो
जाता है तथा आम व्यवक्त को जीने योग्य जस्थनत नमलती हैं ।
(iii) कवि सीधी सरल बात को प्रभािी बनाने की कोनर्र् करता है | इसके नलए िह 2

सुंदर, अलंकृत, प्रभािी ि जहटल भाषा का प्रयोग करता है | भाषा के इस प्रदर्ान के


चक्कर में सीधी बात भी टे ढ़ी ि पेचीदा हो जाती है |
प्रश्न 12 प्रश्न - हदए गए 03 प्रश्नों में से हकन्द्हीं 02 प्रश्नों के लगभग 60 र्ब्दों में उत्तर: 3×2=6
(i) भवक्तन अच्छी है पर उसमें दग
ु ण
ुा ों का अभाि नहीं, लेजखका ने ऐसा इसनलए कहा 3

क्योंहक–
िह पूरा सच नहीं बोलती थी बजल्क झूठ बोल जाती थी |
लेजखका के इधर-उधर पड़े पैसों को भण्डार घर की मटकी में नछपाकर रखती थी |
इस पर संकेत करने पर िह तका-वितका करती थी |
लेजखका के क्रोध से बचने के नलए बातों को बदलकर कह दे ती थी |
िह दस
ू रों को अपने अनुसार बदल लेती थी परन्द्तु स्ियं वबलकुल भी नहीं बदलती
थी|
(ii) ग्राहक ि दक
ु ानदार के बीच कपट का बढ़ना और सद्भाि का घटना बाजारूपन है 3

जजसमें दोनों एक-दस


ू रे को ठगने की कोनर्र् करते हैं और एक को दस
ू रे के नुकसान
में अपना लाभ हदखाई दे ता है |
लेखक के अनुसार बाजार को साथाकता और सच्चा लाभ भगत जी जैसे लोग ही दे
सकते हैं जजनका मन भरा हो यानी आिश्यकताएुँ तय हो और जो ज़रूरत की चीजें
ही बाज़ार से खरीदते हो |
(iii) गाुँि के कुछ लोगों की लड़कों के नंगे र्रीर, उछल-कूद, र्ोर-र्राबे और उनके 3

कारण गली में होने िाले कीचड़ से नचढती थी। िे इसे अंधविश्वास मानते थे। इसी

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कारण िे इन लड़कों की टोली को मेढक मंडली कहते थे। यह टोली स्ियं को इं दर
सेना कहकर बुलाती थी। ये बच्चे इकट्ठे होकर भगिान इं र से िषाा करने की गुहार
लगाते थे। बच्चों का मानना था हक िे इर की सेना के सैननक है तथा उसी के नलए
लोगों से पानी माुँगते हैं ताहक इं र बादलों के रूप में बरसकर सबको पानी दें ।
प्रश्न 13 प्रश्न - हदए गए 03 प्रश्नों में से हकन्द्हीं 02 प्रश्नों के लगभग 40 र्ब्दों में उत्तर: 2×2=4
(i) उत्तर-पहलिान ने जब श्याम नगर के दं गल में चाुँद नसंह को हराया तो राजा साहब 2

ने उसे राज पहलिान घोवषत करके दरबार में रख नलया,अब लुट्टन के संघषा के
हदन समाप्त हो गए थे ,उसे खाने पीने की भी कोई कमी नहीं थी उसकी प्रनतष्ठा भी
दरू तक िैल गयी थी|
(ii) उत्तर- श्रम विभाजन का अथा है – मानिोपयोगी कायों का िगीकरण करना| प्रत्येक 2

काया को कुर्लता से करने के नलए योग्यता के अनुसार विनभन्द्न कामों को आपस


में बाुँट लेना | कमा और मानि-क्षमता पर आधाररत यह विभाजन सभ्य समाज के
नलए आिश्यक है |
(iii) पचेजजंग पािर का गिा पैसे से बाजार को केिल एक विनार्क-र्वक्त, र्ैतानी-र्वक्त 2

और व्यंग्य की र्वक्त ही दे ता है जजससे न तो हम बाजार से लाभ उठा सकते हैं , न


ही उस बाजार को सच्चा लाभ दे सकते हैं ।
प्रश्न – पूरक पाठ्यपुस्तक वितान भाग 2
प्रश्न 14 मेरे जीिन को हदर्ा दे ने में सबसे महत्त्िपूणा योगदान मेरे गुरुओं का रहा है । उन्द्होंने हमेर्ा 4x1 = 4

मुझे यही नर्क्षा दी हक सत्य बोलो। सत्य बोलने िाला व्यवक्त हर तरह की परे र्ानी से मुक्त हो
जाता है जबहक झूठ बोलने िाला अपने ही जाल में फुँस जाता है । उसे एक झूठ छुपाने के
नलए सैकड़ों झूठ बोलने पड़ते हैं । अपने गुरुओं की इस बात को मैंने हमेर्ा याद रखा। िास्ति
में उनकी इसी नर्क्षा ने मेरे जीिन की हदर्ा बदल दी
अथिा

यहद झूठ का सहारा न लेते तो लेखक अनपढ़ रह जाता और िह जीिनभर खेतों में कोल्हू के
बैल की तरह जुता रहता। उसे नसिाय भैंसे चराने अथिा खेती करने के और कोई काम न
होता। िह हदन-भर खेतों पर काम करता और र्ाम को घर लौट आता। उसका वपता
अय्यार्ी करता रहता। लेखक के सारे सपने टू ट जाते। िह अपना जीिन और प्रनतभा ऐसे ही
व्यथा जाने दे ता। वबना झूठ का सहारा नलए उसकी प्रनतभा कभी भी न चमक पाती। केिल
एक झूठ ने लेखक के जीिन की हदर्ा ही बदल दी।

*****************

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प्रनतदर्ा प्रश्न-पत्र 2023-24 SET- 5


विषय- व िंदी आधार (विषय कोड-302)
कक्षा-बार िी िं
विधााररत समय : 3 घिंटे अवधकतम अिंक : 80
सामान्द्य ननदे र्-
• इस प्रश्न पत्र में दो खंड हैं – खंड ‘अ’ तथा खंड-‘ब’| कुल प्रश्न 14 हैं |
• खंड 'अ’ में कुल 40 िस्तुपरक प्रश्न पूछे गए हैं , सभी 40 प्रश्नों के उत्तर दे ने हैं |
• खंड ‘ब’ में िणानात्मक प्रश्न पूछे गए हैं | प्रश्नों के उनचत आंतररक विकल्प हदए गए हैं |
• प्रश्नों के उत्तर हदए गए ननदे र्ों का पालन करते हुए दीजजए |
• दोनों खण्डों के प्रश्नों के उत्तर दे ना अननिाया है |
• यथासंभि दोनों खण्डों के प्रश्नों के उत्तर क्रमानुसार नलजखए |

खंड-‘अ’ िस्तुपरक प्रश्न


अपहठत गद्यांर्
प्रश्न-1 ननम्ननलजखत गद्यांर् को ध्यानपूिक
ा पढ़कर सिाानधक उपयुक्त उत्तर िाले 1×10=10
विकल्प को चुनकर नलजखए -
मैं सोचता हूुँ, जस्त्रयों के पास एक महान र्वक्त सोई पड़ी हुई है ।
दनु नया की आधी से बड़ी ताकत उनके पास है । आधी तो इसनलए कहता हूुँ
हक दनु नया में जस्त्रयाुँ आधी तो हैं ही । आधी बड़ी इसनलए हक बच्चे उनकी
छाया में पलते हैं , िे जैसा चाहें उन बच्चों को पररिनतात कर सकती हैं ।
पुरूषों के हाथ में हकतनी ताकत हो, लेहकन पुरूष भी एक हदन स्त्री की गोद
में होता है , िहीं से अपनी यात्रा र्ुरू करता है । एक बार स्त्री की पूरी र्वक्त
जागृत हो जाए और िे ननणाय कर लें हक हकसी प्रेम की दनु नया को नननमात
करें गी, जहाुँ युद्ध नहीं होंगे, जहाुँ हहं सा नहीं होगी, जहाुँ राजनीनत नहीं होगी,
जहाुँ राजनीनतज्ञ नहीं होंगे, जहाुँ जीिन में कोई बीमाररयाुँ नहीं होंगी तो ये
संसार स्िगा से कम नहीं होगा । जहाुँ भी प्रेम है , जहाुँ भी करूणा है , जहाुँ
भी दया है , िहाुँ स्त्री मौजूद है । इसनलए मैं कहता हूुँ हक स्त्री के पास आधी
से भी ज़्यादा बड़ी ताकत है और िह पाुँच हज़ार िषों से वबलकुल सोई हुई
तथा सुप्त पड़ी है । नारी की र्वक्त का कोई उपयोग नहीं हो सका है ।
भविष्य में यह उपयोग हो सकता है । उपयोग होने का एक सूत्र यही है हक
स्त्री यह तय कर लें हक उन्द्हें पुरूषों जैसा नहीं बनना है ।
(i) इस अनुच्छे द का उनचत र्ीषाक दीजजए -
(क) स्त्री – स्िभाि (ख) स्त्री – जागरण
(ग) स्त्री की महत्ता (घ) स्त्री – स्िभाि का जागरण
(ii) जस्त्रयों की र्वक्त को सुप्त क्यों कहा गया है ?
(क) िे अपने मूल स्िभाि को जान नहीं सकी |
(ख) िे अपने मूल स्िभाि को जान कर उस पर चल नहीं सकी
(ग) िे स्ियं को पुरुष जैसा समझती हैं |
(घ) िे स्ियं को पुरुष से हीन समझती हैं |
(iii) जस्त्रयों में पुरुषों को बदलने की ताकत है , क्योंहक –
(क) जस्त्रयाुँ अनधक र्वक्तर्ाली हैं
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(ख) सभी पुरुष जस्त्रयों की गोद में पलते–बढ़ते हैं
(ग) जस्त्रयों में सृजन की ताकत है
(घ) पुरुष जस्त्रयों के वबना नहीं रह सकता

(iv) स्त्री में कौन-से गुण प्रबल हैं ?


(क) संघषा और साहस (ख) नैनतकता और समझदारी
(ग) प्रेम और करुणा (घ) र्ांनत और उन्द्ननत
(v) ननम्न कथनों पर विचार कीजजए –
कथन- I जस्त्रयों के पास महान हकन्द्तु सुप्त र्वक्त है |
कारण-II जस्त्रयों की र्वक्त का उपयोग तभी हो सकता है जब िह पुरुषों का
अनुकरण करें गी |
क) दोनों कथन सत्य है |
ख) दोनों कथन असत्य है |
ग) कथन I सत्य तथा कथन II असत्य है |
घ) कथन I असत्य तथा कथन II सत्य है |
(vi) दनु नया की आधी से बड़ी ताकत हकनके पास है ?
(क) पुरुषों के पास (ख) िृद्धों के पास
(ग) बच्चों के पास (घ) जस्त्रयों के पास
(vii) स्त्री हकतने हजार िषों से सोई हुई है ?
(क) पांच हजार िषों से (ख) चार हजार िषों से
(ग) छह हजार िषों से (घ) सात हजार िषों से
(viii) गद्यांर् के आधार पर बताइए हक स्त्री की मौजूदगी कहाुँ-कहाुँ है ?
(क) जहाुँ प्रेम है (ख) जहाुँ करुणा है
(ग) जहाुँ दया है (घ) उपरोक्त सभी
(ix) हकसकी र्वक्त का अभी तक कोई उपयोग नहीं हो सका है ? गद्यांर् के
आधार पर बताइए |
(क) नारी की (ख) पुरुष की
(ग) दे र् की (घ) उपरोक्त में से कोई नहीं
(x) ननम्ननलजखत कथन कारण को ध्यानपूिक
ा पहढ़ए उसके बाद हदए गए
विकल्पों में से कोई एक सही विकल्प चुनकर नलजखए -
कथन (A) दनु नया की आधी से बड़ी ताकत जस्त्रयों के पास है ।
कारण (R) अब पुरुष िगा जस्त्रयों का पक्षधर हो गया है |
क) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही हैं और कारण कथन की सही
व्याख्या करता है |
ख) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों गलत हैं |
ग) कथन (A) गलत है तथा कारण (R) सही है |
घ) कथन (A) सही है लेहकन कारण (R) गलत है |
प्रश्न-2 हदए गए पद्यांर् पर आधाररत प्रश्नों को ध्यानपूिक
ा पढ़कर हदए गए प्रश्नों के 1×5= 5
सिाानधक उपयुक्त उत्तर िाले विकल्प को चुनकर नलजखए -
कानलदास का अमर काव्य है ,
मैं तुलसी की रामायण |
अमृतिाणी हूुँ गीता की,
घर-घर होता पारायण |
मैं भूषण की नर्ि बािनी,
आल्हा का हुंकारा हूुँ |
सूरदास का मधुर गीत मैं,
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मीरा का इक तारा हूुँ |
िरदायी की गौरि गाथा,
रण गजान गंभीर हूुँ |
मातृभूनम पर नमटने िाले,
मतिाले की पीर हूुँ |
मेरा पररचय इतना है ,
मैं भारत की तस्िीर हूुँ |
(i) कविता में हकसके बारे में बात की गई है ?
(क) दे र् के बारे में
(ख) तुलसीदास के बारे में
(ग) रामायण के बारे में
(घ) मधुर गीत के बारे में
(ii) गीता को अमृतिाणी कहने का कारण है –
(क) गीता मधुर गीतों का संग्रह है
(ख)गीता के उपदे र् मनुष्य को जीिन का िास्तविक अथा समझते हैं
(ग)गीता एक मनोरं जक काव्य है
(घ)उपरोक्त में से कोई नहीं
(iii) ननम्न कथनों पर विचार कीजजए |
कथन- I तुलसीदास जी ने गीता की रचना की |
कथन- II कवि भूषण ने आल्हा की िीरता का िणान हकया |
क) दोनों कथन सत्य है |
ख) दोनों कथन असत्य है |
ग) कथन I सत्य तथा कथन II असत्य है |
घ) कथन I असत्य तथा कथन II सत्य है |
(iv) प्रस्तुत काव्यांर् में “मतिाले की पीर”से क्या आर्य है ?
(क)हकसी व्यवक्त का ननिास स्थान
(ख)हकसी दे र्भक्त क्रांनतकारी का समानध स्थल
(ग)कृ वष योग्य भूनम
(घ)कोई क्रीड़ा स्थल
(v) प्रस्तुत काव्यांर् में प्रयुक्त र्ब्द “पारायण” का अथा है –
(क) हकसी विषय पर िाद-वििाद
(ख) हकसी घटना विर्ेष को स्मरण करना
(ग) समय बाुँधकर हकसी ग्रन्द्थ का आरं भ से अंत तक पाठ
(घ) उपरोक्त में से कोई नहीं

प्रश्न-3 ननम्ननलजखत प्रश्नों के उत्तर दे ने के नलए उपयुक्त विकल्प का चयन कीजजए- 1×5= 5
(i) हक्रकेट मैच का प्रसारण हकस प्रकार का है ?
(क) एंकर पैकेज (ख)फोन इन
(ग) सीधा प्रसारण (घ)एंकर िाइट
(ii) केिल इं टरनेट पर उपलब्ध होने िाला समाचार पत्र कौन- सा है ?
(क)पंजाब केसरी (ख)प्रभा साक्षी
(ग) अमर उजाला (घ)भास्कर
(iii) मुहरत माध्यम के सन्द्दभा में ननम्न कथनों पर विचार कीजजए|
कथन-I छपे हुए र्ब्दों में स्थानयत्ि होता है , इन्द्हें सुविधा अनुसार हकसी भी
प्रकार से पढाा़ जा सकता है ।
कथन-II ननरक्षरों के नलए यह उपयोगी माध्यम है |
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कथन-III यह नचंतन,विचार और विश्लेषण का माध्यम है |
क) केिल कथन-I सत्य है ख) केिल कथन-II सत्य है
ग) कथन-I तथा III सत्य है घ) तीनों कथन सत्य है
(iv) भुगतान के आधार पर अलग –अलग समाचार पत्रों के नलए नलखने िाले
पत्रकार को क्या कहते हैं
(क) फ्री लांसर
(ख) पूणक
ा ानलक
(ग) अंर्कानलक
(घ) अल्पकानलक
(v) संिादाताओं के बीच काम का विभाजन उनकी हदलचस्पी और ज्ञान को
ध्यान में रखकर हकया जाता है | मीहडया की भाषा में इसे क्या कहते हैं ?
(क)साक्षात्कार (ख)डे स्क
(ग)बीट (घ)संपादन
प्रश्न-4 ननम्ननलजखत काव्यांर् को ध्यानपूिक
ा पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के सही उत्तर 1×5= 5
िाले विकल्प का चयन कीजजए-
खेती ना हकसान को ,नभखारी को ना भीख,बनल,
बननक को बननज, न चाकर को चाकरी |
जीविका वबहीन लोग सीद्यमान सोच बस ,
कहैं एक –एकन सों “कहाुँ जाई ,का करी ?
बेदहूुँ पुरान कही , लोकहूुँ वबलोहकअत ,
साुँकरे सबै पै, राम ! रािरें कृ पा करी
दाररद –दसानन दबाई दन
ु ी , दीनबंधु !
दरु रत –दहन दे जख तुलसी हहा करी ||
(i) समाज में चारों ओर हकसका बोल-बाला है ?
(क) प्रेम और भाईचारे का
(ख)गरीबी और बेकारी का
(ग)घृणा और लड़ाई का
(घ)अमीरी और रोजगारी का
(ii) सम्पूणा समाज को गरीबी ने हकस रूप में घेर रखा है ?
(क) रािण
(ख) राक्षस
(ग) र्ैतान
(घ) दानि
(iii) िेदों और पुराणों के अनुसार संकट के समय कौन सहायता करता है ?
(क) नेता लोग
(ख) अफसर
(ग) प्रभु राम
(घ) दे िता
(iv) “दाररद- दसानन“ में अलंकार है ?
(क)यमक (ख)श्लेष रूपक
(ग)रूपक (घ)उत्प्रेक्षा
(v) प्रस्तुत काव्यांर् में प्रयुक्त “बननज” र्ब्द का क्या अथा है ?
(क)बननया (ख)व्यापारी
(ग)नौकर (घ)पररिार
प्रश्न-5 ननम्ननलजखत गद्यांर् को ध्यानपूिक
ा पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के सही उत्तर 1×5= 5

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िाले विकल्प का चयन कीजजए-
एक-एक बार मुझे मालूम होता है हक यह नर्रीष एक अद्भत
ु अिधूत है |
दःु ख हो या सुख यह हार नहीं मानता| न ऊधो का लेना, न माधो का दे ना
? जब धरती और आसमान जलते रहते हैं , तब भी यह हजरत न जाने
कहाुँ से अपना रस खींचते रहते हैं | मौज में आठों याम मस्त रहते हैं |
एक िनस्पनत र्ास्त्री ने मुझे बताया है हक यह उस श्रेणी का पेड़ है जो
िायुमंडल से अपना रस खींचता है | ज़रूर खींचता होगा , नहीं तो भयंकर
लू के समय इतने कोमल तंतुजाल और ऐसे सुकुमार केसर को कैसे उगा
सकता था ? अिधूतों के मुुँह से ही संसार की सबसे सरस रचनाएुँ ननकली
हैं | कबीर बहुत कुछ इस नर्रीष के समान ही थे, मस्त और बेपरिा , पर
सरस और मादक | कानलदास भी ज़रूर अनासक्त योगी रहे होंगे | नर्रीष के
फूल फक्कड़ाना मस्ती से ही उपज सकते हैं और ‘मेघदत
ू ’ का काव्य उसी
प्रकार के अनासक्त अनाविल उन्द्मुक्त हृदय में उमड़ सकता है | जो कवि
अनासक्त नहीं रह सका, जो फक्कड़ नहीं बन सका, जो हकये-कराए का
लेखा- जोखा नमलाने में उलझ गया, िह भी क्या कवि है ?
(i) िनस्पनत र्ास्त्री के अनुसार नर्रीष का पेड़ कहाुँ से रस खींचता है ?
(क)जीिमंडल से (ख)भूमंडल से
(ग)सौरमंडल से (घ)िायुमंडल से

(ii) ननम्ननलजखत कथन कारण को ध्यानपूिक


ा पहढ़ए उसके बाद हदए गए
विकल्पों में से कोई एक सही विकल्प चुनकर नलजखए -
कथन (A) नर्रीष एक अद्भत
ु अिधूत है |
कारण (R) यह भयंकर लू में भी कोमल ि सरस बना रहता है |
क) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही हैं और कारण कथन की सही
व्याख्या करता है |
ख) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों गलत हैं |
ग) कथन (A) गलत है तथा कारण (R) सही है |
घ) कथन (A) सही है लेहकन कारण (R) उसकी गलत व्याख्या करता है |

(iii) काव्यांर् में “यह हजरत” हकसके नलए प्रयुक्त हुआ है ?


(क)कबीरदास के नलए
(ख)नर्रीष के पेड़ के नलए
(ग)कानलदास के नलए
(घ)िनस्पनत र्ास्त्री के नलए

(iv) अनासक्त योगी हकसे कहा गया है ?


(क)महाकवि सूरदास जी को
(ख)महाकवि तुलसीदास जी को
(ग)संत कबीरदास जी को
(घ)महाकवि कानलदास जी को
(v) लेखक हकस कवि को कवि मानता है ?
(क)जो स्िाथी हो
(ख)जो सुंदर कविताएुँ नलखता हो
(ग)जजसे दनु नयादारी से अनधक मतलब न हो
(घ)जो ननज कल्याण को सिोपरर समझता हो
प्रश्न-6 ननम्ननलजखत प्रश्नों के उत्तर हे तु ननदे र्ानुसार सही विकल्प चुननए - 1×10=10
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(i) ‘नसल्िर िेहडं ग’ कहानी में र्ादी की कौनसी िषागाुँठ मनाई जा रही है ?
(क)बीसिीं (ख)पच्चीसिीं
(ग)तीसिीं (घ)पैंतीसिीं
(ii) ननम्ननलजखत कथनों पर विचार कीजजए |
कथन-I 'नसल्िर िैहडं ग' कहानी ितामान युग में बदलते जीिन-मूल्यों की
कहानी है ।
कथन-II यर्ोधर अपने बच्चों की तरक्की से पूणत
ा ः खुर् नहीं थे |
कथन-III यर्ोधर भौनतक चकाचौंध से दरू तथा आत्मीयता ि सामूहहकता
के बोध से युक्त हैं ।
क) कथन I,II और III सत्य है
ख) केिल कथन I सत्य है
ग) केिल कथन I और II सत्य है
घ) केिल कथन I और III सत्य है
(iii) “नसल्िर िेहडं ग” कहानी की मूल संिेदना क्या है ?
(क)बढ़ती महुँ गाई
(ख)दनलत की मनोव्यथा
(ग)पीढ़ी के अंतराल से पैदा हुई वबखराि की पीड़ा
(घ)आधुननकता का प्रभाि
(iv) “जूझ पाठ” साहहत्य की हकस विधा में नलखा गया है ?
(क)रे खानचत्र
(ख)संस्मरण
(ग)कहानी
(घ)आत्मकथात्मक उपन्द्यास
(v) जूझ उपन्द्यास मूलतः हकस भाषा में नलखा गया है ?
(क)अिधी (ख)ब्रज
(ग)मराठी (घ)हहन्द्दी
(vi) जूझ कहानी में लेखक की हकस प्रिृवत्त का िणान हुआ है ?
(क)लेखन की प्रिृवत्त का
(ख)संघषामयी प्रिृवत्त का
(ग)कविता करने की
(घ)पढ़ने की
(vii) जूझ कहानी में लेखक की कक्षा के मोनीटर का नाम क्या था ?
(क)धनराम (ख)राि पाहटल
(ग)िसंत पाहटल (घ)चह्वाण
(viii) “अतीत में दबे पाुँि” पाठ में हकस सभ्यता का िणान है ?
(क)नमस्र (ख)रोमन
(ग)मेसोपोटानमया (घ)नसन्द्धुकालीन
(ix) मुअनजो-दडो का अथा है ?
(क)समानधयों की जगह
(ख)दो जगहों को जोड़ना
(ग)मृतकों या मुदों का टीला
(घ)इनमें से कोई नहीं
(x) लेखक ने नसंधु सभ्यता के सौंदया -बोध को क्या नाम हदया है ?
(क)राज- पोवषत
(ख)धमा- पोवषत

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(ग)समाज-पोवषत
(घ)व्यापार -पोवषत

खण्ड-‘ब’ िणानात्मक प्रश्न


प्रश्न-7 हदए गये तीन अप्रत्यानर्त विषयों में से हकसी एक विषय पर लगभग 120 6×1=6
र्ब्दों में रचनात्मक लेख नलजखए -
(क) न जाओ र्हरों की ओर
(ख) नकली सामान, भरपूर विज्ञापन
(ग) प्रातःकाल योग करते लोग

प्रश्न-8 ननम्ननलजखत प्रश्नों को ध्यानपूिक


ा पढ़कर लगभग 40 र्ब्दों में ननदे र्ानुसार 2×2=4
उत्तर दीजजए-
(क) रे हडयो नाटक के नलए कहानी का चुनाि करते समय हकन बातों का
ध्यान रखना चाहहए ?
अथिा
अप्रत्यानर्त विषयों पर लेखन को प्राथनमकता क्यों दी जाती है ?
(ख) कहानी के नाट्य रूपांतरण में आने िाली मुख्य समस्या ि उसका
समाधान नलजखए |
अथिा
नए और अप्रत्यानर्त विषयों पर लेखन के संदभा में “मैं” र्ैली के प्रयोग के
बारे में क्या मान्द्यता है ?

प्रश्न-9 ननम्ननलजखत प्रश्नों को ध्यानपूिक


ा पढ़कर हदए गए तीन प्रश्नों में से हकन्द्हीं 3×2=6
दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 60 र्ब्दों में दीजजए -
(क) फीचर और समाचार में अंतर स्पष्ट कीजजए |
(ख) बीट ररपोहटां ग एिं विर्ेषीकृ त ररपोहटां ग में क्या अंतर है ?
(ग) मुहरत माध्यमों की खूवबयाुँ और कनमयाुँ क्या – क्या हैं ?

प्रश्न-10 काव्यखंड पर आधाररत ननम्ननलजखत तीन प्रश्नों में से हकन्द्हीं दो प्रश्नों के 3×2=6
उत्तर लगभग 60 र्ब्दों में नलजखए-
(क) बात और भाषा परस्पर जुड़े होते हैं ,हकन्द्तु कभी –कभी भाषा के
चक्कर में “सीधी बात भी टे ढ़ी” हो जाती है | कैसे ?
(ख)बादलों को विललि के िीर क्यों कहा गया है ?
(ग) “कैमरे में बंद अपाहहज “ कविता मीहडया के लोगों की संिेदनहीनता
को प्रकट करती है | कैसे ? स्पष्ट कीजजए |
प्रश्न-11 काव्यखंड पर आधाररत ननम्ननलजखत तीन प्रश्नों में से हकन्द्हीं दो प्रश्नों के 2×2=4
उत्तर लगभग 40 र्ब्दों में दीजजए -
(क) ”उषा” कविता में भोर के नभ की तुलना हकस से की गई है और क्यों
(ख) बच्चे की हुँ सी का क्या कारण है ? उसके गूंजने से क्या तात्पया है ?
(ग) “पतंग” कविता के आधार पर बताएं – हदर्ाओं को मृदंग की तरह
बजाने का क्या तात्पया है ?
प्रश्न-12 गद्यखंड पर आधाररत ननम्ननलजखत तीन प्रश्नों में से हकन्द्हीं दो प्रश्नों के उत्तर 3×2=6
लगभग 60 र्ब्दों में दीजजए -
(क) भवक्तन के आ जाने से महादे िी अनधक दे हाती कैसे हो गई ?
(ख) बाज़ारूपन से क्या तात्पया है ? हकस प्रकार के व्यवक्त बाज़ार को

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साथाकता प्रदान करते हैं ?
(ग) जानत- प्रथा को श्रम विभाजन का ही एक रूप न मानने के पीछे
आम्बेडकर के क्या तका हैं ?
प्रश्न-13 गद्यखंड पर आधाररत ननम्ननलजखत तीन प्रश्नों में से हकन्द्हीं दो प्रश्नों के उत्तर 2×2=4
लगभग 40 र्ब्दों में दीजजए -
(क) “पहलिान की ढोलक” पाठ के आधार पर बताइए हक ढोलक की
आिाज़ का पूरे गाुँि पर क्या असर होता था ?
(ख) जीजी ने इं रसेना पर पानी फेंके जाने के समथान में क्या-क्या तका
हदए?
(ग) लेखक के मत से “दासता “ की व्यापक पररभाषा क्या है ?
प्रश्न-14 ननम्ननलजखत प्रश्नों को ध्यानपूिक
ा पढ़कर हदए गए दो प्रश्नों में से हकसी 4x1 = 4
एक प्रश्न का उत्तर लगभग 60 र्ब्दों में दीजजए –
नसल्िर िैहडं ग कहानी के कथ्य का विश्लेषण कीजजए |
अथिा
नदी, कुएुँ, स्नानागार और बेजोड़ ननकासी व्यिस्था को दे खते हुए लेखक
पाठकों से प्रश्न पूछता है हक क्या हम नसंधु घाटी सभ्यता को जल-संस्कृ नत
कह सकते हैं ? आपका जिाब लेखक के पक्ष में है या विपक्ष में? तका दें ।

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अंक-योजना प्रनतदर्ा प्रश्न-पत्र 2023-24 SET- 5


विषय- व िंदी आधार (विषय कोड-302)
कक्षा-बार िी िं
अिंक योजिा
सामान्द्य ननदे र् :-
• अंक योजना का उद्दे श्य मूल्यांकन को अनधकानधक िस्तुननष्ठ बनाना है |
• खंड ‘अ’ में हदए िस्तुपरक प्रश्नों के उत्तरों का मूल्यांकन ननहदाष्ट अंक योजना के आधार पर ही
हकया जाए |
• खंड ‘ब’ में िणानात्मक प्रश्नों की अंक योजना में हदए गए उत्तर वबंद ु अंनतम नहीं है | ये
सुझािात्मक एिं सांकेनतक है |
• यहद परीक्षाथी इन सांकेनतक वबन्द्दओ
ु ं से नभन्द्न हकन्द्तु उपयुक्त उत्तर दे तो उसे अंक हदया जाए|
• मूल्यांकन काया ननजी व्याख्या के अनुसार नहीं, बजल्क अंक योजना में ननहदाष्ट ननदे र्ानुसार ही
हकया जाए |

खंड-‘अ’ िस्तुपरक प्रश्नों के उत्तर


प्रश्न क्रम सं. उत्तर अंक
विभाजन
प्रश्न-1 (i) (ख) स्त्री – जागरण 1
(ii) (ख) िे अपने मूल स्िभाि को जान कर उस पर चल नहीं सकी 1
(iii) (ख) सभी पुरुष जस्त्रयों की गोद में पलते–बढ़ते हैं 1
(iv) (ग) प्रेम और करुणा 1
(v) ग) कथन I सत्य तथा कथन II असत्य है | 1
(vi) (घ) जस्त्रयों के पास 1
(vii) (क) पांच हजार िषों से 1
(viii) (घ) उपरोक्त सभी 1
(ix) (क) नारी की 1
(x) घ) कथन (A) सही है लेहकन कारण (R) गलत है | 1
प्रश्न-2 (i) क) दे र् के बारे में 1
(ii) ख) गीता के उपदे र् मनुष्य को जीिन का िास्तविक अथा समझाते 1
हैं
(iii) ग) कथन I सत्य तथा कथन II असत्य है | 1
(iv) ख) हकसी दे र्भक्त क्रांनतकारी का समानध स्थल 1
(v) ग) समय बाुँधकर हकसी ग्रन्द्थ का आरं भ से अंत तक पाठ 1
प्रश्न-3 (i) ग) सीधा प्रसारण 1
(ii) ख) प्रभा साक्षी 1
(iii) ग) कथन-I तथा III सत्य है 1
(iv) क) फ्री लांसर 1
(v) ग) बीट 1
प्रश्न-4 (i) ख) गरीबी और बेकारी 1
(ii) क)रािण 1
(iii) ग) प्रभु राम 1

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(iv) ग) रूपक 1
(v) ख) व्यापारी 1
प्रश्न-5 (i) घ) िायुमंडल से 1
(ii) क) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही हैं और कारण कथन की 1
सही व्याख्या करता है |
(iii) ख) नर्रीष के पेड़ के नलए 1
(iv) घ) महाकवि कानलदास 1
(v) ग) जजसे दनु नयादारी से अनधक मतलब ना हो 1
प्रश्न-6 (i) ख) पच्चीसिीं 1
(ii) घ) केिल कथन I और III सत्य है 1
(iii) ग) पीढ़ी के अंतराल से पैदा हुई वबखराि की पीड़ा 1
(iv) घ) आत्मकथात्मक उपन्द्यास 1
(v) ग) मराठी 1
(vi) ख) संघषामयी प्रिृवत्त का 1
(vii) ग) िसंत पाहटल 1
(viii) घ) नसन्द्धुकालीन 1
(ix) ग) मृतकों का टीला 1
(x) समाज –पोवषत 1
खंड-‘ब’ िणानात्मक प्रश्न
प्रश्न-7 हकसी एक विषय पर रचनात्मक लेख 6
आरं भ – 1
विषयिस्तु - 3
प्रस्तुनत – 1
भाषा – 1
प्रश्न-8 (क) रे हडयो नाटक की कहानी केिल घटना प्रधान न हो | संिाद या 2×2=4
आिाजों के जररये रे हडयो नाटक का कथानक व्यक्त होना चाहहए |
कहानी की अिनध अनधक लंबी न हो | कहानी में पात्रों की संख्या
सीनमत हो , क्योंहक श्रोता केिल आिाज़ के सहारे चररत्रों को याद
रख पाता है | ऐसी जस्तनथ में रे हडयो नाटक में यहद बहुत ज्यादा
हकरदार हैं तो उनके साथ एक ररश्ता बनाये रखने में श्रोता को
हदक्कत होगी |
अथिा
i) अप्रत्यानर्त लेखन के माध्यम से हर हकसी को रचनात्मक एिं
मौनलक लेख नलखने का अिसर नमलता है ।
ii) इसमें लेखक विचारों को हकसी तका एिं नचंतन मनन के माध्यम
से पुष्ट करने की कोनर्र् करता है
iii) इससे आपके लेखन कौर्ल में अत्यनधक विकास होता है ।
iv) इससे भाषा पर आपकी अच्छी पकड़ बनती है ।
v) अप्रत्यानर्त विषयों पर लेखन कम समय में अपने विचारों को
संकनलत कर उन्द्हें सुंदर और सुघड़ ढं ग से अनभव्यक्त करने की
चुनौती है ।

(ख) मुख्य समस्या- कहानी में पात्रों के मनोभािों ि माननसक िं िों को


वििरण के रूप में नलखा जाता है | उन प्रसंगों, मनोभािों ि माननसक
िं िों के दृश्यों को नाटक के रूप में प्रस्तुत करना कहठन होता है |

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समाधान- इसके नलए स्िगत कथन ि िोइस ओिर का प्रयोग हकया
जाना चाहहए |
अथिा
नए और अप्रत्यानर्त विषयों पर लेखन में आत्मपरक “मैं” र्ैली के
प्रयोग से लेखक के विचारों ि उसके व्यवक्तत्त्ि की झलक नमलती है
| इससे आत्मननष्ठता का भी पता चलता है |
प्रश्न-9 (क) फीचर :- i) फीचर का उद्दे श्य मनोरं जन करना,सूचना दे ना एिं 3×2=6
नर्जक्षत करना होता है |
ii) फीचर लेखन में लेखक के पास अपनी राय या दृवष्टकोण और
भािनाएं व्यक्त करने का अिसर होता है
iii) फीचर लेखन की भाषा सरल ि आकषाक होती है |
iv) फीचर आत्मकथात्मक र्ैली में नलखे जाते हैं |
समाचार :- i) हकसी ताज़ा घटना की ररपोटा समाचार कहलाती है |
ii) समाचार लेखन में िस्तुननष्ठता और तथ्यों की र्ुद्दता पर बल
हदया जाता है |
iii) समाचार की भाषा सपाट बयानी होती है |
iv) समाचार उल्टा वपरानमड र्ैली में नलखे जाते हैं |
(ख) बीट ररपोहटां ग के नलए संिाददाता में उस क्षेत्र की जानकारी होना पयााप्त है उसे
सामान्द्य तौर पर खबरें ही नलखनी होती है ।बीट किर करने िाले ररपोटा र को
संिाददाता कहते हैं |
विर्ेषीकृ त ररपोहटां ग के नलए संिाददाता को सामान्द्य खबरों से आगे बढ़कर
उस क्षेत्र से जुड़ी सूचनाओं का बारीकी से विश्लेषण कर पाठकों के नलए उसका
अथा स्पष्ट करना होता है । विर्ेष कृ त ररपोहटां ग करने िाले ररपोटा र को विर्ेष
संिाददाता कहते हैं ।
(ग) खूवबयां :- i) नलखे हुए र्ब्दों में स्थायीत्ि होता है |
ii) इनको हम अनेकों बार पढ़ सकते हैं |
iii) जहटल र्ब्द आने पर र्ब्दकोष का प्रयोग भी हकया जा सकता है
iv) इनका अध्ययन ,नचंतन एिं मनन हकया जा सकता है |
v)इनको अपनी रूनच अनुसार पहले तथा बाद में पढ़ा जा सकता है |
कनमयाुँ :- i) मुहरत माध्यम अनर्जक्षत लोगों के नलए अनुपयोगी होते
है |
ii) यह तुरंत घटी घटना की जानकारी नही दे पाते |
iii) इनको समय-समय पर अपडे ट नहीं हकया जा सकता |
iv) एक बार छाप जाने के बाद अर्ुवद्ध सुधर नहीं हकया जा सकता |
प्रश्न-10 (क) बात और भाषा परस्पर जुड़े होते हैं ,परन्द्तु कभी-कभी भाषा के 3×2=6
चक्कर में सीधी बात भी टे ढ़ी हो जाती है | इसका कारण उपयुक्त
र्ब्दों का प्रयोग न करना होता है | मनुष्य अपनी भाषा को कहठन
बना दे ता है तथा आडं बरपूणा या चमत्कारपूणा र्ब्दों से अपनी बात
को कहने में स्ियं को श्रेष्ठ सझता है | इससे िह अपनी मूल बात को
कहने में असफल हो जाता है | मनुष्य को समझना चाहहए हक हर
र्ब्द का अपना विनर्ष्ट अथा होता है ,भले ही िह समानाथी या
पयाायिाची हो |अतः कई बार र्ब्दों के चक्कर में उलझकर भाि
अपना अथा खो बैठते हैं |
(ख) बादल राग कविता में ऐ विललि के िीर बादलों को कहा गया है
,क्योंहक बादल ही धरा पर िषाा और वबजली नगराकर क्रांनत करते हैं

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और उथल –पुथल मचा दे ते हैं | इन्द्हीं के कारण छोटे पौधे, घास
और िनस्पनतयों को उगने और बढ़ने का अिसर नमलता है | कवि
का यह विचार क्रांनतकारी है और यह संबोधन उनचत है |
(ग) यह कविता अपनेपन भािना में नछपी क्रूरता को व्यक्त करती है |
सामाजजक उदे श्यों के नाम पर अपाहहज की पीड़ा को जनता तक
पहुुँचाया जाता है |यह काया ऊपर से करुण भाि को दर्ााता है ,परन्द्तु
इसका िास्तविक उद्दे श्य कुछ और ही होता है | संचालक अपाहहज की
अपंगता को बेचना चाहता है |िह एक रोचक कायाक्रम बनाना चाहता
है ताहक उसका कायाक्रम जनता में लोकवप्रय हो सके |उसे अपाहहज
की पीड़ा से कोई लेना –दे ना नहीं है | यह कविता यही स्पष्ट करती है
हक दरू दर्ान पर हदखाए जाने िाले अनधकांर् कायाक्रम कारोबारी दबाि
के कारण संिेदनर्ील होने का हदखािा करते हैं | िास्तविक में यह
कविता ऐसे संचालकों की संिेदनहीनता को प्रकट करती है |

प्रश्न-11 (क) उषा कविता में भोर के नभ की तुलना राख से लीपे गए गीले चौके 2×2=4
से की गई है | इस समय आकार् नम एिं धुंधला प्रतीत होता है |
इसका रं ग राख से लीपे चौके जैसा मटमैला होता है | जजस प्रकार
चूल्हा –चौका सूखकर साफ हो जाता है , उसी प्रकार सूयोदय होने पर
आकार् भी ननमाल और स्िच्छ हो जाता है |
(ख) बच्चे की हुँ सी का कारण है –माुँ के िारा बच्चे को लोका हदया जाना
या उसे खुर् करने के नलए हिा में उछालना |
उसके गूंजने का तात्पया है - इससे बच्चा खुर् होकर हुँ सता है और
उसकी हुँ सी गूंजने लगती है |
(ग) इसका तात्पया है हक पतंग उड़ाते समय बच्चे ऊुँची दीिारों से छतों
पर कूदते हैं तो उनकी पदचापों संगीत उत्पन्द्न होता है | यह संगीत
मृदंग की ध्िनन की तरह लगता है | साथ ही बच्चों का र्ोर भी चरों
हदर्ाओं में गूंजता है |
प्रश्न-12 (क) भवक्तन एक दे हाती अथाात ग्रामीण एिं अनर्जक्षत महहला थी | इसनलए 3×2=6
िह वबल्कुल दे हाती भाषा का प्रयोग करती थी |दे हाती होने के साथ –
साथ िह समझदार भी थी | िह दस
ू रों को तो अपने मन के अनुसार
बना लेती थी हकन्द्तु अपने व्यिहार में हकसी प्रकार का कोई पररितान
नहीं चाहती थी | महादे िी िमाा बार –बार प्रयास करके भी उसके
स्िभाि को बदल न सकी | इसनलए भवक्तन के आ जाने से महादे िी
अनधक दे हाती हो गई |
(ख) बाज़ारूपन से तात्पया है – हदखािे के नलए बाज़ार का उपयोग |
बाज़ार में छल ि कपट से ननरथाक िस्तुओं की खरीदिरोख्त हदखािे
के आधार पर होने लगती है | बाज़ारूपन के कारण मनुष्य को केिल
अपना लाभ-हानन ही हदखाई दे ता है |
िे व्यवक्त जो अपनी आिश्यकता के बारे में ननजश्चत होते हैं , बाज़ार
को साथाकता प्रदान कर सकते हैं | ये लोग कभी भी “पचेजजंग पािर”
के गिा में नहीं डू बते |
(ग) जानत प्रथा को श्रम विभाजन का ही रूप न मानने के पीछे
आम्बेडकर के ननम्ननलजखत तका हैं :-
i) जानत प्रथा श्रम- विभाजन के साथ-साथ श्रनमक विभाजन
भी करती है |

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ii) श्रम-विभाजन ननश्चय ही सभ्य समाज की आिश्यकता है ,
परन्द्तु श्रनमकों का विनभन्द्न िगों में अस्िभाविक विभाजन
हकसी अन्द्य दे र् में नहीं है |
iii) भारत की जानत- प्रथा श्रनमकों के अस्िभाविक विभाजन के
साथ-साथ विनभन्द्न िगों को एक-दस
ू रे की अपेक्षा ऊुँच-
नीच भी करार दे ती है |

प्रश्न-13 (क) ढोलक की आिाज़ गाुँििालों में धैया , साहस और स्फूनता प्रदान करती 2×2=4
थी | रावत्र की विभीवषका तथा सन्द्नाटे को ललकार कर चुनौती पैदा
करती थी जब पूरा गाुँि महामारी कारण मलेररये और है ज़े से त्रस्त
होकर अधमरा, ननबाल,और ननस्तेज होगया था, तब इस भयंकर
िातािरण में ढोलक की आिाज़ लोगों में संजीिनी र्वक्त प्रदान हकया
करती थी |
(ख) जीजी ने इन्द्दर सेना पर पानी फेंके जाने के समथान में कई तका हदए
जो ननम्ननलजखत हैं :-
i) हकसी से कुछ पाने के नलए पहले कुछ चढ़ािा दे ना पड़ता
है | इं र को पानी का अर्घया चढ़ाने से ही िे िषाा के जररये
पानी दें गे |
ii) त्याग भािना से हदया गया दान ही फलीभूत होता है |
जजस िस्तु की अनधक ज़रूरत है उसके दान से ही फल
नमलता है |
iii) जजस तरह हकसान पांच -छह सेर अच्छे गेहूुँ खेतों में
बोता है ताहक उसे तीस- चालीस मन गेहूुँ नमल सके,उसी
तरह पानी की भी यही जस्तनथ है |
(ग) लेखक के अनुसार “दासता” से अनभप्राय केिल क़ानूनी पराधीनता से
नहीं है | दासता की व्यापक पररभाषा है – हकसी व्यवक्त को अपना
व्यिसाय चुनने की स्ितंत्रता न दे ना, उसे दासता में जकड़कर रखना
| इसमें िह जस्थनत भी सजम्मनलत है जजसमें कुछ व्यवक्तयों को दस
ू रे
लोगों िारा ननधााररत व्यिहार एिं कत्ताव्यों का पालन करने के नलए
वििर् होना पड़ता है |
प्रश्न – नसन्द्धु-सभ्यता को जल-संस्कृ नत ननम्ननलजखत कारणों से कह सकते हैं – 4x1 = 4

14 1. नदी- नसन्द्धु नदी के हकनारे टीलों पर बसी सभ्यता थी |


2.कुएुँ – यह पहली ज्ञात संस्कृ नत है जजसमें कुएुँ थे | मुअनजो-दड़ो में पक्की
ईंटों से बने लगभग सात सौ गोलाकार कुएुँ थे |
3.महाकुंड ि स्नानघर – पवित्र जल के नलए अनुष्ठान के समय सामूहहक
स्नान के नलए पक्की ईंटों से बने महाकुंड थे तथा प्रत्येक घर में एक
स्नानघर होता था |
4.जल-ननकासी – उस समय की जल-ननकासी हे तु पक्की ईंटों से बंद बनी
नानलयों से होती थी जो बाहर एक हौद में खुलती थी |

****************

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पररयोजना काया हे तु कुछ सुझािात्मक विषय पररनर्ष्ट-1
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क्र.सं. पररयोजना र्ीषाक उपविषय
(पाठ का नाम)
1. ‘आत्मपररचय’ ि विषय-पररचय, विषय का चुनाि कवि- आत्मपररचय कविता में कवि का गीत का मूलभाि और समय के महत्त्ि आत्मपररचय ि एक गीत
‘हदन जल्दी-जल्दी पररचय ि हालािादी काव्यधारा का संसार से प्रीनत-कलह का ररश्ता, पर रोचक तथ्यों ि कविताओं का की ितामान में प्रासंनगकता
ढलता है ’ गीत का पररचय कवि के व्यवक्तत्त्ि की विर्ेषताएुँ संकलन पर विचार
ितामान पररप्रेक्ष्य ननष्कषा
2. पतंग कविता में विषय-पररचय, विषय का चुनाि कवि- पतंग कविता का मूलभाि, कविता ऋतुओं ि प्रकृ नत पर आधाररत विनभन्द्न ऋतुओं का हमारे जीिन
प्रकृ नत नचत्रण पररचय के प्राकृ नतक पररितान कविताओं का संकलन पर प्रभाि , ननष्कषा
3. ‘कविता – कल, आज विषय-पररचय, विषय का चुनाि कविता के बहाने ि बात सीधी थी ितामान में कविता के विषय ि उनका कविता की ितामान में
और कल’ (कुंिर कवि-पररचय,कविता की विकास यात्रा पर - मूलभाि, आधुननक युग में तुलनात्मक अध्ययन प्रभाि
नारायण-कविता के (भवक्तकाल, रीनतकाल) कविता की संभािनाएुँ, चार ितामान कविताओं का संकलन ननष्कषा
बहाने, बात सीधी थी आधुननक कवियों की जानकारी
पर)
4. मीहडया और समाज विषय-पररचय, विषय का चुनाि टी.िी. पर हदखाए जाने िाले र्ारीररक चुनौती के बािजूद सफलता मीहडया ि सोर्ल मीहडया
(रघुिीर सहाय-कैमरे कवि-पररचय, कविता का सन्द्दे र्, कवि सामाजजक कायाक्रमों की सूची ि दो प्राप्त करने िाले चार व्यवक्तत्त्िों की का समाज पर प्रभाि
में बंद अपाहहज) की अन्द्य कविताओं का संकलन कायाक्रमों की समीक्षा जानकारी
5. हहं दी कविता में प्रकृ नत विषय-पररचय, विषय का चुनाि प्रकृ नत नचत्रण पर आधाररत दो सूयोदय ि सूयाास्त का र्ब्दनचत्र प्रकृ नत नचत्रण का पयाािरण
नचत्रण (र्मर्ेर बहादरु कवि-पररचय, प्रकृ नत नचत्रण करने िाले कविताओं का विश्लेषण (उपमान, सूयोदय ि सूयाास्त पर एक एक संरक्षण में योगदान,
नसंह -उषा) प्रमुख कवि भाषा, पररिेर् ि भाि) कविता का संकलन / तुलना ननष्कषा
6. तुलसीदास – युगरष्टा विषय-पररचय, विषय का चुनाि तुलसी के समकालीन कवियों की ितामान ि तुलसी युगीन समस्याओं का पहठत अंर् की ितामान में
कवि (कवितािली, कवि-पररचय, काव्यगत विर्ेषताएं, छं दों जानकारी, अिधी ि ब्रज भाषा के तुलनात्मक अध्ययन ि समाधान प्रासंनगकता पर विचार
लक्ष्मण-मूच्छाा और की जानकारी क्षेत्रों सहहत भाषायी जानकारी ननष्कषा
राम का विलाप)

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7. बादल राग- प्रकृ नत विषय-पररचय, विषय का चुनाि ननराला के समकालीन कवियों का बादल राग कविता में प्रकृ नत िणान बादल राग कविता में
िणान के साथ क्राजन्द्त कवि-पररचय, कविता का मूल भाि सनचत्र िणान प्रकृ नत पर आधाररत अन्द्य कविताओं का क्राजन्द्त के भाि, ननष्कषा
का आह्वान संकलन
8. भवक्तन, ितामान नारी विषय-पररचय, विषय का चुनाि राष्ट्र ननमााण में नारी की भूनमका बेबी हालदार और भवक्तन के व्यवक्तत्त्ि भवक्तन और ितामान नारी
और समाज (महादे िी लेजखका-पररचय, पाठ का सारांर् नारी की महत्ता को दर्ााने िाली का तुलनात्मक अध्ययन का तुलनात्मक अध्ययन
िमाा- भवक्तन) काव्य-पंवक्तयों, नारे , श्लोक आहद का उपलजब्ध हानसल करने िाली चार ननष्कषा
संकलन महहलाओं की सनचत्र जानकारी

9. बाज़ार और विज्ञापनों विषय-पररचय, विषय का चुनाि चार विज्ञापनों का संकलन ि हकसी बाज़ारों के प्रकार, उनकी सनचत्र पचेजजंग पॉिर का
का समाज पर प्रभाि लेखक-पररचय, पाठ का सारांर् एक विज्ञापन की समीक्षा करते हुए जानकारी ि प्रभाि सकारात्मक उपयोग
(जैनेन्द्र कुमार - नलजखए हक विज्ञापन ने हकस ननष्कषा
बाज़ार दर्ान ) प्रकार आपको सामान खरीदने के
नलए प्रेररत हकया ?

10. सामाजजक सन्द्दभों में विषय-पररचय, विषय का चुनाि जीजी ि लेखक के मत की तुलना ‘जल-संरक्षण’ पर तथ्य सहहत जानकारी युिा जजन्द्होंने समाज सुधार
युिा िगा की भूनमका लेखक-पररचय, पाठ का सारांर् ि नहदयों का भारतीय सामाजजक, बादलों या पानी से सम्बंनधत दो में योगदान हदया
(धमािीर भारती-काले सन्द्दे र् सांस्कृ नतक पररिेर् में महत्त्ि कविताओं का संकलन ननष्कषा
मेघा पानी दे )
11. महामारी में विषय-पररचय, विषय का चुनाि कलाओं का जीिन में महत्त्ि- पाठ में नचवत्रत महामारी ि कोरोना भारत के परं परागत खेलों
उत्साहिधान करते लेखक-पररचय, पाठ का सारांर् ि विषय पर रचनात्मक लेख महामारी की जस्थनत का तुलना का पररचय
खेल और लोक कलाएुँ सन्द्दे र् हकन्द्हीं दो लोक कलाओं की सनचत्र लुट्टन ि कोरोना िाररयसा की तुलना ननष्कषा
(फणीश्वर नाथ रे णु- जानकारी
पहलिान की ढोलक)

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12. नर्रीष के फूल ननबन्द्ध विषय-पररचय, विषय का चुनाि पाठ में िजणात विनभन्द्न गाुँधीजी का जीिन-पररचय, नर्रीष ि सच्चे कवि के गुण, नर्रीष
में लानलत्य के साथ लेखक-पररचय, पाठ का सारांर् ि िनस्पनतयों का सनचत्र िणान गाुँधीजी की तुलना ि संन्द्यासी की तुलना,
सन्द्दे र् सन्द्दे र् ननष्कषा
13. आदर्ा समाज का विषय-पररचय, विषय का चुनाि आदर्ा समाज पर डॉ. आम्बेडकर सामाजजक समानता पर आधाररत ‘अिसर की समानता’ पर
ितामान पररप्रेक्ष्य लेखक पररचय एिं प्रमुख रचनाएुँ ि महात्मा गांधी के विचारों की कहाननयों ि कथाकारों की सूची बनाइये प्राचीन एिं ितामान
(भीमराि आम्बेडकर - ‘जानत-प्रथा और श्रम विभाजन’ पर डॉ. तुलना र्ेखर जोर्ी की कहानी गलता लोहा पर पररजस्थनतयों का
जानत-प्रथा और श्रम आम्बेडकर के विचार भी विचार कीजजये | तुलनात्मक अध्ययन
विभाजन मेरी कल्पना ननष्कषा
का आदर्ा समाज)

14. नसन्द्धु सभ्यता का विषय-पररचय, विषय का चुनाि नसन्द्धु घाटी सभ्यता का पररचय नसन्द्धु घाटी सभ्यता के प्रमुख नगर अपनी हकसी महानगर की
नगर ननयोजन और लेखक पररचय, प्रमुख यात्रा िृतांतों ि एिं इसके प्रमुख नगर मोहनजोदड़ो का नगर ननयोजन एिं यात्रा के अनुभि
ितामान महानगर लेखकों की सूची नसन्द्धु घाटी सभ्यता का नगर ितामान समय में महानगरों के नगर ननष्कषा
(ओम थानिी -अतीत ननयोजन ननयोजन का तुलनात्मक अध्ययन
में दबे पाुँि)
15. नसन्द्धु सभ्यता का विषय-पररचय, विषय का चुनाि नसन्द्धु घाटी सभ्यता का पररचय नसन्द्धु घाटी सभ्यता एिं ितामान समय भारत के प्रमुख
जल-प्रबंधन और लेखक पररचय, प्रमुख यात्रा िृतांतों ि एिं इसके प्रमुख नगर नसन्द्धु घाटी में जल-प्रबंधन का तुलनात्मक अध्ययन पुराताजत्िक स्थलों की
ितामान जल-प्रबंध लेखकों की सूची सभ्यता ‘जल संस्कृ नत के रूप में’ जानकारी
(अतीत में दबे पाुँि) ननष्कषा
16. नए और अप्रत्यानर्त अप्रत्यानर्त विषयों पर लेखन क्या है ?, नए और अप्रत्यानर्त विषयों पर दो नए विषयों पर रचनात्मक लेख दो अप्रत्यानर्त विषयों पर
विषयों पर लेखन का रटं त बुरी लत क्यों ?, अप्रत्यानर्त लेखन में ध्यान रखने योग्य बातें, रचनात्मक लेख
महत्त्ि विषयों पर लेखन के लाभ नए और अप्रत्यानर्त विषयों की
सूची

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17. जनसंचार माध्यमों का विषय-पररचय, विषय का चुनाि इन्द्टरनेट की विकास यात्रा ितामान पररपेक्ष्य में जनसंचार के ितामान सन्द्दभा में मीहडया
विकास और समाज वप्रंटमाध्यम,टी.िी.,रे हडयो,नसनेमा की इं टरनेट के लाभ-हाननयाुँ विनभन्द्न माध्यमों का तुलनात्मक ि सोर्ल मीहडया की
(विनभन्द्न माध्यमो के विकास यात्रा अध्ययन | भूनमका |
नलए लेखन) ननष्कषा |
18. समाचार-पत्र और विषय-पररचय, विषय का चुनाि समाचार लेखन एिं फीचर लेखन, समाचार लेखन की उलटा वपरानमड र्ैली ितामान समय में समाचार
पत्रकारीय लेखन के पत्रकारीय लेखन एिं पत्रकारों के प्रकार, विर्ेष ररपोटा एिं विचारपरक लेखन ि ककारों का िणान, फीचर लेखन में पत्रों की उपयोनगता |
विनभन्द्न रूप प्रमुख हहं दी समाचार-पत्रों का का तुलनात्मक अध्ययन ध्यान रखने योग्य बातें | ननष्कषा |
संकलन/सूची

आंतररक मूल्यांकन हे तु कुछ महत्त्िपूणा जानकाररयाुँ- कुल अंक 20


श्रिण (सुनना) कौर्ल परीक्षा (5 अंक) िाचन (बोलना) कौर्ल परीक्षा (5 अंक) पररयोजना काया (10 अंक)
िजणात या पहठत सामग्री को सुनकर अथाग्रहण करना, िाताालाप भाषण, सस्िर कविता-पाठ, िाताालाप और उसकी औपचाररकता, विषय-िस्तु - 5 अंक
करना, िाद-वििाद, भाषण, कविता पाठ आहद को सुनकर समझना, कायाक्रम- प्रस्तुनत, कथा-कहानी अथिा घटना सुनाना, पररचय दे ना, भाषा एिं प्रस्तुनत- 3 अंक
मूल्यांकन करना और अनभव्यवक्त के ढं ग को समझना । भािानुकूल संिाद िाचन। र्ोध ि मौनलकता- 2 अंक
िाचन (बोलना) एिं श्रिण (सुनना) कौर्ल का मूल्यांकन: पररयोजना काया के आधार वबंद ु -
• परीक्षक हकसी प्रासंनगक विषय पर एक अनुच्छे द का स्पष्ट िाचन करे गा। अनुच्छे द तथ्यात्मक या सुझािात्मक हो सकता है । अनुच्छे द 1. प्रमाण पत्र 2. आभार ज्ञापन
लगभग 250 र्ब्दों का होना चाहहए। या 3. विषय-सूची 4. उद्दे श्य
परीक्षक 2-3 नमनट का श्रव्य अंर् (ऑहडयो जक्लप) सुनिाएगा। अंर् रोचक होना चाहहए। कथ्य / घटना पूणा एिं स्पष्ट होनी चाहहए। िाचक 5. समस्या का बयान 6. पररकल्पना
का उच्चारण र्ुद्ध, स्पष्ट एिं विराम नचह्नों के उनचत प्रयोग सहहत होना चाहहए। 7. प्रहक्रया (साक्ष्य संग्रह, साक्ष्य का विश्लेषण)
• परीक्षाथी ध्यानपूिक
ा परीक्षक / ऑहडयो जक्लप को सुनने के पश्चात परीक्षक िारा पूछे गए प्रश्नों का अपनी समझ से उत्तर दें गे। 8. प्रस्तुतीकरण (विषय का विस्तार)
• हकसी ननधााररत विषय पर बोलना जजससे नर्क्षाथी अपने व्यवक्तगत अनुभिों का प्रत्यास्मरण कर सकें। 9. अध्ययन का पररणाम
• कोई कहानी सुनाना या हकसी घटना का िणान करना । 10. अध्ययन की सीमाएुँ 11. स्रोत
• पररचय दे ना (स्ि/ पररिार / िातािरण / िस्तु व्यवक्त/ पयाािरण/ कवि / लेखक आहद) 12. अध्यापक हटलपणी

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