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12 Hindi Study Material 23-24
12 Hindi Study Material 23-24
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केन्द्रीय विद्यालय संगठन जम्मू संभाग
मुख्य संरक्षक
श्री नगेन्द्र गोयल, उपायुक्त
के.वि.सं. क्षेत्रीय कायाालय, जम्मू संभाग, जम्मू
संरक्षक
श्री जी.एस. मेहता, सहायक आयुक्त क्षेत्रीय कायाालय, जम्मू संभाग
श्री इस्लाम खान, सहायक आयुक्त क्षेत्रीय कायाालय, जम्मू संभाग
श्री अननल कुमार, सहायक आयुक्त क्षेत्रीय कायाालय, जम्मू संभाग
मागादर्ाक
श्री आर. के. श्रीिास्ति, प्राचाया के.वि. सुन्द्दरबनी
सहायक-सामग्री प्रस्तुतकताा
श्री संजय कुमार, स्नातकोत्तर नर्क्षक (हहं दी), के.वि. क्र.1, उधमपुर
श्री महािीर प्रसाद रै गर, स्नातकोत्तर नर्क्षक (हहं दी), के.वि. जजन्द्राह
श्री सुरेर् चन्द्र र्माा, स्नातकोत्तर नर्क्षक (हहं दी), के.वि. भरिाह
श्री लाल नसंह, स्नातकोत्तर नर्क्षक (हहं दी), के.वि. उरी
श्री डी. आर. इनजखया, स्नातकोत्तर नर्क्षक (हहं दी), के.वि. कारनगल
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विषय-सूची
विषय पृष्ठ संख्या
पाठ्यक्रम ि प्रश्न-पत्र का प्रारूप 4-5
6. पाठ-18 श्रम विभाजन और जानत-प्रथा, मेरी कल्पना का आदर्ा समाज- डॉ. आंबेडकर 86-90
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केन्द्रीय विद्यालय संगठन जम्मू संभाग
हहं दी (आधार) (कोड सं. 302)
कक्षा- 12िीं (2023-24) परीक्षा हे तु पाठ्यक्रम विननदे र्न
प्रश्न-पत्र दो खंडों- खंड ‘अ’ और ‘ब’ में होगा |
खंड ‘अ’ में 40 िस्तुपरक प्रश्न पूछे जाएुँगे जजनमें से 40 प्रश्नों के ही उत्तर दे ने होंगे |
खंड ‘ब’ में िणानात्मक प्रश्न पूछे जाएुँगे | प्रश्नों में उनचत आंतररक विकल्प हदए जाएुँगे |
भारांक- 100 ननधााररत समय- 3 घंटे
खंड “अ” (िस्तुपरक प्रश्न)
विषयिस्तु भार
अपहठत बोध 15
एक अपहठत गद्यांर् पर आधाररत 10 बहुविकल्पात्मक प्रश्न (अनधकतम 300 र्ब्दों का)
1. 10
(1 अंक x 10 प्रश्न)
एक अपहठत पद्यांर् पर आधाररत 5 बहुविकल्पात्मक प्रश्न (अनधकतम 150 र्ब्दों का)
2. 05
(1 अंक x 5 प्रश्न)
पाठ्यपुस्तक अनभव्यवक्त और माध्यम की इकाई एक से पाठ संख्या 3, 4 तथा 5 पर 05
आधाररत
3. पाुँच बहुविकल्पात्मक प्रश्न (1 अंक x 5 प्रश्न) 05
पाठ्यपुस्तक आरोह भाग-2 से बहुविकल्पात्मक प्रश्न 10
4. पहठत काव्यांर् पर आधाररत पाुँच बहुविकल्पीय प्रश्न (1 अंक x 05 प्रश्न) 05
5. पहठत गद्यांर् पर आधाररत पाुँच बहुविकल्पीय प्रश्न (1 अंक x 05 प्रश्न) 05
पूरक पाठ्यपुस्तक वितान भाग-2 से बहुविकल्पात्मक प्रश्न 10
6. पहठत पाठों पर आधाररत दस बहुविकल्पीय प्रश्न (1 अंक x 10 प्रश्न) 10
खंड- “ब” (िणानात्मक प्रश्न)
पाठ्यपुस्तक अनभव्यवक्त और माध्यम से जनसंचार और सृजनात्मक लेखन पाठ संख्या 3, 16
4, 5, 11, 12 तथा 13 पर आधाररत
हदए गए तीन अप्रत्यानर्त विषयों में से हकसी एक विषय पर लगभग 120 र्ब्दों में
7. 06
रचनात्मक लेखन (6 अंक x 1 प्रश्न)
कहानी का नाट्यरूपांतरण / रे हडयो नाटक / अप्रत्यानर्त विषयों के लेखन पर आधाररत
8. 04
दो प्रश्न (विकल्प सहहत) (लगभग 40 र्ब्दों में) (2 अंक x 2 प्रश्न)
पत्रकाररता और जनसंचार माध्यमों के नलए लेखन पर आधाररत तीन में से दो प्रश्न 06
9.
(विकल्प सहहत) (लगभग 60 र्ब्दों में) (3 अंक x 2 प्रश्न)
पाठ्यपुस्तक आरोह भाग-2 एिं वितान भाग-2 पर आधाररत 24
काव्य खंड पर आधाररत तीन प्रश्नों में से हकन्द्हीं दो प्रश्नों के उत्तर (लगभग 60 र्ब्दों में)
10. 06
(3 अंक x 2 प्रश्न)
काव्य खंड पर आधाररत तीन प्रश्नों में से हकन्द्हीं दो प्रश्नों के उत्तर (लगभग 40 र्ब्दों में)
11. 04
(2 अंक x 2 प्रश्न)
गद्य खंड पर आधाररत तीन प्रश्नों में से हकन्द्हीं दो प्रश्नों के उत्तर (लगभग 60 र्ब्दों में)
12. 06
(3 अंक x 2 प्रश्न)
गद्य खंड पर आधाररत तीन प्रश्नों में से हकन्द्हीं दो प्रश्नों के उत्तर (लगभग 40 र्ब्दों में)
13. 04
(2 अंक x 2 प्रश्न)
वितान के पाठों पर आधाररत दो में से एक प्रश्न का उत्तर (लगभग 60 र्ब्दों में)
14. 04
(4अंक x 1 प्रश्न)
श्रिण तथा िाचन 10
पररयोजना काया 10
कुल अंक 100
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ननधााररत पुस्तकें :
कक्षा बारहिीं हे तु प्रश्न-पत्र का विस्तृत प्रारूप जानने के नलए कृ पया बोडा िारा जारी आदर्ा प्रश्न
पत्र दे खें |
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अपहठत बोध
अपहठत गद्यांर् ि पद्यांर् के प्रश्नों को हल करते समय ध्यान रखने योग्य बातें-
1.हदए गए अितरण को कम से कम दो बार ध्यानपूिक
ा पढ़ना चाहहए | इसे जब दस
ू री बार पढ़ा
जाए तो प्रश्नों को ध्यान में रखते हुए पढ़ा जाए |
2.गद्यांर्/पद्यांर् के मूल भाि को उनचत प्रकार समझना चाहहए तथा प्रश्नों के उत्तर गद्यांर् /पद्यांर्
में ही ढू ुँ ढने चाहहए। इसी आधार पर उपयुक्त विकल्प का चयन करना चाहहए |
3. गद्यांर्/पद्यांर् में सूचनाओं के माध्यम से हकसी बात का िणान हकया जाता है . उन सूचनाओं
पर विर्ेष ध्यान दे ना चाहहए।
4.र्ीषाक गद्यांर्/पद्यांर् के मूल भाि को प्रकट करता हो | र्ीषाक का चयन करते समय
आरं नभक या अंनतम पंवक्तयों पर विर्ेष ध्यान दे ना चाहहए, लेहकन उसी आधार पर अंनतम ननष्कषा
नहीं ननकाल लेना चाहहए।
5..प्रत्येक प्रश्न का उत्तर गद्यांर्/पद्यांर् के अनुरूप और लेखक/कवि के विचार के अनुरूप ही होना
चाहहए। इसी आधार पर उपयुक्त विकल्प चुनना चाहहए |
अपहठत गद्यांर्
ननम्ननलजखत गद्यांर्ों को ध्यानपूिक
ा पढ़कर हदए गए बहुविकल्पीय प्रश्नों के नलए सिाानधक
उपयुक्त विकल्प का चुनाि कीजजए-
गद्यांर्-1
समय िह संपवत्त है जो प्रत्येक मनुष्य को ईश्वर की ओर से नमली है । जो लोग इस धन को
संनचत रीनत से बरतते हैं िे र्ारीररक सुख तथा आजत्मक आनंद प्राप्त करते हैं । इसी समय की
संपवत्त के सदप
ु योग से एक जंगली मनुष्य सभ्य और दे िता स्िरूप बन जाता है । इसी के िारा
मूख-ा वििान, ननधान-धनिान, अज्ञ-विज्ञ और अनुभिी बन सकता है । संतोष, हषा तथा सुख
मनुष्य को प्राप्त नहीं होता जब तक िह उनचत रीनत से समय का सदप
ु योग नहीं करता। समय
ननसंदेह एक रतन रानर् है । जो कोई उसे अपररनमत और अगजणत रूप से अंधाधुंध व्यय करता
है िह हदन प्रनतहदन अहकंचन, ररक्त हस्त और दररर होता जाता है । िह आजीिन जखन्द्न और
भाग्य को कोसता रहता है । मृत्यु भी उसे इस दख
ु और जंजाल से छुड़ा नहीं सकती प्रत्युत
उसके नलए मृत्यु का आगमन मानो अपराधी के नलए नगरफ्तारी का िारं ट है । सच तो यह है हक
समय की बबाादी एक तरह की आत्महत्या है । अंतर केिल इतना ही है हक आत्मघात सिादा के
नलए जीिन जंजाल से छुड़ा दे ता है और समय के दरु
ु पयोग से एक ननहदा ष्ट काल तक जीिन
मृत्यु की दर्ा में बना रहता है ऐसे ही नमनट, घंटे और हदन प्रमाद और अकमाण्यता में बीतते
जाते हैं । यहद मनुष्य विचार करें गणना करें तो उसकी संख्या महीनों तथा िषों तक पहुुँचती है ।
यहद उससे कहा जाता है हक तेरी आयु के 10- 5 बरस घटा हदए गए तो ननसंदेह उसके हृदय
पर भारी आघात पहुुँचता है परं तु िह स्ियं ननश्चेष्ट बैठे हुए अपने अमूल्य जीिन को नष्ट कर रहा
है और क्षय ि विनार् पर कुछ भी र्क नहीं करता | संसार में सबको दीघाायु प्राप्त नहीं होती है
परं तु सबसे बड़ी हानन जो समय की दरु पयोनगता और अकमाण्यता से होती है िह यह है हक
पुरुषाथाहीन और ननरीह पुरुष के विचार अपवित्र और प्रदवू षत हो जाते हैं । िास्ति में बात तो यह
है हक मनुष्य कुछ ना कुछ करने के नलए ही बनाया गया है । जब नचत और मन लाभदायक कमा
में रत नहीं होते तब उनका झुकाि बुराई और पाप की ओर अिश्य हो जाता है । इस हे तु यहद
मनुष्य सचमुच ही मनुष्य बनना चाहता है तो सब कमों से बढ़कर श्रेष्ठ काया उसके नलए यह है
हक उसे एक पल भी व्यथा न गिाएं | प्रत्येक काया के नलए पृथक समय और प्रत्येक समय के
नलए पृथक काया ननजश्चत करें |
1.ननम्ननलजखत कथनों पर विचार कीजजए
कथन 1 समय को ईश्वर से प्राप्त अमूल्य नननध बताया गया है ।
कथन 2. अपररनमत का अथा होता है सीनमत |
कथन 3. समय की बबाादी आत्महत्या के समान है |
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कथन 4. अनुच्छे द में बताया गया है हक हकसी काया के असफल होने पर भाग्य को कोसना अच्छी बात है
क्योंहक भाग्य से ही मनुष्य को िांनछत िस्तुएं नमलती है |
(ग) कथन 1, 2 और 3
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ख ख ग क ग क क ग क ख
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गद्यांर्-2
यद्यवप यह एक र्ाश्वत सत्य है हफर भी मृत्यु से सबको भय लगता है । िास्ति में भय हकसी
िस्तु से अलग हो जाने का है । जो छूटता है उसमें भय है , धन छूट जाएगा, पररिार छूट जाएगा,
इसका भय है । त्याग में भय है , हकस त्याग में भय हैं ? जजन िस्तुओं को या पररजनों को हम
उपयोगी समझते हैं उनके त्याग में भय है । िहाुँ भय नहीं होता जहाुँ त्याग अपनी इच्छा से
हकया जाता है जैसे कपड़ा पुराना हो जाता है तो इच्छा से त्याग करते हैं । ऐसे त्याग में संतोष
है । दख
ु िहाुँ होता है जहाुँ कोई अपनी िस्तु नछन या छूट जाती है । हम कपड़ा या धन दस
ू रों को
दे सकते हैं परं तु एक िस्तु है प्राण जो हम नहीं दे सकते। र्रीर से प्राण ननकल जाए तो कहते
हैं मृत्यु हो गई। इसमें दख
ु होता है क्योंहक प्राण को हम इच्छा से नहीं छोड़ते। पंच भूतों से
बनाया हुआ यह र्रीर पहले विकास को प्राप्त होता है और हफर ह्रास की ओर उन्द्मुख होता है ।
पंचमहाभूतों के साथ आत्मा का जुड़ जाना जन्द्म है । पाुँच महाभूतों से आत्मा का अलग हो जाना
मृत्यु है । हमारे मनीषी ही बताते हैं हक जो लोग मृत्यु से ननभाय होकर जीिन को पूणत
ा ा के
साथ और अथापूणा जीते हैं िे ही अपना जीिन विश्वास से जी पाते हैं । परं तु हम में से अनधकतर
जीिन के पररितान और उलटफेर में इतने तटस्थ और उदासीन रहते हैं हक मृत्यु के बारे में
अज्ञानी से बने रहते हैं । मृत्यु अपने नर्कार पर बाज पक्षी की तरह चुपचाप आक्रमण कर दे ती
है | गुरु तेगबहादरु जी चेतािनी दे ते हैं वप्रय नमत्र मृत्यु स्िच्छं द है िह कभी भी अपने नर्कार के
भक्षण के नलए झपट सकती है िह चुपचाप ही आक्रमण कर दे ती है | अतः आनंद और प्रेम के
साथ जजयो |
1. र्ाश्वत सत्य क्या है ?
(क) जीिन (ख) मृत्यु (ग) र्ोक (घ) सुख
2. मृत्यु से भय क्यों लगता है ?
(क) सब कुछ छूट जाने के कारण (ख) फल की नचंता के कारण
(ग) नरक के डर के कारण (घ) अगले जन्द्म की नचंता के कारण
3. त्याग से भय क्यों लगता है ?
(क) बेकार की िस्तुएं छोड़ने के कारण (ख) उपयोगी िस्तुएं छूटने के कारण
(ग) लोभ लालच के कारण (घ) इनमें से कोई नहीं
4. ननम्ननलजखत कथनों पर विचार कीजजए
कथन 1. मृत्यु र्ाश्वत असत्य है ।
कथन 2. पृथ्िी, जल, िायु, तेज और आकार् यह पंच भौनतक तत्ि होते हैं ।
कथन 3. मृत्यु अपनी नर्कार पर र्ेर की तरह आक्रमण कर दे ती है ।
कथन 4. गुरु तेगबहादरु जी ने आनंद ि प्रेम के साथ जीने का सन्द्दे र् हदया |
ननम्ननलजखत में से कौन सा कथन या कौन से कथन सही है –
(क) केिल कथन 2 और 4 (ख) केिल कथन 1और 2
(ग) कथन 1, 2 और 3 (घ) उपयुक्त
ा सभी
5. हमारा र्रीर हकससे बना है ?
(क) पांच महा भूतों से (ख) चार महा भूतों से
(ग) सात महा भूतों से (घ) इनमें से कोई नहीं
6. जन्द्म क्या होता है ?
(क) पांच महा भूतों से आत्मा का नमलना (ख) सात महाभूतों से आत्मा का नमलना
(ग) पांचिा भूतों से आत्मा का ननकलना (घ) इनमें से कोई नहीं
7. मृत्यु आती है -
(क) अचानक वबना बताए हुए (ख) पूिा सूचना दे कर
(ग) आने का आहट दे कर (घ) इनमें से कोई नहीं
8. मृत्यु की तुलना हकस पक्षी से की गई है ?
(क) हं स से (ख) बाज पक्षी से (ग) कौआ से (घ) उल्लू से
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9. र्ाश्वत र्ब्द का अथा है -
(क) अदृश्य (ख) हमेर्ा रहने िाला
(ग) थोडे समय रहने िाला (घ) कभी-कभी हदखने िाला
10. मनीषी र्ब्द के अथा को प्रकट करने िाला र्ब्द नहीं है -
(क) मूखा (ख) वििान
(ग) ज्ञानिान (घ) ऋवष
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ख क ख क क ग क ख ख क
गद्यांर्-3
दनु नया र्ायद अभी तक के सबसे बड़े संकट से जूझ रही है । समय को इस महामारी ने हर
हकसी के जीिन में हलचल मचा दी । इस महामारी ने जीिन की सहजता को पूरी तरह से कनत
कर हदया है । भारत में इतनी अनधक आबादी है हक इसमें हकसी ननयम कायदे को पूरी तरह से
अमल में लाना अपने आप में एक बड़ी चुनौती है । इस महामारी के संक्रमण को रोकने के उद्दे श्य
को पूणा बंदी लागू की गई और इसे कमोबेर् कामयाबी के साथ अमल में भी लाया गया। परं तु
यह भी सच है हक जजस महामारी से रहे हैं , उससे लड़ने में मुख्य रूप से हमारे र्रीर की
प्रनतरोधक क्षमता की बड़ी भूनमका है , लेहकन सबसे बड़ी नचंता बच्चों और बुजुगों को होती है ।
इस मामले में अनधकतर नागररकों ने जागरूकता और सहजबोध की िजह से अनेक सािधाननयाुँ
बरती है , लेहकन इसके समानान्द्तर अन्द्य कई समस्याएं खड़ी हुई है । जैसे, आनथाक गनतविनधयाुँ
जजस प्रकार बुरी तरह प्रभावित हुई है , उसने बहुत सारे लोगों के सामने संकट और ऊहापोह की
जस्थनत उत्पन्द्न कर दी है । एक तरफ नौकरी और उसकी तनख्िाह पर ननभार लोगों को लाचारी
यह है हक जहाुँ उन्द्हें यह आश्वासन हदया गया था हक उन्द्हें नौकरी से नहीं ननकाला जाएगा, िेतन
नहीं रोका जाएगा, िहीं उनके साथ हुआ उल्टा | नौकरी गई, कई जगहों पर तनख्िाह नहीं नमली
या कटौती की गई और हकराये के घर तक छोड़ने की नौबत आ गई। इस महामारी का दस
ू रा
असर नर्क्षा जगत पर भी पड़ा है , उसका समाधान कैसे होगा, यह लोगों के नलए समझना
मुजश्कल हो रहा है ।
विर्ेष तौर पर स्कूली नर्क्षा पूरी तरह से बानधत होती हदख रही है । हफर भी, इसमें हकए गए
िैकजल्पक इं तजामों की िजह से स्कूल भले बंद हो, लेहकन नर्क्षा जारी रखने की कोनर्र् की गई
है । स्कूल बंद होने पर बहुत सारे नर्क्षकों की िेतन की नचंता प्राथनमकता नहीं थी, बच्चों के
भविष्य की नचंता उन्द्हें सता रही है । हालाुँहक एक ओर, एक बड़ी संख्या उन बच्चों की है , जो
लैपटॉप या स्माटा फोन के साथ जीते हैं , लेहकन दस
ू री ओर बहुत नर्क्षक ऐसे भी है , जजन्द्हें
कम्लयूटर चलाना ही नहीं आता। उन सबके सामने चुनौती है ऑनलाइन कक्षाएं लेने की, परं तु
उन्द्होंने हार नहीं मानी और तकनीक को खुले हदल से सीखा। इस तरह हफलहाल जो पररजस्थनत
है , उसमें पढ़ाई-नलखाई को जारी रखने की पूरी कोनर्र् की जा रही है ।
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2.पूणब
ा ंदी लागू क्यों की गई?
(क) संक्रमण को रोकने के नलए (ख) लोगों की आिाजाही को रोकने के नलए
(ग) ननयम लागू करने के नलए (घ) लोगों िारा ननयम न मानने के कारण
3.हमें बच्चों और बुजुगों की नचंता क्यों है ?
(क) कमजोर और अक्षम होने के कारण (ख) प्रनतरोधक क्षमता के अभाि के कारण
(ग) अनधक बीमार रहने के कारण (घ) बीमारी का अनधक प्रभाि पड़ने के कारण
4.स्कूली नर्क्षा को जारी रखने की कोनर्र् क्यों को जा रही है ?
(क) प्राइिेट स्कूलों के दिाब के कारण (ख) नर्क्षा जारी रखने के नलए
(ग) बच्चों के भविष्य की नचंता के कारण (घ) नर्क्षकों के िेतन के कारण
5.ऑनलाइन नर्क्षा एक चुनौती कैसे है ?
(क) नर्क्षक की अकुर्लता के कारण (ख) तकनीकी रूप से योग्य न होने के कारण
(ग) तकनीकी साधन न होने के कारण (घ) अनभभािकों की रुनच न होने के कारण
6.नर्क्षकों ने तकनीक को खुले हदल से क्यों सीखा?
(क) ऑनलाइन पढ़ाने को वििर्ता के कारण (ख) अपने िेतन के कारण
(ग) बच्चों के भविष्य की नचंता के कारण (घ) अनभभािकों के भय के कारण
7.महामारी के समय में भी नर्क्षकों ने नर्क्षक होने का बोध कैसे कराया है ?
(क) बच्चों की नर्क्षा की नचंता िारा (ख) अपनी नौकरी की नचंता िारा
(ग) अपने िेतन की नचंता िारा (घ) तकनीक सीखने की हहम्मत िारा
8.जीिन की सहजता के बानधत होने से आप क्या समझते है ?
(क) जीिन में हलचल उत्पन्द्न हो जाना (ख) जीिन में संकट उत्पन्द्न हो जाना
(ग) जीिन में संघषा का बढ़ जाना (घ) जीिन में आराम न होना
9.भारत में ननयम-कानून लागू करना अपने आप में चुनौती क्यों है ?
(क) आबादी अनधक होने के कारण
(ख) लोगों के अनर्जक्षत होने के कारण
(ग) लोगों िारा ननयम न मानने के कारण
(घ) लोगों में ननयम-कानून की समझ न होने के कारण
10.लोगों के जीिन में ऊहापोह की जस्थनत कैसे उत्पन्द्न हो गई?
(क) महामारी आ जाने से (ख) आनथाक गनतविनधयाुँ ठप हो जाने से
(ग) नौकरी चले जाने से (घ) िेतन न नमलने से
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ख क ख ग क ग क ग क ख
गद्यांर्-4
आज हकसी भी व्यवक्त का सबसे अलग एक टापू की तरह जीना संभि नहीं रह गया है । मानि
समाज में विनभन्द्न पंथों और विविध मत-मतांतरों के लोग साथ-साथ रह रहे हैं । ऐसे में यह
अनधक आिश्यक हो गया है हक लोग एक-दस
ू रे को जाने; उनकी आिश्यकताओं को, उनकी
इच्छाओं-आकांक्षाओं को समझें; उन्द्हें िरीयता दें और उनके धानमाक विश्वासों, पद्धनतयों, अनुष्ठानों
को सम्मान दें । भारत जैसे दे र् में यह और भी अनधक आिश्यक है , क्योंहक यह दे र् हकसी एक
धमा, मत या विचारधारा का नहीं है । स्िामी वििेकानंद इस बात को समझते थे और अपने
आचार-विचार में िे अपने समय से बहुत आगे थे। उन्द्होंने धमा को सेिा के केंर में रखकर ही
आध्याजत्मक नचंतन हकया था। उन्द्होंने यह विरोही बयान हदया हक इस दे र् के तैंतीस करोड़
भूखे, दररर और कुपोषण के नर्कार लोगों को दे िी-दे िताओं की तरह मंहदरों में स्थावपत कर हदया
जाए और मंहदरों से दे िी-दे िताओं की मनुष्य की मूनतायों को हटा हदया जाए। उनका दृढ़ मत था
हक विनभन्द्न धमो-संप्रदायों के बीच संिाद होना ही चाहहए। िे विनभन्द्न संप्रदायों की अनेकरूपता
को उनचत और स्िाभाविक मानते थे। स्िामी जी विनभन्द्न धानमाक आस्थाओं के बीच सामंजस्य
10 | P a g e
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स्थावपत करने के पक्षधर थे और सभी को एक ही धमा का अनुयायी बनाने के विरुद्ध थे। िे कहा
करते थे— “यहद सभी मानि एक ही धमा को मानने लगें, एक ही पूजा-पद्धनत को अपना लें और
एक-सी नैनतकता का अनुपालन करने लगें, तो यह सबसे दभ
ु ााग्यपूणा बात होगी, क्योंहक यह सब
हमारे धानमाक और आध्याजत्मक विकास के नलए प्राणघातक होगा तथा हमें हमारी सांस्कृ नतक
जड़ों से काट दे गा।"
1.'टापू की तरह' जीने से लेखक का क्या अनभप्राय है ?
(क) घमंड में रहना (ख) समाज से अलग रहना
(ग) समाज से जुड़कर रहना (घ) विनम्र बनकर रहना
2.ननम्ननलजखत कथनों पर विचार कीजजए
कथन 1. मानि र्ब्द में अ प्रत्यय है
कथन 2. मनुष्य सामाजजक प्राणी होने के कारण समाज में नमलजुल कर रहता है ।
कथन 3. स्िामी वििेकानंद जी ने धमा को सेिा के केंर में रखकर आध्याजत्मक नचंतन हकया था।
कथन 4. हमें हहं द ू ,मुजस्लम, नसख, ईसाई सभी धमों का नाम पररितान कर केिल मानि धमा कर दे ना
चाहहए।
ननम्ननलजखत में से कौन सा कथन या कौन से कथन सही है -
(क) केिल कथन 1
(ख) केिल कथन 1और 2
(ग) कथन 1, 2 और 3
(घ)उपयुक्त
ा सभी
3.विनभन्द्न पंथों और मत-मतांतरों के लोग नमलकर नहीं रहें गे तो उसका क्या पररणाम होगा?
(क) समाज में र्ांनत स्थावपत होगी
(ख) धानमाक संस्थानों में वििाद नहीं होगा
(ग) सभी का जीिन और अनधक कहठन हो जाएगा
(घ) सभी का जीिन सुखमय हो जाएगा
4.स्िामी वििेकानंद हकस बात को समझते थे?
(क) भारत दे र् हकसी एक धमा, मत या विचारधारा का नहीं है
(ख) भारत में विनभन्द्न धमों, संप्रदायों के बीच संिाद नहीं होना चाहहए
(ग) भारत में सभी धमों को स्थान दे ना उनचत नहीं है
(घ) भारत में धानमाक अनुष्ठानों को महत्त्ि नहीं दे ना चाहहए
5.वििेकानंद जी ने हकसको मनुष्य की सेिा के केंर में रखकर आध्याजत्मक नचंतन हकया?
(क) समाज को (ख) रीनत-ररिाज को
(ग) अनुष्ठानों को (घ) धमा को
6.विनभन्द्न धमा संप्रदायों के बीच संिाद होने से क्या होगा?
(क) वििादों का अंत करने के नलए रास्ता नमलेगा
(ख) विनभन्द्न संप्रदायों की अनेकरूपता से सभी धानमाक आस्थाओं के लोगों के विचारों का पता
चलेगा
(ग) विनभन्द्न धानमाक संस्थाओं ि उनके मतों का भेद पता चलेगा
(घ) सभी वििादों की जड़ का पता चलेगा
7.स्िामी वििेकानंद ने सभी लोगों िारा एक ही धमा, मत, पूजा पद्धनत को अपनाने या मानने को
कैसी जस्थनत माना है ?
(क) सौभाग्यपूणा (ख) सकारात्मक
(ग) दभ
ु ााग्यपूणा (घ) नकारात्मक
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ख ग ग क घ ख ग ग ख क
गद्यांर्-5
भाषा का एक प्रमुख गुण है -सृजनर्ीलता। हहं दी में सृजनर्ीलता का अद्भुत गुण है , अद्भत
ु क्षमता
है , जजससे िह ननरं तर प्रिाहमान है । हहं दी ही ऐसी भाषा है , जजसमें समायोजन की पयााप्त और
जादई
ु र्वक्त है । अन्द्य भाषाओं और संस्कृ नतयों के र्ब्दों को हहं दी जजस अनधकार और सहजता से
ग्रहण करती है , उससे हहं दी की संभािनाएुँ प्रर्स्त होती है । हहं दी के लचीलेपन ने अनेक भाषाओं
के र्ब्दों को ही नहीं, उनके सांस्कृ नतक तेिरों को भी अपने में समेट नलया है । यही कारण है हक
हहं दी सामाजजक संस्कृ नत तथा विविध भाषा-भावषयों और धमाािलंवबयों की प्रमुख पहचान बन गई
है । अरबी, िारसी, तुकी, अंग्रेज़ी आहद के र्ब्द हहं दी की र्ब्द-संपदा में ऐसे नमल गए हैं , जैसे िे
जन्द्म से ही इसी भाषा पररिार के सदस्य हों। यह समाहार उसकी जीिंतता का प्रमाण है ।
आज हम परहे ज़ी होकर, र्ुद्धतािाद की जड़ माननसकता में कैद होकर नहीं रह सकते। सूचना-
क्रांनत, तकनीकी विकास और िैज्ञाननक आविष्कारों के दबाि ने हमें सबसे संिाद करने के अिसर
हदए है । विश्व-ग्राम की संकल्पना से हहं दी को ननरं तर चलना होगा। इसके नलए आिश्यक है -
आधुननक प्रयोजनों के अनुरूप विकास और भाषा एिं नलवप से संबंनधत यांवत्रक साधनों का
विकास। इं टरनेट से लेकर बाजार तक, राजकाज से लेकर नर्क्षा और न्द्याय के मंहदरों तक हहं दी
को उपयोगी और कायाक्षम बनाने के नलए उसका सरल-सहज होना आिश्यक है और उसकी
ध्िनन, नलवप, र्ब्द- ितानी, िाक्य-रचना आहद का मानकीकृ त होना भी आिश्यक है ।
1.ननम्ननलजखत कथनों पर विचार कीजजए
कथन 1. भाषा सृजनर्ीलता के गुण के कारण ही प्रिाहमान हो पाती है ।
कथन 2. हहं दी भाषा ने विदे र्ी भाषाओं को भी आत्मसात कर नलया है ।
कथन 3. संकल्पना में सम ् उपसगा है
कथन 4. मानकीकृ त का अथा होता है एक र्ब्द के अनेक प्रचनलत रूपों में से हकसी एक को मान्द्यता दे ना।
ननम्ननलजखत में से कौन सा कथन या कौन से कथन सही है -
(क) केिल कथन 1 (ख) केिल कथन 1और 2
(ग) कथन 1, 2 और 3 (घ) उपयुक्त
ा सभी
2.हहं दी की संभािनाएुँ कैसे प्रर्स्त होती गई हैं ?
(क) अन्द्य भाषाओं के र्ब्दों को सहजता से ग्रहण करने से
(ख) अपने सांस्कृ नतक स्िरूप से
(ग) अपनी तटस्थता से
(घ) अन्द्य भाषाओं को तुच्छ समझकर
3.हहं दी ने लचीलेपन के कारण क्या हकया?
(क) केिल अन्द्य भाषा के र्ब्दों को ग्रहण हकया
(ख) अन्द्य भाषाओं के र्ब्दों ि सांस्कृ नतक तेिरों को अपने में समेट नलया
(ग) अपनी सामाजजक पहचान को बनाए रखा
(घ) दस
ू री भाषाओं को अनधक महत्त्ि हदया
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4.हहं दी भाषा के संदभा में र्ुद्धतािादी होने से क्या तात्पया है ?
(क) गैर-हहं दी भाषाओं के र्ब्दों को ग्रहण करना
(ख) हहं दी की बोनलयों और उनके र्ब्दों को प्रधानता दे कर हहं दी का विकास करना
(ग) क और ख दोनों (घ) केिल हहं दी को महत्त्ि दे ना
5.आज हमें सबसे संिाद करने के अिसर हकसने हदए हैं ?
(क) सूचना क्रांनत ने (ख) तकनीकी विकास ने
(ग) िैज्ञाननक आविष्कारों के दबाि ने (घ) उपरोक्त सभी
6.आधुननक प्रयोजनों के अनुरूप विकास और भाषा एिं नलवप से संबंनधत यांवत्रक साधनों का
विकास करने से क्या होगा?
(क) विश्वग्राम की संकल्पना साकार हो जाएगी (ख) हहं दी की उन्द्ननत अिरुद्ध हो जाएगी
(ग) मनुष्य यंत्रित प्राणी बनकर रह जाएगा (घ) तकनीकी उन्द्ननत होगी
7.हहं दी को उपयोगी और कायाक्षम बनाने के नलए उसे कैसा होना चाहहए ?
(क) समृद्ध (ख) जक्लष्ट
(ग) सरल-सहज (घ) ये सभी
8.हहं दी अंतरााष्ट्रीय सीमाओं में भारत का प्रनतनननधत्ि कब करे गी?
(क) जब सरकार की तत्परता होगी
(ख) जब जनता की इच्छार्वक्त होगी
(ग) जब सरकार की तत्परता के साथ जनता की दृढ़ इच्छार्वक्त को हहं दी से जोड़ दें गे
(घ) जब हहं दी को अनधक महत्त्ि नमलने लगेगा
9.हहं दी ने अन्द्य भाषाओं के र्ब्दों को स्ियं में समाहहत करते हुए अपना स्िरूप नननमात करके
क्या हकया?
(क) भारत की भौगोनलक जस्थनत में पररितान हकया
(ख) भारत की सामाजजक संस्कृ नत की पहचान बन गई
(ग) हहं दी के स्िरूपों को आच्छाहदत हकया
(घ) हहं दी के विकास को रोक हदया
10.प्रस्तुत गद्यांर् हकस विषयिस्तु पर आधाररत है ?
(क) हहं दी भाषा पर (ख) हहं दी भाषा और अन्द्य भाषा पर
(ग) हहं दी भाषा और तकनीकी युग पर (घ) हहं दी के विकास पर
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घ क ख क घ क ग ग ख ग
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अपहठत पद्यांर्
ननम्ननलजखत गद्यांर्ों को ध्यानपूिक
ा पढ़कर हदए गए बहुविकल्पीय प्रश्नों के नलए सिाानधक
उपयुक्त विकल्प का चुनाि कीजजए-
पद्यांर्-1
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4. कवि हकस प्रकार की र्ांनत को महत्िपूणा मानता है ?
(क) न्द्याय और आनथाक समानता पर आधाररत
(ख) कृ वत्रम र्ांनत और आनथाक समानता पर आधाररत
(ग) कृ वत्रम र्ांनत से िैजश्वक संघषों के समाधान पर आधाररत
(घ) श्रद्धा, भवक्त, प्रणय ि त्याग आधाररत
5. ननम्ननलजखत कथनों को सुमेनलत कीजजए
(क) 1. d 2. b 3. a 4. c
(ख) 1. c 2. b 3. d 4. a
(ग) 1. a 2. d 3. c 4. b
(घ) 1. a 2. c 3. b 4. d
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ख घ क क क
पद्यांर्-2
प्रभु ने तुमको कर दान हकए, सब िांनछत िस्तु विधान हकए।
तुम प्राप्त करो उनको न अहो, हफर है हकसका िह दोष कहो ?
समझो न अलभ्य हकसी धन को, नर हो न ननरार् करो मन को।
हकस गौरि के तुम योग्य नहीं,कब कौन तुम्हें सुख भोग्य नहीं ?
जन हो तुम भी जगदीश्वर के, सब है जजसके अपने घर के ।
हफर दल
ु भ
ा क्या है उसके मन को ? नर हो, न ननरार् करो मन को ।
करके विनध-िाद न खेद करो, ननज लक्ष्य ननरं तर भेद करो।
बनता बस उद्धम ही विनध है , नमलती जजससे सुख की नननध है ।
समझो नधक् ननजष्क्रय जीिन को, नर हो, न ननरार् करो मन को ।
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3.इस काव्यांर् से क्या प्रेरणा नमलती है ?
(क) नर हैं , अतः ननरार् न हों (ख) आर्ा के साथ जगदीश्वर पर भरोसा रखें
(ग) लक्ष्य है , अतः पाने का प्रयास करें (घ) ननयनत ननजश्चत है , अतः प्रतीक्षा करें
4.इस काव्यांर् से कवि के कौन से विचारों का पररचय नमलता है ?
(क) कवि अलभ्य धन अजजात कर गौरि प्रानप्त के नलये प्रेरणा दे रहे हैं
(ख) कवि बता रहे हैं भगिान जी के नलये सभी जन एक समान हैं
(ग) कवि कमाण्येिानधकारस्ते का मागा अपना कमा करने को कह रहे हैं
(घ) कवि कह रहे हैं ननरार्ा त्याग कर ननयनत स्िीकार करनी चाहहये
5.ननम्ननलजखत कथनों को सुमेनलत कीजजए
र्ब्द अथा
1. कर a) इजच्छत
2. िांनछत b) पररश्रम
3. विनध िाद c) भाग्य
4. उद्यम d) हाथ
(क) 1. a 2. c 3. d 4. b
(ख) 1. c 2. b 3. d 4. a
(ग) 1. d 2. a 3. c 4. b
(घ). 1. a 2. c 3. b 4. d
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क घ ग ग ग
पद्यांर्-3
जजसके चरणों पर धरती
और बाुँहों में गंगा-जमुना जल है ,
जजसके नयनों का काजल ही
उड़कर बनता बादल-दल है ,
पिात कैसे कह दुँ ू इसको-
यह तो मेरा तीथा स्थल है ।
इस तीथा के दर्ान से ही
मानस बन जाता है दपाण।
यों तो इसने सबकी उन्द्ननत
अपनी ही जैसी चाही है
सबके संग सच्चाई और,
सुंदरता की नीनत ननबाही है ;
पर कभी हकसी से झुका नहीं
इसका इनतहास गिाही है ,
ऐसे गिोन्द्मत्त प्रहरी पर
न्द्योछािर मेरा तन-मन-धन
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ननम्ननलजखत में से कौन सा कथन या कौन से कथन सही है –
(क) केिल कथन 1 (ख) केिल कथन 1और 2
(ग) कथन 1, 2 और 3 (घ) उपयुक्त
ा सभी
2.कवि ने अपना तीथा स्थल हकसे माना है ?
(क) मंहदर को (ख) मजस्जद को
(ग) हहमालय पिात को (घ) ) मातृभूनम को
3.तीथा स्थल का दर्ान करने का क्या पररणाम होता है ?
(क) मन दपाण के समान स्िच्छ बन जाता है ।
(ख) मन में संन्द्यास लेने की प्रिृवत्त जागृत हो जाती है
(ग) मन र्ंकाओं से नघर जाता है ।
(घ) मन का अधूरापन भर जाता है |
4.पद्यांर् के अनुसार इनतहास हकस बात का गिाह है ?
(क) कवि का नसर कहीं झुका नहीं है
(ख) बादल धरती पर बरसे हैं
(ग) हहमालय का नसर हकसी से नहीं झुका है
(घ) सुंदरता हकसी के आगे नहीं झुकती है
5.ननम्ननलजखत कथनों को सुमेनलत कीजजए
(क) 1. a 2. c 3. d 4. B (ख) 1. c 2. b 3. d 4. a
(ग) 1. a 2. d 3. c 4. B (घ) 1. d 2. a 3. b 4. d
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ग ग क ग घ
पद्यांर्-4
जी हाुँ हजूर, मैं गीत बेचता हूुँ,
मैं तरह-तरह के गीत बेचता हूुँ,
मैं हकस्म-हकस्म के गीत बेचता हूुँ,
जी, माल दे जखए, दाम बताऊुँगा,
बेकाम नहीं है , काम बताऊुँगा,
कुछ गीत नलखे हैं मस्ती में मैंने,
कुछ गीत नलखे हैं पस्ती में मैंने,
यह गीत सख्त ददा भुलाएगा,
यह गीत वपया को पास बुलाएगा,
जी, पहले कुछ र्मा लगी मुझको !
पर बाद बाद में अक्ल जगी मुझको,
जी, लोगों ने तो बेच हदए ईमान,
जी, आप न हो सुनकर ज़्यादा है रान।
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1.कवि गीत बेचने को मजबूर क्यों हुआ?
(क) कवि को कोई अन्द्य काया नहीं आता
(ख) ितामान व्यिस्था नैनतक मूल्यों की कर नहीं करती
(ग) समाज में सब कुछ वबकाऊ है
(घ) कवि के पास नभन्द्न-नभन्द्न प्रकार के गीत हैं
2.ननम्ननलजखत कथनों पर विचार कीजजए
कथन 1. पद्यांर् में कवि ने बाजारिादी संस्कृ नत के बारे में बताया है ।
कथन 2. कभी बाजारिादी संस्कृ नत को प्रजातांवत्रक संस्कृ नत के रूप में मानता है ।
कथन 3. कवि वप्रयतम को पास बुलाने िाले गीत भी नलखता है ।
कथन 4. कवि के अनुसार लोगों ने अपने ईमान भी बेच हदए।
ननम्ननलजखत में से कौन सा कथन या कौन से कथन सही है -
(क) कथन 1,3 और 4 (ख) केिल कथन 1और 2
(ग) कथन 1, 2 और 3 (घ) उपयुक्त
ा सभी
3.प्रस्तुत पद्यांर् में हकस पर व्यंग्य हकया गया है ?
(क) कवि की गीत बेचने की प्रिृवत्त पर
(ख) औद्योनगक पूुँजीिादी व्यिस्था पर जहाुँ सब कुछ वबकाऊ है
(ग) गीतों के विनभन्द्न प्रकारों पर (घ) दाम लगाने िाले कवियों पर
4.प्रस्तुत पद्यांर् का मूल भाि क्या है ?
(क) गीतों को बेचने का काया करना
(ख) ितामान भौनतकिादी व्यिस्था का विरोध करना
(ग) गीतकार के दःु ख की अनभव्यवक्त करना
(घ) गीत के प्रकार का अनतर्योवक्तपूणा िणान करना
5. यहां कुछ र्ब्द हदए गए हैं पद्यांर् से उन र्ब्दों के पयाायिाची र्ब्दों को तानलका से सुमेनलत करके
नलजखए।
र्ब्द अथा
1. प्रज्ञा a) गीत
2. संताप b) दाम
3. मूल्य c) ददा
4. नगमा d) अक्ल
(क) 1. a 2. c 3. d 4. b
(ख) 1. c 2. b 3. d 4. a
(ग) 1. d 2. c 3. b 4. a
(घ) 1. a 2. c 3. b 4. d
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ख घ ख क ग
पद्यांर्-5
इतने ऊुँचे उठो हक जजतना उठा गगन है
दे खो इस सारी दनु नया को एक दृवष्ट से
संनचत करो धरा, समता की भाि िृवष्ट से
जानत भेद की, धमा िेर् की
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काले गोरे , रं ग िे ष की
ज्िालाओं से जलते जग में
इतने र्ीतल बहो हक जजतना मलय पिन है ।
लो अतीत में उतना ही जजतना पोषक है ।
जीणा र्ीणा का मोह, मृत्यु का ही द्योतक है ।
तोड़ो बंधन, रुके न नचंतन
गनत जीिन का सत्य नचरं तन
धारा के र्ाश्वत प्रिाह में इतने गनतमान बनो
हक जजतना पररितान है ।
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घ ख ख घ ग
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1) ननम्ननलजखत में से कौन सी बातें रे हडयों के नलए समाचार लेखन की बुननयादी बातें हैं -
क) साफ-सुधरी और टाइलड कॉपी
ख) डे डलाइन, संदभा और संजक्षप्ताक्षरों का प्रयोग
ग) क और ख दोनों
घ) कोई भी नहीं
उत्तर: ग) क और ख दोनों
2) प्रसारण के नलए तैयार की जा रही समाचार कॉपी को कंलयूटर पर हकतने स्पेस में टाइप
हकया जाना चाहहए?
क) नसंगल स्पेस ख) डबल स्पेस
ग) हिपल स्पेस घ) इनमें से कोई भी नहीं
उत्तर: ग) हिपल स्पेस
3) उल्टा वपरानमड र्ैली में समाचार के सबसे महत्िपूणा तथ्य को कहां नलखा जाता है ?
क) सबसे पहले ख) बीच में
ग) आजखर में घ) कहीं भी
उत्तर: क) सबसे पहले
4) लेखन में हमें हकन-हकन बातों का ध्यान रखना पड़ता है ?
क) भाषा ख) व्याकरण
ग) ितानी घ) उपयुक्त
ा सभी
उत्तर: घ) उपयुक्त
ा सभी
5) इं टरनेट क्या है ?
क) लोकल एररया नेटिका का एक इं टरकनेक्र्न
ख) एक नसंगल नेटिका
ग) विनभन्द्न नेटिका का एक विर्ाल कनेक्र्न
घ) इनमें से कोई भी नहीं
उत्तर ग) विनभन्द्न नेटिका का एक विर्ाल कनेक्र्न
6) इनमें से कौन सा एक इं टरनेट नेटिका है ?
क) मैन ख) लेन ग) िैन घ) उपयुक्त
ा सभी
उत्तर ख) लेन
7) पहली िेबसाइट अजस्तत्ि ______ आई थी ?
क) 1992 में ख) 1991में ग) 1994 में घ) 1990 में
उत्तर (ख) 1991में
8) गूगल क्रोम एक _____ है ।
क) सचा इं जन ख) ईमेल ग) िेबसाइट घ) ब्राउज़र
उत्तर (घ) ब्राउज़र
9) 'एंकर बाइट' में बाइट का क्या अथा है ?
क) मेघा बाइट ख) कीड़े का काटना
ग) एंकर की आिाज घ) बाइट यानी कथन
उत्तर (घ) बाइट यानी कथन
10) भारत में टे लीविजन का आरं भ कब हुआ था?
क) 20 अगस्त 1949 ख) 15 नसतंबर 1959
ग) 26 जनिरी 1975 घ) 4 माचा 1942
उत्तर: ख) 15 नसतंबर 1959
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11) हहं दी में नेट पत्रकाररता हकसके साथ र्ुरू हुई थी?
क) िेब दनु नया ख) इं टरनेट
ग) घटनास्थल से खबर प्रस्तुत करना घ) बी.बी.सी. साइट
उत्तर: क) िेब दनु नया
12) ननम्ननलजखत में से कौन सा अखबार वप्रंट रूप में न होकर नसफा इं टरनेट पर उपलब्ध है ?
क) अमर उजाला ख) हहं दस्
ु तान
ग) भास्कर घ) प्रभासाक्षी
उत्तर: घ) प्रभासाक्षी
13) पत्रकाररता की सबसे सिाश्रष्ठ
े साइट कौन सी है ?
क) बी.बी.सी. साइट ख) आई.आई.एम.सी. साइट
ग) एच हहं दी साइट घ) हहं दी भाषण साइट
उत्तर: क) बी.बी.सी. साइट
14) टे लीविजन के नलए खबर नलखने की मौनलक र्ता क्या है -
क) र्ब्दों के साथ लेखन
ख) श्रोता के नलए लेखन
ग) नचत्रों के साथ लेकन
घ) दृश्य के साथ लेखन उत्तर: घ) दृश्य के साथ लेखन
15) टे लीविजन पर खबर पेर् करने के तरीकों को हम हकस प्रकार समझ सकते हैं -
क) खबरों के प्रचनलत ढांचे या फॉमेट को समझकर
ख) खबरों के प्रचनलत ढांचे को समझकर
ग) नसफा फॉमेट को समझकर
घ) टीिी पर हदखाई खबरों को समझकर
उत्तर: क) खबरों के प्रचनलत ढांचे या फॉमेट को समझकर
16) टी.िी. के नलए अच्छी खबर कैसे जखलकर आती है ?
क) छोटे िाक्यों एिं बेहतरीन संपादन से ख) अच्छे नचत्रों के रं ग से
ग) विजुअल इफेक्ट्स से घ) अच्छे कायाक्रमों से
उत्तर : (क) छोटे िाक्यों एिं बेहतरीन संपादन से
17) रे हडयो…………. माध्यम है ।
क) दृश्य ख) श्रव्य
ग) दृश्य और श्रव्य दोनों घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर: ख) श्रव्य
18) पहला छापाखाना सन ् 1556 में कहां खुला?
क) केरल ख) हदल्ली
ग) गोिा घ) महाराष्ट्र
उत्तर: ग) गोिा
बहुविकल्पीय प्रश्नों हे तु महत्िपूणा जानकाररयाुँ –
िणानात्मक प्रश्न
प्र. (1) वप्रंट/मुहरत माध्यमों की विर्ेषताएुँ ि कनमयाुँ नलजखए ?
उत्तर- वप्रंट माध्यमों की विर्ेषताएुँ-
(i) इनमें स्थानयत्त्ि होता है | इन्द्हें लम्बे समय तक सुरजक्षत रख इस्तेमाल हकया जा सकता है |
(ii) इन्द्हें हम कहीं भी और कभी भी पढ़ सकते हैं |
(iii) इससे हमारी नलजखत भाषा का विस्तार होता है |
(iv) यह नचंतन, विचार ि विश्लेषण का माध्यम है |
वप्रंट माध्यमों की कनमयाुँ-
(i) यह अनपढ़ लोगों के नलए उपयोगी नहीं है |
(ii) इससे तुरंत घटी घटनाओं की जानकारी नहीं नमलती |
(iii) इसमें गलनतयों की संभािना रह जाती है |
(iv) इसमें आिंहटत जगह में ही लेखक नलख सकता है |
प्र. (2) मुहरत माध्यमों के लेखन में ध्यान रखने योग्य बातें नलजखए |
उत्तर- (i) लेखन में भाषा, व्याकरण, ितानी और र्ैली का ध्यान रखना चाहहए |
(ii) प्रचनलत भाषा का प्रयोग करना चाहहए |
(iii) समय-सीमा ि आिंहटत जगह का ध्यान रखना चाहहए |
(iv) गलनतयों ि अर्ुवद्धयों को ठीक करना चाहहए |
(v) लेखन में सहज प्रिाह हे तु तारतम्यता होनी चाहहए |
प्र. (3) रे हडयो समाचार की संरचना को स्पष्ट कीजजए |
उत्तर- रे हडयो समाचारों की संरचना उलटा वपरानमड र्ैली पर आधाररत होती है । इस र्ैली में
समाचार तीन भाग होते हैं -
इं िो- इसे इं िो / लीड / मुखड़ा कहते हैं । इसमें खबर के मूल तत्ि को र्ुरू की दो-तीन पंवक्तयों
में बताया जाता है । यह खबर का सबसे अहम हहस्सा होता है । |
बॉडी- इस भाग में समाचार के विस्तृत ब्यौरे को घटते हुए महत्त्िक्रम में नलखा जाता है ।
समापन- इसमें प्रासंनगक तथ्य और सूचनाएुँ दी जा सकती हैं ।
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प्र. (4) रे हडयो के नलए समाचार-लेखन की बुननयादी बातें नलजखए |
उत्तर-
1. कंलयूटर पर हिपल स्पेस में टाइप, दोनों ओर हानर्या छोड़ा जाता है , एक लाइन में अनधकतम 12-13
र्ब्द, पंवक्त के आजखर में कोई र्ब्द विभाजजत नहीं, पृष्ठ के आजखर में कोई लाइन अधूरी नहीं हो |
2.लोकवप्रय संजक्षप्ताक्षर ही प्रयोग हकए जाएुँ अन्द्य नहीं |
3. 11से 999 तक के अंक अंकों में तथा अन्द्य सभी अंक र्ब्दों में नलखे जाएुँ |
4.संकेत नचह्नों को र्ब्दों में नलखें जैसे प्रनतर्त, डॉलर आहद
5.दर्मलि के अंक नजदीकी पूणाांक में नलखे जाएुँ |
6.नतनथयों को इस प्रकार नलखा जाए – 15 अगस्त उन्द्नीस सौ पचासी
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प्र. (8) रे हडयो, टे लीविज़न और इं टरनेट की विर्ेषताएं ि कनमयाुँ नलजखए |
उत्तर- रे हडयो, टे लीविज़न और इं टरनेट की विर्ेषताएं ि कनमयाुँ इस प्रकार हैं –
रे हडयो टे लीविज़न
विर्ेषताएुँ (i) यह श्रव्य माध्यम है | (i) यह दृश्य-श्रव्य माध्यम है | (i) इसमें रे हडयो, टी.िी. ि
(ii) रे हडयो पर खबरें सुनकर हम (ii) इस पर तस्िीरें दे खकर अखबार तीनों के गुण
उन्द्मुक्त महसूस करते हैं | जीिन्द्तता का अहसास होता है | होते हैं |
(iii) यह एकरे खीय माध्यम है (iii) यह एकरे खीय माध्यम है (ii) यह एक
(iv) यह एक सुलभ माध्यम है (iv) इस पर सीधा प्रसारण दे खा अंतरहक्रयात्मक माध्यम
(v) यह पढ़े -नलखे ि अनपढ़ जा सकता है | है |
सभी लोगों के नलए भी उपयोगी (iii) यह सबसे तेज़ ि
है | लोकवप्रय माध्यम है |
कनमयाुँ (i) रे हडयो पर समाचार एक बार (i) इसे बार-बार दे ख-सुन नहीं (i) इससे अश्लीलता ि
में ही सुनना ि समझना पड़ता सकते | दरु ाचारों को बढ़ािा
है | (ii) यह एक खचीला माध्यम है नमलता है |
(ii) तस्िीरें न होने के कारण (ii) इससे मन भटकने के
कम रोचक होता है | कारण समय की बबाादी
होती है |
प्र. (11) विश्व स्तर पर इं टरनेट पत्रकाररता के इनतहास का संजक्षप्त पररचय दीजजए।
उत्तर- विश्व स्तर पर इं टरनेट पत्रकाररता का पहला दौर 1982 से 1992 तक जबहक दस
ू रा दौर
चला 1993 से 2001 तक तीसरे दौर की इं टरनेट पत्रकाररता 2002 से अब तक की है ।
सच्चे अथों में इं टरनेट पत्रकाररता की र्ुरुआत 1983 से 2002 के बीच हुई। नयी िेब भाषा एच
टी एम एल (हाइपर टे क्स्ट माडा अप लैंग्िेज) आई, इं टरनेट ईमेल आया, इं टरनेट आया, इं टरनेट
एक्सललोरर और नेटस्केप नाम के ब्राउजर आए। इं टरनेट पत्रकाररता का तीसरा दौर सच्चे अथों
में हटकाऊ हो सकता है ।
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11.िीचर से क्या अनभप्राय है ?
(अ) िीचर एक अव्यिजस्थत, मौनलक और आत्मननष्ठ लेखन है
(ब) िीचर केिल आंकड़ों पर आधाररत होता है
(स) िीचर एक सुव्यिजस्थत, सृजनात्मक और आत्मननष्ठ लेखन है
(द) िीचर एक अव्यिजस्थत, सृजनात्मक और आत्मननष्ठ लेखन है
उत्तर (स)िीचर एक सुव्यिजस्थत, सृजनात्मक और आत्मननष्ठ लेखन है
12.. पत्रकारीय लेखन के नलए कच्चा माल हकससे प्राप्त होता है ?
(अ) संपादकीय से (ब) साक्षात्कार से
(स) संपादक के नाम पत्र से (द)िीचर से
उत्तर (ब) साक्षात्कार से
13.स्तंभ लेखन हकस प्रकार का लेखन है ?
(अ) विचारपरक लेखन (ब) विश्लेषणात्मक लेखन
(स) वििेचनात्मक लेखन (द) िस्तुपरक लेखन
उत्तर (अ) विचारपरक लेखन
14. एक सफल साक्षात्कार के नलए इनमें से हकन गुणों का होना आिश्यक नहीं है ?
(अ) विषय की अननभज्ञता (ब) संिेदनर्ीलता
(स) धीरज (द) साहस
उत्तर (अ)विषय की अननभज्ञता
15.लोकवप्रय लेखकों के लेखों की ननयनमत श्रृख
ं ला को हकस नाम से जाना जाता है ?
(अ) पत्रकार (ब) संपादकीय
(स) स्तंभ-लेखन (द) संपादन
उत्तर (स) स्तंभ-लेखन
16.आमतौर पर समाचार पत्रों में या अखबारों में समाचार पूणाकानलक या अंर्कानलक पत्रकारों के िारा
नलखे जाते हैं , जो कहलाते हैं -
अ) संिाददाता या ररपोटा र (ब) संपादकीय
(स) स्तंभ लेखक (द) संपादक
उत्तर (अ) संिाददाता या ररपोटा र
17.समाचार के मुखडे (इंट्रो) यानी र्ुरुआती दो-तीन पंवक्तयों में आमतौर पर चार ककारों को आधार बनाकर
खबर नलखी जाती है ? ये ककार है -
(अ)क्या, कौन,कब, कहां (ब)कैसे, कौन कब, कहां
(स)क्या, कौन क्यों, कहां (द)क्या, कैसे, कब, कहां
उत्तर (अ) क्या, कौन,कब, कहां
18.क्या, कौन कब, कहां - इन चार ककारों के विषय में सत्य कथन है -
(अ) ये ककार सूचनात्मक एिं तथ्यों पर आधाररत होते हैं
(ब) ये ककार वििरणात्मक, व्याख्यात्मक एिं विश्लेषणात्मक पहलू पर जोर दे ते हैं ।
(स) ये ककार सूचनात्मक एिं तथ्यों पर आधाररत नहीं होते हैं ।
(द) इनमें से कोई नहीं
उत्तर (अ) ये ककार सूचनात्मक एिं तथ्यों पर आधाररत होते हैं
19. कैसे और क्यों - इन दो ककारों के विषय में सत्य कथन है -
(अ) ये ककार सूचनात्मक एिं तथ्यों पर आधाररत होते हैं
(ब) ये ककार वििरणात्मक, व्याख्यात्मक एिं विश्लेषणात्मक पहलू पर जोर दे ते हैं ।
(स) ये ककार सूचनात्मक एिं तथ्यों पर आधाररत नहीं होते हैं ।
(द) इनमें से कोई नहीं
उत्तर (ब) ये ककार वििरणात्मक, व्याख्यात्मक एिं विश्लेषणात्मक पहलू पर जोर दे ते हैं ।
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बहुविकल्पीय प्रश्नों हे तु महत्िपूणा जानकाररयाुँ –
1 पत्रकारीय लेखन में जागान्द्स और क्लीर्े का प्रयोग नहीं करना चाहहए |
जागान्द्स- ऐसी र्ब्दािली जजससे बहुत कम पाठक पररनचत होते हैं
क्लीर्े – वपष्टोवक्त या दोहराि या चलन से बाहर
2 सीधी वपरानमड र्ैली – कथात्मक लेखन के नलए (इसमें क्लाइमेक्स अंत में)
उलटा वपरानमड र्ैली – समाचार लेखन (इसमें क्लाइमेक्स आरम्भ में आता है )
3 उलटा वपरानमड र्ैली का आरम्भ 19 िीं सदी के मध्य में अमेररका के गृहयुद्ध के दौरान
हुआ |
4 िीचर लेखन की र्ैली कािी हद तक कथात्मक होती है | इसकी र्ब्द सीमा अखबारों में
250 से 2000 र्ब्दों तक हो सकती है |
5 िीचर के प्रकार – समाचार बैकग्राउं डर, खोजपरक िीचर, जीिनर्ैली फीचर, रूपात्मक
फीचर, व्यवक्तगत फीचर, यात्रा फीचर, विर्ेष रूनच फीचर |
6 खोजी ररपोटा - ररपोटा र मौनलक र्ोध ि छानबीन िारा तथ्य सामने लाता है
इन-डे फ्थ ररपोटा - उपलब्ध तथ्यों की गहरी छानबीन कर सूचनाएुँ सामने लाता
विश्लेषणात्मक ररपोटा - तथ्यों का विश्लेषण हकया जाता है |
वििरणात्मक ररपोटा – तथ्यों के बारीक वििरण को प्रस्तुत हकया जाता है |
7 विचारपरक लेखन के रूप – संपादकीय, स्तंभ, लेख, साक्षात्कार
8 सम्पादक के नाम पत्र – यह संपादकीय पृष्ठ पर प्रकानर्त ि स्थायी स्तंभ है |
9 लेख – सम्पादकीय पृष्ठ पर प्रकानर्त, लेखक के अपने विचार होते हैं जो तथ्यों पर आधाररत
होते हैं , कोई ननजश्चत र्ैली नहीं होती |
10 पत्रकार तीन प्रकार –पूणक
ा ानलक पत्रकार- ननयनमत िेतन भोगी पत्रकार
अंर्कानलक पत्रकार- ननजश्चत मानदे य पर काम करने िाला पत्रकार
फ्रीलांसर- भुगतान के आधार पर अलग-अलग अख़बारों के नलए नलखता है
11 समाचार लेखन के छह ककार- क्या, कौन, कहाुँ, कब, क्यों, कैसे
12 संपादकीय लेखन- अखबार की अपनी आिाज़
िणानात्मक प्रश्न-
उत्तर : समाचार पत्रों में संपादकीय पृष्ठ पर तथा पवत्रकाओं की र्ुरुआत में संपादक के नाम आए
पत्र प्रकानर्त हकए जाते हैं । यह प्रत्येक समाचारपत्र का ननयनमत स्तम्भ होता है । इसके
माध्यम से समाचार-पत्र अपने पाठकों को जनसमस्याओं तथा मुद्दों पर अपने विचार एिं राय
व्यक्त करने का अिसर प्रदान करता है ।
उत्तर : हकसी पत्रकार के िारा अपने समाचार पत्र में प्रकानर्त करने के नलए, हकसी व्यवक्त विर्ेष
से उसके विषय में अथिा हकसी विषय या मुद्दे पर हकया गया प्रश्नोत्तरात्मक संिाद साक्षात्कार
कहलाता है । साक्षात्कार नलखने के दो तरीके होते हैं । पहले तरीके में साक्षात्कार को सिाल
और जिाब के रूप में नलखा जा सकता है और दस
ू रे तरीके में साक्षात्कार को आलेख की तरह
भी नलखा जा सकता है ।
i) फीचर लेखन में लेखक फीचर नलखते समय अपनी व्यवक्तगत विचार, भािनाएं एिं अनुभूनतयों
को फीचर में स्थान दे ता है ।
ii) फीचर लेखन में लेखक की व्यवक्तगतगत राय और दृवष्टकोण महत्त्िपूणा होता है ।
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11. विर्ेष लेखन क्यों हकया जाता है -
अ. समाचार पत्रों में विविधता आती है
ब. पत्रों का कलेिर बढ़ता है
स. संपादक का महत्ि बढ़ता है
द. केिल 1 एिं 2
उत्तर (द) . केिल 1 एिं 2
14.कारोबार तथा अथाजगत से जुड़ी खबरें हकस र्ैली में नलखी जाती हैं -
अ.रोचक र्ैली में ब. प्रश्न र्ैली में
स. उल्टा वपरानमड र्ैली में द. उपयुक्त
ा सभी में
उत्तर (स) उल्टा वपरानमड र्ैली में
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िणानात्मक प्रश्न-
1. विर्ेष लेखन हकसे कहते हैं ? विर्ेष लेखन की भाषा-र्ैली पर प्रकार् डानलए।
उत्तर : हकसी खास विषय पर सामान्द्य लेखन से हट कर हकया गया लेखन विर्ेष लेखन कहलाता है |
विर्ेष लेखन के विषय हैं - व्यापार, खेल, राजनीनत, कृ वष, विज्ञान आहद |
विर्ेष लेखन की भाषा-र्ैली सामान्द्य लेखन से अलग होती है । इसमें संिाददाता को संबंनधत विषय की
तकनीकी र्ब्दािली का जान होना आिश्यक होता है | इसके र्ीषाक आकषाक होने चाहहए | इसमें
विषय की गहराई तक जाना चाहहए | जैसे –
1.कारोबार और व्यापार में तेजहडए, सोना उचला , चांदी लुढ़की आहद।
2.पयाािरण संबंधी लेख में आरता , टै क्सेस कचरा , ग्लोबल िानमांग आहद।
2. डे स्क क्या है ?
उत्तर : डे स्क का अथा है - सम्पादन | डे स्क पर समाचारों को संपाहदत कर उसे छपने योग्य
बनाया जाता है | समाचार माध्यमों में अलग-अलग विषयों पर विर्ेष लेखन के नलए अलग-अलग
डे स्क होती हैं । यथा-व्यापार तथा कारोबार के नलए अलग तथा खेल की खबरों के नलए अलग डे स्क
ननधााररत होता है ।
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3. नसनेमा-रं गमंच (दृश्य-श्रव्य) तथा रे हडयो नाटक (श्रव्य) में समानताएुँ ि अंतर नलजखए |
उत्तर- समानताएं- दोनों में चररत्र-नचत्रण, संिाद, कहानी आहद होते हैं |
अंतर- नसनेमा-रं गमंच में दृश्य , मंच-सज्जा ि पोर्ाक होती है तथा इसमें हाि-भाि का महत्त्ि
होता है जबहक रे हडयो नाटक में ध्िनन-प्रभाि होते हैं तथा दृश्य , मंच-सज्जा ि पोर्ाक नहीं
होती |
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7. दृश्य श्रव्य माध्यमों (टी.िी.) की तुलना में श्रव्य माध्यम (रे हडयो) की क्या सीमाएं हैं ? इन
सीमाओं को हकस तरह पूरा हकया जा सकता है ?
उत्तर- (i) दृश्य श्रव्य माध्यम में हम नाटक को अपनी आंखों से दे ख भी सकते हैं और पात्रों के
संिादों को सुन भी सकते हैं हकंतु श्रव्य माध्यम में हम केिल सुन सकते हैं उसे दे ख नहीं
सकते।
(ii)दृश्य श्रव्य माध्यम में हम पत्रों के हाि भाि दे खकर उनकी दर्ा का अनुमान लगा सकते हैं
हकंतु श्रव्य माध्यम में हम ऐसा कुछ भी नहीं कर सकते।
सीनमत अिनध ि सीनमत पात्रों आहद िारा इन्द्हें पूरा हकया जा सकता है |
8. रे हडयो नाटक और नाटक में क्या अंतर है ?
उत्तर- (i) नाटक मंच पर प्रस्तुत हकया जाता है जबहक रे हडयो नाटक रे हडयो पर
(ii) रे हडयो नाटक में पात्रो का पररचय िेर्भूषा से भी हो सकता है जबहक नाटक में संिाद िारा
ही पररचय हदया जा सकता है ।
(iii) नाटक में िातािरण हदखाया जा सकता है जबहक रे हडयो नाटक में ध्िनन प्रभाि िारा
िातािरण ननमााण
(iv) नाटक में कथा ऐक्र्न प्रधान हो सकती है जबहक रे हडयो नाटक में नही।
(v) नाटक में पात्र अनधक हो सकते है जबहक रे हडयो नाटक में अनधकतम 5
9. रे हडयो नाटक के नलए पात्रों की संख्या सीनमत क्यों रखनी चाहहए|(CBSE 2022)
उत्तर - क्योंहक रे हडयो नाटक में श्रोता पात्रों की पहचान उनकी आिाज के िारा ही करता है ऐसे
में सीनमत पात्रों को तो आिाज के िारा पहचाना जा सकता है हकंतु अगर पात्रों की संख्या ज्यादा
है तो श्रोता बहुत सारी आिाजों के बीच पात्र की पहचान नहीं कर पायेगा ।
10. रे हडयो नाटक की अिनध 15-20 नमननट के बीच क्यों होनी चाहहए| (CBSE 2022)
उत्तर-रे हडयो एक श्रव्य माध्यम है और नाटक का आनंद श्रोता आिाज और ध्िनन प्रभाि के
जररये ही करता है ऐसे कम समय में तो श्रोता नाटक में एकतान बना रहता है परं तु लंबे समय
तक श्रोता एकाग्र नहीं बना रह सकता और हफर रे हडयो में नाटक थोड़ा लम्बा या उबाऊ होने पर
श्रोता दस
ू रे चैनल पर उं गली घुमा सकता है अतः नाटक की अिनध 15-20 नमननट होनी चाहहए|
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प्रश्न3. रटं त क्या है ? रटं त को कुटे ि (बुरी लत) क्यों कहा गया है ?
उत्तर : दस
ू रों िारा तैयार की गई सामग्री को याद करके ज्यों का त्यों प्रस्तुत करना रटं त
कहलाती है | इसे कुटे ि (बुरी लत) इसनलए कहा जाता है क्योंहक –
i) इससे मनुष्य दस
ू रों पर ननभार हो जाता है |
ii) इससे भािों की मौनलकता ख़त्म हो जाती है |
iii) इससे असली अभ्यास का मौका नहीं नमलता |
iv) इससे सोचने की र्वक्त कमजोर हो जाती है |
प्रश्न 4. नए और अप्रत्यानर्त विषयों पर लेखन के िारा रटं त से कैसे बचा जा सकता है ?
अथिा
अप्रत्यानर्त विषयों पर लेखन को प्राथनमकता क्यों दी जाती है ?
उत्तर : अप्रत्यानर्त विषयों पर लेखन को प्राथनमकता दे ने के लाभ इस प्रकार है –
i) इससे मनुष्य दस
ू रों पर ननभार नहीं रहता |
ii) इससे मनुष्य के सोचने की ताकत बढ़ जाती है |
iii) इससे मनुष्य में नए ि मौनलक विचार आते हैं |
iv) इससे लेखन कौर्ल बढ़ता है |
प्रश्न 5. नए और अप्रत्यानर्त विषयों पर लेखन के क्या क्या ननयम हो सकते है ?
अथिा
नए और अप्रत्यानर्त विषयों पर लेखन में ध्यान रखने योग्य बातें नलजखए |
उत्तर : नए और अप्रत्यानर्त विषयों पर लेखन में ध्यान रखने योग्य बातें इस प्रकार हैं -
i) इसकी र्ुरुआत आकषाक ि बहुआयामी होनी चाहहए |
ii) इसमें नलखी गई बातें आपस में जुडी हों और उनमें सुसंबद्धता का गुण हो |
iii) इसमें ‘मैं’ र्ैली का प्रयोग हकया जा सकता है ।
iv) इसमें भाषायी र्ुद्धता पर विर्ेष ध्यान दे ना चाहहए।
V) इसमें विचारों की आत्मननष्ठता ि लेखक के व्यवक्तत्त्ि की छाप होनी चाहहए |
प्रश्न 6. क्या अप्रत्यानर्त विषयों पर लेखन कोई ननजश्चत रूप लेती है ?
उत्तर : जी नहीं, ऐसा वबलकुल नहीं है । अप्रत्यानर्त लेखन का कोई ननजश्चत रूप नहीं होता है ।
दै ननक जीिन से जुड़े हुए हकसी भी विषय पर अप्रत्यानर्त लेखन नलखा जा सकता है । जब
आप अपने विचारों को अपने अनुभि, तका, नसद्धांत, समाज, स्थान, काल और पात्र के आधार पर
र्ब्दांहकत करते हैं तो िो कभी संस्मरण, कभी ननबंध, कभी रे खानचत्र, कभी कहानी, कभी यात्रा
िृतांत कभी ररपोताजा आहद साहहजत्यक विधा का रूप ले सकता है ।
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"कुछ काम करो, कुछ काम करो, जग में रह कर कुछ नाम करो
यह जन्द्म हुआ हकस अथा अहो, समझो जजसमें यह व्यथा न हो।"
मानि-जीिन में कमा की प्रधानता है । कमा अभ्यास के साथ जुड़ा है । अभ्यास का अथा है -हकसी
काम को करने का ननरं तर प्रयत्न। हकसी काम को करने से िांनछत सफलता नहीं नमलती तो उसे
ननरं तर प्रयत्न करते रहना चाहहए। हकसान जो बीज खेत में बोता है , उसे ही फसल के रूप में िह
बाद में काटता है ।
ननरं तर अभ्यास करने से मूखा भी ज्ञानी हो जाता है | र्रीर को सुडौल बनाने के नलए ननरं तर
व्यायाम आिश्यक है । विद्याथी को कोई चीज बार-बार याद करनी पड़ती है । कवि भी तभी प्रखर
बनता है जब िह अभ्यास करता है । इससे मानि की काया-कुर्लता बढ़ती है ।
अभ्यास के िारा व्यवक्त ज्ञान की विनभन्द्न धाराओं का पररचय प्राप्त करता है । अभ्यास मानि-
जीिन के नलए िह पारस पत्थर है जजसका स्पर्ा पाकर लोहा भी सोना हो जाता है । जड़ बुद्ध
िाला व्यवक्त भी अभ्यास से सीख सकता है । ठीक ही कहा गया है हक -
"करत-करत अभ्यास के, जड़मनत होत सुजान।
रह भरोसे भाग्य के दख
ु भोग पछताते नहीं।।"
मनुष्य अपनी कल्पना र्वक्त का प्रयोग करके ऐसे स्थानों पर पहुुँच जाता है जहाुँ मनुष्य का
पहुुँचना असंभि है । असीनमत संभािनाओं से पररपूणा कविता मनुष्य के हृदय तक पहुुँचती है
एक कवि की कलम में इतनी र्वक्त होती है हक िह समाज में पररितान एिम ् क्रांनत दोनों ला
सकता है ।
आकार् में विद्यमान सूया की हकरणें समस्त संसार को प्रकानर्त एिम ् आलोहकत करती हैं पर
कवि की कल्पना सूया की हकरणों को पार करके आकार् की उस अंनतम सीमा को स्पर्ा करती हैं
जहाुँ सूया का पहुुँचना असंभि है | िास्ति में कवि जब विचारों को र्ब्दों में बाुँधकर रचना
नलखता है तो उसकी रचना समय, स्थान की सीमा को पार कर जाती है | असीनमत संभािनाओं
से पररपूणा कविता मनुष्य के हृदय तक पहुुँचती है |
आजादी के आंदोलन में कवियों और लेखकों की रचनाओं ने ही करोड़ों भारतीयों के हृदय में
स्ितंत्रता की चेतना उत्पन्द्न की थी | आज से हजारों साल पहले नलखे िेद हमें आज भी जीिन
की राह हदखाते हैं | कवि के िारा नलखी गई रचना युगो युगो तक सीख दे ती है जैसे
रामचररतमानस | कविता के बहाने’ कविता के कवि कुंिर नारायण जी कविता की यात्रा के
बारे में बताते है -
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भारतीय संस्कृ नत में अनत का त्याग करने की बात हमेर्ा कही गई है । क्योंहक हकसी भी चीज
की अनत अंतत: नुकसानदायक सावबत होती है , चाहे काया हकतना भी अच्छा क्यों ना हो | राजा
बनल ने तो दान ही हदया था ये दान उन्द्होंने अपनी क्षमता से बढ़ कर हदया इसनलए बािन
भगिान िारा साढ़े तीन पग भूनम मांगने पर उन्द्हें अपने प्राणों की कुबाानी दे नी पड़ी।
इस प्रकार हकसी भी क्षेत्र में अनत हाननकारक पररणाम ही दे ती है चाहे िह क्षेत्र सकारात्मक हो
या नकारात्मक हो । यहद हकसी व्यवक्त ने यहद ज्यादा भोजन खा नलया हो तो उसे ज्यादा
भोजन खाने के पररणाम स्िरूप; अपचन, उल्टी या दस्त आहद हो जाती है -
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दस
ू रा िगा िह है जो अमीर बनने की चाह में गाुँि छोड़कर आता है तथा यहाुँ आकर फुटपाथ पर
सोने के नलए मजबूर हो जाता है । महुँ गाई, गरीबी आहद के कारण इन लोगों को भोजन भी
मुजश्कल से नसीब होता है ।
सरकार की तमाम योजनाएुँ भ्रष्टाचार के मुुँह में चली जाती हैं और गरीब सुविधाओं की बाट
जोहता रहता है । िह गरीबी में पैदा होता है , गरीबी में पलता बढ़ता है और गरीबी में ही मर
जाता है । िह जीते-जी रूखी-सूखी खाकर पेट की आग जैस-े तैसे बुझा लेता है और फटे -पुराने
कपड़ों से तन ढुँ क लेता है , पर उसके नसर पर छत नसीब नहीं हो पाती और िह फुटपाथ, पाका या
अन्द्य खुली जगहों पर सोने को वििर् रहता है ।
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d. कथन (A) सही है तथा कारण (R) दोनों सही हैं , कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या
करता है ।
5.कवि के अनुसार संसार में हकन लोगों को प्रनतष्ठा प्राप्त होती है ?
(a) संसार के हहत में काया करने िालों को
(b) संसार के नलए उच्च साहहत्य रखने िालों को
(c) संसार की झूठी प्रर्ंसा न करने िालों को
(d) संसार का झूठा गुणगान करने िालों को
1 2 3 4 5
b d c a d
काव्यांर्-2
1 2 3 4 5
a d c b b
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काव्यांर्-3
हो जाए न पथ में रात कहीं ,मंजज़ल भी तो है दरू नहीं
यह सोच थका हदन का पंथी भी जल्दी-जल्दी चलता है
हदन जल्दी-जल्दी ढलता है ।
बच्चे प्रत्यार्ा में होंगे, नीड़ों से झाुँक रहे होंगे
यह ध्यान परों में नचहड़यों के भरता हकतनी चंचलता है ।
हदन जल्दी-जल्दी ढलता है ।
मुझसे नमलने को कौन विकल? मैं होऊं हकसके हहत चंचल ?
यह प्रश्न नर्नथल करता पद को, भरता उर में विह्वलता है
हदन जल्दी-जल्दी ढलता है ।
1.कवि के मन में हकस चीज की आर्ंका है ?
(a) घर पहुंच पाने की (b) घर न पहुंच पाने की
(c) घर पहुंचने से पहले ही रात हो जाने की (d) यात्रा वबना रुकािट पूरी हो जाने की
2.कवि हकस आर्ा से प्रेररत हो उठता है ?
(a) मंजजल पास ही आने िाली है
(b) कोई उसकी प्रतीक्षा नहीं कर रहा है
(c) मंजजल तक पहुंचने में बहुत समय र्ेष है
(d) मंजजल तक पहुुँचकर िह कुछ भी प्राप्त नहीं कर पाएगा
3.थका हुआ पनथक हकसे पाने के कारण जल्दी-जल्दी चलता है ?
(a) अपने साथी को (b) अपने भोजन को
(c) अपने लक्ष्य को (d) अपने स्िाथा को
4.ननम्ननलजखत कथन और कारण को ध्यानपूिक
ा पहढ़ए और सही विकल्प चुनकर नलजखए।
कथन (A) : नचहड़या के बच्चे अपनी मां की प्रतीक्षा कर रहे हैं ।
कारण (R) : नचहड़या तेजी से पंखा चला कर अपने घोंसले में जाना चाहती हैं ।
a. कथन (A) सही है , कारण (R) गलत है ।
b. कथन (A) सही नहीं है , कारण (R) सही है ।
c. कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही हैं , हकंतु कारण (R) उसकी सही व्याख्या नहीं करता।
d. कथन (A) सही है तथा कारण (R) दोनों सही हैं , कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या
करता है ।
5.कवि के पैरों की गनत को कौन-सा भाि नर्नथल कर दे ता है ?
(a) नचहड़या की तीव्र उड़ान (b) बच्चों की व्याकुलता
(c) समय का तीव्रगनत से व्यतीत होना (d) कवि से नमलने को हकसी का व्याकुल न होना
1 2 3 4 5
c a c c d
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िणानात्मक प्रश्न-
प्र.(1) कविता एक ओर जग-जीिन का भार नलए घूमने की बात करती है और दस
ू री ओर
मैं कभी न जग का ध्यान हकया करता हूुँ- विपरीत से लगने िाले इन कथनों का
आर्य स्पष्ट कीजजए |
उत्तर जग-जीिन का भार नलए घूमने की बात- सामाजजक दानयत्िों के प्रनत सचेत और
संसार में प्रेम बढ़ाने की कोनर्र् करना | संसार के प्रनत मेरी जजम्मेदाररयाुँ ननभा
रहा हूुँ |
मैं कभी न जग का ध्यान हकया करता हूुँ- प्रेम बढ़ाने के नलए संसार की ननंदा की
परिाह नहीं करता हूुँ |
प्र.(2) जहाुँ पर दाना रहते हैं , िहीं नादान भी होते हैं - किी ने ऐसा क्यों कहा है ?
उत्तर ● दाना- सांसाररक लोभ-लालच, मोह-माया
● नादान- सांसाररक लोभ-लालच, मोह-माया में डू बे मूखा लोग
तात्पया यह है हक जहाुँ सांसाररक लोभ-लालच, मोह-माया है िहीं उसमें डू बने िाले
मूखा लोग भी हैं जो प्रेम को महत्त्ि नहीं दे ते हैं |
प्र.(3) मैं और, और जग और कहाुँ का नाता- पंवक्त में और र्ब्द की विर्ेषता बताते हुए
पंवक्त के अथा को स्पष्ट कीजजए |
उत्तर और र्ब्द की विर्ेषता- प्रथम ि तृतीय और का अथा है - अलग/नभन्द्न
हितीय और का अथा है - तथा
इस प्रकार इसमें यमक अलंकार है |
पंवक्त का अथा- कवि कहता है हक मैं अलग हूुँ तथा संसार अलग है क्योंहक मैं प्रेम
को महत्त्ि दे ता हूुँ और संसार के लोग सांसाररकता को महत्त्ि दे ते हैं |
प्र.(4) र्ीतल िाणी में आग- के होने का क्या अनभप्राय है ?
उत्तर र्ीतल िाणी- कोमल र्ब्दों ि र्ीतल स्िरों का प्रयोग
आग- प्रेम रहहत संसार के प्रनत क्रोध
संसार में प्रेम की कमी दे खकर कवि को क्रोध आता है परं तु इस क्रोध को िह
कोमल र्ब्दों और र्ीतल स्िरों के माध्यम से अपनी कविता में प्रकट करता है |
प्र.(5) ‘आत्मपररचय’ कविता के र्ीषाक की साथाकता स्पष्ट कीजजए |
उत्तर इस कविता में कवि ने स्ियं की अजस्मता को दनु नया के सामने प्रकट हकया है |
कवि ने अपने कोमल भाि ि प्रेम भरे विचार तथा स्िलनों के संसार को प्रकट
हकया है | कवि ने अपने ननजी प्रेम को सबके सामने प्रकट हकया है |इस प्रकार
कविता की एक-एक पंवक्त कवि का पररचय दे रही है | अतः यह र्ीषाक साथाक है |
प्र.(6) पनथक के कदम तेज़ ि धीमे होने के कारण नलजखए |
उत्तर मंजजल नज़दीक हदखाई दे ने, मंजजल पर जल्दी पहुुँचने और वप्रयजनों से जल्दी नमलने की
इच्छा के कारण पनथक जल्दी चलता है | जब पंथी के मन में विचार आता है हक उसका
इं तजार करने िाला कोई नहीं है और िह हकसके भले के नलए जल्दी जाए, तब उसके कदम
धीमे हो जाते हैं |
प्र.(7) बच्चे हकस बात की आर्ा में नीड़ों से झाुँक रहे होंगे ?
उत्तर बच्चे इस बात की आर्ा में नीड़ों से झाुँक रहे होंगे हक उनकी माुँ नचहड़या र्ीघ्र ही
आएगी, उन्द्हें भोजन दे कर उनका भरण-पोषण करे गी | साथ ही उन्द्हें ढे र सारा लयार
भी दे गी |
प्र.(8) हदन जल्दी-जल्दी ढलता है – की आिृवत्त से कविता की हकस विर्ेषता का पता
चलता है ?
उत्तर हदन जल्दी-जल्दी ढलता है – की आिृवत्त से प्रेम की आतुरता और उसके प्रभािी रूप
से प्रकट करना, कविता में लय पैदा करना, तथा कविता में रोचकता पैदा करना
आहद विर्ेषताओं का पता चलता है |
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प्र.(2) र्रद की तुलना हकससे की गई है –
(a) साइहकल चलाने िाले बच्चे से (b) पतंग से
(c) खरगोर् की आुँखों से (d) नततनलयों से
प्र.(3) ननम्ननलजखत में से कौन-सा पररितान पतंग कविता में नचवत्रत नहीं है ?–
(a) कई ऋतुओं के बाद र्रद का आगमन (b) सुबह का सूरज लाल ि चमकदार
(c) र्ीतल मंद हिा चलना (d) आुँधी ि लू का चलना
प्र.(4) ननम्ननलजखत कथन और कारण को ध्यानपूिक
ा पहढ़ए और सही विकल्प चुनकर नलजखए।
कथन (A) : पतंग को पतले कागज और पतली कमानी से बनाया जाता है ।
कारण (R) : पतले कागज और पतली कमानी के कारण पतंग आसानी से ऊपर उड़ जाती हैं ।
a. कथन (A) सही है , कारण (R) गलत है ।
b. कथन (A) सही नहीं है , कारण (R) सही है ।
c. कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही हैं , हकंतु कारण (R) उसकी सही व्याख्या नहीं करता।
d. कथन (A) सही है तथा कारण (R) दोनों सही हैं , कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या
करता है ।
प्र.(5) चमकीले इर्ारों का अथा है –
(a) चमकदार सूया िारा आकवषात करना (b) चमकदार चाुँदनी िारा आकवषात करना
(c) वबजली चमकना (d) पतंगों का चमकना
1 2 3 4 5
d a d d a
पद्यांर्-2
जन्द्म से ही िे अपने साथ लाते हैं कपास
पृथ्िी घूमती हुई आती है उनके बेचैन पैरों के पास
जब िे दौड़ते हैं बेसुध
छतों को भी नरम बनाते हुए
हदर्ाओं को मृदंग की तरह बजाते हुए
जब िे पेंग भरते हुए चले आते हैं डाल की तरह लचीले िेग अकसर
छतों के खतरनाक हकनारों तक
उस समय नगरने से बचाता है उन्द्हें
नसिा उनके ही रोमांनचत र्रीर का संगीत
पतंगों की धड़कती ऊुँचाइयाुँ उन्द्हें थाम लेती हैं महज़ एक धागे के सहारे
पतंगों के साथ-साथ भी उड़ रहे हैं
अपने रं धों के सहारे
अगर िे कभी नगरते हैं छतों के खतरनाक हकनारों से और बच जाते हैं तब तो
और भी ननडर होकर सुनहले सूरज के सामने आते हैं
पृथ्िी और भी तेज़ घूमती हुई आती है
उनके बेचैन पैरों के पास ।
प्र.(1) बच्चे से कपास की क्या समानता का गुण नहीं है –
(a) कोमलता (b) लचीलापन (c) पवित्रता (d) कठोरता
प्र.(2) ‘छतों को नरम बनाते हुए’ पंवक्त का अथा है –
(a) बच्चों के कोमल पैरों से छत मुलायम महसूस होना (b) छतों पर रूई फैलाना
(c) छत पर पतंगें रख दे ना (d) आसमान में बादलों का आना
प्र.(3) हदर्ाओं को मृदंग की तरह बजाने का अथा है -
(a) ढोल-नगाड़ों की आिाज़ गूुँजना (b) तबलों की आिाज़ गूुँजना
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(c) पैरों की आिाज़ गूुँजना (d) हिाओं की आिाज़ गूुँजना
प्र.(4) ननम्ननलजखत कथन और कारण को ध्यानपूिक
ा पहढ़ए और सही विकल्प चुनकर नलजखए।
कथन (A) : बच्चों में कपास की तरह नरमी, लोच और कोमलता जन्द्मजात होती है ।
कारण (R) : पृथ्िी घूमती हुई बच्चों के बेचन
ै पैरों के पास आती है ।
a. कथन (A) सही है , कारण (R) गलत है ।
b. कथन (A) सही नहीं है , कारण (R) सही है ।
c. कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही हैं , हकंतु कारण (R) उसकी सही व्याख्या नहीं करता।
d. कथन (A) सही है तथा कारण (R) दोनों सही हैं , कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या
करता है ।
प्र.(5) ‘पतंगों के साथ-साथ िे भी उड़ रहे हैं ’ पंवक्त में ‘िे’ हकसके नलए प्रयुक्त हुआ है –
(a) पक्षी (b) बच्चे ि उनके मन
(c) बादल (d) अन्द्य पतंगें
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d a c c b
िणानात्मक प्रश्न –
प्र.(1) ‘सबसे तेज़ बौछारें गयीं, भादो गया’ के बाद प्रकृ नत में जो पररितान कवि ने हदखाया है , उसका िणान
अपने र्ब्दों में कीजजए |
उत्तर ‘सबसे तेज़ बौछारें गयीं, भादो गया’ के बाद प्रकृ नत में जो पररितान कवि ने हदखाया है , िह इस प्रकार
है –
(i) र्रद ऋतु का आगमन कई ऋतुओं के बाद हुआ है |
(ii) र्रद ऋतु में सुबह का सूया लाल ि चमकदार है |
(iii) र्रद ऋतु में आसमान साि है |
(iv) र्रद ऋतु में र्ीतल मंद हिा चल रही है और आकार् मुलायम हो गया है |
प्र.(2) जन्द्म से ही िे अपने साथ लाते हैं कपास – कपास से बच्चों की तुलना क्यों की गई है ?
उत्तर कपास – कोमल, मुलायम, लचीली ि साि
बच्चे – कोमल, मुलायम, सहनर्ील ि पवित्र मन
जजस प्रकार कपास कोमल, मुलायम, लचीली ि साि होती है उसी प्रकार बच्चे कोमल ि मुलायम
होते हैं | साथ ही िे सहनर्ील होते हैं और उनका मन पवित्र होता है |
प्र.(5) खतरनाक पररजस्थनतयों का सामना करने के बाद आप दनु नया की चुनौनतयों के सामने स्ियं को
कैसा महसूस करते हैं ?
उत्तर खतरनाक पररजस्थनतयों का सामना करने के बाद हम अपने-आप को ननडर और आत्मविश्वास से
भरा महसूस करते हैं | हम अपने-आप को चुनौनतयों का मुकाबला करने में अनधक सक्षम पाते हैं |
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कविता के पंख लगा उड़ने के माने
नचहड़या क्या जाने?
कविता एक जखलना है फूलों के बहाने
कविता का जखलना भला फूल क्या जाने!
बाहर भीतर, इस घर उस घर
वबना मुरझाए महकने के माने
फूल क्या जाने ?
1.कवि ने कविता को हकसकी उड़ान माना है ?
(a) प्रश्नों की (b) र्ब्द की
(c) सीमाओं की (d) कल्पना की
2."कविता की उड़ान भला नचहड़या क्या जाने" पंवक्त का आर्य क्या है ?
(a) कविता की उड़ान नचहड़या की उड़ान से कम होती है
(b) कविता की उड़ान असीनमत है , इसे नचहड़या नहीं समझ पाती है
(c) कविता और नचहड़या दोनों की उड़ान अनन्द्त है
(d) कविता की उड़ान से नचहड़या भली-भाुँनत पररनचत है
3.कवि ने फूल और कविता के जखलने में क्या अंतर बताया है ?
(a) फूल क्षजणक होता है जबहक कविता अमर होती है
(b) फूल में सुगंध होती है जबहक कविता में नहीं होती
(c) फूल में सौंदया होता है जबहक कविता में क्षजणक सौंदया होता है ।
(d) फूल और कविता दोनों में कोई समानता नहीं है
4.ननम्ननलजखत कथन और कारण को ध्यानपूिक
ा पहढ़ए और सही विकल्प चुनकर नलजखए।
कथन (A) : कवि के अनुसार फूल कविता की समता नहीं कर सकते हैं ।
कारण (R) : कविता अनंत जीिन एिं आनंद से युक्त होती है ।
a. कथन (A) सही है , कारण (R) गलत है ।
b. कथन (A) सही नहीं है , कारण (R) सही है ।
c. कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही हैं , हकंतु कारण (R) उसकी सही व्याख्या नहीं करता।
d. कथन (A) सही है तथा कारण (R) दोनों सही हैं , कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या
करता है ।
5.कविता को फूल के बहाने से हकससे जोड़ा गया है ?
(a) जड़ हो जाने की प्रहक्रया से (b) मुरझाने की प्रहक्रया से
(c) जखलने की प्रहक्रया से (d) संिेदनर्ील हो जाने की प्रहकया से
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d b a d c
पद्यांर्-2
बात सीधी थी पर एक बार
भाषा के चक्कर में
जरा टे ढ़ी फुँस गई।
उसे पाने की कोनर्र् में
भाषा को उलटा-पलटा
तोड़ा मरोड़ा, घुमाया हफराया
हक बात या तो बने
या हफर भाषा से बाहर आए
लेहकन इससे भाषा के साथ-साथ
बात और भी पेचीदा होती चली गई।
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1.भाषा के चक्कर में पड़कर बात कैसी हो गई?
(a) सीधी (b) उल्टी (c) टे ढ़ी (d) ये सभी
2.उसे पाने की कोनर्र् में पंवक्त में 'उसे' र्ब्द हकसके नलए प्रयुक्त हुआ है ?
(a) कवि (b) वप्रयसी (c) बात (d) कलम
3.बात सीधी थी पर' में कवि ने हकस पर बल हदया है ?
(a) भािों की सरलता (b) भाषा की जहटलता (c) भािों की गंभीरता (d) भाषा की सहजता
4.ननम्ननलजखत कथन और कारण को ध्यानपूिक
ा पहढ़ए और सही विकल्प चुनकर नलजखए।
कथन (A) :भाषा के भािों की अनभव्यवक्त ठीक से स्पष्ट नहीं होती।
कारण (R) : भाषा के साथ तोड़-मरोड़ करने का पररणाम होता है ।
a. कथन (A) सही है , कारण (R) गलत है ।
b. कथन (A) सही नहीं है , कारण (R) सही है ।
c. कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही हैं , हकंतु कारण (R) उसकी सही व्याख्या नहीं करता।
d. कथन (A) सही है तथा कारण (R) दोनों सही हैं , कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या
करता है ।
5.प्रस्तुत काव्यांर् का केंरीय भाि क्या है ?
(a) भाषा की सहजता पर जोर दे ना (b) भािों को प्रमुखता प्रदान करना
(c) बात कहने का ढं ग सीखाना (d) बातचीत के विनभन्द्न स्िरूपों का िणान करना
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c c d d a
िणानात्मक प्रश्न-
प्र.(1) इस कविता के बहाने बताएुँ हक ‘सब घर एक कर दे ने के माने’ क्या है ?
उत्तर ‘सब घर एक कर दे ने के माने’ है - आपसी भेदभाि समाप्त कर अपनत्ि की भािना का
विकास करना | कवि के अनुसार बच्चे आपसी भेदभाि नमटाकर अपनत्ि ि भाईचारे की
भािना का विकास करते हैं | बच्चे खेलते हुए एक घर से दस
ू रे घर में वबना भेदभाि के चले
जाते हैं और भाईचारा बढ़ाते हैं |
उत्तर
नचहड़या, फूल, बच्चा कविता
नचहड़या- उड़ान सीनमत होती है और कविता की उड़ान असीनमत होती है और िह
आसमान में एक ननजश्चत ऊुँचाई तक हदल की गहराइयों से आसमान की
ही उड़ सकती है | ऊुँचाइयों तक उड़ सकती है |
फूल- फूल का जखलने के साथ ही मुरझाना कविता वबना मुरझाए महकती रहती है |
भी ननजश्चत हो जाता है और िह थोड़े समय इसका प्रभाि कभी खत्म नहीं होता और
के नलए ही खुर्बू दे ता है | यह हमेर्ा पाठकों को आनंद दे ती रहती है |
बच्चा = कविता
1. बच्चे खेल खेलते हैं ि आनंद दे ते हैं उसी प्रकार कविता भी र्ब्दों का खेल है
और आनंद प्रदान करती है |
2. दोनों ही भेदभाि नमटाकर अपनत्ि ि भाईचारे की भािना बढ़ाते हैं |
3.दोनों में ही रचनात्मक ऊजाा होती है |
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प्र.(3) ‘भाषा को सहूनलयत’ से बरतने का क्या अनभप्राय है ?
उत्तर ‘भाषा को सहूनलयत’ से बरतने का अनभप्राय है – भाषा को सरलता और सहजता से प्रयोग में
लाना | बात को सीधे और सरल र्ब्दों में कहना, जजससे कथ्य और भाषा में सामंजस्य
स्थावपत हो सके और बात लोगों तक सरलता से पहुुँच सके | भाषा को सुविधाजनक एिं
सहज ढं ग से प्रयोग में लाना |
प्र.(4) ‘सीधी बात भी टे ढ़ी हो जाती है |’ कैसे ?
उत्तर कवि सीधी सरल बात को प्रभािी बनाने की कोनर्र् करता है | इसके नलए िह सुंदर,
अलंकृत, प्रभािी ि जहटल भाषा का प्रयोग करता है | भाषा के इस प्रदर्ान के चक्कर में सीधी
बात भी टे ढ़ी ि पेचीदा हो जाती है |
प्र.(5) ननम्ननलजखत मुहािरों/ वबम्बों के आर्य को स्पष्ट कीजजए-
(i) बात की चूड़ी मर जाना
(ii) पेंच को कील की तरह ठोंक दे ना
उत्तर (i) बात की चूड़ी मर जाना – बात का प्रभािहीन होना | जब भाषा के साथ ज़ोर ज़बरदस्ती की
जाए तो बात का प्रभाि समाप्त हो जाता है | इसे कवि ने बात की चूड़ी मरना कहा है |
(ii)पेंच को कील की तरह ठोंक दे ना – बात में कसािट न होना | जब कवि से बात बन नहीं पा
रही थी तब िह उसे जैस-े तैसे पूरी कर दे ता है | यह बात उस कील की तरह महसूस होती है
जो बाहर से तो पूरी लगती है परन्द्तु अंदर से उसमें कसािट नहीं होती |
प्र.(6) ‘बात सीधी थी पर’ कविता का सन्द्दे र् / कथ्य / प्रनतपाद्य स्पष्ट कीजजए |
उत्तर कविता में कथ्य ि माध्यम के िं ि को बताते हुए कहा गया है हक हमें बात बात को सीधे-
सरल र्ब्दों में कहना चाहहए | भाषा को सुन्द्दर, अलंकृत और जहटल बनाने के चक्कर में
बात उलझने लगती है और मूल बात का प्रभाि समाप्त हो जाता है | इसनलए हमें सही बात के
नलए सही र्ब्दों का प्रयोग करना चाहहए | साथ ही भाषा की सरलता पर ध्यान दे ना चाहहए |
ननम्ननलजखत अनभकथनों के नलए उनचत तथा तकायुक्त विकल्प में से उत्तर दीजजए –
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उत्तरमाला :
1. (क) A और R दोनों सत्य हैं और R. A की सही व्याख्या करता है ।
स्पष्टीकरण- सुबह अपने कायों में लगे ग्रामीण िगा को स्पष्ट करने िाले प्रनतमान है ।
2. (क) A और R दोनों सत्य है और R, A की सही व्याख्या करता है ।
स्पष्टीकरण- लीपे हुए चौके में नमी होती है ठीक उसी प्रकार भोरकालीन आकार् में भी आरता होती है ।
3. (क) A और R दोनों सत्य है और R, A की सही व्याख्या करता है ।
स्पष्टीकरण- भोर में आकार् नसल और स्लेट की तरह काला नज़र आता है ।
4. (ख) A और R दोनों सत्य है और R. A की सही व्याख्या नहीं करता है
स्पष्टीकरण- सुबह सूरज की हकरणें कोमलता और सतेज होती जाती है । र्ाम को ननस्तेज होती है ।
.(क) Aऔर R दोनों सत्य है और R. A की सही व्याख्या करता है ।
स्पष्टीकरण- क्योंहक नीला र्ंख स्िच्छ, ननमाल और पवित्रता का प्रतीक है ।
िणानात्मक प्रश्न –
प्रश्न. 1- कविता के हकन उपमानों को दे खकर कहा जा सकता है हक उषा गाुँि की सुबह का
गनतर्ील र्ब्द नचत्र है ?
उत्तर :- 1. आसमान नीले र्ंख ि गीली राख के समान- आसमान में नमी है | गाुँि की
महहलाएुँ भोर में ही अपना चूल्हा-चौका लीपकर अपनी हदनचयाा र्ुरू करती है ।
2. काली नसल पर लाल केसर, स्लेट पर लाल चाक- काले आसमान में सूया की हल्की लानलमा
है | गाुँि के पुरुष सुबह जल्दी ही नसल पर केसर नघसकर पूजा की तैयारी करते हैं और बच्चे
काली स्लेट पर लाल चाक से नलखकर अपनी पढ़ाई कर रहे हैं ।
3. गौर जझलनमल दे ह- सूया की हकरणें तालाब पर मानिीय आकृ नत जैसी लगती है | गाुँि की
महहलाएुँ सुबह जल्दी ही तालाब में स्नान कर लेती है |
प्रश्न. 2 - भोर का नभ , राख से लीपा चौका
(अभी गीला पड़ा है )
नयी कविता में कोष्ठक ,विराम नचह्नों और पंवक्तयों के बीच का स्थान भी कविता को अथा दे ता है
| उपयुक्त
ा पंवक्तयों में कोष्ठक से कविता में क्या विर्ेष अथा पैदा हुआ है ?समझाइए |
उत्तर :- नई कविता प्रयोगधमी है |इसमें भाषा- नर्ल्प के स्तर पर हर नए प्रयोग से अथा की
अनभव्यवक्त की जाती है |प्राय: कोष्ठक अनतररक्त ज्ञान की सूचना दे ता है |यहाुँ अभी गीला पड़ा है के
माध्यम से कवि गीलेपन की ताजगी को स्पष्ट कर रहा है |ताजा गीलापन स्लेटी रं ग को अनधक
गहरा बना दे ता है जबहक सूखने के बाद राख हल्के स्लेटी रं ग की हो जाती है |
प्रश्न. 3- उषा का जाद ू क्या है ? उषा का जाद ू कब टू टता है ?
उत्तर- उषाकाल में (भोर से सूयोदय तक) आसमान में कई रं ग जैसे नीला, राख जैसा, लानलमा नलए काला
रं ग आहद आसमान में हदखाई दे ते हैं , यही उषा का जाद ू है | सूयोदय होने और सूया की चमक के कारण
उषा का जाद ू टू टता है |
प्रश्न. 4 - उषा कविता की भाषागत विर्ेषताएुँ नलजखए |
उत्तर- 1.खड़ी बोली हहं दी का प्रयोग हकया गया है |
2.दे र्ज ि ग्रामीण र्ब्दों का प्रयोग हकया गया है , जैस-े राख, चौका, खहड़या आहद |
3.नए उपमानों का प्रयोग हकया गया है , जैस-े नीला र्ंख, राख से लीपा चौका आहद
4.उषाकाल के वबम्बों का प्रयोग हकया गया है , जैस-े पानी में सूया हकरणें जझलनमल दे ह के समान |
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पद्यांर्-2
अट्टानलका नहीं है रे आतंक-भिन
सदा पंक पर ही होता
जल-विललि-ललािन,
क्षुर प्रफुल्ल जलज से सदा छलकता नीर,
रोग-र्ोक में भी हुँ सता है
र्ैर्ि का सुकुमार र्रीर ।
रुद्ध कोष है , क्षुब्ध तोष
अंगना-अंग से नलपटे भी
आतंक अंक पर काुँप रहे हैं ।
धनी, िज्र-गजान से बादल!
त्रस्त नयन-मुख ढाुँप रहे हैं ।
है जीणा बाहु, है र्ीणा र्रीर,
तुझे बुलाता कृ षक अधीर,
ऐ विललि के िीर!
चूस नलया है उसका सार,
हाड़-मात्र ही है आधार,
ऐ जीिन के पारािार!
(1) पंक हकसका प्रतीक है ?
(a) आम आदमी (b) विर्ेष िगा में लोग (c) अमीर िगा (d)पूंजीपनत िगा
(2) अट्टानलका हकसका प्रतीक है ?
(a) र्ोषक एिं पूंजीपनत िगा (b)मजदरू िगा (c) हकसान (d) उपरोक्त में से कोई नहीं
(3) धननक िगा हकस से भयभीत हैं ?
(a) बादलों से (b) चेतना से (c) क्रांनत से (d) उपरोक्त में से कोई नहीं
(4) ननम्ननलजखत कथन और कारण को ध्यानपूिक
ा पहढ़ए और सही विकल्प चुनकर नलजखए।
कथन (A) : पूुँजीपनतयों के ऊुँचे ऊुँचे भिन गरीबों को आतंहकत करने िाले भिन हैं ।
कारण (R) : प्रलय से पूज
ुँ ीपनत िगा ही प्रभावित होता है ।
a. कथन (A) सही है , कारण (R) गलत है ।
b. कथन (A) सही नहीं है , कारण (R) सही है ।
c. कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही हैं , हकंतु कारण (R) उसकी सही व्याख्या नहीं करता।
d. कथन (A) सही है तथा कारण (R) दोनों सही हैं , कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या
करता है ।
(5) जीिन के पारािार हकसे कहा गया है ?
(a) हकसान (b) मजदरू (c) बादल (d) क्रांनत
उत्तरमाला-
(1)(a) (2)(a) (3)(c) (4)(c) (5)((c)
िणानात्मक प्रश्न-
1. अजस्थर सुख पर दख
ु की छाया पंवक्त में दख
ु की छाया हकसे कहा गया है और क्यों?
उत्तर- कवि ने दख
ु की छाया' मानि जीिन में आने िाले दख
ु ों, कष्टों को कहा है । कवि का
मानना है हक संसार में सुख कभी स्थायी नहीं होता। उसके साथ-साथ दख
ु का प्रभाि रहता है ।
धनी र्ोषण करके अकूत संपवत्त जमा करता है परं तु उसे सदै ि क्रांनत की आर्ंका रहती है । िह
सब कुछ नछनने के डर से भयभीत रहता है ।
2.अर्नन-पात से र्ावपत उन्द्नत र्त-र्त िीर पंवक्त में हकसकी ओर संकेत हकया गया है ?
उत्तर- इस पंवक्त में कवि ने पूुँजीपनत या र्ोषण या धननक िगा की ओर संकेत हकया है । वबजली
नगरना' का तात्पया-क्रांनत से है । क्रांनत से जो विर्ेषानधकार प्राप्त िगा है , उसकी प्रभुसत्ता समाप्त हो
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जाती है और िे उन्द्ननत के नर्खर से नगर जाते हैं । उनका गिा चूर-चूर हो जाता है ।
3.'बादल राग' कविता के आधार पर भाि स्पष्ट कीजजए-'विललि-रि से छोटे ही हैं र्ोभा पाते।'
उत्तर- 'विललि-रि' से तात्पया है -क्रांनत का स्िर क्रांनत का सिाानधक लाभ र्ोवषत िगा को ही
नमलता है क्योंहक उसके अनधकार नछने गए हैं । र्ोषक िगा के विर्ेषानधकार खत्म होते हैं । आम
व्यवक्त को जीने के अनधकार नमलते हैं । उनको दरररता दरू होती है । अतः क्रांनत की गजाना से
र्ोवषत िगा प्रसन्द्न होता है ।
4.बादलों के आगमन से प्रकृ नत में होने िाले हकन पररितानों को कविता रे खांहकत करती है ?
उत्तर- कविता में बादलों के आगमन से प्रकृ नत में होने िाले पररितान इस प्रकार है -
i) आसमान में बादल गरज रहे हैं | बहुत तेज़ बाररर् हो रही है |
ii) ऊंचे-ऊंचे पहाड़ों पर वबजली नगर रही है और िे टू ट-फूट रहे हैं |
iii)छोटे -छोटे पौधे पनप रहे हैं |
iv) कमलों से पानी टपक रहा है |
5. क्रांनत की गजाना का र्ोषक िगा पर क्या प्रभाि पड़ता है ? उनका मुख ढापना हकस
माननसकता का घोतक है ? 'बादल राग' कविता के आधार पर उत्तर दीजजए।
उत्तर- र्ोषक िगा ने आनथाक साधनों पर एकानधकार जमा नलया है , परं तु क्रांनत की गजाना
सुनकर िह अपनी सत्ता को खत्म होते दे खता है । िह बुरी तरह भयभीत हो जाता है । उसकी
र्ांनत समाप्त हो जाती है । र्ोषक िगा का मुख ढाुँपना उनकी कमजोर जस्थनत को दर्ााता है ।
क्रांनत के पररणामों से िे भयभीत हैं ।
6. 'बादल राग' कविता में 'ऐ विललि के िीर' हकसे कहा गया है और क्यों?
उत्तर- इस कविता में 'ऐ विललि के िीर!' बादल को कहा गया है । बादल घनघोर िषाा करता है
तथा वबजनलयाुँ नगराता है । इससे सारा जनजीिन अस्त-व्यस्त हो जाता है । बादल क्रांनत का
प्रतीक है । क्रांनत आने से बुराई रूपी कीचड समाप्त हो जाता है तथा आम व्यवक्त को जीने योग्य
जस्थनत नमलती हैं ।
7. 'बादल राग' र्ीषाक की साथाकता नसद्ध कीजजए।
उत्तर-'बादल राग' क्रांनत की आिाज का पररचायक है । यह कविता जनक्रांनत की प्रेरणा दे ती है ।
कविता में बादलों के आने से नए पौधे हवषात होते हैं , उसी प्रकार क्रांनत होने से आम आदमी को
विकास के नए अिसर नमलते हैं । कवि बादलों को बाररर् करने या क्रांनत करने के नलए आहिान
करता है । यह र्ीषाक उद्दे श्य के अनुरूप है । अत: यह र्ीषाक सिाथा उनचत है ।
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पाठ-8. कवितािली, लक्ष्मण-मूच्छाा और राम का विलाप- गोस्िामी तुलसीदास
‘कवितािली’
मूलभाि-
● पहले छं द ”हकसबी, हकसान ....“ में उन्द्होंने हदखलाया है हक संसार के अच्छे -बुरे समस्त
लीला-प्रपंचों का आधार ‘पेट की आग’ का गहन यथाथा है ; जजसका समाधान िे राम की
भवक्त में दे खते हैं ।
● दरररजन की व्यथा दरू करने के नलए राम रूपी घनश्याम का आह्वान हकया गया है । पेट
की आग बुझाने के नलए राम रूपी िषाा का जल अननिाया है ।
● दस
ू रे छं द में कवि अकाल की जस्थनत का नचत्रण करता है । इस समय हकसान खेती नहीं
कर सकता, नभखारों को भीख नहीं नमलती, व्यापारी व्यापार नहीं कर पाता तथा नौकरी
की चाह रखने िालों को नौकरी नहीं नमलती।
● कवि राम से प्राथाना करते हैं हक अब आप ही इस दरररता रूपी रािण का विनार् कर
सकते हैं ।
● तीसरे छं द (”धूत कहौ...“) में भवक्त की गहनता और सघनता में उपजे भक्तहृदय के
आत्मविश्वास का सजीि नचत्रण है , जजससे समाज में व्याप्त जानतिाद - और
दरु ाग्रहों के नतरस्कार का साहस पैदा है ।
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(1) काव्यांर् के अनुसार विद्या प्राप्त करने में लगे लोगों का उद्दे श्य इनमें से क्या है ?
(a) ज्ञानिान बनना (b) समाज में नर्क्षा का बढ़ािा दे ना
(c) जीिन यापन का साधन बनाना (d) सामाजजक बुराइयाुँ दरू करने में सक्षम बनना
(2) 'चढ़तनगरर' के माध्यम से कवि क्या बताना चाहता है ?
(a) लोग योग-साधना के नलए पहाड़ पर चढ़ते हैं ।
(b) लोग औषनधयाुँ खोजने के नलए पहाड़ पर जाते हैं ।
(c) लोग प्राकृ नतक दृश्य का आनंद लेने पहाड़ पर जाते हैं ।
(d) लोग पहाड़ों पर भी आजीविका खोजने के नलए वििर् हैं ।
(3) संसार के सभी लोग काम क्यों करते हैं ?
(a) पेट भरने के नलए (b) आनंद के नलए
(c) खेल के नलए (d) ईश्वर को प्रसन्द्न करने के नलए
(4) ननम्ननलजखत कथन और कारण को ध्यानपूिक
ा पहढ़ए और सही विकल्प चुनकर नलजखए।
कथन (A) : पेट भरने के नलए लोग छोटे बड़े काया करते हैं ।
कारण (R) : पेट की आग समुर की आग से भी भयंकर है ।
a. कथन (A) सही है , कारण (R) गलत है ।
b. कथन (A) सही नहीं है , कारण (R) सही है ।
c. कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही हैं , हकंतु कारण (R) उसकी सही व्याख्या नहीं करता।
d. कथन (A) सही है तथा कारण (R) दोनों सही हैं , कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या
करता है ।
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(5) तुलसीदास के राम हकसके समान कृ पालु है ?
(a) बादलों के समान (b) समुर के समान
(c) जंगलों के समान (d) नदी के समान
उत्तरमाला- (1) (c), (2) (d), (3) (a), (4) (d), (5) (a)
पद्यांर्-2
उहाुँ राम लनछमनहह ननहारी। बोले बचन मनुज अनुसारी।।
अधा रानत गई कवप नहहं आयउ। राम उठाइ अनुज उर लायउ।।
सकहु न दजु खत दे जख मोहह काऊ। बंधु सदा ति मृदल
ु सुभाऊ।।
मम हहत लानग तजेहु वपतु माता। सहे हु वबवपन हहम आतप बाता।।
सो अनुराग कहाुँ अब भाई। उठहु न सुनन मम बच वबकलाई ।।
जौं जनतेउुँ बन बंधु वबछोहू। वपता बचन मनतेउुँ नहहं ओहू ।।
पद्यांर्-3
अब अपलोकु सोकु सुत तोरा। सहहह ननठु र कठोर उर मोरा ।।
ननज जननी के एक कुमारा। तात तासु तुम्ह प्रान अधारा।।
सौंपेनस मोहह तुम्हहह गहह पानी। सब वबनध सुखद परम हहत जानी।।
उतरु काह दै हउुँ तेहह जाई। उहठ हकन मोहह नसखािहु भाई ।।
बहु वबनध सोचत सोच वबमोचन। स्रित सनलल राजजि दल लोचन ।।
उमा एक अखंड रघुराई। नर गनत भगत कृ पालु दे खाई।।
सोरठा
प्रभु प्रलाप सुनन कान, वबकल भए बानर ननकर।
आइ गयउ हनुमान, जजनम करुना मुँह बीर रस।।
(1) लक्ष्मण के जीवित न होने पर राम के हृदय को क्या सहना पड़ता?
(a) अपयर् (b) लक्ष्मण के वियोग का र्ोक
(c) लंका विजय की अधूरी खुर्ी (d) 'क' एिं 'ख' दोनों
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(2) राम के अनुसार लक्ष्मण हकसके प्राणों के आधार थे ?
(a) खुद राम के (b) माता सुनमत्रा के
(c) माता कौर्ल्या के (d) राजा दर्रथ के
(3)' राजीि दल लोचन' में कौन सा अलंकार है ?
(a) अनुप्रास अलंकार (b) यमक अलंकार
(c) रूपक अलंकार (d) उपमा अलंकार
(4) ननम्ननलजखत कथन और कारण को ध्यानपूिक
ा पहढ़ए और सही विकल्प चुनकर नलजखए।
कथन (A) : प्रभु का विलाप सुनकर िालों के समूह व्याकुल हो गए।
कारण (R) : राम के कमल रूपी नेत्रों से आुँसू बहने लगे।
a. कथन (A) सही है , कारण (R) गलत है ।
b. कथन (A) सही नहीं है , कारण (R) सही है ।
c. कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही हैं , हकंतु कारण (R) उसकी सही व्याख्या नहीं करता।
d. कथन (A) सही है तथा कारण (R) दोनों सही हैं , कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या
करता है ।
(5) हकसके आने पर करुण रस में िीर रस का संचार हो गया ?
(a) जामिंत के (b) हनुमान के
(c) िैद्य सुषेण के (d) सीता के
उत्तरमाला- (1) (d), (2) (b), (3) (c), (4) (c), (5) (b)
िणानात्मक प्रश्न -
1. कवितािली में उदधृत छं दों के आधार पर स्पष्ट करें हक तुलसीदास को अपने युग की आनथाक
विषमता की अच्छी समझ है ।
उत्तर :- i) तुलसी ने नलखा है हक उस समय बेरोजगारी ि भुखमरी की समस्या थी।
ii) हकसान, व्यापारी, नौकर, नभखारी सभी बेरोजगार थे।
iii) आम-आदमी बेरोजगारी के कारण नचंनतत था और पेट की आग बुझाने के नलए लोग अच्छे -
बुरे काम करते थे।
iv) उस समय अमीर अनधक अमीर बगरीब अनधक गरीब थे। इससे स्पष्ट है हक तुलसी को अपने
युग की आनथाक विषमता की अच्छी समझ थी।
2. भाई के र्ोक में विह्वल राम की दर्ा का िणान कीजजए।
अथिा
भाई के प्रनत राम के प्रेम पर हटलपणी नलजखए।
उत्तर- i) राम के अनुसार, पुत्र, धन, पत्नी, भिन ि पररिार बार-बार नमल सकते हैं परं तु भाई
नहीं।
ii) भाई के वबना राम अपना जीिन महत्त्िहीन मानते थे। जैस-े वबना पंख के पक्षी, वबना मजण के
साुँप ि वबना सूुँड के हाथी ।
iii) एक पत्नी का स्थान दस
ू री पत्नी ले सकती है , परं तु, भाई का स्थान कोई नहीं ले सकता।
3. र्ोकग्रस्त माहौल में हनुमान के अितरण को करुण रस के बीच िीर रस का आविभााि क्यों
कहा गया है ?
उत्तर- लक्ष्मण को मूजच्छा त दे खकर राम विलाप करने लगे, जजससे पूरी िानर सेना रोने लगी ि
र्ोक का भाि और करुण रस छा गया | इतने में हनुमान के आने ि संजीिनी बूटी लाने के
कारण राम के साथ पूरी िानर सेना में उत्साह का भाि ि िीर रस छा गया। इसनलए करुण रस
के बीच िीर रस का आविभााि कहा गया है ।
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4. भाई के र्ोक में डू बे राम के प्रलाप-िचन में स्त्री के प्रनत कैसा सामाजजक दृवष्टकोण है ? तुलसी
के नारी संबंधी विचार नलजखए!
उत्तर- भाई के र्ोक में डू बे राम के प्रलाप-िचन में नारी सम्बन्द्धी विचार इस प्रकार है –
i) भाई के र्ोक में डू बे राम कहते हैं हक एक पत्नी का स्थान दस
ू री पत्नी ले सकती है . परं तु भाई
का स्थान कोई नहीं ले सकता।
ii) भाई की तुलना में पत्नी कम महत्िपूणा है |
iii) पत्नी की हानन को विर्ेष हानन नहीं माना है ।
5. पेट की आग का र्मन ईश्वर (राम) भवक्त का मेघ ही कर सकता है – तुलसी का यह काव्य
सत्य का इस समय का भी युग-सत्य है ? तका संगत उत्तर दीजजए ।
उत्तर :- तुलसीदास ने ‘कवितािली’ के एक पद में माना है हक ‘पेट की आग’ रामभवक्त रूपी
मेघ ही बुझा सकते हैं । कवि का मानना है हक कमा-फल ईश्वर के अधीन है और प्रकृ नत भी ईश्वर
है | जब प्रकृ नत (ईश्वर) की कृ पा से िषाा होती है और मनुष्य कमा करता है तो अन्द्न पैदा होता
है जजससे पेट की आग का र्मन होता है | अतः यह ितामान युग का भी सत्य है |
6. "धृत कहो : ... िाले छं द में ऊपर से सरल ि ननरीह हदखलाई पड़ने िाले तुलसी की भीतरी
असनलयत एक स्िानभमानी भक्त हृदय की है । इससे आप कहाुँ तक सहमत हैं ?
उत्तर- तुलसीदास ने इस छं द में अपने स्िानभमान को व्यक्त हकया है । िे सच्चे राम भक्त हैं तथा
उन्द्हीं के प्रनत समवपात हैं । िे कहते हैं हक चाहे कोई उन्द्हें धूता कहे या योगी कहे , राजपूत कहे या
जुलाहा कहे , उन्द्हें कोई फरक नहीं पड़ता। िे तो संसार - प्रनसद्ध राम के गुलाम है । िे समाज में
व्याप्त कुरीनतयों का विरोध करते हैं । िे बाहर से सीधे हैं परं तु हृदय में स्िानभमानी भाि को
नछपाए हुए हैं ।
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िणानात्मक प्रश्न -
1. हफराक की रुबाइयों में नचवत्रत घरे लू जीिन के वबंब स्पष्ट कीजजए।
उत्तर- हफराक की रुबाइयों में नचवत्रत घरे लू जीिन के वबंब इस प्रकार है -
i)माुँ िारा बच्चे को गोद में जखलाने ि उछालकर (लोका दे ना) खुर् करने का वबंब है ।
ii) माुँ दिारा बच्चे को नहलाने, कधी करने ि कपड़े पहनाने का वबंब |
iii) दीिाली की र्ाम का वबंब जजसमें माुँ बच्चे के घरौंदे में हदया जला कर उसे खुर् कर रही है |
iv) बच्चे का चाुँद के नलए जजद्द करना ि माुँ िारा उसे र्ीर्े में बच्चे का चाुँद हदखाकर खुर्
करने का वबम्ब ।
v) रक्षाबंधन का वबम्ब जजसमें भाई- बहन के ररश्ते को बादल ि वबजली के समान अटू ट ि
चमकदार बताया है |
2.र्ायर राखी के लच्छे को वबजली की चमक की तरह कहकर क्या भाि व्यंजजत करना चाहता
है ?
अथिा
हटपण्णी करें - सािन की घटाएुँ ि रक्षाबंधन का वबम्ब
उत्तर- सािन में जजस प्रकार बादल ि वबजली का अट्ट ि चमकदार ररश्ता होता है उसी प्रकार
रक्षाबंधन के पिा पर जब बहन भाई को चमकदार राखी बाुँधती है , तो उनका ररश्ता भी गहरा
अटू ट ि चमकदार हो जाता है । यहाुँ वबजली की चमक की तुलना राखी के चमकदार धागे और
भाई- बहन के चमकदार ि गहरे ररश्ते से की गई |
3. हटलपणी करें - गोदी के चाुँद और गगन के चाुँद का ररश्ता।
उत्तर- माुँ जब अपने बच्चे को गोद में लेती है , तब िह उसे चंरमा के समान सुंदर और आकषाक
लगता है । िह अपने बच्चे पर ममता लुटाती रहती है । माुँ की गोदी में बच्चा जब चाुँद को
दे खता है , तब िह उसे जखलौना मानकर अपने हाथों में लेने के नलए मचल उठता है । लेहकन एक
माुँ के नलए तो उसकी संतान ही चाुँद है , इसनलए माुँ ने बच्चे को आईना हदखाकर कहा हक ले!
दे ख चांद।
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4. व्याख्या करें -
र्ब्द के अंकुर फूटे ,
पल्लि-पुष्पों से ननमत हुआ विर्ेष।
उत्तर:- 'छोटा मेरा खेत' में खेती के रूपक िारा काव्य-रचना प्रहक्रया को स्पष्ट हकया गया है ।
जजस प्रकार धरती में बीज बोया जाता है और िह बीज विनभन्द्न रसायनों हिा, पानी, आहद को
पीकर तथा विनभन्द्न चरणों से गुजरकर बड़ा होता है उसी प्रकार जब कवि को हकसी भाि का
बीज नमलता है तब कवि उसे आत्मसात करता है । उसके बाद बीज में से र्ब्दरुपी अंकुर फूटते
है । उसमे विर्ेष भािों के पत्ते और फूल पनपते हैं तत्पश्चात कविता का जन्द्म होता है ।
रोपाई क्षण की,
कटाई अनंतता की
लुटते रहने से ज़रा भी नहीं कम होती।
उत्तर:- साहहजत्यक कृ नत से जो अलौहकक रस-धारा है , उसमें ननहहत सौंदया, रस और भाि न तो
कम होता है , न नष्ट होता है । उसका बीज तो क्षणभर में बोया जाता है हकन्द्तु उस रोपाई
पररणाम यह होता है हक यह रस-धारा अनंत काल तक चलने िाली कटाई के रूप में आनंद दे ता
रहता है , जजतना लोग उसका सुख उठाते है उतना ही यह बढ़ता है ।
5.'छोटा मेरा खेत' कविता में कवि ने खेत को रस का अक्षय पात्र क्यों कहा है ?
उत्तर- कवि ने खेत को रस का अक्षय पात्र इसनलए कहा है क्योंहक अक्षय पात्र में रस कभी
खत्म नहीं होता। उसके रस को जजतना बाुँटा जाता है , उतना ही िह भरता जाता है । खेत की
फसल कट जाती है , परं तु िह हर िषा हफर उग आती है । कविता का रस भी नचरकाल तक
आनंद दे ता है । यह सृजन-कमा की र्ाश्वतता को दर्ााता है ।
6. 'छोटा मेरा खेत' कविता का रूपक स्पष्ट कीजजए ?
उत्तर- इस कविता में कवि ने कवि-कमा को कृ वष के काया के समान बताया है । जजस तरह कृ षक
खेत में बीज बोता है , हफर िह बीज अंकुररत, पल्लवित होकर पौधा बनता है तथा हफर िह
पररपक्ि होकर जनता का पेट भरता है । उसी तरह भािनात्मक आुँधी के कारण हकसी क्षण एक
रचना, विचार तथा अनभव्यवक्त का बीज बोया जाता है । यह विचार कल्पना का सहारा लेकर
विकनसत होता है तथा रचना का रूप ग्रहण कर लेता है । इस रचना के रस का आस्िादन
अनंतकाल तक नलया जा सकता है । साहहत्य का रस कभी समाप्त नहीं होता।
7.कविता लुटने पर भी क्यों नहीं नमटती या खत्म होती?
उत्तर- यहाुँ लुटने से आर्य बाुँटने से है । कविता का आस्िादन अनेक पाठक करते हैं । इसके
बािजूद यह खत्म नहीं होती क्योंहक कविता जजतने अनधक लोगों तक पहुुँचती है उतना ही
अनधक उस पर नचंतन हकया जाता है । िह र्ाश्वत हो जाती है ।
8.'बीज गल गया ननःर्ेष' से क्या तात्पया है ?
उत्तर- इसका अथा यह है हक जब तक कवि के मन में कविता का मूल भाि पूणत
ा या समा नहीं
जाता, तब तक िह ननजता (अहं ) से मुक्त नहीं हो सकता। कविता तभी सफल मानी जाती है ,
जब िह समग्र मानि जानत की भािना को व्यक्त करती है । कविता को सािाजननक बनाने के
नलए कवि का अहं नष्ट होना आिश्यक है ।
9.'बगुलों के पंख' कविता का प्रनतपाद्य बताइए।
उत्तर- यह सुंदर दृश्य कविता है । कवि आकार् में उड़ते हुए बगुलों की पंवक्त को दे खकर तरह-
तरह की कल्पनाएुँ करता है । ये बगुले कजरारे बादलों के ऊपर तैरती साुँझ की सफेद काया के
समान लगते हैं । कवि को यह दृश्य अत्यंत सुंदर लगता है । िह इस दृश्य में अटककर रह जाता
है । एक तरफ िह इस सौंदया से बचना चाहता है तथा दस
ू री तरफ िह इसमें बुँधकर रहना
चाहता है ।
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गद्य खंड
पाठ-11 भवक्तन -महादे िी िमाा
पाठ का सार- भवक्तन महादे िी जी का प्रनसद्ध संस्मरणात्मक रे खानचत्र है जो स्मृनत की रे खाएुँ में संकनलत
है | इसमें लेजखका ने अपनी सेविका भवक्तन के अतीत और ितामान का पररचय दे ते हुए व्यवक्तत्ि का
नचत्रण हकया है | लेजखका के घर में काम करना र्ुरू करने से पहले भवक्तन ने संघषार्ील ि स्िानभमानी
जीिन जजया और जीिन की राह बदलने का ननणाय नलया | उसके जीिन को महादे िी ने चार पररच्छे द
(भागों) में बाुँटा है |
प्रथम पररच्छे द में सौतेली माता के कहने पर उसके वपता िारा उसका कम उम्र में वििाह करने, विमाता
िारा जायदाद पाने की लालसा के कारण लक्ष्मी के वपता के गंभीर रूप से बीमार होने पर भी सूचना नहीं
दे ने ि वपता की मृत्यु के बाद विमाता िारा लक्ष्मी से बुरा व्यिहार करने का िणान है |
दस
ू रे पररच्छे द में लक्ष्मी(भवक्तन) िारा तीन बेहटयों को जन्द्म दे ने के कारण उसकी सास ि जेठाननयों िारा
उसकी उपेक्षा करने, उसके पनत ि बड़े दामाद की मृत्यु का िणान है |
तीसरे पररच्छे द में पंचों िारा उसकी बेटी की जबरन र्ादी के बाद जमींदार िारा अपमाननत होने पर कमाई
के उद्दे श्य से उसके र्हर आने का िणान है |
अंनतम पररच्छे द में गाुँि से र्हर आकर भवक्तन के महादे िी के घर रहकर काम करने, भवक्तन की सेिा-
भािना, उसके गुण-दोषों और महादे िी से अटू ट सम्बन्द्ध का िणान है |
भवक्तन लेजखका को ग्रामीण भोजन जखलाती है , परन्द्तु खुद र्हर का रसगुल्ला नहीं खाती और महादे िी को
दे हाती बना दे ती है | लेजखका िारा गुणों के साथ-साथ भवक्तन के दग
ु ण
ुा ों के बारे में िणान हकया गया है |
जैसे - पूरा सच न बोलना, पैसे नछपाना,बात बदलकर कहना, जजद्दी होना आहद |
भवक्तन िारा र्ास्त्र की बातों को अपने अनुसार बदलने के सन्द्दभा में बाल मुुँडिाने के उदाहरण का िणान |
भवक्तन के स्ितंत्र व्यवक्तत्त्ि की तुलना आुँगन के अुँधेरे-उजाले,गुलाब ि आम से करना |
भवक्तन की सहज बुवद्ध ि कवियों के बारे में राय का िणान है |
लेजखका को कारागार भेजने की बात पर भवक्तन िारा साथ जाने की जजद्द करना और अधूरा पर मानमाक
अंत होना |
पहठत गद्यांर्ों पर बहुविकल्पीय प्रश्न
गद्यांर् – 1
सेिक-धमा में हनुमान जी से स्पद्धाा करने िाली भवक्तन हकसी अंजना की पुत्री न होकर एक अनामधन्द्या
गोपानलका की कन्द्या है -नाम है लछनमन अथाात लक्ष्मी। पर जैसे मेरे नाम की विर्ालता मेरे नलए दि
ु ह
ा है ,
िैसे ही लक्ष्मी की समृवद्ध भवक्तन के कपाल की कुंनचत रे खाओं में नहीं बुँध सकी। िैसे तो जीिन में प्रायः
सभी को अपने-अपने नाम का विरोधाभास लेकर जीना पड़ता है ; पर भवक्तन बहुत समझदार है , क्योंहक
िह अपना समृवद्ध-सूचक नाम हकसी को बताती नहीं। केिल जब नौकरी की खोज में आई थी, तब
ईमानदारी का पररचय दे ने के नलए उसने र्ेष इनतिृत्त के साथ यह भी बता हदया; पर इस प्राथाना के साथ
हक मैं कभी नाम का उपयोग न करूुँ | उपनाम रखने की प्रनतभा होती, तो मैं सबसे पहले उसका प्रयोग
अपने ऊपर करती, इस तथ्य को िह दे हानतन क्या जाने, इसी से जब मैंने कंठी माला दे खकर उसका नया
नामकरण हकया तब िह भवक्तन जैसे कवित्िहीन नाम को पाकर भी गद्गद हो उठी।
क. हकसकी दर्ा अपने नाम से वबल्कुल मेल नहीं खाती थी ?
1.लेजखका की 2. भवक्तन की
3.जेठानी की 4.सास की
ख. ‘अनामधन्द्य गोपानलका की कन्द्या’ संबोधन हकसके नलए प्रयोग हकया गया है ?
1.धन की दे िी 2. महादे िी
3.भवक्तन 4. लेजखका
ग. भवक्तन के सेिक धमा की तुलना ..........से की गई है ।
1.हनुमान जी 2. लक्ष्मण जी 3.तुलसीदास जी 4. बाल्मीहक जी
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घ. कथन (A) भवक्तन अपना असली नाम हकसी को नहीं बताती थी।
कारण (R) भवक्तन का नाम समृवद्ध- सूचक था।
1.कथन(A) और कथन (R) दोनों सही है तथा कारण (R)कथन (A) की सही व्याख्या करता है ।
2.कथन (A) गलत है परं तु कारण (R) सही है ।
3.कथन (A) तथा कारण (R) दोनों गलत है ।
4.कारण (A) सही है , परं तु कारण (R) उसकी गलत व्याख्या करता है ।
ङ. गद्यांर् के आधार पर ननम्ननलजखत कथनों पर विचार कीजजए
1. लक्ष्मी के जीिन में उसके नाम का विरोधाभास था।
2. भवक्तन ने लेजखका को अपना असली नाम कभी नहीं बताया।
3. भवक्तन ने लेजखका से उसे िास्तविक नाम से न पुकारने की प्राथाना की।
4. उपरोक्त कथनों में से कौन- सा/से सही है /हैं ?
1. केिल 1 2. केिल 2
3. 1 और 2 4. 1 और 3
उत्तर
क. 2. भवक्तन की
ख. 3.भवक्तन
ग. 1. हनुमान जी
घ. 4. कथन (A) सही है , परं तु कारण(R) उसकी गलत व्याख्या करता है ।
ङ 4. 1 और 3
गद्यांर् – 2
भवक्तन और मेरे बीच में सेिक- स्िामी का संबंध है , यह कहना कहठन है ; क्योंहक ऐसा कोई स्िामी नहीं हो
सकता, जो इच्छा होने पर भी सेिक को अपनी सेिा से हटा न सके और ऐसा कोई सेिक भी नहीं सुना
गया, जो स्िामी के चले जाने का आदे र् पाकर अिज्ञा से हुँ स दे । भवक्तन को नौकर कहना उतना ही
असंगत है , जजतना अपने घर में बारी-बारी से आने-जाने िाले अुँधेरे-उजाले और आुँगन में फूलने िाले
गुलाब और आम को सेिक मानना। िे जजस प्रकार एक अजस्तत्ि रखते हैं , जजसे साथाकता दे ने के नलए ही
हमें सुख-दख
ु दे ते हैं , उसी प्रकार भवक्तन का स्ितंत्र व्यवक्तत्ि अपने विकास के पररचय के नलए ही मेरे
जीिन को घेरे हुए हैं ।
उत्तरमाला -1 क, 2 ग, 3 ख, 4 घ, 5 घ
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िणानात्मक प्रश्न-
प्र.(1) भवक्तन अपना िास्तविक नाम लोगों से क्यों छुपाती थी ? भवक्तन को यह नाम हकसने और क्यों
हदया होगा ?
उत्तर -भवक्तन का िास्तविक नाम लक्ष्मी था जजसका अथा है - धन की दे िी ि सुख-समृवद्ध से भरपूर |
भवक्तन को यह नाम उसके माता-वपता ने यह सोचकर हदया होगा हक उसका जीिन सुख-समृवद्ध से भरा
रहे | भवक्तन अपना िास्तविक नाम लोगों से इसनलए छुपाती थी क्योंहक नाम के अनुसार उसके जीिन में
सुख-समृवद्ध नहीं थी और उसका जीिन गरीबी ि दख
ु ों से भरा था और लोग उसका उपहास न करें |
प्र.(2) तीन कन्द्या-रत्न पैदा करने पर भवक्तन पुत्र-महहमा में अंधी अपनी जजठाननयों िारा घृणा ि उपेक्षा
का नर्कार बनी | ऐसी घटनाओं से ही अकसर यह धारणा चलती है हक स्त्री ही स्त्री की दश्ु मन होती है |
क्या इससे आप सहमत हैं ?
उत्तर -इस कहानी में ननम्ननलजखत घटनाओं से पता चलता है हक स्त्री ही स्त्री की दश्ु मन है -
विमाता (सौतेली माता)- विमाता के कहने पर उसकी जल्दी र्ादी कर दी गई | विमाता ने उसके वपता की
मृत्यु के बाद जाने पर उसे अपमाननत हकया ि बुरा व्यिहार हकया
सास- तीन बेहटयों को जन्द्म दे ने के कारण उसकी सास उसे उनचत सम्मान नहीं दे ती थी |
जजठाननयाुँ- जजठाननयाुँ ि उनके लड़के कोई काम नहीं करते बजल्क घर और खेत का काम लक्ष्मी और
उसकी बेहटयाुँ करती थीं | हफर भी लक्ष्मी और उसकी बेहटयों को पौवष्टक भोजन नहीं नमलता था |
प्र.(3) भवक्तन की बेटी पर पंचायत िारा ज़बरन पनत थोपा जाना एक दघ
ु ट
ा ना भर नहीं, बजल्क वििाह के
सन्द्दभा में स्त्री के मानिानधकार (वििाह करें या न करें अथिा हकससे करें ) इसकी स्ितंत्रता को कुचलते
रहने की सहदयों से चली आ रही सामाजजक परं परा का प्रतीक है |कैसे ?
उत्तर -एक हदन भवक्तन को घर में न पाकर उसके जेठ के बड़े लड़के का साला भवक्तन की बेटी की कोठरी
में घुस गया, तो भवक्तन की बेटी ने उसे अच्छी तरह पीटा | जेठ के बड़े लड़के ि उसके समथाकों ने पंचों को
बुलाया | तब उस युिक ने झूठ बोला हक इस लड़की ने मुझे बुलाया था | पंचायत ने उन्द्हें पनत-पत्नी की
तरह रहने का फैसला सुनाया और भवक्तन की बेटी की बात न सुनी | ऐसा हमारे समाज में सहदयों से चला
आ रहा है | इससे स्पष्ट है हक सामाजजक परं परा की आड़ में वििाह के सन्द्दभा में स्त्री के मानिानधकार ि
स्ितंत्रता को कुचला जा रहा है |
प्र.(4)“भवक्तन अच्छी है , यह कहना कहठन होगा, क्योंहक उसमें दग
ु ण
ुा ों का अभाि नहीं” लेजखका ने ऐसा
क्यों कहा होगा ?
उत्तर -भवक्तन अच्छी है पर उसमें दग
ु ण
ुा ों का अभाि नहीं, लेजखका ने ऐसा इसनलए कहा क्योंहक–
िह पूरा सच नहीं बोलती थी बजल्क झूठ बोल जाती थी | लेजखका के इधर-उधर पड़े पैसों को भण्डार घर
की मटकी में नछपाकर रखती थी | इस पर संकेत करने पर िह तका-वितका करती थी | लेजखका के क्रोध से
बचने के नलए बातों को बदलकर कह दे ती थी | िह दस
ू रों को अपने अनुसार बदल लेती थी परन्द्तु स्ियं
वबलकुल भी नहीं बदलती थी|
प्र.(5) भवक्तन िारा र्ास्त्र के प्रश्न को सुविधा से सुलझा लेने का क्या उदाहरण लेजखका ने हदया है ?
उत्तर -र्ास्त्र का प्रश्न भवक्तन अपनी सुविधा के अनुसार सुलझा लेती थी | िह प्रत्येक गुरूिार को नाई को
बुलाकर उसके उस्तरे पर गंगाजल नछड़ककर अपने बाल मुुँडिाती थी | लेजखका िारा इस बारे में पूछने पर
िह (भवक्तन) कहती थी की र्ास्त्रों में नलखा है – ‘तीरथ गए मुुँडाए नसद्ध |’ भवक्तन िारा र्ास्त्र के प्रश्न को
सुविधा से सुलझा लेने का यह उदाहरण लेजखका ने हदया है |
प्र.(6) भवक्तन के आ जाने से महादे िी अनधक दे हाती कैसे हो गई ?
उत्तर -भवक्तन के आ जाने से महादे िी अनधक दे हाती हो गई थी क्योंहक–
भवक्तन लेजखका को ग्रामीण भोजन जखलाती थी जैसे –ज्िार के भुट्टे के हरे दानों की जखचड़ी,सिेद महुए
की लपसी आहद | िह उसे रात का बासी भोजन जखला दे ती थी, यह कहकर हक मकई का रात को बना
दनलया सिेरे मट्ठे से अच्छा लगता है और नतल के पुए ठं डे अच्छे लगते हैं | लेजखका की साड़ी को इस
तरह तह करती थी हक िह सलिटों से भर जाती थी |
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पाठ-12 बाज़ार दर्ान -जैनेन्द्र कुमार
पाठ का सार- इस ननबन्द्ध में जैनेन्द्र कुमार अपने पररनचतों, नमत्रों से जुड़े अनुभि बताते हुए समझाते हैं
हक बाज़ार की जादई
ु ताकत कैसे हमें अपना गुलाम बना लेती है | अगर वबना ज़रूरत तय हकए बाज़ार गए
तो उसकी चमक-दमक में फुँस जाएुँगे
पचेजज़ंग पािर का अथा है वबना आिश्यकता के पैसे के अनुसार सामान खरीदने की ताकत या क्षमता का
हदखािा जजसमें मनुष्य गैर-ज़रूरी चीज़ें खरीद लेता है | बाज़ार के आमंत्रण में आग्रह नहीं होता और िह
चुपचाप हमें अपनी ओर आकवषात कर लेता है | इससे मनुष्य के मन में एक चाह जगती है जजससे अभाि
उत्पन्द्न होता है |
लेखक ने बाज़ार के जाद ू को रूप का जाद ू कहा है क्योंहक जब हम बाज़ार में चीज़ों को दे खते हैं तो हम
उनकी ओर आकवषात हो जाते हैं और उन्द्हें खरीद लेते हैं |जब मन खाली हो और जेब खाली या भरी हो तो
बाज़ार का जाद ू चलता है |जब बाज़ार का जाद ू चढ़ता है तो मनुष्य को लगता है हक यह भी ले लूुँ, िह भी
ले लूुँ | िह उनकी ओर चुम्बक की तरह जखंचा चला जाता है | सभी सामान ज़रूरी और आराम को बढ़ाने
िाले मालूम होते हैं | जब बाज़ार का जाद ू उतरता है तो फैंसी चीज़ों की बहुतायत आराम में खलल (बाधा)
डालने िाली महसूस होती है |
बाज़ार के जाद ू से बचने का सीधा-सा उपाय है हक जब भी बाज़ार जाओ तो मन खाली न हो बजल्क भरा हो|
आिश्यकता के समय काम आना ही बाज़ार की असली साथाकता है |
लेखक ने मन पर ननयंत्रण के सम्बन्द्ध में भगत जी का उदाहरण दे कर कहा है हक उनका चूरन प्रनसद्ध
है लेहकन जब छः आने (24 पैस)े िो कमा लेते थे तो बाकी चूरन बच्चों को मुफ़्त दे दे ते थे |
भगत जी की विर्ेषताएुँ - उनका मन पर ननयंत्रण था और िे संयमी थे | उनका मन अहडग रहता था |
बाज़ार जाने पर उनका मन भरा होता था | पैसे की व्यंग्य-र्वक्त का उन पर कोई असर नहीं होता था |
उनकी आिश्यकताएुँ तय होती थीं | उनकी आुँखें खुली और मन भरा था यानी िे बाज़ार में सारी चीजें
दे खकर खुर् होते हैं परन्द्तु खरीदते िही हैं जो ज़रूरी हो | लेखक के अनुसार बाज़ार को साथाकता और
सच्चा लाभ भगत जी जैसे लोग ही दे सकते हैं |
जजन मनुष्यों की आिश्यकताएुँ तय नहीं होती िे पचेजज़ंग पािर के गिा से बाज़ार में पैसे की विनार्क
र्वक्त, व्यंग्य-र्वक्त से होड़ उत्पन्द्न कर उसका अहहत करते हैं | ये लोग बाज़ारुपन को बढ़ाते हैं |
बाज़ारुपन – ग्राहक ि दक
ु ानदार के बीच कपट का बढ़ना और सद्भाि का घटना बाज़ारुपन है |
लेखक ने अथार्ास्त्र को अनननतर्ास्त्र और मायािी र्ास्त्र कहा है |
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िणानात्मक प्रश्न-
प्र.(1) बाजार का जाद ू चढ़ने और उतरने पर मनुष्य पर क्या-क्या असर पड़ता है ?
उत्तर -जब बाजार का जाद ू चढ़ता है तो मनुष्य को लगता है हक यह भी ले लूुँ, िह भी ले लूुँ। िह उनकी
ओर चुम्बक की तरह जखंचा चला जाता है । सभी सामान जरूरी और आराम को बढ़ाने िाले मालूम होते हैं ।
जब बाजार का जाद ू उतरता है तो फैंसी चीजों की बहुतायत आराम में खलल डालने िाली महसूस होती है ।
प्र.(2) बाजार में भगत जी के व्यवक्तत्ि का कौनसा सर्क्त पहलू उभरकर आता है ? क्या आपकी नज़र में
उनका आचरण समाज में र्ांनत स्थावपत करने में मददगार हो सकता है ?
उत्तर -बाज़ार में भगत जी के व्यवक्तत्ि का यह सर्क्त पहलू उभरकर आता है हक उनका अपने मन पर
ननयंत्रण था, िे संयमी थे, उनकी आिश्यकताएुँ तय थी और मन भरा था जजसके कारण िे जरूरत की
चीजें ही बाजार से खरीदते से थे। | मेरी नज़र में भगत जी के आचरण से समाज में अनधक सामान जोड़ने
की होड़ ि महुँ गाई को कम कर सकने में मदद नमल सकती है जजससे समाज में र्ांनत स्थावपत हो सकेगी।
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प्र.(3)'बाजारूपन' से क्या तात्पया है ? हकस प्रकार के व्यवक्त बाजार को साथाकता प्रदान करते हैं ?
अथिा
बाज़ार की साथाकता हकसमें है ?
उत्तर -ग्राहक ि दक
ु ानदार के बीच कपट का बढ़ना और सद्भाि का घटना बाजारूपन है जजसमें दोनों एक-
दस
ू रे को ठगने की कोनर्र् करते हैं और एक को दस
ू रे के नुकसान में अपना लाभ हदखाई दे ता है |
लेखक के अनुसार बाजार को साथाकता और सच्चा लाभ भगत जी जैसे लोग ही दे सकते हैं जजनका मन
भरा हो यानी आिश्यकताएुँ तय हो और जो ज़रूरत की चीजें ही बाज़ार से खरीदते हो |
प्र.(4) पचेजजंग पॉिर का क्या तात्पया है ? पचेजजंग पािर का गिा बाजार का क्या अहहत कर सकता है ?
उत्तर- पचेजजंग पािर का तात्पया है - वबना आिश्यकता के पैसे के अनुसार सामान खरीदने की ताकत या
क्षमता का हदखािा जजसमें मनुष्य गैर-जरूरी चीजें खरीद लेता है । -पचेजजंग पािर का गिा पैसे से बाजार
को केिल एक विनार्क-र्वक्त, र्ैतानी-र्वक्त और व्यंग्य की र्वक्त ही दे ता है जजससे न तो हम बाजार से
लाभ उठा सकते हैं , न ही उस बाजार को सच्चा लाभ दे सकते हैं ।
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पाठ-13 काले मेघा पानी दे – धमािीर भारती
पाठ का सारांर् -
• प्रस्तुत संस्मरण लोक-प्रचनलत विश्वास और विज्ञान के िं ि का सुंदर नचत्रण है | इसमें
लेखक ने पानी के सन्द्दभा में प्रसंग रचा है |
• लेखक ने अपने हकर्ोर जीिन के इस संस्मरण में बताया है हक अनािृवष्ट दरू करने के
नलए गाुँि के बच्चों की इन्द्दर सेना िार-िार पानी माुँगते चलती है परन्द्तु लेखक का
तकार्ील मन इसे पानी की ननमाम बबाादी मानता है |
• लेखक की माुँ समान जीजी इसे उनचत मानकर इसे इं र दे िता को अर्घया चढ़ाना मानती
है | साथ ही िह कहती है हक ऋवष-मुननयों ने भी दान ि त्याग को महत्त्ि हदया है |
अगर हम दान ि त्याग करें गे तो ईश्वर भी चौगुना-अठगुना करके लौटाएुँगे |
• पाठ के अंत में लेखक ने भ्रष्टाचार को रोकने के नलए आम आदमी के नागररक कताव्यों
की याद हदलाई है और बताया है हक हम भ्रष्टाचार की बुराई तो करते हैं , पर कहीं हम
खुद इसको बढ़ाने में भागीदार तो नहीं बन रहे हैं !
• इस पाठ के मूल सन्द्दे र् हैं –
1. तका (विज्ञान) ि भािना (आस्था) में सामंजस्य स्थावपत करना |
2. त्याग की भािना उत्पन्द्न कर राष्ट्र के प्रनत कताव्य का ननिााह करने का सन्द्दे र्
3. भ्रष्टाचार का विरोध |
गद्यांर् पर आधाररत बहुविकल्पीय प्रश्न
गद्यांर्-1
कभी-कभी कैसे-कैसे संदभों में ये बातें मन को कचोट जाती हैं , हम आज दे र् के नलए करते क्या हैं ? माुँगें
हर क्षेत्र में बड़ी-बड़ी है पर त्याग का कहीं नामो-ननर्ान नहीं है । अपना स्िाथा आज एकमात्र लक्ष्य रह गया
है । हम चटखारे लेकर इसके या उसके भ्रष्टाचार की बातें कहते हैं पर क्या कभी हमने जाुँचा है हक अपने
स्तर पर अपने दायरे में हम उसी भ्रष्टाचार के अंग तो नहीं बन रहे हैं ? काले मेघा दल-के-दल उमड़ते हैं ,
पानी झमाझम बरसता है , पर गगरी फूटी की फूटी रह जाती है , बैल वपयासे के वपयासे रह जाते हैं ?
आजखर कब बदलेगी यह जस्थनत?
(I) लेखक के मन को कौन सी बात कचोटती है ?
क) भ्रष्टाचारी होना ख) अपनी बात मनिाने की जजद करना
ग) कताव्य बोध का अभाि घ) दान ना दे ना
ii) हमारे दे र् में भ्रष्टाचार की क्या जस्थनत है ?
क) मांगे बड़ी है पर त्याग की भािना नहीं है ख) स्िाथा ही एकमात्र लक्ष्य रह गया है
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ग) भ्रष्टाचार की बातें करते हैं पर स्ियं भ्रष्ट हैं घ) उपरोक्त सभी
iii) 'गगरी फूटी की फूटी रह जाती है ' से क्या अनभप्राय है ?
क) कल्याणकारी योजनाओं का आम जनता को लाभ नहीं नमलता
ख) सरकारी सहायता जरूरतमंदों तक नहीं पहुंच पाती
ग) (I) और (ii) दोनों घ) उपरोक्त में से कोई नहीं
iv) लेखक का प्रस्तुत गद्यांर् में केंर वबंद ु क्या है ?
क) दे र् में सूखे की समस्या ख) दे र् में भ्रष्टाचार की समस्या
ग) दे र् के लोगों में त्याग की भािना का ना होना घ) उपरोक्त में से कोई नहीं
v) 'आजखर कब बदलेगी जस्थनत' कथन में लेखक हकस जस्थनत की बात कर रहा है ?
क) दे र् में व्याप्त भ्रष्टाचार के बारे में ख) सरकारी योजनाओं के बारे में
ग) दे र् में सूखे की जस्थनत के बारे में घ) दे र् में अकाल की जस्थनत के बारे में
उत्तरमाला -(i) (ग) ,(ii)(घ) ,(iii)(ग) ,(iv)(क) ,(v)(ख)
गद्यांर्-2
लेहकन इस बार मैंने साफ इनकार कर हदया। नहीं फेंकना है मुझे बाल्टी भर-भरकर पानी इस गंदी मेंढक
मंडली पर। जब जीजी बाल्टी भरकर पानी ले गई उनके बूढ़े पाुँि डगमगा रहे थे, हाथ काुँप रहे थे, तब भी
मैं अलग मुुँह फुलाए खड़ा रहा। र्ाम को उन्द्होंने लड्डू -मठरी खाने को हदए तो मैंने उन्द्हें हाथ से अलग
जखसका हदया, मुुँह फेरकर बैठ गया, जीजी से बोला भी नहीं। पहले िे तमतमाईं, लेहकन ज्यादा दे र तक
उनसे गुस्सा नहीं रह गया। पास आकर मेरा सर अपनी गोद में लेकर बोलीं, "दे ख भइया, रूठ मत। मेरी
बात सुन। यह सब अंधविश्वास नहीं है । हम इन्द्हें पानी नहीं दें गे तो इं र भगिान हमें पानी कैसे दें गे?"
मैं कुछ नहीं बोला। हफर जीजी बोलीं। “तू इसे पानी को बरबादी समझता है पर यह बरबादी नहीं है । पानी
का अर्घया चढ़ाते हैं , जो चीज मनुष्य पाना चाहता है उसे पहले दे गा नहीं तो पाएगा कैसे? इसीनलए ऋवष-
मुननयों ने दान को सबसे ऊंचा स्थान हदया है ।"
(क) लेखक ने मेंढक- मंडली पर पानी फेंकने से इं कार क्यों कर हदया होगा?
(i) पानी बबााद नहीं करने के कारण
(ii) मेंढक- मंडली को गंदे लोगों की श्रेणी में रखने के कारण
(iii) पानी फेंकने को बरबादी मानने के कारण
(iv) लोकमान्द्यताओं में विश्वास नहीं होने के कारण
(ख) अपने डगमगाते पाुँि पर भी जीजी बाल्टी भर कर पानी क्यों फेंक रही थी?
(i) क्योंहक लेखक पानी फेंकने से इं कार कर हदया था
(ii) पानी फेंकना आिश्यक मानने के कारण
(iii) लोकमान्द्यता में विश्वास रखने के कारण
(iv) अंधविश्वास में विश्वास के कारण
(ग) लेखक जीजी से नाराज़ क्यों हो रहा था?
(i) जीजी िारा पानी फेंकने के कारण
(ii) लेखक की बात नहीं मानने के कारण
(iii) लेखक और जीजी में िैचाररक अंतर होने के कारण
(iv) जीजी के अंधविश्वासी होने के कारण
(घ) जीजी अनधक दे र तक लेखक से गुस्सा क्यों नहीं रह सकी ?
(i) लेखक की बात समझ जाने से (ii) लेखक को समझाना चाहती थी
(iii) लेखक से प्रेम करने के कारण (iv) लेखक की नासमझी के कारण
(ङ) पानी का अर्घया चढ़ाने से आप क्या समझते हैं ?
(i) पानी का दान दे ना (ii) पानी इं र भगिान को समवपात करना
(iii) पानी का प्रसाद चढ़ाना (iv) पानी का महत्त्ि बताना
उत्तरमाला -(क) (iv) ,(ख) (iii) ,(ग) (iv) ,(घ) (iii) ,(ड.) (i)
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गद्यांर्-2
हफर जीजी बोलीं, "दे ख, तू तो अभी से पढ़-नलख गया है । मैंने तो गाुँि के मदरसे का भी मुुँह नहीं दे खा। पर
एक बात दे खी है हक अगर तीस-चालीस मन गेहूं उगाना है तो हकसान पाुँच-छ: सेर अच्छा गेहूं अपने पास
से लेकर जमीन में क्याररयों बनाकर फेंक दे ता है । उसे बुिाई कहते हैं । यह जो सूखे में हम अपने घर का
पानी इन पर फेंकते हैं ; िह भी बुिाई है । यह पानी गली में बोएुँगे तो सारे र्हर, कस्बा, गाुँि पर पानीिाले
बादलों की फसल आ जाएगी। हम बीज बनाकर पानी दे ते हैं , हफर काले मेघों से पानी माुँगते हैं । सब ऋवष-
मुनन कह गए हैं हक पहले खुद दो तब दे िता तुम्हें चौगुना-अठगुना करके लौटाएुँगे भइया, यह तो हर
आदमी का आचरण है , जजससे सबका आचरण बनता है । यथा राजा तथा प्रजा नसफा यही सच नहीं है । सच
यह भी है हक यथा प्रजा तथा राजा। यही तो गाुँधी जी महाराज कहते हैं ।"
(क) कॉलम 1 को कॉलम 2 से सुमेनलत कीजजए और सही विकल्प चुनकर नलजखए।
कॉलम 1 कॉलम 2
1 पानी की बुिाई (a) यथा प्रजा तथा राजा
2 ऋवष-मुननयों का कथन (b) पहले दान ि त्याग करो
3 गाुँधी जी का कथन (c) इं दरसेना पर पानी फेंकना
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(ङ) अपने टायटल की प्रामाजणकता नसद्ध करने के नलए िह क्या करता था?
(i) रोज कुश्ती का अभ्यास करता था (ii) बीच-बीच में जंगल घूमने जाता था
(iii) रोज पहलिानों से दो-दो हाथ करता था (iv) बीच-बीच में र्ेर की तरह दहाड़ता था
उत्तरमाला -(क)(iv) ,(ख)(ii) ,(ग)(iii) ,(घ)(ii) ,(ड)(iv)
गद्यांर्-2
रावत्र की विभीवषका को नसफा पहलिान की ढोलक ही ललकारकर चुनौती दे ती रहती थी।
पहलिान संध्या से सुबह तक, चाहे जजस ख्याल में ढोलक बजाता हो, हकंतु गाुँि के अधामत
ृ ,
औषनध-उपचार- पथ्य-विहीन प्राजणयों में िह संजीिनी र्वक्त ही भरती थी। बूढ़े- बच्चे-जिानों की
र्वक्तहीन आुँखों के आगे दं गल का दृश्य नाचने लगता था। स्पंदन - र्वक्त - र्ून्द्य स्नायुओं में
भी वबजली-सी दौड़ जाती थी। अिश्य ही ढोलक की आिाज़ में न तो बुखार हटाने का कोई गुण
था और न महामारी की सिानार् र्वक्त को रोकने की र्वक्त थी, पर इसमें संदेह नहीं हक मरते हुए
प्राजणयों को आुँख मूुँदते समय कोई तकलीि नहीं होती थी, मृत्यु से िे डरते नहीं थे।
(क) कथन (A) पहलिान की ढोलक की आिाज सुनकर महामारी से तड़पते हुए लोगों को मृत्यु
का भय नहीं लगता था ।
कारण (R) पहलिान की ढोलक में संजीिनी सकती थी।
(i) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही है तथा कारण कथन की सही व्याख्या करता है ।
(ii) कथन (A) सही है लेहकन कारण (R) गलत है ।
(iii) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों गलत है ।
(iv) कथन (A) सही है , लेहकन कारण (R) उसकी गलत व्याख्या करता है ।
(ख) गाुँि के िानसयों में संजीिनी र्वक्त भरने का काम हकसने हकया?
(i) राजा ने (ii) पहलिान ने (iii) पहलिान की ढोलक ने (iv) िैद्य जनों ने
(ग) गद्यांर् के आधार पर ननम्ननलजखत कथनों पर विचार कीजजए
1.पहलिान की ढोलक की आिाज सुनकर गांि के लोगों के सामने दं गल का दृश्य आ जाता था
2. पहलिान की ढोलक रावत्र की भयािहता को कम कर दे ती थी।
3.पहलिान की ढोलक की आिाज पीहड़तों का उपचार करती थी।
उपरोक्त में से कौन- सा/से सही है /हैं ?
(i) केिल 1 (ii) केिल 2
(iii) 1 और 2 (iv) 1 और 3
(घ) ढोलक की आिाज़ को सुनकर वबना हकसी तकलीफ के अपने प्राण कौन त्याग दे ता था?
(i) लुट्टन नसंह (ii) चाुँद नसंह
(iii) मरता हुआ व्यवक्त (iv) स्िस्थ व्यवक्त
(ङ) गाुँि के लोगों की कैसी जस्थनत थी ?
(i) अद्धामत
ृ (ii) औषनध उपचार पथ्य विहीन
(iii) (i) और (ii) दोनों (iv) संतोषजनक
उत्तरमाला -(क)(ii) ,(ख)(iii) ,(ग)(iii) ,(घ)(iii) ,(ड)(iii)
अनभकथन-तका
1.अनभकथन- गाुँि में महामारी िैल चुकी थी उसकी चपेट में आकर लोग मर रहे थे।
कारण- गाुँि में मलेररया और है जा नामक महामारी फैली थी।
(क)A और R दोनों सही है A,R की सही व्याख्या है ।
(ख) A और R दोनों सही है A,R की सही व्याख्या नहीं है ।
(ग) A सही है लेहकन R गलत है ।
(घ) A गलत है लेहकन R सही है ।
उत्तर: (क) A और R दोनों सही है A,R की सही व्याख्या है ।
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2. अनभकथन पहलिान के बेटों का भरण-पोषण राज दरबार से होता था।
कारण- लुट्टन पहलिान श्यामनगर का दरबारी पहलिान था। उसका तथा उसके पररिार का सारा खचा
राज दरबार उठाता था।
(क) A और R दोनों सही है A.R की सही व्याख्या नहीं है ।
(ख) A और R दोनों सही है A, R की सही व्याख्या है ।
(ग) A सही है लेहकन R गलत है ।
(घ) A गलत है लेहकन R सही है ।
उत्तर : (ख) A और R दोनों सही है A,R की सही व्याख्या है ।
िणानात्मक प्रश्न-
प्रश्न 1 . कहानी के हकस-हकस मोड़ लुट्टन के जीिन में क्या-क्या पररितान आए?
उत्तर-ऐसे अनेक मोड हैं जहाुँ उसके जीिन में पररितान आए हैं . बचपन में ही नौ िषा की अल्पायु में ही
उसके माता-वपता की मृत्यु हो गई और उसका पालन-पोषण उसकी विधिा सास ने हकया। सास पर होने
िाले अत्याचारों का बदला के नलए िह पहलिानी करने लगा। हकर्ोरािस्था में उसने श्यामनगर दं गल में
चाुँद नसंह नामक पहलिान को हरा 'राज-पहलिान' दजाा हानसल हकया। िह पंरह िषा तक राजदरबार में
रहा।हफर दरबार से हटने पर िो गाुँि लौटा और बड़ी कहठनाई से जीिन गुजरने लगा,महामारी आने पर तो
लुट्टन का पररिार के साथ चपेट में आ गया ओर मृत्यु हो गयी |
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प्रश्न 2 . लुटुन पहलिान ने ऐसा क्यों कहा होगा हक 'मेरा गुरु कोई पहलिान नहीं यही ढोल है ?
उत्तर- िह कहता हक मेरा गुरु कोई पहलिान नहीं यही ढोल है | ऐसा उसने इसनलए कहा क्योंहक
उसने पहलिानी ि कुश्ती के दाुँि-पेच ढोल की आिाज़ पर ही सीखे थे, उसे नसखाने िाला कोई
व्यवक्त नहीं था | ढोल की आिाज़ उसके र्रीर में उमंग ि स्फूनता भर दे ती थी | ढोल की आिाज़
के बल पर ही उसने चाुँद नसंह को हराया ि राज पहलिान बन गया था |
प्रश्न 3. गाुँि में महामारी फैलने और अपने बेटों की मृत्यु के बािजूद लुट्टन पहलिान ढोल क्यों बजाता
रहा?
अथिा
ढोलक की आिाज का पूरे गाुँि में क्या असर होता था?
उत्तर- (i) ढोलक की आिाज़ से गाुँि के औषनध-उपचार-पथ्य विहीन प्राजणयों में संजीिनी र्वक्त भर
जाती थी
(ii) इसके कारण गाुँि के लोगों के सामने दं गल का दृश्य आ जाता था ि जोर् भर जाता था।
(iii) इसके कारण उन्द्हें मौत से डर नहीं लगता था और उन्द्हें बीमारी की तकलीफ कम महसूस
होती थी।
ढोल की आिाज़ से गाुँि के लोगों में उत्साह ि जोर् भरने के कारण लुट्टन ढोल बजाता रहा |
प्रश्न 4 . महामारी फैलने के बाद गाुँि में सूयोदय और सूयाास्त के दृश्य में क्या अंतर होता था?
उत्तर -गाुँि में सूयोदय होते ही लोग खाुँसते-फूंखते, कराहते अपने घरों से ननकलकर अपने पड़ोनसयों ि
आत्मीयों को ढाुँढस ् बंधाते थे। िे बचे हुए लोगों को र्ोक न करने की बात कहते थे। उनके चेहरे पर चमक
बनी रहती थी। पर समय आने पर सूयाास्त तो होते हैं | सभी लोग अपनी-अपनी झोपहड़यों में घुस जाते थे।
उनके बोलने की र्वक्त भी जाती रहती थी। ऐसे समय में पहलिान की ढोलक की आिाज ही रावत्र की
विभीवषका को चुनौती दे ती रहती थी।
प्रश्न 6 . 'पहलिान की ढोलक आज हमारे िारा लोककला एिं लोक कलाकारों को अप्रासंनगक बना हदए
जाने की करूण कथा भी है । आधुननकता के हदखािे में हम उन्द्हें भूलते जा रहे हैं ।" तकासहहत प्रनतपाहदत
कीजजए।
उत्तर-आधुननकता की चमक-दमक और हदखािे िाली संस्कृ नत में सीधी-सादी-सरल लोक कलाएुँ और
कलाकार आधुननक पीढ़ी को न तो प्रभावित कर पाते हैं और न ही मनोरं जक लगते हैं । आधुननक पररिेर्
एिं तकनीक ने लोक कलाओं और खेलों के स्िरूप को बदल हदया है । राजा श्यामानंद लोक कलाओं और
कलाकारों को राज्याश्रय तथा मान सम्मान दे ते थे। राजा साहब के मरते ही विलायत से लौटे राजकुमार
िारा लुट्टन को ननकाल कर पहलिानी जैसी लोककला को समाप्त कर हदया गया।इस तरह लुट्टन
बेरोजगार होकर बेटों के साथ गाुँि लौट गया |
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का पेड़ बहुत घना ि छायादार होता है |नर्रीष इतना कोमल होता है हक िह भौरों के पैरों का दबाि सह
सकता है ,पजक्षयों का नहीं | इसका फल इतना मजबूत होता है हक बहुत समय तक हटके रह सकता है | यह
कोमलता ि कठोरता का उदाहरण है | लेखक का वप्रय कवि कानलदास थे क्योंहक िे अनासक्त रह सकते
थे |
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गद्यांर्-3
नर्रीष तरु सचमुच पक्के अिधूत की भाुँनत मेरे मन में ऐसी तरं गें जगा दे ता है जो ऊपर की ओर उठती
रहती हैं । इस नचलकती धूप में इतना सरस िह कैसे बना रहता है ? क्या ये बाह्य पररितान-धूप, िषाा,
आुँधी, लू-अपने आपमें सत्य नहीं है ? हमारे दे र् के ऊपर से जो यह मार-काट, अजग्नदाह, लूट-पाट, खून-
खच्चर का बिंडर बह गया है , उसके भीतर भी क्या जस्थर रहा जा सकता है ? नर्रीष रह सका है । अपने
दे र् का एक बूढ़ा रह सका था। क्यों मेरा मन पूछता है हक ऐसा क्यों संभि हुआ है ? क्योंहक नर्रीष भी
अिधूत है ।
गद्यांर्-4
कानलदास सौंदया के बाह्य आिरण को भेदकर उसके भीतर तक पहुुँच सकते थे. दख
ु हो हक सुख,
िे अपना भाि रस उस अनासक्त कृ वषिल की भाुँनत खींच लेते थे, जो ननदानलत ईक्षुदंड से रस
ननकाल लेता है । कानलदास महान थे, क्योंहक िे अनासक्त रह सके थे। कुछ इसी श्रेणी की
अनासवक्त आधुननक हहं दी कवि सुनमत्रानंदन पंत में है कवििर रिींरनाथ में यह अनासवक्त थी एक
जगह उन्द्होंने नलखा. राजोद्यान का | नसंहिार हकतना ही अभ्रभेदी क्यों न हो, उसकी नर्ल्पकला
हकतनी ही सुंदर क्यों न हो, िह यह नहीं कहता हक हम में आकर ही सारा रास्ता समाप्त हो
गया। असल गंतव्य स्थान उसे अनतक्रम करने के बाद ही है , यही बताना उसका कताव्य है ।' फूल
हो या पेड़, िह अपने आप में समाप्त नहीं है । िह हकसी अन्द्य िस्तु को हदखाने के नलए उठी हुई
अुँगुली है । िह इर्ारा है ।
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(i) कानलदास की सौंदया दृवष्ट कैसी थी ?
(क) स्थूल और बाहरी (ख) सूक्ष्म और संपूणा
(ग) आसवक्त और आडं बरों (घ) अनतक्रम और अभ्रभेदी
(ii) कौन-से गुण के कारण कानलदास, सुनमत्रानंदन पंत और रिींरनाथ टै गोर कविताओं के साथ
न्द्याय कर पाए?
उत्तर (i) (ख), (ii) (घ), (iii) (क), (iv) (घ), (v) (घ)
िणानात्मक प्रश्न-
उत्तर- नर्रीष की तुलना अिधूत से करने के पीछे दोनों के स्िभाि में साम्यता होना है | जजस प्रकार
संन्द्यासी ऋतुओं/मौसमों की परिाह हकए वबना अपनी साधना में लीन रहते है ,ठीक उसी प्रकार नर्रीष
िसंत से लेकर आषाढ़-भादों तक जखला रहता है | जब पूरा संसार प्रचंड गमी से जल रहा होता है ,उस समय
भी नर्रीष फलता-फूलता रहता है | नर्रीष घना ि छायादार होता है ,िह मनुष्य को विषय-िासनाओं से
ऊपर उठकर अजेयता से जीिन जीने का संदेर् दे ता है |
प्रश्न-2. हृदय की कोमलता को बचाने के नलए व्यिहार की कठोरता भी कभी-कभी जरूरी भी हो जाती है -
प्रस्तुत पाठ के आधार पर स्पष्ट करें | (सी.बी.एस.ई.)
उत्तर- नर्रीष के फूल कोमल ि नर्रीष का पेड़ सरस होता है परं तु नर्रीष के फल कठोर होते हैं ।
इनके माध्यम से लेखक यह बताना चाहता है हक जजस प्रकार नर्रीष के फलों की कठोरता उसके
फूलों की कोमलता ि सरसता को बचाने के नलए जरूरी है उसी प्रकार मनुष्य के व्यिहार में
बाहरी कठोरता उसके हृदय की कोमलता को बचाने के नलए जरूरी हैं |
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प्रश्न-3. हििेदी जी ने नर्रीष के माध्यम से कोलाहल ि संघषा से भरी जीिन-जस्थनतयों में
अविचल रह कर जजजीविषु बने रहने की सीख दी है । स्पष्ट करें ।
नर्रीष,अिधूत और गांधी एक-दस
ू रे के समान कैसे हैं ? पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजजए (सी.बी.एस.ई.)
उत्तर- जजस प्रकार नर्रीष चारों ओर फैली भीषण गमी, लू ि उमस के बािजूद भी सरस ि फला-
फूला रहता है । उसी प्रकार मनुष्य को भी मारकाट, आगजनी, लूटपाट, खून- खच्चर आहद विपरीत
पररजस्थनतयों में भी जस्थर ि र्ांत बने रहना चाहहए और गांधी जी के समान आत्मबल को
महत्त्ि दे कर अविचल (अहडग) रहना चाहहए।
प्रश्न-4. हाथ, िह अिधूत आज कहाुँ है । ऐसा कहकर लेखक ने आत्मबल पर दे ह-बल के िचास्ि
की ितामान सभ्यता के संकट की ओर संकेत हकया है । कैसे ?
उत्तर: यहाुँ, 'अिधूत' र्ब्द महात्मा गांधी के नलए प्रयुक्त हुआ | लेखक को महसूस होता है हक
ितामान समाज में धनबल ि दे हबल को अनधक महत्त्ि हदया जा रहा है जजससे मानिता खतरे
में है । आज लेखक को गाुँधी जी जैसे लोगों को कमी महसूस होती है । जजन्द्होंने अपने आत्मबल
के आधार पर अंग्रेजों के धनबल ि दे हबल को हराया।
प्रश्न-5. कवि (साहहत्यकार) के नलए अनासक्त योगी की जस्थर प्रज्ञता और विदग्ध प्रेमी का हृदय-
एक साथ आिश्यक है । ऐसा विचार प्रस्तुत कर लेखक ने साहहत्य-कमा के नलए बहुत ऊुँचा
मानदं ड ननधााररत हकया है । विस्तारपूिक
ा समझाएुँ ।
उत्तर: लेखक ने कवि (साहहत्यकार) के दो गुण बताए है जो इस प्रकार हैं :
(i)अनासक्त योगी की जस्थर प्रज्ञता - कवि को उस संन्द्यासी की भाुँनत होना चाहहए जजसे
सांसाररकता से लगाि न हो और उसका ज्ञान जस्थर हो। उसे र्ुष्क, कठोर ि मयााहदत होना
चाहहए |
(ii) विदग्ध प्रेमी का हृदय- कवि का हदल वबछड़े हुए प्रेमी के हदल की तरह होना चाहहए जजसमें
प्रेम की अनधकता, सरसता, ि मधुरता हो |
प्रश्न-6. सिाग्रासी काल की मार से बचते हुए िही दीघाजीिी हो सकता है , जजसने अपने व्यिहार में
जड़ता छोड़कर ननत बदल रही जस्थनतयों में ननरं तर अपनी गनतर्ीलता बनाए रखी है । पाठ के
आधार पर स्पष्ट करें ।
उत्तर: नर्रीष गमी, लू ि उमस में भी हरा-भूरा, फला-फूला ि सरस बना रहता है । उसी प्रकार जो
व्यवक्त बाहरी विपरीत पररजस्थनतयों को अनुकूल बनाकर ननरं तर आगे बढ़ने की कोनर्र् करता है
ि प्रगनतर्ील बना रहता है िही व्यवक्त लंबे समय तक जीवित रहता है और महान बनता है |
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पाठ-18 श्रम विभाजन और जानत प्रथा,मेरी कल्पना का आदर्ा समाज .डॉ - आम्बेडकर
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(क) दासता में कौन-सी अिधारणा सनमजल्लत नहीं है ? सही विकल्प का चयन कीजजए:-
I. स्िाधीनता के साथ जीना |
II.कानूनी पराधीनता का होना |
III.इच्छा के विरुद्ध काया करना।
IV. दस
ू रों िारा ननजश्चत काया करना |
(ख) मनुष्य के प्रभािर्ाली प्रयोग से लेखक का तात्पया है : सही विकल्प छाुँहटए:-
I. उसे र्ारीररक स्ितंत्रता प्रदान की जाए।
II.उसे अपनी इच्छा से काया करने की स्ितंत्रता दी जाए
III. उसे अपनी मजी से जानत के चयन का अनधकार नमलें |
IV. उसे र्ारीररक-सुरक्षा तथा संपवत्त का अनधकार हदया जाए |
(ग) जानत प्रथा के पोषक यहद मनुष्य के लक्षण एिं प्रभािर्ाली प्रयोग की स्ितंत्रता दें , तब
इसका क्या पररणाम होगा? सही विकल्प छाुँहटए:-
I. दासता को बढ़ािा नमलेगा।
II. स्ितंत्रता को बढ़ािा नमलेगा |
III. कानूनी - पराधीनता बढ़ जाएगी |
IV. लोकतांवत्रक मूल्य सुदृढ़ होंगे |
(घ) 'स्ितंत्रता' पर हकसी को कोई आपवत्त क्यों नहीं है ? सही विकल्प छाुँहटए:-
I. इससे समाज में दासता समाप्त हो जाएगी।
II.क्योंहक स्ितंत्रता सभी को जानत विरोधी लगती है ।
III. क्योंहक सभी को स्ितंत्र और सुरजक्षत रहना वप्रय है ।
IV. इसके साथ भी जानतिाद और र्ोषण की प्रहक्रया बनी रहती है ।
(ङ.) जानत प्रथा के पोषक से लेखक का क्या तात्पया है ? सही विकल्प का चयन कीजजए:-उत्तर-
I. जानत के चयन को बढ़ािा दे ने िाले
II. जानतगत भेदभाि को प्राथनमकता दे ने िाले !
III. जानतगत भेदभाि के व्यिहार को समानप्त दे ने िाले
IV.जानत को कानूनी मान्द्यता हदलाने की कोनर्र् करने िाले |
उत्तर – (क) I, (ख) II, (ग) IV, (घ) IV, (ङ.) II
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(ख) कथन और कारण दोनों सही है परन्द्तु कारण कथन की सही व्याख्या नहीं करता है ।
(ग) कथन सही है , कारण गलत है ।
(घ) कथन गलत है , कारण सही है ।
4कथन (A) डॉक्टर अंबेडकर जी ने अपने आदर्ा समाज के भाईचारा में जस्त्रयों को भी सजम्मनलत हकया
है ।
कारण (R) समाज स्त्री और पुरुष दोनों से ही बनता है ।
क. कथन A और कारण दोनो सही हैं और कारण, कथन A की सही व्याख्या है ।
ख. कथन A और कारण दोनों सही हैं और कारण R. कथन A की सही व्याख्या नहीं है ।
ग. कथन A सही है , हकंतु कारण 8 गलत है |
घ. कथन A गलत है , हकंतु कारण सही है |
5कथन (A) जानत प्रथा आधाररत भारतीय समाज में कोई कमी नहीं है ।
कारण (R) भारतीय समाज में जानतयों के आधार पर जीिन के अनेक क्षेत्र में भेदभाि पूणा व्यिहार होता
है जो एक र्ब्द समाज के नलए उनचत नहीं कहा जा सकता है ।
क. कथन A और कारण दोनो सही हैं और कारण, कथन A की सही व्याख्या है ।
ख. कथन A और कारण दोनों सही हैं और कारण R. कथन A की सही व्याख्या नहीं है ।
ग. कथन A सही है , हकंतु कारण 8 गलत है |
घ. कथन A गलत है , हकंतु कारण सही है |
उत्तरमाला- 1. क , 2. क , 3. क , 4. क , 5. घ
िणानात्मक प्रश्न-
.1जानत प्रथा को श्रम विभाजन का ही एक रूप न मानने के पीछे आंबेडकर के क्या तका हैं ? जानत प्रथा को
श्रम विभाजन का आधार क्यों नहीं माना जा सकता? पाठ से उदाहरण दे कर समझाइए।
उत्तर- 1. जानत प्रथा श्रम विभाजन के साथ-साथ श्रनमक विभाजन भी कराती है । सभ्य समाज में श्रनमकों
का विनभन्द्न िगों में विभाजन अस्िाभाविक है ।
2. जानत प्रथा में श्रम विभाजन मनुष्य की रुनच पर आधाररत नहीं है ।
3.इसमें मनुष्य के प्रनर्क्षण अथिा ननजी क्षमता का विचार हकए वबना हकसी दस
ू रे के िारा उसके नलए
पेर्ा ननधााररत कर हदया जाता है ।
4. जानत प्रथा मनुष्य को जीिन भर के नलए एक पेर्े में बाुँध दे ती है , भले ही िह अपयााप्त क्यों न हो।
इससे भुखमरी ि बेरोजगारी बढती है |
2. जानत प्रथा भारतीय समाज में बेरोजगारी ि भुखमरी का भी एक कारण कैसे बनती रही है ? क्या यह
जस्थनत आज भी है ?
उत्तर- जानत प्रथा भारतीय समाज में बेरोजगारी ि भुखमरी का कारण भी बनती रही है । भारत में जानत
प्रथा के कारण व्यवक्त को जन्द्म के आधार पर एक पेर्े से बांध हदया जाता था। इससे व्यवक्त की रुनच या
कुर्लता का ध्यान नहीं रखा जाता था। उस पेर्े से गुजारा होगा या नहीं. इस पर भी विचार नहीं हकया
जाता था। इस कारण भुखमरी की जस्थनत आ जाती थी। इसके अनतररक्त संकट के समय भी मनुष्य को
अपना पेर्ा बदलने की अनुमनत नहीं दी जाती थी। अतः यहद िह व्यिसाय बदला जाए तो बेरोजगारी
बढ़ती है । आज भारत की जस्थनत बदल रही है । सरकारी कानून सामाजजक सुधार विश्वव्यापी पररितानों से
जानत प्रथा के बंधन से मुवक्त दी गई है । आज अपनी जानत से अलग पेर्ा अपना रहे है ।
3. लेखक के मत से 'दासता' की व्यापक पररभाषा क्या हैं ? समझाइए।
उत्तर- लेखक के अनुसार, दासता केिल कानूनी पराधीनता को ही नहीं कहा जा सकता। 'दासता' में िह
जस्थनत भी सजम्मनलत है । जजससे कुछ व्यवक्तयों को दस
ू रे लोगों के िारा ननधााररत व्यिहार एिं कताव्यों का
पालन करने के नलए वििर् होना पड़ता है । यह जस्थनत कानूनी पराधीनता न होने पर भी पाई जा सकती
है ।
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4.र्ारीररक िंर् परं परा और सामाजजक उत्तरानधकार की दृवष्ट से मनुष्यों में असमानता संभावित रहने के
बािजूद समता को एक व्यिहाया नसद्धांत मानने का आग्रह क्यों करते हैं ? इसके पीछे उनके क्या तका है ?
उत्तर- र्ारीररक िंर्-परं परा और सामाजजक उत्तरानधकार की दृवष्ट से मनुष्यों में असमानता संभावित रहने
के बािजूद असमानता को एक व्यिहाया नसद्धांत मानने का आग्रह करते है क्योंहक समाज को अपने सभी
सदस्यों से अनधकतम उपयोनगता तभी प्राप्त हो सकती है जब उन्द्हें आरं भ से ही समान अिसर एिं समान
व्यिहार उपलब्ध कराए जाएं। व्यवक्त को अपनी क्षमता के विकास के नलए समान अिसर दे ने चाहहए।
अतः सभी व्यवक्तयों के साथ समान व्यिहार करना चाहहए।
5.सही में अबेडकर ने भािनात्मक समत्ि की मानिीय दृवष्ट के तहत जानतिाद का उन्द्मूलन चाहा है ,
जजसकी प्रनतष्ठा के नलए भौनतक जस्थनतयों और जीिन सुविधाओं का तका हदया है । क्या इससे आप
सहमत हैं ?
उत्तर- आंबेडकर ने भािनात्मक समत्ि की मानिीय दृवष्ट के तहत जानतिाद का उन्द्मूलन चाहा, जजसकी
प्रनतष्ठा के नलए भौनतक जस्थनतयों और जीिन सुविधाओं का तका हदया है । हम उनकी इस बात से सहमत
है । आदमी की भौनतक जस्थनतयाुँ उसके स्तर को ननधााररत करती है । जीिन जीने की सुविधाएुँ मनुष्य को
सही मायनों में मनुष्य नसद्ध करती है । व्यवक्त का रहन सहन और चाल चलन काफी हद तक उसकी
जातीय भािना को खत्म कर दे ता है ।
6.आदर्ा समाज के तीन तत्िों में से एक 'भातृता' को रखकर लेखक ने अपने आदर्ा समाज में जस्त्रयों को
भी सजम्मनलत हकया है अथिा नहीं? आप इस 'भातृता' र्ब्द से कहाुँ तक सहमत हैं ? यहद नहीं, तो आप
क्या र्ब्द उनचत समझेंगे / समझेगी?
उत्तर- आदर्ा समाज के तीन तत्िों में से एक 'भातृता' को रखकर लेखक ने अपने आदर्ा समाज में जस्त्रयों
को भी सजम्मनलत हकया है । लेखक समाज की बात कर रहा है और समाज स्त्री-पुरुष दोनों से नमलकर बना
है । उसने आदर्ा समाज में हर आयुिगा को र्ानमल हकया है । 'भ्रातृता' र्ब्द संस्कृ त का र्ब्द है जजसका
अथा है -भाईचारा यह सिाथा उपयुक्त है । समाज में भाईचारे के सहारे ही संबंध बनते है । कोई व्यवक्त एक
दस
ू रे से अलग नहीं रह सकता। समाज में भाईचारे के कारण ही कोई पररितान समाज के एक छोर से
दस
ू रे छोर तक पहुंचता है ।
उत्तर- सभी मनुष्यों में र्ाररररक िंर् परं परा, सामाजजक, उत्तरानधकार ि मनुष्य के अपने प्रयत्न
एक समान नहीं हो सकती । इसनलए समता काल्पननक जगत की िस्तु है । डॉ आंबेडकर का
मानना है हक समाज में सभी लोगों को आगे बढ़ने का समान अिसर नमलना चाहहए ि उनके
साथ समान व्यिहार होना चाहहए। यही समता है और इसी पर बल हदया गया है ।
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वितान भाग-2
पाठ-1 नसल्िर िैहडं ग -मनोहर श्याम जोर्ी
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17. उम्र बढ़ने के साथ-साथ यर्ोधर बाबू ने हकर्नदा के कौन से मानक स्थावपत हकये ?
(a) रोज मंहदर जाना (b) संध्या पूजा करना
(c) गीता प्रेस गोरखपुर की हकताबे पढना (d) उपरोक्त सभी
18. यर्ोधर की पत्नी यर्ोधर की हकस नारे से नचड़ती थी ?
(a) जो हुआ होगा (b) समहाउ इम्प्रापर
(c) आई डू नॉट माइं ड (d) ‘हमारा तो सैप’ ही ऐसा ठहरा
19.यर्ोधर की पत्नी ने जनम से बूढा हकसे कहा है ?
(a) यर्ोधर को (b) हकर्नदा को
(c) उपरोक्त दोनों को (d) हकसी को नहीं
20. सुमेनलत कीजजए -
1 सी जी एच एस से - (A) सब्जी लाना
2 पहाड़गंज से - (B) कोयला लाना
3 हडपो से - (C) दालें लाना
4 सदर बाजार से - (D) दिा लाना
(a) 1 (C), 2 (B), 3 (D), 4 (A)
(b) 1 (B), 2 (C), 3 (A), 4 (D)
(c) 1 (D), 2 (A), 3 (B), 4 (C)
(d) 1 (D), 2 (A), 3 (C), 4 (B)
उत्तर तानलका
1 2 3 4 5 6 7 8 9 10
a b c b d d a d b A
11 12 13 14 15 16 17 18 19 20
c d c d b d d d b c
दक्षता आधाररत प्रश्न
1.कथन - समहाउ इम्प्रोपर का संबंध यर्ोधर के व्यवक्तत्त्ि से था |
कारण – यह िाक्यांर् उनके पुराने परम्परािादी व्यवक्तत्त्ि पर प्रश्न नचह्न लगाता है
a. कथन और कारण दोनों सत्य है ,कारण कथन की सही व्याख्या करता है
b. कथन और कारण दोनों सत्य है ,कारण कथन की सही व्याख्या नहीं करता है
c. कथन सत्य है और कारण असत्य है
d. कथन और कारण दोनों असत्य है
उत्तर- a. कथन और कारण दोनों सत्य है ,कारण कथन की सही व्याख्या करता है
2. कथन – भूषण को अपने वपता का साईहकल चलाना नागिार गुजरता है |
कारण – क्योंहक है नसयत के हहसाब से साईहकल छोटा िाहन है |
a. कथन और कारण दोनों सत्य है ,कारण कथन की सही व्याख्या करता है
b. कथन और कारण दोनों सत्य है ,कारण कथन की सही व्याख्या नहीं करता है
c. कथन सत्य है और कारण असत्य है
d. कथन और कारण दोनों असत्य है
उत्तर b. कथन और कारण दोनों सत्य है ,कारण कथन की सही व्याख्या नहीं करता है
3. कथन – यर्ोधर बाबू को अपने साधारण बेटे को असाधारण िेतन दे ने िाली नौकरी ‘समहाउ’
लगती है |
कारण – िह अपने बेटे की तरक्की से खुर् नहीं है |
a. कथन और कारण दोनों सत्य है ,कारण कथन की सही व्याख्या करता है
b. कथन और कारण दोनों सत्य है ,कारण कथन की सही व्याख्या नहीं करता है
c. कथन सत्य है और कारण असत्य है
d. कथन और कारण दोनों असत्य है
उत्तर- c. कथन सत्य है और कारण असत्य है
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4. कथन – यर्ोधर जी का प्रिचनों में खासा ध्यान लगता है |
कारण – क्योंहक िे बचपन से ही धानमाक और कमाकांडी थे |
a. कथन और कारण दोनों सत्य है ,कारण कथन की सही व्याख्या करता है
b. कथन और कारण दोनों सत्य है ,कारण कथन की सही व्याख्या नहीं करता है
c. कथन सत्य है और कारण असत्य है
d. कथन और कारण दोनों असत्य है
उत्तर-c. कथन सत्य है और कारण असत्य है
5. ननम्न कथनों पर विचार कीजजए –
कथन-A हकर्न दा की मौत ‘जो हुआ होगा’ से हुई होगी |
कथन-B यर्ोधर बचपन से ही परम्परािादी और कमाकांडी थे |
कथन-C यर्ोधर मन ही मन अपने बच्चों की तरक्की से खुर् थे |
a. कथन A तथा B सत्य है
b. कथन A तथा C सत्य है
c. कथन A,B तथा C तीनों असत्य है
d. कथन A,B तथा C तीनों सत्य है
उत्तर- b. कथन A तथा C सत्य है
अभ्यास के नलए महत्त्िपूणा प्रश्न
1. कहानी ‘नसल्िर िैहडं ग’ में हकर्नदा की मृत्यु के संदभा में ‘जो हुआ होगा’ से कहानीकार का क्या
तात्पया रहा है ?
I. लेखक मृत्यु से बहुत दख
ु ी है
II. लेखक को मृत्यु का कारण पता है
III. लेखक मृत्यु के कारण से अपररनचत हैं
IV. लेखक को मृत्यु से कोई अंतर नहीं पड़ता
2. हकर्नदा के ररटायर होने पर यर्ोधर बाबू उनकी सहायता नहीं कर पाए थे, क्योंहक-
I. यर्ोधर बाबू की पत्नी हकर्नदा से नाराज़ थी |
II. यर्ोधर बाबू के घर में हकर्नदा के नलए स्थान का अभाि था |
III. यर्ोधर बाबू का अपना पररिार था जजसे िे नाराज़ नहीं करना चाहते थे |
IV. हकर्नदा को यर्ोधर बाबू ने अपने घर में स्थान दे ना चाहा था जजसे हकर्नदा ने स्िीकार
नहीं हकया |
3. यर्ोधर बाबू की असफलता का क्या कारण था ?
I. हकर्नदा उन्द्हें भड़काते थे
II. पत्नी बच्चों से अनधक प्रेम करती थी
III. पीढ़ी के अंतराल के कारण
IV. िे पररितान को सहजता से स्िीकार नहीं कर पाते थे
4. यर्ोधर बाबू के बारे में आपकी क्या धारणा बनती है ?सही कथन चुननए |
I. यर्ोधर बाबू के विचार पूरी तरह से पुराने हैं | िे सहानुभूनत के पात्र नहीं हैं |
II. यर्ोधर बाबू में एक तरह का िं ि है जजसके कारण नया उन्द्हें कभी-कभी खींचता है पर पुराना उन्द्हें
छोड़ता नहीं | इसनलए उन्द्हें सहानुभूनत से दे खने की ज़रूरत है |
III. यर्ोधर बाबू एक आदर्ा व्यवक्तत्त्ि है और नयी पीढ़ी िारा उनके विचारों को अपनाना ही उनचत है |
IV. इनमें से कोई नहीं |
5. नसल्िर िैहडं ग पाटी उन्द्हें समहाउ इम्प्रापर मालूम होती है परन्द्तु उन्द्हें संतोष है हक -
I. वििाह उन्द्होंने दो से चार हज़ार कज़ाा लेकर हकया लेहकन उनकी नसल्िर िैहडं ग पाटी में केक,
नमठाई, फल, कोल्डहड्रं क ि चाय सब हैं
II. उनके बेटों ने पहली बार पाटी आयोजजत की है
III. उनके बच्चों को उनकी परिाह है ि खूब तरक्की कर रहे हैं
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IV. उनके बच्चे संस्कारी हो गए हैं
6. नसल्िर िेहडं ग' का क्या अथा है ?
I. र्ादी की रजत जयंती II. र्ादी के 25 िषा पूरा हो जाने का अिसर
III.उपयुक्त
ा दोनों IV. इनमें से कोई नहीं
7. पाुँच साढ़े पाुँच बजे दफ्तर से चलते-चलते यर्ोधर बाबू की आदत क्या थी-
I. सबको साथ लेकर चलना। II. सहयोनगयों के साथ मनोरं जक बात करना।
III. सबसे पहले दफ्तर से जाना। IV. फाइलों को सही जगह रखना।
8. ऑहफस में यर्ोधर बाबू की र्ादी की बात कैसे चली ?
I. ऑहफस में लेट आने पर II. ऑहफस से जल्दी जाने पर
III. समय पर काम खत्म करने पर IV. घड़ी के बारे में चचाा करने पर
9. यर्ोधर बाबू ने दफ्तर में पाटी के नलए पैसे दो बार हदए, एक बार दस रुपये और दस
ू री बार
बीस रुपये, इससे पता चलता है हक–
I. िे नमतव्ययी हैं II. िे अपव्ययी हैं
III. कंजूस हैं IV. अनुनचत खचा करने िाले हैं
10. दनु नयादारी के हहसाब से अपने बच्चों की कौन सी बात यर्ोधर बाबू अपनी गलती के तौर
पर स्िीकार करते हैं ---
I. गोल माकेट में रहना II. सरकारी क्िाटा र में रहना
III. हकर्न दा का गांि में रहना IV. डी. डी.ए फ्लैट के नलए पैसा न भरना
11. यर्ोधर बाबू के जीिन में हकर्नदा के योगदान से सम्बंनधत असत्य कथन है -
I. यर्ोधर की सोच पर हकर्नदा का प्रभाि था
II. हकर्नदा ने यर्ोधर को अपने घर में आश्रय हदया और उसकी नौकरी लगिाई
III. हकर्नदा ने उन्द्हें सामाजजक ि दफ्तरी जीिन की व्यािहाररकता नसखाई
IV. हकर्नदा ने उन्द्हें पढ़ने के नलए आनथाक मदद दी
12. यर्ोधर जी ने सेक्रेहिएट साइहकल से जाना क्यों बंद कर हदया ?
I. उन्द्होंने स्कूटर खरीद नलया था
II. उन्द्होंने कार खरीद ली थी
III. उनका बेटा साइहकल से कॉलेज जाता था
IV. उनके बेटों का वपता का साइहकल सिार होना सख्त नागिार था-
13. यर्ोधर बाबू के अनुसार ननम्ननलजखत में से समहाउ इम्प्रापर नहीं था -
I. भूषण का टी.िी. हफ्रज खरीदना II. साधारण बेटे को असाधारण िेतन
III. स्कूटर की सिारी
IV. घर आए साधारण है नसयत िाले मेहमानों का हफ्रज का पानी पीकर अपने आप को धन्द्य महसूस करना
14. कहानी के अंत में गाउन पहनते िक्त उनकी आुँखों में आुँसू थे क्योंहक –
I. उनके बेटे ने यह नहीं कहा हक दध
ू मैं ला दुँ ग
ू ा II. उन्द्हें हकर्नदा की याद आ गई
III. उपयुक्त
ा दोनों IV. इनमें से कोई नहीं
उत्तरमाला-
1 III 4 II 7 II 10 IV 13 IV
2 III 5 I 8 IV 11 IV 14 III
3 IV 6 III 9 III 12 IV
िणानात्मक प्रश्न-
प्रश्न-1 यर्ोधर बाबू की पत्नी समय के साथ ढल सकने में सफल होती है , लेहकन यर्ोधर बाबू
असफल रहते हैं । ऐसा क्यों? (CBSE)
उत्तर- यर्ोधर बाबू की पत्नी समय के साथ ढल सकने में सफल होती है क्योंहक उसमें अपने
बच्चों के प्रनत प्रेम था जजसके कारण िह उनकी तरिदारी करती थी। िह स्ितंत्र होकर जीना
चाहती थी। उस पर हकसी व्यवक्त विर्ेष का प्रभाि नहीं था और उसका व्यिहार बहुत लचीला था
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यर्ोधर बाबू समय के साथ ढल सकने में असफल हुए हैं क्योंहक िे एक आदर्ािादी ि
परम्परािादी व्यवक्त थे । िे पाश्चात्य संस्कृ नत के घोर विरोधी थे | उन पर हकर्नदा के आदर्ों
का प्रभाि था और उनके व्यिहार में लचीलापन नहीं था|
प्रश्न 2. पाठ में ‘जो हुआ होगा’िाक्य की आप हकतनी अथा छवियाुँ खोज सकते/सकती हैं ?
(CBSE)
उत्तर: पाठ में 'जो हुआ होगा' दो बार प्रयुक्त हुआ है | पहली बार जो हुआ होगा तब प्रयुक्त होता
है जब यर्ोधर बाबू हकर्नदा के गाुँि जाकर उनके जानत-भाई उनकी मृत्यु का कारण पूछते हैं
तो िह कहता है हक जो हुआ होगा अथाात ् पूता नहीं क्या हुआ होगा ।
दस
ू री बार जो हुआ होगा तब प्रयोग हुआ जब संध्या-पूजन के समय यर्ोधर बाबू के ध्यान में
अचानक हकर्नदा आते हैं और कहते हैं हक गृहस्थ हों, ब्रह्मचारी हों, अमीर हों, गरीब हों। सभी
इसी जो हुआ होगा' से मरते हैं अथाात ् मरते समय हर हर आदमी अकेला होता है ।
प्रश्न 3.‘समहाउ इं प्रापर’ िाक्यांर् का प्रयोग यर्ोधर बाबू लगभग हर िाक्य के प्रारं भ में तहकया
कलाम की तरह करते हैं ? इस काव्यांर् का उनके व्यवक्तत्ि और कहानी के कथ्य से क्या संबंध
बनता है ? (CBSE)
उत्तर: जो बात यर्ोधर बाबू को भारतीय संस्कृ नत के अनुसार ठीक नहीं लगती थी या उनचत नहीं
लगती थी उसे िह 'समहाऊ इमप्रापर' मानते थे। जैसे उनकी पत्नी का आधुननक बनना, बड़े बेटे
भूषण को असाधारण िेतन नमलना, बेटी िारा जीन्द्स टॉप पहनना आहद । इससे उनके व्यवक्तत्ि के
बारे में पता चलता है हक िे आदर्ािादी नसद्धांतिादी ि पुराने रीनत-ररिाज को मानने िाले व्यवक्त
थे । िे पाश्चात्य संस्कृ नत के घोर विरोधी थे और उनका व्यिहार लचीला नहीं था | इससे कहानी
के कथ्य में 'पीढ़ी अंतराल' का पता चलता है |
प्रश्न 4.यर्ोधर बाबू की कहानी को हदर्ा दे ने में हकर्नदा की महत्त्िपूणा भूनमका रही है । आपके
जीिन को हदर्ा दे ने में हकसका महत्त्िपूणा योगदान है और कैसे ? (CBSE)
उत्तर:मेरे जीिन को हदर्ा दे ने में सबसे महत्त्िपूणा योगदान मेरे गुरुओं का रहा है । उन्द्होंने हमेर्ा
मुझे यही नर्क्षा दी हक सत्य बोलो। सत्य बोलने िाला व्यवक्त हर तरह की परे र्ानी से मुक्त हो
जाता है जबहक झूठ बोलने िाला अपने ही जाल में फुँस जाता है । उसे एक झूठ छुपाने के नलए
सैकड़ों झूठ बोलने पड़ते हैं । अपने गुरुओं की इस बात को मैंने हमेर्ा याद रखा। िास्ति में
उनकी इसी नर्क्षा ने मेरे जीिन की हदर्ा बदल दी।
प्रश्न 5.ितामान समय में पररिार की संरचना, स्िरूप से जुड़े आपके अनुभि इस कहानी से कहाुँ
तक सामंजस्य वबठा पाते हैं ?
उत्तर: यर्ोधर बाबू और ितामान में पररिारों की जस्थनत एक समान हैं , जो इस प्रकार हैं –
1. यर्ोधर बाबू का पररिार के समान ितामान में भी लोग एकल पररिार में ही रहते हैं ।
2. यर्ोधर बाबू तथा उनके बच्चों में आपसी तालमेल नहीं था ि पीढ़ी अंतराल था और ितामान
पररिारों में भी ऐसा हदखाई दे ता है ।
4. यर्ोधर बाबू का पररिार और ितामान पररिार आधुननक सुख-सुविधाओं का पक्षधर है ।
प्रश्न 6. हकसे आप नसल्िर िैहडं ग कहानी की मूल संिेदना कहें गे/कहें गी और क्यों?
उत्तर: मेरी समझ में पीढ़ी अंतराल ही ‘नसल्िर िैहडं ग’ र्ीषाक कहानी की मूल संिेदना है । यर्ोधर
बाबू और उसके पुत्रों में एक पीढ़ी को अंतराल है । इसी कारण यर्ोधर बाबू अपने पररिार के
अन्द्य सदस्यों के साथ सामंजस्य नहीं वबठा पाते हैं । यह नसद्धांत और व्यिहार की लड़ाई है ।
यर्ोधर बाबू नसद्धांतिादी हैं तो उनके पुत्र व्यिहारिादी। आज नसद्धांत नहीं व्यािहाररकता चलती
है । यर्ोधर बाबू के विचार पूरी तरह से पुराने हैं जो नयी पीढ़ी के साथ कहीं भी तालमेल नहीं
रखते।
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26.दादा ने अपने बेटे के सामने स्कूल जाने के नलए क्या र्ता रखी –स्कूल जाने से पहले खेतों
में पानी भरना , स्कूल से आने के बाद जानिर चराना और घर में काम अनधक होने पर स्कूल
नजाना।
27.लेखक को अकेलेपन में आनंद क्यों आने लगा – क्योंहक अकेले में िो अपनी कविताओं को
नलख सकते थे ,उनको खुलकर गा सकते थे और उनमें अनभनय भी कर सकतेथे।
28.जूझ कहानी के अनुसार कविता के प्रनत लगाि से पहले और उसके बाद अकेले पन के प्रनत
लेखक की धारणा में क्या बदलाि आया – अब उन्द्हें अकेलापन अच्छा लगने लगाया अकेलेपन
से बोररयत खत्म हो गई।
29.लेखक के मराठी नर्क्षक की क्या विर्ेषताएं थी – उनको कविता में छं द ,अलंकार , गनत
आरोह – अिरोह का अच्छा ज्ञान था
30.मराठी भाषा की कविताओं के अलािा सौंदलगेकर को हकस भाषा की कविताएं कंठस्थ याद
थी – गुजराती
पाठ पर आधाररत बहुविकल्पीय प्रश्न
1. ‘जूझ’ उपन्द्यास की मूल विषयिस्तु क्या है ?
a. गंिई जीिन के यथाथा का िणान
b. गंिई जीिन के रं गारं ग पररिेर् का िणान
c. लड़ते-जूझते हकसान-मजदरू के संघषा की कहानी
d. उपयुक्त
ा सभी
2.लेखक को पाठर्ाला जाने से हकसने रोका है ?
a. सोंदे लगेकर ने b. उसकी माुँ ने
c. उसके वपता ने d. दत्ता जी राि दे साई ने
3.आनंद यादि के वपता सबसे पहले कोल्हू क्यों चलाते है ?
a. ताहक गुड़ के अच्छे दाम नमल सके
b. ताहक गुड़ की अच्छी गुणित्ता प्राप्त हो सके
c. गुड़ ज्यादा वबक सके
d. सबसे पहले आराम नमल सके |
4.लेखक की कक्षा के कक्षाध्यापक का क्या नाम था ?
a. िसंत पाहटल b. मंत्री नमक मास्टर
c. रणिरे मास्टर d. सौन्द्दलगेकर मास्टर
5.सौन्द्दे लगेकर मास्टर हकस विषय के अध्यापक थे ?
a. विज्ञान विषय के b. इनतहास विषय के
c. हहं दी विषय के d. मराठी विषय के
6.लेखक की माुँ लेखक के वपता को क्या कहकर पुकारती थी ?
a. बरहे ला सूअर b. पागल व्यवक्त
c. पागल कुत्ता d. पागल हाथी
7. लेखक के वपता ने आनंद यादि की कौन-कौन सी गलत आदतों के बारे में दत्ताजी राि को
बताया ?
a. कंडे और चारा बेचना b. नसनेमा दे खना या जुआ खेलना
c. खेती ि घर के काम में ध्यान न दे ना d. उपयुक्त
ा सभी |
8. आनंद की कक्षा का मॉननटर हकसे बनाया गया ?
a. जकाते को b. आनंद को
c. िसंत पाहटल को d. गणलपा को
9. ‘जूझ’ कहानी के आधार पर आनंदा के कौनसी विर्ेषता नहीं थी ?
a. पढने की लालसा b. वपता का का सम्मान न करना
c. आत्मविश्वासी तथा कमाठ d. कविता के प्रनत लगाि
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III. जब मास्टर ने अपने घर के दरिाज़े पर छाई हुई मालती की बेल पर कविता नलखी
IV. उपयुक्त
ा सभी
11.खेत में काम करते हुए अगर लेखक के पास कागज़ और पेंनसल न होते तो िह क्या करता था ?
I. कागज़ पेंनसल लेने घर जाता
II. अपनी हथेली पर नलखता
III. िह खेत में कुछ नहीं नलखता
IV. िह लकड़ी के छोटे टु कड़े से भैंस की पीठ पर नलखता या पत्थर की नर्ला पर कंकड़ से नलखता
12.दीिाली बीत जाने पर लेखक के वपता ईख पेरने का कोल्हू चलाते थे | उनका कोल्हू जल्दी चलाने
का/के कारण था/थे ?
I. उनके गुड़ का अच्छा न होना
II. बाज़ार में जल्दी गुड़ लाने पर भाि अनधक नमलेगा
III. उपयुक्त
ा दोनों
IV. इनमें से कोई नहीं
13.कविता के प्रनत लगाि से पहले खेत में काम करते समय अकेलेपन के प्रनत लेखक की क्या धारणा थी?
I. ढोर चराते, पानी लगाते ि दस
ू रे काम करते अकेलापन खटकता था
II. उसे लगता था कोई साथ में हो जजससे िह गपर्प ि हुँ सी मज़ाक कर सके |
III. उपयुक्त
ा दोनों
IV. अकेलापन अच्छा लगता था, समय आसानी से ननकल जाता है
14.कविता के प्रनत लगाि के बाद खेत में काम करते समय अकेलेपन के प्रनत लेखक की क्या धारणा थी ?
I. अकेलापन अच्छा लगता था, समय आसानी से ननकल जाता है
II. अकेला होने पर िह ऊुँची आिाज़ में गा सकता है ि थुई-थुई कर नाच सकता है
III. उपयुक्त
ा दोनों
IV. उसे लगता था कोई साथ में हो जजससे िह गपर्प ि हुँ सी मज़ाक कर सके |
उत्तरमाला-
1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14
II II II IV I I II III II III IV III III III
िणानात्मक प्रश्न-
प्रश्न 1.‘जूझ’ र्ीषाक के औनचत्य पर विचार करते हुए यह स्पष्ट करें हक क्या यह र्ीषाक कथा
नायक की हकसी केंरीय चाररवत्रक विर्ेषता को उजागर करता है ? (CBSE)
उत्तर: ‘जूझ’ का अथा है -संघषा। इसमें कथा नायक आनंद के पाठर्ाला जाने का, भोगे हुए
गंिई जीिन के खुरदरे यथाथा का, पाठर्ाला में स्थावपत होने का, कविता लेखन सीखने का संघषा
का िणान है | इस कहानी के कथानायक में संघषा की प्रिृवत्त है । उसका वपता उसको पाठर्ाला
जाने से मना कर दे ता है । इसके बािजूद, कथा नायक माुँ को पक्ष में करके दे साई सरकार की
सहायता लेता है । इस प्रकार यह र्ीषाक कथा-नायक की संघषा करने की केंरीय चाररवत्रक
विर्ेषता को उजागर करता है ।
प्रश्न 2. स्ियं कविता रच लेने का आत्मविश्वास लेखक के मन में कैसे पैदा हुआ? (सैंपल पेपर)
उत्तर: लेखक को मराठी का अध्यापक बड़े आनंद के साथ पढ़ाता था। िह भाि छं द और लय के
साथ कविताओं का पाठ करता था। बस तभी लेखक के मन में भी यह विचार आया हक क्यों न
िह भी कविताएुँ नलखना र्ुरू करें । खेतों में काम करते-करते और भैंसे चराते-चराते उसे बहुत-सा
समय नमल जाता था। इस कारण लेखक ने कविताएुँ नलखनी आरं भ कर दी और अपनी सारी
कविताओं को िह मराठी के अध्यापक को हदखाता था ताहक उसकी कनमयों को दरू हकया जा
सके।
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प्रश्न 3. श्री सौंदलगेकर के अध्यापन की उन विर्ेषताओं को रे खांहकत करें जजन्द्होंने कविताओं के
प्रनत लेखक के मन में रुनच जगाई? (CBSE)
उत्तर: मराठी अध्यापक सौंदलगेकर पढ़ाते समय िे स्ियं में रम जाते थे। सुरीला गला, छद की
बहढ़या लय-ताल और उसके साथ ही रनसकता थी उनके पास। पुरानी-नयी मराठी कविताओं के
साथ-साथ उन्द्हें अनेक अंग्रेजी कविताएुँ भी कंठस्थ थीं। िे अनभनय के साथ कविता का भाि
ग्रहण कराते। उसी भाि की अन्द्य कविता भी सुनाते। िे स्ियं भी कविता नलखते थे। उनसे
प्रभावित होकर लेखक भी तुकबंदी करने का प्रयास करता था। इन सब कारणों से लेखक के मन
में कविताओं के प्रनत रुनच जगी।
प्रश्न 4. कविता के प्रनत लगाि से पहले और उसके बाद अकेलेपन के प्रनत लेखक की धारणा में
क्या बदलाि आया? (CBSE)
उत्तर: कविता के प्रनत लगाि से पहले लेखक को ढोर चराते, पानी लगाते ि दस
ू रे काम करते
अकेलापन खटकता था | उसे लगता था हक खेत में काम करते समय कोई साथ में हो जजससे िह
गपर्प ि हुँ सी मज़ाक कर सके |
कविता के प्रनत लगाि के बाद उसे अकेलापन अच्छा लगता था ि खेत में उसका समय आसानी से
ननकल जाता है | उसे लगता था हक अकेला होने पर िह ऊुँची आिाज़ में गा सकता है ि थुई-थुई कर
नाच सकता है |
प्रश्न 5. आपके खयाल से पढ़ाई-नलखाई के संबंध में लेखक और दत्ताजी राि का रिैया सही था
या लेखक के वपता का? तका सहहत उत्तर दें ।
उत्तर: पढ़ाई-नलखाई के संबंध में लेखक और दत्ता जी राि का रिैया सही था। लेखक का
दृवष्टकोण पढ़ाई के प्रनत यथाथािादी था। उसे पता था हक खेती से गुजारा नहीं होने िाला। पढ़ने
से उसे कोई-न-कोई नौकरी अिश्य नमल जाएगी और विठोबा आण्णा की तरह कुछ धंधा-कारोबार
हकया जा सकेगा। दत्ता जी राि का रिैया भी सही है । उन्द्होंने लेखक के वपता को धमकाया तथा
लेखक को पाठर्ाला नभजिाया। इसके विपरीत, लेखक के वपता का रिैया एकदम अनुनचत था।
प्रश्न 6. दत्ताजी राि से वपता पर दबाि डलिाने के नलए लेखक और उसकी माुँ को एक झूठ का
सहारा लेना पड़ा। यहद झूठ का सहारा न लेना पड़ता तो आगे का घटनाक्रम क्या होता? अनुमान
लगाएुँ।
उत्तर: यहद झूठ का सहारा न लेते तो लेखक अनपढ़ रह जाता और िह जीिनभर खेतों में कोल्हू
के बैल की तरह जुता रहता। उसे नसिाय भैंसे चराने अथिा खेती करने के और कोई काम न
होता। िह हदन-भर खेतों पर काम करता और र्ाम को घर लौट आता। उसका वपता अय्यार्ी
करता रहता। लेखक के सारे सपने टू ट जाते।
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नसन्द्धु-सभ्यता एक जल-संस्कृ नत- नसन्द्धु नदी के हकनारे टीलों पर बसािट, पहली ज्ञात संस्कृ नत
जजसमें कुएुँ पाए जाते थे, मुअनजो-दड़ो में सात सौ कुएुँ, महाकुंड पवित्र जल के नलए, जल-ननकासी हे तु
प्रत्येक घर में पक्की ईंटों से बनी नानलयाुँ होती थी जो बाहर एक हौद में खुलती थी |
मुअनजो-दड़ो के घरों में कमरे छोटे होने के कारण –आबादी अनधक होना, नौकरों के नलए छोटे कमरे
मुख्य िसलें ि फल – कपास, गेहूुँ, जौ, सरसों, ज्िार, बाजरा, रागी,चना, बेर, खजूर, खरबूजे ि अंगूर
मुअनजो-दड़ो की गनलयों में घूमते हुए लेखक को पजश्चमी राजस्थान के जैसलमेर जजले में जस्थत कुलधरा
गाुँि की याद आती है |
मुअनजो-दड़ो का अजायबघर में प्रदनर्ात चीज़ें - काला पड़ गया गेहूुँ, ताुँबे और काुँसे के बतान, मुहरें ,
िाद्य, ताुँबे का आईना | चाक पर बने विर्ाल मृद-भांड (नमट्टी के बतान) ि उन पर काले-भूरे नचत्र, चौपड़
की गोहटयाुँ, दीये, नमट्टी के कंगन, नमट्टी की बैलगाड़ी ि अन्द्य जखलौने | माप-तौल पत्थर, दो पाटन
िाली चक्की, कंघी, रं ग-वबरं गे पत्थरों के मानकों िाला हार और पत्थर के औज़ार | इस अजायबघर में
प्रदनर्ात चीज़ों में औज़ार तो हैं , पर हनथयार नहीं |
नसन्द्धु सभ्यता को लो-प्रोिाइल सभ्यता- छोटी-छोटी चीजों को महत्ि , औज़ार, नािें मूनतायाुँ ि मूनतायों
पर छोटा मुकुट होता था |
नसन्द्धु सभ्यता का सौन्द्दया-बोध – िास्तुकला और नगर-ननयोजन, धातु ि पत्थर की मूनतायाुँ ि मुहरें सुंदर
होती थी | उनके िारा बनाए गए मृद्भांडों (नमट्टी के बतानों) पर मनुष्यों, िनस्पनतयों ि पर्ु-पजक्षयों के
सुंदर नचत्र थे | उनका केर्-विन्द्यास भी सुंदर था | उनकी नलवप सुघड़ अक्षरों िाली थी और जखलौने ि
आभूषण भी सुंदर थे | उस समय ताुँबे, काुँसे, हाथी दाुँत ि सोने की सुइयों से सुंदर कर्ीदाकारी (कपड़ों पर
नचत्र अंहकत करने की कला) की जाती थी | उस समय की मूनतायों पर गुलकारी िाले दर्
ु ाले (र्ाल जजस पर
फूल नचवत्रत हो) भी पर नमलते हैं |
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(ग) ईसा समकालीन समय (घ) बुद्ध के समकालीन समय
प्र.8 मुअनजो-दड़ो का क्षेत्रफल लगभग था -
(क) 20 है क्टर (ख) 50 है क्टर
(ग) 100 है क्टर (घ) 200 है क्टर
प्र.9 मुअनजो-दड़ो में अनुष्ठान के समय सामूहहक स्नान हकसमें हकया जाता था ?
(क) कुएुँ में (ख) महाकुंड में
(ग) नदी में (घ) तालाब में
प्र.10 मुअनजो-दड़ो में लगभग ___ कुएुँ थे –
(क) 300 (ख) 500
(ग) 700 (घ) 900
प्र.11 ‘नसन्द्धु सभ्यता- एक जल संस्कृ नत थी’ इस सम्बन्द्ध में कौनसा कथन असत्य है ?
(क) कुएुँ आयताकार या चौकोर थे |
(ख) महाकुंड की पाश्वा दीिारों में सिेद डामर का प्रयोग था |
(ग) जल-ननकासी व्यिस्था बेजोड़ थी | (घ) महाकुंड में पवित्र जल होता था |
प्र.12 ननम्ननलजखत में से कौनसी िसल नसन्द्धु सभ्यता के ननिासी नहीं उगाते थे ?
(क) अरहर (ख) कपास
(ग) गेहूुँ (घ) जौ
प्र.13 ननम्ननलजखत में से कौनसा फल नसन्द्धु सभ्यता के ननिासी नहीं उगाते थे ?
(क) खजूर (ख) खरबूजा
(ग) पपीता (घ) अंगरू
प्र.14 मुअनजो-दड़ो से सम्बंनधत कौनसा कथन असत्य है ?
(क) बसािट नग्रड ललान के अनुसार थी
(ख) सड़कें आड़ी ि सीधी थी
(ग) घरों के प्रिेर् िार मुख्य सड़क पर खुलते थे
(घ) घरों में बड़ा आुँगन था
प्र.15 नसन्द्धु घाटी सभ्यता की राजधानी कौनसा र्हर रहा होगा ?
(क) हड़लपा (ख) मुअनजो-दड़ो
(ग) नसंध (घ) गुजरात
प्र.16 ‘अतीत में दबे पाुँि’ में लेखक की हकस स्थान की यात्रा के अनुभिों का िणान है ?
(क) हड़लपा (ख) इस्लामाबाद
(ग) चंडीगढ़ (घ) मुअनजो-दड़ो
प्र.17 नसंधु सभ्यता के लोग यातायात के साधन के रूप में प्रयोग में लाते थे –
(क) ऊुँटगाड़ी (ख) बैलगाड़ी
(ग) घोड़ागाड़ी (घ) मोटरकार
प्र.18 लेखक ि उनके सानथयों को अपराध बोध है -
(क) मुअनजो-दड़ो के घरों में दबे पाुँि घुसने का
(ख) मुअनजो-दड़ो के अजायबघर छोटा होने का
(ग) मुअनजो-दड़ो पूरा न दे ख पाने का
(घ) मुअनजो-दड़ो की खुदाई करने का
प्र.19 लेखक ने नसन्द्धु सभ्यता को लो-प्रोिाइल सभ्यता कहा है –
(क) बड़ी चीज़ों को महत्त्ि दे ने के कारण (ख) अनधक खेती करने के कारण
(ग) लघुता को महत्त्ि दे ने के कारण (घ) धमा को महत्त्ि दे ने के कारण
प्र.20 नसंधु सभ्यता का सौन्द्दया-बोध था-
(क) धमा-पोवषत (ख) समाज-पोवषत
(ग) राज-पोवषत (घ) व्यवक्त-पोवषत
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प्र.21 मुअनजो-दड़ो की गनलयों में घूमते हुए लेखक को हकस स्थान की याद आती है ?
(क) हड़लपा (ख) चंडीगढ़
(ग) कुलधरा (घ) हदल्ली
प्र.22 मुअनजो-दड़ो की खुदाई में ननकली चीज़ों की संख्या लगभग है –
(क) दस हज़ार से कुछ अनधक (ख) बीस हज़ार
(ग) तीस हज़ार (घ) पचास हज़ार से अनधक
प्र.23 मुअनजो-दड़ो के अजायबघर में प्रदनर्ात चीज़ों में नहीं है -
(क) लोहे के हनथयार (ख) ताुँबे के बतान
(ग) मृद्भांड (घ) चौपड़ की गोहटयाुँ
प्र.24 नसन्द्धु सभ्यता- एक स्ि-अनुर्ानसत सभ्यता थी- इस कथन को पुष्ट करने िाला कथन
नहीं है –
(क) उस समय साि-सिाई अच्छी थी
(ख) उस समय राजतंत्र था
(ग) उस समय औज़ारों के अिर्ेष नमले हैं
(घ) उस समय सामाजजक व्यिस्थाएुँ उत्तम थी
प्र.25 नसंधु सभ्यता- लो-प्रोिाइल सभ्यता थी- इस कथन को पुष्ट करने िाला कथन नहीं है –
(क) मूनतायाुँ छोटी होती थी (ख) औज़ार छोटे होते थे
(ग) नािों का आकार छोटा होता था (घ) महल बड़े ि हनथयार छोटे होते थे
प्र.26 नसंधु सभ्यता की कौनसी विर्ेषता नहीं थी ?
(क) इस सभ्यता का जल-प्रबंध उत्तम था, इसनलए इसे जल-संस्कृ नत कहा गया है
(ख) यह सभ्यता सुननयोजजत और सौन्द्दया-बोध से पररपूणा थी
(ग) इनकी नलवप अक्षरात्मक थी जजसे पढ़ा नहीं जा सका
(घ) इसके तांबे और कांसे के बतान, मुहरें , मृद्भांड ि पत्थर के औजार भी नमले हैं
प्र.27 मुअनजो-दड़ो और हड़लपा नसन्द्धु सभ्यता के -----------------दौर के र्हर हैं –
(क) आरं नभक (ख) मध्य
(ग) परिती या पररपक्ि (घ) आरम्भ-मध्य
प्र.28“नसंधु सभ्यता साधन- संपन्द्न थी, पर उसमें भव्यता का आडं बर नहीं था |” पंवक्त का
तात्पया है –
(क) इस सभ्यता में साधन बहुत थे जो दे खने में आकषाक थे |
(ख) इस सभ्यता में राजा प्रजा की तरह सादगी से रहता था |
(ग) इस सभ्यता में सभी लोग संपन्द्न थे और िे हदखािा नहीं करते थे |
(घ) इस सभ्यता में सभी प्रकार के साधन थे हकन्द्तु हदखािा नहीं था |
प्र.29 “ नसंधु सभ्यता की खूबी उसका सौन्द्दया बोध है जो राज-पोवषत या धमा-पोवषत न होकर
समाज-पोवषत था |” ऐसा इसनलए कहा गया है , क्योंहक-
(क) नसन्द्धु घाटी सभ्यता में अमीर-गरीब न थे, अतः समाज में समानता थी |
(ख) नसन्द्धु घाटी सभ्यता में धमा का महत्त्ि न था, अतः समाज सिोपरर था |
(ग) नसन्द्धु घाटी सभ्यता में लोगों के सुंदर कायों को समाज महत्त्ि हदया जाता था और िे सुंदर
िस्तुएुँ बनाते थे |
(घ) नसंधु घाटी सभ्यता के सभी लोगों में सौन्द्दया के प्रनत चेतना अनधक थी |
प्र.30 “ टू टे -फूटे खंडहर, सभ्यता और संस्कृ नत के इनतहास के साथ-साथ धड़कती जजंदनगयों के
अनछुए समयों का भी दस्तािेज हैं |” इस कथन का भाि हो सकता है -
(क) पुरातन इमारतों के अध्ययन मात्र से इनतहास की व्याख्या संभि हो पाती है |
(ख) इनतहास की समझ हे तु केिल सभ्यता और संस्कृ नत को जानना आिश्यक होता है |
(ग) ऐनतहानसक इमारतों में बीते हुए जीिन के नचह्न महसूस होते हैं |
(घ) ऐनतहानसक इमारतों, कला, खान-पान इत्याहद में सदा जीिन्द्तता होती है |
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प्र.31 मुअनजो-दड़ो की बसािट के संबंध में कौनसा कथन सही है ?
(क) पूरा मुअनजो-दड़ो छोटे -मोटे टीलों पर आबाद था
(ख) ये टीले प्राकृ नतक नहीं थे
(ग) कच्ची ि पक्की ईंटों से सतह को ऊपर उठाया गया ताहक नसन्द्धु के पानी से बचाि हो सके
(घ) सभी कथन सही हैं
प्र.32 सन 1922 में कौन बौद्ध स्तूप की खोजबीन करना चाहते थे ?
(क) राखलदास बनजी
(ख) दीजक्षत कार्ीनाथ
(ग) माधोस्िरूप ित्स
(घ) जॉन मार्ाल
प्र.33 भारतीय पुरातत्त्ि सिेक्षण के महाननदे र्क जजनके ननदे र् पर खुदाई का व्यापक अनभयान
र्ुरू हुआ –
(क) राखलदास बनजी (ख) दीजक्षत कार्ीनाथ
(ग) माधोस्िरूप ित्स (घ) जॉन मार्ाल
प्र.34 नागर भारत का सबसे पुराना लैंडस्केप हकसे कहा गया है ?
(क) बौद्ध स्तूप
(ख) हड़लपा के घर
(ग) मुअनजो-दड़ो की गनलयाुँ
(घ) उपयुक्त
ा सभी
प्र.35 नसन्द्धु घाटी सभ्यता के अहितीय िास्तुकौर्ल को प्रदनर्ात करने िाला ननमााण जो अपने
मूलस्िरूप के नज़दीक बचा रह सका है –
(क) ज्ञानर्ाला
(ख) कोठार
(ग) सभा भिन
(घ) आनुष्ठाननक महाकुंड
प्र.36 ननम्ननलजखत में से नग्रड र्ैली का र्हर नहीं है –
(क) ब्रासीनलया (ख) चंडीगढ़
(ग) इस्लामाबाद (घ) जम्मू
प्र.37 मुअनजो-दड़ो की नगर-योजना आज की सेक्टर-माकाा कॉलोननयों के नीरस ननयोजन की
अपेक्षा ज्यादा रचनात्मक थीं क्योंहक-
(क) उसकी बसािट र्हर के खुद विकसने का अिकार् छोड़ कर चलती थीं
(ख) उनका आड़ा-नतरछा ननयोजन था
(ग) आधुननक साधन सुविधाओं के कारण
(घ) उपयुक्त
ा सभी
प्र.38 महाकुंड के संबंध में कौनसा कथन ग़लत है ?
(क) कुंड 40 फुट लम्बे, 25 फुट चौड़े , 7 फुट गहरे होते थे
(ख)इनके तीन तरफ साधुओं के कमरे होते थे
(ग) महाकुंड की पाश्वा दीिारों में सिेद डामर का प्रयोग हकया जाता था
(घ) कुंड में चारों हदर्ाओं से सीहढ़याुँ उतरती थीं
प्र.39 ‘मेलुहा’ र्ब्द का प्रयोग हकया जाता था –
(क) हड़लपा के नलए (ख) मुअनजो-दड़ो के नलए
(ग) मेसोपोटानमया के नलए (घ) नमस्त्र के नलए
प्र.40 नसंधु घाटी सभ्यता की खेती और व्यापार के सम्बन्द्ध में कौनसा कथन गलत है ?
(क) नसंधु सभ्यता के लोग रबी की िसल लेते थे
(ख) यहाुँ कपास की खेती होती थी
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(ग) नसंधु घाटी के लोग अन्द्न उपजाते नहीं थे बजल्क आयात करते थे
(घ) मुअनजो-दड़ो में सूत की कताई-बुनाई के साथ रं गाई भी होती थी
प्र.41 कुलधरा कहाुँ है ?
(क) जयपुर में (ख) जैसलमेर में
(ग) जम्मू में (घ) जालंधर में
प्र.42 चंडीगढ़ के िास्तुकार थे –
(क) जॉन मार्ाल (ख) माधोस्िरूप ित्स
(ग) काबूजा जए (घ) उपयुक्त
ा सभी
प्र.43 मुअनजो-दड़ो में बड़े घरों में कमरे छोटे का / के कारण हैं –
(क) र्हर की आबादी अनधक होना (ख) छोटे कमरे नौकरों के नलए
(ग) उपयुक्त
ा दोनों (घ) इनमें से कोई नहीं
प्र.44 मुअनजो-दड़ो के हकसी भी घर में जखड़हकयों या दरिाज़ों पर छज्जों के नचह्न नहीं होने से
लेखक ने क्या अनुमान लगाया ?
(क) मुअनजो-दड़ो में उस िक्त मरुभूनम नहीं थी
(ख) िहाुँ रे नगस्तान ही रहा होगा
(ग) उपयुक्त
ा दोनों
(घ) इनमें से कोई नहीं
प्र.45 जॉन मार्ाल ने मुअनजो-दड़ो पर -------------- खण्डों का विर्द प्रबंध छपिाया |
(क) तीन (ख) चार
(ग) पाुँच (घ) सात
प्र.46 नसन्द्धु सभ्यता के सौन्द्दया बोध से सम्बंनधत कौनसा कथन असत्य है ?
(क) उनके िारा बनाए गए मृद्भांडों पर मनुष्यों, िनस्पनतयों ि पर्ु-पजक्षयों के सुंदर नचत्र थे |
(ख) उनकी मुहरें सुंदर होती थी जजन पर बारीक आकृ नतयाुँ उत्कीणा होती थी |
(ग) उनकी नलवप सुघड़ अक्षरों िाली थी और जखलौने ि आभूषण भी सुंदर थे |
(घ) उस समय बड़ी समानधयाुँ ि महल होते थे |
प्र.47 मुअनजो-दड़ो में खुदाई बंद करने का कारण है -
(क) नसन्द्धु के पानी के ररसाि से क्षार और दलदल की समस्या के कारण
(ख) रे ललाइन वबछाने के कारण
(ग) अजायबघरों में स्थान की कमी के कारण
(घ) चीज़ें अन्द्य स्थानों पर ले जाने के कारण
प्र.48. मुअनजो-दड़ो हकस युग के र्हरों में सबसे बड़ा र्हर है ?
(क) लौह युग (ख) ताम्र युग
(ग) कांस्य युग (घ) इनमें से कोई नहीं
प्र.49 अतीत में दबे पाुँि र्ीषाक की साथाकता को प्रकट करने िाला / िाले कथन हैं –
(क) इस पाठ से हमें अतीत (भूतकाल) में बसे सुननयोजजत नगरों,सड़कों,अनाज भंडारों, यातायात
के साधन के रूप में बैलगाड़ी, उनकी जीिन-र्ैली आहद की जानकारी नमलती है |
(ख) लेखक और उनके साथी मकान मानलकों की इजाज़त के वबना उनके घरों में धीरे से ि दबे
पाुँि प्रिेर् कर गए |
(ग) उपयुक्त
ा दोनों
(घ) इनमें से कोई नहीं
प्र.50. मुअनजो-दड़ो के कोठार में क्या संग्रह हकया जाता रहा होगा ?
(क) खुदाई में ननकली चीज़ें
(ख) कर के रूप में हानसल अनाज
(ग) यातायात के साधन
(घ) इनमें से कोई नहीं
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उत्तरमाला –
1 ख 11 क 21 ग 31 घ 41 ख
2 घ 12 क 22 घ 32 क 42 ग
3 क 13 ग 23 क 33 घ 43 ग
4 ग 14 ग 24 ख 34 क 44 क
5 ग 15 ख 25 घ 35 घ 45 क
6 ख 16 घ 26 ग 36 घ 46 घ
7 क 17 ख 27 ग 37 क 47 क
8 घ 18 क 28 घ 38 घ 48 ख
9 ख 19 ग 29 ग 39 ख 49 ग
10 ग 20 ख 30 ग 40 ग 50 ख
िणानात्मक प्रश्न
प्रश्न 1. नसंधु सभ्यता साधन-संपन्द्न थी, पर उसमें भव्यता का आडं बर नहीं था, कैसे? (CBSE)
उत्तर: नसंध-ु सभ्यता साधन-संपन्द्न थी क्योंहक उनके दोमंजज़ला घरों में बड़ा आुँगन होता था | उनकी खेती
उन्द्नत थी ि अनाज भण्डार भरे होते थे | िे यातायात के नलए बैलगाहड़यों का इस्तेमाल करते थे |
कर्ीदे कारी के नलए सोने की सुईयों का इस्तेमाल करते थे |
उनमें भव्यता का आडम्बर नहीं था क्योंहक िे छोटी-छोटी चीजों को महत्ि दे ते थे | उनकी मूनतायाुँ,औज़ार
ि नािों का आकार भी छोटा होता था | हकसी भी बड़े महल ि समानधयों के अिर्ेष भी नहीं हैं |
प्रश्न 2.‘नसंध-ु सभ्यता की खूबी उसका सौंदया-बोध है जो राज-पोवषत या धमा-पोवषत न होकर
समाज-पोवषत था।’ ऐसा क्यों कहा गया? (CBSE-2012, 2013)
उत्तर: नसंध-ु सभ्यता की खूबी उसका सौन्द्दया-बोध है जो राज-पोवषत या धमा-पोवषत न होकर समाज-
पोवषत था क्योंहक उनकी िास्तुकला और नगर-ननयोजन उत्तम ि सुंदर था | उनके िारा बनाई गई धातु ि
पत्थर की मूनतायाुँ, जखलौने, मुहरें , नलवप ि आभूषण सुद
ं र थे | उनके िारा बनाए गए मृद्भांड सुंदर थे |
उस समय सुंदर कर्ीदाकारी ि गुलकारी की जाती थी | उस समय हकसी राजतंत्र या धमातंत्र का अभाि
था| कोई महल ि समानध नहीं थी |
प्रश्न 3. पुरातत्ि के हकन नचह्नों के आधार पर आप यह कह सकते हैं हक-“नसंधु सभ्यता ताकत
से र्ानसत होने की अपेक्षा समझ से अनुर्ानसत सभ्यता थी।” (CBSE)
उत्तर: नसंधु-सभ्यता से जो अिर्ेष प्राप्त हुए हैं उनमें औजार तो हैं , पर हनथयार नहीं हैं । नसन्द्धु
सभ्यता में न भव्य राजप्रासाद नमले हैं , न मंहदर, न राजाओं ि महतों की समानधयाुँ। इन
सबके बािजूद यहाुँ ऐसा अनुर्ासन जरूर था जो नगर-योजना, िास्तु-नर्ल्प, मुहर-ठलपों, पानी
या साि-सिाई जैसी सामाजजक व्यिस्थाओं में एकरूपता रखे हुए था। इन आधारों पर वििान
यह मानते हैं हक यह सभ्यता समझ से अनुर्ानसत सभ्यता थी, न हक ताकत से।
प्रश्न 5.टू टे -फूटे खंडहर, सभ्यता और संस्कृ नत के इनतहास के साथ-साथ धड़कती जजंदनगयों के
अनछुए समयों को भी दस्तािेज़ होते हैं -इस कथन का भाि स्पष्ट कीजजए। (CBSE)
उत्तर: मुअनजो-दड़ो में प्राप्त खंडहर यह अहसास कराते हैं हक आज से पाुँच हजार साल पहले
कभी यहाुँ बस्ती थी। ये खंडहर उस समय की संस्कृ नत का पररचय कराते हैं । लेखक कहता है
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हक इस आहदम र्हर के हकसी भी मकान की दीिार पर पीठ हटकाकर सुस्ता सकते हैं चाहे िह
एक खंडहर ही क्यों न हो, रसोई की जखड़की पर खड़े होकर उसकी गंध महसूस कर सकते हैं या
र्हर के हकसी सुनसान मागा पर कान दे कर बैलगाड़ी की रुन-झुन सुन सकते हैं । ये एक प्रकार
के दस्तािेज होते हैं जो इनतहास के साथ-साथ उस अनछुए समय को भी हमारे सामने उपजस्थत
कर दे ते हैं ।
प्रश्न 7. नदी, कुएुँ, स्नानागार और बेजोड़ ननकासी व्यिस्था को दे खते हुए लेखक पाठकों से प्रश्न
पूछता है हक क्या हम नसंधु घाटी सभ्यता को जल-संस्कृ नत कह सकते हैं ? आपका जिाब लेखक
के पक्ष में है या विपक्ष में? तका दें । (CBSE-2009)
उत्तर: नसन्द्धु-सभ्यता को जल-संस्कृ नत ननम्ननलजखत कारणों से कह सकते हैं –
1. नदी- नसन्द्धु नदी के हकनारे टीलों पर बसी सभ्यता थी |
2.कुएुँ – यह पहली ज्ञात संस्कृ नत है जजसमें कुएुँ थे | मुअनजो-दड़ो में पक्की ईंटों से बने लगभग सात सौ
गोलाकार कुएुँ थे |
3.महाकुंड ि स्नानघर – पवित्र जल के नलए अनुष्ठान के समय सामूहहक स्नान के नलए पक्की ईंटों से बने
महाकुंड थे तथा प्रत्येक घर में एक स्नानघर होता था |
4.जल-ननकासी – उस समय की जल-ननकासी हे तु पक्की ईंटों से बंद बनी नानलयों से होती थी जो बाहर
एक हौद में खुलती थी |
**********************
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खंड-‘अ’(िस्तुपरकप्रश्न)
प्रश्न
अपहठत बोध अंक (15)
संख्या
प्रश्न 1 राष्ट्रीय भािना के अभ्युदय एिं विकास के नलए भाषा भी एक प्रमुख तत्ि है । मानि 1×10=10
समुदाय अपनी संिेदनाओं, भािनाओं बानधत नहीं करतीं। इसी प्रकार यहद राष्ट्र की एक
सम्पका भाषा का विकास हो जाए तो पारस्पररक संबंधों के गनतरोध बहुत सीमा तक
समाप्त हो सकते हैं । मानि-समुदाय को एक जीवित-जाग्रत एिं जीिंत र्रीर की संज्ञा
दी जा सकती है और उसका अपना एक ननजश्चत व्यहक तत्ि होता है । भाषा
अनभव्यवक्त के माध्यम से इस व्यवक्तत्ि को साकार करती है , उसके अमूता माननसक
िैचाररक स्िरूप को मूता एिं वबंबात्मक रूप प्रदान करती है ।
मनुष्यों के विविध समुदाय हैं , उनकी विविध भािनाएुँ हैं , विचारधाराएुँ हैं , संकल्प एिं
आदर्ा हैं , उन्द्हें भाषा ही अनभव्यक्त करने में सक्षम होती है । साहहत्य, र्ास्त्र, गीत-
संगीत आहद में मानि-समुदाय अपने आदर्ों, संकल्पनाओं, अिधारणाओं एिं
विनर्ष्टताओं को िाणी दे ता है , पर क्या भाषा के अभाि में काव्य, साहहत्य, संगीत
आहद का अजस्तत्ि संभि है ? िस्तुतः ज्ञानरानर् एिं भािरानर् का अपार संनचत कोर्
जजसे साहहत्य का अनभधान हदया जाता है , र्ब्द-रूप ही तो है । अतः इस संबंध में
िैमत्य की हकंनचत ् गुंजाइर् नहीं है हक भाषा ही एक ऐसा साधन है जजससे मनुष्य
एक-दस
ू रे के ननकट आ सकते हैं , उनमें परस्पर घननष्ठता स्थावपत हो सकती है । यही
कारण है हक एक भाषा बोलने एिं समझने िाले लोग परस्पर एकानुभूनत रखते हैं ,
उनके विचारों में ऐक्य रहता है । अतः राष्ट्रीय भािना के विकास के नलए भाषा तत्ि
परम आिश्यक है ।
1.राष्ट्रीय भािना के अभ्युदय एिं विकास के नलए कौनसा तत्ि प्रमुख है ?
a.समाज एक प्रमुख तत्त्ि है
b.भाषा एक प्रमुख तत्त्ि है
c.संस्कृ नत एक प्रमुख तत्त्ि है
d.इनतहास एक प्रमुख तत्त्ि है
2.भाषा के बारे में मानि समुदाय क्या सोचता है ?
a.भाषा संिेदनाओं, भािनाओं ि विचारों की अनभव्यवक्त
b.भाषा केिल सम्प्रेषण का माध्यम है
c.भाषा का महत्त्ि समुदाय से कम है
d.उपरोक्त में से कोई नहीं
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3. पारस्पररक संबंधों का गनतरोध हकससे समाप्त हो सकता है ?
a.राष्ट्र भाषा से b.राजभाषा से
c.संपका भाषा से d.दे र्ज भाषा से
4. मानि समुदाय को हकसकी संज्ञा दी गयी है ?
a.जीवित b.जाग्रत c.जीिंत d.उपरोक्त सभी
5. भाषा अनभव्यवक्त से व्यवक्तत्त्ि के कौन-कौन से रूप साकार होते है ?
a.मूता b.अमूता c.वबंबात्मक d.उपरोक्त सभी
6.गद्यांर् में ‘मूत’ा र्ब्द का विलोम र्ब्द ढू ं ढकर नलजखए |
a.अमूता b.अज्ञात c.विख्यात d.अन्द्मूता
7. राष्ट्रीय भािना के विकास के नलए भाषा-तत्ि क्यों आिश्यक है ?
a.क्योंहक भाषा से विकास संभि है
b.क्योंहक िह मानि समुदाय में एकानुभूनत और विचार ऐक्य का साधन है ।
c.क्योंहक िह मानि समुदाय में घृणा की भािना जाग्रत करता है |
d.क्योंहक िह मानि समुदाय में संकीणाता की भािना जाग्रत करता है
8. ‘भाषा बहता नीर’ से क्या आर्य है ?
a.भाषा बहता पानी है
b.भाषा सरल और प्रिाहमयी होती है
c.भाषा कुछ समय में समाप्त हो जाती है
d.भाषा जहटल हो जाती है
9. ननम्ननलजखत कथनों पर विचार कीजजए |
i. भाषा बहते हुए पानी के समान होती है |
ii. भाषा राष्ट्रीय एकता स्थावपत करती है |
iii. भाषा से संकीणाता आती है |
iv. भाषा से एकानुभूनत और विचारों की एकता आती है |
a. कथन i, iv सही है
b. कथन i, iii, iv सही है
c. कथन i, ii, iv सही है
d. कथन iii, iv सही है
10. साहहत्य की पररभाषा के नलए उपयुक्त पदबंध बताइए।
a. ज्ञानरानर् एिं भािरानर् का संनचत कोर्।
b. ह्रदय की भािना ही साहहत्य है
c. संिेदनाओं की अनुभूनत ही साहहत्य है
d. नचत्रात्मक भाषा ही साहहत्य है
प्रश्न 2 हदए गए पद्यांर् पर आधाररत प्रश्नों को ध्यानपूिक
ा पढ़कर हदए गए प्रश्नों के सिाानधक उपयुक्त 1×5 = 5
उत्तर िाले विकल्प को चुनकर नलजखए-
फूलों को पाने के पहले, र्ूलों को अपनाना है
सहज नहीं फूलों को पाना,
पहले काुँटे चुभते हैं |
कहठन राह में चलने से ही,
पग में छाले, दख
ु ते है ||
मोती के नलए समुन्द्दर में,तुमको गोता खाना है |
फूलों को पाने के पहले, र्ूलों को अपनाना है ||
मंजजल तक जाने से पहले,
पग-पग पर बाधाएुँ हैं |
एक नहीं जाने हकतनी ही,
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कड़ी हुई विपदाएुँ हैं ||
उन्द्हें रौंदकर आगे बढ़कर, भय को दरू भगाना है |
फूलों को पाने के पहले, र्ूलों को अपनाना है ||
नगरना और संभलकर बढ़ना,
साहस का साथ ननभाना |
विजय चाहते हो जीिन में,
दृढ़ता से बढ़ते जाना ||
हार नहीं सकता िह जजसने सीखा मुसकाना है |
फूलों को पाने के पहले, र्ूलों को अपनाना है ||
1. मनुष्य को लक्ष्य प्रानप्त से पहले गुजरना पड़ता है –
a. बाधाओं से b. विपदाओं से c. कहठनाइयों से d. उपरोक्त सभी
2. फूलों की प्रानप्त में कौन बाधक है ?
a. काुँटे b. स्ियं फूल c. आदमी d. माली
3. पग में छाले कब दख
ु ते है ?
a. कहठन राह पर चलने से
b. कंटीली डगर पर चलने से
c. ऊबड़-खाबड़ रास्तों पर चलने से
d. पत्थरों की रह पर चलने से
4. कवि हकनको रौंदने की बात कर रहा है ?
a. फूलों को b. मंजजल को
c. काुँटों को d. बाधाओं और विपदाओं को
5. कवि के हकन व्यवक्तयों के जीिन में हार नहीं होती ?
a. दृढ़ता से आगे बढ़ने िालों की
b. साहस से जीने िालों की
c. ननत्य प्रसन्द्न रहने िालों की
d.कहठन राह पर चलने िालों की
प्रश्न
अनभव्यवक्त और माध्यम अंक (5)
संख्या
प्रश्न 3 ननम्ननलजखत प्रश्नों को ध्यानपूिक
ा पढकर सिाानधक उपयुक्त उत्तर िाले विकल्प को चुनकर 1×5 = 5
नलजखए-
1. ननम्न में से कौनसा जनसंचार का काया है ?
a. सूचना दे ना
b. मनोरं जन करना
c. एजेंडा तय करना
d. उपरोक्त सभी
2. ननम्ननलजखत कथनों पर विचार कीजजए -
कथन-(A) छपे हुए र्ब्दों में स्थानयत्त्ि होता है
कारण-(R) क्योहक इन्द्हें सुविधानुसार पढ़ा जा सकता है
a. कथन और कारण दोनों सत्य है ,कारण कथन की सही व्याख्या करता है
b. कथन और कारण दोनों सत्य है ,कारण कथन की सही व्याख्या नहीं करता है
c. कथन सत्य है और कारण असत्य है
d. कथन और कारण दोनों असत्य है
3. ननम्न में से कौनसा टीिी खबरों के चरण में र्ानमल नहीं है
a. फोन इन
b. हिपल स्पेस
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c. एंकर पैकेज
d. ड्राई एंकर
4. हहं दी का पहला समाचार-पत्र कौनसा और हकसके िारा प्रकानर्त हकया गया?
a. उद्दं ड मातांड – जुगलहकर्ोर र्ुक्ल िारा
b. सरस्िती - आचाया रामचंर र्ुक्ल
c. बंगाल गज़ट – आगस्ट हहक्की
d. केर्री – बाल गंगाधर नतलक
5. हकस पत्रकाररता का उत्तरदानयत्त्ि सरकार के कामकाज पर ननगाह रखना होता है ?
a. खोजपरक पत्रकाररता
b. िॉचडॉग पत्रकाररता
c. एडिोकेसी पत्रकाररता
d. विर्ेषीकृ त पत्रकाररता
प्रश्न
पाठ्यपुस्तक आरोह भाग 2 अंक (10)
संख्या
प्रश्न 4 ननम्ननलजखत काव्यांर् के प्रश्नों को ध्यानपूिक
ा पढ़कर सिाानधक उपयुक्त उत्तर िाले 1×5 = 5
विकल्प को चुनकर नलजखए-
1. हदन जल्दी-जल्दी ढलता है ’ कवि ने मुख्य रूप से क्या व्यक्त हकया है
a.जीिन की क्षणभंगुरता
b.प्रेम की व्यग्रता
c.प्रकृ नत की दै ननक पररितानर्ीलता
d.उपरोक्त सभी
2. ‘जल्दी-जल्दी’ में कौनसा अलंकार है ?
a.यमक अलंकार b.पुनरुवक्तप्रकार् अलंकार
c.अनुप्रास अलंकार d.मानिीकरण अलंकार
3. सुमेनलत कीजजए |
1. पंथी --- A. आर्ा
2. मंजजल --- B. तीव्रता
3. प्रत्यार्ा --- C राहगीर
4. चंचलता --- D लक्ष्य
a. 1-D, 2-B, 3-C, 4-A
b. 1-A, 2-B, 3-C, 4-D
c. 1-C, 2-D, 3-C, 4-A
d. 1-C, 2-D, 3-A, 4-B
4. ननम्न कथनों पर विचार कीजजए
कथन-A िात्सल्य भाि की व्यग्रता सभी प्राजणयों में पाई जाती है
कथन-B पजक्षयों िारा घोंसलों से झाुँकना दृश्य वबंब को दर्ााता है
कथन-C नचहड़याुँ भी हदन ढलने पर चंचल हो उठती है
a. कथन A तथा B सत्य है
b. कथन-B तथा C सत्य है
c. कथन A,B तथा C तीनों असत्य है
d. कथन A,B तथा C तीनों सत्य है
5. बच्चे प्रत्यार्ा में होंगे
नीड़ो से झाुँक रहे होंगे ---
उपरोक्त कविता के अंर् में हकस मानि-सत्य को दर्ााया गया है ?
a. िात्सल्य और प्रेम के कारण माुँ का मन आर्ंका से भर जाता है
b. पजक्षयों में िात्सल्य भािना नहीं होती है
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c. बच्चों को भोजन,स्नेह ि सुरक्षा का भाि प्रत्येक प्राणी में होता है
d. क तथा ग दोनों सही है |
प्रश्न 5 ननम्ननलजखत गद्यांर् के प्रश्नों को ध्यानपूिक
ा पढ़कर सिाानधक उपयुक्त उत्तर िाले विकल्प 1×5 = 5
को चुनकर नलजखए-
“र्हरों की तुलना में गाुँि में और भी हालत खराब होती थी| जहाुँ जुताई होनी चाहहए
िहाुँ खेतों की नमट्टी सूखकर पत्थर हो जाती, हफर उसमें पपड़ी पड़ कर ज़मीन फटने
लगती, लू ऐसी हक चलते-चलते आदमी आधे रास्ते में लू खा कर नगर पड़े | ढोर-ढं गर
लयास के मारे मरने लगते, लेहकन बाररर् का कहीं नाम-ननर्ान नहीं, ऐसे में पूजा-
पाठ कथा-विधान सब करके लोग जब हार जाते तब अंनतम उपाय के रूप में
ननकलती यह इं दर सेना| िषाा के बादलों के स्िामी हैं , इं र और इं र की सेना टोली
बांध कर कीचड़ में लथपथ ननकलती, पुकारते हुए मेघों को, पानी माुँगते हुए लयासे
गलों और सूखे खेतों के नलए| पानी की आर्ा पर जैसे सारा जीिन आकर हटक गया
हो| एक बात मेरे समझ में नहीं आती थी हक जब चारों और पानी की इतनी कमी है
तो लोग घर में इतनी कहठनाई से इकट्ठा करके रखा हुआ पानी बाल्टी भर-भर कर
इन पर क्यों फेंकते हैं | कैसी ननमाम बरबादी है पानी की|”
1. गाुँि की हालत खराब क्यों होती थी?
a. बाढ़ के कारण b. सूखे के कारण
c. भूकंप के कारण d. महामारी के कारण
2. गाुँि के लोग बरसात के नलए क्या उपाय करते थे?
a. पूजा-पाठ आहद अनुष्ठान करते b. सरकार से प्राथाना करते
c. गाुँि छोड़कर चले जाते d. सभी विकल्प ठीक हैं
3. इं दर-सेना हकसे प्रसन्द्न करने का प्रयास करती थी?
a. भगिान नर्ि को b. िषाा के राजा इं र को
c. लोगों को d. सभी विकल्प ठीक हैं
4. लेखक को क्या बात समझ नहीं आती थी?
a. लोग पूजा पाठ क्यों करते हैं b. इं दर सेना क्यों बनी है
c. लोग इतनी कहठनाई से इकट्ठा हकया पानी बरबाद क्यों कर रहे हैं
d. सभी विकल्प ठीक है
5. गाुँि के कैसे दृश्य के सन्द्दभा में कौनसा कथन सत्य है ?
कथन-1 जहाुँ जुताई होनी चाहहए िहाुँ खेतों की नमट्टी सूखकर पत्थर हो जाती
कथन-2 भयंकर लू चलती
कथन-3 ढोर-ढं गर लयास के मारे मरने लगते
a.केिल कथन 1 सत्य है
b.केिल कथन 1 और 2 सत्य है
c.केिल कथन 3 सत्य है
d.तीनों कथन सत्य है |
प्रश्न
पूरक पाठ्यपुस्तक वितान भाग 2 अंक (10)
संख्या
प्रश्न 6 ननम्ननलजखत प्रश्नों के उत्तर हे तु ननदे र्ानुसार सही विकल्प चुननए | 1×10=10
1. ननम्ननलजखत कथनों पर विचार कीजजए |
कथन-i 'नसल्िर िैहडं ग' कहानी ितामान युग में बदलते जीिन-मूल्यों की कहानी है ।
कथन-ii यर्ोधर अपने बच्चों की तरक्की से पूणत
ा ः खुर् नहीं थे |
कथन-iii यर्ोधर संग्रह िृवत्त, भौनतक चकाचौंध से दरू , िे आत्मीयता और सामूहहकता
के बोध से युक्त हैं ।
a. कथन i,ii और iii सत्य है
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b. केिल कथन i सत्य है
c. केिल कथन i और ii सत्य है
d. केिल कथन i और iii सत्य है
2. ‘नसल्िर िैहडं ग’ पाठ की मूल संिेदना क्या है ?
a. हानर्ये पर धकेले जाते मानिीय मूल्य
b. पीढीजन्द्य अंतराल
c. पाश्चात्य संस्कृ नत का प्रभाि
d. आधुननकता का प्रभाि
3. यर्ोधर की पत्नी के चररत्र की कौनसी विर्ेषता थी ?
a. आधुननकता की चाह
b. पुराने संस्कारों को मानना
c. पनत के विचारों से सहमती रखने िाली
d. ररश्तेदारों से अच्छा व्यिहार करना
4. ‘समहाउ इम्प्रोपर’ िाक्यांर् का प्रयोग हकन सन्द्दभों में हुआ है ?
a. अपने से परायेपन का व्यिहार नमलने पर
b. िृद्धा पत्नी के आधुननका स्िरुप को दे खकर
c. केक काटने की विदे र्ी परं परा पर
d इनमें से सभी
5.दत्ताजीराि से वपता पर दबाि डलिाने के नलए लेखक और उसकी माुँ को एक झूठ
का सहारा लेना पड़ा| यहद झूठ का सहारा न लेता तो आगे का घटनाक्रम क्या होता?
A. दत्ताजीराि उसके वपता पर दबाि नहीं दे पाते
B वबना झूठ का सहारा नलए उसकी प्रनतभा कभी भी न चमक पाती।
C िह सारा जीिन खेती में ही लगा रहता
D हफर ही िह पढ़ नलखकर बड़ा आदमी बन जाता
a. सभी कथन सत्य है
b. कथन A,B तथा C सत्य है
c. केिल कथन D सत्य है
d. सभी कथन असत्य है
6. लेखक आनंद यादि की माुँ लेखक के वपता को क्या कहकर पुकारती थी ?
a. बरहे ला सूअर b. पागल व्यवक्त
c. पागल कुत्ता d. पागल हाथी
7. लेखक की कक्षा के कक्षाध्यापक का क्या नाम था ?
a. िसंत पाहटल b. मंत्री नमक मास्टर
c. रणिरे मास्टर d. सोंदे ल्गेकर मास्टर
8. ‘मुअनजो-दड़ो’ र्ब्द क्या अथा है ?
a. मुदों का टीला b. ऊुँचा टीला
c. उत्कृ ष्ट स्थल d. प्राचीन टीला
9.कथन- नसन्द्धु घाटी सभ्यता स्िास्थ्य के प्रनत बेहद जागरूक थे |
कारण- ढकी हुई नानलयाुँ मुख्य सड़क के दोनों तरफ समान्द्तर हदखाई दे ती है |
a. कथन और कारण दोनों सत्य है ,कारण कथन की सही व्याख्या करता है
b. कथन और कारण दोनों सत्य है ,कारण कथन की सही व्याख्या नहीं करता है
c. कथन सत्य है और कारण असत्य है
d. कथन और कारण दोनों असत्य है
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10. मुअनजो-दड़ो के सबसे ऊुँचे चबूतरे पर क्या विद्यमान है ?
a. मंहदर b. बौद्ध स्तूप
c. राजमहल d. विर्ाल भिन
खण्ड-‘ब’(िणानात्मक प्रश्न)
प्र.सं. जनसंचार और सृजनात्मक लेखन अंक (16)
प्रश्न 7 ननम्ननलजखत हदए गए 03 विषयों में से हकसी 01 विषय पर लगभग 120 र्ब्दों में 6×1=6
रचनात्मक लेख नलजखए -
क. सुपर बाजार की सैर
ख. चौराहे पर जखलौने बेचते बच्चे
ग. मेले में कुश्ती प्रनतयोनगता
प्रश्न 8 ननम्ननलजखत प्रश्नों को ध्यानपूिक
ा पढ़कर लगभग 40 र्ब्दों में ननदे र्ानुसार उत्तर 2×2=4
दीजजए-
(i) कहानी में पात्रों अथिा चररत्रों का क्या महत्त्ि है ?
अथिा
नाटक की भाषा र्ैली कैसी होनी चाहहए?
(ii) कहानी और नाटक में क्या समानताएं हैं ?
अथिा
कहानी का नाट्य रूपांतरण करते समय हकन – हकन बातों का ध्यान रखना चाहहए?
प्रश्न 9 ननम्ननलजखत प्रश्नों को ध्यानपूिक
ा पढ़कर हदए गए 03 प्रश्नों में से हकन्द्हीं 02 प्रश्नों के 3×2=6
उत्तर लगभग 60 र्ब्दों में दीजजए -
(i) रे हडयो समाचार लेखन के नलए बुननयादी बातों को विस्तृत रूप में नलजखए ?
(ii) भारत में इं टरनेट पत्रकाररता के इनतहास का संजक्षप्त पररचय दीजजए ?
(iii) पत्रकारीय लेखन क्या है तथा पत्रकार के हकतने प्रकार होते है ?
प्रश्न
पाठ्यपुस्तक आरोह भाग 2 अंक (20)
संख्या
प्रश्न ननम्ननलजखत प्रश्नों को ध्यानपूिक
ा पढ़कर हदए गए 03 प्रश्नों में से हकन्द्हीं 02 प्रश्नों के 3×2=6
10 उत्तर लगभग 60 र्ब्दों में दीजजए-
(i) ‘जन्द्म से ही िे लाते हैं अपने साथ कपास’-कपास से बच्चों का क्या सम्बन्द्ध है ?
(ii) फूलों के जखलने और कविता में क्या समानता है ?
(iii) ‘कैमरे में बंद अपाहहज’ करूणा के मुखौटे में नछपी क्रूरता की कविता है – स्पष्ट
कीजजए |
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प्रश्न ननम्ननलजखतप्रश्नों को ध्यानपूिक
ा पढ़कर हदए गए 03 प्रश्नों में से हकन्द्हीं 02 प्रश्नों के 2×2=4
13 उत्तर लगभग 40 र्ब्दों में दीजजए-
(i) ’ननस्तब्धता’ हकसे कहते है ? उस रात की ननस्तब्धता क्या प्रयत्न कर रही थी
और क्यों?
(ii) कानलदास, पंत और रिींरनाथ टै गोर में कौन सा गुण समान था? ‘नर्रीष के फूल’
पाठ के आधार पर उत्तर दीजजए |
(iii) मनुष्य की क्षमता हकन बातों पर ननभार रहती है ?
पूरक पाठ्यपुस्तक वितान भाग 2 अंक (04)
प्रश्न ननम्ननलजखत प्रश्नों को ध्यानपूिक
ा पढ़कर हदए गए 02 प्रश्नों में से हकसी 01 प्रश्न का 4x1 = 4
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प्रश्न 4 प्रश्न –काव्यांर्–पाठ्यपुस्तक आरोह भाग 2 1×5 = 5
1. d. उपरोक्त सभी 1
2. b. पुनरुवक्तप्रकार् अलंकार 1
3. d. 1-C, 2-D, 3-A, 4-B 1
4. d. कथन A,B तथा C तीनों सत्य है 1
5. d. क तथा ग दोनों सही है | 1
कहानी- 1. कहानी का केंर वबंद ु कथानक होता है । 2. कहानी में एक कहानी होती है ।
3. कहानी में पात्र होते हैं ।
नाटक- 1.नाटक का केंर वबंद ु कथानक होता है । 2. नाटक में भी एक कहानी होती है ।
3. नाटक में भी पात्र होते हैं ।
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अथिा
कहानी का नाट्य रूपांतरण करते समय ननम्न बातों का ध्यान रखना चाहहए-
• कहानी एक ही जगह पर जस्थत होनी चाहहये।
• कहानी में संिाद नहीं होते और नाट्य संिाद के आधार पर आगे बढता है ।
• कहानी का नाट्य रूपांतर करने से पहले उसका कथानक बनाना बहुत जरूरी है ।
• नाट्य मे हर एक पत्र का विकास कहानी जैसे आगे बढती है , िैसे होता है ।
• कहानी कागजी होती है ।
प्रश्न 9 प्रश्न – हदए गए 03 प्रश्नों में से हकन्द्हीं 02 प्रश्नों के लगभग 60 र्ब्दों में उत्तर: 3×2=6
(i) रे हडयो समाचार-लेखन के नलए बुननयादी बातें : 3
भारत में सच्चे अथों में िेब पत्रकाररता करने िाली साइटें ’रीहडि डॉट कॉम’, इं हडया
इिोलाइन’ ि ’सीिी’ हैं । रीहडि को भारत की पहली साइट कहा जाता है । िेब
साइट पर विर्ुद्ध पत्रकाररता र्ुरू करने का श्रेय ’तहलका डॉट्कॉम’ को जाता है ।
हहं दी में नेट पत्रकाररता
िेब दनु नया’ के साथ र्ुरू हुई। प्रभा साक्षी नाम का अखबार वप्रंट रूप में न होकर
नसिा नेट पर ही उपलब्ध है । हहन्द्दी की सिा श्रेष्ठ साइट बीबीसी की है |
(iii) पत्रकाररता आधुननक सभ्यता का एक प्रमुख व्यिसाय है , जजसमें समाचारों का 3
एकत्रीकरण, नलखना, जानकारी एकवत्रत करके पहुुँचाना, सम्पाहदत करना और
सम्यक प्रस्तुतीकरण आहद सजम्मनलत हैं ।
पत्रकार तीन प्रकार के होते है –
पहला- पूणक
ा ानलक पत्रकार
दस
ू रा- अंर्कानलक पत्रकार
तीसरा – फ्रीलांसर पत्रकार
प्रश्न –पाठ्यपुस्तक आरोह भाग 2
प्रश्न 10 प्रश्न – हदए गए 03 प्रश्नों में से हकन्द्हीं 02 प्रश्नों के लगभग 60 र्ब्दों में उत्तर: 3×2=6
(i) कपास की तरह ही बच्चे भी जन्द्म से ही कोमल और मुलायम होते हैं | बच्चों के 3
सपने कपास से बनी डोर के सामान होते हैं ,जो पतंग की तरह ऊुँची उड़ान भरते
हैं |बच्चे कपास की तरह कोमल आकषाक और लचीले होते हैं लचीलेपन के कारण
ही िो एक छत से दस
ू री छत पर आसानी से छलांग लगा लेते हैं साथ ही उनकी
भािनाएुँ भी कपास के सामान स्िच्छ होती हैं यही कारण है की इन दोनों में
समानता बताई गयी है |
(ii) फूल रं ग वबरं गे ि ् सुंदर होते हैं , प्रकृ नत में अपनी छटा वबखेरते हैं | फूलों को दे खकर 3
ह्रदय प्रस्फुहटत होता है , ठीक उसी प्रकार कवि के ह्रदय में विनभन्द्न भािों का
आगमन होता है , जजन्द्हें िह कविता के माध्यम से व्यक्त करता है | कविता को
पढ़कर पाठक को आनंद की प्रानप्त होती है |
(iii) यह कविता करूणा के मुखौटे में नछपी क्रूरता की कविता है | बाहरी तौर पर 3
कायाक्रम एक अपंग व्यवक्त के जीिन की समस्याओं से दर्ाकों को दो–चार करिाने
के उद्दे श्य को लेकर चलता है पर संचालक महोदय का पूरा ध्यान दर्ाकों की
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िाहिाही पाने में लगा रहता है | सस्ती भािुकता के नलए िह अपाहहज और दर्ाकों
दोनों को एक साथ रुलाना चाहता है इसके नलए िह हृदयहीन क्रूर प्रश्न पूछने से
भी नहीं हहचहकचाता |
प्रश्न 11 प्रश्न – हदए गए 03 प्रश्नों में से हकन्द्हीं 02 प्रश्नों के लगभग 40 र्ब्दों में उत्तर: 2×2=4
(i) भोर के नभ और राख़ से लीपे गए चौके में यह समानता है हक दोनों ही गहरे 2
मनुष्य की तरह नहीं। भ्रातृ प्रेम का नचत्रण हकया गया है ।तुलसीदास की मानिीय
भािों पर सर्क्त पकड़ है ।दै िीय व्यवक्तत्ि का लीला रूप ईश्वर राम को मानिीय
भािों से समजन्द्ित कर दे ता है ।
(iii) नचत्रात्मक िणान िारा कवि ने एक ओर काले बादलों पर उड़ती बगुलों की श्वेत 2
पंवक्त का नचत्र अंहकत हकया है तथा इस अप्रनतम दृश्य के हृदय पर पड़ने िाले
प्रभाि को नचवत्रत हकया है । कवि के अनुसार यह दृश्य उनकी आुँखें चुराए नलए जा
रहा है |मंत्र मुग्ध कवि इस दृश्य के प्रभाि से आत्म विस्मृनत की जस्थनत तक
पहुुँच जाता है ।
प्रश्न 12 प्रश्न – हदए गए 03 प्रश्नों में से हकन्द्हीं 02 प्रश्नों के लगभग 60 र्ब्दों में उत्तर: 3×2=6
(i) भारतीय वििाह परं परा में लड़हकयों को अपनी इच्छानुसार िर चुनने की स्ितंत्रता 3
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प्रश्न – पूरक पाठ्यपुस्तकवितान भाग 2
प्रश्न 14 यर्ोधर बाबू एक सामजजक व्यवक्त थे | अपनी नौकरी र्ुरू करने के साथ उन्द्होंने 4x1 = 4
संयुक्त पररिार अपने साथ रखा था | इसी प्रकार सालों में कुमाउनी परम्परा से
संबंनधत आयोजन भी हकया करते थे | यर्ोधर बाबू एक असंतुष्ट वपता भी थे
|अपनी संतानों के साथ उनका संबंध सामान्द्य नहीं था |अपने पाररिाररक माहौल से
बचने के नलए ही िे जान बूझकर अनधक समय तक घर से बाहर रहने की कोनर्र्
करते थे |यर्ोधर बाबू परम्परािादी व्यवक्त थे | उन्द्हें सामाजजक ररश्तों को ननबाहने
में आनंद आता है | अपनी बहन को ननयनमत तौर पर पैसा भेजते हैं |आधुननकता
के विरोधी होने के बाद भी उन्द्हें अपने बेटों की प्रगनत अच्छी लगती है |नई पीढ़ी
को उनके आदर्ों को अपनाना तो चाहहए पर उसमें समयानुकूल पररितान
आिश्यक है पुरानी बातों को उसी रूप में अपनाना व्यािहाररक नहीं होगा |
अथिा
i. पूरा अिर्ेष उस संस्कृ नत हक रहन सहन व्यिस्था के साथ ही उन पूिज
ा ोके
जीिन संदभों से पररनचत कराती है |
ii. हम कल्पना केसहारे उस समय मे प्रिेर् कर उस काल खंड हक अनुभूनत प्राप्त
करते है |
iii. खंडहरों से उस सभ्यता की प्रामाजणकता नसद्ध होती है |
*****************
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आंतररक भािनाओं का समन्द्िय करता है । िह तथ्य और भािना के संबंध पर बल
दे ता है । उसका िस्तुिणान हृदय की प्रेरणा का पररणाम होता है , िैज्ञाननक की भाुँनत
मजस्तष्क की यांवत्रक प्रहक्रया नहीं। कवियों िारा प्रकृ नत-नचत्रण का एक प्रकार ऐसा
भी है जजसमें प्रकृ नत का मानिीकरण कर नलया जाता है अथाात प्रकृ नत के तत्त्िों को
मानि ही मान नलया जाता है । प्रकृ नत में मानिीय हक्रयाओं का आरोपण हकया जाता
है । हहं दी में इस प्रकार का प्रकृ नत-नचत्रण छायािादी कवियों में पाया जाता है । इस
प्रकार के प्रकृ नत-नचत्रण में प्रकृ नत सिाथा गौण हो जाती है । इसमें प्राकृ नतक िस्तुओं
के नाम तो रहते हैं परं तु झंकृत नचत्रण मानिीय भािनाओं का ही होता है । कवि
लहलहाते पौधे का नचत्रण न कर खुर्ी से झूमते हुए बच्चे का नचत्रण करने लगता
है |
1. विज्ञान प्रकृ नत को जानने का एक महत्िपूणा साधन है क्योंहक यह-
(a) समग्र ज्ञान के साथ तादात्म्प स्थावपत करता है
(b) प्रकृ नत आधुननक विज्ञान की उपास्या है
(c) महत्िपूणा और विश्वसनीय ज्ञान प्रदान करता है
(d) आधुननक िैज्ञाननक का स्तर ननधााररत करता है
2. 'िैज्ञाननक प्रकृ नत के बाहय रूप का अिलोकन करते हैं यह कथन दर्ााता है हक िे
(a) कवियों की तुलना में अनधक श्रेष्ठ हैं
(b) ज्िारभाटे के पररणाम से बचना चाहते हैं
(c) िगा विभाजन के पक्षधर बने रहना चाहते हैं
(d) प्रकृ नत से अविदरू रहने का प्रयास करते हैं
3. ननम्ननलजखत कथनों पर विचार कीजजए –
कथन (i) : विज्ञान प्रकृ नत को जानने का महत्िपूणा साधन है ।
कथन (ii) : िैज्ञाननकता और आलोचनात्मक विचार उस समय जरूरी होते हैं जब
िह विश्वसनीय ज्ञान पर आधाररत हों।
कथन (iii) : प्रकृ नत में मानिीय हक्रयाओं का आरोपण हकया जाता है ।
कथन (iv) : प्रकृ नत-नचत्रण में प्रकृ नत सिाथा गौण हो जाती है ।
(a) केिल कथन i सही है
(b) केिल कथन ii सही है
(c) सभी i ,ii ,iii ,iv कथन सही है
(d) केिल कथन i ,ii ,iii सही है
4. कौन अनिरत नचंतन करता है ?
(a) सूक्ष्माचारी (b) विज्ञानोपासक
(c) ध्यानविलीन योगी (d) अिसादग्रस्त व्यवक्त
5. कौन िास्तविकता का पुजारी होता है ?
(a) यथाथािादी (b) काव्यिादी (c) प्रकृ नतिादी (d) विज्ञानिादी
6. कवि की कविता हकससे प्रस्फुहटत होती है ?
(a) विचारों के मंथन से
(b) प्रकृ नत के साक्षात दर्ान से
(c) भािनाओं की उहापोह से
(d) प्रेम की तीव्र इच्छा से
7. कवि के संबंध में इनमें से सही तथ्य है -
(a)ज्िालामुखी के रहस्य जानता है
(b) जीिधाररयों की खोज करता है
(c) सत्य का उपासक नहीं होता
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(d) प्रफुजल्लत पुष्प का अध्ययनकताा
8. 'इत' प्रत्यय युक्त र्ब्द कौन-सा है ?
(a) झंकृत (b) ननत (c) लनलत (d) उनचत
9. उपयुक्त
ा गद्यांर् का उपयुक्त र्ीषाक है
(a) कवि की सोच और िैज्ञाननकता
(b) प्रकृ नत के उपासक-कवि और िैज्ञाननक
(c ) िैज्ञाननक उन्द्ननत और काव्य जगत
(d) िैज्ञाननक दृवष्टकोण-अतुलनीय
10. प्रकृ नत का मानिीकरण दर्ााता है हक-
(a) कल्पना प्रधान ि भािोन्द्मेर्युक्त कविता रची जा रही है
(b) मानिीकरणअलंकार का दरु
ु पयोग हो रहा है
(c) प्रकृ नत ि मानि के सामंजस्य से उहदत दीनप्त फैल रही है
(d) मानि िारा प्रकृ नत का संरक्षण हो रहा है
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(a) केिल कथन i सही है
(b) केिल कथन ii सही है
(c) सभी i ,ii ,iii ,iv कथन सही है
(d) केिल कथन i ,ii ,iii सही है
5. कॉलम 1 को कॉलम 2 से सुमेनलत कीजजए और सही विकल्प चुनकर नलजखए |
कॉलम 1 कॉलम 2
1 कमािीर (i) सहायक
2 कथनी (ii) कही हुई बात
3 मददगार (iii) कताव्य में िीर
(a) 1- (i), 2-(iii) ,3-(iii)
(b) 1- (i), 2-(iii) ,3-(iii)
(c) 1- (i), 2-(iii) ,3-(iii)
(d) 1- (iii), 2-(ii) ,3-(i)
प्रश्न
अनभव्यवक्त और माध्यम अंक (5)
संख्या
प्रश्न 3 ननम्ननलजखत प्रश्नों को ध्यानपूिक
ा पढकर सिाानधक उपयुक्त उत्तर िाले विकल्प को 1×5 = 5
चुनकर नलजखए-
1.इनमें से कौन-सा जनसंचार माध्यम अनपढ़ व्यवक्त के नलए उपयोगी नहीं है ?
(a) इं टरनेट (b) समाचार-पत्र (c) पवत्रकाएुँ (d) तीनों
2.दृश्यों का हकस माध्यम में अनधक महत्ि होता है ?
(a) समाचार पत्र (b) रे हडयो (c) टे लीविज़न (d) इं टरनेट
3.पत्रकार हकतने प्रकार के होते हैं ?
(a) दो (b) चार (c) तीन (d) पांच
4.समाचार पत्र का संपादन करने िाले को क्या कहते हैं ?
(a) प्रकार्क (b) संिाददाता (c) फीचर लेखक (d) संपादक
5.विर्ेष लेखन के नलए हकस प्रकार की भाषा र्ैली अपेजक्षत है ?
(a) साहहजत्यक भाषा (b) सहज,सरल तथा बोधगम्य भाषा
(c) बाजारू भाषा (d) हहन्द्दी उदा ू नमनश्रत भाषा
प्रश्न अंक
पाठ्यपुस्तक आरोह भाग 2
संख्या (10)
प्रश्न 4 ननम्ननलजखत काव्यांर् के प्रश्नों को ध्यानपूिक
ा पढ़कर सिाानधक उपयुक्त उत्तर िाले 1×5 = 5
विकल्प को चुनकर नलजखए-
कविता एक उड़ान हैं नचहड़या के बहाने
कविता की उड़ान भला नचहडया क्या जाने?
बाहर भीतर
इस घर, उस घर
कविता के पंख लगा उड़ने के माने
नचहडया क्या जाने ?
कविता एक जखलना हैं फूलों के बहाने
कविता का जखलना भला फूल क्या जाने
बाहर भीतर
इस घर, उस घर
वबना मुरझाए महकने के माने
फूल क्या जाने?
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कविता एक खेल हैं बच्चों के बहाने
बाहर भीतर
यह घर, िह घर
सब घर एक कर दे ने के माने
बच्चा ही जाने।
1. ‘कविता के बहाने ‘ कविता में कवि को हकस बात का र्क है –
(a) कविता के सिाव्यापी होने पर
(b) कविता के मनोरं जक होने पर
(c) कविता में भािानुभूनत के अभाि पर
(d) यांवत्रकता के दबाि में कविता के अजस्तत्ि को लेकर
2.‘कविता के बहाने ‘ कविता की यात्रा कहाुँ तक नहीं जाती है –
(a) फूल तक (b) फल तक (c) नचहड़या तक (d) बच्चे तक
3.‘कविता के बहाने‘कविता में कवि ने कविता की संपूणत
ा ा की तुलना पूणा रूप में
की गई है
(a) फूल तक (b) बच्चे तक (c) नचहड़या तक (d) सभी से
4. ननम्ननलजखत कथन और कारण को ध्यानपूिक
ा पहढ़ए और सही विकल्प चुनकर
नलजखए |
कथन (A) .‘कविता के बहाने‘कविता में कवि ने कविता की संपूणत
ा ा की तुलना पूणा
रूप से नचहड़या ,फूल और बच्चे से की है
कारण (R) क्योंहक कविता की सम्पूणत
ा ा इन तीनों की तुलना से ही संभि है
(a) कथन (A) सही है , कारण (R) गलत है |
(b) कथन (A) सही नहीं है , कारण (R) सही है |
(c) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही है , हकन्द्तु कारण (R) उसकी सही व्याख्या
नहीं करता
(d) कथन (A) सही है तथा कारण (R) दोनों सही हैं कारण (R) कथन (A) की सही
व्याख्या करता है |
5.उक्त पंवक्तयों में कविता एक उड़ान हैं हकसके बहाने हैं ?
(a)कागज के बहाने (b) पतंग के बहाने
(c) डोर के बहाने (d) नचहड़या के बहाने
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3.भवक्तन का गुना हकतने िषा की उम्र में हो गया था?
(a) छः िषा (b) नौ िषा
(c) सात िषा (d) इनमें से कोई नहीं
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(a)कथन (1) तथा (2) सही है (b)कथन (1),(2) तथा (3) सही है
(c)कथन (2) ,(3) तथा (4) सही है (d) कथन (2) तथा ( 3) सही है
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(ii) कवितािली के आधार पर पुवष्ट कीजजए हक तुलसी को अपने समय की आनथाक
सामाजजक समस्याओं की जानकारी थी |
(iii) हदन जल्दी-जल्दी ढलता हैं - की आिृनत से कविता की हकस विर्ेषता का पता
चलता हैं ?
प्रश्न ननम्ननलजखत प्रश्नों को ध्यानपूिक
ा पढ़कर हदए गए 03 प्रश्नों में से हकन्द्हीं 02 प्रश्नों 2×2=4
11 के उत्तर लगभग 40 र्ब्दों में दीजजए-
(i) उषा कविता के आधार पर गांि की सुबह का िणान अपने र्ब्दों में कीजजए।
(ii) सोचकर बताएुँ हक पतंग के नलए सबसे हलकी और रं गीन चीज़, सबसे पतला
कागज़, सबसे पतली कमानी जैसे विर्ेषणों का प्रयोग क्यों हकया है ?
(iii) कविता और बच्चे को समानांतर रखने के क्या कारण हो सकते हैं ?
प्रश्न ननम्ननलजखत प्रश्नों को ध्यानपूिक
ा पढ़कर हदए गए 03 प्रश्नों में से हकन्द्हीं 02 प्रश्नों 3×2=6
12 के उत्तर लगभग 60 र्ब्दों में दीजजए-
(i) लेखक ने नर्रीष को कालजयी अिधूत ( संन्द्यासी ) की तरह क्यों माना है ?
(ii) ढोलक की आिाज का पूरे गांि पर क्या असर होता था?
(iii) जीजी ने इं दर सेना पर पानी फेंके जाने को हकस तरह सही ठहराया?
प्रश्न ननम्ननलजखत प्रश्नों को ध्यानपूिक
ा पढ़कर हदए गए 03 प्रश्नों में से हकन्द्हीं 02 प्रश्नों 2×2=4
13 के उत्तर लगभग 40 र्ब्दों में दीजजए-
(i) बाज़ारूपन’ से क्या तात्पया है ? हकस प्रकार के व्यवक्त बाजार को साथाकता प्रदान
करते हैं अथिा बाज़ार की साथाकता हकसमें हैं ?
(ii) भवक्तन के आ जाने से महादे िी अनधक दे हाती कैसे हो गई?
(iii) पहलिान की ढोलक का गाुँि िालों पर क्या प्रभाि होता था ?
प्रश्न अंक
पूरक पाठ्यपुस्तक वितान भाग 2
संख्या (04)
प्रश्न ननम्ननलजखत प्रश्नों को ध्यानपूिक
ा पढ़कर हदए गए 02 प्रश्नों में से हकसी 01 प्रश्न का 4x1 = 4
14 उत्तर लगभग 60 र्ब्दों में दीजजए –
यर्ोधर पन्द्त की पीढ़ी की वििर्ता यह है हक िो पुराने को अच्छा समझते है और
ितामान से तालमेल नहीं बैठा पाते ‘ –इस कथन के आधार पर समीक्षा कीजजए
अथिा
कथानायक (आनंद ) के वपता उसे स्कूल क्यों नहीं भेजना चाहते ? समीक्षा करें |
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3. (d) सभी से 1
4. (d) कथन (A) सही है तथा कारण (R) दोनों सही हैं कारण (R) कथन (A) की सही 1
व्याख्या करता है |
5. (d) नचहड़या के बहाने 1
प्रश्न 5 प्रश्न – गद्यांर् – पाठ्यपुस्तक आरोह भाग 2 1×5 = 5
1. (b) दो और कन्द्याओं का जन्द्म होना 1
2. (a) तीन 1
3. (b) नौ िषा 1
4. (a) 1- (i), 2-(iii) ,3-(ii) 1
5. (b) भवक्तन- महादे िी 1
प्रश्न 6 प्रश्न – पूरक पाठ्यपुस्तक वितान भाग 2 1×10=10
ननम्ननलजखत प्रश्नों के ननदे र्ानुसार सही विकल्पों का चयन कीजजए:-
1. (d) ऊनी ड्रे नसंग गाउन 1
2. (d) अलगाि भरा 1
3. (c) अपने बच्चों का 1
4. (d)कथन (A)सही है तथा कारण (R)दोनों सही हैं कारण (R)कथन (A)की सही 1
व्याख्या करता है |
5. (d) कथन (2) तथा ( 3) सही है 1
6. (b) अनधक पैसे के नलए 1
7. (a) िसंत पाटील 1
8. (a) संघषा 1
9. (b) आनंद यादि 1
10. (a) मराठी 1
खंड-‘ब’ िणाात्मक प्रश्नों के उत्तर
प्रश्न अंक
उत्तर
संख्या विभाजन
जनसंचार और सृजनात्मक लेखन
प्रश्न 7 हदए गए 03 विषयों में से हकसी 01 विषय पर लगभग 120 र्ब्दों में रचनात्मक 6×1=6
लेख:
आरम्भ – 1 अंक
विषयिस्तु – 3 अंक
प्रस्तुनत – 1 अंक
भाषा – 1 अंक
उत्तर - स्िवििेक से नलखेंगे
प्रश्न 8 प्रश्न – लगभग 40 र्ब्दों में उत्तर: 2×2=4
(i) कहानी एक ही जगह पर जस्थत होनी चाहहये। 2
कहानी में संिाद नहीं होते और नाट्य संिाद के आधार पर आगे बढता है । ...
●कहानी का नाट्य रूपांतर करने से पहले उसका कथानक बनाना बहुत जरूरी है ।
●नाट्य मे हर एक पत्र का विकास कहानी जैसे आगे बढती है , िैसे होता है । ...
●कहानी कागजी होती है ।
अथिा
रे हडयो नाटक में ध्िनन प्रभािों और संिादों का विर्ेष महत्त्ि है , जो इस प्रकार है -
(i) रे हडयो नाटक में पात्रों से सम्बजन्द्धत सभी जानकाररयाुँ संिादों िारा नमलती हैं |
(ii) पात्रों की चाररवत्रक विर्ेषताएुँ संिादों के िारा ही उजागर होती हैं |
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(iii) रे हडयो नाटक का पूरा कथानक संिादों पर ही आधाररत होता है |
(iv) इसमें ध्िनन प्रभािों और संिादों के माध्यम से ही कथा को श्रोताओं तक
पहुुँचाया जाता है |
(v) संिादों के माध्यम से ही रे हडयो नाटक का उद्दे श्य स्पष्ट होता है |
(ii) दस
ू रों िारा तैयार की गई सामग्री को याद करके ज्यों का त्यों प्रस्तुत करना रटं त 2
कहलाती है | इसे कुटे ि (बुरी लत) इसनलए कहा जाता है क्योंहक –
i) इससे मनुष्य दस
ू रों पर ननभार हो जाता है |
ii) इससे भािों की मौनलकता ख़त्म हो जाती है |
iii) इससे असली अभ्यास का मौका नहीं नमलता |
iv) इससे सोचने की र्वक्त कमजोर हो जाती है |
अथिा
टी.िी. श्रव्य माध्यम होने के साथ- साथ दृश्य माध्यम भी है , अतः दर्ाकों को
रे हडयो की तुलना में अनधक बाुँधे रखता है
टीिी में र्ब्द दृश्यों के अनुसार और उनके सहयोगी के रूप में चलते हैं हकंतु
रे हडयो में र्ब्द और आिाज़ ही सब कुछ है
प्रश्न 9 प्रश्न - हदए गए 03 प्रश्नों में से हकन्द्हीं 02 प्रश्नों के लगभग 60 र्ब्दों में उत्तर: 3×2=6
(i) उल्टा वपरानमड र्ैली मे समाचार पत्र के सबसे महत्िपूणा तथ्य को सिाप्रथम नलखा 3
जाता है । उसके बाद घटते हुए महत्ि क्रम में दस
ू रे तथ्यों या सूचनाओं को बताया
जाता है । इस र्ैली के अंतगात समाचारों को तीन भागों में विभाजजत हकया जाता
है – इं िो,बॉडी,समापन
(ii) समाचार पत्र तभी सम्पूणा समझा जाता है , जब उसका कलेिर व्यापक होता है | 3
पाठक अपनी रुनचयों की सारी ख़बरें ,जैसे साहहत्य ,विज्ञानं , खेल आहद की
विस्तार से जानकरी पढना चाहते है |इसके आलािा सामान्द्य ख़बरों से हटकर
विर्ेष क्षेत्रों और विषयों के बारें में जानकारी दे ना जरूरी है |
(iii) मुहरत माध्यम की सीमाएुँ : 3
ननरक्षरों के नलए मुहरत माध्यम हकसी काम के नहीं होते।
ये तुरंत घटी घटनाओं को संचानलत नहीं कर सकते।
इसमें स्पेस तथा र्ब्द सीमा का ध्यान रखना पड़ता है ।
इसमें एक बार समाचार छप जाने के बाद अर्ुवद्ध-सुधार नहीं हकया जा सकता।
प्रश्न – पाठ्यपुस्तक आरोह भाग 2
प्रश्न 10 प्रश्न - हदए गए 03 प्रश्नों में से हकन्द्हीं 02 प्रश्नों के लगभग 60 र्ब्दों में उत्तर: 3×2=6
(i) (i) बादलों के आगमन से प्रकृ नत में ननम्ननलजखत पररितान होते है । 3
समीर बहने लगती है । बादल गरजने लगते है । मूसलाधार िषाा होती है । वबजली
चमकने लगती है । छोटे -छोटे पौधे जखल उठते हैं । गमी के कारण दख
ु ी प्राणी
बादलों को दे खकर प्रसन्द्न हो जाता है ।
(ii) कवितािली’ में उद्धत
ृ छं दों के अध्ययन से पता चलता है हक तुलसीदास को अपने 3
युग की आनथाक विषमता की अच्छी समझ है । उन्द्होंने समकालीन समाज का
यथाथापरक नचत्रण हकया है । तुलसी दास तो यहाुँ तक बताते हैं हक पेट भरने के
नलए लोग गलत-सही सभी काया करते हैं । उनके समय में भयंकर गरीबी ि
बेरोजगारी थी। गरीबी के कारण लोग अपनी संतानों तक को बेच दे ते थे।
बेरोजगारी इतनी अनधक थी हक लोगों को भीख तक नहीं नमलती थी। दरररता रूपी
रािण ने हर तरफ हाहाकार मचा रखा था।
(iii) हदन जल्दी-जल्दी ढलता है -की आिृवत्त से यह प्रकट होता है हक लक्ष्य की तरि 3
बढ़ने िाले मनुष्य को समय बीतने का पता नहीं चलता। गंतव्य का स्मरण
पनथक के कदमों में स्फूनता भर दे ता है ।
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प्रश्न 11 प्रश्न - हदए गए 03 प्रश्नों में से हकन्द्हीं 02 प्रश्नों के लगभग 40 र्ब्दों में उत्तर: 2×2=4
(i) कवि ने गाुँि की सुबह का सुंदर नचत्रण करने के नलए गनतर्ील वबंब-योजना की 2
है । भोर के समय आकार् नीले र्ंख की तरह पवित्र लगता है । उसे राख से नलपे
चौके के समान बताया गया है जो सुबह की नमी के कारण गीला लगता है । हफर
िह लाल केसर से धोए हुए नसल-सा लगता है ।
(ii) कवि ने पतंग के नलए सबसे हलकी और रं गीन चीज, सबसे पतला कागज, सबसे 2
पतली कमानी जैसे विर्ेषणों का प्रयोग हकया है । िह इसके माध्यम से पतंग की
विर्ेषता तथा बाल-सुलभ चेष्टाओं को बताना चाहता है । बच्चे भी हलके होते हैं ,
उनकी कल्पनाएुँ रं गीन होती हैं । िे अत्यंत कोमल ि ननश्छल मन के होते हैं । इसी
तरह पतंगें भी रं गवबरं गी, हल्की होती हैं ।
(iii) कविता और बच्चों में समानांतर रखने के ननम्ननलजखत कारण हैं - 2
* बच्चों के समान कविता में र्ब्दों की कोई सीमा नहीं होती है । जैसे बच्चे खेलते
समय सारी सीमाएुँ तोड़ दे ते हैं , िैसे ही कविता भी सारी सीमाएुँ तोड़ दे ती है
* बच्चों ि कविता के नलए कोई अपना-पराया नहीं होता है । सब उनके अपने होते
हैं ।
* जजस प्रकार बच्चों की कल्पनाएुँ अनंत होती हैं , िैसे ही कवि की कल्पनाओं का
अनंत रूप कविता होती है
प्रश्न 12 प्रश्न - हदए गए 03 प्रश्नों में से हकन्द्हीं 02 प्रश्नों के लगभग 60 र्ब्दों में उत्तर: 3×2=6
(i) 'आचाया हजारी प्रसाद हििेदी' नर्रीष को अद्भत
ु अिधूत मानते हैं , क्योंहक संन्द्यासी 3
की भाुँनत िह सुख-दख
ु की नचंता नहीं करता। नर्रीष कालजयी अिधूत की भाुँनत
जीिन की अजेयता के मंत्र का प्रचार करता है
(ii) ढोलक की आिाज़ से रात की विभीवषका और सन्द्नाटा कम होता था महामारी से 3
पीहड़त लोगों की नसों में वबजली सी दौड़ जाती थी, उनकी आुँखों के सामने दं गल
का दृश्य साकार हो जाता था और िे अपनी पीड़ा भूल खुर्ी-खुर्ी मौत को गले
लगा लेते थे।
(iii) जीजी जी ने इं रसेना पर पानी फेंकने की बात अनेक तरह के तका दे कर सही 3
ठहराया। जीजी कहा हक यहद हम इं दर सेना पर पानी नहीं फेकेंगे तो भगिान हमें
पानी कैसे दें गे। जजस तरह भगिान से हकसी मनोकामना की पूनता के नलए कुछ
चढ़ािा चढ़ाना पड़ता है , उसी तरह हम पानी रूप अध्या भगिान पर चढ़ायेंगे तो
बदले में ईश्वर पानी की बाररर् करें गे।
प्रश्न 13 प्रश्न - हदए गए 03 प्रश्नों में से हकन्द्हीं 02 प्रश्नों के लगभग 40 र्ब्दों में उत्तर: 2×2=4
(i) जब सामान बेचने िाले बेकार की चीजों को आकषाक बनाकर बेचने लगते हैं , तब 2
बाज़ार में बाजारुपन आ जाता है । जो विक्रेता, ग्राहकों का र्ोषण नहीं करते और
छल-कपट से ग्राहकों को लुभाने का प्रयास नहीं करते साथ ही जो ग्राहक अपनी
आिश्यकताओं की चीजें खरीदते हैं िे बाजार को साथाकता प्रदान करते हैं ।
(ii) भवक्तन तो दे हाती थी ही पर उसके आ जाने पर महादे िी भी अनधक दे हाती हो गई, 2
पर उसे र्हर की हिा नहीं लग पाई है । उसने महादे िी को भी दे हाती खाने की
विर्ेषताएुँ बता-बताकर उनके खाने की आदत डाल दी। िह बताती हक मकई का
रात को बना दनलया सिेरे मट्टे से सौंधा लगता है । बाजरे के नतल लगाकर बनाये
पुए बहुत अच्छे लगते हैं
(iii) ठीक है हक ढोलक की आिाज में बुखार को दरू करने की ताकत न थी, पर उसे 2
सुनकर मरते हुए प्राजणयों को अपनी आुँखें मूंदते समय कोई तकलीि नहीं होती
थी। उस समय िे मृत्यु से नहीं डरते थे। इस प्रकार ढोलक की आिाज गाुँि िालों
को मृत्यु से लड़ने की प्रेरणा दे ती थी |
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प्रश्न – पूरक पाठ्यपुस्तक वितान भाग 2
प्रश्न 14 यर्ोधर बाबू सदै ि पुराने लोगों के साथ रहे , पले, बढ़े । िे परम्परािादी ि 4x1 = 4
नसद्धांतिादी थे | अत: उन परं पराओं को छोड़ नहीं सकते थे। उन पर हकर्न दा के
नसद्धांतों का बहुत प्रभाि था। इन सब कारणों से यर्ोधर बाबू समय के साथ
बदलने में असफल रहते हैं । दस
ू री तरफ, उनकी पत्नी पुराने संस्कारों की थीं। िे
एक संयुक्त पररिार में आई थीं जहाुँ उन्द्हें सुखद अनुभि हुआ। उनकी इच्छाएुँ
अतृप्त रहीं। िे मातृ सुलभ प्रेम के कारण अपनी संतानों का पक्ष लेती हैं
अथिा
पढ़ाई-नलखाई के संबंध में लेखक और दत्ता जी राि का रिैया सही था। लेखक का
दृवष्टकोण पढ़ाई के प्रनत यथाथािादी था। उसे पता था हक खेती से गुजारा नहीं होने
िाला। पढ़ने से उसे कोई-न-कोई नौकरी अिश्य नमल जाएगी और गरीबी दरू हो
जाएगी। िह सोचता भी है -पढ़ जाऊुँगा तो नौकरी लग जाएगी, चार पैसे हाथ में
रहें गे, विठोबा आण्णा की तरह कुछ धंधा-कारोबार हकया जा सकेगा। दत्ता जी राि
का रिैया भी सही है । इसके विपरीत, लेखक के वपता का रिैया एकदम अनुनचत
था।
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3. जी-20 के िषा 2023 की अध्यक्षता कौन करे गा ?
a. भारत b. अमेररका c. जापान d. ब्राजील
4. जी 20 के नर्खर सम्मेलन की र्ुरुआत कहां से हुई ?
a. कनाडा b. बनलान c. यूरोपीय संघ d. हदल्ली
5. िषा 2023 का जी-20 नेताओं का नर्खर सम्मेलन कब और कहां आयोजजत
हकया जाएगा ?
a. 9 और 10 नसतंबर 2023 को नई हदल्ली में
b. 22 और 23 नसतंबर 2023 को मास्को में
c. . 9 और 10 माचा 2023 को नई हदल्ली में
d. उपयुक्त
ा सभी जगहों पर
6. दनु नया भर का हकतना प्रनतर्त व्यिसाय जी-20 के दे र्ों िारा हकया जाता है ?
a. 60 % b. 100% c. 90% d. 85%
7. िैजश्वक र्ब्द में मूल र्ब्द है -
a. िैश्व b. िैजश्व c. विश्व d. िै
8. ननम्ननलजखत कथनों पर विचार कीजजए
कथन 1 जी-20 वैश्विक अर्थव्यवस्र्ा की श्विशा और िशा तय करता है।
कथन 2 जी-20 नर्खर सम्मेलनो की र्ुरुआत 9 और 10 नसतंबर 2023 को नई
हदल्ली में हुई
कथन 3 जी 20 में सऊदी अरब, दजक्षण अफ्रीका, दजक्षण कोररया, नेपाल और तुकी
र्ानमल है
कथन 4 महहला सर्वक्तकरण का आगाज सिाप्रथम जी20 सम्मेलन में हुआ।
ननम्ननलजखत में से कौन सा कथन या कौन से कथन सही है -
a. केिल कथन 1 b. केिल कथन 1और 2
c. कथन 1, 2 और 3 d. उपयुक्त
ा सभी
9. िैजश्वक अर्थव्यवस्र्ा की श्विशा और िशा श्विम्नश्विखित में से कौि तय करता/करते हैं
a. भारत b. अमेररका c. जापान d. जी 20
10. उपययथक्त गद्ाांश सिाानधक उश्वित शीर्थक का ियि कीश्विए –
a. अथाव्यिस्था का केंद्र जी 20
b. जी-20 में भारत की भूमिका
c. जी-20 सिूह
d. अिेररका और जी 20
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करके विनध-िाद ना भेद करो
मनज लक्ष्य मनरां तर भेद करो
बनता बस उद्यि ही मवमध है
मिलती मजससे सुख की मनमध है
सिझो मधक् मनष्क्रिय जीवन को
नर हो ना मनराश करो िन को।
a. 1. क 2. ख 3. ग 4. घ
b.1. ख 2. क 3. ग 4. घ
c.1. घ 2. ग 3. ख 4. क
d.1. घ 2. ख 3. ग 4. क
प्रश्न
अनभव्यवक्त और माध्यम अंक (5)
संख्या
प्रश्न 3 ननम्ननलजखत प्रश्नों को ध्यानपूिक
ा पढकर सिाानधक उपयुक्त उत्तर िाले विकल्प को 1×5 = 5
चुनकर नलजखए-
1. ननम्ननलजखत में से कौन सी बातें रे हडयों के नलये समाचार लेखन की बुननयादी बातें हैं –
a. साफ-सुधरी और टाइलड कॉपी
b. डे डलाइन, संदभा और संजक्षप्ताक्षरों का उमित प्रयोग
c. क और ख दोनों
d. कोई भी नहीं
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2.प्रसारण के नलए तैयार की जा रही समाचार कॉपी को कंलयूटर पर हकतने स्पेस में टाइप
हकया जाना चाहहए?
a. नसंगल स्पेस b. डबल स्पेस
c. हिपल स्पेस d. इनमें से कोई भी नहीं
3. उल्टा वपरानमड र्ैली में समाचार के सबसे महत्िपूणा तथ्य को कहां नलखा जाता है ?
a. सबसे पहले b. बीच में
c. आजखर में d. कहीं भी
4. लेखन में हमें हकन-हकन बातों का ध्यान रखना पड़ता है ?
a.भाषा b. व्याकरण
c. ितानी d.उपयुक्त सभी
5. ननम्ननलजखत में से कौन-सा टी.िी. का सूचना चरण नहीं होता ?
a.फोन-इन b.एंकर पैकेज
c. ड्राई ऐंकर d.जस्क्रलट
प्रश्न
पाठ्यपुस्तक आरोह भाग 2 अंक (10)
संख्या
प्रश्न 4 ननम्ननलजखत काव्यांर् के प्रश्नों को ध्यानपूिक
ा पढ़कर सिाानधक उपयुक्त उत्तर िाले 1×5 = 5
विकल्प को चुनकर नलजखए-
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5.श्विम्नश्विखित कर्ि और कारण कय ध्यािपूवथक पश्विए और सही श्ववकल्प ियिकर
श्विखिए।
कर्ि(A) : लक्ष्मण िी िे श्री राम िी के श्वहत हेतय िांगि में सिी, गमी, बरसात इत्याश्वि
सभी प्रकार के कष्यां कय सहि श्वकया ।
कारण (R): लक्ष्मण िी िे अपिे माता श्वपता कय इस बात का विि श्विया र्ा।
a. कथन (A) सही है , कारण (R) गलत है।
b. कथन (A) सही नहीां है, कारण (R) सही है।
c. कथन (A) तथा कारण (R) दोनोां सही हैं , मकांतु कारण (R) उसकी सही व्याख्या नहीां
करता
d. कथन (A) सही है तथा कारण (R) दोनोां सही हैं , कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या
करता
प्रश्न 5 ननम्ननलजखत गद्यांर् के प्रश्नों को ध्यानपूिक
ा पढ़कर सिाानधक उपयुक्त उत्तर िाले 1×5 = 5
विकल्प को चुनकर नलजखए-
नर्रीष तरु सचमुच पक्के अिधूत की भाुँनत मेरे मन में ऐसी तरं गें जगा दे ता है जो ऊपर की
ओर उठती रहती हैं । इस नचलकती धूप में इतना सरस िह कैसे बना रहता है ? क्या ये बाह्य
पररितान-धूप, िषाा, आुँधी, लू-अपने आपमें सत्य नहीं है ? हमारे दे र् के ऊपर से जो यह
मार-काट, अजग्नदाह, लूट-पाट, खून-खच्चर का बिंडर बह गया है , उसके भीतर भी क्या
जस्थर रहा जा सकता है ? नर्रीष रह सका है । अपने दे र् का एक बूढ़ा रह सका था। क्यों
मेरा मन पूछता है हक ऐसा क्यों संभि हुआ है ? क्योंहक नर्रीष भी अिधूत है ।
कॉलम 1 कॉलम 2
4. बिंडर घ. अिधूत
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a. 1. क 2. ख 3. ग 4. घ
b.1. ख 2. क 3. ग 4. घ
c.1. घ 2. ग 3. ख 4. क
d.1. घ 2. ख 3. ग 4. क
प्रश्न
पूरक पाठ्यपुस्तक वितान भाग 2 अंक (10)
संख्या
प्रश्न 6 ननम्ननलजखत पेश्नों को ध्यानपूिक
ा पढ़कर सिाानधक उपयुक्त उत्तर िाले विकल्प को 1×10=10
चुनकर नलजखए -
1. जनादा न’ र्ब्द सुनकर यर्ोधर पंत को हकसकी याद आई ?
a. मकशन दा की b.भूषण की
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(iii) ‘बात सीधी थी पर’ कविता का सन्द्दे र् स्पष्ट कीजजए |
प्रश्न ननम्ननलजखत प्रश्नों को ध्यानपूिक
ा पढ़कर हदए गए 03 प्रश्नों में से हकन्द्हीं 02 प्रश्नों 2×2=4
11 के उत्तर लगभग 40 र्ब्दों में दीजजए-
(i) 'िोटा िेरा खेत' कमवता िें कमव ने खेत को रस का अक्षय पात्र क्योां कहा है ?
(ii) हिराक' की रूबाइयों में उभरे घरे लू जीिन के वबंबों का सौंदया स्पष्ट कीजजए।
(iii) ‘आत्मपररिय’ कमवता के शीषलक की साथलकता स्पष् कीमजए |
प्रश्न ननम्ननलजखत प्रश्नों को ध्यानपूिक
ा पढ़कर हदए गए 03 प्रश्नों में से हकन्द्हीं 02 प्रश्नों 3×2=6
12 के उत्तर लगभग 60 र्ब्दों में दीजजए-
(i) 'पहलिान की ढोलक गाुँि के असहाय और मरणासन्द्न लोगों को बढ़ने का
हौसला दे ती है ।' इस कथन के सन्द्दभा में तका प्रस्तुत कीजजये ।
(ii) सही में अबेडकर ने भािनात्मक समत्ि की मानिीय दृवष्ट के तहत जानतिाद
का उन्द्मूलन चाहा है , जजसकी प्रनतष्ठा के नलए भौनतक जस्थनतयों और जीिन
सुविधाओं का तका हदया है । क्या इससे आप सहमत हैं ?
(iii) भवक्तन की बेटी पर पंचायत िारा ज़बरन पनत थोपा जाना एक दघ
ु ाटना भर
नहीं, बजल्क वििाह के सन्द्दभा में स्त्री के मानिानधकार (वििाह करें या न करें
अथिा हकससे करें ) इसकी स्ितंत्रता को कुचलते रहने की सहदयों से चली आ रही
सामाजजक परं परा का प्रतीक है |कैसे ?
प्रश्न
पूरक पाठ्यपुस्तक वितान भाग 2 अंक (04)
संख्या
प्रश्न ननम्ननलजखत प्रश्नों को ध्यानपूिक
ा पढ़कर हदए गए 02 प्रश्नों में से हकसी 01 प्रश्न 4x1 = 4
14 का उत्तर लगभग 60 र्ब्दों में दीजजए –
नसंध-ु सभ्यता की खूबी उसका सौंदया-बोध है जो राज-पोवषत या धमा-पोवषत न
होकर समाज-पोवषत था।’ ऐसा क्यों कहा गया?
अथिा
कविता के प्रनत लगाि से पहले और उसके बाद अकेलेपन के प्रनत लेखक की
धारण में क्या बदलाि आया? यहद आप लेखक के स्थान पर होते तो कैसा अनुभि
करते?
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2. c. हनुमान जी 1
3. d.कोमल एिं मृद ु 1
4. d. 'क' एिं 'ख' दोनों 1
5. a. कथन (A) सही है , कारण (R) गलत है । 1
चाहहए हकन्द्तु विर्ेषीकृ त ररपोहटां ग में संिाददाता को उस क्षेत्र की गहरी समझ होनी
चाहहए |
ii) बीट ररपोहटा ग में संिाददाता को बीट से जुड़ी सामान्द्य खबरें नलखनी होती है
जबहक विर्ेषीकृ त ररपोहटां ग में संिाददाता को विर्ेष क्षेत्र से जुड़ी घटनाओं और मुद्दों का
बारीकी से विश्लेषण कर पाठकों के नलए अथा स्पष्ट करना होता है ।
iii) बीट ररपोहटा ग की भाषा-र्ैली सामान्द्य जबहक विर्ेषीकृ त ररपोहटां ग की भाषा-र्ैली
विर्ेष होती है |
(ii) उत्तर : रे हडयो और टे लीविजन समाचार की भाषा की विर्ेषताएुँ इस प्रकार हैं - 3
समूह से र्ुरू हुआ यह पोटा ल हहं दी का संपूणा पोटा ल है । 'जागरण', 'अमर उजाला',
'नयी दनु नया', 'हहन्द्दस्
ु तान', 'भास्कर', 'राजस्थान पवत्रका', 'निभारत टाइम्स',
'प्रभात खबर' ि 'राष्ट्रीय सहारा' के िेब संस्करण र्ुरू हुए । 'प्रभासाक्षी' नाम से
र्ुरू हुआ अखबार, वप्रंट रूप में न होकर नसिा इं टरनेट पर ही उपलब्ध है । आज
पत्रकाररता के नलहाज़ से हहं दी की सिाश्रष्ठ
े साइट बीबीसी की है । बेि जगत का
एक अच्छा पहलू यह भी है हक इसमें कई साहहजत्यक पवत्रकाएुँ चल रही ।
प्रश्न – पाठ्यपुस्तक आरोह भाग 2
प्रश्न 10 प्रश्न - हदए गए 03 प्रश्नों में से हकन्द्हीं 02 प्रश्नों के लगभग 60 र्ब्दों में उत्तर: 3×2=6
(i) उत्तर- 'उषा' कविता में प्रयुक्त उपमान इस प्रकार हैं - 3
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के नलए।
5. नीले जल में जझलनमलाती गोरी दे ह- नीले आकार् में आता सूरज
(ii) उत्तर- प्रसारण समय में रोचक सामग्री परोस पाना ही मीहडया कनमायों का एकमात्र उद्दे श्य 3
होता है | प्रसारण के समय में िे कायाक्रम को अनधक से अनधक लोकवप्रय बनाने के नलए
सभी हथकंडे आजमा लेते हैं | उन्द्हें हकसी की पीड़ा से कम नहीं बजल्क बढ़ा- चढ़ाकर हदखने
की आदत होती हैं । मीहडयाकमी को व्यािसानयक उद्दे श्य पूरा करने से सरोकार रहता हैं |
(iii) कविता में कथ्य ि माध्यम के िं ि को बताते हुए कहा गया है हक हमें बात बात 3
नहीं होता। उसके रस को जजतना बाुँटा जाता है , उतना ही िह भरता जाता है । खेत की
फसल कट जाती है , परं तु िह हर िषा हफर उग आती है । कविता का रस भी नचरकाल तक
आनंद दे ता है । यह सृजन-कमा की र्ाश्वतता को दर्ााता है ।
(ii) हिराक की रूबाइयों में घरे लू जीिन के अत्यंत सुंदर नचत्र उपजस्थत है । जैस-े माुँ अपने 2
लयारे नर्र्ु को लेकर आुँगन में खड़ी है , िह उसे झुलाती है , हुँ साती है । इसमें बच्चे के
नहलाने के दृश्य का सजीि नचत्रांकन हुआ है । इसी प्रकार दीिाली ि रक्षाबंधन जैसे पिा
को जजस प्रकार अनभव्यक्त हकया गया है , िह आम आदमी से जुड़ा हुआ है । बच्चे का
हकसी िस्तु के नलए जज़द करना और माुँ िारा उसे बहलाना जैसे दृश्य आम पररिारों में भी
हदखाई दे ते हैं ।
(iii) इस कविता में कवि ने ननम्ननलजखत बातों को प्रकट हकया है - 2
कोठरी में घुस गया, तो भवक्तन की बेटी ने उसे अच्छी तरह पीटा | जेठ के बड़े लड़के ि
उसके समथाकों ने पंचों को बुलाया | तब उस युिक ने झूठ बोला हक इस लड़की ने मुझे
बुलाया था | पंचायत ने उन्द्हें पनत-पत्नी की तरह रहने का फैसला सुनाया और भवक्तन की
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बेटी की बात न सुनी | स्पष्ट है हक सामाजजक परं परा की आड़ में वििाह के सन्द्दभा में स्त्री
के मानिानधकार ि स्ितंत्रता को कुचला जा रहा है |
प्रश्न 13 प्रश्न - हदए गए 03 प्रश्नों में से हकन्द्हीं 02 प्रश्नों के लगभग 40 र्ब्दों में उत्तर: 2×2=4
(i) गुड़धानी गुड़ ि अनाज के नमश्रण से बने खाद्य पदाथा को कहते हैं । बच्चे मेघों से पानी के 2
साथ-साथ गुड़धानी की माुँग करते हैं । ●पानी से लयास बुझती है , साथ ही अच्छी िषाा से
ईख ि धान भी उत्पन्द्न होता है , यहाुँ गुढ़धानी से अनभप्राय अनाज से है । गाुँि की
अथाव्यिस्था कृ वष पर आधाररत होती है जो िषाा पर ननभार है । अच्छी िषाा से अच्छी
फसल होती है जजससे लोगों का पेट भरता है । और चारों तरफ खुर्हाली छा जाती है ।
(ii) नर्रीष कालजयी अिधूत की भाुँनत जीिन की अजेयता के मंत्र का प्रचार करता है | जब 2
पृथ्िी अजग्न के समान तप रही होती है िह तब भी कोमल फूलों से लदा लहलहाता रहता
है |बाहरी गरमी, धूप, िषाा आुँधी, लू उसे प्रभावित नहीं करती। इतना ही नहीं िह लंबे
समय तक जखला रहता है | नर्रीष विपरीत पररजस्थनतयों में भी धैयर्
ा ील रहने तथा
अपनी अजेय जजजीविषा के साथ ननस्पृह भाि से प्रचंड गरमी में भी अविचल खड़ा रहता
है ।
(iii) ग्राहक ि दक
ु ानदार के बीच कपट का बढ़ना और सद्भाि का घटना बाजारूपन है जजसमें 2
दोनों एक-दस
ू रे को ठगने की कोनर्र् करते हैं और एक को दस
ू रे के नुकसान में अपना
लाभ हदखाई दे ता है |
लेखक के अनुसार बाजार को साथाकता और सच्चा लाभ भगत जी जैसे लोग ही दे सकते
हैं जजनका मन भरा हो यानी आिश्यकताएुँ तय हो और जो ज़रूरत की चीजें ही बाज़ार से
खरीदते हो |
प्रश्न – पूरक पाठ्यपुस्तक वितान भाग 2
प्रश्न 14 उत्तर..नसंधु घाटी के लोगों में कला या सुरुनच का महत्त्ि ज्यादा था। िास्तुकला या 4x1 = 4
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c. यावत्रयों की थकान नमटती थी
d. यावत्रयों को हिा नमलती थी
3. ननम्ननलजखत कथनों पर विचार कीजजए-
कथन (I) उसका सुखा र्रीर तेज धूप और चाुँदनी रात में एक जैसी ही छाया जमीन पर
डालता है ।
कथन (II) अभी इसकी छाया पीपल और बरगद से गहरी है ।
कथन (III) जीिन िायु की तरह बहता है ।
कथन (IV) लेखक ने उसे हरा भरा दे खा है ।
गद्यांर् के अनुसार कौन सा/से कथन सही हैं ?
a. केिल कथन। सही है ।
b. केिल कथन ॥ सही है ।
c. केिल कथन ॥ और || सही हैं ।
d. केिल कथन । और IV सही हैं ।
4. आम के िृक्ष के सामने पीपल और बरगद के र्रमाने का क्या कारण था?
a. उसका अनधक हरा-भरा और सघन होना
b. हिा की आिाज सुनाई दे ना
c. अनधक फल फूल लगना
d.अनधक ऊुँचा होना
5. आम के अभागेपन में संभितः एक ही सुखद अपिाद था –
a. उसका नीरस हो जाना b. संज्ञा लुप्त हो जाना
c. सूख कर ठू ुँ ठ हो जाना d. अनुभूनत कम हो जाना
6. “अविरल” र्ब्द में उपसगा कौनसा हैं ?
a. विर ् b.अ c. र d. ल
7. “नीरस” र्ब्द का क्या अथा होता है ?
a. चतुर b.पत्रहीन
c.जजसमें रस न हो d. परं परा
8. संज्ञा लुप्त हो जाने से कष्ट की _____________ कम हो जाती है ।
a. परम्परा b.अनुभूनत
c.जजन्द्दगी d. परीक्षा
9.एक जमाना था जब पीपल और बरगद भी उसके सामने र्रमाते थे- कौन कहते हैं ?
a. वपछली पीढ़ी के जानकार b.नई पीढ़ी के जानकार
c. िैज्ञाननक d. साहहत्यकार
10.गद्यांर् का उनचत र्ीषाक दीजजए |
a. प्राणिान जीिन b.आम का िृक्ष
c.मानि संस्कृ नत d. पीपल और बरगद
कॉलम 1 कॉलम 2
1 रे त (i) आुँगन
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नलजखए-
1. ननम्ननलजखत में से कौन सी बातें रे हडयों के नलए समाचार लेखन की बुननयादी बातें हैं -
a. साफ-सुधरी और टाइलड कॉपी
b. डे डलाइन, संदभा और संजक्षप्ताक्षरों का प्रयोग
c. क और ख दोनों
d. कोई भी नही
2. पहली िेबसाइट अजस्तत्ि ______ आई थी ?
a. 1992 में b. 1991में
c. 1994 में d. 1990 में
3. पत्रकाररता का मूल तत्ि क्या है ?
a. लेखन लेखन b. सक्षमता
c. जजज्ञासा d. दरू दनर्ाता
4. समाचार नलखते समय हकतने ककारो को ध्यान में रखा जाता है ?
a. चार b. सात c. छः d. पांच
5. विर्ेष लेखन के नलए हकस प्रकार की भाषा र्ैली अपेजक्षत है ?
a. साहहजत्यक भाषा b. सहज, सरल तथा बोधगम्य भाषा
c. बाजारू भाषा d. हहन्द्दी उदा ू नमनश्रत भाषा
प्रश्न
पाठ्यपुस्तक आरोह भाग 2 अंक (10)
संख्या
प्रश्न 4 ननम्ननलजखत काव्यांर् के प्रश्नों को ध्यानपूिक
ा पढ़कर सिाानधक उपयुक्त उत्तर िाले 1×5 = 5
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a. सीधी b. उल्टी
c. टे ढ़ी d. ये सभी
2.उसे पाने की कोनर्र् में पंवक्त में 'उसे' र्ब्द हकसके नलए प्रयुक्त हुआ है ?
a. कवि b. वप्रयसी
c. बात d. कलम
3.बात सीधी थी पर' में कवि ने हकस पर बल हदया है ?
a. भािों की सरलता b. भाषा की जहटलता
c. भािों की गंभीरता d. भाषा की सहजता
4.ननम्ननलजखत कथन और कारण को ध्यानपूिक
ा पहढ़ए और सही विकल्प चुनकर
नलजखए।
कथन (A) :भाषा के भािों की अनभव्यवक्त ठीक से स्पष्ट नहीं होती।
कारण (R) : भाषा के साथ तोड़-मरोड़ करने का पररणाम होता है ।
a. कथन (A) सही है , कारण (R) गलत है ।
b. कथन (A) सही नहीं है , कारण (R) सही है ।
c. कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही हैं , हकंतु कारण (R) उसकी सही व्याख्या
नहीं करता।
d. कथन (A) सही है तथा कारण (R) दोनों सही हैं , कारण (R) कथन (A) की सही
व्याख्या करता है ।
5.प्रस्तुत काव्यांर् का केंरीय भाि क्या है ?
a. भाषा की सहजता पर जोर दे ना
b. भािों को प्रमुखता प्रदान करना
c. बात कहने का ढं ग सीखाना
d. बातचीत के विनभन्द्न स्िरूपों का िणान करना
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b. मृत्यु।
c. दोनों ही संसार के अनतपररनचत और अनत प्रामाजणक सत्य हैं ।
d. दोनों का ही संसार में स्िागत होता है ।
3. "जो फरा सो झरा' में जीिन के हकस सत्य का उद्घाटन हुआ है ?
a. नगरने के नलए ही फूल, फल बनते हैं ।
b. जो फलते हैं िे नगरते भी हैं ।
c. फलना और नगरना दे खने के नलए लोग धरती पर आते हैं ।
d. जो इस दनु नया में आया है िह एक हदन अिश्य नष्ट होता है ।
4.कॉलम 1 कॉलम 2 से सुमेनलत कीजजए और सही विकल्प चुनकर नलजखए।
कॉलम 1 कॉलम 2
नलजखए –
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c. कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही है हकंतु कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या नहीं
करता है ।
d. कथन (A) तथा कारण(R) दोनों सही है कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या करता है ।
(i) कहानी के पात्र नाट्य रूपांतरण में हकस प्रकार पररिनतात हकये जा सकते हैं ?
अथिा
पारं पररक और अप्रत्यानर्त विषयों में अंतर बताइए।
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प्रश्न 9 ननम्ननलजखत प्रश्नों को ध्यानपूिक
ा पढ़कर हदए गए 03 प्रश्नों में से हकन्द्हीं 02 प्रश्नों के उत्तर 3×2=6
लगभग 60 र्ब्दों में दीजजए -
(i) बीट ररपोहटां ग को विस्तार से समझाइए।
प्रश्न
पाठ्यपुस्तक आरोह भाग 2 अंक (20)
संख्या
प्रश्न 10 ननम्ननलजखत प्रश्नों को ध्यानपूिक
ा पढ़कर हदए गए 03 प्रश्नों में से हकन्द्हीं 02 प्रश्नों के उत्तर 3×2=6
प्रश्न
पूरक पाठ्यपुस्तक वितान भाग 2 अंक (04)
संख्या
प्रश्न 14 ननम्ननलजखत प्रश्नों को ध्यानपूिक
ा पढ़कर हदए गए 02 प्रश्नों में से हकसी 01 प्रश्न का उत्तर 4x1 = 4
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3. d. भाषा की सहजता 1
4. d. कथन (A) सही है तथा कारण (R) दोनों सही हैं , कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या 1
करता है ।
5. a. भाषा की सहजता पर जोर दे ना 1
आरम्भ – 1 अंक
विषयिस्तु – 3 अंक
प्रस्तुनत – 1 अंक
भाषा – 1 अंक
प्रश्न 8 प्रश्न – लगभग 40 र्ब्दों में उत्तर: 2×2=4
(i) उत्तर-कहानी के पात्र नाट्य रूपांतरण में ननम्न प्रकार से पररिनतात हकये जा सकते हैं - 2
i) नाट्य रूपांतरण करते समय कहानी के पात्रों की दृश्यात्मकता का नाटक के पात्रों से मेल
होना चाहहए।
ii) पात्रों की भािभंनगमाओं तथा उनके व्यिहार का भी उनचत ध्यान रखना चाहहए।
iii) पात्र घटनाओं के अनुरूप मनोभािों को प्रस्तुत करने िाले होने चाहहए।
iv) पात्र अनभनय के अनुरूप होने चाहहए।
v) पात्रों का मंच के साथ मेल होना चाहहए।
vi) पात्रों के संिाद छोटे , प्रभािर्ाली, बोलचाल की भाषा में हो ।
अथिा
उत्तर : पारं पररक विषय िो विषय होते हैं जो हकसी मुद्दे, विचार, घटना आहद से जुड़े होते हैं
और अनधकतर सामाजजक और राजनीनतक विषय होते हैं । इसमें आप अपनी व्यवक्तगत राय
को उतनी तिज्जह न दे कर सामूहहक विचार पर ज़ोर दे ते हैं , जबहक अप्रत्यानर्त विषयों पर
लेखन में आपके अपने ननजी विचार होते हैं ।
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(ii) दै ननक जीिन से जुड़े हुए हकसी भी विषय पर अप्रत्यानर्त लेखन नलखा जा सकता है । ये 2
विषय कुछ भी हो सकते हैं , जैसे मेरे घर का बगीचा, एकर्ाम पहाड़ी जीिन के नाम, दीिाल
घड़ी, बाररर् में वबन छतरी, तीन घंटे का अकेलापन, हदव्य र्वक्तयाुँ और मैं, फजा कीजजए
आप नतलचट्टा हैं , धारािाहहकों में स्त्री, समुर हकनारे आप और आपकी यादें िगैरह-िगैरह।
अथिा
उत्तर- रे हडयो नाटक के नलए कहानी का चुनाि करते समय मुख्य बातों का ध्यान रखना
चाहहए –
(i) कहानी नसफा घटना प्रधान न हो |
(ii) उसकी अिनध बहुत ज्यादा न हो |
(iii) पात्रों की संख्या सीनमत हो |
प्रश्न 9 प्रश्न - हदए गए 03 प्रश्नों में से हकन्द्हीं 02 प्रश्नों के लगभग 60 र्ब्दों में उत्तर: 3×2=6
ध्यान में रखते हुए हकया जाता है ।मीहडया की भाषा में इसे बीट कहते हैं ।
एक संिाददाता की बीट अगर अपराध है तो इसका अथा है हक िह अपरानधक घटनाओं की
ररपोहटां ग के नलए जजम्मेदार होगा।विर्ेष लेखन केिल ररपोहटां ग नहीं है ।
अब बीट ररपोहटां ग के आगे एक तरह की विर्ेषीकृ त ररपोहटां ग है , जजसमें ना नसफा उस विषय
की गहरी जानकारी होनी चाहहए बजल्क उसके ररपोहटां ग से संबंनधत भाषा और र्ैली पर भी
पूरा अनधकार होना चाहहए।
(ii) उत्तर : स्तंभ लेखन एक प्रकार का विचारत्मक लेखन है । कुछ महत्त्िपूणा लेखक अपने खास 3
िैचाररक रुझान एिं लेखन र्ैली के नलए जाने जाते हैं । ऐसे लेखकों की लोकवप्रयता को
दे खकर समाचरपत्र उन्द्हें अपने पत्र में ननयनमत स्तम्भ - लेखन की जजम्मेदारी प्रदान करते
हैं । इस प्रकार हकसी समाचार-पत्र में हकसी ऐसे लेखक िारा हकया गया विनर्ष्ट तथा
ननयनमत लेखन जो अपनी विनर्ष्ट र्ैली एि िैचाररक रुझान के कारण समाज में ख्यानत
प्राप्त हो, स्तम्भ लेखन कहा जाता है ।
(iii) उत्तर : हहं दी की िेब पत्रकाररता अभी अपने र्ैर्ि काल में ही है । इसकी सबसे बड़ी समस्या 3
हहं दी के िौंट की है । अभी भी हमारे पास कोई एक 'की-बोडा ' नहीं है । डायननमक िौंट की
अनुपलब्धता के कारण हहं दी की ज्यादातर साइटें खुलती ही नहीं हैं । अब माइक्रोसॉफ्ट और
िेबदनु नया ने यूननकाड िौंट बनाए हैं । लेहकन ये भी खास लोकवप्रय नहीं हो पा रहे हैं । हहं दी
जगत जब तक हहं दी के बेलगाम िौंट संसार पर ननयंत्रण नहीं लगाएगा और 'की-बोडा ' का
मानकीकरण नहीं करे गा तब तक यह समस्या बनी रहे गी।
(i) उत्तर- ‘हम समथा र्वक्तमान’ के माध्यम से कवि ने मीहडयाकनमायों पर व्यंग्य हकया 3
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क्षेत्रों में प्रयोग हकये जाने िाले िस्तुओं का यथाथा नचत्रण है |यथाथा जीिन से चुने
गए उपमान –राख से लीपा चौका का िणान प्रभािर्ाली है ,दृश्यवबंब इतने सजीि है
हक सभी हक्रयाएं आुँखों के सामने उपजस्थत हो जाती हैं
(iii) उत्तर :- तुलसीदास मानिीय-संिेदना के कवि हैं । उन्द्होने युगीन चेतना का सुंदर 3
प्रश्न 11 प्रश्न - हदए गए 03 प्रश्नों में से हकन्द्हीं 02 प्रश्नों के लगभग 40 र्ब्दों में उत्तर: 2×2=4
(i) उत्तर- कवि ने खेत को रस का अक्षय पात्र इसनलए कहा है क्योंहक अक्षय पात्र में 2
क्योंहक–
िह पूरा सच नहीं बोलती थी बजल्क झूठ बोल जाती थी |
लेजखका के इधर-उधर पड़े पैसों को भण्डार घर की मटकी में नछपाकर रखती थी |
इस पर संकेत करने पर िह तका-वितका करती थी |
लेजखका के क्रोध से बचने के नलए बातों को बदलकर कह दे ती थी |
िह दस
ू रों को अपने अनुसार बदल लेती थी परन्द्तु स्ियं वबलकुल भी नहीं बदलती
थी|
(ii) ग्राहक ि दक
ु ानदार के बीच कपट का बढ़ना और सद्भाि का घटना बाजारूपन है 3
कारण गली में होने िाले कीचड़ से नचढती थी। िे इसे अंधविश्वास मानते थे। इसी
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कारण िे इन लड़कों की टोली को मेढक मंडली कहते थे। यह टोली स्ियं को इं दर
सेना कहकर बुलाती थी। ये बच्चे इकट्ठे होकर भगिान इं र से िषाा करने की गुहार
लगाते थे। बच्चों का मानना था हक िे इर की सेना के सैननक है तथा उसी के नलए
लोगों से पानी माुँगते हैं ताहक इं र बादलों के रूप में बरसकर सबको पानी दें ।
प्रश्न 13 प्रश्न - हदए गए 03 प्रश्नों में से हकन्द्हीं 02 प्रश्नों के लगभग 40 र्ब्दों में उत्तर: 2×2=4
(i) उत्तर-पहलिान ने जब श्याम नगर के दं गल में चाुँद नसंह को हराया तो राजा साहब 2
ने उसे राज पहलिान घोवषत करके दरबार में रख नलया,अब लुट्टन के संघषा के
हदन समाप्त हो गए थे ,उसे खाने पीने की भी कोई कमी नहीं थी उसकी प्रनतष्ठा भी
दरू तक िैल गयी थी|
(ii) उत्तर- श्रम विभाजन का अथा है – मानिोपयोगी कायों का िगीकरण करना| प्रत्येक 2
मुझे यही नर्क्षा दी हक सत्य बोलो। सत्य बोलने िाला व्यवक्त हर तरह की परे र्ानी से मुक्त हो
जाता है जबहक झूठ बोलने िाला अपने ही जाल में फुँस जाता है । उसे एक झूठ छुपाने के
नलए सैकड़ों झूठ बोलने पड़ते हैं । अपने गुरुओं की इस बात को मैंने हमेर्ा याद रखा। िास्ति
में उनकी इसी नर्क्षा ने मेरे जीिन की हदर्ा बदल दी
अथिा
यहद झूठ का सहारा न लेते तो लेखक अनपढ़ रह जाता और िह जीिनभर खेतों में कोल्हू के
बैल की तरह जुता रहता। उसे नसिाय भैंसे चराने अथिा खेती करने के और कोई काम न
होता। िह हदन-भर खेतों पर काम करता और र्ाम को घर लौट आता। उसका वपता
अय्यार्ी करता रहता। लेखक के सारे सपने टू ट जाते। िह अपना जीिन और प्रनतभा ऐसे ही
व्यथा जाने दे ता। वबना झूठ का सहारा नलए उसकी प्रनतभा कभी भी न चमक पाती। केिल
एक झूठ ने लेखक के जीिन की हदर्ा ही बदल दी।
*****************
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प्रश्न-3 ननम्ननलजखत प्रश्नों के उत्तर दे ने के नलए उपयुक्त विकल्प का चयन कीजजए- 1×5= 5
(i) हक्रकेट मैच का प्रसारण हकस प्रकार का है ?
(क) एंकर पैकेज (ख)फोन इन
(ग) सीधा प्रसारण (घ)एंकर िाइट
(ii) केिल इं टरनेट पर उपलब्ध होने िाला समाचार पत्र कौन- सा है ?
(क)पंजाब केसरी (ख)प्रभा साक्षी
(ग) अमर उजाला (घ)भास्कर
(iii) मुहरत माध्यम के सन्द्दभा में ननम्न कथनों पर विचार कीजजए|
कथन-I छपे हुए र्ब्दों में स्थानयत्ि होता है , इन्द्हें सुविधा अनुसार हकसी भी
प्रकार से पढाा़ जा सकता है ।
कथन-II ननरक्षरों के नलए यह उपयोगी माध्यम है |
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कथन-III यह नचंतन,विचार और विश्लेषण का माध्यम है |
क) केिल कथन-I सत्य है ख) केिल कथन-II सत्य है
ग) कथन-I तथा III सत्य है घ) तीनों कथन सत्य है
(iv) भुगतान के आधार पर अलग –अलग समाचार पत्रों के नलए नलखने िाले
पत्रकार को क्या कहते हैं
(क) फ्री लांसर
(ख) पूणक
ा ानलक
(ग) अंर्कानलक
(घ) अल्पकानलक
(v) संिादाताओं के बीच काम का विभाजन उनकी हदलचस्पी और ज्ञान को
ध्यान में रखकर हकया जाता है | मीहडया की भाषा में इसे क्या कहते हैं ?
(क)साक्षात्कार (ख)डे स्क
(ग)बीट (घ)संपादन
प्रश्न-4 ननम्ननलजखत काव्यांर् को ध्यानपूिक
ा पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के सही उत्तर 1×5= 5
िाले विकल्प का चयन कीजजए-
खेती ना हकसान को ,नभखारी को ना भीख,बनल,
बननक को बननज, न चाकर को चाकरी |
जीविका वबहीन लोग सीद्यमान सोच बस ,
कहैं एक –एकन सों “कहाुँ जाई ,का करी ?
बेदहूुँ पुरान कही , लोकहूुँ वबलोहकअत ,
साुँकरे सबै पै, राम ! रािरें कृ पा करी
दाररद –दसानन दबाई दन
ु ी , दीनबंधु !
दरु रत –दहन दे जख तुलसी हहा करी ||
(i) समाज में चारों ओर हकसका बोल-बाला है ?
(क) प्रेम और भाईचारे का
(ख)गरीबी और बेकारी का
(ग)घृणा और लड़ाई का
(घ)अमीरी और रोजगारी का
(ii) सम्पूणा समाज को गरीबी ने हकस रूप में घेर रखा है ?
(क) रािण
(ख) राक्षस
(ग) र्ैतान
(घ) दानि
(iii) िेदों और पुराणों के अनुसार संकट के समय कौन सहायता करता है ?
(क) नेता लोग
(ख) अफसर
(ग) प्रभु राम
(घ) दे िता
(iv) “दाररद- दसानन“ में अलंकार है ?
(क)यमक (ख)श्लेष रूपक
(ग)रूपक (घ)उत्प्रेक्षा
(v) प्रस्तुत काव्यांर् में प्रयुक्त “बननज” र्ब्द का क्या अथा है ?
(क)बननया (ख)व्यापारी
(ग)नौकर (घ)पररिार
प्रश्न-5 ननम्ननलजखत गद्यांर् को ध्यानपूिक
ा पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के सही उत्तर 1×5= 5
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िाले विकल्प का चयन कीजजए-
एक-एक बार मुझे मालूम होता है हक यह नर्रीष एक अद्भत
ु अिधूत है |
दःु ख हो या सुख यह हार नहीं मानता| न ऊधो का लेना, न माधो का दे ना
? जब धरती और आसमान जलते रहते हैं , तब भी यह हजरत न जाने
कहाुँ से अपना रस खींचते रहते हैं | मौज में आठों याम मस्त रहते हैं |
एक िनस्पनत र्ास्त्री ने मुझे बताया है हक यह उस श्रेणी का पेड़ है जो
िायुमंडल से अपना रस खींचता है | ज़रूर खींचता होगा , नहीं तो भयंकर
लू के समय इतने कोमल तंतुजाल और ऐसे सुकुमार केसर को कैसे उगा
सकता था ? अिधूतों के मुुँह से ही संसार की सबसे सरस रचनाएुँ ननकली
हैं | कबीर बहुत कुछ इस नर्रीष के समान ही थे, मस्त और बेपरिा , पर
सरस और मादक | कानलदास भी ज़रूर अनासक्त योगी रहे होंगे | नर्रीष के
फूल फक्कड़ाना मस्ती से ही उपज सकते हैं और ‘मेघदत
ू ’ का काव्य उसी
प्रकार के अनासक्त अनाविल उन्द्मुक्त हृदय में उमड़ सकता है | जो कवि
अनासक्त नहीं रह सका, जो फक्कड़ नहीं बन सका, जो हकये-कराए का
लेखा- जोखा नमलाने में उलझ गया, िह भी क्या कवि है ?
(i) िनस्पनत र्ास्त्री के अनुसार नर्रीष का पेड़ कहाुँ से रस खींचता है ?
(क)जीिमंडल से (ख)भूमंडल से
(ग)सौरमंडल से (घ)िायुमंडल से
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(ग)समाज-पोवषत
(घ)व्यापार -पोवषत
प्रश्न-10 काव्यखंड पर आधाररत ननम्ननलजखत तीन प्रश्नों में से हकन्द्हीं दो प्रश्नों के 3×2=6
उत्तर लगभग 60 र्ब्दों में नलजखए-
(क) बात और भाषा परस्पर जुड़े होते हैं ,हकन्द्तु कभी –कभी भाषा के
चक्कर में “सीधी बात भी टे ढ़ी” हो जाती है | कैसे ?
(ख)बादलों को विललि के िीर क्यों कहा गया है ?
(ग) “कैमरे में बंद अपाहहज “ कविता मीहडया के लोगों की संिेदनहीनता
को प्रकट करती है | कैसे ? स्पष्ट कीजजए |
प्रश्न-11 काव्यखंड पर आधाररत ननम्ननलजखत तीन प्रश्नों में से हकन्द्हीं दो प्रश्नों के 2×2=4
उत्तर लगभग 40 र्ब्दों में दीजजए -
(क) ”उषा” कविता में भोर के नभ की तुलना हकस से की गई है और क्यों
(ख) बच्चे की हुँ सी का क्या कारण है ? उसके गूंजने से क्या तात्पया है ?
(ग) “पतंग” कविता के आधार पर बताएं – हदर्ाओं को मृदंग की तरह
बजाने का क्या तात्पया है ?
प्रश्न-12 गद्यखंड पर आधाररत ननम्ननलजखत तीन प्रश्नों में से हकन्द्हीं दो प्रश्नों के उत्तर 3×2=6
लगभग 60 र्ब्दों में दीजजए -
(क) भवक्तन के आ जाने से महादे िी अनधक दे हाती कैसे हो गई ?
(ख) बाज़ारूपन से क्या तात्पया है ? हकस प्रकार के व्यवक्त बाज़ार को
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साथाकता प्रदान करते हैं ?
(ग) जानत- प्रथा को श्रम विभाजन का ही एक रूप न मानने के पीछे
आम्बेडकर के क्या तका हैं ?
प्रश्न-13 गद्यखंड पर आधाररत ननम्ननलजखत तीन प्रश्नों में से हकन्द्हीं दो प्रश्नों के उत्तर 2×2=4
लगभग 40 र्ब्दों में दीजजए -
(क) “पहलिान की ढोलक” पाठ के आधार पर बताइए हक ढोलक की
आिाज़ का पूरे गाुँि पर क्या असर होता था ?
(ख) जीजी ने इं रसेना पर पानी फेंके जाने के समथान में क्या-क्या तका
हदए?
(ग) लेखक के मत से “दासता “ की व्यापक पररभाषा क्या है ?
प्रश्न-14 ननम्ननलजखत प्रश्नों को ध्यानपूिक
ा पढ़कर हदए गए दो प्रश्नों में से हकसी 4x1 = 4
एक प्रश्न का उत्तर लगभग 60 र्ब्दों में दीजजए –
नसल्िर िैहडं ग कहानी के कथ्य का विश्लेषण कीजजए |
अथिा
नदी, कुएुँ, स्नानागार और बेजोड़ ननकासी व्यिस्था को दे खते हुए लेखक
पाठकों से प्रश्न पूछता है हक क्या हम नसंधु घाटी सभ्यता को जल-संस्कृ नत
कह सकते हैं ? आपका जिाब लेखक के पक्ष में है या विपक्ष में? तका दें ।
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(iv) ग) रूपक 1
(v) ख) व्यापारी 1
प्रश्न-5 (i) घ) िायुमंडल से 1
(ii) क) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही हैं और कारण कथन की 1
सही व्याख्या करता है |
(iii) ख) नर्रीष के पेड़ के नलए 1
(iv) घ) महाकवि कानलदास 1
(v) ग) जजसे दनु नयादारी से अनधक मतलब ना हो 1
प्रश्न-6 (i) ख) पच्चीसिीं 1
(ii) घ) केिल कथन I और III सत्य है 1
(iii) ग) पीढ़ी के अंतराल से पैदा हुई वबखराि की पीड़ा 1
(iv) घ) आत्मकथात्मक उपन्द्यास 1
(v) ग) मराठी 1
(vi) ख) संघषामयी प्रिृवत्त का 1
(vii) ग) िसंत पाहटल 1
(viii) घ) नसन्द्धुकालीन 1
(ix) ग) मृतकों का टीला 1
(x) समाज –पोवषत 1
खंड-‘ब’ िणानात्मक प्रश्न
प्रश्न-7 हकसी एक विषय पर रचनात्मक लेख 6
आरं भ – 1
विषयिस्तु - 3
प्रस्तुनत – 1
भाषा – 1
प्रश्न-8 (क) रे हडयो नाटक की कहानी केिल घटना प्रधान न हो | संिाद या 2×2=4
आिाजों के जररये रे हडयो नाटक का कथानक व्यक्त होना चाहहए |
कहानी की अिनध अनधक लंबी न हो | कहानी में पात्रों की संख्या
सीनमत हो , क्योंहक श्रोता केिल आिाज़ के सहारे चररत्रों को याद
रख पाता है | ऐसी जस्तनथ में रे हडयो नाटक में यहद बहुत ज्यादा
हकरदार हैं तो उनके साथ एक ररश्ता बनाये रखने में श्रोता को
हदक्कत होगी |
अथिा
i) अप्रत्यानर्त लेखन के माध्यम से हर हकसी को रचनात्मक एिं
मौनलक लेख नलखने का अिसर नमलता है ।
ii) इसमें लेखक विचारों को हकसी तका एिं नचंतन मनन के माध्यम
से पुष्ट करने की कोनर्र् करता है
iii) इससे आपके लेखन कौर्ल में अत्यनधक विकास होता है ।
iv) इससे भाषा पर आपकी अच्छी पकड़ बनती है ।
v) अप्रत्यानर्त विषयों पर लेखन कम समय में अपने विचारों को
संकनलत कर उन्द्हें सुंदर और सुघड़ ढं ग से अनभव्यक्त करने की
चुनौती है ।
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समाधान- इसके नलए स्िगत कथन ि िोइस ओिर का प्रयोग हकया
जाना चाहहए |
अथिा
नए और अप्रत्यानर्त विषयों पर लेखन में आत्मपरक “मैं” र्ैली के
प्रयोग से लेखक के विचारों ि उसके व्यवक्तत्त्ि की झलक नमलती है
| इससे आत्मननष्ठता का भी पता चलता है |
प्रश्न-9 (क) फीचर :- i) फीचर का उद्दे श्य मनोरं जन करना,सूचना दे ना एिं 3×2=6
नर्जक्षत करना होता है |
ii) फीचर लेखन में लेखक के पास अपनी राय या दृवष्टकोण और
भािनाएं व्यक्त करने का अिसर होता है
iii) फीचर लेखन की भाषा सरल ि आकषाक होती है |
iv) फीचर आत्मकथात्मक र्ैली में नलखे जाते हैं |
समाचार :- i) हकसी ताज़ा घटना की ररपोटा समाचार कहलाती है |
ii) समाचार लेखन में िस्तुननष्ठता और तथ्यों की र्ुद्दता पर बल
हदया जाता है |
iii) समाचार की भाषा सपाट बयानी होती है |
iv) समाचार उल्टा वपरानमड र्ैली में नलखे जाते हैं |
(ख) बीट ररपोहटां ग के नलए संिाददाता में उस क्षेत्र की जानकारी होना पयााप्त है उसे
सामान्द्य तौर पर खबरें ही नलखनी होती है ।बीट किर करने िाले ररपोटा र को
संिाददाता कहते हैं |
विर्ेषीकृ त ररपोहटां ग के नलए संिाददाता को सामान्द्य खबरों से आगे बढ़कर
उस क्षेत्र से जुड़ी सूचनाओं का बारीकी से विश्लेषण कर पाठकों के नलए उसका
अथा स्पष्ट करना होता है । विर्ेष कृ त ररपोहटां ग करने िाले ररपोटा र को विर्ेष
संिाददाता कहते हैं ।
(ग) खूवबयां :- i) नलखे हुए र्ब्दों में स्थायीत्ि होता है |
ii) इनको हम अनेकों बार पढ़ सकते हैं |
iii) जहटल र्ब्द आने पर र्ब्दकोष का प्रयोग भी हकया जा सकता है
iv) इनका अध्ययन ,नचंतन एिं मनन हकया जा सकता है |
v)इनको अपनी रूनच अनुसार पहले तथा बाद में पढ़ा जा सकता है |
कनमयाुँ :- i) मुहरत माध्यम अनर्जक्षत लोगों के नलए अनुपयोगी होते
है |
ii) यह तुरंत घटी घटना की जानकारी नही दे पाते |
iii) इनको समय-समय पर अपडे ट नहीं हकया जा सकता |
iv) एक बार छाप जाने के बाद अर्ुवद्ध सुधर नहीं हकया जा सकता |
प्रश्न-10 (क) बात और भाषा परस्पर जुड़े होते हैं ,परन्द्तु कभी-कभी भाषा के 3×2=6
चक्कर में सीधी बात भी टे ढ़ी हो जाती है | इसका कारण उपयुक्त
र्ब्दों का प्रयोग न करना होता है | मनुष्य अपनी भाषा को कहठन
बना दे ता है तथा आडं बरपूणा या चमत्कारपूणा र्ब्दों से अपनी बात
को कहने में स्ियं को श्रेष्ठ सझता है | इससे िह अपनी मूल बात को
कहने में असफल हो जाता है | मनुष्य को समझना चाहहए हक हर
र्ब्द का अपना विनर्ष्ट अथा होता है ,भले ही िह समानाथी या
पयाायिाची हो |अतः कई बार र्ब्दों के चक्कर में उलझकर भाि
अपना अथा खो बैठते हैं |
(ख) बादल राग कविता में ऐ विललि के िीर बादलों को कहा गया है
,क्योंहक बादल ही धरा पर िषाा और वबजली नगराकर क्रांनत करते हैं
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और उथल –पुथल मचा दे ते हैं | इन्द्हीं के कारण छोटे पौधे, घास
और िनस्पनतयों को उगने और बढ़ने का अिसर नमलता है | कवि
का यह विचार क्रांनतकारी है और यह संबोधन उनचत है |
(ग) यह कविता अपनेपन भािना में नछपी क्रूरता को व्यक्त करती है |
सामाजजक उदे श्यों के नाम पर अपाहहज की पीड़ा को जनता तक
पहुुँचाया जाता है |यह काया ऊपर से करुण भाि को दर्ााता है ,परन्द्तु
इसका िास्तविक उद्दे श्य कुछ और ही होता है | संचालक अपाहहज की
अपंगता को बेचना चाहता है |िह एक रोचक कायाक्रम बनाना चाहता
है ताहक उसका कायाक्रम जनता में लोकवप्रय हो सके |उसे अपाहहज
की पीड़ा से कोई लेना –दे ना नहीं है | यह कविता यही स्पष्ट करती है
हक दरू दर्ान पर हदखाए जाने िाले अनधकांर् कायाक्रम कारोबारी दबाि
के कारण संिेदनर्ील होने का हदखािा करते हैं | िास्तविक में यह
कविता ऐसे संचालकों की संिेदनहीनता को प्रकट करती है |
प्रश्न-11 (क) उषा कविता में भोर के नभ की तुलना राख से लीपे गए गीले चौके 2×2=4
से की गई है | इस समय आकार् नम एिं धुंधला प्रतीत होता है |
इसका रं ग राख से लीपे चौके जैसा मटमैला होता है | जजस प्रकार
चूल्हा –चौका सूखकर साफ हो जाता है , उसी प्रकार सूयोदय होने पर
आकार् भी ननमाल और स्िच्छ हो जाता है |
(ख) बच्चे की हुँ सी का कारण है –माुँ के िारा बच्चे को लोका हदया जाना
या उसे खुर् करने के नलए हिा में उछालना |
उसके गूंजने का तात्पया है - इससे बच्चा खुर् होकर हुँ सता है और
उसकी हुँ सी गूंजने लगती है |
(ग) इसका तात्पया है हक पतंग उड़ाते समय बच्चे ऊुँची दीिारों से छतों
पर कूदते हैं तो उनकी पदचापों संगीत उत्पन्द्न होता है | यह संगीत
मृदंग की ध्िनन की तरह लगता है | साथ ही बच्चों का र्ोर भी चरों
हदर्ाओं में गूंजता है |
प्रश्न-12 (क) भवक्तन एक दे हाती अथाात ग्रामीण एिं अनर्जक्षत महहला थी | इसनलए 3×2=6
िह वबल्कुल दे हाती भाषा का प्रयोग करती थी |दे हाती होने के साथ –
साथ िह समझदार भी थी | िह दस
ू रों को तो अपने मन के अनुसार
बना लेती थी हकन्द्तु अपने व्यिहार में हकसी प्रकार का कोई पररितान
नहीं चाहती थी | महादे िी िमाा बार –बार प्रयास करके भी उसके
स्िभाि को बदल न सकी | इसनलए भवक्तन के आ जाने से महादे िी
अनधक दे हाती हो गई |
(ख) बाज़ारूपन से तात्पया है – हदखािे के नलए बाज़ार का उपयोग |
बाज़ार में छल ि कपट से ननरथाक िस्तुओं की खरीदिरोख्त हदखािे
के आधार पर होने लगती है | बाज़ारूपन के कारण मनुष्य को केिल
अपना लाभ-हानन ही हदखाई दे ता है |
िे व्यवक्त जो अपनी आिश्यकता के बारे में ननजश्चत होते हैं , बाज़ार
को साथाकता प्रदान कर सकते हैं | ये लोग कभी भी “पचेजजंग पािर”
के गिा में नहीं डू बते |
(ग) जानत प्रथा को श्रम विभाजन का ही रूप न मानने के पीछे
आम्बेडकर के ननम्ननलजखत तका हैं :-
i) जानत प्रथा श्रम- विभाजन के साथ-साथ श्रनमक विभाजन
भी करती है |
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ii) श्रम-विभाजन ननश्चय ही सभ्य समाज की आिश्यकता है ,
परन्द्तु श्रनमकों का विनभन्द्न िगों में अस्िभाविक विभाजन
हकसी अन्द्य दे र् में नहीं है |
iii) भारत की जानत- प्रथा श्रनमकों के अस्िभाविक विभाजन के
साथ-साथ विनभन्द्न िगों को एक-दस
ू रे की अपेक्षा ऊुँच-
नीच भी करार दे ती है |
प्रश्न-13 (क) ढोलक की आिाज़ गाुँििालों में धैया , साहस और स्फूनता प्रदान करती 2×2=4
थी | रावत्र की विभीवषका तथा सन्द्नाटे को ललकार कर चुनौती पैदा
करती थी जब पूरा गाुँि महामारी कारण मलेररये और है ज़े से त्रस्त
होकर अधमरा, ननबाल,और ननस्तेज होगया था, तब इस भयंकर
िातािरण में ढोलक की आिाज़ लोगों में संजीिनी र्वक्त प्रदान हकया
करती थी |
(ख) जीजी ने इन्द्दर सेना पर पानी फेंके जाने के समथान में कई तका हदए
जो ननम्ननलजखत हैं :-
i) हकसी से कुछ पाने के नलए पहले कुछ चढ़ािा दे ना पड़ता
है | इं र को पानी का अर्घया चढ़ाने से ही िे िषाा के जररये
पानी दें गे |
ii) त्याग भािना से हदया गया दान ही फलीभूत होता है |
जजस िस्तु की अनधक ज़रूरत है उसके दान से ही फल
नमलता है |
iii) जजस तरह हकसान पांच -छह सेर अच्छे गेहूुँ खेतों में
बोता है ताहक उसे तीस- चालीस मन गेहूुँ नमल सके,उसी
तरह पानी की भी यही जस्तनथ है |
(ग) लेखक के अनुसार “दासता” से अनभप्राय केिल क़ानूनी पराधीनता से
नहीं है | दासता की व्यापक पररभाषा है – हकसी व्यवक्त को अपना
व्यिसाय चुनने की स्ितंत्रता न दे ना, उसे दासता में जकड़कर रखना
| इसमें िह जस्थनत भी सजम्मनलत है जजसमें कुछ व्यवक्तयों को दस
ू रे
लोगों िारा ननधााररत व्यिहार एिं कत्ताव्यों का पालन करने के नलए
वििर् होना पड़ता है |
प्रश्न – नसन्द्धु-सभ्यता को जल-संस्कृ नत ननम्ननलजखत कारणों से कह सकते हैं – 4x1 = 4
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पररयोजना काया हे तु कुछ सुझािात्मक विषय पररनर्ष्ट-1
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क्र.सं. पररयोजना र्ीषाक उपविषय
(पाठ का नाम)
1. ‘आत्मपररचय’ ि विषय-पररचय, विषय का चुनाि कवि- आत्मपररचय कविता में कवि का गीत का मूलभाि और समय के महत्त्ि आत्मपररचय ि एक गीत
‘हदन जल्दी-जल्दी पररचय ि हालािादी काव्यधारा का संसार से प्रीनत-कलह का ररश्ता, पर रोचक तथ्यों ि कविताओं का की ितामान में प्रासंनगकता
ढलता है ’ गीत का पररचय कवि के व्यवक्तत्त्ि की विर्ेषताएुँ संकलन पर विचार
ितामान पररप्रेक्ष्य ननष्कषा
2. पतंग कविता में विषय-पररचय, विषय का चुनाि कवि- पतंग कविता का मूलभाि, कविता ऋतुओं ि प्रकृ नत पर आधाररत विनभन्द्न ऋतुओं का हमारे जीिन
प्रकृ नत नचत्रण पररचय के प्राकृ नतक पररितान कविताओं का संकलन पर प्रभाि , ननष्कषा
3. ‘कविता – कल, आज विषय-पररचय, विषय का चुनाि कविता के बहाने ि बात सीधी थी ितामान में कविता के विषय ि उनका कविता की ितामान में
और कल’ (कुंिर कवि-पररचय,कविता की विकास यात्रा पर - मूलभाि, आधुननक युग में तुलनात्मक अध्ययन प्रभाि
नारायण-कविता के (भवक्तकाल, रीनतकाल) कविता की संभािनाएुँ, चार ितामान कविताओं का संकलन ननष्कषा
बहाने, बात सीधी थी आधुननक कवियों की जानकारी
पर)
4. मीहडया और समाज विषय-पररचय, विषय का चुनाि टी.िी. पर हदखाए जाने िाले र्ारीररक चुनौती के बािजूद सफलता मीहडया ि सोर्ल मीहडया
(रघुिीर सहाय-कैमरे कवि-पररचय, कविता का सन्द्दे र्, कवि सामाजजक कायाक्रमों की सूची ि दो प्राप्त करने िाले चार व्यवक्तत्त्िों की का समाज पर प्रभाि
में बंद अपाहहज) की अन्द्य कविताओं का संकलन कायाक्रमों की समीक्षा जानकारी
5. हहं दी कविता में प्रकृ नत विषय-पररचय, विषय का चुनाि प्रकृ नत नचत्रण पर आधाररत दो सूयोदय ि सूयाास्त का र्ब्दनचत्र प्रकृ नत नचत्रण का पयाािरण
नचत्रण (र्मर्ेर बहादरु कवि-पररचय, प्रकृ नत नचत्रण करने िाले कविताओं का विश्लेषण (उपमान, सूयोदय ि सूयाास्त पर एक एक संरक्षण में योगदान,
नसंह -उषा) प्रमुख कवि भाषा, पररिेर् ि भाि) कविता का संकलन / तुलना ननष्कषा
6. तुलसीदास – युगरष्टा विषय-पररचय, विषय का चुनाि तुलसी के समकालीन कवियों की ितामान ि तुलसी युगीन समस्याओं का पहठत अंर् की ितामान में
कवि (कवितािली, कवि-पररचय, काव्यगत विर्ेषताएं, छं दों जानकारी, अिधी ि ब्रज भाषा के तुलनात्मक अध्ययन ि समाधान प्रासंनगकता पर विचार
लक्ष्मण-मूच्छाा और की जानकारी क्षेत्रों सहहत भाषायी जानकारी ननष्कषा
राम का विलाप)
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7. बादल राग- प्रकृ नत विषय-पररचय, विषय का चुनाि ननराला के समकालीन कवियों का बादल राग कविता में प्रकृ नत िणान बादल राग कविता में
िणान के साथ क्राजन्द्त कवि-पररचय, कविता का मूल भाि सनचत्र िणान प्रकृ नत पर आधाररत अन्द्य कविताओं का क्राजन्द्त के भाि, ननष्कषा
का आह्वान संकलन
8. भवक्तन, ितामान नारी विषय-पररचय, विषय का चुनाि राष्ट्र ननमााण में नारी की भूनमका बेबी हालदार और भवक्तन के व्यवक्तत्त्ि भवक्तन और ितामान नारी
और समाज (महादे िी लेजखका-पररचय, पाठ का सारांर् नारी की महत्ता को दर्ााने िाली का तुलनात्मक अध्ययन का तुलनात्मक अध्ययन
िमाा- भवक्तन) काव्य-पंवक्तयों, नारे , श्लोक आहद का उपलजब्ध हानसल करने िाली चार ननष्कषा
संकलन महहलाओं की सनचत्र जानकारी
9. बाज़ार और विज्ञापनों विषय-पररचय, विषय का चुनाि चार विज्ञापनों का संकलन ि हकसी बाज़ारों के प्रकार, उनकी सनचत्र पचेजजंग पॉिर का
का समाज पर प्रभाि लेखक-पररचय, पाठ का सारांर् एक विज्ञापन की समीक्षा करते हुए जानकारी ि प्रभाि सकारात्मक उपयोग
(जैनेन्द्र कुमार - नलजखए हक विज्ञापन ने हकस ननष्कषा
बाज़ार दर्ान ) प्रकार आपको सामान खरीदने के
नलए प्रेररत हकया ?
10. सामाजजक सन्द्दभों में विषय-पररचय, विषय का चुनाि जीजी ि लेखक के मत की तुलना ‘जल-संरक्षण’ पर तथ्य सहहत जानकारी युिा जजन्द्होंने समाज सुधार
युिा िगा की भूनमका लेखक-पररचय, पाठ का सारांर् ि नहदयों का भारतीय सामाजजक, बादलों या पानी से सम्बंनधत दो में योगदान हदया
(धमािीर भारती-काले सन्द्दे र् सांस्कृ नतक पररिेर् में महत्त्ि कविताओं का संकलन ननष्कषा
मेघा पानी दे )
11. महामारी में विषय-पररचय, विषय का चुनाि कलाओं का जीिन में महत्त्ि- पाठ में नचवत्रत महामारी ि कोरोना भारत के परं परागत खेलों
उत्साहिधान करते लेखक-पररचय, पाठ का सारांर् ि विषय पर रचनात्मक लेख महामारी की जस्थनत का तुलना का पररचय
खेल और लोक कलाएुँ सन्द्दे र् हकन्द्हीं दो लोक कलाओं की सनचत्र लुट्टन ि कोरोना िाररयसा की तुलना ननष्कषा
(फणीश्वर नाथ रे णु- जानकारी
पहलिान की ढोलक)
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केन्द्रीय विद्यालय संगठन जम्मू संभाग
12. नर्रीष के फूल ननबन्द्ध विषय-पररचय, विषय का चुनाि पाठ में िजणात विनभन्द्न गाुँधीजी का जीिन-पररचय, नर्रीष ि सच्चे कवि के गुण, नर्रीष
में लानलत्य के साथ लेखक-पररचय, पाठ का सारांर् ि िनस्पनतयों का सनचत्र िणान गाुँधीजी की तुलना ि संन्द्यासी की तुलना,
सन्द्दे र् सन्द्दे र् ननष्कषा
13. आदर्ा समाज का विषय-पररचय, विषय का चुनाि आदर्ा समाज पर डॉ. आम्बेडकर सामाजजक समानता पर आधाररत ‘अिसर की समानता’ पर
ितामान पररप्रेक्ष्य लेखक पररचय एिं प्रमुख रचनाएुँ ि महात्मा गांधी के विचारों की कहाननयों ि कथाकारों की सूची बनाइये प्राचीन एिं ितामान
(भीमराि आम्बेडकर - ‘जानत-प्रथा और श्रम विभाजन’ पर डॉ. तुलना र्ेखर जोर्ी की कहानी गलता लोहा पर पररजस्थनतयों का
जानत-प्रथा और श्रम आम्बेडकर के विचार भी विचार कीजजये | तुलनात्मक अध्ययन
विभाजन मेरी कल्पना ननष्कषा
का आदर्ा समाज)
14. नसन्द्धु सभ्यता का विषय-पररचय, विषय का चुनाि नसन्द्धु घाटी सभ्यता का पररचय नसन्द्धु घाटी सभ्यता के प्रमुख नगर अपनी हकसी महानगर की
नगर ननयोजन और लेखक पररचय, प्रमुख यात्रा िृतांतों ि एिं इसके प्रमुख नगर मोहनजोदड़ो का नगर ननयोजन एिं यात्रा के अनुभि
ितामान महानगर लेखकों की सूची नसन्द्धु घाटी सभ्यता का नगर ितामान समय में महानगरों के नगर ननष्कषा
(ओम थानिी -अतीत ननयोजन ननयोजन का तुलनात्मक अध्ययन
में दबे पाुँि)
15. नसन्द्धु सभ्यता का विषय-पररचय, विषय का चुनाि नसन्द्धु घाटी सभ्यता का पररचय नसन्द्धु घाटी सभ्यता एिं ितामान समय भारत के प्रमुख
जल-प्रबंधन और लेखक पररचय, प्रमुख यात्रा िृतांतों ि एिं इसके प्रमुख नगर नसन्द्धु घाटी में जल-प्रबंधन का तुलनात्मक अध्ययन पुराताजत्िक स्थलों की
ितामान जल-प्रबंध लेखकों की सूची सभ्यता ‘जल संस्कृ नत के रूप में’ जानकारी
(अतीत में दबे पाुँि) ननष्कषा
16. नए और अप्रत्यानर्त अप्रत्यानर्त विषयों पर लेखन क्या है ?, नए और अप्रत्यानर्त विषयों पर दो नए विषयों पर रचनात्मक लेख दो अप्रत्यानर्त विषयों पर
विषयों पर लेखन का रटं त बुरी लत क्यों ?, अप्रत्यानर्त लेखन में ध्यान रखने योग्य बातें, रचनात्मक लेख
महत्त्ि विषयों पर लेखन के लाभ नए और अप्रत्यानर्त विषयों की
सूची
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17. जनसंचार माध्यमों का विषय-पररचय, विषय का चुनाि इन्द्टरनेट की विकास यात्रा ितामान पररपेक्ष्य में जनसंचार के ितामान सन्द्दभा में मीहडया
विकास और समाज वप्रंटमाध्यम,टी.िी.,रे हडयो,नसनेमा की इं टरनेट के लाभ-हाननयाुँ विनभन्द्न माध्यमों का तुलनात्मक ि सोर्ल मीहडया की
(विनभन्द्न माध्यमो के विकास यात्रा अध्ययन | भूनमका |
नलए लेखन) ननष्कषा |
18. समाचार-पत्र और विषय-पररचय, विषय का चुनाि समाचार लेखन एिं फीचर लेखन, समाचार लेखन की उलटा वपरानमड र्ैली ितामान समय में समाचार
पत्रकारीय लेखन के पत्रकारीय लेखन एिं पत्रकारों के प्रकार, विर्ेष ररपोटा एिं विचारपरक लेखन ि ककारों का िणान, फीचर लेखन में पत्रों की उपयोनगता |
विनभन्द्न रूप प्रमुख हहं दी समाचार-पत्रों का का तुलनात्मक अध्ययन ध्यान रखने योग्य बातें | ननष्कषा |
संकलन/सूची
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