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इकाई-2

कबीरदास (1398 ई. - 1518 ई.)

कबीर का ज 1398 ई. म आ था। कहा जाता है िक वे


िवधवा ा णी के गभ से पैदा ए थे। िजसे लोकलाज के भय
से काशी के लहरतारा तालाब के पास फक िदया गया था।
नी और नीमा नामक जुलाहा दं पित ने उनका लालन-पालन
िकया। कबीर की मृ ु के बारे म कहा जाता है िक िहं दू उनके
शव को जलाना चाहते थे और मुसलमान दफनाना। इस पर
िववाद आ िकंतु पाया गया िक कबीर का शव अंतधान हो गया
है । वहां कुछ फूल पड़े िमले। उनम से कुछ फूलों को िहं दुओं
ने अि के हवाले िकया और कुछ फूलों को मुसलमानों ने जमीन म दफना िदया। कबीर की मृ ु मगहर िजला
ब ी म सन 1558 ई. म ई।
कबीर जन बोली के श ों का योग अपनी किवता म करते ह। उ ोंने समाज म ा िढ़यों,
अंधिव ासों और पाखंड का खंडन िकया तथा िहं दुओं और मुसलमानों दोनों को फटकारा। उ ोंने मूित पूजा,
माला, ितलक, छापा, तीथाटन, गंगा ान, रोजा, िहं सा, जाित था, ऊंच-नीच की भावना को ख़ा रज कर िदया।
उ ोंने िकताबी ान की जगह गु की मह ा को ीकार िकया है । उ ोंने नैितकता, सदाचार, परोपकार,
मा, स वचन, संतोष आिद को े मानव के िलए आव क माना है । कबीर भले ही आज से 600 वष पहले
पैदा ए िकंतु उनकी िश ाएं आज भी उतनी ही ासंिगक ह।
कबीर ने न तो कागज और ाही का श िकया था, न हाथ से कलम पकड़ी थी। उनके िश ों ने
उनके उपदे शों का संकलन ‘बीजक’ म िकया है । बीजक के तीन भाग ह - साखी, सबद और रमैनी। कबीर की
यही मािणक रचना है । रमणी और सबद म गेय पद ह, साखी दोहों म है । रमैनी और सबद जभाषा म है , जो
त ालीन म दे श की का भाषा थी।

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कबीरदास के दस दोहे
1. गु दे व:
कुमित कीच चेला भरा, गु ान जल होय।
जनम जनम का मोरचा, पल म डाले धोय।।

2. साधु:
संगत कीजै साधु की, कदी न िन ल होय।
लोहा परस पारस ते, सो भी कंचन होय।।

3. भेष:
साधु भया तो ा आ, माला पिह र चार।
बाहर भेष बनाइया, भीतर भरी भंगार।।

4. संगित:
स न सों स न िमले, होवे दो दो बात।
गदहा सों गदहा िमले, खावे दो दो लात।।

5. सेवक:
कबीर कु ा राम का, मुितया मेरा नाँ व ।
डोरी लागी ेम की, िजत खचै ितत जाँ व।।

6. भ :
ेम िबना जो भ है , सो िनज दं भ िवचार।
उदर भरन के कारने, जनम गँवायो सार।।

7. ेम:
ेम न बाड़ी उपजै, ेम न हाट िबकाय।
राजा परजा िजिह चै, शीस दे इ ले जाय।।

8. उपदे श:
पिढ पिढ के प र भये, िल ख िल ख भये जु ईंट।
कबीर अ र ेम की, लगी न एको छींट।।

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9. श :
कागा काको धन हरै , कोयल काको दे त।
मीठा स सुनाय के, जग अपनों क र लेत।।

10. मां साहार:


जीव जीव सब एक है , जीव का करो िवचार।
िबन साँ सा जीव है , ताका करो आहार।।

1. कुमित = कुबु । कीच = कीचड़। चेला = िश । मोरचा = बुराई। डारे = डालता है ।


2. संगत = संगित, दो ी। कीजै = कीिजए। कदी = कभी भी। िन ल = बेकार। परस = श, छूना। ।
पारस = एक कार का प र। कंचन = सोना।
3. पिह र = पहनना। भंगार = बुराइयाँ ।
4. गदहा = अिववेकी। खावै = खाना।
5. नाँ व = नाम। िजत = िजधर। ितत = उधर।
6. िनज = अपना। दं भ = अिभमान। उदर = पेट। भरन = भरणा।
7. बाड़ी = खेत, बगीचा। हाट = बाजार। िबकाय = िबकना। िजिह = िजसे भी। चै = पसंद। शीस =
अह ा पी िसर। दे इ = समिपत कर ।
8. पिढ = पढ़कर। भये = होना। छींट = रं ग का छींटा लगना।
9. कागा = कौआ। काको = िकसका। हरै = हरना, चुरा लेना। दे त = दे ना। स = बोल, बोली। जग =
संसार।
10. साँ सा = साँ स। ताका = उसका।

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