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Hindi Core A Ch03 Kunwar Narayan
Hindi Core A Ch03 Kunwar Narayan
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जजस प्रकार फूल खखलकर अपनी सर्ंध एिं सौंदयग से लोर्ों को आनंद प्रदान करता है उसी प्रकार कविता
सदै ि खखली रहकर लोर्ों को उसका रसपान कराती है ।
4. कविता के संदर्भ में ‘बबना मुरझाए महकने के माने‘ क्या होते हैं?
उत्तर:- कविता कालजयी होती है उसका मूल्य शाश्ित होता है जबकक फूल बहत जल्दी मरझा जाते हैं।
उत्तर:- ‘भाषा को सहूललयत’ से बरतने का आशय है – सीधी, सरल एिं सटीक भाषा के प्रयोर् से है ।
6. बात और र्ाषा परस्पर जुड़े होते हैं, ककंतु कर्ी-कर्ी र्ाषा के चक्कर में ‘सीधी बात र्ी टे ढ़ी हो जाती
है ‘ कैसे ?
उत्तर:- बात और भाषा परस्पर जड़े होते हैं, ककंत कभी-कभी कवि आहद अपनी बात को बताने के ललए
अपनी भाषा को ज्यादा ही अलंकृत करना चाहते है या शब्दों के चयन में उलझ जाते है तब भाषा के चक्कर
में िे अपनी मूल बात को प्रकट ही नहीं कर पाते। श्रोता या पाठक उनके शब्द जाल में उलझ के रह जाते हैं
और ‘सीधी बात भी टे ढी हो जाती है ’।
उत्तर:-
बात का शरारत़ी बच्चे की तरह खेलना बात बात का पकड में न आना
8. बात से जुड़े कई मुहािरे प्रचललत हैं। कुछ मुहािरों का प्रयोग करते हुए ललिें ।
उत्तर:- • बात का बतंर्ड़ बनाना – हमारी पड़ोसन का काम ही बात का बतंर्ड़ बनाना है ।
• बातें बनाना – बातें बनाना तो कोई जीजाजी से सीखे।
9. व्याख्या करें
ज़ोर ज़बरदस्ती से
बात की चड़
ू ी मर गई
और िह र्ाषा में बेकार घूमने लगी।
उत्तर:- कवि कहते हैं कक एक बार िह सरल सीधे कथ्य की अलभव्यजक्त में भाषा के चक्कर में ऐसा फाँस
र्या कक भाषा के चक्कर में िे अपनी मूल बात को प्रकट ही नहीं कर पाया और उसे कथ्य ही बदला-बदला
सा लर्ने लर्ा। कवि कहता है कक जजस प्रकार जोर जबरदस्ती करने से कील की चड़
ू ी मर जाती है और तब
चड़
ू ीदार कील को चड़
ू ीविहीन कील की तरह ठोंकना पड़ता है उसी प्रकार कथ्य के अनकूल भाषा के अभाि
में कथन का प्रभाि नष्ट हो जाता है ।