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ZRTI Bhusawal Bilingual (Accounts)
ZRTI Bhusawal Bilingual (Accounts)
रे ल्वे संगठि
रेल्वे संगठि
भारतीय रेल एक सरकारी संस्था है और साथ हीं मे यह एक व्यापाररक संस्था भी है। व्यापाररक संस्था
होिे के कारण रेल्वे का मु्य उद्देश्य यातायात बेचिा होता है। इस यातायात में यात्री, यात्री का सामाि,
छोटे परे षण, पिू पक्षी, सामान्खय माल, रासायनिक पदाथथ आदद िानमल हैं।
यातायात बेचिे का कायथ रेल प्रिासि की ओर से निि स्थािों में दकया िाता है उसे रेल्वे स्टेिि कहते
हैं।
यातायात ढोिे के नलये रेल्वे को साधिों की आवश्यकता होती है। उदा - चल स्टाक, पटररयॉ नबछािे के
नलये िमीि, कायाथलय तथा कारखािों के भवि, मिीिें एवं सयंत्र इत्यादद।
भारतीय रेल्वे सुचारू रूप से चलाई िािे के उदेश्य से रे ल्वे का अपिा एक अच्छा संगठि है। भारतीय
रेल्वे का कारोबार भारतीय रेल्वे अनधनियम के अिुसार चलाया िाता है। भारतीय रेल्वे का मु्य
उदेश्य निम्न है।
सभी नवनवध प्रकार की रेल्वे प्रणानलयों का एकनत्रकरण एवं राष्ट्रीयीकरण होिे के पश्चात भारतीय रे ल्वे
मे सुचारू तरीके से कायथ होिे के उदेश्य से तथा रे ल्वे के पररचालि मे कु िलता प्राप्त होिे के उदेश्य से इि
रेल्वे प्राणाली को 16 प्रकार की क्षेनत्रय रेलों में नवभानित दकया गया है। यह करते समय निम्ननलनखत
बातों का नविेष ध्याि रखा गया था ।
1. िहॉ तक हो सके एक क्षेनत्रय प्रिासि की सेवायें संबंनधत राज्यों के नलये उपलब्ध हो सके ।
2. हर एक क्षेनत्रय रेल्वे प्रिासि का एक मु्यालय निधाथररत दकया गया है , िहॉ कार्मथक,
तकिीकी, सं्याकीय आदद सेवाओं का प्रबंध दकया िा सके ।
3. रेल्वे के पररचालि में कम से कम अस्तव्यस्तता हो तथा अनच्छ व्यवस्था हो।
रे ल्वे संगठि
उपर नलखे हुए उदेश्य सामिे रखते हुए भारतीय रेल्वे िैां क्षेत्रों में नवभानित की गई है , िो निम्न प्रकार
की है ।
ऊपर नलखे हुए क्षेनत्रय रेलों पर नियंत्रण होिे के नलये रेल्वे बोडथ। रेल मंत्रालय होता है। इिका संगठि
निम्ननलनखत प्रकार का होता है।
रेल मंत्री
रे ल्वे संगठि
अध्यक्ष रेल्वे बोडथः- अध्यक्ष रेल्वे बोडथ, रेल मंत्रालय में भारत सरकार का पदेि मु्य सनचव होता है। वह
रेल मंत्री के अधीि तकिीकी मामलों में निणथय लेिे और रेल्वे के निनत संबंधी मामलों में भारत सरकार
को परामिथ देिे के नलये अिन्खय रूप से उत्तरदानय होता है। यह अध्यक्ष समय समय पर ददये गये निणथय
के अिुसार अन्खय नवषय के संबंध में सदस्य के रूप में कायथ करता है और उसके अनतररक्त बोडथ के आंतररक
समन्खवय के नलये भी उत्तरदानय होता है।
नवत्त आयुक्त- रेल्वे का नवत्त आयुक्त रेल्वे बोडथ में नवत्त मंत्रालय का प्रनतनिनधत्व करता है और नवनत्तय
मामलों के नलये रेल मंत्रालय में भारत सरकार के सनचव का भी पदेि रूप में कायथ करता है। नवत्त आयुक्त
का नवत्त मंत्री के साथ प्रत्यक्ष रूप से संबंध होता है और वह रेल मंत्रालय की गनतनवनधयों की िािकारी
समय समय पर प्रदाि करता है।
सदस्यः- हर एक सदस्य निि तकिीकी नवषय एवं नवषयों के प्रभारी होते हैं, उि नवषयों के प्रत्येक कायथ
के निपटाि के नलये वह उत्तरदानय होते हैं। बोडथ के सदस्य अपिे अपिे क्षेत्रों में भारत सरकार के पदेि
सनचव के रूप में कायथ करते हैं।
इि सदस्यों की सहायता के नलये नवनभन्न सलाहकार होते हैं। रेल्वे बोडथ का दैनिक कायथ करिे के नलये इि
सलाहकारो के अधीि वरीष्ठ प्रिासिीक स्तर के निदेिक होते है, तथा संयुक्त निदेिक, उप निदेिक,
सहायक निदेिक आदद होते हैं। मंत्रालय की नवनभन्न िाखाओं का प्रत्यक्ष नियंत्रण इिका होता है। ओर
वह नविेष तकिीकी मामलों एवं निनत संबंधी मामलों को छोड़कर अन्खय सभी कायों के निपटाि के नलये
निम्मेदार होते हैं। यह निदेिक रेल्वे प्रिासि को अिुदेि िारी कर सकते हैं, अतः उिके संदभथ को सीधे
प्राप्त करिे और उि पर कायथवाही करिे के नलये भी निम्मेदार होते हैं। वह अपिे संबंनधत िाखाओं के
प्रधाि होिे के बाविूद अपिे अपिे क्षेत्र के अन्खतथगत रेल प्रिासि सामान्खय ििता तथा भारत सरकार के
नवनभन्न मंत्रालय के साथ सीधा सम्पकथ कर सकते हैं।
रे ल्वे संगठि
1. लेखा
2. नसनवल इंिीनियरींग
3. दक्षता ब्युरो (Efficiency Bureau)
4. नवद्युत इंिीनियरींग
5. संस्थापिा
6. नवत्त
7. स्वास्थ
8. इंटेनलिेंस (Intelligence)
9. कािुि (Law)
10. मेकनिकल इंिीनियरींग
11. मेकनिकल इंिीनियरींग (कारखािा)
12. महािगर यातायात परीयोििा
13. रािभाषा
14. वेति आयोग
15. ििसम्पकथ
16. रेल कािुि संिोधि
17. रेल नवद्युतीकरण
18. रेल यातायात (कोयला नियमि) (Rail Movement (Coal Planning))
19. रेल परीयोििा (Railway Planning)
20. भंडार
21. सुरक्षा एवम कोचींग
22. संरक्षा
23. नसग्नल एवम दुरसंचार
24. सां्यीकी एवम अथथिास्त्र (Statistic and Economics)
25. यातायात (वानणज्य एवम सामान्खय)
26. यातायात (परीवहि) ( Transportation)
27. दक्षता
28. अिुसंधाि अनभकल्प एवं मािक संगठि, लखिऊ
निम्ननलनखत संस्थायें रेल्वे बोडथ के सीधे नियंत्रण में कायथ करती है। इसे उत्पादि ईकाइयॉ कहते हैं।
रे ल्वे संगठि
भारतीय रेल्वे के आवश्यक कमथचारी का चयि करिे के नलये रे ल्वे भती बोडथ भी होते हैं , िो दक निम्नािुसार
है ।
1. अहमदाबाद ।
2. अिमेर ।
3. ईलाहाबाद ।
4. भोपाल ।
5. बंगलोर ।
6. भुबिेश्वर ।
7. मुम्बई ।
8. कोलकाता ।
9. चंडीगढ ।
10. गोवाहाटी ।
11. गोरखपुर ।
12. िम्मू तावी ।
13. चेन्नई ।
14. मालदा ।
15. मुज्जफरपुर ।
16. पटिा ।
17. रॉची ।
18. नसकं दराबाद ।
19. नत्रवेंगम।
रे ल्वे संगठि
हर एक क्षेनत्रय रेल्वे का प्रिासि एवं संचालि करिे के नलये एक मु्यालय होता है और इसके प्रमुख
महाप्रबंधक होते हैं । महाप्रबंधक की सहायता के नलये नवनवध प्रकार के नवभानगय प्रमुख भी होते हैं। एक
क्षेनत्रय रेल्वे को आवश्यकता के अिुसार
अलग अलग मंडल में नवभानित दकया गया है और इस मंडल के प्रमुख प्रिासदकय अनधकारी मंडल रेल
प्रबंधक होते हैं।
रे ल्वे संगठि
रे ल्वे संगठि
मंडल स्तर पर मंडल रेल प्रबंधक मंडल के प्रमुख होते हैं। मंडल रेल प्रबंधक के सहायक अनतररक्त मंडल
रेल प्रबंधक, मंडल अनधकारी, वररष्ठ अनधकारी, कनिष्ठ अनधकारी एवं कमथचारी, अपिे अपिे नवभाग को
सुचारू रूप से चलािे के नलये होते हैं। मध्य रे ल्वे पर 05 मंडल हैं, िो दक निम्नािुसार हैं -
रे ल्वे संगठि
वररष्ठ मंडल पररचालि प्रबंधक। वररष्ठ मंडल सुरक्षा अनधकारी । वररष्ठ मंडल वानणज्य प्रबंध क । वररष्ठ
मंडल नवत्त प्रबंधक । वररष्ठ मंडल कार्मथक अनधकारी । वररष्ठ मंडल यांनत्रक अनभयंता । वररष्ठ मंडल
नवद्दुत अनभयंता । वररष्ठ मंडल अनभयंता । सुरक्षा कमांडन्खट । निला भंडार प्रबंधक। वररष्ठ मंडल संकेत
एवं दूर संचार अनभयंता ।
अपिे अपिे नवभागों के ददि प्रनतददि कायों के नलये नवनभन्न मंडल अनधकाररें निम्मेदार होते हैं।लेदकि
लेखा नवभाग, भंडार नवभाग, कारखािा कायथकारी, िो दक मंडल मे कायथ करते हैं, इिका नियंत्रण
मु्यालय के नवभाग प्रमुख द्वारा दकया िाता है।
1. रेल्वे के आय तथा व्यय से संबंनधत सभी लेि देि का नियमािुसार आंतररक िॉच करिा ।
2. रेल्वे के आय तथा व्यय का लेखा िोखा करिा ।
3. रेल्वे के सभी दावों का िीघ्र निपटारा करिा ।
4. रेल प्रिासि को नवनत्तय सलाह प्रदाि करिा ।
5. यह सुनिनश्चत करिा दक रेल्वे लेि देि में कोई नवनत्तय अनियनमततायें िहीं है।
6. मिेिमेन्खट अकाउन्खटेंट की भूनमका निभािा ।
आय की संवीक्षा -
रेल्वे को प्राप्त होिे वाली आय की संवीक्षा करते समय निम्न बातों पर ध्याि ददया िािा चानहये -
रे ल्वे संगठि
1. रेल्वे प्रिासि द्वारा उपलब्ध करायी गई सेवायें माल की पूती एवं अन्खय कायों के नलये होिे वाली
प्रानप्तयों की रािी सही तरीके से अिुमानित की गई है और िैसे हीं वह रेल्वे को देय बिती है ,
उसे पुस्तांदकत दकया िािा चानहये ।
2. सभी प्रानप्तयों को नमलते हीं लेखांदकत दकया िािा चानहये ।
3. प्रानप्तयों को सही वगीकरण ददया िािा चानहये और यदद ऐसी प्रानप्तयों में से अन्खय क्षेनत्रय रेल्वे
को रकम देिी होती है तो प्रानप्तयों का उनचत बटवारा संबंनधत रेल्वे में दकया िािा चानहये ।
व्यय की संवीक्षा -
रेल्वे प्रािासि की ओर से भुगताि दकये िािे वाले सभी दावों की संवीक्षा करते समय निम्ननलनखत मदों
पर नविेष ध्याि ददया िािा चानहये -
1. प्रस्तानवत व्यय अथवा प्रानप्तयों को बही खाते में दिथ करािे के नलये सक्षम अनधकारी की मंिूरी
प्राप्त की गई है और संबंनधत व्यय करिे के नलये अनधकारी सक्षम है।
2. प्रस्तानवत व्यय का उनचत अिुमाि तैयार करिा, सक्षम अनधकारी की मंिूरी प्राप्त करिा आदद
प्रकार की निधाथररत गनतनवनधयों का पालि संबंनधत अनधकाररयों द्वारा दकया िािा चानहये ।
3. प्रस्तानवत व्यय के नलये संबंनधत अनधकारी के पास पयाथप्त अिुदाि की रािी उपलब्ध होिा
चानहये ।
4. प्रस्तानवत व्यय करिे से प्रचनलत नियम एवं आदेिों का उलंघि िहीं होिा चानहये ।
5. प्रस्तानवत व्यय करिे से नवनत्तय औनचत्य के मािकों के नियमों का उलंघि िहीं होिा चानहये ।
6. निधाथररत समय के नलये मंिूर दकया गया व्यय , समय समाप्त होिे के बाद, नबिा कोई मंिूरी
से िहीं दकया िािा चानहये ।
7. प्रस्तानवत व्यय सही तरीके से और पूणथ रूप से व्हाऊचर में ददखाया िािा चानहये और उससे
संबंनधत भुगताि इस तरीके से ररकाडथ दकया िािा चानहये दक उसी मामले के नलये दुबारा
भुगताि होिा असंभव हो।
8. प्रस्तानवत व्यय का वगीकरण सही तरीके से दकया िािा चानहये और यदद सं बंनधत रािी वसूल
करिे के नलये कहा िाता है तो संबंनधत अथवा ठे केदार इिके खाते में सही तरीके से नलखा िािा
चानहये ।
9. आवृत व्यय के बारे में यह देखिा आवश्यक होता है दक संबंनधत अनधकारी द्वारा आवृत व्यय
करिे के नलये िो ितें निधाथररत कर दी गई है , उससे संबंनधत प्रमाण पत्र भी ददया गया है ।
10. नवभागीय प्रनप्तयों का उपयोग दकसी भी प्रकार का खचथ करिे के नलये िहीं दकया िािा चानहये
। नवनिष्ठ पररनस्थनत में सक्षम अनधकारी की मंिूरी से हीं इस प्रकार का व्यय दकया िा सकता
है ।
लेखा नवभाग के अिेक कायों, मेसे एक काम यह भी होता है दक रेल्वे प्रिासि के नवरुद्ध प्रस्तुत दकये गये
दावे सही है या िहीं , इसकी िीघ्र िांच करिा और इसका िीघ्र भुगताि करिा। यह सभी प्रकार के दावे
रे ल्वे संगठि
चाहे वे दकसी माल पूती के नलये अथवा अन्खय सेवाओं के नलये हो नवनवध प्रकार के नबलों के फ़ामथ से
संबंनधत व्यनक्तयों द्वारा लेखा कायाथलय को भेिे िाते हैं। लेखा कायाथलय में इिकी पूरी िांच के बाद
भुगताि की व्यवस्था की िाती है । नबलों का भुगताि करिे के नलये लेखा अनधकाररयों द्वारा ररझवथ बैंक
अथवा स्टेट बैंक इत्यादद से धिादेि द्वारा रकम निकाली िाती है ।
उपरोक्त लेखा नवभागों के कायों को सही ढ़ंग से अमल होिे हेतु, लेखा नवभाग की एक अपिी अच्छी
संगठि है, निसके द्वारा लेखा नवभाग पर सौंपी गई निम्मेदारी निभाई िाती है।
1. प्रिासि अिुभाग - इस अिुभाग द्वारा लेखा नवभाग के कमथचाररयों से संबंनधत मामले निपटाये िाते
हैं। िैसे - नियुनक्त, पोक्स्टंग, स्थािांतरण, वेति निधाथरण, वररयता सूची तैयार करिा, इत्यादद ।
2. संस्थापिा अिुभाग - मु्यालय में नस्थत सभी कमथचारी के संस्थापि से संबंनधत मामले, महाप्रबंधक
की मंिूरी के नलये पयाथप्त संस्थापि प्रस्ताव, नवनवध प्रकार के उचन्खत लेखा का अिुरक्षण, रािपनत्रत
एवं अरािपनत्रत कमथचारी से संबंनधत वेति एवं भत्तों के नबल, कमथचारी को प्रचनलत नियमों के
अिुसार देय नवनवध प्रकार के अनग्रम तथा किथ के मामले , इत्यादद इस अिुभाग द्वारा दकया िाता
है।
3. भनवष्य निधी - रेल्वे कमथचारी के भनवष्य निधी खातों का अिुरक्षण, भनवष्य निधी से नवनवध प्रकार
के अनग्रम भुगताि की व्यवस्था, स्थािांतररत रेल्वे कमथचारी के भनवष्य निधी खाते संबंनधत इकाई
को स्थािांतररत करिा और अन्खय इकाईयों से प्राप्त भनवष्य निधी खातों का एकनत्रकरण करिा,
भनवष्य निधी के रूप में प्राप्त कु ल रकम का रेल्वे के सामान्खय दकताबों से हर महीिें में तथा साल में
एक बार समाधाि करिा, भनवष्य निधी खातेदारों को नवनत्तय साल समाप्त हो िािे पर भनवष्य
निधी की नस्लप भेििा इत्यादद कायथ इस अिुभाग द्वारा दकये िाते हैं।
4. निपटारा एवं निवृनत्त वेति अिुभाग - िो रेल्वे कमथचारी सेवा निवृत्त होते हैं, िो एनच्छक सेवा
निवृत्त होते हैं, सेवा के दौराि नििकी मृत्यु होती है , अथवा िो रेल्वे कमथचारी को काम से हटाया
िाता है, ऐसे कमथचारी का भनवष्य निधी से देय रािी के भुगताि करिे की व्यवस्था करिा, रेल्वे
कमथचारी के सेवा निवृत्त वेति, छु ट्टी के वेति, उपदाि की रािी का भुगताि, इत्यादद मामलों का
निपटारा करिा यह इस अिुभाग का मु्य काम होता है।
5. बुककं ग अिुभाग - रेल्वे की सामान्खय दकताबें िैसे दक सामान्खय रोकड़ पुस्तक, दैनिक पंिीगत एवं
रािस्व खाते का अिुरक्षण करिा, मानसक तथा वार्षथक चालू लेखे (पूंिीगत एवं रािस्व) तैयार
करिा, नवनवध प्रकार के नववरण का संकलि करिा और हर एक महीिें में रेल्वे बोडथ को रवािा
करिा, रेल्वे के सभी व्यवहार से संबंनधत वार्षथक नववरण रे ल्वे बोडथ को भेििा, अन्खय रेल्वे। अन्खय
मंडल। अन्खय सरकारी नवभागों द्वारा िारी दकये गये िामे। िमा को स्वीकृ त करिा और रेल्वे की
सामान्खय दकताबों में समायोनित करिा। नवनभन्न प्रकार के नबल िो लेखा कायाथलय में अलग अलग
अिुभागों द्वारा भुगताि के नलये स्वीकृ त एवं पास दकये िाते हैं, ऐसे नबलों के नलये धिादेि तैयार
करिा, भुगताि दकये गये नबलों की पश्चलेखा करिा इत्यादद कायथ इस अिुभाग द्वारा दकये िाते हैं।
रे ल्वे संगठि
6. बिट अिुभाग - नवनवध कायथकारी अनधकारी के कायाथलय के समय समय पर प्राप्त बिट से संबंनधत
िािकारी एकनत्रत करिा, एकनत्रत िािकारी समय समय पर रेल्वे बोडथ को भेििा, रे ल्वे बोडथ से
प्राप्त बिट से संबंनधत िािकारी नवनवध कायथकारी अनधकारी एवं लेखा नवभाग के सभी इकाईयों
को सूनचत करिा, एक नवनत्तय साल के लेखे बन्खद होिे के बाद नवनियोिि लेखे तैयार करिा और
रेल्वे बोडथ को भेििा, इत्यादद कायथ इस अिुभाग द्वारा दकये िाते हैं।
7. व्यय अिुभाग - रेल्वे से संबंनधत सभी कायथ तथा रािस्व व्यय का नवनवध सार नववरणों में तथा
कायथ पंिी में लेखांदकत करिा, अन्खय सरकारी नवभाग, निनि संस्थायें इत्यादद को रेल्वे प्रिासि द्वारा
उपलब्ध कराई गई सेवाये अथवा माल की पूती से संबंनधत नबलों को तैयार करिा और ऐसे नबलों
की वसूली पर निगरािी रखिा, मालपूती कताथओ एवं ठे केदारों से प्राप्त नबलों की आंतररक िॉच
करिा और भुगताि व्यवस्था करिा, नवनवध सार नववरण में लेखांदकत करिा, व्यय के बारे में मानसक
व्यय नियंत्रण नववरण तैयार करिा और संबंनधत अनधकाररयों को भेििा इत्यादद कायथ इस अिुभाग
में दकये िाते हैं।
8. नवत्त अिुभाग - इस अिुभाग द्वारा सभी कायथकारी अनधकाररयों को नवनत्तय प्रस्ताव पर नवनत्तय
सलाह प्रदाि की िाती है। इसके अलावा िये पदों की नियुनक्त, पदों की कायथ अवनध बढ़ािा, इत्यादद
प्रस्ताव पर सलाह इस अिुभाग द्वारा दी िाती है। निनवदा संबंधी डॉक्ट्युमेंट, ठे के-करार संबंधी
डॉक्ट्युमेंट इत्यादद इस अिुभाग द्वारा िॉच दकये िाते हैं।
9. निरीक्षण अिुभाग - कायथकारी अनधकारी के कायाथलय, मंडल लेखा कायाथलय, अन्खय लेखा इकाईयॉ
इत्यादद द्वारा अिुरनक्षत दकताबें। प्रलेख का निरीक्षण करिा, लेखा परीक्षा नवभाग द्वारा िारी दकये
गये निरीक्षण ररपोटथ- लेखा परीक्षा िोट, ड्राफ़्ट पॅरा आदद से संबंनधत पत्राचार एवं निपटारा करिा
इस अिुभाग का कायथहोता है।
10. टेस्ट चैक अिुभाग - लेखा कायाथलय में दकये िािे वाले कायों की कु छ प्रनतित िॉच और उिके
पररणामों की िािकारी तैयार करिा तथा लेखा नवभाग की कायथ कु िलता बढ़ािे के नलये समय
समय पर प्राप्त आदेिों एवं सूचिायें आदद का सभी संबंनधत द्वारा पालि दकया िाता है अथवा िहीं,
यह सुनिनश्चत करिा आदद काम इस अिुभाग द्वारा दकया िाता है।
11. प्राप्ती एवं प्रेषण । ररकाडथ अिुभाग - लेखा नवभाग में प्राप्त सभी प्रकार के पत्र नबल आदद का िीघ्र
बटवारा करिे की व्यवस्था करिा। लेखा नवभाग की ओर से अन्खय कायाथलय, सरकारी नवभाग, निनि
आदद को िारी दकये गये पत्रों का प्रेषण करिा और इससे संबंनधत दकताबों का अिुरक्षण करिा, यह
प्राप्ती एवं प्रेषण अिुभाग का मु्य कायथ होता है। लेखा नवभाग द्वारा भुगताि दकये गये सभी नबलों
को (पैड व्हाऊचर) ठीक तरीके से ररकाडथ में रखिा और आवश्यकता के अिुसार उसे उपलब्ध करिा।
उसी प्रकार से लेखा नवभाग को आवश्यक लेखा सामग्री, दकताबें, फ़ामथ, पंनियॉ, इत्यादद का स्थाि
उपलब्ध करिा और उसे िारी करिा यह इस अिुभाग के कायथ होते हैं।
यातायात लेखा िाखा के वल मु्यालय में ही के नन्खगत है। इस िाखा के नवनभन्न अिुभाग एवं उिके कायथ
निम्ननलनखत हैं।
रे ल्वे संगठि
1. कोक्चंग अिुभाग - यात्री वगीकरण नववरण, यात्री सामाि नववरण, पासथल यातायात नववरण,
स्टेिि तुलि पत्र, रटकट मॉग पत्र अथवा रटकट इन्खडेन्खट इत्यादद िो दक कोक्चंग यातायात के
नववरण एवं नववरणीयॉ हैं, निन्खहें नवनवध स्टेििों से यातायात लेखा कायाथलय में प्राप्त होते हैं ,
उिकी आंतररक िॉच करिा, आंतररक िॉच से पाई गई अनियनमततायें संबंनधत स्टेििों को
सूनचत करिा, त्रुरट पत्र िारी करिा इत्यादद कायथ इस अिुभाग में दकये िाते हैं।
2. माल अिुभाग - इस अिुभाग द्वारा स्टेिि से प्राप्त माल यातायात के सभी नववरण तथा
नववरणीयो िैसे नबिक, माल तुलि पत्र, मिीि निर्मथत सार, इ. की िॉच दक िाती है। आन्खतररक
िॉच के पररणाम स्वरुप पायी गयी त्रुटीयो को त्रुटी पत्र के माध्यम से स्टेिि को तथा कायथकारी
अनधकारी को आवश्यक कायथवाही हेतु सूनचत दकया िाता है।
3. सामान्खय अिुभाग - यातायात लेखा पंिी (ट्रैदफ़क बुक) अिुरक्षण करिा, यातायात लेखा िाखा
में नवनवध कायथ से संबंनधत होिे वाली गनतनवनधयों में कायथ कु िलता निनश्चत करिा, यातायात
लेखा िाखा में कायथ करिे वाले लेखा नवभाग के कमथचारी के कार्मथक मामलों से संबंनधत मामलों
का निपटारा करिा, नवनवध प्रकार लेखि सामग्री फ़ामथ, दकताबें, आदद की व्यवस्था करिा, यह
कायथ इस अिुभाग द्वारा दकये िाते हैं।
4. निरीक्षण अिुभाग - रेल्वे स्टेिि िहॉ नवनवध प्रकार की कोक्चंग अथवा माल यातायात की
स्वीकृ नत तथा बुककं ग दकया िाता है, उससे संबंनधत सभी प्रकार की लेखा की प्रारनम्भक दकताबें,
व्हाउचर, इत्यादद का निररक्षण करिे की व्यवस्था चल लेखा निरीक्षकों द्वारा करिा। चल लेखा
निरीक्षक के प्राप्त निरीक्षक ररपोटथ की संवीक्षा तथा उनचत कायथवाही इसी अिुभाग द्वारा की िाती
है।
5. टेस्ट चैक अिुभाग - लेखा कायाथलय में दकये िािे वाले कायों की कु छ प्रनतित िॉच और उिके
पररणामों की िािकारी तैयार करिा तथा लेखा नवभाग की कायथ कु िलता बढ़ािे के नलये समय
समय पर प्राप्त आदेिों एवं सूचिायें आदद का सभी संबंनधत द्वारा पालि दकया िाता है अथवा
िहीं, यह सुनिनश्चत करिा आदद काम इस अिुभाग द्वारा दकया िाता है।
6. प्राप्ती एवं प्रेषण । ररकाडथ अिुभाग - लेखा नवभाग में प्राप्त सभी प्रकार के पत्र नबल आदद का िीघ्र
बटवारा करिे की व्यवस्था करिा। लेखा नवभाग की ओर से अन्खय कायाथलय, सरकारी नवभाग,
निनि आदद को िारी दकये गये पत्रों का प्रेषण करिा और इससे संबंनधत दकताबों का अिुरक्षण
करिा, यह प्राप्ती एवं प्रेषण अिुभाग का मु्य कायथ होता है। लेखा नवभाग द्वारा भुगताि दकये
गये सभी नबलों को (पैड व्हाऊचर) ठीक तरीके से ररकाडथ में रखिा और आवश्यकता के अिुसार
उसे उपलब्ध करिा। उसी प्रकार से लेखा नवभाग को आवश्यक लेखा सामग्री, दकताबें, फ़ामथ,
पंनियॉ, इत्यादद का स्थाि उपलब्ध करिा और उसे िारी करिा यह इस अिुभाग के कायथ होते
हैं।
रे ल्वे संगठि
रेल्वे प्रिासि को समय समय पर प्राप्त होिे वाली रोकड़ नियनमत रूप से ररिवथ बैंक में िमा करिे की
व्यवस्था करिा और रेल्वे प्रिासि की ओर देय सभी प्रकार के नबलों का भुगताि करिे की ठीक व्यवस्था
करिा यह कायथ इस अिुभाग के होते हैं ।
रेल्वे प्रिासि द्वारा खरीदी दकया गया भंडार तथा माल से संबंनधत प्राप्त नबलों की आंतररक िॉच करिा
तथा सम्बनन्खधत पुर्तथकताथ के नबलों की रकम का भुगताि करिा, भंडार लेखा से संबंनधत नवनवध प्रकार
का सवेक्षण करिा , अन्खय सरकारी नवभाग तथा रेल से प्राप्त भंडार तथा उिको सुपुदथ कीये गये भंडार की
लागत को समायोनित करिा, भंडार बिट सन्खतुनलत करिा, नवनवध प्रकार के भंडार नडपो में/ कारखािो
मे/ कायाथलय मे रखे गये भंडार का सत्यापि करिा, भंडार सत्यापि से संबंनधत बातो का निपटारा करिा
आदद इस िाखा मे दकये िाते हैं ।
रेल्वे कारखािों में होिे वाली मरम्मत एवं अिुरक्षण गनतनवनधयों का मुल्यांकि करिा, कारखािा
अनधकाररयों को समय समय पर नवनत्तय सलाह प्रदाि करिा, कारखािा श्रनमकों को भुगताि करिा,
इत्यादद कायथ इस िाखा द्वारा दकये िाते हैं।
रे ल्वे संगठि
सहा.नवत्त सलाहकार सहा. नवत्त सलाहकार सहा. नवत्त सलाहकार सहा.नवत्त सलाहकार
(प्रिासि) (नवत्त) (बिट) (निमाथण)
For the purpose of sale of transportation, the places which have been authorized
for and behalf of Indian Railways are technically known as a Railway Station. In order to
meet the requirements of transportation the Railway requires the means of the business
i.e. rolling stock, Railway tracks, buildings, Goods sheds, workshops etc.
Every Organization has some financial objectives and whether these are being
achieved or not is also monitored. The Objectives of Indian Railways are as under:-
1. As far as possible the services of one Zonal Railway may be made available for one
state.
2. Each Zonal Railway will have a Head Quarter duly equipped with a Personnel,
Technical, Statistical, Management services.
Lesson No. 1(b)
3. To ensure minimum dislocation in the services of the Railway keeping in view the
above intentions, the Railways have been divided into various zones as under:
Further, it is again recently divided into six more zones. They are as under
CRB
CRB – The Chairman Railway Board is an Ex-officio Principal Secretary to the Govt. of
India in the Ministry of Railway. He is responsible for giving the day to day information to
the Railway Minister in connection with the policies of the Govt. of India in respect of
technical and the non-technical matters pertaining to Railway. He also functions as one
of the members of the Railway Board and the responsibility for internal co-ordination
vests with him.
Member: Each member is responsible to ensure that the matters relating to his
department are dealt with as early as possible and they are responsible to chairman
Railway Board in respect of their portfolios. They are also considered as ex-officio
secretary to Govt. of India. To assist the members, some advisors are also provided.
Lesson No. 2(a), (b) & (c)
The following directorates are also functioning in the Board’s Office:
1. Accounts
2. Civil Engg.
3. Efficiency Bureau
4. Electrical Engg.
5. Establishment.
6. Finance
7. Health
8. Intelligence
9. Law
10. Mech. Engg.
11. Mech. Engg. (Workshop)
12. Metropolitan Transport Project
13. Official Language
14. Pay commission
15. Public Relations
16. Railway Act Revision
17. Railway Electrification
18. Rail Movement (Coal Planning)
19. Railway Planning
20. Stores
21. Safety and Coaching
22. Security
23. Signal and Telecommunication
24. Statistic and Economics
25. Traffic (commercial and General)
26. Traffic Transportation
27. Vigilance.
Advisors are assisted by Directors in SA Grade
Joint Director, Dy. Director & Astt. Directors who are directly in-charge of the various
branches of the Railway Ministry and they are responsible for the disposal of all the day to
day work of the Ministry. They also deal with the GM’s of the various Zonal Railways,
General public and various Ministries of the Govt. of the India.
The following Organizations are working directly under the Railway Board control which
are also known as a production units.
1. Chittaranjan Locomotive Works (Chittaranjan) – CLW
2. Diesel Locomotive works (Varanasi) DLW
3. Integral Coach Factory (Perambur) Chennai (ICF)
4. Wheel and Axle plant (Bangalore)
5. Diesel components works (Patiala) DCW
6. Rail Coach Factory (Kapurthala)
In addition to above, the following institutions are also controlled by the Board’s Office:
1. Indian Railways Institute of Advances Track Technology – Pune (IRIATT).
2. Indian Railway Institute of Mechanical & Electrical Engg. Jamalpur (IRMEE).
3. Indian Railway Institute of Signal Engg. & Tele communication Secunderabad (IRISET).
4. Railway Staff College – (Vadodara)
5. Shri. Jagjiwanram RPF College. (Lucknow).
6. Central Organization for Modernization of Workshops Delhi (COF MOW)
7. Indian Railway Institute of Civil Engineering Pune(IRICEN)
For the purpose of fulfilling the Railways recruitment in respect of various categories the
"Railway Recruitment Board" is functioning at the following places.
1. Ahmedabad
2. Ajmer
3. Allahabad
4. Bhopal
5. Bangalore
6. Bhubaneshwar
7. Mumbai
8. Calcutta
9. Chandigarh
10. Guwahati
11. Gorakhpur
12. Jammu Tawi (Shrinagar)
13. Chennai
14. Maldah
15. Muzaffarpur
16. Patna
17. Ranchi
18. Secunderabad
19. Trivandram
For the purpose of Administration and working of Zonal Railways there exists a General
Manager at HQrs. of the Railway concerned. The GM is assisted by Addl. GM’s , Head of
the Departments at HQs. level who are further assisted by Divisional Railway Manager at
various divisions and also the Division executive authorities in respect of daily working of
Zonal Railways. G. M. is responsible for over all supervision of zonal Railway.
In the following lines the organization of Central Railway has been described showing the
various department of the Central Railway. The names of the departments, Official
designation of their HOD, as also the nature of duties entrusted with these departments is
also explained in brief.
Lesson No. 2(b)
GM
At divisional level the DRM is the head of that particular division. The DRM is assisted by
ADRM, Divisional officers, Sr. Officers, Jr. Officers & staff for efficient functioning of each
dept. The five divisions of Central Railway are as follows: -
Division Code HQ
Mumbai MB Mumbai CST
Bhusawal BSL Bhusawal.
Nagpur NGP Nagpur
Solapur SUR Solapur
Pune(under formation) PA Pune
The organization at divisional level is as under:
Sr.DOM/ Sr.DSO/ Sr. DCM/ Sr. DAO/ Sr. DPO/ Sr. DME/ Sr. DEE/ Sr.DEN/ Security
Commandant/ DCOS/ Sr. DSTE
The divisional officers of various depts. are responsible to DRM, in respect of day to day
functioning of their depts. However, the Accounts Officers, Stores Officers, Workshop
Executives who are functioning at divisions are directly controlled by the respective
HODs so far as profession control is concerned.
Functions of Accounts Dept.
Every organization has some objectives and whether these are achieved or not is also
monitored. It is only possible when all the transactions are evaluated in terms of money
and are recorded in a meaningful manner. The process of keeping these records is called
"Accounting" and the department which does it is called "Accounts department".
The main task of Railway Accounts department is to advice management on financial
matters and maintains account in the prescribed proforma. A necessary part of this
function is to scrutinize all transactions and bring to record only those transactions which
are legitimately chargeable to railway revenues. This function is known as "internal
check". It is also the duty of the accounts department to settle all claims against the
railways arising out of those transactions which is found to be legitimate and regular.
The cost accounting is done particularly in the workshops of Indian Railways where costs
are collected separately for each item of work done. It is essential to control cost of each
item of work and also to decide the rates at which the shop manufactured items, the
expenses may be transferred to user department and credit taken into workshop
manufacturing suspense.
Railway accounts department also renders management accounting service while
furnishing various information to management and carrying out its function of tendering
financial advice. All managerial decisions regarding new investments and other proposals
for fresh expenditure are taken only in the light of the financial advice given by the
accounts department.
1. Internal check with reference to Extant Rules / Orders of all the transactions affecting
the Railway receipts and expenditure.
2. Maintenance of account as per prescribed procedures.
3. Prompt disposal of all the claims against the Rlys.
4. Tendering of financial advice to the Rly. Administration as and when required.
5. To ensure that there are no financial irregularities in the Rly. Transactions.
6. To play role of management accountant
Scrutiny of Receipts:
1. The amount due to railway for services rendered, supplies made or for any other
reason are correctly and promptly assessed and recorded as soon as this become
due.
2. All receipts are properly brought into accounts.
3. All receipts are correctly classified and if these pertain to more than one Railway, the
same are correctly apportioned among the Railways concerned.
Scrutiny of Expenditure:
All the claims against the Railways should be scrutinized with a view to ensure:
1. The expenditure or remission of revenue has been sanctioned by the competent
authority and that the expenditure is incurred by the Officer competent to incur the
same.
2. All prescribed preliminaries to the expenditures have been observed such as framing
proper estimate, approval by competent authority, provision of funds etc.
3. It is covered by the grant at the disposal of the Officer incurring the same.
4. The expenditure does not contravene (against) any rules or orders in force.
5. The expenditure does not involve any breach of canons of a financial propriety.
6. The expenditure for a limited period is not admitted beyond that period without further
sanction.
7. The expenditure has been properly and fully supported by vouchers and the payment
has been so recorded as to render a second claim on the same account impossible.
8. The charges are correctly classified and if the amount is debitable to the personal
account of the contractor / employees / other individual are recoverable from him
under any rule or order; it is so recorded in the prescribed form.
9. In case of recurring charges payable on fulfillment of certain conditions, a certificate
is forthcoming from the drawing Officer to the effect that necessary conditions have
been fulfilled.
10. Departmental receipts are not utilized to meet any expenditure except where it has
been specially authorized by the Competent Authority.
One of the important functions of a Accounts Department is to see that the claims
preferred against the railways are carefully checked and promptly settled. All the claims
against the Railway for services rendered are submitted in the form of bills by the
concerned parties or by the departmental officers and the payment thereof is arranged by
the Accounts Officers by drawing requisite funds from the RBI / SBI.
In order to enable, the FA&CAO to carry out his functions successfully, he has a well
organized office under his control divided into different branches consisting of a several
district units / sections and each such unit / section is to look after some specific portion
of the work relating to the Railway finance and accounting etc.
Functions of a various sections in the Accounts Office:
ii) Establishment Section: Establishment matters of all the staff at HQ, Cash and
pay work in connection with proposals for GM’s sanction, school subsidy,
maintenance of suspense account, court attachments, passing of payment of pay /
allowances in respect of gazetted / non-gazetted staff including advances and
loans to the staff etc. are dealt with in this section.
iii) Finance Section ; Scrutiny of all the proposals affecting Rly finances and
tendering financial advice to the executive concerned is one of the main functions
of this section .Scrutiny of the proposals for creation of new posts, extension of the
currency of temporary posts , up-gradation of certain posts , critical examination of
the tender documents including contract agreements etc. are few examples of the
work done in this section.
v) Pension and Settlement Section : This section deals with all the matters in
connection with arranging the payments of final settlement dues ,DCRG. (Death
cum retirement gratuity )pension , leave salary etc. in favour of the Rly employees
who have retired from the Rly service or ceased to be a Rly employee due to
various reasons.
vi) Booking section : Maintenance general books of the Rlys ie cash book , journal ,
ledger ,etc. preparation of monthly and annual account current in respect of capital
and REVENUE transactions , consolidations and submission of monthly and
annual account current in respect of capital and Revenue transaction
consolidation and submission of monthly and annual returns to the Rly Board
raising and accepting debits/ credits issued to any by various divisions / Rlys .
other govt dept. etc. preparation of cheques and post audit of all the paid vouchers
are dealt with in this section, unpaid wages payorders are passed by this section.
vii) Budget section : Compilation of the information received from various executives
departments in respect of budget and timely submission of the same to the Boards
office is the main function of this section . Compilation of Budgetory information
on the scheduled dates/ occasionally keeping informed all the executives
deparments as regards to there Budgetory provisions, compilation of appropriation
accounts after the close of the financial year are also dealt with in this section.
viii) Expenditure Section : To book the expenditure on all the works and revenue, to
prefer bills against the public and private bodies for services rendered and supplies
made, to make prompt payment of all the bills preferred against the Rlys. including
contractors bills for works done, check of estimates submitted by the executives,
timely preparation of control over statements etc. are the items of work carried out
in this section.
x) Test Check Section: This section carries out the Test checks subject to
prescribed percentages of the work done in various sections of the Accounts Office
to see that proper procedures have been followed at all the stages and thereby
increasing the efficiency of the Accounts Office.
xi) Receipt & Despatch / Record section: Receipt and despatch of all the
communications in the Accounts Office, other departmental offices, sections in the
offices, Govt. Dept. and proper distribution of the concerned communication to the
section concerned are the main functions of R&D section. Similarly systamatic
maintenance of various types of paid vouchers making available the same as and
when required, storing of forms and stationery including various types of books and
Registers and supply of the same to various section when demanded for, are the
main duties of the Record section.
This branch is centralized in the HQrs. only. The sub-sections of this branch are as
under:
Coaching section: This section deals with internal check of various coaching returns
received from the stations in respect of various types of traffic passenger, classification,
excess fare return, luggage return parcel traffic return, station B / S etc. are some of the
important returns checked in this section. Similarly check of Ticket indents received from
the station is also carried in the section. Results of internal check are intimated to the
stations concerned generally through advice of internal check. Similarly any irregularities
detected during the course of check are taken up with the staff concerned through
respective executive officers. The work in connection with the computer print in respect
of coaching returns is also done in this section.
Goods section: This section deals with the internal check of all the returns received from
the stations in respect of Goods Traffic such as check of invoice, goods B/S, MPA,
handling bills etc. The results of internal check are communicated to the stations
concerned by issue of error sheets and irregularities if any are reported to the executive
concerned for necessary action.
Traffic Inspection section: This section in entrusted with the job of inspecting through
the agency of TIA, the initial books, records, vouchers etc. at the Railway stations where
the traffic transactions are originally initiated and to ensure that the same are maintained
correctly. Prompt disposal of the various communications including Inspection reports
received from the inspectorial staff of the Accounts dept. is also done by this section.
Test Check Section : This section carries out test check subject to prescribed
percentages of the work done in various sections of the account s office to see that
proper procedures have been followed at all the stages and there by increasing the
efficiency of the accounts office .
Receipt Despatch /Record section: Receipt and Dispatch of all the communications in
the accounts office, other departmental offices, sections in the offices ,Govt Dept.and
proper distributions of the concerned communication to the section concerned are the
main functions of R&D section. similarly systematic maintenance of various types of paid
vouchers making available the same as and when required, storing of forms and
stationary including various types of books and Registers and supply of the same to
various section when demanded for, are the main duties of the Record Section.
Cash & Pay Section: This section is responsible for the receipt of all the Dept.Cash
receivable to the Rly Admn. on account of various services rendered by the Rlys, prompt
deposit of the same in to RBI/SBI and disbursement of all the cash in respect of various
types of bills passed for payment by the accounts officers from time to time.
Stores Accounts Branch : SAB is responsible for all the accounts work and the work in
respect of the financial matters of the Stores Dept. It has to see that the check of initial
documents of Receipts and issues of the stores is carried out . it has to compile and
prepare periodical returns and also to verify effectively the stock/stores lying in the
Stores depot, offices, on the line etc.
Work Shop Accounts Branch : This branch of accounts office mainly deals with the
Costing & Accounting work of the work shop , rendering all the assistance and co-
operation required by the Head of the Work shop in financial matters , maintenance of
accounts of expenditure in the W/shop in connection with Labour & materials ,arranging
payments of W/shop labours, maintenance of suspense registers ,payment of incentive
bonus to the work shop staff etc.
Lesson No. 3(c)
FA & CAO
(Traffic)
ADAO
AO(P)
युनिट मोड्युल सन्ख्या 2
पुस्तक पालि
पुस्तक पालि
अभ्यास सं्या 01-ए
पुस्तक पालि एक कला और नवज्ञाि है निसके अिुसार नवत्तीय सौदों को पुस्तकों में इतिा सही नलखा
िाता है ताकक यह ज्ञात हो सके कक ककसी निनित अवनि में ककतिा लाभ या हानि हुई और इस अवनि
के अंत मे वास्तनवक नवत्तीय नस्थनत क्या रहीं ।
व्यापाररक सौंदों को नहसाब के नियत पुस्तकों में नियमािुसार नलखिे की कला ही पुस्तक पालि
हैं ।
उपरोक्त उदेश्यों के साथ साथ व्यापारी तुलिात्मक अध्ययि कर सकता ह,ैै इससे निनतनििाजरण
में भी सहायता नमलती है ।
कु छ पररभाषायें:-
देिदार :- निस संस्था या व्यनक्त को माल पर िि रानि उिार दी िाती है वह तब तक देिदार कहलाता
है िब तक उस रकम को वापस लौटाता िहीं है या उसे चुकता िही कर सकता ।
लेिदार:- निस व्यनक्त से माल या िि रानि उिार ली िाती है उसे तब तक लेिदार कहा िाता है , िब
तक की पूरी रकम का भुगताि िहीं कर पता ।
खाता :- ककसी व्यनक्त नविेष वस्तु संपत्ती लाभ या हानि के मद या व्यय से संबंनित व्यवहारों का
संनक्षप्त ररकाडज नहसाब ककताब की पुस्तक में निस िाीषज में रखा िाता हो उसे खाता कहते हैं । खातों के
प्रकार निम्ननलनखत हैं :-
1. व्यानक्तगत खाते
2. वास्तनवक खाते
3. अवास्तनवक खाते
माल :- िो वस्तूए लाभ पर बेचिे के नलए खरीदी िाती है या िो कच्ची सामग्री निर्मजत वस्तु में पररवतजत
करके बेचिे हेतु खरीदी िाती है उसे माल कहते है ।
पुंिी :- अपिे व्यापार को प्रारंभ करिे के नलए व्यापार का स्वामी िो भी िि (िगद या माल के रूप में
) लगाता है उसे पुंिी कहते है । संपत्तीयों दानयत्व पर िो अनिक्य होता है उसे भी पुंिी कहते है ।
निसके नवरूध्द निणजय आदेि िारी कर कदया गया है उसे कदवालीया कहते हैं ।
संपत्ती :- व्यापार या व्यवसाय के संचालि के नलए िो वस्तुयें आवश्यक होती है उन्खहें पररसंपत्तीयां या
संपत्ती कहते हैं ।
दानयत्व :- व्यापार को अपिे स्वामी तथा अन्खय व्यनक्तयों अथवा संस्थाओं के प्रनत िो ऋण चुकािा होता
है उसे दायनत्व कहते हैं ।
सौदां :- व्यापार में माल मुद्गा या सेवा में पारस्पररक लेिदेि या आदाि-प्रदाि को सौदा की संज्ञा दी
गई हैं ।
ब्यौरा :- िब भी ककसी व्यवहार की प्रनवनि िरलि में कक िाती है तो उसके संबंि में संनक्षप्त में िो
िािकारी िरिल में नलखी िाती है उसे ब्यौरा कहते हैं ।
ब्यौरा नलखे बगैर प्रनवनि अिुरी मािी िाती है।
िरिल :- िरिल प्रारं नभक लेखे की उस पुस्तक को कहते है निसमें व्यापारी ददारा अपिे सौदों की
नतनथवार क्रमांक अिुसार तथा दौहरा लेखा प्राणाली के नसध्दान्खत के अिुसार संनक्षप्त नववरण सनहत
नवनिवत िामे तथा िमा पक्ष में प्रनवनि की िाती है।
आहरण :- अपिे निनि उपयोग के नलए िब व्यापार का स्वामी व्यापार से माल या रूपया निकाल
लेता है उसे आहरण कहते हैं ।
अभ्यास सं्या 2
नदद प्रनविी प्रणाली के अिुसार नवनभन्न खातों िामे तथा िमा खािों में प्रनविी के नियम निम्नािुसार
है
व्यनक्तगत खाता:- पािे वाले को िामे तथा देिे वाले को िमा करते हैं ।
01. वास्तनवक खाता :- िो वस्तु व्यापार में आती है उसे िामे तथा िो वस्तु व्यापार से िाती है उसे
िमा करते हैं ।
अवास्तनवक खाता :- खचज व हानि को िामे तथा आय और लाभ को िमा कहते हैं ।
खातों के प्रकार :- खातों का अथज ककसी वस्तु सेवा या व्यनक्त नविेष से संबंनित समस्त लेिदेि का एक
निनित स्थाि एक नतनथ वार एवं नियमािुसार लेखा करिा खाता कहलाता है । खातों का वगीकरण
निम्नप्रकार से हैं :-
मूतज खाते :- निि संपत्तीयों को छु आ िा सकता है िैसे फिीचर , वह मूतज श्रेणी में आते है ।
अमूतज खाते :- निि संपत्तीयों को छु आ िहीं िा सकता लेककि नििका भौनतक मूल ज्ञात ककया िा
सकता है िैसे ्याती ,ट्रेडमाकज , अनिकार आकद इिके खाते अमूतज वास्तनवक खाते कहलाते है ।
अवास्तनवक खाते या लाभ हानि खाते :- ये ऐसे खाते होते है नििमें लाभ हानि या आय व्यय का नहसाब
ककताब रखा िाता है िैसे मिदूरी कमीिि इत्याकद
पहचाि - पुस्तकपालि कक दोहरा लेखा प्रणाली सभी व्यापारीक व्यवहारोंका पूणज रुपसे नवश्लेिण कक
सुनविा प्रदाि करता है। यदी लेखा प्रणालीसे व्यापारीक व्यवहारोंका बहुमुल्य नवश्लेषण प्राप्त करिा
चाहते हो तो समस्त व्यापारीक व्यवहारोंका लेखािोखा दैनिकक मे प्रनतदीि रखिा अनिवायज हेैै।
इनसलीये समस्त व्यापारीक व्यवहारोंका सवज प्रथम दैनिकी मे दिज करिा अनिवायज होता है।
लेखा पुस्तके एवम लेखा व्यवहारांैेैंका चक्र।
1. रोकड पची :-यह दस्तावेि रोकड व्यवहार होिे पर िारी ककया िाता है । िब माल बेचिे पर रोकड
स्वीकृ त की िाती है तो उिके बदले रोकड पची िारी की िाती हैं । निसमें व्यवहार की संपूणज
िािकारी होती हैं ।लेखा पुस्तकों में रोकड व्यवहारों को इस पची के आिार पर नलखा िाता हैं ।
2. नबल या नबिक :- इस दस्तावेि को व्यवहार उिार होिे पर िारी ककया िाता है । इस दस्तावेि
में भी व्यवहार की संपूणज िािकारी होती हैं । इस मूल प्रनत को ग्राहक को भेिा िाता है निसके
आिार पर ग्राहक ददारा अपिे पैुस्तकों में तथा व्यापारी व्यापारी ददारा दुसरी प्रनत के आिार पर
अपिे पैुस्तकों में आिार प्रनवनिठ की िाती हैं ।
3. रसीद :- यह दस्तावेि रोकड की स्वीकृ ती कताज ददारा िारी ककया िाता है । इसे सामान्खय: दो
प्रनतयों में तैयार ककया िाता है ,मूल प्रनत को अदाकताज को कदया िाता हैं ।
चेक :- इस दस्तावेिों को अदाकताज ददारा हस्ताक्षर करते हुए बैंक को ककसी व्यनक्त को भुगताि करिे के
नलए िारी ककया िाता हैं ।
5. खाते में पैसे िमा करिे की पची :- इसी पची की सहायता से व्यनक्त अपिे बैैेैंक खाते में पैसे एवं
ििादेि िमा कर सकता है इस पची का आिा नहसा उसे पावती के रूप में कदया िा सकता हैं 1
6. डेनबट िोट और क्रेनडट िोट :- डेनबट िोट से इस बात का पता चलता है कक व्यनक्तगत खाते में निस
डेनबट िोट भेिा गया है, डेनबट ककया गया है ।
क्रेनडट िोट से इस बात का पता चलता है कक व्यनक्तगत खाते में निसे क्रेनडट िोट भेिा गया है
िमा कर कदया गया है ।
िरिल का अथज :- िरिल लेखा की प्रारंनभक पुस्तक होती है निसमें प्रनतकदि व्यापारी लेिदेिों को प्रनवि
ककया िाता है निसमें प्रनविी प्रारं नभक वाउचर के आिार पर लेखा करिे के नियम के अिुसार की िाती
हैं ।
1. िरिल की नविेषतायें :-
2. यह लेखा की मूल एवं प्रारंनभक पुस्तक होती है ।
3. इस में सभी लेिदेिों को नियमािुसार व्यनस्ित रूप से ररकाडज ककया िाता है ।
4. इस में प्रत्येक लेिदेि को डेनबट एवं क्रेनडट के रूप में दिाजया िाता हैं ।
इस के आिार पर लेखा की अंनतम पुस्तक खाता वही तैयार की िाती है ।
अभ्यास क्रमांक 3 बी
िरिल की रूप रेखा
1. नतनथ :- इस खािे में वह नतनथ नलखी िाती है निस नतनथ को लेिदिे ककया गया है ।
2. नववरण :- इस खािे में लेिदेि का पुरा नववरण नलखा िाता है । लेिदेि से संबंिी खातों के िाम
नलखे िाते है ,और प्रत्येक लेिदेि के लेखा के िीचे उसका पूरा नववरण नलखा िाता है निसे व्यौरा
कहते है ।
3. खाता पन्ना:- इस खािे में उस पृि की सं्या नलखी िाती है निस पृि पर खाते वही में िरिल के
लेिदेि की खतोिी की िाती है ।
4. वाउचर क्रमांक :- प्रत्येक लेिदेि का एक अनिकृ त वाउचर होता है निसकी सं्या निस खािे में
नलखी िाती है ।
िि रानि :- इस खािे को दो भागों में वांटा गया है पहले भाग में डेनबट की रानि नलखी िाती है और
दुसरे भाग में िमा की रानि नलखी िाती है ।
कदिांक नववरण खाता पृि वाउचर सं्या डेनबट रानि क्रेनडट रानि
अभ्यास सं्या 3 सी
1. व्यनक्तगत खाते
अव्यनक्गत खाते :- ऐसे खाते िौ व्यनक्तगत िहीं होते लेनिक व्यापार से संबंनित होते है उन्खहें अव्यनक्तगत
खाते कहते हैं ।व्यनक्तगत खातों के अनतररक्त अन्खय सभी खातों को अव्यनक्तगत खाते कहा िाता हैं । ये
खाते दो प्रकार के होते हैं :-
(ए) वास्तनवक खाते :- व्यापार में व्यापार से संबंनित सभी मूतज और अमूतज संपत्तीयों के खाते
नििमें अथवा नििकी सहायकता से व्यापार ककया िाता है वास्तनवक खाते कहलाते हैं ।मूतज
संपत्तीयों के खाते - रेकाडज खाता , मिीि खाता फिीचर खाता, माल खाता इत्याकद ।अमूतज
संपत्तीयों के खाते व्यापार की ्याती, ट्रेड माकज इत्याकद ।
(बी) अवास्तनवक खाते :- व्यापार के आय व्यय से संबंनित खाते अवास्तनवक या िाम मांत्र के
खाते कहलाते है इिकों आय व्यय खाते भी कहते हैं िैसे मिदूरी खाता , ककराया खाता , कनमिि
खाता , मूल्य -हास खाता इत्याकद ।
3.ये खाते प्रनतवषज आगे आिे वाले वषज में ले िाये 3.ये खाते अगले वषज में िहीं ले िाये िाते है
िाते है िब तक कक संबंनित संपत्ती को बेचा िही ।इिकों उसी वषज बंद कर कदया िाता है ।
गया है ।
4.वषज के अंत में इि खातों के िेष को तुलि पत्र 4.इि खातों को लाभ हानि खाते में हस्तांनत्रत करते
में संपत्तीयों के पक्ष में बताया िाता है । हुए बंद कर कदया िाता हैं ।
अभ्यास सं्या 5ए
बट्टा या छू ट:- व्यापारी प्रथा के अिुसार व्यापारी ददारा अन्खय व्यापारीयों को कई प्रकार की छू ट
दी िाती है निसें बट्टा कहा िाता है, बट्टा या छू ट दो प्रकार की होती है :-
िगद बट्टा :- पाटीयों से िीघ्र भुगताि प्राप्त करिे के नलए व्यापारी भुगताि की रानि में से कु छ
रानि कम कर देता है निसे िगद बट्टा कहा िाता है ।िगद छू ट भुगताि के समय दी िाती है ।
यकद ककसी लेिदेि में रोकड भुगताि ककया गया है तो यह छू ट प्राप्त की िाती है और यकद भुगताि
प्राप्त ककया गया है ये छू ट दी िाती है । छू ट कदये िािे पर बट्टा खाता को रोकडज खाता के साथ
डेनबट ककया िाता है और छू ट प्राप्त करिे पर रोकडज खाता के साथ बट्टा खाता को िमा ककया
िाता है यह एक अवास्तनवक खाता होता है ।
व्यापारी बट्टा :- यह छू ट बडे व्यापारीयों ददारा छोंटे व्यापारीयों को दी िाती है । निससे की फु टकर व्यापारी ग्राहकों
को छपे हुए मूल्य पर वस्तु बेच सकें और लाभ कमा सकें । यह छू ट पुरािे माल को बेचिे के नलए भी दी
िाती है ।
अभ्यास सं्या 5 बी
अभ्यास सं्या 5 सी
माल का अनि से िलिा या चोरी हो िािा :- व्यापार में कभी दुघजटिा के कारण माल अनि से
िल िाता है या कभी माल की चोरी भी हो िाती है इिका व्यापार की नवत्तीय नस्थनत पर
प्रभाव होता है इससे व्यापार को हानि होती है इसनलए इिका लेखा ककया िाता है लेखा करिे
के नलए अनि से हानि / चोरी से हानि खाता को डेनबट ककया िाता है और माल खाता को िमा
ककया िाता है यकद इसकी वसूली बीमा कं पिी से की िािी होती है तो बीमा कं पिी के खाते को
डेनबट ककया िायेगा ।
Loss by Theft/Fire A/c Dr.
To Purchases A/c
(Goods burnt by fire/stolen)
आहरण :- व्यापारी ददारा कभी कभी व्यापार में से स्वंय के उपयोग के नलए रोकड या माल
नलया िाता है निसे आहरण कहा िाता है । इसके नलए व्यापार की पुस्तकों में आहरण खाता
खोला िाता है निसके नलए आहरण खाता को डेनबट और रोकड खाता / माल खाता को िमा
ककया िाता है। यकद वषज के अंत में इस खातो में िेष होंता है तो इसे पूैुैंिी खाते में घटाया
िाता है । यकद व्यापारी की िीवि बीमा पानलसी के नलए व्यापार में से भुगताि ककया िाता है
तो इसके नलए आहरण खाते को डेनबट ककया िायेगा ।
अभ्यास सं्या 6 ए
दैनिकक का उपनवभािि
प्रारंभ मे ििजल ही प्रारं नभक लेखा कक पुस्तक होती थी एवम सभी व्यापारीक लेिदेिांका इसमे
लेखा ककया िाता था । लेककि व्यापार कक उन्नती और व्यापारीक लेिदेिों मे वुध्दी हो िािे के
कारण ििजल यािे दैनिकी का उपनवभािि ककया गया है।
एक नवषेि प्रकारके लेिदेिोंके नलये अलग ििजल रखा िाता है। ििजल का नवभािि करते हुए
ििजल के स्थाि पर निम्ननलनखत लेखा पुस्ताकें रखी िाती हैं :-
1.क्रय पुस्तक
2.नवक्रय पुस्तक
3.क्रय वापसी पुस्तक
4.नवक्रय वापसी पुस्तक
5.रोक ड पुस्तक
6.प्राप्य नबल पुस्तक
7. देय नबल पुस्तक
वाउचर
सहायक पुस्तकें
1.क्रय पुस्तक आवक नबिक
2.नवक्रय पुस्तक िावाक नबिक
3.क्रय वापसी पुस्तक डेनबट िोट
4 .नवक्रय वापसी पुस्तक िमा िोट
5.रोकड पुस्तक रोंकड रसीद
6.प्राप्य नबल पुस्तक प्राप्य नबल
7.देय नबल पुस्तक देय नबल
8.ििजल सामान्खय ििजल वाउचर
अभ्यास सं्या 6 बी
क्रय पुस्तक :-वतजमाि में िगद देलदेिों के साथ साथ व्यापार में उिार लेिदेिों की सं्या बढती िा रही
है । िगद क्रय ककये गये माल का लेखा रोकडज पुस्तक में ककया िाता है उिार क्रय ककये गये माल का लेखा
अलग पुस्तक में ककया िाता हे निसे क्रय पुस्तक कहा िाता है
अभ्यास सं्या 6 सी
नवक्रय पुस्तक :-व्यापारी ददारा उिार बेचे गये माल का लेखा निस पुस्तक में ककया िाता है उस पुस्तक
को नवक्रय पुस्तक कहा िाता है िगद में बेचे गये माल का लेखा रोकड पुस्तक में ककया िाता है ।
1.कदिांक :- इस खािे में माल नवक्रय करिे की कदिांक नलखी िाती है यह नबिक के आिार में नलखी
िायेगी ।
2.नववरण :-इस में निस पाटी को उिार माल बेचा गया है उसका िाम नलखा िाता है और लेिदेि का
पूरा नववरण नलखा िाता हैं ।
3.नबिक सं्या :- इस खािे में नबिक सं्या नलखी िाती है ।
4.खाता पृि :- इस खािे में लेिदेि की खाता वही में खतोिी करते समय खाता वही की संबनित पृि
सं्या नलखी िाती है ।
5.रानि :- इस खािे में नबिक के आिार पर सुध्द रानि नलखी िाती है ।
अभ्यास सं्या 7 ए
अभ्यास सं्या 7 बी
नवक्रय वापसी पुस्तक :-इस पुस्तक में यकद पाटीयों ददारा उिार बेचा गया माल वापस कर कदया िाता
है तो उसका लेखा ककया िाता है ।पाटीरᅠ ददारा माल आदेि के अिुसार िही होिे या रास्ते में टुट फु ट
के कारण वापस ककया िाता है । यकद उिार बेचे गये माल पर ककसी भी कारण से पाटी को भनवष्य में
कोई छु ट दी िाती है तो उसे क्रय वापसी ही मािा िाता है ।
अभ्यास सं्या : 07 सी
ििजल सामान्खय -
व्यापार के इस प्रकार के लेि-देि नििको अन्खय ककसी लेखा पुस्तक में ररकॉडज िहीं ककया िा सकता है
उिके नलए लेखा की एक अलग पुस्तक रखी िाती है निसे ििजल सामान्खय कहा िाता है । िैसे- प्रारंनभक
प्रनवनियााँ, अंनतम प्रनवनियााँ, समायोिि प्रनवनियााँ, भल सुिार प्रनवनियााँ इत्याकद ।
उदाहरण निम्नांककत लेि-देिों का उनचत सहायक पुस्तकों में लेखा कीनिए और इिके खाता वही में
खतौिी कररए ।
Example: - Record the following transactions in the proper subsidiary books and
post ledger accounts
नसतंबर 01 /2000 अनिल से माल खरीदा रुपया 1000/-
Ledger Posting
Particulars J.F. Amt. Date Particulars J.F. Amt.
Furnitu Rs. Rs.
re
Accou
nt
Date
Sept.6, To Maheshङs 700/-
2000 A/c
अभ्यास सं्या 08
वतजमाि में िगदी लेिदेिों की सं्या अन्खय लेिदेिों की अपेक्षा अनिक होती है िगदी लेिदेिों का लेखा
करिे के नलए अलग लेखा पुस्तक रखी िाती है निसे रोकड पुस्तक कहा िाता हैं ।
एक खािा वाली रोकड पुस्तक:-इस रोकड पुस्तक का प्रयोग छोटे व्यापारी ददारा ककया िाता है प्राय:
ऐसे व्यापारी िो बैंक में नहसाब िहीं रखते और ि ही छू ट का लेिदेि करते है । अपिा नहसाब ककताब
इस पुस्तक में नलखते ह।ैै रोकड पुस्तक में दो पक्ष होते है - प्राप्ती पक्ष एवं भुगताि पक्ष । प्राप्ती पक्ष में
रोकड प्राप्तीयों का लेखा ककया िाता है, और भुगताि पक्ष में चुकाई गई रोकड का लेखा ककया िाता है
।
Pay
ment
s
Date
Dat
e
अभ्यास स्या 08 सी
लघु रोकड पुस्तक:- छोटे छोटे खचज एवं भुगताि का रोकड पुस्तक में लेखा करिे से रोकनडयों
को असुनविा होती है अत: छोटे छोटे भुगताि का लेखा करिे के नलए अलग रोकड पुस्तक रखी
िाती है निसे लघु रोकड पुस्तक कहते है । यह पुस्तक लघु रोकनडयां ददारा रखी िाती है इसमें
छोटे छोटे खचज िैसे डाक खचज , ढु लाई प्रभार , मिदूरी , स्टेििरी , नवज्ञापि , गाडी भत्ता
इत्याकद का लेखा ककया िाता है । इस प्रकार के खचज के नलए रोकनडयां ददारा लघु रोकनडयों को
एक निनित रानि दी िᅠैाती हैं । लिु रोकनडये से रानि प्राप्त की िाती है तो इसके डेनबट पक्ष
Receip
ts
Rs.
बैंक लेिदेि :- पररचय - आिुनिक युग में बैंक व्यापारीयों को अिेक प्रकार की सेवा प्रदाि करता है
व्यापारी अपिे अनिकांि रानि बैंक में िमा रखता है और प्राय: भुगताि भी बैंक ददारा करता है । बैंक
ददारा भुगताि करिा सुरनक्षत होता है इस के नलए व्यापारी ददारा बैंक में चालू खाता खोला िाता है ।
चालू खाता व्यापारी एवं बैंक के बीच एक रविंग लेखा होता है निसमें व्यापारी ददारा एक ही
कदि में कई बार लेिदेि ककया िाता है व्यापारी ददारा अन्खय पाटीयों को भुगताि करिे के नलए चेक िारी
ककया िाता है िो अंनतम रूप से उसके चालू खाता में प्रनवनि होता है । व्यापारी ददारा अन्खय पाटीयों से
भुगताि प्राप्त करिे के नलए चेक संग्राह ककये िाते है निसकों बैंक में िमा ककया िाता है । निससे चेक
चालू खाता में प्रनवनि होते है । बैंक ददारा व्यापारी के स्थाई निदेि के आिार पर व्यापारी की ओर से
आवर्तज खचज का भुगताि ककया िाता है, और व्यापारी की प्राप्तीयों का संग्राह ककया िाता हैं ।
चेक :- िब व्यापारी ददारा अपिे लेिदार को भुगताि ककया िाता है तो अपिे बैंक को निनित रानि
के नलए नलनखत में पाटी को भुगताि करिे का प्रानिकार कदया िाता है निसे चेक कहा िाता है । निसके
आिार पर बैंक ददारा संबंनित पाटी को भुगताि ककया िाता है एवं व्यापारी के खाता को डेनबट ककया
िाता है ।
1. चेक के संदभज में तीि पाटीयां होती है -
2. ड्रावी - बैंक निस पर चेक िारी ककया गया है ।
ड्रावर - निस पाटी ददारा चेक िारी ककया गया है अथाजत चेक हस्ताक्षरकताज ।
पेई -व्यनक्त या पाटी निस के पक्ष में चेक िारी ककया गया ।
बैंक लेिदेिों का निम्ननलनखत प्रकार से रोकड पुस्तक में लेखा ककया िाता है :-
1.इस प्रकार के चेक िो प्राप्त हो गये है लेककि बैंक खाता में िमा िही ककये गये हैं ,
रोकड के रूप में मािे िाते है और उिका रोकड पुस्तक के रोकड खािे में िामे की ओर
लेखा ककया िाता है । िब इि चेक को बैंक में िमा ककया िाता है तो रोकड पुस्तक के
िमा की तरफ रोकड खािे में और िामे की तरफ बैंक खािे में प्रनवनि की िाती है ।
Cash A/c Dr.
To Party's /Earning A/c
(Cheques collected but not deposited
into Bank)
2.इस प्रकार के चेक िो प्राप्त ककये गये है एवं उसी कदि बैंक में िमा कर कदये गये है
रोकड पुस्तक के िामे पक्ष की ओर बैंक खािे में प्रनवनि की िाती है ।
Bank A/c Dr.
To Party's A/c/Earning A/c
(Cheques received and deposited into Bank)
4.बैंक ददारा नवनभन्न प्रकार की सेवायें प्रदाि की िाती है निसके नलए बैंक प्रभार या
कनमिि प्रभानवत ककया िाता है इसके नलए रोकड पुस्तक के िमा की ओर बैंक खािे
में प्रनवनि की िाती है और नववरण खािे में बैंक प्रभार या कनमिि नलखा िाता है ।
Bank Charges A/c Dr.
To Bank A/c
(Bank charges charged by the Bank)
5. बैंक ददारा खाता में िमा िेष के नलए ब्याि कदया िाता है निसके नलए रोकड पुस्तक
के िामे की ओर बैंक खािे में प्रनवनि की िाती है और नववरण खािे में ब्याि खाता
नलखा िाता है । बैंक ददारा बैंक अनिनवक्रि के नलए ब्याि प्रभानवत ककया िाता है
निसके नलए रोकड पुस्तक के िमा की ओर बैंक खािे में प्रनवनि की िाती है और नववरण
खािे में ब्याि खाता नलखा िाता है ।
Bank A/c Dr.
To Interest A/c
(Interest given by the Bank)
6.व्यापारी के स्थाई निदेि के अिुसार व्यापार के आवर्तज खचज का बैंक ददारा एक निनित समय अवनि
से भुगताि ककया िाता है । इस के नलए रोकड पुस्तक के िमा की ओर बैंक खािे में प्रनवनि की िाती
है और नववरण खािे में संबंनित खचज खाता का िाम नलखा िाता है ।
तीि खािो वाली रोकड पुस्तक :-आिुनिक युग में व्यापारीयों ददारा लेिदेि अनिकांि तय बैं क के
माध्यम से ककये िाते है निि व्यापारीयों ददारा िगद छू ट प्राप्त की िाती है एवं दी िाती है और बैंक के
माध्यम से व्यापारीक लेिदेि ककये िाते है उिके ददारा तीि खािों वाली रोकड पुस्तक रखी िाती है ।
इस रोकड पुस्तक में बैंक से संबंनित लेिदेिों का बैंक खािे में लेखा ककया िाता है ।
इस पुस्तक में कु छ लेिदेि ऐसे नलखे िाते है नििका संबंि रोकड एवं बैंक दोिों से होता है इस
प्रकार के लेिदेिों का रोकड पुस्तक में डेनबट और िमा दोिों भागों में लेखा करके ककया िाता है । इस
प्रकार की प्रनवनियों को नवपररत प्रनवनियां कहा िाता है । इिके नलए खाता दोिों ओर खाता पृि खािे
में (सी) नलखा िाता है ।
Pay
men
ts
Date
Example: - Enter the following transactions in the three column cash book of
M/s. Rajkumar:-
खाता वही :- दोहरा लेखा प्राणली की प्रिाि पुस्तक होती है। लेखाकं ि से संबंनित सभी महत्वपूणज
सुचािायें सही और व्यवस्थीत ठं ग से इस पुस्तक से िािी िा सकती है । लेखाकं ि का प्रमुख उददेि होता
है कक व्यापारी को ककि व्यनक्तयों या पाटीयों से ककतिा ककतिा रूपया लेिा है और ककि व्यनक्तयों या
पाटीयों को ककतिा रूपया देिा है , कु ल ककतिा माल खरीदा एवं बेचा गया है । ककि ककि मदों पर
ककतिा खचज हुआ है एवं ककि ककि मदों से ककतिी आय हुई है, व्यापार की संपत्तीयों दानयत्वों तथा पुंिी
में ककस प्रकार का पररवतजि हुआ है , इत्याकद िाििा होता है । ये सभी सुचिायें खाता वही से एक स्थाि
पर प्राप्त की िा सकती है ।
खाता वही को दो भागों में नवभानित ककया िाता है प्रथम भाग डेनबट कहलाता है और दुसरा भाग िमा
कहलाता है प्रत्येक भाग में निम्नाककं त चार खािे होते है -
Capit
al A/c
Cr.
Date
---- By Cash A/c -- 5000/-
Cash
A/c
Cr.
Date
--- To Capital A/c -- 5000/- --- By Bank A/c -- 4000/-
--- By Wages A/c -- 80/-
अभ्यास सं्या 13
Example :- Journalise the following transaction in the Journal of Shri Mahesh and
post in the ledger Goods A/c and Cash A/c only
Cash A/c
Dr. Cr.
Date Particulars J Amt. Date Particulars JF Amount
F Rs. Rs.
---- To Balance ------ May 1, By Goods A/c 2000/-
May 2, To Goods A/c 2000
2000 300/- May 3 By Wages A/c 70/-
may 4, To Suresh A/c 2000
2000 700/- May 7 By Ganeshङs 300/-
2000 A/c
खातों का िेष निकालिा :- एक निनित समय अवनि के अंत में खाता वही के खातों का िेष निकाला
िाता है , खातों का िेष निकालिे के नलए निम्नाककं त कायजवाही की िाती है :-
1. सबसे पहले खाता के दो ओर का अलग अलग योग ककया िाता है यह कायज रफ पेपर पर ककया
िािा चानहए ।
2. इस के पिात दोिों ओर के योग का अंतर ज्ञात ककया िाता है इस अंतर रानि को निस ओर
योग कम है उस ओर नलखा िाता है । डेनबट पक्ष में नलखे िािे पर नववरण खािे में To Balance
c/d और िमा पक्ष में नलखे िािे पर By Balance c/d नलखा िाता है !
इसके पिात दोिों ओर का योग ककया िाता है िो कक एक समाि होगा । योग की सं्या के िीचे दो
लाईि की िाती है ।
इस के पिात खाता की अंतर रानि को नवपररत पक्ष में नलखा िाता है । निसके नववरण खािे में डेनबट
पक्ष में नलखे िािे To Balance b/d और िमा पक्ष में नलखे िािे पर By Balance b/d नलखा िाता
Capit
al A/c
Cr.
Date
--- To Balance c/d 5000/- ---- By Cash A/c -- 5000/-
Cash
A/c
Cr.
Date
--- To Capital A/c -- 5000/- --- By Bank A/c -- 4000/-
--- By Wages A/c -- 80/-
By Balance c/d 920/-
5000/- 5000/-
तलपट :- व्यापारी अपिे समस्त लेिदेिों का खाता वही में खतोिी करिे के पिात यह िाििा चाहता
है कक िो खतौिी की गई है उसमें कोई गलती िहीं है यह िाििे के नलए कक खाता वही में की गई खतौिी
िुध्द है अथवा िही खाता वही के खातों के िेष के आिार पर एक नववरण तैयार ककया िाता है निसे
तलपट कहते है । तलपट को खातो सारांि भी कहा िाता हैं । अंनतम खाते तैयार करिे के नलए भी
तलपट तैयार ककया िािा आवश्यक होता है ।
एम.िे.कीलर के अिुसार तलपट में खातों की सूची एवं उिके िेष कदये रहते है िो इस बात का
प्रमाण होते है कक खाता वही में डेनबट और िमा पक्ष बराबर है अथाजत प्रत्येक लेिदेि का दौहरा लेखा
नसध्दात के अिुसार लेखा ककया गया है ।
1. गनणतीय िुध्दता की िाँैाच :- तलपट के डेनबट और िमा योग अथवा िेषों के नमल िािे से
यह प्रमानणत हो िाता है कक खाता वही में कोई गनणत संबिी गलती िहीं है ।
2. खातों का संनक्षप्त नववरण - तलपट ददारा ककसी भी खाते के संबंि मे संनक्षप्त सुचिा ककसी भी
समय ज्ञात की िा सकती है और व्यापार की संपत्त्तीयों , देिदाररयों का ज्ञाि प्राप्त ककया िा
सकता है ।
3. अंनतम खातों के तैयार करिे का आिार:- अंनतम खाते तलपट के आिार पर तैयार ककये िाते है
। तलपट बिाकर अंनतम खाते बिािे सुनविा रहती है ।
4. समायोििों का ज्ञाि करािे में सहायक :- तलपट नहसाब की िाँैाच करिे वाले को इस बात
का ज्ञाि करािे में सहायक होती है कक गनणत संबंनित अिुध्दी के नलए कौि कौि समायोिि
ककये गये है ।
अभ्यास सं्या 14 बी
तलपट का प्रारूप एवं तलपट तैयार करिा :-तलपट तैयार करिे के नलए खाता वही के खातों के िेष
डेनबट एवं िमा में खाते के िाम के आगे नलखे िाते है । इस में चार खािे होते है - .1. खाता का िाम .2.
खाता पृि .3.डेनबट िेष .4.िमा िेष। इस प्रकार तैयार ककये गये तलपट को िेष नवनि ददारा तैयार
ककया गया तलपट कहा िाता है और यह सवज श्रेि तलपट मािा िाता है ।
अभ्यास क्रमांक 14 सी
तलपट का योग और उचन्खत खाता :- तलपट में खाता वही के सभी खातों के िेष नलखिे के पिात इस के
डेनबट एवं िमा िेष का अलग अलग योग ककया िाता है िो कक एक समाि होता है । दोिों ओर का योग
बराबर होिे पर समान्खयत: यह मािा िायेगा कक खाता वही में कोई गनणतीय अिुध्दी िहीं है । यकद कोई
अतर पाया िाता है तो िाँैाच करते हुए गलती को दुर करिे के नलये कोनिि की िाती है। यकद अिुध्दी
का कारण मालूम िही चलता है तो तलपट में उचन्खत खाता खोला िाता है और डेनबट / िमा िेष निस
ओर का योग कम है रानि नलखी िायेगी । भनवष्य में गलती मालूम चलिे पर उचन्खत खाता का िेष के
साथ समायोिि करते हुए संिोिि प्रनवनि की िाती है ।
अभ्यास सं्या 15 ए
तलपट से प्रकट िही होिे वाली अिुध्दीयां :- तलपट लेखा की गनणत गनणतीय िुध्दता की िाँैाच करिे
के नलए तैयार ककया िाता है यकद इसके डेनबट एवं िमा िेष के योग बराबर है तो सामान्खयत: यह मािा
िायेगा की लेखा में कोई गलती िहीं है लेककि कफर भी कई इस प्रकार की अिुध्दीयां होती है िो तलपट
के योग नमलिे के पिात भी प्रकट िही होती है अथाजत तलपट ित प्रनतित िुध्दता का प्रमाण िही होता
है । तलपट से प्रकट िही होिे वाली अिुध्दीयां निम्नाककं त होती है :-
1. नसध्दांनतक अिुध्दीयां
2. क्षनतपूरक अिुध्दीयां
3. भूलचूक की अिुध्दीयां
नहसाब की अिुध्दीयां
1.नसध्दांनतक अिुध्दीयां :- यकद ककसी लेिदेि का लेखा करिे में लेखांकि के नियमों का पालि िही ककया
गया है तो इसे अिुध्दी तलपट से प्रकट िही होती है । िैसे फिीचर खरीदा गया लेककि इस का लेखा
क्रय खाता में ककया गया , माल का अहरण ककया गया लेककि लेखा नबक्रय खाता में कर कदया गया
इत्याकद । इस प्रकार की गलतीयों को नसध्दानतक अिुध्दीयां कहा िाता है ।
अभ्यास क्रमांक 15 बी
क्षनतपूरक अिुध्दीयां :-व्यापारीक लेिदेिों का ििजल में प्रारंनभक लेखा करते समय या खाता वही में
खतौिी करते समय कु छ इस प्रकार की गलतीयां हो िाती है िौ आपस में एक दुसरे की कमी को दुर कर
देती हैं । निससे तलपट के योग पर कोई प्रभाव िही होता है अथाजत योग बराबर ही रहता है । िैसे
500/- रूपये का माल बेचा गया निसका लेखा माल खाता में 50/- रूपये से ककया गया , और 500/-
रूपये का फिीचर खरीदा गया निसका लेखा फिीचर खाता में ककया गया । या दोिों लेिदेि का प्रारंनभक
लेखा 500/- से ककया था लेककि खाता वही में खतौिी के समय दोिों खतैािी 50/- रूपये से की गई ।
इस प्रकार की गलतीयों को क्षनतपूरक अिुध्दीयां कहा िाता है ।
अभ्यास सं्या 15 सी
भूलचूक की अिुध्दीयां :- यकद ककसी लेिदेि का लेखा प्रारंनभक लेखा की पुस्तक अथवा ििजल में िही
ककया िाता है तो तलपट पर उसका कोई प्रभाव िही पडता है क्योकक ऐसे लेिेदेि के डेनबटऔर िमा
दोिों पक्षों का लेखा होिे से रह िाता है या लेिदेि का लेखा ककया िाता है लेककि दोिों पक्षों में रानि
गलती नलख दी गई है । इस प्रकार की गलतीयों भूलचूक अिुध्दीयां कहा िाता है ।
नहसाब की अिुध्दीयां : िब ककसी व्यापारी लेिदेि का प्रारं नभक वाउचर बिाते समय िोड बाकी या
गुणा से संबंिीत गलती हो िाती है तो लेिदेि का प्रारंनभक लेखा गलत रानि से ककया िायेगा । इस
गलती का वास्तव में व्यापार की लेखा पुंस्तकों में कोई प्रभाव िही होता है लेककि व्यापार की नवत्तीय
नस्थनत पर प्रभाव हो िाता है । इस पकार की अिुध्दीयों को नहसाब की अिुध्दीयां कहा िाता है ।
अंनतम लेखे /खाते :-लेखा अवनि की समाप्ती के पिात व्यापारी ददारा खाता वही के खातों के िेष के
आिार पर तलपट तैयार ककया िाता है । तलपट अंनतम लेखे का भाग िही होती है बनल्क तलपट के
आिार व्यापार के अंनतम लेखे तैयार ककये िाते है । व्यापार का मूल उद्देि लाभ कमािा होता है एक
निनित अवनि में व्यापार के लाभ एवं हानि और व्यापार की नवत्तीय नस्थनत को िाििे के नलए दो
1. व्यापार खाता
2. लाभ हानि खाता
नस्थनत नववरण /तुलि पत्र
व्यापार खाता :- एक निनित अवनि में व्यापारी ददारा खरीदे गये माल और उस से संबंनित प्रत्येक व्यय
, माल का नवक्रय और अवनि के अंत में बचे िेष माल की रकम से अनिक है या कम यह िाििे के नलए
व्यापार खाता तैयार ककया िाता है यकद नवक्रय एवं िेष माल की रकम माल क्रय की रानि और व्यय से
अनिक है
तो व्यापार में सकल लाभ होता है, यकद उसका उलटा है तो व्यापार में सकल हानि होती है ।
वषज के प्रारंभ में व्यापारी के पास िो माल बचता है उसे प्रारंनभक स्टॉक कहा िाता है । व्यापार
खाता बिाते समय प्रारंनभक स्टॉक का मूल्य क्रय की रानि में िोडा िाता है । व्यापार खाता में क्रय में से
क्रय वापसी और नवक्रय में से नवक्रय वापसी की रानि को घटाया िाता है । इस खाता में प्रत्यक्ष व्यय के
रूप में मिदूरी ,आवक डु लाई ,चुंगी इत्याकद को क्रय के साथ नलया िाता है ।
इस के आिार पर सकल लाभ या सकल हानि को लाभ हानि खाते में हस्तानत्रत ककया िाता है
।
अभ्यास सं्या16 बी
लाभ- हानि खाता :-व्यापार का िुध्द लाभ या िुध्द हानि िाििे के नलए लाभ हानि खाता तैयार ककया
िाता है इसमें सकल लाभ या सकल हानि व्यापार खाता के आिार पर नलखी िाती है । सकल लाभ
उसके िमा पक्ष / सकल हानि इसके िाम पक्ष की ओर दिाजयी िातीैे है । इसके पिात व्यापार के व्यय
खातों का िेष इसके डेनबट पक्ष में और आय खातों का िेष इसके िमा पक्ष में नलखा िाता है । दोिों ओर
का अलग अलग योग करते हुए व्यापार का िुध्द लाभ या िुध्द हानि ज्ञात की िाती है । यकद इसके िमा
पक्ष का योग अनिक होता है तो व्यापार में िुध्द लाभ होगा और डेनबट पक्ष का योग अनिक होता है तो
िुध्द हानि होगी िुध्द लाभ या िुध्द हानि को नस्थनत नववरण में ले िाया िाता है ।
अभ्यास सं्या 16 सी
नस्थनत नववरण /तुलि पत्र :- व्यापार का लाभ हानि ज्ञात करिे के पिात व्यापारी अपिे संपूणज व्यापार
की आर्थजक नस्थनत िाििा चाहते है । व्यापार की आर्थजक नस्थनत िाििे के नलए एक नववरण तैयार
ककया िाता है निसमें व्यापार की समस्त संपतैीयों एवं दानयत्वों को दिाजया िाता है । इस नववरण के
दो भाग होते है बायी ओर के भाग में दानयत्वों और दहीिे ओर के भाग में संपत्तीयों को बताया िाता
Accounting has been defined as, "the art of recording, classifying and
summarizing in a significant manner of all the business transactions and
events and interpreting the results thereof for a particular period."
Objects of Accounting
1) The amount of profit earned or the amount of loss suffered during the
accounting period.
2) The amount of his capital in the business.
3) The amount of his assets, liabilities in the business on any particular date
i.e. what he owns, what he has to receive from others and what he owes to
others.
4) To know the amounts due to others (his creditors) at any time.
5) To know the amount of profit or loss how he had made.
6) His cash balance and bank balance on a particular date.
7) Stock of goods he has in hand.
Systems of Accounting
1. Indian System: - Since time immemorial, the Indian trades have been
keeping the accounts of their business. The businessmen write their
accounts in vernacular of Indian languages like Hindi, Marathi etc. The
accounts are written in the long account books called “Bahis” and the
system is known as “Bahikhata”. This system is mainly known as Mahajani
System. It is based on the principle of the Double Entry System as this
system also adopts principle of debit and credit.
3. Cash System: -This system is based on the principle that all transactions
are cash transactions and credit transactions have no place in this system.
The importance is given to cash receipts and cash payments and non-cash
transactions are not at all recorded in the books, even if credit transactions
have taken place. They will not be recorded unless they are converted into
cash transactions. This is not a complete system of bookkeeping and
therefore not adopted by the business concerns.
1) Every business transaction has two fold effect and an account has two
sides for recording that effect
2) One account is the receiver of benefit and other one is giver of the benefit.
II) Credit purchases - When goods are purchased and payment is postponed
to some future agreed date, the purchases are said to be 'Credit
purchases'.
Sales: - The goods sold by a business are called sales. The sales may be
classified as -
I) Cash sales - When the goods are sold and payment is received
immediately, the sales are said to be 'Cash sales'.
II) Credit sales - When the goods are sold and it is agreed to receive the
payment on some other future date, the sales are said to be 'Credit
sales'.
Drawings: - Drawing is the total amount withdrawn by a trader from his business
for meeting personal expenses. Trader becomes a debtor of business by the
amount withdrawn by him. The drawings may be in cash or in kind.
Lesson No. 2
Entry: - means recording of two-fold effect of the transactions. The entry has to
be passed for recording the transactions for purchase or sales of goods, for
receipts and payment of cash and for each adjustment. It forms the very basis for
writing the books of accounts.
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UNIT MODULE NO. 02
ELEMENTS OF BOOK KEEPING
Goods: -The form goods are used for the article or things in which a trader
trades. Example-Furniture is goods for a trader who does the business of
furniture but not for a general merchant.
“Debit the account that receives the benefit and Credit the account that
gives the benefit.”
“Every debit must have a corresponding credit and every credit must
have corresponding debit”
The rules of Debit and Credit for different types of accounts are given
below:
2) Real Accounts: “Debit what comes in and Credit what goes out.”
3) Nominal Accounts: “Debit expenses and losses and Credit gains or incomes”
1. Cash Memos: -The document results from a cash transaction. When goods
are sold for cash, the business unit receives cash and gives cash memos
which provide detailed information about the transaction. Cash transactions
are recorded in the books of accounts on the basis of cash memos.
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ELEMENTS OF BOOK KEEPING
2. Debit Note and Credit Note: -Debit note indicates that a debit has
been given in our books of accounts to the personal account to
which it has been sent.
Features of a Journal: -
Utility of a Journal: -
Form of a Journal
1. Date Column: In this column, the date of the transaction is written. The
year is also written in the beginning of the page.
A thin line should be drawn between each transaction across the page
from the date column to the foil column immediately below the journal entry.
At the end of each page of a journal the debit and credit amount
columns are totaled up and the total of the debit and credit amount
columns must be equal, as the amount debited and credited are equal
for every transaction. These totals are carried forward to the next page.
THE LEDGER
1st Sept. 2000 Started business with cash Rs. 20,000, Goods Rs. 2000, Land
& Building Rs. 18000
2nd Sept. 2000 Purchased goods from Ibrahim on credit Rs. 5000
3rd Sept. 2000 Opened an Bank account with State Bank of India Rs. 500
4th Sept.2000 Sold goods for cash Rs. 640
5th Sept. 2000 Returned goods to Ibrahim Rs. 525
6th Sept.2000 Purchased goods for cash Rs. 3000
7th Sept.2000 Paid cash to Ibrahim on account Rs. 2000
8th Sept.2000 Sold goods on credit to Suresh Rs. 700
9th Sept.2000 Paid commission Rs. 80
10th Sept.2000 Returned goods by Suresh Rs. 100
11th Sept.2000 Burnt goods by fire Rs. 200
12th Sept.2000 Received cash from Suresh in full settlement of his account.
13th Sept.2000 Purchased stationary Rs. 50
14th Sept.2000 Given goods in charity Rs. 120
15th Sept.2000 Deposited into Bank Rs. 1500
Journal of ______________
Date Particulars L.F. Debit Rs. Credit Rs.
i) Motor - Car A/c Dr. 150000
To Cash A/c 150000
(Being purchased motor car)
ii) Drawing A/c Dr. 460
To Cash A/c 460
(Being paid LIC premium)
iii) Insurance Premium A/c Dr. 740
To Cash A/c 740
(Being insurance premium paid)
iv) Loss by fire A/c Dr. 300
To Goods A/c 300
(Being goods burnt by fire)
v) Cash A/c Dr. 2000
Bad Debts A/c Dr. 3000 5000
To Ashok’s A/c
(Being received cash from Ashok
and he became insolvent)
vi) Goods A/c Dr. 4500
To Rahim’s A/c 4500
(Being goods purchased on 10%
discount)
vii) Cash A/c Dr. 900
To Goods A/c 900
(Being sold goods on 10% dis.)
Classification of Accounts.
1) Personal Accounts
Notes:
2. Some of the accounts are impersonal in name but they are personal. For
example, Capital Account and Drawings Account are personal accounts of
proprietors of business.
Special Transaction:
Lesson No. 5(a)
Discount
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UNIT MODULE NO. 02
ELEMENTS OF BOOK KEEPING
Discount may be of two kinds :-
1) Cash Discount 2) Trade Discount
1) Cash Discount
It is an allowance to the debtor to recover the debts earlier. It is allowed
in order to induce the debtor to make the payment immediately or within a
stipulated period. Obviously, a cash discount is allowed when payment is
received and a cash discount is received when the payment is made if a cash
discount is given to debtor, the amounts are recovered immediately. A
businessman prefers to give a cash discount to debtors instead of borrowing
money from a bank at a higher rate of interest. Again, there is no fear of bad
debt if the amount is recovered early. The debtors also make the payment
earlier to obtain the advantage of a cash discount. Discount allowed is a loss,
while when it is received is a gain to the business. Hence it appears in the
books of accounts.
2. Trade Discount
It is an allowance given by a wholesaler or manufacture to a retailer in
order to retailer to sell the articles at list or print price and earn a reasonable
margin of profit. The amount of Trade Discount is deducted from the invoice.
Therefore it has no connection as to the receipt of cash and payment of cash.
Hence the trade discount does not appear in the books of accounts.
Bad – debts
When a customer is declared insolvent and the amount due is
irrecoverable, Bad debts accounts are debited and the customer’s account is
credited for unrealized amount.
Subsidiary Books
Sub Division of Journal :-
In earlier times, the volume of business was small and number of
transactions very few, Journal as a book of accounts was convenient. But with
the growth of business, the number of transactions increased manifold and
the need was felt to have a better method of recording business transactions.
Therefore, in order to meet the requirements of modern business, the original
journal is divided into the following :-
1. Purchases Books
2. Sales Book
3. Purchases return book / return outward book
4. Sales return book / return inward book
5. Cash book
6. Bills receivable book
7. Bills payable book
8. Journal proper
The documents which are used as the evidence or basis of writing the
various Journals.
8. Journal proper
Purchases Book
This book is maintained to record credit purchases of goods only.
Credit purchase means the purchase of goods, without making payment on
the spot.
Ruling of the book
Purchases Book
Date Particulars L.F. Inward Invoice No. Amount Rs.
Explanation of Columns :-
1. Date: - Date of purchases is written in this column.
2. Particulars: - In this column, the names of the suppliers are entered and
also given narration.
3. L.F.: - Page number of the “ Ledger ”, on which the account of the supplier
appears, is entered in this column.
4. Journal Invoice No.: - All inward invoices are filed properly and the
consecutive number of the invoice is shown in this column.
Journal Proper
This book is used for recording those transactions, which do not find
any place in any of the foregoing books of original entry. Such as opening
entries, transfer entries, rectification entries, adjustment entries etc.
Ruling of Journal Proper
Journal Proper
Date Particulars Voucher No. L.F. Debit No. Credit No.
Anil’s Account
Date Particulars J.F. Amt. Date Particulars J.F. Amt.
Rs. Rs.
Purchases Book
Date Particulars L.F. Invoice No. Amount Rs.
2nd Sept.2000 By Rahim’s A/c 5000
5th Sept. 2000 By Ashok’s A/c 2700
11th Sept. 2000 By Surendra A/c 475
Sales A/c Cr. 8175
Rahim’s Account
Date Particulars J.F. Amt. Date Particulars J.F. Amt.
Rs. Rs.
2nd To Sales a/c 5000
Sept.
2000
Anil’s Account
Date Particulars J.F. Amt. Date Particulars J.F. Amt.
Rs. Rs.
3rd To Purchases 100
Sept Return A/c
2000
Journal Proper
Date Particulars L. Voucher Debit Rs. Credit No.
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F. No.
6th Sept. Furniture A/c Dr. 700
2000 To Mohan’s A/c 700
(Being furniture purchased)
8th Sept. Loss by fire A/c Dr. 150
2000 To Goods A/c 150
13th Charity A/c Dr. 100
Sept. To Goods A/c 100
2000
(Being goods given in charity)
Total 950 950
Ledger Posting
Furniture Account
Date Particulars J.F. Amt. Date Particulars J.F. Amt.
Rs. Rs.
6th Sept. To Mahesh’s 700
2000 A/c
Mohan’s Account
Date Particulars J.F. Amt. Date Particulars J. Amt.
Rs. F. Rs.
6th Sept. By Furniture 700
2000 A/c
Lesson No. 8
Cash Book
A cash book is one of the subsidiary books. All the cash transactions
are recorded in the cash book. It serves both purposes of being a book of
original entry as well as a ledger. Since the cash book enables the traders to
find out the daily cash and bank balance, it serves the purpose of a cash
account. Therefore, there is no need to open a separate cash account in the
ledger. Similarly, writing in the cash book saves a lot of time and labour by
enabling recording of cash and bank transactions without posting journal
entries. Hence the cash book is very useful and results in economy of time
and labour.
Example : From the following particulars, prepare the petty cash book having
analysis columns –
1st Oct. 2000 Received from the chief cashier Rs. 200
rd
3 Oct.2000 Paid for postal stamps Rs. 20
th
5 Oct.2000 Paid Telephone charges Rs. 18
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ELEMENTS OF BOOK KEEPING
6th Oct.2000 Purchased pencils Rs. 15
7th Oct.2000 Paid for conveyance of the officer Rs. 25
9th Oct.2000 Purchased revenue stamps Rs.20
14th Oct.2000 Paid for advertisement Rs. 25
15th Oct.2000 Purchased files Rs. 15
Lesson No.9(a)&(b)
Banking Transactions
Introduction
When a trader has at his disposal an amount in excess of his
immediate requirements, he lodges the same with a banker. He opens an
account with the banker with a certain sum and is at liberty to add thereto or
withdraw therefrom amounts from time to time, as the occasion may require.
The cash so deposited with the banker is said to be on Current Account.
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UNIT MODULE NO. 02
ELEMENTS OF BOOK KEEPING
A Bank Current Account may thus be defined as a running account
between a bank and a customer. On a current account being opened, there
arises an implied undertaking that the banker will honour cheques drawn
against him by his customer as long as there are sufficient funds to the
customer’s credit, and he will not pay away any part of the moneys against
the wishes of the customer.
The advantages of opening a Current Account with a Banker are:-
(a) The money remains with the Bank in safe custody.
(b) The banker collects for his customers the amounts of all cheques, bills of
exchange, etc. paid in.
(c) If desired, the banker takes charge of the customer’s securities, collects
periodical dividends and interest thereon, and credits the same in the
current account of the customer.
(d) The banker allows the certain rate of interest on the cash placed in his
keeping.
(e) The payments by the merchant to his creditors are greatly facilitated, as
these would be made by means of Cheques, i.e. orders on the banker;
and
(f) Under certain circumstances, the banker renders financial help to his
customer by allowing him to overdraw his current account.
CHEQUES:-
On a trader wishing to discharge a debt, he signs a written order on his
banker, authorizing him to pay a certain sum of money as mentioned therein
to his creditors. This order is termed a Cheque. A Cheque may be defined as
an order addressed by a customer to his banker to pay on demand a stated
sum of money to or to the order of a specified person or to bearer.
There are three parties to a cheque:-
(1) The Drawee, i.e. the Bank on whom the cheque is drawn.
(2) The Drawer, i.e. the person who signs the order to the Bank.
(3) The Payee, i.e. the person in whose favour the cheque is made payable.
Example: - Enter the following transactions in the three column cash book
of M/s. Rajkumar:
1st Sept. 2000 Started business with cash Rs. 50,000
2nd Sept.2000 Opened an account with Dena Bank Rs. 500
3rd Sept.2000 Purchased goods Rs. 6700
4th Sept.2000 Remitted cash into Bank Rs. 32800
5th Sept.2000 purchased goods Rs. 10,000 and issued a cheque on 1%
discount.
6th Sept.2000 Sold goods Rs. 800 to Narendra and received a cheque for Rs.
790 in full settlement and deposited into bank on the same day.
7th Sept.2000 Paid wages Rs. 100
8th Sept.2000 Purchased furniture worth Rs. 2000 on 10% discount from
Akbar and made payment on 2 discount by cheque.
9th Sept.2000 Purchased stationary Rs. 250
10th Sept.2000 Sold goods worth Rs. 5000 to Govind on 10% discount and
received a cheque on 2% discount and cheque remitted into bank.
11th Sept.2000 Charged bank charges by Bank Rs. 200
12th Sept. 2000 Withdrawn Rs. 1000 for personal use.
13th Sept. 2000 Sold goods Rs. 1800 to Rahim and received cheque and
deposited into bank.
14th Sept.2000 Made payment to Mahesh by cheque Rs. 3000
15th Sept. 2000 Sold goods worth Rs. 700 on 5% discount to Mukesh for
cash.
Solution :
Dt Particulars V L Amt. Dt. Particula V. L Amt.
Explanation: -
1. Date column is used to show the date of the transaction.
2. Particular columns are used to write the names of the accounts debited or
credited.
3. Folio column is used to show the page number of the Journal on which the
transaction is recorded.
4. Dr. amount column shows the amount of the account debited.
5. Cr. Amount column shows the amount of the account credited.
Ledger Posting :-
The process of transfer of entries from Journal to Ledger account is
called ledger posting. Posting may be made immediately after the entry has
been passed or at any convenient time.
Ledger posting process :-
1. Date column :- Write date of the transaction as recorded in the Journal.
Balancing of Accounts
At the end of a certain period, the accounts are balanced. The following
steps should be taken in balancing in an account :-
1. Make a total of both the sides of a ledger account. This may be done on a
rough sheet.
2. Complete the difference between the totals of both the sides.
3. Put the difference on the right side of the accounts, by writing against it in “
Particulars ” column as “ By Balance C/d ” or “ To Balance C/d ” as the
case may be. If the debit side is heavier the difference will appear on the
credit side as “ By Balance C/d ” and if the credit side is heavier, the
difference will appear on the debit side of the account as “ To Balance
C/d”.
4. Make the total of both sides. The total of the debit side will now agree with
the total of the credit side of the account.
5. Draw a single line before making the totals.
6. Draw a double line across the amount column after the totals are made.
7. Bring down the balance on the opposite side of the account. That means, “
To Balance C/d ” is brought down on the credit side below the totals in the
particulars columns as “ By Balance b/d ” and “ By Balance C/d ” is
brought down on the debit side as “ To Balance B/d ”.
Trial Balance :
Trial balance is a statement showing the list of debit and credit
balances standing in the ledger of a trader at any date. It is prepared at the
end of the month or at the end of the accounting period or at the end of the
financial year after the ledger accounts are balanced.
The system of preparing trial balance based on the principles of double
entry system of book keeping. That means every debit should have a
corresponding credit and total debits must tally with total credit. When all the
ledger accounts are balanced the total of all the accounts showing debit
balance must agree with the total of all the accounts showing credit balances.
Purposes of Trial Balance :- It serves the following purposes :-
1. To ascertain arithmetical accuracy of the accounts opened in the ledger.
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ELEMENTS OF BOOK KEEPING
2. To know the balance of any ledger account.
3. To serve as an evidence of the fact that the double entry has been
completed in respect of every transactions.
4. To facilitate preparation of final accounts promptly.
5. To help the proprietor to draw conclusions by comparing trial balances of
past and present.
Lesson No. 15
1) Errors of Principle: -These are the errors arising from not observing the
accounting principles correctly. For e.g.) Purchased furniture worth
Rs.5000/-, In this case, instead of debiting the furniture account, if the
purchase account is debited, the mistake will not be disclosed by the trial
balance.
Lesson No. 16
FINAL ACCOUNTS: -
At the end of an accounting period, all the ledger accounts are balanced and
then a trial balance is prepared. A trial balance is not a part of the final
accounts. The trial balance helps in the preparation of the final accounts. The
final accounts are prepared to find out the net profit or net loss and to know
the financial positions of the business. These accounts consist of –
1) Trading Account.
2) Profit and Loss Account.
3) Balance Sheet.
1) Trading Account: -
A Trading account shows the trading results in the form of Gross profit or
Gross loss, as the case may be. The Gross profit or Gross loss is transferred
to the Profit and Loss account. The Gross profit is the difference between the
cost of Goods sold and the sales proceeds, without any deduction of indirect
expenses. Hence, in the trading account, it is necessary to include all items of
expenses directly affecting the cost of Goods sold.
भारतीय रेलवे यह एक सरकारी संस्था है और उसी प्रकार से व्यापाररक संस्था भी है । रेलवे में जो पूँजी
निवेि ककया गया है वह पणण रूप से भारत सरकार द्वारा ककया गया है । इसनलए रेलवे को भारत सरकार
की संस्था समझा जाता है । भारतीय रेलवे द्वारा यातायात बेचिे का व्यापार ककया जाता है इसनलए
रेलवे को व्यापाररक संस्था भी कहा जाता है। रेल्वे के उद्येश्य यातायात बेचिा यह है उसे ठीक तरह से
निभािे के नलए रेलवे की अपिी पररसंपनियाूँ एवं साधि भी है । यह पररसंपनियाूँ तथा साधि भारत
सरकार द्वारा उपलब्ध कराए गए निनध से ही खरीदे गए हैं अथवा तैयार ककए गए हैं । इसनलए
पररसंपनियाूँ तथा साधिों की लागत पर रेलवे द्वारा हर साल भारत सरकार को एक निनित रानि
भुगताि करिा पड़ता है इस रानि को लाभांि कहते हैं । यह लाभांि ठीक तरीके से कदए जािे के उद ेेश्य
से तथा रेलवे के नवनवध उद्देश्यों के नवनिय पररणाम कदखािे के नलए रेलवे द्वारा जो लेखाओं का अिुरक्षण
ककया जाता है वह सरकारी एवं िासकीय लेखा के तत्व और व्यापारी लेखाओं के तत्व ध्याि में रखते हुए
ही ककया जाता है ।
वानणज्य एवं सरकारी लेखा - वानणᅠनज्यक संस्था को अपिे नविीय लेि-देि का ररकॉडण इस प्रकार रखिा
चानहए कक उससे यह प्रकट हो जाये कक उसकी पूँजी का उपयोग कै से ककया गया है । अपिे ऋण लेिे देिे
वालों के नलहाज से उसकी क्या नस्थनत है वह हानि उठा रही है अथवा लाभ, उसके लाभ अथवा हानि के
स्रोत क्या हैं और उसमें ऋण िोधि की क्षमता है अथवा कदवानलया हैं । दसरी तरफ सरकारी लेखा पद्दनत
की मु्य आवश्यक्ता यह है कक सभी प्रानियों का और व्यय को एक सुव्यवनस्थत ररकॉडण कु छ उपयुक्त
िीर्षों के अंतगणत वगीकृ त ककया हुआ उपलब्ध रहे।
अभ्यास सं्या 02 ए
भारत का संनचत निनध - भारतीय संनवधाि की धारा 266(I) के अिुसार यह निनध अिुरनक्षत की जाती
है सरकार को प्राि सभी राजस्व ,राजस्व नबलों के अिुसार सरकार द्वारा आमंनत्रत खचण आकद इस निनध
में जमा ककए जाते हैं और सरकारी गनतनवनधयों से संबंनधत सभी प्रकार का व्यय इस निनध में संकनलत
रानि के नलये संसद की अिुमनत से ही ककया जाता है । भाग क्रमांक 01 में निम्न प्रकार के उप-भाग भी
होते हैं जैसे कक
क. राजस्व
ख . पूँजी
ग. ऋण िीर्षण (इसमें लोक ऋण /कजण एवं एडवांस िामील है )
इस निनध में यातायात से प्राि आय ,पररसंपनियाूँ, सरकार द्वारा आमंनत्रत कजण उिकी वापसी और दि
अनिम एवं वापसी िानमल होते हैं ।
i) जहाूँ तक रेलवे का संबंध आता है आकनस्मक निनध से पयाणि रानि उपलबध करिे के नलए यह
निनध नवि आयुक्त के नियंत्रण में हाती है इस निनध में से अनिम रानि प्राि करिे के नलए संबंनधत
रेल प्रिासि को नवि आयुक्त से प्राथणिा की जाती है उस समय निम्ननलनखत प्रकार की जािकारी
भी दी जाती है -
ii) प्रस्तानवत अनतररक्त व्यय का संक्षेप में नववरण ।
iii) सामान्खय तौर पर प्रस्तानवत व्यय की रानि कौि से पररनस्थनतयों के कारण बजट अिुमािों में
िानमल िहीं की गई उसका नववरण ।
iv) प्रस्तानवत व्यय कौि सी पररनस्थनतयों के कारण स्थनगत िहीं ककया जा सकता है ।
v) इस निनध से आवश्यक रकम की जािकारी और प्रस्तानवत कायण की लागत।
माूँग क्रमांक /नवनियोजि नजसके अंतगणत प्रस्तानवत व्यय के नलए अिुपरक प्रावधाि ककया गया हे ।
भारत के लोक-लेखा -
उपर निदेनित दो लेखा िीर्षों के अलावा जो तीसरा लेखा िीर्षण अिुरनक्षत ककया जाता है उसे भारत
के लोक लेखा कहते हैं । समेककत निनध और आकनस्मक निनध इि दो लेखा िीर्षों के अलावा जो अन्खय
प्रानियाूँ सरकार को नमलती है यह सभी लोक लेखा में जमा ककया जाता है । यह लोकलेखा को दो
उपभागों में अिुरनक्षत ककया जाता है-
(क).जैसे की ऋण लेखा (भाग क्रमांक 01 में दिाणये गए मदों के अलावा और -
निक्षेप लेखा - भारत की समेककत निनध से ऋण िीर्षण के बारे में प्रानियाूँ एवं भुगताि सें संबंनधत
प्रनवनियों का लेखांकि इसमें ककया जाता हे । इसी प्रकार से सरकार द्वारा प्राि ऋण रानियों की वापसी
करिे के नलए नजि मदों के नलए सरकार नजम्मेदार होती हे एसे मद ही इस लेखा में कदखाए जाते हैं ।
सरकार द्वारा भेुेंगताि की गई नजि रानियों की पुिणवापसी के नलए सरकार हकदार होती है ऐसे मद
भी इस लेखा िीर्षण में दिाणए जाते हैं ।
(ख). रेमीटेंस लेखा िीर्षण - नवनवध सरकारी लेखा इकाइयाूँ और रेलवे लेखा इकाइयाूँ में होिे वाले
व्यवहारों से संबंनधत रानियों का समायोजि इस िीर्षण के द्वारा ककया जाता है ।
अभ्यास सं्या : 03 -ए बी और सी
अभ्यास सं्या : 03 बी
भारत का आकनस्मक निनध - इस भाग में भारत सरकार द्वारा संनवधाि के अिुच्छेद 267 के अंतगणत
स्थानपत आकनस्मकता निनध से संबंनधत लेि-देि का नहसाब रखा जाता है ।
प्रथम प्रभाग में भाग 01 से संबंनधत कजण वाले िीर्षों के अंतगणत आिे वाली प्रानियों और भुगतािों से
भीन्न प्रानियाूँ और भुगतािों का नहसाब रखा जाता है , नजिके संबंध में प्राि धि की अदायगी की देयता
सरकार की होती है और भुगताि की गई रानियों की वसली का अनधकार भी उसे होता हे । साथ ही
प्रानियों की अदायगी और भुगताि की वसली का नहसाब भी रखा जाता है । जैसे - अंिदायी ,गैर
अंिदायी भनवष्य निनध लेखा , कमणचारी नहत निनध और नवकास निनध इत्याकद । नद्वतीय भाग में सभी
समायोजि िीर्षण जैसे - नवनभन्न लेखा सर्कण लों के बीच अंतरण लेि-देिों से संबंनधत अंतरण आते हैं ।
लेखा िीर्षों के अिुसार नवभाजि - भारत की समेककत निनध, भारत की आकनस्मक निनध एवं भारत की
लोके लेखा इि तीिों निनधयों के अंतगणत जो व्यवहार आते हैं उि व्यवहारों को राजस्व ,पूँजीगत कजण एवं
निवेि तथा प्रेर्षण इत्याकद समहों में समहबद्ध ककया जाता है । इि अिुभागों को मु्य लेखा िीर्षण तथा
उप लेखा िीर्षों में नवभानजत ककया जाता है । मु्य लेखा िीर्षण को एक नवनिनि िंबर आबंरटत ककया
जाता है । उसके बाद उसे उप िीर्षों में नवभानजत ककया जाता हे । उप लेखा िीर्षण आगे नवस्तृत लेखा
िीर्षण तथा प्राइमरी यिीट के द्वारा उल्लेनखत ककया जाता हैं ।
मु्य /उपमु्य लेखा िीर्षों को आगे निम्न पद्धनि से नवभानजत ककया गया है ।
लघु िीर्षण उप-िीर्षण नवस्तृत िीर्षण
वानणज्य लेखे और सरकारी लेखों में श्ृंखला तथा बही रखिे हेतु अिुरनक्षत लेखा िीर्षण :-
रेल्वे लेखाओं का अिुरक्षण करते समय वानणज्य लेखा तत्वों का पालि तो ककया जाता ही है लेककि साथ
ही में िासकीय लेखा तत्वों की पर्त्िण भी की जाती है । वह उद्देश्य सफल बिािे हेतु नियनमत िासकीय
लेखों के अलावा रेलवे के लेखे वानणज्य लेखा तत्वों पर तैयार ककए जाते हैं और रेलवे प्रिासि द्वारा
िासकीय राजस्वों में ककतिी आमदिी जोड़ी जाती हे तथा रेलवे के नलए पूँजी एवं राजस्व के रूप में
ककतिा व्यय ककया जाता है इससे निरंतर एक श्ृंखला रखी जाती है ।
वानणज्य लेखे और सरकारी लेखों में श्ृंखला तथा बही रखिे हेतु अिुरनखत लेखा िीर्षण :-
1. रेल्वे लेखाओं का अिुरक्षण करते समय वानणज्य लेखा तत्वों का पालि तो ककया जाता ही है लेककि
साथ ही में िासकीय लेखा तत्वों की पर्त्िण भी की जाती है । वह उद्देश्य सफल बिािे हेतु नियनमत
िासकीय लेखों के अलावा रेलवे के लेखे वानणज्य लेखा तत्वों पर तैयार ककए जाते हैं और रेलवे
प्रिासि द्वारा िासकीय राजस्वों में ककतिी आमदिी जोड़ी जाती हे तथा रेलवे के नलए पूँजी एवं
राजस्व के रूप में ककतिा व्यय ककया जाता है इससे निरंतर एक श्ृंखला रखी जाती है और इसके
नलए निम्ननलनखत प्रकार के उच्चंत लेखे रेलवे में अिुरनक्षत ककए जाते हैं ।
देय माूँगे (नडमांड पेयेबल ) 3002/3003 भारतीय रेलवे कायण व्यय इस मु्य लेखा के अंतगणत यह उच्चंत
लेखा अिुरनक्षत ककया जाता है। एक नवनिनि अवनध अथवा महीिे का कायण व्यय /राजस्व नजम्मेदाररयाूँ
चाहे इसका वास्तनवक भुगताि ककया गया है अथवा िहीं उसी महीिे के नहसाब में वानणज्य लेखा के
तत्वािुसार लेखांककत करिे के उदेेश्य से जो उच्चंत लेखा अिुरनक्षत ककया जाता है उसे देय माूँगे कहते
हैं ।
1. ऐसे लेखों के नलए हमेिा िुद्ध िेर्षों के आधर पर माूँग क्रमांक 12 के अंतगणत बजट अिुमाि तैयार
ककए जाते हैं ,लेककि निम्ननलनखत प्रकार के राजस्व व्यय देय माूँगे इस उच्चंत लेखा में लेखांककत ककए
नबिा ही सीधे अंनतम लेखा िीर्षों में प्रभाररत ककए जाते हैं ।
2. भनवष्य निनध के नलए नविेर्ष उपदाि और मृत्यु उपदाि ।
3. सेवा-निवृनि से संबंनधत निपटारे की रानियाूँ ।
4. फटकर भंडार पर्त्िण के प्रभार ।
5. पंजीकरण ।
6. टपाल या डाकखचण ।
7. नवनवध प्रभार ।
8. श्नमक क्षनतपर्त्िण अनधनियम के अंतगणत देय रानि ।
क्षनतिस्त एवं खोये हुए माल से संबंनधत देय क्षनतपर्त्िण की रानियाूँ ।
श्नमक अथवा लेबर :- देय माूँगें इस उच्चंत लेखे का कायण ही श्नमक इस उच्चंत लेखे के अिुरक्षण रेल्वे
कारखािों में ककया जाता हे । यांत्रीकी एवं अन्खय नवभंगों में नियुक्त श्नमक की लागत संबंनधत कायों को
उसी महीिे में प्रभंररत होिा चानहए नजस महीिे वह कायण ककए जाते हैं इसीनलए कारखािा के नवनवध
अिुभागों में नियुक्त ककए गये श्नमकों की कु ल लागत श्नमक इस उच्चंत लेखे में प्राथनमक रूप से जमा
की तरफ कदखाई जाती है और जैसे-जैसे इि श्नमकों के वेति का भुगताि ककया जाता है संबंनधत वेति
नबलों की रानियां इस लेखे के िामे की तरफ कदखाई जाती है अत: इस लेखे का जो िेर्ष कदखाया जाता
है वह जमा िेर्ष रहता है और श्नमकों की प्रभाररत लागत नजसका वास्तनवक भुगताि िहीं ककया गया
है वह दिाणया जाता है । यह उच्चंत लेखा 131 भारतीय रेलवे पंजी निवेि व्यापारर लाईन्खस इस मु्य
लेखे में अिुरनक्षत ककया जाता है ।
रेलवे के नजि लेखाओं का अिुरक्षण वानणज्य लेखा तत्वों के अिुसार ककया जाता है इिको रेलवे के पूँजी
एवं राजस्व लेखे कहते हैं और िासकीय लेखों के तत्वािुसार जो लेखे तैयार ककए जाते हैं उिको रेलवे के
नविीय लेखे (फाइिांस एकाउं ट) कहते हैं ।
यातायात लेखा - एक महीिे में बक की गई यातायात आय उसी महीिे के नहसाब मे लेखांककत करिे के
नलए और ऐसी बुक की गई आय की वसली पर निगरािी रखिे के उद ेेश्य से जो उच्चंत लेखा अिुरनक्षत
ककया जाता है उसे यातायात लेखा कहते हैं ।
स्थािीय अथवा इतर यातायात से प्राि आय नजसकी वसली करिे के नलए निजी रेलवे नजम्मेदार होती
है ऐसी आय यातायात लेखे की िामे (डेनबट साइड ) की तरफ कदखालाई जाती है । प्राि आय की वसली
जमा पक्ष (क्रेनडटसाइड ) की तरफ कदखलाते हैं । अत: इस उच्चंत लेखे का िेर्ष हमेिा स्टेििों द्वारा एवं
लेखा कायाणलय द्वारा वसल िहीं की गई यातायात आय कदखाया जाता है और यह िामे िेर्ष होता है ।
रेलवे के व्यय के बारे में देय माूँगे (नडमांड पेयेबल) यह उच्चंत लेखा जो उद ेेश्य निभाता है वही कायण
यातायात लेखा यातायात आय के बारे में करता है । रेलवे के भारतीय रेलवे वानणनज्यक लाईन्खस राजस्व
आय इस मु्य लेखा के अंतगणत यह उच्चंत लेखा अिुरनक्षत ककया जाता है ।
प्राप्य माूँगे - इस उच्चंत लेखा िीर्षण को एक अप्रैल 1988 से लाग ककया गया है । इसका उदेेश्य यह है
कक भनम का ककराया साइडडंगों के मरम्मत एवं अिुक्ष ण तथं ब्याज आकद का जमा लेखा करिे के नलए
इसका उपयोग ककया जाता है । एक लेखा वर्षण के नलए जो प्राप्य आय होती हे उसका जमा लेखा इस
लेखा िीर्षण के अंतगणत ककया जाता है । उपरोक्त प्रभारों के नलए जब नबल तैयार ककया जाता है तब प्राप्य
नबल की रानि से इस लेखा िीर्षण को िामे ककया जाता है तथा सार नववरण को क्रेनडट ककया जाता है ।
जब ऐसे नबलों की रानि वसल हो जाती है तब प्राप्य माूँगे इस उच्चंत लेखा िीर्षण को क्रेनडट ककया जाता
है और चेक्स एण्ड नबल इस लेखा िीर्षण को अथवा समायोजि लेखा िीर्षण को िामे ककया जाता है । प्राप्य
माूँगे इस लेखा िीर्षण का िेर्ष हमेिा डेनबड िेर्ष होता है वह यह दिाणता है कक भाड़े तथा ब्याज के रूप में
जो रानि वसल करिी है उसकी बकाया ककतिी है ।
अभ्यास सं्या : 08 बी
01. निक्षेप - प्रमुख िीर्षण 8445 रेलवे निक्षेप ( के - निक्षेप एवं अनिम में ख - नबिा ब्याज वाले निक्षेप
) के अंतगणत िाखा लाईि कं पनियों के निक्षेपों के नलए और दावाहीि भनवष्य निनध निक्षेपों के नलए
अलग-अलग लघु िीर्षणक रखे गए हैं । लघु िीर्षण अन्खय निक्षेप के अंतगणत आिे वाले उप िीर्षणकों का
वणणि िीचे ककया गया है -
अदि वेति - कमणचाररयों के नजस वेति और भिे का भेुेंगताि खजांची द्वारा निधाणररत अवनध के
भीतर िहीं ककया जाता है उसे इस लेखा िीर्षण के अंतगणत रेलवे के जमा खाते
(क्रेनडट )में डाल कदया जाता है । बाद में कमणचाररयों को जो भुगताि ककए जाते हैं वे सभी भुगताि
राजस्व यापूँजी लेखा िीर्षों को अंतररत की गई अदि वेति रानि भी इस िीर्षण में डेनबट की जाती है ।
नवनवध - इस उप िीर्षण के अंतगणत िगद जमाित निक्षेप,ठे कों के नलए टेंडर दाताओं द्वारा कदया गया
बयािा , ककी से हुई वसली , रेलों द्वारा अन्खय पार्टणयों के नलए ककए जािे वाले निमाणण कायों की
अिुमानित लागत के संबंध में उि पार्टणयों द्वारा ककया गया निक्षेप आकद िामील हैं । ठे केदारों के अदि
नबल भी इस उपिीर्षण के जमा खाते डाले जाते हैं । डेनबट में नपछले क्रेनडट की वापसी या पुि: भुगताि
और बट्टे खाते की रानियाूँ भी िानमल है ।
प्राइवेट कं पनियाूँ - जब सक्षम प्रानधकारी के आदेिों के अधीि,ऐसी कं पनियों अथवा अन्खय वाहकों के साथ
, जो सरकारी ट्रेजरी के साथ बैंक व्यवहार ि रखते हों थ्रु बककं ग की अिुमती दी जाये तो महीिे के
पूँजी पररव्यय - अंनतम िीर्षों के अंतगणत सभी पूँजीगत लेि-देि इस लेखे पर बंद कर कदए जाते हैं ।
िुद्ध राजस्व - अंनतम िीर्षों के अंतगणत प्रानि और खचण से संबंनधत सभी राजस्व लेि -देि इस लेखे पर
बंद कर कदए जाते हैं ।
I) Consolidated Fund of India – In this part of the Account there are three
main divisions, namely (1) Revenue, (2) Capital and (3) Debt.
III) Public Account of India – In this part there are two main divisions, namely
(1) Debt and Deposits (2) Remittance.
The first division comprises receipts and payments other than those falling under
“Debt” heads pertaining to part I, in respect of which Government incurs a liability
to pay the moneys received or has a claim to recover the amounts paid, together
with repayments of the former and the recoveries of the latter such as Provident
Fund Accounts, Staff Benefit Fund and all Railway Funds etc. The second
division comprises all adjusting heads, such as transfers between different
accounting circles.
Lesson No. 4
Demands Payable: -
Labour: -
The wages and allowance for a month of workshop staff are paid to them
only in the beginning of the following month. However, to ascertain the cost
incurred on a job in a month, it is essential the value of the Labour employed in
the shops is charged in the same month to the jobs on which the work of staff
have been engaged. For this purpose, the operation of a suspense head similar
to Demands Payable is necessary. The total wages and allowances of staff
employed in the shops during any month is credited to the head under the
Workshop Manufacturing Suspense termed as Labour. As the Labour pay -
sheets are passed in the Account Office for payment, the amount passed is
debited to the head Labour by credit to Transfers Revenue. The balance of the
accounts labour at the end of the month represents liabilities on account of the
wages and allowances charged, but not as yet cleared by actual payment to the
Labour.
ZONAL RAILWAY TRAINING INSTITUTE, BHUSAWAL
ACCOUNTS FACULTY
61
UNIT MODULE NO. 03
STRUCTURE OF RAILWAY ACCOUNTS
Traffic Accounts: -
This is a suspense Head of account under the major head 146/147 Indian
Railway Revenue Receipts – Commercial / Strategic Lines. This account serves
the same purpose for earnings as Demands Payable does for expenses. This
head is debited with all earnings for the realization of which a Railway is
responsible, irrespective of whether the earnings relate to its own traffic or to
traffic interchange with other Railways. This account is credited with realization
of all such earnings. The balance in this account thus represents unrealized
earnings either at the stations or in the account office.
Demands Recoverable: -
In order to bring into account the amount recoverable in respect of the rent
or lease charges of railway land and buildings, interest and maintenance charges
of sidings, a new suspense head Demands Recoverable has been introduced
with effect from April 1,1988 on the same lines of Traffic Account.
The amounts recoverable are billed promptly and while billing, the amount
is adjusted through a Journal Slip by debiting Demands Recoverable and
crediting Abstract. Z. As and when amounts against Bills recoverable are actually
recovered in cash or adjusted the suspense head Demands Recoverable is
credited by debit to cash or adjustment head of account. The head Demands
Recoverable will therefore always have debit balance representing the yet to be
realized or adjusted in respect of rent or lease charges of railway land and
buildings and interest and maintenance charges of sidings.
अभ्यास सं्या : 01 -ए
सभी व्यय तथं प्रानियों का अध्ययि एक नवत्तीय नियंत्रण के नलए बहुत आवश्यक है यह लेखा वर्गीकरण
का मु्य उद्येश्य है । इससे बजट एवं प्राक्कलि की तैयारी आसाि हो जाती हे । प्रानि एवं भुर्गताि को
सही रूप से आबंटटत करिा काययकारी अनिकाटरयों की नजम्मेदारी है । ले खा नवभार्ग की भी यह
नजम्मेदारी है कक वह सुनिनित करे की ककया र्गया आबंटि सही है ।
लेककि इस व्यय को नवकास निनि, चाल लाईि कायय (राजस्व ) इिके अंतर्गयत वर्गीकरण ककया जाता है
। िवीिीकरण या बदलाव के संबंि में जो व्यय होता है उसे भी मल्य ह्रास आरक्षण निनि इस लेखा िीर्य
के अंतर्गयत वर्गीकृ त ककया जाता है ।
राजस्व व्यय - इसमें ऐसे मद आते हैं जो रेलवे को सुचारू रूप से काययरत करिे के नलए आवश्यक होते हैं
।
नवनभन्न संपनत्तयाूँ जैसे - रेल-पथ, पुल,कमयचारी क्वायटर इत्याकद मदों पर होिे वाला मरम्मत एवं रक्षण
खचय कदि-प्रनतकदि का खचय होता है । उपलब्ि संपनत्तयों को सुचारू रूप से चलािे के नलए राजस्व
संचालि खचय रेलवे पर नवनभन्न सार के अंतर्गयत वर्गीकृ त ककया र्गया है । प्रत्येक सार को एक नविेर्
अलफाबेट से दिायया र्गया है ।
राजस्व संचालि व्यय के नलए माूँर्ग िमांक 03 से 13 तक इि माूँर्गों का उपयोर्ग ककया जाता है । आबंटि
देते समय 08 सं्या का आंबंटि कदया जाता है उसमें से पहले 02 अंक राजस्व माूँर्ग का िमांक दिायता
है । दसरे तीि 03 अंक उप-िीर्य या उसका नवभाजि ककया हुआ व्यौरे की जािकारी देता है छटवा अंक
ब्लूँक होता है तथा अंनतम दो अंक (02) खचें का प्रकार या प्राइमरी यिीट के बारे में बताता है । राजस्व
आबंटि देिे के बाद नजस नवभार्ग का खचय होर्गा उसके नलए आबंटि पत्र में जािकारी देिी पड़ती है । यह
जािकारी पाूँच(05) अंकों में दी जाती है ।
राजस्व वयय के नलए निम्ननलनखत प्राइमरी यिीट दिाययी जाती हे जो कक दो (02) अंको में होता है ।
01-वेति और मजदरी ।
02-महूँर्गाई भत्ता ।
03-उत्पादकता संबंि बोिस ।
04- मकाि ककराया भत्ता ।
05-िर्गर क्षतीपती भत्ता ।
06- िहीं है ।
07-िहीं है ।
08- िहीं हैं ।
09- िैनमत्तीक श्रनमकों की मजदरी ।
10- ककलोमीटर दरी भत्ता ।
11- समयोपटर भत्ता ।
12- रानत्र ड्यटी भत्ता ।
13- अन्खय भत्ता ।
14- िल्क और मािदेय ।
15- स्थािांतरण भत्ता ।
16- यात्रा व्यय ।
17- सुनविा पासों के बदले में स्वीकृ त ककया र्गया हवाई भत्ता ।
18- कायायलय व्यय ।
निमायण व्यय के नलए लेखा वर्गीकरण आठ अंकोंमे 03 मॉड्यल वाले वर्गय मे अंकीय कट के रूप में है। प्रथम
मॉडल दो अंकोमे निनि के स्रोत पूँजी , मल ह्रास आरनक्षत निनि नवकास निनि या चाल लाईि निमायण
राजस्व कायों की जािकारी देता हैं । चार अंकों वाला नितीय मॉडल जो कक सं्यात्म है मािक नवसृत
िीर्य को प्रदर्त्ियत करता है इसमें अनिग्रहीत, निर्त्मयत तथा बदली र्गई पटरसंपनत्तयों का ब्यौरा देिे वाले
उप-िीर्ों और ब्योरेवार निर्य दो/दो अंकों में होते है । अंनतम मॉडल जो दो अंक का है प्राथनमक इकाई
अथायत व्यय के उद्येश्य को प्रदर्त्ियत करता है । निमायण कायय के निम्ननलनखत योजिाएं िीर्य उपयोर्ग में
लाये जाते हैं ।
पूँजी निम्ननलनखत व्यय का वहि करती है ऐसे निमायण कायय और उपस्कर की प्रथम लार्गत जो िई लाइिों
नजसमें सामटरक लाइि भी िानमल है,चाहे वह लाभप्रद हो अथवा अलाभप्रद तथा िई उत्पादि इकाइयों
से संबंनित हो ।
लाईि के नवस्तार या लाईि उपस्कर में कोई वृनि करिे की लार्गत नजस पर िए छोटे निमायण कायों की
व्यय सीमा से अनिक खचय होिे का अिुमाि हो और जब यह नवकास निनि ,दुघयटिा क्षनतपर्त्त्तय, सुरक्षा
और यात्री सुनविा निनि या चाल लाईि निमायण राजस्व को प्रभाटरत ि हो ।
ककसी पटरसंपनत्त के बदलाव की परी लार्गत जहाूँ मल लार्गत िए छोटे निमायण कायों की सीमा में होिे
के कारण राजस्व को प्रभाटरत की र्गई हो ककन्खतु यह खचय अब एक लाख रुपए से अनिक बितें कीयह
नवकास निनि या चाल लाईि निमायण राजस्व को प्रभाटरत ि हो ।
ककसी अनतटरक्त संयंत्र या मिीिरी की लार्गत जो ककसी नवनिष्ट कायय से संबंनित ि हो,नजस पर िए छोटे
निमायण कायों की व्यय सीमा से अनिक खचय होिे का अिुमाि हो ।
ककसी नवनिष्ट उद्येश्य के नलए खरीदे र्गए औजार या संयंत्र की लार्गत और ककसी निमायण का प्रवेक्षण या
निमायण के नलए नविेर् रूप से सृनजत लार्गत ।
01.04.74 के बाद हुई क्वायटर पर खचय ।इसमें रेलवे क्वायटर टाईप 01 ओैर 02 के पंखे और अन्खय सुनविाओं
का खचय िानमल है जो 01.04.1974 से पहले बिे हैं।
1. ककसी ऐसी पटरसंपनत्त भनम से नभन्न के पूँजी के िामे डाली र्गई लार्गत नजसका बदलाव ककए नबिा
पटरत्यार्ग ककया र्गया हो या सींचा र्गया हो ।
2. पूँजी से अनिग्रहण की र्गई भनम को बेचिे या समर्त्पयत करिे पर पयायि मल्य ।
3. ककसी पटरसंपनत्त या उसके ककसी भार्ग को लर्गािे पर मल रूप से मजदरी के रूप में व्यय की र्गई
रानि एवं ऐसी पटरसंपनत्त को बाद में ककसी िए निमायण कायय पर स्थािांतटरत ककया र्गया हो ।
4. ककसी ऐसी पटरसंपनत्त की पूँजी के िामे डाली र्गई मल लार्गत (यकद वास्तनवक लार्गत ज्ञात ि हो तो
अिुमानित लार्गत ) नजसका मल्य ह्रास आरनक्षत निनि से बदलाब ककया र्गया हो ।
5. ककसी पटरसंपनत्त की नजसका बदलाव ककया र्गया हो,पूँजीर्गत निनि के िामे डाली र्गई लार्गत और
उसके बदलाव के लार्गत का अंतर जब बदलाव की लार्गत मल्य ह्रास आरनक्षत निनि को प्रभाटरत
हो और पूँजी की िामे डाली र्गई लार्गत से कम हो ।
ककसी ऐसी पटरसंपनत्त की पूँजीर्गत निनि के िामे डाले र्गए मल लार्गत (यकद ज्ञात ि हो तो अिुमानित
लार्गत ) नजसका चाल लाईि निमायण राजस्व से बदलाव ककया र्गया हो ।
पुज
ं ी निनि - वतयमाि में नस्थत राजस्व आरनक्षत निनि को 1992-1993 से खत्म कर कदया र्गया है ।
अनिक पटरसंपदा को कम करिे तथा पूँजी खचय को अर्त्जयत आय से परे करिे के उद्येश्य से पूँजी फं ड का
निमायण हुआ । इस निनि में वे सभी खचय िानमल हैं जो पूँजी में है । बिते निनि में िि उपलब्ि हो तथा
स्वीकृ त बजट में रानि का प्राविाि हो ।
मल्य ह्रास आरनक्षत निनि - रेलवे प्रिासि में व्यय का वर्गीकरण दो प्रकार से ककया र्गया है । पहले प्रकार
में व्यय का वर्गीकरण पूँजीर्गत व्यय में ककया र्गया है । पूँजीर्गत व्यय के नलए रेलवे प्रिासि को नििायटरत
दर से सामान्खय राजस्व को ब्याज देिा पड़ता है । इस ब्याज को घटािे के नलए पूँजीर्गत व्यय के अलावा
रेलवे प्रिासि माूँर्ग िमांक 16 के अंतर्गयत कायय व्यय करती है नजसके अंतर्गयत ब्याज देिा आवश्यक िहीं
होता और इसनलए निम्ननलनखत आबंटि के नियम नििायटरत ककए र्गए हैं। कायय व्यय के अंत र्गयत जो भी
व्यय ककया जाता है उसे मल ह्रास आरनक्षत निनि या नवकास निनि इत्याकद में लेखा ककया जाता है ।
1. बदलाव और िवीिीकरण संबंिी कायों की लार्गत नजसके अिुसार ककसी भी पटरसंपनत को तोड़िा
उठािा और दसरे स्थाि पर ले जािे की लार्गत । इसमें भंडार नडपो को देय भाड़ा भी िानमल है ।
2. उन्नत ककस्म की नर्गट्टी की व्यवस्था करिे के नलए नर्गट्टी के बदलाव की लार्गत ।
3. चल स्टॉक के आिुनिकीकरण पर ककया र्गया कल व्यय ।
ककसी नवनिष्ट उद्येश्य के नलए खरीदे र्गए औजार एवं संयत्र की लार्गत और निमायण कायों के पययवेक्षण
या निमायण के नलए नविेर् रूप से सृनजत ककसी पद की लार्गत ।
अभ्यास सं्या 03 सी
1. मुल्य ह्रास आरनक्षत निनि में निम्ननलनखत साििों से रानि जुटाई जाती है ।
3. ककसी ऐसी पटरसंपनत्त के नबिय से प्राि रकम नजसकी मल लार्गत [पूँजी या नवकास निनि के िामे
डाली र्गई लार्गत ] 5000/- रु. से अनिक को और मल ह्रास आरनक्षत निनि से ककए र्गये बदलाव कायय
से निमुयक्त हुई सामग्री के नबिय से प्राि रकम ।
1. नवकास निनि : नवकास निनि का निमायण 01.04.1950 से ककया र्गया है । इस निनि को चार भार्गों
में नवभानजत ककया र्गया है नजिपर होिे वाला व्यय निम्नािुसार है-
2. डी.एफ . I - सभी यात्री एवं अन्खय उपभोक्ता कायय पर होिे वाला खचय नजसमें वतयमाि कायय का
बदलाव एवं संस्करण िानमल है तथा िए कायय ।
3. डी.एफ II- श्रम कल्याण पर होिे वाला व्यय नजसमें वतयमाि कायय का संस्करण िानमल है तथा िया
कायय ।
4. डी.एफ III - वतयमाि कायय का वही संस्करण तथा बदलाव एवं िए कायय जो अलाभप्रद हैं लेककि
काययकुिलता को बढ़ािे में सहायक हाते हैं - नजसका मल्य दस लाख रुपयों से ज्यादा हो ।
04. नबिा बदलाव ककए उि संपनत्तयों का ियमल्य नजसे नवकास निनि के िामे ककया र्गया था और
नजसका अनस्तत्व खत्म हो र्गया हो या निपटारा हो र्गया हो ।
01. चाल लाईि निमायण राजस्व - यह निनि निम्ननलनखत व्यय का वहि करता है ।
02. ऐसे निमायण कायों की लार्गत जो यात्री तथा अन्खय रेल उपयोर्गकताय सुनविा संबंनि निमायण कायों
से नभन्न है और ऐसे निमायण कायों से नभन्न है चाहे वह िए कायय हैं अथवा पटरवर्त्तयत बदलाव या
िवीनिकरण संबंिी कायय हो, जो िए छोटे निमायण कायों के सीमा के अंतर्गयत आते हों और नजिकी
लार्गत एक लाख रुपए तक हो ।
03. पटरचालि कु िलता में सुिार लािे के उद्येश्य से ककए जािे वाले अलाभप्रद निमायण कायों की
लार्गत नजिमें प्रत्येक कायों की लार्गत दस लाख रुपए से अनिक िहीं होिी चानहए ।
04. ऐसे बदलाव एवं िवीनिकरण संबंनित कायों की लार्गत जो पूँजी या मुल्य ह्रास आरनक्षत निनि या
सामान्खय राजस्व को प्रभायय ि हो और नजसका मल्य 01 लाख रुपया तक हो ।
05. निमायण कायों के संबंि में पटरसंपनत्त को तोड़िे उठािे और दसरे स्थाि पर ले जािे की लार्गत
नजसमें भंडार लेखा को देय भाड़ा भी िानमल हो ।
रेल कमयचारी उपयोनर्गता सहकारी सोसायटीमें नवनियोनजत िेयर की पूँजी प्रत्येक सनमनत के नलए यह
सीमा के वल दो हजार पाूँच सौ रुपए तक है ।
चाल लाईि निमायण राजस्व में ककसी ऐसी पटरसंपनत्त नजसका ककसी दसरे पटरसंपनत्त से बदलाव ि ककया
र्गया है और नजसकी मल लार्गत चाल लाईि निमायण राजस्व को प्रभाटरत की र्गई है , उसके नबिय से
प्राि रकम तथा जो कायय चाल लाईि निमायण राजस्व को प्रभाटरत की र्गए थे उिसे प्राि सामग्री तथा
प्राि भंडार एवं नबिय से रकम जुटाई जाती है ।
02. सवारी नडब्बे में पािी भरिे के नलए स्टेििों पर निरोपरी अथवा भस्तरीय प्रबंिों की व्यवस्था ,
स्टेििों पर यानत्रयों के उपयोर्ग के नलए पािी का प्रबंि नजसमे ि के वल वह समाजि सप्लाई प्रबंि
िानमल है जो सवारी नडब्बों में पािी देिे के नलए प्रयोर्ग में आते हैं ,बनल्क पािी साफ करिे के
संयंत्र, नबजली के और दसरी तरह के जल िीतल ,पािी की ट्रॉनलयाूँ आकद भी िानमल हैं ।
03. प्रतीक्षालय स्थािों की व्यवस्था नजसमें स्टेििों पर प्रचनलत सीमेंट कं किट िल अन्खय प्रकार की
बेंचों की व्यवस्था । इसके अलावा मौजदा व्यवस्था में सुिार या उिका नवस्तार भी िानमल है ।
04. स्टेििों पर भोजिालय ,नवश्राम र्गृह और रेल यात्री के खाि पाि के नलए सभी प्रकार के व्हेंडर
स्टॉल ।
06. स्टेििों पर यात्री की जरूरतों को परी करिे के नलए नवनवि प्रकार की सुिार जैसे -प्लेटफॉमय पर
सीट, बर्गीचे और छायादार वृक्ष की व्यवस्था ।
08. रेल यानत्रयों को अनिक सुनविा प्रदाि करिे के उद्येश्य से मौजदा सबारी नडब्बे में सुिार जैसे
पंख,े नवकनसत प्रकाि की व्यवस्था और िौचालय, नडब्बे में जल टंककयोंकी बेहतर कफरटंर्ग की
व्यवस्था इत्याकद ।
09. रेल-यानत्रयों की आवश्यकताओं को परा करिे के नलए स्टेििों के प्लेटफॉमय पर अथवा प्रतीक्षालय
और प्रतीक्षा िेडों में या नबिे ताओं स्टालों पर सुिारी हुई प्रकाि व्यवस्था और पंखों की व्यवस्था ।
10. यानत्रयों की जरूरत को परा करिे के नलए स्टेििों पर काच वाले चौखटों में समय सारणी िीट
प्रदर्त्ियत करिा ।
रेल-यानत्रयों के नलए उपयुक्त सभी िीर्ों के अनिि ऐंसे निमायण कायय नजिकी व्यवस्था मेलों के संबंि में
हों और छ: महीिे से अनिक अवनि के नलए की जािी हो ।
1. पासयल कायायलयों एवं माल यातायात के नलए तैयार ककए र्गए र्गोदामों में इि उपयोर्गकतायओं के
नलए निम्ननलनखत सुनविाओं का निमायण ककया जाता है ।
4. जलपाि आकद की व्यवस्था नजसमें ठै केदारों िारा लर्गाए र्गए नविे ता भी िानमल है ।
1. सामान्खयत: सभी कमयचाटरयों के कल्याण हेतु ककए जािे वाले कायों को श्रमकल्याण संबंिी कायय
कहते हैं । इि कायों की सची निम्ननलनखत है ूं ।
2. िए अस्पतालों ,दवाखािों स्कलों आकद का निमायण तथा पहले से ही उपलब्ि अस्पतालों ,दवाखािों
स्कलों की मरम्मत एवं सुिार ।
3. िए संस्थािों का निमायण , मिोरंजि के न्खद्गों का निमायण खेलकद के मैदाि तैराकी के तालाब तथा
वाचिालयों आकद का निमायण तथं इिके नलए उपलब्ि भविों की मरम्मत एवं उिमें सुिार ।
4. कमयचाटरयों के नलए स्वास््य कें न्खद्गो एवम कल्याण के न्खद्गों तथा कमयचाटरयों के बच्चों के नलए
कल्याणकायों तथा कारखािों में िीतल जल की व्यवस्था इत्याकद।
रेलवे कॉलनिज में जलआपती तथा रास्तों की मरम्मत ,कमयचाटरयों के नलए बाजार आकद की वयवस्था
पर ककया जािे वाला व्यय ।
पटरचालि कु िलता में सुिार के हेतु अलाभप्रद योजिाओं पर ककया जािे वाला व्यय।
1. पटरचालि कु िलता में सुिार हेतु कु छ व्यय प्रिासि िारा करिा अनिवायय होता है। निम्ननलनखत
मदों पर इस िीर्यक के अंतर्गयत व्यय ककया जाता है -
4. स्टेििों पर बंद होिे वाले िीला साइंडडंर्गों को थ्र लप लाईि में बदलािा और अनतटरक्त ल ूप लाईिों
की व्यवस्था करिा ।
7. दोहरे र्गडयरोंकी व्यवस्था करिा एवम अनतरीक्त सामग्री की सहायतासे उपलब्द र्गडयरोंकी मजबुती
करिा।
8. ड्राइवरों एवं र्गाडों के नलए रडिंर्ग रूम तथा अनिकाटरयों एवं अिीिस्थों के नलए नबश्रामलयों की
व्यवस्था करिा तथा उपलब्ि नबश्रामलयों की सुिार करिा ।
Rules of Allocation
Lesson No. 1(a)
CLASSIFICATION OF EXPENDITURE
From first April of 1979 the entire structure of railways Demands for
Grants and the classification of earning and expenditure has
undergone complete revision and accordingly Revenue abstracts
have been utilized for recording the revenue working expenses.
The Demands have been further classified in to main heads, sub
heads and detailed heads to form the allocation for any
ZONAL RAILWAY TRAINING INSTITUT E, BHUSAWAL
ACCOUNTS FACULTY
66
UNIT MODULE NO. 04
RULES OF ALLOCATION
expenditure. The allocation will be in eight digits, which will in three
parts.
Part I: - This part gives the demand applicable as per the nature of
expenditure and consists of First 3 digits. The same can also be
denoted by corresponding abstract applicable to the demand.
Part II: - Second group of three numerical digits indicate the main
head of account which individually indicate the minor head, sub
head and detailed head respectively.
Part III: - This part consist of two numerical digits which represents
the primary unit i.e. object of expenditure.
PRIMARY UNITS
The following primary units are used for expenditure for works: -
The third module, which is also numerical, will represent the two
digits corresponding to the sub-detailed head of classification giving
the details of the asset acquired, constructed or replaced.
The following plan heads are often used under demand no 16.
These are also known as minor heads or plan heads.
CAPITAL.
1) The cost at the debit of capital of any Asset (other than land)
which is abandoned or disposed off without being replaced.
Capital fund.
The existing Revenue Reserve Fund has been abolished, with
effect from 1992-93. In order to reduce over capitalization and to
enable Railways to raise internal resources for meeting their
increasing requirements for capital expenditure a new fund
“CAPITAL FUND” has been created. This fund will bear the
expenditure hither to chargeable to capital subject to availability of
funds and provision in the sanctioned budget.
The expenditure on plan head 12 to 16, 21, 31, 32, 34 to 36, 41,
42, 52,53, 61, 62, 64 will be financed from the capital fund where as
expenditure on plan head 11 (New lines) 51(Staff quarters) 81
(MTP) will continue to be financed from the loan capital i.e. General
Revenue.
Development Fund
Works arising out of the need for keeping operational methods upto
the latest requirements and standards are as under.
अभ्यास सं्या 01 ए, बी और सी
1. निस रेलवे, नवभाग, मण्डल आदि से वे संबंधीर् हो उसकी अथातर् अपिे लेखा क्षेत्र की सभी
प्राप्तीयों र्था संनवर्रणों को एकत्र करिा और लेखाबध्ि करिा ।
2. उसके क्षेत्र से अन्खय लेखा क्षेत्रों की िो मिें प्रारंभ हो उन्खहें उि लेखा क्षेत्रों को अंर्ररर् करिा और
अपिें क्षेत्र से संबंनधर् और अन्खय लेखा अनधकाररयों व्िारा उसे अन्खर्ररर् की गयी खर्त या प्रानप्त की
मिों को अपिी लेखा बनहयों में समायोनिर् करिा ।
3. हर मनहिे अपिे लेखा सर्कत ल का एक नवस्र्ृर् लेखा र्ैयार करिा ।
4. हर वर्त अपिे क्षेत्र का एक ᅠनवस्र्ृर् लेखा र्ैयार करिा और
प्रबंधकों की सूर्िा और कारतवाई के नलए संगर् नवत्तीय ररपोटत र्ैयार करिा ।
उपरोक्त िुसरे िीर्त के अंर्गतर् ऐसे लेििेि आर्े है निन्खहें या र्ो प्रारंभ से दकसी लेखा अनधकारी व्िारा
नहसाब में दिखाया गया होर्ा है िैसे अंर्रण लेििेि में होर्ा है अथवा वे एक लेखा िीर्त और िुसरे लेखा
िीर्त के बीर् समायोिि के रूप में होर्े है, िैसे रािस्व अिुरक्षण प्रयोििों आदि के नलए दकसी भंडार
नडपों से भंडार िारी करिे के बारे में ।
दकसी िगि लेि िेि का मूल ररकाडत एक कै ि वाउर्र या नबल के रूप में होगा । खार्ा समायोिि के
नलए यह िरिल पर्ी के रूप में होर्ा है । िगि लेि िेि रोकड वही (कै ि बुक ) में दिखाये िार्े है िबदक
िरिल पर्र्तयां िरिल में िित की िार्ी है ।
अभ्यास सं्या 2 ए बी और सी
सामान्खय खार्े :- लेखा अनधकाररयों को अपिे लेखा क्षेत्र के लेि िेि को एकत्रीर् करिे और नहसाब में
लािे के प्रयोिि के नलए और मानसक एवं वार्र्तक लेखों का संकलि करिे के नलए कु छ खास आवश्यक
ररकाडत रखिे र्ानहए निन्खहें संक्षेप में भारर्ीय रेल लेखा संनहर्ा में रेलवे के सामान्खय खार्े िाम दिया
गया है । इसके अंर्गतर् निम्ननलनखर् िानमल है :-
01. िकि लेि िेि का िैनिक सार अथवा सामान्खय रोड बही (कै ि बुक )
02. िकि लेि िेि का मानसक वर्गतकृर् सार अथवा सामान्खय रोकड सार बही
03. िरिल
लेिर
अभ्यास सं्या 3 ए और बी
सामान्खय रोकड पुस्र्क:- यह ररकाडत लेखा अनधकारी के होिे वाले क्षेत्र के सभी लेििेि को पूस्र्को में
लािे के नलए रखा िार्ा है । इस में दकये गये प्रत्येक इन्खगराि की पुष्ठी में लेखा अनधकारी व्िारा
हस्र्ाक्षररर् वाउर्र होिा र्ानहए । इस का हर रोि रोकड िेर् निकाला िािा र्ानहए और इस का
नमलाि रोकᅠनडया की रोकड पुस्र्क से दकया िािा र्ानहए । अिुभाग के इंर्ाित अनधकारी व्िारा इस
की िँाार् करके इस पर हस्र्ाक्षर करिा र्ानहए ।
सामान्खय रोकड सार पुस्र्क :- इस ररकाडत में प्रनर्दिि िगि लेििेि के िैनिक सार में इन्खिदराि दकया
िािा र्ानहए । यह िो भागों में रखा िािा र्ानहए - एक भाग प्राप्तीयों (िाम खार्े की रानियों ) के नलए
और िुसरा संनवर्रणों (िमा खार्े की रानियों ) के नलए होगा । मनहिे के अंनर्म दिि लेििेिों को
इन्खिराि करिे के बाि िोडकर नलया िािा र्ानहए। बैंकों को " धि - प्रेर्ण" र्था " र्ेक और नबल "
िीर्त के अंर्गतर् दकये गये िोड का नमलाि बैंकों से प्राप्त नववरणों से दकया िािा र्ानहए।
अभ्यास सं्या 4 बी
िरिल :- िरिल में इन्खिराि सी ओ सेवि या िरिल पर्ीयों से दकया िािा र्ानहए अथवा मूल वाउर्रों
से , नििमें िरिल पर्ी की भांर्ी िाम खार्ा और िमा खार्ा के लेखा िीर्त पृष्ठॉदकर् गये है । िरिल
पर्ीया या इन्खिराि ,कायातलय के संबंनधर् अिुभाग व्िारा र्ैयार दकया िािा र्ानहए और लेखे में िानमल
दकये िािे के नलए लेखा या बुककं ग अिुभाग भेि दिये िािे र्ानहए ।
िरिल पर्ीयों या इन्खिरािों मे क्रमांक िगिी वाउर्रों के क्रमांकों से नभन्न होिे र्ानहए। उन्खहें ऐसे र्ररकों
से फाईल दकये िािे र्ानहए दक दकसी वाउर्रों नविेर् को संिभत के नलए आसािी से निकाला िा सके
और फाईलों कों बार बार प्रयोग में लािे से वाउर्र फटिे ि पायें ।
मानसक लेखा भेििे की निधातररर् र्ारीख से पयातप्त समय पूवत िरिल में दकये गये इन्खिरािों का िोड
लगा लेिा र्ानहए । रािस्व िरिल के मामले में मनहिे के िगि लेििेिों को , नििका सार रोकड सार
पुस्र्क में दिया गया हो , पृष्ट के अंर् में फामत में यथा उल्लेनखर् ररर्ी से िोड दिये िायें । िरिल में दकये
गये इन्खिरािों की पररिुध्िर्ा की िँाार् िगि लेििेिों की रानियों को िोडिे के बाि िरिल में प्रत्येक
लेखा िीर्त के अंर्गतर् िाम खार्े और िमा खार्े के िोडों से "ट्रायल बेलेंस" बिाकर की िािी
र्ानहए।ट्रायल बेलेस की िाम खार्े और िमा खार्े की रानियों के िोडों का आपस में नमलािा कर दिया
िािा र्ानहए और यदि कोई अंर्र पाये िाये र्ो उसे ठीक कर दिया िािा र्ानहए ।
इस प्रकार से लेखा संबंधी लेििेि िो अलग अलग िीर्त के अंर्तगर् आर्े है।
अभ्यास सं्या 4 सी
लेिर खार्ा:- िरिल के अनन्खर्म िोडो को लेिर मे नवनभन्न लेखा निर्ो के अन्खर्गतर् र्ढाया िार्ा है।
निससे लेखा क्षेत्र दक सभी प्राप्तीया और प्रभार इसमे नवनभन्न लेखा निर्ो के अन्खर्गतर् िित हो िाए और
प्रत्येक लेखा अवनधके अन्खर्में उि लेखा निर्ो के अन्खर्गतर् क्रनमक िेर् रानियॉ प्रकट रहे।
अभ्यास सं्या 5 ए, बी , सी
मार्त मनहिे के लेखे रेल्र्े बोडत को 31 िुलाइ अथवा बोडत व्िारा पहेले दक िो र्ाररख र्य दक गई है पहुर्
िािी र्ाहीये। अर्: रेल्वे के सामान्खय खार्े मानसक एवम वार्र्तक लेखे के संकलि के प्रत्येक मनहिे बंि
दकये िार्े है। नवनभन्न सहायक रनिस्टरोंका िोड दकया िार्ा है और लेखे के प्रस्र्ुर् दकये िािे के एक
सप्ताह के नभर्र सामान्खय खार्ो से उिका नमलाि दकया िार्ा है। नमलाि का प्रामाणपत्र सहायक
रनिस्टरों मे प्रत्येक लेखा अनधकारी के हस्र्ाक्षरों के साथ िित दकया िार्ा है।
अभ्यास सं्याᅠ 6 ए
लेखा र्ालु
िब दकसी मनहिेके सामान्खय खार्े बंि करदिये िाए और लेिर नलख नलया गया हो र्ब मानसक लेखा
र्ालुाू लेिर से पुंिी और रािस्व लेििेिों के नलये अलग अलग र्ैयार दकया िार्ा है और निधातररर्
अिुसूनर्योंके साथ रेल्वे बोडत को प्रस्र्ुर् दकया िार्ा है।
लेखा र्ालु के वल एक एैसा नववरण होर्ा है निसमे दकसी लेखा क्षेत्र दक प्रानप्तयॉ और संनवर्रण निधातररर्
लेखा निर्ो के अन्खर्गतर् नवनधवर् वर्गतकृर् रुपमे दिखाये िार्े है।लेखा र्ालु का नसध्िान्खर् यह है दक सभी
इंिराि िुध्ि रुपमे अथातर् पश्च लेखि समायोििों को धटािे के बाि प्रत्येक लेखा निर्त के सामिे दिखाया
िाए। ऋृणात्मक प्रनर्फल को दकसी भी हालर् मे लेखे के िुसरी र्रफ घिात्मक प्रनर्फल के रुपम अन्खर्ररर्
िही दकया िािा र्ाहीये ।
मानसक रािस्व लेखा र्ालु पररनिष्ट xi मे बर्ाये अिुसार र्ैयार दकया िािा र्ाहीये इस फॉमत मे कोई
प्रमुख या लघू निर्त छोडिा या िोडिा हो र्ो रेल्वे बोडत का पुवत अिुमोिि िरुरी है।
र्ालु लाइिों का और िये निमातण कायो का मानसक पुंनि लेखा र्ालु पररनिष्ट xii के अिुसार र्ैयार दकया
िार्ा है ।
अभ्यास सं्या 06 बी
िब दकसी नवत्तीय वर्त के खार्े बंि कर दिये िाए र्ो रेल्वे के पुंनिगर् एवम रािस्व संबंनध लेििेिों का
अंनर्म लेखा र्ालु उस प्रकार र्ैयार कर रेल्वे बोडत को प्रस्र्ुर् दकया िाए दक वह आिे वाले अगस्र् माह
दक 30 र्ारीख र्क पहुर् िाए।इस र्ालु लेखे मे लेखे के नवनभन्न अनन्खर्म निर्ो के अन्खर्गतर् वर्त मे हुए
रेल्वे के लेििेि और उर्न्खर् र्था िाम खार्ा निर्ो के अन्खर्गतर् अथिेर् और इनर्िेर् दिखाये िार्े है।
अंनर्म र्ालु रािस्व लेखा पररनिष्ट xiii के अिुसार र्ैयार दकया िार्ा है।
अंनर्म र्ालु पुंनि लेखा पररनिष्ट xiv के अिुसार र्ैयार दकये िार्े है।
अभ्यास सं्या 06 सी
प्रत्येक मनहिे का और नवनत्तय वर्त के प्रारंभ से उस मनहिे के अन्खर् र्क दक प्राप्तीयों और खर्त का एक
नववरण निघातररर् निर्ो के अन्खर्गतर् पररनिष्ट xv मे रे ल्वे बोडत को भेिा िािा र्ाहीये । िो उसके पास
अगले मनहिे के 15 र्ाररख र्क पहुर् िािा र्ाहीये लेदकि िुलाइ, अक्तु बर और ििवरी के मनहिों का
अिुमानिर् र्ालु लेखा अगले मनहिे के 20 र्ाररख र्क पहुर् सकर्ा है। मार्त का अिुमानिर् र्ालु लेखा
3 मई र्क रेल्वे बोडत मे पहुर्िा र्ाहीये
नवनभन्न रेलों से प्राप्त दकये गये अिुमानिर् र्ालु लेखों को रे ल्वे बोडत दक लेखा िाखा मे समेदकर् दकया
िार्ा है और रेल मंत्रालय के नलये एक अिुमानिर् र्ालु लेखा र्ैयार दकया िार्ा है। निसे नवत्त मंत्रालय
को भेिा िार्ा है र्ादक वह कें नगय सरकारके अथोपाय पर नवर्ार करर्े समय उसका उपयोग कर सके ।
अभ्यास सं्या 7 ए
1. नवनत्तय वर्त के लेखे बंन्खि हो िािे और अनन्खर्म र्ालु लेखे भेि दिये िािे के बाि निम्ननलनखर् वार्र्तक
लेखे संकनलर् दकये िार्े है।
2. पुंनि और रािस्व लेखे
3. नवनत्तय लेखे
4. ऋृण निर्त ररपोटत
नवनियोिि लेखे
अभ्यास सं्या 7 बी
i) पुंनि और रािस्व लेखे :- पुंनि और रािस्व लेखे इस नलये रखे िार्े है दक उिसे रेल्वे दक
एक वानणनययक उपक्रम के रुपमे नवनत्तय नस्थर्ी दक सनमक्षा सुनवधा पुवतक दक िा सके ।
इसमेलेखे पुंनिगर् व्यय के संबंधमे लेिर और रेल निनधयोंके रनिस्टरों और निमातण कायत
रनिस्टरों से र्ैयार दकये िार्े है। रािस्व व्यय के संबंधमे रािस्व आंबंटि रनिस्टरों और
आमिनि के संबंधमे आमिनि के रनिस्टरों से र्ैयार दकये िार्े है। पुंनि और रािस्व लेखा
दक 15 मुनगर् प्रनर्यॉ रेल्वे बोडत को 15 नसर्ंबर र्क पहूार् िािी र्ाहीये । पुंनि और
रािस्व लेखे के साथ निम्ननलनखर् नववरण भेिे िार्े है।
ii) पुंनिलेखा
iii) वर्त का रािस्व लेखा
iv) पुंनि लेखा मे प्राप्ती और खर्त का नववरण
v) वर्त मे दकये गये पुंनिव्यय का नवस्र्ृर् नववरण
vi) वर्त के संर्ालि खर्त का सारांि
vii) रािस्व संर्ालि खर्त का नवसृर् लेखा
viii) रािस्व आय का नवसृर् लेखा
ix) वर्त के बकाया आय का नववरण
अभ्यास सं्या 7 सी
नवत्त लेखे :- नवनत्तय लेखे सरकारी लेखों दक आवश्यकर्ा के अिुसार सरकारी लेखांकि के नलये निघातररर्
लेखा निर्ो मे नवनधवर् वर्गतकृर् कर संकनलर् दकये िार्े है। नवनभन्न रेल्वे लेखा निर्ो के अनधि रेल्वे के
खार्ो मे लेखे मे िित दकये गये लेििेि का सारांि प्रत्येक नवनत्तय वर्त के लेखो के बंन्खि कर दिये िािे के
बाि नवनत्तय लेखे िामक एक नववरण संकलि मे बिाया िार्ा है । इसके संकलि मे (i) नवनभन्न रेल्वे
निर्ो के सार लेखे ब्यौंरेवार अिुंसुनर्यों सनहर् र्था (ii) पररनिष्ठ िानमल है। संकलि दक 6 प्रनर्नलनपयॉ
रेल्वे बोडत मे 20 ससंर्ंबर र्क पहुर् िािी र्ाहीये।
सार लेखे :- सार लेखों मे संबंनधर् वर्त के नलये लेखों के मु्य ओैर लधु निर्ो के अनधि नलनख गयी
वास्र्नवक रानियॉ नपछले वर्त दक रानियों के साथ आमिे सामिे नलनख िािी र्ाहीये ।
नवनत्तय लेखोके पररनिष्ट निम्न नलनखर् है। :-
पररनिष्ट ए :- पुनि और रािस्व लेखो से संबंनधर् अप्रत्यक्ष प्रभारों का नववरण
पररनिष्ट बी :- रक्षा मंत्रालय के औरसे हाथ मे नलये गये निमातण कायत नििपर ब्याि और अिुरक्षण
प्रभार नलया िार्ा है।
पररनिष्ट ए का उद्देश्य ऐसी सुर्िा उपलब्ि करािा है िो संकनलर् लेखों मे िही दि िार्ी है। लदकि
निसका होिा रेल्वे दक नवनत्तय नस्थर्ी को समझिे के नलये िरुरी है ।
पररनिष्ट बी भेिा िािा िरुरी िही है लेदकि दफर भी इसे बिाया िािा र्ाहीये और रक्षा मंत्रालय से
वसुनल करिेके पररयोिि के नलये रेकाडत मे रखिा र्ाहीये ।
अभ्यास सं्या 8 ए, बी
ऋण निर्ो के अन्खर्गतर् िेर्ों दक एक ररपोटत प्रत्येक नव.स. एवम मु. ले. अ. व्िारा िस नसर्ंबर र्क रेल्वे
बोडत मे पहुर् िािी र्ाहीये ।इसके साथ ही इसदक एक प्रनर् सांनवनधक लेखा पररक्षक को भेिी िार्ी है।
नवनधवर् लेखा पररक्षा के बाि एक प्रनर् रेल मंत्रालय को 25 नसर्ंबर र्क पहुर् िािी र्ाहीये।
यह ररपोटत नवनभन्न िेर्ों के नवश्लेर्ण पर िैसे आई - लघु बर्र्े, भ. नि. , के - निक्षेप एवम अनग्रम , एफ
- ऋण एवम अनग्रम और एम - प्रेर्ण अन्खर्र सरकारी समायोिि लेखो रायय सरकारोंके साथ लेखे पर
आधाररर् होर्ी है।
1. नव. स. एवम मु. ले. अ. व्िारा ऋण निर्त ररपोटत पर निम्ननलनखर् प्रमाण पत्र दिया िार्ा है।
आई - लघु बर्र् और भनवष्य निनध -
बी-- यह भी प्रमानणर् दकया िार्ा है दक इि िेर्ों का नवश्लेर्ण और पुिररक्षा उपनिर्ो व्िारा दक गयी
है र्था इसमे बटटे खार्े उर्ंर् या िेर्ों मे संनधग्ध पररसंपत्तीयों का कोई मामला िही है। र्था व्याि दक
छु ट के मामलेमे नबिा व्याि या िाममात्र ब्याि के िरपर ऋण की मंिुरी और वसुनल के नलए नबिा
आवश्यक एहनर्यार् के कोई मामला िही है।
सी-- 31 मार्त ----- को संबंनधर् कमतर्ारीयों के िाम बकाया िेर्ोंपर उिदक नस्वकृ र्ी प्राप्त कर नल गयी
है।
एम-- रेनमटन्खस सरकारी समायोिि लेखे -- प्रमानणर् दकया िार्ा है दक बकाया िेर् उस रािी के द्दोर्क
है नििका निपटारा ररिवत बैंक लेखे मे वर्त के िौराि िही दकया िा सका ।
प्रमानणर् दकया िार्ा है दक महाप्रबंधक के नििेिानधि संकनलर् --------वर्त के लेखे ---------रेल्वे के ---
--------रुपये दक िेर् रािी पुिररक्षा दक पररक्षण िॉर् लेखा पररक्षा के पररणाम स्वरुप निर्े दि गयी
रटप्पनणयों के अध्यनधि , िहॉर्क मेरी िािकारी और नवश्वास है , सही ढंग से दकया गया है।
अभ्यास सं्या 8 सी
नवनियोिि लेखा :
एक नवत्तीय वर्त के नहसाब -दकर्ाब बंि होिे के बाि सभी रेलवे प्रिासिों एवं उत्पािि इकाइयों द्वारा
यह िेखा िार्ा है दक संबंनधर् वर्त के बिट अिुमाि कहाँ र्क वास्र्नवक व्यय से नमलर्े हैं । इसके नलए
नवनियोिि लेखों में ििातई गई रानि को लेखा-परीक्षा नवभाग द्वारा िाँर् दकया िार्ा है । प्रत्येक वर्त के
नसर्ंबर माह में यह नववरण क्षेत्रीय लेखों के कायतकारी अनधकाररयों द्वारा रेलवे बोडत को भे िा िार्ा है ।
सभी क्षेत्रीय रेलों का लेखा संकनलर् होिे पर रेलवे के लेखा परीक्षा ररपोटत के साथ उसे रेल मंत्रालय को
भेिा िार्ा है । अंनर्म रूप से यह नवनियोिि लेखें लोक-लेखा सनमनर् िाम की िो संसिीय समीर्ी
होर्ी है उिको प्रस्र्ुर् दकया िार्ा है । यह सनमनर् इस नववरण की कड़ी िाँर् करर्ी है निसमें खर्त की
गई रकम िो नवनियोिि लेखे में दिखाई गई है वह खर्त के नलए कािूिी र्ौर पर उपलब्ध थी अथवा
िहीं साथ ही साथ िो पुितनवनियोिि दकया गया है वह नियमों के अंर्गतर् दकया गया है अथवा िहीं यह
िेखर्ी है ।
लोक-लेखा सनमनर् अपिा ररपोटत बिार्ी है उसे संसि के सामिे पेि दकया िार्ा है । नवनियोिि लेखे
को संसि की मंिूरी प्राप्त होिे पर उसमें बर्ाए गए सभी खर्त को संसि की मंिूरी प्राप्त हूई ऐसा मािा
िार्ा हैं । लोक लेखा सनमनर् की नसफाररिों पर अमल करिा रेलवे का कत्ततव्य होर्ा है उिके द्वारा की
गइᅠ नसफाररिों को मागत ििति के रूप में सभी रेलों को भेिा िार्ा है ।
In regard to the compilation of Accounts the duties of the Accounts officers are –
i) To collect and bring to account all the receipts and disbursement of his
accounts circle.
ii) To transfer to other accounts circles the items pertaining to them which
originate in his circle and to adjust in his books of account the items of
expenditure receipts pertaining to his own circle and transferred to him
by other accounts officers
iii) To make up a detailed account of his account circle monthly
iv) To make up a detailed account of his circle for each year and
v) To prepare relevant financial reports for management information and
action.
Two sets of journals and ledgers are maintained, one set for revenue
accounts and the other for capital accounts, since separate accounts are
maintained for these two classes of transactions. Only one Daily Abstract and
monthly abstract of cash transactions are maintained subsidiary to the revenue
ledger. All cash transactions of a capital nature are recorded in the cash
accounts of an open line to transfers – Railway Capital.
1. The General CashBook: - This record is intended to bring to account all cash
transactions taking place in the accounts unit. A voucher duly signed by an
account officer should be forthcoming in support of every entry in it. It is balanced
daily and the balance reconciled daily with that in the cashier's cashbook and it is
checked and signed by the officer-in-charge of the section.
3. The Journal: - All transactions, which do not involve the actual receipt or
disbursement of cash, are recorded in the Journal. Each entry in the Journal is
supported by a Journal slip or voucher duly signed by an Account Officer. Journal
slips or entries are prepared by the concerned section of the office and sent to
the booking section for incorporation in the accounts. The Journals slips should
bear separate series of numbers district from that for cash vouchers. In the case
of revenue Journal, the cash transactions of the month as abstracted in the cash
abstracted book are added at the foot in the manner indicated in the form.
4. The ledger: - The closing totals of the Journals are posted in the ledger under
the various heads of accounts so that it records all receipts and charges of the
accounting circle under the various heads of account. It also shows the
progressive balances under those heads Accounts at the end of each accounting
period.
Accounts Current: -
After the General Books for a month have been closed and the ledger has
been written up, the monthly accounts current are prepared, separately for
capital and revenue transactions from the ledger and submitted to the Railway
Board together with the prescribed supporting schedules.
After the books for a financial year are closed, Final accounts current of
the capital and revenue transactions of the railways are prepared and submitted
to the Railway board so as to reach them not later than the 30th August following.
These accounts current are intended to show the transactions of the Railway for
the year under the various final heads of account and the opening and closing
balances under the suspense and debt heads. All capital transactions under final
heads are closed to “ Capital outlay ” account and all revenue transactions on
account of receipts and expenditure under final heads are closed to “ Net
Revenue ” account.
The final Revenue account current is prepared as in Appendix XIII and the
final capital account current is prepared as in Appendix XIV.
The accounts current submitted by the various railways are consolidated
in the office of the Railway Board and a statement of Receipts and charges is
prepared and submitted to Finance Ministry to control the “ Ways and Means ”
arrangements of the Government.
The approximate accounts current received from the various railways are
consolidated in the accounts branch of the Railway Board and one
approximate accounts current is prepared for the Railway Ministry. This
account current is sent to the Finance Ministry for use in the consideration of
“ Ways and Means ” of the Central Government. From the statement of Gross
Receipts and Revenue received from the various Railways, a consolidated
statement for the entire Railway Ministry is prepared for the information of the
Railway Board.
After the books for a financial year have been closed and the final account
current have been submitted, the following annual accounts are compiled: -
1. The capital and revenue accounts
2. The finance accounts
3. The Debt Head Report
4. Appropriation Accounts
i) Capital Account
ZONAL RAILWAY TRAINING INSTITUTE, BHUSAWAL
ACCOUNTS FACULTY
81
UNIT MODULE NO. 05
COMPILATION OF RAILWAY ACCOUNTS
ii) Revenue Account for the year
iii) Statement of receipts and expenditure on capital account
iv) Statement showing details of capital expenditure for the year
v) Summary of working expenses for the year
vi) Detailed Accounts of Revenue Working Expenses
vii) Detailed Account of Revenue Earnings
viii) Statement of Outstanding earnings for the year
ix) Dividend Account
x) Statement of expenditure charged to Railway Funds
(Separately)
Abstract Accounts: - These accounts should show the booked actuals by major
and minor heads of accounts for the year concerned in with those for the
previous year.
The following certificates are furnished by the financial adviser and chief
accounts officer on the debt head report.-
The statements which are prepared for presentation to the Public Accounts
Committee, comparing the amount of actual expenditure with the amount of
grants voted by parliament and appropriations sanctioned by the president are
called the appropriation accounts. The appropriation accounts are signed both by
the Chairman Railway Board, as principal secretary to the Government of India.
Ministry of Railways and by the financial commissioner Railways, as secretary to
the Government of India, Ministry of Railways, in financial matters and
transmitted to the director of railway audit who has been entrusted by the
Comptroller and Auditor General of India with the duty of reporting on these
accounts.
बजट यह भारतीये रेल्चे के नलये हरएक नवत्तीय वषष के नलये बिाया जाता है। प्रत्येक नवत्तीय वषष के नलये
पुंनजगत एवम राजस्व के नलये अिूमानित आय एवम व्यय का यह महत्वपूणष नववरण होता है । जो
संनवघाि कक धारा क्रमांक 112 के अिुसार तैयार करके संसद के सामिे प्रस्तुत करिा अनिवायष होता है।
बजट यह संगठि कक योजिा तैयार करिेकी प्रकक्रया कक एक कडी है। भारतीय रेल्चे एक सरकारी उपक्रम
होिे के कारण 1920.21 तक भारतीय रेस्र्हृर्ुुुै का बजट सरकारके आम बजट मे ही िामील था।
लेकीि 1920.21 मे भारतीये रेल्ये के नवत्तीय व्यवस्था का अध्ययि करिे हेतु एक कनमटी का गठि ककया
गया था इस कनमटी का िाम अॅक्वथष कनमरट था इस कनमरट व्दारा कक गयी निफारीषों के आधारपर
भारतीय रे ल्वे का अलग बजट 1924 से प्रस्तुत करिा प्रारं भ हुवा।इस अॅक्वथष कनमटी को ही सेपरेिि
कन्खवेंिि कनमटी भी कहा जाता है।
भारतीय संनवधाि के धारा क्रमांक 112 के अिुसार हर वषष फरवरी माह मे भारतीय रेल्वे का बजट
तैयार करके संसद के दोिो सदिो मे उसे प्रस्तुत करिा अनिवायष है।
भारतीये रेल्वे मे जो भी व्यय ककया जाता है वह दो प्रकारोंमे नवभानजत ककया जाता है जैसे की दत्तमत
व्यय और प्रभारीत व्यय। दत्तमत व्यय के नलये संसद कक पुवाषिुमोदि कक आवष्यकता होती है। तथा
प्रभारीत व्यय के नलये राष्ट्रपती के व्ुुुीुंह्णुि्ु कक आवश्यकता होती है।आमतौर पर सभी प्रकारका
व्यय यह दत्तमत व्यय होता है के वल निम्ननलनखत व्यय यह प्रभारीत व्यय मािा जाता है :
1) लोि पर कदया जािे वाला ब्याज, ु्रु.ुु• ुु फं ड के प्रभार, कजष पर कदया जािे वाला ब्याज
ईत्यादी।
2) भारत के नियंत्रक एवम महालेखा पररक्षक एवम उिके कमषचारीयोंका वेति एवम भत्ते आदी पर
ककया जािे वाला व्यय।
3) ककसी लवाद, न्खयायालय अथवा प्रानधकरण व्दारा जारी ककये गये निणषय के अिुसार ककया गया व्यय।
भारत के संनवधाि के अिुसार एवम राष्ट्रपती व्दारा समय समय पर प्रभारीत व्यय के रुपमे घोनषत अन्खय
प्रकारका व्यय।
भारतीय संनवधाि की धारा क्रमांक 266 के अिुसार भारत सरकार व्दारा एक निनध का निमाषण ककया
गया है। इस निधी का िाम भारत सरकार की समेककत निधी यह रखा गया है। इस निधी पर भारत के
संसद का नियंत्रण होता है। भारत सरकारके सभी प्रकारके आय इसी निधी मे जमा होते है। और भारत
सरकारके सभी प्रकारके व्यय इसी निधीमेसे संम्पन्न होते है। इस निधीमेसे पैसा खचष करिे हेतु सरकारको
संसद कक अिुमती लेिा आवश्यक होता है।इसके नलये नवनियोजि नबल िामका एक नबल संसद मे प्रस्तुत
करिा अनिवायष होता है।रेल्वे मंत्री व्दारा यह नबल संसद मे रखा जाता है। इस नबल पर संस द मे चचाष
होती है। संसद मे नबल पास होिे के पश्चात इसे राष्ट्रपती के हस्ताक्षर हेतू भेजा जाता है। जब राष्ट्रपती
व्दारा इस नबल पर हस्ताक्षर हो जाते है तब भारत सरकार इस निधी से पैसा खचष करिे के नलये सक्षम
मािा जाता है। राष्ट्रपती व्दारा नवनियोजि नबल पर हस्ताक्षर होिे के बाद यह नबल नवनियोजि कािुि
मे बदल जाता है। और इस कािुि के अन्खतगषत भारत सरकारको समेककत निधी से ुुुरुयुु खचष करिे का
अनधकार प्राप्त होता है।
सामान्खयता सभी प्रकारके व्यय सरकार व्दारा भारत के समेककत निधी से ही .ुुुीुंरुुुरु करिे चाहीये ।
लेककरु कु छ आकनस्मक घटिाओं को ध्याि मे रखते हुए तथा आकनस्मक धटिा के समय जब व्यय को पुरा
करिे के नलये उपलव्द निधी पयाषप्त िही होता है और सरकारके पास संसद के सामिे मंजुरी के नलये
जािेके नलये पयाषप्त समय िही होता है ऐसे समय खचष करिे के नलये भारतीय संनवधाि के धारा क्रमांक
267 के अिुसार एक निधी का गठि ककया गया है इस निधी को भारत सरकारी आकनस्मक निधी कहते
है। इस निधी पर भारतके राष्ट्रपतीजी का नियंत्रण रहता है । इस नलये इस निधीमेसे जो भी व्यय ककया
जाता है उसे राष्ट्रपतीजी के मंजुरी कक आवश्यकता होती है।प्रायः जब संसद सत्र मे िही होती है अथवा
दुघषटिा अथवा िैस्रगीक आपत्तीयोमे सरकार व्दारा इस निधी का उपयोग ककया जा सकता है । इस
निधी से जो भी व्यय ककया जाता है उसके नलये बादमे राष्ट्रपतीजी कक मंजुरी प्राप्त करिा अनिवायष होता
है। जहा तक भारतीय रे ल्वे का प्रश्न है । यह निधी रेल्वे के नवत्त आयुक्त के नियंत्रण मे होता है।
भारत कक समेककत निधी से पैसा निकालिे हेतु जो बजट प्रस्ताव संसद के सामिे प्रस्तुत ककया जाता है
वह अिुदाि के नलये मांगों के रुपमे प्रस्तुत ककया जाता है।
रेल्वे बजट पर संसद मे जब चचाष होती है तब मांगे गये निधी से कम पैसा मंजूर करिा अथवा उसे मिा
करिा अथवा उसे मंजूर करिे का पुरा अनधकार संसद को होता है । इसे कट मोिि कहते है। दत्तमत
एवमं प्रभारीत दोिो प्रकारके व्यय का नववरण संसद के सामिे रखा जाता है। यह व्यय अिुदाि के नलये
मांगो के रुपमे रखा जाता है । वतषमाि मे ऐसी सोलह मांगे है । इि मांगोंको नवनवध समुहोंके अन्खतगषत
वगीक्रुत ककया गया है। वतषमाि मे एसे कु ल सात समुह है।यह सात समुह एवम सोलह मांगे निम्ननलनखत
है।
वार्षषक बजट तैयार करिे का कायष रे ल्चे प्रिासिों व्दारा एवम उत्पादि युंनिटो व्दारा ककया जाता है।
चालु नवनत्तय वषष के नलये संिोनधत अिुमाि एवम आिेवाले नवनत्तय वषष के नलये प्राक्कनलत अिुमाि तैयार
करिेका यह कायष रेल्वे के सभी कायाषलयोंमे हर वषष िवम्बर माह मे हो जाता है। यह जािकारी इस माह
मे रल्वे बोडष को भेजी जाती है।
चालू नवत्तीय वषष के बचे हुए पााँच माह का लगभग व्यय का अिुमाि लगाया जाता है और इसे जोड़कर
चालू नवत्तीय वषष के नलए संिोनधत अिुमाि बिाए जाते हैं । इसके आधार पर आिे वाले नवत्तीय वषष के
नलए बजट अिुमाि बिाए जाते हैं यह बजट अिुमाि बिाते समय कु छ नविेष जािकारी का उपयोग भी
ककया जाता है ।
इस प्ररकार से तैयार ककया हुआ बजट हर वषष फरवरी माह में निनश्चत नतनथ पर रेलवे मंत्री द्वारा संसद
के सामिे प्रस्तुत ककया जाता है ।
नवनियोजि नबल -
रेल मंत्री जी द्वारा प्ररस्तुत ककए गए रेल बजट पर संसद में चचाष होिे के बाद संनवधाि की धारा क्रमांक
114(01) के अिुसार इसे संसद द्वारा पाररत ककया जाता है । संसद द्वारा अिुमोदि नमलिे के बाद भारत
की समेककत निनध से पयाषप्त निनध उपलब्ध करािे के नलए संसद द्वारा जो नबल पास ककया जाता है उसे
नवनियोजि नबल कहते हैं । संनवघाि की उपरोक्त धारा के अिुसार यह अनिवायष है । इस नबल के आधार
पर रेलवे द्वारा भारत की समेककत निनध से पैसा खचष ककया जा सकता है ।
पुिर्वषनियोजि के नियम :
01. जो रानि ककसी एक मााँग के अंतगषत मंजूर की जाती है उसे ककसी भी दूसरे कायष के नलए खचष िहीं
ककया जाता है ऐसे कायष को पुिषनवनियोजि कहते हैं । पुिषनवनियोजि के नलए निम्लनलनखत नियम
लागू होते हैं -
02. एक मााँग से दूसरी मााँग के नलए पुिषनवनियोजि अिुमत िहीं हैं ।
03. पूाँजीगत कायष के नलए मंजूर निनध से राजस्व कायष के नलए एवं इससे इसके नवपरीत पुिषनवनियोजि
अिुमत िहीं है ।
04. दत्तमत व्यय से प्रभाररत व्यय के नलए एवं इसके नवपरीत पुिषनवनियोजि अिुमत िहीं हैं ।
05. एक नवत्तीय वषष के नलए खचष ि की गई निनध का उपयोग दूसरे नवत्तीय वषष में िहीं ककया जा
सकता ।
06. एक ही मााँग में पूिषनवनियोजि करिे का अनधकार रेलवे बोडष को होता है ।
एक उपलेखा िीषष में से दूसरे उपलेखा िीषष के अंतगषत एक ही मााँग में पुिषनवनियोजि करिे का अनधकार
महाप्रबंधक को होता है ।
अभ्यास सं्या : 06
बजट की समीक्षा -
बजट की समय-समय पर समीक्षा की जाती है यह समीक्षा इसनलए की जाती है कक संसद द्वारा रेल -
प्रिासि को जो निनध नजस मााँग के अंतगषत खचष करिे के नलए कदया गया है , वह उसी मााँग के अंतगषत
खचष ककया जा रहा है अथवा िहीं एवं कदए गए निनध से अनधक खचष तो िहीं हो रहा है यह देखिे के
उद्येश्य से बजट की समय-समय पर समीक्षा करिा आवश्यक होता है ।
अगस्त समीक्षा -
यह समीक्षा हर वषष के अंतगषत अगस्त माह में सभी खचष करिे वाले कायषकारी अनधकाररयों द्वारा की
जाती है इस समय चालू नवत्तीय वषष के तीि माह का वास्तनवक व्यय और चौथे माह के लगभग व्यय का
पता चलता है । मूल अिुदाि और प्रत्यक्ष व्यय की तुलिा की जाती है साथ ही साथ नपछले वषष के इन्खहीं
माह में ककया गया वास्तनवक व्यय और अगले वषष के नलए अिुमानित व्यय की तुलिा भी अगस्त माह में
की जाती है इस तुलिा के फलस्वरूप िुद्ध अनतररक्त अिुमाि ककतिा चानहए इसकी जािकारी रेलवे बोडष
को दी जाती है । इस समीक्षा के अिुसार मााँगे गए अिुदािों में संिोधि करिे का मौका रेलवे प्रिासि
को नमलता है ।
01. दूसरी समीक्षा हर वषष के िवंबर माह में की जाती है नजसे संिोनधत अिुमाि एवं बजट अिुमाि
कहा जाता है । इस समीक्षा के अंतगषत चालू नवत्तीय वषष के नलए संिोनधत अिुमाि बिाए जाते हैं
एवं आिे वाले नवत्तीय वषष के नलए बजट अिुमाि बिाए जाते हैं । इसे तैयार करिे के नलए चालू
नवत्तीय वषष के पले 6 माह का प्रत्यक्ष व्यय तथा सातवें माह का लगभग व्यय ध्याि में नलया जाता
है और इसकी तुलिा निम्ननलनखत के साथ की जाती है -
02. बजट अिुपात ।
03. नपछले नवत्तीय वषष में ककया गया प्रत्यक्ष व्यय ।
04. इसी समय का नपछले वषष का प्रत्यक्ष व्यय ।
बजट अिुदाि ।
उपरोक्त तुलिा के आधार पर आवश्यक निनध की मााँग की जा सकती है अथवा अनतररक्त निनध को
समर्पषत भी ककया जा सकता है । यह एक महत्वपूणष बजट समीक्षा है । बजट तैयार करिे की प्रमुख
प्रकक्रया का यह भाग हैं ।
अंनतम आिोधि-
01. यह तीसरी बजट समीक्षा होती है जो फरवरी माह में की जाती है इसे अंनतम आिोधि कहा जाता
है । इस समीक्षा में पहले 09 माह का प्रत्यक्ष व्यय तथा 10वें माह का लगभग व्यय इसकी तुलिा
निम्ननलनखत आाँकड़ों के साथ की जाती है -
02. बजट अिुदाि/संिोनधत बजट अिुमाि यकद प्राप्त हुआ हो तो ।
03. बजटअिुपात ।
04. नपछले वषष का प्रत्यक्ष व्यय ।
इसी समय का नपछले नवत्तीय वषष का प्रत्यक्ष व्यय ।
नवनियोजि लेखा :
एक नवत्तीय वषष के नहसाब -ककताब बंद होिे के बाद सभी रेलवे प्रिासिों एवं उत्पादि इकाइयों द्वारा
यह देखा जाता है कक संबंनधत वषष के बजट अिुमाि कहााँ तक वास्तनवक व्यय से नमलते हैं । इसके नलए
एक नववरण तैयार ककया जाता है इस नववरण में मूल अिुदाि ,अंनतम अिुदाि और वास्तनतक व्यय की
तुलिा कदखाई जाती है । वास्तनवक व्यय कम अथवा ज्यादा होिे पर उसका कारणों सनहत स्पष्टीकरण
कदया जाता है इस नववरण को ही नवनियोजि लेखा कहते हैं ।
इस नववरण में प्रत्येक मााँग के अिुसार प्राप्त मूल निनध संिोनधत निनध एवं वास्तनवक व्यय कदखाया
जाता है । लेखा नवभाग में वास्तनवक खचष के नलए जो ककताबें रखी जाती हैं वह भी प्रत्येक मााँग के
अिुसार अलग-अलग रखी जाती है इि ककताबों के अिुसार यह नववरण बिाया जाता है इस नववरण में
05 प्रनतित या 10 लाख रुपए से ज्यादा व्यय के नलए स्पष्टीकरण देिे की आवश्यक्ता होती है । इसी
प्रकार से 10 प्रनतित अथवा 20 लाख रुपए से कम खचष हुआ तो उसके नलए भी स्पष्टीकरण कदया जािा
चानहए ।
नवनियोजि लेखों में दिाषई गई रानि को लेखा-परीक्षा नवभाग द्वारा जााँच ककया जाता है । प्रत्येक वषष के
नसतंबर माह में यह नववरण क्षेत्रीय लेखों के कायषकारी अनधकाररयों द्वारा रेलवे बोडष को भेजा जाता है ।
सभी क्षेत्रीय रेलों का लेखा संकनलत होिे पर रेलवे के लेखा परीक्षा ररपोटष के साथ उसे रेल मंत्रालय को
भेजा जाता है । अंनतम रूप से यह नवनियोजि लेखें लोक-लेखा सनमनत िाम की जो संसदीय समीती
होती है उिको प्रस्तुत ककया जाता है । यह सनमनत इस नववरण की कड़ी जााँच करती है नजसमें खचष की
गई रकम जो नवनियोजि लेखे में कदखाई गई है वह खचष के नलए कािूिी तौर पर उपलब्ध थी अथवा
िहीं साथ ही साथ जो पुिषनवनियोजि ककया गया है वह नियमों के अंतगषत ककया गया है अथवा िहीं यह
दंखती है ।
अभ्यास सं्या : 07
व्यय पर नियंत्रण -
01. रेलवे में जो व्यय होता है वह राजस्व अथवा पूाँजीगत व्यय होता है जो राजस्व मााँगे अथवा पूाँजीगत
मााँगों में प्रभाररत होता है ऐसे व्यय पर नियंत्रण निम्लनलनखत पद्धनत्त पर ककया जाता है -
मंजूरी के आधार पर नियंत्रण -
अ) रेलवे बोडष द्वारा महाप्रबंधक तथा अन्खय अनधकाररयों को अनधकार प्रदाि ककए जाते हैं उिके आधार
पर ।
02. आ) उपरोक्त अनधकारों का प्रयोग करिे वाले अनधकाररयों द्वारा नवत्तीय औनचत्य के मािकों का
पालि करिा चानहए ।
रेल्वे पर वास्तनवक रूप से जो व्यय होता है नजसे लेखा नवभाग द्वारा पुस्तकों में दजष ककया जाता है उिके
आधार पर व्यय पर नियंत्रण -
अ) बजट अिुदाि के आधार पर व्यय पर नियंत्रण ।
आ) निमाषण कायष तथा मिीिरी एवं चल स्टॉक कायषक्रम के अंतगषत ककए जािे वाले व्यय पर प्राक्कलिों
के आधार पर व्यय पर नियंत्रण ।
01. संसद द्वारा अिुमोकदत बजट अिुदाि तथा राष्ट्रपनत द्वारा मंजूर ककए गए नवनियोजि के अंतगषत ही
रेलवे नवभाग द्वारा व्यय ककया जा सकता है । यह व्यय इसी के अंतगषत हो रहा है अथवा िहीं यह
देखिे के नलए व्यय पर नियंत्रण रखिा अनिवायष होता है । यह व्यय पर नियंत्रण निम्ननलनखत
पद्धनत से तथा निम्लनलनखत अनधकाररयों द्वारा रखा जाता है -
i) संसद द्वारा व्यय पर नियंत्रण - व्यय को मंजूरी देिे वाले अनधकारी की हैनसयत से संसद
आलोचिात्मक दृनष्ट से भारतीय रेलवे के नवनियोजि लेखा तथा उस पर लेखा परीक्षा नवभाग
द्वारा की गई रटप्पणीयों की जााँच करती है । यह जााँच लोक लेखा सनमनत द्वारा की जाती है ।
इस जााँच में मू्य रूप से यह देखा जाता है कक संसद द्वारा जो निनध नजस कायष के ऊपर खचष
करिे के नलए मंजूर ककया गया है वह निनध उसी कायष पर खचष ककया गया है अथवा िहीं । व्यय
पर नियंत्रण रखिे के नलए संसद द्वारा निम्ननलनखत सनमनतयााँ गरठत की गई हैं -
ii) रेलवे अनभसमय सनमनत ।
iii) प्राक्कलि सनमनत ।
कायषकारी अनधकारी ककसी कायष पर व्यय करिे के पहले प्राक्कलि तैयार करते हैं तथा लेखा नवभाग की
सहमनत प्राप्त करते हैं और उसके पश्चात् सक्षम अनधकारी से मंजूरी प्राप्त करते हैं । इस प्रकक्रया के आधार
पर कायष की आवश्यक्ता और नवत्तीय औनचत्त्य तथा ककतिी रकम कायष पर खचष करिा आवश्यक है उसका
अिुमाि लगाया जाता है । जब प्राक्कलि स्वीकृ त हो जाता है और निनध उपलबध हो जाती है तभी कायष
प्रारंभ ककया जा सकता है । जब कायष प्रगनत पर होता है तब वह मंजूर ककए गए बजट की सीमा में हो
रहा है अथवा िहीं इस पर कायषकारी अनधकारी का ध्याि रहता है वैसे ही व्यय को मंजूरी देते समय
नवत्तीय औनचत्य के मािकों को भी ध्याि में रखा जाता है इस प्रकार से कायषकारी अनधकारी द्वारा व्यय
पर नियंत्रण रखा जाता है नवत्तयी औनचत्त्य के यह मािक निम्ननलनखत हैं -
01. ककसी भी खचष को मंजूरी देिे के पहले उस खचष को मंजूरी देिे वाले अनधकारी द्वारा निम्लनलनखत
बातों पर ध्याि देिा आवश्यक होता है -
02. प्रसंग के अिुसार ककया जािे वाला व्यय उस प्रसंग की मूल आवश्यक्ता से अनधक िहीं ककया जािा
चानहए । वैसे ही प्रत्येक प्रिासिीक अनधकारी द्वारा जिता का पैसा खचष करते समय उसी प्रकार
से संपूणष सतकष ता का अवलंबि करिा चानहए । जैसे की अपिी जेब से पैसा खचष करते समय एक
आम आदमी संपूणष सतकष रहता है ।
03. ककसी भी खचष के नलए मंजूरी देते समय , मंजूरी देिे वाले अनधकारी को यह देखिा चानहए कक
सामान्खयत: वह आदेि प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से उसके अपिे तथा उसके अपिे लोगों के
व्यनक्तगत नहत में िहीं है ।
B. जिता का पैसा व्यनक्तगत या जातीय लाभ के नलए खचष िहीं करिा चानहए , विते की - A. खचष
की जािे वाली निनध िगन्खय है ।
C. मंजूर की गई रकम के नलए न्खयायालय में दावा हो सकता है ।
04. ककसी सरकारी सवषमान्खय िीनत का पालि करिे हेतु पैसा खचष ककया जा रहा है।
भत्तों पर ककया जािे वाला व्यय जैसे कक यात्रा भत्ता आकद का नवनियोजि इस प्रकार से करिा चानहए
कक प्राप्त करिे वाले कर्म्षचारी के नलए वह आमदिी का एक अनतररक्त स्रोत िहीं बििा चानहए ।
अभ्यास सं्या : 07 सी
व्यय की आंतररक जााँच करिे वाले नवभाग के रूप में यह नवभाग कायषकारी अनधकारी द्वारा तैयार ककए
गए प्राक्कलिों को सहमनत देता है तथा मंजूर ककए गए प्राक्कलिों के आधार पर व्यय पर नियंत्रण रखता
है नबलों तथा व्हाउचरों के आंतररत जााँच लेखा नवभाग द्वारा की जाती है तथा उिका भुगताि ककया
जाता है। भुगताि ककए गए व्हाउचरों के आधार पर लेखा नवभाग में राजस्व आबंटि रनजस्टर और कायष
व्यय के नलए कायष रनजस्टर रखे जाते हैं । इन्खहें सहायक ककताबें कहा जाता है । राजस्व व्यय के नलए
राजस्व आबंटि रनजस्टर और कायष व्यय के नलए कायष रनजस्टर इिमें राजस्व तथा पूुॅजीगत व्यय को
संसद द्वारा मंजूर ककए गए अिुदािों के अंतगषत दजष ककया जाता है तथा यह देखा जाता है कक प्रत्येक
लेखा यूिीट द्वारा दजष ककया जािे वाला व्यय बजट अिुदाि के अंतगषत है अथवा िहीं तथा इस संबंध में
हर माह के अंत में एक नियंत्रण नववरण बिाया जाता है और यह नियंत्रण नववरण संबंनधत खचष करिे
वाले कायषकारी अनधकारी को भेजे जाते हैं नजससे उस अनधकारी को अपिे खचष ककए गए निनध के बारे
में सही समय पर ज्ञाि होता है । इस राजस्व आबंटि रनजस्टर एवं कायष रनजस्टर का नमलाि लेखा नवभाग
में बूककं ग अिुभाग में रखे गए लेजर के साथ भी ककया जाता है तथा कायषकारी अनधकारी के कायाषलय
में रखे गए रनजस्टर के साथ भी ककया जाता है और कायषकारी अनधकारी के हस्ताक्षर कायष रनजस्टर पर
नलए जाते हैं । इस प्रकार से लेखा नवभाग व्यय पर नियंत्रण रखिे में कायषकारी अनधकारी की सहायता
करता है ।
भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक के प्रनतनिनध होिे के िाते रेलवे का लेखा परीक्षा नवभाग रेल्वे
द्वारा तैयार ककए गए नवनियोजि लेखों का सूक्ष्मपररक्षण करता है और यह देखता है कक सं सद द्वारा
मंजूर ककया गया निनध नजस मााँग पर मंजूर ककया गया था उसी मााँग पर रेलवे द्वारा पैसा खचष ककया
गया है अथवा िहीं। नवनियोजि लेखे पर की गई रटप्पणी के साथ यह नवनियोजि लेखा लोक लेखा
सनमनत िाम के संसदीय सनमनत को प्रस्तुत ककया जाता है ।
रेल्वे का 60 प्रनतित व्यय निनश्चत रुप का होिे के बावजुद भी उसे ठीक से काबु मे रखिे के नलए कायष
सम्पादि के नलये उत्तरदायी बजट कक प्रणाली कु छ वषष से रे ल्वे मे प्रारंभ हुयी है। इस पद्धनत मे पयाषप्त
निनध की उपलब्दी करािे के नलये अिुरोध करते समय उस निनध का व्यय करिे के पश्चात ककतिा उदेश्य
अभ्यास सं्या 8 बी
एकीकृ त बजट
रेल्वे के वार्षषक बजट मे आय तथा व्यय का आकलि ककया जाता है। जो कक राजस्व व्यय का अंग होता
है। और निमाषण एवम चल स्टॉक के कायषक्रम से नलये गये निवेि निणषय से संबंनधत होता है। यह मुल
रुप से अलग अलग तैयार ककये जाते है। आय के बजट, राजस्व व्यय के बजट और निमाषण एवम चल
स्टाक के बजट आदी सभी जब एकत्रीत रुपसे संसद के सामिे रखे जाते है तो उसे एकीकृ त बजट कहा
जाता है । यह बजट महाप्रबंध के व्यनक्तगत मागषदिषि के आधारपर बिाये जाते है। इसे तैयार करिेमे
नव. स. एवम मु. ले. अ. की सहायता नल जाती है। इस बजट मे आय, राजस्व व्यय एवम पूाँजीगत व्यय
आदी सभी जािकारी कदखायी जाती है।
अभ्यास सं्या : 08 सी
01. िून्खय पर आधाररत बजट की प्रकक्रया में निम्ननलनखत प्रणाली िानमल होती है ।
02. प्रबंधि द्वारा उद्येश्यों एवं निणषय यूिीटों को आरे नखत करिा ।
03. निणषयों पैकेजों का नवकास करिा ।
04. निणषय पैकेजों के लाभप्रदता की समीक्षा करिा ।
निनधयों का आबंटि निणषय पैकेजों के अिुसार करिा ।
निणषय पैकेजस :
09.
RAILWAY BUDGET
In terms of article 266(I) of the Constitution of India, a fund is created which will
act as a reservoir in which all the earnings flow (credited) and from which the
expenditures of Government as authorized by the Parliament will be made.
Central Government is having Consolidated Fund of India. Any expenditure to
be made from this fund needs Parliament’s sanction/votes. For this purpose, a
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ACCOUNTS FACULTY
85
UNIT MODULE NO. 06
RAILWAY BUDGET
bill known as “Appropriation bill” is required to be introduced by Railway
minister in Parliament. The bill is discussed and when passed by the
Parliament is send to the President of India for his assent. When the assent is
given by the President, the bill gets converted into the “Appropriation Act” and
this act enables to withdraw the money from the Consolidated Fund Of India.
This fund is used as and when the contingency arises. Money can be
withdrawn from this fund on an application addressed to the President and is
given as an advance which needs recoupment. The amount from this fund can
be withdrawn when the parliament is not in session and to meet the
unforeseen expenditure, which cannot be met from out of the amount of grant
available.
Lesson No. 3(a), (b), (c) and 4(a), (b) & (c)
The budget proposals of the expenditures to be met out from the “Consolidated
fund of India” should be presented in the form of Demands for Grants.
Parliament has got the powers to assent or to refuse to assent or to reduce the
amount proposed by the Railway Ministry during the course of discussion on
Railway budget. Such powers are exercised to cut motion. The voted part of
expenditures together with the charged appropriation are presented to the
parliament in the form of Demands for Grants. At present there are sixteen
demands for Grants which are grouped under seven categories viz.
The revised requirement of the remaining five months of the year are thus
worked out which are known as revised estimates for the current year. The
same become budget estimates for the ensuing financial year after taking into
account special features and known factors for the next financial year.
The budget is presented to the parliament duly compiled by the Railway board
in the month of February each year on the dates fixed for the purpose.
APPROPRIATION BILL: -
In terms of article 114(I) of the Constitution of India, after the budget is voted by
the Parliament and Appropriations sanctioned by the President, an
Appropriation bill is introduced in the Parliament, on passing of the same, it
becomes Appropriation Act. This act authorizes Government to withdraw
money from consolidated fund of India to the extent sanction for incurrance of
expenditure.
RULES OF RE-APPROPRIATION: -
Lesson NO. 6
BUDGET REVIEWS: -
In order to ensure that the budget allotments placed at the disposal of the
Railway administration is not exceeded and to ensure that funds allotted are
sufficient to cater to the requirements, the budget is reviewed thrice in a year.
AUGUST REVIEW.
The first review is conducted in the month of August, hence is known as August
review. In this review, the actual expenditure of the first three months and
approximate expenditures for four months is compared with the budget grant
for the current year and actual expenditures for the previous financial year. The
expenditure is also compared with the budget proportion and the actual
expenditures of the corresponding period of the previous financial year.
The variation in above figures are analyzed and net additional requirements(if
any) are asked for during this review.
The second review is conducted in the month of November each year, which is
known as revised estimate for the current financial year and budget
estimates for the ensuing financial year. The actual expenditures for the first
six months and approximate expenditures for the seventh month of the current
financial year is compared with –
1) Budget proportion
2) Expenditure incurred during the last financial year.
3) Expenditure incurred during the corresponding period of the last financial
year.
4) Budget grant.
FINAL MODIFICATION.
The third review is conducted in the month of February year and is known as
Final Modification. Actual expenditure during first nine months and approximate
expenditure for the tenth month is reviewed and compared with –
APPROPRIATION ACCOUNT: -
After the closure of accounts for the financial year, report is submitted to the
Parliament as to how far the budget estimates have been realized i.e. as to
how the funds voted by the Parliament and Appropriations sanctioned by the
President have been utilized. Three sets of figures are reported namely,
Original Grant, Final Grant and Actual Expenditure. Comparision between latter
two is made and Variations are worked out duly explaining the same.
Lesson No. 7
1) THE PARLIAMENT.
2) THE EXECUTIVES.
In exercise of their financial powers, the sanctioning authority must pay due
attention to the following principles –
i) The expenditure should not prima facie be more than the occasion
demands and that every Government should exercise the same
vigilance in respect of expenditures incurred from public money as a
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91
UNIT MODULE NO. 06
RAILWAY BUDGET
person of ordinary prudence, would exercise in respect of expenditure of
his own money.
ii) No authority should exercise its powers of sanctioning expenditure to
pass an order, which will be directly or indirectly to its own advantage.
iii) Public money should not be utilized for the benefit of a particular person
or section of a community unless –
a) The amount of expenditure involved is insignificant.
b) A claim for the amount could be enforced in a court of law.
c) The expenditure is in pursuance of recognized policy or custom.
iv) The amount of allowances such as travelling allowance granted to meet
expenditure of a particular type should be so regulated that the
allowance are not on a whole a source of profit to the recipient.
The internal check carried out by the Accounts office on bills, vouchers,
estimates and proposals is primarily to ensure that the same are as per codal
provisions, however, the end goal is to ensure control over expenditure.
On passing of the bills and adjustment of vouchers, the same are entered in
subsidiary registers like Revenue allocation register for revenue expenditure
and Works register for works expenditure. At the end of the month these
registers are closed and Control statements are prepared and submitted to the
executives to enable them to know the pace of expenditure. Control over
expenditure is exercised by comparison of these statements with budget
proportions for the month and to end of the month. Similarly, the totals of works
registers are compared with budget grant/proportion and estimates to exercise
control over expenditure against budget grant and sanctioned estimates.
PERFORMANCE BUDGET: -
INTEGRATED BUDGET: -
Decision units –
Decision package –
In case any project is financially justified and provided in programme has not
been undertaken during the year, the sanction of such work should be treated
as cancelled/lapsed. Execution of the work in subsequent financial year will
require fresh justification.
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94
युनिट मोड्युल सन्ख्या 7
स्टेशि एवं यातायात लेखा
स्टेशि एवं यातायात लेखा
रेलवे स्टेशि व्दारा प्रनतददि ग्राहकों के साथ कई प्रकार के लेिदेि दकये जाते है । प्रत्येक प्रकार के लेिदेि
के नलए एक प्रारंनभक वाउचर जारी दकया जाता है । यात्री यातायात के नलए अनिकांशत कार्ड टटकट
जारी दकये जाते है कार्ड टटकट यात्रा लेखा कायाडलय की सहमती से प्रटटंग प्रेस से मांगवाये जाते है इसके
नलए स्टेशि व्दारा नििाडटरत छपे हुए फामड में आवेदि दकया जाता है । नजसे टटकट मांग पत्र कहा जाता
है । टटकट मांग पत्र तैयार करिे एवं टटकट मांग दकये जािे के नलए सभी स्टेशिों को तीि श्रेणीयों में
बांटा गया है -
श्रेणी ए :- नजि स्टेशिों व्दारा एक मनहिे में औसति 50000 या अनिकक यात्रा टटकट जारी दकये जाते
है ए श्रेणी स्टेशि कहलाते है । इि स्टेशिों व्दारा प्रत्येक चार मनहिे टटकट मांग पत्र तैयार दकये जाते है
अथाडत टटकट मांग दकये जाते है । ए श्रेणी स्टेशिों पर पांच मनहिे की अिुमानित आवश्यकता के बराबर
आरनक्षत भण्र्ार रखा जाता है ।
श्रेणी बी :- नजि स्टेशिों व्दारा एक मनहिे में औसति 20000 या अनिकक यात्रा टटकट जारी दकये जाते
है बी श्रेणी स्टेशि कहलाते है । इि स्टेशिों व्दारा प्रत्येक 6 मनहिे टटकट मांग पत्र तैयार दकये जाते है
अथाडत टटकट मांग दकये जाते है । बी श्रेणी स्टेशिों पर चार मनहिे की अिुमानित आवश्यकता के बराबर
आरनक्षत भण्र्ार रखा जाता है ।
श्रेणी सी :- श्रेणी ए एवं बी के अलावा अन्खय सभी स्टेशि सी श्रेणी स्टेशि होते है अथाडत नजि स्टेशिों
व्दारा एक मनहिे औसति 20000 से कम यात्रा टटकट जारी दकये जाते है सी स्टेशि कहलाते है । इि
स्टेशिों व्दारा 12 मनहिे से टटकट मांग पत्र तैयार दकये जाते है और स्टेशि पर चार मनहिे का आरनक्षत
भंर्ार रखा जाता है ।
स्टेशिों को मण्र्ल वानणज्य प्रबंिक कायाडलय व्दारा टटकट मांग पत्र भेजिे की नतनथयां सुनचत कर दी
जाती है ।
कार्ड टटकट की आवश्यकता :- यदद स्टेशि व्दारा नजि स्टेशिों की दूर 250 दकलो मीटर से कम
है के नलए एक वर्ड में एक ही प्रकार के अथाडत एक सीरीज में चार सौं या अनिक टटकट जारी दकये जाते
है और नजि स्टेशिों की दूरी 250 दक.मी. या अनिक है 200 या अनिक टटकट जारी दकये जाते है तो
स्टेशिों व्दारा कार्ड टटकट रखे जाते है टटकट नवक्री इससे कम होिे पर कोरा कागज टटकट जारी दकये
जाते है ।
अभ्यास सं्या 1 बी
अभ्यास सं्या -1 सी
टटकट मांग पत्र के प्रकार :- टटकट मांग दकये जािे की प्रनस्थनत के अिुसार टटकट मांग निम्न प्रकार के होते
है -
सािारण टटकट मांग पत्र :- स्टोशि के नलए नििाडरीत की गयी नतनथ पर जो टटकट मांग पत्र तैयार दकये
जाते है उिको सािारण टटकट मांग पत्र कहा जाता है । ये टटकट मांग पत्र ए श्रेणी स्टेशिों व्दारा चार
मनहिे , बी श्रेणी स्टेशिों व्दार छ: और सी श्रेणी स्टेशिों व्दारा 12 मनहिे से तैयार दकये जाते है और
नििाडटरत नतनथ तक लेखा कायाडलय को भेजे जाते है । इिके आिार पर स्टेशि को दो मनहिे में टटकट की
आपूती की जाती है । इिको नियनमत टटकट मांग पत्र भी कहा जाता है ।
आपात टटकट मांग पत्र :- यदद दकसी सीटरज या सीटरजों में यातायात में अत्यनिक बढोतरी होिे के
कारण स्टेशि पर उपलब्ि टटकट भण्र्ार के वल दो मनहिे की अिुमानित आवश्यकता के बराबर रह
जाता है और सािारण टटकट मांग पत्र तैयार िही दकये जा सकते है तो आपात टटकट मांग पत्र तैयार
दकये जाते हैं । ये टटकट मांग पत्र उसी प्रकार तैयार दकये जाते जैसे सािारण टटकट मांग पत्र , के वल
अंतर यह होता है दक इिकी उपरी ओर आपात शब्द नलखा जाता है नजससे लेखा कायाडलय एवं नप्रटटंग
प्रेस व्दारा जल्दी से कायडवाही की जाती है । इिके आिार पर स्टेशि को एक मनहिे में टटकट की आपूती
की जाती है ।
टेलीग्राम टटकट मांग पत्र:- यदद आपात टटकट मांग पत्र के आिार पर स्टेशि को एक मनहिे में टटकट
प्राप्त िही होते है तो लेखा कायाडलय एवं नप्रटटंग प्रेस को अपिी मांग का उल्लेख करते हुए टेलीग्राम ददया
जाता है नजसे टेलीग्राम टटकट मांग पत्र के रूप में जािा जाता है । इस के नलए मण्र्ल वानणज्य प्रबंिक
कायाडलय को भी सुनचत दकया जाता है । यदद स्टेशि व्दारा आपात टटकट मांग पत्र िहीं भेजा गया है
और इसी सीटरज या सीटरजों में उपलब्ि टटकट भण्र्ार के वल एक मनहिे की अिुमानित आवश्कता के
अिुसार है तो टटकट प्प्रंट करिे के नलए प्प्रंटटग प्रेस को टेलीग्राम भेजा जाता है नजसमें आवश्यक सभी
सुचिायें दी जाती है उसकी एक प्रनत लेखा कायाडलय को भेजी जाती है । इसके पिात टेलीग्राम का
संदभड देते हुए नििाडटरत फामड में टटकट मांग पत्र तैयार दकया जाता है । और लेखा कायाडलय को भेजा
जाता है । टेलीग्राम के आिार पर नप्रटटंग प्रेस व्दारा टटकट प्प्रंट दकये जाते है और लेखा कायाडलय व्दारा
आवश्यक जांच की जाती है टटकट मांग पत्र प्राप्त होिे पर लेखा कायाडलय व्दारा उिको नप्रटटंग प्रेस को
भेजा जाता है । नजसके आिार पर प्रेस व्दारा स्टेशि को टटकट भेजे जाते है । दकसी भी पटरनस्थनत में
टटकट पैंकेज स्टेशि कमडचारी को सुपुदडग िही दकये जायेगे जब तक की मण्र्ल वानण्ज्य प्रबंिक का
हस्ताक्षटरत पत्र िहीं हो । इिके आिार पर स्टेशि को 15 ददिों में टटकटों की आपूती की जाती है ।
पुि: वापसी टटकट मांग पत्र :- यदद स्टेशि पर उपलब्ि टटकट भण्र्ार दकर्े माकोर्ो या ददमक कांटे
जािे या पािी आदद से खराब हो गया है या दकसी सीटरज या सीटरजों में उपलब्ि टटकट भण्र्ार के
उपयोग की कोई संभाविा िही है तो इस प्रकार के टटकटों को यातायात लेखा कायाडलय को सुपुदड दकया
जाता है । नजसके नलए पुि: टटकट वापसी टटकट मांग पत्र तीि प्रनतयों में तैयार दकया जाता है। नजसकी
दो प्रनतयां टटकटों के साथ लेखा कायाडलय को भेजी जाती है लेखा कायाडलय व्दारा एक प्रनत प्राप्ती रसीद
अभ्यास सं्या 2 ए
स्टेशि पर रखी जािी वाली यह एक महत्वपूणड प्रारं नभक पुस्तक होती है इस पुस्तक में कोप्चंग यातायात
एवं उस से प्राप्त आय का लेखा दकया जाता है । यह पुस्तक कार्ड टटकट का मूल पुस्तक होता है अथाडत
स्टेशि व्दारा जारी दकये गये कार्ड टटकटों का पूरा नववरण इसमें नलखा जाता है । उिके अलावा अन्खय
सभी प्राप्तीयों अथाडत यातायात के नलए अलग अलग प्रारंनभक पुस्तक रखी जाती है । नजसके आिार पर
इस पुस्तक में प्रनवनि की जाती है । छोटे स्टेशि जहँेा लगातार बुककं ग िही की जाती है इस पुस्तक में
प्रत्येक गार्ी के प्रस्थाि के पिात पूरा नहसाब नलखा जाता है । और बर्े स्टेशि जहँेा लगातार बुककं ग
की जाती है इस पुस्तक में पारीवार नहसाब नलखा जाता है अथाडत प्रत्येक पारी की समाप्ती पर नहसाब
तैयार दकया जाता है । प्रनतददि गानर्यों या पारीयों के नहसाब के आिार पर प्रनतददि का नहसाब तैयार
दकया जाता है ।
अभ्यास सं्या 2 बी
यात्री यातायात स्थानिय:- इस भाग में स्टेशि व्दारा स्थानिय यातायात के नलए जारी दकये गये कार्ड
टटकट और उि से प्राप्त आय का लेखा दकया जाता है कार्ड टटकट की प्रत्येक सीटरज की अलग अलग
प्रनवनि की जाती है । स्टेशि व्दारा दकये गये कोरा कागज टटकटों का अलग नववरण तैयार दकया जाता
है नजसके योग के आिार पर इस भाग में अलग प्रनवनि की जाती है ।
अन्खय कोप्चंग यातायात :- इस भाग में स्टेशि व्दारा जारी दकये गये कार्ड टटकट एवं कोरा कागज टटकटों
के अलावा अन्खय सभी यातायात अथाडत आय जैसे पासडल यातायात - स्थानिय एवं इतर , स्थाि शुल्क ,
यात्री समाि , अमािती घर , चल टटकट रोकर् , अनतटरि दकराया इत्यादद का जमा लेखा दकया
जाता है । प्रत्येक प्रकार की आय के नलए अलग अलग रनजस्रर रखे जाते है । नजसके योग के आिार पर
इस भाग में प्रनवनि की जाती है ।
रोकर् वाउचर :- स्टेशि व्दारा बुककं ग के दौराि बुककं ग के नलए या रोकर् बदलिे के नलए रोकर् वाउचर
प्राप्त दकये जाते है ।नजिकी प्रनवनि इस भाग में की जाती है । रोकर् वाउचर का अथड ऐसा कोई भी
प्रपत्र नजसको रोकर् के स्थाि पर प्राप्त दकया जाता है ।
अभ्यास सं्या 2 सी
1.सुचक क्रमांक
2.स्टेशि को
3.दकराया
4.प्रारंनभक टटकट क्रमांक
5.अंनतम टटकट क्रमांक
6.िही जारी दकये गये टटकट की सं्या
7.जारी दकये गये टटकटों की सं्या
8.रानश
9.नवशेर् कथि
पुस्तक को बंद करिा :- इस पुस्तक के निम्ननलनखत प्रकार से योग दकये गये जाते है अथाडत नहसाब तैयार
दकया जाता है -
1. दैनिक योग :- प्रनतददि भाग एक दो तीि एवं चार का अलग अलग योग दकया जाता है । भाग
एक दो एवं तीि के सामुनहक योग में से भाग चार का योग घटाया जाता है और रोकर् एवं रोकर्
वाउचर का नमलाि दकया जाता है । इसके आिार पर प्रनतददि रोकर् एवं रोकर् वाउचर रोकर् कायाडलय
को भेजे जाते है ।
अभ्यास सं्या 3 ए
यात्री वगीकरण :-
यह एक मानसक नववरण होता है जो दक प्रत्येक स्टेशि व्दारा तैयार दकया जाता है यह नववरण स्थानिय
एवं इतर यातायात क नलए अलग अलग तैयार दकया जाता है इस नववरण मे मनहिे के दौराि स्टेशि
व्दारा कार्ड टटकट की प्रत्येक सीटरज में जारी दकये गये टटकटों और उिसे प्राप्त आय का पूरा नववरण
ददया जाता है । यह नववरण र्ी.टी.सी के आिार पर तैयार दकया ज ेाता है इसमें सीटरज का प्रारंनभक
टटकट क्रमांक र्ी.टी.सी का मनहिे की 1 तारीख का प्रारंनभक टटकट क्रमांक और ेंअंनतम टटकट क्रमांक
र्ी .टी.सी का मनहिे की अंनतम तारीख का अनतम टटकट क्रमांक नलखा जाता है सीटरज में िही जारी
दकये गये टटकटों की सं्या िही जारी दकये गये टटकटों के मानसक नववरण के आिार पर नलखी जाती
है । इसके पिात पूरा नहसाब तैयार दकया जाता है और इसके योग का र्ी.टी.सी के संबंनित मानसक
योग से नमलाि दकया जाता है और स्टेशि तुलि पत्र में नलये गये र्ेनबट की पृनष्ट में यह नववरएण
यातायात लेखा कायाडलय को भेजा जाता है । इस नववरण के साथ िही जारी दकये गये टटकटों का
मानसक नववरण भेजा जाता है ।
स्टेशि व्दारा मनहिे के दौरि जारी दकये गये कोरा कागज टटकटों का स्थानिय एवं इतर यातायात
के नलए अलग अलग नववरण तैयार दकया जाता है नववरण में प्रत्येक टटकटों अलग प्रनवनि की जाती है
। इसके योग का र्ी.टी.सी के संबंनित यो ग से नमलाि दकया जाता है और यात्री यातायात (बी.पी.टी )
के िाम से स्टेशि तुलि पत्र में र्ेनबट दकया जाता है ।
इस नववरण में उसी प्रकार खािे होते है जैसे र्ी.टी.सी में , जो दक निम्नािुसार है :-
1. सुचक क्रमांक
2. स्टेशि को
3. दकराया
4. प्रारंनभक टटकट क्रमांक
5. अंनतम टटकट क्रमांक
6. िही जारी दकये गये टटकट की सं्या
7. जारी दकये गये टटकटों की सं्या
8. रानश
1. यात्री वगीकरण प्रत्येक स्टेशि से स्थानिय एवं इतर यातायात के नलए अलग अलग प्रत्येक
मनहिे प्राप्त होता है ।
2. इसमें प्रत्येक सीटरज का प्रारंनभक टटकट क्रमांक नपछले मनहिे के यात्री वगीकरण के अनतम
टटकट क्रमांक से नमलता है ।
3. लेखा कायाडलय में गतव्य स्टेशिों से भेजे गये संग्रानहत टटकटों में से सीटरज के उच्चतम टटकट
क्रमांक का इससे नमलाि दकया जाता है ।
4. टरयायती दकराये पर जारी दकए गए टटकटों की सं्या तथा मुनित टटकटों के नलए यात्री
वगीकरण में उसके नलए ददखाई गए रानश की लेखा कायाडलय द्वारा पूरी जाँच यात्री वगीकरण
के साथ प्राप्त हुए टरयायती आदेशों के साथ नमलाकर की जायेगी । यदद यात्री वगीकरण में कोई
संशोिि करिा अनिवायड हो तो उस उद्येश्य के नलए बिाए गए रनजस्टर में नलखकर उसी समय
संबंनित स्टेशि को त्रूटटपत्र जारी दकया जायेगा ।
5. यात्री वगीकरण के साथ िहीं जारी दकए गए टटकटों का मानसक नववरण प्राप्त दकया जाता है
नजसके आिार पर प्रत्येक सीटरज में िहीं जारी दकए गए टटकटों की जाँच की जाती है ।
6. यदद दकसी सीटरज में आगे की टटकट सं्या जारी कर ददए गए हैं तो क्रमािुसार , िहीं जारी
दकए गए टटकटों को पहले जारी दकया जाता है और ये नियनमत रूप से जारी कर ददए गए
टटकटों को िोट के रूप में साथ-साथ में दशाडया जायेगा , जब तक दक वे क्रमािुसार िहीं हो जाते
हैं ।
7. यात्री बगीकरण के योग को जाँच दकया जाता हे और उसका नमलाि स्टेशि तुलि पत्र में यात्री
यातायात - कार्ड टटकट के िाम से नलए गए र्ेनबर् से दकया जाता है ।
अभ्यास सं्या : 03 बी
यदद दकसी यात्री या यानत्रयों को जारी दकए गए टटकट अनग्रम बुक दकए गए टटकटों के अलावा यात्री या
यानत्रयों द्वारा वापस दकए जाते हैं तो स्टेशि द्वारा ऐसे टटकट वापस प्राप्त दकए जाते हैं । नजिकों रद्द
दकया जाता है एवं उि पर रद्द करिे का कारण नलखा जाता है इस प्रकार वापस प्राप्त दकए गए टटकटों
को िहीं जारी दकए गए टटकट कहा जाता है । यात्री द्वारा गाड़ी निकल जािे या यात्रा िहीं करिे को
या दकसी अन्खय श्रेणी या स्टेशि का टटकट प्राप्त करिा हो या टटकट नलनपक द्वारा गलत टटकट जारी कर
ददया गया हो तो टटकट वापस दकया जाता है । यदद टटकट यात्री की आवश्यिा पर वापस नलया जाता
है तो नियमािुसार नलनपक प्रभार रानश की कटौती की जाती है और शेर् रानश यात्री को वापस की जाती
है ।
टटकट वापस प्राप्त होिे पर रद्द की जाती है एवं उसका नववरण एक हस्तनलनखत नववरण में नलखा जाता
है नजसे िहीं जारी दकए गए टटकटों का दैनिक नववरण कहा जाता है । इस नववरण में टटकट सं्या ,
रद्द करिे का कारण , वापस की गई रानश , नलनपक प्रभार रानश इत्यादद खािे होते हैं । प्रनतददि इव
नववरण के आिार पर र्ी.टी.सी. में नलनपक प्रभार रानश की प्रनवनष्ट की जाती हैं और िहीं जारी दकए
गए टटकटों को इस नववरण के साथ यातायात लेखा कायाडलय को भेजा जाता है । ले खा कायाडलय में
इिकी जाँच की जाती है यदद कोई नववरण के साथ कोई टटकट िहीं पाया जाता है तो उसके नमलिे के
नलए स्टेशि के नवरुद्ध र्ेनवर् जारी दकया जाता है ।
महीिे के अंत में दैनिक नववरण के आिार पर िहीं जारी दकए गए टटकटों का मानसक नववरण तैयार
दकया जाता है जो दक यात्री वगीकरण के साथ यातायात लेखा कायाडलय को प्राप्त होता है ।
अभ्यास क्रमांक 04 ए
पासडल यातायात :
रेलवे स्टेशिों पर प्राप्त इस प्रकार के प्रेर्ण यात्री सामाि के अलावा नजिका पटरवहि यात्री गानड़यों से
दकया जाता है , पासडल यातायात कहलाता है । पासडल यातायात के नलए प्रारंनभव व्हाउचर के रूप में
पासडल मागड पत्र जारी दकया जाता है। स्थािीय एवं इतर यातायात के नलए पासडल मागड पत्र की अलग-
अलग पुस्तक उपयोग में लाई जाती है । पासडल मागड पत्र चार प्रनतयों में होता है - स्टेशि टरकॉर्ड रेलवे
रसीद , गार्ड प्रनत एवं लेखा कायाडलय प्रनत ।
पासडल यातायात के नलए स्टेशि पर रखी जािे वाली यह एक महत्वपूणड पुस्तक होती है । यह पुस्तक
स्थािीय एवं इतर यातायात के नलए अलग -अलग रखी जाती है । इस पुस्तक में प्रनत ददि जारी दकए
गए पासडल मागड पत्रों की क्रमािुसार प्रनवनष्ट की जाती है । यदद कोई पासडल मागड पत्र रद्द दकया जाता है
तो उसकी क्रमािुसार प्रनवनष्ट करते हुए उसके सामिे रद्द दकया गया नलखा जाता है । इस पुस्तक में
पासडल मागड पत्र क्रमांक ,गंतव्य स्टेशि का िाम,प्रेर्ण का नववरण,भाड़ा इत्यादद जािकारी नलखी जाती
है । इस पुस्तक में प्रत्येक पन्ने की दो प्रनतयाँ होती है . इसनलए इसमें प्रनवनष्ट करते समय काबडि का
उपयोग दकया जाता है । प्रनतददि रोकड़ पुस्तक का योग दकया जाता है नजसके आिार पर र्ी.टी.सी .
में प्रनवनष्ट की जाती है । प्रनतददि के योग के पिात एक तारीख से आज तक का योग दकया जाता है ।
महीिे के अंत में मानसक योग के आिार पर स्टेशि तुलि पत्र में पासडल यातायात के िाम से र्ेनबर् नलया
जाता है । नलए गए र्ेनबर् की पुनष्ट में पासडल रोकड़ पुस्तक की काबडि प्रनत महीिे के दौराि जारी दकए
गए पासडल मागडपत्रों की लेखा कायाडलय प्रनतयों के साथ लेखा कायाडलय को भेजी जाती है ।
इतर यातायात के नलए रखी गई रोकड़ पुस्तक में प्रत्येक क्षेत्रीय रेलवे के नलए अलग अलग खािा होता
है । पासडल मागड पत्र की रानश खािा के अलावा संबंनित रेलवे के खािे में भी नलखी जाती है । इस रोकड़
पुस्तक को खािों वाली रोकड़ पुस्तक भी कहा जाता है ।
1. यातायात लेखा कायाडलय में पासडल मागडपत्रों की जाँच की जाती है और देखा जाता है दक -
2. प्रत्येक पासडल मागड पत्र के सभी खािों में आवश्यक प्रनवनष्ट की गई है ।
3. स्थािीय एवं इतर यातायात के नलए अलग-अलग पासडल मागड पत्र जारी दकए गए हैं ।
4. पासडल मागड पत्र में प्रभाटरत की गई रानश दर सूची के अिुसार सही है ।
5. यदद भाड़ा का भेुेंगताि,क्रेनर्ट िोट के माध्यम से दकया गया है तो पासडल मागड पत्र पर क्रेनर्ट
िोट की सं्या एवं जारी करिे वाले अनिकारी के बारे में नलखा गया है ।
6. यदद पासडल यातायात के नलए नवशेर् प्रभार जैसे आउट एजेंसी प्रभार प्रभाटरत दकए गए हैेेें
तो उिको पासडल मागड पत्र में अलग से बताया गया है एवं बताई गई रानश दर सूची के अिूसार
सही है ।
7. यदद मूल्यवाि वस्तुएं बुक की गई है और प्रेर्क द्वारा मूल्य घोनर्त करते हुए बीमा प्रभार
भुगताि दकया गया है तो वह नियमािुसार है । यदद मूल्य घाोनशत िहीं दकया गया है तो पासडल
मागडपत्र पर उनचत टरमाकड ददया गया है ।
8. बुककं ग के नलए न्खयूितम भाड़ा,दूरी एवं भार नियमों का पालि दकया गया है ।
अभ्यास सं्या 05 ए
माल यातायात :- रेल प्रशासि की ओर से रेलवे स्टेशिों (माल गोदामों ) पर प्राप्त दकए गए इस प्रकार
के प्रेर्ण नजिका पटरवहि मालगानड़यों द्वारा दकया जाता है माल यातायात कहलाता है । माल यातायात
के नलए प्रारंनभक व्हाउचर के रूप में बीजक (रेलवे रसीद ) जारी दकया जाता है । बीजक जावक दत्त
स्थािीय ,जावक देय स्थािीय, जावक दत्त इतर एवं जावक देय एवं जावक देय इतर के नलए अलग-अलग
जारी दकए जाते हैं । स्थािीय यातायात के नलए बीजक चार प्रनतयों और इतर यातायात के नलए पाँच
प्रनतयों में जारी दकया जाता है -
अभ्यास सं्या : 05 बी
माल यातायात के नलए माल गोदाम पर रखी जािे वाली यह एक महत्वपूणड पुस्तक होती है । यह पुस्तक
स्थािीय एवं इतर यातायात के नलए अलग-अलग रखी जाती है । इस पुस्तक में प्रनतददि दत्त जारी दकए
गए रेलवे रसीदों की क्रमािुसार प्रनवनष्ट की जाती है इसमें रेलवे रसीद सं्या ,बीजक सं्या,गंतव्य
स्टेशि का िाम, माल की श्रेणी , प्रेर्ण का नववरण ,दत्त भाड़ा इत्यादद जािकारी नलखी जाती है । यदद
कोई रेलवे रसीद रद्द दकया गया है तो उसकी क्रमािुसार प्रनवनष्ट करते हुए उसके सामिे रद्द दकया गया
नलखा जाता है । प्रनतददि रोकड़ पुस्तक का योग दकया जाता है । नजसके आिार पर रोकड़ का नमलाि
करते हुए निपटारा दकया जाता है ।
महीिे के अंत में इसके मानसक योग के आिार पर जाबक दत्त माल यातायात के नलए स्टेशि तुलि पत्र
में जाबक दत्त माल यातायात के िाम से र्ेनबट नलया जाता है ।
स्टेशि द्वारा स्टेशि के नलए नििाडटरत की गई नतनथयों पर रेलवे रसीद की बीजक प्रनतयाँ बीजकों की
सुची तैयार करते हुए वानणज्य कोटरयर के माध्यम से यातायात लेखा कायाडलय को भेजी जाती है । इसके
नलए स्टेशि द्वारा जावक दत्त स्थािीय, जावक देय स्थािीय ,जावक दत्त इतर एवं जावक देय इत्तर के
नलए बीजक सूनचयाँ तीि प्रनतयों में तैयार की जाती है नजसमें रेलवे रसीद सं्या एवं बीजक सं्या
नलखी जाती है । इिकी दो प्रनतयाँ बीजक पैकेट के साथ कोटरयर को दी जाती है । कोटरयर द्वारा बीजक
प्रनतयाँ लेखा-कायाडलय में जमा की जाती है और प्रानप्त रसीद के रूप में बीजक सूची की एक प्रनत प्राप्त
की जाती है नजसे स्टेशि को सुपुदड दकया जाता है ।
आवक माल यातायात के नलए स्टेशि पर रखी जािे वाली यह एक महत्वपूणड पुस्तक होती है । इस
पुस्तक में स्टेशि द्वारा आबक यातायात के नलए प्रनत ददि प्राप्त की गई रेलवे रसीद की गंतव्य स्टेशि
प्रनतयों के आिार पर प्रनवनष्ट की जाती हैं । इसमें प्रनवनष्ट करिे से पहले रे लवे रसीदों की शत-प्रनतशत
जाँच की जाती है और पाए गए अवप्रभार /अनिप्रभार को रे लवे रसीद के नििाडटरत खािे में नलखा जाता
है । यह पुस्तक स्थािीय एवं इतर यातायात के नलए अलग-अलग रखी जाती है । इस पुस्तक में रेलवे
रसीद सं्या ,बीजक सं्या,प्रस्थाि स्टेशि का िाम,माल की श्रेणी ,पेर्ण प्राप्ती का समय एवम
नतनथ,प्रेर्ण का नववरण,दत्त भाड़ा, देय भाड़ा, अवप्रभार , अनिप्रभार, स्थाि शुल्क एवम नवलंब
शुल्क,सुपुदडगी का समय एवम नतथी, पाटी का हस्ताक्षर इ. खािे होते है।
यातायात लेखा कायाडलय में स्टेशिों से प्राप्त की गई बीजक प्रनतयों की जाँच की जाती है और पाए गए
अव प्रभार /अनि प्रभार को बीजक प्रनत के नििाडटरत खािे में नलखा जाता है , इिकी आवश्यक कोप्र्ंग
भी की जाती है । महीिे के दौराि प्राप्त की गई बीजक प्रनतयों की जाँच के पिात इिको मशीि अिुभाग
(ई.र्ी.पी.)/कम्प्यूटर सेक्शि को भेजा जाता है । वहाँ इिको कम्प्युटर में दफर् दकया जाता है इसके पिात
कम्प्यूटर द्वारा जाबक दत्त यातायात के नलए प्रत्येक स्टेशि के नलए दत्त नववरण तैयार दकया जाता है ।
प्रत्येक स्टेशि के नलए आबक यातायात के नलए एक नववरण तैयार दकया जाता है नजसमें यह बताया
जाता है दक महीिे के दौराि अन्खय सभी स्टेशिों द्वारा इस स्टेशि को कौि-कौि से रेलवे रसीद जारी दकए
गए हैं अथाडत कु ल दकतिा माल यातायात बुक दकया गया है उसका पूरा नववरण ददया जाता है । इस
नववरण को मशीि निर्मडत सार कहा जाता है । इसमें रेलवे रसीद सं्या , बीजक सं्या,प्रस्थाि स्टेशि
का िाम, माल की श्रेणी,माल का नववरण,दत्त भाड़ा,देय भाड़ा,अव प्रभार,अनि प्रभार इत्यादद खािे होते
हैं ।यह नववरण स्थािीय यातायात के नलए तीि प्रनतयों और इतर यातायात के नलए चार प्रनतयों में
तेयार दकया जाता है । इसकी दो प्रनतयाँ स्टेशि को भेजी जाती है और एक प्रनत लेखा कायाडलय द्वारा
टरकॉर्ड में रखी जाती है । इतर यातायात के नलए स्टेशि प्रनतयाँ मंर्ल वानणज्य प्रबंिक कायाडलय के
माध्यम से भेजी जाती है और एक प्रनत संबंनित रेलवे के यातायात लेखा कायाडलय को भेजी जाती है ।
1. बीजक काबडि पद्धनत्त से तेयार दकया गया है । यदद प्रनतनलनप भेजी जाती हे तो यह देखा जािा
चानहए दक इसे स्टेशि मास्टर िे सही प्रमानणत दकया है ।
2. फामड में अपेनक्षत सभी ब्यौरे नवनभन्न कालमों में यथोनचत रूप से भरे गए हैं ।
3. बीजक में ददए गए माल के नववरण के अिुसार वगीकरण सही है ।
4. दर सूची नियमों के अंतगडत " दत्त " बुक की जािे वाली वस्तुएं "देय" रूप में बुक िहीं की जाती
है ।
अभ्यास सं्या 6 सी
समयावनिक नववरण
1. प्राप्तीयोंका अनग्रम नववरण
2. नबजक सुप्चंया
मानसक नववरण
1. मनशि निर्मडत सार दक प्रती -(पटरवर्तडत सार नववरण)
2. पटरनशष्ट ए - प्रत्येक क्षेत्रीय रेल्वे के आवक दत्त एवम देय यातायात के योग का नववरण
अवप्रभार
आवक यातायात के नलये स्टेशि को प्रनतददि पासडल मागड पत्र दक गार्ड प्रनतनलपीयॉ /नबजक दक गन्खतव्य
स्टेशि प्रनतयॉ प्राप्त होती है। स्टेशि व्दारा इिदक शत प्रनतशत जॉच दक जाती है। यदी जॉच के दौराि
यह पाया जाता है की प्रस्थाि स्टेशि व्दारा प्रभाटरत दकया गया प्रभार दर सुनचयों के अिुसार कम है तो
पायी गयी कम राशी को अवप्रभार कहा जाता है । और पाये गये अवप्रभार राशी रेल्व रनसद के नििाडटरत
खािे मे नलनख जाती है और इसदक सुपुदडगी पुस्तक मे प्रनवष्टी दक जाती है। सुपुदडनग के समय अवप्रभार
राशी वसुल दक जाती है। प्रनतददि संग्रहीत राशी दक रोकर् पुस्तक मे प्रनवष्टी दक जाती है।
माह के अंतमे सुपुदडगी पुस्तक के आिारपर अवप्रभार नववरण तैयार दकया जाता है। नजसके योग के
आिारपर स्टेशि तुलि पत्र मे र्ेनबट नलया जाता है। माल यातायात के नलये अवप्रभार राशी आवक देय
भार्ा मे शानमल दक जाती है।
अनिप्रभार
स्टेशि आय से वापसी
1. स्टेशिो व्दारा प्रनतददि संग्रहीत रोकर् नियमािुसार रोकर् कायाडलय को भेजी जाती है। एवम रोकर्
कायाडलय व्दारा उसे रेल्वे के खाते मे जमा कर ददया जाता है। इस सामान्खय नियम के अपवाद स्वरुप
कु छ नवशेर् पटरनस्थतीयोंमे स्टेशि रोकर् का उपयोग नवभानगय व्यय के नलये दकया जा सकता है।
जो दक निम्नािुसार है।
2. नव.स.एवम मु.ले.अ. या उसदक औरसे अन्खय लेखा अनिकारी व्दारा जारी दकये गये चेक का भुगताि।
3. रेल मंत्री कल्याण निनि से जारी दकये गये चेक का भुगताि ।
4. रेल प्रशासि के नवरुध्द दकये गये दावों के निपटारे के नलये जारी दकये गये भु गताि आदेंशोंका
भुगताि ।
स्टेशि व्दारा नवनभन्न नववरण एवम नववरणीयॉ तैयार दक जाती है । एवम जारी दकये गये प्रारंनभक
वाउचरो दक लेखा कायाडलय प्रनतनलपीयों के साथ यातायात लेखा कायाडलय को भेजी जाती है। लेखा
कायाडलयमे इिदक जॉच दक जाती है। जॉच के दौराि पायी गयी इस प्रकारदक गलतीयॉ जैसे रे ल प्रशासि
को नवनत्तय िुकसाि हो गया है। उसदक वसुली के नलये संबंनित स्टेशि के नवरुध्द एक वाउचर जारी दकया
जाता है नजसमे संबंनित लेिदेि एवम नवनत्तय िुकसाि का पुरा नववरण ददया जाता है। इसे त्रृटटपत्र कहा
जाता है। त्रृटटपत्र 3 प्रनतयोंमे जारी दकया जाता है। नजसदक 2 प्रनतयॉ स्टेशि को भेजी जाती है। यदद
मु्य वानणज्य प्रबंिक के कायाडलय मे बकाया शाखा कायडरत होती है तो त्रृटीपत्र चार प्रनतयोंमे जारी
दकया जाता है नजसकी एक प्रनत बकाया शाखा को भेजी जाती है।
स्टेशि पर त्रृटीपत्र प्राप्त होिे पर स्टेशि मास्तर व्दारा स्टेशि टरकार्ड के साथ जॉच करके देखा जाता है
दक त्रृटटपत्र सही है या िही । यदद त्रृटटपत्र सही पाया जाता है तो उसे नस्वकार दकया जाता है। और यदद
सही िही पाया गया है तो त्रृटटपत्र पर कारण नलखते हुए अनस्वकार दकया जाता है। इसदक एक प्रनत
स्टेशि टरकार्ड मे रखी जाती है एवम एक प्रनत नस्वकार या अनस्वकार करते हुए लेखा कायाडलय को भेजी
जाती है/ मनहिेके दौराि प्राप्त दकये गये त्रृटटपत्रोंके राशी के नलये स्टेशि तुलि पत्र मे नवशेर् िामे नलये
जाते है। नस्वकार दकये गये त्रृटटपत्रों की राशी के नलये गये र्ेनबट को नस्वकृ त िामे कहा जाता है। और
अनस्वकार दकये गये त्रृटटपत्रो की राशी के नलये , नलये गये र्ेनबट को अनस्वकृ त िामे कहा जाता है।
नस्वकृ त िामे के निपटारे के नलये नजम्पमेदार कमडचारीयों व्दारा रोकर् जमा दक जाती है। मनहिेके दौराि
जमा दक गयी राशी के नलये स्टेशि तुलि पत्र मे जमा नलया जाता है एवम शेर् राशी स्टेशि बकायामे
नलखी जाती है।नजसका निपटारा अगले मनहिे मे कमडचारीयों व्दारा रोकर् जमा करिे पर होगा यदी
कमडचारी चाहता है तो अपिे वेति मे कटौती नस्वकार कर सकता है। मनहिे के दौराि वेति मेसे दक गयी
कटौती के नलये कटौती सुची के िामसे नवशेर् जमा नलया जाता है। चदद दकसी कमडचारी का स्थािांतरण
हो गया है तो उसका नस्वकृ त िामे संबंनित स्टेशि को हस्तांतरीत दकया जाता है और नवशेर् जमा नलया
जाता है/
अनस्वकृ त िामे के निपटारे के नलये यातायात लेखा कायाडलय व्दारा स्टेशि व्दारा बताया गया कारण
सही पाये जािे पर जमा सुचिा पत्र जारी दकया जाता है। मनहिे के दौराि स्टेशि व्दारा प्राप्त दकये गये
जमा सुचिा पत्रोकी राशी के नलये स्टेशि तुलि पत्र मे नवशेर् जमा नलया जाता है । यदी स्टेशि व्दारा
अनस्वाकार करिे का कारण सही िही पाया गया है तो स्टेशि को र्ेनबट नस्वकार करिे के नलये कहा
जाता है। स्टेशि के नवरुध्द चल लेखा निटरक्षक व्दारा भी त्रृटटपत्र जारी दकये जाते है एवम अनस्वकार
दकये गये त्रृटटपत्रों के नलये जमा प्रानिकार पत्र जारी दकया जा सकता है।
आंतटरक जॉच सुंचिा पत्र- फामड िं. टट.ए.44 एफ
यातायात लेखा कायाडलय स्टेशिों व्दारा भेजे गये स्टेशि तुलि पत्रों दक शत प्रनतशत आंतटरक जॉच दक
जाती है। स्टेशि तुलि पत्र दक जॉच के पटरणाम स्वरुप आंतटरक जॉच सुचिा पत्र तैयार दकये जाते है
एवम संबंनित स्टेशि को भेजा जाता है। इसम जॉच के पटरणाम स्वरुप स्टेशि बकाया मे आये बदलाव
को दशाडया जाता है।
स्टेशि तुलि पत्र यह स्टेशि मास्टर व्दारा तैयार दकया जािे वाला एक महत्वपूणड नववरण होता है। हर
माह के अन्खत मे इसे तैयार दकया जाता है। इस नववरण मे स्टेशि पर होिे वाले समस्त आर्थडक व्यवहारोंको
नििाडटरत नशर्ो के अन्खतगडत ददखाया जाता है। स्टेशि तुलि पत्र को दो पक्ष होते है। एक पक्ष को िामे
पक्ष कहते है और दुसरे पक्ष को जमा पक्ष कहते है। बाये पक्ष को िामे तथा दाये पक्ष को जमा पक्ष कहते
है। जो राशी स्टेशि कमडचारी व्दारा वसुल दक जाती है अथवा उसदक वसुली के नलये स्टेशि के कमडचारी
नजम्पमेदार होते है एसी राशी स्टेशि तुलि पत्र मे िामे दक तरफ ददखायी जाती है। तथा जो राशी स्टेशि
के कमडचारीयों व्दारा वसुल करके मु्य खजांची को भेजी जाती है एसी राशी स्टेशि तुलि पत्र मे जमा
दक तरफ नलखी जाती है। िामे ओैर जमा मे जो अन्खतर होता है उसे स्टेशि तुलि पत्र मे जमा दक तरफ
इनतशेर् नशर्ड मे ददखाया जाता है। इनतशेर् नलखले के बाद िामे और जमा का कु लयोग समाि होिा
चाहीये ।
तुलि पत्र के िामे और जमा मे अनिक अन्खतर िही होिा चाहीये। यह एसी राशी होती है जो स्टेशि के
कमडचारी वसुल करिेके नलये नजम्पमदार होते है लेदकि उसदक वसुनल बकाया है। इसे ही स्टेशि बकाया
भी कहते है। स्टेशि तुलि पत्र मे जो राशी ददखायी जाती है वह सारांश के रुपमे होती है। स्टेशि पर रखे
गये सभी दकताबो से यह राशी नल जाती है। स्थानिय एवम इतर रेल्वे के साथ होिेवाले व्यवहारो दक
राशी एकही तुलि पत्र मे नलखी जाती है। जब दक इिके नवस्तृत नववरण अलग अलग बिाये जाते है।
कोप्चंग एवम माल यातायात के नलये अलग अलग तुलि बिाये जाते है।
अभ्यास सं्या 9 बी
कोप्चंग तुलि पत्र
स्टेशि का िाम -------------- माह एवम वर्ड-----------------
िामे राशी जमा राशी
नववरण नववरण
अनिशेर् मू्य खजांची को भेजी गयी रोकर्
1. अग्रदाय िि एवम वाउचसड नजसके नलये पावती प्राप्त
2. खजांची से प्राप्त िामे हुयी है
3. नस्वकृ त िामे
4. अनस्वकृ त िामे
कु ल योग कु ल योग
अभ्यास सं्या 9 सी
स्टेशि व्दारा लेखा कायाडलय को भेजी जािेवाली नववरणीयॉ
कोप्चंग यातायात के नलये रेल्वे स्टेशि व्दारा लेखा कायाडलय को नवनवि प्रकारके नववरण भेजे जाते है।
कोप्चंग यातायात के अन्खतगडत स्टेशि व्दारा लेखा कायाडलय को निम्ननलनखत नववरण भेजे जाते है।
1. दैनिक नववरण
2. िगदद प्रेर्णा पत्र
3. रद्द दकये गये टटकटोंका दैनिक नववरण
4. संग्रनहत दकये गये टटकटोंका दैनिक नववरण
सामनयक नववरण
मानसक नववरण
1. रद्ददकये गये टटकटोंका मानसक नववरण
2. यात्री वर्गडकरण
3. पासडल रोकर् पुस्तक दक एक प्रनतनलपी
4. अनतटरि दकराया टटकटोंका मानसक नववरण
5. स्थाि शुल्कोंका मानसक नववरण
6. त्रृटटपत्रोंका मानसक नववरण
7. सरकारी प्रकाशिोंका मानसक नववरण
8. कटौनत सुनचयोंका मानसक नववरण
9. मादफ आदेशांेेका मानसक नववरण
10. लेखा कायाडलय से प्राप्त जमा अनिकार पत्रों का मानसक नववरण
11. प्राप्त दकये गये प्रमानणत अनिप्रभार पत्रोंका मानसक नववरण
12. दुसरे स्टेशिोंको भेजे गये र्ेनबट का नववरण
13. दुसरे स्टेशिों से प्राप्त र्ेनबट का नववरण
14. फुं टकर एवम नवनवि आय का नववरण
15. स्टेशि बकाया का नववरण
लेखा कायाडलय मे स्टेशि तुलि पत्र प्राप्त होिे पर निम्ननलनखत जॉच दक जाती है।
लेखा कायाडलय मे तुलि पत्र प्राप्त होते ही यह देखा जाता है दक वह निघाडटरत प्रारुप मे तैयार दकया गया
है।
तुलि पत्र मे ददखाया गया अनिशेर् पुरािे तुलि पत्र के इनतशेर् के अिुसार बराबर है अथवा िही।
वतडमाि िामे दक जॉच नवनवि प्रकारके नववरणों के साथ दक जाती है। उदा . यात्री वर्गडकरण, पासडल
रोकर् पुस्तक दक प्रनतनलपी,स्थािशुल्क एवम नवलम्पब शुल्क के नववरण ,आदद नववरणों के साथ वतडमाि
जमा प्रनवनियाँ भी नति भागो मे होती है । जैसे 1- रोकर् एवम रोकर् वाउचसड, 2- नवशेर् जमा , 3-
इनतशेर्. इसमे रोकर् एवम वाउचसड दक जाँच खजांची से प्राप्त िगदद प्रेर्णा पत्र दक प्रनतनलनपयों के साथ
दक जाती है। खजांची से प्राप्त दकये गये रोकर् एवम वाउचरोंको एक रनजस्टर मे चढाया जाता है । और
तुलि पत्र प्राप्त होिेंपर तारीख के अिुसार दजड दक गयी राशी की जाँच दक जाती है।
नवशेर् जमा दक जाँच तुलि पत्र के साथ प्राप्त दकये गये नववरणों के आिारपर दक जाती है। जैसे दक
प्रमानणत अनिप्रभार पत्र, वापसी सुेूनचयाँ, पुिडबुककं ग परदेय नववरण, कटोेैती नववरण, जमा अनिकार
पत्र जो स्टेशि तुलि पत्रोंके साथ यातायात लेखा कायाडलयमे प्राप्त होते है उिके साथ जॉच दक जाती
है।
इनतशेर् दक जाँच स्टेशि मास्टरों व्दारा इनतशेर् के नलये जो नववरण भेजे जाते है उसके साथ दकजाती है
। तुेूलि पत्र दक िामे एवम जमा का कु लयोग बराबर होिा चाहीये।
तुलि पत्र पर लेखा कायाडलय मे जो जाँच दक जाती है उसके पटरणाम तुिन्खत स्टेशिोंको सुनचत दकये जाते
है। इसके नलये लेखा कायाडलय व्दारा आंतटरक जॉच का सुचिा पत्र तैयार दकया जाता है।
अभ्यास सं्या 11 ए
स्टेशि बकाया
स्टेशि कमडचारीयों व्दारा अछछे प्रयास करिे के बावजूद भी कु छ मद ऐसे होते है जो दक स्टेशि तुलि पत्र
के इनतशेर् मे बकाया के रुपमे ददखािा आवश्यक हो जाता है।
नजि मदोंके वसुनल के नलये स्टेशि कमडचारी नजम्पमेदार होते है उसे स्टेशि बकाया कहा जाता है। यह
स्टेशि पर काम करिे वाले कमडचारीयों दक व्यनिगत नजम्पमेदारी होती है दक ऐसे बकाया का नवसृत लेखा
स्टेशि पर अिुरनक्षत करें।
सामान्खयत: स्टेशि बकायामे निम्ननलनखत बाते शानमल होती है।
अभ्यास सं्या 11 बी
1) अग्रदाय िि : - यह राशी यातायात के नलये खोले गये सभी स्टेशिों पर होती है । इसका उद्देश यह
होता है दक जो यात्री टटकट लेिे आते है उिके पास छु ट्टे पैसे ि होिे पर उन्खह छु ट्टे पैसे लौटाये जा सके
। इसनलये इसे निपटाया िही जा सकता। जबतक स्टेशि यातायात के नलये खुला है तबतक यह राशी
स्टेशि पर होिा चाहीये।
स्टेशि बकाया यह ऐसी आय से संबंनित राशी होती है नजसके नलये यातायात ढोयी गयी है । अथवा
कायड दकया गया है लेदकि वसुनल बादक है। इसनलये स्टेशि बकाया का नशघ्र निपटारा करिा अनत
आवश्यक होता है। दुसरे शब्दों मे हम यह कह सकते है दक यह उिार बेची गयी यातायात है इसनलये भी
इसदक वसुंली करिा आवश्यक हो जाता है।
अग्रदाय िि : - इसका निपटारा करिे दक आवश्यकता िही होती है । क्योंकी यह राशी स्टेशिपर हमेशा
के नलये रखी जाती है। के वल यह देखिा आवश्यक होता है दक यह राशी हमेशा स्टेशि मे है। क्यों दक यह
सरकारी राशी होती है इसमे कम जादा होिे पर अिुशासिात्मक कारवाइ हो सकती है।
खंजांची के िामे :- इन्खहंेेें प्राप्त होते ही नति ददिोंके अन्खदर निपटाया जािा चाहीये । नजम्पमेदार रेल
कमडचारी व्दारा यह राशी तुरन्खत जमा करके इसे निपटािा चाहीये।
5. आवक देय माल यातायात - माल आया है-- इि मामलोंमे प्रेशक एवम प्रेर्ती को सुचिा पत्र भेजे जाते
है। इस सुचिा पत्र मे उन्खहे माल दक नर्नलव्हरी निनित समय मे लेिे के नलये अिुग्रह दकया जाता है ।
यदद पार्टड व्दारा माल दक नर्नलव्हरी नल जाती है तो भार्ा वसुल दकया जाता है और स्टेशि बकाया का
निपटारा दकया जाता है। यदद पाटी नर्नलव्हरी लेिे िही आती है तो ेंस्टेशि मास्तर व्दारा उसे यातो
लॉस्ट प्रॉपर्टड कायाडलय को भेजा जाता है। अथवा निलाम करके भार्े दक राशी वसुली जाती है और स्टेशि
बकाया का निपटारा दकया जाता है।देय नबजक माल िही आया है - इि मदों का निपटारा करिे के नलये
स्टेशि मास्टर व्दारा अग्रेर्ण स्टेशि को पत्र नलखिा चाहीये और माल के नर्नलव्हरी के नववरण प्राप्त
करिा चाहीये अथवा अनिप्रभार पत्र तैयार करिा चाहीये । यदद अग्रेर्ण स्टेशि व्दारा माल के नर्स्पच
पर्टडक्युलसड ददये जाते है तो माल आिे तक राह देखिा चाहीये और माल आिे के बाद नर्नलव्हरी देकर
बकाया का निपटारा करिा चाहीये । अन्खयत: प्रमानणत अनिप्रभार पत्र के आिारपर बकाया का निपटारा
करिा चाहीये।
नवक्रय हेतू रखे सरकारी प्रकाशन्खस :- दकराये मे पटरवतडि अथवा समय तानलकाओं मे पटरवतडि इ.
कारणों से स्टेशि पर रखा गया सरकारी प्रकाशिोंका स्टॉक अनतटरि हो जाता है। अथवा स्टेशि पर
जरुरत से अनिक स्टॉक प्राप्त होिे पर उसे दुसरे स्टेशि को भेजकर अथवा मुिणालय को भेजकर स्टेशि
बकाया का निपटारा करिा चाहीये।
कु छ सरकारी नवभागो एवम कु छ िानमत कं पनियों व्दारा रेल्वे को भार्ा िगद मे िही ददया जाता बल्की
िगद के स्थाि पर नमनलटरी वारंट, क्रेर्ीट िोटस जैसे वाउचसड ददये जाते है। यह वाउचसड स्टेशिों व्दारा
यातायात लेखा कायाडलय को भेजे जाते है।
यह वाउचसड यातायात लेखा कायाडलयमे प्राप्त होिे पर यह यातायात लेखा कायाडलय दक नजम्पमेदारी हो
जाती है दक इि वाउचरों के आिारपर इि नवभागों अथवा कं पनियों से भार्े दक राशी दक वसुली जल्द
से जल्द करें। इसके नलये यातायात लेखा कायाडलय व्दारा वाहि नबल तैयार दकये जाते है।
इसके अलावा कु छ यातायात के मामलेमे यातायात लेखा कायाडलय व्दारा नसिे राशी दक वसुली भी दक
जाती है/ जैसे दक टुटरस्ट कु पन्खस, नवज्ञापि, इसे रेल्वे के खाते मे जमा करिे दक नजम्पमेदारी भी यातायात
लेखा कायाडलय दक होती है। इस प्रकारसे नसिे रुपसे प्राप्त आय एवम वाउचरों से प्राप्त आय पर निगरािी
रखिे के नलये यातायात लेखा कायाडलय व्दारा भी एक तुलि पत्र तैयार दकया जाता है। इसे लेखा कायाडलय
का तुलि पत्र कहते है। यह भी कोप्चंग एवम माल यातायात के नलये अलग अलग तैयार दकया जाता
है।इसके िामे पक्ष मे वह राशी ददखायी जाती है नजसके नलये वाउचसड तो प्राप्त हुये है लेदकि वाहि नबल
तैयार होिा और राशी वसुल करिा बाकी है। तथा जमा पक्ष मे जो वाहि नबल बिाकर भेज ददये गये है
और संबंनित सरकारी नवभागों व्दारा उसके नलये नस्वकृ ती नमल गयी है उसे ददखाया जाता है। इसका
शेर् हमेशा िामे शेर् ददखाता है । जो यह दशाडता है दक लेखा कायाडलय मे दकतिे वाउचसड बकाया पर्े
है। नजिके नलये वाहि नबल तैयार करिा बाकी है।
In the accounts office the internal check is carried out on the returns and statements and
vouchers etc.
Ticket Indent
Ticket Indent is a periodical return through which the printed card tickets are obtained by the
Station from the Printing press in due consultation with the Traffic Accounts.
To enable the station staff to prepare indent for card ticket one important register is
maintained by each station namely Ticket Estimate Register. This register is used to watch
and ensure the requirement of tickets to be indented. Estimate of tickets is arrived at the
basis of previous year consumption and also anticipated traffic to occur in the current year
i.e.
This register in revised after every three year unless abnormal variation warrants
earlier revision. Estimate is prepared in three copies out of which one copy is submitted to
Traffic account office, first copy is kept as record and the third is sent to the printing press.
Ordinary Ticket indent is a document by which the printed card tickets are demanded
from the printing press. The date for the submission of ticket indents are fixed by the FA &
C.A.O in consultation with Chief Commercial Manager and Superintendent Printing Press.
For the purpose of submitting the indents, stations are classified in 3 categories, which are
as under.
The indent for the printed cards ticket should be placed for all stations for which the
annual requirement is 400 tickets or more for distance up to 250 Kms and 200 tickets for
distance beyond 250 Kms. If the annual consumption of tickets in respect of any one series
at a station is less than 1000 the indent should in every case be a minimum of 1000 tickets
1) Record
2) Printing press
3) Accounts
4) Receipt Note
5) Delivery Note
Then, R (T) = M X (P + R) - S
Rounding off: - If the figure arrived is more than 1000, it should be rounded off to the next
250. If the figure arrived at is less than 1000, the same should be rounded off to 1000.
After preparing the estimate, the Ticket indent is prepared in 5 copies. One copy
should be retained on station as record and 4 copies should be sent to traffic account office.
Account office will exercise the internal check of the tickets indent and ensure that the name
of station to, spelling, distance, class and fare are written correctly and forward all copies to
the printing press.
After receipt of ticket indent duly checked by account office the printing press will start
the printing of card tickets and stock of printed cards tickets will be sent to the station
directly along-with receipt note and delivery note. One copy will be retained by the printing
press and Account office copy is sent to the Traffic Accounts office.
On receipt of ticket bundle at station, station staff will check the stock of contents
with record file and summary of ticket bundles sent by press. Then they should count
careful and should examine each tickets in all respect i.e. class, progressive
number, distance, fare , name of stations etc. shortage, disagreements, wrong
printing, illegible printing, duplicate tickets and other irregularities should be reported
immediately. Duplicate tickets and irregularities etc. should be at once return to the
printing press and report should be submitted to traffic account office and the receipt note
should be promptly sent to the traffic accounts office and delivery note should be pasted to
the record file of the tickets indent based on this delivery note ticket stock register should
be maintained . On the basis of Ordinary Ticket Indent, the ticket is supplied to the station
within a period of two months.
An emergent ticket indent should be prepared and submitted by station only if ticket
stock runs out unexpectedly due to unforeseen rush and traffic arising from festivals,
conferences, fairs etc. This indent should be prepared in the same fashion as the Ordinary
ticket indent. These indents should be clearly marked as "Emergent Indent" in red ink in
bold letters.
Proper reasons for preparation of Emergent Indent should be recorded in the indent
register. This indent should be prepared when only two months stock is available at the
station in the particular series and if no new stock is expected in near future. On the basis of
Emergent Ticket Indent, the ticket is supplied to the stations within a period of one month.
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UNIT MODULE NO. 07
STATION AND TRAFFIC ACCOUNTS
This indent should be prepared in case no supply of stock is received even after
submission of Emergent Ticket Indent and the stock on hand is likely to be sufficient for one
month requirements. Telegrams are issued to traffic account office, SPS Byculla and
Divisional Commercial Manager. All information pertaining to the printing of tickets is
furnished in the telegram clearly. Printing press prints the ticket on the basis of telegram
received. After submission of telegram, ticket indents are prepared in prescribed form
indicating the reference of telegram already issued. Account office will exercise the internal
check on top priority and send this to the printing press and the press will submit the stock of
printed card tickets as early as possible to the station.
The stock of tickets with the station may become obsolete due to closing of stations
or may be damaged due to termite, rain or improper stocking. Such obsolete or damaged
stocks of tickets are required to be returned to Traffic Accounts Office by the station. Such
stock is returned to Traffic Accounts Office with due approval of Divisional Commercial
Manager. In case the value of tickets being returned is more than Rs. 3,000/-, these tickets
should be returned per bearer nominated by the competent commercial authority. The
indent through which such tickets are returned to Traffic Accounts Office is known as
Recalled Ticket Indent.
Recalled Ticket Indent is prepared in three copies. One copy is retained at the station
as record and other two copies are sent to the Traffic Accounts Office along-with the tickets.
Of the two, one copy is returned to the station duly acknowledged by Accounts.
Presently, as per local instructions, stock of obsolete or damaged tickets are not
required to be sent to Traffic Accounts Office, but are destroyed at the station in presence of
representative of Commercial, Accounts and RPF department.
LESSON NO. 2
Introduction: -
DTC Book is a complete and composite record which brings into account the
realization of cash and cash vouchers in respect of all coaching transactions of station, date
wise and for the whole month. It is a primary record maintained by each and every station. It
is maintained shift-wise in the stations where continuous booking takes place. Where there
is no continuous booking, the same is maintained Train-wise i.e. posting of DTC Book will
be made at the end of the Shift or after departure of train.
Part-I : The sale of Printed card tickets for Local destination stations is accounted for in
this part . Total amount against Blank Paper Tickets issued for local traffic as per BPT
statement is also accounted for in this part separately.
Part-II : The sale of Printed card tickets for Foreign destination stations is accounted for in
this part. Total amount against Blank Paper Tickets issued for foreign traffic as per BPT
statement is also accounted for in this part separately.
Part-III : Other Coaching earnings such as Passenger luggage, Horse Carriage Dogs traffic,
Parcels, wharfage & demurrage, clerical charges, TTE Cash, Cloak Room charges etc. are
accounted in this part. For each type of traffic, separate Cash registers are maintained, the
total of which is entered in this part daily.
Part-IV : The part will deal only with vouchers which are received in-lieu of cash; such as
refund vouchers, Pay orders, Dividend Warrant, ECC Society pay orders, MLA/MLC/MP
Coupons, Police/Military Warrants etc.
1) Index Number
2) Station To.
3) Fare
4) Opening Ticket Number.
5) Closing Ticket Number.
6) Total number of Tickets issued.
7) Total number of Non Issued Tickets.
8) Total number of Tickets to be accounted for.
9) Amount.
10) Remarks
Daily : - The totals of all the 4 parts is taken individually. Cumulative total of Part I, II & III will
also be obtained, individual total of part IV will be subtracted from the Cumulative total. The
total obtained will indicate the total Cash collected at station for the day from Coaching
Earnings. On the basis of Cash collected for the day, Cash Remittance Note is prepared
and the cash is remitted to the Chief Cashier.
Monthly: - Monthly total of DTC is made on the last day of the month separately for each
type of receipts/traffic, which represents the Coaching earnings made through various
services during the month. These totals are reconciled with the statements or returns
concerned and thereafter, necessary entries in the Coaching Balance Sheet is made.
Lession No. 3
PASSENGER CLASSIFICATION: -
DEFINITION
It is a monthly return prepared by the Station Master and submitted to the Traffic
Accounts for the passenger earnings of the Station during a period of a month. It is
prepared separately for the printed card tickets and blank paper tickets as well as separately
for local and foreign traffic. Passenger Classification is the monthly return which is prepared
on the basis of daily Train Cash cum Summary Book. The columns of passenger
classification and DTC Book is almost similar.
1) Index number
2) Station To
3) Fare
4) Opening ticket number
5) Closing ticket number
6) Number of Non-issued tickets
7) Number of total tickets issued
8) Amount
9) Remarks
First 3 columns i.e. Index No., Station To and Fare is not written by hand but a list is
supplied by the accounts office which is known as "Roneoed List ". This list is pasted on
these columns.
NON-ISSUED TICKETS.
When purchased tickets (except advance booked tickets) are returned by the
passengers for any of the reasons such as the passenger missed the train, he do not want
to make journey or wants to go to some other station or in any other class etc or when
wrong ticket is issued by a station staff, the ticket thus returned and cancelled is known
as "Non issued ticket". Such tickets should be marked as "Non issued " with reasons for
non issued. Such tickets should bear the dated initial of the Station Master/Concerned
clerk. The necessary entries of all the non issued tickets are made in a daily statement
called “Daily statement of non –issued tickets.” All non issued tickets are sent to the
Accounts office daily duly entered in the daily statement of Non issued tickets through
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101
UNIT MODULE NO. 07
STATION AND TRAFFIC ACCOUNTS
cash office. In Accounts office check is exercised on such tickets and subsequently these
tickets are destroyed. At the end of the month, on the basis of their daily returns, one
summary will be prepared by the stations in duplicate and one copy of the summary will be
sent to Traffic A/Cs office along with Passenger Classification . This summary is called
Monthly statement of non-issued tickets. In case of any non issued ticket is found missing,
debit against the station is raised equal to the value of the missing non issued ticket.
The following checks are exercised by the accounts office on the returns of NIT:-
1) Whether all tickets which are included in the returns are submitted along-with
the return to traffic accounts office.
3) The amount of clerical charges is shown in the balance sheet on the current debits.
4) The amount shown in the monthly return will be tallied with the amount shown in the
passenger classification.
5) On account of mistakes of commercial staff the tickets should not be cancelled more and
if quantity of such tickets are more action should be taken.
Lesson No. 4
PARCEL TRAFFIC
Introduction
Consignments carried by trains carrying passengers are known as parcels and the traffic is
known as parcel traffic. The initial voucher issued for parcel traffic is called Parcel Way Bill,
which issued separately for local and foreign traffic. It is prepared in four copies namely;
Station record, Railway Receipt, Guard Copy and Accounts foil.
Parcel way bills are accounted for in the parcel cash book. Separate cash book is
maintained for local and foreign traffic daily in duplicate by carbon process. The original
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UNIT MODULE NO. 07
STATION AND TRAFFIC ACCOUNTS
copy is kept at the station and the Carbon copy is sent to Traffic Accounts Office monthly
with the Accounts foils of parcel way bills. All parcel way bills issued are accounted for
in the Cash Book in order of their printed serial number. In case Parcel Way Bill is
cancelled, the number of such Parcel Way Bill should be entered at its respective order
without any particulars but "Cancelled" remarks should be passed against such Parcel
Way Bill. If there is no paid parcel traffic in a month, a nil cash book must be sent to Account
Office recording there in the number and date of Parcel Way Bill issued last time. The
amount of Parcel Way Bill issued for foreign traffic is shown in the columns of the Railway
to which the destination station belongs. At the end of each date the amount shown in
each are totalled and this is reconciled with the figure which is shown in total receipt
column. The daily progressive total of each Zonal Railway column and total column are
worked out for the month to arrive at the monthly total of freight booked to each zonal
Railway and to all non Indian Government Railways During the month. The total of the
parcel cash book for the date is posted in the summary and the monthly total struck after
the transactions of all the dates are posted in the summary. The total of the paid parcel
cash book for the month is accounted for in the coaching Balance Sheet on the debit
side under the Head "Out ward parcel Traffic".
DELIVERY OF PARCELS
WHARFAGE CHARGES:-
These are the charges levied by the Railway Administration after the expiry of the
free time allowed on consignments awaiting despatch or those available for delivery but
not delivered to the party concerned. The charges are levied for the use of Railway
premises and the basis of charging will be per day, per hour on actual weight of the
consignment . If actual weight is not known then wharfage charges should be levied for the
charged weight of the consignment .
Demurrage Charges :-
These are the charges levied by the Railway Administration for the detention to the
wagons or Rolling Stock beyond free time allowed, caused either by consignor in loading
the consignment or by the consignee in unloading the consignment . The charges will be
levied only on carrying capacity on the wagon or van.
1. Full particulars required in the form have been shown in the Columns provided for the
purpose.
2. Separate Parcel Way Bill's are issued for local and foreign parcel traffic.
3. The amount of freight has been correctly calculated on the chargeable weight by
the rates as shown in tariff.
The carbon copy of paid parcel cash book is received in the Accounts office monthly
along with the Accounts foils of the paid parcel way bills. This should be checked to see
that: -
1. All the Parcel Way Bill issued during the month have been posted in the Cash Book in
the order of their serial number.
2. All the Columns in the Cash Book have been duly filled in.
3. Accounts foil of the Parcel Way Bill issued and accounted for in the Cash book have
been received along with the Cash Book.
4. Parcel Way Bills cancelled have also been accounted for in the cash book in the order
of their serial number and all the foils except record foil have been received along with
the Cash Book.
5. In case of foreign paid parcel Cash Book, the amount of Parcel Way Bill is posted in the
column of the Railway to which the destination station belongs.
6. In case of foreign traffic, the progressive total have been worked out in respect of
each Zonal Railway and Indian Government Railway columns.
7. The total amount of traffic booked to each Railway as per Cash Book is apportioned
between the Railways concerned in accordance with the percentage .
8. The freight is shown on Parcel Way Bill and separate total is shown Railway-wise. This
total is compared with that in the Cash Book. If their total agree no further reconciliation
is required. Otherwise difference will be located and necessary steps will be taken to
remove the defects.
9. The total of the Cash Book is correctly taken and accounted for in the Coaching
Balance Sheet on debit side under the head "Outward paid Parcel Traffic." The
amount of local and foreign railway will be shown in the respective column
provided in the Station Balance sheet.
INTRODUCTION
GOODS TRAFFIC
Consignment when tendered for carrying by goods train are called "Goods Traffic"
The vouchers issued to the consignor in this connection is called as invoice.Seperate
invoices are prepared for local and foreign traffic as well as for paid and to-pay
consignments. All the invoices are serially numbered and these numbers are known
as Railway Receipt Numbers.These are supplied in bound book in series of 4 copies in
case of local and in sets of 5 copies in case of Foreign Traffic respectively. Out of these 4
copies 1st copy of the foil will be for station record. Second foil will be Railway receipt, which
will be handed over to the party. Third foil is for Accounts, which will be sent to Traffic
Accounts Office periodically 4th foil will be called as Invoice which will be sent to
destination by post and 5th copy in case of Foreign traffic only will be called as Transit
invoice, which will be sent to destination station along with the Goods.
All the consignment booked are given invoice number by forwarding station.
This number will be generally three degit number in addition to R. R. NO. The Invoice NO
.is given serially to consignment booked to each station separately This number is posted
in the invoice column provided for in the R.R.
The accounts foil of all the invoice issued by the stations are collected and
arranged in 4 Bundles i.e. Local to pay, Local Paid ,Foreign to Pay and Foreign paid.
These are then entered in covering memo which is prepared in Triplicate for each bundle
separately 2 copies of the covering memo and bundles of Invoice are handed over to
the courier on his nominated train. The courier carries the bundles of invoices (Accounts
Foils) to Accounts Office and delivers them with the copy of the covering memo obtaining
signature on the other copy as an acknowledgement copy of the covering memo is returned
to the forwarding station by the courier on his next visit.
In the accounts office, the Accounts foils of Invoices received from various forwarding
stations are checked and stored on the basis of "One Destination Station " These are then
listed in separate abstracts and sent to EDP Centre after giving code numbers to
the information available on Accounts foil. With the help of computer Machine one abstract
is prepared in Triplicate which is known MPA or Machine Prepared Abstract.
These are then sent to the receiving station in duplicate through courier by 15 th of the
following month.
All cash collected by the station in connection with the goods traffic will be recorded in the
Goods Cash Book. The separate cash book will be maintained for the local outward paid
traffic and foreign outward paid traffic. The cash collected in inward to-pay traffic will be
recorded based on the delivery book in the inwards to pay goods cash book.
INWARD TRAFFIC .
At the receiving station (Destination Stn.) the invoices received from the
forwarding Stn. are checked with reference to freight charges shown therein, under charges
or overcharges detected during the check should be entered in the respective columns of
the invoice. These invoices are subsequently entered in primary book commonly
known as GDB. The GDB for a month is kept open up to 15 th of the following month. The
Balance sheet for goods traffic for a month is submitted to the Accounts office by 20 th of
the following month.
The entries of the invoices in the abstract received from the Accounts Office are
compared with those entered in the “Goods Delivery Book " when an invoice is found at
both the places i.e. in MPA as well as Goods Delivery book, the entry is ticked in both the
copies of MPA, when the entries of the invoices in delivery book are not found in the MPA,
such invoices are entered in MPA in ink and this process is known as Inked entry". In the
same manner whatever the items remain un-ticked in MPA are carried out and written in
Goods delivery book forceably and this process is known as "Forced Entry." When
comparison of Invoices entered in the Delivery Book and the tallied MPA is over, "To-Pay
" and undercharges column of the Delivery Book/MPA are to be totaled up and should be
accounted for in the Goods Balance Sheet on the debit side under the Head "Inward To-
Pay Goods Traffic." One copy of the compared abstract is retained at the station and one
copy is enclosed along with the Balance Sheet.
Over charge it will be entered in the respective column of the Invoice and
automatically it will be recorded in GDB and which will be helpful in case of claim of refund
cases. The copy of the MPA which is compared at the station and sent along with Goods
B/Sheet will be known as converted abstracts.
In the Accounts Office the bundles of Invoices received along with the covering
memo from each station are entered in the register and each bundle is given a serial No.
for the month. These invoices are sent to punching section after they are checked and
various column required to be filled in by the Accounts Office. After completion of this work
separate cards are punched for different commodities in an invoice . The punch cards are
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106
UNIT MODULE NO. 07
STATION AND TRAFFIC ACCOUNTS
checked on another machine. Incorrect Cards are rechecked, corrections are sometimes
due to wrong coding etc. in the Accounts Office. Certain invoices are wrongly included
in the MPA of the station for which station takes debit in the Goods B/Sheet. When
subsequently that station takes special credit to remove this error on the authority of a
letter from the forwarding station it should be seen that the invoices have correctly been
accounted for by the station to which, it was actually issued, if not, it should be included in
the current months abstract of the station.
All the MPA, received by the destination station have been returned as converted
abstracts and total freight of such abstracts have been correctly accounted for in the
respective Goods Balance sheet.
The amount accounted for in the converted abstracts agrees with the amount
shown in the Goods B/Sheet on debit side under the Heading "Inward To-Pay Goods
Traffic ".
When comparison of Invoices entered in the D Book with Invoice as shown in the
abstract is over at the station, one copy of the MPA is returned to accounts office along
with Goods B/Sheet . This compared copy of MPA is known as converted abstracts. On
receipt of converted abstracts in the Accounts Office, it should be checked to see that :-
1. The converted abstract shown in addition to the invoice shown by the Accounts Office,
fresh invoices accounted for in the D-Book but not in MPA i.e. inked entries,
undercharges detected at the destination station The total freight charges of fresh invoices
and undercharges should be checked and necessary corrections made in the total.
2. The additions and the alterations made by the destination station in freight charges
should be checked regarding its corrections with the Accounts Foils of the Invoices
available in the Accounts Office. in the case of Local Traffic. In case of Foreign traffic the
concerned Accounts office should be intimated accordingly.
3. Destination station also includes some invoices included in MPA by scoring amount,
the entry in the converted abstract with the remarks that have already been included in the
previous month, abstract, In such cases it should be ensured that the remarks given by Stn.
Master are correct and in this regard previous MPA should be verified.
CHECK OF INVOICE
1. It should be seen that all the column and boxes in the form required to be filled in by
the station have been filled in neatly and within the space provided for the purpose.
2. It has been prepared by the Carbon process and if a copy is sent it should be ensured
that it is a certified copy and which is signed by station master.
4. The classification of Goods Booked is correct according to the description given in the
Invoice.
5. The articles required to be booked paid under traffic Rules are not booked as "To Pay" .
8. The remarks at Owner's risk or at Railway’s risk as the case may have been entered on
the Invoice. The packing conditions of the Goods Tendered for dispatch have been given
on the Invoice.
9. The Rules regarding Minimum weight distance and charges have been correctly
observed.
10. If freight is paid by credit note, the number and date therein as well as the name of the
issuing office etc. are shown in the Invoice.
11. Where the loading and unloading are required to be prepared by the consignor and the
consignee a remark to this effect is given in the Invoice by showing the alphabet "L" When
consignment is re-booked the charges due at the rebooking station and further charges
for new destination are shown separately .
Lesson No.6(c)
GOODS RETURNS
Following are the returns in respect of Goods traffic required to be submitted by the station
to the Accounts office. They are categorized as per the period of submission.
Daily: -
Periodically: -
Monthly: -
Lesson No.7(a)(b)&(c)
UNDERCHARGES:-
While collecting the fare or freight from the customers the railway employees should collect
the correct fare and freight from the party as per Tariff Rate. But if the railway employees of
commercial department have collected less fare/freight than the actual, then the difference
is called as undercharge.
If the undercharges are detected by the accounts office during the course of their internal
check the same will be intimated through the error sheet to the concerned station staff.
OVERCHARGES:-
While collecting the fare or freight from the customers the railway employees should collect
the correct fare and freight form the passengers according to the extent rules. But if the
railway employees of commercial department have collected the more fare than the actual
fare as per rule, the difference is called as Overcharges.
1) If the overcharges are detected by the station the same will be refunded by them in
case of to-pay traffic
Lesson No.8(a)(b)&(c)
As a general rule the station earning should be remitted by the station masters on the same
day to the respective nationalized banks or to the chief cashier as per the procedure. But
following are the special circumstances where the station masters are empowered to use
the station earning for the departmental expenses. These items are generally published by
the railway board in their gazette which are published by the director of railway board. The
following are the items that are published by the Railway Board vide letter no.
__________________________________________Dated________________ :-
Error Sheets are issued by Traffic Accounts Office whenever any financial loss is
caused to the Railway Administration or likely to be caused. This will be ascertained at
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ACCOUNTS FACULTY
111
UNIT MODULE NO. 07
STATION AND TRAFFIC ACCOUNTS
the time of exercising internal check on the returns submitted by the various stations.
The E/Sheets are prepared in Triplicate in case of Goods traffic and in 4 copies in case of
Coaching Traffic , out of these Error Sheet 1st copy will be Accounts Office's record.
2nd will be for station Record and 3rd copy will be returned by the station after giving
suitable remark on back side of the Error Sheet. Error Sheet will be showing the
invoices, P.W.B. or Ticket particulars, the amount of Under Charges and how the
same has been arrived at. These are prepared separately for coaching and Goods Traffic.
These are serially numbered for each station separately and are sent to station
concerned in duplicate. If the debit raised by Accounts Office is acceptable to the station
as result of comparison of Error Sheet and primary record available at Station, it is
called as "Admitted Error Sheet or Admitted Debit" .On the back side of the error sheet the
word “Admitted”, Name, and Designation of the responsible employee is written. Also the
signature of the employee is obtained. One copy of Error sheet will be returned to Traffic
Accounts Office within 7 days from the date of receipt, whether the Error sheet is admitted
or otherwise.
If the debit is raised by Accounts Office through E/sheet is not accepted by the
station, it will be called not admitted Error sheet and in such case as remark to this effect
should be given on the back side of the error sheet & justified reasons will be
quoted in support of non acceptance of Error sheet. The total amount of all the error
sheet received during the month should be accounted for in the respective B/sheet for
that month whether the E/sheet are admitted or not admitted.
In the Accounts Office one copy of the E/Sheet received from the station is
examined to see that the nature of the reply where no action is taken in respect of admitted
debit, the debits which are not admitted can be re-checked in the light of objection
recorded there on by the station. If it is found that the debit realized was incorrect, the
Accounts office will withdraw such Error Sheet by issuing credit advice notes to the
concerned station to enable the station to take special credit in the B/sheet to clear and
debit. It the debit is found to have been correctly raised, the station will be asked to
transfer the not admitted debit in to accepted debit or admitted debit.
In case of admitted debit, it should be seen that these are cleared early by the
staff responsible for either by payment in Cash or recovery through pay sheet. In case
of non-Clearance of accepted debit within a reasonable time the commercial officer should
be approached for necessary steps for early clearance.
In case of irrecoverable accepted debit which are cleared of by "Write off" it should
be seen that these are written off by a competent authority early and sanction of wrote off
is received in A/Cs office and duly checked in A/Cs office.
While checking the Balance Sheet received from the station it should be ensured
that all the Error Sheet issued during the month have been accounted for in Balance
Sheet for that particular month by the Station. If an Erroe Sheet issued in a month is
While checking the station B/Sheet in the Traffic A/Cs office, it is seen that all
E/Sheet issued during the month have been accounted for in the relevant B/Sheet . This
is checked with reference to the Error Sheet register maintained in the T-Accounts office.
Any Error Sheet which is not accounted for by the station in the Balance Sheet of that
particular month, it should be forced in the Accounts office while exercising internal
check and this will be forced through "Advice of Internal Check" .
Advice of internal check is prepared by the traffic Account Office into two parts showing the
result of check of Balance Sheet. Part I will show "Col. A" the details of Error Sheet and the
amount in-connection with debits raised against the stations. Part II "Col. B" shows the
details of credits objected by the Traffic Accounts office while exercising checks over the
items of special credit. Every month this advice will be sent to the Station concerned
showing therein the closing Balance altered Traffic Accounts office and also the balance
shown by Station while preparing B/Sheet and the difference between the two balances
will be explained suitably . In next month or subsequent month, it will be ensured by Traffic
Accounts office that Station has taken opening balance correctly which has been intimated
by traffic Accounts office.
Station Balance Sheet is a statement of Account prepared by Station Master in the duly
prescribed proforma and under prescribed Heads of Accounts showing the liabilities
accrued at Stn. on account of sale of Transport services. The Stn. B/Sheet will have two
sides. Left hand side is known as debit side where as Right Hand Side is known as credit
side. All such items will be shown on the debit side for which SM is responsible to recover
the charges for rendering of different types of services. In short, debit side will show
the liability of Station Master for recovery of charges. Credit side will show the mode of
clearance liability either by means of cash, cash vouchers or any other authorised voucher.
The debit side and credit side of Balance Sheet should be equal in amount. But in
practice generally total of debit side will be more than the credit side because every time it is
not possible to recover the freight charges accrued during the month in the same months
account and there is difference between debit side and credit side. To equal the amount
of debit and credit side the difference between debit side and credit side is shown as
"Closing Balance " on credit side of the Balance Sheet . This closing balance in the other
words is known as Station Outstanding comprising of different items. Whatever the
figures shown in the Balance Sheet are summarized figures extracted from different books
and it is the responsibility of the Station Master to prove the figures by enclosing certain
returns. Information regarding Local and foreign traffic will be given in the same Balance
Lesson No.9(b)
Total Total
Lesson No.9(c)
Following are the returns required to be submitted by the stations to the Accounts Office.
They are categorized as per the periodicity of their submission.
Daily:-
Periodical :-
Monthly :-
Total Total
The debit side may be divided into 3 parts opening balance, current debits and special
debits ( accountal of Error Sheet).
Opening balance is checked with the closing balance which is shown in the previous
months Balance sheet. Current debits are checked with reference to various returns
such as passenger classification copy of outward paid cash book, inward to-pay parcel
abstracts and summaries, Warf. &Dem. statements and wagon registration fees statement.
In addition to this, accountal of Goods traffic for current month will be checked with
converted abstracts. The amount of E/sheet accounted for in the 3rd part will be checked
with reference to entries of E/sheet recorded in the E/sheet register by the T/Accounts
office.
The credit side of the station B/sheet is also divided into 3 parts (1)Cash and cash
voucher duly acknowledged by chief cashier (2)Special Credit (3)Closing balance. Cash
and cash vouchers as acknowledged by the chief cashier are checked with the cash
remittance foil received from the cashier .The amount of cash remittance Note is posted
in the register and checked with date-wise posting of cash remittance Note in the station
B/sheet.
Special credits are checked with the enclosed documents such as refund list, paid on to-
pay statement certified over charges deduction list credit advice Notes etc. received in
T-Accounts office along with the station B/sheet.
Closing balance must be supported by the statements showing full particulars of the
amounts yet to be cleared by the Station Master. The totals of the debit and credit side of
the Stn. B/sheet should be checked to see that they are correct and both the sides totals
are equal in amount. If the amount of the returns received in the Traffic Accounts is in
excess of the amount shown in the station Balance Sheet, the amount of the Station
Balance Sheet is corrected and difference of amount is debited against station. If the
amount shown in the Balance Sheet is in excess of amount of return received , it is
taken into consideration that a part of the return is missing and such differences are
entered in the register of missing returns and the same are called for from the station.
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117
UNIT MODULE NO. 07
STATION AND TRAFFIC ACCOUNTS
If the amount of credit taken in the station Balance Sheet exceeds the amount of
Special credit taken under the supporting documents enclosed to the station Balance
Sheet , the difference is debited against the station and closing balance in subject
balance sheet is increased to the tune of difference.
The result of check of the Station Balance Sheet in the traffic Accounts office is
intimated to the station through advice of Internal Check, showing closing balance as per
Stn. Balance Sheet and the closing Balance Sheet as worked out by the Traffic Accounts
office during the course of internal check. The difference between the two will be
explained in detail in respective column of the advice of internal check.
STATION OUTSTANDING.
Lesson No.11(a)
Despite of best efforts by the Station staff, the items/amount which could not be
realized/ collected by the staff at the close of the month for which the Balance Sheet
indicate closing items are otherwise known as Station outstanding.
The Station Master is personally held responsible for keeping a proper account of
such items as also timely clearance. The following items will generally constitute Station
outstanding.
Lesson No.11(b)
1) Floating cash -Since this sum has been provided by the Adm. to enable the
Stn for daily transactions no action is generally called for from Station Master to
clear this item until either the money is withdrawn or the Stn is closed for traffic.
2) Debit Received from cashier-Debits are received from cash office on Account of
torn/soiled notes, counter foil notes, coins are also short remittances by Station. As
soon as receipt of debit advice the Station Master has to identify the responsible
person and action needs to be taken to make good the amount within 3 days.
3) Admitted Error Sheet (Debit)-The Admitted Error Sheet are the error sheet through
which the financial loss sustained by the Railway on account of
irregularities/mistakes from Station staff, pointed out by Accounts office, which has
been accepted by the Stn from time to time. The amount admitted by the Stn will have
to be cleared either in lumpsum or in installment by the responsible official. Action
taken in this direction by the Stn will have to be recorded in the error sheet register
maintained by the Stn besides advising concerned office for recovery in case of
installment payable through salary.
(1) Either by obtaining credit Advice from Account Office by withdrawing the debits
intimated through error sheet .
(2) Subsequent admission of the not Admitted error sheet by the Station by realizing
the mistakes pointed out by the Account office later.
In case of remarks offered by the Station are acceptable to the account office then,
it will withdraw the debit by issuing credit advice which will nullify the debit or debit will be
accepted by the station and necessary action will be taken to remit the amount by the
responsible official as stated above.
In order to clear such items the Station Master has to initiate action by
confirmation from forwarding station the particulars of Booking as also enquiry and
personal contacts. Similarly via station also needs to be contacted for the movements
of the consignment. Necessary certified over charge sheets are prepared, get this
certified by forwarding station in case it is confirmed the consignment has not been
booked to that station or consignment has been withdrawn after preparation of PWB/
Invoice . In the both cases SM is responsible for timely action and speedy clearance of
such items particularly the irregular items i.e. more than one month old.
Amount accounted for in a particular month but could not be realized / cleared up
to the end of the month is termed as station outstanding and as the non
realization/clearance pertains to earnings which originate at station the outstanding is
called as station outstanding. In short the station outstanding means unrealized
earnings or un cleared liabilities. All amount received by the Station Master are shown on
debit side of the station balance sheet and amount sent to chief cashier is shown on
credit side of station Balance Sheet. Hence the difference of debit side and credit side of
station Balance Sheet may also be termed as station outstanding.
Lesson no.11(c)
1) Floating Cash :- All stations which are opened for traffic are provided with some
amount in shape of small coins . This amount is known as floating cash . This amount is
supplied to the station with the object that the passenger if comes to purchase a ticket
and if they do not have sufficient change, to enable the banking clerk to refund the
balance amount in the shape of small coins .
2) Cashier's Debit :- This debit is raised by chief cashier for the amount short received
or the defaced coins or spoiled or torn notes received along with station remittance
through cash remittance note. The cashier debit is to be cleared immediately with in
three days by remitting the shortages or replacing the notes and coins because there debit
are always accepted debits.
4) Not Admitted Debits :-If the undercharges shown by the accounts office in error
sheet is not acceptable to the station staff, the Station staff should write on the back side
of the error sheet 'Not Admitted. This (not admitted)error sheet must show clear remark
on the back side for disputing the debit raised. Non admitted error sheets are cleared as
under.
a) Credit advice issued to accounts office to withdraw the debit on paying the convinced
by the reason put forth by the special station staff.
b) Credit advice note/credit authority letter being issued by the Travelling Inspector Of
Accounts on verification of the concerned document and having convinced of
wrong/irregular debit.
c) When not admitted debits are returned back by accounts debit for not accepting
the reason put forth by the station staff such error sheets are cleared according to the
admitted debit or admitted error sheets.
6) Inward to pay freight for which consignment not on hand :- Wagon load consignment
may get delivered with the approval of DCM to some other destination. In such cases
the freight changes if any outstanding and the old destination station will be cleared
by the exchange of document called certified overcharge sheet. The overcharge
sheet will be prepared and certified by booking station and sent to the station when
the debit outstanding and required to be cleared. The amount shown in the
overcharged sheet will be taken under special 'Credit' to clear the outstanding.
8) OTHER MISC. ITEMS :- Generally, Wharfage & demurrage worked on for which
authority issued by the competent authority if not forwarded to traffic accounts office.
Traffic account office will object such 'credit' entries ; in such cases wharfage ,
demurrage for gone authority for the competent authority should be obtained and a
copy should be sent to traffic account office to clear the outstanding.
Lesson No.12(a)(b)&(c)
Fare and freight for the carriage of passenger and consignments offered by various
Govt. Dept. and certain firms of Good reputation are paid for at the station through
warrant and credit Notes instead of Hard cash. such warrants and credit Notes
received at the station are forwarded to cash office as cash vouchers.
The responsibility for the realization of Railway dues represented by such cash
vouchers from various Departments and firms rest with the Traffic Accounts. The Traffic
Accounts Office prepares carriage and miscellaneous bills against the Departments and
party's concerned for the purpose of realization of amount against such vouchers.
There are direct traffic receipt such as amount towards tourist coupons sold by
tourist agents, advertisement fees deposited with chief publicity officer, amount collected
on sale of School concession form by DRM's office etc. which do not pass through
stations returns such amounts are also to be realized by the Traffic Accounts Office. In
order to account for the earnings through carriage and Miscellaneous bills and
direct traffic receipts and also to watch the progress of recovery of such amounts from
the party's concerned , traffic accounts office compiles monthly balance Sheet
commonly known as “Accounts office Balance Sheet " . The account office Balance Sheet
is compiled separately for Coaching and goods transactions. It is shown on the debit side
the amount due against carriage, bills and miscellaneous bills where as credit side will
show the amount realized or adjusted and amount unreleased and un-adjusted in
connection with such bills.
भंडार लेखा
अभ्यास सं्या-01 ए
01.दानयत्वों का निपटारा -
क) पूर्त्र्त्त आदेिों की जााँच करिा ।
ख) पूर्त्र्त्तकर्ात के निलों की जााँच करिा ।
ग) भंडार के संिंध में अन्खय सरकारी नवभागों द्वारा प्राप्त डेनवट का समायोजि करिा ।
02. मूलयांकि खार्ें का अिुरक्षण करिा ।
क) व्हाउचरों की निरंर्रर्ा की जााँच करिा र्था प्रानप्त एवं निगतम व्हाउचरों की जााँच करिा ।
ख) व्हाउचरों का मूलयांकि करिा ।
ग) व्हाउचरों को मूलयांकि खार्े में दजत करिा ।
घ) मूलयांकि खार्ों की समीक्षा करिा ।
च) मूलयांकि खार्े का सांनखकीय खार्े से एवं सामान्खय पुस्र्कों के साथ समाधाि करिा ।
03. भंडार मूलयों की वसूली करिा ।
क) अन्खय सरकारी नवभागों, दूसरी रेलों र्था अपिी रेलवे के अन्खय नवभागों से भडार मूलयों के नलए प्राप्त
डेनवड का समायोजि करिा ।
ख) िेचे गए भंडार के मूलयों की वसूली करिा ।
04. भंडार के संिंध में लेखों का अिुरक्षण करिा एवं नवनवध प्रकार के नववरणों को मु्यालयों को भेजिा
1
क) नवनभन्न भंडार संिंधी व्यवहारों का लेखा-जोखा रखिा ।
ख) सहायक रनजस्टरों का अिुरक्षण करिा।
ग) नवनभन्न प्रकार के नववरण र्ेयार करिा ।
घ) खरीद लेखा ,निक्रय लेखा ,भंडार का स्टॉक खार्ा आदद भंडार उच्चंर् लेखों का अिुरक्षण करिा ।
च) भंडार सत्यापि ।
भंडार नवभाग का प्रिासि मु्य भडार नियंत्रक के अनधि कायत करर्ा है । मु्य भडार नियंत्रक यह
महाप्रिंधक के अनधि भंडार नवभाग के नवभाग प्रमुख के रूप में कायत करर्ा है । भंडार नवभाग का प्रमुख
कर्त्तव्य यह होर्ा है दक रेलवे की भंडार की खरीद के मामले में आवश्यक्ता निनिर् करिा और आवश्यक
भंडार को कु िलर्ा पूवतक जलद-से-जलद एवं कम-से-कम लागर् में प्राप्त करिा और भडार की खरीद के
समय सरकार द्वारा जारी की गई क्रय -िीनर् का समुनचर् पालि करिा इत्यादद ।
मु्य भडार नियंत्रक यह देखिे के नलए भी नजम्मेदार होर्ा है दक भंडार की प्रानप्त भंडार का स्टॉक करिे
की प्रणाली एवं समय-समय पर भंडार का निरीक्षण करिे की व्यवस्था करिा और यह भी देखिा की
भंडार का स्टॉक करर्े समय उनचर् सुरक्षा व्यवस्था उपलब्ध है अथवा िहीं ।
मु्य भडार नियंत्रक अन्खय कायतकारी अनधकाररयों द्वारा प्राप्त भंडार संिंधी मांगों को ध्याि में रखर्े हुए
समय-समय पर सभी कायतकारी अनधकाररयों को भंडार की आपूर्त्ीर् ᅠ करिे के नलए नजम्मेदार होर्े हैं ।
भंडार नवभाग के व्यवहारों की आंर्ररक जााँच करिे के नलए नव.स.एवं.मू.ले.अ. (कारखािा एवं भंडार )
के अनधि उप-मु्य नव.स.एवं.मू.ले.अ. भंडार के अध्यक्षर्ा में भडार लेखा िाखा कायत करर्ी है । यह
भंडार लेखा िाखा भंडार के निगतम प्रानप्त एवं स्टॉक के संिंध में प्रारं नभक व्हाउचरों की जााँच करिे सनहर्
नवनवध नववरणों को र्ैयार करिे के नलए भी नजम्मेदार होर्ी है । साथ ही साथ सभी भंडार नडपुओं में
पड़े हुए भंडार का भंडार सत्यापि करिे की नजम्मेदारी भी इस भंडार लेखा िाखा की होर्ी है ।
01. स्थािीय क्रय आदेि : स्थािीय क्रय आदेि यह भंडार नवभाग के अनधकारी द्वारा भंडार की पूर्त्र्त्त
कर्ात के िाम पर जारी दकया जार्ा है । इस आदेि में ददए गए िर्ों के अिुसार एवं िमूिों के
अिुसार आदेि में नलनखर् नर्नथ र्क भंडार की पूर्त्र्त्त कर्ात द्वारा भंडार की आपु्र्ी करिा आवश्यक
होर्ा है । सामान्खयर्: क्रय आदेि की छ: प्रनर्नलनपयााँ जारी की जार्ी है नजसमें से एक प्रनर्नलनप
भंडार नवभाग में ररकॉडत के रूप में रखी जार्ी है दूसरी प्रनर्नलनप भंडार के पूर्त्र्तकर्ात फमत को दी
जार्ी है । र्ीसरी प्रनर्नलनप भंडार के प्राप्त करिे वाले की होर्ी हे । चौथी प्रनर्नलनप लेखा कायातलय
की होर्ी है , पााँचवी प्रनर्नलनप मु्यालय में नस्थर् भंडार लेखा कायातलय को होर्ी है र्था छठी
प्रनर्नलनप प्राप्त कर्ात अनधकारी के नियेंत्रण अनधकारी के पास भेजी जार्ी है । इि स्थािीय क्रय
आदेिों की लेखा कायातलय में निम्ननलनखर् पद्धनर्त् से जााँच की जार्ी है -
02. स्थािीय क्रय आदेि क्रमािुसार जारी दकए गए हैं अथवा िहीं ।
03. स्थािीय क्रय आदेि सक्षम अनधकारी द्वारा जारी दकया गया है अथवा िहीं ।
04. स्थािीय क्रय आदेि जारी करर्े समय सरकार के सवतमान्खय क्रय िीनर् का पालि दकया गया है
अथवा िहीं ।
05. जारी दकए गए क्रय आदेि में भंडार का ऐसा कोई मद िानमल िहीं है जो भंडार नवभाग से स्टॉक
में से आसािी से प्राप्त हो सकर्ा है ।
06. स्थािीय क्रय आदेि में ददखाए गए दर , सही है अथवा िहीं नपछली वार खरीद दकए गए भंडार
के दरों में कोई अिावश्यक अंर्र िहीं होिा चानहए ।
07. मंजूर दकए गए दर र्था िर्ें करार के अिुसार है अथवा िहीं ।
08. स्थािीय क्रय आदेि में कोई कॉट-छााँट या गलर्ी िहीं होिा चानहए ।
स्थािीय क्रय आदेि पर भंडार नवभाग के सक्षम अनधकारी के हस्र्ाक्षर होिा चानहए ।
प्रानप्त पची
01. भंडार नवभाग में माल प्राप्त होिे पर प्रानप्त अिुभाग द्वारा जो पत्र र्ैयार दकया जार्ा है उसे प्रानप्त
पची कहर्े हैं । इस प्रानप्त पची की पााँच प्रनर्नलनपयााँ ििाई जार्ी है नजसमें से एक प्रनर्नलनप ररकॉडत
की प्रनर्नलनप होर्ी है , दूसरी प्रनर्नलनप लेखा कायातलय की होर्ी है,र्ीसरी भ्ंंडार के पूर्त्र्त्त कर्ात
को दी जार्ी है ,चौथी प्रनर्नलनप लेजर सेक्िि को भेजी जार्ी है र्था पााँचवी प्रनर्नलप मूलयांकि
अिुभाग को दी जार्ी है । प्रानप्त पची पर लेखा कायातलय में निम्ननलनखर् जााँच की जार्ी है -
02. प्रानप्त पची में स्थािीय क्रय आदेि का क्रमांक एवं नर्नथ नलखिा चानहए ।
03. प्रानप्त पची पर स्थािीय क्रय आदेि के साथ जााँच कर ली गई है ,यह नलख्ंंिा चानहए ।
04. प्रानप्त पची में दर एवं मात्रा स्थािीय क्रय आदेि में नलखे गए दर र्था मात्रा के अिुसार होिा
चानहए ।
नवर्त्ीय दृनि से प्रानप्त पची सही होिी चानहए नजसमें कोई कााँट-छााँट र्था संिोधि िहीं होिा चानहए ।
01. लेखा कायातलय में पूर्त्र्तकर्ात के निल प्राप्त होिे पर भुगर्ाि करिे से पहले लेखा कायातलय द्वारा
उिकी जााँच की जार्ी है । यह जााँच करर्े समय निम्लनलनखर् िार्ों पर ध्याि ददया जािा चानहए
।
02. पूर्त्र्त्तकर्ात के निल की क्रय रनजस्टर में क्रेनडट की र्रफ की गई प्रनवनि के साथ जााँच कर लेिा चानहए
र्था निल को भुगर्ाि के नलए पाररर् करिे से पहले क्रय रनजस्टर में क्रेनडट प्रनवनि के सामिे प्रानप्त
पची के आधार पर डेनिड की र्रफ प्रनवनि कर लेिा चानहए ।
03. निल निनहर् प्रारूप में होिा चानहए ।
04. निल मूल प्रनर्नलनप में होिा चानहए र्था स्याही से नलखा होिा चानहए अथवा टंकनलनखर् अथवा
संगणक पद्धनर्त् से र्ैयार दकया जािा चानहए ।
05. निल पर पूर्त्र्त्तकर्ात के एवं भंडार नवभाग के अनधकारी के हस्र्ाक्षर होिा चानहए।
06. निल में कोई अप्रमानणर् संिोधि िहीं होिे चानहए ।
07. निल में नलखे गए दर मात्रा एवं सामग्री का वणति स्थािीय क्रय आदेि में नलखे गए वणति के अिुसार
होिा चानहए ।
08. भंडार की खरीद सक्षम अनधकारी द्वारा की गई है अथवा िहीं यह देखिा चानहए ।
09. भंडार के स्टॉक के मद िाजार से िहीं खरीदिे चानहए ।
10. निल में ददए गए आाँकड़े अंकों में र्था िब्दों में प्रमानणर् होिे चानहए ।
11. निल के साथ प्रानप्त पची भेजी जािी चानहए र्था उस पर दकए गए हस्र्ाक्षर लेखा-नवभाग में रखे
गए िमूिा हस्र्ाक्षर के साथ नमलिे चानहए ।
12. निल में अनर्ररक्त प्रभार यदद कोई लगाए गए हो र्ो वह करार के अिुसार होिे चानहए ।
पूर्त्र्तकर्ात से यदद कोई रकम की वसूली करिी हो र्ो निल पास करर्े समय ऐसी रकम की वसूली की
जािी चानहए ।
01. पूर्त्र्त्तकर्ात को दुिारा भुगर्ाि ि हो इसनलए निम्लनलनखर् िार्ों पर ध्याि देिा भी आवश्यक होर्ा
है -
02. पूर्त्र्त्त कर्ात को दुिारा भुगर्ाि ि होिे के उद्येश्य से भुगर्ाि दकए गए सभी निलों का नववरण
स्थािीय क्रय आदेि पर नलखा जार्ा है और इसको ध्याि में रखा जार्ा है दक आदेनिर् मााँग से
अनधक भंडार की आपूर्त्र्त्त िहीं की गई है ।
03. निल के साथ भेजे गए प्रानप्त आदेि की प्रनवनियााँ स्थािीय क्रय आदेि के साथ की जार्ी है और
प्रानप्त पची पर नलखा जार्ा है दक स्थािीय क्रय आदेि के साथ जााँच दकया गया है और क्रय आदेि
पर यह नलखा जार्ा है दक प्रानप्त पची क्रमांक ------------- के द्वारा प्राप्त दकए गए भंडार का
भुगर्ाि ए. व्ही.06 क्रमांक ............. नर्नथ .................. एवं सी.ओ.07 क्रमांक ............नर्नथ
................ के अुिसार पाररर् दकया गया है ।
04. निल में ददखाई गई रकम खरीद लेखा पंजी के संिंनधर् पूर्त्र्त्त कर्ात के खार्े में क्रेनडट प्रनवनि के साथ
सत्यानपर् की जार्ी है और जमा रानि के सामिे िामे की र्रफ रानि नलखी जार्ी है ।
05. सी.ओ.07 पर हस्र्ाक्षर करर्े समय संिंनधर् अनधकारी द्वारा ए.व्ही.06 पर दकया गया पृिांकि
काट ददया जार्ा है ।
सी.ओ.07 का रेफरेंस ए.व्ही.06 रनजस्टर में नलखा जार्ा है ।
सामान्खयर्: रेलवे में माल की खरीद पहले की जार्ी है और भुगर्ाि िाद में दकया जार्ा है इसनलए समय-
समय पर दकए जािे वाले खरीद व्यवहारों को दजत करिे के नलए र्था दकर्िे व्यवहारों में भुगर्ाि करिा
अभी िाकी है यह देखिे के नलए खरीद लेखा-पंजी का अिुरक्षण दकया जार्ा है ।
भंडार की प्रानप्त ठीक र्रह से होिे के िाद भंडार नडपों के प्रानप्त नवभाग द्वारा एक प्रानप्त पची र्ैयार की
जार्ी है । इस प्रानप्त पची के आधार पर खरीद लेखा-पंजी का अिुरक्षण दकया जार्ा है । प्रानप्त पची की
एक प्रनर् नलनप लेखा -कायातलय को भेजी जार्ी है नजसके आधार पर पूर्त्र्त्तकर्ात को भुगर्ाि दकया जार्ा
है , जि माल प्राप्त होर्ा है र्ि इस रनजस्टर में संिंनधर् पूर्त्र्त्तकर्ात का खार्ा खोला जार्ा है उस खार्े में
जमा की र्रफ प्रनवनि की जार्ी है । जि निल का भुगर्ाि दकया जार्ा है र्ि इस रनजस्टर में संिंनधर्
जमा प्रनवनि के सामिे िामे की र्रफ प्रनवनि की जार्ी है और पूर्त्र्त्तकर्ात का निल पाररर् दकया जार्ा है
। इस रनजस्टर में के वल उसी समय पहले िामे प्रनवनि की जार्ी है जि कु छ नविेष िर्ों के आधार पर
पूर्त्र्त्तकर्ात को अनग्रम भुगर्ाि कर ददया जार्ा है अन्खयथा इस रनजस्टर में हमेिा जमा िेष होर्ा है जो
यह ददखार्ा है दक माल प्राप्त हुआ है लेदकि भुगर्ाि करिा अभी िाकी है।
सांन्यकीय खार्ा:
01. भंडार की प्रानप्त र्था िेषों का ररकॉडत रखिे के नलए भंडार नडपों से संलग्न एक महत्वपूणत अिुभाग
होर्ा है नजसे खार्ा अिुभाग कहर्े हैं । इस खार्ा अिुभाग में एक भंडार का खार्ा अिुरनक्षर् दकया
जार्ा है नजसे भंडार का खार्ा अथवा भंडार का सांन्यकीय खार्ा कहर्े हैं । इस खार्े में र्ीि
नवभाग होर्े हैं -
02. नडपों में नस्थर् भंडार के नलए आवक मााँगों का आरक्षण ददखािे वाला नववरण
03. प्रानप्त, निगतम एवम िेषोंका नववरण
माल के आपूर्ी के नलये जारी दकये गये आदेिों का नववरण
अभ्यास सं्या 2 सी
मेलयांकि खार्े
भंण्डार लेखा िाखा व्दारा अिुरनक्षर् दकया जािे वाला यह एक महत्वपुणत रनजस्टर होर्ा है। इसमे भंडार
के सभी मामलो से संिंनधर् प्राप्ती, निगतम एवम िेषों के साथ उिका मुंलयांकि ररकाडत भी रखा जार्ा है।
नडपो मे रखे गये लेजर खार्ा अथवा सांनखकीय खार्े का संदभत देर्े हुए मुलयाकि खार्े भंडार के वगत
क्रमािुसार अिुरनक्षर् दकये जार्े है। भ्रंडार के प्रानप्त, निगतम एवम िेष के व्यवहारोंके पररणाम वाउचरोंके
आधारपर दजत दकये जार्े है। सभी वाउचर इस अिुभा् ग मे प्राप्त होर्े है उिका कोडींग दकया जार्ा है।
मूलयाकि भी दकया जार्ा है। ऐसे वाउचसत संं्गणक को भेजे जार्े है। आजकल मुलयाकि खार्े का
अिुरक्षण संगणक व्दारा दकया जार्ा है।
मुलयाकि खार्े के अिुरक्षण मे निम्ननलनखर् प्रणाली िानमल होर्ी है।
अभ्यास सं्या 3 ए
क) डेनवट रेज करिा - जि भंडार नडपो से कोई भंडार मरम्मर् एवं अिुरक्षण कायत के नलए जारी दकया
जार्ा है अथवा कारखािे में भेजा जार्ा है र्ि भंडार का स्टॉक खार्ा इस लेखा िीषत को जमा की र्रफ
प्रनवनि की जार्ी है और संिंनधर् कारखािा उत्पादि उच्चंर् लेखा िीषत को िामे दकया जार्ा है । जि
कायत पूरा हो जार्ा है और संिंनधर् नवभाग को अथवा संिंनधर् मंडल को हस्र्ांर्ररर् कर ददया जार्ा है
र्ि उस नवभाग अथवा मंडल के िाम से डेनिट रेस दकया जार्ा है । ऐसे व्यवहारों का समायोजि करिे
के नलए ट्ांस्फर नडनवजिल िाम के लेखा-िीषत खोले जार्े हैं और ऐसे डेनिट रेज करिे के नलए ए.टी.डी.
अथवा ए.टी.सी. ििाए जार्े हैं । इि व्यवहारों को इन्खट्ा रेलवे व्यवहार कहर्े हैं ।
जि दकसी दूसरी रेलवे को डेनवड रेज करिा आवश्यक होर्ा है र्ो ऐसे समय भी ए.टी.डी. ििाई
जार्ी है जो मु्यालय के माध्यम से संिंनधर् रेलवे को भेजी जार्ी है । इि व्यवहारों को इन्खटर रेलवे
व्यवहार कहर्े हेंैंं ।
अभ्यास सं्या : 03 िी
ख) िेचे गए भंडार मूलयों की वसूली - िेचे गए भंडार मूलयों की वसूली पर निगरािी रखिे के नलए
पूाँजीगर् 7140 इस लेखा िीषत का अिुरक्षण दकया जार्ा है । जि रेलवे को िेचे गए भंडार का मूलय
अनग्रम रूप से प्राप्त होर्ा है र्ि इस लेखा-िीषत को पहले जमा की र्रफ प्रनवनि होर्ी है । सामान्खय र्ौर
पर जि भंडार िेचा जार्ा है र्ि भडार का स्टॉक खार्ा इस खार्े को जमा की र्रफ प्रनवनि करर्े हुए
भंडार का निक्रय खार्ा इस लेखा-िीषत को िामे की र्रफ प्रनवनि होर्ी है । जि भंडार मूलयों की वसूली
की जार्ी है र्ि रोकड़ खार्े को िामे र्था भंडार के निक्रय खार्े को जमा की र्रफ प्रनवनियााँ की जार्ी
है । इस खार्े के अिुरक्षण से लेखा-अनधकारी को िेचे गए भंडार मूलयों की वसूली पर निगरािी रखिे के
नलए आसािी होर्ी है ।
अभ्यास सं्या: 03 सी
01. ग) नवनभन्न लेखा िीषतकों के अंर्रगतर् भंडार लेखों का अिुरक्षण - नवनभन्न भंडार व्यवहारों का लेखा
-जोखा रखिे के नलए भंडार लेखा िाखा द्वारा नवनभन्न प्रकार के उच्चंर् लेखा िीषों का अिुरक्षण
दकया जार्ा है । यह उच्चंर् लेखािीषत निम्लनलनखर् होर्े हैं -
02. पूाँजीगर् 7110 भंडार का क्रय खार्ा !
03. पूाँजीगर् 7140 भंडार का निक्रय खार्ा ।
04. पूाँजीगर् 7160 भंडार का स्टॉक खार्ा ।
05. पूाँजीगर् 7210 कारखािा उत्पादि उच्चंर् खार्ा ।
06. पूाँजीगर् 7180 भंडार समायोजि खार्ा ।
पूंंाँजीगर् 7310 नवनवध पेिगी अनग्रम ।
अभ्यास सं्या: 04 ए
i) समूह ए .
ii) प्रानप्त एवं निगतम व्हाउचरों की जााँच र्था उसे संगणक नवभाग को भेजिा ।
iii) िीयर् कालों के आधार पर व्हाउचरों की सूनचयााँ र्ैयार करिा र्था उन्खहें संगणक को भेजिा ।
iv) नडपों अनधकारी की सूचिा के आधार पर िए खार्े खोलिा अथवा पुरािे खार्ों को िंद करिा
।
v) संगणक द्वारा ििाए गए डाटा को चेक करिा /
संगणक की सहायर्ा से मूलयांकि खार्े का अिुरक्षण करिा ।
i) समूह िी -
ii) ऐसे खार्ों के व्हाउचरों को दुिारा जााँच करिा नजिमें की अनियनमर् िकाया है अथवा संगणक
द्वारा नजन्खहें अस्वीकृ र् कर ददया है ।
छपे हुए मूलयांकि खार्े की जााँच करिा र्था अनियनमर् िकाया के व्यवहारों को नियनमर् करिे के नलए
कायतवाही करिा ।
i) समूह सी -
ii) दरों में संिोधि करिा ।
मूलयांकि खार्े की समीक्षा करिा ।
उपरोक्त कायों को मूलयांकि खार्ा अिुभाग द्वारा सही र्रीके से योजिापूवतक संपन्न करिा चानहए ।
अभ्यास सं्या : 04 िी
नववरणों को भेजिा -
भंडार लेखा िाखा का यह भी एक प्रमुख कर्त्तव्य होर्ा है दक रेलवे िोडत द्वारा मााँगे गए नवनभन्न प्रकार
के नववरणों को र्ैयार करिा र्था उनचर् समय पर ऐसे नववरणों को रेलवे िोडत को भेजिे की व्यवस्था
करिा । रेलवे िोडत से प्राप्त निनध का िंटवारा करिा और प्राप्त निनध का नवनियोजि के संिंध मंंेंं रेलवे
िोडत को समय-समय पर उनचर् नववरणों को भेजिा र्था प्राप्त निनध एवं प्रत्यक्ष व्यय में यदद कोई अंर्र
हो र्ो उसके नलए रेलवे िोडत को स्पिीकरण भेजिा ।
अभ्यास सं्या : 04 सी
भंडार उच्चंर् लेखा िीषत -
क) पूाँजीगर् 7110 भंडार का क्रय खार्ा - खरीद लेखा भंडार के क्रय संिंधी दानयत्व के लेखा-जोखा की
नजम्मेदारी भंडार लेखा कायातलय की होर्ी है । उपर नलखे हुए उच्चंर् िीषत अिुरनक्षर् करके भंडार संिंधी
लेखा-जोखा र्था भुंूगर्ाि दानयत्व का निपटारा दकया जार्ा है ।
भंडार खरीद के व्यवहारों में नजिका भुगर्ाि िाद में दकया जार्ा है । इस उच्चंर् खार्े में जमा की र्रफ
एवं भंडार उच्चंर् खार्े के िामे की र्रफ खरीदी गई भंडार की कीमर् नलखी जार्ी है । जि प्राप्त भंडार
सामग्री को नडपों में स्टोर करिा होर्ा है , यदद भंडार सामग्री निमातण कायत पर जारी की गई है र्ो अंनर्म
लेखा िीषत को िामे दकया जार्ा है । जहााँ भंडार प्राप्त होिे के पहले अनग्रम भुगर्ाि के रूप में 90 प्रनर्िर्
भुगर्ाि दकया गया है । वहााँ इस उच्चंर् खार्े को पहले िामे दकया जार्ा है और नडपो द्वारा भंडार की
प्रानप्त होिे पर प्रानप्त पची र्ैयार करिे के िाद और लेखा-कायातलय को भेजिे के िाद इस उच्चंर् िीषत के
जमा की र्रफ व्यवहार का मूलय नलखा जार्ा है ।
अभ्यास सं्या:05 ए
पूंंजीगर् 7140 भंडार का निक्रय -
िेचे गए भंडार सामग्री का नहसाि-दकर्ाि रखिे के नलए और प्राप्त धिरानि का जमा लेखा करिे के
नलए इस उच्चंर् िीषत का अिुरक्षण दकया जार्ा है । जि भंडार सामग्री का निक्रय दकया जार्ा है र्ो इस
िीषत के िामे की र्रफ िेचे गए भंडार सामग्री की कीमर् नलखी जार्ी है र्था भंडार उच्चंर् िीषत 7160
भंडार खार्ा के जमा की र्रफ रानि नलखी जार्ी है । जि रकम वास्र्व में वसूल की जार्ी है इस खार्ा
के अिुरक्षण के नलए यह देखा जार्ा है दक भंडार सामग्री की निक्री सक्षम प्रानधकारी की स्वीकृ नर् से की
गई है र्था अन्खय प्रभार जैसे- वाहि भाड़ा आदद नियमों के अिुसार वसूल दकया गया है ।
अभ्यास सं्या 05 िी
पूाँजीगर् 7160 भंडार का स्टॉक-
यह उच्चंर् लेखा िीषत इंजीनियररं ग एवं सामान्खय भंडार से संिंनधर् लेखा-जोखा करिे के नलए अिुरनक्षर्
दकया जार्ा है । उपर नलखे गए उच्चंर् खार्ों की 7110,7140 क्रय लेि-देिों से िामे नलखा जार्ा है और
निक्रय या मरम्मर् कायत के नलए जारी दकए गए भंडार से इस खार्े को जमा दकया जार्ा है । इस खार्ों
का िेंष हमंिा िामें िेष होंर्ा है जो यह ददखार्ा है की भंडार के स्टाक मे िचे भंडार का मुलय दकर्िा
है। भंडार का स्टाक खार्ा यह भंडार उचन्खर् लेखा निषो के अन्खर्गतर् अिुरनक्षर् दकया जािे वाला सिसे
महत्व पुणत उचंर् लेखा निषत होर्ा है।
इस उचंर् लेखा निषत को प्रमुख नर्ि भागों मे अिुरक्षीर् दकया जार्ा है।
1) नडपो अन्खर्रण
2) उचन्खर् भंडार
चलीर् भंडार (स्टोअसत इि ट्ानन्खजट अकाउं ट)
अभ्यास सं्या 5 सी
कारखािेमे होिे वाले सभी व्यय से यह उचंर् लेखा निषत िामे दकया जार्ा है। और जि कारखािेमे कोई
भी कायत पुरा हो जार्ा है और उसके नलये संिंनधर् लेखा अनधकारी व्दारा डेनिट रेज कर ददया जार्ा है
। और यह डेनिट संिंनधर् अनधकारी व्दारा नस्वकार कर नलया जार्ा है। र्ि इस उचंर् लेखा निषत को
जमा दक र्रफ प्रनवष्ठीया दक जार्ी है। इस उचंर् लेखा निषत का िेष हमेिा िामे िेष रहर्ा है। और वह
यह दिातर्ा है दक , दकर्िा पैसा वसूल करिा िाकी है नजसके नलये कारखािेमे कायत संपन्न हुवा है।और
दकर्िा कायत कारखािेमे अभी िकाया पडा है नजसपर पैसा खचत हो चुका है।
अभ्यास सं्या 6 ए
जि कोई भंडार दकसी अन्खय रेलवे को जारी दकया जार्ा है अथवा उधार ददया जार्ा है। र्ि भंडार के
स्टाक खार्े को जमा करके इस उचंर् लेखा निषत को िामे दकया जार्ा है। जि उस रेलवे व्दारा भंडार
वापस दकया जार्ा है । अथवा डेनिट नस्वकार दकया जार्ा है र्ि इस लेखा निषत को जमा दकया जार्ा
है। ठे केदारोंको फे निके िि के नलये जि भंडार ददया जार्ा है । उसका जमालेखा भी इसी लेखा निषत के
अन्खर्गतर् दकया जार्ा है। सामान्खयर्ा: इस लेिा निषत का िेष हमेिा िामे िेष ददखार्ा है। जो यह
दिातर्ा ह ंैकी दकर्िा भंडार दुसरी रेलों को अथवा ठे केदारों को ददया गया है।
अभ्यास सं्या 6 िी
नवनवध पेिगी
ठे केदारोंसे अथवा निनवदा कर्ातओ से वसुल दक जािे वाली रािी इस लेखा निषत को िामे दक जार्ी है।
जि ऐसी रािी संिंधीर् ठे केदारों को वापस लौटायी जार्ी है र्ि इस लेखा निषत को जमा दक र्रफ
प्रनवनि दक जार्ी है।
अभ्यास सं्या 6 सी
देंैिंददि कायत करर्े हुए नवनभन्न कारणों से भंडार के िेषोंमे पाये गये अन्खर्र का समायोजि करिे के
उद्देष्य से इस लेखा निषत का अिुरक्षण दकया जार्ा है। इस लेखा निषत को निम्ननलनखर् र्रीके से नर्ि
भागो मे अिुरनक्षर् दकया जार्ा है।
(ए) भंडार के प्रत्यक्ष स्टाक र्था लेजर के अिुसार ददखाये गये भंडार के स्टाक मे जो अंन्खर्र पाया जार्ा
है। उसका समायोजि इस भाग मे दकया जार्ा है। एंंेंंसा अन्खर्र भंडार के लेखा सत्यापि के कारण
ध्याि मे आर्ा है। अथवा नवभानगय भंडार सत्यापि के दौराि भी ध्याि मे आ सकर्ा है।
(िी) िाजार मुंलयों मे पररवर्ति के कारण लेजर के अिुसार आिेवाला भडार का मुलय व भंडार का
प्रत्यक्ष मुलय इसमे पाये गये अन्खर्र का समायोजि इस भाग मे दकया जार्ा है।
(सी) अन्खय कारणोंसे भंडार मे पाये गये अन्खर्र का समायोजि इस भाग मे दकया जार्ा है। जैसे दक आग
से हािी, चोरी से हािी अथवा ित्रु के आक्रमण से हािी ईत्यादी।
उपरोक्त कारणोंसे भंडार मे जो अन्खर्र पाया जार्ा है । उस अन्खर्र से भंडार का स्टाक खार्ा इस लेखा
निषत को जमा दक र्रफ प्रनविी दक जार्ी है। और भंडार समायोजि लेखा इस लेखा निषत को िामे
दकया जार्ा है। इसनलये इस लेखा निषत का िेष हमेिा िामे िेष होर्ा है। जो यह ददखार्ा है दक
दकर्िा भंडार कम हुवा है। इस लेखा निषत को प्रत्येक अधतवषत मे निपटाया जार्ा है। इसे निपटािे हेर्ू
महाप्रिंधक के आदेिािुसार कन्खजुममंग नवभागो को डंनिट रेज दकया जार्ा है।
नवनवध पेिगी अग्रीम :-
दुसरी रेलों से उधार नलये गये भंडार का लेखा जोखा रखिे हेर्ू इस लेखा निषत का अिुरक्षण दकया
जार्ा है। इस लेखा निषत को इस भंडार के मुलय से जमा दकया जार्ा है। और भंडार का स्टाक खार्ा इस
लेखा निषत का िामे दकया जार्ा है। जि एैसा भंडार वापस लौटाया जार्ा है र्ि इस लेखा निषत को
िामे दकया जार्ा है ।और इस लेखा निषत का निपटारा दकया जार्ा है।
अभ्यास सं्या 7 ए
भंडार सत्यापि
भंडार नडपुओ मे रखे गये भंडार का एवम अन्खय नवभानगय अनधकारीयों के कायातलयो मे रख्रे गये सभी
भंडार का लेखा भंडार सत्यापको व्दारा सत्यापि करिेके मु्य उद्देि निम्ननखर् होर्े है।
1) भंडार से संिंनधर् रखे गये लेजर मे जो भंडार का िेष ददखाया गया है वह िेष र्था भंडार का
प्रत्यक्ष िेष सभी वणतिो सहीर् एवम मात्रा सहीर् िरािर है अथवा िही यह देखिा।
2) भंडार का अनर्ररक्त अथवा अिनधकृ र् स्टाक िही है यह प्रमानणर् करिा।
भंडार दक प्राप्ती, निगतम अथवा स्टाक रखिेकी प्रदक्रया िरािर अपिायी गयी है अथवा िही यह
देखिा।
अभ्यास सं्या 7 िी
उपरोक्त उद्देिोंकी पुर्ी के नलये लेखा भंडार सत्यापको व्दारा भंडार नडपुओ मे रखे गये भंडार एवम
अन्खय कायातलयोंमे रखे गये सभी भंडार का सत्यापि निम्ननलनखर् पध्दनर्से दकया जार्ा है।
1. भंडार नडपुओमे रखे गये सामान्खय भंडार का सत्यापि सामान्खयर्: साल मे एक िार होिा आवश्यक
होर्ा है।
2. कायतस्थल सामग्री एवम उचंर् भंडार का सत्यापि दो साल मे एक िार होिा चाहीये।
मनििरी एवम संयंत्रो का सत्यापि नर्ि वषोमे एक िार होिा चाहीये।
अभ्यास सं्या 7 सी
उपरोक्त निदेंिों के अलावा भंडार का लेखा सत्यापि करर्े समय एवम उस संिेध मे वार्त्षतक कायतक्रम
र्ैयार करर्े समय निम्ननलनखर् निदेिों का पालि भी करिा चाहीये।
भंडार सत्यापि का कायतक्रम निम्ननलनखर् र्ालीका के अिुसार करिा चाहीये।
नव.स. एवम मु.लें.अ. व्दारा उपरोक्त र्ानलका मे िदलाव दकया जा सकर्ा है।नजसके नलये महाप्रिंधक
दक पुवत अिुमनर् लेिा आवश्यक होर्ा है।
जि भंडार सत्यापक दकसी भी भंडार नडपो मे जार्ा है र्ो उसिे अपिे साथ एक दफलड िुक लेकर जािा
चाहीये। भंडार नडपो मे जाकर पहले लेजर के अिुसार आिेवाले िेषों की जााँच करिी चाहीये और
उसके अिुसार आिेवाले िेषोंको अपिे दफलड िुंक मे उर्ार लेिा चाहीये । इसके पिार् भंडार के स्टाक
धारक के समक्ष भंडार का सत्यापि करिा चाहीये और सत्यापि के परीणाम दफलड िुक मे दजत करिा
चाहीये । जि भंडार का प्रत्यक्ष िेष लेजर मे ददखाये गये िेष से कम होर्ा है र्ि लेखा भंडार सत्यापक
व्दारा भंडार सत्यापि पत्र र्ैयार दकया जार्ा है।
भंडार नडपो का लेखा भंडार निरीक्षक व्दारा भी निरीक्षण दकया जार्ा है । उिके व्दारा लेखा रटप्पणी
र्ैयार दक जार्ी है।
भंडार सत्यापि पत्र नर्ि प्रनर्नलपीयोंमे ििाया जार्ा है। नजसमेसे दो प्रनर्नलपीयॉ संिंनधर् भंडार नडपो
के रक्षक को दद जार्ी है । र्था एक प्रनर्लीपी भंडार लेखा निररक्षक के कायातलय मे जमा दक जार्ी है।
नजसका निपटारा करिे दक नजम्मेदारी भंडार लेखा निरीक्षकों की होर्ी है।
1. Discharge of liabilities: -
(a) Check of L.P.O.
(b) check of supplier‟s bills.
(c) Adjustment of debit received from other government
dept./Railways.
Lesson No.1(b)
CHECK OF LPO’S: -
In the Accounts Office the check of LPO‟s when received from the
C.O.S. is checked to see that: -
The following checks are exercised before suppliers bills are passed for
payments: -
To see that no double payment is made to the supplier of the same item
and same supply order the following steps are taken: -
1) The particulars of the bill passed are entered on the LPO to avoid
double payment and watch that the supply of stores does not exceed
the quantity ordered.
2) The entries in there RO attached with the bill are checked with the
LPO and the RO endorsed with Remark “ checked with the LPO”
with red pen and defaced with the stamp “ stores supplied under RR
No------------- has been passed for payment vide AV6 No------------
DT--------- and CO7 No-----------DT-----------.
3) The amount of bill is compared with the credit in the purchase
register and the debit is entered against the entry in the register.
4) The Audit enfacement on the bill is crossed by the AO while signing
the C.O.7
5) Reference to the C.O.7 No should be given in the A.V.6 register.
Lesson No.2(a)(b)
Generally the purchases are made first and payment is made afterward.
In order to record each transaction as it takes place purchase account
register is maintained by the stores Accounts Branch. On correct
receipt of the material by Stores Depot stores holder is to prepare a
Receipt Note or Receipt Order of which one copy is sent to Accounts
Office and the amount payable to the supplier is posted as credit in the
Purchase Accounts Register from the particulars available on the
Receipt Note. Separate pages are kept for transaction of each supplier.
When the bill for stores supplied is received, before passing the
payment it should be checked against credit in this register.
NUMERICAL LEDGER: -
These are maintained in depot ledger section to record receipts, issues and
balance of the stores. These are maintained in three parts.
Part: I: - Part I dealing with receipt, issue and balance which are posted from
R.O. and issue notes.
Part II: - Part II detailing with the reservation made for in carrying demands
against the stock available as well as demands pending against the stock still
to be received.
Part III: - Part III detailing the orders placed but material not supplied or
partially supplied.
PRICE LEDGER: -
These are the initial records maintained in the Stores Accounts Branch to
record all the stores transactions regarding issue and receipt of stores
wherein addition to numerical accounting of each transaction the monitory
value of each transaction is also given or recorded.
Price Ledger is maintained by classes of stores with the corresponding
numerical ledger in the Depot.
All receipts and other transaction of stores in the Depot are recorded through
vouchers, which are received in the Accounts Office from the Depot after the
transactions have been noted down in the Depot Ledger. These vouchers are
priced in the Accounts Office at the supplier‟s rate and posted in the price
ledger.
An Index of price ledger is also maintained which indicates: -
Lesson No.3(a)
A) Raising of debits:- When the material issued to the workshop for use of the
same on repairs and maintenance of plant and equipment, it will be
credited to stores and stock account. The transfer workshop head will be
debited. On completion of the job, this will be transferred to concerned
division or department by raising of debit by the accounts department.
The transactions arising in the accounts of one accounting unit which are
adjustable in the accounts of another unit should be transferred to the later by
operating the head “ TRANSFER DIVISIONAL” and by issuing ATD/ATC.
These are known as “INTRA RAILWAY TRANSACTIONS”.
Lesson No.3(b)
B) Recovery of cost of stores sold:- The subhead 7140 and 7150 are
operated to record the transactions pertaining to sales. In case of cash
sale, auction sale or sale by tender, where the value of material sold by
the railway is received in advance of the actual issue of stores, the credit
to this head will appear earlier than the debit. The accountal will be done
by according credit to stores and debit to cash. In other cases i.e direct
sale to other railways or Govt. department, the debit will appear first by
credit to stores. The credit will be received through “TRANSFER CREDIT”
or exchange of debit to “TRANSFER RAILWAYS”. This procedure will help
Accounts officer to recover the cost of stores sold.
Lesson No.3(C)
Lesson No.4(a)
Group B:-
Group C:-
i) Revision of rates.
ii) Review of price ledger.
The operation detailed above should be carefully planned and the work
should be done accurately.
Lesson No.4(b)
Lesson No.4(c)
The credit under this head shall appear first by debiting Capital 7160
(stores in stock) in case materials are stocked in Depot or by debiting the
final head of account in case the stores issued to the work or for
consumption on the maintenance work.
Lesson No.5(a)
Lesson No.5(b)
Lesson No.6(a)
Deposit Miscellaneous
The amount collected from the tenderers and auctioners is credited to this
head of account. This account will be credited on refund of the amount to the
party.
Lesson No.6(c)
(a) Difference in actual stock and the stock shown in the ledger noticed as
a result of the Accounts stock verification or at the time of departmental
stock verification.
(b) Difference in value due to market fluctuation or depreciation in market
rates etc.
(c) Difference in stock due to other reasons such as loss by fire, loss by
theft, loss by enemy action etc.
STOCK VERIFICATION :-
Lesson No.7(a)
The Object of stock verification by the Accounts stock verifier of the stores in
depot and other departmental offices is to ensure that :-
Lesson No.7(b)
Lesson No.7(c)
In addition to above, the following is the schedule fixed for Capital Stores
Verification:-
The Chief Accounts Officer may extend the period between two verifications
or curtail the items to be verified if agreed by GM.
The A.S.V. carries out stock verification and note down the results of each
item in the field book. The discrepancies noticed during verification are
brought out in the stock verification sheets which are prepared for all items
discrepancies. The Accounts of Stores Depot are examined by ISA and
discrepancies noticed are pointed out through Accounts Notes.
Lesson No.8(b)(c)
The Stock verification Sheet is prepared in three copies, out of which two
copies are sent to the controlling officer of the stores holder and one copy is
handed over to the ISA for watching the further disposal of the Stock
verification sheet. One manuscript register is maintained by the ISA for
watching the disposal of the Stock Verification Sheets.
कारखािा लेखा
रेलवे कारखािों में होिे वाले मरम्मत एवं अिुरक्षण के कायय तथा उत्पादि कायों का मूलयांकि करिा यह
कारखािा लेखा अनिकारी का कर्त्यव्य होता है इसी प्रकार से कारखािे में होिे वाले आय एवं व्यय का
उनित जमा लेखा रखिे का कायय भी कारखािा लेखा अनिकारी का कर्त्यव्य होता है ।
नवर्त् सलाहकार एवं मु्य लेखा अनिकारी का रेलवे कारखािों में प्रनतनिनि होिे के िाते कारखािा लेखा
अनिकारी का कारखािे के काययकारी अनिकारी को समय समय पर नवर्त्ीय मामलों में सलाह प्रदाि करिे
का और नवर्त्ीय मामलों से संबंनित सभी प्रकार की सहायता करिे का कारखािा लेखा अनिकारी का
कर्त्यव्य होता है । रेलवे कारखािों से संबंनित नवर्त्ीय व्यवहारों की आंतररक जााँि करिे की व्यवस्था
करिा तथा बजट आदद नववरण नििायररत समयािुसार प्रस्तुत करिा यह कायय भी कारखािा ले खा
अनिकारी को सौंपा गया हे ।
कारखािे से संबंनित कारखािा लेखा अनिकारी को यह देखिा भी जरूरी होता है दक नवनभन्न कायों के
नलए प्राप्त भंडार सही तरीके से जमा लेखा दकया गया है और उसी कायय के नलए उपयोग में लाया गया
है नजसके नलए वह भंडार कारखािे में मंगवाया गया था ।
कारखािे में निमायण तथा उत्पादि होिे वाले हरेक उत्पादि के नवर्त्ीय पररणाम निकाले जाते हैं और
उिकी समय-समय पर समीक्षा की जाती है यह समीक्षा करिे का उद्येि कारखािे की आर्थयक
काययकुिलता बढ़ािा तथा अिावश्यक खिय को रोकिा यह होता है इसी प्रकार से कारखािे में काम करिे
वाले श्रनमकों के वेति के भुगताि की व्यवस्था करिा यह भी कारखािा लेखा अनिकारी का कर्त्यव्य होता
है ।
अभ्यास सं्या:02 ए
कायय आदेि - रेलवे कारखािे में दकया जािे वाला कोई भी कायय कारखािे से संलग्न उत्पादि नियंत्रण
संगठि द्वारा नलनखत रूप से जारी दकए गए कायय आदेि के आिार पर ही रेलवे कारखािों में कोई भी
कायय प्रारंभ दकया जा सकता है कायय आदेि जारी करते समय उन्खहे नविेष तरीके से अिुक्रमांदकत दकया
जाता है तादक अलग-अलग कायों के नलए जारी आदेिों की िीघ्र जािकारी प्राप्त हो सके ।
01. कारखािे में प्रस्तानवत कायय से संबंनित पूरा नववरण कायय आदेि में ददया जािा अनिवार्रयय होता
है । कायय आदेि जारी करिे की तारीख,कायय पूरा होिे की तारीख कारखािे के कौि-कौि से
अिुभाग में कायय दकया जािा है । इसकी जािकारी, कायय की अिुमानित लागत ,लागत का आबंटि
आदद जािकारी ददखािे के नलए कायय आदेि में पयायप्त जगह रखी जाती है । कायय आदेि जारी
करते समय निम्ननलनखत बातों पर नविेष ध्याि ददया जाता है नजसके पररणाम स्वरूप वह
काययआदेि एक आदिय कायय आदेि बि सकता है ।
02. कारखािे में होिे वाला व्यय नवनभन्न कायों के आिार पर वगीकृ त होिे के कारण कायय आदेि में
प्रस्तानवत कायय के लागत का आबटि उसी पद्धनर्त् से दकया जािा िानहए तादक बाद में लागत का
वगीकरण निकालिे में आसािी हो ।
कायय आदेि बिाते समय यह देखिा जरूरी है दक उसमें िानमल नवनवि उप-कायों के पररिालि में कम-
से-कम खिय दकया गया है तथा अिावश्यक व्यय के मामलों को पूणयत: हटाया गया है नजससे कारखािे में
संबंनित कायय पूरा करते समय होिे वाले व्यय पर कु िलतापूवयक नियंत्रण रखा जा सके ।
अभ्यास सं्या: 02 बी
क) राजस्व निरंतर कायय आदेि - कई वषों तक िलाए जािे वाले मरम्मत एवं अिुरक्षण से संबंनित
कायय करिे के नलए तथा राजस्व व्यय के नलए जारी दकए जािे वाले कायय आदेिों को राजस्व निरंतर कायय
आदेि कहते हैं ।
ख) उपरी लागत निरंतर कायय आदेि - कारखािे में होिे वाले सीिे खिय के अलावा जो अन्खय प्रकार का
खिय दकया जाता है उसको दजय करिे के उद्येश्य से यह कायय आदेि जारी दकए जाते हैं । कारखािे में होिे
वाले समान्खय उपरी लागत तथा अलग-अलग उप-अिुभागों से संबंनित उपरी लागत को दजय करिे के
नलए उपरी लागत निरंतर कायय आदेि जारी दकए जाते हैं ।
ग) उत्पादि कायय आदेि : कारखािे के नवनवि अिुभाग जैसे लेबर अिुभाग , आरा मिीि अिुभाग आदद
अिुभागों में होिे वाली उत्पादि प्रदक्रया से संबंनित कायों के नलए यह कायय आदेि जारी दकए जाते हैं ।
घ) समूह कायय आदेि अथवा एकनत्रत निरंतर कायय आदेि - नजस कायय की लागत पॉि सौ रुपए से अनिक
िहीं होती है और जो अन्खय सरकारी नवभागों अथवा सावयजनिक संस्थाओं अथवा व्यनियों के नलए
स्वीकृ त दकए जाते हैं उिसे संबंनित व्यय का लेखांकि करिे के नलए ऐसे कायय आदेि जारी दकए जाते हैं
।
अभ्यास सं्या 2 सी
कायय आदेि जारी करते समय निम्ननलनखत बातोंपर ध्याि ददया जािा आवश्यक होता हेैै।
1) यदद अन्खय सरकारी नवभागो के नलये रेलवे के कारखािे मे कायय करिा है। अथवा नजि कायो का
समायोजि स्थािांतरण व्यवहारो से दकया जा सकता है। ऐसे कायों के नलये संबंिीत नवभागो से पूवय
अिुमती प्राप्त कर ली गयी है।
2) बाहरी व्यनियोंके नलये नस्वकृ त दकये गये कायो के नलए सक्षम अनिकारी की मंजुरी प्राप्त है। और
अिुमानित लागत रेलवे के खाते मे जमा कर दद गयी है।
3) अन्खय नवभागोंके नलये कारखािेमे होिेवाले कायो से संम्बनित व्यय के नलये सक्षम अनिकारी की
मंजूरी प्राप्त कर ली गयी है। और कायय दक लागत मे संभानवत परीवतयि के नलये सं बंनित नवभागसे
नस्वकृ ती के साथ पयायप्त रकम रेलवे के खाते मे जमा कर ली गयी है। और यह ितय रखी गयी है की
ऐसे प्रभार जमा दकये जािे तक कायय सौपा िही जायेगा।
मरम्मत एवम अिुरक्षण के कायो के नलये उनित अिुमाि तैयार कर नलया गया है।
अभ्यास सं्या 3 ए
रेलवे कारखािो मे दकये जािेवाले व्यय सामान्खयत: भंडार व्यय और श्रनमक व्यय इि दो श्रेणीयोमे
नवभानजत दकया जाता है। क्योंकी कारखािो मे होिेवाले कायय अथवा उत्पादि की लागत निनश्चत करिे
के नलये इि दो प्रकार के व्यय का ही आिार नलया जाता है। भंडार और श्रनमक व्यय को इसनलये प्रत्यक्ष
खिय अथवा नसनि लागत अथवा प्रारंनभक लागत कहते है। रेलवे कारखािोमे इस व्यय के अलावा और
भी आवश्यक व्यय दकया जाता है । लेदकि यह व्यय दकसी एक कायय पर लागु िही दकया जा सकता
अथवा प्रभाररत िही दकया जा सकता है। ऐसे व्यय को उपरी लागत अथवा उपरी व्यय कहते है।
प्रारंनभक लागत :-
कारखािो के श्रनमक और भंडार के नलए जो खिय नसिे - नसिे दकसी एक कायय के नलए दकया जाता है उसे
प्रारंनभक लागत अथवा नसिी लागत कहेते हेैै।
इस प्रकार के खिय को उस काययपर प्रभाररत दकया जा सकता है। ऐसा खिय बढिे से कायय दक लागत
बढती है । और ऐसा खिय िटिे से कायय दक लागत िटती है।
दुसरे िब्दो मे हम यह कह सकते है इस व्यय के कारण कायय दक लागत पर नसिा असर होता है।
अभ्यास सं्या 3 बी
उपरी लागत :-
श्रनमक लागत एवम भंडार लागत के अलावा जो अन्खय खिय कारखािो मे दकया जाता है। उन्खहे उपरी
लागत कहेते हेैै।
काखािोमे होिेवाले नवनवि कायय जैसे की उत्पादि कायय एवम मरम्मत कायय आदी से संबंनित उनित
एवम सही लागत प्राप्त करिे हेतू उपरोि प्रांरनभक लागत के साथ अन्खय आवश्यक व्ययोंको जोडिा
अनिवायय होता है । यह उपरी लागत प्रभारीत करिे के नलये नपछले वषय के आघारपर प्रनतित निनश्चत
दकया जाता है। और इस प्रनतित के आघारपर उपरी लागत प्रभारीत दकया जाता है।
उपरी लागत के निम्ननिनखत प्रकार होते है।
अभ्यास सं्या 3 सी
1) प्रारुप उपरी लागत उस लागत को कहेते है जो मु्यालय अथवा अन्खय ऐसे नवभागोपर व्यय होता है
जो कायय करिे हेतु अप्रत्यक्ष रुप से सहायक होते है।जैसे की :-
2) सामान्खय प्रिासि एवम पययवेक्षण करिे वाले सेवा नवभाग जैसे लेखा नवभाग, भंडार नवभाग और
कार्मयक नवनभाग इत्यादी।
3) भनवष्य निनि मे िासदकय अंिदाि , सेवानिवृर्त्ी पश्चात ददये जािे वाले लाभोंपर दकया गया व्यय,
इत्यादी।
4) कारखािेमे लगे मनििरी एवम संयंत्रो दक मरम्मत एवम अिुरक्षण कायोपर दकया गया व्यय।
5) मुलयहास आरक्षण निनि मे योगदाि।
श्रनमक क्षनतपूती अनिनियम के अन्खतगयत दकया जािे वाला क्षनतपूती का भुगताि।
अभ्यास सं्या 4 ए
1) प्रारुप उपरी लागत के अलावा जो व्यय सामान्खय रुप से नवनभन्न कारणों पर दकया जाता है उसे
सामान्खय उपरी लागत कहेते है। यह व्यय एक कारखािे मे संपन्न होते है। लेदकि एक से अनिक उप
अिुभागों मे व्यय दकये जाते है। इसनलये इन्खहे सामान्खय उपरी लागत कहेते है। जैसे की :-
2) कमयिारी योंकी औसत वेति अवकाि अथवा अस्पताल अवकाि के दौराि देय वेति।
3) दकसी एक नवनिष्ठ िाला से संबघ्ि ि रहिे वाले कमययारीयों का वेति एवम भर्त्ो पर दकया जािे
वाला व्यय।
4) कारखािे के नलये आवश्यक कच्चा माल भंडार नडपो से कारखािे तक लािे के नलया ददया जािे
वाला गाडी भाडा ।
5) कारखािे मे पुि: स्थानपत दकये गये अथवा गुम हुए भंडार का मुलय।
01. कारखािा उपरी लागत उस लागत को कहते हैं जो कारखािे के एक काययिाला व्यय होता है लेदकि
दकसी एक नविेष कायय पर वह सभी व्यय आबंरटत िहीं दकया जा सकता । ऐसे अप्रत्यक्ष व्यय को
कारखािा ऊपरी लागत कहते हैं । कारखािा ऊपरी लागत के उदाहरण निम्न प्रकार के हैं -
02. कारखािे में काम करिे वाले िाजयमेि अथवा नमस्त्री अथवा अन्खय पययवेक्षकों का वेति भर्त्े इत्यादद
।
03. कारखािे में उपयोग में लाई जािे वाली लेखि-सामग्री तथा मािक फामों पर दकया जािे वाला
व्यय ।
04. कारखािे में उपयोग में लाया जािे वाला भंडार जैसे दक छोटे-मोटे हनथयार आदद पर दकया जािे
वाला व्यय ।
05. कारखािे में उपयोग में लाया जािे वाला इंिि ।
कारखािे में इस्तेमाल की जािे वाली नबजली के नलए नबजली प्रभार इत्यादद ।
श्रनमक और भंडार लागत के नलए होिे वो व्यय के नलए सामान्खय ऊपरी लागत के बारे में अलग-अलग
कायय आदेि जारी दकए जाते हैं और नपछले वषय के वास्तनवक व्यय के आिार पर प्रारंनभक व्यय निनश्चत
करिे के बाद सही लागत निकालिे के उद्येश्य से ऊपरी लागत के नलए एक वार्षयक बजट तैयार दकया
जाता है और इसके आिार पर कारखािा ऊपरी लागत और सामान्खय ऊपरी लागत निनश्चत प्रनतित के
आिार पर सीिी लागत के साथ जोड़ी जाती है ।
प्रारूप ऊपरी लागत के नलए भी वार्षयक बजट तैयार दकया जाता है और उसे भी गत वषय के वास्तदक
व्यय के आिार पर कायय की लागत में जोड़िे काह प्राविाि होता है ।
रेलवे प्रिासि के नलए रेलवे के कारखािों में जो मरम्मत एवं अिुरक्षण के कायय संपन्न होते हैं उिकी सही
लागत निकालते समय प्रारूप ऊपरी लागत नहसाब में िहीं जोड़ी जाती है लेदकि बाहरी संस्थाओं अथवा
अन्खय नवभागों के नलए जो कायय रेलवे के कारखािे में दकए जाते हैं उिकी लागत निकालते समय
प्रारूपऊपरी लागत भी जोड़ी जाती है । और इस प्रकार से प्रारूप ऊपरी लागत के रूप में जो रानि वसूल
की जाती है उसे रेलवे की आय का सार-नववरण झेड के अंतगयत आबंरटत की जाती है । रेलवे कारखािों
में बाहरी संस्थाओं के नलए जो कायय दकया जाता है उस पर इि सभी प्रभारों के अलावा 12.5 प्रनतित
की दर से प्रारूप ऊपरी लागत का व्यय जोड़िे का प्राविाि भी है ।
अभ्यास सं्या: 05 ए
पंिवषीय योजिाएं िुरू दकए जािे के पररणाम स्वरूप रेलवे के यात्री एवं माल यातायात में बहुत ज्यादा
वृनद्ध हुई इस प्रकार से बढ़ी हुई यातायात को स्वीकार करिे के नलए रेलवे को अपिे अनिकृ त िल स्टॉक
की सं्या बढ़ािा आवश्यक हो गया । अथवा उपलब्ि िल स्टॉक के मरम्मत एवं अिुरक्षण की
गनतनवनियों में तेजी लािे का प्रयास दकया गया । क्योंदक अनिकृ त िल स्टॉक में बढ़ोर्त्री करिा बहुत
ज्यादा खिीला था । उसके नलए पूाँजीगत व्यय बढ़िे की संभाविा ददखाई देती थी इसनलए रेलवे
कारखािों में मरम्मत एवं अिुरक्षण के कायों में गनत देिे के नलए प्रयास करिे की कोनिि की गई । यह
देखा गया दक कारखािे में काम करिे वाले कमयिारी अथवा श्रनमक इिको देय वेति की तुलिा में इि
कमयिाररयों द्वारा दकया गया उत्पादि पयायप्त िहीं था । कारखािे में तीि प्रकार के कमयिारी काम करते
थे ! कु छ कमयिारी तेज गनत से काम करिे वाले थे कु छ िीमी गनत से काम करते थे तो कु छ काम टालिे
वाले थे , लेदकि सभी को एक जैसा वेति नमलता था । इसनलए िीघ्र गनत से काम करिे वाले कमयिाररयों
को अनिक वेति देिे के उद्येश्य से तथा उिकी और काम टालिे वाले कमयिाररयों की उत्पादि क्षमता में
वृनद्ध करिे के उद्येश्य से रेलवे कारखािों में प्रोत्साहि वोिस प्रणाली लागू की गई ।
निनष्क्रय समय : -
कारखािे में मिीि एवं संयंत्र खराब होिे के कारण अथवा नबजली की सप्लाई बंद होिे के कारण अथवा
अन्खय दकसी भी कारणों से होिे वाली बािाओं या नबलंव के नलए प्रोत्साहि बोिस नमलिे वाले श्रनमक
नजम्मेदार िहीं समझे जाते हैं और इस प्रकार का समय एक अलग काययआदेि पर प्रभाररत दकया जाता
है । ऐसे समय के अंतगयत ददया जािे वाला वेति निनष्क्रय समय के अंतगयत लेखांदकत दकया जाता है ।
यह निनष्क्रय समय दजय करते समय कारणों के अिुसार दजय दकया जाता है । उसे दजय करिे के नलए
संबंनित िाजयमैि व्दारा हस्ताक्षरीत निनष्क्रय समय काडय दक आवश्यकता होती है। निनष्क्रय समय के
रुपमे लेखांदकत समय का मनििो मे खराबी, भंडार एवम संयंत्र मे कमी, आदी नवनवि कारणो के अन्खतगयत
नवश्लेषण दकया जाता है। उनित स्तर पर नजम्मदारी निनश्चत दक जाती है/ और उनित काययवाही हेतू
नववरण सक्षम अनिकारीयोंको प्रस्तूत दकया जाता है। भनवष्य मे दुबारा समय का इस प्रकार से िुकसाि
िा हो इसनलये कदम उठाये जाते है।
अभ्यास सं्या 6 बी
ए) श्रनमक लागत -
समय पनत्रका
यह कारखािोमे अिुरनक्षत दकया जािेवाला एक महत्वपुणय ररकाडय होता है। नजसमे नवनभन्न कायायदेिो के
नलये श्रनमको व्दारा दकये गये कायय के घंटो का नववरण ददखाया जाता है। अलग अलग कायायदेिों के
नलये श्रनमक व्दारा दकया गया कायय और उसके व्दारा अर्जयत वेति ददखाया जाता है। हर श्रनमक के नलये
अलग अलग समय पनत्रका होती है। समय पाल व्दारा हररोज श्रनमक व्दारा दकतिे घंटे क्या कायय दकया
है यह नलखा जाता है। समय पनत्रकामे नलखा गया कायय का कु ल समय और गेट पर रखे गये काडय के
अिुसार आिेवाला समय इसमे अिावश्यक अन्खतर िही होिा िाहीये ।
गेट पर रखे गये काडय के अिुसार श्रनमकों का कु ल समय और समय पनत्रका के अिुसार आिेवाला कु ल
समय इसमे यदी कोई अन्खतर हो तो उसके कारणों का पता लगािे हेतु जाि पडताल दक जाती है। हर
माह के अन्खत मे समय पनत्रकाऐ कारखािा लेखा अनिकारी को भेजी जाती है। जहॉ हर कायायदेि पर
श्रनमकों व्दारा दकतिे घंटे कायय दकया इसके आिारपर प्रनतघंटा वेति दर के आिारपर श्रनमक लागत
निकाली जाती है और श्रनमक उपखाता बिाया जाता है।
प्रत्येक कायय आदेि के नलए खिय होिे वाली श्रनमक लागत को निकालिे के उद्येश्य से समय पनत्रकाओं के
आिार पर एक सारांि तैयार दकया जाता है । इस सारांि के अिुसार प्रत्येक कायय आदेि पर कु ल दकतिी
श्रनमक लागत प्रभाररत होती हैं उसकी रानि निकाली जा सकती है । नवनवि कायों में लगी श्रनमक
लागत इस श्रनमक उपखाता अथवा श्रनमक वगीकरण में ददखाई जाती है । इसकी तुलिा कु ल व्यय के
साथ की जाती है यह तुलिा करिे के नलए भुगताि दकए गए नबलों के कु ल रानि की सहायता ली जाती
है । इस प्रकार का समािाि करते समय यदद कोई अंतर ददखाई देता है तो उसे कारखािा लेखा अनिकारी
के आदेिाथय प्रस्तुत दकया जाता है श्रनमक वगीकरण के संबंि में यह भी देखा जाता है दक उपरोि अंतर
सामान्खय तौर पर ही ददखाया गया है अथवा कु छ नवनिनि पररनस्थनतयों के अिुसार ही यह अंतर आया
है । यदद सामान्खय पररनस्थनत के अिुसार अंतर पाया गया है तो नविेष जााँि पड़ताल करिे की
आवश्यिा िहीं होती है और उसका समायोजि सभी कायय आदेिों पर समाि रूप से कर ददया जाता है
। श्रनमक वगीकरण के आिार पर आिे वाली श्रनमक लागत को कारखािा सामान्खय लेखा पंजी में दजय
कर ददया जाता है ।
01. रेलवे कारखािे में नस्वकृ त कायों के नलए आवश्यक भंडार सामान्खयत: निम्लनलनखत स्रोतों से प्राप्त
दकया जाता है -
02. कारखािे से संलग्न मु्य भंडार नडपो द्वारा ।
03. भंडार नवभाग के सामान्खय भंडार नडपों द्वारा ।
04. अन्खय सरकारी नवभागों अथवा अन्खय रेलों से उिार ।
05. स्थािीय खरीद आदेिों के माध्यम से अथवा मु्य भंडार नियंत्रक के द्वारा सीिी खरीद ।
कारखािे में उत्पाददत भंडार ।
उपर नलखे हुए स्रोतों से प्राप्त भंडार की लागत कायय आदेिों पर प्रभाररत करिे के नलए भंडार मानसक
सारांि बिाया जाता है । इस भंडार मानसक सारांि में नतनथ के अिुसार तथा कायय आदे िों के अिुसार
उपयोग में लाए गए भंडार की मात्रा एवं मूलय ददखाए जाते हैं ।
इस भंडार मानसक सारांि के अिुसार प्रत्येक कायय आदेि पर दकतिा भंडार लगाया गया उसकी रानि
निकाली जाती है । कु ल भंडार लागत का समािाि निम्ननलनखत के साथ दकया जाता है ।
सामान्खय भंडार नडपों द्वारा जारी दकए गए निगयम पत्रों के अिुसार आिे वाली भंडार की रानि ।
स्थािांतरण प्रमाण-पत्रों द्वारा इतर रेलों से अथवा अन्खय नवभागों से प्राप्त भंडार की मात्रा , भंडार की
सीिे खरीद के पररणाम स्वरूप रोकड़ पंजी में ददखाई गई रानि तथा कारखािे में उत्पाददत भंडार की
लागत ।
अभ्यास सं्या: 07 ए
कारखािे में स्वीकृ त कायय आदेिों से संबंनित सभी प्रकार के व्यय का जमा लेखा करिे के नलए कारखािा
लेखा अनिकारी के कायायलय में जो सहायक दकताब अिुरनक्षत की जाती है उसे कारखािा सामान्खय पंजी
कहते हैं । इस कारखािा सामान्खय पंजी में िामें और जमा दो पक्ष होते हैं - िामे पक्ष में सीिे श्रनमक
लागत, सीिी भंडार लागत , कारखािा ऊपरी लागत और सामान्खय ऊपरी लागत आदद की प्रनवनियााँ की
जाती है । इस पंजी का अिुरक्षण कायय आदेिों के अिुसार हर माह के नलए दकया जाता है । यािी की
प्रत्येक कायय ओदि के नलए प्रत्येक माह के नलए अलग-अलग पन्ना आबंरटत दकया जाता है ।
इस पंजी में जमा की तरफ कारखािा उत्पादि नववरण इस नववरण के आिार पर प्रनवनियााँ की जाती
हैं । कारखािा उत्पादि नववरण के भाग -01 में जो रानि नलखी जाती है उसके आिार पर कारखािा
सामान्खय पंजी में प्रनवनियााँ की जाती हैं। उसी प्रकार से अन्खय कायय आदेिों के संबंि में भी कारखािा
उत्पादि नववरण के आिार पर कारखािा लेखा पंजी में जमा की तरफ प्रनवनियााँ की जाती है । इस पंजी
में सभी प्रनवनियााँ पूरी होिे के पश्चात िामे तथा जमा पक्ष का योग नलया जाता है । दोिों में जो अंतर
आता है उसकी तुलिा कारखािा उत्पादि नववरण के भाग क्रमांक 02 से की जाती है वह समाि होिा
िानहए ।
कारखािा सामान्खय पंजी की प्रत्येक माह के अंत में समीक्षा की जाती है इस समीक्षा के अंतगयत यह देखा
जाता है दक उसमें ददखाए गए सभी कायय आदेि नियनमत हैं । नजि कायय आदेिों पर लगातार तीि माह
तक कोई व्यय लेखांदकत िहीं दकया जाता है ऐसे कायय आदेिों की सूिी कारखािा प्रबंिक को भेजिी
िानहए और उिके संबंि में उनित जािकारी प्राप्त कर लेिी िानहए ।
अभ्यास सं्या: 07 बी
कारखािा उत्पादि नववरण यह कारखािा उत्पादि पंजी का सारांि मािा जाता है। कारखािा उत्पादि
नववरण नििायररत प्रारूप में तैयार दकया जाता है । कारखािे में नस्वकृ त कायय आदेिों पर होिे वाला
व्यय उनित लेखा िीषयकों के अंतगयत लेखांदकत करिे के उद्येश्यों से तथा उस व्यय का समायोजि करिे
के उद्येश्य से कारखािा उत्पादि नववरण हर माह के अंत में तैयार करिा आवश्यक होता है । कारखािा
प्रबंिक द्वारा प्राप्त उत्पादि नववरण के आिार पर लेखा अनिकारी द्वारा कारखािा उत्पादि नववरण
तैयार दकया जाता है । यह उत्पादि नववरण दो भागों में तैयार दकया जाता है - भाग क्रमांक 01 में ऐसे
कायय आदेि ददखाए जाते हैं नजि पर कायय पूरा हो िुका है और उस संबंि मे डेनबट रेज कर ददया गया
है । भाग क्रमांक 02 में ऐसे काययआदेि ददखाए जाते हैं नजिपर कायय अभी अिूरा है और नजिका
समायोजि िालू माह में िहीं दकया जा सकता है ।
उत्पादि नववरण तैयार करते समय निम्ननलनखत बातों पर ध्याि ददया जािा िानहए ।
अभ्यास सं्या: 07 सी
रेलवे कारखािों में नवनवि कायों का उत्पादि एवं मरम्मत एवं अिुरक्षण के कायय जब संपन्न होता है तो
ऐसे कायों पर पहले पैसा खिय दकया जाता है और उसकी वसूली बाद में की जाती है । इस नलए कारखािे
में होिे वाला व्यय िाहे वह मरम्मत तथा अिुरक्षण से संबंनित कायों पर दकया गया हो अथवा निमायण
कायों के नलए दकया गया हो ऐसे व्यय का अंनतम लेखािीषय के अंतगयत आबंटि करिा आवश्यक होता है
। नजस समय यह व्यय दकया जाता है उस समय उसका अंनतम वगीकरण ज्ञात िहीं होता है । इसनलए
ऐसे व्यय को लेखांदकत करिे हेतु कारखािा उत्पादि उच्चंत लेखा िाम से एक उच्चंत लेखा िीषय अिुरनक्षत
दकया जाता है । कारखािे में होिे वाले सभी प्रकार के व्यय को इस लेखा िीषय को िामे दकया जाता है ।
जब कायय पूरा हो जाता है तब उत्पादि नववरण के आिार पर उस कायय पर लगी कु ल लागत की रानि
निकाली जाती है और कारखािा लेखा अनिकारी द्वारा डेनबट रेज दकया जाता है ।
जो कायय बाहरी व्यनियों के नलए रेलवे कारखािों में दकए जाते हैं उिकी वसूली िकद रूप से की जाती
है ।
कारखािों में नस्वकृ त कायय जो दक अिूरे होते हैं नजिकी वसूली करिा बादक होता है उिका व्यय करखािा
उत्पादि उच्चंत लेखा िीषय में लेखांदकत दकया जाता है ।
कारखािे में नवनवि प्रकार के कायों के नलए समय-समय पर होिे वाला व्यय इस उच्चंत लेखा िीषय के
अंतगयत डेनबट दकया जाता है । जब ऐसा कायय पूरा हो जाता है तब कायय आदेि बंद दकए जाते हैं तथा
उि कायय आदेिों की कु ल लागत का डेनबड संबंनित अनिकारी को भेजा जाता है । जब यह डेनबट उिके
द्वारा स्वीकार कर नलए जाते हैं तब कारखािा उत्पादि उच्चंत लेखा िीषय को क्रेनडट दकया जाता है । इस
नलए इस उच्चंत लेखा िीषय में हमेिा डेनबट िेष रहता है वह यह दिायता है दक कारखािे में दकतिे कायय
आदेिों पर कायय िल रहा है अथवा अिूरा है ।
अभ्यास सं्या: 08 ए
कारखािे में काम करिे वाले श्रनमकों को ददए जािे वाले वेति भुगताि की पद्धनर्त्-
कारखािे में काम करिे वाले श्रनमकों के वेति के भुगताि की व्यवस्था करिा यह कारखािा लेखा
अनिकारी का कर्त्यव्य होता है । कारखािा लेखा अनिकारी यह वेति का भुगताि लेखा -नलनपकों के
माध्यम से अिुभाग अनिकारी के पययवेक्षण में करता है । अिुभाग अनिकारी मंडल खजांिी से पयायप्त
रकम प्राप्त करता है और भुगताि करिे के नलए नजम्मेदार लेखा-नलनपकों को सुपुदय करता है इसके नलए
अिुभाग अनिकारी द्वारा एक रनजस्टर अिुरनक्षत दकया जाता है इस रनजस्टर में लेखा-नलनपकों के रानि
प्राप्त करिे के नलए हस्ताक्षर नलए जाते हैं ।
कारखािा प्रबंिकों द्वारा तैयार दकए जािे वाले श्रनमकों के वेति पत्रकों को वेति पर्िययों के साथ लेखा
कायायलय में भेजा जाता है । वेति पर्िययााँ दो प्रनतनलनपयों में तैयार की जाती है और भुगताि करिे वाले
लेखा नलनपकों द्वारा उिकी वेति पत्रकों के साथ जााँि की जाती है । जााँ ि की गई यह प्रनतनलनपयााँ
कारखािा प्रबंिक को वापस लौटाई जाती है इसमें से एक प्रनतनलनप संबंनित श्रनमक को वेति नवतरण
के समय वेति रटकट के रूप में उपयोग में लाई जाती है और दूसरी प्रनतनलनप संबंनित िाजयमैि द्वारा
वॉक्स में रकम के साथ रखिे के नलए उपयोग में लाई जाती है ।
अभ्यास सं्या: 08 बी
भुगताि करिे वाले लेखा नलनपक द्वारा पयायप्त रकम प्राप्त होिे के बाद िाजयमैि की सहायता से बक्िे में
रकम रखिे का कायय िूरू दकया जाता है । बक्िे में रकम रखिे के नलए नविेष प्रकार के पेरटयों की
व्यवस्था की जाती है इि पेरटयों में सभी बक्िे क्रमांक के अिुसार रखे जाते हैं वेति भुगताि के ददि जो
श्रनमक छु टटी पर होते हैं उिके बक्िे अलग रखे जाते हैं । सभी बक्िों में वेति पत्रकों के अिुसार रकम
रखिे के बाद पेरटयों को ताले लगाए जाते हैं । प्रत्येक पेटी को दो ताले होते हैं - नजसमें से एक की िाभी
िाजय मैि के पास तथा दूसरे की िाभी लेखा नलनपक के पास होतेी है ।
बॉक्स में वेति भरिे के बाद िाजयमैि द्वारा लेखा नलनपक को एक प्रमाण-पत्र ददया जाता हे नजसमें यह
नलखा होता है दक वेति पत्रक के अिुसार सभी बक्िों में सही तरीके से वेति भरा गया है ।
वेति भैुैंगताि िुरू करिे से पहले वेति कक्ष के बाहर सभी श्रनमकों को रटकट क्रमांकों के अिुसार
पंनियों में खड़े रहिे के नलए कहा जाता है । उस समय हर श्रनमक के पास एक वेतिपिी और पररिय
पत्र रखिा आवश्यक होता है । यह देखिे के नलये बाहर एक िाजयमेि दक नियुनि दक जाती है।श्रनमक
व्दारा नजस िंबर की पिी लेखा नलनपक को दद जाती है उसी क्रमांक का बक्सा लेखा नलपीक व्दारा उस
श्रनमक को ददया जाता है । पिीपर नपछे दक तरफ श्रनमक का एवम उसके सुपरवाइजर का हस्ताक्षर
होिा अनिवायय होता है। यह पिी इस बात का प्रमाण होती है की उस श्रनमक को वेति ददया गया है।
श्रनमक को वेति का बक्सा नमलिे के बाद उसिे तुरन्खत बाहर खडे िाजयमेि के समक्ष रािी की जॉि कर
लेिी िाहीये। श्रनमक व्दारा खाली बक्सा वही छोडकर जािा िाहीये।
इस पध्दती मे लेखा अनिकारी व्दारा आकनस्मक निररक्षण भी करिा िाहीये दक सभी बक्सो मे रकम
बराबर भरी है अथवा िही।
वेति भुगताि का समय समाप्त होिे के पश्चात जो बॉक्स ट्रे मे बिते हेैै उिकी रकम निकालकर
वापस खजांिी को भेजी जाती है। िाजयमेि के हस्ताक्षर वेति पत्रकोंपर नलये जाते है। नजि श्रनमकोंको
वेति का भुगताि िही दकया गया है उिकी एक सुिी तैयार दक जाती है। इसे अदर्त् वेति सुिी कहते है
। इसपर लेखा अनिकारी के हस्ताक्षर नलये जाते है। और खजांिी को भैेजी जाती है। नजसके आिारपर
खजांिी व्दारा इि श्रनमकोंको बादमे वेति का भुगताि दकया जा सकता है।
The WAO is responsible for the costing of all the articles manufactured in the
Railway workshop and for the correct Accountal of the expenditure incurred in
these workshops.
The Accounts Officer attached to the Workshop is required to check and verify
that the stores received in the workshop has been promptly accounted for and
that the issue of stores against work order is properly controlled and it is in
order in all respects.
WORK ORDER
i Job Order:-
These work orders are current as long as the work is in progress and closed
on the completion of work. These are issued for specific jobs and also can
be issued as sub division of the standing work orders.
These are current for all the times without being closed. These work orders
are further divided into following to record the expenditure of different
classification of work executed in the workshop.
These are issued for booking on cost charges. Separate work order are
issued for shop on cost and general on cost.
These are issued for process shops like saw mills, smithy etc.
These are issued for booking of expenditure on all works when the estimated
cost of each work is less than RS. 500 individually.
Lesson No.3(a)
I PRIME COST:-
Lesson No.3(b)
II ON COST CHARGES:-
In addition to direct expenses on labor and materials, there are certain items
of expenditure which are incurred in the workshop but can not be charged to
the individual job undertaken in the workshop. Such items of expenditure are
classified as indirect charges and those are known as on cost charges.
The indirect charges being very essential for the manufacture of the article or
work done, it is essential that these charges are added to the Prime Cost in
some proportion to arrive at the correct manufacturing cost of works done in
the railway workshop. The on cost charges are further divided into three
categories which are as under:-
Lesson No.3(c)
PROFORMA ON COST
GENERAL ON COST
Lesson No.4(b)(c)
SHOP ON COST
It includes all cost incurred within the accounting unit such as shop or
Department or section and can not directly charged to the works concerned
such as
Separate standing work orders are prepared for booking of the expenditure
chargeable to general on cost and shop on cost for labour and stores
separately. Annual Budgets are prepared for shop on cost and general on
cost for fixing the percentage for the purpose of leaving the same on the
various jobs undertaken during that year. These are based on the actuals for
the previous calendar year.
This is worked out and levied on the direct labour of each work job.
INCENTIVE SCHEME
Due to introduction of five years plans, the traffic increased and the Railways
were required to meet the ever increasing tempo of traffic requirements either
by increasing the authorized stock of rolling stock or gearing by repairs and
maintenance facilities in the railway workshop. The first alternative of
increasing rolling stock was not favored as it involved additional capital outlay.
For increasing the repairs and maintenance facilities, it was felt necessary
either to construct more workshop or to increase the productivity of men and
machinery already available in the workshops. It was considered that all the
workers in the workshop were not turning out full worth of their wages and
there was possibility of increasing the outturn by these workers. The quick
workers, shirkers and slow workers were treated at par in respect of payment
of wages.
Lesson No.5(b)(c)
1. Time taken, Time allowed and time saved or lost is worked out in the
job card for each operation
2. Time allowed for each operation is pre-determined on the basis of time
taken by an average worker for doing that job.
3. Time saved is multiplied by the standard hourly rate fixed by the
Railway Board from time to time to give the amount payable to the
workers.
4. Incentive bonus is calculated in respect of total quantity passed for
each operation as shown in the job card.
5. The ceiling limit of Incentive bonus is 50% of the time allowed for each
operation.
6. The basic wages of all workers are guaranteed irrespective of their
result of incentive scheme but the losses during any particular month
are adjusted against the profit for the month.
7. It time saved or time lost goes beyond 50% of the time allowed, the
time allowed is reviewed again.
8. Apprentices are not permitted to participate in the incentive scheme.
Lesson No.6(a)
IDLE TIME
The time taken up in delays and hold ups due to break down of services or
plant and machinery or due to any other reason for which the incentive worker
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ACCOUNTS FACULTY
136
UNIT MODULE NO. 09
WORKSHOP ACCOUNTS
cannot be held responsible is called idle time. All the idle time periods are
recorded in the idle time card for each worker and for each month. The
posting of idle time in the idle time card is done on the authority of idle time
slips duly signed by the chargeman concerned. All the time so booked is
analyzed reason wise such as machine repairs, power failure, shortage of
material etc. These are carefully investigated, responsibilities fixed and put
up to the competent authority to take such steps as deemed desirable to
prevent recurrence of such waste in future. The idle time lost is booked to
shop on cost and not to the work order concerned.
Lesson No.6(b)
A) Labour Charges: -
Time Sheets: - Time sheets is a record which shows the time for which wages
are earned by each worker during a wage period as distributed over various
work orders on which he has been engaged during that period. It is a record
of allocation which shows the booking of labor against different work orders.,
It is opened for each work separately and posted from Chargeman's time
book. The Chargeman's time book is maintained in two sets namely one set
for even dates and the second for odd dates. It provides for means by which
the time for which wages are paid and which can be interlinked with the time
distributed against various work orders. For this purpose the timekeeper
notes daily in each time sheet the time lost or gained by the worker concerned
as per his gate attendance card. Reconciliation between the time recorded in
the gate attendance card and the time booked in the time sheet is effected in
each of time sheet daily as well as the end of the month. The difference in the
time recorded in the gate attendance card and the time sheet must be
investigated and set right before the time sheets are passed on to the
Accounts Office duly evaluated where these are posted in a "Labor sub
ledger"
The value of stores received from the above stores is abstracted work-wise in
the stores sub ledger date-wise. At the end of the month, the stores sub
ledger are totalled and the grant total of all stores sub ledgers are struck. The
grand summary of all the stores sub ledgers is reconciled with the following
records.
1. The last summary received from the workshop stores main depot as well as
from the General stores Depot.
2. Debits raised by other Government Depots, other railways.
3. Cashbook debits for payments made for direct purchases from stores.
4. Issues from workshop mfg. Suspense accounts.
The charges summarized in various stores sub ledgers shop-wise and work
order wise is transferred to main stores sub ledgers of the respective shops.
These charges are then posted in the workshop general register shop by
shop.
Lesson No.7(a)
After the posting of all sub ledgers in the workshop general register is over,
the on cost charges in respect of each work order should be calculated on the
direct charges booked against each workorder at the fixed percentages in
force and those should be posted in the column provided for in the workshop
general register.
The credit side of the workshop general register is posted from the issue
notes, bills and debit schedules. After posting debit and credit sides of these
registers the balances are struck and tallied with the corresponding balance in
the outturn statement Part II.
This register should be reviewed monthly to see that all the works shown
therein are current. The work orders on which no expenditure is booked for 3
consecutive months should be reported to workshop executives and advice if
completion should be called for.
Lesson No.7(b)
The total debit for the month in respect of each work order under labour,
stores and on cost charges as appearing in the workshop general register are
posted in a separate statement which is called out turn statements. It is a
summary of workshop general register and is maintained in prescribed form.
This statement is necessary for the purpose of charging the total expenditure
incurred in the railway workshop to proper heads of accounts.
1) It is prepared on the prescribed form and all the columns provided there in
are properly filled in.
2) The opening balance agrees with the closing balance of the previous
month.
3) Debit and Credit of the closing balance in the statement against individual
work order agree with those in the work shop general register.
4) There should not be opening balance and closing balance in part I, as all
the expenditure incurred during the month is adjusted in the same month.
Lesson No.7(c)
The debit and credit sides of workshop manufacturing suspense are posted
as under:-
Credit side :-
The opening balance of WMS is posted from the closing balance of the
previous month and the closing balance for the month is arrived at by adding
debits to the opening balance and deducting therefrom the credits during the
month. The closing balance thus arrived at should tally with the balance of
out turn statement part II.
The payment of wages to the workshop labor is arranged by the WAO through
the account clerks working in this office with the held of the cashier. The
accounts clerks selected for payments are changed every month is such a
way that they are not allotted one and same group or shop every month. The
clerk checking the pay sheet are not employed on the payment work of the
pay bills of the same batch. The procedure in this respect in as under.
Along-with the pay sheets the workshop executive is required to furnish the
WAO the pay slips in duplicate in the prescribed form and in respect of each
worker. The pay slip shows the token number of the worker, gross amount,
deductions and net amount payable. After the internal check of the pay sheet
is over the slips are checked with reference to the pay sheet. This pay slip
will serve the purpose as pay tickets. The duplicate copy of the pay slip is
handed over to the chargeman.
Lesson No.8(b)
This copy will be placed by the chargemen in the boxes with the help of his
staff. On receipt of the cash from the cashier the accounts clerks has to
commence boxing of wages with the help of the chargemen deputed for this
purpose. The account clerks will call out the ticket number of the worker as
per serial order of the pay sheet and correct amount will be counted and
handed over to the chargemen.
The charge men should also count the cash and keep in the proper box. After
completing the boxing the trays of the boxes are double locked one key will be
kept by chargemen and another will be with the accounts clerks.
Chargeman becomes fully responsible for the accuracy of the amount kept in
each box and if any shortage is complained and subsequently proved he
should be asked to make good the shortage. Chargeman should see that no
amount is either left with the account clerk.
Lesson No.8(c)
The workmen should be asked to line up in the serial order of their ticket
number as per pay sheets for arranging payment. The workmen should bring
with him the identity card as well as pay slip distributed before
commencement of payment. The other charge man is deputed outside the
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141
UNIT MODULE NO. 09
WORKSHOP ACCOUNTS
payment booth whose duty is to line up the workmen and call out the ticket
number from the identity card. The charge man inside the payment booth
should hand over the pay box bearing the same number as called out in
exchange of the pay slip. The collected pay slip are handed over to the
accounts clerks who will stand by the side of charge man and he will watch
carefully that for every payment box is given out of the payment booth the
correct pay slip is received in exchange. The workman on receipt of pay box
has to open the same, verifying the amount as per the pay slip in the box
itself. Workmen should satisfy that the correct amount is received by him in
presence of other chargemen outside the payment booth.
The WAO should carry out surprise check at the time of boxing of wages and
also when payment is being made to ensure that proper procedure in this
respect is followed at all the stages.
When the payment is over the chargemen should check the unclaimed boxes
in his possession with the help of pay sheets and should write against those
items "Not paid" over his dated signature. These items will also be signed by
the account clerks over the dated signatures. The unpaid pay boxes after
preparing the list of unpaid wages are kept in a special tray locked out by the
pay clerks and brought in a strong room where it will be kept till unpaid wages
are returned to the cashier through payment supervisor.
After payment is over a list of unpaid boxes is prepared showing the ticket
number and amount payable. The amount is taken out from the boxes and
handed over to the cashier through payment supervisor along with unpaid
wages list.
संस्थापि लेखा
अभ्यास सं्या : 01-ए
संस्थापि पररभाषाएं :
नविेष वेति- ककसी पद पर कायम करते हुए नविेष कायमभार को संभालिे के कारणअथवा नवनिनि
पररनस्थनत के कारण कममचारी को मूल वेति से अनतररि जो वेति प्राप्त होता है उसे नविेष वेति कहते
हैं । यह वेति अनिक कायमभार संभालिे के कारण अथवा अनिक नजम्मेदारी का कायम करिे के कारण
अथवा नविेष वातावरण में कायम करिे के नलए कदया जाता है ।
अभ्यास सं्या: 01 बी
क्षनतपूरक भत्ता - नवनिि पररनस्थनतयों में कममचारी को मंजूर ककया जािे वाला ऐसा भत्ता होता है जो
कक उस पररनस्थनत के कारण कममचारी द्वारा ककए जािे वाले अनतररि व्यय को पूरा करिे के नलए
कममचारी को कदया जाता है । अलग-अलग स्थािों के अिुसार क्षनतपूरक भत्ता अलग-अलग हो सकता है
। के न्खगीय वेति आयोग द्वारा ककए गए नसिाररिों के आिार पर क्षनतपूरक भत्ता मंजूर ककया जाता है ।
अिुमानित वेति- जब ककसी रेल कममचारी के संबंि में अिुमानित वेति इस िब्द का उपयोग ककया जाता
है तो उसका अथम यह होता है कक मूल अनिकार के रूप में नजस पद पर कायम करिे के नलए वह कममचारी
नियुि ककया जाता है उस पद पर कायम करते हुए आिे वाला उसका मूल वेति इस वेति में नविे ष वेति
सनम्मनलत िहीं होता है ।
वेति - प्रनतमाह रेलवे कममचारी को दी जािे वाली रानि को वेति कहते हैं । यह वेति कममचारी के
व्यनिगत गुणों को ध्याि में रखते हुए तथा नजस पद पर वह कायम करता है उस पद के अिुसार वेति
आयोग द्वारा ककए गए नसिारीिों के आिार पर कममचाररयों को कदया जाता है ।
िूल्क -िूल्क यह आवर्त्त्तम अथवा अिावर्त्त्तम रूप में कममचारी को भारत की समेककत निनि से अनतररि
स्रोतों से प्राप्त होिे वाली आय को कहते हैं । िूल्क कममचारी जहााँ कायम करता है उस के कायामलय प्रमुख
के माध्यम से कदया जा सकता है ।
मािदेय-रेल कममचारी को भारत के समेककत निनि से नविेष प्रसंगोपात ककए गए अनतररि कायम के हेतु
कदया जाता है । यह कायम कममचारी द्वारा दैनिक कायम के अनतररि ककए गए नविेष कायम के नलए कदया
जाता है । यह मािदेय आवतमक अथवा अिावतमक हो सकता है ।
वैयनतत्तक वेति - रेल कममचारी को अनतररि रूप से कदए जािे वाले वेति को वैयनिक वेति कहते हैं ।
यह वेति स्थाई पद से अनतररि सावनि पद पर कायम करिे के नलए अथवा पररवार नियोजि जैसे
योजिाओं के अंतगमत कदया जाता है ।
अभ्यास सं्या: 01 सी
स्थाई पद - कोई भी पद जो निनित वेति दर के अिुसार मंजूर ककया गया हो ,लेककि नबिा ककसी सीनमत
काल के नलए उसे मंजूरी दी गई हो ।
अस्थाई पद - कोई भी ऐसा पद जो निनित दर के अिुसार मंजूर ककया गया हो,परंतु ककसी निनित
सीनमत अवनि के नलए सक्षम अनिकारी द्वारा मंजूर ककया गया हो ।
सावनि पद- कोई ऐसा पद जो स्थाई अथवा अस्थाई रूप से मंजूर ककया गया हो ऐसे पद पर कायम करिे
वाला व्यनि सीनमत काल के पिात वह पद िारण िहीं कर सकता ।
समयमाि-वेति - यह ऐसा वेति होता है जो निनित समयावनि के नलए मंजूर ककया जाता है तथा
नजसके अंतगमत न्खयूितम वेति वार्त्षमक वेति वनि एवं अनिकतम वेति इत्याकद बातें िानमल होती है ।
स्थािांतरण - एक स्थाि से दूसरे स्थाि पर काम के नलए भेजिे की प्रकिया को स्थािांतरण कहते हैं
नजसमें मु्यालय बदलिे की प्रकिया सनम्मनलत होती है । स्थािांतरण कमम चारी के स्वयं आवेदि के
अिुसार अथवा प्रिासिीक कारणों के अिुसार भी हो सकता है ।
यात्रा भत्ता - यह रेल कममचारी को कदया जािे वाला भत्ता होता है जो उस कममचारी को देय होगा जो
जिता की सेवा के नलए अथवा प्रिासि द्वारा कदए गए आदेिािुसार अपिे मु्यालय से आठ ककलोमीटर
से अनिक दूरी पर यात्रा करता है।
सक्षम अनिकारी - राष्ट्रपनत द्वारा कदए गए अनिकारों के अिुसार तथा रेलवे बोडम तथा महाप्रबंिक द्वारा
प्रदाि ककए गए अनिकारों की सूची के अिुसार मंजूरी देिे वाले अनिकाररयों को सक्षम अनिकारी कहते
हैं ।
कायामरंभ काल - जब कोई कममचारी एक स्थाि से दूसरे स्थाि पर प्रिासिीक आदेिािुसार स्थािांतररत
होता है तब उसे िई जगह जाकर कायम संभालिे के नलए कु छ अवनि कदया जाता है । ऐसे कदए जािे वाले
समय को कायामरंभ काल कहा जाता है । यकद पूणम रूप से अथवा आंनिक रूप से कोई अवनि उपयोग में
िहीं लाया गया हो तो ऐसे अवनि को पूणमवेति अवकाि के रूप में कममचारी के छु ट्टी लेखा खाते में जोड़ा
जाता है ।
प्रिासनिक कममचारी - ऐसे कममचारी नजिकी सेवा पूणमत: नलनपक श्रेणी में मािी जाती है तो उसे
प्रिासनिक कममचारी मािा जाता है अथवा जब कोई सक्षम अनिकारी ककसी नवनिि सेवा को प्रिासनिक
सेवा घोनषत करता है तब उस पद पर कायम करिे वाले कममचाररयों को प्रिासनिक कममचारी मािा जाता
है ।
स्थािांपन्न - जब कममचारी ककसी ऐसी पद का कायमभार ग्रहण करता है नजस पर ककसी अन्खय कममचारी
का िारिानिकार होता है या सक्षम अनिकारी ककसी कममचारी को अन्खय ककसी ररि स्थाि पर पदोन्नत
करता है तब उसे उसकी नियुनि स्थािापन्न नियुनि मािी जाती है ।
प्रनिक्षु - जब कोई एक व्यनि नजसकी भती व्यवसाय या उद्योग में प्रनिक्षण देिे के ितम के अंतगमत नियुनि
होती है और ऐसे कममचारी प्रनिक्षण के दौराि अलग-अलग दर से प्रनिक्षण वेति पाते हैं तो उन्खहें प्रनिक्षु
कहा जाता है । प्रनिक्षण काल के पिात इन्खहें ितों के अिुसार नियनमत सेवा में नलया जा सकता है अथवा
िहीं भी नलया जा सकता । ऐसी नियुनि पर प्रनिक्षुओं का हमेिा के नलए कोई अनिकार िहीं रहता है ।
परीनवक्षािीि - कोई रेल कममचारी नजसकी नियुनि , नियुनि के समय दी गई ितों के अिुसार परीनवक्षा
के आिार पर की जाती है तो उसे परीनवक्षानिि कहा जाता है । परीनवक्षा के समयोपरांत नियनमत
नियुनि के नलए ऐसे कममचारी का अनिकार होता है ।
अभ्यास सं्या 02 ए
01. लेखा नवभाग के संस्थापि अिुभाग में संस्थापि से संबंनित कममचाररयों के वेति-पत्रकों की जो
आंतररक जााँच की जाती है वह आंतररक जााँच राजपनत्रत अनिकाररयों एवं अराजपनत्रत कममचाररयों
के वेति पत्रकों से संबंनित होती हैं । इस जााँच के दौराि निम्ननलनखत मदों पर ध्याि देिा आवश्यक
होता है -
02. नजस पद पर वेति पत्रक में कममचारी काम करते हुए कदखाया गया है उस पद के नल ए सक्षम
अनिकारी द्वारा मंजूरी प्रदाि की गई है ।
03. नजस पद के नलए वेति का दावा ककया गया हे वह पद वानस्वतक रूप से उस कममचारी द्वारा िारण
ककया गया है ।
कममचारी को नमलिे वाले नवनवि भत्तों के नलए य देखिा चानहए कक ऐसे भत्तों के नलए वह कममचारी
पात्र है अथवा िहीं ।
अभ्यास सं्या 02 बी
इस रनजस्टर में राजपनत्रत अनिकाररयों के वेति तथा भत्तों के संबंि में सारी जािकारी दजम की जाती है
प्रत्येक अनिकारी के नलए इस रनजस्टर में दो पन्ने अिुरनक्षत ककए जाते हैं । इि पन्नों पर उस अनिकारी
के संबंि में सारी जािकारी दजम की जाती है । जहााँ अनिकाररयों की सं्या ज्यादा हो वहााँ पर अलग-
अलग नवभाग के नलए अलग-अलग रनजस्टर भी खोला जा सकता है ।
आंतररक जााँच के पिात ककसी अनघकारी को देय वेति इस रनजस्टर में दजम ककया जाता है । यकद वेति
में वेति-वृनि के कारण अथवा पदोन्ननत के कारण अथवा अन्खय ककसी भी कारण से बदलाव हो तो उसके
नलए इस रनजस्टर में नविेष
प्रनवि की जाती है । ऐसे अनिकाररयों का वेति स्वीकार िहीं ककया जा सकता नजसका िाम इस रनजस्टर
में ि नलखा गया हो । इस रनजस्टर में िाम नलखिे के नलए रेलवे राजपत्र में जारी ककए गए िोरटकिके िि
के आिार पर महाप्रबंिक अथवा मंडल रेल प्रबंिक द्वारा जारी ककए गए आदेिों के अिुसार इस रनजस्टर
में राजपनत्रत अनिकारी का िाम नलखा जा सकता है । इस रनजस्टर में वेतिएवं भत्तों को कदखािे के
नलए तथा उिमें ककए गए बदलाब के नलए म नि कााँलम खोला जाता है । स्थािांतरण पर आिे वाले
अनिकाररयों का िाम पहले कायामलय द्वारा जारी ककए जािे वाले अंनतम वेति प्रमाण-पत्र के आिार पर
नलखा जा सकता है लेककि ऐसे अंनतम वेति प्रमाणपत्रों पर संबंनित लेखा अनिकारी के हस्ताक्षर होिा
अिनवायम है । इस रनजस्टर में की गई प्रनवनियों पर लेखा-नवभाग के अनिकारी के हस्ताक्षर होिा
अनिवायम होता है ।
िया वेति लेखा पररक्षा रनजस्टर खोलते समय पुरािे रनजस्टर के आिार पर िए रनजस्टर में सारे खाते
खोलिे चानहए तथा िए रनजस्टर के पन्नों पर पुरािे रनजस्टर के पन्नों का संदभम िमांक नलखिा चानहए
तथा पुरािे रनजस्टर में बकाया अनग्रमों आकद का सारा नववरण िए रनजस्टर में दजम करिा चानहए ।
सावनि अथवा अस्थाई पद पर कायम करिे वाले अनिकारी के मामले में उस पद की मंजूरी नजस तारीख
को समाप्त होती है वह तारीख लाल स्याही से इस रनजस्टर में नलखिी चानहए तथा इस तारीख के बाद
वेति रोककए ऐसा नविेष कथि नलखिा चानहए ।
अभ्यास सं्या 02 सी
वेति पत्रकों की जााँच करते समय सबसे महत्व पुणम बात होती है पदोंकी मंजुरी कक जॉच। ककतिे पदों के
नलये मंजुूूरी प्राप्त हुयी है। अराजपत्रीत कममचारीयों के मामले मे पदों की जो जााँच कक जाती है उसे स्के ल
चेक कहते है। राजपत्रीत अनिकारीयोंके पदों कक मंजुरी कक जो जााँच कक जाती है उस कै डर चेक कहते है।
स्के ल चेक :-
लेखा कायामलय व्दारा नियनमत वेति पत्रकों के मामलेमे तथा नविेष वेति पत्रकों के मामलेमे मंजुर पदों
की जााँच करिा आसाि हो सके इसनलये कायमकारी अनिकारी व्दारा अथवा कार्त्ममक नवभाग व्दारा लेखा
कायामलय को वेति पत्रक भेजते समय उसके साथ एक नववरण भेजिा चाहीये इस नववरण मे मंजुर पदों
का पुरा नववरण, मंजुरी सं्या एवम नतथी आदी जािकारी देिा चाहीये। इस नववरण मे पदिाम, ग्रेड,
पदों की सं्या, स्थायी अथवा अस्थायी, मंजुरी िमांक, एवम नतथी, अस्थायी पदोंके मामलेमे समयाविी
आदी जािकारी भी कदखािी चाहीये।
साथ ही साथ वेति पत्रक मे ककतिे पद अॅूापरेट ककये गये है यह भी नलखिा चाहीये।लेखा कायामलयमे
वेति पत्रक प्राप्त होिे के पिात पहले स्के ल चेक अिुभाग मे जााँच कक जाती है। उसे एक रनजस्टर मे
चढाया जाता है । इस रनजस्टर को स्के ल चेक रनजस्टर कहते है। इस रनजस्टर मे प्रत्येक वेति पत्रक तैयार
करिे वाले कायमकारी कायामलय के युनिट के अिुसार अलग अलग पन्ने छोडे जाते हेूै।
यदी मंजुर पदोंसे अनिक पदों के नलये वेति पत्रक तैयार ककया गया हो अथवा अस्थाई पदों के मामले मे
अविी समाप्त हो जािे के बाद भी वेति पत्रक तैयार ककया गया हो तो ऐसे वेति पत्रकों को आपत्तीजिक
मािा जाता है। लेककि उस पद पर कायम करिेवाला कममचारी वेति भुगताि अनिनियम के अन्खतगमत आता
हो तो वेति िही रोका जा सकता। अन्खय मामलो मे भी वेति का भुगताि अस्थाई यािे कक प्रोनवजिली
ककया जा सकता है। इसके नलये एक प्रोनवजिल पेमेंट रनजस्टर खोला जाता है।इस रनजस्टरमे ऐसे मदों
की प्रनविी कक जाती है। यह रनजस्टर लेखा अनिकारी के हस्ताक्षर हेतु प्रस्तुत ककया जाता है।
लेखा नवभाग व्दारा हर माह के अन्खत मे एक िामंजुर पदों का नववरण तैयार ककया जाता है। यह नववरण
संबंनित कायमकारी अनिकारीयों को भेजा जाता है। उिके व्दारा इि पदों के नलये मंजुरी प्राप्त करिे के
नलये उनचत कायमवाही कक जाती है। जबतक ऐसी मंजुरी प्राप्त िही हो जाती तबतक ऐंसा व्यय अनियनमत
व्यय मािा जाता है।
कै डर चेक:-
राजपनत्रत अनिकारी यों के मामले मे कदया जािेवाला वेति मंजुर पदों के अिुसार कदया जा रहा है
अथवा िही यह देखिे के नलये जो जॉंच कक जाती है उसे कै डर चेक कहते है। इस जााँच मे यह देखां जाता
है कक राजपनत्रत अनिकारीयों को जो वेति कदया जा रहा है , वह मंजुर पदों के अिुसार ही कदया जा रहा
है। इसके नलये लेखा कायामलयमे राजपत्रीत संस्थापि अिुभाग मे सॅलरी ऑडीट रनजस्टर खोला नववरण
मु्यालय को नवत्त संलाहकार एवम मु्य लेखा अनिकारी के कायामलय को भेजा जाता है। इस नववरण
मे ककतिे राजपनत्रत अनिकारीयो को भुगताि ककया गया है , इसकक जािकारी भेजी जाती है।
अभ्यास सं्या 3 ए
वेति पत्रक -
वेति पत्रक यह एक ऐसा दस्तावेज होता है नजसके व्दारा रे ल कममचारीयो को वेति का भुगताि ककया
जाता है। कायमकारी अनिकारीयों व्दारा अथवा कार्त्ममक िाखा व्दारा वेति पत्रक तैयार ककया जाता है।
वेति पत्रक लेखा कायामलय को भेजा जाता है। राजपत्रीत अनिकारीयो के नलये और अराजपत्रीत
कममचारीयों के नलये वेति पत्रक अलग अलग तैयार ककये जाते है। वेति पत्रक मे कममचारी का िाम,
पदिाम, वेतिमाि, वेतिदर, मुल वेति, भत्ते, ग्रास वेति, वेति से कक जािेवाली नवनभन्न कटौनतयॉ तथा
िेट पेमंूेूंट ककतिा ककया जािा है यह जािकारी नलखी जाती है। वेति रोकड मे करिा है अथवा बैंक
व्दारा , बैंक अकाउं ट िमांक इत्यादी जािकारी भी वेति पत्रक मे होती है। वेति पत्रक पर कममचारी को
नियुनि के समय कदया जािे वाला आठ आकडो वाला कममचारी िमांक भी नलखा जाता है।नवनभन्न
नवभागो मे काम करिे वाले कममचारीयों के नलये अलग अलग वेति नतथीया होिे के कारण वेति पत्रक
लेखा कायामलय मे प्रस्तुत करिे के नलये अलग अलग नतथीयॉ निनित कक गयी है।
सामान्खयत: सभी वेति पत्रको पर पुवम जााँच करिा अनिवायम है। लेककि निम्ननलनखत मामलो मे वेति
पत्रकों की पि जॉच नस्वकार कक जाती है।
जब यह देखा जाता है कक वेति भुगताि अनिनियम का पालि करिे हेतू वेति पत्रको कक पि जॉच
करिा जरुरी है।
जब सक्षम अनिकारी व्दारा नविेष पररनस्थती को ध्यािमे रखते हुए पि जााँच के आदेि कदये जाते है।
उपरोि सभी मामलोमे वेति पत्रको की आंतररक जााँच भु गताि करिे के बाद करिा अनिवायम होता है।
राजपनत्रत अनिकारीयों के वेति पत्रक लेखा कायामलयमे प्राप्त होिे के बाद उिपर निम्ननलनखत जााँच कक
जाती है।
नजस अनिकारी का िाम वेति पत्रक मे नलखा गया है। उस अनिकारी व्दारा प्रत्यक्ष रु पसे वह पद ग्रहण
ककया हुवा है इस बातका प्रमाणपत्र वेति पत्रक के साथ होिा जरुरी है।
वेति पत्रक के भुगताि कक सारी जािकारी सॅलरी ऑडीट रनजस्टर मे नलखिा जरुरी है।
नजस अनिकारी के नलये वेति पत्रक तेूैयार ककया गया है उसका पदिाम पहले से ही सॅलरी ऑडीट
रनजस्टर मे नलखा होिा चाहीये ।
वेति पत्रक मे अनिकारी का छू टटी नपरीएड, सस्पेंिि नपरीएड यदी कोई हो तो कदखािा चाहीये।
दुबारा भुगताि िा हो इसनलये सॅलरी ऑडीट रनजस्टर मे प्रनवनि करिा अनिवायम होता है।
अभ्यास सं्या 3 बी
अराजपनत्रत कममचारीयों के वेति पत्रकों की जॉच करते समय निम्ननलनखत बातोंपर नविेष ध्याि कदया
जािा चाहीये।
वेति पत्रक मे नलखी गयी रािी प्रचनलत नियमों के अिुसार होिा आवश्यक है।
नपछले माह का वेति और चालु माह का वेति इसमे यदी कोई अन्खतर हो तो वह वार्त्षमक वेति वृध्दी के
अिुसार होिा चाहीये।
वार्त्षमक वेति वनध्द का नववरण वेति पत्रके के साथ आवश्यक होता है।
वेति पत्रक मुल प्रनतनलपीमे ही होिा चाहीये ।
ग्रहीत वेति:-
वेति भुगताि अनिनियम का पालि करिे हेतु सभी कममचारीयों का वेति पत्रक 15 कदिों के प्रत्यक्ष
उपनस्थती के आिारपर तैयार करिे का कायम प्रारंभ कर कदया जाता है। मस्टर के अिुसार जो कममचारी
ककसी भूी माह मे पहले 15 ᅠकदि उपनस्थत होते है उिका वेति पत्रक बिाया जाता है । बादके 15
कदिोंके समय को ग्रनहत उपनस्थती मािी जाती है। यदी इस समयावनि मे कममचारी अिुपनस्थत रहता है
ओैर इस कारण उसे अनिक वेति कदया जाता है। तो यह अनिक कदया हुवा वेति अगले माहे के वेति
पत्रक से काट नलया जाता है।
1) वेति पत्रकोंके साथ निम्ननलखीत नववरण भेजिा अनिवायम होता है।
2) आबंटि नववरण
3) स्के ल चेक नववरण
4) वेति वृध्दी का नववरण
5) यात्रा भत्ता नववरण
6) आयकर का नववरण
7) समयोपरी भत्ता का नववरण
8) मकाि ककराया कटौती नववरण
9) नबजली प्रभार कटौती नववरण
10) भनवष्य निनि कटौती नववरण
11) कारखािा डेनबट के कटोूैती का नववरण
12) भंडार डेनबट के कटौती का नववरण
13) स्टेिि लेखा संबंनित कटौती का नववरण
14) रलवे इनन्खस्टटयुट कटौती का नववरण
15) रेल्वे को ऑपरे रटव्ह सोसायटी के कटौती का नववरण
16) रेल्वे उपभोिा भंडारों के कटोूैती का नववरण
17) इ . सी. सी. बैंक का नववरण
18) भोजि प्रभारों का कटोूैती का नववरण
19) पोस्ट ऑकिस नबमा योजिा का कटौती नववरण
20) आयुमनवमा कटौती नववरण
उपरोि नववरणों के अलावा वेति पत्रकोंके साथ निम्ननलनखत नववरण भी जोडिा आवश्यक होता है।
यदी ककसी कममचारी के मामलेमे पहली बार वेति पत्रक लेखा कायामलयको भेजा जा रहा हो तो उस
संबंिमे स्थाई अथवा अस्थाई पद पर है इस संबंि मे नववरण भेजा जािा चाहीये।
उपरोि नववरणों के आिारपर लेखा कायामलय मे वेति पत्रकों की जॉच कक जाती है।
अभ्यास सं्या 4 ए
नवनवि नवषय
यात्रा भत्ता
vi. यात्रा भत्ता नबल प्रचनलत नियमो एवम दरों के अिुसार तैयार करिा चाहीये।
vii. यात्रा का कारण यात्रा भत्ता नबल पर नलखा होिा चाहीये।
viii. गाडीयों का प्रत्यक्ष समय नलखिा चाहीये । यदी गाडीयॉ देरीसे चल रही हो तो संबंनित स्टेिि
मास्तर व्दारा प्रमाणपत्र प्राप्त करके यात्रा भत्ता नबल के साथ जोडिा चाहीये।
ix. यात्रा भत्ता नबल अनिकतम नति माह मे प्रस्तुत करिा चाहीये।
x. यात्रा भत्ता नबल पर यात्रा करिे वाले अनिकारी का हस्ताक्षर होिा चाहीये।
xi. एक ही कारण के नलये एक से अनिक यात्रा भत्ता नबल िही भेजिे चाहीये।
xii. अंकगनणतीय िुध्दता होिी चाहीये।
xiii. यदी कममचारी नपछली तारीख से लागु होिे वाली पदोन्नती पाता है अथवा पदाविती पाता है तब
ऐसी पररनस्थतीयोमे यात्रा भत्ते का अनतररि भुगताि िही ककया जाता है । अथवा अनतररि कदये
गये यात्रा भत्ते की कटौती िही कक जा सकती है।
यदी कोई यात्रा भत्ता अग्रीम कदया गया हो तो उसकी कटौती यात्रा भत्ते का भुगताि करते समय कर
लेिा चाहीये।
जब दौरेपर जािेवाले कममचारी व्दारा बस से यात्राᅠकी गयी हो तो प्रत्येक कक.मी. यात्रा कं ूेूं नलये 60
पैसे प्रनत कक. मी. के दर से कममचारी को मायलेज अलावन्खस कदया जा सकता है , टॅतसी एवम ररक्षा व्दारा
कक गयी यात्रा के नलये 4 रुपये प्रती कक. मी. दर से यह मायलेज अलावन्खस देय होगा।
बी 1 ए ए1
नविाखापटटंूिम,पटिा, हैदराबाद,अहमदाबाद, देलही,मुंबइ,चेन्नइ,
सुरत,वडोदरा,कोची, बैगलौर,पुणे,कािपूर कलकत्ता
भोपाल,इंदोर,िागपूर,
लुनियािा,जयपुर,
कोइंबतुर,मदुराइ,लखिौ,वाराण
सी
यात्रा भत्ते का दावा करिेके नलये कदि का प्रारंभ रात के 12 बजे से मािा जाता है। ककसी भी कदि के रात
के 12 बजेसे दुसरे कदि के रात के 12 बजे तक एक नतथी मािी जाती है।पहेले 6 घंटो के नलये 30% के
दरसे यात्रा भत्ता देय होता है। 6 से 12 घंटों के नलये 70% एवम उससे अनिक के नलये 100% यात्रा
भत्ता देय होता है।
दावा करिे वाले अनिकारी व्दारा यह देखिा चाहीये कक ककसी भी कदि 100% से अनिक यात्रा भत्ते के
नलये दावा िही करिा चाहीये। यात्रा के दौराि कदया जािेवाला यात्रा भत्ता अवर्त्गमकृ त श्रंूेूंणी के िेहरो
के नलये लागु दरसे नमलेगा।
अभ्यास सं्या 4 बी
पॉचवे वेति आयोग कक निि ूाररषों के अिुसार स्थािांतरण भत्ता अब एकककृ त दरसे कदया जाता है।जो
कममचारी कदिांक 1.5.1976 के बाद सेवा मे नियुंि ककये गये है । ऐसे कममचारीयों को स्थािांतरण भत्ते
के रुपमे एक माहके वेति के बराबर की रािी यात्रा भत्ते के रुपमे कद जाती है।
रेल प्रिासिके नहतमे ककये गये सभी स्थािांतरणों के मामलो मे यह स्थािांतरण भत्ते देय होते है। चाहे
वह स्थािांतरण प्रमोिि के कारण हुवा हो। अथवा नडमोिि के कारण अथवा उसी पद पर स्थािांतरण
हुवा हो नजस पद पर कमामचारी नियुंि हो।
नजि कममचारीयों कक नियुिी ददंिांक 1.5.1976 के पेहेले कक गयी हो ऐसे कममचारीयांके मामलेमे
स्थािांतरण भत्ते मे 25% कक कटौती कक जाती है।
कममचारी के आवेदि पर ककये गये स्थािांतरण के मामलोमे स्थािांतरण भत्ता देय िही होता है।
अभ्यास सं्या 4 सी
एक वषम की अहमक सेवा पुरी करिे पर प्रत्येक रेल कममचारी को नििामररत दरसे वार्त्षमक वेति वृध्दी कद
जाती है। अलग अलग समयमाि वेति श्रेंणी के अिुसार वार्त्षमक वेति वृध्दी का दर अलग अलग होता
है। कममचारी के अिुपनस्थती के अिुसार वार्त्षमक वेति वृध्दी कक नतथी बदल सकती है। कममचारी कक
नियुंनि कक नतथी कोई भी हो कममचारी को उस माह के एक तारीख से वेति वृध्दी लागूं हो जाती है।
वेति वृध्दी अिुिासिात्मक कारवाई के पररणाम स्वरुप आवती अथवा अिावती रुपसे रोकी जा सकती
है। यदी कोई कममचारी अपिे वेति माि मे अनिकतम स्टेज पर पहुूॅच जाता है तो प्रत्येक दो वषो के
नलये उसे एक वेति वृध्दी कद जाती है । उसे स्टॅग्नेिि इंकिमेंट कहते है। यह सभी उददेिोके नलये लागुं
मािा जाता है।के वल प्रमोिि के कारण ककये जािेवाले पे कितसेिि के मामलोंमे यह लागु िही मािी
जाता है।
कायामरंभ काल -
पूणम रुपसे कायामरंभ काल उपयोग मे ि लायें जािे पर बचा हुवा कायारंभ काल छु टटी लेखा खाते मे िे डीट
ककया जाता है। और कममचारी उसे कभी भी छु ंटटी के रुपमे ले सकता है।
नजस के टेगरी मे कममचारी अपिा िारणानिकार रखता है। उस के टेगरी से हटकर एतस के डर पदोंपर कायम
करते समय कममचारी के मुल के टेगरी मे खाली पदोंपर पदोन्नती देिे के प्रकिया को िेतसट नबलो रुल
कहते है।
अभ्यास सं्या 5 ए
छु ंटटी नियम -
1. छु टटीयोंके प्रकार
2. आकनस्मक अवकाि
3. नविेष आकनस्मक अवकाि
4. औसति अवकाि अथवा पुणम वेति अवकाि
5. अिम वेति अवकाि
6. अस्पताल अवकाि
7. अदेय वकाि
8. अनत नवनिि अवकाि
9. मातृत्व अवकाि
10. नपतृत्व अवकाि
11. प्रनतरोि अवकाि
12. नविेष असमथमता अवकाि
13. प्रनतपुरक अवकाि
अध्ययि अवकाि
आकनस्मक अवकाि
नजि कममचारीयोंको 16 कदि राजपत्रीत छु टटीया एवम 2 कदि प्रनतबंनित छु ंटटीया प्राप्त होती है। ऐसे
सभी कममचारीयों को एक के लेंडर वषम मे 8 कदि आकनस्मक अवकाि कदया जाता है। तथा अन्खय कममचारी
योंको 12 कदि आकनस्मक अवकाि कदया जाता है। के लेंडर वषम एक जिवरी से प्रारंभ मािा जाता है ।
और 31 कदसंबर को समाप्त मािा जाता है। यह अवकाि अन्खय ककसी भी अवकाि के साथ जोडकर िही
नलया जा सकता। लेककि सामान्खय छु ंटटीया, िनिवार, रनववार तथा प्रनतबंनित अवकाि के साथ आगे,
नपछे अथवा नबचमे लगातार रुपसे जोडकर आकनस्मक अवकाि ग्रहण ककया जा सकता है। एसे छु टटीयोंके
कदि आकनस्मक अवकाि के रुप मे िही मािे जायेंगें। यह छु टटी जमा िही कक जा सकती और आगें के
वषम मे िही नल जा सकती। यह छु टटी आिे कदि के नलये भी मंजुर कक जा सकती है।
यह अवकाि कु छ नविेष पररनस्थतीयों मे दये हो जाती है। जैसेᅠ कक रॅलीज,कॅ म्पस , नमटटंगज, स्काउट
या गाईड जैसे संगठि अथवा युनियिो के कायमिम आदी के नलये नियमािुसार यह अवकाि मंजुर ककया
जा सकता है। इस अवकाि को निम्ननलनखत कारणों से मंजुर ककया जा सकता है।
खेल कु द मे नहस्सा लेिे के नलये जब ककसी कममचारी को प्रनतनिनित्व करिा हो तो अनिकतम 30 कदिके
नलये मंडल रेल प्रबंिक व्दारा, 90 कदि तक महाप्रबंिक व्दारा एवम 120 कदिों तक रेल्वे बोडम व्दारा
यह अवकाि मंजुर ककया जा सकता है।
न्खयायालयमे दावा लडिे हेतु नवनिि दावों के नलये तथा यात्रा के नलये नविेष आकनस्मक अवकाि कदया
जाता है।
नवग्याि एवम तकनिकक नवषया होिेवाले सेनमिार मे भाग लेिे हेतु।
पररवार नियोजि कक नवनभन्न योजिाओ तहत वेसतटोमी आपरेिि के मामलो मे परुष वगम के नलये 7
कदि, पहली बार आपरेिि असिल होि पर दुबारा आपरेिि के नलये 7 कदि तक डॉतटर व्दारा कदये गये
प्रमाण पत्र के आिारपर यह अवकाि कदया जाता है।
टयुबोतटोमी के ऑपरेिि के मामलो मे महीला रेल कममचारी को 18 कदि तथा इस ऑपरेिि के कारण
उत्पन्न जटीलताओ के नलये डॉतटर व्दारा जारी प्रमाण पत्र के आिारपर यह अवकाि मंजुर ककया जाता
है। पुरुष कममचारी के पत्नी के ऐसे ऑपरेिि के मामलोमे कममचारी को देखभाल हेतु 7 कदि का अवकाि
मंजुर ककया जाता है।
निनित कालांतर के बाद होिेवाले नियनमत नचककत्सा परीक्षा के नलये आकनस्मक अवकाि कदया जाता
है।
अभ्यास सं्या 5 बी
प्रत्येक रेल कममचारीको एक वषम मे नतस कदि के नहसाब से यह अवकाि उसके छु ंटटी लेखा खातेमे जमा
कक जाती है । एक जिवरी एवम एक जुलाई को 15/15 कदि के नहसाबसे इसे जमा ककया जाता है। यह
अनग्रम रुपसे जमा होती है। यह इस आिारपर जमा कक जाती है कक इस छह माह मे कममचारी सेवा मे
उपनस्थत रहेगा और इतिी छु टटी अर्त््जमत करेगा। यदी कममचारी इस काल मे नविा वेति छु टटी लेता है
तो प्रत्येक दस कदिोंके नलये एक कदि के नहसाब से अगले छह माहमे होिवाले जमा मे कटौती होगी। इस
तरह से छु टटी जमा करिे की अनिकतम नसमा 300 कदि होंगी । उसके पिात अनिक 15 कदि कदखाये
जायेंगे लेककि उन्खहे कममचारी व्दारा ि नलये जािेपर वह लॅप्स मािे जायेंगे।यह अवकाि सक्षम अनिकारी
के मंजुरी के आिारपर अनिकतम 120 कदि तक लगातार नलया जा सकता है। कारखािे मे कायम करिेवाले
कममचारीयों को छोडकर अन्खय कममचारीयोंको आिा कदि अवकाि िही कदया जा सकता।
पुणम वेति अवकाि कक तरह यह छू टटी भी 1.7.86 से सालमे दो बार जमा हो रही है। हर छ माही के
नलये 10 कदि के नहसाब से यह जमा होती है।
इस छु टटी को छु टटी लेखा खाते मे जमा करिे के नलये कोई अनिकतम नसमा िही है।यह छु टटी कममचारी
व्दारा आवेदि करिे के बाद अथवा नचककत्सा कारणो से मंजुर ककया जा सकता है।
अभ्यास सं्या 6 ए
5) पररवर्त्तमत अवकाि :-
अघमवेति अवकाि जब भी पुणम वेति अवकाि मे पररवर्त्तमत करिे कक मंजुरी कद जाती है तब कममचारी
को पररवर्त्तमत अवकाि कदया गया ऐसा मािा जाता है। यह पररवतमि दो अिमवेति अवकाि को एक पूणम
वेति अवकाि के रुप मे पररवतीत ककया गया है यह मािकर ककया जाता है। यह पररवतमि के वल
नचककत्सा प्रमाणपत्र के आिारपर नह ककया जाता है। इसके नलये कोई नसमा निनित िही है। इस सुनविा
के कारण कममचारी को पुणम वेति अवकाि ि लेते हुए पुणम वेति पािे का लाभ प्राप्त हो सकता है।
अभ्यास सं्या 6 बी
6) अदेय अवकाि :-
स्थाई कममचारी के नलए तथा अस्थाई कममचारी के मामलो मे नबमारी के नलये यह अवकाि कदया जाता
है। जब कममचारी के छु ंटटी लेखे मे ककसी भी प्रकारकी छटटी बकाया िही होती है। तब सक्षम अनिकारी
व्दारा इस प्रकार का अवकाि मंजुर ककया जा सकता है। सेवाकाल मे अनिकतम 360 कदि तक अदेय
अवकाि मंजुूूर ककया जा सकता है। एक बार अनिकतम 90 कदि तक यह अवकाि कदया जाता है। यकद
कममचारी सेवा छोड कर जाता है। तब उस देय रािी से इसकी कटौती कक जाती है।
7) असािारण अवकाि :-
नविेष पररनस्थतीयो मे जब कोई भी अवकाि बकाया िही होता है। और कममचारी को छु टटी देिा
आवश्यक समझा जाता है , तब ऐसे पररनस्थती मे कममचारी व्दारा प्राप्त आवेदि के आिारपर यह छु टटी
मंजूर कक जा सकती है। स्थायी कममचारी को अनिकतम 5 साल तक ऐसी छु ंटटी मंजुर कक जा सकती है।
यह अवकाि नविा वेति अवकाि होगा। डातटरी प्रमाण पत्र के आिारपर कद गयी छु ंटटी पेंिि के नलये
अहमक सेवा मािी जायेगी।
अभ्यास सं्या 6 सी
8) मातृत्व अवकाि
रेल्वे नवककत्सा अनिकारी व्दारा जारी ककये गये प्रमाणपत्रों के आिारपर मनहला रेल कममचारी को 135
कदि तक इस प्रकार का अवकाि कदया जाता है। यह अवकाि प्रसुती के समय कदया जाता है। गभमपात के
मामले मे 42 कदि तक यह अवकाि कदया जाता है। इस अवकाि के साथ जोडकर अन्खय अवकाि भी 60
कदि तक कदया जा सकता है/ अनिकतम 3 बार यह छु टटी मंजुर कक जा सकती है। यह अवकाि अवकाि
खाते मे अन्खय ककसी अवकाि से डेनबट िही ककया जाता है।
9) नपतृत्व अवकाि:-
पॉचवे वेति आयोग के नििाररषों के अिुसार यह अवकाि प्रारंभ हुवा है। अपत्य प्राप्ती पर पुरुष रेल
कममचारी को 15 कदि तक यह अवकाि कदया जा सकता है। अनिकतम 2 बार यह अवकाि कदया जा
सकता है। यह अवकाि 6 माह तक कक अविी मे कभी भी नलया जा सकता है।
अभ्यास सं्या 7 ए
यह अवकाि उस कममचारी को कदया जाता है नजसके पररवार मे ककसी व्यनि को छु त कक नबमारी जैसे
कक चेचक , हैजा, महामारी, टाईिाईड आकद रोगो से नपडीत हो । नजसके कारण कममचारी को काम पर
आिे से प्रनतबंि ककया जा सके । यह अवकाि 21 कदि तक कदया जा सकता है। नविेष पररनस्थतीमे 30
कदि तक भी कदया जा सकता है। परंतू यदी कममचारी स्वयं नबमार हो तो उसे यह अवकाि िही कदया जा
सकता ।
अभ्यास सं्या 7 बी
सेवारत कममचारी जब ककसी कारण वि घायल हो जाता है। अथवा नबमार हो जाता है। तब इि
पररनस्थतीयोंमे नचककत्सा अनिकारी व्दारा जारी ककये गये प्रमाण पत्र के आिारपर रेल कममचारी को
अनिकतम 5 वषम तक इस प्रकार का अवकाि कदया जा सकता है।
जो कममचारी कामगार क्षनतपुती अनिनियम 2000 के अन्खतगमत िही आते है। तथा उन्खहे उपरोि अवकाि
देय िही होता है ऐसे कममचारीयों को नबमारी के समय डॉतटरी प्रमाणपत्र के आिारपर यह अवकाि
कदया जाता है।
अध्ययि अवकाि :-
i) यह अवकाि उि रेल कममचारी यों को कदया जाता है। जो वैग्यानिक व तकनिकी मामलेमे अथवा
नवषयोंमे अनिक अध्ययि करिा चाहते है। इस अध्ययि का लाभ भनवष्य मे भारतीय रे ल्वे को
होिे वाला है।
ii) कममचारी की कमसे कम पॉच साल कक सेवा होिा आवश्यक है।
iii) कममचारी कक उम्र 55 वषम से कम होिा चाहीये।
iv) अध्ययि के पाठयिम कक सीमा अनिकतम 12 माह होिा चाहीये।
अध्ययि पुंरा हो जािे के पिात कममचारी व्दारा कमसे कम 3 साल कक सेवा करिे का वादा रेल्वे के साथ
करिा चाहीये।
उपरोि ितो के आिारपर रेल्वे बोडम व्दारा यह अवकाि ककसी भी राजपत्रीत अनिकारी को मंजुर ककया
जा सकता है। अराजपनत्रत कममचारी के मामलेमे यह अनिकार माहा प्रबंिक को कदये गये है।
पयमवेक्षण कममचारीयोंको छोडकर कायामलयोंमे कायम करिे वाले समुह सी एवम समुह डी के कममचारी यों
को यदी िनिवार, रनववार अथवा सावमजनिक अवकाि के कदि कायामलय मे कायम करिे हेतुूू बुलाया
जाता है। तब ऐसे पररनस्थती मे कममचारी को देय साप्ताहीक नवश्राम के बदलेमे उसे प्रनतपुरक अवकाि
मंजुर ककया जा सकता है। इसे मंजुर करिे का अनिकार कायामलय प्रमुख अनिकारी का होता है। सामान्खयत:
एक माह कक सीमा के अन्खदर इसे नलया जािा चाहीये।
1) रेल कममचारीयों के पररवारके सदस्यों को इस योजिा के अन्खतगमत नबमे का लाभ कदया जाता है। यह
नबमे की रािी रेल कममचारी के सेवा काल मे मृत्यु हो जािे पर कदया जाता है। कदया जािे वाला
भुूगताि कममचारी के भनवष्य निनि मे बकाया िेष रािी पर निभमर होता है। कममचारी के मृत्यु के
समय उसके भनवष्य निनि खातेम जो रकम िेष होती है उसके औसत के बराबर कक रकम अथवा
अनिकतम 60000 रुपये इिमे से जो भी कम हो का भुगताि पररवारके सदस्योंको कदया जाता है।
बषते कक कममचारी के वेति के अिुसार उसके खातेमे जमा रािी निम्ननखत नसमा से अिीक होिा
चाहीये:-
2) जो कममयारी ऐसी श्रेणीमे काम कर रहे हो नजसकी अनिकतम नसमा 12000 अथवा उससे अनिक
है उिके नलये भनवष्य निनि खातेमे िेष 25000 रु से अनिक होिा चाहीये।
3) जो कममचारी ऐसे श्रेणीमे काम कर रहे हो नजसकी श्रेणी 12000 रु से कम लेकीि 9000 रु से अनिक
है। उिके भनवष्य निनि खाते मे कमसे कम िेष 15000 रु से अनिक होिा चाहीये।
4) जो कममचारी ऐसे श्रेणीमे काम कर रहे हो नजसकी श्रेणी 9000 रु से कम हो लेकीि 3500 रु से
अनिक हो उिके भनवष्य निनि खाते मे 10000 रु से अनिक रािी जमा होिा आवश्यक हेूै।
3500 रु से कम श्रेणी मे काम करिेवाले कममचारीयोंके मुत्यु के समस उिके भनवष्य नििी खाते मे जमा
िेष 6000 रु से अनिक होिा चाहीये
उपरोि पररनस्थतीमे ᅠनजि कममचाररयों की मुत्यु सेवाकाल मे रहते हुए हो जाती है। एैसे सभी
कममचाररयों के परीवारके सदस्योंको अनतम भुगताि के समय उिके नपछले 36 माहके औसति िेष के
बराबर अथवा अनिकतम 60000 रु कक रािी अनतरीि कद जाती है । इस योजिा को पुजी निवेि संलग्न
नबमा योजिा कहते है।
भारतीय रेल्वे संस्थापिा संनहता के पॅरा िमांक 923 से 925 मे भनवष्य निनि से निकासी के नियम कदये
गये है। इि नियमों के अिुसार भनवष्य निनि से निम्ननलनखत कारणो से निकासी अिुमत है।
1) अस्थाई निकासी
2) नचककत्सा के नलये अवकाि पर बाहरी देिों मे यात्रा के नलये जाते समय यात्रा खचम के बराबर कक
रािी अस्थाई रुपसे भनवष्य निनि से निकालि ूेके नलये अिुमती है।
3) अपिे खुद के नलये एवम पररवार के ककसी सदस्य के नलये आगे की पढाई के नलये भनवष्य निनि से
अग्रीम अिुमत है।
4) पुरुष आश्रीत की िादी के नलये अथवा सगाई के नलये 3 माह के वेति के बराबर कक रािी अिुमत
है।
5) मनहला आश्रीत कक िादी के नलये अथवा सगाई के नलये 6 माह के वेति के बराबर कक रािी अिुमत
हेूै।
6) मकाि बिािे हेतू जनमि खरीदिे के नलये प्लॉट के 50 % के बराबर कक रािी अिुमत है।
7) नबमारी के मामलेमे अराजपत्रीत कममचारी को 500 रु एवम राजपत्रीत अनिकारर को 1000 रु
अिुमत है।
रटव्ही, किज, वाशिंग मनिि, नब.सी.आर.,नगजर,कम्प्युटर,कु दकं ग रेंज जैसी उपभोग्ता नचजें खररदिे हेतु
3 माहे के बराबर कक रािी अथवा भनवष्य नििी खाते मे जमा रािी के 50% प्रनतित के बराबर कक
रािी कक निकासी अिुमत है।
अंनतम निकासी
1) रोड साईड स्टेिि पर सेवाकालमे मरिे वाले रेल कममचारी के अन्खतेिी किया के नलये 8000 रु कक
निकासी अिुमत है।
5) साईककल अनग्रम :- नजि कममचारीयोंका मुल वेति 5000/- रुपयोंतक होता है। एसे सभी
कममचारीयोंको साईककल अनग्रम मंजुर ककया जाता है । ईस अनग्रम के रुपमे साईककल कक ककमत
अथवा 1500/- इसमेसे जो भी कम हो कक रकम मंजुर कक जा सकती है। इसकी कटौती अनिकतम
25 ककश्तोंमे कक जा सकती है। नजसमे ब्याज कक ककश्ते िानमल िही है। ब्याज समाि ककश्तोंमे उसी
तरह वसुल ककया जायेगा नजस तरह से शप्रंनन्खसपल अमाउं ट वसुला गया हो।
6) टेबल िॅ ि अनग्रम :- इस अनग्रम के रुपमे चतुथम श्रेंणी के कममचारी योंको टेबुल िॅ ि खरीदिे हेतु
1000/- रुपये अथवा िॅ ि कक ककमत इिमेसे जो भी कम हो के बराबर कक रािी मंजुर कक जायेगी।इस
अनग्रम कक कटौती 10 ककश्तों मे कक जायेगी।
7) गरम कपडे खररदिे हेतू अनग्रम :- नविेष इलाको मे यह अनग्रम अनिकतम 1500 रुपयों तक मंजुर
ककया जाता है।
निनज कम्प्युटर खररदिे हेतु अनग्रम :- कम्पूुटर कक ककमत अथवा 80000 रुपये इिमे से जो भी कम हो
। पहली बार के नलये । एवम दुसरी बार के नलये कम्प्युटर कक ककमत अथवा 75000 रुपये दोिो मे से
जो भी कम हो के बराबर कक रकम मंजुर कक जा सकती है ।
उपरोि सभी अनग्रमोंके नलये अन्खय नविेष िते भी लागू होती है। वेूैसेही ब्याज कक दरें भी समय समय
पर सरकार व्दारा िोनषत कक जाती है। इसनलये ब्याज दरें एवम नविेष ितो को िोटसंू मे िानमल िही
ककया है।
अभ्यास सं्या 10 सी
इस अनग्रम के नलये मकाि कक पुरी लागत के नलये एक नसलींग नलनमट निनित ककया गया है। नजसके
अिुसार कममचारी के मुल वेति के 200 गुिा रकम 7.5 लाख रुपये से कम होगी उिके नलये अनिकतम
कक नसशलंग नलनमट 7.5 लाख रखी गयी है। लेककि नजि कममचारीयों के मामले मे वंति के 200 गुिा
रकम 7.5 लाख रुपये से अनिक है उिके नलये नसशलंग नलनमट वेति के 200 गुिा रकम के बराबर कक
रािी इतिी होगी।
अनग्रम कक रािी वेति के 50 गुिा रकम के बराबर कक रािी अथवा मकाि कक लागत अथवा कममचारी
कक अनग्रम वापसी कक क्षमता इिमे से जो भी कम हो के बराबर कक रािी होगी।
बिे बिाये मकाि के नवकास के नलये भी दुबारा अनग्रम कदया जा सकता है । नजसकी रािी 50 माह के
मुल वेति के बराबर कक रािी अथवा 180000 रुपये इिमेसे जो भी कम हो के बराबर होगी।
अनग्रम कक कटौती 240 ककश्तों मे मुल रािी 180 ककष्तो में एवम 60 ककश्तोंमे व्याज कक रािी इस
प्रकार से हो सकती है।
अभ्यास सं्या 11 ए
अंनतम निपटाि
भनवष्य निनि
सभी रेल कममचारी नजिकक एक साल कक सेवा पुरी हो गयी हो । उिके वेति से भनवष्य निनि कक कटौती
कक जाती है। के वल ऐसे कममचारी नजिकक नियूनि सेवा निवूृूात्ती के पिात िैनमत्तीक रुपमे कक गयी
है, को छोडकर सभी कममचारीयों के वेति 8.33% के दरसे भनवष्य निनि कक कटोूैूंती कक जाती है ।
इस कटौती को कममचारी के िाम से खोले गये लेजर खाते मे जमा ककया जाता है।जो कममचारी स्वैनछछक
रुपमे भनवष्य निनि मे अनिक रकम जमा करिा चाहते है । उिके मामलेमे भी ऐसी रकम इसी खाते मे
जमा होती है।
सेवा निवृनत्त के समय इसका भुगताि कममचारी को कर कदया जाता है ।
हर कममचारी िे अपिे भनवष्य निनि खाते के नलये िॉनमिेिि करिा चाहीये। तयों की मृत्यु के मामलेमे
भनवष्य निनि कक रकम का भुगताि इस िॉनमिेिि के आिारपर नह ककया जाता है।
रेल कममचारी कक सेवानिवृत्ती के समय अथवा उसकी सेवा कालमे मृत्यु होिे के कारण कमचारी को अथवा
उसके पररवार के सदस्यों को इस रािी का भुगताि ककया जाता है। अथामत सेवा निवृत्ती के समय इसका
भुगताि कममचारी को एवम मृत्यु के समय इसका भुगताि पररवार के सदस्योंको ककया जाता है। जो
कममचारी पेंिि पािे के हकदार होते है के वल वैसे ही कममचारी मृत्यु एवम सेवा उपदाि प्राप्त करिेके
अनिकारी होते है। तयों की मृत्यु एवम सेवा उपदाि यह एक पेंििरी लाभ मािा जाता है।
मृत्यु एवम सेवा उपदाि के नलये निम्ननलनखत प्राविाि होते है।
सेवा उपदाि
सेवा उपदाि कक गणिा करिे के नलये निम्ननलनखत िॉमुुंले का उपयोग ककया जाता है।
अंनतम वेति एवम मंहंगाई भत्ता के चौथे भाग को अहमक सेवा के छ माहीयों से गुणा ककया जाता है।
जो कक अनिकतम 66 तक हो सकती है।
मृत्यु उपदाि
कममचारी के मृत्यु के समय उसके पररवार को मृत्यु उपदाि कक रािी का भुगताि ककया जाता है। यह
भुगताि निनम्ननलनखत तानलका के आिारपर ककया जाता है।
अभ्यास सं्या 11 बी
रेल कममचारी नबमा योजिा का प्रारंभ 1.7.77 से ककया गया था । इस योजिा के अन्खतगमत रेल कममचारी
का 5000 रुपयो का नबमा ककया गया था। कदिांक 1.11.1980 से समुह नबमा योजिा का प्रारंभ हुवा
इस योजिा के अन्खतगमत रेल कममचारीयोंके समुह के अिुसार समुह D,C,B और A के नलये िमि:
10000,20000,40000 और 80000 रुपयो का नबमा ककया गया था । इसके नलये कममचारी के वेति
से िमि: 10,20,40 और 80 रुपये दर से कटौती होती थी। कदिांक 1.1.90 से इस योजिा मे 50%
कक बढौतरी कक गयी । और समुह डी, सी, बी और ए के कममचारीयों से िमि: 15,30,60 और 120
रुपये नबमा कक कटौती करिे का प्रारंभ ककया गया। कममचारी के मृत्युपर उसके पररवारको िमि:
15000,30000,60000 और 120000 रुपये का भुगताि नबमा के रुपमे ककया जाता है। इसके अनतररि
सभी कममचारी के मामलेमे सेवा निवूत्ती के समय 70% के दर से बचत निनि कक रािी कक वापसी भी
इय योजिा के अन्खतगमत कममचारी को ककया जाता है। मत्यु के मामलेमे इस रािी का भुगताि भी कममचारी
के पररवार को ही ककया जाता है।
अभ्यास सं्या 11 सी
पेिि के संरानिकरण का मतलब होता है कक पेूेूंिि के कु छ नहस्से का सरंडर करके उसके बदलेमे
लंपसम रािी का भुगताि पािा।पॉचवे वेति आयोग कक नसिाररिोंके अिुसार अनिकतम 40%
संरानिकरण अिुमत है। संरानिकरण के बदलेमे नमलिे वानल रािी निम्ननलनखत तालीका के आिारपर
निनित कक जाती है।
पेंििर कक आयु 1 रुपये का मुल्य
32 209.52
33 201.48
34 205.32
35 203.04
45 175.68
46 172.44
47 169.20
48 165.84
49 162.48
55 140.76
56 137.04
57 133.20
58 129.6
59 125.52
60 121.56
61 117.72
अभ्यास सं्या 12 ए
िॉनमिेिि ि देिे पर अंनतम देय रािी का भुगताि पररवारके संदस्योंको समाि नहस्सों मे ककया जाता
है। नववाद के मामलेमे न्खयायालय से सतिेिि सरटकिके ट के आिारपर मामले निपटाये जाते है।
अभ्यास सं्या 12 बी
पररवार पेंिि -
कदिांक 1.1.1964 से पररवार पेंिि का प्रारंभ हुवा है। ककसी रेल कममचारी कक सेवा काल मे मत्यु होिे
पर अथवा रेल्वे पेंििर कक मत्यु होिे पर उसके पररवार को यह पेिि देय होती है। पररवार पेंिि देिे के
नलये ककसी प्रकारकी न्खयुितम सेवा का होिा आवश्यक िही है। के वल अनिक दर से पररवार पेंिि देिे के
नलये कम से कम 7 साल कक सेवा होिा आवश्यक मािा गया है। िॉममल के सेस मे पररवार पेिि का दर
पाचवे वेति आयोग के अिुसार अंतीम माह के वेति के 30% के बराबर कक रािी अथवा कमसे कम
1275 रुपये के बराबर होिा चाहीये । इस मुल पेंिि पर समय समय पर लागु महंगाई भत्ते के बराबर
ररनलि कदया जाता है।पररवार पेंिि का संरानिकरण अिुमत िही है। पेंििर को अपिे पेंिि के साथ
पनत अथवा पत्नी कक पेंिि भी नमल सकती है। कममचारी के मत्यु के बाद पहले सात वषम अथवा कममचारी
65 साल का होिे कक नतथी तक बढे हुवे दर से पेंिि कदया जाता है। यह दर िॉममल पररवार पेिि के दो
गुिा अथवा कममचारी नजनवत होता तो उसे नमलिेवाला पेिि इसमेसे जो भी कम हो के बराबर होता है।
पररवार पेंिि नविवा,नविुर,25वषम आयु तक का िौकरी ि करिेवाला पुत्र,25वषम तक कक अनववानहत
एवम िौकरी ि कर रही पुत्री अथवा अिि बालक को आनजवि कदया जा सकता है। मािनसक रुपसे
नवकलांग बालकोंको पररवार पेंिि अनभभावक के व्दारा कदया जाता है। लेककि यह गाडीयि प्रामाणपत्र
न्खयायालय व्दारा जारी ककया जािा आवश्यक होता है।
1) प्रत्येक रेल कममचारी को सेवानिृत्ती के समय निम्ननलनित प्रकारके भुगताि ककये जाते है।
2) भनवष्य निनि मे जमा रािी
3) मृत्यु एवम सेवा उपदाि
4) आखरी माह का वेति
5) नलव सॅलरी
6) समुह नबमा योजिा कक रािी
7) समुह नबमा योजिा कक बचत निनि कक रािी
8) पुंनज संलग्न नबमा योजिा कक रािी
9) पेंिि के संरानिकरण का मुल्य
10) पेंिि
11) पररवार पेंिि
12) स्थािांतरण भत्ता
13) मंहंगाई भत्ते कक रािी
14) नलव सॅलरी एवम नडसीआरजी के नलये मंहंगाई भत्ते का अन्खतर
अंनतम भुगताि का निपटारा जल्द से जल्द हो और कममचारीयोंको अनतम भुगताि जल्द से जल्द नमले
इसनलये निम्ननलनखत कायमवाही करिा चाहीये।
कायमकारी अनिकारी एवम कार्त्ममक अनिकारीयों व्दारा
इि अनिकारीयोव्दारा सेवानिवुत्त होिे वाले कममचारीयों के के सेस पुणम रुपसे तैयार करके लेखा
नवभागको कमसे कम 3 माह पहले भेजिा चाहीये।
लेखा अनिकारी व्दारा ऐसे मामले प्राप्त होते ही तुरन्खत उिपर कायमवाही करिा चाहीये। ए िामम तैयार
करिा चाहीये मुव्हमेंट नस्लप तैयार करिा चाहीये। भनवष्य निनि के खाते सही करिे चाहीये एवम उन्खहे
सेवानिवृत्ती अिुूूभाग को भेजिा चाहीये । यह दे खिा चाहीये कक इि मामलोमे भुगताि होिे मे एक
कदिका भी नवलंम्ब िही होिा चाहीये।
अनिवार्त्षमकक सेवा निवत्ती के मामलो को छोडकर अन्खय मामलो मे लेखा नवभाग व्दारा एवम कायमकारी
नवभाग एवम कार्त्ममक नवभाग व्दारा नविेष ध्याि देिे कक आवश्यकता है। तयों कक इि मामलोमे अनिक
नवलंब होि कक निकायते प्रात होती है।
आजकल पेंिि अदालत भरिे लगी है। हरसाल मे दो बार पेंिि अदालते होती है। नजि मामलोमे अंनतम
भुगताि िही होता है ऐसे मामले पंिि अदालत मे निपटाये जाते है।.
पेंिि योजिा का प्रारंभ कदिांक 16-11-57 से हुवा है। लेककि यह योजिा उि कममचारी योंको अनिवायम
रुपसे लागुं कक गयी है जा कक कदिांक 1-4-1057 से रेल्वे मे भती हुए है। 1-4-57 संूेूं पेहेले रेल्वे मे
कायम करिे वाले कममचारी यों को इस योजिा मे िानमल होिे के नलये नवकल्प कदया गया था। इस योजिा
के अन्खतगमत रेल कममचारी को सेवा निवृत्ती के पिात निनित दर से पेंिि कदया जािे का प्राविाि ककया
गया है। इस योजिा के अन्खतगमत पेंिि पािे के नलये न्खयुितम 10 वषम कक अहमक सेवा आवश्यक होती है।
जो कममचारी अपिी 60 वषम कक आयु समाप्त करते है ऐसे कममचारीयोंको सेवानिवृत्त मािा जाता है। और
उन्खहे यह पेंिि कद जाती है।इस पंिि के नलये अनिकतम अहमक सेवा 33 वषम मािी जाती है।
पेिि निम्ननलनखत दरसे कद जाती है।
नपछले दस माह का औसत वेति को 2 से नवभानजत ककया जाता है । आिेवाली रािी को अहमक सेवा के
वषोसे गुणा ककया जाता है और 33 से नवभानजत ककया जाता है।
रशिंग कममचारी योंके मामले मे औसत वेति मे माईलेज अलावन्खस का 55% जोडा जाता है।
नजस रेलकममचारी कक 20 वषम अथवा उससे अनिक अहमक सेवा हो चुकी है ऐसा कममचारी स्वयं कक इछछा
से इस प्रकार कक सेवा निवृत्ती ूप्रात्प कर सकता है।इस योजिा के अन्खतगमत अनिकतम पॉच वषमतक अहमक
सेवा मे बढौतरी कद जाती है। एवम उसके बाद पेिूंि कक गणिा कक जाती है। लेककि इस प्रकारकी
बढौतरी देते समय यह देखिा चाहीये कक इि पॉच वषोंके जोडिेसे कु ल सेवा 33 वषमसे अनिक िही होिा
चाही ये और इतिे ही वषम कममचारी के आयु मे जोडिेसे वह 60 वषम से अनिक िही होिी चाहीये। बाकक
सभी नियम सुपर अॅन्खयुएिि पेंिि के समाि ही है।
कम्पेन्खसेिि पेंिि
जो रेल कममचारी अिुिासि एवं अपील नियमों के अंतगमत रे लवे से अनिवायम रूप से सेवानिवृत्त कर कदए
जाते हैं उन्खहें इस प्रकार का पेंिि कदया जाता है । यह पेंिि िाममल दर से नमलिे वाले पेंिि से दो नतहाई
तक कम करके कदया जा सकता है ।
इन्खवैनलड पेंिि-
जो रेल कममचारी रेलवे डॉतटरों द्वारा मेनडकली अिकिट घोनषत कर कदए जाते हैं उन्खहें वैकनल्पक काम
देिे की पेिकि की जाती है । जब ऐसे कममचारी वैकनल्पक कायम की पेिकि को ठु कराते हैं तब उन्खहें
मेनडकल अिकिट होिे के कारण रेल सेवा से मुि कर कदया जाता है । एसे समय पन्खगह वषम से अनिक
सेवा करिे वाले कममचाररयों को यह पेंिि मंजूर ककया जाता है ।
कम्पेंििेट अलावन्खस -
जब रेल कममचारी को अिुिासि एवं अपील के मामलों में कारमवाई के कारण अथवा अन्खय कारणों से
सेवा से निष्कानसत कर कदया जाता है अथवा िौकरी से निकाला जाता है । तब ऐसे मामलों में कममचारी
द्वारा सक्षम अनिकारी को जो मसी अपील की जाती है उसके आिार पर यह पेंिि मंजूर ककया जाता है
। यह िॉममल पेंिि से दो नतहाई हो सकता है ।
नजि रेल कममचाररयों की सेवाकाल में मृत्यु हो जाती है अथवा सेवा के कारण ककसी बीमारी का निकार
हो जािे के कारण सेवा निवृनत्त लेिा आवश्यक हो जाता है और ऐसे कममचारी कामगार क्षनतपूर्त्त्तम
अनिनियम के अंतगमत िहीं आते हैं तब ऐसे कममचाररयों के मामले में यह पेंिि कदया जाता है । यकद एसे
कममचारी कामगार क्षनतपूर्त्तम अनिनियम के अंतगमत क्षनतपूर्त्त्तम प्राप्त करते हैं तो उन्खहें िाममल पेंिि के दर से
डेढ़ गुणा पेंिि मंजूर ककया जा सकता है ।
अभ्यास सं्या : 12 सी
8) एतसग्रानियााँ पेंिि -
जो कममचारी रेल सेवा से 1957 से पहले सेवानिवृत्त हो चुके हैं और जो कममचारी पेंिि योजिा के अंतगमत
िहीं आते हैं ऐसे सेवानिवृत्त कम्रचाररयों को एवं उिके नविवाओं को तथा पेंिि नियमों के अंतगमत आिे
वाले बच्चों को इस प्रकार का पेंिि कदया जाता है ।
9) एतसग्रानिया भुगताि -
पॉचवे वेति आयोग के नििाररिो के अिुसार नसनवल वार अथवा आतंकवादी हमले जैसी घटिाओ मे
मरिे वाले रेल कममचारी के पररवारको एकमुश्त 5 लाख रुपये एवम उिके नवरुध्द कारवाई करते समय
मरिे वाले कममचाीयोंके पररवार को 7.5 लाख रुपये का एकमुश्त भुगताि करिे का प्राविाि ककया गया
है।
प्रोनवजिल पेंिि -
नजि कममचारीयोंके मामलोमे नवभानगय जॉच का काम अथवा कोटम मे मामला नवलंनबत पडा हो ऐसे
कम्रमचारी योंको प्रोनवजिल पेिि मंजुर ककया जाता है।
अॅन्खटीनसपेटरी पेंिि -
10) यह प्रोनवजिल पेंिि कक तरह ही होता है/ के वल यह अंतर होता हेूै कक इस मामलेमे कममचारी कक
कोई गलती िही होते हुए भी प्रिासनिक कारणोंसे अंनतम भुगताि के मामले के निपटाि मे नवलंम्ब
होता है। ऐसे समय इस प्रकारका पेंिि मंजुर ककया जाता है।
नडस एनबनलटी अथवा नडपेंडंट पेिि -
यह 1986 से प्रारंम्भ हुवा है। जब कममचारी आंतकवादी हमलो मे घायल अथवा मुत्यु होिे पर सेवा काल
को ध्याि मे ि रखते हुए उसके पररवार को नति चौथाई दर से पेंिि मंजुर ककया जाता है। बॅचलर
कममचारी के मामलेमे उसके माता नपता को पेंिि मंजुर ककया जाता है।
ESTABLISHMENT ACCOUNTS
Lesson No.1(a)
ESTABLISHMENT DEFINITIONS:-
LIEN: - It means that the title of Railway servant to hold substantively either
immediately or after the termination of a period or periods of absence including
tenure post to which the Railway servant has been appointed substantively. It will
thus mean that one person can hold a lien on any permanent post unless the
competent authority has suspended the same.
Lesson No.1(b)
PRESUMPTIVE PAY: - The term presumptive pay of a post when used with
reference to any particular Railway servant, means the pay to which he will be
entitled if he held the post substantively. (It also includes the special pay.)
PAY: - Pay means the amount drawn by the Railway servant. The pay other than
special pay or pay granted in view of the personal qualifications which has been
sanctioned for a post held by a Railway servant substantively or in an officiating
capacity or to which he is entitled because of his position in a cadre. Any other
emolument, which may be so, termed as “Pay” by the president of India.
paid to the Railway servant through the head of the office under whom the
Railway servant is working.
Lesson No.1(c)
JOINING TIME: - Means the time allowed to a railway servant under orders of
transfer and has to join a new station and to travel to a station to which he is
posted.
Lesson No.2(a)
The establishment section of the Accounts office deals with the internal check of
personnel claims of all the railway employees, Gazetted as well as non-Gazetted.
While checking the claims of the Railway Employee it must be seen that :-
Lesson No.2(b)
Salary Audit Register is meant for recording the pay and allowances of Gazetted
officers only. Two pages of the Register are kept for each officer so that a record
for few years is kept at one place without changing the register. Separate
register may be kept for each department as may be convenient.
The pay admitted for an officer in internal check should be shown in the
money column of this register for the period (Month) concerned. No pay can be
passed to Gazetted officers whose name does not appear in the register.
The name of the officer newly appointed to the Railway service should be
entered in the salary audit register on receipt of the notification in the gazette of
India and on receipt of charge report. A money column should be opened in the
salary audit register showing the rate of pay and allowances admissible to him
under the extent rules. The compulsory deductions to be made from the salary
of the officer should also be shown.
Lesson No.2(c)
SCALE CHECK: - To facilitate the scale check being exercised in the accounts
office the regular pay sheet or special pay sheet of regular wages is supported by
a scale check statement. This statement will show the name of the post, grade,
number of posts, permanent and temporary, sanction number and date, number
of posts included or operated in the pay sheet and remarks. After the pay sheet
is subjected to scale check with reference to this statement, it is posted in the
scale check register maintained by the account office. This register is poster
every month and it is maintained separately for each pay sheet-preparing unit.
In case of excess operation of post or the operation of the post beyond the
period of currency the payment will be held under objection. However, if the
employee whose post has no currency is governed by the payment of wages act,
the payment will not be with held. In other cases the payment may be passed for
payment provisionally for which purpose a provisional payment register will be
maintained and through this register the sanction of competent authority for the
expenditure will be watched.
Lesson No.3(a)
Normally all the pay sheets are subjected to pre check. But in the following
circumstances post check is conducted.
1. When it is felt that pre check of pay sheet will result in violation of payment of
wages act 1936.
2. When ever post check is felt convenient.
3. The pay sheet, which could not be pre checked, will be subsequently post
checked. However pay sheets in respect of the following staff will be subject
to post check.
4. Bills which are paid through station earning.
5. Payment to staff other than Gazetted officers and administrative staff under
special circumstances.
The following are the important points to be seen during the course of internal
check of pay sheets of Gazetted staff:-
1. The officer shown in the pay sheet is actually holding the post and he is
eligible for the pay drawn.
2. The amount is posted in the salary audit register to avoid duplicate payment
being arranged for the same officer for the same month.
3. The pay sheet should also show the duty period, leave period and suspension
period if any for ascertaining the correct payment of the salaries of the officer.
4. The post for the officer is being passed for payment is appearing in the salary
audit register to avoid double payment on account of one post sanctioned.
Lesson No.3(b)
The officer preparing the pay sheet is fully responsible for the correct preparation
of the pay sheet. However the following checks are exercised on the pay sheets
of non-Gazetted staff.
1. The amount shown in the pay sheet should be according to the prescribed
rules and regulations.
2. The variation between the wages and allowances of the employees shown in
the pay sheet should be as per the increment sheets.
3. The pay sheet should be prepared in prescribed form.
4. The same should be sent in original.
5. The same should be signed by the concerned officer.
6. The availability of funds should be certified.
7. The correctness of allocation should be ensured.
8. All the columns of the pay sheet should be correctly totaled.
9. The pay sheet should be accompanied with all recovery statements.
ASSUMED WAGES :-
The pay bill are prepared and signed by the officers authorized to do so a few
days before the end of the wage period for which these are prepared on the
basis of assumed attendance (Maximum 15 days) for the remaining days of the
wage period. The wages of this period of assumed attendance are known as
assumed wages. If the employee remains absent during the assumed
attendance his absence will have to be regularized by debiting his leave account
or other wise the overpayment will be recovered from the next month pay bill.
1) Allocation statements
2) Scale check statement
3) Increment statement
4) T. A. Journals.
5) Income Tax Recovery statements
6) O. T. Slips.
7) House Rent Recovery Statements.
8) Electrical chargers Recovery Statements.
9) P.F. Recovery statements.
10) The list of Workshop Debits.
11) List of stores debits.
12) List of Station Debits.
13) The Recovery statements for Railway Institute fee.
14) Recovery Statement for Railway Co-operative Society.
15) Recovery statement for Railway co-operative stores.
16) Recovery statement for Loans taken from Employees credit co-operative
Banks.
17) Recovery statement for Diet Charges.
18) Recovery statement for Postal life insurance.
19) Recovery statement for L.I.C.
20) Recovery statement for Festival advance
21) Recovery statement for Cycle Advance
22) Recovery statement for Scooter Advance
23) Recovery statement for House Building Advance.
24) Recovery statement for Flood Advance.
25) Recovery statement for Fan Advance in case of class IV employees.
26) Recovery statement for Advance Pay on Transfer.
27) Recovery statement for Court attachments.
28) Memorandum of difference. etc.
3. All the accompaniments are essential for the effective check of pay bill and
the internal check is conducted with the help of these accompaniments with
the help of existing rules.
Lesson No.4(a)
Miscellaneous Topics
TRAVELLING ALLOWANCE:-
1. The following points should be seen while carrying out the internal check on
the T.A. Bills.
2. Travelling Allowance bills are signed by the controlling officer.
3. His movements are certified by the controlling officer.
4. The rates shown in the travelling allowance bills are permissible as per extent
rules.
5. The purpose of journey should be clearly mentioned.
6. The actual arrival and departure timings of the trains are shown in the
travelling allowance journal.
7. The travelling allowance bills should be submitted within three months.
8. The claimant‟s signature must appear in the travelling allowance bill.
9. More than one travelling allowance bill should not be submitted for the same
reason.
10. The totals are correct.
11. If an employee is promoted or reverted with back date effect no arrears or
recoveries will be made unless specific instructions given about arrears or
recoveries.
12. Travelling allowance is permissible if travel distance is beyond a radius of 8
kms. from the headquarter of the employee.
13. If the travelling allowance advance is given it should be seen that the same is
adjusted from the travelling allowance bill of that period.
For actual tour by Bus when bus is available milage allowance is permissible @
60 paise per Km. This is also permissible in case of travel by foot or bicycle or by
any other conveyance.
The day for the purpose of TA is reckoned from midnight to midnight. If the
journey performed is beyond a radius of 8 k. m. and the traveled hours are as
under. The rates applicable will be as shown below:-
It should also be ensured that the T. A. does not exceed 100% during any one
day, for stay at A1 class, A class and B1 class cities rates are applicable at
respective rates for that city.
Lesson No.4(b)
With the introduction of Vth pay commission report the Transfer allowance is now
converted in to composite transfer grant. This is limited to one months salary for
employee those who are appointed after 1-5-76.
ZONAL RAILWAY TRAINING INSTITUTE, BHUSAWAL
ACCOUNTS FACULTY
150
UNIT MODULE NO. 10
ESTABLISHMENT ACCOUNTS
The above rate of composite transfer grant will be reduced by 25% in respect of
railway servants employed before 1/5/76.
Lesson No.4(c)
ANNUAL INCREMENT: -
STAGNATION INCREMENT:-
JOINING TIME:-
The un-availed joining time whether fully or partially is credited to the full pay
leave account of the employee concerned subject to maximum of 300 days
accumulation.
The intention of the next below rule is an officer out of his regular line should not
suffer by forfeiting acting promotion which he would otherwise have received
had he remained in his regular line. It should be necessary that all officers senior
to the officer who is out of the regular line have been given acting promotion.
Lesson No.5(a)
LEAVE RULES
KINDS OF LEAVE:-
1) Casual leave
2) Special Casual Leave
3) Full Pay Leave or Average Pay Leave
4) Half Pay Leave
5) Commuted Leave
6) Leave Not Due
7) Extra Ordinary Leave
8) Maternity Leave
9) Paternity Leave
10) Hospital Leave
11) Quarantine Leave
12) Special Disability Leave
13) Study Leave
14) Compensatory Leave
Lesson No.5(b)
This leave is credited on 1st of January and 1st July for the half year ending 30th
June and 30th December, respectively in advance to the extent 15 days on
assumption that the employee will remain on duty and will avail any kind of leave
other than without pay leave during those 6 months. If the employee is appointed
in the middle of the month credit will be given proportionately at the rate of 21/2
days per month. The leave is rounded off and is credited in case of staff other
than workshop staff. The credit will be reduced in the following half year for the
total period of leave on without pay during the previous half year at the rate of
one day for every 10 days leave without pay. The credited leave if not availed
will be carried forwarded and can be accumulated up to 300 days during the
service period. FPL can be sanctioned up to 120 days at a time in case of leave
prior to retirement the same may be sanctioned up to 180 days at a time. The
balance at the time of retirement or death while in service of an employee can be
encashed to the extent of 300 days. The joining time if not availed or partly
availed the balance of joining time can be credited to leave account. Full Pay
Leave can not be sanctioned for half day. (Except workshop staff).
Lesson No.5(c)
From 1.7.86 Half Pay Leave at the rate of 10 days for each half year is being
credited in advance i.e. on 1st January and on 1st July @ 10 days to the leave
account of the employee. If this leave is not availed of it is carried forward and
can be accumulated without limit of number of days. This leave can be granted
either on application or on medical ground up to 24 months at a time. No en-
cashment of this leave is being made.
Lesson No.6(a)
5) COMMUTED LEAVE -
It means conversion of two days HPL in one day FPL. It is admissible in the
following circumstances only.
For undergoing training in scientific or technical courses limited to 90 days in
entire service.
On account of employees sickness without any limit.
Lesson No.6(b)
This leave is granted only when no other kind of leave is at the credit of the
employee. This leave is granted in advance but only HPL and the commutation
is not permitted. The sanctioning authority should satisfy that the employee
availing the leave would come back to duty and earn leave to that extent. This is
limited to 360 days in entire service, and is granted for employee‟s sickness or
urgent affairs. This can be sanctioned maximum for 90 days at a time. If the
employee quits the railway service the recovery of overpayment will be made
through settlement dues payable to the employee.
This leave can be granted on application in connection with any other kind of
leave or otherwise the limit is up to 5 years at a stretch to the permanent staff.
For temporary staff having less that one-year service this can be sanctioned up
to 3 months at any time. A temporary employee with minimum one-year service
can be granted 6 months leave at a time for his own sickness covered by medical
certificate. This period can be extended to 18 months in cases of TB, Leprosy,
cancer, mental illness and pleurisy. The overstay beyond 5 years is treated as
resignation from service and such employee can be taken back on duty on the
merit of the case but as a fresh entrant only.
Lesson No.6(c)
8) MATERNITY LEAVE :-
9) PATERNITY LEAVE:-
With the introduction of 5th pay commissions recommendation this leave can be
sanctioned maximum up to 15 days to the male railway employees on each
confinement up to 2 occasions in entire service.
Lesson No.7(a)
This leave is granted to an employee injured on duty either on full pay or half pay
depending upon railway doctor‟s certificate. This leave can be granted to a
maximum of 5 years. This leave is not debitable to the employees leave
account.
Lesson No.7(b)
Quarantine leave means prevention of the railway employee form his place to
duty place if any person or house hold of the employee is suffering from any
infectious diseases. This leave is sanctioned on full pay up to 21 days which can
be extended up to 30 days in special cases as recommended by railway or state
medical authorities. However it is not sanctioned if the employee himself is
suffering form any such disease (he has to take his own leave). This leave is not
debited to the leave account of the employee in the case.
This leave is granted to a railway servant who is injured on duty but is not
covered under the provisions of workmen compensation act 1923. This leave
can be granted for a maximum period of 24 months out of which 4 months is on
full pay and 20 months on half pay. The G. M. Is the sanctioning authority to
grant this leave? This leave is not debited to leave account of the employee.
Lesson No.7(c)
The ministerial staff who is not eligible for over time is eligible for this kind of
leaves. The employee those are called to work on weekly rest are eligible to
avail their weekly rest on any other working day such rests are called as
compensatory leave or compensatory rest. This should be availed within one
month.
Lesson No.8(a),(b)&(c)
This is a deposit linked insurance scheme, which is related with the balance
available in the Provident Fund Account of the employee while in service at the
time of his death, while in service.
The balance at the credit of the subscriber will not at any time during the three
years preceding the month of death have fallen below the limits mentioned
below:-
1) Rs. 25,000 in case of subscriber holding a post in the scale of pay the
maximum of which is Rs. 12000/- or more.
2) Rs. 15,000 in case of subscriber holding a post in the scale of pay the
maximum of which is Rs. 9000/- or more but less than Rs. 12000/-
3) Rs. 10,000 in case of subscriber holding a post in the scale of pay the
maximum of which is Rs. 3500/- or more but less than Rs.9000/-
4) Rs. 6,000/- in case of a subscriber holding a post in the scale of pay the
maximum of which is less than Rs. 3500/-.
It will be the sole responsibility of the account officer to arrange the payment of
the amount of deposit linked insurance scheme to the dependents of the
deceased railway servant.
Lesson No.9(a),(b)7(c)
5) Six months pay or 90% of balance may be withdrawn for the purpose of
education of children.
6) Six months pay to meet the cost of medical expenses for any person in the
family.
7) Six months pay or 1/2 of the amount standing to his credit in the P.F. account
to meet the cost of purchase of consumer durable such as TV, VCR, VCD,
Washing Machine, Cooking range, Geyser, Computer etc.
Lesson No.10(a)&(b)
The recovery of the above advance will be done in maximum 200 installments.
The rate of Interest will be 15% w.e.f. 1.4.97.
The amount of advance for the first occasion shall not exceed Rs. 30000/- or six
months basic pay or the anticipated price of the Motor Cycle/Scooter/Moped
whichever is least.
The recovery of the advance will be done in 70 installments and the Interest will
be charged @ 11.5% p.a.
5) TABLE FAN ADVANCE:- The amount of such advance shall not exceed
Rs.1000/- or anticipated price of the Table Fan which ever is less. The table fan
advance will be granted to only class IV staff. The recovery will be made in 10
installments. The rate of interest will be 9% p.a..
Lesson No.10(c)
A) The existing cost ceiling limit as prescribed is revised to 200 times where 200
times of the basic pay comes to an amount lower than Rs. 7.5 lakhs, cost ceiling
up to Rs.7.5lakhs may be permitted.
B) The existing maximum limit of House Building advance viz. 50 months basic
pay subject to a maximum of Rs. 2.5 lakhs is revised to 50 months basic pay
subject to a maximum of Rs. 7.5 lakhs or cost of the house or repaying capacity
whichever is the least for new construction/purchase of new house/flat.
c) The existing limit of 50 months basic pay subject to a maximum of Rs. 60000/-
is revised to 50 months basic pay or Rs. 1.80 lakhs whichever is less for
Lesson No.11(a)
Final Settlement
PROVIDENT FUND: -
All Railway Servants except those who are re-employed after retirement are
compulsory monthly subscribed to provident fund except when on without pay
and under suspension.
The amount of provident fund are recovered through the pay bills of railway
servants and shown in the provident fund deduction statement and posted to his
ledger account. Voluntary contribution is also posted to this account. On
termination of the service the provident fund amount needs to be paid to him or
his family as per Nomination executed by the employee. The Nomination should
be submitted as under: -
At the time of retirement or death the payment of balance at the credit of P.F.
ledger is paid as under :-
In case of minor sons and daughters the amount is paid to natural guardian or to
him on attaining the age of maturity.
The person who is eligible to draw pension is also eligible for D.C.R.G.
ZONAL RAILWAY TRAINING INSTITUTE, BHUSAWAL
ACCOUNTS FACULTY
160
UNIT MODULE NO. 10
ESTABLISHMENT ACCOUNTS
Service Gratuity :-
In this formula the maximum no of half monthly periods will be sixty-six only. For
calculation of the half monthly periods three months and above will be rounded
off to next half year. However the period less than 3 months will be ignored.
Death Gratuity :-
Lesson No.11(b)
LEAVE SALARY :-
This scheme was started as R.E.I.S. in 1977 and renewed from time to time. The
present scheme was started as G.I.S. 1980 W.E.F. 1.11.80 Revised w.e.f.
1.1.82. The recovery of subscription is credited to General Fund created for the
purpose. 70% of monthly subscription is credited to saving fund and 30% to
insurance fund. The amount of saving fund with interest is refunded to the
employee at the time of his retirement or death etc.
In case of death in addition to the amount of refund of saving fund the family will
get the amount of insurance as under:-
Class IV- Rs.15000, Class III – Rs.30000, Class II – Rs. 60000, and
Class I – Rs. 120000.
Lesson No.11(c)
COMMUTATION OF PENSION:-
37 16.52 72 06.30
38 16.31 73 06.01
39 16.09 74 05.72
40 15.87 75 05.44
41 15.64 76 05.17
42 15.40 77 04.90
43 15.15 78 04.65
44 14.90 79 04.40
45 14.64 80 04.17
46 14.37 81 03.94
47 14.10 82 03.72
48 13.82 83 03.52
49 13.54 84 03.32
50 13.25 85 03.13
51 12.95
Lesson No.12(a)
On the termination of the services of the Railway servant either due to retirement,
resignation, dismissal, removal, medical unfitness or death, following settlement
benefits are required to be paid to the employee or his family as the case may
be. If the employee is alive, the amount shall be paid to him. In case of
deceased employee amount shall be paid to the nominee or nominees if such
nomination exists according to the shares mentioned therein.
In case there exists no nomination or the one existing for a part of amount for
which no nomination is there shall be paid to the family members of the
deceased employee in equal shares. If there are no family members to any
person the amount will be payable to the person who produces succession
certificate issued by the court of law to receive the settlement dues.
Lesson No.12(b)
FAMILY PENSION :-
With effect form 1.1.1964 this pension scheme has been started. In case a
railway pensioner or a railway servant dies the family is entitled for monthly
pension.
The pension is based on the last pay drawn and payable @ 30% of the last pay
drawn subject to minimum of Rs. 1,275 p.m. plus D. A. admissible from time to
time. This is called as relief.
If the family pensioner is employed she is not eligible for d. a. relief on her
pension.
In case of dispute the settlement dues are paid on the basis of the succession
certificate issued by the court of law.
For ensuring prompt payment of the settlement dues to the employee quitting
Railway Service the following steps are to be taken by the Administration.
Executive Department: -
It should submit the settlement papers complete in all respect to the Accounts
Office well in advance so that the internal check can be conducted by the
Accounts Office on the service register, leave accounts, debits to be revered etc.
and payment can be arranged on next day of retirement of the employee. For
this purpose a register should be maintained indicating the names of the
employee retiring in a particular month or year and shall be circulated to all
concerned authorities for necessary action.
Accounts Office: -
In the Accounts Office on receipt of the settlement papers top priority should be
given and internal check conducted on all the documents received along-with
settlement papers in different section.
Now a days the settlement papers are being submitted in the form book-lets
containing all prescribed form's duly filled in so that all settlement papers remain
in one file only.
On receipt of the settlement case by the account office Movement slip and „A‟
form are prepared and circulated to various sections of account office. P. F.
section is immediately advised by issuing 'A' form to complete the ledger account
of the employee and submitted to the settlement section within 7 days time.
It should be the duty of the Executive office as well as the account office to
ensure that prompt settlement of all dues of the employee is ensured and
payment arranged on the next day of retirement of the employee.
Now a days pension Adalat are being held at frequent intervals so that
grievances of the retired employee regarding any matter related with his
settlement dues can be ensured promptly.
1. Pension
2. Commutation of Pension
3. Gratuity
4. Leave Encashment
5. G.I.S.
6. Provident Fund
7. D.L.I.
8. V.P.F
9. Last months salary
10. Transfer and packing charges
11. Refund of Future Debit
12. Difference of DA etc.
PENSION: -
1) SUPERANNUATION PENSION: -
The amount of pension depends on the Average emoluments of last ten months
and qualifying service, which is subject to maximum of 33 years.
Qualifying service means, total service minus without pay leave except sick
without pay etc.
In case of running staff 55% of Basic pay is added for calculation of average
emoluments.
In case the employee has put more than 33 years of qualifying service he will get
the pension equivalent to 50% of A. M. W. If the service is less than 33 years the
pension will be reduced proportionately.
Under this scheme five years weightage is given in Q. S. Subject to the condition
that his actual Q. S. and weightage taken together should not exceed the Q. S.
he would have rendered if he retire at the age of superannuation or maximum
Q.S. of 33 years.
3) COMPENSATION PENSION :-
5) IN-VALID PENSION :-
If the employee is declared medically unfit for all classes or medically de-
categorized but has refused the alternative job will get this type of pension
weightage as per V. R. cases is allowed in this case if the Q. S. is more than 15
years.
6)COMPASSIONATE ALLOWANCE :-
governed by the W. C. A, this pension is payable at one and half time of the
normal rate.
Lesson No.12(c)
8) EX-GRATIA PENSION :-
9) PROVISIONAL PENSION :-
This scheme was started in 1986 to cover those cases where an employee may
become disabled or die as a result of terrorist, extremists, dacoits or other
antisocial elements, internal wars or border skirmish.
If the employee dies his dependant get a disability pension @ 3/4 th of Last Pay
Drawn. If he dies bachelor his parents get a dependant pension.
अभ्यास सं्या 01 ए
पहचाि -
सामान्खय व्यय लेखा अिुभाग में रेलवे नवत्त से ककए जािे वाले व्यय के नलए प्राप्त प्रस्तावों की जााँच की
जाती हे तथा काययकारी अनिकाररयों को नवत्तीय मामलों में सलाह दी जाती हे । इस अिुभाग में प्राक्कलिों
एवं करारों की जााँच की जाती हे तथा राजस्व एवं पाँजीगत व्यय को लेखांककत ककया जाता है । ठे केदारों
द्वारा ककए गए कायों के संबंि में तथा रेलवे को दी गई सेवाओं के नलए जो नबल प्राप्त होते हैं उि नबलों
की आंतररक जााँच करिे के बाद उिका भुगताि ककया जाता हे । व्यय पर नियंत्रण रखिे का कायय ककया
जाता है इसके नलए नियंत्रण नववरण तैयार ककए जाते हैं तथा हर माह के अंत में इि नियंत्रण नववरणों
को काययकारी अनिकारी को भेजा जाता है ।
सवेक्षण -
1. रेलवे में सभी प्रकार की योजिाओं के नलए व्यय का आकलि ककया जाता है । यह आकलि करते
समय प्राप्त होिे वाली यातायात तथा आय एवं व्यय का सं पणय नवचार ककया जाता है । पररयोजिा
नवकास के इस कायय के दौराि निम्ननलनखत बातों पर ध्याि देिा आवश्यक होता हे ।
2. भनवष्य की आवश्यक्ताओं का आकलि ।
3. पररयोजिा का निमायण नजसमें मााँग को परी करिे के नलए नवनभन्न नवकल्पों का अध्ययि िानमल
होता है ।
4. चुिे गए नवकल्पों की जााँच तथा व्यावहाररकता का ररपोटय तैयार करिा ।
5. पररयोजिा का मल्यांकि करिा एवं ऐसी मल्यांककत पररयोजिा का सामानजक लाभप्रदता की दृनि
से तथा नवत्तीय दृनि से नवश्लेषण करिा ।
6. उपरोक्त नवश्लेषण के आिार पर एक नवनिनि योजिा का चुिाव करिा ।
7. ऐसी चुिी हुई योजिा की अनिक नवस्तार से जााँच करिा और अंनतम मागय नििायरण सवेक्षण करिा
।
योजिा निनित करिे की इस प्रकिया में अंनतम उद ेेश्य साध्य करिे के नलए उपलब्ि नवकल्पों का
अध्ययि िानमल होता है ।
ककसी भी योजिा पर खचय करिे के पहले पाँजी निवेष पवय अध्ययि करिा अनिवायय होता है । पाँजी-निवेि
पवय अध्ययि की इस प्रकिया में नवनभन्न नवकल्पों का अध्ययि भी िानमल होता है साथ ही साथ उपलब्ि
संिाििों का पयायप्त उपयोग होता है अथवा िहीं और नवत्तीय एवं पररचालि के दृनिकोण से एक पररपणय
क्षेत्रीय रे ल प्रनिक्षण संस्थाि भुसावल लेखा संकाय
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सामान्खय व्यय लेखा
निणयय लेिे की कोनिि की जािी चानहए ।िए लाईि के निमायण, दोहरीकरण, गेज कन्खवयजि यात्री टर्मयिल
तथा यार्य पररवतयि आकद कायों के नलए प्रारं नभक सवेक्षण की आवश्यक्ता होती है । ऐसे सवेक्षण को
तकिीकी तथा आर्थयक सवेक्षण कहा जाता है । इि सवेक्षणों में योजिा पणय होिे के पिात यातायात में
होिे वाली वृनि तथा उससे प्राप्त होिे वाली अनतररक्त आमदिी की तुलिा पररयोजिा पर ककए जािे
वाले व्यय के साथ की जाती हे और पररयोजिा नवत्तीय दृनि से लाभप्रद है अथवा िहीं इस बात का
अध्ययि ककया जाता है । यह अध्ययि आमतौर पर इतिा िजदीकी होिा चानहए कक उसके आिार पर
सवेक्षण प्रारंभ ककया जा सके अथवा िहीं इसका निणयय रेलवे बोर्य द्वारा नलया जाय ।
सवेक्षणों का वगीकरण :
यातायात सवेक्षण -
टोह सवेक्षण -
यह िब्द ककसी भी क्षेत्र के ऐसे सभी स्थल तथा दृत अन्खवेषण पर जो ककसी पररयोनजत लाईि के एक
अथवा अनिक मागय की तकिीकी व्यावहाररकता एवं स्थल लागत मालम करिे के नलए ककया जाता है ।
उस कायय को लाग होता है । यह अन्खवेषण कफल्र् में अनिक साविािी पवयक सवेक्षण ककए नबिा के वल
भारतीय सवेक्षण नवभाग के काउं टर माि-नचत्र और अन्खय उपलब्ि सामग्री की सहायता से की जािे
वाली सािारण एवं कु छ जल्दबाजी में की जािे वाली जााँच के आिंर पर ककए जाते हैं और उिमें के वल
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सामान्खय व्यय लेखा
ऐसे उपकरणों का उपयोग ककया जाता है नजिसे के वल स्थल दररयााँ या उचाईयााँ दृत गनत से मालम की
जा सकती है जैसे की प्रीज्मेरटक कम्पास ,ढालमापी,कलाइिोमीटर या हैंर् लेवल रेंज फाइंर्र तथा अन्खय
ऐसे ही उपकरणों की सहायता से यह सवेक्षण ककया जाता है ।
इस सवेक्षण में उस मागय अथवा उि वैकल्पीक मागों की नवस्तृत उपकरणीय जााँच की जाती है जो टोह
सवेक्षण के पररणामस्वरूप चुिे गए हो ताकक इस सवेक्षण के अनिि एक नवनिि पररयोनजत रेल लाइि
की निकटतम संभानवत लागत का अिुमाि लगाया जा सके । लेककि , इस सवेक्षण में अंनतम मागय नििायरण
सवेक्षण के अिुसार पररयोनजत एवं प्रस्तानवत रेल लाईि के दोिों ओर खंटे लगािे के नलए नथयोर्ोलाईट
की अपेक्षा िहीं होती है ।
यातायात सवेक्षण के साथ इस सवेक्षण के पररणामों का नवचार करके जो अंनतम पररणाम निकलते हैं
सामाियत: उिके आिार पर यह निणयय नलया जायेगा कक प्रस्तानवत एवं पररयोनजत रलवे लाईि बिाई
जाए अथवा िहीं ककन्खतु निमायण कायय का प्रारंभ करिे की स्वीकृ नत देिे से पहले रेलवे बोर्य द्वारा अंनतम
मागय नििायरण सवेक्षण के पररणामों पर आिाररत प्राकलिों की मााँग की जा सकती है ।
सामान्खयत: पाँजी निवेष के निणययोंपरांत यह सवेक्षण ककया जाता है । प्राक्कलि तैयार करिे तथा सभी
मामलों में पररयोनजत रेलवे लाईि की निकटतम लागत निकालिे के नलए नविष निणययोंपरांत सवेक्षण
के रूप में अंनतम मागय नििायरण सवेक्षण ककया जाता है । इस सवेक्षण में अपेनक्षत कायय तथा प्रारं नभक
सवेक्षण में अपेनक्षत कायय के बीच प्रमुख अंतर यही होता है कक अंनतम मागय नििायरण सवेक्षण के दौराि
चुिी गई रेल लाईि के दोिों तरफ जमीि पर नथयोर्ोलाइट अथवा टेकोमीटर की सहायता से परी तरह
खुंटे गार्. कदए जाते हैं । अंनतम मागय नििायरण सवेक्षण के आिार पर बिाया गया ररपोटय पररपणय होिा
चानहए तथा उसके साथ नवसृत िकिें एवं सेक्िि आकद प्रस्तुत ककए जािे चानहए ।
प्राक्कलि -
संपनत्त की खरीद, निमायण, पुि: निमायण ,नवकास आकद के प्रस्ताव सक्षम अनिकारी की मंजरी के नलए
प्राक्लिों के प्रारूप में प्रस्तुत ककए जािे चानहए ताकक सक्षम अनिकारी नवस्तृत अध्ययि के बाद प्रस्तानवत
व्यय को मंजरी प्रदाि कर सके । ककसी भी कायय से पवय प्राक्कलि तेयार करिा आवश्यक होता है । कायय
पर ककए जािे वाले श्रनमक एवं भंर्ार की लागत को दिायिे का एक सािि के रूप में प्राक्कलि को
पररभानषत ककया जा सकता है ।
प्राक्कलि तैयार करते समय इस बात पर ध्याि कदया जािा चानहए कक प्राक्कलि द्वारा प्रस्तानवत कायय का
िजदीकी अिुमानित व्यय दिायया जािा चानहए । प्राक्कलि यह व्यय पर नियत्रण रखिे का एक महत्वपणय
सािि होता है कायय की भौनतक तथा नवत्तीय प्रगनत पर प्राक्कलि के आिार पर निगरािी रखी जा सकती
है ।
1. प्राक्कलिों को मु्यत: दो भागों में वगीकृ त ककया जा सकता है जैसे कक चाल लाईि िाखा द्वारा तैयार
ककए जािे वाले प्राक्कलिों तथा निमायणें िाखा द्वारा तैयार ककए जािे वाले प्राक्कलिों वैसे ही
प्राक्कलिों को निम्ननलनखत तीि भागों में भी वगीकृ त ककया जा सकता है ।
2. कायय प्रारंभ करिे से पहले बिाए जािे वाले प्राक्कलि।
3. कायय प्रगनत पर रहते समय बिाए गए प्राक्कलि।
कायय समानप्त पर बिाये जािे वाले प्राक्कलि।
सार नववरण प्राक्कलि उस समय तैयार ककया जाता है जब सक्षम अनिकारी से प्रस्तानवत व्यय के नलए
प्रिासनिकक अिुमनत लेिा आवश्यक है यह प्राक्कलिइस प्रकार से तैयार ककया जाता है कक इसके आिार
पर सक्षम अनिकारी को उस कायय पर ककए जािे वाले व्यय के बारे में उनचत जािकारी प्राप्त हो सके ।
अत: उनचत हो तो ऐसे अनिकारी द्वारा उस कायय के नलए प्रिासनिक अिुमनत देिां संभव हो सके इस
प्राक्कलिके साथ उस कायय की औनचत्तयता का एक नवस्तृत ररपोटय जोड़िा आवश्यक है साथ-ही-साथ चाल
नवत्तीय नवषय में निनि की उपलब्िता है अथवा िहीं तथा व्यय का आबंटि ककस लेखािीषय में होगा आकद
जािकारी देिा भी आवश्यक होता है ।
सार नववरण प्राक्कलिके नलये प्रिासनिक नस्वकृ ती प्राप्त होिे पर नवसृत प्राक्कलितैयार ककया जाता है।
इसे तैरूयार करिे का प्रमख उददेि यह होता है की सक्षम अनिकारी से संबंकदत कायय के नलये तकनिकी
नस्वकृ ती प्राप्त कक जा सके । सामान्खय नियम के अिुसार कोई भी कायय तब तक िरु िही ककया जा सकता
जबतक उसके नलये नवसृत प्राक्कलितैयार ि ककया गया हो और उसके नलये सक्षम अनिकारी दवारा
तकनिकी नस्विती प्राप्त ि कक गयी हो। नवसृत प्राक्कलिको तकनिकी नस्वकृ ती देिेका मतलब यह होता है
की उस कायय के नलये उस नवत्तीय वषय मे नििी उपलब्ि ककया गया है और कायय पर पैसा खचय करिे के
नलये पयायप्त नििी उपलब्ि है।
जब ककसी कायय के नलये प्राक्कलि बिाते समय कोई एसा मद छ्रट गया हो नजसे नवसृत प्राक्कलि मे िही
कदखाया गया हो । और नजसे कदखाये बगैर कायय पुरा िही मािा जा सकता है। कोई ऐसा कायय जो की
नवसृत प्राक्कलि मे कदखाया जािा आवश्यक था लेकीि ि कदखाया हो। तब ऐसे छु टे हुये कायय के मद के
नलए मुल प्राक्कलि का अनवभाज्य भाग के रुपमे यह प्राक्कलि तैयार ककया जाता है। यदी ऐसे मद पर
ककया जािेवाला व्यय आकनस्मक व्यय के नलये उपलब्ि रािी से ककया जा सकता है तो उसके नलये पुरक
प्राक्कलि तैयार करिे कक आवश्यकता िही होती है।
यह प्राक्कलि उस समय तैयार ककया जाता है जब यह मालुम होता है की उस काययपर ककया जािेवाला
व्यय उस कायय पर जो अिुेमानित व्यय कदखाया गया है उस व्यय से अनिक होिे वाला है। यह प्राक्कलि
भी रठक उसी प्रकार से तैयार ककया जाता है नजस प्रकार से मुल प्राक्कलि तैयार ककया गया हो। इस
प्राक्कलि मे जो अनतरीक्त व्यय होिे वाला है उसे प्रत्येक लेखा निषय के अिुसार अलग अलग कदखािा
चाहीये और सक्षम अनिकारी कक मंजुरी नल जािी चाहीये।
यह प्राक्कलि उस समय तैयार ककया जाता है जब ककसी परीयोजिा के नलये रल्वे बोर्य कक नस्वकृ ती कक
आवश्यकता होती है। यह प्राक्कलि ककसी भी पररयोजिा के नलये रठक उसी प्रकार से तैयार ककया जाता
है नजस प्रकार से ककसी भी कायय के नलये सार नववरण प्राक्कलि तैयार ककया जाता है। उस परीयोजिा मे
िानमल सभी कायोके नलये सार नववरण प्राक्कलि तैयार ककये जाते है और उन्खहे एकत्रीत रुपसे सक्षम
अनिकारी के नस्वकृ ती के नलये प्रस्तत ककया जाता है । इसे ही परीयोजिा सार नववरण प्राक्कलि कहते
है।
05. जब ककसी परीरयोजिा के नलए पररयोजिा सार नववरण प्राक्कलि तैयार ककया जाता है और उसके
आिार पर रेलवे बोर्य से प्रिासनिक अिुमती प्राप्त हो जाती है तब ऐसी पररयोजिाओं के नलए जो
नवस्तृत प्राक्कलि तैयार ककया जाता है ,उसे निमायण प्राक्कलि कहते हैं । जो कायय पररयोजिा सार
नववरण प्राक्कलि में कदखाये जाते हैं उि सभी के नलए ये नवसृत प्राक्कलि होते हैं । इि नवस्तृत्त
प्राक्लिों को ही एकनत्रत रूप से निमायण प्राक्कलि कहा जाता है और ऐसे कायों के नलए रेलवे बोर्य
से तकिीकी स्वीकृ नत प्राप्त की जाती है जब तक ककसी पररयोजिा के नलए निमायण प्राक्कलि तैयार
करते हुए रेलबे बोर्य की तकिीकी स्वीकृ नत प्राप्त िहीं की जाती है ककसी भी पररयोजिा पर कायय
प्रारंभ िहीं ककया जा सकता ।
समापि प्राक्कलि( पैरा िमांक : 713 इंजी.) -
1. निमायण प्राक्कलि के आिार पर पररयोजिा में सनम्मनलत कायों का निमायण ककया जाता है । कायय
समाप्त होिे के बाद समापि प्राक्कलि तैयार ककए जाते हैं । जब िई लाईि यातायात के नलए खोली
जाती है तब ऐसी लाईि यातायात के नलए खोलिे के बाद प्रथम तीि अियवार्षयक नवत्तीय वषों के
समानप्त के पहले समापि प्राक्कलि तैयार करिा आवश्यक होता है । इस प्राक्कलि में निम्ननलनखत
जािकारी दिायई जाती है ।
2. स्वीकृ त प्राक्कलि की रानि ।
3. समापि प्राक्कलि तैयार करिे की तारीख तक पररयोजिा पर ककया गया वास्वनवक व्यय ।
4. पररयोजिा पर देय दानयत्व ।
5. भनवष्य की अिुमानित लागत ।
6. कु ल प्राक्कनलत व्यय ।
मंजर प्राक्कलि एवं अिुमानित लागत में अंतर ।
समापि प्राक्कलि एक करोड़ रुपए से अनिक मल्य के लागत की पररयोजिाओं के नलए ही के वल तैयार
ककए जाते हैं ।
अभ्यास सं्या : 03 सी
समापि ररपोटय -
अंनतम मंजर प्राक्कलि में सक्षम अनिकारी द्वारा स्वीकृ त की गई रानि तथा कायय पर ककया गया प्रत्यक्ष
व्यय इि दोिों की तुलिा करिे के उद्येश्य से समापि ररपोटय तैयार ककया जाता है । ककसी भी पररयोजिा
के नलए समापि ररपोटय काययकारी अनिकारी द्वारा तैयार ककया जाता है तथा संबंनित लेखा अनिकारी
द्वारा उसे सत्यानपत ककया जाता है । ऐसे सत्यानपत ककए गए समापि ररपोटय नजस नवत्तीय वषय में समापि
प्राक्कलि प्राप्त हुआ है उसके बाद पहले तीि (03) नवत्तीय वषों के समानप्त के पहले रेलवे बोर्य को भेजिा
अनिवायय होता है । समापि ररपोटय में व्यय का ब्यौरा उसी प्रकार से कदया जािा चानहए नजस प्रकार से
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सामान्खय व्यय लेखा
सार नववरण प्राक्कलि तैयार ककया गया था तथा रेलवे बोर्य से मंजर ककया गया था । अगर ककसी प्रकार
से अंतर हो,तो उसे समापि ररपोटय में कदखाया जािा चानहए ।
01 करोड़ रुपए से कम मल्य के लागत के कायों के नलए समापि ररपोटय तैयार करिे के संबंि में रेल -
प्रिासि द्वारा सचिाएं जारी ककया जािा चानहए जहााँ तक संभव हो सके ऐसे कायों के नलए भी उसी
प्रकार से समापि ररपोटय तैयार ककए जािे चानहए नजस प्रकार से 01 करोड़ रुपए से अनिक मल्य के
कायों के नलए समापि ररपोटय तैयार कर के रेलवे बोर्य को भेजते हैं । समापि ररपोटय में प्रत्यक्ष व्यय तथा
स्वीकृ त रानि की तुलिा की जािी चानहए । संबंनित लेखा -नवभाग द्वारा सत्यानपत ककया गया समापि
ररपोटय उसी अनिकारी के पास भेजिा चानहए नजसिे कायय के नलए प्रिासिीक सवीकृ नत प्रदाि की थी ।
समापि नववरण :
1. सामान्खय निमय के अिुसार प्रत्येक पणय ककए गए कायय के नलए समापि ररपोटय तैयार करते हुए भेजी
जािी चानहए, लेककि इस प्रकार के कायय नजिकी स्वीकृ नत महाप्रबंिक द्वारा दी जाती है । उिके नलए
नििायररत फोरम में एक औपचाररक ररपोटय तैयार करिे की आवश्यक्ता िहीं होती है । इस प्रकार के
कायों के नलए समापि नववरण तैयार ककया जाता है नजसमें लेखा अनिकारी का प्रमाण-पत्र,सक्षम
पदानिकारी की स्वीकृ नत समापि ररपोटय में दी जािे वाली सचिाएं इत्याकद । निमायण कायय रनजस्टर
से उनचत लेखा िीषय के अंतगयत दी जाती है । समापि नववरण में निम्नांककत सचिाएं ,सक्षम
पदानिकारी के आदेि और लेखा सत्यापि के अनिि नलखी जाती है -
2. अिुमाि का संदभय ।
3. स्वीकृ त अिुमाि की रानि ।
4. वास्तनवक खचय जो कक अंनतम रूप से बुक ककया गया है ।
आनिक/कनम के नलए संनक्षप्त स्पिीकरण ।
निनवदाएं -
जहााँ सावयजनिक नहत में महाप्रबंिक यह निणयय करे की टेंर्र मंगािा व्यावहाररक या लाभप्रद िहीं है ।
ऐसे मामलों को छोड़कर दस हजार रुपए से अनिक मल्य के बाकी सभी ठे के टेंर्र मगािे के बाद ही कदए
जािे चानहए । ये टेंर्र सवायनिक खुले और सावयजनिक तरीके से काफी समय रहते िोरटस देकर मंगाए
जािे चानहए । रेलवे पर चाल दरों की अिुेसची पर आिाररत निमायण कायों के पच्चास हजार रुपए मल्य
तक के ठे कों के बारे में महाप्रबंिक टेंर्र मााँगे नबिा काम चला सकते हैं ओर उसके नलए ककसी कारण का
उल्लेख करिा आवश्यक िहीं है । अन्खय सभी मामलों में नजिमें की महाप्रबंिक टेंर्र ि मंगािे का निनिय
करें कारण का उल्लेख ककया जािा चानहए और उसकी सचिा नवत्त सलाहकार एवं मु्य लेखा अनिकारी
को दी जािी चानहए ।
अभ्यास सं्या : 04 बी
निम्न पररनस्थनत में निनवदा आमंनत्रत करिे के स्थाि पर कोटेिि आमंनत्रत करके कायय ककया जा सकता
है । कोटेिि आमंनत्रत करिे के नलए सोपजेि 89 की मद सं्या 1.13 में निम्नांककत िनक्तयााँ दी गई है -
िनक्त का प्रत्यायोजि प्रत्येक कायय के नलए नवत्तीय वार्षयकनसललंग लनमटस
िनक्त
वररष्ठ अनिकारी 20000/- 200000/-
अवर प्रिासनिक ग्रेर् 40000/- 400000/-
प्रवर प्रिासनिक ग्रेर् 50000/- 400000/-
1. कोटेिि आमंनत्रत करिे की पररनस्थती में निम्नांककत बातों पर नविेष ध्याि कदया जािा चानहए ।
2. कोटेिि ठे कदारों की अिुमोकदत सची में से कम से कम तीि ठे केदारों से आमंनत्रत ककए जािे चानहए
।
3. कायय की आकनस्मकता हो ।
4. कायय को िनक्त के प्रत्यायोजि के अंतगयत लािे के नलए नवभानजत िहंेीें ककया जािा चानहए ।
5. वार्षयक सीललंग नलनमटस पर नविेष ध्याि कदया जािा चानहए ।
संबंनित लेखा अनिकारी से पवय सहमनत ली जािी चानहए ।
10000/- हजार रुपए से अनिक मल्य के सभी निमायण कायों के नलए खुली निनवदा प्रणाली का उपयोग
ककया जािा चानहए । इस निनवदा प्रणाली के अंतगयत कम से कम तीि वृत्त पत्रों में निनवदासचिा
प्रकानित की जािी चानहए । वृत्त पत्रों का चयि करते समय यह ध्याि में रखा जािा चानहए कक कम
से कम एक वृत्त पत्र अंग्रेजी भाषा में ,एक नहन्खदी भाषा में तथा एक स्थािीय भाषा में प्रकानित होिा
चानहए । कम-से-कम तीस कदि का समय निनवदाकतायओं को निनवदा फामय खरीदिे के नलए कदया जािा
चानहए । सोपजेि के मद िमांक 01.16 के अिुसार निनवदा आमंनत्रत करिे के अनिकार निम्ननलनखत
हैं -
अनिकारी का स्तर अनिकारी का पदिाम नवत्तीय अनिकार
मु्यालय मु्य नवभाग प्रमुख परे अनिकार
मु्यालय वररष्ठ प्रिासनिक ग्रेर् पॉच करोड़ रुपए तक
मु्यालय /मंर्ल नसलेक्िि ग्रेर् दो करोड़ रुपए तक
मु्यालय /मंर्ल जनियर प्रिासनिक ग्रेर् एक करोड़ रुपए तक
मु्यालय /मंर्ल सीनियर स्के ल पच्चास लाख रुपए तक
जहााँ सावयजनिक नहत में महाप्रबंिक यह निणयय करें की टेंर्र मंगािा लाभप्रद िहीं है ऐसी
पररनस्थनतयों में 20 लाख रुपए तक के मल्य के नलए इस प्रणाली के आिार पर कायायरम्भ ककया जा
सकता है । इस प्रणाली के अंतगयत ठे केदारों की अिुमोकदत सची में से कम-से-कम 10 ठे केदारों को
आमंनत्रत ककया जािा चानहए । यकद ककसी नविेष नवभाग िे ठे केदारों की अिुमोकदत सची उपलब्ि
िहीं है ऐसी पररनस्थनत में सीनमत निनवदा प्रणाली के आिार पर निनवदा बुलािे के नलए नवत्त
सलाहकार एवं मु्य लेखा अनिकारी की सहमनत से महाप्रबंिक की मंजरी लेकर ्यानत प्राप्त फमों से
निनवदाएं बुलाई जा सकती है । निनवदा कतायओं को कम-से-कम 21 कदि का समय कदया जािा चानहए
। सीनमत निनवदा प्रणाल के अंतगयत अनिकाररयों के अनिकार निम्ननलनखत हैं -
अनिकारी /ग्रेर् नवत्तीय अनिकार
महाप्रबंिक 20 लाख रुपए तक
मु्य नवभाग प्रमुख 15 लाख रुपए तक
वररष्ठ प्रिासनिक ग्रेर् (DRM/ADRM) 10 लाख रुपए तक
जनियर प्रिासनिक ग्रेर् 05 लाख रुपए तक
अभ्यास सं्या : 05 ए
जब ककसी नविेष कायय करिे के नलए ककसी एक फमय का नविेषानिकार होता है या ककसी नवनिि
कं पिी का भंर्ार खरीदिा आवश्यक होता है ऐसे समय इस निनवदा प्रणाली का उपयोग ककया जा
सकता है । यकद ककसी कायय के नलए अन्खय ककसी व्यनक्त अथवा कं पिी से निनवदा प्राप्त होिे की संभाविा
िहीं होती है ऐसी पररनस्थनत में भी इस प्रणाली का उपयोग ककया जाता है । वैसे ही आपातकाल में भी
जब रेलवे लाईि का कम्युनिके िि पुियस्थानपत करिा हो, कक दुियटिा या िैसर्गयक आपनत्त के कारण टट
गया हो ऐसी पररनस्थनत में भी एकल निनवदा प्रणाली का उपयोग ककया जा सकता है । इस प्रणाली के
अंतगयत रेलवे अनिकाररयों के अनिकार निम्ननलनखत हैं -
कायय का स्वरूप काययकारी नवत्तीय अनिकारी प्रत्येक कायय के वार्षयक नवत्तीय
अनिकारी नलए सीमा सीमा
मोिोपॉली मद महाप्रबंिक नव.स.एवं म.ले.अ. कोई सीमा िहीं कोई सीमा िहीं
यातायात की मु्य नवभाग नव.स.एवं.म.ले.अ. 20 लाख रुपए 01 करोड़ रुपए
पुियस्थापिा प्रमुख तक तक
यातायात की वररष्ठ प्रिासनिक वररष्ठ मंर्ल नवत्त 10 लाख रुपए 50 लाख रुपए
पुियस्थापिा अनिकारी प्रबंिक तक तक
04 जागनतक निनवदा :
जब कोई कायय भारतीय कं पनियों द्वारा परा िहीं ककया जा सकता है अथवा अंतरायष्ट्रीय कं पनियों को
निनवदाओं के नलए आमंनत्रत करिे का निमंनत्रत करिे का निणयय नलया जाता है तब जागनतक निनवदा
प्रणाली का पालि ककया जाता है । इस प्रणाली के अंतगयत निनवदा आमंनत्रत करिे का अनिकार के वल
रेलवे बोर्य को कदया गया है ।
अभ्यास सं्या 5 सी
निनवदा सुचिा
ठे केदारोंकी अिुमोदीत सुचीपर रखें गये ठे केंदारोंसे अथवा जितासे कायय के नलये अथवा भंर्ार के आपतीं
के नलये दर निनवदाओंके माघ्यमसे मंगाये जाते है। इसके नलये निनवदा सुचिा जारी की जाती है। निनवदा
सुचिा मे निम्ननलखीत जािकारी कद जाती है।
1) कायय का िाम नजसमे कायय का स्वरुप एवम काययस्थल भी िामील होता है।
2) कायय की अिुमािीत लागत।
3) निनवदा के साथ आवश्यक बयािा रािी।
4) बयािा रािी के नस्वकृ त प्रारुप।
5) निनवदा फॉमय ककस कायायलयमे उपलब्ि है उस कायायलयका पता।
6) निनवदा फॉमय का मुल्य।
7) तारीख एवम समय जबतक निनवदा फॉमय बेचे जायेंगेेें।
8) तारीख एवम समय कबतक निनवदा फॉमय जमा करिे होंगें।
9) तारीख एवम समय व स्थाि जहा निनवदा खाली जायेंगी।
काययपुती की अविी।
1) एक बार यह निणयय नलया गया हो की कायय निनवदा बुलाकर ठें के व्दारा करिा है। तब निम्ननलनखत
ितोका पालि करिा अनिवायय होगा।
2) क्या रल्वे ठे केदारको कायय स्थल की भुमी कायय के िक्िो एवम योजिाओ सहीत हस्तांतरीत कर
सकती है।
3) रेल्वे को करार एवम कायय के प्रती पुेरा ग्याि होिा चाहीये ।
4) रेल्वे के पास कायय के नलये ड्राईंग, नर्जाईि, िक्िे एवम प्लाि आदी तैयार होिे चाहीये।
5) ड्राइंग, नर्जाईि, िक्िे एवम प्लाि मे बादमे ककसी प्रकार का बदलाव िा हो इसनलये भुमी का
नमटटी परीक्षण कर लेिा चाहीये ताकी बादमे फाउं र्ेिि कायय करते समय ककसी प्रकार का बदलाव
िा हो।
6) यदी 10 लाख रुपये से अनिक मुल्य का नवदेिी मुद्गा खचय करिे की आवष्यकता हो तो रे ल्वे बोर्य
कक पुवयअिुमती प्राप्त कर लेिा चाहीये।
निनवदा सुचिा जारी करिे की तारीख से ही निनवदा फॉमय उपलब्द होिा चाहीये।
करार:
जब दो या अनिक व्यक्ती अपिे नबच ककसी बाघ्यता का सृजि करिेᅠेे के नलये ककसी आिय को परस्पर
संसुनचत करते है। तो उसे करार कहते है जो करार कािुि व्दारा प्रवतयनिय होता है उसे ठे का कहते है।
भारतीय संनवदा अनिनियम की िारा 10 ेे के अिुसार के वल वही करार कािुि व्दारा प्रवतयनिय होते
है जो ठे का करिे के नलये सक्षम पार्टययो कक मुक्त सहमती से ककसी नवनिसंमत प्रनतफल के नलये अ ेौर
ककसी नविी संमत उददेंश्य से ककया जाता है।
करार निमायण कायय के नलये अथवा मरम्मत एवम अिुरक्षण के कार्य्य के नलये भी ककया जा सकता है।
1. करार िामे तैयार करिे के पहले निम्ननलखीत बातोंपर ध्याि कदया जािा चाहीये।
2. ठें के की िते स्पि और सुनिनित होिी चाहीये और उिमे एक से अनिक अथय निकालिे या गलत
अथय निकल सकिे की गुंजाइि िही होिी चाहीये और नजि मामलो मे करार होिा है उिमे
निम्ननलखीत बाते ब्यौरे वार िानमल की जािी चाहीये।
3. ठे केदार को क्या करिा है कब, कहा, ककसकी संन्खतुिी के नलये।
4. रेल प्रिासि को क्या करिा है और ककि ितोपर ।
5. ककतिा भुगताि ककयाजािा है। ककस ककस नचज के नलये ककया जािा है, ककसको ककया जािा है,
और ककस तरीके से और ककस आिारपर ककयाजािा है।
6. पयायप्त पययवेक्षण एवम सरकारी सम्पत्ती की देखभाल और बाहरी व अंतयगत नहतोंकी सुरक्षा के संम्बि
मे ठें केदारोंकी नजम्मेदारी स्पि होिी चाहीये।
7. यदी कोई परीवतयि या आिोिि करिा हो तो उसके नलये अिुमती देिे की िते उक्त परीवतयि या
आिोिि का आदेि देिे और नििायरण करिें के नलए सक्षम अनिकारी और ऐसे नििायरण के अवसर
और आिार।
8. यदी कोई पक्ष ठे के अथवा करार को भंग करे तो उस नस्थती में क्या उपाय ककए जायेंगे और इसे
निनित करिे का सही तरीका और आिार क्या होगा की करार भंग हुआ है ।
9. नववादों को तय करिे का तरीका ।
10. जहााँ तक संभव हो अंनतम रूप से ठे का करिे से पहले मसौदा तैयार करिे में काििी और नवत्तीय
सलाह ली जािी चानहए ।
11. जहााँ कहीं संभव हो ठे के के नलए मािक फामों का उपयोग ककया जािा चानहए और उिकी ितों को
पहले से छािनबि कर ली जािी चानहए ।
12. ठे का नजि ितों पर एक बार कर नलया जाये उिमें नबिा ककसी सक्षम काििी ओर नवत्तीय प्रानिकारी
की राय नलए नबिा कोई ठोस पररवतयि िहीं ककया जािा चानहए ।
13. सक्षम काििी और नवत्तीय अनिकारी की सहमनत के नबिा कोई ऐसा ठे का िहीं ककया जािा चानहए
नजसमें कोई अनिनित ,अस्पि तथा असामान्खय ककस्म की कोई ितय अन्खतगयत हो, या कोई दानयत्व
अन्खतगयत हो ।
14. ठे कों में ऐसी व्यवस्था की जािी चानहए कक ठे केदार को सौंपी गई सरकारी संपनत्त सुरनक्षत रहे ।
15. दीिय कानलि ठे के करते समय रेल-प्रिासि को नबिा ितय इस बात का अनिकार देिे की वांछनियता
पर नवचार ककया जािा चानहए कक छ: महीिे की िोरटस की अवनि के आिार पर करार को ककसी
भी समय रद्द ककया जा सके ।
ककसी खास ठे के या ककसी लेि-देि आकद से ठे केदार के नवरुि उत्पन्न होिे वाले सभी दावों को मंजर या
रद्द करिे की िनक्त रेल-प्रिासिके पास सरनक्षत रहिी चानहए ।
अध्याय सं्या : 06 ए
क्षेत्रीय रे ल प्रनिक्षण संस्थाि भुसावल लेखा संकाय
203
युनिट मोड्युल सन्ख्या 11
सामान्खय व्यय लेखा
बयािा रकम :
1. यह वह रानि होती है नजसे निनवदा के साथ निनवदाकतायओं द्वारा रेलवे में जमा करिा आवश्यक
होता है यह रानि निनवदाकत्तायओं की निनवदा स्वीकार करिे के ᅠबाद उसके द्वारा कायय करिे के नलए
मिा करिे पर रेलवे को िुकसाि से बचिे के नलए ठे केदारों द्वारा जमा की जाती है । कयोंकक एक
बार निनवदा स्वीकृ त होिे के बाद ठे केदार द्वारा कायायरम्भ करिे से इिकार करिे पर रेलवे को
िुकसाि हो सकता है । उि ठे केदारों को बयािा रकम तुरंत वापस कर दी जाती है नजिकी निनवदा
तुरंत अस्वीकृ त हो जाती है तथा उि ठे केदारों की जमाित रानि अथवा बयािा रकम सुरक्षा जमा
के रूप में पररवर्तयत कर ली जाती है नजिके निनवदा स्वीकृ त की गई है । बयािा रकम को ठे केदार
के इच्छा के अिुसार सुरक्षा जमा की रानि भरिे पर वापस भी लौटाया जाता है । बयािा रकम
निम्ननलनखत प्रारूप में ली जा सकती है -
2. रोकड़ मु्य खजांची अथवा मर्ल खजांची अथवा स्टेिि मास्टर के कायायलय में जमा करके ।
3. नर्मांर् ड्राफ्ट संबंनित लेखा अनिकारी के िाम पर ।
4. सावनि जमा रसीद - संबंनित लेखा अनिकारी के िाम से नलनख हुई ।
नवकास-पत्र - इन्खहें भी संबंनित लेखा-अनिकारी के िाम पर नलखकर रेलवे के पास जमा करिा चानहए
।
कदिांक 08.06.1996 से बयािारकम के नलए बैंक गारंटी अस्वीकार की गई है ।
बयािा रानि के नलए दर निम्ननलनखत हैं - बयािा रानि का दर
कायय की अिुमानित लागत
05 लाख रुपए तक के कायों के नलए । 2.5 प्रनतित जो कक अनिकतम 10 हजार रुपए ।
05 लाख रुपए से अनिक लेककि 20 लाख रुपए 2 प्रनतित जो कक अनिकतम 20 हजार रुपए ।
तक के नलए ।
20 लाख रुपए से अनिक लेककि 50 लाख रुपए 01 प्रनतित जो की अनिकतम 35 हजार रुपए ।
तक ।
50 लाख रुपए से अनिक के कायों के नलए । 3/प्रनतित जो कक अनिकतम 50 हजार रुपए ।
अभ्यास सं्या : 06 बी
स्थाई बयािा रकम यह ठे केदारों की अिुमोकदत सची पर रखे गए ठे केदारों से संबंनित नवभाग द्वारा
संकनलत की जाती है । नजि ठे केदारों द्वारा ऐसी स्थाई बयािा रकम रेलवे के पास जमा कर दी जाती है
उिको उस नवभाग द्वारा जारी निनवदा सचिाओं के संबंि में जमा ककए जािे वाले निनवदा फामो के साथ
हर समय बयािा रकम भरिे की आवश्यक्ता िहीं होती है ।
अभ्यास सं्या 06 सी
1. सुरक्षा जमा यह रानि ठे केदार द्वारा कायय को सुरनक्षत रूप से परा करिे के उद्येश्य से जमा की जाती
है । सामान्खयत: ठे के की लागत के 10 प्रनतित के नहसाब से सुरक्षा जमा ली जाती है । यह इसनलए
ली जाती है कक ठे केदार कायय करिे से इन्खकार कर दे या कायय छोड़कर चला जाये तो उस समय रेलवे
का िुकसाि ि हो । ठे केदार द्वारा कायय करिे के दौराि यकद कोई गलती हो जाती है इसके कारण
रेलवे को िुकसाि होता है तो एसी पररनस्थनत में ठे केदार को दंर् ककया जा सके इसनलए भ ेंेी
सुरक्षा जमा का उपयोग ककया जाता है सुरक्षा जमा उस समय वापस की जाती है जब ठे केदार सही
तरीके से कायय परा कर देता हे ओर करार के अिुसार उस कायय का मरम्मत एवं अिुरक्षण का समय
परा हो जाता है सुरक्षा जमा निम्ननलनखत प्रारूपों में ली जाती है ।
2. नर्मांर् ड्राफ्ट - लेखा अनिकारी के िाम पर ।
3. मु्य खजांची ,मंर्ल खजांची अथवा स्टेिि मास्टर के पास जमा िगद रानि।
4. लेखा अनिकारी के िाम पर सावनि जमा रसीद ।
5. लेखा अनिकारी के पास जमा ककए गए नवकास पत्र
ककसी भी राष्ट्रीयकृ त बैंकों द्वारा ठे केदार को दी गई बैंक गारं टी ।
बयािा रानि एकमुश्त जमा की जाती है । सुरक्षा जमा ककश्तों में वसल की जा सकती है ।
बयािा रानि असफल निनवदाकतायओं को तुरंत सुरक्षा जमा कायय सफलतापवयक परा करिे के
वापस की जाती है । पिात वापस की जाती है ।
बयािा रानि 2.5 प्रनतित 2 प्रनतित,01 प्रनतित सुरक्षा जमा 10 प्रनतित , 7.5 प्रनतित तथा 5
तथा 3/4 प्रनतित के दर से ली जाती है । प्रनतित की दर से वसल की जाती है ।
बयािा रानि सुरक्षा जमा में पररवर्तयत की जा सुरक्षा जमा बयािा रानि में पररवर्तयत िहीं की
सकती है । जा सकती है ।
अनिकतम बयािा रानि 50 हजार रुपए ली जा सुरक्षा जमा के नलए कोई अनिकतम सीमा िहीं है
सकती है । ।
बयािा रानि बैंक गारंटी के रूप में िहीं ली जा सुरक्षा जमा बैंक गारंटी के रुप में ली जा सकती है
सकती । ।
बयािा रानि स्थाई बयािा रानि के रूप में भी ली सुरक्षा जमा के मामले में स्थाई रानि का प्राविाि
जा सकती है । िहीं है
अभ्यास सं्या : 07
ठे का
01. ठे के की नविेषताएं :
02. मानलक के नलए न्खयितम लागत ।
03. निमायण कायय के नलए तीव्रतम गनत ।
04. उच्चतम काययकुिलता ।
पवय अिुभव के आिार पर मानलक और ठे केदार इि दोिों में होिे वाले व्यवहार ।
ऐसे ठे कों के मामले में दरों या कीमतों के एक स्के ल पर समझौता ककया जाता है ताकक बाद में सक्षम
प्रानिकारी के आदेिों के अंतगयत यकद यथा नवर्ियकदि निमायण कायय या सामाि की आपर्त्तय में कोई
पररवतयि ककया जाए तो एक टोटल लागत के नविेष स्के ल के अिुसार ठे के के मल्य में वृनि या कमी की
जायेगी ।
अिुसनचत ठे का एक ऐसा ठे का होता है नजसके अंतगयत ठे केदार यथा नवर्ियकदि कायय या सामाि की
आपर्त्तय एक िीयत अवनि में और उस कायय या सामाि की नवनभन्न मदों में प्रत्येक के नलए िीयत यिीट
दरों पर या कीमतों पर करता है । उसे जो ििरानि प्राप्त होती है वह इस बात पर निभयर होती है कक
यथा नवर्ियकदि और यथा समय काम या सप्लाई परी करिे के नलए वस्तुतः ककतिा और ककस प्रकार का
कायय ककया गया है और सामाि की आपर्त्तय की गई है । ऐसे ठे कों में स्थल मािकों और िीयत यिीट दरों
के आिार पर ठे कों की स्थल रानि कदखलािा उपरोक्त पररभाषा के नवपरीत िहीं होता है । ऐसे ठे कों के
मामले में ठे केदार को समयसमय पर िपाई ककताब के आिार पर नबलों का भुगताि ककया जा सकता
है ।
इस ठे के का अथय यह होता है कक नजसके अंतगयत नवनभन्न प्रकार के निमायण कायय या सामाि की आपर्त्तय
के वल यिीट दरों के कीमतों के बारे में ही करार ककया जाता है और ठे का कदया जाता है इस ठे के में इस
बात का नजि िहीं ककया जाता है कक कल ककतिा निमायण कायय करिा है या ककतिे सामाि की आपर्त्तय
करिी है या ककतिी अवनि में यह सब करिा है । रेलों पर प्रचनलत क्षेत्रीय ठे के इस कोरट में आते हैं इस
ठे के के अंतगयत कायय परा करिे हेतु अथवा सामाि की आपर्त्तय हेतु समय समय पर ठे केदार को प्रिासि
-ारा कायय आदेि जारी ककए जाते हैं ।
ठे केदारों के नबल :
1. सभी व्यनक्तगत ठे केदार अथवा फमों -ारा रेलवे के नलए जो कायय ककए जाते हैं अथवा जो भंर्ार की
आपर्त्तय की जाती है उसके नलए रेल प्रिासि -ारा नवनभन्न प्रकार के नबलों के आिार पर भुगताि
ककया जाता है । इि नबलो के म्य प्रकार निम्ननलनखत हैं
2. खुदरा नबल यह उस समय तैयार ककया जाता है जब ककसी कायय के पर्तय के नलए ककसी छोटेमोटे
ठे केदार को ठे का कदया जाता है और वह कायय परा ककया जािे पर या भंर्ार की आपर्त्तय करिे पर
एकमुश्त रानि में ककए हुए कायय का तथा की गई भंर्ार की आपर्त्तय का भुगताि कर कदया जाता है
जैसे की कायायलय मिीिरी का मरम्मत एवं निमायण आकद ।
3. ठे केदारों का नबल इस नबल के मु्य दो प्रकार होते हैं जैसे कक चाल कायय के नलए नबल तथा अंनतम
नबल जब ठे केदार को नजतिा कायय ककया गया है उसके नलए भुगताि ककया जाता है तब उसे चाल
कायय के नलए देय नबल कहा जाता है तथा जब कायय समाप्त हो जाता है और उसके पिात बचा हुआ
भुगताि ककया जाता है उसे अंनतम नबल कहते हैं ।
क्षेत्रीय रे ल प्रनिक्षण संस्थाि भुसावल लेखा संकाय
208
युनिट मोड्युल सन्ख्या 11
सामान्खय व्यय लेखा
4. नवनवि कायय नबल इस श्रेणी में सामान्खयतः वह नबल आते हैं जो नवनभन्न के न्खर सरकार के नवभागों
अथवा राज्य सरकार के नवभागों को भुगताि ककया जाता है जैसे स्टेट इलेनक्िसीटी बोर्य अथवा
भारतीय र्ाकतार नवभाग तथा स्थािीय स्वराज्य संस्था इत्याकद ।
भंर्ार आपर्त्तय के नलए नबल यह नबल भंर्ार की आपर्त्तय करिे वाले ठे केदारों -ारा अथवा कं पनियों -ा
रा रेलप्रिासि के नवरुि दानखल ककए जाते हैं इिके भुगताि के संबंि में अनिक जािकारी भंर्ार लेखा
नवषय में कदखाई गई है ।
01. लेखा कायायलय में ठे केदारों के नबल प्राप्त होिे पर व्यय अिुभाग में उसकी जााँच की जाती है । इस
जााँच में निम्ननलनखत मदों पर ध्याि कदया जाता है
02. नबल मल प्रनत में होिा चानहए ।
03. नबल प्रॉपर िमिे में होिा चानहए तथा वह स्याही से अथवा टंक नलनखत अथवा संगणक -ारा
तैयार ककया जािा चानहए ।
04. नबल लहंदी या अंग्रेजी में होिा चानहए ।
नबल पर ठे केदार का िाम करार सं्या एवं नतनथ ,नबल का िमांक एवं नतनथ आकद जािकारी होिा
चानहए ।
05. नबल में दिायई गई मात्रा एवं रानि अंको तथा िब्दों में प्रमानणत होिी चानहए ।
06. नबल पर कोई काटछाट िहीं होिा चानहए । यकद कोई काटछाट है तो उसे संबंनित अनिकारी -ा
रा प्रनतहस्ताक्षररत करिा चानहए ।
07. नबल पर संबंनित काययकारी अनिकारी के तथा ठे केदार के हस्ताक्षर होिा अनिवायय है ।
08. नबल पर िपाई ककताब का िंबर नलखिा चानहए ।
09. िपाई ककताब में प्रनवनि करिे के पिात नबल तैयार करिे में नबलंव िहीं होिा चानहए ।
10. नबल पर लेखािीषय का आबंटि नलखा हुआ होिा चानहए । यह आबंटि सही होिा चानहए ।
11. नबल में ककसी प्रकार की सांख।नेकीय गलती िहीं होिी चानहए ।
12. नबल में दिायए गए दर,मात्रा आकद करार में दिाए गए दर एवं मात्रा के साथ नमलिा चानहए ।
यकद कोई अंतर हो तो सक्षम अनिकारी की पवय अिुमनत होिा आवश्यक है ।
13. ठे केदार से की जािे वाली कटौतीयााँ जैसे की आयकर,सुरक्षाजमा ठे केदार को सप्लाई ककए गए
भंर्ार की रानि,भाड़े की रकम ,पािी तथा नबजली प्रभार की रानि आकद कटौनतयााँ नबल में से
की जािी चानहए ।
14. नबल का भुगताि करिे से पहले यह सुनिनित ककया जािा चानहए कक इस भुगताि के कारण
नवत्तीय औनचत्य के मािकों का उल्लंिि िहीं हो रहा है ।
15. काययकारी अनिकारी -ारा नबल पर यह प्रमानणत ककया जािा चानहए कक ठे केदार -ारा करार के
अिुसार एवं ितों के अिुसार काययकारी अनिकारी के पणय समािाि के नलए कायय संपन्न ककया गया
है ।
16. काययकारी अनिकारी -ारा यह भी प्रमानणत करिा चानहए कक इस ठे के के मामले में कोई लेखा एवं
लेखा परीक्षा आपनत्त बकाया िहीं है ।
17. काययकारी अनिकारी -ारा यह भी प्रमानणत करिा चानहए कक ठे केदार के पास कोई भंर्ार एवं
मिीिरी एवं हनथयार या औजार आकद बकाया िहीं है।
18. नबल पर मु्य िक्िा िवीस अथवा ड्राईग नवभाग के प्रमुख के हस्ताक्षर तकिीकी जााँच हेतु प्राप्त
करिा चानहए ।
19. ठे केदार -ारा कोई दावा बकाया ि होिे का प्रमाणपत्र कदया जािा चानहए।
20. काययकारी अनिकारी -ारा यह भी प्रमानणत करिा चानहए कक कायय का निमायण संनहताओं में दी
गई ितों के अिुसार परा ककया गया है ।
नबल पर निनि उपलब्ि होिे का प्रमाणपत्र होिा चानहए ।
अभ्यास सं्या : 09 ए
िपाई ककताब यह एक महत्वपणय ककताब होता है नवभागीय श्रनमकों के अलावा रेलों पर ककए गए सभी
कायों के नलए तथा सामाि की आपर्त्तय के नलए भुगताि िपाई पुनस्तका में दजय की गई िापतौल के आिार
पर नियमों के अिुसार ककया जाता है । िपाई ककताब को एक महत्वपणय मलभत ररकॉर्य मािा जाता है
क्योंकक ठे केदारों का भुगताि का आिार इस ककताब में दजय ककए ककए िाप होते हैं । इसके प्रत्येक पृि पर
मिीि -ारा िंबर अंककत होते हैं जो कक िमािुसार होते हैं इसका कोई भी पन्ना फाड़िा या खराब करिा
मिा है । यकद िपाई का ररकॉर्य करते समय कोई गलती होती है तो उस समय इस पन्ने पर एक सीिी
लाईि खींचकर दसरे स्थाि पर सही िाप नलखिा चानहए तथासंबंनित अनिकारी के हस्ताक्षर नलए जािे
चानहए इसमें जो प्रनवनियााँ की जाती है वह काययस्थल पर ही करिा चानहए तथा ठे केदार एवं सक्षम
अनिकारी दोिों के हस्ताक्षर लेिा आवश्यक है ।
01. िपाई ककताब के नलए एक रनजस्टर अिुरनक्षत ककया जािा चानहए । नजसे िपाई ककताब का
मवमेंट रनजस्टर कहते हैं । इस रनजस्टर में निम्ननलनखत खािे होते हैं ।
02. िपाई ककताब का अिुिमांक ।
03. नजस अनिकारी को जारी ककया है उसका िाम ।
04. जारी करिे की नतनथ ।
05. वापस करिे की नतनथ ।
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210
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सामान्खय व्यय लेखा
01. िपाई ककताब में प्रनवनियााँ नलखते समय निम्ननलनखत बातें ध्याि में रखिी चानहए
02. िपाई ककताब में की जािे वाली प्रनवनियााँ स्याही से की जािी चानहए ।
03. िपाई ककताब पर प्रनवनियााँ काययस्थल पर ही करिा चानहए ककसी कच्चे कागज पर िापतौल
नलखकर बाद में इस ककताब में कॉपी करिा मिा है।
04. इस ककताब में कोई कााँटछााँट अिुमत िहीं है यकद कोई काटछाट हो तो उसे रद्द करके दसरी जगह
िापतौल नलखिा चानहए ।
िपाई ककताब का कोई पन्ना कोरा िहीं छोड़िा चानहए ।
िपाई ककताब में प्रनवनियााँ करते समय कायय का िाम, ठे केदार का िाम ,करार की नतनथ आकद जािकारी
नलखिा चानहए ।
िपाई ककताब पर ठे केदार एवं सक्षम अनिकारी दोिों के हस्ताक्षर होिे चानहए ।
अभ्यास सं्या : 09 बी
01. लेखा कायायलय में भुगताि करिे के नलए जो व्हाउचर प्राप्त होते हैं उन्खहें भुगताि की प्रकिया में
नवनभन्न अिुभागों से गुजरिा पड़ता है । यह प्रकिया निम्ननलनखत है
02. लेखा कायायलय में व्हौचर प्राप्त होते ही उसे ए.व्ही.06 िंबर र्ालिे हेतु एक रनजस्टर में दजय ककया
जाता है अथवा कम्प्यटर में कफर् ककया जाता है ।
03. ऐसे व्हाउचर पर एन्खफे समेंट लगाया जाता है ।
04. एन्खफे समेंट पर ए.व्ही.06 िंबर नलखिे के पिात ऐसे व्हाउचर सबंनित अिुभाग में आंतररक जााँच
के नलए भेजा जाता है ।
05. व्हाउचर की आंतररक जााँच की जाती है ।
06. यकद व्हाउचर भुगताि करिे लायक पाया जाता है तो ऐसे व्हाउचर के नलए सी.आ.07 बिाया
जाता है ।
07. सी.ओ.07 के नलए कम्पयटर -ारा िंबर प्राप्त ककया जाता है अथवा रनजस्टर से यह िंबर प्राप्त
ककया जा सकता है ।
08. व्हाउचर पर अिुभाग अनिकारी, लेखा अनिकारी के हस्ताक्षर नलए जाते हैं ।
09. सी.ओ.07 बिाया जाता है उसे एक रनजस्टर में चढ़ाया जाता है तथा अनिकारी के हस्ताक्षर प्राप्त
ककए जाते हैं ।
10. सी.ओ.07 तथा व्हाउचर खजांची के कायायलय को चेक समरी बिािे हेतु भेज कदए जाते हैं ।
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सामान्खय व्यय लेखा
अभ्यास सं्या : 09 सी
काययकारी अनिकारी के साथ संलग्न अिुभाग अनिकारी लेखा की नियुनक्त की जाती है इसका प्रमुख कत्तयव्य
होता है कक काययकारी अनिकारी को नवत्तीय मामलों में सहायता प्रदाि करें अिुभाग अनिकारी होिे के
कारण उसके पास नजतिे भी व्हाउचर या नबल प्राप्त होते हैं उिकी जााँच करके उिमें कोई नवत्तीय
अनियनमतताएं तथा गनणतीय अिुिता िहीं है इसका ध्याि रखिा आवश्यक होता है । सभी व्हाउचरों
अथवा नबलों की जााँच करते समय सभी प्रचनलत नियमों के अिुसार यह जााँच करिा आवश्यक है तथा
इि नबलों अथवा वाउचरों के आिार पर उस काययकारी अनिकारी के लेखों का अिुरक्षण करिा आवश्यक
होता है । वैसे ही लेखा प्रनतनिनि होिे के िाते खुली लाईि के लेखा कायायलय -ारा व्हाउचरों की नजस
प्रकार से आंतररक जााँच की जाती है ठीक उसी प्रकार की आंतररक जााँच इस अिुभाग अनिकारी -ारा
करिा चानहए। नवत्तीय सहायक होिे के िाते निमायण नवभाग के प्रलेखों के संबंि में अथवा बजट के संबंि
में काययकारी अनिकारी को सलाह देिा उसका कत्तयव्य है। काययकारी अनिकारी से जो भी आदेि प्राप्त होते
हैं नजिका सीिा असर नवत्तीय मामलों पर होता है उसकी परी जािकारी रखिा आवश्यक होता है ।
नवत्तीय मामलों के संबंि में काययकारी अनभयंता को सझाव देिा चानहए तथा प्रचनलत नियमों एवं ओदिों
का पालि करिा चानहए । अगर कोई लेिदेि नवत्तीय नियमों के अिुसार अनियनमत होता है तब उसकी
और काययकारी अनभयंता का ध्याि आकर्षयत करिा चानहए इसके बावजद यकद काययकारी अनभयंता -ारा
उस पर उनचत काययवाही िहीं की जाती है तो उसे एक रनजस्टर में रेकॉर्य करिा चानहए और यह रनजस्टर
लेखाअनिकारी को निरीक्षण के दौराि प्रस्तुत करिा चानहए ।
01. लेखा कायायलय में रेलवे के नवत्तीय व्यवहारों की जो जााँच की जाती है इसे आंतररक जााँच कहते हैं
इस जााँच का उद्येश्य यह होता है कक रेलवे -ारा जो भी कायय ककया गया है वह नियमों के अिुसार
ककया गया है अथवािहीं । इसे आंतररक जााँच इस नलए कहते हैं कक भारत के नियंत्रक एवं
महालेखा परीक्षक -ारा जो लेखा परीक्षण ककया जाता है उससे इस जााँच को अलग सनचत ककया
जा सके इसनलए लेखा कायायलय -ारा की जािे वाली जााँच को आंतररक जााँच कहते हैं । आंतररक
जााँच के नलए नियम निम्ननलनखत हैं
02. समयसमय पर भारत के राष्ट्रपनत,रेलवे बोर्य , महाप्रबंिक तथा अन्खय अनििस्थ अनिकाररयों -ा
रा उिको कदए गए अनिकारों के तहत जारी मंजरी एवं आदेिों के आिार पर ।
03. रेलवे बोर्य -ारा जारी ककए गए नवनभन्न संनहताओं में कदए गए नियमों के आिार पर ।
मान्खयता प्राप्त नवत्तीय औनचत्य के मािक सत्रों के आिार पर ।
जब तक की नविेष रूप से सक्षम अनिकारी -ारा अिुमनत प्राप्त ि की गई हो लेखा कायायलय -ारा पाररत
ककए गए सभी भुगतािों की 100 प्रनतित आंतररक जााँच करिा अनिवायय होता है ।
01. रेलवे बोर्य -ारा अथवा अन्खय सक्षम अनिकाररयों -ारा अथवा महाप्रबंिकों -ारा जारी ककए गए
मंजरी एवं आदेि नजिका रेलवे के नवत्तीय व्यवस्था पर पररणाम होता है उिको जारी करिे के
पहले नवत्तीय सहमनत लेिा आवश्यक होता है । रेलवे बोर्य से प्राप्त मंजरी आदेि सवयप्रथम
महाप्रबंिकों को भेजे जाते हैं । महाप्रबंिक -ारा इसकी एक प्रनतनलनप संबंनित नव.स.एवं म.ले.अ.
को भेजी जाती है । नजिके -ारा मंजरी एवं आदेिों की आंतररक जााँच की जाती है । लेखा अनिकारी
-ारा इि आदेिों की एवं मंजररयों की जााँच में निम्ननलनखत बातों पर ध्याि कदया जाता है
02. नजस अनिकारी -ारा नियम बिाया गया है या मंजरी दी जा रही है वह उसके नलए सक्षम है अथवा
िहीं ।
03. क्या मंजरी एक निनित रकम के नलए है और उसके नलए अन्खय वररि अनिकारी की अिुमनत
आवश्यक िहीं है ।
04. मंजरी अथवा नियम ककसी प्रचनलत आदेि के अथवा अन्खय वररष्ठ अनिकारी -ारा दी गई मंजरी के
नवपरीत तो िहीं है ।
सभी प्रकार की मंजररयााँ निनित रानि के नलए तथा निनित समय के नलए होिा चानहए और दी जािे
वाली मंजरी के आदेि में उसे नवनिि रूप से प्रमानणत ककया जािा चानहए ।
यकद लेखा अनिकारी के सोच के अिुसार जारी की गई मंजरी एवं ओदि अनियनमत हैं अथवा आपनत्त
जिक हैं तो ऐसे मामलों को लेखा अनिकारी -ारा रेलवे बोर्य को अथवा भारत के राष्ट्रपनत को ररपोटय
ककया जा सकता है अन्खय मामलों में लेखा अनिकारी -ारा मंजरी देिे वाले अनिकारी के ध्यािाकषयण हेतु
ररपोटय ककया जा सकता है तथा इस आपनत्त का निपटरा करिे हेतु क्या कदम उठाए जा सकते हैं इसके
बारे में नवत्तीय सलाह मंजरी देिे वाले अनिकारी को दी जािी चानहए ।
अभ्यास सं्या : 10 सी
सभी मंजररयााँ जो व्यय के नलए होती है उिके एक रनजस्टर में ररकॉर्य करिा आवश्यक होता है क्योंकक
इि मंजररयों के आिार पर प्राप्त होिे वाले दावों एवं नबलों की आंतररक जााँच करिा आसाि हो सके ।
मंजररयााँ जो कक बहुत ही लंबी अवनि के नलए अथवा स्थाई अवनि के नलए होती है उिको भी समयसमय
पर ररकॉर्य करिा आवश्यक होता है । नजस अवनि के नलए मंजरी दी गई है वह अवनि भी इस रनजस्टर
में नलखी जाती है उस अवनि के समानप्त के बाद इस मंजरी के आिार पर कोई नबल अथवा दावा पास
िहीं ककया जा सकता और सक्षम अनिकारी को इसकी सचिा दी जाती है । यकद जरूरी हो तो आगे के
नलए सक्षम अनिकारी -ारा अलग से मंजरी प्रदाि की जा सकती है । सामान्खय रूप से मंजरी उस समय से
लाग होती हैं नजस नतनथ से उसे जारी ककया गया है यकद उस मंजरी के अंतगयत कोई नवनिनि नतनथ दी
गई हैं तो मंजरी उस नवनिि नतनथ से लाग मािी जाती है ।
1. लेखा कायायलय में की जािे वाली आंतररक जााँच को दो श्रेनणयों में नवभानजत ककया जासकता है ।
पवय जााँच सामान्खय नियम के अिुसार रेलप्रिासि के नवरुि सभी दावों का भुगताि उसकी आंतररक
जााँच करिे के बाद ही ककया जाता है जो जााँच लेखाकायायलय -ारा दावे का भुगताि करिे से पहले की
जाती है । उस जााँच को पवय जााँच कहते हैं ।
पि जााँच उपरोक्त नियम के अपवाद स्वरूप कु छ नविेष मामलों में भुगताि पहले ककया जाता है तथा
उसकी आंतररक जााँच लेखा कायायलय -ारा बाद में की जाती है । जैसे की ककसी कािि का पालि करिे
हेतु नविेष रूप से ककए जािे वाले भुगताि । यह भुगताि पहले ककए जाते हैं और आंतररक जााँच बाद
में की जाती है इसनलए इसे पि जााँच कहते हैं । निम्ननलनखत मदों पर भुगताि पहले ककया जाता है
और आंतररक जााँच बाद में की जाती है
क) अग्रदाय िि से ककया जािे वाला भुगताि ।
ख) स्टेिि आय से ककया जािे वाला भुगताि ।
क्षेत्रीय रे ल प्रनिक्षण संस्थाि भुसावल लेखा संकाय
214
युनिट मोड्युल सन्ख्या 11
सामान्खय व्यय लेखा
ग) कु छकु छ मामलों में वेति नबलों का भुगताि जहााँ की वेति भुगताि अनिनियम का पालि करिा हो
।
ि) निलाम कताय -ारा निलामी के नलए वसल ककया गया कमीिि ।
र्) सक्षम अनिकारी -ारा कदए गए आदेि के अिुसार ककया गया अन्खय भुगताि ।
1. रेलप्रिासि के नवरुि सभी दावों की आंतररक जााँच करते समय निम्ननलनखत बातों पर ध्याि देिा
आवश्यक होता है
2. क्या खचय ऐसे अनिकाररयों के हाथों से ककया जाता है जो ऐसा करिे के नलए सक्षम हैं ?
3. क्या राजस्व में खचय करिे के नलए इस सक्षम अनिकारी -ारा स्वीकृ नत दी गई है ?
4. क्या खचय से पवय सभी नििायररत औपचाररकता का अिुपालि ककया गया है ? जैसे कक निमायण कायय
के व्यय के नलए समुनचत अिुमाि तैयार करके सक्षम अनिकाररयों -ारा स्वीकृ त कर कदए गए हैं ।
5. क्या यह खचय करिे वाले अनिकारी को उपलब्ि कराए गए अिुदाि या इस प्रयोजि के नलए सक्षम
प्रानिकाररयों -ारा पियनवनियोनजत निनियों के अंतगयत हैं ?
6. खचय ककसी प्रचनलत नियम और आदेि या सक्षम प्रानिकारी -ारा जारी ककसी सामान्खय या नविेष
आदेि के प्रनतकल तो िहीं ककए गए हैं ।
7. खचय से नवत्तीय औनचत्य के मािकों से ककसी मािदंर् का उल्लंिि िहीं होता है ।
8. ककसी सीनमत अवनि के नलए स्वीकृ त ककए गए खचय को उस अवनि की समानप्त के बाद आगे अिुमनत
िहीं दी जािी चानहए ।
9. क्या ऐसे आवर्त्तय प्रभारों के मामलों में जो ककसी खास ितों के परा होिे पर या ककसी िटिा नविेष
के िटिे पर ही देय हो,खचय करिे वाले अनिकारी -ारा यह प्रमानणत ककया गया है कक आवश्यक
ितों को परा कर नलया गया है या जो िटिा िटिे पर खचय ककया जािा हो वह िटिा िट चुकी है
।
10. क्या खचय की समुनचत एवं पणयरूप से पुनि की गई है और क्या भुगताि का अनभलेख इस प्रकार से
तैयार ककया गया है कक इस संबंि में दसरा दावा असंभव हो ।
11. क्या प्रभार को सही रूप से वगीकृ त/आबंरटत ककया गया है ।
यकद कोई प्रभार ककसी ठे केदार, कमयचारी या अन्खय वयनक्तक के व्यनक्त्गत लेखे में िामे खाते में र्ाला
जािा जरूरी हो अथवा ककसी नियम या आदेि के अंतगयत वसल ककया जािा आवश्यक हो तो उसे
नििायररत लेखे में ककसी रूप से दजय ककया गया है ।
अभ्यास सं्या : 11 ए
राजस्व आबंटि पंजी या राजस्व आबंटि रनजस्टर यह एक सहायक ककताब है नजसमें राजस्व व्यय का
परा ररकॉर्य रखा जाता है ।
यह व्यय एक लेखा यिीट -ारा पास ककया जाता है । व्यय पर नियंत्रण रखिे के नलए तथा वार्षयक एवं
मानसक लेखे तैयार करिे के नलए तथा नििायररत प्रणाली के अंतगयत रेलवे के व्यय को दजय करिे के नलए,
एकत्र करिे के नलए तथा उसका सार बिािे के नलए इस रनजस्टर का उपयोग ककया जाता है । इस
रनजस्टर में जो प्रनवनियााँ की जाती है वह नवनभन्न प्रकार के भुगताि ककए जािे पर तैयार ककए जािे वाले
सी.ओ.07 एवं उिके साथ तैयार ककए जािे वाले आबंटि नववरणों के आिार पर की जाती है तथा
समायोजि के मामलों में जरिल व्हाउचर के आिार पर की जाती है । प्रत्येक राजस्व सार के नलए
अलगअलग आबंटि रनजस्टर रखा जाता है ।
1. लेखा कायायलय में काययकारी अनिकाररयों से जो नबल प्राप्त होते हैं उिकी आंतररक जााँच की जाती
है तथा उसके पिात उिका भुगताि ककया जाता है । भुगताि करिे के नलए जो सी.ओ.07 बिाए
जाते हैं उिके साथ जो आबंटि नववरण बिाए जाते हैं उिके आिार पर बककं ग अिुभाग में रोकड़
ककताब नलनख जाती है और नबल पास करिे के बाद आबंटि नववरण व्यय अिुभाग में कदए जाते हैं
। प्रत्येक आबंटि नववरण पर सी.ओ.07 िंबर नलखे जाते हैं और इि आबंटि नववरणों के अिुसार
राजस्व आवंटि रनजस्टर अिुरनक्षत ककया जाता है । अब राजस्व आबंब्न रनजसटर कम्प्यटर -ारा
बिाए जाते हैं । राजस्व आबंटि रनजस्टर में निम्ननलनखत दो कु ल योग कदखाए जाते हैं
2. चाल माह के नलए कु ल व्यय ।
चाल माह के अंत तक कु ल व्यय (यह व्यय नवत्तीय वषय के प्रारं भ से चाल माह के अंत तक का व्यय कदखाता
है ) !
प्रत्येक मंर्ल के नलए जो बजट अिुदाि प्राप्त होता है इस बजट अिुदाि को 12 से नवभानजत करिे से
अिुमानसक बजट अिुदािप्राप्त होता है इस अिुमानसक बजट अिुमाि के आिार पर तथा वास्तनवक व्यय
के आिार पर यह देखा जाता है कक निनि अनिक है या कम है अगर यह देखा गया की निनि अनिक हैं
तो संबंनित अनिकाररयों
-ेारा आवश्यक्ता से अनिक निनि को उपयुक्त बजट समीक्षा में समर्पयत ककया जा सकता है अथवा निनि
कम हो तो बजट समीक्षा के समय आवश्यक्ता के अिुसार अनिक निनि की मााँग की जाती है । रोकड़
ककताबों के मिीिीकरण के साथ राजस्व आवंटि रनजस्टर भी कं प्यटर -ारा बिाए जा रहे हैं ।
माह के अंत में राजस्व आबंटि रनजस्टर के आिार पर प्रत्येक सार के नलए नियंत्रण नववरण तैयार ककए
जाते हैं । इस नियंत्रण नववरण में अिुमानसक बजट अिुदाि , बजट अिुदाि प्रत्यक्ष व्यय माह के नलए
तथा माह के अंत तक आकद जािकारी दिाययी जाती है । प्रत्यक्ष व्यय तथा बजट अिुदाि में अंतर भी
निकाला जाता है और यह नियंत्रण नववरण काययकारी अनिकाररयों को भेजे जाते हैं । काययकारी
अनिकाररयों -ारा इस नियंत्रण नववरण के आिार पर व्यय पर नियंत्रण ककया जाता है ।
अभ्यास सं्या : 11 बी
1. कायय रनजस्टर यह भी एक सहायक रनजस्टर है नजसके अंतगयत प्रत्येक कायय के नलए ककए गए व्यय
का ररकॉर्य रखा जाता है । जब कोई भी कायय ककसी सक्षम अनिकारी -ारा स्वीकृ त ककया जाता है
तब इस रनजस्टर में प्रत्येक कायय के नलए अलगअलग पृि खोले जाते हैं । प्रत्येक पृि पर निम्ननलनखत
जािकारी नलनख जाती है
2. कायय का िाम ।
3. स्वीकृ नत का िमांक एवं नतनथ ।
4. स्वीकृ त रानि ।
5. आबंटि ।
6. चाल वषय के नलए बजट अिुदाि ।
7. कायय प्रारंभ की नतथी ।
8. कायय समानप्त की नतनथ ।
9. नियंत्रण आनिकारी का पदिाम ।
नविेष कथि ।
इस रनजस्टर में लेखा िीषों के अिुसार प्रत्येक कायय पर ककया गया व्यय कदखाया जाता है । जब
लेखाकायायलय में नबल और व्हौउचर भुगताि के नलए प्राप्त होते हैं तब उिकी पणय रूप से आंतररक जााँच
की जाती है और उिको भुगताि करिे हेतु पास ककया जाता है । पास करते समय सी.ओ.07 बिाए जाते
हैं । सी.ओ.07 के साथ आबंटि नववरण तैयार ककए जाते हैं इि आबंटि नववरणों के आिार पर कायय
रनजस्टर में व्यय को दजय ककया जाता है । जब ककसी नबल अथवा व्हाउचर में लेखाकायायलय -ारा पररवतयि
ककया जाता है अथवा कोई आपनत्त उठाई जाती है तो उसकी सचिा संबंनित काययकारी अनिकारी को दी
जाती है ।
इस प्रकार से जब एक महीिे के सारे व्हाउचरों को कायय रनजस्टर में दजय कर कदया जाता है ( रोकड़ और
समायोजि ) तब उस माह का जो कु ल व्यय होता है उसे इस रनजस्टर में अलग से कदखाया जाताहै इस
प्रकार से प्रत्येक माह के व्यय के साथ प्रत्येक नवत्तीय वषय के नलए जो कु ल योग होगा उसे भी अलग से
कदखाया जाता है । नजससे यह पता चलता है कक उस कायय पर उस नवत्तीय वषय में ककतिा व्यय ककया
गया है । इस व्यय की तुलिा नवत्तीय वषय के नलए जो बजट अिुदाि की रानि प्राप्त होती है उसके साथ
की जाती है । इस प्रकारसे एक माह के वास्तनवक योग से यह पता चलता है कक उस माह में उस कायय
पर ककतिा व्यय ककया गया है ।
कायय रनजस्टर को दो सेटों में भी रखा जाता है ऐसे दो सेट के वल निमायण िाखा -ारा रखे जाते हैं । चाल
लाईि िाखा में के वल एक सेट काययकारी अनिकारी के कायायलय में रखा जाता है और लेखा अनिकारी
के कायायलय में र्ेबुक रखे जाते हैं , लेककि निमायण लेखा िाखा में एक सेट कायय रनजस्टर काययकारी
अनिकारी के कायायलय में तथा दसरा सेट लेखाकायायलय में रखा जाता है प्रत्येक माह के अंत में दोिों के
बीच में समािाि ककया जाता है ।
क्षेत्रीय रे ल प्रनिक्षण संस्थाि भुसावल लेखा संकाय
217
युनिट मोड्युल सन्ख्या 11
सामान्खय व्यय लेखा
एक महीिे के व्यय की खतौिी परी करिे पर कायय रनजस्टर के आिार पर लेखाकायाय लय -ारा नियंत्रण
नववरण तैयार ककए जाते हैं नजसमें प्रत्येक कायय पर उस महीिे में ककतिा व्यय ककया गया है यह कदखाया
जाता है । उसके साथसाथ उस माह के अंत तक उस नवत्तीय वषय में ककतिा व्यय ककया गया है यह भी
कदखाया जाता है । वैसे ही कायय प्रारंभ की नतनथ से उस माह के अंत तक कु ल ककतिा व्यय हुआ है इसे भी
कदखाया जाता है उपरोक्त कु ल योग की तुलिा बजट अिुदािएवं कायय की कु ल प्राकनलत लागत के साथ
की जाती है और व्यय पर नियंत्रण रखा जाता है ।
लेखा कायायलय से भेजे गए नियंत्रण नववरणों के आिार पर काययकारी अनिकारी -ारा उस कायय के नलए
होिे वाले व्यय पर नियंत्रण ककया जाता है औरयकद आवश्यक हो तो अनिक निनि के नलए बजट की
समीक्षा के समय मााँग की जाती है और यकद उपलब्ि निनि जरूरत से ज्यादा हो तो उसे समर्पय त भी
ककया जाता है ।
अभ्यास सं्या : 12 ए
1. नजस व्यय के बारे में पवय आंतररक जााँच की गई है उसके संदभय में कोई अनियनमत भुगताि िहीं
होिा चानहए । वह दावे नजिकी आंतररक जााँच िहीं हो सकती उिको संबंनित काययकारी
अनिकाररयों को वापस करिा आवश्यक होता है और उिसे स्पिीकरण मााँगिा आवश्यक होता है ।
यकद ककसी नवनिि मामले में दावे में दावा या संिोनित दावा प्रस्तुत करिे वाले अनिकारी का
स्पिीकरण स्वीकार िहीं ककया जा सकता या आंतररक जााँच में लेखा अनिकारी दावे को
नियमािुसार िहीं समझता है तो िीचे ेेुब्वेररेुेै गए नियमों के अिुसार दावा अस्वीकार कर
कदया जाता है या अंतररम रूप से पास कर कदया जायेगा नजसका नवनियमि बाद में होगा ।
सामान्खय नियम के अिुसार ककसी दावे को के वल तभी स्वीकार ककया जािा चानहए जब इस बात का
प्रत्यक्ष प्रमाण हो कक वह सही है और उसके भु गताि से रेलवे को हानि िहीं हो सकती है । दसरे िब्दों में
दावे को के वल तभी अस्वीकार ककया जािा चानहए जब इस बात का प्रत्यक्ष प्रमाण हो कक वह गलत है
और उसके भुगताि से रेलवे को हानि हो सकती है ।
2. जो दावे तकिीकी नि से आपनत्त योग्य हो , उदाहरण के नलए उलचंत आबंटि का आभाव होिा अथवा
बजट आबंटि का अभाव होिा अथवा सक्षम अनिकारी की मंजरी का अभाव होिा इत्याकद ।यकद ऐसे
दावों के सही होिे का प्रत्यक्ष प्रमाण उपलब्ि हो तो लेखा अनिकारी -ारा उसे स्वीकार कर नलया जा
सकता है ।
जो दावे अंनतम रूप से िामंजर कर कदए गए हैं उन्खहें लेखा कायायलय -ारा बचत पंजी में नलखिा चानहए
।
1. माह के अंत में लेखाकायायलय -ारा आपनत्त सची रनजस्टर में की गई प्रनवनियों के आिार पर एक
आपनत्त सची नववरण तैयार ककया जाता है । आपनत्त सची रनजस्टर में जो आपनत्त जिक मदों को
दजय ककया जाता है वह निम्ननलनखत वगीकरण के आिार पर ककया जाता है
2. स्वीकृ त प्राक्कलिकी आवश्यक्ता ।
3. स्वीकृ त प्राक्कलि में मंजर रानि से अनिक ककया गया व्यय ।
4. स्वीकृ त नवनियोजि की आवश्यक्ता ।
5. स्वीकृ त नवनियोजि से अनिक ककया गया व्यय ।
नवनवि मद ।
अनियनमत रूप से ककए गए भुगताि को नियनमत करिे के नलए की जािे वाली काययवाही
लेखा अनिकारी की यह मल रूप से पणय नजम्मेदारी बिती है कक यकद कोई भुगताि पाररत करते समय
आपनत्त जिक हो और उसे आपनत्तजिक मदों के रनजस्टर में दजय ककया गया हो तो भुगताि करिे के बाद
उस पर उनचत काययवाही की जाय और उस मद को नियनमत कर कदया जाय । यकद नव.स.एवं.म.ले.अ.
यह मािता है कक अनियनमत भुगताि की सचिा रेलवे बोर्य को देिा आवश्यक है तो वह वैसा कर सकता
है । यकद लेखा अनिकारी यह समझता है कक अनियनमत भुगताि की सचिा काययकारी अनिकारी अथवा
महाप्रबंिक को दी जाय तो उसे उनचत काययवाही करिी चानहए ।
आपनत्तजिक मदों के रनजस्टर के आिार पर हर वषय में नसतंबर तथा माचय के अंत में एक अियवार्षयक
नववरण बिाया जाता है और उसे रेलवे बोर्य को भेजिा आवश्यक होता है । आपनत्तजिक मदों के इस
अियवार्षयक नववरण में निम्ननलनखत जािकारी दिाययी जाती है
आपनत्तजिक मदों का अियवार्षयक नववरण 30 नसतंबर तथा 31 माचय तक के नलए बिाए जाते हैं इसमें
वह सारे मद िानमल होते हैं जो इस अवनि के अंत तक आपनत्तजिक मदों के रनजस्टर में दजय ककए गए
हों ।
इस नवनवरण में जो आपनत्तजिक मद कदखाए जाते हैं वे निम्ननलनखत िीषयकों के अंतगयत कदखाए जािे
चानहए ।
क्षेत्रीय रे ल प्रनिक्षण संस्थाि भुसावल लेखा संकाय
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युनिट मोड्युल सन्ख्या 11
सामान्खय व्यय लेखा
कु ल आपनत्त जिक मद तथा कु ल आपनत्तजिक रानि को निम्लनलनखत समहों में कदखािा आवश्यक
होता है
क) रेलवे बोर्य की मंजरी की आवश्यक्ता ।
ख) जहााँ लेखा अनिकारी यह समझता है कक रेलप्रिासि -ारा उनचत काययवाही िहीं की गई
है ।
ग) जहााँ रेल प्रिासि -ारा उनचत काययवाही तो की गई है लेककि कहीं अन्खय स्थाि पर ध्यािाकषयण की
आवश्यक्ता है ।
प्राक्कलि से अनिक व्यय की आपनत्त के मामले में स्वीकृ त रानि को स्पि रूप से कदखािा आवश्यक है ।
आपनत्त जिक मदों के इस नववरण में आपनत्त जिक मदों का निपटारा करिे के नलए लेखा अनिकारी -ा
रा कया काययवाही की गई है इसका परा व्यौरा देिा आवश्यक है।
Lesson No.1(a)
INTRODUCTION.
SURVEYS
CLASSIFICATION OF SURVEYS –
ESTIMATES
COMPLETION REPORT
i) Excess of not less than 10% or Rs25000/- which ever is less over
the estimated provision under each work.
A completion report for work costing Rs one crore and less should be
subjected to the detailed instructions issued by the Railway administration
and should be prepared in the same form for works costing above Rs one
crore. It should compare the actual expenditure incurred with the
sanctioned amount and should give details under each sub-work. Brief
explanation should be furnished for all excess and savings of over 5% or
Rs10,000/- which ever is less. A completion report duly verified by the
accounts officer should ordinarily be submitted to the authority that
accorded the administrative approval to the work for information or
regularization.
COMPLETION STATEMENT
As a general rule a completion report should be submitted in respect of
each completed work. Nevertheless in the case of works, the expenditure
on which is within the competence of G.M. to sanction, a formal report on
the prescribed form is not required to be prepared. In such cases all the
information required in the completion report, the certificate of the
accounts officer, the sanction of the competent executive authority may be
recorded in the register of works under relevant accounts and completion
statement showing the following information recorded under the order of
competent authority and verification by accounts officer.
1. Reference to estimate
2. Amount of sanction estimate
3. Actual expenditure as finally booked
Zonal Railway Training Institute, Bhusawal
Accounts faculty
172
Unit Module No.11
General Expenditure Accounts
4. Brief explanation for excess or saving.
Lesson No.3(d)
The following are the subsidiary points to be checked while verifying the
estimates.
TENDERS.
Except where the reasons which should be in the public interest the GM
decides that it is not practicable or advantageous to call for tenders or for
all contracts over Rs10000/- in value should be placed after tenders have
been called for in the most open and public manner possible and with
adequate notice. For works contract based on schedules of rates in force
in the Railway calling of tenders upto a value of Rs50000/- can be
dispensed with by the GM without recording reasons for doing so. In all
other cases where the GM decides not to call for tenders the reasons
should be recorded and communicated to his FA&CAO.
Lesson No.4(b)
Lesson No.4(d)
LIMITED TENDERS
Lesson No.5(a)
SINGLE TENDER
Lesson No.5(b)
GLOBAL TENDER
Lesson No.5(c)
TENDER NOTICE
Lesson No.5(d)
1) That the Railway is in a position to hand over the site of work and
plans to the contractor.
2) That the Railway should be ready with full knowledge of contract and
spot of the work.
3) That Railway is ready with design of work, detailed drawings, schedule
of drawing etc.
4) Soil exploration should have been carried out at site to avoid change in
the design of foundation and structure at a latter stage.
5) That the Railway administration has obtained Boards approval before
invitation of tenders where foreign exchange involved is more than
Rs.10/-Lakhs.
6) That tender documents for the said items are ready for issue from the
day notified.
Lesson No.6(a)
EARNEST MONEY
The tenderers should submit the earnest money in one of the following
form.
Lesson No.6(b)
Lesson No.6(c)
SECURITY DEPOSITS
Lesson No.6(d)
Lesson No.7
CONTRACTS
FORMS OF CONTRACTS: -
Lesson No.7(a)
Lesson No.7(b)
Lesson No.7(c)
Lesson No.8(a)
CONTRACTOR BILLS
1) Petty bills: - Bills submitted by outside parties for petty nature of work
carried out by them or material supplied by them to the Railway
administration are treated as petty bills. Bills for repairs and
maintenance of office appliances plant and machinery etc. also fall
under this category.
2) Contractor bills: - This type is further bifurcated in two parts i.e. on
account bills/running bills and final bills. Under this category payment
arranged for contracts entered into as a result of finalization of
tenders.
3) Miscellaneous bills: - Under this category of bill payment made to
other Government organizations including State Government are
included. Payment to MSEB, P&T, Local self-governments and
sewerage board for services rendered to Railway Administration are
categorized.
4) Bills for stores supplied - These are the bills preferred by private
parties for stores supplied to the Railway Administration. Checks of
these bills are separately dealt in stores syllabus.
Lesson No.8(b)
Lesson No.9(a)
Since this is an important initial record entries in this book should be made
carefully. Precautions to be taken while making entries in this book are as
follows: -
Lesson No.9(b)
JOURNEY OF VOUCHER: -
Zonal Railway Training Institute, Bhusawal
Accounts faculty
184
Unit Module No.11
General Expenditure Accounts
Lesson No.9(c)
SO(A/Cs) will work under the professional control of Accounts Officer and
under the Administrative control of the executive.
Lesson No.10(a)
Lesson No.10(b)
Lesson No.10(c)
All sanctions take effect from the date of issue unless a specific date is
indicated in the order while communicating sanction.
Lesson No.11(a)
After the month‟s accounts are closed the Accounts Officer prepares
control statement in respect of individual abstract. The statement shows
monthly budget proportion, budget proportion to end of the month, budget
grant and expenditure for the month and expenditure to end of the month.
The variations are also worked out. These control statements are sent to
the concerned executives to enable them to know the trend of actual
expenditure with reference to the budget grant. The executives are also
advised to exercise control over expenditure. Where ever necessary,
decision regarding requirement of additional funds or surrender of funds
where the trend of expenditure is low is taken based on control statement.
Lesson No.11(b)
This register is maintained allocation wise. When the bills are received in
account office, the internal check section checks them and they are
passed for payment. The allocation statements which are prepared duly
endorsing CO7 numbers are the authority for posting in this register.
When any correction/ disallowance is made in the bill during the course of
internal check, the same will be advised to the executive concerned.
After the posting for the month is over, the total will be struck to show the
total expenditure booked for the month (This will be compared with budget
proportion) total for the financial year (This will be compared with budget
grant) and the total expenditure up to the date from the beginning of the
work (This total will be compared with the estimated cost of the work)
In respect of open line works only one set of works register is maintained
by the executive. In the accounts office only day book and voucher file is
maintained.
After the months accounts are closed, control statements are prepared by
the Accounts Office showing the work wise expenditure booked during the
month, to end of the month and to end of the month from the
commencement of the work. This statement is sent to the concerned
executive to enable them to review the expenditure on each work and
whether any additional funds are required to be obtained at the
appropriate budgetary review stage.
Lesson No.12
Lesson No.12(a)
After closing of accounts for the month, all objection statements should be
carefully scrutinized and all items still held under objection should be
recorded in the “OBJECTIONABLE ITEMS REGISTER”. For the purpose
of posting, the various items of expenditures held under objection are
classified as under:-
Regularization
It is the duty of the Accounts Officer to take all necessary action without
avoidable delay to get the items regularized. If FA & CAO considers that
any irregularity is so serious that it should be brought to the notice of
Railway
Board at once, or if it is felt that executive has not taken sufficient action to
regularize the issue, he should request the GM to report the matter to the
Railway Board.
Lesson No.12(b)
अभ्यास सं्या 1 बी
रोकड एवम वेति नवभाग का प्रमुख नव. स. एवम मु. ले. अ. होता है। रेल नवभाग व्दारा वसुली गयी
रािी को रेलवे के बैंक खाते मे जमा करिा एवम रेल्वे नवभाग के प्रनत लेखा नवभागव्दारा पास ककये गये
दावों का भुगताि करिे कक महत्वपूणण नजम्मेदारी इस नवभाग व्दारा निभायी जाती है। मु्यालयमे यह
कायण मु्य रोकडीये व्दारा ककया जाता है। तथा मंडलोमे यह कायण मंडल खजांची व्दारा ककया जाता है
। सभी मंडल खजांची एवम मु्य खजांची उप मु्य नवत्त सलाहकार एवम मु्य लेखा अनिकारी के
अनिि कायण करते है।
उपमु्य नवत्त सलाहकार एवम मु्य लेखा अनिकारी (रोकड एवम वेति) और उसके कमणचारी नवत्त
सलाहकार एवम मु्य लेखा अनिकारी के प्रिासनिक नियंत्रण मे कायण करते है। रोकड एवम वेति नवभाग
के मु्य कतणव्य , रोकड, ििादेि, एवम वाउचरों का निपटारा आदी के संबंिमे नवस्तृत नियम भारनतय
रेल्वे लेखा संनहता भाग एक मे कदये गये है।
अभ्यास सं्या 1 बी
रोकड नवभाग मु्य रुपसे रोकड कक वसुली एवम उिको लेखांककत करिे के नलये नजम्मेदार होता है।
इसके नलये उपमु्य नवत्त सलाहकार एवम मु्य लेखा अनिकारी तथा मु्य खजांची नजम्मेदार होते है।
सहायक मु्य खजांची झांसी भी इसके नलये नजम्मेदार होते है।
स्टेिि रोकड को जमा करिे कक प्रकक्रया अथवा िगकद प्रेषणा-(पेरा क्रमांक 1921 से 1929) -
रेल्वे स्टेिि पर एक कदिके सभी व्यवहार पुरे हो जािे के बाद एवम रोकड पुस्तक बंद करिे के बाद रोकड
पुस्तक के अिुसार आिेवाली रािी और ड्रावर कक रािी इिकक तुलिा करिे के बाद स्टेिि कमणचारी
व्दारा िगकद प्रेषणा िोट तैयार कक जाती है। एक कदिमे वसुल कक गयी रािी एवम िगकद वाउचरोंका
पुरा नववरण इस िगकद प्रषणा िोट पर नलखा जाता है। यह िगकद प्रेषणा िोट नति प्रनतनलनपयोंमे तैयार
कक जाती है। यह िगकद प्रेषणा िोट कोचचंग एवम माल यातायात के नलये अलग अलग तैयार कक जाती
है। दैनिक िगद मु्य खजांनच को भेजिे के नलये हर स्टेिि को कु छ चमडेकी थेैैनलया सप्लाइ कक जाती
क्षेत्रीय रे ल प्रनिक्षण संस्थाि भुसावल लेखा संकाय
227
युनिट मोड्युल सन्ख्या 12
रोकड एवम वेति नवभाग
है। इि चमडेकक थेैैनलयोंमे िगद एवम िगकद वाउचरस तथा िगकद प्रेषणा िोट कक दो प्रनतनलनपयॉ रखी
जाती है। और इि चमडेकक थेैैनलयोंको नसलबंद ककया जाता है । नसलबंद चमडेकक थेैैनलयोंकक
जािकारी एक अलग रनजस्टरमे दजण कक जाती है। इसे गाडणस नसग्नेचर बुक कहते है। इसके पश्चात इि
थेैैनलयोंको गाडण के समक्ष कु छ िानमत गाडीयों व्दारा जािेवाली सफरी नतजोंररयों मे डाला जाता है।
ककतिी थैनलया डानल गयी इसके निये गाडण के हस्ताक्षर गाडण नसग्नेचर बुक मे नलये जाते है।गाडण व्दारा
यह सफरी नतजौररयॉ मु्य खंजांची के कायाणलय मे सौपी जाती है।
मु्य खजांची के कायाणलयमे यह नतजौररयॉ खोली जाती है । उसमेसे चमडेकक थैनलया निकाली जाती
है। सभी चमडेकक थेैैनलयॉ खोली जाती है। और यह देखा जाता है कक िगकद प्रेषणा िोट के अिुसार
रािी भेजी गयी है अथवा िही। यह देखिे के पश्चात िगद और िगकद वाउचरों के नलये अनभनस्वकृ ती कद
जाती है। यह अनभनस्वकृ ती देिे के नलये िगकद प्रेषणा िोट पर खजांची के कायाणलय के प्रनतनिनि के साथ
साथ यातायात रोकड साक्षी अथवा वानणज्य रोकड साक्षी के हस्ताक्षर भी होते है। यह अनभनस्वकृ ती
उसी चमडेकक थैनलमे भेजी जाती है नजस के व्दारा स्टेिि मास्टरिे रोकड एवम वाउचसण भेजे थे।
सामान्खयता: यह अनभनस्वकृ ती लाल स्याही से कद जाती है। इस प्रकारसे मु्य खजांची से प्राप्त
अनभनस्वकृ ती स्टेिि व्दारा अपिी ररकाडण कक कॉपी के साथ नचपकाकर रख्री जाती है।
रोकड नवभाग व्दार िगकद प्रेषणा िोट कक एक प्रनतनलपी को यातायात लेखा कायाणलय को भेजकदया
जाता है। इसे भेजते समय सभी वाउचरों को भी यातायात लेखा कायाणलय को भेज कदया जाता है। लेखा
कायाणलय मे इि वाउचरों के आिारपर नवनभन्न सरकारी नवभागों के नलये वाहि नबल तैयार ककये जाते
है। रोकड नवभाग व्दारा कॅ ि चेक निट भी तैयार ककया जाता है। इसके व्दारा सभी स्टेििोंसे प्रात्प कु ल
रोकड का पता चलता है। िगकद प्रेषणा िोट कक प्रनतनलनपयॉ तुलि पत्र अिुभाग को सौपी जाती है।
कु छ िानमत स्टेििोंको अपिी रोकड राष्ट्रीकृ त बैंको मे अथवा स्थानिय राजकोि मे जमा करिेकक
अिुमनत कद जाती है। ऐसे स्टेििो व्दारा बैंक चालाि तैयार ककया जाता है । और इस चालाि के साथ
रोकड बैंको मे जमा कक जाती है। रोकड बैंक मे जमा करते समय चालाि के 3 प्रनतयोंमेसे 2 प्रनतयॉ वापस
नमलती है नजसमेसे एक प्रनतनलपी िगकद प्रेषणा िोट के साथ लगाकर मु्य खजांची को भेजी जाती है।
रोकड नवभाग व्दारा कॅ ि चेक निट तैयार करते समय इन्खहे नभ ध्याि मे नलया जाता है। इस प्रकारसे एक
कदिमे प्राप्त सभी रोकड को कॅ ि बुक मे दजण ककया जाता है। िगद ररजवण बैंक मे जमा कर कद जाती है।
रािी डेनबट पक्ष मे नलनख जाती है। और यह रोकड पुस्तक लेखा अनिकारी के हस्ताक्षर के नलये भेजा
जाता है। लेखा अनिकारी कक यह नजम्मेदारी होती है कक यह सुनिनश्चत करें कक एक कदिमे प्राप्त रािी
रेल्वे के खाते मे बैंक मे जमा हो रही है अथवा िही।
हर वषण 31 माचण को रोकनडयों के पास प्रत्यक्ष रोकड ककतिी है इसकक जॉच भी लेखा अनिकारीयों व्दारा
कक जाती है।
भारनतय रेल्वे लेखा संनहता के पॅरा क्रमांक 1945 के अिुसार रेल्वे के सभी भुगतािों का निध्र निपटारा
करिे कक नजम्मेदारी वेति अिुभाग पर सौपी गयी है। यह अिुभाग लेखा नवभाग के अनिि कायण करता
है। रेल्वे के दावों का निपटारा करिे के नलये सामान्खयता: प्रत्येक मंडल पर एक मंडल वेति खंजांची कक
नियुनि कक गयी है।
कॅ ि ऑडणर क्रमांक 7 को तैयार करिा अथवा पास ककये गये नबल का सार तैयार करिा - पैरा क्रमांक
1107 ए 1 -
जो नबल लेखा कायाणलय व्दारा आंतररक जॉच के दौराि नस्वकार कर नलये जाते है। उिके नलये लेखा
नवभाग व्दारा खंजांची के िामपर एक रोकड आदेि जारी ककया जाता है। उसें नस. ओ. 7 कहते है। अथवा
पास ककये गये नबलोंका सार कहते है। इस नस.ओ.7 मे नबल कक संनक्षप्त जािकारी नलनख जाती है। एवम
भुगताि कक रािी तथा भुगताि ककसे और कै से करिा है इस संबंिमे जािकारी नलनख जाती है।
नबल पास करिे के बाद एवम ििादेि आदी तैयार कर लेिे के बाद यह ििादेि एवम वाउचसण आदी
लेखा कायाणलय व्दारा रोकड कायाणलय को भेज कदये जाते है। रोकडीये कक नजम्मेदारी होती है कक नबलोंमे
नलखे गये जािकारी के अिुसार एवम नस.ओ.7 के अिुसार नबलों का भुगताि करें। इस कायणवाही के नलये
रोकड कायाणलयमे निम्ननलनखत रनजस्टर अिुरनक्षत ककये जाते है।
अभ्यास सं्या 3 सी
लेखा कायाणलय से प्राप्त ििादेिों एवम नबलों कक रािी इस रोकड पुस्तक मे प्राप्ती के तरफ अथवा िामे
कक तरफ नलनख जाती है। इसी तरह ककसी रोकडीये व्दारा जो रािी अदत्त रािी के रुपमे वापस लौटायी
जाती है उसे भी इस रोकड पुस्तक मे िामे कक तरफ नलखा जाता है। मंडल रोकडीये के अनिि कायण करिे
वाले ककसी भी रोकडीये व्दारा जो भुगताि ककया जाता है उसकक रािी इस रोकड पुस्तक मे जमा कक
तरफ दजण कक जाती है । उसी तरह अदत्त रािी जब रेल्वे के बैंक खाते मे जमा कर कद जाती है उस समय
भी इस रोकड पुस्तक मे जमा कक तरफ प्रनवष्टी कक जाती है।
अभ्यास सं्या 4 ए
मंडल खजांची के कायाणलयमे कायणरत प्रत्येक खजांची व्दारा यह रोकड पुस्तक अिुरनक्षत ककया जाता है।
इस रोकड पुस्तक मे मंडल रोकडीये से जो रािी एवम चेक आकद प्राप्त होते है उिकक जािकारी डेनबट
पक्ष मे नलनख जाती है । तथा नजि नबलों के बारे मे भैुगताि ककया गया है उिकक जािकारी जमा पक्ष मे
नलनख जाती है। जब अदत्त रािी बँक मे जमा कक जाती है उसकक प्रनवष्टी भी जमा कक तरफ कक जाती है।
अभ्यास सं्या 4 बी
अदत्त वेति सुची तैयार करिा - पॅरा क्रमांक 1959 तथा 1060 - ए 1
प्रत्येक खजांची व्दारा एक माह के पश्चात सभी भुगताि ककये हुए एवम अदत्त नबल एवम वाउचसण मंडल
खंजांची को वापस लौटािे चाहीये ओैर मंडल खंजांची व्दारा इन्खहे लेखा कायाणलय को लौटािा चाहीये।
सामान्खयत: खंजांची व्दारा कोइ भी नबल अनिकतम एक माह तक अपिे पास रखा जा सकता है । लेखा
अनिकारी व्दारा नविेष अिुमनत के आिारपर यह समह 3 माह तक बढाया जा सकता है। इसके बाद भी
यकद कोई नबल अदत्त रह जाता है तो उसके नलये खजांची व्दारा अदत्त सुची तैयार कक जािी चाहीये।
यह अदत्त वेति सुची 3 प्रनतनलनपयोंमे तैयार कक जाती है। नजसमेसे एक प्रनतनलपी खजांची के कायाणलयमे
कायाणलय प्रनत के रुपमे रख्री जाती है। तथा एक प्रनतनलपी लेखा कायाणलय को भेजी जाती है। और एक
प्रनतनलनप संबंनित कायणकारी अनिकारी के कायाणलय को भेजी जाती है। अदत्त वेति सुनच के आिारपर
रोकडीये व्दारा अपिे रोकड पुस्तक मे प्राप्ती के तरफ प्रनवष्टी करिा चाहीये। और यह रािी बैंक मे जमा
करिी चाहीये। चलाि और अदत्त वेति सुची लेखा कायाणलयमे जमा करिा चाहीये।
अभ्यास सं्या 4 सी
लेखा अनिकारी व्दारा रोकड एवम वेति कायाणलय का निररक्षण - पॅरा क्रमांक 1903 और 1920 - ए1
1) रेल्वे व्दारा वसुली गयी रािी रेल्वे के खाते मे जमा करिा एवम रे ल्वे के प्रनत भुगताि के नलये लेखा
कायाणलय व्दारा पारीत ककये गये दावोंका भुैूगताि करिा यह रोकड एवम वेति नवभाग का प्रमुख
कतणव्य होता है। अपिे दैिंकदि कायण के नलये इस नवभागके अनिकारी एवम कमणचारी उप मु्य नवत्त
संलाहकार एवम मु्य लेखा अनिकारी के अनिि कायण करते है। उपमु्य नवत्त सलाहकार एवम
मु्य लेखा अनिकारी ( रोकड एवम वेति) के अनिि मु्य खजांची एवम सहायक मु्य खजांची
कायण करते है। वेैैसेही सभी मंडलोंपर कायण करिे वाले मंडल खंजांची भी इसी अनिकारी के
प्रिासनिक नियंत्रण मे कायण करते है। नवत्त सलाहकार एवम मु्य लेखा अनिकारी व्दारा इिके
कामकाज के नियम बिाये जाते है। लेखा अनिकारी व्दारा रोकड एवम वेति कायाणलय का समय
समय पर निररक्षण करिे के नलये निम्ननलनखत नियम बिाये गये है।
2) रोकड एवम वेति नवभाग के सभी कमणचारीयो व्दारा रोकड के आदाि प्रदाि के संबंि मे होिे वाले
व्यवहारों कक आंतररक जॉच करिा
3) लेखा अनिकारी व्दारा यह भी देखिा चाहीये कक रोकड एवम वेति नवभाग का प्रबंिि रिक प्रकारसे
चल रहा है एवम रोकड एवम वेति अिुभाग मे रोकड कक सुरक्षा के नलये पयाणप्त व्यवस्था है।
4) लेखा अनिकारी व्दारा नबिा ककसी सुचिा के यह जॉच करिा चाहीये कक वेति एवम रोकड नवभाग
मे उपलब्द वाउचसण एवम रोकड का िेष आकद एक दुसरे से नमलते है अथवा िही ।
अनभयांत्रीकी नवभाग व्दारा भी रोकड कक नतजौररयों कक पयाणप्त सुरक्षा के बारे मे समय समय पर
निररक्षण ककया जािा चाहीये ।
नवत्त सलाहकार एवम मु्य लेखा अनिकारी (का.भ.या.) कक यह भी नजम्मेदारी होती है कक समय
समय पर निररक्षण करे और यह देखें कक रोकड एवम वेति नवभाग मे अपिायी गयी कायणप्रणाली लेखा
संनहता मे कदये गये नियमों के अिुसार चल रही है अथवा िही । वैसेही नविेष पररनस्थतीयो मे बिाये
गये नियमोंका पालि ककया जा रहा है अथवा िही।
The cash and pay department is headed by Dy F.A.&C.A.O. (cash and pay). The
banking of all cash received by the railway and the disbursement of all payments
on behalf of the railway are mainly the responsibilities of the cash and pay
department. On the divisions there are divisional cashiers who functions in the
same way as, and subordinate to the Dy. FA & CAO (cash and pay).
The Dy. FA & CAO (cash and pay) and his staff work under the
administrative control of FA & CAO. The detailed rules of procedure for the
internal check and inspection of cash and pay work subject to the general rules
regarding cash, cheques, vouchers, disposal of pay and allowance and
witnessing of the payments are laid down in the Indian Railway codes.
The Cash Department is responsible for collection and accountal of cash. The
responsibility mainly rests with Dy FA & CAO (Cash and Pay) and Asstt. Chief
Cashier Jhansi.
In the cash Office the travelling cash safes are opened and the cash bags are
taken out from the cash safe. Each cash bag is opened and it is ensured that
cash & cash vouchers are in accordance with the Cash Remittance note.
Subsequently the acknowledgement is given for the cash and cash vouchers.
Both the foils of CR Notes are sealed and signed with date . The cash
Remittance note is acknowledged by the chief cashier as well as the cash
witness who is one of the representative of commercial / operating department.
This acknowledgement is sent to concerned station in the same cash bag in
which remittance of cash and cash vouchers were forwarded to the chief
Cashier. Usually, this acknowledgement is done in Red Ink. The
acknowledgement received from chief Cashier i.e. (Third Foil) is pasted on the
record copy of the cash remittance note available at concerned Station. One
copy of the CR note is sent to the Traffic accounts office by Cash office along
with the vouchers and Traffic cash check sheet. In the accounts office the
vouchers are handed over to the respective section for preparation of carriage
bills and cash remittance notes are made available to the Balance Sheet
section for posting in the Cash and vouchers register.
The cash book and all the vouchers are submitted to the Accounts
officer concerned daily for his check. It is the responsibility of Accounts
officer to ensure that daily collections are duly and promptly remitted into the
Treasuries or Bank. The Accounts officers shall also be responsible for verifying
the cash balances by actual count on 31st March every year. Besides this
monthly surprise checks should also be conducted.
To ensure expeditious payment of claims the railway is divided into pay districts,
the location of which should be fixed by FA&CAO. Each division is provided with
Preparation of Abstract of Bills passed for payment (C07) (Para 1107 AI)
The bills admitted in the internal check are passed for payment by the
Accounts officer every day. Such bills are passed for payment either in cash or
by cheque which are posted in an abstract passed for payment commonly
known as C07.
The abstract should give full particulars of every bill i.e. the amount for
which it is passed, deductions made, net amount payable, the name of the
party concerned and the mode of payment .
After the bills are passed for payment and cheques are prepared by
the Accounts office these are sent to Divisional cashier or Divisional pay
Master, for arranging the payment to the party concerned. To record these
transactions, the following books are maintained in the Divisional Pay Master’s
office.
The amount of cheques and bills received from the A/Cs office will be
shown on the receipt side of this book (debit side ). In the same manner the
unpaid amount received back from the Cashier is also recorded on the receipt
side. Whenever the distribution of amount and cheques is arranged to the
cashier working under Divisional Cashier such items will be recorded on the
payment side of the Cash Book. When the unpaid amount is deposited in the
bank , this item will also be shown on payment side (Cr. Side).
Each Cashier maintains a cash book which will show the details of
receipt and disbursement of Cash and cheques. The receipt side is posted
with the amount of cash and cheques received from Divisional Cashier.
Payment side is posted as and when the actual payment is arranged. The
amount of unpaid bills returned back to Divisional Cashier will also be shown on
the credit side of the cash book. This cash book is to be checked by the
Accounts officer with the relevant voucher.
INSPECTION OF CASH AND PAY OFFICES (Para 1903 & 1920 AI)
The banking of all cash received and timely disbursement of all duly
authorized payment of the Railway Administration is the main function of cash
and pay dept. For day-to-day functioning, the officer of this dept. are under the
control of Dy.FA & CAO (Cash and Pay) who is in turn under the Administrative
control of FA&CAO (WST). The Dy.FA & CAO(Cash and Pay) is assisted by
Assistant Chief Cashier and Divisional Cashiers or Divisional Pay Masters.
FA&CAO (WST) prescribes the rules for the conduct of the business to be dealt
with Cash and pay office from time-to-time. For the inspection of this offices
following rules have been provided.
1) Internal check of the Accounts of the money passing through the hands of
cashier and other officials of cash and pay officers.
2) A continuous review of the arrangement existing in cash and pay offices for
expeditious disposal of money, safe custody thereof and prompt & correct
disposal of un-disbursed balances.
3) Adequate reconciliation preferably without any previous notice verifying the
cash balances in the Account outstanding against the custodian of their
balances.
4) The periodical inspection by Engineering department of the strong room and
other structural parts of the cash and pay offices buildings to ensure safety of
the cash.
मसौदा लेखि
अभ्यास सं्या 1 ए एवम 1 बी
कायाालयों मे काम करते समय आम तौरपर निम्ननलनखत प्रत्र लेखि करिे कक आवश्यकता पडती है। कू छ
महत्वपूणा पत्रोंके प्रकार निम्ननलनखत है।
1) साधारण पत्र
2) अधा िासककय पत्र
3) गोंपनिय पत्र
4) अनत गोपनिय पत्र
5) स्मरण पत्र
6) ग्यापि
7) सुचिा
8) प्रसारण पत्र
9) तार
10) वतामाि पत्रोंक ेे नलये जारी पत्र
11) टटप्पणी
12) प्रसारीत पत्र
13) निजी कं पनियोंको पत्र
ZRTI/BSL
14) पत्रोंपर नलखे गये नविेष कथि
15) वायरलेस मसेज
नमिटस
1)कायाालय टटप्पणी
2)अिूभाग कायाादेि
3)प्रकिया कायाादेि अथवा कायाप्रणाली कायाादेि
अभ्यास सं्या 2
क्षेत्रीय रे ल प्रनिक्षण संस्थाि भुसावल लेखा संकाय
233
युनिट मोड्युल सन्ख्या 13
मसौदा लेखि
साधारण पत्र -
सभी कायाालयों मे आमतौर पर इनन्खह प्रकारके पत्रों का प्रयोग ककया जाता है। साधारण प्रकारके पत्राचार
के नलये सामान्खयत: इसी प्रकारके पत्र नलखे जाते है। एसे पत्रों मे मु्य रुपसे निम्ननलनखत बाते होिा
आवश्यक होता है।
1) पत्र का निषाक
2) पत्र का िमांक एवम नतथी
3) पत्र भेजिे वाले का पदिाम
4) पत्र नजसे भेजा जा रहा है उस अनधकारी का पदिाम
5) अनभवादि
6) नवषय
7) संदभा
8) मु्य मसौदा
9) भेजिे वाले का हस्ताक्षर एवम पदिाम
संलग्न
अभ्यास सं्या 3
गोपनिय पत्र -
यह साधारण पत्र के तरह ही नलखे जाते है लेककि इसमे जो नववरण नलखा जाता है वह अत्यंत गोपनिय
होता है । एवम प्रिासि चाहता है की इसे आम आदमी से गूप्त रखा जाये इसनलये इस पत्र पर सबसे उपर
गोपनिय पत्र यह िब्द नलखे जाते है और ऐसे पत्र बंद नलफाफे मे भेजे जाते है। नजस नलफाफे मे यह पत्र
रखे जाते है उि नलफाफें के उपर भी गोपनिय पत्र ऐसे िब्द नलखिा आवश्यक होता है। प्रिासनिक
अनधकारीयों के साथ काम करिे वाले गोपनिय सहायकों व्दारा एसे पत्रो पर कायावाही कक जाती है।
ऐसे पत्रों को नलखिे के नलये अलग से फाईले अिुरनक्षत कक जाती है। इिको आम लोंगो से दुर रखा जाता
है। क्योंकी इसमे अत्यंत गोपनिय मामलोंके संबेधमे पत्राचार होता है। इि फाईलों पर नसिे ट एसे िब्द
नलखे जाते है। इि पत्रोंपर भी नसिे ट एसे िब्द नलखे जाते है।इन्खहे भेजते समय बंद नलफाफें मे नसल बंद
करके भेजे जाते है। एंेेेंसे पत्रोंको रनजस्टर पोस्ट व्दारा भेजा जाता है। और रनजस्टर कक पावती फाईलमे
लगाकर रखी जाती है ताकी यह नसध्द हो सके कक पत्र ककसिे नस्वकार ककया था। सामान्खय तौर पर ऐसे
पत्रोंको स्मरण पत्र िही नलखिे चाहीये।
प्रसारीत पत्र -
जब मु्यालय द्वारा सारे मंडलों को कू छ नविेष सूचिा प्रसाटरत करिा आवश्यक समझा जाता है तब
क्षेत्रीय रेलवे के मु्यालय द्वारा अथवा मंडल प्रबंधक द्वारा ऐसे पत्रों को जारी ककया जाता है । सामान्खयत:
ZRTI/BSL
ऐसे पत्र कम्पप्यूटर द्वारा मुनित होते हैं अथवा स्टेंनसल कटटंग द्वारा टाइपराइटर पर तैयार करके
सायक्लोस्टायल मिीि पर छपवा कर भेजे जाते हैं । ऐसे प्रसाटरत पत्रों पर सरक्यूलर िंबर एवं तारीख
होिा आवश्यक होता है ।
सूचिा -
जब रेलवे के कमाचाटरयों को कायाालय के प्रमुख द्वारा कोई जािकारी देिी होती है तब इस प्रकार के
साधि का उपयोग ककया जाता है । रेल कमाचाटरयों की जािकारी हेतु रेल -राजपत्र में भी सूचिा जारी
की जा सकती है । सूचिा दो प्रकार की होती है - 1. िोटटस बोडा पर जारी की जािे वाली सूचिा ।
2. रेलवे राजपत्र में जारी की जािे वाली सूचिा ।
ऐसे पत्र साधारण पत्र की तरह ही होते हैं । के वल ऐसे पत्रों में नजस संस्थापि को पत्र नलखिा होता है
उस संस्थापि के िाम के सामिे मेससा यह िब्द नलखे जाते हैं और पत्र समाप्त होिे पर हस्ताक्षर करिे से
पहले आपका भवदीय ऐसे िब्द नलखे जाते हैं उसके पश्चात नलखिे वाला अनधकारी अपिा हस्ताक्षर
करता है और हस्ताक्षर के िीचे अपिा िाम एवं पदिाम नलखता है ।
क्षेत्रीय रे ल प्रनिक्षण संस्थाि भुसावल लेखा संकाय
235
युनिट मोड्युल सन्ख्या 13
मसौदा लेखि
जब ककसी नवनिष्ट कायाालय के ककसी एक नवनिष्ट अिुभाग में लागू करिे के नलए कोई आदेि जारी ककया
जाता है नजसके अंतगात उस कायाालय में ककए जािे वाले काया प्रणाली में कोई मामूली बदलाव लागू
ककया जाता है ऐसे समय कायाालय अिुभाग काया आदेि जारी ककया जाता है । इि अिुभाग आदेिों पर
अिुभाग अनधकारी के हस्ताक्षर होते हैं । इसमें कायाालय का पता होिे की कोई आवश्यक्ता िहीं होती है
। जारी करिे वाले अिुभाग अनधकारी के हस्ताक्षर इस अिुभाग आदेि पर होते हैं ।
जब कोई िई काया-प्रणाली ककसी कायाालय में अथवा ककसी नवभाग में अथवा ककसी नवभाग के ककसी
नविेष िाखा में अथवा ककसी कायाालय में लागू करिा आवश्यक समझा जाता है तब नवभागाध्यक्ष अथवा
कायाालय प्रमुख द्वारा इस प्रकार के आदेि जारी ककए जाते हैं । ऐसे आदेि साधारणतया िई िीनत का
निमााण अथवा अवलंबि करते समय जारी ककए जाते हैं । ऐसे आदेिों पर नवभागाध्यक्ष के हस्ताक्षर होते
हैं जब एक से अनधक नवभाग के अध्यक्षों द्वारा ऐसे आदेि जारी ककए जाते हैं तो उन्खहें संयुक्त कायाप्रणाली
काया आदेि कहते हैं । इि पर कायाप्रणाली काया आदेि सं्या ------ ------------ वषा के नलए
यह िब्द होिे आवश्यक होते हैं , क्योंकक इसके आधार पर इस कायाप्रणाली काया आदेि का संदभा कदया
जा सकता है ।
अभ्यास सं्या 04 ए
ZRTI/BSL
नवत्त अिुभाग द्वारा वटरष्ठ मंडल लेखा अनधकारी के नलए निनवदा पत्रों की जााँच करते समय पाई गई
त्रुटटयों को दिाािे हेतु एक कायाालय टटप्पणी नलनखए ।
कायाालय टटप्पणी
मध्य रेल वटरष्ठ मंडल नवत्त प्रबंधक
का कायाालय , भेुेंसावल ।
सं्या: व.म.ले.अ./नवत्त/221/45
नतनथ: 01/05/2003
*****
भुसावल मंडल के अनभयांनत्रकी नवभाग द्वारा नगट्टी की आपूर्त्त्ता के नलए बुलाए गए निनवदा जााँच करिे
हेतु इस कायाालय में प्राप्त हुए हैं । इि निनवदा फामों की जााँच करते समय निम्ननलनखत आपनत्तयााँ ध्याि
में आई है -
निनवदा की कु ल लागत निकालते समय संबंनधत नवभाग द्वारा इस बात की तरफ ध्याि िहीं कदया गया
है कक प्रथम तथा नद्वतीय िमांक पर न्खयूितम दर देिे वाले ठे के दारों िे यह िता रखी है कक उिके दरों में
स्थािीय करों को िानमल िहीं ककया गया है । यकद स्थािीय कर िानमल ककए जाते हैं तो इिकी पोनजिि
बदल सकती है ।
प्रथम स्थाि पर आिे वाले निनवदाकताा िे अपिे नपछले अिुभव के नलए कोई प्रमाण-पत्र िहीं जोड़े हैं जो
की एक आवश्यक िता है । कायाकारी अनधकारी से यह निवेदि ककया जा सकता है कक निनवदा कमेटी की
मीटटंग के पहले ऐसे प्रमाण-पत्र प्रस्तुत करिे के नलए निनवदाकताा को कहा जाये ।
उपरोक्त ककसी भी निनवदाकताा द्वारा निनवदा के साथ नगट्टी के िमूिे िहीं भेजे गए हैं । नजसका कारण
कायाकारी अनधकारी को पूछा जा सकता है ।
चौथे और पॉचवें िमांक पर जो ठे केदार आये हैं ऐसे ठे केदारों द्वारा निनवदा फामा के साथ बयािा रानि
जमा िहीं की गई है इसनलए उिकी निनवदा फामा िामंजूर की जा सकती है ।
ZRTI/BSL
यकद सहमत हों तो कायाकारी अनधकारी को टेंडर कमेटी की मीᅠटटंग के पहले उपरोक्त स्पष्टीकरण मााँगा
जा सकता है ।
आदेिाथा प्रस्तुत ।
लेखा सहायक (नवत्त अिुभाग )
अभ्यास सं्या : 04 बी
ZRTI/BSL
ऐसे समय मंडल लेखा कायाालय द्वारा पत्र का मसौदा फाईल में बिाकर ऐसी फाईल मु्यालय को
भेजी जाती है और मु्यालय द्वारा उस नवषय का सारा पत्राचार उसी फाईल में देखकर उनचत
जबाव बिाया जा सकता है ।
ऐसी फाइलों के नलए हर अिुभाग के नलए नवनिष्ट िंबर अिुरनक्षत कर कदए जाते हैं । एक फाईल समाप्त
होिे के बाद दूसरी फाईल िुरू करते समय इि आरनक्षत िंबरों मेᅠ से अगले िंबर की फाईल संबंनधत
अिुभाग द्वारा प्रारंभ की जाती है के वल फाईल िमांक देखकर ककस अिुभाग का पत्राचार होगा यह
दिााया जा सकता है ।
अभ्यास सं्या : 04 सी
वटरष्ठ मंडल लेखा अनधकारी की ओर से वटरष्ठ कार्त्माक अनधकारी को पत्र नलनखए नजसमें इस बात की
तरफ ध्यािाकषाण कीनजए की नियनमत वेति-पत्र भेजिे में होिे वाले नवलंब को ककस प्रकार दूर ककया
जा सकता है ।
सं्या: व.म.नव.प्र./नव.एस.एल./सं./42
नतनथ : 14/02/2003
**** *
नियनमत वेति-पत्रकों की आंतटरक जााँच करते समय प्राय: यह देखा गया है कक भसावल मंडल के अिेक
यूिीटों द्वारा नियमीत वेति-पत्रक समय पर लेखा कायाालय में िहीं भेजे जाते हैं । ऐसे कायाालयों की एक
सूची नपछले छ: माह में उिके द्वारा नियनमत वेति पत्रक ककतिे नवलंब से भेजे गए हैं उिकी नतनथयों
सनहत इस पत्र के साथ संलग्न की जा रही है । इस सूची से यह स्पष्ट होता है कक अनभयांनत्रकी नवभाग के
तथा वानणज्य नवभाग के वेति पत्रक लेखा कायाालय में नबलंब से प्राप्त होते हैं ।
नियनमत वेति पत्रक नवलंब से प्राप्त होिे के कारण लेखा नवभाग द्वारा ऐसे वेति पत्रकों की पयााप्त
आंतटरक जााँच करिा असंभव होता है नजस कारण से कमाचटरयोको अनतटरक्त वेति देिे की संभाविा
का इंकार िहीं ककया जा सकता, जो कक आंतटरक जााँच के मूल प्रावधाि के नवरुद्ध है । कमाचाटरयों को
निनश्चत नतनथ पर नियᅠनमत वेति का भुगताि करिा अनिवाया होता है इसनलए सही समय पर वेति-
ZRTI/BSL
पत्रक लेखा कायाालय में प्राप्त होिा चानहए ।
अत: आपसे अिुग्रह है कक इस संबंध में कायारत कमाचाटरयों को उनचत निदेि कदए जाएं और वेति-पत्रक
लेखा कायाालय में नियत नतनथयों पर भेजिे की व्यवस्था करें।
अभ्यास सं्या : 04 डी
वटरष्ठ मंडल नवत्त प्रबंधक की ओर से वटरष्ठ मंडल कार्त्माक अनधकारी को लेखा पटरक्षा टरपोटा भाग - 01
के निपटारे हेतु अधािासकीय पत्र नलनखए -
श्री एस.एस.िमाा
वटरष्ठ मंडल नवत्त प्रबंधक
भुसावल । वटरष्ठ मंडल नवत्त प्रबंधक
भुसावल का कायाालय ।
मध्य रेल
सं्या: व.म.नव.प्र./नव.एस.एल./442
नतनथ: 14/02/2003
ZRTI/BSL
आपसे प्राप्त होिे वाले पत्र की प्रतीक्षा में ।
आपका भवदीय
(एस.एस.िमाा)
संलग्न : 01
श्री ए.के .दीनक्षत
वटरष्ठ मंडल कार्त्माक अनधकारी
भुसावल ।
अभ्यास सं्या : 04 ई
नवत्त सलाहकार एवं मु्य लेखा अनधकारी की ओर से सभी मंडल रेल प्रबंधकों को एक अद्धािासकीय पत्र
नलनखए नजसमें बाहरी व्यनक्तयों से प्राप्त नबलों के बकाया के संबंध में चेताविी दीनजए ।
श्री वी.भी.पाटटल
नवत्त सलाहकार एवं मु्य लेखा अनधकारी
छत्रपनत निवाजी टर्त्मािस मुंबई ।
मेरे नप्रय
देिमुख/िमाा/वमाा/देसाई .
ZRTI/BSL
प्राप्य नबलों के बकाया का निपटारा करिे के नलए सभी मंडलों द्वारा हर समय नविेष कदम उठाए जािे
की आवश्यक्ता है ।
इस मामले में की गई कायावाही की जािकारी मुझे तुरंत देिे की व्यवस्था करें ।
आपका भवदीय
(वी.भी.पाटटल)
श्री देिमुख
श्री िमाा
श्री वमाा
श्री देसाई
सभी मंडल रेल प्रबंधक ।
The following are some of the important letters or communications dealt with in
the office: -
However the following forms are used for internal correspondence within the
office: -
1) Office Note.
2) Sectional office orders.
3) Procedural office orders.
ZRTI/BSL
Lesson No. 2
ORDINARY LETTER
These are the most common forms used for all formal communications between
any two parties. The following are essential contents of any ordinary letter.
1) Letter head
2) No and date of communication
3) Name of the issuing office
4) Designation of the addressee
5) Salutation.
6) Subject.
7) Reference.
8) Main text of the letter.
9) Signature and Designation of the sender.
10) Enclosure.
One officer writes these letters to another officer at the same level or in equal
status or higher status also. This communication is also in the personal capacity
of the sender. Such letters are written to draw the attention of the officer
concerned about abnormal delay or calling of urgent information. Such letters
have some personal touch in them and should be started with “ My dear” or
“Dear Shri” as per the level of the corresponding officer. D.O. Letters should be
written in first person only.
CONFIDENTIAL LETTER
These are just like ordinary letters, but contains the matters, which are
confidential in nature. These letters are marked as “Confidential” on top of the
envelope. The cover containing these letters should be handed over to despatch
section and are issued from confidential files maintained in confidential section or
by confidential assistants.
These letters are issued from the files separately maintained by the officer
ZRTI/BSL
concerned or by confidential section. Absolute secrecy is maintained regarding
such letters. These are to be marked as “Secret” or “Top secret” as the case
may be. After closing the cover it will be despatched either by register post or by
railway dak acknowledgement due or otherwise. If a reply is not received for a
letter within a fortnight or a particular period a reminder is to be issued which may
be on a printed reminder form. If a reply in not received despite a reminder a
special reminder or D.O. reminder may be issued bringing out importance of the
case. Generally reminders stereo type in nature should be avoided.
CIRCULAR LETTERS
NOTIFICATION
When a matter of importance and is in interest of not only the railway staff but
general public at large Notices are issued and pasted on Station Notice Board
and office notice board. It is also necessary to publish the notices in approved
newspapers.
The letters to the private bodies will be in official form like an ordinary letter with
following exceptions.
The sectional office order is issued for the section branches or the offices in
connection with the staff changes, other minor changes in the day to day working
of the office. These are to be signed by the section officer or by the branch
officer. These are also issued like a letter but do not have any office address the
officer signing the order signs these under his own signature. Such S.O.O.’s are
issued under a memo.
ZRTI/BSL
PROCEDURAL OFFICE ORDERS (P.O.O.)
The P.O.O. is issued when the existing procedure is to be changed which may
effect working of one or more sections, branches or offices. These are also
issued when a new policy is to be adopted or given effect. These are signed
under the designation of the H.O.D. These will also appear in the form of an
ordinary letter but do not have any office address. This will have an
endorsement as “P.O.O. Number ------“ for the year. These are also issued under
memo.
Write a office note from Finance section to Sr.DAO bringing out the
discrepancies noticed during the check of Tender.
Date. 01/05/2001.
1) The lowest and the second lowest tenderers have quoted there rate with
stipulation that local taxes will be extra which has not been taken into
consideration while working out the total cost of the offer. This will lead to
change in the inter-se position.
2) The credentials of the lowest tenderers have not been submitted along with
ZRTI/BSL
the offer, which are necessary for consideration of their offer. Executive will
be asked to submit the before fixing the date of Tender committee meeting.
3) None of the tenderers have submitted samples along with the tenders, the
reason for the same will be asked for from the Executive.
4) Third and the Forth lowest have not submitted Earnest money along with their
offer, hence their tenders should be summarily rejected and remark to the
effect should be given on the comparative statement
If agreed to, Executive will be asked to clarify the above before the
tender is admitted for internal check.
A.A (FX)
S.O.(FX)
D.A.O
SR.D.A.O.
ZONAL RAILWAY TRAINING INSTITUTE, BHUSAWAL
ACCOUNTS FACULTY
198
UNIT MODULE NO. 13
DRAFTING
Lesson No. 4(b)
Under this system the correspondence between two branches of the two offices
will be avoided. There will be only one file for one subject separately allotted to
be dealt with by one branch. Instead of opening several files by different
branches, only one file will be opened for one subject.
Under this system, ideas are exchanged and information, opinions, decisions and
orders are given through file noting. The files are being sent along with the notes
as and when necessary. This will eliminate writing of letter from one branch to
another or at least there will be reduction in number of correspondence.
This system has been introduced in Accounts department with effect from
March’69. The salient features of the working of this system are as under.
1) Each file is in two parts, one part being for noting and the other part for
correspondence.
2) Page numbering on the correspondence and noting is processed from bottom
to top.
3) All correspondence will be in the offices of the Accounts department located
at the same place or Division will be carried out by means of noting side of
ZRTI/BSL
the file.
4) Inter sectional correspondence will be avoided.
5) In case of Divisional Accounts office or unit office if they have to issue a letter
to other HOD of Administrative level, the draft of the letter with a self
contained note is submitted with the connected file to the concerned Deputy
for the issue of letter under his or under the signature of FA&CAO. If the old
files are closed and new files are opened, then reference of previous file
should be given and dealing should be separated.
6) The numbers are allotted in block to each section. The allotment of the
numbers to the sub-section is done within the block itself. If any file or a case
is to be opened, the new file number will be within the allotted number of the
files. A register will be maintained to record the file number and subject to be
dealt with by each branch/section and the section will be responsible for
dealing of the subject allotted.
Under this system, In case investigation is necessary before a reply can be given
to a note, the receiving branch will retain a spare copy of the note and the file will
be returned to the original branch.
Sr.DPO/BSL.
Reference: -
Lately it is observed that the Regular pay sheets are being submitted late to this
office for internal check. A list indicating the date of receipt and the date of
submission as per schedule is enclosed here with. It will be very clear from the
list that there is inordinate delay in submission of pay sheet particularly in case of
pay sheet preparing units listed at serial numbers 41, 61, 64, 102.
ZRTI/BSL
internal check. This could lead in overpayment to the employees and defeat the
very purpose of pre-check. Your office may be aware the pay sheets are required
to be passed on to pay office for arranging payment in time after they are passed
for payment.
It is therefore requested that the machinery at your end may be tightened so that
in future, the target dates fixed for submission of pay sheets are strictly adhered
to.
The line of action taken in this matter may kindly be intimated to this office.
Enclosures: -
SR.D.A.O./ BSL
S.S.SHARMA
Sr.D.A.O./BSL
My dear Dixit,
***
I am enclosing herewith a list showing the year wise position of part I Audit
Inspection reports. From the list you will find that the oldest report pertains to the
year 1987 which is still outstanding.
I need not emphasis the importance of expeditious clearance of all Audit
objections. Audit Department is constantly reminding me for quick disposal of
ZRTI/BSL
outstanding Audit Inspection Reports. Having gone through Audit Officers
reference I have concluded that most of the Reports are outstanding for want of
final replies to 0ne or two paras. I would, therefore suggest that we hold a
tripartite meeting for clearance of all such outstanding Audit Inspection Reports.
May I, therefore, request you to suggest a convenient date for the above
purpose, so that Audit Officer may will also be requested to attend the meeting.
As regards the other outstanding Audit references, I suggest that senior
supervisor of your department may be asked to contact his counterpart in my
office and finalize the replies so that substantial clearance is achieved.
I would also like to bring to your notice that the outstanding position of
Audit Reports is highlighted in the monthly and periodical reports being submitted
to FA&CAO and other higher officials.
Your reply by return will be appreciated.
Yours Sincerely,
(S.S.SHARMA)
Shri. A.K.DIXIT
Sr.DPO/BSL.
B.V.PATIL
FA&CAO/CSTM
Central Railway FA&CAO’s office
CSTM.
No.AC/XBR/1303/89
Date. 30/04/2001
Reference: -
***
I am enclosing herewith the position of outstanding bills to be
recovered from outsiders as on 31/12/2000 in respect of various divisions. It may
be seen from the position brought out that the total outstanding as on 1/4/2000
was to the tune of Rs.4.79 crores where as the same has increased to
Rs.6.84crores as on 31/12/2000.
There is appreciable clearance of outstanding as far as BSL and JBP
division, it will be necessary for all other divisions to initiate action for early
ZRTI/BSL
realization of the outstanding.
I would request you to pay special attention to the clearance of these
dues in order to bring down the outstanding.
I am also enclosing a statement showing service wise details of dues
to be recovered which will indicate the areas where the outstanding are
substantial.
Action taken in this regard may be kindly intimated to me.
Yours sincerely,
(B.V.PATIL)
Shri. B.K.DESHMUKH.
DRM/BSL.
01. भाित के नियांत्रक एिां महालेखा पिीक्षक सिकाि के सभी लेखों का लेखा पिीक्षण कििे के नलए
अनिकािी मािे जाते हैं । सांिनिाि की िािा 149 से 151 में दिए गए प्राििािों के अिुसाि भाित
के नियांत्रक एिां महालेखा पिीक्षक एक अनतनिनिनि अनिकािी होते हैं । इिके मु्य कर्त्तव्य
निम्ननलनखत होते हैं -
02. भाित के समेदकत निनि से होिे िाले सभी व्यय के व्यिहािों के नलए अिुिनक्षत लेखों का लेखा
पिीक्षण कििा एिां यह िेखिा की नजस कायत के नलए सांसि िे पैसा खर्त कििे के नलए मांजूिी िी
थी िह पैसा उसी कायत पि सिकाि द्वािा खर्त दकया गया है अथिा िहीं ।
03. भाित की आकनस्मक निनि से होिे िाले व्यय का लेखा पिीक्षण कििा ।
सांबांनित निभागों द्वािा अिुिनक्षत दकए गए उत्पािि खाते तथा लाभ एिां हानि खातों का तथा तुलि
पत्रों का लेखा पिीक्षण कििा तथा उसके सांबांि में एक निस्तृत रिपोटत तैयाि कििा यह रिपोटत तैयाि
किते समय भाित के नियांत्रक एिां महालेखा पिीक्षक द्वािा निम्ननलनखत मिों पि ध्याि िेिा आिश्यक
होता है ।
अभ्यास सां्या : 01 सी
01. भाित के नियांत्रक एिां महालेखा पिीक्षक के इस सांबांि में मु्य कर्त्तव्य निम्ननलनखत होते हैं -
02. सिकािी निभाग नजसमें की िाजकोि तथा लेखा निभाग भी िानमल होते हैं इिके द्वािा अिुिनक्षत
दकए गए लेखों का लेखा पिीक्षण कििा ।
भाित के नियांत्रक एिां महालेखा पिीक्षक ऐसे लेखों का लेखा पिीक्षण तथा पुस्तकों का लेखा पिीक्षण
कििे हेतु अपिे प्रनतनिनि को नियुांक्त कि सकता है
इि प्रनतनिनियों द्वािा तथा लेखा पिीक्षकों द्वािा सांबांनित निभागों के अनिकारियों को सांबांनित व्यिहािों
का लेखा पिीक्षण कििे हेतु उनर्त प्रश्न पूछे जा सकते हैं औि इस नििीक्षण के आिाि पि नििीक्षण रिपोटत
तैयाि दकए जा सकते हैं ।
अभ्यास सां्या: 02
01. िेलिे द्वािा अिुिनक्षत लेखों की लेखा पिीक्षा कििे के नलए भाित के नियांत्रक एिां महालेखा पिीक्षक
की नजम्मेिािी भाित के अनतरिक्त उप-नियांत्रक एिां महालेखा पिीक्षक (िेलिे िाखा) इिकी होती
ACC/ZRTI/BSL
क्षेत्रीय िे ल प्रनिक्षण सांस्थाि भुसािल
243
लेखा सांकाय
युनिट मोड्युल सन्ख्या 14
साांनिनिक लेखा परिक्षा
है । इिकी सहायता के नलए लेखा पिीक्षा नििेिक(िेलिे) होते हैं । प्रत्येक क्षेत्रीय िेलिे के मु्यालय
में भी लेखा पिीक्षा नििेिक ,मु्य लेखा पिीक्षा अनिकािी, मांडल लेखा पिीक्षा अनिकािी तथा
लेखा पिीक्षा निभाग का सांगठि कायत किता है । लेखा पिीक्षा निभाग के प्रमुख कर्त्तव्य भाितीय
िेलिे के लेखों का लेखा पिीक्षण किते समय निम्ननलनखत होते हैं -
02. भािती य िेलिे के अनिकारियों द्वािा िी गई ऐसी मांजूरियों का लेखा पिीक्षण नजिका परिणाम
दकसी एक क्षेत्रीय िेलिे के अथिा भाितीय िेलिे के निर्त्ीय व्यिस्था पि होता है ।
03. िाष्ट्रपनत द्वािा जािी दकए गए ऐसे मांजूरियों का लेखा पिीक्षण कििा नजिका परिणाम भाितीय
िेलिे के निर्त्ीय व्यिस्था पि होता है ।
04. निमातण कायत तथा भांडाि की खिीि के सांबांि में बुांलाए गए तथा स्िीकृ त दकए गए निनििाओं का
लेखा पिीक्षण कििा ।
05. िेलिे बोडत के कायातलय में िखे गए लेखों का लेखा पिीक्षण कििा ।
06. िेलिे के लेखा निभाग में आांतरिक जााँर् के नलए अपिाई गई प्रणाली रठक तिह से लागू की
गई है अथिा िहीं यह िेखिा ।
07. आांतरिक जााँर् के नलए जो पद्धनर्त् िेलिे के लेखा निभाग द्वािा अपिाई गई है िह पयातप्त है अथिा
िहीं यह िेखिा ।
यह िेखिा की िेलिे के सभी निर्त्ीय व्यिहािों का लेखा-जोखा बिाबि िखा जा िहा है तथा लेखा निभाग
द्वािा िेलिे के निर्त्ीय नहतों पि पयातप्त ध्याि दिया जा िहा है ।
नििेिक लेखा पिीक्षा उपिोक्त कायों के अलािा इसनलए भी नजम्मेिाि होते हैं दक िेलिे के लेखों का पूणत
रूप से लेखा पिीक्षण होता है तथा िेलिे के लेखा निभाग में तथा निनभन्न कायात लयों में िखे गए रिकॉडत
का समय-समय पि लेखा पिीक्षण कििा यह भी लेखा पिीक्षा निभाग की एक महत्िपूणत नजम्मेिािी
होती है ।
इस नजम्मेिािी के तहत लेखा पिीक्षा निभाग द्वािा िेलिे के सभी आय एिां व्यय के व्यिहािों का लेखा
पिीक्षण दकया जाता है र्ाहे िह व्यिहाि निमात ण निभाग द्वािा दकए गए हों अथिा र्ालू लाईि निभाग
द्वािा अथिा भांडाि खिीिी सांबांिी हो अथिा उत्पािि सांबांिी हो ।
साांनिनिक लेखा पिीक्षा की लागत िेलिे िाजस्ि द्वािा िहि की जाती है औि 345-भाितीय िेलिे िीनत
नििातिण ,नििेिक सांिोिि तथा निनभन्न सांगठि इस लेखा िीर्त में इस व्यय को िजत दकया जाता है ।
01. सामान्खयत: साांनिनिक लेखा पिीक्षा के परिणाम निम्ननलनखत पत्रार्ाि के रूप में लेखा निभाग में
प्राप्त होते हैं -
02. लेखों औि निभागीय कायातलयों तथा स्टेिि रिकॉडत की लेखा-पिीक्षा के िौिाि पाई गई नििेर्
एिां महत्िपूणत तथा गांभीि अनियनमतताओं को सूनर्त कििे हेतु तैयाि दकए गए निनिि रिपोटत ।
03. लेखा कायातलय के रिकॉडत की लेखा पिीक्षा किते समय दिखाई गई छोटी-मोटी अनियनमतताओं
को ििातिे हेतु तैयाि की गई लेखा पिीक्षा रटप्पनणयााँ ।
ACC/ZRTI/BSL
क्षेत्रीय िे ल प्रनिक्षण सांस्थाि भुसािल
244
लेखा सांकाय
युनिट मोड्युल सन्ख्या 14
साांनिनिक लेखा परिक्षा
कायतकािी कायातलयों तथा स्टेििों के प्रािांनभक रिकॉडत की लेखा पिीक्षा किते समय ध्याि में आिे िाली
अनियनमतताओं को ििातिे हेतु तैयाि दकए जािे िाले लेखा पिीक्षा नििीक्षण रिपोटत ।
सभी लेखा पिीक्षा आपनर्त्यााँ, लेखा पिीक्षा रटप्पनणयााँ एिां लेखा पिीक्षा नििीक्षण रिपोटत प्राप्त होते ही
सांबांनित लेखा अनिकािी द्वािा उस पि तुिांत ध्याि िेिा र्ानहए। लेखा पिीक्षा आपनर्त्यााँ या तो ऐसे
मामलों से सांबांनित हो सकती हैं नजन्खहें कायतकािी अनिकािी से नबिा नबर्ाि-निमित दकए निपटाया जा
सकता है अथिा ऐसे मामलों से सांबांनित हो सकती है नजि पि के िल कायतकािी अनिकािी द्वािा ही
कायतिाही की जा सकती है । पहले प्रकाि में लेखा-पिीक्षा निभाग द्वािा उठाई गई आपनर्त्यों का निपटािा
लेखा कायातलय द्वािा दकया जािा र्ानहए । लेदकि िूसिे प्रकाि में लेखा अनिकािी को लेखा पिीक्षा
आपनर्त्यों के निपटािे के नलए कायतकािी अनिकािी से सहायता मााँगिी र्ानहए औि सभी कायतकािी
अनिकारियों को ऐसे मामलों में उन्खहें सहयोग िेिा र्ानहए । लेखा पिीक्षा निभाग द्वािा उठाई गई
आपनर्त्यों पि लेखा-निभाग द्वािा िैसी ही कायतिाही कििी र्ानहए । यदि िह गलती उिके आांतरिक
जााँर् के िौिाि पाई जाती तो जो कायतिाही की अपेक्षा की जाती थी िैसी ही कायतिाही लेखा निभाग
द्वािा इि मामलों में कििा र्ानहए ।
नििीक्षण रिपोटत के िो भाग होते हैं । भाग एक में अनिक महत्िपूणत मामले िानमल होते हैं औि भाग िो
में िेर् छोटे-मोटे मामले िानमल दकए जाते हैं ।
मानसक लेखा पिीक्षा के परिणाम लेखा पिीक्षा रटप्पनणयों में दिखाए जाते हैं । लेखा पिीक्षा रटप्पनणयों
के भी िो भाग होते हैं । भाग एक में अनिक महत्िपूणत मामले होते हैं औि भाग िो में छोटे -मोटे मामलों
को िानमल दकया जाता है ।
लेखा पिीक्षा रटप्पनणयााँ एिां नििीक्षण रिपोटत के भाग क्रमाांक िो का निपटािा लेखा अनिकारियों द्वािा
दकया जा सकता है । नजसके नलए लेखा पिीक्षा अनिकारियों को औपर्ारिक उति भेजिे की आिश्यक्ता
िहीं होती है । लेदकि, इिके बािे में सांबांनित लेखा पिीक्षा अनिकािी को समय-समय पि उनर्त जािकािी
िी जािी र्ानहए ।
नििीक्षण रिपोटत औि लेखा पिीक्षा रटप्पनणयों के भाग एक के निपटािे के नलए जहााँ भी आिश्यक हो
निभागीय अनिकािी की सहायता ली जाती हैं तथा लेखा अनिकारियों द्वािा औि निभागीय अनिकारियों
द्वािा की गई कायतिाही की पूिी जािकािी यथािीघ्र लेखा पिीक्षा निभाग को िेिा अनििायत होता है ।
बकाया लेखा पिीक्षा रटप्पनणयों तथा नििीक्षण रिपोटों के पैिाग्राफ के सांबांि में समीक्षा की जािी र्ानहए
। जब तक की लेखा पिीक्षा निभाग द्वािा उठाई गई आपनर्त् का पूणत रूप से निपटािा िहीं होता है तब
तक सांबांनित रिकॉडत को िि िहीं कििा र्ानहए। इसकी नजम्मेिािी सांबांनित लेखा निभाग की तथा
कायतकािी अनिकािी की होती है।
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लेखा सांकाय
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साांनिनिक लेखा परिक्षा
लेखा निभाग द्वािा कायतकािी अनिकारियों से प्राप्त जबािों की समीक्षा कििी र्ानहए औि यदि िे र्ाहें
तो अनतरिक्त जािकािी मााँगिी र्ानहए । निभागाध्यक्षों की सलाह ली जािी र्ानहए उसके पश्चात ही
लेखा पिीक्षा निभाग को अांनतम जबाि दिया जािा र्ानहए । ऐसे जबाि िेते समय लेखा अनिकािी िे
लेखा पिीक्षा निभाग एिां कायतकािी अनिकािी इि िोिों के बीर् में एक महत्िपूणत कड़ी के बीर् में कायत
कििा र्ानहए तादक अांत में कोई नििाि बाकी ि हो ।
भाित के अनतरिक्त उप-नियांत्रक एिां महालेखा पिीक्षक (िे लिे िाखा) भाितीय िेलिे के लेखों का लेखा
पिीक्षण के सांबांि में अांनतम रिपोटत तैयाि कििे के नलए नजम्मेिाि होते हैं ।
लेखा पिीक्षण के िौिाि ध्याि में आिे िाले सभी महत्िपूणत मामले जहााँ नििेिक लेखा पिीक्षा यह मािते
हैं दक इन्खहें नियांत्रक एिां महालेखा पिीक्षक के अांनतम िेलिे रिपोटत में िानमल कििा आिश्यक होता है ।
ऐसे मामलों के सांबांि में नििेिक लेखा पिीक्षक पहले िेलिे प्रिासि को तथा सांबांनित निभागाध्यक्ष को
एक नििेर् पत्र द्वािा सूनर्त किते हैं । िेलिे प्रिासि द्वािा यह अपेक्षा की जाती है दक ऐसे नििेर् पत्रों
की छािबीि किते हांए सीनमत समय में इि नििेर् पत्रों के जबाि लेखा पिीक्षा निभाग को िेिी र्ानहए
। इन्खहीं नििेर् पत्रों के आिाि पि आगे र्लके लेखा पिीक्षा रिपोटत बि सकता है इसनलए इिका जबाि
िेिा बहत ही महत्िपूणत होता है । यदि इिका जबाि रठक तिह से िहीं दिया जाता है तब लेखा पिीक्षा
नििेिक यह निणतय ले सकता है दक ऐसे मामलों को िेलिे के लेखा पिीक्षा रिपोटत में िामील कििा
र्ानहए ।
लेदकि, ऐसा कििे से पहले लेखा पिीक्षा नििेिक ऐसे मामलों को ड्राफ्ट पैिा के माध्यम से सांबांनित िेलिे
के महाप्रबांिक को सूनर्त किता है नजसकी प्रनतनलनप सांबांनित नि.स.एिां.मू.ले.अ.तथा सांबांनित
निभागध्यक्ष को भी िेता है । नजसे ड्राफ्ट पैिा कहते हैं । ऐसा ड्राफ्ट पैिा प्राप्त होिे के बाि लेखा निभाग
का यह कर्त्तव्य होता है दक सांबांनित मामले की सांपूणत रूप से छािबीि किते हए यदि अनतरिक्त जािकािी
की आिश्यक्ता हो तो सांबांनित कायतकािी अनिकािी से उसे प्राप्त किते हए लेखा पिीक्षा निभाग को
समािाि कििे िाला अांनतम जबाि तैयाि किें । ऐसा जबाि तैयाि कििे के नलए िेल -प्रिासि के पास
के िल आठ सप्ताह का समय होता है ।
01. िेलिे प्रिासि द्वािा ड्राफ्ट पैिा का अांनतम जबाि िेलिे बोडत को भेजते समय िेलिे बोडत की उनर्त
जािकािी हेतु निम्ननलनखत अनतरिक्त जािकािी भेजिी र्ानहए ।
02. सांबांनित मामले का सांपूणत इनतहास तथा सभी पत्रार्ाि की प्रनतनलनपयााँ ।
03. ड्राफट पैिे का िब्ििह उर्त्ि ।
04. मामले का क्रमािुसाि तैयाि दकया गया सािाांि ।
05. ऐसे मामले िुबािा ि हों, इसनलए की गई कायतिाही की जािकािी ।
जहााँ व्यनक्तगत गैि नजम्मेिािी के कािण िुकसाि होता है िहााँ अिुिासिात्मक कायतिाही की जािकािी
।
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साांनिनिक लेखा परिक्षा
भाित के नियांत्रक एिां महालेखा पिीक्षक द्वािा िेलिे के सांबांि में लेखा पिीक्षा रिपोटत बजट सत्र में सांसि
के सामिे प्रस्तुत दकया जाता है । नजसे लोक लेखा सनमनत द्वािा पढ़ा जाता है । लोक लेखा सनमनत द्वािा
इस रिपोटत के अध्ययि के बाि िेलिे प्रिासि को मागतििति हे तु सलाह िी जाती है नजसका पालि िेल
प्रिासि द्वािा भनिष्य के नलए दकया जाता है ।
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लेखा सांकाय
UNIT MODULE NO. 14
STATUTORY AUDIT
STATUTORY AUDIT
Lesson No. 1(a) & (b)
Comptroller and Auditor General of India (C & AG) is the final audit authority in
India. As per article no. 149 to 151 of the Indian constitution, he is responsible for
the audit of the Accounts of the Indian Railways. The main duties of the C & AG
are as under: -
c) To audit all trading, P & L A/Cs and manufacturing A/Cs and balance sheet
together with the subsidiary accounts maintained by the department
concerned and in each case, to report on the expenditures, transactions of all
accounts so audited by him. The C & AG in connection with the performance
of his duties has authority –
Lesson No. 2
Railway Audit
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UNIT MODULE NO. 14
STATUTORY AUDIT
The Director of Audit of a Railway is also responsible for detailed auditing of the
accounts of the Railway and for conducting inspection of records of various
offices of that Railway. Thus his responsibility further extends to audit all
expenditure and receipt of Railway whether under construction or open line
including traffic accounts, accounts of stores and manufacturing stock etc.
The cost of Railway audit is borne by the Railway Revenue and is debited to
minor head “Statutory Audit” including pensionary charges which is operated
under the major head’345’-Indian Railways- Policy formulation, Director
Research and Miscellaneous Organization.
Lesson No. 3
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UNIT MODULE NO. 14
STATUTORY AUDIT
2. Audit Notes detailing minor irregularities noticed during the course of Audit of
Accounts Office records.
The Accounts Officer should promptly attend to all audit objections and notes.
Audit objections may either relate to matters, which can be disposed off by the
Accounts Officer himself without referring to the Executive concerned, or the
matters, which can be well explained by the executives concerned only. The
matters where the executives are not to be consulted, the objections should be
made out directly by the Accounts officer and reply will be given to the Audit
department. In the other cases, the executives should be referred to for obtaining
necessary information in order to give a suitable reply to the Audit department.
An Accounts officer is expected to take generally the same action on the defects
and irregularities brought out to his notice by the Audit department as he could
have taken if he would have detected the same.
The final disposal of Part II of the Audit notes and Inspection reports, whether on
accounts or executive officers rests with the Accounts Officer and no final reply to
the Audit department is necessary. Disposal of such Audit notes and Inspection
reports should, however being made available to the Audit department.
Replies to Part I Inspection reports and Audit notes including specific reports on
the more important irregularities should be sent to the Audit officer as soon as
possible showing clearly the action taken thereon.
A record of specific reports, Audit Notes Part I & II, Inspection reports Part I & II
etc. received from the Audit department should be kept and reviewed periodically
to ensure prompt disposal of all outstanding paras. The collected records on
which objections have been raised should not be destroyed till such time the
objections have been settled.
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Additional Dy.C&AG of India (Rlys.) and the Director of Audit are responsible for
preparation of a report of the C & AG (Rlys.) which also includes the comments
on the appropriation accounts of the Railways compiled by the Ministry of
Railways.
All important cases coming to the notice of the Audit department during the
course of Inspection or regular audit which in the opinion of the Director of Audit
must be included in the reports of the C & AG are ordinarily brought to the notice
of the Railway Administration /Executive concerned through special letters. The
Railway Administration and Executives are expected to promptly scrutinize the
facts brought out therein and sent the replies to the Audit department within the
time prescribed for the purpose. Since, the special letters and relevant
documents etc. forms the basis of the material for the Audit report, the
Executives should deal with them at sufficiently high level and bring out their
point of view in a convincing manner so that the Director of Audit may have full
presentation of the Railways case before he proceeds to prepare a draft para for
incorporation in the Audit report.
The Director of Audit prepares a draft para and sent to the G.M endorsing copies
to the FA & CAO and the head of the department concerned. On receipt of the
Draft para in the Accounts office, it is the responsibility of the Accounts
department to fully examine the objections brought out therein with relevant
records/documents etc. already available with him. If required additional
information should be obtained from the Executives concerned so that a
convincing reply can be prepared and submitted to the Audit department. The
time limit for submission of replies to the Audit department in respect of draft para
is of 8 weeks from the date of receipts in the Accounts office.
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STATUTORY AUDIT
To enable the Railway Board to approve the draft reply prepared by the Railway
Administration, the following additional information should also be sent.
The report of C & AG (Rlys.) including the Draft para is presented to the
Parliament generally in the Budget session where it is taken up for consideration
by the PAC which is a Parliamentary committee itself. The committee examines
this report very critically and the views / recommendations are communicated to
the Railway Ministry. Based on the recommendations, the Railway has to initiate
action on certain points wherever acceptable.
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