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CLG- उत्तराखण्ड पुलिस मिशन का पहला वाक्य ही है "जनता की सहभागिता से...

" सामुदायिक पुलिसिंग का


तात्पर्य है, क्षेत्र के निवासियों के परामर्श से वहां की पुलिस संबंधी समस्याओं का चिन्हीकरण एवं निवारण। यह
परामर्श सामुदायिक संपर्क समूह बनाकर जिनका प्राविधान उत्तराखण्ड पुलिस एक्ट में है, किया जा सकता है।
पुलिस कर्मी अपनी बीट की प्रत्येक सुसंगत सूचना जो पुलिसिंग के लिये आवश्यक हो, को एकत्र करता है,
जैसे बीट का भौगोलिक वर्णन, राजनैतिक विवरण, ग्राम, मौहल्लों के नाम, उनमें रहने वाले प्रमुख व प्रभावशाली
व्यक्तियों के नाम, सामुदायिक संपर्क समूह (CLG) में शामिल व्यक्तियों के नाम व टेलीफोन नम्बर, अपराध या
विवाद होने के कारण व स्थान, पेशेवर अपराधी व उनके ठिकाने, बीट में होने वाले अपराधों के विवरण आदि। बीट
पुलिसकर्मी के कर्त्तव्य बीट पुलिसकर्मी के निम्न कर्त्तव्य होते हैं:-
(1) क्षेत्र की सम्पूर्ण भौगोलिक जानकारी।
(2) क्षेत्र में रहने वाले सम्मानित जन प्रतिनिधियो एंव अन्य ऐसे व्यक्तियो की जानकारी जो जनसेवा मे
क्रियाशील है और क्षेत्र के नागरिकों में प्रभाव रखते है।
(3) क्षेत्र में सामुदायिक सम्पर्क समूहों की स्थापना। ऐसा पूरी बीट के अलावा उन सभी गाँव, मौहल्लो में
किया जाना चाहिए जहाँ विशेष सवेदनशीलता हो, जैसे अधिक अपराध, सामाजिक/धार्मिक विवाद इत्यादि ।
(4) सामुदायिक सम्पर्क समूहों के परामर्श से क्षेत्र की सुरक्षा सम्बन्धी समस्याओ की जानकारी और उनके
निराकरण के उपाय खोजना।
(5) सामुदायिक सम्पर्क समूहों के सदस्यो से लगातार फोन आदि के माध्यम से सम्पर्क तथा क्षेत्र की
गतिविधियों की जानकारी, विशेष रूप से जिनमे शान्ति व्यवस्था व अपराध स्थिति प्रभावित होती हो।
(6) क्षेत्र के पेशेवर अपराधी किस्म के व्यक्तियो के विषय में जानकारी और निगरानी।
(7) क्षेत्र में चलने वाले जुए के अकृों, मादक पदार्थ बेचने, खरीदने वाले व्यक्तियों, अवैध शस्त्रों का
निर्माण/बिक्री करने वालों तथा अपराध सम्भावित क्षेत्रो के सम्बन्ध में जानकारी और उन्हे निष्क्रिय करने के उपाय
ढूढ़ना।
(8) क्षेत्र में साम्प्रदायिक, राजनैतिक तनाव या अन्य शान्ति भंग की सम्भावनायुक्त विवादों आदि के सम्बन्ध
में सूचनाओं का संकलन कर उनके निराकरण के उपाय खोजना ।
(9) क्षेत्र में लगने वाले हाट, मेलों आदि की जानकारी। (10) सूचना के श्रोतो का विकास (मुखबिर)
(11) क्षेत्र के स्कू ल कालेजों, बैंक, मन्दिर-मस्जिद, गुरूद्वारा, चर्च आदि शैक्षणिक, वाणिज्यिक, धार्मिक
स्थलों की जानकारी और वहाँ की सुरक्षा शान्ति के उपाय। अपने क्षेत्र में जनसम्पर्क कै से करें

पुलिस विभाग में पुलिसकर्मी की भूमिका अत्यन्त महत्वपूर्ण होती है। पुलिसकर्मी उच्चाधिकारियों द्वारा
बनाई गई नीतियों एवं कार्यक्रमों को जनता के बीच लागू करवाने में महत्वपूर्ण व्यक्ति होते हैं। जितना जन-सम्पर्क एक
पुलिसकर्मी कर सकता है उतना जन-सम्पर्क एक उच्चाधिकारी नहीं कर पाता है। जन-सम्पर्क साधने में एक
पुलिसकर्मी की कु शलता को निरन्तर अभ्यास से बढ़ाया जा सकता है। इस दिशा में एक पुलिसकर्मी को लगातार
प्रयास करते रहने चाहिए। इससे न के वल पुलिस की कार्यकु शलता बढ़ती है बल्कि जनता में अपराध और
अव्यवस्था का भय कम होता है और पुलिस व्यवस्था पर विश्वास बढ़ता है।
जनसम्पर्क का सबसे बडा साधन तो सामुदायिक सम्पर्क समूह हैं। हल्के में आवश्यकतानुसार एक से अधिक
समूह बनाये जा सकते हैं। इनके सदस्यो से निरन्तर सम्पर्क में रहना व अनौपचारिक संवाद बनाये रखना ज्यादा
उपयोगी है बजाय पूरे समूह की यथा कदा बैठक करने से। इनके अतिरिक्त क्षेत्र के सार्वजनिक इलाकों में कार्यरत
लोगों-दुकानदार, वर्क शापमिस्त्री, हेयरड्रेसर, पोस्टमैन, पटवारी, वनदरोगा, साईबर कै फे , पैट्रोल पम्प अटैन्डेन्ट आदि
के नोटिस में सुरक्षा सम्बन्धित घटनायें व सूचनाए आती रहती है, इसलिए इनसे भी बातचीत करते रहना चाहिए।
वस्तुतः सामाजिक हेलमेल (Social Interaction) एक ऐसा कौशल है जो पुलिस कार्य में बडे काम का है और
जिसका विकास सतत् अभ्यास से किया जा सकता है।
जॉच प्रार्थना पत्र दिनांक 25.08.2023 जॉच पूर्ण उपरान्त मुकदमा दिनांक 15.12.2023 मु0 अ 0 सं0
584/2023 धारा 420/467/468/471 भादवि0 थाना कोतवाली नगर देहरादून।
वादी मुकदमा श्री दीपाकुं र मित्तल द्वारा एक प्रार्थना पत्र प्रेषित किया गया जिस पर कोतवाली नगर मे मुकदमा
पंजीकृ त हुआ है जिसकी विवेचना उ 0 नि0 नवीन चन्द्र द्वारा की जा रही है। जिसमे अब तक की विवेचना से
निम्नलिखित तथ्य प्रकाश मे आये है कि रोहित की मां श्रीमती सुनीता मित्तल की शादी पूर्व व शामली व वर्तमान
सहारनपुर निवासी सुभाष मित्तल से होना प्रकाश मे आया है।
1- रोहित मित्तल व वर्षा मित्तल की शादी का पंजीकरण दिनांक 27.11.2015 को सबरजिस्टार कार्यालय
देहरादून मे पंजीकृ त हुआ है।
2- श्रीमती सुनीता मित्तल व सुभाष मित्तल की शादी का पंजीकरण भी दिनांक 27.11.2015 को सबरजिस्टार
कार्यालय देहरादून मे पंजीकृ त हुआ है।
3- तथा कथित मुकदमा उपरोक्त की वसीयत जो सुनीता मित्तल ने रोहित मित्तल के नाम सम्पत्ति की है जिसका
अधिकांश भाग देहरादून मे स्थित है तथा मामूली भाग बेहट सहारनपुर मे स्थित है का निस्पादन भी दिनांक
27.11.2015 को देहरादून मे ही हुआ है।
4- वसीयत निस्पादन के बाद ठीक 15 दिन बाद दिनांक 12.12.2015 को श्रीमती सुनीता का देहांत हो जाता
है।
5- करीब 09-10 माह बाद रोहित मित्तल ने उपरोक्त वसीयत बेहट सहारनपुर मे पंजीकरण हेतु पत्रावली दाखिल
की गयी जिसको सम्यक विचारोपरान्त करीब 02 माह बाद पंजीकृ त किया गया।
6- उपरोक्त वसीयत में गवाह सुभाष मित्तल सहारनपुर अंकित है जिस पर सुभाष मित्तल ने सहारनपुर
न्यायालय मे रोहित के विरुद्ध 01 वाद दाखिल किया गया है जिसमे उसने सम्बन्धित वसीयत को
फर्जी बताया है। वर्णीत है कि सुभाष मित्तल ने सैल टैक्स में कार्यवाही हेतु कु छ पेपरो पर हस्ताक्षर कर
रोहित कु मार को दिये थे जिसका उसने उक्त वसीयत बनाने मे प्रयोग किया है।
7- रोहित मित्तल व दीपाकुं र मित्तल का उक्त सम्पत्ति के सम्बन्ध मे वाद सिविल जज सिनियर डिविजन देहरादून
मे विचाराधीन है जिसमे रोहित मित्तल द्वारा 02 वसीयत जिनमे 01 मे गवाहों के फोटो चस्पा है जबकि दूसरे
मे मात्र हस्ताक्षर व पता अंकित है। दोनो वसीयत कि विषय वस्तु अक्षरशं 01 समान है। इसी न्यायालय मे
सुनीता मित्तल ने 01 वाद सुभाष मित्तल के विरुद्ध दायर किया हुआ है ।जिस पर सुनीता मित्तल के हस्ताक्षर
है। छायाप्रति उक्त वाद व उपरोक्त वसीयत पर सुनीता मित्तल के हस्ताक्षर अवलोकन से प्राथमिक
तौर पर भिन्न प्रतीत होते है। दोनो मूल दस्तावेज मा0 न्यायालय उपरोक्त मे दाखिल होने के कारण
विवेचक द्वारा दोनों दस्तावेजो पर अंकित हस्ताक्षरों के मिलान हेतु एफ 0 एस 0 एल भेजने हेतु मा0
न्यायालय मे मिस्लेनियश वाद प्रार्थना पत्र दाखिल किया गया है।
8- उपरोक्त वसीयत के गवाह सुभाष मित्तल ने अपने धारा 161 द 0 प्र 0 सं0 के तहत बयानों मे उपरोक्त
वसीयत मे अपने आप को गवाह नामित न होना व उसके हस्ताक्षरयुक्त पेपरों का रोहित द्वारा दुरुपयोग करने
का कथन अंकित कराया गया है साथ ही यही बयान सुभाष मित्तल ने अपने धारा 164 द 0 प्र 0 सं0 के
अंतर्गत मा0 न्यायालय मे अंकित कराया है। अभी तक की विवेचना से उपरोक्त वसीयत का फर्जी
होने के पर्याप्त साक्ष्य है।
वाचक शाखा में हेड पेशी नियुक्त रहते हुये शाखा के समस्त कार्यों (एस 0 आर 0 पत्रावली, शस्त्र
पत्रावली, समस्त पत्राचार, डाक आदि) का पर्यवेक्षण करते हुये अपने दायित्वों का कर्तव्यनिष्ठा
कार्य किया गया । इसके अतिरिक्त जनपद की शान्ति/कानून व्यवस्था ड्यूटी का निर्वाह किया गया

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