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पाठ- 7 साथी हाथ बढ़ाना

-- साहिर लधि
ु यानवी
शब्दार्थ:
1. सीस = सिर 2. फ़ौलादी = लोहे जैसा
3. मंज़िल = मक़
ु ाम 4. दरिया = नदी
5. कतरा = बँद
ू 6. ज़र्रा = किसी वस्तु का बहुत छोटा अंश

प्रश्न - उत्तर

1. ‘सागर ने रस्ता छोड़ा, परबत ने सीस झुकाया’ – साहिर ने ऐसा क्यों कहा है ? लिखो।

उत्तर: ऊपर दी गई पंक्तियों के माध्यम से साहिर कहना चाहता है की साथ मिलकर मेहनत करने से हम
असंभव कार्य को भी संभव बना सकते हैं। आगे कवि कहते हैं कि पर्वत को झुकाना अकेले संभव नहीं है
परन्तु यदि सब एकता से कठिन परिश्रम के तो पर्वत को झक ु ाना भी आसान कार्य लगने लगता है । एकता
और परिश्रम से तो गहरे सागर में भी रास्ता बनाया जा सकता है ।

2. गीत में सीने और बाँहों को फौलादी क्यों कहा गया है ?

उत्तर: गीत में सीने और बाँहों को फौलादी इसलिए कहा गया है क्योंकि इसका मतलब हमारा मजबत ू होना
माना जाता है । हम असंभव कार्यों को भी कठिन परिश्रम करके संभव बनाने के प्रयास में रहते हैं। कवि ऐसा
मानते हैं कि एकता और मेहनत से पर्वत भी झुकाया जा सकता है । ऐसे दृढ निश्चयी मनष्ु य को ही फौलादी
कहा गया है ।

3. दस
ू रे के साथ मिलकर रहने के क्या फ़ायदे हैं?
उत्तर: एक दस
ू रे के साथ मिलकर रहने के अनेक फ़ायदे हैं, जैसे कि किसी काम को करने के लिए कम समय
लगता है , और मेहनत कम करनी पड़ती है । समाज में एक प्रेम और समानता का माहौल रहता है । बड़ी से
बड़ी मश्कि
ु ल को लोग एक साथ मिलकर चन ु ौती की तरह लेते हैं, और उसको निपटाकर ख़श ु ी मनाते हैं।
बहुत बार कई सारे लोग साथ मिलकर बड़े-बड़े कामों को अंजाम दे ते हैं। जो अकेले करना संभव नहीं है , और
दनि
ु या के सामने मिसाल कायम करते हैं।

मल्
ू याधारित प्रश्न
1. अपने आसपास तम
ु किसे साथी मानते हो और क्यों ?

उत्तर : हमारे आसपास हम अपने माता-पिता, भाई-बहन, मित्र, सहपाठी, शिक्षक, पड़ोसी को साथी मानते हैं
क्योंकि ये सभी लोग हमारी किसी न किसी रूप में सहयता करते हैं।
सारांश

साथी हाथ बढ़ाना नामक कविता श्री साहिर लधि ु यानवी द्वारा रचित है | इस कविता में कवि ने एकता,
संगठन तथा परस्पर सहयोग के महत्व को प्रकट किया है | कवि का कहना है कि हमें हमेशा मश्कि ु लों का
मिलकर सामना करना चाहिए। एक अकेला व्यक्ति बोझ उठाते- उठाते थक जाता है | परस्पर सहयोग से ही
सारी समस्याएँ हल हो जाती हैं। मिल कर कार्य करने से बड़ी- बड़ी बाधाओं को पार किया जा सकता है ।
मिलकर मेहनत करने वालों के आगे समद्र ु (समन्ु द्र) भी रास्ता छोड़ दे ता है | पर्वत भी उनके समक्ष झुक
जाता है अर्थात आने वाली बाधाएं स्वयं ही टल जाती हैं| कवि कहते हैं जो मेहनत करते हैं उनकी छाती व
भजु ाएँ मानो फौलाद की होती है | वह कभी मेहनत करने से नहीं घबराते हैं। मेहनती व्यक्ति तो चट्टानों में
भी अपनी राहें बना लेते हैं। कवि कहते हैं कि जैसे पानी की एक- एक बंद ू मिलती है तो सागर का रूप ग्रहण
कर लेती है । रे त का एक-एक कण मिलकर रे गिस्तान का रूप धारण कर लेता है | उसी प्रकार यदि एक-एक
आदमी आपस में मिलकर शक्ति को संगठित करें तो भाग्य को भी अपने वश में कर सकता है |

बहुविकल्पी प्रश्न

1. साथी हाथ बढ़ाना’ गीत के गीतकार कौन हैं?

(क) विष्णु प्रभाकर (ख) दिलीप एम. साल्वी

(ग) साहिर लधि


ु यानवी (घ) समि
ु त्रानंदन पंत
2. किसके सहारे इंसान अपना भाग्य बना सकता है

(क) धन के (ख) खेल के

(ग) मेहनत के (घ) किस्मत के

3.गीतकार कहाँ राहें पैदा करने की बात कह रहा है ?

(क) समद्र
ु में (ख) हवा में

(ग) वन में (घ) चट्टानों में

4. राई का पर्वत कैसे बनता है ?

(क) एक से एक मिलते चले जाने पर (ख) खेत में पैदा होने पर

(ग) व्यापारियों द्वारा खरीदे जाने पर (घ ) वर्षा होने पर साथी हाथ बढ़ाना

5. मिलकर मेहनत करने से क्या संभव है ?

(क) बड़ी से बड़ी मश्कि


ु ल हल हो जाती है । (ख) सागर भी रास्ता दे दे ता है ।

(ग) बाधाएँ स्वतः हल हो जाती हैं। (घ ) इनमे से कोई नहीं


उत्तर: 1(ग) 2(ग) 3(घ) 4(क) 5(क)

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