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PCS सभीऺा [1] भध्मकारीन इतिहास

इस्राभ का उदम
खद
ु ा के प्रति ऩूर्ण सभऩणर् ही इस्राभ है । इस्राभ का उदम भक्का भें हुआ। इसके संस्थाऩक भुहम्भद साहफ कुयै श
जनजाति के थे।

622 ई भें वे भदीना चरे गए इसी घटना को हहजयत


ऩारन ऩोषण- अफू तालरफ ( चाचा)
कहा जाता है ।
ऩत्नी - खतीजा
622 भें हहजयो संवत प्रायं ब हुआ।

मुहम्मद साहफ

इन्हें अल्राह का ऩैगंफय कहा गमा।

जन्भ -570 ई

स्थान -भक्का भदीने भें कुयान की यचना हुमी।


पऩता -अब्दल्
ु रा कुयान के धालभिक कानून को जफाबफत कहा जाता
भाता -अभीना था।
भत्ृ मु -632 ई

भह
ु म्भद साहफ के अनम
ु ातममों के ऩाांच कितव्म-
 करभा
 ऩांच फाय नवाज
 योजा
 हज मात्रा

 जकाि (धार्भणक कय)- अभीय भुसरभानों से र्रमा जािा था जो आम का 1/40 था ।

63 वषण की आमु भें 632 ई भें उनका तनधन हो गमा। भुहम्भद साहफ ने अऩनी भत्ृ मु के फाद अऩना कोई
उत्ियाधधकायी तनमुक्ि नहीं ककमा था।

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खरीपा - [633 – 661]

कुयान भें खरीपा शब्द प्रतितनधध के लरए प्रमुक्ि हुआ। यह ॉं खरीपा को ऩथ्
ृ वी ऩय खद
ु ा का प्रतितनधध भाना
गमा।

 भुहम्भद साहफ की भत्ृ मु के फाद भदीना के वार्समों ने अऩना एक शासक चन


ु ने का तनर्णम ककमा।
 खजयाज जनजाति का साद ऩुत्र उफैदा उनका बावी उम्भीदवाय था ।दस
ू यी ओय कुयै श जनजाति के
प्रतितनधध अफूफक्र उभय िथा अफु उफैदा जयाणह खरीपा की ऩदवी अऩने ऩास यखना चाहिे थे अथाणि ्
भुहम्भद साहफ का उत्ियाधधकायी फनना चाहिे थे।
 कापी वाद -वववाद के ऩश्चाि अफू वक्र को खरीपा चन
ु ा गमा।

इस्राभ के चाय प्रभख


ु खरीपा

अफफ
ू क्र (632 - 634)

इस्लाम धमम के प्रारं भिक अनुयायी इन्हंने संपूर्म अरब तथा उसके 13 अगस्त 634 ई कह अबू बक्र की
इसी उद्दे श्य से इन्हंने सैभनक दलहं पडहसी राज्य कह जीतने का प्रयत्न मृत्यु हह गयी ।एवं उमर कह
का गठन भकया। भकया। उत्तराभधकारी बनाया।

PCS सभीऺा [3] भध्मकारीन इतिहास


उमर (634 - 644)

अफूफक्र की बांतत पवस्वायवादी लभश्र को इस्राभी गणयाज्म भें जभीन का फंदोफस्त औय जनगणना
नीततमों का अनुसयण ककमा। लभरामा। की।

उस्मान (644 - 656)

लभश्र को इस्राभी गणयाज्म भें लभरामा।इनके


सभम भें इस्राभ के अनम ु ातममों भें ऩऺऩात 17 जून 656 को कुछ पवद्रोहहमों
जजस सभम मे खरीपा फने तफ
ईर्षमाि, तथा स्वाथि की बावना प्रफर हो गमी द्वाया कुयान ऩढ़ते सभम इनकी
इनकी आमु 70 वषि थी।
।जजसके ऩरयणाभ स्वरुऩ चायों ओय अशांतत हत्मा कय दी गमी।
व्माप्त हो गमी।

भध्मकारीन बायिीम इतिहास के स्रोि

फीिे हुए मुगों की घटनाओां के सांफांध भें जानकायी दे ने वारे साधनों को ऐतिहालसक स्रोि की सांऻा दी जािी है ।
भध्मकारीन बायि के इतिहास के अध्ममन के लरए भौलरक स्रोि साहहत्यमक स्रोि ही है ।

 ऩूवण इस्राभ कार भें अयफों के फीच वंशावर्रमां र्रखने की ऩयं ऩया ववकर्सि थी जजन्हें अन्साफ कहिे थे।
PCS सभीऺा [4] भध्मकारीन इतिहास
 'सीयि' हजयि भुहम्भद की जीवतनमों का संकरन है ।

भध्मकारीन इतिहास के प्रभख


ु स्रोि-

1. चचनाभा- अयफों के र्सन्ध ववजम ऩय ववस्िि


ृ उल्रेख 'चचनाभा' नाभक ग्रंथ भें र्भरिा है ।

भोहम्भद बफन कार्सभ के अर्बमान, उसके शासन प्रफंध आदद के संफंध भें मह एक प्राभाणर्क स्रोि है ।

अऻाि रेखक द्वाया इसे अयफी भें र्रखा गमा ऩयं िु इसका पायसी अनुवाद अफूफकय कूपी ने ककमा।

िहकीक- ए -हहांद (ककिाफुर हहांद)

 यचना- अल्फेरुनी द्वाया (अयफी बाषा भें ) सवणप्रथभ सचाऊ (सचाऊ) ने इसका अंग्रेजी भें अनुवाद ककमा।
 दहंदी बाषा भें इसका अनुवाद यजनीकांि शभाण द्वाया ककमा गमा।
 इस ग्रंथ भें अल्फेरुनी ने भहभूद गजनवी के सभम के बायि की याजनीतिक, आधथणक, साभाजजक व
धार्भणक जस्थतिमों के फाये भें ववस्िि
ृ वर्णन ककमा है ।
 ऩुयार्ों का अध्ममन कयने वारा अरफेरूनी प्रथभ भुसरभान था।

िाज -उर -भालसय

यचना- भुहम्भद हसन-

भंगोर आक्रभर् के सभम मह खयु ासान से भांगकय तनजाभी द्वाया बायि आ गमा एवं कुिफ
ु ुद्दीन ऐफक
के अधीन नौकयी कय री। ऐफक की आऻा ऩय ही मह ऩुस्िक र्रखना हसन तनजाभी ने प्रायं ब ककमा
ऩयं िु मह ऩूर्ण इल्िि
ु र्भश के कार भें हुआ।

 मह ऩुस्िक अयफी औय पायसी बाषाओं का र्भश्रर् है ।


 मह भुरि: कुिफ
ु ुद्दीन ऐफक के शासनकार की घटनाओं ऩय आधारयि है ।

भोहम्भद गोयी एवां बायि ऩय आक्रभण

शहाफद्द
ु ीन उपण भई
ु जद्द
ु ीन भह
ु म्भद गोयी ने बायि भें िक
ु ण याज्म की स्थाऩना की।

भह
ु म्भद गोयी ने बी बायि ऩय अनेक आक्रभर् ककमे।

PCS सभीऺा [5] भध्मकारीन इतिहास


प्रथभ आक्रभण -1175 - प्रथभ आक्रभर् सुल्िान के ववरुद्ध ककमा।

द्वविीम आक्रभण -1178 - मह आक्रभर् गुजयाि ऩय ककमा मह ं ऩय सोरंकी वंश (चारुक्म वंश) का शासन था।
इसी वंश के बीभ द्वविीम (भूरयाज द्वविीम) ने भुहम्भद गोयी को आफू ऩवणि के सभीऩ ऩयाजजि ककमा।

ियाईन का प्रथभ मुद्ध -1191- ऩथ्


ृ वी याज चौहान + भुहम्भद गोयी

ववजेिा - ऩथ्
ृ वी याज चौहान

ियाईन का द्वविीम मद्ध


ु -1192- ऩथ्
ृ वी याज चौहान + भह
ु म्भद गोयी

ववजेिा - भह
ु म्भद गोयी, ऩथ्
ृ वी याज चौहान भाया जािा है ।

चन्दावय का मद्ध
ु - 1194- भह
ु म्भद गोयी + याजऩि
ू नये श जमचन्र

ववजेिा - भह
ु म्भद गोयी।

जमचन्र की हत्मा कय दी गमी। ियऩश्चाि :-

भुहम्भद गोयी अऩने ववजजि प्रदे शों की जजम्भेदायी कुिफ


ु ुद्दीन ऐफक को शौंऩकय वाऩस गजनी चरा गमा।
 भुहम्भद गोयी की बायिीम ववजमों िथा नवस्थावऩि िक
ु ी याज्म का प्रत्मऺ वववयर् र्भनहाज की यचना
िफकाव - ए- नालसयी भें र्भरिा है ।

कुिफ
ु ुद्दीन की कुछ भहयवऩूणत ववजम-
1194 ई. भें अजभेय को जीिकय मह ं ऩय जस्थि जैन भंददय एवं संस्कृि ववश्वववद्मारम को नष्ट कय तनम्न
चीजें फनामी-

PCS सभीऺा [6] भध्मकारीन इतिहास


 जैनभंददय के स्थान ऩय कुव्वि- उर- इस्राभ
 ढाई ददन का झोऩडा संस्कृि ववश्वववद्मारम के स्थान ऩय।

 1205 ई. भें भुहम्भद गोयी ऩुन् बायि आमा औय इस फाय उसका भुकाफरा खोक्खयों से हुआ। उसने
खोक्खयों को ऩयाजजि कय उनका फुयी ियह कत्र ककमा। इस ववजम के फाद भुहम्भद गोयी जफ वाऩस
गजनी जा यहा था िो भागण भें 13 भाचत 1206 ई. को उसकी हत्मा कय दी गमी अन्िि् उसके शव को
गजनी रे जा कय दपनामा गमा।
गोयी की भयृ मु के फाद उसके गर
ु ाभ सयदाय कुिफ
ु द्द
ु ीन ऐफक ने 1206 ई. भें गर
ु ाभ वांश की स्थाऩना की।

हदल्री सल्िनि
ददल्री सल्िनि का कार 1206 ई. से प्रायं ब होकय 1526 ई. िक यहा। 320 वषों के इस रंफे कार भें बायि
भें भुजस्रभों का शासन व्माप्ि यहा। ददल्री सल्िनि के अधीन तनम्न ऩांच वंशों का शासन यहा-

ऩाांच वांश-

मामऱक खिऱजी वांश मामऱक ु अथवा


ू अथवा तुगऱक वांश
(1290 - 1320) सैयद वांश (1414 ऱोदी वांश (
गुऱाम वांश (1320 - 1414) गुऱाम वांश
(सफसे कम - 1451) 1451 - 1526)
(1206 - 1290) (सफसे अधधक) (1206 - 1290)
समय)

भाभरुक अथवा गुराभ वांश ( 1206 - 1290)


1206 -1290 के भध्म 'हदल्री सल्िनि' ऩय जजन िक
ु ण शासको द्वाया शासन ककमा गमा ,उन्हें गुराभ वांश का
शासक भाना जािा है ।

इल्िि
ु लभश (1210 - 1236 ई)
इल्िि
ु र्भश इल्वायी िक
ु ण िथा अकस्भाि ् भत्ृ मु के कायर् ऐफक अऩने ककसी उत्ियाधधकायी का चन
ु ाव नहीं कय
सका था अि् राहौय के िक
ु ण अधधकारयमों ने ऐफक के वववाददि ऩुत्र आयाभशाह को राहौय की गद्दी ऩय फैठामा।

PCS सभीऺा [7] भध्मकारीन इतिहास


ऩयं िु इल्िि
ु र्भश जो उस सभम फदामूां का सूफेदाय था। इल्िि
ु र्भश को ददल्री आभंबत्रि कय र्संहासन ऩय फैठामा
गमा।

आयाभशाह एवं इल्िि ु र्भश के फीच ददल्री के तनकट जड़ नाभक स्थान ऩय संघषण हुआ जजसभें आयाभशाह को
फंदी फनाकय हत्मा कय दी गमी इस ियह ऐफक वंश के इल्फायी वांश का शासक प्रायं ब हुआ।

प्रभुख िथ्म-

1. इल्िि
ु र्भश ने 40 गुराभ सयदायों का एक गुट मा संगठन फनामा जजसे 'िक
ु ातन -ए-धचहारगानी' का
नाभ ददमा गमा। इस संगठन को चयगान बी कहा गमा है ।
2. इल्िि
ु र्भश ऩहरा िक
ु ण सल्
ु िान था जजसने शद्ध
ु अयफी र्सक्के चरवामे। उसने सल्िनि कारीन दो
भहत्वऩर्
ू ण र्सक्के 'चांदी का टं का' िथा 'िाांफे का जीिर' चरवामा।
3. इल्िि
ु र्भश ने र्सक्कों ऩय टकसार के नाभ अंककि कयवाने की ऩयं ऩया आयं ब ककमा। र्सक्कों ऩय
इल्िि
ु र्भश ने अऩना उल्रेख खरीपा के प्रतितनधध के रूऩ भें ककमा।
4. इल्िि
ु लभश ने इक्िा व्मवस्था का प्रचरन ककमा औय याजधानी को राहौय से ददल्री स्थानांिरयि ककमा।
5. इल्िि
ु र्भश ने खरीपा से प्रभार् ऩत्र प्राप्ि ककमा था जजसके फाद इल्िि
ु र्भश वैध सल्
ु िान िथा हदल्री
सल्िनि एक वैध स्विंत्र याज्म फन गमा।
6. 1231-32 ई. भें इल्िि
ु र्भश ने कुिफ
ु भीनाय का तनभाणर् ऩूया कयवामा ।उसने जोधऩुय भें अिायककन का
दयवाजा तनर्भणि कयवामा।
7. इल्िि
ु र्भश ने फदामूं भें एक जाभा भजस्जद को तनर्भणि कयवामा िथा बायि भें प्रथभ भकफये को तनर्भणि
कयाने का श्रेम इल्िि
ु र्भश को ही प्राप्ि है ।

इल्िि
ु र्भश का अंतिभ अर्बमान फार्भमान के ववरुद्ध था खोंखयो के ववरुद्ध मह उसका अंतिभ अर्बमान था
ु र्भश फीभाय हो गमा औय उसे ददल्री रामा गमा जह ं 30 अप्रैर 1236 ई को उसकी भत्ृ मु
यास्िे भें इल्िि
हो गमी ।

 इल्िि
ु र्भश का भकफया ददल्री भें जस्थि है ।

अराउद्दीन खखरजी (1296 - 1316)

PCS सभीऺा [8] भध्मकारीन इतिहास


अराउद्दीन 12 अक्टूफय 1296 को ददल्री का सुल्िान फना ,अराउद्दीन के फचऩन का नाभ अरी िथा गुयशास्म
था। जरारुद्दीन ने उसे कडा भातनकऩुय की सूफेदायी दी। अराउद्दीन ने कठोय शासन व्मवस्था अंिगणि अऩने
याज्म की सीभाओं को ववस्िाय ददमा। अऩनी प्रायं र्बक सपरिाओं से प्रोत्सादहि होकय अराउद्दीन ने र्सकंदय
द्वितीय (सानी )की उऩाधध ग्रहर् कय इसका उल्रेख अऩने र्सक्कों ऩय कयवामा। उसने ववश्व ववजम एवं नवीन
धभण स्थावऩि कयने की मोजना फनामी ऩयं िु अऩने र्भत्र एवं ददल्री के कोिवार अराउर भुल्क के सभझाने ऩय
त्माग ददमा।

अराउद्दीन ने खरीपा से अऩने ऩद की स्वीकृति नहीं री, उसने शासन के कामों भें इस्राभ के र्सद्धांिों को
प्रभख
ु िा न दे कय याज्मदहि को सवोऩरय भाना।

अराउद्दीन के याज्म भें कुछ ववरोह हुए जजसे उसने सपरिा ऩव


ू क
ण सभाप्ि ककमा। अराउद्दीन ने िक
ु ण अभीयों
द्वाया ककए जाने वारे ववरोह के कायर्ों का अध्ममन कय उन कायर्ों को सभाप्ि कयने के र्रए चाय अध्मादे श
जायी ककमे।

प्रथभ अध्मादे श :-

 दान, उऩहाय एवं ऩें शन के रूऩ भें अभीयों को दी गई बर्ू भ को जब्द कय उस ऩय अधधकाधधक कय रगा
ददमा गमा। जजससे उनके ऩास धनाबाव हो गमा।
 अराउद्दीन ने गप्ु िचय ववबाग को संगदठि कय 'फयीद'( गप्ु िचय अधधकायी) एवं 'भन
ु दहन' (गप्ु िचय) की
तनमजु क्ि की।
 अराउद्दीन ने भधतनषेध ,बांग खाने ,एवं जआ
ु खेरने ऩय ऩर्
ू िण ् प्रतिफंध रगा ददमा।
 अराउद्दीन ने अभीयों के आऩसी भेर -जोर, सावणजतनक सभायोह एवं वैवादहक संफंधों ऩय प्रतिफंध रगा
ददमा ।
अराउद्दीन के चायों अध्मादे श ऩूर्ि
ण ् सपर यहे ।

साम्राज्म ववस्िाय - अराउद्दीन साम्राज्मवादी प्रवजृ त्ि का था। इसने उत्िय बायि याज्मों को जीि कय उन ऩय
प्रत्मऺ शासन ककमा। दक्षऺर् बायि के याज्म को अल्राह उद्दीन ने अऩने अधीन कय उसने वावषणक कय वसूरा।

गुजयाि ववजम - 1298 ई भें अराउद्दीन ने उरगू खां एवं नुसयि खां को गुजयाि ववजम के र्रए बेजा ।जजसभें
याजा कर्ण र्संह ऩयाजजि हुआ ।एवं ऩुत्री दे वर दे वी के साथ बाग कय दे वधगयी के शासक याभचंर दे व के महां
शयर् र्रमा। णखरजी सेना कर्ण की संऩजत्ि एवं उसकी ऩत्नी कभरा दे वी को साथ रेकय वाऩस ददल्री आमा,
कारांिय भें अराउद्दीन ने कभरा दे वी से वववाह कय उसे अऩनी सफसे वप्रम यानी फनामा ।

गुजयाि अलबमान के दौयान ही नुसयि खाां ने दहंद ू दहजडे भलरक कापूय को 1000 दीनाय भें खयीदा अि् इसे
हजाय दीनायी कहा जािा है औय अराउद्दीन को िोहपे के रूऩ भें ददमा। शीघ्र ही वह सुल्िान के कापी नजदीक
आ गमा औय 1307 ई भें सुल्िान ने उसे ददल्री सल्िनि का भलरक-ए-नाइफ फना ददमा।

PCS सभीऺा [9] भध्मकारीन इतिहास


1316 भें अराउद्दीन की भत्ृ मु के फाद कापूय ने सुल्िान के नाफार्रक रडके को र्संहासन ऩय फैठ कय याज्म
की संऩूर्ण शजक्ि को अऩने हाथ भें केंदरि कय र्रमा, उसने स्वमं गद्दी हधथमाने के भोह भें पंसकय अराउद्दीन
के दो ऩुत्रों की आंखें तनकार कय नाफार्रक सुल्िान की भां को फंदी फना र्रमा। ऩयं िु अराउद्दीन के वपादायों ने
संगदठि होकय कापूय के र्संहासन ऩय फैठने के 35 ददन फाद उसकी हत्मा कय दी।

अराउद्दीन की दक्षऺण ववजम- अराउद्दीन द्वाया दक्षऺर् ववजम के ऩीछे उद्देश्म धन की चाह व ववजम रारसा
थी। वह इन याज्मों को अऩने अधीन कय वावषणक कय वसूर कयना चाहिा था ।दक्षऺर् बायि की ववजम का श्रेम
भर्रक कापूय को ही जािा है । अराउद्दीन के शासनकार भें दक्षऺर् भें सवणप्रथभ 1303 ई भें िेरंगाना ऩय
आक्रभर् ककमा, िेरंगाना का शासक प्रिाऩरुर दे व द्वविीम ने अऩनी एक सोने की भि
ू ी फनवाकय औय उसके
गरे भें सोने की जंजीयें डारकय आत्भसभऩणर् हे िु भर्रक कापूय के ऩास बेजा। इसी अवसय ऩय प्रिाऩरुर दे व ने
भर्रक कापूय को संसाय प्रर्सद्ध कोहहनयू हीया ददमा था।

अराउद्दीन के फाये भें प्रभख


ु िथ्म-

1. अराउद्दीन णखरजी ने सेना को नगद वेिन दे ने एवं स्थामी सेना की नींव यखी। ददल्री के शासको भें
अराउद्दीन णखरजी के ऩास सफसे ववशार स्थामी सेना थी।
2. घोडा दागने एवं सैतनकों का हुर्रमा र्रखने की प्रथा की शुरुआि अराउद्दीन णखरजी ने की।
3. अराउद्दीन ने बूयाजस्व की दय को फढाकय उऩज का 1/2 बाग कय ददमा। सुल्िान ने खम्स (मुद्ध भें
रूटा हुआ धन) भें 1/4 बाग के स्थान ऩय 3/4 बाग कय र्रमा।
4. अराउद्दीन ने अऩने शासनकार भें भूल्म तनमंत्रर् प्रर्ारी को दृढिा से रागू ककमा।

अराउद्दीन ने फाजाय व्मवस्था के कुशर सांचारन हे िु कुछ नमे ऩदों को सत्ृ जव ककमा-
I. दीवान-ए-रयमासि- मह व्माऩायी वगण ऩय तनमंत्रर् यखिा था। मे फाजाय तनमंत्रर् व्मवस्था का
संचारन कयिे थे।
II. शहना-ए-भांडी- मह फाजाय का दयोगा मा अधीऺक होिा था।
III. भुहिलसव - जनसाधायर् के आचयर् का यऺक एवं भाऩिौर का तनयीऺर् कयिा था।

प्रशासतनक व्मवस्था :- अराउद्दीन के ऩास बी अन्म सुल्िानों की ियह कामणऩार्रका, व्मवस्थावऩका, एवं
न्मामऩार्रका की सवोच्च शजक्िमां ववद्मभान थी। अराउद्दीन के सभम चाय भहत्वऩूर्ण भंत्री थे जो ऐसे चाय
स्िंब के सभान थे। जजन ऩय प्रशासन रूऩी बवन दटका हुआ था। जो इस प्रकाय है -

1. दीवान-ए-वजायि - भुख्मभंत्री को 'वजीय' कहा जािा था मह- सवाणधधक शजक्िशारी भंत्री होिा था। वजीय
भहत्वऩूर्ण ववबाग होिा था।
जो ववत्ि के अतिरयक्ि शाही सेनाओं का नेित्ृ व बी कयिा था।
2. दीवान-ए-आरयज मा अजत- मह मुद्ध भंत्री व सैन्म भंत्री होिा था मह वजीय के फाद दस
ू या भहत्वऩूर्ण भंत्री
होिा था।

PCS सभीऺा [10] भध्मकारीन इतिहास


भुख्म कामत - सैतनकों की बिी,वेिन फांटना,सेना की दे खये ख।
3. दीवान-ए-इांशा- मह याज्म का िीसया भहत्वऩूर्ण भंत्रारम होिा था।
जजसका प्रधान दफीय-ए-खास था।
कामत - शाही उद्घोषर्ामें एवं ऩत्रों का प्रारुऩ िैमाय कयना एवं स्थानीम अधधकारयमों से ऩत्र व्मवहाय।
4. दीवान-ए-यसारि - मह याज्म का चौथा भंत्री होिा था इसका संफंध भुख्मि् ववदे श ववबाग एवं कूटनीति
ऩत्र व्मवहाय से होिा था मह ऩडोसी याज्मों को बेजे जाने वारे ऩत्रों का प्रारूऩ िैमाय कयिा था। साथ ही
ववदे श से आमे याजदि
ू ों से नजदीक के संऩकण फनामे यखिा था।

अराउद्दीन द्वाया रगामे गमे दो नवीन कय


1. चयाई कय - मह दध
ु ारू ऩशओ
ु ं ऩय रगामा जािा था।
2. घयी कय- जो घयों एवं झोऩडडमां ऩय रगामा जािा था।
 खम्
ु स - 4/5 बाग याज्म के दहस्से भें एवं 1/5 बाग सैतनकों को र्भरिा था।
 जकाव - केवर भस
ु रभानों से र्रमा जाने वारा एक धार्भणक कय था।

दीवाने-ए-भस्
ु िखयाज :- मह याजस्व एकबत्रि कयने वारे अधधकारयमों के फकामा यार्श की जांच कयने औय
वसूरने का कामण सौंऩा गमा।

 अराउद्दीन ने याशतनंग व्मवस्था प्रायं ब की। प्राकृतिक ववऩदा से फचने के र्रए अराउद्दीन ने शासकीम
अन्नबंडायों की व्मवस्था की थी।
 अराउद्दीन ने ऩैदावाय का 50% बूर्भ कय (खयाज) के रूऩ भें रेना तनश्चम ककमा था। अराउद्दीन प्रथभ
सुल्िान था जजसने बूर्भ की ऩैभाइश कयाकय उसकी वास्िववक आम ऩय रगान रेना सुतनजश्चि ककमा।

सयाम-ए-अदर - मह एक ऐसा फाजाय होिा था जह ं ऩय वस्त्र, शक्कय, जडी फूटी, भेवा, दीऩक जराने का
िेर एवं अन्म तनर्भणि वस्िऐ
ु बफकने के र्रए आिी थी। सयाम -ए-अदर- ववशेष रूऩ से सयकायी धन से
सहामिा प्राप्ि फाजाय था।

स्थाऩयम करा के ऺेत्र भें अराउद्दीन ने - अराई दयवाजा, सीयी का ककरा, हजाय खांबा भहर, जमैमि
खाना भत्स्जद का तनभातण कयामा।
अराउद्दीन अऩना अंतिभ सभम अत्मंि कदठनाई से व्मिीि कयिा हुआ जरोदय योग से ग्रर्सि होकय,5
जनवयी 1316 को भत्ृ मु को प्राप्ि हो गमा।

कुिफ
ु ुद्दीन भुफायक खखरजी - कुिफ
ु ुद्दीन भुफायक णखरजी 1316 ई. को ददल्री के र्संहासन ऩय फैठा ।इसे नग्न
स्त्री ऩुरुष की संगि ऩसंद थी। भुफायक णखरजी कबी-कबी याज दयफाय भें जस्त्रमों का वस्त्र ऩहन कय आ
जािा था। फयनी के अनुसाय भुफायक कबी-कबी नग्न होकय दयफायी के फीच दौडा कयिा था।

भुफायक खखरजी ने खरीपा की उऩाधध धायर् की थ I

PCS सभीऺा [11] भध्मकारीन इतिहास


भुफायक के वजीय खश
ु यशाह ने 15 अप्रैर 1320 को उसकी हत्मा कय स्वमं ददल्री की गद्दी को हधथमा
र्रमा।

नालसरुद्दीन खश
ु यशाह - मह 15 अप्रैर 1320 को ददल्री के र्संहासन ऩय फैठा। वह दहंद ू धभण से ऩरयवतिणि
भुसरभान था। उसने अऩने नाभ के खि
ु फे- ऩदामे औय साथ ही ऩैगांफय के सेनाऩति की उऩाधध धायर् की।

5 र्सिंफय 1320 को गाजी भर्रक एवं खश ु यशाह के भध्म मुद्ध हुआ जजसभें खश
ु यशाह ऩयाजजि हुआ। 8
र्सिंफय 1320 को गाजी भर्रक ददल्री के िख्ि ऩय फैठा।

ऩानीऩि की द्वितीय रड़ाई ( 5 नवांफय 1556)

अपगान सेना + भुगर सेना

नेित्ृ व-हे भू नेित्ृ व - फैयभ खां

ववजेिा -भुगर

मुद्ध का प्रायं र्बक ऺर् हे भू के ऩऺ भें यहा था। ऩयं िु इसी सभम हे भू की ऑ ंख भें िीय रग जाने से
उसकी सेना भें बगदड भच गमी अंिि् उसे ऩडकय उसकी हत्मा कय दी गमी ।इस ियह से मुद्ध का
ऩरयर्ाभ भुगरों के ऩऺ भें यहा।

अकफय के प्रायां लबक सध


ु ाय-

1. मुद्ध भें फंदी फनामे गमे व्मजक्िमों के ऩरयवाय के सदस्मों को दास फनामे जाने की ऩयं ऩया को िोडिे हुए
अकफय ने दास प्रथा ऩय 1562 ई से ऩूर्ि ण ् योक रगा ददमा।
2. प्रायं ब भें अकफय 'हयभ दर' के प्रबाव भें था। इस दर के प्रभुख सदस्म -धाम भाहभ अनगा,जीजी
अनगा ,आधभ खां,भुनीभ खां ,र्शहाफुद्दीन अहभद खां थे। जफ िक अकफय ने इस दर के प्रबाव भें काभ
ककमा िफ िक उसके शासन को 'ऩेदटकोट सयकाय' व ऩदाण शासन बी कहा जािा है ।

16 भई 1562 ई .को आधभ खां को अकफय ने छि से दो फाय नीचे कपकवामा परि: उसकी भत्ृ मु हो
गमी मह सभाचाय फीभाय भाहभ अनगा को जो याज्म की संयक्षऺका के रूऩ भें कामण कय यही थी अकफय
ने सुनामा जी इसके प्रबाव स्वरूऩ 40 ददन फाद वह भय गमी ,इस प्रकाय अकफय ने स्वमं को 'हयभ दर'
से ऩूर्ि
ण ् स्विंत्र कय र्रमा।

PCS सभीऺा [12] भध्मकारीन इतिहास


3. अगस्ि 1563 ई. भें अकफय ने ववर्बन्न िीथत स्थरों ऩय रगने वारे 'िीथत मात्रा कय' की वसूरी को फंद
कयवा ददमा।
4. भाचत 1564 ई. भें अकफय ने जजजमा कय, जो गैय भुजस्रभ जन से व्मजक्िगि कय के रूऩ भें वसूरा
जािा था, को फंद कयवा ददमा।

अकफय का साम्राज्म ववस्िाय :-

 याजस्थान ववजम - याजस्थान के याजऩूि शासक अऩने ऩयाक्रभ आत्भ सम्भान एवं स्विंत्रिा के र्रए
प्रर्सद्ध थे अकफय ने याजऩूिों के प्रति ववशेष नीति -अऩनािे हुए उन याजऩूि शासको से र्भत्रिा एवं
वैवादहक संफंध स्थावऩि ककमे जजन्होंने उसकी अधीनिा स्वीकाय कय री ककंिु जजन्होंने अधीनिा
स्वीकाय नहीं कक उनसे मुद्ध के द्वाया अकफय ने अधीनिा स्वीकाय कयवाने का प्रमत्न ककमा।
1. आभेय (जमऩुय) - 1562 ई. भें अकफय द्वाया अजभेय की शेख भुईनुद्दीन धचश्िी दयगाह की मात्रा के
सभम उसकी भुराकाि आभेय के शासक याजा बयभेर से हुई बायभेर प्रथभ याजऩूि था जजसने स्वेच्छा
से अकफय की अधीनिा स्वीकाय की ।

कारांिय भें बायिभर मा ववहाभर की ऩुत्री से अकफय ने वववाह कय र्रमा, जजससे जहांगीय ऩैदा हुआ।
अकफय ने बायिभर के ऩुत्र (दत्िक) बगवान दास एवं ऩौत्र भानर्संह को उच्च भानसव प्रदान ककमा।

2. भेवाड़ - 'भेवाड' याजस्थान का एक भात्र याज्म था जह ं के याजऩूि शासकों ने भुगर शासन का सदै व
ववयोध ककमा अकफय का सभकारीन भेवाड शासक र्ससोददमा वंश का याणा उदम लसांह था। जजसने भुगर
सम्राट अकफय की अधीनिा स्वीकाय नहीं की।

गुजयाि ववजम - (1572-73)- गुजयाि एक सभद्ध


ृ , उन्निशीर एवं व्माऩारयक केन्र के रुऩ भें प्रर्सद्ध था।
लसिांफय 1572 भें अकफय ने स्वमं ही गज
ु याि जीिने के र्रए प्रस्थान ककमा। उस सभम गज
ु याि का शासक
भज
ु फ्पय खां वि
ृ ीम था। अन्िि् गज
ु याि अकफय के अधधकाय ऺेत्र भें आ गमा।

 उसके ववत्ि िथा याजस्व का ऩन


ु गणठन टोडयभर ने ककमा था। जजसका कामण उस प्रांि भें र्सहाफद्द
ु ीन
अहभद ने 1573 से 1584 िक ककमा।

अकफय के दयफाय के 9 ययन

PCS सभीऺा [13] भध्मकारीन इतिहास


मानससांह
अब्दऱ

तानसेन रहीम
िान-िान

मल्
ु ऱा दो
टोडरमऱ
प्याजा
अकफर

हकीम
फीरफऱ
हुकाम

अफुऱपजऱ पैजी

1. फीयफर - नवयत्नों भें सवाणधधक प्रर्सद्ध।


जन्भ -काल्ऩी (1528)
फचऩन का नाभ - भहे श दास (अकफय ने उसकी मोग्मिा से प्रबाववि होकय उसे कववयाज एवं याजा की
उऩाधध प्रदान की।)
फीयफर ऩहरा एवं अंतिभ दहंद ू याजा था जजसने दीन-ए-इराही धभण को स्वीकाय ककमा।
2. अफुर पजर- जन्भ 1550
अकफय का भुख्म सराहकाय व सधचव
अकफय के दीन-ए-इराही धभण का अफुर पजर भुख्म ऩुयोदहि था ।
अकफयनाभा एवं आईन-ए-अकफयी जैसे भहत्वऩूर्ण ग्रन्थों की यचना।
3. टोडयभर- उत्िय प्रदे श के एक ऺबत्रम कुर भें ऩैदा होने वारे टोडयभर ने अऩना जीवन की शुरुआि
शेयशाह सूयी के महां नौकयी कयके की। 1562 से अकफय की सेवा भें आमे।
बूर्भ सुधाय के र्रए प्रर्सद्ध थे।
4. िानसेन- संगीि सम्राट िानसेन का जन्भ ग्वालरमय भें हुआ। उसके संगीि का प्रशंसक होने के नािे
अकफय ने उसे अऩने नवयत्नों भें शार्भर ककमा था।
उनके सभम भें ध्रऩ
ु दगामन शैरी शैरी का ववकास हुआ ।

PCS सभीऺा [14] भध्मकारीन इतिहास


अकफय ने िानसेन को काण्ठाबयणवणी ववरास की उऩाधध से सम्भातनि ककमा।
5. भानलसांह- आभेय के याजा बायभर के ऩौत्र भानर्संह ने अकफय के साम्राज्म ववस्िाय भें भहत्वऩूर्ण
बूर्भका का तनवाणह ककमा।
6. अब्दयु त हीभ खानखान- फैयभ खां का ऩुत्र अब्दयु ण हीभ उच्च कोदट का द्वििान एवं कवव था। उसने िक
ु ी भें
र्रखे 'फाफयनाभा' का पायसी बाषा भें अनुवाद ककमा। यहीभ को गुजयाि प्रदे श को जीिने के फाद अकफय
ने 'खानखान' के सम्भान से सम्भातनि ककमा।
7. भल्
ु रा दो प्माजा- अकफय का यहने वारा प्माजा हुभामंू के सभम भें बायि आमा अकफय के नवयत्नों भें
उसका बी स्थान था बोजन भें उसे दो प्माज अधधक ऩसंद था इसीर्रए अकफय ने उसे दो प्माजा की
उऩाधध प्रदान कय दी थी।
8. हकीभ हुकाभ- मह अकफय के यसोई घय का प्रधान था।
9. पैजी- अफर
ु पजर का फडा बाई पैजी अकफय के दयफाय भें 'याजकवव के ऩद ऩय आसीन था। वह दीन-
ए -इराही धभण का कट्टय सभथणक था।

नूयजहाां गुट
इस गट
ु भें भहयवऩण
ू त सदस्म थे-
 नूयजहां फेगभ
 एिभादद्द
ु ौरा (नूयजहां का वऩिा)
 अस्भि फेगभ (नूयजहां की भां)
 आसप खां (नूयजहां का बाई)
 शहजाद खयु ण भ (शाहजहां)

मह गुट भुगर दयफाय भें जहांगीय के वववाह के ियु ं ि फाद ही सकक्रम हो गमा। जजसका प्रबाव 1627 ई.
िक यहा।

1620 ई. के अंि िक नूयजहां के संफंध खयु ण भ से अच्छे नहीं यहे क्मोंकक नूयजहां को अफ मह अहसास
हो गमा था कक शाहजहां के फादशाह फनने ऩय उसका प्रबाव शासन के कामों ऩय कभ हो जामेगा।
इसीर्रए शहप्माय (जहांगीय के दस
ू ये ऩुत्र) को भहत्व दे ना प्रायं ब कय ददमा। औय इसकी शादी 'शेय
अपगान' ने उत्ऩन्न अऩनी ऩुत्री राडरी फेगभ की शादी 1620ई. भें शहप्माय से कय दी।

PCS सभीऺा [15] भध्मकारीन इतिहास


 7 नवंफय 1627 ई को 'बीभवाय' नाभक स्थान ऩय जहांगीय की भत्ृ मु हो गमी ।उसे 'शाहदया' भें शवी
नदी के ककनाये दपनामा गमा।
 नूयजहां की भां अस्भि फेगभ ने गुराफ से इत्र तनकारने की ववधध को खोजा।

जहाांगीय के दयफाय भें आने वारे मूयोऩीम मात्री-


 ववर्रमन ह ककंस
 ववर्रमन कपं च
 सय ट भस यो
 एडवडण टै यी

जहाांगीय के ऩाांच ऩत्र


ु थे-
 खस
ु यो
 ऩयवेज
 खयु य् भ
 शहयमाय
 जहांदाय
 स्वमं धचत्रकाय होने के कायर् जहांगीय करा एवं सादहत्म का ऩोषक था।

शाहजहाां द्वाया फनाई गमी इभायिें –


 ददल्री का रार ककरा
 दीवाने -आभ
 दीवाने -खास
 ददल्री की जाभा भजस्जद
 आगया की भोिी भजस्जद
 राहौय ककरा जस्थि शीशभहर

शाहजहाां के दयफाय के भुख्म धचत्रकाय –


 भुहम्भद पकीय
 भीय हार्सभ
शाहजहाां के दयफाय के दो प्रभुख सांस्कृि कवव-
 वंशीधय र्भश्र
 हरय नायामर् र्भश्र

शाहजहां ने संगीिऻ रार खाां को गुर् सभंदय की उऩाधध एवं संगीिऻ -जगन्नाथ को जो दहंदी का कवव
बी था को भहाकवव याम की उऩाधध से सम्भातनि ककमा गमा।

PCS सभीऺा [16] भध्मकारीन इतिहास


शाहजहां के ऩुत्रों भें दायार्शकोह सवाणधधक ववद्वान था इसने बागवि गीिा, मोग वर्शष्ठ, उऩतनषद ,एवं
याभामर् का अनुवाद पायसी भें कयवामा ।इसने सयण -ए-अकफय (भहान यहस्म) नाभ से उऩतनषदों का
अनुवाद कयवामा ।

शाह फुरंद इकफार के रूऩ भें दाया र्शकोह जाना जािा है ।

औयां गजेफ की दक्षऺण नीति -

फीजाऩुय - र्संहासन ऩय फैठने के उऩयांि औयं गजेफ ने फीजाऩुय के शासक- आददरशाह द्वविीम को 1657
ई. को संधध का ऩारन न कयने के कायर् दं ड दे ने के र्रए जमऩुय के याजा जमर्संह को 1665 ई. भें
दक्षऺर् बेजा।

जम र्संह ने फीजाऩुय को जीिने के ऩूवण र्शवाजी के णखराप एक भहत्वऩूर्ण रडाई भें सपरिा प्राप्ि कय
22 जून 1665 ई. भें ऩुयांदय की सांधध की।

संधध की शिों के अनुसाय र्शवाजी ने चाय राख छर् वारे 23 ककरे भुगरों को सौंऩ ददमे िथा अऩने
ऩुत्र शंबू को भुगर सेवा भें बेज कय जम र्संह के कहने ऩय स्वमं 22 भाचत 1666 ई. को आगया के
ककरे भें दीवाने आभ भें औयं गजेफ के सभऺ प्रस्िि
ु हुआ ।जहां से र्शवाजी को कैद कय जमऩुय बवन भें
यख ददमा गमा। जहां से र्शवाजी पयाय हो गमे।

र्शवाजी ने यामगढ भें 16 जून 1674 ई. को अऩना याज्मालबषेक कयवाकय छत्रऩति की उऩाधध प्राप्ि
की।

14 अप्रैर 1680 ई. को र्शवाजी की भत्ृ मु के फाद उसका ऩत्र


ु शंबू भयाठा शासक फना। औयं गजेफ ने एक
संघषण भें 1 भाचत 1689 को उसकी हत्मा कय यामगढ़ ऩय अधधकाय कय र्रमा।

औयं गजेफ को भयाठों के संघषण भें कापी धन-जन की हातन सहनी ऩडी।

लसक्ख ववद्रोह- 16 वीं शिाब्दी भें र्सक्ख संप्रदाम की स्थाऩना गुरु नानक जी ने की।

 र्सक्खों के 4 वें गुरु याभदास के सभम गुरुत्व का ऩद ऩैिक


ृ हो गमा।
 अभि ृ सय का प्रलसद्ध स्वणत भांहदय का तनभाणर् इन्हीं के सभम भें हुआ था जजसके र्रए बूर्भ अकफय ने दी
थी।
 ऩाांचवे गुरु अजतन दे व के सभम प्रर्सद्ध र्सक्ख ग्रंथ गुरुग्रांथ साहहफ का संकरन ककमा गमा।
 गुरु अजणन दे व के ऩुत्र हयगोववंद ने शाहजहाां के ववरुद्ध ववरोह कय उसकी सेना को 1628 ई. भें ऩयास्ि
ककमा था।

PCS सभीऺा [17] भध्मकारीन इतिहास


 आठ वें गुरु हयककशन के ऩुत्र िेग फहादयु ने औयं गजेफ की नीतिमों का ववयोध ककमा, िथा इस्राभ
स्वीकाय कयने का ववयोध ककमा ।जजसकी वजह से उन्हें ददल्री भें कैद कय हदसांफय 1765 ई. भें भाय
ददमा गमा।
 र्सक्ख गुरुओं भें सवाणधधक भहत्वऩूर्ण गुरु गोववांद र्संह थे। गुरु गोववंद र्संह ने ऩाहुरी प्रणारी को आयं ब
ककमा। इस प्रर्ारी भें दीक्षऺि होने वारा व्मजक्ि खारसा कहा गमा। खारसा ऩंथ की स्थाऩना गुरु
गोववंद र्संह ने 1699 ई. भें की थी। उनके धभण भें दीक्षऺि होने वारे व्मजक्ि को ऩाांच प्रकाय- केश, कांघा
,कृऩाण ,कच्छ ,औय कड़ा ग्रहर् कयना ऩडिा था। उनके द्वाया ही नाभ के अंि भें लसांह शब्द को प्रमोग
हुआ।
 गरु
ु गोववंद र्संह ने दसवीं 'फादशाह का ग्रंथ' नाभक एक ऩयू क ग्रंथ का संकरन ककमा।
 औयं गजेफ ने 1679 ई. भें जत्जमा कय को ऩन
ु ् रागू ककमा।
 औयं गजेफ ने दहंदओ
ु ं से िीथतमात्रा कय ऩन
ु ् वसर
ू ना शरू
ु ककमा।
 सम्राट औयं गजेफ ने इस्राभ के भहत्व को स्वीकायिे हुमे कुयान को अऩने शासन का आधाय फनामा।
उसने र्सक्खों ऩय करभा खद ु वाना ,नौयोज का त्मोहाय भनाना, बांग की खेिी कयना, गाना फजाना आदद
ऩय योक रगा दी।
 1663 ई. भें सिी प्रथा ऩय प्रतिफंध रगामा।
 1668 ई. भें दहंद ू त्मोहायों ऩय प्रतिफंध रगा ददमा। िर
ु ादान ऩय बी प्रतिफंध।
 अऩने शासनकार के 11 वें वषण झयोखा दशणन ऩय प्रतिफंध रगा ददमा।
 औयां गजेफ ने दयफाय भें संगीि ऩय ऩाफंदी रगा दी।
 औयं गजेफ स्वमं वीर्ा फजाने भें दऺ था।
 1669 ई. भें औयं गजेफ ने फनायस के ववश्वनाथ भंददय एवं सोभनाथ भंददय, भथयु ा का केशवयाम भंददय
को िड
ु वा ददमा।
 औयां गजेफ के शासनकार भें भुगर सेना भें सवातधधक दहंद ू सेनाऩति थे।
 औयं गजेफ की भत्ृ मु 3 भाचत 1707 ई. को हुमी ।इसे खर
ु िाफाद जो अफ योजा कहरािा है भें दपनामा
गमा। इस कब्र को औयां गजेफ ने अऩने जीवन कार भें ही स्वमं के र्रए तनर्भणि कयवामा था।

PCS सभीऺा [18] भध्मकारीन इतिहास

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