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Full Biology – Class 10


CHAPTERWISE & TOPICWISE
CHAPTER – 1 जैव प्रक्रम : पोषण
CHAPTER – 2 श्वसन
ट्वषय – सूची
CHAPTER – 3 पररवहन
CHPATER – 4 उत्सजजन
CHPATER – 5 ट्नयं त्रण और समन्वय
CHAPTER – 6 जनन Page 1 – 16
CHAPTER – 7 आनुवांशशकता तथा जैव ट्वकास

CHAPTER – 8 हमारा पयाजवरण

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CHAPTER – 6 // जीव जनन कै से करते है


★ जनन ➨ जो जीव अपने जैसा समान सं तान को उत्पन्न करता है, जनन या प्रजनन
कहलाता है।अथाजत जीव शजस प्रक्रम के माध्यम से अपनी सं ख्या में वृट्ि करता है उसे
जनन कहा जाता है।
★ जनन की ट्क्रया सभी जीवों में बहुत ही ज्यादा जरूरी होता है। जनन के कारण ही कोई
भी शजव अपनी अस्तित्व को बनाए रखते है।
★ जनन की ट्क्रया में भाग लेने वाले को जनक कहते है।
★ जनन की ट्क्रया के फलस्वरूप शजसका ट्नमाजण या जन्म होता है उसे सं तान या सं तट्त कहते है।

 जनन की ट्क्रया दो चरणो में सम्पन्न होती है।


1. अलैंट्गक जनन
2. लैट्गंक जनन
1. अलैंट्गक जनन ➨ जनन की वैसी प्रट्क्रया शजसमें एकल जीव भाग लेकर नए जीव का ट्नमाजण
करता है अलैंट्गक जनन कहलाता है।
2. लैट्गंक जनन ➨ जनन की वैसी प्रट्क्रया शजसमें दो ट्वपरीत जीव आपस में भाग लेकर नए जीव
का ट्नमाजण करता है, लैंट्गक जनन कहलाता है। जैस-े मानव, िनधारी

★ अलैंट्गक जनन के गुण


1. इसमें शुक्राणु भाग नही लेता है। 4. इसमें उत्पन्न सं तान अनुवांशशक रूप से जनक के
2. इसमें अंडाणु भाग नही लेता है। समान होता है।
3. इसमें ट्नषेचन नही होता है। 5. इसमे युग्मक का ट्नमाजण नही होता है।
6.इसमें के वल एक जनक भाग लेते है।
7. यह सरल जीवों और पादपों में होता है।

★ अलैंट्गक जनन के प्रकार -


➨ अलैंट्गक जनन की प्रमुख ट्वशधयााँ / प्रकार ट्नम्नशलशखत है:
1. ट्वखं डन ➨ अलैंट्गक जनन की वह ट्वधी शजसमे जीव / जनक दो या दो से भागो मे ट्वभक्त होकर स्वतं त्र
जीवनयापन करता है और अपने मातृ सं तट्त के जैसा समान सं तट्त को उत्पन्न करता है। जैसे –
जीवाणु , अमीबा ,युस्तिना , एककोशशकीय शैवाल , पैराट्मशशयम

ट्वखं डन की ट्क्रया दो चरणो में सम्पन्न होती है।


i. ट्िखण्डन ➨ ट्वखं डन की वह ट्वधी शजसमे जनक दो भागो मे ट्वभक्त होकर स्वतं त्र जीवन यापन
करते है और अपने मातृ सं तट्त के जैसा सं तान की उत्पट्ि करता है। जैसे – जीवाणु , अमीबा ,
पैराट्मशशयम।

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ii. बहुखं डन ➨ ट्वखं डन की वह ट्वधी शजसमें जीव प्रट्तकु ल अवस्था में एक कठोर आवरण में
सुरशक्षत रहता है शजसे पुरी कहते है। यह पुरी अचानक फरती है और इससे बहुत सारे जीव बाहर
ट्नकलकर स्वतं त्र जीवनयापन करता है और अपने मातृ सं तट्त के जैसा सं तान उत्पन्न करता है। जैसे
- अमीबा, बाउचेररया।

2. मुकुलन ➨ अलैंट्गक जनन की वह ट्वधी शजसमें जीव के शरीर से उभार ट्नकलता है


शजसे मुकुल या कशल कहते है। मुकुल से नए जीव का ट्नमाजण होना ही मुकुलन कहलाता
है। जैसे - हाइडि ा, यीस्ट।

3. अपखं डन ➨ जब कोई जनक का शारीर दो ट्हस्से में रू र जाये , और दोनों ट्हस्से अपना स्वतं त्र
जीवन व्यतीत करने लगे तो उसे अखं डन कहते है।

4. पुनजजनन / पुनरूद्भवन ➨ अलैंट्गक जनन की वह ट्वधी शजसमें जीव शरीर के करे भाग से नए
जीव का ट्वकास होता है, शजसे पुनजजनन कहा जाता है। जैसे- प्लेनेररया, अमीबा , हाइडि ा, फीताकृ ट्म, शिपकली

5. काट्यक जनन ➨ अलैंट्गक जनन की वह ट्वधी शजसमे जड़, तना, पिी के माध्यम से नया पौधा का ट्वकास ट्कया
जाता है, काट्यक जनन कहलाता है।
जैसे - पिी के माध्यम से पत्थरचट्टा (ब्रायोट्फलम)
तना - डहेशलया / गुलाब
जड़ - सं करकं द

5. बीजाणु जनन ➨ बीजाणुजनन अलैंट्गक जनन की एक उन्नत ट्वशध है। यह मुख्य रूप से ट्नम्न श्रेणी के जीवों जैसे -
जीवाणु, शैवाल एवं कवक आट्द में पाई जाती है। बीजाणुधाट्नयााँ एक सूक्ष्म थैली जैसी सं रचनाएाँ हैं जो प्रट्तकृ त
पररस्तस्थट्त में ट्नट्मजत होती है। इनके अंदर असं ख्य गोलाकार सूक्ष्म जीवाणु या स्वोर का ट्नमाजण होता है। अनुकुल
पररवेश में बीजाणु अंकुररत होने लगते हैं शजससे उनके भीतर की कोशशकीय रचनाएाँ बाहर आ जाती हैं।

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लैंट्गक जनन
★ लैंट्गक जनन के गुण
1. इसमें शुक्राणु भाग लेता है।
2. इसमे अंडाणु भाग लेता है।
3. इसमें ट्नषेचन की ट्क्रया होती है।
4. इसमें उत्पन्न सं तान अनुवांशशक रूप से जनक के समान होता है।
5. यह जट्रल प्रट्क्रया होती है।
6. इसमें युग्मक का ट्नमाजण होता है।
7. इसमें दो ट्वपरीत शलंग वाले जनक भाग लेते है।

 लैंट्गक जनन ➨ जनन की वैसी प्रट्क्रया शजसमें दो ट्वपरीत जीव आपस में भाग लेकर नए जीव का ट्नमाजण करता
है, लैंट्गक जनन कहलाता है। जैस-े मानव, िनधारी

 युग्मक ➨ युग्मक एक प्रकार की जनन कोशशका हैं। इसका ट्नमाजण युग्मक जनन की ट्क्रया में कोशशका ट्वभाजन
के फलस्वरुप होता है। पुरुषों की जनन कोशशका को शुक्राणु तथा शोयों की जनन कोशशका को अंडाणु कहते हैं।

युग्मक दो प्रकार के होते है


1. नर युग्मक (शुक्राणु )  पेड़ पौधों में नर युग्मक को परागकण कहा जाता है
2. मादा युग्मक (अंडाणु )

शुक्राणु और अंडाणु में अंतर


शुक्राणु अंडाणु
1. शुक्राणु का ट्नमाजण वृषण में होता है। 1. अंडाणु का ट्नमाजण अंडाशय में होता है।
2. इसे बनने में अपेक्षाकृ त कम समय लगता है। 4. इसे बनने में शुक्राणु के अपेक्षा ज्यादा समय लगता
3. इसका आकर िोरा होता है। है।
4. यह चलनशील होता है। 3. इसका आकार बड़ा होता है।
4. यह स्तस्थर होता है।

Q. सं लयन ट्कसे कहते है ?


उिर ➨ नर युग्मज और मादा युग्मक के ट्मलने की ट्क्रया को सं लयन कहते है।

Q. युग्मनज या जाईगोर कहते है ?


उिर ➨ जब नर युग्मक और मादा युग्मक सं लट्यत होने के फलस्वरुप शजस सं रचना का
ट्नमाजण होता है उसे युग्मनज या जाईगोर कहते है।

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ट्नषेचन
Q. ट्नषेचन क्या है ? यह ट्कतने चरणो मे सम्पन्न होता है ?
उिर ➨ नर एवं मादा युग्मक का सं लयन ट्नषेचन कहलाता है। ट्नषेचन का अथज गभजधारण होता है। ट्नषेचन की
ट्क्रया दो चरणो मे सं पन्न होती है।
1. अंतः ट्नषेचन ➨ ट्नषेचन की वैसी प्रट्क्रया शजसमे नर एवं मादा युग्मक का सं लयन मादा शरीर के भीतर सं पन्न होता
है, शजसे अंतः ट्नषेचन कहा जाता है। जैसे- मानव िनधारी , पक्षी इत्याट्द।
2. बाह्य ट्नषेचन ➨ ट्नषेचन की वैसी प्रट्क्रया शजसमे नर एवं मादा युग्मक का सं लयन मादा शरीर के बाहर सं पन्न होता
है शजसे बाह्य ट्नषेचन कहा जाता है। जैसे - मेढ़क, मिली, मच्छर , शैवाल इत्याट्द।

जीव & पादप

एक शलंगी ट्िशलंगी / उभयशलंगी

एक शलंगी ➨ वे जीव शजनमें नर और मादा स्पष्ट रूप से अलग-अलग हों उन्हें एक शलंगी जीव कहते हैं , अथाजत –
वैसा जीव शजसमे एक जनन अंग पाया जाये उसे एक शलंगी शजव कहते है। उदाहरण- मनुष्य , बन्दर , कु िा , पपीता
नर युग्मक (शुक्राणु) का ट्नमाजण हो रहा हो तो ➨ नर
मादा युग्मक (अंडाणु ) का ट्नमाजण हो रहा हो तो ➨ मादा

उभयशलंगी ➨ शजन जीवों में नर और मादा शलंग एक साथ उपस्तस्थत होते


हैं उन्हें उभयशलंगी कहते हैं। अथाजत – वैसा जीव शजसमे नर और मादा
दोनों जनन अंग पाया जाये उसे ट्िशलंगी / उभयशलंगी शजव कहते है।
जैसे – के चुआं , सरसों , गुडहल , कृ ट्म
पौधों में लैंट्गक जनन
पुष्पी पादप :- शजस पौधों में फु ल उगता है उसे पुष्पी पादप कहते है।
पुष्प की सं रचना :-

1. बाह्य दल -
➨ बाह्य दाल, पुष्प का सबसे बाहरी चक्र होता है। इनकी सं रचना
हरे रं ग की िोरी पिीनुमा होती है शजन्हें बाह्य दल (sepals) के
नाम से जाता हैं।
जब ये सं युक्त होते है तो इन्हें बाह्यदलपूं ज कहा जाता हैं। यह
सहायक अंग होते है।
कायज-
बाह्य दल के वषाज तथा धूप से पुष्प की सुरक्षा करना।

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2. दल चक्र -
➨ दल चक्र, पुष्प का दूसरा चक्र कहलाता है जो बाह्य दलपुं ज के अन्दर
स्तस्थत होता है। बाह्य दल चक्र के अंदर या ऊपर रं गीन पत्रों का एक चक्र
होता है तथा इन रं गीन पत्रों को दल पत्र कहते हैं। यह प्रायः 2-6 दलोंका
बना होता है। यह परागण हेतु कीरों को आकट्षजत करता है।
कायज-
दल के रं गीन होने के कारण कीरों को आकट्षजत कर परागण में सहायता करते है।
3. पुमंग –
➨ पुं के सर पुष्प का वािट्वक नर जनन भाग होता है। यह पुष्प का तीसरा चक्र है जो नर अंगों का बना हुआ होता
है। इसमें बहुत लम्बी-लम्बी रचनाएाँ पायी जाती हैं शजनको पुं के सर कहा जाता हैं।
पुं के सर में एक ट्िपाशलक रचना होती है उसे परागकोश कहा जाता हैं। परागकोश पतले, लचीले तन्तु के शसरे पर स्तस्थत
होता है। परागकोश में परागकणों की उत्पट्ि होती है।
4. जायांग या ोीके सर –
➨ पौधों का मादा जनन अंग ही जायांग कहलाता है । जो पुष्प के बीचो-बीच में पाया जाता है। आधार पर उभरा
फूला भाग अण्डाशय कहलाता है। मध्य में लम्बा भाग वट्तजका तथा शीषज भाग वट्तजकाग्र कहलाता है। जो प्रायः
शचपशचपा होता है शजस पर परागकण आकर शचपक जाते हैं। अण्डाशय में बीजाण्ड होते हैं तथा प्रत्येक बीजाण्ड में एक
अण्ड कोशशका होती है।

Q. रासायट्नक अनुवतजन क्या है ?


उिर ➨ परागनलीका में परागकणों की जो गट्त होती है उसे रासायट्नक अनुवतजन कहते है।

Q. परागन क्या है ?
उिर ➨ जब ट्कसी पुष्प का परागकण ट्नकलकर ट्कसी दूसरे पुष्प या ट्फर ट्कसी दूसरे
पौधे के पुष्प तक पहुाँचता है, तो इस ट्क्रया को परागण कहते हैं।

परागण की ट्क्रया दो ट्वशधयों िारा होती है:-


1. स्वपरागण 2. परपरागण
1. स्वपरागण ➨ जब परागण की ट्क्रया ट्कसी पुष्प के परागकोष से
परागकण ट्नकालकर उसी पौधे के पुष्प पर परता है तो वह स्वपरागण
कहलाता है।

2. परपरागण ➨ जब परागण की ट्क्रया ट्कसी पुष्प के परागकोष से


परागकण ट्नकालकर ट्कसी दुसरे पौधे के पुष्प पर पड़ता है तो वह
परपरागण कहलाता है।

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Q. उिक सं वधनज से आप क्या समझते है ?


उिर ➨ यह एक प्रकार का पेड़- पौधो मे सं पन्न होने वाला अलैंट्गक
प्रजनन होता है, शजसमे पौधा के शशषज भाग को कृ ट्त्रम या वैज्ञाट्नक तरीके
से पोषक तत्व युक्त बतजन मे रखा जाता है शजसके फलस्वरूप अंसख्य
कोशशकाओ के समुह का ट्नमाजण होता है , शजसे कै लस कहते है। इसी
कै लस के माध्यम से जड़, तना, पिी का ट्नमाजण होता है उसके बाद इसे
एक स्थान से हराकर दुसरे स्थान पर प्रत्रोट्पत ट्कया जाता है, शजससे एक नए पौधा का ट्नमाजण हो जाता है, शजसे
उिक सं वधजन कहा जाता है।

मानव जनन तं त्र


➨ मानव एक शलंगी प्राणी होते है।
Q. पुरूष यौवनारं भ के आप क्या समझते है ?
उिर ➨ जब नर का जनन अंग कायज करना शुरू कर दे ता है शजसे पुरूषयौवनारं भ कहा जाता है। सभी बालक वगज का
जनन अंग 12-13 वषज की अवस्था मे कायज करना शुरू कर देता है, शजसे पुरूष यौवनारं भ कहा जाता है। पुरूष के वृषण
से रे स्टेस्टेरॉन हामोन का श्राव होता है। जो लैंट्गक कायज को दशाजता है। जैसे -
(i)आवाज मे भारीपन (ii)दाढ़ी मुि आना (iii)कं धा का चौड़ा होना
(iv)जनन अंग पर बाल आना (v)शरीर सुडॉल एवं ताकतवर होना (vi)कााँ ख का बाल आना

Q. ोी यौवनारं भ से आप क्या समझते है ?


उिर ➨ जब मादा के शरीर का जनन अंग कायज कर शुरू कर दे ता है तो उसे ोी यौवनारं भ कहा जाता है। सभी
बाशलका वगज का जनन अंग 12-13 वषज की अवस्था मे कायज करना शुरू कर देता है मादा के अंडाशय भाग से स्टिोजन
एवं प्रोजेस्टेरॉन हामोन का श्राव होता है जो लैट्गंक कायज को दशाजता है। जैसेः - आवाज मे मधुरता
(i)िन का ट्वकास (ii)ट्नतं ब का चैड़ा होना (iii)जनन अंग पर बाल उगना
(iv)माशसक चक्र प्रारं भ होना (v)कााँ ख का बाल आना

Q. नर जनन तं त्र का सशचत्र वणजन करे।


उिर ➨ नर प्रजनन तं त्र के अंतगजत कई प्रमुख अंग शाट्मल होतो है जैसे:-
1. वृषण ➨ यह नर का प्रथम लैंट्गक जनन अंग होता है शजसकी सं रचना अंडाकार
होती है और इसकी सं ख्या 1 जोड़ी जो उदर गुहा के बाहर थैलीनुमा सं रचना मे होता
है। इसका प्रमुख कायज शुक्राणु का ट्नमाजण करना एवं रे स्टेस्टेरॉन हामोन का श्राव
करना।
2. अशधवृषण ➨ शुक्राणु के सं ग्रह स्थान को अशधवृषण कहा जाता है।
3. शशश्न ➨ इसकी सं रचना मांसल होती है जो हषजन उिक का बना होता है इसके
सहारे ही मादा के योट्न ट्हस्सा मे शुक्राणु को पहुाँचाया जाता है।
4. शुक्राशय ➨ यह शचपशचपा प्रिाथज को श्राट्वत करता है।
5. शुक्रावाट्हका नली ➨ वृषण और अशधवृषण को जोड़ने वाली नशलका को शुक्रावाट्हका नली कहा जाता है।

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Q. मादा जनन तं त्र का सशचत्र वणजन करे।


उिर ➨ मादा का जनन अंग नर के जनन अंग से काफी जट्रल सं रचना होती है। इसमे प्रमुख अंग भाग लेते हैः
1. अंडाशय ➨ यह मादा का प्रथम लैंट्गक जनन अंग होता है शजसकी सं रचना अंडाकार सं ख्या -1 जोड़ी जो उदर गुहा
के अंदर स्तस्थत होता है। अंडाशय की बाहरी परत एट्पशथशलयम उिम का बना होता है जबट्क अंदर वाला भाग सं योजी
उिक का बना होता है। शजसे स्टिोमा कहते है। अंडाशय का प्रमुख कायज अंडाणु का ट्नमाजण तथा हामोन का श्राव करना
होता है।
2. फैलोट्पयन नशलका या ट्डम्बावाट्हनी :- यह गभाजशय के ठीक ऊपर अलग-बगल भाग मे स्तस्थत होता है , शजसकी
सं ख्या 1 जोड़ी होती है। मादा का ट्नषेचन ट्क्रया इसी मे सम्पन्न होता है। फैलोट्पयन नशलका एक शशरा गमाजशय के
ट्दवार से जुड़ता है जबट्क दुसरा शशरा अंडाशय के बगल मे अंगलीनुमा सं रचना बनाती है शजसे झालर कहते है इसका
प्रमुख कायज अंडाणु को पकड़ना।
3. गभाजशय:- इसे बच्ेदानी भी कहा जाता है शजसकी सं रचना मांसल ट्त्रभुजाकार होती है इसका चैड़ा भाग ऊपर की
ओर होता है शजसके दोनो ट्कनारो पर फैलोट्पयन नशलका स्तस्थत होती है। जबट्क इसका नीचला भाग सं करा होती है |
शजसके पास गभाजशय ग्रीवा होते है। इसके बीचो बीच एक िोरा शिद्र होता है उसी के सहारे शुक्राणु प्रवेश करता है।
 फैलोट्पयन नशलका की लम्बाई - 10 सेमी०
 मादा मे ट्नषेचन की ट्क्रया फैलोट्पयन नशलका मे सं पन्न होती है।

4. योट्न :- यह मांसल नशलकार सं रचना होती है शजसकी औसत लम्बाई 7-10 सेमी० होती है। योनी का ट्दवार पेशीय
उिक का बना होता है। शजसपर िोरी-िोरी ग्रशथयां कहा जाता है शजसे बल्बोरीथ्रल ग्रशथ कहा जाता है। इससे
शचपशचपा प्रिाथज श्राट्वत होता है जो योट्न को मुलायम रखता है।

शचत्र-

Q. मानव मे शलंग का ट्नधाजरण कै से होता है?


उिर ➨ सामान्यतः मानवों में 23 जोड़ा गुणसुत्र पाया जाता है, शजसमे 22 जोड़ा गुणसुत्र एक समान होते है, शजसे
ऑरोसोम कहा जाता है तथा शेष बचे गुणसुत्र को शलंग गुणसुत्र कहा जाता है। इसी से शलग का ट्नधाजरण होता है।
मादा में गुणसुत्र की सं रचना XX जबट्क नर मे XY होता है। Y गुणसुत्र के अपेक्षा X गुणसुत्र िड़ाकार
होता है। मादा का X गुणसुत्र नर के X गुणसुत्र से ट्मलाकर युग्मनज XX बनाता है तब जन्म लेने वाला बच्ा लड़की
होती है। उसी प्रकार से नर का Y गुणसुत्र मादा के X गुणसुत्र से ट्मलकर युग्मनज XY बनाता है तब जन्म लेने वाला
बच्ा लड़का होता है। अतः शलगं का ट्नधाजरण ट्पता के गुणसुत्र पर ट्नभजर करता है।
पुरूष के नशबं दी को - वैशकोरोमी कहते है।
मादा के नशबं दी को - रयुबकरोमी कहते है।

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जनन सं चाररत रोग


अनैट्तक यौन सं बं ध बनाने के कारण जो रोग होता है उसे जनन सं चाररत रोग कहते है। या जनन की ट्क्रया के कारण
जो रोग होता है उसे जनन सं चाररत रोग कहते है।
वायरस :- हट्वजस , एड् स
वैक्टीररया :- शसफशलस , गोनोररया
प्रोरोजोया :- रिाईकोमोट्नएशसस

Q. जनन स्वास्थ क्या है ? इसके प्रमुख पहलुओ को शलखे।


उिर ➨ जनन स्वास्थ का तात्पयज उन सभी पहलुओ से है, शजसमे शारीररक भावनात्मक एवं समाशजक स्वास्थ जुड़ा
होता है शजसे जनन स्वास्थय कहा जाता है।
जनन स्वास्थय के प्रमुख पहलु ट्नम्नशलशखत है:-
1. सभी ट्वद्यालयो मे यौन शशक्षा दे ना चाट्हए।
2. ट्कशोर और ट्कशोरी वगज को यौन सं बं ध एवं यौन सं चाररत रोग के बारे मे जानकारी देना चाट्हए
3. मादा भ्रण हत्या पर रोक लगाना चाट्हए।
4. शलग जॉच पर प्रट्तबं ध लगना चाट्हए।
5. खास कर ट्कशोर और ट्कशोरी वगज को एड् स के बारे मे ट्वशेष जानकारी दे ना चाट्हए।

Q. जनसं ख्या ट्नयं त्रण के प्रमुख ट्वशधयो का वणजन करे।


उिर ➨ जनसं ख्या ट्नयं त्रण के प्रमुख ट्वशध ट्नम्नशलशखत हैः
1. प्राकृ ट्तक ट्वशध :-
1. रासायट्नक ट्वशध ➨ इस ट्वधी के तहत स्पमी साइडल नामक रसायन का प्रयोग मादा के ट्ग्रवा भाग पर ट्कया जाता
है। शजससे शुक्राणु नष्ट हो जाता है। जैसेः - ट्मरेना ट्क्रम, प्रनीम जेली
2. हामोनल ट्वधी ➨ इस ट्वशध मे हामोन को आपस मे ट्मलाकर गोशलयॉ तैयार की जाती है जो गभज ट्नरोधक का
कायज करता है। जैसे - माला D , माला N, सहेली
3. सशजजकल ट्वधी ➨ इस ट्वधी के तहत पुरूष को नशबं दी कर ट्दया जाता है शजसे वैशकरोमी कहते है। इसमे पुरूष
के शुक्रवाट्हका नली को कारकर बॉध ट्दया जाता है ताट्क शुक्राणु अंडाणु से न ट्मल सके उसी प्रकार से शोयों के
नशबं दी का ट्यूबकोरामी कहा जाता है शजसमे फैलोट्पयन नशलका को कारकर धागा को बॉध ट्दया जाता है।
4. यांट्त्रक ट्वधी ➨ आज के वतजमान समय मे ोी और पुरूष के शलए अलग-अलग वैज्ञाट्नक तरीके से अंडाणु ट्नषेचन
को रोकने के शलए उपाय ट्कया गया है। शजसमे पुरूषो के बाजार मे कं डोम उपलबध है। यह एक प्रकार की रबर की
प्लाशस्टक होती है। शजसे नर के स्तशशन भाग मे लगाया जाता है जबट्क मादा के शलए कॉपर री उपलब्ध है। जो ट्नषेचन
ट्क्रया का रोकने का कायज करती है।

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VVI OBJECTIVE QUESTION


1. पुष्पी पादपों में लैंट्गक जनन होता है ? 7. ट्िखण्डन होता है –
[ A ] पट्ियों िारा [ A ] अमीबा
[ B ] फूलों िारा [ B ] पैराट्मशशयम
[ C ] तना िारा [ C ] लीशमैट्नया में
[ D ] कोई नहीं [ D ] कोई नहीं

2. मानव मादा के जनन तं त्र का भाग नहीं है 8. ट्नम्न में से ट्कस जीव में बहु-ट्वखं डन होता है?
[ A ] अण्डाशय [ A ] अमीबा
[ B ] गभाजशय [ B ] हाइडि ा
[ C ] शुक्रवाट्हका [ C ] मलेररया परजीवी
[ D ] ट्डम्बवाट्हनी [ D ] यीस्ट

3. नरयुग्मक एवं मादायुग्मक के सं िन को कहते है - 9. ब्रायोफाइलम के कौन-से भाग में काट्यक प्रवधजन होता है

[ A ] ट्कण्वन [ A ] पट्ियााँ

[ B ] बौनापन [ B ] जड़

[ C ] मधुमेह [ C ] तना

[ D ] कोई नहीं [ D ] फूल

4. ट्नम्नशलशखत में से कौन एकशलं गी पादप का उदाहरण है ? 10. मानव-मादा में ट्नषेचन होता है –

[ A ] सरसों [ A ] गभाजशय में

[ B ] गुड़हल [ B ] अंडाशय में

[ C ] पपीता [ C ] योट्न में

[ D ] मरर [ D ] फैलोट्पयन नशलका में

5. मुकुलन िारा प्रजनन ट्कसमें होता है ? 11. तने िारा काट्यक प्रवधजन होता है –

[ A ] अमीबा [ A ] पोदीने में

[ B ] यीस्ट [ B ] हल्दी में

[ C ] मलेररया [ C ] अदरक में

[ D ] पैरामीशशयम [ D ] सभी में

6. फूलों में नर प्रजनन अंग होता है – 12. खं डन िारा जनन होता है –

[ A ] पुं के सर [ A ] मेंढक में

[ B ] अडंप [ B ] शसतारा मिली में

[ C ] वट्तजकाग्र [ C ] ट्रड्डे में

[ D ] वट्तजका [ D ] कौए में

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13. काट्यक प्रवधजन सम्भव है – 19. गट्तशील जनन कोशशका को नर युग्मक तथा शजस जनन कोशशका

[ A ] जड़ िारा में भोजन का भण्डार सं शचत होता है। उसे क्या कहते हैं ?

[ B ] तना िारा [ A ] जननांग

[ C ] पिी िारा [ B ] उभयशलं गी

[ D ] उपरोक्त सभी िारा [ C ] परागकणं


[ D ] मादा युग्मक

14. तने पर अपस्थाट्नक कशलयााँ पायी जाती हैं –


20. एड् स रोग का प्रमुख कारण है –
[ A ] पोदीने में
[ A ] असुरशक्षत यौन सपजक
[ B ] आलू में
[ B ] खून की कमी
[ C ] ब्रायोट्फलम में
[ C ] ट्वराट्मन की कमी
[ D ] सभी में
[ D ] पोषण की कमी

15. मुकुलन िारा अलैंट्गक जनन होता है-


21. पं खुट्ड़यों का रंग अशधकतर –
[ A ] हाइडि ा में
[ A ] पीला होता है
[ B ] मरर में
[ B ] हरा होता है
[ C ] शैवाल में
[ C ] लाल होता है
[ D ] प्लाज्मोट्डयम में
[ D ] सफेद होता है

16. अलैंट्गक जनन मुकुलन िारा होता है-


22. फूल का कौन-सा भाग फल में बदलता है ?
[ A ] अमीबा में
[ A ] पुं के सर
[ B ] यीष्ट में
[ B ] ोीके सर
[ C ] प्लाज्मोट्डयम में
[ C ] अंडाशय
[ D ] लेस्माट्नया में
[ D ] बीज

17. ट्नम्न में से कौन मानव में मादा जनन तं त्र का भाग नहीं है ? 23. भ्रूण के शजस भाग से तना, पट्ियााँ बनती हैं, उसे
[ A ] अंडाशय [ A ] मूलांकुर कहते हैं
[ B ] गभाजशय [ B ] प्रांकुर कहते हैं
[ C ] शुक्र वाट्हका [ C ] प्ररोह तं त्र कहते हैं
[ D ] ट्डम्ब वाट्हनी [ D ] इनमें से कोई नहीं

18. परागकोश में होते हैं – 24. एकल जीवों में प्रजनन की ट्वशध है –
[ A ] बाह्य दल [ A ] खं डन
[ B ] अंडाशय [ B ] ट्वखं डन
[ C ] अंडप [ C ] बीजाणु समासं घ
[ D ] परागकण [ D ] ये सभी

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25. लैंट्गक जनन में आवश्यकता होती है – 31. शोयों में अंडाशय की सं ख्या ट्कतनी होती है –
[ A ] के वल नर जननांग [A] 1
[ B ] के वल ोी जननांग [B] 2
[ C ] नर एवं ोी जननांग दोनों [C] 3
[ D ] इनमें से कोई नहीं [D] 4

26. पुं के सर पुष्प का कौन-सा जननांग है ? 32. मनुष्य में ट्नषेचन के फलस्वरूप बनता है –
[ A ] नर [ A ] भ्रूण
[ B ] ोी [ B ] बीजाणु
[ C ] दोनों [ C ] युग्मनज
[ D ] इनमें से कोई नहीं [ D ] इनमें से कोई नहीं

27. पुरुषों में यौवनारंभ के लक्षण हैं – 33. वृषण में बने शुक्राणु सं शचत होते हैं –
[ A ] दाढ़ी एवं मूं ि का उगना [ A ] शुक्राशय में
[ B ] कं ठ का फूरना [ B ] अशधवृषण में
[ C ] मांसपेशशयों में उभार आना [ C ] शुक्रवाट्हका में
[ D ] ये सभी [ D ] मूत्रमागज में

28. शोयों में यौवनारंभ के लक्षण हैं – 34. वैसे पररवतजन जो जीवों के ट्नयं त्रण से बाहर होते हैं ,
[ A ] िनों की वृट्ि कहलाते हैं –
[ B ] ट्नतम्बों का उभरना [ A ] रकराना
[ C ] रजोधमज का प्रारंभ [ B ] क्षमता
[ D ] ये सभी [ C ] ट्नके त
[ D ] पररवतजन
29. मनुष्यों में नरजननांग ट्नम्नशलशखत में से कौन हैं –
[ A ] वृषण 35. एकशलं गी पुष्प का उदाहरण है :
[ B ] शुक्रवाट्हका [ A ] पपीता
[ C ] मूत्रमागज [ B ] सरसों
[ D ] ये सभी [ C ] उड़हुल
[ D ] इनमें से कोई नहीं
30. शुक्राणुओ ं का मोचन कहााँ होता है-
[ A ] अशधवृषण 36. मानव जनन अंग ट्कस आयु में पररपक्व एवं ट्क्रयाशील होता है ?

[ B ] शुक्रवाट्हका [ A ] 12
[ C ] वृषण [ B ] 18
[ D ] शुक्राशय [ C ] 24
[ D ] 30

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37. शुक्राणु का ट्नमाजण होता है : 43. मााँ के रूशधर से पोषण ट्मलता है :


[ A ] वृषण में [ A ] भ्रूण को
[ B ] गभाजशय में [ B ] गभाजशय को
[ C ] अंडाशय में [ C ] ग्रीवा को
[ D ] इनमें सभी में [ D ] शुक्राणु को

38. शलं ग गुण-सूत्र का पूणज जोड़ा पाया जाता है : 44. मानव मादा में गभजकाल का समय होता है ?
[ A ] पुरुष में [ A ] 9 माह
[ B ] ोी में [ B ] 10 माह
[ C ] पुरुष और ोी दोनों में [ C ] 12 माह
[ D ] ट्कसी में नहीं [ D ] 8 माह

39. हाइडि ा में प्रजनन की ट्वशध ट्नम्नशलशखत में से कौन है ? 45. ऋतुस्राव या रजोधमज का समय होता है :
[ A ] काट्यक प्रवधजन [ A ] 2 से 8 ट्दन
[ B ] बीजाणु समासं घ [ B ] 3 से 9 ट्दन
[ C ] मुकुलन [ C ] 4 से 10 ट्दन
[ D ] ट्वखं डन [ D ] 5 से 11 ट्दन

40. पुष्प का कौन-सा भाग परागकण बनाता है ? 46. ट्नषेचन ट्क्रया के पश्चात् युग्मनज में क्या बनता है ?
[ A ] बाह्यदल [ A ] बीज
[ B ] पं खुड़ी [ B ] भ्रूण
[ C ] पुं के सर [ C ] खून का थक्का
[ D ] ोीके सर [ D ] इनमें सभी

41. गन्ना, गुलाब एवं अंगूर के कृ ट्ष में ट्कस जनन ट्वशध का
47. वह प्रक्रम शजसके िारा जीव अपने जैसी सं तानों की उत्पट्ि
उपयोग ट्कया जाता है ?
करते है, कहलाता है :
[ A ] मुकुलन ट्वशध का
[ A ] जनन
[ B ] काट्यक ट्वशध का
[ B ] डायाफ्राम
[ C ] खण्डन ट्वशध का
[ C ] ट्नषेचन
[ D ] ट्वखण्डन ट्वशध का
[ D ] भ्रूण

42. मादा जनन तं त्र में दोनों अण्डवाट्हकाएं सं युक्त होकर एक


48. जनन ट्कतने प्रकार से होता है :
लचीली थैलेनुमा सं रचना का ट्नमाजण करता है , शजसे कहते है –
[ A ] दो
[ A ] ग्रीवा
[ B ] तीन
[ B ] योट्न
[ C ] चार
[ C ] गभाजशय
[ D ] एक
[ D ] इनमें से कोई नहीं

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49. इनमें कौन अलैंट्गक जनन की ट्वशध है ? 55. ट्नषेचन के फलस्वरूप अंडाशय की दीवारें बनाती है :.
[ A ] ट्वखं डन [ A ] फूल
[ B ] मुकुलन [ B ] फल
[ C ] बीजाणुजनन [ C ] बीज
[ D ] इनमें सभी [ D ] भ्रूण

50. ट्कस प्रकार के जनन में जनक के शरीर से कशलका 56. बीजांड की दीवारें मोरी होकर बनाती हैं :

ट्नकलती है ? [ A ] फल

[ A ] मुकुलन में [ B ] बीज

[ B ] ट्वखं डन में [ C ] बीजावरण

[ C ] अपखं डन में [ D ] भ्रूण

[ D ] बीजाणुजनन में
57. ट्नम्नशलशखत में कौन-सा भाग के वल पुरुष जननांग में पाया
जाता है ? .
51. परागकोश में पाए जाते हैं:
[ A ] फैलोट्पअन नशलका
[ A ] दलपुं ज
[ B ] लेट्बया माइनोरा
[ B ] बाह्यदल
[ C ] शुक्रवाट्हका
[ C ] परागकण
[ D ] पररपक्व पुरक
[ D ] ोीके सर

58. नर युग्मक तथा मादा युग्मक के सं योजन से बनता है:


52. ोीके सर के आधारीय भाग को कहते है :
[ A ] जाइगोर
[ A ] वट्तजका
[ B ] अंडाणु
[ B ] अंडाशय
[ C ] शुक्राणु
[ C ] वट्तजकाग्र
[ D ] वीयज
[ D ] पुष्पासन

59. शोयों के माशसक चक्र में एक पररपक्व अंडाणु ट्कस ट्दन


53. पुं के सर के अग्रभाग को कहते हैं : अंडाशय से बाहर ट्नकलता है ?
[ A ] वट्तजका [ A ] 28वें ट्दन
[ B ] परागकोश [ B ] 14वें ट्दन
[ C ] वट्तजकान [ C ] 20वें ट्दन
[ D ] परागनली [ D ] 30वें ट्दन

54. ट्नषेचन की ट्क्रया ट्कस जीव में मुख्यतः होती है ? 60. ट्नम्नशलशखत में कौन लैंट्गक जनन सं चाररत रोग नहीं है ?
[ A ] अमीबा में [ A ] AIDS
[ B ] यीस्ट में [ B ] गोनोररया
[ C ] पुष्पी पादप एवं जं तुओ ं में [ C ] शसफशलस
[ D ] इनमें कोई नहीं [ D ] राइफॉयड
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