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हिंदी परियोजना-WPS Office
हिंदी परियोजना-WPS Office
नाम:बेदिका दोले
कक्षा: बारहवीं (से)
रोल नंबर:४
घोषणा पत्र
बेदिकादोले
मैं .................... यह घोषणा करता हूँ कि यह परियोजना कार्य मेरे द्वारा
किया गया है । इस परियोजना कार्य की संबन्धित शिक्षक से पूर्वानुमति प्राप्त कर
ली गयी है । इस परियोजना में लिए गए चित्र इंटरनेट, पुस्तक, समाचार-पत्र,
पत्रिकाओं से प्राप्त किए गए हैं । यह परियोजना कार्य पूर्णत: मौलिक है ।
बेदिका दोले
हस्ताक्षर
प्रमान पत्र
फणीश्वर नाथ रेणु व्यक्तिव विषय
प्रमाणित किया जाता है कि
कृविषय
तित्व...........................................................नामक
बेदिकादोले परियाजना कार्य
विद्यार्थी ................. द्वारा प्रस्तुत किया गया है जो कि कें द्रीय विद्यालय संगठन
दिल्ली संभाग की वार्षिक पूरक परीक्षा 2020 के लिए है |
१५/०९/२०२१
दिनांक ................
परीक्षक
जन्म
उनकी कहानी 'मारे गए गुलफ़ाम' पर आधारित फ़िल्म 'तीसरी क़सम' ने भी उन्हें काफ़ी प्रसिद्धि दिलवाई।
इस फ़िल्म में राजकपूर और वहीदा रहमान ने मुख्य भूमिका में अभिनय किया था। 'तीसरी क़सम' को
बासु भट्टाचार्य ने निर्देशित किया था और इसके निर्माता सुप्रसिद्ध गीतकार शैलेन्द्र थे। यह फ़िल्म हिंदी
सिनेमा में मील का पत्थर मानी जाती है। कथा-साहित्य के अलावा उन्होंने संस्मरण, रेखाचित्र और
रिपोर्ताज आदि विधाओं में भी लिखा। उनके कु छ संस्मरण भी काफ़ी मशहूर हुए। 'ऋणजल धनजल',
'वन-तुलसी की गंध', 'श्रुत अश्रुत पूर्व', 'समय की शिला पर', 'आत्म परिचय' उनके संस्मरण हैं। इसके
अतिरिक्त वे 'दिनमान पत्रिका' में रिपोर्ताज भी लिखते थे। 'नेपाली क्रांति कथा' उनके रिपोर्ताज का उत्तम
उदाहरण है।
साहित्यिक कृ तियां
रेणु को जितनी ख्याति हिंदी साहित्य में अपने उपन्यास मैला आँचल से मिली, उसकी मिसाल मिलना
दुर्लभ है। इस उपन्यास के प्रकाशन ने उन्हें रातो-रात हिंदी के एक बड़े कथाकार के रूप में प्रसिद्ध कर
दिया। कु छ आलोचकों ने इसे गोदान के बाद इसे हिंदी का दूसरा सर्वश्रेष्ठ उपन्यास घोषित करने में भी
देर नहीं की। हालाँकि विवाद भी कम नहीं खड़े किये उनकी प्रसिद्धि से जलनेवालों ने. इसे सतीनाथ
भादुरी के बंगला उपन्यास 'धोधाई चरित मानस' की नक़ल बताने की कोशिश की गयी। पर समय के
साथ इस तरह के झूठे आरोप ठन्डे पड़ते गए।
रेणु के उपन्यास लेखन में मैला आँचल और परती परिकथा तक लेखन का ग्राफ ऊपर की और जाता है
पर इसके बाद के उपन्यासों में वो बात नहीं दिखी।
उपन्यास
•मैला आंचल •प्रसिद्ध कहानियाँ
•ठेस
संवदिया
तीसरी कसम पर इसी नाम से राजकपूर और वहीदा रहमान की मुख्य भूमिका में प्रसिद्ध फिल्म बनी
जिसे बासु भट्टाचार्य ने निर्देशित किया और सुप्रसिद्ध गीतकार शैलेन्द्र इसके निर्माता थे। यह फिल्म हिंदी
सिनेमा में मील का पत्थर मानी जाती है। हीरामन और हीराबाई की इस प्रेम कथा ने प्रेम का एक अद्भुत
महाकाव्यात्मक पर दुखांत कसक से भरा आख्यान सा रचा जो आज भी पाठकों और दर्शकों को लुभाता
है।
निधन
दमन और शोषण के विरुद्ध आजीवन संघर्षरत रहे 'रेणु' ने सक्रिय राजनीति में भी हिस्सेदारी की। 1952-53
के दौरान वे बहुत लम्बे समय तक बीमार रहे। फलस्वरूप वे सक्रिय राजनीति से हट गए। उनका झुकाव
साहित्य सृजन की ओर हुआ। 1954 में उनका पहला उपन्यास 'मैला आंचल' प्रकाशित हुआ। मैला आंचल
उपन्यास को इतनी ख्याति मिली कि रातों-रात उन्हें शीर्षस्थ हिन्दी लेखकों में गिना जाने लगा।
जीवन के सांध्यकाल में राजनीतिक आन्दोलन से उनका पुनः गहरा जुड़ाव हुआ। 1975 में लागू आपातकाल
का जे.पी. के साथ उन्होंने भी कड़ा विरोध किया। सत्ता के दमनचक्र के विरोध स्वरूप उन्होंने पद्मश्री की मानद
उपाधि लौटा दी। उनको न सिर्फ़ आपात स्थिति के विरोध में सक्रिय हिस्सेदारी के लिए पुलिस यातना झेलनी
पड़ी बल्कि जेल भी जाना पड़ा। 23 मार्च 1977 को जब आपात स्थिति हटी तो उनका संघर्ष सफल हुआ।
परन्तु वो इसके बाद अधिक दिनों तक जीवित न रह पाए। रोग से ग्रसित उनका शरीर जर्जर हो चुका था। इसी
समय रेणु ने पटना में 'लोकतंत्र रक्षी साहित्य मंच' की स्थापना की। इस समय तक रेणु को ‘पैप्टिक अल्सर'
की गंभीर बीमारी हो गई थी। लेकिन इस बीमारी के बाद भी रेणु ने 1977 इं में नवगठित जनता पार्टी के लिए
चुनाव में काफी काम किया। 11 अप्रैल 1977 इं को रेणु उसी पैप्टिक अक्सर से की बीमारी के कारण चल
बसे।
निष्कर्ष
अंत में,मैं इस ‘फणीश्वर नाथ रेणु व्यक्तित्व एवं कृ तित्व' परियोजना को करते हुए अपना
अनुभव साझा करना चाहूंगी। मैंने दिए गए एक विषय के बारे में कई सारे नई बातें सीखी।
सबसे अच्छी बात यह है कि मैंने इस विषय में अधिक रुचि विकसित की है।
इस परियोजना ने मुझे 'फणीश्वर नाथ' जी के विषय में वास्तविक जानकारी प्रदान की है।
हमारे इस तरह के लक्ष्य निर्धारित करने के लिए डॉ. परमानंद(सार) को बोहुत बोहूत
धन्यवाद। मैंने इस परियोजना में करने वाले हर एक कार्य का आनंद लिया।
धन्यवाद।