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केन्द्रीय विद्यालय,

आरके पुरम,
- 04

हिंदी जांच परियोजना


सत्र: 2022- 23
विषय - हरिवंश राय बच्चन
द्वारा प्रस्त ुत - यशवर्धन
कक्षा - बारहवीं (विज्ञान)
अनुक्र मांक (सीबीएसई) - 14784472
के मार्गदर्शन में
श्री मुके श कु मार ,
पीजीटी (हिंदी )

प्रमाण पत्र
यह प्रमाणित किया जाता है कि बारहवीं कक्ष ा के यशवर्धन ने शै क्ष णिक
वर्ष 2022-23 के लिए श्र ी म ु के श कु मार के मार्गदर्शन में हरिवं श राय
बच्चन नामक अपनी हि ंद ी परियोजना को प ू र ा किया है । परियोजना से
कोई महत्वप ू र्ण विवरण छू टे बिना समय सीमा। यह भी प्रमाणित किया
जाता है कि यह परियोजना छात्र का व्यक्ति गत कार्य है और इसे
म ू ल् यां क न के लिए प्रस्त ु त किया जा सकता है ।

शिक्ष क के हस्ताक्ष र
छात्र के हस्ताक्ष र
स्वीकृ ति
मैं अपने प्रोजे क् ट गाइड श्र ी म ु के श कु मार सर को प्रोजे क् ट के दौरान मे र ा
अत्यधिक मार्गदर्शन करने के लिए धन्यवाद और आभार व्यक्त करना
चाहता हूं । उन्होंने हमे शा मे रे प्रोजे क् ट में गहरी दिलचस्पी दिखाई।
उनकी रचनात्मक सलाह और निरं त र प्रे र णा उनकी परियोजना के सफल
समापन के लिए जिम्मे द ार रही है ।

और साथ ही, मु झ े इस परियोजना को प ू र ा करने के लिए अपने


सहपाठियों को उनकी समय पर मदद और समर्थन के लिए धन्यवाद
दे न ा चाहिए।

अं ति म ले कि न कम नहीं ; मैं उन सभी को धन्यवाद दे न ा चाहता हूं


जिन्होंने इस परियोजना को प ू र ा करने में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से
मदद की।

यशवर्धन
कक्ष ा- बारहवीं (विज्ञान)

विषयसूची
1. प्रमाण पत्र

2.
स्वीकृ ति

3. हरिवं श राय बच्चन की जीवनी

4. सं क्षि प्त परिचय 

5. बालपन व शिक्ष ा

6. हरिवं श राय और श्यामा दे वी (प्र थम पत्नी)

7. हरिवं श राय और ते ज ी बच्चन (द्वितीय पत्नी)

8. हरिवं श राय की प्र सिद्ध रचना 

9. हरिवं श राय, ते ज ी बच्चन और उनके प ु त्र अमिताभ के सं ब द्ध

10. कार्य क्ष े त्र  

11. प्रमुख रचनाओं की सूचि

12. फिल्मों में बच्चन जी की रचनाओं का प्र योग

13. प ु र स्कार

14. म त्ृ य ु

15. ग्र न्थस ू च ी


हरिवं श राय बच्चन की जीवनी
डॉ. हरिवंश राय बच्चन एक उच्च कोटि के कवि थे। उनकी अनुपम काव्यशैली वर्तमान समय में भी हर
आयु के लोगों को प्रभावित करती है । हिन्दी चित्रजगत के महानायक अमिताभ बच्चन उन्ही के सुपुत्र हैं।
साहित्य जगत में अविस्मर्णीय योगदान दे ने के अतिरिक्त वह दे श की आज़ादी की लड़ाई में भी शामिल
हुए थे।

कुशल साहित्यकार बच्चन जी का जन्म 27 नवंबर 1907 के दिन बापूपट्टी गाँव, जिला प्रतापगढ़ में हुआ था। उनकी
प्रसिद्ध रचना “मधुशाला” आज भी श्रोताओं का मन मोह लेती है। अपने पिता की स्मति
ृ में अमिताभ बच्चन जी
अलग-अलग मंच पर कई बार उनकी यह मनमोहक कविता दोहराते हैं। अपने दौर के श्रेष्ठतम कवि बच्चन जी
कविता और लेखन योगदान के लिए पद्म भष
ू ण विजेता भी बने। आइये आज हम उनके जीवन के बारे में विस्तार
से जानते हैं।
सं क्षि प्त परिचय  
नाम हरिवंश राय श्रीवास्तव (बच्चन)

जन्म 27 नवंबर, 1907 (बापूपट्टी गाँव, जिला: प्रतापगढ़)

मत्ृ यु 18 जनवरी, 2003 (96 वर्ष) (मुंबई)

कार्यक्षेत्र लेखक, कवि, विचारक, स्वतन्त्रतासेनानी

राष्ट्रीयताभारतीय
शिक्षा पी॰ एच॰ डी॰

बीसवीं सदी के नवीनतम और सुप्रसिद्ध कवि,“मधुशाला” के रचयिता, पद्म श्री से


उपलब्धि
सम्मानित 

बालपन व शिक्ष ा  
छायावादी कवि हरिवंश राय बच्चन का शुरूआती जीवन इलाहबाद शहर से सटे प्रतापगढ़ जिले के छोटे से गाँव
बापूपट्टी में बीता था।  वह एक कायस्थ परिवार से थे। उनके माता-पिता का नाम प्रताप नारायण श्रीवास्तव और
सरस्वती दे वी था। छोटी आयु में उन्हे बच्चन नाम से पुकारा जाता था। जिसका अर्थ “बच्चा” होता है । जिस कारण
आगे चल कर उनका सरनेम “बच्चन” हुआ। हकीकत में उनका सरनेम श्रीवास्तव है ।

उन्होने अपनी प्राथमिक शिक्षा जिला परिषद प्राथमिक स्कूल से सम्पन्न की थी। उसके बाद वह कायस्थ पाठशाला
से आगे का अध्ययन करने के लिए जुड़,े जहां उन्होने अपनी खानदानी परं परा आगे बढ़ाते हुए उर्दू का अभ्यास
किया। उसके बाद उन्होंने प्रयाग विश्वविद्यालय में एमए की पढाई की। आगे चल कर फिर उन्होने “डबल्यू बी
यीट्स” नाम के प्रसिद्ध अंग्रेज़ी कवि की रचनाओं पर शोध करते हुए अपना पी॰एच॰डी॰ का अभ्यास कैम्ब्रिज
विश्वविद्यालय से पूर्ण किया।

हरिवं श राय और श्यामा दे वी ( प्र थम पत्नी )


बच्चन जी की पहली शादी श्यामा दे वी से हुई थी। इस विवाह के वक्त वह सिर्फ 19 वर्ष के थे। और उनकी पत्नी
14 वर्ष की थीं। बड़े दर्भा
ु ग्य की बात है की उनका लग्न संबद्ध दीर्घ काल तक जीवंत नहीं रह सका चँ कि
ू श्यामा दे वी
को 24 वर्ष की आयु में टीबी रोग नें घेर लिया। जिस कारण, वर्ष 1936 में उनकी अकाल मत्ृ यु हो गयी।

हरिवं श राय और ते ज ी बच्चन ( द्वितीय पत्नी )


समय की धारा आगे बढ़ी। पाँच साल यँह
ू ी बीत गए। वर्ष 1941 में बच्चन जी का दस
ू रा विवाह तेजी बच्चन से
हुआ। और उन दोनों की दो संतान हुईं। इन दोनों के दो पुत्रों में एक बॉलीवुड सुपर स्टार अमिताभ बच्चन अदाकार
हैं। और दस
ू रे पुत्र अजिताभ (छोटे बेटे) एक बिजनेस मैन बने। तेजी बच्चन भारत की पर्व ू प्रधान मंत्री श्री इन्दिरा
गांधी के बेहद करीबी दोस्त मानी जाती थीं। हरिवंश राय और तेजी बच्चन के बड़े पुत्र अमिताभ जब कुली फिल्म
की शूटिग
ं में घायल हुए तब राजीव गांधी अमरीका से और इन्दिरा गांधी दिल्ली से उन्हे दे खने आ पहुंचे थे। इसी
बात से बच्चन परिवार और गांधी परिवार के गहरे रिश्ते का कयास लगाया जा सकता है ।

पति की मत्ृ यु के महज़ पाँच वर्ष बाद ही वर्ष 2007 में तेजी बच्चन का भी स्वर्गवास हो गया। मत्ृ यु के समय
उनकी आयु 93 वर्ष थी।
हरिवं श राय की प्र सिद्ध रचना   – “ कोशिश करने वालों की कभी हार नही होती ”

लहरों से डरकर नौका कभी पार नहीं होती, कोशिश करने वालो की कभी हार नहीं होती!!
नन्ही चीटी जब दाना लेकर चलती है , चढ़ती दीवारों पर सौ बार फिसलती है ,
मन का विश्वास रगों में साहस भरते जाता है , चढ़ कर गिरना, गिरकर चढ़ना न अखरता है ,
आखिर उसकी मेहनत बेकार नहीं होती, कोशिश करने वालो की कभी हार नहीं होती!!

हरिवं श राय , ते ज ी बच्चन और उनके प ु त्र अमिताभ के सं ब द्ध


बच्चन अपने बड़े बेटे के फिल्मजगत में जाने पर ज़्यादा खुश नहीं थे। वह चाहते थे की अमित जी नौकरी करें ।
लेकिन तेजी बच्चन को थिएटर में बहुत रुचि थी। उन्हे तो फिल्म के लिए प्रस्ताव भी आए थे। लेकिन उन्होने
गहि
ृ णी जीवन को अधिक महत्व दिया था।

अपने बेटे का फिल्मलाइन की और झक


ु ाव दे खते हुए तेजी बच्चन चाहती थीं की उनका पत्र
ु उसी क्षेत्र में अपना
भविष्य बनाए। इसलिए अमिताभ बच्चन के करियर चुनाव में उनका भी आंशिक हाथ रहा था। बेटे अमिताभ के
फिल्मी करियर की गाड़ी पटरी पर चढ़ते ही उनका नाम उस वक्त की प्रसिद्ध अभिनेत्री जया भादड़ु ी से जुडने लगा।
तब पिता हरिवंश राय बच्चन नें तुरंत हस्तक्षेप किया और अमित जी और जया को विवाह कर लेने की सलाह दी।
आज बच्चन जी के स्वर्गवास को करीब पंद्रह वर्ष बीत चुके हैं फिर भी अमित जी कहते हैं कि –

काश बाबूजी के साथ कुछ और वक्त बिताने को मिल जाता।


कार्य क्ष े त्र  
o बच्चन जी सर्वथा हिन्दी भाषा को विशेष महत्व और सम्मान दे ते थे। और अपनी मात ृ भाषा का प्रसार भी
करते थे। उन्हे प्रसिद्ध लेख ओथेलो, श्रीमदभगवद गीता, मैकबेथ और शेकस्पियर के सटीक हिन्दी अनुवाद के
लिए याद किया जाता है ।
o आपको बीसवीं सदी के नवीनतम और सप्र
ु सिद्ध कवि होने का खिताब भी दिया गया था। इनके अलावा वह एक
ज्ञानवान विचारक और लेखक भी थे।
o 1935 में उनकी लिखी कविता “मधुशाला” ने उन्हें प्रसिद्द बना दिया। यह कविता आज भी लोगों का मन मोह
लेती है . मधुशाला की कड़ी में उन्होंने दो और कविताएँ लिखीं थीं – मधुबाला  और मधुकलश
o इलाहबाद विश्वविद्यालय से उन्हे कुल 42 सभ्यो की लिस्ट में “भत
ू काल का गर्वित छात्र” सम्मान मिला था।
इलाहाबाद विद्यापीठ में वर्ष 1941 से वर्ष 1952 तक अंग्रेज़ी भाषा का ज्ञान ग्रहण कर लेने के उपरांत वह सैंट
केथरिन कॉलेज, कैम्ब्रिज चले गए। जहां उन्होने पी॰ एच॰ डी॰ की।
o कैम्ब्रिज से English literature में डॉक्टरे ट करने वाल वे दस
ु रे भारतीय हैं।
o 1955 में हरवंश राय जी दिल्ली चले गए और वहां उन्होंने विदे श मंत्रालय के एक विशेष अधिकारी के रूप में
10 साल तक काम किया।
o वह कुछ समय के लिए आल इंडिया रे डियो में भी सेवा दे चक
ु े हैं। इसके अलावा उन्होने शिक्षा प्रदान करने का
काम भी अल्पकाल तक किया था।
o बच्चन जी नें नवंबर 1984 में इन्दिरा गांधी की हत्या पर आधारित अपनी अंतिम कृति (कविता) लिखी।
प्रमुख रचनाओं की सूचि

कविता संग्रह
1. तेरा हार (1929),
2. मधुशाला (1935),
3. मधुबाला (1936),
4. मधुकलश (1937),
5. आत्म परिचय (1937)],
6. निशा निमंत्रण (1938),
7. एकांत संगीत (1939),
8. आकुल अंतर (1943),
9. सतरं गिनी (1945),
10. हलाहल (1946),
11. बंगाल का काल (1946),
12. खादी के फूल (1948),
13. सूत की माला (1948),
14. मिलन यामिनी (1950),
15. प्रणय पत्रिका (1955),
16. धार के इधर-उधर (1957),
17. आरती और अंगारे  (1958),
18. बुद्ध और नाचघर (1958),
19. त्रिभंगिमा (1961),
20. चार खेमे चौंसठ खूंटे (1962),
21. दो चट्टानें  (1965),
22. बहुत दिन बीते (1967),
23. कटती प्रतिमाओं की आवाज़ (1968),
24. उभरते प्रतिमानों के रूप (1969),
25. जाल समेटा (1973)
26. नई से नई-पुरानी से पुरानी (1985)

आत्मकथा
1. क्या भल
ू ँ ू क्या याद करूँ (1969),
2. नीड़ का निर्माण फिर (1970),
3. बसेरे से दरू  (1977),
4. दशद्वार से सोपान तक (1985)
5. प्रवासी की डायरी
विविध
1. बच्चन के साथ क्षण भर (1934),
2. खय्याम की मधश
ु ाला (1938),
3. सोपान (1953),
4. मैकबेथ (1957),
5. जनगीता (1958),
6. ओथेलो (1959),
7. उमर खय्याम की रुबाइयाँ (1959),
8. कवियों में सौम्य संत: पंत (1960),
9. आज के लोकप्रिय हिन्दी कवि: समि
ु त्रानंदन पंत (1960),
10. आधुनिक कवि (1961),
11. नेहरू: राजनैतिक जीवनचरित (1961),
12. नये परु ाने झरोखे (1962),
13. अभिनव सोपान (1964)
14. चौंसठ रूसी कविताएँ (1964)
15. नागर गीता (1966),
16. बच्चन के लोकप्रिय गीत (1967)
17. डब्लू बी यीट्स एंड अकल्टिज़म (1968)
18. मरकत द्वीप का स्वर (1968)
19. है मलेट (1969)
20. भाषा अपनी भाव पराये (1970)
21. पंत के सौ पत्र (1970)
22. प्रवास की डायरी (1971)
23. किं ग लियर (1972)
24. टूटी छूटी कड़ियाँ (1973)

फिल्मों में बच्चन जी की रचनाओं का प्र योग  


o सिलसिला मव
ू ी का अमिताभ बच्चन पर फिल्माया प्रसिद्द गाना “रं ग बरसे” हरिवंशराय जी द्वारा ही लिखा गया
था।
o अग्निपथ मूवी में बार-बार बोली गयी पंक्ति “अग्निपथ…अग्निपथ…अग्निपथ” भी उन्ही की रचना है।
o “अलाप” मूवी का प्रसिद्द गाना, ‘ कोई गाता मैं सो जाता” भी उन्ही की कृति है ।
प ु र स्कार
o “दो चट्टाने” कविता को 1968 का साहित्य अकादमी पुरस्कार
o सोवियत लैंड नेहरू परु स्कार
o एफ्रो एशियाई सम्मेलन का कमल परु स्कार
o बिड़ला फाउण्डेशन द्वारा सरस्वती सम्मान
o 1976  में पद्म भूषण  सम्मान
म त्ृ य ु
अपनी उत्कृष्ट रचनाओं से लोगों के दिल में अमरत्व प्राप्त कर लेने वाले इस महान कवि नें 18 जनवरी, 2003 पर
इस संसार को अलविदा कहा। उनकी मौत शरीर के महत्वपूर्ण अंग खराब हो जाने के कारण हुई थी। मत्ृ यु के वक्त
उनकी आयु 95 वर्ष थी। जीवन का अंतिम सत्य मत्ृ यु ही होता है , पर कुछ लोग अपने सत्कर्म और सद्गुणों की
ऐसी छाप छोड़ जाते हैं जिस कारण समाज उन्हे आने वाले लंबे समय तक याद करता है । स्वर्गीय रचनाकर हरिवंश
राय बच्चन जी को हमारा शत-शत नमन.

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