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शक्र

ु तारे के समान

ननम्ननिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30) शब्नों में निखिए:


1. गााँ धीजी ने महादे व को अपना वाररस कब कहा था?

उत्तर: महादे व गााँ धीजी के लिए पुत्र से भी बढ़कर थे। सन 1917 में वे गााँ धीजी के पास गए थे। गााँ धीजी ने
उनको तभी अपने उत्तरालधकारी का पद दे लदया था। गााँ धीजी जब सन 1919 में जलियाां वािा बाग

हत्याकाां ड के बाद पांजाब जा रहे थे तो पिवि रे िवे स्टे शन पर उन्हें लगरफ्तार कर लिया गया था तभी
गााँ धीजी ने महादे व को अपना वाररस कहा था और तभी से पूरे दे श में वे गााँ धीजी के वाररस के रूप में जाने

जाने िगे।

2. गााँधीजी से नमिने आनेवािनों के निए महादे व भाई क्या करते थे?


उत्तर:गााँ धीजी से लमिने आनेवािोां से महादे व भाई सबसे पहिे खुद लमिते थे , उनकी समस्याएाँ सुनते थे

और उनकी समस्याओां की एक सांलिप्त लिप्पणी तैयार करते थे लिर वे उसे गााँ धीजी को लदखाते थे। इसके
बाद में वह आने वािोां से गााँ धीजी की मुिाकात करवाते थे।

3. महादे व भाई की सानहखिक दे न क्या है?


उत्तर:महादे व भाई ने गााँ धीजी की आत्मकथा 'सत्य का प्रयोग ' का अांग्रेजी अनुवाद लकया। वे प्रलतलदन

डायरी भी लिखा करते थे , उनकी यह डायरी और अनलगनत अभ्यास पुस्तकें सालहत्यत्यक दें न ही हैं । महादे व
भाई दे श-लवदे श के समाचार पत्रोां में गााँ धीजी की प्रलतलदन की गलतलवलधयोां पर िीका-लिप्पणी भी लकया

करते थे। शरद बाबू , िै गोर आलद की कहालनयोां का भी उन्होांने अनुवाद लकया। यांग इां लडया में भी उन्होांने
अनेक िेख लिखें।

4. महादे व भाई की अकाि मृिु का कारण क्या था?


उत्तर:महादे व भाई बेहद गमी में वधाा से पैदि चिकर सेवाग्राम आते थे और वापस भी जाते थे। 11 मीि

रोज गमी में पैदि चिने से उनके स्वास्थ्य पर बहुत बुरा प्रभाव पडा और इसके कारण उनकी अकाि मृत्यु
हो गई।

5. महादे व भाई के नििे ननट के नवषय में गााँधीजी क्या कहते थे?
उत्तर:महादे व भाई के लिखे नोि के लवषय में गााँ धीजी का कहना था लक वह लबल्कुि सही और स्पष्ट होते

हैं । उन नोिस में कभी अल्पलवराम तक की भी गिती नहीां होती। साथ ही लिखावि भी बहुत सुांदर होती है ।
ननम्ननिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्नों में ) निखिए:

1. पोंजाब में फ़ौजी शासन ने क्या कहर बरसाया?


उत्तर:पांजाब में फ़ौजी शासन ने ज़्यादातर नेताओां को कैदी बना लिया और उन्हें उम्र कैद की सजा दे कर

कािा पानी भे ज लदया। िाहौर के मुख्य राष्टरीय अां ग्रेजी दै लनक पत्र के सां पादक को 10 साि की सजा लमिी
तथा सन 1919 में जलियाां वािा बाग हत्याकाां ड हुआ। इसके अिावा आम जनता पर भी अनेक अत्याचार

लकए गए।
2. महादे व जी के नकन गुणनों ने उन्हें सबका िाड़िा बना नदया था?

उत्तर:महादे व जी एक कताव्यलनष्ठ व लवनम्र स्वभाव के व्यत्यि थे। उनकी िेखन शैिी अलितीय थी। वे कट्टर
लवरोलधयोां के साथ ही सत्यलनष्ठा और लववेक सांबांधी बातें करते थे। वे गााँ धीजी के सहयोगी थे। उनका

ज्यादातर समय गााँ धीजी के साथ ही दे श भ्रमण तथा उनकी प्रलतलदन की गलतलवलधयोां में बीतता था। वे
समय-समय पर गााँ धीजी की गलतलवलधयोां पर िीका लिप्पणी भी लकया करते थे। दे श में ही नहीां लवदे श में भी

वे िोकलप्रय थे। उनका योगदान सालहत्य में भी अलवस्मरणीय है । इन्हीां सभी कारणोां ने उन्हें सबका िाडिा
बना लदया था।

3. महादे व जी की नििावट की क्या नवशेषताएाँ थी ों?


उत्तर: महादे व जी बेहद शुद्ध , सुांदर व प्रभावी िेख लिखते थे। उनके शब्ोां का कोई सानी नहीां था। गााँ धीजी

हमेशा ही वायसराय को भेजने वािे पत्रोां को महादे व जी से ही लिखवाते थे। उनका िेख दे खकर सभी मांत्र

मुि हो जाते थे। बडे -बडे लसलवलियन और गवनार कहा करते थे लक उनके समान लिखने वािा कोई नहीां
है ।

ननम्ननिखित का आशय स्पष्ट कीनजए:

1. ‘अपना पररचय उनके ‘पीर-बावची-नभश्ती-िर’ के रूप में दे ने में वे गौरवाखित महसूस करते
थे।’

उत्तर:िेखक गााँ धीजी के लनजी सलचव की लनष्ठा , समपाण और उनकी प्रलतभा का वणान करते हुए कहते हैं
लक वे स्वयां को गााँ धीजी का लनजी सलचव ही नहीां बत्यल्क एक ऐसा सहयोगी , ऐसा लमत्र मानते थे जो सदा

उनके साथ परछाई की तरह रहे । वे गााँ धीजी की हर गलतलवलध में उनका साथ दे ते थे। उन पर िीका
लिप्पणी भी करते थे। यहाां तक लक गााँ धीजी अपने हर पत्र जो लक वायसराय को भेजे जाने होते थे उन्हें
महादे व से ही लिखावना पसांद करते थे। इसी कारण महादे व स्वयां को गााँ धीजी के ‘पीर-बावची-लभश्ती-खर’

कहते थे उसमें गौरव का अनुभव थी करते थे।


2. इस पेशे में आमतौर पर स्याह कन सफ़ेद और सफ़ेद कन स्याह करना हनता था।

उत्तर:िेखक का तात्पया सफ़ेद से अच्छे कायों से है व स्याह से बुरे कायों से है । एक वकीि के पेशे में
उसका काम गित को सही और सही को गित सालबत करना होता है । बुरे कामोां को भी सही करार दे

लदया जाता है तथा सही को भी तमाम सबूतोां और गवाहोां के माध्यम से गित सालबत लकया कर लदया जाता
है । इस पेशे में पूरी तरह सच्चाई से काम नहीां होता। मकसद केवि जीत होती है इसलिए गााँ धीजी ने इस

पेशे को छोड लदया था।

3. दे श और दु ननया कन मुग्ध करके शु क्रतारे की तरह ही अचानक अस्त हन गए।


उत्तर:महादे व जी को एक शुक्रतारे की तरह माना गया है । लजस प्रकार शुक्रतारे की आयु िघु होती है ,

उसी प्रकार महादे व जी भी अकाि ही मृत्यु को प्राप्त हो गए थे पर शुक्रतारे की ही भााँ लत वे अपने िघु
जीवन की छाप हर लदि पर छोड गए। उन्होांने ऐसे -ऐसे काया लकए लजससे िोग उनके जाने के बाद भी उन्हें

याद करते रहे ।

4. उन पत्नों कन दे ि-दे िकर नदल्ली और नशमिा में बैठे वाइसराय िोंबी सााँस -उसााँस िेते रहते थे।

उत्तर:महादे व जी िारा लिखे पत्र बेहद अलितीय व अद् भुत होते थे। उनकी लिखावि बहुत ही सुन्दर थी व
उनके िेखन में अल्पलवराम तक की गिती नहीां होती थी। गााँ धीजी जो भी पत्र वाइसराय को उनसे

लिखवाकर भेजते थे तो वे सभी इतने प्रभालवत होते थे लक िम्बी सााँ से िेने िगतेथे।

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