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08 स्वामी आनंद
08 स्वामी आनंद
िन न ल खत न के उ र एक-दो पंि य म दी जए -
1. महादेव भाई अपना प रचय िकस प म देते थे?
उ र:- महादेव भाई अपना प रचय गाँधी जी के 'ह माल' और 'पीर-बावच -िभ ती-खर' के प म देते थे जसका अथ है - सभी
कार के काम सफलता पूवक करने वाला।
िन न ल खत न के उ र (५०-६० श द म) ल खए -
15. पंजाब म फ़ौजी शासन ने या कहर बरसाया?
उ र:- पंजाब म फ़ौजी शासन ने बहत कहर बरसाया। अ धकतर नेताओं को िगर तार करके उ कैद क सज़ा देकर काला पानी
भेज िदया गया। लाहौर के मु य रा ीय अं ेजी दैिनक प 'िट यून' के संपादक ी कालीनाथ राय को 10 साल क सज़ा िमली तथा
1919 म ज लयाँवाला बाग ह याकांड हआ। लोग पर अनिगनत अ याचार िकए गए।
िन न ल खत के आशय प क जए -
18. 'अपना प रचय उनके 'पीर-बावच -िभ ती-खर' के प म देने म वे गौरवा वत महसूस करते थे।'
उ र:- लेखक गांधीजी के िनजी सिचव क िन ा, समपण और उनक ितभा का वणन करते हए कहते ह िक वे वयं को गांधीजी
का िनजी सिचव ही नह ब क एक ऐसा सहयोगी िम मानते थे जो सदा उनके साथ रहे। वे गांधी जी क येक गितिव ध उनका
भोजन, उनके दैिनक काय म हमेशा उनका साथ देते थे। गांधीजी के सब छोटे-बड़े सभी काम करते थे और सभी काय कुशलता
पूवक करते थे। इसी कारण वे वयं को गांधीजी के 'पीर-बावच -िभ ती-खर' कहते थे और उसम गौरव का अनुभव करते थे।
19. इस पेशे म आमतौर पर याह को सफ़ेद और सफ़ेद को याह करना होता था।
उ र:- एक वक ल के पेशे म उसका काम गलत को सही और सही को गलत स करना होता है। काले कारनाम को भी उ म
करार दे िदया जाता है तथा जो सही है उसे भी दलील के मा यम से गलत स कर िदया जाता है। इसम पूरी स चाई से काम नह
होता। इस लए ही गाँधीजी ने इसको छोड़ा था।
21. उन प को देख-देखकर िद ी और िशमला म बैठे वाइसराय लंबी साँस-उसाँस लेते रहते थे।
उ र:- महादेव देसाई जी ारा लखे लेख,िट पिणयाँ तथा प अ त
ु होते थे। उनक लखाई बहत ही सु दर थी। वे जो प
लखकर गाँधीजी क ओर से भेजते थे, उ ह िद ी और िशमला म बैठे वाइसराय भी पढ़कर हैरत म पड़ जाते थे। लेख और लेखनी
दोन ही बहत अ छी थी िक वे लंबी-लंबी साँसे लेने लगते थे।
• भाषा अ ययन
22. इक' यय लगाकर श द का िनमाण क जए -
स ाह सा ािहक
सािह य
यि
राजनीित
अथ
धम
मास
उ र:-
स ाह सा ािहक
सािह य सािह यक
यि वैयि क
राजनीित राजनीितक
अथ आ थक
धम धािमक
मास मा सक
आय
डर
उप थत
नायक
आगत
माग
लोक
भा य
उ र:-
आय अनाय
डर िनडर
य िव य
उप थत अनुप थत
नायक अ धनायक
आगत वागत
माग कुमाग
लोक परलोक
भा य सौभा य
25. िन न ल खत श द के पयाय ल खए
वा रस
मुकाम
तालीम
जगरी
फ़क
िगर तार
उ र:-
वा रस वंश, उ रा धकारी
मुकाम ल य, मंिज़ल
फ़क अंतर, भेद