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दशरथकृत शनन स्तोत्र

विननयोगः- ॐ अस्म श्रीशनन-स्तोत्र-भन्त्त्रस्म कश्मऩ ऋषष्, त्रत्रष्टुऩ ् छन्त्द्, सौरयदे वता, शॊ फीजभ,् नन् शक्त्, कृष्णवणेनत कीरकभ,् धभााथा काभ-भोऺात्भक-चतुषवाध-ऩुरुषाथाससद्धमथे जऩे षवननमोग्। कर-न्यासःशनैश्चयाम अॊगुष्ठाभमाॊ नभ्। भन्त्दगतमे तजानीभमाॊ नभ्। अधोऺजाम भध्मभाभमाॊ नभ्। कृष्णाॊगाम अनासभकाभमाॊ नभ्। शष् ु कोदयाम कननकष्ठकाभमाॊ नभ्। छामात्भजाम कयतर-कय-ऩष् ृ ठाभमाॊ नभ्। हृदयादद-न्यासःशनैश्चयाम रृदमाम नभ्। भन्त्दगतमे सशयसे स्वाहा। अधोऺजाम सशखामै वषट्। कृष्णाॊगाम कवचाम हुभ ्। शष् ु कोदयाम नेत्र-त्रमाम वौषट्। छामात्भजाम अस्त्राम पट्। ददग्बन्धनः“ॐ बब ू व ुा ् स्व्” ऩढ़ते हुए चायों ददशाओॊ भें चुटकी फजाएॊ। ध्यानःनीरद्मुनतॊ शर ा भ ्। ू धयॊ ककयीदटनॊ गध्र ृ कस्थतॊ त्रासकयॊ धनुधय चतब ा त ु ज ुा ॊ सम ू स ु ॊ प्रशान्त्तॊ वन्त्दे सदाबीष्टकयॊ वये ण्मभ ्।। अथाात ् नीरभ क े सभान काकन्त्तभान, हाथों भें धनष ु औय शर ू धायण कयने वारे, भक ु ु टधायी, गगद्ध ऩय षवयाजभान, शत्रओ ु ॊ को बमबीत कयने वारे, चाय बज ु ाधायी, शान्त्त, वय को दे ने वारे, सदा ब्तों क े दहतकायक, सम ा ऩुत्र को भैं प्रणाभ कयता हूॉ। ू -

दशरथकृत शनन स्तोत्र नभ: कृष्णाम नीराम सशनतकण्ठ ननबाम च। नभ: काराकननरूऩाम कृतान्त्ताम च वै नभ: ।।२५।। नभो ननभाांस दे हाम दीघाश्भश्रज ु टाम च । नभो षवशारनेत्राम शुष्कोदय बमाकृते।।२६ नभ: ऩुष्करगात्राम स्थूरयोम्णेऽथ वै नभ:। नभो दीघााम शुष्काम कारदॊ ष्र नभोऽस्तु ते।।२७ नभस्ते कोटयाऺाम दन ा ीक्ष्माम वै नभ: । ु य नभो घोयाम यौद्राम बीषणाम कऩासरने।।२८ नभस्ते सवाबऺाम फरीभुख नभोऽस्तु ते। सूमऩ ा ुत्र नभस्तेऽस्तु बास्कये ऽबमदाम च ।।२९ अधोदृष्टे : नभस्तेऽस्तु सॊवताक नभोऽस्तु ते। नभो भन्त्दगते तुभमॊ ननकस्त्रॊशाम नभोऽस्तुते ।।३० तऩसा दनध-दे हाम ननत्मॊ मोगयताम च । नभो ननत्मॊ ऺुधातााम अतप् ृ ताम च वै नभ: ।।३१ ऻानचऺुनभ ा स्तेऽस्तु कश्मऩात्भज-सूनवे । तुष्टो ददासस वै याज्मॊ रुष्टो हयसस तत्ऺणात ् ।।३२ दे वासुयभनुष्माश्च ससद्ध-षवद्माधयोयगा:। त्वमा षवरोककता: सवे नाशॊ माकन्त्त सभर ू त:।।३३ प्रसाद क ु रु भे सौये ! वायदो बव बास्कये । एवॊ स्तुतस्तदा सौरयर्ग्ाहयाजो भहाफर: ।।३४

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