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दरर्पदलनमम

प्रथमम वविचचारर

प्रशचान्तचाशशेषवविघ्नचाय दरर्पसरचार्परसरर्पणचातम ।
सत्यचाममृतवनधचानचाय स्विप्रकचाशवविकचावसनशे ॥ १ ॥
ससंसचारव्यवतरशेकचाय हृतमत्सशेकचाय चशेतसर ।
प्रशमचाममृतसशेकचाय वविविशेकचाय नमम नमर ॥ २ ॥ (यग्य ममम)
कशेमशेन्दर सयहृदचासं प्रप्रीत्यचा दरर्पदमषवचवकत्सकर ।
स्विचासथ्यचाय कय रुतशे यत्नसं मधयररर ससूवक्तिभशेषजरर ॥ ३ ॥
कय लसं ववितसं शयतसं रूरसं शशौयर दचानसं तरस्तथचा ।
प्रचाधचान्यशेन मनयष्यचाणचासं सपरतशे मदहशेतविर ॥ ४ ॥
अहसंकचारचावभभसूतचानचासं भसूतचानचावमवि दशेवहनचामम ।
वहतचाय दरर्पदलनसं वक्रियतशे ममहशचान्तयशे ॥ ५ ॥
कय लसं कय लसं कलयतचासं ममहचावन्मथ्यचावभमचावननचामम ।
लगर कमऽयसं न जचानप्रीमर स्तब्धगप्रीविचागहगहर ॥ ६ ॥
कय लस्य कमलस्यशेवि मसूलमवन्विष्यतशे यवद ।
दमषरङ्कप्रस्तचान्तस्तदचाविश्यसं प्रकचाशतशे ।। ७ ॥
यथचा जचात्यतयरसंगस्य न शक्यजचात्य(?)मयच्यतशे ।
तथचा गयणवितर ससूनयवनर्पगयर्पणस्तत्कय लमद्भविर ॥ ८ ॥
एकश्चशेत्रसूविर्परयरुषर कय लशे यज्विचा बहह शयतर ।
अररर रचारकमृ न्मसूरर्पर कय लसं कस्यचानयविर्पतर्पतचामम ।। ९ ॥
लमकशे कय लसं कय लसं तचाविदचावित्रसूविस र्प मन्वियर ।
गयणप्रभचाविशे वविवच्च्छिनशे समचापसं सकलसं कय लमम ॥ १० ॥
कय लचावभमचानर कस्तशेषचासं जघन्यस्थचानजन्मनचामम ।
कय लकसू लसंकषचा यशेषचासं जनन्यम वनम्नगचार वस्त्रियर ।। ११ ॥
कय लप्रीनस्य कय लप्रीनस्य नविदचाररद्र्यलजयचा ।
वकसं कय लशेनचाकयलप्रीनचागशे यचाञचादरन्यप्रलचावरनर ॥ १२ ॥
गयणवित्कय लजचातमऽवर वनगयर्पणर कशे न रसूज्यतशे ।
दमग्धप्रीकयलमद्भविचा धशेनयविर्पन्ध्यचा कस्यमरयज्य यतशे ॥ १३ ॥
स्वियसं कय लकमृ तस्तस्मचावद्विचचायर्प त्यज्यतचासं मदर ।
गयणचाधप्रीनसं कय लसं जचात्विचा गयणशेष्विचाधप्रीयतचासं मवतर ॥ १४ ॥
मसूलचान्विशेषणवचन्त्यमचानमवनशसं नचास्त्यशेवि रयस सं चासं कय लसं
स्त्रिप्रीणचासं यत ररम्रररवि तनयतशे ससंतचानतन्तयक्रिममम ।
एतचासचासं कमृ तकप्ररञरचनचालजचावितप्रीनचासं रयरर
ससंसक्तिस्मररूढगसूढचररतसं तत्त्विशेन जचानचावत कर ॥ १५ ॥
कय लचावभमचानचाभरणस्य मचातचा वरतचामहप्री विचा प्रवरतचामहप्री विचा ।
यमवषत्स्विभचाविशेन यवद प्रदषय चा तदशेष दमषर कय लमसूलघचातर ॥ १६ ॥
ससूयविर्प संशशे वतशङ्कहयर्पश्चण्डचालमऽभसून्महप्रीरवतर ।
वदलप्रीररघयरचामचादचार वकवतरचास्तत्कय लमद्भविचार ॥ १७ ॥
भसूभयजचासं सममविसंश्यचानचासं यर रसूविर्परयरुषम बयधर ।
गयरुतल्रशे स चन्दस्य जचातम जगवत वविशयतर ॥ १८ ॥
कन्यचायचास्तनयर कणर्पर कशेतजचार रचाण्डय नन्दनचार ।
सचामचान्यकय लचचचार्पवभर वकमन्यचावभर प्रयमजनमम ॥ १९ ॥
मथयरचायचामभसूत्रसूविर बचाह्मणर शप्रीमतचासं विरर ।
यज्विचा शयतवनवधनचार्पम शयवतमचावन्विशयतशयतर ॥ २० ॥
तस्य मयक्तिचालतचा नचाम प्रचासंशयविसंशसमयद्भविचा ।
बभसूवि विल्लभचा रत्नप्री लचाविण्यलवलतचाकमृवतर ॥ २१ ॥
तस्यचासं तस्यचाभवित्कचान्तर सयविमृतर सगयणचागणप्रीर ।
रयतस्तशेजमवनवधनचार्पम वविदचावविमलदरर्पणर ॥ २२ ॥
स धप्रीमचान्विशेदवविद्विचादप्री कवविर सविर्पकलचालयर ।
सभचासय वविदषय चासं चक्रिशे लजयचाविनतसं वशरर ॥ २३ ॥
तसं दरर्पदमषज्विररतसं गप्रीविचास्तम्भयतय सं रहर ।
प्रशमचाय वरतचा स्नशेहचात्रथ्यमसं विक्तिसंय प्रचक्रिमशे ॥ २४ ॥
रयत वमथ्यचावभमचानशेन वकसं प्रयचातमऽवस मसूढतचामम ।
यन्मदवद्विरदचारूढर रसूज्यरसूजचासय लजसशे ॥ २५ ॥
नचास्त्यरय चायर स ससंसचारशे दरर्पश्विभ्रवनरचावतनचामम ।
मसूढचानचासं वक्रियतशे यशेन कनसं हस्तचाविलम्बनमम ॥ २६ ॥
कषसं कशे नमरवदषस्तशे वविनषवविनयस्ममृतशेर ।
मदर सचाधयजनचावविषर कय लवविदचाधनमद्भविर ॥ २७ ॥
अवस्थरर कय लससंबन्धर सदचा वविदचावविविचावदनप्री ।
मदम ममहचाय वमथ्यरवि मयहहतर्पवनधनसं धनमम ॥ २८ ॥
एतदशेवि कय लप्रीनत्विमशेतदशेवि गयणचाजर्पनमम ।
यत्सदरवि सतचासं सत्सय वविनयचाविनतसं वशरर ॥ २९ ॥
दयरवि वविवदतचा वविदचा सत्यमशेविचाकयसं धनमम ।
अकलङ्कवविविशेकचानचासं शप्रीलमशेविचामलसं कय लमम ॥ ३० ॥
अभमगसयभगचा भसूवतरदरन्यधविलसं कय लमम ।
अदरर्पवविशदचा वविदचा भवित्यनय तचशेतसचामम ॥ ३१ ॥
द्विशेषर कस्य न दमषचाय प्रप्रीवतर कस्य न भसूतयशे ।
दरर्पर कस्य न रचातचाय नमनत्यर कस्य नम्रतचा ॥ ३२ ॥
त्यचावगनचा वकसं दररदशेण वकसं कय लप्रीनशेन रचावरनचा ।
तयषशेन वकसं कदयर्येण दरचार्पन्धशेन बयधशेन वकमम ॥ ३३ ॥
विररचायतशे सयहृद्भचाविर प्रदचानसं हरणचायतशे ।
दरर्पभसूतचावभभसूतस्य वविदचा मशौरयर्पशतचायतशे ॥ ३४ ॥
गयवणनचासं मत्सरर शतयलयर्पब्धचानचामवतयचाचकर ।
सविर्प एवि सदरचार्पणचासं न कवश्चवत्प्रयविचावदनचामम ॥ ३५ ॥
तस्मचात्कचायर्पस्त्वियचा रयत नचाहसंकचारर कदचाचन ।
दरर्पोद्गप्रीविर वकलमगशेण ममहगचाहशेण गमृह्यतशे ॥ ३६ ॥
विसंशशेनमनवतशचावलनचा गयणगणशेनचान्तश्चमत्कचाररणचा
रूरशेणचावतमनमहरशेण महतचा ववितशेन विमृतशेन विचा ।
रमहन्ममहमहचातरुमर्पदमयर ससंजचायतशे यर सदचा
तस्यचादशौ दृढरूढमसूलदलनशे कचायर्पोऽवभयमगस्त्वियचा ॥ ३७ ॥
गयणशेष्विनचादरसं रयत प्रचापशप्रीरवर मचा कमृ थचार ।
ससंरसूणर्पोऽवर घटर कसू रचादणय वच्च्छिनर रतत्यधर ॥ ३८ ॥
कय लचावभमचानसं त्यज ससंविमृतचागसं धनचावभमचानसं त्यज दृषनषमम ।
वविदचावभमचानसं त्यज रण्यरूरसं रूरचावभमचानसं त्यज कचाललशेह्यमम ॥ ३९
रयत प्रयत्नशेन वविबमवधतमऽवस न मयञवस त्विसं यवद दरर्पममहमम ।
तदशेष तशे यचास्यवत शल्यभचाविसं तप्रीवचावभतचारप्रसविमऽवभमचानर ॥ ४० ॥
वविभसूवतनवलनप्रीगजर सयजनमचानभङ्गशवन-
वनरचातरथदरवशकर सयकमृतवचतधसूममदमर ।
ररचाशयनविज्विरश्चररतचन्दवबम्बचाम्बयदर
सदचा समदचशेतसचासं गयणवविनचाशहशेतयमर्पदर ॥ ४१ ॥
अवनत्यतशेयसं यवद वनत्यतचा स्यचात्सविर न रचाकशे वविरससं यवद स्यचातम ।
कय लचाथर्पवविदचावदकमृ तमऽवभमचानस्तदरष तशे स्यचान वविडम्बनप्रीयर ॥ ४२ ॥
अहसं विचादप्री वविदचारररचयगयरुर सविर्पवविदषय चा-
महसं मचानप्री विचाणप्रीप्रसरररररचाकशेन सयकवविर ।
अहसं लप्रीलचाहसंसर कय विलयदृशचासं मचानसचरर
करमत्यन्तर रयसंसचावमवत मदवरशचाचर रररचयमम ॥ ४३ ॥
लक्ष्मप्रीर कणकयवितप्री ररररवकतचावर
कचायमऽप्यरचायवनचयस्य वनकचाय एवि
ससंभमगयमगसयरससंगवतरप्यतथ्यचा
वमथ्यचावभमचानकलनचाघन एष शचारर ॥ ४४ ॥
इत्यक्ति
य मऽप्यसकमृ वत्रतचा लप्रीलचामप्रीवलतलमचनर ।
स ययशौ मतहस्तप्रीवि विशेगचादगवणतचाङ्कहशर ॥ ४५ ॥
रचादशेन वकवतमचावलरवन्त समदचार कमरमष्णवनरश्विचावसन-
वस्तयर्पवग्जह्मवनरप्रीकणरवविर्पदधवत भ्रसूभङ्गभप्रीमसं मयरमम ।
सस्विशेदचाङ्गहवलकन्दलप्रीवनकषणरस्तचाम्यल्ललचाटत्विचर
कम्रन्तशे वहतमन्तविचादसमयशे भसूतचावभभसूतचा इवि ॥ ४६ ॥
स कदचावचद्विरचाश्विशेषय वस्थतशेषय जविकशौतयकचातम ।
प्रतस्थशे ररमचारुह्य वियस्यगमृहमयत्सविशे ॥ ४७ ॥
तशेन तप्रीक्ष्णप्रतमदशेन चमदमचानर रयनर रयनर ।
ररस्तप्रीवव्यथचातर्पोऽभसूत्प्रकरत्कतजमवकतर ।। ४८ ॥
सयतचाकर कवथतकशे शर स्विस्विनमवचतससंजयचा ।
समऽविदत्ससंमयरचायचातचासं गदर्पभभ जननभ वनजचामम ॥ ४९ ॥
मचातबचार्पह्मणरयतमऽयसं रश्य मचामधमचाशयर ।
वविदचारयन्प्रतमदशेन विहन्तसं हन्तयमयदतर ॥ ५० ॥
वकसं करमवम यमशेनचाहसं लब्धमऽनशेन दरय चात्मनचा ।
अविटशे रचातयचाम्यशेनसं तनयसं श्विभ्रशे वकरचावम विचा ॥ ५१ ॥
इत्यचातर्परचावविणसं रयतसं सचाशयनशेतचाथ गदर्पभप्री ।
तमयविचाच सससंतचारसं स्नशेहससंक्रिन्ततदथचा ॥ ५२ ॥
विहरनमसं दमय र्पदसं रयत सहस्वि वविषमचासं व्यथचामम ।
अस्य नचास्त्यशेवि हृदयशे दचारुणशे करुणचाकणर ।। ५३ ॥
रशौदर शसूदशेण जचातमऽयसं बचाह्मण्यचासं बह्मविवजर्पतर ।
ररदरय रसं न जचानचावत चण्डसं चण्डचालचशेवषतर ॥ ५४ ॥
दयचादररदसं हृदयसं विचर क्रिकचककर्पशमम ।
यमवनससंकरजचातचानचामशेतत्प्रत्यकलकणमम ॥ ५५ ॥
नविनप्रीतमरमचा विचाणप्री करुणचाकममलसं मनर ।
एकबप्रीजप्रजचातचानचासं भवित्यविनतसं वशरर ॥ ५६ ॥
रटवत कटय कचाटमरसं कमरचादकचारणविररविचा-
न्स्रमृशवत न दयचासं दरन्यचारनशे वविजचावततयचा शठर ।
कणरवसकतचालमलर सशेविचावशतचानविमन्यतशे
गयवणषय कय रुतशे गविर्पोदचारचानरविर्पगलर रलर ॥ ५७ ॥
इवत दरय सहमचाकण्यर्प गदर्पभप्रीविचनसं वद्विजर ।
सविर्पप्रचावणस्विनचावभजर ससंममहचावभहतमऽरततम ॥ ५८ ॥
स लब्धससंजर सयवचरचान्मशेरुशमृङ्गचावदवि च्यतय र ।
तत्यचाज सहसचा दरर नषचावरलकय लमनवतर ॥ ५९ ॥
ससंमसूवच्च्छिर्पतम वविषशेणशेवि स गत्विचा मचातयरवन्तकमम ।
यथचाशयतसं वनविशेदचास्यर सविर रप्रच्च्छि तचासं रहर ॥ ६० ॥
तनयत्यचागप्रविमृतशेन रमृषचा सचा तशेन शचावरतचा ।
अधममयरप्री तमविदद्विरलक्ष्यलयवलतचाकररर ॥ ६१ ॥
लजचाकरमसत्कमर्प कथसं तत्कथयचावम तशे ।
ससंसचारचादवर सचाश्चयर गहनसं स्त्रिप्रीवविचशेवषतमम ॥ ६२ ॥
अवर कय ञ्जरकणचार्पगचादवर वरप्रलरल्लविचातम ।
अवर वविदयवद्विलवसतचावद्विलमलसं ललनचामनर ॥ ६३ ॥
न बचाध्यन्तशे गयणरर रत्यनय र्प लक्ष्यन्तशे ररप्रीककर र ।
न धनशेन वनविचायर्पन्तशे शप्रीलत्यचागमदतचार वस्त्रियर ॥ ६४ ॥
धनयशौविनससंजचातदरर्पकचालयष्यवविप्लविचार ।
कशे नमनतरररभ्रषचा विचायर्पन्तशे वनम्नगचार वस्त्रियर ॥ ६५ ॥
दशेहप्रदचार प्रचाणहरचा नरचाणचासं भप्रीरुस्विभचाविचार प्रवविशवन्त विवह्निमम ।
क्रिसूरचार ररसं रल्लविरशेशलचाङ्ग्यम मयग्धचा वविदग्धचानवर विञयवन्त ॥ ६६ ॥
अहसं रयर रजरस्नचातचा कचालशे कय सयमयलचाञ्च्छिनशे ।
एकचावकनप्री रयष्रविनशे यशौविनमन्मचावदनप्री वस्थतचा ॥ ६७ ॥
वतदप्रीकचाररशे रत्यशौ सशेष्यर्येवि वविनतचाननचा ।
उनतस्तनवविन्यस्तहस्तचा वचरमवचन्तयमम ॥ ६८ ॥
एतचार श्विसनसमत्कम्रचार सजमृम्भचार षट्रदस्विनरर ।
समत्कण्ठवमवि गचायवन्त लतचार रयष्ररजरलचार ॥ ६९ ॥
उवद्भनयशौविनचाक्रिचान्तचा वप्रयभमगववियमवगनप्री ।
वतशशेषजयषर रत्यदय र्पोषशेणरविचावस्म वनष्फलचा ॥ ७० ॥
इवत वचन्तचाकणशे तवस्मसंल्लगचावभमयरदरर्पणर ।
नचावरतर रररहचासचारयर शप्रीलशतयररविचाययशौ ॥ ७१ ॥
स मचामशेकचावकनभ दृष्टचा नषससंविमृवतकचातरचामम ।
रस्रशर्पोत्कवम्रनभ रचादनरगहणलप्रीलयचा ॥ ७२ ॥
ततचाहसं विमृतकतर्पव्यचा नप्रीचससंगमलजयचा ।
अधममयरप्री च्यतय सं शप्रीलसं विप्रीकमचाणशेवि मसूवच्च्छिर्पतचा ॥ ७३ ॥
अवविदरसू शे चरन्तप्री सचा ररप्री सविर ददशर्प ततम ।
गसूढगभर्पप्रदसं चरतत्कमर्प मशे कय लरचातकमम ॥ ७४ ॥
आस्तचासं वकमनयचा रयत गयपविमृतचान्तचचर्पयचा ।
ससंविमृतचान्यशेवि शमभन्तशे शरप्रीरचावण कय लचावन च ॥ ७५ ॥
इवत मचातयविर्पचर शयत्विचा यचातर स सहसचान्धतचामम ।
जचावतमचानचाविरतनचावनजर्जीववित इविचाभवितम ॥ ७६ ॥
अथ गत्विचा वनरचाहचारर स कर लचासचाटचाहचावसनप्रीमम ।
आशचासं बचाह्मण्यबदचाशश्चचचार सयवचरसं तरर ॥ ७७ ॥
तस्यमगतरसचा तयषर स्वियमशेवि शतक्रितयर ।
बचाह्मण्यसं यचाचमचानस्य न ददशौ दल य र्पभसं भयववि ॥ ७८ ॥
रयनर रयनर स तरसचा ससंतचावरतजगत्तयर ।
सहसचाकविरचात्प्रचार दशेवित्विसं न तय वविप्रतचामम ॥ ७९ ॥
च्छिन्दमदशेविचावभधचानमऽथ समऽभविद्भवय वि वविशयतर ।
प्रत्यब्दमशेकवदविसशे ह्यचर्पनप्रीयम ममृगप्रीदृशचामम ॥ ८० ॥
ससंममहरचातचालवविशचालसरर्पस्तस्मचान कचायर्पर कय लजचावतदरर्पर ।
शमकमचादचानदयचाशयचाणचासं शप्रीलसं वविशचालसं कय लमचामनवन्त ॥ ८१ ॥
मचातचा न यस्यचास्त्यवविविशेकरचावशर रयनभर्पविचावब्धजर्पनकम न यस्य ।
यस्य प्रसक्तिचा दवयतचा न तमृष्णचा स एवि लमकशे कय शलप्री कय लप्रीनर ॥ ८२ ॥

वद्वितप्रीयम वविचचारर
धनशेन दरर्पर वकमयसं नरचाणचासं लक्ष्मप्रीकटचाकचाञलचञलशेन ।
यत्कसंधरचाबदमवर प्रयचावत नरकसं रदसं कचालगतस्य रश्चचातम ॥ १ ॥
सयरवकतसं वतष्ठवत वनवनर्पवमतमरवकतसं वतष्ठवत दरवियमगचातम ।
वस्थतसं कदयर्पस्य च चमरयक्ति य मयन्मतनमृतमरममशेवि ववितमम ॥ २ ॥
कमर्पोवक्तिनमर्पवनमचार्पणरर प्रचातर प्रचातर प्रधचावितचामम ।
धनसं धनसं प्रलरतचासं वनधनसं वविस्ममृतसं नमृणचामम ॥ ३ ॥
वविच्च्छिचाययमवनर्पव्यर्पययमर कषवकषकलतयमर ।
वविशशेषर कशे शदमषस्य कर कदयर्पदररदयमर ॥ ४ ॥
यशे धनचादचानससंनदचा नशेकन्तशे वनधनचाविवधमम ।
वनन्दन्तम लयब्धतचासं तशेषचामन्तशेऽन्यशे भयञ्जतशे धनमम ॥ ५ ॥
उक्तिसं ररस्यचावमषतचामनयक्तिसं यचात्यदृश्यतचामम ।
हृदयशे शल्यतचासं धतशे वनधनशे धवननचासं धनमम ॥ ६ ॥
धनशेन जप्रीववितशेनशेवि कण्ठस्थशेन वनरप्रीकतशे ।
रयर्पन्तशेऽप्यप्रकचाशशेन बन्धसूनचासं मयरमचातयरर ॥ ७ ॥
यदवजर्पतसं रररकशे शररवजर्पतसं यन भयज्यतशे ।
वविभज्यतशे यदन्तशेऽन्यर कस्यवचन्मचास्तय तदनमम ॥ ८ ॥
वविदचा वविविचादचाय धनसं मदचाय प्रजचाप्रकषर्पर ररविञनचाय ।
अत्यनय वतलर्पोकररचाभविचाय यशेषचासं प्रकचाशवस्तवमरसं वह तशेषचामम ॥ ९ ॥
अशचान्तचान्तस्तमृष्णचा धनलविणविचाररव्यवतकरर-
गर्पतच्च्छिचायर कचायवश्चरवविरसरूकचाशनतयचा ।
अवनदचा मन्दमऽवगनमृर्परसवललचशौरचानलभयचा-
त्कदयचार्पणचासं कषसं स्फय टमधनकषचादवर ररमम ॥ १० ॥
शचाविस्त्यचासं सचाथर्पविचाहमऽभसूदथर्पनचाथ इविचाररर ।
नन्दम नचाम वनरचानन्दर ककीतर्पनशेनचावथर्पनचामवर ॥ ११ ।।
स कदयर्पर सदचा सविर्पजनस्यमद्विशेगदरय सहर ।
मसूधर्पशचायप्री वनधचानचानचासं कचालव्यचाल इविचाभवितम ॥ १२ ॥
कमृ त्विचा समस्तसं वदविससं धनचानचासं वनधचानकय म्भप्रीगणनचावविधचानमम ।
स लचाजरशेयचारलमचानशप्रीलमश्नचावत रचातचाविदय रसं सशसूलमम (?) ॥ १३ ॥
वनव्यर्पञ्जनसं वनलर्पविणसं वविनषमममृषरचाकसं वविवनवविषकषमम ।
अदृषहचाससं व्ययससंवनरमधचातस्यचाभविद्विशेश्म सशमकमसूकमम ॥ १४ ॥
वविच्च्छिचायसं वनरसयरचानन्दसं वनदर्जीरसं जलविवजर्पतमम ।
तस्य कषसं कदयर्पस्य ररलमकमभसूदहमृ मम ॥ १५ ॥
स भक्तिससंचयशे वनत्यमभक्तिर ससंततचामयरर ।
सयविणर्पविचावन्विविणर्पोऽभसूत्ससंरसूणर्पवश्चन्तयचा कमृ शर ॥ १६ ॥
रयण्यप्रचाप्यचा मवतनचार्पम धनवदर्पररवि रूवरणप्री ।
भचायचार्पभसूतदयमग्यस्य तस्य दरविवविरयर्पयचातम ॥ १७ ॥
सदचा प्रच्च्छिचाद सचा भतयर्पश्चकचारचावतवथसवत्क्रियचामम ।
तशेन व्ययवविविचादशेषय शमवषतचा कलहचावगनचा ॥ १८ ॥
तस्यचासं तस्यचाभवित्ससूनयर सगयणश्चन्दनचावभधर ।
वरतचा लमभचान्धकचारशेण नप्रीतर रद इविचान्यतचामम ॥ १९ ॥
कदचावचत्स्विगमृहद्विचारर दृष्टचा लब्धचानमवथर्पनमम ।
चकचार कलहसं नन्दर रत्न्यचा शमवणतरचातनमम ॥ २० ॥
समऽविदत्कमरदषशौष्ठर श्विसन्भचायचार्पमधममयरप्रीमम ।
तत्स्रसर्परचारसं स्तनयमर कचाल्यन्तप्रीवमविचाशयवभर ॥ २१ ॥
मम दचास्यवत कम वभकचासं त्वित्रचावणकप्रीणससंरदर ।
दचाररद्र्यजननप्री यस्य वस्थतचा त्विसं दभय र्पगचा गमृहशे ॥ २२ ॥
वस्त्रियम यत प्रगल्भन्तशे भतयर्परचाच्च्छिचाद कतमृर्पतचामम ।
गमृहसं भवित्यविश्यसं तदचास्रदसं ररमचारदचामम ॥ २३ ॥
गमृहमशेकसं गमृहस्थस्य गमृहचाणचासं शतमवथर्पनर ।
भचायचार्पभवजर्पतववितस्य नषचा गमृहरतशेगर्पवतर ॥ २४ ॥
तमृवपदसं दशर्पनशेनचावर जन्तमजर्जीववितजप्रीववितमम ।
दवविणसं यशेन रकवन्त स्विकचायसं भकयवन्त तशे ॥ २५ ॥
जप्रीविनप्यवक्रियम वनरस्विर शविमऽप्यथर्येन सवक्रियर ।
दचाररद्र्यसं मरणसं लमकशे धनमचायरय शरप्रीररणचामम ॥ २६ ॥
एतदशेविचाथर्पसचामथ्यर प्रत्यकशेणमरलक्ष्यतशे ।
यत्स्कन्धबन्धशे जप्रीविवद्भर शविर वशवबकयमह्यतशे ॥ २७ ॥
प्रयच्च्छिवस वकमवथर्पभ्यस्त्विमनसं कशे शससंवचतमम ।
दप्रीयतशे यवत्कल प्रचाप्त्यर तत्प्रचापसं वकसं न रक्ष्यतशे ॥ २८ ॥
रयतदचारचावदससंबन्धर रयसंसचासं धनवनबन्धनर ।
कप्रीणचात्रयतचार रलचायन्तशे दचारचा गच्च्छिवन्त चचान्यतर ॥ २९ ॥
रवण्डतचार कवियर शसूरचार कलचाविन्तस्तरवस्विनर ।
विरदस्यशेवि सववितस्य विप्रीकन्तशे मयरमचातयरचार ॥ ३० ॥
इवत तस्य विचर शयत्विचा कमृ रणस्यचाथर्पवनष्कमृ रमम ।
सचा तमसूचशे समयवचतसं सत्त्विस्यचावभजनस्य च ॥ ३१ ॥
सन्तर कय विर्पवन्त यत्नशेन धमर्पस्यचाथर्ये धनचाजर्पनमम ।
धमचार्पचचारवविनप्रीनचानचासं दवविणसं मलससंचयर ॥ ३२ ॥
यत्करमत्यरुवचसं कशे शसं तमृष्णसं ममहसं प्रजचागरमम ।
न तदनसं कदयचार्पणचासं हृदयव्यचावधरशेवि ततम ॥ ३३ ॥
विधर्पतशे यम धनव्यचावधर सयरभमगववियमगकमृ तम ।
तस्यचाशय शमनसं रथसं रचाजविरदवचवकत्सयचा ॥ ३४ ॥
लमभचानचाभसूदहमृ शे यस्य कदचावचत्कवश्चदत्य सविर ।
नमृत्यवन्त रटहरस्तस्य वनधनशे धनभचावगनर ॥ ३५ ॥
कणचाचचामतयषचाङ्गचारचान्यत्नशेन ररररकवस ।
मसूषकचारहृतसं कमषशे रत्नरचावशसं न रश्यवस ॥ ३६ ॥
धनशेन दरर्पर कम नचाम यत्कणशेन वविनश्यवत ।
रक्ष्यमचाणसं व्ययशेनरवि भक्ष्यमचाणमयरप्लविरर ॥ ३७ ॥
वविचचायर्पमचाणस्तत्त्विशेन दरविचाधप्रीनतयचा नमृणचामम ।
न कस्यचासंवचदविस्थचायचासं धनलमभर प्रशस्यतशे ॥ ३८ ॥
कलशौ कचालशे रलशे वमतशे रयतशे दव्य यर्पसनचावन्वितशे ।
तस्करशेषय प्रविमृदशेषय लयब्धशे रचावज धनशेन वकमम ॥ ३९ ॥
ॠवणकर र कलहरवनर्पत्यमवच्च्छिनगयणनचागतशेर ।
दचानवद्विषमऽनरत्यस्य मन्दचागशेश्च धनशेन वकमम ॥ ४० ॥
सहसचासचावदतचाथर्पस्य रचाजदमहचावदरचातकर र ।
भयचादव्ययशप्रीलस्य शल्यशेनशेवि धनशेन वकमम ॥ ४१ ॥
घमरप्रवतगहगचामगस्तमदगगयणशौजसर ।
तवद्विभचागचानवभजस्य धसूतचार्पपस्य धनशेन वकमम ॥ ४२ ॥
रचावतसशेविचाविसनस्य शप्रीतविचातचातरवस्थतशेर ।
प्रभयदृवषप्रहृषस्य कषचाहर्पस्य धनशेन वकमम ॥ ४३ ॥
प्रभसूतलचाभलमभशेन प्रयक्ति य चाथर्पस्य सविर्पतर ।
भसूजर्पदृषशेन तयषस्य नषबयदशेधर्पनशेन वकमम ॥ ४४ ॥
मलशप्रीलस्य विवणजस्थसूत्कमृ तस्य जयगयप्सयचा ।
लशयनस्यचाशयचशेर रचाकगन्धशेनशेवि धनशेन वकमम ॥ ४५ ॥
कचारङ्क्षितशेनचाप्यलब्धशेन भमगचाहर्ये नवियशौविनशे ।
जरचाजप्रीणर्पशरप्रीरस्य भचारशेणशेवि धनशेन वकमम ॥ ४६ ॥
प्रवज्यचात्यक्तिगशेहस्य जनगशौरविरसूजयचा ।
धनससंघवटतचाथर्पस्य बन्धशेनशेवि धनशेन वकमम ।। ४७ ॥
वशशमरङ्कहशशसून्यस्य रचावततस्यचारथशे वविटरर ।
कणकयमरयमगशेन स्विप्नशेनशेवि धनशेन वकमम ॥ ४८ ॥
भचाययर्प चा स्विररचचाररण्यचा गचामस्थस्य वनयमवगनर ।
प्रसभसं भयज्यमचानशेन रचारचापशेन धनशेन वकमम ॥ ४९ ॥
वशष्यससंरचावदतचाशशेषभमगविस्त्रिचावदससंरदर ।
गयरमदर्पम्भशेन वसदस्य ससंवचतशेन धनशेन वकमम ॥ ५० ॥
रचाजकमषवनयक्ति य स्य चशौयर्पवचह्निशेन कशे विलमम ।
व्ययशेन शङ्कनप्रीयस्य विधशेनशेवि धनशेन वकमम ॥ ५१ ॥
अजचातभचावविचशौरचावददमषरवनर्पत्यवविनचावशनचा ।
हचास्यरकहशेतयनचा लमकशे गणकस्य धनशेन वकमम ॥ ५२ ॥
वरटकस्यशेवि रसूणर्पस्य रप्रीडनप्रीयस्य भसूभयजचा ।
वनष्रचाकशचाकभमज्यस्य गचामप्रीणस्य धनशेन वकमम ॥ ५३ ॥
कलमचाक्रिचान्तवविश्विस्य मषप्रीकमृष्णस्य भमवगनर ।
आसनबन्धनस्यचान्तशे वदवविरस्य धनशेन वकमम ॥ ५४ ॥
गमृवहणप्रीवविगहमगस्य मयहहस्तमृण उरशेकयचा (?) ।
कमरमरविचासवनरश्विचासससंतपस्य धनशेन वक ॥ ५५ ॥
मवलनस्य कय विस्त्रिस्य स्विल्रचाशनररस्य च ।
दचाररद्र्यचावधककषस्य कदयर्पस्य धनशेन वकमम ॥ ५६ ॥
वनधर्पनचार सयवरनम दृषचार सधनचाश्चचावतदरय वरतचार ।
सयरदरय रमदयशे जचान्तमदर्दैविचाधप्रीनशे धनशेन वकमम ॥ ५७ ॥
समचानशेषय व्यतप्रीतशेषय स्विजनशे शसून्यचशेतसर ।
वविरसचासचारससंसचारवविरक्तिस्य धनशेन वकमम ॥ ५८ ॥
यथचाविचापमरयक्ति य चाथर्पवनवश्चन्तस्य वविरवश्चतर ।
अत्यल्ररररतयषस्य ससंतयषस्य धनशेन वकमम ॥ ५९ ॥
बचालस्तमृणशे च कनकशे च समचानदृवष-
ररषसं न विशेवत वविषयशेष्विवविशशेषबयवदर ।
ववितशेन कमषररररमषसहशेन तवस्म-
न्कचालशे वविविशेकवविकलम विद वकसं करमवत ॥ ६० ॥
प्रचाणचावधकस्य सयहृदस्तरुणप्रीजनस्य
रयतस्य विचा गयणवनधशेर सहसचा ववियमगशे ।
शमकशे न शमचवत यदचा वविविशर शरप्रीरप्री
रत्नचाचलररवर तदचा विद वकसं करमवत ॥ ६१ ॥
नचाथर शमृणमवत न रयनर वस्थवतमप्रीहतशे विचा
स्रशर न विशेवत न रससं न तथचावधविचासमम ।
विमृदर प्रयचावत रविनशेन यदचा जडत्विसं
भमगरधर्पनशेन च तदचा विद वकसं करमवत ॥ ६२ ॥
रमगचावदर्पतर स्रमृशवत नरवि दृशचावर भमज्यसं
तप्रीवव्यथर स्रमृहयतशे मरणचाय जन्तयर ।
सविर्वौषधशेषय वविफलशेषय यदचा वविरशौवत
धचान्यरधर्पनशेन च तदचा विद वकसं करमवत ॥ ६३ ॥
वनदचाच्च्छिशेदसरशेदबचान्धविजनर समद्विशेगविरदमवज्ज्झितर
रचाककचाथकदवथर्पतर रररजनरस्तन्दप्रीभयचात्कमवभतर ।
भगस्विचास्थ्यमनमरथर वप्रयतमचाविषब्धरचादद्वियर
रयर्पन्तशे विरयषर करमवत रयरुषर वकसं शल्यतयल्यरधर्पनरर ॥ ६४ ॥
अलसंकमृतर कचाञनकमवटमसूल्यरमर्पहचाहर्परत्नरगर्पजविचावजविचाहरर ।
वनमशेषमचातसं लभतशे न जप्रीविसं कचालशेन कचालशे वशरयचा गमृहप्रीतर ॥ ६५ ॥
वनश्चशेतनर कचाष्ठसमचानकचायस्त्यक्तिर कणचात्रयतकलतवमतरर ।
भयभचाशयभप्रचाक्तिनकमर्पभचागप्री यत्नचापरत्नरविर्पद वकसं करमवत ॥ ६६ ॥
तस्मचात्प्रभसूतवविभविमद्भविवविभ्रमशेण
भसूतचावभभसूत इवि मचा भवि सचावभमचानर ।
एतचार वशयर प्रबललमभघनचान्धकचार-
वविदयल्लतचारररवचतचार सहसरवि यचावन्त ॥ ६७ ॥
नषशे लवजतववितनचाथवविभविशे सचाम्रचाज्यभमगशे रयरचा
शसूयन्तशे नलरचामरचाण्डय तनयचार कषसं प्रवविषचा विनमम ।
शक्रिर शप्रीवविरहशे वविविशेश नवलनप्रीनचालचान्तरलसं वह्रियचा
कस्यचास्थचा वविवविधचाविधचानवविवधनचा वनरससंवनधचानशे धनशे ॥ ६८ ॥
इत्यक्ति
य मऽप्यसकमृ त्रत्न्यचा स्विलमभचान चचचाल सर ।
स्विभचाविर सविर्पभसूतचानचासं सहजर कशे न विचायर्पतशे ॥ ६९ ॥
ततर स कचालशे लमभशेन वभषग्भरषज्यविवजर्पतर ।
कमषशे वनधचानकय म्भशेषय लप्रीनरमृषम व्यरदत ॥ ७० ॥
अदतभयक्तिमयत्समृज्य धनसं सयवचररवकतमम ।
मसूषकचा इवि गच्च्छिवन्त कदयचार्पर स्विकयशे कयमम ॥ ७१ ॥
तस्य यचातस्य वनरयसं वननचाय नमृरवतधर्पनमम ।
रयर्पन्तशे रचाजगचावमन्यम लयब्धचानचासं धनससंरदर ॥ ७२ ॥
तत्ससूनमश्चन्दनस्यचाथ शशेषचाथर्येनचावर भसूयसचा ।
बभसूवि भसूररससंभचारभमगव्ययमहमत्सविर ॥ ७३ ॥
मचा कवश्चनचाम नन्दस्य मन्दचागशेररह भचाषतचामम ।
भमगभङ्गभयशेनशेवत प्रचातस्ततचाबविप्रीजनर ॥ ७४ ॥
वधवग्धग्धनसं कय वनधनसं नन्दस्यशेविचात्मबचाधनमम ।
दप्रीयतचासं भयज्यतचासं सविर्पवमत्यसूचयर रयरविचावसनर ॥ ७५ ॥
ततर कचालशे मतशे बचाह्यकमष्ठद्विचारचान्तविचावसनप्री ।
विमृदचान्धचा सयषविय शे रयतसं चण्डचालप्री रवण्डकचावभधचा ॥ ७६ ॥
अन्धर कय ब्जर कमृ शर रञ्जर कय ष्ठप्री स्थसूलगलगहर ।
समसूह इवि दरय रचानचासं स तस्यचास्तनयमऽभवितम ॥ ७७ ॥
तदरयण्यरर रररकप्रीणशे मचातयर कप्रीरशे स वनश्चलर ।
कमृ रयचा बचान्धविस्त्रिप्रीवभर शयनप्रीकप्रीरशेण विवधर्पतर ॥ ७८ ॥
एतदशेवि वविरुदचानचासं विरवचत्र्यसं रसूविर्पकमचार्पणचामम ।
कमृ च्च्छिर्चाविसनचा जप्रीविवन्तसं वविरदन्तशे यदप्रीश्विरचार ॥ ७९ ॥
वणरर स रसूवतकवललकचाम्यत्कमृ वमकय लरविमृर्पतर ।
रकणशे कय णरचाकचारस्तस्थशौ वकनतमृणचास्तरशे ॥ ८० ॥
तवस्मनप्यवतविचात्सल्यचात्रयतचास्थचासं जननप्री वस्थरचामम ।
बबन्ध विचासनचालप्रीनर स्नशेहममहम वह दरय सहर ॥ ८१ ॥
स विधर्पमचानर शनकर र स्मशचानचाङ्गचारधसूसरर ।
रकणमगवरशचाचचानचामप्यद्विय शेगकरमऽभवितम ॥ ८२ ॥
यषप्रीवनषण्णगमनर कय षकशे दजयगयवप्सतर ।
स जगचाम रथचा यशेन प्रययशौ तशेन नचाररर ॥ ८३ ॥
अतचान्तरशे चन्दनस्य वरतयर शचादवदनशे महचानम ।
बभसूविचावथर्पसमसूहचानदचानशे कलकलस्विनर ॥ ८४ ॥
ततर करर्परमचादचाय स चण्डचालवशशयर शनरर ।
आचचामयचाचकर कमृ च्च्छिर्चाद्द्विचारचागभयविमचाययशौ ॥ ८५ ॥
तसं दृष्टचा चन्दनर सशौधचावद्विप्रचाणचासं मचागर्पदषसू णमम ।
वनविचायर्पतचामयसं प्रचापस्तसूणर्पवमत्यविदत्क्रियधचा ॥ ८६ ॥
प्रभयभ्रसूभङ्गभप्रीतशेन लगयडशेनचाहतस्ततर ।
द्विचाररचालशेन सचावितर्पर स करमत इविचाभवितम ॥ ८७ ॥
स वनवभर्पनललचाटचावस्थप्रकरत्कतजमवकतर ।
कणसं ससंमसूवच्च्छिर्पतर प्रचार कशे शभमगचाय जप्रीववितमम ॥ ८८ ॥
अदरसू विवतर्पनप्री शयत्विचा चण्डचालप्री तदथचारविमम ।
उरसमृत्य शयशमचचातचार्प स्रमृशन्तप्री तस्य शमवणतमम ॥ ८९ ॥
कशे न वनष्करुणशेनशेदसं दवशर्पतसं बत रशौरुषमम ।
प्रवकनकचायवविकलशे यशेनचावस्मन्सयभटचावयतमम ॥ ९० ॥
कचायचारचारमयभ दरय रदशचासं दृष्टचास्य दरय सहचामम ।
विररचाग्यचाविसरशे कशे न क्रिशौयर्पमशेविसंवविधसं कमृ तमम ॥ ९१ ॥
आवतर्पमशेविसंवविधचामस्य हृदयकशे वदनप्रीवममचामम ।
वविलमक्य कय यचार्पत्कर रचारसं रचारसं वह रदमचारदचामम ॥ ९२ ॥
यदनशेन महत्रचारसं न कमृ तसं रसूविर्पजन्मवन ।
तदच्य यतचासं स्फय रत्कषचा दृषचा कस्यशेदृशप्री दशचा ॥ ९३ ॥
यशे दृश्यन्तशे वविरत्कशे शवविशशेषवविषमव्यथचार ।
त एवि गयरविर रचारविचारस्य (?) करणशे नमृणचामम ॥ ९४ ॥
करुणचाहर्येषय शसूरचाणचामयरकचाररषय विरररणचामम ।
विञकचानचामरचारशेषय रचारससंरयचासं करमवत कर ॥ ९५ ॥
तचारसं रमवदवष वकसं रयत सहस्विचाघचातजचासं रुजमम ।
अशमर्पकमर्पवनमचार्पणसं ममर्पच्च्छिशेवद शरप्रीररणचामम ॥ ९६ ॥
इवत तस्यचासं प्रलचावरन्यचासं प्रशेकविचापशे जनशे वजनर ।
अनचाथबन्धयर करुणचावसन्धयस्तशेनचाययशौ रथचा ॥ ९७ ॥
भविभ्रमचासक्तिरररशमचाणचासं रचागचावददमषररुरतचावरतचानचामम ।
आश्विचासनशेनचाममृतसमदरशेण वलम्रवनवि दचासं दयवतचन्दनशेन ॥ ९८ ॥
दृष्टचा तमचारदतमयगरमगभगसं वनमगसं व्यसनशे वविवविगमम ।
व्यलम्बतचादर्पर करुणचारसशेन ततचारशचान्त्यर भगविचावञ्जनशेन्दर ॥ ९९ ॥
तत्ससंवनधचानशेन मयहहतर्पमचातसं स वनव्यर्पथर स्विचास्थ्यवमविचाससचाद ।
वनहवन्त रचारसं कय शलसं प्रससूतशे ससंदशर्पनसं सत्त्विवहतचाशयचानचामम ॥ १०० ॥
जचात्विचाथ चन्दनर प्रचापसं भगविन्तसं तथचागतमम ।
वविकसत्कय सयमस्मशेरसं रसूजचामचादचाय वनयर्पयशौ ॥ १०१ ॥
भगविचानवर सचाश्चयर्पप्रभचाविचाददय तसं भयविर ।
हरमसं कमलमचारुह्य तस्थशौ रयर्पङ्कलप्रीलयचा ॥ १०२ ॥
प्रणतसं चरणचालप्रीनसं रसूजचाव्यगकरसं रयरर ।
बभचाषशे भगविचान्प्रप्रीतम वभकयससंसवद चन्दनमम ॥ १०३ ॥
वकमयसं यचाचमचानमऽवर विरचाकस्तचावडतमर क्रियधचा ।
कमृ तसं न कमृ रणशे कस्मचात्करुणचाकममलसं मनर ॥ १०४ ॥
दयचादचार्पर सविर्पसत्त्विशेषय भविवन्त वविमलचाशयचार ।
एविसंवविधचानचासं दरय रचानचासं कचारणसं कलयषसं मनर ॥ १०५ ॥
कमृ तक्रिसूरचारकचारशेषय वविद्विशेषररुषशेष्विवर ।
भविवन्त सन्तर कशे शमष्मशमवषतशेषय न ककर्पशचार ॥ १०६ ॥
वकषर कषसं कदयर्पोऽयसं लमभशेनचाररजन्मवन ।
अप्रदचानमदतशेनचाद कचायकशे शशेन रप्रीवडतर ॥ १० ७ ॥
एष नन्दस्तवि वरतचा रसूणचार्पथर्पमलससंचयचातम ।
आविमृतर रचाररमगशेण चण्डचालत्विमयरचागतर ॥ १०८ ॥
जन्मचान्तरशेऽप्यतमऽन्यवस्मनमगयमगचान्मयमसूषर्पणचा ।
सयविणर दतमशेतशेन तशेनचायसं सधनमऽभवितम ॥ १०९ ॥
अन्त्यकशे शदशचायचासं यन्मयमसूषयर्पर ससंप्रयच्च्छिवत ।
तचचाभमग्यसं भवित्यस्य लमभचादन्यशेषय जन्मसय (?) ॥ ११० ॥
दत न ववितसं करुणचावनवमतसं लमभप्रविमृतसं कमृ तमशेवि वचतमम ।
यरर ससंचयमसचाहरसरर प्रनमृतसं शमचवन्त तशे रचातकमचात्मविमृतमम ॥ १११ ॥
इत्यक्य त्विचा भगविचान्रयण्यचासं वविदधशे धमर्पदशेशनचामम ।
ययचा कशे शप्रहचाणचाहर्पमहर्पत्त्विसं प्रचार चन्दनर ॥ ११२ ॥
तस्मचान दरर्पर रयरुषशेण कचायर्पर प्रविधर्पमचानशेन धनमदयशेन ।
अदचानभमगमरहतसं वह ववितसं रयस सं चासं ररतशेह च दवय नर्पवमतमम ॥ ११३ ॥

तमृतप्रीयम वविचचारर
ससंसचारदमषप्रशमरकहशेतयर करमवत वविदचा यवद दरर्पममहमम ।
तदन्दकचारचाय भवित्यविश्यसं सचाभ्रशे नभस्यसंशयमततोंशयमचालचा ॥ १ ॥
वशकचाभ्यचासशेन सयव्यक्तिसं रठन्त्यवर वविहसंगमचार ।
क एष वविदयचा दरर्पर कषप्रचापरकदशेशयचा ॥ २ ॥
सचा वविदचा यचा मदसं हवन्त सचा शप्रीयचावर्प थर्पषय विषर्पवत ।
धमचार्पनयसचाररणप्री यचा च सचा बयवदरवभधप्रीयतशे ॥ ३ ॥
यम वविदचागयरुरचायचावत लघयतचासं शप्रीलवविप्लविचातम ।
तस्मर रवण्डतमसूरचार्पय वविररप्रीतचात्मनशे नमर ॥ ४ ॥
वविदचासं प्रचाप्य कमृ तसं यशेन वविद्विशेषकलयषसं मनर ।
तशेनचात्मचा हन्त मसूरर्येण स्नचात्विचा रचासंससूत्कररविमृर्पतर ॥ ५ ॥
वविदचा शप्रीररवि लमभशेन द्विशेषशेणचायचावत वनन्दतचामम ।
भचावत नम्रतयरविरषचा लजयशेवि कय लचाङ्गनचा ॥ ६ ॥
स्रमृहणप्रीय़चा सतचासं तचाविवद्विदचा ससंतमषशचावलनप्री ।
यचाविन रचावथर्पविचास्थचानरण्यस्थचानशे प्रसचाररतचा ॥ ७ ॥
सदणय चार शयचयस्तचाविदचाविद्विचादशेन शमधकर र ।
प्रकचाल्य न ररप्रीक्ष्यन्तशे रलरभसूर्परचालससंसवद ॥ ८ ॥
अश्मचाप्यहृदयम यस्य गयणसचारसं ररप्रीकतशे ।
उवचतरवि सयविणर्पस्य तस्यचावगरतनशे रुवचर ॥ ९ ॥
कवविवभनमृर्परसशेविचासय वचतचालसंकचारहचाररणप्री ।
विचाणप्री विशेश्यशेवि लमभशेन ररमरकरणप्रीकमृतचा ॥ १० ॥
विचावदवभर कलहमदकर्पतकर्पससंरकर्पककर्पशचा ।
विचाणप्री क्रिकचधचारशेवि धमर्पमसूलशे वनरचावततचा ॥ ११ ॥
सचाधयतशेजमविधचायरवि तचावकर्पकर र ककर्पशप्रीकमृतचा ।
विचाणप्री वविविचावदवभर क्रिसूररर सशौवनकर ररवि कतर्परप्री ॥ १२ ॥
शप्रीलसं नरवि वबभवतर्प ककीवतर्पवविमलशे धतशे न धमर्ये वधयसं
मचात्सयर्येण मनप्रीवषणचासं प्रतनयतशे रचारुष्यदमषसं वगरचा ॥
तकर्पोक्त्यचा ररलमककमर्प नयवत प्रचायशेण ससंवदग्धतचासं
यस्तस्यचाफलशचास्त्रिरचाटनरटममसूर्पढस्य वकसं वविदयचा ॥ १३ ॥
यशे ससंसत्सय वविविचावदनर ररयशरशल्यशेन शसूलचाकयलचार ।
कय विर्पवन्त स्विगयणस्तविशेन गयवणनचासं यत्नचादणय चाच्च्छिचादनमम ।
तशेषचासं रमषकषचावयतमदरदृशचासं द्विशेषमष्णवनरश्विचावसनचासं
दप्रीपचा रत्नवशरशेवि कमृ ष्णफवणनचासं वविदचा जनमद्विशेगभसूर ॥ १४ ॥
शमच्यतचासं यचात्यशप्रीलशेन वविद्विशेषशेणचारवविततचामम ।
दरर्पशचारहतचा वविदचा नश्यत्यशेवि सहचायषय चा ॥ १५ ॥
तरमविनशे मयवनविरशौ मचान्यशौ मयवनमनप्रीवषणचामम ।
रयरचा ररभ्यभरद्विचाजशौ सयहृदशौ चक्रितयर वस्थवतमम ।। १६ ॥
रयतचाविभसूतचासं ररभ्यस्य वविदचावविमलदरर्पणशौ ।
स्रमृहणप्रीयशौ गयणजचानचासं सविचार्पविसयररचाविससू ॥ १७ ॥
भरद्विचाजस्य रयतमऽभसूदविक्रिकीतचावभधर सयतचार ।
भविन्तवविदचार प्रचायशेण वरतमृप्रणयलचावलतचार ॥ १८ ॥
स यविय चा ररभ्यतनयशौ सविर्पत शयवतवविशयतशौ ।
रश्यनचात्मवन सचासयसू र रश्चचातचारचाकयलमऽभवितम ।। १९ ॥
स गत्विचा जचाह्निविप्रीतप्रीरसं वनरचाहचारकमृ शवश्चरमम ।
चचचार वनश्चलतनयस्तप्रीवसं वविदचापयशे तरर ॥ २० ॥
तसं तरस्तचावरतचात्मचानसं स्वियमशेत्य शतक्रितयर ।
उविचाच वमथ्यचावनबर्पन्धर कमऽयसं तशे मयवनरयतक ॥ २१ ॥
अनधप्रीतचा गयरुमयरचात्कथसं वविदचावधगम्यतशे ।
अनभ्यचासशेन रचावण्डत्यसं नभरकय सयमशशेररर ॥ २२ ॥
अधयनचा वविदयचा वकसं तशे वविदचाहर शरशविसं गतमम ।
यत्फलसं वकल वविदचायचास्तवस्मनविवहतम भवि ॥ २३ ॥
शप्रीलसं ररवहतचासवक्तिरनयत्सशेकर कमचा धमृवतर ।
अलमभश्चशेवत वविदचायचार ररररचाकमज्ज्विलसं फलमम ॥ २४ ॥
वविविशेकरवहतचा वविदचा द्विशेषरमषमष्मशमवषतचा ।
दरचार्पशवनवनरचातशेन हतचा विल्लप्रीवि वनष्फलचा ॥ २५ ॥
एतदथर शयतशे बयवदसं करमवत द्विशेषदवसू षतर ।
यवद्विविचादरर कररष्यचावम मचानम्लचावनसं मनप्रीवषणचामम ॥ २६ ॥
त्यक्त्विचा प्रशमससंतमषशौ वविदचायचार प्रथमसं फलमम ।
नचानचावविरयर्पयरथरगर्पच्च्छिन्त्यथर्पफलचावथर्पनर ॥ २७ ॥
उरकचारचाय यचा रयस सं चासं न ररस्य न चचात्मनर ।
रतससंचयससंभचाररर वकसं तयचा भचारवविदयचा ॥ २८ ॥
अन्यचायर प्रशौढविचादशेन नप्रीयतशे न्यचायतचासं ययचा ।
न्यचायश्चचान्यचायतचासं लमभवत्कसं तयचा कदवविदयचा ॥ २९ ॥
स्विवजहचास्तयवतवभवनर्पत्यसं रत्नप्रीविमदचावटतचासंशयकचा ।
वक्रियतशे यचा सभचामध्यशे वकसं तयचा धमृषवविदयचा ॥ ३० ॥
अनयष्ठचानशेन रवहतचा रचाठमचातशेण कशे विलमम ।
रञ्जत्यशेवि यचा लमकसं वकसं तयचा शयकवविदयचा ॥ ३१ ॥
गमप्यतशे यचा शयतजस्य मसूरर्पस्यचागशे प्रकचाश्यतशे ।
न दप्रीयतशे च वशष्यशेभ्यर वकसं तयचा शठवविदयचा ॥ ३२ ॥
ररमत्कषर समचाच्च्छिचाद वविक्रियचाय प्रसचायर्पतशे ।
यचा मयहहधर्पवननचामगशे वकसं तयचा रण्यवविदयचा ॥ ३३ ॥
न तप्रीयर्पतशे ययचा घमरर ससंसचारमकरचाकरर ।
वनत्यसं वचतचानयबवन्धन्यचा वकसं तयचा ममहवविदयचा ॥ ३४ ॥
वनत्यचाभ्यचासप्रयचासशेन जप्रीववितसं कप्रीयतशे ययचा ।
वतविगर्पस्यमररमधशेन वकसं तयचा कषवविदयचा ॥ ३५ ॥
न वविविशेकमवचतचासं बयवदसं न विररचाग्यमयसं मनर ।
ससंरचादयवत यचा रयस सं चासं वकसं तयचा जडवविदयचा ॥ ३६ ॥
शशौचचाशशौचवविविचादशेन त्यक्तिचा (?) शमवतयतचा ययचा ।
वमथ्यचावभमचानयमवगन्यचा वकसं तयचा दम्भवविदयचा ॥ ३७ ॥
ररमचात्सयर्पशल्यशेन व्यथचा ससंजचायतशे ययचा ।
सयरवनदचारहचाररण्यचा वकसं तयचा शसूलवविदयचा ॥ ३८ ॥
ररससूक्तिचारहचारशेण स्विसमृभचावषतविचावदनचा ।
उत्कषर्पर रयचाप्यतशे यस्यचार वकसं तयचा चशौरवविदयचा ॥ ३९ ॥
अनभ्यचासहतमत्सचाहचा ररशेण रररभसूयतशे ।
यचा लजचाजननप्री जचाडचावत्कसं तयचा मन्दवविदयचा ॥ ४० ॥
लमभर प्रभसूतववितस्य रचागर प्रववजतस्य च ।
न ययचा शचावन्तमचायचावत वकसं तयचालप्रीकवविदयचा ॥ ४१ ॥
ययचा भसूरवतमचावशत्य ररशेषचासं गयणवनन्दकर ।
दचानमचानमनवतसं हवन्त वकसं तयचा दमषवविदयचा ॥ ४२ ॥
गमृहशे धचारचावधरुढचावर सभचायचासं न प्रवितर्पतशे ।
प्रवतभचाभङ्गसङ्गचादचा वकसं तयचा मसूकवविदयचा ।। ४३ ॥
चण्डसं वरण्डचावथर्पनचासं द्विशेषवरशयनचानचासं शयनचावमवि ।
ययचा ससंजचायतशे यद य सं वकसं तयचा विधवविदयचा ॥ ४४ ॥
वविस्ममृतचा यचाविवलपस्य कण्ठशे कमृ तगतचागतचा ।
जप्रीविविमृवतररवि कप्रीणचा वकसं तयचा ममृतवविदयचा ॥ ४५ ॥
रसचायनप्री जरचाजप्रीणर्पवश्चररमगप्री ययचा वभषकम ।
धचातयविचादप्री दररदश्च वकसं तयचा हचास्यवविदयचा ॥ ४६ ॥
ययचा मयग्धममृगचार कसू टरर रप्रीडन्तशे तप्रीवमचागर्पणरर ।
आशचारचाशचाविलवम्बन्यचा वकसं तयचा लयब्धवविदयचा ॥ ४७ ॥
ररमरतचारर वक्रियतशे विश्यचावदकय हकर यर्पयचा ।
यन्ततन्तचानयसचाररण्यचा वकसं तयचा व्यचाजवविदयचा ॥ ४८ ॥
गयरुगर्पविचार्पत्कवविद्विर्येषचादवतभर्पोगरररगहचातम ।
नमृरर रचारचावद्द्विजर क्रिमधचात्सचा वविदचा विचायर्पतशे ययचा ॥ ४९ ॥
वविदचागयणचास्तशे वविदषय चासं यशे वविविशेकवनबन्धनमम ।
स्विल्रवशल्रकलचातयल्यचार शशेषचा जप्रीववितहशेतविर ॥ ५० ॥
विप्रीणशेवि शमतहप्रीनस्य लमलचाकप्रीवि वविचकयषर ।
व्यसमर कय सयममचालशेवि वविदचा स्तब्धस्य वनष्फलचा ॥ ५१ ॥
द्विशेषदरर्पहतचा वविदचा कचामक्रिमधहतचा मवतर ।
लमभममहहतचा विमृवतयर्येषचासं तशेषचासं वकमचायषय चा ॥ ५२ ॥
दरसू शे व्यचाकरणसं कय रुष्वि वविषमसं धचातयकयकमवभतसं
मप्रीमचासंसचा वविरसचा न शमषयवत वकसं तकर्दै रलसं ककर्पशरर ।
न कप्रीबर रतवत स्मरभ्रमकररर वकसं नव्यकचाव्यचासविर-
स्तस्मचावनत्यवहतचाय शचान्तमनसचासं विररचाग्यमचारमग्यदमम ॥ ५३ ॥
इत्यक्ति य र सयररचाजशेन वनश्चयचान चचचाल सर ।
अवभमचानगमृहप्रीतचानचासं दवय नर्पविचारम वह दगय हर्प र ॥ ५४ ॥
अथ विमृदवद्विजम भसूत्विचा वसकतचामयवषवभर शनरर ।
शक्रिर प्रचक्रिमशे कतयर गङ्गचायचासं सशेतयबन्धनमम ॥ ५५ ॥
तसं दृष्टचा वनष्फलकशे शवविफलमदमगवनश्चलमम ।
मयवनससूनयर कमृ रचावविषर रप्रच्च्छिचाभ्यशेत्य सवस्मतर ॥ ५६ ॥
बह्मन्क एष वनबर्पन्धस्तवि विन्ध्यसमयदमशे ।
वनष्फलसं वविरयलचायचाससं न प्रचाजचार कमर्प कय विर्पतशे ॥ ५७ ॥
अवस्मन्कय वटलकल्लमलदमलचावविकमवभतशेऽम्भवस ।
हचास्यहशेतयर कथसं सशेतयर वसकतचामयवषवभभर्पविशेतम ॥ ५८ ॥
इत्यक्ति
य शे मयवनरयतशेण बचाह्मणस्तमभचाषत ।
अहम ररमरदशेशशेषय सविर्पो भविवत रवण्डतर ।। ५९ ॥
अनधप्रीतचासं बलचावद्विदचासं तरसचा प्रचापयवमच्च्छिवस ।
यथचा त्विसं वनष्फलचारम्भस्तथचाहमररम जडर ॥ ६० ॥
एतवद्द्विजविचर शयत्विचा यथचाथर स्थवगतमतरर ।
तथचावर दृढससंकल्रर स्विकमृ त्यचान चचचाल सर ।। ६१ ॥
अथचास्य तप्रीवतरसचा शक्रिर प्रचादचाद्विरसं विरमम ।
सविर्पवविदचावनवधयर्येन सहसरवि बभसूवि सर ॥ ६२ ॥
प्रचापवविदर स समत्सचाहस्तसूणर गत्विचा स्विमचाशममम ।
वनजचासं तररफलचाविचावपकथचासं वरतशे न्यविशेदयतम ॥ ६३ ॥
तसं मदचाक्रिचान्तमशचान्तविमृतससंस्कमृ तविचावदनमम ।
भरद्विचाजर प्रममदशेऽवर स्विशेदचाकयल इविचाविदतम ॥ ६४ ॥
रयत प्रचापचा त्वियचा वविदचा तरस्तचारचावत्कमयच्यतशे ।
वकसं त्विचागचावमभयचादशेतन यक्ति य सं प्रवतभचावत मशे ॥ ६५ ॥
इतर समप्रीरशे ररभ्यस्य कमरनस्य तरमविनमम ।
वविदचामदचान्धशौ तत्रयतचाविविचार्पविसयररचाविससू ॥ ६६ ॥
तचाविशचान्तशयतमन्मचादशौ त्विसं चचावभनविरवण्डतर ।
तत्ससंगमशे द्विशेषमयर सदचा ससंवनवहतर कवलर ॥ ६७ ॥
गप्रीविचास्तम्भभमृतर ररमनवतकथचामचातशे वशररशसूवलनर
समद्विशेगभ्रमणप्रलचारवविरयलकमभचावभभसूतवस्थतशेर ।
अन्तद्विर्येषवविषप्रविशेशवविषमक्रिमधमष्णवनरश्विचावसनर
कषचा नसूतनरवण्डतस्य वविकमृ वतभर्जीमज्विरचारम्भभसूर ॥ ६८ ॥
तवि तत प्रयचातस्य यक्ति य चायक्ति
य वविविचावदनर ।
भवविष्यवत मयनशेर शचारचादविश्यसं मदवनगहर ॥ ६९ ॥
शयवक्तिकचारजतजचाननप्रीलरप्रीतचावददशर्पनरर ।
उन्मचादसं जनयत्यशेवि वविदचादरर्पवरशचावचकचा ॥ ७० ॥
एष वविदमरदशेशशेन वविनचाशर प्रचावथर्पतस्त्वियचा ।
ररभ्यचाशमम न गन्तव्यर कतर्पव्यसं यवद मद्विचर ॥ ७१ ॥
इत्यक्ति
य मऽप्यसकमृ वत्रतचा स गत्विचा ररभ्यरयतयमर ।
व्यधचावद्विविचादवनविर्येदरर सदचा वविदचामदवकवतमम ॥ ७२ ॥
तसं दरर्पमतसं सचाकमरभप्रीमभ्रसूभङ्गदमय यर्परशौ ।
तचाविसूचतयमर्पनरसक्तिवविदचावविद्विशेषशसूवलनशौ ।। ७३ ॥
कनप्रीयचानचावियमयर्पस्मचाद्वियसचा त्विसं शयतशेन च ।
करमवष विचादररचाकशेरसं तस्मचादचायरय कयमऽस्तय तशे ॥ ७४ ॥
इत्यक्ति
य मऽवर क्रियधचा तचाभ्यचासं न दरचार्पवद्विररचाम सर ।
न प्रसनसं न च क्रियदसं गणयवन्त मदमदतचार ॥ ७५ ॥
अतचान्तरशे भ्रमद्भङ्गमृ मचालचाभ्रसूभङ्गवविभ्रमर ।
कचालर प्रमवषतकचान्तचानचासं रयष्रकचालर समचाययशौ ।। ७६ ॥
वकपरत्तचार सयमनसचासं रजरकलयवषतशेकणचार ।
सद्विशेषचा इवि वविद्विचास
सं श्चशेरुमर्पलयमचारुतचार ॥ ७७ ॥
मचाधययर्पलवलतमदचारविचाणप्रीवविलवसतरमयर्पहहर ।
कविप्रीनचावमवि ससंघषर्पर कमवकलचानचामजचायत ॥ ७८ ॥
ररभ्यशे प्रयचातशे रयतचाभ्यचासं सह स्नचातयसं सररतटमम ।
भरद्विचाजचात्मजमऽभ्यशेत्य प्रवविविशेश तदचाशममम ।। ७९ ॥
तत रयष्रमचयव्यगचासं धमर्परत्नभ रयरचाविसमर ।
समऽरश्यत्सयप्रभचासं नचाम रूरदरचारर्प हचासं रतशेर ॥ ८० ॥
उटजचाङ्गनसक्तिचानचासं हररणप्रीनचासं वविलमकनशे ।
वविलचासदप्रीकचासं कय विचार्पणचासं तरलचारचाङ्गमरङ्गवभर ॥ ८१ ॥
तचासं दृष्टचा चन्दविदनचासं मदनचानन्ददशेवितचामम ।
बभसूविमत्क्रिचान्तमयचार्पदर सहसरवि मयनशेर सयतर ॥ ८२ ॥
स बह्मचचारप्री कचामशेन नविशेन तरलप्रीकमृतर ।
अवभलचाषमवचतसं विक्तियमनवभजमऽप्यविय चाच तचामम ॥ ८३ ॥
उन्मचादनवमदसं रूरमनयरूरसं मनमभयविर ।
समयवत्सक्तिवमविचासक्तिसं करमवत मम मचानसमम ॥ ८४ ॥
वविदचावविनयमयत्समृज्य ससंत्यज्य गयरुयन्तणचामम ।
त्विवय प्रविमृतसं वचतसं मशे प्रचाग्जन्मप्रशेमबन्धनमम ॥ ८५ ॥
जचानचावम यत्कमृ तस्यचास्य वविरचाकशे कमर्पणर फलमम ।
तथचाप्यवभमतसं धतयर न शक्नमवम करमवम वकमम ॥ ८६ ॥
न शयतशेन न ववितशेन न विमृतशेन न कमर्पणचा ।
प्रविमृतसं शक्यतशे रमदसं य मनमभविरथशे मनर ॥ ८७ ॥
इत्यक्य त्विचा तचासं भयमद्भ्रचान्तनयनचामचाशममन्मयरप्रीमम ।
गन्तयसं प्रविमृतचासं समऽभ्यशेत्य जगचाहचासंशयकरल्लविशे ।। ८८ ॥
कदलप्री कय ञ्जरशेणशेवि तरसचा तशेन वनजर्पनशे ।
कमृ ष्यमचाणचा तमविदत्सचा वनषशेधचलचाङ्गहवलर ॥ ८९ ॥
मचा मचा मवलनय स्विच्च्छिसं शप्रीलसं मम तथचात्मनर ।
वविदचायचा वनरविदचायचार वकमशेतदवय चतसं फलमम ॥ ९० ॥
शप्रीलशयकचासंशयकचासं त्यक्त्विचा लजचासं वनजविधसूवमविम ।
गमृहचावस ररनचारप्रीणचासं रचावणनचा रटरल्लविमम ॥ ९१ ॥
वकमशेतवदत्यनयवचतसं दृष्टचा नसूनसं कमण्डलयर ।
उद्गप्रीविर कशौतयकशेनशेवि मयरसं तवि वनरप्रीकतशे ॥ ९२ ॥
वबभ्रतमऽन्तगर्पतरसचासं कय सयमशेषयरुवचसं नविचामम ।
जटचाविल्कलभचारस्तशे तरमररवि न शचान्तयशे ॥ ९३ ॥
रचारससंकल्रमचातशेण तरयचाधममयरप्री तवि ।
रवततचा स्रशर्पभप्रीत्यशेवि कम्रलमलचाकमचावलकचा ॥ ९४ ॥
आसनचाब्जशे सरस्वित्यचा जरलमलरदच्च्छिदशे ।
दनय र्पयमवक्तिनर्प यक्ति
य शे यसं मयरशे तवि मनप्रीवषणर ।। ९५ ॥
इयसं तरमविनमहप्री वविविशेकजननप्री कथमम ।
जनयत्यवभलचाषसं तशे जननप्रीविचावजतचात्मनर ॥ ९६ ॥
दमय र्पदम (ददय र्पमम) यशौविनभरस्तयरङ्ग इवि हचारकर ।
सविर्पथचा वशवथलचात्मचानमविटशे वकरवत कणचातम ॥ ९७ ॥
वधवग्धयसं वकसं वविविशेकशेन दरसू शे वविशचाम्यतय शयतमम ।
धचायर्पतशे यरनर्प ससंसचारवविकचारस्रवलतसं मनर ॥ ९८ ॥
क वविदचा वविवदतचाशशेषकचायचार्पकचायर्पवविमशर्पधप्रीर ।
मसूढतचा क च दष्य कमर्पमहचारचारकय टय वम्बनप्री ॥ ९९ ॥
इत्यच्य यमचानमऽवर यदचा न स तत्यचाज दगय हर्प मम ।
शप्रीलचारहचारससंतस्तचा सचा तदचा समवचन्तयतम ॥ १०० ॥
वकसं करमम्यजनशे लब्धचा वविविशचाहसं प्रमचावदनचा ।
उत्समृषधमर्पवनमयचार वकसं न कय विर्पन्त्यविचाररतचार ॥ १०१ ॥
अयसं स्मरचातयरस्तचाविद्विचसचा न वनवितर्पतशे ।
विञ्च्यन्तशे सचान्त्विविचादशेन कचामक्रिमधमदमदतचा ॥ १०२ ॥
इवत ध्यचात्विचा तमविदत्सचा शनरममृर्पदविय चावदनप्री ।
गच्च्छि त्विसं स्वियमशेष्यचावम वनवश शसून्यलतचागमृहशे ॥ १०३ ॥
स्नचात्विचा सरयतर कचालशेऽवस्मनचायचावत श्विशयरम मम ।
ज्विलज्ज्विलनतयल्यस्य तस्यचागशे वकसं कररष्यवस ॥ १०४ ॥
इत्यक्तिय र स तयचा प्रचायचात्सत्यसं वविजचाय तद्विचर ।
दष्य प्रचारमवर मन्यन्तशे सयलभसं कचामममवहतचार ॥ १० ५ ॥
ररभ्यसं ततर समचायचातमग्न्यचागचारचागतर वस्थतमम ।
स्नयषचा प्रमविचाच कमरचावगधसूमशेनशेविचाशयविवषर्पणप्री ॥ १०६ ॥
भरद्विचाजचात्मजस्तचात रचारस्तवि सयहृत्सयतर ।
ममचाद वविजनशे शप्रीलवविप्लविशेऽभ्यवथर्पतचासं गतर ॥ १०७ ॥
स मयचा दगय र्पहगस्तर समशेष्यचामप्रीवत विवञतर ।
वविमयच्यशे नचान्यथचा हस्तचातस्य स्विवस्तमतप्री सतप्री ॥ १०८ ॥
एतदचाकण्यर्प सहसचा प्रज्विलन्मन्यनय चा मयवनर ।
बभसूवि दवय नर्पवमतमल्कचारचातक्रिसूरशे इविचासंशयमचानम ॥ १०९ ॥
वविदचावितचासं स्फय रत्यन्तवविर्पविक शे र स्विस्थचशेतसचामम ।
वविकचारकचालशे ससंममहवश्चतशे वविदचा च रयस्तकशे ॥ ११० ॥
स वनरश्विसनथ क्रिमधज्विरचारम्भचारुणशेकणर ।
अवभचचारजरशेनशेवि कम्रमचानचाधरमऽभ्यधचातम ॥ १११ ॥
अहम बत भरद्विचाजर रयतस्यचाध्ययनशे व्यधचातम ।
धमर्पोरदशेशसं यत्नशेन नगप्रीकतयर ररचाङ्गनर ॥ ११२ ॥
इत्यक्य त्विचामषर्पससंरम्भचादररसं विक्तियमकमर ।
स प्रवविश्यचावगसदनसं प्रतप्रीकचारररमऽभवितम ॥ ११३ ॥
उत्रचाट वविकटचाटमरकमरर प्रशौढचावगवरङ्गलमम ।
स जयहचावि जटचासं विह्निशौ क्रिसूरक्रिमधसटचावमवि ॥ ११४ ॥
वद्वितप्रीयचायचासं हहतचायचासं च शसूलभमृदमररचाकसर ।
कमृ त्यचासरर समयद्भतसू र प्रमविचाच प्रणतम मयवनमम ॥ ११५ ॥
वकसं करमवम मयनशे कस्य वविनचाशचायचावस्म वनवमर्पतर ।
तरलमक्यमवर वनदर्पग्धयसं ससंनदमऽहसं त्विदचाजयचा ॥ ११६ ॥
इवत बयविचाणसं तसं ररभ्यर क्रिसूरचाकचारमभचाषत ।
भरद्विचाजसयतसं गच्च्छि कविलप्रीकयविर्परवण्डतमम ॥ ११७ ॥
इवत तशेन समचावदषर स वजन्कवम्रतचाविवनर ।
अधर्पशशौचसं मयवनसयतसं दृष्टचा दरय चात्समचादवितम ॥ ११८ ॥
तवस्मनवभदयतशे विशेगचादप्रीपशसूलशे वनशचाचरशे ।
भयभगगवतर प्रचार शरणसं न मयनशेर सयतर ॥ ११९ ॥
रलचायमचानर ससंप्रचापर स जविचावत्रतयरचाशमतम ।
अग्न्यचागचारसं वविशनयदर शसूदशेणचाशशौचदवसू षतर ॥ १२० ॥
दचासस्रमृषर स वनरशशौचर रवततर ससंभ्रमचावत्कतशौ ।
रकर शसूलहतर रश्चचात्सहसचा भस्मसचादभसूतम ॥ १२१ ॥
अतचान्तरशे भरद्विचाजर प्रवविशवनजमचाशममम ।
वविध्विस्तच्च्छिचायमचालमक्य समद्विशेगर समवचन्तयतम ॥ १२२ ॥
मम रयष्रफलचादचानप्रत्यचाविमृतस्य विह्नियर ।
सदमवतष्ठवन्त रयरतस्तशेऽद वकसं वनश्चलचा इवि ॥ १२३ ॥
इवत ससंवचन्त्य दृष्टचागशे भस्मभप्रीतसं सयतसं मयवनर ।
शयत्विचा च दचासकवथतसं विमृतचान्तसं न्यरतद्भवय वि ॥ १२४ ॥
स लब्धससंजर शनकर रविददचाष्रगददमम ।
ररभ्यमऽवर वविद्विचान्कचालशेन प्रचाप्नमतय स्विसयतचाद्विधमम ॥ १२५ ॥
हचा रयत रवकतशेनचावर कणकयवनरचावतनचा ।
न जप्रीविचावम सदमषशेण कचायशेनशेवि त्वियचा वविनचा ॥ १२६ ॥
इत्यक्य त्विचा रयतशमकशे न वचतचावगमवविशन्मयवनर ।
महत्स्विवर नविमत्सशेकचादभगप्रसरचार शयचर ॥ १२७ ॥
अथ यचातशे शनरर कचालशे बमृहदयम्नस्य भसूरतशेर ।
यचाजकशौ जग्मतयगर्येहमविचार्पविसयररचाविससू ॥ १२८ ॥
प्रविमृतशे वविवधवितस्य दप्रीघर्पसत्तशे रमृथयवशयर ।
दचानमचानमदयर कमऽवर तयमयचार्पजकयमरभसूतम ॥ १२९ ॥
कदचावचवदनरयर्पन्तससंध्यचायचासं वनजमचाशममम ।
ररचाविसयर समचागच्च्छिन्दृष्टचा वरतरमगतर ।। १३० ॥
कमृ ष्णचावजनमतरचासङ्गसं दण्डशेन ममृगशङ्कयचा ।
जघचान शचारवविविशर स तशेनचाभसूवद्विचशेतनर ॥ १३१ ॥
जनकसं हतमचालमक्य बह्महत्यचाभयचाकयलर ।
गत्विचा यजभयविसं भ्रचातशे स तमथर न्यविशेदयतम ॥ १३२ ॥
अविचार्पविसयस्तमविदद्भ्रचातर वकसं वक्रियतशे वविधशेर ।
भविवन्त यस्य ससंकल्रचादशेविसंरूरचा वविरयर्पयचार ॥ १३३ ॥
धमचार्पथर्जी रचारमचाप्नमवत शप्रीलचाथर्जी शप्रीलवविप्लविमम ।
वविधशौ वविधयरतचासं यचातशे दवविणचाथर्जी दररदतचामम ॥ १३४ ॥
बह्महत्यचावतसं तप्रीवसं भवितमऽथर्ये चरचाम्यहमम ।
त्विमस्य कय रु भसूभतयर्पर ससंरसूणचार यचाजनवक्रियचामम ॥ १३५ ॥
उक्त्विशेत्यविचाविर्प सयभ्रचार्पतयर रचारशचान्त्यर धमृतवतर ।
चकचार सविर्पतप्रीथषर्ये य तप्रीववनष्कमृ वतरचारणमम ॥ १३६ ॥
तसं समचापवतसं प्रचापसं रचाजम यजविसयसंधरचामम ।
दरसू चात्ररचाविसयजचार्पत्विचा वरतमृघ्नर समवचन्तयतम ॥ १३७ ॥
अयसं मशे दवकणचाकचालशे भचागहतचार्प समचागतर ।
मदभचाग्यरवश्चरसं तप्रीववतवकषमऽवर जप्रीविवत ॥ १३८ ॥
इवत ससंवचन्त्य समऽभ्यशेत्य प्रमविचाच रमृवथविप्रीरवतमम ।
लमभमचात्सयर्पयमरङ्कशे रवततर रचातकशे च्च्छियचा ॥ १३९ ॥
रचाजन्यजमहप्रीमशेष वकवल्बषप्री बह्महत्ययचा ।
प्रवविशत्यवविकल्रशेन मद्भ्रचातचा विचायर्पतचावमतर ॥ १४० ॥
इत्यक्तिय स्तशेन नमृरवतर कमृ तघ्नशेन वविरयर्पयचातम ।
तस्य प्रविशेशमजचानचावनष्रचारस्य न्यविचारयतम ॥ १४१ ॥
अन्धचा इवि न रश्यवन्त यमग्यचायमग्यसं वहतचावहतमम ।
रथचा तशेनरवि गच्च्छिवन्त नप्रीयन्तशे यशेन रचावथर्पविचार ॥ १४२ ॥
वमथ्यचारविचाददचानशेन नरवि भ्रचातशे चयकमर सर ।
वनकचारशे कचारणसं दरविसं मन्यन्तशे वह मनप्रीवषणर ॥ १४३ ॥
तशेन तस्यचानमृशसंस्यशेन वनवविर्पकचारतयचा तयचा ।
तयषचार क्रितयसमचासप्रीनचास्तमसूचयवस्त्रिवदविशौकसर ॥ १४४ ॥
प्रशमशेन तविचानशेन प्रसनचास्तशे वियसं मयनशे ।
विरचाहर्पोऽवर विरचाचचार गमृह्यतचासं प्रविरम विरर ॥ १४५ ॥
इत्यक्तिय र स सयररर प्रप्रीत्यचा तचानयविचाच कमृ तचाञ्जवलर ।
यवद यष्य मद्विरचाहर्पोऽहसं दप्रीयतचासं यन्ममशेवप्सतमम ॥ १४६ ॥
मवत्रतचा यमऽवभचचारशेण भरद्विचाजचात्मजम हतर ।
स जप्रीवित्विस्ममृतक्रिसूरवनकचारर स च तवत्रतचा ॥ १४७ ॥
अस्मवत्रतचा ममृगवधयचा यर ररचाविसयनचा हतर ।
समऽवर वविस्ममृततत्कमरर स्विस्थर प्रचाप्नमतय जप्रीववितमम ॥ १४८ ॥
इत्यवथर्पतशे विरशे तशेन तथशेत्यचारयचावय तरर सयररर ।
यविक्रिकीतभरद्विचाजररभ्यचार प्रचारयर स्विजप्रीववितमम ॥ १४९ ॥
इत्यशेतशे मयनयमऽवर दरर्पवविफलशे यचातशे शयतशे शमच्यतचासं
क्रिमधचान्ध्यशेन रयनर प्रनषवविमलचालमकशे वविविशेकशे च्यतय शे ।
शप्रीलशे रचागमहमष्मणचा वविगवलतशे द्विशेषशेण नचाशसं गतचार
कस्यचान्यस्य धनचावभमचानमवलनचा वविदचा वविधतशे गयणमम ॥ १५० ॥
चशेतर शचान्त्यर द्विशेषदरर्पोवज्ज्झितशेन यत्नर कचायर्पर सविर्पथचा रवण्डतशेन ।
वविदचादप्रीरर कचामकमरचाकयलचाक्ष्णचासं दरचार्पन्धचानचासं वनष्फलचालमक एवि ॥ १५१ ॥
अलमभर ररमसं ववितमवहसंसचा ररमसं तरर ।
अमचायचा ररमचा वविदचा वनरविदचा मनप्रीवषणचामम ॥ १५२ ॥
शयक्रिस्य वविदचा धनदचाथर्पहतयर्पमचायचार्पप्ररञमरवचतस्य शमच्यचा ।
कचस्य विचाचस्रवतजन्मनमऽवर व्यचाजशेन वविदचा वविफलप्रीबभसूवि ॥ १५३ ॥
स्रमृशवत मवतसं नवह तशेषचासं द्विशेषवविषर कवलसरर्पर ।
यवद शमवविमलमतप्रीनचासं स्विमनवस भविवत न दरर्पर ॥ १५४ ॥

चतयथर्पो वविचचारर
रदमरमचानचासं वदनसयन्दरचाणचासं कमऽयसं नमृणचामवस्थररूरदरर्पर ।
रूरशेण कचावन्तर कवणकर वि यशेषचासं हचाररदरचागशेण यथचासंशयकचानचामम ॥ १ ॥
रयर्पन्तरशेरचाङ्गवविभचागहप्रीनवचतमरमसं बचालविरयर प्रकमृ त्यचा ।
तदशौविनशेनरवि वविकचासमशेवत चरतमत्सविशेनशेवि वशरप्रीषरयष्रमम ॥ २ ॥
अलममशसं रसूणर्पशशचाङ्कशमभसं मयरसं तय यसूनचासं कवतवचवदनचावन ।
जचातशे ततर श्मशयवविशचालजचालशे शशेविचाललप्रीनचाब्जतयलचासं वबभवतर्प ॥ ३ ॥
धसूमशेन वचतसं तयवहनशेन रदसं तवमसरकशेण सयधचासंशयवबम्बमम ।
शप्रीतसं वनदचाघशेन न भचावत तमयसं जरचावितचारशेण च चचारुरूरमम ॥ ४ ॥
रूरसं कणस्विप्रीकमृतरक्तिमचासंसगचासप्रसक्तिचाकमृतकचामदमषचा ।
कशे शगहशेणरवि जरचा जनचानचासं विशेश्यशेवि ववितसं कविलप्रीकरमवत ॥ ५ ॥
रचाकक्रिमशेणरवि वविवचतकमचार्प प्रवतकणसं दशेहभमृतचामलक्ष्यर ।
करमवत कचालर रररणचामशक्त्यचा रूरसं वविरूरसं चतयरप्रविचाहर ॥ ६ ॥
न लक्ष्यतशे कचालगवतर सविशेगचक्रिभ्रमभ्रचावन्तवविधचावयनप्रीयमम ।
ह्यम यर वशशयर स स्फय टयशौविनमऽद प्रचातजर्परचाजप्रीणर्पतनयर स एवि ॥ ७ ॥
रयस सं चामविस्थचावततयवतभचागशे रूरप्रदसं यशौविनमशेवि नचान्यतम ।
तवस्मन्मदमन्मचादगदचाङ्गभङ्गव्यङ्ग्यचावददमषमरहतशे क रूरमम ॥ ८ ॥
यदचा नरर शमचवत दरय रतपस्त्यक्तिचाशनर शमकवविविणर्पविक्तर ।
न स्नचावत नमवतष्ठवत नरवि शशेतशे तदचा क रूरसं क च यशौविनशप्रीर ॥ ९ ॥
यदचा वस्थतर प्रशेत इविचावस्थशशेषर कचारचागमृहशे धसूसररतमध्विर्पकशेशर ।
प्रककीणर्पयसूकचामलकचालकचायस्तदचा क रूरस्य गतमऽवभमचानर ॥ १० ॥
यदचा सदचाङ्गप्रीकमृतदरन्यदरय रसशेविचाप्रविचासशेन वविनषकचायर ।
वनत्यप्रविचासभ्रमभगजचानयनर्प रूरलब्धस्य तदचावस्त रुरमम ॥ ११ ॥
यदचा प्रहचाररदर्पवलतचावरलचाङ्गर रण्डमष्ठनचासर स्फय वटतचावकदन्तर ।
यविय चा वरशचाचत्विवमविमरयचावत तदचावर रूरसं वविगतस्विरूरमम ॥ १२ ॥
यदचा न धप्रीमचानररषय प्रमचाथप्री न विचाक्रटय वश्चतमनयष्यतयल्यर ।
तदचा सयरूरचादवविचचाररम्यचाद्विरसं वविरूरर स्रमृहणप्रीयरूरर ॥ १३ ॥
यदचा दररदर रररधचानहप्रीनस्त्रिरचावनलप्रीनर कय रुतशेऽवतयचाञचामम ।
करमलससंजचातविलप्रीवविकचारस्तदचा सयरूरमऽवर ररसं वविरूरर ॥ १४ ॥
वविद्वित्ससंसवद विचावदवभर कवविविररभचार्पषचानवभजर ररसं
मसूरर्पर शसंकरविचाहनस्तयवतरदरयर्पर ससंजयचा हस्यतशे ।
वविक्रिकीतर ररदशेशरण्यसदनशे धसूतर्दैररविचानयतरर ।
रयससं वश्चतमयसूरचचारुविरयषर वकसं तस्य रूरवशयचा ॥ १५ ॥
कचालसं मयहहतचार्पङ्गहवलमण्डलशेन वदनवतयचामचाञ्जवलनचा वरबन्तमम ।
रूरसं वविलमक्यरवि विरयश्च कशे षचासं भङ्गशे न नचाङ्गचान्यलसप्रीभविवन्त ॥ १६ ॥
रूरसं वियर शशौयर्पमनङ्गभमगसं प्रजचाप्रभचाविसं वविभविसं विरयश्च ।
अश्नचावत कचालभ्रमरर समन्तचात्रयसंसचासं वन वकसंजल्कवमविचाम्बयजचानचामम ॥ १७ ॥
कदचावचत्सह गन्धविर्दैर सभचास्थचानशे शचप्रीरवतमम ।
नमृतशेनचाप्सरसर सविचार्प गप्रीतशेन च वसषशेवविरशे ॥ १८ ॥
तचासचासं मध्यशे बभशौ कचान्तचा विमृतप्रीनचावमवि कर वशककी ।
उविर्पशप्री स्विमयरशे मरतभ विदन्तप्रीविशेन्दरय दयमर ॥ १९ ॥
शक्रिसशेविचागतचास्तत तचासं दृष्टशेन्दमय यरभ सयरचार ।
मशेवनरशे धन्यमचात्मचानसं शमृङ्गचारस्यचाङ्गतचासं गतमम ॥ २० ॥
नमृत्यन्तप्री सचा बभशौ हचारमध्यरत्नशेषय वबवम्बतचा ।
यगय रत्प्रवविशन्तप्रीवि हृदयचावन वदविशौकसचामम ॥ २१ ॥
लप्रीनचा दशेविवविमचानशेषय हसंसचास्तदवतवनवजर्पतचार ।
तत्कटचाकवजतश्चक्रिशे वनदचासं चन्दशे ममृगर कणमम ॥ २२ ॥
तस्यचार सशेष्यचार्पप्सरमनशेतमचालशेवि रवततचा बभशौ ।
स्तनयमर शशेररसस्तचा नप्रीलमत्रलदलचाविलप्री ॥ २३ ॥
उत्सचाहमदतवविभ्रमभ्रमरकव्यचाविमृतहचारचान्तर-
तयटत्ससूतवविमयक्तिमशौवक्तिकभरर सक्तिर स्तनमत्सङ्गयमर ।
विक्तशेन्दच्य यतय ससंततचाममृतकणचाकचारश्चकचार कणसं
तस्यचा नमृतरसशममवदतघनस्विशेदचाम्बयवबम्बवशयमम ॥ २४ ॥
तस्यचा नमृतवविलमकनशे रयलवकतसं दृष्टचा रवतमर्पन्मथसं
वनरश्विचासचावञतचचारुरूर(?)रजसचा चक्रिशे रयरस्तचात्रटमम ।
उद्विप्रीक्ष्यचावकररम्ररचामवर हरशेस्ततचाविसनचा शचप्री
कमरचान्दमवलतकशे वलरदमधयररमर्पध्यशेऽन्धकचारसं व्यधचातम ॥ २५ ॥
वविघ्नसं न चक्रियनर्पनय नमृतलप्रीलचाससंदशर्पनशे रयण्यवितचासं नरचाणचामम ।
ततमविर्पशप्रीरूरविशप्रीकमृतचानचासं वनमशेषशसून्यचावन वविलमचनचावन ॥ २६ ॥
दशेवियमरवश्विनमस्तत रूरमचाधयय र्पधययर्पयमर ।
वमथर कथचा समभवितदणय चाकमृषवचतयमर ॥ २७ ॥
एकमऽबविप्रीदहम रूरमस्यचास्तरलचकयषर ।
वनमप्रीलवनयमचा यशेन मयनयमऽप्यचाकयलप्रीकमृतचार ॥ २८ ॥
अस्यचासं ससंसवद कस्यचास्यशे रतन्त्यशेतचार सयजन्मनर ।
स्मरससंभमगससंविचादलजचाकयवटवलतचा दृशर ॥ २९ ॥
विमृतससंगमयमरशेवि ररस्ररवविलमकनशे ।
न्यचाससं शमृङ्गचारसविर्पस्विमनङ्गशे नचावरर्पतसं रहर ॥ ३० ॥
रणमत्समृषतनमर कण्ठशे समत्कण्ठचा भयजबन्धनमम ।
कस्यशेयसं तरलचारचाङ्गचा रङ्गमतप्रीणचार्प कररष्यवत ॥ ३१ ॥
इवत बयविचाणमररर सवस्मतस्तमभचाषत ।
अहम नय वविस्ममृतर वकसं तशे भसूतलशेन्दरय रयरूरविचार ॥ ३२ ॥
वविक्रिमचाभरणसं वदकय लचाविण्यवतलकसं भयविर ।
उविर्पशप्रीभमगसयभगसं यस्यरतदप्रीयतशे यशर ॥ ३३ ॥
तशेन रूरगयणमत्सचाहररुविर्पशप्रीयसं विशप्रीकमृतचा ।
रयरर वस्थतचावर शक्रिस्य मनसचा तत वतष्ठवत ॥ ३४ ॥
रूरसचाम्यशेन शप्रीतचासंशयविसंशशे जचातर स लजतशे ।
न करमवत रतशेरगशे तत्कथचासं मत्सरप्री स्मरर ॥ ३५ ॥
न जचानशे बत हशेविचाकर कमऽयसं कय सयमधन्विनर ।
नरविचारर्पयवत यत्रचाणशौ तस्यरवि शररञकमम ॥ ३६ ॥
भयविर समस्तचाम्बयवधमशेरलचायचा विमढचारमचाजचानयवविलवम्बबचाहहमम ।
लप्रीलचागयरुसं तसं हृदयशे विहन्तप्री तन्विप्री कथसं नमृत्यवत नरवि वविदर ॥ ३७ ॥
दषव्यर स नमृरस्तचाविदप्रस्तचाविशेऽवर यत्नतर ।
कम विशेवत तवद्विधसं रत्नसं रयण्यररचास्तशे वकयवचरमम ॥ ३८ ॥
इयक्य त्विचा तशौ कमृ तकमणप्रीरवतदशर्पनवनश्चयशौ ।
नमृतशे वनविमृतशे जम्भचाररसं प्रणम्य ययतयभयर्पविमम ॥ ३९ ॥
रचाजधचानभ समचासचाद तशौ रयरूरविसर कणचातम ।
अविचाररतशौ वविवविशतयविर्येवतवभर सयरगशौरविचातम ॥ ४० ॥
तशौ तसं ददृशतयर स्नचानवविवहतचाभ्यङ्गससंगममम ।
रप्रीयसूषनविनप्रीतशेन लगस्नशेहवमविमडय रमम ॥ ४१ ॥
स्नचातमतचाररतकशे यसूरमहचाहर्पमवणकसंकणमम ।
लचाविण्यचाभरणसं तस्य वविररचाजमवजर्पतसं विरयर ॥ ४२ ॥
शसून्यशविणरचाशस्य तस्य कण्ठर समचाययशौ ।
वनभसूर्पषणवनविशेशमऽवर वविशशेषरमणप्रीय़तचामम ॥ ४३ ॥
वविचचायर्प तस्यचा मयचार्पदसं सशौन्दयर्पोदचायर्पमवश्विनशौ ।
प्रशशसंसतयरचाश्चयर्पवनमचार्पणचावतशयसं वविधशेर ।। ४४ ॥
स तशौ कमृ तचाञ्जवलर प्रप्रीत्यचा कमृ तचासनरररगहशौ ।
रप्रच्च्छि स्विच्च्छिहृदयस्त्विरचागमनकचारणमम ॥ ४५ ॥
तचाविसूचतयर वकवतरतशे महप्रीकयसयमधन्विनर ।
तरलमक्यचाभरणसं रूरसं तविचाविचासं दषहमचागतशौ ॥ ४६ ॥
वनसगर्येण जगत्सगर्पवनरगर्पलगयणचादरचातम ।
कशौतयकचालमकसचारशेवि दृष्टचा समृवषर प्रजचारतशेर ॥ ४७ ।।
वविलमवकतस्त्विसं विसयधचासयधचासंशयर रसूणर्पमण्डलर ।
रूररप्रीयसूषरचानशेन प्रचापचा प्रप्रीवतर वकमयच्यतशे ॥ ४८ ॥
इत्यक्ति
य र प्रणयचातचाभ्यचासं वकसंवचत्कय सयवमतवस्मतर ।
तचाविसूचशे नमृरवतमचार्पन्यमचानशेनचाभ्यवधकचारर ॥ ४९ ॥
भवित्ससंदशर्पनशेनचाहमस्म्यनयगहभचाजनमम ।
दषव्यचा दषहमचायचावन्त रयण्यरयण्यशेन कशे विलमम ॥ ५० ॥
तप्रीथचार्पवपर सचाधयससंरकर्पर रसूज्यरसूजचामहमत्सविर ।
अवस्मवन्विरसवनरसचारशे ससंसचारशे सचारससंगहर ॥ ५१ ॥
स्नचानचाभ्यक्तिशेन न मयचा यविय यमरुवचतर कमृ तर ।
रयण्यसचाफल्यवनरशल्यकल्यचाणचायचाचर्पनचादरर ॥ ५२ ॥
अग्न्यचागचारचान्तरशे तचाविन्मयहहतर वक्रियतचासं वस्थवतर ।
कमृ तस्नचानर समशेष्यचावम रसूजचाप्रणयरचाततचामम ॥ ५३ ॥
इयक्ति य शौ तशेन ययतयस्तशौ हहतचाशनमवन्दरमम ।
स्नचातसं वविभसूवषतसं भसूरसं दक्ष्यचावि इवत कशौतयकचातम ॥ ५४ ॥
अथ रचाजचा कमृ तस्नचानर सविचार्पभरणभसूवषतर ।
रयरमवहतशेन सवहतस्तत्समप्रीरमयरचाययशौ ॥ ५५ ॥
तशौ दृष्टचा रमृवथविप्रीरचालसं तचारहचारसं वकरप्रीवटनमम ।
कणसं नरविमचतयर वकसंवचवद्विषण्णशौ वविनतचाननशौ ॥ ५६ ॥
कमृ तचाचर्पनशे नररतशौ तशौ रप्रच्च्छि रयरमवहतर ।
अकस्मचादयवियमर कस्मचादप्रसचाद इविशेक्ष्यतशे ॥ ५७ ॥
वविनयचावतक्रिममऽस्मचाकसं यचातर कवचन हशेतयतचामम ।
रमृषशौ रयरमवहतशेनशेवत तशौ शनरस्तमभचाषतचामम ॥ ५८ ॥
आवियमनचार्पप्रसनत्विसं न यष्य मचाकमवतक्रिमर ।
वकसं तय कचालगलत्सविर्पभचाविचालमकनवविस्मयर ॥ ५९ ॥
अधयनरवि नरशेन्दमऽयसं दृषमऽभ्यङ्गशे ऽवर यचादृशर ।
कणरचाकशेन कचालस्य दृश्यतशे नरवि तचादृशर ॥ ६० ॥
वदनशेन्धनविनशे वनत्यसं दह्यमचानशेऽकर्पविवह्निनचा ।
नप्रीयतशे कचालधसूमशेन रूरवचतमवचततचामम ॥ ६१ ॥
वनवश्चत्य सविर्पभचाविचानचासं वनत्यमशेतचामवनत्यतचामम ।
रूरशेऽवभमचानसं कर कय यचात्र्प स्विप्नवचतरटमरमशे ॥ ६२ ॥
जरचाजप्रीणचार्पवन रूरचावण रमगचातचार्पवन विरसूसंवष च ।
आयसूसंवष कचाललप्रीढचावन दृष्टचा कस्य भविशेन्मदर ॥ ६३ ॥
यमऽयसं वविकमक्यतशे लमकर स्फचारचाकचारवविकचारविचानम ।
उच्च्छिसूनतचामयरगतचास्त एतशे शयक्रिवबन्दविर ॥ ६४ ॥
अहम कचालस्य ससूक्ष्ममऽयसं कमऽप्यलक्ष्यक्रिमर क्रिमर ।
यत्रचाकरररणचामशेन सविर यचात्यन्यरूरतचामम ॥ ६५ ॥
रचाजर स्नचानकणशे यचाभसूल्लचाविण्यलहरप्री तनमर ।
रप्रीतचा कणशेन सचा तशेन प्रविमृतचान्यकणमवचतचा ॥ ६६ ॥
ससंरसूणर्पस्यचायषय म मचातचा रूरस्य वविभविस्य च ।
हमरचायचातचाम्बयधचारविशे गलत्यशेविचावनशसं नमृणचामम ॥ ६७ ।।
कलचाकचाष्ठचामयहहतचार्पनचासं कचालस्य वजतचासं जविचातम ।
न लक्ष्यतशे वविभचागशेन दप्रीरस्यशेविचावचर्पषचासं गवतर ॥ ६८ ॥
बचालर प्रभचातशे मध्यचाह्निशे तरुणर स्थवविरमऽस्तगर ।
वदनशे वदनशे वदनशेशमऽवर वक्रियतशे कचाललप्रीलयचा ॥ ६९ ॥
शयष्यन्त्यम्बयधयस्तरङ्गगहनररचावलरङ्गतचाशचाङ्गनचा
गच्च्छिन्त्यदय ततयङ्गशमृङ्गमयकयटमदगचा वगरप्रीन्दचार कयमम ।
भ्रश्यत्यशेवि विसयधसं रचावर सवहतचा वदग्दवन्तवभयर्पद्विशचा-
त्सविचार्पशप्री सततसं प्रधचाविवत महचाकचालर स कमऽप्यचाकयलर ॥ ७० ॥
इत्यक्य त्विचा नमृरमचामन्त्र्य वदविसं जग्मतयरवश्विनशौ ।
नमृरश्च तद्विचवश्चन्तचाशचान्तरूरमदमऽभवितम ॥ ७१ ॥
तस्मचान कचायर्पर सयवधयचा वविचचायर्प सचाश्चयर्पसशौन्दयर्पवविलचासदरर्पर ।
ससंसचारममहप्रसरशे घनशेऽवस्मवन्विदयल्लतचावविस्फय ररतसं वह रूरमम ॥ ७२ ॥
प्रचातबचार्पलतरमऽथ कय दलतयचा कचान्तचाकयचचाभर शनर-
हर्येलचाहचासवविकचाससयन्दररुवचर ससंरसूणर्पकमषस्ततर ।
रश्चचान्म्लचानविरयवविर्पलमलवशवथलर रदर प्रककीणर्येऽवनलर-
स्तवस्मनशेवि वदनशे स रङ्ककवललवकनस्तटशे शयष्यवत ॥ ७३ ॥
विररूप्यसं सहजसं जरचाहृतरुवचयचार्पतम ययचावतर रयरचा
कचान्त्यचा तवजर्पतकचामककीवतर्परभविददय र्पशर्पमसूवतर्पनर्पलर ।
सशौदचासस्य मनमहरसं विरयरभसूत्ससंतचासनसं दशेवहनचासं
रूरशे कस्य भवविष्यवत प्रवतवदनम्लचावयन्यवनत्यशे धमृवतर ॥ ७४ ॥
तस्मचादवस्थररूरसं वविचचायर्प रूरसं भविस्विरूरसं च ।
अनयरूरमदनशमनसं वस्थररदससंप्रचापयशे सयवधयचामम ॥ ७५ ॥

रञमम वविचचारर
अहसं शसूरर क्रिसूरप्रवतभटघटचारचाटनरटय -
स्तरस्विप्री सशेनचायचासं हयगजघटचानचामवधरवतर ।
इवत प्रशौढर रयसंसचासं वनजभयजबलचाक्रिचान्तजगतचासं
भवित्यन्तदर्परर्पर रररभविरदसं कचालगवलतर ॥ १ ॥
शशौयर्येण दरर्पर रयरुषस्य कमऽयसं दृषवस्तरश्चचामवर शसूरभचाविर ।
औवचत्यहप्रीनसं वविनयव्यरशेतसं दयचादररदसं न विदवन्त शशौयर्पमम ॥ २ ॥
बचालस्य शशौयर कय सयममरमस्य मचातयर प्रहचारशे प्रणयवस्मतशेषय ।
विमृदस्य शशौयर वशवथलचाङ्गससंधशेर स्विश्लचाघयचा रसूविर्पकथचारथशेषय ॥ ३ ॥
वियवस्त्रिभचागशे तरुणस्य शशौयर यदशेवि दरर्पप्रभविचावभभसूतमम ।
तवचतविमृतशेवविर्पवविधस्विभचाविचात्रयचार्पयशम यचात्यवतविरररप्रीत्यमम ॥ ४ ॥
verse 5 corrupted
ह्यम यशेन भगचार रयरतमऽररसशेनचा भप्रीतर स एविचाद भवित्यधप्रीरर ।
विमृतशेण शक्रिर समरशे वनगप्रीणर्पर फशे नशेन शक्रिर स जघचान विमृतमम ॥ ६ ॥
verse 7 corrupted
यर कचातर्पविप्रीयर्पस्य च दमरसहससं वविच्च्छिशेद विप्रीरम नवह यवय ध जचामदग्न्यर ।
स सचायकशे रचामकरचावधरूढशे बचाह्मण्यदरन्यप्रणयप्री बभसूवि ॥ ८ ॥
रचाममऽवर सचाहचायकलचाभलमभचाचक्रिशे करशेर ससंशयदरन्यसशेविचामम ।
शसूरप्रतचारर वशवशरतयर्पनशेवि कचालशेन लप्रीढस्तनयतचामयररवत ॥ ९ ॥
विचालप्री प्रसह्य प्लविगर करशेण समल्लचासकर लचाससहसं दशचास्यमम ।
वनवकप्य ककचाञलससंवधबन्धशे सपचावब्धससंध्यचावविवधमन्विवतष्ठतम ॥ १० ॥
यदय मदतचा भसूरतयर प्रवसदचा बदचा जरचाससंधनमृरशेण रसूविर्पमम ।
सभप्रीमसशेनशेन भयजचायधय शेन वद्विधचा कमृ तर ससंवधवविदचारणशेन ॥ ११ ॥
भप्रीममऽवर कणर्येन वविककीणर्पधरयर्पर प्रमसूढशवक्तिर कमृ रयचा वविमयक्तिर ।
कणर्येऽजयर्पनस्यचाततकचामयर्पकस्य कणचात्कणसं यचाचकतचासं प्रयचातर ॥ १२ ॥
त्यक्त्विचाजयर्पनर कमृ ष्णकलतविगर जगचाम गमरचालबलचावभभसूतर ।
न जचायतशे दरविरथचानययचातचा शशौयर्पस्य विमृवतर कररकणर्पलमलचा ॥ १३ ॥
भप्रीरुर शसूरत्विमचायचावत शसूरमऽप्यचायचावत भप्रीरुतचामम ।
न कवचचरलस्यचास्य शशौयर्पस्य वनयतचा वस्थवतर ॥ १४ ॥
बचाणस्त्र्यकशेण कसंसचाररचक्रिधचारचारथचावतवथर ।
आजन्मभवक्तिप्रणयप्री रकणचाहर्पो न रवकतर ॥ १५ ॥
विशेगचापशे कचालयविनशे मयचयकयन्दमवशवशयतम ।
शशौररर शयनरयर्पङ्कतलससंकयवचतचाकमृवतर ॥ १६ ॥
वशशयरचालस्य वशरवस वच्च्छिनशे चक्रिशेण चवक्रिणचा ।
दृवषर कमृ तचा न चचारशेषय नमृररस्तत्रवकरचावतवभर ॥ १७ ॥
भप्रीमवनष्रप्रीयमचाणसमृग्दृषम दयय र्पोधनचानयजर ।
अशस्त्रिचावभरशेवि स्त्रिप्रीवभदर्पोणकणर्पकमृरचावदवभर ॥ १८ ॥
स्फचारचाजगरससंरुदभयजद्विन्द्विम विमृकमदरर ।
जननप्रीकरुणचाक्रिन्दवननचादमयररमऽभवितम ॥ १९ ॥
महतचामवर रसूविर्येषचामशेविसंरूरचा मदवकवतर ।
सचामचान्यवविक्रिममदचामश्लचाघचा कशे नचावभनन्दतशे ॥ २० ॥
अशक्तिशे रशौदतचातरक्ष्ण्यसं तप्रीवरचारशेषय धप्रीरतचा ।
च्छिदधप्रीविचार्पवच रचारुष्यसं नप्रीचचानचासं शशौयर्पमप्रीदृशमम ॥ २१ ॥
वनष्कचारणनमृशसंसस्य शशौयर वहसंसत्विमयच्यतशे ।
यर सरर्प इवि ससंनदर प्रचाणभचाधचाय दशेवहनचामम ॥ २२ ॥
एतदशेवि ररसं शशौयर यत्ररप्रचाणरकणमम ।
नवह प्रचाणहरर शसूरर शसूरर प्रचाणप्रदमऽवथर्पनचामम ॥ २३ ॥
न कवश्चदवय दहप्रीनस्य शशौयर्येण वक्रियतशे गयणर ।
रजर्पन्यगवजर्पतचामषर्जी श्विभ्रशे रतवत कशे सरप्री ॥ २४ ॥
वकसं शशौयर्येण सरचागस्य मदकप्रीबस्य दवन्तनर ।
बन्धककीलचाभलमभशेन यर वकरत्यविटशे तनयमम ॥ २५ ॥
शशौयर वविक्रिकीतकचायस्य सशेविकस्य वकमद्भतय मम ।
मशेषस्यशेवि विधम यस्य ससूनचाबदस्यम वनवश्चतर ॥ २६ ॥
न दरर्पवविकमृ तसं शशौयर न मचायचामवलनसं मनर ।
न द्विशेषमष्णसं शयतसं यशेषचासं गण्यन्तशे तदणय चा बयधरर ॥ २७ ॥
कय लसं कय तनयशेनशेवि लमभशेनशेवि गयणमदयर ।
ऐश्वियर दनय र्पयशेनशेवि शशौयर दरर्येण नश्यवत ॥ २८ ॥
प्रभचाविभविनस्तम्भ इवि दम्भमद्भविमऽभवितम ।
सपचावब्धररररचालशेरमशेरलचायचार प्रभयभवियर्प र ॥ २९ ॥
तस्य वनरशशेवषतचारचातशेर सदचा यद य मनमरथर ।
अप्रचापप्रवतमल्लस्य ययशौ हृदयशल्यतचामम ॥ ३० ॥
स सयरचासयरयद य चापदरर्पदवरर्पतमचानसर ।
कर कमऽवस्त शसूरर ससंरम्भचावदत्यरमृच्च्छित्सदचाजनमम ॥ ३१ ॥
दरर्पकण्डसू लदमदर्पण्डसं रमृच्च्छिन्तसं रभसशेन तमम ।
सविचार्पविमचानससंनदसं जगचादचाभ्यशेत्य नचारदर ॥ ३२ ॥
नचावस्त त्वित्सदृशर शसूरस्त्रिरलमक्यशे सत्यमयच्यतशे ।
वकसं तय जचानशे रणचाहर्वौ तशे नरनचारचायणचाविमृषप्री ॥ ३३ ॥
बदयचार्पशमससंसक्तिशौ तप्रीवशे तरवस वनवष्ठतशौ ।
यद य शेच्च्छिशौ तशौ यवद स्यचातचासं तत्रसूणर्पस्तशे मनमरथर ।। ३४ ॥
नचारदशेनशेत्यवभवहतशे स बदयचार्पशमसं ययशौ ।
वविलमकयवनजभयजशौ प्रत्यचासनरणमत्सविशौ ॥ ३५ ॥
दृष्टचा तशेजमवनधप्री तत नरनचारचायणशौ नमृरर ।
मनमरथरथचाभ्यस्तसं ययचाचशे यद य मयदतर ॥ ३६ ॥
तसं यद य कचामयकसं वतयर्पग्दृशचा गम्भप्रीरधप्रीरयचा ।
वविलमक्यमविचाच सचाविजवस्मतवदग्धचाधरसं नरर ॥ ३७ ॥
महप्रीरतशे वनवितर्पस्वि न वियसं यद य कमवविदचार ।
यक्ति
य स्तररशेवि सङ्गचामस्तवि यशे भसूम्यनन्तरचार ॥ ३८ ॥
इत्यक्तिय मऽवर यदचा रचाजचा न चचचाल रणचादरचातम ।
तदचा तसं दृपमरषप्रीकवनवशतचास्त्रिरररसूरयतम ॥ ३९ ॥
प्रदप्रीपज्विलनचाकचाररर शरररचाककीणर्पवविगहर ।
वविनषवविगहरुवचनमृर्परस्तत्यचाज धप्रीरतचामम ॥ ४० ॥
अकचाण्डरवण्डतमचण्डदरर्पज्विरभरम नमृरर ।
कमृ रणर प्रचाणरकचायर तमशेवि शरणसं ययशौ ॥ ४१ ॥
विचाररतचास्त्रिस्ततस्तशेन भगमचानमनमरथर ।
लजचावविकय ण्ठकण्ठर स्विचासं रचाजधचानभ ययशौ नमृरर ॥ ४२ ॥
इवत मचानस्य महतचामवर घमरचाशवनमर्पदर ।
लमहस्य स्विमलशेनशेवि कयम दरर्येण तशेजसर ॥ ४३ ॥
तस्मचात्सदचा मचानधनशेन रयस सं चा दरर्पर प्रयत्नशेन वनविचारणप्रीयर ।
दरर्पोगविक्तस्य सयहृजनमऽवर सविचार्पत्मनचा वतववनरचातसजर ।
अदरर्पशशौयर्पस्रमृहणप्रीयसत्त्विचा गमवविप्ररकचाकवरतस्विदशेहचार ।
प्रयचावन्त विप्रीरचार सयकमृतचाममृतचादरयर्पशरशरप्रीरररजरचामरत्विमम ॥ ४५ ॥

षष्ठम वविचचारर
जगत्यशेकम भदवद्विरद इवि दचानचादर्पसरवण-
यर्पशस्विप्री वनरस्विचानचामहमवभमतचाशचाफलतरुर ।
इवत त्यचागमदगसं विहवत वकल दरर मनवस य-
स्तदद्भय तसू सं सविर सयकमृतमरहचाय वजवत सर ॥ १ ॥
स्विगचार्पवदससंभमगफलचावभलचाषचात्रचातचाय रसूजचासं प्रवतरदतशे यर ।
धमचार्पथर्परण्यक्रियवविक्रियमऽसशौ कस्तशेन दचानप्रभविमऽवभमचानर ॥ २ ॥
यवद्विदचावदगयणमत्कषर्पवविशशेषरररतमवषतरर ।
दप्रीयतशे प्रप्रीवतधनयमर स रण्यक्रियवविक्रियर॥ ३ ॥
लमकप्रवसवदवसद्ध्यर यर प्रयच्च्छिवत गयणस्तविरर ।
करमवत ववितयशसमर स तदचा क्रियवविक्रियमम ॥ ४ ॥
अविमचानहतसं यच दतमशदयचा धनमम ।
ऊषरशे वनष्फलसं बप्रीजसं वकपमवकपमशेवि ततम ॥ ५ ॥
त्यचावगनमऽन्यस्य ससंघषर्ये ककीत्यर्पत्य कषर्पवजगप्रीषयचा ।
दतसं कचारणभसूतस्य तस्यरविचान्तशे फलप्रदमम ॥ ६ ॥
ररचावतर्पशमनसं ववितमजचातमनयदप्रीररतमम ।
अफलचाकचाङ्क्षियचा यक्ति य सं प्रयचात्यल्रमनल्रतचामम ॥ ७ ॥
कय रुकशेतचावददशेशशेषय कचालशेष्विकर्पगहचावदषय ।
आत्ममरकचारमचातशेण रचातशे दचानशेन वकसं मदर ॥ ८ ॥
दशेशकचालवक्रियचारचातचाण्यवविचचायर्दैवि कशे विलमम ।
ररशेषचामचावतर्पशमनसं दयचादर दचानमयच्यतशे ॥ ९ ॥
रकचायर ससंरदचासं रयतकलतसयरवसदयशे ।
दप्रीयतशे यत्प्रयत्नशेन लमभदचानशेन तशेन वकमम ॥ १० ॥
विचादशे रलरर रलप्रीकमृत्य विशेधदयतररप्रीकयचा ।
दप्रीयतशे यवचरवकषसं कषदचानशेन तशेन वकमम ॥ ११ ॥
त्यक्त्विचाशचागतसत्रचातसं रसूणचार्पयचाभ्यथ्यर्प दप्रीयतशे ।
यतदच्य छचासससंतपसं दग्धदचानशेन तशेन वकमम ॥ १२ ॥
अन्यदचाभचावषतसं रसूविर दतमन्यततमऽल्रकमम ।
यत्सदमषमयमग्यसं विचा कसू टदचानशेन तशेन वकमम ॥ १३ ॥
वचरसशेविचानयरमधशेन लमभकमृ च्च्छिर्चादवनच्च्छियचा ।
अप्रसचादशेन यदतसं बलचादचानशेन तशेन वकमम ॥ १४ ॥
यत्रयष्रधसूरवतलकप्रवतरवतप्रदवशर्पतमम ।
दतमत्यल्रवनरसचारसं दम्भदचानशेन तशेन वकमम ॥ १५ ॥
प्रभसूतभचारससंभचारसं रचाजचशौरचावदवविप्लविशे ।
दत्त्विचा यदषय मयदषय सं शल्यदचानशेन तशेन वकमम ॥ १६ ॥
अनचास्विचादमवविक्रिशेयमनचादशेयमनप्रीवप्सतमम ।
दतसं वनरुरकचारसं यद्विन्ध्यदचानशेन तशेन वकमम ॥ १७ ॥
ऋणविवचरससंशमध्यसं विचसचा प्रवतरचावदतमम ।
यवनत्ययचाचनद्विशेषसं यचाच्यदचानशेन तशेन वकमम ॥ १८ ॥
एकस्मर रसूणर्पमन्यस्मर कमृ शसं तयल्यगयणमदयशे ।
भशेदचाददवरर्पतसं रचागद्विशेषदचानशेन तशेन वकमम ॥ १९ ॥
ऋणदरर स्विजनरर रयतरलर्पब्धकचामप्रवतगहर ।
वनत्यमचायचास्यतशे यशेन कवलदचानशेन तशेन वकमम ॥ २० ॥
न ररस्यचावतर्पशनमसं नचात्मनर रयण्यकचारणमम ।
दतचाल्रमसूल्यशेनचापसं यत्स्विल्रदचानशेन तशेन वकमम ॥ २१ ॥
दगय हर्प शेषय वविरुदशेषय दशचारचाकशेऽवतदचारुणशे ।
दप्रीयतशे दमषशचान्त्यर यद्भयदचानशेन तशेन वकमम ॥ २२ ॥
मयमसूषर्पस्त्यक्तिसविचार्पशर शयनस्थम ददचावत यतम ।
मसूच्च्छिचार्पस्थचानशेन मनसचा ममहदचानशेन तशेन वकमम ॥ २३ ॥
दतसं वप्रयववियमगमगशमकशल्यचातर्पचशेतसचा ।
यत्रश्चचातचारजननसं बचाष्रदचानशेन तशेन वकमम ॥ २४ ॥
रयरमवहतचाय गयरविशे शचावन्तस्विवस्तवविधचावयनशे ।
दप्रीयतशे यत्प्रसङ्गशे न भमृवतदचानशेन तशेन वकमम ॥ २५ ॥
यत्ससंत्यक्तिफलस्रमृहसं यदवय चतसं सविर्पस्विभसूतसं च य-
नचान्यचायशेन यदवजर्पतसं ररधनस्रशर्येन शपसं न यतम ।
दत्त्विचा दरय रशतसं न यत्स्विविचसचा रश्चचान यदण्यतशे
तदचानसं धनबप्रीजविचारवनरयणर शशेषर प्रकचारर कमृ षशेर ॥ २६ ॥
प्रचापयसं स्विगर्पविरचाङ्गनचास्तनतटस्रशचार्पवतररक्तिसं सयरसं
दतम मशेरुरवर प्रयचावत तमृणतचामचात्ममरकचारशेच्च्छियचा ।
आरनचावतर्पवविलमकनशे करुणयचा शदचासयधचारसूररतसं
सत्त्विमत्सचाहसमवन्वितसं तमृणमवर तरलमक्यदचानचावधकमम ॥ २७ ॥
यवय धवष्ठरस्य भसूभतयर्पर रयरचा कनकविवषर्पणर ।
अश्विमशेधशे वविधचानशेन वितर्पमचानशे महचाक्रितशौ ॥ २८ ॥
सजचासय रचाजभमज्यचासय वविवविधचास्विनरचावलषय ।
अवनशसं रत्नरचातशेषय भयञ्जचानशेषय वद्विजन्मसय ॥ २९ ॥
वविप्रशेषय रसूयर्पमचाणशेषय मवणकचाञनशचासनरर ।
उवच्च्छिषभसूवमसं नकय लर स्विवबलचात्समयरचाययशौ ॥ ३० ॥
दप्रीपकचाञनविणर्येन रचाश्विर्येनरकशेन शमवभतर ।
अररशेणचासयविणर्येन ववितप्रीणर्पजनकशौतयकर ॥ ३१ ॥
समऽभ्यशेत्य तसूणर्पमयवच्च्छिषहशेमरचातच्यतय शेऽम्भवस ।
लयलमठ शफरमत्फचालरररवितर्पवविवितर्पनरर ॥ ३२ ॥
सयविणर्परचाश्विर नकय लसं दृष्टचा सविर्ये कय तसूहलचातम ।
मजन्तमयवच्च्छिषजलशे वकवतरचाय न्यविशेदयनम ॥ ३३ ॥
प्रचापशेन भसूभयजचा दृष्टचा रमृष इविशेषयचा ।
समऽविदवद्विस्मयभयविचा सयस्रषचाकरयचा वगरचा ॥ ३४ ॥
रचाजनस्यचावतदचानस्य न रश्यचाम्यवय चतसं फलमम ।
अस्मचात्प्रभसूतससंभचारचात्सक्तियरचातसं विरसं ररमम ॥ ३५ ॥
प्रविमृतशेऽवस्मन्महचादचानशे महतस्तशे महप्रीरतशे ।
ववितशे विमृतशे च वचतशे च शयवदसं कम विशेवत तत्त्वितर ॥ ३६ ॥
ससंभचारमऽयसं भयविनभविनव्यचावपरयचार्पपभमगर ।
सविचार्पशचासय प्रततजनतचारसूरणशेऽत्यन्ततयच्च्छिर ।
आरनचावतर्पप्रशमनवविधशौ सत्त्विशयवदप्रदचानशे
ससंनदचानचामवर तमृणकणर कचाञनचावदत्विमशेवत ॥ ३७ ॥
शसूयतचामम यन्मयचा दृषसं भसूरतशे स्वियमद्भतय मम ।
उदशेत्यदय प्रीररतशे यवस्मन्कचायशे रममचाञकञयकर ॥ ३८ ॥
वशलमञ्च्छिविमृवतनचा रसूविर वविप्रशेण कशेतचचाररणचा ।
उरविचासकमृ शशेनचापसं यविस्तमकसं कलवतणचा ॥ ३९ ॥
सक्तियरचातशे ततर वसदशे कमृ तदशेविवरतमृवक्रियर ।
जचायचारयतवविभचागशेन स्विसं भचागसं भमक्तियमयदयशौ ॥ ४० ॥
स प्रचाणचाहहवततमयचाथर्जी ददशचार्पवतवथमचागतमम ।
कयत्कचामकय वकसं ससंवकपसविचार्पङ्गवशवथलचाकमृवतमम ॥ ४१ ॥
तस्मर वविवहतसत्कचारर सप्रसचादशेन चशेतसचा ।
शदचासयधचाविवसक्तिसं तत्स ददशौ वनजभमजनमम ॥ ४२ ॥
वनगप्रीणर्पोऽवतवथनचा तवस्मनकप्रीणकयवद्विकचाररणचा ।
तद्भचायचार्पप्यचादरवितप्री तस्मर स्विमशनसं ददशौ ॥ ४३ ॥
तशेनचाप्यतमृवपमचालमक्य तत्ससूनयर शदयचावतवथमम ।
स्विभमजनशेन वविदधशे ससंरसूणचार्पशनवनविमृर्पतमम ॥ ४४ ॥
गतशे भयक्त्विचावतथशौ तवस्मनयरविचासकमृ शम वद्विजर ।
सत्त्विमत्सचाहयतय स्तस्थशौ कचान्तमऽवर वनवश वनव्यर्पथर ॥ ४५ ॥
अथचाहसं सक्तियगन्धशेन वनगर्पतर कयवधतम वबलचातम ।
प्रचापस्तत्रणर्पकयवटकचामयत्समृषमवच्च्छिषविवतर्पनप्रीमम ॥ ४६ ॥
ततचाचमनतमयशेन स्रमृषमचातस्य मशे नमृर ।
रस्य मशे दवकणसं रचाश्विर जतसं हशेममयच्च्छिववि ।। ४७ ॥
ततमऽहसं विचामरचाश्विर्पस्य हशेमच्च्छिचायचापयशे सदचा ।
वनवनर्पदवश्चन्तयचा यचातर कमृ शतचामशेवि कशे विलमम ।। ४८ ॥
यदत्प्रचाप्नमवत रयरुषर कमर्पयमगचात्समप्रीवहतमम ।
ततत्ससंरसूणचार्पयरवि यचावत वचन्तचावविधशेयतचामम ॥ ४९ ॥
अधयनचा वितर्पमचानशेऽवस्मनश्विमशेधशे तवि क्रितशौ ।
हशेमरचाश्विचार्पशयचायचातम वविप्रमवच्च्छिषचामहप्रीमहमम ॥ ५० ॥
रत्नकचाञनरचातचाम्बयवसक्तिस्य लयठतवश्चरमम ।
मम कचावन्तलविमऽप्यङ्गशे न कवश्चवदह दृश्यतशे ॥ ५१ ॥
सविर्पथचा सत्त्विशयदचाय दचानचायचावतलघप्रीयसशे ।
नमम महचाफलचायरवि न भमगचाङ्गप्रसरङ्गनशे ॥ ५२ ॥
इत्यक्य त्विचा नकय लशे यचातशे ततथशेवत यवय धवष्ठरर ।
वविवचन्त्य ससंततमच्छचासर कणसं वस्तवमततचासं ययशौ ॥ ५३ ॥
तस्मचात्सयविणचार्पम्बररत्नभसूवमदचानरनर्प दरर्पर रयरुषशेण कचायर्पर ।
भवित्यदय चारसं करुणचादर्पसत्त्विसं दचानसं सदचा कस्यवचदशेवि रयण्यरर ॥ ५४ ॥

सपमम वविचचारर
तरर सदचा रचागधनचावभमचानममहप्रहचाणचाय सतचामभप्रीषमम ।
तशेनरवि दरर्पो यवद वकसं विमृथरवि त्यक्तिम वनकचायर कवरतश्च कचायर ॥ १ ॥
सविचार्पत्मनचा शयदवधयचा वविधशेयर ससंसचारदमषप्रशमचाय यत्नर ।
कमरमरतपसं धनरचागवदग्धसं करमवत तप्रीवसं न तरर प्रशचावन्तमम ॥ २ ॥
वचतसं वविरक्तिसं यवद वकसं तरमवभवश्चतसं सरचागसं यवद वकसं तरमवभर ।
वचतसं प्रसनसं यवद वकसं तरमवभवश्चतसं सकमरसं यवद वकसं तरमवभर ॥ ३ ॥
कमरशेन शचारश्रयररतचाधरचाणचासं कचामशेन कम्रस्फय ररतचाधरचाणचामम ।
स्विशेदचाम्भसचा तयल्यसमयद्भविशेन वनस्तशेजसचासं वकसं तरसचा मयनप्रीनचामम ॥ ४ ॥
भचायचार्पप्यहल्यचा वकल गशौतमस्य क्रियदस्य शचारशेन वशलचा बभसूवि ।
नप्रीतम विवसष्ठशेन रुषचावभशपश्चण्डचालतचासं भसूवमरवतस्त्रिशङ्कहर ॥ ५ ॥
भसूमगमसूवतर्पविर्पररत्नलमभचावद्विरचाटयन्तभ नयनशे सयकन्यचामम ।
तत्रचावणससंस्रशर्पसयरचादरशेण सशेहशे वनकचारसं च्यविनर सरचागर ॥ ६ ॥
रचाण्डय र वप्रयचाकण्ठवविलवम्बबचाहहयर्पयशौ स्तनन्यस्ततनययर्पदस्तमम ।
दग्धर ररप्रीवकत्फवणफसू त्कमृ तरयर्पतरवस्विकमरस्य वविजमृवम्भतसं ततम ।। ७ ॥
वविसचारससंसचारतरमनर्प यशेन वनरशशेषमयन्मसूवलतमशेवि मसूलमम ।
शचारमरतचारप्रभयणचा ररशेषचासं वकसं तशेन वमथ्यचातरसचा मयनप्रीनचामम ॥ ८ ॥
न रचाजसशेविचारजसचा वविलयपसं न भसूवमवविदचावदवविविचादतपमम ।
न दम्भदप्रीकचाकयहकचाकयलसं यत्कल्यचाणवमत्तसं वविमलसं वतसं ततम ॥ ९ ॥
सससंचयसं गयपकलतरयतसं रयनगमृर्पहप्रीतव्यविचाहरभचारमम ।
दम्भचावभमचानमद्भविकषभसूतसं वमथ्यचावतसं जप्रीववितविमृत्त्यरय चायर ॥ १० ॥
सरचागरमगसं बहह लप्रममहसं सरमगससंभचारमरविर्पगविर्पमम ।
प्रद्विशेषदमषमष्णममशेयमचायसं ससंसचारवचह्निसं वतमशेतदग्र्यमम ॥ ११ ॥
जटचाकससूतचावजनयमगरटकन्यचादृढगवन्थवनरप्रीडमचानमम ।
वविविशेकहप्रीनसं वविरतप्रकचाशसं वतसं बमृहदन्धनमचामनवन्त ॥ १२ ॥
सरचागकचाषचायकषचायवचतसं शप्रीलचासंशयकत्यचागवदगम्बरसं विचा ।
लशौल्यमद्भविद्भस्मभरप्रहचाससं वतसं न विशेषमद्भटतयल्यविमृतमम ॥ १३
वनरसङ्गयमगसं धनभमगसङ्गसं वविलवम्बकङ्कचालकरचालमचालमम ।
कमरचाकयलसं स्रशर्पवविविजर्पनप्रीयसं भचारवतसं तत्कथयवन्त रचारमम ॥ १४ ॥
बचालस्तरस्विप्री वकमतमऽवस्त हचास्यसं यविय चा विनरषप्री वकमतमऽस्त्ययमग्यमम ।
विमृद सरचागर वकमतमऽवस्त वनन्दसं मसूरर्पर प्रमचातचा वकमतमऽवस्त शमच्यमम ॥ १५ ॥
कमचा शमर शचासनवमवन्दयचाणचासं मनर प्रवसक्तिसं करुणचाममृतशेन ।
तरमऽहर्पमशेतत्सजनशे विनशे विचा कचायस्य ससंशमषणमन्यदचाहहर ॥ १६ ॥
वहमचाचलशे श्यचामलदशेविदचारुविनशे रयरचा वनज्झिर्परचचारुहचास्यशे ।
तरस्यतचासं शमषजयषचासं मयनप्रीनचासं कचालम ययशौ विषर्पसहसससंरयर ॥ १७ ॥
ततर कदचावचद्भगविचान्भविचावतर्पहचारप्री वविहचारचाय नभररथशेन ।
समसं भविचान्यचा विमृषभचावधरूढर समचाययशौ शप्रीतमयसूरमशौवलर ॥ १८ ॥
तस्यमवदतचानचासं विदनप्रभचाणचासं दप्रीघर्जीकमृतचानशेकशवशप्रभचाणचामम ।
वविलचासहचास्यशेन नभम बभसूवि वविभवक्तिससंसक्तिवसतमतरप्रीयमम ॥ १९ ॥
दशेविप्री वविलमक्यचाथ तररप्रयत्नतप्रीवप्रयचासप्रकटचावस्थशशेषचानम ।
मयनप्रीन्कमृ रचाविशेशवविषण्णवचतचा शशचाङ्कलशेरचाभरणसं बभचाषशे ॥ २० ॥
दशेवि त्विदचारचाधनवनश्चलचानचासं ससंत्यक्तिसविचार्पगहवनगहचाणचामम ।
तर वक्रियचाशमवषतवविगहचाणचासं नचादचावर मयवक्तिर वकमहम मयनप्रीनचामम ॥ २१ ॥
कस्मचादमप्री विषर्पसहसलगकशे शचाविलगचास्तनयशमषमगचार ।
भवित्रदसं वनत्यसयरचाय नरवि वनरचामयसं तन्मयनयर प्रयचावन्त ॥ २२ ॥
रमृथयर प्रसचादर प्रथमचागतशेषय वनरचादरत्विसं वचरससंवशतशेषय ।
स्विचाच्च्छिन्दलप्रीलचावविरयलचाविलशेरचादशेषय स्विभचाविर सयलभर प्रभसूणचामम ॥ २३ ॥
इवत वप्रयचायचार प्रणयमररनमचाकण्यर्प विचाक्यसं वगररशमऽबविप्रीतचामम ।
कय विर्पवन्विषश्यचामलकण्ठकचावन्तसं दन्तप्रभचावभर प्रवतभचावविहप्रीनमम ॥ २४ ॥
दशेववि त्वियमक्तिमम दययचा मयनप्रीनचासं भक्तिचानयरमधचादवय चतसं ममरततम ।
एषचासं भविमल्लङ्गनवविघ्नभसूतशौ शचावन्तसं गतशौ वकसं तय न कचामकमरशौ ॥ २५ ॥
विनप्रविशेशरवनर्पयमररशशेषरर वक्रियचावविशशेषरर कमृ तकचायशमषरर ।
न वनवविर्पकचारसं रदमचाप्नयविवन्त कमरशेन कचामशेन च कमृ ष्यमचाणचार ॥ २६ ॥
प्रत्यकमशेषचासं मनसम वविकचारसं ससंदशर्पयचाम्यशेष वनषक्तिमन्तर ।
तप्रीववतरर शयष्यवत कचाय एवि न विचासनचालप्रीनघन/धनप्रममहर ॥ २७ ॥
ससंत्यक्तिभमगचार स्रमृहयचा वविमयक्तिचार स्नशेहशेऽप्यरचागचार सयजनशेऽप्यसङ्गचार ।
भजन्त्यवविकशे शतररप्रसक्तिचा यक्ति य चार प्रकचामसं रदमव्ययसं ततम ॥ २८ ॥
उक्त्विशेवत शसंभयविमृर्पषभचात्सलप्रीलसं वगरशेररविचागचादवितप्रीयर्प भसूवममम ।
कणचादभसूदद्भतय रूररचावशनर्पगवतर कचावन्तसयधचाविदचातर ॥ २९ ॥
तस्यचामरचाधप्रीशवकरप्रीटरत्नशमणप्रभचादचार्पवविवि रचादरदशौ ।
प्रचक्रितयवविर्पदयमबचालविल्लप्रीनविप्ररमहचाद्भतय गविर्पमयव्यचार्पमम ॥ ३० ॥
सयस्रषजचानय प्रवचतमरुशमवभ नचावभह्रिदचावितर्पवविभक्तिमध्यमम ।
ततस्य रूरसं प्रवविलवम्बबचाहमर रप्रीनचासंसमचासप्रीन्मयररसूणर्पचन्दमम ॥३१ ॥
अनन्यलचाविण्यसयधचावब्धमध्यस्नचातरररविचाङ्गरर स्फवटकचाविदचातरर ।
चक्रिशे दशचाशचार स रमृथयप्रकचाशचा वदगम्बरत्विचावदवि जचातहचासचार ॥ ३२ ॥
रचावणवस्थतश्यचाममयसूरवरच्च्छिच्च्छिचायचाच्च्छिटचावविच्च्छियररतमऽस्य कण्ठर ।
ररचाज लप्रीनचान्तरकचालकसू टवमषचावगनशेविचावरर्पतधसूमलशेरर ॥ ३३ ॥
स लमचनचाभ्यचासं रमृथयरक्ष्मलचाभ्यचामचारक्तिरयर्पन्तमनमहरचाभ्यचामम ।
व्यधचावदविचानङ्गनविचाङ्गसङ्गशे वदगङ्गनचानचामनयरचागदप्रीकचामम ॥ ३४ ॥
दृष्टचा वतलमककीकवलतचावभलचाषसं विरयर स्मरचारशेजर्पवनतस्मरसं ततम ।
रसूविचारर्प कचारस्ममृवतजचातलजसं चकयर कणसं कचावर ययशौ तमृतप्रीयमम ॥ ३५ ॥
बभशौ स कचान्तर कय वटलचावसतशेन स्कन्धस्रमृशचा कय न्तलससंचयशेन ।
अन्विशेषहवमषचासं मयकयटशेन्दल य शेरचासं वनशचागणशेनशेवि समचागतशेन ॥ ३६ ॥
लतचाविधसूरल्लविरचावणमयक्तिरर वस्मतचाविदचातरवविर्पबभशौ च रयष्ररर ।
रूरचान्तरशे वनह्नितय जह्निक य न्यचाफशेनचाविशशेषरररवि ककीणर्पकशेशर ॥ ३७ ॥
तशेनचान्यरूरशेण कमृ तचा नविरवि कचावन्तश्चकचाशशे वनजरूरगयप्त्यर ।
जसूटचावदविशेन्दमय मृर्पवदतर करचाभ्यचासं सविचार्पङ्गमभ्यङ्गरदशे वनयक्ति
य र ॥ ३८ ॥
रूरसं वविरूरप्रीकमृतमन्मथस्य ततस्य कचान्त्यचा कमनप्रीयमचासप्रीतम ।
लजचारहचारचाद्विनदशेवितचानचासं सवविस्मयम यशेन नविचावभलचाषर ॥ ३९ ॥
वविविचाससस्तस्य ससङ्गमङ्गशे लजचावितप्रीनचासं स्रमृहयरवि रशेतयर ।
नशेतचावण वविदचाधरसयन्दरप्रीणचासं लप्रीलचारवविन्दचाधर्पवतरस्कमृ तचावन ॥ ४० ॥
नभरवस्थतचानचासं वतदशचाङ्गनचानचासं तदचातसशौन्दयर्पविशप्रीकमृतचानचामम ।
प्रकम्रवशञ्जचानवविभसूषणचानचासं नशेतमत्सविमऽभसूदवतवविघ्नभसूतर ॥ ४१ ॥
सयवसदकन्यचाञ्जवलरल्लविचागवविमयक्तिनप्रीलमत्रलरयष्रकय ञ्जमम ।
अङ्गशे जगल्लमचनविगर्पमस्य सशौन्दयर्पसस सं क्तिवमविचाबभचासशे ॥ ४२ ॥
तदशर्पनशे कशौतयकवनश्चलचानचासं कणचार्पवितसंसप्रीकमृतलमचनचानचामम ।
ममृगचाङ्गनचानचामवर सस्रमृहचाभसूवनतचान्तमन्तरकरणप्रविमृवतर ॥ ४३ ॥
तस्य प्रविशेशशे विदनचावधविचासलमभभ्रमद्भङ्गमृ गणचावञतचानचामम ।
अभसूत्सजमृम्भश्विसनचाकयलचानचासं मयहहलर्पतचानचासं कय सयमशेषय कम्रर ॥ ४४ ॥
शनरर शनररचाशमससंवनकषर तसं यशौविनसं मसूतर्पवमविचारतन्तमम ।
वविलमक्य कचान्तसं मयवनकचावमनप्रीनचासं मनर प्रहषर्पोच्च्छिवलतसं बभसूवि ॥ ४५ ॥
तचासचासं तदचालमकनवनवनर्पमशेषचा दृवषर ररसं कणर्परथप्रवविषचा ।
उत्समृषलजचावविरयलचावभलचाषचादससूचयन्मयग्धममृगप्रीवविलचासमम ॥ ४६ ॥
तचासचासं तदचचार्परभसमवत्थतचानचासं सस्तचासंशयकमत्कवम्रघनस्तनप्रीनचामम ।
नविशेन कचामशेन रलप्रीकमृतचानचासं जमृम्भचाभविमऽभसूद्भजय यमवविर्पलचासर ॥ ४७ ॥
तचासचासं बभशौ रममलतचा मयरशेन्दभय प्रीतचा तमरशप्रीर स्तनरवकतशेवि ।
रचागचावगधसूमप्रसरचाग्र्यलशेरचा तनप्रीयसप्री नचावभवविवनगर्पतशेवि ॥ ४८ ॥
तस्यचाधरशे चयम्बनलचालसशेवि कण्ठशे हठचावलङ्गनसस्रमृहविशे ।
हृवद स्तनन्यचाससमयत्सयकशेवि ररचात दृवषर सहसरवि तचासचामम ॥ ४९ ॥
भमृङ्गस्विनररचावहतहह संकमृतचावभर रयष्प्यत्प्रससूनरर प्रसमृतवस्मतचावभर ।
विचातचावञतरर रल्लविरवणवभस्तचा वनविचायर्पमचाणचा इवि मञ्जरप्रीवभर ॥ ५० ॥
ससंतज्यर्पमचानचा इवि हममधसूमलशेरचाविलप्रीभ्रसूभ्रमणशेन वदवग्भर ।
तस्यचावन्तकशे शप्रीलदक य सू लमयवक्तिसजचा वविलजचार प्रसभसं बभसूवियर ॥ ५१ ॥
वनरश्विचावसनप्रीनचासं स्मरबचाणरयङ्खरकचान्तविचातरररवि कवम्रतचानचामम ।
तचासचासं वविलमक्यरवि मनमवविकचारसं भ्रसूभङ्गभप्रीमचा मयवनरषर्पदचासप्रीतम ॥ ५२ ॥
कमरमत्कटव्यचाघ्रविप्रीयर्पमचाणकमचाममृगप्रीरक्तिवचतशेवि तशेषचामम ।
आसनदमषचागमविचासरचान्तससंध्यचावनभचाभसूत्सहसरवि दृवषर ॥ ५३ ॥
दषचाधरचार कम्रवविधसूणर्पमचानचार स्विशेदचादर्पदहशे चा वविषमसं श्विसन्तर ।
तशे भशेवजरशे रचागसमयदतशेष्यचार्पर कमरचाकयलचार कचामयकविमृतमशेवि ॥ ५४ ॥
अन्तज्विर्पलत्कमरकमृ शचानयधसूमससंकचाशकमृ ष्णचावजनबदककर।
वतदण्डमयदम्य जविशेन कवश्चदभ्यचादविनगतनयसं विमृषचाङ्कमम ॥ ५५ ॥
बमृसभ समयवत्कप्य सकम्रबचाहहवश्चकशेर कवश्चत्कमयचा वविहप्रीनर ।
यशेनचासनचात्क्ष्मचावविरहचावदविचाशय ममहशे वनरचालम्बतनयर ररचात ॥ ५६ ॥
कमण्डलयसं कवश्चदकचाण्डचण्डससंरम्भवरण्डप्रीकमृतकमरतयल्यमम ।
आदचाय ममहशेन वरनचाकरचाणशेर रयरर प्रहचारचावभमयरम बभसूवि ॥ ५७ ॥
तशेषचाममषचार्पद्भशमृ मकमचाणचासं समढय सं वनकचारसं कणमकमचाणचामम ।
प्रचारयर प्रयचातचार वकवतमकमचालचा भ्रसूभङ्गतचासं तस्य तरमविनस्य ॥ ५८ ॥
तत्ससंभ्रमचादचाशममञ्जरप्रीणचासं कम्रचाकयलचानचासं कय सयमचान्तरमत्थरर ।
आसप्रीत्प्रममहप्रवतममऽन्धकचारर शचारचाकरचामरभ्रर्पमररभ्रर्पमवद्भर ॥ ५९ ॥
तशे प्रचारयरप्रीष्यचार्परदमन्धकचारर विक्तसं शशचाङ्कमरममप्रीकमचाणचार ।
कण्ठस्थलचालमकनकचालकसू टससंरसूररतचाकचा इवि ममहमसूच्च्छिचार्पमम ॥ ६० ॥
तशे तसं वस्मतप्रस्फय ररतचाधरचागमयदगलचाविण्यवविशशेषतषचार्पर ।
रत्नप्रीवविकचारमगवनकचारमसूचयर कण्ठचान्तरश्विचासवविककीणर्पविणचार्पर ॥ ६१ ॥
कमऽयसं वविजचावतवविर्पगयणर कलचाविचानगम विमृषचाङ्कर प्रवविशत्यलजर ।
प्रदवसू षतचा यशेन महवषर्पजयषचा गङ्गशे वि शयदचा ललनचाविलप्रीयमम ॥ ६२ ॥
अनशेन ससंससूचयतचा वनगसूढरूरशेण दरचार्पदकय लप्रीनभचाविमम ।
नप्रीतचा रववितत्विवमयसं मयनप्रीनचासं कचारचावलकशे नशेवि विनचान्तभसूवमर ॥ ६३ ॥
अहम बतचास्य प्रवतभचा प्रसह्य सतप्रीसमचावलङ्गनसस्रमृहस्य ।
कशे नचावर कचामत्कय हकक्रिमशेण कचान्तसं कमृ तसं रूरमनशेन नसूनमम ॥ ६४ ॥
उक्त्विशेवत तस्मर ससमृजयर सकमरचास्तशे दण्डरचाषचाणबमृसप्रीशतचावन ।
द्विशेषचाविमृतचाक्ष्णचामवविविशेकजन्मचा ममहर प्रमचादशे गयरुतचामयररवत ॥ ६५ ॥
दरसू शे भवित्यथ शनरर वशवशरचासंशयमशौलशौ
तशेषसं प्रकमरवविरयलचानलतचावरतचानचामम ।
तदशर्पनचानयसरणप्रसमृतस्य यत्नर
रत्नप्रीजनस्य सयतरचासं वविवनवितर्पनशेऽभसूतम ॥ ६६ ॥
अथ स भगविचान्भगर्पर स्विगचार्परगचारथमृ यवनज्झिर्पर-
प्रसमृतहवसतस्तस्मचादशेशचात्क्रिमशेण वतरमवहतर ।
प्रशमवविमलसं व्यमम व्यचाप्य वप्रयचामविदत्स्मय-
वस्मतवसतमयरभ दृषसं दशेववि त्वियचा मयवनचशेवषतमम ॥ ६७ ॥
भस्मस्मशेरशरप्रीरतचा रमृथयजटचाबन्धर वशरममयण्डनसं
कय ण्डप्री दण्डकमण्डलयप्रणवयतचा चमचार्पकससूतगहर ।
कचाषचायव्यसनसं वनरम्बररुवचर कङ्कचालमचालचाधमृवतर
कचामक्रिमधविशचावद्विशशेषरुवचरसं सविर विमृथरवि वतमम ॥ ६८ ॥
दरर्पोत्कमरचात्ररवणतजटचाससूतबन्धच ममहचा-
दन्तरसप्रीदत्सरसवविषयचास्विचादससंविचादसङ्गचातम ।
आशचारचाशव्यसनवनचयचाद्विचासनचालप्रीनदमषचा-
नरषचासं मयवक्तिभर्पविवत तरसचा कचायससंशमषणशेन ॥ ६९ ॥
इत्यक्तिय सं वतरयरचाररणचा वगररसयतचा शयत्विचा यथचाथर विचम
वनवश्चत्य वतमप्रशचान्तमनसचासं वमथ्यरवि कचायकयमम ।
ससंसचारमररमचाय ममहरजसर शचान्त्यर मयनप्रीनचासं ररसं
रचागद्विशेषवविमयक्तियशे च दययचा चक्रिशे हरस्यचाथर्पनचामम ॥ ७० ॥
दशेव्यचावथर्पतमऽथ भगविचान्कमृ रयचा स्मरचारर-
स्तशेषचामनयगहमयशेन वविलमकनशेन ।
चक्रिशे वस्मतस्नवरतवदग्विदनम मयनप्रीनचासं
लप्रीनस्य ममहरजसर सहसरवि शचावन्तमम ॥ ७१ ॥
तरमवविशशेषरवनर्पवशतप्रयत्नरस्तस्मचान कचायर्पर रमृथयममहदरर्पर ।
द्विशेषशेण रचागशेण ममहदयशेन तरर कयसं यचावत सह स्मयशेन ॥ ७२ ॥
प्रशचान्तमऽन्तस्तमृष्णचावविषमरररतचारर शमजलर-
रशशेषर ससंतमषचाममृतवविसररचानशेन विरयषर ।
असङ्गर ससंभमगर कमलदलककीलचालतयल्यचा
भविचारण्यशे रयस
सं चासं ररवहतमयदचारसं रलय तरर ॥ ७३ ॥

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