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t=1138647

चत
ू के कारनामे
लेख़क - ashokafun30 अशोक

दो त , ये कहानी कसी एक नायक या ना यका पर केि त नह ं है। इस कहानी को लड़क क भावनाओ को य त करते
हुए लखा गया है, और लड़ कयां इसम कहानी क मांग के अनुसार बदलती जायगी। पर उन सबमे सफ एक ह चीज
कोमन है और वो है उनक चूत। िजनके कारनामे दखा कर वो खुद भी मजे लुटती ह और दुसरो को भी मजे दे ती ह।

अब कहानी शु करते ह। मेरे सभी दो त, िज ह ने कहानी म अपना नाम दे ने के लए कहा था, धीरे -२ आते रहगे।
**********

कोमल
******
कोमल का नाम कोमल के अलावा कुछ और हो ह नह ं सकता था। उसका चेह रा दे खकर ह कोई भी उसका नाम बता सकता
था। बड़ी-२ काल आँखे, गोरा च ा बदन, ह ठ पंक कलर के और गालो पर एक मोटा सा तल। जब वो हंसती थी तो उसके
दांये गाल म एक ड पल सा बन जाता था, जो सामने वाल का मन मोह लेता था। उसक कमर नाममा क थी। और
पीछे से उसके कु हे भी यादा उ नत नह ं थे। पर उसक े ट जो थी, वो सबसे कमाल क थी। जैसे आयशा टा कया क है
न, वैसे ह । इतनी बड़ी-२ े ट लेकर वो जब चलती थी तो उसके चेह रे और छाती म से कसे दे ख,े लोग क फेयुस हो जाते
थे।

आज कोमल का कॉलेज म पहला दन था। कोमल के पापा ने उसे कूट ले दे ने का वादा कया था, पर कुछ दन तक तो
उसे पि लक ांसपोट पर ह नभर रहना था। वो बाहर नकल और यन
ू ीव सट जाने वाल बस म जाकर बैठ गयी। बस म
जाना उसे कभी पसंद नह ं था, सभी लोग बस उसके गोरे िज म को दे खते ह उससे चपकने क को शश म लगे रहते थे।
पर आज उसे आसानी से बस म जगह मल गयी। उसने गौर से दे खा तो उसे कॉलेज टाइप के कई लड़के और लड़ कयां
दखाई द । पर आज वो काफ नवस थी, य क उसने सन
ु रखा था क कॉलेज म रे गंग भी होती है। वो बस चाह रह थी
क उसे कोई नोट न करे और वो रे गंग से बच जाए।

कॉलेज पहुँचते ह उसने बचते बचाते हुए ऊपर क तरफ जाना शु कर दया। रा ते म कई बार उसे लगा क कोई उसे पीछे
से बुला रहा है, पर वो तेज कदमो से ऊपर क सी डयां चढ़ती चल गयी और अंत म उसे अपनी लास जब दखी तो उसने
राहत क सांस ल , और वो भाग कर अ दर चल गयी। पर अ दर का नजारा दे ख कर तो उसके होश ह उड़ गए, अ दर
पांच लडक का ुप था जो तीन े शस को सामने खड़ा करके उनक रे गंग कर रहे थे।

े शस म दो लड़के थे और एक लड़क ।

उनमे से एक गड
ुं ा टाइप का लड़का, जो शायद उनका ल डर था वो उनसे कह रहा था।

ल डर: "अरे करो भी। म करके दखाऊँ या। तब करोगे… हे हे…"

उसके दस
ु रे दो त भी ओछ तरह से हं सने लगे। कोमल वा पस जाने क सोच ह रह थी क तभी पीछे से दो और लड़के
आये और उसे पकड़कर अ दर क तरफ ले चले।

उनमे से एक लड़का बोला: "लगता है तेरे कान खराब ह। इतनी दे र से आवाज दे रहे थे तुझे पर क ह नह ं तू। अ छा हुआ
तू सीधा ऊपर ह आ गयी। ये जगह अब तेरे लए सह है।"

कोमल उसक बात का मतलब नह ं समझी। कोमल भी जाकर उन तीनो े शर के साथ खड़ी हो गयी। ल डर ने और दुसरे
सभी ने मुझे ऊपर से नीचे तक दे खा और ह ठो को गोल करके सीट बजाने लगे।

1
ल डर: "वह भाई, इसे कहते है े शर। एक दम े श माल।"

कोमल: "ये या हो रहा है। और तुम ऐसे कैसे बात कर रहे हो।"

ल डर: "ओले… ओले। ब ची को जैसे कुछ मालम


ु ह नह ं क यहाँ या हो रहा है। कूल से नकल कर पहल बार आई है न
बाहर। कोई बात नह ं जी, हम बता दे ते ह। मेरा नाम है राहुल… राहु ल गोयल, और ये है मेरे दो त। म यहाँ पर पछले दो
सालो से हूँ। यानी ये मेरा ला ट इयर है, इस साल इले शन म भी खड़ा होने वाला हँू। हम तो बस आप े शस से मल
जुलकर बस उनका हाल चाल पूछ रहे ह और जैसा क क टम है थोडा सा मनोरंजन भी कर रहे ह। तुम घबराओ मत,
तु हारा भी नंबर आएगा। पहले म इनसे नपट लू।"

ये कहते हुए राहुल वा पस उन तीनो क तरफ घुमा और उनसे कहा: "यार। घबराओ मत… वी आल आर स। ज द करो,
फर लास भी शु होने वाल है।”

उन तीनो म जो लड़क थी वो काफ सद


ुं र थी, उसने ट शट और जींस पहना हु आ था। और लड़का भी थोडा शमा सा रहा था।
कोमल को पता नह ं था क उनसे राहु ल या करवाने वाला है।

राहुल: "घबराओ मत। ये तो एक गेम है । चलो फर से बताता हूँ। ये सामने जो पेपर पड़े ह, उ ह तुम, पायल, अपने ह ठो से
उठाओगी। अपनी सांस अ दर क तरफ खींचते हुए, ता क पेपर नीचे न गर जाए। और इसे तुम इस आ द य को पास
करोगी। और आ द य भी अपने ह ठो को गोल करके, अ दर क तरफ हवा खींचते हुए, तुमसे वो पेपर ले लेगा। और जाकर
वो दुसरे टे बल पर रख दे गा। बस… अब दे खना ये है क तुम दोन मलकर इन दस पेपर म से वहां तक कतने पहुं चाते हो… हे
हे… बट। एक व ट है यहाँ। अगर पेपर गर भी जाता है तो तु हे उसके ह ठो तक अपने ह ठ ले ह जाने है। समझ गए
न… हे हे …”

कोमल तो उनका ये खेल सन


ु कर ह घबरा गयी। वो अ छ तरह से जानती थी क पेपर क मोटाई तो नाम मा क होती है,
उसके दोन तरफ तो उन दोन के ह ठ ह ह गे। या फर अगर पेपर गर गया तो नंगे ह ठ टकरायगे एक दुसरे से। उसने
आज तक अपनी कूल लाइफ म कसी को कस भी नह ं कया था। ऐसा उसके साथ भी होगा, ये सोचते ह उसक टांगो के
बीच वाले ह से म सनसनाहट सी होने लगी। उसके नप स तन कर बड़े हो गए। उसने अपने द ु प े को आगे कर लया
ता क कोई उ ह सट
ू के ऊपर चमकते हु ए ना दे ख पाए।

पायल ने एक ल बी सांस ल और कागज़ के टु कड़े को अपने ह ठो से उठा लया और अ दर क तरफ हवा खींचनी चालू रखी
और आ द य के पास जाकर उसके ह ठो के ऊपर अपने ह ठ रख दए। बीच म अगर वो कागज़ का टुकड़ा न होता तो उनके
ह ठ आपस म मलकर एक मजेदार च कस म बदल जाते शायद।

कोमल क साँसे तेजी से चलने लगी।

आ द य ने भी बड़ी कुशलता से कागज़ को लया और अपने अ दर हवा खींचते हु ए, ह ठो से चपका कर उसे दस


ु रे डे क पर
जाकर गरा दया। सबने ताल बजा कर उनका ह सला बढाया। इसी तरह दस
ू रा और फर तीसरा कागज़ भी पायल ने
ज द से आ द य को दया और उसे दस
ु रे डे क तक पहुं चा दया।

अब तक पायल को भी शायद मजा आने लगा था। उसने जब चौथा कागज़ उठाया तो आ द य के ह ठो तक जाने से एक
सेकंड पहले ह कागज़ नीचे गर गया। और जैसा क ल था, उन दोन के ह ठ आपस म जा टकराए। दोन ह अपने ह ठो
से अ दर क तरफ हवा खींच रहे थे। कागज़ बीच म न होने क वजह से वो बस एक दुसरे के ह ठो को चूस रहे थे। दोन को
ह ये बात मालुम थी क कागज़ गर चूका है । पर फर भी उ ह ने एक दस
ु रे के ह ठो से अपने ह ठ हटाने म काफ समय
लगा दया।

कोमल मन ह मन सोच रह थी क एकदम अनजान इं सान के साथ कोई कैसे लप कस कर सकता है। पर उसक भी
उ तेजना बढती जा रह थी।

2
सबके मह
ुं से हो… हो… के हूटस नकलने लगे।

अगला पेपर ठ क रहा ले कन उसके बाद वाला फर से गर गया। और वो इस बार उठाने के एकदम बाद ह गर गया था।
पर फर भी पायल बेशम क तरह आ द य के पास तक आई। और अपने ह ठ उसके ह ठो पर रख कर चूसने लगी। मानो
अभी भी पेपर दे रह हो। जब 30 सेकंड के बाद दोन अलग हु ए तो दोन क आँखे लाल सी होने लगी थी।

राहुल: "दे खा… मने कहा था न क इस खेल म मजा आएगा। लगे रहो… हे हे… काश मने आ द य क जगह खुद को खड़ा
कया होता। मजा आ जाता फर तो… हे हे…”

उसके सभी दो त भी उसके साथ भ ी हं सी हं सने लगे। अगला पेपर उठा कर पायल आ द य के बदले सीधा राहुल क तरफ
घूमी और उसके पास पहुंचकर, उसक आँख म दे खते हुए, पेपर नीचे गरा दया। और अगले ह पल पायल ने राहुल के
ह ठो पर अपने ह ठ रख दए।

वहां खड़े सभी लोग अवाक से दे खते रहे। कोमल भी सोच रह थी क पायल को या सूझी क राहु ल के कहने मा से ह
उसने उसे जाकर चूम लया। राहुल भी आँखे फाड़े पायल के कोमल से ह ठो को अपने ऊपर महसूस कर रहा था। और पायल
अपनी आँखे बंद कये उसके दोन ह ठो को चस
ू ने म लगी हुई थी। और जब उसने चम
ू ना बंद कया तो पीछे हुई और दोबारा
जाकर कागज़ उठाने लगी।

पर तभी राहुल ने उसे टोक दया: "बस… बस… रहनो दो पायल। तु हारे लए अब इतना ह काफ है। आई एम ् इ ेस,
वे कम टू माय गग।”

पायल ख़ुशी-२ राहुल के पीछे जाकर खड़ी हो गयी। वहां पहले से एक लड़क थी िजसने हाथ मला कर उसे अ दर आने क
बधाई द ।

उसके बाद राहु ल कोमल क तरफ घुमा: "तु हारा नाम या है…”

कोमल: "जी… जी कोमल।”

राहुल: "जी… जी कोमल। थोडा ल बा नह ं है ये… हा हा…” और वो फर से अपने दो त के साथ हं सने लगा।

राहुल: "तुमने ये खेल दे ख ह लया है। अब इस नए फ चु के साथ, ओये या नाम है तेरा।”

दस
ू रा लड़का: "जी… जॉन। जॉन नाम है मेरा।”

राहुल: "जॉन अ ाहम या… हा हा।”

राहुल: "सन
ु ो तुम दोन , जॉन एंड कोमल। ज द शु करो। सर भी आने वाले ह गे।”

कोमल ने मन ह मन जैसे कुछ डसाईड कर लया था। उसने जाकर पेपर अपने ह ठो से उठाया। सामने खड़ा हुआ जॉन
अपने ह ठो के ऊपर जीभ फेर रहा था, उसे भी शायद मालम
ु था क एक दो बार तो कोमल से भी पेपर गरे गा ह । और उसके
बाद कोमल के गुलाबी ह ठ चूसने को मलगे।

कोमल ने पेपर उठाया और सीधा जॉन के पास गयी। और फर एक झटके से वो राहु ल क तरफ घम
ू ी। और उसके सामने
जाकर उसने पेपर गरा दया। कोई कुछ समझ पाटा इससे पहले ह कोमल के नाजुक, अनछुए, ठ डे और गीले ह ठ, राहुल
के ह ठो से जा टकराए। राहुल को भी जैसे करं ट सा लगा। एक के बाद एक कस उसे मल रह थी। और ये दस
ु र वाल तो
पहले से भी यादा नम और गम थी। उसने कोमल क कमर पर हाथ रखा, उसे अपनी तरफ खींचा और उसके ह ठो को बुर
तरह से अपने कठोर ह ठो से कुचलने लगा। सब लोग दम साधे कमरे म खड़े हुए, मह
ुं खोले उनका ये खेल दे ख रहे थे।

तभी बाहर से लड़के भागते हुए अ दर आये: "सर आ गए… सर आ गए।”

3
िजसे सन
ु कर कोमल और राहु ल ने अपने ह ठ एक दस
ु रे के ऊपर से हटाये। दोन ने एक दस
ु रे क आँख म दे खा। और
मु कुरा दए।

राहुल ने कोमल से हाथ मलाया: "यु आर माट, वे कम हेयर।”

और उसने इशारा कया और उसका पूरा गग उठकर लास से बाहर नकल गया। पीछे रह गए सफ वो चारो े शर।
आ द य, पायल, कोमल और वो बेचारा जॉन। िजसने शायद सोचा था क उसे भी कस करने को मलेगी। पर मल गयी
राहुल को। कोई बात नह ,ं उसने भी मन म सोच लया क एक ना एक दन इस कोमल के गुलाबी ह ठो का रस वो भी पीकर
रहे गा। उसके बाद सभी अपनी-२ जगह पर जाकर बैठ गए। पायल और कोमल एक ह सीट पर आकर बैठे और लास शु
हो गयी। सभी ने अपने इं ो दए। एक-२ करके सर आते गए और अपना प रचय दे ते रहे । आज का तो पूरा दन ह इं ो म
नकल गया।

कोमल (फुसफुसा कर): "यार तुमने तो कमाल कर दया। राहु ल के कहने भर से ह तुमने उसे जाकर चूम लया।”

पायल: "कमाल तो तुमने कया मेर जान। राहुल के बना कहे ह तुम उससे जा चपट । दे खने म तो बड़ी भोल लगती हो।
पर हो परू चाल।ू तु हे मालम
ु है क तम
ु अपने हु न के बल पर या क़यामत ढा सकती हो। उसी का use करके तम
ु ने
अपना खेल ज द ख़तम करवा लया। है न…”

कोमल भी अपनी तार फ सन


ु कर खुश हो रह थी। आज पहल बार उसे एहसास हु आ था क एक लड़क अगर चाहे तो अपने
हु न के बल पर या या कर सकती है। फर ये तो एक रे गंग वाला खेल था। उसके अ दर एक अलग तरह का
आ म व वास सा आने लगा था। उसे या मालुम था क यह आ म व वास उसे कहाँ लेजाकर छोड़ेगा। मशः

लास ख़ म होने के बाद सभी बाहर आ गए, कोमल और पायल थोड़ी ह दे र म अ छ दो त बन चुक थी, दोन सीधा
के ट न गए और चाय और समोसा आडर करके एक कोने म बैठ कर बाते करने लगे। दोन ने एक दस
ु रे के साथ अपने नंबर
ए सचज करे ।

म: अरे , तुमने ये तो बताया ह नह ं क तुम रहती कहाँ हो…

पायल: म लखनऊ क रहने वाल हूँ, और यहाँ द ल म हॉ टल म रहूंगी। अभी दखाती हुँ तु हे, पास ह है।

म: नह ं यार, दे र हो जायेगी, म मी कहे गी क पहले ह दन इतनी दे र से आई हो।

पायल: या यार, अब तू कॉलेज म है, ये सब तो लगा रहे गा, मुझे मालुम है कतनी ए सायटमट हो रह है जब से म द ल
आई हूँ, इतना खुलापन िज दगी म दोबारा नह ं मलेगा मेर जान। ये तीन साल हम पूर मौज म ती म बताने है, और ये
म मी-पापा तो बोलते ह रहगे। पहले दन ह वा पस घर टाईम से जाकर तू उ ह ये बताना चाहती है क तेरा या टाईम है।
तू एक घंटा लेट जा आज, उ ह तब मालुम चल जाएगा क यह तेरा रोज का टाईम रहे गा, और कभी अगर ज द चल गयी
तो बोल दे ना क लास नह ं थी आज। समझी…

पायल मझ
ु े पहले दन से ह बगड़ने म लगी हुई थी। तभी दस
ू र तरफ से मझ
ु े राहु ल एंड गग आते दखाई दए

राहुल: हे ग स… या चल रहा है।

पायल: हाय राहुल… बस चाय पीने आये थे।

राहुल: या यार, अभी भी चाय-वाय। अब तुम बड़े हो चुके हो। थोडा बीयर शीयर पया करो। हे हे… मजा आएगा।

म: नह ं राहु ल, हमने आज तक बीयर नह ं पी और ना ह पीना चाहते ह।

राहुल: ओहो… या बात है। फर ये भी बता दो मेर जान क बीयर के अलावा या पीना पसंद है तु हे। और वो गुंडे क तरह
अपने ह ठो पर जीभ फरने लगा।
4
उसक हरकत इतनी ओ छ थी क कोई भी लड़क उसे वह के वह थ पड़ मार देती। पर मझ
ु े ना जाने या हो गया था
आज। उसक ग द हरकत भी मेरे शर र के अ दर एक लहर सी दौड़ा रह थी। मने आँखे नीचे कर ल और मेरे ह ठो पर एक
हलक सी हंसी आ गयी। िजसे राहु ल ने शायद दे ख लया था, य क वो मेरे चेह रे को बड़े गौर से दे ख कर ये जानना चाहता
था क उसके कहने का या र ये शन होता है मझ
ु पर।

राहुल ने फ़ौरन कुछ डसाईड सा कया और अपने दो त से बोला: सन


ु ो… म कोमल को कुछ दखा कर लाता हूँ। तुम यह
मेरा वेट करो।

मझ
ु े कुछ समझ नह ं आया क एकदम से राहुल को हुआ या है। उसने मेरा हाथ पकड़ा और मझ
ु े उठा कर अपने साथ ले
जाने लगा। मने घबरा कर पायल क तरफ दे खा।

पायल: राहुल को। ये कहाँ ले जा रहे हो। ये मेरे साथ अभी हो टल जा रह है।

राहुल: तुम फकर मत करो। तुम हो टल जाओ, म इसे थोड़ी दे र म वह लेकर आता हूँ। बस दस मनट म। और वो मझ
ु े
खींचता हु आ बाहर ले गया।

बाहर आते ह मने उससे अपना हाथ छुड़ा लया: ये या बदतमीजी है राहुल… कहाँ ले जा रहे हो तुम मझ
ु े।

राहुल: अरे कोमल, तुम नाराज य होती हो। चलो तो सह , तु हे एक बड़ी ह म त सी जगह दखानी है। चलो आओ।

म मना भी करना चाहती थी और उसके साथ भी जाना चाहती थी। वो मझ


ु े कॉलेज के ऊपर क तरफ ले जाने लगा, कॉलेज
का टाईम ख़ म हो चूका था इस लए पूर बि डंग म कोई भी नह ं था।

म: पर तम
ु मझ
ु े ले कहा जा रहे हो…

राहुल: सबु ह तुमसे सह तरह से बात नह ं हो पायी थी। चलो ऊपर छत पर। वहां एक जगह है, जहाँ से पूरा शहर दखाई दे ता
है, मेर फेवरे ट है। वहां बैठकर बाते करगे।

हम ऊपर छत पर आ गए। और राहु ल मुझे लेकर कोने म बने एक शेड के नीचे ले गया, छत क दवार मेर छाती तक आ
रह थी। मने दवार के ऊपर अपने उभार रख दए और दस
ू र तरफ का नजारा दे खने लगी। सचमच
ु पूरा शहर दखाई दे रहा
था वहां से। तभी राहु ल मेरे बलकुल पीछे आकर खड़ा हो गया। और मेरे दोन तरफ हाथ टका कर खड़ा हो गया। म घबरा
गयी।

म: राहु ल ये या…

राहुल: ड ट वर , डरो मत। म तो बस सब


ु ह से वो कहना चाहता हूँ जो मने उस समय तुमसे नह ं कहा।

म: या…

राहुल: क तम
ु बहुत वीट हो। वो जो तम
ु ने मझ
ु े क स कया था। इट वास रे य ल वीट। मझ
ु े बहु त मजा आया।

म मन ह मन खुश हो रह थी क कॉलेज म ल डर बनके घुमने वाला लड़का पहले ह दन मझ


ु से इतना इ ेस हो गया है।
पर इसक वजह से ये मझ
ु े चालु तो नह ं समझ रहा न।

म: वो… वो तो मने ज द गेम ख़ म करने के लए कया था राहु ल, तुम समझ सकते हो। वैसे भी उस जॉन को क स करने
से अ छा मुझे लगा क तु हे क स कर दे ना चा हए।

राहुल: अ छा जी… ऐसा या दे खा तुमने मुझमे। ये कहते हुए उसने मेर कमर पर हाथ रख दए और मेरे नत बो के अ दर
अपने "लंड " को घसने लगा।

5
मेर तो हालत ह खराब हो गयी उसक इस हरकत से। आज तक कसी ने मझ
ु े छुआ भी नह ं था, और आज कॉलेज के
पहले ह दन मने क स भी कर और कसी के लंड को अपने पछवाड़े पर महसस
ू भी कया। मेरे चेह रे पर पसीने से आने
लगे।

म: दे खो राहुल। म एक शर फ लड़क हूँ। तम


ु अपनी इन हरकत से पहले ह दन मझ
ु पर नेगे टव इ ेशन डाल रहे हो। ऐसा
ना हो क पहले दन क हमार ये मल
ु ाकात आ खर मल
ु ाकात बन जाए। इस लए अपने पर क ोल करो। उसे शायद मेर
बात समझ आ गयी थी। इस लए उसने अपनी कमर मटकानी बंद कर द । और मेरे ह स म से उठती हुई तरं ग वह ख़ म
हो गयी।

मझ
ु े उसके इतनी ज द मान जाने क उ मीद नह ं थी। म उसक तरफ घूम गयी। उसने ज द से अपने लंड के ऊपर हाथ
रखकर उसे नीचे बठाने क को शश क , िजसे दे खकर मेर हं सी नकल गयी। मझ
ु े हँ सता हु आ दे खकर वो थोडा नोमल
हुआ।

राहुल: अ छा ये बताओ, तुम रहती कहा हो।

म: कालकाजी… और तम
ु …

राहुल: अरे वाह… कालकाजी रहती हो तुम। म गो व द पूर म रहता हँू । पास ह है। तुम कैसे आती हो कॉलेज…

म: पापा ने बोला है क मुझे कूट लेकर दगे, तब तक बस म आती रहूंगी।

राहुल: अरे मेरे होते हुए तुम बस म य आओगी, तुम मुझे कालकाजी बस टड पर मल जाना, मेरे साथ बाईक पर आना
कल से।

यह तो मने सोचा था कॉलेज आने से पहले। कॉलेज, कट न, लड़के, बाईक। आज सब कुछ हो रहा था मेरे साथ। मने उसे हाँ
कर द । उसक नजर मेरे उभार पर थी। मुझे फर से सनसनी सी होने लगी। मेर साँसे तेजी से चलने लगी और मेर छाती
ऊपर नीचे होने लगी। मेरे ह ठ सूखने लगे, मने उनपर जीभ फराई, िजसे दे खकर राहुल ने ना जाने या समझा क आगे
बढकर मझ ु े चूम लया। मने अपनी आँखे बंद कर ल । वो पीछे हुआ और मेर आँखे बंद पाकर उसने फर से आगे आकर
मझ
ु े चूम लया और इस बार सह वाला चु मा दया उसने, जीभ अ दर तक डालकर मेरे ह ठो को आम क तरह से चूसने
लगा और उनका रस पीने लगा। उसका एक हाथ ऊपर आकर मेरे उभारो पर टक गया पर मने उसे वा पस नीचे कर दया।
और हाँफते हुए उसे पीछे क तरफ ध का दया।

म: राहु ल… मने कहा न। म ऐसी लड़क नह ं हूँ। चलो नीचे अब।

राहुल कुछ न बोला और अपनी पट म लंड को अडज ट करता हुआ नीचे आने लगा। नीचे जाकर म सीधा के ट न म गयी
पर वहां पायल नह ं थी और न ह राहु ल के बाक दो त। सफ दो चार ह लोग बचे थे वहां पर अब। तभी मेरे सेल पर पायल
का फोन आया।

पायल: अगर तेरे मजे ख म हो चुके हो तो मेरे हो टल म आ जा।

म: चुप कर… अभी आई।

मने राहुल क तरफ दे खा: मझ


ु े तुम पायल के हो टल छोड़ दोगे या…

राहुल: ठ क है, आओ।

वो मुझे अपनी बाईक तक ले गया, राहुल क बाईक बड़ी ह शानदार थी। ह डा क र मा, लेक कलर क । म उसके पीछे बैठ
और एक मनट म ह उसने मझ ु े हो टल के बाहर उतार दया।

राहुल: कतनी दे र लगेगी तु हे।

6
म: यह कोई आधा घंटा। य …

राहुल: नह ं, ऐसे ह । और उसने बाईक टाट क और चला गया।

मने फोन करके पायल के म का नंबर पूछा और वहां पहुँच गयी। उसके साथ एक और लड़क थी कमरे म, उससे भी
सु दर।

पायल: आओ कोमल। इससे मलो, ये है मेर ममेट पूजा, पूजा शाह।

म: है पूजा… हाव आर यु।

पूजा: म ठ क हूँ । आओ न। बैठो। तुम दोन बाते करो। म अभी आई। और ये कहते हुए पूजा हम अकेला छोड़कर बाहर
नकल गयी।

उसके जाते ह पायल ने मझ


ु े धर दबोचा: नाव टे ल मी, या हु आ। या करा राहुल ने तेरे साथ।

म: अरे बाबा कुछ नह ।ं वो तो मुझे छत पर ले गया था जहाँ से पूरा शहर द खता है। बस…

पायल: पागल कसी और को बनाना। जाने से पहले तेरे ल स पर ल पि टक थी। अब नह ं है।

ध त तेरे क … इसका तो मने सोचा भी नह ं था। सब


ु ह जब उसे मने क स कया था तो मने बाद म लपि टक लगा ल थी।
पर अब शाम को लगाना भल
ू गयी। म अपना सर नीचे झुका लया। और मंद मंद मु कुराने लगी।

पायल: वाव यार। तू तो लगता है क सोच कर आई है क तुझे या मजे लेने है कॉलेज म। और बता न… या या कया
उसने तेरे साथ।

म: पागल है या। तू भी न… सफ क स कया और कुछ नह ।ं मने कुछ और करने ह नह ं दया उसे।

पायल: या यार… वैसे वो और या करने वाला था तेरे साथ।

म: मझ
ु े या पता यार। मेरे पीछे चपका हुआ था। और… और मेरे ह स के ऊपर अपना… अपना…

पायल: हाँ हाँ बोल न। अपना लंड घस रहा था… है न।

म एक लड़क के मह
ुं से लंड श द सन
ु कर है रान रह गयी। वैसे मझ
ु े भी ये श दावल मालुम थी। पर दस
ू र लड कय को भी
मालम
ु है, इसका मझ
ु े आ चय हु आ। तभी मेर नजर सामने दवार पर लगी घडी पर गयी। चार बजने वाले थे।

म: यार मर गयी… म अब चलती हूँ। घर पहुँचने म भी एक घंट ा लगेगा अभी तो। म मी को बोला था क चार बजे तक आ
जाउं गी।

पायल: तुझे मने क टन म या बोला था। कह दे ना क चार बजे तक कॉलेज था, बस… और हम दोन रोज यहाँ बैठ कर
ग पे मारगे। ठ क है। चल जा अब। घर जाकर मझ
ु े कॉल कर दे ना। बाय…

और उसके हो टल से नकल कर म ज द से बाहर नकल । सामने राहु ल अपनी बाईक पर खड़ा हु आ मेरा इ तजार कर
रहा था। मशः 6

मझ
ु े उ मीद नह ं थी क राहु ल मझ
ु े अभी भी बाहर खड़ा हुआ मलेगा, पर ना जाने य , उसे दे खकर मझ
ु े अ दर-ह -अ दर
आफ ख़ुशी हुई।

म: अरे तम
ु , गए नह ं अभी तक…

राहुल: बस तु हारा ह इ तजार था।

म: मने कहा था क तु हारे साथ आउं गी, ये नह ं कहा था क रोज जाउं गी भी तु हारे साथ।
7
राहुल: अ छा, मेरे साथ नह ं तो कसके साथ जाने का इरादा है, म भी तो सन
ु ूं कौन है जो तुम जैसी हसीना को ल ट दे ने के
लए तैयार है, ये जानते हुए भी क मने पहले से बु कं ग करवा ल है।

म: वाह जी वाह… बु कं ग तो ऐसे कह रहे हो जैसे म कोई चीज हूँ ।

राहुल: अरे वो तो ऐसे ह नकल गया। वैसे ज द बैठो, पहले ह दन लेट होना है या घर पर।

मने यादा बहस नह ं क और उसक बाईक पर बैठ गयी। घर तक का रा ता एक घंटे का था, पर शायद बाईक से ज द
पहुँच जाऊ।

म: राहु ल, कतना टाईम लगेगा कालकाजी तक जाने म यहाँ से तु हार बाईक म।

राहुल ने पीछे सर कया और मेरे चेह रे से अपना चेह रा मलते हुए धीरे से कहा: वो तो तुमपर नभर है, तुम चाहोगी तो
ज द पहुं चा दं ग
ू ा और अगर तुम चाहोगी तो लेट।

ु े। तुम ज द पहुँचाओ मझ
म: मजाक मत करो, लेट नह ं होना मझ ु े।

राहुल: फर तम
ु मझ
ु े कस कर पकड़ लो, िजतना कस कर पकड़ोगी, उतना ह तेज दौड़ेगी मेर बाईक।

मने हँसते हुए अपने दोन हाथ आगे कये और घुमाकर उसके कंधे पर अपनी हथे लया जमा द , मझ
ु े मालुम था क ऐसा
करने से मेर छा तयाँ उसक पीठ म चभ
ु रह होगी, िजसक चाह म हर लड़का चाहता है क उसे लड़क कस कर पकड़कर
बैठे। और जैसा राहुल ने कहा था, वैसा ह हु आ, मेरे कस कर पकड़ते ह उसने बाईक को 80 -90 क पीड से भगाना शु
कर दया, मझ ु े डर सा लगने लगा, मने आँखे बंद क और अपना चहरा उसक गदन म छुपा सा लया और सफ़र के ज द
ह ख़तम होने का इ तजार करने लगी।

मेरा हाथ खसक कर उसके लंड वाले ह से तक आ गया, मझ


ु े इसका एहसास तब हुआ जब उसके लंड ने हरकत क , मुझे
अपने हाथ के नीचे वाले ह से म गुदगुद सी महसस
ू हुई, तब मझ
ु े पता चला क मेरा हाथ कहा है । मने सोचा चलो आज
इसके साथ भी मजा लया जाए, उसक बाईक रंग रोड पर चल रह थी, इस लए आस पास यादा े फक भी नह ं था, मने
अपने हाथ क उं ग लया खोल और उसे नीचे क तरफ कर दया, और जैसे ह उसके खड़े हुए लंड के चारो तरफ मेरा हाथ
पूरा घर सा गया, मने अपना पंजा उसके लंड समेत पेट के ऊपर चपका सा दया। मझ
ु े लगा क मेरे हाथ के नीचे कोई
मोटा सा चह
ू ा मचल कर बाहर नकलने को छतपटा रहा है । पर मेरे हाथ का दबाव इतना यादा था क मने उस चूहे का
गला दबोच कर उसे वह रहने को मजबूर कर दया। मेर साँसे तेजी से चलने लगी थी, और शायद यह हाल राहुल का भी
था।

उसने मेर तरफ अपनी गदन घम


ु ाई और धीरे से कहा: ओ ह… जान… अगर तम
ु ऐसे ह करती रह तो मेर पट ज द ह
गील हो जाएगी। मेरे मह
ुं से हं सी नकल गयी

म: गील होती है तो हो जाए, मझ


ु े या…

राहुल: यार कुछ तो रहम करो मझ


ु गर ब पर। जो भी दे खेगा, या कहे गा।

म: मझ
ु े या लेना। तु ह ने कहा था न क िजतना जोर से पकड़ोगे उतना ह ज द पहुँचाओगे, अब ज द करो, मझ
ु े दे र हो
रह है।

राहुल ( ससकार मारते हु ए): अब िजतनी दे र होनी थी हो गयी, दस - पं ह मनट से कुछ फरक नह ं पड़े गा अब।

म: मतलब…

राहुल कुछ न बोला और बाईक चलाता रहा। म भी उसके मोटे चहू े के साथ खेलती रह , सच कहूँ तो आज मने पहल बार
कसी का लंड इस तरह से पकड़ा था, सब
ु ह जब उसने पीछे से रगडा था तब सफ महसस ू कया था, पर हाथ म लेकर यादा

8
मजा आ रहा था अब। तभी राहुल ने बाईक क पीड धीरे कर द , रंग रोड के कनारे पर एक DTC बस खड़ी हु ई थी, शायद
खराब हो गयी थी, राहु ल ने अपनी बाईक उसक ओट म खड़ी क और मेरा हाथ पकड़कर उतारा।

म: ये या… यहाँ य रोक द बाईक।

राहुल: चलो तो सह । उसने मेरा हाथ पकड़ा और बस के ऊपर चढ़ गया। वो यहाँ मेरे साथ कुछ कर तो सकता नह ं है, हाईवे
है ये तो फर य मझ ु े ऊपर लेकर आया है ।

वो बस के बीचो बीच गया। और अपनी पट खोलकर बीच बस म नीचे लेट गया। मेरा तो हलक सख
ू गया उसक इस हरकत
से। और उसके लंड को दे खकर तो मुझे और भी डर लगने लगा, सच म बड़ा चूह ा था। वो होता है न घीस। वैसा ह था, काला
और मोटा, भ ा सा पर उसे दे खकर मेरे शार र म एक अजीब सी हलचल सी होने लगी थी।

राहुल: दे ख या रह है , अब ज द आओ और जो काम शु कया था उसे क पल ट करो। ज द …

मेरे सामने उसका लंड घोड़े क तरह हनक रहा था। म मना करना चाहती थी पर मेरे पैर अपने आप उसक तरफ बड़ते चले
गए। और म उसक टांगो के बीच जाकर बैठ गयी। वो थोडा ऊपर उठा और मेरा सर पकड़कर मझ
ु े अपने लंड पर झुका
लया। उसके लंड के चारो तरफ पसीने क अजीब सी महक आ रह थी, ग द सी। पर मझ
ु े बड़ी ह मादक सी लग रह थी।
खुल आँख से मझ
ु े उसका भयानक सा लंड बड़ा डरावना लग रहा था। इस लए मने अपनी आँखे बंद क और उसके लंड पर
अपना मह
ुं झुका दया और उसे मह
ुं म भर लया।

राहुल: आआआ ह येस बेबी, सक मी…

मझ
ु े स कं ग के बारे म मालम
ु था, नेट पर काफ मव
ू ी दे खी थी मने। उसके लंड को मह
ुं म भरा और उसे चाटना शु कर
दया। और ज द ह मझ
ु े मजा आने लगा। मेरे शर र म भी चत
ू के आस पास का ए रया सु न सा होने लगा और वहां
चीं टया सी रगने लगी। मझ
ु े इतनी उ तेजना आज तक नह ं फ ल हुई थी, मेन रोड के ऊपर खड़ी हुई बस म म कसी लड़के
का लंड चूस रह थी, और वो भी उसका िजसे म आज ह मल थी, कॉलेज म। ये सोचते हुए मने अपना एक हाथ अपनी चूत
वाले ह से पर रखा और उसे मसलने लगी।

मसलने के साथ ह ना जाने मझ


ु े या हुआ, मेरे अ दर क ग द लड़क जैसे जाग सी उठ । मने अपनी ल बी जीभ नकाल
कर उसके लंड और बा स को ल बाई म चाटना शु कर दया। उसके बालो वाले ह से को चूसना, बा स को चाटना, लंड
को मसलकर चूसना। ना जाने या या करने लगी म पागलो क तरह, मेरे ऊपर जैसे कामाि न का भत
ू सवार हो गया था।
राहुल भी मेरे यवहार को दे खकर दंग रह गया, उसने शायद इतनी गरम लड़क आज तक नह ं दे खी थी। जो उसे खा जाने
वाल नजरो से दे खते हुए, उसका लंड खा रह थी।

और ज द ह उसके लंड से गरमा गरम दध


ू नकलने लगा, मझ
ु े मालम
ु था क उसका या करना है, मने अपना मह
ंु
लगाकर सारा दधू पी लया। राहुल ने मझ
ु े अपने ऊपर खींचा और मेरे ह ठो को बुर तरह से चूमने चाटने लगा। मने भी
अपने चूत वाले ह से को उसके अभी भी खड़े हुए लंड से घसना शु कया और ज द ह मने भी अपना तेल नकालना
शु कया। और गहर सांस लेते हुए उसके ऊपर गर सी गयी।

ु े। मशः 9
थोड़ी दे र बाद मने ऊपर सर कया और कहा: अब चले… दे र हो रह है मझ

मेर चूत से आज लगातार दस


ू र बार पानी नकला था, और राहुल के लंड से नकले पानी क वजह से मेर जींस के आगे
वाला ह सा थोडा सा गीला दखाई दे ने लगा, मने अपना माल नकाला और वहां से साफ़ कया, पर नशान फर भी
दखाई दे रहा था, मने अपना टॉप जींस से बाहर नकाल लया िजसक वजह से गील जगह छुप गयी। म अपने कपडे सह
करके बस क सीट पर ह बैठ गयी।

9
राहुल धीरे से उठा, अपना मरा हु आ चूह ा उसने अ दर ठूसा और चलने के लए तैयार हो गया, हम नीचे उतरे, म उसके पीछे
बाईक पर बैठ और वो मेरे घर क तरफ चल दया। रा ते भर मने उससे कोई बात नह ं क , घर पहुंचकर मने उसे ल ट के
लए थ स कहा और चल द , उसने पीछे से आवाज लगा कर मझ
ु े सब
ु ह 9 बजे आने को कहा और वो भी चला गया। घर
पहुँचते ह म मी ने मझ
ु े पानी पलाया और मेरे पास आकर बैठ गयी।

म मी: कैसा रहा मेर रानी का पहला दन कॉलेज म। कसी ने तंग तो नह ं कया न। कैसा है तेरा कॉलेज, अ छा तो है न।
दे र कैसे हो गयी, तुने तो चार बजे बोला था। बोल न…

म: ओहो… म मी सांस तो लेने दो न ल स। आप तो सवाल पूछती ह जा रह है। ठ क था सब। मझ


ु े भख
ू लगी है। कुछ दे
दो। म चज करके आती हूँ । मने उनके इतने सारे सवालो का अनमना सा और छोटा सा जवाब दया और अपने कमरे क
तरफ चल द ।

कमरे म मेरा छोटा भाई आशुतोष जो क अभी 12th म है, बैठा हुआ था, दरअसल हमारे म तो अलग-२ है पर बाथ म
कॉमन है, िजसका एक दरवाजा उसके म म और दस
ू रा मेरे म म खुलता है, पर ट वी सफ मेरे कमरे म है, इस लए वो
बैठ कर टार मव
ू ी पर कोई ए शन मव
ू ी दे ख रहा था।

मेरे आते ह उसने भी लगभग वोह सारे सवाल कये जो म मी ने पूछे थे।

म: आश,ु बाद म बताती हूँ अभी तू बाहर नकल, मझ


ु े चज करना है।

आशत
ु ोष: या द द , इतनी अ छ मव
ू ी आ रह है। आप बाथ म म जाकर चज कर लो न।

म पैर पटकती हुई अलमार तक गयी और अपने कपडे नकाल कर बाथ म म चल गयी। अ दर जाकर मने अपनी जींस
उतार , और टॉप भी, मेर पट क हालत इतनी बरु थी क मझ
ु े अपने पर शम भी आ रह थी और रोमांच भी हो रहा था।
मने जब पट उतार और उसे हाथ म लेकर वाशबे सन म नचोड़ा तो उसमे से रसीला पानी नकल कर उसमे गरने लगा,
मानो पानी म भगो कर नकाला हो उसे। वाशबे सन मेरे जूस से पूरा नहा गया था, मने अपनी ा भी उतार और शीशे के
सामने खड़ी होकर अपने आप को नहारने लगी, मेरा फगर तो इतना ब ढ़या था क मझ
ु े हर कोई घम
ू -२ कर दे खता रहता
था, मने कॉलेज जाने से पहले म मी को बोला था क मझ
ु े बाल छोटे करवाने है, बलकुल ीती िजंट ा जैसे, म मी ने कहा
था क दे खगे।

पर अभी तो मेरे बाल मेर बेक से भी नीचे तक आते थे, िज ह मने इतने सालो से पाल पोस कर बड़ा कया था, बाल छोटे
करने के बाद मेर खूबसरू ती म चार चाँद लग जायगे। बालो के बारे म सोचते-२ मझ
ु े अपनी चूत के ऊपर वाले बालो का भी
यान आया, जो काफ बड़े हो चुके थे, मने ज द से अपना रे जर नकाला, और अशरु ोश का शे वंग फोम नकाल कर अपनी
चूत के ऊपर लगा लया, और उसे साफ़ करने म लग गयी, दस मनट म ह मेर चूत ह रे क तरह से चमकने लगी, चकनी
चूत के ऊपर पानी का ेशर डालने क वजह से मुझे अ दर ह अ दर गुदगुद सी होने लगी, और म वह टॉयलेट सीट को
बंद करके उसके ऊपर बैठ गयी। सामने क दवार पर अपने दोन पेरो के पंजे टकाये और अपनी उँ ग लय से अ दर के
ह से को रगड़ने लगी।

मने आँखे बंद क और पूरे दन क बाते याद करते हु ए अपने हाथ क पीड बढाती चल गयी क कैसे मने राहुल को कस
कया, उसने मुझे पकड़ा और चूमा, और फर ऊपर छत पर लेजाकर मेरे पीछे खड़े लंड से घसाई कर और अंत म बस के
अ दर जब मने उसके मोटे लंड को चस
ू ा और अपनी चत
ू को रगडा वाआ व, कतना कुछ हुआ था आज मेरे साथ। तभी
मेर नजर सामने दवार पर टं गे आशु के अंडरवीयर के ऊपर गयी िजसे दे खकर मझ ु े राहुल के अंडरवीयर के बारे म याद आ
गया क कैसे उसका मोटा लंड छोटे से अंड रवीयर म समाया हु आ था। मझ
ु े ना जाने या हुआ, मने उठकर उसके अंड रवीयर
को उठाया और वा पस आकर वह बैठ गयी, एक हाथ से अपनी चत
ू को रगड़ने लगी और दस
ु रे से उसके अंडरवीयर को
अपनी े ट के ऊपर फराने लगी।

10
वो लंड वाले ह से से थोडा सा गीला था, मानो अभी थोड़ी दे र पहले ह उसने उतारा हो, मने गीले वाले ह से को सघ
ुं ा तो
मझ
ु े उसमे से वैसी हो खश
ु बू आई जैसी राहुल के रस से आ रह थी। उसके बारे म सोचते हुए ह मने उस गीले ह से को
अपनी नाक के ऊपर रगडा, ह ठो से छुआ और अगले ह पल पागलो क तरह चूत के ऊपर हाथ चलाते हु ए, उसके पूरे
अंड रवीयर को अपने ह ठ, जीभ, गाल और आँख के ऊपर रगड़ना शु कर दया। आआअ ह… और ये सब करते हुए मने
अपनी चत
ू से फर एक बार रसीला जस
ू नकाल कर नीचे गराना शु कर दया।

और ये करते हुए मेरे मह


ुं से एक जोरदार ससकार नकल गयी। म गहर सांस लेकर अपने होश संभाल ह रह थी क
दरवाजे पर आशु क आवाज आई: द द या हुआ… ठ क तो है तू।

शायद उसने मेर आवाज सुन ल थी।

म: हाँ… हाँ ठ क हूँ म।

पता नह ं आज मझ
ु े हुआ या था, मने मा टरबेट करते हुए आज तक मह
ुं से कोई आवाज नह ं नकाल थी, और ना ह
अपने भाई के अंड रवीयर या उसके बारे म कोई गलत बात सोची थी। पर आज पहल बार मेरे मुह
ं से ससकार नकल गयी
थी, और उसके अंडरवीयर के साथ भी म खेल थी। ये जानते हुए भी क मेरा भाई बाहर बैठा हु आ है। मने ज द से शावर
लया और और चज करके बाहर आ गयी। वो अभी भी बैठ कर ट वी दे ख रहा था। म नीचे गयी, म मी ने मेरे लए सड वच
बना दए थे, म उ ह खाते हुए म मी को कॉलेज के बारे म बताने लगी। और उ ह ये भी बताया क शाम को चार बजे नह ं
बि क पांच बजे छु ी होगी। वगेरह… वगेरह…

तभी बेल बजी और म मी ने दरवाजा खोला, बाहर हमारे पडोसी राज अंकल थे। उनक उ कोई 40 के आस पास थी, वो
बक म मेनेजर थे, और उनक प नी भी गवमट जॉब म ह है। उनक दो बे टया है, एक तो डोल िजसक उ 19 साल है,
अपने मामा के पास पूना म रहती है और वह से BBA कर रह है और दस
ू र है द पा जो क डोल से दो साल छोट है और
मेरे साथ ह मेर लास म रहकर उसने भी 12th पास कर है। पर थोड़े कम नंबर क वजह से उसका एड मशन मेरे कॉलेज
म नह ं हो पाया था। िजसक वजह से वो और उसके पापा काफ परे शान थे, वो चाहते थे क कूल क ह तरह कॉलेज म भी
हम दोन साथ ह रहे।

म मी: अरे राज भाई साब, आइये बै ठये।

राज अंकल: नम ते भाभी। अरे कोमल बेटा, तुम भी हो, चलो अ छा हुआ, म तु हे गुड यूज़ दे ने आया था, द पा का
एड मशन मने तु हारे कॉलेज म करवा ह दया।

म तो ये सन
ु कर ख़ुशी से उछल ह पड़ी। और भागकर राज अंकल के गले जा लगी। म मी ने मझ
ु े घूर कर दे खा तो म उनसे
दरू हुई और बोल : वाव… अंकल मजा आ गया। पर ये हुआ कैसे…

राज अंकल: वो दरअसल, कॉलेज के एड मन हे ड का अकाउं ट हमारे ह बक म है। आज सब


ु ह ह वो हमारे बक आये थे,
हाऊ संग लोन लेने के लए, और जब उ ह ने बताया क वो उसी कॉलेज म ह एड मन हेड है तो मने द पा के बारे म उ ह
बताया, उ ह ने एक फोन घम
ु ाया और उसका एड मशन करवा दया, कल से वो अब तु हारे साथ ह जायेगी। ठ क है न…
अ छा भाभी जी, म चलता हूँ।

ये कहकर वो चले गए। मने भाग कर फ़ोन उठाया और द पा को मलाया

द पा: हाय… म तुझे ह फोन करने वाल थी।

म: साल एड मशन हो भी गया और तुने बताया भी नह ।ं तू क, म एक घंटे म आती हूँ तेरे पास, तब बताउं गी तुझे। पर
सच कहू द प,ू आई एम ् सो हे पी। मझ
ु े तो अभी भी वशवास नह ं हो रहा है क तू और म कॉलेज म भी एक साथ रहगे। सच
म, बड़ा मजा आएगा। हम दोन आधे घंटे तक बाते करते रहे, म चाय के साथ सड वच खाती रह और उससे बात करती

11
रह । फर ज द ह उसके घर मलने का वादा करके मने फोन रखा और अपने कमरे म आ गयी। आशु जा चूका था। मने
ट वी ओन कया और लेट कर दे खने लगी।

तभी मझ
ु े याद आया क मने बाथ म म अपनी पट तो वाशबे सन के ऊपर ह छोड़ द है। म झट से अ दर क तरफ भागी।
पर बाथ म तो अन ्दर से बंद था। यानी आशत
ु ोष अ दर जा चक
ू ा था। मेर तो हालत ह खराब हो गयी।

म: आश…
ु दरवाजा खोल…

आशत
ु ोष: या है द द … म नहा रहा हूँ।

म: ये या टाइम है नहाने का। खोल ज द से, मझ


ु े कुछ काम है अ दर।

आशत
ु ोष: या है द द … मझ
ु े बोल दो।

म: बोला न खोल, ज द से।

मने तेज आवाज म उससे कहा, वो मेरे रोबील आवाज से बड़ा ह डरता था, उसने अगले ह मनट म दरवाजा खोल दया,
उसने टावल लपेट रखा था, मेर नजर सीधा वाशबे सन पर गयी। पर वहां मेर पट नह ं थी।

म: यहाँ… यहाँ मेरा कुछ सामान रखा हुआ था।

आश:ु या द द … मझ
ु े नह ं मालम
ु ।

म भी सोचने लग गयी क कह ं मने उसे धोने के लए तो नह ं ड़ाल दया। म भाग कर वा शंग मशीन के पास गयी और
अ दर झाँका, वो अ दर ह थी। पर मझ
ु े याद नह ं आ रहा था क मने उसे कब अ दर डाला था। मने घूर कर आशु को दे खा
और बाहर नकल आई। बाहर आकर म द पा के घर क तरफ चल द , जो हमारे घर से कुछ ह दरु पर था। मशः 12

म द पा के घर पहुंची और दरवाजा खडकाया, राज अंकल ने दरवाजा खोला और मझ


ु े दे खकर बोले: मझ
ु े मालम
ु था क तम

ज र आओगी, अपनी सहे ल को बधाई दे ने। आओ आओ… द पा ऊपर है, अपने कमरे म। ये कहते हुए उ ह ने मझ
ु े कंधे से
पकड़कर अपनी तरफ खींच लया और दुसरे हाथ से दरवाजा बंद करके, मुझे पकडे-२ ह अ दर क तरफ चल दए।

ये मेरे लए नया अनुभव नह ं था, राज अंकल मुझे हर बार इसी तरह से ह " यार" से पकड़कर अपनापन सा दखाते थे, जो
शु म मझ
ु े अजीब भी लगा था और िजसके बारे म मने द पा को भी बताया था, पर द पा ने ये कहकर क वो मुझे भी ऐसे ह
" यार" से पकड़कर अपना यार दखाते है और तझ
ु े भी शायद अपनी बेट क तरह ह मानते है, इसी लए ऐसा करते है। पर
आज जब उनक अनुभवी उं ग लय क चुभन मेरे कंधे के नीचे वाले ह से को दबाकर, वहां के गुदाजपन क गहराईय को
नापने क को शश कर रह थी तो उसमे पहले वाल पकड़ से कह ं यादा अंतर था, शायद आज म मद क पकड़ का मतलब
समझकर आई थी कॉलेज से इस लए मझ
ु े ये अंतर दखाई दे रहा था।

सी डयो के पास जाकर उ ह ने मेरे कंधे को छोड़ दया और मेरे हप पे हाथ रखकर मझ ु े ऊपर क तरफ धकेलते हुए कहा:
जाओ बेटा, द पा ऊपर ह है। म तुम दोन के लए कुछ पीने को लाता हूँ। मेर बेक वाला ह सा सु न सा हो गया, इनके
बड़े-२ हाथो का पश पाकर।

म सीधा ऊपर गयी और द पा को पुकारा: द पा… ओ द पा कहाँ है त…


बाथ म म से द पा क आवाज आई: म अ दर हूँ, अभी आई।

म और द पा शु से ह एक दस
ु रे से काफ घुल - मल थी, और एकदस
ू रे के साथ कई बार नहा भी चुक थी और दो साल
पहले एक बार तो जब उसके म मी-पापा घर पर नह ं थे तो हम नंगे भी सोये थे। पर कुछ यादा न पता होने क वजह से
बना कुछ कये, एक दस
ु रे से लपट कर ह सो गए थे।

12
म सीधा दरवाजा खोलकर अ दर घुस गयी। वो टूल पर बैठकर रे जर से अपनी टांगो के बाल साफ़ कर रह थी। चूत के बाल
वो पहले से ह साफ़ कर चक
ु थी।

म: वाह जी वाह… तू तो ऐसे त यार कर रह है मानो कॉलेज नह ,ं अपने हनीमन


ू पर जा रह है।

द पा: चुप कर त…
ू तुने भी तो अपनी वेि संग करवाई थी ला ट संड े। अब मेरा एड मशन भी हो गया है तो मझ
ु े भी तो पूरा
तैयार होकर जाना है कॉलेज म। और तुने ह तो कहा था क ये सब अब कॉलेज म ह काम आएगा। है न…

म: ठ क कहा तुन।े वैसे मने गलत नह ं कहा था। ये सब बहुत काम आया।

द पा: कमीनी, मतलब पहले ह दन तुने… तुने मैदान मार लया।

म: नह ं रे , मैदान तो नह ं मारा, पर मजे लए काफ । और फर मने उसे पूरे दन क दा ताँ सन


ु ा द । वो अपना मह
ुं फाड़े
मेर बात सन
ु ती जा रह थी,

अंत म बोल : मझ
ु े तो वशवास ह नह ं हो रहा है क तुने… तुने पहले ह दन, एक अंजान लड़के क स कं ग कर ल । सह जा
रह है बॉस।

मने इतरा कर अपनी कमर मटकाई, जैसे उसक तार फ से मेर सु दरता म चार चाँद लग गए हो। म उससे कोई भी बात
छुपा नह ं सकती थी। मने दस
ू र तरफ मह
ुं कया और कहा: और… और एक बात बतानी थी तुझ।े

द पा: अब और या रह गया है बताने को…

उसने रे जर को एक तरफ रखा और गीले कपडे से अपनी टांगो को साफ़ करने लगी। वो पूर नंगी थी, उसक े ट मुझसे
थोड़ी सी बड़ी थी पर रं ग सांवला था, नीचे वाला ह सा भी भरा हुआ सा था, और कुल मलकर बड़ी ह अ े ि टव लगती थी
वो भी।

म: वो दरअसल आज मने बाथ म म मा टरबेट कया।

द पा: तो इसम कौन सी नयी बात है।

म: नह …
ं वो दरअसल आशत ु ोष के अंडरवीयर को हाथ म लेकर, उसे सघ
ंू कर, ना जाने मझ
ु े या हु आ। म करती गयी और
मझ
ु े मजा भी बहुत आया।

द पा: यांनी तुने अपने भाई के बारे म सोचकर मठ


ु मार । हे भगवान ्… सब
ु ह कॉलेज के लड़के के साथ और फर अपने भाई
के बारे म सोचकर भी… तुझे हो या गया है ।

म: दे ख द पा, मझ
ु े गलत मत समझ… पर ना जाने मझ
ु े हुआ या था, म तो उस कॉलेज वाले लड़के राहुल के बारे म
सोचकर फं ग रंग कर रह थी। पर सामने जब आशत
ु ोष का अंडरवीयर दखाई दया तो… तो म अपने आपको रोक न सक ,
और आज पहल बार मेर पु सी म से इतना जस
ू नकला क म बता नह ं सकती। और अभी भी ये सब बताते हु ए फर से
नकल रहा है।

द पा अपना मह
ंु खोले मझ
ु े गोल आँख से घरू ती जा रह थी। मने नजर झक
ु ा ल । और नजरे झक
ु ाते हुए जैसे ह मेर नजर
उसक चूत के ऊपर गयी, म है रान रह गयी, वहां से एक रस क धार नकल कर उसक जांघो से होती हुई नीचे क तरफ जा
रह थी। यानी मेर बात सन
ु कर उसक चूत म से भी रस टपकने लग गया था। मने आगे जाकर उसक धार के वाह को
तोडा और अपनी ऊँगल से रस को समेट कर उसक आँख के सामने लहराने लगी: ये सब तुझे मेर बाते सुनकर ह हुआ है
न… बोल…

द पा: ह म… हाँ सह कहा तुने कोमल। तेरे साथ जो आज पूरा दन हु आ, काश मेरे साथ भी ऐसे ह हो कॉलेज म।

13
म: हाय मेर जान… ये ह सोचकर तेर चूत म से ये तेल नकल रहा है। और ये कहते हुए मने उस रस वाल ऊँगल को चाट
लया, ये काम मने िज दगी म पहल बार कया था, कसी और लड़क के रस को चाटने का, िजसे दे खकर द पा और भी
है रान रह गयी।

द पा: नह …
ं वो सब सोचकर नह ं नकला ये। वो तो जब तुने आशत
ु ोष वाल बात बताई। तब… तभी कुछ हुआ मेर चूत म।

म उसक बात सुनकर है रान रह गयी, अभी थोड़ी दे र पहले ह आशुतोष वाल बात सुनकर मुझे ऐसे बोल रह थी मानो
मझ
ु से बहुत बड़ा पाप हो गया हो और उसी इ से ट के बारे म सोचकर उसक चूत म से पानी नकल आया। यानी… यानी वो
भी इ से ट से स के फेवर म है। पर उसका तो कोई भाई है ह नह ,ं सफ एक छोट बहन है। और घर म सफ उसके म मी
और पापा… ओहो पापा, यानी वो… वो अपने पापा के बारे म सोच रह थी, और तभी उसक चूत म से ये अ वरल धारा बह
नकल ।

म सब समझ गयी। और हो भी य न, उसके पापा थे ह इतने हडसम। मुझे भी वो शु से बड़े अ छे लगते थे, और ये द पा
तो उनक सगी बेट है और एक ह घर म रहती है। उसका अपने हडसम पापा के ऊपर श आना तो वाभा वक ह है।

म: द पा म समझ गयी क तेरा ये हाल कसके बारे म सोचकर हुआ है।

द पा: कस… कसके बारे म।

म: बता द ू या… बोल… हूँ…

वो भी शायद मेर बात को समझ चुक थी, और जानती थी क म या बोलने वाल हूँ इस लए उसने अपनी नजरे झुका ल ।
शायद मेरे सामने वो अपने पापा के त यार दखाकर श मदा नह ं होना चाहती थी। पर म इस चे टर को यह ं ख़तम नह ं
करना चाहती थी।

म: तू अपने पापा के बारे म सोच रह थी न। बोल ठ क कहा न मने।

द पा कुछ न बोल और अपने कपडे पहनने लगी। और फर बाहर नकल आई। उसक चु पी का मतलब साफ़ था, यानी जो
म कह रह थी वो सच था। वाव… मजा आएगा। मने मन म सोचा क य न द पा क हे प क ता क वो अपने मन म छुपे
यार को अपने पापा से बाँट कर खुश रहे और शायद ये सब करवाकर मझ
ु े भी कुछ मज़ा मल जाए। राज अंकल जैसे
हडसम इंसान से मजे लेना कौन नह ं चाहे गा। और वैसे भी मने उनके छुने के अंदाज म जो कसक महसूस क थी, मुझे
मालम
ु था क उ ह पटाना काफ आसान होगा।

म भी उसके पीछे -२ बाहर आई, बोल न… तू अपने पापा के बारे म ह सोच रह थी न…

तभी दरवाजे से आवाज आई: अरे भाई, हम भी तो बताओ, कौन हमारे बारे म सोच रहा है। दरवाजे पर राज अंकल खड़े थे,
उनके हाथ म दो गीलास थे और उनमे कोि ंक थी।

राज अंकल: बोलो भी, कौन सोच रहा था हमारे बारे म।

द पा डरे हुए चेह रे से कभी मझ


ु े और कभी अपने पापा को दे ख रह थी। मने ि थ थ संभाल , वो या है न अंकल। आपने
द पा का एड मशन मेरे कॉलेज म करवा दया है। तो इस लए वो आज हम सभी को ट दे रह है। और ये सब वो आपको
थ स कहने के लए कर रह है।

अंकल द पा के पास आये और उसके चेह रे को पकड़ कर बोले: अरे मेर यार बेट … इसम थ स वाल या बात है। दु नया
का हर पापा चाहता है क उसक बेट जो चाहे , वो उसे मल जाए। मने भी वोह कया जो तुमने चाहा था। इसम थ स कैसा,
और रह बात ट क तो वो मेर तरफ से। म मी को आने दो, फर हम सब मलकर बाहर जायगे, और कोमल बेटा, तुम
भी कह दो फोन करके अपने घर पर क तुम भी हमारे साथ डनर करने जा रह हो, म वा पसी म तु हे घर पर छोड़ दूंगा।
ओके…
14
और ये कहते हुए राज अंकल ने द पा को अपने गले से लगा लया। द पा का चेह रा अंकल के कंधे के ऊपर था और उसने
हाथ पीछे करके उनके कंधे पकड़ लए और अपनी मोट -२ े ट अंकल क चे ट म घस
ु ा डाल । जहाँ म खड़ी थी, वहां से
मझ
ु े द पा का चेह रा दखाई दे रहा था, वो मझ
ु े दे खकर मु कुरायी और आंखे झुका कर मझ
ु े इशारे से बता डाला क हाँ… हाँ…
म अपने पापा के बारे म ह सोच रह थी।

अंकल के हाथ अपनी बेट के जवान िज म के ऊपर नीचे फसलने लगे। पर तभी उ ह मेरे खड़े होने का आभास हुआ। और
ु े दे खे बना ह बाहर नकल गए और कहते हुए गए: म नीचे ह हूँ, कुछ चा हए तो बता दे ना।
वो ज द से, मझ

उनके जाते ह मेर और द पा क हंसी नकल गयी और हम दोन बेड के ऊपर गरकर बुर तरह से हं सने लगे। द पा को
आज इस तरह से पकड़कर अंकल क या हालत हुई होगी, उसके बारे म सोच सोचकर। और जब हमारा हँ सना बंद हुआ तो
गहर सांस लेते हुए मने उससे कहा: इसम कोई बुराई नह ं है द प।ू अंकल है ह इतने हडसम क कोई भी फसल जाए। तू
जो सोचती है और जो चाहती है , उसके लए म तेर हे प क ँ गी। ठ क है…

द पा ने मझ
ु े गले से लगा लया और बोल : और तू जो चाहती है, उसके लए म भी तेर हे प क ँ गी।

म: मेर हे प… कस बारे म…

द पा: आशत
ु ोष के बारे म, भल
ू गयी या…

म: पर द पू… मेरे मन म उसके लए कुछ नह ं है। वो तो बस… उस व त मा टर बेट करते हुए नाजाने मुझे या हुआ।
तभी… वना मने उसे सफ अपने भाई क तरह ह दे खा है ।

द पा: और म कौन सा अपने पापा के बारे म सोच सोचकर जवान हुई हँू । ये तो जब तुने आशत
ु ोष वाल बात बताई तब मझ
ु े
ू तो कर रह हूँ पर इकरार करने से डरती
एहसास हुआ क मेरे मन म भी पापा के लए कुछ है, िजसे म कई दन से महसस
थी, पर अब नह ।ं अब तू है न मेरे साथ। है न…

बात तो वो सह कह रह थी। ठ क है , जब बाहर वाले मुझसे इतने मजे ले रहे है तो आशुतोष तो मेरा सगा भाई है। उसका भी
हक़ बनता है मेरे ऊपर। और मने द पा से हाथ मलाकर अपनी सहम त जताई। और उसके बाद एक घंटे तक म और द पा
तरह-२ क बाते करते हुए, कॉलेज के लान बनाते हुए, ग पे मारते रहे । शाम को उसक बहन भी कूल से वा पस आ गयी
और म मी भी।

राज अंकल ने उ ह ट के बारे म बताया और हम सभी तैयार होकर शहर के अ छे से रे टोरट म आ बैठे। रे टोरट म बैठते
ह मेर नजर दरू बैठे हुए राहु ल पर पड़ी। जो एक लड़क और एक आंट के साथ बैठ हु आ था। कौन थे ये लोग… कह ं उसक
गल ड और उसक म मी तो नह ं… कह ं शाद क बात करने के लए तो नह ं आये वो लोग… मेरे मन म ना जाने कतने
ख़याल आने लगे और राहुल पर गु सा भी। मेरे मन म उसके लए यार जैसी कोई भावना नह ं थी, पर फर भी न जाने
मझ
ु े उसपर इतना गु सा य आ रहा था।

म उठ और सीधा उसके पास पहुँच गयी। मझ


ु े अपने सामने दे खकर राहु ल एकदम से सकपका गया। उसके साथ बैठ हुई
लड़क बड़ी ह सु दर थी, उसने जींस और ट शर्ट पहना हुआ था।

राहुल: अरे कोमल तम


ु … यहाँ…

राहुल को हकलाता हुआ दे खकर वो औरत बोल : कौन है ये…

म गु से से भर हुई कभी राहुल को और कभी उस लड़क को दे ख रह थी।

राहुल: वो… ये मेरे कॉलेज म ह है। यू एड मशन, आज ह मल थी मझ


ु े

औरत: आज ह मल थी। पर इसके तेव र दे खकर तो लगता है क ये तुझे अ छ तरह से जानती है। बोल… बात या है…
चल जाने दे , तुझे तो म घर जाकर दे खती हूँ ।
15
और फर मेर तरफ दे खकर बोल : तुम ह बोलो… कब से जानती हो मेरे बेटे को।

मेरे बेटे को… यानी ये उसक माँ है। मेरे चेह रे के ए स ेशन एकदम से बदल गए।

म: वो आंट , राहु ल सह कह रहा है। म आज ह इसके कॉलेज म आई हूँ । और म उधर अपनी ड क फे मल के साथ यहाँ
डनर करने आई थी। मने दस
ू र टे बल क तरफ इशारा कया। वो सब लोग भी मझ
ु े ह दे ख रहे थे क म एकदम से उठकर
कहाँ चल गयी।

राहुल क म मी ने जब वहां दे खा तो वो थोडा नोमल हुई: अ छा… अ छा वो या है न, इसके कॉलेज म हर दस


ु रे दन कोई
न कोई पंगा चलता रहता है। और मुझे लगा क तुम भी शायद… चलो कोई बात नह ं तुमसे मलकर अ छा लगा। मेरा नाम
या है, मेरा इंट रयर का अपना बज़नस है और ये है मेर बेट जेसमीन। इसका एड मशन भी राहु ल के ह कॉलेज म हुआ
है और हम यहाँ सेले ेट करने आये है।

म: वाव… हम भी इस लए ह आये है, मेर ड है द पा, वो बैठ है, उसका एड मशन भी मेरे साथ ह हो गया आज। तभी
उसके पापा, वो बैठे है न, राज अंकल, वो हम सभी को ट देने के लए लाये है।

अंकल का नाम सुनकर या आंट हं सने लगी: अ छा… अ छा मेरे प त का नाम भी राज है। पर आजकल वो टूर पर है,
इस लए म ह ब चो को लेकर आ गयी। आओ न… बैठो हमारे साथ।

म: नह ं आंट आप कंट यू करो। म जाती हूँ उनके पास। बाय आंट … बाय जेसमीन… कल मलते है कॉलेज म। और फर
राहुल क तरफ दे खकर मने कहा: बाय राहु ल।

और जाते-२ उसे एक आँख मार द , िजसे शायद जेसमीन ने दे ख लया था। जाते हुए म सोच रह थी क कतनी फटती है
राहुल क अपनी म मी से… कैसे उनके सामने हकला रहा था मानो कोई लड़क माँ बनने क बात सन
ु ाने के लए आई है
उसक माँ के सामने। वा पस जाकर मने सभी को बताया क मेरे कॉलेज के ड क फॅ मल है वो और फर हम सब खाना
खाने म बीजी हो गए।

वापसी म राज अंकल ने मझ


ु े घर पर उतार दया और म अपने कमरे म आकर चज करके लेट गयी और अपने लेपटोप पर
फेसबुक टे टस अपडेट करने लगी। वाइनड कॉलेज टुडे… य पी… आधे घंटे बाद मझ
ु े द पा का फोन आया।

द पा: यार हमने कल जाने का तो सोचा ह नह ।ं म तेरे घर आऊ या तू आएगी यहाँ। एक साथ चलगे न हम दोन ।

पर मने तो राहुल को बोला था मझ


ु े साथ ले जाने के लए।

म: यार द प…
ू तझ
ु े बताया था न राहुल के बारे म। वो मने… दरअसल उसने ह मझ
ु े कहा था क वो रोज मझ
ु े कॉलेज लेकर
चलेगा अपनी बाईक से।

द पा: अ छा… तो तुने अपनी जाने क से टंग पहले से ह कर ल है। कोई बात नह …
ं मझ
ु े कल कॉलेज आने दे , म भी कसी
बाईक वाले को पटा लुग
ं ी। और वो भी मुझे घर से कॉलेज और कॉलेज से घर छोड़ कर जाएगा। दे ख लेना…

म: यार तू बुरा य मान रह है। एक काम करते है , दोन साथ चलते है, तू मेरे पीछे बैठ जाना बाईक पर। ठ क है …

द पा: वाह जी वाह… यहाँ भी अपना ह फायेदा सोचना त…


ू तू उसके साथ चपक कर बैठेगी और मझ
ु े बाईक पर आधा बाहर
लटका कर बठाएगी।

म: ठ क है बाबा, तू बैठ जाना बीच म, म तेरे पीछे बैठ जाउं गी।

द पा: हे हे… म तो मजाक कर रह थी पागल। चल ठ क है फर, चलूग


ं ी तुम दोन के पीछे बैठकर, पर प का न, तुझे बुरा तो
नह ं लगेगा न… कह ं म कबाब म ह डी न बन जाऊ…

16
म: अरे तू तो खुद ह कबाब है, ह डी तो राहु ल के पास है, िजससे लपट कर हम दोन कबाब कल उसक बाईक पर बैठगे।
हा हा…

मेर बात का मतलब सन


ु कर वो भी हं सने लगी और फर मने उसे बस टड पर सब
ु ह आठ बजे मलने को कहकर फोन रख
दया।

अब सोने का टाईम हो चूका था। मने लेपटोप बंद कया और सोने क त यार करने लगी। सोने से पहले म बाथ म म
गयी, सुसु करने। जैसा क मने कहा था क ये बाथ म म और आशुतोष शेयर करते है, जब म अ दर जाती हूँ तो उसक
तरफ का दरवाजा म बंद कर दे ती हूँ और जब वो अ दर जाता है तो मेर तरफ का दरवाजा वो बंद कर लेता है ।

और वापसी म जाते हुए खोल दे ते है। म अंदर गयी और मेरे दमाग म आशत
ु ोष को ललचाने का एक लान आया। उसके
कमरे क लाईट अभी भी जल रह थी। पर सोने का टाईम उसका भी हो चूका था और सोने से पहले वो भी बाथ म ज र
आएगा। इस लए मने उसक तरफ का दरवाजा बंद ह नह ं कया। और अपनी के ी घुटन तक मोड़कर कमोड पर बैठ गयी
और आशु के आने का इ तजार करने लगी। लगभग पं ह मनट के बाद उसके आने क आहात हुई। म दम साध कर बैठ
गयी और जैसे ह उसने दरवाजा खोला, मझ
ु े टॉयलेट सीट पर बैठा दे खकर वो वह का वह क सा गया।

मने च ला कर कहा: आश…


ु पागल बंद कर दरवाजा। ज द टु पड…

आश:ु द द … तुम कैसे… दरवाजा बंद य नह ं कया। सॉर … और उसने ज द से कांपते हुए हाथो से दरवाजा बंद कया
और अपने कमरे म वा पस चला गया।

उसके जाते ह मेर हं सी नकल गयी। या सीन था… कैसे मझ


ु े अंद र दे खकर वो सकपका सा गया और अपनी आँखे सेकने
के लए कैसे वो इतनी दे र तक खड़ा रहा दरवाजे पर। वैसे उसे कुछ यादा दखाई नह ं दया था। मेरे घट
ु न वाला ह सा ह
नंगा था िजसे वो दे ख पा रहा होगा, जहाँ वो खड़ा था, पर कसी को ऐसी अव था म दे खना ह काफ है । बेचारा… शकल
दे खने वाल थी उसक ।

म ज द से उठ और हाथ धोकर मने धीरे से उसक तरफ का दरवाजा खोला: आशु सो गए या…

वो अपने बेड के ऊपर लेटा हु आ था। मेर आवाज सन


ु ते ह वो उठ कर बैठ गया।

म: आशु सोर यार… वो म दरवाजा बंद करना भल


ू गयी थी और ऊपर से तुझे ह डांट दया मने, आई एम ् सोर ।

आश:ु अरे कोई बात नह ं द द । मेर भी गलती है। आगे से म नोक करके ह आऊंगा अंद र।

म: उसक कोई ज रत नह ं है। म भी यान रखग


ंू ी आगे से। चल बाय… गड
ु नाईट…

आशत
ु ोष: गड
ु नाईट द द ।

और म फर से अपने कमरे म जाकर सो गयी। आशत


ु ोष के साथ जो मने छोटा सा मजाक कया था, उसे सोच सोचकर मझ
ु े
ु े पता भी नह ं चला। मशः 15
मजा आ रहा था। और ये सोचते हुए कब मेर आँख लग गयी, मझ

सुबह सात बजे अलाम बजा, म भागकर तैयार हुई, ना ता कया और म मी को बाय बोलकर म टड क तरफ भागी। द पा
मझ
ु से पहले ह खड़ी थी वहां।

द पा: हाय गड
ु मो नग। कहाँ है वो तेरा आ शक, राहुल… आठ तो बज गए।

मने राहुल को फ़ोन कया, बेल बजने लगी, तभी दरू से वो बाईक पर आता हुआ दखाई दया। मने फ़ोन बंद कर दया।

राहुल मेरे पास आकर का: हाय गुड मो नग। या बात है… आज तो बड़ी ह का तल लग रह हो। तभी राहु ल ने मेरे से सट
कर खड़ी हुई द पा को दे खा और मेर तरफ दे खकर बोला: ये कौन है…

17
म: ये द पा है, मेर बे ट ड, इसका भी एड मशन ला ट मोमट पर हुआ है, कल ह । और आज से ये भी चलेगी मेरे साथ।

राहुल: हाय द पा… हाउ आर यु… और उसक नजर फसल कर उसक मोट -२ छा तयो पर जा जमी।

द पा के साथ हमेशा ऐसा ह होता था, लोग बात तो उससे करते थे पर उसक आँख म दे खकर नह ,ं उसक े ट क तरफ
दे खकर। और उसे भी इस बात क आदत सी हो चुक थी अब।

द पा: आई एम ् फाईन राहुल। कल कोमल ने मझ


ु े काफ कुछ बताया है तु हारे बारे म। और ये कहते हुए उसने ह ठ गोल कर
लए। राहु ल के लए काफ था ये जानना क कोमल क तरह उसक ड भी चालू है।

राहुल: अ छा जी, मेरे से पहले मेर तार फ पहुँ च चुक है आपके पास, चलो अ छा है, इं ो वगेरह म यादा टाईम वे ट नह ं
होगा अब। और ये कहकर वो हं सने लगा, और उसके साथ-२ म और द पा भी।

म: चलो अब ज द चलो, पहले से ह दे र हो चुक है। और ये कहते हुए म उसक बाईक पर दोन तरफ पैर करके बैठ गयी।
और द पा को इशारा कया और वो भी उछल कर बैठ गयी मेरे पीछे । द पा के मोटे खरबूजे मेर पीठ पर अपना मुलायम
दबाव डाल रहे थे और मेरे दोन आम राहुल क पीठ पर अपने नशान छाप रहे थे। राहुल ने शायद सोचा नह ं था क द पा
भी हमारे साथ ह चढ़ जायेगी बाईक पर।

पर वो कुछ बोला नह ं और बाईक टाट करके चल दया। द पा ने अपने दोन हाथ मेर कमर म लपेट कर मेरा सपाट पेट
पकड़ लया। मने भी राहु ल को वैसे ह पकड़ा, पर उसका पेट थोडा बाहर नकला हु आ था, इस लए मेरे हाथ उसके पेट और
लंड वाले ह से के बीच म फंस कर रह गए। राहुल ने बाईक थोडा धीरे कर द ।

म: बाईक धीरे य कर द तुमने…

राहुल: तुमने ेक जो लगा दए है।

म: मने… ओह… अ छा…

राहुल का इशारा अपने लंड क तरफ था, िजसपर मेरा हाथ बड़ी ह बे फ से पड़ा हु आ था, और उसका एहसास ह काफ
था उसके अ दर के मोटे चहू े को जगाने के लए।

म: अगर ये बात है तो म हाथ क


े से हटा लेती हूँ। तब तो तम
ु तेज चलोगे न। और मने हाथ पीछे करना चाहा, पर उसने
बीच म ह उसे पकड़ा और सह तरह से अपने लंड पर रख कर उसे दबा दया।

राहुल: अरे नह …
ं ऐसे ह रहने दो ल स। मजा आ रहा है। ठ क है, म तेज चलता हूँ।

अब आया न लाईन पर… और अगले बीस मनट तक म उसके पीछे बैठ हु ई उसके खड़े हुए लंड क मसाज करती रह ।
बाईक को उसने कॉलेज के बाहर रोका और हम दोन उतर गए। द पा आगे चल द ,

राहुल ने मझ
ु े कहा: ये जो तम
ु ने मेरा हाल कया है न आज सब
ु ह-२, इसे तम
ु ह सध
ु ारोगी। समझी… और एक आँख मारकर
वो पा कग क तरफ चल दया। और म द पा के साथ अ दर क तरफ।

द पा को उसके पापा ने वाईस ं सपल से मलने को कहा था। हम सीधा उनके कमरे के बाहर पहुं च।े बाहर पीउन बैठा हुआ
था, द पा ने उससे कहा क वाईस ं सपल से मलना है, यू एड मशन के बारे म बात करने के लए। पीउन ने हम वह
खड़ा रहने को कहा और अ दर चला गया। बाहर उनके नाम क नेम लेट लगी हुई थी।

मीना ी बेद - वाईस ं सपल

कुछ ह दे र म वो बाहर नकला और हम अ दर जाने को कहा। उनका कमरा बड़ा ह शानदार था, और वो अपने नाम क ह
तरह काफ खुबसरू त थी। थोड़ी मोट थी, उ होगी लगभग 43 के आस पास, बाल कंधो तक, बड़ी-२ े ट, गोरा रं ग। हम
दे खकर वो मु कुरायी और बैठने को कहा।

18
मीना ी मेडम: यस… हाउ आई केन हे प यु… बड़ी ह मीठ आवाज थी उनक ।

द पा ने उ ह सब बताया और एड मन हेड का नाम भी लया।

मेडम: हाँ… याद है, कल उ ह ने फोन कया था। अ छा… तो वो तु हारे लए था। एक मनट… और फर वो एक रिज टर
उठा कर दे खने लगी। और फर द पा से बोल : तम
ु ऐसा करो, E-7 बेच म वाइन कर लो।

द पा ने मेर तरफ दे खा और बोल : वो मेम एक रे कुए ट थी। अगर आप मझ


ु े E-5 म एड मशन दे दे तो अ छा होगा। ये
मेर बे ट ड कोमल है, जो उसी बेच म है। ल स…

मेडम ने द पा को मु कुरा कर दे खा और कहा: ओके… ठ क है। और फर उसके नाम के आगे उ ह ने मेरा बेच नंबर लख
दया।

हम दोन ने उ ह थ स कहा और बाहर नकल आये। म सीधा उसे लेकर अपनी लास म गयी। पहला पी रअड टाट हो
चूका था। हमने लगातार तीन पी रअड अटड कये। और फर आधे घंटे के ेक म हम क टन क तरफ चल दए। क टन म
घुसते ह हम अ दर से बाहर भागते हुए टुडट दखाई दए। मने एक को रोककर पूछा तो उसने कहा अ दर लडाई हो रह
है। मने आज तक कसी क लडाई नह ं दे खी थी।

द पा के मना करने के बावजूद म उसे लेकर अ दर क तरफ चल द । अ दर जाकर दे खा तो दो लड़के बुर तरह से लडाई
करने म लगे हु ए थे, और गौर से दे खा तो उनमे से एक राहु ल था। मने द पा क तरफ घबरा कर दे खा। पर उसने मझ
ु े चुप
रहकर दे खने को कहा। दस
ू रा लड़का काफ तगड़ा था, कोई जाट था शायद, ल बा, ऊँचा, तगड़ा, ल न शेव और राहु ल से
यादा वो राहु ल को मार रहा था, राहुल एक मारता तो वो लड़का उसे दो बार मारता।

तभी बाहर से कसी ने तेज आवाज म कहा: ओये राजपूत… भाग, ं सपल मेम आ रह है।

उसक बात सुनते ह वो लड़का, राजपूत, क गया और राहु ल क तरफ दे खकर कहा: तुझे तो म फर कभी दे ख लूँगा।
और ये कहते हुए वो पीछे क तरफ से भाग गया।

राहुल भी भाग कर क टन से बाहर नकल गया, म और द पा उसके पीछे भागी, वो सीधा पा कग म गया और वहां लगी हुई
टूट के नीचे जाकर अपना सर और महुं हाथ धोने लगा, उसके मह
ुं से शायद खून भी नकल रहा था।

म उसके पास पहुंची और बोल : राहु ल ये या है… कौन था वो लड़का और य लडाई कर रहे थे तुम दोन ।

राहुल ने मझ
ु े दे खा और माल नकल कर अपना चेह रा साफ़ कया और बोला: वो संजय है, संजय राजपूत, और मेर ह
तरह वो भी े सडट का इले शन लड़ रहा है। मने कल अपने दो त के साथ मलकर उसके एक यादे को काफ मारा था,
उसी का बदला लेने आया था आज वो, मेरे दो त नह ं थे आज मेरे साथ, और उसके हु लए को दे खकर तम
ु उसक ताकत
का अंदाजा तो लगा ह सकती हो। पर म फर भी नह ं घबराया। मार खायी पर दो चार तो मने भी मार ह दए उसके मुंह
पर। उसक बात सन
ु कर म हं सने लगी।

म: य करते हो ये सब, आराम से इले शन नह ं लड़ सकते या… ज र है या कसी को मारना या लडाई झगडा करना।

राहुल: ये सब तो चलता है। तम


ु फकर मत करो। तम
ु चलो अभी मेरे साथ।

म: म… पर कहाँ…

राहुल (मु कुराते हु ए): ऊपर छत पर… उसने कॉलेज क छत क तरफ इशारा कया।

म शमा गयी, मने द पा क तरफ दे खा।

द पा: तू जा, म चल जाउं गी लास म।

19
राहुल: अरे द पा जी हमसे ऐसी या नाराजगी है। आप भी चलो न ऊपर, मजा आएगा। राहु ल शायद उसके मन को भांप
चकू ा था।

द पा ने मेर तरफ फर से दे खा, म बोल : हाँ चल तू भी… अभी तो लास शु होने म टाईम है न। और म उसका हाथ
पकड़कर आगे चल द ।

राहुल पीछे चलता हुआ हम दोन क मटकती हुई गांड दे ख रहा था। हम कल क तरह, ल ट से टॉप लोर पर पहुंचे और
वहां से सी डयो से ऊपर छत पर चल दए। राहु ल सीधा अपनी फेवरेट जगह पर जाकर खड़ा हो गया, और म भी उसके साथ
जाकर खड़ी हो गयी। द पा घूम-घूमकर पूर छत से नीचे का नजारा दे खकर खुश हो रह थी। राहु ल ने मझ
ु े अपनी तरफ
खींचा, मेर पीठ उसक छाती से जा टकराई और उसने आगे हाथ करके मेरे दोन हाथ पकड़ लए

राहुल: सब
ु ह तुमने बहुत तंग कया मझ
ु े।

म: तो या चाहते हो अब…

राहुल:चाहता तो बहुत कुछ हुँ, पर अभी तो कल वाला वो टमट ह दे दो, जो बस म दया था। सच म यार, पूर रात उसे
सोचकर जागता रहा था म।

म: वो तो ठ क है , पर तुमने द पा को य आने को कहा अभी।

राहुल ने मु कुरा कर मझ
ु े दे खा और कहा: तम
ु उसके सामने या कुछ नह ं कर सकती। जैसी दो ती है तम
ु दोन म उसे
दे खकर तो लगता है क कुछ भी नह ं छुपाती तुम दोन एक दुसरे से, और जब बाद म उसे बताना ह है ये सब तो उसे दे खने
दो, तु हारा बताना बच जाएगा और मझ
ु े भी डबल मजा आएगा।

म: अ छा… तो तुम हम दोन के साथ मजे लेने के च कर म हो। सन


ु ो म टर राहु ल, िजतने चालाक तुम बनने क को शश
कर रहे हो उतने हो नह ं। राहुल मेर बात सुनकर सकपका गया।

राहुल: अरे कोमल… म तो सफ उसे दे खने को कह रहा हुँ, म कौन सा उसके साथ कुछ करना चाहता हूँ ।

उसक डर हुई श ल दे खकर मेर हंसी नकल गयी। और मझ ु े हँसता हु आ दे खकर वो भी समझ गया क म उसके साथ
मजाक ह कर रह थी। उसने मझु े घुमा कर अपनी तरफ मह
ुं कर लया और मझ ु े चूमने लगा। मेरे ह ठ उसके मह
ुं म जाकर
यादा ह सो ट हो गए थे। और पानी भी यादा नकल रहा था मेरे मह
ंु से अब। राहुल ने अपनी जींस क चेन खोल और
एक झटके से मेरा हाथ पकड़ कर अपने दनदनाते हुए लंड के ऊपर रख दया। मने उसे आगे पीछे करना शु कया और
उसके ह ठ चूसने म लगी रह ।

हम दोन एक दस
ु रे को चूमने चाटने म इतने मशगूल हो चुके थे क हम याद ह नह ं रहा क द पा भी वह है। राहुल ने मेरे
मु मे पकड़ कर उ ह दबा दया, और वो मेर ट शट ऊपर करके उसे उतारने लगा, पर मने मना कर दया, म इतनी ज द
उसे परू े मजे दे ने के मड
ू म नह ं थी। उसने अपना मह
ंु नीचे कया और ट शट के ऊपर से ह मेरे न पल को मह
ंु म डालकर
उसे चूसने लगा।

म: आआआ ह… उ म म…

मने उसका सर अपनी े ट के ऊपर जोर से दबा डाला। मेरा हाथ उसके लंड के ऊपर तेजी से चलता जा रहा था। उसने मझ
ु े
नीचे क तरफ जाने का इशारा कया, म समझ गयी और अपने पंजो के बल बैठकर मने उसके खड़े हु ए लंड को अपने मुह
ं म
भर लया, उसका लंड तप रहा था, मानो उसे उसी ह से पर बुखार चढ़ गया हो। म अपनी लार से उसके गम लंड को ठं डक
पहुँचाने लगी। और लंड को चस
ू चस
ू कर उसका रस पीने लगी।

ज द ह उसके मह
ुं से एक तेज आवाज नकलनी शु हो गयी। और तब तक नकलती रह जब तक उसके लंड का रस
ख़तम नह ं हो गया, मने सारा रस पी डाला। पीने के बाद म खड़ी हुई और तब जाकर मुझे द पा का ख़याल आया। मने पीछे

20
मड़
ु कर दे खा, द पा आँखे फाड़ कर हमारा पूरा शो दे ख रह थी। उसक साँसे इतनी तेज चल रह थी क मझ
ु े साफ़ सन
ु ाई दे
रह थी।

मने माल नकाल कर अपना चेह रा साफ़ कया और द पा के पास जाकर बोल : जा… करले तू भी।

मेर बात सन
ु कर वो बड़ी खुश हो गयी। पर एकदम से तो कोई भी लड़क कसी भी लड़के का लंड चूसने को तैयार नह ं हो
जाती न।

उसने धीरे से मझ
ु से कहा: तू उसे बोल न क मझ
ु े कहे। नह ं तो मझ
ु े शम आएगी।

म समझ गयी क वो अपनी तरफ से पहल नह ं करना चाहती थी। म राहु ल क तरफ मड़
ु ी उसे कहने के लए। पर तब तक
वो अपनी जींस ऊपर कर चूका था, और वा पस चलने के लए वो नीचे क तरफ जाने लगा।

मने द पा क तरफ दे खा और अपने कंधे उचका दए। वो समझ गयी क राहु ल के बस क बात नह ं है लगातार दस
ू र बार
अपने लंड से रस नकालना। वना ऐसा चांस कोई नह ं छोड़ना चाहे गा। हम भी नीचे क तरफ चल दए।

द पा: ये लड़के कतने मीन होते ह। अपना मतलब नकलने के बाद ये भी नह ं दे खते क पीछे कोई है या नह ।ं

वो सड़-भन
ु रह थी, वो यासी जो रह गयी थी। वो भी शायद पहले ह दन, मेर तरह हर तरह के मजे लेना चाहती थी। पर
सामने वाला ह राजी न हो तो या कर सकते ह।

म: तू एक काम कर, अपने लए भी कोई लड़का पटा ले।

द पा: यह करना पड़े गा मझ


ु े अब और फर हम दोन अपनी लास म आकर बैठ गयी। मशः 19

म और द पा फर से लास म जाकर बैठ गए और अगले दो घंटे तक लगातार पी रअड अटड करते रहे। द पा मेरे पास बैठ
हुई थी पर मझ ु े साफ़ दखाई दे रहा था क उसका मन पढ़ाई म नह ं लग रहा है। अब इस लड़क को कौन समझाए। तभी
मझु े पीछे से आवाज आई, मने मड ु कर दे खा तो पायल थी वहां, मने द पा को बोला क म अभी आई और म पायल के पास
जाकर बैठ गयी।

***दो त , जैसा क मने आपको बताया था क ये कहानी कसी एक ना यका पर केि त नह ं है, इस लए अब दस
ू र
ना यका यानी द पा के मन म या चल रहा है, उसे जानने का व त आ गया है। और आगे भी इसी तरह से दस
ु रे पा के
नामे यहाँ आते रहगे***

21
*****

द पा
*****
या यार, आज म या-२ सोच कर आई थी, जब से कोमल क ब ची ने मझ
ु े कल के बारे म बताया था, मने भी सोच लया
था क पहले ह दन म भी कसी लंड के दशन ज र क ँ गी। यहाँ दशन तो हुए उस राहुल के लंड के पर मेरे मह
ुं म कुछ गया
ह नह ।ं लगता है मेरा पहला दन ऐसे ह नकल जाएगा ले कन म इसे ऐसे ह नकालना नह ं चाहती थी, जैसे साल के
पहले दन जो काम करो, वोह पूरा साल होता रहता है, उसी तरह म अपने कॉलेज लाईफ के पहले दन को ऐसे ह बेकार म
नह ं जाने दे ना चाहती थी, य क मझ
ु े पूरा साल मजे लेने है। और ये कोमल भी ना जाने कसके पास जाकर बैठ गयी है
अब।

मने परू लास का जाएजा लया, कोई भी ढं ग का लड़का नह ं दखाई दे रहा था। मझ
ु े तो बचपन से ह सलमान खान जैसी
बोडी वाला लड़का चा हए था। यहाँ तो सारे ब चे थे। तभी अगले पी रअड क बेल बजी, ये आ खर पी रअड था, पर मेरा
स जे ट नह ं था वो। इस लए म बाहर नकल आई लास से। कोमल अ दर ह थी अभी तक। म सीधा क टन म गयी और
एक चाय लेकर पीने लगी, तभी मझ
ु े कोने म वोह लड़का बैठा हुआ दखाई दया। संजय राजपत
ू … म उसे चाय पीते हुए
दे खती रह , वो अकेला ह बैठा था और कसी से फोन पर बात कर रहा था।

या टाईल था उसका, उसने जब अपना फोन पकड़ा हुआ था तो उसके डोले साफ़ दखाई दे रहे थे। बलकुल सलमान खान
जैसे थे वो। और अगले ह पल मेर आँखे चमकने लगी। मने सोच लया क इसी को पटाया जाए। पर ये होगा कैसे… म
सोच ह रह थी क तभी उसके पास एक लड़क आकर बैठ गयी।

स यानाश…

म सोचती रह गयी और कोई और लड़क ने मैदान मार लया। पर िजस तरह से वो दोन बाते कर रहे थे, उससे लगता था
क वो दोन एक दुसरे को पहले से जानते है। वो लड़क काफ गोर थी और उसके ह ठ ल पि टक लगाने क वजह से
चमक रहे थे, पर थी वो बलकुल लेट। यानी े ट के नाम पर कुछ नह ं था बेचार के पास। यह ं वो मेरे से पीछे रह गयी।
य क म जानती थी क मेरे पास े ट नह ं एटम ब ब है, जो लडको क नींद उदा सकते ह। तभी राजपूत और वो लड़क
उठ गए और बाहर क तरफ जाने लगे।

म भी दौड़कर उनके पीछे भागी। राजपूत उस लड़क के साथ सीधा पा कग म गया और एक टाटा सफार कार म जाकर बैठ
गया। म पेड़ के पीछे छुप कर उ ह दे खने लगी। राजपूत ने अ दर जाते ह लड़क क गदन पकड़ी और उसे अपनी तरफ
खींच लया और फर वो दोन एक दस
ु रे को बरु तरह से चम
ू ने लगे। फर थोड़ी दे र बाद लड़क उसक गोद क तरफ मह
ंु
करके नीचे झुक गयी।

22
शायद उसके लंड को चूस रह थी वो। एक ह दन म दस
ू र बार कसी को लंड चूसते हुए दे ख रह थी म। पर दोन ह बार
लंड चस
ू ने वाल म नह ं थी। बड़ा ह गु सा आ रहा था मझ
ु े अपने आप पर। और लगभग पांच मनट के बाद वो लड़क ऊपर
आई, अपना चेह रा माल से साफ़ कया और एकदम से कार से उतर कर बाहर चल गयी और वा पस कॉलेज के अ दर
जाने लगी।

राजपूत अपना सर पीछे कये हुए आराम से ऐ सी क हवा खाने लगा। मने न चय कर लया क अभी मौका है और म कार
क तरफ चल द । मने दरवाजा खोला और अ दर जाकर उसी सीट पर जा बैठ जहाँ वो लड़क बैठ हुई थी। मझ
ु े दे खकर
राजपूत एकदम से हडबडा गया। उसका लंड अभी भी जींस से बाहर नकला हुआ था।

उसने ज द से उसे अ दर कया और मझ


ु से बोला: कोन… कौन हो तु म और मेर गाडी म इस तरह से घुसने का या
मतलब है…

मने भी डरने क एि टं ग कर और उससे कहा: जी… जी मेरा नाम द पा है, यू एड मशन।

आपके पो टर लगे दे खे मने इले शन के। तभी से मलना चाहती थी, और अभी म घर जा ह रह थी क आपको कार म
बैठा हुआ दे खा। इस लए अ दर आ गयी। सोर … अगर आपको मेरा इस तरह से अ दर आना बरु ा लगा तो। वो मझ
ु े घरू कर
दे खता रहा। पर कुछ न बोला।
मने आगे बोलना शु कया: वो दरअसल। मेर एक ड थी यहाँ, एक साल पहले ह उसने कॉलेज ल यर कया है और अब
वो MBA करने पन
ू ा चल गयी है। उसी ने आपके बारे म बताया था मझ
ु े।

राजपूत: तु हार ड… या नाम था उसका और या बताया था उसने मेरे बारे म।

म: जी वो… उसका नाम पूजा था।

नाम सन
ु ते ह वो उछल गया। मेरा तु का सह बैठा था, मने तो ऐसे ह पूजा नाम ले लया, य क मझ
ु े मालम
ु है क ये
काफ कॉमन नाम है, और पछले साल कोई न कोई पूजा नाम क लड़क तो रह होगी न यहाँ। िजसे ये ला ट इयर वाला
राजपत
ू तो जानता ह होगा।

राजपूत: या… या बताया उसने मेरे बारे म तु हे। बोलो… बोलो न।

उसने मेर बाजू पकड़ी और मझ


ु े झंझोड़ने लगा। उसक कठोर पकड़ को महसस
ू करके मेरा रोम रोम सल
ु गने लगा।

म: जी… कुछ ख़ास नह ,ं बस येह क आप बहुत अ छे ह और कोई मदद चा हए तो आपसे ले ल।ू

ये सन
ु कर उसने मेरे हाथ छोड़ दए। उसक उँ ग लय के नशान मेरे हाथ पर छप चक
ु े थे। म उ ह अपनी उँ ग लय से
मसलने लगी। ऐसा करते हुए मने अपने हाथ अपने मु मो के नीचे लगाये और उ ह ऊपर क तरफ ध का दे कर अपने टॉप
से बाहर खसकाने लगी। मेरे मोटे मु मो के साथ कब या काम लेना है, म अ छ तरह से जानती थी।

राजपूत: सोर … मने आपके हाथ यादा ह तेज पकडे। बताइए म या कर सकता हूँ आपके लए…

म: जी… वो मझ
ु े लाई ेर का काड इशू करवाना है। कुछ बु स चा हए वहां से।

राजपूत मेर बात सुनकर हं सने लगा: ये या काम है… इसके लए तुम मेरे पास ह य आई हो। तुम अपने आप ऑ फस
म जाओ और वहां से ए ल केशन भर कर दे दो। दो दन म ह काड मल जाएगा। मने अपने मु मो को और जोर लगा कर
बाहर कया। अब ऊपर क गोलाई साफ़ दखने लगी थी। िजसपर राजपूत क नजर जम कर रह गयी थी।

म: जी वो तो मने भर ह दया है। म कसी और को नह ं जानती यहाँ। म बस आपसे ये कह रह थी क अगर आप अपना


काड मझ
ु े दे दो तो म उसके बेस पर बु स इशू करवा लेती हूँ। अगर आपको बुरा न लगे तो। मेर बात सन
ु कर वो फर से
हं सने लगा।

23
राजपूत: मझ
ु े बु स इशू करवाने के लए कसी काड क ज रत नह ं है। म तु हे ऐसे ह बुक दलवा दं ग
ू ा।

ये बोलते हुए उसक नजरे मेरे उभार के ऊपर जाकर चपक सी गयी। वो अपनी जीभ अपने ह ठो पर फराने लगा। मने
उसक नजरो से अनजान बनते हुए, अपनी बाँह के ऊपर अपना हाथ रगड़ना चालु रखा।

उसक नजर जब मेर बाजु के ऊपर बने नशान पर गयी तो वो बोला: आई एम ् सोर … मने काफ तेज पकड़ा आपका हाथ।
दद हो रहा है या… और ये कहते हुए उसने आगे हाथ कया और उसी जगह पर अपनी कठोर उँ ग लयाँ फराने लगा। म
समझ गयी क अब इसे फंसाना काफ आसान होगा। म उसक तरफ खसक आई।

म: हाँ… दद तो है। पर कोई बात नह ।ं मेर ि कन काफ ससे टव है। इस लए ये नशान बन गए ह। उसक एक ऊँगल मेरे
मु मे से टकराने लगी थी। मने कुछ नह ं कहा उसे।

म: वो लड़क कौन थी। जो अभी आपक कार म बैठ थी।

ये सुनते ह वो सकपका गया।

राजपूत: तुमने… तुमने दे खा या…

म: हाँ दे खा था, और ये भी क वो या कर रह थी।

मेर बात सन
ु ते ह वो मझ
ु े फर से अपनी गोल आँख से घरू ने लगा। पर मझ
ु े मु कुराता हु आ दे खकर वो समझ गया क म
या चाहती हूँ।

राजपूत: या कर रहा था म। बताओ तो जरा…

म (शमाते हुए): आपने तो कुछ कया ह नह ं। जो भी कया वो तो उस लड़क ने ह कया। और ये कहते हुए मने अपना एक
हाथ उसक जांघ के ऊपर रख दया।

वो समझ गया क लड़क चालु है और खायी - पीई हुई है। पर असल म मेरा ये पहल बार था। मने और कोमल ने आज तक
कसी लड़के के साथ कोई भी बुरा काम नह ं कया था। वो तो हमने कॉलेज लाईफ के बारे म इतना सन
ु ा क हमने डसाईड
कर लया था क िजतने साल हमने कूल म बना बो ड के वे ट कये है, उ ह अब सध
ु ारने का टाईम आ गया है। और
जब मने उसक जांघो पर हाथ रखा तो मेरा दल जोरो से धक् धक् कर रहा था। आज पहल बार म कसी बाजा लड़क क
तरह से पेश आ रह थी।

राजपूत ने चार तरफ दे खा और फर मझ


ु े एकदम से अपनी तरफ खींच लया। गाडी क सीटे इतनी बड़ी थी क म उछल
कर उसक तरफ झुक गयी। मेरे दोन मु मे उसक बाँह म दबकर पसने लगे। राजपूत ने मेरे मह
ुं को ऊपर कया और मेर
आँख म दे खकर कहा: सन
ु लड़क । तू कह ं मझ
ु े फंसाने के च कर म तो नह ं आई है न। तुझे राहु ल ने तो नह ं भेजा है न। म
उसक बात सन
ु कर हं सने लगी।

म: या यार… इतनी खूबसरू त लड़क तु हार कार म आकर बैठ हुई है और तुम ये बेकार क बाते सोच रहे हो। हूँ… और ये
कहते हु ए, मने ह पहल क , और उसके ह ठो को चूमने लगी। वाह… या एहसास था पहले चु बन का। उसके मोटे ह ठ
इतने सो ट थे क उ ह चबाने म काफ मजा आ रहा था।

फर उसक तरफ से भी कायवाह होनी शु हो गयी, और उसका एक हाथ मेरे मु मे को मसलने लगा और वो मझ
ु े जोरो से
कस करने लगा। पांच मनट तक हम एक दस
ु रे को चूसते रहे और तब तक चूसते रहे जब तक एक दस
ु रे के मह
ुं से पानी
ख़तम नह ं हो गया। जब म अलग हुई तो मेर आँखे लाल थी और मेर साँसे फूल रह थी।

म: म जानती हूँ क तुम या सोच रहे हो क कोई लड़क ऐसे कैसे कसी के भी साथ आकर… पर म तुमसे सच बोलग
ूं ी
अभी। मने जब से तु हे दे खा है । तब से तुम मझ
ु े… मझ
ु े काफ ए े ि टव लगे। और मने जब तु हे उस लड़क के साथ क टन

24
से यहाँ आते दे खा तो म भी तु हारा पीछा करते हुए यहाँ आ गयी। और फर जब वो सब करके चल गयी तो मने… मने
सोचा क तम
ु से जाकर दो ती क जाए। ता क… ता क…

राजपूत: हाँ बोलो, ता क या…

म शमा कर उसके सीने म जा छपी और बोल : ता क म भी तु हारे साथ… यु नो… वो सब कर सकू। म जानती हूँ क तु हे ये
सन
ु कर काफ अजीब लग रहा होगा क कोई लड़क कैसे इस तरह से खुद आकर, अपने आप ये सब तुमसे कह रह है। पर
मेरा वशवास करो। ये सब सच है और म अपने कॉलेज के समय को कूल जैसे बबाद नह ं करना चाहती। इस लए तुमसे
दो ती करना चाहती हूँ ।

मने ये कहते हु ए उसका एक हाथ पकड़कर अपने टॉप के अ दर घुसा दया और उस बदमाश ने हाथ पीछे लेजाकर मेर ा
खोल द । और फर अगले ह पल मेरा टॉप ा समेत ऊपर कर दया और मेर मोट छा तयाँ उसक आँख के सामने झूलने
लगी। िजसे दे खकर उसक आँखे फट क फट रह गयी। आज पहल बार कोई लड़का मेर छा तयाँ बना कपड़ो के दे ख रहा
था। उसने अपनी और मेर सीट क रकलाईन कया और म एक तरह से अब लेट हुई थी। कार का ऐसी फूल पीड पर चल
रहा था।

वो बोला: म समझ गया मेर जान। तु हार चूत म कुलबुल मची हुई है। आज तक तुमने ये जवानी संभल कर रखी है। पर
अब फकर मत करो। इसके मजे लेने का सह टाईम आ गया है और तुम सह ब दे के पास आई हो। तु हे ऐसे मजे दूंगा क
तम
ु भी याद रखोगी। और ये कहते-२ वो झक
ु ा और मेरे खड़े हुए न पल को मह
ंु म लेकर चस
ू ने लगा। मेरे मह
ंु से आआ
ओ ह ह क आवाजे नकलने लगी। उनपर काफ गुदगुद सी हो रह थी। और मेर चूत म से अजीब तरह क तरं गे नकल
रह थी।

मेरा हाथ फसलकर उसके लंड तक गया और मने उसे जींस से बाहर नकाल लया। मोटा और गरमा गरम लंड आज पहल
बार मेरे हाथ म था। तभी मेरा सेल बजने लगा, वो कोमल का फोन था।

मने फ़ोन उठाया: हे लो… हाँ कोमल…

कोमल: अरे कहाँ है त।ू मेर तो लास ख़तम हो चुक है। पायल के साथ उसके हो टल चलना है। ज द आ।

म (हँसते हुए): थोडा बीसी हूँ अभी… समझा कर यार।

कोमल: ओ तेर … यानी तुने लड़का ढू ढ लया। वाव… वैर फा ट। कहाँ है अभी…

म: बस मजे ले रह हूँ। उसके लंड को हाथ म लेकर और वो मेर े ट चूस रहा है।

राजपूत ने एकदम से मेर तरफ दे खा, और घूरने लगा। जैसे पूछ रहा हो क म कसे ये सार रपोट दे रह हूँ। मने फ़ोन को
पीछे करके, उसपर हाथ रखकर धीरे से उसके कान म कहा: मेर ड है, हम कुछ नह ं छुपाते एक दस
ु रे से। उसे ह बता रह
थी। आई होप यु ड ट मा ड…

वो मु कुराने लगा और फर से मेरे मु मो को चूसते हुए उसने एक हाथ नीचे लेजाकर मेर चूत के ऊपर रख दया। म
ससक पड़ी

म: अ ह… ओ क…कोमल… म अभी तुझे फ़ोन करती हूँ, होने के बाद।

कोमल: या यार… तुने भी तो मझ


ु े दे खा था न। मझ
ु े ल स बता तू कहाँ है । म भी तुझे ये सब करते हुए दे खना चाहती हूँ।
बता न…

पर मने उसक बातो को अनसन


ु ा करते हु ए फोन काट दया। मझ
ु े भी पहले दन वो सारे मजे लेने थे जो कोमल ने लए थे।
ना उससे कम, ना उससे यादा। मशः 23

25
म राजपूत के साथ कार म लगभग नंगी थी अब, ऊपर से तो वो मझ
ु े नंगा कर ह चुका था, जींस के बटन खोलकर उसे भी
मेरे कुलहो क कैद से आजाद कर दया और नीचे खसका दया, मेर लैस वाल पट को मोट जांघो म फंसा दे खकर उसक
बेचैनी दे खते ह बनती थी। वो अपनी कठोर उँ ग लय को मेर सो ट ि कन के अ दर धंसा-२ कर ना जाने या चेक कर रहा
था, फर उसने मेरे हाथ को पकड़ा और उसे अपने लंड के ऊपर रख दया, म समझ गयी क वो मझ
ु से अपनी जींस का
उ घाटन करवाना चाहता है।

म सीधी हुई और उसके आगे झुककर जींस खोलने लगी, नीचे कसी बड़े से जीव क उपि थ त का एहसास मझ ु े शु से ह
हो रहा था। जब म कार के अ दर आई थी तो मने एक झलक दे खी थी उसके लंड क । जब से मुझे कोमल क ब ची ने लंड
चूसने के बारे म बताया था, मेरे मह
ुं म पानी भरा हुआ था, उसके अनुसार लंड से मीठ चीज आजतक उसने नह ं चखी थी,
और वो ये बात जानबूझकर मझ
ु े इस लए बता रह थी य क उसे मालुम था क म मीठ चीजो क कतनी बड़ी द वानी हूँ,
घर पर कोई भी मठाई आये तो म उसे चट करने म यादा टाइम नह ं लगाती। और यहाँ तो मेरे सामने पूर मठाई क
दक
ू ान खुलने वाल थी। मने उसक जींस क चेन खोल और उसे नीचे कया, और उसके बाद उसका अंडरवीयर भी। मेरे
सामने मेर िज दगी का पहला लंड था, लंड या था मरोल था वो मेरे लए। और उसके नीचे थे दो गुलाब जामन
ु , िज ह
म अपनी नाजुक उं ग लय से दबा-२ कर उसक सो टनेस का अंदाजा लगा रह थी।

और जैसा क मुझे मालुम था क इस मरोल को चूसने से इसम से खीर नकलती है, जो क मेर फेवरेट डश है, इस लए
म अब यादा इ तजार नह ं करना चाहती थी, मने आगे बढकर उसके ल बे लंड को चूमा और फर एक ह बार म उसे पूरा
नगल गयी।

उसके मह
ुं से एक ल बी आह नकल गयी। आआआआअ हओ फ़…

मने उसके मह
ुं के अ दर अपनी दो उँ ग लयाँ डाल द और वो उ ह कसी कु ते क तरह से चूसने लगा। और म तो चूस ह
रह थी उसके लंड क कु तया क तरह। वो जानता था क कार म सह तरह से चुदाई होना संभव नह ं है। और खासकर तब
जब लड़क पहल बार चुदने वाल हो। इस लए उसने मझ
ु े चोदने का कोई यास नह ं कया। पर पीछे से हाथ डालकर मेर
नम और मल
ु ायम गांड को सहलाने लगा। मेर चूत से नकल रह गम क थपेड़े उसे अपने हाथो तक महसस
ू हो रहे थे,
जब क उसके हाथ मेर चूत से काफ दरू थे।

राजपूत ने अपनी सीट को पूर तरह से पीछे तक बछा सा दया था, और फर उसने मेर पट को उतार फका। मेर टाँगे
पीछे वाल सीट तक जा रह थी, िज ह उसने अपने मह
ु क तरफ खींचना शु कर दया, मेरा मह
ुं तो उसके लंड के चुंगुल म
फंसा हुआ था, उसे सफ मेरे नीचे वाले ह से को घुमाने क ज रत थी, जो उसने अपनी मजबूत बाजओ
ु ं के भरोसे बड़ी ह
आसानी से कर दया।

मेर चूत उसके मुह


ं के ऊपर जाकर चपक सी गयी। और फर जब उसने अपनी जीभ से मेर चूत के अ दर क जानकार
लेनी शु क तो मने भी गरमा गम रस के ज रये उसे अपनी चूत-ए-हाल बताना शु कर दया। और ऐसा हाल-चाल बताया
क उसका चेह रा मेरे रस म नहाकर पूर तरह से भीग सा गया। पूर कार म मेर चूत के रस क खुशबू फेल गयी थी, मेरा
हाल तो ऐसा था क जैसे म कसी झल
ू े से नीचे क तरफ नंगी फसल रह हूँ, बस उसके लंड के हूक क वजह से नीचे नह ं
गर पा रह ।

मेर लंड चूसने क पीड तेज होती जा रह थी, और वो भी मेर चूत के रस को ज द -२ पीने म लगा हुआ था। और फर वो
चीज नकल ह आई उसके मरोल से िजसका म बड़ी बेस ी से इ तजार कर रह थी। खीर… और मेरे अनुमान के अनुसार
वो थी भी बड़ी ह मीठ , इतनी वा द ट चीज तो मने कभी नह ं खायी थी, मन कर रहा था क उसका लंड ये मीठ खीर
उगलता रहे और म उसे खाती जाऊ, खाती जाऊ, खाती जाऊ… पर ज द ह उसके लंड के अ दर से मठाई नकालनी बंद हो
गयी। मेर चूत के अ दर का पानी भी ख़तम हो चुका था। उसने मेर टांगो को पकड़ा और घुमा कर मुझे आगे वाल सीट पर
बठा दया।

26
मेरे चेह रे क ख़ुशी दे खकर वो समझ चुका था क मझ
ु े आज कतना मजा आया था। उसने अपना माल नकला और साफ़
सफाई करने के बाद अपने कपडे सह करे । मने भी अपनी जींस और टॉप पहन लए थे, पानी क बोतल लेकर म नीचे उतर
और अपना चेह रा साफ़ कया और को ब करने के बाद म फर से अ दर आ बैठ ।

म: संजय आज म बहु त खश
ु हूँ। थ स…

राजपूत: ड ट बी सो फोमल… आज तो कुछ यादा हो नह ं पाया। पर मेरा वादा है, ज द ह तु हे इससे भी यादा वाल
ख़ुशी दूंगा। बस एक बार इस इले शन से हो जाऊ बस…

म: ठ क है। म उस पल का इ तजार क ँ गी (चुदने का)। और फर हमने अपने नंबर ए सचज कये और म कोमल के कहे
अनुसार हो टल क तरफ चल द ।

पायल के म का नंबर पता करने के बाद म सीधा उसके म म गयी। कोमल उसके साथ बैठ हुई ग पे मार रह थी। मझ ु े
दे खते ह वो मेरे पास आई और सवाल क झड़ी सी लगा द । कहाँ थी तू… कौन था तेरे साथ… कसे पटाया… कैसे कया…
या हुआ आज… वगेरह-२…

मने उसे कहा: सांस तो लेने दे , सब बताती हूँ । घर तो चल।

कोमल: नह …
ं मझ
ु े अभी बता बस। तू पायल क फकर मत कर। ये तो हमसे भी बड़ी चालु है। तुझे इसका क सा नह ं पता
अभी। चल अब शमा मत, शु हो जा।

मने उसक तरफ दे खा और फर धीरे -२ उसे सब बताना शु कया। जैसे ह मने उसे बताया क वो लड़का संजय राजपूत है,
तो वो उछल ह पड़ी।

पायल: या… संजय राजपूत। तुझे और कोई नह ं मला पूरे कॉलेज म… या यार… तुझे मालम
ु है न क राहुल और राजपूत
म छ तीस का आंकड़ा है और आज उनक लडाई भी हुई है। फर भी तुने…

म: मालम
ु है। सब मालम
ु है पर म भी या करती कोमल। वो है ह इतना हडसम। ये तो तू भी मानती है न, और उसके पास
जो चीज है। वो मजे दे ने के लए काफ है । जानती है , उसका लंड राहुल से भी बड़ा है। मने तो टे ट भी कया। उसक गाडी
म। बड़ा ह टे ट था, सच म। अभी तक उसका वाद है मेरे मह
ुं म। ये कहते हुए मने एक तेज चटखारा लया।

कोमल भी मेर बात सन


ु कर शायद उसके बार म सोचने लगी थी। वो थोड़ी दे र तक बना पलके झपकाए मेर बाते सन
ु ती
रह और फर बोल : वो तो ठ क है। पर तुने ये कया कैसे और या-२ कर लया तुने।

मने उसे शु से लेकर आ खर तक सार कहानी सन


ु ा डाल । िजसे सन
ु कर कोमल के साथ-२ पायल भी मेरा मह
ंु ताकती रह
गयी।

कोमल: यार… तुने एकदम से जाकर कैसे इस तरह… इतनी खुले वचार क तो नह ं है त,ू फर कैसे कया तुने ये सब…

म: जब आग लगी हो चूत म तो आ जाता है आये डया, हा हा… म खुद भी है रान हूँ अपने ऊपर क मने ये सब कैसे कर
दया। और इस तरह क हरकते तो मने कभी क भी नह ं थी। पर सच कहू… जब से तुने मझ
ु े कल अपने बारे म बताया था,
मझ
ु े भी पहले ह दन कुछ न कुछ करने क धुन सवार हो गयी थी। और ऊपर छत पर तो म तेरे बॉय ड राहु ल के लंड को
भी चूसने को तैयार थी। पर वो ह फ स डी नकला। और फर जब मने राजपुत को दे खा तो मझ
ु मे न जाने कहाँ से वो
सार ह मत आ गयी क मने सब कर डाला। और सच कहूँ, आज अगर वो मेर चूत म अपना लंड भी डाल देत ा तो म डलवा
लेती। पर गाडी म ये सब मम
ु कन नह ं था न। इस लए आज यादा कुछ नह ं कया। पर िजतना भी कया, बड़ा मजेदार
था।

कोमल: यादा कुछ नह ं कया। पागल, पूर नंगी होकर तुने 69 वाल पो सशन म उसका लंड चूसा, उसने तेर चूत चाट
डाल और कहती है यादा कुछ नह ं कया। पता नह ं आगे जाकर तू और या गुल खलाएगी।

27
म: जो भी गुल खलाऊगी। तुझे बता कर ह खलाऊगी। पर अभी तो ज द से घर चल। मझ
ु े काफ तेज भख
ू लगी है।

कोमल: अ छा जी। अभी तो कह रह थी क उसक खीर खाकर मेरा पेट भर गया है। उसक बात सुनकर हम तीनो जोर-२
से हं सने लगे।

पायल: यार मझ
ु े भी ज द ह कोई लड़का ढूँढना पड़े गा। वना तुम दोन क बाते सन
ु कर तो मझ
ु े रोज फं ग रंग करनी
पड़ेगी। हम सब फर से हं सने लगे।

तभी कमरे म एक और लड़क आई, वो पूजा थी, पायल को म मेट। और उसके पीछे -२ एक दस
ू र लड़क भी आई, िजसे
शायद कोमल ने पहले नह ं दे खा था और शायद पायल ने भी नह ।ं पर उसके हाव भाव दे खकर मुझे उसपर कुछ शक सा
हुआ।

पज
ू ा: हे पायल, ये है हमार तीसर ममेट बी… बी म तल… और बी। ये है हमार ममेट पायल, और ये दोन इसक
लास ड है।

म और कोमल ने उसे हाय बोला।

बी: हाय ग स… हाव आर यु…

उसने जैसे ह इतरा कर अपने मह


ुं से ये वो स नकाले, हम सब समझ गए क वो कस फतरत क लड़क है। पता नह ं वो
लड़का था या सह म लड़क थी, य क उसक छाती के उभार और चेह रे क बनावट दे खकर तो वो लड़क ह लग रह थी,
पर बातचीत म और आवाज के कारण वो लड़का लग रहा था। जो भी था, वो ग स हो टल म थी। यानी वो लड़क ह थी।
मने और कोमल ने सभी को बाय कहा और हम सीधा घर क तरफ चल दए।

साड़े चार बज चुके थे। हमने आटो लया और अगले आधे घंटे म ह हम घर आ गए। आज राहुल का झगडा हुआ था राजपूत
से इस लए वो पहले ह घर जा चुका था। घर पहुं चकर मने अपने कपडे उतारे और बेड के ऊपर फक दए। और खुद शीशे के
सामने खड़ी होकर अपने पूरे शर र को नहारने लगी। तभी बाहर पापा क आवाज आई, वो म मी से मेरे बारे म पूछ रहे थे।
म मी ने कहा क अभी आई है और अ दर कमरे म है। पापा मेरे कमरे के बाहर आकर मझ
ु े बुलाने लगे। मने तो सोचा था
क सफ म मी है घर म इस लए दरवाजा भी बंद नह ं कया था। म भागकर बाथ म म घुस गयी। और दरवाजा खोलकर
म बाहर क तरफ दे खने लगी।

पापा अ दर आये: द पू… बेटा कहाँ है तू…

मने अ दर से आवाज लगायी: पापा म अ दर हूँ, नहा रह थी।

पापा ने मेरे फेले हुए कपडे दे खे और वह ककर उ ह ने एक नजर बाथ म के दरवाजे क तरफ डाल और फर आगे
बढकर उ ह ने मेरे सारे कपडे उठाये और अपने चेह रे के पास लाकर उ ह सघ
ूं ने लगे। मझ
ु े बड़ा ह अजीब सा लगा, शायद वो
दे ख रहे थे क इनमे से पसीने क बदबू तो नह ं आ रह । पर फर उ ह ने जो कया वो दे खकर म है रान रह गयी। उ ह ने
मेर पट को अलग कया। और उसे अपने चेह रे पर रगड़ने लगे। और बीच-२ म उसे चाटने भी लगे। यानी पापा भी मेरे बारे
म ग दा सोचते है। मने कुछ डसाईड कया। और फर टावल लपेट कर बाहर नकल आई।

म: हाय पापा…

पापा ने मुझे कई बार पहले भी टावल म लपटे , बाथ म से नकलते और जाते हुए दे खा था, पर तब मुझे उनके दल के
अ दर क बात पता नह ं थी और ना ह मेरे अ दर कसी तरह क बाते थी। पर आज बात कुछ और थी। म मासूम सी बनी
अपनी अलमार तक गयी और अपने कपडे नकालने लगी। पापा ने मेर पट को अपनी जेब म डाल लया था, पर मने वो
करते हुए उ ह दे ख लया था।

28
म: पापा आज बहुत मजा आया कॉलेज म। ये कहते हुए मने उ ह कॉलेज क बाते ( सफ लास वाल , कार वाल नह )ं
बतानी शु कर द । उनक नजरे मेरे परू े शर र को घरू ने म लगी हुई थी। मने अपनी ा, पट और टॉप के ी नकाल कर बेड
पर रख दए। और फर शमाते हुए पापा से बोल : पापा मझ
ु े चज करना है।

पापा तो जैसे नींद से जागे: ओह हाँ… हाँ ठ क है, म जाता हूँ। और वो अपने लंड को छुपाते हुए, बाहर नकल गए।

उनके जाते ह मने दरवाजा बंद कया और अपना टावल नकाल कर ऊपर उछाल दया और बेड पर नंगी लेट कर सारा दन
क बाते याद करते हुए और साथ ह पापा के बारे म सोचते हुए, अपनी चूत के अ दर अपनी उँ ग लय क मा लश करने
लगी। मशः 25

चूत क मा लश करते-२ जब म ओगा म तक पहुं ची तो मेरा पूरा शर र पसीने से लथ-पथ हो चुका था, और चूत से नकले
पानी क वजह से वहां का ए रया भी पूर तरह से गीला हो गया। मने अपना टोवल उठाया और फर बाथ म म जाकर
आराम से नहाई। बाहर आकर कपडे चज कये और नीचे चल द चाय पीने के लए। पापा सोफे पर बैठकर एक फाईल म
कुछ दे ख रहे थे, म मी कचन म थी, तभी डोल भी कूल से आ गयी, वो कूल के बाद टयूशन लेने भी जाती है इस लए
शाम के 6 बज जाते ह उसे आते-२, वो मझ
ु े मल , और फर बेग रखकर म मी के गले मल , और फर पापा के पास गयी,
पापा ने जैसे ह डोल को खड़े दे खा उसे अपनी तरफ खींचा और उसे अपनी गोद म बठा कर गले से लगा लया।

पापा: तो मेरा बेटा कैसा है, या कया आज सारा दन…

डोल : पापा, आज के म क लास म मझ


ु े ट चर ने शाबाशी द । मने जो ोजे ट बनाया था वो लास म सबसे अ छा
था। वो बोलती जा रह थी और पापा को अपने कूल क बाते बताती जा रह थी, पर पापा क नजरे उसके ह ठो पर तो कभी
छाती पर और कभी ल बी गदन पर फसलती जा रह थी। यानी पापा उसके बारे म भी ग दा सोचते ह, जैसा मेरे बारे म
सोचते है।

पर वो इस व त िजतने यार से उसे गोद म बठा कर, अपने हाथ उसक कमर म लपेट कर उसक बाते आराम से सन
ु रहे
थे, मुझे बड़ी जलन हो रह थी डोल से। काश म बैठ होती वहां पापा क गोद म। पर म मी ने मुझे कतनी बार मना कया
है क अब म बड़ी हो गयी हूँ, घर म कैसे बैठना है, या पहनना है वो सब मझ
ु े बताती रहती है। पर डोल तो अभी सफ 11th
म है, इस लए उसपर मेरे जैसी पाबं दया नह ं है।

मने डोल से कहा: डोल , ये अपना बेग उठा कर म म रख और चज कर ले ज द से, फर चाय पीते ह।

डोल अनमने मन से उठ और बेग उठा कर ऊपर क तरफ चल द । मेर नजरे पापा के ऊपर ह थी, उ ह ने अपना लंड
वाला ह सा फाईल से छुपा रखा था, फर उ ह ने धीरे से अ दर हाथ डालकर उसे अडजस ्ट कया और फर से काम करने
लगे। चाय पीने के बाद म ऊपर गयी और फर पूरा दन कुछ ख़ास नह ं हुआ।

अगले दन सब
ु ह टड पर म कोमल से मल

कोमल: तो मेर जान, आज के या लान है ।

म: लान… कैसे लान।

कोमल: जो काम तुने कल अधूरे छोड़ दए थे, उ ह पूरा भी तो करना है।

म समझ गयी क वो राजपूत क बात कर रह है।

म: अरे नह ं यार, वो तो बस पहले दन कुछ कर गुजरने का नशा था, अब ऐसा कुछ नह ं है। अब तो उसे तड़पाकर, नचाकर
अपनी बाते मनवानी है, इतनी आसानी से नह ं मलेगी उसे ये द पा। हा हा…

29
कोमल: वो तो तू जाने, पर यार मेरा तो बुरा हाल हो चुका है, घर पर आशत
ु ोष मझ
ु े भख
ू ी नजरो से हरदम दे खता रहता है
और कॉलेज म राहु ल का भी यह हाल है। मझ
ु े नह ं लगता क म अपने आप पर यादा दन तक काबू रख पाऊँगी

म: यानी तू खुद येह चाहती है क कोई तेर चूत का बड बजा दे । है न…

कोमल: यार… आई एम ् क फयूस, पता नह ।ं एक मन करता है क सब कुछ कर डाल।ू फर मन करता है क ये सब गलत


है। बात फेल गयी तो बदनामी होगी। पता नह ं यार…

म: एक काम कर सकते ह।

कोमल: या…

म: जैसा चल रहा है, वैसा चलने दे । मतलब सफ ऊपर से ह मजे लेकर काम चला ले। कोई ज रत नह ं है अभी कसी का
भी अपने अ दर लेने क । समझी न…

कोमल (मायूसी से): इसी बात का तो रोना है यार… ये सबर ह तो नह ं हो पा रहा अभी।

तभी दरू से राहुल अपनी बाईक पर आता हुआ दखाई दया।

म: ले तेरा आ शक तो आ गया। चल बाद म बात करते ह फर।

वो पास आया और फर कोमल और म उसके पीछे बैठ गए। पूरा रा ते कोई बात नह ं हुई।

पा कग म पहूँच कर राहुल ने बाईक रोक और मेर तरफ दे खकर बोला: तो तुमने संजय राजपूत को पटा लया है। हूँ…

म उसक बात सुनकर है रान रह गयी। उसे कैसे पता चला हमारे बारे म। मने तो सफ कोमल को… ओह माय गोड… यानी
कोमल ने ह बताया है राहुल को। मने कोमल क तरफ दे खा। उसने अपना चेह रा झुका लया।

राहुल: है रान होने क ज रत नह ं है। कोमल ने ह कल रात मझ


ु े बताया था। पर मझ
ु े इस बात से कोई परे शानी नह ं है।
बि क मझ ु े ख़ुशी है।

म: ख़ुशी… कस बात क …

राहुल: तुम शायद जानती नह ं हो, म और संजय बचपन के दो त है, और हम दोन शु से ह एक साथ पड़े- लखे ह। जैसे
तुम दोन सहे लया शु से एक साथ हो, ठ क वैसे ह । पर जब से मने कॉलेज इले शन म खड़े होने का फेसला कया है,
उसके दो त और चमचो ने हम दोन क दो ती को द ु मनी म बदल दया है, हमारे बीच काफ मतभेद आ चुके ह, जो
शायद ह अब जाए, और कल क लडाई के बाद तो अब हमार द ु मनी एक नया प ले चक
ु है। इससे पहले सफ हमारे प

के लड़के लड़ते थे आपस म, कल हम भी लड़ पड़े। पर म उसके लए खुश इस लए हूँ क उसे तु हार जैसी लड़क मल , जो
शायद उसे अपने खुदगज दो त और चमचो के चुंगल से नकाल सकती है ।

म: म… या मतलब है तु हारा…

राहुल: दे खो द पा, कल रात मने तु हारे बारे म कोमल से काफ बात क और मुझे मालुम है क तुमपर कस तरह का भूत
सवार है। पर म सफ इतना चाहता हूँ क तुम अगर मेरे अनुसार काम करती जाओ तो मेरा दो त भी सह राह पर आ
जाएगा और तु हे भी मजे मलगे, जैसा तुम चाहती हो।

मेरा चेह रा उसक बात सन


ु कर शम से लाल हो गया। ये साल कोमल क ब ची ने सब कुछ बक दया इस राहुल के सामने।

कोमल: दे खो द पा, तुम बुरा मत मानो, पर जब राहुल ने मझ


ु े अपनी और राजपूत क दो ती क बात बताई तो मझ
ु े उसक
कहानी म हम दोन क दो ती का अ स दखाई दया। अगर हमारे बीच भी ऐसी ह ग़लतफ़ह मयो क दवार बन जाए और
कोई उसे तोड़ने क िज मेदार ले तो हम तो उसका एहसानमंद होना चा हए। इस लए मने राहुल को तु हारे बारे म सब

30
कुछ बताया। और तु हारे बारे म या, मने तो इसे अपने बारे म भी सब बता दया है। यहाँ तक क आशत
ु ोष वाल बात भी।
और इसने भी कई मजेदार बाते बताई है, अपने, राजपत
ू और अपनी बहन जेसमीन के बारे म।

मने मन म सोचा: हे भगवान ्… ये कोमल को हुआ या है। दो दन पहले ह मल है इस लड़के से वो… और अपनी और मेर
िज दगी क सार रामायण सन
ु ा डाल इसे। मेरा तो सर ह चकराने लगा सब कुछ सोचकर।

राहुल फर से बोला: दे खो द पा, अगर तुम ये सब नह ं करना चाहती तो म तम


ु पर कोई दबाव नह ं डालँ ग
ू ा। पर अगर तुम
करोगी तो मुझे अ छा लगेगा।

म कुछ दे र तक सोचती रह और फर जब मुझे लगा क इसम मेरा तो कोई नु सान है ह नह ,ं तो मने राहु ल से कहा: ठ क
है राहु ल, जैसा तुम कहोगे, म वैसा ह क ँ गी। पर बीच-२ म तु हे भी मेर बाते माननी होगी।

राहुल: कैसी बाते…

मने शरारती लहजे म उसक तरफ दे खकर कहा: वो तु हे पता चल जाएगा, कैसी बाते… और फर मने कोमल को दे खकर
आँख मार द उसे। वो भी हं सने लगी, वो समझ चुक थी शायद। उसके बाद हम सभी लास क तरफ चल दए। लास म
पहुंचकर हम पढ़ने बैठ गए, २-3 पी रअड ऐसे ह नकल गए, तभी लास म पओन ने सर से आकर कहा क द पा मेड म
को ं सपल मेम बुला रह है। म है रान रह गयी क ं सपल मेम को मझ
ु से या काम हो सकता है, मने कोमल क तरफ
दे खा, उसने कहा क शायद एड मशन से रले टड कुछ होगा, म पओन के साथ मेम के म क तरफ चल द । मीना ी मेम
ने आज भी बड़ी ह अ छ साडी पहनी हुई थी, पंक कलर क । मने उ ह मो नग वश कया और बैठ गयी। मशः 28

मीना ी मेम: तो द पा, कैसा चल रहा है।

म: ठ क है मेम, अभी तो एक-दो दन ह हु ए ह, पर ठ क है।

मेम: पर मझ
ु े लगता है क तम
ु अपनी पढाई से यादा कसी और चीज पर यादा यान दे रह हो। म घबरा गयी क मेडम
कस चीज के बारे म बात कर रह है।

म: जी… जी म कुछ समझी नह ं।

मेम: म समझती हूँ… इधर आओ जरा।

वो उठकर अपने कमरे क खड़क के पास आ गयी, िजसपर व टकल ला य स लगी हु ई थी। उ ह ने उसे खोला और
बाहर दे खने लगी, म उनके पास पहुं ची और बाहर दे खा। वो खड़क पा कग म खुलती थी और सामने राजपूत क टाटा
सफार खड़ी थी। यानी… यानी…

मेम: मने तु हे कल दे खा था यहाँ से, टाटा सफार म, राजपत


ू के साथ।

हे भगवान ्… ये या हो गया, पहले ह दन मजे लेने के च कर म पकड़ी गयी म और वो भी ं सपल मेम के हाथो। म
अपना सर शम से नीचे कये खड़ी रह , मेरे हाथ पैर थर-थर कांपने लगे। मेर आँख से आंसू नकलने को हो गए। मझ
ु े
समझ नह ं आ रहा था क म या क ।

मेम ने आगे कहा: राजपूत को कब से जानती हो तुम।

मने धीरे से कहा: जी… जी कल ह मले थे हम, पहल बार।

मेम: वाव… इंटरि टं ग और पहले ह दन तुम उसका लंड चूसने को तैयार हो गयी।

ं सपल मेम के मुह


ं से लंड जैसा श द सुनकर म है रान रह गयी। मने उनक तरफ दे खा। वो कु टल मु कान के साथ मुझे
दे ख रह थी। म चेयर पर बैठ गयी, और वो मेरे सामने टे बल पर टे क लगाकर खड़ी हो गयी।

31
मेम: तु हे अच भा हो रहा होगा शायद, क मने ये सब इतनी दरू से कैसे दे खा।

मने उनक तरफ फर से दे खा, अपना जवाब जानने के लए। उ ह ने ोर म से एक दूरबीन नकाल कर दखाई। मने फर
से मह
ुं नीचे कर लया। म सोचने लगी क आ खर चाहती या है ये मझ
ु से, और य ऐसा करती है ये, मने तो इस बात का
यान ह नह ं कया था क पा कग के बलकुल सामने ऊपर क तरफ, मेम का कमरा है, जहाँ से वो सारा खेल दे ख सकती
है, पर कल मझ
ु े आग ह इतनी लगी हुई थी क मने इन सब बातो के बारे म सोचा भी नह ।ं और पा कग म ह शु हो गयी
थी म।

मेम: दे खो द पा, तुम एक अ छे घर क लड़क हो और तु हार सफा रश हुई है यहाँ के एड मशन के लए, इस लए मने
तु हे बुलाया है यहाँ। तुम अ छ तरह जानती हो क तु हारे मा स क वजह से तु हे कह और एड मशन तो मलने से
रहा। और अगर, मने तु हे यहाँ से नकाल दया तो तुम कह ं क नह ं रहोगी।

मेर आँख म आंसू आ गए, मने ऊपर चेह रा करके उनसे कहा: नह ं मेम… ऐसा मत करना। आज के बाद ऐसा नह ं होगा।
मझ
ु े माफ़ कर द िजये।

मेम: अरे … मने कब कहा क तम


ु आज के बाद ऐसा मत करो।

म उनक बात सन
ु कर असमंजस म आ गयी।

उ ह ने आगे कहा: दे खो द पा… मेर पो सशन इस कॉलेज म ऐसी है क म कुछ यादा नह ं कर सकती। मतलब… जैसा म
पहले कर सकती थी जब म ट चर थी। मेरा प ोमोशन हु आ था ला ट मंथ म और ा सफर भी, और जब से म इस कॉलेज
म आई हूँ, मझ
ु े वो सब बहुत याद आता है, पर मने अपने आपको काफ रोककर रखा हु आ है।

वना तु हे अगर मेरे बारे म पता चले तो तम


ु भी सोचने लगोगी क ऐसा भी कोई होता है। मझ
ु े अब भी कुछ समझ म नह ं
आ रहा था क आ खर मेम मझ
ु से चाहती या है। पर एक बात तो साफ़ थी क वो मह
ु से नाराज नह ं है, पर मेर हरकत क
वजह से मझ
ु े लेकमेल करके कुछ करवाना ज र चाहती है।

वो आगे बोल : मझ
ु े मालुम है क अगर म कसी को भी बोलग
ूं ी तो वो आकर मझ
ु े मेर इ छानुसार मजे दे कर ह जाएगा, पर
अभी तक ऐसा मौका नह ं मला है मझ
ु े, और जब से मने तु हे कल उस कार म जाते हुए दे खा, जब म यहाँ खड़ी होकर चाय
पी रह थी तो मेरे दल म कुछ आ रहा है, िजसे मने सोचा क तुमसे शेयर करना चा हए।

मने उनक तरफ दे खना जार रखा

मेम: दे खो द पा, अगर हम दोन एक दस


ु रे क मदद करे तो दोन क ह भलाई है इसम, तुम भी मजे कर सकती हो और म
भी। य क तु हार बाते सन
ु कर मझ
ु े पता चल गया है क से स के लए तम
ु भी मर जा रह हो और यह वजह थी क
तुमने पहल ह बार म हद से यादा कर डाला राजपूत के साथ कल कार म, मने सब दे खा इस दरू बीन से।

म: पर अगर आपको मजे ह चा हए तो ये बात बताकर तो आप सीधा राजपत


ू को भी बल
ु ा सकती थी अपने पास, और फर
वो भी वह करता जो आप चाहती ह।

मेम (मझ
ु े घूरते हु ए): मुझे या करना है, मझ
ु े अ छ तरह पता है। तुम तो जानती ह हो क वो इले शन म खड़ा हुआ है।
उसे सीधा अपने जाल म फंसाना मतलब अपने पैर म कु हाड़ी मारना।

म: म समझी नह ।ं

मेम: दे खो, अभी जो म तुमे कह रह हूँ, वो तुम करो। व त आने पर सब साफ़ हो जाएगा। ओके…

म: ओके… तो बताइए या करना है मझ


ु े…

मेम (हँ सते हुए): गड


ु गल। पर कभी ये मत समझना क म तु हे लेक मेल कर रह हूँ । तु हे अगर मेर बात नह ं माननी तो
तुम मना भी कर सकती हो। कोई जोर जबरद ती नह ं है।
32
साल , लेक मेल कर भी रह है और बोल भी रह है।

मेम: अभी तो तु हे मेरा सफ एक छोटा सा काम करना है।

म: वो या…

मेम: यहाँ आओ जरा मेरे पास।

मझ
ु े डर लगने लगा था। एक अनजाना सा डर, म डरते हुए उनके पास गयी और उ ह ने अपना हाथ मेर े ट के ऊपर रख
दया। म दम साधे दे खती रह । उ ह ने मेरे कुरते के अ दर हाथ डालकर मेर ा को खोल दया। और अपने हाथ मेरे मु मो
पर रखकर उ ह दबाने लगी।

मझ
ु े पता चल गया क ये लडको के साथ-२ लड कय के भी मजे लेने म मा हर है, य क िजस तरह से वो मेरे न पलस को
होले-२ दबा रह थी मझ
ु पर नशा सा सवार होने लगा था, उनके अनुभवी हाथो को मालम
ु था क वो या कर रहे ह, मेरे मुंह
से एक हलक सी ससकार नकल गयी अ ह ह ह…

मेम: मजा आ रहा है न…

मने हाँ म सर हलाया। आज तक सफ कोमल ने ह मेरे मु मो को दे खा या दबाया था, या फर कल राजपूत ने। उ ह ने


मझ
ु े अपनी तरफ खींचते हुए मझ
ु े अपनी चेयर के सामने बठा लया और अपने लाउस के बटन खोलने लगी। उ ह ने नीचे
पंक कलर क मे चंग ा पहनी हुई थी, िजनमे मोटे -२ मु मे समां नह ं पा रहे थे, उ ह ने मेरे मह
ंु को अपन तरफ खींचा और
मुझे अपनी े ट के ऊपर रगड़ने लगी।

वहां क मल
ु ायम वचा मेरे गालो से रगड़ खाकर फसल रह थी, मीना ी मेम का एक हाथ मेरे मु मे को मसलने म लगा
हुआ था।

म: मेम… मेम कोई आ जाएगा।

मेम: उ म… कोई नह ं आएगा। मने पओन को बोला हुआ है, कसी को भी अ दर नह ं भेजना और वो मुझे अ छ तरह
जानता है।

म: मतलब…

मेम: मतलंब ये क , वो मेरे पछले कॉलेज का ह पओन है। मने ह उसका ा सफर करवाया है अपने साथ यहाँ।

म (हेरानी से): यानी, आप इस पओन के साथ।

मेम: हाँ… इसके साथ भी, और भी बहुत ह पर इस कॉलेज म नह ।ं पर वो सब बाद म। अभी तो तुम इसे चुसो जरा। और ये
कहते हु ए उ ह ने अपनी े ट को नकाल कर मेरे सामने परोस दया। इतनी बड़ी े ट मने आज तक नह ं दे खी थी, उनक
उ के हसाब से अभी भी काफ कसाव था उनक छाती म। और उनके न पल भी काफ बड़े थे, च कलेट कलर के। मेरे तो
मुह
ं म पानी आ गया उ ह दे खते ह और मेरा चेह रा अपने आप उनके न पल क तरफ खसकने लगा। जैसे ह मने उसे
अपने मह
ुं म भरा, मझ
ु े लगा क कोई म ी क डल आ गयी है मेरे मह
ुं म। इतना मीठापन था उसमे।

मने उसे चूसा और फर उनसे बोल : इ स वैर वीट।

मेम: या आई नो… वैसे तु हे एक सी े ट बताऊ… मने इसपर एक सरप का े कया है । जो खासकर मने USA से लया
था एक बार, और म इसे रोज लगाती हूँ, अपने न पलस पर, और जो भी इ ह चूसता है, उसे बड़ा मजा आता है।

म: वाव… मेम यु आर जी नयस। या मझ


ु े भी ला दोगी वो े…

मेम (हँ सते हुए): हाँ… हाँ य नह …


ं वैसे भी अब हम पाटनर जो बन गए ह।

33
मने उनक बात सन
ु कर दग
ु नी तेजी से उनके न पल का मीठापन चूसना शु कर दया। अ ह ह… ओ ह ह या…
म म…

मेम (हाँफते हुए): यहाँ यादा कुछ पो सबल नह ं है। कोई अगर बाहर आकर खड़ा हो गया तो पओन यादा दे र तक उ ह
रोक कर नह ं रख पायेगा। एक काम करो, तम
ु शाम को आना, कॉलेज टाईम के बाद। ओके…

म: ओके मेम… पर वो मेर ड है न… कोमल, वो और म एक साथ ह जाते ह। अगर आप कहे तो उसे भी…

मेम: दे खो, अगर तु हे उसपर भरोसा है तो तुम उसे भी ला सकती हो।

म: उसपर तो मझ
ु े अपने आप से यादा भरोसा है। आप चंता न करे । उ ह ये बताते हुए मझ
ु े कल क बात याद आ गयी,
कोमल ने कैसे बड़ी आसानी से मेर और राजपूत क बात राहु ल को बता द थी। जो भी है, उसे बताना तो पड़ेगा ह । मने
अपने कपडे ठ क कये और बाहर क और नकल गयी। बाहर पओन बैठा हुआ था, मझ
ु े दे खकर वो अजीब तर के से मझ
ु े
घूरते हुए अपने गुटके वाले गंदे दांत दखा कर हं सने लगा। मने उसक तरफ यादा यान नह ं दया और लास क तरफ
चल द ।

लास म जाकर कोमल ने मझ


ु से पुछा: या हुआ था… य बुलाया था…

मने धीरे से कहा: बाद म बताती हूँ कोमल। और वो मेरे चेह रे को दे खकर पड़ने क को शश करने लगी। पर उसे मालम
ु तो
चल ह चुका था क कुछ न कुछ तो ज र हुआ है। जो काफ मजेदार है। जैसे ह वो पी रयड ख़ म हु आ, कोमल मुझे लेकर
कोने म चल द

और फर बोल : ज द बता न, या हुआ था…

म: दे ख कोमल… जो भी म कहूँ, उसे ल स कसी और को मत बताना। अपने राहु ल को भी नह ं।

कोमल: ठ क है यार, ो मस। अब बोल ज द से, या बात हुई…

मने उसे ज द -२ सार बात सुना डाल । िजसे सुनते-२ उसका मुह
ं खुला का खुला रह गया।

कोमल: ओह माय गोड… ये हमारे कॉलेज क वाईस ं सपल ऐसी नकलेगी। मझ


ु े तो पता भी नह ं था। पर जो भी है, मजा
ज र आने वाला है। एक से भले दो और दो से भले तीन। कुछ सीखने को ह मलेगा हम इनसे।

म: इसम सीखने वाल या बात है।

कोमल: यार तेरा भी ऊपर वाला माला खाल है। दे ख, उनक बातो से तो ये साफ़ है क उ ह ने काफ मजे लए ह अपनी
िज दगी के। और पछले कॉलेज म भी। और अब यहाँ भी वो यह करना चाहती है, पर खुलकर नह ,ं अपनी चालाक से।
और याद है, कल हम भी यह ड कस कर रहे थे क हम यादा से यादा मजे कैसे ले, बना बदनाम हुए। तो ये सब अब
हम मीना ी मेम से सीखने को मलेगा। समझी, हम तो फर भी टुडट है, और टुड स म ये अफेयस और से स वगेरह
तो चलता ह है। पर कॉलेज क वाईस ं सपल होकर, वो कैसे मजे लेती है, ये हम सीखना है। समझी…

म उसक बात समझ गयी थी। बात तो सह कह रह थी कोमल।

म: तो इसका मतलब, हम मेड म क बात माननी चा हए।

कोमल: और नह ं तो या… सोच, अगर कॉलेज क वाईस ं सपल हमारे साथ हो तो ये सब करना कतना आसान होगा।
और दस
ु रे फायदे मलगे, सो अलग।

म उसक बात सन
ु कर फर से सोचने लगी।

34
कोमल: दे ख, अब यादा न सोच, जो होगा दे खा जाएगा, और वैसे भी, जो भी होगा, मजेदार ह होगा। अभी तो तू चल, भख

लगी है मझ
ु े और फर बाद म मेम के कमरे म जाकर दे खते ह, क या करवाना चाहती है वो हमसे। हम दोन फर क टन
क तरफ चल दए। मशः 32

***दो त , जैसा क मने आपको बताया था क ये कहानी कसी एक ना यका पर केि त नह ं है, इस लए अब दस
ू र
ना यका यानी द पा के मन म या चल रहा है, उसे जानने का व त आ गया है । और आगे भी इसी तरह से दस
ु रे पा के
नामे यहाँ आते रहगे***

******

मीना ी बेद - वाईस ं सपल

=======================
मीना ी क शेप और टाईल दे खकर ये अंदाजा लगाना मिु कल होगा क उनक उ या है या उनके कतने ब चे है,
असल म वो शु से ह अपने हु न के चाहने वालो से घर रहती थी, मतलब, आस पास के लोगो ने उनके हु न क तार फ
करके उसे भी मजे दए और बदले म खुद भी लए। असल म उनक उ 43 थी और उनक शाद के बाद २ बे टयां थी, एक
टथ म और दूसर वे थ म थी, उनके प त एक सरकार जॉब म थे और अपने रोजाना के नयम के अनुसार आते और जाते
थे, और पछले कुछ सालो से उनका से स के त झान कम हो गया था इस लए घर पर सफ ह ते म एक बार ह चुद
पाती थी।

पर अपनी जॉब और तबे को इ तेमाल करके वो बाक के 6 दन क कमी बाहर से ह दरू कर लेती थी। और कई बार तो
उसने अपने र तेदार के साथ भी मजे लए थे। पर वो बाते फर कभी… उसके घर और चाहने वाले उसे यार से मीनू कहते
ह। पछले कॉलेज म भी उसके कई ट चर और टुड स के साथ स ब ध थे, पर वो बड़ी चालाक से उ ह मेनेज करती थी
ता क उसक बदनामी न हो, और इन सब कामो म उसका व वासपा सेवक यानी उसके कूल का पओन िजसका नाम
ड द ू राघवन था पर उसे सभी जानने वाले यार से डान कहते थे। एक तो उसके टाईल क वजह से और दस
ु रे उसके लंड के
साईज क वजह से। य क उसका लंड चुदाई क द ु नया का बेताज बादशाह था जो अपने सामने वाल चूत के परख चे
उड़ा दे ता था।

और इसी वजह से मीना ी के ा सफर होने के बाद भी वो उसे अपने साथ इस नए कॉलेज म भी ले आई थी, जहाँ जब भी
मौका मलता, वो अपने "डान" के साथ नए- नराले खेल खेलती। और आज मीना ी को इस नए कॉलेज म आये एक ह ते
35
से यादा हो चुका था पर डान के अलावा कसी और के लंड को चखने का कोई रा ता ह नह ं मला था। पर कल जब उसने
खड़क से द पा और राजपत
ू क रासल ला दे खी तो उसके दमाग म आगे क ला नंग बननी शु हो गयी। वो जानती थी
क द पा जैसी लड़क को आसानी से अपनी बातो म फंसाकर उसके वारा दस
ु रे लडको का शकार कया जा सकता है।
जब क ये सीधा लडको के साथ करना मिु कल होगा। खासकर 3rd ईयर वाले लडको के साथ, जो इन सब चीजो म मा टर
होते ह, पर अभी-२ 12th पास करके नकल द पा जैसी लड कया उतनी चंट नह ं होती।

*****

मीनू
===

द पा के बाहर नकलते ह मने बेल बजाकर ड द ु को अ दर बुलाया, वो हर बार क तरह मेरे पालतू कु ते क तरह भागकर
अ दर आया।

म: दे खो डान… ये लड़क अपनी सहे ल को लेकर आएगी शाम को, और तुम जानते ह हो क तु हे या करना है।

डान: जी मेड म जी जानता हूँ । आपक सेवा करते-२ इतना ान तो मझ


ु े हो ह चुका है। ह ह … और वो अपने पान वाले दांत
नकालकर हं सने लगा। वो तकर बन 28 साल के आसपास था, द ल म अकेला ह रहता था, बाक के लोग उसके गाँव म
ह थे। शाम क बात सन
ु कर उसक खाक पट के अ दर का पहलवान खड़ा होने लगा, और वो हँ सते-२ ह उसे बड़ी ह बेशम
से, मझ
ु े दखाते-२ मसलने लगा।

म जानती थी क अभी अगले एक घंटे तक सभी ट चस बीसी ह गे, अपनी-२ लास म। और ऊपर से डान के लंड क ल बाई
पट से उजागर होते दे खकर मेर चूत म वह जानी-पहचानी खुजल होने लगी। िजसे शायद डान ने बड़ी ह आसानी से भांप
लया था।

वो भागकर गया और दरवाजा बंद करके वा पस आ गया, दरवाजा बंद करके मने उसके लंड के कई बार मजे लए थे, पर
जब से इस कॉलेज म आई थी तब से कॉलेज टाईम म, दरवाजा बंद करके नह ं चुद थी उसके ल बे लंड से। पर कभी न
कभी तो ये करना ह था। इस लए जैसे ह वो दरवाजा बंद करने गया, मने झट से हाथ डालकर अपनी पट को पेट कोट से
नकाल कर ोर म डाल दया।

वो जैसे ह वा पस आया, उछल कर मेरे कांच लगे सटर टे बल के ऊपर चढ़ गया। और अपनी िजप खोलकर अपने "डान" को
बाहर नकाल कर मेरे सामने परोस दया। पपल कलर के टॉप के ऊपर ी काम क बँद
ू चमक रह थी, म अपनी सीट से उठ
और मने उसके तने हु ए लंड को अपने मुह
ं म भरकर चूसना शु कर दया। अपने सामने टे बल पर खड़े करवाकर मुझे लंड
चूसना अ छा लगता था।

वो अपनी टांगो को थोडा सा मोड़ कर खड़ा हु आ था। और उसने मेरे बाल को अपने खुरदरु े हाथो से पकड़कर मेरे मह
ुं के
अ दर घ से दे ने शु कर दए। अ ह ह मेडम जी… या चु ती हो। साला आपका प त तो कु ता है, जो आप जैसी लंड
चूसने वाल गरम कु तया को चोदे बना ह सो जाता है। म मम… या मु मे है आपके मेडम जी। अ ह ह… जी करता है
क इनके ऊपर शराब डालकर चाटता रहू, आपके हु न के जाम को पीता रहू। मेडम जी अ ह…

वो बोलता जा रहा था। वैसे वो जानता था क मझ


ु े चुदते व त इस तरह क ग द गा लया और बाते अ छ लगती है, और
म और गमजोशी से उसका साथ दे ती हूँ, इस लए वो साला मझ
ु े उकसाने के लए ह ये सब बोलता जा रहा था। ना जाने
य , पर अपने प त और अपने बारे म बुर और ग द बाते सुनकर मुझे बड़ा मजा आता था। उ म म… डान साले तेरा
लंड है या तोप। इतनी मोट और जब चले तो परख चे उड़ा दे ती है । अ ह… सच म, म मम… सच म तू डान है मेर चूत
के ऊपर राज करने का तुझे पूरा हक है। अ ह…

36
मेर ग द बाते सन
ु कर उसक हालत और भी खराब हो गयी। पर तभी बाहर पी रयड ख़तम होने क बेल बजी। यानी अब
कसी भी व त कोई भी अ दर आ सकता था। इस लए मने ज द से डान के लंड को चस
ू ना शु कर दया, उसे अपनी चत

म लेने का टाईम नह ं था, और मेरे गम मह
ुं के झटको से उसक तोप क नाल पघल गयी और उसके अ दर से गोले चूने
लगे।

अ ह ह मेड म जी या कर दया। अ ह ह… मझ
ु े तो आपक चूत म डालना था ये माल म म… पर इन सब के लए
अब टाईम नह ं था, मने ज द से उसक नल खाल करके वा पस उसक पट म ठूंस द , वो नीचे उतरा और भागकर वा पस
दरवाजे तक गया, चटखनी खोल और बाहर नकलकर दे खने लगा।

थोड़ी ह दे र म वो अ दर आया और बोला: "मेड म जी… मझ


ु े नह ं लगता कोई आएगा और आपको ऐसी हालत म छोड़ना
मझ
ु े अ छा नह ं लगता। य न हम टे बल के नीचे वाला करे , जैसा एक बार कया था, पछले कॉलेज म।”

उसे मेर चूत के गीलेपन का अंदाजा था। और उसने पछले कॉलेज म भी एक बार मेरे टे बल के नीचे घुसकर मेर चूत को
चाटकर मझ
ु े मजे दए थे, तब कोई आया भी नह ं था, पर मेरे कमरे म कभी भी कोई भी आ सकता था, इस लए उसे अ दर
से बंद करने पर यादा मिु कल आ सकती थी। मने उसे कोई जवाब नह ं दया, वो वा पस आया और मेर टे बल के नीचे
घस
ु कर मेरे पेट कोट को ऊपर उठाकर मेर चत
ू के ऊपर अपना मह
ंु लगा कर उसे चाटने लगा। मने अपनी कोह नया सामने
क टेबल के ऊपर रखकर अपना सर उसके ऊपर रख दया।

मेरे गालो पर टे बल का ठं ड ा शीशा मेरे शर र क सहरन को बड़ा रहा था। उसने जैसे ह अपनी जीभ मेर चत
ू के अ दर
डाल , मेर एक तेज ससकार नकल गयी। आआ ह… डान म मम… चाटो मेर रसील चूत को, डान तेर ह है ये। जोर
से चाट। अ ह…

उ तेजना के मारे मने अपनी जीभ नकाल कर शीशे वाल टे बल को ह चाटना शु कर दया। मानो वो उसका ह लंड हो।
ड द ु ने अपना मह
ुं मेर चूत के ऊपर पूर तरह से दबा रखा था। मानो उसके वारा ह उसे सांस मल रह हो। तभी एकदम से
बाहर का दरवाजा खुला और हमारे कूल क एक ट चर, िजनका नाम सं या था, वो अ दर आ गयी।

मेरा सर टे बल पर रखा हुआ दे खकर वो वह खड़ी होकर बोल : मेड म… मेडम आर यु ओके…

ु कर ड द ु ने मेर चूत चाटना बंद कर दया, मने हडबडा कर अपना सर ऊपर उठाया। हूँ… हां बोलो…
ट चर क आवाज सन

सं या: सॉर मेम… पर लगता है आपक तबीयत खराब है।

म: हाँ… सर म दद हो रहा था। मने पओन को भेजा है गोल लाने के लए। सोचा थोड़ी दे र आँखे बंद करके आराम कर ल।ू
तुम बोलो सं या। या काम था…

सं या: कुछ ख़ास नह ं मेम। आज घर पर कुछ लोग आ रहे है। इस लए थोडा ज द जाना था। बस आपसे पर मशन लेनी
थी। ये कहते हु ए उसने एक ए ल केशन मेरे सामने रख द ।

म: कोई बात नह ।ं चल जाओ और अपने पी रयड क र प स ब ल त कसी और को दे ती जाना।

सं या: जी मेम थ स… और वो बाहर नकल गयी।

डो दू घुस गया टे बल म, मेड म क खची टांग,


सरपट-सरपट जीभ चल , पकड़ के उसक जांघ,
पकड़ के उसक जांघ, चूत म मचा धमाल,
मज़ा सटासट आय, डान ने कया कमाल,
कहे ‘आश’ु कथाकार, डरे जब सं या आई,
बच गए वरना फर, हो जाती जग-हं साई।

37
उसके जाते ह ड द ु फर से शु हो गया।

म: अ ह ह डान… आज तो तुने मरवा ह दया था। अब ज द कर, बस होने ह वाला है। और मेरे कहने से पहले ह मेर
चूत के फ वारे ने उसके मह
ुं के ऊपर धावा बोल दया। और उसने बना एक बँद
ू वे ट कये, मेर चूत का अमत
ृ पी लया।
और ज द से बाहर नकल कर, वा पस बाहर नकल गया। अब तो मझ
ु े और उसे भी शाम का इ तजार था। जब द पा और
उसक वो गम सहे ल कोमल आएँगी मेरे कमरे म। मशः 36

शाम को ठ क साढ़े पांच बजे डोन अ दर आया और मु कुरा कर बोला: वो आ गयी दोन ।

मने भी अपनी फाइल साईड म रख द और उ ह अ दर आने को कहा। थोड़ी ह दे र म द पा अ दर आई और उसके पीछे -२


कोमल भी। कोमल को आज मने दस
ू र बार दे खा था, पर आज िजतने गौर से और ख़ास अंदाज म दे खा था वो पहल बार म
नह ।ं सच म कमाल क थी वो। कोई भी कॉलेज का लड़का उसके पीछे चल दे , ऐसा हु न दया था उसे ऊपर वाले ने।

द पा: मेम… हम आ गए।

म: ह म… तुमने अपनी सहेल को तो बता ह दया होगा वो सब। जो हमारे बीच हु आ था सुबह।

द पा के बोलने से पहले ह कोमल बोल पड़ी: जी मेडम बता दया और मने जब से वो सब सन


ु ा है। मझ
ु े तो कुछ-२ हो रहा है।

मने शरारत भर मु कान से उसक तरफ दे खा और पूछा: कहाँ… और या हो रहा है।

कोमल ने भी बड़ी ह बेशम से अपनी चूत वाल जगह पर हाथ रख दया और धीरे से बोल : यहाँ मेडम, यहाँ…

म: कम… कम हे यर।

मने अपनी एक बाहँ उसक तरफ क और उसे अपने पास बुलाया। वो मेरे पास आई और मने उसे अपनी टे बल के सामने
खड़ा कर दया। और उसके चेह रे पर हाथ रखकर उसक आँखे बंद कर द । और अपनी हथेल उसके चेह रे से नीचे लाते हुए,
उसके ह ठो से छुते हु ए, उसक सरु ाह दार गदन को मसलते हुए, उसके उभार के ऊपर लाकर रोक द ।

वो अपनी आँखे बंद कये, दम साधे, मेरे अगले मूव का इ तजार कर रह थी। मने धीरे से उसके कान म कहा: अब थोड़ी दे र
तक अपनी आँखे मत खोलना। जब तक म न बोल।ू ओके…

कोमल: ओके मेड म… नह ं खोलग


ूं ी।

द पा सामने खड़ी होकर दे ख रह थी क आगे या होने वाला है। मने आज तक कई ट चस के साथ और फ मेल टुड स के
साथ भी मजे लए थे। पर इतनी सद
ुं र और गम लड़क मने आज तक नह ं दे खी थी। उसके गोरे रं ग के ऊपर लाल सख
ु हठ
बड़े ह टे प टंग से लग रहे थे। इस लए मने अपने ह ठो पर गील जीभ फेर और उसके चेह रे के पास जाकर मने अपने ह ठ
उसके ह ठो पर रख दए। और उ ह चूसने लगी।

एक औरत होने के नाते मझ


ु े मालम
ु था क ह ठो और दांत क कोन सी हरकत से उसे यादा मजा मलेगा। और अपने
इसी ए पे रयस का लाभ म अब उठा रह थी। वो भी बना हले डुले मेर कस का मजा ले रह थी। मने उसक दमदार
े ट को अपनी हथे लय म भींचा और उसके सो पन का मजा लेने लगी। थोड़ी दे र तक उसके लबो को चूसने के बाद म
अपनी चेयर पर बैठ गयी।

म: दे खो कोमल, तु हे द पा ने सब बता ह दया है और तु हे दे खकर लगता है क से स के त तु हारे अ दर भी वह


ज बा है जो द पा म है और मझ
ु मे भी। म जानती हूँ क ये सब मजे यादा से यादा और बना कसी र क के कैसे लए
जाते ह और इसम मुझे तुम दोन क ज रत है। अगर तुम दोन मेरा साथ दोगी तो तु हे भी मजे मलगे और मुझे भी। और
ये कहते-२ मने अपना लाउस खोलना शु कर दया। अपनी ा को मने ऊपर कया और मेरे दोन शहजादे बाहर नकल
कर उन दोन क याओ को दे खने लगे।

38
मने द पा को इशारा कया और वो अपना सब
ु ह का अधुरा काम पूरा करने के लए सीधा मेरे सामने आकर बैठ गयी और मेरे
दांये मु मे को चस
ू ने लगी। मने कोमल से बात करना चालु रखा: दे खो… तम
ु दोन ये मत समझो क तु हे हमेशा मेर ह
सेवा करनी पड़े गी। म जैसा कहू वैसा करो और रस ट म मलने वाले लंड हम आपस म बाँट कर खायगे। ठ क है न…

कोमल ने हाँ म सर हलाया।

मने अपना पेट कोट साडी समेत ऊपर उठाया और अपनी पट को नीचे खसका कर अपनी सफाचट चूत उसके सामने परोस
द । वो मुझे थोड़ी दे र तक दे खती रह और फर धीरे से अपना सर नीचे करके मेरे नीचे वाले ल स को अपने ऊपर वाले
ल स से चूसने लगी। मने आनंद के मारे आँखे बंद कर ल ।

अ ह ह… द पा।

मने दे खा क कोमल भी अपनी चत


ू वाले ह से को अपने हाथो से पकड़कर मसल रह है। मने उसक तरफ दे खा और कहा:
अपने कपडे उतारो कोमल।

वो मेर तरफ फट आँख से दे खने लगी।

म: डरो मत, मेर इजाजत के बना कोई अ दर नह ं आ सकता। उतारो ज द ।

कोमल ने हचकते हु ए अपनी ट शट और फर जींस को नीचे उतार दया। या शेप थी उसक । उसक भरपूर जवानी को ा
और पट म दे खकर मझ
ु े अपनी जवानी का टाईम याद आ गया। बलकुल ऐसी ह थी म भी। सह जगह से भर पूर , बाक
सब सपाट। मने उसे इशारे से अपनी पट और ा भी उतारने को कहा। और मने द पा का सर पकड़कर अपनी चूत म और
अ दर तक घुसा दया।

कोमल ने धीरे -२ अपने बचे हुए दोन कपडे भी उतार डाले और अब उसका हु न बेपदा होकर मेरे सामने नंगा था। म अगर
लड़का होती तो आज इसे चोदने से मुझे कोई नह ं रोक सकता था। कोमल क चूत पर ह का गीलापन मुझे साफ़ दख रहा
था। मन तो कर रहा था क उसक चूत से नकल रहा अमत
ृ पी जाऊ। पर मेरे दमाग म कुछ और चल रहा था।

मने रमोट बेल बजायी और दरवाजा खोलकर एकदम से द डू यानी अपना डोन अ दर आ गया और आते ह उसने दरवाजा
अ दर से बंद कर दया। जैसे ह कोमल को डोन के आने का एहसास हुआ। वो झट से अपने कपडे उठा कर मेर चेयर के
पीछे आकर छुप गयी। द पा ने भी मेर चूत को चाटना छोड़ दया और उठकर वो भी दस
ू र तरफ आकर कोमल क ह तरह,
डरे हु ए भाव से मझ
ु े दे खने लगी।

मने हँसते हुए कहा: अरे डरो मत द पा… मने तुमसे कहा था न द डू के बारे म। ये सब जानता है और व त पड़ने पर हर तरह
का काम करता है ये मेरा। और मजे भी खूब दे ता है अपने ल बे लंड से। इसके लंड के साईज क वजह से म इसे यार से
डोन कहती हूँ। और फर मने डोन क तरफ दे खा और कहा: डोन जरा दखाओ इन लड कय को क म तु हार तार फ य
कर रह हूँ…

मेरे कहने क दे र थी, डोन ने अपनी पट को नीचे खसकाया और अपना तना हुआ लंड नकाल कर हम तीनो क भूखी
नजरो के सामने डाल दया। उसके लंड को दे खकर दोन लड कय मानो अपनी सध
ु बुध खो बैठ । मने डोन को इशारा कया
और वो मेरे पीछे छुपी हुई कोमल के पास आया और उसके चेह रे के सामने अपना लंड लहराने लगा। और फर मने द पा को
फर से अपनी तरफ इशारे से बुलाया और उसे फर से अपनी चूत को चूसने म लगा दया। वो चूस तो मेर चूत रह थी पर
उसक नजरे डोन के लंड के ऊपर ह थी।

डोन भी कोमल जैसी सु दर लड़क को नंगा पाकर फुला नह ं समां रहा था। उसने यादातर मेरे पुराने कॉलेज क ट चस को
ह चोदा था। आज एकदम कोरा माल उसक नजरो के सामने था, इस लए उसके लंड क नसे आज कुछ यादा ह चमक

39
रह थी। कोमल को अपने लंड क तरफ घूरते पाकर डोन ने ह पहल क और आगे होकर अपने ल बे लंड को पकड़कर
कोमल के गल
ु ाबी ह ठो से छुआ दया।

जैसे ह डोन के लंड ने कोमल के कोमल ह ठो को छुआ, कोमल मानो नींद से जागी, और उसने झट से अपने हाथ द डू के
लंड पर जमा दए और उ ह कसी ोफेशनल क तरह से चस
ू ने लगी। उसक तेजी दे खकर म भी दंग रह गयी। मानो बरसो
क यासी हो वो।

मेरा और द पा का यान उनक तरफ ह था। डोन का लंड जैसे ह कोमल के मुह
ं म गया, उसक आँखे बंद हो गयी और वो
जोरो से चीखने लगा।

अ ह…साल या चु ती है मादरचोद… या ह ठ है तेरे कु तया… सच म तेर चूत के अ दर लंड को रगड़ने का मजा


आएगा साल ।

कोमल क आँखे गोल होती चल गयी। ऐसी गा लय क उसे कतई उ मीद नह ं थी और वो भी एक पीउन के हाथो। पर म
हँ से जा रह थी। य क म जानती थी क मुझे चोदते-२ डोन को गाल दे ने क आदत सी हो चुक थी। वो अ सर दूसर
ट चस को भी गाल दे कर चोदता था और यादातर औरते ग द गा लयाँ सन
ु कर खश
ु ह होती है। ये तो मने नोट कया ह
था हर बार।

और यह हाल कोमल का भी था। पहले तो वो हे रानी से लंड को चूसते-२ उसक गा लय को सन


ु कर बुरा सा मह
ुं बना रह
थी। पर फर उसके चेह रे के ए स ेशन बदलने लगे और उसके चेह रे पर एक अजीब सा इरो टकपन आने लगा। उसने अपने
मह
ुं से उसके लंड को बाहर नकाला और फर उसके लंड को कसी डंडे क तरह से अपने चेह रे पर मारने लगी। फर अपनी
जीभ को ल बा कया और अपनी हथेल से जीभ पर लगी हुई थूक को इक ा कया और डोन के लंड के ऊपर मलने लगी।
उसक तो हालत ह खराब हो गयी। इतनी सु दर लड़क से अपने लंड क मा लश इस तरह से करवाकर। डोन ने उसके मह
ुं
को जबरद ती पकड़ा और अपना लंड वा पस उसके मह
ुं के अ दर डाल दया। द पा क जीभ भी मेर चूत के अ दर जाकर
धमाल मचा रह थी। मेरा ओगा म बनने लगा था। मने उसके चेह रे को कसी गाजर क तरह से अपने हाथो म पकड़ा और
उसे अपनी चूत पर जोरो से घसने लगी। और जोरो से चीखने भी लगी।

हाय… मरर गयी म म… द पा चूस क मनी, साल , हरामखोर।

द पा भी मेर से स लेव बनकर खुश थी। और उसक ख़ुशी उसके चूसने वारा पता चल रह थी। मेरे अ दर का लावा
एकदम से फूटा और द पा के चेह रे को पूर तरह से भगो दया। वो शायद इसके लए तैयार नह ं थी। पर फर भी वो संभल
और मेरे पूरे रसीले पानी को पीकर अपनी यास बुझाने लगी। और दस
ू र तरफ डोन क गा लया और चीखे भी अपने परवान
पर थी।

ओ ह… भेन क चूत तेर , साल रं ड ी क तरह चु ती है तू तो। अ ह… ओ ह… कु तया तुझे तो बीच के पस म चोदुंगा
एक दन। अ ह… साल रं डी। और ये कहते-२ उसके सफ़ेद जल का फ वारा नकलकर कोमल के मह
ुं म गरने लगा। और
वो भी कसी रं ड ी क तरह सारा माल खाकर अपना पेट भरने लगी। और फर जब डोन का लंड सकुड़कर छोटा होकर लटक
गया,

वो धीरे से उसके लंड को चु ती हुई कोमल से बोला: अब छोड़ दो मेड म… म कर लूँगा बाक का साफ़।

उसक बदल हुई जबान को दे खकर, कोमल फर से हे रानी से उसक तरफ दे खने लगी। मने ह डोन को आज कसी को भी
चोदने से मना कया था। म अपने म म कसी कुंवार लड़क को चुदवा कर कोई र क नह ं लेना चाहती थी।

मने कोमल से कहा: ये ऐसा ह है कोमल। जब तक ये नंगा होकर हमारे सामने है, ये एक मद है और हम सब इसक
गुलाम। नह ं तो ये वोह है एक नौकर, हमारा गुलाम। बाहर भी अगर ये तु हे दे ख लेगा तो नजरे नीचे करके नकल जाएगा,

40
समझी न। इस लए इससे डरने क कोई ज रत नह ं है। और इसके पूरे मजे तुम दोन को ज द ह मलगे। अगर तुम दोन
मेरे कहे अनस
ु ार चलती रह तो।

वो दोन उठकर सामने आ गयी। डोन कपडे ठ क करके बाहर नकल गया।

मने भी अपने कपडे ठ क कये और उनसे कहा: दे खो… म जानती हूँ क इस व त तु हारा या हाल है अ दर से। तुम दोन
ने हम दोन को तो से टसफाय कर दया। पर तुम दोन अधूर रह गयी। पर इसका ज द ह म इलाज कर दं ग
ू ी। अब सन
ु ो
मेर ला नंग। और फर मने उ ह अगले दन या करना है और कैसे करना है , ये सब बताया। िजसे सुनकर वो दोन
भोच क सी होकर मझ
ु े दे खने लगी। पर मेरे आ वासन दे ने के बाद वो दोन शांत हुई और फर दोन अपने-२ घर क तरफ
चल द ।

मने भी अपना डे क समेटा और म भी चल द अपने घर क तरफ।

अब आगे क कहानी द पा के नज रये से। मशः 38

द पा
*****
आज मेडम के कमरे म जो मजा मला था। या ये कहलो क नह ं मला था, उसे पाकर एक बात तो साफ़ थी क मझ
ु े और
कोमल को आगे काफ मजा आने वाला था। पर जो लान मेडम ने हम आगे के लए बताया था, मुझे वो सुनकर काफ
आ चय हुआ था, य क उसमे थोडा बहुत र क तो था ह । पर जब कॉलेज क वाईस ं सपल हमारे साथ है तो डर काहे
का।

मने कोमल को घर छोड़ा और फर अपने घर क तरफ चल द । घर पर आते ह मने अपना बैग एक तरफ फका और सीधा
अपने कमरे म चल गयी। मने अपनी ट शट उतर द और सफ ा म ह अपने बेड पर लेट कर अपने बदन का पसीना
सख
ु ाने लगी। तभी दरवाजा खुला और म मी अ दर आई।

म मी: आर द प।ू ये या बेशम क तरह कपडे उतार कर लेट है। अब तू ब ची नह ं रह ।

मने मजाक भरे लहजे म कहा: या म मी। आपके लए तो म ब ची ह हूँ न।

म मी: दे ख बेटा, अब तू जवान हो गयी है, कॉलेज जाने लगी है। कैसे कपडे पहनने है, कैसे घर पर रहना है, सब दे खकर
कया कर।

म: पर म मी, घर पर तो सफ डो ल , आप और पापा ह है, घर वालो से या शम।

म मी (गु से म): तो ये भी उतार दे न। इसे य पहना हुआ है।

मने उ ह डराने के लए अपनी ा को खोलने के लए अपने हाथ पीछे कये तो उ ह ने झट से मेरे हाथ पकड़ लए।

म मी: हे राम… कतनी बेशरम हो गयी है तू। जरा भी लाज नह ं आती तुझे या…

तभी बाहर से पापा अ दर आये और बोले: या बाते हो रह है माँ-बेट म… बाहर का दरवाजा भी खोल कर रखा था।

पापा को कमरे म आता दे खकर म झट से म मी के पीछे छुप गयी।

म मी: ओहो… आप ऊपर य आये। चलो नीचे, म आती हूँ ।

और वो पापा को अपनी नजरो से नीचे जाने को कहने लगी। पापा को भी शायद मालम
ु चल गया था क मने अपना टॉप
नह ं पहना हु आ है, मेरे नंगे कंधे िजनपर सफ ा के े प दख रहे थे, वो उ ह साफ़ दख रहे थे। पापा ने आ खर बार मेर
तरफ यासी नजरो से दे खा और बाहर नकल गए।

41
पापा के जाते ह म मी मझ
ु पर च लाई: दे खा… इसी लए म तुझसे कह रह थी। चल अब ज द से कपडे पहन ले।

म मी क डांट का मुझपर कोई ख़ास असर नह ं हुआ, उनके जाते ह मने अपने बचे - खुचे पकडे भी उतार कर फक दए।
और नंगी होकर अपनी आँखे बंद क और अपनी एक ऊँगल अपनी पानी छोड़ रह चूत म डालकर हलाने लगी। तभी
दरवाजा खल
ु ा और पापा अ दर आ गए। पापा को अपने कमरे म दोबारा दे खकर म है रान रह गयी

म: अरे पापा आप… अभी तो आप नीचे गए थे म मी के साथ।

पापा: मने तेर म मी को बाहर भेज दया है, सामने वाले माल म सेल लगी है, मने उसे दस हजार पए दए ह। वो अब एक
घंटे से पहले नह ं आएगी।

पापा अपनी भख
ू ी नजरो से मझ ु े एहसास हुआ क म नंगी हँू । मने अपना प लो उठाया और अपने
ु े घूरे जा रहे थे। तब मझ
सीने से लगा लया।

पापा: अरे बेटा, मुझसे या शम। मने तो तुझे बचपन म काफ बार नंगा दे खा है। नहलाया है। बस अब तू थोड़ी बड़ी हो गयी
है। पर है तो मेर बेट ह न। चल इधर आ… आज पापा-बेट मलकर दोबारा नहायगे।

म उनक खुल बात सन


ु कर हेरानी से उ ह दे खे जा रह थी। और मेरे दे खते-२ ह उ ह ने अपने कपडे उतार फके और नंगे
होकर मेरे सामने खड़े हो गए। उनके खड़े हुए लंड को दे खकर मेरे सामने डोन का लंड घुमने लगा, ठ क वैसा ह था, म उसे
दे खकर स मो हत सी हो गयी और मेरे हाथ से प लो छूतकर अलग हो गया। पापा के सामने म नंगी बैठ थी। पापा धीरे से
आये और मझ
ु े अपनी बाह म उठा लया। और बाथ म म ले गए। मेरे कु ह पर उनके तने हुए लंड का पश मझ
ु े साफ़
महसस
ू हो रहा था। पापा ने मझ
ु े बाथ म म लेजाकर कमोड को बंद करके उसपर बठा दया। और खुद मेरे सामने पंजो के
बल बैठ गए।

पापा: वाह… मेर ब टया। कतनी सु दर हो गयी है। जवान हो गयी है तू तो पूर तरह। और वो मेर े ट को अपने हाथो म
लेकर धीरे-२ दबाने लगे। और फर उ ह ने मेर जांघो को चोडा कया और मेर सफाचट चूत पर अपनी खुरदरु जीभ
लगाकर वहां क मलाई चाटने लगे।

अ ह ह पापा म मम… ओ ह ह पापा… इतने दन से आपके बारे मे सोचकर मने अपनी चूत म न जाने कतनी
बार घसाई क । अ ह… आपको अपनी बेट के दल क बात समझने म इतना टाईम लगा। अ ह… पता नह ं था क
आपक बेट कतनी तड़प रह है। य नह ं पहले आकर कया ये सब। अ ह… आज तो मझ
ु े अपने इस मोटे लंड के झूले
झुला दो पापा। ल स पापा, ल स…

और फर मने पापा के मह
ुं को बड़ी मिु कल से अपनी चूत से परे कया और उ ह अपनी वाल जगह पर बठाया। और मने
उठकर शोवर ओन कया और उसका मह
ंु कमोड क तरफ कर दया। और फर ज द से पापा के पास गयी और उनक
टांगो के दोन तरफ अपनी टाँगे क और उनके लंड के ऊपर बैठती चल गयी।

अ ह ह… पापा ओ फ फ़…

मेर चूत से गम खून का फ वारा नकल कर उनके लंड का अ भषेक करने लगा और ऊपर से आ रह शावर क बोछार हम
भगो रह थी। मने पापा के लंड को परू तरह से अपनी चत
ू म जगह दे डाल और ज द ह दद ख़ म होने के बाद म उसपर
उछलने लगी।

अ ह पापा… ओ ह पापा… म मम मजा आया गया पापा… य नह ं चोदा अपनी बेट को पहले। अ ह ह… पापा
मेर चूत से रस क बोछार नकल पड़ी और उनके लंड को भगोने लगी और तभी दरवाजे पर म मी के थपथपाने क
आवाज आई। द प…
ू द पू चल ज द से नीचे आ। पापा बुला रहे ह, आकर चाय पी ले।

42
ओ ह श sss… म सपना दे ख रह थी। मने आँखे खोल तो म नंगी पड़ी थी अपने ब तर पर और मेर चूत से नकला
हुआ ढे र सारा रस नीचे था।

म मी-पापा के जाने के बाद अ छा हुआ मने दरवाजा बंद कर दया। वना म मी अ दर आ जाती और मझ ु े नंगा लेटे हुए
मठ
ु मारते दे ख लेती और शायद पापा के बारे म नकल रहे श द भी सन
ु लेती। म ज द से उठ और बाथ म म जाकर े श
हो गयी। और कपडे पहन कर नीचे आ गयी।

पापा सोफे पर बैठे थे। म उनके सामने जाकर बैठ गयी। म मी ने हम चाय द और खुद चाय लेकर कचन म जाकर पीने
लगी और दस
ु रे काम भी करने लगी।

पापा मझ
ु े ह घूरते जा रहे थे।

म भी चाय पीते हु ए सोच रह थी क जैसा हमार कॉलेज क मेड म का लान है, उसके अनस
ु ार मेर विज नट तो वैसे भी
जाने वाल है। य न ये ग ट पापा को दया जाए। ता क वो भी पूर उ ये सब याद रखे और मझ
ु े भी ए पे रयस इं सान
के हाथो चुदने म तकल फ न हो।

पर जो भी करना है ज द ह करना है। मने सोच लया। आज रात को ह करना है। मशः41

मने मन म ह एक लान बनाया और फर मने कचन म काम कर रह म मी से कहा: म मी… आज से हमार इकोनो मक
क लास शु हो गयी है, बड़ा ह मिु कल स जे ट है। म सोच रह थी क उसके लए अलग से टयूशन ले लू।

म मी ने मझ
ु े घूम कर दे खा और पूछा: तुझे कब से टयूशन क ज रत पड़ने लगी। और वैसे भी तेरा कॉलेज तो अभी शु ह
हुआ है, ए जाम आने म तो काफ टाईम है, पहले भी तो तेरे पापा तुझे पढ़ा दया करते थे, अभी भी पढ़ा दगे, तू अपने पापा
से समझ ले जो परेशानी है, अगर ज र हुआ तो ए जाम के आस-पास टयूशन लगवा लेना। पापा भी म मी क बात सन ु कर
खुश हो गए थे। मने फर पापा से अपने स जे ट के बारे म मिु कल-२ सवाल पूछने शु कर दए।

पापा: बेटा, ऐसे बताना मिु कल है, तू अपनी बुक लेकर आजा, म उसमे से दे खकर तुझे समझाता हूँ। पापा तो शु से ह
एकाउं स डपाटमट म रहे ह, उनके लए ये स जे ट काफ आसान था, इस लए मने जान बुझकर इकोनो म स स जे ट
के बारे म ह बात क थी।

म: पापा, आप मेरे म म ह चलो न, वह बैठते ह।

पापा: ठ क है, तुम चलो, म चज करके आता हूँ।

म भागकर अपने कमरे म चल गयी, और मने भी ज द से अपनी अलमार खोल और उसमे से एक शोट न कर नकाल
कर अपनी ट शट के नीचे पहन ल । उस शोट न कर म मेर जांघे बड़ी ह मिु कल से फंस कर आ रह थी, और मेर चूत
क शेप दरू से ताज महल जैसी दखाई दे ती थी। ये टाईट न कर म अ सर सोते हुए ह पहनती थी।

थोड़ी ह दे र म पापा ने दरवाजा खटकाया और वो अ दर आ गए, पापा ने मझ


ु े इस न कर म पहल बार दे खा था, इस लए
थोड़ी दे र तक तो उनक नजरे मेर मांसल जांघो पर जम कर ह रह गयी। वो दरवाजे पर खड़े रहे और म भी कमरे म इधर
उधर घूम कर, और झुक कर उ ह अपनी टांगो और न कर म फंसी गांड के दशन करवाती रह और अंत म उ ह बेड के
ऊपर बैठने को कहा और म खुद ऊपर चड़कर अपनी बु स खोलकर बैठ गयी। पापा ने भी अपना नाईट पायजामा और ट
शट पहन लया था।

म थोड़ी दे र तक तो उ ह अपनी बु स से रले टड न पूछती रह और फर अपनी योजना के अनुसार म एकदम से च ला


पड़ी और अपनी जांघ को मलने लगी। अपने लान के अनुसार मने अपने ल बे ने स का इ तेमाल करके अपनी जांघो पर
हलक सी चुटक काट , िजसक वजह से वहां का मांस लाल होकर चमकने लगा।

43
पापा: अरे द पा, या हुआ…

मने अपनी जांघ के उस ह से को मलते हुए आंसी आवाज म कहा: पापा लगता है बेड पर चीं टया है। दे खो मुझे यहाँ काटा
है। और मने अपनी जांघ का लाल ह सा पापा को दखाया। पापा थोडा आगे झुके और मेर जांघ के ऊपर बने नशान को
कर ब से दे खने लगे।

उनक नजरे मेर न न टांगो पर घूम रह थी, िजनपर एक भी बाल नह ं था, और उसके बलकुल ऊपर क तरफ, न कर म
फंसी हुई मेर चूत क शेप उ ह साफ़ नजर आ रह थी, य क मने नीचे पट भी नह ं पहनी हुई थी। वो जब तक मेर जांघ
को घूरने म लगे थे, मने एक और चुटक काट अपनी दस
ू र जांघ पर, और इस बार और भी ऊपर, बलकुल चूत के पास।
और फर से धीरे से चीखी।

म: पापा, दे खो न… यहाँ भी काटा है।

पापा ने जब दस
ू र टांग के बलकुल उपर ह से पर वैसा ह लाल नशान दे खा तो मझ
ु े ज द से खड़ा कया और बेड क
चादर को झाड़ने लगे।

पापा: लगता है, तु हारे बेड पर लाल चीं टया चढ़ गयी ह। और फर दोबारा चादर को बछाने के बाद उ ह ने फर से मेर
जांघ वाले ह से को कर ब से दे खा। फर उ ह ने अपनी खुरदरु उँ ग लयाँ वहां पर फरना शु कर दया। और मुझसे पूछा:
दद हो रहा है या…

म उनक उँ ग लय क थरकन पाकर मचल सी उठ । और धीरे से बोल : दद तो नह ,ं पर जलन हो रह है।

पापा: ओहो… एक मनट को। और वो दोड़कर गए और बाथ म से ना रयल के तेल क शीशी नकाल कर ले आये।

पापा: म इसक मा लश कर दे ता हूँ, जलन चल जायेगी, तु हार सार ।

वो इस तरह से कह रहे थे मानो मेर चूत क जलन को मटने के लए अपने लंड पर वो तेल लगाकर मा लश करगे। म बेड
पर आधी लेट गयी और उ ह ने अपनी हथेल पर तेल नकाल कर मेर जांघ के उसी ह से पर लगाना शु कर दया।
ना रयल का ठं डा तेल मेरे शर र म झुरझुर पैदा करने लगा। म अपने एक पैर को दस
ु रे पैर के ऊपर रखकर उसे मसलने
लगी। मेर आँखे बंद सी होने लगी। और मेरे मह
ुं से एक ससकार सी नकल गयी। पापा ने मेरे चेह रे को दे खा और फर
दस
ू र जांघ पर भी तेल लगाने लगे।

पापा को शायद वशवास होने लगा था क आज कुछ यादा होने के चांस है, पर म मी के आने का भी डर था। उ ह ने उठ
कर दरवाजे क कु डी लगा द । म आँखे बंद कये हुए लेट रह । पापा फर से मेरे कर ब आये, और जांघ वाले ह से को
मलने लगे, इस बार वो थोडा बेढंगेपन से मल रहे थे, और उनक उँ ग लयाँ मेर चत
ू वाले ह से को टच भी कर रह थी। मने
कुछ नह ं कहा। मा लश करते-२ उनक एक ऊँगल मेर न कर के अ दर भी चल गयी। मेरा कलेजा धक् से रह गया। और
फर उ ह ने अपनी ऊँगल बाहर नकाल ल ।

मने सोच लया क ऐसे करते-२ तो पता नह ं कतना टाईम नकल जायेगा, म मी के आने का भी डर था। मझ
ु े ह कुछ
करना होगा। मने एकदम से अपने चुत के ऊपर हाथ फराया और पापा से बोल : पापा… पापा एक और चींट , मेर न कर
म है। ये दे खो…

मने अपनी चूत के साईड वाला ह सा अपनी हाथ म पकड़ा और पापा से बोल । पापा थोड़ी दे र तक मझ
ु े दे खते रहे और फर
धीरे से बोले: को… म नकालता हूँ इसे। मने अपना हाथ हटा लया। और पापा ने एकदम से मेर न कर को नीचे खींच
दया, िजसक मझ ु े बलकुल भी उ मीद नह ं थी। मेर सफाचट चूत उनके सामने थी। म डरे हुए भाव से उ ह दे ख रह थी।
पापा ने मेर आँख म दे खकर धीरे से कहा: तु हे चींट यहाँ नह ,ं यहाँ काट रह है। है न…

44
उ ह ने अपना हाथ मेर जांघ से हटा कर धीरे से मेर गील चूत के ऊपर रख दया। मेरा दल जोर-२ से धड़कने लगा। इतना
रोमांच मने आज तक महसस
ू नह ं कया था। जब राजपत
ू के साथ कार म थी तब भी नह ं और मेडम के म म डोन के लंड
को चूसा था, तब भी नह ं।

पापा क मोट ऊँगल मेर चत


ू के अ दर तक घस
ु ती चल गयी। मेरा मह
ंु खल
ु गया और मेरे ह ठ अकड़ कर सख
ु गए। पापा
को म अपने जाल म फंसा कर सब कुछ करवाना चाहती थी, पर पापा ने तो मझ
ु े ह अपने हाथो का कमाल दखा कर अपने
बस म कर लया था। ले कन पापा को नीचे काम कर रह म मी क चंता हो रह थी।

वो मुझसे धीरे से बोले: सन


ु ो द पा… म म मी को दे ख कर आता हूँ, और फर तु हार जलन का कुछ उपाय करता हूँ आकर।
ठ क है।

मने हाँ म सर हलाया।

पापा ज द से उठे और बाहर नकल गए। म भी उठ कर दरवाजे तक आई और नीचे म मी-पापा क बाते सन


ु ने लगी। मेर
न कर अभी भी मेर चूत को बेपदा करके नीचे फंसी हुई थी।

पापा: अरे ये डोल अभी तक नह ं आई।

म मी: वो अपनी ड के घर गयी है, उसका बथडे है। मने शाम को तो बताया था आपको।

पापा: अरे हाँ… ठ क है।

म मी: पड़ा दया उसे…

पापा: अरे कहाँ… हर थोड़ी दे र म मेरा मोबाईल बजने लगता है। बस बात करता हु आ नीचे आ गया। अभी जा रहा हूँ वा पस।
सच म उसक पढाई काफ मिु कल है। पर थोडा टाईम मझ
ु े नकलना पड़ेगा। तो टयूशन के बना भी काम चल जाएगा।

म मी: सह कहा आपने, आप ह पड़ा दया करो फर तो। जवान लड़क है, बाहर जाकर कैसे लोग मले, या पता। आप ह
पड़ा दया करो इसे। अब ऊपर जाओ और अपना फोन यह रख दो। एक घंटे तक मन लगा कर पड़ा दो उसे। ठ क है।

पापा: ओके… म जाता हूँ फर ऊपर। एक घंटे बाद आयगे हम नीचे, तब तक तुम डनर भी तैयार कर लो। ये कहते हुए पापा
ऊपर आ गए। म मी को परू तरह से सेट करने के बाद। म भागकर वा पस अपनी जगह पर लेट गयी। मेर न कर अभी
भी नीचे ह थी। पापा अ दर आये आर उ ह ने दरवाजा फर से बंद कर दया। मेर तरफ आते हुए उनके लंड का त बू मझ
ु े
साफ़ दख रहा था।

पापा फर से मेरे पास आकर बैठ गए। कुछ दे र तक न वो कुछ बोले और न ह म। वो मेर जांघो पर हाथ फेरते रहे । और
उ ह ने मेर न कर को धीरे से नकाल कर मझ
ु े नीचे से नंगा कर दया।

पापा: आज म तु हार जलन को शांत कर ह दं ग


ू ा।

फर उ ह ने मेर दोन जांघो को अपने हाथो से फेलाया, और अपना मुंह नीचे करके मेर जांघ के उस ह से के ऊपर अपनी
जीभ लगा द जहाँ उस "चींट " ने काटा था। वो अपनी जीभ के गीलेपन से मेर "जलन" को बुझाने लगे। ये जलन तो जीभ
के गीलेपन से ठ क हो जायेगी। पर चत
ू के अ दर जो जलन है, उसके लए उ ह कुछ और तर का नकालना पड़े गा। वो मेर
जांघो को चाटते हुए ऊपर तक आये और गहर सांस लेती हुई चूत के ऊपर अपना मह
ुं लगा दया। मेरा शर र हवा म उठ
गया। अपनी ए ड़यो और कंधो के बल पर मेरा शर र कसी कमान क तरह से बन गया। पापा ने मेर गांड के ऊपर अपने
हाथ रखे और जोर से अपना मुह
ं मेर चूत के अ दर डालकर मेर रसील चूत का रस चूसने लगे। ओ ह पापा… म मम…
यहाँ तो और भी यादा जलन हो रह है। अ ह ह…

पापा: बस बेटा, पापा है न… अपनी बेट क सार जलन मटा कर रहगे। और फर पापा ने अपनी जीभ से मेर चूत के अ दर
जाकर इतना गीलापन फैला दया क अब उनक जीभ के अलावा कुछ और लेने का मन करने लगा।
45
म: ओ ह पापा और अ दर डालो न। अ दर और भी जलन है।

पापा: मेर जीभ और अ दर नह ं जा रह बेटा। या क ँ …

मने पैर उनके लंड के ऊपर रख दए और बोल : ये जो है न, इसे युस करो पापा। ये काफ अ दर तक जा सकता है।

पापा: आर यु योर…

मने पापा के लंड के ऊपर अपने पैर के पंजे का दबाव डाला और बोल : येस पापा… आई एम ् योर।

पापा का पायजामा लाि टक वाला था, मने पैरो म फंसा कर उसे नीचे कर दया। पापा का काले रं ग का लंड ि ंग क तरह
उछल कर बाहर नकल आया। मने अपनी ट शट को अपने सर से घुमा कर उतार दया। मेर मोट े ट उनक आँख के
सामने झूल गयी।

म: पापा ज द करो। हमारे पास सफ एक घंटे का टाईम है और अब सफ चाल स मनट ह बचे ह।

पापा मुझे हे रानी से दे खने लगे। वो समझ गए क म छुपकर उनक बाते सुन रह थी। मने पापा क बेक पर अपने पैरो का
दबाव बनाया और उ ह अपनी तरफ खींचना शु कर दया। और जैसे ह उनका लंड मेर चत
ू से टकराया, मेरे मह
ंु से आह
सी नकल गयी।

पापा ने मेर चत
ू के ऊपर लंड को फ स कया और धीरे -२ अपना दबाव मेरे ऊपर डालने लगे। जैसे-२ उनका लंड अ दर जा
रहा था, मेर आँखे चोडी होती जा रह थी। और जैसे ह उनके लंड ने मेर चूत क झ ल को टच कया, मने पापा के चेहरे
को पकड़ा और उनके ह ठो को चूसने लगी। य क मझ
ु े मालम
ु था क म अब चीख पडूँ गी। और हु आ भी ऐसा ह । पर मेर
चीख पापा के मंह
ु म घट
ु कर रह गयी। पापा के लंड ने मेर चूत क बौ डर ोस कर ल थी। और मेर चत
ू से खन
ू नकलकर
बाहर क तरफ आने लगा।

मने पापा क कमर के ऊपर अपने पैरो से कची बनाकर उ ह पूर तरह से बाँध लया था। जब पापा के लंड ने एक डुबक पूर
तरह से मेर चूत के अ दर तक लगा ल तो मेरा दद कुछ कम हु आ, मने पापा के ह ठो को चूसना छोड़ा और उ ह खुलकर
चूत मारने का पेस दया। पापा ने अपने दोन हाथो से मेर े ट को पकड़ा और दे दना-दन ध के मारने शु कर दए।
उनके हर ध के से मझ
ु े बड़ा ह मजा आ रहा था। अब मझ
ु े मालम
ु चला क लोग चुदाई इतने मजे से य करवाते ह।
थोड़ी दे र बाद पापा नीचे आ गए और मझ
ु े अपने ऊपर बठा लया। मने अपने बाल बाँधने के लए हाथ पीछे कये तो मेर
े ट तन कर पूर तरह से आगे नकल आई,

पापा ने अपने ल बे हाथो से मेर े ट पकड़ी और ल बे लंड से मेर चूत के अ दर ध के मारने शु कर दए। मेरा टे य रंग
पकड़ कर उ ह ने जो रे स शु क थी, मने अपनी चत
ू का सलेटर उनके लंड के ऊपर दबा कर अपनी कार को और तेजी
से दोड़ाना शु कर दया। और जब मझ
ु े लगा क मेर चूत से कुछ नकलने वाला है तो मने पापा को उठाया और उनके चेह रे
को अपनी गदन पर दबा कर अपने हाथो और पैरो को उनके शर र के चारो तरफ लपेट दया। और धीरे से चीखने लगी।
आ ह ह पापा यु आर ेट। अ ह ह पापा फा ट, फा ट, फा ट अ ह ह…

पापा ने मुझे गोद म बठा कर अपने लंड से ध के मारने शु कये तो मेरे शर र का अि थ पंजर हल गया। और फर उनके
लंड से रस क पचका रयाँ नकल-२ कर मेर चत
ू के अ दर जाने लगी। और मेर चत
ू का रस उनके लंड के ऊपर गरने
लगा। मेर सार "जलन" पापा के लंड से नकले "रस" ने मटा द थी। पापा ने मुझे बेड पर लटाया और पास पड़े हुए एक
कपडे से अपना लंड और मेर चूत साफ़ क और अपने कपडे पहनने लगे।

मने पापा को दे खा और एक अंगडाई लेते हुए कहा: पापा अभी एक घंट ा पूरा होने म बीस मनट है।

पापा ने हँ सते हु ए मुझे दे खा और अपने कपडे नीचे फक कर फर से मेरे बेड पर कूद गए। और इस बार जो घमासान उ ह ने
मचाया, उसे म िजंदगी भर याद रखग
ूं ी। एक घंट ा पूरा होते-२ हम दोन दस
ू र बार भी झड चुके थे। पापा ने अपने कपडे पहने

46
और नीचे चले गए, म नंगी ह उठ और बाथ म म जाकर नहाने लगी और अपनी चूत से नकल रहे पापा के रस को अपनी
उँ ग लय म इक ा कर करके अपने शर र के ऊपर उसका लेप करती रह ।

बाहर आकर मने सब से पहले कोमल को ये बात फोन पर बताई। उसे तो वशवास ह नह ं हु आ। पर फर वो भी बड़ी खुश
हुई। मने लगभग आधे घंटे तक उसे परू कहानी नमक मच लगा कर सन
ु ाई। िजसे सन
ु ते-२ उसने भी अपने भाई से चद
ु ने
का न चय कर लया। मशः 44

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कोमल
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कोमल ने थरथराते हुए हाथो से फ़ोन टे बल पर वा पस रखा, उसे तो वशवास ह नह ं हु आ क उसक सहे ल द पा ने अपने
ह पापा से पहल बार चदु वा कर अपने कंु वारेप न से छुटकारा पा लया है । उसने अपनी चत
ू के ऊपर हाथ रखा, और मन ह
मन बुदबद
ु ाई "मझ
ु े भी इस कुंवारेपन के बोझ से ज द ह छुटकारा पाना होगा।”

उसक आँख के सामने द पा क चुदाई क त वीरे कसी मूवी क तरह से घुमने लगी, ऐसा लग रहा था मानो सारा कुछ
उसक आँख के सामने ह हो रहा है, वो शु य म दे खे जा रह थी और अपनी चूत के ऊपर अपनी नाजुक उं ग लय को बड़ी
ह बेरहमी से घस रह थी। उसके मन म भी कई बार द पा के पापा राज को दे खकर गंदे याल आये थे, आये भी य न, वो
इस उ म भी इतने हडसम जो लगते थे, राज अंकल के लंड के बारे म सोचते ह उसक चूत क द वार म सीलन सी आने
लगी। उसने अपनी उं ग लयो क थरकन रोक य क वो अपने पायजामे को गीला नह ं करना चाहती थी। राज अंकल से
चुदना अभी तो मुम कन नह ं है, इस लए उसे अपने भाई आशुतोष के साथ ह कुछ करना होगा, पर कैसे…

य क पछल बार जब उसने अपनी भाई क तरफ का दरवाजा खोल दया था तो उसके बाद उसने अपनी तरफ से कोई भी
हरकत ऐसी नह ं क थी िजससे पता चल सके क उसके मन म भी अपनी बहन के लए कुछ है। पर जैसा उसका शम ला
वभाव है , उसके अनुसार तो वो कभी भी पहल नह ं करे गा, इस लए जो भी करना है, उसे ह करना होगा। मने टाईम दे खा,
अभी सात बजे थे, यानी उसका भाई िजम से आने ह वाला होगा, आते ह वो नहाने जाता है , और उसके बाद घंटो तक अपने
क यूटर के सामने बैठ कर न जाने या-२ करता रहता है ।

मेरे उसके दमाग म एक लान आया, म भाग कर अपने भाई के म म गयी और उसका क यूटर ओन कया, आज
पहल बार म अपने भाई के पी सी को इ तेमाल कर रह थी।

न खुलते के साथ ह मने सबसे पहले ह टर को चेक कया, और जैसा मने सोचा था, उसके अ दर लगभग हर दस
ू र
साईट पोन थी, और कुछ िजम और ए सस यज से रले टड। मने एक साथ दो साईट खोल द , एक म मने पोन और दस
ू र
म यायाम करने के तर के वाल साईट खोल । मने पोन दे खनी शु क , उनमे दखाई दे रहे मोटे ताजे लंड दे खकर तो मेर
चूत के अ दर गडगडाहट सी होने लगी, मन कया क काश इसम से कोई ह शी बाहर नकल आये और मेर चूत का
ओ लेट बना कर खा जाए।

दल तेजी से धड़क रहा था, तभी मझ


ु े आशु के आने का एहसास हुआ, उसके पो स शसू क आवाज जो ऊपर क तरफ
आती जा रह थी, मने ज द से वो पोन साईट बंद क और दस ू र खुल हुई साईट िजसमे लड कय को यायाम करने के
तर के सखाये जा रहे थे, उसे खोलकर दे खने लगी। तभी दरवाजा खुला और आशु अ दर आया। मझ
ु े अपने क यूटर पर
बैठ दे खकर वो एकदम से घबरा गया।

आशु: अरे द द , आप यहाँ। या…

47
म: भाई मेरा लेपटोप चाज नह ं है, दे ख न म दन ब दन मोट होती जा रह हूँ, मने सोचा क ए ससयीज करके अपने
शर र का भार पन कुछ कम कया जाए इस लए म यहाँ आकर बैठ गयी। कोई ो लम है या… मने आ खर श द थोड़े
रोबीले वर म कहा, तो वो थोडा डर सा गया।

आश:ु अरे नह ं द द । पर ये या कर रह हो, ऐसे दे खकर भी कोई सीख सकता है या। आप कोई िजम य नह ं वाइन
कर लेती। वैसे दे खा जाए तो आप इतनी मोट नह ं है। उसने एक सरसर सी नजर मेरे बू स और फर सारे शर र पर डाल
और शरमा कर नीचे दे खने लगा।

म: या मोट नह ं है। ये दे ख और ये भी दे ख…

मने अपनी कमर पर बने मांस के हलके से टुकड़े को हाथ म जबरद ती समेटा और उसे दखाया। और फर अपनी े ट के
चार तरफ हाथ रखकर उ ह भी हलाया। मने ये सब इतनी ज द कया क उसे तो या मझ
ु े भी इसका एहसास नह ं हुआ।
मेरे खुलेपन को दे खकर उसका मुह
ं भी खुला का खुला रह गया।

म: यार एक काम कर, तू ह मुझे सखा दे न, घर पर ह करके अपना वजन क ोल करने क को शश करती हू, अगर होना
शु हो गया तो िजम भी जाने लगंग
ू ी। ठ क है न।

आश:ु जी… जी जैसा आपको ठ क लगे द द ।

उसे शायद वशवास ह नह ं हो रहा था क उसे अपनी से सी बहन को ए सस यज सखाने को मलेगी। मने पायजामे के
ऊपर एक ढ ल सी ट शट पहनी हुई थी। िजसे दे खकर वो धीरे से बोला: द द … आप थोड़े टाईट कपडे पहनो। ये कपडे हाथो
म अड़गे।

म उसक बात समझ गयी। मझ


ु े पता था क अब मझ
ु े या करना है। म भागकर अपने कमरे म गयी और एक परु ानी सी
पो स वे ट नकाल कर ले आई, ये म अ सर कूल म पो स वाले दन पहन कर जाती थी ता क शट के नीचे मेरे मोटे
मु मे हलते हु ए यादा न दखाई दे । मने पहना तो वो काफ टाईट थी, यानी पछले साल के मक
ु ाबले अब मेरे बू स और
भी बड़े हो गए ह।

मने अपनी ा उतार द , और फर वो वे ट पहनी, इस बार थोड़ी फंस कर ह सह पर आ ह गयी, मेरे दोन फल ऐसे लग रहे
थे मानो उ ह गु बारे म लपेट कर कसी के सामने पेश कर रहे हो, और ए सयीमट से मेरे दोन दाने भी साफ़ चमक रहे
थे, पर जब मझ
ु े आशु का लंड लेना है तो इतना बेशरम तो बनना ह पड़े गा। म वा पस उसके कमरे म आ गयी, एक बार तो
वो भी मझ
ु े ऐसी ेस म दे खकर है रान रह गया, और फर मेरे मु मो के ऊपर चमकते हुए ह रे जैसे न पलस को दे खकर तो
वो पलके भी झपकाना भल ू गया, पर म उसके सामने ऐसे पेश आ रह थी मानो सब नोमल है।

म: चल बता फर, या क पहले…

आशु: वो… पहले थोडा वाम अप कर लो द द ।

म जानती थी क कमीना मेर छा तय को ऊपर नीचे होते हुए दे खना चाहता है, वैसे म भी तो येह दखाना चाहती थी उसे।
मने ऊपर नीचे उछलना शु कर दया, अपने हाथो को भी म ऊपर तक ले जाती और एक हलक सी ताल मारकर वा पस
ले आती।

मेर े चब
े ल वे ट के अ दर मेरे दोन मु मे लगातार फसल कर ऊपर क तरफ आते जा रहे थे, और ज द ह मझ
ु े ये
एहसास हो गया क अब अगर म एक दो बार और कूद तो मेरे न पलस बाहर क तरफ दखाई दे ने लगगे। म वह क
गयी और अपने घट
ु न पर हाथ रखकर हांफने लगी, मेर बाहर नकल रह छा तयाँ अपने सामने परोसे पाकर आशु क
हालत भी खराब सी होने लगी।

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मेर नजर सीधा उसके शो स के अ दर उधम मचा रहे लंड के ऊपर थी, जो अ दर होने के बावजूद अपना एहसास साफ़
करा रहा था। उसे दे खकर मझ
ु मे थोडा जोश आ गया, मझ
ु े पता चल गया क आज कुछ होकर ह रहे गा। मशः 46

मेरे माथे से पसीने क बूद


ं े नकल कर नीचे गरने लगी।

आश:ु अरे या हुआ। क य गयी…

म: क यार… पहले ह दन म इतनी दे र तक नह ं कर सकती। दे ख न मेर हालत… मने अपनी उं ग लय को अपने शर र क


तरफ कया।

मेर मोट े ट बाहर क तरफ नकल रह थी। िजनपर पसीने क बूंदे चमक रह थी। और वह पसीना बह कर मेर ट शट
को भी गीला कर रहा था। और मेरे चालबाज न पल भी खड़े होकर मेर योजना के अनुसार भाई को फंसाने के लए अपना
जलवा बखेरते हुए, अपने वजूद का एहसास करवा रहे थे। आशु क हालत खराब होने लगी। म वह नीचे लेट कर अपनी
साँस पर काबू करने लगी।

म: आशु… तू मुझे पेट क ए सरसाईज बता न। दे ख मेरे टायरस बनने लगे ह अभी से। मने अपनी कमर के दोन तरफ का
मांस अपने हाथ म पकड़ कर उसे दखाया।

आशु भी मेरे साथ नीचे बैठ गया (शायद अपने खड़े हु ए लंड को छुपाने के लए भी) और मेरे हाथो को सर के नीचे रखकर,
मेरे पैरो को मोड़कर, मझ
ु े ऊपर नीचे होने को कहा। वो थोडा मिु कल था, आशु मेरे सामने आकर बैठ गया और मेरे मड़
ु े हुए
घुटन के दोन तरफ अपनी टाँगे फैला द , और मेरे घुटन पर हाथ रखकर बैठ गया, अब उसका उफनता हुआ लंड मेरे पैरो
के ऊपर वाले ह से को टच करने लगा। और फर उसने मझ
ु े ऊपर होने के लए कहा, मने अपने सर के पीछे हाथ रखे और
अपना शर र ऊपर क तरफ कया।

मझ
ु े थोडा मिु कल लगा तो आशु ने मेरे हाथ पकड़कर मझ
ु े अपनी तरफ खींचा। म फर नीचे गयी और फर उसने ऊपर
कया। ऐसा चार-पांच बार करने के बाद जब मने पाया क उसका चेह रा काफ आगे आ चुका है तो म एकदम से काफ आगे
तक कया और उसके चेह रे से मेरा सर टकरा गया। जो सीधा उसक आँख पर लगा। मने यादा तेज नह ं मारा था, पर
िजतना लगा, वो दद पहूँचाने के लए बहुत था। वो अपनी आँख पकड़ कर वह बैठ गया।

म: ओहो… सॉर भाई। मने जान बुझकर नह ं कया। सोर दखा जरा, यादा तेज लगा या…

आश:ु नह ं द द … यादा नह ।ं पर आँख पर लगने क वजह से उसक आँख से पानी नकलने लगा था। मने उसे अपनी
गोद म लटाया, और अपनी ट शट के नीचे वाले ह से को ऊपर करके अपने मुह
ं तक लायी, उसपर अपने मुह
ं से गम हवा
क और आशु क आँख के ऊपर लगा द , ऐसा म मी भी करती है, जब भी मझ
ु े या आशु क आँख पर कुछ लगता है । मने
एक दो बार कया तो उसक आँख खुलने लगी, यादा लगी तो नह ं थी, पर फर भी वो नाटकबाज मेर गोद म पड़े रहने के
लालच म बोले जा रहा था क अभी भी दद हो रहा है।

मेर ट शट के नीचे से मेरा गोरा पेट उसके चेह रे के सामने था, िजसमे से मेरे पसीने क गंध सीधा उसके चेह रे पर पड़ रह
थी। और मने सन
ु ा था क लड कय के पसीने क गंध से कई लड़के उ तेिजत महसस
ू करते ह। और शायद यह असर आशु
के ऊपर भी हो रहा था। उसके लंड वाले ह से पर जब मेर नजर गयी तो वहां का क़ुतुब मीनार दे खकर मेरे मह
ुं म तो पानी
ह आ गया।

मने अपनी ट शट को थोडा और ऊपर कया।, िजसक वजह से अब उसे नीचे लेटे होने पर मेरे मु मो क गोलाइया भी
दखाई दे ने लगी थी। मने जान बुझकर अपनी ट शट को अपने ह ठो पर यादा दे र तक लगाया और हवा भरती रह , ता क
उसे मेरे अ दर का नजारा यादा दे र तक दखाई दे ।

म: अब कैसा लग रहा है तुझे…

49
आश:ु ठ क है द द अब। बस आँख खुल नह ं रह अब तक।

म: अ छा जी… तो फर मेर ट शट के अ दर या तांक-झाँक कर रहा है तू। मने सीधा हमला कया उसपर।

वो घबरा गया।

आश:ु नह ं द द … म य दे खूंगा आपक ट शट के अ दर। आप तो… आप तो मेर बहन हो।

म: बहन हूँ तो फर मझ
ु े दे खकर तेरा ये हाल य हो रहा है। बोल… मने उसके खड़े हु ए लंड क तरफ इशारा कया।

आश:ु वो… वो द द आप बुरा मत मानो। पर आपके इतने कर ब आने के बाद, ये अपने आप हो जाता है और आपके शर र
क महक…

म: या… मेरे शर र क महक… मझ


ु मे से तो पसीना नकल रहा है बु ू। इस समय तो मझ
ु े खुद ह इतनी बदबू आ रह है
अपने पसीने क ।

आशु: नह ं द द । आप नह ं जानती, आपके पसीने क खुशबु ह है ये। िजसक वजह से मेरा ये हाल हु आ है।

म: अ छा ऐसा है तो ये ले सूघ
ं ले। हे हे …

मने उसक बात का मजाक बनाते हुए, उसके सर को पकड़ कर अपनी बगल म दबा दया। मेरे मु मे का बाहर ह सा
उसके चेह रे पर दब रहा था, और मेर बगल का गीला ह सा सीधा उसक नाक के ऊपर था। जो आशु अभी थोड़ी दे र पहले
अपनी आँख के घायल होने का नाटक कर रहा था, वो मेरे ऐसा करने के बाद, मचल-२ कर मेर कांख वाले ह से को चूमने
लगा और जोर से सूघ
ं ने लगा। ये लड़के भी कतने गंदे होते ह। मने मन म सोचा, कस-२ तरह से ये ए सायटे ड होते ह।
मने धीरे -२ अपनी ट शट वाले ह से को ऊपर करना शु कर दया और एक झटके से मने अपनी ट शट उसके चेह रे से
घुमा कर पीछे क और कया और उसके चेह रे को अपनी ट शट के अ दर धकेल दया। वो भी भोच का रह गया। य क
ट शट के अ दर थोड़ी दे र तक तो उसने हलना एकदम से बंद कर दया। ले कन फर उसने सीधा अपनी जीभ नकाल
और मेर े ट के ऊपर फराने लगा।

मेरे मुंह से ससकार नकल गयी। अ ह ह ह… म मम… मेर ट शट तो काफ टाईट थी, पर े च होने क वजह से
उसका सर आसानी से अ दर आ गया। और फर आशु ने अपना सर थोडा और ऊपर कया और मेरे न पल को मह
ुं म भर
लया।

मेर तो सांस ह अटक गयी वह के वह । मने अपनी ट शट को वा पस ऊपर कया, और उसके चेह रे और अपनी े ट वाले
ह से को अपने सामने उजागर कया। उसक आँखे बंद थी, और वो बड़ी ह त म यता से मेर न पल को चस
ू रहा था।
इतना मासूम था मेरा भाई, मने इतने कर ब से उसका चेह रा आज पहल बार दे खा। मझ
ु े बड़ा पर आया उसपर। और अपने
यार का इजहार करते हुए मने अपनी ट शट को अपने सर से घुमा कर पूरा उतार दया। और उसके सर के नीचे हाथ लगा
कर अपनी े ट के ऊपर जोर से दबा दया।

अ ह ह… आशु चूस… और जोर से चूस, बड़ी दद होती है इनमे। आज सार दद दरू कर दे अपनी बहन क । अ ह…
अपनी बहन क क ण गह
ु ार सन
ु कर उसमे जैसे जोश आ गया, आशु ने ज द -२ मेरे बू स को चूसना शु कर दया। और
दस
ु रे हाथ से वो मेर दस
ू र े ट को दबाने लगा। मने वा पस पीछे क तरफ होते हुए नीचे लेट गयी, और वो लेटे-२ ह मेर
े ट को चूसता रहा।

मने हाथ नीचे करके उसके लंड को पकड़ना चाहा। पर हाथ नह ं गया वहां तक। वो समझ गया और एकदम से उठा और
अपना पायजामा उतार दया, और ऊपर से अपनी ट शट भी और एकदम से मेरे पेट के ऊपर बैठ गया, अपने पंजो के बल,
ता क उसका पूरा भार मेरे ऊपर न पड़े, और अपने लंड को मेरे मु मो के बीच रख दया। और तब मने पहल बार उसका लंड
दे खा। इतना बड़ा था यार। मझ
ु े तो पता ह नह ं चला क मेरा छोटा भाई इतना बड़ा हो गया है। ये सब कुछ हुआ बना कोई

50
वड बोले। न मने कुछ कहा और न उसने कुछ, बस होता चला गया सब। शायद वो भी यह चाहता था जो म चाहती थी।
उसने मेर दोन े ट को पकड़ा और अपना लंड उनके बीच डाल कर ध के लगाने लगा। यानी टट फ कं ग करने लगा।

म: लगता है काफ लू फ मे दे खी है तुने।

वो मेर बात सन
ु कर मु कुरा दया।

आश:ु हाँ… और जब भी ऐसा होते दे खा है तो सफ आपके बारे म ह सोचा है क काश म द द के ट स को भी ऐसे चो…चोद
पाता।

म: शमा मत… अब जो बोलना है बोल डाल, जो करना है कर ले, मझ


ु े कोई ो लम नह ं है। और एक बात बोल,ू म भी तो
यह चाहती हूँ । कब से… मने ये कहा और अपने मु मो क गल से आते हुए लंड को पकड़कर अपने मह
ुं म डाल लया और
चस
ू ने लगी।

फर उसने बाहर खींचा और फर ध का मारा। वो अपने अंगूठे से मेरे न पलस को भी दबा रहा था। मुझे सच म बड़ा मजा
आ रहा था। और फर उसके ध को क पीड तेज हो गयी। और अगले ह पल उसके लंड से सफ़ेद रं ग के गोले नकल कर
मेरे मुंह के ऊपर हमला करने लगे।

अ ह ह अअ ह ह ह द द … आप इतनी अ छ हो। अ ह आई ज ट लव यु। मेरा पूरा चेह रा उसके सफ़ेद रस से


भीग गया था और कुछ अ दर भी गया था, काफ टे ट था, मने अपने चेह रे वाले रस को भी समेट कर चाटना शु कर
दया। और ज द ह मेरा चेह रा साफ़ होकर चमकने लगा। अब उसका यान मेर चूत क तरफ गया, जो शो स पहने होने
के बावजूद रस कर गील हो चुक थी। उसने पीछे होकर मेर शो स एक ह बार म नकाल द और मझ
ु े भी अपनी तरह पूर
तरह से नंगा कर दया।

मने अपनी दोन टाँगे हवा म उठाई जैसे उसके मह


ुं को अपनी चूत पर आने का नमं ण दे रह हूँ और उसने नमं ण
वीकार भी लया और सीधा आकर अपनी ल बी जीभ मेर गरमा गरम चूत के ऊपर लगा द । म स कार उठ ।
अ ह ह आश…
ु म मम… चस
ू जा सारा रस अपनी द द का। अ ह… जोर से, और जोर से।

वो अपने एक हाथ से अपने मरु झाये हुए लंड को भी मसल रहा था ता क वो उठ जाए और अपने मुंह का कमाल दखा कर
मेरा अनमोल रस पीये जा रहा था। और ज द ह उसका लंड फर से खड़ा हो गया। म समझ गयी क अब वो सह
ु ानी बेला
आ चुक है िजसका मने पछले बीस साल से इ तजार कया है। वो ऊपर आया, अपने लंड के ऊपर थूक मल , और मेर चूत
के दोन ल स को फेलाया और वहां अपना लंड लगा दया।

मझ
ु े लगा क कसी ने मेर कोमल सी चूत के ऊपर लोहे का मोटा डंड ा रख दया है। म बस दम साधे अपनी चूत के फटने
का इ तजार करने लगी। और फर उसने अपने ह स को आगे कया और एक जोरदार शोट मारकर अपने लंड को मेर चत

के समु दर म उतार दया।

अ ह ह ह… अयीईईई मर गयी। अ ह ह…

इतना दद मझ
ु े कभी नह ं हु आ था। पर पता भी था क ये एक न एक दन तो होना ह है। वो थोडा का और फर ध के
मारने लगा। जब दद होता तो म उसे रोक दे ती, वो नीचे झक
ु कर मेरे मु मे चस
ू ने लगता, और फर म जब इशारा करती तो
ध के मारता। वो बड़े यार से अपनी बहन क पहल चुदाई कर रहा था। ता क मुझे यादा तकल फ न हो। और फर मेरे
अ दर एक तूफ़ान सा उमड़ने लगा। और शायद उसके अ दर भी। हम दोन ने एक दस
ु रे क आँख म दे खकर जोरो से
अपनी तरफ से ध के मारने शु कये।

अ ह… अ ह… ये स… ये स… आशु अ ह… तेज कर, और तेज कर। अ ह ह… आई एम ् कमईनग।


अ ह ह अयीईईइ।

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मेर चूत से रस नकलकर बाहर जाने लगा, पर रा ते म उसके लंड से नकले रस ने उसे फर से अ दर धकेल दया। आशु
मेरे ऊपर गरकर काफ दे र तक हांफता रहा और फर मेरे लप ्स को क स करके वो हट गया। म नीचे जमीन पर पड़ी हुई
अपनी चूत म से उठ रह सनसनी के एहसास को महसस
ू करके मु कुराये जा रह थी। मशः 50

आज वो सब हो ह गया िजसके लए मने अपनी िज दगी के २१ सालो तक इ तजार कया। मने अपनी दो उं ग लया अपनी
ताजा चुद हुई चूत के अ दर दाल द और वहां क टूट फूट का जाएजा लेने लगी। बड़ी ह ससे टव ि कन हो रह थी अ दर
क , ऐसा लग रहा था क कोई ल मशीन अ दर जाकर नकल है, इतनी त पश थी अभी भी वहां क द वार म। अपनी
उं ग लय को बाहर नकाला और उसमे लपटा हु आ भाई के लड से नकला रस भी आ गया, मने उसे सघ
ुं ा और फर धीरे से
चाटा। वाह… इतना वाद था उसके रस म। मने ज द -२ एक-दो और डू ब कयां लगायी और सारा रस नकाल कर चाट कर
गयी।

थोड़ी ह दे र म आशु बाथ म से बाहर नकला और मझ


ु े अपनी उं ग लय को चाटते हुए दे खकर वो मु कुराने लगा। उसके
धुले हुए लंड क चमक मझ
ु े अपनी तरफ खींच रह थी, इतना मोटा और ल बा था अभी भी वो। मने एक ऊँगल अपने ह ठो
म डाल दस
ू र से अपनी चूत को मसलते हु ए अपनी आँख से अपनी तरफ बुलाया। वो कसी रोबोट क तरह से चलता हुआ
मेरे पास आया और हमारे बीच के पांच कदम क दरु को पूरा करते-२ उसके लंड ने अपना रं ग दखाना शु कर दया था, म
उठकर सोफे पर बैठ गयी और उसक कमर को पकड़कर अपने पास खींचा। इतने पास से आज पहल बार दे ख रह थी म
कसी लंड को, उसके ऊपर क नस चमक रह थी, मने उनपर ऊँगल फेरकर, दबाकर, ि कन को आगे पीछे करके, हर तरह
से उसे जांचा परखा।

फर एक अनोखे से मोहपाश म बंधकर मने उसे अपने मह


ुं के अ दर डाला और उसको सक करना शु कर दया। जो रस
मने अपनी चूत के ज रये इक ा करके लया था उसे सीधा पीने क लालसा म मने उसके लंड को तेजी से चूसकर अपने मह
ुं
के अ दर तक धकेल दया। आज मुझे अपने भाई के चेह रे को दे खकर एहसास हो रहा था क लड़के अपने लंड को चु वाने
के लए इतने उतावले य रहते ह। अपने मह
ुं म धीरे -२ आ रहे वाद को पाकर म भी समझने लगी थी क लंड चूसने का
असल मजा या होता है ये लड़ कयां ह जान सकती है, य क उसमे से धीरे -२ नकल रह रस क बद
ंू े और गंध मझ
ु े
मदहोश सा कये जा रह थी, ऐसा लग रहा था क म कोई नशा कर रह हूँ जो मेरे सर चढ़कर बोल रहा है क और जोर से
चूस इस लंड को। और जो से चूस…

ज द ह मेर मेहनत का फल सीधा मेरे मह


ुं के अ दर आकर बरसने लगा। इतनी मठास मने कसी भी चीज के अ दर
महसस
ू नह ं क थी आज तक। मझ
ु े ज द ह लत पड़ने वाल है इस तरह के रस क ।

आश:ु वाव… द द । आज तो मेरे कई सपने सच हो गए ह। पहले तो आपको चो…चोदने का और अब आपसे लो जॉब करवाने
का। आज का दन मेर िज दगी का सबसे अ छा दन है ।

म: ठ क है… ठ क है अब यादा उछल मत और ये जो भी तेरे और मेरे बीच हुआ है, इसक खबर कसी को भी नह ं होनी
चा हए। वना…

आश:ु अरे द द … आप भी न। कैसी बाते करती हो… ये भी कोई बताने वाल बाते ह। मझ
ु े मालम
ु है क अगर ये बात इसी
और को पता चल तो नु सान मेरा ह है ।

म उसक बात का मतलब सन


ु कर हं स पड़ी।

म: अ छा जी… तो तु हे लगता है क म ये सब दोबारा भी क ँ गी तु हारे साथ। हूँ…

वो कुछ न बोला बस मुझे दे खता रहा। मने उठ कर उसे गले से लगा लया। मेरे कोमल से तन उसक कड़क छाती से पस
कर मचल से उठे । उसने भी मझ
ु े अपनी बाजओ
ु का जोर दखाया और मझ
ु े ऊपर तक उठा लया और अपने ह ठो से लगा

52
कर मझ
ु े पे सी क तरह पीने लगा। म अब थक चुक थी। इस लए मने कस तोड़ी और उसे अगल बार ज द ह मलने का
कह कर अपने कमरे क तरफ भागी और वो भी नंगी।

अ दर जाकर मने कपडे पहने और फोन लेकर मने सबसे पहले ये सब द पा को बताया। वो तो झटका खा गयी मेर बात
सन
ु कर। पर फर खश
ु भी हु ई क हम दोन ने अब अपनी जवानी क वो सरहद पार कर ल है िजसके बाद हम न जाने
कतने दे शो क सैर के लए नकलना था।

अगले दन ज द मलने का वादा करके मने फ़ोन रख दया। य क अब शु होना था मेड म का जाल फेलाना, िजसके
लए मने और द पा ने कुछ और ह सोच रखा था। मशः 55

द पा को सब
ु ह मने बस टड पर मलने को कहा था और वो सह टाइम पर आ भी गयी। वो आते ह मझ
ु से गले से लपट
गयी।

द पा: यार कोमल जबसे तुने मझ


ु े अपने भाई के लंड के बारे म बताया है। मझ
ु से तो स ह नह ं हो रहा है। यार ल स… मझ
ु े
भी दखा न।

म हे रानी से उसक तरफ दे खने लगी: या… या दखाऊ तुझे…

द पा: अपने भाई का लंड और या…

म: पागल है या… ऐसे कैसे मम


ु कन है।

द पा: दे ख कोमल आज तक तेरे और मेरे बीच कुछ भी छुपा नह ं है। हम लोग शो पंग भी एक जैसी करते है। और अब जब
लंड क बार आई तो तुझे ये सब सझ
ू रहा है। दे ख अगर तू मझ
ु े आशु के लंड को दखने का इंतजाम कर सकती है तो म भी
तुझे अपने पापा का मोटा लंड दखा सकती हूँ ।

राज अंकल के मोटे लंड को दे खने क बात सन


ु ते ह मेर चूत म से पानी क एक धार नकल कर बाहर क और खसक
चल । मेर आँख म लाल डोरे से तेरने लगे। द पा समझ गयी क उसका फका हु आ दाना मुझपर असर कर रहा है।

द पा: दे ख कोमल अब तो हम दोन क चूत का उ घाटन हो चुका है। अब या शमाना। अब तो हम ये दे खना है क कतने
तरह के लंड हम अपनी चूत क कताब म लख सकते है। वैसे भी मेडम के हसाब से चलगे तो हमार चूत म लंड क कमी
कभी नह ं रहे गी। पर वो हमार मज के लंड नह ं ह गे। पर यहाँ तू भी मेरे पापा का लंड दे खना और लेना चाहती है और म तो
तुझे मालुम ह है क आशु क कब से द वानी हूँ और जब से तुने उसके ल बे लंड के चच सुनाये है, मेर चूत म तो काफ
हलचल सी मची हुई है। और ये तभी शांत होगी जब तू मेरा साथ दे गी।

म सोचने लगी क ऐसा कस तरह से संभव होगा।

तभी द पा फर से बोल : सन
ु , अभी तेरा भाई कहाँ पर होगा।

म: वो तो कूल म है और उसके बाद िजम जाएगा। फर शाम को घर पर मलेगा।

द पा: गुड… एक काम कर तू, उसे बोल क तू मेरे घर पर है, िजम से जाते हु ए वो तुझे मेरे घर से लेता हु आ जाए। मेरे पापा
तो शाम तक आयगे। और म मी तो दो दन के लए मायके गयी हु ई है। मेर नानी क तबीयत ठ क नह ं है। और आज
सब
ु ह जब से वो गयी है, मने सब सोचकर ला नंग भी कर ल है और अगर तू मेरा साथ दे गी तो हम दोन को मजा आएगा।
म उसक बात सन
ु कर सोचने लगी।

द पा: अरे या सोच रह है।

म: वो… वो कॉलेज का या होगा फर। और फर आज से हम मेडम के लए भी तो काम शु करना है न।

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द पा: अरे एक-दो दन क छु ी से कोई फक नह ं पड़े गा। अभी तो कॉलेज शु ह हुए ह और वैसे भी, मेडम के रहते हम
अटडस क चंता करने क कोई ज रत नह ं है। हम पहले अपने घर वालो को अपनी जवानी के मजे दे ने चा हए। ना क
बाहर वालो को।

उसक बात तो सह थी। मने एक ठं डी सांस ल और उसक तरफ दे खकर मु कुरा द । वो मेर वीकृ त मानकर मझ
ु से गले
लग गयी और ज द से एक कस मेरे ल स पर दे डाल । हम लोग बस टड पर खड़े थे। और एक बड़
ू े से अंकल भी थे। जो
ये सब दे खकर भोच के से रह गए। शु है उ ह हाट अटे क नह ं हुआ। मने टाईम दे खा। अभी तो आशु को कूल से आने म
भी एक घंटा था। हम कॉलेज जा नह ं सकते थे, य क वहां से वा पस ज द नकलना मुि कल था। इस लए म द पा के
कहने पर उसके घर ह चल पड़ी।

द पा के पास घर क चाबी थी, उसने दरवाजा खोला और म उसके साथ अ दर आ गयी। उसने मझ
ु े के पा डालकर द और
खुद चज करने अ दर चल गयी। मेरे दल क धड़कने काफ तेज चल रह थी। राज अंकल के लंड के बारे म सोचकर। तभी
द पा बाहर आ गयी। उसक ेस दे खकर तो मेर आँखे फट रह गयी। एक न ह सी जींस क न कर थी। और इतनी छोट
क उसक चूत से नीचे आते ह ख़ म हो गयी। और उसके ऊपर उसने वाईट कलर क ट शट पहनी थी और वो भी बना ा
के। य क उसके न पल म साफ़ दे ख पा रह थी। और उसके ऊपर लखा था। टे ट द थंड र।

म: ये ेस कब ल तुने…

द पा लचक कर मझ
ु े अपनी ेस दखाने लगी। घम
ू कर उसने अपनी गांड को पीछे नकाला तो उसक शेप दे खकर मझ
ु े भी
जलन सी होने लगी। एक दम चकनी थी उसक टाँगे। और कमर का वो ह सा बड़ा ह कटाव वाला था। वैसे तो मेरा शर र
उसके मक
ु ाबले काफ गोरा और भरा हु आ था। पर कमर और गांड के मामले म वो मझ
ु से आगे थी।

द पा: या सोच रह है डा लग। तुझे भी लेनी है ऐसी ेस। म ला दं ग


ू ी, यह पास वाल माकट से ल थी मने। अ छ है न…

म: हाँ… कुछ यादा ह अ छ है।

मेरा इशारा उसके तने हुए न पलस क तरफ था। उसने अपने न पलस के ऊपर हाथ रखा और उ ह उमेठकर बाहर क
तरफ खींचने लगी। अ ह ह… और बोल : ये ह तो दखाने क चीज है। जो लडको को अपने जाल म खींचती है। है न हा
हा… वो अपनी बात पर खुद ह हं सने लगी। अपने न पलस को दबाते हुए वो खुद ह उ तेिजत हो रह थी। मने फ़ोन नकला
और आशु को मेसेज कया क वो मुझे घर जाते हुए द पा के घर से ले जाए। वो अभी कूल म होगा और उसका मोबाइल
सायलट मोड पर बेग म।

म: पर इस तरह क ेस पता नह ं मझ
ु े सट
ू करे गी या नह ।ं

द पा: तो पहन कर दे ख ले न। क…

और ये कहते ह द पा ने बड़ी ह बेशम से अपनी ट शट मेरे सामने ह उतार डाल । और मेरे कुछ कहने से पहले ह न कर
भी। वाव… द पा को मने आज पहल बार नंगा दे खा था। उसक े ट मझ
ु से थोड़ी छोट ज र थी पर ऊपर क तरफ तनी हुई
थी। मेरे मह
ुं म पानी सा आ गया, एक मन तो कया क उ ह चूस कर दे ख ल।ू पर द पा या सोचेगी। या म लेि बयन हूँ।

द पा क चत
ू पर एक भी बाल नह ं था। मने भी तो अभी थोड़े दन पहले अपनी चत
ू को परू तरह से साफ़ कया था। लगता
था, उसने भी राज अंकल से चुदवाने के लए अपनी ब लो रानी को चमकाया था।

द पा: अरे दे ख या रह है। चल ज द से पहन कर दे ख ले।

म: यहाँ…

द पा: और नह ं तो या अ दर जायेगी। यहाँ और है ह कोन, तेरे और मेरे अलावा। और दे ख। मेरे पास भी सब कुछ तेरे
जैसा ह है। हे हे…

54
मझ
ु े उसके सामने कपडे उतारने म पता नह ं य शम सी आ रह थी। पर मन को संभाल कर मने वो करना उ चत ह
समझा। द पा मेरे सामने सोफे पर ह बैठ गयी, नंगी। मने अपनी ट शट को उतारा और फर ा भी।

द पा: वाव… तेर े ट को दे खकर मझ


ु े हमेशा लगता था क मेर तेरे जैसी य नह ं है। सच म दे आर सकेबल उ म… वो
अपनी एक ऊँगल को अपने ह न पलस के ऊपर फराने लगी। और दस
ू र को मह
ंु म डालकर चस
ू ने लगी। मने अपनी
जींस को भी उतारा और दस
ू र तरफ मह
ुं करके अपनी पट को भी उतार दया। और ज द से न कर उठा कर डाल ल ,

द पा: ये तो ची टंग है। तुने मेर पु सी दे खी ना। अपनी भी दखा चल।

मने झ क मारकर अपना चेह रा उसक तरफ कया और न कर को वा पस नीचे गरा दया।

द पा: अ छा जी… तुने भी शे वंग क है। आशु ने तुझे चाटा था या… यहाँ…

म उसक बात सन
ु कर फर से शमा गयी।

द पा: बोल न। चाटा था या नह …


म: हूँ…

द पा: वाव यार। आई एम ् जेलस… काश वो मेर पु सी भी चाटे उ म… और ये कहते हुए उसने अपनी दो उँ ग लयाँ एक
साथ अपनी चत
ू म डाल द । और रगड़ने लगी।

मने न कर को फर से ऊपर कया और उसके बटन बंद करने लगी। वो मझ


ु े काफ टाईट थी। द पा और मेर कमर म
काफ फक था। पर न कर े चब
े ल थी। इस लए थोड़ी मेहनत के बाद बंद हो ह गयी। पर काफ टाईट होने क वजह से
उसके बीच वाला ह सा मेर चूत के अ दर तक चला गया था। मने पट भी नह ं पहनी थी, य क द पा ने कहा था क ये
न कर बना पट के पहननी पड़े गी। वना पट का े प बाहर दखाई दे गा। मने ट शट को भी उठाया और उसे पहन लया।
काफ ठं ड ा कपडा था उसक ट शट का। मेर मोट े ट को काफ अ छ तरह से कवर कया था। पर द पा क ह तरह मेरे
भी न पलस साफ़ दखाई दे रहे थे।

मेर े ट मोट होने क वजह से ट शट भी थोड़ी छोट लग रह थी मझ


ु े। मेरे पेट और न कर के बीच म थोडा गेप आ गया
था और मेर ना भ साफ़ दखाई दे रह थी। द पा का तो बुरा हाल था मझ
ु े ऐसे दे खकर। जैसे कोई ठरक लड़का दे ख रहा हो
कसी पटाखा लड़क को ऐसी हालत म।

द पा: यार म अगर लड़का होता न… तो तुझे आज बुर तरह से चोद डालती, सच म।

उसमे मह
ुं से चोदने वाला वर्ड सन
ु कर मेर फंसी हुई चूत के अ दर का पानी जींस के ऊपर अपना असर छोड़ने लगा। और
मेरे न पलस और भी यादा बड़े होकर मेरे अ दर क उ तेजना को कट करने लगे। तभी मेर नजर द पा क रसील चूत
पर गयी। उसके लोसी ल स पर चूत का रस लगा हु आ था और वो ह रे क तरह चमक रह थी। मेरे मन म ना जाने या
आया क म उसक तरफ खींचती चल गयी। और उसके सामने सोफे के सामने बैठकर मने अपने हाथ उसक जांघो पर रख
दए।

द पा: अ ह ह… कोमल म म…

वो शायद समझ चुक थी क उसक चूत के मोहपाश ने ह मझ


ु े उसके सामने ला बठाया है। उसक जांघे थरथरा रह थी।
मने उसक आँख म दे खा। और उसक मोट जांघ को उठा कर अपने कंधे पर रख लया। और फर दस
ू र जांघ को भी
उठाया और दुसरे कंधे के ऊपर। और बाक का बचा हु आ काम द पा ने कया। उसने अपनी गांड को सोफे पर खसकाया,
और मेरे मह
ुं क तरफ धकेला। और फच से अपनी गील चूत को मेरे मह
ुं के ऊपर दे मारा। अ ह ह… कोमल म मम…
ओय अ ह हह न…

55
मेरे बालो को जोर से पकड़ कर उसने मेर जीभको अपनी गील चूत के अ दर तक उतार दया। मने सोचा भी नह ं था क
चत
ू को चस
ू ने म इतना मजा आता है। ऐसा लग रहा था क मेरा मह
ंु ई के अ दर है और अ दर ढे र सारा आम का रस है।
मने अपनी जीभ से उसक चूत को कुरे दा और अपने ह ठो से उसके आमरस को पीना शु कर दया। अ ह ह… ये स…
कोमल ओह माय डा लग म म…

मेरा एक हाथ नीचे जाकर अपनी चूत के ऊपर ह रगड़ दे ने लगा। द पा क कमर हवा म थी। और वो अपनी चूत के बल पर
मेरे मुंह से लपट हुई थी। मझ
ु े सच म मजा आ रहा था। तभी मेरे मुंह म द पा क ि लट आ गयी। इतना मोटा दाना था
उसका। मेर चूत के अ दर जो था। उससे भी बड़ा। मने अपनी जीभ से उसके दाने को बुर तरह से चाटा और खर चा। उसक
तो हालत ह खराब हो गयी थी।

तभी बाहर क बेल बजी। मने एकदम से द पा को छोड़ दया। हम दोन घबरा गए। य क अभी सफ बारह ह बजे थे।
द पा के पापा शाम को ह आते। और आशु तो िजम जाने के बाद ह आएगा। तो फर कौन आया है इस व त।

द पा: यार तू ल स जाकर दे ख न। कौन है… मने तो कपडे भी नह ं पहने हुए। और ये कहते हुए उसने मेरे कपडे उठाये और
बाथ म क तरफ भाग गयी।

अब मझ
ु े ह दे खना था क बाहर कौन है। पर बाहर जाते हुए मने ये भी नह ं सोचा क मने कस तरह के कपडे पहने हुए ह।
एक छोट सी न कर जो आगे से गील हो चुक थी। और ऊपर से टाईट सी ट शट िजसमे से मेरे न पलस साफ़ दखाई दे
रहे थे। मने जाकर दरवाजा खोल दया। मशः 56

दरवाजा खोला तो सामने आशु खड़ा था। म है रान थी, य क अभी तो आशु के कूल से घर जाने का टाईम था।

म: आशु तू… पर तुने तो कहा था क तीन बजे तक आएगा।

आशु जो मझ
ु े ऐसे कपड़ो म पहल बार दे ख रहा था, वो अपना मह
ुं फाड़े खड़ा था। उसक हालत तो ये थी क मेर बात शायद
उसने सुनी ह नह ं थी। बस मुझे अपनी बड़ी-बड़ी आँख से घूरे जा रहा था।

आशु: वाव… द द तुम तो… तुम तो सच म पटाखा लग रह हो।

मने ज द से उसका हाथ पकड़ कर अ दर खींचा और दरवाजा फर से बंद कर दया। अ दर आकर जैसे ह म उसक तरफ
मड़
ु ी, उसने मझ
ु े पकड़ा और मेरे ह ठो पर अपने ह ठ रखकर उनका रसपान करने लगा। और उसके हाथ मेर गांड को
मसलने लगे। मानो आटा गंध
ू रहा हो वो मेरा।

म कुनमनु ाते हुए उसक गर त से छूटने लगी। पर वो मझ


ु से कद म ल बा और बाजओ
ु ं से ताकतवर था। हम अभी भी
दरवाजे और ा ग म के बीच वाल गेलर म खड़े थे। उसने मेरे हाथ गेलर क दवार के ऊपर चपकाये और अपने ह ठो
को मेर गदन के ऊपर चपका कर मेरे गम िज म का वाद लेने लगा।

अ ह आश…
ु म म…

उसके ह ठ नीचे खसके और ट शट के ऊपर से ह मेरे न पलस उसके मुह


ं क गर त म आ गए।

म च ला उठ … अयीईईईइ… स स… धीरे काट, लगता है।

मेर बात सन
ु कर उसक उ तेजना थोड़ी कम हुई पर सफ मेरे न पलस पर। और वो उ ह छोड़कर नीचे क तरफ खसक
गया। और मेर ना भ वाले ह से को चूमने और चाटने लगा। तभी मझ
ु े द पा का यान आया।

म: उ म म… आशु एक मनट, अ दर द पा भी है। यहाँ ठ क नह ं है ये सब।

56
वो समझ गया। वना अपने लंड का कहना मानकर वो मझ
ु े वह चोद डालता। मने अपनी ट शट ठ क क , िजसपर उसक
थक
ू क वजह से गीलापन आ गया था और मेरे न पलस का भरू ापन साफ़ दखाई दे रहा था। उसने भी अपने लंड को जींस
म एडज ट कया और हम अ दर आ गए।

मने द पा को आवाज लगायी। थोड़ी ह दे र म द पा बाथ म से बाहर नकल । वो गयी तो नंगी थी। और आई भी लगभग
नंगी ह । उसने अपने कले शन से एक और ोक टाईल वाला नाईट सट
ू पहन कर बाहर आई, जो उसक जांघो से थोडा
नीचे ह आ पा रहा था। और ोक के े स पतले थे और नीचे तक आ रहे थे, िजसक वजह से उसक े ट जो काफ बड़ी
थी, उसक ल वेज साफ़ दखाई दे रह थी। और बना ा के साफ़ दखाई दे रहे थे उसके न पलस।

द पा: हाय… आशु तुम तो बड़ी ज द आ गए।

वो ऐसे बहे व कर रह थी क उसके पहने हुए कपडे नोमल है। जब क उसे दे खकर आशु के साथ-२ मेरा भी मह
ुं खुला का
खुला रह गया।

आशु: हाँ… वो म िजम नह ं गया। इस लए सोचा…

द पा: अ छा… ठ क कया। वैसे भी हम दोन अकेले बोर हो रहे थे और मेरे लाये हुए नए कपडे पहन-२ कर दे ख रहे थे। तम

आ ह गए हो तो बताना हम दोन को क कैसे है ये सब कपडे। लडको का टे ट भी तो पता चलना चा हए न। हा हा…

आशु तो शम से पानी-२ हुआ जा रहा था। उसे या मालुम था क द पा को मने सब बता रखा है, वो तो यह समझ रहा था
क मेरे और आशु के बीच क बात द पा को नह ं मालम
ु है। और वो मझ
ु े ज द से घर लेजाकर शायद दोबारा से चोदने क
फराक म था, इस लए ज द लेने आया था। द पा ने मझ
ु े आँख मार और मेरा साथ दे ने के लए इशारा कया। मने भी
अपनी सहमती जता द । द पा ने आशु का हाथ पकड़ कर उसे सोफे पर बठा दया। और मझ
ु े लेकर अ दर वाले कमरे म आ
गयी।

उसने अपनी अलमार खोल और कुछ नए और कुछ पुराने कपडे, जो यादातर नाईट ेस वाले थे या फर ऐसे जो शायद ह
वो बाहर पहन सके। उसने अपनी ोक को उतारा और उसे एक कोने म फक दया। नीचे उसने कुछ भी नह ं पहना हुआ था।
मादरजात नंगी थी वो।

वो ज द से बेड के ऊपर झुक और एक मखमल जैसे कपडे क नाईट को उठाया और पहन लया। वो लेक कलर क थी।
और वो तो जैसे उसके गुदाज िज म से चपक सी गयी। ऐसा लग रहा था मानो उसने कुछ पहना ह नह ं है। उसके शर र का
एक एक उतार चड़ाव साफ़-साफ़ दखाई दे रहा था। और उसके न पलस तो ऐसे लग रहे थे जैसे कपडे के ऊपर से चपकाये
गए ह। इतने मोटे थे मानो कपडे को फाड़कर बाहर नकल आयगे।

म: ये या है… कुछ पहन तो ले नीचे, दे ख सब नजर आ रहा है तेरा।

द पा: तभी तो पहना है ये मने मेर जान। और हँ सते हुए वो बाहर नकल गयी। आशु को अपना जलवा दखने के लए। म
भी बाहर गयी, आशु का रए शन दे खने के लए। जो मेर आशा के अनु प ह था। मह
ंु खल
ु ा, आँखे फट और हाथ अपने
लंड को छुपाता हुआ।

द पा: कैसा है ये…

आशु तो या, द ु नया का कोई भी लड़का, जवान या बु ढा उसे दे खकर पागल हो जाता। और यह हाल आशु का भी था। पर
शायद वो समझ चुका था क द पा उसे अपना जलवा दखाकर या करवाना चाहती है , इतना चु तया तो वो भी नह ं था।
आशु उठ खड़ा हुआ। और बीच म खड़ी हुई द पा के चारो तरफ घूमकर उसे दे खने लगा, जैसे उसक ेस का जाएजा ले रहा
हो। पर असल म तो वो उसके िज म को अपनी आँख से चोद रहा था।

आश:ु द पा द … अ छ तो है, पर मॉडन नह ं है।

57
द पा उसक तरफ घूमी: मॉडन नह ं है। या कमी है इसम…

आश:ु बस थोड़ी सी ल बी है। ये तो बस थाई तक होनी चा हए। जब क ये तो काफ नीचे तक है।

द पा भी समझ गयी क आशु मजे लेने के लए कह रहा है, वो भी उसके साथ खेल म कूद पड़ी। और कूदे भी य न, वो भी
तो यह चाहती थी।

द पा: तो तू ह कर दे न ऊपर, िजतनी होनी चा हए।

आशु उसके सामने बैठ गया और मखमल कपडे को पकड़ कर ऊपर क तरफ खसकाने लगा। जैस-े २ वो ऊपर करता गया,
उसक नंगी और सफ़ेद टाँगे जो मोट होती जा रह थी, िजतना ऊपर वो जाता जा रहा था। द पा क चूत वाला ह सा आशु
के चेह रे के सामने था, पर शायद साफ़ दखाई नह ं दे रहा था उसको क अ दर से कैसी है उसक चूत। द पा क जांघो के
थोडा ऊपर जाकर आशु ने अपना हाथ रोक दया।

आश:ु अब दे खो जरा शीशे म…

शीशा अ दर वाले कमरे म था। जहाँ दस


ू र ेसेस रखी थी। द पा अ दर गयी। और आशु को भी इशारे से अ दर चलने को
कहा। म तो अपने आप ह चल द , अ दर क ओर। मशः 57

शीशे के सामने पहूँच कर द पा ने जब अपने अधन न बदन को दे खा तो एक बार तो शायद उसके शर र म भी झुरझुर सी
दौड़ गयी। अपने शर र का ऐसा दशन तो उसने आज तक कसी के सामने नह ं कया था। और आज वो सब हम दोन भाई
बहन को दखने म लगी थी। वैसे भी िज दगी म हर काम कभी न कभी तो करना पड़ता है पहल बार। तभी तो उसका फल
मलता है । और शायद यह फल वो लेना चाहती थी। या फर ये कह लो, दे ना चाहती थी। आशु ने मेर तरफ दे खा और
मु कुराने लगा। और आँख ह आँख म जैसे मझ
ु से आगे बड़ने क पर मशन मांग रहा था। य क आ खर द पा थी तो मेर
सहे ल न। मने तो पहले से ह आशु को पर मशन दे डाल थी। वैसे अब उन दोन क हरकते मेर चूत म भी भावनाओ का
टोरनड़ो बना रहे थे।

मेरे न पलस फर से हाड होने लगे। और अपने होने का एहसास करवाने लगे। द पा ने मेर तरफ दे खा और बोल : अरे
कोमल। तू भी ये ेस पहन कर दे ख न। तू मेरे से पतल है, तुझपर काफ जंचग
े ी ये। और तब तक म… उ म… हाँ ये वाल
पहन कर बताती हूँ । ओके… मेरे कहने से पहले ह उसने बेड पर रखी हुई एक दूसर ेस उठाई और मुझे घसीट कर बाथ म
म ले गयी और अ दर से दरवाजा बंद कर दया। बाहर खड़ा हुआ आशु ह का-ब का सा खड़ा रहा, अपनी बहन को द पा के
साथ एक ह बाथ म म जाता दे खकर। और शायद ये सोचकर क अ दर हम दोन एक दस
ु रे के सामने नंगी होकर कपडे
चज करगी।

द पा ने अ दर आते ह अपनी ेस उतार द और पूर नंगी होकर खड़ी हो गयी। और मझ


ु े भी अपने कपडे उतारने को कहा।
मने शोट न कर और ट शट को उतार फका एक कोने म। तभी द पा ने मझ
ु े पीछे से दबोच लया। और अपने ह ठ मेरे
कानो के पास लाकर फुसफुसाई: यार कोमल। आज अगर तेरे भाई का लंड मझ
ु े न मला तो म पागल हो जाउं गी। सच म…
उसके दोन हाथो ने मेरे मु मो को पकड़ कर जोर से दबा दया।

म: अ ह… धीरे , वो बाहर ह है।

द पा: तुने भी तो लया है न अपने भाई का लंड। यहाँ अपनी चूत म। ओह… या गील हुई पड़ी है ये तो। वो अपनी
उं ग लया मेर बा रश बरसाती हुई चत
ू के अ दर घुसा कर मझ
ु े आनंद वभोर करने लगी। फर मने उसक ेस उठाई और
पहन ल । ऐसा लगा क मने चु नी से बनी हुई कोई ेस पहनी है, इतनी हलक और उसका एहसास तो ना के बराबर था मेरे
िज म पर।

58
द पा ने ओरज कलर क फसी शोट ट शट और शोट कट पहनी। जो उसके चुतड क गोलाइया भी सह ढं ग से ढक नह ं पा
रह थी। और बीच से उसक ना भ भी। फर एकदम से दरवाजा खोलकर वो बाहर नकल आई। बाहर खड़ा हुआ आशु अभी
भी हे रत से दरवाजा खुलने का इ तजार कर रहा था। द पा को दे खकर तो उसका मह
ुं और भी खुल गया और मझ
ु े दे खकर तो
वो गरते-२ बचा। मने भी उस ेस को ऊपर तक कर दया था ता क मेर जांघे उसे साफ़ दखाई दे । और मेरे न पलस तो
ेस म ल कर रहे थे।

द पा: अब बोलो… कौन यादा से सी लग रहा है…

वो कुछ न बोला। बस हम दोन को आँख ह आँख म चोदने म लगा रहा। उसके लंड वाला ह सा आगे क तरफ नकला
हुआ था। मझु े तो मालुम था क उसका लंड कैसा है। पर द पा तो ये सब पहल बार दे खना चाहती थी। आ खर उसने आगे
बढ़ने का फेसला कर ह लया। इस तरह से तो ेसेस दखा-२ कर वो पूरा टाईम नकाल दे गी।

द पा: आशु लगता है तुम हम दोन को दे खकर कुछ ए सायी टड हो रहे हो। है न…

आशु: नह …
ं नह ं तो।

वो अपने लंड को छुपाने क असफल को शश करने लगा। द पा आगे आई और उसके हाथो को हटा दया।

द पा: तुमसे अ छा तो तु हारा ये दो त है। जो मेर तार फ कर रहा है बना कुछ बोले और एक तुम हो, कुछ बोल ह नह ं
रहे हमारे बारे म।

वो शमा रहा था।

द पा: अ छा… अपने दो त से मलवाओगे नह ं या। इसको बंद य कर रखा है। खल


ु कर ये शायद यादा तार फ कर
पाए।

द पा क खुल बाते सन
ु कर आशु क शम और रहा सहा डर भी चला गया। उसने अपने हाथ पीछे कर लए। द पा ने उसक
आँख म दे खा और। दे खते-२ उसके सामने बैठ गयी। घुटन के बल। और उसक जींस के बटन खोलने लगी। और अपने
ह ठो पर जीभ फेरते हुए आने वाले लंड का इ तजार करने लगी। आशु ने नीचे सफ़ेद रं ग का रे ड लाि टक वाला जो क
पहना हु आ था।

द पा ने उसे भी नीचे कया। और जैसे ह उसका लंड सामने आया, द पा ने बना कोई दे र कये उसे अपने मह
ंु म डाला और
जोर से चूसते हु ए अपने हाथो को उसक गांड के ऊपर दबाने लगी। मेर भी हालत खराब होने लगी थी। मने ेस को थोडा
और ऊपर कया और अपनी सफाचट चूत को आशु क आँख के सामने ह बेपदा करते हुए, उसपर अपनी उं ग लया फेराने
लगी।

अब तक वो समझ गया था क आज उसे डबल मजा आने वाला है। म सोफे पर अपनी टाँगे चोडी करके बैठ गयी। और
अपनी ेस के े प को नीचे गरा कर अपनी एक े ट बाहर नकाल ल और अपने दस ु रे हाथ से न पल को मसलते हुए,
चूत क रगड़ाई करने लगी। द पा ने अपनी ट शर्ट को उतार दया। और ऊपर खड़े हु ए आशु ने भी अपनी ट शट और
ब नयान को उतार दया और नंगा होकर अपने लंड को चु वाने लगा। आशु का पूरा लंड द पा क थूक से भीग चुका था।
अब द पा से भी और सहन नह ं हु आ। वो खड़ी हुई और अपनी एक टांग उठा कर आशु के हाथ पर रख द । छोट से कट को
उसने खींच कर अपने पेट वाले ह से पर कर लया और अपनी चूत को उसने आशु के मोटे लंड के ऊपर लगा कर दबा
दया।

अ ह ह… ओ फ़… साला या लंड है तेरे भाई का कोमल… म मम…

मेरे मुंह से एकदम से "थ स।” नकल गया। िजसे सन


ु कर हम तीनो हं स पड़े। और जब हं सी क तो चुदाई क गाडी ने
अपनी पीड पकड़ ल । आशु ने उसक दस
ू र टांग को भी उठा लया और अपनी गोद म उठा कर अपना पूरा का पूरा लोडा

59
द पा क चूत के अ दर पेल दया। और दोन पागलो क तरह से एक दस
ु रे के ह ठो को काटने लगे। पुरे कमरे म वासना का
तफ़
ू ान आ गया था।

मने अपने कपडे को बुर तरह से खींचा और अपने शर र से नकाल फका। और खड़ी होकर म आशु क पीठ से जा लगी।
और अपने हाथो से उसके कंधे पकड़ कर अपना परू ा शर र उसक कमर से रगड़ने लगी। और अचानक ना जाने मझ
ु े या
हुआ। म ब दर क तरह उसक पीठ पर उछल कर चढ़ गयी। और अपनी बाहे मने उसक गदन म फंसा द , और टाँगे द पा
क टांगो के ऊपर।

वो तो आशु गठ ले िज म का था, वना और कोई होता तो हम दोन को लेकर नीचे गर जाता। पर वो बड़ी दलेर से द पा को
सामने से चोदते हुए, अपने मुंह को पीछे करके मेरे ह ठो को चूसने और चाटने लगा। पर ऐसा करने म उसे थोड़ी तकल फ
भी हो रह थी। जो शायद द पा ने भांप ल ।

द पा: अ दर चलो बेड पर। अ ह… ज द ।

आशु हम दोन को अपने ऊपर उठा कर अ दर क तरफ चल दया। जहाँ बेड पर अभी भी कई ेसेस पड़ी हुई थी। उसने द पा
को पीठ के बल पटक दया। और अपने लंड को बाहर नकाले बना उसे चोदने म लगा रहा। म तो बेताल क तरह आशु क
पीठ से चपक हुई अपने तन से उसक मा लश करने म लगी हुई थी। मेर चूत से नकल रहा पानी, उसक पीठ पर
अपना गीलापन छोड़ रहा था।

म िजस अव था म थी, सामने चद


ु रह द पा के चेह रे के भाव को साफ़ दे ख पा रह थी। उसक आँखे बंद थी और हाथ सर के
ऊपर। और उसक मोट े ट हर झटके से ऊपर क तरफ जाती और फर नीचे आती। और मह
ुं पूरा खुला हुआ था। िजसमे
बंद जीभ क हर हरकत को म साफ़ दे ख पा रह थी। और उसक स का रया और हलक चीखे। मेरे चेह रे से टकरा कर
अपनी कामक
ु ता बखेर रह थी।

मने आशु के कान को अपने मह


ुं म भरा और उसे चूसना शु कर दया। वो भी मचल कर और तेजी से द पा क चूत को
मारने म लग गया। अ ह ह… अ ह ह द पा म म… तु हार े ट कतनी म त है यार… कतने सालो से इ ह दे खकर
अ ह… मने ना जाने कतनी बार मुठ मार है। अ ह… आज मौका मला है इ ह दे खने और चूसने का। ये कहते हुए
आशु नीचे झुका और द पा क ले ट े ट को मह
ुं म भरकर उसका तनपान करने लगा। आशु का चेह रा नीचे था। और
उसके कंधे पर रखा हुआ मेरा सर अब बलकुल द पा के मह
ुं के ऊपर था। मने द पा के लरजते हुए ह ठो को अपने मह
ुं म
दबाया। और उ ह जोर-जोर से चूसते हुए उनमे बंद रस अपने पेट म उतारने लगी। दोतरफा हमला उसके लए सहन करना
मिु कल हो गया

एक तेज चीख के साथ वो अपने रस को मेरे भाई के लंड के नाम कुबान करके झड़ने लगी। अयीईईईइ… म म… तुम दोन
भाई बहन मेर जान लोगे आज। अ ह ह… आई एम ् कमीईई ग। और उसक चत
ू से नकलने वाला रस का बहाव इतना
तेज था क आशु का लंड भी एक झटके म बाहर क तरफ फसल गया। और म भी उस झटके क वजह से फसलन भर
पीठ को छोड़कर नीचे क तरफ गर पड़ी। द पा क बगल म। नीचे आते ह मने अपने ह ठ फर से उसके मह
ुं से लगा दए।
ता क वो और न चीख पाए।

आशु ने अपने लंड को फर से तैयार कया और चूत म दाल दया। पर इस बार चूत द पा क नह ं मेर थी।

आशु के लंड के गम एहसास से मेर चूत पुल कत हो उठ । और मने अपनी दस


ू र टांग को पूर तरह से फैला कर उसके मोटे
लंड का अ दर वागत कया।

और फर उस बेरहम ने एक ह झटके म अपना पूरा मूसल डाल दया मेर एक दन पहले चुद चूत के अ दर। अ ह…
धीरे आश…
ु अभी इतनी आदत नह ं हुई है।

आश:ु ओ ह… सॉर द द अभी धीरे क ँ गा।


60
म: अब या धीरे करे गा। अब तो पूरा गया अ दर। अब तेज मार, िजतना तेज कर सकता है, उतना। समझा… और फर
आशु ने मझ
ु े अपने लंड से र दना शु कर दया। मेर टाईट चत
ू ने अपना कमाल ज द ह दखाया और उसके लंड क नसे
टाईट होने लगी और मेर चूत ने उसके वकराल प को दे खकर आ मसमपण कर दया। और म खल खल करके अपनी
चूत के पानी को बाहर क तरफ धकेलने लगी।

जैसे ह आशु के लंड का रस नकलने लगा, उसने अपने लंड को बाहर खींचा और मेरे और द पा के ऊपर े करने लगा।
और हम दोन के तपते हुए िज मो को अपने लंड के गम रस से बुझाने लगा। द पा तो मझ
ु े चुदता हुआ दे खकर पूर तरह से
दोबारा गरम हो चुक थी। पर शायद आशु को थोडा और टाईम लगना था, दोबारा तैयार होने म। इस लए द पा अपने शर र
से उसे दोबारा रगड़ने लगी और फर नीचे झुककर आशु के लंड को मह
ुं म भरकर फर से चूसने लगी।

तभी बाहर, दरवाजे क बेल बजी।

द पा ने टाईम दे खा और मु कुरा कर मेर तरफ दे खकर बोल : जा जाकर दरवाजा खोल तू, मेरे पापा आये है । म उसक बात
का मतलब सन
ु कर शम से लाल हो गयी। आशु ने भी जब ये सन
ु ा तो ज द से उठने लगा। पर द पा ने उसे रोका और
समझाया, डरने क कोई ज रत नह ं है आशु। जैसा तुम भाई बहन के बीच है, वैसा ह र ता मेरे और पापा के बीच है। और
अब तम
ु उन पापा क बेट से मजे लो और अपनी इस बहन को उन पापा से मजे लेने दो। समझे…

वो भी या करता। अपनी बहन को बूढ़े अंकल से चुदते दे खने के अलावा और कोई चारा अभी तो नह ं था उसके पास। पर वो
कतने बूढ़े थे, ये वो नह ं जानता था, उनक जवानी का राज तो सफ द पा जानती थी। या फर म आज जानूंगी। मने ज द
से वह शोट न कर और ट शट पहनी और भागकर बाहर नकल आई और जाते हुए मने उनके म का दरवाजा भी बंद
कर दया।

मने मेिजक आई से बाहर झाँका, बाहर राज अंकल ह थे। मने एक गहर सांस ल और दरवाजा खोल दया। मशः 60

अब आगे क कहानी, द पा क जुबानी।

*****द पा ******
****************
कोमल के जाते ह मने आशु क तरफ दे खा जो अभी भी अपनी बहन के बारे म सोच रहा था क कैसे वो राज अंकल के साथ
चुदाई करे गी।

म: या सोच रहे हो। तुम कोमल क चंता मत करो। म उसे अ छ तरह से जानती हूँ। बचपन से उसका मेरे पापा के ऊपर
श है। जैसा मेरा तु हारे ऊपर था। हा हा…

वो मेर बात सन
ु कर हे रानी से मझ
ु े दे खने लगा।

म: इसम है रान होने वाल या बात है। तम


ु लड़के भी तो यह सब करते हो। अपने आस पड़ोस म रहने वाल आंट या फर
ट चस, या फर बहन क सहेल या फर अपनी माँ या बहन के बारे म सोचकर ह कतनी बार मठ
ु मारते हो। है न। और
यह काम हम करे तो तुम है रान हो रहे हो। पता है, मने तु हारे बारे म सोचकर कतनी बार मा टरबेट कया है। और यह
हाल कोमल का भी है । उसने मझ
ु े खद
ु ह बताया था क मेरे पापा को दे खकर ह उसक चत
ू के अ दर अजीब सी खलबल हो
जाती है। और पछले कई दन से हमने एक साथ कई बार तुम दोन के बारे म सोचकर आपस म और यहाँ तक क कॉलेज
म भी मजे लए है । पर आज जाकर हम दोन क असल यास बुझी है।

मझ
ु े पता है क तुमने ह कोमल क विज नट ल है और पापा ने मेर । काश इसका उ टा होता, पापा कोमल क लेते और
तुम मेर । सच म, मजा आ जाता। मेर बाते सुनकर उसके हेरानी भरे चेह रे के भाव बदलने लगे। और उसके लंड का साईज
भी।

61
मने अपनी बात जार राखी: दे खो आशु, तु हे अपनी बहन क तो अब रोज ह मला करे गी और साथ ह साथ मेर भी। अब
तम
ु ये सब सोचना छोड़ दो क कोमल और कसके साथ अपनी जवानी के मजे लेती है। तम
ु सफ अपने आम गनो और
मजे लो। उसके गनने बैठोगे तो तु हे अपने आम से भी हाथ धोना पड़ेगा। समझे।

उसने हाँ म गदन हलाई।

म: शाबाश… अब इधर आओ। मेर चूत क गम अभी शांत नह ं हुई है। तु हारे गम लंड क ठं डक ह इसका इलाज है। मने
उसके पाईप को पकड़ा और अपनी तरफ खींचा। उसक साँसे इतनी तेज चल रह थी क मेर वचा को भी झुलसा रह थी।
शायद मेर बाते सन
ु कर। या फर बाहर अपनी बहन क चुदाई के बारे म सोचकर।

आश:ु सन
ु ो द पा… या… या हम बाहर दे खे क या हो रहा है…

म उसक बात सन
ु कर अब हैरान होने क बार मेर थी। यानी वो अपनी बहन को चद
ु ते हुए दे खना चाहता था। मने भी सोचा
क इसम यादा रोमांच है। अगर पापा को पता चल भी गया तो भी वो मझ
ु े कुछ नह ं कहगे। मने झट से हाँ कर द
और हम भागकर दरवाजे के पास आये। मने हलके से दरवाजा खोल दया और बाहर का नजारा हम दे खने लगे। बाहर तब
तक कोमल अपने कपडे पहन कर दरवाजे तक पहूँच चक
ु थी। उसने दरवाजा खोला और पापा अ दर आ गए।

"हे लो बेटा… आज आने म थोड़ी दे र…”

वो इतना ह बोल पाए थे क कोमल को दे खकर वो च क गए। उ ह ने समझा था क म हूँ, य क म मी तो उ ह बताकर


ह बाहर गयी थी और शायद अपनी बेट को चोदने का लान बनाकर ह वो आये थे ऑ फस से। पर कोमल को ऐसे कपड़ो
म दे खकर तो उनका मह
ुं खुला का खुला ह रह गया।

पापा: अरे कोमल बेटा तु म…

उनक नजरे उसक टाईट ट शट और उसमे से झाँक रहे न पलस के ऊपर से फसलती हुई उसक चकनी जांघो तक गयी।
और छोट सी न कर म फंसी हुई उसक मोट जांघ को दे खकर ह उनके मुह
ं म पानी आ गया। कोमल ने ह पहल कर ।
और पापा का हाथ पकड़ कर अ दर खींचा। ता क सामने वाल आंट एकदम से बाहर नकल कर उसे न दे ख ले। अ दर
आते ह कोमल ने पापा के हाथ से उनका बेग ले लया।

कोमल: वो या है न अंकल… आज म और द पा कॉलेज नह ं गए। इस लए घर पर ह च ल मार रहे थे।

पापा: अ छा… अ छा कोई बात नह ।ं वैसे द पा कहाँ है… उनक नजरे मझ


ु े ढूँढने लगी।

कोमल: वो… वो तो सो रह है। मझ


ु े नींद नह ं आई थी तो म ट वी दे ख रह थी। आप बै ठये, म आपके लए पानी लाती हूँ।
और इतना कहकर म अपनी गांड मटकाती हुई कचन क तरफ चल द ।

पापा बड़े ह गौर से उसे जाते हुए दे ख रहे थे। उनके चेह रे पर पसीना आ रहा था। शायद कोमल के बारे म सोचकर। मुझे भी
अपनी गांड पर आशु के लंड का एहसास होने लगा था। उसके लंड का सुपाडा मेर गांड के छे द के ऊपर सुरसुर ाहट फैला रहा
था। मेरा पूरा शर र उसके लंड का एहसास पाकर सु न सा होने लगा था। कोमल पापा के लए पानी लायी और पापा ने परू ा
गीलास एक ह घूँट म पी लया। वो अभी तक कोमल क न कर को घूरे जा रहे थे। कोमल और म पापा क ऐसी हालत
दे खकर मु कुरा दए।

कोमल पापा के पास ह सोफे पर बैठ गयी।

कोमल: पता है राज अंकल, आज मने द पा के कपडे पहने है। कैसे लगे आपको…

पापा को तो मालुम था क ये मेरे ह कपडे ह। कल ह उनके सामने पहन कर गयी थी और उ ह ने मझ


ु े बुर तरह से चोदा था
फर।

62
पापा: ह म… पता है। तुम काफ से सी लग रह हो इसम। पापा ने तो एकदम से ह कोमल को से सी बोल डाला। वाव…
अब आएगा मजा।

कोमल: ओह… थ स अंकल, एकचुल मझ


ु े पता नह ं था क आप आने वाले है। वना म अभी तक अपने ह कपडे पहन लेती।

पापा: अरे कोई नह ं कोमल। तुम तो इसम इतनी सु दर लग रह हो। तु हार ि कन इतनी सो ट है, सच म। और ये कहते
हुए पापा ने अपना एक हाथ कोमल क जांघ के ऊपर फेराया। कोमल के साथ-२ मेरे शर र म भी झुरझुर सी दौड़ गयी। मझ
ु े
अंदाजा नह ं था क पापा एकदम से खुल कर उसके साथ ऐसा करना शु कर दगे। पर शायद पापा को एहसास हो गया था
क मने कोमल को अपने और पापा के बारे म सब बता दया है। और शायद येह सोचकर पापा भी अपने चांस ले रहे थे क
शायद कोमल भी उनमे कोई इं टर ट दखाएगी।

कोमल: आप…आपको मेर ि कन सो ट लगी…

पापा: ह म… बलकुल छोटे ब चे जैसी सो ट एंड ल यर।

पापा का हाथ फर से कोमल क टांग के ऊपर पयानो बजाने लगा। कोमल क ना भ वाला ह सा साफ़ दखाई दे रहा था।
पापा ने अपना एक हाथ उसक कमर म डाला और उसे अपनी तरफ खींचा।

ु े एक बात तो बताओ। म तु हे कैसा लगता हूँ…


पापा: अ छा कोमल, मझ

कोमल: आप अ छे है अंकल। इ फे ट आप हम सभी स के पापा लोगो म सबसे माट हो और मझ


ु े तो आप शु से ह
इतने अ छे लगते हो क मन करता था क आपको पकड़ कर… पकड़ कर। और इतना कहते-२ ह कोमल क गयी।

पापा: हाँ… हाँ बोलो। मझ


ु े पकड़ कर या… बोलो न…

कोमल शमा रह थी। शायद उ तेजना म वो कुछ यादा ह बोल गयी थी। अब कोमल के पाले म बोल थी। अगर वो बोल
दे गी तो सब आसानी से हो जाएगा। वना पापा भी सकुचा कर बात करगे आगे क । कोमल ने मह
ुं नीचे कये हुए ह बोलना
शु कया: पता है अंकल… म जब भी आपको दे खती हूँ तो मुझे पता नह ं या हो जाता है। बस मन करता है क आपक
बाह म… आप मझ
ु े जोर से दबा डाले। बस…

कोमल के कहने क दे र थी क पापा ने अपनी ब ल ट बाजए


ु उसके चारो तरफ लपेट द । उसके चेह रे को अपनी तरफ कया
और उसे जोर से भींच डाला अपने सीने से लगा कर। उसके कमल कलश पापा क चोडी छाती से चपक कर बरु तरह से
पस गए। कोमल का चेह रा दरवाजे क तरफ था और उसके चेह रे पर आये हुए संतुि ट के भाव दे खकर म भी रोमांच से भर
गयी। मझ
ु े एहसास हो गया था क कोमल को कतना सक
ु ू न मल रहा होगा। तभी पापा ने उसके चेह रे को अपनी तरफ
कया।

दोन ने कुछ दे र तक एक दस
ु रे को दे खा और फर दोन क आँखे बंद और ह ठ एक दस
ु रे क तरफ खींचते चले गए। और
अगले ह पल मने और आशु ने कस ऑफ़ द सचरु दे ख। इतनी इरो टक थी उनक कस। पापा ने तो उसके दोन गल
ु ाबी
ह ठो को पूरा मह
ुं म ले लया, और उसे दसहर आम क तरह से चूसने लगे। उसके ह ठो के सईद से आमरस नकल कर
गदन क तरफ जाने लगा। पापा ने क स तोड़कर अपनी जीभ से नीचे फसल रहे आमरस को भी अपने मह
ुं म समेत
लया।

कोमल का मह
ुं खुला का खुला रह गया। अ ह ह अंकल सच म। ऐसा ह सोचती थी म क काश आप अपने से सी ह ठो
से मुझे चूस चूस कर पी जाओ, पूरा का पूरा। अ ह ह… पापा तो पागल से हो गए। उनके सामने बीस साल क जवान
लड़क थी। जो उ ह बचपन से चाहती थी।

और आज अपनी चाहत क वजह से ह वो अपना सब कुछ उ ह सो पने के लए तैयार थी। आशु भी अपनी बहन का ये प
दे खकर पागल सा हो गया। उसे तो मालम
ु ह था क उसके ह ठो को चूसने से कतना मीठा रस नकलता है। अचानक आशु

63
ने मझ
ु े अपनी तरफ ह ंचा और मेरे सख
ू े हु ए ह ठो को अपने मह
ुं म भींचकर पीने लगा। ठ क उसी तरह जैसे बाहर पापा
कोमल का रसपान करने म लगे हुए थे।

आज तो दो-दो तूफ़ान आयगे। एक अ दर और एक बाहर। मशः 62

अब मेरा पूरा यान आशु क तरफ था। उसक अधीरता दे खते ह बनती थी। मेर े ट को तो वो खलोने क तरह दबा रहा
था। और न पलस को अपनी उं ग लय के बीच भींचकर उसमे से दध
ू नकालने क असफल को शश कर रहा था। आज मझ
ु े
अपनी जवानी का एहसास हु आ था। मतलब हर चुदाई के बाद या दोरान मझ
ु े इसी तरह का एहसास हुआ करे गा। ये सोचकर
मेरे तन बदन म रोमांच सा भर गया।

म वह दरवाजे पर बैठ गयी। और आशु के तड़पते हुए लंड को अपनी हथेल म भरकर चूसने लगी। मेरा मह
ुं ऊपर क तरफ
था, उसके चेह रे के भाव दे खकर मेर चूसने क पीड और तेज होने लगी। पर अभी म उसके रस को सफ अपने मुंह म
नकाल कर अपनी चूत को यासा नह ं छोड़ सकती थी। म उठ और अपने गीले ह ठ से उसके ह ठो को पकड़ कर उतनी ह
तेजी से चूसने लगी िजतनी तेजी से उसका लंड चूसा था। तभी बाहर से मुझे पापा क ल बी ससकार क आवाज आई। हम
दोन का यान बाहर क तरफ चला गया।

बाहर तो कोमल ने अ त मचा रखी थी। वो तो मेरे पापा के साथ ऐसे यार का खेल खेलने म लगी थी मानो कई बार कर
चक
ु है उनके साथ। उनके लंड को पट से नकाल कर चस
ू ने म लगी हुई थी कु तया। पापा ने अपनी आँखे बंद कर ल थी।
और अपने सर को पीछे करके सोफे के ऊपर रख लया था और लंड चु वाने के मजे लेने म लग गए। और फर कोमल
अपनी जगह से उठ और ज द -२ अपने कपडे उतारने लगी।

उसक ट शट और न कर को उतरने म सफ एक मनट लगा। और वो जब नंगी होकर पापा के सामने खड़ी हुई तो पापा
क हालत दे खने वाल थी। उ ह ने तो सोचा भी नह ं होगा क आज घर आकर उ ह उस कोमल को नंगा दे खने का मौका
मलेगा िजसे दे खकर ना जाने उनके लंड ने कतनी बार कलाबािजया खायी थी। पापा ने भी आनन फानन म अपने कपडे
उतार फके और नंगे होकर उसी अव था म सोफे पर जा बैठे। कोमल के चेह रे पर मु कान आ गयी, जब उसने पापा को पूरा
नंगा दे खा और उनके लंड का साईज अपने सामने दे खकर वो मचल सी उठ । और अपनी कमर को थरकाते हु ए धीरे -२
नाचने लगी।

वो उनके सामने बड़े ह इरो टक वे म डांस कर रह थी। नंगी होकर, केबरे डांस।

वो पलट और पापा क तरफ अपनी गांड करके अपनी गील चूत के दशन करवाने लगी। और थोडा पीछे होकर, झुककर
अपनी गांड को पापा के मह
ंु से लगा कर उनसे चु वाने लगी। पापा तो उसक गांड को चु क क तरह से चस
ू ने लगे। म और
आशु बस अपने शर र को एक दस
ु रे के साथ चपका कर बाहर का नजारा बना पलक झपकाए दे ख रहे थे। कोमल डांस
करती हुई पापा के पीछे क तरफ गयी और अपने हाथो से उनके कंधे दबाने लगी। पापा क आँखे बंद हो गयी इस तरह का
एहसास पाकर। फर कोमल ने नीचे झक
ु कर पापा के कानो को अपने मह
ंु म भरा और उ ह चस
ू ने लगी। पापा के मह
ंु से तो
एक ठं ड ी सी चीख नकल गयी।

अ ह ह ह कोमल…

कोमल के मोटे नारं गी पापा के कंधो को छु रहे थे और उसके कठोर न पलस उ ह चुभ रहे थे। पापा ने अपने हाथ ऊपर
कये और उसके दोन थन को पकड़ कर उ ह दबाने लगे, मानो भस का दूध नकाल रहे हो। कोमल का शर र नीचे आता
जा रहा था और अंत म उसक गांड सोफे के पीछे क तरफ उभर हुई दखाई दे ने लगी। य क उसका मह
ुं पापा के खड़े हुए
रोकेट तक पहूँच चुका था और उसने झट से उसे मह
ुं म भरकर चूसना शु कर दया।

64
पापा ने भी कोमल को थोडा और नीचे खींचा और उसक एक टांग को घुमा कर अपने सर के दस
ू र तरफ कर लया। और
इस तरह से उसक रसील चत
ू अब उनके चेह रे के बलकुल सामने थी। पापा ने बना दे र कये अपना यासा मंह
ु उसक
चकनी चूत के ऊपर रख दया।

कोमल के दोन पैर ऊपर छत क तरफ थे और बरु तरह से अपनी चत


ू को चु वाने क वजह से वो डांस से कर रहे थे। पापा
तो आदमखोरो क तरह उसक चूत को क चा खाए जा रहे थे। उनक जीभ ह इस व त एक छोटे -मोटे लंड का काम कर
रह थी। और नीचे पापा का लंड उसके गले को भी टच कर रहा था। ये आसन था ह ऐसा। पापा का पूरा लंड कोमल के गले
के पछले भाग को ठोकर मार रहा था।

फर अचानक पापा ने अपनी शि त का दशन करते हुए, उसक गांड से पकड़ कर सीधा कया और सीधा अपने लंड के
ऊपर लड करवा दया। पापा का लंड आशु से मोटा था। इस लए वो चूत के गेट पर अटक सा गया। कोमल अपने पंजो के
बल बैठ थी और पापा के कंधो पर हाथ रखकर उनके लंड को बीच रा ते म अटका दे खकर मचल सी रह थी। पापा ने उसका
काम आसान कर दया। एक ह झटके म उसके हाथो को झटके से ऊपर कया। और फर पंजो को पकड़ कर हवा म उठा
दया। और बेचार कोमल। सररर… सररर करती हुई, अपने पूरे भार के साथ, पापा के हरामी लंड के ऊपर गर पड़ी और वो
उसक चूत को ककड़ी क तरह से भेदता हुआ, अ दर तक जा घुसा।

अयीईईई… मरर गयी अ ह ह…

कोमल ने पापा क गदन के चारो तरफ अपनी बाहे लपेट द । और अपने मु मे उनके चेह रे पर दबा कर उनक साँस को रोक
सा दया। पापा ने बड़ी मिु कल से उसे पीछे कया। उसक आँख म आंसू थे। पापा ने उसक पीठ को सहलाया। े ट को
चूसा। ह ठो को भी चाटा। और जब उसका दद थोडा कम हुआ तो उ ह ने नीचे से ध के दे ने शु कये। कोमल के मह
ुं से अब
मीठ स का रया नकलने लगी थी। और वो आनंद वभोर होकर पापा के लंड को अपनी चूत के मैदान म धकेल कर उनके
साथ कु ती खेलने लगी।

फर तो कोमल का उ प सामने आया। उसने पापा के हाथो को सोफे के पीछे क तरफ मोड़कर बाँध सा दया। और उनके
ऊपर उछल उछल कर उनके लंड को अपनी चूत म लेकर चुदवाने लगी। और नीचे झुककर उनके चेह रे को पकड़कर ह ठो को
चबा सा लया। और अपनी े ट को उनके चेह रे पर रगड़-२ कर जोरो से स का रया लेकर। झड़ने लगी। अ ह ह…
अंकल आई एम ् क मंग।

कोमल क आवाज सन
ु कर पापा के लंड ने भी उसका साथ दया और उसने भी अपने अ दर का वालामख
ु ी कोमल क चत

के अ दर खाल कर दया। उन दोन क चुदाई दे खकर आशु और मेरे मह
ुं से बस एक ह शब ्द नकला।

वाव…

अब बार हमार थी। अपनी बहन क जंगल चुदाई दे खकर मेरा टाजन भी जंगल पने पर उतर आया था। उसक आँख म
दे खकर मुझे अपनी होने वाल चुदाई से डर सा लगने लगा था। मशः 65

म तो आशु के चेह रे के भाव दे खकर कुछ डर सी गयी, उसक आँखे अजीब तर के से लाल हो चुक थी। शायद वो अपनी बहन
को मेरे पापा से चुदते दे खकर यादा ह उ तेिजत हो गया था। या फर उसका बदला वो उनक बेट , यानी मझ
ु े चोदकर
लेना चाहता था।

म: या इरादे है टाईगर…

आश:ु इरादे तो बलकुल साफ़ है मेर जान। तेर चीखे नकालनी है अब तो बस…

म: पागल हो या… बाहर पापा है, उ ह ने सन


ु ल तो…

65
आश:ु तो या हुआ। वो भी कौन सा दध ू के धुले है। पहले तु हे चोद चुके है, और अब तु हार सहे ल यानी मेर बहन को भी
चोदने म लगे हुए है। साला एक नंबर का चोद ु है।

म: (बनावट गु से से, उसक तरफ ऊँगल करके बोल ) ओये… मेरे पापा को गाल मत दे ना, कहे दे ती हूँ।

आशु ने मेर ऊँगल को पकड़ा और मेरे उस हाथ को पीछे कमर क तरफ मोड़ कर मझ
ु े अपनी छाती से लगा लया। मेर
साँसे उसके ह ठो से टकरा रह थी। और फर हमने अपनी चेह रे एक दस
ु रे के अ दर घुसा दए और बेतहाशा चूमने और
चूसने लगे एक दुसरे को। और सच म, आशु का बताव अब काफ चज हो चुका था, उसक चूसने क ललक ह बता रह थी
मेर आने वाल चुदाई का अफसाना।

आज तो मेर चूत क खेर नह ।ं उसने मेरे बालो को पकड़ा और मझ


ु े बड़ी ह बेदद से बेड के कनारे पर बठा कर अपने लंड
को चूसने को कहा। मने उसके वशाल लंड को पकड़ा और चूसने लगी। मेरे मुंह के अ दर भी उसके लंड क कलाबािजया
जार रह , मुझे बड़ी ह मुि कल हो रह थी उसके लंड को अपने मुह
ं म पकड़ कर रखने म। मेरे मुह
ं से नकल रह थूक मेर
े ट के ऊपर गरकर उ ह गीला कर रह थी।

आज सच म मझ
ु े मजा आ रहा था उसक आँखे बंद होती चल गयी। वो ऊपर क तरफ मह
ंु करके जैसे कुछ सोचने लगा। या
फर ये कहलो कसी के बारे म सोचने लगा। म है रान थी क मेर जैसी हसीं लड़क उसका लंड चूस रह है, और वो आँखे बंद
करके कसके बारे म सोच रहा है। शायद कोमल के बारे म या फर कोई और है।

मने उसका लंड बाहर नकाला और बोल : या सोच रहे हो आशु…

उसने अपनी आँखे खोल और ससकार मारकर धीरे से मु कुराने लगा, जैसे मने उसक कोई चोर पकड़ ल हो।

ू रह हूँ, और तम
म: लंड म चस ु सोच कसी और के बारे म रहे हो। है न…

उसने हाँ म सर हलाया। और अपने लंड को हाथ म लेकर डंडे क तरह मेरे चेह रे पर मारने लगा।

म: कौन है वो… कोमल…

आशु ने ना म सर हलाया।

अब है रान होने क बार मेर थी।

म: फर कोन… तु हार कोई गल ड…

उसने ना म सर हलाया।

म झ ला गयी: कौन है फर, बोलो तो…

आश:ु वो हमारे साथ वाले घर म रहती है। आज तक कभी बात नह ं हुई। पर शी इस हॉट लाईक फायर… उसका नाम है
हनल।

म उसक बात सुनकर लंड चूसना भूलकर उसक तरफ टकटक लगाकर दे खने लगी।

आश:ु म जब भी उसे दे खता हूँ तो पता नह ं या हो जाता है, उसक े ट दे खकर तो म पागल हो जाता हूँ, वो कभी भी सूट
के साथ चु नी नह ं पहनती, हमेशा छत पर भी अकेल घूमती है, और बाजार भी अकेल जाती है, पर मेर कभी ह मत नह ं
हुई, और घर म कोमल को दे खकर तो मेरा दमाग और भी खराब हो जाता है, और अब जब कोमल और तु हारे साथ मने
सब कुछ कर लया है तो मेरा मन उसक तरफ ह जा रहा है, सोच रहा था आँखे बंद करके क वो मेरा लंड चूस रह है इस
समय। सच म मजा आ जाता।

म: तो इसम या ो लम है। तम
ु मझ
ु े आज के लए हनल समझो। और मजे लो, उसके साथ बाद म या करना है, हम
मलकर सोच लगे।

66
आशु का चेह रा खल उठा। उसने अपने लंड को मेरे मह
ुं म वा पस धकेला और धीरे से बोला: हनल या तुम मेरा लंड
चस
ु ोगी…

म: आश,ु आज तेर हनल तेरा लंड भी चूसेगी और उसे अपनी चूत के अ दर भी लेगी। पता है, म घर या बाहर नकलते हुए
अपनी छाती पर चु नी इस लए नह ं पहनती ता क तू उ ह साफ़ तर के से दे ख सके। मेरे सट
ू के नीचे से झांकते हुए कठोर
न पलस तुझे दखाई दे । पर तू तो कुछ समझता ह नह ं रे । अनाड़ी कह का। हे हे…

मुझे भी ये रोल ले करने म मजा आ रहा था।

म: और पता है, छत पर भी म बस येह सोचकर घूमती हूँ क काश तू आये और मुहे पकड़कर बस मसल डाले, नीले
आसमान के नीचे मझ
ु े नंगा करके मेर चूत को फाड़ डाले। और मेरे मु मे पकड़कर उ ह पीस डाले और मेरे न पलस को
अपने मह
ुं म डालकर मेरा सारा रस पी जाए। मेर चूत भी गील होकर टपकने लगी थी, और आशु क या हालत हो रह
होगी ये आप खुद ह समझ सकते है। लगता है सच म काफ गरम माल होगी ये हनल। अगर मौका मला तो उसक चूत
को चूसने म काफ मजा आएगा।

मने अपनी एक ऊँगल चत


ू म घस
ु ा डाल । और ढे र सारा रस इक ा करके म ऊपर उठ और अपनी रस म भीगी हुई सी
उं ग लया आशु के मह
ुं म डाल द ।

म: ले आशु, चूस अपनी हनल क चूत का रस। दे खो न, कतनी बुर तरह से मचल रह है मेर चूत। ज द से आओ और
अपनी हनल क चूत के अ दर अपने लंड को पेलकर अपनी और मेर यास बुझाओ। ज द अ ह…

मझ
ु े उसने बड़ी ह बेरहमी से ध का दया और म बेड पर जाकर गर गयी।

ु े बताता हूँ क मझ
आश:ु साल हनल… आज तझ ु े तरसाने का या अंजाम होता है। भेन क लोड़ी, सरे बाजार अपनी छाती
क नुमाईश करती फरती है। आज तेर छा तयो को चूस चूसकर इनमे से दध
ू न नकाल दया तो मेरा नाम आशु नह ।ं और
फर आशु ने झुककर मेर े ट को पकड़ा और उ ह जोर जोर से चूसने लगा। मेर तो आँख म आंसू आ गए, उसका
वेि शपन दे खकर, वो अपने दांत से मेर छा तयो पर गहरे नशान बना रहा था, मेरे न पलस को काट रहा था, और अपने
हलके शेव वाले चेह रे से रगड़कर उनपर े च भी डाल रहा था।

कुल मलकर मझ
ु े मजे से यादा दद हो रहा था। म तो बेचार हनल के बारे म सोच रह थी, क जब असल म इस जानवर
के सामने वो बकर आएगी तो या हाल करे गा ये उसका। मने उसके लंड को अपनी गील चूत के मह
ु ाने पर लगाया और
उसक कमर को पकड़ कर अपनी तरफ खींचा। घचsssss से उसका लंड मेर चूत क द वार को भेदता हुआ अ दर दा खल
हो गया।

अ ह ह… आश,ु तेर हनल इस पल का कब से इ तजार कर रह थी। अ ह… चोद डाल आज अपनी हनल क चत



को अपने लंड से भेद कर पूरा अपना बना ले। अ ह ह… ओ ह… गोड… सच म, उसके वेि शपन क वजह से चुदाई
का मजा दग
ु ना हो गया था। थ स टू हनल।

मझ
ु े भी हनल बनकर चुदवाने म मजा आ रहा था, वैसे भी, मझ
ु े तो चुदाई से मतलब था, फर चाहे वो मेर हो या मेर चूत
को हनल क समझ कर। अ ह ह… आशु, साले इतना मोटा लंड कहा छुपाया हुआ था तुन।े पहले पता होता तो कब का
नगल जाती तझ
ु े। म म…

आश:ु ले साल रं डी। आज तू मेरे लंड का कमाल दे ख। िजतना तरसाया है तुन,े आज उतनी चीखे नह ं नकलवाई तेर तो
मेरा नाम भी आशु नह ।ं अ ह… ओ ह ह… मरर गयी रे अ ह ह… आशु मार डालेगा या… साले, चु तया साले
अ ह… अ फ फ़… म मम… मजा आ गया रे … म म…

और फर उसके लंड ने प टन क तेजी से मेर चूत के अ दर जाना और बाहर नकलना शु कर दया। मेर चीखे कब
ल बी स करोयो म बदल गयी, मझ
ु े भी पता नह ं चला।
67
अंत म जब आशु के लंड से नकल पचका रयो से मेर चूत क द वारे भीगनी शु हुई तो मने भी लगातार तीसर बार
अपनी चूत का पानी कुबान कया और एक ल बी च कस करके हम दोन वह बेड पर लढ़
ु क गए। मशः 67

मेरा तो सर चकरा रहा था, आज जैसी चुदाई अगर रोज मल जाए तो मेर चूत के तो मजे हो जायगे। पापा ने बेशक मेर
सील तोड़ी थी और मझ
ु े जवानी का पहला नशा चखाया था, पर आशु से चुदकर पता चला क असल चुदाई या होती है।
आ खर उ का भी तो तकाजा है। आशु के जवान चीते और पापा के बूढ़े शेर म कुछ तो फक होगा ह । तभी मझ
ु े एहसास
हुआ क दरवाजे के पास कोई है। मने जैसे ह अपनी आँख खोल , तो पाया कोमल और पापा अ दर आकर खड़े थे और
हमार चुदाई का मजा उठा रहे थे। आशु क पीठ उनक तरफ थी, और उसका लंड अभी भी मेर चत ू के अ दर ह फंसा हुआ
था।

पापा के चेह रे को मने दे खा तो पाया क उ ह गु सा नह ं आ रहा था, तो मझ


ु े काफ रल फ महसस
ू हु आ। बि क उनके
मरु झाये हुए लंड ने अंगडाई लेनी शु कर द थी। अपने सामने ह , अपने ह घर म, अपनी बेट को कसी और से चुदते हुए
दे खकर शायद उनके अ दर एक अजीब तरह क कशमकश चल रह थी। और साथ ह खड़ी हुई कोमल तो नोमल थी, उसे
तो मालुम ह था क उसके बाहर जाने के बाद म और आशु या करने वाले है, और वैसे भी वो अपने भाई के लंड से अनजान
नह ं थी। उसने एक आँख मारकर और फर मु कुरा कर पापा के लंड क तार फ क । और फर अपनी चूत म ऊँगल डालकर
वहां से रस रहा अमत
ृ चाटने लगी।

मेरे हाथ आशु क पीठ पर और जोर से कस गए, वो अभी तक उन दोन के बाहर खड़े होने से अनजान था, जैसे ह मने
अपनी पकड़ उसपर बढ़ाई, मेर छाती उसके सीने से और जोर से दब गयी और मेरे शूल जैसे न पल उसक चोडी छाती पर
चुभने लगे। मेर चूत क द वारे भी ससक ससककर उसके लंड को अपने अ दर नचोड़ने लगी। और तब उसे एहसास हुआ
क म फर से उ तेिजत हो रह हँू । आशु का लंड मेर चूत म था और सामने मेरे पापा का लंड हम ऐसी अव था म दे खकर
खूंखार होता जा रहा था।

अचानक मेरे जहन म एक ख़याल आया। य न म आशु और पापा का लंड एक साथ अपने अ दर लू। अ ह… ये सोचते
ह मेर चूत से शहद नकल नकलकर बाहर क और रसने लगा। आशु भी हैरान था क अभी दो मनट पहले ह चुदने के
बावजदू म फर से कैसे उ तेिजत हो रह हूँ । पर उसे नह ं मालम
ु क हम लड कय म से स क कतनी भखू होती है। लडको
को शायद टाइम लगे फर से चुदाई के लए तैयार होने म। पर एक लड़क लगातार कई बार झड़ने के बाद फर से चुदने को
झट से तैयार हो सकती है और ये खा सयत हर कसी म होती है, बस पहचानने क दे र है। मने अपने गीले होते हु ए ह ठो का
पानी आशु को पलाने के लए उसे चूमना शु कर दया। वो हे रानी भर आँख से मझ
ु े दे खता रहा और मझ
ु े चूसता रहा। मेरे
मह
ंु से अजीब तरह क आवाजे नकलने लगी।

अ ह ह… आशु म मम… चुसऊ


ू अ ह ह…

आशु: या बात है द पा… अभी भी तेर यास नह ं बुझी लगता है। हूँ… आ खर चाहती या है …

म: बस मझ
ु े आज त ृ त कर दो, पूर तरह से। म बहुत यासी हूँ। मन तो कर रहा है क तु हारे साथ-साथ एक और लंड भी
ले लू।

आशु (मु कुराते हुए): मतलब डबल पेने े शन। साल रं डी…

मुझे उसके मुह


ं से रं डी सुनकर ना जाने य अ छा लगा और वो भी अपने पापा के सामने। पापा तो अपनी बेट और आशु
क ग द बाते सन
ु कर अपने खड़े हुए सांप को हाथ म लेकर जोरो से हला रहे थे।

आश:ु कहे तो बाहर से तेरे पापा को बुला लाऊ… दोन मलकर तेर यास को बुझा दगे। बोल…

मेरे चेह रे पर मु कान आ गयी उसक बात सन


ु कर।

68
म: चाहती तो म भी यह हूँ । पापा ने ह मेर चूत का उ घाटन कया था पर अपनी गांड को म तेरे लंड के नाम कुबान करना
चाहती हूँ। समझा…

मेरे मुंह से गांड मरवाने क बात सन


ु कर तो आशु के लंड ने एक जोरदार ज प ल , मेर चूत के अ दर और मझ
ु े नीचे पटक
कर वो मेरे ऊपर सवार हो गया।

आश:ु साल रं डी जु मा-जु मा चार दन हुए है तुझे चूत क सील तड


ु वाये और अब अपनी गांड भी मरवाना चाहती है। और
वो भी मुझसे। िजसके लंड ने अभी तेर चूत के परख चे उड़ा दए।

म: हां… हाँ और तेरे लंड के कारनामे दे खकर ह तो तुझे ये इनाम दे ने क सोची है मने। साले चल दखा अपना कमाल और
फाड़ दे मेर गांड को आज। उसने अपना लंड बाहर नकाला, और लंड के नकलते ह मेर चूत से ढे र सारा रस नकल कर
नीचे क तरफ गरने लगा।

आशु ने अपने लंड को मेर गांड के छे द पर टकाया ह था क म बोल पड़ी: अरे को तो सह । मने या कहा था अभी क
पापा और तु हारा लंड एक साथ अ दर लेना है। आशु वह क गया। वो समझ रहा था क म डबल पेने े शन वाल बात
मजाक म कह रह हूँ ।

म पापा क तरफ मह
ुं कया और कहा: पापा आपको अलग से इन वटे शन दे ना होगा या… ज द यहाँ आओ।

जैसे ह आशु ने मुझे पापा से बात करते हु ए दे खा, वो पलटा और पापा और कोमल को वहां खड़े पाकर वो भोच का रह गया।
उसक हालत दे खकर मेर और कोमल क हं सी नकल गयी।

आश:ु ये…ये ओ ह… अंकल सॉर …

वो कुछ बोल ह नह ं पा रहा था। वो ऐसे बहे व कर रहा था क मेरे पापा ने जैसे उसे चोदते हुए पकड़ लया है। पर वो ये भल

गया था क पापा भी तो उसक बहन क बाहर चुदाई कर रहे थे। पापा आगे आये, उनका लंड पूरे शबाब पर था। वो कुछ न
बोले, बोलते भी कैसे, लड़क के पता जो थे। मने पापा के लंड को पकड़ा और उ ह बेड पर बठाया और फर उ ह नीचे लटा
दया। उनका लंड ऊपर क तरफ मह
ुं कये मेर चूत के आने का इ तजार कर रहा था। और मने भी उ ह यादा इ तजार
नह ं करवाया।

मेर रसती हुई चूत को मने उनके लंड के सरे पर रखा ह था क पापा ने बड़ी ह अधीरता से मेर कमर को पकड़ा और मझ
ु े
अपनी तरफ खींच लया और अपने मोटे ह ठ मेर े ट के ऊपर लगा दए और उ ह चूसने लगे। अ ह ह ह पापा…
आयीsss जानवर ह मल रहे है मझ
ु े तो आज। अ ह ह…

और फर मने पीछे मह
ंु कया और आशु से बोल : अब तु हे फर से इन वटे शन दे ना होगा क आओ और मेरे पीछे के
दरवाजे से एं करो। ज द आओ अब।

आशु संभला, उसने एक नजर कोमल क तरफ दे खा, जो बड़े ह श क से मझ


ु े और पापा को चद
ु ाई करते हुए दे ख रह थी।
और शायद वो भी अपनी गांड मरवाने के लए तैयार हो रह थी। पर वो पहले मझ
ु े गांड मरवाते हु ए दे खकर ए सपे रएंस
लेना चाहती थी।

आशु भी बेड के ऊपर चढ़ा और उसने मेर फेल हुई गांड को जमकर दबाना शु कर दया। नीचे से पापा ने अपने लंड को
मेर रसील चूत के अ दर जोरो से पेलना शु कर दया था। अ ह ह बेट … सच म तू तो अपनी माँ से भी बड़ी चु कड़
नकल । अ ह ह… उसे तो पूरे दो साल लगे थे मुझे समझाने म क गांड मरवा ले। पर तू तो दो दन म ह अपने आप ह
तैयार हो गयी।

अ ह ह… फ ह फच। फच। फच।

मुझे तो अपनी चूत के अ दर से नकलता हु आ ये संगीत बड़ा ह आनंददायक लग रहा था आज।

69
मेर चूत के दाने से घसाई करके जब पापा का तना हुआ लंड बाहर नकलता तो उसक नस मेरे दाने से लपटकर वहां पर
लगा हु आ रस समेट कर बाहर तक ले आती, जो पापा क बा स को परू तरह से भगो रहा था। तभी आशु ने भी अपने खड़े
हुए लंड को मेर गांड के छे द से लगाया। मेर तो सांस ऊपर क ऊपर और नीचे क नीचे ह रह गयी। और फर उसने थूक से
भीघा हुआ लंड एक जोरदार झटके से मेर गांड के छे द क तरफ धकेला।

अ ह ह…

ध का इतना जबरद त था क म पापा के ऊपर पूर तरह से गर पड़ी। आशु ने मेर गांड को टे रंग क तरह से पकड़ा और
अपने क को मेर गांड के हाईवे पर और तेजी से दौड़ा दया। इस बार उसक मेह नत सफल रह । उसके लंड का अगला भाग
मेर गांड के रंग म जाकर फंस गया। मझ
ु े तो ऐसा लगा जैसे कसी ने एक मोटा सा डंडा मेरे पीछे डाल दया हो। ये तो शु
है क चूत से मल रहे मजे क वजह से गांड के दद का यादा पता नह ं चल पा रहा था, वना म तो आज चीख चीखकर परू ा
मोह ला इक ा कर लेती।

अ ह ह ह धीरे डाल रे म मम…

तभी मेरे यारे पापा ने मझ


ु े नीचे झक
ु ाया और मेरे ह ठो को अपने मह
ंु म लेकर अपनी यार बेट के दद को थोडा कम करने
लगे। और नीचे से लेटे हु ए उ ह ने मेर चूत को भी ध के दे ने चालु रखे। आशु ने जब दे खा क म फर से स का रया लेने
लगी हूँ तो उसने अपनी पूर ह मत समेट और एक और तेज ध का मारा।

अ ह ह ह… उ फ… पापा म मम…

मेर तो हालत खराब होने लगी। अब मझ


ु े लग रहा था क मने ये कैसा पंगा ले लया है । पर फर तो आशु नह ं का, उसने
तो अपने लंड को मेर गांड के अ दर पूरा घुसाने क जैसे कसम उठा ल थी। दे ध के पे ध के। और अगले पांच मनट तक
तो मेर गांड सु न सी हो गयी। मझ
ु े पता नह ं था क मेर चूत म या हो रहा है और गांड का या हाल है। पर इतना ज र
मालुम था क मेर चीखे ज द ह ल बी स का रयो म बदलती चल गयी। और ये एहसास होते ह मेर गांड से अजीब
तरह क वाई ेशन आने लगी। जो मेरे पूरे शर र को एक अजीबोगर ब नशा दान कर रह थी। और फर तो मने अपने हाथ
को पीछे कया, आशु के चेह रे को अपने कंधे पर रखा और उसके ह ठो को बरु तरह से पीने लगी। उसका लंड परू ा का परू ा
मेर गांड को भेद कर अ दर समां चुका था। और पापा का लंड तो पहले से ह मेर चूत के मैदान म फूटबाल खेल रहा था। ये
सारा खेल दे खकर कोमल भी बेड के कर ब आकर खड़ी हो गयी। और एक पैर ऊपर रखकर अपनी चूत को जोरो से मसलने
लगी।

पापा के चेह रे के बलकुल ऊपर थी कोमल क चूत। उ ह ने भी अपना हाथ ऊपर करके अपनी खुरदुर ऊँगल उसक चकनी
सी चूत म घुसा द । और मसलने लगे। मेर चूत ने तो कब का पानी छोड़ दया था, पापा के लंड के ऊपर। और फर से
अपनी गांड से मल रहे ससेशन क वजह से म उ तेिजत होने लगी। और जोर जोर से चीख कर अपनी अगल झडाई क
घोषणा करने लगी।

अ ह ह ह… पापा मज़ा आया रहा है। आआजा स स स… ओ ह… आशु सच म, गांड और चूत को एक साथ
मरवाने का मजा आज जाना मने। स स स… ओ ह ह गोड… आशु के लंड क नस भी तनकर मेर गांड को आने वाल
बाड़ का स नल दे ने लगी। और पापा भी अपने गले से अजीब तरह क आवाजे नकाल कर अपने झड़ने का एलान करने
लगे। अ ह ह ह… ओ ह ह… म मम…

और सामने खड़ी हुई कोमल क तो बात ह या। मुझे अपने भाई और मेरे पापा से चुदते हुए दे खकर उसक चूत ने आज
होल मनाने क सोच ल थी जैसे। उसक चूत से हलक फुलक बा रश सी होने लगी थी रस क । जो सफ आने वाल तेज
बा रश का आगाज थी। और फर तो कमरे म एक साथ कई बाँध टूट गए। मेर गांड के अ दर आशु के लंड का। मेर चत
ू के
अ दर पापा के भुसड
ं का।

70
उन दो के लंड क हरकत महसस
ू करके मेर चूत का। और सामने खड़ी हुई कोमल क कम सन सी चूत का। अ ह ह…
ओ ह ह गोड फ क… आई एम ् क म ग अ ह ह… स स स… ओ ह ह…

अपने आगे और पीछे वाल बाड़ को तो मने अपने अ दर समां कर रोक लया। पर कोमल क चूत से जब फु वारे नकलने
लगे तो म, पापा और आशु सब को भगोती चल गयी वो। ऐसा लग रहा था जैसे उसने अपनी चत
ू म कोई पचकार फ स
कर ल है। और अपने अ दर का गीला और चप चपा रस वो हम सब पर डालकर हम भगो रह है।

अ ह ह… द पा… आशु… म मम… ओ फ अंकल म तो गयी। और वो ऐसे बेड के ऊपर गर जैसे बेहोश हो गयी
हो। और सच म गरते ह उसक आँखे बंद हो गयी थी। वो खो गयी थी अपनी अलग सी द ु नया म। जब तूफ़ान शांत हुआ
तो आशु ने अपना लंड बाहर खींचा और म ऊपर से उठ कर नीचे उतर । मेर चूत और गांड से लगातार दोन का रस बहकर
नीचे गर रहा था।

म भागकर बाथ म म गयी और शावर चला कर नहाने लगी। पीछे -२ आशु भी आ गया और फर पापा भी। हमारे अ दर
अभी और ह मत नह ं थी क वहां और चुदाई कर सके। इस लए सफ एक दस
ु रे को सहला कर, नहला कर ह बाहर नकल
आये।

बाहर कोमल अभी भी रस म भीगी हुई चादर के ऊपर बेहोश पड़ी थी। असल मजे तो उसने लए थे। बना लंड लए ह झड
गयी और बेहोश हो गयी। जब उसक गांड और चूत म एक साथ लंड जायगे तो बेचार का या हाल होगा, ये सोचकर ह म
मु कुराने लगी।

उसके बाद हम सबने कपडे पहने और बाहर आकर बैठ गए, मने सबके लए कुछ खाने को बनाया, इतने म कोमल भी
उठकर, नहा धोकर बाहर आ गयी थी। फर जब म मी आई तो आशु और कोमल अपने घर चले गए। आज का दन तो म
कभी नह ं भल
ू ने वाल थी।

अब कल कॉलेज म जाकर मेडम से मलना था। और उ ह बताना भी था। अपनी इस नयी "एचीवमट" के बारे म।
मशः 69

अब आगे
********

कोमल
********
सबु ह कॉलेज जाने के लए कोमल घर से ज द नकल , कल जो उसने छु ी ल थी, उसक वजह से कॉलेज म कोई और
बोले न बोले, वाईस ं सपल मेडम ज र बोलगी। टड पर पहुंचकर मने दे खा क द पा पहले से मेरा इ तजार कर रह है।
म उसके पास गयी और उसे गले से लगाकर वश कया।

म: या बात है द पा, आज मेरे से पहले तू आ गयी, ज द उठ गयी थी या…

द पा: यार, पापा ने सार रात सोने ह नह ं दया। तेरे जाने के बाद से लेकर आज सब
ु ह तक, तीन बार मार चुके है मेर । ठ क
से चला भी नह ं जा रहा अब तो। और कल तेरे भाई ने भी मेर गांड मारकर उ ह एक और रा ता दखा दया है मेरे अन ्दर
जाने का, पहले पापा चूत म डालते है और गांड म डालकर झाड़ते है। बस यह लगा हुआ है कल से। म राज अंकल का
टे मना दे खकर रोमांच से भर उठ । उनक पेसनेल ती के साथ-२ म अब उनक चुदाई क भी फेन हो गयी थी। हम बाते कर
ह रहे थे क तभी एक कार हमारे पास आकर क , उसमे से राहु ल क आवाज आई।

राहुल: हे कोमल, द पा आ जाओ अ दर। राहुल शायद आज अपने पापा क कार लेकर आया था। म और द पा झट से अ दर
आ गयी, म आगे बैठ । जा हर था। राहुल ने कार चलानी शु क ।

71
राहुल: या यार… कल तुम दोन ह नह ं आई कॉलेज म। तु हारा नंबर भी बंद था कोमल।

म: हाँ… दरअसल, मेर तबीयत ठ क नह ं थी। और मेर वजह से द पा का भी मन नह ं कया कॉलेज जाने का।

राहुल ने पीछे मड़
ु कर द पा को दे खा: या बात है, दो ती हो तो ऐसी। वैसे हमारा ख़याल रखकर ह आ जाती तुम। अपनी
सहे ल क कमी भी पूर कर दे ती फर। हा हा…

उसक डबल मी नंग वाल बात सुनकर मेरे साथ-२ द पा क चूत म भी चीं टया रगने लगी। मने अपने एक हाथ को अपनी
चूत वाले ह से पर रखा और अपने बेग के नीचे छुपा कर अपनी जांघे भींच ल । और ये सब शायद राहु ल ने दे ख लया था।
और जान गया था क आज सुबह-२ मेर चूत गील हो गयी है। राहुल का दमाग शेतान क तरह से चलने लगा। थोड़ी ह दे र
म हम तीनो कॉलेज पहूँच गए।

पा कग म राजपत
ू क सफार भी खड़ी थी, िजसे दे खकर द पा के चेह रे पर भी एक माईल आ गयी। म और द पा सबसे
पहले मेडम के म म गए। उ ह वश कया और उनक एक-दो बाते सन
ु कर हम बाहर आ गए। हम सभी अपनी लास म
पहुंच,े राहुल मेरे पास आकर बैठा था।

राहुल (फुसफुसाकर): सन
ु ो कोमल… इस पी रयड के बाद तुम मझ
ु े ऊपर छत पर मलना। ओके…

म: नह ं राहु ल… आज पो सबल नह ं है। कल भी म छु ी पर थी।

राहुल: अरे कुछ नह ं होता, म तु हारे लए सब नो स अरज करवा दं ग


ू ा। ल स। ये दे खो, तु हारे बारे म सोचकर इसका या
हाल है।

उसने पीछे होकर अपने खड़े हुए लंड को पट के अ दर से ह दखाया। िजसे दे खकर तो मेर चत
ू म से झर-२ पानी नकलने
लगा। म न तर हो गयी। जो वो कमीना भांप गया। मझ
ु े लगा मेर चूत म से ढे र सारा पानी नकल कर बाहर आ जाएगा।
म ज द से उठ और सर से पर मशन लेकर बाथ म क तरफ दौड़ी। और सीधा ले डस टॉयलेट म जाकर मने अ दर से बंद
कया और कमोड पर बैठ गयी। पेपर लेकर मने अपनी चूत से नकल रहा घी साफ़ कया। इतनी चप चपाहट हो रह थी
मझ
ु े अ दर से।

मने अपनी एक ऊँगल अ दर डाल द । अ दर से एक अजीब से सरु सरु ाहट का एहसास होने लगा था। पांच दस मनट अगर
ऊँगल से मलग
ूं ी तो सब शांत हो जाएगा। तभी बाहर से कसी ने दरवाजा खटकाया।

म: कौन… कौन है।

बाहर से राहुल क आवाज आई: म हूँ राहुल… ज द खोलो।

हे भगवान ्, ये राहुल को या हुआ है। इतनी बेशम से ले डस टॉयलेट के अ दर आ गया है, कसी ने दे ख लया तो।

म: पागल हो गए हो या, यहाँ या कर रहे हो। जाओ बाहर ज द से।

राहुल: म नह ं जाऊंगा। तुम खोलो नह ं तो म यह खड़ा रहूँगा।

मेर चत
ू अभी ठं डी नह ं हु ई थी, इस लए मेरे बाहर नकलने का तो सवाल ह नह ं उठता था, मने ज द से दरवाजा खोला
और उसे अ दर खींच लया। अ दर आते ह राहु ल ने दरवाजा बंद कर लया।

म फुसफुसाई: ये या है राहुल… कोई दे ख लेगा तो…

राहुल: कोई नह ं दे खेगा। तुम फ़ मत करो, अभी पी रयड ख़ म होने म आधा घंटा है। तुम बस ये दे खो। उसने एक झटके
से अपनी िजप खोल और अपना लंड बाहर नकाल कर मेरे सामने लहरा दया। कल से तरह-२ के लंड दे खकर तो मेर आँखे
अभी तक भर नह ं थी। आशु के बाद राज अंकल का और अब फर से राहुल का। और उसे दे खते ह म फर से मदहोश सी
हो गयी। मेर आँखे बो झल सी होने लगी। आज साला इसी टॉयलेट म कुछ होकर रहे गा।

72
मने अपनी ना गन जैसी जीभ बाहर नकाल और उसके लंड के ऊपर डस लया। वो स कार उठा।

राहुल: स स सस ओ ह… कोमल टॉप क लंग मी। सक मी…

मने उसके लंड को पकड़ा और अपना पूरा मह


ुं खोलकर उसे अ दर धकेल दया। अ ह ह या एहसास होता है, नम
और गम लंड को चूसने का। सच म। लड कय क मनपसंद चीज है ये चूसने म। लंड के चारो तरफ क गंध और उसमे से
रसता हु आ रस, और साथ म उसका नरमपन और कड़कपन। म तो द वानी होती जा रह थी इस लंड नाम के अंग क ।
राहुल क यासी नजरे मेर े ट को छलनी कर रह थी। मने अपनी े चब
े ल ट शट को कंधे से सरकाया और अपनी एक
े ट नंगी करके उसक आँख के सामने परोस द ।

वो तो पागल ह हो गया। और फर मने दस


ू र तरफ के कंधे से भी ट शट खसकाई और अपनी ा के े स को साईड म
करके अपनी दोन चू चयां नंगी करके उसके सामने कर द । वो नीचे झुका और मेर े ट को मह
ुं म लेकर चूसने लगा। मने
सीट को नीचे कया और उसे उसके ऊपर बठाया। अपनी लॉ ग कट को ऊपर समेटा, अपनी पट को साईड म कया और
उसके खड़े हुए ख बे के ऊपर अपनी चूत को टकाया। उसक तो हालत ह खराब हो गयी। उसने शायद सोचा भी नह ं था क
म अपने आप उसे चूत दे ने को तैयार हो जाउं गी, वो तो हमेशा क तरह सफ अपने लंड को चु वाने और मझ
ु े चूसकर ह
खश
ु था।

मने उसक आँख म दे खा,

म: पहले कभी डाला है अ दर।

उसने ना म सर हलाया।

म: यानी विजन हो अभी तक।

उसने हां म सर हलाया। म एक झटके म उसके खड़े हुए लंड के ऊपर बैठ गयी।

म: अब नह ं हो। मुबारक हो…

उसके चेह रे के भाव दे खने लायक थे। उसने शायद सोचा था क म भी विजन हूँ। थी तो सह , अभी कुछ दन पहले तक। पर
इस एक ह ते म या से या हो चुका है। और अपने सामने आज जब राहुल के लंड को दे खा तो मेर चूत क यास ने मझ
ु े
इतना बेशरम बना दया क म उस बेचारे विजन के लंड को अ दर लेने के लए तड़प सी उठ ।

अ ह ह… कोमल सच म। मने सोचा भी नह ं था क म पहल बार टॉयलेट म मा ं गा कसी क ।

उसक बात सन
ु कर म मु कुरा उठ । मने अपने पंजो के बल पर अपने वजन को ऊपर उठाया और फर नीचे। और ये सब
करते हुए मने उसके मह
ुं को अपनी े ट के अ दर तक घुसा लया। पूर तरह से चूसने म लगा हुआ था वो मझ
ु े आज। म
मन ह मन सोच रह थी क मझ
ु े अपनी जवानी के पूरे मजे लेने है, और इस तरह से अलग-२ जगह और तर के से करने म
जो रोमांच मल रहा है, वो मेर जवानी के मजो को और यादा बढ़ा दगे। मने राहुल के चेह रे को ऊपर उठाया और उसके
ह ठो को बुर तरह से चूसने लगी।

आज म लडको क तरह बहे व कर रह थी। उसे चूमकर, उसे चोदकर, उसक विज नट जो ल थी मने इस लए म अपनी
ऑथो रट दखा रह थी।

तभी बाहर से कसी ने दरवाजा खडकाया।

म और राहुल एक दम से क गए।

मने अपनी साँसे संभाल और पुछा: कौन है…

बाहर से वाईस ं सपल मेड ल क आवाज आई: म हूँ मीना ी… तु हार ं सपल। कौन है अ दर और या चल रहा है।

73
राहुल के चेह रे पर तो हवाइयां उड़ने लगी। ओ ह… फ क… ये यहाँ कैसे आ गयी। वो ज द से उठा, अपने लंड को अ दर
डाला, मने भी अपने कपडे ठ क कये, और डरते-२ मने दरवाजा खोला। मशः 72

मेरे दल म तो यादा डर नह ं था, य क मेड म से डरने वाल मुझे कोई बात नह ं थी, पर राहुल का या हाल हो रहा होगा
म जानती थी। एक तो उसे मेर चूत पूर तरह से मारने को नह ं मल और ऊपर से मेड म ने भी पकड़ लया था उसको।
बाहर नकलते ह मेड म ने जब मझ
ु े दे खा और मेरे साथ राहुल को दे खा तो उनका चेह रा गु से से तमतमा गया। मझ
ु े समझ
नह ं आया क इतनी ओवर रए ट य कर रह है ये।

मेडम: ये या चल रहा था अ दर। तु हे मालुम नह ं है क ये ले डस टॉयलेट है। एक तो तुम अ दर आये और ऊपर से इस


लड़क के साथ। छ : छ… पता नह ं या होगा तम
ु लोगो का। चलो मेरे म म तम
ु दोन । राहुल का चेह रा पसीने से भीग
गया। पर मेरे शांत चेह रे को दे खकर तो है रान हो रहा था।

राहुल (धीरे से): तुझे डर नह ं लग रहा या कोमल।

म: मझ
ु े य डर लगेगा। ले डस टॉयलेट म तम
ु आये हो। तु हे डरना चा हए। मेर बात सन
ु कर तो उसक रह -सह ह मत
भी जवाब दे गयी।

वो मेडम के आगे गड गडाने लगा: ल स मेडम… मझ


ु े माफ़ कर द िजये। आगे से ऐसा नह ं होगा। आप ल स मझ
ु े जाने
द िजये।

मेडम: तुम दोन चुपचाप मेरे साथ मेरे कमरे म चलो। कोई ामा नह ं चा हए मुझे यहाँ।

हम दोन उनके पीछे चल दए। दवार के पीछे खड़ा हुआ ज़ोन बाहर नकला और एक रह यमयी हंसी हंसने लगा। आ खर
वो ह तो था िजसने कोमल और राहुल को अ दर जाते हुए देखा था और मेड म को जाकर कहा था क ले डस टॉयलेट म कोई
गड़बड़ चल रह है।

खेर… उसक इस हरकत से अनजान कोमल और राहुल मेडम के कमरे तक पहुंच।े उनके कमरे के बाहर वो पीउन ड द ु खड़ा
था। म उसे दे खकर मु कुरा द । पर वो बना ए स ेशन के खड़ा रहा। हलकट… हम दोन मेडम के पीछे -२ अ दर आ गए।
मेडम चेयर पर बैठ और मेर तरफ दे खकर बोल : मझ
ु े तम
ु से ऐसी आशा नह ं थी कोमल। मने एि टं ग करते हुए अपना सर
झुका लया।

और फर मेडम ने राहुल क तरफ दे खा: और तम


ु राहु ल… तम
ु तो एक अ छे घर से ता लक
ु रखते हो। पर इस तरह क
हरकत करते हु ए तुमने कुछ भी नह ं सोचा। अगर म तु हारे घर वालो को इस हरकत के बारे म बता दू तो। बोलो…

राहुल: नह ं मेडम। ऐसा मत करो ल स। ये अब कभी नह ं होगा। आप जो कहगी, जैसा कहगी म क ँ गा। बस आप घर पर
मत बोलना ये सब।

उसक आँख म आंसू से आ गए थे ये सब बोलते हुए। जब उसने ये बात बोल तो मीना ी क आँख म एक अजीब सी
चमक आ गयी। उ ह ने मेर तरफ दे खा।

फर राहुल क तरफ दे खकर बोल : ठ क है। पर तु हे एक काम करना होगा मेरा।

राहुल: या मेडम… आप जो भी कहगी म क ँ गा। आप बस बोलो।

मेडम: वो सामने पड़ी हुई बु स दे ख रहे हो। वो तु हे मेरे घर पर लेजाकर छोडनी होगी।

मेडम क बात सुनकर मेरे साथ-२ राहुल भी हेरत म पड़ गया। उसने शायद सोचा था क मेड म शायद कोई जुमाना लगाएंगी
या फर कुछ और बोलगी।

मेडम: ये सार बु स मेरे घर पर आज शाम तक पहुंचा देन ा।


74
राहुल: जी… जी मेडम, पहुंचा दंग
ू ा। वैसे भी आज म पापा क कार लेकर आया हूँ। और फर मेडम को थ स पर थ स
बोलता हुआ वो बाहर नकल गया। मशः 73

उसके बाहर जाते ह मेडम उठ खड़ी हु ई और मेरे पास आकर अपना सीधा हाथ मेर चूत के ऊपर लगा दया।

मेडम: य कोमल… बड़ी आग लगी हुई है तेर चूत म। तुझे बोला था न क सब कुछ लान के हसाब से करगे। तो सब को
मजा आएगा। बोल… बोला था के नह …

उनक आवाज म थोडा गु सा भी था। पर उनके हाथ क उं ग लया मेर चूत पर िजस तरह से थरक रह थी, उससे तो लग
रहा था क वो मजे लेने और दे ने के मड
ू म है।

म: सॉर मेडम। आज सब इस तरह से हुआ क कुछ पता ह नह ं चला। बस होता चला गया।

मेडम: आगे से इन बातो का यान रखना।

म: पर मेड म। एक बात तो बताओ। आपको कैसे पता चला क म और राहु ल। मतलब हम दोन अ दर है और…

मेडम: है कोई िजसक तुम दोन पर नजर थी। और उसने ह आकर मुझे बताया था। उसका भी बाद म शु या अदा करना
है। पर पहले आज शाम को राहुल क खबर लेनी है।

म: अरे हाँ मेडम। ये राहुल को आपने इस तरह का काम दया। ये तो ड द ु भी कर सकता था।

मेडम: मेरे हसबड आज घर नह ं है। टूर पर गए है। ब चे भी नानी के घर है। इस लए राहुल को घर बल


ु ाया है। काफ दन हो
गए, खुलकर कुछ कया ह नह ं। आज मौका है इस लए उसे बुलाया। और िजस तरह क हरकत करते हुए वो पकड़ा गया है,
उसे दे खकर तो लगता है क काफ गम होगा वो। बोल है न… तुने तो दे खा ह होगा उसका लंड … मेड म के हाथ थोडा तेज हो
गए थे मेर चत
ू के ऊपर। और उनके हाथ झल
ु सने से लगे थे। तभी बाहर से ध डू अ दर आया और मेरे पीछे आकर मेर गांड
को दबाने लगा।

म एकदम से घबरा गयी। पर जैसे ह घूमकर दे खा, तो उसका मु कुराता हुआ चेह रा सामने आ गया। दरवाजा बंद कर दया
था उसने, अभी पी रयड ख़ म होने म बीस मनट थे। और शायद इन बीस मनट म मेड म और ध डू ने मेरे बारे म कुछ
सोच कर रखा हुआ था।

आगे से मेड म मेर चूत क सकाई कर रह थी और पीछे से ध डू मेर गांड क । वैसे भी आधी चुदाई करवाकर मेरे अ दर
एक अजीब सी खुजल मचल रह थी। मने अपना सारा भार पीछे खड़े हुए ध डू पर डाल दया। और उसने भी अपने दोन
हाथो को आगे करके मेरे मु मे पकड़ लए और उ ह मसलने लगा। आज तो मन कर रहा था क ये इ ह उखाड़ कर खा जाए
बस।

इतनी यास बढती जा रह थी मेर । पता नह ं ये मझ


ु े आगे कहाँ तक लेकर जायेगी। मने अपने आप अपनी ट शट को
उतार दया। और ा को खसका कर उसके नंगे हाथो को अपनी कठोर े ट पर जमा दया। अ ह ह ह ध डू चूस इ ह
पागल। अपने मुह
ं म डालकर चूस इ ह।

मेर क ण पुकार सन
ु कर वो मेरे सामने आया और मेरे ले ट मु मे को मह
ुं म लेकर जोर से चूसने लगा। मेडम ने मेरे पीछे
आकर मेर जींस के बटन खोले और उसे नीचे उतार दया। मेर चकनी गांड के ऊपर अपना मह
ुं लगाकर उसे सघ
ूं ने लगी।
और अपनी जीभ से मेर चूत के रस को चाटने लगी। ध डू ने अपनी िजप खोल और अपने ह थयार को बाहर नकाला।
मुझसे अब और स नह ं हुआ। मने उसे एक ध का दया और लू कलर के कारपेट पर गरा कर उसके पसीने से भीगे ल बे
लंड को बुर तरह से चूसने लगी।

मेरे पीछे मेड म भी कु तया क तरह से मेर चत


ू का रस पान करने म लगी हु ई थी।

75
आ यीईईईई। साल , कु तया जैसी है तेर जीभ।

मेरे मुंह से मेडम के लए इस तरह से गा लया नकलने लगी जैसे वो मुझसे छोट हो। पर ये मने इस लए कहा था क मुझे
मालम
ु था क ऐसी ग द गा लया और बाते सन
ु कर उनक हवस कैसे भड़क जाती है। और हुआ भी ऐसा ह । मेर बात
सन
ु कर उनक उनक हंसक व ृ त बेपदा होकर सामने आ गयी। वो सड़प-२ करके मेर चत
ू का आमरस पीने लगी। अब तो
मेर चूत काफ गील हो चुक थी। मने बजल जैसी फुत दखाई और घूमकर नीचे लेते हुए ध डू के लंड को पकड़ा और
उसके ऊपर अपनी चूत को टकाया। और एक ह बार म पूरा लंड अ दर ले लया।

स स… अ ह ह…

उसने मझ
ु े अपनी तरफ खींचा। और मेरे गुलाबी और नम ह ठो को अपने मोटे और भ े ह ठो से बुर तरह से चूसने लगा। पर
ऐसी अव था म मझ ु े उसके मह
ुं से आती हुई बदबू क भी चंता नह ं हुई। और मने भी उसके दांत और जीभ को अपने मुंह
से चूमना और चूसना शु कर दया। एक अजीब सा कसेलापन था उसके मुह ं म। पर आज मुझे इसम भी नशा सा मल रहा
था।

अ ह ह… म म… चओ
ू स मेरे ह ठो को ध धू अ ह… आज चोद डाल मझ
ु े, बरु तरह से। अ ह ह… जैसे इस कु तया
को चोदता है तू। अ ह ह… ओ फ फ़… धीरे साले मर गयी रे ।

साले ध डू ने मेर बात मानकर मझ


ु े ऐसे चोदना शु कया जैसे मझ
ु े इन सबक आदत है। अगले पांच मनट तक म कर ब
३ बार झड गयी। मेडम क जीभ मेर चूत और ध डू के लंड से घसाई करते-२ अपनी चकनाई हम दान कर रह थी। और
हमार च क से नकला हु आ रस खुद पी रह थी।

और फर जब उनसे भी सहन नह ं हु आ तो वो उठकर ध डू के सर के पास गयी और अपनी साडी ऊपर उठा कर अपनी चूत
को उसके मह
ंु के ऊपर रखकर उसके चेह रे को बरु तरह से दबा दया। पर वो बेचारा कुछ न बोला। अपने मह
ंु से मेडम क
और अपने लंड से मेर चूत क सेवा करने म लगा रहा। पूरा कमरा मेर और मेड म क आँहो से गूँज रहा था। और मेड म ने
एकदम से मझ
ु े अपने ह ठो से लगाकर उन आँहो को भी बंद कर दया। और तभी आ खर बार म फर से झड गयी। ध डू क
जीभ से मेड म भी और हम दोन क चत
ू क गम से ध डू भी। सभी दबी-२ सी स का रया नकल रह थी बस। अ हsss
म मsss

और फर जब सब कुछ शांत हु आ तो मने होश संभाला। ज द से अपने कपडे पहने, साफ़ कया और बाहर नकल गयी। वो
दोन भी ज द से सज संवर कर अपनी-२ जगह पर आ गए। जैसे कुछ हु आ ह न हो। थोड़ी ह दे र म पी रयड ख़ म हो
गया।

द पा मझ
ु े ढूँढती हुई मेरे पास आई। मेरे चेह रे पर अजीब माईल पाकर वो समझ गयी क मेरे पास आज उसे बताने के लए
काफ कुछ है। मशः 75

म ज द से द पा को एक कोने म लेकर गयी और चहकते हुए, हँ सते हुए अपनी चुदाई का क सा नमक मच लगा कर
बताया। और ये भी क ध डू के लंड ने कैसी खलबल मचाई मेर चूत म। साथ ह साथ म सोच रह थी क सच म ये नचले
तबके के लोगो के लंड म पता नह ं कैसी पावर होती है क ये हम म डल और अपर लेवल म रहने वाल चूत क चीखे
नकलवा दे ते है। पता नह ं साले या खाते है जो इनके लंड म इतनी ताकत होती है। खेर… मेर बात सन
ु ते-२ द पा के चेह रे
के भाव बदलने लगे थे। उसने सरे आम अपनी चूत के ऊपर से ह उसको मसलना शु कर दया। मने बड़ी मुि कल से उसे
रोका और याद दलाया क ये कॉलेज है, कसी ने दे ख लया तो मिु कल हो जायेगी। और फर मने उसको राहुल वाला
क सा भी बताया। िजसे सन
ु कर वो और भी म ती म आ गयी।

द पा: यार तब तो मेड म आज राहु ल का बला कार करे गी और वो भी अपने तर के से। हा हा… उसक बात सन
ु कर मेरे दमाग
म एक वचार आया।
76
म: य न हम भी दे खे क मेड म या करती है राहुल के साथ। बोल या कहती है।

द पा: वाव… यार पर घर पर लेट हो जाएगा।

म: कोई ना जी, घर पर बोल दगे क ए ा लास थी, ठ क है।

उसने मझ
ु े सहम त जताई। म और द पा फर से मेड म के कमरे म गए।

अब आगे क कहानी, मीना ी मेड म क जुबानी।


********************

मीना ी मेडम
*******************
म अपनी चेयर पर बैठकर शाम को मलने वाले मजे के बारे म सोच रह थी। राहुल के ल ड क क पना करके ह मेर चूत
म फर से रसाव होना शु हो गया था। अपने प त और ध डू के ल ड के अलावा काफ दन के बाद कोई नया ल ड मलने
वाला था, इसक ख़ुशी तो मझ
ु से संभाले नह ं संभल रह थी।

तभी बाहर से ध डू अ दर आया और बोला क कोमल और द पा मलना चाहती है। म सोचने लगी क कोमल को या काम
है इतनी ज द , अभी तो नकल थी वो मेरे कमरे से चुदाई करवाकर। मने उ ह अ दर भेजने को कहा। कोमल मु कुराती
हुई अ दर आ गयी।

कोमल: मेड म, वो दरअसल मने द पा को आज वाल सार बाते बता द है।

म: तो या हुआ, हम तीनो म ऐसा कुछ नह ं है जो एक दस


ु रे से छुपा सके।

कोमल: जी मेडम, दरअसल हम दोन चाह रहे थे क आज शाम जब वो राहुल आपके घर आये तो… तो…

म: हाँ…हाँ बोलो, शरमाओ मत।

कोमल (धीरे से): तो या हम दोन भी वहां आकर और छुपकर आप दोन को वो सब करते हु ए दे ख सकते है या…

म: या… ये या कह रह हो तुम। वैसे तुम दोन ये सब य करना चाहती हो।

कोमल: वो या है न मेड म। हम तो इस खेल म आये हुए अभी थोडा सा ह टाईम हु आ है। पर आप तो मा हर हो इन सब म।


तो बस आपको दे खकर ह कुछ और सीख लगे। जो हम आगे काम आएगा। अपनी चुदाई म।

म कोमल क बात सन
ु कर है रान रह गयी। साल कतनी आग लगी हुई है इसक चूत म। अभी थोड़ी दे र पहले ह तो चुद कर
बाहर नकल है, और अब मेरे और राहुल के बीचे होने वाल चुदाई को लाईव दे खना चाहती है। और ये द पा भी… म सोचने
लगी। वैसे इसम कोई हज भी नह ं है। इ फे ट मझ
ु े ये सोचकर यादा रोमांच महसस
ू होने लगा क मेर परफोमस दे खने
वाला भी कोई होगा।

म: ठ क है, तुम दोन आ सकती हो मेरे घर। पर बलकुल छुप कर रहना। म जब अपने मड
ू म होती हूँ तो अपने ल ड को
कसी के साथ भी शेयर नह ं करती। समझी। कोमल और द पा ने एक साथ सर हलाया और मने उ ह अपने घर का पता
दया। और एक डु ल केट चाभी भी। ता क वो दोन अ दर जाकर छुप जाए। वो दोन खश
ु होती हुई चल गयी। मने टाईम
दे खा, अभी एक घंट ा था राहुल को मेरे पास आने म। मने अपने इधर-उधर के काम नपटाए और फर जब कॉलेज का
आ खर पी रयड ख़ म हुआ तो थोड़ी ह दे र म राहु ल मेरे पास आया। मने उसे बु स को उठाकर अपनी कार म रखने को
कहा। वो बु स को उठा-२ कर अपनी कार म रखने लगा।

और जब सार बु स रख द तो वो मेरे पास आया और बोला: मेडम, रख ल सार बु स।

म: ठ क है, म अपनी कार नकाल रह हूँ । तुम अपनी कार से मेरे पीछे -२ आ जाना। ओके।

77
और फर म ऑ फस बंद करके नकल पड़ी। राहु ल क कार मेरे पीछे ह थी। थोड़ी ह दे र म म घर पहूँच गयी। राहुल ने भी
कार बाहर रोक द और बु स उठा-२ कर बाहर वाले टडी म म रखने लगा। म इतनी दे र म अ दर गयी और बेड म के
साथ वाले टोर म का दरवाजा धीरे से खटकाया। अ दर से कोमल ने दरवाजा खोला…

कोमल: यस मेड म, आ गया या राहुल…

म: हाँ आ गया, सन
ु ो तुम दोन एकदम छुप रहना। कोई आवाज नह ,ं और सन
ु ो, ये हडीकेम लो, जो भी मेरे और राहुल के
बीच होगा तम
ु इसे रकॉड कर लेना। ओके।

कोमल (हेरानी से): ये या मेड म, ये सब कस लए।

म: तुम नह ं समझोगी, ये सब बाद म बड़ा काम आएगा हम।

और मने ज द से दरवाजा बंद कर दया। टोर म के ऊपर का जाल काफ खुला था, कोमल और द पा को मने टे बल के
ऊपर खड़े होकर बाहर का नजारा दे खने और रकॉड करने को कहा था। और जब राहु ल ने बाहर क सार बु स अ दर रख द
तो वो मेरे पास आया: हो गया मेडम, म चलू या।

म (थोडा गु से म): यादा ज द है घर जाने क , अपनी हरकत क इतनी छोट सजा सोचकर बैठे हो या।

वो सकपका गया, और बोला: जी…जी आप और या चाहती है। बोलो, म करने को तैयार हूँ।

म: चलो अ दर, मेरे म म। म अपनी कमर मटकाती हु ई अ दर आ गयी।

राहुल बेचारा है रान-परे शान सा होकर मेरे पीछे आने लगा। अ दर जाकर म बेड के ऊपर बैठ गयी।

म: अब म जो भी बोलती जाऊ, बना चू-चपड़ कये करते जाओ, समझे। वना कल तु हारे घर पर म सीधा फ़ोन करके सब
बोल दूंगी क आपका लाडला या करता है कॉलेज क टॉयलेट म, लड कय के साथ।

वो अपनी नजरे झुकाए खड़ा रहा और हाँ म अपना सर हला दया। मेर पारखी नजरे उसक जींस के ऊपर से ह उसके ल ड
का साईज पता करने क को शश कर रह थी।

म: वैसे, या कर रहे थे तुम, ले डस टॉयलेट म, कोमल के साथ।

वो कुछ न बोला

म (गु से म, जोर से): बोलो, या कर रहे थे। चुदाई कर रहे थे न, बोलो।

राहुल: जी…जी नह ं वो, मने उसक … उसक चूत म ल ड डाला ह था क आप आ गयी थी, तो इस लए कुछ नह ं कर पाया।

म: ह म… कतनी अ दर डाला था उसक चत


ू म।

राहुल: जी…जी सफ आगे वाला ह सा ह डाल पाया था।

उसके साथ चुदाई क डटे ल म ऐसे ले रह थी मानो सी आई डी यूरो म बैठकर म उसके साथ पूछताछ कर रह हूँ। दम
ु न
बनकर। और ये सब पूछते हु ए मेर चूत के अ दर चीं टया सी रग रह थी।

म: आगे वाला ह सा, क न सा दखाओ मझ


ु े।

वो मेर तरफ हे रानी से दे खने लगा। पर शायद वो अब तक समझ चुका था क म उसके साथ ऐसी बाते य कर रह हूँ।
उसने एक गहर सांस ल और अपनी जींस के बटन खोलने लगा। और फर उसने उसे नीचे खसका दया और अपने
उफनते हु ए ल ड के दशन मझ
ु े करवाए। इतना मोटा और ल बा म म मम। मेरे तो मह
ंु म पानी आया गया।

राहुल ने अपने ल ड का सप
ु ाड़ा अपने हाथ म पकड़ा और मझ
ु े दखाया: ये वाला मेडम, सफ इतना ह गया था अ दर।
78
मने उसे इशारे से अपने पास बुलाया और उसके ल ड को अपने हाथ म पकड़ लया, वो ऊपर से नीचे तक कांप गया।

म: ह म… मुझे वशवास नह ं होता क कोई थोडा सा ह अ दर डाले और पूरा काम न करे , तुमने ज र उसक चूत म पूरा
ल ड डाला होगा, बेचार का या हाल हुआ होगा। तु हारे ऊपर तो केस करना चा हए।

वो आंसा सा हो गया: नह ं मेड म, सच म, उसक चूत इतनी टाईट थी क मेरा ल ड यादा अ दर जा ह नह ं पा रहा था।
और जब तक म और को शश करता, आप आ गयी।

म: झूठ मत बोलो, कोई ऐसा कर ह नह ं सकता क एक इंच डाल कर बैठा रहे, इतना सबर कोई नह ं करता। आज कल तो
सब एक ह झटके म हो जाता है। तुमने ज र अपना पूरा ल ड डाला है उसक चूत म।

राहुल: नह ं मेडम, मेरा यक न करो।

म: ठ क है, एक शत पर यक न क ँ गी, तुम एक इंच, यानी अपने सप


ु ाडे वाले ह से को मेर चूत म डालकर पांच मनट तक
स से बैठे रहना, अगर तुम ये कर पाए तो म तु हार बात का यक न कर लुग
ं ी, और तु हारे घर पर कुछ नह ं बोलूग
ं ी। वना
म उ ह सब बता दं ग
ू ी, और कोमल को भी अपने साथ लेकर तु हारे ऊपर केस कर दं ग
ू ी।

वो मेर बात सन
ु कर अवाक सा होकर मझ
ु े घूरता रहा। म एक तर के से उसको लेकमेल कर रह थी। पर उसे अपने ऊपर
भरोसा था। इस लए उसने हाँ कर द । वैसे भी उसके पास कोई और चारा नह ं था। मने ज द से अपनी साडी और पेट कोट।
और फर लाउस और ा नकाल द । मुझे अपने सामने नंगी पाकर वो बेचारा बावला हु आ जा रहा था। उसने भी आनन ्-
फानन म अपने सारे कपडे नकाल फके।

मने अपनी दोन टाँगे ऊपर उठाई, और उसे अपनी चूत का नमं द दया। राहु ल ने अपने ल ड को हाथ म पकड़ा और धीरे
से आकर मेर चत
ू के ऊपर अपने ल ड को टका दया, और धीरे से अपने ल ड का दबाव अ दर डालकर अपने ल ड के
आगे वाला ह सा मेर चूत के अ दर फंसा दया। कोमल क क ची चूत और मेर पक हुई फुदद म काफ अंतर था।
उसका ल ड बेशक उसक चूत म फंस कर जा रहा होगा। पर मेर चूत के अ दर वो फसलने को तैयार था। एक तो इसके
खल
ु ेपन क वजह से और दस
ू रा मेर चत
ू के रस क वजह से, जो इतनी मा ा म नकलता था क आधा कप भर जाए मेरे
रस से। पर वो अपने ल ड को मेर चूत के ऊपर लगाये हुए खड़ा रहा। बना अ दर जाने के लालच के।

मझ
ु े पता था क वो बड़ी मिु कल से मझ
ु े चोदने को रोक रहा था। मझ
ु े उसपर तरस भी आ रहा था, और मजा भी। मने
उसक गा ड के चारो तरफ अपनी टाँगे लपेट द । और अपनी तरफ खींचा। उसने अपने हाथ मेरे कंधे के ऊपर रख कर बड़ी
मिु कल से अपने ल ड को अ दर घुसने से रोका।

राहुल: ये… ये या कर रह हो आप। आपने ह तो कहा था क सफ एक इंच डालकर स से खड़े होकर दखाओ। आप ऐसा
करोगी तो ये अ दर जाएगा ह ।

म: तुम अपने स के हसाब से डटे रहो। म तु हे अपने हसाब से हडल करती हूँ । दे खते है, क न जीतेगा। वो मेर बात
सन
ु कर मु कुरा दया। जान तो वो पहले ह चक
ु ा था क आज वो मेर चद
ु ाई करके रहे गा। पर इस तरह क गेम खेलकर म
अपनी चुदाई के खेल को और भी रोचक बना रह थी। म फर से अपनी टांगो का जोर लगाया। उसने अपने हाथ सीधा मेर
फू बा स जैसी छा तयो पर जमा द । और उ ह जोर से उमेठ दया। मेर तो चीख ह नकल गयी उसक इस हरकत से।
और मेर पकड़ उसक गा ड से कम हो गयी। अ ह ह ह साले, ये या कर रहा है।

राहुल: आप अपनी को शश करो मेरे ल ड को लेने क । म अपनी कर रहा हूँ, ना दे ने क ।

म… तो ये भी खेल खेलने को तैयार है। मने एक नजर टोर म क तरफ दे खा। और अँधेरे म चमकती हुई लाल बंद ु
दे खकर म समझ गयी क सब कुछ रकॉड हो रहा है ।

अब आएगा मजा। …P076…

79
Pehle nahi jaati thi keel choot mein,
Ab chali jaati hai cheel choot mein,
cheel chali gayi milo-meel choot mein,
cheel ne bana di jheel choot mein,
jheel ke kinare baitha vakeel choot mein,
vakeel ne kar di appeal choot mein,
court ne laga di seal choot mein,
Isliye ab phir nahi jaati keel choot mein

मने राहुल के हाथ को अपने हाथ म पकड़ा और उसे अपने मह


ुं के पास ले गयी। मेर लाल जीभ बाहर नकल कर उसक
उं ग लय को छु रह थी। उसक तो कंपकंपी सी नकल गयी। मने उसक उं ग लय को अपने मह
ुं म डाला और उ ह
लोल पोप क तरह से चूसना शु कर दया।

उ म म आई लव योर मेल अ ह ह।

मने एक साथ उसक सार उं ग लया मह


ंु म डाल और उ ह एक मोटे ल ड क तरह से चस
ू ने लगी। उसने अभी भी अपने
ल ड को मेर चूत म जाने से रोका हु आ था। साले क वल पावर कतनी अ छ है। पर उसके चेह रे पर आ रहे भाव को
दे खकर मुझे एहसास होने लगा था क ये यादा दे र तक अपने आप को रोक नह ं पायेगा। रोकेगा भी कैसे, मेरा
ए सपी रयंस कस दन काम आएगा। मने अपनी गील चूत को झटके से ऊपर क तरफ उछाला। पर वो भी शाना था।
उसने मेर कमर क लचक भांप ल और अपने को पीछे खींच लया। साला बच गया मेर चूत के अ दर आने से। मने अपनी
छाती को ऊपर क तरफ ताना। और उसके दोन हाथो को अपनी छा तयो के ऊपर रखकर उनके नरमपन का एहसास
दलाया।

उसके चेह रे को अपनी तरफ खींचा। और उसके ह ठो पर अपने ह ठ जमा दए। और उ ह जोर से चूसने लगी। अ म म
उ म म मु ह ह पर उसने अभी भी बड़ी ह चालाक से अपने ल ड और मेर चूत के बीच का फासला बरकरार
रखा हुआ था। अ ह ह राहु ल डाल दे मेर चूत बड़ी यासी है।

वो समझ रहा था क मै उसको उ तेिजत करने क पूर को शश कर रह हूँ। पर वो ये भी जानता था क अभी पांच मनट पूरे
होने म पूरे चार मनट है। वो नादान अभी भी इस खेल को पूर इमानदार से नभाने क को शश कर रहा था। पर मुझमे स
ख़ म सा होता जा रहा था। मेरा शर र उसके मक
ु ाबले काफ भार था। मने खेल को अपने हाथ म लेने क सोची। अगर ये
ऐसे ह करता रहा तो म तड़प-२ कर मर जाउं गी। मने एक ह झटके से उसक कमर को पकड़ा और उसे बेड के ऊपर पटक
दया। और म घूमकर उसके ऊपर आ गयी। और इस दोरान उसका ल ड मेर चूत के मह
ु ाने पर ह टका रहा। और जब म
उसके ऊपर आई तो मने उसके दोन हाथ को बेड के ऊपर लगा दया। वो बेबस सा होकर मचलने लगा मेरे नीचे।

राहुल: मेड म, ये गलत है, आप ऐसा नह ं कर सकती।

म: अ छ ब च,ू तू मझ
ु े बताएगा क म या कर सकती हूँ और या नह ।ं साले, इतनी दे र से मेर चूत के ऊपर अपने ल ड
को लगा कर बैठा है। और मेर सल
ु ग रह है। अब स नह ं होता मझ
ु से। अब तू दे ख, मै तेरा या ह करती हूँ । मने इतना
कहा और अपनी गा ड वाले ह से को आगे कया और उसके ल ड को नगलना शु कर दया। मानो वो लड़क हो और म
ल ड वाला लड़का।

जैसे -२ उसका ल ड अ दर जा रहा था, मझ


ु े एहसास होने लगा था क आज चुदाई म मजा आने वाला है। दरअसल उसका
ल ड आगे से टे ड़ा था। और इस तरह का ल ड सीधी गुफा नुमा चूत म जाते हुए अटकता है। और जब चूत क द वार पर
ल ड के सप
ु ाडे क रगड़ लगती है तो अजीब सा एहसास होता है। जो अब मझ
ु े होना शु हो गया था। ऐसा लग रहा था क
मेर चूत म एक साथ दो ल ड जा रहे है। अ ह ह साले, तेरा ल ड तो कमाल का है। म म म

राहुल: साल कु तया, तेर चत


ू का बड बजाऊंगा मै आज।

80
उसके मह
ुं से गाल सन
ु ते ह मेरे अ दर क कु तया जाग उठ । मने उसे दबोचा और अपना पूरा भार एक ह बार म उसके
ल ड पर डालकर परू ा ल ड नगल लया। अ ह हओ फ म म म कुछ दे र तक तो मेर आँख के आगे अँधेरा चा
गया। शायद मेर चूत के अ दर कुछ छल सा गया था। पर ये मजा दद से कराहने का नह ं बि क मजे से च लाने का था।
अ ह ह ह ह म म म या कर डाला। अ ह ह

उसने मेरे चेह रे को ऊपर उठाया और मझ


ु े पागलो क तरह से चूमना शु कर दया। मेर जीभ जो बाहर नकल हुई थी, उसे
जोर से काट लया। मै करहा उठ । उसके जंगल पन को दे खकर।

हो भी य न, पहल बार उसका ल ड गया था कसी क "परू " चूत म। …P079…

उसने मेर गा ड के पतीले पर अपने हाथ रखे और अपने ल ड को बुर तरहे से पेलने लगा मेर चूत के अ दर। अ ह ओग
ओ फओ फओ फओ फफ क। मने इतने झटके आज तक नह ं खाए थे एक साथ। मेर चूत से झर झरा
झर पानी नकलने लगा, और उसके ल ड और ट े को भगो कर बा रश क सु घध जैसा एहसास दे ने लगा। अब मेर चूत
के पानी ने उसके ल ड को पूर तरह से चकना बना दया था। मै पूर तरह से उसके ल ड को ले पा रह थी। और फर उसने
एक ऐसा काम कया जो मने सोचा भी नह ं था। जैसे मने उसको झटके से नीचे पटका था, उसने भी मझ
ु े वा पस नीचे पटक
दया।

उसक शि त दे खकर म है रान रह गयी। पर जब खड़े होकर उसने मेर चूत के अ दर अपने ल ड क ठोकरे मारनी शु क
तो म अपने होशो हवास खोकर वह प त सी हो गयी। और अपने हलते हुए मु मो क परवाह कये बना अपनी चुदाई का
मजा लेने लगी। अ ह ह राहुल, सच म तेरा ल ड कमाल का है, चोद मझ
ु े, साले, भेन चोद, मार जोर से मेर चूत को।
अ ह ह।

राहुल तो पहले से ह मझ
ु े बुर तरह से चोद रहा था। मेर बात सन
ु कर वो और तेजी से ध के मारने लगा। ले साल ,
हरामजाद , भेन क चूत तेर , तेर चूत भी कमाल क है, साल , कु तया, अ ह ह ये ले, ये ले। और तभी मेरे अ दर से
आने वाल बाढ़ का एहसास हु आ और अगले ह पल मने अपने पैर राहु ल क कमर से बाँध लए। मेर चत
ू से नकलने वाले
रस ने उसके ल ड को बाहर धकेल दया और उसने उसे फर से मेरे अ दर डाल दया।

अब बार राहुल के झड़ने क थी।

वो भी अपने ल ड को पूर तरह से मेरे अ दर पेलने म लगा रहा। और ज द ह उसने अपनी मेह नत का फल मेर चूत के
कटोरे म डाल दया। और मै त ृ त सी होकर अपनी आँखे बंद करके जोरो से साँसे लेने लगी। वो भी गहर साँसे लेता हुआ मेरे
साथ ह साथ लेटकर मझ
ु े सहलाने लगा। मने रोशनदान क तरफ दे खा। केमरे क लाईट अब नह ं दख रह थी। इतना
गरम खेल दे खकर शायद उनका अपना खेल शु हो चक
ु ा था अ दर।

म उनके बारे म सोचकर मु कुराने लगी। …080-082…

***** कोमल *****


******************
मने और द पा ने जब खड़क से दे खा क मेड म ने कतनी इरो टक टाईल से राहु ल का ल ड अपनी चूत के डाला तो हम
उनका हुनर यानी चुदवाने क कला दे ख- दे खकर आनं दत सी हो उठ ।

मने द पा से कहा: दे खा तूने, मेड म क चूत इतनी टाईट नह ं है िजतनी हमार है। फर भी उ ह ने कतने मजे ले-लेकर
राहुल का ल ड अ दर लया है। जैसे उनक पहल चुदाई हो ये। याद रख ले, जब चूत म ल ड जाए तो मजे लेने चा हए।
ता क सामने वाले के मन म जोर से चुदाई करने का होसला आ जाए, और वो और जोश के साथ चुदाई करे । मै उसे ऐसे
समझा रह थी मानो मने अपने गु के वारा दया हु आ ान ा त कर लया है।
81
और अपनी सहे ल को अपने टाईल म समझा रह हूँ । द पा के ह ठ कांप रहे थे। उसक चूत के ह ठ भी कांप रहे ह गे। म
आगे बड़ी और उसके कांपते हुए ह ठो को अपने मंह
ु म लेकर चस
ू ने लगी। बफ जैसे ठ डे थे उसके ह ठ। मने अपने गम ह ठो
के ताप से उ ह गम करना शु कया। उनपर दांत से काटा, उ ह चबाया, चूसा, तब जाकर उनक ठठुरन बंद हुई।

द पा के मह
ंु से हलक -२ स का रया भी नकलने लगी थी। उ म मअ ह ह कोमल।

मेरे हाथो म उसके अम द आ गए और म उ ह जोरो से दबाने लगी। उसके न पल अपनी े ट से बलकुल चपके हुए है।
जब क मेरे अलग ह दाने क तरह से चमकते है। मने उसक शट को खींच कर नीचे कर दया और ा के े स को भी हटा
दया। उसक दल क धड़कन और साँस क आवाज लगातार तेज होती जा रह थी। मने सर नीचे कया और उसके दांये
न पल को मह
ुं म डालकर चूसना शु कर दया।

जैसा क मने कहा क उसका न पल अपनी े ट से बलकुल जुड़ ा हु आ है, और इस लए वो एक नुक ल पहाड़ी जैसे लगते
है। मने उसक े ट को पूरा मुह
ं म डाला और जोर से चु पा लेकर उ ह नगलने लगी। वो तो पागल होती जा रह थी मेर
इन हरकत से। एक तो राहु ल और मेड म क चुदाई का खुमार और ऊपर से मेर हरकत का नशा। सब मला कर उसे
मदहोशी के आलम म ले जा रह थी। पर वो अपनी आवाज को मह
ुं म दबा कर रखे हुए थी। जो काफ मिु कल काम था।
वना इतने म तो वो परू ा मोह ला अपने सर पर उठा लेती और सभी को बता दे ती क उसके रे शम जैसे शर र का सेवन कया
जा रहा है।

उसने मेरे सर को दबा कर नीचे क तरफ खसकाना शु कर दया। मै समझ गयी क हरामजाद क चत
ू म खज
ु ल हो रह
है। मने भी मजे लेने के लए जान बुझकर इधर उधर चाटना और सहलाना जार रखा। मेरे ह ठ उसके गुदाज पेट के ऊपर
घूम रहे थे। उसक ना भ के अ दर मने अपनी जीभ डाल और आगे पीछे करके उसक ना भ को अपनी जीभ से चोदने
लगी। मेर इस हरकत ने तो आग म घी का काम कया। वो बदहवास सी होकर अपनी नीचे के कपड़ो को उतारने लगी। और
पूर नंगी होकर उसने मेरे सर को अपनी धधकती हुई चूत के ऊपर ध म से मारा।

और बोल , "ले चाट कु तया। इतनी दे र से तडपा रह है। समझती नह ं है साल , नाटक करने म लगी है, ऊपर चूस रह है।
जब क आग नीचे लगी है।”

मझ
ु े उसक इस हरकत और बात पर हंसी आ गयी। सच म उसक चूत म आग सी ह लगी हुई थी। ऊपर उसके ह ठ कतने
ठ डे थे। और नीचे उसक चूत उतनी ह गरम। ऊपर के ह ठ बफ ले थे। और नीचे के आग के गोले। ऊपर के ह ठो का रस
ठ ड से जमा हुआ था। और नीचे का झरने क तरह बह रहा था। मने उसके झरने पर अपना मह
ंु लगा दया और गरमा
गरम रस अपने गले से नीचे उतारने लगी।

मेर जीभ क नोक उसक चूत के ऊपर बनी हुई ततल के पंखो के ऊपर अपना असर दखा रह थी। उ ह सहला रह थी।
और फर मने उन पर को अपने मह
ुं म लेकर चुभलाना शु कर दया। वो मेरे सर को पकड़ कर कोने म पड़े एक पुराने बेड
तक ले गयी और मझ
ु े नीचे पटक दया। और मेरे मुंह क सवार करने लगी। अपनी चूत को मेर जीभ पर द पा बुर तरह से
घस रह थी। उसक चूत का रस मेरे मह
ुं के अ दर मेरे दांत से फ़ टर होते हुए जा रहा था। मेर नाक म उसक चूत के रस
क खुशबू अ दर तक समां गयी थी। तभी मने अपनी एक फं गर उसक गा ड के अ दर डाल द । उसका मह
ुं ओ क शेप म
खुल गया। पर कुछ बोल न पायी वो।

पर उसके चेह रे को दे खकर साफ़ पता चल रहा था क उसे मजा बहुत आ रहा है। मने ऊँगल बाहर नकाल और उसे उसक
चूत के घी म डु बो कर वा पस गा ड म धकेल दया। इस बार चकनाई क वजह से वो अ दर फसलने लगी। द पा क चूत
का दबाव मेरे मह
ुं से हट कर मेर नाक के ऊपर आ गया। मने अपनी नाक उसक चूत के अ दर फंसा द । और मेर ऊँगल
को मने तेज झटके के साथ उसक गा ड म पूरा अ दर तक घुसा दया। वो ऊपर तक उछल गयी। और नीचे आते ह उसक
चूत मेरे नाक के ऊपर पड़ी और मेर पूर नाक एक ह बार म उसक चूत के अ दर तक समां गयी। उसके रस क खुशबु
इतने पास से मने आज तक नह ं ल थी।

82
मने अपना मह
ुं खोला और उसके ज रये सांस लेने लगी। और अपने नाक से बाहर क तरफ छोडने लगी। और मेर नाक तो
द पा क चत
ू म थी, उसक चत
ू के दाने को मै अपनी नाक के सरे पर साफ़ महसस
ू कर पा रह थी, और वो भी उस दाने को
मेर नाक से रगड़कर मजे लेने म लगी हुई थी। मेर नाक से नकलने वाल गम हवा सीधी उसक चूत के अ दर पड़ रह
थी। जो उसके लए भी बलकुल नया अनुभव था। मने एक और तेज सांस अपने मह
ुं म भर और नाक से छोड़ी। उसक गम
चत
ू भ ी क तरह से सल
ु ग उठ । द पा को ऐसा लगा कसी ने उसक चत
ू म आग लगा द है, सच म। और अगले ह पल
उसका बाँध टू ट गया। रसीले पानी का, गाड़े रस का, मीठे शरबत का बाँध। और मने गट-गट करके अपनी सहे ल का दया
हुआ यार अपने मह ुं म समेट लया और पी गयी। म फर भी उसक थक हुई चूत को चुसे जा रह थी। उसक चूत का
ए रया ससे टव हो चक ु ा था।

द पा: अब जान नकालेगी या…

उसने झटके से अपनी चूत को मेरे मह


ुं से हटा दया। और मेरे सामने खड़ी हो गयी। पूर नंगी थी वो इस समय। उसक
छाती ऊपर नीचे हो रह थी। आँखे गुलाबी हो चल थी। साँसे तेज चल रह थी। वो मेरे ऊपर टू ट सी पड़ी। और अगले एक
मनट म म भी नंगी थी उसक ह तरह। मझ
ु े ऊपर खसका कर उसने मझ
ु े पूर तरह से बेड पर लटा दया। अब सेवा करने
क बार उसक थी। मने अपनी दोन टाँगे हवा म उठा द । वो आगे आई और मेरे दोन पंजो को अपनी छाती पर लगाकर
मलने लगी।

फर द पा ने मेरे एक पैर को पकड़ा और मेरे पैर के अंगूठे को अपने मुंह म लेकर ल ड क तरह से चूसने लगी। ऐसा कोई
पहल बार कर रहा था मेरे साथ। और मझ
ु े ऐसा लग रहा था क वो मेरे अंगठ
ू े के ज रये मेर िज दगी चस
ू रह है। मै बेजान
सी होती जा रह थी। मझ
ु े नह ं मालुम था क मेरे पैर भी मेर चूत और बू स क तरह वीक पॉइंट है। मेरे मचलने को म ती
का पैमाना मानकर उसमे भी और ह मत आ गयी। और द पा ने अंगूठे के साथ-२ मेर उं ग लया भी चूसनी शु कर द ।
और वो ऐसे चस
ू रह थी मानो उनपर च कलेट लगी हुई है। पर उसक चस
ू ने क लगन इतनी थी क उसे कुछ भी एहसास
नह ं हो पा रहा था। वैसे अ सर ये होना भी चा हए। िजस तरह का सख
ु और एहसास मने उसे दया। वो मझ
ु े उससे यादा
दे ना चाहती थी। इस लए शायद ये सब कर रह थी। अ ह ह ह द प,ु साल , कु तया, कहा से सीखा ये सब, बोल न, भेन
क लोड़ी।

पर वो बना कुछ बोले बस मेरे पैरो क उं ग लय को चु ती रह । और तब मने नोट कया क चूस तो वो मेरे पैर रह थी पर
झरना मेर चूत का छूट रहा था। और शायद येह वो चाहती थी।

मेर चूत के दरवाजो से पानी बाहर नकलते दे खकर उसने मेरे पैरो को छोड़ दया और मेरे दोन नंगे पैरो क पंड लय और
जांघो को चुमते हु ए वो नीचे आने लगी। चूम या रह थी वो हर जगह को चूस रह थी। हर दो इंच के बाद मेर टांगो को चूस
चूसकर वहां लाल रं ग का माक छोडती जा रह थी। मेर चूत तक पहूँचते-२ उसने मेर टांगो को लाल नशान से भर सा
दया। पर मझ
ु े बड़ा मजा भी आ रहा था।

और जब उसका का फला मेर चूत तक पहंु चा तो मेरे पेट म अजीब तरह क गुदगुद सी होने लगी। ये पहल बार नह ं था
क वो मेर चत
ू चस
ू ने जा रह थी। पर िजस अंदाज म आज उसने मझ
ु े मजे दए थे उसके बाद वो मेर चत
ू को कैसे मजे
दे गी, बस येह सोचकर मेरे पेट म गुदगुद सी हो रह थी। उसने अपने मुंह को मेर चूत के ऊपर लेजाकर अपने क
े ु ला जैसे
दांत से मुझे डराया। और अपनी चुड़ ैल जैसी जीभ से मुझे सहमने को मजबूर कर दया। और जैसे ह उसक पेनी जीभ ने
मेर चत
ू के धरातल को छुआ।

मेरे पेट क गड
ु गुड पेशाब के प म बाहर क तरफ उछल पड़ी। ओ ह ह शटsss मने सोचा भी नह ं था क ऐसा हो
जाएगा। मेर मज के बना मेरा गो डन वाटर बाहर नकल आएगा। और वो भी इस समय जब द पा मेर चूत को चाटने के
लए तैयार थी। ऐसा तो आज तक नह ं हु आ। लगता है यादा उ तेजना के कारण ह हु आ है ये सब। पर अब या हो सकता
था। जो होना था वो हो गया। मेर चूत से नकले गम पानी के फु वारे उसके मह
ुं को भगो रहे थे।

83
पर ये या। वो पीछे हटने के बजाये आँखे बंद करके उन बोछारो का मजा ले रह थी। और मदहोश हुए जा रह थी। मेर तो
कुछ भी समझ म नह ं आया। पर अगले ह पल गम पानी से नकलती हुई भीनी खशु बु के एहसास ने मझ
ु े भी मदहोश सा
कर दया। बेशक ये एहसास सोचने और सन
ु ने म ग दा था पर महसस
ू करने म उतना नह ।ं और शायद येह सब महसूस
करके द पा भी मदहोशी के आलम म उतर गयी थी। और जब मेर चूत के फ वारे ख़ म हुए तो उसने अपनी भीगी पलके
खोल । उनका नशा अब और भी यादा हो चकु ा था। उसने अपने ह ठो पर जीभ फेर । और एक तेज सांस लेकर मेर गील
चूत के ऊपर टू ट पड़ी। ओ ह ह द पू, यु आर क लंग मी… स स म म म एस बेबी सक मी, स क मी,
स क मी हाड।

अब मेर बार थी। मजे लेने क । मै उसके मह


ुं को कसी ल ड क तरह अपनी चूत पर जोरो से मरवा रह थी। उसने सफ
अपनी जीभ बाहर नकाल कर ल ड क तरह से खड़ी कर रखी थी। बाक का काम मै करवा रह थी, कभी घसाई। कभी
अ दर तक घुसवायी। सब कुछ। मेर चूत ने कब अपना रस नकला, कब उसने उसका सेवन कया। मुझे कुछ पता नह ं
चला। मेरा पूरा शर र नम सा था।

आज जैसा लेि बयन से स हमने कभी भी नह ं कया था। और जब से हमने अपनी चूत म ल ड लए है तब से तो हमने
एक दस
ु रे के साथ मजे लेना भी कम कर दया है। और आज बाहर क चुदाई ने जो माहोल बनाया था, उसका ये फल पाकर
हमार चुते गदगद हो उठ । …P083-085…

आज काफ कुछ सीखने को मला था हम मेडम से। थोड़ी ह दे र म मेड म अ दर आई। हमारे नंगे िज मो को दे खकर वो
अ दर क सार कहानी समझ गयी। राहु ल जा चुका था। हमने भी मेडम को थ स कहा और अपने-२ कपडे पहन कर घर
क तरफ चल दए।

रा ते म द पा ने मझ
ु से पछ
ू ा क मेडम ने आ खर हमसे राहुल क मव
ू ी य बनवाई है।

तो मने कहा क ये तो मेडम ह जाने।

इसी तरह पूरे दन क बाते करते-२ हम अपने-२ घर चले गए। घर पहूँचते ह मै सीधा आशु के म म गयी। म मी मा कट
गयी हुई थी। वो बेड पर उ टा लेट कर आई पोड पर गाने सन
ु रहा था। मै भी उसके साथ जाकर बैठ गयी। आशु ने मझ
ु े दे खा
और अनमने मन से मझ
ु े वश कया।

मै: या बात है, आज थोडा उदास सा लग रहा है। सब ठ क तो है न।

आश:ु जी द द , सब ठ क है, दरअसल मै आपसे कुछ बोलना चाह रहा था।

म: हाँ…हाँ बोल न, या बात है।

आशु ( झझकते हुए): द द वो… वो हमारे पड़ोस म वो एक लड़क रहती है न, हनल, मझ


ु े वो काफ पसंद है।

मै उसक तरफ हे रानी से दे खने लगी। हनल और उसक फे मल को हमारे पड़ोस म आये हुए सफ चार मह ने ह हुए थे।
और मेरा भाई उसके पीछे द वाना हो गया है । वैसे दे खने म वो बुर नह ं थी। डाक कॉ ले शन, मोट े ट, दब
ु ला शार र,
हं समख
ु वभाव, और सबसे बड़ी बात उसक शराबी आँखे। मेर भी सफ उसके साथ एक या दो बार ह बात हुई थी। उसका
भाई भी था जो कसी सरकार द तर म जॉब करता था, और म मी पापा जो अब घर पर ह रहते थे।

म: या बात है भाई, मतलब इशक व क हो गया है तुझे। म।

आश:ु अरे नह ं द द , वो तो बस ऐसे ह , मझ


ु े अ छ लगती है।

मै: अ छा, मतलब यार नह ं है, बस उसके साथ मजे लेना चाहता है, है न।

84
आश:ु आप भी न, अ छा सन
ु ो, आप मेर हे प करो न, ल ज, मेर ह मत ह नह ं हो पाती है उससे बात करने क , आप ह
कुछ करो न।

मै कुछ सोचने लगी, और तभी मै मु कुराने लगी। वो समझ गया क मेरे दमाग म कुछ लान आया है।

मै: अगर तुम चाहो तो मै तु हार हे प कर सकती हूँ । और कहो तो अगले पांच मनट म तुम हनल को चोद भी सकते हो।

आशु फट -२ आँख से मझ
ु े दे खने लगा। जैसे पूछ रहा हो। कैसे…

म: मै तु हारे लए हनल से बात क ँ गी और तुम उसके साथ सब मजे लेते रहना बाद म। पर अभी तुम मुझे ह हनल
समझ कर और कह कर चुदाई करो। बड़ा मन कर रहा है तु हारा मोटा ल ड अपनी चूत म लेने का। मेर बात सन
ु ते ह
उसके चेह रे क मु कराहट और भी बढ गयी।

मझ
ु े अपनी तरफ खींचकर उसने अपने यासे ह ठ मझ
ु पर चपका मारे । उ म ह ह। उ म म हनल, मच मउ
ू च।
वो अपनी आँखे बंद करके मुझे हनल समझ कर चूसने म लगा हुआ था। और मुझे भी हनल का रोल ले करने म एक
अजीब सा रोमांच मल रहा था। मझु े एक ह झटके म अपनी गोद म उठा कर उसने हवा म उठा लया और मेर गुदाज
गा ड के अ दर हाथ धंसा कर वो मझ
ु े ऊपर मह
ुं करके चूसने लगा। मने अपनी ट शट को अपने कंधे से खसका कर एक
तरफ क बाजू नंगी कर द । और फर दस
ू र भी। और ा के े स भी गरा दए दोन तरफ। मेरे दोन कबूतर हवा म उड़ने
लगे और आशु उ ह अपने मह
ुं से पकड़ने क नाकाम सी को शश करने लगा। मेरे दोन न पलस इतने कड़क हो चुके थे क
उनको मने आशु के चेह रे पर दबा कर उसे ससकने पर मजबूर कर दया। अपने न पल को मने उसक आँख पर दबाया
और उसके चेह रे को अपनी तरफ खींच कर उसक आँख को भेदने लगी अपने शल
ू से। उसक जीभ बाहर नकल कर मेर
े ट क घा टय म पैदा हो रह ओस क बूंद को चाटने म लगी हुई थी। उसक एक ऊँगल को अपनी गा ड के छे द पर मै
साफ़ महसूस कर पा रह थी।

अभी कुछ दे र पहले तक द पा इसी छे द को बुर तरह से चाट रह थी। और अब आशु के ल ड के नाम क खुजल मुझे बुर
तरह से तडपा रह थी। वो फर से मेरे ह ठो को चूसने लगा। मने उसके मह
ुं से अपने ह ठ छुडवाये

और बोल : तेर हनल क चूत गील हुई पड़ी है आशु। चल चोद मझ


ु े। अपनी हनल को चोद न।

उसे कसी और इन वटे शन क ज रत नह ं थी। मझ


ु े गु डया क तरह से बेड पर पटका, मेर जींस को खींच कर क छ समेत
उतारा। अपने ल ड को आजाद करवाकर मेर चूत के वार पर लगाया। और फर " हनल" के नाम क हुंकार भरकर उसे
मेर चूत के तहखाने म उतार दया। अ ह ह ह। धीरे , मेरे राजा। म मम। …P086…

उसके ट े मेर गा ड से चपक कर गले मल रहे थे। और फर जब उसने प टन क तरह अपने ल ड से मझ


ु े चोदना शु
कया तो वो थपेड़े दे-दे कर अजीब सा संगीत बजाने लगे। और उस संगीत म हनल के नाम का गाना आशु मझ
ु े सन
ु ाने म
लगा हु आ था। ले हनल, मेर यार हनल, अपनी चत
ू म मेरा ल ड अ ह। उसका ल ड आज सच म एक नए उ साह के
साथ मेर चूत का बड बजा रहा था। हनल के नाम का बड।

पर मझ
ु े तो मजे लेने से मतलब था। सो मै ले रह थी। और ज द ह उसके ल ड क पुकार मेर चूत के अ दर तक जाकर
आने वाले तूफ़ान क घोषणा करने लगी। और तूफान ज द आ भी गया। मेर चूत के अ दर उसके ल ड से नकला वार
भाटा इक ा होकर बाहर क तरफ बहने लगा। इतना रफ से स करके मझ
ु े आज सच म मजा आया था। हमने अपने-२
कपडे पहने और मै और आशु छत पर आ गए। आशु ने मुझे बताया क हनल इसी टाईम घर क छत पर टहल रह होती है।
और उसक बात सच भी थी। वो कान म ईयर फोन लगा कर गाने सन
ु रह थी। मने इशारा करके उसे बुलाया। उसने ईयर
फोन नकाले और मेर और आशु क तरफ मु कुरा कर दे खा और हाथ हला कर हाय बोला। उसके और हमारे घर म दो घर
और भी थे। इस लए हमार बात होना तो संभव नह ं था इतनी दूर से। मने उसे इशारे से अपने घर पर आने को कहा। वो
पहले तो है रान हुई।
85
पर फर चीख कर बोल क आधे घंटे म आएगी वो। अभी म मी बाहर गयी है। उनके आते ह आएगी वो मझ
ु से मलने।
उसक बात सन
ु कर मेरे से यादा आशु खश
ु हो गया। और हम दोन नीचे जाकर उसके आने का इ तजार करने लगे। म मी
भी तब तक मा कट से आ चुक थी। आशु ने नीचे आते ह अपनी ट शट चज कर ल । और साफ़-सुथरा सा बनकर मेरे साथ
आकर हनल का इ तजार करने लगा।

अब आगे क कहानी। हनल क जुबानी।

******
हनल
******
मेरा दल जोरो से धड़क रहा था। जब से हमने यहाँ पर श ट कया था कसी ने पहल बार मझ
ु े घर पर बुलाया था। मेर भी
दल तम ना थी क मेरे भी दो त बने। पर इस मोह ले म सभी का नेचर काफ रजव टाईप का था। कोई घर से नकलकर
राजी ह नह ं था। और आज जब कोमल और उसके भाई ने मझ
ु े अपने घर पर बुलाया तो मझ
ु े काफ ख़ुशी हुई। वैसे उनके
साथ पहले भी हाय हे लो हो चुक थी। और इ फे ट उसका भाई आशत
ु ोष तो मझ
ु े छत पर घूर-२ कर ऐसे दे खता है जैसे
क चा ह खा जाएगा। पर इसी तरह क अटशन तो मै मस कर रह थी इतने दन से। खेर मने ज द से अपनी ट शट
शेनज क और एक टाईट सी जींस नकाल कर पहन ल । और उनके घर क तरफ चल द । मने बेल बजायी। और आशत
ु ोष
ने दरवाजा खोला। मझ
ु े दे खते ह उसके चेह रे क क मु कराहट दस गुना बढ गयी। मने उसक तरफ हाथ बढाया और हम
दोन ने हड शेक कया।

तभी पीछे से कोमल क आवाज आई।

कोमल: आओ आओ हनल, कैसी हो।

म: मै ठ क हूँ कोमल। और मने उसके साथ भी हड शेक कया और हम तीनो सोफे पर आकर बैठ गए। तभी उसक म मी
भी बाहर आई और मने उ ह नम ते कया।

आंट : अरे हनल बेटा तुम, म मी पापा कैसे है । तु हार म मी से तो बात होती रहती है। अ छा हुआ तुम यहाँ आई।
कोमल और आशु के साथ आकर ग पे मार लया करो। …P087…

हनल: जी आंट , सोचती तो रहती हूँ पर वो या है न क थोड़ी शम आती है।

म मी: अरे बेटा, ऐसा नह ं सोचते। तुम सब बैठो, म तुह ारे लए शेक बना कर लाती हूँ। और म मी अ दर चल गयी।
उनके जाते ह मने आशु को इशारा कया और वो जाकर हनल के साथ बैठ गया। म उन दोन के सामने बैठ हुई थी।

म: तुम छत पर या करती रहती हो अकेले।

हनल: बस गाने वगेरह या फ़ोन पर बाते या फर पढाई।

आशु बीच म ह बोल पड़ा: अगर तम


ु चाहो तो कल से तम
ु हमार छत पर आ जाया करो। जो भी करना है मलकर करा
करगे। उसक बात सन
ु कर हनल शमा कर रह गयी। म मी शेक लेकर आई और हम सभी ने पया। उसके बाद मने हनल
को ऊपर चलने को कहा

हम तीनो छत पर आ गए। ऊपर आकर दे खा क हनल क म मी भी आ चुक थी और वो छत पर सख


ू रहे कपडे उतार रह
थी। हनल ने आवाज दे कर उ ह बताया क वो हमारे घर पर है। और जब उसक म मी ने दे खा क म भी साथ हूँ तो वो
बे फ होकर नीचे चल गयी। फर मने आशु को इशारा कया क वो हम थोड़ी दे र तक छोड़कर नीचे जाए ता क म हनल
के साथ खुलकर बात कर सकू।

उसके जाते ह मने हनल से सीधा पूछा: कोई बॉय ड है या…


86
वो मेर बात सन
ु कर मझ
ु े हे रानी से ताकने लगी।

म: अरे हनल, शरमाओ मत, बोलो न।

पर वो कुछ न बोल । मझ
ु े शक सा होने लगा क इसका बॉय ड है। और अगर ऐसा हु आ तो आशु का प ता तो कट हो
जाएगा

मेरे एक दो बार पूछने पर वो बोल : नह ं कोमल, अब नह ं है। जब से हमने यहाँ श ट कया है, तब से नह ं है। पहले था,
हमारे ह पड़ोस म रहता था। पर उसके साथ भी यादा कुछ नह ।ं बस थोडा बहुत, यु नो।

म: या…या आई अंड र टड, मतलब आजकल कोई नह ं है। म।

हनल: नह ं, और तु हारा।

म: मेरा तो है, और वो रोज रात को मझ


ु से मलने भी आता है। यह ं छत पर। मेरे दमाग म आई डया आ चुका था।

हनल हे रानी से मेर तरफ दे खने लगी: रोज रात को, वाव… और वो भी तु हार छत पर, तु हे डर नह ं लगता।

म: डरने वाल या बात है। सब सो रहे होते है। वो दूसर तरफ से आता है। हम मजे लेते है। और फर वो वा पस चला जाता
है।

हनल (हे रानी से): मजे, कैसे मजे…

मने अपनी आँखे मटकाई। उसके चेह रे के पास अपने ह ठ लेजाकर धीरे से कहा: चुदाई के मजे…

उसका दल धक् से रह गया। मेरे मुंह से चुदाई श द सुनकर, और शायद उसके बारे म सोचकर। उसके दल क धड़कन क
आवाज मझ
ु े साफ़ सन
ु ाई दे रह थी। शाम का अँधेरा हो चुका था। हम दोन जहा खड़े थे वो जगह भी अँधेरे म थी। कोई दरू
से हम नह ं दे ख सकता था। म उसक मनोदशा समझ कर उसके पीछे गयी। और उसक कमर पर हाथ रखकर मने अपना
सर पीछे से लेजाकर उसके कंधे पर रख दया। अब मेरे ह ठ उसके कानो के बलकुल पास थे।

म: पता है, चुदाई या होती है, कैसे क जाती है, कभी कर है।

हनल (हकलाते हुए): न न, नह ,ं कभी नह ।ं मने तो बस सफ कस वगेरह, और कुछ नह ।ं

म: दे खना चाहोगी। मेरे ह ठ उसके कानो को छु रहे थे।

हनल ने झटके से अपना सर घुमा कर मुझे दे खा: कसक …

म: मेर … और मने एक ह झटके से उसके गुलाबी ह ठो पर जोरदार चु मा ले लया। ठ डे ह ठ थे उसके, पर साँसे उतनी ह
गरम। वो भोच क सी रह गयी। शायद उसक पहल क स थी वो। कसी लड़क के साथ। उसके मह
ुं और नाक से नकल
रह तेज साँस ने मझ
ु े भी पघला कर रख दया। मेरे परू े शर र म, खासकर मेर चत
ू म अजीब सी हलचल होने लगी। मने
पीछे से क स करते हु ए उसक गा ड को अपनी चूत से घ से लगाने शु कर दए। मानो उसक गा ड मार रह हूँ मै।
अ य ल ड से।

और मने अपने हाथ ऊपर करके उसके दोन लोब अपने हाथो म पकड़ लए। वाह। या चीज थे वो, इतने बड़े, मल
ु ायम
और ल बे न पल। िज ह मै उसक ट शट और ा के बावजूद महसस
ू कर पा रह थी। उसने टूटे फूटे श द म वरोध
कया, ओ ह कोमल, ये या कर रह हो तुम, छोड़ो मुझे, मने पहले कभी नह ं कया ये सब, कसी लड़क के साथ,
अ ह। पर…पर, म तु हे मना य नह ं कर पा रह हूँ । अ ह।

उसक साँसे तेज होती जा रह थी। उसने भी अपना म तानी गा ड को पीछे करके मेर लय के साथ लय मलायी। मेरे चेह रे
पर डे वल वाल हं सी आ गयी। कोमल कसी को स डउस करे और वो हुए न। ऐसा तो हो ह नह ं सकता। मने अपने हाथ
को सीधा लेजाकर उसक चूत के ऊपर दबा दया।
87
उसके तो ह ठ खुले के खुले रह गए। िजसक वजह से म और अ दर तक जाकर उ ह चूसने लगी। वो मेर तरफ पलट और
एकदम से मेरे सर के पीछे हाथ लगाकर मझ
ु े अपनी तरफ कया और मझ
ु े जोरो से चस
ू ने लगी। म मअ ह ह
म म म मु ह ह।

हम दोन के मह
ंु से लार नकल नकलकर नीचे गर रह थी। मने चारो तरफ दे खा। घु प अँधेरा था चारो तरफ। चारो तरफ
कोई भी अपनी छत पर नजर नह ं आ रहा था। हमारे घर क छत पर एक पुराना सा टोर है, म हनल को उसक आड़ म ले
गयी और छत पर सख
ू रह एक चादर को नीचे बछाया और खुद नीचे बैठ गयी। वो मेरे सामने खड़ी थी। मने उसे अपनी
तरफ खींचा और उसक जींस के बटन खोलकर उसे उतार दया। नीचे उसने लेक कलर क पट पहनी हुई थी। वो अब
घबरा रह थी।

हनल: अहह कोमल, कोई… कोई आ गया तो…

उसे शायद नीचे से आशु के आने का दर था। पर मने आशु को पहले ह बोल दया था क जब तक म न बुलाऊ वो ऊपर न
आये।

म: तम
ु चंता मत करो। वो अभी ऊपर नह ं आएगा। तम
ु बस मजे लो। और ये कहते हुए मने खल
ु छत पर उसक क छ
को खींचकर उसक चूत को बेपदा कर दया। और वो भी उसके घर क छत से कुछ ह दरु पर। उसने शायद ऐसा सोचा भी
नह ं होगा।

मेरे सामने उसक चूत थी अब, घने बाल थे उसपर, जो उसक चूत से नकल रहे रस क वजह से भीग कर गीले हो चुके थे।
मने आज तक कसी बाल वाल चूत को नह ं चूसा था। सोचती थी क चूत के बाल मह
ुं म आयगे तो कतना ग दा एहसास
होगा। पर आज उसक चूत को दे खकर मेरे दल म एक बार भी ये बात नह ं आई। मने उसक एक टांग को उठा कर अपने
कंधे के दस
ू र तरफ कया और अपने मह
ुं को ऊपर कया िजसक वजह से उसक चूत मेरे मह
ुं के बलकुल ऊपर आ गयी।
उसक चूत से नकल रहा रस, बँद
ू -2 करके बाल से होता हुआ नीचे गर रहा था।

और मने आव दे खा न ताव। अपने मह


ुं को उसके बाल वाले छ ते पर लेजाकर चपका दया। और वहां का रस पीने लगी।
वाह… कतना मीठा एहसास था, और उसके बालो म लपटा हुआ शहद चस ू ने म अलग ह मजा आ रहा था। मेरे ह ठो ने
उसक चूत पर पूरा क ज़ा जमा लया था। उसक चूत के दोन ह ठ, सारे के सारे बाल, मेरे मह
ुं के क जे म थे, अ दर से मने
अपनी जीभ को उसक चूत के छे द पर लेजाकर, आस पास के बालो को धकेलते हुए, अ दर तक घुसा दया। अ ह ह
ओ फ फ़ कोमल।

उसने अपने दोन हाथो से मेरे बाल को पकड़ लया, और अपनी चूत को मेरे मह
ुं पर घसने लगी। मेर जीभ को उसक चूत
के अ दर जाने म काफ द कत हो रह थी। मने सोचा, जब ल ड जाएगा तो या हाल होगा इसका। ओ ह हफ क
फ क क कोमल।

वो अपनी पतल कमर मटका-2 कर मेरे मह


ुं से चुद रह थी। बलकुल कामसू वाला पोस था वो, और ज द ह उसक
पीड बढ गयी। मझ
ु े भी आने वाल मस
ु लाधार बा रश का एहसास होने लगा था। और ज द ह बा रश हुई। बा रश या…
तूफ़ान आया मेरे मह
ुं के अ दर। उसक चूत से नकलकर इतना सारा रस मेरे मुंह म गया क मेरे चेह रे को भीगोता हुआ,
मेरे कपडे पर गरता हु आ, मझ
ु े नहला कर चला गया। अहहह मममम।

उसक ठं डी और स पूण ससकार नकल कर गँज ू रह थी, परू े मोह ले म। वो पीछे हुई, मझ
ु े यार से दे खा, और नीचे
झुककर, मेरे चेह रे को पकड़कर बुर तरह से चाटने लगी, मानो मेरा कजा उतार रह हो। मने भी मना नह ं कया। मझ ु े या
ो लम थी। उसने एक ह झटके से मझ
ु े पीछे धकेला। मेर कट को ऊपर कया, मेर पट को नीचे कया, और मेर आँखे
म दे खते -2 अपने ह ठो को मेर चत
ू के ऊपर लेजाकर रख दया। उसका पहला मौका था कसी क चत
ू चाटने का। पर मेरे
से मजे लेने के बाद हनल के लए अब मेर चूत को चाटना आसान हो चुका था। मेर बना बालो क चूत दे खकर वो खुश हो
गयी।
88
और जैसे मने उसक चूत को चूसा और चाटा था, बलकुल वैसे ह वो भी मेर चूत को चूसने और चाटने लगी। पूरे मन से
सेवा करने लगी वो मेर चत
ू क । मेर तो आँखे बंद सी होने लगी। उसके गल
ु ाबी ह ठ, मेर लाल चत
ू को अ दर तक चाट रहे
थे। और मेरे रस को पी भी रहे थे। मने भी उसके सर के पीछे अपने हाथ को रखा और मल
ू क तरह से उसक जीभ को
अपनी चूत के ऊपर घसने लगी। अ ह ह ये स हनल चूस, चूस अ ह ह म मम और मेर चूत से रस का
फ वारा नकल कर जब उ ला तो उसके चेह रे और मंह
ु के ऊपर बोछार सी पड़ी। मेरे मीठे और गाड़े रस क । िजसे उसने
उतनी ह आसानी और मजे से पया जैसे मने पया था। और फर मु कुराती हु ई म भी उठ बैठ और हमने एक दुसरे के मुह

से मुंह लगाकर बचा ख़ुचा चूत-ए-रस शेयर कया। कपडे पहनने के बाद म और हनल वा पस दवार के पास आकर खड़े हो
गए और बाते करने लगे।

हनल: वाव कोमल, सच म मजा आ गया आज तो। मने तो सोचा भी नह ं था क कसी लड़क के साथ ऐसा करने म इतना
मजा आता है। आई एम ् थक फुल टू यु।

म: अरे इसम थ स कहने वाल या बात है। मने भी जब पहल बार कया था तो मुझे भी अ छा लगा था। पर एक बात तो
है। ये सब मजे ल ड के मजे के सामने बेकार है। उसक आँख म ल ड के लए यास बड़ने लगी थी।

हनल: कोमल, त…
ू तू कह रह थी क तु हारा बॉय ड रोज तु हे यह छत पर आकर, फ क करता है।

म: हाँ, रोज करता है , यह ं पर। मने नीचे चादर क तरफ इशारा कया।

हनल (शमाते हु ए): तो या, म… म आज रात को आकर तु हे चुदते हुए दे ख सकती हूँ या… मुझे मालुम था क वो यह
कहे गी।

म: ठ क है, मझ
ु े कोई ो लम नह ं है । तुम ठ क 10 बजे तक आ जाना, और ये साथ वाल छत पर छुप जाना। यहाँ से साफ़
दखाई दे गा।

वो मेर बात सन
ु कर खुश हो गयी। और थोड़ी दे र और बाते करने के बाद हम दोन नीचे आ गए। नीचे आशु बेस ी से बैठा
हुआ हमारा इ तजार कर रहा था। थोड़ी दे र बैठकर हनल वा पस चल गयी। उसके जाते ह मने आशु को नमक मच
लगाकर सार बाते बताई। िजसे सनु ते-2 वो पागल सा होता चला गया।

अंत म जब मने रात का ो ाम बताया तो वो हैरान परे शां सा होकर पूछने लगा: कौन है, तु हारा बॉय ड, कसके बारे म
बोला है तुमने जो रात को छत टापकर आएगा, बोलो न।

म (रह यमयी हं सी हँ सते हुए): स ायीस है, वेट करो बस। हा हा…

और फर म अपने कमरे म चल द । फोन करने। …P088-089…

मने अपने कमरे म जाते ह अपनी डायर नकल और नंबर डायल कया।

दूसर तरफ से आवाज आई: हे लो…

म: हाय जॉन, म बोल रह हूँ, कोमल…

जॉन: को… कोमल, वाव… या बात है, मेर याद कैसे आ गयी आज।

म: बस आ ह गयी। अब तुम मेर इतनी जासस


ू ी करने लगे हो तो मझ
ु े भी तो पता करना पड़े गा न क तुम ऐसा य कर रहे
हो।

वो मेर बात सुनकर घबरा गया: जासूसी, कैसी जासूसी…

म: भोले मत बनो तुम, मझ


ु े सब पता है, तुमने ह मेडम को बताया था क म और राहु ल कॉलेज क टॉयलेट म जाकर, मजे
ले रहे है।
89
वो कुछ न बोला।

मने आगे कहा: और म ये भी जानती हूँ क तुमने ऐसा य कया।

वो धीरे से बोला: क क… य…

म: य क तुम भी वह चाहते हो िजसके लए राहु ल मेरे साथ टॉयलेट म गया था। मेर चूत…

वो हकलाने लगा था: चूत…

म: हाँ मेर चूत, य तु हे नह ं चा हए या…

मेरे मुंह से चूत श द सन


ु कर वो भी खुलकर बोलने लगा था अब: हाँ… हाँ चा हए न, और हाँ, मने ह बताया था मेडम को उस
दन, दरअसल पहले ह दन से, वो जब से मने रे गंग वाले दन तु हे क स कया था मझ
ु े बस तु हारा ह याल रहता
था। और सच मानो तो तुम पहल लड़क हो िजसे मने क स कया था, और कसी को मने आज तक कुछ कया भी नह ।ं

मने मन ह मन म सोचा: वाव… कुंवारा ल ड…

वो आगे बोला: और कॉलेज म तुमने उस दन के बाद मुझपर कभी यान दया ह नह ।ं हमेशा तुम बस राहु ल के साथ ह
घुमती रहती थी, और उस दन जब मने दे खा क तुम और राहुल ऊपर क तरफ जा रहे हो तो मने तुम दोन का पीछा
कया। और जब मझ
ु े यक ं हो गया क तम
ु राहुल के साथ टॉयलेट म चद
ु … चद
ु ने जा रह हो तो मने मेडम को बता दया।

म: यानी तुम चाहते थे क म कसी और के साथ मजे न लू, है न, तुम भी मझ


ु े चाहते थे।

वो फर से चुप हो गया।

म: म समझ सकती हूँ जॉन, और आज इसी लए मने तु हे फ़ोन कया है। वैसे तु हे ये बात म पहले से बता दे ना चाहती हूँ
क म और राहु ल वो सब कर चुके है िजसके लए तुम हम रोक रहे थे, और तुम मुझे इतना चाहते हो तो म भी तु हे वो सब
दे ना चाहती हूँ जो तम
ु चाहते हो। बोलो तैयार हो…

वो हडबडा कर बोला: या… या दे ना चाहती हो।

म: अबे भ द,ू चूत चा हए या मेर । बोल…

वो अपने हाथ से ऐसा मौका नह ं जाने दे ना चाहता था: हाँ… हाँ य नह ं कोमल, तु हार चूत पाने के लए तो म कुछ भी
करने को तैयार हूँ ।

और फर मने उसको लान समझाया, उसको सब कुछ बता दया, हनल के बारे म क वो हम चुदता हुआ दे खकर कुछ
सीखना चाहती है। बस आशु के बारे म नह ं बताया, जान बुझकर। वो झट से तैयार हो गया। मने उसको टाईम बता दया
और कैसे साथ वाले कारखाने क छत से हमार छत तक आना है, वो भी बता दया।

फर मने हनल को फ़ोन कया

हनल: हाय कोमल, मझ


ु े तो बड़ी ए सयेमट हो रह है। तु हार वजह से आज पहल बार म कसी को चुदते हु ए दे ख
पाऊँगी।

म: वो तो ठ क है । पर मेरे मन म एक वचार आ रहा था। तम


ु अगर इन सबके लए इतनी ह बेकरार हो तो अपने लए कोई
बॉय ड य नह ं ढूंढ लेती, मेर तरह। जो तु हार हर तरह क यास बझ
ु ा दया करे गा।

हनल: यार, मने बताया था न क पहले तो मेरा बॉय ड था। पर यहाँ आने के बाद मुझे यादा टाईम नह ं मल पाया है।
और सच कहू तो मेर शाद प क हो चक
ु है, और अगले मह ने मेर शाद भी हो जायेगी। पर शाद से पहले म सभी तरह
क जानकार लेना चाहती हूँ, ता क म अपने प त को हर तरह से खुश रख सकू। और जहाँ इतने सालो तक अपना
कुंवारापन मने संभल कर रखा है। थोडा टाईम और सह । इस लए बॉय ड को भी म यादा छूट नह ं दे ती थी। सफ ऊपर के
90
ह मजे दे ती थी, या फर ओरल के। पर असल चुदाई कभी नह ं क , तुम जैसा करोगी। म भी वैसा करके उ ह खुश कर
दया क ँ गी, बस…

मने मन ह मन सोचा क दे खते है क तुम शाद तक कुंवार रह भी पाती हो या नह ।ं इसी तरह क बाते करते-2 मने फ़ोन
रख दया। खाना खाते हु ए आशु मझ
ु े धीरे -2 सवाल पछ
ू े जा रहा था, पर मने उसको तरसाने के लए कुछ नह ं बताया। पर
उसको कुछ तो बताना ह था न। इस लए मने उसको धीरे से कहा क म मी पापा के सोने के बाद वो मेरे म म आ जाए
थोड़ी दे र के लए।

वो बाथ म वाले रा ते से मेरे कमरे म आया और आते ह सवालो क झड़ी लगा द । कौन सा बॉय ड है तु हारा, कसे
बुलाया है, कब से कर रह हो उसके साथ, वगेरह-वगेरह…

मने उसको शाि त से सब समझाया।

ु ो आशु, जैसे तुम मजे लेना चाहते हो वैसे ह म भी लेना चाहती हूँ । आज अगर म चाहती तो तु हारे साथ चुदाई
म: सन
करके हम हनल को कुछ ान दे दे ते। पर तु हारा मकसद शायद वहां पूरा न होता। तु हे तो हनल चा हए न, इसके लए
ह मने लान बनाया है। मेरा एक चाहने वाला है, जो मेरे पीछे काफ दन से है । मने उसको आज छत पर बल
ु ाया है। म
अपने मजे लग
ुं ी और हम दोन को चुदता हुआ दे खकर हनल भी छुपकर मजे लेगी। अब ये तु हारे ऊपर है क तुम हनल
को कैसे अपने जाल म फंसाते हो। वैसे एक बात बताऊ, उसक अगले मह ने शाद है, और वो ये सब सफ अपना ान
बढ़ाने के लए दे खना चाहती है, तम
ु अपने ल ड का कमाल दखाकर अगर उसक मारने म सफल हो गए तो आज हमार
छत पर घमाल मचेगा। समझे…

और मने एक आँख मार द उसको।

मने नोट कया क मेर बात सन


ु ते हुए उसका ल ड परू तरह से खड़ा हो चक
ु ा है। उसके दमाग ने शायद अपनी बहन को
चुदते हुए दे खकर कसी और को चोदने के खयालो क त वीरे बनानी शु कर द थी। मेर चूत ने भी पानी छोडना शु कर
दया था। वैसे तो दो घंटे बाद मझ
ु े ल ड मलने ह वाला था, पर पता नह ं य , आजकल कसी के भी ल ड को दे खते ह
उसी समय चद
ु ने क इ छा होने लगती है। मने सोचा, पता नह ं ये मेरे साथ ह होता है या सभी लड कय के साथ। मने झट
से उसके ल ड को हाथ म पकड़ा और उसके गले म दस
ू रा हाथ डाल कर उसको अपनी तरफ खींचा और अपने यासे अधर
उसके ह ठो पर रख दए।

अ ह ह या एहसास था उसके ट ल जैसे ल ड का। मने उसको मसलना शु कर दया, और उसके ह ठो को चूसना
और चबाना। मममममम कोमल अ ह ह। उसके दोन हाथ मेरे मु मो पर आकर जैम गए और उ ह जोरो से दबाने लगे।
मने आनन फानन म अपनी ट शट, ा, पायजामा, पट उतार और नंगी होकर उसके सामने खड़ी हो गयी। और उसने भी
यादा समय नह ं लगाया, मेर तरह नंगा होने म।

मझ
ु से यादा स नह ं हो रहा था, मने उसके ल ड को पकड़ा और छोटे ब चे क तरह उसे घसीटते हु ए बेड तक ले आई।
और अपनी दोन टाँगे हवा म उठा कर आशु को अपनी चूत म आमं त कया। और उसने भी बना दे र कये, अपने ल ड
को डंडे क तरह पकड़ा और मेर चूत के ऊपर टूट पड़ा। ओ फ फ़ कमीने, साल, धीरे दाल। पर वो तेज डाल रहा था। और
मजा भी उसी म आ रहा था।

अगले पांच मनट तक वो कु ते क तरह चोदने म लगा रहा मझ


ु े। और फर मेर चूत और उसके ल ड से एक साथ अमत

वषा होने लगी। िजसमे भीगकर हम दोन आनंद के सागर म गोते लगाने लगे। और आने वाल चुदाई के बारे म सोचने
लगे।

म जॉन के साथ, और वो हनल के साथ। …P090-092…

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रात को खाने के बाद जब सब सो गए तो म चुपके से अपने कमरे से नकल कर छत क तरफ चल द , और जाकर मने दे खा
क हनल पहले से अपनी छत पर टहल रह थी और मेरा ह इ तजार कर रह थी। मझ
ु े दे खते ह उसने हाथ हला कर हाय
कहा और मेरे पास आ गयी।

हनल: यार कोमल, मझ


ु े इतनी ए सयीमट हो रह है न क तझ
ु े या बताऊ… उसक ट शट के ऊपर से चमक रहे न पल
मझ
ु े साफ़ दखाई दे रहे थे।

म: हाँ, दख रहा है, कतनी ए सयीमट है।

वो भी मेर नजरो का पीछा करते हुए समझ गयी क म या कहना चाह रह हूँ। अभी दस बजने म दस मनट थे।
तभी आशु भी ऊपर आ गया।

आशु को दे खते ह हनल च क गयी: ये… ये या कर रहा है यहाँ…

म: उ म जैसे तु हे सीखना है, वैसे ह ये भी सीखना चाहता है। इस लए मने इसे भी बोल दया था।

हनल: पर… पर ये तो तु हारा भाई है, इसके सामने कैसे तुम…

म (हँसते हुए): ऐसा कुछ नह ं है , हम दोन काफ डल है एक दस


ु रे के साथ, और सभी तरह क बाते कर लेते है। और
इसने पहले भी कई बार मझ
ु े नंगा दे खा है, इ स नोट अ बग डील।

वो बेचार हमार एडवांस लाईफ के बारे म सोच कर है रान होती जा रह थी।

म: तुम घबराओ मत, तुम अपने हसाब से बस मेर चुदाई दे खो, और वो अपने हसाब से, जो सीखना है वो सीखो। कोई
ॉ लम तो नह ं है न तु हे।

वो बेचार या कहती, मान गयी। मने उन दोन को पानी क टं क के पीछे छुप जाने को कहा। थोड़ी ह दे र म जॉन दस
ू र
तरफ से मेर छत पर टापकर आ गया।

जॉन: हाय… बड़ी हॉट लग रह हो। मझ


ु े आने म दे र तो नह ं हुई न। मने उसके गले म अपनी बाह ड़ाल द और उसके ह ठो
को चूम लया, िजसक उसे कोई आशा भी नह ं थी शायद।

म: बस थोड़ी दे र और न आते तो मेरा िज म जलकर राख हो जाता।

एक लड़क के मह
ुं से ऐसी बात सन
ु कर तो कोई भी ल ड पट फाड़कर बाहर नकल आये। और यह हाल जॉन का भी हो रहा
था इस समय। एक तो मने उसको एकदम से बुला लया मलने को और वो भी चुदाई के लए, उसको शायद अपनी क मत
पर यक ं नह ं हो पा रहा था।

उसके दोन हाथ मेरे हॉन बजाने लगे। और म छत पर खड़ी हुई, जल बन मछल क तरह से तड़पने लगी। उसके ल ड के
ऊपर हाथ लगाकर मने ये तो पता लगा ह लया था क आज मझ ु े मजा बहुत आने वाला है। मने टं क के पीछे छपे हुए
आशु और हनल क तरफ दे खा, जो बड़ी उतसुकता से मेरा खेल दे ख रहे थे। वैसे दो त , जब ये बात मालुम हो क अपनी
चुदाई को कोई और भी दे ख रहा है तो परफॉम करने म यादा मजा आता है। और यहाँ तो मझ
ु े ऐसा परफॉम करना था
ता क हनल अपनी शाद के लए कुछ सीख सके और अगर म उ ह यादा उ तेिजत कर पायी तो शायद आशु ह उसक
चुदाई करके बता सके क शाद के बाद या होने वाला है उसके साथ।

मने जॉन क ट शट उतार द , उसने भी मेर ट शट उतार और अपना मुह


ं सीधा लेजाकर मेर े ट के ऊपर रख दया।
और ा के ऊपर से ह मेरे न पलस म से दध
ू नकालने क को शश करने लगा। गीला मह
ुं होने के कारण मेर ा के आगे
वाला ह सा पूरा गीला हो चुका था। और एक ठं डक का एहसास मेरे न पलस के ऊपर हो रहा था और साथ ह ठं ड ी हवा क
चुभन मेरे शर र को सहला रह थी, मेर कमर तीरकमान जैसे टे डी हो गयी और मने उसके सर को अपनी छाती पर पूर
तरह से दबा डाला।
92
अ ह हउ फ़ जॉन, तुम तो मझ
ु े मार डालोगे, ये लो, ये लो, अब चुसो।

मने अपनी ा को नोच खसोट कर उतार फका। और अपनी नंगी छाती उसके भूखे मुह
ं के सामने परोस द । और जैसे ह
उसके ेकुला जैसे दांत मेर छाती से टकराए, मेरे मह
ुं से फर एक बार मादक स का रयां नकलने लगी। ओ फ फ़
जॉन ऐसे ह , अ ह ह काटो कम, चस
ु ो, बस चस
ु ो।

पर वो कु ते क तरह अपने पैने दांत से मझ


ु े काटने म लगा रहा। और सच कहूँ तो उसके काटने से जो मीठा दद हो रहा था
वो सीधा मेर चूत तक पहुंचकर मुझे और भी उ तेिजत कर रहा था। एक तरह से वो मेर चूत पी आग म, दांत काट पी
घी का काम कर रहा था। म उछल कर उसक गोद म चढ़ गयी। वो मझ
ु े लेकर ऊपर बने कमरे क दवार क ओट म ले गया
और मेर पीठ को द वार से टका कर, मेरे हांथो को मेरे सर के ऊपर दवार से चपका कर, मझ
ु े बेतहाशा चूमने और चाटने
लगा।

उसके गीले ह ठ कभी मेरे ह ठो को, गदन को और यादातर मेरे मु मो को चूसने और काटने म लगे हुए थे। मने हवा म
लटके-2 अपनी चूत वाले ह से को उसके ल ड वाले ह से पर घसना शु कर दया। ऐसा घषण करने से मेर चूत के
बादल अ दर ह अ दर घुमड़कर बरसने क त यार करने लगे। एक बात तो प क थी, एक भयंकर तूफ़ान आने वाला था
आज।

मेर पीठ पर दद होने लगा था। इस लए म नीचे उतर गयी। और नीचे उतरते ह मने पंजो के बल बैठकर उसक जींस के
बटन खोले और उसके ल ड को आजाद कया। वाव… कतना सु दर ल ड था उसका, नामल साईज था, पर था एकदम
गोरा च ा, कोई बाल भी नह ं था, लगता था आज ह साफ़ करके आया था। इतने सु दर, साफ़ सथ
ु रे ल ड को दे खते ह मेरे
मह
ुं म पानी आ गया और मने अपना मह
ुं खोलकर उसे अ दर हण कर लया।

अ ह ह कोमल चूस जोर से जरा। अ ह ह ह।

मने उसका पांच इंच का ल ड पूरा मुह


ं म ले लया और आईस म क तरह से चूसने लगी। मेर चूत मे भी खुजल हो रह
थी। म ज द से उठ और अपना पायजामा उतार कर म भी नंगी हो गयी, नीचे मने पट नह ं पहनी थी आज। और फर से
नीचे बैठ कर उसका ल ड चस
ू ने लगी। और अपनी चत
ू को अपनी ह हाथ से मसलने लगी। जॉन के दोन हाथ मेरे सर को
क ोल कर रहे थे, या ये कहलो मेरे मुंह को चोद रहा था वो खड़े-2,

मेरा यान हनल और आशु क तरफ गया। वो अभी तक मुझे घूर-2 कर दे ख रहे थे। ये आशु इतना टाईम को लगा रहा है
पहल करने म। और खासकर हनल, जो सीखने के परपस से बड़े यान से मझ
ु े लो जॉब देते हुए दे ख रह थी। आज तो वो
कुछ सीखकर ह जायेगी यहाँ से। मने अपना यान फर से जॉन के लवल ल ड क तरफ लगा दया, और उसके ल ड के
छे द पर अपनी जीभ क नोक लगा कर वहां से कुरे दने लगी। इतना बहुत था उसके लए। जॉन के ल ड से भरभराकर सफ़ेद
रंग का पानी मेरे मह
ुं म गरने लगा, और मेरे गले से होता हु आ नीचे जाकर मेरे सीने क आग को बुझाने लगा। ओ ह
अ ह ह ह म म म म वो खड़ा हुआ स का रयां के रहा था। और अपना वीय मेरे मह
ुं म खाल करता हु आ सयार
क तरह ऊपर मह
ुं कये हुंकार भर रहा था।

मने हनल और आशु क तरफ दे खा। हनल का एक हाथ अपनी चूत के ऊपर था। और वो बदहवास सी होकर मझ
ु े जॉन के
ल ड का पानी पीते हुए दे ख रह थी। अब वो भी उ तेिजत होने लगी थी। पर अभी तक भी आशु ने अपनी तरफ से कोई
पहल नह ं क थी।

मने छत पर पड़ी हुई दर उठा ल और उसे बीचो बीच बीछा दया। अब शु होना था मेर चुदाई का अगला भाग। पर पहले
मझ
ु े च वानी थी अपनी या सी चूत, ता क इसी बीच जॉन के ल ड को खड़ा होने का टाईम मल जाए। और मेरा ये पूरा
कायकम आशु और हनल बड़े मजे से दे ख पाय। …P093-095…

93
जान चूसे द ु द ू मारो, म वाको गोरो ल ड,
टुकुर टुकुर ह नल नहारे , बैठ आशु के संग,
बैठ आशु के संग, म ती अब सर पे चढ़ती,
बात बढ़ गई इतनी फर भी वो आगे न बढ़ती,
कह 'फज ' क वराय, जान ने झटका खाया,
नमल वेत धार का जायका मन मारे भाया।

बीसात बीछ चुक थी, मोहरे लग चुके थे। बस खेल के शु होने का इ तजार था। मने अपनी नंगी जवानी नीचे बीछा द ।
अपनी टाँगे आसमान क तरफ खोल कर पूरे अ त र को अपनी चूत के दशन करवा दए। और वो जॉन अपनी ल बी
जीभ से लार टपकाता हुआ जैसे ह मेर चूत के ऊपर झुका और अपनी जीभ को मेर चूत से छुआ, ऐसा लगा क पानी से
भीगी हुई क ची गम तेल क कडाई म डाल द हो कसी ने। इतनी सरसराहट नकल वहां से। और अ वाज नकलने लगी
मेरे मुंह से। अ ह ह जो न, ओह मेरे यारे जॉन, साले या चूसता है त,ू चाट ले आज, अपनी कोमल क चूत का
सारा पानी चाट ले आज जॉन।

मेर बात सन
ु कर तो वो चने के झाड़ पर चढ़ गया और दग
ु नी तेजी से मेर चूत को चाटने लगा। अगर लड़क अपने अ दर
मल रहे मजे को अपने पाटनर को बोल कर सुनाती रहे तो पाटनर भी दुगने जोश के साथ "सेवा" करना शु कर दे ता है।
मेर चीखे शायद हनल को पघला रह थी। उसक चूत से नकल रह खुशबू फजा म फ़ैल रह थी। अब आशु ने पहल क ।
उसने अपने ल ड को बाहर नकाल लया और मसलने लगा। उसका ल बा, मस
ू ल जैसा ल ड दरू से ह चमक रहा था। पर
हनल क नजरे तो मेर तरफ ह थी।

वो आशु के ल ड को दे ख ह नह ं पा रह थी। और फर आशु ने उसका यान अपनी तरफ करने के लए एक ससकार भर ,


िजसे सफ हनल ह सन ु पाए। और हुआ भी वह । हनल क नजर जैसे ह आशु क तरफ गयी। वो दं ग रह गयी। उसका
ल ड लार टपका रहा था। ठ क वैसे ह जैसे हनल क चूत से नमी का एहसास उसक जींस तक को भगो रहा था। मने जॉन
के सर के बालो को पकड़ा और दस
ु रे हाथ क कोहनी के बल बैठ कर अपनी चूत के ऊपर चल रह उसक हल जैसी जीभ को
दे खने लगी।

मेर चूत के ल स को वो ऐसे चूस रहा था मानो मेरे ऊपर वाले ह ठ हो। और अ दर से नकल रहे रस को मेरे मह
ुं से नकल
लार क ह तरह सड़प -2 करके पीता जा रहता। और दस
ू र तरफ आशु के लण ्ड को दे खकर हनल समझ नह ं पा रह थी
क वो करे तो करे या। उसक शाद होने वाल थी। और वो चाहती थी क अपनी सील बंद चूत अपने प त को वो पहल
रात म दे , पर चूत दे ने से पहले वो जो ए पे रयस लेने आई थी, उसके दोरान शायद उसने ये नह ं सोचा था क िजस
कुंवारेपन को उसने 25 साल तक संभाल कर रखा, वो आज लुटने के कगार पर पहूँच जाएगा। शाद से पहले ह । ये सब
सोचते-2 उसने अपनी चूत को और तेजी से अपनी जींस के ऊपर से ह मलना शु कर दया।

आशु ने फर से एक और पहल क । वो आगे आया और हनल के कांपते हु ए हाथ को अपने हाथो म लेकर अपना ल ड उसे
पकड़ा दया। वो कांप उठ , उसने शायद इतना मोटा पहल बार हाथ म लया था। मने हनल क आँख म उसके अ दर चल
रहा अंत वंद दे ख लया था। और मुझे पता था क ऐसे म जीत सफ वासना क होगी। ना क उसके 25 साल से चल रहे
आदश क ।

आशु ने हनल के सर के पीछे हाथ रखा और उसके यासे ह ठो को अपनी तरफ खींच लया। वो सख
ू े प ते क तरह कांपती
हुई उसके सीने से जा लगी और भरभराकर आशु के ह ठो को चूसने लगी। और उसका हाथ नीचे उसके ल ड क सेवा भी
कर रहा था। और इधर मेरा बुरा हाल था। जॉन के मुह
ं म तो जैसे कोई स कं ग मशीन लगी थी। मेर चूत के अ दर का सारा
रस वो अपने ह ठो के ज रये खींच कर पीता चला जा रहा था। और अंत म मेर चत
ू के अ दर फंसा हुआ ओगा म भी उसक
स कं ग मशीन के बुलावे पर बाहर क तरफ खींचा चला आया और सीधा आकर उसके मह
ुं पर अटै क कया। वो संभल भी
नह ं पाया और मने उसके चेह रे पर अपनी चूत क पचकार से होल खेलनी शु कर द ।
94
आज जैसा ओगा म कभी नह ं आया था मझ
ु े। म हांफती जा रह थी। पर मेर चूत क यास अब बढ़ चुक थी। उसको अब
सॉ लड माल चा हए था। सॉ लड बोले तो ल ड, जॉन का ल ड। मने उसक गदन को पकड़कर अपनी तरफ ऊपर खींचा।
और उसके रस से भीगे चेह रे को चाटने लगी। कसी कु तया क तरह। और चूसने लगी उसके ह ठो को। और ऐसा करके
मांग करने लगी उससे अपने वारा दए गए मजे के बदले उससे दग
ु ने मजे क । और वो भी समझदार नकला। अपने ल ड
को मेर चत
ू के ऊपर टका कर, बना अपने हाथ लगाये उसने एक पश
ु कया।

अ ह हओ फ फ़ मरर गयी रे । बस इतना ह बोल पायी थी। और उस जा लम ने अपना पूरा ल ड पेल दया।
मेर रसील चूत म। आज तो मुझे खुल छत पर चुदते हुए रात के समय के तारे दख रहे थे। पर अगर ये दन का टाईम भी
होता तो मझ
ु े दन म भी दखाई दे जाते ये तारे। इतना जबरद त था उसका झटका। और फर तो वो शु हो गया। ऐसा लग
रहा था क मानो िजम म पुशअ स मार रहा हो। मेरे दोन तरफ हाथ थे उसके। पंजो के बल लेटा था वो मेरे ऊपर। और ल ड
को कसी प टन क तरह अ दर बाहर कये जा रहा था। मेरे मु मे बुर तरह से हल रहा थे। मने उ ह पकड़ना चाह तो
उसने मेरे हाथो को झटक दया।

हलने दे इ ह, अ ह ह ऐसे ह हलने दे कोमल।

मने अपने हाथ अपने सर के ऊपर कर लए। और अपने हलते हुए मु मो को उसक भख
ू ी नजरो के सामने छोड़ दया। और
चुदने लगी। अ ह ओ फ फ़ ह म म म जोर से चोद, जॉन मजा आ रहा है, साले अ ह म म। मेरे ऊपर मझ ु े
कोई कं ोल नह ं रहा था। जो मुह
ं म आता गया। बोलती गयी।

और मेरे पेट के अ दर एक अजीब सा तूफ़ान ज म ले रहा था। जो मेर चूत के रा ते कभी भी बाहर नकल सकता था। मने
जॉन के गले म अपनी बाहे डाल द और उसे अपने ऊपर पूर तरह से बीछा लया। अपनी टांगो से उसक कमर को जकड
लया और उसके िज म से लपट कर ऊपर लटक गयी। और अपनी चूत वाले ह से से उसके ल ड के ऊपर तेजी से झटके
मारने लगी। अब म नीचे होने के बावजूद उसको चोद रह थी। अ ह हउ म म जॉन, माय डा लग, म अअयी
अ ह ह

और वो टॉरनड़ो आ खर नकल ह पड़ा मेर चूत के रा ते, बाहर क तरफ। पर बीच म ह जॉन के ल ड से नकल बाड़ से
उसका सामना हो गया, और अ दर ह अ दर एक भीषण गजना के साथ भयंकर टकराव हुआ। हम दोन के दल क ग त
क सी गयी थी। एक दुसरे के मुह
ं म ह ठ थे मगर चूसने क ताकत भी ख़ म हो चुक थी। और फर धीरे -2 सब शांत हो
गया। मेर पकड़ ढ ल हुई और म नीचे उतर गयी। वो भी मेरे साईड म लढ़
ु क गया, और हम दोन अपनी-2 साँस को
संभालने क को शश करने लगे।

मेर चूत से धीरे -2 सारा रस बाहर क तरफ रस रहा था। और म अपनी चूत म ऊँगल डाल कर अपनी दो उं ग लय से वहां
से नकल रहे चप चपे रस को मसल कर मजे ले रह थी। और तभी दूसर तरफ से हनल के ससकने क आवाज तेज होने
लगी। िजसे सन
ु कर मेरे साथ-2 जॉन का यान भी उस तरफ गया। और उन दोन को दे खकर वो च क सा गया।

पर म शांत थी। …P096-100…

मेरे उरोज पे रगते तेरे ह ठ, मझ


ु े मदहोश कये जाते ह
कुछ करो ना हम तेरे आगोश म बन पए बहक जाते ह

जॉन ने जब दे खा क छत पर कोई और भी है तो उसने अपने कपडे उठाकर अपने लण ्ड वाले ह से पर डाल लए और


घबराकर मेर तरफ दे खने लगा और बोला: अरे कोमल ये… ये कौन है।

मने आराम से जवाब दया: वो मेरा छोटा भाई आशु है। और दस


ू र है हमारे पड़ोस म रहने वाल लड़क हनल। िजसक कुछ
ह दन म शाद होने वाल है। बस वो हमार चुदाई दे खना चाहती थी ता क आगे वो अपनी चुदाई के टाइम अनाड़ी न
कहलाये।
95
जॉन (हे रानी से): इसका मतलब तुमने, तु हे सब मालुम था, और इस लए तुमने मझ
ु े अपने पास बुलाया ता क वो दे ख
सके।

म: हाँ य … कोई ो लम है या… जब मझ


ु े कोई ो लम या शम नह ं है तो तुम य नखरे कर रहे हो।

जॉन झप सा गया और बोला: अरे नह ं, मझ


ु े या… पर तुम अपने, अपने भाई के सामने ह , कैसे… कैसे चुद गयी।

म: दे खो जॉन, हमारे बीच ऐसा कोई पदा नह ं रहता इस लए हम दोन एक दस


ु रे के सामने ये सब कर लेते है।

जॉन (कुछ सोचते हुए): कोई पदा नह ं रहता, इसका मतलब तुम आपस म भी कुछ न कुछ…

म: तुम अपने आम खाओ, और मेरे पेड़ ो को न ह गनो तो अ छा है । तु हे मजे मल गए न, बस… अब वहां दे खो। जैसी
चुदाई उ ह ने दे खी है, वैसी ह अब हम उनक दे खगे।

वो समझ तो चुका था क आशु और मेरे बीच भी कुछ है, पर जब मझ


ु े कोई फक नह ं पड़ता तो उसे कस बात का फक
पड़ना था। वो भी आराम से उ ह मजे लेते हुए दे खने लगा। आशु ने हनल को कसी गु डया क तरह से पकड़ रखा था और
उसके ह ठो को च कलेट क तरह से चूस रहा था, अचानक आशु ने उसक ट शट को पकड़ा और ऊपर क तरफ से घुमाकर
उतार दया। हनल क ा भी उसने एक झटके से उतार फक । अब वो खुल छत पर टॉपलेस खड़ी थी। और आशु उसके
दोन पपीते जैसी छा तय को चूसने म लगा हु आ था। और हनल उसके सर को अपनी छा तय म समां कर ससक रह थी।
आशु ने उसको चूसते हुए ह अपने कपडे उतारने शु कर दए। और कुछ ह दे र म वो नंगा ह खड़ा होकर उसके मु मे चूस
रहा था।

और जैसे ह हनल को एहसास हु आ क आशु पूरा नंगा हो चुका है। तो वो जैसे होश म आई। और उसने पीछे होकर एकदम
से आशु को ध का दया और हांफने लगी। जैसे उसको एहसास हु आ हो क वो जो भी कर रह थी वो गलत था। …P101…

म उठ और नंगी ह उनक तरफ चल द ।

उनके पास पहूँच कर मने हनल से कहा: या हुआ हनल, मजे लेने है तो पूरे लो न। सफ दे खकर कुछ नह ं सीखा जा
सकता। इस खेल का मजा तो तभी है जब इसके मजे खुद लए जाए।

हनल: पर कोमल, तुम तो जानती हो क मने कतने सालो तक अपना कोमाय संभाल कर रखा है। और सफ 10 दन ह
तो रह गए है शाद म, 10 दन के बाद तो मझ
ु े ये सब मजे लेने ह है न। फर य म भावनाओ म बहकर सफ कुछ दे र क
ख़ुशी के लए ये अधम क ।

म: दे खो हनल, आजकल ये सब आम बात है, शाद से पहले कसने या कया कोई नह ं पूछता और दे खा जाए तो
आजकल ये सब आम बात है, तुम मझ
ु े बताओ िजस लड़के से तु हार शाद हो रह है, या गारं ट है क वो भी कुंवारा ह है।

हनल: पर… पर अगर उसको पता चल गया तो… या फर कुछ हो गया तो।

म: दे खो हनल, आज तक कोई मशीन नह ं बनी इस द ु नया म जो लड़क क चूत के अ दर जाकर ये बता सके क उसक
चत
ू ल ड के जाने से फट है या फर मोमब ती लेने से या कोई खेल खेलने से। तम
ु बस मजे लो, कसी को कुछ पता नह ं
चल सकता, और रह बात े नट होने क तो वैसे भी 10 दन ह तो रह गए है शाद म, अगर े नट हो भी गयी तो कोई
बात नह ।ं या अगर नह ं होना चाहती मझ
ु से आई पील क गोल ले लेना अभी। अब यादा मत सोचो और वहां दे खो।

मने आशु के खड़े हुए ल ड क तरफ इशारा कया। िजसे दे खकर और मेर बाते सुनकर उसका ईमान फर से डौल गया।
और वो उसक तरफ खींचती चल गयी। आशु ने जब दे खा क मेरे समझाने से हनल समझ गयी है तो उसने आँख ह
आँख म मझ
ु े थ स कहा। और बना कोई दे र कये हनल का हाथ लकड़ा और अपने उफनते हु ए ल ड के ऊपर रख कर
दबा दया। हनल उसको मसलने म लग गयी। इतने म जॉन भी खड़ा होकर मेरे साथ आकर खड़ा हो गया। उसका मरु झाया
हुआ ल ड थोडा अकड़ने लगा था, शायद हनल के मोटे मु मे दे खकर।
96
उसने मझ
ु े पीछे से पकड़ लया, अपने हाथ को मेरे मु मो के ऊपर लगाकर, मेरे कंधे पर सर रखकर उनका ो ाम दे खने
लगा। आशु ने हनल के बचे हुए कपडे भी नोच फके। अब वो परू नंगी थी। उसक चत
ू पर हलके फु के बाल थे। बड़ी ह
से सी लग रह थी वो।

आशु नीचे बैठ गया और उसके एक पैर को उठा कर अपने कंधे पर रख लया। और ऊपर मह
ंु करके उसक नंगी और गम
चूत पर मह
ुं लगा दया, जैसे कोई यासा पानी क टूट खोलकर मह
ुं ऊपर करके पानी पीता है, ठ क वैसे ह वो हनल क
चूत से उसका रस पीने लगा। हनल ने आँखे बंद क और उसके बाल को पकड़ कर अपनी चूत ए स ेस चला द उसके
ह ठो क पटर पर। और दे ध के पे ध के।

अ ह ह आशु, चूस, ओ ह माय गाद उ फ फ़अ हअ हअ हअ हअ ह।

उसके इंजन से धुना नकलने लगा था। और ज द ह उसका ह सला प त हो गया और उसने ढे र सारा गाड़ा रस उड़ेल दया
आशु के मुह
ं म। अब आशु क बार थी। वो उठ कर खड़ा हो गया। और इधर उधर दे खने लगा। और भागकर वो वह दर उठा
लाया िजसपर मने अभी अपनी चुदाई करवाई थी जॉन से। और नीचे बछा कर उसने हनल को लेटने को कहा, हनल ने
डरते हुए मेर तरफ दे खा, मने आँख म ह उसे आ वासन दया क सब ठ क होगा, घबराओ मत, और फर वो नीचे लेट
गयी।

अपने पैर फैला कर आशु क तरफ दे खने लगी। आशु नीचे झुका, और उसक रसील चूत के ऊपर अपने ल बे और मोटे लड
को रगड़कर उसके रस से नहला दया। और फर उसक चत
ू के ह ठो म अपने ल ड को फंसा कर एक ह का सा झटका मारा
िजससे उसका सप
ु ाड़ा अ दर फंस गया। हनल को थोडा सा दद हुआ पर वो कुछ न बोल । और फर आशु ने एक दम से
अपना पूरा भार उसक चूत के ऊपर डाल दया। और उसका ल ड सररर सरर करता हु आ, उसक नम नाजुक चूत को ककड़ी
क तरह से चीरता हुआ अ दर तक घुसता चला गया।

अ ह ह मररर गयी।

उसने थोड़ी दे र तक उसके न पलस को चूसा और ह ठो पर क स कर । और जब हनल क चीखे कम हुई तो उसने झटके
दे ने शु कये। और फर तो आशु का ह नह ।ं ऊपर नीचे होकर उसने हनल क रन बरं गी चत
ू का परू ा मजा लया। इसी
बीच जॉन का ल ड भी खड़ा हो चुका था। उसने पीछे से मेर गा ड के छे द को टटोला और ऊँगल गील करके उसके छे द पर
अपने लड को टका दया, और मझ
ु े टं क के ऊपर झुका कर पीछे से एक तेज शॉट मारा, और उसका ल ड मेर गा ड के छे द
के अ दर जा पहुं चा।

अब म गा ड मरवा रह थी और आगे से अपने भाई को हनल क चुदाई करते हुए दे ख रह थी। और फर एकदम से हनल
फर से चीखने लगी।

अ ह ह चूओद साले, मुझे चोद, अ हओ ग म तो गयी, अ ह अब पता चला, असल चुदाई म ह मजा है। ऊपर
के मजे तो सब बेकार है, अ ह। चोद साले, चोद दे मझ
ु े आज अ ह। और इतना कहकर उसका ओगा म हो गया। और
उसके साथ ह आशु ने भी अपने ल ड क पचका रया हनल क चूत के अ दर मारनी शु कर द ।

पीछे से मेर गा ड के छे द क सरु सरु ाहट मेर चूत तक भी पहूँच रह थी। और ज द ह हम दोन भी अपने-2 ओगा म का
मजा लेने लगे। सब शांत होने के बाद जॉन ने अपने कपडे पहने और उसी रा ते से वा पस चला गया जहाँ से वो आया था।
हनल ने भी अपने आप को समेटा और मझ
ु े थ स कहकर अगले दन दोबारा मलने का वादा करके लड़खड़ाते हुए कदमो
से वो अपने घर चल गयी।

रात का 1 बजने वाला था। नीचे सब सो ह चक


ु े थे। इस लए म और आशु नंगे ह नीचे चल दए। अभी मेरा मन भरा नह ं
था। और भी चुदना था मुझे अभी। या क , एक-दो चुदाइय से आजकल मेरा कुछ होता ह नह ं था। …P102-107…

97
म जान बूझकर अपनी कमर मटकाकर चल रह थी ता क पीछे से आ रहा आशु मेर गा ड क लचक को दे खकर पागल हो
जाए और मझ
ु े म तानी कु तया क तरह से चोद डाले। और हुआ भी ऐसा ह , जैसे ह म अपने कमरे म दा खल हुई, उसने
अपने हाथो से मेर कमर को दबोच लया और मझ
ु े दवार से चपका दया, अपना उफनता हुआ ल ड उसने मेर गा ड से
सटा कर मझ
ु े बेबस सा कर दया। मेरे दोन हाथो को ऊपर उठा कर दवार से लगा दया। मेर टांग को भी ऊपर खसका
कर अपने ल ड को पीछे से मेर जांघो के बीच फंसा कर उसमे से नकल रह गम से अपने ल ड क संकाई करने लगा।
उ म ्म। अब तो खुश है न मेरा राजा भै या। हनल क चूत मार कर मजा आया के नह ।ं

आशु: तुम सच म कमाल क हो कोमल। तुमने खुद भी मजे लए और मुझे भी दलवाए। सच म, तुम कमाल हो। और ये
क ते उसने मेरे कानो को अपने मह
ुं म भर लया और उ ह आइस म क तरह से चूसने लगा। उसके मह
ुं क लार मेरे
कानो के पद पर पघले हुए शीशे का काम कर रह थी। और म दवार से चपक छपकल क तरह तड़प-2 कर उसके ल ड
के एहसास को अपनी चूत के ऊपर रगड़ने म लगी हुई थी।

म अपने पंजो के बलखड़ी होकर उसके ल बे ल ड को अपनी सुरंग के अ दर नगलने क असफल को शश कर रह थी।
आशु भी शायद समझ चुका था क म उसके ल ड को पाने के लए उतावल हो रह हूँ, इस लए वो भी मझ
ु े त पाने म लगा
हुआ था। मेरे मोटे मु मे दवार के ऊपर चपक कर बुर तरह से पस चुके थे और मेरे न पल भी जैसे द वार के अ दर छे द
करने के लए उतावले से हु ए जा रहे थे। आशु ने अपना मुह
ं नीचे कया और मेर गदन को पीछे क तरफ से चूमता - चाटता
हुआ मेर पीठ के ऊपर अपनी जीभ के गीलेपन का एहसास करवाने लगा। मेरे मह
ुं से एक ल बी और ठं ड ी ससकार नकल
गयी। अ ह स।

मेरे हाथो को ऊपर दवार से चपका छोड़कर वो नीचे झुक और चूमता हुआ मेरे नतंभ तक आया। मेरे पूरे शार र म झुरझुर
सी दौड़ गयी जब उसने अपनी जीभ का पेन भाग मेर गा ड के छे द से लगाया। उसी छे द से जहाँ थोड़ी दे र पहले जॉन का
ल ड उलट कर चक
ु ा था और शायद उसके रस क सग
ु ंध अभी भी वहां से नकल रह थी। फर आशु ने अपने दोन हाथो से
मेर गा ड के पाट खोले और अपने मोटे ह ठो से मेर गा ड के छ ले को दबा कर जोर से चूसने लगा। मेरे मह
ुं से तो
स का रय क झड़ी सी लग गयी। अ ह म स। ऒऒओ ग।

पर उसने मझ
ु े नह ं छोड़ा। और बेदद से मेर गा ड को चूसने म लगा रहा। शायद आज वो अपने ल ड को मेर गा ड म
डालेगा। उसक जीभ मेर गा ड के अ दर थी। और उसके ल ड के अ दर जाने के एहसास से मेर गा ड पुलका रह थी।
और अपने आप बंद और खुल रह थी। िजसक वजह से उसक जीभ के चर तरफ मेर गा ड का फंदा कभी कास जाता और
कभी ढ ला पड़ जाता। फर उसने मेर कमर को पकड़कर मेरा चेह रा अपनी तरफ कर लया। और अब मेर रसील चूत
उसके मह
ुं के सामने थी। उसने मेर आँख म दे खा और अपनी जीभ को ल बा करके मेर चूत के ऊपर नीचे से ऊपर तक
फेरा दया। अ ह।

मेर चत
ू से नकल रह ओस उसक जीभ पर ठं डी बफ क चादर क तरह से बछ गयी। और वो उसे अपने गले से नीचे
नगल गया। और फर मने अपने दोन पैर को उसके कंधे के दस
ू र तरफ करके अपनी चूत को उसके मह
ुं से बुर तरह से
चपका दया और अपने दोन हाथ हवा म उठाकर, हवा म लटक कर जोर से झटके दे - दे कर अपनी चूत को उसके मह
ुं से
चुदवाने लगी। ओ फ़ मर गयी म म म। और ज द ह मेर चूत से गरमा गरम हलवा नकल कर उसके मुह
ं के
अ दर जाने लगा।

मेर आँखे भार होती चल गयी और मने अपनी चत


ू वाला ह सा उसके मह
ंु के अ दर तक ठूस दया। पर खेल अभी ख़ म
नह ं हुआ था। उसने अपने हाथो से मेरे कुलहो को थाम और मझ
ु े ऊपर हवा म उठाता चला गया। और अपने ल ड को मेर
गा ड के छे द पर टका कर, हवा ह हवा म उसे मेर गा ड के छे द के अ दर डाल दया। ये पहला मौका था क आशु ने मेर
गा ड म अपना मस
ु ल घस
ु ाया था। पर सच म िजतना मोटा ल ड उतना ह यादा मजा। मने अपनी गा ड को उसके ल ड
पर पूर तरह से एडज ट कया। और फर उसके गले म बाहे डालकर ऊपर उछल-2 कर अपनी गा ड मरवाने लगी। अ ह
अ ह मम ्म ऒऒओ हओ ह
98
मेर चूत अभी तक रस रह थी। और गा ड के अ दर जो तार बजने लगे थे उनक झनझनाहट वा पस मझ
ु े अपनी चूत के
अ दर महसस
ू होने लगी थी। और फर आशु ने एक ह झटके से मेरे ह ठो पर अपने ह ठ रख दए। और हम दोन अपनी
आँखे बंद कये झटके दे त-े 2 एक अलग ह द ु नया म खो गए। और कब उसके ल ड से गम पानी नकल कर मेर गा ड से
होता हु आ, मेर चूत को भगोता चला गया, मझ
ु े भी इसका एहसास नह ं हुआ। और सब शांत होने के बाद हम दोन बाथ म
म जाकर साफ़ हु ए और वा पस जाकर सो गए, बरु तरह से थक चक
ु े थे हम दोन । अगले दन अब कॉलेज जाकर मझ
ु े सब
कुछ बताना भी तो था द पा को। …P108-111…

अगल सुबह मेर नींद मोबाइल क घंट से खुल , मने टाइम दे खा, 7 बज चुके थे। ओ माय गोड, इतनी दे र तक सोयी मई
आज, मने फ़ोन उठाया और धीरे से हे लो कहा।

दस
ू र तरफ द पा थी

द पा: अरे कोमल, तू अभी तक सो रह है। कॉलेज नह ं जाना या…

म: अरे यार, वो रात को दे र से सोयी न, इस लए। बस अभी तैयार होकर मलती हूँ तुझे टड पर।

द पा: अ छा सन
ु , मेरे पापा क तबीयत ठ क नह ं है, इस लए वो मझ
ु े टड तक छोड़ने नह ं आ सकगे। म ऑटो करके तझ
ु े
लेते हुए कॉलेज नकल लेती हूँ । वैसे भी इतनी दे र हो चुक है, तू ज द से तैयार हो जा, म बस आधे घंटे म आती हूँ । म
ज द से उठ और भागती हुई बाथ म क तरफ गयी, पर वो अ दर से बंद था। आशु था अ दर, मझ
ु े सब
ु ह-2 उसपर इतना
गु सा आया।

म: अरे आश,ु ज द से खोल न, मझ


ु े दे र हो रह है।

उसने दरवाजा खोल दया, वो नहा रहा था, और पूर तरह से नंगा था। मेरा गु सा उसके खड़े हुए ल ड को दे खकर
रफूच कर हो गया। म धीरे से अ दर चल गयी। और उसने दरवाजा फर से बंद कर दया। मने श उठाया और करने
लगी, वो भी मेर तरफ मु कुराता हुआ दे खकर शावर के नीचे खड़ा हुआ नहा रहा था। मझु े दे र हो रह थी, पर थोडा बहुत
मजा लेने का तो टाईम था ह मेरे पास। मने भी ज द से कपडे उतारे और खूंट पर टांग दए। और म भी नंगी होकर उसके
साथ ह शोवर के नीचे खड़ी होकर नहाने लगी। वो मझ
ु े चूमने लगा और थोडा सा टे ढ़ा करके अपना ल ड मेर चूत म पीछे
से घुसाने लगा।

म: अरे नह ,ं अभी इतना टाईम नह ं है मेरे पास। पहले ह देर हो रह है, रात को। ओके…

वो मेर बात समझ गया, और हलक -फुलक क सेस और मु मे ेस करने के बाद मझ


ु े जाने दया। म तैयार होकर बैठ
गयी और द पा के आने का वेट करने लगी, वो ऑटो म आई और हम दोनॊ कॉलेज क तरफ चल पड़े। रा ते म मने धीरे -2
उसे कल रात वाला सार क सा सन
ु ाया िजसे सन
ु कर उसका मह
ुं खुला का खुला रह गया, वो मेर से स के त भूख और
मेर बढती ह मत के बारे म सोचकर है रान हुए जा रह थी। पर मेर ऐसी हरकत को दे खकर और सन
ु कर ह वो इतना कुछ
सीख पायी थी आजतक। और शायद मेरे कल रात वाले ए पसोड से भी वो कुछ सीखने क को शश कर रह थी मन ह मन।
हम कॉलेज म पहुं चे तो सबसे पहले मझ
ु े जॉन मला, जो शायद मेरा ह इ तजार कर रहा था कॉलेज के गेट पर।

जॉन: हाय कोमल, कैसी हो…

उसके चेह रे क मु कराहट कल रात का अफसाना बयां कर रह थी। म उसके पास गयी और धीरे से उसके हाथ को दबाया
और उसके कान म कहा: एकदम म त, कल रात जैसी।

उसका ल ड मेर बात सन


ु ते ह खड़ा हो गया। और म उस खड़े ल ड को छोड़कर अ दर क तरफ चल द । अ दर जाकर
जैसे ह हम लास म बैठे, ध डू यानी डॉन ने आकर ट चर से कहा क सपल मेडम द पा और कोमल को अपने म म
बुला रह है। हम दोन उठकर चुपचाप उसके पीछे -2 चल दए।

99
और हमेशा क तरह, हम दे खकर उसने अपना सर झुक लया और बना कसी ए स ेशन के हमारे साथ-2 मेडम के म
क तरफ चलने लगा। द पा उसे दे खकर छे ड़ने लगी: अरे डॉन, बड़ा सी रयस हो जाता है तू हम दे खकर, जैसे जानता ह नह ं
हम। ओये बोल न।

डॉन ने धीरे से कहा: म अगर बाहर बोलने लगा तो तम


ु दोन क बदनामी ह होगी। इस लए हमेशा वह ं बात करता हूँ जहाँ
कोई और न हो, समझे।

उसक बात सुनकर द पा अपना सा मुह


ं लेकर रह गयी, बात तो सह थी वैस,े एक पीयून अगर हमारे साथ खुले म हं सी
मजाक या कोई भी बात करेगा तो कॉलेज म बात तो फेलेगी ह । ये साले बड़े ल ड वाले इतने समझदार कैसे होते है। कह ं
ऐसा तो नह ,ं िजतना बड़ा ल ड उतना ह शा तर दमाग। खेर हम मेड म के म म पहुंच।े उ ह ने पीले रंग क साडी पहनी
हुई थी। हम दोन उनके सामने बैठ गए। ढोलू ने दरवाजा अ दर से बंद कर दया।

मेडम: कोमल, द पा, म तुम दोन को एक िज मेदार दे रह हूँ । हर साल क तरह हम पक नक के लए बाहर जा रहे है,
और इस पूरे टूर क िज मेदार म तुम दोन को दे रह हूँ।

हमने हाँ म सर हलाया।

वो आगे बोल : तु हे टूर बु कं ग के लए और दस


ू र चीजो के लए फंड कल तक मल जाएगा। तुम दोन अपने साथ कसी
और को भी ट म म शा मल करना चाहो तो कर सकती हो।

हम दोन के दमाग म लड़के घूमने लगे, कस - कसको अपने साथ मलाये। सब घूमने लगा दमाग म। हम अपने आप
पर गव सा हो रहा था क इतनी बड़ी िज मेदार मेडम हम दे रह है।

ु दोन को इस लए दे रह हूँ, ता क तम
मेडम: पर ये िज मेदार म तम ु अपने हसाब से मेरे लए सब अरजमट कर सको।
समझे न।

उसका इशारा नए-2 लंडो क तरफ था। साल , बु डया, अपनी चूत के बारे म ह सोचती रहती है हमेशा। वैसे दे खा जाए तो ये
प काफ रोचक बनने वाला था, मेड म के साथ-2 हम दोन भी नए लंडो को कैसे-2 लगे, ये सोचने लगे। और ल ड के बारे
म सोचते ह मझ
ु े डॉन का यान आ गया, जो हमारे पीछे खड़ा हुआ सब बाते यान से सन
ु रहा था। द पा मेड म से कुछ और
समझने म लग गयी पर तब तक मेरा यान डॉन क तरफ जा चुका था य क मेर चत ू के अ दर से हलक गम बाहर क
तरफ नकलने लगी थी।

म उठ और डॉन क तरफ चल द । वो दोन बाते करते रहे । डॉन ने मझ


ु े अपनी तरफ आते हुए दे खा तो उसके चेह रे पर
मु कराहट फेल गयी। म उसके पास गयी और सामने खड़े होते ह मने अपनी ट शट को उतार कर नीचे फक दया। उसके
साथ-2 मेडम भी ये दे ख कर च क गयी। उ ह शायद अंदाजा नह ं था क म एकदम से अपने कपडे उतारने शु कर दं ग
ू ी। पर
वो शांत खड़ा रहा। उसक आँखे मेड म क तरफ थी। जैसे वो उनसे पर मशन मांग रहा हो। पर मेड म भी बड़ी चालू थी।
उ ह ने अपना चेह रा वा पस द पा क तरफ कर लया और उसे समझाने म य त हो गयी। डॉन के ल ड वाला ह सा त बू
बनता जा रहा था।

पर उसने अपनी तरफ से कोई पहल नह ं क और पीछे क तरफ हाथ बांधे खड़ा रहा वो। मुझे उसक हालत पर तरस आ रहा
था। यानी जब तक मेडम का हु म न हो, वो कुछ नह ं कर सकता, दे खती हँू आज म भी। सब
ु ह से जब से मने आशु का खड़ा
हुआ ल ड दे खा है, तब से मेर चूत हलक -2 रस रह है। अभी पी रयड ख़ म होने म आधा घंटा है, डॉन को दे खते ह मेरे
मन म उससे चुदने का ख़याल आने लग गया था। पर ये साला कुछ कर ह नह ं रहा। मने अपनी जींस का बटन खोला और
उसे भी नीचे उतार दया। मे चंग कलर क ा पट म अब म उसके सामने अपने िज म क नम
ु ाईश कर रह थी।

फर भी वो खड़ा रहा। मने अपने हाथ पीछे कये और ा खोल द । ये पहल बार नह ं था जब वो मेर े ट दे ख रहा था। पर
आज वो सफ दे ख ह पा रहा था। कुछ कर नह ं पा रहा था। उसक इस हालत को दे खकर म मंद-2 मु कुराये जा रह थी।

100
फर म नीचे बैठ और उसके ल ड के ऊपर हाथ फराने लगी। उसके पूरे शर र म करं ट सा दौड़ गया। मने धीरे से उसक
िजप खोल , और उसका नाग फुफकारता हुआ बाहर आ गया। मने भी अपनी सांप जैसी जीभ बाहर नकाल और उसके
नाग को डस लया। वो स कार उठा। और उसके स कारने क आवाज सन
ु कर द पा ने अपना चेह रा पीछे कया। और मझ
ु े
डॉन का ल ड चूसते दे खकर वो ह क -ब क रह गयी। और कभी मझ
ु े और कभी मेड म क तरफ दे खने लगी।

मेडम ने मु कुराते हुए कहा: दे खा, कोमल कतनी ज द सीख गयी है। और कैसे उसके अ दर क आग हमेशा जलती रहती
है। ठ क मेर तरह।

द पा को जैसे मेडम कह रह थी। सीखो कुछ कोमल से। वना भ द ू बनकर रह जाओगी। मझ
ु े उनक बाते साफ़ सन
ु ाई दे रह
थी पर मेरा पूरा यान डॉन क तरफ था, उसके ल ड के आस पास से जो पसीने क महक आती थी, वो हमेशा से मझ
ु े
मदहोश कर जाती है, और मने अपनी ल बी जीभ से उसके पसीने वाले ल ड को चाटना और चूसना शु कर दया। मेडम
भी तब तक अपनी सीट से उठ और हमारे पास आकर खड़ी हो गयी। मने याचना भर नगाह से मेडम को दे खा, जैसे कह
रह हूँ क अब तो डॉन को आ ा दे दो, ता क वो खुलकर मुझे मजे दे पाए और खुद भी ले पाए।

मेडम समझ गयी और उ ह ने डॉन क तरफ दे खा और धीरे से कहा, "अब मत सताओ बेचार को, वना इसक चूत से इतना
पानी नकलेगा क मेरा परू ा कमरा गीला हो जाएगा और फर तु हे ह पोचा लगाना पड़ेगा यहाँ।”

म उनक बात सुनकर हं स पड़ी। वैसे बात तो सह थी। मेर चूत पर अभी भी पट थी पर उसमे से मेरे रस क बूंदे नकल कर
नीचे गर रह थी। मने अपनी चत
ू पर हाथ फेरा और बहु त सारा रस इक ा करके मने अपना हाथ ऊपर कर दया िजसे डॉन
ने पालतू कु ते क तरह से चाट लया। मेरे रस को चाटते ह उसमे जैसे उजा का संचार हो गया और उसने मेरे बाल को
पकड़ा और मझ
ु े ऊपर क तरफ खींच लया। इसका यह मदाना और रफ सा अंदाज मझ
ु े बहुत अ छा लगता था। मने अपने
आप को उसके हवाले कर दया। और उसने अपने खु कार दांत को मेर े ट पर गाड़ दया और उनपर अपने दांत से टाटू
बनाने लगा। अ ह धीरे म् म

ु े तरसाती है, भेन चोद, अब तुझे बताता हूँ क कैसे तरसाया जाता है। उसने अपना
वो गुराया: साल , रं ड ी क औलाद, मझ
एक हाथ मेर कमर पर रखा और दस
ु रे को नीचे करके मेर पट को फाड़ फका। उसके यवहार को दे खकर साफ़ लग रहा था
क आज वो मेर कस कर चुदाई करे गा। और वह तो म भी चाहती थी। इसी बीच मेड म का आँचल उनक छाती से सरक कर
नीचे गर गया और उनके पपीते जैसी छा तयाँ पीले रंग के लाउस म सबके सामने उफन कर सामने आ गयी। और वो
इतनी से सी लग रह थी क मने अपना सर उनक तरफ कया और ल वेज के ऊपर अपना मह
ुं रखकर वहां का ए रया
चाटने लगी।

मेडम के मह
ुं से मादकता से भर हु ई ससकार नकल गयी। अ हउ फ़ और फर द पा जैसे नींद से जागी,
उसे भी लगा क कुछ करना चा हए। उसने अपनी ट शट उतार और ा भी और अपनी छा तय को लेजाकर मेड म के
सामने परोस दया।

अब डॉन मेर े ट काट रहा था, म मेड म का दध


ू पी रह थी और मेडम द पा का न पल चूस रह थी। बड़ा ह कामक
ु य
था कमरे का। तभी डॉन ने अपनी दो मोट उं ग लया मेर चूत म डाल और मझ
ु े ऊपर क तरफ उठा दया। म अपने पंजो पर
खड़ी हो गयी। और उसक मोट -2 उँ ग लय से चुदने लगी। मेड म क साडी के अ दर शायद कोई ल केज थी, उ ह ने द पा
के बाल पकडे और उसे नीचे लेटने को कहा, और खुद साडी ऊपर समेट कर नीचे से नंगी हो गयी। उ ह ने उसे पूरा नह ं
उतारा, य क पी रयड ख़ म होने वाला था और फर साडी बाँधने म टाइम भी तो लगता है, उ ह ने नीचे पट नह ं पहनी
थी, द पा के सर के दोन तरफ पैर रखकर वो उसके मह
ुं पर बैठ गयी जैसे मत
ू कर रह हो और फर उ ह ने अपनी चूत को
उसके भीगे हुए ह ठ पर सटा दया और एक तेज ससकार मारकर जोर से च लाई। अ हउ म ्म चाट इसे,
साल , कु तया, चा तअ ह।

उ ह ने द पा के माथे के ऊपर हाथ रखे और उसके मह


ुं के ऊपर अपनी चूत को बुर तरह से रगड़ने लगी।

101
मेडम क चूत कभी उसके ह ठो से, कभी नाक से और कभी ठोडी से टकरा जाती और इस तरह द पा का पूरा चेह रा मेड म के
गाड़े रस से भीग कर चमकने लगा था। वैसे मने सन
ु ा है क मद के वीय क ह तरह औरत के रस म भी ऐसे वटा मन होते
ह जो चेह रे क रंगत और चमक बड़ा दे ते ह। द पा का तो म फे शयल हो गया आज।

उधर डॉन ने भी अपना ल ड बना कसी वा नग के मेर चत


ू से लगाया और एक जोरदार झटके से उसे अ दर धकेल दया।
अ ह मर्र गयी रे अ ह। म उचक कर उसक गोद म चढ़ गयी और उसने भी मेर गा ड के नीचे अपने हाथ
लगा कर मझ
ु े सहारा दया। और फर मने उसका पूरा ल ड अपनी चूत म नगल लया। अ ह या फ लंग थी,
एकदम म त।

जब भी ल ड एकदम से अ दर जाता है, पहल बार, वो फ लंग बयां करना काफ मिु कल है। मेर आँखे बो झल सी हो गयी
और म डॉन क बाँह म झूल सी गयी। उसने अपना मह
ुं फर से मेरे मु मे पर रखा और उसे चूसने लगा। और नीचे से अपने
ल ड के ध के मझ
ु े दे दे कर मझ
ु े चाँद सतार क सैर करवाने लगा। पुरे कमरे म मेरे मह
ुं से नकल स का रयां और डॉन
के ल ड से नकल आवाज गूँज रह थी।

फचक फचक अ हउ म ्म ये सअ यीई और तेज, हा न, आइसे ह , ओह माय गॉड, आई एम कमीईग


स् स अ ह। मेरा तो हो गया।

म उसक बाँह म झूल गयी। और वो उसके बाद मेरे नज व से शर र म कतनी दे र तक ध के लगाता रहा मुझे भी पता
नह ं चला। और जब पता चला तो उसके ल ड से नकला गम लावा मेर चत
ू को जला रहा था िजसक गम से मझ
ु े होश
आया। और मने उस भ े से दखने वाले पीयून के चेह रे को पकड़ा और बेतहाशा चूमने लगी। चुमू भी य न, इतना मजा
जो देता है ये ढोधू का ब चा।

दस
ू र तरफ मेड म ने तो द पा का बुरा हाल कया हु आ था। ऐसा लग रहा था क वो अपनी चूत और गा ड से उसके सांस लेने
के सारे ज रये बंद करने पर उता है, द पा भी अपने दस
ु रे हाथ से अपनी आधी उतर हुई जींस के अ दर हाथ डालकर
अपनी चूत को मसलने म लगी हुई थी। मने सोचा क उसक मदद करनी चा हए और म डॉन के ल ड से उतर कर द पा क
चूत के सामने डूगी टाईल म लेट गयी। और उसक चूत को चाटने लगी। मेर उभर हुई गा ड को दे खकर डॉन भी मेरे पीछे
आया और अपना मह ुं मेर चूत से लगाकर अपना और मेरा मला जुला रस मेर चूत म से चाटने लगा। और ज द ह मेड म
ने अपने झड़ने का संकेत दया और जोर से च ला-2 कर द पा के मुह
ं का और जोर से मदन करने लगी। अ ह
आआअह द पा, म आई, म आई।

और उनके मीठे पानी का झरना द पा के मुंह पर फूट पड़ा। और द पा ने िजतना हो सकता था उतना रस अपने मह
ुं म
लेजाकर पी लया। मेड म के झड़ने से उसक चूत से भी रसाव होने लगा और मेरे मह
ुं के ऊपर उसने भी पचकार मारकर
अपना सारा रस बाहर क तरफ फक दया, िजसे मने बड़े यार से अपने ह ठो और जीभ से इक ा कर करके पी लया।
उसके बाद हमने मेड म के नजी बाथ म म जाकर अपने चेह रे और हु लया को ठ क कया और फर लास म आ गए।
वा पस जाते ह सभी हमसे पूछने लगे क या हुआ था, मेडम ने कस लए बुलाया था। मने जैसे ह उ ह पक नक वाल
बात बताई वो सभी ख़श
ु ी से उछल पड़े।

अब टाईम था अपनी ट म बनाने का। मने सभी को कॉलेज के बाद क टन म मलने को कहा ता क बाक का लान और
ट म वह ं पर बना सके। …P112-115…

सभी मलकर एक बड़े से टे बल पर जाकर बैठ गए। राहु ल जो काफ दे र से मझ


ु े घूरे जा रहा था, इशारे से मझ
ु े कोने म आने
का इशारा करता है, म चप
ु चाप उठकर उसक तरफ चल द । और एक कार फुट क द वार के पीछे जाकर हम बाते करने
लगे।

राहुल: या बात है कोमल, मेडम आजकल तुम दोन पर ह यादा मेह रबान हो रह है।

102
म: ऐसा नह ं है राहुल, मेडम ने तो अपनी मेह रबानी तुमपर भी बरसाई थी, मझ
ु े सब पता है।

वो मेर बात सुनकर सकपका गया, उसने शायद सोचा भी नह ं था क मेडम के घर पर चुदने वाल बात मुझे भी पता हो
सकती है ।

म: पर फ़ मत करो राहुल, म कसी को कुछ नह ं बताने वाल , य क इसम नु सान मेरा ह है।

मने ये कहते हु ए उसके ल ड वाले ह से को अपने हाथो से भींच दया। हम ऐसी जगह पर खड़े थे क कोई हम दे ख भी लेता
तो सफ हमार गदन ह नजर आती, कुछ और नह ं मेरे हाथ लगाते ह उसका ल ड फुफकारने लगा, पर के ट न म काफ
भीड़ थी, इस लए कुछ सोचा नह ं जा सकता था। पर मेरे दमाग म एक शेतानी आई और मने अपना हाथ अ दर डालकर
उसका ल ड बाहर खींच लया। वो है रान परेशान सा होकर कभी मझ
ु े और कभी दस
ू र तरफ बैठे हु ए अपने दो त को दे खने
लगा। उसने शायद सोचा भी नह ं था क म इतनी ह मत दखाकर सबके रहते हुए भी उसका ल ड बाहर नकाल सकती
हूँ। म उसके ल ड को मसलने लगी और उससे बात करना चालु रखा।

म: तुमने या सोचा, मेडम क चूत मारकर तुम मजे ले लोगे और मुझे पता भी नह ं चलेगा।

उसक साँसे तेज होने लगी थी, ल ड खड़ा होकर हुं कारने लगा था, तो…तो इसका मतलब। मेड म ने ह तु हे सब कुछ बताया
है।

म: मेड म ने बताया ह नह ,ं सब दखाया भी है। उस दन म और द पा उनके ह घर पर थी। और तुमने जो भी कया वो सब


दे खा हम दोन ने। उसक आँखे फेलती चल गयी और उसक समझ म सब आ गया क ये सब मेड म और हमार मल
जुल कार तानी थी।

वो बोला: पर… पर ये सब करके तु हे, और मेड म को या मला।

मने उसके ल ड को ऐंठ दया और धीरे से कहा: ये तु हारा ल ड, जो अब मेरा और मेड म का गुलाम है।

राहुल सकपका गया: गुलाम, म कुछ समझा नह ।ं

म (कु टल मु कान के साथ): गुलाम इस लए य क उस दन क चुदाई क सार रका डग है मेरे पास। और तु हे अब


हमेशा वह करना होगा जो म और मेड म चाहगी, समझे।

वो बेचारा समझ ह नह ं पा रहा था क या कहे और या ना कहे। वैसे दे खा जाए तो हम उसको लेकमेल करके सफ
उसके ल ड क सेवाएं ह तो चा हए थी, कुछ और नह ।ं और ऐसा हसीन लेकमेल होना तो हर कोई चाहे गा। फक सफ
इतना है क इस केस म उसे चूत का गुलाम बनकर रहना होगा और अपनी इगो को ताक पर रखकर चुदाई क आ ा का
पालन करना होगा। और जब उसक समझ म सब आ ह चक
ु ा था तो सवाए हमार सेवा करने के उसके सामने कोई और
चारा दखाई नह ं दया।

इसी बीच उसका ल ड जो सार बात सन


ु कर बैठता जा रहा था, फर से अंगडाई लेने लगा। हम दोन दवार के पीछे खड़े
होकर बाते कये जा रहे थे और बाक सभी लोग हमारा इ तजार करते हुए चाय और ेड पकोड़ा खाने म य त थे। मने
अपने हाथ क पीड बड़ा द ।

म: तुम सफ हमार सेवा करते रहो। तु हे फल अपने आप मलता चला जाएगा। िजतना भी, कह ं भी।

फ ट ईयर क लड़क के हाथो लेकमेल होने पर उसका सारा ग र चूर-2 हो चुका था। पर उसे ये भी पता था क वो अभी
कसी भी तरह से वरोध करने क पो सशन म नह ं है।

वो झड़ने के कर ब था, और वो धीरे से च लाया: आई ए म क मंग कोमल। मने सभी दो त क तरफ दे खा। सफ द पा
ह हमार तरफ दे ख रह थी, बाक सभी खाने म य त थे।

103
और द पा क तरफ मने मु कुरा कर दे खा और एकदम से म नीचे बैठ गयी और राहुल के ल ड को अपने मह
ुं म भर लया।
और जैसे ह मने उसके अकडू ल ड को मह
ंु म भरा, उसने ढे र सार रस नकाल कर मेरा मह
ंु भर दया, और म चटोर सारा
का सारा रस चटखारे लेती हुई पी गयी और उसके ल ड क सार अकड़ मेरे मह
ुं म दम तोडती नजर आई और 1 मनट के
अ दर ह अ दर म वा पस ऊपर खड़ी हो गयी। ऊपर उठते ह मेर नजर वा पस टे बल क तरफ गयी, सब ठ क था, कसी ने
कुछ नोट नह ं कया था, सफ द पा ह थी, जो अपना मह
ंु फाड़े मझ
ु े दे खे जा रह थी। पर उसक मझ
ु े कोई परवाह नह ं थी।
वो तो अपनी ह बंद थी न। म ज द से वा पस टे बल पर आकर बैठ गयी, और पीछे -2 राहुल भी अपना ल ड अ दर समेट
कर वा पस आकर बैठ गया।

द पा: यार कोमल, तेर ह मत दन ब दन बड़ी ह चल जा रह है। तुझे डर नह ं लगता या…

मने मु कुराते हुए अपनी जीभ नकाल , िजसपर अभी भी ढे र सार रस था, और फर उसे भी गटक गयी और धीरे से द पा से
कहा: या क , मेर यास बुझती ह नह ं है आजकल। ये ल ड से नकलने वाला पानी होता ह इतना म त है ।

वो बेचार शरमा कर रह गयी। पर शायद इस बात से भी उसने कुछ न कुछ सीखा तो होगा ह । फर सभी एक साथ बैठ कर
ड कस करने लगे। सबसे पहले तो हम ये सोचना था क पक नक कहा जाया जाए। सभी ने अपने-2 सझ
ु ाव दए, फारे ट,
माउं टे स, समु दर।

पर तभी हमार लास का एक लड़का रो हत कुमार, जो हमेशा चुप चाप रहा करता था वो बोला: अगर आप सभी को
द कत ना हो तो म एक जगह जानता हूँ जहाँ जाकर सभी को मजा भी आएगा और एडवचर भी मलेगा।

सभी उसक तरफ दे खने लगे। …P116-117…

सभी को अपनी तरफ घूरते पाकर रो हत थोडा घबरा सा गया, वैसे वो था भी ऐसा ह , उसने भी हमार तरह इसी साल
कॉलेज वाइन कया था पर हमेशा अलग थलग सा रहता था, कद काफ ल बा था उसका, कॉलेज म शायद वो ह सबसे
ल बा लड़का था, शर र दुबला सा था, कसी से यादा बोलता भी नह ं था, शायद इस लए क वो कसी दूर के गाँव से आया
था शहर म और सबसे घुल मल नह ं पा रहा था, पर आज पता नह ं कैसे उसने ह मत करके ये बात बोल डाल और सभी
का यान अपनी तरफ खींच लया।

वो धीरे से बोला: दरअसल हमारे गाँव क सरहद के पास एक आ दवासी कबीला है , वहां जरावा जनजा त के लोग रहते ह,
हम भी अ सर वहां जाया करते थे, मजा लेने के लए, वो आ दवासी कबीला वैसे तो अभी तक काफ पछड़ा हुआ है और
बाहर क द ु नया से उ ह कोई लेना दे ना नह ं है, पर आस पास के कुछ गाँव या फर अमे रकन टू र ट के आने से उ ह कुछ
आमदनी हो जाती है इस लए वो भी बाहर से आने वालो का तहे दल से वागत करते ह।

मने उससे पुछा: पर तूने कहा क तुम लोग वहां जाया करते थे मजा लेने के लए। वहां मजा लेने वाल या बात है।

वो ये सन
ु कर शमा सा गया और बोला: दरअसल वो वहां… वहां के लोग आज भी कोई कपडा नह ं पहनते, और नंगे ह रहते
ह। मेरा और वहां बैठे हुए सभी लोगो का मुंह खुला का खुला रह गया।

द पा: या नंगे… मतलब औरते और मद सभी पूरे नंगे,। बाहर के लोगो के सामने भी वो… वो कुछ नह ं पेहे नते।

रो हत ने ना के लहजे म सर हलाया।

सभी के दमाग म नंगे आ दवा सय क त वीरे घुमने लगी। मोठे मु मो वाल नंगी औरते, ल बे-2 ल ड वाले आ दवासी
मद। वाव…

सच म, ये तो काफ मजेदार और यादगार टूर बन सकता है । मने बाक क सार जानकार लेनी शु क , उसके अनुसार वो
आ दवासी कबीला हमारे कॉलेज से 400 कलो मीटर क दरु पर था यानी रात को बस म बैठे तो 9-10 घंटे म पहूँच सकते
ह।
104
मने बस ओपरे टर से बात क और सार जानकार लेकर और बाक सभी क सहम त लेकर ं सपल मेडम के म क तरफ
भागी। मने उ ह सार बात एक ह सांस म बोल डाल ।

वो मेरा मह
ुं दे खती रह गयी, और फर थोड़ी दे र बाद कुछ सोचकर बोल : पर कोमल इतने ल बे टूर पर जाने के लए कोई
भी पेरट पर मशन कैसे दे गा और वो भी जब उ ह पता चेलेगा क ब चे कसी आ दवासी का बले म जा रहे ह। जो क नंगे
रहते ह आज भी।

म: अरे मेडम, आप उसक चंता मत करो, हम बोल दगे क कसी हल टे शन पर जा रहे ह, उ ह असल बात बताने क
कोई ज रत नह ं है, वैसे भी हम सभी कॉलेज म पड़ते ह, ना क कूल म जो क कोई इतनी पूछताछ करे गा।

मेर बात मेडम क समझ म आ गयी, वैसे सच कहूँ, मेर बात सन


ु कर वो भी उतनी ह ए सय तद थी िजतनी क म और
बाक के सभी लोग।

उ ह ने सारा दामोदार मझ
ु पर छोड़ दया: ठ क है कोमल, तुम सब संभाल लो, और सभी जाने वाले टूड स को अ छ तरह
से समझा दे ना क या बोलकर जाना है घर पर। बाक कोई पेर स मुझसे पूछेगा तो म भी वह कहूँगी जो तुम चाहती हो।

मने कहा: आप तो वो कहगी ह मेड म, आ खर आ दवासी लंडो क बात सन


ु कर आपक चूत भी तो पानी नकाल रह है इस
व त।

वो मेर बात सुनकर हं स पड़ी, और मुहे अपनी तरफ खींचकर मेरे ह ठो को अपने मुह
ं म भरकर चूसने लगी। हमने आधे घंटे
पहले ह से स कया था, पर इस मेडम क चूत है या यासा रे ग तान, इसक यास बुझती ह नह ।ं वो मझ
ु े लेकर पीछे
होती चल गयी और अपनी टे बल के ऊपर बैठ गयी, अपनी साड़ी को ऊपर खींचा और अपनी बना क छ वाल चूत को मेरे
सामने लहरा दया, सच म, मेर बात सन
ु कर उनक चूत से झरने क तरह पानी नकल कर नीचे बह रहा था। मने अपनी
गल
ु ाबी जीभ बाहर नकाल और बहती हुई लक र को अपने मह
ंु म समेत और गटक गयी।

स् स। म् म।

उनका शर र कांप सा गया, मेर ठं ड ी जीभ को अपनी गम चूत के ऊपर फसलता पाकर। मने एक ऊँगल उनक चूत म
घुसेड द और खोद खोदकर उनका रस बाहर क तरफ नकालने लगा। अ हउ म् म कोमल सक मॆऎ
हाद। मने अपने ह ठ उनक चूत के ह ठो से जोड़ दए और उ ह च क स करने लगी। उनक चूत के तरसते हु ए ह ठ, मेरे
फड़कते हु ए ह ठो से भड़कर अपना रस मेरे अ दर छोड़ने लगे और वो भर-भराकर, जोर से हुंकारती हुई, मेरे सर को अपनी
चूत से चपका कर, झड़ने लगी।

मने एक बात नोट क थी, वो जब भी झड़ने लगती थी तो उसके चेह रे पर हं सी आ जाती थी। पता नह ं य … खेर, मने
अपना काम कया, अपना चेह रा साफ़ कया और उनसे वदा लेकर बाहर क तरफ चल द । मेरे भी मन म नंगे आ दवा सय
को दे खने का चाव जोर पकड़ने लगा। मने लाई ेर म जाकर कं यूटर पर सकुलर नकाल और उसे नो टस बोड पर चपका
दया, िजसमे लखा था क कॉलेज क एनुअल पक नक हल टे शन पर जा रह है, 4 दन के लए, जो भी जाने के लए
इ छुक हो वो अपना नाम मझ
ु े, यानी कोमल को लखवा दे , नीचे मने अपना नाम और नंबर लख दया और साथ ह मेड म
के साईन भी करवा लए उसपर।

अगले दन से ह मेरे सेल पर फ़ोन आने शु हो गए, हमार लास के यादातर लोग तो पहले से ह तैयार थे, उनके अलावा
िजसने भी मुझे कॉल कया, मने उसे शाम को क टन म आने को कहा ता क उ ह भी एक ह बार म सार बात संमझा सकू,
शाम को के ट न म मने सभी को आ दवासी एडवचर के प के बारे म बताया, कुछ ने साफ़ मना कर दया, कुछ ने दरु और
कुछ ने 4 दन क वजह से, ले कन यादातर टूड स तैयार हो ह गए। वैसे भी हमारे पास 25 लोग पहले हो ह चक
ु े थे
हम अभी भी 35 लोग और चा हए थे, िजनमे से 30 ने अब हामी भर द थी। मने सभी को डटे ल म समझा दया था क
कैसी सचुएशन होगी वहां पर, और उ ह या बोलना है घर पर। सभी ख़ुशी-2 मान गए।

105
हमने बुधवार क रात को जाने का ो ाम फाइनल कर लया, ता क रात-2 म े वल करके वहां पहुंचा जा सके और स डे क
रात को वा पस चलकर सोमवार वा पस पहुं चा जा सके।

रो हत ने अपने गाँव म अपने एक दो त को फ़ोन करके क बले के सरदार को कहलवा दया क शहर से कॉलेज के 60 लोग
आ रहे ह, पक नक पर, और उ ह काफ आमदनी होने के असार है , ये बात सन
ु कर वो भी खश
ु हो गए और हमारे रहने और
खाने पीने के लए उ ह ने इंतजाम करने शु कर दए।

अब तो बस इ तजार था वहां जाने का। …P118-120…

बुधवार क रात को सभी लोग कॉलेज पहूँच गए, यादातर टू ड स के पापा या भाई लोग आये थे छोड़ने और साथ ह साथ
अपनी तस ल करने भी क सब कुछ ठ क ठाक है या नह ं। मेडम सभी क वेर सन
ु रह थी और उ ह तस ल दे ती जा
रह थी क घबराने क कोई बात नह ं है, वगेरह-2, हमारे ुप के सभी लोग जाने को तैयार हो गए थे। म, द पा, राजपूत,
राहुल, रो हत, जॉन, पायल, आ द य, न खल, पूजा शाह, और वो हलवा बी भी था साथ म। रात को 10 बजे बस टाट हुई
और चल पड़ी अपने गंत य क ओर।

मने दे खा क राजपूत और द पा एक साथ बैठे थे। और यादातर लड़के लड कयां अपने-2 जोड़े बना कर बैठ गए थे। मझ
ु े
इस बात से ह अंदाजा हो गया क आगे चलकर या होने वाला है, ये तो इस टूर को अपनी म ती के लए एक यादगार और
ना भूलने वाला टू र बनाने म लगे थे। मेडम आज हमारे ह वाले ट चर गुरद प संह सर के साथ बैठ थी। उनक उ
होगी कोई 45 साल क , ल बे ऊँचे कद वाले सरदार ह वो। काफ जॉल नेचर है उनका। लास म भी सभी को हं साते रहते
ह।

पर मेडम आज उनके साथ य बैठ हुई है। म सोचने लगी।

कॉलेज क तरफ से 4 लोग आये थे, मेडम, गुरद प सर, डॉन और अंजू मेड म जो क कॉलेज का एड मन डपाटमट भी हडल
करती ह और हम इकोनॉ म स भी पढाती ह, अंजू मेड म जॉन के साथ बैठ हुई थी। मने जॉन क तरफ़ दे खा और उसको
आँख मार द जैसे कह रह हूँ क बेटा। लगे रहो। मेर सीट ला ट म थी, वहां पहले से ह राहुल बैठा हु आ था, म अ दर क
तरफ जाकर बैठ गयी। और बस चल पड़ी।

राहुल: कोमल, ये टूर हम सबक िज दगी का एक यादगार टूर बनने वाला है। तुम दे खना कतना मजा आएगा वहां। उसने
क ते अपना एक हाथ आगे बढाकर मेर जांघ पर रख दया और उसको सहलाने लगा। म मंद ह मंद मु कुराने लगी।
दरअसल जब से पक नक का ो ाम बना था तभी से मने मन म टूर पर होने वाल चुदाई के ो ाम बनाने शु कर दए
थे, राहु ल के साथ बैठकर मेर चूत के अ दर का पानी बूंदे बनकर बाहर क तरफ बहने लगा, मने अपनी एक टांग को दस
ू र
टांग पर चड़ा दया और उ ह आपस म घसने लगी। राहुल ने ये सब दे ख लया था। उसने अपना हाथ खसकाते हुए मेर
दोन टांगो के बीच डाल दया, मने भी अपनी दांयी टांग थोड़ी सी उठाई और उसके हाथ को बीच म फंसा कर वा पस नीचे
रख ल ।

अब उसक सार उँ ग लयाँ मेर भ ी के बीच फंसकर उसक गम और नमी को महसूस कर रह थी। मेर साँसे तेज होने
लगी थी। बस म सफ आगे वाल लाइट जल रह थी। पीछे क तरफ पूरा अँधेरा था। मेरे आगे वाल सीट पर जो जोड़ा बैठा
था उनके सर आपस म मल चक
ु े थे और वो दोन मच
ू कर रहे थे, िजसक आवाजे मझ
ु े और राहु ल को पीछे तक सन
ु ाई दे
रह थी, लड़क क स का रयां धीमी थी पर मुझे साफ़ सुनाई दे रह थी। िज ह सुनकर मेरे अ दर से भी तरं गे नकलने
लगी और मने राहुल के फंसे हुए हाथ के ऊपर अपना हाथ रखकर उसको मसलना शु कर दया। वो समझ गया क म भी
गरम हो चक
ु हूँ । उसक उँ ग लयाँ भी हरकत करने लगी।

मेर जींस का अगला ह सा पूर तरह से गीला हो चुका था। और शायद वो गीलापन राहुल क उँ ग लय ने भी महसस
ू कर
लया था।

106
मने अपना सर उठा कर इधर उधर दे खा क कोई दे ख तो नह ं रहा है न। सभी अपनी सीटो पर बैठे हु ए या तो ग पे मार रहे
थे, या फर अपने साथ के साथी के साथ चपक कर लगे हु ए थे, कुछ एक लोग ईयर फोन पर गाने सन
ु रहे थे और कुछ सोने
क को शश। कसी को भी दस
ू र सीट पर या हो रहा है इस बात से मतलब नह ं था। मझ
ु े मालम
ु था क चलती बस म
चुदाई होना तो असंभव है पर बाक के मजे तो लए ह जा सकते ह। मने राहुल क आँख म दे खा, उसके ह ठ पूर तरह से
गीले थे, जैसे मझ
ु े ह बल
ु ा रहे हो। मने अपना चेह रा आगे कया और अपने शराबी ह ठ उसके मदाना ह ठो के ऊपर रख कर
उसे अपना शबाब पलाने लगी।

उसक अधीरता इतनी यादा थी क मेरे ह ठ चूमते-2 उसका दूसरा हाथ मेर े ट पर आकर उ ह मसलने लगा और और
मेर चूत के ऊपर वाला हाथ और तेजी से हलने लगा। मेरे मह
ुं से एक जोरदार ससकार नकल गयी। और वो इतनी
जोरदार थी क बस क आवाज के बावजद
ू आस पास क सीट पर बैठे हुए लोगो को साफ़ सन
ु ाई द । पर वो भी ये सब कर
रहे थे इस लए कोई कुछ न बोला। बस दबी हुई हं सी क आवाजे आई। मने अपने आप को संभाला। राहु ल ने भी अपने हाथ
पीछे कर लए थे और बोबा ब चा बनकर बैठ गया जैसे कुछ हु आ ह न हो। पर थोड़ी दे र बाद ह उसका हाथ फर से मेर
तरफ खसक आया और फर से वह हरकत करने लगा।

मने धीरे से कहा: आराम से करो जो करना है। और हद म रहकर करना। कुछ यादा नह ं हो पायेगा यहाँ।

उसने हाँ म सर हलाया। अब उसके हाथ मेर े ट को मसल रहे थे। मने िजपर वाला जेकेट पहना हुआ था और उसके नीचे
सफ ा। उसने िजपर को नीचे कर दया और मेर े ट के ऊपर से उ ह मसलने लगा। एक कप को नीचे करके उसने मेरे
न पल को बाहर खींच लया और उसे भी बेदद से मसलने लगा। वो जानता था क मेरे न पल को जोर से मसलने पर म
कतना उ तेिजत हो जाती हूँ । और हुआ भी बलकुल ऐसा ह । मने उसके हाथ को पकड़कर अपनी छाती पर जोर से दबा
दया। और अपनी दस
ू र े ट भी बाहर नकाल कर उसके हाथो म थमा द । अब तो वो बदहवास सा हो गया। ा के हुक
पीछे क तरफ थे और आगे क तरफ से एक मोटे े प से दोन कप बंधे हुए थे। उसने उसे खींच कर फाड़ दया। मेरे मु मे
आजाद हो गए।

और मेर ा के कप दोन तरफ लटक गए। पर मझ


ु े उसक बदहवासी, जंगल पन, उतावलापन। सब अ छे लग रहे थे इस
समय। मने अपने ह ठ आगे कये और उसके ह ठो से लगा कर उसे फर से दे सी शराब पलाने लगी। ा फटने क वजह से
मेर े ट साफ़ दखाई दे रह थी। अगर कोई हमारे पास आकर खड़ा हो जाए तो उसे साफ़ दखाई दे गा क म ऊपर से
लगभग नंगी हूँ।

उसने कुछ सोचा और फर वो एकदम से खड़ा हुआ और बस सीट के ऊपर वाले ह से म रखे हुए अपने बेग से एक शाल
नकाल ल । और अपने साथ-2 मेरे ऊपर भी ओढ़ कर हमारे िज म को ढक लया। अब ठ क था, कोई भी आये, उसको कुछ
नह ं दखने वाला था। मने पूर िजप खोल द अपनी जेकेट क । और अपनी मोट -2 छा तय को पूरा नंगा करके उसके भख
ू े
हाथो के आगे परोस दया। बस तेजी से चल जा रह थी। रह रहकर कह ं से कोई ससकार या कस करने क आवाजे आ ह
जाती थी।

फर अचानक राहुल को ना जाने या सझ


ु ा उसने अपना सर शाल के अ दर घस
ु ा दया और अपना मह
ंु सीधा मेर े ट के
ऊपर लाकर मेरे दांये मु मे को अपने मह
ुं म दबाकर उसे चूसने लगा। अ हउ म। मेरे मह
ुं से ठं डी, ल बी और
धीमी सी आह नकल गयी। मेर गदन ह थी बस शाल के बाहर, राहुल अ दर था। और उसका पूरा शर र भी शाल के अ दर
ह था।

मेर आँखे बंद होती चल गयी। पक नक पर जाते हुए, पहले ह घंटे म मुझे मजे मलने शु हो जायगे। शायद यह सोचा
हुआ था मने। मने अपना हाथ उसके सर के पीछे लगाकर अपनी और चपका लया और उसे बड़े ह यार से सहलाते हुए
अपना दूध पलाने लगी। उ म राहु ल अ ह। म मम। मुझसे क नह ं गया। मने भी अपना सर शाल के अ दर
घुसाना और उसके चेह रे को ऊपर उठा कर अपने रसीले ह ठो से उसके ह ठ चूस लए। अ हओ फ़् ।

107
उसे शायद मेरे ह ठो के रस से यादा, मेरे न पलस से नकलता हुआ शहद पसंद आया था। वो फर से नीचे क तरफ
खसका और उस शहद को चाटने और चस ू ने लगा। उसका एक हाथ खसक कर मेर जींस तक पहुं चा और धीरे से उसने
उसका बटन खोल दया।

मेरा दल धक् से रह गया।

मने धीरे से कहा- ल स राहुल, वो मत खोलो, यहाँ पो सबल नह ं होगा। पर वो नह ं माना, शायद मेर मना करने म यादा
जोर नह ं था। उसने िजप को भी खोल दया, और अपना एक हाथ अ दर डाल दया। अ ह स ् स उसक
ठं डी उँ ग लयाँ सीधा मेर पट के अ दर जाकर गम और रसील चूत से जा टकराई। मेरे पूरे शर र म सहरन सी दौड़ गयी।
मने उसका हाथ पकड़ लया। और उसको और जोर से अपनी चूत के ऊपर दबा कर अपने नत ब उठा दए। ओ
राहुल, यु आर क लंग मी स ् स।

मेर उठ हुई गा ड का फायेदा उसने उठाया और मेर जींस को नीचे से पकड़ के खींच दया। वो मेरे घुट न तक आ गयी।
उसके चेरे पर मेर चूत से नकलती हुई गंध आ टकराई। जो धीरे -2 मेरे नथुन तक भी पहुं ची। और फर पूर बस म फ़ैल
गयी।

आगे बैठे हुए एक मनचले क आवाज आई, "लगता है कसी के गोडाउन का दरवाजा खुल गया है। हा हा…” दो दो त आपस
म हं सने लगे, साले कमीने, ये लड़के कतने गंदे होते ह, सब जानते ह, चूत क मेल उ ह दूर बैठे ह आ गयी, और अब
उसका मजाक भी उड़ा रहे ह, साले कु ते। मने मन ह मन उ ह गाल द । पर तभी मेरे मह
ंु से एक और चीख नकलते-2
बची। राहु ल ने अपना मह
ुं मेर चूतके ऊपर लगा दया था। मने अपने हाथ क उँ ग लयाँ अपने मह
ुं म ठूस ल और चीख को
नकलने से बचाया।

अब उसक जीभ मेर चूत पर अपना कमाल दखा रह थी। शाल खसक कर मेर े ट को नंगा कर रह थी। पर अँधेरा
इतना था क मने शाल को वा पस ऊपर करने क जहमत नह ं उठाई। मेरा एक हाथ मेर े ट को मसल रहा था और दस
ू रा
उसके सर के बालो को सहला रहा था। मेरे ह ठो से एक लार नकल कर मेर े ट पर जा गर और मने उस लार को समेट
कर अपने न पल के ऊपर लगा दया और उसक मसाज करने लगी। मेरे अ दर एक तूफ़ान ज म ले रहा था। िजसे राहु ल
क जीभ खोद खोदकर बाहर आने पर मजबूर कर रह थी। मने अपने पैर सामने वाल सीट के बीच म फंसा दए और मेर
चूत थोडा और ऊपर हो गयी।

अब वो आराम से उसका सेवन कर पा रहा था। मने उसके मंह


ु को अपनी चत
ू पर जोर से घसना शु कर दया। और ज द
ह अ दर का लावा एक जोरदार झटके के साथ बाहर क तरफ उछला। और मने उसके खुले हुए मह
ुं को अपनी चूत के आगे
लगा कर वो पचकार बाहर फेलने से बचायी। और उसने भी आ ाकार लवर क तरह मेर चूत का सारा ना रयल पानी पी
लया। अ ह ऒ फ़ राहु ल…

मेरे मुंह क दबी हुई स का रयां उसे मजबूर कर रह थी और जोर से चूसने और चाटने के लए। जो क उसने कया भी।
और अंत तक कया। जब तक क वहां रस क एक बँद ू न बची। मने जबरद ती उसको ऊपर खींचा और धीरे से कहा। बस…
बस मेर जान, और सहन नह ं होता अब। और फर मने उसके गीले मह
ुं को अपने मह
ुं को गर त म ले लया और अपने
रस का पान उसके ू करने लगी।

मेरा हाथ उसके खड़े हुए ल ड को सहला रहा था। मुझे मालुम था क अब या करना है मुझे। …P121-124…

मेर आँख म दे खते हुए उसके फेस के ए स ेशन ऐसे थे मानो मझ


ु े वह ं चोद दे गा। पर राहु ल भी जानता था क उसके लए
ऐसा करना मिु कल होगा वहां। ये ल ड -चूत का खेल ह ऐसा है। अकेले म ह खेलने म मजा आता है, ता क दोन तरफ से
खुलकर मजा लया जा सके। मने अपनी चूत के रस को इक ा कया और राहुल के खड़े हुए ल ड के ऊपर मलने लगी, मानो
तेल क मा लश कर रह हूँ म।

108
मने एक नजर चार तरफ दौडाई। कोई नह ं दे ख रहा था हमार तरफ। मने अपना सर शाल के अ दर डाला और उसके क़ुतुब
मीनार को अपने मह
ंु क सरु ं ग के अ दर समेट लया। म् म उसके मह
ंु से नकलती ठं डी और तीखी ससकार
मझ
ु े और तेजी से चूसने को मजबूर कर रह थी। मझ ु े अपने अ दर ये शि त हमेशा महसस
ू हुई है क मेरे मह
ुं के अ दर
जाने से कैसे म लडको क सी टयाँ बजवा दे ती हूँ।

राहुल के हाथ मेरे बाल को पकडे हुए मझ


ु े ऊपर नीचे कर रहे थे। मने उसके ल बे ल ड को पूरा नगल लया और वो अब
मेरे गले के सामने क दवार पर ट कर मार रहा था। मझ ु े एक दफा तो ऐसा लगा क मझ ु े उलट हो जायेगी। पर फर मने
ल बी सांस लेकर उसको थोडा एडज ट कया। अब म उसको अ दर तक चूस भी पा रह थी और ढं ग से सांस भी ले पा रह
थी। म हर बार कुछ न कुछ नया सीख ह लेती हूँ।

तभी राहु ल धीरे से फुसफुसाया- कोमल, कोमल वो… वो द पा आ रह है उठकर।

मने झ ला कर सोचा- अब इसक चूत म या खुजल मची है। पर मने ल ड चूसना नह ं छोड़ा।

तभी द पा क आवाज आई: अरे राहुल, कोमल कहाँ है।

राहुल मिु कल से बोल पाया: वो… वो यह है, इसको नींद आ रह थी। और ठ ड भी लग रह थी। इस लए मने शाल डालकर
अपनी गोद म लटा लया। अगर कोई और जगह होती तो उसके बोलने के लहजे से साफ़ पता चल जाता क कुछ गड़बड़ है।
पर बस के शोर म सब नामल ह लगा उसको।

द पा: बड़ी ज द थी इसको सोने क । म। और वो भी गोद म तु हार , मजे है तु हारे तो, आराम से बैठ पा रहे हो तुम,
हूँ… उसके पूछने के लहजे म एक शरारत पन था और हलक हं सी क झलक भी।

राहुल: तभी तो, म सो नह ं पा रहा हूँ। कोमल जैसी लड़क के इतनी पास आकर कौन भला सो सकता है। वो बड़ी मिु कल से
बोल पा रहा था। उसका ल ड जो था मेरे मह ुं म।

पर वो साल द पा भी छोड़ने के मूड म नह ं थी। वो बोल : अ छा जी, ऐसा या है कोमल म जो आप हमेशा उसके द वाने
हुए रहते हो।

साल , मेरे सामने, मेरे बॉय ड पर लाईन मार रह है। अपने राजपूत के पास य नह ं जाती। पर हम दोन सहे लय ने
ऐसा कभी सोचा भी नह ं था। हमने कौनसा इनके साथ शाद करनी है, जो हम जलन होगी। इस लए उसक बाते सन
ु कर
मुझे मजा भी आ रहा था। और वो भी मजे ले रह थी, य क राहु ल पहले भी उसके ऊपर ाई कर चुका था और द पा भी
उसको मेड म के घर पर चुदाई करते हुए दे ख ह चुक थी।

द पा क बात सन
ु कर राहुल बोल: ऐसा नह ं है, तम
ु ह दस
ू र पाट म जाकर बैठ हो। वना बात तो तम
ु मे भी कुछ ख़ास है।
दस
ू र पाट यानी राजपूत, और पूरा कॉलेज जानता था क दोन म छ तीस का आंकड़ा था।

द पा: ले कन जब से तु हे दे खा है न, मेडम के घर पर उनक सेवा करते हुए, तब से हम तो आपके फेन हो गए है जी। बस


इस लए कोमल से कभी कभार जलन होती है।

मने द पा को दो दन पहले हुए क टन के खुलासे के बारे म बता ह दया था। और राहुल भी जानता था क उस दन मेरे
साथ द पा भी थी, मेड म के घर पर, इस लए उसको कोई शॉक नह ं लगा।

राहुल: ठ क है, अगर ऐसा है तो ये पक नक पर कोई उपाय ज र नकालूँगा आपक सेवा करने का।

द पा: दे खते है। वो धीरे से हं सी और चल गयी।

उसके जाते ह मने अपना सर हलाकर फर से उसका ल ड चूसना शु कर दया। और तूफ़ान तो बन ह चुका था अ दर,
इस लए यादा मेह नत नह ं करनी पड़ी। और ज द ह उसके ल ड का सारा रस नकल कर मेरे मह
ुं म जाने लगा, और म
सफ़ेद रस क यासी, सारा का सारा पी गयी, और फर मने अपना चेह रा बाहर नकाला।
109
राहुल क आँखे बंद थी और वो गहर साँसे ले रहा था। अपने ओगा म से उभरने क को शश कर रहा था वो।

मने धीरे से कहा: मजा आया…

राहुल: हूँ…

मने उसको छे ड़ने के अंदाज म कहा: अभी तो द पा का भी ऑफर है तु हारे पास।

राहुल: अब तुम दोन सहे लयां हो ह ऐसी।

मने कुछ नह ं कहा और अपने कपडे सह करने लगी। उसने भी ल ड को अ दर कया और सामने लटक बोतल से पानी
पीने लगा। मने माँगा तो उसने अपना पानी से भरा हु आ मुह
ं आगे कर दया। मने भी उसके मुह
ं से मुह
ं लगाया और उसने
पानी मेर तरफ छोड़ दया। और मने पी लया।

म उठने लगी, तो राहु ल ने पुछा: या हु आ, कहाँ जा रह हो।

म: बस अभी आई, द पा से पूछकर आती हूँ, या काम था।

म चलती हुई बस म हलती डु लती उसके पास पहुंची। वो राजपूत के साथ बैठ हु ई थी। और दोन बाते कर रहे थे। द पा
खड़क वाल सीट पर थी।

म: या हुआ, कुछ काम था या।

द पा ने मुझे दे खा और बोल : अरे कोमल, अभी तो तू गहर नींद म थी।

म: हाँ, बस अभी नींद खुल तो राहु ल ने बताया क तू आई थी। बोल।

द पा: कुछ नह ,ं वो तेरा ईयर फ़ोन चा हए था। पर तू सो रह थी न इस लए वा पस आ गयी।

बाते करते-2 मने अपनी चूत वाला ह सा जो क अभी तक काफ गम फक रहा था, राजपूत के कंधे से लगा दया और
चलती हुई बस के ध को क लय म अपनी कमर हलाने लगी। और उसके कसे हुए कंधो क रगड़ से अपनी चूत को गम
दे ने लगी। दरअसल, म तो सफ बदला लेने आई थी, वो मेरे बी ऍफ़ पर लाईन मारकर गयी थी। इस लए म भी आई थी।
ु े घ से लगाते हुए दे खकर वो साफ़ समझ गयी क म या कर रह हूँ, पर कुछ बोल नह ,ं बि क होले से मु कुरा
और मझ
द।

दस
ू र तरफ राजपूत का चेह रा भी अपने ए स ेशन बदलने लगा, उसने शायद सोचा नह ं था क म ऐसा क ँ गी, और वो भी
उसक बे ट ड के सामने। पर मेरे यादा हलने से उसको अंदाजा हो ह गया क म ये सब जान बझ
ु कर कर रह हूँ। मने
द पा के साथ बाते करना चालू रखा। और अपनी चूत क घसाई भी। मेरे अ दर एक और ओगा म ज म लेने लगा था।
द पा भी ये बात जानती थी। इस लए उसने भी इधर उधर क बाते, पक नक के इं तजाम क बाते वगेरह-2 पूछनी जार
रखी।

मेर आँखे बोिजल होने लगी। और मेर आवाज भी लडखडाने लगी। राजपूत क मांसल बाजओ
ु ं का तनाव महसस
ू करके
मझ
ु े उसक ताकत और मदानगी का एहसास हो रहा था। म सोच रह थी क इसक बाजू पर घसाई से इतना मजा आ रहा
है तो इससे चुदने म कतना आएगा।

मेर जींस के आगे वाला ह सा इतना गम और गीलेपन क वजह से नम हो चुका था क कोई भी दे खे तो साफ़ बता सकता
था क मेरे अ दर का लावा बाहर रस रहा है। और सबसे मजेदार बात ये थी क म िजससे मजे ले रह थी, उसके साथ मने
अभी आकर बात तक नह ं क थी। वो भी जानता था क म उसके दु मन क जी ऍफ़ हँू । वो राहु ल से थोडा कठोर था। राहु ल
को तो द पा ने तैयार कर लया था। पर इसको अपने लए तैयार करना थोडा टे ड ा काम था। पर मजे पूरे दे रहा था ल डा।
और फर उसके कंधे का कड़ापन और मेरे घ से रं ग लाये और मेर चूत ने हलक पच क आवाज के साथ अपना रस छोड़
दया। ये भी एक अलग ह अनुभव था मेरे लए।
110
म एक दो और बाते करके वा पस अपनी सीट तक आई और अपने हड बेग से ईयर फोन नकाल कर वा पस ले गयी और
द पा को दे दया। तब तक राजपत
ू काफ गम हो चक
ु ा था। शायद मेर वजह से और उसने द पा का हाथ पकड़ कर चम
ू ना
शु कर दया था।

मने उसको ईयर लग दया और वा पस आ गयी। ये सोचते हुए क अब तो द पा क खेर नह ।ं …P125-127…

आगे क कहानी, द पा क जुबानी

**** द पा ***
************
जब से म बस म आकर बैठ थी, मेर चूत म अजीब तरह क खुजल हो रह थी। म चाह रह थी क राजपूत कुछ करे मेरे
साथ पर वो बेकार क बाते करने म लगा हुआ था। मने एक दो बार अपनी े ट उसक बाजू से रगड़ी और उसका हाथ
पकड़ना चाहा तो उसने मझ
ु े ये कहते हुए चुप करा दया क कोई दे ख लेगा। उसको शायद सामने वाल सीट पर बैठ
ं सपल मेडम क चंता थी।

पर वो शायद नह ं जानता था क उनसे डरने क कोई ज रत नह ं है। इस लए मने उसको और भड़काने के लए अपनी सीट
से उठ कर कोमल के पास जाने का बहाना बनाया ता क बाहर नकलते हु ए म अपनी चूत से नकल रहे रस क खुशबु उसके
चेह रे के सामने से लेजाकर बाहर नकलू ता क वो भी महसस
ू कर सके क मेरे अ दर या चल रहा है। मेरे अ दर जाने और
वा पस आने के बाद भी उसके अ दर कोई प रवतन नह ं आया। मुझे लगा क शायद ये रात ऐसे ह नकल जायेगी। वहां
कोमल कैसे मजे से राहु ल के ल ड के पास मह
ुं लगा कर सो रह थी। हो न हो, वो ज र शाल के अ दर उसका ल ड चूस रह
होगी।

म ये सब सोच ह रह थी क कोमल आकर खड़ी हो गयी, उसके चेह रे क लाल बता रह थी क जो भी म उसके और राहुल
के बारे म सोच रह थी, वो सच था। इ फे ट, उसके ह ठो के पास सफ़ेद रं ग का एक कतरा (जो शायद राहु ल के ल ड से
नकले रस का था) चपका हुआ था, और आने के बाद वो राजपूत के कंधे से अपनी चूत को रगड़कर िजस तरह से मचल
रह थी, मझ
ु े साफ़ महसस
ू हो रहा था क वो अपनी चूत से पानी नकालने क फराक म है, साल म कतनी ह मत है,
पहले तो वो राहु ल के ल ड को चूस कर आई और अब मेरे वाले के साथ भी मजे ले रह है। वैसे ये अ छा ह है, शायद इसी
बहाने राजपूत गम हो जाए और मझ
ु े कुछ मजे करने को मल जाए। इस लए मने कोमल के साथ हं स कर बाते करना शु
कर दया।

और ज द ह उसके चेह रे पर आती हुई संतुि ट दे खकर मझ


ु े अंदाजा लगना शु हो गया क उसका काम तो हो गया है।
और उसके बाद मने राजपत
ू के ल ड क तरफ दे खा जो अपना त बू फाड़कर बाहर आने को तैयार था। मेरा काम कतना
आसान कर दया इस कोमल ने। म ऐसे ह इसको बुरा भला कह रह थी। और उसके जाते ह राजपूत ने मेरे हाथ को पकड़ा
और उसे चूमना शु कर दया। इतनी दे र म कोमल ईयर फोन वा पस लेकर आई और मझ
ु े दया, उसके आने के बाद भी
राजपत
ू ने मेरे हाथ को नह ं छोड़ा और उसे चम
ू ना चाटना जार रखा। कोमल हं सती हुई वा पस चल गयी और जाते-2 मझ
ु े
आँख भी मार गयी।

उसके वा पस जाते ह मने अपने हाथ क उँ ग लयाँ आगे कर और राजपूत उ ह बेस ी से चूसने लगा। मेरे हाथ क ल बी
और पतल उँ ग लयाँ िजसके नाख़ून भी काफ ल बे थे, उसके गम मह
ुं म थी। मने अपना सर उसके कंधे पर रखकर अपने
हाथ को आगे पीछे करके उसके मह
ुं को अपनी उँ ग लय से चोदना शु कर दया। स् स ओ ह। उसके मुंह से
खींचने के बाद मेर उँ ग लय पर उसक लार क चमक साफ़ दखाई दे रह थी। पूर बस म अँधेरा था। और मने इस बात का
फायेदा उठाया। और अपनी एक टांग उठा कर उसक जांघ के ऊपर रख द । और मने अपना चेह रा उसक तरफ कर दया।
मेर दोन छा तयाँ उसके कंधे से चपक कर बुर तरह से प स रह थी। और मने भी अपनी छाती को हला- हलाकर अपने
न पलस के चार तरफ हो रह खुजल को उसक ब ल ट बाजओ
ु ं से मटाने का काम शु कर दया।
111
उसने इधर उधर दे खा और फर एकदम से मेर तरफ चेह रा घुमाकर मेरे ह ठो पर अपने ह ठ रख दए। अ ह
म मम। काश समय यह ं ठहर जाए। इतनी रोमां टक क स मने आज तक नह ं क थी। कतनी मठास थी इसम,
कतनी कसक थी, कतनी ललक थी और ना जाने या या।

म तो बस खो सी गयी उसमे।

उसके मदाना ह ठो ने मझ
ु े चुभलाना शु कया। और मेरे रे शमी ह ठो को कसी चकन के पीस क तरह खाने का मजा लेने
लगा। मेरे ह ठो से नकलता रस सीधा उसके गले से उतर कर अ दर जा रहा था। मने हाथ आगे कया और उसके उफनते
हुए ल ड के ऊपर रखकर उसे जोर से दबा दया। उसका असर सीधा मेरे ह ठ पर हो रहे हमले पर हु आ, वो और तेजी से उ ह
काटने और कसोटने लगा। मझु े तो ऐसा लग रहा था क आज वो मेरे ह ठो को खा ह जाएगा।

मेर चूत का बुरा हाल था। मने अपनी चूत के घ से उसक टांगो पर लगाने शु कर दए। उसके हाथ सीधा मेर जींस क
बे ट पर आये और उ ह खोलने लगे। …P128…

मने भी उसक हे प क और ज द ह मेर जींस मेरे पैर के पास गर पड़ी थी। मने अपनी पट भी उतार फक । कोई दे ख
ले तो साफ़ पता चल जाएगा क म नीचे से नंगी होकर बैठ हूँ । पर इतनी रात और अँधेरे का फायेदा उठा कर ह मने इतना
बड़ा र क लया था। राजपूत ने फर से उठ कर इधर उधर दे खा। सब सो रहे थे। और मने मेडम क तरफ दे खा, वो भी
गहर नींद म थी और उनके साथ बैठे हु ए संह सर भी अपनी आँख पर आई कवर लगा कर खराटे मार रहे थे। कोई खतरा
नह ं था। उसने अपने चुतड उठाये और अपनी जींस भी खोलकर नीचे कर द । और अपने खड़े हुए ल ड को अपने हाथो से
मसलने लगा।

वाव… कतना रोमांच था इस सब मे। चलती हुई बस म, म नीचे से नंगी होकर अपने यार के साथ मजे ले रह थी। उसने
मेरे सर को पकड़ा और अपने ल ड के ऊपर टका कर अपना ल ड मेरे मह ुं म धकेल दया। अ हओ ह द पा।
उसके मह
ुं से हलक सी ससकार और मेरा नाम नकल गया। मने भी उसके ल ड को बुर तरह से चूसना और चाटना शु
कर दया।

उसक कसी हुई नसे और स का रय से मझ ु े अंदाजा लगना शु हो गया क वो ज द ह झड़ने वाला है । मने अपनी चूत
के ऊपर अपनी उँ ग लयाँ तेजी से फरानी शु कर द । पर तभी मेर चूत से नकल रह कसमसाहट और मेरे अ दर से
नकले एक अजीब से साहस ने मझ
ु े उसके ल ड को चूसने से रोक दया। वो बेचारा है रान परे शान सा होकर मझ
ु े दे खने
लगा। वो झड़ने ह वाला था। पर मने अपना मह
ुं वा पस ऊपर खींच कर उसे ला ट मनट म रोक दया। मने उसक आँख
म दे खते-2 ह अपनी चूत को रगड़ना चालु रखा। और फर मने उसके ह ठो को चूम लया। वो भी मेर क स के नशे म खो
सा गया और मेर मोट छा तय को मसलने लगा।

और फर अचानक।

मने अपनी एक टांग उसक गोद म रखी और उसक तरफ मह


ंु करके उसक गोद म आ चडी। वो मेर ह मत दे खकर दं ग
रह गया। मेरे हाथ उसक सीट के ऊपर वाले ह से म थे और उसक गोद म चड़ने क वजह से म थोडा ऊँची भी उठ गयी
थी। और पीछे बैठे हुए सभी लोगो को साफ़-2 दे ख भी पा रह थी। सभी सो रहे थे। उसका खड़ा हु आ ल ड मेर गा ड पर
ठोकर मार रहा था।

वो धीरे से बोला: पागल हो गयी हो या… कोई दे ख लेगा।

मने उसके ल ड को पकड़ा और अपनी चूत के मह


ुं ाने पर रखा। और उसके कान म धीरे से कहा। मुझे कोई फक नह ं पड़ता।
आई वांट यूर कोक नाव। और इतना कहते ह म उसके खड़े हु ए ल ड के ऊपर बैठ गयी। अ ह स म म म
उ म ् म। ये स स स। अ ह। माय गॉड। अ ह। मने उसके कड़े ल ड को पूरा अपनी चूत म उतार लया।
उसे अ दर तक महसस
ू कया।
112
अब तो कोई दे ख भी ले तो मझ
ु े कोई फक नह ं पड़ता। मेर चूत म आग सी लगी हुई थी। िजसे सफ और सर्फ राजपूत का
ल ड ह बझ
ु ा सकता था। मेरे गीले ह ठ उसके कानो के पास आकर ससक रहे थे। उ ह चाट रहे थे। गीला कर रहे थे। उसने
भी सोचा, क अब जो होगा दे खा जाएगा, और अपने हाथ नीचे से मेर ट शट के अ दर डाल दए। और मेर ा को ऊपर
करके मेरे मु मे अपने हाथो से दबा दबाकर उनका मदन करने लगा। अ ह र पॊत सक दे म। सक इट। मने उसके
बाल पकडे और उसका चेह रा अपनी छाती के ऊपर दबा दया। उसका चेह रा मेर छाती से नीचे था। उसने अपना चेह रा मेर
ट शट के अ दर डाल दया।

ट शट े चएबल थी, उसका बड़ा सा सर आसानी से अ दर समां गया। और उसके यासे ह ठ सीधा जाकर मेरे जामुन जैसे
न पलस को अपने मह
ुं म लेकर चूसने लगे। म् म ओ ह माय बेबी। मने धीरे -2 उसके ल ड के ऊपर उठना
बैठना शु कर दया। आज म बना आवाज के, आराम से उसके ल ड पर बैठकर चुद रह थी। और इसम मझ
ु े काफ मजा
आ रहा था।

उसने अपनी एक ऊँगल मेर गा ड के छे द पर लगा द । मेर चूत के अ दर ओगा म का नमाण होने लगा। वो कु तो क
तरह से मेर छा तय को अपनी लार से गीला कर रहा था, उ ह चाट रहा था, उ ह काट रहा था, लाल नशाँ बना रहा था,
मेरा पूरा शर र कांपने सा लगा। और जैसे ह उसक ऊँगल मेर गा ड के छे द के पूरा अ दर घुसी, और उसके दांत ने मेरे
दांये न पल को पकड़ कर जोर से चुभलाया। मेरे अ दर का वालामुखी, मेर चूत के मुह
ं ाने से नकलकर उसके पवत जैसे
ल ड के ऊपर फुट पड़ा। और मेर चूत से नकले लावे म इतनी गम थी क उसका ल ड भी पघल गया और उसने भी
अपना रस बाहर फकना शु कर दया।

दोन के रस का संगम हो गया मेर चूत के अ दर ह । अ हउ फ़् फ़ म ् म। उसने मेरे मु मे पर अपने


दांत गड़ाकर अपनी चीख बाहर नकलने से बचायी। और मने अपने हाथ को अपने मुंह म डालकर। इतना मजा आज तक
नह ं आया था मझ
ु े अपनी चद
ु ाई म।

काफ दे र तक म ऐसे ह बैठ रह । फर मने अपने बेग से हड टावल नकाल कर दया उसको। उसने मेर चूत और अपने
ल ड को साफ़ कया। और म वा पस अपनी सीट पर आकर बैठ गयी। शु है, कसी ने नह ं दे खा मझ
ु े। चुदाई करते हुए।
और मझ
ु े कब नींद आ गयी, मझ
ु े पता ह नह ं चला। पर मेरा सोचना कतना गलत था। क कसी ने नह ं दे खा मझ
ु े। शायद
दे ख लया था। …P129-132…

और ये दे खने वाल कोई और नह ं अंजू मेडम थी। जैसा क मने पहले ह बता दया था क अंजू मेड म जॉन के साथ बैठ थी,
जो क द पा क सीट के दस
ू र तरफ थी। यानी, ं सपल मेडम के बलकुल आगे वाल सीट पर। और अंजू मेडम बाहर क
तरफ बैठ हुई थी, जब उ ह ने अपना सर पीछे कया तो उ ह ने चोर आँख से दे खा क राजपूत का सर अ दर बैठ हुई
द पा क तरफ झुक हु आ है और वो उसे चूमने और चाटने म लगा हुआ है। काफ अँधेरा था बस म। पर गौर से दे खने म सब
समझ म आ रहा था क कौन कसके साथ या कर रहा है।

राजपूत ने और द पा ने सफ ि सपल मेडम क तरफ ह दे खकर तस ल कर ल थी क वो तो नह ं दे ख रह उ ह। पर


उ ह या मालुम था क अंजू मेडम क नजर उनक हर हरकत पर है। और अब आप सोच रहे ह गे क जब अंजू मेड म ने
उ ह आपि तजनक अव था म दे ख ह लया था तो उ ह ने एक ट चर का फज अदा करते हु ए उ ह गलत काम करने से
रोक य नह ं।

दरअसल, अंजू, िजनक उ लगभग 30 के आस पास है, वो अपने लव इन पाटनर अ ण के साथ रहती है। और पछले
एक ह ते से अ ण अपने ऑ फस के काम से बाहर गया हुआ था। और इस लए उसक चुदाई काफ दन से नह ं हुई थी।
और वैसे भी अपनी ट चर वाले लबास के अ दर उसने एक गम और बंद ास औरत छपा रखी थी, िजसका पता सफ उसके
चाहने वालो को ह था। वो बेड पर अपने हु न के जलवे दखाकर अ छे अ छो का पसीना नकलवा दे ती थी। और राजपूत
और द पा को दे खकर उसके अ दर क गम औरत और भी भड़क उठ और वो उनक तरफ ह मह
ुं करके बैठ गयी।
113
अपनी चोडी गा ड को उसने जॉन क तरफ कर दया। और उ ह ने राजपूत और द पा क पूर चुदाई का मजा लया। और
उनक चद
ु ाई को दे खते-2 ह अंजू मेड म ने अपनी प जामी का नाडा खोलकर अपना एक हाथ उसके अ दर डाल दया।

अब आगे क कहानी, अंजू मेड म क जुबानी।

**** अंजू मेडम ***


**************
ओ ह ये साले आजकल के टूड स कतने एडवांस हो गए है, कतनी बेशम से राजपत
ू के ल ड के ऊपर बैठ कर चद

रह है ये द पा। और कसी का डर भी नह ं है इन दोन को। काश अ ण होता मेरे साथ आज यहाँ बस म। तो शायद, शायद
म भी चलती बस म उससे, उससे अ ह। सोच कर ह कतना रोमांचक लग रहा है। मने अपनी उँ ग लय क घसाई
अपनी चूत के ऊपर और तेज कर द ।

तभी मझ
ु े अपने साथ बैठे हु ए जॉन का याल आया। दे खने म तो अ छा ख़ासा है ये लड़का। और जब से मेरे साथ बैठा है,
थोड़ी दे र बाते करने के बाद सो भी गया। मेरे मन म एक लान आया। य न जॉन को पटाया जाए। चार दन का टूर है।
और अगर टूर म ये सब ह चलता रहा तो म अपने आप पर कैसे कं ोल कर पाऊँगी। मेरा दमाग इतना गम हो चुका था क
मुझे अपने ओहदे और बदनामी का भी डर नह ं लग रहा था।

उनका कायकम ख़ म होने के बाद मने वा पस जॉन क तरफ करवट कर ल । अब मेरा पूरा यान उसके ल ड वाले ह से
पर था। मने कुछ दे र तक सोचा और फर अपनी आँखे बंद करके मने अपने िज म को जॉन क तरफ झुकाया। और अपनी
38 साईज क े ट को उसक बाजओ
ु ं से श करते हुए उसके कंधे पर सर टका कर सोने का नाटक करने लगी। वो अब भी
सो रहा था।

मने अपने सट
ू क चु नी भी गरा डाल और अपने सट
ू को नीचे खींच कर ल वेज दखाते हुए अपनी मोट े ट को चारे
क तरह इ तेमाल कया। और अपना आ खर वार करते हुए मने अपना एक हाथ उसक जांघ पर रख कर दबा दया। वो
एकदम से उठ गया अपनी गहर नींद से। और मझ
ु े अपने ऊपर गरा हुआ पाकर वो है रान परे शान सा हो गया। मेरा चेह रा
नीचे क तरफ झुका हुआ था। और अपनी अधखुल आँख से म उसक हर हरकत दे ख पा रह थी। जॉन ने गदन घुमा कर
चार तरफ दे खा।

शायद वो चेक कर रहा था क कोई मझ


ु े ऐसी हालत म उसके ऊपर गरे हु ए दे ख तो नह ं रहा है। पर सब सो रहे थे, इस लए
वो नि च त हो गया और अपने हाथ को सीधा अपने ल ड के ऊपर ले गया और उसे धीर दबाने लगा। और मेरे दे खते ह
दे खते कमाल होने लगा, उसके ल ड वाले ह से का उभार उजागर होने लगा और उसके ए डडास के पायजामे के अ दर
त बू सा बन गया। िजसे दे खकर मेर पारखी नजर ने उसके ल ड क ल बाई का अंदाजा लगा लया। सच म, काफ बड़ा
ल ड था उसका, शायद अ ण से भी बड़ा और मोटा।

मेरा मन तो कर रहा था क अपने पंज से नोच डालू उसके ल ड को, खा जाऊ, पी जाऊ उसके रस को। और… और डाल लू
अपनी रस बरसाती हु ई चूत के अ दर। म ये सोच ह रह थी क उसने अपनी तरफ से पहल कर डाल । मेरा फका हुआ चारा,
यानी मेर उफनती े ट को दे खकर उसका हाथ थोडा सा ऊपर आया और उसने हलके से उ ह सहलाया। और मेर तरफ से
कोई त या न होती दे खकर उसने उनपर अपने पंजो का जोर लगाया और मझ
ु े जझोरकर उठाने का यास कया और
धीरे से मेरे कान म कहा "मेडम, अंजू मेडम।”

वो शायद दे खना चाह रहा था क म कतनी गहर नींद म हूँ । और शायद उसके हसाब से ह वो अपना अगला मव
ू करे गा।
पर वो शायद नह ं जानता था क एक लड़क चाहे िजतनी भी गहर नींद म हो, उसके शर र पर अगर कोई हाथ फेरता है तो
वो चाहे कतनी भी गहर नींद म हो, उसक नींद खुल ह जाती है, और फर चाहे वो शम से, या फर मजे लेने क चाह म
शायद चुप रहे , वो उसके ऊपर है।
114
खैर, मुझे बेसध
ु सोता हु आ पाकर उसका ह सला बढ गया, और जो पंजा उसने मेर छाती पर लगाया हुआ था, उसक पकड़
और तेज होने लगी। मेरे न पलस, िजनका साईज काफ बड़ा है, उसके इस पश से उठ कर अपने परू े शबाब पर आ गए।
और शायद उसक हथे लय ने उ ह महसूस भी कर लया। िजसक वजह से उसने अपनी दो उँ ग लय से मेरे न पलस को
टटोला और उ ह अपनी गर त म ले लया। अ ह।

मेरे अ दर से एक ठं ड ी सी ससकार नकल गयी। पर मने उसे बाहर ना आने दया। उसने अपनी उँ ग लय से मेरे न पल
क मा लश करनी शु कर द । मेरा हाथ जो उसक जांघ पर था, उसने उसे धीरे से उठाया और अपने कड़क लण ्ड के ऊपर
रख कर धीरे से दबा दया। मेर उं ग लय ने उसके ल ड को चार तरफ से लपेट लया। और उसके मुह
ं से हलक सी
ससकार नकल गयी। अ ह म म म। ओ ह अंजू मेड म। और उसने और तेजी से मेर े ट को दबाना शु
कर दया। और फर उसने थोड़ी और डेय रंग क । मेरे सट
ू के अ दर क तरफ हाथ लेजाकर उसने नीचे से मेर े ट को
अपने हाथो म पूरा थाम लया। उसका बाँया हाथ मेर राईट वाल े ट के पूरा ऊपर था। और वो उसे धीरे -2 दबा रहा था।
फर उसने मेर े ट के कप को ऊपर कया और मेर दोन चू चयां अ दर से नंगी होकर उसके हाथो म पानी से भरे गु बार
क तरह उछलने लगी

मेर पकड़ अपने आप उसके ल ड के ऊपर तेज हो गयी। तभी उसके दमाग म कुछ और आया। और उसने मेरे हाथ को
अपने ल ड से परे कया, और अपनी गा ड उठा कर अपने पायजामे को नीचे खसका दया। और अब उसका फनफनाता
हुआ ल ड मेर आँख के सामने था। िजसे म अपनी अधखुल आँख से साफ दे ख पा रह थी। वो सच म काफ ल बा था।
तकर बन 7 इं च का। और मोटा भी, काले रं ग का। और उसका सप
ु ाड़ा अपने ह रस म नहाकर ह रे क तरह चमक रहा था।
मेरे तो मह
ंु म पानी आ गया, इतना शानदार और जानदार ल ड दे खकर। म अ ण के त काफ वफादार थी, पर ऐसी
सचुएशन म मझ
ु े पता नह ं या होने लगा था।

अब तो मने सोच लया था, चाहे जो भी हो, मझ


ु े अपने इस टूर म परू े मजे लेने है, कोई चाहे कुछ भी सोचे मझ
ु े कोई फक
नह ं पड़ता। और अपने ल ड को पूरा नंगा करने के बाद उसने मेरे हाथ को वा पस उठा कर अपने ल ड पर रख दया।
ऊ फ़ कतना गम ल ड था उसका। मेरा तो हाथ ह जल उठा। और उसके साथ-2 मेरा िज म भी। उसने अपने ल ड
पर मेरे हाथ क उँ ग लयाँ लपेट डाल और उसके ऊपर अपना हाथ लगा कर धीरे -2 ऊपर नीचे करने लगा। मन तो कर रहा
था क उसके ल ड को चूस डालू। बता दू क म सो नह ं रह । पर अपनी ट चर वाल मयादा को इतनी ज द लांघना नह ं
चाहती थी म। सब कुछ आराम से और ला नंग से करना चाहती थी। उसक आँखे बंद थी, सर ऊपर क तरफ था। और मेरे
हाथ के ऊपर उसका हाथ और उसका दस
ू रा हाथ मेर े ट के ऊपर। थोड़ी मिु कल हो रह थी। पर वो मेनेज करने क
को शश कर रहा था।

पर तभी कुछ ऐसा हु आ िजसक उसने क पना भी नह ं क थी। मेरे हाथ को अपनी तरफ थोडा और खींचने के लए उसने
थोडा जोर लगाया और म सख
ू े प ते क तरह उसक गोद म जा गर । मेरा चेह रा अब उसके काले नाग से टकरा रहा था।
मेरे गाल के नीचे उसके ल ड के बाल थे, िजनक वजह से मझ ु े थोड़ी चुभन भी हो रह थी। पर उसके ल ड से नकलते हु ए
मादक रस क खुशबु के आगे वो चुभन मझ ु े अपना एहसास नह ं होने दे रह थी। म मदहोश सी होती जा रह थी। अगर वो
थोड़ी देर कुछ और न कर पाया तो मने अपनी मयादा का बंधन तोड़कर उसके ल ड को अपने मह
ुं म डाल लेना है। पर मेरा
काम उसने आसान कर दया।

उसने अपने हाथ से मेरे चेह रे को टटोला, मेरे ह ठो के पास आकर उसक उँ ग लय ने अ दर जाने का रा ता बनाया, और
जैसे ह मेरा मह
ंु ओ क शेप म खल
ु ा, उसने अपने ल ड को सीधा करके, मेरे मह
ंु के अ दर धकेल दया। मेरा मह
ंु उसके
ल ड से पूरा भर गया। और फर उसका दांया हाथ घूमकर मेर पीठ पर आया, और वहां से होता हु आ मेर गा ड तक। और
टटोलता हु आ मेर प जामी के अ दर घुस गया। उसे घुसने म कोई तकल फ नह ं हुई, य क मेरा नाड़ा तो पहले से ह
खल
ु ा हुआ था। और उसके हाथ क ल बी उँ ग लय ने ज द से मेर गा ड को पार करते हु ए, मेर चत
ू के ऊपर आकर अपना
धावा बोल दया। और एक ह बार म उसके हाथ क बीच वाल ऊँगल मेर गील चूत के अ दर तक घुसती चल गयी।

115
उ म् मअ ह। अब मेरे मुंह से एक ल बी ससकार नकल गयी। िजसे सन
ु कर उसका हाथ जहाँ का तहां रह
गया। और उसके ल ड ने भी हरकत करनी बंद कर द । शायद वो डर गया था। क मेर नींद खल
ु चक
ु है और अब उसक
खेर नह ं।

अब मझ
ु े ह कुछ करना था।

मने अपनी शम क चादर को फकते हुए, अपने मुंह क पकड़ उसके ल ड पर बड़ा द और अपनी चूत को दबा कर उसक
ऊँगल को अपने अ दर जोर से दबा डाला। अब उसे ये समझने म दे र नह ं लगी क म जाग गयी हूँ और मुझे भी ये सब
करने म और करवाने म मजा आ रहा है । उसने मेरे सर के ऊपर अपना हाथ और अपने ल ड पर मझ
ु े जोर से दबा दया और
मेरे म धीरे से कहा "ओ ह अंजू मेडम आप समझ नह ं सकती क आपने आज या कर डाला है।” वो पता नह ं या या
बोलता रहा, पर मेर मदहोशी क वजह से म बस उसके ल ड को चूसने म और अपनी चूत म उसक उं ग लय को महसूस
करके म ती के हचकोले लेती रह ।

फर अचानक उसके ह ठ मेरे कानो के ऊपर आकर धीरे से च लाये। अ ह अंजू मेम, आई एम ् क मंग। म मम। म
भी तैयार थी। मने और तेजी से उसके ल ड को चूसना शु कर दया। और उसने उतनी ह तेजी से मेर चूत के अ दर
अपनी चर उँ ग लयाँ पेल कर उसे चोदना शु कर दया। मेर चत
ू से रस क बोछारे सी नकलने लगी। और उसके ल ड से
भी। गाड़े मीठे रस क फुहार नकल कर मेरे मह
ुं म जाने लगी। उ म ्म। मजा आ गया।

ये टूर मेर िज दगी का एक यादगार टूर होने वाला है। …P133-134…

बस पूर रात चलती रह , और चलती रह उसके अ दर क म ती। कोमल क राहुल के साथ। द पा क राजपूत के साथ।
और जॉन क अंजू मेड म के साथ। और भी कई लोग म ती के आलम म डुबे हुए थे पर हर कसी का क सा बयान करने
बैठे तो ये बस क बले म पहुं चग
े ी ह नह ।ं

खेर… सुबह 7 बजे के कर ब बस क बले के पास पहूँच गयी।

रो हत के गाँव का ड राज िजसे उसने क बले म सारे इंतजाम करने को कहा था, वो पहले से ह वहां खड़ा हुआ था। जैसे-2
बस से सारे टूड स उतरते चले गए, उसक आँखे फट क फट रह गयी इतनी खुबसरू त लड कयाँ उसने अपनी िज दगी म
नह ं दे खी थी, अब उसे वशवास हो गया क रो हत ने जो भी बाते अपने कॉलेज के बारे म बताई थी वो सब सच थी।

आगे क कहानी, कोमल क जुबानी

*****कोमल ****
****************
रो हत ने मझ
ु से कहा- "कोमल, अब यहाँ से हम सबको पैदल ह आगे जाना है, बस वहां तक नह ं जा सकती…"

मने ं सपल मेम क तरफ दे खा और उ ह ने सहमती म सर हलाया। हम सभी ने अपना-2 सामान कंधो पर लादा और
कबीले क तरफ चल दए। का बले का रा ता घने जंगल और दो पहा ड़य के बीच से होकर जाता था जो तकर बन आधे घंटे
का था। सबसे आगे रो हत और उसका दो त चल रहे थे।

बड़ा ह शांत वातावरण था, चारो तरफ घने पेड थे, और मदम त खुशबु आ रह थी पेड पोधो क । मने नोट कया क रो हत
बार-2 मझ
ु े मड़
ु कर दे ख रहा है। और उसका दो त भी उससे बात करने के बाद मुझे ह दे ख रहा है , मझ
ु े ये तो अंदाजा हो
गया क वो दोन मेर ह बाते करके मझ
ु े दे ख रहे है, पर या बाते कर रहे है, वो मझ
ु े जानना था। थोडा आगे चलकर सभी
लोग थक गए, कसी को भी इतना चलने क आदत नह ं थी, इस लए सभी बैठ कर सु ताने लगे। रो हत और उसका दो त
राज एक पेड के नीचे बैठ गए। म चुपके से घूमकर उस पेड के पीछे चल गयी और उनक बाते सन
ु ने लगी।

116
राज: "यार सच म, इतनी खूबसरू त लड़ कयां तो मने अपनी लाईफ म भी नह ं दे ख। और वो जो तूने दखाई थी, कोमल, वो
तो कमाल क है। कतनी बड़ी-2 छा तयाँ है उसक । मन तो कर रहा है क इसके कपडे फाड़ कर उसका दध
ू पी जाऊ।”

रो हत: "अबे साले, चुप कर, अपना मह


ुं बंद रख। ये सब शहर क लड़ कयां है। तर के से मांगोगे तो खुश होकर दगी। और
अपना ओ छापन दखाओगे तो गा लया मलगी। वैसे उसका बॉय ड है । पर लड़क काफ चालु है। अगर ाई करगे तो
शायद मेरा काम बन जाए। और अगर मेरा बन गया तो तू भी मजे ले लेना। हा हा…”

मने मन ह मन सोचा ये साले लड़के हमेशा एक ह चीज के पीछे य पागल होते है। वैसे दे खा जाए तो ये बात हम
लड़ कय पर भी तो लागू होती है। अब मझ
ु े पता तो चल ह गया था क उन दोन के मन म मेरे लए या चल रहा है।
इस लए मने कुछ मजा लेने क सोची। म घूमकर वा पस पीछे गयी और दरू से उनक तरफ वा पस आई। वो मझ
ु े अपनी
तरफ आता हु आ दे खकर संभल कर बैठ गए। मने सफ ट शट पहनी हुई थी, उसके नीचे क ा को राहु ल ने बस म ह उतार
कर अपनी जेब म रख लया था। और गौर से दे खने पर कोई भी बता सकता था क मने ा नह ं पहनी हुई, म उनके सामने
जाकर बैठ गयी।

"अ छा रो हत, वहां नहाने के या इं तजाम है। मेरा मतलब…” मने बात बीच म ह छोड़ द ।

रो हत: "वो… वहां ऐसा कुछ नह ं है। कबीले के पीछे ह एक झरना है। सभी लोग वह नहाते है। हम सभी को भी वह ं जाकर
नहाना होगा। और बाक सार चीजे भी जंगल म ह करनी होगी।”

म उसक बात का मतलब समझकर मंद-2 मु कुराने लगी।

मझ
ु े मु कुराता हु आ दे खकर राज बोल: "कोमल जी, आप चंता मत क रए। ये जगह एकदम सेफ है। और मने सरदार को
बोलकर अ छे इंतजाम भी करवाए है। और जो थोड़ी बहुत कमी होगी, वो आप समझ ह सकती है क जंगल म हर सु वधा
मल नह ं सकती।”

राज क नजरे मेर बन ा क छा तय म से न पल तलाश रह थी। मने भी उसको मजा दे ने के लए अपने दोन हाथ
ऊपर कये और अपने बाल बाँधने के बहाने अपनी छा तयाँ उनक तरफ उभार द । और उ ह मेरे खड़े हुए न पलस के
सा ात दशन हो गए, भले ह ट शट के अ दर से ह , पर उनक आँख क चमक दे खकर मझ
ु े अपनी जवानी पर बड़ा गुमान
सा हु आ।

थोड़ी दे र आराम करने के बाद हम सभी कबीले क तरफ चल दए। अब रो हत और राज मेरे साथ ह ग पे मारते हुए चल
रहे थे। मेरा भी मन आ गया था उन दोन पर। अब कसी भी तरह इनके ल ड मझ
ु े चा हए ह थे। कर ब बीस मनट के बाद
हम लोग कबीले के अ दर पहूँच गए।

कर ब 100 के आस पास घर थे वहां। प क मटट से बनी द वारे और ऊपर से घांस डाल कर ढके हु ए, जैसे हमने कताबो
म या फ मो म दे खा था ठ क वैसे ह । और वहां घूम रहे लोग ने सफ अपने गु तांग कपडे और घांस से ढके हु ए थे, बांधे
नह ं हुए थे। औरत ने अपनी े ट और आद मय ने अपने ल ड। और कुछ औरत ने तो अपनी छा तयाँ ढक भी नह ं हुई
थी। उनक तनी हुई छा तयाँ काफ इरो टक लग रह थी िज ह दे खकर हमारे प
ु के लड़के मह
ंु फाड़े उ ह ह दे खते रहे । वहां
सभी का रं ग काला था।

कुछ एक थे जो थोड़े गौर थे पर यादातर लोग सांवले या काले रंग के औत गठ ले शर र के थे, आद मय ने अपनी छाती
पर रं ग बरं गी लाईन खींच कर च कार कर हुई थी। और औरत ने अपने सर पर मोती और लकड़ी से बनी हु ई चीजो को
सजा कर ऊंचा सा जूडा बनाया हु आ था। बाजओ
ु ं पर भी सभी ने कुछ न कुछ बाँधा हु आ था। और उनके ब चे यादातर नंगे
ह घम
ू रहे थे।

वहां का वातावरण ह ऐसा था क कोई एक दस


ु रे के शर र क तरफ यान ह नह ं दे रहा था। पर हम शहर से आये हुए लोगो
को उनका पहनावा और नंगापन दे खकर आ चय हो रहा था।

117
तभी कबीले का सरदार वहां आ पहुंचा। वो एक ऊँचा ल बा और भार शर र का इंसान था। उ होगी कोई 40 के आस पास।
और उसने अपने गले म काफ सार मालाएं पहनी हुई थी और उसका मक
ु ु ट भी काफ बड़ा था, हाथ म एक ल बा सा भाल
था। वो सभी से अलग ह लग रहा था। और उसके ल ड वाला ह सा काफ फुला हुआ था। पता नह ं मेर नजरे हमेशा
आदमी के ल ड वाले ह से पर ह य जाती है… सरदार के साथ उसके का बले के कुछ लोग भी थे। और 4 लड़ कयां भी।
सभी एक से एक बढकर सु दर थी।

सरदार ने हमारा वेलकम कया, उसका नाम शा वनाल था वो अपने कबीले के बारे म बताने लगा। उसके अनुसार वो
कबीला लगभग 100 साल पुराना था और वहां के लोग खेती बाड़ी, पशु पालन करके अपना पालन पोषण करते थे। और
आजकल क ज रत के अनुसार उ ह शहर जाकर भी कुछ ज र चीजे लानी पड़ती थी िजसके लए उ ह बाहर से आये हुए
सेला नयो से हुई आमदनी क ज रत पड़ती थी। अपने का बले के बारे म बताकर सरदार ने अपने साथ खड़ी हुई 3
लड़ कय क तरफ इशारा कया और कहा- “ये हमार रा नयाँ है।”

वाव… इस राजा के तो मजे है, 3-3 रा नयाँ है उसके पास।

"और ये हमार बेट है , मशा लक।” उसने 4 थी लड़क क तरफ इशारा कया, जो उन सबमे सबसे सु दर थी। उसे दे खकर
मझ
ु े भी उसपर यार आ गया। लड़के तो उसे दे खकर पागल ह हो गए।

उसने अपनी कम सन जवानी को एक पतले से कपडे से ढका हु आ था। िजसम से उसके गुलाबी न पल साफ़ नजर आ रहे
थे। और नीचे उसने मो तय वाल झालर से अपनी चत
ू वाले ह से को ढका हुआ था। पता नह ं उसने नीचे कुछ पहना हुआ
है या नह ।ं पर उसक मांसल जांघे और पतला पेट और उभर हुई छाती और सु दर चेह रा दे खकर सभी लड़के उसपर ल ू हो
गए थे। और शायद म भी।

वैसे उसक रा नयाँ भी काफ सु दर थी। पर कोई भी उस लड़क क माँ नह ं लग रह थी। बाद म सरदार ने बताया क मशा
क माँ बीमार है और अ दर आराम कर रह है। उसके बाद अंजू मेड म ने इक ा कये हुए पैसे सरदार को दए, िजसे दे खकर
वो काफ खुश हो गया। और फर उसने अपने एक साथी को बुलाकर हम सभी को हमारे रहने क जगह दखाने को कहा।
जो का बले के आ खर म जाकर थी। उ ह ने कर ब 10 झोप ड़याँ खाल करवा के वहां घांस के ग े लगवाकर उनपर चादर
बछवा द थी। हर झोपड़े म कर ब 8 लोग आ सकते थे। हम 60 लोग थे, इस लए हमने डसाईड कया क 6 लोग का ुप
हर झोपड़े म रहे गा।

सभी ने अपना सामान रखा और चज करके बाहर आ गए, एक बड़ी सी जगह पर सरदार ने सभी के खाने पीने का इंतजाम
कया हु आ था। खान काफ वा द ट था, सभी ने भर पेट खाया। उसके बाद सभी अपने-2 झोपड़े म जाकर सु ताने लगे।
आधे घंटे बाद सभी उठ खड़े हुए, य क मने पहले ह सबको बोल दया था क हम झरने पर जाकर नहायगे। सभी अपने-2
ि व मंग सूट लेकर झरने क तरफ चल दए। …P135-141…

झरने के पास पहूँचकर सभी ने अपने कपड़े बदलने शु कर दए, मैने द पा को अपने पास बुलाया और रो हत और राज के
बारे मे उसको बताया, उसक आँखे भी नये लंडो के बारे मे सोचकर चमक उठ । मैने उसको बताया क कैसे हम दोनो उन
दोनो को अपने जाल मे फँसाएँगी और मज़े लगी।

सभी ने अपने वी मंग सट


ू पहन लए और झरने के नीचे आ गये, सभी लड़के अपने क स और ए स दखा कर लड़ कयो
को इं ेस कर रहे थे और लड़ कया भी अपने आगे और पीछे के उभार दखा- दखा कर लड़को के अंडरवेयर मे तंबू खड़ा कर
रह थी। कुल मला कर माहोल मे एक दस
ू रे को उ तेिजत करने क कला का दशन हो रहा था। मैने 2 पीस बकनी पहनी
थी िजसक डो रयो से मेर मयादा को ढके हुए छोटे -2 कपड़ो के टुकड़े थे। और द पा ने वन पीस बकनी पहनी थी िजसमे से
उसक चूत के बॉल बाहर नकल कर एक अलग ह एहसास पैदा कर रहे थे और वो बेपरवाह क तरह उनको अंद र भी नह
कर रह थी। ठं डे पानी के अंदर आते ह लड़को का रोम रोम और लड़ कयो के न पल न पल खड़े हो गये।

118
पानी हमार कमर तक आ रहा था, हमने धीरे -2 चलते हुए झरने के नीचे जाना शु कया। वो झरना काफ़ उपर से गर रहा
था, लगभग 50 फ ट उपर से, और नीचे आकर दध
ू जैसा गब
ु ार इक ा हो रहा था, मैने द पा का हाथ पकड़ा हुआ था और हम
दोनो एक दस
ू रे को थामे हुए ह झरने के नीचे जाकर नहाने लगे। पानी क तेज बोचार से मेर ा का कुछ ह सा नीचे
खसक गया। िजसक वजह से मेरा एक न पल नकल कर बाहर क द ु नया को दे खने लगा। मैने भी मज़े लेने क गज से
उसको अंद र नह डाला।

मैने रो हत और राज को दे खना शु कया, वो दस


ू र तरफ एक साथ खड़े हुए नहा रहे थे और मझ
ु े ह घूरे जा रहे थे। मैने
अपने चेह रे को अपने हाथो से सॉफ कया और अपनी योजना के हसाब से म एकदम से लड़खड़ा कर पानी मे गर पड़ी।
मझ
ु े गरता हु आ दे खकर रो हत भागकर मेरे पास आया। और उसके पीछे -2 राज भी।

रो हत: "अर कोमल, उठो, तु हे चोट तो नह लगी ना।”

रो हत ने आते ह मुझे उपर खींचा और पानी के बीच मे खड़ा कर दया। उसक ब लशट बाजुओं क ताक़त दे खकर मेर चूत
से रसीले पानी का झरना फुट पड़ा। उसने मझ
ु े खड़ा कया और मैने खाँसते हु ए मुँह मे गये पानी को बाहर फका। द पा और
राज भी तब तक मेरे पास आकर खड़े हो गये। रो हत और राज ने मेरे बाहर नकले हुए न पल क तरफ दे खा। और मैने
शरमाते हुए उसको वा पस अंदर कर लया। और उसक तरफ दे खकर मु कुरा द । मैने अपनी कमर पर हाथ रखा और धीरे
से कराह द ।

रो हत: "लगता है तु हार कमर मे दद हो रहा है।”

मैने हा मे सर हलाया।

रो हत: कोमल, तुम एक काम करो, झरने के पीछे क तरफ जाकर घांस पर लेट जाओ। और आराम करो। म अभी तु हार
कमर दद को दरू करने का इंतज़ाम करता हू। और ये कहकर वो राज को लेकर दस
ू र तरफ चल दया। मैने द पा क तरफ
न भार नज़रो से दे खा और उनक बात मानकर हम दोनो झरने के पीछे क तरफ चल दए। वहाँ का ए रया ब कुल शांत
था। उपर तक घने पेड़ थे। और घांस क मखमल चादर बछ हुई थी। हम दोनो वहाँ जाकर बैठ गये। मन मे अजीब सा
उ साह था। नया ल ड जो मलने वाला था आज। तभी राज और रो हत दौड़ते हु ए आए और अपने हाथ मे लाए हुए प त
को एक प थर पर रखकर पीसने लगे।

फर उसका लेप इक ा करके रो हत मेरे पास आया और मुझे लेटने को कहा। म लेट गयी। मेरे दल क धड़कने तेज़ी से
चलने लगी। मेरे ह ठ काँपने लगे। ऐसा अ सर होता था जब म काफ़ उ तेिजत हो जाती थी। या फर चुदने वाल होती थी।
मेर हालत दे खकर वो दोनो लड़के सोचने लगे क मझ
ु े ठं ड लग गयी है। पर इन सालो को कौन समझाए क ठं ड मुझे उनके
ल ड क लगी है।

रो हत ने भी काँपते हु ए हाथ से मेर कमर पर लेप लगाना शु कया। मेर क छ क डो रयाँ उसक उं ग लय मे उलझ रह
थी। मैने एक सरा पकड़कर डोर को खोल दया, और मेर टांगे उपर से नीचे तक पूर तरह से नंगी हो गयी। वो बेचारा मेरे
नम मल
ु ायम ह से पर हाथ लगाकर अपने आप को खुश क मत समझ रहा था। उसक लंबी उं ग लय ने जब मेरे मांसल
ह से को मसलना शु कया तो मेरा रोम रोम ( न पल- न पल) फर से खड़ा हो गया। और मेर आँखे बंद सी होने लगी।
मेर मदहोश होती आँखो को दे खकर वो समझ गया क यह सह मौका है कुछ करने का। और उसने एक उं गल मेर चूत
क तरफ खसका द ।

अपने ए रया मे आती हुई मसाईल दे खकर मेरा दल जोर से धड़कने लगा। अब मेरे बस से बाहर क बात थी। इतनी दे र
तक मझ
ु े अपने आप को तड़पाना पसंद नह था। मैने उसके हाथ के उपर अपना हाथ रखकर उसे और अंदर खसका दया।
और उसक उं गल को अपनी चत
ू के छे द मे लगा कर एक ज़ोर से ससकार मारते हुए। उसको परू ा अंद र समेट लया।
आययीई। मममममम अब तक रो हत भी खुल चुका था। उसने अपने को टू म को कनारे कया और अपना लंबा खंबे
जैसा ल ड बाहर नकाल लया, अयईई ये… ये या है, इ ता लंबा।
119
और सच मे उसका ल ड काफ़ लंबा था। उसका कद िजतना लंबा था ल ड भी उसी के हसाब से ह था। उ म आज मज़ा
आएगा। मेर चत
ू के अंद र का पानी और तेज़ी से बाहर क और नकलने लगा। मैने उसके ल ड को पकड़ कर अपने मँह
ु क
तरफ खींचा और वो अपने ल ड को मेरे मँह
ु मे डाल कर अपनी आँखे बंद करके मज़े लेने लगा। अहह… ओगग कोमल, सक
मी, सक मी हाड। अहह

उसका ल ड मेरे मँह


ु के अंद र तक था पर उसके बावजूद आधा बाहर ह था अभी तक। इतना लंबा था उसका ल ड। अब
मझ
ु से स नह हो पा रहा था। मैने उसको नीचे च त कया और उसके खड़े हुए ल ड का सरा अपनी चूत पर लगाकर
आराम से उसे नगलती चल गयी। और उसका साँप जैसा ल ड मेर चूत के बल मे सरकता हु आ मुझे नया एहसास
करवाता चला गया। अहह उ ममम उफफफफ फ़। आज मेर चूत के अंदर तक का वो ह सा भी खुल गया था जहाँ
आज तक कोई और नह घुस पाया था।

मैने तेज़ी से उसके ल ड को नगलना और उगलना शु कर दया। मेरे हर ध के से मेर े ट उछल कर नीचे आती और वो
अपने हाथ को उपर करके उ ह थामने क को शश करता। और अंत मे जैसे ह मेरे अंद र का ऑगॅज़म फूटा मैने उसके सर
को पकड़ कर अपनी छाती से चपका लया। और उसने भी अपने ह ठो के बीच मे मेरे न पल को लेकर मझ
ु े अपने मँह
ु क
गम से पघालना शु कर दया।

और तब तक उसके ल ड क पचका रयाँ भी चल चुक थी मेर चूत के अंदर। एक साथ दो-2 तूफान नकले एक मनट के
अंदर ह अंदर और हम दोनो के िज मो को पघला कर चले गये। और जब तूफान शांत हुआ तो हमारा यान द पा और राज
क तरफ गया। जो अपना मँह
ु फाड़े हु ए हमार चद
ु ाई का तमाशा मज़े से दे ख रहे थे। …P142-146…

रो हत ने अपना ल ड बाहर खींच लया। और उसके पीछे -2 नकला अ दर फंसा हुआ जलजला। िजसमे मने अपनी दो
उँ ग लयाँ डाल कर अपनी चूत के ह ठो पर मलना शु कर दया। मझ
ु े अपनी चूत से नकलते हुए रस के चप चपे एहसास
को महसूस करने म काफ मजा आ रहा था। मने अपनी उँ ग लय को ऊपर कया और अपने मह
ुं म डाल कर रस के एहसास
को अपने गले के नीचे उतारने लगी।

सच म, ल ड से नकले पानी को पीने म मझ


ु े इतना मजा आने लगा था िजतना क गोलग पे के पानी को पीने म भी नह ं
आता। उ म ्म। मने ज द -2 अपनी उँ ग लयाँ चलाई और गोडाउन म बचा हुआ रस इक ा करके अपने मह
ुं के रा ते
वा पस अ दर पहुं चा दया।

द पा के न पल क हालत दे खकर साफ़ पता चल रहा था क वो कतनी उ तेिजत है, उसक नजर कभी मेर नंगी चूत पर
और कभी रो हत के ल बे ल ड पर जाती जो मेर चूत से नकलने के बाद अब नामल हो चुका था। अब उसे मालुम था क
रो हत उसक चद
ु ाई नह ं कर पायेगा इस लए उसने राज क तरफ दे खा, जो शायद इसी पल का इ तजार कर रहा था क
कब द पा उसक तरफ दे खे और कब वो अपना खेल शु करे । खेल यानी क ल ड क मह
ुं दखाई। जैसे ह द पा ने राज क
तरफ दे खा, राज ने अपने अंड रवीयर को नीचे कर दया और अपना काला और मोटा ल ड बाहर नकाल कर उसे अपने हाथ
से मसलने लगा।

द पा क नजर कभी उसके चेह रे और कभी ल ड क तरफ जाती। उसने भी कसमसाते हु ए, अपना एक हाथ अपनी ले ट
े ट पर और दस
ू रा हाथ अपनी चत
ू के ऊपर लगा कर मसलने लगी। और उसके मह
ंु से एक अजीब से और ल बी सी
ससकार नकल गयी। अ ह म् म। रो हत भी नीचे घांस पर लेटा हु आ द पा के िज म को बड़े गौर से
दे ख रहा था। उसका नशीला बदन, गहरा रं ग, उभरे हुए उभार और पीछे क तरफ नकल हुई गा ड काफ दलकश लग रह
थी। सह मायने म दे खा जाए तो उसको लेक यट ू कहना गलत नह ं होगा। राज और द पा दोन एक दस
ु रे को दे खकर
अपने-2 अंग को मसल रहे थे। पर कोई भी पहल नह ं कर रहा था। तभी द पा ने अपनी ा को साईड म करके अपनी चूची
बाहर नकाल द ।

120
िजसे दे खकर राज के साथ-2 रो हत के सोये हुए ल ड म भी तरावट आने लगी। उसने अपनी ल बी जीभ नकाल कर अपनी
चच
ू ी को अपने हाथ से ऊपर कया और बड़ी मिु कल से अपने न पल को अपने मह
ंु म लेकर जोरदार चु पा मारा पु ह।
ऐसे चूस रह थी वो अपने न पल को जैसे उसे जड़ से ह उखाड़ कर खा जायेगी। उसने बदहवासी म अपनी दस
ू र े ट का
कवर भी उखाड़ फका।

अब मझ
ु े मालुम था क द पा को रोकना मिु कल ह नह ं नामम
ु कन है। उसने अपने को टुम को नीचे कया और उसके नंगे
पेट से होता हु आ वो मह न सा कपडा उसक कमर पर आकर अटक गया, ऊपर उसक मदम त छा तयाँ लहरा रह थी और
नीचे उसक चूत जो कभी भी बाहर आकर कहर ढा सकती थी। आज काफ दन के बाद मुझे द पा क चूत को फर से खाने
क लालसा हुई।

काफ दन हो चुके थे ल ड लेते हु ए और चूसते हुए, आज तो इसक चूत का रस पीना है मझ


ु े। म घांस पर लेट हुई थी। पर
घमासान चुदाई के बाद उठने क ह मत नह ं थी अभी। इस लए म घसट कर उसक तरफ गयी। और जाकर मने उसक
मोट जाँघ को पकड़ लया और अपनी जीभ लगा कर उसके घुटने वाले ह से को चाटने लगी। अ हउ म
उ फ़ कोमल। म मम उसक आँखे बंद सी होने लगी, पैर कांपने से लगे, आवाज लडखडाने लगी। मने हाथ ऊपर करके
उसके को टयूम को पकड़ा और नीचे खींच लया। उसक चूत बेपदा होती हु ई सबके सामने आ गयी। उसने काफ टाईम से
बाल नह ं काटे थे।

इस लए ल बी-2 झांटे और उसके पीछे छुपी हुई गुलाबी रं ग क चूत सभी के सामने उजागर हो गयी। अब राज से भी स
नह ं हुआ। वो आगे आया। और अपने ल ड को लाकर उसने द पा क थाई से टच कया। बस इतना ह बहुत था द पा को
उसपर हमला करने के लए। उसने अपने हाथ का पंजा जो अब तक उसक चूत को घसाई कर रहा था। उसके ल ड के ऊपर
जमा दया और अपनी चूत के पास लाकर उसपर घसाई करने लगी। अ ह ये स स स। ऐसा लग रहा था क वो
खडे-2 उसका ल ड अपनी चत
ू म ले जायेगी।

उसने राज क गदन के चार तरफ लपेट द और अपने थरथराते हुए ह ठ उसके ह ठो पर रखकर एक जोरदार मच
ू कया।
पु ह। उ माअ ह। उसने अपने ह ठो से यादा अपने दांत का इ तेमाल कया। और राज के ह ठ को गुलाब
जामन ु क तरह से चबाने लगी। उन दोन के बीच म बैठ हु ई म अपना मह
ुं ऊपर कये हु ए कभी द पा क रसील चूत को
दे खती और कभी राज के मोटे ल ड को। मने अपने दोन हाथ ऊपर उठाये और एक हाथ से उसक चूत और दस ु रे म राज का
ल ड लेकर उ ह मसलने लगी। अ यीईइ उ म कोमल उ म ये स। मने एक ऊँगल और फर दस
ू र भी द पा
क चूत के अ दर उतार द ।

अ ह। ये स। ऐसे ह अ ह। वो तड़प उठ ।

मने अपने मुह


ं को राज के ल ड क तरफ कया और उसक गो टयाँ अपने ह ठो के बीच ले कर जोर से चूसने लगी।
उ म ्म उ हाअ उसके मह
ुं से भी घट
ु -2 सी स का रयां नकलने लगी। और फर मने थोडा ऊपर जाकर राज के
मोटे ल ड को अपने मह
ुं म भरा और जोर से चूसने लगी। द पा अपने चूत को मेरे सर के पीछे वाले ह से पर घस रह थी।
उसक चत
ू म काफ खज
ु ल हो रह थी। मने राज के गीले लण ्ड को बाहर नकाल और उसे द पा क चत
ू क तरफ बड़ा
दया।

और उसके ल ड के सरे को चूत म फंसा कर दोन का मलन करवा दया। पर ऐसे एंगल म वो अ दर नह ं जा पा रहा था।
इस लए द पा ने अपनी एक टांग उठा कर ऊपर कर द िजसे राज ने अपने हाथ से पकड़ कर अपनी छाती से चपका लया।
अब रा ता साफ़ था। उसने एक जोरदार शॉट मारा और राज का पूरा ल ड एक ह बार म द पा क चूत क गहराइयाँ नापने
लगा। अ ह। उ म ् म। ओ ह ये स। फ क मी अ ह ये स राआज। अ हफ क मी
हाड। उ म राज ने तेजी से ध के मारने शु कर दए। इतनी नजद क से मने चूत म घुसता हुआ ल ड पहल बार दे खा
था।

121
मेर आँखे ऊपर थी और राज के ल ड को अ दर-बाहर जाते हुए साफ़ दे ख रह थी। द पा क चूत म जब ल ड जाता तो
उसक ससकार नकल जाती और जब बाहर नकलता तो चीख। और चीख के साथ-2 उसक चत
ू से रस क बोछार नकल
कर मेरे मह
ुं पर गर जाती। िज ह म अपनी उँ ग लय से अपने चेह रे पर मलकर अपना फे शयल करने म और अपनी दो
उँ ग लय से अपनी चूत के अ दर का पानी नकालने म लगी हुई थी। तभी मझ
ु े अपनी चूत पर गीलेपन का एहसास हु आ,
मने दे खा तो रो हत खसक कर मेर तरफ आ चक
ु ा था और लेटे-2 ह मेर चत
ू को चाटने म लग गया था। अब मने अपनी
उँ ग लयाँ नकाल ल और ऊपर क तरफ करके मने वो दोन उँ ग लयाँ राज क गा ड म घुसा द । अ ह। ये शायद
मने पहल बार कया था, कसी लड़के क गा ड म ऊँगल । पर राज के ए स ेशन दे खकर मझ
ु े साफ़ पता चल गया क
मजा उसको भी आ रहा है ।

द पा क चूत के दोन तरफ उसक झालर ऐसे लग रह थी मानो कोई ततल ने अपने पर फैला रखे हो। राज के ल ड के
साथ-2 वो झालर भी अ दर घुस जाती और फर बाहर नकल आती। िजसक वजह से द पा को चुदाई म काफ मजा आ
रहा था। मने अपना मह
ुं ऊपर कया और द पा क चूत के दोन तरफ लटक रह झालर को अपने मह
ुं म फंसा लया।
उ म ्म अ ह।

द पा कसमसा कर रह गयी। मने उ ह चूसना और चुभलाना शु कर दया। अब राज का मोटा ल ड मेरे ह ठो को टच करता
हुआ द पा क सुरंग म आ जा रहा था। द पा ने अपनी दूसर टांग उठा कर राज क कमर म लपेट द और अब वो द पा को
हवा म उठा कर उसको पेल रहा था। उ फ उ म अ ह अ ह उ मअ हउ फ़ हर ध के पर उसक चीख
फजा म गँज
ू रह थी।

मेर चूत के ऊपर भी रो हत के हमले तेज होने लगे। अब तो बस मन कर रहा था क बस कोई मेर चूत के अ दर ल ड पेल
ह दे । अ ह। और तेज चाटो। अ ह। हाँ ये स ऐसे ह । अचानक राज का संतुलन बगड़ गया और उसका ल ड द पा
क चत
ू से बाहर नकल आया। उसके ऊपर लगा हुआ रस दे खकर म तो पागल सी हो गयी। और मने उसको नीचे लटाया
और खुद द पा क जगह लेकर उसके मोटे ल ड को अपनी चूत के अ दर ले कर उछलने लगी। अ हउ फ़
उ म ्म उ फ़

तभी पीछे से रो हत आया और उसने मझ


ु े आगे क तरफ लटा कर अपने ल ड को मेर गा ड के छे द पर लगा दया और
एक करार ध का मारकर उसे अ दर डाल दया। अ यीईई।

उन दोन के बीच म म सड वच जैसे पस गयी और राज नीचे से और रो हत पीछे से मेर चूत और गा ड के छे द को अपने
ध क से भरने लगे। बेचार द पा एक कोने म खड़ी हुई सब दे खे जा रह थी। मने उसको इशारे से अपनी तरफ बुलाया और
उसको अपने सामने खड़ा करके नीचे लेटे हुए राज के मह
ुं के ऊपर बठा दया, अपनी तरफ मह
ुं करके। और मने अपने चेह रे
को उसक चूत के ऊपर रखकर राज के ह ठो और उसक चूत के ह ठो को एक साथ चूसना शु कर दया। वो बेचार तड़प
कर रह गयी।

मेर तो हालत पतल हो गयी थी। दोन ल ड मेरे अ दर के अि थ पंजर बुर तरह से हला रहे थे। अ हउ फ़् फ़
ये स और तेज अ ह रो हत। मारो और तेज मारो मेर गा ड ये स अ हओ फ़उ म अब मझ
ु से और
रोक नह ं गया और मेर चूत से जोरदार ेशर के साथ रस का वाह बाहर क तरफ नकलने लगा। रो हत ने भी मेर टाईट
गा ड के छे द म अपने ल ड के रस का आदान और राज ने मेर चूत म अपने जूस का दान करना शु कर दया। और मेरे
और राज के चाटने से द पा क चत
ू से भी रस क रंग बरं गी पचका रयाँ नकल कर मेरे और राज के चेह रे को भगोती हु ई
बाहर गरने लगी।

सब कुछ शांत होने के बाद हमने अपने कपडे पहने और वा पस झरने म आकर खूब जम कर नहाए। और फर हम सभी
वा पस कबीले क तरफ चल दए। …P147…

122
हम जब कबीले म वा पस पहुं चे तो शाम का अँधेरा होने लगा था। रो हत और राज से चुदाई करवाने म काफ मजा आया था
पर मन अभी भी भरा नह ं था। इस लए उ ह हमने अपने साथ ह बात म लगाये रखा और वा पस चल दए, उनसे अभी
और भी काम जो लेना था हम।

कबीले म पहूँचते ह मेर नजर मशा लका पर पड़ी। वो क बले क राजकुमार थी, इस लए सबसे सु दर और सबसे अलग
वह दख रह थी। वो शायद इस बात का जाएजा लेने आई थी क सब कुछ ठ क है या नह ,ं हम सभी के रहने और खाने-
पीने के बंदोब त वो खुद दे ख कर तस ल कर रह थी। जैसे ह वो हमारे पास आई, मने उसको रोक लया और उससे बात
करने लगी।

म: हाय, मेरा नाम कोमल है, और ये मेरे दो त है ।

मशा मु कुरा कर सभी से मल और हमसे बात करने लगी। उसक आवाज बड़ी ह मीठ थी। मानो, म ी घोल कर पीती
हो रोज। और उसके कपड़ो के बारे म तो मने पहले ह बताया था क उसका सु दर शर र अ दर से साफ़ नजर आ रहा था,
खासकर मह न कपड़ और मालाओं के बीच से उसके गुलाबी न पलस। िज ह इतने पास से दे खकर मेरे ह ठ म एक
अजीब सी यास उभर आई और मने अपने ह ठ पर अजीब तर के से जीभ फराई। िजसे शायद मशा ने नोट कर लया।
मने उसको टटोलने के लए क उसके मन म से स के त या वचार है, अपने हसाब से न पछ
ू ने शु कर दए।

म: तुम सभी यहाँ कबीले म ह रहते हो, कूल या कॉलेज भी नह ं जाते, तो उन सब चीज के बारे म कैसे पता चलता है।

मशा: कन चीज के बारे म।…

वो शायद समझ तो रह थी पर मेरे मह


ुं से सन
ु ना चाहती थी।

म: से स के बारे म।

वो से स श द का नाम सन
ु कर शरमा गयी। उसके चेह रे क लाल और बड़ गयी। और उसके न पल और कड़े होकर मेर
आँख के सामने नजर आने लगे।

मशा: धीरे बोलो, कोई सन


ु लेगा तो या कहे गा।

म मशा को लेकर एक कोने म जाकर खड़ी हो गयी, जहाँ कोई और नह ं था। द पा को अपने साथ रहने को कहकर मने
रो हत और राज को जाने को कह दया। ता क उसक शम ख़ म हो जाए। उसके शमाने के अंदाज से मझ
ु े ये तो पता चल ह
गया था क उसे मेर बाते मजेदार लग रह है। मने सोचा क अगर उसको से स के बारे म कुछ चटपटा और मसालेदार
बताया जाए तो शायद वो खुल कर हमारे साथ बाते करने लगे। इस लए मने उसको अपने और द पा के बारे म बताया क
कैसे हम दोन कॉलेज म मजे लेती है।

और अभी भी झरने म नहाते हुए हमने रो हत और राज के साथ चुदाई करवाई है। वो अपना मह
ुं फाड़े हमार बाते सन
ु रह
थी। जैसे उसे हमारे ऊपर वशवास ह नह ं था। मने इधर उधर दे खा और अपनी कट उठा कर उसके सामने अपनी नंगी
चूत कर द , िजसमे से अभी भी रो हत और राज के ल ड का पानी रसकर मेर जांघो को भगो रहा था। वो मेर चूत को
अपने सामने दे खकर है रान रह गयी। वो बलकुल सफाचट जो थी। और ताजा चुदने के बाद गुलाब क तरह खल हुई अपने
जलवे बखेर रह थी। अपने कबीले म काफ नंगी चत ू े दे खी ह गी पर शहर क सफाचट चत
ू दे खने का पहला मौका था
उसका।

म: दे खा, अब बताओ, कभी तुमने मजे लए ह या… कसी से।

वो और भी शमाने लगी।

म: दे खो, शरमाओ मत, अगर तुम मझ


ु े बताओगी तो म तु हे और भी मजेदार बात बत गी और हो सकता है क तु हे अपने
साथ मजे भी दलवा दू।

123
वो धीरे से बोल : यहाँ हमारे कबीले म ऐसी बात के लए कोई जगह नह ं है, हम लोग क सीधा शाद ह होती है, आपस म
शाद से पहले कसी भी तरह का स भ ध रखने क हम आ ा नह ं है, और पकडे जाने पर सीधा मौत क सजा होती है।
और म तो वैसे भी कबीले के राजा क बेट हूँ। मझ
ु े तो इन सब बात का वशेष प से यान रखना पड़ता है। वैसे मने एक-
दो बार अपने ह का बले के एक नोजवान से क स वगेरह क है, पर उसके अलावा और कुछ नह ।ं

म: कोई बात नह ।ं अब हम तु हे वो सब मजे दलवाएंगी और वो भी कसी को पता लगे बना। मेर आ खर बात सन
ु कर
उसके दल क धड़कने इतनी तेज हो गयी क मझ
ु े उनक आवाज अपने कानो तक साफ़ सन
ु ाई दे ने लगी। शायद मने
उसक कमजोर को पकड़ लया था। मने उसक बांह पकड़ी और हम कोने म बनी हुई एक झोपडी म चले गए। और अ दर
जाते ह मने उसका हाथ सीधे अपनी नंगी चूत के ऊपर रख दया। वो उ तेजना के मारे थर थर कांपने लगी। उसका हाथ
मेर चूत से नकल रहे सफ़ेद रस म भीगकर चप चपा सा हो गया। मने उसके हाथ को ऊपर कया और उसक ल बी और
पतल उँ ग लय को अपने मुह
ं म लेकर जोर से सक करने लगी। वो बेचार अपने साथ हो रहे नए तरह के खेल को दे खकर
सफ स का रयां लेने के और कुछ नह ं कर पा रह थी। …P150-151…

मने अपनी थक
ू से भीगी हु ई उसक उँ ग लयाँ फर से अपनी दह से भर कटोरे म डु बाई और अब उसके मह
ंु के आगे फैला
कर धीरे से कहा: "चाटो इसको, चुसो जोर से।”

वो जैसे मेरे स मोहन म बंध गयी थी।

उसने धीरे से अपने कमल क पंखुड़ी जैसे ह ठ खोले। और अपनी उँ ग लय को मह


ुं म भरकर उनपर लगा हुआ शहद चाटने
और चूसने लगी। उसके सक करने क ऐसी आवाज आ रह थी मानो वो अपनी उँ ग लय क खाल को ह उखाड़ फकगी।
उसको मेर चूत और ल ड के पानी का मला जुला रस काफ पसंद आया था शायद। और जब सब कुछ ख़ म हो गया तो
उसने अपनी आँखे खोलकर मेर तरफ दे खा मानो कह रह हो। और चा हए। और म उसको मना कैसे कर सकती थी। मने
मु कुराते हु ए उसको अपनी तरफ कया और सीधा उसके ह ठो को अपने मुह
ं म भरकर चूसने लगी। अ ह
मु ह पु ह। उ म ्म

कतने मल
ु ायम ह ठ थे उसके। जैसे मीठे संतरे क फांके। मह
ुं म भरते ह उसके ह ठो से जैसे रस क फुहार नकल कर मेरे
मह
ुं म आने लगी। वाव… मन कर रहा था क इ ह चु ती ह जाऊ। पर अभी मझ
ु े अपने मजे पर काबू रखना था और मशा
को यादा मजे दलाने थे ता क वो आगे सब कुछ करने को तैयार हो सके। मने पीछे हुई और घांस के एक ब डल के ऊपर
बैठ गयी और अपनी चूत को उसक आँख के सामने नंगा कर दया। और मने द पा क तरफ दे खा। और उसे इशारे से मशा
को मेरे पास लाने को कहा।

द पा ने मशा का हाथ पकड़ा और मेरे सामने दोन घुटन के बल बैठ गयी। द पा ने मु कुराते हुए मशा से कहा: दे खो, अब
जैसा म करती रहू, तुम भी वैसा ह करते रहना।

मशा लका ने हाँ म सर हलाया।

द पा ने अपना मह
ुं आगे कया और सीधा मेर चूत के ऊपर लाकर अपनी जीभ नकाल और मेर पंखु ड़य को जीभ क
टप से फेलाकर इधर उधर कया और फर ऊपर नीचे करके वो मेर चूत को अपनी अनुभवी जीभ से चाटने लगी।
अ ह म् म। ये स। अ ह म तरछ होकर आधी लेट गयी। और अपनी कोह नय के बल पर लेटकर
उसक जीभ का कमाल महसूस करने लगी।

उसको चूत चाटता हु आ दे खकर मशा लका ने भी अपना चेहरा आगे कया, मने उसको जगह दे ने के लए अपनी टाँगे दोन
तरफ मोरनी के पंख क तरह फ़ेल द और जैसे ह मशा का चेह रा आगे आया, द पा ने अपना चेह रा पीछे कर लया और
मशा ने अपनी जीभ नकाल कर ठ क वैसे ह मेर चूत को चाटना और चूसना शु कर दया जैसे द पा कर रह थी।
उ म् म। याआ ह। उ फ़् फ़।

124
मेर तो हालत ह खराब हो रह थी। मशा काफ जंगल तर के से मेर चूत को चाट रह थी, उसे शायद चूत क नाजुकता का
एहसास नह ं था। वो तो मेर चत
ू के ह ठ को ठ क वैसे ह चस
ू रह थी जैसे मेरे ऊपर वाले ह ठ को चस
ू था उसने अभी। पर
जो भी था, उसके जंगल पन म मझ
ु े काफ मजा आ रहा था। ऐसा लग रहा था क कसी भख
ू ी लोमड़ी के आगे मांस का
लोथड़ा रखा हुआ है और वो उसे नोच, खसोट कर बुर तरह से खा रह है और अपना पेट भर रह है। मने अपनी कमर सीधी
कर ल थी, य क उसके मह ंु के झटके थे ह इतने शि तशाल क मझ ु से लेटा ह नह ं जा रहा था। मेरा मह
ंु खल
ु ा हुआ था,
दोन हाथ उसके सर के पीछे थे और पहल बार था क म कसी के सर को पीछे धकेल रह थी, जब क म हमेशा सर को
अपनी चूत के ऊपर दबा कर उसे और जोर से चूसने को उकसाती रहती हूँ । पर मशा क स कं ग ऐसी थी क ना तो नगलते
बनती थी और ना ह उगलते।

म उ तेजना के मारे कुछ बोल तक नह ं पा रह थी। अपना पूरा जोर लगाकर मने उसके मह
ुं को अपनी चूत से परे कया। पर
मौका दे खकर द पा ने अपना मुह
ं फर से मेर चूत पर लगा दया। और ठ क उसी तरह से सक करने लगी, जैसे मशा कर
रह थी। अ यीईईइ। नह दॆ ऎए पाआअ अ ह नॊऒ धीरे अ ह। पर अब वो कहाँ मानने वाल थी,
उसने शायद दे ख लया था क मशा ने िजस तेजी और पावर के साथ मेर चूत चाट है उससे कतना मजा आया था। और
अब वो भी वैसे करके मझ
ु े और यादा मजा दे ना चाहती थी। मझ
ु े तो लग रहा था क वो दोन मलकर आज मेर चूत के
परख चे उड़ा दगे।

मने द पा के सर के ऊपर अपना हाथ रखा और तभी मने दे खा क मशा ने भी अपना चेह रा आगे कर दया है। वो भी शायद
मेर चूत को द पा के साथ ह चाटना चाहती थी। मने और द पा ने उसको जगह द और अब आलम ये था क चूत एक थी
और चस
ू ने वाले दो। उन दोन क जीभे मेर चत
ू के ह ठ क पंखु ड़य को फेलाकर, दबाकर, मसलकर, चभ
ु लाकर मझ
ु े
द ु नया का सबसे सख
ु द एहसास दे ने म लग गए। म ऊपर नीचे होकर अपनी चूत को उनक जीभ और दांत पर घस रह
थी। अ ह। उ म ्म। स क मीई ए ह। उ ह। ये स। ये स।ये स। आई एम ् क मंग।
आई एम ् क मंग, द पा।

मशा तो नह ं समझी पर द पा ने अपना मह


ुं खोलकर मेरे मुंह से आने वाले फु वारे का वेट करना शु कर दया। मशा ने
चाटना चालु रखा। और जैसे ह मेर चत
ू से रस क पहल फुहार नकल , मशा का चेह रा और आँखे बरु तरह से भीग गया।
इतना तेज वाह तो आज तक नह ं नकला था मेर चूत के रस का। जैसे पेशाब क बोचार नकलती है, ठ क वैसे ह था ये
वाह भी। पर सग
ु ि धत, गाड़ा और सेहतमंद। मशा बेचार भोच क होकर पहले तो दे खती रह पर द पा ने जब उस रस
को पीना शु कया तो उसने भी अपना मह
ंु चत
ू के ऊपर जोर जोर से मारकर वहां से नकल रहे अमत
ृ का पान करना शु
कर दया।

और ज द ह उ ह ने मेर चूत को चमका दमका कर पूर तरह से ाई कर दया, जैसे वहां से बरस से पानी क एक बूँद भी
न नकल हो। मेरा शर र अभी तक कांप रहा था, अपनी चूत पर हुए 'अ याचार' को महसस
ू करके। मशा के चेह रे पर मेर
चूत से नकला रस लगा हु आ था, मने उसको अपनी तरफ खींचा और उसके चेह रे को कु तया क तरह से चाटने लगी। और
अपना रस और उसके ह ठ का रस पूरा पी गयी। अब तक वो पूर तरह से खुल चुक थी। मेरे हाथ उसके उभार पर थे।
उसने काफ मालाएं पहनी हुई थी। मने उ ह पीछे कया और उसके पीछे छुपे हु ए उसके द ु धया तन को पकड़ कर उ ह
दबाने लगी। उसके न पल काफ बड़े थे, इतने बड़े न पल मने आज तक नह ं दे खे थे। मने अपने ह ठ उनपर लगाये और
उसका दध
ू पीना शु कर दया।

अब ससकार मारने क बार मशा क थी। उ म् मउ फ़् फ़अ ह कोमल। उ म् म


अ ह स् स या कर रह हो। अ ह।

मने मन ह मन सोचा अभी तू दे खती जा, म या या करती हूँ । मने उसक मालाएं नकाल कर नीचे रख द , अब वो ऊपर
से पूर नंगी थी। और उसक कमर से बंधा हु आ छोटा सा घांस फूंस वाला ह सा भी नकाल कर मने नीचे कर दया, अब
उसका संगमरमर बदन हमार आँख के सामने पूरा नंगा था।
125
मने भी अपने कपडे उतारे और उसक तरह सी मादरजात नंगी हो गयी, द पा ने भी बना दे र कये बना अपने कपडे उतारे
और उस छोट सी झोपडी म हम तीनो नंगे होकर एक दस
ु रे के जो मो को बरु तरह से नोचने खसोटने लगे। मशा क चत

पर काफ घने बाल थे, मने अपना चेह रा मशा क चूत पर लगाया और उसे चाटने लगी। उसके बाल मेरे मह
ुं म आ रहे थे,
ज हे चूसकर मने गीला कर दया और उसक चूत के ह ठ के साथ-2 उसके बाल को भी अपने मह
ुं म भरकर चूसने लगी।
एक अजीब सा और नया एहसास था ये भी। पर मजा काफ आ रहा था। मह
ु े भी और मशा को भी। जो मेरे सर को अपनी
चूत से चपका कर अपना रस मेरे अ दर खाल करने पर उता थी। द पा दूसर तरफ से गयी और मशा क गा ड के छे द
पर अपना मह
ुं लगाकर उसको चाटने लगी।

मशा के लए दोहरा हमला संभालना मिु कल हो गया। उसने अपने शर र को हवा म ह हमारे ऊपर छोड़कर अपनी आँखे
बंद कर ल । मेर जीभ मशा क चूत के दो इंच अ दर थी। और द पा क जीभ उसक गा ड म एक इं च अ दर। दोन तरफ
से मल रहे मजे को महसूस करके वो तो वग म उड़ रह थी। अपने पैर क उँ ग लय के बल पर खड़ी हुई वो हमारे हर
हमले से थोडा और ऊपर उचल जाती और फर नीचे आती। अ हउ म स ्स म मम ्म। अ ह हाँ ऐसे
ह।अ ह। म मर गयी। अ ह।

और ज द ह उसक चूत से रस क बा रश होने लगी नीचे, िजसके नीचे म और द पा ने भीगकर और उसको अपने मह
ुं म
भरकर अपनी यास बुझाई। और सब शांत होने के बाद हमने द पा क तरफ दे खा, जो अपनी चूत को अपनी उँ ग लय से
मसलकर हमार जीभ का इ तजार कर रह थी। मने द पा और मशा को नीचे लटाया, मेरा मह
ुं अभी तक मशा क चूत
पर था और उसका रस चाट रहा था, मने मशा का चेह रा द पा क चूत क तरफ कया और वो अब द पा क चूत चाटने
लगी। और द पा क आँख के सामने मेर टाँगे थी, वो थोडा मेर तरफ खसक और अपने ह ठ से मेर चत
ू को फेलाकर वहां
से दोबारा नकल रहा रस पीने लगी।

हम तीनो के बीच एक तकोन बन गया था, म मशा क चत


ू को पी रह थी। मशा ने द पा क चत
ू के ह ठ को दबोच रखा
था और द पा ने मेर गुलाब क पंखु ड़य को अपने मह
ुं म समेटा हुआ था। पूर झोपडी म सड़प-2 क आवाज आ रह थी।
और मेरे अ दर फर से एक और ओगा म ब ड होने लगा। और शायद मशा क चूत के अ दर भी। द पा का तो पहल ह
बार था।

और अगले 5 मनट के अथक यास के बाद तीनो तरफ से रसीले पानी क बोचारे नकल-2 कर हवा म उछलने लगी।
िजसमे भीगकर हमारे िज म पूर तरह से नशीले और शराबी हो गए।

अब तो मन कर रहा था क कोई ल ड वाले आय और हम तीनो क ऐसी ठुकाई करे क ये सारा रस उनके ल ड से नकले
पानी से मलकर और भी नशीला हो जाए। और फर वो सब मलकर हमारे िज म को कु त क तरह से चाटकर साफ़ कर
दे । बस इतनी सी तम ना है मेरे दल क । …P152-154…

मने द पा क तरफ दे खा और द पा ने मेर तरफ। हमने आपस म सलाह कर और सोचा क चुदाई के लए ये जगह तो सह
है ह इस लए ज द से कसी ल ड का इंतजाम करना होगा। मने मशा को वह ं कने को कहा और म और द पा बाहर
नकल कर रो हत और राज को ढूँढने नकल पड़े। तभी मने दे खा क राहु ल अपने एक दो त के साथ वा पस अपने झोपड़े
क तरफ जा रहा है। मने व त गंवाना उ चत नह ं समझा और राहु ल को पुकारते हुए उसक तरफ चल द । द पा इसी बीच
आगे नकल गयी रो हत और राज क तलाश म।

मने राहुल को रोका और उसने मझ


ु े अपने पास आते दे खकर अपने दो त को आगे जाने को कह दया और वो मझ
ु से बाते
करने लगा।

राहुल: यार कोमल, कहाँ हो तुम। जब से यहाँ पर आये है तुम तो दखाई ह नह ं दे रह । झरने म भी तुम और द पा उन
नए लडको के साथ म ती कर रह थी।

126
मने भी राहुल को कॉलेज क दस
ू र लड़क के साथ नहाते व त म ती करते हुए दे खा था।

म: अ छा जी, तुम खुद भी तो अपने काम म इतने खोये हुए थे क तु हे मुझे याद करने क फुसत ह नह ं थी, मने दे खा था
तु हे और र ना को एक साथ नहाते हु ए।

वो बेचारा शरमा कर रह गया, और बोल: पर कोमल, जो बात तुममे है न, वो कसी और म नह ।ं

मने उससे कहा: चलो फर, आज तु हे एक नया एहसास दलाती हु। वो बना कुछ पूछे मेरे पीछे चल दया। उसको मालम

था क मेरे साथ मजे के अलावा कुछ और मल ह नह ं सकता। झोपड़े के अन ्दर पहुं चकर उसने जब मशा को दे खा तो वो
दं ग रह गया। वो अभी तक नंगी ह थी।

राहुल: ओह माय गॉड। ये…ये तो कबीले के सरदार क बेट है। वाव… शी इस यूट फुल। साला, अभी मेर तार फ कर रहा
था और नया माल दे खते ह इसक लार टपकने लगी। ये सारे लड़के एक जैसे ह होते है। खेर, मझ
ु े भी तो सफ उसके ल ड
से मतलब था।

म: दे खो राहुल, इसने आज तक कुछ नह ं कया है । आज तु हे इसे भी मजे दे ने है और मझ


ु े भी।

तभी पीछे से आवाज आई, "और मझ


ु े भी।" द पा ने अ दर आते हु ए कहा।

राहुल के तो मजे हो गए। एक साथ 3-3 चुते मारने को जो मलने वाल थी उसको। पर तभी उसके चेह रे क रं गत बदल
गयी। द पा के पीछे -2 राजपत
ू भी अ दर आ गया। दोन म 36 का आँकडा जो था। द पा को रो हत और राज तो मले नह ं
पर राजपूत मल गया। वो दोन एक दुसरे को घूर-2 कर दे खने लगे। पर कोई भी वहां से जाने को तैयार नह ं था। इतना
सारा मजा और कह ं मल भी तो नह ं सकता था न। मने ये सु हे रा मौका हाथ से नह ं जाने दया। हम तो कब से यह
चाहते थे क दोन म सल
ु ह हो जाए, आज अ छा मौका था।

म: दे खो राहुल,राजपूत, तुम दोन को आपस म लड़कर कुछ नह ं मलेगा। अगर तुम दोन को आज यहाँ मजे लेने है तो
आपस म दो ती कर लो। म तुमसे वादा करती हु क ऐसे मजे और भी मलते रहगे।

वो दोन गहर सोच म डू ब गए। बात तो सच ह थी, वो जानते थे क मेर और द पा क और भी काफ सहे लयां है , कॉलेज
म, हो टल म। और सबसे बड़ी बात हमार ं सपल मेडम के साथ िजस तरह क घ न टता है उसका फायेदा भी तो वो
दोन उठा ह सकते थे। और वैसे भी वो दोन पुराने दो त थे, बस समय के साथ-2 दोन के र त म फक आ चूका था।

राहुल ने पहले कहा: ठ क है, मुझे कोई ो लम नह ं है। म राजपूत से दोबारा दो ती करने को तैयार हु।

राजपत
ू ने कहा: साले। तू या अकेला तैयार है। म भी तैयार हु। आ जा गले लग जा यारा।

दोन भाव वभोर होकर एक दस


ु रे के गले लग गए। मेर आँख से भी ख़ुशी के आंसू नकल पड़े। भले ह मेरा उनसे कोई
इमोशनल कांटे ट नह ं था, पर उनक दो ती को वा पस जुड़ते दे खकर मेर आँखे भर आई। मने भी अपनी बाह फेलाई और
उन दोन के बीच म जाकर लपट गयी। दूसर तरफ से द पा भी बीच म आकर चपक गयी और हम दोन ने अपने-2
गुदाज मु मो से उनक ब ल ट बाजओ
ु ं के ऊपर फिजयोथेरेपी करनी शु कर द ।

राजपूत: चल राहुल, आज दखा दे इन लड़ कय को क असल चुदाई या होती है।

राहुल: हाँ, ठ क वैसे ह , जैसे हम दोन मलकर पहले कया करते थे और लड़ कय क चीख नकलवा दे ते थे। और दोन ने
हाई फाईव कया और हं सने लगे।

मने और द पा ने ज द से अपने-2 कपडे उतार दए। और मशा क ह तरह नंगी होकर उनके सामने बैठ गए। उन दोन
ने भी अपने-2 कपडे उतार फके और अपने-2 खूबसरू त ल ड लहराते हुए हमारे सामने खड़े हो गए। मशा का मह
ुं दे खने
लायक था, वो कबीले म रहती थी, इस लए उसके लए ल ड दे खना कोई नयी बात नह ं थी, य क अभी भी यादातर
आदमी और लड़के बना कपड़ो के घुमते थे।
127
पर शहर से आये हु ए गोरे ल ड दे खकर उसके मह
ुं म पानी आ गया। वो उसके कबीले के लोग के मक
ु ाबले छोटे ह थे पर
उसके लए ये छोटे भी बहुत थे, य क वो अभी तक कंु वार जो थी।

मने मशा को अपने पास बुलाया और हम तीनो उन दोन के सामने जमीन पर घुट न के बल बैठ गये। मने राजपूत का
ल ड पकड़ा और द पा न राहु ल का। आ खर हम भी तो थोडा चज चा हए था। और उनके ल ड को अपनी जीभ से छुआ कर
गीला कया और अपना मह
ुं खोलकर पूरा का पूरा हड़प कर गए। आ ह। स ् स। उन दोन क स का रयां
नकल गयी। हमारे ठ डे मह
ुं म अपने गम ल ड डालकर।

मने राजपूत का ल ड बाहर नकाल और मशा क तरफ घुमाया। द पा ने भी ऐसा ह कया और अब मशा के ह ठो के पास
हमार थूक से चमकते हुए दो-दो ल ड थे।उसने उन दोन को छ ल क तरह से पकड़ा और अपने मुंह म ठूस लया। एक
साथ। उन दोन को एक दस
ु रे के लंडो से टकराने का एहसास हु आ और फर से दोन ससक पड़े। म् म।अ ह।

और मशा ने बड़ी ह तेजी से दोन क छाि लय को चूसना और नगलना शु कर दया। आज तो इस झोपड़े म तूफ़ान
आकर रहे गा।

मशा दोन का ल ड चस ू ने म बीजी थी इस लए म उठ खड़ी हुई और राजपत ू के चेह रे के पास अपना चेह रा ले गयी, उसने
कसी भखू े भे डये क तरह से मझु े लपका और मेरे ह ठ को दबोच कर चूसने लगा। अ ह पु ह मु ह
उ म

कतनी ताकत थी उसक पकड़ म। राजपूत ने अपने हाथ मेरे मोटे और गदराये हु ए मु मो पर लगा दए और उ ह मसलने
लगा। मेरे न पलस को अपनी ऊँगल और अंगूठे के बीच दबा कर वो उ ह ऊपर क तरफ खींचने लगा। अ यीईईइ
अ ह धॆएरे दद होता है। पर वो जु मी कहाँ मानने वाला था। मशा उसका और राहु ल का ल ड अब एक-एक करके
चूस रह थी। द पा भी उठ और राहुल के गले से लपट कर उसको च क स करने लगी। राहु ल और राजपूत ने अपने
चेह रे एक दस
ु रे क तरफ कर लए, और अब मेर और द पा क मोट गा ड आपस म टकरा रह थी। और हमारे बीच म
फंसकर मशा बड़ी ह मिु कल से कभी राहुल और कभी राजपूत के ल ड को अपने मुंह म भरने क और चूसने क को शश
करने लगी।

म पूर तरह से गम हो चुक थी। म द पा क तरफ पलट और मने उसका चेह रा अपनी तरफ घुमाया। और अपने गीले ह ठ
सीधा उसके मह
ुं पर लगाकर उसे बेतहाशा चूमने लगी। अ ह कोमल उ म ् म।ये स उ मा आ ह।
द पा का बरु ा हाल हो गया। वो भी मेरे ह ठ को रबड़ क तरह से चस
ू ने म लग गयी। उन दोन के ल ड अब हमार गा ड से
टकरा रहे थे। और हमार रस बरसाती हुई चूत मशा के चेहरे के पास थी। िजनमे ऊँगल डुबोकर वो कभी मेरा शहद
नकालकर चाटती और कभी द पा का जूस पीती…

उसको ऐसा मजा आज तक नह ं मला था। …P155-158…

अचानक मशा ने अपनी जीभ नकाल कर मेर रसील चत


ू के अंदर घस
ु ाद। उ ममम… अहह… उफफफफ फ़…

मेर चूत के चार तरफ फेल परत को उसने अपने दांतो से दबा - दबाकर लाल सख
ु कर दया। इतना अछा टमट तो आज
तक कसी ने भी मेर ब नो को नह ं दया था। वो गल
ु ाब क पंखड़
ु ी क तरह से आराम से मेर चत
ू के फेले हुए ह ठो को
अपनी जीभ से सहला रह थी और अ दर से आ रहे जूस को, जो क मेर पंखु ड़य पर ओस क बूंद जैसा गर रहा था
उसको बड़े चाव से पी रह थी। अ यीईइ…

तभी राजपूत ने मझ
ु े मशा के मह
ुं के ऊपर झुकाया अपना कड़ा लंड मेर चूत म पीछे से घुसा दया… उसका लंड मशा के
ह ठो से रगड़ खाता हुआ अ दर गया… उसका ध का इतना तेज था क मेर चूत के अ दर फंसी हुई मशा क जीभ को भी
बाहर नकलने का मौका नह ं मला और वो भी राजपूत के लंड के साथ-2 मेर चूत के अ दर आ गयी। उ म ्म
अ ह…
128
मशा क जीभ और राजपूत के लंड का एक साथ एहसास मझ
ु े अ दर तक त ृ त कर गया। ये पहला मौका था जब दो चीज
एक साथ मेर चत
ू के अ दर वराजमान थी, और ये एहसास मझ
ु े बड़ा उ तेिजत कर रहा था।

ओ ह माय गोड… ये स…ये स…

म पछले एक घंटे से अपनी चूत क मा लश करवा रह थी इस लए मने 2 मनट म ह झड़ना शु कर दया…

अ ह… ओ फ़् फ़…

मेर हांडी से दह नकल कर राजपूत के लंड का रा या भषेक करती हुई मशा के मुह
ं म जाने लगी, और वो कु तया क
तरह से मेरा सारा रस यासी छनाल क तरह से पी गयी। द पा ने भी राहुल का लंड चूसना छोड कर उसक तरफ ख
कया और उसे ध का दे कर नीचे लटा दया। और खुद उसके ऊपर घुड़सवार करने के अंदाज म बैठ और कसी कुशल
जो क क तरह से अपनी गांड ऊपर हवा म उठाकर धांय से राहु ल के खड़े हु ए लंड के ऊपर दे मार और उसक चत
ू सीधी
खड़े हु ए लंड को नगलती हुई उसे अपने अ दर समाती चल गयी।

अ ह…

ये आवाज राहुल क थी… उसको अपने लंड पर हु ए इस गजनवी हमले क आशा नह ं थी। इस लए अ दर जाते हुए उसके
लंड क चमड़ी थोडा यादा ह छल गयी, और इसका बदला लेते हुए उसने नीचे से द पा क गांड के छ लो को दबोचा और
ऊपर क तरफ जोर से ध के मारने लगा…

अ हअ हउ मउ ह ये स। उ म ्म…और तेज… और तेज…हां ऐसे ह अअ ह ये स।


रआहुल… अ ह… …P0159…

राहुल ने ध के मार मारकर उसक चूत के इं जन को इतना गम कर दया क उसके अ दर का काम रस उबलने लगा, और
बाहर आने के लए तैयार हो गया… इसी बीच राजपूत ने मेर चूत से अपना ह थयार बाहर नकाला और उसपर लगे हुए
मेर चूत के रस से सराबोर लंड को अपने हाथ म लेकर मशा के मुह
ं क तरफ घुमा दया। वो तो कतनी दे र से इसी
इ तजार म थी। उसने राजपूत के लंड को अपने मह
ुं म लेकर चूमना और चूसना शु कर दया… कतनी ज द ये सारा
कुछ सीख गयी थी…

म भी खड़े-2 चुदवाकर थक गयी थी इस लए मझ


ु े बैठने के लए कोई जगह चा हए थी पर उस झोपड़े म सवाए घांस फूंस के
कुछ ना था। इस लए मने राहुल क तरफ ख कया जो द पा क चूत के पच ढ ले करने म लगा हुआ था और उसके सर के
ऊपर जाकर खड़ी हो गयी और उसके मह
ंु का नशाना लगा कर ध म से उसके मह
ंु पर बैठ गयी। मेरा चेह रा द पा क तरफ
था…

और द पा ने भी बना मौका गँवाए मेरे ह ठ को अपने मह


ुं म दबोचा और उ ह चूसना शु कर दया, और नीचे से राहुल ने
मेर चूत क चाशनी को सुरकना शु कर दया। राजपूत को मने इशारा कया क ये ह मौका है, मशा क चूत को फाड़ने
का। उसने भी अपना सर हलाया और मशा को राहुल क बगल म ह नीचे लटा दया। बड़ी ह से सी लग रह थी वो
अपनी पहल चुदाई से पहले…

राजपूत भी खाया खेला ल डा था, उसने यार से उसक चूत को सहलाया और अपने लंड का सप
ु ाडा उसक चूत के मह
ु ाने पर
लगाकर धीरे से अपना भार उसके ऊपर डाला… अ ह…

मशा ने अपने ह ठ को दांत के बीच दबा लया पर एक हलक सी चीख नकल ह गयी उसके मुह
ं से… इसी बीच राहुल का
लंड द पा क चूत के अ दर छप-2 क आवाज करने लगा। इस बात से अंदाजा हो गया था क द पा क चूत ने अ दर से
पानी छोड दया है। उसके नम होते हुए ह ठ भी इस बात का माण थे क उसका ओगा म हो चूका है। पर मेरे मह
ुं म फंसे
होने क वजह से वो खुलकर अपने ओगा म के आने का इजहार नह ं कर पायी।

129
और दस
ू र तरफ राजपूत ने एकदम से अपने लंड को एक तेज झटका दया और अपना आधे से यादा लंड मशा क चूत के
अ दर वा हत कर दया… मशा का मह
ंु खल
ु ा का खल
ु ा रह गया… बेचार चीख भी नह ं पायी और राजपत
ू ने एक और
करारा झटका दया और अपना रामपुर पूरा का पूरा उसक चूत के अ दर घुसा दया।

अ ह… उ फ़् फ़… अ यीईई… मर गयी… अ ह…

बेचार को काफ दद हो रहा था… पहल चुदाई थी ना उसक … मझ


ु े भी अपनी पहल चुदाई याद आ गयी। मने उसको
त स ल द । "हो गया… बस हो गया… अब मजे ह मजे ह…"

उसने धीरे से मु कुरा कर मुझे दे खा, और अपना सर हलाया…

राजपूत ने धीरे -2 धाके मारकर उसक चूत को अपने लंड का अ य त कर लया और फर जब उसको लगा क नीचे से
मशा भी अपनी गांड उचका-2 कर उसका साथ दे रह है तो उसने भी उसके हांथो को अपने हाथ म दबोच कर, अपना मंह

उसक े ट पर लगा कर, जोर-2 से ध के मारने शु कर दए। अब मशा फर से चीखने लगी…पर अब वाल चीख म
मजे क स का रयां थी।

अ ह…उ म ्म…उ म ्म अ हओ फ़…उ म…

मेर चूत को राहुल रसगु ले क तरह चूसकर उसक चाशनी पी रहा था और नीचे से द पा क चूत म ध के उसके दस
ु रे
ओगा म को भी बुला रहा था। वैसे एक और ओगा म तो मेरे अ दर भी बनने लग गया था। िजसे राहु ल ने अपनी जादुई
जीभ से बुलाया था, और फर एक-2 करके सभी ने झड़ना शु कर दया।

सबसे पहले द पा ने… उसको जैसे ह राहु ल के लंड से नकल पचकार का एहसास हु आ, उसने भी अपनी चूत से जादई

पानी उसके लंड के ऊपर कुबान कर दया। फर बार थी मशा और राजपत ू क , जो एक साथ ह झडे। राजपतू के लंड क
पचका रयाँ िजतनी दे र तक मशा क चूत के अ दर चलती रह उतनी दे र तक उसके शर र के झटके राजपूत को अपने लंड
के ऊपर महसूस होते रहे ।

और सबसे बाद म मेर बार थी… मेर चूत के ह ठ को अपने ह ठ म दबाये हु ए राहु ल ने सारा माल अपने अ दर ांसफर
कर लया। एक भी बँद ू बाहर गराए हु ए। सभी त ृ त हो चुके थे, और सबसे यादा त ृ त तो मशा थी। जो अपनी चूत के
अ दर उँ ग लयाँ डालकर अपनी चुदाई के एहसास म खोयी हुई थी।

आज वो चुदकर क ल से एक फूल जो बन चुक थी। …P160-163…

मने मशा से पुछा: अब तो खुश हो ना तुम, मजा आया के नह ।ं

मशा मु कुरायी और बोल : "ये एहसास जो तुमने मझ


ु े दलवाया है, म कभी नह ं भल
ू सकुंगी। मेर सार सहे लयां हमारे
क बले के दस
ु रे लडको के साथ ये सब कर चुक ह, पर सरदार क बेट होने क वजह से कोई भी मझ
ु े पूरा यार करने से
कतराता था. इस लए म इस अनोखे एहसास से वं चत थी, आज तक। पर तुम सबने मलकर आज मझ
ु े त ृ त कर दया है
िजसका एहसान म कभी नह ं चुका सकुंगी।"

थोड़ी दे र क कर वो बोल : "पर कुछ ऐसा है िजसे करके म तम


ु सभी को ऐसा मजा दलवा सकती हूँ िजसके बाद तम
ु मझ
ु े
भी याद रखोगे।"

उसक बात सुनकर हम सभी एक दुसरे को दे खने लगे और फर आतुर नजर से उसक तरफ दे खकर बोले: बोलो न… या
और कैसा मजा दलवा सकती हो तुम…

वो मु कुरा कर रह गयी, और बोल : तुम सभी शाम को अ धेरा होने के बाद मेरा इ तजार करना। म तु हे एक ऐसी जगह
लेकर चलूंगी जहाँ तु हे ज नत का मजा मलेगा। हम सभी के मन म तरह-2 के वचार उठने लगे। पर मशा ने आगे कुछ
और भी बताने से मना कर दया।
130
इस लए हमारे पास अब शाम को अ धे रा होने के इ तजार करने के अलावा कोई और चारा नह ं था। मन तो और भी चुदने
का कर रहा था पर भख
ू भी काफ लगी हुई थी। इस लए हम सभी अपने-2 झोपड़ो म आये और कपडे बदल कर खाना
खाया। और फर थोड़ी दे र के लए सो गए ता क शाम के लए हमारे अ दर थोड़ी ताजगी आ जाए। य क इतना तो हम
पता चल ह गया था क जो भी हो "मजे" का मतलब चुदाई ह होगा।

शाम को कर ब 7 बजे के आसपास द पा ने मझ


ु े उठाया। मुझे बड़ी ह मीठ नींद आ रह थी. चुदाई क भख
ू एक बार फर से
जाग उठ थी। पर मशा के आने का टाइम भी हो चूका था, इस लए म उठ गयी। मने सोते समय अपने सारे कपडे उतार
दए थे और चादर के अ दर नंगी ह सोयी हु ई थी। म जब उठ कर खड़ी हुई तो द पा क नजर मेरे िज म को भेदने लगी।

मने उसक तरफ दे खा और पुछा: "ऐसे या दे ख रह है, पहले कभी नह ं दे खा या मुझे…"

द पा: "म दे ख रह हूँ हर रोज तेर जवानी पर एक नया नखार आता जा रहा है।"

उसक बाते सन
ु कर मेरा रोम रोम पुल कत होने लगा। मझ
ु े अप न तार फ सन
ु ना अ छा लगता था। (वैसे कसे नह ं
लगता।) म: " या… बता ना, या नखार आया है।"

मने अपना नंगा शर र उसके सामने उभार कर रख दया, और अपना एक हाथ अपनी कमर पर रख दया। एक तो चुदाई
क खुमार और ऊपर से उसक बाते सन
ु ने का लालच। मने भी थोडा मजा लेने क सोची।

द पा ने बोलना शु कया: "अपनी े ट तो दे ख… कतनी बड़ी और कड़क हो गयी है पहले से। मुझे याद है, मने जब पहल
बार इ ह सक कया था तो ये इतनी बड़ी नह ं थी, और ना ह तेरे न पल इतने रसीले लगते थे।"

उसक बात मेरे न पल ने सन


ु ल शायद, और फुल कर कु पा हो गए, और चमकने लगे उसक आँख के सामने ह रे क
तरह। म: "और… और या…"

द पा: "और अपनी कमर तो दे ख, कतनी कटाव वाल हो गयी है। ऊपर से आकर पतल होती जा रह है और नीचे क तरफ
फर से फेल हुई। बलकुल हावर लास क तरह फगर हो चूका है तेरा। और… और ये तेर फेल हुई गांड… तेरा तो पूरा
बदन गदरा चूका है।" वो क ते आगे आ गयी और उसने मेरे कू ह पर अपने हाथ टका दए, और उ ह धीरे से दबा दया।
अ ह…

मेरे तेज धड़कते हुए सीने क आवाज यादा तेज थी मेर ससकार से। उसके हाथ मेर जेल फश जैसी चूत के ऊपर रगने
लगे… मेरे ह ठ फड़कने लगे, सूखने लगे। मने जीभ गील कर और उनपर फेराई।

द पा: "और ये जो है ना, तेर चूत… हाँ… येह है इन सबक जड़। पता है, कतने लंड नगल चुक है आज तक। कभी
गनती क है तन
ू ।े कतनी बार इसे चस
ू कर मने अपनी यास बझ
ु ाई है। पर इसका शहद हर बार एक अनोखा वाद दे ता
है…"

वो जो भी मेरे बारे म बोल रह थी, मझ


ु े नशे क तरह मदहोश कर रहा था। हर अंग क तार फ सन
ु ना और वो भी अपनी
बे ट ड से और वो भी नंगे खड़े होकर, एक अजीब सी ख़ुशी मल रह थी मझ
ु े। उसक उँ ग लयाँ मेर चूत के ऊपर
थरकने लगी थी। चाशनी म डूबकर उसक उँ ग लयाँ चप चपी सी हो गयी थी। और उसी चि चपाहट का लाभ उठा कर
उसने अपनी बीच वाल ऊँगल को मेर चत
ू के अ दर पश
ु कया और मने कसी सांप क भाँती उसक ऊँगल को चु हया क
तरह से नगल लया। स् स, उ म ्म…

मेर आँखे बंद होती चल गयी। मेरे ह ठ गोल होकर उसके चेह रे क तरफ चल पड़े। द पा क साँसे भी तेज होकर ध कनी
क तरह से चल रह थी। वो ससकार लेते हुए बोल : "और… और तेरे ये ह ठ, कतनी त पश है इनमे। मेरा लड़क होकर
इ ह चूसने का इतना मन करता है तो जो भी तुझे दे खता होगा, या चूसता होगा उनका या हाल होता होगा… जल जाते
ह गे वो तो…"

131
उसक ऊँगल मेर चूत म और उसक रसील बात। और स नह ं हु आ मझ
ु से, मने ससक कर उसको अपनी तरफ खींचा
और बोल : "बस… बस कर आ जा तझ
ु े बताती हूँ क कतनी त पश है इनमे।" और इससे पहले क वो तेज सांस लेकर
ल बी समच
ु के लए तैयार हो पाती मने उसके पतले और नाजुक ह ठ को अपने मोटे और मल
ु ायम ह ठ के बीच म फंसा
कर जोर से चूसना शु कर दया…

पु ह… अ ह… उ म ्माअ… उ म…

उसक ऊँगल मेर चूत के अ दर कोहराम मचा रह थी। उसने अपनी दूसर ऊँगल भी अ दर डाल द और अपनी दो-2
उँ ग लय से मेर चूत क चुदाई करने लगी।

मेरा तो बुरा हाल हो चूका था।

परू ा शर र पसीने म भीग गया था। ह ठ नम हो चक


ु े थे। उनम से मीठा रस बहकर द पा के ह ठ म और उसका मीठा रस
मेरे मुंह म आ रहा था। अचानक उसने अपनी दोन उँ ग लय से मेर ि लट को चुटक भरकर पकड़ लया… म तो तड़प
उठ … अपने पंज पर खड़ी होकर, मने उसके ह ठ को चूसना छोड़ दया और उसक उँ ग लय का कमाल दे खने लगी।
अ यीईइ अ ह… स… द पा… म मम।

मेरे ह ठ फर से गोल होकर उसे कामक


ु नजर से दे खने लगे। मेर गोल मटोल छा तयाँ कड़क होकर सामने क तरफ तन
गयी और मेरे न पल तो जैसे फटने क हालत म हो गए… उसने मेर े ट को अपने चेह रे के आगे दे खा और अपने गम
मुह
ं के अ दर मेर दांयी चूची को भरा और उसे चूसने लगी।

अ ह…

मेरा ओगा म अपनी चरम सीमा पर था। उसक दोन उँ ग लय ने जब आ खर बार मेर ि लट को पकड़कर बरु तरह से
मसला तो जैसे मेरे अ दर जैसे कोई पानी का गु बारा फट गया। मेर चूत से रस क धार धड़ ले से बहकर बाहर क और
नकल पड़ी। ऐसी नकल क मझ
ु े तो एक बार लगा क मेरा पेशाब नकल गया है। अपने पंज पर खड़ी हुई म ओगा म के
ध के झेलने म लगी हुई थी। मेरा परू ा शर र कांप रहा था। आज मेरे िज म क तार फ करने के साथ-2 द पा ने मझ
ु े एक
नए तरह के मजे दए थे जो आजतक नह ं मल पाए थे। उसने जो पतला सफ़ेद रं ग का टॉप पहना हु आ था मने उसे एक ह
झटके म उतार फका।

और मेरे कहने से पहले उसने अपनी कट को नीचे खसका दया, और अब वो भी नंगी खड़ी थी मेरे सामने… पूर नंगी…
और जैसे उसने मेरे िज म को आज गोर से दे खकर मझ
ु े सन
ु ाया था ठ क वैसे ह मने भी उसे उसके वक सत शर र से
अवगत कराया।

म: "वाव… द पा सच म, आज तन
ू े मझ
ु े जो मजा दया है वो आजतक कभी भी नह ं मला, और ऐसा नह ं है क सफ मेरा
िज म ह चुदाई के बाद इतना नशीला हो गया है। अपने आप को दे खा जरा…"

उसक छा तयाँ मेर बात सन


ु ने के लए ऊपर नीचे होकर अपनी बेकरार कट कर रह थी।

म: " कतनी छोट हुआ करती थी ये े ट, 32 का साईज था जब पहल बार मने इ ह चूसा था, और अब न जाने कन-2 से
चस
ु वा कर तन
ू े इ ह 38 का बना दया है…" उ म… इतना कहकर मने अपना मह ंु झक
ु ाया और उसक छाती को अपने
मुह
ं म पूरा ठू स कर उसे चबाने लगी…

"अ ह… धीरे कोमल…धीरे खा इ ह, दद होता है… उ म।"

मेरे गले के पीछे क दवार पर उसका न पल अपनी रगड़ छोड़ रहा था। मने जब सक करना शु कया तो उसका अंगरू का
दाना अपना रस मेरे अ दर छोड़ने लगा।

उ म ्म… ये स… ऐसे ह कोमल…यू आर स कं ग ईट ेट… अ ह।

132
म नीचे बैठ गयी और उसे अपनी जांघ पर बठा लया। उसक चूत ने मेर मोट टांग को दोन तरफ से लपेट कर बुर तरह
से दबोच लया और अपनी चत
ू से बाहर नकल रहे दाने से मेर टांग पर घसाई करने लगी। उसक हर घसाई अपने पीछे
मीठे रस क लक र छोडती जा रह थी।

उ म… अ ह… उ फ़…

म: "और ये तेर चूत भी अब कम हरामी नह ं रह गयी है। िजस कसी के लंड को दे खती है , नगल जाती है, कतनी गम
भर हुई है तेरे अ दर। साल … हरामजाद , आज तेर सार गम नकाल दूँ गी।" मेर बात सुनकर वो भी वैसे ह उ तेिजत
हो रह थी जैसे उसने मझु े कया था।

फर अचानक जैसे उसके अ दर भत


ू नी घुस आई हो। उसने मझ
ु े पीछे क तरफ ध का दया और मझ
ु े लटा दया, और
मेर टांग को अपनी तरफ खींच कर मेर चूत वाले ह से को अपनी चूत से टच करवाया। अब हम दोन कची क तरह
अपनी-2 टाँगे एक दुसरे म फंसा चुके थे और हमार चूत एक दुसरे के ऊपर थी। मुझे तो अभी-2 ओगा म हु आ था इस लए
म तो सफ अपनी कोह नय के बल पर पड़ी हुई उसक हरकत दे खती रह और वो अपनी पूर शि त के साथ अपनी चूत को
मेर चूत पर रगड़-2 कर अपने झडाव के नजद क पहुँचने लगी, और अंट -शंट बकने लगी।

अ ह… ले ले… और जोर से घस… अ ह…खा जा, नगल जा मझ


ु े… मेर चूत को… अ ह उ म इ फ़् फ़…
ओ फ़् फ़ म आयी, कोमल, म आयीई… और एक जोरदार झटका दे कर उसक चूत क दवात म से ढे र सार याह
नकल कर मझु े रंग गयी। और वो गहर साँसे लेती हुई मेरे पैर क उँ ग लय को आवेश म आकर चस
ू ती हुई, वह नढाल
होकर गर पड़ी।

तभी झोपड़े के अ दर मशा आई… और उसने जब हम इस हालत म दे खा तो वो भी ससक कर रह गयी। शायद सोच रह
होगी क थोड़ी दे र पहले आ जाती तो उसे भी हमारे साथ का मजा मल जाता।

मशा: "लगता है काफ मजा लया है तुम दोन ने आपस म। चलो कोई बात नह ,ं आज क रात तो मजे लेने क ह रात
है। अब ज द से कपडे पहनो और चलो।"

हमने अपने-2 कपडे पहने और उसके साथ बाहर नकल आये। बाहर एक और लड़क खड़ी थी, जो शायद उसक सहे ल ह
थी।

मशा: "ये मेर सहे ल है, ट मी…"

उसने अपने चेह रे पर कपडा बांधकर ढका हु आ था इस लए हम उसका चेह रा नह ं दे ख पाए। मशा ने भी अपने चेह रे पर
कपडा बांधकर ढँ क लया।

म: "ये या कर रह हो…"

मशा: "हम िजस जगह जा रहे ह, वहां अगर कसी ने मझ


ु े दे ख लया तो मिु कल हो जायेगी। इस लए अपना चेह रा ढक
कर ह वहां जाना होगा हम… तुम तो ऐसे ह चलो।"

मने गोर कया क आज मशा ने अपनी े ट को ढकने के लए कोई कपडा नह ं बाँधा हु आ था, और ना ह यादा मालाएं
थी उसके गले म। उसक उभर हुई गो लयां साफ़ दे ख जा सकती थी। खेर… वो आगे-2 चल पड़ी और हम दोन उसके
पीछे -2, मजा लेने के लए। …P164-167…

अब आगे क कहानी, मशा क जुबानी।

**** मशा****
*************
133
अँधेरा काफ हो चूका था, कबीले म सभी लोग आपने घर म जा चुके थे इस लए कसी ने भी हम बाहर नकलते हुए नह ं
दे खा। म उ ह लेकर उसी झरने क तरफ जा रह थी जहाँ वो आज सब ु ह नहाए थे और मजे लए थे, झरने के पास से होकर
गुजरते हुए हम थोड़ी ह दरू बने हुए एक बड़े से मैदान म पहुंचे और वहां का नजारा दे खकर कोमल और द पा है रान रह गए।
दरअसल ये एक खुला सा मैदान है जहाँ हमारे कबीले के और पड़ोस के एक-दो और कबीले के लोग मल जुलकर मजा करने
के लए आते ह।

यहाँ आने का मकसद नशा और काम वासना शांत करना होता था। यादातर सभी यहाँ आकर पुरे नंगे हो जाते थे ता क
एक दुसरे के अंगो को दे खकर अपने हसाब से अपना साथी चुन ले। वहां बीच म आग जल रह थी, और उसके चार तरफ
लोग झुंड म बैठे हुए थे। मेरे पताजी को अगर पता चल जाए क म भी ऐसी जगह पर आती हूँ तो वो मझ
ु े मौत के घात
उतार दगे। वैसे आज से पहले सफ एक ह बार म यहाँ आई थी और अपनी सहे ल ट मी के साथ मलकर हमने दस
ु रे
का बले के 2 नौजवान के साथ खूब मजे लए थे। मने तो सफ चूमा चाट ह क थी पर ट मी क चूत और गांड उन दोन
ने मलकर मेरे ह सामने मार थी। वो थी भी काफ ठरक और पहले भी काफ लोगो से अपनी चूत मरवा चुक थी। पर
मने अपनी मयादा को नह ं लांघा।

हालां क मन मेरा भी काफ कया था, पर अगर कसी कबीले वाले ने दे ख लया और मेरे पताजी को पता चल गया, बस
उसी का डर था। पर कोमल क वजह से मुझे लंड को महसूस करने का सुख मल चूका था और अब मेर हालत खून चख
चुक शेरनी जैसी थी, िजसे हर रोज लंड चा हए अपने अ दर। म इन दोन को यहाँ इस लए लायी थी क उ ह अलग तर के
का मजा दला सकू ता क उनका उपकार भी उतर जाए और म भी आज पुरे मजे लेने के मूड म थी। आज मुझे अपने
पताजी का भी डर नह ं था।

कोमल: "अरे … ये या है… ऐसा लग रहा है क तुम कबीले वाल का ड को है ये। सभी नाच गा रहे ह, और वो दे खो, वो
लड़क कैसे उस काले ह शी के साथ खु ले आम चु मा चाट कर रह है। और वो भी सबके सामने उसक े ट दबा रहा
है… ओ ह माय गोड, मझ
ु े तो वशवास ह नह ं हो रहा है क यहाँ इतना खुलापन है।"

वहां यादातर आदमी और औरत नंगे ह रहे थे। य क उ ह मालम


ु था क अपने मोटे मु म और ल बे लंड क नुमाईश
करके ह उ ह मजा मल सकता है। और जो लड़क सबसे सु दर होती थी वो अपने हसाब से कोई तयो गता रखकर
अपना साथी चुनती थी। यानी जीतने वाला उसके साथ पूर रात ऐश कर सकता है। वहां कई लोग नशे का योग भी कर
रहे थे। दे सी शराब और चरस यहाँ आम बात थी, और उनका सेवन करके सभी अपनी सध
ु बुध खोकर खुल कर मजे कया
करते थे।

ट मी ने तो वहां पहुँचते ह अपने बचे -खुचे कपडे उतार कर एक कोने म रख दए। उसके जैसे मु मे हमारे पुरे का बले म
कसी के नह ं थे। उ ह दे खते ह उसके चार तरफ खड़े हुए लंडो क भीड़ सी लगने लगी। उसने एक ल बे से लड़के को
इशारा करके अपनी तरफ बल
ु ाया, उसका वजन होगा कर ब 80 के आस पास और 7 फ ट ऊँचा था वो, और 10 इंच का लंड
था उसका।

वो आगे आया और ट मी को लेकर एक कोने म चल दया।

द पा: "ये या… कोई भी कसी के साथ मजे कर सकता है… वाह… आज तो मजा आएगा।"

हम सभी ट मी के पीछे चल दए। एक कोने म घांस फूस का ढे र पड़ा हुआ था। काले आदमी ने वहां पहुँचते ह ट मी को
घांस पर ध का दे कर गर दया। उसका मोटा शर र ग े क तरह से बछ गया घांस के ऊपर। उसक ल कारे मार रह चूत
क नमी साफ़ दखाई दे रह थी। नीचे गरते ह उसने 10 इंच के लंड को अपने हाथ म पकड़ा और उसे मह
ुं म लेकर चूसने
लगी। म सोच रह थी क कबीले म रहने वाल को आ खर ये अं ेजो वाले टाईल पता कैसे चलते है… पर शायद से स क
भख
ू सब कुछ सखा दे ती है। मुझे भी तो कोमल और द पा से कतनी नयी बात सीखने को मल थी। ट मी क हालत
बुर हो रह थी। वो लंड को अपनी चूत म लेने के लए तड़पने लगी।

134
पर वो लड़का भी उसे तडपाने म लगा हु आ था और उसके ऊपर लेट नह ं रहा था। आ खर ट मी को गु सा आ गया और
उसने लड़के को नीचे गरा दया, और उसके ऊपर सवार हो गयी… वो कुछ समझ पाता इससे पहले ह ट मी क चत
ू के
छे द ने उसके लंड को अपना गुलाम बना कर जकड लया, और वो ल बा लंड उसक चूत म जाकर कहाँ गायब हो गया, पता
ह नह ं चला। और फर शु हुआ वासना का नंगा नाच… उस लड़के ने ट मी के उछल रहे मु म को दबा दबाकर लाल
टमाटर जैसा कर दया। ट मी के मु मे उसके हाथ म आ भी नह ं रहे थे, और वो चीख मार-मारकर अपनी चत
ू के
परख चे उड़वा रह थी।

अ ह… अ ह… म म म।

उसक आवाज सन
ु कर आस पास के कुछ लोग वहां आ गए और उसे चुदते हुए दे खने लगे।

तभी कसी का हाथ मझ


ु े अपनी कमर पर महसस
ू हुआ। मेरे तो र गटे खड़े हो गए। वैसे तो मने अपने शर र पर ऐसा कुछ
नह ं पहना हु आ था िजसक वजह से म कुछ छुपा सकँू , और वैसे भी म यह दखाने के लए ह तो यहाँ आई थी। मने पीछे
मड
ु कर दे खा और सच कहूँ तो मने चेह रे से पहले उसके लंड क तरफ दे खा। जो कर ब उतना ह ल बा था िजतने ल बे लंड
से ट मी चुद रह थी, और बलकुल खड़ा हु आ था। मने धीरे -2 अपनी नजर ऊपर क और उसके कसे हुए शर र से होते
हुए उसके चेह रे तक आई, और उसका चेह रा दे खते ह म च क गयी। दरअसल वो हमारे कबीले के सेनाप त का बेटा तजी
था।

म: "तजी… तम
ु यहाँ…"

तजी: "आप भी तो ह यहाँ राजकुमार जी।"

उसके हाथ मेर नम कमर पर फसल रहे थे। अगर क बले म इसने ऐसी ह मत क होती तो म उसके हाथ कलम करवा
दे ती। पर यहाँ मझ ू ा था क म भी यहाँ मजे लेने के लए आई हूँ। और वैसे भी,
ु े ऐसी अव था म पाकर वो सब समझ चक
ट मी क चुदाई दे खते हुए मेर चूत से आग नकल रह थी। अब चाहे तजी से ह चुदवाना पड़े मुझे कोई फक नह ं पड़ने
वाला था।

तजी का दस
ू रा हाथ ऊपर उठा और उसने मेर गले म पड़ी हुई मालाओं के पीछे छपे हु ए मेरे मु मे को पकड़ कर मसल
दया। मेर आँखे बंद होने लगी, और मने अपना सर पीछे करके उसके कंधे पर रख दया। वो मेर वीकृ त समझ गया
और मु कुराते हुए मेरा हाथ पकड़ कर अपने लंड के ऊपर रख दया। ऐसा लगा जैसे मने कसी गम डंडे को पकड़ लया हो।
वो शहर लड़क से काफ बड़ा और मोटा था उसका लंड, और वैसे भी हमारे क बले म यादातर लोग का लंड शहर वाल के
मक
ु ाबले ल बा ह था।

रो हत और राजपूत के लंड अपनी चूत म लेकर मने अ दर जाने का रा ता तो सग


ु म बना ह दया था अब दे खना ये था क
तजी के लंड को अ दर ले जाने म कतनी तकल फ होती है। तजी ने मुझे अपनी तरफ घुमा लया, और मेरे ह ठ को चूमने
लगा। उसके मोटे और बाहर नकले हुए ह ठ ने मेरे नाजुक और गुलाबी ह ठ को अपने अ दर फंसा लया और उ ह बुर
तरह से चूसने लगा, जैसे कोई आम चूस रहा हो।

उ म ्म… अ ह… मउ
ू ह…

उसके दोन हाथ मेर छा तय को मसल रहे थे। मने भी अपनी एक टांग उठा कर उसक जांघ को रगड़ना शु कर दया।
उधर कोमल और द पा दम साधे ट मी क चुदाई दे ख रह थी। मानो सोचने क को शश कर रह हो क इतना ल बा लंड
आ खर ट मी ने ले कैसे लया अपने अ दर।

ट मी झड़ने के काफ कर ब थी। और जब वो झड़ी तो सभी को मालुम चल गया। उसक चीखे ह इतनी तेज थी क एक
बार तो सभी का यान उसक तरफ चला गया। यीईइ… अ ह… अ ह ओ फ़् फ़ माआ… अ ह…
म तो गयी… अ ह…

135
पर वो लड़का अभी हारा नह ं था। उसने ट मी को नीचे उतारा और उसे घोड़ी बना दया, और पीछे से अपना गीला और
कड़क लंड उसक चत
ू म पेल दया। उसके बाल को पकड़ कर उसके सर को पीछे क तरफ खींचा जैसे घोड़े क लगाम खींच
कर उसे चला रहा हो। फर उसने पीछे से धपा - ध प ध के मार-मारकर एक बार और ट मी को झड़ने पर मजबूर कर
दया। और फर अपने लंड से ढे र सार सफ़ेद और गाड़ा रस नकाल कर उसक पीठ के ऊपर नढाल होकर गर गया। इसी
बीच कोमल और द पा का यान मेर तरफ हो गया य क तजी ने मझ
ु े अपने सीने से लगाकर मझ
ु े चस
ू ना और चाटना जो
शु कर दया था।

तजी ने मेर गले क मालाओं और कमर म बंधा हुआ छोटा सा कपडा भी नकाल दया और म अब उसके और सभी दुसरे
क बले वाल के सामने नंगी होकर चपक कर खड़ी हुई थी। हालां क जहाँ हम खड़े हुए थे वहां काफ अँधेरा था पर कोई
अगर पास आकर दे खे तो मझ
ु े पहचान सकता था पर आज मझ
ु े कसी का भी डर नह ं था। म खुल कर अपने जवान िज म
क नुमाईश कर रह थी।

मुझे जब तजी ने अपनी टाँगे उसके ऊपर रगड़ते दे खा तो वो समझ गया क म पूर तरह से गरम हो चुक हूँ। पर वो भी
मझु े सीधे तर के से मजा दे ने के मड
ू म नह ं था। उसने मेरे ह ठ को चूसना छोड़ दया और मझ
ु े नीचे लटा कर मेर चूत के
ह ठ को अपने मह
ुं म ले लया, और उ ह चूसने लगा। मेर चूत के अ दर फंसा हुआ ढे र सार रस नकल कर उसके पेट म
चला गया। मेर जाँघ को अपने कंधे पर फंसा कर उसने अपने मुह
ं को मेर टांग के बीच म पूरा घुसा दया, और पीने लगा
मेरा रस गटक - गटक कर…

मेरे हाथ उसके घंघ


ु राले बाल को पकड़ कर उसके मह
ंु को और भी अ दर खींच रहे थे… तजी ने अपनी मोट और स त
जीभ को बाहर नकाला और मेर चूत के अ दर पेल दया। मझ
ु े तो ऐसे लगा क जैसे लंड ह डाल दया गया है मेरे अ दर।
इतनी मोट और गर्म थी उसक जीभ क मेर आँखे बंद सी होने लगी। उसने अपनी मोटे ह ठ से मेर चूत के पतले और
अ दर क तरफ घस
ु े हुए ह ठ को पकड़ा और उ ह चस
ू ने लगा।

अ ह… तेनजी… अ ह… और तेज चूस… अ ह सालॆ… अ ह…

मेरे मुंह से कुछ न कुछ नकले जा रहा था। मेर अधखुल आँखे अपने पीछे खड़ी हुई कोमल, द पा और ट मी को दे ख रह
थी। ट मी तो अभी चुद कर हट थी। पर कोमल और द पा अपनी चूत वाले ह से को रगड़ कर मेर चूत चु वायी का
मजा ले रह थी। तजी ने ज द -2 चूस कर मुझे झड़ने के कर ब ला दया… म उसे ध का दे कर पीछे कर रह थी पर उसने
मझ
ु े जोर से जकड़े रखा और आ खर मेर चूत के झरने को अपने मह
ुं म लेकर उसने मुझे पूरा खाल कर दया। अ ह…
अ ह… उ म् म… अ ह… उ फ़…

मेर हालत तो ऐसी हो रह थी क जैसे कसी ने मेर सार जान ह नकाल ल हो। अब मझ
ु मे उसके लंड को अपनी चूत म
लेने क ह मत नह ं बची थी। पर मेरा अनुमान गलत था। वो उठा और मेर टांग के बीच बैठकर उसने मेर चूत को
फेलाया और अपने लंड का अगला ह सा वहां लगाकर एक जोर का झटका मारा। म उछल कर उसक जाँघ पर चढ़ गयी।
और उसने मेर कमर पर हाथ लगाकर मझ
ु े अपनी तरफ भींच लया और उसका ल बा लंड काले सांप क तरह सरकता
हुआ मेर चत
ू के बल म घस
ु ता चला गया।

अ ह…

मेरे मुंह से एक त ृ त सी ससकार नकल गयी… मने तजी को अपनी बाह म भींच लया, और उसके गठ ले क ध पर
अपने दांत गड़ा दए। वो नीचे जमीन पर अपने घुटन के बल बैठा हुआ था और म उसक गोद म बैठ हुई थी और मेरे पैर
ने उसक पीठ को अपनी गर त म ले रखा था। मेरे पसीने से भीगे हुए मु मे उसक छाती से पस रहे थे, और वो नीचे से
ध के मार-मारकर मुझे वग के मजे यह ं धरती पर दे रहा था।

अ ह… उ फ़् फ़… उ म ्म… अ ह…आआअ …ओ ह तजी, और तेज करो ना… अ ह…


कतना ल बा है तेरा लंड… अ ह…उ म अब तो रोज तुझसे चुदवाउं गी अ ह… उ म…
136
मेर बात का उसपर काफ असर हुआ और वो और भी वे शी तर के से मझ
ु े र दने लगा… और ज द ह मेरे अ दर एक
और तफ़ू ान ज म लेने लगा… और ज द ह उसके लंड से नकल रह पचका रय ने मझ ु े अ दर से भगोना शु कर
दया… और उसक गम को अपने अ दर महसस
ू करके मने भी फर से अपना रस बाहर क तरफ फकना शु कर दया…
हम दोन ने एक दस
ु रे को कस कर पकड़ा हु आ था और हम दोन के शर र अभी तक कांप रहे थे… ये चुदाई का खेल तो हर
बार और भी मजेदार होता जा रहा था। …P168-172…

तजी का लंड मेरे अ दर अभी तक फंसा हुआ था। उसने धीरे से उसे बाहर नकाला और मने अपना हाथ नीचे करके अपनी
चूत के अ दर का मला जुला पानी बाहर नकलने से बचाया। ऐसा लग रहा था क मेरे अ दर कोई गु बार फंसा हुआ है।
पर मझ
ु े मालम
ु था क मने या करना है। मने कोमल क तरफ दे खा और उसे इशारे से अपने पास बुलाया। वो भी मेर
आँख क भाषा और मंशा समझ गयी और गहर साँसे लेती हुई मेरे कर ब आई। म उठ खड़ी हुई और उसे कंधे से पकड़ कर
नीचे क तरफ बठा दया, और अपनी एक टांग उठा कर उसके सर के दूसर तरफ रख द और उसका ऊपर क तरफ उठा
हुआ मह
ुं मेर चूत के आगे लगा कर मने अपनी उँ ग लय को अपनी चूत से हटा दया।

अ ह… उ म ्म…

उसके खुले हुए मह


ुं म मेरे चूत से नकल रहा झरना गरने लगा। झरने म था मेर चूत का और तजी के लंड से नकला
गाडा और नशीला रस। उसक तो आ मा तक त ृ त हो गयी होगी वो जूस पीकर। उसके चेह रे को दे खा तो पता चला क
उ तेजना के मारे उसक आँखे और भी यादा गुलाबी हो चुक ह। अब उसे कोई लंड नह ं मला तो पता नह ं या करे गी वो।
पर जब तक वो अपने िज म क नुमाईश नह ं करे गी तब तक कोई उसके पास नह ं आएगा। मने उसके चेह रे को अपने
हाथ से पकड़कर ऊपर उठाया और अपने हाथ से उसके कपडे उतारने लगी। उसने मझ
ु े मना नह ं कया य क वो जानती
थी क नंगा तो उसे वैसे भी होना ह है।

उसक भूखी नजर तो बस आस पास खड़े हुए आ दवासी लंड ो को घूरे जा रह थी। जैसे उनम से कसी को लेने क त यार
कर रह हो कोमल। मने उसक ट शट उतार द और फर जींस और बाद म ा और पट भी। जैसे-2 उसका द ू धया शर र
नकल कर सबके सामने आता जा रहा था वैस-े 2 आस पास खड़े हुए नशेड ी आ दवा सय क नजर उसके िज म को भख
ू ी
नजर से दे खकर पागल हुए जा रह थी। उ ह ने आज तक कसी शहर लड़क को नंगा नह ं दे खा था इस लए उसके द ू धये
शर र को दे खकर उ तेजना आना वभा वक ह था।

खासकर उसके मोटे मु मे दे खकर वो पागल हुए जा रहे थे, वो िजस अदा के साथ तन कर खड़े हुए थे उसे अपने हाथ म लेने
का लालच हर कसी के मन म था पर हमारे कबील म एक श टाचार ये भी होता है क औरत क इ छा और वीकृ त के
बना कोई भी आदमी उसे हाथ नह ं लगा सकता इस लए अभी तक उसे कसी ने छुआ नह ं था। वो तो बस कोमल के हाथ
चुने जाने क ती ा कर रहे थे।

मने कोमल के कान म सार बात समझाई और ये भी बताया क वो अपने हसाब से िजसे चाहे चुन सकती है और अगर
चाहे तो कोई तयोगता रखकर जीतने वाले के साथ मजे ले सकती है।

कोमल: पर कस तरह क तयो गता… और जीतने वाले के साथ चुदाई करने से या हा सल होगा।

म: दे खो, जीतने वाला हमेशा दस


ु रे से ताकतवर ह होता है और अगर वो ताकतवर हु आ तो उसका लंड भी तो जोशीला और
ताकत से भरपूर होगा ना, समझी… …P173…

वो मेर बात समझकर मु कुरा द । मेरे दमाग म एक आई डया आया। मने कोमल से कहा क वो सभी क सहनशि त
क पर ा ले, और इसके लए मेरे पास एक धांसू अ डया भी था। हमारे का बले के आस पास के जंगल के पेड़ो के नीचे
जंगल चीं टयाँ पायी जाती है िजसके काटने से असहनीय दद होता है।

137
हमारे यहाँ था है क शाद के व त हर क बले वाले को उन चीं टय के झुंड के बीच हाथ डालकर अपनी सहनशीलता को
दशाना होता है जो इस बात का तीक होता है क वो आने वाल प रि थ तय म कभी डरे गा नह ं और ऐसा करके उसके
जवान और मद होने क भी पु ठ हो जाती है। पर हर कोई इसम सफल नह ं हो पाता है, कोई डर कर या दद से घबरा कर
पीछे भी हो जाता है पर तब तक उसक शाद नह ं हो पाती जब तक वो चीं टय से भरे बतन म 1 मनट तक हाथ डाल कर
ना खड़ा रहे।

मने तजी को सब समझाया और उसने बीच म खड़े होकर अपनी भाषा म सभी को जोर से च ला-2 कर वो तयो गता के
बारे म बता डाला। ये सब सुनकर और दे खकर कोमल के साथ-2 द पा भी तैयार हो गयी और पलक झपकते ह उसके भी
कपडे मने उतार कर नंगा कर दया और इस तरह से इनाम म अब एक नह ं दो-दो लड़ कयां थी, और दोन ह अपने "एक
रात के द ु हे" को चुनने के लए उ सा हत भी थी।

तजी ने ज द से एक बत से बनी बा ट के अ दर एक पेड के नीचे से ढे र सार लाल चीं टयाँ इक ी कर ल और ऊपर से


एक कपडा बाँध दया। उस कपडे के बीच म छोटा सा छे द करके उसने अ दर जाने के लए रा ता भी बना दया। अब एक-
2 करके तयो गता म भाग लेने के इ छुक आ दवासी आने लगे। उनम से यादातर लोग तो पहल बार ह ये सब ाई
कर रहे थे सफ कोमल के नंगे शर र को दे खकर वो इतने उ तेिजत हो चुके थे क उ ह कसी भी क मत पर उसके शर र से
मजे लेने ह थे।

पहला आ दवासी, जो हमारे ह कबीले का नह ं था वो आगे आया और उसने बीच म हाथ डाला। अ दर हाथ डालते हुए वो
कांप रहा था, शायद उसे मालम
ु था क कतना दद होने वाला है, 10 सेकंड के अ दर ह उसके चेह रे पर दद क पहल रे खा
आ गयी, और फर तो उसक चीखे नकलने लगी। अ ह… उ फ़… मर गया… अ ह… उससे सहन नह ं हुआ
और उसने अपना हाथ खींचकर बाहर नकाल लया। चीं टयाँ उसके हाथ से चपक पड़ी थी। उसने पास ह पड़े हुए पानी के
टब म अपना हाथ डाला और रगड़-2 कर उसे साफ़ कया। वो हार चकु ा था।

उसका हाथ लाल सख


ु हो चुका था, चीं टय ने जहाँ-2 काटा था वो जगह सज
ू कर फूल गयी थी। वो बेचारा अपना हाथ लेकर
कोने म चला गया और उसपर प त से बनी ओष ध का लेप लगाकर बैठ गया। कोमल और द पा इस ू र खेल को दे खकर
थोडा घबरा गयी पर जब मने उ ह बताया क ये तो आम बात है हमारे क बले म और यहाँ तो और भी ऐसे खेल होते ह
िजसमे जान जाने का भी खतरा रहता है, पर फर भी लोग घबराते नह ं ह। ये सन
ु कर वो थोडा शांत हुई और फर से खेल
का मजा लेने लगी।

अगले 2-3 लोग भी एक मनट तक अपना हाथ अ दर नह ं रख पाए।

अब अगला नंबर हमारे ह कबीले के एक नौजवान का था। उसका नाम जोशान था। वैसे तो उसक शाद हो चुक थी पर
शाद के एक ह मह ने के बाद उसक प नी मर गयी थी। तब से उसने दोबारा शाद भी नह ं क थी। उसक नजर पहले तो
मेरे नंगे शर र को घूरती रह पर मेरे ओहदे को सोचकर उसने अपनी नजर कोमल और द पा क तरफ घुमा द और अपना
हाथ उस बा ट के अ दर डाल कर खड़ा हो गया।

वो अपनी शाद के समय ये कर चुका था। इस लए उसे पता था क या होने वाला है, जैसे ह उसके हाथ पर चीं टय के
डंक पड़ने लगे,उसके चेह रे पर दद के भाव उजागर होने लगे। पर उसने हार नह ं मानी और धीरे-2 एक मनट बीत गया
और उसने जीत क ख़ुशी म चीखते हुए अपना हाथ बाहर खींच लया। जोशान ने जब पानी म अपना हाथ धोकर बाहर
कया तो उसके लाल और सज
ू े हु ए हाथ को दे खकर कोमल पहले तो घबरा गयी पर जैसे ह उसक नजर उसके झटके मार
रहे लंड के ऊपर गयीं वो सब कुछ भल
ू गयी।

जोशान का लंड था ह ऐसा। पुरे दस इंच का, मोटा, काला, और पूर तरह से खड़ा होकर स त हु आ पड़ा था वो। कोमल के
मह
ुं से तो लार नीचे गरते-2 बची। वह द पा भी फट हुई आँख से उसके लंड को दे खकर शायद यह सोच रह थी क इतना
मोटा लंड उसक छोट सी चूत म जाएगा कैसे…

138
जोशान आगे आया और कोमल और द पा को अपने दोन क ध पर उठा कर उसी घांस के ढे र क तरफ चल दया, जहाँ
ट मी क चद
ु ाई हुई थी अभी। उ ह नीचे उतार कर वो खड़ा हो गया… चार तरफ उनक चद
ु ाई को दे खने वाल क भीड़
लग गयी।

कोमल ने पहल क और आगे बढकर जोशान के लंड को अपने हाथ म ले लया। वो इतना मोटा था क कोमल के एक हाथ
क उँ ग लयाँ उसे लपेट नह ं पा रह थी। उसने अपने दस
ु रे हाथ को भी लगाया और उसे मसल कर ऊपर नीचे करने लगी।
आस -2 खड़े हुए सभी लोग भी अपने-2 लंड को मसल कर जोशान क क मत क सराहना करने लगे। कोमल ने अपने
कोमल से ह ठ आगे कये और उनम उसके लंड को पकड़ कर चूसने लगी। वो पूरा तो जा ह नह ं पा रहा था उसके मुह
ं म।
पता नह ं जब उसक चूत म जाएगा तो या होगा।

द पा भी आगे आई और उसने जोशान के लंड के नीचे लटक रहे ट े अपने हाथ म लए और फर अपना मह
ुं वहां लगा कर
उनक संचाई करने लगी। दोहरा मजा मलता दे ख और वो भी शहर वाल लड़ कय से, ये दे खकर जोशान क आँख बंद
होती चल गयी और उसने अपने लंड से झटके मार-मारकर कोमल के मुह
ं क चुदाई शु कर द । …P174-176…

अब आगे क कहानी, कोमल क जुबानी।

*****कोमल*****
****************
उ फ या लंड है इसका… ऐसा लग रहा है जैसे म कसी गधे का लंड चसू र ह हूँ। इतना मोटा और ल बा, पता नह ं ये
मेर चूत म कैसे जाएगा। मेर तो हालत ह खराब होती जा रह थी पर इतने मोटे लंड को अपने अ दर लेने का लालच भी
बढता चला जा रहा था। मने आज तक कसी से भी हार नह ं मानी थी, फर आज कैसे इस लंड के आगे म झुक जाऊ…
मने अपने पैने दांत से उसके मोटे डंडे को खरु चना शु कर दया, वो च लाने लगा और मेरे बाल से पकड़ कर मझ
ु े ऊपर
उठाया और मेरे ह ठ को पागल कु ते क तरह से नोचने लगा।

म तड़प उठ अ ह…

आज असल म जंगल पन दे खने को मल रहा था मझ ु े। उसके स त हाथ म मेरे बाल बुर तरह से फंसे हुए थे… दस
ु रे हाथ
से वो मेर े ट को नोच रहा था जैसे वो मेरे शर र का ह सा ह ना हो। पर मुझे उसका रफ सा अंदाज पसंद आ रहा था।
मने अपने शर र को ढ ला छोड़ दया और उसके इशार पर नाचने लगी। द पा ने अब उसके लंड को मह
ुं म ले लया था और
अपनी जीभ से उसक मा लश कर रह थी।

मझ
ु े जोशान ने अपनी ताकतवर बाजओ
ु ं म उठा लया और मने भी अपनी टाँगे उसक कमर के चार तरफ लपेट कर अपने
मु मे उसक छाती से चपका डाले। म को शश कर रह थी क अपने न पलस को उसक छाती के न पलस के ठ क ऊपर
लगाऊ पर उसक छाती काफ चोडी थी, मने अपनी े ट पकड़ी और उ ह फेला दया। अब मेरे न पलस उनपर पहुँ च पा
रहे थे।

मने अपनी उँ ग लय म अपने दाने पकडे हुए थे, िज ह मने लेजाकर उसके दानो के ऊपर रगड़ दया और फर उ ह
उँ ग लय म उसके दानो को लेकर मने दोन के न पलस को जोर से मसल डाला। मेरे ल बे नाख़ून दोन के दान के ऊपर
चभ
ु से गए और हम दोन के मह
ंु से जोर से आवाज नकल गयी। ऐसा लगा क मने उसके अ दर एक नयी उ तेजना का
संचार कर दया है, और और भी खु कार हो उठा। उसने उ तेजना म आकर मेरे बाल को पीछे से पकड़कर खींचा और
अपना मह
ुं सीधा मेर े ट के ऊपर दे मारा और एक ह बार म अपने बड़े से दे यकार मह
ुं के अ दर मेर े ट का आधे से
यादा ह सा ले लया और जोर से स क करने लगा…

म तो आवेश म आकर जोर से चीखने लगी। अ ह… म म म उ फ़् फ़… म म म…

139
मेरे हाथ उसके घुंघराले बाल म घूम रहे थे। मन तो कर रहा था क वो मेर े ट को क चा ह खा जाए। आज म वहशीपन
के हर बंधन को तोड़ने को अमादा थी। मझ
ु े आज दे खना था क मेरा शर र ऐसे जंगल पन को कतना झेल पाता है। उसके
तीखे दांत मेर सफ़ेद े ट पर लाल नशान बना रहे थे। मुझे पता था क ये नशान एक ह ते से पहले नह ं जायगे। पर
फर भी मन चाह रहा था क वो मेरे पुरे शर र को चूस चूसकर लाल कर दे। मेर चूत के नीचे उसका ल बा लंड था जो द पा
चस
ू रह थी।

अब तो बस मन कर रहा था क कसी तरह से वो मझ


ु े नीचे चादर क तरह से बछाए और मझ
ु े चोद डाले। मने अपना एक
हाथ नीचे कया और उसके ल बे लंड को सहलाने लगी। वो समझ गया क अब म तैयार हु, उसने अपने लंड को द पा के
मह
ुं से बाहर नकाला और मेर चूत के दरवाजे पर रखा।

मेर चूत से इतना पानी नकल रहा था मानो कोई यौहार हो जैसे, और इस यौहार का मजा द पा ले रह थी, य क सारा
पानी नकल कर सीधा उसके मह
ुं पर गर रहा था। और वो कु तया चटखारे ले लेकर सारा रस पए जा रह थी। जोशान ने
अपने लंड को मेर चूत पर लगाकर एक झटका दया, और उसका लंड मेर चूत के अ दर 4 इंच तक एक ह बार मी
खसकता चला गया… अ ह… म् म…

मेर तो स ी प ी गम हो गयी। मझ
ु े समझ नह ं आया क म इस लंड को और अ दर लू या यह से ध का दे कर बाहर
नकाल द।ू मने आज तक िजतनी बार भी चुदाई करवाई थी, यहाँ तक क अपनी पहल चुदाई भी, कसी म भी इतनी
तकल फ नह ं हुई थी िजतनी आज हो रह थी। ऐसा लग रहा था क मेर चूत के दोन पाट खोलकर कोई अ दर डंडा डाल
रहा है। मझ
ु े असहनीय दद हो रहा था। मने चीखना चाहती थी क तभी उसने अपने मोटे और जंगल ह ठ मेरे मह
ंु के ऊपर
रख कर मझ
ु े चुप करा दया, और एक और करारा झटका मारा।

उ म् म… मेर चीख उसके मह


ुं म घुटकर रह गयी।

नीचे से द पा अपनी आँखे ऊपर करके पूर चुदाई का सीधा सारण दे ख रह थी, और आस पास खड़े हुए दस
ु रे जंगल
आ दवासी अपने लंड अपने हाथ म लेकर जोर से मसल रहे थे। शायद सोच रहे ह गे क उनका लंड य नह ं है मेर टाईट
चूत म। अब तक वो मेरे अ दर 7 इंच तक जा चुका था। इतना ल बा तो मने पहले भी लया था। पर मेन बात जो थी वो
थी उसक मोटाई और स तपन, जो कसी भी दस
ु रे लंड से कह यादा था। उसने अपने लंड को बाहर खींचा और फर से
अ दर पेला। फर खींचा और फर से पेला, और ये काम उसने 8-10 बार कया। मेरे रस म नहाकर अब वो आसानी से
अ दर आ-जा पा रहा था, और हर बार उसके मोटे लंड क नस मेर ि लट को रगड़ कर चल जाती िजसक वजह से मझ
ु े
भी अ दर से मजा आना शु हो गया…

मेरे मुंह से स का रयां नकालनी शु हो गयी। अ ह… उ म ् म… ये स… अ ह… और तेज…


उ म ्म ह… ऐसे ह … अ ह…उ म।

म उसके लंड के मजे ले ह रह थी क तभी उसने जोर लगाकर अपना बचा हुआ लंड भी मेरे अ दर पेल दया। अब वो पूरा
का पूरा 10 इंच मेरे अ दर था। मेर तो आँखे ह उबल कर बाहर आ गयी। आज तक इतना अ दर कोई नह ं गया था।
ऐसा लग रहा था क मेरे अ दर का कोई ह सा चीर कर उसने अपने लंड को अ दर धकेल है। पर मजे इतने मल रहे थे
क अब मुझे वो दद महसूस ह नह ं हु आ।

अब तो बस मन कर रहा था क वो मुझे जोर से चोदता चला जाए…

मजे क बात तो ये थी क अभी तक उसने मुझे हवा म उठा कर ह रखा हुआ था। मेर टाँगे अब थकने लगी थी। मने
अपनी पकड़ ढ ल कर द और म नीचे लटक गयी। वो समझ गया और अपना लंड बाहर नकाल लया, म अब नीचे घांस
पर जाकर लेट गयी और अपनी दोन टाँगे फेला कर अपने हाथ से पकड़ ल और उसके लंड का वेट करने लगी। जोशान
मेर टांगो के बीच बैठा और मेरे अ दर फर से अपना लंड फंसाया, और इस बार एक ह झटके म अपना पूरा 10 न बर
मेरे अ दर डाल दया।
140
अ ह… हाआआअ… म मम…

मुझे तो वो आज कसी बॉल वुड के ह रो से कम नह ं लग रहा था। फक सफ इतना था क म उसक परफोमस को उसके
ल ड से जज कर रह थी। उसने झुक कर मेरे दोन हाथ को दबा दया और अपने ल ड से ल बे-2 झटके दे ने लगा। उसके
हर झटके से मेरे मोटे मु मे उछल कर मेरे चेह रे से आ टकराते और फर नीचे जाते… मेरे मह
ंु से काम वासना से भरपरू
संगीत नकलने लगा।

अ हउ फ़् फ़ म ्म… उयीईइ… अ न… अ ह… ओ ग ्ग… ये स ये स् स… ये स…


अ ह… आई एम क मंग… अ ह।

वो या मेर अं ेजी समझता… वो तो मेर चूत के परख चे उड़ाने म लगा रहा। िजसम से मेरा रस नकल कर बाहर क
तरफ जाने लगा पर उसके ल ड के ध के उसे वा पस अ दर ह धकेल रहे थे। झड़ने के कारण मेर आँख के सामने अँधेरा
सा छा गया था। म बेसध
ु सी होकर अपनी आँखे बंद कये हुए वह ं पड़ी रह । और वो मुझे ू रता के साथ चोदता रहा। मने
अपनी आँखे खोल तो पाया क आस पास के सभी लोग अपने-2 ल ड को मसलते हुए हमारे चार तरफ घेरा बना कर खड़े ह
और मेरे हलते हुए मु मे दे खकर अपने ह ठ पर जीभ फेराकर मेर चुदाई का मजा ले रहे ह। मझ
ु े उनके चेह रे दे खकर बहुत
अ छा लग रहा था।

आ खर मेर वजह से उनके ल ड को अपनी गम से नजात जो मल रह थी। म एक-2 करके सभी के चेह रे को दे खकर
अपनी जीभ अपने ह ठ पर फेराने लगी। वो भी मेर तरफ से र प स आता दे खकर और तेजी से अपने ल ड मसलने लगे।
तभी जोशान ने मेर चूत से अपना ल ड बाहर खींच लया और वो भी खडा हो गया। शायद वो भी झड़ने वाला था। खड़ा
होकर वो भी अपने ल ड को मसलने लगा, और अगले ह पल उसके ल ड से सफ़ेद रं ग क पचकार नकल कर मेरे ऊपर
आ गर ।

म कुछ समझ पाती, मेरे दांयी और से एक और पचकार मेरे ऊपर आई, और फर तो झड़ी सी लग गयी। कभी इधर से,
कभी उधर से, कभी मेरे सर के पीछे से, कभी आगे से। मेरा पूरा शर र सफ़ेद चादर से ढक सा गया। मेर आ मा आज अ दर
तक त ृ त हो गयी थी। मने अपनी उँ ग लय से सारा रस समेट-2 कर अपने मह
ुं म ले जाना शु कया और सच म वो
जंगल खाना मझ
ु े बहुत ह वा द ट लगा।

जोशान का ल ड पूरा खाल हो चुका था। पर अभी तक उसक अकड़ नह ं गयी थी। मेर नजर उसके ल ड के ऊपर ह जमी
हुई थी। जैसे आँख ह आँख म उसे थ स बोल रह थी म। तभी मझ
ु े उसके ल ड म फर से हरकत होती दखाई द , उसक
नस चमकने लगी। म सोच ह रह थी क ये या है तभी उसके पाईप म से सोने के रं ग क गम धार नकल कर मेरे पेट पर
आ गर । वो झड़ने के बाद मेरे ऊपर पेशाब कर रहा था। वो काफ गंदा लगा मुझे पर अगले ह पल एक सह मायने क
लट होने का एहसास हुआ।

मने अपनी आँखे बंद कर ल और उस पानी क बोछार का मजा लेने लगी। पर बात यह ं आकर नह ं क । आस पास खड़े
हुए दस
ु रे आ दवासी भी अपने-2 ल ड क टं कयां खोलकर मेरे ऊपर खड़े हो गए, और मझ ु े अपने गरमा गरम मूत से
नहलाने लगी। मेरा शर र जो थोड़ी ह दे र पहले सफ़ेद रं ग के चप चपे रस म डूबा हु आ था अब गम और पीले रं ग के पानी म
नहाकर चमक रहा था। मेरा चेह रा, ह ठ, आँख,े मु मे, पेट, चूत, टाँगे सब कुछ नहला डाला उ ह ने, और सब अपने-2 ल ड
क आ खर बँद
ू को भी मेरे ऊपर टपका कर इधर उधर हो गए। म वहां पड़ी थी, गील हो चुक घास पर। अपनी चुद हुई चूत
और अपने चप चपे शर र को सहलाती हुई।
… Page 177-180…
आज पहल बार मुझे महसूस हु आ था क चुदाई होती या है, मेरा एक बार क चुदाई से कभी मन नह ं भरा पर आज जो
चद
ु थी उसको महससू करके लग रहा था क मझ ु े अगले 2 दन तक चद ु ाई क ज रत महसस ू नह ं होगी। पर ये तो व त
ह बतायेगा क होगी या नह ं।

141
तभी जोशान ने मझ
ु े उठाया और अपने कंधे पर उठाकर झरने क तरफ चल दया। मशा और ट मी के साथ-2 द पा और
तेजी भी हमारे पीछे आ गए, बाक के आ दवासी वह ं अपनी म ती म लगे रहे । मेर तो हालत नह ं थी कुछ और करने क
पर झरने क तरफ जाता हुआ दे खकर यह सोचा शायद मझ
ु े नहलाने के लए ह ले जा रहा होगा। झरने पर पहुंचकर वो
मझ
ु े उठाये हुए ह अ दर उतर गया और ठ डे पानी से रगड़-2 कर मेरे िज म से वीय और पेशाब के अंश मटाने लगा।

उसके स त हाथ को अपने कोमल से शर र से खलवाड़ करता दे खकर मझ


ु े बहुत आनंद आ रहा था। वो मेरे तन को बड़ी
बेरहमी से मसल रहा था। उसक उँ ग लय क छाप मेर छा तय पर चपक कर रह गयी। पर िजस अंदाज से उसने चुदाई
के व त मेर े ट को चूसा था उसके मुकाबले ये मसलना मुझे काफ कम लगा। मेर नजर द पा पर गयी, िजसे तेजी ने
एक बड़ी सी च ान पर बठा रखा था और वो उसक चूत को चाट रहा था। मशा भी ट मी के साथ नहाते हुए उसक चूत
को चूसकर उसम से जंगल रस को नकाल-2 कर पी रह थी। जोशान मेरे पीछे था और उसके खड़े हुए ल ड को म अपने
कू ह पर साफ़ महसूस कर पा रह थी। मन तो कर रहा था क इसे एक बार और ले लू अपनी चूत म, य क गा ड म लेने
का तो सवाल ह नह ं था, इतने मोटे ल ड से अपनी गा ड थोड़े ह फटवानी थी मझ
ु े।

पर चूत म लेने क भी ह मत नह ं हो पा रह थी, मन तो तैयार था पर तन नह ं। पर तभी उसने मझ


ु े नीचे झुकाया और
अपने ल ड का अगला सरा मेर गा ड के छे द पर लगाया, मेरे तो पुरे शर र के र गटे ह खड़े हो गए। म बदक कर उस से
अलग होकर खड़ी हो गयी।

जोशान: " या हुआ… आओ तु ह असल मजा दे ता हूँ ।"

म: "अरे नह …
ं पागल हो या… अपने ल ड का साईज दे खा है, नह ं बाबा… मझ
ु से नह ं होगा।"

द पा और मशा भी हमार बात सन


ु कर हमार तरफ ह दे खने लगी। द पा तो हे रानी से मेर तरफ दे ख रह थी, शायद उसे
वशवास नह ं हो पा रहा था क म कसी का ल ड लेने म ना नुकुर कर रह हूँ। उसने तो मझ
ु े हमेशा से ह एक रोल मॉडल के
प म दे खा था। िजससे ेरणा लेकर ह वो कतनी बार चुद चुक थी। पर जोशान का ल ड था ह ऐसा क अ छे -अ छो का
पसीना नकल जाए।

द पा भी मेर बात समझ गयी। पर जोशान को कौन समझाए, उसपर तो कोई भत


ू सवार था, वो कसी भी क मत पर मेर
गा ड मारने पर उता था।

तभी द पा को एक आई डया आया। वो जोशान से बोल - "सुनो, अगर तुम गा ड ह मारना चाहते हो तो म तु ह एक ऐसी
गा ड दलवा सकती हूँ िजसे मारकर तु ह काफ ख़ुशी होगी और उसे भी।”

मने हेरानी से द पा क तरफ दे खा पर वो मु कुरा कर रह गयी, और दस


ू र तरफ जोशान को भी एक नए माल क गा ड
मारने का मौका मल गया। उसने फ़ौरन हाँ कर द ।

द पा: "पर तब तक तुम कोमल क चूत को चाटकर उसे मजा दो, उसक सज
ू ी हुई चूत को अपनी गरम जीभ क सकाई
दे कर उसे थोडा आराम पहुँचाओ।”

वो मान गया और आगे आकर मेर चूत के ऊपर अपनी गम जीभ को रखकर उसे चाटने लगा।

अ ह… म मम…

ऐसा लगा मेर चूत के ऊपर कसी ने गीला और गम कपडा रख दया हो।

और वो अपने कपडे को वहां रगड़ने लगा िजससे मझ


ु े बड़ा आराम मला। और ज द ह उसक जीभ क गम से मेर चूत
क परत पघलने लगी, उसम से सरोज रज रसकर मेरे नीचे के ह ठ पर ओस क बंद
ू क तरह तेरने लगा, और वो जंगल
कु ता अपनी कठोर और गम जीभ से मेर सार चकनाई को चाटता चला गया। और अगले ह पल उस चकनाई का मेन
ो अ दर से वार क तरह आया और उसके चेह रे को भीगोता चला गया। वो भी शायद ज द से मझ
ु े फा रग करके गा ड

142
मारने के च कर म था। इसी बीच तेजी अपनी बांसरु क मधुर व न द पा क चूत म बजा रहा था। िजसे सुनकर द पा
म त हु ए जा रह थी।

अ ह… उ फ़् फ़… मा… याचोदते हो। तुम जंगल वाले… अ ह… उ न ग…

उसक तो सी टयाँ बजवा द तेजी ने… अपने ल ड का कमाल दखाकर उसने शहर क लड़क क चीखे नकलवा डाल ।
मशा और ट मी ने एक दस
ु रे को चूस-चूसकर नढाल कर दया। अब हम सभी मलकर वा पस अपने के प यानी उनके
का बले क तरफ वा पस चल दए। मशा ने तेजी और जोशान को अलग से आने को कहा ता क कोई भी कबीले का यि त
उ ह उनके साथ ना दे ख पाए।

हम तीन अपने-2 कपडे पहनकर वा पस अपने टट म पहुँच गए।

मने जाते ह द पा से पछ
ु ा- "ये कसक गा ड फड़वाने के च कर म है त।ू तन
ू े दे खा नह ं। कतना ल बा और मोटा है उसका
ल ड। मेर चूत का तो बाजा बजा दया उसने। गा ड का तो पता नह ं या हाल करे गा।”

वो मु कुरा कर मेर सार बात सुनती रह । और बोल - "तू फकर मत कर। म िजसक गा ड मरवाने क बात कर रह हूँ वो
सफ गा ड ह मरवा सकती है । चूत नह ं। और अपनी गा ड ऐसे ल ड से मरवाकर उसे भी काफ ख़ुशी होगी।”

म उसक बात सन
ु कर सोच म पड़ गयी और अगले ह पल म समझ गयी क वो कसक बात कर रह है । वो रोज़ म तल
क बात कर रह थी। वह जो ग स हॉ टल म उनके साथ ह रहता है । उनके जैसा बनकर। म उसक दूरद शता दे खकर
उसक तार फ करे बना नह ं रह सक ।

म और द पा भागकर रोज़ के टट म गए और उसे बाहर बुलाया।

रोज़: "आज मेर कैसे याद आ गयी तुम दोन को। पता है यहाँ आकर म कतनी बेचैन हूँ । कतने ल बे-2 ल ड वाले आदमी
घूम रहे ह यहाँ। उ ह दे खकर तो मेर पट पूर गील ह रहती है । और तुम दोन तो अपने मजे लेने म ह लगे हुए हो। मेर
तो फ़ ह नह ं है तुम दोन को…” वो नाराज होते हुए बोल ।

द पा: "नाराज मत हो रोज़ डा लग। आज तू ये समझ ले क ऊपर वाले ने तेर दआ


ु सन
ु ल । एक कबीले का ह आदमी है,
जो सफ गा ड ह मारना चाहता है । इस लए तुझे बुलाने आये ह।”

द पा क बात सन
ु कर रोज़ का चेह रा खल सा गया… वो बोल : "वाव… जंगल ल ड और वो भी मेर गा ड के लए… तम

दोन सच म मेर बे ट स हो… ले स गो…" और वो हमारे साथ ह हमारे टट क तरफ चल द । टट म पहुंचे तो दे खा क
वहां तेजी और जोशान पहले से पहुँच चुके ह। जोशान तो नंगा होकर बस आने वाल गा ड का वेट ह कर रहा था।

रोज़ ने लोरल वाल एक शोट ाक पहनी हुई थी… नीचे उसक चकनी टाँगे चमक रह थी।

द पा: "जोशान। ये है हमार सहे ल रोज़, पर एक बात का यान रखना, ये सफ तुमसे अपनी गा ड ह मरवाएगी। और कुछ
करने क को शश मत करना…"

उसने हाँ म सर हला दया… उसक मोट और उभर हुई गा ड दे खकर वो वैसे ह पागल हुए जा रहा था। और उसका ल ड
दे खकर रोज़ के तो होश ह उड़ गए।

वो घबराकर मझ
ु से बोल - "कोमल… ये…ये जंगल तो मेर गा ड के परख चे उड़ा दे गा…" वो डर रह थी।

मने उसे समझाया…" दे ख रोज़, तूने ह कहा था न क तुझे अपनी गा ड मरवानी है । मने अभी इससे अपनी चूत मरवाई है,
सच म, काफ मजा आया। तू भी अपनी गा ड मरवा और मजा ले।” वो बेचार फंस चुक थी। अब उसके पास कोई भी
चारा नह ं था।

वो नीचे घोड़ी बन कर बैठ गयी। जोशान उसके पीछे आकर अपने घट


ु न के बल खड़ा हो गया। और उसक ोक को ऊपर
उठाया। उसके चोड़े और चकने कु हे सबके सामने आ गए… उनक चकनाहट दे खकर तो मुझे भी ई या सी होने लगी…
143
उसने पंक कलर क पट पहनी हुई थी, िजसपर छोटे -2 ह स बने हु ए थे। और उसक गा ड के छे द वाल जगह वाला कपडा
एक बड़े से हाट शेप म फटा हु आ था… और उसके आर पार उसका गल ु ाबी रं ग का गा ड का छे द साफ़ नजर आ रहा था।

उसक कार गर दे खकर म मु कुरा उठ ।

मने जोशान से कहा: "तुम अपना ल ड इसक गा ड म इसी छे द से डाल दो। मजा आयेगा…"

उसने अपने ल ड पर ढे र सारा थूक मला और उसके फटे हुए छे द म घुसेड दया…

अ ह… मर… गयी… अ ह…

जोशान ने पीछे खींचा और फर से एक ध का मारा… फर खींचा और फर से ध का मारा… ऐसे करते-2 उसने अपना
आधे से यादा ल ड उसक गा ड म पेल दया… और रोज़ क हालत दे खने लायक थी, वो अपनी जीभ बाहर नकाले उसके
हर ध के को सहे जा रह थी। और करते-2 आ खरकार जोशान ने अपना पूरा ल ड उसक चौडी गा ड म पूरा उतार दया…

उसके हाथ रोज़ क चकनी गा ड के ऊपर फसल रहे थे… उसने जोश म आकर उसक पट के चीथड़े उड़ा दए… और अब
हमारे सामने थी रोज़, जो अपनी गा ड मरवा रह थी। और उसके आगे… आगे उसका 5 इंच का ल ड खड़ा होकर पीछे से
आ रहे हर झटके क वजह से टनटना कर हचकोले खा रहा था। पर ये सब सफ म, मशा, तेजी और द पा ह दे ख पा रहे
थे। जोशान तो बस उसक गा ड मारने म लगा हु आ था…

उसक गा ड मारते-2 जब वो थक सा गया तो जोशान ने रोज़ को अपने ऊपर खींच लया और नीचे लेट गया। अब रोज़ का
चेह रा जोशान के पैर क तरफ था। और वो पीठ के बल लेटा हुआ उसक गा ड मारने म लगा हुआ था। और रोज़ भी ऊपर
से उछल-2 कर उसके पुरे ल ड को नगलने म लगी हुई थी। और दस
ु रे हाथ से अपने ल ड को मसल कर अपने ओगा म के
काफ कर ब पहुँच चक
ु थी…

जोशान समझ रहा था क वो अपनी चूत मसल रह है । उसे या मालुम था क वो कसक गा ड मार रहा है । उसने भी
अपना हाथ आगे कया और उसक चूत को मसलना चाहा पर जैसे ह उसके हाथ म रोज़ का 5 इंच ल बा ल ड आया तो
उसे समझते हुए दे र नह ं लगी क असल माजरा या है … पर गु सा होने के बजाये उसम दग
ु नी उ तेजना आ गयी और
उसने अपने ध क क पीड और तेज कर द । और रोज़ के ल ड को मसलते हुए अपने ल ड के ध के उसक गाण ्ड म
मारने लगा।

अ ह… उ ह… उ म ् म…

ऐसा उ तेजना से भरा य दे खकर मेर चूत से भी पसीने नकलने शु हो गए।

आ खरकार एक तेज हुं कार के साथ जोशान के ल ड ने रोज़ क गा ड म अपना रस छोड़ना शु कर दया। और जैसे ह रोज़
को अप न गा ड म गम वीय का एहसास हुआ, उसके ल ड ने भी पचका रयाँ मारकर अपना सफ़ेद रस बाहर क तरफ
फकना शु कर दया। ऐसा लग रहा था क जोशान का रस उसक गा ड म से होता हुआ, ल ड के रा ते बाहर नकल रहा
है । दोन मजे लेते हुए, झटके खाते हुए, एक दस
ु रे के ऊपर लड
ु क गए… रोज़ के सामने उसक फट हुई पट पड़ी थी… और
उसके पीछे थी उसक फट हुई गा ड।
…Page 018-0184…
बेचारा रोज़ कसी तरह से लडखडाते हु ए उठा और अपने टट क तरफ चल दया। तेजी और जोशान भी बाहर नकल गए।
उनके जाते ह मने और द पा ने चैन क सांस ल आज क रात उ ह ने िजतने मजे लए थे, उतने तो आज तक कभी नह ं
आये थे।

हम दोन सब
ु ह तक सोते रहे, सब
ु ह हो चुक थी और मेर नींद भी खुल चुक थी पर उठने का मन नह ं कर रहा था, तभी मझ
ु े
ऐसा लगा क द पा मेर चूत को चाट रह है । हम दोन वैसे भी नंगे ह सोये हुए थे और पूर रात एक दस
ु रे के नंगे शर र को

144
सहलाते रहे थे, और सब
ु ह उठकर उसका मेर चूत चाटना इस बात का संकेत था क वो काफ उ तेिजत हो चुक थी। म भी
नींद क खम
ु ार म ससकार मारते हु ए, अपनी अधखल
ु आँख को भींचे चत
ू चटाई का मजा लेने लगी।

उसने एक ऊँगल मेर गा ड के अ दर डाल द और जीभ मेर चूत के अ दर। ऐसा लग रहा था क एक साथ दो- दो
म नएचर ल ड मेरे अ दर घस
ु गए ह। तभी मेर े ट पर मझ
ु े कसी के गीले ह ठ का एहसास हु आ। म च क गयी और
दे खा क वो द पा है, जो मेरे ससकार मारने से उठ गयी है और मेर े ट चूस रह है । अगर द पा ऊपर है तो नीचे कौन है
जो मझ
ु े वग के मजे दे रहा है । मने एक झटके से चादर अपने नंगे िज म से उतार फक और दे खा क मेर टांगो के बीच म
ं सपल मेडम थी और वो भी पूर नंगी… म उ ह ऐसी अव था म अपने टट म सुबह-2 दे ख कर हैरान रह गयी।

म: "अरे मेम… आप… इतनी सब


ु ह-2 यहाँ…"

उ ह ने मेर चाशनी से भर कटोर से मह


ुं बाहर नकाला और बोल : "तुम तो आजकल इतनी बजी हो क मेरे पास आने का
समय ह नह ं मलता। म रात को भी आई थी पर तुम शायद कह ं और मजे ले रह थी। बस इस लए चल आई और तु ह
नंगे सोते हुए दे खकर मझ
ु से रहा नह ं गया और मने भी अपने कपडे उतार फके और तु हार चूत म से रात को कये हुए
गुनाह के सबूत ढूँढने म लग गयी।

और सबूत मल भी रहे ह मझ
ु े… ये दे खो…”

उ ह ने अपनी जीभ नकाल कर दखाई, िजसम जोशान के ल ड से नकले माल को उसने मेर चूत से खोद नकाला था
और उसे चूसकर मजे ले रह थी।

मझ
ु े या ॉ लम थी, म भी आँखे बंद कये लेट गयी और वो फर से मेरे आनंद सागर म गोते लगा लगाकर उसम से
खजाना नकालने लगी।

द पा भी पूर उ तेिजत हो चुक थी। मेर े ट चू ते-2 वो मेरे ऊपर ह चढ़ गयी और मेरे हाथ को नीचे दबा कर, अपनी
चु चय को मेर चु चय से दबा कर, मझ
ु े जोर से मूच करने लगी। उसक गा ड सीधा मना ी मेड म के मह
ुं से टकरा रह
थी, जो मेर चत
ू का तीया पांचा करने म लगी हुई थी। द पा थोड़ी नीचे हुई और उसक चत
ू क फांको के बीच मेडम क नाक
को फंसा लया और ऊपर नीचे होकर उसक घसाई करने लगी… वो मेड म क तराशी हुई नाक क मा लश करके उसे अपने
रस से और भी चमक दे ने म लगी हुई थी।

अचानक मेडम ने अपना चेह रा ऊपर कया और अपने दोन हाथ से उ ह ने द पा क जांघो को पकड़ कर ऊपर उठा लया।
मेडम के हाथ क ताकत दे खकर द पा के साथ-2 म भी है रान रह गयी। उ ह ने द पा को कसी फूल क तरह से उठाया और
उसक टांगो को अपने दोन कंधे के ऊपर रखकर उसक मचलती हुई रस बखेरती चूत को अपने ह ठ से लगा कर उसका
रसपान करने लगी। अब मेड म उठ कर बैठ गयी थी और उनक चूत सीधा मेर चूत के ऊपर थी, द पा का चेह रा अभी भी मेरे
मुह
ं के पास ह था और वो मुझे चूमने म लगी हुई थी। एक तरह से दे खा जाए तो हम तीनो के बीच एक कोण बना हुआ
था, म लेट हुई थी, मेडम मेर चूत के ऊपर बैठ हुई थी। और द पा क चूत को अपने मह
ुं म फंसा कर उसके मह
ुं क ढलान
मेरे चेह रे के ऊपर थी।

कुल मलाकर हम तीनो को मजा आ रहा था। अचानक द पा जोर से च लाने लगी, अ ह… उ म ्म…
ओ ह… मेम… ये स… ऐसे ह … चुसो नाआअ… मेर ि लट को पकड़ो… हां… वह … है… ये स स स…
उ म ्म अ ह… आई एम ् क मंग… मेम…

उसके बाँध के टूटने का समय हो गया था। उसका चेह रा बलकुल मेरे ऊपर था, और ओगा म से होने वाले उ तेजना के
इफ़े ट म उसके चेह रे पर साफ़ दे ख पा रह थी। बड़ी ह से सी लग रह थी वो मझ
ु े उस व त… मने उसके चेह रे को पकड़ा
और अपने ह ठ से उसे जोर जोर से चूसने लगी। और अपनी चूत से ध के मारकर मेडम क चूत को भी गरम करने लगी।
और जैसे ह बाड़ आई, मेड म बड़ी कुशलता के साथ उसका सारा रस पी गयी, एक-दो बूंदे मेरे पेट के ऊपर गर । िज ह मने

145
अपनी उँ ग लय से समेट कर अपने और द पा के ह ठ के बीच घुसेड दया और दोन ने चटकारे मार-मारकर उसका ताजा
नकला रस पी लया।

उसक चूत को बुर तरह से चूसकर मेडम ने उसे छोड़ दया। और वो मेरे ऊपर से उतर कर नीचे लड
ु क गयी। अब मझ
ु े भी
यास लगने लगी थी। मझ
ु े भी कुछ पीना था ज द से ज द… मने मेड म क टाँगे पकड़ कर अपनी तरफ खींची और अगले
ह पल वो 69 क पो सशन म मेरे ऊपर थी। हम दोन ने एक दस
ु रे क चूत क खुदाई करके उसम से मीठे जल को नकालने
क मह
ु म शु कर द और अगले 5 मनट के अथक यास के बाद हमार मेह नत सफल भी हो गयी और हम दोन ने एक
दुसरे का अमत
ृ पान करके अपनी-2 यास बुझाई।

थोड़ी दे र तक ऐसे ह लेटने के बाद वो बोल : "चलो अब उठ जाओ और बाहर चलो, ना ते का समय हो गया है। आज हम
े कं ग के लए जाना है। अपने-2 कपडे एक बेग म ले लेना, रात को दे र हो गयी तो शायद ऊपर ह कना पड़े गा।”

हमने अपने-2 कपडे पहने और बाहर नकल गए। ना ता कया और इधर-उधर क बाते करते हुए म ती करने लगे। रोज़
का चेह रा उतरा हुआ था, उसक गा ड फटने का गम वो अभी तक मना रहा था। राहु ल, रो हत और राजपूत हमारे साथ ह
बैठकर ना ता कर रहे थे। और े कं ग म होने वाले एडवचर के बारे म और रा ते म मलने वाले मजे के बारे म बात कर रहे
थे।

तभी मशा लका वहां आई।

म: "अरे मशा… कैसी हो… तुम भी चल रह हो न ऊपर…”

मशा: "हाँ बलकुल… और मेरे पताजी भी साथ म चल रहे ह। दरअसल रा ते म एक दस


ू रा कबीला आता है । उनका हमारे
साथ रहना ज र है । वना वहां के लोग हम कोई नु सान भी पहुंचा सकते ह। उ ह आस पास के क बले के सभी लोग
पहचानते ह, वो साथ रहगे तो कोई परे शानी नह ं होगी।”

उसक बात सन
ु कर हम भी ख़ुशी हुई।

हम सभी नकलने क ते यार करने लगे।


…Page 185-187…
मझ
ु े तो मशा ने जब से बताया था क उसके पापा भी चल रहे ह, मेर आँख के सामने तो बस उनका वशालकाय शर र ह
घूम रहा था। मुझे याद आने लगा क कैसे उनके ल ड वाल जगह फूल कर अ दर के माल क ल बाई और मोटाई बयान
कर रह थी। वो सब याद करते-२ म मु कुराने लगी।

मुझे मु कुराते हुए दे खकर मशा ने पूछा: " या हु आ कोमल… लगता है मेर बात सुनकर तुझे सबसे यादा ख़ुशी हुई है।”

म: "अब तूने बात ह ऐसी बताई है क मेर ख़ुशी छुपाये नह ं छुप रह ।” मेर बात का मतलब शायद वो समझ गयी थी।
उसने मझ
ु े इशारा कया और एक कोने म आने को कहा, म उसके पास जाकर खड़ी हो गयी।

मशा: "अब बताओ। या चल रहा है तु हारे दमाग म…"

म: "तुम खुद समझदार हो यार… और मझ


ु े पता है क तुम समझ ह गयी होगी।”

मशा: "हाँ… समझ तो गयी हूँ पर फर भी तु हारे मुह


ं से सुनना चाहती हूँ ।”

म: "यार… सच कहूँ। पहले दन से ह । जब से मने तेरे पताजी का। घास-फूस क पीछे छुपा हुआ जंगल सांप दे खा है, मेरा
मन उसे अ दर लेने का कर रहा है ।”

मशा: "अ दर लेना तो दरू क बात है । तू उसे अपने मह


ुं म भी नह ं ले सकती। इतना मोटा ल ड है मेरे पताजी का।”

म आ चय से उसे दे खने लगी: "मतलब… तूने अपने पताजी का ल ड दे खा है।”


146
उसने हाँ म सर हलाया।

म: "बता ना यार… कब, कैसे…”

मशा: "दे ख तू ये बात कसी से मत कहना जो म तुझे बताने जा रह हूँ। दरअसल मेरे पताजी का ल ड पुरे क बले म सबसे
मोटा और ल बा ल ड है । और कबीले का सरदार बनने क सबसे बड़ी वशेषता भी यह होती है । क कसका सबसे मोटा
और ल बा है। य क पुराने ंथ के अनुसार नार को आनंद पहु चाने म मोटे और ल बे ल ड सबसे आगे रहते ह। और
हमारे कबीले क था है क गाँव क हर कुंवार लड़क को सबसे पहले कबीले के सरदार के साथ एक रात गुजारनी होती है ।
और मने अपने पताजी को अपनी हर सहे ल और दस
ू र कुंवार लड़ कय क चूत के परख चे उड़ाते हु ए दे खा है ।”

म: "दे खा है … पर कैसे…”

मशा: "छुप कर। य क पताजी हर रात कसी ना कसी कंु वार लड़क या फर जो उ ह पसंद आ जाए, उसके साथ मजा
करते ह। और ये सब म उनके झोपड़े म झांककर चुपचाप दे खती हूँ ।”

मेरे अ दर उ सु तता बढती जा रह थी।

म: "पर ये सब दे खकर तु ह या मलता है । तुम तो उनक बेट हो।”

मशा कुछ दे र तक चुप रह और फर बोल : "मेर सहे लयां िजस तरह से उनके बारे म बताती ह। और उ ह वो सब करते
हुए दे खकर मेरा मन भी करता है… क … वो… मेरे साथ भी वो सब करे … पर म उनक बेट हूँ। इस लए अभी तक कंु वार
हूँ। मतलब अभी तक तो थी। काश… म उनक बेट ना होती तो वो मेरे साथ भी वो सब करके मुझे ज नत के मजे दे ते। जो
कबीले क दस
ू र लड़ कय को वो दे ते ह।”

म: " म… पर ये सब करके उ ह या मलता है । मतलब क बले के लोग ये सब कसी दबाव म आकर करते ह या
अपनी मज से।”

मशा: "दरअसल हमारे कबीले वाल का मानना है क जरावा जनजा त के कुल दे वता के बाद कबीले का सरदार ह सबसे
शि तशाल होता है और उसक सेवा करना सबका परम क त य होता है । इस लए उनके पास अपनी बे टयां भेजने म उ ह
कोई संकोच नह ं होता, वो मानते ह क कुंवार लड़ कय का भोग लगाकर उनक शि त बढती है । और वो दस
ु रे कबीले के
लोगो से हमार र ा करते ह।”

उसके तक वतक सन
ु कर मझ
ु े बड़ा अजीब सा लगा। पर जो भी हो, कबीले के भोले भाले लोग और पुरानी था क वजह से
सरदार के काफ मजे ह…

म: "मतलब… तुम भी चाहती हो क तु हारे पताजी तु हारे साथ भी वो सब करे … मतलब तु हार चुदाई। है ना…"

उसने मायूसी से सर झुक लया और बोल : "हां… पर मझ


ु े पता है क ये सब नह ं हो पायेगा…"

म: "अरे … मेरे रहते हुए तुम ऐसी बात मत करो… म करवाउं गी ये सब… बस तुम दे खती जाओ। कोमल के कारनामे।”

मेर बात सनु कर वो भी आ व त हो गयी य क अब तक वो इतना तो जान ह गयी थी क जो म ठान लेती हूँ वो करके ह
रहती हूँ।

अब तो बस इ तजार था े कं ग पर चलने का।


…Page 188-189…
अब मने मन म ठान ह लया था क मने तो सरदार का ल ड लेना ह है… मशा को भी दलवाना है ।

थोड़ी दे र म ह सरदार भी वहां आ गए, और हम सभी लोग मलकर े कं ग पर चल दए। सरदार यानी मशा क पताजी
का यि त व काफ रोबीला था। उनक छाती काफ चोडी और बाजए
ु ँ काफ ब ल ट थी, जैसे कोई WWF का रेसलर हो।

147
उनके हाथ म एक अजीब सा भाला था, जो कसी जानवर क ह डय से बना हुआ था, और उनका मक
ु ु ट तो था ह वशाल
और अ त
ु । कुल मला कर वो दरू से ह कबीले के सरदार लगते थे। वो सबसे आगे चल रहे थे। बाक सब पीछे । म भागकर
उनके साथ जाकर चलने लगी। उ ह ने मेर तरफ मु कुरा कर दे खा और चलते रहे । मने ह बातचीत करनी शु क ।

म: "आपके क बले म आकर काफ मजा आ रहा है । यहाँ के लोग, खाना पीना और सु दर नज़ारे काफ अ छे ह।”

सरदार (मु कुराते हुए): "जी ध यवाद… हमारे कबीले म पहल बार इतने सारे मेहमान आये ह, मझ
ु े तो चंता हो रह थी क
आप शहर लोग को हमारा रहन सहन, स यता पसंद आएगी या नह ं।”

म: "अरे नह ं। ऐसा कुछ नह ं है । सभी को काफ पसंद आ रहा है यहाँ का वातावरण और लोग भी… िजस तरह से आप लोग
बना कसी चंता के अपना जीवन बताते ह, वो का बले तार फ है । और खुल कर हर चीज का मजा भी लेते ह। कल रात को
दे खा था मने।”

मने अपना पांसा फका।

सरदार एकदम से क सा गया और बोला: "कल रात… या… कहाँ दे खा तुमने।”

म: "वो… झरने के पीछे क तरफ। रात के समय आपके और दस


ु रे कबीले के लोग वहां जाकर काफ म ती कर रहे थे। म
भी गयी थी वहां।”

सरदार ( चं तत होते हुए): "तम


ु … तम
ु या करने गयी थी वहां। तु ह वहां नह ं जाना चा हए था। वो जगह तु हारे लए
सह नह ं है ।”

म: "अगर नह ं जाती तो पता कैसे चलता क आप लोग मजा कैसे लेते ह। सच कहु, मझ
ु े वहां जाकर सबसे यादा मजा
आया। और िजस तरह के मजे लोग वहां ले रहे थे, उ ह दे खकर लग रहा था क काश ऐसा हर जगह होता, बना रोक टोक
के सब लोग कुछ भी करते जा रहे थे, कोई मना करने वाला नह ं था। कोई जोर जबरद ती नह ं कर रहा था, सब अपनी मज
से मजे लेने म लगे हुए थे।”

सरदार: "तो… या तुमने भी… मेरा मतलब…"

सरदार सीधा-२ कुछ ना पूछ पाया।

मने बात संभाल : "जी… मने भी लए वो सब मजे। और मझ


ु े मजा भी बहुत आया।”

मेर बात सन
ु कर वो मझ
ु े हे रानी से दे खने लगा। अब उनक नजर मझ
ु े ऊपर से नीचे तक भेदने म लगी हुई थी। मानो ये
नि चत करना चाहता हो क मेरा छोटा सा अ हड िज म जंगल ल ड को झेलने म स म है या नह ं। मने शॉ स पहनी
हुई थी, मेर मोट जांघे चमक कर अपना कमाल दखा रह थी।

और ऊपर मने ट शट पहनी थी िजसके नीचे क ा मने जान बूझकर नकाल द थी, इस लए मेर मोट -२ े ट चलने से
ऊपर नीचे हो रह थी। सरदार ने इतनी गोर और चकनी लड़क शायद ह चोद होगी अपनी पूर िज दगी म।

मने धीरे से कहा: "वहां तेजी भी था। उसके साथ कोई तकल फ नह ं हुई मझ
ु े…"

ये बात सन
ु ते ह उसक आँखे खुल क खुल रह गयी… उसने सोचा भी नह ं था क म इतना खुलकर अपनी चुदाई क बात
उसके सामने बोल दग ूँ ी। और तेजी से चुदने क बात सन
ु कर उसके मन म जैसे इ या के भाव आ गए क उसके सेनाप त ने
मेरे साथ मजे ले लए, उसने य नह ं लये।

सरदार: "तु ह दे खकर लगता तो नह ं है क तुम जंगल आदमी को संभालने क काब लयत रखती हो।”

वो अभी भी सीधा-२ चुदने चुदाने क बाते नह ं कर रहा था। मने उसके अ दर के जंगल को जगाने के उ े य से अपनी बात
का तर का बदला।

148
म: "मने सुना है क कबीले क हर लड़क को आपके पास रात गुजारनी होती है । या ये सच है…”

सरदार: "२ दन म काफ कुछ पता लगा लया है तुमने हमारे और क बले के बारे म।” उनक आवाज म एक यंग था।

म: "वो तो मेरा नेचर है। म अगर कसी बात का पता चलाना चाहू तो कोई भी मझ
ु े नह ं रोक सकता, उसके लए म कुछ भी
करने को तैयार रहती हु… वैसे अंदाजन आज तक कतनी कुंवार लड़ कय को आपने चोदा है ।” मने लड़क होते हुए भी
पहल बार उनके सामने चुदाई श द का इ तेमाल कया।

मेर बात सन
ु कर वो थोडा सोचने लगे और फर बोले: "मझ
ु े कबीले का सरदार बने हुए तकर बन सात साल हो चुके ह। और
शायद ह कोई रात ऐसी गयी होगी जब मने कसी फूल का रस न चखा हो।” उ ह ने अपनी छाती चोडी करते हुए अपना
बहद ु रनामा बयान कया।

म मन ह मन हसाब लगाने लगी क कतनी चत


ू चद
ु ह गी आज तक। और सात साल से पहले भी कतनी ह गी। हे
भगवान ये इं सान है या चूत मारने क मशीन।

वो सब सोचते-२ मेर चूत भी गील होने लगी थी। मने अपना हाथ अपनी चूत वाल जगह पर लेजाकर थोड़ी एडजे टमट
क । य क मेर चूत जब गील हो जाती है तो कपडा खाने वाल मशीन क तरह पट को अपने अ दर नगल लेती है । और
ये इस बात का इशारा होता है क अब इसे कपडे के अलावा कुछ और चा हए यानी ल ड। और मेर ये हरकत सरदार ने साफ़
दे ख।

वैसे मने ये हरकत कर ह उसको दखाने के लए थी। सरदार भी समझदार था। वो धीरे से मेर तरफ झुका और बोला,
“अगर यादा मजे लेने का मन है तो तुम दस
ु रे दो त के साथ ऊपर पहाड़ी पर मत चड़ना। तु ह आज दस
ु रे पहाड़ पर
चड़ाउं गा।” सरदार ने अपने दल क बात साफ़-२ बोल डाल ।

मने भी अपनी नजर झुका कर उनके पोजल को कबूल लया और अब मेर मु कान छुपाये नह ं छुप रह थी। पर मशा को
भी तो बीच म मजे दलाने है । ये सब सोचते हुए म आगे चल पड़ी। थोड़ी दे र बाद ह वो कबीला भी आ गया िजसके बारे म
मशा बात कर रह थी। सबसे आगे सरदार को चलते दे खकर वहां के लोग ने आदर के साथ उनका सामान कया और सभी
को आगे जाने दया।

लगभग आधे घंटे के बाद हम सभी े कं ग वाल जगह पर पहुँच गए। और अपनी योजना के अनुसार ठ क पांच मनट पहले
ह म लडखडा कर नीचे गर पड़ी। और अपना पैर पकड़ कर वह ं बैठ गयी। मेरे आस पास पुरे कॉलेज के लोग इक े हो गए।
मने कहा क मझ
ु े मोच आ गयी है । मझ
ु से अब ऊपर े कं ग नह ं क जायेगी। म नीचे ह क कर आराम क ँ गी। सभी ने
और ं सपल मेडम ने मेर बात मान ल और मझ
ु े एक कोने म लेजाकर बठा दया।

द पा मेर तरफ दे खकर मु कुराए जा रह थी, उसे मेरे लान क भनक लग चक


ु थी। मने मशा को उसके कान म कुछ
समझाया और वो भी े कं ग के लए सबके साथ चल गयी। एक-एक करके सभी लोग े कं ग के लए ऊपर चड़ने लगे।
सरदार मेरे साथ ह बैठे हु ए थे। और जैसे ह सब लोग आँख से ओझल हुए सरदार ने अपना चेह रा मेर तरफ कया। म
अपनी जगह से उठ खड़ी हुई और एक मादक सी अंगडाई लेकर उनक तरफ चल द । वो एक बड़ी सी च ान पर कसी राजा
क तरह बैठे हु ए थे। पूरा वातावरण शांत था, च ड़य क आवाज आ रह थी बस। हवा म एक मदहोश सी करने वाल ठं डक
थी।

मेरे पेट का ह सा न न होकर मेर से सी नेवल को उजागर कर रहा था। मेरे सपाट से सफ़ेद पेट को दे खकर वो अपनी
जाँघ के बीच हाथ फेरने लगा। उसके हाव भाव से मझ
ु े अंदाजा होने लग गया था क आज वो मेर बुर तरह से चोदे गा। मने
अपनी कमर को एक ह का सा झटका दया। और इधर उधर घम
ु ा कर सरदार के सामने धीरे -२ थरकने लगी। वो अपने
आप को कसी राजा क तरह समझ रहा था, िजसके दरबार म कोई नतक नाच कर उसका मनोरं जन कर रह है ।

149
मने अपने मन म एक से सी से गाने को गुनगुनाना शु कर दया। मेर हर थरकन के साथ उसक हालत बगड़ रह थी।
मने धीरे -२ अपनी शॉ स के बटन खोलने शु कर दए। नीचे से मेर लेक कलर क पट क झलक द खते ह उसके ल ड
वाले ह से म भी उभार आना शु हो गया। मने धीरे-२ अपनी कमर से शॉ स को नीचे खसकाना शु कया। और कमर के
कटाव से नकलते ह शॉ स नीचे मेरे पैर म गर गयी। मने अपने एक पैर म फंसा कर वो शोट सरदार क तरफ उछाल द ।
जो सीधा उसके मह
ंु के ऊपर जाकर लगी। मदहोशी से उसक आँखे बंद सी हो गयी। उ तेजना म आकर उसने मेर शॉ स के
बीच वाले ह से को जो चूत के रस म डू बकर गीला हो गया था, अपने मुह
ं म डालकर चूसने लगा।

म अपने ऊपर गव महसूस कर रह थी क कैसे एक बड़े कबीले का सरदार जो हर रात नयी-२ चूत का भोग लगाता है, मेर
हर हरकत पर कु ते क तरह बहे व कर रहा है । मने इरो टक तर के से नाचते हुए अपने हाथ को पट के अ दर डाल दया।
और अपनी चूत नुमा दवात के अ दर ऊँगल को कलम क तरह डुबोकर उसे बाहर नकाला, और धीरे -२ ऊपर लाकर अपने
ह ठ तक ले गयी। और एक जोरदार चु पे के साथ उसे बाहर नकाला और सारा रस अपने गले से नीचे नगल गयी…

'अ ह… वाह… या बात है…' सरदार अपने ल ड को कपडे के ऊपर से रगड़ते हु ए जोर से बोला…

मने एक बार और अपनी ऊँगल अ दर डु बोयी और फर सरदार के पास लेजाकर उसके ह ठ के बीच घुसा द । वो कसी
भख
ू े भे डये क तरह से मेर ऊँगल को अपने मह
ंु म लेजाकर चस
ू ने लगा। उसक कठोर जीभ और पैने दांत से मझ
ु े उसके
जंगल पन का अंदाजा हो गया।

उसने अपना पंजा सीधा मेरे शहद के छ ते पर जमाया और ढे र सारा शहद इक ा करके सीधा अपने मह
ंु म डालकर पीने
लगा। उसने िजस ू र तर के से मेर पट से ढक हुई चूत पर हाथ मारा था, मेरा पूरा बदन ऐंठ सा गया… म अपनी चूत
वाले ह से को उसके हाथ पर जोर जोर से रगड़ने लगी।

'अ ह… ये स… जोर से… दबाओ… अ ह… खींच लो, नचोड़ लो सारा जूस… अ दर का… अ ह…'

अचानक सरदार ने अपने पंजे को समेटा और मेर क छ को पकड़ कर खींच दया। और वो तार तार होकर मेरे िज म से
अलग हो गयी। अपने सामने सफ़ेद चूत को दे खकर, और वो भी बना बाल वाल , वो पागल सा हो गया… और अपनी
जगह से उठ खड़ा हु आ।

और मझ
ु े उस च ान पर बठा कर खुद मेरे सामने आकर बैठ गया और मेर दोन टांग को पकड़कर हवा म लहराया और
एक जोरदार गजन के साथ वो मेर चूत पर भूखे भे डये क तरह से टू ट पडा।

'अ यीईई… मररर गयी… उ म… अ ह… ओ फ़् फ़ माय गोड… उ मम…'

मने अपनी टाँगे उसके कंधे पर रख द और उसके बाल को पकड़कर अपनी चूत पर भींच सा दया। उसक जीभ ह कसी
ल ड से कम नह ं थी। इतनी मोट और ल बी जीभ मने आज तक महसस
ू नह ं क थी, इस सरदार का तो सब कुछ बड़ा है ।
उसने जैसे ह मेर चूत के अ दर क ि लट को अपने जीभ से उमेठा। मेर आँख के आगे जैसे अँधेरा सा छा गया। मेर
कमर तीर कमान क तरह मड
ु ती चल गयी। और मेरा सफ सर च ान के ऊपर रह गया, बाक का िज म हवा म उठता
चला गया। म अपनी चत
ू के झटके उसके मह
ंु पर मारने लगी। वो मेर चत
ू को नह ं चस
ू रहा था, म उसके मह
ंु को चोद रह
थी।

फर उसने मेर चत
ू को चस
ु ना छोड़ दया और उठ खड़ा हुआ, मझ
ु े भी उसने अपने सामने खड़ा कर लया। और मेरे जस
ू से
भीगे अपने ह ठ मेर तरफ कर दए। म यासी ब ल क तरह से उचक कर उसक गोद म चढ़ गयी और उसके ह ठ पर
लगे हुए जूस को पीकर अपने जूस का वा लट चेक करने लगी। उसने अपने हाथ नीचे कये और मेर ट शट को पकड़कर
ऊपर खींच दया। मेरे मोटे -२ चच
ु े उछल कर उसक आँख के सामने आ गए। उसक आँख म चमक सी आ गयी। उसने
अपने दोन हाथ से मेरे हॉन पकडे और उ ह दबाकर मेरे मुह
ं से आवाज नकलवाने लगा। 'अ ह… उ फ… धीरे …
अ ह… उ म… ओ ह।'

150
उसक मोट और कठोर उँ ग लयाँ मेरे कोमल से न पलस को ऐसे मसल रह थी मानो उ ह उखाड़ कर फक दे ना चाहती हो।
उसक उँ ग लय से मेर सफ़ेद े ट पर लाल नशान उभरने लगे। ऐसे जंगल तर के से कसी ने भी मझ
ु े इ तेमाल नह ं
कया था आज तक। और फर उसने नीचे झुक कर मेरे न पल से दध
ू पीना शु कया तो ऐसा लगा क अ दर से सच म
कुछ नकल कर उसके मह
ुं म जा रहा है, उसक स कं ग पवार थी ह इतनी तेज। अचानक मेरा हाथ सरदार के ल ड वाले
ह से पर चला गया।

“ह… ये…ये या है…”

मेर तरफ मु कुराकर दे खते हु ए उसने अपना कमर का कपडा खोल कर नीचे गरा दया। और अब मेर आँख के सामने था
सरदार का दे यकार ल ड…

'हे भगवान ्… ऐसा भी होता है ल ड… इतना ल बा, इतना मोटा… ये कैसे जाएगा मेरे अ दर…'

मेर तो हालत ह पतल हो गयी उसे दे खकर…


…Page 191…
सरदार के सामने बैठ कर मने उसके ल बे और मोटे ल ड को पकड़ा और उसे नापने लगी।

मेरे हाथ क हथेल से लेकर मेर कोहनी तक था सरदार का ल ड। इतना ल बा और द ु त ल ड दे खकर तो मेर चूत के
पसीने नकल गए पर मने मन ह मन सोच लया था क चाहे कुछ भी हो जाए म आज इस ल ड को लेकर ह रहूंगी। चाहे
बाद म चत
ू को टाईट करने के लए मझ
ु े केगल ए सरसाईज करनी पड़े पर लग
ंु ी। पर अभी तो म इसके मोटे ल ड से चद
ु े
बना नह ं रहने वाल …

उसका सप
ु ाडा ह इतना बड़ा था जैसे कोई टमाटर हो, मने अपना मह
ंु आगे कया और उसे मह
ंु म लेकर चस
ू ा, एक अजीब
सी गंध आई मेरे मह
ुं म। पर मने उसक परवाह कये बना ह उसके च कलेट कोन को चूसना जार रखा। सरदार क आँखे
अपने आप बंद होने लगी और वो पीछे होकर लेट सा गया। सरदार का एक हाथ मेरे सर के ऊपर था और मझ
ु े और यादा
अ दर लेने के लए ो सा हत कर रहा था। मने उसके ल ड को बाहर नकाला और अपनी जीभ से उसे चाटते हु ए बोल :
"उ म… इतना मोटा और ल बा है आपका… ये ल ड… मेर हमेशा से एक फटे सी यानी क पना रह है क म अपने
पापा का ल ड भी ऐसे ह चुसू…" मझ
ु े ऐसी बात करते दे खकर वो च क सा गया पर कुछ बोला नह …
ं म ये सब सोच समझ
कर एक योजना के अनुसार कर रह थी।

म: "मने अपने पापा को कई बार छुपकर दे खा है । उनका भी काफ ल बा है । पर आप िजतना नह ं। पर आपके ल ड को


दे खकर एकदम से मझ
ु े उनके ल ड का याल आ गया। उ म… वो भी इतना ह टे ट होगा… पु ह…
उ म… अ ह।”

मने सरदार के ल ड को और से सी तर के से चूसना और चाटना शु कर दया। सरदार ने भी सोचा क जब म अपने पापा


के ल ड के बारे म सोचकर इतना उ तेिजत फ ल कर ह रह हूँ तो वो कौन होता है रोकने वाला। उसे तो मजे ह आ रहे थे।
और जब मझ ु े वशवास हो गया क वो मेर बात म आ गया है तो मने एक जोरदार सांस ल और उसके ल ड को यादा से
यादा अपने मह
ुं म नगल गयी… और नगलने से पहले एक ठं ड ी सांस लेकर जोर से बोल - “ओ ह पापा…
उ म ्म…”

म अपने मु मे उसके घुटन पर मसल रह थी। मेरे न पल उसे चुभ रहे थे। और उसके हाथ मेरे मु म को साईड से मसल
रहे थे। मने वो पाईप मह
ुं से नकाला और धीरे से फुसफुसाई- “ओ ह पापा… कतना ल बा है आपका… उ म… मेर
चत
ू म जाकर तो ये उसे फाड़ ह दे गा… है न पापा… उ म… बोलो न… पापा…”

मेर जीभ क टप उनके ल ड के छे द को रगड़ रह थी और अ दर से नकल रहे ीकम को नकलने से पहले ह चट करती
जा रह थी। मेरे कहे अनुसार मशा भी वा पस आकर वह ं छुप गयी थी। वो सरदार के पीछे क तरफ थी। जहाँ से म उसे

151
साफ़ दे ख पा रह थी। और वो भी बड़ी उ सु तता से हमारा खेल दे ख रह थी। मेरे उकसाने पर आ खर सरदार के मह
ुं से भी
दबी हुई सी स का रयां नकलने लगी। वो भी मेरे रोल ले वाले खेल म शा मल हो गया।

“अ ह… उ म… हांsssन… बेट … चूस, और जोर से चूस अपने बाप का ल बा ल ड… अ ह… या खूबसरू ती


पायी है मेर बेट ने… अ ह… इतने मोटे मु मे ह तेरे… अ ह… जब भी दे खता हूँ तो मन करता है क मसल डालू इ ह।
अ ह… ओ ह… बेट , म म म मेर मशा… ह…”

उसके मुह
ं से आ खर नकल ह गया, मशा का नाम और उसे सुनकर छुपी हुई मशा का मुह
ं खुला का खुला रह गया…
यानी उसका बाप भी उसके बारे म वैसे ह सोचता है जैसा वो उनके बारे म सोचती है । मशा का नाम अपने मह
ुं से नकल
जाने से सरदार अपराध बोध होकर मझ
ु े दे खने लगा पर मने ऐसे बहे व कया क कुछ हुआ ना हो। उ टा मने उसे खेल म
और यादा अ दर घसीटने के लए मशा बनकर बोलना शु कर दया…

“अ ह… पताजी… उ म… ये मशा आपक बेट है, आपके ल ड से पैदा हुई है, आपका पहला हक है मुझपर। चोद
डालो मझ
ु े भी जैसे कबीले क दस
ू र लड़ कय को और मेर सहे लय को चोदते हो। अ ह… आपको मझ
ु पर तरस नह ं
आता कभी… कभी ये नह ं सोचते क म कतना तडपती हु। उ म… आज सब हसाब बराबर कर दो, चोद डालो अपनी
बेट को, चोदो मझ
ु े पताजी…”

मुझसे स करना अब मुि कल होता जा रहा था। और मशा का भी यह हाल था। उसने भी एक एक करके अपने गले क
मालाएं और बदन को ढकने के छोटे कपडे नकाल फके। और अपना एक पैर प थर पर रखकर अपनी चत
ू क मा लश करने
लगी। पर मेरा यान उससे यादा सरदार के ल ड पर था। िजसे मने अपने अ दर लेना था। मने सरदार को नीचे जमीन
पर लेने को कहा। वो अपने ल ड को मसलता हुआ नीचे लेट गया। और म उसके पेट के दोन तरफ पैर करके उसके ठ क
ऊपर खड़ी हो गयी। मन तो कर रहा था क उसके मह
ुं क कार पर बैठकर चाँद क सेर कर आऊ पर उसके लए मझ
ु े राकेट
क ज रत थी। इस लए म ल ड के ऊपर आई और धीरे -२ नीचे आना शु कया… सरदार ने अपना राकेट अपने हाथ म
पकड़ा हुआ था। और जैसे ह मेर कॉक पट उनके कॉक से टच हुई। मेरे पुरे शर र म झुरझुर सी दौड़ गयी। मेर नजर मशा
क तरफ गयी जो दम साधे मझ ु े वो कारनामा करते हुए साफ़ दे ख रह थी। सरदार का मोटा सप
ु ाडा मेर चूत के ऊपर आकर
जाम हो गया। अ दर जाने का नाम ह नह ं ले रहा था वो। मने अपना पूरा जोर लगा दया। और ऐसा करते हुए मझ
ु े इतना
दद हुआ िजतना पहल चुदाई म भी नह ं हु आ था। पर फर भी वो ल ड अ दर नह ं जा पा रहा था।

आ खर सरदार ने मेर परे शानी समझी। उ ह तो ए पे रयस था ऐसी दशा का। उ ह ने मेर कमर पर दोन तरफ हाथ रखा
और मझ
ु े नीचे क तरफ घसीट दया। “अ ह… ओ फ़् … नह … करो ऐसे… अ ह… मरररर गयी…”

उ ह ने मेर चूत म अपना ल ड कसी तलवार क तरह उतार दया। इतना दद होगा मझ
ु े अंदाजा भी नह ं था, और अंत म
जाकर वो ल बा ख बा मेर ब चेदानी से जा टकराया। सच म इतना अ दर तो आज तक कोई भी नह ं गया था। मने नीचे
दे खा… सरदार का ल ड अभी भी तीन इंच बाहर था। सरदार ने मेरे कू ह पर हाथ रखे और मझ
ु े ऊपर कया। मेर टाईट
चूत ल बे ल ड से रगड़ खाती हुई ऊपर तक आई और फर उ ह ने मझ
ु े नीचे कर दया। ३-४ बार ऐसा करने के बाद मने
उसी लय म अपने शर र को ऊपर नीचे करना शु कर दया। अब मेरा दर्द भी कम हो गया था। चत
ू िजतनी फटनी थी,
फट चुक थी, अब तो मजे लेने का टाईम था।

अपने अ दर मोटे और जानदार ल ड को लेकर म फूल नह ं समा रह थी। म नीचे झुक और अपने तन सरदार क छाती
पर रखकर उनके ऊपर लेट गयी, और ऊपर मह
ुं करके उनके ह ठ को बुर तरह से चूसने लगी और जोर जोर से बुदबद
ु ाने
लगी- “अ ह… पताजी… उ म… चोदो मझ
ु े, और तेजी से… अ ह… कतना ल बा है आपका, आपक बेट तरस
रह थी इतने दन से, आपसे चुदवाने के लए… आप ह नह ं समझे। आज इतना चोदो मझ
ु े क सार कसर नकल जाए,
अ हओ फ़उ मअ हअ ह… उ म…"

152
मझ
ु े तो होश ह नह ं रहा क म या बक रह हूँ और या कहना चाहती हु । चुदाई का इतना मजा आज तक नह ं मला था
मझु े… और फर वो घडी आ ह गयी, जब मेर चत ू के सारे धागे खल
ु गए और उसम से भीनी-२ खश
ु बु के साथ मेरा अंगरू
रस बाहर नकलने लगा। “अ ह… पापा… ओ ह… म तो गयी… उ म…” और म उनके ऊपर नढाल सी
होकर गर गयी…

और उसके बाद सरदार ने मेर गा ड को अपने पंज म दबा कर नीचे से लगातार 40-50 ध के मारे िजसने मेरे पुरे शर र को
झंझोड़ कर रख दया। और इसी बीच म लगातार दस
ू र बार भी झड गयी… और फर एक जोरदार ेशर के साथ उनके
ल ड के पाईप से ढे र सारा गाड़ा एलोवेरा जूस मेर चूत के अ दर नकाल दया। मुझे तो ऐसा लग रहा था जैसे मेर चूत के
अ दर पाईप डालकर पानी चला दया हो, और म जब ऊपर उठ तो मेरे अ दर से दोन का मला जुला इतना पानी बाहर
नकला क मझ
ु से तो संभाले नह ं संभला… पर िजतना म समेट कर पी सकती थी, मने पीया, बाक वे ट हो गया।

सरदार के चेह रे पर संतुि ट के भाव थे।

म: "उ म… मजा आ गया… इतना संतु ट तो म अपनी परू िज दगी म नह ं हुई… थ स पापा…" मने मु कुराते हुए
उ ह कहा… वो भी पापा सन
ु कर मु कुराए बना नह ं रह सके…

म: "अब तो मने सोच ह लया है। घर जाकर चाहे कुछ भी हो जाए म अपने पापा से चुदवाकर ह रहूंगी और अगर हो सके
तो आप भी अपने दल क सुनो और मशा को वो सुख दो िजसे पाने के लए शायद वो भी तड़प रह है । और आप भी…”

मेर बात सुनकर वो थोडा संजीदा हो गए। और बोले: "हाँ ये सच है क म भी कई बार मशा के बारे म सोचता हु पर ऐसा हो
नह ं सकता। वो इसके लए कभी नह ं मानेगी।”

"म तो कब से मान चुक हु पताजी…” पीछे से मशा क आवाज आई। िजसे सन


ु कर सरदार ने च ककर पीछे दे खा तो पाया
क उनक बेट मशा पण ू तया नंगी होकर उनक तरफ ह आ रह है ।
…Page 192-193…
चलने से होने वाल थरकन से मशा के दोनो तन अपने परू े आकार म आकर फूले नह समा रहे थे।

उसक मोट जांघे और हलते चूतड़ एक अलग ह समां पैदा कर रहे थे। और मदहोशी म चलती हुई मशा जब सरदार के
सामने आकर खड़ी हुई तो सरदार को जैसे होश आया।

वो बोला: " मशा… ये या है… कपड़े कहाँ है तु हारे ।”

मशा: "वो तो तभी उतार कर फक दए थे जब आप कोमल को मेरा नाम बोलकर चोद रहे थे। आप चोद तो इसे रहे थे पर
आपक बंद आँखो के पीछे मेरा ह चेह रा था। है ना पताजी…”

सरदार: "ये…ये तुम या बक रह हो… तुम मेर बेट हो… म तु हारे बारे म कैसे ये सब सोच सकता हू…"

मशा: "आप नह सोच सकते… पर ये तो सोच सकता है…"

मशा ने सरदार के ल ड क तरफ इशारा कया। जो अपनी नंगी बेट को सामने खड़ा दे खकर हाथी क सड
ूं क तरह उपर
उठने लगा था, और जैसे ह सरदार ने अपने ल ड को हाथ से छपाने क को शश क मशा ने झट से आगे बड़कर उसे अपने
हाथ म थाम लया और वो कुछ बोल पाता, इससे पहले ह वो उसके सामने बैठ गयी और अपने पापा के ल ड को एक
जोरदार चु मे के साथ अपने मुँह म डाल लया।

“अहह… बेट … उ म… ये ग़लत… है… उ मम… ना ओह… स स स… ममम… आह… हाआ न… ऐसे
ह … ओफ फ़… ममम… चूस, और ज़ोर से चूस… उ म…”

सरदार क तो हालत पतल होती चल गयी। पहले मना और फर रजा… अब तो वो अपनी बेट के मँह
ु म ऐसे ल ड डाल
रहा था जैसे थोड़ी दे र पहले मेरे मँह
ु म डाल रहा था।
153
'ये बदन का नशा सारे र ते नात क द वार को तोड़ दे ता है…' मने मन ह मन सोचा।

मशा क उं ग लयाँ सरदार के पाईप जैसे ल ड के उपर चल रह थी और बुर तरह से गील हो चुक थी। ऐसा लग रहा था क
आज सरदार के पूरे ल ड म से पानी नकल कर अपनी बेट के मँह
ु म जा रहा है और मशा भी ऐसे अपने बाप के ल ड को
चस
ू रह थी मानो बरस क भख
ू ी हो।

सरदार ने मशा को नीचे लटाया और खुद उसके उपर लेट गया और मशा के गुलाबी ह ठ को अपने मँह
ु म लेजाकर चूसने
लगा… “अहह… पुचह… उ मम…”

मशा सरदार के भार से दबी जा रह थी, इस लए सरदार ने अपने दोनो हाथ और पंजो के बल पर अपने पूरे शर र को उसके
उपर झूला सा दया। अब सरदार का ल ड अपनी बेट क रसील चूत के उपर झूल रहा था। मशा ने अपना एक हाथ नीचे
लेजाकर उसे अपने छे द के उपर लगाया और अपने पताजी के भार भरकम चूतड़ पर हाथ लगाकर उ ह अपने अंद र आने
का नमं ण दया। सरदार ने धीरे -2 नीचे आना शु कया और जैसे-2 सरदार का ल ड अपनी बेट क चूत के अंदर जाता
जा रहा था। उसके चेह रे क प रे खाएँ बदलती जा रह थी, और जब उसक संकर सी चूत के अंद र और जाने क जगह नह
बची तो वो च लाने लगी- “अहह… पताजी… ओफफ फ़… दद हो रहा है… अहह मररर गईई…”

पर सरदार ने ना जाने कतनी चूत ये सन


ु ते हुए फाड़ द थी, इस लए उसने थोड़ा क कर उसके उपर नकल रहे उरोज को
अपने मुँह म पकड़ा और उ ह चूसने लगा और जैसे ह उसक दद भार ससका रयाँ मज़े क कलक रय म बदल उसने
एक जोरदार शॉट के साथ अपना आधे से यादा ल ड मशा के अंद र धकेल दया।

“अयईईई… बाहर नकालो, मझ


ु े नह करवाना… अहह…”

पर अब उसक चीख कौन सन


ु ने वाला था। मझ
ु े उसपर तरस आ गया और म उठकर उसके पास गयी और सीधा उसके मँह

के उपर बैठ गयी। मेर चत
ू के अंदर से अभी तक उसके पापा के ल ड से नकला रस नकल रहा था, इस लए थोड़ी दे र के
लए वो अपने दद को भूलकर वो रस चाटने लगी।

मेरा चेह रा सरदार क तरफ था। मने उनके सर को पकड़ कर अपनी े ट के उपर लगाया और उ ह चस
ू ने को कहा। सरदार
अब मशा क चूत म ध के मारते हुए मेर े ट को चूस रहा था। मशा भी अब चुप हो चुक थी, उसके मँह
ु के अंदर अब
मने मठाई क दक
ु ान जो दे द थी। मेरे अंदर से भी एक और नये ऑगॅज़म का ज म होने लगा, िजसे मशा ने अपनी पेनी
जीभ से पैदा कया था।

सरदार अब बैठ कर अपनी बेट क दोनो टाँगो को पकड़े हुए उसे चोद रहा था। अचानक मशा ने अपने दाँत के बीच म मेर
पूर चूत को पकड़ा और अपने मँह
ु म डाल लया। चूत के आस पास का पूरा माँस भी उसके मँह
ु के अंदर चला गया और वो
उसे नींबू क तरह जोर से चूसने लगी। मेरे लए ये सब सहन करना मिु कल हो गया और म आगे क तरफ गर पड़ी और
मेरा चेह रा सीधा उसक चूत के उपर आ गया िजसम से सरदार का लंबा ल ड कभी बाहर जाता और कभी अंदर।

मने एक दो बार अपनी जीभ बीच म डालने क को शश क पर डर लगा क कह ं ल ड के साथ जीभ भी अ दर जाकर ना
फंस जाए पर सामने का सीन इतना मजेदार था क म अपने आपको रोक नह सक और मने अपनी जीभ मशा क चत
ू के
ब कुल उपर क तरफ लगा द । अब सरदार के ल ड क सरु सरु ाहट से मझ
ु े भी वायबरे टंग मल रह थी। म कभी अपनी
जीभ को मशा क चूत म डालती और कभी सरदार के ल ड के उपर से मशा क चूत का रस समेट लेती। सरदार भी मेरे
सर को अपने ल ड वाले ह से पर ज़ोर से दबाकर मज़े लेने म लगा हुआ था और मशा अपनी जीभ से मझ
ु े मज़े दे ने के
साथ-2 सरदार और मेर जीभ से मज़े ले रह थी। और फर अचानक मेरे अंदर का ऑगॅज़म फट सा पड़ा।

और मने मशा के चेह रे को बरु तरहा से अपने रस से भगो दया। और इस बात का बदला उसके पताजी ने मझ
ु से कुछ
इस तरह से लया क जैसे ह उनके ल ड से पानी क बोछार नकल कर अपनी बेट के अंद र जाने लगी, उ होने मेरे चेह रे
को और तेज़ी से नीचे क तरफ दबा दया।

154
मशा क चूत के अंदर एक गुबार सा बनता जा रहा था और जैसे ह सरदार ने एक तेज झटके से अपने गधे जैसे ल ड को
बाहर खींचा उसके पीछे -2 ढे र सारा सफेद रस एक जोरदार श
े र के साथ बाहर आया और मेरे चेह रे को बरु तरह पोत कर
चला गया। मेरा पूरा चेह रा सफेद रं ग के रस से ढक सा गया। मेरे ह ठ, आँख,े नाक सभी पर गाड़ा और जंगल रस चपक सा
गया पर मझ
ु े भी पता था क उसे कैसे सॉफ करना है ।

म अपनी जगह से उठ और अपना रं गीन चेह रा लेजाकर मने मशा के सामने रख दया और वो भख
ू े भखार क तरह मेरे
चेह रे पर टूट पड़ी और जी भरकर अपने ह बाप के ल ड से नकल मलाई खाने लगी और थोड़ी ह दे र म उसने मेरे चेह रे को
ऐसे चमका दया मानो कुछ हुआ ह ना हो। चुदाई करते हुए एक घंट ा हो चुका था। े कं ग पर गये हुए लोगो के आने म अभी
भी आधा घंटा और था।

मशा: "कोमल… आज तु हार वजह से ह मझ


ु े अपनी िजंदगी क वो खुशी मल पाई है िजसके लए म ना जाने कतने
साल से तड़प रह थी…”

सरदार को सब समझ आ गया क ये सब हम दोनो क मल भगत थी पर जो भी था, सरदार के मन क बात भी तो पूर हो


गयी थी मेर वजह से। इस लए वो बस मु कुरा कर रह गया, और आधे घंटे का इ तेमाल करते हुए हम दोनो ने एक साथ
सरदार के ल ड को चस
ू चू कर बेहाल कर दया और तब तक चस
ू ते रहे जब तक उ होने हमारे चेह र पर अपने गम रस क
फुहार नकाल कर नह फक द । और हम दोनो जब पूर तरह से त ृ त हो गये तो अपने कपड़े वगेरह पहन कर बाक के
लोग के आने क ती ा करने लगे। और जब सब वा पस आ गये तो हम नॉमल सा बहेव करने लगे।

वैसे भी रात होने को थी, इस लए हम वह ं कना था, सबने अपने-2 टट वह ं लगा लए और सोने क त यार करने लगे।
…Page194-196…
वो चुदाई करने के बाद मशा और सरदार के बीच जो एक बाप बेट वाले शम क दवार थी, वो गर चुक थी। मशा अब
अपने पताजी के साथ ऐसे बहे व कर रह थी मानो उनक बेट नह ं बीबी हो वो। सरदार के हाथ को पकड़ कर अपनी चूची
से चपका रखा था उसने।

टट के बाहर जब खाना बन रहा था तो मेर नजर उन बाप बेट को ह ढूंढ रह थी। पर वो कह ं दखाई नह ं दे रहे थे।

द पा मेरे साथ ह थी। उसे मने पहले ह सब बता दया था क मेरे और मशा के साथ सरदार ने या-२ कया। उसे तो
व वास ह नह ं हुआ था क मने सरदार का ल ड अपनी चूत के दरवाजे के आर पार कर लया है, और हमेशा क तरह
उसक चूत म भी जलन के मारे खुजल होने लगी…

कहते है, जब चूत म नया-२ ल ड गया हो तो उसको मरवाने क आदत सी पड़ जाती है… और यह हाल अभी मशा का भी
था। जब से हमारा ुप उनके कबीले म आया था, तभी से उसक चूत म पहल बार ल ड जाने के बाद, और फर अपनी
पताजी से चुदने के बाद वो बेलगाम सी हो गयी थी। मने द पा को कहा क हो ना हो, वो ज र कह ं छपकर अपने सरदार
बाप से चुदवा रह होगी। हम दोन उसे ढूँढने के लए चल दए।

हम जा ह रहे थे क पीछे से ं सपल मेडम ने पक


ु ारा: "अरे कोमल… को… कहाँ जा रह हो तम
ु …"

और हमारे साथ आकर वो खड़ी हो गयी। उनसे कोई भी बात छुपाने का कोई ओ च य नह ं था, इस लए मने अपनी और
मशा क चद
ु ाई के बारे म उ ह सब बता दया। वो हे रानी से मेर बात सन
ु ती रह । उ ह दे खकर साफ़ पता चल रहा था क
उनक चूत क परत म से भी गरम हवा के झ के नकल रहे ह। मेर बात सुनकर वो भी हमारे साथ ह चल द । जहाँ हमारे
टट लगे हुए थे उनके ठ क पीछे काफ बड़ी सी च ान थी। जैसे ह हम दोन वहां पहुं चे उसके पीछे से मशा क स का रय
क आवाज सन
ु ाई देने लगी…

हम तीनो मु कुराते हुए उसी दशा म चल दए।

वहां के नज़ारे को दे खकर हम तीनो के हाथ अपनी-२ ओख लय को अपनी उँ ग लय से सहलाने लगे…


155
वहां पर मशा को उसके पताजी ने एक उं ची सी च ान पर बठा रखा था िजसक वजह से उसक चूत ठ क सरदार के मुंह
के सामने थी। दोन परु े नंगे थे, और मशा ने अपनी दोन टाँगे सरदार के मह
ंु के दोन तरफ फेला कर उ ह अपनी चत
ू पर
भींच रखा था। और उनके सर के पीछे हाथ लगाकर वो उ ह कं ोल कर रह थी। आगे पीछे … आगे पीछे …

और सरदार भी अपनी आँखे बंद कये हुए अपनी फूल सी बेट क गल


ु ाब सी चत
ू को ऐसे चाट रहा था जैसे उसमे से शहद क
बरसात हो रह हो। सरदार का ल बा और मोटा ल ड सामने क च ान से टकरा रहा था िजसक वजह से उ ह काफ
मिु कल सी हो रह थी…

मने ं सपल मेम और द पा क तरफ दे खा और आँख ह आँख म हमने कुछ डसाइड कया और अगले ह पल हमारे
िज म से एक एक कपडा उतर कर जमीन क धुल चाट रहा था। पहले तो हवा म सफ एक ह चूत क महक तैर रह थी पर
अब चार चूत थी जो माहोल म मदहोशी फेला रह थी।

म धीरे से आगे गयी और सरदार क टांगो के बीच से होती हुई उनके आगे क तरफ आ गयी। वहां बैठने क यादा जगह
नह ं थी पर फर भी मने मेनेज कर ह लया और उनके हाथी क सड ूं जैसे ल ड को पकड़ कर अपने गाल से लगा लया…

“अ ह… ओ ह… कोमल… तम
ु …तम
ु कब आई…”

सरदार काफ बीजी थे अपनी बेट क चूत का बोनवीटा पीने म। पर फर भी उ ह ने अपना मह


ुं बाहर खींचा और मेर
उपि थती से मशा को अवगत करवाया…

मशा ने अपनी आँखे खोल और मझ


ु े नीचे बैठ कर अपने पताजी का ल ड चूसते हुए दे खा और साथ ह उसक नजर पीछे
ख़ड़ी हुई मेडम और द पा के ऊपर भी गयी। उसने मु कुरा कर उनका भी वागत कया और उ ह आगे आकर खेल म
शा मल होने के लए कहा…

सबसे पहले भागकर मेड म आई और सरदार को पीछे से आकर अपनी बाह म लपेट लया। उनके मोटे मु मो के ऊपर लगे
हुए न पल सरदार के बदन म कसी शल ू क तरह से चुभ गए। तब उ ह एहसास हुआ क मेरे साथ और भी लोग आये ह।
उ ह भला या परे शानी हो सकती थी। उ ह ने मेड म के हाथ के अपने हाथ म पकड़ा और उ ह अपनी पीठ से और जोर से
दबा दया। मेडम को लगा क उनके मु मे सरदार के फोलाद िज म से पीसकर चूर-चूर हो जायगे। वो दद से कराह उठ ।

“अ ह… ओ फ़् फ़… सरदार…धीरे खींचो… दद होता है…”

इसी बीच द पा भी आगे आई और सरदार के दांयी तरफ आकर उनसे चपक गयी…

सरदार के तो मजे हो गए, चार तरफ से उ ह चूत ने घेर सा लया था।

उ ह ने मेरे चेह रे को पकड़ा और अपना आधे से यादा ल ड मेरे मह


ुं म धकेल कर ध के मारने लगे। और मेड म का हाथ
पकड़ कर उ ह ने उसे अपने सामने कया और उनके मह
ुं पर अपना चूत से भीगा चेह रा लाकर उसे चूसने लगे। इतनी मोटे
मु म वाल और मे योर औरत को दे खकर उनके मह
ंु और ल ड म पानी आ गया। अब इनके एक तरफ मेडम थी और
दस
ू र तरफ द पा। सामने उनक अपनी बेट और नीचे म…

मशा ने अपनी पता के चेह रे को पकड़ कर वा पस अपनी चूत पर दबा दया। और उ ह जोर से चूसने को कहा। य क वो
झड़ने के काफ कर ब थी।

मेडम और द पा ने अपनी छाती पर लगे मु म क मदद से सरदार के शर र क मा लश करनी शु कर द । वो ऊपर नीचे


होकर अपने मु म को सरदार के शर र से रगड़ रह थी। और सरदार के िज म से नकल रहे पसीने क वजह से वो सब
आसानी से कर पा रहे थे।

अचानक मशा क चूत म से आनद का बाँध टूट सा गया, और उसने जोर से चीखते हुए अपने बाप के ह ठ और नाक अपनी
चूत के अ दर घुसा दये।

156
“अ ह… पताजी… उ म ्म अ ह… ओ ह… म मम… मजा आ गया… अ ह…”

उसक चूत से नकला अमत ृ बरसात बनकर सरदार के चेह रे को भगोता हुआ मेरे ऊपर भी आ गरा… मशा हांफ हुई सी
अपने पता के चेह रे पर गर पड़ी। उ ह ने मशा को ऊँची च ान से नीचे उतारा। मशा अपने साथ एक चादर पहले से लायी
थी। जो नीचे बछा रखी थी उसने। वो सीधा आकर उसके ऊपर लेट गयी। मझ
ु े भी सरदार ने मशा क बगल मे लटा दया।
और द पा और मेड म को भी साथ ह लेटने को कहा।

जब हम चार उनके सामने जाकर लेट गए तो सरदार ने हम अपनी टाँगे खोलने को कहा। सबने वैसा ह कया, और सबसे
पहले वो मशा के ऊपर आये और अपने डंडे जैसे लण ्ड को पकड़ कर उ ह ने मशा क चूत के ऊपर रख दया। वो अभी
थोड़ी दे र पहले ह झड़ी थी इस लए उसक चूत काफ गील थी। ल ड आसानी से अ दर चला गया… उसके बाद सरदार के
झटक ने उसक चीखे नकलवा द …

“अ हओ फ़् फ़ ओ ह पताजी… अ ह…”

पांच मनट के ध क के बाद मेरा नंबर आया। उ ह ने जैसे ह मेर चूत के ऊपर अपना ब बू टकाया, मने अपनी टाँगे
उनक कमर से बाँध द और उ ह अपनी तरफ खींचकर जोर से उ ह मच
ू कर लया और साथ ह उनका ल बा ल ड अपने
अ दर घसीट लया।

“अ ह… उ म… ये स… पूरा डाल दो अब तो… पूरा धकेलो नाअ दर… ल स…”

और जैसे ह उ ह ने मेर बात मानते हुए अपना भार थोडा और मेरे ऊपर डाला मेर तो जैसे चूत एक बार और फट गयी…
उ ह ने मेरे साथ भी वह कया। पांच मनट तक ध के मारने के बाद वो हटे और अगला नंबर उ ह ने मेड म का लगाया। वो
काफ खेल खायी हुई थी इस लए इतने लंबे ल ड को लेने म उ ह यादा तकल फ नह ं हुई । सरदार क नजर शु से ह
उनके मोटे मु म पर थी इस लए ल ड के अ दर जाते ह उ ह ने अपना मह
ंु नीचे कया और उनका दांया मु मा पकड़ कर
खा गए… मेडम ने भी शायद पहल बार इतना मोटा ल ड लया था इस लए उनक आँखे बंद सी होती चल गयी और वो
सख
ु सागर म गोते लगाते हुए अपनी चुदाई करवाने लगी…

“अ ह… उ फ़् फ़… मजा अ गया… अ ह… सरदार… कतना ल बा है आपका… उ फ… आज तक इतना


शानदार ल ड नह ं गया मेरे अ दर… अ ह…”

और थोड़ी दे र तक उ ह मजे दे ने के बाद सरदार ने द पा क तरफ दे खा। वो हम सबमे सबसे छोट थी इस लए उसक अ हड
सी जवानी को चोदने के लए वो काफ बेकरार था। इस लए उ ह ने यार से उसक टांगो को फेलाया और अपने कंधे पर
रखा और अपना ल ड जैसे ह उसक चूत पर लगाया वो चीख पड़ी… इतना मोटा लेने क उसक औकात नह ं थी… मतलब
उसक चूत का मह
ुं काफ छोटा था।

पर उसने हार नह ं मानी और सरदार को ध का दे ने को कहा, और जैसे ह सरदार ने ध का दया, उनका ल ड उसक छोट
सी चूत को फाड़ता हु आ अ दर जा घुसा और वो दद से दोहर होकर उनसे लपट गयी… सरदार पहले भी कई बार ऐसी
प रि थ त से गज
ु र चक
ु ा था इस लए उ ह ने उसके चेह रे और ह ठ को चम
ू ा, उसके तन का पान कया और जब दद थोडा
कम हुआ तो उ ह ने ध के मारने शु कये…

अब द पा को भी मजा आने लगा था…

"अ ह… ऒऒऒ… सरदार… उ म ्म… या चीज होती है ये ल ड भी… िजतना मोटा, उतना ह मजा…
अ ह… और तेज करो, अब रहा नह ं जा रहा… जोर से चोदो मझ
ु े… अ ह… अ ह… हाँ… ऐसे ह … ओ ह…"

और इसी के साथ ह उसने अपना सारा ओगा म से नकला रस सरदार के ल ड के नाम कुबान कर दया। अब अगल बार
मशा क थी। उ ह ने उसक चूत म ल ड डालकर अपनी गोद म उठा लया और अपने सीने से उसके छोटे और स त
मु म क मा लश करते हुए उसे चाँद क सेर पर ले गए।
157
और जब वो झड़ी, वो भी नढाल सी होकर अपनी पताजी के ल ड का गुणगान करती हु ई नीचे आ गयी।

अब म और मेड म बचे थे। हम दोन डौगी टाईल म झुक कर लेट से गए और सरदार ने हम दोन क फेल हु ई गा ड को
अपने हाथ से मसल कर हम चुदाई के लए तेयार कया… पहले मेर चूत म ल ड पेला, और मझ ु े तब तक चोदते रहे जब
तक मेर चत
ू क फे क हर द वार उनके झटक से ढ ल ना हो गयी।

और वह हाल फर उ ह ने मेड म का भी कया… उनका भी जब ओगा म हुआ तो जंगल सयार क तरह उ ह ने जोर से
चीख मार और वह जमीन पर ढे र हो गयी।

सरदार का बलशाल ल ड अभी भी खड़ा हु आ था।

उ ह ने उसे अपने हाथ से मसलना शु कया, और हम चार उनके सामने अपने मु मे मसलते हुए अपना मह
ुं खोलकर
बैठ गयी… और जैसे ह उनके ल ड के आसमान से सफ़ेद पानी क बंद
ू े नकल कर बाहर क तरफ आयीं सबने अपनी जीभ
बाहर नकाल कर उ ह हवा म ह लपकना शु कर दया… और सरदार भी अपने ल ड को आग बुझाने वाले पाईप क तरह
हम चार के चेह रे के ऊपर घुमा-२ कर अपना पानी हमारे आग लगे िज म पर फक रहा था और हमार आग बुझा रहा था।

सब कुछ ख़ म होने के बाद हम चार ने एक दस


ु रे के शर र पर गरे रस को चाटा और चूसा और फर सरदार के ल ड को भी
चूसकर अ छ तरह से साफ़ कर दया।

वा पस आकर सभी अपने-२ टट म आकर सो गए।

सुबह उठकर हम सभी वा पस कबीले क तरफ चल दए…

आज हमारा टूर भी परू ा हो चक


ू ा था…शाम को नकलना भी था।

सरदार ने हम सभी को कुछ न कुछ उपहार भी दया, और मेडम ने अगल बार ज द ह वा पस आने का वादा भी कया।
और साथ ह सरदार और मशा को भी शहर आने का नमं ण दया।

शाम को हम सब वा पस नकल पड़े। और रात भर का सफ़र तय करके हम सभी सुभ आठ बजे अपने शहर म वा पस पहुँच
गए। सभी बहुत खुश थे।

हो भी य न… सबने अपने-२ ह से के मजे जो लए थे…

खासकर मने… िजतना से स मने यहाँ अपने घर और कॉलेज म कया था उससे भी यादा मने कबीले म जाकर कया,
और वो ए सपे रएंस मझ
ु े हमेशा के लए याद रहे गा।
*********************
****** समा त ********
*********************

दो त हर कहानी का अंत आता ह है, मेर कहानी का अंत भी येह है । आशा करता हु क आपको ये कहानी पसंद आई
होगी। आगे भी म आपका ऐसा ह मनोरं जन दस
ू र कहा नय के ज रये करता रहूँगा…

आपका…
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