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दयानंद के अनुयाययय ं द्वारा छापी गयी शुद्ध रामायण (अय ध्या कां ड) से कुछ प्रश्न

ह िं दु हिरोधी दयानिंद सिंगठन द्वारा मूल


रामायण में कािंट/छााँट करके छापी गयी
फ़र्ज़ी रामायण (अयोध्या कािंड) से कुछ
प्रश्न
क्या ै आयय समाज? :-
1. आयय समाज एक नकली ह िं दुओ िं की सिंस्था ै जो िास्ति में
सनातन ह िं दु धमय के हनयमोिं को तोड़ने का ी काम करते ैं। इस
सिंगठन के लोग ह िं दु शास्त्ोिं में हमलािट की बोलते ैं ि स्वयिं को
ी िैहदक बताते ैं , जो केिल भोले भाले लोगोिं को भ्रहमत करने
का स्वािं ग ै। इसी के चलते इन्ोिंने मूल रामायण को हमलािटी
बोला, हिर उसमें बहुत से श्लोकोिं की कािंट छााँट कर ि अपने
तरि से श्लोक हमला के उसको पुनः “शुद्ध रामायण” के नाम से
छापा ै। जो हक िास्ति में अशुद्ध/हमलािटी ै और ह िं दुओ िं को
भ्रहमत कर र ी ै। इसहलए अब म सनातनी ह िं दुओ िं ने उनसे
उन्ी िं की छापी हुई फ़र्ज़ी रामायण से कुछ प्रश्न करे ैं जो इस
पुस्तस्तका में आपको दे खने को हमलें गे।
2. ये लोग केिल अपने सिंस्थापक दयानन्द की बातोिं पर ी हिश्वास
करते ैं , ि अन्य हजतने भी सन्त म ात्मा ो गए उनके हसद्धािंतोिं
को न ी िं मानते।
3. ये लोग ह िं दुओ िं के दे िी दे िताओिं, ि भगिान के अितारोिं को भी
न ी िं मानते ।
4. ये लोग भी हिधहमययोिं की तर ब्राह्मणोिं को लु टेरा समझते ैं तथा
स्वयिं को ी श्रे ष्ठ समझते ैं।

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5. ये लोग “ह िं दु” शब्द को भी गुलामी का प्रतीक और गाली समझते


ैं जबहक प्राचीन ग्रिंथोिं में ह िं दु शब्द का अथय ि ी हलखा ै जो आयय
शब्द का ै।

भोले भाले लोगोिं को भ्रहमत करने के हलए ग्रिंथोिं के श्लोकोिं के अथय के


अनथय कर दे ते ैं हजससे लोगोिं की अपने इष्ट के प्रहत ी श्रद्धा/हिश्वास
समाप्त ो जाये। िास्ति में ये केिल स्वघोहित आयय बनकर ह िं दु धमय
पर कुठाराघात ी कर र े ैं। और हिधहमययोिं की (जो लायक भी न ी िं ैं
उनकी भी) घर िापसी कराकर लि हज ाद करिा र े ैं । हजस हकसी
म्लेच्छ को भी घर िापसी के नाम पर उसकी पसिंदीदा जाहत/गोत्र दे
हदया जाता ै। इस प्रकार ये लोग िणय सिंकरता को बढ़ा र े ैं।

प्रश्न 1- दू सरे सगय के श्लोक सिंख्या 19 में श्री राम के गुणोिं की


तुलना इिं द्र से की गई ै । तो कृपया ये बताएिं हक इिं द्र ने तो गौतम
ऋहि की पत्नी अह ल्या के साथ सिं भोग भी हकया था। हिर उसको
गुणिान क ना क ााँ तक उहचत ै ?

प्रश्न 2- दू सरे सगय के श्लोक सिंख्या 21 में क ा गया ै हक श्री राम


बुस्तद्ध में बृ स्पहत के समान ैं और पराक्रम में इिं द्र के समान ैं । तो
कृपया ये बताएिं हक बृ स्पहत कौन ै ? और इिं द्र कौन ै , उसने कब
पराक्रम हदखाया?

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प्रश्न 3- दू सरे सगय के श्लोक सिंख्या 27 में क ा गया ै हक पृथ्वी श्री


राम को लोकपालोिं की तर अपना राजा बनाना चा ती ै तो
कृपया ये बताएिं हक ये लोकपाल कौन ैं और क ााँ शासन करते
ैं ?

प्रश्न 4- तीसरे सगय के श्लोक सिंख्या 8 से 11 में िणयन ै हक राम जी


के राज्याहभिेक के हलए व्याघ्र चमय मिंगिाई गयी। तो कृपया ये
बताएिं हक राज्याहभिेक जैसे पहित्र कायय में एक मुदे जानिर की
खाल जैसी अपहित्र िस्तु की क्या आिश्यकता?

प्रश्न 5- तीसरे सगय के श्लोक सिंख्या 26, 27 में क ा गया ै हक जो


राजा प्रजा को प्रसन्न रखकर राज्य करता ै उससे उसके हमत्र ऐसे
प्रसन्न ोते ैं जैसे दे िता लोग अमृ त पान करके। तो कृपया ये
बताओ हक ये कौन से दे िता ैं और अमृत क ााँ ै हजसका िे पान
करते ैं ?

प्रश्न 6- सगय 4 के श्लोक सिंख्या 11, 12 में दशरथ जी क र े ैं हक


उनको रात को स्वप्न में आकाश में भीिण शब्द और उल्कापात
ोता हदखाई पड़ता ै , जो हक राजा की मृत्यु अथिा बड़ी भारी
हिपहि का सूचक ै । अब कृपया ये बताएिं हक ऐसी हकसी भी स्वप्न
की घटना और िो भी खगोलीय घटना का हकसी के ऊपर पड़ने
िाली हिपदा से क्या लेना दे ना? ये बात तो अिैज्ञाहनक ै । क्योिंहक

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असली हर्ज़िंदगी में भी आकाश में र ििय उल्कापात ोता ी ै ,


बताओ हकसकी मृत्यु की सूचना दे ता ै िो?

प्रश्न 7- सगय 4 के अिंहतम पृष्ठ के नीचे रे िेरें स में हलखा ै हक “ये


बातें गोपनीय थी िं और सबके सामने क ने योग्य न ी िं थी िं”। तो
कृपया ये बताएिं हक यहद िे बातें गोपनीय थी िं तो िाल्मीहक जी और
नारद जी को कैसे पता चली िं जो उन्ोिंने रामायण में हलख दी िं?

प्रश्न 8- सगय 8 के श्लोक सिंख्या 5, 6 में दशरथ जी के दे िासुर


सिंग्राम में शाहमल ोने का िणयन ै । तो कृपया ये बताएिं ये कौन से
दे िता ैं , कौन से असुर ैं ? यहद आप क ो हक दे ि गुण सम्पन्न
मनुष्ोिं को ी दे िता और आसुरी गुण सम्पन्न मनुष्ोिं को ी असुर
क ा गया ै तो इिं द्र कैसे दे िता ो गया क्योिंहक उसने तो दू सरे की
पत्नी (अह ल्या) के साथ सम्भोग जैसा आसुरी कमय हकया था?

प्रश्न 9 – आठिािं सगय के श्लोक सिंख्या 24 में शोकाकुल कैकयी की


तुलना स्वगय से हगरी हकन्नरी से की गई ै । तो कृपया ये बताएिं हक
स्वगय ै क ााँ, ज ािं से हकन्नर हगरते र ते ैं ? और हकन्नर कौन ोते
ैं ?

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प्रश्न 10- तेर िें सगय के श्लोक सिंख्या 7 में हजन राजा बहल और इिं द्र
का िणयन आया ै उनके बारे में बताएिं । ये भी बताएिं हक कैसे और
कब इिं द्र ने राजा बहल को पाश में पकड़ हलया था?

प्रश्न 11- तेर िें सगय के श्लोक सिंख्या 17 ि 18 में श्री राम
राज्याहभिेक के हलए सजाई गई अयोध्या का िणयन ै और उसकी
उपमा इिं द्र पुरी से की गई ै । इस सिंस्कृत श्लोक में हलखा ै “तािं
पुरी िं समहतक्रम्य पुरन्दरपुरोपमाम्” अथायथय आयोध्या पुरी की
तुलना पुरन्दर की पुरी से की गई ै । तो कृपया ये बताएिं ये पुरन्दर
कौन ै ? इसको आपने ह िं दी अनुिाद में इिं द्र क्योिं क ा ै ? और
इसकी पुरी क ााँ ै हजसकी ऐसी ी शोभा ै ? मतलब क्या इिं द्र की
पुरी भी इसी तर सजती ै ?

प्रश्न 12- चौद िें सगय के श्लोक सङ्ख् ख्या 3 में राम जी के भिन की
तुलना इिं द्र के भिन से की गई। तो कृपया ये बताएिं हक क्या ये ि ी
इिं द्र ैं हजनका िणयन प ले भी आ चुका ै अथिा कोई दू सरे ? और
इनका भिन/ हनिास क ााँ ै ?

प्रश्न 13- इक्कीसिें सगय के श्लोक सिंख्या 14 के रे िेरें स में आप


लोगोिं ने नीचे मनु स्मृहत के श्लोक का उल्लेख हकया ै हजसमें
हलखा ै हक स्त्ी के हलए उसके पहत की सेिा से पृथक न कोई
यज्ञ ै , न व्रत ै , न उपिास। तो कृपया ये बताएिं हक हिर आयय

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समाज क्योिं स्तस्त्योिं को यज्ञ / िेद पाठ का अहधकारी बोलता ै ?


मतलब आप लोग स्वयिं ी मनु के आदे श का उल्लिंघन कर र े ो?

प्रश्न 14- सगय 26 के श्लोक सिंख्या 4 में लक्ष्मण जी श्री राम को क


र े ैं हक मैं आपके हबना दे िलोक में भी न ी िं जाना चा ता, अमृत्व
= मोक्ष भी न ी िं चा ता, सिंसार के ऐश्वयय भी न ी िं चा ता। तो
कृपया ये बताएिं हक आस्तखर ये दे िलोक ै क ााँ? और अमृत्व को
आप लोगोिं ने मोक्ष क हदया तो कृपया ये बताएिं हक मोक्ष में भी
कोई हकसी के साथ जाता ै क्या ?

प्रश्न 15- सगय 29 के श्लोक सिंख्या 11 में राजा दशरथ जी को इिं द्र
के समान तेजस्वी बताया ै । और सगय 30 के श्लोक सिंख्या 12 में
बताया ै हक अधमय करने के कारण इिं द्र का तेज भी नष्ट ो जाता
ै । तो कृपया यर बताएिं हक ये इिं द्र कौन ै हजसका तेज अधमय के
कारण नष्ट ो सकता ै ?

प्रश्न 16- सगय 40 के श्लोक सिंख्या 10 में सुमिंत्र श्री राम से क र े


ैं हक िन में लक्ष्मण तथा सीता सह त िास करने से आपकी िैसी
ी कीहतय ोगी जै सी हकसी की तीनोिं लोकोिं को जीत लेने पर ो
सकती ै । तो कृपया ये बताएिं हक तीनोिं लोक हजनको आप लोगोिं
ने बालकािंड में जल, स्थल, नभ क ा ै , उनमें स्थल को जीतने
िाली बात तो समझ मे आती ै क्योिंहक इसपर मनुष् र ते ैं ।
परिं तु जल और नभ में कौन र ता ै हजसको कोई जीत सके?

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प्रश्न 17- सगय 49 के श्लोक सिंख्या 19 में श्रिण कुमार के हपता ने


दशरथ जी को शाप हदया ै हक “हजस प्रकार पुत्र हियोग में मैं मर
र ा हाँ उसी प्रकार पुत्र हियोग के कारण तुम भी मरोगे”। तो
कृपया ये बताएिं हक आयय समाज के अनुसार तो रामायण काल में
सब आयय समाजी हिचारधारा के ी थे, पुराण तो थे ी न ी िं और
आयय समाज िरदान/शाप आहद में भी हिश्वास न ी िं करता तो य ािं
पर श्रिण कुमार के हपता हिर कैसे शाप दे र े ैं ? इसका मतलब
तो िे भी पौराहणकोिं की तर अिं धहिश्वासी थे? और दशरथ जी भी
उसी शाप में हिश्वास कर र े ैं मतलब दशरथ जी भी अिंधहिश्वासी
थे?

प्रश्न 18- सगय 49 के श्लोक सिंख्या 20 में हलखा ै हक श्रिण कुमार


के माता हपता आत्म दा करके स्वगय को चले गए। यहद आप लोग
स्वगय का अथय नए जन्म में हमलने िाली सुख सुहिधाओिं से सम्पन्न
उच्च (मनुष्) योहन करें तो भला कौन बुस्तद्धमान मोक्ष न चा कर
पुनः जन्म लेने के हलए ी आत्मदा करे गा? और यहद आप लोग
स्वगय का अथय मोक्ष करें तो ये बताएिं हक क्या इस प्रकार आत्म त्या
करने से मोक्ष हमल जाता ै ?

प्रश्न 19- सगय 49 के श्लोक सिंख्या 24 में म ाराज दशरथ कौशल्या


जी से क र े ैं हक यमराज के दू त चलने केहलए शीघ्रता कर र े

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ैं । तो कृपया ये बताएिं हक यमराज कौन ै और उसके दू त कौन


ैं , दशरथ जी को ले चलने की शीघ्रता कर र े थे।

प्रश्न 20- सगय 51 के श्लोक सिंख्या 26 में हलखा ै हक अराजकता


िैलने पर िणायश्रम की मयायदा को हतलािंजहल दे कर लोग नास्तस्तक
ो जाते ैं और उन्ें राजदण्ड का भी भय न ी िं र ता । अथायथय
रामायण काल से ी िणायश्रम व्यिस्था ै । यहद आप ये क ो हक ााँ
िणायश्रम व्यस्था तो थी परिं तु जन्मना न ी िं अहपतु कमयणा थी, और
उसी कमयणा िणय व्यिस्था के कारण अराजकता न ी िं िैला करती
थी। तो कृपया ये बताएिं हक आजकल भी तो िैसा ो ी र ा ै
अथायथय लोग अपने मन की इच्छा अनुसार अपनी आजीहिका चुन
र े ैं अथायथय अपना िणय स्वयिं चुन र े ैं , परन्तु हिर भी
अराजकता क्योिं िैली हुई ै ? नास्तस्तकता क्योिं िैल र ी ै ?
अपराध क्योिं बढ़ र े ैं ? क्या आजकल के शासन को (जो हक
कमयणा िणय व्यिस्था का पक्षधर ै ), आदशय राज्य न ी िं क ना
चाह ए?

प्रश्न 21- सगय 53 में भरत को राहत्र मे आये दु ःस्वप्न का िणयन ै ।


हजसके बारे में भरत अिंत मे ये क र े ैं हक ऐसा स्वप्न आया ै तो
हनहित ी मेरी या राम जी की या लक्ष्मण की अथिा म ाराज
दशरथ की मृत्यु ोगी। तो कृपया आप लोग ये बताएिं हक क्या

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भरत जी अिंधहिश्वासी थे जो इस तर की बात बोलते थे ? यहद


अिंधहिश्वासी थे तो दशरथ जी की मृत्यु की घटना कैसे घटी? यहद
अिंधहिश्वासी न ी िं थे तो इस तर स्वप्न के बारे में सोच कर हचिंहतत
क्योिं हुए? आयय समाज के अनुसार क्या स्वप्न के शुभाशुभ पर
हिचार करना िै ज्ञाहनकता ै ? यहद ााँ तो हकस हकस प्रकार के
स्वप्न का क्या क्या िल ोता ै ? और ये कौन से ग्रन्थ में हलखा ै ?

प्रश्न 22- सगय 52, 54, 55 को पढ़ के ये समझ आता ै हक म ाराज


दशरथ जी की मृ त्यु के पिात अयोध्या से जो दू त भरत, शत्रुघ्न को
लेने के हलए गए थे िे घोड़े िाले रथोिं पर गए थे। और ि ािं से
िाहपस भी घोड़ोिं िाले रथोिं पर आए।
तो अब प्रश्न उठता ै हक आयय समाज के अनुसार तो उस काल मे
बहुत लोगोिं के पास छोटे छोटे हिमान ोते थे, नारद जी जैसे
हिरक्त के पास भी हिमान था। तो क्या अयोध्या में (ज ािं का िैभि
इिं द्रपुरी के समान बताया ै ) राजकुल िालो के पास हिमान न ी िं
थे, जो इतनी आपातकालीन स्तस्थहत में भी घोड़ोिं िाले रथोिं पर भरत
जी को लेने गए? हिमान पर भी तो जा सकते थे? समय भी बचता।

प्रश्न 23- सगय 58 के श्लोक सिंख्या 17 से 54 तक भरत जी ने क ा


ै हक राम जी को िन भेजने का हजसने परामशय हदया ो उसे
अमुक अमुक पाप लगे? तो कृपया उन सब श्लोकोिं में आये पापोिं
के िल स्वरूप हमलने िाले दण्ड के बारे में बताएिं हक उन उन
पापोिं को करने से कौन कौन सा दण्ड भोगना पड़ता ै ?

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प्रश्न 24- सगय 67 के श्लोक सिंख्या 2 में हलखा ै हक श्री राम उसी
प्रकार माता सीता को हचत्रकूट का दशयन करिा र े थे, हजस
प्रकार इिं द्र (सिंस्कृत श्लोक में पुरन्दर हलखा ै ) शहच को करिाते
ैं । तो कृपया इन इिं द्र (पुरन्दर) और शहच के बारे में बताएिं हक ये
कौन ैं , क ााँ र ते ैं ?

प्रश्न 25- सगय 68 श्लोक सिंख्या 7 में श्री राम लक्ष्मण से क र े ैं


हक अधमय पूियक मुझे समुद्रोिं से हघरी पृथ्वी तो क्या इन्द्रपद भी न ी िं
चाह ए। तो कृपया ये बताएिं ये इन्द्रपद भला ऐसा कौन सा पद ै
हजसे राम जी ने सम्पूणय पृथ्वी के शासन से भी ऊिंचा बोल हदया
गया ै ? (तभी तो क ा हक मुझे पृ थ्वी तो क्या बस्तल्क इिं द्र का पद भी
हमल जाये तो भी मैं धमय का मागय न ी िं छोडूिंगा)

प्रश्न 26- सगय 70 के श्लोक सिंख्या 54 में बताया गया ै हक


धमायनुकूल शासन करने िाला राजा मरणोपरािंत स्वगय (अथायथय
सुख हिशेि, उिम जन्म) को प्राप्त ोता ै । और सगय 71 के
श्लोक सिंख्या 4 ि 5 में भरत जी ने दशरथ जी को स्वगयिासी
बताया ै । तो कृपया ये बताएिं हक दशरथ जी तो प ले से ी राजा
थे (अथायथय सुख सुहिधा सम्पन्न थे ) अथायथय एक प्रकार से िे प ले से
ी स्वगय में थे। तो अब मरणोपरािंत कौन से नए स्वगय में जाएिं गे?
क्या हिर से राजकुल में जन्मेंगे? यहद ािं तो कृपया ग्रिंथोिं से इसका

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प्रमाण दीहजए हक धमायत्मा राजा मरणोपरािंत पुनः राजकुल में ी


जन्म लेता ै ।

प्रश्न 27- सगय 71 के श्लोक सिंख्या 13 में हलखा ै हक श्वसुर के


परलोक िास (सिंस्कृत में “स्वगयलोकगतिं नृपिं” हलखा हुआ ै ) का
िृिािंत सुनकर सीता जी भी रोने लगी िं। तो इसका अथय तो य ी
हुआ हक स्वगय केिल कोई सुख हिशेि न ी िं जैसा आप लोग क ते
ो, अहपतु कोई लोक हिशेि ै । और सगय 74 के श्लोक सिंख्या 25
से भी य ी स्पष्ट ोता ै हक म ाराज दशरथ नाना प्रकार के
सुखोपभोग पिात स्वगय गए। तो कृपया ये बताएिं हक ये स्वगयलोक
ै क ााँ?

प्रश्न 28- सगय 74 के श्लोक सङ्ख् ख्या 30 में भी श्री राम क र े ैं


हक हजन मनुष्ोिं को अपना परलोक बनाने की हचिंता ै (सिंस्कृत में
भी “परलोकिं” शब्द ी हलखा हुआ ै ) िे बड़ोिं की आज्ञा पालन
करें । तो कृपया ये बताएिं हक परलोक क्या ै ? ऊपर का प्रश्न भी
इसी से सम्बिं हधत ै ।

प्रश्न 29- सगय 79 के श्लोक सिंख्या 3 में हलखा ै हक “रािण के िध


के इच्छु क ऋहिगणोिं ने भरत जी को समझाया हक तुम श्री राम को
हपता की आज्ञानुसार िनिास ी करने दो”। तो कृपया ये बताएिं
हक उन ऋहियोिं को कैसे मालूम पड़ा हक भहिष् में राम जी ी
रािण का िध करें गे ?

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